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❍ 04 / 12 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *मूडी दिमाग वाला तो नहीं बनकर रहे ?*
➢➢ *हर कदम पर सुप्रीम सर्जन से राय ली ?*
➢➢ *मर्यादा की लकीर के अन्दर सदा छत्रछाया की अनुभूति की ?*
➢➢ *अशरीरी बनने के अभ्यास से समाप्ति के समय को समीप लाया ?*
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❂ *योगी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ *जैसे अनेक जन्म अपने देह के स्वरूप की स्मृति नेचुरल रही है वैसे ही अपने असली स्वरूप की स्मृति का अनुभव थोड़ा समय भी नहीं करेंगे क्या?* यह पहला पार्ट कम्पलीट करो तब अपनी आत्म-अभिमानी स्थिति द्वारा सर्व आत्माओं को साक्षात्कार कराने के निमित्त बनेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बापदादा की छत्रछाया के अन्दर रहने वाली विशेष आत्मा हूँ"*
〰✧ अपने को सदा बाप की याद की छत्रछाया के अन्दर अनुभव करते हो? जितना-जितना याद में रहेंगे उतना अनुभव करेंगे कि मैं अकेली नहीं लेकिन बाप-दादा सदा साथ है। *कोई भी समस्या सामने आयेगी तो अपने को कम्बाइन्ड अनुभव करेंगे, इसलिए घबरायेंगे नहीं।* कम्बाइन्ड रूप की स्मृति से कोई भी मुश्किल कार्य सहज हो जायेगा।
〰✧ कभी भी कोई ऐसी बात सामने आवे तो बाप-दादा की स्मृति रखते अपना बोझ बाप के ऊपर रख दो तो हल्के हो जायेंगे। क्योंकि बाप बड़ा है और आप छोटे बच्चे हो। बड़ों पर ही बोझ रखते हैं। *बोझ बाप पर रख दिया तो सदा अपने को खुश अनुभव करेंगे।* फरिश्ते के समान नाचते रहेंगे। दिन रात 24 ही घंटे मन से डाँस करते रहेंगे।
〰✧ देह अभिमान में आना अर्थात् मानव बनना। *देही अभिमानी बनना अर्थात् फरिश्ता बनना। सदैव सवेरे उठते ही अपने फरिश्ते स्वरूप की स्मृति में रहो और खुशी में नाचते रहो तो कोई भी बात सामने आयेगी उसे खुशी-खुशी से क्रास कर लेंगे।* जैसे दिखाते हैं - देवियों ने असुरों पर डाँस किया। तो फरिश्ते स्वरूप की स्थिति में रहने से आसुरी बातों पर खुशी की डाँस करते रहेंगे। फरिश्ते बन फरिश्तों की दुनिया में चले जायेंगे। फरिश्तों की दुनिया सदा स्मृति में रहेगी।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *अभी-अभी अशरीरी हुए या युद्ध में, मेहनत करते-करते टाइम पूरा हो गया?* सेकण्ड में बन सकते हो! बहुत काम है फिर भी बन सकते हो? मुश्किल नहीं है? यू.एन. में बहुत भाग दौड कर रही हो और अशरीरी बनने की कोशिश करो, होगा?
