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❍ 19 / 01 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *किसी भी देहधारी को तो याद नहीं किया ?*
➢➢ *"हम पूज्य थे, फिर पुजारी बने" - इस स्मृति से स्वदर्शन चक्रधारी बनकर रहे ?*
➢➢ *सदा स्नेह और सहयोग द्वारा अविनाशी रतन का टाइटल प्राप्त किया ?*
➢➢ *पवित्रता की यथार्थ धारणा से हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त बनाया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *एकाग्रता की शक्ति बहुत विचित्र रंग दिखा सकती है।* एकाग्रता से ही सिद्धियां प्राप्त होती हैं। *स्वयं की औषधि भी एकाग्रता की शक्ति से कर सकते हैं। अनेक रोगियों को निरोगी भी बना सकते हैं।* कोई ने चलती हुई चीज को रोका, यह एकाग्रता की सिद्धि है। स्टाप कहो तो स्टाप हो जाए तब वरदानी रूप में जय-जयकार के नारे बजेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं जीवनमुक्त आत्मा हूँ"*
〰✧ *सभी बच्चे जीवनमुक्त स्थिति का विशेष वर्सा अनुभव करते हो? जीवनमुक्त हो या जीवनबन्ध? ट्रस्टी अर्थात् जीवनमुक्त।* तो मरजीवा बने हो या मर रहे हो? कितने साल मरेंगे? भक्ति मार्ग में भी जड़ चित्र को प्रसाद कौनसा चढ़ता हैं? जो झाटकू होता है।
〰✧ ज़ोर से चिल्लाना मरने वाला प्रसाद नहीं होता। *बाप के आगे प्रसाद वही बनेगा जो झाटकू होगा। एक धक से चढ़ने वाला। सोचा, संकल्प किया, 'मेरा बाबा, मैं बाबा का' तो झाटकू हो गया।*
〰✧ संकल्प किया और खत्म! लग गई तलवार! अगर सोचते, बनेंगे, हो जायेंगे... तो गें...गें अर्थात् ज़ोर से चिल्लाकर। गें गें करने वाले जीवनमुक्त नहीं। *बाबा कहा - तो जैसा बाप वैसे बच्चे। बाप सागर हो और बच्चे भिखारी हों, यह हो नहीं सकता। बाप ने आफर किया - मेरे बनो तो इसमें सोचने की बात नहीं।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *ब्राह्मण शब्द याद आये तो ब्राह्मण जीवन के अनुभव में खो जाओ। फरिश्ता शब्द कहो तो फरिश्ता बन जाओ।* मुश्किल है? नहीं? कुमार बोलो थोडा मुश्किल है? आप फरिश्ते हो या नहीं? आप ही हो या दूसरे हैं? कितने बार फरिश्ते बने हो? अनगिनत बार बने हो। आप ही बने हो? अच्छा।
〰✧ अनगिनत बार की हुई बात को रिपीट करना क्या मुश्किल होता है? कभी-कभी होता है? *अभी यह अभ्यास करना। कहाँ भी हो 5 सेकण्ड मन को घुमाओ, चक्कर लगाओ।* चक्कर लगाना तो अच्छा लगता है ना टीचर्स ठीक है ना राउण्ड लगाना आयेगा ना?
〰✧ बस राउण्ड लगाओ फिर कर्म में लग जाओ। *हर घण्टे में राउण्ड लगाया फिर काम में लग जाओ क्योंकि काम को तो छोड नहीं सकते हैं ना!* डयुटी तो बजानी है। लेकिन 5 सेकण्ड, मिनट भी नहीं, सेकण्ड नहीं निकल सकता है? निकल सकता है? यू.एन.की ऑफिस में निकल सकता है? *मास्टर सर्वशक्तिवान हो। तो मास्टर सर्वशक्तिवान क्या नहीं कर सकता।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *परिस्तिथि में आने से कमजोरी में आ जाते, स्व-स्थिति में आने से शक्ति आती है। तो परिस्थिति में आकर ठहर नहीं जाना है।* स्व-स्थिति की इतनी शक्ति है जो कोई भी परिस्थिति को परिवर्तन कर सकती है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप जो समझाते हैं स्वयं में धारणा कर दूसरों को कराना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा हिस्ट्री हॉल में बापदादा के सम्मुख बैठी हूँ... गॉडली स्टूडेंट बन ज्ञान मुरली सुन रही हूँ... ज्ञान सागर में डुबकी लगाकर साथ-साथ ज्ञान का मंथन करती जा रही हूं…* मैं अविनाशी आत्मा अविनाशी बाबा के अविनाशी ज्ञान को धारण कर रही हूँ... प्यारे बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं... *बाबा के हाथों से ज्ञान, गुण, शक्तियों के हीरे बरस रहे हैं... मैं आत्मा इन हीरों से अपना श्रृंगार करके औरों का भी श्रृंगार कर रही हूँ...*
❉ *21 जन्मों की राजाई का सुख पाने के लिए ज्ञान का मंथन कर धारणा करने की समझानी देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता से पाये अमूल्य रत्नों को जितना लुटाओगे, उतने मालामाल हो, सतयुग के सुखो में मुस्कराओगे... *इसलिए इन बेशकीमती रत्नों को बुद्धि में इस कदर समाओ और जीवन में उसकी ऐसी मीठी झलक दिखाओ कि हर दिल आत्मा सच्चे ज्ञान को पाने को लालायित हो जाए...”*
➳ _ ➳ *शिवसागर में डूबकर ज्ञान रत्नों रूपी अमूल्य खजानों की मालिक बन ख़ुशी की लहर फैलाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा ईश्वरीय रत्नों को पाकर रत्नों की ख़ान बनती जा रही हूँ... और इस दौलत की बदौलत पायी असीम ख़ुशी की झलक और फलक सारे विश्व में फैला रही हूँ...* सच्चे ज्ञान रत्नों को पाकर जीवन आनन्द से भर गया है...”
