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 16 / 03 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *आत्मा के जीवन को हीरे जैसा बनाने की रूहानी सेवा की ?*

 

➢➢ *माया कोई भी विकर्म न करा दे, इसमें बहुत बहुत खबरदार रहे ?*

 

➢➢ *आसुरी अवगुण निकालने पर विशेष अटेंशन रहा ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *नथिंग न्यू के पाठ द्वारा विघनो को खेल समझकर पार किया ?*

 

➢➢ *सत्यता की विशेषता से आत्मा रुपी हीरे की चमक चारों और फैलाई ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - जितना प्यार से यज्ञ की सेवा करो उतना कमाई है, सेवा करते करते तुम बन्धनमुक्त हो जायेंगे, कमाई जमा हो जायेगी"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... इस ईश्वरीय यज्ञ की सेवा दिल जान से करो... यह *यज्ञ भाग्य को महान बनाने वाला है और अथाह प्राप्तियो*ं को दिलाने वाला है... इस समय ईश्वर पिता के मददगार बनकर साथ देते हो... इससे खुबसूरत बात भला और क्या होगी...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय यज्ञ की रोम रोम से सेवा कर मीठे बाबा आपकी आँखों का तारा बन चली हूँ... *सब बन्धनों से मुक्त होकर खुशियो में चहक रही हूँ.*.. मै तो अथाह कमाई कर मालामाल हो गयी हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... जो खुबसूरत खुशियो से खिला जीवन... आपने पाया है उन खुशियो से सबका जीवन भी महकाओ... *ईश्वरीय यज्ञ की हर साँस से सेवा कर,* ईश्वरीय दिल में मणि सा सज जाओ... और यज्ञ सेवा से पायी अथाह दौलत से, अपना दिल आँगन सदा का सजाओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मनुष्यो से मदद को कभी मोहताज थी... आज ईश्वरीय यज्ञ की सेवाधारी बनकर इठला रही हूँ... *भगवान को साथ देने वाली खुबसूरत भाग्य की धनी हो गयी हूँ.*.. कमाई ही कमाई से जीवन छलक उठा है...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... मीठे बाबा का यज्ञ सब बन्धनों को काटने वाला है इस यज्ञ में रोम रोम से खप जाओ... और महानतम भाग्य की तकदीर सजाओ... अपने नन्हे हाथो से बड़े से पिता की मदद कर सारी जागीर अकूत धन को पा जाओ... यज्ञ सेवा से सच्चे *पिता का दिल सदा का जीत उसके कन्धों पर चढ़ जाओ.*..

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा कितनी प्यारी तकदीर वाली हूँ... *संगम के वरदानी समय में ईश्वरीय यज्ञ में सहयोगी हूँ.*.. दुखो के बन्धनों से मुक्त होकर सुखो के सम्बन्धो को पा रही हूँ... हर पल कमाई करने वाली मै आत्मा श्रेष्ठ भाग्य से भर गयी हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-   मैं आत्मा अनुभवी मूर्त हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  *मैं आत्मा एकांत में बैठकर आत्मचिंतन* करती हूँ... मैं आत्मा अपने ज्योति स्वरूप को देख रही हूँ... मैं आत्मा चमकती हुई प्रकाश पुंज हूँ... मस्तक मणि हूँ... मैं आत्मा जब आत्मिक स्थिति में रहती हूँ तो बंधनमुक्त अवस्था का अनुभव करती हूँ... इस स्थिति में मैं आत्मा सम्पूर्णता का अनुभव करती हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सेकंड में मूलवतन, सूक्ष्म वतन की सैर करती हूँ... अब मैं आत्मा अपने देवताई स्वरूप का चिंतन करती हूँ... मैं आत्मा *पवित्र देवता रूप में सम्पूर्ण सुख, समृध्दि और सम्पन्न अवस्था* का अनुभव करती हूँ... मध्य काल में महावीर, शिवशक्ति, विघ्न विनाशक मुझ आत्मा के ही पूज्य स्वरूप हैं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा ब्राह्मण बनने के बाद मिली अपने प्राप्तियों का चिंतन करती हूँ... मुझ आत्मा को स्वयं सर्व शक्तिमान परमात्मा ने अपना बनाया है... *ज्ञान, योग की शिक्षा देकर सर्व खजानों, शक्तियों के मालिक* बना रहे हैं... सदा स्वमानों, वरदानों से भरपूर कर रहे हैं... सर्व सम्बन्धों का सुख देकर अतिंद्रिय सुख की अनुभूति करा रहे हैं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा फरिश्ता बन पंछी की तरह कहीं भी उड़ सकती हूँ... सर्व आत्माओं को भी प्रेम, सुख, शांति के वायब्रेशन्स देती हूँ... *आत्म चिंतन कर अब मैं आत्मा अनुभवी मूर्त बनती* जा रही हूँ... मैं आत्मा स्मृति स्वरूप बन अनुभवों की अथारिटी प्राप्त करती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सदा इसी स्मृति में रहती हूँ... कि कल्प-कल्प मुझ आत्मा ने ही पार्ट बजाया था... जो भी तूफान, विघ्न आ रहे हैं... कल्प-कल्प मुझ आत्मा ने इनका सामना किया था... और विजय प्राप्त किया था... अब मैं आत्मा सदा अनुभव की सीट पर सेट रहती हूँ... और सब विघ्नों को क्रॉस करती जा रही हूँ... तूफान को तोहफा समझ आगे बढ़ती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा *नथिंगन्यु के पाठ द्वारा विघ्नों को खेल समझकर पार करने वाली* अनुभवी मूर्त अवस्था का अनुभव कर रही हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सत्यता की विशेषता द्वारा आत्मा रूपी हीरे की चमक चारों ओर फैलाने का अनुभव"*

