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❍ 22 / 03 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *पूज्य बनने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *होशियारी से समझदार बन कल्याण की भावना रख सेवा की ?*
➢➢ *दैवीगुणों वाला सच्चा वैष्णव बनने का पुरुषार्थ किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *सर्व शक्तियों द्वारा हर काम्प्लेन को समाप्त कर कम्पलीट बनने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *शांति और धैर्यता की शक्ति से विघनो को समाप्त किया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *सरल चित, सरल वाणी, सरल वृत्ति और सरल दृष्टि रख होलीहंस बनकर रहे ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - बाबा आये है तुम्हे सच्चा सच्चा वैष्णव बनाने, तुम अभी ट्रान्सफर हो काले से गोरे बनते है"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... देह की मिटटी में धँसकर मटमैले हो चले थे... मीठे बाबा ने आकर उस दलदल से निकाल सच्चा वैष्णव बनाया है... *दिव्य गुणो से श्रंगार कर सतयुगी सुखो का अधिकारी बना रहे है.*.. ऐसे मीठे बाबा की यादो में रोम रोम से डूब जाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा देह की दुनिया में कितनी मटमैली काली निस्तेज हो चली थी... आपने प्यारे बाबा *मुझे विकारी जीवन से बाहर निकाल पवित्रता से श्रंगारित किया है.*.. आपकी यादो में मै आत्मा खुबसूरत होती जा रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... मीठे घर से जो चले थे कितने चमकते सितारे थे... देहभान और विकारो की कालिख में काले तेजहीन हो चले... अब *प्यारा बाबा वही दमकता सौंदर्य हथेली पर ले फिर से सजाने आया है.*.. तो ईश्वरीय यादो में डूबकर सच्चे वैष्णव बन सदा के गोरे बन चलो... मीठे बाबा की यादो में सच्ची सुंदरता से सज जाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय यादो में अपनी खोयी सुंदरता को पुनः पाती जा रही हूँ... *दिव्यता और पवित्रता की चुनर पहन देवताई सुखो की अधिकारी बन रही हूँ.*.. मीठे बाबा आपने मुझे उजला प्रकाशवान बना कर ओज और तेज से भर दिया है...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... मीठे बाबा की सच्ची यादो में खोकर सच्चे वैष्णव बन खिल जाओ... *विकारो के कालेपन से मुक्त होकर सुनहरी देवताई गरिमा को पाओ.*.. गुणो और शक्तियो से सम्पन्न होकर तेजस्वी बन चलो... ईश्वरीय बाँहों में सच्ची सुंदरता को पाकर खुशियो में झूम जाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा कितनी भाग्यशाली हूँ कि *स्वयं भगवान के हाथो सज संवर कर देवताओ सी सुंदरता* को पाती जा रही हूँ... मीठे बाबा आपने मुझे कलाओं से सजाकर 21 जनमो का अमिट गोरापन दे दिया है... मै सच्ची सच्ची वैष्णव बनकर मुस्करा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा शक्तिशाली हूँ ।"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पद्मापदम भाग्यशाली हूँ...* मैं आत्मा सुप्रीम सौदागर से सौदा करने आई हूँ... सुप्रीम सौदागर बाबा मुझ आत्मा को एक सुन्दर से रूहानी बगीचे में ले जाते हैं... मैं आत्मा सुप्रीम सौदागर के सामने बैठी हूँ... सुप्रीम सौदागर बाबा ने मुझ आत्मा को लॉन्ग टर्म की स्कीम ऑफर की है...
➳ _ ➳ प्यारे बाबा मुझ आत्मा को ज्ञान-योग की शिक्षा देते जा रहे हैं... मैं आत्मा बाबा को सारी अज्ञानता देते जा रही हूँ... *सुप्रीम सौदागर बाबा मुझ आत्मा को गुण, शक्तियों के खजाने* देते जा रहे हैं... मैं आत्मा सुप्रीम सौदागर को अपना काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार के कांटे देते जा रही हूँ...
