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 17 / 12 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *बाप को स्नेह और भावना के बंधन में बाँधा ?*

 

➢➢ *हिमालय पर्वत जितनी समस्या को भी उडती कला के आधार पर सेकंड में पार किया ?*

 

➢➢ *स्वयं को सर्व खजानों से भरपूर अनुभव किया ?*

 

➢➢ *दृढ़ संकल्प के पात्र में बापदादा से वरदान स्वीकार किये ?*

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         ❂ *योगी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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〰✧  *कभी कहीं पर जाओ तो यही लक्ष्य रखो कि जहाँ जायें वहाँ यादगार कायम करें,* वह तब होगा जब आत्मिक प्यार की सौगात साथ होगी। *यह आत्मिक प्यार(स्नेह) पत्थर को भी पानी कर देगा। इससे किसी पर भी विजय हो सकती है।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं महान भाग्यशाली आत्मा हूँ"*

 

✧  सभी अपने को महान भाग्यशाली समझते हो ना? देखो कितना बड़ा भाग्य है जो वरदान भूमि पर वरदानों से झोली भरने के लिए पहुँच गये हो। ऐसा भाग्य विश्व में कितनी आत्माओंका है। कोटों में कोई और कोई में कोई में भी कोई। *तो यह खुशी सदा रखो कि जो सुनते थे, वर्णन करते थे, कोटों में कोई, कोई में भी कोई आत्मा, वह हम ही है।* इतनी खुशी है?

 

✧  सदा इसी खुशी में नाचते रहो - वाह मेरा भाग्य। यही गीत गाते रहो और इसी गीत के साथ खुशी में नाचते रहो। यह गीत गाना तो आता है ना - *'वाह रे मेरा भाग्य' और वाह मेरा बाबा। वाह ड्रामा वाह, यह गीत गाते रहो।*

 

✧  बहुत लकी हो। बाप तो सदा हर बच्चे को लवली बच्चा ही कहते हैं। *तो लवली भी हो, लकीएस्ट भी हो। कभी अपने को साधारण नहीं समझना, बहुत श्रेष्ठ हो। भगवान आपका बन गया तो और क्या चाहिए।* जब बीज को अपना बना दिया तो वृक्ष तो आ ही गया ना। तो सदा इसी खुशी में रहो। आपकी खुशी को देख दूसरे भी खुशी में नाचते रहेंगे।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  (बापदादा ने ड़िल कराई) सभी में रूलिंग पॉवर है? कर्मेन्द्रियों के ऊपर जब चाहो तब रूल कर सकते हो? स्व-राज्य अधिकारी बने हो? *जो स्व-राज्य अधिकारी है वही विश्व के राज्य के अधिकारी बनेंगे।*

 

✧  *जब चाहो, कैसा भी वातावरण हो लेकिन अगर मन-बुद्धि को ऑर्डर दो स्टॉप, तो हो सकता है या टाइम लगेगा?* यह अभ्यास हर एक को सारे दिन में बीच-बीच में करना आवश्यक है।

 

✧  और कोशिश करो जिस समय मन-बुद्धि बहुत व्यस्त है, ऐसे समय पर भी एक सेकण्ड के लिए स्टॉप करना चाहो तो हो सकता है? तो *सोचो स्टॉप और स्टाप होने में 3 मिनट, 5 मिनट लग जाएँ, यह अभ्यास अंत में बहुत काम में आयेगा।* इसी आधार पर पास विद ऑनर वन सकेंगे। अच्छा।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सहजयोगी सहज पुरुषार्थी बनना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा बगीचे में खिले हुए रंग बिरंगी फूलों को देख मन्त्र मुग्ध हो रही हूँ... *इस सुन्दर प्रकृति में रंग भरने वाले प्यारे बागबान बाबा का आह्वान करती हूँ... मीठे बाबा मेरी एक पुकार सुन तुरंत हाजिर हो जाते हैं और मेरा हाथ पकड संग संग बगीचे में सैर करते हुए प्यारी प्यारी बाते करते हैं...* फिर प्यारे बाबा कल्प वृक्ष को इमर्ज करते हैं और अपने साथ मुझे कल्पवृक्ष की जड़ों में बिठाते हैं...

   

   *ज्ञान के चन्दन से जीवन फुलवारी को महकाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... *मीठे वरदानी संगम पर अपने सहयोगी ही सहजयोगी के वरदान को अनुभूतियों में भर लो...* स्मृति में समर्थी रख अल्बेलेपन से मुक्त बनो... सदा सहयोगी बन विश्वकल्याणकारी के भाव से भरकर पूरे वृक्ष को रूहानी जल से सिंचित करो... मनसा वाचा कर्मणा सहयोग देकर दातापन के भावो से भर जाओ...

