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 04 / 07 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *देह और देह के संबंधो को भूल पूरा पूरा बेगर बनकर रहे ?*

 

➢➢ *देहि अभिमानी रहने की मेहनत की ?*

 

➢➢ *साक्षी हो दूसरों के पुरुषार्थ को देख तीव्र पुरुषार्थी बनकर रहे ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *विनाश के पहले एवररेडी रह समान और संपन्न स्थिति का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *निर्मल स्वभाव से हर कदम में सफलता का अनुभव किया ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *"बाबा हम आपके, और आप हमारे" - यह पक्का सौदा किया ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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➳ _ ➳  आज बापदादा सर्व बच्चों को विशेष अभ्यास की स्मृति दिला रहे हैं - *एक सेकण्ड में इस आवाज की दुनिया से परे हो आवाज से परे दुनिया के निवासी बन सकते हो।* जितना आवाज में आने का अभ्यास है सुनने का अभ्यास है, आवाज को धारण करने का अभ्यास है वैसे आवाज से परे स्थिति में स्थित हो सर्व प्राप्ति करने का अभ्यास है? जैसे आवाज द्वारा रमणीकता का अनुभव करते हो, सुख का अनुभव करते हो ऐसे ही *आवाज से परे अविनाशी सुख-स्वरूप रमणीक अवस्था का अनुभव करते हो?* शान्त के साथ-साथ अति शान्त और अति रमणीक स्थिति का अनुभव है? स्मृति का स्विच ऑन किया और ऐसी स्थिति पर स्थित हुए। ऐसी रूहानी लिफ्ट की गिफ्ट प्राप्त हैं? सदा एवररेडी हो। *सेकण्ड के इशारे से एकरस स्थिति में स्थित हो जाओ।* ऐसा रूहानी लश्कर तैयार है वा स्थित होने में ही समय चला जायेगा? अब ऐसा समय आने वाला है जो ऐसे सत्य अभ्यास के आगे अनेकों के अयथार्थ अभ्यास स्वतः ही प्रत्यक्ष हो जायेंगे। कहना नहीं पडेगा कि आपका अभ्यास अयथार्थ है - लेकिन *यथार्थ अभ्यास के वायुमण्डल, वायब्रेशन द्वारा स्वयं ही सिद्ध हो जायेगा। ऐसे संगठन तैयार है?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  अशरीरी बनकर, अब घर चलना है"*

 

_ ➳  इस धरा पर भगवान ने उतरकर अपनी मुलाकातो का खुबसूरत महल मधुबन सजाया... उसी पावन महल की कुटिया में बेठी में आत्मा बाबा की यादो में खोयी हुई... अपने महान भाग्य को मन की आँखों से निहार रही हूँ... जिसने ईश्वर को मनमीत बनाकर जीवन को सुखो की सेज बना डाला... इन्ही यादो की तन्द्रा मीठे बच्चे की आवाज से टूट गयी... और पलके उठाकर जो निहारा तो... मीठे बाबा सामने हैऔर बड़े प्यार से मेरी ओर देख रहे है...

 

   प्यारे बाबा मुझे ज्ञान रत्नों की बहारो से भरते हुए बोले :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... मात्र यह शरीर नही निराली प्यारी आत्मा हो... अपने खुबसूरत मणि रूप के नशे से भर जाओ... *ईश्वरीय यादो में, देह के आकर्षण से मुक्त होकर... अशरीरी अवस्था को मजबूत बनाओ..*. बार बार इसका अभ्यास करो तो सहज हो जायेगा..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा के ज्ञान वचनो को सुनकर आनन्द से भर गयी और बोली :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... श्रीमत के साये से कितने जनमो दूर रही... और देह न होकर भी देह के भान से सदा घिरी रही... *अब जो सत्य का सूरज जीवन को प्रकाशित कर रहा है.*.. मै आत्मा हर पल इस सत्य रौशनी में चमक रही हूँ..."

