खैरख्वाह-मणि बन दुनिया
को फिक्रों से फारिग़ करो
आज रत्नागर रब अपने चारों
ओर के खास खैरख्वाह मणियों को देख रहे हैं। रत्नागर रब की मणियाँ दुनिया में
अपनी खैरख्वाह किरणों से रोशनी कर रही हैं क्योंकि आज की इस आर्टीफिशियल चमक
वाले दुनिया में तमाम रूहें फिकरमणी हैं। ऐसे कलील अरसे की चमकने वाली फिकरमणियों
को आप खैरख्वाह मणियाँ अपने नेक जज़्बात की कुव्वत के ज़रिए तब्दील कर रही हो।
जैसे सूरज की किरणें दूर-दूर तक अंधकार को मिटाती हैं, ऐसे आप नेक जज़्बाती
मणियों के नेक इरादे रूपी चमक कहो, किरणें कहो - दुनिया के चारों ओर फैल रही
हैं। आजकल कई रूहें समझती हैं कि कोई प्रिचुअल लाइट बातिन रूप में अपना काम कर
रही है। मगर ये लाइट कहाँ से ये काम कर रही है, वो जान नहीं सकते। कोई है - यहाँ
तक टचिंग होनी शुरू हो गई है। आखिर तलाशते तलाशते मुकाम पर पहुँच ही जायेंगे।
तो यह टचिंग आप नेक जज़्बाती मणियों के अफ़ज़ल इरादों की चमक है। रब उल हक़
हरेक बच्चे की पेशानी के ज़रिए मणि की चमक को देखते हैं क्योंकि नम्बरवार चमकने
वाले हैं। हैं तमाम नेक जज़्बाती मणियाँ मगर चमक नम्बरवार है।
नेक जज़्बाती बनना - यही आसान तौर की ज़हनियत खिदमत है जो चलते-फिरते दरेक
मोमिन रूह और अन्जान रूहों के वास्ते कर सकते हो। आप सबके नेक जज़्बाती बनने के
वायब्रेशन फिज़ा को और फिकरमणी रूह की कैफियत को निहायत आसानी से तब्दील कर
देंगे। आज की इन्सानी रूहों की ज़िन्दगी में चारों ओर से चाहे इन्सानों के
ज़रिए, चाहे शानो-शौकत के ज़रिए - इन्सानों में खुदगर्ज जज़्बा होने के सबब,
शानो-शौकत में कलील अरसे की दस्तयाबी होने के सबब - थोड़े वक़्त के लिये अफ़ज़ल
दस्तयाबी का एहसास होता है मगर कलील अरसे की ख़ुशी थोड़े वक़्त के बाद फिकर में
बदल जाती है मगर शानो-शौकत और इन्सान फिकर मिटाने वाले नहीं फिकर पैदा कराने के
ज़रिया बन जाते हैं। ऐसे कोई न कोई फिकर में परेशान रूहों को नेक जज़्बाती रूहें
निहायत थोड़ी दिखाई देती हैं। नेक जज़्बाती रूहों के थोड़े वक़्त का राब्ता भी
कई फिकरात को मिटाने की बुनियाद बन जाता है। तो आज दुनिया को नेक जज़्बाती रूहों
की ज़रूरत है, इसलिए आप नेक जज़्बाती मणियाँ और रूहें दुनिया को बेइंतहा प्यारी
है। जब राब्ते में आ जाते हैं तो एहसास करते हैं कि ऐसे नेक जज़्बाती दुनिया
में कोई दिखाई नहीं देते।
नेक जज़्बाती हमेशा रहें - इसकी ख़ास बुनियाद है नेक गौरतलब। जिसका नेक इरादे
रहते, ज़रूर वह नेक जज़्बाती है। अगर कभी-कभी फ़ालतू गौरतलब और औरों का ग़ौरतलब
होता है तो हमेशा नेक जज़्बाती भी नहीं रह सकते। नेक जज़्बाती रूहें औरों के भी
फालतू ग़ौरतलब, औरों का ग़ौरतलब को ख़त्म करने वाले हैं। तो दरेक अफ़ज़ल
खिदमतगार यानि कि हमेशा नेक जज़्बाती मणि के नेक जज़्बात के कुव्वत नशीन खज़ानों
हमेशा लबरेज़ होगा। लबरेज़ नशीनी के सबब ही औरों के वास्ते नेक जज़्बाती बन सकते
हैं। नेक जज़्बाती यानि कि तमाम जवाहिरात ए इल्म से लबरेज़। और ऐसा मुकम्मल
आलिम सदक़ा नशीन बन औरों के वास्ते हमेशा नेक जज़्बाती बन सकता है। तो चेक करो
कि तमाम दिन में ज़्यादा वक़्त नेक-गौरतलब रहता है या औरों का ग़ौरतलब रहता है?
