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❍ 23 / 04 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अपना बोल चाल बहुत मीठा रखा ?*
➢➢ *बाप की सर्विस में बिगर कहे मददगार बने ?*
➢➢ *सम्पूरणता द्वारा सम्पन्नता की प्रालब्ध का अनुभव किया ?*
➢➢ *सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रह होलिएस्ट और हाईएस्ट स्थिति का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *योगबल अर्थात् साइलेन्स की शक्ति-कम मेहनत, कम खर्चे में बालानशीन कार्य करा सकती है। साइलेन्स की शक्ति-समय के खजाने में इकॉनामी करा देती हैं अर्थात् कम समय में ज्यादा सफलता पा सकते हो।* यथार्थ इकॉनामी है-एकनामी बनना। *एक का नाम सदा स्मृति में रहे। ऐसा एकनामी वाला इकॉनामी कर सकता है। जो एकनामी नहीं वह यथार्थ इकॉनामी नहीं कर सकता।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं स्वदर्शन चक्रधारी हूँ"*
〰✧ सदा अपने को स्वदर्शन चक्रधारी अनुभव करते हो? *स्वदर्शन चक्र अनेक प्रकार के माया के चक्करों को समाप्त करने वाला है। माया के अनेक चक्र हैं और बाप उन चक्रो से छुड़ाकर विजयी बना देता।* स्वदर्शन चक्र के आगे माया ठहर नहीं सकती - ऐसे अनुभवी हो?
〰✧ बापदादा रोज इसी टाइटिल से यादप्यार भी देते हैं। इसी स्मृति से सदा समर्थ रहो। *सदा स्व के दर्शन में रहो तो शक्तिशाली बन जायेंगे। कल्प-कल्प की श्रेष्ठ आत्मायें थे और हैं यह याद रहे तो मायाजीत बने पड़े हैं।*
〰✧ *सदा ज्ञान को स्मृति में रख, उसकी खुशी में रहो। खुशी अनेक प्रकार के दु:ख भुलाने वाली है। दुनिया दु:खधाम में है और आप सभी संगमयुगी बन गये। यह भी भाग्य है।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ सिर्फ राज्य करने के समय बाप गुप्त हो जाते हैं। तो साथ कैसे रहेंगे? समान बनने से। समानता कैसे लायेंगे? साकार बाप से समान बनने से। अभी बापदादा कहते हो ना। उनमें समानता कैसे आई? *समर्पणता से समानता सेकण्ड में आई। ऐसे समर्पण करने की शक्ती चाहिए।*
〰✧ *जब समर्पण कर दिया तो फिर अपना वा अन्य का अधिकार समाप्त हो जाता।* जैसे किसको कोई चीज दी जाती है तो फिर अपना अधिकार और अन्य का अधिकार समाप्त हो जाता है। अगर अन्य कोई अधिकार रखे भी तो उसको क्या कहेंगे? यह तो मैने समर्पण कर ली।
〰✧ ऐसे हर वस्तु सर्व समर्पण करने के बाद अपना वा दूसरों का अधिकार कैसे रह सकता है। *जब तक अपना वा अन्य का अधिकार रहता है तो इससे सिद्ध है कि सर्व समर्पण में कमी है।* इसलिए समानता नहीं आती। जो सोच - सोच कर समर्पण होते हैं उनकी रिजल्ट अब भी पुरुषार्थ में वही सोच अर्थात व्यर्थ संकल्प विघ्न रूप बनते हैं। अच्छा -
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *ब्रह्म-मुहूर्त का अर्थ क्या है? उस समय का वायुमण्डल ऐसा होता है जो आत्मा सहज ही ब्रह्म निवासी बनने का अनुभव कर सकती है।* दूसरे समय में पुरुषार्थ करके आवाज से, वायुमण्डल से अपने को डिटाच करते हो या मेहनत करते हो। लेकिन उस समय इस मेहनत की आवश्यकता नहीं होती। जैसे ब्रह्म घर शान्तिधाम है वैसे ही अमृतवेले के समय में भी आटोमेटिकली साइलेन्स रहती है। *साइलेन्स के कारण शान्त स्वरूप की स्टेज वा शान्तिधाम निवासी बनने की स्टेज को सहज ही धारण कर सकते हो।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अपना स्वभाव बहुत ही मीठा और शांत बनाना"*
➳ _ ➳ *मीठे बच्चे... मीठे बच्चे... रोज मुरली में सुबह मीठे बच्चे कह बुलाते... तुम्हें बहुत मीठा बनना हैं... बाप समान बनना है तभी जोड़ी जमेगी... एक मीठा एक कड़वा तो क्या जोड़ी अच्छी लगेगी!...* तुम ईश्वरीय औलाद हो, भगवान के बच्चे कैसे होंगे... भगवान जैसे ही होंगे ना... *बाबा तुम्हारी इन शिक्षाओं में सचमुच जादू है... बाबा तुम सचमुच के जादूगर हो... तुम्हारी इन मीठी शिक्षाओं ने बाबा हमें क्या से क्या बना दिया!...* इतना शांत,सरल, स्वभाव... बाबा इससे पहले कभी खुद को ऐसा नहीं पाया... शुक्रिया बाबा शुक्रिया...
