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 26 / 06 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *"हम आत्मा भाई-भाई हैं" - यह पाठ पक्का किया ?*

 

➢➢ *डिबेट किसी से नहीं करनी है ?*

 

➢➢ *उमग उत्साह द्वारा विघनो को समाप्त किया ?*

 

➢➢ *एकरस अवस्था के आसन पर विराजमान रहे ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *पाप कटेश्वर वा पाप हरनी तब बन सकते हो जब याद ज्वाला स्वरूप होगी। इसी याद द्वारा अनेक आत्माओं की निर्बलता दूर होगी।* इसके लिए हर सेकण्ड, हर श्वांस बाप और आप कम्बाइन्ड होकर रहो। कोई भी समय साधारण याद न हो। स्नेह और शक्ति दोनों रूप कम्बाइन्ड हो।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं सर्व प्राप्ति स्वरूप श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*

 

  सदा अपने को सर्व प्राप्ति-स्वरूप श्रेष्ठ आत्मा अनुभव करते हो? *क्योंकि प्राप्ति-स्वरूप ही औरों को सर्व प्राप्ति करा सकता है। देने में लेना स्वत: ही समाया है। अभी अपने बहन-भाइयों को भिखारी देख रहम तो आता है ना।* जब परमात्म प्राप्तियो के अधिकारी बन गये तो पा लिया-सदा दिल में यही गीत गाते हो? पाना था सो पा लिया। सम्पन्न बन गये। ऐसे सम्पन्न बन गये या विनाश तक बनेंगे?

 

✧  अगर समय सम्पन्न वा सम्पूर्ण बनाये तो रचना पावरफुल हुई या रचता? *तो समय पर नहीं बनना है, समय को समीप लाना है। समय का इन्तजार करने वाले नहीं हो। जब पा लिया तो पाने की खुशी में रहने वाले सदा ही एवररेडी रहते हैं।* कल भी विनाश हो जाये तो तैयार हो? या थोड़ा टाइम चाहिए? एवररेडी, नष्टोमोहा, स्मृति-स्वरूप इसमें पास हो? एवररेडी का अर्थ ही है-नष्टोमोहा स्मृति-स्वरूप। या उस समय याद आयेगा कि पता नहीं बच्चे क्या कर रहे होंगे, कहाँ होंगे, छोटे-छोटे पोत्रों का क्या होगा? यहीं विनाश हो जाये तो याद आयेंगे? पति का भी कल्याण हो जाये, पोत्रे का भी कल्याण हो जाये, उन्हों को भी यहाँ ले आयें-याद आयेगा? बिजनेस का क्या होगा, पैसे कहाँ जायेंगे? रास्ते टूट जायें फिर क्या करेंगे? देखना, अचानक पेपर होगा।

 

✧  सदा न्यारा और प्यारा रहना-यही बाप समान बनना है। जहाँ हैं, जैसे हैं लेकिन न्यारे हैं। यह न्यारापन बाप के प्यार का अनुभव कराता है। जरा भी अपने में या और किसी में भी लगाव न्यारा बनने नहीं देगा। *न्यारे और प्यारेपन का अभ्यास नम्बर आगे बढ़ायेगा। इसका सहज पुरुषार्थ है निमित्त भाव। निमित्त समझने से 'निमित्त बनाने वाला' याद आता है। मेरा परिवार है, मेरा काम है। नहीं, मैं निमित्त हूँ। निमित्त समझने से पेपर में पास हो जायेंगे।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  जैसे कल्प पहले का भी गायन है अर्जुन का - साधारण सखा रूप भी देखा लेकिन वास्तविक रूप का साक्षात्कार करने के बाद वर्णन किया कि आप क्या हो! इतना श्रेष्ठ और वह साधारण सखा रूप! इसी रीति आपके भी साक्षात्कार होंगे चलते-फिरते। दिव्य दृष्टि में जाकर देखें वह बात और है। जैसे शुरू में चलते-फिरते देखते रहते थे। यह ध्यान में जाकर देखने की बात नहीं। *जेसे एक साकार बाप का आदि में अनुभव किया वैसे अंत में अभी सबका साक्षात्कार होगा।*

 

