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 09 / 05 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *पुरानी कीचडपट्टी दे स्वर्ग का राज्य - भाग्य लिया ?*

 

➢➢ *पुरानी दुनिया से प्रीत तोड़ एक बाप से जोड़ी ?*

 

➢➢ *अविनाशी अतीन्द्रिय सुख में रह सबको सुख दिया ?*

 

➢➢ *अधिक बोलकर एनर्जी गंवाने की बजाये अंतर्मुखता के रस का अनुभव किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  ब्रह्मा की स्थापना का कार्य तो चल ही रहा है। ईश्वरीय पालना का कर्त्तव्य भी चल ही रहा है। अब लास्ट में तपस्या द्वारा अपने विकर्मों और हर आत्मा के तमोगुणी संस्कारों और प्रकृति के तमोगुण को भस्म करने का कर्त्तव्य करना है। *जैसे चित्रों में शंकर का रूप विनाशकारी अर्थात् तपस्वी रूप दिखाते हैं, ऐसे एकरस स्थिति के आसन पर स्थित होकर अब अपना तपस्वी रूप प्रत्यक्ष दिखाओ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं नूरे रत्न हूँ"*

 

  *सदा अपने को बापदादा की नजरों में समाई हुई आत्मा अनुभव करते हो? नयनों में समाई हुई आत्मा का स्वरूप क्या होगा? आखों में क्या होता है? बिन्दी।*

 

  *देखने की सारी शक्ति बिन्दी में है ना। तो नयनों में समाई हुई अर्थात् सदा बिन्दी स्वरुप में स्थित रहने वाली - ऐसा अनुभव होता है ना! इसको ही कहते हैं -'नूरे रत्न'।*

 

  *तो सदा अपने को इस स्मृति से आगे बढ़ाते रहो। सदा इसी नशे में रहो कि मैं 'नूरे रत्न' आत्मा हूँ।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  एक सेकण्ड में अपने को अपने सम्पूर्ण निशाने और  नशे में स्थित कर सकते हो? सम्पूर्ण निशाना क्या है उसको तो जानते हो ना? *जब सम्पूर्ण निशाने में स्थित हो जाते हैं - तो नशा तो रहता ही है।* अगर निशाने बुद्धि नहीं टिकती तो नशा भी नहीं रहेगा।

 

✧   *निशाने पर स्थित होने की निशानी है - नशा।* तो ऐसा नशा सदैव रहता है? जो स्वयं नशे में रहते है वह दूसरों को भी नशे में टिका सकते हैं। जैसे कोई हद कि नशा पीते है तो उनकी चलन से, उनके नैन - चैन से कोई भी जान लेता है - इसने नशा पिया हुआ है।

     

✧  इसी प्रकार यह जो सभी से श्रेष्ठ नशा है, जिसको ईश्वरीय नशा कहा जाता है, इसी में स्थित रहने वाला भी दूर से दिखाई तो देगा ना। *दूर से ही वह अवस्था इतना महसूस करे यह कोई - कोई ईश्वरीय लगन में रहने वाली आत्मायें हैं।* ऐसे अपने को महसूस करते हो?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *स्व-मान में स्थित होना ही जीवन की पहेली को हल करने का साधन है।* आदि से लेकर अभी तक इस पहेली को हल करने में ही लगे हुए हो कि 'मैं कौन हूँ?" *'मैं कौन हूँ।' इस एक शब्द के उत्तर में सारा ज्ञान समाया हुआ है। यह एक शब्द ही खुशी के खजाने, सर्व शक्तियों के खजाने, ज्ञान धन के खजाने, श्वांस और समय के खजाने की चाबी है।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- भारत को स्वर्ग बनाने के लिए पवित्र रहने की प्रतिज्ञा करना"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा जब इस सृष्टि पर परमधाम से अवतरित हुई थी तो मेरा जीवन हीरे जैसा था... सर्वगुणों से सम्पन्न दैवीय स्वरुप था... ऐसा पवित्र स्वरुप जिसका भक्ति मार्ग में पूजा करते हैं... पार्ट बजाते-बजाते मैं आत्मा विकारों के जकडन में आकर कौड़ी तुल्य बन गई थी...* अब फिर से मुझे पावन बनाकर, सर्वगुणों से सम्पन्न बनाकर देवता बनाने स्वयं परमपिता परमात्मा इस सृष्टि पर अवतरित हुए हैं... मैं आत्मा चल पड़ती हूँ वतन में, पवित्रता के सागर में डुबकी लगाने...