❉ *शांति और स्नेह के सागर अपनी मीठी प्यारी शांति के किरणें मुझ आत्मा पर बरसाते हुए बोले:-* "हे शांति स्वरूप आत्मन... पूरा विश्व जहां इस समय अशांति और हंगामो से घिरा है वहां तुम एकमात्र रोशनी हो... *तो अपना स्वभाव इतना मीठा और शांत बनाओ जो सभी खींचे चले जाएं कि शांति और से नहीं, बस यही हैं..."*
➳ _ ➳ *शांति सागर के शांति की किरणों में समाई मैं आत्मा प्रेम विभोर हो बाबा से बोली:-* "मेरे प्यारे मीठे बाबा... मैं आपकी शिक्षाओं को पूरा-पूरा धारण कर रही हूं... *स्वयं को शांतिकुंड बना रही हूं... मैं आत्मा अनुभव कर रही हूं जैसे जैसे मुझ आत्मा से शांति के प्रकंपन चारों ओर फैल रहे हैं... सर्व आत्माओं की चिंताएं, दुख, अशांति, खत्म होती जा रही हैं..."*
❉ *शांति दाता, दुखहर्ता, सुखकर्ता, महिमा के सागर, गीता ज्ञान दाता शिवबाबा बोले:-* "लाडले बच्चे... *जब किसी स्थान पर हंगामा हो, तो उस झगड़ों के समय... शांति के शक्ति की कमाल दिखाओ...* सब की बुद्धि में आए की यहां तो शांति का कुंड है... शांतिकुंड बन शांति की शक्ति फैलाओ... *शक्ति स्वरुप होकर शांतिकुंड का अनुभव कराओ..."*
➳ _ ➳ *मास्टर शांति दाता, सुखस्वरूप, प्रेम विभोर मैं आत्मा बाबा से बोलती हूं:-* "मेरे प्यारे बाबा... मेरे जहां को इतना खूबसूरत... शांतमय बनाने वाले... सुख दाता... *मेरे टीचर, बाप, सतगुरु बन मेरा साथ निभाने वाले मेरे बाबा आपके शिक्षाएं अब रंग दिखा रही हैं... चारों तरफ आपका रूहानी प्यार... स्नेह... आपके रूहानी जादू कि जैसे लहर छा गई है... वाह यह जीवन... वाह मेरे बाबा..."*
❉ *आदि सनातन देवी देवता धर्म स्थापन करने वाले, ज्ञान का तीसरा नेत्र देने वाले ज्ञानदाता शिव बाबा बोले:-* "मीठे बच्चे... *जितना हो देही अभिमानी बनने की मेहनत करनी है...* हम आत्मा है... आत्मा भाई से बात करता हूं... यह अभ्यास करना हैं, दैवी गुण धारण करने हैं... *जीते जी मर कर पूरा परवाना बनना हैं..."*
➳ _ ➳ *बाबा की शिक्षाओं को ध्यान से बुद्धि में समेटे हुए गदगद होती मैं आत्मा बाबा से बोली:-* "हां मेरे रूहानी साजन... मेरे अंग संग सहाय... मुझे आसुरी गुणों से देवीगुणों वाला बनाने वाले... *पतित पावन मेरे शिवबाबा आप की शिक्षाएं इस तरह समा गई है मुझ में... जैसे सागर में नदियां... चांद में चांदनी... मैं आत्मा... बाबा खुद को संपूर्ण महसूस कर रही हूं... शुक्रिया मेरे खुदा..."*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- कोई आसुरी कर्तव्य नही करना है*"
➳ _ ➳ अन्तर्मुखी बन, एकान्त में बैठी, अपने ब्राह्मण जीवन के सुखद अनुभवों को याद कर *मन ही मन आनन्दित होते हुए, अपनी श्रेष्ठ दैवी चलन द्वारा अपने प्यारे परम पिता परमात्मा का नाम बाला करने की प्रतिज्ञा अपने आप से करते हुए मैं याद कर रही हूँ अपने प्यारे पिता से मिलने वाले उस असीम निस्वार्थ प्यार और अपने संगमयुगी ब्राह्मण जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों को जो मेरे प्यारे प्रभु ने आकर मुझे उपहार में दी हैं*। उन सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों की स्मृति मन में अपने प्यारे पिता के प्रति अगाध प्रेम की लहरें उतपन्न कर रही है। बलिहारी ऐसे पिता की जिन्होंने मेरे जीवन मे आकर मुझे दुखभरी आसुरी दुनिया से निकाल सुखभरी दैवी दुनिया मे चलने का सत्य मार्ग बताया।
