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 11 / 03 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *"मैं शुद्ध पवित्र आत्मा हूँ" - यह स्मृति रही ?*

 

➢➢ *सर्व आत्माओं के प्रति पवित्र दृष्टि रही ?*

 

➢➢ *किसी आत्मा के प्रति विशेष झुकाव / लगाव तो नहीं रहा ?*

 

➢➢ *सदा अपने को हर कदम में साक्षी और बाप के साथी अनुभव किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *बापदादा का बच्चों से इतना प्यार है जो समझते हैं हर एक बच्चा मेरे से भी आगे हो ।* दुनिया में भी जिससे ज्यादा प्यार होता है उसे अपने से भी आगे बढ़ाते हैं । यही प्यार की निशानी है । *तो बापदादा भी कहते हैं मेरे बच्चों में अब कोई भी कमी नहीं रहे, सब सम्पूर्ण, सम्पन्न और समान बन जाये ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं बाप की विशेष आत्मा हूँ"*

 

  सभी अपने को बाप की विशेष आत्मायें अनुभव करते हो? सदा यही खुशी रहती है कि जैसे बाप सदा श्रेष्ठ है वैसे हम बच्चे भी बाप समान श्रेष्ठ हैं? इसी स्मृति से सदा हर कर्म स्वत: ही श्रेष्ठ हो जायेगा। जैसा संकल्प होगा वैसे कर्म होंगे। तो सदा स्मृति द्वारा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहने वाली विशेष आत्मायें हो। *सदा अपने इस श्रेष्ठ जन्म की खुशियां मनाते रहो। ऐसा श्रेष्ठ जन्म जो भगवान के बच्चे बन जायें - ऐसा सारे कल्प में नहीं होता। पाँच हजार वर्ष के अन्दर सिर्फ इस समय यह अलौकिक जन्म होता है।*

 

  सतयुग में भी आत्माओंके परिवार में आयेंगे लेकिन अब परमात्म सन्तान हो। तो इसी विशेषता को सदा याद रखो। *सदा - मैं ब्राह्मण ऊँचे ते ऊँचे धर्म, कर्म और परिवार का हूँ। इसी स्मृति द्वारा हर कदम में आगे बढ़ते चलो। पुरुषार्थ की गति सदा तेज हो। उड़ती कला सदा ही मायाजीत और निर्बन्धन बना देगी।* जब बाप को अपना बना दिया तो और रहा ही क्या। एक रह गया था। एक में ही सब समाया हुआ है। एक की याद में, एकरस स्थिति में स्थित होने से शान्ति, शक्ति और सुख की अनुभूति होती रहेगी। जहाँ एक है वहाँ एक नम्बर है।

 

  तो सभी नम्बरवन हो ना। एक को याद करना सहज है या बहुतों को? बाप सिर्फ यही अभ्यास कराते हैं और कुछ नहीं। *दस चीजें उठाना सहज है या एक चीज उठाना सहज है? तो बुद्धि द्वारा एक की याद धारण करना बहुत सहज है। लक्ष्य सबका बहुत अच्छा है। लक्ष्य अच्छा है तो लक्षण अच्छे होते ही जायेंगे।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  जैसे लाइट हाऊस, माइट हाऊस सेकण्ड में ऑन करते ही अपनी लाइट फैलाते हैं, ऐसे आप सेकण्ड में लाइट हाऊस बन चारों ओर लाइट फैला सकते हो? यह स्थूल आँख एक स्थान पर बैठ दूर तक देख सकती है ना! फैला सकती है ना अपनी दृष्टि! ऐसे *आप तीसरे नेत्र द्वारा एक स्थान पर बैठे चारों ओर वरदाता, विधाता बन नजर से निहाल कर सकते हो? *

 

✧  अपने को सब बातों में चेक कर रहे हो? इतना तीसरा नेत्र क्लीन और क्लीयर है? *सभी बातों में अगर थोडी भी कमजोरी है, तो उसका कारण पहले भी सुनाया है कि यह हद का लगाव मैं और मेरा' है।* जैसे मैं के लिए स्पष्ट किया था - होमवर्क भी दिया था। तो मैं को समाप्त कर एक मैं रखनी है। सभी ने यह होमवर्क किया?

