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❍ 05 / 01 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 2*5=10)
➢➢ *बुधी से नए घर का आह्वान किया ?*
➢➢ *सवेरे सवेरे उठ सारी दुनिया को शांति और सुख का दान किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:3*10=30)
➢➢ *सदा उत्साह में रह निराशावादी को आशावादी बनाया ?*
➢➢ *बीती को बीतो कर और बीती बातों से शिक्षा लेकर आगे के लिए सावधान रहे ?*
➢➢ *हर कर्म में त्याग आयर तपस्या प्रतक्ष्य कर सेवा में सफलता प्राप्त की ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 10)
➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - यह तन रावण की प्रॉपर्टी है, इसे रावण को देकर अशरीरी बनकर घर जाना है, इसलिए इससे ममत्व निकाल दो"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने सत्य स्वरूप के नशे में गहरे डूब जाओ... इस विकारी देह और देह के भान से स्वयं को मुक्त कर अशरीरी सच्चे वजूद की याद में खो जाओ... इस पराये शरीर के ममत्व से बाहर निकल *अपने अविनाशी अस्तित्व की मस्ती में झूम जाओ*...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में अपने असली स्वरूप को पाकर धन्य हो गयी हूँ... दुःख को ही जीवन का अटल सत्य समझने वाली शरीरधारी से... इस कदर *खुबसूरत मणि बन मुस्करा रही हूँ.*..
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... जिस लाल घर के लाल हो वहाँ यह पराया तन तो जा ही न सके... तो इससे फिर दिल लगाना ही क्यों... इन झूठे नातो और *विकारी सम्बन्धो के भँवर से ईश्वरीय यादो के सहारे बाहर निकल चलो*... और अपने खुबसूरत स्वरूप और सच्चे सौंदर्य को प्रतिपल याद करो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... आपने धरा पर आकर मुझे भूली भटकी आत्मा को आवाज देकर सुखो से संवार दिया है... *मै आत्मा तो दुखो के लिए हूँ ही नही.और सदा सुख की अधिकारी हूँ.*.. यह मीठा सत्य सुनकर मै आत्मा आपकी रोम रोम से ऋणी हो गयी हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... यह विकारी तन तो रावण का है यह कभी साथ जाना नही इसके मायाजाल से स्वयं को निकालो... *अपने अशरीरी के भान में खो जाओ* और ईश्वर पिता की यादो में अपनी धुंधली सी हो चली रंगत को उसी ओज से भर चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी प्यारी यादो में अपनी खोयी चमक को पाती जा रही हूँ... *शरीर के भान से मुक्त होकर सच्चे स्वरूप को* प्रतिपल यादो में समाकर ईश्वरीय यादो में मालामाल होती जा रही हूँ... मै अजर अमर अविनाशी आत्मा हूँ इस सच्ची ख़ुशी से मुस्कराती जा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा सच्ची सेवाधारी हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा विश्व कल्याणकारी हूँ... *रुहानी कमांडर बाबा की रुहानी सेनानी* हूँ... मैं ब्राह्मण आत्मा हर समय उमंग, उत्साह से भरपूर रहती हूँ... मैं आत्मा जीवन में सदा उड़ता पंछी बन उड़ती रहती हूँ... मैं आत्मा दूसरों के जीवन को भी उमंग, उत्साह के पंख लगाकर उड़ना सिखा रहीं हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा हर श्वांस में प्यारे बाबा को याद करती हूँ... बाबा ने मुझ आत्मा को अपना बनाकर सर्व खुशियों से मेरी झोली भर दी है... अपना बालक बनाकर सभी खजानों का मालिक बना दिया... मैं आत्मा भी ऐसे बाबा की याद में सदा रह सारे विकर्म विनाश कर रहीं हूँ... मैं आत्मा अपने सारे बोझ बाबा को सौंप कर *बेफिकर बादशाह बन* गई हूँ...
➳ _ ➳ अब मुझ ब्राह्मण आत्मा के खजाने में कोई वस्तु अप्राप्त नहीं है... मैं आत्मा सर्व प्राप्ति स्वरूप बन संतुष्टता का श्रृंगार कर उड़ते रहती हूँ... मैं आत्मा भी बाप समान रहमदिल, कल्याणकारी और वरदाता बन रहीं हूँ... करावनहार बाबा करा रहा है, मैं करनहार आत्मा निमित्त सेवाधारी बन निःस्वार्थ सेवा कर रहीं हूँ... मैं आत्मा सदा *सर्विस की स्टेज पर एवररेडी* रहती हूँ...
