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❍ 23 / 09 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *"सदा बापदादा के स्नेही भव" - सदा बापदादा से यह वरदान स्वीकार किया ?*
➢➢ *बापदादा से सर्वशक्तियों की विल को समाप्त किया ?*
➢➢ *बाप की याद में रहने वाले याद का स्तम्भ बनकर रहे ?*
➢➢ *समर्थी की स्मृति का तिलक स्वयं को लगाया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *जितना जो बिजी है, उतना ही उसको बीच-बीच में यह अभ्यास करना जरूरी है, फिर सेवा में जो कभी-कभी थकावट होती है, कभी कुछ न कुछ आपस में हलचल हो जाती है, वह नहीं होगा।* एक सेकण्ड में न्यारे होने का अभ्यास होगा तो कोई भी बात हुई एक सेकण्ड में अपने अभ्यास से इन बातों से दूर हो जायेंगे। *सोचा और हुआ। युद्ध नहीं करनी पड़ेगी।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ"*
〰✧ डबल लाइट बनने की निशानी क्या होगी? *डबल लाइट आत्मायें सदा सहज उड़ती कला का अनुभव करती है। कभी रुकना और कभी उड़ना ऐसे नहीं।*
〰✧ *सदा उड़ती कला के अनुभवी ऐसी डबल लाइट आत्मायें ही डबल ताज के अधिकारी बनते हैं। डबल लाइट वाले स्वत: ही ऊँची स्थिति का अनुभव करते हैं।*
〰✧ *कोई भी परिस्थिति आवे, याद रखो - हम डबल लाइट हैं। बच्चे बन गये अर्थात् हल्के बन गये। कोई भी बोझ नहीं उठा सकते।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *पॉवरफुल मन की निशानी है - सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुँच जाएँ।* ऐसे पॉवरफुल हो या कभी कमजोर हो जाते हो।
〰✧ मन को जब उडना आ गया, *प्रैक्टिस हो गई तो सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुँच सकता है।*
〰✧ अभी-अभी साकार वतन में, अभीअभी परमधाम में एक सेकण्ड की रफ्तार है? *सदा अपने भाग्य के गीत बाते उडते रहो।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *आवाज से परे होना अर्थात् अशरीरी स्थिति का अनुभव होना।* तो शरीर के भान में आना जितना सहज है, उतना ही अशरीरी होना भी सहज है कि मेहनत करनी पड़ती है? सेकण्ड में आवाज में तो आ जाते हो लेकिन सेकण्ड में कितना भी आवाज में हो, चाहे स्वयं हो या वायुमण्डल आवाज का हो लेकिन सेकण्ड में फुल स्टॉप लगा सकते हो कि कोमा लगेगी, फुल स्टॉप नहीं? इसको कहा जाता है फरिश्ता व अव्यक्त स्थिति की अनुभूति में रहना, व्यक्त भाव से सेकण्ड में परे हो जाना। *इसके लिये ये नियम रखा हुआ है कि सारे दिन में ट्रैफिक ब्रेक का अभ्यास करो। ये क्यों करते हो? कि ऐसा अभ्यास पक्का हो जाये जो चारों ओर कितना भी आवाज का वातावरण हो लेकिन एकदम ब्रेक लग जाये।* आत्मा का आदि व अनादि लक्षण तो शान्त है, तो सेकण्ड में ऑर्डर हो कि अपने अनादि स्वरूप में स्थित हो जाओ तो हो सकते कि टाइम लगेगा?
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- स्मृति दिवस का महत्व"*
➳ _ ➳ आज ब्राह्मण जीवन की खूबसूरती को जब मै आत्मा... निहारती हूँ तो मीठे आनन्द से भर जाती हूँ... मीठे *बाबा ने मीठे बोल, मीठी चाल, स्नेह भरी दृष्टि और दिल की विशालता देकर...मुझे जन्नत की हूर सजा दिया है.*.. पहले यह जीवन देह के प्रभाव में कितना कड़वा और कँटीला था... मीठे बाबा ने प्यार का सोने का पानी डालकर... मेरे मन बुद्धि को कितना उजला सच्चा और खुबसूरत बना दिया है... *भगवान ही तो यह जादु कर सकता था... और भगवान ने आकर ही मुझे खुबसूरत कृति सा सजाया है.*.. मीठे बाबा की रोम रोम से आभारी मै आत्मा...शुकराना करने वतन में उड़ चलती हूँ...
