━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 30 / 03 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *इस सड़ी हुई दुनिया और सड़े हुए शरीर से ममत्व निकालने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *शूद्रों के संग से अपनी संभाल की ?*

 

➢➢ *अमृतवेले उठ याद में बैठे ?*

────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *हर सेकंड, हर खजाने को सफल कर सफलता की ख़ुशी अनुभव की ?*

 

➢➢ *संकल्प में भी कोई आकर्षण आकर्षित तो नहीं कर पाया ?*

────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - यह तुम्हारा अंतिम जन्म है,इसलिए विकारो का सन्यास करो, इस अंतिम जनम में रावण की जंजीरो से अपने आप को छुड़ाओ"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... इस देह के मटमैले दलदल में और न धँसो...देह नही अविनाशी आत्मा हो... इस नशे से हरपल स्वयं को भरो... *ईश्वरीय साथ के इन खुबसूरत पलों में रावण की जंजीरो से स्वयं को मुक्त कर*... ईश्वरीय दौलत के अधिकारी बन मुस्कराओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय यादो में हर बन्धन को काटकर निर्बन्धन होती जा रही हूँ... सारे विकारो का सन्यास कर निर्विकारी होती जा रही हूँ... अपने दिव्य गुणो और शक्तियो के नशे में डूबती जा रही हूँ... *जीवन कितना निष्कलंक और निर्मल हो गया है*...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... मीठे बाबा के साथ के यह मीठे पल बहुत कीमती है... इन लम्हों में प्यारे बाबा की यादो में गहरे डूब जाओ... *देह के भान से निकल कर दमकते ओज से भर चलो.*.. और विकारो के बन्धन से स्वयं को छुड़ा कर मीठी यादो में खो जाओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा धरती पर आकर किस कदर कालिमा से भर गयी थी... आपने प्यारे बाबा मुझे मेरे सुनहले अस्तित्व का...  आभास कराकर विकार मुक्त किया है... *पवित्रता के रंग में रंगकर मुझे देवताओ सा खुबसूरत किया है.*..

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... हर पल स्वयं को याद दिलाओ कि ईश्वरीय साथ का यह जन्म अंतिम जन्म है... अभी नही तो कभी नही... *इसलिए यादो की लौ से विकारो के कालेपन को जलाओ.*.. और सुनहरे स्वरूप को पाने वाले, देवताई सुखो में जीने वाले महाभाग्यवान बन मुस्कराओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा...  में आत्मा हर विकार हर बन्धन हर आकर्षण से मुक्त होकर अविनाशी नशे से भरती जा रही हूँ... प्यारे बाबा *आपकी यादो में मै आत्मा पवित्रता से सजकर निखरती जा रही हूँ.*.. रावण की हर जंजीर को तोड़ती जा रही हूँ...

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:-10)

( आज की मुरली की धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- आज की मुरली से बाबा की 4 निमनलिखित शिक्षाओं की धारणा के लिए विशेष योग अभ्यास*"

          ❶   *इस दुनिया और शरीर में ममत्व न रखना*

          ❷   *शूद्रों के संग से अपनी संभाल करना*

          ❸   *अमृतवेला उठना*

          ❹   *शरीर से डीटेच होने का अभ्यास करना*

 

➳ _ ➳  भृकुटि के मध्य में प्रज्ज्वलित एक दिव्य ज्योति को मैं मन बुद्धि रूपी नेत्रों से स्पष्ट देख रही हूँ । ऐसा लग रहा है जैसे *एक चमकती हुई दीपशिखा, एक सितारा जगमग करता हुआ भृकुटि के मध्य भाग से बाहर की ओर आ रहा है* । ये मैं आत्मा हूँ । मुझ आत्मा से निकल रहा शांत व सुखद प्रकाश धीरे - धीरे भृकुटि से निकल चारों ओर पूरे कक्ष में फ़ैल रहा है । मैं इस प्रकाश को अपने चारों और महसूस कर रही हूँ । शांति और सुख से भरपूर इस अवस्था में मेरी सर्व कर्मेन्द्रियां शांत और शीतल होती जा रही हैं । मेरे विचार शांत हो रहे हैं ।

