━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 23 / 01 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *शुद्रपन के संस्कारों को परिवर्तित करने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *बुधीबल से याद की सीडी पर चड़ते रहे ?*
➢➢ *हर आत्मा को सेकंड में मुक्ति जीवनमुक्ति का अधिकार दिलवाया ?*
➢➢ *आज्ञाकारी बन बापदादा के दिल की दुआएं प्राप्त की ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *बुद्धि को एकाग्र करने के लिए मनमनाभव के मंत्र को सदा स्मृति में रखो।* मनमनाभव के मंत्र की प्रैक्टिकल धारणा से पहला नम्बर आ सकते हो। मन की एकाग्रता अर्थात् एक की याद में रहना, *एकाग्र होना यही एकान्त है।* अभी अपने को एकान्तवासी बनाओ अर्थात् सर्व आकर्षणों के वायब्रेशन से अन्तर्मुख बनो। अब यही अभ्यास काम में आयेगा।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं अल्लाह के बगीचे का रूहानी गुलाब हूँ"*
〰✧ सदा अपने को बापदादा के अर्थात् अल्लाह के बगीचे के फूल समझकर चलते हो? सदा अपने आप से पूछो कि मैं रूहानी गुलाब बन सदा रूहानी खुशबू फैलाता हूँ? *जैसे गुलाब की खुशबू सबको मीठी लगती है, चारों ओर फैल जाती है, तो वह है स्थूल, विनाशी चीज और आप सब अविनाशी सच्चे गुलाब हो।*
〰✧ तो सदा अविनाशी रूहानियत की खुशबू फैलाते रहते हो? *सदा इसी स्वमान में रहो कि हम अल्लाह के बगीचे के पुष्प बन गये - इससे बड़ा स्वमान और कोई हो नहीं सकता। 'वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य' - यही गीत गाते रहो।*
〰✧ भोलानाथ से सौदा कर लिया तो चतुर हो गये ना! किसको अपना बनाया है? किससे सौदा किया है? कितना बड़ा सौदा किया है? *तीनों लोक ही सौदे में ले लिए। आज की दुनिया में सबसे बड़े ते बड़ा कोई भी धनवान हो लेकिन इतना बड़ा सौदा कोई नहीं कर सकता, इतनी महान आत्मायें हो - इस महानता को स्मृति में रखकर चलते चलो।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ एक-दो कर्मेन्द्रियाँ थोडा नाज-नखडा तो नहीं दिखाती? *आपका राज्य लाँ और ऑर्डर के बजाए लव ऑर लाँ में यथार्थ रीति से चल रहा है?* क्या समझते हैं? चल रहे हैं या थोडी आनाकानी करते हैं? जब कहते ही हो मेरा हाथ, मेरे संस्कार, मेरी बुद्धि, मेरा मन, तो मेरे के ऊपर मैं का अधिकार है?
〰✧ कि कब मेरा अधिकारी बन जाता, कब मैं अधिकारी बन जाती? *समय प्रमाण हे स्वराज्य अधिकारी, अभी सदा और सहज अकाल तख्तनशीन बनो।* तब ही अन्य आत्माओं को बाप द्वारा जीवनमुक्ति और मुक्ति का अधिकार तीव्र गति से दिला सकेंगे।
