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❍ 21 / 02 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *ऐसा कोई कर्म तो नहीं किया जो बाप का नाम बदनाम हो ?*
➢➢ *बाप में कभी संशय तो नहीं लाया ?*
➢➢ *रात दिन पढाई पर ध्यान देकर कमाई जमा की ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *संगमयुग की हर घड़ी को उत्सव के रूप में मनाया ?*
➢➢ *स्वयं को सर्व शक्तियों के खजाने से संपन्न अनुभव किया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *मधुबन की स्मृति से मायाजीत स्थिति का अनुभव किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - समझदार बन अपना पोतामेल देखो,कोई कर्मेंन्द्री धोखा तो नही देती है! सारे दिन में कोई भूल हो तो अपने आपको सजा दो"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता के मीठे साये में, संगम के इन प्यारे से पलो में, स्वयं को निखारते चलो... देह के मटमैले आकर्षण से अब बाहर निकल, स्वयं की उन्नति की ओर रुख ले चलो... *कौन हो, किसके हो, और कहाँ से उतरे हो,* इस सत्य को सांसो में बसाओ और सत्य स्वरूप में स्थित हो जाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में त्रिनेत्री बनकर खुदको सम्पूर्ण पवित्र बनाती जा रही हूँ... हर कर्म को समझ से कर,स्वयं को कर्मातीत बनाने के महालक्ष्य की ओर बढ़ती जा रही हूँ... *न्यारी और प्यारी हो मुस्करा रही हूँ..*.
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... अपनी कर्म की गहरी जाँच करो और हर धोखे को दूर से ही पहचान कर... *कर्मो को श्रेष्ठता की ओर ले चलो.*.. मीठे बाबा की यादो में स्वराज्य अधिकारी बनकर स्वयं पर राज्य करो और मीठा बन देवताओ सा मुस्कराओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा हर पल पवित्रता से स्वयं को भरती जा रही हूँ... विकार रहित होकर और हर कर्मेंन्द्री की मालिक बनकर हर कर्म को करती जा रही हूँ... *दिव्यता और पवित्रता से सजकर मै आत्मा* देवरूप को पाती जा रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... वरदानी समय में जबकि ईश्वर पिता सम्मुख बेठ अपनी सारी दौलत लुटा रहा... ईश्वर पिता से सारे खजाने लेकर स्वयं को मालामाल करो... *अपनी गहरी जाँच करो.*.. और गलती पर स्वयं को सजा भी दो... क्योकि यही वह कीमती समय है कि दिव्यता से भरना और छलकाना है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा कितनी भाग्यशाली हूँ कि प्यारे बाबा से *दिव्य गुणो को स्वयं में भरकर, देवतुल्य होती जा रही हूँ..*. स्वराज्य अधिकारी बनाकर बाबा ने, मुझ आत्मा को मेरा खोया हुआ साम्राज्य पुनः दिलवाया है और शान से जीना सिखाया है...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा उमंग-उत्साह सम्पन्न हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा कितनी ही खुशनसीब आत्मा हूँ... स्वयं परमात्मा ने कलियुगी दुख की दुनिया से निकालकर... मुझ आत्मा को *मौजों से भरे संगम युग* में ला दिया... संगम युग श्रेष्ठ भाग्य बनाने का, सर्व खुशियाँ मनाने का युग है... परमात्मा के साथ अतिंद्रिय सुख अनुभव करने का युग है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा एकांत में बैठती हूँ... मन को बाहरी बातों से डिटैच करती हुई स्वयं में ध्यान एकाग्र करती हूँ... मैं आत्मा चेक करती हूँ... कि मुझ आत्मा के ब्राह्मण जीवन की *उमंग-उत्साह की गति नार्मल* अर्थात एकरस है अथवा नहीं... मुझ आत्मा को कभी बहुत उमंग-उत्साह रहता है... कभी कम हो जाता है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा जब बाबा की याद को किनारा करती हूँ... या प्राप्तियों की विस्मृति हो जाती है तो मुझ आत्मा का उमंग-उत्साह कम हो जाता है... अब मैं आत्मा एक बाबा की याद में बैठती हूँ... बाबा मुझ आत्मा को सर्व गुण, शक्तियों के खजानों से भरपूर कर रहे हैं... बाबा मुझ आत्मा को *ज्ञान-अमृत रुपी खुशी का खुराक* पिला रहे हैं...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा बेफिकर बादशाह बनती जा रही हूँ... अपने श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में रह हर कर्म खुशी से कर रही हूँ... अब मैं आत्मा *हर घड़ी, हर श्वांस में उत्सव* मना रही हूँ... अब मैं आत्मा बाबा के साथ खाती हूँ... एक बाबा के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती हूँ... मैं आत्मा बाबा के साथ रूह-रिहान करती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा करावनहार बाबा के साथ से निमित्त समझ हर कर्म करती हूँ... एक बाबा की गोदी में ही सोती हूँ... अब मैं आत्मा हर कर्म करते हुए मौज मना रही हूँ... किसी भी बात में मूंझती नहीं हूँ... अब मैं आत्मा संगमयुग की हर घड़ी को उत्सव के रूप में मनाने वाली *सदा उमंग-उत्साह सम्पन्न अवस्था* का अनुभव कर रही हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- ब्राह्मण स्वरूप की विशेषता है सर्वशक्तियों के खज़ाने से सम्पन्न रहना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा सर्वशक्तिवान... परमपिता परमात्मा की सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान... शिवशक्ति हूँ... सर्व शक्तियों के स्रोत मेरे बाबा मुझ पर शक्तियों की किरणों का फाउंटेन निरंतर प्रवाहित हो रहा है... *मैं संगमयुगी ब्राह्मण आत्मा चारों तरफ शक्तिशाली प्रकम्पन फैलाने लगी हूँ...*
➳ _ ➳ मेरे परमपिता की सर्वशक्तियों... सर्वगुणों पर मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है... मेरे मीठे बाबा... आपने मुझ आत्मा को कितनी अच्छी तरह से समझाया है कि *जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता है... उस शक्ति को विधिपूर्वक कार्य में लगाना है...* मन... बुद्धि... संस्कार सभी शक्तियों से ओत प्रोत हैं... मैं आत्मा अब सभी कमज़ोरियों और भय से मुक्त हूँ...
