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 23 / 03 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *किसी भी चीज़ का जास्ती लोभ तो नहीं रखा ?*

 

➢➢ *अपना अहंकार न रख माताओं को मर्तबा दिया ?*

 

➢➢ *ज्ञान धन का दान किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *प्यूरिटी की रॉयल्टी द्वारा ब्राह्मण जीवन की विशेषता को प्रतक्ष्य किया ?*

 

➢➢ *व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तित कर होलीहंस बनकर रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - रात को जागकर कमाई करो, अमृतवेले उठने की आदत डालो"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरपिता जो अथाह ज्ञान रत्नों की दौलत दे रहे है इस दौलत से अपना दामन सदा का सजा लो... *इस अमूल्य कमाई में दिन रात जुट जाओ और मालामाल हो मुस्कराओ.*.. अमृतवेले के मधुर मिलन का आनन्द उठाओ और ईश्वरीय दिल में गहरी जगह पाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपको *परम् शिक्षक रूप में पाकर अमूल्य रत्नों की धनी हो चली हूँ.*.. आत्मअभिमानी हो, खोया धन पुनः पाकर अमीरी से सज गयी हूँ... और अमृतवेले की पावन वेला में आपकी यादो में गहरी डूब गयी हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... विश्व पिता के साथ भरे इन मीठे पलों में अतुलनीय सम्पदा के मालिक बन विश्व राज्य को पाओ... *ईश्वरीय जागीरों से अपना दिल आँगन सदा का भर लो.*.. और अमृतवेले उठकर मीठी महकती यादो में खो जाओ, गहरे मिलन का सुख पाओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में महाअमीर होती जा रही हूँ... ज्ञान रत्नों से लबालब हो चली हूँ... हीरो की दुनिया की में राज करने वाली भाग्यवान बन रही हूँ... *अमृतवेले मीठे बाबा को दिलोजान से चाहकर सच्चे प्रेम का सुख ले रही हूँ.*..

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे...  मीठे संगम में ईश्वर पिता के साथ और प्यार के मधुर लम्हों में 21 जनमो का सुख अपने भाग्य में लिखवा लो... ज्ञान रत्नों और यादो में डूबकर अविनाशी कमाई से दामन सजालो... *निद्राजीत बन सारी दौलत, सारी जागीरे अपनी बाँहों में भर चलो.*.. और अमृतवेले में प्रेम अमृत को पी.सच्चे प्रेम को जी जाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा हर पल अपनी कमाई में जुटी हूँ... *अमृतवेले उठकर वरदानों से अपनी झोली भरने वाली महा भाग्यवान बन गयी हूँ.*.. मीठे बाबा... रोज आपकी प्यार भरी बाँहों में मै आत्मा शक्तियो और गुणो से सम्पन्न होती जा रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-   मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  इस सृष्टि नाटक में खेलते-खेलते मैं आत्मा मैली हो गई थी... विकारों की धूल, मिट्टी से मैं आत्मा लथपथ थी... मैं आत्मा स्वयं के वजूद को ही भूल गई थी... देहभान में आकर इस शरीर रुपी मिट्टी के पुतले को ही संजाने में ही लगी रही... प्यारे बापदादा मुझ आत्मा को *ज्ञान-योग के साबुन से धो रहे हैं...* मुझ आत्मा से जन्मों-जन्मों की विकारों की काली मैल बाहर निकलती जा रही है...

 

➳ _ ➳  प्यारे बाबा मुझ आत्मा को *गुणों, शक्तियों के रूहानी पानी में नहला रहे* हैं... मुझ आत्मा पर पवित्रता के बादलों की वर्षा कर रहे हैं... मुझ आत्मा से अंश सहित सारी अपवित्रता बाहर निकलती जा रही है... मुझ आत्मा का सारा मैल धुलता जा रहा है...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा के संकल्पों और स्वप्न से भी अपवित्रता का नामोंनिशान मिटता जा रहा है... अब मुझ आत्मा से किसी भी विकार वा अशुद्धि का प्रभाव खत्म होता जा रहा है... मैं आत्मा सम्पूर्ण शुद्ध और पवित्र बनती जा रही हूँ... *मैं आत्मा स्मृति स्वरुप बनती जा रही हूं...*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा प्यारे बापदादा के सामने बैठ जाती हूँ... प्यारे बापदादा के रूहानी नैनों से दिव्य किरणें मुझ आत्मा पर निरंतर प्रवाहित हो रही हैं... मुझ आत्मा के चारों ओर पवित्रता का ओरा बढ़ता जा रहा है... मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें निकलकर चारों ओर फैलती जा रही हैं... अब मैं आत्मा *प्योरिटी की रॉयल्टी द्वारा ब्राह्मण जीवन की विशेषता को प्रत्यक्ष* करती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मुझ आत्मा के चेहरे और चलन से पवित्रता की झलक दिखती जा रही है... मैं आत्मा सदा अपने अनादि, आदि और पूज्य पवित्र स्वरुप की स्मृति में ही रहती हूँ... अब मैं आत्मा प्योरिटी की रॉयल्टी द्वारा ब्राह्मण जीवन की विशेषता को प्रत्यक्ष करने वाली *सम्पूर्ण पवित्र अवस्था का अनुभव कर रही* हूँ... 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- होलीहंस बन  व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने का अनुभव"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा होलीहंस हूँ... सदा ही सर्वत्र अच्छाई देखना... सभी के गुण और विशेषताओं को देख उन्हें ग्रहण करना... मुझ होलीहंस की यही विशेषता हैं... *मैं होलीहंस आत्मा शिव बाबा की अति प्रिय हूँ...* मैं आत्मा व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर... स्वयं का और सर्व का सदा ही कल्याण करती हूँ...