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को गुणो और शक्तियो में आप समान बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *दिलाराम बाबा को दिल अर्पित करने वाले, महान भाग्य के धनी हो.*.. सब कुछ मीठे बाबा को सौपने वाले, समर्थ और सच्चे आशिक हो... समर्थ की निशानी है... हर संकल्प बोल कर्म संस्कार बाप समान होगा... यही निरन्तर याद की अवस्था है... मीठे बाबा की यादो में सदा खोये हुए सदा के मायाजीत बन मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा भगवान को अपने दिल में समाकर हर पल उसकी यादो में डूबकर कहती हूँ :-"मीठे प्यारे साथी बाबा... मै आत्मा देह के प्रभाव में अपने दिल के 100 टुकड़े करके जगह जगह बांटा करती थी... और *आज आपने मेरे सारे टुकड़ो को जोड़ कर, खुबसूरत दिल सजाकर, अपने दिल की तिजोरी में ही बन्द कर दिया है.*.. अब मुझे जिंदगी के दुःख तपन की कोई परवाह ही नही... मेरा जीवन भगवान के हाथो में सदा के लिए सुरक्षित हो गया है...
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को सेवा के नये आयामो को समझाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *सदा यह स्म्रति रहे कि हम है ही फ़रिश्ते... सब कुछ बाबा का है... मेरा कुछ भी नही इस भाव में सदा हल्के फ़रिश्ते बन मुस्कराते रहो.*.. सदा निराकार आकर और साकार को फॉलो करने वाले स्वराज्य अधिकारी... किंग और क्वीन बनकर, बापदादा के दिल तख्त पर मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की ज्ञान मणियो को सुनकर मन्त्रमुग्ध झूमती हुई कहती हूँ :-"प्यारे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा *आपकी मीठी यादो की छाँव में कितनी हल्की निश्चिन्त और बेफिक्री से भरी हुई फ़रिश्ता बन गयी हूँ.*.. स्वयं भगवान मेरा साथी हो गया है... तो मै आत्मा हर फ़िक्र से परे हो गयी हूँ... अपने हर संकल्प, बोल, कर्म को बाप समान सजाकर, किस कदर खुबसूरत हो गयी हूँ..."
❉ मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपने शानदार भाग्य का नशा दिलाते हुए कहते है :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... कितना प्यारा और खुबसूरत भाग्य है कि स्वयं भगवान ने दिल की तिजोरी में छुपा कर रखा है... *पवित्रता की धरोहर से जीवन को श्रेष्ठ बनाकर क्या से क्या बन रहे हो... यह प्राप्ति औरो को भी कराओ..*. सबके जीवन आप समान खुशियो से महकाओ... सबकी आशाये पूर्ण करने वाले महादानी वरदानी बनो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने प्यारे बाबा के प्यार की बरसात में भीगते हुए कहती हूँ :-"मीठे मनमीत बाबा... *आपने मेरा हाथ थामकर, मुझे देह के कंटीले जंगल से निकाल... खुबसूरत ज्ञान परी बना दिया है.*.. मै आत्मा भगवान को वरने वाली... उसके दिल में सजने वाली, शिव प्रियतमा ही गयी हूँ... शिव साजन को चुनकर, सारा ब्रह्माण्ड बाँहो में भर रही हूँ... और यह भाग्य हर दिल पर सजा रही हूँ..."मीठे बाबा को अपने जज्बात अर्पित कर... मै आत्मा स्थूल धरा पर उतर आयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप की याद मे रह याद का स्तम्भ बन कर रहना*
