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 29 / 12 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *सच्चा आशिक बन एक बाप से रूहानी लव रखा ?*

 

➢➢ *विघनो को पार कर पहलवान बनकर रहे ?*

 

➢➢ *निर्मानता की महानता द्वारा सर्व की दुआएं प्राप्त की ?*

 

➢➢ *निश्चय का फाउंडेशन मज़बूत बना श्रेष्ठ जीवन का अनुभव किया ?*

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         ❂ *योगी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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✧  जैसे बापदादा अशरीरी से शरीर में आते हैं वैसे ही बच्चों को भी अशरीरी हो करके शरीर में आना है। अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर फिर व्यक्त में आना है। *जैसे इस शरीर को छोड़ना और शरीर को लेना यह अनुभव सभी को है। ऐसे ही जब चाहो तब शरीर का भान छोड़कर अशरीरी बन जाओ और जब चाहो तब शरीर का आधार लेकर कर्म करो। बिल्कुल ऐसे ही अनुभव हो जैसे यह स्थूल चोला अलग है और चोले को धारण करने वाली मैं आत्मा अलग हूँ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं महान आत्मा हूँ"*

 

  सदा अपने को महावीर अर्थात् महान् आत्मा समझकर चलते हो? *किसके बने हैं और क्या बने हैं सिर्फ यह भी सोचो तो कभी भी व्यक्त भाव में नहीं आ सकते। व्यक्त भाव से ऊपर रहो अर्थात् फरिश्ते बन सदा ऊपर उड़ते रहो। फरिश्ते नीचे नहीं आते, धरती पर पांव नहीं रखते।* यह व्यक्त भाव भी देह की धरनी है।

 

  तो जब फरिश्ते बन गये फिर देह की धरनी में कैसे आ सकते, फरिश्ता अर्थात् उड़ने वाले। तो सभी उड़ता पंछी हो, पिंजड़ेवाले तो नहीं हो ना? *आधाकल्प तो पिंजरे के थे अब उड़ते पंछी हो गये। स्वतन्त्र हो गये। नीचे की आकर्षण अभी खींच नहीं सकती। नीचे होंगे तो शिकारी शिकार कर देंगे, ऊपर उड़ते रहेंगे तो कोई कुछ नहीं कर सकता।*

 

 

  तो सभी उड़ता पंछी हो ना? पिंजरा खत्म हो गया? चाहे कितना भी सुन्दर पिंजरा हो लेकिन है तो बंधन ना। *यह अलौकिक सम्बन्ध भी सोने का पिंजरा है, इसमें भी नहीं फंसना। स्वतन्त्र तो स्वतन्त्र। सदा बन्धनमुक्त रहने वाले ही जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव कर सकेगे। अच्छा।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  अभी एक सेकण्ड सभी पॉवरफुल संकल्प से, दृढता से पुराने वस्तुओं को, पुराने वर्ष को, पुरानी बातों को सदा के लिए विदाई दो। *एक सेकण्ड सभी - दृढ़ता सफलता है' - इस दृढ़ संकल्प में स्थित हो जाओ।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- दिल की प्रीत एक बाप से रखनी है"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा परवाना बन उड़ चलती हूँ शमा पर फिदा होने... माशूक बन आशिक की दीवानगी में खोने... मीठी बच्ची बन मीठे बाबा के प्यार में डूब जाने...* वतन में बापदादा को सामने देख दौड़कर उनके गले लग जाती हूँ और प्यार के सागर में डूब जाती हूँ... प्यारे बाबा अपनी प्यारी प्यारी बातों से मुझ आत्मा का श्रृंगार करते हैं...

 

   *प्यारे बाबा मुझे अपनी सन्तान बनाकर पुराना जीवन बदलकर नया जीवन देते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता ने दुखो के दलदल से निकाल कर, नया खुशनुमा जीवन दिया है... यह ईश्वरीय साथ का आनन्द भरा जीवन अनोखा और अदभुत है... *सब श्रीमत की ऊँगली पकड़कर उमंगो में झूम रहे है...* और एक पिता माशूक में खोये से सब आशिक हो गए है..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा एक बाबा से प्रीत रख प्रीत की रीत निभाते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार भरी गोद में *नया सा जीवन, नया सा जनम पाकर फूलो सी खिल गयी हूँ...* मेरी नजर ईश्वरीय हो गई है... पूरा विश्व परिवार बन गया है, और सब मीठे बाबा की दीवानगी में झूम रहे है..."

