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 03 / 11 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *और सब संग तोड़ एक बाप संग जोड़ा ?*

 

➢➢ *चलते फिरते स्वदर्शन चक्र फिराते रहे ?*

 

➢➢ *श्रीमत प्रमाण जी हुज़ूर कर, हुज़ूर को हाज़िर अनुभव किया ?*

 

➢➢ *परमात्म वर्से के अधिकारी बन अधीनता से मुक्त रहे ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *कोई भी कर्म करो, बोल बोलो वा संकल्प करो तो पहले चेक करो कि यह ब्रह्मा बाप समान है!* ब्रह्मा बाप की विशेषता विशेष यही रही- जो सोचा वो किया, जो कहा वो किया। *ऐसे फालो फादर। अपने स्वमान की स्मृति से, बाप के साथ की समर्थी से, दृढ़ता और निश्चय की शक्ति से श्रेष्ठ पोजीशन पर रह कर ओपोज़िशन को समाप्त कर देना।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं बाप का हाथ और साथ का अनुभव करने वाली भाग्यवान आत्मा हूँ"*

 

✧  सदा बाप का हाथ और साथ है, ऐसा भाग्यवान समझते हो? *जहाँ बाप का हाथ और साथ है, वहाँ सदा ही मौजों की जीवन होती है। मूँझने वाले नहीं होंगे, मौज में रहेंगे। कोई भी परिस्थिति अपने तरफ आकर्षित नहीं करेगी, सदा बाप की तरफ आकर्षित होंगे।*

 

  *सबसे बड़ा और सबसे बिढ़या बाप है, तो बाप के सिवाए और कोई चीज या व्यक्ति आकर्षित नहीं कर सकता। जो बाप के हाथ और साथ में पलने वाले हैं, उनका मन और कहीं जा नही सकता।* तो ऐसे सभी हो या माया की पालना में चले जाते हो? वह रास्ता बन्द है ना।

 

  *तो सदा बाप के साथ की मौज में रहो। बाप मिला सब कुछ मिला, कोई अप्राप्ति नहीं। कितना भी कोई हाथ, साथ छुडाये लेकिन छोड़ने वाले नहीं। और छोड़कर जायेंगे भी कहाँ? इससे बड़ा और कोई भाग्य हो नहीं सकता!*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  तो *सेकण्ड में न्यारे हो सकते हो?* कि टाइम लगेगा? जैसे शरीर में आना सहज लगता है, ऐसे शरीर से परे होना इतना ही सहज हो जाये। कोई भी पुराना स्वभाव-संस्कार अपनी तरफ आकर्षित नहीं करे और सेकण्ड में न्यारे हो जाओ।

 

✧   सारे दिन में, बीच-बीच में यह अभ्यास करो। ऐसे नहीं कि जिस समय याद में वैठो उस समय अशरीरी स्थिति का अनुभव करो। नहीं। चलते-फिरते, *बीच-बीच में यह अभ्यास पक्का करो - मैं हूँ ही आत्मा!*

 

✧  तो आत्मा का स्वरूप ज्यादा याद होना चाहिए नाः सदा खुशी होती है ना! कम नहीं होनी चाहिए, बढ़नी चाहिए। इसका साधन बताया - मेरा बाबा! और *कुछ भी भूल जाये लेकिन मेरा बाबा' यह भूले नहीं।* अच्छा (पार्टियों के साथ)

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *तो फ़रिश्तेपन की मुख्य विशेषता हुई कि वह सभी बातों में हल्के होंगे- संकल्पों में भी हल्के, वाणी में भी हल्के और कर्म करने में भी हल्के और सम्बन्ध में भी हल्के रहेंगे। इन चार बातों में हल्कापन है तो फ़रिश्ते की अवस्था है।* अब देखना है- कहाँ तक इन ४ बातों में हल्कापन है।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप ही दुःख हर्ता सुख कर्ता हैं"*

 

_ ➳   *‘ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. तुझसे लागे रे लागे रे लागे रे लगन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. इस लगन से मेरा मन हो गया मगन.. संवर के जीवन, मेरा तन-मन, तेरी यादों में पाए सुख सघन’... सेण्टर में ये मधुर गीत सुनती हुई मैं आत्मा भाव-विभोर हो जाती हूँ...* और उड़ चलती हूँ वतन में.. मेरे जीवन को संवारने वाले, मेरी बिगड़ी बनाने वाले, दुखों से छुड़ाने वाले, मेरे प्राण आधार- मेरे प्यारे बाबा के पास... बाबा मुस्कुराते हुए, वरदानों की बरसात करते हुए अपने मीठे बोल से मेरा श्रृंगार करते हैं...

