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 10 / 12 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *"सर्व वरदान मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है" - यह स्मृति रही ?*

 

➢➢ *स्वयं का त्याग कर दूसरों की सेवा में हर्षित रहे ?*

 

➢➢ *बेहद की दृष्टि रख हर आत्मा के प्रति शुभ भाव रखा ?*

 

➢➢ *एक बाप के साथ सर्व सम्बन्ध निभाये ?*

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         ❂ *योगी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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〰✧  *किसी भी विघ्न से मुक्त होने की युक्ति है - सेकण्ड में स्वयं का स्वरूप अर्थात् आत्मिक ज्योति स्वरूप स्मृति में आ जाए और कर्म में निमित्त भाव का स्वरूप -* इस डबल लाइट स्वरूप में स्थित हो जाओ तो सेकण्ड में हाई जम्प दे देंगे। कोई भी विघ्न आगे बढ़ने में रूकावट नहीं डाल सकेगा।

 

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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं विजयी रत्न हूँ"*

 

✧  सब विजयी रत्न हो ना? विजय का झण्डा पक्का है ना। *विजय हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।* यह मुख का नारा नहीं लेकिन प्रैक्टिकल जीवन का नारा है।

 

  *कल्प-कल्प के विजय हैं, अब की बार नहीं, हर कल्प के, अनगिनत बार के विजयी हैं।* ऐसे विजयी सदा हर्षित रहते हैं। हार के अन्दर दुख की लहर होती है।

 

  *सदा विजयी जो होंगे वह सदा खुश रहेंगे, कभी भी किसी सरकमस्टांस में भी दुख की लहर नहीं आ सकती।* दुख की दुनिया से किनारा हो गया, रात खत्म हुई, प्रभात में आ गये तो दुख की लहर कैसे आ सकती? विजय का झण्डा सदा लहराता रहे, नीचे न हो।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  कई बच्चे कहते हैं - बहुत सेवा की है ना तो थक गये हैं, माथा भारी हो गया है। तो माथा भारी नहीं होगा। और ही *करावनहार' बाप बहुत अच्छा मसाज करेगा। और माथा और ही फ्रेश हो जायेगा।* थकावट नहीं होगी, एनर्जी एक्सट्रा आयेगी।

 

✧  *जब साइन्स की दवाइयों से शरीर में एनर्जी आ सकती है, तो क्या बाप की याद से वा आत्मा में एनर्जी नहीं आ सकती?* और आत्मा में एनर्जी आई तो शरीर में प्रभाव आटोमेटिकली पडता है। अनुभवी भी हो, कभी-कभी तो अनुभव होता है।

 

✧  फिर चलते-चलते लाइन बदली हो जाती है और पता नहीं पडता है। जब कोई उदासी, थकावट या माथा भारी होता है ना फिर होश आता है, क्या हुआ? क्यों हुआ? लेकिन *सिर्फ एक शब्द करनहार' और करावनहार' याद करो, मुश्किल है या सहज है? बोलो हाँ जी।* अच्छा।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सर्व वरदान हमारा जन्म सिद्ध अधिकार"*

 

_ ➳  मधुबन पांडव भवन की कुटिया में लवलीन अवस्था में बैठी मैं प्रभु पंसद आत्मा दिलाराम बाबा को मन ही मन दिल के मीठे जज्बात बयां कर रही हूँ... *आएं हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बनके... आएं हो मेरी जिन्दगी में तुम बहार बनके मेरे दिल में यू ही रहना.... तुम प्यार-प्यार बनके...* सब कुछ भूल एक उसके प्यार में खो चुकी हूँ... बस एक बाबा... ऐसे अनुभव हो रहा है जैसे प्यार के सागर बाबा भी मुझ आत्मा पर प्रेम की किरणों की वर्षा कर रहे है... मुझ आत्मा की चमक ओज तेज बढ़ता जा रहा है... बेहद हल्कापन, गहरी शांति की अनुभूति मैं आत्मा कर रही हूँ... उस एक के रंग में रंग कर मैं आत्मा उड़ चलती हूँ... *फरिश्तों की दुनिया में, अपने दिल के सच्चे सहारे मीठे प्यारे बाबा से मिलन मनाने...*

 

_ ➳  *मीठे प्यारे बाबा सर्व वरदानों से भरपूर करते हुए कहते है :-* "मीठे-मीठे लाडले बच्चे मेरे... संगमयुग पर वरदानों की लाया हूँ तुम्हारे लिए बहार... जिस पर सिर्फ तुम ब्राह्मणों बच्चों का है जन्मसिद्ध अधिकार... *सीमित संगम के समय में बच्चे वरदानों की इस बहार को खुद खुदा ले आया है आपके द्वार... सम्पन्न बन जाओ अब इन से... यही वरदानों की सम्पन्नता खोलेगी स्वर्ग के द्वार...* अब लो इस स्लोगन को दिल से स्वीकार... सर्व वरदान है हमारा जन्मसिद्ध अधिकार..."