❉ *अपनी मीठी वाणी से मुझे महान बनाकर सबका कल्याण करने की शिक्षा देते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... 21 जनमो की खुबसूरत राजाई का राज ज्ञान रत्नों के दान में छुपा सा है... *यह खजाना जितना लुटाओगे उतने तकदीरवान भाग्यवान बन अनन्त सुखो के झूले में खिलखिलायेंगे...* इस कीमती धन का हकदार सबको बनाओ,.. और सबका जीवन आप समान सुखी बनाओ...”
➳ _ ➳ *शिव परमात्मा के ज्ञान को धारण कर ज्ञान स्वरुप बन अंधकार भरे जग में सबकी ज्योति जगाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ज्ञान खजाने से भरपूर होकर ऐसा ज्ञानवान धनवान् सबको बनाती जा रही हूँ... सबके जीवन में मीठे सुखो की दस्तक देकर खुशियो की बहारो का आप समान हकदार बना रही हूँ... *ज्ञान की धारणा से सच्ची खुशियो का हर पल आभास करा रही हूँ...”*
❉ *ज्ञान की जादुई छड़ी घुमाकर मनुष्य से देवता बनने का हुनर सिखाते हुए मेरे जादूगर बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता गोद में बिठाकर ज्ञान रत्नों से सजा संवार रहे है... *देवता सा सौंदर्य और अतुल धन सम्पदा दिलाने वाला यह अनमोल ज्ञान खजाना... सहज ही पाने वाले महान आत्मा हो...* इस नशे को रोम रोम में भर दो और ज्ञान का प्रतीक बन सबको प्रेरित करो...”
➳ _ ➳ *ज्ञानामृत पीकर शुद्ध, पावन बन सद्गुणों से विश्व को जगमग जगमग चमकाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... आपसे पाये दिव्य गुण शक्तियाँ और अथाह ज्ञान रत्नों की झनकार से हर दिल को मन्त्रमुग्ध कर रही हूँ... *मेरे ईश्वरीय रंगरूप को देख हर दिल ईश्वरीय ज्ञान का आतुर हो उठा है...* और जनमो की अतृप्त आत्माये सदा का सुख पा रही है...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप से 21 पीढ़ी का वर्सा लेने के लिए निरन्तर बाप और वर्से को याद करने का पुरुषार्थ करना है*"
➳ _ ➳ *स्वर्ग की स्थापना करने वाले अपने भगवान बाप और उनसे मिलने वाले स्वर्ग के वर्से को एकांत में बैठ याद करते हुए मैं अनुभव करती हूँ जैसे मेरे मीठे बाबा अपने रथ पर सवार होकर मेरे सामने आ गए हैं और अपनी दोनों बाहों को फैलाये बड़े प्यार से मेरी और निहार रहें हैं*। बापदादा की लाइट माइट जैसे - जैसे मुझे छू रही है ऐसा लग रहा है जैसे मेरा साकार शरीर बिल्कुल जड़ होता जा रहा है और एक लाइट का अति सूक्ष्म शरीर मेरे उस जड़ साकार शरीर से बाहर निकल रहा है।
➳ _ ➳ मैं आत्मा भी अपने साकार शरीर को छोड़ इस अति सूक्ष्म आकारी शरीर में विरजमान हो गई हूँ। अपने इस अति सूक्ष्म लाइट के आकारी शरीर मे मैं स्वयं को बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूँ। *यह हल्कापन मुझे एक अद्भुत सुखद अनुभूति करवा रहा है। धरती का आकर्षण जैसे समाप्त हो गया है और मैं डबल लाइट बन धीरे - धीरे बापदादा की ओर जा रही हूँ*। बापदादा के पास पहुंच कर मैं देख रही हूँ बाबा बाहें फैलाये खड़े है। बाबा के एक हाथ में स्वर्ग का मॉडल है। उसे देखते ही बाबा के महावाक्य स्मृति में आने लगते है कि "बच्चे मैं तुम्हारे लिए हथेली पर बहिश्त ले कर आया हूँ"
➳ _ ➳ अचंभित होकर मैं बाबा की हथेली को देख रही हूँ। बाबा मुस्कराते हुए मुझे इशारा कर अपने पास बुलाते हैं। *जैसे - जैसे मैं बाबा के और नजदीक जा रही हूँ मेरा सूक्ष्म शरीर और भी सूक्ष्म होता जा रहा है*। इतना सूक्ष्म कि बाबा मुझे अपनी हथेली पर उठा लेते हैं। देखते ही देखते उस स्वर्ग के मॉडल के अंदर मैं प्रवेश कर जाती हूँ। *इस मॉडल के अंदर प्रवेश करते ही मैं स्वयं को प्रकृतिक सौंदर्य से भरपूर एक बहुत ही सुंदर स्वर्गिक दुनिया में पाती हूँ*।
