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 05 / 03 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *खुशियों में नाचते नाचते हर कर्म किया ?*

 

➢➢ *दिन भर कानो में मुरली का सार बजता रहा ?*

 

➢➢ *सेल्फ रीयलाईजेशन से डिप्रेशन को दूर भगाया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *प्रीत की रीति निभा सर्व प्राप्तियों का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *बाप के, अपने जीवन की श्रेष्ठ महिमा के, ज्ञान के, सर्व प्राप्तियों के गीत गाते रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  *"प्रीत की रीत निभाने का सहज तरीका - गाना और नाचना"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अविनाशी शमा अविनाशी परवानो की अविनाशी प्रीत है... इस अलौकिक प्रेम में खो जाओ... और प्रीत की सच्ची रीत निभाओ... *गाना और नाचना*... सदा अपने खबसूरत भाग्य और मीठे बाबा को पाने के श्रेष्ठ गीत गाओ... और खुशियो में नाचो... हर कर्म खुशियो के संग विभिन्न खुबसूरत मुद्रा में ढालो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मै आत्मा खुबसूरत भाग्य की धनी हूँ कि प्यारा बाबा संग* जीवन कमल सा खिल उठा है... अमृतवेले से ही खुशियो के गीत गा रही हूँ... और ईश्वर पिता को पाकर अतीन्द्रिय सुख में आनन्द विभोर हो रही हूँ...

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... संगम के वरदानी समय में सदा नाचने और गाने में मस्त रहो... मुरली के साज को साथ लिए अनन्त खुशियो में झूमते ही रहो... और प्यार से यूँ झूमते हुए अशरीरी बन मीठे बाबा की गोद में आराम पाओ... *सदा कम्पेनियन बन मीठे बाबा संग मिलन की अनुभूतियों में खोये रहो.*...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यार की मीठी लहरो में बाबा संग लहरा रही हूँ... पारलौकिक पिता से प्रीत करने वाली... महान सौभाग्यवती बन मुस्करा रही हूँ... *सच्चा साथ निभाने आसमानी प्रियतम जीवन में आ चला है.*.. अपने इस मीठे भाग्य के गीत गुनगुना रही हूँ और प्रियतम के नशे में मस्तानी हो चली हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... सदा निमित्त और नम्रचित्त बनकर सेवाओ में आगे बढ़ते रहो... स्वपरिवर्तन से विश्व परिवर्तन कर बापदादा के दिल तख्तनशीन बन चलो... अपने मीठे भाग्य के नशे में खो जाओ... और अशांत दुखी आत्माओ को *सुख की सच्ची किरण दिखाने वाले रहनुमा बन चलो*...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपने मीठे भाग्य पर कुर्बान सी हो चली हूँ... प्यारे बाबा आपने दिव्य गुणो से मेरा जीवन रूहानी महक भरा कर दिया है... मै आत्मा सबके दुखो को दूर करने वाले दुखहर्ता हो चली हूँ... और *निमित्त और निर्माण होकर खुशियो के आसमान में सदा की उड़ रही हूँ..*.

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा मास्टर रहमदिल हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा *दाता की संतान* हूँ... दया के सागर की संतान हूँ... प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा के अंतर्मन में ज्ञान की ज्योति जगाकर... जन्मों-जन्मों के अज्ञान-अंधकार को दूर कर दिया... मैं आत्मा बिंदु बन ज्ञान, योग के पंख लगाकर ज्योतिर्बिंदु शिव बाबा से योग लगाती हूँ... ज्योतिर्बिंदु से आती तेज किरणों से मुझ आत्मा में दिव्य गुण, शक्तियां भरती जा रही हैं...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का विनाशी धन के पीछे भटकने का संस्कार समाप्त होता जा रहा है... मैं आत्मा अपने निज गुणों को धारण कर सतोगुणी बनती जा रही हूँ... मैं आत्मा सच्ची खुशी, शांति, *सर्व अविनाशी खजानों की मालिक* बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा अलौकिकता से सम्पन्न होती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का हद के स्वार्थ का संस्कार खत्म होता जा रहा है... मैं आत्मा *बाप समान रहमदिल* बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा विश्व कल्याणकारी स्टेज पर स्थित रहकर सर्व का कल्याण करती जा रही हूँ... निःस्वार्थ सेवा करती जा रही हूँ... मैं आत्मा सबको शुभ भावनाएं, शुभ कामनाएं देती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा *फ्राकदिली से दुखी, अशांत आत्माओं को सच्ची खुशी*, सच्ची शांति की अनुभूति कराती जा रही हूँ... वर्तमान समय प्रमाण जिसको जिस शक्ति, गुण की आवश्यकता है... उनको उन गुणों, शक्तियों का दान करती जा रही हूँ... सदा दातापन की सीट पर सेट रहकर मास्टर दाता बनती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व के प्रति रहम की भावना रखती हूँ... मैं आत्मा सर्व की दुआएं प्राप्त करती जा रही हूँ... दुआओं का खाता जमा करती जा रही हूँ... दान देने से मुझ आत्मा का अविनाशी खजाना स्वतः भरपूर होता जा रहा है... अब मैं आत्मा फ्राकदिल बन दुखी अशांत आत्माओं को खुशी का दान देने वाली *मास्टर रहमदिल स्थिति का अनुभव* कर रही हूँ...