नेक गौरतलब वाला हमेशा अपने लबरेज़ नशीनी के नशे में रहता है, इसलिये नेक
जज़्बाती याफ़्ता ज़रिए दूसरों के वास्ते देता जाता और भरता जाता। औरों के
ग़ौरतलब और फ़ालतू ग़ौरतलब वाला हमेशा खाली होने के सबब अपने को कमज़ोर एहसास
करेगा, इसलिए नेक जज़्बाती बन औरों को देने के ज़रिया नहीं बन सकता। मौजूदा
वक़्त तमाम की फिकरात मिटाने के ज़रिए बनने वाली नेक जज़्बाती मणियों की ज़रूरत
है, जो फिकर के बजाए नेक ग़ौरतलब के तरीके के एहसाससाती बना सकें। जहाँ नेक
जज़्बात होगा वहाँ फिकर अपने आप खत्म हो जायेगी। तो हमेशा नेक जज़्बाती बन
बातिन खिदमत कर रहे हो ना?
ये जो बेहद की दुनिया की खिदमत का प्लान बनाया है, इस प्लान को आसानी से कामयाब
बनाने की बुनियाद भी नेक जज़्बाती सूरत ए हाल है। वैराइटी तरह की रूहें
रिश्ते-राब्ते में आयेंगी। ऐसी रूहों के वास्ते नेक जज़्बाती बनना यानि कि उन
रूहों को हिम्मत के पंख देना है क्योंकि तमाम रूहें फिकरात की आग पर रहने के
सबब अपने हिम्मत, जोश, हुल्लास के पंख कमज़ोर कर चुकी हैं। आप नेक जज़्बाती रूहों
की नेक जज़्बात उन्हों के पंखों में कुव्वत भरेगी और आप की नेक ग़ौरतलबी
जज़्बातों की बुनियाद से उड़ने लगेंगी यानि कि मददगार बनेंगी। नहीं तो,
दिलशिकस्त हो गयी हैं कि बैटर वर्ल्ड (खुशगवार दुनिया) बनाना हम रूहों की क्या
कुव्वत है? जो खुद को ही नहीं बना सकती तो दुनिया को क्या बनायेंगी? दुनिया को
बदलना निहायत मुश्किल समझते हैं क्योंकि मौजूदा तमाम ताकतों की रिज़ल्ट देख चुके
हैं, इसलिये मुश्किल समझते हैं। ऐसी दिलशिकस्त रूहों को, फिकरात की आग पर बैठी
हुई रूहों को, आपकी कुव्वत ए नेक जज़्बात दिलशिकस्त से दिलखुश कर देगी। जैसे,
डूबे हुए इन्सान को तिनके का सहारा भी दिल खुश कर देता है, हिम्मत में ले आता
है। तो आपकी नेक जज़्बाती सूरत ए हाल उन्हों को सहारा एहसास होगा, जलती हुई रूहों
को शीतल जल का एहसास होगा।
तमाम की इमदाद दस्तयाब करने की बुनियाद भी नेक जज़्बाती सूरत ए हाल है। जो तमाम
के वास्ते नेक जज़्बाती हैं, उनको तमाम से इमदाद अपने आप ही दस्तयाब होती ही
है। नेक ग़ौरतलबी जज़्बात औरों के ज़हन में इमदाद का जज़्बा आसानी से और अपने
आप पैदा करेगा। नेक ग़ौरतलबी रूहों के वास्ते दरेक के दिल में प्यार पैदा होता
है और प्यार ही मददगार बना देता है। जहाँ प्यार होता है, वहाँ वक़्त, दौलत,
इमदाद हमेशा निसार करने के लिये तैयार हो जाते हैं। तो नेक ग़ौरतलबी प्यारा
बनायेगा और प्यार तमाम तरह की इमदाद में निसार नशीन बनायेगा इसलिये, हमेशा नेक
ग़ौरतलब से लबरेज़ रहो, नेक ग़ौरतलबी बन तमाम को प्यारे, मददगार बनाओ। नेक
ग़ौरतलबी रूह तमाम के इत्मीनान का आसानी से सर्टीफिकेट ले सकती है। नेक ग़ौरतलबी