➳ _ ➳ अपने प्यारे प्रभु द्वारा स्थापित की जा रही उस अपरमअपार सुख की दैवी दुनिया में चलने के लिए अब मुझे उनकी श्रीमत पर चल अपने हर कर्म को श्रेष्ठ बनाना है और कोई भी आसुरी कर्तव्य नही करना है। *स्वयं से यह प्रतिज्ञा कर, अब मैं अपने जीवन को सुखमय बनाने वाले सुख के सागर अपने प्यारे पिता के पास जाने की सुखद रूहानी यात्रा पर चलने के लिए मन बुद्धि के विमान पर सवार होती हूँ* और एकाग्रता की शक्ति स्वयं में भरकर, सम्पूर्ण स्थिरता के साथ, मन बुद्धि के विमान को ऊपर आकाश की और ले कर चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ मन बुद्धि के विमान पर बैठी, अपने सम्पूर्ण ध्यान को अपने निराकार शिव पिता के सुंदर सुखदाई स्वरूप पर एकाग्र कर, उनके सुन्दर स्वरूप को निहारती मैं आकाश को पार कर, उनकी निराकारी दुनिया की ओर जा रही हूँ। *मन में अपने प्यारे प्रभु की मीठी याद को समाये, उनसे मिलने की लगन में मग्न मैं साकारी और आकारी दुनिया को पार कर, पहुँच गई हूँ अपने प्यारे पिता के धाम*। शान्ति की यह दुनिया जहाँ चारों और शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन्स फैले हुए है और मन को गहन शान्ति की अनुभूति करवाकर तृप्त कर रहें हैं।
➳ _ ➳ ऐसे अपने स्वीट साइलेन्स होम में गहन शांति का अनुभव करके, अपने प्यारे पिता के सानिध्य में जाकर मैं बैठ जाती हूँ। *एक अनन्त प्रकाशमय ज्योतिपुंज के रूप में अपनी सर्वशक्तियों की अनन्त किरणें चारों और फैलाते हुए मेरे प्यारे पिता मेरे सम्मुख हैं और अपनी सर्वशक्तियों की किरणें मुझ पर प्रवाहित कर रहें हैं*। मेरे शिव पिता से निकल रही सर्वशक्तियों की किरणो का विशाल झरना मेरे ऊपर बरस रहा है और असीम आनन्द से मुझे भरपूर कर रहा है। *सर्वशक्तियों की मीठी फुहारें मुझे छूकर गहन सुख का अनुभव करवा रही हैं। एक गहन अतीन्द्रीय सुख के झूले में मैं झूल रही हूँ*।
➳ _ ➳ अपने प्यारे पिता की शक्तियों को स्वयं में भरकर, शक्तिशाली बनकर, मैं आत्मा अब वापिस लौट रही हूँ। फिर से साकारी दुनिया मे आकर अपने साकारी तन में भृकुटि के अकालतख्त पर अब मैं विराजमान हूँ और अपने प्यारे पिता की सर्वशक्तियों के बल से आसुरी दुनिया मे रहते हुए भी उसके प्रभाव से अब मैं पूर्णतया मुक्त हूँ। *सर्वशक्तिवान मेरे प्यारे प्रभु की सर्वशक्तियों की ताकत, मुझे आसुरी कर्तव्यों से मुक्त कर, दैवी गुणों से सम्पन्न बनने में मदद कर रही है। अपने शिव पिता की अनमोल शिक्षायों को जीवन मे धारण कर, अपने कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे समान अमूल्य बनाने का पुरुषार्थ करते हुए, हर आसुरी चलन को अब मैं बिल्कुल सहज रीति छोड़ती