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 17 / 11 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *"हम आत्मा भाई भाई हैं" - इसी निश्चय से पवित्रता के व्रत का पालन किया ?*

 

➢➢ *विशाल बुधी बन ज्ञान के गुह्य रहस्यों को समझा ?*

 

➢➢ *ख़ुशी की गोली व इंजेक्शन द्वारा स्वयं की दवाई स्वयं की ?*

 

➢➢ *मन की एकाग्रता द्वारा सर्व सिद्धियों को प्राप्त किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  ब्राह्मणों की भाषा आपस में अव्यक्त भाव की होनी चाहिए। *किसी की सुनी हुई गलती को संकल्प में भी न तो स्वीकार करना है, न कराना है। संगठन में विशेष अव्यक्त अनुभवों की आपस में लेन-देन करनी है।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं बापदादा का विशेष श्रृंगार हूँ"*

 

  *बापदादा के विशेष श्रृंगार हो ना! सबसे श्रेष्ठ श्रृंगार है -मस्तकमणि। मणि सदा मस्तक पर चमकती है। तो ऐसे मस्तकमणि बन सदा बाप के ताज में चमकने वाले कितने अच्छे लगेंगे।*

 

  *मणि सदा अपनी चमक द्वारा बाप का भी श्रृंगार बनती और औरों को भी रोशनी देती है।* 

 

  *तो ऐसे मस्तकमणि बन औरों को भी ऐसे बनाने वाले हैं - यह लक्ष्य सदा रहता हैं? सदा शुभ भावना सर्व की भावनाओंको परिवर्तन करने वाली है।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  तो *उडती कला के लिए ब्रेक बहुत पॉवरफुल चाहिए।* जब पहाडी पर ऊँचे चढते हैं तो बार-बार क्या कहते हैं कि ब्रेक चेक करो, ब्रेक चेक करो। तो ऊंची अवस्था में जा रहे हो ना तो बार-बार ये ब्रेक चेक करो। कोई भी संकल्प वा संस्कार निगेटिव से पॉजिटिव में परिवर्तन कर सकते हैं और कितने समय में कर सकते हैं?

 

✧  समय है एक सेकण्ड का और आप पाँच सेकण्ड में करो तो क्या होगा? *तो अटेन्शन इस परिवर्तन शक्ति का चाहिए।* पहले स्वयं को परिवर्तन करो तब विश्व को परिवर्तन कर सकते हो। स्व-परिवर्तक बने हो?

 

✧  *पहले है स्व-परिवर्तक उसके बाद है विश्व-परिवर्तक।* क्योंकि अनुभव होगा कि व्यर्थ संकल्प की गति बहुत फास्ट होती है। एक सेकण्ड में कितने व्यर्थ संकल्प चलते हैं, अनुभव है ना फास्ट चलते हैं ना। तो ऐसे फास्ट गति के समय पॉवरफुल ब्रेक लगाकर परिवर्तन करने का अभ्यास चाहिए। (पार्टियों के साथ)

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *अभी जैसे समय की रफ़्तार चल रही है उसी प्रमाण अभी यह पाँव पृथ्वी पर न रहना चाहिए। कौन-सा पाँव? बुद्धि, जिससे याद की यात्रा करते हो। कहावत है ना कि फ़रिश्तों के पाँव पृथ्वी पर नहीं होते।* तो अभी यह बुद्धि पृथ्वी अर्थात् प्रकृति के आकर्षण से परे हो जायेगी, फिर कोई भी चीज़ नीचे नहीं ला सकती है। फिर प्रकृति को अधीन करने वाले हो जायेंगे, न कि प्रकृति के अधीन होने वाले। *जैसे साईन्स वाले आज प्रयत्न कर रहे हैं पृथ्वी से परे जाने के लिए। वैसे ही साइलेंस की शक्ति से इस प्रकृति के आकर्षण से परे, जब चाहें तब आधार लें, न कि प्रकृति जब चाहे तब अधीन कर दे। तो ऐसी स्थिति कहाँ तक बनी है?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- वृत्ति बहुत शुद्ध पवित्र रखना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा मधुबन डायमंड हाल में सभी फरिश्तों के बीच बैठी हूँ... अपने सभी भाई-बहनों के साथ बाबा मिलन की घड़ियों का इन्तजार करती... *कितनी भाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो की इतनी बड़ी ईश्वरीय फैमिली मिली है... मेरे शिव बाबा ने मुझे एडाप्ट करके अपना बनाया है... बेहद के बाबा ने अपना बनाकर बेहद का अलौकिक परिवार गिफ्ट में दिया है...* इन्तजार की घड़ियों को ख़तम करते हुए अव्यक्त बापदादा दादी के तन में आकर मुझे मीठी प्यारी शिक्षाएं और समझानी देते हैं... 

