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 14 / 12 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *बहुत कम और रॉयल्टी से बात की ?*

 

➢➢ *तन मन धन से ब्रह्मा बाप समान ट्रस्टी होकर रहे ?*

 

➢➢ *अपने अनादी आदि स्वरुप की स्मृति द्वारा सर्व बन्धनों को समाप्त किया ?*

 

➢➢ *मास्टर दुःख हर्ता बन दुःख को भी रूहानी सुख में परिवर्तित किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  ब्राह्मण संगठन का आधार आत्मिक प्यार है। चलते-फिरते आत्मिक प्यार की वृत्ति, बोल, सम्बन्ध - सम्पर्क अर्थात् कर्म हो। *ब्राह्मण जीवन की नेचुरल नेचर मास्टर प्रेम का सागर है। इसी नेचर को धारण करो।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं सफलतामूर्त आत्मा हूँ"*

 

✧  *सदा सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है इतना नशा रहता है? सफलता होगी या नहीं होगी यह क्वेशचन ही नहीं। सफलता मूर्त हैं ऐसे नशा रहता है? मास्टर शिक्षक हो ना।* जैसे बाप शिक्षक की क्वालीफिकेशन है, वैसे मास्टर शिक्षक की भी होगी ना। बाप समान बने हो ना? (हाँ) यह हाँ-हाँ के गीत अच्छा गाती हैं। इससे सिद्ध है कि यह बाप के गुण सभी को सुनाकर डाँस करती कराती हैं।

 

✧  *कुमारियों को देख करके बापदादा बहुत खुश होती हैं। क्योंकि कुमार और कुमारियाँ, त्याग कर तपस्वी आकर बने हैं।* बच्चों के त्याग की हिम्मत देख, तपस्या का उमंग देख बापदादा खुश होते हैं। बाप की महिमा तो भक्त करते हैं लेकिन बच्चों की महिमा बाप करते हैं। कितने जन्म आपने माला सिमरण की? अभी बाप रिर्टन में बच्चों की माला सिमरण करते हैं। आप लोग देखते हो किस समय बाप माला सिमरण करते हैं? (अमृतबेले) तो जिस समय बाप माला सिमरण करते उस समय आप सो तो नहीं जाते हो? शक्तियाँ तो सोने वालो को जागने वाली है। खुद कैसे सोयेंगी?

 

✧  रिजल्ट श्रेष्ठ स्मृति और ईश्वरीय स्वमान 76 अच्छी है। सर्टीफिकेट मिलना भी लक है। आस्ट्रेलिया वालों को अच्छा सार्टीफिकेट मिल रहा है। *अपनी फुलवाड़ी को निश्चय और हिम्मत के जल से सींचते रहने से वृद्धि को पाते रहेंगे। वृद्धि होती रहेगी।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  कर्मातीत का अर्थ ही है हर सबजेक्ट में फुल पास। 75 परसेन्ट, 90 परसेन्ट भी नहीं, फुल पास। यह अवस्था तब आयेगी जब अपने अनुभव में सर्व शक्तियों का स्टॉक प्रैक्टिकल में यूज में आवे।

पहले भी सुनाया - *सर्वशक्तियाँ बाप ने दी, आपने ली लेकिन समय पर यूज होती हैं या नहीं, सिर्फ स्टॉक ही है!*

 

✧   सिर्फ स्टॉक है लेकिन समय पर यूज नहीं हुआ तो होना या न होना एक ही बात है। यह अनुभव करो परिस्थिति बहुत नाजुक है लेकिन *ऑर्डर दिया मन-बुद्धि को कि न्यारे होकर खेल देखो तो परिस्थिति आपके इस अचल स्थिति के आसन के नीचे दब जायेगी।* सामना नहीं करेगी।

 