✧  यह साधारण रूप गायब हो जावेगा, फरिश्ता रूप या पूज्य रूप देखेंगे। जैसे शुरू में आकारी ब्रह्मा और श्रीकृष्ण का साथ-साथ साक्षात्कार होता था। वैसे अभी भी यह साधारण रूप देखते हुए भी दिखाई न दे। आपके पूज्य देवी या देवता रूप या फरिश्ता रूप देखें। *लेकिन यह तब होगा जब आप सबका पुरुषार्थ देखते हुए न देखने का हो - तब ही अनेक आत्माओं को भी आप महान आत्माओं का यह साधारण रूप देखते हुए भी नहीं दिखाई देगा।*

 

✧  आँख खुले-खुले एक सेकण्ड में साक्षात्कार होगा। ऐसी स्टेज बनाने के लिए विशेष अभ्यास बताया कि देखते हुए भी न देखो, सुनते हुए भी न सुनो। *एक ही बात सुनो और एक बिन्दु को ही देखो।* विस्तार को न देख एक सार को देखो। विस्तार को न सुनते हुए सदा सार को ही सुनो। ऐसे जादू की नगरी यह मधुबन बन जावेगा - तो सुना *मधुबन का महत्व अर्थात मधुबन निवासियों का महत्व।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧ *अब से अपने महत्व को जान कर्तव्य को जान सदा जागती ज्योति बनकर रहो।* सेकण्ड में स्व-परिवर्तन से विश्व-परिवर्तन कर सकते हो। इसकी प्रैक्टिस करो अभी-अभी कर्मयोगी,अभी-अभी कर्मातीत स्टेज। *जैसे पुरानी दुनिया का दृष्टान्त देते हैं। आपकी रचना कछुआ सेकण्ड में सब अंग समेट लेता है। समेटने की शक्ति रचना में भी है। आप मास्टर रचता समेटने की शक्ति के आधार से सेकेण्ड में सर्व संकल्पों को समाकर एक संकल्प में सेकण्ड में स्थित हो सकते हो।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अशरीरी बनने की मेहनत करना"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा भृकुटी के भव्य भाल पर बैठकर स्वयं को देख रही हूँ... आसमान के सितारे से भी ज्यादा चमक रही हूँ... एक हीरे समान चमकती हुई मैं एक अति सुन्दर आत्मा हूँ... इस शरीर की मालिक हूँ... कर्मेन्द्रियों को सुचारू रूप से चलाने वाली राजा हूँ...* स्वयं को देह समझ मैं आत्मा देहभान में आ गई और देह अभिमान के वश हो गई... विकारों के अधीन हो गई... स्वयं परमात्मा मेरे पिता ने आकर मुझे तीसरा नेत्र देकर सत्य ज्ञान दिया... मुझे मेरे असली स्वरुप का दर्शन कराया... मैं आत्मा इस देह को छोड़ उड़ चलती हूँ अव्यक्त वतन में... प्यारे बाबा के पास...

 

  *प्यार का सागर प्यार की कश्ती में बिठाकर इस देह की दुनिया से दूर ले जाते हुए कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... सत्य पिता ने जो सत्य स्वरूप का सच्चा परिचय दिया है उस आत्म स्वरूप के नशे में प्रतिपल रहो... *इस विनाशी देह को भूल अपने अविनाशी स्वरूप को ही यादो में बसाओ... जितना अपने चमकते भान के नशे में रहेंगे पिता के दिल में उतना गहरे उतरेंगे...”*

 

_ ➳  *काँटों के जंगल से निकल रंग-बिरंगी तितली बन रूहानी फूलों के बगीचे में अमृत रस का पान करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अब झूठ शरीर की अँधेरी दुखदायी गलियो से बाहर निकल कर... *आत्मा होने के सत्य प्रकाश में चमक उठी हूँ... मीठे बाबा के प्यार में गहरे डूब गई हूँ... और प्रकाशित मणि बन गई हूँ...”*

 

  *मेरे मन मधुबन में प्यार की शीतल चांदनी को बिखेरते हुए मीठे प्यारे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे...खुद को शरीर समझकर जीने से कितने खाली और मायूस हो गए हो.... आवरण को सत्य समझ कर शक्तिहीन निष्प्राण से हो गए हो... *अब आत्मा के सत्य भान में हर साँस को पिरो दो... इस सच्चाई को रोम रोम में भर दो... और मीठे बाबा की मीठी यादो में खोकर अतीन्द्रिय सुख को पा लो...”*

