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❍ 10 / 01 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *मरजीवा बन पुराणी बातों को बुधी से भूले ?*
➢➢ *बाप के रचे हुए इस रूद्र यज्ञ में सम्पूरण स्वाहा हुए ?*
➢➢ *अपनी विल पॉवर द्वारा हर एक को शक्तियां विल की ?*
➢➢ *एकता और एकाग्रता की शक्ति से सहज ही सफलता को प्राप्त किया ?*
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❂ *योगी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ *अशरीरी बनना वायरलेस सेट है। वाइसलेस बनना ही वायरलेस सेट की सेटिंग है। जरा भी अंश के भी अंशमात्र विकार वायरलेस के सेट को बेकार कर देगा इसलिए अब कर्मबन्धनी से कर्मयोगी बनो।* अनेक बन्धनों से मुक्त एक बाप के सम्बन्ध में समझो तो सदा एवररेडी रहेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं प्रकृति की हलचल को साक्षी हो देखने वाली प्रकृति जीत आत्मा हु"*
〰✧ सदा मायाजीत और प्रकृतिजीत हो? मायाजीत तो बन ही रहे हो लेकिन प्रकृतिजीत भी बनो क्योंकि अभी प्रकृति की हलचल तो बहुत होनी हैं ना। हलचल में अचल रहो, ऐसे अचल बने हो? कभी समुद्र का जल अपना प्रभाव दिखायेगा तो कभी धरनी अपना प्रभाव दिखायेगी। *अगर प्रकृतिजीत होंगे तो प्रकृति की कोई भी हलचल अपने को हिला नहीं सकेगी। सदा साक्षी होकर सब खेल देखते रहेंगे।*
〰✧ *जैसे फरिश्तों को सदा ऊंची पहाड़ी पर दिखाते हैं, तो आप फरिश्ते सदा ऊंची स्टेज अर्थात् ऊंची पहाड़ी पर रहने वाले।* ऐसी ऊंची स्टेज पर रहते हो?
〰✧ *जितना ऊंचे होंगे उतना हलचल से स्वत: परे रहेंगे।* अभी देखो यहाँ पहाड़ी पर आते हो तो नीचे की हलचल से स्वत: ही परे हो ना! शहरों में कितनी हलचल और यहाँ कितनी शान्ति और साधारण स्थिति में भी कितना रात-दिन का अन्तर होगा।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *एकाग्रता की शक्ति, मन-बुद्धि दोनों ही एकाग्र हो तब कैचिंग पॉवर होगी।* बहुत अनुभव करेंगे। संकल्प किया - नि:स्वार्थ, स्वच्छ, स्पष्ट वह बहुत क्विक अनुभव करायेगा। साइलेन्स की शक्ति के आगे यह साइन्स चुकेगी। अभी भी समझते जाते हैं कि साइन्स में भी कोई मिसिंग है जो भरनी चाहिए।
〰✧ इसलिए *बापदादा फिर से अण्डरलाइन करा रहा हे कि अन्तिम स्टेज, अंतिम सेवा - यह संकल्प शक्ति बहुत फास्ट सेवा करायेगी।* इसलिए संकल्प शक्ति के ऊपर और अटेन्शन दो। बचाओ, जमा करो। बहुत काम में आयेगी। प्रयोगी इस संकल्प की शक्ति से बनेंगे।
〰✧ साइंस का महत्व क्यों है? प्रयोग में आती है तब सब समझते हैं हाँ, साइंस अच्छा काम करती है। तो साइलेन्स की पॉवर का प्रयोग करने के लिए एकाग्रता की शक्ति चाहिए और *एकाग्रता का मूल आधार है - मन की कन्ट्रोलिंग पॉवर, जिससे मनोबल बढता है।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- देही-अभिमानी बन एक विदेही बाप को याद करना"*
➳ _ ➳ *इस रूहानी संगम के तट पर मैं आत्मा नदी सागर बाबा से मिलने यादों में लहराते हुए पहुँच जाती हूँ दिव्य लोक परमधाम में...* ज्ञान, गुण, शक्तियों के सागर बाबा से एक होकर उनमे समा जाती हूँ... ये देह, देह की दुनिया, वस्तु, वैभव सबकुछ भूल एक विदेही बाबा में खो जाती हूँ... *मीठे बाबा मुझे अपनी गोद में लेकर पूरे ब्रह्माण्ड की सैर कराते हुए अव्यक्त वतन में श्वेत चमकीले बादलों के सिहांसन पर बिठाकर मीठी मीठी शिक्षाओं की बौछारें करते हैं...*
❉ *सुहानी यादों के झूले में झुलाते प्यार का समंदर बहाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... *खुबसूरत चमकती मणि आत्मा हो,देह नही हो... इसलिए इस देहभान से मुक्त हो, अपने अविनाशीपन के नशे में खो जाओ...* अब इस देह के आवरण से बाहर निकल, अशरीरी आत्मा के स्वमान में आओ... और पिता तुल्य देही अभिमानी हो, साथी बन घर साथ चलो..."
