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 29 / 08 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *मनुष्यों की उल्टी बातें सुन उनके प्रभाव में तो नहीं आये ?*

 

➢➢ *पढाई और पढाने वाले को सदा याद रखा ?*

 

➢➢ *सवेरे सवेरे क्लास में गए ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *ज्ञान युक्त भावना और स्नेह संपन्न योग द्वारा उडती कला का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *सरलता और सहनशीलता का गुण धारण कर सदा स्नेही और सहयोगी बनकर रहे ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  कई बच्चे रूह-रूहान करते हुए बाबा से पूछते हैं कि *'हम भविष्य में क्या बनेंगे, राजा बनेंगे या प्रजा बनेंगे?'* बापदादा बच्चों को रेस्पाण्ड करते हैं कि *अपने आप को एक दिन भी चेक करो* तो मालूम पड जायेगा कि मैं राजा बनूँगा वा साहूकार बनूँगा वा प्रजा बनूँगा।*

 

✧  पहले अमृतवेले से अपने मुख्य तीन कारोबार के अधिकारी, अपने सहयोगी, साथियों को चेक करो। वह कौन? 1. *मन अर्थात संकल्प शक्ताि*  2. *बुद्धि अर्थात निर्णय शक्ति।* 3. *पिछले वा वर्तमान श्रेष्ठ संस्कार* यह तीनो विशेष कारोबारी हैं।

 

✧  जैसे आजकल के जामने में राजा के साथ महामन्त्र वा विशेष मन्त्री होते हैं, उन्हीं के सहयोग से राज्य कारोबार चलता है। *सतयुग में मन्त्री नहीं होंगे लेकिन समीप के सम्बन्धी, साथी होंगे।* किसी भी रूप में, साथी समझो वा मन्त्री समझो।

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

 

➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  रूहानी पढ़ाई को कभी मिस न कर, पढ़ाई से विश्व की बादशाही पाना"*

 

_ ➳  ईश्वर पिता की खोज में मै आत्मा... देहधारी गुरुओ में खोयी हुई थी... पर कभी कहीं एक अहसास भी न पाया... जब भगवान ने स्वयं मिलना चाहा, तब ही मुझे उनका परिचय मिल  पाया... यह अपने आप में कितनी अनोखी बात है... कि सिर्फ दर्शन मात्र को प्यासी मै आत्मा... आज ईश्वर पिता की मीठी गोद में बेठ पढ़ रही हूँ... देवताओ सी धनी और सुखी बन रही हूँ... *मेने तो बून्द भर चाही थी... मीठे बाबा ने सारे सागर मुझ पर उंडेल कर, महा भाग्य से सजा दिया है.*.. यही मीठा चिंतन करते करते.... रुहरिहानं करने मै आत्मा... मीठे बाबा की कुटिया में पहुंच रही हूँ...

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान धन से मालामाल करते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *भगवान स्वयं शिक्षक बन गया है यह कितना प्यारा भाग्य है.*.. यह रूहानी पढ़ाई ही गुणो से भरकर दिव्य बनाएगी... इसलिए इस पढ़ाई को कभी भी मिस नही करना है... इस पढ़ाई को पढ़कर और श्रीमत की धारणा से विश्व की बादशाही सहज ही प्राप्त होगी...

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा की शिक्षाओ को अपने मन बुद्धि में भरते हुए कहती हूँ :- "प्यारे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपको शिक्षक रूप में पाकर कितनी धन्य धन्य हो गयी हूँ... मेरी पतित बुद्धि को सवांरने स्वयं भगवान आया है... *ईश्वर को ही शिक्षक रूप में पा लिया है, मेने अब भला और क्या चाहिए मुझे.*.."

 

   प्यारे बाबा मुझ आत्मा को अपने प्यार में शक्तिशाली बनाते हुए कहते है :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय पढ़ाई से ही देवताई सुखो के अधिकारी बनकर विश्व राज्य को पाओगे... इस रूहानी पढ़ाई में ही सच्चे सुख समाये है... *इसलिए इस ज्ञान धन को कभी भी छोड़ना नही, जब तक जीना हे, सदा पढ़ते ही रहना है.*.."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा की छत्रछाया में देवताई भाग्य पाकर कहती हूँ :- " प्यारे दुलारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी ज्ञान मणियो को अपने दामन में सजाकर, कितने मीठे सुखो से भरती जा रही हूँ... ईश्वर पिता के साये में बेठ पढ़ रही हूँ... और *अपने मन बुद्धि को देवताई सुख और खुशियो की मालिक बनती जा रही हूँ.*..

