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❍ 05 / 11 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)
➢➢ *आकारी रूप में भी बाप के साकारी रूप का अनुभव किया ?*
➢➢ *स्वयं को सर्व से श्रेष्ठ गायन योग्य पूजनीय आत्मा अनुभव किया ?*
➢➢ *कभी भी हिम्मतहीन तो नहीं बने ?*
➢➢ *सदा उड़ता पंछी बनकर रहे ?*
➢➢ *बाप को अपने स्नेह के बंधन में बांधा ?*
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❂ *तपस्वी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ हर समय नवींनता का अनुभव करते औरों को भी नये उमंग-उत्साह में लाना। खुशी में नाचना और बाप के गुणों के गीत गाना। *मधुरता की मिठाई से स्वयं का मुख मीठा करते दूसरों को भी मधुर बोल, मधुर संस्कार, मधुर स्वभाव द्वारा मुख मीठा कराना।*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ जैसे स्थूल कर्मेन्द्रियाँ आपके कन्ट्रोल में हैं। आँख को वा मुख को बंद करना चाहो तो कर सकते हो। ऐसे मन और बुद्धि को उसी स्थिति में स्थित कर सको जिसमें चाहो। *अगर फरिश्ता बनना चाहें तो सेकण्ड में फरिश्ता बनो - ऐसा अभ्यास है या टाइम लगता है?*
〰✧ क्योंकि हलचल जब बढ़ती है तो ऐसे समय पर कौन-सी स्थिति बनानी पडेगी? आकारी या निराकारी। साकार देहधारी की स्थिति पास होने नहीं देगी, फेल कर देगी। अभी भी देखो - *किसी भी हलचल के समय अचल बनने की स्थिति 'फरिश्ता स्वरूप' या ‘आत्म-अभिमानी' स्थिति ही है।*
〰✧ यही स्थिति हलचल में अचल बनाने वाली है। तो क्या अभ्यास करना है? आकारी और निराकारी। जब चाहें तब स्थित हो जाएँ - *इसके लिए सारा दिन अभ्यास करना पडे, सिर्फ अमृतवेले नहीं।* बीच-बीच में यह अभ्यास करो। (पार्टियों के साथ)
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- दिलाराम बाप का दिलरुबा बच्चों से मिलन"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा रूपी सीता रावण की कैद से छूटकर अपने दिलाराम बाबा से मिलन मनाने... आजाद पंछी की तरह उड़ चलती हूँ... अपने वतन... बाबा के नैनों से, मस्तक से ज्ञान, गुण, शक्तियों की ज्वाला रूपी किरणें निकल रही हैं... *इस योग अग्नि में प्रवेश कर... माया रावण रूपी विकारों की मैल से मुक्त होकर... मैं आत्मा रूपी सीता पवित्र बन निखर रही हूँ...* अब मैं आत्मा दिलाराम बाबा की दिलरुबा बन उनके दिलतख्त पर बैठने लायक बन गई हूँ... दिलाराम बाबा से बातें करते हुए वतन की सैर कर रही हूँ...
❉ प्यारे बाबा मुझे अपने मीठे आगोश में लेते हुए कहते हैं:– “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता को जो बाँहों में भर लिया है... तो *सातो गुणो के श्रृंगार से सजकर मिलन के मधुमास में खो जाओ.*.. मीठा साजन धरा पर जो लेने आया है तो मन बुद्धि को परमात्म प्यार की चुनरी में सजा लो... सच्ची दिल अर्पित कर परमात्म दिल को प्रेम डोरी में बांध लो... *दिलाराम बाप आया है तुम बच्चों की दिल लेने इसलिए साफ़दिल बनो"*
➳ _ ➳ अविनाशी बाबा के अविनाशी प्यार में लिप्त होकर मैं आत्मा कहती हूँ:– “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वर मीत को पाऊँगी और उसके दिल में समाकर ख़ुशी के गीत गुनगुनाउंगी सोचा भी न था... *ऐसा मीठा सपना मुझ आत्मा ने कभी देखा भी न था... और आज ईश्वर मीत के दिल में रहने की खुबसूरत हकीकत को जीती जा रही हूँ...”*
❉ मीठे बाबा अपने गुण, शक्तियों के अथाह समुद में मुझे डुबोते हुए कहते हैं:– “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... मनुष्यो को दिल देकर और मनुष्यो की दिल लेकर... दिल को अपवित्रता की दुर्गन्ध से भर दिया है... अब उसे ज्ञान अमृत से धोकर पावन कर लो... और *ईश्वर महा दिल को देकर सच्चे प्रेम के महानायक बन मुस्कराओ...”*
➳ _ ➳ हनुमान के समान अपने दिलाराम को सदा के लिए अपने दिल में बसाकर मैं आत्मा कहती हूँ:– “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मनुष्यो को दिल देकर कितनी पतित हो गई थी... आज ईश्वर की दिल पर चढ़ कर पावनता से महक उठी हूँ... मन बुद्धि दिल को रूहानियत की सुगन्ध और *सच्चाई से रंगी पवित्रता की ओढ़नी ओढ़ा कर ईश्वर मीत को पेश करने वाली प्रियतमा बन गई हूँ...”*
❉ विकार के लौह तत्वों को निकाल मुझे पारसमणि समान जगमगाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:– “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... दिलवाला बाप आया है पतित दिल को लेकर पारस दिल बनाने... तो अपने दिल को पावनता की खुशबु से खिलाओ... *सच्चाई सफाई से सजाकर ईश्वर पिता के दिल की धड़कन बन जाओ*... मनुष्यो ने जिस दिल को ठुकराया कभी वह दिल ईश्वर पिता को भाया... सोचो जरा...”