➳ _ ➳ जिस मौलाई मस्ती का वर्णन पीरों - फकीरों ने किया, वो मौलाई मस्ती क्या है! उसका आनन्द कैसा है! उसका अनुभव मैं आत्मा जब चाहे तभी कर लेती हूँ। *तो कितना श्रेष्ठ सौभाग्य है मेरा कि उन फकीरों ने तो सिर्फ उस मस्ती का वर्णन किया लेकिन मैंने तो उसे जब चाहा तब अनुभव किया। कितना सुख समाया है बाबा की याद में। दिल को कितना सुकून, कितना आराम देती है मेरे मीठे बाबा की मीठी यादें*। मन ही मन अपने श्रेष्ठ भाग्य का गुणगान करती, उस मौलाई मस्ती का अनुभव करने के लिए मैं आत्मिक समृति में टिक कर, अपने सुख, शांत और आनन्दमय स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ और अपने मन बुद्धि को सभी बातों से हटाकर सम्पूर्ण एकाग्रचित अवस्था में बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ अपने सम्पूर्ण ध्यान को मैं केवल अपने निराकारी चमकते हुए ज्योति बिंदु स्वरूप पर और अपने प्यारे पिता के अनन्त प्रकाशमय निराकारी बिंदु स्वरूप पर पूरी तरह एकाग्र कर लेती हूँ। *अपने ही समान अपने पिता के स्वरूप को देख कर मन को जैसे एक सुकून मिल रहा है और बुद्धि सभी बातों से हटकर केवल अपने पिता के उस अति सुंदर स्वरूप को आंखों के सामने चित्रित कर रही हैं*। मेरे प्यारे पिता का स्वरूप मेरी आँखों के सामने ऐसे स्पष्ट हो रहा है जैसे वो मेरी आँखों में ही समाये हुए हैं। उनसे आ रहे परमात्म शक्तियों के करेंट को मैं अपने अंदर प्रवाहित होते हुए स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ जैसे मोबाइल को चार्जर से जोड़ते ही उसकी बैटरी चार्ज होने लगती है ऐसे ही मन बुद्धि से सर्वशक्तिवान अपने पिता के साथ कनेक्ट होकर, मैं भी स्वयं को परमात्म शक्तियों से चार्ज होता हुआ अनुभव कर रही हूँ। *मुझ आत्मा की सोई हुई शक्तियाँ परमात्म बल पा कर जागृत हो रही हैं और मैं स्वयं को सर्व शक्तियों से भरपूर होता हुआ महसूस कर रही हूँ। सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के सागर मेरे पिता के अनन्त प्रकाशमय स्वरूप से निकल रही सर्व गुणों और सर्व शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा को जैसे - जैसे गहराई तक छू रही है एक रूहानी सुरूर मुझ आत्मा के ऊपर छाने लगा है*। एक अद्भुत रूहानी नशे से मैं आत्मा स्वयं को भरपूर अनुभव करने लगी हूँ।
➳ _ ➳ चित को चैन और मन को आराम देने वाली रूहानी मस्ती में डूबी, *मौलाई बन अपने मौला अर्थात अपने मालिक से मिलने उनकी निराकारी दुनिया में चलने का मैं जैसे ही संकल्प करती हूँ मैं महसूस करती हूँ जैसे मेरे शिव पिता परमात्मा से निकल रही अनन्त शक्तियों की शक्तिशाली किरणे मैगनेट की तरह मुझ आत्मा को अपनी तरफ खींच रही हैं और मैं आत्मा परमात्म शक्तियों के चुम्बकीय आकर्षण से आकर्षित हो कर अब नश्वर देह का त्याग कर ऊपर की और उड़ने लगी हूँ*। देह और देह की दुनिया के हर बन्धन से मुक्त होकर मैं स्वयं को बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूँ। तीव्र गति से उड़ते हुए मैं सेकेण्ड में आकाश को पार करती हूँ और अब आकाश से भी ऊपर, सूक्ष्म लोक को पार करके मैं पहुंच गई हूँ अपने शिव पिता परमात्मा की अनन्त शक्तियों की किरणों के बिल्कुल नीचे उनके परमधाम घर मे।