ही हमेशा खुशहाली की पर्सनैलिटी में रह सकते हैं, दुनिया के आगे ख़ास पर्सनैलिटी
वाले बन सकते हैं। आजकल पर्सनैलिटी वाली रूहें सिर्फ़ नामीग्रामी बनती हैं यानि
कि नाम बुलन्द होता है मगर आप रूहानी पसनैलिटी वाले सिर्फ़ नामीग्रामी यानि कि
गायन- लायक़ नहीं मगर गायन-लायक़ के साथ काबिल ए एहतराम लायक़ भी बनते हो। कितने
भी बड़े मज़हबी-दायरे में, हुकूमती-दायरे में, साइंस के दायरे में पर्सनैलिटी
वाले मशहूर हुए हैं मगर आप रूहानी पर्सनैलिटी बराबर 63 विलादत काबिल ए एहतराम
नहीं बने हैं इसलिये यह नेक ग़ौरतलबी बनने की खासियत है। तमाम को जो दस्तयाबी
होती है ख़ुशी की, सहारे की, हिम्मत के पंखों की, हिम्मत हुल्लास की - यह
दस्तयाबी की दुआयें, बरक़ात किसको हक़दार बच्चे बना देती हैं और कोई अकीदत मन्द
रूह बन जाते हैं इसलिये कई विलादत के काबिल ए एहतराम बन जाते हैं।नेक ग़ौरतलबी
यानि कि निहायत अरसे की क़ाबिल ए एहतराम रूहें इसलिये, यह बेहद काम शुरू करने
के साथ-साथ जैसे और प्रोग्राम बनाते हो, उसके साथ-साथ खुद के वास्ते प्रोग्राम
बनाओ कि:-
1. हमेशा के लिये दरेक रूह के वास्ते, और कई तरह के जज़्बात तब्दील कर एक नेक
ग़ौरतलबी जज़्बा हमेशा रखेंगे।
2. तमाम को खुद से आगे बढ़ाने, आगे रखने की अफ़ज़ल इमदाद हमेशा देते रहेंगे।
3. बैटर वर्ल्ड यानि कि अफ़ज़ल दुनिया बनाने के लिये तमाम के वास्ते अफ़ज़ल
खुवाहिशात के ज़रिए मददगार बनेंगे।
4. हमेशा फ़ालतू ग़ौरतलब, औरों के ग़ौरतलब को ख़त्म कर यानि कि बीती बातों को
बिन्दी लगाये, बिन्दी यानि कि मणि बन हमेशा दुनिया को, तमाम को अपनी अफ़ज़ल
जज़्बें, अफ़ज़ल खुवाहिशात, प्यार के जज़्बात, क़ाबिल बनाने के जज़्बात की किरणों
से रोशनी देते रहेंगे।
यह खुद का प्रोग्राम तमाम प्रोग्राम की कामयाबी का फाउन्डेशन है। इस फाउन्डेशन
को हमेशा मज़बूत रखऩा तो ज़ुहूर का आवाज़ अपने आप ही बुलन्द होगा। समझा? तमाम,
काम के ज़रिया हो ना। जब दुनिया को मददगार बनाते हैं, तो पहले तो आप ज़रिया हो।
छोटे, बड़े, बीमार हो या सेहतमंद हो, अज़ीम हस्ती, घोड़ेसवार - तमाम मददगार
हैं। प्यादे तो हैं ही नहीं। तो तमाम की अंगुली चाहिए। हरेक ईंट की अहमियत है।
कोई फाउन्डेशन की ईंट है, कोई ऊपर के दीवार की ईंट है मगर एक-एक ईंट अहमियत वाली
है। आप तमाम समझते हो कि हम प्रोग्राम कर रहे हैं या समझते हो प्रोग्राम वाले
बनाते हैं, प्रोग्राम बनाने वालों का प्रोग्राम है? हमारा प्रोग्राम कहते हो
ना। तो रब उल हक़ बच्चों के बेहद काम को, प्रोग्राम को देख ख़ुश हैं। वतन-
विलायत में बेहद काम का जोश-हुल्लास अच्छा है। हरेक मोमिन रूह के अन्दर दुनिया
की रूहों के लिये रहम है, तरस है कि हमारे तमाम भाई-बहनें रब के ज़ुहूर का आवाज़