〰✧ अगर यह अभ्यास समय प्रति समय करेंगे तो ऐसे ही नेचुरल हो जायेगा जैसे शरीर भान में आना, मेहनत करते हो क्या? मैं फलानी हूँ यह मेहनत करते हो? नेचुरल है। तो यह भी नेचुरल हो जायेगा। *जब चाहो अशरीरी बनो, जब चाहो शरीर में आओ।*
〰✧ अच्छा काम है आओ इस शरीर का आधार लो लेकिन आधार लेने वाली मैं आत्मा हूँ वह नहीं भूले। करने वाली नहीं हूँ, कराने वाली हूँ जैसे दूसरों से काम कराते हो ना। उस समय अपने को अलग समझते हो ना! वैसे *शरीर से काम कराते हुए भी कराने वाली मैं आत्मा अलग हूँ यह प्रैक्टिस करो तो कभी भी बॉडी कान्सेस की बातों में नीच-ऊपर नहीं होंगे।* समझा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अब वापिस घर जाना की स्मृति में रहना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पार्क में बैठी देख रही खेल-खेलकर थककर वापिस लौट रहे बच्चों को... अपनी सुध-बुध खोकर खेल में मग्न बच्चों को माता-पिता घर वापिस ले जा रहे...* गायें अपने बछडो को साथ लेकर घर लौट रही... चहचहाते पंछी शाम होने का संदेशा सुना रहे... पश्चिम में सूरज की लालिमा ऐसे लग रही जैसे सूरज भी घर वापस जाते अलविदा कह रहा हो... *शीतल मंद हवा के झोकें के साथ मंद मंद मुस्कुराते हुए मेरे सामने मेरा बाबा खड़ा है... मेरे पिता भी मुझे अपने साथ घर ले जाने आया है...*
❉ *मेरे प्यारे बाबा जन्मों से भूले बिछड़े घर की स्मृति दिलाते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... अब दुःख के दिन पूरे होने को आये है... अब दुःख की कालिमा से निकल *मीठे महकते सुखो में मुस्कराने के दिन आ गए है...* सदा इसी नशे में खोये रहो कि अब पिता संग घर चलना है... और फिर नई सी खूबसूरत दुनिया में आना है...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अब घर जाना है की स्मृति से ख़ुशी में नाचते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा दारुण दुखो से मुक्त हो गई हूँ... और कर्मातीत अवस्था को पाती जा रही हूँ... हर पल हर साँस में यही दोहरा रही हूँ कि अब आप संग घर वापिस चलना है... *जाना है और मीठे सुखो में पुनः वापिस आना है...”*
❉ *मेरे मीठे बाबा अपना आकाश सिंहासन छोड़ नूर बनकर इस धरती पर उतरकर कहते है:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... दुखो के कंटीले जंगल से मुक्त कराने को प्यारा बाबा धरा पर उतर आया है... आप बच्चों के मीठे सुखो के लिए परमधाम छोड़ कर धरती पर बसेरा कर लिया है... *तो हर साँस को घर चलने की याद में पिरो दो...* बाबा का हाथ पकड़ संगसंग घर चलने की तैयारी कर लो...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बाबा के दिए खजानों से साज श्रृंगार करते हुए कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा न्यारी और प्यारी बनकर घर की ओर रुख ले रही हूँ... *मीठे बाबा आपका हाथ पकड़कर घर चलने को सज संवर गई हूँ...* यह खेल अब पूरा हुआ... और नया खुबसूरत खेल फिर शुरू होने वाला है मै आत्मा यह सोच सोच अथाह खुशियो में झूम रही हूँ...”
❉ *मेरे बाबा जन्मों से बिछुड़ी अपनी बच्ची को घर ले जाने के लिए आतुर होते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... हर बात से उपराम होकर शान्तिधाम *पिता संग उड़ने की तैयारी में जीजान से जुट जाओ...* अपने सच्चे स्वरूप को याद कर उसकी मीठी याद में खो जाओ... खुबसूरत आसमानी मणि इस धरा पर खेलने मात्र आई थी... और अब वापिस अपने घर को जाना है...”
➳ _ ➳ *मेरा प्यारा बाबा अब मुझे घर ले जाने आया है, सदा इसी रूहाब में रहते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपने सत्य स्वरूप के नशे में खो रही हूँ... मै शरीर नही प्यारी सी चमकती आत्मा हूँ... स्वयं को और सच्चे चमकते पिता को जानकर घर की ओर रुख ले रही हूँ... *अब घर को जाना है यह यादो में गहरे समाया है...”*