 

➳ _ ➳  कोई भी व्यर्थ बात हो... मैं होलीहंस सेकण्ड में उसे बिंदी लगा... उसे पल में व्यर्थ से समर्थ कर देती हूँ... मेरे समेटने की शक्ति से विस्तार को संकीर्ण कर... सिर्फ वही बात चुनती हूँ... जो मुझ आत्मा का कल्याण करे... *मैं व्यर्थ के मायाजाल से सदा मुक्त रहती हूँ...* 

 

➳ _ ➳  मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा अपना हर पल स्वयं के और सम्पूर्ण विश्व के कल्याण हेतु ही लगाती हूँ... हर व्यर्थ बात को... खुद में ऐसे समा लेती हूँ... जैसे वो हैं ही नहीं... किसी के भी अवगुण देख के भी न देखना... ये मुझ आत्मा की सबसे बड़ी विशेषता हैं... *हर आत्मा की कमजोरी अपने अंदर समा लेती हूँ... और उनकी विशेषता देख... उनमें सदा उमंग उत्साह भरती हूँ...*

 

➳ _ ➳  मैं होलीहन्स रॉयल सोल हूँ... मेरे चाल चलन बहुत रॉयल हैं... *मेरी दृष्टी सम्पूर्ण पावन हैं... मैं परम पवित्र... पवित्रता के सागर शिव बाबा की सन्तान... पूरे विश्व को पावन करने के निमित्त हूँ...* मेरे संकल्पों की पवित्रता हर आत्मा से व्यर्थ समाप्त कर उन्हें भी समर्थ आत्मा बना देती है... समर्थ बनना और समर्थ बनाना... यही मुझ ब्राह्मण आत्मा का कर्तव्य हैं...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *प्योरिटी की रॉयल्टी द्वारा ब्राह्मण जीवन की विशेषता को प्रत्यक्ष करने वाले सम्पूर्ण पवित्र होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

 ❉  ब्राह्मण जीवन है ही निर्विकारी व रॉयल जीवन अर्थात सम्पूर्ण पवित्र जीवन , *केवल अन्न या ब्रह्मचर्य नहीं बल्कि आत्मा के संकल्पो में भी शुद्धि* होनी आवश्यक है तभी ब्राह्मण जीवन सबसे श्रेष्ठ बनता है और ब्रह्मणो की ऊँच चोटी होती है । आत्मा, ब्राह्मण बनने से पहले शूद्र होती है तभी शिवबाबा आते और पवित्रता की प्रतिज्ञा करवाते आत्माओं से जिससे उनके संकल्प बोल कर्म में शुद्धि होना शुरू हो जाता तभी वह सच्चे-सच्चे ब्राह्मण कहलाते है ।

 

 ❉  जब आत्मा अपने स्वधर्म में टिकना शुरू करती है तभी उसको विकारों का भी आभास होता है, जैसे जब तक *आत्मा अपने पवित्र स्वरूप की अनुभूति ना करे तब तक उसको काम महाशत्रु होता क्या है यह समझ ही नही आएगा* , अब चाहे इसमें कोई भी गुण लेलो । जैसे किसी आत्मा ने अगर पहले संतरा खाया हुआ है तो अभी उसको कहे की ऐसा सोचो की तुम संतरा खा रहे हो तो उसको झट संतरा का टेस्ट मुख में आ जाएगा ऐसे ही आत्मा का स्वधर्म है ही (सुख शांति पवित्रता आनंद शक्ति ज्ञान प्रेम) जिससे जैसे ही आत्मा परमात्मा के साथ मिलन मनाएँगी उसको वो टेस्ट आने लगेगा।

 

 ❉  इसलिए प्योरिटी की रॉयल्टी ही ब्राह्मण जीवन की विशेषता है। जैसे कोई रॉयल फ़ैमिली का बच्चा होता है तो उसके चेहरे से, चलन से मालूम पड़ता है कि यह कोई रॉयल कुल का है। ऐसे *ब्राह्मण जीवन की परख प्योरिटी की झलक से होती है।* और चलन चेहरे से प्योरिटी की झलक तब दिखाई देगी, जब *संकल्प में भी अपवित्रता का नाम-निशान न हो।* अपवित्रता अर्थात किसी भी आत्मा के प्रति घृणा द्वेष या किसी की विशेषता में भी प्रभावित ना हो।

