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❍ 30 / 08 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *रचना की संभाल करते हुए कमल फूल समान पवित्र बनकर रहे ?*
➢➢ *आत्माओं को 21 पीड़ी के लिए सुखी बनने का रास्ता बताया ?*
➢➢ *ज्ञान चिता पर बैठ शुद्र से ब्राह्मण आयर देवता बनने का पुरुषार्थ किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *अपनी शक्तिशाली मनसा शक्ति व शुभ भावना द्वारा बेहद की सेवा की ?*
➢➢ *बुधी रुपी हाथ बापदादा के हाथ में दे परीक्षाओं रुपी सागर को पार किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ लेकिन यह चेक करो - यह तीनों *स्व के अधिकार से चलते हैं?* इन *तीनों पर स्व का राज्य है* वा *इन्हों के अधिकार से आप चलते हो?* *मन* आपको चलाता है या आप मन को चलाते हैं? जो चाहो, जब चाहो वैसा ही *संकल्प* कर सकते हो?
〰✧ जहाँ *बुद्धि* लगाने चाहो, वहाँ लगा सकते हो वा बुद्धि आप राजा को भटकाती है? *संस्कार* आपके वश है वा आप संस्कारों के वश हो?
〰✧ *राज्य अर्थात अधिकार।* राज्य अधिकारी जिस शक्ति को जिस समय जो ऑर्डर करे, वह उसी विधि पूर्वक कार्य करते वा आप कहो एक बात, वह करें दूसरी बात? क्योंकि निरंतर योगी अर्थात *स्वराज्य अधिकारी बनने का विशेष साधन ही मन और बुद्धि है।* मन्त्र ही ‘मन्मनाभव' का है।
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)
➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- देहीअभिमानी, पवित्र और निश्चयबुद्धि बन बाप से पूरा वर्सा लेना"*
➳ _ ➳ मीठे बाबा ने जीवन में आकर मुझ आत्मा को... देह की मिटटी से छुड़ाकर कितना प्यारा सजा दिया है... मै अनन्त शक्तियो का पुंज हूँ... *इस सत्य को बताकर मुझे कितना अनोखा और सुखद अहसास दे दिया है.*.. अपने प्यारे बाबा को यूँ याद करते करते... मै आत्मा दिल से शुक्रिया कहने,बाबा को बेईंनताह् प्यार करने... अपने फ़रिश्ते ड्रेस को पहनकर... मीठे बाबा के दिल के करीब परमधाम में पहुंचती हूँ...
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को पवित्रता की किरणों से सराबोर करते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *अपने सत्य स्वरूप के नशे में डूबकर, ईश्वरीय यादो में पवित्रता से सजधज कर, पूरे निश्चय से इन सत्य राहो पर आगे बढ़ते रहो.*.. मीठे बाबा की यादो में देवताई सुखो को अपनी जागीर बना लो... पवित्र और दिव्य बनकर विश्व धरा पर मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की यादो में पवित्र बनकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा *आपकी छत्रछाया में पवित्रता के रंग में रंगी, कितनी प्यारी और सुंदर हो गयी हूँ..*. देह के खोल से निकल अपने आत्मिक भाव से भर गयी हूँ... आपको पाकर सदा की निश्चिन्त हो गयी हूँ..."