 

   मीठे बाबा मेरे भाग्य की खूबसूरती में चार चाँद लगाते हुए बोले :- " सिकीलधे प्यारे बच्चे... संगम के इस खुबसूरत वरदानी समय को हर पल अपनी आत्मिक उन्नति में लगाओ... जो हो बस उसमे ही रम् जाओ... *झूठे आवरण को त्यागकर, अपने दमकते स्वरूप को प्रतिपल यादो में उभारो.*.. अब घर चलने के समय खुद को कहीं भी न उलझाओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा को टीचर रूप में देख देख मन्त्रमुग्ध हूँ और कहती हूँ :- "मेरे मीठे लाडले बाबा... देह के आवरण को सत्य समझ, मै आत्मा कितनी बेसमझ हो गयी थी... *आपने मेरे वजूद को पुनः याद दिलाकर मुझे अनोखी ख़ुशी से सजा दिया है.*.. अब झूठ से मै आत्मा सदा की मुक्त हूँ और सत्य राहो का राही बनकर मुस्करा रही हूँ..."

 

   प्यारे बाबा श्रीमत पर मेरे अटूट निश्चय को देख कर मुस्करा उठे और समझाते हुए कहने लगे :- "मीठे प्यारे बच्चे... भाग्य ने जो ईश्वर पिता के हाथो में थमाया है... और खुबसूरत भविष्य सजाया है... तो श्रीमत को दिल से अपनाकर अपने खुबसूरत लक्ष्य की ओर बढ़ो... *अपनी अशरीरी स्थिति को इस कदर द्रढ़ करलो कि कोई भी बात हिला न सके.*..

 

_ ➳  मै आत्मा मीठी मुस्कान से मीठे बाबा को सहमति देते हुए कहती हूँ :- "ओ सच्चे सच्चे बाबा मेरे... आपने सत्यता भरा हाथ मुझ आत्मा को थमाकर अनोखा जादु कर दिया है... *आत्मिक सुंदरता से सजाकर मुझे बेशकीमती बना दिया है.*.. इस देह के मटमैले पन को आपकी मीठी यादो में सहज ही धो

 रही हूँ... ऐसा कह अपने प्यार बाबा को दिल में लिए... मै आत्मा अपने कार्य स्थल में आ गयी..."

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *ड्रिल :- "साक्षी हो दूसरों के पुरुषार्थ को देखते तीव्र पुरुषार्थी बनना*"

 

_ ➳  साक्षीदृष्टा बन मास्टर त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट हो कर सृष्टि के आदि मध्य अंत को समृति में लाते ही *इस सृष्टि रंग मंच पर मुझ आत्मा द्वारा बजाए गए 84 जन्मों का पार्ट एक-एक करके भिन्न-भिन्न स्वरूपों में मेरे सामने स्पष्ट होने लगता है*। आदि से लेकर अंत तक के अपने पार्ट को अब मैं साक्षी होकर देख रही हूँ।

 

_ ➳  मेरा अनादि सतोप्रधान स्वरूप बहुत सुंदर, बहुत आकर्षक और बहुत ही प्यारा है। *बीजरूप निराकार परम पिता परमात्मा शिव बाबा की अजर, अमर, अविनाशी सन्तान मै आत्मा अपने अनादि स्वरूप में सम्पूर्ण पावन, सतोप्रधान अवस्था मे हूँ*। एक दिव्य प्रकाशमयी दुनिया जहां हजारों चंद्रमा से भी अधिक उज्ज्वल प्रकाश है उस निराकारी पवित्र प्रकाश की दुनिया की मैं रहने वाली हूँ।

 

_ ➳  अपने अनादि सम्पूर्ण सतोप्रधान स्वरूप में ही अपनी निराकारी दुनिया को छोड़ सम्पूर्ण सतोप्रधान देवताई चोला धारण कर मैं आत्मा सम्पूर्ण सतोप्रधान देवताई दुनिया मे अवतरित होती हूं। मन बुद्धि से देख रही हूं अब मैं स्वयं को अपने आदि स्वरूप में सतयुगी दुनिया में। *मेरा आदि स्वरूप 16 कला सम्पूर्ण, डबल सिरताज, पालनहार विष्णु के रूप में मन को लुभाने वाला है*।