✧  आसन नहीं छोडो, *आसन में बैठने का अभ्यास ही सिंहासन प्राप्त करायेगा।* अगर आसन पर बैठना नहीं आता है, कभी-कभी बैठना आता है तो सिंहासन में भी कभी-कभी बैठेगे।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *महारथी बच्चों को वर्तमान समय कौन-सा पोतामेल रखना है? अभी महारथियों की सीज़न है सिद्धि स्वरूप बनने की। उनके हर बोल और संकल्प सिद्ध हों। वह तब होंगे जब उनका हर बोल और हर संकल्प ड्रामा अनुसार सत् और समर्थ हो। तो महारथी अब यह पोतामेल रखें कि सारे दिन में जो उनके संकल्प चलते हैं या मुख से जो बोल निकलते हैं वह कितने सिद्ध होते हैं।* संकल्प है बीज। जो समर्थ बीज होगा उसका फल अच्छा निकलता है। उसको कहेंगे संकल्प सिद्ध होना। तो सारे दिन में कितने संकल्प और बोल सिद्ध होते हैं? जो बोला ड्रामा अनुसार वही बोला और जो होना है वही बोला। इसमें हर बोल और संकल्प को समर्थ बनाने में अटेन्शन रखना पड़े। तो महाराथियों का पोतामेल अब यह होना चाहिए। *जैसे भक्ति में भी कहा जाता है कि यह सिद्ध-पुरुष है। तो यहाँ भी जिसका संकल्प और बोल सिद्ध होता है तो उस सिद्धि के आधार पर वह प्रसिद्ध बनता है। अगर सिद्ध नहीं तो प्रसिद्ध नहीं। भक्ति में कई देवियाँ व देवतायें प्रसिद्ध होते हैं, कई प्रसिद्ध नहीं होते। वे देवता व देवी तो माने जाते हैं लेकिन प्रसिद्ध नहीं होते। तो संकल्प और बोल सिद्ध होना यह आधार है प्रसिद्ध होने का।* इससे ऑटोमेटिकली अव्यक्त फ़रिश्ता बन जायेंगे और समय बच जायेगा। वाणी में आना ऑटोमेटिकली समाप्त हो जायेगा क्योंकि साइलेन्स-होम अथवा शान्तिधाम में जाना है ना? तो वह साइलेन्स के व आकारी फ़रिश्तेपन के संस्कार अपनी तरफ़ खींचेंगे। *सर्विस भी इतनी बढ़ती जायेगी कि जो वाणी द्वारा सेवा करने का चॉन्स ही नहीं मिलेगा। ज़रूर नैनों द्वारा और अपने मुस्कराते हुए मुख द्वारा, मस्तक में चमकती हुई मणि द्वारा सेवा कर सकेंगे। वह अभ्यास तब बढ़ेगा जब यह पोतामेल रखेंगे।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सदा याद रखना हमारा ईश्वरीय कुल है, हम देवताओं से भी ऊँचे हैं"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा मधुबन में प्रकाश स्तम्भ के सामने बैठ आत्मचिंतन करती हूँ... कितनी भाग्यशाली हूँ मैं जिसको स्वयं परमात्मा ने अपना बनाया... अपनी गोद में बिठाकर पालना दे रहा है... प्रेम का सागर, सागर से भी गहरा प्यार बरसा रहा है... शिक्षा देकर पत्थर से पारस बना रहा है...* श्रीमत पर चलना सिखाकर स्वर्णिम युग का वर्सा दे रहा है... प्रकाश स्तम्भ से निकलते प्रकाश की किरणों में बैठकर मैं आत्मा प्रकाश के वतन में उड़ चलती हूँ मीठे बाबा के पास... 

 

   *मुझे एडाप्ट कर सत्य ज्ञान देकर देवताओ से भी ऊँच ब्राह्मण जीवन का महत्व समझाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की गोद में महके से फूल हो... *स्वयं भगवान की पालना में पलने वाले महान खुशनसीब हो... बेसमझ मनुष्य से ईश्वर पुत्र हो, सदा के समझदार, तीनो कालो और लोको को जानने वाले त्रिकालदर्शी बन मुस्करा रहे हो...* इस मीठे से भाग्य के नशे में आनन्दित हो जाओ..."

 

_ ➳  *इस अमूल्य जीवन के महत्व को जान श्रेष्ठ ईश्वरीय कुल की संतान होने के नशे में मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मैं आत्मा ईश्वरीय हाथो में खिलने वाला खुबसूरत रूहानी गुलाब हूँ... मीठे बाबा कभी खुद को भी न जानने वाली, आज त्रिकालदर्शी बन मुस्करा रही हूँ...* आपके प्यार में विकारो के दलदल से निकल पवित्र ब्राह्मण सी खिल उठी हूँ..."

 

   *अपना परम तख़्त छोड़ इस धरा पर आकर अपने दिल तख़्त पर मुझे बिठाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... अपनी ईश्वरीय खुशनसीबी पर बलिहार जाओ... किसने चुना है,और दिल की धड़कन सा दिल में समाया है... इन मीठी यादो में रोमांचित हो जाओ... *ईश्वरीय बुद्धि को पाने वाले और मीठे बाबा की बाँहों में मुस्कराने वाले, ऊँच ते ऊँच आप ही ब्राह्मण बच्चे हो..."*

 