 

  *मैं आत्मा सर्व वरदानों से भरपूर होते हुए कहती हूँ :-* "मीठे-मीठे प्यारे-प्यारे बाबा मेरे... दिलों जान से खिल उठी हूँ सुनके आपके ये उदगार... कि खुद खुदा चल कर आ गया मेरे द्वार और दे रहा सर्व वरदानों का मुझे उपहार... खिल उठी हो जैसे मन के आंगन में वरदानों की बहार... आप के मीठे उदगार से हो रही है मुझे ये अनुभूति कि ये वरदान है मेरा जन्मसिद्ध अधिकार... लिया है *इस स्लोगन को दिल में उतार सर्व वरदान है हमारा जन्म सिद्ध अधिकार...*"

 

_ ➳  *वरदाता बाप वरदानों की रिमझिम वर्षा से भरपूर करते हुए कहते है :-* "मीठे-मीठे फूल बच्चे मेरे... भाग्य विधाता वरदाता बाप ले कर आया कलाहीन युग में भी भाग्य और वरदानों का सर्वश्रेष्ठ शानदार अधिकार... *वरदाता बाप स्वयं आ कर रहा है वरदानों से तुम्हारा श्रृंगार...  वरदानों को तुम जीवन में लाओ... वरदानी मूर्त अब तुम बन जाओं...* वरदानी मूर्त बन सर्व को वरदानों से सजाओं..."

 

  *मैं आत्मा सर्व वरदानों से सज-धज कर कहती हूँ :-* "ओ राजदुलारे बाबा मेरे... जन्मते ही दिया है कितना ना सुदंर वरदानों का यह उपहार... खुद खुदा कह रहा मेरे सारे वरदानों पर है तुम्हारा अधिकार... कर लिया है इस बात को मीठे बाबा मैंने अन्तर मन से स्वीकार... *हूँ मैं कर रही एक-एक वरदान से स्वयं का श्रृंगार... वरदानी मूर्त बन कर रही हूँ... अनेको का उद्धार..."*

 

_ ➳  *मीठे बाबा सर्व वरदानों के रंग मुझमें भरते हुए कहते है :-* "मीठे लाडले बच्चे मेरे... परमधाम से वरदाता बाप ने आकर, आप महान बच्चों को है अपनी आंखों का तारा बनाया... भिन्न-भिन्न वरदानों से है आपके जीवन को सजाया शानदार बनाया... *इन सर्व वरदानों को स्वरूप में लाओ... जन्मसिद्ध अधिकार है ये वरदान इसे स्मृति में रख नशे से भर जाओं...* बाप समान मास्टर वरदाता बन सबको वरदानों से सजाओं... सबका कल्याण करते जाओं..."

 

  *मैं आत्मा सर्व वरदानों के रंग में रंग कर कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे वरदाता बाबा मेरे... आपकी आंखों का तारा बन सर्व वरदानों से अपनी जीवन को सजा रही हूँ... एक-एक वरदान का स्वरूप बनती जा रही हूँ... सर्व वरदान है जन्म सिद्ध अधिकार हमारा इस नशे से गा रही हूँ... दिल से मुस्कुरा रही हूँ... *आप समान मास्टर वरदाता बन सबको वरदानों से सजा रही हूँ... सर्व वरदानों से सजे-धजे जीवन से अनेकों का भाग्य बना रही हूँ..."*

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- स्वयं का त्याग कर दूसरों की सेवा में हर्षित रहना*"

 

➳ _ ➳  स्वयं का त्याग कर जो दूसरों की सेवा में हर्षित रहते हैं वही सर्व की दुआयों के और परमात्म दुआओ के अधिकारी बनते हैं। इस बात को स्मृति में लाकर मैं मन ही मन स्वयं से यह प्रतिज्ञा करती हूँ कि अपने इस अनमोल संगमयुगी ब्राह्मण जीवन, जो मेरे शिव पिता की देन है, को अब मुझे परमात्म श्रीमत पर चलकर, ईश्वरीय सेवा में सफल करना है। *बाप समान निरहंकारी बन सर्व आत्माओं की सेवा ही मेरे इस ब्राह्मण जीवन का उद्देश्य है। इसलिये अपना सम्पूर्ण ब्राह्मण जीवन अब मुझे इसी लक्ष्य पर चल कर, परमात्मा बाप के दिल रूपी तख्त पर सदा विराजमान रहते, संगमयुग की मौजों का भरपूर आनन्द लेते हुए बिताना है*।

