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❍ 03 / 02 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *बाप का पूरा पूरा मददगार बनकर रहे ?*
➢➢ *"बाप बिगर कोई की स्मृति न आये" - इसके लिए खबरदार रागे ?*
➢➢ *रूहानी एक्सरसाइज द्वारा वेट को समाप्त किया ?*
➢➢ *अपने जीवन रोप्पी गुल्दस्ते द्वारा दिव्यता की खुशबू फैलाई ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ अभी-अभी आवाज में आना और अभी-अभी आवाज से परे हो जाना - जैसे आवाज में आना सहज लगता है वैसे यह भी सहज अनुभव हो क्योंकि आत्मा मालिक है। *रुहानी एक्सरसाइज में सिर्फ मुख की आवाज से परे नहीं होना है। मन से भी आवाज में आने के संकल्प से परे होना है। ऐसे नहीं मुख से चुप हो जाओ और मन में बातें करते रहो। आवाज से परे अर्थात मुख और मन दोनों की आवाज से परे, शान्ति के सागर में समा जायें।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं सच्ची लगन द्वारा विघ्नों को समाप्त करने वाली मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ"*
〰✧ *सच्ची लगन विघ्नों को समाप्त कर देती है। कितनी भी रूकावटें आएं लेकिन एक बल एक भरोसे के आधार पर सफलता मिलती रही है और मिलती रहेगी, ऐसा अनुभव होता रहता है ना।*
〰✧ *जहाँ सर्व शक्तिवान बाप साथ है वहाँ यह छोटी छोटी बातें ऐसे समाप्त हो जाती हैं जैसे कुछ भी थी ही नहीं। असम्भव भी सम्भव हो जाता है क्योंकि सर्व शक्तिवान के बच्चे बन गए। 'मक्खन से बाल' समान सब बातें सिद्ध हो जाती हैं।*
〰✧ अपने को ऐसे मास्टर सर्वशक्तिवान श्रेष्ठ आत्मायें अनुभव करते हो ना। कमजोरी तो नहीं आती। *बाप सर्वशक्तिवान हैं, तो बच्चों को बाप अपने से भी आगे रखते हैं। बाप ने कितना ऊंच बनाया है, क्या क्या दिया है - इसी का सिमरण करते-करते सदा हर्षित और शक्तिशाली रहेंगे।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ अंत मते सो गति क्या होगी? समझदार तो हो ना? इसलिए अपनी मनसा को बिजी रखेंगे ना, *मनसा सेवा का टाइमटेबुल बनायेंगे अपना तो बिन्दी लगाने की आवश्यकता नहीं पडेगी। बस, होंगे ही बिन्दी रूप। इसलिए अभी अपने मन का टाइमटेबुल फिक्स करो।*
〰✧ *मन को सदा बिजी रखो, खाली नहीं रखो।* फिर मेहनत करनी पडती है। ऊँचे-ते-ऊँचे भगवान के बच्चे हो, तो *आपका एक-एक सेकण्ड का टाइमटेबुल फिक्स होना चाहिए* क्यों नहीं बिन्दी लगती, उसका कारण क्या?
