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 17 / 01 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 2*5=10)

 

➢➢ *आराम पसंद तो नहीं बने ?*

 

➢➢ *सदैव कंस्ट्रक्शन का ही काम किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:3*10=30)

 

➢➢ *माया और प्रकृतिकी हलचल से सदा सेफ रहे ?*

 

➢➢ *ज्ञान स्वरुप, प्रेम स्वरुप बनकर रहे ?*

 

➢➢ *अपनी शान से परेशान आत्माओं को शांति और और चैन का वरदान दिया ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *आत्माओं को अपनी सूरत द्वारा ब्रह्मा की मूर्त का अनुभव करवाया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - आत्मा को निरोगी बनाने के लिए रूहानी स्टडी करो और कराओ, रूहानी हॉस्पिटल खोलो"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... स्वयं के सत्य स्वरूप को जो भूले तो जनमो के विकराल दुखो को भोगते जर्जर हो चले थे... अब *रूहानी सर्जन बाबा सदा का सुख स्वास्थ्य सम्पति हाथो में ले धरा पर उतर आया है.*.. तो रूहानी स्टडी में दिल जान से जुट जाओ और सबको निरोगी बना विश्व धरा को सच्चे सौंदर्य स्वस्थता से सजाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा शरीर के भान को सत्य समझ किस कदर मलिन हो चली थी... *आपने प्यारे बाबा मुझे रूहानियत से सजाया और महकाया है.*.. मै आत्मा अपने खोये वजूद को पाकर सदा की निरोगी बन गयी हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय ज्ञान ही वह खजाना है जिससे सच्चे सुखो के स्वामी बन मुस्कराते हो... इस *दौलत से स्वयं भी मालामाल बनो और यह अमीरी हर दिल के आँगन में छ्लकाओ.*.. सच्चे ज्ञान और सच्ची यादो से हर दिल आत्मा को निरोगी बनाओ... और रूहानी हॉस्पिटल खोल सबका कल्याण करो...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपको पाकर सदा की निरोगी बन रही हूँ... *इन मीठी यादो ने सच्चे सुखो से मेरा दामन सजाया है*... अपने गुणो और खोयी शक्तियो को पुनः पाकर मै आत्मा मायाजीत जगतजीत बन मुस्करा उठी हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे...  शरीर के भान में आने से पाये दुखो की तपन ने आत्मा फूलो को कुम्हला कर रोगी सा किया है... अब प्यारा पिता मखमली स्पर्श ले आया है... *ज्ञान और प्यार के जादू से सदा का स्वस्थ कर नूरानी सा खिला रहा है.*.. इस प्यार के नशे में खो जाओ और सबको आप समान दीवाना बनाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा इन *महकती ईश्वरीय यादो में अपने नूरानी तेज को पाकर* विश्व धरा की मालिक बनने का भाग्य... ईश्वर पिता से अपने हाथो की तकदीर में सजा रही हूँ... और सबको ऐसा भाग्यशाली बनाकर पिता के दिल तख्त पर मुस्करा रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा दिलतख्तनशीन हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा *संगमयुग की पदमापदम भाग्यशाली आत्मा* हूँ... स्वयं सुप्रीम गॉड मुझ आत्मा को गोद लेते हैं... श्रेष्ठ पालना देते हैं... स्वयं परमात्मा सुप्रीम टीचर बन मुझ आत्मा को पढ़ाते हैं... सतगुरु बन महामंत्र देते हैं... पवित्र योगी बनाकर मुझ आत्मा को पुरानी दुनिया से अपने घर परमधाम लेकर जाते हैं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अपने अकालतख्त पर विराजमान होकर परमपिता परमात्मा की याद में बैठती हूँ... मैं आत्मा ज्ञान चिता पर बैठकर सभी चिंताओं की चिता जला रही हूँ... सर्व परेशानियों को ख़त्म कर *रुहानी शान को धारण* कर रही हूँ... एक दिलाराम बाप से योग लगाकर सर्व शक्तियों को आत्मसात कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा ज्ञान, योग की शक्तियों से अपने कर्मेंद्रियो, मन, बुद्धि, संस्कार के ऊपर अपना अधिकार बना रही हूँ... स्वराज्य अधिकारी बन रही हूँ... अब मुझ आत्मा की सभी कर्मेंद्रियां ऑर्डर प्रमाण चल रही हैं... अब मैं आत्मा *परमात्म-पालना, परमात्म-पढाई, परमात्म-श्रीमत* के आधार पर परमात्मा की दिलतख्तनशीन बन रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा श्रीमत की मर्यादाओं में रहकर श्रेष्ठ कर्म कर *सदा खुशी का प्रत्यक्षफल* खाती हूँ... इसी रुहानी नशे में रहती हूँ कि मैं आत्मा परमात्मा के दिल में समाई हुई हूँ... अब माया वा प्रकृति के तूफान मुझ आत्मा को हिला नहीं सकते... मैं आत्मा दिलाराम बाप के दिलतख्त में सदा सेफ रहती हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा सदा अचल रहती हूँ... अब मैं आत्मा चंचल घर से निकल अचलघर में रहती हूँ... मैं आत्मा सदा इसी स्मृति में रहती हूँ कि मैं आत्मा कल्प-कल्प अनेक बार अचल बनी हूँ... और अभी भी अचल हूँ... मैं आत्मा *निश्चय बुद्धि बन अचल अडोल* बन गई हूँ...

