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❍ 06 / 11 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)
➢➢ *आत्माओं को मुक्ति और जीवन मुक्ति का रास्ता बताया ?*
➢➢ *"हमारी यह गोडली स्टूडेंट लाइफ है" - यह स्मृति रही ?*
➢➢ *"बेहद का बाप हमको पढा रहा है" - इसी ख़ुशी में रहे ?*
➢➢ *शिक्षक बनने के साथ रहम दिल को भावना द्वारा क्षमा करने का पार्ट बजाया ?*
➢➢ *अपनी झोली को परमात्म दुआओं से भरपूर किया ?*
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❂ *तपस्वी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ *अव्यक्त स्थिति में रहने के लिए बाप की श्रीमत है बच्चे, ‘‘सोचो कम, कर्तव्य अधिक करो।’*’ सर्व उलझनों को समाप्त कर उज्जवल बनो। पुरानी बातों अथवा पुराने संस्कारों रुपी अस्थियों को सम्पूर्ण स्थिति के सागर में समा दो। *पुरानी बातें ऐसे भूल जाएं जैसे पुराने जन्म की बातें भूल जाती हैं।*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ सभी अपने को सदा मायाजीत, प्रकृतिजीत अनुभव करते हो? *जितना-जितना सर्व शक्तियों को अपने ऑर्डर पर रखेंगे और समय पर कार्य में लायेंगे तो सहज मायाजीत हो जायेंगे।*
〰✧ अगर सर्व शक्तियाँ अपने कन्ट्रोल में नहीं हैं तो कहाँ न कहाँ हार खानी पडेगी। *मास्टर सर्वशक्तिवान अर्थात कन्ट्रोलिंग पॉवर हो।* जिस समय, जिस शक्ति को आह्वान करें वो हाजिर हो जाए, सहयोगी बने।
〰✧ ऐसे ऑर्डर में हैं? सर्व शक्तियाँ ऑर्डर में हैं या आगे-पीछे होती हैं? *ऑर्डर करो अभी और आये घण्टे के बाद तो उसको मास्टर सर्वशक्तिवान कहेंगे?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- श्रीमत पर चलकर हर डायरेक्शन अमल में लाना"*
➳ _ ➳ सृष्टि चक्र का चक्कर लगाते-लगाते मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ, घोर कलियुग में... जहाँ चारों और अज्ञान अंधकार फैला हुआ था... मैं आत्मा माया को अपना समझ उसकी गोदी में सुखों को ढूंढ रही थी... और दुखों के गर्त में धंसती जा रही थी... मेरी ये हालत देख मेरे प्यारे पिता अपना धाम छोड़ इस धरती पर आ गया... मुझे दुखों से छुड़ाने, सुख की दुनिया में ले जाने... *मेरा प्यारा बाबा कलियुगी काली दुनिया से मुझे निकाल सुहाने संगमयुग में लाकर ख़ज़ानों से भरपूर कर दिया... अविनाशी खुशियों से जीवन आबाद कर दिया... प्यारे बाबा शिक्षक बन मीठी शिक्षाएं दे रहा है...*
❉ प्यारे बाबा श्रीमत रूपी श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत देकर कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... जब घर से चले थे किस कदर खिले खुशनुमा फूल थे... अब अपनी सारी रूहानियत की महक खो चुके हो... खत्म से खाली और निस्तेज बन गए हो... अब मीठा बाबा वही खिलता फूल बनाने आया है... *अपनी गोद में बिठा पावनता से सजा धजा कर घर ले जाने आया है... इसलिए पिता की श्रीमत रुपी हाथ कभी न छोडो... श्रीमत पर चलकर हर डायरेक्शन अमल में लाओ...*"
➳ _ ➳ मैं आत्मा गॉडली स्टूडेंट बन बाबा की श्रीमत को धारण करते हुए कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके साये में प्रतिपल निखरती जा रही हूँ... दिव्य गुणो से सजकर खूबसूरत हो रही हूँ... आपकी यादो में डूबी हुई... *श्रीमत को बाँहों में भरकर अनन्त सुखो को जी रही हूँ... आपके साथ से यह जीवन कितना मीठा प्यारा है..."*
❉ मीठा बाबा मेरा हाथ अपने हाथ में लेते हुए प्यार से कहते हैं:- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... परमत और मनमत पर चलकर अंजाम को देख लिया... दुखो के दरिया में डूबकर भँवर को भी जी लिया... *अब भाग्य ने ईश्वर पिता के हाथो में जो ऊँगली थमाई है... उसे कसकर पकड़े रहो... तो फूलो के गलीचे पर बैठकर सतयुग में पहुंच जायेंगे...* मीठा बाबा कन्धों पर बिठाकर नई दुनिया में ले जायेगा..."
