━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 25 / 10 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *स्वराज्य अधिकारी बनकर रहे ?*
➢➢ *"हम ईश्वरीय सम्प्रदाय के हैं" - इसी नशे में रहे ?*
➢➢ *अपना समय बाप की याद में सफल किया ?*
────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *अकालतख़्त सो दिलतख़्तनशीन बन स्वराज्य के नशे में रहे ?*
➢➢ *आत्म शक्ति की उड़ान भर संकल्पों की सिद्धि प्राप्त की ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ राजा बनने का युग है। राजा क्या करता है? ऑर्डर करता है ना? *राजयोगी जैसे मन-बुद्धि को ऑर्डर करे, वैसे अनुभव करें।* ऐसे नहीं कि मन-बुद्धि को ऑर्डर करो, फरिश्ता बनो और नीचे आ जाए तो राजा का आर्डर नहीं माना ना तो राजा वह जिसका प्रजा आर्डर माने।
〰✧ नहीं तो योग्य राजा नहीं कहा जायेगा। काम का राजा नहीं, नाम का राजा कहा जायेगा। तो आप कौन हो? सच्चे राजा हो। कर्मेन्द्रियाँ ऑर्डर मानती है? *मन-बुद्धि-संस्कार सब अपने ऑर्डर में हों।* ऐसे नहीं, क्रोध करना नहीं चाहता लेकिन हो गया।
〰✧ बॉडी कान्सेस होना नहीं चाहता लेकिन हो जाता हूँ तो उसको ताकत वाला राजा कहेंगे या कमजोर? तो *सदैव यह चेक करो कि मैं राजयोगी आत्मा, राज्य अधिकारी हूँ?* अधिकार चलता है? कोई भी कर्मेन्द्रिय धोखा नहीं देवे। आज्ञाकारी हो। अच्छा। (पार्टियों के साथ)
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)
➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- रूहानी कमाई में बहुत ध्यान देना है, समय वेस्ट नही करना"*
➳ _ ➳ मधुबन घर में डायमण्ड हॉल में अपने प्यारे बाबा को निहारती हुई मै आत्मा... कभी अपने महान भाग्य को, कभी इस ईश्वरीय मिलन के खुबसूरत समय को... देख रही हूँ... कि जीवन में अनगिनत दुखो की भोगना यूँ पीछे गुजर गयी... और मै आत्मा इस खुबसूरत समय पर भगवान के सम्मुख आ गयी... *इस सुनहरे वक्त ने मुझे ईश्वर से मिलाकर... मेरा भविष्य सुनहरे अक्षरो में लिख दिया है... आज सतयुग मेरे कदमो की आहट लेने को आतुर है... सुख मेरी बाट जोह रहे है.. खुशियां मेरा रास्ता निहार रही है.*.. अमीरी मुझे बाँहों में भर लेने को दीवानी है... सारे दुःख गायब हो गए है और अथाह सुख मेरी नजरो में प्रत्यक्ष हो रहे है... और कह रहे है... मीठे बाबा की यादो में गहरे डूब जाओ... ती हम सजीव बन आपकी सेवाओ में हाजिर है... *वाह... कितना प्यारा यह, मीठे बाबा के साथ भरा समय है.*..
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अमूल्य ज्ञान मणियो से सजाकर कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *ईश्वरीय ज्ञान रत्नों को पाकर, यादो में सच्ची कमाई करने वाले महान भाग्यशाली बनो.*.. संगम के वरदानी समय के हर पल को यादो में सफलकर सच्ची कमाई से भरपूर बनो... ईश्वर के साथ भरा यह मीठा समय... अब व्यर्थ बातो में नही गंवाओ... मीठे बाबा से सारी दौलत खजाने लेकर... सदा की अमीरी से सज जाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में सारी जागीर की मालिक बनकर कहती हूँ ;-"मीठे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी छत्रछाया में सुखी और अमीर जीवन को पाती जा रही हूँ... *आपको पाकर अब मै आत्मा किसी भी व्यर्थ में स्वयं को उलझाती नही हूँ... बल्कि हर क्षण यादो में खोकर, अपने सारे विकर्मो से मुक्त होती जा रही हूँ.*.. यादो की कमाई करके विश्व की अमीरी को पाती जा रही हूँ ..."
