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 05 / 02 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *आवश्यकता को हद में रख लोभ के अंश को समाप्त किया ?*

 

➢➢ *किसी आत्मा के प्रति विशेष झुकाव न रख स्नेह के रॉयल रूप से दूर रहे ?*

 

➢➢ *"यह ऐसा है, यह तो बदलना ही नहीं है" - किसी भी आत्मा के प्रति इस तरह से सूक्षम घृणा भाव तो नहीं रखा ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *आपस में भी मुबारकबाद दी और स्वयं को भी मुबारकबाद दी ?*

 

➢➢ *"मेरी विशेषता नहीं, बाप द्वारा मिली हुई विशेषता है" - सदा यह स्मृति रही ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  *"बधाई और विदाई दो"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने खुबसूरत भाग्य के नशे में खो जाओ... वरदानी संगमयुग में ईश्वर पिता द्वारा चुनी विशेष आत्माये हो... *अपनी अलौकिकता अपनी रूहानियत और मा सर्वशक्तिवान के नशे में गहरे डूब जाओ.*..  स्वयं को बधाई दो... और अपनी कमजोरियों को विदाई देकर विश्व धरा पर मुस्कराओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा स्वयं को कितना निकृष्ट समझ निराश जीवन जीती जा रही थी... प्यारे बाबा आपने जो मेरा हाथ थामा तो *मै आत्मा कितनी गुणवान भाग्यवान और देवतुल्य हो चली हूँ.*.. मेरे अलौकिक जनम ने जीवन कितना श्रेष्ठ और प्यारा बना दिया है...

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे...सदा शुभभावना से भरे दिल से सबको स्नेहिल हाथो से आगे बढ़ाते चलो... कमी कमजोरियों को न देख विशेषताओ के पारखी बन बेहद परिवार के स्नेह में खो चलो... रावण के अंश वंश को समाप्त कर सदा के नष्टोमोहा हो चलो.... *न्यारे बन प्र्योग करने में प्यारे बनो*..

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा आपकी बेपनाह मुहोब्बत में अति मीठी प्यारी हो चली हूँ... *सारा विश्व मेरा परिवार है और बेहद दिल लिए मुस्करा रही हूँ.*.. सबका भला हो सब सुख पाये के भाव से, ओतप्रोत मै आत्मा सबकी विशेषता को निहार आत्मसात कर रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... सदा एक बाप में ही सारा संसार देख फॉलो फादर कर... सदा की एकरस अवस्था का अनुभव करो... सदा अचल अडोल स्थिति में रहकर अतीन्द्रिय सुख को अनुभव करो... अपने मीठे भाग्य के गुण गाओ... *सर्व प्राप्तियों की खान को बाँहों में लिए सदा मीठे मुस्कराओ*....

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सच्ची ख़ुशी से भरपूर अपने भाग्य को देखकर निहाल हूँ... कभी सोचा भी न था कि यूँ गुणो और शक्तियो की मालिक बन मुस्कराऊंगी और *सर्व प्राप्तियों की खान मेरे कदमो में होगी.*.. मीठे बाबा मै आत्मा रोम रोम से आपकी ऋणी हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा कर्मयोगी हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा एकांत में बैठकर स्व-चिंतन करती हूँ... मैं *अजर, अमर, अविनाशी आत्मा* हूँ... मैं एक अवतरित आत्मा हूँ... मैं आत्मा इस देह में पार्ट बजाने आई हूँ... मैं आत्मा अपने कर्मेंद्रियों के द्वारा कर्म करती हूँ... मैं आत्मा इस देह और सर्व कर्मेंद्रियो की मालिक हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा धीरे-धीरे देहभान से न्यारी होती जा रही हूँ... मैं आत्मा प्रकाश का शरीर धारण कर प्रकाश की दुनिया परमधाम में आ जाती हूँ... मैं आत्मा प्यारे बाबा के लव में लीन हो जाती हूँ... मैं आत्मा *परमात्मा की सर्व शक्तियों और गुणों* को अपने अंदर समाती जा रही हूँ... सर्व शक्तियों से सम्पन्न बनती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा *स्मृति स्वरूप बनती* जा रही हूँ... अब मैं आत्मा सदा यथार्थ रीति एक बाप की याद में रह हर कर्म करती हूँ... ज्ञान, गुण, शक्तियों के खजानों से सदा भरपूर रहती हूँ... बाबा की याद से मैं आत्मा हर कर्म में  सफल होती जा रही हूँ... जैसे कर्म के बिना एक सेकंड भी नहीं रह सकते... वैसे अब मैं आत्मा कोई भी कर्म योग के बिना नहीं करती हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा शस्त्रधारी बन हर परिस्थिति रुपी दुश्मन पर विजय प्राप्त कर रही हूँ... अब मैं आत्मा कैसी भी परिस्थिति हो घबराती नही हूँ... सर्व शक्तियों को स्वयं के लिए और दूसरों के लिए आर्डर प्रमाण यूज कर रही हूँ... अब मैं आत्मा यथार्थ याद द्वारा सर्व शक्ति सम्पन्न बनने वाली सदा *शस्त्रधारी, यथार्थ योगी, कर्मयोगी* बनने का पुरुषार्थ कर रही हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल -  जिनके संकल्प और कर्म महान वही हैं मास्टर सर्वशक्तिवान*"

