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❍ 20 / 12 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *महावीर बन माया पर जीत प्राप्त की ?*
➢➢ *कलंगीधर बन ग्लानी से डरे तो नहीं ?*
➢➢ *संकल्प रुपी बीज द्वारा वाणी और कर्म में सिद्धि प्राप्त की ?*
➢➢ *योग अग्नि से व्यर्थ के कीचड़े को जला बुधी स्वच्छ बनायी ?*
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❂ *योगी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ जहाँ देखते हो, जिसको देखते हो चलते फिरते उसका आत्मिक स्वरूप ही दिखाई दे। *जैसे जब किसी के नैनों में खराबी होती है तो उसे एक समय में दो चीजे दिखाई पड़ती हैं। ऐसे यहाँ भी अगर दृष्टि पूर्ण नहीं बदली है तो देही और देह दो चीजें दिखाई देंगी।*
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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं ज्ञान की भिन्न-भिन्न स्मृति में रहने वाली आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा ज्ञान सागर की भिन्न-भिन्न लहरों में लहराते रहते हो? शुरू से लेकर अब तक बाप द्वारा ज्ञान की कितनी पॉइंट्स मिली हैं उसी पॉइंट्स को मनन कर सदा हर्षित रहो। *जैसे ज्ञान सागर बाप ज्ञान में सम्पन्न हैं वैसे बच्चे भी ज्ञान में सम्पन्न बन ज्ञान की हर पॉइंट के नशे और खुशी में रहो।*
〰✧ अखुट पाइंटस मिली हैं। *एक भी पाइंट रोज बुद्धि में रखो और उसी के अनुभव में सदा रहो तो ज्ञान स्वरूप बन जायेंगे। कितना श्रेष्ठ ज्ञान और किसने दिया है। यही सदा स्मृति में रहे।*
〰✧ भक्त आत्मायें जिसके लिए तड़प रही हैं, प्यासी हैं उससे आप तृप्त हो गये। भक्ति की प्यास बुझ गई है ना। *तो सदा यही गीत गाते रहो - पाना था सो पा लिया.....।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *आपने मन को ऑर्डर किया सेकण्ड में अशरीरी हो जाओ, यह तो नहीं कहा सोचो - अशरीरी क्या है?* कब बनेंगे, कैसे बनेंगे? ऑर्डर तो नहीं माना ना! कन्ट्रोलिंग पॉवर तो नहीं हुई ना! अभी समय प्रमाण इसी प्रेक्टिस की आवश्यकता है।
〰✧ अगर कन्ट्रोलिंग पॉवर नहीं है तो कई परिस्थितियाँ हलचल में ले आ सकती है। इसलिए एक होली शब्द ही याद करो तो भी ठीक है। *होली - बीती सो बीती और हो ली बाप की बन गई।* और क्या बन गई? होली अर्थात पवित्र आत्मा बन गई।
〰✧ एक शब्द होली याद करो तो एक होली शब्द के तीन अर्थ यूज करो, वर्णन नहीं करो, हाँ होली माना बीती सी बीती। हाँ, बीती सो बीती है - ऐसे नहीं सोचते रहो, वर्णन करते रहो, नहीं। *अर्थ स्वरूप में स्थित हो जाओ। सोचा और हुआ।* ऐसे नहीं सोचा तो सोच में ही पडे रहो। नहीं। जो सोचा वह हो गया, बन गये, स्थित हो गये।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- एक धर्म, एक राज्य स्थापन करना"*
➳ _ ➳ मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा अपने स्व सिंहासन पर बैठकर मन बुद्धि रूपी नेत्रों से चमकती हुई मणि को देख रही हूँ... *मैं आत्मा भृकुटि के मध्य में प्रज्ज्वलित एक दिव्य ज्योति हूँ... एक चमकती हुई दीपशिखा हूँ... एक जगमगाता सितारा हूँ...* कितना ही भव्य स्वरूप है मेरा... अपने स्व स्वरुप के स्वमान में टिककर मैं आत्मा अपने परमपिता को याद करती हूँ... प्यारे पिता परमात्मा दूरदेश से आकर सारे चक्र का राज समझाकर श्रीमत देते हैं...
