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 25 / 03 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *बुधी को याद द्वार गोल्डन एज्ड बनाने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *मनमत या मतभेद में आकर पढाई तो नहीं छोड़ी ?*

 

➢➢ *अपना मुख स्वर्ग तरफ रखा ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *माया व प्रकृति के भिन्न भिन्न कार्टून शो को साक्षी होकर देखा ?*

 

➢➢ *किसी भी प्रकार के डिफेक्ट से परे रह परफेक्ट बनकर रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *बीती सो बीती करने का पुरुषार्थ किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - सिमर सिमर सुख पाओ, बाप का सिमरन करो तो तन के कल-क्लेश मिट जायेंगे,तुम निरोगी बन जायेंगे"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... जिसे पाने की चाहत में दर दर भटक रहे थे, वह जब सम्मुख है तो उस पिता की याद में गहरे डूब जाओ... *यह यादे ही सच्चे सुखो से दामन छलकायेगी.*.. जीवन को निरोगी बनाकर, अनन्त खुशियो की बहारे खिलाएंगी... इन मीठी यादो में सदा के खो जाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा भगवान को जगह जगह खोज रही थी... आज भाग्य की बलिहारी से *पिता शिक्षक और सतगुरु के रूप में पाकर धन्य धन्य हो गयी हूँ.*.. मीठे बाबा मेरा भटकना अब छूट गया है और मै आत्मा सदा की सुखी हो गयी हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय यादो में देवताई सुख समाये है... इन यादो से ही जनमो के विकर्मो से मुक्ति है... इसलिए *ईश्वर पिता की याद को हर साँस में पिरो दो.*.. दिल की धड़कन की तरहा याद को दिल में समालो और सच्चे सुख निरोगी काया को पाकर सदा का मुस्कराओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपको जड़ चेतन व्यक्तियो में खोज कर, कितनी बेहाल हो गयी थी... आपने आकर मुझे आवाज दी, और अपने से मिलवाया... *मीठे बाबा मै आत्मा रोम रोम से आपकी शुक्रगुजार हूँ.*.. प्यारे बाबा अब तो हर पल आपकी यादो के नशे में मदमस्त हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... एक *पिता की यादो में खोकर अपने भाग्य को देवताओ सा खुबसूरत और दिव्य बनाओ.*.. यह मीठी यादे ही तन मन को सदा का स्वस्थ बनाएगी... जीवन के सब दुःख दूर हो जायेंगे और आप बच्चे खुशनुमा फूल से सुखो में खिल जायेंगे...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा दुखो के दलदल में फंसकर तन मन से रुग्ण हो गयी थी... आपने प्यारे बाबा मुझे सदा का सुखी बनाया है... *मेरे थके कदमो तले अपने प्यार का मखमल बिछाया है.*.. सच्चे प्यार में मिले सुकून और शीतलता ने जीवन की तपिश को हर लिया है...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-   मैं संतोषी आत्मा हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं कितनी ही खुशनसीब आत्मा हूँ... जिस भगवान को जन्मों-जन्मों से मैं आत्मा ढूंढ रही थी... दर-दर भटक रही थी वो भगवान मुझ आत्मा को साकार में मिल गए... अब मैं आत्मा अपने पद्मापदम भाग्य को देखकर सदा ही ख़ुशी का डांस करती रहती हूँ... *प्यारे बाबा के प्यार में मगन होकर प्राप्तियों के गीत* गाती रहती हूँ... मैं आत्मा प्यारे बाबा के संग को पाकर उनके ही रंग में रंगती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा एक बाबा से ही योग लगाकर एकरस अवस्था का अनुभव करती जा रही हूँ... मैं आत्मा दिव्य गुणों, शक्तियों, अखूट खजानों से भरपूर होती जा रही हूँ... बाबा के प्यार से सभी कमी-कमजोरियां स्वतः छूटती जा रही हैं... अब मैं आत्मा सदा प्यारे बाबा के हाथ और साथ का अनुभव करती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा *बाबा की हजार भुजाओं की छत्र-छाया में* स्वयं को सदा सेफ अनुभव करती जा रही हूँ...  

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा प्यारे बाबा से सदा संतुष्ट रहने का वरदान ग्रहण करती जा रही हूँ... संतोषी आत्मा बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा कोई भी हिलाने वाली परिस्थिति भी आए तो साक्षी होकर देखती जा रही हूँ... घबराती नहीं हूँ... मैं आत्मा साक्षीपन की सीट पर शान से बैठकर ऐसा अनुभव करती जा रही हूँ कि... *बेहद के स्क्रीन पर माया का कार्टून शो वा पपेट शो* चल रहा है...