 

   *मीठा बाबा मीठी बगिया में मीठा फूल बनाकर सजाते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... भगवान बागबाँ ने विकारो की गिरफ्त में काँटे हो गए बच्चों को... पलको से चुनकर ईश्वरीय सन्तान सा खिलाया है... ईश्वरीय प्यार और महक से सराबोर शानदार जीवन दिया है... *एक सूत्र में बंधे स्नेह की माला बने, ईश्वर पिता के गले में सजे फूल से मुस्करा रहे हो..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा फूलों की बरसात से विश्व को महकाते, रूहानियत भरते हुए कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा इतना मीठा प्यारा खुबसूरत जीवन पाकर निहाल हो गई हूँ... *ईश्वरीय सन्तान होने के अपने भाग्य पर इठला रही हूँ...* मीठे बाबा आपसे प्यार पाकर, स्नेह की वर्षा पूरे विश्व वसुंधरा पर कर रही हूँ..."

 

   *मेरे बाबा अपने अविनाशी प्यार के बन्धन में मुझे बांधते हुए कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... कितना मीठा प्यारा सा भाग्य है... *ईश्वरीय गोद में खुशियो से छलकता हुआ नया जीवन मिला है...* सच्चे प्रेम को जीने वाले खुशनसीब हो... देह और देहधारियों के विकृत प्रेम से निकल, ईश्वरीय प्रीत पाने वाले रूहानी गुलाब से महक उठे हो..."

 

_ ➳  *प्रेम रस का पान कर मदहोश होते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा जनमो की प्यासी, प्रेम विरह में व्याकुल सी... *आज आपसे अविनाशी प्यार पाकर सदा की तृप्त हो रही हूँ...* ईश्वरीय प्रेम सुधा ने मुझ आत्मा के रोम रोम को सिक्त कर अतीन्द्रिय सुख से भर दिया है..."

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- विघ्नों को पार कर पहलवान बनना है*"

 

_ ➳  मैं ब्राह्मण आत्मा अपने फरिश्ता स्वरूप का आह्वान करते ही अनुभव करती हूँ कि सूक्ष्म वतन से मेरा लाइट का फरिश्ता स्वरूप नीचे आ रहा है और मेरे बिल्कुल सामने आ कर उपस्थित हो गया है। *उसमे से निकल रही श्वेत रश्मियां चारों ओर फैल रही हैं और आस - पास के वायुमण्डल को दिव्य अलौकिक बना रही हैं*। उस फ़रिश्ते से निकल रही लाइट माइट मुझ आत्मा पर जैसे - जैसे पड़ रही है वैसे - वैसे मैं आत्मा एक दम लाइट और अपनी साकारी ब्राह्मण देह से स्वयं को बिल्कुल अलग अनुभव कर रही है। देह और देही दोनों को मैं अलग - अलग स्पष्ट देख रही हूँ।

 

_ ➳  देह और देही का यह अंतर मुझे देह से न्यारा करके इस देह को छोड़ने में सहयोग कर रहा है। *मैं आत्मा बिना किसी दुविधा के इस नश्वर देह का त्याग कर अब इस देह से बाहर आ जाती हूँ*। देह से बाहर आकर अब मैं आत्मा अपने सामने उपस्थित अपने लाइट के फरिश्ता स्वरुप में प्रवेश करती हूँ और अपने लाइट माइट स्वरूप को धारण कर ऊपर आकाश की ओर चल पड़ती हूँ।

 

_ ➳  अपनी श्वेत रश्मियां चारों और फैलाता हुआ मैं फरिश्ता *सम्पूर्ण विश्व की परिक्रमा करता हुआ अब आकाश को पार कर उस अव्यक्त वतन में पहुँच जाता हूँ जहाँ भगवान के भाग्यशाली रथ ब्रह्मा बाबा अव्यक्त होकर आज भी हम बच्चों की सेवा करने के लिए ठहरे हुए हैं*। अव्यक्त होकर अपनी बेहद की सूक्ष्म पालना से आज भी बाबा हम बच्चों को अपना बल देकर आगे बढ़ा रहें हैं।

