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 27 / 11 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)

 

➢➢ *आपस में राय कर विहंग मार्ग की सेवा की ?*

 

➢➢ *कभी भी मतभेद में तो नहीं आये ?*

 

➢➢ *टीचर बन आत्माओं को अल्फ की पहचान दी ?*

 

➢➢ *मालिकपन की स्मृति द्वारा परवश स्थिति को समाप्त किया ?*

 

➢➢ *वरदानो की शक्ति से परिस्थिति रुपी आग को भी पानी बनाया ?*

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         ❂ *तपस्वी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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〰✧  *मन की एकाग्रता ही एकरस स्थिति का अनुभव करायेगी।* एकाग्रता की शक्ति द्वारा अव्यक्त फरिश्ता स्थिति का सहज अनुभव कर सकोगे। *एकाग्रता अर्थात् मन को जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो उतना समय एकाग्र कर लो। मन वश में हो।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  भारत के चारों तरफ से पहुँचे हैं। सब तरफ से आये हैं या कोई रह गया है? सभी जोन आ गये हैं। तो जैसे आने में एवररेडी होकर पहुँच गये, ऐसे ही *अगर बापदादा ऑर्डर करे कि अभी एक सेकण्ड में वापस घर जाने की तैयारी करो तो कर सकते हो?*

 

✧  कि याद आयेगा टेलीफोन कर दें कि हम जा रहे हैं, प्रवृत्ति वाले याद करेंगे? ऐसी प्रैक्टिस करो - *एक सेकण्ड में आत्मा शरीर से परे होने के लिये एवररेडी बन जाये।* क्योंकि सबका वायदा है - साथ चलेंगे। वायदा है, कि नहीं?

 

✧  बाप चला जाये और हम देखते रहें! नहीं, *साथ रहेंगे, साथ चलेंगे। तो चलने के लिये तैयारी भी चाहिए ना।* कोई गोल्डन, सिल्वर, कॉपर की सूक्ष्म रस्सियाँ तो नहीं हैं, जो आप उडने की कोशिश करो और रस्सी आपको नीचे ले आये? तो चेक करो और अभ्यास करो कि सेकण्ड में अशरीरी बन सकते हैं?

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप की गति सदगति करने की मत वा राय सबसे न्यारी है"*

 

➳ _ ➳  सागर किनारे बैठी मैं आत्मा बाबा को स्नेह से याद कर रही हूँ... सागर की कल कल करती लहरों को देखते-देखते, प्रकृति के सामीप्य में... सहज ही मन मीठे बाबा की यादों में मगन हो रहा है... मैं अनुभव करती हूँ *बापदादा ने पीछे से आकर मेरे कंधे पर अपना मजबूत हाथ रख दिया है... पीछे मुड़ती हूँ तो अपने समीप अपने मीठे बाबा को देखती हूँ... बाबा के चेहरे का प्रकाश चारों और दिव्यता फैला रहा है...* उनकी हंसी मुझे असीम आनंद से भर रही है... बाबा की मंद मंद मुस्कान, दमकते चेहरे को देखकर यह महसूस हो रहा है कि... आज बाबा से बहुत सुंदर रुहरुहान होने वाली है... *मेरे मन में भी उत्सुकता हो रही है कि आज बाबा मुझे क्या कहने वाले हैं...*

 

❉  *अपनी मीठी मुस्कान से आत्मा में आनंद रस घोलते हुए बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे लाडले बच्चे... तुम आधाकल्प से अपने को भूले हुए माया के थपेड़े खाते भटकते आए हो... अब *मैं तुम्हें सच्चा रास्ता दिखाने आया हूँ... यह तुम्हारा अंतिम जन्म है... इसलिए तुम एक मुझ में ही निश्चय रखो...* परमत, मनमत का त्याग कर एक मेरी ही श्रीमत पर चलो... जो सभी तरह से सुख देने वाली है..."

