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❍ 21 / 03 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *कर्मबंधन से मुक्त हो रूहानी पढाई पडी ?*
➢➢ *हद के संबंधो व देह से मोह को त्यागने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *संगदोष से अपनी संभाल की ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *हर समय अपने दिल में बापकी प्रताक्ष्यता का झंडा लहराते रहे ?*
➢➢ *सर्व शक्तियों से संपन्न अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *निर्माण बनने के साथ निर्मान भी बनकर रहे ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - तुम्हे निश्चय है कि हम संगम पर भविष्य की कमाई के लिए पढ़ते है, बाप हमे पढ़ाकर के 21 जनमो का वर्सा देते है"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय पढ़ाई और योग से ही सतयुगी बादशाही है... इसलिए सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि होकर पढ़ाई से 21 जनमो का खुबसूरत भाग्य बनालो... संगम के *वरदानी समय को याद और पढ़ाई से असीम कमाई की खान बना दो.*.. ईश्वर पिता पढ़कर अनन्त सुखो के मालिक बन चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में ज्ञान रत्नों को पाकर दौलत मन्द होती जा रही हूँ... *21 जनमो के लिए अथाह सुखो को जमा कर मीठा मुस्करा रही हूँ.*.. प्यारे बाबा आपने अपनी गोद में बिठा, सच्चे सुखो से सजा मेरा सदा का भाग्य चमका दिया है...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता स्वयं धरा पर उतर कर राजयोग सिखा रहे... *ज्ञान रत्नों से मालामाल कर स्वर्ग के मीठे सुखो का अधिकारी बना रहे.*.. तो पूरे निश्चय और दिली लगन से पढ़ाई कर श्रेष्ठतम भाग्य को अपनी तकदीर बना लो... इन सुनहरे पलों का पूरा फायदा उठाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपको पाकर कितनी धन्य धन्य हो चली हूँ... प्यारे बाबा आपने मेरी देह की दासता छुड़वाकर... *मुझे दमकती मणि सा चमकाया है.*.. और अपनी फूलो सी गोद में बिठा विश्व मालिक बनाया है... असीम खानो को मेरी तकदीर में सजा मुझे शहंशाह बनाया है
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... यह ईश्वरीय पढ़ाई ही सच्चे सुखो का आधार है और महा भाग्य बनाने वाली है... इसलिए इस पढ़ाई में हर साँस संकल्प से जुट जाओ... यह *ज्ञान रत्न अथाह सुखो के भण्डार बनकर जीवन में खुशियो को छलकायेंगे.*.. ईश्वर पिता से सारी दौलत लेकर 21 जनमो की अमीरी के पर्याय बन मुस्कराओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा संगम पर *आपके हाथ और साथ को पाकर कितनी निखर चली हूँ.*.. मेरी कुरूपता खत्म हो चली है, और सच्चे सौंदर्य से रोम रोम छलक उठा है... प्यारे बाबा आपने अपने जादुई स्पर्श से मुझे ज्ञानवान धनवान् बना विश्व में सजा दिया है...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा दृढ़ संकल्पधारी हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा सृष्टी के रचयिता की संतान हूँ... *मैं आत्मा सुप्रीम रचनाकार की श्रेष्ठ रचना हूँ...* कई जन्मों से मायावी रावण ने मुझ आत्मा के चित्र को काला कर दिया था... मुझ आत्मा के चित्र से सभी रंगों को मिटा दिया था... मुझ आत्मा को बेरंग बना दिया था...
➳ _ ➳ मैं आत्मा मधुबन की पहाड़ियों पर सुप्रीम चित्रकार के सामने बैठी हूँ... सुप्रीम चित्रकार मुझ आत्मा का नया चित्र बना रहे हैं... सुप्रीम चित्रकार मुझ आत्मा में *ज्ञान-योग के ब्रश से रंग भरते जा रहे हैं...* सुप्रीम चित्रकार मुझ आत्मा के मस्तक पर सुन्दर सी बिंदी लगा रहे हैं... मुझ आत्मा का अज्ञानता रूपी काला रंग मिटता जा रहा है...