 

   प्यारे बाबा अपनी दृष्टि से निहाल कर मेरा अलौकिक श्रृंगार करते हुए कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय राहो में पवित्रता से सजधज कर देवताई श्रृंगार को पाकर... अनन्त सुखो के मालिक बन इस विश्व धरा पर मुस्कराओ... *ईश्वर पिता की सन्तान आपस में सब भाई भाई हो... इस भाव में गहरे डूबकर पावनता की छटा बिखेर... धरा पर स्वर्ग लाने में सहयोगी बन जाओ..."*

 

_ ➳  मैं आत्मा पवित्रता के सागर से पवित्र किरणों को लेकर चारों ओर फैलाते हुए कहती हूँ:- "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में दिव्य गुणो की धारणा और पवित्रता की ओढनी पहन कर निखर उठी हूँ... *मै आत्मा विश्व धरा को पवित्र तरंगो से आच्छादित कर रही हूँ... शरीर के भान से परे होकर आत्मिक स्नेह की धारा बहा रही हूँ..."*

 

   बुझी हुई ज्योति को जगाकर आत्मदर्शन कराकर मीठे बाबा कहते हैं:- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... अपने खुबसूरत सत्य स्वरूप को स्मृति में रखकर, सच्चे प्रेम की लहरियां पूरे विश्व की हवाओ में फैला दो... *आत्मा भाई भाई और ब्राह्मण भाई बहन के सुंदर नातो से पवित्रता की खुशबु चारो ओर फैलाओ... विकारो से परे आत्मिक भावो से भरे सम्बन्धो से, विश्व को सजा दो..."*

 

_ ➳  स्वदर्शन कर अपने सत्य स्वरुप के स्वमान में टिकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा देह के मटमैले पन से निकल अब आत्मिक भाव् से भर गयी हूँ... *अपने अविनाशी सत्य स्वरूप को जान, विकारो को सहज ही त्याग रही हूँ... सम्पूर्ण पवित्रता को अपनाकर पवित्र तरंगे बिखरने वाली सूर्य रश्मि हो गयी हूँ..."*

 

   मेरे अंतर के नैनों को खोल अमृत रस पान कराते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे...  *अपनी दृष्टि वृत्ति और कृति को पावनता के रंग से सराबोर करो... दिव्यता और पवित्रता को विश्व धरा पर छ्लकाओ...* विकारो की कालिमा से निकल खुबसूरत दिव्यता को बाँहों में भरकर मुस्कराओ... आत्मिक सच्चे प्यार की सुगन्ध से विश्व धरा महकाओ..."

 

_ ➳  मैं आत्मा प्रभु मिलन कर परमानन्द को पाकर प्यारे बाबा से कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सबके मस्तक में आत्मा मणि को निहार रही हूँ... *और सच्चा सम्मान देकर गुणो और शक्तियो से भरपूर हो रही हूँ... मनसा वाचा कर्मणा पावनता से सजधज कर मै आत्मा हर दिल पर यह दौलत लुटा रही हूँ..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- हम आत्मा भाई - भाई हैं इस निश्चय से पवित्रता के व्रत का पालन करते हुए आपस मे बहुत प्यार से रहना है*"

 

_ ➳  एक साथी, एक दोस्त के रूप में अपने प्यारे मीठे शिव बाबा को याद करते ही मैं उन्हें अपने करीब पाती हूँ। अपने लाइट माइट स्वरूप में वो मेरे सामने खड़े हैं। *अपनी बाहों को फैलाये वो मुझे अपने साथ चलने का ईशारा कर रहें हैं। अपनी लाइट माइट से मुझे भी आप समान बना कर वो मेरा हाथ थामे मुझे इस दुनिया से दूर ले जा रहें हैं*।

 

_ ➳  अपने दोस्त का हाथ थामे मैं पूरी दुनिया की सैर कर रही हूँ और अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के बारे में सोच - सोच कर हर्षित हो रही हूँ। *जिस भगवान को लोग आज दिन तक तलाश कर रहें हैं, आज तक जिसकी एक झलक के लोग प्यासे हैं वो भगवान मेरा दोस्त बन मेरे साथ इस दुनिया की सैर कर रहा है*। "वाह मेरा भाग्य", "वाह मैं आत्मा" जो स्वयं भगवान मेरा साथी मेरा दोस्त बन गया।