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को समय का महत्व समझाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *यही वह कीमती पल है, जिसमे मीठे बाबा को याद करके... अथाह सम्पत्ति और सुख भरा भविष्य अपनी तकदीर में सजा सकते हो.*.. इस सुनहरे समय को साधारण रीति या व्यर्थ में न बिताओ... हर पल याद का निरन्तर अभ्यास कर... स्वयं का महान भाग्य स्वयं लिखो... सच्ची कमाई के पीछे दीवाने होकर जुट जाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की श्रीमत को दिल में गहरे उतार कर कहती हूँ ;-"मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा देह की और दुखो की दुनिया में जो घिरी तो... अपनी सारी खुशियां गुण और दौलत ही गंवा बेठी... अब आपने आकर मुझे पुनः दौलतमंद और खुशहाल बनने का सारा राज बता दिया है... *मै आत्मा हर साँस आपकी यादो में डूबकर, सच्ची दौलत को अपनी बाँहों में बटोरती जा रही हूँ..*."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सर्वगुणों और शक्तियो से भरपूर करते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... इस पुरानी दुनिया की विनाशी दौलत के पीछे बहुत खपे हो... अब मीठे बाबा से 21 जनमो की अमीरी लेकर विश्व के बादशाह बनो... *एक एक पल कमाई से भरपूर हो, मन बुद्धि को मीठे बाबा की याद में पूरा झोंक दो.*.. यादो में ही पुराने सारे विकर्म भस्म होंगे और सुखो भरा खुबसूरत जीवन आपके हाथो में होगा... इसलिए निरन्तर याद में खोये रहो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा को मुझ आत्मा के सुख के लिए इस कदर आतुर देख कहती हूँ :-"मीठे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा कितनी महान हूँ, और कितनी भाग्यशाली हूँ... कि भगवान बेठ मुझे यूँ अमीर बना रहा है... और मुझे विश्व का मालिकाना हक दिलवा रहा है... मै आत्मा इतनी अमीर बनूंगी, यह तो कभी ख्यालो में भी न था... *आज आपकी सच्ची यादो में यह जीवन की खुबसूरत हकीकत बन रही है... और मै आत्मा हर साँस से यादो की कमाई कर, अमीर और अमीर होती जा रही हूँ.*.."प्यारे बाबा से यूँ मीठी रुहरिहानं कर मै आत्मा... अपने कर्मक्षेत्र पर लौट आयी....
────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- हम ब्राह्मण चोटी हैं, ईश्वरीय सम्प्रदाय के हैं, इस नशे में रहना*"
➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित मैं आत्मा मन ही मन विचार करती हूँ कि कितनी पदमापदम सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा कि *जिस ब्राह्मण सम्प्रदाय को भक्ति में सबसे ऊंच माना जाता है वो सच्ची ब्राह्मण आत्मा मैं हूँ जिसे स्वयं परम पिता परमात्मा ने आ कर ब्रह्मा मुख से अडॉप्ट करके ईश्वरीय सम्प्रदाय का बनाया है*। मैं वो कोटो में कोई और कोई में भी कोई सौभाग्यशाली आत्मा हूँ जिसे स्वयं भगवान ने चुना है।
➳ _ ➳ बड़े - बड़े महा मण्डलेशवर, साधू सन्यासी जिस भगवान की महिमा के केवल गीत गाते हैं लेकिन उसे जानते तक नही, वो भगवान रोज मेरे सम्मुख आकर मेरी महिमा के गीत गाता है। *रोज मुझे स्मृति दिलाता है कि "मैं महान आत्मा हूँ" "मैं विशेष आत्मा हूँ" "मैं इस दुनिया की पूर्वज आत्मा हूँ"। *"वाह मेरा सर्वश्रेष्ठ भाग्य" जो मुझे घर बैठे भगवान मिल गए और मेरे जीवन मे आकर मुझे नवजीवन दे दिया*। उनका निस्वार्थ असीम प्यार पा कर मेरा जीवन धन्य - धन्य हो गया। इस जीवन में अब कुछ भी पाने की इच्छा शेष नही रही। जो मैंने पाना था वो अपने ईश्वर, बाप से मैंने सब कुछ पा लिया है।
➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में खोई हुई मैं अपने भाग्य को बदलने वाले भाग्यविधाता बाप को जैसे ही याद करती हूँ वैसे ही मेरे भाग्यविधाता बाप मेरे सामने उपस्थित हो जाते हैं। *अपने लाइट माइट स्वरूप में भगवान जैसे ही मुझ ब्राह्मण आत्मा पर दृष्टि डालते हैं उनकी पावन दृष्टि मुझे भी लाइट माइट स्वरूप में स्थित कर देती है और डबल लाइट फ़रिश्ता बन मैं चल पड़ती हूँ बापदादा के साथ इस साकारी लोक को छोड़ सूक्ष्म लोक में*। बापदादा के सामने मैं फ़रिश्ता बैठ जाता हूँ।
➳ _ ➳ बापदादा की मीठी दृष्टि और उनकी सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर करके मैं अपने जगमग करते ज्योतिर्मय स्वरूप को धारण कर अपने परमधाम घर की ओर चल पड़ती हूँ। *सेकण्ड में मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ अपने घर मुक्तिधाम में। यहां मैं परम मुक्ति का अनुभव कर रही हूँ। मैं आत्मा शांति धाम में शांति के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के सम्मुख गहन शान्ति का अनुभव कर रही हूँ*। मेरे शिव पिता परमात्मा से सतरंगी किरणे निकल कर मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं और मैं स्वयं को सातों गुणों से सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ। शिव बाबा से अनन्त शक्तियाँ निकल कर मुझ में समाती जा रही हैं। कितना अतीन्द्रिय सुख समाया हुआ है इस अवस्था में।
➳ _ ➳ बीज रूप अवस्था की गहन अनुभूति करने के बाद अब मैं आत्मा वापिस लौट आती हूँ अपने साकारी ब्राह्मण तन में और भृकुटि पर विराजमान हो जाती हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित मैं आत्मा अब सदा इसी नशे में रहती हूँ कि मैं सबसे उंच चोटी की हूँ, ईश्वरीय सम्प्रदाय की हूँ*। आज दिन तक मेरा यादगार भक्ति में ब्राह्मणों को दिये जाने वाले सम्मान के रूप में प्रख्यात है। *आज भी भक्ति में ब्राह्मणों का इतना आदर और सम्मान किया जाता है कि उनकी उपस्थिति के बिना कोई भी कार्य सम्पन्न नही माना जाता और वो सच्ची ब्राह्मण आत्मा वो कुख वंशवाली ब्राह्मण नही बल्कि ब्रह्मा मुख वंशावली, ईश्वरीय पालना में पलने वाली, मैं सौभाग्यशाली आत्मा हूँ"।
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा अकालतख्तनशीन सो दिलतख्तनशीन बन सदा स्वराज्य के नशे में रहती हूं।*
➳ _ ➳ *जो आत्मा अपनी कर्मेन्द्रियों रूपी कर्मचारियों को अपने अधिकार में रखती है वही स्वराज्य अधिकारी होती है...* अकालतख्त पर बैठ वह इन सब पर शासन करती है... *बाबा कहते हैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा की ही सब शक्तियां उसके आर्डर प्रमाण कार्य करती हैं, तभी वो आत्मा प्रकृतिजीत और मायाजीत बन पाती है...* मैं *स्वराज्य अधिकारी आत्मा* हूँ... सो सदा इसी *रूहानी नशे* में स्थित रहती हूं... और यही नशा मुझे *अकालतख्त* पर सदा स्थित कराए रखता है... *इसी अकालतख्त पर स्थित हो कर मैं बाबा की दिलतख्तनशीन आत्मा बन रही हूं...* सदा इस पर विराजमान रह कर मैं आत्मा विघ्नों और समस्याओं पर जीत पाकर *मायाजीत* बनने का अनुभव पा रही हूं... *मैं आत्मा अपनी कर्मेन्द्रियों रूपी प्रजा को अधिकार में रख सहजता से ही प्रकृति को जीत प्रकृतिजीत अर्थात प्रकृतिपति बन रही हूं...*
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- आत्म शक्ति की उड़ान भर संकल्पों की सिद्धि प्राप्त करने का अनुभव"*
➳ _ ➳ परमपिता परमात्मा शिव की संतान... *मैं आत्मा मन बुद्धि की मालिक... स्व के संकल्पों की रचयिता हूं...* बाबा से प्राप्त संकल्प शक्ति का अनमोल खजाना... इस संगम पर उपहार है... उमंग उत्साह से भरपूर मैं आत्मा... सिद्धि स्वरूप हूं... बाप समान विश्व परिवर्तक... स्वर्ग को धरा पर लाने वाली श्रेष्ठ ईश्वरीय कुल की महान आत्मा... प्रत्यक्ष फल की अनुभवी मूर्त हूं... *सदा हर्षित मुख... सिद्धि स्वरूप स्थिति का सबूत है...* जैसे जैसे मुझ आत्मा की खुशी का पारा चढ़ता जाता है... वैसे वैसे मैं आत्मा और भी शक्तिशाली होती जाती हूं... जैसे जैसे मैं आत्मा... शक्तिशाली स्टेज को पाती हूं... मैं आत्म अनुभव करती हूं मेरी खुशी का पारा और भी चढ़ता जाता है... *अहा! कितनी न्यारी और प्यारी स्टेज है यह... बाप के समीप... जैसे बाबा और मैं एक ही है... कंप्लीट संपूर्ण...*