〰✧ *ब्रेक पॉवरफुल नहीं है। शक्तियों का स्टॉक जमा नहीं है इसलिए सेकण्ड में स्टॉप नहीं कर सकते।* कई बच्चे कोशिश बहुत करते हैं, जब बापदादा देखते हैं मेहनत बहुत कर रहे हैं, यह नहीं हो, यह नहीं हो, कहते हैं नहीं हो लेकिन होता रहता है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ किसको देखते हो? आकार को देखते व अव्यक्त का देखते हो? *अगर अपनी व औरों की आकृति को न देख अव्यक्त को देखेंगे तो आकर्षण मूर्त बनेंगे।* अगर आकृति को देखते तो आकर्षण-मूर्त नहीं बनते हो। *आकर्षण-मूर्त बनना है तो आकृति को मत देखो। आकृति के अन्दर जो आकर्षण रूप है, उसको देखने से ही अपने से औरों को आकर्षण होगा। तो अब यही अव्यक्त सर्विस रही हुई है।* कोई भी चित्र को देखते हो, तो चित्र को नहीं देखो, लेकिन चित्र के अन्दर जो चेतन है उसको देखो। *और उस चित्र के जो चरित्र हैं उन चरित्रों को देखो। चेतन और चरित्र को देखेंगे तो चरित्र तरफ ध्यान जाने से चित्र अर्थात् देह के भान से दूर हो जायेंगे।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- योगभट्टी से विकर्म भस्म करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा मधुबन की पहाड़ियों पर बैठकर प्रकृति के नजारों को निहार रही हूँ... ऐसे लग रहा जैसे बादल नीचे उतर गए हों... धरती और गगन का मिलन हो रहा हो... दोनों एक हो गए हों... *मैं आत्मा भी परमात्मा से मिलन मनाने... परमात्मा से एक होने बादलों पर बैठकर उड़ चलती हूँ परमधाम... परमात्मा से कंबाइंड हो जाती हूं... एक होकर उनमें समा जाती हूँ... सिर्फ मैं और मेरा बाबा बस...* फिर मैं बिंदु बाबा बिंदु के साथ नीचे सूक्ष्मवतन में पहुँच जाती हूँ... और प्यारे बापदादा के साथ मीठी दृष्टि लेते हुए मीठी रूह-रिहान करती हूँ...
❉ *योगबल से अपने विकर्मो पर जीत पाकर विकर्माजीत बनने की शिक्षा देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे लाडले बच्चे... *इस देह की दुनिया में आकर जो देहाभिमान से भर उठे विकारो में लिप्त होकर विकर्म कर लिए... उनको मिटाने का एकमात्र उपाय योगबल है...* जितना जितना ईश्वरीय यादो में डूबोगे विकर्मो से हल्के हो मुस्कराओगे... तो अब इन खूबसूरत यादो को सांसो में पिरो लो...”
➳ _ ➳ *मीठे बाबा की पवित्र योग अग्नि की भट्टी में तपकर सच्चा सोना बनते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय पिता की मीठी यादो में अपने सारे पापो को मिटा रही हूँ... *विकारो ने मेरी चमक को जो धुंधला किया है... बाबा की यादो से वही सुनहरा दमकता स्वरूप पुनः पा रही हूँ...”*
❉ *अपने नैनों और मस्तक से निकलती पावन किरणों से प्रचंड योग अग्नि प्रज्वलित करते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे... यादो को प्रचण्ड करो मीठे बाबा संग निखर जाओ... स्वयं को सतयुगी बनाने के प्रयासों में जुट जाओ... *दृढता को अपनाकर पल पल को यादो से भर लो... और सारे विकर्मो से... मीठे बाबा की फूल सी गोद में बैठ मुक्ति पा लो...”*
➳ _ ➳ *यादों के यज्ञ कुंड में जन्म जन्मान्तर के विकर्मों को स्वाहा करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा महान भाग्यशाली हूँ कि... बाबा की गोद में सारे पापो को धो रही हूँ... *जादूगर बाबा ने यादो के जादू से मेरे सारे पाप भस्म करवाकर... मुझे हल्का खुशनुमा बना दिया है...”*
❉ *यादों की जादुई छड़ी से सारे जंजीरे तोडकर मुझे मुक्त गगन में उड़ाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... यह यादे ही सुनहरी जादू की छड़ी है जो कमाल करती है... अपने सुंदर भाग्य को सराहो... *ईश्वर पिता के साथ और साये से सारे बोझों से मुक्त हो.. खुशियो के अम्बर में उड़ जाओ... यादो के कारवां में खो जाओ...* और सदा की खुशियो में खिल जाओ..."