➳ _ ➳ मैं आत्मा ज्ञान योग के पंखों से सजते हुए कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा सच्ची श्रीमत को पाकर फूलो सी खिल गयी हूँ... *पतित जीवन को छोड़ पावनता से सजकर चमकीली परी हो गयी हूँ... आपकी मीठी यादो में मगन होकर मुस्कराती हुई... हाथ पकड़ कर घर साथ चलने की तैयारी में जुट गयी हूँ..."*
❉ मेरे बाबा ब्लेस्सिंग्स देकर मुझे भरपूर करते हुए कहते हैं:- "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... विश्वपिता की श्रीमत को सदा सर आँखों पर लगाये रहो... *यह श्रीमत ही सच्चा साथी है जो दुखो के समन्दर से निकाल सुखो के बगीचे में बसायेगी... मीठे बाबा की श्रीमत ही सच्चा साथ निभाएगी...* कदम कदम पर रक्षक बन सोने सा दमकायेगी... और पावनता से श्रंगारित कर मीठे सुख दिलाएगी..."
➳ _ ➳ मैं आत्मा प्यारे बाबा के हर डायरेक्शन को पालन करने का दृढ संकल्प लेते हुए कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा बिना ईश्वरीय मत के निर्रथक से जीवन की गहरी अनुभवी रही हूँ... अब मुझे सच्चा साथ और सच्चे सुखो से भरा जीवन मिला है... *आपकी श्रीमत ने पावन बनाकर अनन्त सुखो से भर दिया है... बाबा... अब मैं आपका श्रीमत रूपी हाथ कभी नही छोडूंगी... और अब मै ईश्वर पिता की साथी बन गयी हूँ..."*
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- इस धर्माऊ युग में धर्मात्मा बन सबका कल्याण करना है*"
➳ _ ➳ भक्ति मार्ग में धर्माऊ मास का विशेष महत्व माना गया है। इस मास में विशेष रूप से जप - तप, यज्ञ, पूजा, दान आदि अनेक धर्म के कार्य किये जाते हैं और माना जाता है कि इस मास में किये गए धार्मिक कार्य विशेष रूप से कल्याणकारी होते हैं। *इस धर्माऊ मास में होने वाली धार्मिक गतिविधियों को देखने के लिए अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण मैं फ़रिशता इन धार्मिक स्थानों पर पहुँचता हूँ*। ऊपर आकाश में उड़ते हुए मैं इन धार्मिक स्थलों में होने वाले सभी कर्मकांडो को देख रहा हूँ। *कहीं यज्ञ रचे जा रहें हैं, कहीं पूजा अर्चना हो रही है, कहीं गरीबों को भोजन खिलाया जा रहा है, लोग अनेक प्रकार से दान पुण्य कर रहें हैं*।
➳ _ ➳ इन सभी कर्मकांडो को देख मैं फ़रिशता मन मे विचार करता हूँ कि कितने बड़े अज्ञान अन्धकार में भटक रहे हैं ये बेचारे मनुष्य। इस बात से कितने अंजान है कि धर्माऊ मास मनाने और इस मास में विशेष दान - पुण्य अथवा स्थूल धार्मिक कर्तव्य करने से इन्हें कोई विशेष प्राप्ति नही होगी। *प्राप्ति तो संगमयुग के इस विशेष धर्माऊ युग जो इस समय चल रहा है, में धर्मात्मा बन सबका कल्याण करने में है*। क्योकि भगवान स्वयं इस समय इस धरा पर आये हुए हैं। और *जो इस कल्याणकारी संगम युग में भगवान के मददगार बन, उसके सृष्टि परिवर्तन के कार्य मे तन - मन -धन से सहयोगी बन रहे हैं, वही धर्मात्मा बन सबका कल्याण कर, भविष्य 21 जन्मो के लिए अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध बना रहे हैं*।