 

➳ _ ➳  *बाबा के सच्चे स्नेह में लीन होती मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे दिलाराम बाबा... आपने आकर मुझे सच्चा सुख दिया है... मुझे जन्म जन्म की भटकन से बचा लिया है... *अब मैं सिर्फ आपको ही अपनी यादों में समाया हुआ पाती हूँ... आपकी बताई शिक्षाओं पर, आपके बताये मार्ग पर ही चल रही हूँ...* मैं कितनी भाग्यवान आत्मा हूँ... स्वयं भगवान सतगुरु बनकर आ गए हैं... मुझे मुक्ति और जीवनमुक्ति का मार्ग दिखा रहे हैं..."

 

❉  *मुझ आत्मा को अपने दिलतख्त पर बिठाके बेहद प्यार बरसाते हुए बाबा कहते हैं:-* "मीठे मीठे सपूत बच्चे... *मैं तुम्हें कलियुगी दलदल से निकालकर पहले मुक्तिधाम ले जाता हूँ... फिर वहाँ से सतयुगी सुखों की दुनिया में ले जाता हूँ... इसके लिए मैं जो मत तुम्हें देता हूँ... वह सबसे न्यारी है...* कोई भी देहधारी गुरू, सन्त महात्मा यह मत नहीं दे सकते... इसलिए ही गाया जाता है... तुम्हारी गत मत तुम ही जानो... तुम मेरी इस श्रेष्ठ मत को अपने जीवन में धारण करो..."

 

➳ _ ➳  *बाबा की गोद में बैठ पुलकित होती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे मन के मीत मीठे बाबा... *आपकी श्रीमत मुझ आत्मा के लिए हर प्रकार से कल्याणकारी है... मनमत, परमत पर चल के तो आधा कल्प दुःख पाया, भटकते रहे... अब मैं आपकी शिक्षाएं ही धारण करूँगी... आपकी ही मत पर चलके भविष्य के लिए अपना श्रेष्ठ भाग्य जमा करूँगी..."*

 

❉  *मुझे सभी चिंताओं से मुक्त कर बेगमपुर का बादशाह बनाते हुए बाबा कहते हैं:-* "मेरे लाडले सिकीलधे बच्चे... *गति सदगति करने की मत मैं ही आकर बताता हूँ... मनुष्य गुरु कोई भी सदगति नहीं कर सकते...* वे कोई भी कह नहीं सकते कि... मैं तुम्हें अपने साथ ले जाऊँगा... सर्व का सदगति दाता, लिबरेटर एक मैं ही हूँ... तुम कदम कदम पर मुझ से राय लो... एक मेरी शिक्षाओं को ही अमल में लाओ..."

 

➳ _ ➳  *बाबा के हाथ और साथ से संगम के हर पल में मौज मनाती मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे दिल के सहारे प्यारे बाबा... मैंने एक दिलाराम को ही अपने दिल में बसा लिया है... आपकी शिक्षाएं ही मेरे जीवन का श्रृंगार कर रही हैं... *आपकी बाहों में ही मैंने सच्चा सुख पाया है... अब मैं सदा आपकी श्रीमत पर ही चल रही हूँ... आप मुझे सर्व सुखों की जागीर देने आए हैं... उसे पाने के लिए मैं स्वयं को हर प्रकार से योग्य बनाती जा रही हूँ..."*

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- टीचर बन सभी को अल्फ की पहचान देनी है*"

 

➳ _ ➳  आज सारी दुनिया मे सभी मनुष्य मात्र अल्फ अर्थात अपने ईश्वर बाप को ना जानने के कारण निधनके बन पड़े है और दुखी, अशांतमय जीवन जी रहें हैं। *दुनिया के ये सभी मनुष्य मेरे ही तो आत्मा भाई है जो आज दिन तक अपने पिता से बिछुड़े हुए हैं। अपने इन आत्मा भाईयों को अपने शिव पिता परमात्मा से मिलाना मेरा परम कर्तव्य है और यही मेरे शिव पिता की चाहना भी है कि उनका कोई भी बच्चा उनके परिचय से अनजान ना रह जाये*। अपने शिव पिता के फरमान को स्मृति में ला कर मैं मन ही मन विचार करती हूँ कि कैसे सबको अल्फ की पहचान दूँ!