 

  *इस दुःख के लोक से निकाल सुख के धाम में ले जाते हुए मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... *अपने ही खुशनुमा फूलो को दुखो की तपिश से कुम्हलाया देख विश्व पिता भला कैसे चैन पाये... बच्चों को दुखो से निकालने को आतुर सा धरा पर दौड़ा चला आये...* अपनी गोद में बिठाकर दिव्य गुणो से सजाये और सच्चे सुखो से दामन भर जाये... तब ही पिता दिल आराम सा पाये...

 

_ ➳  *पल-पल प्रभु को याद कर स्नेह सुमन अपने प्रभु को अर्पण करती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा तो दुखो भरे जीवन की आदी हो गई थी... और उन्हें ही अपनी नियति समझ बैठी थी... *आपने प्यारे बाबा जीवन में आकर खुशियो के फूल खिलाये है... दिव्य गुणो से सजाकर मुझे देवतुल्य बना रहे हो...”*

 

  *मीठी यादों के उडनखटोले में बिठाकर खुशियों के गगन में उड़ाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस दुखधाम से निकल कर मीठे सुखो के अधिकारी बन जाओ... ईश्वरीय ज्ञान और यादो से विकारो से मुक्त हो जाओ... *पवित्र धाम में चलने के लिए पवित्रता के श्रृंगार से सजकर मुस्कराओ... ईश्वरीय याद और प्यार से निर्मलता को रोम रोम में छ्लकाओ...”*

 

_ ➳  *कल्याणकारी संगमयुग में आकर सबका कल्याण कर स्वर्ग का वर्सा देने वाले बाबा से मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा आपकी मीठी यादो में सम्पूर्ण पवित्रता से सजधज कर मुस्करा उठी हूँ... जीवन कितना पवित्र प्यारा सा अलौकिक हो गया है...* मीठे बाबा आपने मुझे देह के मटमैलेपन से मुक्त करवाकर सुंदर सजीला बना दिया है...

 

  *मेरा प्रीतम बाबा मुझ प्रीतमा को स्वर्ग की महारानी बनाने के लिए श्रृंगार करते हुए कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वरीय बाँहों में सुखो की बहारो को पाओ... असीम सुखो की जागीर ईश्वरीय खजानो और यादो में पाकर देवताओ के श्रृंगार से सजकर मीठा सा मुस्कराओ... *मीठा बाबा अपने बच्चों को फिर से खुशियो में खिलाने आया है तो पवित्र बनकर ईश्वरीय दिल पर छा जाओ...”*

 

_ ➳  *देह की दुनिया से ऊपर पवित्र धाम की ओर उडान भरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा देहभान की धूल में धूमिल सी थी... आज आत्मिक स्वरूप में दमक रही हूँ... *प्यारे बाबा आपने मुझे कमल समान पवित्र जीवन की धरोहर देकर आलिशान सुखो की मालकिन सा सजाया है... कौड़ी जीवन को हीरे सा चमकाया है...”*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  श्रीमत पर चल कर स्वर्ग का पूरा वर्सा लेना है*

 

_ ➳  अपने प्यारे पिता और उनसे मिलने वाली सुख शांति के अविनाशी वर्से को याद करते ही अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की मधुर स्मृतियों में खो कर, मुख से वाह - वाह के गीत गाते, अपने भाग्य की सराहना करते हुए मैं विचार करती हूँ कि मेरे जैसा भाग्यवान इस दुनिया मे कोई नही। *जिस भगवान को बड़े - बड़े साधु सन्यासी, महा मण्डलेश्वर भी पा ना सके वो भगवान कैसे घर बैठे बिल्कुल सहज रीति मुझे मिल गया! अपनी हथेली पर कैसे वो मेरे लिए स्वर्ग की बादशाही लेकर मेरे पास चला आया*! कितनी महान पदमापदम सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो भगवान स्वयं 21 जन्मो का वर्सा मुझे देकर मेरी श्रेष्ठ तकदीर बनाने के लिए मेरे सम्मुख आयें है। ऐसे बाप से तो 20 नाखूनों का जोर देकर भी मुझे वर्सा जरूर प्राप्त करना चाहिए।