 

➳ _ ➳  यही श्रेष्ठ संकल्प करते मन में मीठे प्यारे बाबा की मीठी सी याद सहज ही आने लगती है और साथ ही उनके सर्वश्रेष्ठ कर्तव्य स्वत: ही स्मृति में आने लगते हैं, कि कैसे बाबा आ कर निरहंकारी बन हम बच्चों की सेवा करते हैं। *सब कुछ करते स्वयं गुप्त रह कर बच्चों को आगे करते हैं। कल्प कल्प के लिए बच्चों का भाग्य श्रेष्ठ बना देते हैं। बच्चो के लिए नई दुनिया स्थापन करते हैं लेकिन स्वयं उस दुनिया मे नही आते। अपने प्यारे बाबा के इन अनगिनत उपकारों की स्मृति मन में उनसे मिलने की तड़प पैदा कर देती है*। मन में अपने प्यारे बाबा से मिलने की लग्न लिए अब मैं हर प्रकार के चिन्तन से मन बुद्धि को हटाकर, अपने पिता से मिलने की रूहानी यात्रा पर चलने के लिए केवल अपने स्वरूप पर मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ।

 

➳ _ ➳  मनबुद्धि की एकाग्रता अब मुझ आत्मा को उस दिव्य अलौकिक रूहानी यात्रा पर ले कर चल पड़ती है जो यात्रा मुझे मेरे शिव पिता से मिलाने वाली है। *मन बुद्धि की इस रूहानी यात्रा पर चलते हुए मैं आत्मा अब देह का आधार छोड़ कर इससे बाहर आ जाती हूँ और उमंग उत्साह के पंख लगा कर ऊपर की और उड़ चलती हूँ*। मन बुद्धि रूपी नेत्रों से इस साकार दुनिया के वन्डरफुल नजारों को देखते हुए अपने पिता परमात्मा से मिलने की लगन में मगन मैं आत्मा वाणी से परे की इस आंतरिक यात्रा पर निरंतर बढ़ती जा रही हूँ।

 

➳ _ ➳  साकार लोक को पार कर, सूक्षम लोक से भी परें अब मैं पहुंच गई निर्वाणधाम अपने शिव पिता परमात्मा के पास। *देह और देह की दुनिया के संकल्प मात्र से भी मुक्त इस निर्वाणधाम घर में मैं चारों और फैले दिव्य लाल प्रकाश और चमकती हुई जगमग करती अति सुंदर मणियों को देख रही हूँ*। शन्ति का शक्तिशाली वायुमण्डल मुझे अपने चारों ओर अनुभव हो रहा है। शांति की गहन अनुभूति करते हुए इस विशाल परमधाम घर में विचरण करते - करते अब मैं शांति के सागर अपने शिव पिता के पास जा रही हूँ। *बाबा से आ रहे शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन मुझे अपनी ओर खींच रहें हैं*। इनके आकर्षण में आकर्षित हो कर मैं आत्मा अब अपने शिव पिता के पास जा कर उनके साथ कम्बाइंड हो जाती हूँ।

 

➳ _ ➳  इस कम्बाइंड बीज स्वरूप में मुझे ऐसा लग रहा है जैसे सर्व शक्तियों के फवारे के नीचे मैं आत्मा बैठी हूँ और बाबा से आ रही अनन्त सर्वशक्तियों रूपी सतरंगी किरणों का झरना मुझ आत्मा पर बरस रहा हैं। *असीम परम आनन्द की मैं आत्मा अनुभूति कर रही हूँ। एक अलौकिक दिव्यता से मैं आत्मा भरपूर होती जा रही हूँ। प्यार के  सागर मेरे शिव पिता अपना असीम प्यार मुझ पर लुटा रहे हैं*। अपने प्रेम की शीतल किरणों को मुझ पर बरसाते हुए बाबा मुझे आप समान मास्टर प्यार का सागर बना रहें हैं। ताकि बाप समान मास्टर दाता बन विश्व की सर्व आत्माओं को सच्चा रूहानी स्नेह दे कर मैं उनके जीवन को सुखमय बना सकूँ।

