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 15 / 02 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *बाप की श्रीमत और पवित्रता की ताकत से इस पतित सृष्टि को पावन बनाने की सेवा की ?*

 

➢➢ *अपने लिए राज्य स्थापन करने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *पारलोकिक बाप को निरंतर याद किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *अपने ऑक्यूपेशन की स्मृति से सेवा का फल और बल प्राप्त किया ?*

 

➢➢ *गोडली स्टूडेंट स्वरुप सदा स्मृति में रहा ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *बुधी के बैलेंस द्वारा 16 कला संपन्न स्वरुप बनने का पुरुषार्थ किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - तुम्हे पढ़ाई से राजाई लेनी है, यह पढ़ाई है तुम्हे डबल सिरताज बनाने वाली, तुम अपने लिए अपनी राजाई स्थापित करते हो"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... यह ईश्वरीय पढ़ाई वह जागीर, वह दौलत है जो विश्व का राज्य भाग्य दिलायेगी... *इसलिये इस महान पढ़ाई में रग रग से जुट जाओ*... ईश्वर पिता की गोद में बेठ पढ़ते हो और यादो से विश्व अधिकारी सहज ही बन जाते हो... कितना प्यारा और मीठा सा यह भाग्य है... इसके नशे में डूब जाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार भरी छाँव में, *सुखो भरी गोद में बेठ राजाई भाग्य पा रही हूँ.*.. देवताई संस्कारो से सजकर मीठा सा मुस्करा रही हूँ, और सुनहरे सुखो की ओर कदम बढ़ाती जा रही हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्ची पढ़ाई को दिल जान से पढ़कर अधिकारी बन चलो... अमूल्य खजानो को और अथाह सुखो की दौलत से मालामाल बन चलो... *ईश्वर पिता से सब कुछ लेकर देवताओ सा खुबसूरत जीवन* बाँहों में भरकर खिलखिलाओ... डबल सिरताज बन सदा की मुस्कान से सज जाओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो और *अमूल्य ज्ञान रत्नों से अथाह सुखो की मालकिन* और देवताओ सा रूप रंग पा रही हूँ... कभी दुखो में गरीब सी... मै आत्मा आज शिव बाबा आपकी बाँहों में पूरे विश्व धरा का अधिकार पा रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वरीय पढ़ाई ही सारे सच्चे सुखो का आधार है... सारा मदार इस पढ़ाई पर ही है... जितना ज्ञान रत्नों को मन और बुद्धि में समाओगे उतना ही प्यारा सतयुगी सुखो में इठलाओगे... इसलिए इस पढ़ाई में जीजान से जुट जाओ... और *डबल ताज धारी बन विश्वधरा पर राजाई का लुत्फ़ उठाओ*...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय पढ़ाई से अथाह अमीरी का खजाना पा रही हूँ... *राजयोगी बनकर किस कदर धनवान् होती जा रही हूँ.*.. दुखो की मोहताज से मुक्त होकर ईश्वरीय बाँहों में अमीर और अमीर होती जा रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा विश्व कल्याणकारी हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा देह सहित देह के सर्व सम्बन्धों, हदों से पार होती हुई बेहद बाबा के सम्मुख बैठ जाती हूँ... मैं आत्मा परमात्म प्रकाश की लाल तेजस्वी किरणों को स्वयं में समाती जा रही हूं... मैं आत्मा शांति धाम की शांति को अनुभव कर रही हूँ... *परम धाम में परम आनंद की अनुभूति* कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का देह का आकर्षण, हद की विनाशी वस्तुओं का आकर्षण खत्म होता जा रहा है... हद के सम्बन्धों का मोह मिटता जा रहा है... मन-बुद्धि से सर्व हदों का लगाव समाप्त होता जा रहा है... मुझ आत्मा के जन्मों-जन्मों के *हद के स्वार्थी स्वभाव-संस्कार खत्म* होते जा रहे हैं...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा *बेहद की स्मृति स्वरूप* बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा इसी स्मृति में रहती हूँ कि मैं विश्व कल्याणकारी हूँ... इस स्मृति से स्वतः समर्थ बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा बेहद की सेवा भावना रख... सदा विश्व कल्याण की स्टेज पर स्थित रहती हूँ... विश्व परिवर्तन के कार्य में बाबा की सहयोगी बनती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा कोई भी काम करते अपना आक्यूपेशन कभी नहीं भूलती हूँ... सदा सेवा भाव रख अपने को निमित्त समझ हर कर्म करती हूँ... मुझ आत्मा को स्वतः निःस्वार्थ सेवा का फल और बल मिलता जा रहा है... मुझ आत्मा की सेवा भावना से अनेक आत्माओं को शांति और शक्ति मिलती जा रही है... अब मैं आत्मा अपने आक्यूपेशन की स्मृति से सेवा का फल और बल प्राप्त करने वाली *विश्व कल्याणकारी अवस्था का अनुभव* कर रही हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- गॉडली स्टूडेंट स्वरूप सदा स्मृति में रख माया को पास नही आने देना"*

