━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 24 / 11 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *दूसरों की मत के प्रभाव में तो नहीं आये ?*
➢➢ *नशे में रह ईश्वरीय सेवा की ?*
➢➢ *सदा अपनी श्रेष्ठ शान में रह परेशानियों को मिटाया ?*
➢➢ *सदा अपने स्वमान में रह सर्व का मान प्राप्त किया ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *चलते - फिरते अपने को निराकारी आत्मा और कर्म करते अव्यक्त फरिश्ता समझो तो साक्षी दृष्टा बन जायेंगे।* इस देह की दुनिया में कुछ भी होता रहे, लेकिन फरिश्ता ऊपर से साक्षी हो सब पार्ट देखते, सकाश अर्थात् सहयोग देता है। सकाश देना ही निभाना है।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं एकरस स्थिति का अनुभव करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*
〰✧ *'सदा एक बाप की याद में रहने वाली, एकरस स्थिति का अनुभव करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ' - ऐसे अनुभव करते हो?*
〰✧ *जहाँ एक बाप याद है, वहाँ एकरस स्थिति स्वत: सहज अनुभव होगी। तो एकरस स्थिति श्रेष्ठ स्थिति है।*
〰✧ *एकरस स्थिति का अनुभव करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ - यह स्मृति सदा ही आगे बढ़ाती रहेगी। इसी स्थिति द्वारा अनेक शक्तियों की अनुभूति होती रहेगी।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ ऐसे नहीं, योग में बैटेंगे तो फुलस्टॉप लगेगा। हलचल में फुलस्टॉप। इतनी पॉवरफुल ब्रेक है? कि ब्रेक लगायेंगे यहाँ और ठहरेगी वहाँ। और समय पर फुलस्टॉप लगे, *समय बीत जाने के बाद फुलस्टॉप लगाया तो उससे फायदा नहीं है।* सोचा और हुआ।
〰✧ सोचते ही नहीं रहो कि मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ, आत्मा हूँ, मेरे को फुलस्टॉप लगाना है और कुछ नहीं सोचना है, यह सोचते भी टाइम लग जायेगा। ये सेकण्ड का फुलस्टॉप नहीं हुआ। *ये अभ्यास स्वयं ही करो। कोई को कराने की आवश्यकता नहीं है।* क्योंकि नये चाहे पुराने, सभी यह विधि तो जानते हो ना!
〰✧ तो अभ्यास बहुतकाल का चाहिए। उस समय समझो - नहीं, मैं फुल स्टॉप लगा दूँगी! नहीं लगेगा, यह पहले से ही समझना उस समय, समय अनुसार कर लेंगे! नहीं, होगा ही नहीं। *बहुत काल का अभ्यास काम में आयेगा।* क्योंकि कनेक्शन है।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *कोई भी कार्य करते सिर्फ यह सोचो- मैं निमित हूँ कराने वाला कौन है?* जैसे भक्तिमार्ग में शब्द उच्चारण करते थे 'करन-करावनहार'। लेकिन वह दूसरे अर्थ से कहते थे। लेकिन इस समय जो भी कर्म करते हो उसमें करनकरावनहार तो है ना? कराने वाला बाप है, करने वाला निमित्त है। *अगर यह स्मृति में रख कर्म करते हैं तो सहज स्मृति नहीं हुई? निरन्तर योगी नहीं हुए?* फिर कभी हंसी में नीचे आयेंगे भी तो ऐसे अनुभव करेंगे जैसे हूबहू स्टेज पर कोई ऐक्टर होते हैं तो समझते हैं कि लोक-कल्याण अर्थ हंसी का पार्ट बजाया। फिर अपनी स्टेज पर तो बिल्कुल ऐसे अनुभव होगा जैसे अभी-अभी यह पार्ट बजाया, अब दूसरा पार्ट बजाता हूँ। *खेल महसूस होगा। साक्षी हो जैसे पार्ट बजा रहे हैं। तो सहज योगी हुए ना?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
*✺ "ड्रिल :- बाप और वर्से को याद करना"*
➳ _ ➳ *सत्य के प्रकाश से कोसो दूर मै आत्मा... देह के रिश्तो और धंधो में फंसी हुई, जकड़ी हुई थी... कि अचानक मीठे बाबा ने मुझे अपना हाथ देकर उस देह के दलदल से बाहर खींच लिया... और आज अपना चमकदार जीवन और उज्ज्वल भविष्य को पाकर मै आत्मा कितनी भाग्यशाली हो गयी हूँ...* इसी मीठे चिंतन में खोयी हुई मै आत्मा... फ़रिश्ते रूप में दिल की गहराइयो से, मीठे बाबा का शुक्रिया करने... और बाबा को बेपनाह प्यार करने वतन में पहुंचती हूँ...