➳ _ ➳ दिलाराम बाबा के प्यार में उडती कला का अनुभव करती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:– “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा कितनी खुबसूरत भाग्य वाली और दिलवाली हूँ... *कभी मनुष्यो को भी स्वीकार न थी आज ईश्वर पिता के दिल में धड़क रही हूँ...* महा साजन मुझे मिल गया और मै धरती आसमाँ को ख़ुशी के कदमो से नाप रही हूँ...”
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- आकारी रूप में भी बाप के साकारी रूप का अनुभव करना*"
➳ _ ➳ सूक्ष्म वतन में मैं फ़रिशता अव्यक्त बापदादा के सम्मुख हूँ और वतन में सजी फ़रिशतो की खूबसूरत महफ़िल को देख रहा हूँ। *मम्मा, बाबा, वरिष्ठ दादियां, एडवांस पार्टी की आत्मायें और हजारों की संख्या में एकत्रित बाबा के ब्राह्मण सो फ़रिश्ता बच्चे आज वतन में एकत्रित हैं*। सभी उमंग उत्साह से भरपूर दिखाई दे रहें हैं। ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत बड़ा उत्सव मनाया जा रहा है। इस खूबसूरत दृश्य को देख मैं मन ही मन प्रफुल्लित हो रहा हूँ।
➳ _ ➳ ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में सूर्य के समान चमकते शिव बाबा की सर्वशक्तियों की रंग बिरंगी किरणे वतन में फैल कर पूरे वतन को प्रकाशित कर रही हैं और साथ ही साथ वतन में उपस्थित सभी फ़रिश्तों की लाइट माइट को भी करोड़ो गुणा बढ़ा रही हैं। *बिना पलकों को झपकाये मेरी निगाहें एकटक अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के आकारी रथ पर विराजमान शिवबाबा को निहार रही हैं*।
➳ _ ➳ बापदादा अपने सामने उपस्थित अपने सभी फ़रिशता बच्चों को मीठी दृष्टि से निहाल कर रहें हैं। *अपना वरदानी हाथ ऊपर उठा कर सबकी झोली वरदानों से भर रहें हैं*। बाबा के अंग - अंग से सर्वशक्तियों की लाइट निकल रही है और हर फरिश्ते को शक्तिशाली स्थिति में स्थित कर रही है। हर फ़रिशता बाबा की लाइट माइट पा कर स्वयं को एकदम लाइट अनुभव कर रहा है।
➳ _ ➳ अपने सभी ब्राह्मण सो फ़रिशता बच्चो को मीठी दृष्टि दे कर और अपनी लाइट माइट से उन्हें भरपूर करके अब बापदादा एक - एक करके सभी बच्चों को अपने पास बुला रहें हैं। *उन पर असीम प्यार लुटा रहें हैं। उन्हें अपने बाहों के झूले में झुला रहें हैं। बच्चो के साथ खेल पाल कर रहें हैं*। परमात्म शक्तियों, गुणों और खजानो से सबको भरपूर कर रहें हैं और अपने हर बच्चे को साकार पालना का अनुभव करवा रहें हैं।
➳ _ ➳ सभी ब्राह्मण बच्चे परमात्म पालना में असीम सुख, शांति का अनुभव कर रहें हैं। *हर बच्चा मम्मा, बाबा की ममतामयी गोद का सुख, उनके हाथों की मीठी टोली तथा वरिष्ठ दादियों और वरिष्ठ भाई बहनो की ब्लेसिंग ले कर स्वयं को उमंग उत्साह से भरपूर अनुभव कर रहा है*। और एक दो से रेस करता हुआ अपने पुरुषार्थ में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है।
➳ _ ➳ बापदादा की साकार पालना का अनुभव करने के लिए अब मैं फ़रिशता भी बापदादा के पास पहुँचता हूँ। *बापदादा मुझे अपनी गोद में बिठाकर अपना वरदानी मूर्त हाथ मेरे सिर पर फिराते हुए परमात्म शक्तियों से मुझे भरपूर कर साकार पालना का प्रत्यक्ष अनुभव करवाते हुए वायदा करते हैं कि आकारी रूप में भी बाबा अपने हर ब्राह्मण बच्चे को सदैव अपने साकारी रूप का अनुभव हर पल करवाते रहेंगे*।