 

  *स्वर्ग की राजाई के लिए बेगर से प्रिन्स बनाने की शिक्षा देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे बच्चे... अमीरो के अमीर थे शहजादे से घर से निकले थे... पर देह भान ने सब कुछ खत्म करवाकर यूँ बेगर बन दिया है... *अब वही राजाई पाने के लिए पवित्रता की दमक को जगाना है... यही पवित्रता जीवन को राजाई बनाएगी और सारे सुखो को कदमो में छलकायेगी...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा बाबा के पवित्र किरणों से सराबोर होकर कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा... *पवित्रता के श्रृंगार से सजी थी तो किस कदर अमीरी से भरी थी... अपवित्रता ने मुझे लाचार दीन हीन बना दिया...* अब आपकी मीठी यादो से वही श्रृंगार पा कर सज रही हूँ... और अमीर बन रही हूँ..."

 

  *पवित्रता के सागर प्यारे बाबा अपनी पवित्रता की आभा बिखरते हुए कहते हैं:-* मीठे प्यारे मेरे फूल से बच्चे... खिलते मुस्कराते गुणो और शक्तियो की खुशबु से भरे महके महके से थे... पर विकारो की कालिमा ने सारे रंग रूप को धूमिल कर दिया है... *अब मीठे पिता की यादो में पावन बन कर उस सुनहरी रंगत को फिर से पा लो... वही सुनहरा दमकता ताज रूप बाँहो में भर लो..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा पवित्रता की खुशबू से विकारों के दुर्गंध को मिटाकर कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा आपके मीठे सच्चे स्नेह के साये में जनमो की गरीबी को मिटा रही हूँ... और 21 जनमो की खूबसूरत अमीरी को अपने नाम लिखवा रही हूँ...* पवित्रता की चुनरी में देवता रूप बना रही हूँ..."

 

  *मुझमें देवताई संस्कार भरकर स्वर्ग रूपी सुंदर संसार का मालिक बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे बच्चे... आप बच्चों की अमीरी का मदार पवित्रता पर टिका था... जो खेलते खेलते खो ही दिए हो... मेरे राजकुमार से बच्चे होकर बेगर बन बिलख रहे हो... *अब इस सुंदर भाव में गहरे उतर जाओ और पवित्रता पर टिकी जादूगरी को पा लो... फिर से ताजधारी राजा बन मुस्करा उठो..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा पवित्रता के ताज से अपना श्रृंगार करते हुए कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सारे अमीरी और गरीबी के भेद जान चुकी हूँ... फिर से अमीरी को पाने के राज को अपना चुकी हूँ... *पवित्र बन मुस्करा उठी हूँ और पूरे विश्व की मालिक बनने का भाग्य आपसे लिखवा चुकी हूँ..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  योगबल की ड्रिल करते नोंनवायोलेंस ( अहिंसक ) बन सभी का उद्धार करने के निमित बनना है।*

 

_ ➳  अपने प्यारे परमपिता परमात्मा के बर्थ प्लेस भारत में अरावली की सुन्दर पहाड़ियों पर बसे महान तीर्थ माउंट आबू जो भगवान की अवतरण भूमि है, की ऊँची पहाड़ी पर, *अपने प्यारे पिता के सानिध्य में, प्रकृति के खूबसूरत नज़ारो का आनन्द लेने की इच्छा से, अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी फ़रिश्ता स्वरूप को धारण कर, मन बुद्धि के विमान पर सवार होकर मैं पहुँच जाती हूँ उस महान तीर्थ पर*।

 

_ ➳  आबू की सबसे ऊँची खूबसूरत पहाड़ी पर खड़ा मैं फ़रिश्ता वहाँ से सारी दुनिया का नज़ारा देख रहा हूँ और मन ही मन विचार कर रहा हूँ कि जब भारत स्वर्ग था तो यही दुनिया कितनी सुन्दर थी! *हर घर मंदिर था। 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, देवी देवतायें इस दुनिया मे निवास करते थे। किंतु आज घर - घर मे फैली हिंसा से इस दुनिया की क्या हालत हो गई है*। भारत के उत्थान और पतन की कहानी को बुद्धि के दिव्य नेत्र से देखता हुआ मैं फ़रिश्ता मन ही मन अपने प्यारे पिता से प्रोमिस करता हूँ कि उनकी श्रीमत पर चल *योगबल की ड्रिल करते, नोंनवायोलेंस बन, सभी का उद्धार करने के निमित बन, भारत को फिर से स्वर्ग बनाने के उनके कार्य में मददगार अवश्य बनूँगा*।

 

