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 02 / 12 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)

 

➢➢ *विचार सागर मंथन किया ?*

 

➢➢ *ज्ञान के नशे में रहे ?*

 

➢➢ *अपनी सेवा दूसरों से तो नहीं ली ?*

 

➢➢ *परवश आत्माओं को रहम के शीतल जल द्वारा वरदान दिया ?*

 

➢➢ *परमात्म मिलन मेले की मौज में रह माया के झमेलों को समाप्त किया ?*

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         ❂ *तपस्वी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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〰✧  जब स्वयं को अकालमूर्त आत्मा समझेंगे तब अकाले मृत्यु से, अकाल से, सर्व समस्याओं से बच सकोगे। *मानसिक चिन्तायें, मानसिक परिस्थितियों को हटाने का एक ही साधन है - अपने इस पुराने शरीर के भान को मिटाना। देह-अभिमान को मिटाने से सर्व परिस्थितियाँ मिट जायेंगी।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  ये मन बहुत चंचल है और बहुत क्वीक है, एक सेकण्ड में आपको फारेन घुमाकर आ सकता है तो क्या सुना? बालक सो मालिक। *ऐसे नहीं खुश रहना - बालक तो बन गये, वर्सा तो मिल गया लेकिन अगर वर्से के मालिक नहीं बने तो बालक-पन क्या हुआ?*

 

✧  *बालक का अर्थ ही है मालिक। लेकिन स्वराज्य के भी मालिक बनो।* सिर्फ वर्से को देख करके खुश नहीं हो, स्वराज्य अधिकारी बनो। इतनी छोटी-सी आँख बिन्दी है, वो भी धोखा दे देती है तो मालिक नहीं हुए तभी धोखा देती है तो बापदादा सभी बच्चों को स्वराज्य अधिकारी राजा देखना चाहते हैं।

 

✧  अधिकारी, अधीन नहीं रहेगा। समझा? क्या बनेंगे? बालक सो मालिक। *रावण की चीज को तो यहाँ हॉल में ही छोडकर जाना।* ये तपस्या का स्थान है ना तो तपस्या को अग्नि कहा जाता है। तो अग्नि में खत्म हो जायेगा।

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- शिवजयंती का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाना"*

 

➳ _ ➳  *अपने भाग्य के गीत गाती दिल से मुस्कुराती चमचमाती खुशियों से भरपूर मैं आत्मा मुधबन घर के आगन मे टहल रही हूँ...* वाह कैसा अद्भुत अद्वितीय श्रेष्ठ शानदार भाग्य मैने पाया है... प्यारे बाबा ने मुझे अपना बनाया है... मेरे भाग्य को जगाया है... काटें से फूल बनाया है... हर रंग से उसने मेरे बेरंग जीवन को भर दिया है... कौड़ी से हीरे तुल्य इस जीवन को बनाया है... वाह मेरे दिलाराम बाबा ने मुझे अपने दिल तख्त में बिठाया है... अपने नैनो का नूर बनाया है... कितना बाबा ने मुझ पर वेपनाह बेशुमार प्यार लुटाया है बरसाया है... कितना सुदंर ड्रामा में ये सीन आया है... *ये मीठे दिल के जज्बात सुनाने मैं आत्मा फरिशता रूप धारण किए अपने प्यारे बाबा के पास वतन पहुचंती हूँ...*

 

➳ _ ➳  *मीठे बाबा रूहानी जोश-जुनून से मुझ आत्मा को भरते हुए कहतें है :-* "मीठे राजदुलारे भागयवान बच्चे मेरे... इस बार शिवरात्रि का ये त्योहार कुछ इस कदर धूम-धाम से मनाओं... *आ चुके है तुम्हारे कल्याणकारी पिता इस धरा पर, ऐसा चारों ओर आवाज फैलाओं... खूब ढोल-खूब नगाड़े खुशियों के बजाओं...* सबको अज्ञान की निद्रा से जगाओं... सबको ज्ञान का प्रकाश देकर उनके जीवन से अज्ञान अन्धेरा मिटाओं... मीठे बच्चे ऐसे धूम-धाम से तुम शिवरात्रि का त्योहार  मनाओं...."