➳ _ ➳ अपने इस परमधाम घर मे अब मैं अपने शिव पिता परमात्मा के बिल्कुल समीप हूँ और उनसे आ रही शक्तिशाली किरणों को स्वयं में समा कर असीम ऊर्जावान बन रही हूँ। *अपने प्यारे शिव बाबा के सर्वगुणों, सर्वशक्तियों और सर्व खजानों को मैं अपने अंदर भरती जा रही हूँ। मौलाई बन उनके प्यार की मस्ती में डूब कर, स्नेह के सागर अपने प्यारे पिता के स्नेह की शीतल धाराओं में मैं बहती ही जा रही हूँ और उस स्नेह में डूबकर गहन अतीन्द्रिय सुख का अनुभव कर रही हूँ*। एक दिव्य अलौकिक आनन्द और अथाह सुख की मैं अनुभूति कर रही हूँ। अपनी बीज रूप स्थिति में स्थित होकर बीज रूप अपने पिता परमात्मा से बेहद का असीम मौलाई सुख पाकर अब मैं आत्मा वापिस अपने कर्म क्षेत्र पर लौट आती हूँ और *अपने साकार तन का आधार लेकर मैं फिर से इस सृष्टि पर कर्म करने के लिए तैयार हो जाती हूँ*।
➳ _ ➳ *अपनी साकारी देह में भृकुटि के अकालतख्त पर अब मैं विराजमान हूँ और शरीर निर्वाह अर्थ कर्म भी कर रही हूँ किन्तु हर कर्म अब मैं मौलाई बन बाबा की याद में रहकर कर रही हूँ इसलिए अब कर्म का अच्छा या बुरा कोई भी फल मुझे अपनी और नही खींचता बल्कि बाबा की याद की मौलाई मस्ती, कर्म के फल से मुझे धीरे - धीरे मुक्त कर कर्मातीत बनाती जा रही है*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं बाप के राइट हैण्ड बन हर कार्य मे सदा एवररेडी रहने वाली मास्टर भाग्य विधाता आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं हर बोल और कर्म में सच्चाई सफाई रखकर प्रभु की प्रिय रत्न बनने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *आज से हर एक अपने में देखे - दूसरे का नहीं देखना। दूसरे की यह बातें देखने के लिए मन की आंख बंद करना।* यह आंखें तो बंद कर नहीं सकते ना, लेकिन मन की आंख बन्द करना - दूसरा करता है या तीसरा करता है, मुझे नहीं देखना है। *बाप इतना भी फोर्स देकर कहते हैं कि अगर कोई विरला महारथी भी कोई ऐसी कमजोरी करे तो भी देखने के लिए और सुनने के लिए मन को अन्तर्मुखी बनाना।*
➳ _ ➳ हंसी की बात सुनायें - बापदादा आज थोड़ा स्पष्ट सुना रहे हैं, बुरा तो नहीं लगता है। अच्छा-एक और भी स्पष्ट बात सुनाते हैं। *बापदादा ने देखा है कि मैजारिटी समय प्रति समय, सदा नहीं कभी-कभी महारथियों की विशेषता को कम देखते और कमजोरी को बहुत गहराई से देखते हैं और फालो करते हैं।* एक दो से वर्णन भी करते हैं कि क्या है, सबको देख लिया है। महारथी भी करते हैं, हम तो हैं हीपीछे। अभी महारथी जब बदलेंगे ना तो हम बदल जायेंगे। *लेकिन महारथियों की तपस्या, महारथियों के बहुतकाल का पुरूषार्थ उन्हों को एडीशन मार्क्स दिलाकर भी पास विद आनर कर लेती है।* आप इसी इन्तजार में रहेंगे कि महारथी बदलेंगे तो हम बदलेंगे तो धोखा खा लेंगे इसलिए मन को अन्तर्मुखी बनाओ। समझा।