 

_ ➳  अपने पूज्य स्वरूप में मैं आत्मा स्वयं को कमल आसन पर विराजमान, शक्तियों से संपन्न अष्ट भुजाधारी दुर्गा के रूप में देख रही हूं। *असंख्य भक्त मेरे सामने भक्ति कर रहे हैं, मेरा गुणगान कर रहे हैं, तपस्या कर रहे हैं, मुझे पुकार रहे हैं, मेरा आवाहन कर रहे हैं*। मैं उनकी सभी शुद्ध मनोकामनाएं पूर्ण कर रही हूं।

 

_ ➳  अब मैं देख रही हूँ स्वयं को अपने ब्राह्मण स्वरूप में। ब्राह्मण स्वरुप में स्थित होते ही अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में मैं खो जाती हूँ। *संगम युग की सबसे बड़ी प्रालब्ध स्वयं भाग्यविधाता भगवान मेरा हो गया*। विश्व की सर्व आत्माएँ जिसे पाने का प्रयत्न कर रही है उसने स्वयं आ कर मुझे अपना बना लिया। कितनी पदमापदम सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जिसे घर बैठे भगवान मिल गए।

 

_ ➳  यह विचार करते करते अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के साथ साथ मुझे मेरे ब्राह्मण जीवन के कर्तव्यों का भी अनुभव होने लगता है कि *मेरा यह ब्राह्मण जीवन तो पुरुषार्थी जीवन है। जिसमे मुझे तीव्र पुरुषार्थ कर भविष्य 21 जन्मो की अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध बनानी है*। विश्व की सर्व आत्माओं को परमात्म सन्देश देने की सेवा अर्थ बाबा ने जो मुझे यह ब्राह्मण जीवन दिया है उस कर्तव्य को पूरी निष्ठा और लगन से करने का तीव्र पुरुषार्थ मुझे अवश्य करना है।

 

_ ➳  अपने आप से दृढ़ प्रतिज्ञा कर अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप में स्थित हो पहुंच जाती हूँ सूक्ष्म वतन में बापदादा के पास। अपनी मीठी दृष्टि से असीम स्नेह और सर्व शक्तियाँ मुझमे समाहित करने के साथ साथ *बाबा मुझ से मीठी मीठी रूह रिहान करते हुए कहते हैं, मेरे मीठे बच्चे:- " विश्व की सर्व आत्मायें आपके रूहानी भाई बहन हैं। इसलिए सर्व के प्रति यही शुभभावना रहे कि सबको अपने अविनाशी पिता का परिचय मिल जाये और सभी मुक्ति, जीवनमुक्ति के वर्से की अधिकारी बन जाएं"।*

 

_ ➳  बाबा की इस मीठी रूह रिहान का जवाब देते हुए मैं बाबा से कहती हूँ, जी बाबा:-  "मैं जानती हूं सेवा के मार्ग पर हर घड़ी आप मेरे साथ हो"। बाबा मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाती हूँ कि मैं पूर्णतया योगयुक्त और अंतर्मुखी रह सेवा का पार्ट बजाने का पुरुषार्थ करूँगी। *बाबा आपने मुझे संगठन में रहते "पहले आप" का जो पाठ पक्का करवाया है उसका ख्याल रखते हुए अपने साथी सहयोगियों को आगे रखने का प्रयत्न करूँगी*। साक्षी हो कर दूसरों के पुरुषार्थ को देखते मैं तीव्र पुरुषार्थी बनूँगी।

 

