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 27 / 01 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *एक बाप से ही सर्व सम्बन्ध रखे ?*

 

➢➢ *"धरती आसमान सब पर हमारा अधिकार है" - इसी नशे और ख़ुशी में रहे ?*

 

➢➢ *बुधी रुपी विमान द्वारा सेकंड में तीनो लोकों की सैर की ?*

 

➢➢ *श्रेष्ठ कर्मों के ज्ञान से श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींची ?*

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*अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *परमार्थ मार्ग में विघ्न-विनाशक बनने का साधन है - माया को परखना और परखने के बाद निर्णय करना* क्योंकि परमार्थी बच्चों के सामने माया भी रायल ईश्वरीय रुप रच करके आती है, जिसको *परखने के लिए एकाग्रता अर्थात् साइलेन्स की शक्ति को बढ़ाओ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं निश्चयबुद्धि विजयी रत्न हूँ"*

 

  *'सदा निश्चयबुद्धि विजयी रत्न हैं।' - इसी नशे में रहो। निश्चय का फाउन्डेशन सदा पक्का है! अपने आप में निश्चय, बाप में निश्चय और ड्रामा की हर सीन को देखते हुए उसमें भी पूरा निश्चय।* सदा इसी निश्चय के आधार पर आगे बढ़ते चलो।

 

  *अपनी जो भी विशेषतायें हैं, उनको सामने रखो, कमजोरियों को नहीं, तो अपने आप में फेथ रहेगा। कमजोरी की बात को ज्यादा नहीं सोचना तो फिर खुशी में आगे बढ़ते जायेंगे। बाप का हाथ लिया तो बाप का हाथ पकड़ने वाले सदा आगे बढ़ते हैं, यह निश्चय रखो।*

 

  जब बाप सर्वशक्तिवान है तो उसका हाथ पकड़ने वाले पार पहुँचे कि पहुँचे। चाहे खुद भले कमजोर भी हो लेकिन साथी तो मजबूत है ना। इसलिए पार हो ही जायेंगे। *सदा निश्चयबुद्धि विजयी रत्न, इसी स्मृति में रहो। बीती सो बीती, बिन्दी लगाकर आगे बढ़ो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  ऑर्डर करें मधुरता स्वरूप बनना है और समस्या अनुसार, परिस्थिति अनुसार क्रोध का महारूप नहीं लेकिन सूक्ष्म रूप भी आवेश वा चिडचिडापन आ रहा है, क्या यह ऑर्डर है? ऑर्डर में हुआ? *ऑर्डर करें हमें निर्मान बनना है और वायुमण्डल अनुसार सोचो कहाँ तक दबकर चलेंगे, कुछ तो दिखाना चाहिए।*

 

✧  क्या मुझे ही दबना है? मुझे ही मरना है! मुझे ही बदलना है? क्या यह लव ऑर ऑर्डर है? इसलिए *विश्व के ऊपर, चिल्लाने वाले दु:खी आत्माओं के ऊपर रहम करने के पहले अपने ऊपर रहम करो।* अपना अधिकार सम्भालो। *आगे चल आपको चारों ओर सकाश देने का, वायब्रेशन देने का, मन्सा द्वारा वायुमण्डल बनाने का बहुत कार्य करना है।*

 

✧  पहले भी सुनाया कि अभी तक जो जो जहाँ तक सेवा के निमित हैं, बहुत अच्छी की है और करेंगे भी लेकिन अभी समय प्रमाण तीव्र गति और बेहद सेवा की आवश्यकता है। तो *अभी पहले हर दिन को चेक करो स्वराज्य अधिकारकहाँ तक रहा?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  ऐसे तो नहीं कि बहुत सुनते हो तो बिन्दु-स्वरूप में रहना मुश्किल हो जाता है? *परन्तु बिन्दु-रूप में स्थित रहने की कमी का कारण यही है कि पहला पाठ ही कच्चा है।* कर्म करते हुए अपने को अशरीरी आत्मा महसूस करें - यह सारे दिन में बहुत प्रैक्टिस चाहिए। *प्रैक्टिकल में न्यारा होकर कर्तव्य में आना - यह जितना-जितना अनुभव करेंगे उतना ही बिन्दु-रूप में स्थित होते जावेंगे।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप आयें हैं, ज्ञान से गति सदगति करने"*

 

_ ➳  *भृकुटी सिंहासन पर बैठ अपने निज स्वरुप का अनुभव करती हुई मैं आत्मा... इस स्थूल देह को छोड़ लाइट का शरीर धारण कर उड़ चलती हूँ पांडव भवन बाबा की कुटिया में...* मीठे बाबा दूर देश परमधाम से मुझे ज्ञान देकर गति सदगति करने आयें हैं... मैं आत्मा प्यारे बाबा के सम्मुख बैठ जाती हूँ मीठी-प्यारी रूह-रिहान कर सुन्दर सा भाग्य बनाने...  

