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 04 / 11 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)

 

➢➢ *सवेरे सवेरे उठकर बाप को प्यार से याद किया ?*

 

➢➢ *बेहद बाप से सच्चा लव रखा ?*

 

➢➢ *बाबा शब्द में सुख को फील किया ?*

 

➢➢ *सर्व शक्तियों से संपन्न बन हर शक्ति को कार्य में लगाया ?*

 

➢➢ *प्राप्तियों को सदा सामने रखा ?*

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         ❂ *तपस्वी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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〰✧  *अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए देह, सम्बन्ध वा पदार्थ का कोई भी लगाव नीचे न लाये।* जो वायदा है यह तन, मन, धन सब तेरा तो लगाव कैसे हो सकता! *फरिश्ता बनने के लिए यह प्रैक्टिकल अभ्यास करो कि यह सब सेवा अर्थ है, अमानत है, मैं ट्रस्टी हूँ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  बाप समान निराकारी और आकारी - इस स्थिति में स्थित रहने वाली आत्मायें अनुभव करते हो? क्योंकि *शिव बाप है निराकारी और ब्रह्मा बाप है आकारी। तो आप सभी भी साकारी होते हुए भी निराकारी और आकारी* अर्थात अव्यक्त स्थिति मे स्थित हो सकते हो।

 

✧  या साकार में ज्यादा आते हो? जैसे साकार में रहना नैचुरल हो गया है, ऐसे ही मैं आकारी फरिश्ता हूँ" और निराकारी श्रेष्ठ आत्मा हूँ - यह दोनों स्मृतियाँ नैचुरल हो। क्योंकि जिससे प्यार होता है, तो *प्यार की निशानी है समान बनना।*

 

✧  बाप और दादा - निराकारी और आकारी हैं और दोनों से प्यार है तो समान बनना पडेगा ना तो *सदैव यह अभ्यास करो कि अभी-अभी आकारी, अभी-अभी निराकारी।* साकार में आते भी आकारी और निराकारी स्थिति में जब चाहें तब स्थित हो सकें।

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  ‘बाबा’ शब्द से सुख फील करना"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सेण्टर जाती हुई रास्ते में मंदिरों में बजती हुई घंटियों की आवाज़ सुनकर... अपनी बीती हुई कलियुगी जीवन को देखती हूँ... मैं आत्मा भी ऐसे ही घंटियाँ बजाते दर-दर भटक रही थी... *कभी डर से, कभी अल्पकाल की कामनाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर की, देवताओं की पूजा, अर्चना करती थी... पत्थर की मूरत में कहाँ एक पल दर्शन की आस में बैठी थी... स्वयं भगवान् ही मेरा हो गया... मेरे जीवन रूपी नैया को पार लगाने धरती पर उतर आया...* भक्ति की इन आडम्बरों से मुझे छुड़ाकर सत्य ज्ञान दिया... पिता के रूप में, शिक्षक के रूप में, सतगुरु के रूप में, खुदा दोस्त के रूप में, एक साजन के रूप में सर्व संबंधों का अनुभव करा रहा है... सेंटर पहुँचकर बाबा के कमरे में बाबा के सम्मुख बैठ प्यार से बाबा कहती हूँ... तुरंत बाबा आ जाते हैं...    

 

❉   प्यारे बाबा अपने प्यारे रूहानी नैनों से मुझे निहारते हुए कहते हैं:- मेरे मीठे फूल बच्चे... पिता की गोद में जब फूलो से खिलते हो तो... अपनेपन की अधिकार की खुशबु से भर उठते हो... ईश्वर कहने से वो प्यारवो अपनापनवो अधिकार भरा रंग नही छलकता... बाप के बच्चे बनते हो तो... उसकी जागीर को सहज ही बाँहों में भरकर मुस्करा उठते हो... *तुम प्यार से कहते हो मीठे बाबा’, तो मुख में रस आ जाता हैईश्वर या प्रभु कहने से वह रस नही आता"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा बाबा शब्द से अपना मुख मीठा करते हुए कहती हूँ:- हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा जब मीठे बाबा मेरे कह पुकारती हूँ... असीम सुख आनन्द से भर उठती हूँ.*.. खुदा को जीवन में पिता तुल्य पाकर मै आत्मा बेफिक्र निश्चिन्त सी खुशियो के गीत गाती हुई धरा गगन को अनहद नाद से भिगोती हूँ...