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- हर कदम पर सुप्रीम सर्जन से राय लेनी है*"
➳ _ ➳ कर्मयोगी बन हर कर्म करते, कदम - कदम पर सुप्रीम सर्जन *अपने शिव पिता परमात्मा से राय लेते, उनकी श्रीमत पर चल अपने दैनिक कर्तव्यों को पूरा करके, एकांत में अपने सुप्रीम सर्जन शिव बाबा की याद में मैं मन बुद्धि को स्थिर करके बैठ जाती हूँ* और विचार करती हूँ कि 5 विकारों रूपी ग्रहण ने कैसे मुझ आत्मा को बिल्कुल ही रोगी बना दिया था! मेरे सुंदर सलौने सोने के समान दमकते स्वरूप को इन विकारों की बीमारी ने आयरन के समान बिल्कुल ही काला कर दिया था।
➳ _ ➳ शुक्रिया मेरे सुप्रीम सर्जन शिव पिता परमात्मा का जो ज्ञान और योग की दवाई से मुझ बीमार आत्मा का उपचार कर मुझे फिर से स्वस्थ बना रहें हैं। *मुझ आत्मा के ऊपर चढ़ी हुई विकारों की कट को उतार, ज्ञान अमृत और योग अग्नि से हर रोज मुझे प्युरीफाई करके रीयल गोल्ड के समान फिर से चमकदार बना रहें हैं*। अपने सुप्रीम सर्जन शिव बाबा को याद करते - करते अब मैं अपने मन बुद्धि को अपने सुंदर सलौने ज्योति बिंदु स्वरूप पर एकाग्र करती हूँ जो हर रोज ज्ञान और योग की खुराक खाकर सोने के समान उज्जवल बनता जा रहा है।
➳ _ ➳ देख रही हूँ मन बुद्धि के नेत्रो से अब मैं अपने सत्य ज्योतिर्मय स्वरूप को। *अपनी स्वर्णिम किरणे बिखेरता एक चमकता हुआ सितारा भृकुटि के मध्य में जगमगाता हुआ मुझे स्पष्ट दिखाई दे रहा है*। मेरा यह दिव्य ज्योतिर्मय स्वरूप मुझे असीम आनन्द की अनुभूति करवा रहा है। अपने इस सम्पूर्ण निर्विकारी स्वरूप में मैं आत्मा स्वयं को सातों गुणों और सर्वशक्तियों से सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ। *अपने इस सतोप्रधान स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं अपना सम्पूर्ण ध्यान परमधाम में विराजमान अपने शिव पिता पर केंद्रित करती हूँ*।
➳ _ ➳ अशरीरी बन उनकी याद में बैठते ही मन उनसे मिलने के लिए बेचैन हो उठता है और मैं आत्मा उनसे मिलने के लिए जैसे ही उनका आह्वान करती हूँ मैं स्पष्ट अनुभव करती हूँ कि *मेरे सुप्रीम सर्जन मेरे शिव पिता परमात्मा एक ज्योतिपुंज के रूप में अपनी सर्वशक्तियों रूपी अनन्त किरणों को चारों और फैलाते हुए परमधाम से नीचे उतर कर मेरे सामने उपस्थित हो गए हैं और आ कर अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में मुझे भर लिया है*। अपने शिव पिता परमात्मा की किरणों रूपी बाहों में समा कर इस नश्वर देह और देह की दुनिया को अब मैं बिल्कुल भूल गई हूँ। केवल मेरे सुप्रीम सर्जन शिव बाबा और मुझ पर निरन्तर बरसता हुआ उनका असीम प्यार मुझे दिखाई दे रहा है।
➳ _ ➳ अपनी बाहों के झूले में झुलाते हुए मेरे मीठे शिव बाबा अब मुझे अपने साथ इस छी - छी विकारी दुनिया से दूर, अपने निर्विकारी धाम की ओर ले कर जा रहे हैं। *एक चमकती हुई ज्योति मैं आत्मा स्वयं को महाज्योति अपने शिव पिता की किरणों रूपी बाहों में समाये, साकारी दुनिया से दूर ऊपर की ओर जाते हुए मन बुद्धि रूपी नेत्रों से स्पष्ट देख रही हूँ*। पांच तत्वों की इस दुनिया के पार, सूक्ष्म लोक से भी पार अपने शिव पिता के साथ मैं पहुंच गई निर्वाणधाम अपने असली घर। शिव पिता के साथ कम्बाइंड हो कर अब मैं स्वयं को उनकी सर्वशक्तियों से भरपूर कर रही हूँ ।
➳ _ ➳ मेरे सुप्रीम सर्जन शिव बाबा से आ रही सर्वशक्तियों का स्वरूप ज्वालामुखी बन कर मुझ आत्मा द्वारा किये हुए 63 जन्मो के विकर्मों को दग्ध कर रहा है। *विकारों की कट उतर रही है और मैं आत्मा सच्चा सोना बनती जा रही हूँ*। मुझ आत्मा की चमक करोड़ो गुणा बढ़ती जा रही है। स्वयं को मैं बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूं।
