━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 14 / 07 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *जीते जी देह सहित सबसे ममत्व निकाल ट्रस्टी बनकर रहे ?*

 

➢➢ *किसी भी चीज़ में लोभ तो नहीं रखा ?*

 

➢➢ *अपना पोतामेल देखा की मेरे में कोई विकार तो नहीं है ?*

────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *एक "पॉइंट" शब्द की स्मृति से मन-बुधी को नेगेटिव प्रभाव से बचाया ?*

 

➢➢ *सेवा के माध्यम से स्वयं को पद्मापदम् भाग्यवान बनाया ?*

────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *खेल खेल में सहन करने का पार्ट बजाया ?*

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

➳ _ ➳  जैसे कोई भी सुगन्धित वस्तु सेकण्ड में अपन खुश्बू फैला देती है। जैसे गुलाब का इसेन्स डालने से सेकण्ड में सारे वायुमण्डल में गुलाब की खुश्बू फैल जाती है। सभी अनुभव करते हैं कि गुलाब की खुश्बू बहुत अच्छी आ रही है। सभी का न चाहते भी अटेन्शन जाता है कि यह खुश्बू कहाँ से आ रही है। ऐसे ही *भिन्न-भिन्न शक्तियों का इसेन्स, शान्ति का, आनन्द का, प्रेम का, आप संगठित रूप में सेकण्ड में फैलाओ।* जिस इसेन्स का अकार्षण चारों ओर की आत्माओं को आये और अनुभव करें कि कहाँ से यह शान्ति का इसेन्स वा शान्ति के वायब्रेशन्स आ रहे हैं। जैसे अशान्त को अगर शान्ति मिल जाए वा प्यासे को पानी मिल जाए तो उनकी आँख खुल जाती है, बेहोशी से होश में आ जाते हैं। *ऐसे इस शान्ति वा आनन्द की इसेन्स के वायब्रेशन्स से अन्धे की औलाद अन्धे की तीसरी आँख खुल जाए।* अज्ञान की बेहोशी से इस होश में आ जाए कि यह कौन हैं, किसके बच्चे हैं, यह कौन-सी परम-पूज्य आत्मायें हैं। ऐसी रूहानी ड्रिल कर सकते हो?

 

✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  वारिस बनने के लिए श्रीमत की कभी अवेहलना नही करना"*

 

_ ➳  मीठे बाबा की यादो ने इस कदर दिल को खींचा.. कि मै आत्मा मीठे बाबा से रूबरू होने बाबा के कमरे में पहुंच गयी... मीठे बाबा भी मुझ आत्मा के दीदार को आतुर मिले... कमरे में पहुंच मुझ आत्मा ने अपने प्यारे से बाबा को बड़े प्यार से निहारा... और *जनमो के बिछड़े मेरे मन ने सदा का आराम पाया.*.. मीठे बाबा के वरदानों की बौछार में, मै आत्मा सदा का सुकून पा रही हूँ...

 

   मीठे बाबा मुझ आत्मा पर ज्ञान रश्मियां बरसाते हुए बोले :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे...  ईश्वरीय दौलत का वारिस बनना है... तो ईश्वर पिता की दी हुई श्रीमत को सदा दिल से अपनाओ... *कभी भी श्रीमत की अवेहलना नही करो..*. यह श्रीमत ही अथाह सुखो का अधिकारी बनाएगी... और देवताओ जैसा खुबसूरत जीवन आपकी तकदीर में सजाएगी..."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा पर सारा प्यार उंडेलते हुए कह रही हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा... आप न थे श्रीमत न थी तो जीवन कष्टो और दुखो के जंगल के सिवाय कुछ न था... जिसमे मै आत्मा लहूलुहान सी थी... *आपने श्रीमत के हाथो में मुझ आत्मा को सहलाया है, निखारा है और हर गम से उबारा है*..."