 

❉   मीठे बाबा मेरे भाग्य का सितारा चमकाते हुए कहते हैं:- मीठे प्यारे लाडले बच्चे... बाबा कहकर ईश्वर पिता के कन्धों पर नाच उठते हो... प्यार से बाबा पुकार करसारे खजाने सारी दौलत के मालिक हो उठते हो... बाबा के अधिकारी बन,परछाई सा संग लिए फिरते हो और खुदाया साथ पाकर खुशियो के आसमान पर झूमते हो... *जो मिठास बाबा रूप में चखते हो... प्रभु रूप में दूर से बस इंतजार सा करते हो...*

 

➳ _ ➳  बाबा के निराले प्रेम में मदहोश होकर मैं खुशनसीब आत्मा कहती हूँ:- मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा दुखो के गर्त में डूबी हुई सी दर दर ईश्वर को खोज रही थी... और मीठे बाबा ने बच्चे कहकर हाथ थाम लिया... प्यारे बाबा का प्यार पाकर मै आत्मा फूल सी खिल उठी हूँ... और *प्यारा बच्चा बनकर सारे खजाने बाबा के लूट रही हूँ...”*

 

❉   सांसों के मधुर अहसासो में डुबोते हुए मेरे बाबा कहते हैं:– “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *मेरा बाबा कहकर सांसो को बाबा में भिगो दोऔर सुखो के मीठेपन को चख लो...* अतीन्द्रिय सुख में डूबकर.. संगम के वरदानी वेला मेंबच्चे बनने का महाभाग्य प्राप्त कर... अथाह संम्पत्ति के अधिकारी हो... पिता के दिल में मणि सा बस जाओ... ईश्वर और प्रभु में यह आनंद कहाँ... जो बाप के पहलु में सहज ही मिलता है...

 

➳ _ ➳  बाबा की गोद में अतीन्द्रिय सुखों का आनंद लेते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वर को कितना पुकार रही थी... और आप पिता बनकर सम्मुख आ गए हो... मुझे गोद में उठाया कन्धों पर चढ़ाया... असीम प्यार देकर ज्ञान रत्नों से श्रंगार कर खुबसूरत देवता बना रहे हो... मीठे बाबा... *ईश्वर तो कितना दूर सा था और आप दिल की धड़कन हो...*

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बेहद बाप से सच्चा लव रखना*"

 

➳ _ ➳  साकारी देह में भृकुटि के भव्य भाल पर विराजमान एक चैतन्य शक्ति मैं आत्मा दुनिया की भीड़ से दूर एक पहाड़ी पर बैठ प्रकृति के सौंदर्य का आनन्द ले रही हूँ और अपने अविनाशी प्रीतम को याद कर रही हूँ। *मेरी याद मेरे शिव प्रीतम तक पहुँच रही है जिसका स्पष्ट अनुभव मेरे अविनाशी प्रीतम परमधाम से अपनी सर्वशक्तियों की किरणे मुझ पर फैलाते हुए मुझे करवा रहें हैं*। मेरे शिव पिया के प्रेम का अविनाशी रंग मुझ पर चढ़ रहा है और अनन्त दिव्य प्रकाश की किरणों के रूप में मुझ आत्मा से निकल कर चारों ओर फ़ैल रहा है।

 

➳ _ ➳  अपने अविनाशी प्रीतम के अविनाशी प्रेम में डूबी मैं आत्मा, प्रकृति के मनोहर दृश्य और शांत वातावरण में गहन शांति का असीम आनन्द ले रही हूँ। अपने शिव पिया के प्रेम में मग्न इस प्रेममयी अवस्था मे, मुझ आत्मा से निकल रही दिव्य किरणे मेरे पूरे शरीर में फ़ैल रही हैं। *ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे मेरा शरीर दिव्य लाइट का बन गया है और ऊपर की ओर उड़ने लगा है*। लाइट की दिव्य आकारी देह धारण कर मैं आत्मा अब दूर बहुत दूर उड़ती जा रही हूँ। पांचो तत्वों से पार, आकाश से भी परे मैं जा रही हूँ उस अव्यक्त वतन में जहां मैं अपने अविनाशी प्रीतम से अव्यक्त मिलन मना सकती हूँ।

 

➳ _ ➳  लाइट की सूक्ष्म आकारी देह धारण किये अपने अव्यक्त रूप में स्थित अब मैं पहुँच गई फरिश्तो की अव्यक्त दुनिया में। *देख रही हूँ अपने बिल्कुल सामने अपने शिव पिया के भाग्यशाली रथ ब्रह्मा बाबा को और उनकी भृकुटि में सूर्य के समान चमक रहे अपने अविनाशी शिव साजन को*। जिनसे निकल रही दिव्य किरणे पूरे वतन में चारों ओर फैली हुई हैं। देह और देह की दुनिया से अलग, सफेद प्रकाश से प्रकाशित यह दुनिया बहुत ही न्यारी और प्यारी है।

 