_ ➳  *प्रभु प्यार की किरणों से श्रृंगार कर प्यार के सागर की महिमा गाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा कितने महान भाग्य की मालिक हूँ...* संगम पर प्यारे बाबा आपको पाकर देवताई सौंदर्य से सजधज रही हूँ... मीठे सुखो की सतयुगी धरती पर कदम बढ़ाती जा रही हूँ... ईश्वर पिता को और उसके सारे राजो को जानने वाली भाग्य की धनी हूँ..."*

 

   *अपनी बाँहों में लेकर प्यार से पालना देकर हर सम्बन्ध का अनुभव कराते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *जो भाग्य देवताओ का भी नही वह प्यारा भाग्य आप बच्चों ने पाया है... भगवान को जान कर उसकी यादो में स्वयं को बसाया है... यह निराला सुख देवताओ को भी नसीब नही जो आप बच्चों ने सहज ही पाया है...* ईश्वरीय खजानो, शक्तियो और प्यार को दिल में अपने समाया है..."

 

_ ➳  *हसीन बाबा के हसीन यादों के आँगन में खुशनुमा फूल बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा कितने प्यारे भाग्य को सहज ही पा गई हूँ... *मनुष्य बनी सदा मूँझने वाली, आज ईश्वरीय गोद में ब्राह्मण बनकर... बेहद की समझदार हो गयी हूँ... मीठे बाबा आपकी यादो में ईश्वरीय जादू की मिसाल बन मुस्करा रही हूँ..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अपना स्वभाव बहुत मीठा शान्त चित बनाना है *"

 

_ ➳  आप समान अति मीठा बनाने वाले, मेरे अति मीठे शिव बाबा की मीठी याद मेरे अंदर एक ऐसी मिठास घोल देती है जिसमे विकारों की कड़वाहट घुलने लगती है। *अपने ऐसे अति मीठे बाबा की मीठी याद में बैठी मैं जैसे ही उनका आह्वान करती हूँ परमधाम से सीधे अपने ऊपर गिरती उनकी सर्वशक्तियों रूपी किरणों के मीठे झरने के नीचे स्वयं को अनुभव करती हूँ*। सातों गुणों की रंग बिरंगी किरणों का यह मधुर झरना मेरे तन - मन को शीतलता प्रदान कर रहा है। शीतलता की इसी गहन अनुभूति के बीच मैं अनुभव करती हूँ कि मुझ आत्मा को अपनी शीतल किरणों से शीतल बनाने वाले मेरे फर्स्टक्लास मीठे बाबा जैसे परमधाम से नीचे मेरे पास आ रहें हैं।

 

_ ➳  उनकी उपस्थिति से उनकी समीपता का एहसास मुझे स्पष्ट अनुभव होने लगा है। अपने सिर के बिल्कुल ऊपर मुझे उनकी छत्रछाया की अनुभूति हो रही है। मेरे पूरे कमरे में जैसे शीतलता की मीठी लहर दौड़ रही है। पूरे घर मे मेरे मीठे शिव बाबा के शक्तिशाली वायब्रेशन फैल रहें हैं। *एक अति मीठी सुखदाई स्थिति में मैं सहज ही स्थित होती जा रही हूँ। यह स्थिति मुझे देह और देह के झूठे भान से मुक्त कर, लाइट माइट स्वरूप का अनुभव करवा रही है*। धीरे - धीरे मैं इस साकारी देह के बंधन से स्वयं को मुक्त कर अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर रही हूँ।

 

_ ➳  मेरा यह लाइट का फ़रिशता स्वरूप मुझे धरती के आकर्षण से मुक्त कर, ऊपर की ओर ले जा रहा है। मैं स्वयं को धरती से ऊपर उड़ता हुआ अनुभव कर रहा हूँ। छत को पार करते हुए अब मैं खुले आकाश के नीचे पूरी दुनिया मे विचरण कर रहा हूँ। धीरे - धीरे अब मैं आकाश को भी पार करता हुआ लाइट की सूक्ष्म आकारी फरिश्तो की दुनिया मे प्रवेश कर रहा हूँ। इस अति सुन्दर फरिश्तो की दुनिया मे विचरण करता हुआ अब मैं स्वय को अव्यक्त ब्रह्मा बाप के सामने देख रहा हूँ। *फर्स्टक्लास मीठा और रॉयल बन बाप का नाम बाला करने वाले अपने प्यारे ब्रह्मा बाप के सामने बैठ मैं मन ही मन प्रतिज्ञा करता हूँ कि मुझे भी ब्रह्मा बाप समान फर्स्टक्लास मीठा और रॉयल बन बाप का नाम अवश्य बाला करना है*।

 