➳ _ ➳ सुप्रीम चित्रकार मुझ आत्मा के मन को प्रेम, सुख, शांति, आनंद के रंगों से भर रहे हैं... मुझ आत्मा के मन से मैं, मेरेपन के स्वार्थ के संस्कार मिटते जा रहे हैं... *सुप्रीम चित्रकार सर्व शक्तियों के अष्ट रंगों से* मुझ आत्मा को सजा रहे हैं... मुझ आत्मा की सारी कमी-कमजोरियां खत्म होती जा रही हैं...
➳ _ ➳ सुप्रीम चित्रकार मुझ आत्मा में पवित्रता के रंग भरते जा रहे हैं... मुझ आत्मा की सारी अपवित्रता मिटती जा रही है... मैं आत्मा रूहानी रंगों से सजती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा रूहानी चित्रकार बनती जा रही हूँ...अब मुझ आत्मा के मन-बुद्धि और दिल पर एक बाबा का ही चित्र बसा हुआ है... अब मैं आत्मा *रूहानी चित्रकार बन अपने कर्मों के ब्रश से* सबके दिलों पर बाबा का चित्र बनाती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सदा खुश रहने का दृढ़ संकल्प करती हूँ... मैं आत्मा अपने हर संकल्प, बोल और कर्म में बाबा की प्रत्यक्षता का झंडा लहराते जा रही हूँ... अब मैं आत्मा सदा मीठा बाबा, प्यारा बाबा, मेरा बाबा यही गीत गाते रहती हूँ... और ख़ुशी का डांस करते रहती हूँ... अब मैं आत्मा हर समय अपने दिल में *बाप की प्रत्यक्षता का झंडा लहराने वाली दृढ़ संकल्पधारी* स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सर्वशक्तियों से सम्पन्न बनकर विघ्न विनाशक स्थिति का अनुभव करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा शिवशक्ति हूँ... सर्वशक्तिवान... परमपिता परमात्मा की सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... सर्व शक्तियों के स्रोत परमपिता परमात्मा से मुझ आत्मा पर शक्तियों की किरणों का फाउंटेन निरंतर प्रवाहित हो रहा है... *मैं आत्मा अपने बाबा से आध्यात्मिक और अलौकिक शक्तियाँ लेकर अपने में समाती जा रही हूँ...*
➳ _ ➳ मेरे परमपिता की सर्वशक्तियों... सर्वगुणों पर मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है... मेरे मीठे प्यारे बाबा आपने मुझ आत्मा को कितनी अच्छी तरह से समझाया है कि *जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता है... उस शक्ति को विधिपूर्वक कार्य में लगाना है...* मन... बुद्धि... संस्कार सभी शक्तियों से ओत प्रोत हैं... मैं आत्मा अब सभी कमज़ोरियों और समस्याओं से मुक्त हूँ...