 

   मीठे बाबा मुझ आत्मा को अतुलनीय खजानो के मालिक बनाते हुए कहते है :- " मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... सदा सच्ची खुशियो से सजे रहो... *मीठे बाबा के प्यार में पलकर, असीम सुखो से भरे सतयुगी राज्य भाग्य को अपनी बाँहों में भर लो.*.. देवताई सुख दिलाने वाली इस रूहानी पढ़ाई को कभी भी पढ़ना नही छोडो..."

 

_ ➳  मै आत्मा सच्ची खुशियो में झूमते हुए कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा *आपके सच्चे प्यार सच्चे ज्ञान और सच्ची यादो को पाकर कितनी धनवान्,कितनी सुखदायी और भाग्यवान बन गयी हूँ.*.. ईश्वरीय हाथो में पलकर, विश्व की बादशाही को पाने वाली, तकदीर वान आत्मा बन गयी हूँ..." मीठे बाबा के ज्ञान रत्नों की दिल में समाकर मै आत्मा स्थूल जगत में आ गयी...

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- एक बाप के फरमान पर ही चलना और एक बाप से ही सुनना*"

 

_ ➳  "मेरे तो शिवबाबा एक, दूसरा ना कोई" इस गीत को गुनगुनाते हुए मैं अपने घर के आंगन में टहल रही हूँ और सोच रही हूँ कि जब से मुझे बाबा मिले हैं मेरा जीवन कितना सुंदर हो गया है। जिस जीवन मे दुःख, निराशा के सिवाय कुछ नही था वो जीवन मेरे भगवान बाबा ने आ कर कितना सुखदाई बना दिया है। *बाबा के साथ ने जीवन को ऐसा हरा भरा कर दिया है जैसे बारिश की बूंदे मुरझाये हुए पेड़ पौधों को हरा भरा कर देती हैं*। मेरे दिलाराम बाबा का प्यार ही तो मेरे इस जीवन की बहार है और अब मुझे अपने इस जीवन को बहार को पूरा संगमयुग ऐसे ही बरकरार रखना है इसलिए अपने दिलाराम शिव बाबा के फ़रमान पर चलना और केवल उनसे ही अब मुझे सुनना है।

 

_ ➳  स्वयं से बातें करते, अपने शिव पिता परमात्मा के प्यार के सुखद एहसास में मैं खो जाती हूँ और उनके प्यार का वो सुखद एहसास मुझे अपनी ओर खींचने लगता है। *ऐसा अनुभव होता है जैसे मैं एक पतंग हूँ और मेरी डोर मेरे शिव पिता के हाथ में है जो मुझे धीरे धीरे ऊपर खींच रहें हैं*। उनके प्रेम की डोर में बंधी मैं देह और देह की दुनिया को भूल ऊपर की और उड़ रही हूँ। नीले गगन में उन्मुक्त हो कर उड़ने का मैं आनन्द लेती हुई उस गगन को भी पार कर, उससे ऊपर सूक्ष्म लोक से भी परे मैं पहुंच जाती हूँ लाल प्रकाश  से प्रकाशित निराकारी आत्माओं की दुनिया में जो मेरे शिव पिता परमात्मा का घर है। शान्ति की इस दुनिया मे पहुंचते ही गहन शांति की अनुभूति में मैं खो जाती हूँ।

 

_ ➳  यह गहन शांति का अनुभव मुझे हर संकल्प, विकल्प से मुक्त कर रहा है। मुझे केवल मेरा चमकता हुआ ज्योति बिंदु स्वरूप और अपने शिव पिता का अनन्त प्रकाशमय महाज्योति स्वरूप दिखाई दे रहा है। *महाज्योति शिव बाबा से आ रही अनन्त शक्तियों की किरणें मुझ ज्योति बिंदु आत्मा पर पड़ रही है और मुझमे अनन्त शक्ति भर रही है*। मेरे शिव पिता परमात्मा से आ रही सतरंगी किरणे मुझ आत्मा में निहित सातों गुणों को विकसित कर रही हैं। देह अभिमान में आ कर, अपने सतोगुणी स्वरूप को भूल चुकी मैं आत्मा अपने एक - एक गुण को पुनः प्राप्त कर फिर से अपने सतोगुणी स्वरूप में स्थित होती जा रही हूँ। *हर गुण, हर शक्ति से मैं स्वयं को सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ*।