 

   मीठे प्यारे बाबा ज्ञान की लहरों में मेरी बुद्धि को पावन बनाने हेतु बोले :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... *भगवान धरती पर अपनी अतुल धन सम्पदा बच्चों के लिए ही तो लाया है.*..  श्रीमत का हाथ थामे, उस अदभुत सम्पत्ति का मालिक बन सदा की मुस्कराहटों से सज जाओ... ऐसे खुबसूरत वारिस बनकर देवताई घराने में आओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा की सारी दौलत को अपने बुद्धि में समेट कर कह रही हूँ :- "मेरे सच्चे साथी बाबा... मुझ आत्मा को अपना वारिस बनाने परम् धाम से उतर आये हो... मेरे सुखो की चिंता में पराये देश में आ विराजे हो... *ऐसा सच्चा साथ, और ऐसी प्यारी श्रीमत पर मै आत्मा दिल जान से कुर्बान हूँ.*.."

 

   प्यारे बाबा मुझ आत्मा पर अपनी अनन्त किरणों की बाँहों का आलिंगन करते हुए बोले ;- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता बनकर सुखो की जागीरों को... अपने फूल बच्चों के लिए हथेली पर सौगात सा लाया है... इस अमीरी को अपनी तकदीरों में बसा लो... *श्रीमत को सदा स्म्रति में रख अपनी चाल और चलन से दिव्यता को झलकाओ..*."

 

_ ➳  मै आत्मा अपने मीठे भाग्य को निहारते हुए बोली :- "प्यारे प्यारे बाबा... अब तक परमत और मनमत ने ही तो मुझ आत्मा के जीवन को सुख की अनुभूतियों से वंचित रखा है... *अब जो आपकी प्यारी श्रीमत मिली है, तो सुखो की वारिस बन मुस्करा रही हूँ.*.. अब श्रीमत में ही प्राण बसते है..." अपने दिल के जज्बात मीठे बाबा को सुना मै आत्मा अपनी सृस्टि पर आ गयी...

 

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- जीते जी देह सहित सबसे ममत्व निकाल ट्रस्टी हो कर रहना और रोज अपना पोतामेल देखना*"

 

_ ➳  देह सहित देह के सब सम्बन्धो से ममत्व निकाल, बुद्धि का योग अपने शिव पिता परमात्मा के साथ जोड़, ट्रस्टी बन लौकिक और अलौकिक हर कर्तव्य को मैंं एकदम हल्केपन की स्थिति में स्थित हो कर सहज रीति सम्पन्न कर रही हूं और इसी हल्केपन की स्थिति में मैं स्वयं को अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित करती हूं। *लाइट माइट स्वरूप में स्थित होते ही मुझे ऐसा अनुभव होता है जैसे सर्वशक्तिवान मेरे शिव पिता परमात्मा की छत्रछाया मेरे ऊपर है और उनसे आ रही सर्वशक्तियाँ मुझमे असीम बल भर रही हैं*। यह असीम बल कर्म करते भी कर्म के प्रभाव से मुझे मुक्त कर हर चीज से उपराम अनुभव करा रहा है।

 

_ ➳  देह में रहते भी उपराम स्थिति की अनुभूति में उस कर्म को सम्पन्न कर, अपने लाइट माइट स्वरूप में अब मैं फ़रिशता वतन की ओर जा रहा हूँ। *रूहानी सैर का आनन्द लेते हुए, प्रकृति के सुंदर नजारों को देखते हुए मैं फ़रिशता अब आकाश मण्डल को पार कर उससे भी ऊपर उड़ते हुए पहुंच जाता हूँ सफेद प्रकाश से प्रकाशित फरिश्तो की दुनिया में*। जहां स्वयं भगवान अव्यक्त ब्रह्मा के तन में विराजमान हो कर अपने फ़रिशता बच्चों से मिलन मनाते हैं। उनसे रूह रिहान करते हैं। परमात्म लाइट और माइट से उन्हें भरपूर करते हैं।

 

_ ➳  फरिश्तों की इस दुनिया मे पहुंचते ही उस परमात्म लाइट और माइट को मैं स्पष्ट अनुभव कर रहा हूँ। मेरे सामने सृष्टि के रचियता, ऑल माइटी अथॉरिटी, सर्वशक्तिवान परमपिता परमात्मा अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हैं। उनसे आ रही सर्वशक्तियों की लाइट पूरे वतन में फैली हुई है। बापदादा से आ रही लाइट माइट मुझे सहज ही अपनी और खींच रही हैं। *मैं फ़रिशता धीरे धीरे बापदादा के पास पहुंच कर बापदादा की विशाल भुजाओं में समा जाता हूँ और स्वयं को परमात्म शक्तियों से भरपूर करने लगता हूँ*। बाबा के रूहानी नयनो में अपने लिए अपार स्नेह देख कर मैं मन ही मन आनन्दित हो रहा हूँ। मीठी दृष्टि से मुझे भरपूर करके बाबा मुझे सामने बैठने का इशारा करते हैं।