❉ *एक धर्म, एक राज्य स्थापन करने की जादूगरी सिखाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे लाडले बच्चे... यादो में बैठकर जो सत्य स्वरूप को दमकाओगे तो भारत स्वर्ग हुआ पड़ा है... *योग बल के दम पर भारत को सुखो का स्वर्ग बना कर एक राज्य एक धर्म का जादू करने वाले जादूगर हो...* ईश्वरीय यादे धरा को सुखो का स्वर्ग बना देंगी यह गैरन्टी है...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा से हर घडी यादों के सागर में मिलन मनाती हुई कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके सागर समान प्रेम को पाकर प्रेम स्वरूप हो गयी हूँ... मेरा रोम रोम प्रेम से भरा हुआ है... *सबको ख़ुशी और सुखो की सौगात दिए चली जा रही हूँ...”*
❉ *प्यारे बाबा शिक्षाएं देकर, श्रीमत पर चलना सिखाकर स्वर्ग सुखों का वरदान देते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे... आप ईश्वरीय बच्चों के सिवाय कोई भी यह गैरन्टी कर न सके कि विश्व में रामराज्य फिर आएगा... *एकता से महकता जहान होगा और हर दिल खुशियो में गायेगा मुस्करायेगा और भारत सोने की चिड़िया बन इठलायेगा...”*
➳ _ ➳ *योगबल से भारत को स्वर्ग बनाने की गैरन्टी करते हुए योग की शीतल फुहारों में डूबकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा योगबल से कितनी खूबसूरत होती जा रही हूँ... *अपने सुंदर सजीले स्वरूप और प्यारे बाबा पर फ़िदा होती जा रही हूँ... पूरे भारत को सुखो की खान बनाकर विजयी हो मुस्करा रही हूँ...”*
❉ *मेरा बाबा संगमयुग पर कदम कदम पर पद्मों का वरदान देते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *ईश्वरीय यादो के बल से भारत को स्वर्ग बनाने में सक्षम हो... सतयुगी सुख और आनन्द को फिर से बाँहो में भरने का बूता ईश्वरीय बच्चों का ही है...* यादो में रहकर खुद भी मुस्कराते हो और पूरे विश्व को मुस्कराहटों से सजा आते हो... सुखो की यह गेरेंटी आप ही दे सकते हो...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा तकदीर की लम्बी लकीर खींचने की कलम प्यारे बाबा से पाकर कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में खुद भी निखरती हूँ और पूरे भारत को भी सुखो से सजाती हूँ... *सत्य स्वरूप को धारणाओं में जीकर... सारा जहान खुशियो की बगिया बनाकर महकाती हूँ...”*
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- ग्लानि से डरना नही है, कलंगीधर बनना है*"
➳ _ ➳ मधुबन के पांडव भवन के हिस्ट्री हाल में लगे साकार ब्रह्मा बाबा के साकार कर्म के यादगार चित्रों को मैं देख रही हूँ और विचार करती हूँ कि *भगवान की प्रवेशता के बाद ब्रह्मा बाबा को कितनी ओपोजिशन का सामना करना पड़ा, कितने कलंक सहन करने पड़े, कितनी ग्लानि झेलनी पड़ी किन्तु फिर भी सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन ब्रह्मा बाप ने हर ओपोजिशन का सामना करते हुए, हर ग्लानि, हर कलंक को सहन करके कैसे अपनी सम्पूर्ण अवस्था को सहज ही प्राप्त कर लिया* और कलंगीधर बन भगवान बाप द्वारा रचे इस ईश्वरीय यज्ञ के इतिहास में अपना नाम बाला कर नम्बर वन पद प्राप्त किया।
➳ _ ➳ ऐसे फ़ॉलो फादर कर, सम्पूर्णता का पाने का लक्ष्य रख, प्यारे बाबा से मैं मन ही मन प्रोमिस करती हूँ कि *इस ज्ञान मार्ग में चलते चाहे कोई मेरी कितनी भी ग्लानि करे, कोई कितने भी विघ्न डाले परन्तु ब्रह्मा बाप समान कलंगीधर बन हर कलंक को सहन करते भी भगवान का हाथ और साथ मैं कभी नही छोडूंगी*। भगवान के नाम पर गाली खाना भी महान सौभाय की बात है। इसलिए ग्लानि से ना डरते हुए अपने भगवान बाप का हाथ थामे संगमयुग के अंत तक मैं इस मार्ग पर निरन्तर चलती रहूँगी।
