━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 07 / 10 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *पवित्र बनने की प्रतिज्ञा की ?*

 

➢➢ *श्रेष्ठाचारियों से लेन देन की ?*

 

➢➢ *बाप के संग में रहकर निर्भय अवस्था का अनुभव किया ?*

────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *कर्म करते हुए न्यारी और प्यारी अवस्था में रह हल्केपन की अनुभूति की ?*

 

➢➢ *सर्व प्राप्तियों से सदा संपन्न अवस्था का अनुभव किया ?*

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  आप विदेश से आते हो तो बापदादा भी विदेश से आते हैं। *सबसे दूर-से-दूर से आते हैं लेकिन आते सेकण्ड में हैं।*

 

✧  आप सभी भी सेकण्ड में उडती कला का अनुभव करते हो? सेकण्ड में उड सकते हो? *इतने डबल लाइट हो, संकल्प किया और पहुँच गये।*

 

✧  *परमधाम कहा और पहुँचे, ऐसी प्रैक्टिस है?* कहाँ अटक तो नहीं जाते हो? कभी कोई बादल तंग तो नहीं करते हैं, केयरफुल भी हो और क्लियर भी, ऐसे है ना! (पार्टियों के साथ)

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

 

➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  बाप को याद करने की रेस करना"*

 

_ ➳  चांदनी रातो में यूँ चाँद को निहारते हुए... अपने दिल के चाँद मीठे बाबा को याद करती हुई... *चांदनी से भरे अपने रौशन जीवन को देखती हूँ.*.. कि इस कलयुगी रात और विकारो की कालिमा से... *मेरे प्रियतम चाँद ने मुझे किस कदर अपनी शक्तियो और गुणो रुपी धवलता से... उजला बना दिया है.*.. पवित्रता की दुधिया तरंगो से भरपूर कर... मुझे पूरे जग में मशहूर कर दिया है... आज मेरी पवित्रता का पूरा विश्व दीवाना है... इस कलयुगी काली भयावह रातो में हर दिल... *मेरी पवित्रता की धवल किरणों में सदा की शीतलता को पाकर... मेरे चाँद, मीठे बाबा को बड़े ही दिल से निहार रहा है..*. और सच्चे प्यार की सुखदायी शीतल किरणों को पाने को आतुर हो उठा है...

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी यादो में गहरे डुबोते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *जीवन का हर क्षण, याद की खुशबु से महकाने वाले, खुशबूदार फूल बनकर मुस्कराओ..*. एक दूजे को संग लिए ईश्वरीय राहो पर यादो की रेस करो... मीठे बाबा को अपने दिल में सदा बसाये रखो... मीठे बाबा को कभी न भूलो... अगर बाबा को भूलेंगे तो माया की चंगुल में पुनः फंस जायेंगे..."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के प्यार के नशे से स्वयं को भरती हुई कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा... मै आत्मा जनमो आपसे बिछड़ी रही, और दुखो में गहरे लिपटी रही... *अब जो मीठे सुखो के पल आये है... श्रीमत को जीवन में उतार कर, जो जीवन गुणो की महक से खिल गया है.*..मै आत्मा इस सुख को कभी न छोडूंगी... मीठे बाबा आपको एक पल के लिए भी न भूलूंगी..."

 

   प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान रत्नों से सजाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *सदा यादो में डूबकर, एक दूसरे को उमंगो के पंख देकर, यादो की ही रेस करो.*.. हर पल हर साँस मीठे बाबा को थामे रहो... और बापदादा के दिल तख्त पर सदा के लिए सजे रहो... इन यादो की छत्रछाया में माया से सुरक्षित रहकर, ईश्वरीय दिल पर राज करो..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा की अमूल्य शिक्षाओ को जीवन में उतारकर सुखदायी बनकर कहती हूँ :-"मीठे प्यारे बाबा मेरे... आपने मेरे जीवन को अपने हाथो में थामकर मुझे रूहानी गुलाब बना दिया है... मै आत्मा दुःख भरे काँटों से मुक्त होकर गुणो और शक्तियो से सजकर, कितनी प्यारी हो गयी हूँ... *आपका हाथ और साथ तो एक पल के लिए भी न छोडूंगी मेरे मीठे बाबा*..."