 

➳ _ ➳  मन बुद्धि की तार जुड़ रही है शिव परम पिता परमात्मा के साथ । कितनी सुखद है उनकी याद जो मेरे चित को चैन दे रही है । एक दिव्य आलौकिक आनन्द की अनुभूति करवा रही है । इस देह और देह की दुनिया से दूर मुझे शांति की दुनिया मेरे स्वीट साइलेन्स होम में ले जा रही है । *अपने स्वीट साइलेन्स होम में पहुँच कर मैं आत्मा सजनी कम्बाइंड हो जाती हूँ अपने शिव साजन के साथ* । उनके निस्वार्थ प्यार में मैं खो जाती हूँ । अपने असीम प्यार से, अपनी सर्वशक्तियों से वो मुझे फुल चार्ज कर देते हैं ।

 

➳ _ ➳  उनके निस्वार्थ, निर्मल और निश्छल प्यार से भरपूर हो कर मैं लौट आती हूँ फिर से साकारी दुनिया, साकारी देह में अपना पार्ट बजाने के लिए । किन्तु अब यह साकारी दुनिया और इस दुनिया का कोई भी आकर्षण मुझे अपनी और आकर्षित नही कर रहा । अब मैं जान चुकी हूँ कि *यह नश्वर देह और इस देह से जुड़े सारे सम्बन्ध केवल स्वार्थ की नींव पर टिके हैं* । इस असार संसार में कोई सार है ही नही । केवल मेरे शिव साजन का प्यार ही निस्वार्थ है । मेरे सर्व सम्बन्ध केवल उनके साथ हैं ।

 

➳ _ ➳  मन ही मन अपने शिव साजन से मैं प्रोमिस करती हूँ कि देह और देह की इस दुनिया में रहते हुए भी मैं ना तो इस देह से और ना ही इस देह से जुड़े सम्बन्धों में ममत्व रखूंगी । *शूद्रों के संग रहते हुए भी उनके संग का रंग अपने ऊपर नही चढ़ने दूंगी* । केवल आपके ही प्यार के रंग में सदा रँगी रहूंगी । आपके प्यार का रंग उनके संग का रंग मुझ पर कभी नही लगने देगा । देह की दुनिया और देह के सम्बन्धों के बीच रहते इनसे तोड़ निभाते हुए अपने मन बुद्धि की तार को सदा आपके साथ जोड़ कर रखूंगी ।

 

➳ _ ➳  आपसे वायदा करती हूँ कि विकर्माजीत बनने के लिए रोज अमृतवेले उठ आपकी याद में अवश्य बैठूंगी । देह अभिमान में आने के कारण मुझ आत्मा से जो विकर्म हुए हैं उन्हें सवेरे सवेरे आपकी याद में बैठ योग अग्नि से अवश्य भस्म करने का पुरुषार्थ करुँगी । *कर्मयोगी बन हर कर्म करुँगी और कर्म करते बीच बीच में शरीर से डिटैच होने का अभ्यास निरन्तर करुँगी* । कर्म करने के लिए देह का आधार लेना और फिर जब चाहे इस देह से डिटैच हो कर आपके पास पहुँच जाना यह अभ्यास ही मुझे सम्पूर्णता की स्थिति तक ले जायेगा । अपने शिव साजन से ये मीठी मीठी रूह रिहान करते करते मैं फिर से खो जाती हूँ उनकी सुख भरी याद में ।

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-   मैं आत्मा सफलतामूर्त हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा प्यारे बाबा का आह्वान करती हूँ... प्यारे बाबा मुझ आत्मा को एक बगीचे में लेकर जाते हैं... मैं आत्मा बाबा की हजार भुजाओं की छत्र-छाया का अनुभव करती जा रही हूँ... बाबा की *हजार भुजाओं से दिव्य किरणों की पुष्प वर्षा* हो रही है...