➳ _ ➳ देवी देवताओं की इस अति सुन्दर दुनिया देवलोक में अब मैं स्वयं को अपने सम्पूर्ण सतोप्रधान देवताई स्वरूप में देख रही हूँ। जहां चारों ओर प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य है। *हरे भरे पेड़ पौधे और उन पेड़ पौधों की टालियों पर चहचहाते रंग-बिरंगे खूबसूरत पक्षी, वातावरण में गूंजती कोयल की मधुर आवाज, फूलों पर इठलाती रंग बिरंगी तितलियां, बागों में नाचते सुंदर मोर, कल-कल करते सुगंधित मीठे जल के झरने, रस भरे फलों से लदे वृक्ष और चारों ओर अपनी सतरंगी छटा बिखेरती सूर्य की किरणे*। ऐसा प्रकृति का सौंदर्य मैं अपनी आंखो से देख आनन्द विभोर हो रही हूँ।
➳ _ ➳ इस देवपुरी में राजा हो या प्रजा सभी असीम सुख, शान्ति और सम्पन्नता से भरपूर हैं। चारों ओर ख़ुशी की शहनाइयाँ बज रही हैं। रमणीकता से भरपूर देवलोक के इन खूबसूरत नजारों का भरपूर आनन्द लेने के बाद मैं स्वयं को फिर से अपने उसी अति सूक्ष्म लाइट के शरीर में देखती हूँ और उस मॉडल से बाहर निकल आती हूँ। *अपने प्यारे बापदादा के मुख पर मैं फिर से वही गुह्य मुस्कराहट देख रही हूँ और उस मुस्कराहट में छुपे राज को जानने का प्रयास कर रही हूँ*। बाबा की यह अति गुह्य मुस्कराहट बाबा के हर संकल्प को मेरे सामने स्पष्ट कर रही हैं। अपने संकल्प द्वारा बाबा मुझे 21 पीढ़ी के लिए स्वर्ग का वर्सा लेने का पुरुषार्थ करने का इशारा दे रहें हैं।
➳ _ ➳ बापदादा के हर इशारे को समझ, बाबा से 21 पीढ़ी का वर्सा लेने के लिए बाप और वर्से को याद करने का पुरुषार्थ करने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा और बाबा से प्रोमिस करके अब मैं वापिस अपने ब्राह्मण स्वरूप में लौट आती हूँ और *इस प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए, विश्व महाराजन बनने के अपने लक्ष्य को सदा स्मृति में रख, अपने इस लक्ष्य को पाने के लिए निरन्तर बाप और वर्से को याद करने का पुरुषार्थ अब मैं हर पल कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सदा स्नेह और सहयोग द्वारा अविनाशी रत्न का टाइटल प्राप्त करने वाली अमर आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं पवित्रता की यथार्थ धारणा कर हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त करने वाली पवित्र आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. हाथ इसीलिए उठवाते हैं, जैसे अभी तक एक देा को देख करके हाथ उठाने में उमंग आता है ना! ऐसे ही *जब भी कोई समस्या आवे तो सामने बापदादा को देखना, दिल से कहना बाबा, और बाबा हाजिर हो जायेगा, समस्या खत्म हो जायेगी।* समस्या सामने से हटा जायेगी और बापदादा समाने हाजिर हो जायेगा। 'मास्टर सर्वशक्तिवान' अपना यह टाइटल हर समय याद करो।
➳ _ ➳ 2. मास्टर सर्वशक्तिवान है, मास्टर सर्वशक्तिवान क्या नहीं कर सकते हैं! सिर्फ अपना टाइटल और कर्तव्य याद रखो। *टाइटल है 'मास्टर सर्वशक्तिवान' और कर्तव्य है 'विश्व-कल्याणकारी'। तो सदा अपना टाइटल और कर्तव्य याद करने से शक्तियाँ इमर्ज हो जायेंगी।* मास्टर बनो, शक्तियों के भी मास्टर बनो, आर्डर करो, हर शक्ति को समय पर आर्डर करो। वैसे शक्तियाँ धारण करते भी हो, हैं भी लेकिन सिर्फ कमी यह हो जाती है कि समय पर यूज नहीं करने आती। समय बीतने के बाद याद आता है, ऐसे करते तो बहुत अच्छा होता। *अब अभ्यास करो जो शक्तियाँ समाई हुई हैं, उसको समय पर यूज करो।* जैसे इन कर्मेन्द्रियों को आर्डर से चलाते हो ना, हाथ को, पाँव को चलाते हो ना! ऐसे हर शक्ति को आर्डर से चलाओ। कार्य में लगाओ। समा के रखते हो, कार्य में कम लगाते हो। *समय पर कार्य में लगाने से शक्ति अपना कार्य जरूर करेगी।*