➳ _ ➳ अपनी भविष्य प्रालब्ध को स्मृति में ला कर मैं फ़रिशता सबका कल्याण करने के लिए अब विश्व ग्लोब पर आ कर बैठ जाता हूँ और अपनी बुद्धि का कनेक्शन अपने शिव पिता के साथ जोड़ कर उनका आह्वान करता हूँ। *मन बुद्धि की तार बाबा से जुड़ते ही, बाबा अपनी सर्वशक्तियाँ बिखेरते हुए परमधाम से नीचे आ जाते हैं और सूक्ष्म वतन में पहुंच कर अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के आकारी तन में विराजमान हो कर, अब विश्व ग्लोब पर, मुझ फ़रिश्ते के बिल्कुल ऊपर आ कर स्थित हो जाते हैं*।
➳ _ ➳ मैं फ़रिशता बाबा की उपस्थिति को स्पष्ट अनुभव कर रहा हूँ। अपनी सर्वशक्तियों की छत्रछाया बाबा मेरे ऊपर करके, पूरे फोर्स के साथ अपनी समस्त शक्तियाँ मुझ फ़रिश्ते में प्रवाहित कर रहें हैं। अपनी लाइट माइट से मुझे भरपूर कर, मेरे अंदर विशेष बल भर रहें हैं। परमात्म बल मेरे अंदर भरता जा रहा है जो मुझे शक्तिशाली बना रहा है। *शक्तिशाली स्वरुप में स्थित होते ही, अब सर्वशक्तियों का प्रवाह मुझ फ़रिश्ते से सीधा विश्व ग्लोब पर होने लगा है*। मेरे मस्तक और मेरे हाथों से सर्वशक्तियों की रंग बिरंगी किरणे निकल - निकल कर विश्व ग्लोब पर पड़ रही हैं और सारे विश्व मे फैल रही हैं।
➳ _ ➳ बापदादा से आ रही सर्वशक्तियों की ये कल्याणकारी किरणे मुझ फ़रिश्ते में समा कर, फिर मुझ से निकल कर, विश्व की सर्व आत्माओं तक पहुँच रही हैं और उन्हें सत्यता का बोध करवा कर उनका कल्याण कर रही हैं। *अज्ञान अन्धकार में भटक रही आत्मायें ज्ञान की रोशनी पा कर शांति और सुकून का अनुभव कर रही हैं*। व्यर्थ के कर्मकांडो से उन्हें मुक्ति मिल रही है। सर्व आत्मायें इस धर्माऊ संगमयुग की विशेषता को जान रही हैं। वे इस बात को स्वीकार कर रही हैं कि भक्ति के व्यर्थ के कर्मकांडो से उन्हें कोई प्राप्ति नही हो सकती और ना ही इन धार्मिक कर्तव्यों को करने से कोई धर्मात्मा बन सकता है।
➳ _ ➳ विश्व की सर्व आत्माओं को सत्यता का बोध करवा कर मैं फ़रिशता अब बापदादा से विदाई ले कर विश्व ग्लोब से वापिस स्थूल लोक में पहुंच कर अपने स्थूल शरीर मे प्रवेश कर जाता हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, कम्बाइंड स्वरुप की स्मृति में, मैं ब्राह्मण आत्मा अब धर्मात्मा बन अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को परमात्म पहचान दे कर, उनका कल्याण करने की सेवा पर चल पड़ती हूँ*।