 

✧  जो इस होमवर्क में सफल हुए वह हाथ उठाओ। बापदादा ने सबको देखा है। *हिम्मत रखो, डरो नहीं* हाथ उठाओ। अच्छा है *मुबारक मिलेगी।* बहुत थोडे हैं। इन सबके हाथ टी.वी. में दिखाओ। बहुत थोडों ने हाथ उठाया है। अभी क्या करें? सभी को अपने ऊपर हँसी भी आ रही है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *आप लोगों का जो गायन है अन्त:वाहक शरीर द्वारा बहुत सैर करते थे, उसका अर्थ क्या है? यथार्थ अर्थ यही है कि अन्त के समय की जो आप लोगों की कर्मातीत अवस्था की स्थिति हैं* वह जैसे वाहन होता हैं ना। कोई न-कोई वाहन द्वारा सैर किया जाता है। कहाँ का कहाँ पहुँच जाते हैं ! *वैसे जब कर्मातीत अवस्था बन जाती है तो यह स्थिति होने से एक सेकण्ड में कहाँ का कहाँ पहुँच सकते हैं। इसलिए अन्त:वाहक शरीर कहते हैं।* वास्तव में यह अन्तिम स्थिति का गायन है। उस समय आप इस स्थूल शरीर की भान से परे रहते हो। इसलिए इनको सूक्ष्म शरीर भी कह दिया है। *जैसे कहावत है - उड़ने वाला घोडा। तो इस समय के आप सभी के अनुभव की यह बातें हैं जो कहानियों के रूप में बनाई हुई है। एक सेकण्ड में आर्डर किया यहाँ पहुँचो ; तो वहाँ पहुँच जायेगा।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- ब्राह्मण जीवन का श्रृंगार-स्मृति, वृत्ति और दृष्टि की पवित्रता"*

 

 _ ➳  *मैं ब्राह्मण आत्मा इस शरीर रूपी मंदिर की देवता, इस मंदिर के गर्भगृह भृकुटी में निवास करती हूँ... मैं आत्मा अपने भृकुटी सिहांसन पर बैठ स्वयं का निरीक्षण करती हूँ... मैं चमकती हुई शुद्ध मणि हूँ... मैं एक श्रेष्ठ और दिव्य आत्मा हूँ...* पूज्य आत्मा हूँ... सर्वगुण सम्पन्न, 16 कलाओं से सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी पवित्र आत्मा हूँ... मैं ब्राह्मण आत्मा मुझे अपने निज स्वरुप और निज गुणों की स्मृति दिलाने वाले ज्ञान के सागर, पवित्रता के सागर के पास उड़ चलती हूँ...

 

  *इस वरदानी संगमयुग में अपनी शुभ शिक्षाओं से बेमिसाल करते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... *संगमयुग पर विश्वपिता के हाथो पवित्रता की चुनरी ओढ़ श्रेष्ठ भाग्य को बाँहों में लिए सच्ची सुहागिन आत्माये हो...* सहजयोगी और पवित्रता के वरदानों से सजेधजे हीरे हो... *सदा पवित्रता की झलक और फलक लिए मुहोब्बत के झूले में झूलते ही रहो...”*

 

_ ➳  *सद्गुणों का श्रृंगार कर पवित्रता की खुशबू से महकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा कितने मीठे से भाग्य की मल्लिका हूँ... कभी अपवित्रता की बदबू में धँसी सी... *आज पवित्रता के कमल सी खिली हुई ईश्वर पिता की बाँहों में दिल तख्त पर सजी हुई हूँ... अपने ही पवित्र रूप पर मोहित हो रही हूँ...”*

 

  *दिव्यगुणों के गुलदस्ते से मेरे जीवन को महकाकर प्यारे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे फूल बच्चे... *ब्राह्मण जीवन की विशेषता नवीनता ही पवित्रता है..*. सदा अपने इस खुबसूरत स्वरूप के नशे में झूमते ही रहो... *स्वरूप पवित्र स्वधर्म पवित्र स्वदेश पवित्र को सदा स्मृति में सजाये रखो...* सदा मा सर्वशक्तिवान के नशे में रह वृत्ति से वायुमण्डल को गुलाब सा रूहानी बनाओ...

