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❍ 12 / 03 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *देह अभिमान में आकर बाप की निंदा तो नहीं कराई ?*
➢➢ *स्वभाव बहुत मीठा रहा ?*
➢➢ *अपने शुभ भावना के संकल्प से हर आत्मा में उत्साह भरा ?*
➢➢ *बापदादा से अटूट प्यार के बल पर सहज ही ईश्वरीय मर्यादाओं पर चलने का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *आदिकाल, अमृतवेले अपने दिल में परमात्म प्यार को सम्पूर्ण रूप से धारण कर लो ।* अगर दिल में परमात्म प्यार, परमात्म शक्तियां, परमात्म ज्ञान फुल होगा *तो कभी और किसी भी तरफ लगाव या स्नेह जा नहीं सकता ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बाप द्वारा सर्व खजानों से भरपूर आत्मा हूँ"*
〰✧ बाप द्वारा सर्व खजाने प्राप्त हो रहे हैं? भरपूर आत्मायें हैं, ऐसा अनुभव करते हो? *एक जन्म नहीं लेकिन 21 जन्म यह खजाने चलते रहेंगे। कितना भी आज की दुनिया में कोई धनवान हो लेकिन जो खजाना आपके पास है वह किसी के पास भी नहीं है। तो वास्तविक सच्चे वी.आई.पी कौन हैं? आप हो ना!* वह पोजीशन तो आज है कल नहीं लेकिन आपका यह ईश्वरीय पोजीशन कोई छीन नहीं सकता।
〰✧ *बाप के घर में श्रृंगार बच्चे हो। जैसे फूलों से घर को सजाया जाता है ऐसे बाप के घर के श्रृंगार हो। तो सदा स्वयं को - मैं बाप का श्रृंगार हूँ ऐसा समझ श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहो।* कभी भी कमजोरी की बातें याद नहीं करना। बीती बातों को याद करने से और ही कमजोरी आ जायेगी। पास्ट सोचेंगे तो रोना आयेगा इसलिए पास्ट अर्थात् फिनिश।
〰✧ * बाप की याद शक्तिशाली आत्मा बना देती है। शक्तिशाली आत्मा के लिए मेहनत भी मुहब्बत में बदल जाती है। जितना ज्ञान का खजाना दूसरों को दते हैं उतना वृद्धि होती है। हिम्मत और उल्लास द्वारा सदा उन्नति को पाते आगे बढ़ते चलो।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *अभी एक मिनट के लिए सभी लाइट हाऊस, माइट हाऊस स्थिति द्वारा विश्व में अपनी लाइट-माइट फैलाओ।* (बापदादा ने ड़िल कराई) अच्छा - ऐसा अभ्यास समय प्रति समय कार्य में होते हुए भी करते रहो। *अभी सेकण्ड में जिस स्थिति में बापदाद डायरेक्शन दे उसी स्थिति में सेकण्ड में पहुँच सकते हो?* कि पुरुषार्थ में समय चला जायेगा?
〰✧ *अभी प्रेक्टिस चाहिए सेकण्ड की क्योंकि आगे जो फाइनल समय आने वाला है, जिसमें पास विद ऑनर का सर्टीफिकेट मिलना है, उसका अभ्यास अभी से करना है।* सेकण्ड में जहाँ चाहे, जो स्थिति चाहिए उस स्थिति में स्थित हो जाएँ तो एवररेडी। रेडी हो गये। अभी पहले एक सेकण्ड में पुरुषोत्तम संगमयुगी ब्राह्मण हूँ इस स्थिति में स्थित हो जाओ।
〰✧ अभी मैं फरिश्ता रूप हूँ, डबल लाइट हूँ। *अभी विश्व कल्याणकारी बन मन्सा द्वारा चारों ओर शक्ति की किरणें देने का अनुभव करो।* ऐसे सारे दिन में सेकण्ड में स्थित हो सकते हैं। इसका अनुभव करते रहो क्योंकि अचानक कुछ भी होना है। ज्यादा समय नहीं मिलेगा। *हलचल में सेकण्ड में अचल बन सकें इसका अभ्यास स्वयं ही अपना समय निकाल बीच-बीच में करते रहो। इससे मन का कन्ट्रोल सहज हो जायेगा। कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर बढती जायेगी।* अन्छ|-
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ व्यक्त में रहते अव्यक्त स्थिति में रहने का अभ्यास अभी सहज हो गया है ? जब जहाँ अपनी बुद्धि को लगाना चाहे वहाँ लगा सकें - इसी अभ्यास को बढ़ाने के लिए भट्ठी में आते हैं। *जैसे लौकिक जीवन में न चाहते हुए भी आदत अपनी तरफ खींच लेती है, वैसे ही अव्यक्त स्थिति में स्थित होने की आदत बन जाने के बाद यह आदत स्वत: ही अपनी तरफ खींचेगी । यह आदत आपको अदालत में जाने से बचायेगी। समझा?* जब बुरी -बुरी आदतें अपना सकते हो तो क्या यह आदत नहीं डाल सकते हो? दो चार बार भी कोई बात प्रेक्टिकल में लाई जाती है तो प्रेक्टिकल में लाने से प्रेक्टिस हो जाता है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- देही अभिमानी होकर रहना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा स्मृतिपटल पर व्यक्त हो रहे सभी विचारों को फुल स्टॉप लगाकर एकांतवासी होकर सेण्टर में बाबा के कमरे में बैठती हूँ... एक के अंत में मगन हो जाती हूँ...* धीरे-धीरे इस देह, देह की दुनिया से डिटैच होकर ऊपर उड़ते हुए, बादलों, पहाड़ों, चाँद, सितारों, आसमान से भी पार होती हुई पहुँच जाती हूँ... मेरे प्यारे बाबा के पास... और बाबा के सम्मुख बैठ बाबा की रूहानी बातों को प्यार से सुनती हूँ...