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं शिक्षक बनने के साथ रहमदिल की भावना द्वारा क्षमा करने वाली मास्टर मर्सिफुल आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं परमात्म दुआओं से झोली भरने वाली मायाजीत आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. एक दिन में कितना भी बड़े ते बड़ा मल्टी-मल्टी मिल्युनर हो लेकिन आप जैसा रिचेस्ट हो नहीं सकता। इतना रिचेस्ट बनने का साधन क्या है? बहुत छोटा सा साधन है। *लोग रिचेस्ट बनने के लिए कितनी मेहनत करते हैं और आप कितना सहज मालामाल बनते जाते हो। जानते हो ना साधन! सिर्फ छोटी सी बिन्दी लगानी है बस। बिन्दी लगाई, कमाई हुई। आत्मा भी बिन्दी, बाप भी बिन्दी और ड्रामा फुलस्टाप लगाना, वह भी बिन्दी है।* तो बिन्दी आत्मा को याद किया, कमाई बढ़ गई। वैसे लौकिक में भी देखो, बिन्दी से ही संख्या बढ़ती है। एक के आगे बिन्दी लगाओ तो क्या हो जाता? 10, दो बिन्दी लगाओ, तीन बिन्दी लगाओ, चार बिन्दी लगाओ, बढ़ता जाता है। तो आपका साधन कितना सहज है! 'मैं आत्मा हूँ' - यह स्मृति की बिन्दी लगाना अर्थात् खजाना जमा होना। फिर 'बाप' बिन्दी लगाओ और खजाना जमा। कर्म में, सम्बन्ध-सम्पर्क में ड्रामा का फुलस्टाप लगाओ, बीती को फुलस्टाप लगाया और खजाना बढ़ जाता। तो बताओ सारे दिन में कितने बार बिन्दी लगाते हो? और बिन्दी लगाना कितना सहज है! मुश्किल है क्या? बिन्दी खिसक जाती है क्या?बापदादा ने कमाई का साधन सिर्फ यही सिखाया है कि बिन्दी लगाते जाओ,
➳ _ ➳ 2. सबसे सहज बिन्दी लगाना है। कोई इस आंखों से ब्लाइन्ड भी हो, वह भी अगर कागज पर पेन्सिल रखेगा तो बिन्दी लग जाती है और *आप तो त्रिनेत्री हो, इसलिए इन तीन बिन्दियों को सदा यूज करो।* क्वेश्चन मार्क कितना टेढ़ा है, लिखकर देखो, टेढ़ा है ना?और बिन्दी कितनी सहज है। *इसलिए बापदादा भिन्न-भिन्न रूप से बच्चों को समान बनाने की विधि सुनाते रहते हैं। विधि है ही बिन्दी। और कोई विधि नहीं है। अगर विदेही बनते हो तो भी विधि है - बिन्दी बनना। अशरीरी बनते हो, कर्मातीत बनते हो, सबकी विधि बिन्दी है।*
✺ *ड्रिल :- "बिन्दी लगाकर सहज खजाने जमा करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मधुबन की मधुर स्मृतियों को स्मृति में रख पहुँच जाती हूँ पांडव भवन में... जहाँ का वातावरण एकदम, शांत है...* इस शांत वातावरण में मैं आत्मा कुछ देर के लिए बाबा की कुटिया में चली जाती हूँ... वहाँ बैठ मैं आत्मा मीठी-मीठी रूहानी खुशबू का अनुभव करती हूँ... फिर, कुछ देर के लिए मैं आत्मा बाबा के कमरे में चली जाती हूँ... बाबा के नैनो से निकलती हुई शांति की दिव्य किरणों में मैं आत्मा समा जाती हूँ... अब मैं आत्मा धीरे-धीरे... आ जाती हूँ हिस्ट्री हॉल में, जहाँ हर चित्र मुझ आत्मा से कुछ कह रहा है... कैसे मुझ आत्मा ने पूरे 84 जन्म लिए... मैं आत्मा पूरे चक्र को अपने सामने फिरता हुआ अनुभव करती हूँ... *और... अब, अंत में मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ शांति स्तम्भ... जहाँ, सफेद प्रकाश के बीच से प्यारे बापदादा मुस्कुराते हुए मुझ आत्मा को दिखाई दे रहे है...*