 

➳ _ ➳  *मैं कितनी सौभाग्यशाली आत्मा हूँ, जो भगवान स्वयं मेरा परमशिक्षक बना हैं...* मुझे इस बात का नशा सदा रहता हैं की भगवान मुझे पढ़ाते हैं... अपनी शिक्षाओं से भगवान मेरा जीवन सवाँर रहे हैं... मैं गॉडली सटुडेन्ट हूँ... ऊंच ते ऊंच भगवान परमशिक्षक बन मेरा कर्मो में श्रेष्ठता ला मेरा भाग्य बना रहे हैं...

 

➳ _ ➳  ये स्टूडेंट लाईफ कितनी अच्छी हैं... मुझे अपने गॉडली स्टूडेंट का स्वरूप सदा ही स्मृति में रहता हैं... *स्टूडेंट को कभी टीचर भूलता नहीं... मुझे भी अपना परमशिक्षक शिवबाबा सदा स्मृति में रहता हैं...* उनकी शिक्षायें और ज्ञान सदा साथ साथ चलते हैं...

 

➳ _ ➳  *मैं गॉडली स्टूडेंट कदम-कदम पर अपने शिक्षक शिवबाबा से रॉय लेती हूँ...* हर बात उनसे रॉय लेकर करती हूँ... शिवबाबा मेरे साथ सदा हैं... ऐसा टीचर किसका होगा, जो सदा साथ रहे...कोई भी कार्य हो शिवबाबा के श्रीमत अनुसार ही करती हूँ...

 

➳ _ ➳  गॉडली स्वरूप की स्मृति ने मुझे मायाजीत बना दिया हैं... माया मेरे पास कभी भी नहीं आती... मैं बाबा की फर्स्ट क्लास स्टूडेंट हूँ... बाबा ने कोई भी बात कही और मुझ आत्मा ने मानी... बाबा के कहने और मेरे करने में जरा भी देर नहीं लगती... *मैं बाबा की रेग्युलर और पंक्चुल स्टूडेंट हूँ...* पढ़ाई को मैं जी जान से पढ़ती हूँ... मुझ ज्ञान स्वरूप आत्मा के पास कभी भी माया कोई भी रूप में आ नहीं सकती...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *अपने ऑक्युपेशन की स्मृति से सेवा का फल और बल प्राप्त करने वाले विश्व कल्याणकारी होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

 ❉  सबसे ऊँच व आवश्यक बात है अपने को आत्मा समझकर अपना ऑक्युपेशन चूज़ करना और जब ब्राह्मण आत्मा को यह समझ आ जाए की *ब्राह्मण आत्माओं का ऑक्युपेशन ही है पढ़ना और पढ़ाना।* ज्ञान मुरली पढ़कर उसपर मंथन करके अपना बनाना यह सबसे ऊँच धारणा है , इसलिए घड़ी घड़ी आत्मा को अपने को स्मृति दिलानी चाहिए की जो कर्तव्य शिवबाबा का है वही कर्तव्य अब मुझ आत्मा का है ।

 

 ❉  जैसे ब्रह्मा बाबा को बहुत रिगार्ड रहता था की शिवबाबा कभी भी अपने ऑक्युपेशन की स्मृति नही भूलते थे, वह *डेली अमृतवेला मिलने आते और ज्ञान मुरली चलाते* सब बच्चों को योगी बनो पवित्र बनो का पाठ सिखाते और यह भी जानते की सबकी अवस्था अभी कमज़ोर है इसलिए भिन्न भिन्न योग में रहने के लिए युक्तियाँ निकालते जिससे हर एक आत्मा का कल्याण होवे इससे उन्हें सेवा से बहुत बल मिलता था और दुआ के रूप में फल मिलता ।

 

 ❉  हम सभी ब्राह्मणों का ऑक्यूपेशन ही है पुरे विश्व का कल्याण करना। जिस आत्मा में ये भाव होता है की मुझे विश्व का कल्याण करना है। तो उसका येही भाव और भाव माना क्या स्टेट ऑफ़ माइंड (मनोवृत्ति) हर भाव एक फ़ीलिंग क्रीएट करता है और हर फ़ीलिंग के साथ आत्मा की एनर्जी जुड़ी हुई होती है, तो भाव से फ़ीलिंग आयी फिर आत्मा की एनर्जी उसने यूज़ हुई तो कार्य स्वतः शुरू हो गया विश्व कल्याण का... वो एनर्जी जो फुल ऑफ़ विश्व कल्याण की फ़ीलिंग से भरी हुई है फिर चारो तरफ वायुमंडल में फैलती है और उसका असर उसके आस पास की आत्माओ में होता है उनमे बल भरता है शांति का शक्ति का।