 

_ ➳  बाबा से आ रही सर्वगुणों, सर्वशक्तियों की शक्तिशाली किरणों का प्रवाह निरन्तर बढ़ता जा रहा है। ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे बाबा अपने इन सर्वगुणों और सर्वशक्तियों को मुझ आत्मा में प्रवाहित कर मुझे आप समान बना रहे हैं। *इन शक्तिशाली किरणों की तपन से विकारों की कट जल कर भस्म हो रही है और मेरा स्वरूप अति उज्ज्वल बनता जा रहा हैं*। सातों गुणों और सर्वशक्तियों से भरपूर, अति उज्ज्वल, स्वरूप ले कर अब मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ। साकारी तन में विराजमान हो कर भी अब  मुझ आत्मा के गुण और शक्तियां सदा इमर्ज रूप में रहते हैं।

 

_ ➳  "एक बाप के ही फरमान पर चलना और बाप से ही सुनना" इसे अपने जीवन का मंत्र बना कर अपने शिव पिता परमात्मा के स्नेह में मैं सदा समाई रहती हूँ। सिवाय शिव बाबा की मधुर वाणी के अब और किसी के बोल मेरे कानों को अच्छे नही लगते। *सिवाय श्रीमत के अब किसी की मत पर चलना मुझे ग्वारा नही*। सर्व सम्बन्ध एक बाप के साथ जोड़, अब मैं देह और देह की दुनिया से किनारा कर चुकी हूँ। चलते - फिरते, उठते - बैठते हर कर्म करते बाबा की छत्रछाया के नीचे मैं स्वयं को अनुभव करती हूँ। *कदम - कदम पर बाबा की श्रीमत ढाल बन कर मेरे साथ रहती है और मुझे माया के हर वार से सदा सेफ रखती है*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺    *"ड्रिल :-  मैं आत्मा अपने ज्ञान युक्त भावना और स्नेह संपन्न योग द्वारा उड़ती कला का अनुभव करती हूं।"*

 

_ ➳  बाबा की पालना द्वारा निखारी हुई *मैं ज्ञान स्वरूप योगी तू आत्मा हूँ*अनेक ईश्वरीय प्राप्तियों की मैं आत्मा मालिक हूं… *मैं आत्मा सदा सर्व शक्तियों की अनुभूति करते हुए विजयी बनती हूं*बाबा ने आज कहा कि जो आत्माएं सिर्फ स्नेही या भावना स्वरूप हैं उनके मुंह में सदा बाबा बाबा हैइसलिए उन्हें समय प्रति समय सहयोग प्राप्त होता हैलेकिन *मैं आत्मा समान बनने वाली योगी तू आत्मा हूँ*मैं आत्मा जितना भावना स्वरूप हूं उतनी ही ज्ञान स्वरूप हूं… *ज्ञानयुक्त भावना और स्नेह युक्त भावना का बैलेंस मुझ आत्मा को उड़ती कला का अनुभव करा रहा हैयह अनुभव मुझ आत्मा को बाप समान बना रहा है*

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  सरलता और सहनशीलता का गुण धारण करके सदा स्नेही वा सहयोगी बनते हुए अनुभव करना"*

 