 

➳ _ ➳  प्यारे बाबा के हाथों, नैनों से मुझ आत्मा पर ज्ञान, प्रेम, सुख, शांति, आनंद, पवित्रता, शक्तियों की पुष्प वर्षा लगातार होती जा रही है... मैं आत्मा इन पुष्पों से पूरी तरह ढकती जा रही हूँ... मैं आत्मा रूहानी सुगंध से भरपूर होती जा रही हूँ... *रूहानियत को धारण करती जा रही हूँ...*     

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अलौकिक बनती जा रही हूँ... मुझ आत्मा की साधारणता खत्म होती जा रही है... प्यारे बाबा हाथ पकडकर मुझ आत्मा को इन पुष्पों से बाहर निकालते हैं... मैं आत्मा *कमल पुष्प समान न्यारी होती जा रही हूँ...* सर्व बन्धनों, सर्व आकर्षणों से मुक्त होती जा रही हूँ... और बाबा की प्यारी बनती जा रही हूँ...      

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व खजानों से अपने को भरपूर अनुभव करती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा हर सेकेण्ड को, हर श्वांस को, हर खजाने को सफल करती जा रही हूँ... मैं आत्मा संकल्प, बोल, कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में सर्व प्रकार की सफलता का अनुभव करती जा रही हूँ... सभी खजानों को *स्व के प्रति और अन्य आत्माओं के प्रति सफल* करती जा रही हूँ... और ख़ुशी प्राप्त करती जा रही हूँ...  

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व की दुआएं प्राप्त करती जा रही हूँ... मैं आत्मा वर्तमान में भी हर कर्म में सफलता प्राप्त करती जा रही हूँ... और श्रेष्ठ कर्म कर भविष्य के लिए जमा करती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा हर सेकण्ड, हर खजाने को सफल कर सफलता की ख़ुशी अनुभव करने वाली *सफलतामूर्त अवस्था का अनुभव कर रही हूँ...*

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- संकल्प में भी हर आकर्षण से मुक्त हो कर सम्पूर्णता की समीपता का अनुभव"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा बीज रूप स्थिति में स्थित परमधाम में स्वयं को देखती हूँ... अपने अनादि स्वरूप को निहारती हूँ... अपने सम्पूर्णता के संस्कारों को इमर्ज करती हूँ... मैं सतोप्रधान आत्मा... सर्व गुणों से भरपूर... सम्पूर्ण पवित्र हूँ... *मैं शक्तिशाली आत्मा... परमधाम में... निरसंकल्प अवस्था में हूँ...* शांति के सागर शिवबाबा में समाई हुई मैं आत्मा... विश्व के सभी आकर्षणों से मुक्त हूँ...

 

➳ _ ➳  परमधाम में मुझ आत्मा पर परमात्म शक्तियों और गुणों की किरणों रूपी बौछार निरन्तर पड़ रही हैं... और मुझ सतोप्रधान भरपूर आत्मा से पूरे विश्व में फ़ैल रही हैं... मैं आत्मा सर्व प्राप्ति मूर्त... *परमधाम से नीचे उतरकर, अपने स्थूल शरीर में अवतरित होती हूँ...* भृकुटि सिहांसन पर विराजमान... मैं सतोप्रधान आत्मा... निरन्तर   सर्व गुणों की सतरंगी किरणें... चहु और फैला रही हैं... 

 

➳ _ ➳  *मैं आत्मा स्थूल शरीर में रहते हुए भी अपने सम्पूर्णता के संस्कारों का अनुभव कर रही हूँ...* इस दुनिया में रहते भी... मैं अवतरित आत्मा... दुनिया के सभी आकर्षणों से मुक्त हूँ... संकल्प मात्र भी कोई भी आकर्षण मुझ आत्मा को आकर्षित नहीं करता हैं...