➳ _ ➳ *देहभान को छोडकर यादों के पंख लगाकर एक बाबा से ही दिल लगाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा अपने सत्य स्वरूप की चमक में डूबती जा रही हूँ... मीठे बाबा आपके प्यार की गहराइयो में खोकर आप समान होती जा रही हूँ... *स्वयं के निराकारी और आपके परम् स्वरूप को यादो में बसाकर मन्त्रमुग्ध हो रही हूँ...”*
❉ *अपने आँचल में मुझ सितारे को समेटकर देह की दुनिया से न्यारी बनाकर मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... अब यह खेल पूरा होने को है... इसलिये इस देह के मटमैलेपन को आत्मिक स्मृति से मिटाओ... *अपने दमकते सौंदर्य आत्मा मणि को यादो में प्रतिपल तरोताजा कर... बाप समान निराकारी बन जाओ...* निराकारी बन मीठे बाबा संग अब घर को चलना है यह मीठी बात हर पल यादो में समालो..."
➳ _ ➳ *देह रूपी सीपी से मुक्त होकर मैं आत्मा मोती बन चमकते हुए कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में जनमो से खोयी अपनी आत्मिक सुंदरता को पुनः पाकर रोमांचित हो गई हूँ... आपकी यादो की छत्रछाया में आप समान होती जा रही हूँ... *देह के नश्वर आवरण से मुक्त हो, बन्धन मुक्त अवस्था को पाती जा रही हूँ..."*
❉ *प्यारे बाबा मेरे कानों में स्नेह की शहनाई बजाकर मेरी जिंदगी को खुशनुमा बनाते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *ईश्वरीय यादो में आत्मिक सौंदर्य से दमक कर, चमकीले बन घर चलने की तैयारी में, हर साँस संकल्प से जुट जाओ...* इस पुरानी परायी दुनिया को भूल असली घर के आनन्द में डूब जाओ... परमधाम से प्यारा पिता जो लेने आया है, तो देह के सारे बन्धन तोड़कर, ख़ुशी ख़ुशी घर की ओर रुख करो..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा कली बाबा की यादों की बाँहों में फूल बन मुस्कुराते हुए कहती हूँ :-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार भरी गोद में फूलो सी खिल रही हूँ... अपनी सत्यता को पाकर सच्ची खुशियो को पा रही हूँ... *मीठे बाबा आपके प्यार भरी हथेलियो में पल रही हूँ... और अशरीरी बन बेहद के नशे में खो गयी हूँ..."*
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मरजीवा बन पुरानी बातों को बुद्धि से भूल जाना है*"
➳ _ ➳ मेरा यह ब्राह्मण जन्म मरजीवा जन्म है इस बात को स्मृति में लाकर मैं जैसे ही एकान्त वासी बन अपने बाबा की याद में बैठती हूँ। एक विचित्र दृश्य मेरी आँखों के सामने आने लगता है। *मैं देख रही हूँ मैं आत्मा शरीर छोड़ चुकी हूँ। मेरा मृत शरीर मेरे सामने पड़ा है। मैं साक्षी होकर अपने शरीर को देख रही हूँ*। मेरे लौकिक सम्बन्धी मेरे उस मृत शरीर को अर्थी पर रख शमशान ले जाने की तैयारी कर रहें हैं। मेरे शरीर का दाह संस्कार हो रहा है। शरीर के दहन के साथ ही उस शरीर से जुड़ा हर रिश्ता, हर सम्बन्ध जैसे खत्म हो चुका है।
