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 19 / 01 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 2*5=10)

 

➢➢ *रात दिन योग में रह विकर्म विनाश किये ?*

 

➢➢ *जो चीज़ दान दी है, उसे वापिस तो नहीं लिया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:3*10=30)

 

➢➢ *डबल नशे की स्थिति द्वारा निर्विघन बने और बनाया ?*

 

➢➢ *अपने डबल लाइट स्वरुप में स्थित रह सब बोझ समाप्त किये  ?*

 

➢➢ *संगठित रूप में ज्वाला स्वरुप याद का अभ्यास किया ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 10)

 

➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - अब सच की वार्तालाप करनी है, तुम जज कर सकते हो कि राइट क्या है और राँग क्या है"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... झूठ के किस्से कहानियो ने सत्य से दूर कर उलझाया और भर्मित किया... अब असत्य को छोड़ सच की बातो से जीवन को सच्ची रौनक से सजाओ... *मा नॉलेजफुल बनकर सही गलत के मर्म को जान सत्य राहो पर बढे चलो.*.. और सच की झनकार को विश्व में गुंजायमान करो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... में आत्मा अब आपके साये में सच्चे ज्ञान से भली भांति परिचित हूँ... *अँधेरे से निकल कर सच की सुनहरी किरणों में दमक रही हूँ.*.. सच के साथ हर पल झूम रही हूँ और सबको हाथो में हाथ लिए सत्य राहो का रही बना रही हूँ

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *ईश्वर पिता से पाये सत्य ज्ञान का शंखनाद करो.*.. अब व्यर्थ से परे समर्थ की ओर रुख करो... सच्ची बातो की आपस में लेनदेन करो और सत्य का ही सिंदूरी श्रंगार किये दमकते रहो... परखने की शक्ति के प्रयोगी बनकर असत्य से दामन सदा बचाओ....

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा शरीर के भान में कितनी झूठ का पुलिंदा बन चली थी... बेसमझ सी, झूठ को ही जीती आ रही थी... *आपने प्यारे बाबा जीवन सत्य ज्ञान से सुशोभित किया है.*.. मुझे सच्चे सोने सा चमकाया है... और मुझे विश्व में कीमती बनाया है...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... सत्य पिता ही आकर सत्य ज्ञान से भूले आत्मा बच्चों को सत्य राह दिखाये... *सत्य ज्ञान से वजनी बनाकर महा धनी बनाये.*.. तो हर पल सत्य की गूंज का सत्यनाद करो... झूठ के अंधेरो से निकल सत्य के प्रकाश में धवल छवि को प्रतिपल निहारो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी सी गोद में *अपने सोने से दमके रूप को पाकर सोनपरी बन गयी हूँ*... ईश्वर पिता के दिली जज्बातों को जानकर मा भगवान बन गयी हूँ... और इन मीठे जज्बातों को हर दिल को सुनाकर जनमो की थकान से मुक्त करवा रही हूँ....

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा विश्व परिवर्तक हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा *परमात्मा की बालक* हूँ... प्राण प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को कोटो में से ढूँढ़ कर अपना बनाया... परमात्मा निराकार होते हुए भी रोज मुझ आत्मा को साकार पालना देते हैं... मात-पिता की तरह मुझ आत्मा को सवेरे-सवेरे प्यार से जगाते हैं... अमृतवेले ज्ञान का अमृत पिलाते हैं... जिससे मैं आत्मा एवर हेल्थी, एवर वेल्दी बन जाती हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा मालिक हूँ... मैं आत्मा अपने कर्मेंद्रियो को अधीन कर *स्वराज्य की मालिक* बन रही हूँ... मुझ आत्मा को प्यारे बाबा गुण, शक्तियों के खजानों से श्रृंगार करते हैं... ज्ञान रत्नों, वरदानों से झोली भर देते हैं... बाबा ने सर्व अविनाशी खजानों, सर्व भंडारों की चाबी देकर मुझ आत्मा को मालिक बना दिया है... अब मैं आत्मा सदा सम्पन्न और भरपूर रहती हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा सदा *"मालिक सो बालक" के डबल नशे* में रहती हूँ... जब चाहे मालिकपन की स्थिति में स्थित हो जाती हूँ... जब चाहे बालकपन की स्थिति में स्थित हो जाती हूँ... यह डबल नशा मुझ आत्मा को सदा निर्विघ्न बना रहा है... मैं आत्मा विघ्न-विनाशक बनती जा रही हूँ... मैं आत्मा स्वयं के और विश्व के विघ्नों को समाप्त करते जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा शक्तिशाली बनते जा रही हूँ... अब मैं आत्मा सदा विघ्न-विनाशक के टाइटल में स्थित रहती हूँ... अब मुझ आत्मा के सामने सारे विघ्न स्वतः कमजोर हो जाते हैं... अब मैं आत्मा सारे विश्व के लिए विघ्न-विनाशक, विश्व परिवर्तक बन रहीं हूँ... अब मैं आत्मा डबल नशे की स्थिति द्वारा सदा निर्विघ्न बनने और बनाने वाली *विश्व परिवर्तक बन गई* हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अपने डबल लाइट स्वरूप में स्थित रह सब बोझ समाप्त करना"*