_ ➳  इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल मुझमें भरने के लिए अब परमधाम से मेरे अति मीठे शिव बाबा फरिश्तों की इस दुनिया मे प्रवेश करते हैं और आ कर ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो जाते हैं। *बाप दादा अपने वरदानी हस्तों से अब मुझे विजयी भव का वरदान देते हुए, अपनी सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर प्रवाहित करते हुए मुझ आत्मा में बल भर रहें हैं ताकि कदम - कदम पर फॉलो फादर कर, अपने शिव बाबा का नाम मैं बाला कर सकूँ*। बापदादा की शक्तिशाली दृष्टि से मेरे पुराने आसुरी स्वभाव संस्कार जल कर भस्म हो रहें हैं और उसके स्थान पर फर्स्टक्लास मीठा और बहुत - बहुत रॉयल बनने के संस्कार इमर्ज हो रहें हैं।

 

_ ➳  आसुरी संस्कारों का त्याग कर इन दैवी संस्कारों को ही अब मुझे अपने जीवन में धारण करने का पुरुषार्थ करना है, इसी दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ अपने लाइट माइट स्वरूप को अपने ब्राह्मण स्वरूप में मर्ज करके अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ। अपने ब्राह्मण जीवन के नियमो और मर्यादाओं पर चलते हुए अब मैं हर कर्म में ब्रह्मा बाप को फॉलो कर रही हूँ। *अपने मीठे शिव बाबा की श्रीमत पर कदम - कदम चलते हुए अब मैं आसुरी अवगुणों का त्याग करती जा रही हूँ। मेरे मुख से अब किसी भी आत्मा को दुख देने वाले कड़वे बोल नही निकलते। बाप समान सबको सुख देने वाले मीठे बोल ही अपने मुख से बोलते हुए अब मैं सबके जीवन को खुशियों की मिठास से भर रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं अपने आदि अनादि स्वरूप की स्मृति द्वारा सर्व बन्धनों को समाप्त करने वाली बन्धनमुक्त स्वतंत्र आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं दुःख को भी रूहानी सुख में परिवर्तन करके सच्ची सेवा करने वाला मास्टर दुःखहर्ता हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. एक बात बापदादा ने मैजारिटी में देखी है। मैनारिटी नहीं मैजारिटी। क्या देखाजब कोई सरकमस्टांश सामने आता है तो मैजारिटी में एकदोतीन नम्बर में क्रोध का अंश न चाहते भी इमर्ज हो जाता है। कोई में महान क्रोध के रूप में होताकोई में जोश के रूप में होताकोई में तीसरा नम्बर चिड़चिड़ेपन रूप में होता है। चिड़चिड़ापन समझते होवह भी है क्रोध का ही अंशहल्का है। तीसरा नम्बर है ना तो वह हल्का है। पहला जोर से हैदूसरा उससे थोड़ा। फिर भाषा तो आजकल सबकी रायल हो गई है। तो रायल रूप में क्या कहते हैं? बात ही ऐसी है नाजोश तो आयेगा ही। तो *आज बापदादा सभी से यह गिफ्ट लेने चाहते हैं कि क्रोध तो छोड़ो लेकिन क्रोध का अंश मात्र भी नहीं रहे।* क्योंक्रोध में आकर डिस-सर्विस करते हैं क्योंकि क्रोध होता है दो के बीच में। अकेला नहीं होता हैदो के बीच में होता है तो दिखाई देता है। चाहे मन्सा में भी किसके प्रति घृणा भाव का अंश भी होता है तो मन में भी उस आत्मा के प्रति जोश जरूर आता है। तो बापदादा को यह डिस-सर्विस का कारण अच्छा नहीं लगता है। तो क्रोध का भाव अंश मात्र भी उत्पन्न न हो। जैसे ब्रह्मचर्य के ऊपर अटेन्शन देते होऐसे ही काम महाशत्रुक्रोध महाशत्रु गाया हुआ है। शुभ भावप्रेम भाव वह इमर्ज नहीं होता है। फिर मूड आफ कर देंगे। उस आत्मा से किनारा कर देंगे। सामने नहीं आयेंगेबात नहीं करेंगे। उसकी बातों को ठुकरायेंगे। आगे बढ़ने नहीं देंगे। यह सब मालूम बाहर वालों को भी पड़ता है फिर भले कह देते हैंआज इसकी तबियत ठीक नहीं हैबाकी कुछ नहीं है। *तो क्या जन्म-दिवस की यह गिफ्ट दे सकते हो?*

 

 _ ➳  2. *सच्ची दिल पर भी साहेब राजी होता है।*

 