_ ➳  बाबा से मीठी मीठी रुह रिहान करके, साक्षी स्थिति में स्थित रह सबके पार्ट को साक्षी हो कर देखने का दृढ़ संकल्प ले कर *अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर नथिंग न्यू की स्मृति से इस बेहद नाटक को हर्षित हो कर देख रही हूं*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा सदैव एवररेडी रहती हूँ।"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा सदैव एवररेडी रहती हूँ... विनाश के पहले एवररेडी बनना ही सेफ्टी का साधन है... मैं आत्मा समय मिलने पर संगम युग की मौज मनाती हूँ लेकिन एवररेडी रहती हूँ...* क्योंकि फाइनल विनाश की डेट कभी भी पहले मालूम नहीं पड़ेगी, अचानक होगी... मैं अगर एवररेडी नहीं रहूंगी तो धोखा हो जाएगा... मैं आत्मा सदा याद रखती हूँ कि मैं और बाप सदा साथ हैं... जैसे बाप संपन्न है वैसे मैं आत्मा भी बाप के साथ रहते हुए समान और संपन्न हो जाउंगी... मैं बाप के समान बन साथ चलने के लिए तैयार हो रही हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  स्वभाव को निर्मल बना कर हर कदम में सफलता समाई हुई अनुभव करना"*

 

_ ➳  *मैं तेजस्वी मणि परमधाम से उतर इस तन में अवतरित हुई हूँ...* निराकार ज्योति बिंदु... शिव बाबा की प्रिय संतान हूँ... मैं आत्मा निरंतर योगयुक्त हूँ... सदा अपने बाबा के समीप रहती हूँ... *बाबा के संग के रंग में रंगी... मुझ आत्मा का आचरण व स्वभाव निर्मल हो रहा है...* मैं आत्मा निर्मल तथा सरलचित्त बन रही हूँ... कर्मयोगी बनकर कर्म करते हुए... कर्मों में सामर्थ्य आता जा रहा है... हर कर्म को श्रेष्ठ व मूल्यवान बना रही हूँ... सबके प्रति शुभ भावना... शुभकामना से सम्पन्न हो गई हूँ... *मैं स्नेही आत्मा बहुत ही स्नेह से सबकी पालना करती हुई... हर कर्म में सफलता प्राप्त कर रही हूँ...* संसार की अनावश्यक बातों के विस्तार से मन बुद्धि को हटाकर... सफलतामूर्त आत्मा बन गई हूँ...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )

 

✺ अव्यक्त बापदादा :-

 

➳ _ ➳  सभी कुमारियों ने बाप से पक्का सौदा किया हैक्या सौदा किया हैआपने कहा - बाबा हम आपके और बाप ने कहा बच्चे हमारेयह पक्का सौदा किया?और सौदा तो नहीं करेंगी ना! दो नांव में पांव रखने वाले का क्या हाल होगा! न यहाँ के न वहाँ केतो सौदा करने में होशियार हो ना!  *देखोदेते क्या हो - पुराना शरीर जिसको सुईयों से सिलाई करते रहतेकमजोर मन जिसमें कोई शक्ति नहीं और काला धन... और लेते क्या हो? - 21 जन्म की गैरन्टी का राज्य। ऐसा सौदा तो सारे कल्प में कभी भी नहीं कियातो पक्का सौदा किया? एग्रीमेंट लिख ली।*

 

✺  *"ड्रिल :- "बाबा हम आपके, और आप हमारे" - यह पक्का सौदा करना।”*

 

➳ _ ➳  *मैं आत्मा कमल से भरे हुए ताल को देख रही हूँ... कितने मनोहारी लग रहे हैं ये कमल जो तालाब की ऊपरी सतह पर खिले हुए हैं... कमल पुष्प को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है...* पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्‍लेख है... देवी-देवताओं को पवित्र कमल पर विराजमान हुए दिखाते हैं... मैं आत्मा पवित्र ब्राह्मण जन्म देने वाले मेरे जन्म दाता, मेरे प्यारे बाबा को याद करती हूं... *तुरंत प्यारे बाबा मेरे पास आते हैं और मुझे मधुबन की पहाड़ियों पर लेकर चलते हैं...*

 