 

_ ➳  मन ही मन अपने भाग्य की सराहना करते, अपने सच्चे दोस्त के साथ मीठी मीठी रूह - रिहान करते मैं पहुंच गई सूक्ष्म वतन। *ऐसा लग रहा है जैसे पूरा वतन रंग बिरंगे फूंलो की खुशबू से महक रहा है। वतन के खूबसूरत नजारो को मैं देख रही हूँ*। इधर उधर उड़ते फरिश्तों के अंगों से निकलती श्वेत रश्मियां ऐसी लग रही है जैसे चारों और सफ़ेद प्रकाश के झरने फूट रहे हों। बापदादा की लाइट माइट से फ़रिशतो की चमक निरन्तर बढ़ती जा रही है। *पूरे वतन में सफेद चाँदनी की जैसे चादर बिछी हुई है। चारों और छिटकी चांदनी मन को अति सुखद अनुभूति करवा रही है*।

 

_ ➳  एक खूबसूरत फूंलो की झालरों से सजे झूले पर अपने सच्चे दोस्त के साथ बैठ, अब मैं अपने मन की हर बात उन्हें बता रही हूँ। *मेरे अंदर के जज़्बात मेरे संकल्पो के माध्यम से मेरे मनमीत, मेरे साथी तक पहुंच रहें हैं*। अपने जीवन मे बिताये सभी सुखद और दुखद पलों को अपने भाव और भावनाओं द्वारा मैं अपने इस वफादार साथी के साथ बाँट रही हूँ।

 

_ ➳  कितने प्यार से मेरे मन की हर बात को मेरा यह सच्चा दोस्त सुन और समझ रहा है और अपनी मीठी दृष्टि में समाये असीम प्यार को मुझ पर लुटाते हुए हर बात के प्रभाव से मुझे मुक्त कर रहा है। *अपनी स्नेह भरी दृष्टि से मुझ में बल भर कर मुझे शक्तिशाली बना रहा है ताकि जीवन की हर परिस्थिति का मैं अचल अडोल बन कर सामना कर सकूँ*।

 

_ ➳  अपने हाथ मे मेरा हाथ ले कर अपनी सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर समाहित करके मेरे साथी शिव बाबा ने मुझे भी आप समान मास्टर प्यार का सागर बना दिया है। *जिस आत्मिक दृष्टि से बाबा अपने हर बच्चे को देखते है वही आत्मिक दृष्टि मुझे प्रदान कर सबको आत्मा भाई - भाई की दृष्टि से देखने का मूल मंत्र मेरे सच्चे दोस्त शिव बाबा ने मुझे दे दिया है*। इस मूल मंत्र को ले कर, मास्टर प्यार का सागर बन अब मैं अपनी फ़रिशता ड्रेस को सूक्ष्म वतन में छोड़, निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ।

 

_ ➳  अब मैं अपने साकारी शरीर मे भृकुटि पर विराजमान हो कर इस वर्ल्ड ड्रामा में हीरो पार्ट बजा रही हूँ। *सबको आत्मा भाई - भाई की दृष्टि से देखने के अभ्यास द्वारा अब हर एक के पार्ट को मैं साक्षी हो कर देख रही हूँ*।  किसी के भी पार्ट को देख कर अब मेरे मन मे कोई प्रश्न नही उठ रहा। हर एक के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रख, सबको सच्चा रूहानी स्नेह देने से मैं सबके स्नेह की पात्र आत्मा बन गई हूँ।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं खुशी की गोली वा इन्जेक्शन द्वारा स्वयं की दवाई स्वयं करने वाली नॉलेजफुल आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं मन की एकाग्रता द्वारा सर्व सिद्धियां प्राप्त करके सिद्धि स्वरूप बनने वाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा सदा कहते हैं कि *किसी भी रूप में अगर एक बाबा का सम्बन्ध ही याद रहेदिल से निकले 'बाबा', तो समीपता का अनुभव करेंगें*। मन्त्र मुआफिक नहीं कहो 'बाबा-बाबा', वह राम-राम कहते हैं आप बाबा-बाबा कहतेलेकिन दिल से निकले 'बाबा!'