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को सत्य के प्रकाश से जगमगाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देवताई सुखो का आधार पवित्रता है... इसलिए *पावन बनकर, सुखो की दुनिया के मालिक बन, देवताई शान से मुस्कराओ.*.. मीठे बाबा पर सम्पूर्ण निश्चय रख कर, सदा के बेफिक्र बनकर मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा को पाकर सदा की निश्चिन्त होकर कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपके प्यार में दुखो से मुक्त होकर, सदा की सुखी हो गयी हूँ... *आपने मेरा हाथ थाम कर, मुझे सच्चा सहारा देकर, देवताई खुशियो और सुखो से मेरा दामन भर दिया है..*. मै आत्मा बेफिक्र बादशाह बनकर, सारे दुखो से उपराम हो खुशियो की मालिक बन गयी हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को देही अभिमानी का पाठ पक्का कराते हुए कहा :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... सदा अपने प्रकाशित रूप के भान में रह, मीठे बाबा की यादो में सारे विकर्मो को विनाश कर... *अपनी खोयी पवित्रता को पुनः पाकर, असीम सुखो के मालिक बन जाओ.*.. ईश्वरीय साथ और हाथ को पाकर... सदा निश्चिन्त होकर खुशियो में उड़ते चलो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा से सच्चे ज्ञान की दौलत पाकर खुशियो में झूमते हुए कहती हूँ :- "मीठे दुलारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी सुखदायी बाँहों में पवित्र बनकर, विश्वधरा पर अथाह सुखो का भाग्य... अपनी तकदीर में सजाती जा रही हूँ... *आपकी यादो के सच की चमक में अपने खोये तेज को पुनः पाकर, तेजस्वी बनती जा रही हूँ.*..मीठे बाबा को दिल की सारी बात सुनाकर में आत्मा साकार वतन में लौट आयी...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप से वर्सा लेने के लिए गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र बनना*"
➳ _ ➳ अपने प्यारे परमपिता परमात्मा से पवित्रता की प्रतिज्ञा करने वाली "मैं परम पवित्र आत्मा हूँ"। इस स्वमान में स्थित होते ही मुझे अनुभव होता है कि मुझ में पवित्रता की अनन्त शक्ति है। *मैं पवित्रता का सूर्य हूँ और मुझसे पवित्रता की किरणें निकल - निकल कर कर निरन्तर चारों ओर फैल रही हैं जो वायुमण्डल को शुद्ध और पावन बना रही हैं*। पवित्रता की किरणें चारों और फैलाते हुए मैं आत्मा अब अपने साकारी तन से बाहर आ जाती हूँ और पवित्रता के सागर पतित पावन अपने शिव पिता परमात्मा के पास चल पड़ती हूँ उनके पावन धाम, परमधाम की ओर।
➳ _ ➳ पांच तत्वों की बनी साकारी और उससे परे फ़रिशतों की आकारी दुनिया को पार कर मैं पहुंच जाती हूँ उस निराकारी आत्माओं की दुनिया परमधाम में जहां मेरे शिव पिता परमात्मा रहते हैं। मन बुद्धि रूपी नेत्रों से मैं स्वयं को पतित पावन शिव पिता परमात्मा के सम्मुख देख रही हूँ। *बाबा से आ रही पवित्रता की अनन्त किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं और मुझ आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट को भस्म कर मुझे पावन बना रही है*। मेरा पवित्रता का औरा बढ़ता जा रहा है। मैं रीयल गोल्ड बनती जा रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा मुझे पवित्रता का शुद्ध भोजन खिलाकर शक्तिशाली बना रहे हैं।
➳ _ ➳ पवित्रता की अनन्त शक्ति स्वयं में भरकर अब मैं परमधाम से नीचे आ जाती हूँ और फरिश्तों की आकारी दुनिया मे प्रवेश कर जाती हूँ। *मैं देख रही हूँ फरिश्तो की इस आकारी दुनिया में सामने खड़े अपने सम्पूर्ण पवित्र फ़रिशता स्वरूप को*। अपने इस सम्पूर्ण पवित्र फ़रिशता स्वरूप में मैं आत्मा प्रवेश कर जाती हूँ और पहुंच जाती हूँ बापदादा के सामने। *बापदादा की पावन दृष्टि से स्वयं को भरपूर कर "पवित्रता का अवतार" बन अब मैं फ़रिशता वापिस साकारी दुनिया में लौट रहा हूँ*।