➳ _ ➳ प्यारे बाबा मुझ आत्मा पर *दिव्य वरदानों के रूहानी फूल बरसाते जा रहे* हैं... स्वमानों की माला पहनाते जा रहे हैं... मैं आत्मा अपने सभी कमी-कमजोरियों को देते जा रही हूँ... मैं आत्मा शक्तिशाली बनती जा रही हूँ... मैं आत्मा देही-अभिमानी बनती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा *रूहानी शक्तियों के स्टॉक से भरपूर होती जा रही* हूँ... मैं आत्मा समय प्रमाण शक्तियों को यूज करती जा रही हूँ... हर परिस्तिथि के कारण को जान निवारण में परिवर्तित करती जा रही हूँ... मायाजीत बनती जा रही हूँ... मैं आत्मा सौदागर बाबा से मुनाफे का सौदा कर रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड बनती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा रूहानी कमाई को रूहानी बैंक में जमा करती जा रही हूँ... मैं आत्मा प्यारे बाबा से 21 जन्मों की वर्सा प्राप्त करने की अधिकारी बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा सर्व शक्तियों द्वारा हर *कम्प्लेन को समाप्त कर कम्पलीट बनने वाली शक्तिशाली अवस्था* का अनुभव कर रही हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- शांति और धैर्यता की शक्ति से विघ्न विनाशक बन विघ्नों को समाप्त करने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा शांत स्वरूप हूँ... शांति मेरे गले का हार हैं... *शांति की शक्ति एक महान शक्ति हैं... जिसमें सभी गुण और अन्य सभी शक्तियां समाई हैं...* मैं आत्मा शांति धाम की निवासी... शांति के सागर की सन्तान हूँ... शांति मेरा स्वभाव हैं...
➳ _ ➳ शांति में धैर्यता की शक्ति समाई हुई हैं... मैं धैर्यवान आत्मा हूँ... *धैर्यता के गुण से हर विघ्न मुझ आत्मा से परास्त होता हैं...* शांति और धैर्यता की शक्ति से मैं आत्मा विघ्न विनाशक बन गई हूँ... मैं विघ्न प्रूफ आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ शांति और धैर्यता की शक्ति से ही मैं आत्मा माया पर विजय प्राप्त कर... विजय रत्न आत्मा बन गई हूँ... *मेरी शांति की शक्ति चारों और फैलकर... अन्य आत्माओं के भी विघ्न नष्ट कर रही हैं...* मेरे शांति के वायब्रेशन से मेरा घर, सेंटर शांति का कुण्ड बन गया हैं... मैं शांति देवा बन हर आत्मा को शांति का दान करती हूँ...
➳ _ ➳ धैर्यता की शक्ति से मेरे हर कर्म में प्रवीणता आ गई हैं... मेरा हर कर्म एक्यूरेट होता हैं... हर कर्म सोच- समझ कर, धैर्यपूर्ण और शांति से करने से... माया को कभी चांस ही नहीं मिलता हैं... *कोई भी विघ्न मुझे टच नहीं कर सकता... मैं निर्विघ्न आत्मा हूँ...*
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *सर्व शक्तियों द्वारा हर कम्प्लेन को समाप्त कर कम्प्लीट बनने वाले शक्तिशाली आत्मा होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ सर्व शक्तियाँ अर्थात हम आत्माओं की अष्ट शक्तियाँ जो हम आत्माओं को बाबा के पास जन्मते ही मिल जाती है ( सामना करने की शक्ति, निर्णय शक्ति, सहनशक्ति, समाने की शक्ति, विस्तार को सार करने की शक्ति, समेटने की शक्ति, सहयोग शक्ति, परखने की शक्ति ) इन *शक्तियों में कम्प्लीट बनना ही मास्टर सर्वशक्तिमान कहलाता है।* अगर एक भी शक्ति की कमी होगी तो वह कोई ना कोई बात की कम्प्लेन करता ही रहेगा इसलिए सर्वशक्तियों का सबसे पहले जानना वह समझना ज़रूरी हैं ताकि उसको प्रैक्टिकल में इमपलिमेंट कर सके।
❉ बाबा ने हम बच्चों को सबसे पॉवरफ़ुल स्वमान भी यही दिया है "मैं मास्टर सर्वशक्तिमान शिव शक्ति हुँ" क्योंकि इसी में इतनी ताक़त है जो आत्मा को शक्तिशाली बना देती है, *सर्वशक्तियों को यूज़ में लाने से आत्मा शक्तिशाली बन जाती है* और बाबा ने ये भी कहा है की माया भी सर्वशक्तिमान है इसलिए अगर शक्ति नही है तो ज़रूर माया की ऐसी कमज़ोरी है जिससे आत्मा स्वयं को कष्ट दे रही है।
❉ अंदर में *अगर कोई भी कमी है तो उसके कारण को समझकर निवारण करो* क्योंकि माया का नियम है कि जो कमज़ोरी आपमें होगी, उसी कमज़ोरी के द्वारा वह आपको मायाजीत बनने नहीं देगी। *माया उसी कमज़ोरी का लाभ लेगी और अंत समय में भी वही कमज़ोरी धोखा देगी* इसलिए सर्व शक्तियों का स्टॉक जमा कर, शक्तिशाली बनो और योग के प्रयोग द्वारा हर कम्प्लेन को समाप्त कर कम्प्लीट बन जाओ। (मनजीत सो जगतजीत)
❉ शक्तियों का स्टॉक जमा करने के लिए... आत्मा को मनन चिंतन करना चाहिए, ट्रैफ़िक कंट्रोल के समय हर शक्ति यथार्थ रीति चल रही है या नही उसपर अटेन्शन रखना चाहिए, कई बार समझ तो होती है लेकिन योग की कमी होने की वजह से शक्ति यूज़ में नही आ पाती उस समय *स्नेह और धीरज का गुण अपनाना चाहिए* और यह स्लोगन याद रखना चाहिए "अब नहीं तो कब नहीं"।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *शांति और धैर्यता की शक्ति से विघ्नों को समाप्त करने वाले ही विघ्न विनाशक हैं... क्यों और कैसे* ?