➳ _ ➳ अपने शिव पिता की लाइट माइट से स्वयं को भरपूर करके डबल लाइट बन अब मैं वापिस साकारी दुनिया मे अपने साकारी तन में आ कर विराजमान हो गई हूँ। *फिर से अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर हर कदम पर अपने सुप्रीम सर्जन शिव बाबा से राय ले कर अब मैं सम्पूर्ण निर्विकारी बनने का पुरुषार्थ निरन्तर कर रही हूँ*। मेरे सुप्रीम सर्जन शिव बाबा से कदम - कदम पर मिलने वाली राय मेरे हर संकल्प, बोल और कर्म को श्रेष्ठ बना कर मुझे श्रेष्ठता का अनुभव करवा रही है।
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं मर्यादा की लकीर के अन्दर सदा छत्रछाया की अनुभूति करने वाली मायाजीत, विजयी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं अशरीरी बनने का अभ्यास कर समाप्ति के समय को समीप लाने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा ने मैजारिटी बच्चों का वर्ष का पोतामेल देखा। क्या देखा होगा? मुख्य एक कारण देखा। बापदादा ने देखा कि *'मिटाने और समाने' की शक्ति कम है।* मिटाते भी हैं, उल्टा देखना, सुनना, सोचना, बीता हुआ भी मिटाते हैं लेकिन जैसे आप कहते हो ना कि एक है कान्सेस दूसरा है -सबकान्सेस। मिटाते हैं लेकिन मन की प्लेट कहो, स्लेट कहो, कागज कहो, कुछ भी कहो, पूरा नहीं मिटाते। क्यों नहीं मिटा सकते? उसका कारण है - समाने की शक्ति पावरफु नहीं है। *समय अनुसार समा भी लेते लेकिन फिर समय पर निकल आता।* इसलिए जो चार शब्द बापदादा ने सुनाये, वह सदा नहीं चलते। अगर मानों *मन की प्लेट वा कागज पूरा साफ नहीं हुआ, पूरा नहीं मिटा तो उस पर अगर बदले में आप और अच्छा लिखने भी चाहो तो स्पष्ट होगा?* अर्थात् सर्व गुण, सर्व शक्तियां धारण करने चाहो तो सदा और फुल परसेन्ट में होगा? बिल्कुल *क्लीन भी हो, क्लीयर भी हो तब यह शक्तियां सहज कार्य में लगा सकते हो।*
➳ _ ➳ कारण यही है, मैजारिटी की स्लेट क्लीयर और क्लीन नहीं है। थोड़ा-थोड़ा भी *बीती बातें या बीती चलन, व्यर्थ बातें वा व्यर्थ चाल-चलन सूक्ष्म रूप में समाई रहती हैं* तो फिर समय पर साकार रूप में आ जाती हैं। तो समय अनुसार पहले चेक करो, *अपने को चेक करना दूसरे को चेक करने नहीं लग जाना* क्योंकि दूसरे को चेक करना सहज लगता है, अपने को चेक करना मुश्किल लगता है। तो चेक करना कि हमारे मन की प्लेट व्यर्थ से और बीती से बिल्कुल साफ है? *सबसे सूक्ष्म रूप है - वायब्रेशन के रूप में* रह जाता है। फरिश्ता अर्थात् बिल्कुल क्लीन और क्लीयर। *समाने की शक्ति से निगेटिव को भी पाजिटिव रूप में परिवर्तन कर समाओ।* निगेटिव ही नहीं समा दो, पाजिटिव में चेंज करके समाओ तब नई सदी में नवीनता आयेगी।
✺ *ड्रिल :- "मन की स्लेट को क्लीन और क्लीयर रखना"*
➳ _ ➳ मैं सर्व श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा अपने प्यारे बापदादा की यादो में खोई हुई हूँ... मेरे सामने बापदादा आकर खडे है... ब्रह्माबाबा के मस्तक में चमक रहे है महाज्योति शिवबाबा... *बापदादा को देखते ही उनमें खो गई... वाह बाबा वाह... आप कितने मधुर हो...* जैसे भक्ति में गायन है वैसे ही मधुर मधुर महसूस हो रहे है... बिलकुल वही गीत याद आ रहा है... अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्... ह्दयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्... *बापदादा मुस्कुराते हुए एक किताब देते है* मेरे हाथ में और कहते है... बच्चे:- ये रहा *आपका पूरे वर्ष का पोतामेल...* बापदादा ने हर एक शक्ति के मार्क्स लिखे है...