➳ _ ➳ बापदादा चमकीली सफेद रोशनी से निकलते हुए मुझ आत्मा के सामने आ जाते है... बाबा के हाथो में जगमगाता हुआ एक गोला है... जो धीरे धीरे घूम रहा...है, *बाबा के मस्तक से वा नैनो से निकलती शक्तिशाली किरणे मुझ आत्मा में समाती जा रही है... मैं आत्मा इन किरणों में समा एकदम हल्का अनुभव करती हूँ और... प्यारे बाबा से कहती हूँ बाबा- अब घर ले चलो... इस आवाज़ की दुनिया से पार... ले चलो... बापदादा बोले:- बच्चे, मैं अपने साथ ले जाने के लिए ही आया हूँ... साथ जाने के लिए एवररेडी बनो... बिंदु रूप में स्थित हो जाओ...*
➳ _ ➳ *बापदादा के हाथो में जो गोला है, उस गोले पर मुझ आत्मा के कई जन्मों के हिसाब-किताब दिखाई दे रहे है...* मुझ आत्मा ने आत्म विस्मृति के कारण बहुत सी आत्माओ के साथ कई जन्मों में भिन्न-भिन्न पार्ट बजाते हुए भिन्न-भिन्न रूप में अपना कर्मो का हिसाब-किताब बना लिया है, जिसे अब मुझ आत्मा को इस अंतिम जन्म में चुक्तु कर अपने घर वापिस जा, नयी पावन दुनिया में आना है... *मैं आत्मा बाबा को निहारते हुए बाबा की याद में खो जाती हूँ... बाबा की याद की लगन की अग्नि में मुझ आत्मा के सारे व्यर्थ संकल्प, सारी व्यर्थ बाते, सारे पुराने हिसाब-किताब जलकर भस्म हो रहे है...* इस योग अग्नि में मुझ आत्मा के कई जन्मों के विकर्म दग्ध हो रहे हैं... मैं आत्मा सभी प्रकार के कर्मभोगों से मुक्त होती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ *अब सिर्फ बची मैं बीजरूप आत्मा जो कई जन्मों के कर्म-बंधनों के नीचे दबी पड़ी थी...* मैं बीज स्वरुप, बिंदु रूप आत्मा हीरे समान चमक रही हूँ... मैं जगमगाती आत्मा कितना हल्का महसूस कर रही हूँ... *मैं दिव्य सितारा, दिव्य ज्योति, दिव्य मणि, दिव्य प्रकाश का पुंज हूँ...* मुझ आत्मा का वास्तविक स्वरुप कितना ही सुन्दर है... *अब मैं आत्मा निराकार ज्योति बिंदु बाप को जान ड्रामा के हर सीन... को, हर परिस्थिति... को, बिंदी लगा हर दिन, हर समय निराकार ज्योति बिंदु परमात्मा शिव को याद करती* क्या..., क्यों..., कैसे... सभी प्रकार के क्वेश्चन्स से न्यारी हो अपने पुरुषार्थी जीवन में एक बाप की याद में रह हर बात में बिंदी लगा... अविनाशी कमाई जमा करते हुए निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूँ... यह अविनाशी कमाई मुझ आत्मा के साथ ही जायेगी...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा तीन बिंदी का तिलक लगा* बिंदु बाप के साथ उड़ चली अपने मूलवतन... अपने असली घर में, अपने असली पिता के सामने मैं आत्मा दिव्य, अलौकिक अनुभूतियाँ कर रही हूँ... अब मैं आत्मा *अपने निज गुणों को धारण कर अपने निज स्वरुप में स्थित हो इस देह में प्रवेश कर इस धरा पर विदेही बन अपना एक्यूरेट पार्ट बजा रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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