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अलौकिकता से सजाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *सदा ईश्वरीय यादो में डूबकर, सारी शक्तियो और खजानो से सम्पन्न बनकर, देवताई सुखो के मालिक बन मुस्कराओ.*.. ईश्वरीय साथ का यह समय बहुत कीमती है, इसे हर पल ईश्वरीय यादो में लगाओ... *सिर्फ मीठे बाबा और वर्से को याद करने का ही धंधा करो..."*
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा संग यादो में झूलते हुए कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी यादो की छत्रछाया में पलकर कितनी सुखी हो गयी हूँ... *हर साँस आपको याद कर, अथाह सुखो और धन सम्पदा की मालिक बन रही हूँ.*.. देह की मिटटी से निकल ईश्वरीय यादो में खो गयी हूँ..."
❉ *प्यारे बाबा मुझ आत्मा को अपनी यादो की तरंगो से भिगोते हुए कहते है :-* "मीठे लाडले प्यारे बच्चे... देहभान से निकल, अपने सत्य स्वरूप के नशे में डूबकर... हर समय मीठे बाबा को याद करो... *यादो में ही सारे सुख समाये है... इसलिए बाकि सारे धंधे छोड़, सिर्फ मीठे बाबा को ही याद करने का धंधा करो.*.. और सतयुगी मीठे सुख को याद करो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा के ज्ञान वचनो को दिल में उतारते हुए कहती हूँ :-* "मेरे मीठे मीठे बाबा... *आपकी मीठी प्यारी यादो में, मै आत्मा अतुल खजानो को पाती जा रही हूँ.*.. सबको आपका परिचय देकर, सच्चे प्रेम सुख शांति की राहो पर चला रही हूँ..."
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी यादो के मीठे अहसासो में डूबते हुए कहा :-* "मीठे सिकीलधे लाडले बच्चे... देह के सारे धंधो को अब छोड़, सिर्फ रूहानी धंधा करो... *हर घड़ी, हर साँस, हर संकल्प, से मीठे बाबा और असीम खजानो दौलत को ही याद करो..*. याद करते करते, सुखो भरी खुबसूरत दुनिया के मालिक बन जायेंगे... इसलिए सिर्फ यादो का ही कारोबार करो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा प्यारे बाबा की अमूल्य शिक्षाओ को बुद्धि पात्र में समाते हुए कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मुझ आत्मा ने जीवन का कितना समय देह के रिश्तो के पीछे खपा दिया... और अब जो आप मिले हो तो मै आत्मा... हर साँस आपकी याद में ही खोयी हुई हूँ... आपकी यादो के सिवाय मुझे अब कोई कार्य नही... *आपकी यादे और देवताई जीवन ही मेरी सांसो का लक्ष्य है..*."मीठे बाबा को अपने दिल की बात बताकर मै आत्मा स्थूल जगत में आ गयी...