 

_ ➳  *मेरे दिल के दर्पण में एक बाबा की यादों को बसाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मै आत्मा मीठे बाबा की यादो में सहजयोगी बनकर सारे विश्व के कल्याण के भाव से भरकर हर आत्मा पत्ते को शुभ भावो से सींच रही हूँ...* वरदानी संगम पर मीठे बाबा से पाये हर वरदान को अनुभव कर सबको इन मीठी खुशियो का अनुभवी बनाती जा रही हूँ...

 

   *रूहानी प्यार का सकाश देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे फूल बच्चे... अपनी उमंगों से औरो में भी उत्साह के रंग भरो... वायुमण्डल में शुभवृति की लहर फैलाकर अपनी हर्षित अवस्था से खुशियो की तरंगे फैलाओ... साइलेन्स की शक्ति से देवी राज्य की स्थापना करने वाले... *रूहानी बाबा के रूहानी बच्चे बनकर सबको सहयोग देकर खुशियो के खजानो को बढ़ाते जाओ...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा कल्पवृक्ष की जड़ों को उमंग उत्साह के जल से सींचते हुए कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे बाबा से पाये खुशियो के खजाने पूरे विश्व पर बरसाकर हर दिल को धनवान् बनाती जा रही हूँ.... *सबको उत्साह से भरकर उमंगो में उड़ाती जा रही हूँ...  हर दिल की सहयोगी बन सहजयोगी बन मुस्करा रही हूँ...*

 

   *मेरे बाबा अपनी गोद में बिठाकर प्रेम सिन्धु में डुबोकर हर मुश्किल का सहज मार्ग बताते हुए कहते हैं:-* मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... माया के रंग बिरंगे रूपो से घबराओ नहीं... इन्हे खेल खिलोने समझ खेलते रहो... *सहज मार्ग में व्यर्थ संकल्पों को भरकर घबराओ नही... छोटी बात को बड़ा नही बल्कि बड़ी बात को भी छोटा करने वाले जादूगर बन जाओ...* हर संकल्प और हर सेकण्ड बेस्ट कर सम्पूर्ण और सम्पन्न बन जाओ...

 

_ ➳  *नथिंग न्यू की स्मृति से हर बात में कल्याण की बिंदी लगाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार के साये तले हर विघ्न से हल्की होती जा रही हूँ... *अपनी शक्तिशाली स्थिति से विघ्नो को खिलोने समझ मुस्कराती जा रही हूँ... हर बात पर बिन्दु लगाकर अपने बिन्दु स्वरूप में खोती जा रही हूँ...”*

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- हिमालय पर्वत जितनी समस्या को भी उड़ती कला के आधार पर पार करना*"

 

 _ ➳  *बाबा की यादों में झूमती हुई मैं आत्मा... प्रातः काल एक उद्यान में भ्रमण कर रही हूँ... यहाँ चारों ओर हरियाली है... रंग बिरंगे खिले हुए फूल वातावरण को बेहद खुशनुमा बना रहे हैं... पक्षियों की चहचहाहट, फूलों की महक मन को आनंदित कर रही है...* उगता हुआ लाल सूर्य नई सुबह की दस्तक दे रहा है... ऐसे सुन्दर दृश्य को देखते हुए मन मीठे बाबा की ओर सहज खींचा चला जा रहा है... मैं आत्मा चिंतन करती हूं कि... कलियुगी दुखों की तपन में आत्मा झुलस रही थी... बाबा ने आकर अपनी शीतल स्नेह की वर्षा से मेरे जीवन को कैसे महका दिया है...