 

➳ _ ➳  सच्चे दिल पर साहेब राजी... जो सच्चा है, वही प्रभु प्रिय हैं... ईश्वर समान है... उसके अति नजदीक हैं... सत्यता ही आत्मा की ताकत हैं... सत्यता का बल... सर्वत्र सुख और खुशिया बिखेरता हैं... *सत्यता की चमक छुपती नहीं... सच को आंच नहीं...* सत्यता ही ख़ुशी का आधार हैं... सत्यता की शक्ति द्वारा आत्मा सदा खुश और सन्तुष्ट रहती हैं...

 

➳ _ ➳  सत्यता की चमक द्वारा मुझ आत्मा रूपी हीरे की चमक स्वतः ही चारों ओर फैलती हैं... सत्य अपने आप ही प्रत्यक्ष होता हैं... सच कभी छुप नहीं सकता... मेरी सत्यता की शक्ति ही मेरा सुरक्षा कवच भी हैं... कोई भी असत्य मुझ आत्मा के सामने टिक नहीं सकता... *मुझ आत्मा की सत्यता की रोशनी से अन्य आत्माओं की भी अज्ञान रूपी कालिख समाप्त होती हैं...*

 

➳ _ ➳  सत्य बाप की मैं आत्मा सन्तान... सत्य बाप समान हूँ... हीरे समान मेरी सत्यता की चमक पूरे विश्व में फ़ैल... सत्य बाप की प्रत्यक्षता करती हैं... सच तो बीठू नच... *सत्यता के झूले में झूलती मैं आत्मा निश्चिन्त हूँ... सत्यता है तो मेहनत नहीं है...* सत्य को सिद्ध नहीं करना पड़ता... सच की नाव हिल डुल सकती पर कभी डूब नहीं सकती...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र, सत्य, शुद्ध हूँ... शिव बाबा का स्वरूप मुझ आत्मा द्वारा प्रत्यक्ष हो रहा हैं... मेरे चेहरे सत्यता के प्रकाश से चमक रहा हैं... चाल और चलन में सत्यता की खनक हैं... मेरे हर व्यवहार में शिव बाबा की झलक नजर आती हैं... *मेरी सत्यता की चमक ने अन्य आत्माओं को भी बाबा के समीप ला दिया हैं...*

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *नथिंगन्यू के पाठ द्वारा विघ्नों को खेल समझकर पार करने वाले अनुभवी मूर्त होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

 ❉  नथिंगन्यू अर्थात जो भी परिस्थिति आयी या आने वाली है, चाहे वह सुख का सीन हो या दुःख का सीन हो वो इस ड्रामा वर्ल्ड साइकल में नुँध है। *सब सींज़ अपने समय पर पूरे 5000वर्ष बाद ऐक्यूरेट प्ले हो रहे है, इसमें किसी का भी कोई दोष नहीं है*, सब आत्माएँ अपना अपना पार्ट ऐक्युरेट बजा रहे है। सबके अपने क्रमिक अकाउंट्स है , सबके अपने अपने स्वभाव संस्कार है जो उन्होंने द्वापर से अपने में लाए...इसके किसी का दोष नही है।

 

 ❉  विघ्नों को देखकर घबराना नहीं है। मूर्ति बन रहे हो तो कुछ हैमर ( हथौड़े ) तो लगेंगे ही। हैमर से ही तो ठोक-ठोक कर ठीक करते है। तो *जितना आगे बढ़ेंगे उतना तूफ़ान ज़्यादा क्रास करने पढ़ेंगे।* जैसे लौकिक में भी जैसे जैसे क्लास आगे बढ़ते जाते उतना इग्ज़ैम भी डिफ़िकल्ट होता जाता है, अब बच्चा ये कहे की पेपर ना देने पढ़े लेकिन हम क्लास ऊपर पहुँच जाए तो क्या यह पॉसिबल होगा? नही ना। इसी तरह जैसे जैसे ज्ञान धारण होता जाएगा तो स्थिति के अनुसार परिस्थिति भी बदलती जाएगी।

 

 ❉  लेकिन अब आपके लिए *यह तूफ़ान भी तोहफ़ा है*- अनुभवी बनने का, इसलिए यह नहीं सोचो कि क्या सब विघ्नों के अनुभव मेरे पास ही आने हैं, नहीं। वेल्कम करो उनका- आओ। क्योंकि जो आत्मा अनुभवी होती है उसका हर संकल्प, बोल व कर्म अपने आपमें महान हो जाता है... क्योंकि अब वह स्वयं के साथ साथ अब शिक्षा देने वाले को भी प्रत्यक्ष रूप में दिखा रहा होता है। यही एक समय होता है की जब आत्मा बेहद की सेवा कर सकती है और दिल से दुआओं का खाता बना सकती है।