 

   *मुझ आत्मा को गति सदगति का रूहानी ज्ञान देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... कितना पुकारा कितना खोजा... ईश्वर पिता ने आकर खुदको उजागर किया... भक्ति का फल ज्ञान सिवाय परमात्मा के कोई दे न सके... भक्ति कभी भी सदगति दे नही सकती... *विश्व पिता से मिला सच्चा ज्ञान ही सदगति का आधार है..."*

 

_ ➳  *सत्य ज्ञान पाकर ख़ज़ानों से मालामाल होकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा सच्चे ज्ञान को पाकर धन्य धन्य हो गयी हूँ...* ज्ञान रत्नों से लबालब होकर सबसे धनवान् हो गई हूँ... जनमो की कड़ी तपस्या का फल ज्ञान पाकर खुशियो में मुस्करा उठी हूँ..."

 

   *मुझ आत्मा को मीठे सुखों के आसमान में उड़ता पंछी बना उड़ाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय ज्ञान को पाने वाली महान भाग्यशाली आत्मा हो... ईश्वर पिता शिक्षक बन सारे खजानो को दामन में सजा रहा... *यही ज्ञान रत्न सुनहरे सतयुगी सुखो की बहार जीवन में ले आएंगे... और देवताओ की दिव्यता और पवित्रता से महकायेंगे...*

 

_ ➳  *ज्ञान प्रकाश में तीनों लोकों की सैर करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा के साये में ज्ञान स्वरूप हो दमक उठी हूँ... *ज्ञान के प्रकाश ने जीवन से दुखो के गहरे अंधकार को दूर कर सुखमय कर दिया है...* मै आत्मा हर राज को जानने वाली मा त्रिलोकीनाथ बन गई हूँ..."

 

   *सत्य ज्ञान से सत्य स्वरूप की पहचान देकर मेरे सतगुरु बाबा कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... सच की गहरी चाह में और दुखो की इस कदर दारुण सी पुकार में... सच्चे सतगुरु को धरा पर आकर सत्य ज्ञान देकर फूल बनाना पड़ा... *यह ईश्वरीय ज्ञान ही सुखो का भण्डार है और सदगति का आधार है..."*

 

_ ➳  *मेरे जीवन के गुलशन में खुशियों के गुल खिलते हुए देख खुशियों में नाचते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता की खोज में किस कदर भटक रही थी... अपने दमकते सत्य स्वरूप को खोकर कितनी मैली सी हो गई थी... *मीठे बाबा ने आपने आकर सत्य ज्ञान देकर मेरा जीवन सदा का रौशन कर दिया है..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- धरती आसमान सब पर हमारा अधिकार होगा - इस नशे और खुशी में रहना है*"

 

_ ➳  अपने लाइट माइट स्वरुप में मैं फ़रिश्ता धरती के आकर्षण से मुक्त होकर, ऊपर की और उड़ता जा रहा हूँ। *सारे विश्व की सैर करने की इच्छा से मैं फ़रिश्ता अब पूरे विश्व का चक्कर लगाते हुए ऊपर आकाश में पहुँच नीचे धरती के खूबसूरत नजारों को देखता जा रहा हूँ*। ऊँचे - ऊँचे पहाड़ों के बीच से होता हुआ, कल - कल करती नदियों, झर - झर बहते झरनों के मधुर स्वर सुनता हुआ प्रकृति के सुन्दर नजारों का मैं आनन्द ले रहा हूँ। धरती आकाश में उन्मुक्त होकर विचरण करते - करते अचानक मेरी निगाह उन सभी बॉर्डर लाइन्स पर चली जाती है जो एक देश को दूसरे देश से अलग कर रही हैं।

 

