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❍ 18 / 01 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 2*5=10)
➢➢ *एवर याद में रह एवरहेल्दी बनने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *ज्ञान रत्नों को धारण करने पर विशेष अटेंशन रहा ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:3*10=30)
➢➢ *अपनी आकर्षणमय स्थिति द्वारा सर्व को आकर्षित किया ?*
➢➢ *सबको स्नेह और सम्मान डे समाधान स्वरुप बनकर रहे ?*
➢➢ *अपनी शुभ वृत्ति व कल्याण की वृत्ति और शक्तिशाली वातावरण द्वारा अनेक तड़पती हुई, भटकती हुई, पुकार करने वाली आत्माओं को आनंद, शांति और शक्ति की अनुभूति कराई ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 10)
➢➢ *आज दिन भर बापदादा का आह्वान किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - एवरहेल्दी बनना है तो एवर याद में रहो, इस याद की यात्रा में ही सच्ची कमाई है, इससे ही सतोप्रधान बनेगें"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की यादो में ही सच्ची कमाई है... इन मीठी यादो में हर साँस संकल्प को पिरो दो... *यह मीठी यादे ही सतयुग के सुनहरी सुखो को जीवन में बहार सा खिलाएंगी.*.. इसलिए हर साँस में ईश्वर पिता को प्यार कर चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी महकती यादो में एवरहेल्दी बनती जा रही हूँ... *अपार सुखो में, आनन्द के झूलो में झूलने वाली सोभाग्यशाली बन रही हूँ..*. सच्ची कमाई करने वाली सबसे अमीर हो चली हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इंसानी यादो ने खोखला कर बेवफाई से सिला देकर ठगा है... सच्चे प्रेम और वफादारी का पर्याय... *प्यार के सागर बाबा से बेपनाह महोब्बत कर चलो.*.. इस प्रेम के रंग में रंगकर आत्मा को अनन्त सुख और कमाई से भर कर सदा का मुस्कराओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय प्यार को पाकर रोम रोम से पुलकित हूँ... इतना प्यारा बाबा साथी पाकर *मै आत्मा सदा की निश्चिन्त हो चली हूँ... और बाबा की यादो में खजाने लूट रही हूँ.*.. सच्ची कमाई को पाने वाली खुबसूरत आत्मा बन गयी हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... यह यादे ही सच्चे सुखो का आधार है... *ईश्वर पिता की याद से ही अपना खोया ओज और तेज पा कर पुनः विश्व धरा पर चमकेंगे.*.. अपनी खुबसूरत सतोप्रधान अवस्था को पाकर... अथाह मीठे सुखो से भरे जीवन में खिलखिलायेंगे...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपने मीठे भाग्य को देख देख निहाल हूँ... वफ़ा की बून्द की प्यासी आज प्यार का समन्दर बाँहों में लिए मुस्करा रही हूँ... *मीठे बाबा के प्यार में मगन होकर आनन्द के गीत गा रही हूँ.*.. यादो में मालामाल में आत्मा ख़ुशी के गगन में झूम रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा रुहानी सेवाधारी हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा शांतचित्त होकर अन्तर्मुखता की गुफाओं में बैठ जाती हूँ... मैं आत्मा भृकुटी के मध्य मणि समान चमक रहीं हूँ... मैं आत्मा वायलेन्स की दुनिया से परे साइलेन्स की दुनिया में जा रहीं हूँ... शांतिधाम में चारों ओर शांति ही शांति है... मैं आत्मा ऊपर की ओर खींची चली जा रहीं हूँ... यहाँ मैं आत्मा *सुप्रीम रुहानी चुंबक से चिपक* जाती हूँ...
➳ _ ➳ सुप्रीम रुहानी चुंबक की शक्तियों से मुझ आत्मा के देह, देह की दुनिया, वस्तुओं के आकर्षण, विकारों रुपी आकर्षणों के लौह तत्व टूट कर गिरते जा रहें हैं... सर्व जिस्मानी आकर्षण सहज समाप्त होते जा रहें हैं... मैं *आत्मा ज्ञान, गुण, शक्तियों से भरपूर* होती जा रहीं हूँ... अब मैं आत्मा भी रुहानी चुंबक बन गई हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा रूहानियत को धारण कर सदा *रुहानी आकर्षणमय स्थिति* में ही स्थित रहती हूँ... मैं आत्मा रुहानी सेवाधारी बन सर्व की निस्वार्थ सेवा कर रहीं हूँ... सबको शुभ-भावना, शुभ कामना के वायब्रेशन देकर मनसा सेवा करती हूँ... वाणी द्वारा सबको ज्ञान की अंचली देती हूँ... सबको ईश्वरीय ज्ञान सुनाती हूँ...