 

❉  *मैं आत्मा रूहानी नशे और रूहानी जुनून से भरपूर होकर कहती हूँ :-* "मीठे रंगीले बाबा मेरे... आपकी इस रूहानी जोशिली समझानी से दिल बाग-बाग हो उठा है... इस शिवरात्रि को जानदार, शानदार बनाने का मोर्चा सम्भालतें हुए चारों ओर खुशियों के बाजें बजा रही हूँ... *कल्याणकारी पिता है धरा पर आ चुके, ये आवाज चारों ओर फैला रही हूँ... सबको अज्ञान निद्रा से जगा...* शिवरात्रि का सच्चा महत्व सबको बता रही हूँ... अज्ञान अन्धेरा हटा ज्ञान प्रकाश फैला रही हूँ... ऐसे धूम-धाम से शिवरात्रि मना रही हूँ..."

 

➳ _ ➳  *मीठे प्यारे बाबा मुझ आत्मा को उमंग-उत्साह के रंग-बिरंगे पंख दे कहते है :-* "मीठे-मीठे प्यारे राजदुलारे बच्चे मेरे... शिवरात्रि के इस महान पर्व पर सबकी बिगड़ी को अब तुम बनाओं... *ईश्वर पिता जो धरती पर अथाह खजानों को ले आया है... इस दौलत से हर दिल को रूबरू कराओं... सबको उनके सच्चे पिता से मिलाओं...* घर-घर में शिव पिता के आने का निमंत्रण पहुचाओं... मीठे बच्चे ऐसे शानदार जानदार तरीक़े से शिवरात्रि त्योहार मनाओं..."

 

❉  *मैं आत्मा उमंग-उत्साह के रंगीले पंख लगाकर कहती हूँ :-* "मीठे दुलारें बाबा मेरे... आओ-आओ इस शुभ दिन पर ईश्वर से सुख-शांति की बेशुमार दौलत पाओं... ऐसा कह सबको बेशुमार दौलत से रूबरू करा रही हूँ... सोई तकदीर को सबकी जगा रही हूँ... *सत्य बाप का सत्य परिचय घर-घर में सुना रही हूँ... आप समान सबकी बिगड़ी बना रही हूँ... उनके खोए अस्तित्व से उनको रूबरू करा रही हूँ... इस शानदार तरीके से शिवजयंती मना रही हूँ..."*

 

➳ _ ➳  *मीठे लाडले बाबा मुझ आत्मा को विश्व कल्याणकारी भावनाओं से सजाते हुए कहतें है :-* "इस शिवरात्रि खुशियों की शहनाईयां बाजें बजाओं... सबको दिलखुश मिठाई खिलाओं... *सबके जीवन को अब तुम आप समान खुशियों से सजाओं... सबके सोए भाग्य को जगाओ...* ऐसे तुम इस शिवरात्रि को चार चांद लगाओं... इस  त्योहार को धूम-धाम से मनाओं..."

 

❉  *मैं आत्मा विश्व कल्याणकारी भावनाओं से सज-धज कर कहती हूँ :-* "सच्चे सहारें बाबा मेरे... आपका जन्मदिन दिलों-जान से अथाह खुशियों के साथ मना रही हूँ... *आपके आने की खबर सारे जहान को सुना रही हूँ... सबको आप समान खुशियों से सजा रही हूँ... अल्फ बे का ज्ञान प्रकाश दे उनका भाग्य जगा दिलखुश मिठाई खिला रही हूँ...* इस कदर इस शिवरात्रि में चार-चांद लगा रही हूँ... बड़े धूमधाम से इस शिवरात्रि उत्सव को मना रही हूँ..."