➳ _ ➳ *अपने भाग्य के सितारे को ऊँचे आसमान में चमकता हुआ देख मैं आत्मा सितारा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपने खूबसूरत से भाग्य पर नाज कर रही हूँ... मीठे बाबा को पाकर निहाल हो गई हूँ... *उनकी मीठी यादो में अपने सारे दागो को मिटाकर सुनहरी सुनहरी होती जा रही हूँ... और विकर्मो से मुक्त होकर सुंदर कर्मो का भाग्य रच रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अन्त समय में एक बाप की याद रहे इसके लिए दिल की प्रीत एक बाप से रखनी है*"
➳ _ ➳ कितना वन्डरफुल है यह सृष्टि रूपी ड्रामा! और इस वैरायटी ड्रामा में पार्ट बजाने वाले वैरायटी पार्टधारी! एकांत में बैठ सृष्टि के इस बेहद ड्रामा पर चिंतन करते हुए मैं अपने जीवन के बारे में विचार करती हूँ कि इस बेहद ड्रामा में पार्ट बजाते हुए पूरे 63 जन्म देहधारियों से प्रीत करके सिवाय दुख और अशान्ति के और कुछ भी हासिल नही हो पाया। *उस झूठी प्रीत की स्मृति मन में देह और देह की झूठी दुनिया के प्रति वैराग्य की भावना उतपन्न कर रही है*। किन्तु इस हद की वैराग्य वृति को बेहद में बदलने के लिए अब मुझे अपने दिल की प्रीत केवल एक दिलाराम बाबा से लगानी है ताकि *अन्त समय सिवाय दिलाराम बाप के ओर कोई भी याद ना आये। अब यही पुरुषार्थ मुझे अपने इस अंतिम जन्म में करना है*।
➳ _ ➳ मन ही मन स्वयं से यह दृढ़ प्रतिज्ञा करते हुए अपने दिलाराम बाबा की दिल को सुकून देने वाली मीठी याद में मैं खो जाती हूँ। अपने दिलाराम बाबा को याद करते ही मन बरबस ही उनकी ओर खिंचने लगता है और *जैसे ही मेरे दिल की आवाज मेरे दिलाराम बाबा तक पहुँचती है मेरे बाबा अपने प्यार का प्रतिफल अपनी सर्वशक्तियों की मीठी - मीठी फुहारों के रूप में परमधाम से सीधे मुझ आत्मा पर बरसाने लगते हैं*। बारिश की रिमझिम फुहारों की तरह मेरे दिलाराम बाबा के प्रेम की मीठी फुहारें परमधाम से मेरे ऊपर पड़ रही हैं और मेरे मन को आनन्दित कर रही हैं। *एक दिव्य अलौकिक मस्ती से मैं सरोबार होती जा रही हूँ*।
➳ _ ➳ मेरे मीठे दिलाराम बाबा का प्रेम एक जादुई शक्ति बन कर, मुझे उनके समान अशरीरी बना कर अब अपनी ओर खींच रहा है। *मुझे केवल अपना चमकता हुआ, अपने दिलाराम बाबा के प्रेम में खोया हुआ जगमग करता दिव्य ज्योतिर्मय स्वरूप ही दिखाई दे रहा है*। अपने बाबा के प्रेम की डोर से बंधी मैं जगमग करती ज्योति अब भृकुटि के अकालतख्त को छोड़ देह से बाहर आ जाती हूँ और परमात्म प्यार के झूले में झूलती हुई ऊपर आकाश की ओर चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ परमात्म प्यार का यह सुन्दर, सुहावना झूला मुझे सेकण्ड में समस्त तारामण्डल, सौरमण्डल और सूक्ष्म वतन को पार करवाकर उस अनन्त ज्योति के देश मे ले आता है जहाँ पहुंचते ही शांति की लहरें मुझ आत्मा को छूने लगती है और मुझे गहन शांति के गहरे अनुभव में ले जाती हैं। *एक ऐसी अद्भुत शान्ति जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नही की थी उस अथाह शान्ति का अनुभव यहाँ पहुंच कर मैं आत्मा कर रही हूँ*। अथाह शान्ति का यह अनुभव मुझे शांति के सागर मेरे शिव पिता के समीप ले कर जा रहा है।