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- श्रीमत पर सदा श्रेष्ठ कर्म करने हैं*"
➳ _ ➳ अपनी श्रेष्ठ मत द्वारा, श्रेष्ठ कर्म सिखला कर जीवन को श्रेष्ठ बनाने वाले श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ परम पिता परमात्मा शिव बाबा का दिल ही दिल मे मैं शुक्रिया अदा करती हूं जिन्होंने मेरे कौड़ी तुल्य जीवन को अपनी श्रेष्ठ मत द्वारा हीरे तुल्य बना दिया। अपनी *मनमत पर और आसुरी मनुष्यों की मत पर चल कर आज तक केवल दुख और निराशा का ही अनुभव किया किन्तु मेरे दिलाराम श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ शिव बाबा ने आ कर मेरे जीवन को सुखी और शांतमय बना दिया*। कदम कदम पर मेरे मीठे बाबा ने मुझे श्रीमत दे कर मेरी हर मुश्किल को सहज बना दिया। अपने प्यारे बाबा की अपने ऊपर असीम अनुकम्पा का अनुभव करते ही मैं खो जाती हूँ अपने दिलाराम शिव बाबा की मीठी यादों में।
➳ _ ➳ मीठे बाबा की मीठी यादें दिल को असीम सुकून देने वाली है, दुःखो से किनारा करवाकर सुखों से भरपूर करने वाली हैं। इस असीम सुख और सुकून का अनुभव करते करते देह से न्यारी हो कर मैं आत्मा *उमंग उत्साह के पंख लगा कर, ऊंची उड़ान भरते हुए पहुंच जाती हूँ अपने दिलाराम शिव बाबा के पास निर्वाणधाम जहां मेरे दिलाराम बाबा निवास करते हैं*। शांति की ऐसी दुनिया जहां पहुंचते ही आत्मा गहन शांति के अनुभव में खो कर तृप्त हो जाती है। उसी शान्तिधाम में शांति के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के सानिध्य में आ कर अब मैं आत्मा उनका सच्चा और निस्वार्थ प्रेम पा कर सपष्ट अनुभव कर रही हूं कि झूठी देह और देह के सम्बन्धो से जुड़ा प्रेम केवल और केवल स्वार्थ से भरा है।
➳ _ ➳ अपने दिलाराम मीठे बाबा का निस्वार्थ प्यार पा कर अब मैं देह और देह के सम्बन्धो से सहज ही नष्टोमोहा बनती जा रही हूं। *बाबा का असीम प्यार और दुलार बाबा से आ रही सर्वशक्तियों रूपी किरणों के रूप में निरन्तर मुझ आत्मा पर बरस रहा है*। सर्वशक्तियों की शीतल छत्रछाया मुझ पर निरन्तर सर्वशक्तियों की मीठी मीठी फुहारें बरसा रही है। अतीन्द्रिय सुख के झूले में मैं आत्मा झूल रही हूं। बाबा से असीम स्नेह पा कर, सर्वशक्तियों से भरपूर हो कर अब मैं आत्मा वापिस लौट आती हूँ अपनी साकारी देह में।
➳ _ ➳ बाबा के प्रेम के रंग में रंगी अब मैं आत्मा देह और देह की दुनिया में रहते हुए भी स्वयं को इस नश्वर दुनिया से न्यारा अनुभव कर रही हूं। अब मेरे सर्व सम्बन्ध केवल मेरे दिलाराम बाबा के साथ हैं। *उनसे सर्व सम्बन्धों का सुख लेते हुए मैं देह और देह से जुड़े सम्बन्धों से सहज ही उपराम होती जा रही हूं*। देह और देह से जुड़े सम्बन्धों के बीच रहते भी उनसे तोड़ निभाते अब मेरा बुद्धि योग केवल मेरे दिलाराम बाबा के साथ जुटा हुआ है। किसी भी प्रकार का कोई भी बोझ अब मुझ आत्मा को भारी नही बना रहा। *प्रवृति में रहते, ट्रस्टी हो कर हर जिम्मेवारी सम्भालते अब मैं नष्टोमोहा बन हल्केपन का अनुभव कर रही हूं*। अपने प्यारे दिलाराम बाबा के साथ जीवन को जीने का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूं।
➳ _ ➳ श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ अपने शिव पिता परमात्मा की श्रेष्ठ मत पर हर कदम चलते हुए अब मैं अपने जीवन को सर्वश्रेष्ठ बना रही हूं। *बापदादा द्वारा मिले ज्ञान, गुणों और शक्तियों के श्रृंगार को धारण कर श्रृंगारीमूर्त आत्मा बन मैं अनेकों आत्माओं को दिव्य गुणों का श्रृंगार कराए उनके कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बनाने में सहयोगी बन रही हूं*। बाबा की श्रीमत पर चल भविष्य श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने का तीव्र पुरुषार्थ अब मैं आत्मा निरन्तर कर रही हूं।