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 26 / 10 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *आपस में बहुत प्यार से रहे ?*

 

➢➢ *मिलकर राय निकाली की किस युक्ति से हर एक तक बाप का सन्देश पहुंचे ?*

 

➢➢ *एक बाप से ही सच्ची प्रीत रखी ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *ड्रामा के हर राज़ को जान सदा ख़ुशी राज़ी रहे ?*

 

➢➢ *व्यर्थ से इन्नोसेंट रह सच्चे सच्चे सेंट बनकर रहे ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि कई बच्चे परखने में बहुत होशियार होते हैं। कोई भी गलती होती है, जो नीति प्रमाण नहीं है, तो समझते हैं कि यह नहीं करना चाहिए, यह सत्य नहीं है, यथार्थ नहीं है, अयथार्थ है, व्यर्थ है। *लेकिन समझते हुए फिर भी करते रहते या कर लेते।*

 

✧   तो इसको क्या कहेंगे? कौन-सी पॉवर की कमी है? *कन्ट्रोलिंग पॉवर नहीं।* जैसे आजकल कार चलाते हैं, देख भी रहे हैं कि एक्सीडेन्ट होने की सम्भावना है, ब्रेक लगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन ब्रेक लगे ही नहीं तो जरूर एक्सीडेन्ट होगा ना।

 

✧  ब्रेक है लेकिन पॉवरफुल नहीं है और यहाँ के बजाए वहाँ लग गई, तो भी क्या होगा? इतना समय तो परवश होगा ना चाहते हुए भी कर नहीं पाते। *ब्रेक लगा नहीं सकते या ब्रेक पॉवरफुल न होने के कारण ठीक लग नहीं सकती। तो यह चेक करो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

 

➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  आपस में बहुत प्यार से रह, सत्य बाप का परिचय देना"*

 

_ ➳  एक खुबसूरत उपवन में खिले लाल गुलाब को, मै आत्मा

देख रही हूँ...उसकी खूबसूरती और खुशबु मुझे... मेरे बाबा की याद दिलाती है कि.... मेरे मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी गोद में बिठाकर... *इसी तरहा कितना मीठा और प्यारा बनाकर... अपनी शक्तियो और गुणो से भरपूर कर... रूहानियत की रंगत और खुशबु से महकाया है.*.. मै आत्मा ईश्वरीय प्यार में अपनी खोयी महानता को पुनः पाकर... *विश्व धरा पर अनोखी बन, अपनी अदभुत छटा बिखेर रही हूँ.*.. और बरबस हर दिल को ईश्वरीय दिल की और आकर्षित कर रही हूँ... और इसी सोच में खोयी मै आत्मा... मीठे बाबा की कुटिया में पहुंचती हूँ...

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सच्चे प्यार में भिगोकर मा प्यार का सागर बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... इस सृस्टि में से आप भगवान द्वारा चुने हुए खुबसूरत फूल हो... सदा इस नशे में रहकर, अपनी रूहानियत से, अपने गुणो से, इस विश्व धरा को प्रेम की खुशबु से महका दो... आपस में इस कदर प्यार से रहो कि... *आपकी चलन से सहज ही मीठे बाबा की झलक दिखाई दे... और हर दिल इस सच्चे प्यार की कशिश में मीठे बाबा तक खिंचा चला आये.*.."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा से गुणो और शक्तियो की रंगत लेकर इस विश्व धरा को खुशियो के रंग में रंगते हुए कहती हूँ :- मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपसे अथाह खजाने पाकर और गुणो से सजधज कर... अपनी अनोखी छटा से हर दिल को आपका दीवाना बनाती जा रही हूँ... *प्रेम तरंगो से हर दिल को सराबोर कर रही हूँ... और स्नेह का प्रतीक बनकर सबको सच्चे पिता से मिलवा रही हूँ.*.."

 

   प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी श्रीमत देकर मुझे असीम खुशियो में भरते हुए कहा ;-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह की दुनिया में फंसे दुखो के दलदल में लिप्त... *विश्व की आत्माओ को सच्चे पिता से मिलवाकर... उनके दामन में भी सुख भरे फूल खिलाओ... उन्हें भी सच्ची खुशियो का पता दे आओ... उन्हें भी आप समान ज्ञान रत्नों से दौलतमंद बनाओ.*.. और आपस बहुत प्यार से रह, और स्नेह की धारा बहाकर, हर दिल का खुशियो से सिंचन करो... 

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में डूबकर गुणो की प्रतिमूर्ति बनकर कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा मेरे... देह भान में मै आत्मा स्नेह को भूलकर कड़वी और शुष्क हो गयी थी... *आपने अपनी मिठास से भरकर, मुझे प्रेम स्वरूप बना दिया है... आज यह ईश्वरीय प्रेम उपहार मै हर दिल को दे रही हूँ..*. सबकी प्यार से पालना करने वाली जगत मां बन गयी हूँ... और मुझे इतना खुबसूरत बनाने वाले पिता से मिलवा रही हूँ..."