 

➳ _ ➳ मैं आत्मा चारों सब्जेक्ट्स में पास विद ऑनर बन रही हूँ... मैं आत्मा यथार्थ चार्ट रखती हूँ... मै आत्मा रोज़ रात को बीते हुए दिन का अग्नि संस्कार कर देती हूँ ...और हर सुबह "बाबा" की उंगली पकडकर स्वर्ग जाने का पुरुषार्थ करती हूँ... अब मैं आत्मा माया और प्रकृति की हलचल से सदा सेफ रहने वाली *दिलाराम की दिलतख्तनशीन* बन गई हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप बनना ही शिक्षाओं को स्वरूप में लाना"*

 

➳ _ ➳  मैं ज्ञान सूर्य शिवबाबा की सन्तान मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ... अपने ज्ञान प्रकाश से पूरे विश्व को रोशन कर रही हूँ... परमात्मा की शिक्षाओं द्वारा पलने वाली... मैं ज्ञान स्वरूप आत्मा... शिवबाबा से प्राप्त सम्पूर्ण ज्ञान स्वयं में उतार... ज्ञानी तू आत्मा बन गई हूँ... *मेरा प्रत्येक संकल्प, प्रत्येक बोल, प्रत्येक कर्म ज्ञान युक्त हैं...*

 

➳ _ ➳  बाप समान बनना ही, बाप की पालनाओं का रिटर्न देना हैं... *ज्ञान सागर में डुबकी लगा कर... मुझ आत्मा ने सारा ज्ञान गैलप कर लिया हैं...* मैं आज्ञाकारी आत्मा हूँ... परमात्म का हुक्म मेरे सर आँखो पर हैं... ब्राह्मण जीवन की हर मर्यादा को और बाबा से मिली शिक्षाओं का पालन करते... मैं आत्मा बाबा की शिक्षाओं का स्वरूप बन गई हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं प्रेम के सागर शिवबाबा में समाई हुई... *प्रेम की मास्टरपीस आत्मा हूँ... मेरे हर व्यवहार में सर्व के लिए... रूहानी प्रेम टपकता हैं...* प्रेम करना मेरा स्वभाव हैं... ड्रामा के राज को जान... हर आत्मा प्रति प्रेम भाव, रहम भाव रखना मेरा नेचरल स्वभाव बन गया हैं... मैं प्रेम स्वरूप आत्मा बाबा की दिलतख्तनशीं, स्नेही हूँ... प्रभु प्रिय आत्मा हूँ... परमात्मा के नैनो का नूर हूँ...

 

➳ _ ➳  ज्ञान स्वरूप और प्रेम स्वरूप बन मैं आत्मा... बाबा की सम्पूर्ण शिक्षाओं का स्वरूप बन गई हूँ... बाबा की शिक्षायें ही मेरे जीवन का सबसे बड़ा बल हैं... *बाबा की शिक्षायें ही विघ्नों से और समस्याओं से मुझे सुरक्षित रखने का सेफ्टी कवच हैं...* बाबा की शिक्षाओं का स्वरूप बन... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान बन गई हूँ...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *माया और प्रकृति की हलचल से सदा सेफ रहने वाले दिलाराम के दिलतख्तनशींन होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   माया और प्रकृति की हलचल से सदा सेफ रहने वाले दिलाराम के दिलतख्तनशीन होते हैं क्योंकि...  *हमारे पास सदा सेफ रहने का स्थान,* केवल और केवल एक ही है, और वह है दिलाराम बाप का दिलतख्त। हमें सदा इसी स्मृति में रहना है कि...  हमारा अति से भी अति सर्व श्रेष्ठ भाग्य हैजो हम भगवान के दिलतख्तनशीन बन गए हैं।

 

❉   अब तो!  हम अति श्रेष्ठ भाग्यवान बन गये हैं, क्योंकि.  हमेंमाया से व प्रकृति की हलचल से सदा सेफ रहने के लिये भगवान का दिलतख़्त जो मिल गया है।  अर्थात!  दिलाराम बाप के दिलतख़्तनशीन बनना। *दिलाराम बाप का दिलतख़्त हमारे लिये सदा ही सेफ्टी का साधन है।* यहाँ बाहरी विकृतियाँ हमारा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकती।

 

❉   अर्थात! बाहरी हलचलमाया और प्रकृति की हलचल से हम एकदम सेफ व सुरक्षित हैं चूँकि... *जो परमात्म दिल में समाया हुआ हैअथवा!  जो बाप का दिलतख्तनशींन है,*  वह सदा ही सेफ है, और सुरक्षित भी है। अतः हमें सदा बाबा के दिल के अलावा कहीं भी विश्राम नहीं करना है।