 

➳ _ ➳ मुझ आत्मा को खुशी का अनमोल खज़ाना मिल गया है... मैं आत्मा सदा आनंद के सागर की लहरों में डूबे रहती हूँ... मैं आत्मा सदा अपने संतुष्टता के स्वरुप में स्थित होकर सभी परिस्थितियों को... माया वा प्रकृति का कठपुतली का खेल समझ देखती हूँ... अब मैं आत्मा माया व प्रकृति के भिन्न-भिन्न कार्टून शो को *साक्षी बन देखने वाली संतोषी आत्मा होने का अनुभव* कर रही हूँ... 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल -  किसी भी प्रकार के डिफेक्ट से परे रह  परफेक्ट बनने का अनुभव करना"*

 

➳ _ ➳  *बाबा की मुझ आत्मा के लिये... अच्छी कामना भी है... अच्छी भावना भी है, कि मैं आत्मा परफेक्ट बन जाऊं*... कोटो में कोई व कोई में भी कोई मुझ आत्मा को संगम पर स्वयं भगवान ने चुना है... बाबा ने मुझ आत्मा का कोई अवगुण नही देखा... कोई बुराई नही देखी... मुझे अपना बना लिया... सुप्रीम शिक्षक से पढ़कर मुझ आत्मा के सब डिफेक्ट दूर हो रहे हैं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा बाप को फॉलो करने वाली आत्मा हूँ... *बाप के कदम पर कदम रखने वाली आत्मा हूँ*... ज्ञान मुझ आत्मा को गुणवान बनाता जा रहा है... मैं आत्मा सदा अपनी धारणा पर ही ध्यान देती जा रही हूँ... कभी किसी और के अवगुणों पर ध्यान नही जाता... 

 

➳ _ ➳  दूसरों के अवगुण देख-देख करके हमारे में अवगुण आते चले गए... और गुण जाते रहे... अब *मुझ आत्मा को किसी भी आत्मा में कोई डिफेक्ट को नही देखना*... सभी आत्माऐं बाबा की संतान है... सभी में कोई न कोई विशेषता समाई हुई है... बुद्धि में यही स्मृति रहने से... मुझ आत्मा में गुण आते अनुभव हो रहे है...

 

➳ _ ➳ मैं आत्मा अनुभव करती जा रही हूँ... सभी आत्माओं का नबरवन पुरुषार्थ हो रहा है... यह संकल्प मुझ आत्मा को अंदर से शांत करता जा रहा है... *जिस तरह नाटक में... *एक्टर औरों की एक्ट को नही देखता... अपने एक्ट पर ध्यान देता है*... उसी प्रकार  मेरे को कैसे एक्ट करनी है... उसका ध्यान, मैं आत्मा रखती जा रही हूँ... 

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा को सदा अपने पार्ट को देखना है... *मैं आत्मा औरों के पार्ट में डिफेक्ट निकालना छोड़ती जा रही हूँ*... जिससे मैं आत्मा परफेक्ट बनती जा रही हूँ... औरों में डिफेक्ट देखना मुझ आत्मा को सम्पन्न बनने नही देंगे... इसलिए मैं आत्मा सभी के गुणों को देख-देख कर... गुणमूर्त बनती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा स्वयं में दिव्यता का अनुभव करने लगी हूँ... *व्यर्थ की बातों से मैं आत्मा इनोसेंट बनती जा रही हूँ*... बाबा मुझ आत्मा से करा रहा है... मैं आत्मा अंदर की कोई भी कमी है... उसे बाहर निकालती जा रही हूँ... मुझ आत्मा के संकल्प रूहानियत भरे होते जा रहें है... मैं आत्मा अपनी कमियों को दूर करते हुए परफेक्ट बनने का अनुभव कर रही हूं...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *माया वा प्रकृति के भिन्न - भिन्न कार्टून शो को साक्षी बन देखने वाले संतोषी आत्मा होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   माया वा प्रकृति के भिन्न - भिन्न कार्टून शो को साक्षी बन देखने वाले सन्तोषी आत्मा होते हैं क्योंकि... *संगमयुग पर बापदादा की ओर से एक विशेष देन ये भी प्राप्त हुई है, और वह देन है... सन्तुष्टता।* अतः संतोषी आत्मा के आगे कैसी भी हिलाने वाली परिस्थिति क्यों न आ जाये, वह परिस्थिति संतोषी आत्मा के लिये खेल के समान होती है।  

 

❉   अर्थात्!  सन्तोषी आत्माअपने सामने आने वाली हर परिस्थिति में अचल व अडोल रहते हैं। *वह ड्रामा के हर सीन को साक्षी बन कर देखते हैंव उस सीन को एन्जॉय भी करते हैं।* क्योंकि उनको संतुष्ट रहने के कारण हर हाल में खुश रहने का अभ्यास हैं। वह अपने सामने आने वाली हर परिस्थिति में सदा ही संतुष्ट रहते हैं।

 

❉   वैसे भी *सन्तोषी आत्मा के आगे कैसी भी हिलाने वाली परिस्थितिऐसे अनुभव होगीजैसे कि... ये पपेट शो चल रहा हो।* अर्थात्! कठपुतली के खेल के समान। मानो कि जैसे...  हम कठपुतली का खेल देख रहे हों। वैसे भी आजकल कार्टून शो का फैशन है। आजकल सभी लोग कार्टून की भाषा को समझने लगे हैं।

 