_ ➳  *मैं सरल स्वभाव वाली... सर्व की सहयोगी व स्नेही आत्मा हूँ...* मुझ भाग्यवान आत्मा की... *सरलता व सहनशीलता पर ही मेरे साहब राज़ी हैं...* श्रीमत अनुसार चलती हुई... सब कुछ प्रभु को अर्पण कर रही हूँ... मैं आत्मा ट्रस्टी बन... *साक्षी होकर... ड्रामा में पार्ट बजा रही हूँ... सहनशीलता का गुण धारण करना बहुत ही सहज हो गया है...* मुझे स्मरण है... आज का सहनशील ही... कल का शहंशाह होगा... स्नेहसागर में समाई हुई मैं आत्मा... अतींद्रिय सुखों में डूबती जा रही हूँ... *चलना... बोलना... सोचना... हर कर्म द्वारा... रुहानी सेवा करती हुई...* मुझ आत्मा की रूहानी पर्सनैलिटी निखरती जा रही है... *सहनशीलता व संतुष्टता की धारणा से... हर्षितमुखता से... खुशियां लुटाती हुई मैं आत्मा...* सर्व को सहयोग दे रही हूँ... सर्व की पालना बहुत ही स्नेह से कर रही हूँ...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  १. *आज बापदादा एक बात की स्मृति दिला रहे हैं - कभी भी कोई भी शारीरिक बीमारी होमन का तूफान होतन में हलचल होप्रवृत्ति में हलचल होसेवा में भी हलचल होती है तो किसी भी प्रकार के हलचल में दिलशिकस्त कभी नहीं होना।* बड़ी दिल वाले बनो। बाप की दिल कितनी हैछोटी है क्या! बाप बड़ी दिल वाले हैं और बच्चे छोटी दिल कर देते हैंबीमार हो गये तो रोना शुरु कर देंगे। दर्द हो गयादर्द हो गया। तो दिलशिकस्त होना दवाई हैबीमारी चली जायेगी कि बढ़ेगीजब हिसाब-किताब आ गयादर्द आ गया तो हिसाब-किताब आ गया ना, *लेकिन दिलशिकस्त से बीमारी को बढ़ा देते हो। इसलिए हिम्मत वाले बनो तो बाप भी मददगार बनेंगे।*

 

 _ ➳  ऐसे नहींरो रहे हैं- हाय क्या करुँक्या करुँ और फिर सोचो कि बाबा की तो मदद है ही नहीं। *मदद उसको मिलती है जो हिम्मत रखते हैं। पहले बच्चे की हिम्मत फिर बाप की मदद है।* तो हिम्मत तो हार ली और सोचने लगते हो कि बाप की मदद तो मिली नहींबाबा भी टाइम पर तो करता ही नहीं है! तो आधे अक्षर याद नहीं करो, बाबा मददगार है लेकिन किसकातो आधा भूल जाते हो और आधा याद करते हो कि बाबा भी पता नहीं महारथियों को ही करता है, हमको तो करता ही नहीं हैहमको तो देता ही नहीं है। पहले आप, महारथी पीछे। लेकिन दिलशिकस्त नहीं बनो और *मन में अगर कोई उलझन आ भी जाती है तो ऐसे समय पर निर्णय शक्ति चाहिये और निर्णय शक्ति तब आ सकती है जब आपका मन बाप के तरफ होगा।* अगर अपने उलझन में होंगे तो हाँ-नाहाँ-नाइसी उलझन में रह जायेंगे। इसलिए मन से भी दिलशिकस्त नहीं बनो।

 

 _ ➳  और धन भी नीचे-ऊपर होता हैजब करोड़पतियों का ही नीचे-ऊपर होता है तो आप लोग उसके आगे क्या हो। वो तो होना ही है। *लेकिन आप लोगों को निश्चय पक्का है कि जो बाप के साथी हैं, सच्चे हैं तो कैसी भी हालत में बापदादा दाल-रोटी जरूर खिलायेगा।* दो-दो सब्जी नहीं खिलायेगा, दाल-रोटी खिलायेगा। लेकिन ऐसे नहीं करना कि काम से थक करके बैठ जाओ और कहो बाबा दाल-रोटी खिलायेगा। ऐसे अलबेले या आलस्य वाले को नहीं मिलेगा। बाकी सच्ची दिल पर साहेब राजी है।

 