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को रूहानियत से सराबोर कर प्यार का प्रतीक बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... आप ब्राह्मण बच्चे ईश्वर पिता की... पलको से चुने हुए पसन्दीदा फूल हो... इस खुमारी में सदा खोये रहो... और *आपस में रूहानियत की मिसाल बनकर, बहुत बहुत प्यार से रहो... सदा खुशियो में चहकते हुए, स्नेह में डूबे हुए, सबको मीठे बाबा का पता देकर*... इस विश्व धरा को सुखो की बगिया बनाने में सहयोगी बनो..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा की बाँहों में खोकर प्यार में मन्त्रमुग्ध होकर कहती हूँ ;-"सच्चे सहारे मेरे बाबा... *कब सोचा था मेने, कि यूँ भगवान आकर...  मुझ पर इतनी मेहनत करके मुझे इतना प्यारा और मीठा बनाएगा... और असीम सुख शांति से मेरा यूँ जीवन सजाएगा... आज मै आत्मा कितनी खुश हूँ*और यह ख़ुशी में सब पर लुटा रही हूँ... और सबको मीठे बाबा के घर का पता दे रही हूँ..."मीठे बाबा को अपने प्यार की दास्ताँ सुनाकर, और प्यार की तरंगो से तरंगित होकर... मै आत्मा इस धरा पर लौट आयी...

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मिल कर राय निकालनी है कि किस युक्ति से हर एक को बाप का संदेश पहुंचाये*"

 

 _ ➳  आत्मिक स्मृति में स्थित हो कर मैं जैसे ही अपने शिव पिता परमात्मा को याद करती हूँ वैसे ही *अशरीरी बन अपनी साकारी देह से न्यारी हो कर, अपने आकाल तख्त से उतर कर, इस देह से बाहर आ जाती हूँ और ज्ञान, योग के पंख लगा कर मैं आत्मा चल पड़ती हूँ अपने शिव पिता के पास*। मन बुद्धि के विमान पर सवार हो कर सेकण्ड में मैं साकारी दुनिया को पार करके, पहुँच जाती हूँ सूक्ष्म लाइट के फरिश्तों की आकारी दुनिया सूक्ष्म लोक में।

 

 _ ➳  फरिश्तों की इस जगमगाती दुनिया मे पहुँच कर मैं आत्मा भी अपना लाइट का सूक्ष्म आकारी शरीर धारण कर लेती हूँ और अपने फ़रिशता स्वरूप में स्थित हो कर फरिश्तो की इस अति सुंदर दुनिया मे प्रवेश करती हूँ। *अपने सूक्ष्म लाइट के फरिश्ता स्वरूप के साथ मैं जैसे ही सूक्ष्म लोक में पहुँचती हूँ मैं देखती हूँ जैसे फ़रिश्तों की सभा लगी हुई है*। लाइट माइट स्वरूप में बापदादा और उनके सामने सभी ब्राह्मण आत्मायें अपने फरिश्ता स्वरूप में विराजमान है।

 

 _ ➳  बापदादा की शक्तिशाली दृष्टि सभी फ़रिश्तों में असीम ऊर्जा का संचार कर रही हैं। सभी रूहानी मौज में डूबे हुए बापदादा के स्नेह में समाए हुए दिखाई दे रहें हैं। बापदादा अपने सभी ब्राह्मण सो फरिश्ता बच्चो के सामने अपने दिल के अरमान संकल्पो के माध्यम से प्रकट कर रहे हैं। *बाबा का अरमान है कि सभी ब्राह्मण बच्चे मिल कर ऐसी राय, ऐसी युक्ति निकालें कि हर एक आत्मा तक बाप का संदेश पहुँच जाये*। कोई भी आत्मा परमात्म सन्देश से वंचित ना रह जाए। मैं देख रही हूँ सभी ब्राह्मण बच्चे बाबा के संकल्पों को कैच कर रहें हैं और इस बात को अच्छी रीति समझ रहें है कि बाबा हम बच्चों से क्या चाहते हैं।

 

 _ ➳  बाबा का यह अरमान, बाबा के नयनों से स्पष्ट झलक रहा है और सभी ब्राह्मण बच्चे बाबा के नयनो की भाषा समझ कर मन ही मन स्वयं से और बाबा से यह दृढ़ प्रतिज्ञा कर रहें हैं कि सब मिल कर बाबा की इस आश को अवश्य पूरा करेंगे। *बाबा भी वहां उपस्थित अपने हर एक ब्राह्मण बच्चे की प्रतिज्ञा को उनके संकल्पो के माध्यम से भली भांति समझ रहें हैं*। इसलिए बाबा एक - एक बच्चे को अपने पास बुला कर, उसे विजय का तिलक और सदा सफ़लतामूर्त भव का वरदान देते हुए अपनी सर्वशक्तियों से उसे सम्पन्न बना रहे हैं।