 

➳ _ ➳ संकल्पों का प्रभाव हमारे कर्म पर पड़ता है, शुद्ध संकल्पों से जीवन बदल जाता है। इसलिये *संकल्प और कर्म दोनों समान हों।* जिनके संकल्प और कर्म महान हैं वही मास्टर सर्वशक्तिवान है। 

 

➳ _ ➳  मैं सर्व खजानों से सम्पन्न आत्मा हूँ... मैं आत्मा श्रेष्ठ संकल्पों को कर्म में लाती जा रही हूँ... *मैं बाप की सर्व शक्तियों की अधिकारी आत्मा बनती जा रही हूँ*... कोई भी शक्ति की कमी नही...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का दृढ़ संकल्प... *आत्मा को निश्चय बुद्धि बनाता जा रहा है*... मैं आत्मा माया के भिन्न-भिन्न रूपो को जान... नॉलेजफुल बनती जा रही हूँ... हर परिस्थिति में शक्तियों और गुणों को यूज करने का अभ्यास करती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा की सूक्ष्म शक्तियां...मेरे ऑर्डर प्रमाण कार्य करती जा रही है... मैं श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा हूँ... *यह स्मृति मुझ आत्मा को रूहानी नशे का अनुभव करा रही है*... 

 

➳ _ ➳  मैं मास्टर सर्वशक्तिवान का अनुभव करती जा रही हूँ... *मैं आत्मा नॉलेज की शक्ति द्वारा विघ्नों को पार करती जा रही हूँ*... कोई भी विघ्न मुझ आत्मा को हरा नही सकते... *मुझ आत्मा के विघ्न समाप्त होते जा रहे है*...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सदैव सर्व शक्तियों को साथ अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा अविनाशी खजानें की अधिकारी आत्मा बनती जा रही हूँ... सर्व शक्तियां मुझ आत्मा के अधिकार से चलती जा रही है... *मैं आत्मा बाप के साथ कंबाइंड रूप का अनुभव कर रही हूँ*...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *यथार्थ याद द्वारा सर्व शक्ति सम्पन्न बनने वाले सदा शस्त्रधारी, कर्मयोगी होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   यथार्थ याद द्वारा सर्व शक्ति सम्पन्न बनने वाले सदा शस्त्रधारी व कर्मयोगी होते हैं क्योंकि...  *यथार्थ याद का अर्थ ही है स्वयं को सदा ही सर्व शक्तियों से सम्पन्न रखना।* अर्थात!  जब भी हमारे ऊपर, किसी भी प्रकार से  कोई भी परिस्थिति आती हैतब जिस शक्ति का हम आह्वाहन करें व शक्ति हमारे पास उपलब्ध होनी चाहिये।

 

❉   जिस प्रकार से स्थूल युद्ध के समय में, उन योद्धाओं को जिस भी प्रकार के अस्त्र की को आवश्यकता होती थी, *वे उसी अस्त्र का मन्त्र पढ़ कर, अस्त्र का आह्वाहन किया करते थे* और वही अस्त्र उनके पास तुरन्त ही हाज़िर हज़ूर हो जाता था। उसी प्रकार से हम भी अपनी शक्तियों का समय की जरुरत के अनुसार आह्वाहन करते हैं।

 

❉   क्योंकि...  जब *परिस्थितियों रुपी दुश्मन आये और शस्त्र हमारे काम में ही नहीं आये तो हमें शस्त्रधारी नहीं कहा जायेगा।* अतः  हमें जब भी जिस भी शक्ति की आवश्यकता होती हैहम उस शक्ति का आत्मिक स्थिति में स्थित हो कर आह्वाहन करते हैं। 

 