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ हाथ तो बहुत सहज उठाते हैं, बाबा को पता है हाथ उठवायेंगे तो बहुत प्रकार के हाथ उठेंगे लेकिन फिर भी बापदादा कहते हैं कि जिस चेकिंग से आप हाथ उठाने के लिए तैयार हैं, बापदादा को पता है कितने तैयार हैं, कौन तैयार हैं। *अभी भी और अन्तर्मुखी बन सूक्ष्म चेकिंग करो। अच्छा कोई को दु:ख नहीं दिया, लेकिन जितना सुख का खाता जमा होना चाहिए उतना हुआ? नाराज नहीं किया, राजी किया? व्यर्थ नहीं सोचा लेकिन व्यर्थ के जगह पर श्रेष्ठ संकल्प इतने ही जमा हुए?* सबके प्रति शुभ भावना रखी लेकिन शुभ भावना का रेसपान्स मिला? वह चाहे बदले नहीं बदले, लेकिन आप उससे सन्तुष्ट रहे? ऐसी सूक्ष्म चेकिंग फिर भी अपने आपकी करो और अगर ऐसी सूक्ष्म चेकिंग में पास हो तो बहुत अच्छे हो।
✺ *ड्रिल :- "अन्तर्मुखी बन सूक्ष्म चेकिंग करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस देह की मालिक, देह में मस्तक के मध्य चमक रही हूँ... स्वयं को इस देह से अलग एक जगमगाते सितारे के रुप में देख रही हूँ... बाबा की याद में बैठी हूँ और और उनके प्यार में खो जाती हूँ... *बाबा से मिलने वाले सभी ख़ज़ानों और शक्तियों को याद कर रही हूँ... स्वयं को चेक भी कर रही हूँ कि इन सब ख़ज़ानों को कितना जमा किया है...*
➳ _ ➳ मैं कितनी भाग्यशाली आत्मा हूँ जो इस संगमयुग में अपने प्राण प्यारे बाबा से सम्मुख मिलन मनाती हूँ... बाबा ने जो मुझे अमूल्य ख़ज़ाने और शक्तियाँ दी हैं उन्हें अपने इस हीरे तुल्य जीवन मे यूज़ करते हुए निरंतर आगे बढ़ रही हूँ... बाबा का साथ और प्यार मुझे हर कदम पर महसूस होता है... मैं बाबा की छत्रछाया में रह हर कर्म करती हूँ... *हर आत्मा के प्रति शुभभावना रखती हूँ और मेरे प्योर वाइब्रेशन अन्य आत्मायें कैच करती हैं और मेरी ओर आकर्षित होती हैं और मैं आत्मा उन सभी को अपनी शीतल दृष्टि से संतुष्ट करती हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस सृष्टि के रंगमंच पर अपना पार्ट प्ले करते हुए अन्य बहुत सी आत्माओं के संपर्क में आती हूँ... और हर आत्मा अपने स्वभाव संस्कार के अनुसार व्यवहार करती है... क्योंकि इस सृष्टि के अंत में सभी आत्माओं की बैटरी डिस्चार्ज है... *मैं आत्मा अपने संपर्क में आने वाली हर आत्मा को शुभ वाइब्रेशन दे उनके संस्कार परिवर्तन में उन्हें मदद करती हूँ...*
➳ _ ➳ मेरे संपर्क में आने वाली आत्माएं शांति का अनुभव करती हैं... वो अपने दुखों को भूल सुख का अनुभव करती हैं क्योंकि मैं आत्मा सुख स्वरूप हूँ... *कोई आत्मा अपने कड़े संस्कारों के कारण मुझसे अच्छा व्यवहार नहीं करती या नाराज़ रहती है उसे भी मैं शुभ भावना देकर उसे भी राज़ी करती हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस संगमयुग पर अपने पुराने सभी कलियुगी संस्कारों को परिवर्तन कर रही हूँ... *बाबा के साथ से उनके सहयोग से तेज़ी से मेरे संस्कार परिवर्तन हो रहे हैं... मैं आत्मा स्वयं पर अटेंशन रखकर साथ साथ अपनी चेकिंग भी करती जाती हूँ...* मुझ आत्मा के किसी व्यवहार के कारण किसी को कोई दुख तो नहीं पहुंचा... मैं आत्मा अन्य आत्माओं के भी दुखों को दूर करती हूँ और अपना सुख का खाता जमा करती हूँ... *मैं आत्मा अंतर्मुखी बन अपनी सूक्ष्म चेकिंग करती हूँ... श्रेष्ठ संकल्पों का ख़ज़ाना जमा करती हूँ...*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━