सुनें कि रब अपना काम कर रहे है। नज़दीक आवें, रिश्ते में आवें, हक़दार बनें,
काबिल ए एहतराम हूरैन बनें या 33 करोड़ नाम गायन करने वाले ही बनें मगर आवाज़
ज़रूर सुनें। ऐसा जोश है ना? अभी तो 9 लाख ही नहीं बनाये हैं। तो समझा, अपना
प्रोग्राम है। अपनापन ही अपने प्रोग्राम में अपनी दुनिया बनायेगा। अच्छा।
आज पांच तरफ़ की पार्टियां आई हैं। त्रिवेणी कहते हैं मगर ये पांच वेणी हो गई।
पांच तरफ़ की नदियाँ समन्दर में पहुँच गई हैं। तो नदी और समन्दर का मेला अफ़ज़ल
मेला है। तमाम नये-पुराने ख़ुशी में नाच रहे हैं। जब नाउम्मींद से उम्मींद हो
जाती तो और ख़ुशी होती है। पुरानों को भी अचानक चान्स मिला है तो और ज़्यादा
ख़ुशी होती है। सोच कर बैठे थे -मालूम नहीं कब मिलेंगे? अभी मिलेंगे - यह तो
सोचा भी नहीं था। ‘कब' से ‘अब' हो जाता है तो ख़ुशी का एहसास और न्यारा होता
है। अच्छा। आज विलायत वालों को भी ख़ास यादप्यार दे रहे हैं। ख़ास खिदमतगार (जयन्ति
बहन) आई है ना। विलायत-खिदमत के वास्ते पहले ज़रिया बनी ना। दरख़्त को देख बीज
याद आता है। बीजरूप फैमिली यह ज़रिया बनी विलायत खिदमत के लिए। तो पहले ज़रिया
फैमिली को याद दे रहे हैं।
विलायत के तमाम ज़रिए बने खिदमतगार बच्चे हमेशा रब को ज़ाहिर करने की कोशिश में
हिम्मत हुल्लास से दिन-रात लगे हुए हैं। उन्हों को बार-बार यही आवाज़ कानों में
गूँजता है कि विलायत के बुलन्द आवाज़ से हिन्दुस्तान में रब का ज़ूहूर करना है।
यह आवाज़ हमेशा खिदमत के लिये कदम आगे बढ़ाता रहता है। खास खिदमत के जोश
हुल्लास का सबब है - रब से दिल से प्यार, मोहब्बत है। हर कदम में, हर घड़ी मुंह
में ‘रब्बा-रब्बा' अल्फ़ाज़ रहता है। जब भी कोई कार्ड या गिफ्ट भेजेंगे तो उसमें
दिल (हार्ट) की तस्वीर ज़रूर बनाते हैं। इसका सबब है कि दिल में हमेशा दिलाराम
है। दिल दी है और दिल ली है। देने और लेने में होशियार हैं, इसलिये दिल का सौदा
करने वाले, दिल से याद करने वाले अपनी निशानी ‘दिल' ही भेजते हैं और यही दिल की
याद वा दिल का प्यार दूर होते भी मैजारिटी को नज़दीक का एहसास कराता है। सबसे
ख़ास ख़ासियत रब उल हक़ यही देखते कि जिब्राइल अलैहिस्सलाम बाप से गहरा प्यार
है। बाप और दादा के गहरे राज़ को निहायत आसानी से एहसास में लाते हैं। जिब्राइल
अलैहिस्सलाम बाबा की जिस्मानी परवरिश का पार्ट न होते भी ग़ैबी परवरिश का एहसास
अच्छा कर रहे हैं। बाप और दादा दोनों का रिश्ते का एहसास करना - इस खासियत के
सबब अपनी कामयाबी में निहायत आसानी से बढ़ते जा रहे हैं। तो हरेक वतन वाले
अपना-अपना नाम पहले समझें। हरेक बच्चा अपना नाम समझते हुए बापदादा का यादप्यार
क़बूल करना। समझा?