 

_ ➳  बापदादा से मीठी दृष्टि ले कर, सर्वशक्तियों से भरपूर हो कर अब मैं फ़रिशता उस स्थान पर आ कर बैठ जाता हूँ जहां बहुत सारे फ़रिश्ते एकत्रित हो कर बैठे हुए हैं। *एक क्लास रूम जैसा दृश्य मैं देख रहा हूँ। अब बापदादा भी वहां आ कर बैठ जाते हैं और एक एक करके अपना फ़रिशता बच्चों को अपने पास बुलाते हैं*। कुछ बच्चों के हाथ मे तो एक चार्ट है जिसमे पूरे दिन का पोतामेल लिखा हुआ है कि पूरे दिन में कौन से सब्जेक्ट पर कितना अटेंशन रहा लेकिन कुछ बच्चे खाली हाथ हैं। *बापदादा ऐसे बच्चों को देख बहुत खुश हो रहें हैं जो पूरी लगन और सच्चाई के साथ हर रोज का अपना पोतामेल निकाल चेक करते हैं* कि आज कितनी कमाई जमा की। वरदानों से बाबा उन्हें भरपूर कर रहें हैं।

 

_ ➳  मैं फ़रिशता भी अपना पोतामेल ले कर बाबा के पास पहुंच जाता हूँ और बाबा को चारों सब्जेक्टस का पूरे दिन का विवरण दे कर बाबा से वरदान ले कर वापिस अपने स्थान पर आ कर बैठ जाता हूँ। *बाबा अब सभी फ़रिशता बच्चों को पोतामेल रखने के फायदे बताते हैं और सभी बच्चे हर रोज अपना पोतामेल रखने का बाबा से पक्का प्रोमिस करते हैं*। बाबा प्रसनचित मुद्रा में खड़े सभी बच्चों को प्यार से निहारते हुए उन्हें विदा कर रहें हैं। बाबा से विदाई ले कर अपने निराकार ज्योति बिंदु स्वरूप में अब मैं आत्मा परमधाम की ओर प्रस्थान करती हूं और वहां पहुंच कर अपने निराकार शिव पिता परमात्मा के साथ कम्बाइंड हो कर बैठ जाती हूँ।

 

_ ➳  बाबा की अनन्त शक्तियों को स्वयं में समा कर, शक्तिशाली बन अब मैं वापिस लौट रही हूं साकारी दुनिया मे। साकारी देह में विराजमान हो कर इस देह और देह की दुनिया मे रहते हुए अब मैं स्वयं को केवल ट्रस्टी समझ हर कर्तव्य कर रही हूं। *देह से जुड़े सम्बन्धों और पदार्थो से अब मेरा ममत्व टूटता जा रहा है। इस देह में मैं केवल मेहमान हूँ इस बात को सदा स्मृति में रखते, बुद्धि का योग केवल एक बाबा के साथ लगाये रोज अपना पोतामेल चेक कर अब मैं याद के चार्ट को बढ़ाने का पुरुषार्थ कर रही हूँ*।

 

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा "पॉइंट" शब्द की स्मृति से मन बुद्धि को नेगेटिव के प्रभाव से बचाती हूँ।"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा बिंदु, मेरा बाबा भी बिन्दु और यह ड्रामा भी बिंदु...* बिंदु के... पॉइंट के महत्व को जान मैं आत्मा... मन बुद्धि को यथार्थ रीति... नेगेटिव... व्यर्थ संकल्प के तूफान को... पॉजिटिव और सकारात्मक संकल्प के अभेद सुरक्षा कवच से नष्ट करती हूँ... माया के स्वरुपों को जान मैं आत्मा *"पॉइंट" शब्द की विशेष सेफ्टी का साधन अपनाकर स्वयं को सेफ करती हूँ...*व व्यर्थ संकल्पों को बिंदु लगाकर याद रूपी योग अग्नि में स्वाहा कर रही हूँ... और नम्बरवन विजयी बन रही हूँ...