जा रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सम्पूर्णता द्वारा सम्पन्नता की प्रालब्ध का अनुभव करने वाली सर्व झमेलों से मुक्त्त आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं सदा एक बाप के संग में रहकर होलीएस्ट और हाईएस्ट बनने वाली पवित्र आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ दिव्य जन्म लेते ही बापदादा ने वरदान दिया - सर्वशक्तिवान भव! यह हर जन्म दिवस का वरदान है... इन शक्तियों को प्राप्त वरदान के रूप से कार्य में लगाओ... हर एक बच्चे को मिली हैं लेकिन कार्य में लगाने में नम्बरवार हो जाते हैं... हर शक्ति के वरदान को समय प्रमाण आर्डर कर सकते हो... *अगर वरदाता के वरदान के स्मृति स्वरूप बन समय अनुसार किसी भी शक्ति को आर्डर करेंगे तो हर शक्ति हाजिर होनी ही है...* वरदान की प्राप्ति के, मालिकपन के स्मृति स्वरूप में हो आप आर्डर करो और शक्ति समय पर कार्य में नहीं आये, हो नहीं सकता... लेकिन मालिक, मास्टर सर्वशक्तिवान के स्मृति की सीट पर सेट हो, बिना सीट पर सेट के कोई आर्डर नहीं माना जाता है...
➳ _ ➳ जब बच्चे कहते हैं कि बाबा हम आपको याद करते तो आप हाजिर हो जाते हो, हजूर हाजिर हो जाता है... *जब हजूर हाजिर हो सकता तो शक्ति क्यों नहीं हाजिर होगी*! सिर्फ विधि पूर्वक मालिकपन के अथारिटी से आर्डर करो... यह सर्व शक्तियाँ संगमयुग की विशेष परमात्म प्रापर्टी है... प्रापर्टी किसके लिए होती है? बच्चों के लिए प्रापर्टी होती है... तो अधिकार से स्मृति स्वरूप की सीट से आर्डर करो, मेहनत क्यों करो, आर्डर करो... *वर्ल्ड अथारिटी के डायरेक्ट बच्चे हो, यह स्मृति का नशा सदा इमर्ज रहे...*
✺ *ड्रिल :- "सर्व शक्तियों को समय प्रमाण आर्डर करने का अनुभव"*
➳ _ ➳ जीवन मे घटित होने वाली अनेक प्रकार की घटनाओ और परिस्थितियों के रूप में माया के तूफान हर ब्राह्मण बच्चे के जीवन मे आते ही है... *किन्तु सर्वशक्तिवान बाबा का हाथ और साथ माया के इन तूफानो को भी तोहफा बना देता है यह विचार करते - करते मैं अपने सर्वशक्तिवान बाबा की याद में जैसे ही बैठती हूँ एक दृश्य मेरी आँखों के सामने आने लगता है...*
➳ _ ➳ इस दृश्य में मैं स्वयं को एक बहुत सुंदर टापू पर बैठ, प्रकृति के सुंदर नज़ारो का आनन्द लेते हुए देख रही हूँ... देखते ही देखते जैसे प्रकृति विकराल रूप धारण कर लेती हैं। स्वयं को मैं एक बहुत भयंकर तूफान में फंसा हुआ पाती हूँ... *इस भयंकर तूफान से निकलने में जब मैं स्वयं को असमर्थ पाती हूँ तो शांन्त हो कर बैठ जाती हूँ... जैसे ही शांन्त होकर बैठती हूँ मन बुद्धि सहज ही बाबा की याद में जुट जाते है...* शक्तियों का संचार मुझ आत्मा में होने लगता है और मैं अनुभव करती हूँ कि शक्तिस्वरूप बन अब मैं इस तूफान का सामना कर सकती हूँ... मेरे सर्वशक्तिसम्पन्न स्वरुप में स्थित होते ही मैं देखती हूँ जैसे वो तूफान धीरे - धीरे थमने लगा है और थोड़ी ही देर में प्रकृति फिर से अपने सुन्दर स्वरूप में स्थित हो गई है...