➳ _ ➳  इस अति न्यारी और प्यारी दुनिया में अपने शिव पिया से मिलने का अनुभव भी अति न्यारा और प्यारा है। अपनी मीठी दृष्टि से वो मुझे निहाल कर रहें हैं। *मेरा हाथ अपने हाथ मे ले कर अपने समस्त गुण और शक्तियां मुझ में प्रवाहित कर रहें हैं*। नज़रों ही नजरों में मुझ से मीठी - मीठी रूह रिहान कर रहें हैं। अपने मन के भावों को संकल्पो द्वारा मैं उनके समक्ष रख रही हूँ। *उन्हें बता रही हूँ कि उन्हें पा कर मेरा यह जीवन धन्य हो गया है, कौड़ी से हीरे तुल्य बन गया है*। जीवन में ऐसे प्रेम की अनुभूति मैंने आज तक नही की थी जो मैं अब कर रही हूँ। अब मेरा यह जीवन केवल मेरे शिव प्रीतम के लिए है।

 

➳ _ ➳  मेरे प्रेम के उदगार को मेरे शिव पिया समझ रहें है और मुस्कराते हुए अपने प्रेम की शीतल किरणे मेरे ऊपर बरसा कर अपना निश्छल प्रेम और स्नेह प्रदर्शित कर रहें हैं। *अपने अविनाशी प्रीतम से अव्यक्त मिलन मना कर अब मैं उनसे निराकारी स्वरूप में मिलन मनाने के लिए अपने निराकार ज्योति बिंदु स्वरुप को धारण कर निराकारी दुनिया परमधाम की ओर चल पड़ती हूँ*। बीज रूप स्थिति में मैं आत्मा अपने बीज रुप शिव पिया के साथ अब मंगल मिलन मना रही हूँ। उनसे निकलती अनन्त सर्वशक्तियों की किरणें मुझ बिंदु आत्मा पर पड़ रही हैं और मेरा स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली व चमकदार बनता जा रहा है।

 

➳ _ ➳  ऐसा लग रहा है जैसे मेरे अविनाशी साजन ने सर्वशक्तियों को समाने की ताकत मुझे दे दी हो। अपने शिव पिया की सर्वशक्तियों को स्वयं में समा कर मैं शक्तिशाली लाइट माइट स्वरूप में स्थित होती जा रही हैं। *अपने प्रीतम के साथ अविनाशी मिलन मना कर और स्वयं को परमात्म शक्तियों से भरपूर करके मैं आत्मा लौट रही हूँ अपने साकारी तन में*। अपने अविनाशी प्रीतम से सच्चा लव रखते हुए अब मैं हर समय केवल उनकी ही यादों में खोई रहती हूँ और एक ही गीत सदा गुनगुनाती रहती हूँ। "स्नेह प्यार की तुझ से बाबा बाँधी है जीवन डोर, दिल मेरा लगा ही रहता अब तो तेरी ओर"

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं  सर्व शक्तियों से सम्पन्न बन हर शक्ति को कार्य मे लगाने वाली मास्टर सर्व शक्तिमान आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं आत्मा प्राप्तियों को सदा सामने रखते हुए कभी भी थकावट का अनुभव नहीं करती हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  कई बच्चे कहते हैं कि समय समीप आ रहा है लेकिन जो संस्कार शुरू में इमर्ज नहीं थेवह अभी कहाँ-कहाँ इमर्ज हो रहे हैं। वायुमण्डल में संस्कार और इमर्ज हो रहे हैंइसका कारण क्या? *यह माया के वार का एक साधन है। माया इसी से अपना बनाकर परमात्म मार्ग से दिलशिकस्त बना देती है।* सोचते हैं कि अभी तक ऐसे ही है तो पता नहीं समानता की सफलता मिलेगी या नहीं मिलेगी! *कोई -न-कोई बात में जहाँ कमजोरी होगीउसी कमजोरी के रूप में माया दिलशिकस्त बनाने की कोशिश करती है।* बहुत अच्छा चलते-चलते कोई न कोई बात में माया संस्कार पर अटैक करपुराने संस्कार इमर्ज करने का रूप रखकर दिलशिकस्त करने की कोशिश करती है। *लास्ट में सब संस्कार समाप्त होने हैं इसलिए कभी-कभी रहे हुए संस्कार इमर्ज हो जाते हैं। लेकिन बापदादा आप सभी भाग्यवान बच्चों को इशारा दे रहे हैं - घबराओ नहींमाया की चाल को समझ जाओ।* आलस्य और व्यर्थ - इसमें निगेटिव भी आ जाता है - इन दोनों बातों पर विशेष अटेन्शन रखो। समझ जाओ कि यह माया का वर्तमान समय वार करने का साधन है।

 