 

_ ➳  *अपने प्रियतम बाबा के प्यार की छांव में अनंत सुखों के गीत गाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे अपना खोया सा स्वरूप... यूँ फिर से जानकर पुलकित हो गई हूँ... *मै आत्मा हूँ, मै आत्मा हूँ इसकी अनन्त गहराइयो में डूबी हूँ... अपने खुबसूरत स्वरूप को जानकर आनन्द में झूम उठी हूँ...”*

 

  *मुझ आत्मा के अविनाशी स्वरुप के दर्शन कराकर मेरी तकदीर की तस्वीर को सजाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब इस देह को और याद न करो....यह देह गहरी ठगी सी है जो भाग्यहीन सा बना देगी... आत्मा होने के सुंदर नशे में खो जाओ... *आत्मा की अनुभूति में जितना डूबेंगे उतना खजानो को तकदीर में भरेंगे और ईश्वर पिता की गहरी यादो में रहेंगे...”*

 

_ ➳  *इस तन से न्यारी होकर ज्योति सितारा बन गगन में चमकती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा अपने सत्य भान में और मीठे बाबा की प्यारी सी यादो में खुशियो से भर उठी हूँ... शरीर की धुंध से निकल कर सत्यआत्मा के उजालो में आ गयी हूँ...* और सत्य को बाँहों में भरकर विजेता सी मुस्करा रही हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सेकण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा बाप से मिलता है, बाप का यह परिचय देही अभिमानी बन कर सबको देना है*

 

_ ➳  सेकण्ड में जीवन मुक्ति का वर्सा देने वाले अपने भगवान बाप का परिचय अपने सभी आत्मा भाइयों को देकर उन्हें भी जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाने की मैं अपने प्यारे पिता से प्रतिज्ञा करती हूँ और मन ही मन विचार करती हूँ कि *शास्त्रो में जिस राजा जनक के लिए गायन है कि सेकण्ड में उन्हें जीवनमुक्ति मिली उस राजा जनक के यथार्थ परिचय से तो सारी दुनिया अनजान है। लेकिन कितनी महान सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो ना केवल उस राजा जनक की जीवन कहानी से परिचित हूँ बल्कि उनके मुख कमल से पैदा होकर अनु जनक बन अपने परमपिता परमात्मा से सेकेण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा पाने की मैं भी अधिकारी आत्मा बन गई*।

 

_ ➳  सेकण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा पाकर, फिर सबको उस जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाने वाले उस राजा जनक अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा का मैं दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ जिनके तन का आधार लेकर भगवान ने हम ब्रह्मा मुख वंशवाली अनु जनक ब्राह्मणों को भी सेकेंड में जीवन मुक्ति का वर्सा दिया। *कदम - कदम अपने प्यारे ब्रह्मा बाप को फॉलो कर, सबको सेकण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाने केे लिए ब्रह्मा बाप समान देही अभिमानी बन सबको बाप का परिचय देने की रूहानी सेवा करने का दृढ़ संकल्प लेकर मैं अपने प्यारे ब्रह्मा बाप की अव्यक्त पालना और उनके अथाह स्नेह से स्वयं को भरपूर करने के लिए अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होती हूँ* और लाइट की सूक्ष्म आकारी देह के साथ अपनी स्थूल देह से बाहर आ जाती हूँ।

 

_ ➳  देह से न्यारी लाइट माइट स्थिति में स्थित होकर मैं एक अद्भुत हल्केपन का अनुभव कर रही हूँ। एक ऐसा हल्कापन जो मुझे देह और देह की दुनिया के हर बन्धन से मुक्त करके, एक न्यारे और प्यारेपन की अनुभूति करवाने के साथ - साथ मुझे धरनी के हर आकर्षण से ऊपर आकाश की ओर ले जा रहा है। *अपने लाइट के फरिश्ता स्वरूप में स्थित होकर अपनी श्वेत रश्मियो को चारों और फैलाता हुआ मैं फरिश्ता ऊपर की और उड़ता हूँ औऱ सारे विश्व का चक्कर लगाकर, सेकण्ड में आकाश को पार करके, उससे और ऊपर उड़कर पहुँच जाता हूँ फरिश्तो के वतन में अव्यक्त बापदादा के पास*। देख रहा हूँ मैं वतन के खूबसूरत नजारों को। चारों और फैला सफेद प्रकाश मन को शांति का अनुभव करवा रहा है। सूक्ष्म लाइट की श्वेत काया में अपने सम्पूर्ण स्वरूप में बापदादा मुझे अपने सामने खड़े दिखाई दे रहें हैं जिनसे निकल रही लाइट सारे वतन में फैल कर वतन को श्वेत प्रकाश से प्रकाशित कर रही है।