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- विचार सागर मंथन करना है*"

 

➳ _ ➳  सागर के तले में छुपी अनमोल वस्तुयों जैसे सीप, मोती आदि को पाने के लिए एक गोताखोर को पहले उसकी गहराई में तो जाना ही पड़ता है। *जब तक गोताखोर पानी के ऊपरी हिस्से पर तैरता रहता है तब तक तेज लहरों, पानी की थपेड़ों और तूफानों का भी उसको सामना करना पड़ता है* परन्तु यदि वह इन सबकी परवाह किये बिना पानी की गहराई में उतरता चला जाता है तो नीचे गहराई में जा कर हर चीज शांन्त हो जाती है और वह सागर के तले में छुपी उन चीजों को प्राप्त कर लेता है।

 

➳ _ ➳  इस दृश्य को मन बुद्धि रूपी नेत्रों से देखते - देखते मैं विचार करती हूँ कि जैसे स्थूल सागर की गहराई में अनमोल सीप, मोती आदि छुपे होते हैं इसी तरह से स्वयं *ज्ञान सागर भगवान द्वारा दिये जा रहे इस ज्ञान में भी कितने अनमोल खजाने छुपे हैं बस आवश्यकता है इन खजानों को ढूंढने के लिए इस अनमोल ज्ञान की गहराई में जाने की अर्थात विचार सागर मंथन करने की*। मलाई से भी मक्खन तभी निकलता है जब उसे पूरी मेहनत के साथ मथा जाता है तो यहां भी अगर विचार सागर मन्थन नही करेंगे तो ज्ञान रूपी मक्खन का स्वाद भी नही ले सकेंगे। *इसलिये विचार सागर मन्थन कर, ज्ञान की गहराई में जा कर, फिर उसे धारणा में लाकर अनुभवी मूर्त बनना ही ज्ञान सागर द्वारा दिये जा रहे इस ज्ञान का वास्तविक यूज़ है*।

 

➳ _ ➳  हम बच्चो को यह ज्ञान दे कर, हमारे दुखदाई जीवन को सुखदाई, मनुष्य से देवता बनाने के लिए स्वयं भगवान को इस पतित दुनिया, पतित तन में आना पड़ा। तो ऐसे भगवान टीचर द्वारा दिये जा रहे इस ज्ञान का हमे कितना रिगार्ड रखना चाहिए। *ज्ञान की एक - एक प्वाइंट पर विचार सागर मंथन कर उसे धारणा में ले कर आना और फिर औरों को धारण कराना ही भगवान के स्नेह का रिटर्न है*। और भगवान के स्नेह का रिटर्न देने के लिए ज्ञान का विचार सागर मन्थन कर, सेवा की नई - नई युक्तियाँ अब मुझे निकाल औरों को भी यह ज्ञान देकर उनका भाग्य बनाना है मन ही मन स्वयं से यह दृढ़ प्रतिज्ञा कर ज्ञान सागर अपने प्यारे परमपिता परमात्मा शिव बाबा की याद में मैं अपने मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ।

 

➳ _ ➳  मन बुद्धि की तार बाबा के साथ जुड़ते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे ज्ञान सूर्य शिवबाबा मेरे सिर के ठीक ऊपर आ कर ज्ञान की शक्तिशाली किरणों से मुझे भरपूर कर रहें हैं। *बाबा से आ रही सर्वशक्तियो रूपी किरणों की मीठी फुहारें जैसे ही मुझ पर पड़ती हैं मेरा साकारी शरीर धीरे - धीरे लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर मे परिवर्तित हो जाता हैं* और मास्टर ज्ञान सूर्य बन लाइट की सूक्ष्म आकारी देह धारण किये मैं फ़रिशता ज्ञान की रोशनी चारों और फैलाता हुआ सूक्ष्म लोक में पहुँच जाता हूँ और जा कर बापदादा के सम्मुख बैठ जाता हूँ।

 