❉ *इस अंतिम जनम में देह अभिमान को छोड़कर देही अभिमानी बनने की शिक्षा देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... 21 जनमो के मीठे सुख आपकी दहलीज पर आने को बेकरार है... इन सुखो को जीने के लिये अपने सत्य स्वरूप के नशे से भर जाओ... *वरदानी संगम पर आत्मा अभिमानी के संस्कार को इस कदर पक्का करो कि अथाह सुख अथाह खुशियां दामन में सदा की सज जाएँ...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने सत्य स्वरुप में चमकती हुई अपने स्वधर्म के गुण गाती हुई कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा शरीर के भान से निकल कर आत्मा होने की सत्यता से परिपूर्ण होती जा रही हूँ... *सातो गुणो से सजधज कर तेजस्वी होती जा रही हूँ... और नई दुनिया में अनन्त सुखो की स्वामिन् होती जा रही हूँ...”*
❉ *दिव्य गुणों की खुशबू से मेरे जीवन को दिव्य बनाकर मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह के भान ने उजले प्रकाश को धुंधला कर दुखो के कंटीले तारो में लहुलहानं सा किया है... अब आत्मिक ओज से स्वयं को भर लो... *अपने चमकते स्वरूप और गुणो की उसी खूबसूरती से फिर से दमक उठो... तो सुखो के अम्बार कदमो में सदा के बिछ जायेंगे...”*
➳ _ ➳ *आत्मदर्शन कर सर्वगुणों से सुसज्जित हो दिव्यता से ओतप्रोत होकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में अपनी खोयी चमक वही खूबसूरत रंगत पुनः पाती जा रही हूँ... आत्मा अभिमानी होकर खुशियो में मुस्करा रही हूँ... *मीठे बाबा के प्यार में सतयुगी सुख अपने नाम करवा रही हूँ...”*
❉ *संगम पर मेरे संग-संग चलते हुए मेरे क़दमों में फूल बिछाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *संगम के कीमती समय में सुखो की जागीर अपनी बाँहों में भरकर 21 जनमो तक अथाह खुशियों में मुस्कराओ...* ईश्वर पिता का सब कुछ अपने नाम कर लो... और खूबसूरत दुनिया के मालिक बन विश्व धरा पर इठलाओ...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा आत्मिक स्वरुप की झलक और फलक से संगम के अमूल्य समय, श्वांस, संकल्पों को सफल करते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा कभी यूँ ईश्वर पिता के दिल पर इतराउंगी ... सब कुछ मेरी मुट्ठी में होगा... *भाग्य इतना खूबसूरत और ईश्वरीय प्यार के जादू में खिलेगा ऐसा मैंने भला कब सोचा था... ये प्यारे से ईश्वरीय पल मुझे 21 जनमो का सुख दिलवा रहे है...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- कभी भी रावण की मत पर चल देह - अभिमान में आकर बाप का अपकार नही करना है*"
➳ _ ➳ अपकरियों पर भी सदा उपकार करने वाले अपने प्यारे मीठे बाबा के साथ, एकांत में बैठ, अपने मन की तार को उनके साथ जोड़ कर मैं उनके अति मीठे प्यार का रसपान कर बहुत ही आनन्दित हो रही हूँ। *मेरे जीवन मे आकर, सर्व सम्बन्धो का सुख देकर मेरे जीवन को सुखदायी बनाने वाले मेरे बाबा की याद ही मन को एक ऐसा सुकून दे रही है जिसे शब्दो मे बयां ही नही किया जा सकता*।ऐसे अपने मीठे प्यारे बाबा की मीठी यादों में खोई मैं उन सभी प्राप्तियों का चिन्तन कर रही हूँ, जिन अनमोल और अखुट प्राप्तियों से, ब्राह्मण बनते ही बाबा ने मुझे भरपूर कर दिया।
