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❍ 28 / 03 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *किसी की बात दिल में तो नहीं रखी ?*
➢➢ *बाप सामान प्यार का सागर बनकर रहे ?*
➢➢ *एकांत में बैठ विचार सागर मंथन किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *स्नेह की उड़ान द्वारा समीपता का अनुभव किया ?*
➢➢ *दिलतख़्तनशीन बन माया और प्रकृति के तूफानों से सेफ रहे ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *किसी भी एक गुण की अनुभूति की गहराई में गए ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - इस पुरानी देह का भान भूलो, इससे ममत्व मिटाओ तो तुम्हे फर्स्ट क्लास शरीर मिल जायेगा, यह शरीर तो खत्म हुआ ही पड़ा है"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... देह की मिटटी में मन बुद्धि रुपी हाथो को अब और मैला न करो... अपने सत्य स्वरूप के भान में डूब जाओ.. खेल अब पूरा हो चला है, *घर जाना है और खुबसूरत देवताई शरीर में वापिस आना है.*.. तो सच्चे सुखो की यादो में खो जाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा *आपकी मीठी यादो में अपने दमकते स्वरूप को पाकर निहाल हो गयी हूँ.*.. प्यारे बाबा आपने मुझे अपना बनाकर, मेरा सदा का भाग्य सुनहरा कर दिया है... देवताई श्रंगार और कंचन काया को पाने की मै अधिकारी हो चली हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस विनाशी दुनिया विनाशी सम्बन्धो और विनाशी देह से दिल न लगाओ... यह माया का छलावा है, इसके चंगुल में न आओ... इसके भान से निकल कर आत्मिक नशे से भर जाओ... तो *सतयुग के अथाह सुखो के बीच, सुंदर शरीर को पाने वाले देवता बन मुस्करायेंगे.*..
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा सच और झूठ के मर्म को जानकर सत्य राहो की राही बन चली हूँ... इस विकारी शरीर के मोह से निकल कर आत्मिक खूबसूरती में खो गयी हूँ... प्यारे बाबा *सत्य ज्ञान ने अज्ञान की धुंध को हटाकर, जीवन को उजालो से भर दिया है.*..
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... यह विनाशी देह तो विकारो की परिणीति है... इस सत्य को अंतर्मन में गहराई से समाओ... और *देह के भान से निकल अपने चमकते ओज की ख़ुशी में खो जाओ.*.. जो हो वही यादो की स्मर्तियो पर सजाओ... और न्यारे प्यारे होकर सतयुगी दुनिया में देवपद को पाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... में आत्मा स्वयं को विकारी का पर्याय यह देह समझ जीती जा रही थी... आपने प्यारे बाबा मुझे *सत्य ज्ञान से प्रकाशित कर मुझे खुशियो और उमंगो का नजारा दिखाया है.*.. मुझ आत्मा को खुशनसीब बनाकर मीठे सुखो का अधिकारी बनाया है...
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∫∫ 5 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:-10)
( आज की मुरली की धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- आज की मुरली से बाबा की 4 निमनलिखित शिक्षाओं की धारणा के लिए विशेष योग अभ्यास*"
❶ *किसी को भी दुःख न देना*
❷ *बाप समान प्यार का सागर बनना*
❸ *विचार सागर मंथन करना*
❹ *सर्विस में मददगार बनना*
➳ _ ➳ मैं ज्योति बिंदु आत्मा स्वयं को शिव बाबा के सम्मुख अनुभव कर रही हूँ । *बाबा मीठी मुस्कान से मेरी ओर देख रहे हैं और मुझे अपनी पावन दृष्टि दे रहे हैं* । बाबा की पावन दृष्टि मुझे देह भान से मुक्त कर रही है । नश्वर देह को त्याग मैं आत्मा उड़ चलती हूँ अपने शिव पिता के पास । अगले ही क्षण मैं पहुँच जाती हूँ परमधाम अपने प्यारे बाबा के पास और बाबा के पास जा कर बैठ जाती हूँ ।
➳ _ ➳ बाबा से सर्वशक्तियों की सतरंगी किरणे निकलकर मुझ आत्मा पर बरस रही हैं । मैं असीम आनन्द का अनुभव कर रही हूँ । *एक अलौकिक दिव्यता से मैं आत्मा भरपूर होती जा रही हूँ* । प्यार के सागर बाबा अपना असीम प्यार मुझ पर लुटा रहे हैं । उनके प्यार की शीतल किरणे मुझे भी उनके समान मास्टर प्यार का सागर बना रही हैं । अपने ओरिजनल स्वरूप का भरपूर आनन्द लेने के बाद मैं आत्मा पहुँचती हूँ सूक्ष्म वतन में ।
