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 11 / 11 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)

 

➢➢ *आप समान बनाने की सेवा की ?*

 

➢➢ *"कोई ऐसी करतूत तो नहीं की" - जिसकी सजा खानी पड़े ?*

 

➢➢ *"बाप हमें चल और अचल प्रॉपर्टी का मालिक बनाते हैं" - इसी ख़ुशी में रहे ?*

 

➢➢ *सर्व कर्मेन्द्रियों को लॉ और आर्डर प्रमाण चलाया ?*

 

➢➢ *समय पर सर्व शक्तियों को कार्य में लगाया ?*

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         ❂ *तपस्वी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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〰✧  *अभ्यास करो कि इस स्थूल देह में प्रवेश कर कर्मेन्द्रियों से कार्य कर रहे हैं।* जब चाहे प्रवेश करो और जब चाहे न्यारे हो जाओ। *एक सेकेण्ड में धारण करो और एक सेकेण्ड में देह के भान को छोड़ देही बन जाओ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  *जब निरहंकारी बन जायेंगे तो आकारी और निराकारी स्थिति से नीचे आने की दिल नहीं होगी।* उसी में ही लवलीन अनुभव करेंगे। क्योंकि आपकी ओरीजिनल आनादि स्टेज तो निराकारी है ना निराकार आत्मा ने इस शरीर में प्रवेश किया है।

 

✧  शरीर ने आत्मा में प्रवेश नहीं किया, आत्मा ने शरीर में प्रवेश किया। तो *अनादि ओरीजिनल स्वरूप तो निराकारी है ना कि शरीरधारी है?* शरीर का आधार लिया लेकिन लिया किसने?

 

✧  *आप आत्मा ने, निराकार ने साकार शरीर का आधार लिया।*

तो ओरीजिनल क्या हुआ - आत्मा या शरीर? आत्मा। ये पक्का है? तो ओरीजिलन स्थिति में स्थित होना सहज या आधार लेने वाली स्थिति में सहज?

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  बाप समान खुदाई खिदमतगार बन सर्विस करना"*

 

_ ➳  *ओम शान्ति सेण्टर में बैठी मैं आत्मा बाबा के गीतों पर झूमते हुए बाबा के प्यार में खो जाती हूँ...* प्यारे बाबा दीदी के मस्तक में विराजमान होकर मीठी मुरली सुना रहे हैं... बाबा के आते ही चारों ओर लाल प्रकाश छा गया है... परमधाम जैसा नज़ारा अनुभव कर रही हूँ... सिर्फ मैं और मेरा बाबा दिख रहे हैं... *सुप्रीम टीचर मुझे सेवा का महत्व समझा रहे हैं... मैं आत्मा गॉडली स्टूडेंट के स्वमान बैठकर बाबा की ज्ञान मुरली को सुन रही हूँ...*  

 

   खुद खुदा अपनी खुदाई जादू मुझ पर बिखरते हुए कहते हैं:- "मेरे मीठे बच्चे... खुदाई खिदमतगार बच्चे हो तो सफलता तो कदमो में बिखरी पड़ी है... याद और सेवा से सारे कार्य सिद्ध हो जाते है... *महा भाग्यशाली हो की ईश्वर पिता के सहयोगी हो.... तो इस महान नशे को यादो में प्रतिपल गहरा करो... की ईश्वर पिता हर कदम पर मेरा साथी है... और फिर कदम उठाओ तो जादू हुआ पड़ा है..."*

 

_ ➳  मैं आत्मा प्यारे बाबा की राईट हैण्ड होने का अनुभव करती हुई कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा के साथ से सफल हो रही हूँ... *बाबा के हाथ और साथ से विजयी बन मुस्करा रही हूँ... खुदा मेरी बाँहो में है और मै सेवाओ के शिखर छूती जा रही हूँ..."*

 

   मेरे प्यारे बाबा सेवाओं के सफलता की चाबी मुझे देते हुए कहते है:- "मीठे प्यारे बच्चे... जब भगवान आसमान छोड़ धरती पर आ गया है तो अकेले भटकना क्यों... यूँ मायूस होकर फिर जीना क्यों... साथी बनाकर देखो जरा... यादो में डूबकर अधिकार जमा कर देखो जरा... *खुदाई जादू आजमा कर देखो जरा... सफलताओ के पहाड़ो पर विजयी पताका लिए सदा का मुस्कराओगे..."*

 

_ ➳  मैं आत्मा विश्व कल्याण के स्टेज पर सफलता का झन्डा लहराते हुए कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा भगवान को साथ लेकर उड़ रही हूँ सफल हूँ विजेता हूँ इस नशे से भर गई हूँ... बाबा को साथ लिए सबके जीवन को सुंदर बना रही हूँ...* चारो ओर खुशियो भरे फूल खिला रही हूँ..."