➳ _ ➳  *बाबा अपने सामने सुंदर सी पहाड़ी पर बिठाकर मुझे दृष्टि देते हैं...* बाबा से दिव्य शक्तिशाली तेजस्वी किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं... मैं आत्मा बाबा से आती शक्तिशाली किरणों को स्वयं में ग्रहण कर गुणों शक्तियों से भरपूर हो रही हूँ... मैं आत्मा देहभान से परे होती जा रही हूं... *मैं आत्मा इस पहाड़ की ऊंची चोटी पर बैठ पुरानी कलियुगी सृष्टि के सभी पुरानी चीजों को भूलती जा रही हूं...* देह के पुराने संबंधों से न्यारी हो रही हूं... और बाबा की प्यारी बन रही हूं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा मधुबन की पहाड़ियों पर बैठ सारे मधुबन के नजारों को देख रही हूं... बाबा मेरा हाथ पकड़ चार धाम की यात्रा कराते हैं... *मैं आत्मा शांति स्तंभ, बाबा की कुटिया, बाबा की झोपड़ी, हिस्ट्री हाल जैसे पवित्र चार धामों की यात्रा कर पावन बन रही हूं... डायमंड हॉल में प्यारे बाबा मुझे ज्ञान मुरली से ज्ञान स्नान कराते हैं...* मैं आत्मा संपूर्ण पवित्र और संपन्न बन रही हूं...

 

➳ _ ➳  *मैं आत्मा बाबा से सच्चा सच्चा सौदा कर रही हूं... बाबा मैं आपकी हूं आप मेरे हो... बाकी कुछ भी मेरा नहीं है...* ना यह देह मेरा है, ना इस देह की कर्मेंद्रियां मेरी हैं... ना इस देह के संबंध मेरे हैं... ना ही ये मन मेरा है... ना यह विनाशी धन मेरा है... कुछ भी मेरा नहीं है बाबा, सब आपका दिया हुआ है... आपका दिया सब आपको समर्पित करती हूं बाबा... और मैं आत्मा सबकुछ बाबा के कदमों में डालती जा रही हूँ... तन मन धन से सब कुछ अर्पण कर रही हूं... *सभी संबंधों को, कर्मबंधनों को बाबा के सामने इमर्ज कर उनके प्रति जो मोह है या घृणा है उसको बाबा की किरणों में भस्म कर रही हूं...*

 

➳ _ ➳  *मेरे प्राण प्यारे बाबा आप मेरे मात-पिता हो, मैं आपकी संतान... आप मेरे शिक्षक हो मैं आपकी गॉडली स्टूडेंट हूं...* आप मेरे सतगुरु हो, मैं आपकी सत शिष्य... *आप मेरे साजन हो, मैं आपकी सजनी... आप रूहानी बगीचे के माली हो, मैं रूहानी गुलाब हूँ...* बाबा आप सागर हो, मैं मास्टर सागर हूँ... आप रुद्र ज्ञान यज्ञ के रचयिता हो, मैं आपकी राइट हैंड हूँ... *आप शमा हो, मैं परवाना... आप दीपराज हो, मैं आपकी दीपक... आप मेरे खुदा दोस्त हो, आप ही मेरे सर्वस्व हो बाबा...*

 

➳ _ ➳  मैं और मेरा बाबा बस और कोई भी नहीं... *मैं आत्मा अविनाशी बाप से पक्का सौदा कर अविनाशी एग्रीमेंट साइन करती हूं... मेरे प्यारे भोले बाबा मेरा सब कुछ पुराना लेकर मुझे 21 जन्मों की नई स्वर्णिम दुनिया की सुख शांति के वर्सा की गारंटी देते हैं...* ऐसा पक्का सौदा पूरे कल्प में कभी भी किसी ने नहीं किया... मीठे बाबा फिर मुझे उसी तालाब के कमल फूल पर बिठा देते हैं... अब मैं आत्मा कभी भी अपने पांव दुनियावी कीचड़ में नहीं रखती हूं... वाह मेरा बाबा वाह, वाह मेरा भाग्य वाह के गुण गाती मैं आत्मा हर कर्म को बाबा की याद में कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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