〰✧ *समय की पुकार अब तीव्र गति और बेहद की है। छोटी-सी रिहर्सल देखी, सुनी।। (कच्छ का भूकंप) एक ही साथ बेहद का नक्शा देखा ना!* चिल्लाना भी बेहद, मरना भी बेहद, मरने वालों के साथसाथ जीने वाले भी अपने जीवन में परेशानी से मर रहे हैं। ऐसे समय पर आप स्वराज्य अधिकारी आत्माओं का क्या कार्य है?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *याद की यात्रा तो एक साधन है। लेकिन वह भी किसलिए कराते हैं? पहले अपने को क्या फ़ालो करना पड़ेगा?* याद की यात्रा भी किसलिए सिखाई जाती है? *गुरु रूप से मुख्य फ़ालो यही करना है - अशरीरी, निराकारी, न्यारा बनना।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मोस्ट लकी बच्चे हैं क्योंकि स्वयं बाप सम्मुख सुना रहे हैं"*
➳ _ ➳ *मेरा बाबा कितना ही प्यारा है और बाबा का ज्ञान भी उतना ही प्यारा और न्यारा है... स्वयं भगवान इस धरा पर आकर सम्मुख बैठ सत्य ज्ञान देकर मेरे जीवन के अज्ञान अंधकार को मिटा दिया... मेरी बंद बुद्धि का ताला खोल दिया...* मैं आत्मा हूं… परमात्मा मेरा सत्य पिता है... ये कितना सुन्दर ड्रामा है… ड्रामा में मैं आत्मा अविनाशी पार्ट बजा रही हूँ… ज्ञान, गुण, शक्तियों की वर्षा कर मेरे पुराने स्वभाव संस्कारों को परिवर्तन कर रहे हैं... *इन्हीं सब बातों का मंथन करते हुए मैं आत्माअपने बाबा को शुक्रिया कर और भी प्यारी प्यारी बातें सुनने पहुँच जाती हूँ वतन में बापदादा के पास...*
❉ *सारी दुनिया जिसे ढूंढ रही है वो प्यारा बाबा मेरे सम्मुख बैठ 21 जन्मों की वर्सा का वरदान देते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... *जिस ईश्वर के दीदार मात्र को कभी व्याकुल थे, आज वह सम्मुख बैठा पढ़ा रहा...* अथाह खजानो को हथेली पर सजा, बच्चों पर दिल खोल कर लुटा रहा... ऐसे मीठे बाबा से सब कुछ लेकर विश्व के मालिक बन मीठा मुस्कराओ...”
➳ _ ➳ *जीवन में हर खुशी से भरपूर होकर मोस्ट लकी अनुभव करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा देवताओ के दर्शन को तरसती थी, आज भगवान को सामने देख, अपने भाग्य की जादूगरी पर मोहित हो गई हूँ...* और अथाह ज्ञान रत्नों को पाकर मालामाल होती जा रही हूँ..."
❉ *पारलौकिक सुखों की दिव्य बरसात करते हुए मेरे पारलौकिक मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... दुनिया जिसे बहुत मुश्किल समझ जगह जगह ढूंढ रही... वह परमात्मा आप बच्चों के दिल के कितना करीब आ बेठा है... दुनिया साक्षात्कार को चाहती है... *आप भाग्यवान बच्चे गोद में बैठे पढ़ रहे... और देवताई शानो शौकत पाकर संपत्तिवान बन रहे..."*
➳ _ ➳ *ऊंचे भाग्य को पाकर अतीन्द्रिय सुखों की ऊंची उड़ान भरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मीठे भाग्य पर फ़िदा हूँ, जिसने भगवान से मिलवाकर मुझे असीम सुखो की खुबसूरत दुनिया का भाग्य दिलाया है... *मुझे ईश्वरीय धन से धनवान् बनाकर 21 जनमो का बेफिक्र सा सजाया है..."*
❉ *गुप्त ख़ज़ानों की चाबी देकर सर्व ख़ज़ानों की मालिक बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *मीठे सौभाग्य ने भगवान से मिलवाया है, तो भगवान की सारी जागीरे बाँहों में भरकर, सतयुगी सुखो की बहारो में, आनन्द के गीत गाओ...* जितना चाहो उतना खजानो की दौलत को पाओ... रत्नों की खानो के मालिक बनकर विश्व धरा पर इठलाओ..."