 

_ ➳  *स्मृति, वृत्ति और दृष्टि की पवित्रता से अपने जीवन का श्रृंगार कर मैं ब्राह्मण आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा मीठे बाबा संग पवित्रता के श्रृंगार से कितनी प्यारी खुबसूरत हो गयी हूँ...* बाबा से मिली पवित्रता ने मुझे सफलता के शिखर पर सजा दिया है... मै आत्मा प्यारे बाबा की यादो में देवतुल्य बनकर मुस्करा रही हूँ...

 

  *खुशियों की सौगात देकर ब्राह्मण से देवता बनाते हुए पवित्रता के सागर मेरे बाबा कहते हैं:-* मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... सदा गुण और शक्तियो के अनुभवी हो विजयी बन मुस्कराओ... *अथाह खजानो के मालिक मा सागर हो इस नशे को यादो में ले आओ*... हर पल कमाई में बिजी रहने वाले सहज मायाजीत बन जाओ... प्यारे ते प्यारे बाबा को यादो में बसा कर मनन शक्ति से मायाप्रूफ विघ्नप्रूफ हो ख़ुशी के खजाने को संग ले उड़ो...

 

_ ➳  *मीठे बाबा से सारे खजानों को लूटकर अपनी झोली रत्नों से भरकर अतीन्द्रिय सुखों में झूमती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपको पाकर किस कदर गुणो और शक्तियो की जादूगर सी बन गयी हूँ...* जीवन कितना मीठा प्यारा सरल और खुशनुमा इस प्यार की जादूगरी से हो गया है... मै आत्मा मायाजीत होकर खुशियो से भर उठी हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं शुद्ध पवित्र आत्मा हूँ" - स्वयं को इस स्मृति में टिकाना*"

 

_ ➳  "मैं शुद्ध पवित्र आत्मा हूँ" इस श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट होते ही अपने सम्पूर्ण स्तोप्रधान अनादि स्वरूप में मैं स्थित हो जाती हूँ। *अपने इस सत्य स्वरूप की स्मृति में टिकते ही मैं अनुभव करती हूँ स्वयं को इस साकार देह में भृकुटि के मध्य विराजमान एक परम पवित्र चमकते हुए दिव्य सितारे के रूप में जिसमे पवित्रता की अनन्त शक्ति है*। देख रही हूँ मैं इस सितारे में से निकल रही पवित्रता की किरणों को जो मेरे मस्तक से निकल कर चारों ओर फैल रही हैं। मेरे चारों और पवित्रता की श्वेत रश्मियों का एक बहुत सुंदर औरा निर्मित हो गया है।

 

_ ➳  पवित्रता की किरणों से निर्मित श्वेत प्रकाश के कार्ब को धारण किये मैं आत्मा अब अपनी साकार देह से बाहर निकलती हूँ और चल पड़ती हूँ पवित्रता की उस दुनिया की ओर, जहाँ पतित पावन मेरे शिव पिता परमात्मा का निवास हैं। *सेकण्ड में पाँच तत्वों की  साकारी दुनिया को पार कर, मैं पहुँच जाती हूँ उस पवित्र लोक, ब्रह्मलोक में*। मैं देख रही हूँ अपने सामने पवित्रता के सागर, पतित पावन अपने प्राणेश्वर निराकार शिव पिता को, जिनसे निकल रही पवित्रता की श्वेत किरणें पूरे ब्रह्मलोक में फैल रही हैं। *पवित्रता की इन किरणो को स्वयं में समाते हुए मैं धीरे -धीरे अपने प्यारे बाबा के बिल्कुल नजदीक जा रही हूँ*।

 

_ ➳  जितना मैं बाबा के समीप जा रही हूँ उतना ही मेरे अंदर पवित्रता का प्रकाश बढ़ता जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे चारों और पवित्र योग की ज्वाला प्रज्वलित हो रही है और मैं आत्मा बाबा से निकलती ज्वाला स्वरूप पवित्र किरणों को ग्रहण कर रही हूँ। *योग अग्नि से निकलती इन पवित्र ज्वाला स्वरूप किरणों में मुझ आत्मा की अनेक जन्मों की अपवित्रता जल कर भस्म हो रही है*। साथ ही साथ मुझ आत्मा के अनेक जन्मों के विकर्म भी स्वाहा हो रहे हैं और काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे विकार बीज सहित दग्ध हो रहे हैं। *63 जन्मों से विकारों की अग्नि में जलती हुई मैं आत्मा योग अग्नि में तप कर अब स्वयं को सच्चे सोने के समान एक दम शुद्ध अनुभव कर रही हूँ*।