➳ _ ➳ अब मैं धीरे - धीरे अपने दिलाराम बाबा के पास जा रही हूँ। *उनके अति समीप पहुँच कर मैं जैसे ही उन्हें छूती हूँ शक्तियों का एक तेज करेन्ट मुझ आत्मा में प्रवाहित होने लगता है जो मुझे असीम आनन्द देने के साथ - साथ असीम शक्ति से भर देता है*। अपने बाबा के साथ टच रह कर स्वयं को पूरी तरह भरपूर करके मैं आत्मा वापिस सृष्टि ड्रामा पर अपना पार्ट बजाने के लिए अब परमधाम से नीचे आ जाती हूँ।
➳ _ ➳ अपने दिलाराम बाबा के सच्चे निस्वार्थ प्यार के अनुभव को अपने मन रूपी दर्पण पर अंकित कर उस प्यार की गहराई में जब चाहे खोकर, उस सच्ची प्रीत को अपने ब्राह्मण जीवन का आधार बना कर अब मैं अपने दिलाराम बाबा के प्यार के झूले में सदैव झूलती रहती हूँ। *देह और देह की दुनिया मे रहते हुए, देह के सम्बन्धों से ममत्व निकाल, सर्व सम्बन्धों का सुख अपने दिलाराम बाबा से लेते हुए, दिल की सच्ची प्रीत बाबा से रखते हुए अब मैं ऐसा पुरुषार्थ कर रही हूँ जो अन्त समय सिवाए दिल को आराम देने वाले मेरे दिलाराम बाबा के ओर कोई भी मुझे याद ना आये*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं रूहानी एक्सरसाइज द्वारा वेट (बोझ) को समाप्त करने वाली समान और समीप आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *अपने जीवनरूपी गुलदस्ते द्वारा दिव्यता की खुशबू फैला कर गुणमूर्त बनने वाली दिव्य आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. बापदादा देख रहे थे कि सबसे *तीव्र गति की सेवा है - 'वृत्ति द्वारा वायब्रेशन फैलाना'। वृत्ति बहुत तीव्र राकेट से भी तेज है।* वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तन कर सकते हो। जहाँ चाहो, जितनी आत्माओं के प्रति चाहो वृत्ति द्वारा यहाँ बैठे-बैठे पहुँच सकते हो। वृत्ति द्वारा दृष्टि और सृष्टि परिवर्तन कर सकते हो।
➳ _ ➳ 2. आपके जड़ चित्र अब तक, लास्ट जन्म तक वायब्रेशन द्वारा सेवा कर रहे हैं ना! देखा है ना! मन्दिर देखा हैं ना!
➳ _ ➳ 3. *मन्दिर की मूर्तियाँ प्रत्यक्ष रूप में वायब्रेशन द्वारा सेवा कर रहे हैं* अर्थात् आप आत्मायें मन्दिर की मूर्तियां सेवा कर रही हैं। कितने भक्त वायब्रेशन द्वारा अपनी सर्व इच्छायें पूर्ण कर रहे हैं। तो हे चैतन्य मूर्तियाँ, *अब अपने शुभ भावना की वृत्ति, शुभ कामनाओं की वृत्ति से वायुमण्डल में वायब्रेशन फैलाओ।*
✺ *ड्रिल :- "वृत्ति द्वारा वायब्रेशन फैलाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं मास्टर सर्वशक्तिमान ब्राह्मण आत्मा *डाइमंड हॉल में बापदादा के समक्ष बिराजमान हूँ... बापदादा मुझे अपनी दृष्टि और वायब्रेशन से निहाल कर रहे है...* बाबा की भृकुटि से नैनो से कभी प्रेम तो कभी सुख तो कभी आनंद कि किरणें फैल रही है... कभी बापदादा मुझे शक्तिशाली फरिश्ता बना देते तो कभी पवित्रता के झरने में नहलाते है... मीठे बाबा को मुझ पर कितना गर्व है... *सबके मुख से यही निकल रहा है मेरा बाबा मेरा बाबा...* मेरा बाबा मीठा बाबा प्यारा बाबा... बापदादा देख रहे थे कि सबसे तीव्र गति की सेवा है - 'वृत्ति द्वारा वायब्रेशन फैलाना'... वृत्ति बहुत तीव्र राकेट से भी तेज है...