 

✺   *ड्रिल :-  "दिल से 'बाबा' कह समीपता का अनुभव करना"*

 

 _ ➳  अपने शिव पिता परमात्मा की अजर, अमर, अविनाशी सन्तान मैं आत्मा एक छोटी सी, नन्ही सी बच्ची का चोला पहने अपने शिव पिता की उंगली थामे चल पड़ती हूँ दुनिया की चकाचौंध को देखने। *बाबा की उंगली थामे मैं सारे विश्व का भ्रमण कर रही हूं। दुनिया के खूबसूरत नजारों का आनन्द ले रही हूँ*। एक स्थान पर लोगों की भीड़ देख कर मैं बाबा से वहां चलने का आग्रह करती हूँ। बाबा मुझे वहां ले आते हैं। मैं देख रही हूं यहां बहुत सुंदर मेला लगा है। मेले की एक एक चीज मन को आकर्षित कर रही है। *उन चीजों के आकर्षण में आकर कब बाबा का हाथ मेरे हाथ से छूट जाता है मुझे पता ही नही चलता*। मेले की चीजों के आकर्षण में आकर मैं अपने बाबा को ही भूल जाती हूँ।

मेला समाप्त होता है और सभी अपने घर लौट जाते हैं।

 

 _ ➳  स्वयं को अकेला पाकर अब मैं वापिस घर लौटने का रास्ता ढूंढती हूँ लेकिन कोई रास्ता नही मिलता। जहां से जाती हूँ भूलभुलैया की तरह हर रास्ता बंद मिलता है। घबरा कर मैं रोने लगती हूँ। *तभी कानो में आवाज आती है "दिल से बाबा कहो तो बाबा समीप है" अब मैं बाबा को दिल से पुकारती हूँ और देखती हूँ मेरे सामने मुस्कराते हुए मेरे बाबा खड़े हैं*। बाबा को देखते ही मैं दौड़ कर बाबा की बाहों में समा जाती हूँ। बाबा अपनी बाहों में उठाये अब मुझे उस भूलभुलैया से बाहर ले आते हैं। जैसे ही मैं उस भूल भुलैया से बाहर आती हूँ वैसे ही मेरी चेतनता लौट आती है।

 

 _ ➳  अब मैं विचार करती हूं कि ये दुनिया भी तो एक भूल भुलैया की तरह ही है। इससे बाहर निकलने का रास्ता कोई नही जानता। इसकी चकाचौंध में सब फंसे पड़े है। बाहर निकलना चाहते हैं लेकिन निकल नही पा रहें। दुखी हो रहें हैं, रो रहें हैं। लेकिन *मैं कितनी पदमापदम सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे मेरे शिव पिता मिल गए। जो दिल से बाबा कहते ही मेरे समीप आ जाते है और इस संसार की हर उलझन रूपी भूलभुलैया से पलक झपकते ही मुझे बाहर निकाल लेते हैं*।

 

 _ ➳  अपने प्यारे मीठे बाबा की मेहरबानियों को याद करते ही मुख से स्वत: ही निकलता है। "मेरे तो शिव बाबा एक, दूसरा ना कोई" और इसी लग्न में मग्न हो कर मैं जैसे ही दिल से बाबा कहती हूँ। बाबा को अपने समीप अनुभव करती हूँ और *इस समीपता का अनुभव करते - करते नश्वर देह का त्याग कर चल पड़ती हूँ अपने प्राणेश्वर बाबा के पास, उनके प्यार की शीतल छाया में बैठ स्वयं को तृप्त करने के लिए*। अब मैं देख रही हूँ स्वयं को अपने दिलाराम बाबा के पास। मेरे दिलाराम बाबा की समीपता मुझे परमआनन्द का अनुभव करवा रही है। *गहन शांति के अनुभवों मे मैं डूब रही हूँ। बाबा से आ रही सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर कर रही हूं*। भरपूर हो कर मैं वापिस लौट रही हूँ और साकार सृष्टि पर कर्म करने हेतू फ़िर से अपने पांच तत्वों के बने भौतिक शरीर मे प्रवेश कर रही हूं।

 

 _ ➳  अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हूँ और हर घड़ी मैं बाबा को अपने समीप अनुभव करती हूं। अब मेरे हर श्वांस में मेरे मीठे बाबा की याद बसी है। *मेरे नयनो में उनकी सूरत और सीरत समाई हुई है। मेरे कानों में उनके ही बोल हर समय गूंजते रहते हैं*। मेरा रोम - रोम उनकी याद से पुलकित हो रहा है। मेरे हर संकल्प, हर बोल, हर कर्म में उनकी ही छवि है। मेरे मनबुद्धि की तार निरन्तर उनसे जुड़ी हुई है। मैं हर पल उनके लव में लीन हूँ। *दिल से बाबा कह अब मैं हर पल उन्हें अपने समीप अनुभव करती हूं*।

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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