 

_ ➳  *वतन में फैली प्रकाश की इन रश्मियों में समाये शक्तिशाली वायब्रेशन्स को स्वयं में समाता हुआ मैं फरिश्ता अब धीरे - धीरे बापदादा के पास पहुँचता हूँ और उनकी बाहों के विशाल घेरे में जाकर समा जाता हूँ। अपनी बाहों के झूले में झुलाते हुए बाबा का असीम स्नेह उनके मस्तक से निकल रही सर्वशक्तियों की रंग बिरंगी किरणों के रूप में मेरे ऊपर बरसने लगता है*। अपने स्नेह की शीतल धाराओं से बाबा मुझे तृप्त कर देते हैं और बड़े प्यार से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास बिठाकर अपनी दृष्टि द्वारा अपनी शक्तियों का बल मेरे अंदर भरने लगते हैं। अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखकर वरदानों से बाबा मेरी झोली भर देते हैं।

 

_ ➳  *देह अभिमान से मुक्त होकर देही अभिमानी बन मुक्ति जीवनमुक्ति का वर्सा पाने का रास्ता सबको बताकर सबका कल्याण करने का वचन अपने प्यारे बापदादा को देकर उनसे शक्तियाँ और वरदान लेकर मैं फरिश्ता वतन से नीचे उतरता हूँ और विश्व ग्लोब पर बैठ सारे विश्व की आत्माओं को सेकण्ड में मुक्ति, जीवनमुक्ति का वर्सा पाने का सन्देश देता हुआ, परमात्म शक्तियाँ सारे विश्व में बिखेरता हुआ अब सारे विश्व का चक्कर लगाकर वापिस साकारी दुनिया मे आ जाता हूँ*।

 

_ ➳  अपनी सूक्ष्म प्रकाश की काया के साथ अपने साकार तन में प्रवेश कर, अपने ब्राह्मण स्वरूप में मैं स्थित हो जाती हूँ और सबको परमात्म सन्देश देने की ईश्वरीय सेवा में लग जाती हूँ। अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी आत्माओं को अब मैं यह संदेश देती रहती हूँ। *सेकण्ड में जीवन मुक्ति का वर्सा बाप से मिलता है, बाप का यह परिचय देही अभिमानी स्थिति में स्थित होकर अब मैं हर आत्मा को देते हुए सर्व का कल्याण करने के बाबा को दिए हुए वचन का पालन करके परमात्म दुआओ से अपनी झोली हर समय भरपूर कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं उमंग - उत्साह द्वारा विघ्नों को समाप्त करने वाली बाप समान समीप रत्न आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *जैसे तपस्वी सदा आसन पर बैठते हैं ऐसे ही मैं एकरस अवस्था के आसन पर विराजमान रहने वाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *क्वेश्चन उठने का मुख्य कारण है-ज्ञानी बने हो लेकिन ज्ञान स्वरूप नहीं होइसलिए छोटे से विघ्न में व्यर्थ संकल्पों की क्यू लग जाती हैऔर उसी क्यू को समाप्त करने में काफी समय लग जाता है।* वातावरण प्रभाव तभी डालता है जब भूल जाते हो कि हम अपनी पॉवरफुल वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाले हैं।

 

✺   *"ड्रिल :- सिर्फ ज्ञानी बनने की बजाये ज्ञान स्वरुप बनकर रहना।”*

 

 _ ➳  *सोने के सितारों से जडित नीले आसमान रूपी चादर के नीचे मैं आत्मा सितारा एकांत में बैठी हूँ... आसमान में सितारे चमक रहे हैं... नीचे जुगनू चमक रहे हैं... रातरानी के फूलों की खुशबू महक रही है... चाँद अपनी चांदनी से मुझे छूने की कोशिश कर रहा है...* मैं आत्मा चमकते हुए जुगनूओं को देख रही हूँ... स्वयं कितने प्रकाशित हैं ये... अपने लाइट से चारों ओर लाइट फैला रहे हैं... किसी भी प्रकार के विघ्नों की भनक लगते ही ये जुगनू अपनी लाइट का स्विच ऑन कर देते हैं और विघ्नों से सेफ रहते हैं...