 

 _ ➳  हर ब्राह्मण बच्चा वरदानों से अपनी झोली भर कर, सर्व शक्तियों से भरपूर हो कर बहुत ही शक्तिशाली बन गया है। *मन बुद्धि से मैं देख रही हूँ अब ब्राह्मणों के शक्तिशाली संगठन को जिनका केवल एक ही लक्ष्य है "युक्ति से हर एक तक बाप का संदेश पहुँचाना"*। और सभी ब्राह्मण सो फ़रिशता बच्चे इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अब वापिस साकारी दुनिया मे लौट रहे हैं। सब एकजुट हो कर घर-घर मे परमात्म सन्देश दे रहें हैं। *नई - नई युक्तियां निकाल कर अपने पिता परमात्मा से बिछुड़े अपने आत्मा भाइयों को मिलाने की सेवा में सभी लगे हुए हैं*।

 

 _ ➳  *अखबारों द्वारा, टेलीविजन द्वारा, मीडिया द्वारा घर - घर मे बाबा का संदेश पहुंच रहा हैं। विदेशों में भी सेवा का विस्तार हो रहा है। ब्राह्मण परिवार दिन - प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। परमात्म मदद से सभी एक दो सहयोग देते, उमंग उत्साह से बाबा के इस कार्य को सम्पन्न कर रहें हैं*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺  *"ड्रिल :-  मैं आत्मा  ड्रामा के हर राज को जान सदा खुश-राजी रहती हूँ।*

 

_ ➳  इस बने बनाए अविनाशी ड्रामा की हीरो पार्टधारीईश्वरीय खज़ानो की वारिसमैं आत्मा *नालेजफुल, त्रिकालदर्शी हूँमैं कभी नाराज नहीं हो सकती*भल कोई गाली भी देइनसल्ट कर दे तो भी राजीक्योंकि ड्रामा के हर राज को जानने वाले नाराज नहीं होते… *नाराज वो होता है जो राज को नहीं जानता है*इसलिए सदैव मुझ आत्मा को यह स्मृति रहती हैकि भगवान बाप के बच्चे बनकर भी राजी नहीं होंगे तो कब होंगेअभी *मैं आत्मा खुश भी हूँराजी भी हूँइसलिए मैं आत्मा बाप के समीप और समान हूँ*

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  व्यर्थ से इनोसेंट रहते हुए सच्चा सच्चा सेंट(महात्मा) बनते हुए अनुभव करना"*

 

_ ➳  *व्यर्थ का सदा के लिए सन्यास करने वाली... मैं एक महान आत्मा हूँ...* हर व्यर्थ कर्म का त्याग कर... *सदा समर्थ... सदा अलौकिक तथा भाग्यवान बनते हुए अनुभव कर रही हूँ...* श्रीमत के आधार पर... हर कदम को श्रेष्ठ बना रही हूँ... समय के... संकल्प के... महत्व को सदा स्मृति में रखते हुए अनुभव कर रही हूँ... मुझ आत्मा को *निश्चयबुद्धि से... वरदानी संगमयुग के... एक एक सेकंड से... सारे कल्प की प्रालब्ध को पा लेना है... मन में सदा ही ज्ञान का मनन चलते रहने का अनुभव हो रहा है...* ज्ञान रत्नों से... खुशी के खजानों से... सदा ही खेलते हुए... मैं महान आत्मा... *हर श्रेष्ठ संकल्प... श्रेष्ठ कर्म से... समय को भी महान बनता हुआ अनुभव कर रही हूँ...* व्यर्थ चिंतन की आँख बंद करके... *बाबा के कदम के पीछे कदम रखती हुई...* सच्चा सच्चा सेंट(महात्मा) बनते हुए अनुभव कर रही हूँ...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  ब्राह्मणों का काम क्या हैयोग लगाना भी क्या है? मेहनत है क्यायोग का अर्थ ही है आत्मा और परमात्मा का मिलन। तो *मिलन में क्या होता हैखुशी में नाचते हैं। बाप की महिमा के मीठे-मीठे गीत दिल आटोमेटिक गाती है। ब्राह्मणों का काम ही यह हैगाते रहो और नाचते रहो।* यह मुश्किल हैनाचना गाना मुश्किल हैनहीं है ना। जिसको मुश्किल लगता है वह हाथ उठाओ। आजकल तो नाचने गाने की सीजन हैतो आपको भी क्या करना है? नाचो, गाओ। सहज है नासहज है तो काँध तो हिलाओ। मुश्किल तो नहीं है ना?