 

➳ _ ➳  एकांत में बैठ सेवा की युक्तियां सोचते - सोचते अपने शिव पिता को मैं याद करती हूँ। मेरी याद मेरे शिव पिता तक पहुंचते ही उनकी तरफ से याद का रिटर्न उनकी शक्तिशाली किरणों की छत्रछाया के रूप में मुझे अपने ऊपर स्पष्ट अनुभव होने लगता है। *मैं देख रही हूँ बाबा अपनी सर्वशक्तियों रूपी किरणों की हज़ारों भुजाओं को मेरे ऊपर फैलाये परमात्म दुआयों से मुझे भरपूर कर रहें हैं*। ये परमात्म ब्लैसिंग मेरे अंदर एक अद्भुत रूहानी नशे का संचार कर रही है। इस रूहानी नशे का अनुभव मुझे लाइट माइट स्वरूप में स्थित कर रहा है। मैं देख रही हूँ जैसे मेरा साकारी शरीर लुप्त हो गया है।

 

➳ _ ➳  लाइट के बहुत ही सुंदर फ़रिशता स्वरूप में मैं अब स्वयं को देख रही हूँ। मेरे अंग - अंग से निकल रही श्वेत रश्मियां चारों और फैल कर सारे वायुमंडल को शुद्ध, दिव्य और अलौकिक बना रही हैं। *अपनी तेजस्वी रंग बिरंगी किरणो से वायुमण्डल को शुद्ध और पवित्र बनाता हुआ मैं फ़रिशता अब धरनी के आकर्षण से मुक्त होता हुआ ऊपर आकाश मण्डल की ओर जा रहा हूँ*। सूक्ष्म रूप ले कर अति तीव्र गति से उड़ता हुआ मैं फरिश्ता पांच तत्वों की दुनिया को पार करके पहुँच जाता हूँ अपने अलौकिक वतन में।

 

➳ _ ➳  स्वयं को मैं अब एक ऐसी दुनिया मे देख रहा हूँ जहां चारों और सफेद चांदनी सा प्रकाश फैला हुआ है। लाइट के सूक्ष्म शरीर धारण किये फ़रिश्ते ही फ़रिश्ते इस लोक में मुझे दिखाई दे रहें हैं जिनसे निकल रही प्रकाश की रश्मियां पूरे वतन में फैल रही हैं। *इस अति सुन्दर दिव्य अलौकिक दुनिया में मैं फ़रिशता अब स्वयं को बापदादा के सम्मुख देख रहा हूँ। बापदादा की लाइट माइट मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही है और मैं स्वयं को बापदादा से आ रही लाइट माइट से भरपूर कर रहा हूँ*। बापदादा से आ रही सर्वशक्तियाँ मुझमे असीम बल भर कर मुझे शक्तिशाली बना रही है।

 

➳ _ ➳  मैं डबल लाइट बनता जा रहा हूँ। हर प्रकार के बोझ और बन्धन से मुक्त बिल्कुल उन्मुक्त और निर्बन्धन स्थिति में मैं स्थित हूँ। गहन सुखमय स्थिति की अनुभूति प्यारे बापदादा के सानिध्य में मैं कर रहा हूँ। *बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर मुझे आप समान बनने का वरदान दे रहें हैं। टीचर बन सभी को अल्फ का परिचय देने का फरमान दे रहें हैं*। बापदादा की लाइट माइट से भरपूर हो कर, बाबा से वरदान ले कर, बाबा के फरमान का पालन करने के लिए डबल लाइट बन कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया मे लौट रहा हूँ।

 