➳ _ ➳ आव्यक्त रूप में भी बापदादा की साकार पालना का अनुभव करके, मैं मन ही मन बाबा का दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ कि जिस साकार पालना की इच्छा मेरे मन मे हमेशा रहती थी वो इच्छा बाबा ने पूरी कर दी। *आकारी रूप में भी बाबा के साकारी रूप का अनुभव करके आज हर ब्राह्मण बच्चा कितना प्रसन्न है*। इस बात को मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ कि अव्यक्त होकर भी साकार पालना का सुख बाबा आज भी अपने हर बच्चे को करवा रहे हो। साकार से भी ज्यादा मदद आज बाबा अव्यक्त होकर हम बच्चों की कर रहे हैं।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं परमात्म प्यार की शक्ति से असंभव को संभव करने वाली पदमापदम भाग्यवान आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ कर्म वा श्रेष्ठ चलन द्वारा दुआएं जमा करती हुई पहाड़ जैसी बात को भी रूई के समान अनुभव करती हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. आज बापदादा ने बच्चों की बातें बहुत सुनी हैं। बापदादा को हँसाते भी हैं, कहते हैं ट्रैफिक कन्ट्रोल 3 मिनट नहीं होता, शरीर का कन्ट्रोल हो जाता है, खड़े हो जाते हैं, *नाम है मन के कन्ट्रोल का* लेकिन मन का कन्ट्रोल कभी होता, कभी नहीं भी होता। *कारण क्या है? कन्ट्रोलिंग पावर की कमी। इसे अभी और बढ़ाना है।* आर्डर करो, जैसे हाथ को ऊपर उठाना चाहो तो उठा लेते हो। क्रेक नहीं है तो उठा लेते हो ना! *ऐसे मन, यह सूक्ष्म शक्ति कन्ट्रोल में आनी है। लाना ही है। आर्डर करो - स्टाप तो स्टाप हो जाए।* सेवा का सोचो, सेवा में लग जाए। परमधाम में चलो, तो परमधाम में चला जाये। सूक्ष्मवतन में चलो, सेकण्ड में चला जाए। जो सोचो वह आर्डर में हो। अभी इस शक्ति को बढ़ाओ। छोटे-छोटे संस्कारों में, युद्ध में समय नहीं गंवाओ, आज इस संस्कार को भगाया, कल उसको भगाया। *कन्ट्रोलिंग पावर धारण करो तो अलग-अलग संस्कार पर टाइम नहीं लगाना पड़ेगा।* नहीं सोचना है, नहीं करना है, नहीं बोलना है। स्टाप। तो स्टाप हो जाए। *यह है कर्मातीत अवस्था तक पहुंचने की विधि।*
➳ _ ➳ 2. इस अवस्था से सेवा भी फास्ट होगी। क्यों? एक ही समय पर *मन्सा शक्तिशाली, वाचा शक्तिशाली, संबंध-सम्पर्क में चाल और चेहरा शक्तिशाली। एक ही समय पर तीनों सेवा बहुत फास्ट रिजल्ट निकालेगी* ऐसे नहीं समझो कि इस साधना में सेवा कम होगी, नहीं। सफलता सहज अनुभव होगी। और सभी जो भी सेवा के निमित्त हैं अगर संगठित रूप में ऐसी स्टेज बनाते हैं तो मेहनत कम और सफलता ज्यादा होगी। तो विशेष अटेन्शन कन्ट्रोलिंग पावर को बढ़ाओ। *संकल्प, समय, संस्कार सब पर कन्ट्रोल हो। बहुत बार बापदादा ने कहा है - आप सब राजे हो।* जब चाहो जैसे चाहो, जहाँ चाहो, जितना समय चाहो ऐसा मन बुद्धि ला और आर्डर में हो। आप कहो नहीं करना है, और फिर भी हो रहा है, कर रहे हैं तो यह ला और आर्डर नहीं है। *तो स्वराज्य अधिकारी अपने राज्य को सदा प्रत्यक्षस्वरूप में लाओ।*
➳ _ ➳ *तीन मास का अभ्यास सदाकाल का अनुभवी बना देगा।* अगर अपने उमंग-उत्साह से किया तो। मजबूरी से किया 3 मास पास करने हैं, फिर तो सदाकाल का नहीं होगा। *लेकिन उमंग-उत्साह से किया तो सदाकाल के लिए अनादि अविनाशी संस्कार इमर्ज हो जायेंगे।* समझा।