_ ➳  इसी संकल्प के साथ मैं फरिश्ता अपने अन्दर योग बल जमा करने के लिए आबू की उस ऊँची पहाड़ी से उड़कर अपने प्यारे बापदादा के अव्यक्त वतन की ओर चल पड़ता हूँ। *प्रकृति के अति सुन्दर नज़ारो को देखता और उनका भरपूर आनन्द लेता हुआ मैं फ़रिश्ता आकाश में उड़ता हुआ, कुछ ही सेकण्ड में पहुँच जाता हूँ फरिश्तो की आकारी दुनिया सूक्ष्म वतन में*। अव्यक्त वतनवासी अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के सम्मुख पहुँच कर अपने शिव पिता का मैं आह्वान करता हूँ और एक सेकण्ड से भी कम समय में अपने सर्वशक्तिवान शिव पिता को अपनी सर्वशक्तियों की अनन्त किरणें फैलाते हए अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि पर आकर विराजमान होते हुए स्पष्ट अनुभव करता हूँ।

 

_ ➳  देख रहा हूँ मैं फ़रिश्ता बापदादा के मस्तक से आ रही उस तेज लाइट को जिसमे से सर्वशक्तियों की अनन्त धारायें निकल कर पूरे वतन में फैल रही है। *सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन्स चारों और फैलकर वायुमण्डल को बहुत ही शक्तिशाली बना रहे हैं*। इन शक्तिशाली वायब्रेशन्स को गहराई तक स्वयं में समाते हुए मैं फ़रिश्ता बापदादा के पास पहुँचता हूँ और उनकी बाहों में समाकर उनके प्यार का बल अपने अंदर भर कर, *अब बीज रूप स्थिति के अनुभव द्वारा, स्वयं को योगबल से भरपूर करने के लिए अपने निराकारी बिंदु स्वरूप में स्थित होकर मैं चैतन्य ज्योति, सूक्ष्म वतन से ऊपर अनन्त ज्योति के देश अपने परमधाम घर की ओर चल पड़ती हूँ*।

 

_ ➳  निराकार, महाज्योति अपने बीज रूप शिव पिता के सामने, मास्टर बीज रूप स्थिति में स्थित, मैं निराकार ज्योति बिंदु आत्मा, उनके सानिध्य में गहन आनन्द की अनुभूति कर रही हूँ। *उनसे निकल रही शक्तियों की शीतल फुहारे मुझे असीम तृप्ति का अनुभव करवा रही हैं*। बीज रूप अपने सर्वशक्तिवान शिव पिता को अपलक निहारते - निहारते मैं उनके बिल्कुल समीप पहुंच जाती हूँ और जाकर उन्हें टच करती हूँ।  *शक्तियों का झरना फुल फोर्स के साथ बाबा से निकल कर मुझ आत्मा में समाने लगा है। एक- एक शक्ति को मैं अपने अंदर गहराई तक समाता हुआ अनुभव कर रही हूँ*।

 

_ ➳  स्वयं में मैं परमात्म शक्तियों की गहन अनुभूति कर रही हूँ। इन शक्तियों के बल से सारे विश्व की आत्माओं का उद्धार करने की ईश्वरीय सेवा को निमित बन पूरा करने के लिए मैं आत्मा अपने सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप के साथ परमधाम से नीचे आ जाती हूँ और साकारी दुनिया मे लौट कर, अपनी साकारी देह में आकर विराजमान हो जाती हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, योगबल की रूहानी ड्रिल बार - बार करते हुए नोंनवायोलेंस ( अहिंसक ) बन, विश्व की सर्व आत्माओं को अपनी शक्तियों के वायब्रेशन्स और शुभ संकल्पो द्वारा, हिंसा के मार्ग को छोड़ अहिंसक बनने की प्रेरणा देकर, सबका उद्धार करने के ईश्वरीय कर्तव्य को निमित बन, करनकरावनहार बाबा के सहयोग से मैं सफ़लतापूर्वक सम्पन्न कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं अविनाशी अतीन्द्रिय सुख में रह सबको सुख देने और सुख लेने वाली मास्टर सुखदाता आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं अधिक बोलकर एनर्जी गंवाने के बजाए अंतर्मुखता के रस की अनुभवी आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

अव्यक्त बापदादा :-

 