 

 _ ➳  बाबा अपनी मीठी मीठी शिक्षाओं से मेरे जीवन का श्रृंगार कर रहे हैं... मुझे उन शिक्षाओं का स्वरूप बनाने के लिए मुझ में शक्तियां, वरदान भर रहे हैं.... यह चिंतन करते करते मेरा मन आनंद सागर में हिलोरे ले रहा है... *बाबा से स्नेह, प्यार मुझ आत्मा को सहजयोगी, सहज पुरुषार्थी बनाता जा रहा है... ईश्वरीय स्नेह रूहानी नशा हर परिस्थिति रूपी पहाड़ को हंसते हंसते पार करने की शक्ति भर रहा है...*

 

 _ ➳  हिमालय पर्वत जैसे बड़े से बड़ी बात सामने आ जाए... उसे भी उड़ती कला से... सेकंड में पार कर रही हूँ... *किसी बात को सोच सोच कर बड़ा न कर के... साहस से उसका सामना कर रही हूँ... परिस्थिति रुपी पहाड़ को काटने में, ठोकने में अपना समय शक्तियां व्यर्थ नहीं गंवा रही हूँ... उड़ती कला द्वारा उस पहाड़ को जंप लगा कर... उड़ कर सहज क्रॉस कर रही हूँ...*

 

 _ ➳   मुझ आत्मा के कमजोर संकल्प जो बातों को बड़ा कर देते थे... मुझे व्यर्थ के मायाजाल में फसा देते थे... अब प्यारे बाबा के साथ और हाथ से उन बातों को सहज पार कर रही हूँ... *परिस्थिति में फंसकर भक्ति में ईश्वर को पुकारते थे वह पुकारने के भक्ति के संस्कार अब समाप्त हो गए हैं... मैं आत्मा सर्व प्राप्तियों का स्वरूप बन रही हूं...* संगम युग पर बाबा का साथ पाकर सर्व खजानों से... सर्व गुणों शक्तियों से भरपूर होने का अनुभव कर रही हूँ...

 

 _ ➳  मैं शक्तिशाली आत्मा सहजयोगी सहज पुरुषार्थी बन गई हूँ... *मेरे हर संकल्प में हर कदम में पद्मों की कमाई जमा हो रही है... परिस्थिति रुपी पहाड़ मुझ फरिश्ते के सामने राई व रूई के समान हल्का बन रहा है...* ईश्वरीय स्नेह पत्थरों को तोड़ने की मेहनत से मुक्त करके मोहब्बत के झूले में झूलने का मधुर अनुभव करा रहा है... संगमयुग के अतीन्द्रिय सुखों का अनुभव कर रही हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं अव्यक्त पालना द्वारा शक्तिशाली बन लास्ट सो फ़ास्ट जाने वाली फर्स्ट नम्बर के अधिकारी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं स्वमान की सीट पर सेट रहकर सर्व का मान प्राप्त करने वाली स्वमानधारी आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा के पास भी *दिल का चित्र निकालने की मशीनरी* है। यहाँ एक्सरे में यह स्थूल दिल दिखाई देता है ना। तो *वतन में दिल का चित्र बहुत स्पष्ट दिखाई देता है।* कई प्रकार के छोटे-बड़े दागढीले स्पष्ट दिखाई देते हैं।

 

 _ ➳  बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि बापदादा का बच्चों से प्यार होने के कारण एक बात अच्छी नहीं लगती। वह है - मेहनत बहुत करते हैं। *अगर दिल साफ हो जाए तो मेहनत नहींदिलाराम दिल में समाया रहेगा* और आप दिलाराम के दिल में समाये हुए रहेंगे। दिल में बाप समाया हुआ है। किसी भी रूप की मायाचाहे सूक्ष्म रूप होचाहे रायल रूप होचाहे मोटा रूप होकिसी भी रूप से माया आ नहीं सकती। स्वप्न मात्रसंकल्प मात्र भी माया आ नहीं सकती। तो मेहनत मुक्त हो जायेंगे ना! *बापदादा मन्सा में भी मेहनत मुक्त देखने चाहते हैं। मेहनत मुक्त ही जीवनमुक्त का अनुभव कर सकते हैं।* होली मनाना माना मेहनत मुक्तजीवनमुक्त अनुभूति में रहना। 

 

✺   *ड्रिल :-  "दिल साफ रख मेहनत मुक्त बनना"*

 

 _ ➳  *मैं त्यागी और तपस्वी ब्राह्मण आत्मा कमलासन पर विराजमान* हूँ... भृकुटि सिंहासन पर विराजमान मुझ आत्मा से *चारो ओर रंगबिरंगी गुणों और शक्तियों की किरणें निकलकर समस्त संसार में* फैल रही है... सारा संसार जड़, चैतन्य और जंगम सहित सर्वस्व इन गुणों और शक्तियों से भरपूर हो रहा हैं... अब *मैं अपने फरिश्ता स्वरूप में उड़ चलती हूँ सूक्ष्मवतन की ओर...* अपने प्राणप्रिय बापदादा के पास... बापदादा के विशाल आकारी शरीर के समक्ष *मैं फरिश्ता एक नन्हा सा बालक हूँ... बापदादा की शक्तिशाली किरणें मुझमे शक्ति भरते हुए तीनो लोकों में फैल रही हैं...* बापदादा मुझे अपने कंधो पर बिठाकर पूरे सूक्ष्मवतन की सैर करा रहे है...