➳ _ ➳ सूक्ष्म वतन में मेरा प्रकाश का फरिश्ता स्वरूप अपनी सम्पूर्ण अवस्था में विराजमान है । अपने संपूर्ण फरिश्ता स्वरूप को धारण कर मैं पहुँच जाती हूँ बापदादा के सामने । *मैं फरिश्ता बापदादा की ममतामयी गोद में बैठ जाता हूँ* । बापदादा बड़े स्नेह से मुझे देखते हुए मीठी मीठी रूह - रिहान करते हुए मुझ से कहते हैं मेरे मीठे बच्चे आपको बाप समान प्यार का सागर बनना है । किसी को भी दुःख नही देना ।
➳ _ ➳ बाबा कलयुगी दुनिया का सीन मेरे सामने इमर्ज करते हैं और मुझ से कहते हैं देखो बच्चे कैसे विकारों के वशीभूत हो कर आज सभी एक दूसरे को दुःख दे रहें हैं । रोती, बिलखती, दुःख से पीड़ित आत्माओं को मैं देख रही हूँ । बाबा मेरा ध्यान अपनी और खिंचवाते है और मुझ से कहते हैं *मेरे मीठे बच्चे इस संगम युग पर तुम्हारा जन्म बाप की मदद करने के लिए हुआ है* । इस दुःख से भरी दुनिया को मैं फिर से सुख की दुनिया बनाने आया हूँ ।
➳ _ ➳ मेरे इस कार्य में आपको मेरा मददगार बनना है । विचार सागर मंथन कर सेवा की नई नई युक्तियां निकालनी है । जो बच्चे आज तक मुझ से बिछुड़े हुए हैं उन तक मेरा सन्देश पहुंचा कर उन्हें मुझ से मिलवाना है । बाबा के नयनो में मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ उन उम्मीदों को जो बाबा को मुझ से हैं । बाबा का हाथ मेरे हाथ में हैं और *मैं बाबा से प्रोमिस करती हूँ कि बाबा आपकी इन उम्मीदों को मैं अवश्य पूरा करुँगी* । बाबा से विदाई ले कर मैं वापिस आ जाती हूँ साकारी दुनिया में बाबा से किये प्रोमिस को पूरा करने के लिए ।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा पास विद आनर हूँ ।"*
➳ _ ➳ परमप्रिय परमपिता परमात्मा ने मुझ आत्मा को दिव्य नेत्र देकर... तीनों कालों के दर्शन कराकर... त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी बना दिया... मुझ आत्मा को *अमूल्य ज्ञान देकर अनमोल खजानों का मालिक* बना दिया... प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा के भटकते हुए मन-बुद्धि को ज्ञान-योग के पंख लगा दिए...
➳ _ ➳ मैं आत्मा मन-बुद्धि से उड़कर बाबा के पास सूक्ष्मवतन पहुंच जाती हूँ... मैं आत्मा बाबा को प्यार से निहारती जा रही हूँ... *स्नेह के सागर में डुबकी लगाती जा रही* हूँ... बाबा के स्नेह की गहराईयों में डूबती जा रही हूँ... बाबा के स्नेह की शक्ति से मुझ आत्मा के क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष के सारे विकार खत्म होते जा रहे हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा मास्टर स्नेह का सागर बनती जा रही हूँ... मैं आत्मा बाबा के स्नेह में उडती जा रही हूँ... बाबा के स्नेह में समाती जा रही हूँ... मुझ आत्मा का मायावी दुनिया, मायावी संबंधो से ममत्व मिटता जा रहा है... मैं आत्मा *विनाशी दुनिया से न्यारी होती जा रही हूँ...* मैं आत्मा बाबा के प्यार में मगन होती जा रही हूँ..
➳ _ ➳ मैं आत्मा हर कर्म बाबा के स्नेह में करती जा रही हूँ... मैं आत्मा तन से, मन से, दिल से बाबा के समीप होती जा रही हूँ... मैं आत्मा एक बाबा के लव में लीन होती जा रही हूँ... हर पल मैं आत्मा बाबा को अपने समीप अनुभव करती जा रही हूँ... मैं आत्मा *बाबा के हाथ और साथ से हर परिस्थिति को सहज ही पार* करती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ अब बाबा ही मुझ आत्मा का संसार बनता जा रहा है... मैं आत्मा कभी बालक बन बाप के स्नेह में... कभी सजनी बन साजन के स्नेह में... कभी दोस्त बन खुदा दोस्त के स्नेह में... कभी परवाना बन शमा के स्नेह में उड़ान भरती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा स्नेह की उड़ान द्वारा *समीपता का अनुभव करने वाली पास विद आनर* बनती जा रही हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- दिलतख्तनशीन बनकर माया और प्रकृति के तूफानों में सेफ अनुभव करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा इन पाँच तत्वो के बने शरीर से अलग होकर बिन्दुरूप अवस्था में स्थित हो जाती हूँ...* देह से न्यारी यह अवस्था कितनी आनन्ददायी है... बिन्दु स्वरूप मैं आत्मा स्वयं को शिवबाबा के सामने देखती हूँ... बाबा से दिव्य प्रकाश की किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... मैं आत्मा भी पवित्रता की किरणें स्वयं में समाते हुये... दिव्य प्रकाश से चमकने लगी हूँ...