➳ _ ➳ जैसी हमारी वृति अर्थात हमारी कामनाएँ और हमारी भावनाएँ होती है वैसा ही वायुमंडल बनता जा रहा है... शुभ कामनाएँ और शुभ भावनाओं की मात्रा में थोडी सी भी कमजोरी आई तो वायुमंडल भी कमजोर संकल्पो का बन रहा है... जब की *बाबा की पॉवरफुल दृष्टि से वायुमंडल भी अचानक पॉवरफुल बन गया...* ये बाबा की पॉवरफुल वृति का ही कमाल है जो हम सब यहाँ मधुबन में बैठे है... इस तरह हम वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तन कर सकते है... *वृत्ति द्वारा जहाँ चाहे, जितनी आत्माओं के प्रति चाहे यहाँ बैठे-बैठे पहुँच सकते है...*
➳ _ ➳ यहाँ बैठे बैठे मैं आत्मा संपूर्ण विश्व में *शुभभावना और शुभकामनाओ की वृत्ति द्वारा आत्माओ की दृष्टि और सृष्टि परिवर्तन कर रही हूँ...* मुझसे शुभभावना और शुभकामनाओ के प्रकंपन फैल रहे है... चाहे कुछ आत्माओ के प्रति हो या कोई आत्मा के प्रति हो या विश्व के प्रति हो सब जगह शुभ वायब्रेशन फैल रहे है... अब मैं आत्मा मंदिरो में स्थापित अपनी ही मूर्तियो को देख रही हूँ... मैं देख रही हूँ की *आज भी लास्ट जन्म तक ये मूर्तियां वायब्रेशन द्वारा सेवा कर रही हैं...*
➳ _ ➳ मन्दिर की *मूर्तियाँ प्रत्यक्ष रूप में वायब्रेशन द्वारा सेवा कर रही हैं...* अर्थात् मैं आत्मा मन्दिर की मूर्ति सेवा कर रही हूँ... मंदिर में खडे सारे भक्तो की वायब्रेशन द्वारा सर्व इच्छायें पूर्ण कर रही हूँ... घर घर में जहाँ कही भी मेरी मूर्ति विराजमान है उस घर की सारी आत्माएँ निश्चिंत और निर्भय स्थिति की अनुभूति कर रही है... मंदिरो में भीड बढती जा रही हैं... सारे भक्त तृप्त हो रहे है... *सबकी शुभ मनोकामनाएं पूर्ण होने पर सब सुख शांति संपन्न निर्विध्न जीवन जी रहे है...*
➳ _ ➳ जैसे मेरी जड मूर्ति इतना कर सकती है तो मैं तो स्वयं ही चैतन्य मूर्ति हूँ तो कितना कर सकती हूँ... *मैं संबंध संपर्क में आनेवाली हर एक आत्मा के प्रति शुभ भावना की वृत्ति और शुभ कामनाओं की वृत्ति से वायुमण्डल में वायब्रेशन फैलाती जा रही हूँ...* सबके विघ्न नष्ट हो रहे है... पूरे विश्व का भ्रमण करती जा रही हूँ... मैं सुन रही हूँ चारो ओर भक्तो की पुकार को... अपने हस्तो द्वारा, नैनो द्वारा और वायब्रेशन द्वारा सबका कल्याण करती जा रही हूँ... सब सुखी हो रहे है सबका भला हो रहा है... सब स्वयं को भरपूर महसूस कर रहे है... शुक्रिया बाबा आपका बहुत बहुत शुक्रिया...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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