 

 _ ➳  इन जुगनूओं को देख मैं आत्मा चिंतन करती हूँ कि... मैं आत्मा भी तो एक चमकता हुआ सितारा हूँ... मेरा असली स्वरुप तो ज्योतिबिंदु स्वरुप है... *मैं आत्मा अपने स्व-स्वरूप में टिककर अपने इस स्थूल देह को त्याग लाइट का शरीर धारण कर जुगनुओं के संग उडती जा रही हूँ... जुगनुओं को अलविदा कहती मैं आत्मा और ऊपर उड़ती जा रही हूँ...* चाँद, सितारों के पास पहुँच जाती हूँ... उनसे मिलकर उनको अलविदा कहती हुई और ऊपर की ओर उड रही हूँ... और पहुँच जाती हूँ अपने मूलवतन अपने प्यारे बाबा के पास...   

 

 _ ➳  चारों ओर शांति ही शांति है, लग रहा जैसे सितारों की महफ़िल जमी हो... *मैं आत्मा बिंदु बाबा के सामने बिंदु बन बैठ जाती हूँ... बाबा से सर्वशक्तियों की किरणों को अपने में समा रही हूँ... सभी संकल्प, विकल्पों से पूरी तरह से मुक्त अवस्था का अनुभव कर रही हूँ...* फिर मैं आत्मा बिंदु बाबा के साथ-साथ नीचे सूक्ष्म वतन में आती हूँ... जहाँ ब्रह्मा बाबा बैठे हुए इन्तजार कर रहे हैं... बिंदु बाबा ब्रह्मा बाबा के मस्तक पर विराजमान हो जाते हैं...       

 

 _ ➳   बापदादा मुझे आदि-मध्य-अंत का ज्ञान दे रहे हैं... *बाबा कहते हैं:- बच्चे- तुम ही वो पूर्वज आत्मा हो, आधारमूर्त, उद्धारमूर्त आत्मा हो... इस कल्पवृक्ष की जड़ें हो, तना हो... आदि से अंत तक 84 जन्मों का विशेष पार्ट बजाने वाली विशेष आत्मा हो... इस जड़जड़ीभूत वृक्ष को तुम्हें ही अपने गुण, शक्तियों से सींचना है...* फिर से हरा-भरा करना है... दुखी, अशांत आत्माओं को शक्ति स्वरुप बन शक्तियों की अंचली देना है... सबके दुःख दूर कर मुक्ति-जीवनमुक्ति के वर्से की अधिकारी बनाना है... तुम्हें स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करना है...     

 

 _ ➳  बच्चे- तुम्हें इस कार्य में बाबा का राईट हैण्ड बनना है... इस कार्य में माया के भी कई विघ्न आयेंगे, पर तुम्हें कभी भी छोटे-बड़े विघ्नों से घबराना नहीं है... *विघ्नों के समय क्यों, क्या, कैसे के व्यर्थ संकल्पों की क्यू मत लगाओ क्योंकि उस क्यू को समाप्त करने में काफी समय लग जाता है... वातावरण का प्रभाव अपने पर नहीं पड़ने दो...* कभी भी यह मत भूलो कि तुम अपनी पॉवरफुल वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाले हो...

 

 _ ➳  बाबा ज्ञान रत्नों, वरदानों से मेरी बुद्धि रूपी झोली भर रहे हैं... मैं आत्मा बाबा के ज्ञान को धारण कर ज्ञान स्वरुप बन रही हूँ... अब मैं आत्मा एक बाबा की याद में हर कर्म कर रही हूँ... *अब कोई भी विघ्न आयें तो मैं आत्मा जुगनू समान अपनी स्मृति के लाइट का स्विच ऑन कर देती हूँ... मैं आत्मा सदा ही अपने स्वमान की सीट पर सेट रहती हूँ... डबल लाइट बन उडती रहती हूँ... मैं आत्मा ज्ञान स्वरूप बनकर पॉवरफुल वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तित कर देती हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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