➳ _ ➳ अपने बाबा के एक - एक उपकार को स्मृति में लाकर मैं मन ही मन स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ कि कभी भी रावण की मत पर चल, देह अभिमान में आकर अपने ऐसे प्रेम, दया और करुणा के सागर बाबा का अपकार मैं कभी नही करूँगी। *कदम - कदम अपने श्रेष्ठ बाबा की श्रेष्ठ मत पर चल कर ही मैं हर कर्म करूँगी ताकि देह अभिमान में आ कर ऐसा कोई भी विकर्म मुझ से ना हो जाये जिससे बाबा का अपकार हो या बाबा की निंदा हो*। मन ही मन स्वयं से प्रतिज्ञा कर, रावण से लड़ने के लिए, स्वयं में योगबल भरने के लिए अब मैं आत्म अभिमानी स्थिति में स्वयं को स्थित करती हूँ और अपने सम्पूर्ण ध्यान को अपने मस्तक के बिल्कुल सेन्टर में केंद्रित करती हूँ।
➳ _ ➳ अपनी सारी चेतना को शरीर के एक - एक अंग से समेटकर अपनी सम्पूर्ण चेतना को भृकुटि पर एकाग्र करते ही मैं अपने उस सम्पूर्ण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ जो कि मेरा वास्तविक स्वरूप है। *एक प्वाइंट ऑफ लाइट, एक एनर्जी के रूप में मैं स्वयं को देख रही हूँ जो भृकुटि के बीच मे चमक रही है। अपने प्रकाश की चमक चारों और फैलाती हुई प्वाइंट ऑफ लाइट, सूक्ष्म एनर्जी मैं आत्मा एक अति सूक्ष्म चमकता हुआ सितारा बन कर भृकुटि की कुटिया से अब बाहर निकलता हूँ* और अपने अंदर समाये सर्व गुणों और सर्वशक्तियों की किरणे चारों और फैलाता हुआ अब सीधा ऊपर आकाश की ओर चल पड़ता हूँ।
➳ _ ➳ सेकण्ड में समस्त ग्रहों, सौर मण्डल, तारामण्डल सबको पार करता हुआ, उससे और ऊपर ही ऊपर उड़ते हुए चैतन्य सितारों की अपनी दुनिया, अपने पिता परमात्मा के स्वीट साइलेन्स होम में मैं सितारा प्रवेश करता हूँ और जा कर अपने प्यारे पिता की सर्वशक्तियों की किरणों की छत्रछाया के नीचे बैठ जाता हूँ। कोई संकल्प, कोई विकल्प नही। *एकदम निरसंकल्प स्थिति में स्थित केवल अपने पिता परमात्मा की एक - एक किरण को निहारते हुए, उनसे निकलने वाले वायब्रेशन को कैच करती हुई मैं ज्योति बिंदु आत्मा इन शक्तिशाली वायब्रेशन्स को अपने अंदर गहराई तक समाते हुए स्वयं को इतना शक्तिशाली बना लेना चाहती हूँ कि वापिस कर्म करने हेतू, रावण राज्य में लौट कर भी, रावण के हर वार से स्वयं को सुरक्षित कर सकूँ*।
➳ _ ➳ बाबा के अति समीप जाकर, स्वयं को बाबा की सर्वशक्तियों से पूरी तरह भरपूर करके, सर्वशक्तियों का पुंज बन कर अब मैं कर्म करने के लिए वापिस साकार सृष्टि रूपी रावण की मायावी दुनिया में लौट रही हूँ जहां माया रावण कदम - कदम पर अपना जाल बिछाए बैठी है। *किन्तु बाबा की शक्तियों का बल और श्रीमत की लकीर मुझे रावण की उल्टी मत से सुरक्षित कर रही है*। माया के रॉयल से रॉयल रूप को भी ज्ञान के दिव्य नेत्र से पहचान कर, रावण के धोखे में आने या *रावण की मत पर चलने से अब मैं स्वयं को बचाते हुए, बाबा का अपकार ना करने की अपनी प्रतिज्ञा को सहज और यथार्थ रीति पूरा कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अपने शुभ भावना के संकल्प से हर आत्मा में उत्साह भरने वाली सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं बापदादा से अटूट प्यार होने से ईश्वरीय मर्यादाओं पर चलना सहज अनुभव करने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा यही इशारा देते हैं - *कोई भी समस्या को सामना करने के लिए सहज विधि है पहले एकाग्रता की शक्ति*। मन एकाग्र हो जाए, तो *एकाग्रता की शक्ति निर्णय बहुत अच्छा करती है*। इसीलिए देखो कोर्ट में तराजू दिखाते हैं। निर्णय की निशानी तराजू इसलिए दिखाते हैं - एकाग्र कांटा हो जाता है। तो *कोई भी समस्या को जिस समय चारों ओर हलचल हो उस समय अगर मन की एकाग्रता की शक्ति हो, जहाँ मन को चाहो वहाँ एकाग्र हो जाए, निर्णय हो जाए किस परिस्थिति में कौन सी शक्ति कार्य में लायें, तो एकाग्रता की शक्ति दृढ़ता स्वतः ही दिलाती है और दृढ़ता सफलता की चाबी है*। तो ऐसे अपने को एक एक्जैम्पुल बनाके औरों को प्रेरणा देते रहो। ठीक है ना! अच्छा है।
✺ *ड्रिल :- "एकाग्रता की शक्ति से कोई भी समस्या को सामना करने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *मन बुद्धि को एक बिन्दु पर एकाग्र कर मैं आत्मा, साक्षी होकर देख रही हूँ... मन में उत्पन्न होने वालें संकल्पों और विकल्पों को... संकल्पों का ये बहाव सागर में उठती लहरों के समान*... हर लहर में डूबाने और पार लगाने की शक्ति, ठीक ऐसे ही मेरे हर संकल्प में चढती कला और उतरती कला का अन्तहीन सफर... *देही से देह तक के सफ़र में समस्याओं का समर और साथ छोडती मेरी एकाग्रता*... शनै: शनै: क्षीण होती निर्णय शक्ति...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा संगम पर प्रभु प्रेम की डोर पकड पहचान रही हूँ निज स्वरूप को*... स्वराज्य अधिकारी की स्टेज पर स्थित मैं आत्मा... *मन और बुद्धि की कचहरी लगा अपना अपना कार्य सौंप रही हूँ दोनों को*... मन विचार शक्ति और बुद्धि विवेक शक्ति... दोनो ही महामन्त्री अपने अपने अधिकार क्षेत्र पर पूरी सतर्कता के साथ... *दोनो का आपस में घनिष्ठ सहयोग...* और सफलता में दृढ होता मेरा निश्चय...
➳ _ ➳ संकल्पों की सफलता से बढता मेरा आत्मविश्वास... और पग पग पर जीत की अनुभूतियाँ संजोये, मैं आत्मा आनन्द के गहरें सागर में डुबकिया लगा रही हूँ... *नाम, मान, शान की लहरें हर पल मेरे चारों ओर अठखेलियाँ करती हुई... असंख्य रूपों से भ्रमित करने की भरसक कोशिश कर रहीं है ये लहरें*... मन मुग्ध हो रहा है उनकी अदाओं से... घिर रहा है उनके जादुई आकर्षण में... संकल्पों और विकल्पों का बुनता जाल... और आहिस्ता आहिस्ता उलझनों का विशाल भँवर...
➳ _ ➳ *बुद्धि के पलडें पर आती संकल्प- विकल्प रूपी लहरें*... साक्षी भाव से हर एक संकल्प को परखती हुई बुद्धि सहजता से नीचे गिरा रही है नाम, मान, शान की उन लहरों को... और इन सब के लिए मौन स्वीकृति देता मन... बुद्धि के सहयोगी होने का परिचय दे रहा है... *मन मुक्त हो रहा है विकल्पों के भार से*...और फिर से आनन्दोत्सव की फुहारें मन की गलियों में महसूस कर रही हूँ मैं आत्मा...
➳ _ ➳ *मन स्थिर होता जा रहा है केवल निज स्वरूप पर*... अपनी शक्तियों का भरपूर एहसास संजोए... *बुद्धि की अनन्त शक्तियों को प्रयोग में लाता हुआ*... हर परिस्थिति के अनुसार *मन और बुद्धि की उचित शक्ति का प्रयोग कर समस्या मुक्त होती मैं समाधान मूर्त आत्मा*... एकाग्रता की शक्ति का गहरा अनुभव कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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