➳ _ ➳  अपनी सर्वशक्तियों को मुझ में भरपूर करने के साथ - साथ अब बाबा मुझे विचार सागर मन्थन का महत्व बताते हए कहते हैं कि *"जितना विचार सागर मंथन करेंगे उतना बुद्धिवान बनेंगें और अच्छी रीति धारणा कर औरों को करा सकेंगे"*। बड़े प्यार से यह बात समझा कर बाबा मीठी दृष्टि दे कर परमात्म बल से मुझे भरपूर कर देते हैं। मैं फ़रिशता परमात्म शक्तियों से भरपूर हो कर औरों को आप समान बनाने की सेवा करने के लिए अब वापिस अपने साकारी तन में लौट आता हूँ।

 

➳ _ ➳  *अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप को सदा स्मृति में रख अपने परमशिक्षक ज्ञान सागर शिव बाबा द्वारा दिये जा रहे ज्ञान को गहराई से समझने और उसे स्वयं में धारण कर फिर औरों को धारण कराने के लिए अब मैं एकांत में बैठ विचार सागर मंथन कर सेवा की नई - नई युक्तियाँ सदैव निकालती रहती हूँ*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं परवश आत्माओ को रहम के शीतल जल द्वारा वरदान देने वाली वरदानी मूर्त आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं परमात्म मिलन मेले की मौज में रहकर माया के झमेलों को समाप्त करने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳ 1. डाक्टर्स का वर्ग भी बापदादा को सेवाधारी ग्रुप देखने में आता है। सिर्फ थोड़ा समय इस सेवा को भी देते रहो। *कई डाक्टर्स कहते हैं हमको फुर्सत ही नहीं होती है। फुर्सत नहीं होती होगी फिर भी कितने भी बिजी होंअपना एक कार्ड छपा के रखो, जिसमें यह इशारा होअट्रेक्शन का कोई स्लोगन होतो और आगे सफा चाहते हो तो यह यह एड्रेसेज हैंजहाँ आप रहते हो वहाँ के सेन्टर्स की एड्रेस हो यहाँ जाकर अनुभव करोकार्ड तो दे सकते।* जब पर्चा लिखकर देते हो यह दवाई लेनायह दवाई लेना। तो पर्चा देने के समय यह कार्ड भी दे दो। हो सकता है कोई कोई को तीर लग जाए क्योंकि डाक्टरों की बात मानते हैं और टेन्शन तो सभी को होता है। एक प्रकृति की तरफ से टेन्शनपरिवार की तरफ से टेन्शन और अपने मन की तरफ से भी टेन्शन। तो टेन्शन फ्री लाइफ की दवाई यह है,ऐसा कुछ उसको अट्रेक्शन की छोटी सी बात लिखो तो क्या होगा,आपकी सेवा के खाते में तो जमा हो जायेगा ना। ऐसे कई करते भी हैंजो नहीं करते हैं वह करो। डबल डाक्टर हो सिंगल थोड़ेही हो। डबल डाक्टर हो तो डबल सेवा करो। 

 

 _ ➳  2. जब पेशेन्ट आते हैं। आपके पास तो पेशेन्ट ही आयेंगे। तो पेशेन्ट हमेशा डाक्टर को भगवान का रूप समझते हैं और भावना भी होती है। *अगर डाक्टर किसको कहता है यह चीज नहीं खानी हैतो डर के मारे नहीं खायेंगे और कोई गुरू कहेगा तो भी नहीं मानेंगे।* तो मेडीकल वालों को सहज सेवा का साधन है जो भी आवे उनको समय मुकरर करना पड़ता हैक्योंकि काम के समय तो आप कुछ कर नहीं सकतेलेकिन कोई ऐसा विधि बनाओ जो पेशेन्ट थोड़ा भी इन्ट्रेस्टेड होउनको एक टाइम बुलाकर और उन्हों को 15 मिनट आधा घण्टा भी परिचय दो तो क्या होगाआपकी सेवा बढ़ती जायेगी। सन्देश देना वह और बात हैसन्देश से खुश होते हैं लेकिन राजयोगी नहीं बनते हैं।

 

 _ ➳  3. *जब तक थोड़ा टाइम भी किसको अनुभव नहीं होता तब तक स्टूडेन्ट नहीं बन सकता।*