➳ _ ➳ रुहानी कमांडर के हर कमांड को राइट हेंड रुहानी सेनानी बन पालन करती हूँ... हर दुखी, परेशान, अशांत आत्माओं को सुख, शांति, खुशियों का दान दे रहीं हूँ... मैं ब्राह्मण आत्मा सदा अपने आक्युपेशन को स्मृति में रखती हूँ... मैं आत्मा "निराशावादी को आशावादी बनाने" की सच्ची सेवा कर रहीं हूँ... अब मैं आत्मा सदा उत्साह में रह *निराशावादी को आशावादी बनाने वाली* सच्ची सेवाधारी बन गई हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बीती को बीती कर, बीती बातों से शिक्षा लेकर आगे के लिए सावधान रहना।"*
➳ _ ➳ मुझ आत्मा को ब्राह्मण बनते ही तीन बिंदी की स्मृति बाबा ने दी हैं... मैं आत्मा बिंदी, मेरा बाबा बिंदी तो ड्रामा भी बिन्दी... ड्रामा में जो बीती... उसे पल में फुलस्टॉप लगा कर... मैं आत्मा सदैव... तीव्र पुरषार्थ करते... अपने लक्ष्य की और अग्रसर हूँ... ड्रामा के राज को अच्छी रीति समझ... *मैं आत्मा ड्रामे के पट्टे पर एक्यूरेट चलती हूँ...*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा चेकिंग मास्टर हूँ...* चेक कर चेंज करना मेरा नेचर हैं... हर बीती बात से शिक्षा ले मैं आगे के लिए सावधान रहती हूँ... चेक और चेंज करने से मैं अनुभव की अथॉरिटी बनती जाती हूँ... हर बात कुछ सिखाने आती हैं... हर परिस्थिति से सिख निरन्तर आगे बढ़ती रहती हूँ...
➳ _ ➳ बीती बातें मेरी शिक्षक हैं... उन्हें सामने रख हर कर्म के पहले चेकिंग कर ही मैं कर्म करती हूँ... मुझे सेकण्ड में फुलस्टॉप लगाते आता हैं... जो हुआ सो ड्रामा... बस और कोई चिंतन नहीं... *सब अच्छा- बुरा बाबा को सौंप... मैं निश्चिन्त रहती हूँ...*
➳ _ ➳ बनी बनाई बन रही... और क्या बनना बाकि... *ड्रामे का हर सीन कल्याणकारी हैं...* बस इस बात पर पूर्ण निश्चय रख... मैं आत्मा सदैव विजयी होती हूँ... जो हुआ अच्छा, जो हो रहा अच्छा और जो होगा वो भी अच्छा... परमात्मा के हाथों में हाथ दिया... फिर काहे की फिकरात... मैं आत्मा बीती सो बीती कर... आगे के लिए सावधान हो... नई दुनिया रचती चली हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *सदा उमंग में रह निराशावादी को आशावादी बनाने वाले सच्चे सेवाधारी होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ सदा उमंग में रह निराशावादी को आशावादी बनाने वाले सच्चे सेवाधारी होते हैं क्योंकि... *ब्राह्मण अर्थात! हर समय उत्साह भरे जीवन में उड़ने और उडाने* वाले होते हैं। उनका उमंग और उत्साह कभी भी कम नहीं होता हैं। उनके पास कभी निराशा आ नहीं सकती।
❉ वे सदा उमंग व उत्साह में रह कर आशावादी बने रहते हैं। इसीलिये तो उनको सच्चे सेवाधारी कहते हैं। वे *सदा उमंग व उत्साह में उड़ते और अन्य आत्माओं* को उड़ाते रहते हैं। वे सदा निराशा से परे, अर्थात! दूर रहते हैं। इसी को सच्ची सेवा कहते हैं।
❉ क्योंकि उत्साह होता हैं तो जीवन जीने का मजा ही कुछ ओर होता है, इसीलिये! सच्चे सेवाधारियों का उत्साह कभी कम नही हो सकता। अतः *हमें भी सदा ही उमंग और उत्साह बनाये रखना* है और कभी भी निराशा वादी नहीं बनना है।
❉ इसी लिये हमें सदा ही उमंग में रह कर, निराशावादी से आशावादी बन कर रहना है। *जैसे शरीर में श्वांस की गति यथार्थ चलती है तो अच्छी तंदरुस्ती* मानी जाती है ऐसे ब्राह्मण जीवन अर्थात उत्साह में रहना तथा निराशा से रहित हो कर रहना है। तब ही तो ब्राह्मण जीवन को उमंग उत्साह से परिपूर्ण माना जाता हैं। यथार्थ सेवाधारी।
❉ अतः हमें सदा उमंग में रह कर निराशा को आशा में परिवर्तित कर के निराशावादी को आशावादी बनाने वाले सच्चे सेवाधारी होते है तथा ब्राह्मण बनने की उमंग उत्साह में उड़ते और उड़ाते रहते हैं। *तभी तो ब्राह्मण जीवन को उत्साह* से परिपूर्ण माना जाता है।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *बीती को बीती कर दो और बीती बातों से शिक्षा लेकर आगे के लिए सावधान रहो... क्यों और कैसे* ?