 

➳ _ ➳  मास्टर बीजरूप स्थिति में स्थित हो, गहन अतीन्द्रीय सुख की अनुभूति करके स्वयं को अथाह परमात्म स्नेह से भरपूर करके मैं ईश्वरीय सेवा अर्थ वापिस लौट आती हूँ साकारी लोक में और अपनी साकारी देह में आ कर फिर से भृकुटि सिहांसन पर विराजमान हो कर सच्ची रूहानी सेवा में लग जाती हूँ। *त्याग और तपस्या भगवान के दिल रूपी तख्त पर विराजमान रहने का मुख्य साधन है इस बात को स्मृति में रखते हुए बाप समान निरहंकारी बन स्वयं का त्याग कर दूसरों की सेवा में अब मैं सदा हर्षित रहती हूँ*।

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं ब्राह्मण जन्म की विशेषता को नेचरल नेचर बनाने वाली सहज पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं डबल लाइट अनुभव करने वाली विघ्न विनाशक आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा ने पहले भी कहा है कि जैसे अभी यह पक्का हो गया है कि मैं ब्रह्माकुमारी/ब्रह्माकुमार हूँ। चलते फिरते- सोचते - हम ब्रह्माकुमारी हैंहम ब्रह्माकुमार ब्राह्मण आत्मा हैं। ऐसे *अभी यह नेचुरल स्मृति और नेचर बनाओ कि 'मैं फरिश्ता हूँ'। अमृतवेले उठते ही यह पक्का करो कि मैं फरिश्ता परमात्म-श्रीमत पर नीचे इस साकार तन में आया हूँसभी को सन्देश देने के लिए वा श्रेष्ठ कर्म करने के लिए।* कार्य पूरा हुआ और अपने शान्ति की स्थिति में स्थित हो जाओ। ऊंची स्थिति में चले जाओ। *एक दो को भी फरिश्ते स्वरूप में देखो। आपकी वृत्ति दूसरे को भी धीरे- धीरे फरिश्ता बना देगी। आपकी दृष्टि दूसरे पर भी प्रभाव डालेगी।*

 

 _ ➳  *उमंग-उल्लास है तो सफलता है ही* क्यों नहीं हो सकता है! आखिर तो समय आयेगा जो सब साधन आपकी तरफ से यूज होंगे। आफर करेंगे आपको। आफर करेंगे कुछ दोकुछ दो। मदद लो। *अभी आप लोगों को कहना पड़ता है - सहयोगी बनो, फिर वह कहेंगे हमारे को सहयोगी बनाओ। सिर्फ यह बात पक्की रखना। फरिश्ता, फरिश्ताफरिश्ता! फिर देखो आपका काम कितना जल्दी होता है।* पीछे पड़ना नहीं पड़ेगा लेकिन परछाई के समान वह आपेही पीछे आयेंगे। बस सिर्फ आपकी अवस्थाओं के रुकने से रूका हुआ है। *एवररेडी बन जाओ तो सिर्फ स्विच दबाने की देरी हैबस। अच्छा कर रहे हैं और करेंगे।*

 

✺   *ड्रिल :-  " 'मैं फरिश्ता हूँ' - यह नेचरल स्मृति और नेचर बनाना"*

 

 _ ➳  *सलोनी सी चाँदनी सुबह में छत पर बैठी मैं आत्मा अपने चंदा बाबा की यादों में  मगन हूँ...* बाबा से बड़ी मीठी प्यारी-प्यारी बातें कर रही हूँ... ऐसा लग रहा है जैसे इस धरती ने चमकीले तारों की चादर ओढ़ रखी हो... और *मेरे चँदा बाबा से शीतल-शीतल किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... अतिइन्द्रिय सुख के झूले में, मैं आत्मा झूल रही हूँ...* चँदा बाबा से एक-एक किरण मुझ आत्मा में समा रही है... मैं आत्मा बेहद भरपूर और शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... *उस एक में समाया हुआ अनुभव कर रही हूँ...* तभी एक बहुत बड़ा सोने-हीरों से जड़ा एक दरवाजा मुझ आत्मा के सामने आता है... *जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है, फरिशतों की दुनिया...*

 