➳ _ ➳ मेरे प्यारे बाबा... सेकण्ड में हार जीत के खेल के लिए... समेटने की शक्ति भरकर सब संकल्पों को समेटकर मैं आत्मा एक की ही याद में रहती हूँ... साइलेन्स की शक्ति को यूज़ करके विस्तार को सार में समा रही हूँ... मैं संगमयुगी ब्राह्मण आत्मा चारों तरफ शक्तिशाली प्रकम्पन फैला रही हूँ... *सरलचित्त व हल्के रहने से सभी समस्याएं तथा विघ्न हल्के पड़ते जा रहे हैं...*
➳ _ ➳ *मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा के आगे कोई भी विघ्न व समस्या टिक नही सकती...* अब मैं आत्मा दिव्य शक्तियों की खान हूँ... मैं शक्तिसम्पन्न... विघ्न विनाशक फरिश्ता आत्मा सारे संसार को शक्तिशाली प्रकम्पन्न दे रही हूँ... उन्हें दुःखों से मुक्त कर रही हूँ... जिस शक्ति का आह्वान करती हूँ... वो सेवा में हाज़िर हो जाती है
➳ _ ➳ मैं शक्तिशाली आत्मा अब विघ्न विनाशक स्वरूप में सृष्टिरूपी गोले पर खड़ी हूँ... संसार की सर्व आत्माओं को सर्वशक्तियों का दान दे रही हूँ... उन्हें विघ्नों से मुक्त कर रही हूँ... जिस शक्ति का आह्वान करती हूँ... वो सेवा में हाज़िर हो जाती है... सभी आत्माओं को समस्या से लड़ने की शक्ति दे रही हूँ... *समस्याओं तथा विघ्नों से मुक्त होती आत्माएं सरलचित्त व हल्की होती जा रही हैं...* मैं आत्मा सर्वशक्तियों से सम्पन्न होकर विघ्न विनाशक स्थिति का अनुभव कर रही हूं...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *हर समय अपने दिल में बाप की प्रत्यक्षता का झंडा लहराने वाले दृढ़ संकल्पधारी होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ दृढ़ संकल्पधारी आत्मा अर्थात जो संकल्प ले लिया अब वो पूरा करना ही है और वो भी सफलतापूर्वक *जिसमें अनेक के साथ स्वयं का कल्याण समाया हुआ हो।* चाहे वह कोई भी कर्म हो छोटा या बड़ा लेकिन हर साधारण संकल्प को भी बाबा की याद से करते हुए उस कार्य को भी महान बनाने वाले ही बाप की प्रत्यक्षता का आधार है। मानो कोई भी सेवा कर रहे हो चाहे भोजन बनाने की, ज्ञान सुनाने की, झाड़ू लगाने की या कोई भी... वह भी गायन योग्य बन जाता।
❉ जब ऐसी आत्मा *हर एक कार्य करने से पहले शिवबाबा बिंदु की याद में रहकर हर कर्म करती* है तो इससे उसके विक्रम भी विनाश होते है और साथ साथ पुण्य का खाता भी जमा होता है जिससे वह हर कार्य प्रभु पसंद बन जाता है और *जो कार्य प्रभु पसंद बन जाए वह सर्व का प्यारा बन जाता है।* इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले विचार करे की मुझ आत्मा को स्मृति है की (मैं कौन हुँ और किसकी हुँ )।
❉ जैसे स्नेह के कारण हर एक के दिल में आता है कि हमें बाप को प्रत्यक्ष करना ही है। ऐसे अपने संकल्प, बोल और कर्म द्वारा दिल में प्रत्यक्षता का झंडा लहराओ, सदा ख़ुश रहने की डान्स करो, कभी ख़ुशी,कभी उदास- यह नहीं। *ऐसा दृढ़ संकल्प अर्थात व्रत धारण करो कि जब तक जीना है तब तक ख़ुश रहना है।* इसके लिए ही बाबा ने अभी ये भी कहा है जब तुम ख़ुश रहेंगे और ख़ुशियाँ बाँटेंगे तो कोई भी परिस्थिति दूर से ही भाग जाएगी और आपको टच भी नही करेगी।
❉ ख़ुशी में रहने के लिए सहज साधन है ड्रामा की नॉलेज को यथार्थ रीति बुद्धि में रखना की ड्रामा में हर एक का पार्ट कल्याणकारी है और बज रहा है। *मीठा बाबा, प्यारा बाबा, मेरा बाबा-- यही गीत ऑटोमेटिक बजता रहे तो प्रत्यक्षयता का झंडा लहराने लगेगा।* और कोई भी भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भी एकरस रहकर ख़ुश रहने का तरीक़ा है *एकनामी और इकॉनमी* जिससे संकल्प की बचत और स्थिति उड़ता पंछी बन जाती।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *विघ्न विनाशक बनना है तो सर्व शक्तियों से सम्पन्न बनो... क्यों और कैसे* ?