➳ _ ➳ अपने शिव पिता से मन ही मन प्रोमिस करते हुए मैं जैसे ही हिस्ट्री हाल में लगे ब्रह्माबाबा के ट्रांसलाइट के चित्र पर नजर डालती हूँ। *ऐसा आभास होता है जैसे उस ट्रांसलाइट के चित्र के स्थान पर अव्यक्त बापदादा साक्षात मेरे सामने खड़े, मुझे देख रहें हैं और मन्द - मन्द मुस्कराते हुए मेरे मन के संकल्पो को रीड कर रहें हैं*। साथ ही साथ अपनी शक्तिशाली दृष्टि मुझ पर डालते हुए अपनी लाइट और माइट से मुझे भरपूर भी कर रहें हैं। बापदादा की दृष्टि से मिल रही लाइट और माइट मुझे असीम ऊर्जावान बना रही है। *इस ऊर्जा की शक्ति से मेरा साकार शरीर धीरे धीरे लाइट के आकारी शरीर में परिवर्तित हो कर सम्पूर्ण फ़रिशता स्वरूप में रूपांतरित हो गया है*और मेरे अंग - अंग से श्वेत किरणो की रश्मियां निकल कर चारों और फैलने लगी है।
➳ _ ➳ चारो और अपनी श्वेत रश्मियों को फैलाता हुआ मैं फ़रिशता अब हिस्ट्री हाल से बाहर आ जाता हूँ और चारों धाम की यात्रा करके अब सूक्ष्म लोक की ओर चल पड़ता हूँ। *सूक्ष्म लोक में प्राणप्रिय बापदादा की छत्रछाया के नीचे बैठ स्वयं को उनकी मीठी दृष्टि और वरदानों से भरपूर करने के बाद मैं फ़रिशता अब वापिस अपनी कर्मभूमि पर लौट आता हूँ और अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ पाँच तत्वों के बने अपने साकारी शरीर में प्रवेश कर जाता हूँ*। ब्रह्मा बाप को अपना रोल मॉडल बनाये, उनके हर कर्म को कॉपी करने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा कर अपने ब्राह्मण स्वरुप में मैं आत्मा अब स्थित हो जाती हूँ।
➳ _ ➳ जैसे ब्रह्मा बाप ने "एक बल एक भरोसा" के आधार पर हर बड़ी से बड़ी परिस्थिति को भी सहजता से पार किया। लोगों की गलियां खा कर भी कभी संशय बुद्धि नही बने। *सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन, सम्पूर्ण समर्पण भाव से स्वयं को ईश्वरीय यज्ञ में स्वाहा कर दिया*। ऐसे हर कदम पर अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा को फ़ॉलो करते हुए अब मैं समपूर्णता के अपने लक्ष्य को पाने का पुरुषार्थ कर रही हूँ। *लोगो की ग्लानि की परवाह किये बिना, कलंगीधर बन सबके कलंक सहन करते हुए भी, सर्व के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रखते हुए अब मैं अपना सम्पूर्ण ध्यान केवल अपने लक्ष्य पर केंद्रित कर उसे पाने के पुरुषार्थ में निरन्तर लगी हुई हूँ*।
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं संकल्प रूपी बीज द्वारा वाणी और कर्म में सिद्धि प्राप्त करने वाली सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं योग अग्नि से व्यर्थ के किचड़े को जलाकर बुद्धि को स्वच्छ बनाने वाली समर्थ आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *रिबिन काटना, नारियल तोड़ना कोई भी सेवा शुरू करते हो, चाहे देश में, चाहे विदेश में बापदादा यही कहते हैं कि पहले एकमत, एक बल, एक भरोसा और एकता - साथियों में, सेवा में, वायुमण्डल में हो।* जैसे नारियल तोड़कर उद्घाटन करते हो, रिबनकाटकर उद्घाटन करते हो, तो पहले इन चार बातों की रिबन काटो और फिर सर्व के सन्तुष्टता, प्रसन्नता का नारियल तोड़ो। यह पानी धरनी में डालो। *जो भी कार्य की धरनी है, उसमें पहले यह नारियल का पानी डालो फिर देखो सफलता कितनी होती है।* नहीं तो कोई-न -कोई विघ्न जरूर आता है। *सेवा सब करते हो लेकिन नम्बर बापदादा के पास रजिस्टर में नोट उसका होता है जो निर्विघ्न सेवाधारी है।* बापदादा के पास ऐसे सेवाधारियों की लिस्ट है, लेकिन अभी बहुत थोड़ी है लम्बी नहीं हुई है, भाषण करने वालों की लिस्ट भी आपके पास लम्बी है, लेकिन *बापदादा उसको भाषण करने वाला कहता है जो पहले भासना दे, फिर भाषण करे।* भाषण तो आजकल स्कूल कालेज के लड़के, लड़कियां बहुत अच्छा करते हैं, तालियां बजती रहती हैं। लेकिन *बापदादा के पास लिस्ट वह है जो निर्विघ्न सबकी प्रसन्नता, सन्तुष्टता वाले हों।*