❉   कार्टून की भाषा में तरह तरह की कहानियाँ, चुटकुले, कविताये और तरह तरह के मज़ाक आदि प्रस्तुत किये जाते रहते हैंऔर सभी उनको पढ़ कर व देख कर उनका लुफ्त उठाते हैं तथा आनन्दित होते हैं। *उसी प्रकार से हमारे सामने भीकैसी भी परिस्थिति आयें, तो! समझो कि.  ये शो चल रहा है।* और उस परिस्थिति में सदैव ही आनन्दित रहो।

 

❉   साथ हीऐसा समझना है कि... ये सीन सीनरीज़ हैं। और बेहद के स्क्रीन पर कार्टून शो व पपेट शो के समान चल रहा है, तथा *माया वा प्रकृति का यह भी एक शो ही है, जिसको हमें साक्षी स्थिति में स्थित हो कर तथा*अपनी शान में स्थित रहते हुए देखना है। अतः इन परिस्थिति रुपी पपेट शो कोअपने सन्तुष्टता के स्वरूप में स्थित हो कर ख़ुशी ख़ुशी साक्षी भाव में देखते रहना है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *किसी भी प्रकार के डिफेक्ट से परे रहना ही परफेक्ट बनना है... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे ब्रह्मा बाप का स्लोगन था " जो कर्म मैं करूँगा मुझे देख सब करेंगे " इस बात को सदैव स्मृति में रखते हुए *बाबा ने अपने हर कर्म को श्रेष्ठ बनाया और परफेक्ट बन सम्पूर्णता को प्राप्त कर लिया* । ब्रह्मा बाप समान जो सदा इस बात को अपनी बुद्धि में धारण कर लेते हैं वे अपने हर कर्म पर विशेष अटेंशन देते हैं इसलिए दूसरों के अवगुणों का चिंतन कर स्वयं को डिफेक्टिव बनाने के बजाए स्वचिंतक बन हर डिफेक्ट से स्वयं को मुक्त कर परफेक्ट बन जाते हैं ।

 

❉   जैसे कोई भी आक्यूपेशन वाले जब अपनी सीट पर सेट होते हैं तो वह आक्यूपेशन के गुण, कर्तव्य ऑटोमेटिक इमर्ज होते हैं । ठीक इसी प्रकार *जब हम भी अपने श्रेष्ठ आदि और अनादि स्वरूप की सीट पर सदा सेट रहेंगे* तो हर गुण, हर शक्ति और हर प्रकार का नशा स्वत: ही इमर्ज रहेगा जो बाहरी वातावरण के किसी भी प्रकार के प्रभाव का कोई भी इफेक्ट हम पर पड़ने नही देगा और हमे हर प्रकार के डिफेक्ट से बचाकर पूरी तरह परफेक्ट बना देगा ।

 

❉   संस्कारों की कमजोरी एक प्रकार की सूक्ष्म कमजोरी है जो मन बुद्धि को कमजोर कर देती है जिससे व्यक्ति सही समय पर सही निर्णय लेने में स्वयं को असमर्थ और शक्तिहीन अनुभव करता है । *पुराने स्वभाव, संस्कारों रूपी सूक्ष्म कमजोरियां आत्मा को विकर्मो की ओर प्रवृत कर देती हैं* और उसे परफेक्ट बनने नही देती । किन्तु जो स्वयं को स्वचिंतन में बिज़ी कर लेते हैं वे इन सूक्ष्म कमजोरियों के डिफेक्ट से परे रहते हैं और इन पर जीत प्राप्त कर परफेक्ट बन जाते हैं ।

 

❉   किसी भी दुःख का मूल कारण एक ही शब्द होता है - भूलना अर्थात विस्मृति । भूलने के कारण ही अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा होती है । जैसे *किसी भी वस्तु, व्यक्ति अथवा परिस्थिति के इफेक्ट में तभी आते हैं जब अपनी ऊँची श्रेष्ठ स्थिति को भूल स्वयं को साधारण शक्तिहीन आत्मा समझने लगते हैं* । इसलिए जितना अपनी श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहेंगे उतना स्मृति से समर्थी आती जायेगी और समर्थ आत्मा बन हर प्रकार के डिफेक्ट से मुक्त रह परफेक्ट बन जायेंगे ।

 

❉   व्यक्ति जैसा चिन्तन करता है वैसा प्रभाव उस पर दिखाई पड़ता है । अगर हम हर समय दूसरों के अवगुणों का चिंतन करते रहते हैं तो उसका प्रभाव हमारे ऊपर अवश्य पड़ता है और उसके वे अवगुण हमारे अंदर भी आ जाते हैं । *इसलिये किसी भी प्रकार के डिफेक्ट से बचने के लिए जरूरी है पर चिंतन के बजाए स्व चिंतन करना* । क्योकि जितना स्वयं को स्व चिंतन में बिजी रखेंगें उतना स्वयं को रियलाइज करने की योग्यता हमारे अंदर आती जायेगी जो किसी भी प्रकार के डिफेक्ट से बचा कर परफेक्ट बना देगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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