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सदा अपनी श्रेष्ठ शान में रह परेशानियों को मिटाने वाली मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं सदा अपने स्वमान में रहकर सर्व का मान प्राप्त करने वाली स्वमानधारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *आज बापदादा ने जमा का खाता देखा इसलिए आज विशेष अटेन्शन दिला रहे हैं कि समय की समाप्ति अचानक होनी है। यह नहीं सोचो कि मालूम तो पड़ता रहेगा, समय पर ठीक हो जायेंगे।* जो समय का आधार लेता है, समय ठीक कर देगा, या समय पर हो जायेगा.... उनका टीचर कौन? समय या स्वयं परम-आत्मा? *परम-आत्मा से सम्पन्न नहीं बन सके और समय सम्पन्न बनायेगा, तो इसको क्या कहेंगे? समय आपका मास्टर है या परमात्मा आपका शिक्षक है?* तो ड्रामा अनुसार अगर समय आपको सिखायेगा या समय के आधार पर परिवर्तन होगा तो बापदादा जानते हैं कि प्रालब्ध भी समय पर मिलेगी क्योंकि समय टीचर है। *समय आपका इन्तजार कर रहा है, आप समय का इन्तजार नहीं करो। वह रचना है, आप मास्टर रचता हो। तो रचता का इन्तजार रचना करे, आप मास्टर रचता समय का इन्तजार नहीं करो।*
✺ *ड्रिल :- "समय का इन्तजार न कर सम्पन्न बनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *मैं मास्टर रचयिता आत्मा हूँ... मैं सर्व शक्तियों से सम्पन्न आत्मा हूँ...* मेरे परम पिता परमात्मा ने मुझ आत्मा को ज्ञान दिया है कि... *समय आपकी रचना है... घड़ी के काँटे आप हो... आप ही रचयिता हो...* मैं आत्मा इस ज्ञान को धारण कर... पवित्र बन... कलयुगी समय को... सतयुगी समय में परिवर्तित कर रही हूँ... *मुझ आत्मा के पावन बनने से... पवित्र बनने से... सारा वायुमंडल... और सारी प्रकृति... पवित्र बन रही है... और सारा समय परिवर्तित हो रहा है...*
➳ _ ➳ *बाबा ने बताया है... समय से पहले सम्पूर्ण बनो... समय के बाद में सम्पूर्ण बने तो वह समय की महिमा होगी... आपकी नहीं...* मैं आत्मा बाबा के इन महावाक्यों को धारण कर... श्रेष्ठ और तीव्र पुरुषार्थ कर रही हूँ... *मैं आत्मा समय से पहले सम्पूर्ण बन गयी हूँ... जिससे सारे कल्प में मुझ आत्मा का महत्व रहता है... मुझ आत्मा की महिमा होती है...* क्यूँकि मैं आत्मा समय को परिवर्तित करने में... बापदादा की मददगार बनी हूँ... जैसे बाप की महिमा वैसे ही बच्चे की महिमा...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा का बाबा ने जमा का खाता देखा... और *बाबा ने मुझ आत्मा को विशेष अटेन्शन दिलाया... कि समय की समाप्ति अचानक होनी है...* मुझ आत्मा को समझ आ गया है कि... *अभी कमी रखने का समय बीत चुका है...* मैं आत्मा तीव्र पुरुषार्थ कर... समय से फास्ट निकल रही हूँ... और समय को नजदीक ला रही हूँ... मैं आत्मा समय को अपने अनुसार परिवर्तित कर रही हूँ... समय के परिवर्तित होने का इंतजार नहीं करती हूँ... *जो आत्मा समय का आधार लेती है... या सोचते हैं कि समय ठीक कर देगा... या समय पर हो जायेगा... उनका टीचर समय होता है... वो आत्मा फिर रचना बन जाती है... समय उनका रचयिता बन जाता है...* मैं आत्मा जानती हूँ कि... महिमा रचयिता की होती है... रचना की नहीं... इसलिए मैं आत्मा स्वयं परमात्मा से सम्पन्न बनती हूँ... समय मुझ आत्मा का मास्टर नहीं है... समय मुझ आत्मा का शिक्षक नहीं है... स्वयं परमात्मा मुझ आत्मा का शिक्षक है...
➳ _ ➳ *अगर ड्रामा अनुसार समय मुझ आत्मा को सिखाता है... या समय के आधार पर मुझ आत्मा का परिवर्तन होता है... तो प्रालब्ध भी समय पर मिलेगी... क्योंकि समय टीचर है...* बाबा ने मुझ आत्मा को बताया है कि... आप समय के रचयिता हो... *समय आप विश्व परिवर्तक आत्माओं का इन्तजार कर रहा है... आप समय का इन्तजार नहीं करो... समय रचना है... आप आत्मा मास्टर रचता हो... तो रचता का इन्तजार रचना करती है...* आप मास्टर रचता समय का इन्तजार नहीं करो... मैं आत्मा बाबा के दिए... इस ज्ञान को हमेशा बुद्धि में रखती हूँ... और समय और प्रकृति को अपने अनुसार... परिवर्तित करती हूँ...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━