➳ _ ➳ इस दृश्य को देखते - देखते मैं मन ही मन विचार करती हूँ कि आज दिन तक इस नश्वर देह और देह से जुड़े सम्बन्धो में और देह से जुड़ी बातों में स्वयं को उलझा कर मैंने क्या पाया! *अपने आप से मैं सवाल करती हूँ कि जीवन भर देह और देह के लिए जो कुछ किया वो कमाई मेरे किस काम आई! देह के समाप्त होते ही तो देह के हर सम्बन्धी के साथ हर रिश्ता समाप्त हो गया*! देह और देह से जुड़े ये रिश्ते, ये नाते जिनके लिए मनुष्य जीवन भर ना जाने कितने खोटेे कर्म करता है किन्तु वही देह के रिश्तेदार उसके मरने के बाद केवल शमशान तक उसके साथ जाकर उसका दाह संस्कार कर अपना कर्तव्य पूरा कर वापिस लौट आते हैं और उसके साथ जुड़ा हर रिश्ता उस दिन समाप्त हो जाता है।
➳ _ ➳ यह दृश्य मेरे अंदर वैराग्य की भावना उतपन्न कर रहा है। यह नश्वर देह और देह से जुड़ा हर सम्बन्ध अब मुझे झूठा दिखाई दे रहा है। *मन मे इन सम्बन्धों के प्रति एक विरक्तता आती जा रही है। यही विरक्तता मुझे मेरे परम पिता परमात्मा के नजदीक ले कर जा रही है। इस बात को मैं स्वीकार कर चुकी हूँ कि मेरे सर्व सम्बन्ध केवल मेरे पिता परमात्मा के साथ है जो स्थाई और अविनाशी हैं*। इसलिए सर्व सम्बन्धों की प्राप्ति का अनुभव अपने बिंदु बाप के साथ करते हुए अब मुझ बिंदु आत्मा को इस नश्वर देह और देह की दुनिया से मरजीवा बन जाना है। *देह से जुड़ी सभी पुरानी बातों को बुद्धि से भूल केवल यही याद रखना है कि मैं आत्मा हूँ और मुझे अपने पिता परमात्मा के साथ अब वापिस अपने धाम जाना है*।
➳ _ ➳ इसी चिंतन के साथ अब मैं सहज ही अशरीरी स्थिति में स्थित होती जा रही हूँ। देह को भूल अब मैं स्वयं को ज्योति बिंदु आत्मा के रूप में देख रही हूँ। *एक चैतन्य शक्ति जिसमे से मन को आनन्द की अनुभूति करवाने वाला सुखद प्रकाश निकल रहा है। इस प्रकाश के साथ सतरँगी किरणे निकल रही है और इन सतरँगी किरणों से सुख, शांति, पवित्रता, प्रेम, आनन्द, ज्ञान, और शक्ति के वायब्रेशन निकल कर मेरे चारों और फैल रहें हैं और मेरे आस - आस के वायुमंडल में एक दिव्य अलौकिक, रूहानी मस्ती का संचार कर रहा हैं*। वायुमण्डल में फ़ैले ये वायब्रेशन मुझ आत्मा को असीम तृप्ति प्रदान कर रहें हैं।
➳ _ ➳ एक अति सुन्दर मीठी अनुभूति मैं आत्मा कर रही हूँ जो मुझे मेरे शिव पिता परमात्मा की और ले कर जा रही है। सर्व शक्तियों, सर्व गुणों के सागर अपने शिव पिता के पास जाने के लिए अब मैं आत्मा देह से किनारा कर ऊपर की ओर चल पड़ती हूँ। *एक सुंदर रूहानी यात्रा पर सुखद अनुभूति करते, मैं आत्मा निरन्तर ऊपर की ओर बढ़ती जा रही हूँ। आकाश को पार कर, सूक्ष्म वतन से होकर, परमधाम में पहुँच कर मेरी यह रूहानी यात्रा अब समाप्त होती है*। अपनी मंजिल पर पहुँच कर अपने शिव पिता परमात्मा के पास आकर अब मैं अपने प्यारे बाबा के प्यार की शीतल छाया में निरसंकल्प