 

_ ➳  ऐसे भगवान के भाग्यशाली रथ ब्रह्मा बाबा के पास अब मैं फरिश्ता पहुँच गया हूँ। *फरिश्तो की इस अति सुंदर जगमग करती दुनिया में मैं देख रहा हूँ अपने सामने अपने सम्पूर्ण स्वरूप में ब्रह्मा बाबा को जिनकी भृकुटि में शिव बाबा चमक रहें हैं*। बाबा के मस्तक से बहुत तेज लाइट निकल रही है जिसके प्रकाश से पूरा वतन प्रकाशित हो रहा है। बाबा मुझे इशारा करते हुए अपने पास बुला रहें हैं।

 

_ ➳  धीरे - धीरे अब मैं फरिश्ता बापदादा के पास पहुँचता हूँ और बाबा के पास जा कर बैठ जाता हूँ। बाबा की गोद मे अपना सिर रख मैं बाबा की ममतामयी गोद का आनन्द ले रहा हूँ। *बड़े प्यार से बाबा अपना हाथ मेरे सिर पर रखकर स्नेह के पुष्पों की वर्षा मुझ पर कर रहें हैं*। परमात्म गोद का असीम सुख लेकर अब मैं फरिश्ता बाबा के पास बैठ कर बाबा के वरदानी हस्तों से मिल रहें वरदानो से अपनी झोली को भरपूर कर रहा हूँ।

 

_ ➳  "विघ्नों को पार कर पहलवान बनने" के वरदान का एक सुंदर मनमोहक पुष्प बाबा मुझे भेंट कर मेरे मस्तक पर विजय का तिलक दे रहें हैं और इस वरदान को फलीभूत करने के लिए अपनी लाइट माइट से मेरे अंदर बल भर रहें हैं। *अपनी सर्वशक्तियों से बाबा मुझे सम्पन्न बना रहें हैं। बापदादा से लाइट - माइट, वरदान और शक्तियां लेकर अब मैं फरिश्ता वापिस लौट रहा हूँ*।

 

_ ➳  फिर से अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर बापदादा से मिले वरदान को अब मैं अपने ब्राह्मण जीवन मे उपयोग कर विघ्नों को पार कर पहलवान बनने का अनुभव कर रही हूँ। *बाबा की याद से स्वयं में बल भरकर अब मैं स्वयं को बहुत ही शक्तिशाली महसूस कर रही हूँ*। भिन्न -भिन्न परिस्थितियों के रूप में आने वाले विघ्न अब मेरी शक्तिशाली स्व स्थिति से टकराकर स्वत: ही दूर हो रहें हैं। मेरे विघ्न विनाशक स्वरूप की स्मृति हर विघ्न का सामना करने की शक्ति मेरे अंदर भरकर मुझे अचल अडोल बना रही है। *"मैं विघ्न विनाशक गणेश हूँ" अपने इस इष्टदेव के स्वमान की स्मृति में सदा रहते हुए अब मैं स्वयं के साथ - साथ सर्व आत्माओ के विघ्नों को भी दूर कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं निर्मानता की महानता द्वारा सर्व की दुआयें प्राप्त करने वाली मास्टर सुख दाता आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं निश्चय का फाउण्डेशन मजबूत कर श्रेष्ठ जीवन का अनुभव करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *आजकल चाहे संसार मेंचाहे ब्राह्मण संसार में हर एक को हिम्मत और सच्चा प्यार चाहिए। मतलब का प्यार नहीं, स्वार्थ का प्यार नहीं।* एक सच्चा प्यार और दूसरी हिम्मतमानो 95 परसेन्ट किसने संस्कार वश, परवश होके नीचे-ऊपर कर भी लिया लेकिन 5 परसेन्ट अच्छा कियाफिर भी अगर आप उसके 5 परसेन्ट अच्छाई को लेकर पहले उसमें हिम्मत भरोयह बहुत अच्छा किया फिर उसको कहो बाकी यह ठीक कर लेनाउसको फील नहीं होगा। अगर आप कहेंगी यह क्यों कियाऐसा थोड़ेही किया जाता हैयह नहीं करना होता हैतो पहले ही बिचारा संस्कार के वश हैकमजोर हैतो वह नरवश हो जाता है। प्रोग्रेस नहीं कर सकता है। 5 परसेन्ट की *पहले हिम्मत दिलाओयह बात बहुत अच्छी है आपमें। यह आप बहुत अच्छा कर सकते हैं,* फिर उसको अगर समय और उसके स्वरूप को समझकर बात देंगे तो वह परिवर्तन हो जायेगा। हिम्मत दोपरवश आत्मा में हिम्मत नहीं होती है। *बाप ने आपको कैसे परिवर्तन किया?आपकी कमी सुनाईआप विकारी हो, आप गन्दे हो, कहाआपको स्मृति दिलाई आप आत्मा हो और इस श्रेष्ठ स्मृति से आपमें समर्थी आईपरिवर्तन किया। तो हिम्मत से स्मृति दिलाओ। स्मृति समर्थी स्वतः ही दिलायेगी।* समझा। 