➳ _ ➳ बाबा... *सेकण्ड में हार जीत के खेल के लिये... समेटने की शक्ति* भरकर सब संकल्पों को समेटकर आपको याद करती जा रही हूँ... साइलेन्स की शक्ति को यूज़ करके विस्तार को सार में समा रही हूँ... मैं आत्मा अपने बाबा से आध्यात्मिक और अलौकिक शक्तियाँ लेकर अपने में समाती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ अब समय चक्र अनुसार मुझ आत्मा को सब समेट कर अपने मूलवतन जाना है... घर जाना है... *सब कुछ समेट कर एवररेडी रहने के लिये...* मेरे प्यारे बाबा ने मुझे सर्वशक्तियों का वरदान दे दिया है... अब मैं आत्मा दिव्य शक्तियों की खान हूँ... शक्तिसम्पन्न फरिश्ता बन सारे संसार को शक्तिशाली प्रकम्पन्न दे रहा हूँ...
➳ _ ➳ मैं शक्तिशाली आत्मा अब फरिश्ता स्वरूप में सृष्टिरूपी गोले पर खड़ी हूँ... *संसार की सर्व आत्माओं को सर्वशक्तियों का दान दे रही हूँ...* उन्हें दुःखों से मुक्त कर रही हूँ... जिस शक्ति का आह्वान करती हूँ... वो सेवा में हाज़िर हो जाती है... सभी आत्माओं को समस्या से लड़ने की शक्ति दे रही हूँ... भय से मुक्त कर रही हूँ... उन्हें खुश देख... उनकी दुआयें प्राप्त कर मैं भी सम्पन्न हो रही हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *संगमयुग की हर घड़ी को उत्सव के रूप में मनाने वाले सदा उमंग उत्साह सम्पन्न होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ संगमयुग अर्थात जब *आत्मा और परमात्मा का मिलन* का समय हो , यूँ तो हर युग के बाद संगम आता लेकिन इस संगमयुग की विशेषता यही है जब कलयुग यानि दुःख की अति होती तभी परमात्मा आते और सतयुग नयी दुनिया में ले जाते यही सबसे पहले उत्सव के रूप में मनाने वाली बात है , जब परमात्मा स्वयं अपने आत्मा बच्चों से पूरे कल्प बाद मिलने आते है अर्थात पूरे 5000वर्ष बाद आते है और उनके लिए भविष्य सतयुगी दुनिया गिफ़्ट में लाते है ।
❉ हम जो भी उत्सव मनाते है उसके पीछे दो बाते होती है एक तो हर उत्सव मनाने के पीछे कोई *कारण* होता है और दूसरा उस उत्सव के कुछ *महत्व* जुड़े हुए होते है इसी तरह संगमयुग भी एक उत्सव की तरह है क्योंकि इससे मनानें का कारण हम इसी समय सृष्टि परिवर्तन का समय होता है और इसका महत्व ये मान सकते है इसी समय आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है।
❉ आत्मा उमंग उत्साह में कब आती है जब वो अपने रियल नेचर के अकोर्डिंग कर्म करती है शांति का या सुख की अनुभूति करती है तब वो उमंग उत्साह से भर जाती है और उत्सव के समय होता भी यही है सभी एक दूसरे को बधाई देते है एक दूसरे से आपस में प्यार से बातें करते है मिलते है माना क्या यही सब तो आत्मा के असली नेचर है इसलिए उत्सवों में हम सभी ख़ुश रहते है उमंग भरा रहता है तो इसी प्रकार अगर हम संगमयुग की हर घड़ी को उत्सव समझे *एक दूसरे को परमात्म मिलन की बधाई दे* एक दूसरे की हेल्प करे सेवा में पुरुषार्थ में तो आत्मा स्वतः ही चढ़ती कला में सम्पन्नता के नजदीक पहुचती जायेगी ।
❉ जैसे ब्रह्माबाबा अंत तक इसी *नशे में रहे की मैं वो सतयुग का फ़र्स्ट प्रिन्स बनने वाला हूँ (हम सो,सो हम)* का पार्ट इतना पक्का था की कभी कभी अकेले में ख़ुद ही मुस्कुराते , वतन में रास करते और संगमयुग में सदा मिलन मनाने की वेला बनाके हर घड़ी को उत्सव के रूप में मनाया और स्वयं व सर्व को सदा उमंग उत्साह में रखा चाहे वह ज्ञान योग धारणा सेवा कोई भी सबजेक्ट हो ।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *सर्व शक्तियों के खजाने से सम्पन्न रहना - यही ब्राह्मण स्वरूप की विशेषता है... क्यों और कैसे* ?