 

 ❉  जैसे ब्रह्माबाबा ने ड्रामा की ज्ञान को अच्छी रीति धारण करने में कोई कमी नहीं छोड़ी, वह *हर कर्म पहले स्वयं करते फिर और देख उन्हें करते*... उन्हें किसी को बोलने की भी दरकार नही होती थी क्योंकि उन्हें पता था यह कार्य स्वयं भगवान करवा रहे है, वह तो केवल निमित मात्र है... इस *पढ़ाई को पढ़ाने वाले पर इतना निश्चय* था मानों की कोई विघ्न, विघ्न लगा ही नही बल्कि एक खेल समझकर , नथिंगन्यू का पार्ट पक्का करके उड़ते रहे।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *सत्यता की विशेषता हो तो आत्मा रूपी हीरे की चमक चारों ओर स्वत: फैलती है... क्यों और कैसे* ?

 

❉   सत्यता की शक्ति आत्मा को रीयल गोल्ड बना देती है और रीयल गोल्ड की मुख्य विशेषता ही यह होती है कि उसे जैसे मोड़ा जाये मुड़ जाता है किन्तु हर स्वरूप में अपनी चमक को बनाये रखता है । इसी प्रकार जो सत्यता की विशेषता को अपने जीवन में धारण कर लेते हैं *वे रीयल गोल्ड बन हर परिस्थिति में मोल्ड होकर भी अपनी चमक को बनाए रखते है* । अर्थात अपनी सत्यता से पीछे नहीं हटते । इसलिए सदा सत्यता के बल पर उस आत्मा रूपी हीरे की चमक चारों और स्वत: ही फैलती रहती है ।

 

❉   सत्यता की शक्ति का आधार है संपूर्ण पवित्रता अर्थात मन, वचन, कर्म और स्वप्न में भी अपवित्रता का अंश मात्र भी ना हो । *जो ऐसी संपूर्ण पवित्र आत्माएं होती हैं उनके चेहरे से दिव्यता और नयनों से रुहानी चमक स्पष्ट दिखाई देती है* । जैसे देवी देवता पवित्र होते हैं इसलिए उनके जड़ चित्रों में भी दिव्यता की झलक सबको सहज ही अपनी ओर आकर्षित करके उन्हें सुख शांति का अनुभव करवाती है । इसी प्रकार जो सत्यता की विशेषता को धारण कर सम्पूर्ण पवित्र बनते हैं उन आत्माओं रूपी हीरे की चमक सब जगह स्वत: ही फैलती रहती है ।

 

❉   जो आत्मायें सत्यता की विशेषता को धारण करती हैं उनकी बुद्धि सदा क्लीन और क्लीयर रहती है । *वे श्रीमत के इशारे प्रमाण सेकण्ड में न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित हो कर स्वयं को ज्ञान योग की लाइट और माइट से सदा सम्पन्न रखती हैं* और योग के बल से किसी भी परिस्थिति को सेकण्ड में पार कर लेती हैं । उन्हें योग लगाना नही पड़ता । लेकिन सदा बाप दादा के साथ कम्बाइंड और सदा सहयोगी आत्मा बन सदैव उड़ती कला में रह सम्पन्नता और सम्पूर्णता का अनुभव करते हुए वे हीरे के समान अपनी चमक स्वत: ही चारों और फैलाती रहती है ।

 

❉   जैसे टेलिविजन का बटन दबाते ही सारा नज़ारा टेलीविजन में आ जाता है । इसी प्रकार *जो संकल्प करें वैसा चित्र बुद्धि में क्लीयर खिंच जाये और बाप से सीधा कनेकशन जुट जाये* । ऐसी अवस्था तब होगी जब आत्मा में सत्यता का बल होगा । और सत्यता का बल तभी जमा होगा जब बुद्धि में सभी बातें समाप्त हों और सिर्फ श्रीमत की आज्ञा जो मिली हुई है वही चलती रहे और कुछ भी मिक्स ना हो । ऐसे सत्यता की विशेषता को धारण करने वाली आत्मा रूपी हीरे की चमक स्वत: ही चारों ओर फैलती रहती है ।

 

❉   परचिंतन और परदर्शन की धूल से जो स्वयं को सदा बचा कर रखते हैं तथा सदैव सर्व के शुभ चिंतक बन सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना और शुभकामना रखते हुए सबके प्रति कल्याणकारी वृति रखते हैं । *वे परमात्म प्रेम और शक्तियों से सदैव भरपूर रहते हैं* । परमात्म बल उनकी आत्मा में जैसे जैसे भरता जाता है वैसे वैसे आत्मा में निखार आने लगता है । बुद्धि क्लीन और क्लीयर होने लगती है और *बुद्धि योग निरन्तर एक बाप के साथ जुटने से आत्मा अमूल्य हीरा बनने लगती है* जिसकी चमक सब जगह स्वत: ही फैलने लगती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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