 

_ ➳  अपने शिव पिता से स्वर्ग का वर्सा पाने की स्वयं से मैं प्रतिज्ञा करती हूँ और स्वर्ग के रचयिता अपने पिता से मिलने का संकल्प लेकर अपने मन और बुद्धि को हर संकल्प, विकल्प से मुक्त कर अपने ध्यान को केवल अपने और अपने पिता के स्वरूप पर पूरी तरह से केंद्रित कर लेती हूँ। *अपने स्वरूप पर मन बुद्धि को एकाग्र करते ही एक अलौकिक रूहानी मस्ती का मैं अनुभव करने लगती हूँ और इस मस्ती में डूबे - डूबे ही महसूस करती हूँ जैसे एक तेज लाइट बार बार आ कर मुझे छूती है और फिर अदृश्य हो जाती है*। किंतु हर बार मुझे छूकर अपनी अनन्त फुहारे मुझ पर बरसा कर मुझे एक अति सुखदाई अनुभूति करवा जाती है और साथ - साथ मेरे एक - एक अंग को शीतल करती जाती है।

 

_ ➳  इन शीतल फ़ुहारों के स्पर्श से अब मैं महसूस कर रही हूँ जैसे मेरा पूरा शरीर बिल्कुल शीतल हो गया है। हर कर्मेन्द्रिय जैसे बिल्कुल शांत और शिथिल हो गई है और मेरा स्थूल शरीर जैसे धीरे - धीरे लाइट की काया में परिवर्तित हो गया है जो रुई की तरह एक दम हल्का है। *इस प्रकाश की काया के साथ मेरे पाँव धीरे - धीरे धरती से ऊपर उठ रहे है और मैं धरती के हर आकर्षण से मुक्त होकर जैसे ऊपर की ओर उड़ने लगी हूँ*। इस अवस्था मे एक गहन सुख और आनन्द का मैं अनुभव कर रही हूँ। एकदम हल्के हो कर उड़ने का यह अनुभव बहुत ही निराला और प्यारा है। *इसी खूबसूरत सुखमयी एहसास के साथ उड़ते उड़ते मैं आकाश को पार कर जाती हूँ और उससे भी ऊपर श्वेत प्रकाश की दुनिया में पहुँच जाती हूँ*।

 

_ ➳  अपने ही समान प्रकाश की काया वाले चमकते हुए फरिश्तो को मैं देख रही हूँ जो इस श्वेत प्रकाश की दुनिया में इधर - उधर विचरण कर रहें हैं और अपने प्रकाश से इस दुनिया को अति प्रकाशमय बना रहे हैं। *अपने बिल्कुल सामने मैं देख रही हूँ एक अति प्रकाशवान सम्पूर्ण फरिश्ता स्वरूप में विराजमान अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा को जिनकी भृकुटि में शिव बाबा चमक रहें है*। बाबा के मस्तक से प्रकाश की अनन्त धारायें निकल कर पूरे वतन में फैल रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे बापदादा अपनी बाहों को फैलाये मेरा आह्वान कर रहें हैं। *धीरे - धीरे मैं फरिश्ता जैसे - जैसे बापदादा के पास जा रहा हूँ मैं महसूस कर रहा हूँ जैसे वतन में विचरण कर रहे सभी फ़रिश्ते भी बाबा के सामने आ कर बैठ गए है और मुस्कराते हुए मेरा स्वागत कर रहें हैं*।

 

_ ➳  उन फरिश्तो के वेष में मैं मम्मा, बाबा, यज्ञ की महान तपस्विमूर्त वरिष्ठ दादियों, वरिष्ठ भाइयों और एडवांस पार्टी की आत्माओं को देख रही हूँ जो अपनी दुआयें देकर मुझे आप समान बनने का बल दे रहें हैं। *उनकी दुआयों से और बापदादा की लाइट माइट से मिलने वाला बल मेरे अंदर श्रीमत पर ऐक्यूरेट चलने और बाबा से पूरा वर्सा लेने की शक्ति जागृत कर रहा है*। अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर बापदादा मुझे स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी का वरदान दे रहें हैं। बाबा के वरदानी हस्तों से एक तेज लाइट निकलकर मेरे अंदर समाती जा रही है। *बापदादा से वरदान और शक्तियाँ लेकर अब मैं अपनी सूक्ष्म प्रकाश की काया के साथ फिर से साकारी दुनिया मे लौट आती हूँ और अपने शरीर रूपी रथ पर आकर विराजमान हो जाती हूँ*।