हो कर बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ अपने प्यारे बाबा को एकटक निहारते, उनकी सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर कर, उनके अपरमअपार प्रेम से लबालब होकर मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया में लौट आती हूँ। *देह और देह की दुनिया मे रहते हुए भी अब मेरे शिव पिता का प्यार मुझे इस दुनिया से नष्टोमोहा बना कर, इस दुनिया की पुरानी बातों को भूलने का बल दे रहा है*। बिंदु बन, बिंदु बाप के साथ सर्व सम्बन्धो के अनुभवों का आनन्द अब मैं हर समय लेते हुए देह की दुनिया से सहज ही मरजीवा बनती जा रही हूँ।
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अपनी विल पावर द्वारा हर एक को विल कराने वाली श्रेष्ठ सेवाधारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं एकता और एकाग्रता की शक्ति को धारण कर सफलता को सहज ही प्राप्त करने वाली आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. देखो परिवर्तन तो होना ही है ना! तो प्रकृति भी अपना काम तो करेगी ना! जब मनुष्य आत्माओं ने प्रकृति को तमो गुणी बना दिया, तो वह अपना काम तो करेगी ना। लेकिन हर खेल, ड्रामा के खेल मे यह भी खेल हैं। खंल को देखते हुए अपनी अवस्था ऊपर नीचे नही करना। *मास्टर सर्वशक्तिवान आत्माओं की स्व-स्थिति पर पर-स्थिति प्रभाव नही डाले। और ही आत्माओं को मानसिक परेशानियों से छुडाने के निमित्त बनो क्यों की मन की परेशानी आप मेडिटेशन से ही मिटा सकते हो।* डाक्टर्स अपना काम करेंगे, साईन्स वाले अपना काम करेंगे, गवमेंन्ट अपना काम करेगी, आप का काम हैं मन के परेशानी, टेन्शन को मिटाना। टेन्सन फ्री जीवन का दान देना। सहयोग देना।
➳ _ ➳ 2. जैसे आग लगती है तो आग बुजाने वाले डरते नही है, बुजाते है। *तो आप सब भी मन के परेशानी की आग बुजाने वाले हो।*
➳ _ ➳ 3. देखो प्रकृति को कोई मना नहीं कर सकता है, गुजरात में आओ, आबू में नहीं आओ, बाम्बे में नहीं आओ, नहीं। वह स्वतन्त्र है। *लेकिन सभी को अपने स्व-स्थिति को अचल-अडोल और अपने बुद्धि को, मन के लाइन को क्लियर रखना हैं। लाइन क्लियर होगी तो टचिंग होगी।* बापदादा ने पहले भी कहा था उन्हों की वायरलेस है, आपकी वाइसलस बुद्धि है। क्या करना है? क्या होना है? यह निर्णय स्पष्ट और शीघ्र होगा। ऐंसे नही सोचते रहो बाहर निकलें, अन्दर बैठें, दरवाजे पर बैठें, छत पर बैठें। नहीं। आपके पांव वहाँ ही चलेंगे जहाँ सेफटी होगी। और अगर बहुत घबरा जाओ, घबराना तो नही चाहिए, लेकिन बहुत घबरा जाओ, बहुत डर लगे तो मधुबन एशलम घर आपका है। *डरना नहीं, अभी तो कुछ नही है, अभी तो सब कुछ होना है, डरना नहीं, खेल है। परिवर्तन होना है ना। विनाश नही, परिवर्तन होना है।* सबमें वैराग्य वृत्ति उत्पन्न होनी है। रहमदिल बन सर्व शक्तियों द्वारा सकाश दे रहम करो। समझा!