➳ _ ➳  अपनी लाइट की सूक्ष्म आकारी देह के साथ वापिस अपनी साकारी देह में प्रवेश कर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं टीचर बन सबको अल्फ का परिचय देने की ईश्वरीय सेवा कर रही हूँ। अलग - अलग स्थानों पर प्रदर्शनियों आदि में जा कर एक - एक बात को अच्छी रीति समझा कर मैं सबकी बुद्धि को दिव्य बनाने का रूहानी धन्धा करते हुए सबको ईश्वर बाप से मिलवाने की बाबा की आश को पूरा कर रही हूँ। *"ईश्वर सर्वव्यापी नही है" "गीता का भगवान कृष्ण नही है" ऐसे अनेक टॉपिक्स पर टीचर की भांति अच्छी रीति समझा कर मैं पत्थरबुद्धि मनुष्यों की बुद्धि का ताला खोल उन्हें पारस बुद्धि बनाने की सेवा निरन्तर कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं  मालिकपन की स्मृति द्वारा परवश स्थिति को समाप्त करने वाली समर्थ आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं वरदानों की शक्ति जमा करके परिस्थिति रूपी आग को पानी देने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बिजनेस वाले हाथ उठाओ। बिजनेस वाले क्या सोचते हैं?खास आपको चांस मिला है। *बिजनेस वालों को बाप से भी बिजनेस कराओ।* सिर्फ खुद किया वह तो अच्छा किया लेकिन औरों को भी बाप से बिजनेस कराओ क्योंकि आजकल सर्व बिजनेसमैन टेन्शन में बहुत हैं। बिजनेस समय अनुसार नीचे जा रहा है। इसलिए जितना भी पैसा हैपैसे के साथ चिंता है-क्या होगा! तो *उन्हों को चिंता से हटाए अविनाशी खजाने का महत्व सुनाओ।* तो जितने भी बिजनेसमैन आये हैं चाहे छोटा बिजनेस हैचाहे बड़ा है। लेकिन *अपने हमजिन्स कार्य करने वालों को खुशी का रास्ता बताओ।* जो भी आप बिजनेसमैन आये हैं उन्हों को चिंता हैक्या होगाकैसे होगाचिंता हैचिंता नहीं है तो हाथ उठाओ। कल कुछ हो जाये तोबेफिकर बादशाह हैं?बिजनेसमैन बेफिक्र बादशाह हैंथोड़ों ने हाथ उठाया? जिसको थोड़ा-थोड़ा फिकर है वह हाथ उठा सकते हो या शर्म आयेगा?बापदादा ने टाइटल ही दिया है - *बेफिक्र बादशाह, बेगमपुर के बादशाह।*

 

 _ ➳  तो जब भी कोई ऐसी बात आये, आयेगी तो जरूर *लेकिन आप बेगमपुर में चले जाना।* बेगमपुर में बैठ जाना तो बादशाह भी हो जायेंगे और बेगमपुर में भी हो जायेंगे। आपने ही आह्वान किया है कि *पुरानी दुनिया जाये और नई दुनिया आये,* तो जायेगी कैसेनीचे ऊपर होगी तब तो जायेगी। *कुछ भी हो जाए आपको बेफिक्र बनना ही है।* आपने ही आह्वान किया हैपुरानी दुनिया खत्म हो। तो पुरानी दुनिया में पुराने मकान में क्या होता है? कभी क्या टूटता हैकभी क्या गिरता हैतो यह तो होगा ही। नथिंगन्यु। *ब्रह्मा बाप का यही हर बात में शब्द था - 'नथिंगन्यु'।* होना ही हैहो रहा है और हम बेफिक्र बादशाह। ऐसे बेफिक्र हो? बेफिक्र होंगे तो देवाला भी बच जायेगा और फिक्र में होंगेनिर्णय ठीक नहीं होगा तो एक दिन में क्या से क्या बन जाते हैं। यह तो जानते ही हो। बेफिक्र होंगे, *निर्णय अच्छा होगा* तो बच जाेंगे।

 