 

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- संगम पर सेवा का श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त कर पदमापदम् भाग्यवान बनने का अनुभव करना*"

 

_ ➳  *बलिहारी मैं आत्मा इस संगमयुग की... जो स्वयं भगवान ने मुझे ढ़ूंढ़ा व अपना बनाया*... और मैं आत्मा अपने सच्चे परमपिता को पहचान मिलन मना रही हूँ... पुरुषोत्तम संगमयुग पर बाबा मुझ आत्मा को नॉलेज दे नॉलेजफुल बना रहे है... श्रेष्ठ भाग्य बनाने की नॉलेज दे... मुझ आत्मा को पदमापदम् भाग्यवान बना रहे है... वाह!!! मेरा भाग्य वाह!!!... बाबा मुझ आत्मा को समझानी दे रहे है... बच्चे *जो भी सेवा कर रहे हो... अपने लिये कर रहें हो*... मैं आत्मा बाबा के इन महावाक्यों को बुद्धि में रख... अपने श्रेष्ठ भाग्य के लिए... तन-मन-धन से सेवा करती जा रही हूँ... सेवा मुझ आत्मा को हल्का बनाती जा रही है... *बाबा ने मुझ आत्मा को विश्व कल्याण के लिए चुनकर*... मुझ आत्मा को पदमापदम् भाग्यवान बना दिया... बाबा की *सेवा मुझ आत्मा को डायमण्ड बनाती जा रही है*...

 

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

_ ➳  बापदादा ऐसे आदि रत्नों को लाख-लाख बधाईयाँ देते हैं क्योंकि आदि से सहन कर स्थापना के कार्य को साकार स्वरूप में वृद्धि को प्राप्त कराने के निमित्त बने हो। तो जो स्थापना के कार्य में सहन किया वह औरों ने नहीं किया है। *आपके सहनशक्ति के बीज ने यह फल पैदा किये हैं। तो बापदादा आदि-मध्य- अन्त को देखते हैं - कि हरेक ने क्या-क्या सहन किया है और कैसे शक्ति रूप दिखाया है। और सहन भी खेल-खेल में किया।* सहन के रूप में सहन नहीं किया, खेल-खेल में सहन का पार्ट बजाने के निमित्त बन अपना विशेष हीरो पार्ट नूँध लिया। इसलिए आदि रत्नों का यह निमित्त बनने का पार्ट बापदादा के सामने रहता है। और इसके फलस्वरूप आप सर्व आत्मायें सदा अमर हो। समझा अपना पार्टकितना भी कोई आगे चला जाये - लेकिन फिर भी... फिर भी कहेंगे। बापदादा को पुरानी वस्तु की वैल्यु का पता है।

 

✺   *"ड्रिल :- खेल खेल में सहन करने का पार्ट बजाना"*

 

 _ ➳  वर्षा ऋतु आने पर चारों तरफ फूल ही फूल खिल रहे हैं हरियाली छा रही है... यह प्रकृति बहुत ही मनमोहक लग रही है... इस दृश्य को देखकर मेरा मन अति आनंदित हो रहा है... जैसे ही वर्षा प्रारंभ होती है, मैं इस वर्षा ऋतु का आनंद लेने के लिए घर से बाहर आ जाती हूं और हरे भरे खेतों की तरफ दौड़ने लगती हूँ... बारिश में नहाते हुए मैं ऐसे स्थान पर आ पहुँचती हूँ... *जहां फूल ही फूल खिल रहे हैं और ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो इन फूलों को प्रकृति नहलाने आई हो... इसी दौरान मैं खिले हुए फूलों से बातें करने लगती हूं... और मैं उन फूलों से कहती हूं, तुम कितने सुंदर प्रतीत हो रहे हो... तुम्हें ऐसा कौन बनाता है...* जिससे तुम सबके दिलों को वश में कर लेते हो और उनके दिल पर राज करते हो...