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को महान भाग्य से भरकर खुबसूरत देवता बनाकर कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... ईश्वर पिता के साये में रहकर माया के हर प्रभाव से अछूते रहो... सदा यादो की रेस करके, मीठे बाबा के दिल पर अपना अधिकार जमा लो... *संगम के वरदानी पलों में, हर पल याद के मौसम में भीगते रहो... और अथाह सुखो की दौलत को अपनी बाँहों में भरकर खुशियो में मुस्कराओ.*.."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा को दिल की गहराइयो से याद करते हुए कहती हूँ :-"मीठे प्यारे बाबा मेरे... *मै आत्मा सच्चे प्यार की एक बून्द को तरस रही थी... और आप प्यार का सागर ही मेरी बाँहों में समा गए हो.*.. तो मै आत्मा क्यों न हर पल आपको अपनी यादो में पिरोऊंगी... क्यों भला एक पल के लिए भी भूल, माया से हार खाऊँगी... मै आत्मा सांसो साँस आपको प्यार करूंगी मेरे मीठे बाबा..."मीठे बाबा को अपने दिली जज्बात सुनाकर मै आत्मा... इस धरा पर लौट आयी...

 

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप के संग में रह कर निर्भय बनना*"

 

_ ➳  अपने दिलाराम बाबा को साथ लिए, उनकी सर्वशक्तियों की छत्रछाया के नीचे, मैं एक पार्क में टहल रही हूँ। *टहलते - टहलते मैं कोने में रखे एक बेंच पर बैठ जाती हूँ और अपनी आंखों को बंद करके अपने दिलाराम बाबा की सर्वशक्तियों की शीतल छाया का आनन्द लेने लगती हूँ*। उस मधुर आनन्द में खोई हुई मैं एक दृश्य देखती हूँ कि जैसे मैं एक छोटी सी बच्ची बन पार्क में एक झूले पर बैठी झूला झूल रही हूँ। झूला झूलने में मैं इतनी मगन हो जाती हूँ कि कब अंधेरा हो जाता है और सभी पार्क से चले जाते हैं, पता ही नही पड़ता।

 

_ ➳  अंधेरे में स्वयं को अकेला पाकर मैं डर से कांप रही हूँ, रो रही हूँ और रोते - रोते बाबा - बाबा बोल रही हूँ। तभी दूर से मैं देखती हूँ एक बहुत तेज लाइट तेजी से मेरी ओर आ रही है। वो लाइट मेरे बिल्कुल समीप आ कर रुक जाती है। *देखते ही देखते वो लाइट एक बहुत सुंदर आकार धारण कर लेती है और उसके मुख से मधुर आवाज आती है:- "मेरे बच्चे डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ"* यह कहकर वो लाइट का फ़रिशता मुझे अपनी बाहों में उठा कर मुझे मेरे घर छोड़ देता है। इस दृश्य को देखते - देखते मैं विस्मय से अपनी आंखें खोलती हूँ और इस दृश्य को याद करते हुए मन ही मन स्वयं को स्मृति दिलाती हूँ कि मेरा बाबा सदा मेरे अंग - संग है।

 

_ ➳  इस स्मृति में मैं जैसे ही स्थित होती हूँ मैं स्वयं को अपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में अपने निराकार शिव बाबा के साथ कम्बाइंड अनुभव करती हूँ। *कम्बाइन्ड स्वरूप की इस स्थिति में मैं मन बुद्धि रूपी नेत्रों से पार्क के खूबसूरत दृश्य को देख रही हूँ*। मेरे दिलाराम बाबा की लाइट माइट पूरे पार्क में फैली हुई है। उनकी शक्तियों की रंग बिरंगी किरणे चारों और फैल कर परमधाम जैसे अति सुंदर दृश्य का निर्माण कर रही है।

 

_ ➳  ऐसा लग रहा है जैसे पार्क का वह दृश्य परमधाम का दृश्य बन गया है। वहां उपस्थित सभी देहधारी मनुष्यों के साकार शरीर लुप्त हो गए हैं और चारों और चमकती हुई निराकारी ज्योति बिंदु आत्मायें दिखाई दे रही हैं। *मैं आत्मा स्वयं को साक्षी स्थिति में अनुभव कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं संकल्प मात्र भी देह से अटैच नही हूँ*। कितनी न्यारी और प्यारी अवस्था है यह। आलौकिक सुखमय स्थिति में मैं सहज ही स्थित होती जा रही हूँ। *निर्संकल्प हो कर, बिंदु बन अपने बिंदु बाप को मैं निहार रही हूँ। उन्हें देखने का यह सुख कितना आनन्द देने वाला है*। बहुत ही निराला और सुंदर अनुभव है यह।

 

_ ➳  बिंदु बाप के सानिध्य में मैं बिंदु आत्मा उनकी सर्वशक्तियों को स्वयं में समा रही हूँ। उनकी सर्वशक्तियों रूपी किरणों की मीठी - मीठी फुहारे मुझे असीम बल प्रदान कर रही हैं। उनकी शीतल किरणों की छत्रछाया में गहन शीतलता की अनुभूति कर रही हूँ। *आत्मा और परमात्मा का यह मंगल मिलन चित को चैन और मन को आराम दे रहा है*। बाबा से आती सर्वशक्तियों को स्वयं में समाकर मैं शक्तियों का पुंज बन गई हूँ और बहुत ही शक्तिशाली स्थिति का अनुभव कर रही हूँ। यह सुखद अनुभूति करके, अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, अपने बाबा को अपने संग ले कर वापिस अपने कर्म क्षेत्र पर लौट रही हूँ।