➳ _ ➳ मुझ फ़रिश्ते के अंग - अंग से पवित्रता की श्वेत रश्मियां निकल कर विश्व के कोने - कोने में फैल रही हैं। *बापदादा के साथ कम्बाइंड स्वरूप में, सारे विश्व का भ्रमण करता हुआ मैं बाबा से पवित्रता की शक्तिशाली किरणे लेकर नीचे धरती पर प्रवाहित कर रहा हूँ*। मुझ से निकल रही पवित्रता, सुख शांति और शक्ति की किरणें सारे विश्व में फ़ैल रही हैं और पतित हो चुकी सर्वं आत्माओं को छू कर उन्हें पावन बना रही हैं। मुझ से निकल रही किरणे सभी आत्माओं को पाप मुक्त होने में मदद कर रही हैं। मुझसे चारों और पवित्र वायब्रेशन फ़ैल रहे हैं।
➳ _ ➳ *विश्व की सर्व आत्माओं को पवित्र वायब्रेशन देकर अब मैं अपने फ़रिशता स्वरुप से अपने ब्राह्मण स्वरूप में लौट आता हूँ इस स्मृति के साथ कि पावन बनने और सारे विश्व को पावन बनाने की जो जिम्मेवारी भगवान ने मुझे दी है उस जिम्मेवारी को पूरा करना ही अब मेरा लक्ष्य है*। उस जिम्मेवारी को पूरा करने औऱ बाबा से वर्सा लेने के लिए अब मैं गृहस्थ व्यवहार में रहते सदा स्वयं को कमल पुष्प आसन पर विराजमान रखती हूँ
➳ _ ➳ जैसे कमल का फूल भले खिलता कीचड़ में है किन्तु कीचड़ में रहते हुए भी उससे न्यारा रहता है और अपनी खुशबू से सबको अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। *उसी प्रकार घर गृहस्थ में रहते मैं भी कमल पुष्प समान पवित्र रह अपनी रूहानियत की खुश्बू चारों और फैला रही हूं*। अपनी मनसा वृति को पवित्र बना कर, सुख स्वरूप बन अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को सुख, शांति की प्राप्ति का अनुभव करवा रही हूँ।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा अपने शक्तिशाली मन्सा शक्ति व शुभ भावना द्वारा बेहद की सेवा करती हूं।"*
➳ _ ➳ कोटो में कोई और कोई में भी कोई मैं बाप को पहचानने वाली प्रभु पसंद आत्मा हूँ... अपनी विशेषता के आधार से मैं आत्मा विश्व परिवर्तन के निमित्त बनी हूँ... *सूक्ष्म शक्तिशाली स्थिति वाली मैं आत्मा विश्व परिवर्तन के निमित्त हूं… मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा श्रेष्ठ संकल्पों द्वारा अनेक आत्माओं को परिवर्तन करने की क्षमता रखती हूं… मैं आत्मा बेहद की सेवा, शक्तिशाली मनसा द्वारा शुभ भावना शुभ कामना द्वारा कर रही हूं*… मैं आत्मा सिर्फ स्वयं के प्रति भावुक नहीं लेकिन औरों को भी शुभ भावना, शुभ कामना द्वारा परिवर्तित कर रही हूं… *बेहद की सेवा वा विश्व प्रति सेवा, मैं बैलेंस वाली आत्मा करती हूं… मैं भावना और ज्ञान, स्नेह और योग के बैलेंस द्वारा विश्व परिवर्तक बन गई हूँ*…
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बुद्धि रूपी हाथ बापदादा के हाथ में दे परीक्षाओं रूपी सागर में अचल-अडोल रहने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने प्रकाश के सूक्ष्म शरीर में... उड़ रही हूँ... लाइट और माइट स्वरूप में... पहुँच जाती हूँ, सूक्ष्म वतन में... अपने बापदादा के पास... *बापदादा को सर्वश्व समर्पण कर... अपना बुद्धि रूपी हाथ बाबा के हाथ में दे... कैसी भी परीक्षा के सागर में... निश्चिन्त हूँ, बेफिक्र हूँ...* बापदादा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख ... अपनी सर्व शक्तियों की छत्रछाया की छाव में मुझे ले लिया... बाबा से सदा विजयी भवः का वरदान प्राप्त कर... अपने स्थूल शरीर में लोट जाती हूँ... ब्राह्मण जीवन में जो भी परीक्षायें आती है उन्हें सहज ही बिना हिले पास कर... अनुभव की अथॉरिटी बन जाती हूँ... हर बड़े से बड़े पेपर में बुद्धि रूपी लगाम बाबा के हाथ में दे ऐसे पार कर निकलती हूँ जैसे मक्खन से बाल निकल जाता हैं... *मैं आत्मा बाबा की गोद में पलने वाली एक अबोध बच्चे समान एकदम बेफिक्र हो गई हूँ...*