 _ ➳  *टचिंग होगी - अभी समय अनुसार यह करें या नहीं करें!* इसीलिए फिक्र माना बिजनेस भी गिरना और अपनी स्थिति भी गिरना। *तो सदैव यह याद रखो - बेफिक्र बादशाह हैं।* फिक्र की बात भी बदल जायेगी। *हिम्मत नहीं हारो, दिलशिकस्त कभी नहीं हो।* हिम्मत से बाप की मदद मिलती रहेगी। बाप मदद के लिए बंधा हुआ है लेकिन हिम्मतहीन का मददगार नहीं है। आप सोचेंगे कि बाप की मदद तो मिली नहीं, लेकिन पहले यह सोचो हिम्मत हैहिम्मत बच्चे की मदद बाप की। आधा शब्द नहीं पकड़ो, बाप की मदद तो चाहिए ना! लेकिन हिम्मत रखी? दिलशिकस्त न होकर हिम्मत रखते चलो तो *मदद गुप्त मिलती रहेगी।* तो बोलो कौन होबिजनेसमैन सभी बोलो कौन होबेफिक्र बादशाह होयह याद रखना। *हिम्मत कभी नहीं छोड़ना,* कुछ भी हो जाए मदद मिलेगी। लेकिन *आधा नहीं याद करना। पूरा याद रखना।*

 

✺   *ड्रिल :-  "बेफिकर बिजनेसमैन बनने का अनुभव"*

 

 _ ➳  आज बापदादा वतन में बैठें हुए मुझ आत्मा को रूहानी बिजनेसमैन बना रहे हैं... *मुझ आत्मा को ख़ास बाबा ने रूहानी बिजनेस करने का चांस दिया हैं...* रूहानी कमाई करने के साथ साथ सर्व गुण, सर्व ख़जाने, ईश्वरीय सुख़, ब्राह्मण जीवन और स्वर्ग में चलने का बिजनेस मै आत्मा बाबा के साथ कर रही हूँ... *मै आत्मा कौन हूँ कहां से आई हूँ...* सबकुछ जान चुकी हूँ... मै आत्मा परमपिता शिव परमात्मा को और उनके दिव्य कार्य को भी जान चुकी हूँ... अब मै आत्मा ये रूहानी बिजनेस और आत्माओं को भी बता रही हूँ... कि परमात्म खजानों का बिजनेस कैसे करे... आज के समय में सर्व आत्माएँ जिस्मानी बिजनेस और दूसरे कार्य में इतनी उलझी हुई हैं कि परमात्म्य सुख से वंचित हैं...पर *मै आत्मा इस संगम युग में परमात्म्य सुख और साथ का आनंद ले रही हूँ...*  

 

 _ ➳  इस अंतिम समय में जहाँ सबकुछ विनाश कि ओर अग्रसर हैं... सभी आत्माएं इतनी चिंता में डूबी हुई हैं... उन सभी आत्माओ को *मै आत्मा रूहानी बिजनेस कराकर उन्हें ख़ुशी का रास्ता बता रही हूँ... और सुख शांति की किरणें बाँट रही हूँ... मै आत्मा अपना सबकुछ एक बाप को सौप कर चिंता मुक्त एकदम बेफ़िक्र बादशाह बनती जा रही हूँ...* क्यूंकि मेरा पालनहार स्वयं परमपिता परमात्मा हैं... मुझ आत्मा को किसी भी प्रकार की कोई भी चिंता नहीं हैं... *भगवान बाप ने मुझ आत्मा को बेफ़्रिक बादशाह, बेगमपुर का बादशाह बनाया हैं...* इस स्वमान से मै आत्मा बेफ़िक्र बन गई हूँ...