❉   तब हमारे आह्वाहन करते ही वह शक्ति हमारे सामने हाज़िर हज़ूर प्रत्यक्ष हो जाती है। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है क्योंकि *जब हमारे हर कर्म में ईश्वरीय याद समाई हुई होगी,* तब हमारे सारे कर्म, सफलता को स्वतः ही प्राप्त होंगे अर्थात!  हमारा प्रत्येक कर्म सफलता को प्राप्त करेगा।

 

❉   जैसे हम कर्म के बिना एक सेकण्ड भी नहीं रह सकते हैं  वैसे ही कोई भी कर्महम कर्मयोग के बिना नहीं कर सकते हैं। इसलिये!  *हमें कर्मयोगी व शस्त्रधारी बनना है और समय पर सर्व शक्तियों को ऑर्डर प्रमाण यूज़ भी करना है,*  तब ही हमें, सब कहेंगेये यथार्थ योगी हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *जिनके संकल्प और कर्म महान है वही मास्टर सर्वशक्तिवान है... क्यों और कैसे* ?

 

❉   मास्टर सर्वशक्तिमान का अर्थ ही है सर्व शक्तियों से सदा सम्पन्न और सर्व शक्तियों से स्वयं को सदा सम्पन्न वही अनुभव कर सकता है जिसका श्रेष्ठ संकल्पों का खाता जमा हो क्योकि *अगर संकल्प कमजोर है तो कर्म में भी महानता नही आ सकती* । श्रेष्ठ संकल्पों का खाता जमा ना होने के कारण कमजोर संकल्प मन और बुद्धि को खाली कर देते हैं जिससे माया को अटैक करने का मौका मिल जाता है और जो माया से हार खा लेते है वे मास्टर सर्वशक्तिमान कहला नही सकते ।

 

❉   अपनी पॉवरफुल वृति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तन करने का विशाल कार्य स्वयं भगवान ने हम बच्चों को सौंपा है, जो इस महान लक्ष्य को सदा बुद्धि में रखते हैं और *श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सदा सेट रहते हैं वे सदा रचतापन की स्मृति में रहते हैं* इसलिए उनका हर संकल्प विश्व के कल्याण के प्रति ही होता है और अपने श्रेष्ठ संकल्पों के अनुरूप ही वे सोच विचार कर हर कर्म करते हैं । अपने हर संकल्प और कर्म की महानता के कारण ही वे मास्टर सर्वशक्तिमान बन जाते हैं ।

 

❉   जो स्व स्थिति में सदा स्थित रहते हैं और हर कर्म स्व स्थिति में स्थित होकर करते हैं, सर्व शक्तियां उनकी सहयोगी बन जाती है  और उनके आर्डर प्रमाण कार्य करती है । *जिस समय और जिस परिस्थिति में जिस भी शक्ति की आवश्यकता होती है* वह शक्ति उनके सामने तुरन्त हाजिर हो जाती है । तो ऐसे जो जितना सर्व शक्तियों को अपने ऑर्डर में रखते हैं और समय प्रमाण कार्य में लगाते हैं वे सहज ही मास्टर सर्वशक्तिमान बन माया पर विजय प्राप्त कर लेते हैं ।

 

❉   जो सदा अपने आप को सर्वशक्तिमान बाप के साथ कम्बाइंड अनुभव करते हैं और सदा श्रीमत का हाथ छत्रछाया के रूप में अपने ऊपर अनुभव करते हैं । वे कभी भी मनमत व परमत पर नही चलते । *उनका हर संकल्प, बोल और कर्म श्रीमत प्रमाण होने के कारण हर संकल्प श्रेष्ठ और कर्म महान बन जाता है* । संकल्पो की श्रेष्ठता और कर्मो की महानता उन्हें मास्टर सर्वशक्तिमान बना देती है । जिससे वे सदा स्वयं को सफलता के खजाने के मालिक अनुभव करते है ।

 

❉   सर्व शक्तियों का वर्सा इतना शक्तिशाली है जो कोई भी समस्या सामने ठहर नहीं सकती । किंतु सर्वशक्तियों को इमर्ज रूप में समृति में रख, समय पर वही कार्य में लगा सकते हैं *जिनकी बुद्धि की लाइन क्लीयर होती है और बुद्धि की लाइन उनकी क्लीयर होती है* जिनके संकल्प श्रेष्ठ और कर्म महान होते हैं जो निर्णय शक्ति को भी तीव्र करते हैं और निर्णय शक्ति तीव्र होने के कारण मास्टर सर्वशक्तिमान बन वे सही समय पर सही शक्ति का प्रयोग कर लेते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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