➳ _ ➳ मुझे ये देखकर बहुत खुशी हुई की *एक वर्ष में मैने असीम ऊंचाइयों को छुआ है...* दिनों दिन मेरी शक्ति बढती ही गई है... मैं आत्मा निरंतर चढती कला में जा रही हूँ... *लेकिन सर्व गुण और शक्तियां फुल परसेन्ट में नहीं है...* फिर मेरा ध्यान उस पर गया जहाँ पर मेरे मन की बातें साफ साफ लिखी है... मैंने देखा की अभी भी वो पुरानी बातें जो मैं समझती थी की मैं बिलकुल भूल चूकी हूँ वो भी लिखी है... मैं सोचने लगी की यह तो मैंने मिटा दिया था यह कहाँ से आया ? तो बापदादा ने कहा की आपने पूरा नहीं मिटाया... इसलिए अभी भी *मन की स्लेट क्लीन और क्लीयर नहीं... कान्सेस में तो मिटा दिया लेकिन सबकान्सेस में तो दिखाई दे रहा* है... मैं बापदादा से पूछती हूँ इसका कारण क्या है ? और निवारण क्या है ?
➳ _ ➳ बापदादा ने कहा की मन की स्लेट पूरी क्लीन नहीं हुई *क्योंकि समाने की शक्ति पावरफुल नहीं है...* समय अनुसार समा भी लेते लेकिन फिर समय पर निकल आता... इसलिए सर्व गुण और शक्तियों को फुल परसेन्ट में धारण करने की कितनी भी कोशिश करो लेकिन होती नही है... और सहज कार्य में भी नहीं लगा पाते हो... इसलिए मन की स्लेट बिल्कुल क्लीयर होनी चाहिए... बापदादा को सुनते ही मैं तपस्वी ब्राह्मण आत्मा *स्वयं को चेक करने में लग जाती* हूँ... जैसे ही मैंने *स्वदर्शनचक्र फिराना शुरू किया तो सारी समस्याएं और समस्याओं का निवारण समझ आने* लगा... मैंने इस बात को साफ-साफ देखा कि किस तरह व्यर्थ और बीती चाल चलना सूक्ष्म से साकार रूप लेती जा रही थी...
➳ _ ➳ मेरे देखने में स्वयं की भूल आते ही *मुझे पश्चाताप हुआ की किस तरह माया मुझे अपनी जाल मे फंसा रही थी...* किस तरह परदर्शन और परचिंतन में फंसा रही थी... और अपने अंश को वंश किए जा रही थी... अगर इसको मैंनेे *पहले ही संपूर्ण रूप से समा लिया होता तो माया की ताकत नहीं थी जो मुझे हरा सके...* यह जानने के बाद अब मुझे माया के भिन्न भिन्न सूक्ष्म रूप भी दिखाई देने लगे है... शुक्रिया बाबा आपका पद्मापद्म गुणा शुक्रिया... आप मेरे सच्चे सतगुरू हो... जो हमेशा सच्ची राह दिखाते हो... न जाने इससे पहले भी कई बार आपने मेरी रक्षा कि है और विघ्नों से बचाया है... बापदादा ने बिल्कुल *सूक्ष्म रूप में भी व्यर्थ* दिखाया की किस तरह वो *वायब्रेशन के रूप में* रह गया है...
➳ _ ➳ अब *स्वदर्शन करते ही मुझ आत्मा के पुरुषार्थ की गति एकदम तीव्र हो गई है...* पुरुषार्थ की स्पीड सतोप्रधान हो गई है... *बापदादा ने अपना वरदानी हाथ मेरे मस्तक पर रखा* और मेरे मन में जो भी सूक्ष्म में व्यर्थ था वो अपने हाथो से खींच लिया... और साथ ही साथ *लाल रंग की शक्तियों की किरणों से भी भरपूर कर दिया... समाने की शक्ति को पूरी तरह से भर दिया...* अब तो मुझे बिल्कुल हल्कापन महसूस हो रहा है... एकदम खुशी की अनुभूति हो रही है... इसके कारण *मन एकदम क्लीन और क्लियर हो गया* है... ये हल्कापन मुझे *फरिश्तेपन की और* ले जा रहा है... अब मैं सर्व शक्तियों से संपन्न फरिश्ता हूँ... अब मेरे सामने जो भी *निगेटिव आ रहा है सब समा कर पाजिटिव में चेंज* करता जा रहा हूँ... और बापदादा भी यह नवीनता देखकर बहुत खुश हो रहे हैं... शुक्रिया बाबा... शुक्रिया...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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