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 28 / 01 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 2*5=10)

 

➢➢ *रूहानी यात्रा कर बाप के समीप आने का पुरुषार्थ करते रहे ?*

 

➢➢ *इस पुरानी खाल से ममत्व निकालने पर विशेष अटेंशन रहा ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:3*10=30)

 

➢➢ *ख़ुशी की खुराक द्वारा मन और बुधी को शक्तिशाली बनाया ?*

 

➢➢ *मन और बुधी को अनुभव की सीट पर सेट रखा ?*

 

➢➢ *साक्षी हो सब पार्ट देखते हुए, अपने तपस्वी स्वरुप द्वारा साकाश देने की सेवा की ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *अटेंशन के समर्थ स्वरुप द्वारा अनेक आत्माओं के टेंशन को समाप्त किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - ज्ञान रत्नों को धारण कर रूहानी हॉस्पिटल,यूनिवर्सिटी खोलते जाओ,जिससे सबको हेल्थ वेल्थ मिले"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता से ज्ञान रत्नों का जो खुबसूरत खजाना पाया है, उसे *जीवन में अलंकृत कर रूहानी सेवा में जी जान से जुट जाओ*... सारे विश्व को खुशियो का बगीचा बनाओ... चारो ओर रूहानियत की लहर फेला कर सबको हेल्थ वेल्थ देकर सदा का सुखी बनाओ

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अपने खोखले शरीर होने के वजूद को भूलकर *ईश्वरीय ज्ञान से सज धज कर पूरे विश्व में रूहानी पैगाम दे रही हूँ.*.. पूरा विश्व मेरा खुबसूरत सा परिवार है और मै आत्मा सबको खुशियो बाँट रही हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय ज्ञान की खुशबु पूरे विश्व बगिया में फैलाओ... *रूहानी गुलाब बनकर ज्ञान और योग की खुशनुमा छटा फैलाओ.*.. रूहानी हॉस्पिटल खोलकर, सबको सच्चे सुख, शांति और सम्रद्धि का हकदार बनाओ... सबका जीवन आप समान खुबसूरत बनाओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ज्ञान अमृत को पीकर सबको यह अमृत पिलाने वालो ज्ञान गंगा हो चली हूँ... मेरे बाबा का हर बच्चा फूल सा महके और *फुलवारी सुख और सम्रद्धि से चहके.*.. यही चाहत दिल में लिए रूहानी सेवाधारी हो चली हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वरीय रत्नोंसे जो दामन भरा है, उसकी चमक पूरे संसार में भी फैलाओ... *अपने जीवन में गुण और शक्तियो की झलक* दिखाकर सबको ईश्वर पिता का दीवाना बनाओ... रूहानी हॉस्पिटल खोल सबको सच्चे सुख निरोगी काया और अथाह धनसंपदा का वारिस बनाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा आप से ज्ञान धन पाकर मालामाल हो चली हूँ... और यह दौलत हर दिल पर लुटाकर... *खुशियो की सुखो की आनन्द की बहार खिला रही हूँ.*.. सबको ईश्वरीय सन्देश देने वाली ज्ञान बुलबुल बन मुस्करा रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  मैं आत्मा अचल अडोल हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा *भृकुटि के बीचोबीच विराजमान एक चमकती हुई मणि हूँ... प्रकाशपुंज हूँ*... अपने असली स्वरुप में तेजोमय हूँ... मुझे अपने असली सत्य स्वरुप की पहचान प्यारे मीठे शिवपिता ने दी है... मैं आत्मा निराकार हूँ... अपने परमपिता परमात्मा के सम्मुख हूँ... शिव बाबा से आती शक्तिशाली पवित्र किरणें मुझ आत्मा पर प्रवाहित हो रही है...