 

 _ ➳  रास्ते में आनेवाले चित्रो को मैं फरिश्ता देख रहा हूँ... चांद सितारों की उपर की इस दुनिया की रोशनी को अपने अंतर में समाकर हर्षित हो रहा हूँ... फिर मैं देख रहा हूँ की *बापदादा के पास दिल का चित्र निकालने की मशीनरी है...* जिसमे दिल के... अंतर मन के सारे संकल्प बहुत स्पष्ट दिखाई दे रहे है... कई प्रकार के श्रेष्ठ संकल्प और छोटे, बडे़ दाग भी स्पष्ट दिखाई दे रहे है... *मैं देख रहा हूँ अपनी ही कमी कमजोरी के चित्र को...* कभी तो मेरे दिल में कोई आत्मा आती दिखाई दे रही है तो कभी कोई... कभी कही किसी से लगाव झुकाव होने कारण दिल से बापदादा निकल जाते तो कही घृणा नफरत के कारण...

 

 _ ➳  कभी पांच तत्वो से निर्मित देह अपनी तरफ खिंचता तो कभी सूक्ष्म कर्मेन्द्रियाँ आकर्षित करती... कभी वो साधन अपनी तरफ खिंचते जिसको मैं अपनी साधना का आधार बना बैठा हूँ... इस तरह *भिन्न भिन्न प्रकार के चित्र दिखाई दे रहे है मेरे दिल में... जो दिलाराम बापदादा को मुझसे दूर कर रहे है...* अब मुझ फरिश्ते को ज्ञात हुआ है की मुझे बाप को अपने दिल में समाने के लिए इतनी मेहनत क्यों लग रही हैं... बापदादा का मुझसे बहुत प्यार होने के कारण उनको मेरी यह एक बात अच्छी नहीं लगी की मैं इतनी मेहनत कर रहा हूँ... *बापदादा उन चित्रो के एकदम नजदीक जा रहे है...* बिलकुल उनके सामने आकर हम खडे हो गए...

 

 _ ➳  *बापदादा अपनी किरणों से और अपने वायब्रेशन्स के माध्यम से दिल के सारे छोटे-बड़े दाग को साफ करते जा रहे है...* एक एक दाग को बापदादा ने मिटा कर दिल को एकदम साफ कर दिया... *अब दिल साफ हो गया तो मैं फरिश्ता मेहनत मुक्त हो गया... एकदम हलकापन अनुभव हो रहा है...* डेड साइलेन्स की अनुभूति हो रही है... *एक बाप दूसरा न कोई* दिल से यही गीत बज रहा है... अब दिल में इसी धुन का बसेरा है *मैं बाबा का और बाबा मेरा...* अब बिना मेहनत के मैं भी दिलाराम के दिल में और दिलाराम भी मेरे दिल में... *अब माया चाहे कोई भी रूप लेकर आए... चाहे सूक्ष्म रूप होचाहे रायल रूप होचाहे मोटा रूप हो... पल भर के लिए भी दिलाराम को दिल से हटा नहीं सकती...* स्वप्न मात्रसंकल्प मात्र भी माया आ नहीं सकती...

 

 _ ➳  *मनसा में भी एकदम मेहनत मुक्त अवस्था हो चुकी है...* अब मैं फरिश्ता बापदादा के कंधे से नीचे उतरकर बापदादा को धन्यवाद करता हुआ *वापस लौटता हूँ अपने कर्मक्षेत्र अपने सेवा स्थान पर...* मैं फरिश्ता शरीर में प्रवेश करने के बाद भी वही मेहनत मुक्त अवस्था का अनुभव कर रहा हूँ... इस अवस्था के कारण मुझे कोई भी कर्म करते हुए भी कर्म बंधन या कर्मेन्द्रियाँ अपनी तरफ आकर्षित नही कर पा रही... *मुझे कर्मातीत अवस्था की अनुभूति हो रही है... इस कारण मुझे जीवनमुक्ति का अनुभव हो रहा है...* इस जीवनमुक्त अवस्था में *दिलाराम को अपने दिल में समाए हुए... मैं आत्मा सच्ची सच्ची होली मना रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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