❉ समस्याएं और कठिनाइयां मनुष्य जीवन का अभिन्न अंग है । किन्तु जीवन में आने वाली हर समस्या या कठिनाई हमारे ऊपर क्या प्रभाव डालती है यह निर्भर करता है हमारी स्व स्थिति पर । *हमारी स्व स्थिति जितनी अच्छी होगी उतना परिस्थिति छोटी नजर आएगी* । स्व स्थिति शक्तिशाली बनती है परमात्म याद से । इसलिए जो परमात्म याद में रहते हुए अपनी स्व स्थिति को मजबूत बनाये रखते हैं वे बीती को बीती कर बीती बातों से शिक्षा लेकर आगे के लिए सावधान हो जाते हैं ।
❉ जीवन में घटित होने वाली हर छोटी व बड़ी घटना हमे हमेशा कुछ ना कुछ सिखाने के लिए आती है । इसलिए कोई भी घटना घटित होने पर उसे देख घबराने के बजाए हिम्मत और हौंसला रख उसका सामना कर उससे जीवन को बेहतर बनाने की सीख लेनी चाहिये । *जो इस चिंतन के साथ जीवन में आने वाली हर परिस्थिति को स्वीकार कर लेते हैं* वो समस्या से घबरा कर उसमें फंसने के बजाए सेकंड में फुल स्टॉप लगा कर बीती को बीती कर बीती बातों से शिक्षा लेकर आगे के लिए सावधान हो जाते हैं ।
❉ ड्रामा का राज वो अचूक मन्त्र है जो सेकण्ड में हर समस्या से मुक्त कर देता है । क्योकि जो ड्रामा के राज को सदा स्मृति में रखते हैं वे कोई भी घटना घटित होने या कोई भी विपरीत परिस्थिति अथवा समस्या आने पर विचलित नही होते । बल्कि समाधान स्वरूप बन *हर परिस्थिति या घटना को नथिंग न्यू समझ कर उसे सहजता से ऐसे पार कर लेते हैं* जैसे कि कुछ हुआ ही नही । बीती बातों को याद कर दुखी होने के बजाए वे बीती को बीती कर देते हैं और बीती बातों से शिक्षा लेकर आगे के लिए सावधान हो जाते हैं ।
❉ एक स्टूडेंट भी अगली क्लास में तभी जाता है जब वो पहले वाली क्लास के लिए निर्धारित परीक्षा को पास करता है । अगर परीक्षा ही ना हो तो वो अगली क्लास में कैसे जा सकता है । ठीक इसी प्रकार *जीवन में आने वाली समस्याएं और परिस्थितियां भी एक तरह के पेपर हैं* जो अगली क्लास में जाने के लिए जरूरी है । क्योकि ये पेपर ही हमारे भविष्य के लिए दिशा निर्धारित करते हैं । इसलिए जीवन में आने वाली हर परिस्थिति को जो पेपर समझ कर पास करते हैं वे बीती बातों का कभी चिन्तन नही करते बल्कि बीती को बीती कर आगे के लिए सावधान हो जाते हैं ।
❉ बीती बातों का चिंतन करने वाले कभी भी जीवन में आगे नही बढ़ पाते । क्योकि उनकी व्यर्थ सोच छोटी सी घटना को भी पहाड़ जैसा बड़ा बना देती हैं । क्या, क्यों और कैसे की क्यू में वो इतने फंस जाते हैं कि उस *परिस्थिति रूपी पहाड़ को उड़ कर क्रॉस करने के बजाए उसे तोड़ने लग जाते हैं* और तोड़ते तोड़ते जब थक जाते हैं तो जीवन से ही निराश हो जाते हैं । किन्तु जो समझदार बन सेकंड में फुल स्टॉप लगा लेते हैं वे समस्या से भी मुक्त हो जाते हैं और बीती को बीती कर बीती बातों से शिक्षा ले कर आगे के लिए भी सावधान हो जाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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