 

➳ _ ➳  प्यारे बाबा से आती पवित्रता और शक्ति की किरणों से मुझ आत्मा के विकर्म विनाश हो रहे हैं... मैं आत्मा *एक बाबा की याद में रह स्व का परिवर्तन* कर रही हूँ... अपनी स्थिति शक्तिशाली अनुभव करती जा रही हूँ... मैं आत्मा जान गई हूँ कि देह व देह के सर्व सम्बंध विनाशी है... ये पुरानी दुनिया भी विनाशी है... महाविनाश सामने खड़ा है... इस भंभोर को आग लगनी ही है...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का इस दुनिया से लंगर उठ चुका है... मुझ आत्मा की बस एक प्यारे बाबा से ही सच्ची प्रीत है... *सर्व सम्बंध बस एक बाबा से ही है... बाबा ही मेरा संसार है*... जब सर्वशक्तिमान मेरा साथी है... हमेशा छत्रछाया बनकर मेरे साथ है... मैं आत्मा हर परिस्थिति को अपना हिसाब-किताब समझ सहज ही पार करती हूँ... प्यारे बाबा की याद में रहने से आत्मा शक्तिशाली हो गई हूँ... परिस्थिति मुझ आत्मा की स्थिति को नही हिला सकती...

 

➳ _ ➳  मैं *एक की लगन में मगन रहने वाली* आत्मा हूँ... एक बल एक भरोसे से मैं आत्मा सफलतामूर्त बनती जा रही हूँ... एक बाबा पर निश्चय होने से मैं आत्मा निश्चिंत रहती हूँ... निश्चयबुद्धि विजयन्ती.. बस एक की याद में मस्त रहती हूँ... मुझ आत्मा का हाथ बाबा के हाथ में है तो बस सारी जिम्मेवारी उसी की है... मैं आत्मा एक बाबा की याद में रह उडती कला का अनुभव करती हूँ... और सदा अपने श्रेष्ठ भाग्य के गीत गाती रहती हूँ...

 

➳ _ ➳  *मैं और मेरा बाबा... वाह! मेरा बाबा वाह!... वाह मेरा भाग्य वाह!*... सदा खुशी में मन का डांस करती रहती हूँ... मैं आत्मा जान गई हूँ, कि खुशी जैसी खुराक नही है...  रोज खुशी की खुराक से मन और बुद्धि को शक्तिशाली बनाकर मैं आत्मा भी शक्तिशाली स्थिति का अनुभव करती हूँ... मैं आत्मा महावीर हूँ... अंगद समान अचल-अडोल रह आगे बढ़ने का पुरुषार्थ कर रही हूँ... जैसे हवाई जहाज में ऊपर से बड़ी चीज भी छोटी दिखाई देती है... ऐसे मैं आत्मा भी अपनी स्थिति ऊंच रखते हुए आने वाली हर परिस्थिति को चींटी समान छोटा समझ सहज ही पार कर अचल-अडोल रहती हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल -  मन और बुद्धि को अनुभव की सीट पर अपने असली स्वरूप में टिके रहना* "

 

➳ _ ➳  मन और बुद्धि की एकाग्रता और अंतर्मुखता से अनुभवी बनते हैं, जो बाबा सुनाते हैं उसको अमल में लाने के लिए अन्तर्मुखी जरूर बनना है। *चित शांत हो तो बाबा की याद ठहरेगी*, उतना ही अनुभव की सीट पर सेट होते जाते है तो कभी अपसेट नही हो सकते।

 

➳ _ ➳  *मैं बाबा की याद में समाई हुई आत्मा हूँ*... मुझ आत्मा की बुद्धि में सदा यही रहता है... बाबा खिला रहा है... बाबा करा रहा है... मुझ आत्मा के मन और बुद्धि में बाबा की याद रहती है...