 _ ➳  अचानक ऐसा अनुभव होता है जैसे बाबा कह रहें हो अन्दर आओ मीठे बच्चे, ये सुन कर मैं आत्मा इस दरवाजें की तरफ आगें बढ़ती हूँ... और अचानक दरवाजा अपने आप खुल जाता है... *चारों तरफ सफेद रंग की लाइट ही लाइट है... सामने फरिशतों के बादशाह ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में शिव बाबा बड़े से रंग-बिरंगे फूलों से बने चमकीले रंग के झूले पर बैठे नजर आते है...* जैसे ही मैं आत्मा अन्दर जाने के लिए कदम बढ़ाती हूँ... उसी पल बाबा की दृष्टि भी मुझ आत्मा पर पड़ती है... जैसे ही बाबा की वरदानी दृष्टि मुझ आत्मा पर पड़ती है... *बाबा मुझ आत्मा को फरिशता भव का वरदान देते है... और बाबा की आँखों से सफेद रंग की लाइट मुझ आत्मा पर गिरने लगती है...* और धीरे-धीरे तत्वों से बना शरीर परिवर्तन होकर लाइट का बनता जा रहा है...

 

 _ ➳  देख रही हूँ मैं आत्मा इस परिवर्तन की प्रक्रिया को... अब मैं आत्मा देख रही हूँ अपने *इस फरिशता स्वरूप को कितना अलौकिक कितना प्यारा मुझ आत्मा का यह स्वरूप है...* कितना हल्कापन कितना आंनद महसूस हो रहा है... अब मैं फरिशता उड़ कर पहुंच जाता हूँ बाबा के पास... *बाबा मुझ फरिशते को गोद में ले लेते है... और मेरे सिर पर हाथ फेरते है... अनुभव कर रहा हूँ मैं फरिशता बाबा के इस वरदानी हाथ को अपने सिर के ऊपर,* बाबा मुझ फरिशते का हाथ पकड़ते है और मुझे इस फरिशतों की दुनिया की सैर कराने लग जाते है... *चारों तरफ लाइट की ड्रेस वाले फरिशते घूम रहे है... रंग-बिरंगे लाइट के फूल चारों ओर है...*

 

 _ ➳  वही लाइट की रंग-बिरंगी तितलियाँ फूलों पर मड़रा रही है... *तभी बाबा मुझे गोदी में उठा लाइट के झूले पर बिठा झूला झूलाते है... मेरे ऊपर रंग-बिरंगे लाइट के फूल रूपी शक्तियों की बारिश बाबा कर रहे है...* तभी एकदम से झूला रूक जाता है बाबा भी झूले पर आकर बैठते है... *और मुझ फरिशतें का हाथ हाथों में लेकर दृष्टि देते है... मैं आत्मा महसूस कर रही हूँ, बाबा के अव्यक्त शब्दों को जो बाबा इस वरदानी दृष्टि द्वारा कह रहे है... बच्चे जाओ अपने विश्व कल्याण के कर्तव्य को पूरा करो...* बाबा हर पल आपकी छत्रछाया बनकर साथ है... *मैं फरिशता भी बाबा की आज्ञा को सिर-माथे रख, बाबा से वरदानी दृष्टि लेकर साकारी दुनिया में अवतरित हो जाता हूँ श्रेष्ठ कर्म करने, परमात्म सन्देश देने...*

 

 _ ➳  देख रहा हूँ मैं लाइट का फरिशता स्वयं को इस साकारी दुनिया में, उमंग-उत्साह के साथ *मैं फरिशता सबको बाबा का सन्देश दे रहा हूँ... हर कर्म मैं फरिशता बाबा की याद में बड़े उमंग-उत्साह से कर रहा हूं...* हर कर्म श्रेष्ठ हो रहा है... हर कार्य में सफलता मिल रही है... *जो भी आत्माएँ सामने आ रही है सभी को फरिशता स्वरूप में देख रहा हूँ... मुझ फरिशते की वृति-दृष्टि से ये आत्माएँ भी परिवर्तन हो रही है... मुझ फरिशते की वृत्ति धीरे-धीरे इन्हें भी फरिशता बना रही है... मैं फरिशता अपनी इस फरिशता जीवन को नेचुरल अनुभव कर रहा हूँ...* इस प्रकार मैं फरिशता हूँ ये पाठ पक्का हो गया है... आत्माएँ स्वयं आफर कर रही है, आप हमें  सहयोगी बनाओं, ये साधन आप यूज करो... *मैं फरिशता अनुभव कर रहा हूँ... सर्व कार्य जल्दी समपन्न हो रहे है... हर कार्य में सहज सफलता मिल रही है... शुक्रिया मीठे बाबा शुक्रिया*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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