➳ _ ➳ *सर्व ख़ज़ानों को बटोरकर अपनी झोली भरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मैं आत्मा आपकी वारिस होकर, सारे खजानो की मालिक बन गई हूँ... *संगम के मीठे पलों में ईश्वरीय दौलत को बाँहों में भरकर, सुनहरे सुखो को पाने वाली और खुशियो में खिलखिलाने खुशनसीब आत्मा बन गयी हूँ..."*
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- शूद्र पन के संस्कारों को परिवर्तन कर पक्का ब्राह्मण बनना है*"
➳ _ ➳ अपने अनादि और आदि संस्कारों को स्मृति में लाकर मैं ब्राह्मण आत्मा एकांत में बैठ विचार करती हूँ कि जब मैं आत्मा अपने अनादि स्वरूप में परमधाम में अपने शिव पिता के साथ थी तो उस समय मैं आत्मा सम्पूर्ण सतोप्रधान, सम्पूर्ण पावन और सच्चे सोने के समान एकदम प्योर थी। *उसी सतोप्रधान अवस्था में जब मैं आत्मा पहली बार सृष्टि पर पार्ट बजाने के लिए आई तब भी मैने अपने सम्पूर्ण सतोप्रधान देवताई स्वरूप में आकर अति श्रेष्ठ, पवित्रता से परिपूर्ण सुंदर पार्ट बजाया* किन्तु द्वापर में माया रावण की प्रवेशता ने मेरे अनादि और आदि संस्कारो को विस्मृत कर मेरे अंदर शुद्र पन के संस्कारों का समावेश कर दिया।
➳ _ ➳ और अब जबकि मेरे प्राणों से प्यारे, परम प्रिय परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने आकर मुझे मेरे 84 जन्मो की कहानी सुना कर, मेरे सत्य स्वरूप से मुझे अवगत करवा दिया और ब्रह्मा मुख से ज्ञान देकर मुझे सच्चा ब्राह्मण बना दिया तो *अब मुझे अपने शिव पिता परमात्मा की श्रेष्ठ मत पर चल शूद्रपन के संस्कारों को परिवर्तन कर पक्का ब्राह्मण बनना है और अपने प्यारे बाबा की अनमोल शिक्षायों को अपने ब्राह्मण जीवन मे धारण कर, भविष्य होवनहार देवी देवता बनने के लिए फिर से अपने अनादि और आदि संस्कारों का प्रतिरूप बनना है*।
➳ _ ➳ इसी दृढ़ संकल्प के साथ योग अग्नि में अपने शुद्रपन के पुराने आसुरी संस्कारो को भस्म करने के लिए मैं अपने मन बुद्धि को अपने सत्य अनादि ज्योति बिंदु स्वरूप पर एकाग्र करती हूँ और मन बुद्धि से अपने उस सत्य स्वरूप को अपने मस्तक पर भृकुटि के बीचों बीच अनुभव करती हूँ। *एक चमकते हुए दिव्य सितारे के रूप में मैं स्वयं को दोनों आईब्रोज के बीच मे देख रही हूँ। जैसे आकाश में चमकते हुए सितारे से किरणे निकलती है ऐसे मुझ चैतन्य आत्मा सितारे से निकल रही सर्व गुणों और सर्वशक्तियों की किरणों को मैं अपने मस्तक से निकलता हुआ महसूस कर रही हूँ*। ये किरणे मेरे मस्तक से मेरे सारे शरीर मे फैल कर मेरे शरीर के एक - एक अंग को रिलैक्स कर रही हैं।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे शरीर में होने वाली हलचल बिल्कुल समाप्त हो गई है और मेरा शरीर ऐसे रिलेक्स हो गया है जैसे है ही नही। *बड़े आराम से मैं आत्मा अपने इस शरीर का परित्याग कर इससे बाहर आ गई हूँ और हर आकर्षण से मुक्त होकर अब ऊपर की ओर जा रही हूँ*। अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की योगअग्नि में अपने ऊपर चढ़ी विकारों की कट को उतार, शूद्रपन के संस्कारों को भस्म कर स्वयं को शुद्ध और पावन बनाने का शुद्ध संकल्प लिए मैं अपने शिव पिता के प्रेम की लगन में मग्न हो कर, अब आकाश को पार कर, अंतरिक्ष से परे, उस ऊंचे ते ऊंचे परमधाम घर मे पहुँच जाती हूँ जहां पतित पावन मेरे शिव पिता परमात्मा रहते हैं।