 

➳ _ ➳  बाबा मुझ आत्मा को अपनी पक्की याद कराते है... *बाबा मुझ आत्मा की बुद्धि की डोर को प्यार से खींचता जा रहा है*... वंडरफुल है बाबा... अनेक दुनिया के संबंधों,वैभवों से मुझ आत्मा की बुद्धि को खींच रहा है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा खुद को बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूँ... यह अनुभव मुझ आत्मा को शांत बनाते जा रहे है... और मैं आत्मा अपने को बाबा की छत्रछाया में फील करती जा रही हूँ... *सबसे श्रेष्ठ सीट बाबा का दिल तख्त, पर अनुभव करती जा रही हूँ*...   

 

➳ _ ➳  बाबा का स्नेह, सच्चे प्यार की शक्ति... मुझ आत्मा को किसी भी विघ्न में अटकाती नही... यह अनुभव मुझ आत्मा के मन और बुद्धि को अपसेट नही होने देते... *मैं आत्मा निर्भय होती जा रही हूँ*...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा एकाग्रता की शक्ति से जो भी कार्य करती हूँ... उसमें सहज ही सफलता प्राप्त होती जा रही है... *मुझ आत्मा को अब हर कार्य खेल अनुभव होता है*... यह अनुभवों की सीट मुझ आत्मा को अपसेट होने नही देती...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *ख़ुशी की खुराक द्वारा मन और बुद्धि को शक्तिशाली बनाने वाले अचल-अडोल होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   ख़ुशी की खुराक द्वारा मन और बुद्धि को शक्तिशाली बनाने वाले अचल-अडोल होते हैं क्योंकि...  *" वाह बाबा वाह और वाह मेरा भाग्य वाह! "* सदा यही ख़ुशी के गीत जो वे गाते रहते हैं। ख़ुशी के गीत गाने से सोई हुई, किस्मत भी जग जाती है। ख़ुशी की खुराक खाने सेतन और मन दोनों ही खुश व हृष्ट-पुष्ट हो जाते हैं।

 

❉   अपने मन और बुद्धि को स्वस्थ व शक्तिशाली बनाने के लिये *हमें अपने मन को सदा ही प्रसन्न रखना चाहिए। हमें अपनी सोच को भी पॉजिटिव बना लेना चाहिये।* अपने आप में ही प्रसन्न रहने की आदत को बना लेना है तथा हमें भीतरी तौर पर भीसदा खुशहाल रहने के भिन्न-भिन्न अभ्यासों को भी विकसित कर लेना है।

 

❉    कहते हैं कि...  " ख़ुशी "  जैसी खुराक नहीं। " ख़ुशी " सब से बड़ी खुराक है। ये *हमारी बुद्धि को स्वस्थ बनाती है और मन को शक्तिशाली व ताकतवर बना देती है।* ख़ुशी हमारे तन को भी प्रभावित करती है। वह हमारे तन को स्वस्थ व सुन्दर बनाती है। ताकि!  हम अन्य आत्माओं को भी ख़ुशी प्रदान कर सकें। 

 

❉   अतः जोरोज ख़ुशी की खुराक को खाते हैंवो सदा तन्दरूस्त रहते हैं। वे कभी भी कमजोर नहीं होते हैं। इसलिये! *हमें सदा ही खुशी की खुराक द्वारा अपने तन मन और बुद्धि को शक्तिशाली बना लेना है।* तभी तो!  हमारे पुरुषार्थ में भी हमारी स्थिति शक्तिशाली बन सकेगी और हम अपनी श्रेष्ठ स्थिति में स्थिर रह सकेंगे।

 

❉    ऐसी शक्तिशाली स्थिति वाले ही सदा अचल-अडोल रहेंगे क्योंकि उन्होंने *ख़ुशी की खुराक द्वारा अपने तन मन व बुद्धि को श्रेष्ठ व शक्तिशाली जो बना लिया है* और जो अपने को शक्तिशाली बनाते हैंवे आत्मायें! हीहर प्रकार से विषम व प्रतिकूल परिस्थितियों में अचल व अडोल रहती हैं। अतः हमें सदा ही, वाह वाह के गीत गाते रहना है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *मन और बुद्धि को अनुभव की सीट पर सेट कर दो तो कभी अपसेट नही होंगे... क्यों और कैसे* ?