 

_ ➳  बाबा हमको वर्सा देने आये हैं इस बात को स्मृति में रखकर अब मैं कदम - कदम बाबा की श्रीमत को फॉलो करके, 20 नाखूनों का जोर देकर बाबा से सतयुगी दुनिया का वर्सा लेने का पुरुषार्थ पूरी दृढ़ता और लगन के साथ कर रही हूँ।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं श्रीमत प्रमाण जी हजूर कर, हजूर को हाजिर अनुभव करने वाली सर्व प्राप्ति सम्पन्न आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं परमात्म वर्से की अधिकारी बनकर रहने से अधीनता को आने नहीं देने वाली अधिकारी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *मधुबन निवासी अर्थात् कर्म में मधुरता और वृत्ति में बेहद का वैराग्य।*

 

 _ ➳  2. तो मधुबन निवासी अर्थात् एकस्ट्रा गिफ्ट के अधिकारी। *गिफ्ट है ना! कितने निश्चिंत हो। अपनी ड्युटी बजाई और मौज में रहे।* मदोगरी करनी हैजिज्ञासुओं को सम्भालना हैइससे तो फ्री हैं ना!

 

 _ ➳  3. मधुबन निवासियों को स्पेशल अटेन्शन रखना है कि हमें चारों ओर पावरफुल याद के वायब्रेशन फैलाने हैं क्योंकि आप ऊंचे-ते-ऊंचे स्थान पर बैठे हो। स्थान तो ऊंचा है ना! इससे ऊंचा तो कोई है नहीं। तो ऊंची टावर जो होती हैवह क्या करती हैसकाश देती है ना! लाइट माइट फैलाते हैं ना। तो *कम से कम 4 घण्टे ऐसे समझो हम ऊंचे ते ऊंचे स्थान पर बैठ विश्व को लाइट और माइट दे रहा हूँ। यह तो आपको अच्छी तरह से अनुभव है कि मधुबन का वायब्रेशन चाहे कमजोरी काचाहे पावर का - दोनों ही बहुत जल्दी फैलता है।* अनुभव है ना! मधुबन में सुई भी गिरती है तो वह आवाज भी पहुंचता है क्योंकि मधुबन निवासियों की तरफ सबका अटेन्शन होता है। मधुबन वाले समझो विजय प्राप्त करने और कराने के निमित्त हैं। मधुबन की महिमा कितनी सुनते हो! मधुबन के गीत भी गाते हो ना। तो मधुबन के दीवारों की महिमा है या मधुबन निवासियों की महिमा है! किसकी महिमा हैआप सबकी। तो ऐसे अपनी जिम्मेवारी समझो। सिर्फ अपना काम कियाड्युटी पूरी की यह जिम्मेवारी नहीं। *मधुबन का वायुमण्डल चारों ओर वायुमण्डल बनाता है।*

 

 _ ➳  4. बापदादा तो मधुबन निवासियों को सदा नयनों के सामने देखते हैं। *नूरे रत्न देखते हैं। मधुबन निवासी बनना कोई छोटी सी बात नहीं है। मधुबन निवासी बनना अर्थात् अनेक गिफ्ट के अधिकारी बनना।* देखो, स्थूल गिफ्ट भी मधुबन में बहुत मिलती है ना! और कितना स्वमान मिलता है। अगर मधुबन वाला कहाँ भी जाता है तो किस नजर से सभी देखते हैं? *मधुबन वाला आया है। तो इतना अपना स्वमान सदा इमर्ज रखो। मर्ज नहींइमर्ज।*

 

✺   *ड्रिल :-  "अपने लौकिक स्थान पर या सेवाकेंद्र पर रहते हुए भी स्वयं को मधुबन निवासी अनुभव करना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा *मधुबन की पावन धरती पर बिताए हुए अपने अनमोल क्षणों को याद कर रही हूँ... इस स्मृति से स्वयं में स्फूर्ति, उमंग, ईश्वरीय स्नेह का पारावार महसूस कर रही हूँ*... जिस धरनी पर स्वयं भगवान आते हैं, घण्टों बच्चों को दृष्टि देते हैं, उनसे प्यार भरी बातें करते हैं... वहां के वायब्रेशन कितने शक्तिशाली हैं... यहां के चार धाम की मन-बुद्धि से यात्रा करते करते... मैं स्वयं को अति इंद्रिय सुख के झरने के नीचे अनुभव कर रही हूँ...