 

✺   *ड्रिल :-  "हिम्मतहीन को हिम्मत दे आगे बढ़ाना"*

 

 _ ➳  मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ... *मैं प्रेम के सागर शिव बाबा से... वरदानी अमृतवेला में मिलन मना रही हूँ... यह वेला आत्मा और परमात्मा के मिलन की श्रेष्ठ वेला है... इस वेला में मैं आत्मा अपने ज्ञान सूर्य शिव बाबा से सर्व शक्तियां ग्रहण कर रही हूँ...* मेरे ज्ञान सूर्य शिवबाबा मुझ आत्मा पर अपनी सर्व शक्तियों की बौछार कर रहे हैं... इन शक्तियों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूँ... *बाबा से विशेष प्रेम की हरे रंग की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... और एक शक्तिशाली हरे रंग का आभा मंडल मुझ आत्मा के चारों ओर बन रहा है...* इस आभा मंडल का प्रभाव दूर - दूर तक फैल रहा है... *इस आभा मंडल के संपर्क में जो भी आ रहा है वो गहरे और सच्चे प्रेम का अनुभव कर रहा है...* मैं आत्मा अब उड़ कर अपने सूक्ष्म वतन में पहुँच जाता हूँ... फरिश्ता स्वरूप ब्रह्मा बाबा मेरे सामने अपने बाहें फैला कर मेरा आह्वान कर रहे हैं... मैं नन्हा प्रेम का फरिश्ता बाबा की बाहों में समा जाता हूँ... बाबा मुझे अपनी प्रेम भरी दृष्टि से सच्चे प्रेम की अनुभूति करवा रहे हैं... मैं सच्चे प्रेम से भरपूर हो गयी हूँ... *बाबा मुझसे कह रहे हैं जाओ बच्ची इस अविनाशी और सच्चे प्रेम को अपने सेवा स्थान पे जाकर सबको बाटों... बाबा का आदेश मिलते ही मैं फरिश्ता उड़ चल पड़ता हूँ पंच तत्व की दुनिया में अपने सेवा स्थान की ओर...*

 

 _ ➳  इस दुनिया में पहुँचते ही मैं आत्मा देखती हूँ कि यहाँ की सारे आत्माएँ सच्चे प्रेम की प्यासी है... *यहाँ चारों तरफ झूठे और स्वार्थी प्रेम के सिवा कुछ भी नहीं है... सब मतलब का प्रेम ही करते हैं... जिससे सब आत्माएँ हिम्मतहीन, उदास और परेशान है...* सब आत्माएँ सच्चे प्रेम की तलाश में इधर - उधर भटक रही है... इन आत्माओं को देख कर मुझ आत्मा का हृदय विदीर्ण हो रहा है... *मैं सच्चे प्रेम और हिम्मत का फरिश्ता विश्व के ग्लोब पे इन सब आत्माओं को इमर्ज करता हूँ...* सच्चे प्रेम की तलाश में भटकती सारी आत्माएँ मुझ फरिश्ते के सामने विराजमान है... *मैं प्रेम का फरिश्ता इन सारी आत्माओं पर प्रेम के हरे रंग की बरसात कर रही हूँ... जिससे ये सब आत्माएँ सच्चे प्रेम का अनुभव कर रही है...* और इस प्रेम से भरपूर हो गयी है... इनकी सच्चे प्रेम की तलाश पूरी हो गयी है... *सब के चेहरों पर सच्चे प्रेम की एक गहरी मुस्कान आ गयी है... सब आत्माएँ बहुत खुशनुमा नजर आ रही है...*