➳ _ ➳ वाणी से परें, लाल प्रकाश से प्रकाशित इस अति सुंदर निर्वाणधाम घर में अपने शिव पिता परमात्मा के सम्मुख मैं स्वयं को देख रही हूँ। उनसे आ रही सर्वगुणों और सर्वशक्तियों की अनन्त किरणे चारों और फैल रही हैं जिनसे निकलने वाले शक्तिशाली वायब्रेशन मुझ आत्मा को गहराई तक छू रहें हैं और मुझे शक्तिशाली बना रहे हैं। *धीरे - धीरे इन शक्तियों का स्वरुप बदल रहा है और ये शक्तियाँ जवालास्वरूप धारण करती जा रही हैं। जिसकी तपिश से मेरे पुराने स्वभाव संस्कार जल कर भस्म हो रहें हैं*। 63 जन्मो के आसुरी संस्कारों का जाल जो मुझ आत्मा के चारों और लिपटा हुआ था वो जाल योग की अग्नि में जल कर समाप्त हो रहा है और मैं स्वयं को एकदम हल्का, सच्चे सोने के समान शुद्ध अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ सोने के समान चमकदार बन, अपनी चमक चारों और बिखेरते हुए मैं वापिस साकार लोक में लौट कर अपने साकारी तन में विराजमान होती हूँ। *बाबा से मिली सर्वशक्तियों का बल अब मुझे अपने पुराने स्वभाव संस्कारो को मिटाने और दैवी गुणों को धारण करने की विशेष शक्ति दे रहा है*। अपने पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारों को अब मैं सहजता से छोड़ती जा रही हूँ। *मनसा, वाचा, कर्मणा स्वयं पर पूरा अटेंशन दे कर, हर कर्म में ब्रह्मा बाप को फॉलो करते हुए, शूद्रपन के संस्कारों को परिवर्तन कर, अपने अनादि और आदि दैवी संस्कारों को जीवन में धारण करने वाला पक्का ब्राह्मण बनने का पुरुषार्थ अब मैं निरन्तर कर रही हूँ*।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं हर आत्मा को सेकण्ड में मुक्त्ति - जीवनमुक्ति का अधिकार दिलाने वाली मास्टर सद्गुरु हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आज्ञाकारी बनकर बापदादा के दिल की दुआएं प्राप्त करने वाली आज्ञाकारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ सदा ही एक-दो को *शुभ भावना की मुबारक दो। यही सच्ची मुबारक है। मुबारक जब देते हो तो स्वयं भी खुश होते हो और दूसरे भी खुश होते हैं।* तो सच्चे दिल की मुबारक है - *एक-दो के प्रति दिल से शुभ भावना, शुभ कामना की मुबारक।* शुभ भावना ऐसी श्रेष्ठ मुबारक है जो कोई भी आत्मा की कैसी भी भावना हो, अच्छी भावना वा अच्छा भाव न भी हो, *लेकिन आपकी शुभ भावना उनका भाव भी बदल सकती है,* स्वभाव भी बदल सकती है। वैसे स्वभाव का अर्थ ही है - स्व (सु) अर्थात् शुभ भाव। *हर समय हर आत्मा को यही अविनाशी मुबारक देते चलो। कोई आपको कुछ भी दे लेकिन आप सबको शुभ भावना दो।* अविनाशी आत्मा के अविनाशी *आत्मिक स्थिति में स्थित होने से आत्मा परिवर्तन हो ही जायेगी।*
✺ *ड्रिल :- "सच्ची मुबारक देने का अनुभव"*