✺ *ड्रिल :- "कन्ट्रोलिंग पावर से कर्मातीत स्थिति प्राप्त करने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं संगमयुगी ब्राह्मण आत्मा... स्वस्थिति की ओर ध्यान केंद्रित करती हूँ... रोम-रोम प्रभु संग... आनंद मिलन... मंगल मिलन की कहानी सुना रहा है... कितनी श्रेष्ठ तकदीर की लकीर है... ईश्वर के साथ कभी उड़ रही हूँ... कभी खेल रही हूँ... तो कभी गा रही हूँ... ईश्वर ने स्वयं मुझ आत्मा का सर्वशक्तियोंं से श्रृंगार किया है... *सर्वशक्तियों व सर्वगुणों की रंगबिरंगी मणियाँ... मेरे मस्तक पर चमक रही हैं...* मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा... अपनी कंट्रोलिंग पावर का बढ़ते हुए अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ *सूक्ष्म कर्मेंद्रियों को कंट्रोल करके... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी बन गई हूँ...* सूक्ष्म शक्तियों को... परमधाम जाने का आर्डर करती हूँ... एक सेकेंड में ही ज्योतिस्वरूप... प्रकाशमय सितारा बन... परमधाम पहुंच जाता हूँ... स्वयं को शिव बाबा के सम्मुख अनुभव कर रहा हूँ... *गहरी शांति... लाखों सूर्य सा तेज... दिव्यता का सागर मेरे बाबा...* मुझ पर सर्वशक्तियों की सर्वगुणों की किरणें बरसा रहे हैं... भरपूर होता मैं सितारा... और भी जगमगाने लगा हूँ... कुछ देर यहीं स्थित होकर... इस स्थिति का आनन्द ले रहा हूँ... अब अपनी पाँच तत्वों की इस देह में प्रवेश करता हूँ...
➳ _ ➳ मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा... अब अपने मन और बुद्धि को सूक्ष्मवतन में जाने का ऑर्डर देती हूँ... यह एक सेकंड में सफेद प्रकाश की... फरिश्तों की दुनिया में पहुँच जाता है... बापदादा से दृष्टि लेती हुई... सुखों की लहरों में समा जाती हूँ... *आंखें कान सभी... केवल बाबा को ही देख और सुन रहे हैं...* मन-बुद्धि... बाबा की श्रीमत पर ही चल रहे हैं... अब पाँच तत्वों की साकार दुनिया में... पार्ट बजाने के लिए आ जाती हूँ... *सर्व प्रकार की अधीनता समाप्त हो गई है... देह के दास से देह की मालिक बन कर...* सुख... शांति तथा सर्व गुणों से संपन्न हो रही हूँ...
➳ _ ➳ इन छोटी सी कर्मेंद्रियों के जाल के विस्तार को बिंदी लगा रही हूँ... बिंदी बन... बिंदी में ही सब समा रही हूँ... बेहोशी के जाल से... पूर्ण रुप से मुक्त हूँ... स्वतंत्र हूँ... माझी रूपी अधिकारी आत्मा बन... नैया को परीक्षाओं की लहरों से... खेलते खेलते मज़े से पार कर रही हूँ... जैसे चाहूँ वैसे ही... अपने स्थूल व सूक्ष्म शक्तियों को... कार्य में लगा रही हूँ... अधीनता के संस्कार को परिवर्तित कर... *मनसा, वाचा शक्तिशाली... चाल और चेहरा भी शक्तिशाली बन कर... सेवाओं में सफलतामूर्त अनुभव कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ कर्मेंद्रियों की राज्य अधिकारी मैं आत्मा... अपनी राज्य सत्ता अनुभव कर रही हूँ... हर कर्मेंद्री जी हाज़िर... जी हजूर करते हुए... मेरी प्रजा बनकर सिर झुकाकर... मुझे सलाम कर रही है... *मैं राज्य अधिकारी... इन का दरबार हर रोज लगाती हूँ...* समय, संकल्प, संस्कार... सभी मुझ मास्टर सर्वशक्तिवान के कंट्रोल में है... शक्ति रूपी सेनानी सदा तैयार रहने से... उमंग उत्साह से भरपूर हूँ... *योगयुक्त रहकर कर्म करते हुए... कर्मों के बंधनों से मुक्त हो गई हूँ... कर्मातीत अवस्था का अनुभव कर...* कर्मातीत स्टेज के आसन पर विराजमान हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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