 

_ ➳  बाबा के संग में रह अब मैं निर्भय हो कर जीवन मे आने वाली हर परिस्थिति को सहज रीति पार करते हुए निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ। *"स्वयं भगवान मेरे संग है" यह स्मृति मुझमे असीम बल भर देती है और मैं अचल अडोल बन माया के हर तूफान का सामना कर, माया पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती हूँ*।

 

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  मैं आत्मा कर्म करते हुए न्यारी और प्यारी अवस्था मे हल्केपन की अनुभूति करती हूँ ।*

➳ _ ➳ कर्म करते... कर्म बन्धन से मुक्त्त मैं आत्मा... हल्केपन का अनुभव कर रही हूँ... *कर्म - अकर्म - विकर्म की गुहय गति को जान...* हर कार्य... में मैं-पन के विकार से मुक्त्त... न्यारी और प्यारी अवस्था मे रहती हूँ... कराने वाला करा रहा हैं... करनहार मैं किये जा रही हूँ... *कर्म के बोझ से मुक्त... साक्षीपन की सीट पर विराजमान* हो कर मैं
आत्मा... कर्म करती हूँ... संकल्प में भी हल्केपन का अनुभव कर... *कर्म से न्यारी और बाप की प्यारी बन गयी हूँ...* कर्मेन्द्रियों की मालिक मै आत्मा... कर्मातीत अवस्था की ऊंची शिखर पर पहुँच गयी हूँ... *कर्म में न्यारी और बाप की प्यारी बन गयी हूँ...*

 

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न रह, सदा हर्षित, सदा सुखी और खुशनसीब बनने का अनुभव"*

➳ _ ➳ मैं कितनी भाग्यशाली आत्मा हूँ... जो *मुझे भगवान मिल गए... यह स्मृति मुझ आत्मा को गुणों व शक्तियों से सम्पन्न बनाती है*... कितनी खुशनसीब आत्मा हूँ... *मुझ से खुशनसीब दुनिया में और कोई नही है*... बाबा रोज मुझ आत्मा को विशाल बुद्धि का बना... सृष्टि के आदि, मध्य,अन्त की नॉलेज देते... सारी सृष्टि के चक्र का राज समझा... मुझ आत्मा को यह एहसास दिलाते... कि *मैं ही कल्प-कल्प की विजय आत्मा हूँ*... मैं ही परमात्म छत्रछाया में पलने वाली आत्मा हूँ... यह रूहानी नशा मुझ आत्मा में... *अनहद अविनाशी गीत सदा बजाता रहता है*... जिसे मैं आत्मा सदा खुशी का अनुभव करने लगी हूँ... खुशी में नाचती रहती हूँ... *बाबा से मिली सर्व प्राप्तियां... मुझ आत्मा को सदा हर्षित... सदा सुखी और खुशनसीबी का अनुभव कराती है...*

 

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *अभी समय के प्रमाण आप हर निमित्त बनी हुईसदा याद और सेवा में रहने वाली आत्माओं को स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन का वायब्रेशन पावरफुल और तीव्रगति का बढ़ाना है।* चारों ओर मन का दु:ख और अशान्तिमन की परेशानियां बहुत तीव्रगति से बढ़ रही हैं। *बापदादा को विश्व की आत्माओं के ऊपर रहम आता है। तो जितना तीव्रगति से दु:ख की लहर बढ़ रही है उतना ही आप सुख दाता के बच्चे अपने मन्सा शक्ति सेमन्सा सेवा व सकाश की सेवा से, वृत्ति से चारों ओर सुख की अंचली का अनुभव कराओ।* बाप को तो पुकारते ही हैं लेकिन आप पूज्य देव आत्माओं को भी किसी न किसी रूप से पुकारते रहते हैं। तो *हे देव आत्मायेंपूज्य आत्मायें अपने भक्त आत्माओं को सकाश दो।* साइन्स वाले भी सोचते हैं ऐसी इन्वेन्शन निकालें जो दु:ख समाप्त हो जाएसाधन सुख के साथ दु:ख भी देता है लेकिन दु:ख न होसिर्फ सुख की प्राप्ति हो उसका सोचते जरूर हैं। लेकिन स्वयं की आत्मा में अविनाशी सुख का अनुभव नहीं है तो दूसरों को कैसे दे सकते हैं। लेकिन आप सबके पास सुख का, शान्ति का, नि:स्वार्थ सच्चे प्यार का स्टाक जमा है।