 

➳ _ ➳  *मैं डबल लाइट फ़रिश्ता हूँ... मैं ब्राह्मण सो फ़रिश्ता... विश्व कल्याणी हूँ...* लाइट की ड्रेस पहन... मस्त गगन से उड़ता हुआ... सूक्ष्म वतन में पहुँचता हूँ... सूक्ष्म वतन में बापदादा के समक्ष पहुँच... उनसे पावरफुल दृष्टी लेता हूँ... बापदादा की दृष्टी में असीम प्रेम और शक्तियाँ समाई हुई हैं... मैं फ़रिश्ता बापदादा की दृष्टी और वाइब्रेशंस से भरपूर होकर... पूरे विश्व पर कल्याणकारी लाइट और माइट बिखेरता हूँ...

 

➳ _ ➳  मेरे डबल लाइट स्वरूप से मेरे सभी बोझ समाप्त हो रहे हैं... *सर्व बन्धनों से मुक्त में उड़ता फ़रिश्ता हूँ...* उमंग उत्साह के पंख द्वारा उड़ते हुए... सम्पूर्ण विश्व की आत्माओं पर खुशियों के मोती बिखेरता हूँ... मेरा डबल लाइट फ़रिश्ता स्वरूप अन्य आत्माओं के भी बोझ भी समाप्त कर... उन्हें मुक्ति और जीवनमुक्ति का वरदान दे रहा हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं डबल लाइट स्वरूप में स्थित... अत्यंत शक्तिशाली स्थिति का अनुभव कर रहा हूँ... मैं लाइट और माइट फरिस्ता... *मुझसे अनन्त सप्तरंगी शक्तियों की किरणें निकल कर सर्वत्र फ़ैल रही हैं...* मेरे सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा शक्तियों का अनुभव कर रही हैं...

 

➳ _ ➳  इस धरा पर सभी दुनयायी प्रभाव से मुक्त... निर्बन्धन अवस्था में... डबल लाइट स्थिति में...अपने सभी बोझ को समाप्त कर... सर्व आत्माओं की सहयोगी आत्मा बन गई हूँ... *सर्व बोझ बाबा को देकर...मैं आत्मा एकदम बेफिक्र बादशाह बन गई हूँ...* जीवन में होते हुए भी सम्पूर्ण मुक्त अवस्था में हूँ... जीवन मुक्ति का अनुभव मुझे अभी ही हो रहा हैं... शिवबाबा के साथ और हाथ ने मुझे सर्व बोझों से मुक्त कर दिया है...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *डबल नशे की स्थिति द्वारा सदा निर्विघ्न बनने और बनाने वाले विश्व परिवर्तक होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   डबल नशे की स्थिति द्वारा सदा निर्विघ्न बनने और बनाने वाले विश्व परिवर्तक होते हैं क्योंकि...  *हम बाबा के बच्चे मालिक सो बालक हैं।* हमारा जब भी ज्ञान में जन्म होता हैतभी से हम अपने पिता परमात्मा की प्रॉपर्टी के मालिक बन जाते हैं।  इसलिये! हम बालक सो मालिक व मालिक सो बालक बनते हैं।

 

❉   अतः हम जब चाहें! मालिकपन की स्थिति में स्थित हो जाना है और जब चाहें बालकपन की स्थिति में स्थिति हो जाना है। इस प्रकार का *यह डबल नशा हमें सदा निर्विघ्न बनाने वाला होता है।* हमें सदा ही अपने को इस रूहानी नशे में रखना है कि...  हम ही निर्विघ्न आत्मायें हैं।    

 

❉   हमारे सामने किसी प्रकार का भी विघ्न कभी भी आ नहीं सकता क्योंकि...  यह रूहानी नशा हमें विघ्नों से दूर रखता है और विघ्न-विनाशक भी बनाता है। तभी तो बाबा ने *ऐसी आत्माओं को वरदान के रूप में विघ्न - विनाशक का टाइटल भी दिया है।* ऐसी उत्तम श्रेणी की आत्मायें ही विघ्न - विनाशक बनती हैं।

 