 _ ➳  3. जो समझते हैं कि हम दो तीन मास में कोशिश करके छोड़ेंगे वह बैठ जाओ। और जो समझते हैं 6 मास चाहिएअगर 6 मास पूरा लेंगे भी तो कम करनाइस बात को छोड़ना नहीं क्योंकि यह बहुत जरूरी है। यह डिससर्विस दिखाई देती है। मुख से नहीं बोलोशक्ल बोलती है। इसलिए *जिन्होंने हिम्मत रखी है उन सब पर बापदादा ज्ञान, प्रेमसुखशान्ति के मोतियों की वर्षा कर रहे हैं।* अच्छा।

 

 _ ➳  4. बापदादा रिटर्न सौगात में यह विशेष सभी को वरदान दे रहे हैं - *जब भी गलती से भीन चाहते हुए भी कभी क्रोध आ भी जाए तो सिर्फ दिल से 'मीठा बाबाशब्द कहनातो बाप की एक्स्ट्रा मदद हिम्मत वालों को अवश्य मिलती रहेगी। मीठा बाबा कहना, सिर्फ बाबा नहीं कहना, *'मीठा बाबातो मदद मिलेगीजरूर मिलेगी* क्योंकि लक्ष्य रखा है ना। तो लक्ष्य से लक्षण आने ही हैं। 

 

✺   *ड्रिल :-  "क्रोध को अंश सहित बापदादा को गिफ्ट में देना"*

 

 _ ➳  मैं ज्योति बिंदु स्वरूप आत्मा अपना फरिश्ता रूप धर कर बाबा से मिलन मनाने सूक्ष्म वतन जा रही हूं... जहाँ मेरे मीठे बाबा मेरे ही इन्तजार में बैठे हुए हैं... *चारों ओर सफेद चमकीले प्रकाश की आभा बिखेरते हुए बाबा अपने कोमल हाथों से मुझे अपने पास में बिठाते हैं...* बाबा अपनी मीठी दृष्टि देते हुए अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं...  

 

 _ ➳  मैं आत्मा कई जन्मों से आसुरी कर्म कर आसुरी संस्कार धारण करने की आदत डाल ली थी... इसको अपना नैचुरल संस्कार बना ली थी... मै आत्मा बाबा को उनके जन्मदिवस पर अपनी क्रोध, जोश, चिड़चिड़ापन रूपी कमी कमजोरियों का गिफ्ट दे रही हूं... मुझ आत्मा की सरल भाव से हिम्मत रखते देख बाबा मुस्कुरा रहे है... बाबा के वरदानी हाथों के कोमल स्पर्श से *सभी अवगुणों, कमी-कमजोरियों, क्रोध, चिड़चिड़ापन इत्यादि विकारों से मुक्त होकर मैं आत्मा शुद्ध व हलकी हो रही हूँ...*

 

 _ ➳  *बाबा की मीठी दृष्टि मुझ आत्मा में खुशी का रस घोल रही है... मैं आत्मा अपने मन से घृणा भाव को मिटाते हुए बाप समान मीठी बन रही हूँ...* मुझ आत्मा के क्रोध व घृणा के पुराने स्वभाव-संस्कार बाहर निकल रहे हैं... बाबा के हाथों से दिव्य गुण व शक्तियां निकलकर मुझ फरिश्ते में प्रवाहित हो रहे हैं... मुझ आत्मा के क्रोधवश साथी आत्माओ से किनारा कर लेने के आसुरी अवगुण भस्म हो रहे हैं... मैं आत्मा दिव्य गुणों को खुद में समा कर सभी के प्रति शुभ भाव, प्रेम भाव को धारण कर सम्पन्न अवस्था का अनुभव कर रही हूँ... *मैं आत्मा स्वयं को परिवर्तित कर रही हूँ... मैं आत्मा क्रोध, चिड़चिड़ापन, साथी आत्माओ से किनारा कर लेने रूपी कलियुगी संस्कार से मुक्त हो रही हूँ...* मैं आत्मा हर परिस्थिति में अपनी धारणा में परिपक्व हो रही हूँ...

 

 _ ➳  *बाबा सर्व वरदानों से मुझे भरपूर कर रहे हैं... मैं आत्मा विकारों से मुक्त होकर सर्व खजानों से सम्पन्न हो रही हूँ...* मैं आत्मा बाबा से हर पल मीठा बने रहने का वायदा करती हूं और दिल से मीठा बाबा कहते स्थूल वतन लौट आती हूं, नीचे आकर सभी आत्माओ को मीठी दृष्टि दे रही हूं, सभी के प्रति शुभ भाव व प्रेम भाव रखते हुए *इस कर्म भूमि में विश्व कल्याणकारी बन विश्व की निःस्वार्थ सेवा कर रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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