➳ _ ➳ अब मुझ आत्मा की रुहानी शक्ति सर्व आत्माओं को अपनी ओर खींच रहीं हैं... अब मैं आत्मा रुहानी आकर्षण करने वाली चुम्बक बन गई हूँ... जिससे आत्माएँ स्वतः आकर्षित होकर ज्ञान धन पाने सामने आ रहीं हैं... मुझ आत्मा की सेवाओं में वृद्धि होती जा रहीं हैं... अब मैं आत्मा अपनी आकर्षणमय स्थिति द्वारा सर्व को आकर्षित करने वाली *रुहानी सेवाधारी बन गई* हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- समाधान स्वरूप बनने के लिए सबको स्नेह और सम्मान देना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा विघ्न विनाशक हूँ... हर समस्या का समाधान देखने वाली... समाधान स्वरूप आत्मा हूँ... सर्व के प्रति कल्याण और स्नेह की भावना रखती हूँ... *वसुंधेय कुटुम्बकम् की भावना से औत प्रौत... सभी को भाई-भाई की दृष्टी से देखती हूँ...* सदा मन में सर्व के प्रति प्रेम भाव लिए... बेहद की दृष्टी रखती हूँ ...
➳ _ ➳ स्नेह सागर शिवबाबा की सन्तान... मैं आत्मा मास्टर स्नेह सागर हूँ... पूरा विश्व मेरा परिवार हैं... और मैं आत्मा सभी को जगतमाता बन... स्नेह से पालना देती हूँ... कोई कैसा भी स्वभाव-संस्कार वाली आत्मा हो... ड्रामा के राज को समझ... *हर एक के पार्ट को जान... सदा ही सब को बेहद का रूहानी स्नेह के पानी से सींचती हूँ...*
➳ _ ➳ बाबा ने बताया है- *सम्मान देना ही सम्मान लेना हैं...* इस बात को सदा स्मृति में रख... सभी को सम्मान देती हूँ... चाहे कोई छोटा हो या बड़ा, कमजोर हो या शक्तिशाली, ज्ञानी या अज्ञानी, परवश हो, या अवगुणी हो... कैसी भी आत्मा हो... सबके अनादि गुण देख... सभी को सम्मान देती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सभी को स्नेह और सम्मान देने से... समाधान स्वरूप बन गई हूँ... कोई भी जटिल से जटिल समस्या हो... मैं समाधान स्वरूप आत्मा... सहज ही उसका समाधान कर विजयी होती हूँ... *मैं कल्प-कल्प की विजयरत्न आत्मा हूँ...*सबको स्नेह और सम्मान देते आगे बढ़ती हूँ और सर्व आगे बढ़ाती भी हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *अपनी आकर्षणमय स्थिति द्वारा सर्व को आकर्षित करने वाले रूहानी सेवाधारी होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ अपनी आकर्षणमय स्थिति द्वारा सर्व को आकर्षित करने वाले रूहानी सेवाधारी होते हैं क्योंकि... रूहानी सेवाधारी कभी यह नहीं सोच सकते कि *हमारी सेवाओं में वृद्धि नहीं होती है, या हम को सुनने वाले ही नहीं मिलते हैं।* सुनने वाले तो बहुत हैं, सिर्फ हमें अपनी स्थिति को बदलना होगा। हमें अपनी स्थिति को रूहानी आकर्षणमय स्थिति के रूप में बनाना है।
❉ जब हमारी स्थिति रूहानी आकर्षणमय स्थिति में *परिवर्तित हो जायेगी तब हमारी सेवाओं में स्वतः ही वृद्धी होने लगेगी, और तब हमको सुनने वाले भी मिलेंगे।* अतः हमें अपनी आंतरिक स्थिति को रूहानियत से भरपूर कर लेना है, तथा हमें अनुभव करना है कि... हमारे भीतर से स्वतः ही रूहानियत की आकर्षण उत्पन्न हो रही है।
❉ जिससे हम सर्व आत्माओं को अपनी रूहानियत के आकर्षण की शक्ति से आकर्षित कर सकें, तथा सही मायने में रूहानी सेवाधारी कहला सकें। क्योंकि! जिस प्रकार से एक *चुम्बक लोहे से बनी हुई सभी चीज़ों को अपनी और आकर्षित करके, अपने पास खींच* सकता है, उसी प्रकार से क्या हमारी रूहानियत की शक्ति सर्व आत्माओं को अपनी और आकर्षित नहीं कर सकती।
❉ कर सकती है न। तो! इसलिये! हमें भी रूहानी आकर्षण उत्पन्न करने वाले चुम्बक बन जाना है, जिससे सर्व *आत्माओं को स्वतः ही अपनी ओर आकर्षित कर सकें* और वे आत्मायें! हमारे सामने अपने आप आ जायें। यही हम रूहानी सेवाधारी बच्चों की सेवा है।
❉ इसलिये! तो कहा गया है कि *जो अपनी आकर्षणमय स्थिति द्वारा सर्व को आकर्षित* करने वाले होते हैं, वही सही मायने में रूहानी सेवाधारी होते हैं। रूहानी सेवाधारी अपनी सोच को अति उत्तम बना लेते हैं। उनकी सोच कभी भी नकारात्मक नहीं होती है। वे जब भी सोचते हैं, पॉजिटिव ही सोचते हैं।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *समाधान स्वरूप बनना है तो सबको स्नेह और सम्मान देते चलो... क्यों और कैसे* ?