❉ जो सदा एक परमपिता परमात्मा की लग्न में मग्न रहते हैं वे सदा स्वयं को परमात्म शक्तियों से सम्पन्न अनुभव करते हैं । *वे परीक्षाओं रूपी सागर में भी सदा स्थिर रहते हैं क्योंकि परमात्म बल उनमे शांति और धैर्यता की शक्ति भर देता है* । इसलिए अपना बुद्धि रूपी हाथ परमात्मा को सौंप कर वे शांति और धैर्यता की शक्ति से हर विघ्न को सहजता से पार करने वाले ऐसे विघ्न विनाशक बन जाते हैं कि कोई भी विघ्न उनके सामने ठहर ही नही पाता ।
❉ अनासक्त वृति शांति और धैर्यता लाती है । इसलिये बाप समान अनासक्त वृति को धारण कर जितना नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप बनेंगे । उतना हर बात से उपराम रहेंगे इसलिए अंश मात्र भी कोई भी चिंता चित को प्रभावित नही कर सकेगी । *जब चित शांत रहेगा तो धैर्यता की शक्ति स्वत: आती जायेगी* और यह शांति और धैर्यता की शक्ति ऐसा विघ्न विनाशक बना देगी कि माया का कोई भी वार विघ्न बन सामने नही आ सकेगा ।
❉ हर संकल्प, हर बात में जितना न्यारे होने के अभ्यासी बनेंगे उतना बाबा को शिक्षाओं को धारण करना सहज होगा । बाबा की शिक्षाएं जब हमारे संस्कार में आकर स्वरुप बन जाएंगी । तो *कदम - कदम पर परमात्मा बाप के साथ का अनुभव और साथ के अनुभव की शक्ति हमारे अंदर भरती जाएगी* । जो कार्य व्यवहार में एवरेडी और हल्का बना देगी । यह हल्कापन ही मन को शांत बना कर धैर्यता की शक्ति से भरपूर कर हर विघ्न पर जीत पाने वाली विघ्न विनाशक आत्मा बना देगा ।
❉ जितना मन को देह और देह की दुनिया में उलझाते हैं उतना अशांत और अधीर्य बनते जाते हैं । किन्तु *जब दुनिया के विनाशी सहारे छोड़ एक अविनाशी परमात्मा बाप को सहारा बना लेते हैं* और सर्व संबंधों का सुख परमात्मा बाप से लेने लगते हैं । तो मन बुद्धि सांसारिक आकर्षणों से हट जाती है और बुद्धि की तार एक परमात्मा के साथ जुड़ने लगती है । जिससे मन में शांति और धैर्यता की शक्ति बढ़ने लगती है जो विघ्नविनाशक बना कर हर विघ्न से बचा लेती है ।
❉ जैसे बिजली की शक्ति ऐसा करेन्ट लगाती है जो मनुष्य नजदीक से दूर जाकर गिरता है । इसी प्रकार *शांति और धैर्यता की शक्ति भी ऐसी शक्ति है जो हर विघ्न को दूर कर देती है* किन्तु यह शांति और धैर्यता की शक्ति मिलती है शांति के सागर परम पिता परमात्मा बाप से । इसलिए जितना बुद्धि का कनेक्शन निरन्तर परमात्मा बाप से जुड़ा हुआ होगा उतना शांति और धैर्यता की शक्ति बढ़ती जायेगी जिससे विघ्नविनाशक बन हर विघ्न से सहज ही बच सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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