✺ *ड्रिल :- " 'मास्टर सर्वशक्तिवान' के टाइटल की स्मृति में रह हर शक्ति को आर्डर से चलाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य को देख कर मन ही मन आनंदित हो रही हूँ... *स्वयं भाग्यविधाता मुझे जन्म-जन्म का अविनाशी भाग्य देने आए हैं... मेरे जीवन की पतवार स्वयं भगवान ने अपने हाथों में थाम ली है... मीठे बाबा ने मुझे हर चिंता, बोझ से फारिंग कर बेफिकर बादशाह बना दिया है*... मैं बाबा के दिलतख्त पर आसीन हूँ... बाबा के दिल के बिल्कुल समीप हूँ... उनका अगाध स्नेह मुझ पर बरस रहा है... मुझ आत्मा ने भी अपने दिल में एक दिलाराम को बसा लिया है... मैं आत्मा दिलाराम बाबा की सच्ची दिलरुबा हूँ...
➳ _ ➳ मेरे नैनों में एक बाबा की ही मूरत समाई हुई है... नैनों के सामने होना अलग बात है, बाबा तो मेरे नयनों में समा ही गये हैं... बस मैं और मेरा बाबा... इस लवलीन स्थिति में मुझ आत्मा की विनाशी दुनिया से, देहधारी से या कोई भी बाहरी आकर्षण से कोई भी खींच नहीं है... *मैं आत्मा बाबा के नयनों की नूर हूँ... अपने मीठे बाबा से कंबाइंड हूँ... मैं अपने शिव शक्ति स्वरुप में स्थित हूँ...*
➳ _ ➳ इस कंबाइंड स्वरुप में कितना सुख है, आनंद है... जो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता... मुझ आत्मा का हर कदम, हर कर्म श्रीमत प्रमाण हो रहा है... *हर क्षण मेरे बाबा मेरे साथ हैं... बाबा के हाथ और साथ से हर समस्या समाप्त होती जा रही है... मैं आत्मा निर्विघ्न बनती जा रही हूँ*... हर बाधा ईश्वरीय छत्रछाया में खत्म होती जा रही है...
➳ _ ➳ मीठे बाबा हम बच्चों को कितने टाइटल, स्वमान देते हैं... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... बाबा ने मुझे यह टाइटल दिया है... *स्वयं भगवान ने कहा है- बच्चे तुम मास्टर सर्वशक्तिमान हो... मुझ शक्तिशाली आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नहीं है... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... और मुझ आत्मा का कर्तव्य है विश्व का कल्याण करना... अपने स्वमान और कर्तव्य की स्मृति से मुझ आत्मा की सोई हुई समस्त शक्तियाँ जागृत हो रही हैं*... मैं सर्व शक्तियों की अधिकारी आत्मा बन रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं सर्व शक्तियों की मालिक हूँ... *जिस शक्ति को आर्डर किया, वह शक्ति हाजिर हो रही है... मैं शक्ति को समय और परिस्थिति अनुसार यूज़ कर रही हूँ*... मैं आत्मा राजा मन, बुद्धि, संस्कारों को और स्थूल कर्मेन्द्रियों को आर्डर प्रमाण चला रही हूँ... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हर शक्ति को कर्म में ला रही हूँ... समय पर उसका उपयोग कर रही हूँ... *समय पर कार्य में लगाने से मुझ आत्मा की शक्तियां बढ़ती जा रही हैं... मैं सर्व शक्तियों की मालिक बन जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता है... उस समय उसी शक्ति का आह्वान कर उसको यूज कर रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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