 

   करन करावनहार मेरे बाबा मुझे सारे फिक्रों से फारिग करते हुए कहते हैं:- "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... सारे बोझ बाबा को दे चलो... और हल्के होकर उड़ते रहो... अभिमान और अपमान के जाल में न फंसो... पिता की मीठी यादो में जीकर न्यारे और प्यारे बनो... *एक बाबा और न कोई के नशे में डूब जाओ... निमित्त बन पार्ट बजाओ... ईश्वरीय सेवा है... सारी फ़िक्र मीठे बाबा की है... आप याद के आनन्द में भीगे कदम सुख की हवाओ में उठाओ..."*

 

_ ➳  मैं आत्मा खुदाई जादूगरी के समुन्दर में गोते लगाती हुई कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा खुशियो के परम् आनन्द में हूँ... निमित्त हूँ विघ्नो से मुक्त हूँ... *और ईश्वरीय सेवाओ में न्यारी प्यारी हूँ... इस नशे में गहरे समा रही हूँ... आपके मीठे साथ से उन्मुक्त हो खुशियो के आसमान में उड़ रही हूँ..."*

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप हमें चल और अचल ( मुक्ति और जीवन मुक्ति) प्रॉपर्टी का मालिक बनाते हैं - इसी खुशी और नशे में रहना*"

 

_ ➳  अपनी पलकों को मूंदे, अपने प्यारे मीठे बाबा की मीठी मधुर स्मृतियों में खोई मैं अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के बारे में विचार कर, मन ही मन *अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करती हुई मन्द - मन्द मुस्करा रही हूँ और सोच रही हूँ कि इस दुनिया की सबसे खुशनसीब आत्मा हूँ मैं जिसे स्वयं भगवान ने अपनी चल और अचल प्रॉपर्टी का मालिक बनाया है*। दुनिया मे कोई कितना भी धनवान क्यों ना हो लेकिन मुझ से अधिक धनवान कोई भी नही। "वाह मेरा भाग्य वाह" "वाह रे मैं खुशनसीब आत्मा वाह"।

 

_ ➳  वाह - वाह के गीत गाते हुए, अपार खुशी और नशे में डूबी मैं आत्मा मन ही मन अपने शिव पिता का दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ और अपने मन बुद्धि को देह की दुनिया से निकाल अपने शिव पिता के पास ले चलती हूँ। *अपने मन बुद्धि को शिव पिता पर एकाग्र करते ही मैं अनुभव करती हूँ कि मेरे शिव पिता अपने रथ पर सवार हो कर मेरे सम्मुख आ कर खड़े हो गए हैं और मन्द - मन्द मुस्कराते हुए मुझे निहार रहें हैं*। अपने लाइट माइट स्वरूप में अपने स्नेह की शीतल छाया में बिठा कर मुझ पर अपने असीम प्रेम की वर्षा कर रहें हैं।

 

_ ➳  जन्म - जन्म से मेरी निगाहें जिसके दर्शनों की प्यासी थी। वो भगवान, मेरे शिव पिता मेरे बिल्कुल सामने खड़े हैं यह सोच कर ही मैं असीम आनन्द का अनुभव कर रही हूँ। आंखों से खुशी के आँसू छलक रहें हैं और मेरे बाबा अपने हाथ में उन आंसुओं को उठा कर कीमती मोती की तरह उन्हें अपने दिल की डिब्बी में कैद कर रहें हैं। *भगवान के साथ मुझ आत्मा का ऐसा सुन्दर मिलन होगा यह ख्याल तो कभी स्वप्न में भी नही आया था*।  स्वयं भगवान मेरा हो जायेगा, अपने सर्व खजाने वो मुझ पर लुटायेगा और अपनी चल - अचल प्रॉपर्टी का मुझे मालिक बना देगा। मन ही मन स्वयं से बातें करती हुई मैं एकटक अपने शिव पिता को निहार रही हूँ।

 

_ ➳  बड़े प्यार से मुस्कराते हुए अब बाबा मेरे श्रेष्ठ भाग्य का गुणगान करते हुए मुझ से कह रहें हैं:- *तुम साधारण नही हो। मैंने तुम्हे संसार की करोड़ो आत्माओं में से चुना है इसलिये तुम बहुत महान हो। अपनी सर्वशक्तियाँ, सर्व खजाने मैंने तुम्हे दे दिए हैं। तुम मास्टर सर्वशक्तिवान हो। मंदिरों में तुम्हारी ही पूजा हो रही है*। तुम इष्ट देवी हो। सबके विघ्नों को हरने वाले तुम ही विघ्न विनाशक गणेश हो। तुम पूर्वज हो। तुम विजय माला के मणके हो। तुम्हारी माला सिमर कर आज भी भक्त समस्यायों से मुक्त हो रहें हैं। तुम दुनिया की सभी आत्माओं को दुखो से छुड़ाने वाले फरिश्ते हो।

 

_ ➳  भगवान के मुख से अपनी महिमा सुनकर मैं अलौकिक रूहानी नशे से भरपूर, अपने लाइट माइट स्वरुप में स्थित हो कर अब अपने शिव पिता का हाथ थामे उनके साथ ऊपर की ओर जा रही हूँ। *अपने शिव पिता की शक्तिशाली किरणों रूपी छत्रछाया के नीचे गहन आनन्द की अनुभूति करते हुए मैं आत्मा अब पहुँच गई अपने घर परमधाम*। अपने शिव पिता के सम्मुख बैठ, उनकी सर्वशक्तियों को स्वयं में समाने के बाद, शक्ति शाली स्थिति में स्थित हो कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया में लौट रही हूँ।