➳ _ ➳ अब मैं विचार करती हूँ कि जीवन मे प्रतिदिन घटित होने वाली घटनाये और परिस्थितियां भी तो मन मे ऐसे ही तूफान पैदा करती हैं... और मन मे यह विचार आते ही अब मेरे सामने वो घटनाये और परिस्थितियां अनेक दृश्यों के रूप में बार - बार आंखों के सामने आने लगती है... किंतु अब वो घटनाये मेरे मन मे तूफान पैदा नही कर रही बल्कि जैसे ही वो घटना घटित हो रही है *मैं मास्टर सर्वशक्तिवान के स्वमान की सीट पर सेट हो कर सर्वशक्तियों का आह्वान कर रही हूँ और हर शक्ति को ऑर्डर प्रमाण चला कर उस परिस्थिति को सहज ही पार कर रही हूँ... माया का कोई भी तूफान अब मुझे हलचल में नही ला रहा...*
➳ _ ➳ अपनी इस एकरस, अचल अडोल स्थिति को मैं देख मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ कि मुझे अपनी इस शक्तिसम्पन्न स्थिति में सदा स्थित रहने के लिए सर्वशक्तियों का आह्वान कर, उन्हें ऑर्डर प्रमाण चलाने का अभ्यास निरन्तर करना है... ताकि कोई भी शक्ति समय पर धोखा ना दे सके... *स्वयं को सर्वशक्तियों से भरपूर करने के लिए अब मैं अपने निराकारी स्वरूप में स्थित हो कर, अपने सर्वशक्तिवान बाबा के पास उनके धाम की ओर चल पड़ती हूँ...* साकारी लोक और सूक्ष्म वतन को जल्दी ही पार कर मैं पहुंच जाती हूँ आत्माओं की निराकारी दुनिया में अपने शिव पिता परमात्मा के पास...
➳ _ ➳ निराकार, महाज्योति अपने शिव पिता के सामने अब मैं ज्योति बिंदु आत्मा स्वयं को देख रही हूँ... उनके सानिध्य में मैं आत्मा गहन आनन्द की अनुभूति कर रही हूँ... उनसे निकल रही शक्तियों की शीतल फुहारें मन को तृप्त कर रही हैं... *प्यारे मीठे बाबा को अपलक निहारते - निहारते मैं बाबा के बिल्कुल समीप पहुंच जाती हूँ और बाबा को टच करती हूँ... शक्तियों का झरना फुल फोर्स के साथ बाबा से निकल कर अब मुझ आत्मा में समाने लगा है...* एक- एक शक्ति को मैं अपने अंदर गहराई तक समाता हुआ अनुभव कर रही हूँ... स्वयं में मैं परमात्म शक्तियों की गहन अनुभूति कर रही हूँ...
➳ _ ➳ स्वयं को सर्वशक्तियों से सम्पन्न करके अब मैं परमधाम से नीचे आती हूँ और सूक्ष्म लोक में प्रवेश करती हूँ... अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर अब मैं फ़रिशता बापदादा के पास पहुँचता हूँ... *अपनी सर्वशक्तियाँ बाबा मुझे विल करके अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख मुझे मालिकपन के स्मृति स्वरूप में सदा स्थित रहने का वरदान दे रहें हैं...* बाबा से वरदान ले कर अब मैं फिर से अपने निराकारी स्वरूप के स्थित हो कर सूक्ष्म लोक से नीचे आ जाती हूँ और साकारी दुनिया मे आ कर अपने साकारी शरीर मे प्रवेश करती हूँ...
➳ _ ➳ *स्वयं को सर्वशक्ति सम्पन्न अनुभव करते हुए अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, इन शक्तियों को प्राप्त वरदान के रूप से कार्य में लगा रही हूँ... मालिकपन के स्मृति स्वरूप हो कर सर्व शक्तियों को समय प्रमाण आर्डर करने का अनुभव अब मैं निरन्तर कर रही हूँ जो मुझे सहज ही मायाजीत बना रहा है...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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