_ ➳  इस दृश्य को देख मैं फ़रिश्ता मन ही मन विचार करता हूँ कि आज देह अभिमान में आ कर मनुष्यों ने इस धरती आकाश का भी बटवारा कर दिया है। एक देश दूसरे देश की सीमा में प्रवेश नही कर सकता। धर्म, जाति के नाम पर कितने लड़ाई झगड़े होते हैं। किन्तु ये सब अब समाप्त होने वाला है। *इस कलयुगी दुनिया की घनघोर अंधेरी रात समाप्त हो, सतयुगी सवेरा बस अब आने ही वाला है। और कितना खूबसूरत होगा वो सवेरा जब धरती आसमान सब पर हमारा अधिकार होगा*। एक धर्म, एक राज्य, एक भाषा, एक मत होगा। सब आपस मे मिलजुल कर रहेंगे। कोई ईर्ष्या द्वेष, नफरत की भावना नही होगी। आपस मे भाईचारा होगा।

 

_ ➳  इन्ही शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्पो के साथ मन ही मन उस दैवी दुनिया की कल्पना करता हुआ मैं फ़रिश्ता अनुभव करता हूँ जैसे विश्व का मालिक बनाने वाले, स्वर्ग के रचयिता मेरे शिव पिता अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के आकारी तन में विराजमान हो कर मेरे सम्मुख उपस्थित हो गए हैं और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ ले कर जा रहें हैं। *बापदादा के साथ अब मैं फिर से सारी दुनिया की सैर कर रहा हूँ और देख रहा हूँ बापदादा की दृष्टि पड़ते ही सारी बॉर्डर लाइन्स समाप्त हो गई है*। पूरी धरती और आकाश एक दिखाई दे रहें हैं। किसी चीज का कोई बटवारा नही। सारा विश्व एक बहुत खूबसूरत दुनिया में परिवर्तित हो चुका है।

 

_ ➳  इस अति खूबसूरत दुनिया में मुझे छोड़, बापदादा मेरी आँखों के सामने से ओझल हो जाते हैं और मैं इस अति सुंदर मनभावन दुनिया मे प्रवेश कर जाता हूँ। *इस दुनिया मे प्रवेश करते ही मैं अनुभव करता हूँ जैसे मेरी काया एक दम कंचन के समान चमकने लगी है। और मैं विश्व महाराजन की पोशाक पहन इस दुनिया पर राज कर रहा हूँ*। डबल ताज धारण किये दैवी गुणों वाले मनुष्यों की इस खूबसूरत दुनिया में सुख, शांति, सम्पन्नता भरपूर है। सभी के चेहरे एक दिव्य आभा से दमक रहें हैं। *राजा, प्रजा सभी खुशहाल है और बड़े प्रेम से सभी आनन्द और खुशी से अपना जीवन यापन कर रहें हैं*।

 

_ ➳  इस खूबसूरत मनभावन स्वर्ग के अपने भविष्य जीवन का भरपूर आनन्द लेकर अब मैं अपने लाइट माइट स्वरूप के साथ वापिस अपनी कर्मभूमि पर आती हूँ और अपने सूक्ष्म शरीर के साथ 5 तत्वों के बने अपने स्थूल शरीर मे प्रवेश कर फिर से अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ। *अपने वर्तमान ब्राह्मण जीवन की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों का भरपूर आनन्द लेते हुए अपने भविष्य जीवन की अनन्त प्राप्तियों को सदैव स्मृति में रख अब मैं सदा उमंग उत्साह के पंखों पर सवार होकर उड़ती रहती हूँ। धरती आसमान सब पर हमारा अधिकार होगा इस नशे और खुशी में रहते हुए, बेफिक्र बादशाह बन, संगमयुग के हर पल का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं बुद्धि रूपी विमान द्वारा सेकन्ड में तीनों लोकों का सैर करने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं श्रेष्ठ कर्म के ज्ञान के कलम से श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींचने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ     ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *आज समर्थ बाप अपने स्मृति स्वरूप, समर्थ स्वरूप बच्चों से मिलने के लिए आये हैं। आज विशेष चारों ओर के बच्चों में स्नेह की लहर लहरा रही हैं। विशेष ब्रह्मा बाप के स्नेह की यादों में समाये हुए हैं। यह स्नेह हर बच्चे के इस जीवन का वरदान है।* परमात्म स्नेह ने ही आप सबको नई जीवन दी है। हर एक बच्चे को स्नेह की शक्ति ने ही बाप का बनाया। यह स्नेह की शक्ति सब सहज कर देती है। जब स्नेह में समा जाते हो तो कोई भी परिस्थिति सहज अनुभव करते हो। *बापदादा भी कहते हैं कि सदा स्नेह के सागर में समाये रहो। स्नेह छत्रछाया है, जिस छत्रछाया के अन्दर कोई माया की परछाई भी नहीं पड़ सकती।* सहज मायाजीत बन जाते हो। *जो निरन्तर स्नेह में रहता है उसको किसी भी बात की मेहनत नहीं करनी पड़ती है। स्नेह सहज बाप समान बना देता है।* स्नेह के पीछे कुछ भी समर्पित करना सहज होता है।