                *तो ऑटोमैटिक इस स्मृति से आत्मा को फल रूप में दुआएं और बल रूप में पावरफुल आत्मिक स्टेज कि स्थिति रिटर्न में दोनों प्राप्त होता है।*

 

 ❉  तो ऐसी आत्मा जो अपने ऑक्यूपेशन को याद रखती है फिर विश्व कल्याणकारी कहलाने के लायक होती है।

बाबा कहते है स्वयं का भी कल्याण करो और साथ साथ विश्व का भी कल्याण करो इससे ही अपना ऑक्यूपेशन बना लो तो संगमयुग स्वतः सफल हो जायेगा करना नहीं पड़ेगा।इसके लिए ही बाबा ने सबसे पहला स्लोगन दिया ( *स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन* )॥

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *गॉडली स्टूडेंट स्वरूप सदा समृति में रहे तो माया आ नहीं सकती... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे एक पढ़ने वाले स्टूडेंट को सदा अपना लक्ष्य स्मृति में रहता है । इसलिए वह जी जान से उसे प्राप्त करने के प्रयास में जुट जाता है । ठीक इसी प्रकार *हम भी गॉडली  स्टूडेंट हैं । हमारा लक्ष्य भी बाप समान सम्पूर्ण अवस्था को पाना है* । इसलिए हमारा पूरा ध्यान केवल और केवल इस लक्ष्य को पाने का होना चाहिए । जितना अपने लक्ष्य को सामने रख उसे पाने के पुरुषार्थ में स्वयं को बिज़ी रखेंगे उतना सब बातों से इजी रहेंगे और माया के वार से बचे रहेंगें ।

 

❉   मैं गॉडली स्टूडेंट हूँ । स्वयं परमपिता परमात्मा शिव बाबा मेरे टीचर बन हर रोज मुझे पढाने आते हैं । ज्ञान रत्नों से हर रोज मेरा श्रृंगार करते हैं । इस बात को जितना स्मृति में रखेंगे उतना *हर समय स्टडी पर अटेंशन रहेगा जिससे अंदर में प्राप्ति का नशा सदैव बढ़ता रहेगा* । परमात्मा बाप से हमे अनमोल ज्ञान रत्नों का खजाना मिल रहा है । यह भान सब प्रकार के अभिमान को समाप्त कर देगा । और हमारे हर कर्म को श्रेष्ठ बना कर हमें माया के हर वार से सुरक्षित कर देगा ।

 

❉   पुराने स्वभाव संस्कार के रूप में माया का वार स्थिति को शक्तिशाली बनने नही देता । और *स्थिति शक्तिशाली ना होने के कारण हर छोटी सी बात पर दिलशिकस्त हो जाते है* । जिससे पुरुषार्थ की गति रुक जाती है और सर्व प्राप्तियों से वंचित हो जाते हैं । इसलिए जितना गॉडली स्टूडेंट स्वरूप को स्मृति में रख बाप और पढ़ाई से प्यार करेंगेहर समय स्टडी पर अटेंशन रखेंगे तो उसे धारणा में लाकर अपने पुराने स्वभाव संस्कारों में परिवर्तन कर सकेंगे । यह परिवर्तन ही हमें मायाजीत बना देगा ।

 

❉   जैसे डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी का लक्ष्य डॉक्टर बनना होता है , बैरिस्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी का लक्ष्य बैरिस्टर बनना होता है ऐसे ही *हमारा लक्ष्य भी लक्ष्मी नारायण जैसा 16 कला सम्पूर्ण बनने का है* । किंतु इस लक्ष्य को तभी प्राप्त कर सकेंगे जब अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप को सदा स्मृति में रखेंगे । क्योकि लक्ष्य सामने होगा तो लक्ष्य को पाने के प्रयास में लग जायेंगे जब लक्षण  आने लगेंगे तो माया के विघ्न स्वत: ही समाप्त होने लगेंगे ।

 

❉   माया का वार तब होता है जब बुद्धि की एकाग्रता भंग होती है और एकाग्रता भंग होती है व्यर्थ चिंतन से । इसलिए माया के वार से बचने का सबसे सरल उपाय है बुद्धि को एकाग्र रखना । *बुद्धि एकाग्र तभी रह सकती है जब नॉलेज की शक्ति को स्वयं में धारण किया जाये* । और इसके लिए जरूरी है अपने गॉडली स्वरूप को सदा स्मृति में रखना । क्योकि जितना गॉडली स्वरूप स्मृति में रहेगा उतना स्टडी पर अटेंशन रहेगा तथा मन बुद्धि ज्ञान मंथन में बिज़ी रहेंगे । जिससे माया के वार से बचे रहेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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