➳ _ ➳ कितनी भाग्यशाली मैं आत्मा जो सर्वशक्तिवान से... भगवान् से मधुर मिलन मना रही हूँ... सर्वशक्तिवान मुझ आत्मा को अपनी शक्तियों व गुणों से ओत प्रोत कर रहे हैं... *मैं आत्मा अपने बाबा की श्रीमत पर चलते हुए अपने बाबा की प्यारी बनती जा रही हूँ...* मुझ आत्मा की याद की शक्ति तथा समर्थ संकल्पों की शक्ति बढ़ती जा रही है...
➳ _ ➳ आत्मिक स्वरूप में स्थित रह हर कार्य करने वाली सर्व की वा परमात्म प्यार की अधिकारी बनती जा रही हूँ... कितनी महान भाग्यशाली मैं आत्मा कि स्वयं भगवान शिक्षक बनकर ज्ञान रत्नों को लुटा रहे हैं... *ईश्वरीय पढ़ाई में जी जान से मेहनत कर ईश्वर पिता की दिलतख्तनशीन बनती जा रही हूँ...*
➳ _ ➳ बाबा से प्राप्त हुई शक्तियों से कन्ट्रोलिंग पावर द्वारा तूफान को भी तोहफा बनाने वाली मैं यथार्थ योगी आत्मा हूँ... कितनी भी हलचल क्यों न हो और साथ ही वायुमण्डल भी तमोगुणी क्यों न हो तथा माया भी अपना बनाने का लगातार प्रयत्न क्यों न कर रही हो फिर भी *सेकण्ड में एकाग्र हो जाने की शक्ति से मै शक्तिशाली आत्मा सब तूफानों को पार करती जा रही हूँ...*
➳ _ ➳ अपने मन बुद्धि को ज्ञान मंथन में बिजी रख हर सेकेण्ड हर संकल्प समर्थ करते जा रही हूँ... हर कर्म योगयुक्त और युक्तियुक्त होता जा रहा है... मन बुद्धि समर्थ चिंतन में बिजी रहने के कारण मुझ आत्मा पर माया का कोई भी विघ्न वार नही कर सकता... इसलिए *विघ्न प्रूफ बन माया का... प्रकृति का हर प्रकार के तूफानो के वार को आगे बढ़ाने वाले तोहफे में परिवर्तित करती जा रही हूँ...* सेफ रहकर अपने हर संकल्प... हर सेकेण्ड को सफल करती जा रही हूँ...
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *स्नेह की उड़ान द्वारा समीपता का अनुभव करने वाले पास विद आनर होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ स्नेह की शक्ति से सभी आगे बड़ते जा रहे हैं और स्नेह को शक्ति भी इसलिए ही कहा गया है क्योंकि जो कार्य कोई भी नही कर सकता उसको स्नेह से कर भी सकते और स्नेह से करवाया भी जा सकता। *स्नेह की उड़ान तन से, मन से वा दिल से बाप के समीप लाती है।* बाबा बहुत बार कहते मोहब्बत करो महनत नहीं।
❉ बाबा ने अव्यक्त वाणी में बहुत बार कहाँ कि ज्ञान, योग, धारणा में यथाशक्ति नंबरवार है लेकिन स्नेह में हर एक नम्बरवन है। स्नेह में सभी पास है। *स्नेह का अर्थ बाबा ने बताया है पास रहना और पास होना वा हर परिस्थिति को सहज ही पास कर लेना। और जो सदा ऐसे पास रहने वाले होते वही पास विद आनर बनते है।* लौकिक में भी जिसको जिससे स्नेह होता है उसको सदा यही महसूस होता हम उसके पास है ऐसे ही बाबा ने सर्व ब्राह्मण आत्माओं को इस सबजेक्ट में पास किया है।
❉ जैसे ब्रह्मा बाप में कूट-कूट के स्नेह भरा हुआ है आज दिन तक हर एक आत्मा यही कहती की ब्रह्मा बाबा ने हमको ऐसे मदद दी, ब्रह्मा बाबा ने हमको ऐसे शिक्षा दी, ब्रह्मा बाबा हमारे साथ आज भी ऐसे ही रहते जैसे साकार में थे और एक गीत भी है ना *आज भी देते हो बाबा पालना साकार की* तो यह क्या है? यह स्नेह की शक्ति नही है तो क्या है। जब भी किसी आत्मा से ग़लती होती थी तो बाबा शव पहले उसे स्नेह देता था, उसका उमंग उत्साह बड़ाते थे तब कुछ समय बाद शिक्षा देते थे इसलिए हर एक के दिल में बाबा ने जगह बना लिया।
❉ इसलिए जैसे ब्रह्मा बाप ने हमको पहला नम्बर मणका बनकर दिखाया और फिर शिवबाबा ने भी कहाँ की तुम ब्रह्मा बाप के क़दमों में क़दम रखो तो तुम भी पास विद आनर बन जाएँगे। कहते है ना *स्नेह में इतनी शक्ति है की पथर को भी पारस बना देता है।* इसलिए सदा एक बाप के साथ मोहब्बत के झूले में झूलते रहो और हर सीन को कम्बाइंड स्वरूप में खेल समझके पास करना है।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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