 

 ❉  जैसे ब्रह्माबाबा ने अपने जीवन से दिखाया और समझाया की पवित्रता अर्थात *किसी भी विकार व अशुद्धि का प्रभाव न हो तब कहेंगे सम्पूर्ण पवित्र।* जो भी आत्मा उनसे मिलती है एक भी आत्मा को संकल्प मात्र भी उनसे ये आभास नही होता की उनके ऊपर कोई अशुद्धि का प्रभाव है या नही क्योंकि बाबा की याद से कवच बहुत पक्का बना हुआ होता, अगर किसी को आती भी है तो मानो सामने वाली की भावना या सोच ही ऐसी है लेकिन उसका बाबा के ऊपर कोई प्रभाव नही , और *वह आत्मा भी रीयलिज़ेशन का गिफ़्ट लेके जाती*

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *होलीहंस वह है जो व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर दे... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे हंस की यह विशेषता होती है कि वह कंकड़ और मोती में से मोती चुग लेता है और कंकड़ छोड़ देता है इसी प्रकार *जो होलीहंस होते हैं वे दुनिया में रहते हुए भी दुनियावी बातों में नही फंसते बल्कि ज्ञान के रत्नों को चुगते हुए अपने हर सेकण्ड, हर संकल्प को समर्थ बना लेते हैं* । अपने मन और बुद्धि को वे सदा समर्थ चिंतन में बिजी रखते हैं इसलिए वे व्यर्थ चिंतन के रूप में आने वाले माया के वार से बचे रहते हैं । और ज्ञान मंथन द्वारा वे व्यर्थ को भी समर्थ में परिवर्तित कर देते हैं ।

 

❉   जैसे स्नान के लिए कोई तालाब बना देते हैं तो उसमे सिर्फ स्नान का ही मजा आ सकता है । उस पानी में नाव चलाने का आनन्द प्राप्त नही कर सकते और ना ही उसमे रत्न मिल सकते हैं । यदि नाव का मजा लेना है और रत्न लेने हैं तो सागर की गहराई में जाना पड़ेगा । ठीक इसी प्रकार *व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने वाले होली हंस वही बन सकते हैं जो ज्ञान की गहराई में जाकर ज्ञान का मंथन करते हैं* और जितना वे ज्ञान की गुह्यता में जाते हैं उतना शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्प इमर्ज रहने से व्यर्थ संकल्प मर्ज होते चले जाते हैं ।

 

❉   मन कभी भी खाली नही रहता । उसमे हमेशा कुछ ना कुछ संकल्प चलते ही रहते हैं । किंतु *जो होली हंस होते हैं उनके मन में कभी भी व्यर्थ चिंतन नही चलता क्योकि वे अपने मन को सदैव ईश्वरीय चिंतन और याद में बिज़ी रखते हैं* और यही पावरफुल संकल्प उनकी आत्मा में बल भर देते हैं जिससे उनकी स्थिति सदैव एकरस और अचल, अडोल रहती है । सदा शक्तिशाली स्थिति में स्थित रहने और बुद्धि में शुद्ध व श्रेष्ठ संकल्प सदा इमर्ज रहने से माया कभी भी व्यर्थ संकल्प, विकल्प के रूप में उनके सामने नही आती ।

 

❉   एक मदिरा पीने वाला व्यक्ति मदिरा पी कर नशे में इतना मस्त हो जाता है कि उसे दुनिया की कोई परवाह ही नही रहती । ठीक इसी प्रकार *जो होली हंस होते हैं वे रूहानी प्रेम की मस्ती में सदा मस्त रहते हुए ऐसी अव्यक्त स्थिति में स्थित रहते हैं कि उनका व्यक्त की सभी बातों से स्वत: ही किनारा होने लगता है* । परमात्म प्रेम की मस्ती में मग्न होने के कारण अगर उन्हें कोई कुछ कहता भी है तो भी वे कभी व्यर्थ संकल्प नही चलाते । क्योकि बाबा के प्रेम की अगन की लगन उन्हें ऐसा समर्थ और श्रेष्ठ बना देती है कि व्यर्थ उसमे मर्ज हो कर समर्थ बन जाता है ।

 

❉   जिनकी बुद्धि की लगन सिर्फ एक बाबा के साथ लग जाती है और जिन्हें याद की  हमेशा आकर्षण रहती हैं उन्हें बाबा की लाइट और माइट सदा मिलती रहती है जो सभी पुरानी बातों, पुराने संस्कारों को मिटाकर उन्हें होली हंस बना देती है । और *जैसे जैसे आत्मा बाबा की याद से स्वीट बनती जाती है, व्यर्थ से किनारा होता जाता है । आत्मा के निजी संस्कार इमर्ज होने लगते हैं जिससे चिंतन भी शुद्ध वा श्रेष्ठ होने लगता है* । शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्प सदा इमर्ज रहने से व्यर्थ संकल्प स्वत: समाप्त हो जाते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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