➳ _ ➳ यह भी बापदादा बहुत सुनते हैं, देख लिया... देख लिया। हमारी भी तो आंखे हैं ना, हमारे भी तो कान हैं ना, हम भी बहुत सुनते हैं। लेकिन महारथियों से इस बात में रीस नहीं करना। *अच्छाई की रेस करो, बुराई की रीस नहीं करो, नहीं तो धोखा खा लेंगे। बाप को तरस पड़ता है क्योंकि महारथियों का फाउन्डेशन निश्चय, अटूट-अचल है,उसकी दुआयें एक्स्ट्रा महारथियों को मिलती हैं।* इसलिए कभी भी मन की आंख को इस बात के लिए नहीं खोलना। बंद रखो। *सुनने के बजाए मन को अन्तर्मुखी रखो।* समझा।
✺ *ड्रिल :- "बुराई को देखने की मन की आँख बन्द करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने ईश्वरीय विश्व विद्यालय में... बापदादा के चित्र के आगे बैठी हूँ... सामने प्राण प्यारे बाबा मुझे देख मन्द मन्द मुस्करा रहें हैं...* मैं आत्मा झट से बाबा के गले लग जाती हूँ... मेरे बाबा... मेरे मीठे प्यारे बाबा... कहते हुए बाबा की गोद में बैठ जाती हूँ... *आहा!!... बाबा का स्पर्श पाते ही स्वयं को जन्नत की परी... जैसा अनुभव कर रही हूँ... बाबा की यादों में खोकर मैं आत्मा रुई जैसी हल्की हो रही हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा हल्की होकर... उड़ती हुई पहुँच जाती हूँ अपने मीठे वतन में... जहाँ शिव बाबा... कोहिनूर हीरे से भी तेज़ चमक रहें हैं... उनसे निकलता किरणों रूपी प्रकाश चारों ओर अपनी लालिमा फैला रहा है... *मैं आत्मा बाबा से निकलती दिव्य तेजस्वी किरणों को स्वयं में धारण कर रही हूँ... स्वयं को समर्थ व शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... मुझ आत्मा के आसुरी अवगुण भस्म हो रहे हैं...* अविनाशी बाबा के प्रेम में लवलीन हुई मैं आत्मा एकरस स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ *अब मैं आत्मा अन्तर्मुखी बन... साइलेन्स की शक्ति से स्वयं ही स्वयं की चेकिंग कर रही हूँ...* अब मुझ आत्मा में किसी की बुराई देखने का अवगुण तो नहीं है...? हरेक के पार्ट को साक्षीदृष्टा बन देख रही हूँ...? *मुझे बापदादा के शब्द याद आ रहें हैं... बदला नहीं लेना... बदल कर दिखाना है... सी नो ईविल...*अब मैं आत्मा साइलेन्स की शक्ति से किसी की बुरी बात या बुरे सम्बन्ध को... अच्छाई में परिवर्तित कर रही हूँ... साक्षीदृष्टा बन हरेक के पार्ट को देख रही हूँ...
➳ _ ➳ *अब मैं आत्मा महारथियों के पुरुषार्थ* को... उनकी विशेषताओं को... बहुत गहराई से देख रही हूँ... *उनका अमृतवेले उठना... मुरली क्लास सुनना... सुनाना... दुःखी अशांत आत्माओं को सकाश देना... उनका बहुतकाल का पुरुषार्थ... उनका बाबा पर... ड्रामा पर... अटूट निश्चय...* मैं आत्मा उनकी विशेषताओं को देख... उन्हें फॉलो कर... तीव्र पुरुषार्थी बन रही हूँ... हरेक के प्रति शुभ भावना शुभ कामना... रख रहीं हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सदा अटेंशन रख... साइलेन्स की शक्ति द्वारा... अन्तर्मुखी बन... हरेक के गुणों को देख रहीं हूँ... *मैं आत्मा संकल्प शक्ति द्वारा हर एक की बुराई को देखते हुए भी उसे अच्छाई में परिवर्तित कर रही हूँ...* तीव्र पुरुषार्थी बन सदा उड़ती कला में रह अन्तर्मुखी स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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