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा के पास कोई न कोई, चाहे छोटा सा नेकलेस बना के लाओ, चाहे कंगन बना के लाओ, चाहे बड़ा हार बना के लाओ, लेकिन लाना जरूर है। हाथ खाली नहीं आना है। हिम्मत है ना? बनायेंगे ना? बापदादा तो कहेंगे चलो कंगन ही लाओ। क्योंकि बहुत आत्मायें अन्दर टेन्शन से बहुत दुखी हैं। सिर्फ बिचारों में आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं है। *तो आप मास्टर सर्वशक्तिमान उन्हों को हिम्मत दो, तो आ जायेंगे।* जैसे किसको टांग नहीं होती है ना तो लकड़ी की टांग बनाकर देते हैं तो चलता तो है ना! तो आप हिम्मत की टांग दे दो। लकड़ी की नहीं देना, हिम्मत की दो। बहुत दुखी हैं, रहम दिल बनो। बापदादा तो अज्ञानी बच्चों को भी देखता रहता है ना कि अन्दर क्या हालत है! बाहर का शो तो बहुत अच्छा टिपटाप है लेकिन अन्दर बहुत-बहुत दुखी हैं। *आप बहुत अच्छे समय पर बच्चा बने अर्थात् बच गये।*
✺ *ड्रिल :- "अज्ञानी आत्माओं को हिम्मत की टाँग देना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा बापदादा की ऊँगली पकड़ ऊपर आसमान में उड़ रही हूँ... तभी बाबा मेरा ध्यान नीचे धरती की ओर खिंचवाते हैं... और मुझे धरती के भिन्न-भिन्न सीन दिखाते हैं... एक बड़े से हॉस्पिटल के अंदर का दृश्य की ओर बाबा इशारा करते हैं... देखती हूँ की हर आत्मा दुखी, नीरस दिखाई दे रही है... कोई मौत की भीख मांग रही है... तो कोई दर्द से बुरी तरह कराह रही हैं... *ऐसे असहनीय दर्द से पीड़ित आत्माओं को देख मन कांप उठा...*
➳ _ ➳ दूसरा सीन बाबा ने एक कम्पनी का दिखाया जहाँ पर बड़े-बड़े ऑफिसर से लेकर हर पद पर काम करने वाली आत्मा टेंशन से ग्रसित हैं... ऊपर से तो बड़े टिप-टॉप दिखाई दे रहे... झूठी हंसी भी हंस रहे पर अंदर से कितने दुखी है... और *ये दुःख, ये टेंशन एक दूसरे के व्यवहार में न चाहते भी दिखाई दे रहा है...*
➳ _ ➳ मैंने बाबा से पूछा बाबा इनके दुःखो से छुटकारा कैसे हो... बाबा बोले मीठे बच्चे पूरी दुनिया ही विकारों में जल रही हैं... *दुनिया की सभी आत्मायें अभी परेशान हैं... और तुमको ही रहमदिल बन सभी आत्माओं को इन दुःखों से छुड़ाना हैं...* इनको चलने की हिम्मत नहीं बची... बाप आया है फिर भी बाप के पास आने की उसे पहचानने की हिम्मत अब इनमें बाकी नहीं रही हैं... तो आपको ही इन्हें हिम्मत की टांग दे हिम्मत देना होगा...
➳ _ ➳ ये सुनते ही मैं आत्मा एक होनहार बच्चे समान सभी आत्माओं को शक्तियों का दान करने लगी... मैं फ़रिश्ता शिवबाबा की शक्तियों के झरने के नीचे हूँ... और सम्पूर्ण विश्व मुझ से निकलती शक्तियों के नीचे हैं... मुझ से निकलती हुई शक्तियों का अविरल प्रवाह... हर आत्मा को शक्तियों से भर रहा हैं... *परमात्म शक्ति से उनके चेहरे पर चमक आ रही हैं... सभी आत्माओं को हिम्मत की टांग मिलने से झूम रही है... उन्होंने भी अपने पिता को पहचान लिया हैं...*
➳ _ ➳ *सभी आत्मायें बाबा से मिल कर बहुत खुश हैं... प्रेम के अश्रु अविरल बह रहे हैं...* कब के बिछड़े, अब मिले हैं... मैं आत्मा भी इस चिर मिलन को देख गदगद् हो रही हूँ... और बाबा को देखती हूँ... तो बाबा हल्के से मुझे देख मुस्कराते हैं... मानो मुझे सराह रहे हो... और कह रहे हो वाह मेरे बच्चे वाह... तुम तो बाबा के गले का हार लेकर आई हो... मैं आत्मा कहती हूँ बाबा शुक्रिया आपका... करनकरावनहार तो आप ही हैं, हम बस ऊँगली ही लगाते हैं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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