 

 _ ➳  जान-बूझ कर सहज से हटकर मुश्किल में चले जाते हो। मुश्किल है नहीं, बहुत सहज है क्योंकि बाप जानते हैं कि आधाकल्प मुश्किल की जीवन व्यतीत की है इसलिए इस समय सहज है। मुश्किल वाला कोई हैकभी-कभी मुश्किल लगता हैजैसे कोई चलते- चलते रास्ता भूलकर और रास्ते में चला जाए तो मुश्किल लगेगा ना। ज्ञान का मार्ग मुश्किल नहीं है। ब्राह्मण जीवन मुश्किल नहीं है! *ब्राह्मण के बजाए क्षत्रिय बन जाते हो तो क्षत्रिय का काम ही होता है लड़ना, झगड़ना... वह तो मुश्किल ही होगा ना! युद्ध करना तो मुश्किल होता हैमौज मनाना सहज होता है।*

 

✺   *ड्रिल :-  "ब्राह्मण जीवन में नाचते, गाते रह सहज मौज मनाने का अनुभव"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा *झील के किनारे बैठ सूर्योदय के सुंदर नजारे का आनंद ले रही हूँ*... पानी की कल-कल ध्वनि... समूचे वातावरण में गुंजायमान हो रही है... पक्षियों का कलरव सर्वत्र मधुर संगीत घोल रहा है... मैं आत्मा उगते हुए सूर्य को देख रही हूँ... उगते हुए सूर्य की अरुणिमा से जैसे प्रकृति भी सुनहरी लाल चादर ओढ़ी हुई प्रतीत हो रही है... *प्रकृति की इस सुंदर छवि को देख मेरा मन आनंद विभोर हो रहा है*...

 

 _ ➳  सहसा वह गीत याद आ जाता है- 'जिसकी रचना इतनी सुंदर वह कितना सुंदर होगा...' इस स्मृति मात्र से ही *मन दर्पण में प्यारे शिवबाबा का सुंदर सलोना रूप छा जाता है... अपने प्रियतम की इस मोहिनी मूरत को निहारते-निहारते... मैं अपने बाबा को अपने बिल्कुल समीप ही देख रही हूँ*... मीठे बाबा अपनी स्नेह भरी दृष्टि से मुझे भरपूर कर रहे हैं... मेरा मन ईश्वरीय प्यार के झरने में भीगता जा रहा है... मेरे रोम-रोम से 'मेरा मीठा बाबा, मेरा प्यारा बाबा' का अनहद नाद सा गूँज रहा है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा मीठे बाबा से मिलन मना कर अति आनंदित हो रही हूँ... *मुख से वाह वाह के ही बोल निकल रहे हैं... कितना सुंदर है मेरा यह ब्राह्मण जीवन... मैं आत्मा बाबा के स्नेह में, अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूल रही हूँ*... परमात्मा की मोहब्बत में लीन होकर मैं हर प्रकार की मेहनत से मुक्त हो रही हूँ... योग लगाना नहीं पड़ता, मेहनत करनी नहीं पड़ती मेरा मन, मिलन के असीम सुख का अनुभव करने के लिए... स्वत: ही बाबा की मधुर स्मृतियों में समाया रहता है...

 

 _ ➳  परमात्मा से मिलन मनाते हुए मन मयूर खुशी में नाच रहा है... इस स्नेह में डूबकर आत्मा बाबा की महिमा के मीठे-मीठे गीत गुनगुना रही है... मेरे मीठे बाबा ने मुझे हर मेहनत से छुड़ा दिया है... अब मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य के और प्यारे बाबा की महिमा के गीत गुनगुनाती रहती हूँ... और हर पल खुशी की रास मना रही हूँ... *मुझ अति भाग्यवान श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा का काम ही है सदा ख़ुशी में नाचना और गाते रहना... बाबा ने मेरा यह ब्राह्मण जीवन कैसे मौजों से, आनंद से, खुशियों से भर दिया है*...

 

 _ ➳  आधाकल्प मैं आत्मा भक्ति के विविध प्रपंचों में पड़ कर अनेक कष्ट भोगती रही... जैसे कोई पथिक रास्ता भटक जाता है तो उसे कितनी परेशानी होती है... बाबा ने मुझ ब्राह्मण आत्मा के सहज कर्तव्य, सहज धर्म की स्मृति दिलाई है... *अब मैं आत्मा इस सुंदर ब्राह्मण जीवन में क्षत्रिय समान युद्ध नहीं करती हूँ... मैं आत्मा बाबा के बताए सहज मार्ग पर चलते हुए स्वयं को एक के लव में लवलीन कर रही हूँ... सदा ख़ुशी में नाचते, गाते सहज मौज का अनुभव कर रही हूँ*... 'पाना था सो पा लिया' के सुंदर अनुभवों में मगन हो रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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