 

 _ ➳  2. *जैसे इस विशेष स्मृति दिवस में अर्थात् स्नेह के दिन में स्नेह में समाये रहे ऐसे ही सदा समाये रहो, तो मेहनत का पुरुषार्थ करना नहीं पड़ेगा।*

 

✺   *ड्रिल :-  "परमात्म स्नेह की शक्ति का अनुभव"*

 

 _ ➳  *"आबू का तीर्थ तुमको पुकारे आजाओ ब्रह्मा बाबा हमारे, आना ही होगा, आना ही होगा, आना ही होगा"...* ये गीत सुनते सुनते मैं आत्मा अपने अलौकिक पिता *ब्रह्मा बाबा* के स्मृति दिवस को याद करती हूं... बाबा मेरे प्यारे बाबा कहाँ हो आप... उनकी यादों में खोई मैं पहुँचती हूं *पांडव भवन... अपने बाबा की तपस्या स्थली पर जहां मेरे अलौकिक पिता मेरे ब्रह्मा बाबा ने शिव पिता की याद में रह सम्पूर्णता प्राप्त की... ये भूमि कितनी पावन है...*

 

 _ ➳  स्मृति दिवस पर बाबा के सभी बच्चे बाबा से मिलन मनाने आए हुए हैं... सब बच्चे विशेष ब्रह्मा बाबा की याद में बैठे हैं... *आबू भूमि की इस धरती पर, इस पावन धरा पर चारों तरफ़ रूहानी खुशबू फैली हुई है... ये मेरे प्यारे बाबा के स्नेह की खुशबू है... और सुनाई दे रही है...* रूहानी स्नेह सरगम, इस सरगम की तरंगों में मैं आत्मा गुनगुनाने लगती हूं... *"स्नेह प्यार की तुझसे ओ बाबा बाँधी है जीवन डोर, बाँधी है जीवन ड़ोर"...*

 

 _ ➳  *मेरे पिता आदिदेव ब्रह्मा बाबा जो मुझ आत्मा की पालना कर रहे हैं... दिव्य गुणों से मुझे गुणवान बना रहे हैं... रोज़ शिव बाबा की श्रीमत को अपने मुख द्वारा सुना मुझे हीरे जैसे बना रहे हैं...* जहाँ कभी भी मैं अलबेलेपन में आती हूं बड़े प्यार से समझानी देते हैं... *बच्चे तुम्हें बाप समान बनना है...* उन्हीं मेरे स्नेही ब्रह्मा बाबा का आज स्मृति सो समर्थी दिवस है...

 

 _ ➳  *शान्ति स्तम्भ के आगे बैठते ही बाबा के स्नेह की छत्रछाया का अनुभव होने लगता है... बाबा अपने स्नेह पुष्पों की वर्षा कर रहे हैं... बाबा का स्नेह ही मुझ आत्मा को समर्थ बना रहा है... ये परमात्म स्नेह ही मुझे मायाजीत बना रहा है...* बाबा का वरदानी हाथ मुझे अपने सर पर महसूस होता है... इसी स्नेह शक्ति के बल को अपने अंदर समाये मैं सहज होती जा रही हूं...

 

 _ ➳  *बाबा के प्यार से मैं बिना मेहनत तीव्र गति से अपना पुरुषार्थ कर रही हूं...* और अपने ऊपर अलौकिक और अपने पारलौकिक पिता की छत्रछाया का अनुभव करती हूं... *बाबादादा का स्नेह रूपी हाथ और साथ मुझे हर परिस्थिति को उड़ाते हुए पार करा रहा है... मैं आत्मा समर्थी स्वरूप बन रही हूं...* ये बाबा के स्नेह सुमन की बरसात ही है, जिसमें भीग मैं आत्मा निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूं... *ये परमात्म स्नेह की शक्ति ही है जो मुझ आत्मा को सब कुछ सहज लग रहा है...* अहो सौभाग्य! मुझ आत्मा का जो ये वरदानी जीवन मिला...   *बाबा के स्नेह में समाई मुझ आत्मा के अंदर एक ही धुन बज रही है... मैं बाबा की बाबा मेरा... मैं बाबा की बाबा मेरा...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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