 

 _ ➳  मैं प्रेम का फरिश्ता देखता हूँ कि कुछ ब्राह्मण परिवार की आत्माओं को भी हिम्मत और सच्चा प्यार चाहिए... मतलब का प्यार नहीं... स्वार्थ का प्यार नहीं... जबकि प्रेम के सागर का सच्चा प्यार चाहिए... *मैं फरिश्ता उड़ कर पहुँच जाता हूँ अपने ब्राह्मण भाई - बहनों के पास... और उनको भी सच्चे... अविनाशी प्रेम से भरपूर कर रही हूँ... हिम्मतहीन आत्माओं को शक्ति की किरणें देकर हिम्मतवान बना रही हूँ...* मैं आत्मा किसी भी आत्मा की कमी कमजोरी को नहीं देखती हूँ... उसमें *एक गुण भी है तो ऐसी आत्माओं को प्रेम से सहारा देकर आगे बढ़ने की हिम्मत दे रही हूँ...*

 

 _ ➳  अगर किसी आत्मा ने 95 परसेन्ट अपने पुराने संस्कार वश... परवश होकर नीचे-ऊपर कर लिया लेकिन 5 परसेन्ट अच्छा किया... *तो मैं आत्मा उसकी 5 परसेन्ट अच्छाई को लेकर... पहले उसमें हिम्मत भर रही हूँ... उस आत्मा को कह रही हूँ... आप ने बहुत अच्छा किया...* फिर उसको कहती हूँ बाकी जो बचा हुआ है उसको भी ठीक कर लेना... जिससे उस आत्मा को फील नहीं होता है... *वो हिम्मत से और अच्छा करने लगती है...* मैं आत्मा उस आत्मा की कमी को डायरेक्ट ना बोल के युक्ति से समझा कर बोल रही हो... *यह क्यों किया... ऐसा थोड़े ही करते है... यह नहीं करना चाहिए था... ऐसा ना बोल पहले उस संस्कार के वश... कमजोर... आत्मा को युक्ति से समझाती हूँ...* अगर मैं आत्मा उसकी कमी को बताती हूँ तो वह आत्मा नरवस हो जाएगी... प्रोग्रेस नहीं कर सकेगी... उस संस्कार के परवश आत्मा को पहले 5 परसेन्ट की हिम्मत दे रही हूँ... उसकी तारीफ कर आप में यह बात बहुत अच्छी है... आपमें यह गुण बहुत अच्छा है... आप और भी अच्छा कर सकते हैं... *मैं आत्मा उसके समय और उसके स्वरूप को समझकर बता रही हूँ... जिससे वह आत्मा मोल्ड हो रही है... और स्वयं ही परिवर्तन कर रही है...* वो आत्मा मुझ आत्मा से सच्चे सागर के सच्चे प्यार का अनुभव करके दिन पर दिन निखरती जा रही है...

 

 _ ➳  मैं फरिश्ता हिम्मतहीन को हिम्मत दे आगे बढ़ा रही हूँ... अपने संस्कार से परवश आत्मा में हिम्मत नहीं होती है... जिस तरह से बाबा ने मुझ आत्मा को परिवर्तित किया है...  जिस तरह से बाबा ने मुझ आत्मा की कमी नहीं सुनाई... मुझ आत्मा के विकार नहीं देखे... मुझ आत्मा को स्मृति दिलाई की आप महान आत्मा हो और इस श्रेष्ठ स्मृति से आपमें समर्थी आएगी... ऐसा समझा कर परिवर्तन किया... *ऐसे ही मैं आत्मा भी परवश आत्मा को हिम्मत से स्मृति दिला रही हूँ कि स्मृति से समर्थी स्वतः ही आ जाएगी... वह  हिम्मतहीन आत्मा भी हिम्मत से आगे बढ़ रही है...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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