✺ *ड्रिल :- "निर्विघ्न सेवाधारी बनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस सृष्टि रंग मंच अपना पार्ट बजाने के लिए अवतरित हुई हूँ... *मैं अपने अनादि स्वरूप में... बिन्दु रूप में स्थित होकर मन बुद्धि रूपी विमान से पहुंच जाती हूँ... अपने मूलवतन में प्यारे शिव बाबा से सम्मुख मिलन मिलाने के लिए...* मेरे इस वतन में चारों तरफ लाल प्रकाश की आभा फैली हुई है... इस आभा में मैं आत्मा असीम शांति का... शक्ति का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा बिन्दु रूप में... बिन्दु स्वरूप शिव बाबा के सम्मुख विराजमान हूँ... *महाज्योति बिन्दु स्वरूप शिव बाबा से मुझ आत्मा पर शक्तिशाली रंग-बिरंगी किरणों की बरसात हो रही है... जिससे मैं शक्तिशाली बन रही हूँ... विघ्न विनाशक बन रही हूँ...* बाबा ने मुझ आत्मा में अपनी सारी शक्ति भर दी है... मेरे सारे विघ्न दूर कर दिए हैं... अब मैं आत्मा विघ्न विनाशक के रूप में... अपने फरिश्ता स्वरूप का चोला धारण कर... वापस अपने सृष्टि रंग मंच पर पहुंच जाती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस साकारी दुनिया में आत्म अभिमानी होकर रहती हूँ... और मुझ आत्मा के सामने जो भी देहधारी आते हैं उन्हें भी आत्मा रूप में ही देखती हूँ... *यह सब संस्कार मेरा नैचुरल बन गया है... इसके लिए मुझे मेहनत नहीं करनी पड़ती है...* मैं आत्मा बाबा की दी गयी शिक्षाओं और शक्तियों को प्रैक्टिकल में इस साकारी दुनिया में यूज कर रही हूँ... जब भी मैं आत्मा किसी सेवा के लिए जाती हूँ तो सबसे पहले बाबा की याद का रिबिन काटती हूँ... बाबा से प्राप्त ज्ञान का और शक्तियों का नारियल तोड़ती हूँ... जिससे हर सेवा निर्विघ्न संपन्न होती जा रही है...
➳ _ ➳ मैं असुर नाशिनी अष्ट शक्तिधारी दुर्गा बन देश में... विदेश में फैले पांच विकारों के असुरों का नाश कर रही हूँ... विश्व की विकारों से ग्रसित आत्माओं को मुक्त करा रही हूँ... मैं आत्मा सेवा में अपनी मत और परमत मिक्स ना करके सिर्फ एक की मत ईश्वरीय मत पर चलती हूँ... मैं आत्मा एक परमात्म बल के भरोसे अपनी सेवा कर रही हूँ... अगर मुझ आत्मा को कभी भी सहायता की जरूरत होती है... तो निमित्त ब्राह्मण *भाई - बहन को एक साथ एकता के सूत्र में बांधकर... सबके विचारों का सम्मान करते हुए सहयोग ले आगे बढ़ रही हूँ... जिससे सेवा में वायुमंडल खुशनुमा बन रहा है... और सेवा निर्विघ्न सफल हो रही है...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा आत्म-अभिमानी स्थिति में स्थित होकर और एक की लगन में मगन होकर सेवा कर रही हूँ... जिससे हर आत्मा सन्तुष्ट और प्रसन्न होकर जा रही है... मैं आत्मा संतुष्टमणि हूँ... परमात्मा को प्राप्त कर मैं संतुष्ट हो गयी हूँ... और इस संतुष्टता का एहसास सारे विश्व की आत्माओं को करवा रही हूँ... *सब आत्मायें मेरी सेवा से प्रसन्न और सुख का अनुभव कर रही हूँ... मैं निर्विघ्न सेवाधारी हूँ...* मेरी हर सेवा बाबा के साथ से निर्विघ्न संपन्न हो रही है... मुझ आत्मा का नाम बाबा की उस डायरी की लिस्ट में है जिसमें निर्विघ्न सेवाधारियों का नाम लिखा है... बाबा ने मुझे निर्विघ्न भव का वरदान दिया है... *मेरा हर सेवा स्थान निर्विघ्न हो गया है...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा एक बड़े से हाॅल में स्टेज पर खड़ी हूँ... मेरे हाथ में माइक है... मैं आत्मा बाबा के नए बच्चों को बाबा का परिचय देने के लिए यहाँ उपस्थित हूँ... *बाबा के अविनाशी ज्ञान पर भाषण देने से पहले... मैं अपने टीचर... सद्गुरु शिवबाबा का आह्वान करती हूँ... मेरे परम सद्गुरु मेरे पास आओ और आकर अपने सिकीलधे बच्चों को सच्चे ज्ञान से भरपूर करो...* बाबा शिक्षक बन मेरे पास आकर खड़े हो जाते हैं... *बाबा मुझ आत्मा को निमित्त बना कर... अपने प्रेम और सुख की भासना दे रहे हैं...* हाॅल का सारा माहोल शांति से भरपूर हो गया है... मैं आत्मा निमित्त बन कर बाबा का सच्चा और अविनाशी नॉलेज हाल में उपस्थित सारी आत्माओं को दे रही हूँ... *इस परमात्म ज्ञान को सुनकर हर आत्मा तृप्त और संतुष्ट हो रही है...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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