❉ ब्राह्मण स्वरूप का अर्थ ही है स्वयं को सदा सर्व शक्तियों के खजाने से सम्पन्न रखना । और *सर्वशक्तियों के खजाने से सम्पन्न वही रह सकते हैं जो सर्वशक्तियों को अपने आर्डर में रखते हैं* । तथा चलते-फिरते याद की शक्ति और सेवा की शक्ति देने में स्वयं को बिजी रखते हैं । मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट रह कर जो सर्वशक्तिवान बाप से सर्वशक्तियाँ ले कर निर्बल आत्माओं को सर्वशक्तियों द्वारा शक्ति प्रदान करते रहते हैं । वही सच्चे ब्राह्मण कहलाते है ।
❉ सर्व शक्तियों को जब चाहे समय और परिस्थिति अनुसार कार्य में लाना ही ब्राह्मण जीवन की विशेषता है । इस विशेषता को धारण करने के लिए जरूरी है सर्वशक्तियों के खजाने से स्वयं को सदा सम्पन्न रखना । जैसे *शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है* । उसी प्रकार आत्मा को शक्तिशाली बनाने का भोजन है मुरली । जो भी शक्तियां चाहिए उन सबसे संपन्न रोज का भोजन मुरली है । जो रोज इस शक्तिशाली भोजन को ग्रहण करते हैं । वही सर्वशक्तियों के खजाने से सम्पन्न रह सकते हैं ।
❉ लौकिक में कोई भी शुभ कार्य तभी सफल माना जाता है जब वह विधि पूर्वक ब्राह्मण के हाथों से सम्पन्न होता है । *इसलिये सफलता मूर्त बनना और बनाना यही ब्राह्मण जीवन की विशेषता है* और सफलतामूर्त बनने का मुख्य आधार है सर्वशक्ति स्वरूप बनना । जो सर्व शक्तियों के खजाने से सदा सम्पन्न रहते हैं वही सर्वशक्ति स्वरूप बन सकते हैं और सर्वशक्ति स्वरूप बन कर वे जैसा समय और जैसी परिस्थिति होती है उसी के अनुकूल शक्ति का उचित प्रयोग कर हर कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लेते है ।
❉ मास्टर सर्वशक्तिमान बन सर्वशक्तियों को अपने आर्डर में रख समय पर सर्वशक्तियों को यूज़ करना ही ब्राह्मण स्वरूप की विशेषता है और *इस विशेषता से सम्पन्न वही हो सकते हैं जो चिंतन और वर्णन के साथ साथ उसका स्वरूप बनते हैं* । क्योंकि स्वरूप बनना अर्थात समर्थ बनना और जो सदा स्मृति स्वरुप रहते हैं वही समर्थी स्वरूप बन हर कार्य में सिद्धि प्राप्त कर लेते हैं । समर्थी स्वरूप आत्मा की मुख्य निशानी ही यही है कि वह सर्वशक्तियों को सदा आपने आर्डर में रखती हैं इसलिए उनका हर कर्म स्वत: ही शक्तिशाली होता है ।
❉ देह और देह के सम्बन्धो में आसक्ति आत्मा को शक्तिहीन बनाती है । क्योंकि यह आसक्ति माया की प्रवेशता का कारण बनती है । और माया की बार-बार प्रवेशता आत्मा को शक्तिशाली बनने नहीं देती । इसलिए *जो जितना देह और देह की दुनिया से अनासक्त होकर रहते हैं* । वे सर्व संबंधों का सुख केवल एक सर्वशक्तिमान बाप से लेते हुए स्वयं को सर्वशक्तियों के खजाने से सम्पन्न बना लेते हैं और इस खजाने को स्वयं प्रति तथा सर्व आत्माओं के प्रति यूज़ करते हुए सर्व का कल्याण करते रहते हैं । यही ब्राह्मण स्वरूप की विशेषता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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