 

 _ ➳  4. *जिसको कोई भी अनुभव होता है वह छोड़ नहीं सकते हैं। बाकी काम तो अच्छा हैकिसके दुख को दूर करना। कार्य तो बहुत अच्छा करते होलेकिन सदा के लिए नहीं करते हो। दवाई खायेंगे तो बीमारी हटेगीदवाई बन्द तो बीमारी फिर से आ जाती है। तो ऐसी दवाई दोजो बीमारी का नाम निशान नहीं होवह है मेडीटेशन।*

 

✺   *ड्रिल :-  "डबल डाक्टर होने का अनुभव"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने आत्मिक स्वरूप में स्वयं को स्थित करती हूँ और एक दम शांत अवस्था में अपने मन को केंद्रित करती हूँ... अपने इस संगमयुगी जीवन की प्राप्तियों को देख रही हूँ... *बाबा से मिली शक्तियों और ज्ञान रत्नों के ख़ज़ानों को याद करती हूँ और उनका शुक्रिया अदा करती हूँ...* आपने मुझे मेरे हर दुख से मुक्त कर मेरे जीवन को खुशियों से भर दिया है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा सृष्टि के रंगमंच पर अपने पार्ट को प्ले करते हुए अन्य बहुत सी आत्माओं के संपर्क में आती हूँ... मैं देखती हूँ कि आज हर आत्मा किसी ना किसी कारण वश दुखी है... कुछ आत्मायें पूर्व जन्मों में किये पाप कर्म के कारण दुखों को भोग रही हैं तो कुछ आत्मायें अपने ही कड़े आसुरी स्वभाव संस्कार के वश हो औरों को भी दुख दे रही हैं और स्वयं भी दुखों से घिरी हुई हैं... जिस कारण वो स्वयं भी अशांत रहती हैं और उनके संपर्क में आने वाली आत्मायें भी अशान्ति का अनुभव करती हैं... *इन समस्त आत्माओं को मैं आत्मा अपने शांति के वाइब्रेशन देकर उनके मन को शांत कर रही  हूँ...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने कर्मक्षेत्र में भी बाबा के शक्तिशाली वाइब्रेशन चारों तरफ फैलाती हूँ... आज के इस तमोगुणी वातावरण में आत्माओं के शरीर के साथ साथ उनके मन भी बीमार हैं... समस्त आत्मायें क्रोध, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष, लालच, परचिन्तन, परदर्शन जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं... *जैसे मेरे बाबा रूहानी डॉक्टर भी हैं वैसे ही मैं आत्मा भी अपने आत्मा भाइयों के लिए उनका रूहानी डॉक्टर बन उनकी इन सभी बीमारियों का इलाज कर उनको इन बीमारियों से मुक्त कर उनको सशक्त और निरोगी बना रही हूँ...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने सभी भाई बहनों को बाबा का परिचय देती हूँ... *बाबा का परिचय पाकर आत्मायें उनसे अपना कनेक्शन जोड़कर उनसे सर्व शक्तियाँ प्राप्त कर रही हैं और अपने दुखों को अपनी बीमारियों को ठीक कर रही हैं... जिन आत्माओं को मैं आत्मा बाबा का परिचय देती हूँ उन्हें उमंग उत्साह दे आगे भी बढ़ाती जाती हूँ...* वो सभी आत्मायें बाबा से संबंध जोड़ उनके प्यार को अनुभव करती हैं... योग में नित नए अनुभव कर रही हैं और अपने सर्व दुखों से छूटती जा रही हैं...

 

 _ ➳  मैं आत्मा किसी न किसी रूप में बाबा का परिचय आत्माओं को देती हूँ... निमित्त बन अपने चेहरे और चलन से सेवा करती हूँ... *बाबा से जुड़ कर आत्मायें अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित हो अपने गुणों और शक्तियों को इमर्ज कर रही हैं और राजयोग के अभ्यास से अपने को सशक्त बनाती जा रही हैं...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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