 

_ ➳  शुद्ध और पावन बन कर मैं आत्मा परमधाम से नीचे आती हूँ और सफेद प्रकाश से प्रकाशित फरिश्तो की आकारी दुनिया में प्रवेश करती हूँ। बापदादा के इस अव्यक्त वतन में आकर अपने लाइट के सम्पूर्ण फ़रिशता स्वरुप को मैं धारण करती हूँ और बापदादा के सामने पहुँच जाती हूँ। *बापदादा के लाइट माइट स्वरूप से पवित्रता का अनन्त प्रकाश निकल रहा है जिसकी किरणे पूरे सूक्ष्म लोक में फैल रही हैं*। चारों और फैला पवित्रता का यह प्रकाश, पवित्रता की शक्तिशाली किरणों के रूप में निरन्तर मुझ फ़रिश्ते में समा रहा है। *ऐसा लग रहा है जैसे एक तेज करेन्ट मेरे अंदर प्रवाहित हो रहा है जो मेरे अंदर विधमान अपवित्रता के अंश को भी जलाकर मुझे डबल लाइट बना रहा है*।

 

_ ➳  इस डबल लाइट स्थिति में मैं स्वयं को कमल आसन पर विराजमान पवित्रता के अवतार के रूप में देख रही हूँ जो पवित्रता की अनन्त शक्ति से भरपूर है। *इसी डबल लाइट स्वरूप के साथ अब मैं सूक्ष्म लोक से नीचे साकार लोक में आती हूँ और अपने शुद्ध, पवित्र अनादि ज्योति बिंदु स्वरुप को धारण कर, अपने साकार तन में प्रवेश कर अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित हो जाती हूँ*। "मैं शुद्ध, पवित्र आत्मा हूँ" इसी "स्मृति की पवित्रता" द्वारा अपनी वृति और दृष्टि को पवित्र बनाकर, अपने सम्बन्ध, सम्पर्क में आने वाली सभी आत्माओ को उनके दैहिक स्वरूप में ना देखते हुए, उन्हें उनके परम पूज्य स्वरूप में देखने का फाउंडेशन अब मैं मजबूत कर रही हूँ।

 

_ ➳  स्वयं को सदा कमल आसन पर विराजमान अनुभव करते, लौकिक और अलौकिक दोनों परिवार के सम्पर्क में आते, सभी को परम पूज्य स्वरूप में देखने का अभ्यास मुझे सदा मेरे शुद्ध पवित्र स्वरूप में स्थित रखता है। *अपने शुध्द पवित्र स्वरुप में सदा स्थित रहने से, अपने मस्तक पर निरन्तर सफ़ेद मणि के समान चमकता हुआ पवित्रता का प्रकाश मुझे सदा अनुभव होता है जो मेरे चारों और पवित्रता का आभामंडल निर्मित कर, मुझे हर प्रकार की अपवित्रता से दूर रखता है*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं आगे पीछे सोच समझकर हर कार्य करने वाली ज्ञानी तू त्रिकालदर्शी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं अपने सन्तुष्ट और खुशनुमः जीवन से  सेवा करने वाली सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. बहुत दुःखी हैं। *बापदादा को अभी इतना दुःख देखा नहीं जाता है।* पहले तो आप शक्तियों को, देवता रूप पाण्डवों को रहम आना चाहिए। *कितना पुकार रहे हैं।* *अभी आवाज पुकार का आपके कानों में गूँजना चाहिए।* समय की पुकार का प्रोग्रा्म करते हो ना! *अभी भक्तों की पुकार भी सुनो, दुःखियों की पुकार भी सुनो।*

 

 _ ➳  2. अभी थोड़ी-थोड़ी पुकार सुनो तो सही, *बिचारे बहुत पुकार रहे हैं, जिगर से पुकार रहे हैं, तड़फ रहे हैं।* *साइंस वाले भी बहुत चिल्ला रहे हैं, कब करें, कब करें, कब करें पुकार रहे हैं।*

 

 _ ➳  3. आपका गीत है - दुःखियों पर कुछ रहम करो। *सिवाए आपके कोई रहम नहीं कर सकता।* *इसलिए अभी समय प्रमाण रहम के मास्टर सागर बनो।* स्वयं पर भी रहम, अन्य आत्माओं प्रति भी रहम। *अभी अपना यही स्वरूप लाइट हाउस बन भिन्न-भिन्न लाइटस की किरणें दो।* *सारे विश्व की अप्राप्त आत्माओं को प्राप्ति की अंचली की किरणें दो।* अच्छा।