 

➳ _ ➳  मैं दाता का बच्ची... पूरे विश्व को सुख शांति देने इस विश्व में अवतरित हुई हूँ... मैं सन्तुष्ट मणि हूँ... भरपूर हूँ... *मैं न्यारी और प्यारी आत्मा हूँ...* सर्व आत्माओं पर अपने गुण और शक्तियाँ निरन्तर बरसा रही हूँ... पूरे विश्व में मेरे गुणों का प्रकाश फ़ैल रहा हैं... पूरे विश्व से दुखों के काले बादल छटते जा रहे हैं... और चहु ओर सुख का प्रकाश फ़ैल रहा हैं... सभी आत्मायें सच्चे सुख का अनुभव कर रही हैं...

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *हर सेकंड, हर खजाने को सफल कर सफलता की ख़ुशी अनुभव करने वाले सफलतामूर्त होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

 ❉  हर सेकंड को सफल करने के लिए *बाबा ने हमको बहुत सारी ड्रिल्ज़ करवायी है जिसको बाबा रूहानी एक्सर्सायज़ भी कहते* है जिससे बाबा कहते जैसे स्थूल एक्सर्सायज़ से देह फ़िट और हल्का रहता है, हाज़मा भी ठीक रहता ऐसे ही रूहानी एक्सर्सायज़ से आत्मा हल्की रहती है इससे आत्मा को सबसे सुंदर ड्रिल बतायी है , जैसे ही स्वाँस को लेते हो तो परमधाम में चले जाओ और जैसे ही स्वाँस को छोड़ते तो वापिस शरीर में आ जाओ। इससे हर सेकंड सफल करे।

 

 ❉  बाबा के द्वारा चलायी गयी *मुरली में हर एक ज्ञान रत्न, एक एक ख़ज़ाना है* क्योंकि जो बात आत्मा के दिल में उतर गयी वो उसको यूज़ ज़रूर करेगी और जैसे ही वो ख़ज़ाना यूज़ में आएगी तब आत्मा को ख़ुशी की खुराक मिलेगी और उसको रीयलायज़ होगा की बाबा के द्वारा दिया गया हमको एक एक रत्न कितना बड़ा ख़ज़ाना है और *इस ख़ज़ाने की सबसे बड़ी विशेषता है की इसको बाँटने से ये बड़ता है ओर कोई भी इसकी चोरी करेगा तो दोनो पक्ष का फ़ायदा होगा।*

 

 ❉  सफलतामूर्त बनने का सहज साधन भी यही है की *हर ख़ज़ाने को सफल करो, चाहे मंसा सेवा से ,वाचा सेवा या अपने कर्मों द्वारा किसी भी आत्मा को सम्बंध सम्पर्क में आते हुए उसके साथ शेयर करना।* इसके लिए बाबा कहते की इन ज्ञान रत्नों को लाकर में बंद करके नहीं रखो बल्कि इसको सबको दान करों या सहयोग दो जिसको चाहिए हो जिससे पूरा संसार परिवर्तन हो जाए।

 

 ❉  इन ख़ज़ानों को चाहे स्व के ऊपर सफल करो या चाहे ओरों के प्रति सफल करो लेकिन सफल अवश्य करो क्योंकि इससे सहज ही सफलतामूर्त बन जाएँगे। और *सफलता की निशानी है की उस आत्मा को वर्तमान में बेहद की ख़ुशी रहेगी और भविष्य के लिए यही से जमा भी होगा तो बैंक बैलेन्स जितना होगा उतनी ही ख़ुशी रहेगी।* इसलिए हर सेकंड में पदमो की कमाई करने से आत्मा हर्षितमुख व सफलतामूर्त बन जाती जाती है। *बी बिज़ी स्टे ईज़ी॥*

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━