 

 _ ➳  मुझ आत्मा को कोई भी बात परेशान नहीं कर सकती हैं... क्यूंकि *मै आत्मा अब बेगमपुर की बादशाह बन गई हूँ...* क्यूंकि मुझ आत्मा को अब बाप के साथ साथ इस ड्रामा का भी नॉलेज हैं... मै आत्मा साक्षी होकर के सब देख रही हूँ... *मै आत्मा नई दुनिया में जानें के लिए समय का आह्वान कर रही हूँ...* क्यूंकि नई दुनिया में चिंता, दुःख का नामोनिशान नहीं हैं... कैसी भी परिस्थिति मुझ आत्मा के जीवन में आये मै आत्मा बेफ़्रिक रहतीं हूँ... क्यूंकि शिव पिता मेरे साथ हैं... और मै आत्मा ड्रामा में अटल हूँ... जो भी हो रहा है वो *हर कल्प रिपीट होता हैं... नथिंग न्यू...* मुझ आत्मा की बुद्धि बेफ़िक्र होने के कारण हर समय सही निर्णय ले रही हैं... सही निर्णय लेने के कारण मुझ आत्मा के साथ सदैव अच्छा और सही हो रहा हैं... *बाप ने मुझ आत्मा को निर्णय लेने की शक्ति से भरपूर किया हैं...*

 

 _ ➳  बेफ़्रिक बादशाह और बेफ़िक्र बुद्धि होने के कारण मुझ आत्मा को *सदैव बाप की मदद की टचिंग होती हैं...* बुद्धि की लाइन एकदम क्लियर हैं... और समय अनुसार क्या करना हैं... क्या नहीं करना हैं... ये टचिंग परमात्मा बाप से मुझ आत्मा को मिल रही हैं... बेफ़िक्र बादशाह होने के कारण मुझ आत्मा को हर कार्य और जिस्मानी बिज़नेस में भी सफ़लता मिल रही हैं... और मेरी स्व स्थिति भी बहुत अच्छी बन रही हैं... क्यूंकि *बेफ़िक्र बादशाह होने के कारण हर कार्य में सफ़लता पा रही हूँ...* मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह हूँ... ये मुझ आत्मा कि स्मृति में हैं... और आने वाली परिस्थितियों को भी मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह बनकर पार कर रही हूँ और उन्हें बदल भी रही हूँ... *मै आत्मा कभी भी हिम्मत नहीँ हारती हूँ...* और ना ही कभी दिलशिकस्त होती हूँ... क्यूंकि *परमात्मा बाप ने मुझे बेफ़िक्र बनाया हैं...* मैं हर ात में ख़ुश हूँ... मुझ आत्मा के साथ स्वयं भगवान हैं... मेरे हर क़दम के साथ बाप हैं... और उनकी मदद हैं... *हिम्मते बच्चे मददे बाप ये मुझ आत्मा का स्वमान हैं...* स्वयं भगवान मुझ आत्मा का मददगार बना हैं...

 

 _ ➳  *मै आत्मा कभी भी हिम्मत हीन नहीं होती हूँ...* क्यूंकि जहां मै आत्मा अपने स्वमान से नीचे उतरी, वहां मुझें *परमात्मा बाप की मदद और टचिंग नहीं होगीं...* हिम्मत हैं तो परमात्मा बाप का साथ हैं, उनकी मदद हैं... मै आत्मा अपने स्वमान के साथ सदा आगें बढती जा रहीं हूँ... हिम्मत रख बाप के क़दम पर क़दम रख आगे बढ़ रहीं हूँ... मै आत्मा पूरी तरह से बाप के साथ हूँ... और उनकी पूरी मदद मुझ आत्मा को मिल रही हैं... बाबा की गुप्त मदद से मै आत्मा हिम्मत रख हर परिस्थिति को पार कर रहीं हूँ... *मुझ आत्मा के साथ और भी आत्माएँ बेफ़िक्र बादशाह बनती जा रही हैं...* चारों ओर यहीं आवाज़ गूंज रही हैं... कि मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह हूँ... मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह हूँ... चाहे कुछ भी हो जाये, *मैं आत्मा हिम्मत कभी नही छोड़ती हूँ...* मै आत्मा हमेशा बाप के साथ हूँ... और उनकी मदद ले रही हूँ... *मै आत्मा बेफ़िक्र बनकर बेफ़िक्र बिज़नेसमैन बन चुकीं हूँ...* और बाप के साथ पूरा पूरा रूहानी बिज़नेस कर रहीं हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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