 

❉   अपसेट तब होते हैं जब मन बुद्धि सेट नही होते अर्थात बुद्धि सांसारिक आकर्षणों में उलझी रहती है और मन सांसारिक जगत में विचरण करता रहता है । किन्तु *जब मन - बुद्धि को सांसारिक आकर्षणो से निकाल कर ईश्वर की ओर लगायेंगे* तो मन बुद्धि भटकेंगे नही बल्कि परमात्म मिलन के अद्भुत और आलौकिक अनुभवों का रसपान करने लगेंगे । इसलिए मन - बुद्धि को जितना ईश्वरीय अनुभवों की सीट पर सेट रखेंगे उतना सहज ही अपसेट होने से बचे रहेंगे ।

 

❉   देह अभिमान में आने और विकारों में गिरने के कारण आज आत्मा की बैटरी बिलकुल डिस्चार्ज हो चुकी है यही कारण है कि जीवन में घटित होने वाली *छोटी छोटी परिस्थितयां भी आज के मनुष्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करने लगी है* । छोटी छोटी बातों में ही मनुष्य अपसेट हो जाते हैं । इसलिए मन बुद्धि को दैहिक सम्बन्धो से हटा कर जितना परमात्मा में लगायेंगे उतना आत्मा रूपी बैटरी चार्ज होती जायेगी और परमात्म याद के नित नए अनुभवों की सीट पर आत्मा को जितना सेट रखेंगे उतना ही अपसेट होने से मुक्त रहेंगे ।

 

❉   कोई भी पढ़ी हुई या दूसरों के द्वारा सुनी हुई चीज उतना असर नही करती जितना खुद के अनुभव के आधार पर कोई प्राप्ति की जाती है । *परमात्मा की याद में रहने और  परमात्मा के साथ योग लगाने से आत्मा को जो प्राप्ति होती है* उसे भी दूसरों द्वारा वर्णन करने पर समझा नही जा सकता । उसका अनुभव ही तभी किया जा सकता है जब खुद करके देखा जाये । इसलिए जितना यह अनुभव बढ़ता जायेगा उतना ही आत्मा शक्तिशाली बनती जायेगी और यह अनुभव की सीट उसे अपसेट होने से बचाये रखेगी ।

 

❉   अपने मन - बुद्धि को अनुभव की सीट पर तभी सेट कर सकेंगे जब मन - बुद्धि ख़ाली होंगे । अगर मन को व्यर्थ चिंतन में बिजी रखेंगे तो किसी भी प्रकार का अनुभव नही कर सकेंगे क्योकि *अनुभव तभी होते हैं जब मन बुद्धि एकाग्र होते हैं* । एकाग्रता आती है मन बुद्धि को समर्थ चिंतन में लगाने से और निरन्तर एक बाप की याद में रहने से । तो जितना *मन बुद्धि को समर्थ और श्रेष्ठ चिंतन में लगा कर बाबा को याद करते रहेंगे* उतना ही अनुभवों की अथॉरिटी से सम्पन्न बनते जायेंगे और हर बात में अपसेट होने से बच जायेंगे ।

 

❉   अनुभव की अथॉरिटी ही सबसे बड़ी ऑथोरिटी है । मनुष्य सुनी सुनाई बातों को भूल भी सकता है किन्तु एक बार यदि किसी चीज का अनुभव हो जाता है तो उसे भूलना फिर मुश्किल होता है । यह ज्ञान का मार्ग भी अनुभव का मार्ग है । इस मार्ग पर चल कर *सम्पूर्णता को वही प्राप्त कर सकता है जो नित नए अलौकिक अनुभव करता हो* क्योकि अनुभव निश्चयबुद्धि बनाते हैं और जहां निश्चय है वहां विजय सहज ही समाई हुई है । इसलिए मन बुद्धि जितना अनुभव की सीट पर सेट रहेंगे तो कभी भी अपसेट होने का मौका नही मिलेगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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