 

 _ ➳  जिस प्रकार सागर के पास जाते  ही शीतलता, अग्नि के पास जाते ही ऊष्णता का अनुभव स्वतः ही होता है... ठीक इसी प्रकार *मधुबन की स्मृति मात्र से ही... मन उमंगो में नाचने लगता है... मधुबन का हर जर्रा दास्तां गाता है उस महान युग पुरुष की... जिसे स्वयं भाग्य विधाता ने अपना रथ चुना, साकार बाबा और मम्मा की कर्मभूमि... वरदान भूमि... तपस्या भूमि... यहां कदम रखते ही मन शिव पिया के प्यार में खो जाता है...*

 

 _ ➳  *जहां अपनी याद में बैठे लाडले बच्चों से रोज अमृतवेले... बाबा मिलन मनाने आते हैं, जहां बाबा की याद में पवित्र भोजन बनता है... और वह पवित्र भोजन बड़े प्यार से बाबा को स्वीकार कराया जाता है... जहाँ पवित्र प्रवृति धर्म का पालन किया जाता है... वह स्थान चाहे लौकिक घर हो या सेवाकेंद्र... वह बाबा का यज्ञ ही है... और मैं आत्मा मधुबन निवासी की श्रेष्ठ स्थिति में स्थित हो सेवा कर रही हूँ*... मुझ आत्मा के हर कर्म में दिव्यता है... मधुरता है... साथ ही बेहद की वैराग्य वृत्ति भी समाई हुई है... हर तरह के लगाव, झुकाव, आसक्तियों से मैं आत्मा परे हूँ... सर्व चिंताओं, बोझ से निश्चिंत हूँ... बेफिकर बादशाह हूँ... ईश्वरीय सेवा करके मैं आत्मा सदा मौज में, आनंद में रहती हूँ... जिज्ञासु आत्माओं को बाबा का परिचय देकर उनको मुक्ति और जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाने के निमित बन रही हूँ...

 

 _ ➳  मधुबन की पावन धरनी ऊंचे ते ऊंची तपस्या की, वरदानों की भूमि है... जैसे लाइट हाउस ऊंची स्थान पर होता है और चारों ओर प्रकाश फैलाता है, सबको रास्ता बताता है... इसी प्रकार *मैं आत्मा ऊंची मधुबन की धरनी पर बैठ सारे विश्व में शक्तियों की, पवित्रता की... लाइट और माइट फैला रही हूँ... इस ऊंची धरनी पर स्थित होने से मेरे हर संकल्प का वायब्रेशन सारे विश्व में फैल रहा है... यह अटेंशन रखती हुई मैं आत्मा बाबा की शक्तिशाली याद में स्थित हो पावरफुल तरंगें... समूचे वायुमंडल में फैला रही हूँ*... मुझ आत्मा के हर संकल्प को सारी कायनात ग्रहण करती है... यह जिम्मेवारी समझकर मैं आत्मा स्वयं पर अटेंशन रूपी पहरा लगाती हूँ... और शक्तिशाली, पवित्र किरणों की सकाश विश्व की सर्व आत्माओं को दे रही हूँ...

 

 _ ➳  मैं श्रेष्ठ आत्मा बाबा के नयनों में समाई हुई हूँ... उनके स्नेह की अधिकारी आत्मा हूँ... मैं बाबा की नूरे रत्न हूँ... इतना श्रेष्ट भाग्य है मुझ भाग्यवान आत्मा का... ईश्वरीय वरदानों से मैं आत्मा संपन्न बनती जा रही हूँ... *कितने ऊंचे टाइटल्स, कितने श्रेष्ठ स्वमान मीठे बाबा मुझे दे रहे हैं... मैं आत्मा मधुबन निवासी हूँ... हर समय अपने इस श्रेष्ठ स्वमान की स्मृति में ही रहती हूँ... अपने लौकिक स्थान या सेवाकेंद्र पर रहते हुए भी...  मधुबन निवासी के अपने श्रेष्ठ भाग्य की स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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