21 / 12 / 14  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100        

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं संपत्तिवान आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ सम्पन्नता द्ववारा संतुष्टता का अनुभव

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ बाप

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

‖✓‖ मनसा में सदा श्रेष्ठ स्मृति:- "°आत्मिक स्वरुप° अथार्थ भाई-भाई की रही ?" ?

‖✓‖ वाचा में °सत्यता और मधुरता° रही ?

‖✓‖ कर्मणा में °नम्रता और संतुष्टता° रही ?

‖✓‖ स्वयं को °अधिकारी आत्मा° अनुभव किया ?

‖✓‖ °अंगद° के समान मज़बूत रहे ?

‖✓‖ अपने को सदा °बाप के साथी° अनुभव किया ?

‖✓‖ जिस बात में मुश्किल का अनुभव किया, वह °मुश्किल की बात बाप पर छोड़ी° ?

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अव्यक्त बापदादा (30/11/2014) :-

➳ _ ➳  सभी खुश हैं और खुश रहेंगे, पक्का! कोई भी छोटी मोटी बात आवे लेकिन खुशी नहीं जाये । जब भी अचानक कोई देखे तो सदा खुशनुमा दिखाई दे ।

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ कोई भी छोटी मोती बात आने पर ख़ुशी तो नहीं गयी ? जब भी किसी ने अचानक देखा तो खुशनुमा दिखाई दिए ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

➢➢ ज्ञान , गुण और शक्तियों की संपन्नता द्वारा ही संतुष्टता का अनुभव किया जा सकता है । क्यों ?

 ❉   ज्ञान, गुण और शक्तियों की सम्पन्नता से ही हमें हद की इच्छाओं की अविद्या होती है जो संतुष्टता का अनुभव करने के लिए अति आवश्यक है ।

 ❉   ज्ञान, गुण और शक्तियों की सम्पन्नता ही हमें देह , देह के संबंधो, देह के पदार्थों और सर्व मायावी आकर्षणों से दूर रखती है जिससे हम हर पल संतुष्टता का अनुभव करते हैं ।

 ❉   ज्ञान, गुण और शक्तियों की सम्पन्नता हमें दाता , वरदाता की सीट पर सेट कर देती है जिससे हम असीम संतुष्टता का अनुभव कर पाते हैं ।

 ❉   ज्ञान,गुण शक्तिया ही हमें बापदादा से प्राप्त सर्व खजाने है,सर्व खजानों से संपन्न होने से हम संतुष्टा का अनुभव करते है।

 ❉   ज्ञान,गुण,शक्तियों से हम पवित्र श्रेष्ठ आत्मा बन जाते है जो की हद की चीजो में ना फस बेहद में रहते है और हमेशा संतुष्ट रहते है।

 ❉   ज्ञान,गुण,शक्तियों से संपन्न हम बापदादा समान मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी सा अनुभव करते है,जो सम्पूर्णता के समीप की स्थिति है और जिससे आत्मा संतुष्टमणी बन जाती है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

➢➢ ज्ञान नेत्र से तीनो कालों और तीनो लोकों  को जानने की क्या प्रालब्ध है ?

 ❉   तीनों कालों और तीनों लोको के ज्ञान से पवित्रता की प्रालब्ध मिलती है।

 ❉   तीनो कालों और तीनों लोको को जान विघ्न विनाशक बन सुख की प्रालब्ध मिलती है।

 ❉   ज्ञान के नेत्र द्वारा तीनो लोको की सैर करने से शांन्ति की प्रालब्ध मिलती है।

 ❉   ज्ञान नेत्र से तीनो कालों को जान स्वयं प्रति सम्मान और सर्व प्रति कल्याण की भावना बढ़ने से पूज्य पद की प्राप्ति होती है।

 ❉   ज्ञान नेत्र से तीनो कालों और तीनो लोको का ज्ञान जान श्रीमत पर चलकर परमात्म दुआयों की प्रालब्ध मिलती है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

ॐ शांति