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-. ज्ञान योग की रूहानी पालना से शक्तिशाली बनना और बनाना"*

 

➳ _ ➳  कितनी सौभाग्यशाली मैं आत्मा... जो स्वयं परमात्मा ज्ञान रत्नों से मेरी झोली भर रहा है... मेरे प्यारे शिवबाबा ने अज्ञानता का अंधेरा दूर कर... मेरा जीवन उजालों से भर दिया है... *परमात्म सम्बन्ध का... सृष्टि चक्र का... कल्याणकारी ड्रामा का ज्ञान* देकर... मुझे बेफिक्र बादशाह बना दिया है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा ज्ञान को यथार्थ रीति धारणा में लाकर अनुभव स्वरूप बनने लगी हूँ... अनुभवी मूर्त बन... परिस्थिति के हर धोखे से स्वयं को बचाना कितना सहज हो गया है... *परमात्म ज्ञान को धारणा में लाकर... परमात्म पालना का निरंतर अनुभव कर रही हूँ...* कितना आनन्दमयी रूहानी नशा है ये...

 

➳ _ ➳  परमात्म मिलन के आनन्द में खोई हुई मैं आत्मा... ज्ञान मुरली रत्नों से अपना जीवन संवार रही हूँ... हर समस्या का समाधान पाकर निश्चिंत हो गयी... बुद्धि स्थिर हो गयी... बुद्धि रूपी नेत्र खुलकर... मन व बुद्धि दिव्य तथा आलौकिक हो गये हैं... *ज्ञान रत्नों को धारण कर के रूहानी पर्सनैलिटी निखारती जा रही हूँ...*

 

➳ _ ➳  *अब मैं आत्मा सर्व कमज़ोरियों से मुक्त होकर... शक्ति स्वरूप हो गयी हूँ...* शक्तियों का स्रोत... शक्तिदाता मेरा बाबा मुझ पर शक्तियाँ लुटा... दिव्य शक्तियों से मुझे ओत-प्रोत कर रहा है... मैं शक्तिस्वरूप आत्मा... आध्यात्मिक तथा आलौकिक शक्तियों का पुंज हो गयी हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं चैतन्य शक्ति आत्मा संसार की सर्व आत्माओं को सर्व शक्तियों का दान देकर... उन्हें भी शक्तिशाली बना रही हूँ... उन्हें भय व चिन्ता से मुक्त कर रही हूँ... वह हर परिस्थिति का सामना करने की शक्ति प्राप्त कर रहीं है... रूहानी पालना का अनुभव करते हुये... *सभी आत्मायें अपने में शक्ति भर... ड्रामा में पार्ट बजाने के लिये तैयार हैं...*

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *फ्राकदिल बन दुःखी अशान्त आत्माओं को ख़ुशी का दान देने वाले मास्टर रहमदिल होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   फ्राकदिल बन दुःखी अशान्त आत्माओं को ख़ुशी का दान देने वाले मास्टर रहमदिल होते हैं क्योंकि...  *वर्तमान समय में लोगों को और सब कुछ तो मिल सकता है लेकिन!  सच्ची ख़ुशी नहीं मिल सकती है।* इसलिये!  यदि ऐसे समय पर हम दुःखी व अशान्त आत्मायों को तनिक भी सुख की अनुभूति करवा देंगे तो वह दुःखी व अशान्त आत्मायें हमें दिल से दुआयें देंगी। 

 

❉   तब उन दुआओं का फल हमें यही प्राप्त होगा कि... *हम हमारे पुरुषार्थ को सुगमता से आगे की ओर बढा सकेंगे,*  क्योंकि...  अब ये दुआयें हमारे के लिये लिफ्ट का कार्य करेंगी। अतः दुआयें हमें हमारे लक्ष्य तक या यूँ कहें कि हमें मंजिल तक पहुँचाने में रॉकेट के समान कार्य करती हैं।

 

❉   इसलिये!  हमें सदा यही प्रयास करते रहना है कि किसी भी आत्मा को दुःख न पहुँचाये, क्योंकि...  हम दाता के बच्चे हैं।  तो! *हमें सिर्फ! फ्राकदिली से ख़ुशी का खज़ाना ही बाँटना है, तथा स्वयं के भीतर रहमदिली के गुण को इमर्ज़ भी करना है।* कभी इस प्रकार से नहीं सोचना है कि... ये तो सुनने वाले ही नहीं हैं।

 