 

_ ➳  *अपने ब्राह्मण स्वरुप में अब मैं स्थित हूँ और एक दिव्य अलौकिक रूहानी मस्ती से स्वयं को भरपूर अनुभव कर रही हूँ। "भगवान बाप की चल - अचल प्रॉपर्टी की मैं मालिक हूँ"  इसी खुशी और नशे में रहते हुए मैं उड़ती कला का सदा अनुभव करते हुए अब निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं  सर्व कर्मेन्द्रियों को लॉ और आर्डर प्रमाण चलाने वाली मास्टर सर्व शक्तिमान आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं समय पर सर्वशक्तियों को कार्य में लगाने वाली मास्टर सर्वशक्तिमान् आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *यह ब्राह्मण जन्म ही याद और सेवा के लिए है।* और कुछ करना है क्या? यही है ना! हर श्वांसहर सेकण्ड याद और सेवा साथ-साथ है या सेवा के घण्टे अलग हैं और याद के घण्टे अलग हैंनहीं है ना! अच्छा, बैलेन्स है?  *अगर 100 परसेन्ट सेवा है तो 100 परसेन्ट ही याद है?* दोनों का बैलेन्स हैअन्तर पड़ जाता है नाकर्म योगी का अर्थ ही है - कर्म और याद, सेवा और याद - दोनों का बैलेन्स समानसमान होना चाहिए। *ऐसे नहीं कोई समय याद ज्यादा है और सेवा कम, या सेवा ज्यादा है याद कम।* जैसे आत्मा और शरीर जब तक स्टेज पर है तो साथ-साथ है ना। अलग हो सकते हैंऐसे याद और सेवा साथ-साथ रहे। याद अर्थात् बाप समानस्व के स्वमान की भी याद। *जब बाप की याद रहती है तो स्वत: ही स्वमान की भी याद रहती है। अगर स्वमान में नहीं रहते तो याद भी पावरफुल नहीं रहती।*

 

✺   *ड्रिल :-  "याद और सेवा का बैलेन्स रखना"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा विश्व स्टेज पर अपना पार्ट निभाते-निभाते बिल्कुल ही तमोप्रधान हो गई थी... अब घर जाने का समय हुआ...* बाप आते ही हैं अन्त के भी अन्त में अपने बच्चों को ले जाने... याद और सेवा से मन्सा-वाचा-कर्मणा पवित्र बनाने... कर्म योगी बना कर... साथ ले जाने... मैं आत्मा यह ब्राह्मण जीवन पाकर निश्चिन्त हो गयी हूँ... मैं आत्मा सब प्यारे प्रभु को सौंप कर सदा एक बाप की याद में रहती हूँ...

 

 _ ➳  *मैं आत्मा खुद को चेक कर चेंज करती जा रही हूँ... जैसे आत्मा और शरीर स्टेज पर साथ-साथ हैं...* ऐसे ही मुझ आत्मा का हर श्वांस, हर सेकंड सदैव सेवा और याद में रहता है... सेवा और याद से मुझ आत्मा की अंदर पड़ी हुई खाद दग्ध होती जा रही है... ब्राह्मण जीवन की मर्यादा और श्रीमत की पालन से याद और सेवा में 100 परसेन्ट बैलेंस आता जा रहा है... एकाग्रता के बल से मैं आत्मा याद और सेवा को अलग अलग अनुभव न कर बल्कि साथ-साथ अनुभव कर रही हूँ...

 

 _ ➳  मैं आत्मा मन बुद्धि से परमधाम उड़ जाती हूँ... बाबा से आती हुई चमकती किरणें मेरे भँवर की तरह उठती संकल्पों को शांत करती जा रही है... *जैसे बाप सर्वगुणों से संपन्न है... मैं आत्मा भी उनके जैसी हूँ...* यही मुझ आत्मा का स्वमान है... मैं आत्मा बाप समान बनती जा रही हूँ... बाबा से आती स्नेह की किरणें... मेरे मन को शीतल करती जा रही है... बाबा की याद मुझ आत्मा की कमी-कमज़ोरी को दूर करता जा रहा है... सभी व्यर्थ को समाप्त करता जा रहा है... *कर्म और योग का बैलेंस समान होता जा रहा है... सेवा और याद का बैलेंस समान होता जा रहा है...*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा इस छोटे से ब्राह्मण जन्म को सफल करती जा रही हूँ...* मैं आत्मा आत्म-अभिमानी स्थिति में रहती हूँ... स्व के स्वमान में रहती हूँ... उठते, बैठते, चलते एक बाप की ही याद में रहती हूँ... *बाबा की याद से स्वतः स्वमान याद रहता है, पॉवरफुल याद बनी रहती है... याद और सेवा का बैलेंस भी होता जा रहा है... ओम् शान्ति...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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