 

 _ ➳  तभी उन फूलों में से कुछ फूल मुझे कहते हैं कि हम बहुत कुछ सहन करने पर ऐसे खिले हुए फूल बनते हैं... फिर वह फूल मुझे कहते हैं कि आओ हम तुम्हें अपना राज बताते हैं जिससे हम सबके दिलों पर राज करते हैं... वह फूल मेरे आगे औऱ मैं उनके पीछे पीछे चलने लगती हूं... और मुझे एक ऐसे स्थान पर ले आते हैं जहां एक किसान अपने खेत में बीज बो रहा होता है और मुझे यह दृश्य दिखाकर कहने लगते हैं... कि इस किसान को देख तुम्हें कैसा प्रतीत होता है, यह किसान अपने खेत में इन बीजों को कुछ इस तरह से डाल रहा है कि यह बड़े होकर हमें फूल फल दे सके... *उसने अपना कर्तव्य करके छोड़ दिया बाकी अब सारा कार्यभार इन बीजों पर आ जाता है कि उन्हें अब आगे अपना कर्तव्य किस प्रकार निभाना है...*

 

 _ ➳  फिर वह फूल मुझे कहते हैं कि आप इन बीजों को देखो कैसे यह मिट्टी में रहकर अपना बलिदान देते हैं और अपने आप को इस मिट्टी में छुपा कर रखते हैं... फिर यह कुछ दिनों तक इस मिट्टी में इसी प्रकार दबे रहते हैं और फिर कुछ दिनों बाद यह मिट्टी से अंकुरित होकर बाहर निकलने लगते हैं तो इन्हें सबसे पहले सूर्य की किरणों का सामना करना पड़ता है... ताकि यह सूर्य की तेज किरणों का सामना करके एक पौधे का निर्माण कर सकें... इसके बाद इन्हें तेज धूप और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है... तेज हवाएं इन्हें अपनी मंजिल से भटकाने की पूरी कोशिश करते हैं... परंतु ये *मिट्टी में रहकर अपनी जड़ें इतनी मजबूत कर लेते हैं कि इनका तेज हवा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती... और फिर तेज हवा को सहन करते-करते इसे अपनी आदत बना लेते हैं जिससे वह अपने आने वाले सुन्दर भविष्य का निर्माण करते हैं... तेज धूप से निडर होकर यह इस धूप को अपना साथी बना लेते हैं...*

 

 _ ➳  और यह इस तरह इन प्रकृति रुपी कठिनाइयों का सामना कर लेते हैं और इन्हें अपना साथी बना लेते हैं... और यह एक मजबूत पौधे बन जाते हैं और धीरे-धीरे इनकी डालियों से कलियां निकलने लगती है... और उन कलियों से फिर रंग बिरंगे फूल खिलने लगते हैं... जिसे देखकर सभी अति आनंदित हो उठते है... जब फूलों ने मुझे यह दृश्य दिखाया तो मुझे भी सब समझ आने लगता है... और मैं उन फूलों को कहने लगती कि कैसे *इन छोटी छोटी कठिनायों का डटकर सामना करने से तुम्हारा निर्माण हुआ है... ऐसे ही मैं भी अपने पुरुषार्थ से उज्जवल भविष्य का निर्माण करूंगी...* इतना कहकर मैं बारिश में नहाती हुई आगे की ओर चल पड़ती हूं और ठंडी ठंडी बारिश की फुहारों का आनंद लेती हूं...

 

 _ ➳  मैं आत्मा परमात्मा की याद में बैठती हूँ... परमात्मा से शक्तियों को ग्रहण कर अपनी स्थिति को और भी मजबूत बना रही हूँ... जो भी परिस्थितियां आती हैं, मैं आत्मा परिस्थिति का चिंतन नहीं करती हूँ बल्कि परमात्म चिंतन में रहकर.. सहन शक्ति के द्वारा, परिस्थिति को आगे बढ़ने का साधन समझ खेल-खेल में पार कर लेती हूँ... यह परिस्थिति मुझे और भी मजबूत बनाने आई है... इसलिए इन छोटी-छोटी परेशानियों का चिंतन करके और बड़ी परेशानी नहीं बनाती हूँ... *बल्कि शक्ति स्वरूप बन खेल-खेल में सहन करने का पार्ट बजाती हूँ... और ड्रामा में अपना विशेष हीरो पार्ट नूँध रही हूँ...*

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━