❉ जो सर्व को स्नेह और सम्मान देते हैं वे सर्व के सम्माननीय बन जाते हैं । दुआओं से अपनी झोली भरते हुए वे सदा उड़ती कला का अनुभव करते रहते हैं । *दुआयों की लिफ्ट उन्हें ऐसी गिफ्ट प्रदान कर देती है जो उन्हें परमात्म दुआओं का भी अधिकारी बना देती है* और परमात्म पालना में पलते हुए वे ऐसे समाधान स्वरूप बन जाते हैं जो कोई भी समस्या उनके आगे ठहर नही सकती ।
❉ जैसे कोयल का रंग काला होता है किन्तु उसकी मीठी आवाज सबको अपनी और सहज ही आकर्षित करती है । ठीक इसी प्रकार कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से सुंदर ना होते हुए भी यदि उसका व्यवहार मधुर है । *छोटे बड़े सबको स्नेह और सम्मान देने वाला है तो उसका स्नेही और मधुर व्यवहार सबको आकर्षित करता हैं* । सब उसके मददगार बन जाते है और वह समाधान स्वरूप बन हर समस्या पर जीत प्राप्त कर लेता है ।
❉ देने वाला सदैव पूजनीय माना जाता है । जैसे भक्ति मार्ग में भी देवी देवताओं के जड़ चित्रों में उनके दातापन की झलक स्पष्ट देखने में आती है । तभी तो आज तक भी उनका पूजन और गायन हो रहा है । *ऐसे महिमा और पूजन योग्य वही बनते हैं जो अपकारी पर भी उपकार की भावना रखते हैं* और सर्व को स्नेह और सम्मान देते हुए समाधान स्वरूप बन अनेकों आत्माओं की समस्याओं का निवारण करने वाले सिद्धि दाता बनते है ।
❉ जैसे परमात्मा बाप रहमदिल बन सर्व आत्माओं पर सदा रहम की दृष्टि रखते हैं ।सर्व आत्माओं को सदैव सम्मान की नजऱ से देखते हैं । ऐसे *मास्टर रहमदिल बन जब हम भी सर्व आत्माओं के प्रति रहम की भावना अपने मन में जागृत करेंगे* और चाहे कैसे भी स्वभाव संस्कार वाली आत्मा हमारे सम्बन्ध सम्पर्क में आये उसे भी स्नेह और सम्मान देंगे तो हर समस्या से स्वयं भी मुक्त रहेंगे तथा समाधान स्वरूप बन अनेकों आत्मायों को समस्याओं से मुक्त कर सकेंगे ।
❉ एक फलो से लदा पेड़ लोगों के पत्थर खा कर भी उन्हें फल और शीतल छाया देना नही छोड़ता । हर आने जाने वाले पथिक को अपनी शीतल छाया दे कर और उन्हें अपने मीठे फल खिला कर उनकी थकान दूर कर देता है । ऐसे *नम्रता का गुण जो अपने जीवन में धारण कर लेते हैं वे फलदायी पेड़ की भांति अपकारी आत्माओं पर भी उपकार की भावना रखते हैं* और सबको स्नेह और सम्मान देते समाधान स्वरूप बन सर्व की समस्याओं का निवारण करते हुए प्रभु प्रिय और लोक प्रिय बन जाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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