❉ अगर सदा बुद्धि का संबंध एक ही बाप से लगा हुआ है । तो संबंध से सर्वशक्तियों का वर्सा अधिकार के रुप में अवश्य प्राप्त होता है । और जो अधिकारी समझकर हर कर्म करते हैं । उन्हें कभी संकल्प में भी मांगने की इच्छा नहीं रहती । *अधिकारीपन की समृति में रहने के कारण वे स्वत: ही सर्वशक्तियों की प्राप्ति का अनुभव करते रहते हैं* । सर्वशक्तियों की लाइट सदा उनके साथ होने के कारण वे माया के ऊपर भी विजय पाने के अधिकारी बन जाते हैं और विघ्न विनाशक बन हर विघ्न से सहज ही मुक्त हो जाते हैं ।
❉ जैसे बीज भरपूर होता है । वैसे ज्ञान, गुण, शक्तियों से भरपूर आत्मा सदा अपने आपको सर्व प्राप्तियों से संपन्न अनुभव करती है । *सर्व शक्तियों से संपन्न होने के कारण मास्टर ऑल माइटी अथॉरिटी बन जैसा समय, जैसी परिस्थिति हो वैसी शक्ति का प्रयोग करके उस परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती है* । ऐसी अनुभवी अथॉरिटी वाली आत्मा सर्वशक्ति स्वरूप होने के कारण किसी भी विघ्न से हार खाने के बजाए विघ्न विनाशक बन हर विघ्न पर जीत प्राप्त कर लेती है ।
❉ इस अलौकिक ब्राह्मण जीवन में तन की शक्ति, मन की शक्ति, धन की शक्ति और संबंध की शक्ति की प्राप्ति वरदान के रुप में और वर्से के रुप में हर ब्राह्मण बच्चे को परमात्मा बाप द्वारा प्राप्त होती है । इन *सर्वशक्तियों के वर्से को जो सदा स्मृति में रखते हैं । वे सर्वशक्तियों से सदा सम्पन्न रहते हैं । वे किसी भी परिस्थिति में कभी भी हार नहीं खा सकते* । क्योकि सर्वशक्तियों की लाइट उनकी स्व स्थिति को इतना शक्तिशाली बना देती है कि विघ्न विनाशक बन वे हर विघ्न से मुक्त हो जाते हैं ।
❉ स्मृति से ही समर्थी आती है । इसलिए जो सदा इस स्मृति में रहते हैं कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं । तो वे सहज ही समर्थ स्वरुप आत्मा बन जाते हैं । वे केवल चिंतन और वर्णन नहीं करते लेकिन *मास्टर सर्वशक्तिवान का स्वरूप बन जाते हैं । इसलिए सर्व शक्तियां सदा उनके साथ होने के कारण उनका हर कदम और हर कर्म स्वत: ही शक्तिशाली होता है* । समर्थी स्वरूप और सदा शक्तिशाली स्थिति में स्थित होने के कारण वे विघ्न विनाशक बन हर विघ्न को सहजता से पार कर लेते हैं ।
❉ अव्यक्त बापदादा के महावाक्य हैं कि - सर्व शक्तियों का वर्सा इतना शक्तिशाली है जो कोई भी समस्या आपके आगे ठहर नहीं सकती । इसलिए *जो सर्वशक्तियों को इमर्ज रूप में सदा समृति में रखते हैं । और समय पर कार्य में लगाते हैं । उनकी बुद्धि की लाइन हमेशा क्लीन और क्लीयर रहती है* । निर्णय शक्ति तीव्र होने के कारण जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता होती है वह उसे कार्य में लगाकर समस्या मुक्त बन जाते हैं । और विघ्न विनाशक बन हर विघ्न को सहज रीति पार कर लेते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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