 

 _ ➳  2. जमा की तो खुशी होती है लेकिन खर्च का हिसाब नहीं निकाला तो समय पर धोखा मिल जायेगा। जमा का खाता भी देखो लेकिन साथ-साथ अपने प्रति खर्च कितना किया। *दूसरे को कोई गुण दिया, शक्ति दीज्ञान का खजाना दिया वह खर्च नहीं हैवह जमा के खाते में जमा होता है लेकिन अपने प्रति समय प्रति समय खर्च किया तो खाता खाली हो जाता है।* इसीलिए अच्छे विशाल बुद्धि से चेकिंग करो।

 

✺   *ड्रिल :-  "विश्व की आत्माओं को सुख की अंचली का अनुभव कराना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा इस साकारी शरीर में... भ्रकुटी के मध्य में विराजमान हूँ... *मैं आत्मा चमकता हुआ सितारा हूँ... उड़ चलता हूँ परमधाम की ओर... मेरे प्रेम के... शांति के... सुख के सागर परमपिता परमात्मा शिव बाबा के पास... उनसे शांति की... शक्ति की... प्रेम की... सुख की रंग - बिरंगी किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है...* और मैं आत्मा इन शक्तियों से भरपूर हो रही हूँ... मुझ आत्मा के चारों ओर एक शक्तिशाली... आभामंडल बन गया है... जिसका प्रभाव दूर - दूर तक फैल रहा है... अब मैं आत्मा वापस उड़ कर पहुँच जाती हूँ... विश्‍व ग्लोब पर...

 

 _ ➳  मैं आत्मा सुख - शांति का फरिश्ता... विश्‍व के ग्लोब पे विराजमान हूँ... मुझ आत्मा से सुख - शांति और शक्ति की किरणें... निरंतर प्रवाहित हो रही है... *मुझ आत्मा के सम्मुख... विश्व की समस्त दुखी, अशांत और पीड़ित आत्माएँ विराजमान है... और मैं आत्मा इन सब आत्माओं को... सुख की अंचली का अनुभव करा रही हूँ...* सबके दुख दूर कर... सुख का अनुभव करवा रही हूँ... *रहम दिल बाप की... मैं मास्टर रहम दिल संतान... सबकी पीड़ा दूर कर रही हूँ...*

 

 _ ➳  *अभी समय के प्रमाण मैं निमित्त बनी हुई आत्मा... सदा याद और सेवा में रहने वाली आत्मा... स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन करने के लिए... पावरफुल वायब्रेशन तीव्रगति से फैला रही हूँ...* मुझ आत्मा के इस वाइब्रेशन के संपर्क में... जो भी आत्मा आ रही है... वो स्वतः ही परिवर्तित हो रही है... और अपने परमपिता की ओर आकर्षित हो रही है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा बापदादा से प्राप्त सुख - शांति की शक्तियों को... सारे विश्व में फैला रही हूँ... *विश्व में तीव्रगति से फैल रही दु:ख की लहर को समाप्त करने के लिए... मैं आत्मा सुख दाता की संतान... अपनी मन्सा शक्ति से... मन्सा सेवा से... सकाश की सेवा से... और वृत्ति से चारों ओर सुख की अंचली का सब आत्माओं को अनुभव करा रही हूँ...* मैं पूज्य ईष्ट देवी अपने भक्तों को सुख शांति के वाइब्रेशन दे रही हूँ... उनको वरदानों से भरपूर कर उनका उद्धार कर रही हूँ...

 

 _ ➳  *साइन्स की इन्वेन्शन से निकले साधन... सुख के साथ दुख भी देते हैं... लेकिन मुझ आत्मा के पास परमात्मा से प्राप्त... सच्चा सुख का... शान्ति का... नि:स्वार्थ प्रेम का स्टॉक जमा है... जो सभी आत्माओं को सच्चा सुख और शांति का ही अनुभव करवा रहा है... मैं आत्मा इन जमा शक्तियों को... सर्व आत्माओं के कल्याण के लिए यूज कर रही हूँ... दूसरे को कोई गुण दिया... शक्ति दी... ज्ञान का खजाना दिया... वह खर्च नहीं है... वह जमा के खाते में जमा होता है... लेकिन अपने प्रति समय प्रति समय खर्च किया तो खाता खाली हो जाता है...* इसीलिए अब मैं आत्मा  विशाल बुद्धि से चेकिंग कर... इन खजानों को... बापदादा के बताये अनुसार विश्व कल्याण अर्थ यूज करती हूँ...

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━