 

❉   इसीलिये तो कहा गया है कि...  जो बच्चे!  बाबा के दिलतख्त पर राज करते हैं अर्थात!  जो बाप के दिलतख्तनशींन हैंउन बच्चों को माया वा प्रकृति के तूफान कभी भी हिला नहीं सकते हैं। *अतः वह बच्चे!  हर प्राकृतिक व अप्राकृतिक परिस्थिति में सदा ही सेफ व सुरक्षित रहते* हैं। उन बच्चों का माया कुछ भी बिगाड़ नहीं कर सकती।

 

❉   वह सदा ही अचल व अडोल रहते हैं। तभी तो! आबू में ऐसे अचल रहने वालों का यादगार भी बना हुआ है। वहाँ उनकी याद में बना हुआ घर है जिसे अचलघर कहते हैं। उसे चंचल घर नहीं कहेंगे। इसीलिये! *हमें सदा ये स्मृति रखनी है कि...  हम पहले भी अनेक बार अचल बने* हैंऔर अभी भी अचल बनना हमारा निश्चित ही हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप बनना ही शिक्षाओं को स्वरूप में लाना है... क्यों और कैसे* ?

 

❉   शिक्षाओं को धारणा में ला कर जो उसका स्वरूप बन जाते हैं उनके हर संकल्प, बोल और कर्म में शिक्षा का स्वरूप सबको प्रत्यक्ष दिखाई देता है । *उन्हें मुख से बोल कर दूसरों को समझाने की जरूरत नही पड़ती* बल्कि उनका चेहरा और चलन ही उनके ज्ञान और प्रेम स्वरूप होने का संकेत देता है । उनके चेहरे की रूहानियत ही दूसरों को ज्ञान देने और उन्हें प्रेम, सुख, शांति का अनुभव कराने का आधार बन जाती है ।

 

❉   ज्ञान की बातें तो शास्त्रों में भी भरी पड़ी है । किंतु आज तक ना तो कोई उनका यथार्थ अर्थ समझ पाया और ना ही उसे धारणा में ला कर उसका स्वरूप बन पाया । *अब स्वयं परमात्मा बाप ने आ कर शास्त्रों में कही हर बात का अर्थ तर्क के साथ समझाया* । सभी वेदों शास्त्रों का सार बाबा ने आ कर हमारे सामने रख दिया । जो ज्ञान की इन प्वाइंटस को मनन करके अपने जीवन में धारण करते हैं । वो बाबा की शिक्षाओं को स्वरूप में ला कर ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप आत्मा बन जाते हैं ।

 

❉   आने वाले समय प्रमाण ऐसी तड़पती हुई कमजोर आत्माएं हमारे सामने आएंगी जो ज्ञान सुनने, समझने की इच्छुक नही होंगी । *ऐसी आत्माओं की इच्छा केवल कुछ क्षणों के लिए ही सुख और शांति को पाने की होगी*। ऐसी अशांत और दुखी आत्माओं को सुख और शांति का अनुभव तभी करवा सकेंगे जब स्वयं सुख और शांति से सम्पन्न होंगे । और सम्पन्न तभी बनेंगे जब शिक्षाओं को स्वरूप में लाएंगे । शिक्षाएं जब स्वरूप में आएंगी तो ही ज्ञान स्वरूप और प्रेम स्वरूप आत्मा बन अनेकों का कल्याण कर पाएंगे ।

 

❉   ज्ञान को सुनना और सुनाना यह ज्ञानी आत्मा की निशानी है किंतु ज्ञान को धारणा में ला कर स्वरूप बन उसका अनुभव आत्माओं को कराना यह ज्ञानी तू योगी आत्मा की निशानी है । *ज्ञानी आत्मा विपरीत परिस्थितियों में डोल सकती है* किंतु ज्ञानी तू योगी आत्मा अनुभवीमूर्त होने के कारण अपने अनुभव से समय पर शिक्षाओं को अमल में ला कर ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप आत्मा बन हर समस्या से स्वयं भी मुक्त हो जाती है और अपने धारणा मूर्त स्वरूप से अन्य आत्मायों का भी कल्याण कर देती है ।

 

❉   हमारे इस योगी जीवन का आधार ही है ज्ञान की गुह्यता में जा कर अपने बुद्धि रूपी नेत्रों को ज्ञान की दिव्यता से दिव्य और आलौकिक बनाना । *क्योकि जितनी यह दिव्यता बढ़ती जायेगी उतना ही ज्ञान के अथॉरिटी स्वरूप सहज बनते जायेंगे* और शिक्षाओं का स्वरूप स्वत: ही चेहरे और चलन से स्पष्ट दिखाई देने लगेगा । शिक्षाओं को स्वरूप में ला कर अनुभवी मूर्त बन जब अन्य आत्माओं के सम्पर्क में आयेंगे तो अपने ज्ञान और प्रेम स्वरूप से उनको भी परमात्म पालना का अनुभव करवा पायेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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