➳ _ ➳ आज जब मै आत्मा बाबा को याद करने बैठीं तो बाबा मुझें दिल से मुबारक दे रहे थे कि वाह बच्ची वाह, *बाबा की शुभ भावना हमेशा मुझ आत्मा के साथ हैं...* मै आत्मा भी दिल से सभी आत्माओं को दिल से शुभ कामना दे रही हूँ... *कोई भी आत्मा चाहे वो किसी भी संस्कार के वशीभूत हो या कितना भी* *मुझ आत्मा का अपमान करे पर मुझ आत्मा को उसके लिए सदैव शुभ भावना ही हैं...* मुझ आत्मा का स्व प्रति भी शुभ भावना हैं... कि *मै आत्मा भी निर्विघन बाबा की सेवा और ज्ञान में सफ़लता मूर्त बन चुकीं हूँ...* मैं आत्मा ख़ुशी के ख़जाने से भरपूर हो करके *सर्व आत्माओं को ख़ुशी का ख़जाना बाँट रही हूँ...*
➳ _ ➳ *शुभ भावना से सर्व आत्माओं का व्यवहार मेरे लिए बहुत ही अच्छा हो चुका हैं...* सभी मुझ आत्मा को बहुत सहयोग दे रहे हैं... *मैं आत्मा सच्चे दिल से सभी आत्माओं को अविनाशी बाप, अविनाशी ज्ञान, अविनाशी खजानों, और स्वर्ग की बादशाही की मुबारक देने में इतनी खुश* हूँ कि और भी आत्माये मुझे भी मुबारक दे रही हैं... *बाबा ने जो नया जन्म दिया उसकी मुबारक, सर्व आत्माओं और ख़ुद के लिए शुभ भावना और शुभ कामना की मुबारक...* यही मुबारक सबको दे रही हूँ... मै आत्मा देख रही हूँ कि कोई भी आत्मा मेरे सामने आ रही हैं... *उसका स्वभाव कैसा भी हो, चाहे वो मेरा विरोध क्यों ना करे... उस आत्मा के लिए मेरे मन से सिर्फ और सिर्फ शुभ भावना ही निकल रही हैं...* शुभ भावना से वह आत्मा बिलकुल बदल चुकी हैं... *वो आत्मा मेरी सहयोगी बन चुकी है...*
➳ _ ➳ शुभ भावना से मेरे चारों ओर एक *सकारात्मक आभामंडल बन चुका हैं...* जिससे *कोई भी आत्मा मेरे पास आते ही सुख की अनुभति कर रही हैं...* शुभ भावना के कारण सबका स्नेह और सहयोग मुझे मिल रहा हैं... *स्व प्रति भी शुभ भावना और शुभ कामना से मुझ आत्मा के भी पुराने संस्कार, स्वभाव भी परिवर्तित हो चुका हैं...* मै आत्मा जो पुराने स्वभाव के कारण इतना भारी महसूस कर रही थी... *शुभ भावना से सु भाव होकर एकदम हल्की हो चुकी हूँ...* मै आत्मा ख़ुशी के ख़जाने से भरपूर हो चुकी हूँ...
➳ _ ➳ बाबा ने मुझ आत्मा के सारे बोझ और चिंताए ले करके *मुझ आत्मा को शुभ भावना और शुभ कामना से भरपूर कर दिया हैं...* मेरे दिल में बस यही शुभ कामना हैं कि सभी ख़ुश रहें... और *मेरे दिल से सभी आत्माओं के लिए सच्चे दिल से शुभ भावना निकल रही हैं...* कोई भी आत्मा मेरे पास आ रही है, चाहे उसके कैसे भी संकल्प हो... *वो मुझ आत्मा से शुभ भावना ही लेकर जा रही है... मैं अविनाशी आत्मा अपने अविनाशी आत्मिक स्थिति में स्थित होकर अपने आदि, अनादी संस्कार इमर्ज कर चुकी हूँ...* जिससे मुझ आत्मा के कलियुगी संस्कार समाप्त हो चुके हैं...
➳ _ ➳ *बाबा ने शुभ भावना और शुभ कामना का ऐसा मंत्र दिया हैं... जिससे कोई भी आत्मा मेरे संपर्क में आते ही परिवर्तित हो जाती हैं...* यही सच्ची सच्ची मुबारक बाबा मुझे दे रहे कि बच्चे सदैव आगे बढ़ते जाओ... *कैसे भी संस्कारों वाली आत्मा हो उसके लिए यही शुभ भावना रखों कि ये भी तो भगवान का बच्चा हैं...* बस पुराने संस्कारों के वशीभूत हैं... *शुभ भावना रख वो आत्माए भी बदल चुकी है... यही दिल कि सच्ची मुबारक मै आत्मा सबको दे रही हूँ... जो बाबा ने मुझ आत्मा को दिया... वाह बाबा वाह... आपका बहुत बहुत शुक्रिया...*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━