✺ *ड्रिल :- "मास्टर सर्वशक्तिवान बन प्रकृति के खेल देखने का अनुभव"*
➳ _ ➳ बाबा के प्यार में डूबी मैं उनका आत्मा बच्चा उनकी याद में बैठी हूँ... बाबा के दिये इस गुह्य ज्ञान को स्मृति में रख स्वयं को भृकुटि के बीचोंबीच आत्मा देख रही हूँ... *मैं आत्मा अपने दिव्य प्रकाश से चमक रही हूँ और मेरा ये प्रकाश मेरे चारों ओर के वातावरण को भी आलौकित कर रहा है...* इस प्रकाश से मेरी देह भी चमक उठी है... मैं आत्मा अब इस देह से निकल कर अपना फरिश्ता स्वरूप धारण करती हूँ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने फरिश्ता रूप में आज इस पूरे सृष्टि का चक्कर लगा रही हूँ... इस धरती के आकर्षण से ऊपर उड़कर मैं फरिश्ता इस पूरे विश्व को देख रही हूँ...* मैं देखती हूँ कि प्रकृति भिन्न भिन्न रूप में चारों ओर विनाश कर रही है... कहीं पर बाढ़ का प्रकोप है तो कहीं भूकंप से सारी इमारतें ध्वस्त हो गयी हैं... कहीं पर बादल फटने से पूरा क्षेत्र उसकी चपेट में आ गया है तो कहीं भयंकर तूफान आने से हर तरफ विनाश ही विनाश दिखाई दे रहा है... अब सृष्टि के इस अंत समय में प्रकृति भी अपना तमोगुणी स्वरुप दिखा रही है...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता इन सब के बीच अपने आत्मा भाइयों को देखती हूँ जो ऐसी सीन को देखकर डरे हुए हैं... *मैं फरिश्ता अपने बापदादा को याद करते हुए उनसे शक्तियों की किरणें लेती हूँ और अब मैं इन सभी आत्माओ को ये शक्तिशाली किरणें दे रही हूँ...* मुझसे ये वायब्रेशन प्राप्त करके आत्मायें अपने को शक्तिशाली महसूस कर रही हैं...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा को मेरे बाबा ने विश्व परिवर्तन के निमित्त बनाया है... मैं आत्मा इस बेहद के नाटक को साक्षी होकर देख रही हूँ... *इस बेहद के ड्रामा में कैसी भी सीन हो मैं आत्मा उसे बस एक खेल समझ कर पार करती हूँ...* मैं मास्टर सर्वशक्तिमान की स्मृति में स्थित हो अपनी स्वस्थिति को शक्तिशाली बना रही हूं... मेरी ये शक्तिशाली स्थिति अन्य आत्माओं के मन को भी शक्तिशाली बनाने के निमित्त बनती है...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा इस रहस्य को जानती हूँ कि ये विनाश का सीन भी ड्रामा में नूँध है... ये विनाश नहीं परिवर्तन है और मुझे ये बाबा का संदेश सभी आत्माओ को देना है...* बाबा का परिचय देकर उनका बुद्धियोग बाबा से जोड़ना है... जिससे ये समस्त आत्मायें भी अपनी स्वस्थिति को अचल अडोल बना कर अपने मन और बुद्धि की लाइन को एक दम क्लियर कर रही हैं... अब ये आत्मायें भी विनाश को ड्रामा का खेल समझ कर देख रही हैं... और अपनी मानसिक परेशानियों से मुक्त हो रही हैं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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