_ ➳  वातावरण को पावरफुल बनाने का लक्ष्य रखो तो सेवा की वृद्धि के लक्षण दिखाई देंगे:- जैसे मन्दिर का वातावरण दूर से ही खींचता है, ऐसे याद की खुशबू का वातावरण ऐसा श्रेष्ठ हो जो आत्माओं को दूर से ही आकर्षित करे कि यह कोई विशेष स्थान है। *सदा याद की शक्ति द्वारा स्वयं को आगे बढ़ाओ और साथ-साथ वायु मण्डल को भी शक्तिशाली बनाओ। सेवाकेन्द्र का वातावरण ऐसा हो जो सभी आत्मायें खिंचती हुई आ जाएं। सेवा सिर्फ वाणी से ही नहीं होती, मंसा से भी सेवा करो। हरेक समझे मुझे वातावरण पावरफुल बनाना है, हम जिम्मेवार हैं। ऐसा जब लक्ष्य रखेंगें तो सेवा की वृद्धि के लक्षण दिखाई देंगे।* आना तो सबको है, यह तो पक्का है। लेकिन कोई सीधे आ जाते हैं, कोई चक्कर लगाकर, भटकने के बाद आ जाते हैं। इसलिए एक-एक समझे कि मैं जागती ज्योति बनकर ऐसा दीपक बनूँ जो परवाने आपेही आयें। आप जागती ज्योति बनकर बैठेंगे तो परवाने आपेही आयेंगे।

 

✺  *"ड्रिल :- सेवाकेंद्र का वायुमंडल शक्तिशाली बनाना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा सेवाकेंद्र के हाल के चेयर पर चियरफुल होकर बैठी हूँ...* सभी भाई-बहनें भी बैठे हुए हैं... अगरबत्ती की भीनी-भीनी खुशबू आ रही है... चारों ओर लाल रोशनी है... *सामने ब्रह्मा बाबा की तस्वीर और शिवबाबा का लाल लाइट चमक रहा है...* सभी मंत्रमुग्ध होकर बाबा के गाने सुनते हुए झूम रहे हैं... सामने दीदी आकर विराजमान हो जाती हैं... दीदी सबको योग कमेंट्री द्वारा याद की यात्रा पर ले चलती हैं...

 

_ ➳  *मैं आत्मा भृकुटी के चेयर पर गॉडली स्टूडेंट के स्वमान में विराजमान हो जाती हूँ...* सभी प्यारे बाबा का आह्वान करते हैं... आह्वान करते ही सामने शिव बाबा के लाल लाइट में फ़्लैश होता है और वो लाइट का फ़्लैश ब्रह्मा बाबा की तस्वीर में बाबा के मस्तक में चमकने लगता है... *ऐसा लग रहा सामने तस्वीर से बाबा बाहर निकल साकार रूप में खड़े होकर मुस्कुरा रहे हैं...* और सबको अपने प्रेम, सुख, शांति की किरणों से आच्छादित कर रहे हैं...

 

_ ➳  *शांति के सागर को सामने खड़े देख सभी अपने देहभान से मुक्त हो रहे हैं...* शांति के सागर की लहरें चारों ओर फैल रही हैं... मैं आत्मा शांति के सागर की अनंत गहराईयों में समाती जा रही हूँ... न कोई आवाज़, न कोई हलचल, न कोई दुःख-अशांति... मैं आत्मा गहन शांति का अनुभव कर रही हूँ... *सभी के साकार शरीर लुप्त हो चुके हैं... सभी अपने लाइट के शरीर में चमक रहे हैं... सभी जागती ज्योति बन चुके हैं...*

 

_ ➳  *सेवाकेंद्र का वायुमंडल रूहानियत की खुशबू से महक रहा है...* सभी जगमगाते हुए दीपक लग रहे हैं... सभी से वायब्रेशंस निकलकर चारों ओर फैल रहे हैं... सेवाकेंद्र के बाहर दूर-दूर तक रूहानी खुशबू फैल रही है... सेवाकेंद्र का वातावरण पावरफुल बन गया है... *सभी रूहानी दीपक बन अपनी रोशनी चारों ओर फैला रहे हैं... और परवानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं...*

 

_ ➳  *सेवाकेंद्र शांतिकुंड बन चुका है... शांति की किरणें विश्व की आत्माओं को दूर से ही आकर्षित कर रही हैं...* सभी आत्मायें ऐसा अनुभव कर रही हैं कि यह कोई विशेष स्थान है... सभी भटकती हुई आत्माएँ महसूस कर रही हैं कि यही उनकी मंजिल है... सभी अशांत, अतृप्त आत्मायें शांति की शक्ति से खींचे चले आ रहे हैं... *याद की शक्ति द्वारा मैं आत्मा स्वयं भी आगे बढ़ता हुआ अनुभव कर रही हूँ और साथ-साथ वायु मण्डल को भी शक्तिशाली बना रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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