प्लैन तो बना ही रहे हैं। वतन, विलायत की तरीक़त में थोड़ा-बहुत फ़र्क तो होता
है मगर प्यार के सबब तरीक़त का फर्क भी एक ही लगता है। विलायत का प्लैन और
हिन्दुस्तान का प्लैन, मगर प्लैन तो एक ही है। सिर्फ तरीक़ा थोड़ा-बहुत कहाँ
तब्दील करना भी पड़ता है। वतन और विलायत की इमदाद इस बेहद काम को हमेशा ही
कामयाबी दस्तयाब कराता ही रहेगा। कामयाबी तो हमेशा बच्चों के साथ है ही। वतन का
जोश हुल्लास और विलायत का जोश हुल्लास - दोनों का मिलकर काम को आगे बढ़ा रहा है
और हमेशा ही आगे बढ़ता रहेगा। अच्छा।
हिन्दुस्तान के चारों ओर के हमेशा प्यारे, मददगार बच्चों के प्यार, इमदाद के
नेक इरादे,नेक आवाज़ रब उल हक़ के पास हमेशा पहुँचता रहता है। वतन, विलायत एक
दो से आगे है। दरेक मुकाम की खासियत अपनी-अपनी है। हिन्दुस्तान रब की नुज़ूल
सरज़मी है और हिन्दुस्तान ज़ूहूर का आवाज़ बुलन्द करने की ज़रिया सरज़मी है।
आग़ाज़ और आख़िर हिन्दुस्तान में ही पार्ट हैं। विलायत की इमदाद हिन्दुस्तान
में ज़ुहूर करायेगी और हिन्दुस्तान का ज़ूहूर का आवाज़ विलायत तक पहुँचेगा
इसलिए, हिन्दुस्तान के बच्चों की खासियत हमेशा अफ़ज़ल है। हिन्दुस्तान वाले
क़याम के बुनियाद बने। क़याम के बुनियादी सूरत हिन्दुस्तान के बच्चे हैं, इसलिए
हिन्दुस्तान रिहाईश नशीन बच्चों की क़िस्मत का तमाम गायन करते हैं। याद और
खिदमत में हमेशा जोश हुल्लास से आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ते ही रहेंगे इसलिये
हिन्दुस्तान के हर एक बच्चे अपने-अपने नाम से रब उल हक़ का यादप्यार क़बूल करना।
तो वतन विलायत के बेहद रब के बेहद खिदमतगार बच्चों को रब उल हक़ का यादप्यार और
सलाम।
बरक़ात:-
तमाम रूहों
को कुव्वतों का सदक़ा देने वाले मास्टर बीजरूप बनो।
कई अकीदत मन्द रूपी पत्ते
जो सूख गये हैं, मुरझा गये हैं उनको फिर से अपने बीजरूप सूरत ए हाल के ज़रिए
कुव्वतों का सदक़ा दो। उन्हें तमाम दस्तयाबी कराने की बुनियाद है आपकी
“खुवाहिशात की ग़ैर मालूमात'' सूरत ए हाल। जब खुद इच्छा खुवाहिशात की ग़ैर
मालूमात होंगे तब दूसरी रूहों की तमाम खुवाहिशात पूरी कर सकेंगे। खुवाहिशात की
ग़ैर मालूमात मुकम्मल कुव्वत नशीन बीजरूप सूरत ए हाल तो मास्टर बीजरूप बन अकीदत
मन्दी की पुकार सुनो, दस्तयाबी कराओ।
स्लोगन:-
हमेशा सुप्रीम रूह
के साये में रहना ही रूहानी ज़िन्दगी की सेफ्टी का है।
आमीन