 _ ➳  और परिवार में भी खिटखिट तो होना है। जब आप लोग कहते हो कि अति के बाद अन्त होना हैकहते हो! अति में जा रहा है और जाना है तो परिवार में खिटखिट न होये नहीं होना हैहोना है! *लेकिन आप ट्रस्टी बनसाक्षी बन परिस्थिति को बाप से शक्ति ले हल करो।* गृहस्थी बनकर सोचेंगे तो और गड़बड़ होगी। पहले बिल्कुल न्यारे ट्रस्टी बन जाओ। मेरा नहीं। ये मेरापन-मेरा नाम खराब होगा, मेरी ग्लानि होगीमेरा बच्चा और मुझे....मेरी सास मेरे को ऐसे करती है.... ये मेरापन आता है ना तो सब बातें आती हैं। मेरा जहाँ भी आया वहाँ बुद्धि का फेरा हो जाता हैबदल जाते हैं। अगर बुद्धि कहाँ भी उलझन में बदलती है तो समझ लो ये मेरापन हैउसको चेक करो और जितना सुलझाने की कोशिश करेंगे उतना उलझेगा। *इसलिए सभी बातों में क्या नहीं बनना है? दिलशिकस्त नहीं बनना है। क्या नहीं बनेंगे? (दिलशिकस्त) सिर्फ कहना नहींकरना है।*

 

 _ ➳  २. *अभी समर्थ बनो और सन शोज फादर का पाठ पक्का करो।* कच्चा नहीं करोपक्का करो। सभी हिम्मत वाले हो ना? हिम्मत है? अच्छा। 

 

✺   *ड्रिल :-  "दिलशिकस्त न बन, हिम्मते बच्चे, मददे बाप का अनुभव"*

 

 _ ➳  *ईश्वरीय सन्तान होने के अपने महान भाग्य पर इठलाती हुई मैं आत्मा ईश्वरीय नशे में झूमती हुई... अपने सच्चे साथी मीठे बाबा को दिल के घरोंदे में बुलाती हूँ...* मेरी यादों के दीवाने बाबा दिल के घरोंदे में सदा बसने को आतुर है... मीठे बाबा कभी मेरे उमंग उत्साह की तूफानी लहरों और अगले ही पल की दिलशिकस्त स्थिति से भली भांति वाकिफ है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने मीठे बाबा के सम्मुख खुली किताब की तरहा हो गयी हूँ... मुझे भली भांति पढ़ते हुए मुझे हर मुश्किल से उबारते हुए मीठे बाबा मुझे समाधानित करते हुए कहते है... *यह परिस्थितियां शक्तियों को जगाने का खुबसूरत साधन है... इनमें कभी दिलशिकस्त होकर निराश नही होना...* अपनी हिम्मत के एक कदम को उठाकर मीठे बाबा को हजार कदमों से दौड़ाते रहना...

 

 _ ➳  मैं आत्मा मीठे बाबा की ज्ञान रत्नों में रमणीकता को देख मुस्कराती हूँ तो मीठे बाबा मुझमे अनन्त शक्तियों का संचार कर समझाते हैं... *मन को सदा ईश्वरीय यादों में मगन रख निर्णय शक्ति को बढ़ाओ...* धन की किसी भी हलचल में अचल और अछूते रहो... *भगवान साथी बन जब साथ है तो अपने बच्चों को दाल रोटी अवश्य खिलायेगा... उसके कन्धों पर बैठ सदा निश्चिन्त हो, मौजों का आनन्द लो...*

 

 _ ➳  मीठे बाबा मेरे परिवार की गांठो को सुलझाते हुए कहने लगे... मीठे बच्चे जब अति के बाद ही अंत तय है तो अति को सदा साक्षी भाव से देख पिता से शक्ति लेकर शक्तिशाली बन मुस्कुराओ... *देह भान ने जो मेरेपन के धागों में उलझाया है ट्रस्टी बन उन डोरियों को काटते चलो... मेरेपन में फंसकर बुद्धि का फेरा नही करो बल्कि मीठे बाबा के यादो में दिल को फिराते रहो...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने सच्चे साथी से प्यार की दौलत और असीम ताकत पाकर स्वयं को समर्थ और शक्तियों से सजा हुआ पा रही हूँ... *मीठे बाबा ने मुझे हिम्मत के पंख देकर दिलशिकस्त की जमीं से ऊपर उड़ा कर सफलता के आसमाँ में उड़ना सिखा दिया है...* कुछ पल पहले जो व्यर्थ चिंतन में मैं आत्मा उलझ गयी थी दिल थाम कर बैठ गयी थी... प्यारे बाबा से ज्ञान संजीवनी को पाकर पुनः अपनी शक्तियों को थामे स्वमान की सीट पर विराजित मन्द मन्द मुस्करा रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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