 _ ➳  *बाप के साथ का अनुभव, कम्बाइन्ड-पन का अनुभव इमर्ज करो। ऐसे नहीं कि बाप तो है ही मेरासाथ है ही है। साथ का प्रैक्टिकल अनुभव इमर्ज हो।* तो यह माया का वारवार नहीं होगा,माया हार खा लेगी। यह माया की हार हैवार नहीं है। *सिर्फ घबराओ नहींक्या हो गयाक्यों हो गया! हिम्मत रखोबाप के साथ को स्मृति में रखो।* चेक करो कि बाप का साथ हैसाथ का अनुभव मर्ज रूप में तो नहीं है? *नालेज है कि बाप साथ हैनालेज के साथ-साथ बाप की पावर क्या हैआलमाइटी अथारिटी है तो सर्व शक्तियों की पावर इमर्ज रूप में अनुभव करो।* इसको कहा जाता है बाप के साथ का अनुभव होना। अलबेले नहीं बन जाओ - बाप के सिवाए और है ही कौनबाप ही तो है। जब बाप ही है तो वह पावर हैजैसे दुनिया वालों को कहते हो अगर परमात्मा व्यापक है तो परमात्म गुण अनुभव होने चाहिएदिखाई देने चाहिए। *तो बापदादा भी आपको पूछते हैं कि अगर बाप साथ हैकम्बाइन्ड है तो वह पावर हर कर्म में अनुभव होती है?*

 

✺   *ड्रिल :-  "बाप के साथ का अनुभव इमर्ज कर माया को हराना"*

 

 _ ➳  अशरीरी स्वरूप में श्वेत प्रकाश के वस्त्र पहनकर मैं आत्मा स्थूल देह, स्थूल वतन को छोड़ अपने मीठे घर की ओर जा रही हूँ... प्रकाशमय अवस्था में स्वयं को हल्का एवं समर्थ अनुभव कर रही हूं... मीठे बाबा से मिलने की चाहत में मैं तीव्र गति से घर पहुंच रही हूं... परमधाम पहुंच मैं आत्मा अपने परमपिता से मिलन मना रही हूं... *मीठे बाबा की मीठी दृष्टि एवं उज्ज्वल शक्तिशाली किरणों के नीचे बैठ मैं आत्मा बाबा के स्नेहपूर्ण प्रकाश से भरपूर हो रही हूं...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा देह और देह की दुनिया में अपना पार्ट बजाते, कर्म खाता चुक्तु करते माया के प्रभाव से स्वयं को सुरक्षित करने के लिए *सर्वशक्तिमान बाबा की शक्तियों से श्रृंगार कर रही हूं...* बाबा मुझे अष्ट शक्तियों से सजा रहे हैं... सात गुणों की पावन किरणों से मुझे श्रृंगार रहे हैं... *मैं आत्मा शक्तियों व गुणों की अस्त्र शस्त्र से सजी हुई देवी स्वरूप में माया रूपी असुर विनाशिनी बन रही हूं...* तत्पश्चात मैं आत्मा बाबा से आज्ञा ले युद्ध स्थल अर्थात स्थूल वतन की ओर प्रस्थान करती हूं... *स्वयं के इस स्वरूप को देख मैं स्वयं को शक्तिशाली अनुभव कर रही हूं...*

 

 _ ➳  *अब मैं देवी स्वरूपा विघ्न विनाशिनी रूप में धरती पर अवतरित होती हूं...* स्वयं के नए स्वरूप में स्थित होकर नए कर्तव्यों को प्रैक्टिकल में प्रयोग करने के लिए मैं तैयार हूं... माया के रॉयल सूक्ष्म रूप को पहचान कर बाबा के बताए महावाक्य रूपी बाण द्वारा माया के वार का सामना कर रही हूं... *माया के हलचल में स्वयं के नए स्वरूप में टिक कर आत्मा की अचल शक्तिशाली स्थिति को अनुभव कर रही हूं...* बाबा के साथ की स्मृति में रहकर माया के सम्मुख उपस्थित होते ही माया को धराशायी होते देख रही हूं... *बार बार माया को पराजित कर मैं आत्मा स्वयं के समर्थ स्वरूप को निहार रही हूं...* माया रावण को बाबा की मदद से हरा रही हूं, यह देख विजय की खुशी से गदगद हो रही हूं...

 

 _ ➳  *जिन परिस्थितियों को सम्हालना मुश्किल होता था कभी, आज उन्हीं परिस्थितियों को देख खेल सा अनुभव कर रही हूं...* माया का आना अब घबराहट नही बल्कि विजय की उद्घोषणा महसूस हो रही है... *एक सर्वशक्तिमान बाबा के संग कंबाइंड रहने से माया रूपी कालिया दमन सहजता से सम्भव हो रहा है...* माया के सिर पर खड़े होकर नृत्य करने की खुशी को अनुभव कर रही हूं... बाबा के संग हर साधारण कर्म असाधारण कमाई का ज़रिया महसूस हो रही है... *मीठे बाबा के अविनाशी हाथ और सदा साथ का सौगात पाकर मैं आत्मा स्वयं को भाग्यशाली महसूस कर रही हूं...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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