 

✺   *ड्रिल :-  "रहम के मास्टर सागर बन भक्तों की, दुःखियों की पुकार सुनने का अनुभव"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने इष्ट देवी के स्वमान में स्थित हूँ... परमात्मा की दी हुई सर्व शक्तियों से भरपूर हूँ... *मैं आत्मा अपने पूज्य स्वरूप में हूँ...* *मैं सभी मनुष्यों की दु:ख भारी पुकार सुन रही हूँ...* भगवान के पास भी यह पुकार जा रही हैं... कितना दु:ख हैं... मैं शिव शक्ति हूँ... *मुझे सभी दु:खी आत्माओं के ऊपर बहुत रहम आ रहा हैं...* सभी दु:खी आत्मायें पुकार रही है... कि आओ हमारे दु:ख हरो... *मैं आत्मा मैं शिव की शक्ति सभी दु:खी आत्माओं को शांति की किरणें दे रही हूँ...* मैं देख रही हूँ... सभी आत्मायें शांति पा रही हैं... *सभी के दु:ख हरने वाली मैं माँ दुर्गा हूँ...* सभी की पुकार कि अब बहुत दु:ख बढ़ गया हैं... मेरे कानों में ये आवाज़ गूंज रही हैं...

 

 _ ➳   मैं आत्मा अपने रहम के *सागर पिता के समान मास्टर रहम का सागर हूँ...* मैं आत्मा देख रही हूँ कि *मेरे आगे भक्त आत्माओं की लाइन लगी हुई है...* सभी आत्मायें बहुत दु:खी है... वो मन्नते मांग रहे है... *मैं आत्मा अपने पूज्य स्वरूप से सभी की मनोकामना पूर्ण कर रही हूँ...*

 

➳ _ ➳  सभी दु:खी आत्माओं को शांति चाहिये... यही पुकार मुझ तक पहुँच रही है... *साइंस वाले भी पुकार रहे है कि जो हमने इंवेनशन की हैं...* *जो साधन नई दुनियां के स्थापन के निमित्त बने हुए हैं...* *उनका उपयोग कब करें...* क्योंकि दु:ख और हलचल बढ़ती ही जा रही हैं... सभी आत्माओं को शांति चाहिये... सभी पुकार रहे है... सभी दु:खी आत्माए तड़प रही है... वो प्रेम और शांति की प्यासी हैं... *सभी आत्मायें आश भरी नजरों से हमे देख रही हैं...* *और मैं आत्मा सबकी आश पूरी कर रही हूँ...*

 

 _ ➳   बाबा कहते बच्चे आप लोग जल्दी जल्दी संपूर्ण बनो... *ये हलचल, ये विनाश के साधन सब आपके लिए रुके हुए है...* प्रकृति भी आधा कल्प से दु:ख सहन कर चुकी हैं... *सब आपका इंतजार कर रहे हैं...* *आप बच्चों का ही यह काम हैं...*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा मास्टर रहम का सागर हूँ...* *मैं आत्मा सभी आत्माओं को शांति का सकाश दे रही हूँ...* *मुझ मास्टर शांति के सागर के सिवाय दु:खी आत्माओं को रहम, शांति दे नही सकता...* मैं आत्मा परमपिता परमात्मा से और शक्तियां लेकर और शक्तिशाली बनती जा रही हूँ... और *मास्टर रहम का सागर बन सभी दुखी आत्माओं को रहम, प्यार की किरणें दे रही हूँ...* मैं आत्मा स्वयं पर भी रहम करते हुए और आगे बढ़ती जा रही हूँ... *मैं आत्मा सभी आत्माओ को बाप का, सुख की दुनियां का परिचय देकर सुख का रास्ता बता रही हूँ...* *मैं आत्मा लाइट हाउस हूँ...* *सभी आत्माओं को सुख, प्रेम, आनंद, शक्ति की किरणें दे रही हूँ...* सारे विश्व की आत्मायें जो भटक रही हैं... मांग रही हैं... पुकार रही हैं... उन *सभी आत्माओं को प्राप्ति की अंचली की किरणें दे रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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