❉   हमारी सोच जैसी होगी हमारा कार्य भी उसी अनुसार होगा। इसलिये सदा अपनी सोच को उच्च बनाना है। *ऊँची सोच जादू के समान कार्य करेगी और हम अपने प्रत्येक कार्य में सफलतामूर्त बन जायेंगे।* इसलिये! अगर कोई भी हमारे द्वारा किये गये श्रेष्ठ कार्यों में विघ्न स्वरूप भी बनता है तो!  भी उस आत्मा के प्रति हमारे मन में सदा ही रहम की भावना रहनी चाहिये।

 

❉   तभी तो कहा है कि...  रहम के गुण को अपने भीतरी परत तक समां लेना है। दाता के बच्चे सदा दातापन के संस्कारों से विभूषित होंगे। वे सदा सर्व को खुशियाँ ही खुशियाँ बाँटते हुए प्रतीत होंगे। *अतः भल कोई आपोजीशन भी करे तो भी हम को अपनी रहम की भावना नहीं छोड़नी है।* रहम की भावनाशुभ भावना रुपी फल अवश्य देती है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *ज्ञान योग की पालना ही रूहानी पालना है - इस पालना से शक्तिशाली बनो और बनाओ... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे वर्तमान समय ब्रह्मा बाबा अव्यक्त फरिश्ता बन शुद्ध संकल्पो की शक्ति से हम सबकी पालना कर रहें हैं, सेवा की वृद्धि के सहयोगी बन सेवा को आगे बढ़ा रहें हैं । तो ऐसे *ब्रह्मा बाप समान इस विशेषता को स्वयं में बढ़ाने के लिए जरूरी है ज्ञान और योग को अपनी नेचर बना लेना* । क्योकि जितना ज्ञान की धारणा और योग युक्त स्थिति होगी उतना हर कर्म नेचरल, श्रेष्ठ और युक्ति युक्त होगा । ज्ञान और योग की यह रूहानी पालना ही स्थिति को शक्तिशाली बना कर अनेकों आत्माओं का कल्याण करेगी ।

 

❉   जब ज्ञान और योग को अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बना लेंगे तभी सिद्धि स्वरूप आत्मा बन स्वरूप बनाने की सेवा कर सकेंगे । *अभी के समय प्रमाण और आगे आने वाले समय प्रमाण इस सेवा की आवश्यकता ज्यादा है* क्योंकि आत्माएं सुनते सुनते थक गई है । अब वो अनुभव चाहती हैं । और दूसरों को अनुभव कराने के लिए जरूरी है शक्तिशाली वायुमंडल । जो तभी निर्मित होगा जब योगी तू आत्मा बन ज्ञान और योग को जीवन में धारण कर रूहानी पालना से स्वयं भी शक्तिशाली बनेंगे तथा औरों को भी बनाएंगे ।

 

❉   जितनी जीवन में ज्ञान की धारणा होगी और आत्मा में योग का बल जमा होगा उतना हर कर्म नेचरल श्रेष्ठ और युक्तियुक्त होगा जिससे *वृत्ति द्वारा वृतियों को और संकल्प द्वारा संकल्पों को बदलना सहज हो जायेगा* । यह सूक्ष्म सेवा आत्माओं को स्वत: ही कई कमजोरियों से मुक्त कर देगी और ऐसा शक्तिशाली वायुमण्डल निर्मित

कर देगी जो अनेको आत्मायों को ऐसी रूहानी पालना का अनुभव करायेगा कि उनका जीवन सहज ही परिवर्तित हो जायेगा और वे शक्तिशाली स्थिति में स्वत: ही स्थित हो जायेंगे ।

 

❉   जैसे आज कल साइंस द्वारा हर चीज को क्वांटिटी के बजाए क्वालिटी में ला रहे हैं । ऐसा छोटा सा रुप बना रहे हैं । जो *रुप है छोटा लेकिन शक्ति अधिक भरी हुई होती है* । इसी प्रकार जब ज्ञान और योग को जीवन में धारण कर अनुभवीमूर्त बन जायेंगे तो कर्मो में श्रेष्ठता आती जायेगी और हर कर्म ऐसा श्रेष्ठ बन जायेगा कि *हमारे हर संकल्प, बोल और कर्म से रूहानियत की ऐसी खुशबू फैलेगी* जो अनेकों आत्मायों के जीवन में शक्ति का संचार कर उन्हें शक्तिसम्पन्न स्थिति में स्थित कर देगी ।

 

❉   जैसे अख़बारों द्वारा, टीवी व रेडियो द्वारा एक ही समय में अनेकों को संदेश पहुंचाने की सेवा करते हैं । उसी प्रकार कर्म और मनसा दोनों सेवा का बैलेंस वायुमंडल को ऐसा शक्तिशाली बना देगा । जिससे विहंग मार्ग की सेवा होगी । *याद बल और श्रेष्ठ संकल्प के बल द्वारा की गई ऐसी विहंग मार्ग की सेवा लाखों - करोड़ों आत्माओं का कल्याण करेगी* । किन्तु यह सेवा तभी होगी जब ज्ञान और योग की जीवन में धारणा होगी तभी रूहानी पालना में पलते हुए शक्तिशाली बन औरों को शक्तिशाली बनाने का पुरुषार्थ कर सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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