❉    जो ऐसी विघ्न - विनाशक आत्मायें होती हैंउनकी उपस्थिति मात्र हीसभी विघ्नों का नाश कर देती हैं और उनके जहाँ भी कदम पड़ते हैंवहाँ के सभी विघ्न स्वतः ही कोसों दूर चले जाते हैं।  लेकिन!  हमें सिर्फ अपने लिये ही विघ्न-विनाशक नहीं बनना है। बल्कि! *हमें तो सारे विश्व के विघ्नों का नाश करना है।*

 

❉   हमें तो!  सारे विश्व की आत्माओं को निर्विघ्न बनाना है तथा हम ही वे आत्मायें हैं जिन्होंने सारे विश्व की आत्माओं को सुखी बनाना है।  हम ही तो हैं, वे आत्मायें! जो विघ्न-विनाशक व विश्व-परिवर्तक हैं। वे आत्मायें! *स्वयं तो शक्तिशाली रहते ही हैं और उनके सामने कभी विघ्न आ भी जातें हैं, तो वह विघ्न स्वतः ही कमजोर* बन जाते हैं।अतः हम ही हैं विघ्न-विनाशक व विश्व-परिवर्तक आत्मायें।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *अपने डबल लाइट स्वरुप में स्थित रहो तो सब बोझ समाप्त हो जाएंगे... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जो सदैव अपने डबल लाइट स्वरूप की स्मृति में स्थित रहते हैं वे उड़ता पंछी बन बुद्धि रूपी विमान में बैठ तीनो लोकों की सैर करते रहते हैं और इस लोक के लगाव से परे रहते हैं । *यह असार संसार हैं जिसमे कुछ भी सार नही* इस बात को बुद्धि में धारण कर वे संकल्प और स्वप्न में भी इस *असार संसार के आकर्षण में नही फंसते* इसलिए हर प्रकार के बोझ से वे मुक्त हो जाते हैं और संसार का कोई भी विघ्न उन पर अपना प्रभाव नही डाल सकता ।

 

❉   हम ब्राह्मणों की अंतिम स्टेज है ही डबल लाइट स्थिति । तो सदा अपने डबल लाइट स्वरूप को स्मृति में रखने से जैसी स्मृति होगी वैसी स्थिति बन जाएगी । जितना इस अन्तिम मंज़िल के नज़दिक आते जाएंगे उतना सब तरफ से न्यारे और बाप के प्यारे बनते जाएंगे । जैसे *जब कोई चीज़ बन कर तैयार हो जाती है तो किनारा छोड़ देती है* । इसी प्रकार जितना सम्पन्न स्टेज के समीप आते जाएंगे उतना सर्व से किनारा होता जाएगा और सर्व बोझ समाप्त होते जायेंगे ।

 

❉   डबल लाइट स्थिति अर्थात फरिश्ता । और फरिश्ता अर्थात एक के साथ सब रिश्ता । जब सब रिश्ते एक के साथ जुट जाते हैं और एक से ही सर्व सम्बन्धो का सुख प्राप्त होने लगता है तो भटकना स्वत: बन्द हो जाता है क्योकि ठिकाना मिल जाता है । इसलिए *जब सब बन्धनों से सब तरफ से वृत्ति द्वारा किनारा कर लेंगे तो सब तरफ से लगाव झुकाव समाप्त होता जायेगा* । जितना मन बुद्धि को सभी बातों से समेटते जायेगें उतना हर बोझ से मुक्त होते जायेंगे ।

 

❉  डबल लाइट स्वरूप में लाइट और माइट दोनों ही स्पष्ट दिखाई देते हैं। लेकिन लाइट और माइट रूप बनने के लिए मनन करने और सहन करने की शक्ति चाहिए । *मन्सा के लिए मननशक्ति और वाचा, कर्मणा के लिए सहनशक्ति जब धारण करेंगे* और अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर फिर जो भी शब्द बोलेंगे या कर्म करेंगे उसमे सफलता अवश्य समाई होगी । क्योकि अगर यह दोनों शक्तियां हैं तो पुरूषार्थ का मार्ग सहज और स्पष्ट हो जायेगा और सब बोझ समाप्त हो जायेंगे ।

 

❉   जैसे गवर्मेन्ट रास्ते में बोर्ड लगा देती है कि यह रास्ता ब्लाक है तो उस बोर्ड को पढ़ कर कोई भी उस रास्ते की ओर नही जाता है । ऐसे *जब सभी दुनियावी रास्ते ब्लाक (बन्द) कर देंगे तो बुद्धि का भटकना छूट जायेगा* । बापदादा का भी यही फरमान है - कि पहले सब रास्ते बन्द करो अर्थात सब तरफ से बुद्धि योग हटाओ । तो जब सब तरफ से बुद्धि योग हटा कर निराकार वा साकार रूप से बुद्धि का संग एक बाप से पक्का हो जायेगा तो डबल लाइट स्वरूप में स्थित हो हर बोझ से मुक्त हो जायेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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