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❍ 29 / 01 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *सर्विस के प्रति उछलते रहे ?*
➢➢ *"हम ईश्वरीय संतान हैं" - इसी नशे में रहे ?*
➢➢ *एक हिम्मत की विशेषता द्वारा सर्व का सहयोग प्राप्त किया ?*
➢➢ *बुधी से हलके रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जैसे मोटेपन को मिटाने का साधन है खान-पान की परहेज और एक्सरसाइज। वैसे यहाँ भी *बुद्धि द्वारा बार-बार अशरीरीपन की एक्सरसाइज करो और बुद्धि का भोजन संकल्प है उनकी परहेज रखो, तो मन लाइट एकरस और शक्तिशाली बन जायेगा।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बंधनमुक्त सहजयोगी आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा स्वयं को बन्धनमुक्त आत्मा अनुभव करते हो? स्वतन्त्र बन गये या अभी कोई बन्धन रह गया है? *बन्धनमुक्त की निशानी है - 'सदा योगयुक्त'। योगयुक्त नहीं तो जरूर बन्धन है।* जब बाप के बन गये तो बाप के सिवाए और क्या याद आयेगा?
〰✧ सदा प्रिय वस्तु या बढीया वस्तु याद आती है ना। तो बाप से श्रेष्ठ वस्तु या व्यक्ति कोई है? *जब बुद्धि में यह स्पष्ट हो जाता है कि बाप के सिवाए और कोई भी श्रेष्ठ नहीं तो 'सहजयोगी' बन जाते हैं।*
〰✧ *बन्धनमुक्त भी सहज बन जाते हैं, मेहनत नहीं करनी पड़ती। सब सम्बन्ध बाप के साथ जुड़ गये। मेरा-मेरा सब समाप्त, इसको कहा जाता है - सर्व सम्बन्ध एक के साथ।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ तो औरों के सेवा की बहुतबहुत-बहुत आवश्यकता है। तो यह तो कुछ भी नहीं है। बहुत नाजुक समय आना ही है। *ऐसे समय पर आप उडती कला द्वारा फरिश्ता बन चारों ओर चक्कर लगाते, जिसको शान्ति चाहिए, जिसको खुशी चाहिए, जिसको सन्तुष्टता चाहिए, फरिश्ते रूप में सकाश देने का चक्कर लगायेंगे और वह अनुभव करेंगे।*
〰✧ जैसे अभी अनुभव करते हैं ना, पानी मिल गया बहुत प्यास मिटी खाना मिल गया, टेन्ट मिल गया, सहारा मिल गया। ऐसे अनुभव करेंगे फरिश्तों द्वारा शान्ति मिल गई, शक्ति मिल गई, खुशी मिल गई। *ऐसे अन्त: वाहक अर्थात अन्तिम स्थिति, पॉवरफुल स्थिति आपका अन्तिम वाहन बनेगा।*
〰✧ और चारों ओर चक्कर लगाते सबको शक्तियाँ देंगे, साधन देंगे। अपना रूप सामने आता है? इमर्ज करो। कितने फरिश्ते चक्कर लगा रहे हैं। सकाश दे रहे हैं, तब कहेंगे जो आप एक गीत बाजते हो ना - शक्तियाँ आ गई... *शक्तियों द्वारा ही सर्वशक्तिवान स्वतः सिद्ध हो जायेगा।* सुना।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ अपने को आत्मा समझ उस स्वरूप में स्थित होना है। *जब स्व-स्थिति में स्थित होंगे, तो भी अपने जो गुण हैं वह तो अनुभव होंगे ही। जिस स्थान पर पहुँचा जाता है उसके गुण न चाहते हुए भी अनुभव होते हैं। आप किसी शीतल स्थान पर जायेंगे, तो न चाहते हुए भी शीतलता का अनुभव होगा।* आत्माभिमानी अर्थात् बाप की याद। *आत्मिक-स्वरूप में बाबा की याद नहीं रहे - यह तो हो नहीं सकता है। जैसे बाप-दादा - दोनों अलग-अलग नहीं है, वैसे आत्मिक निश्चय बुद्धि से बाप की याद भी अलग नहीं हो सकती है।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- श्रीमत पर चल क्रोध रूपी भूत पर विजय प्राप्त करना"*
➳ _ ➳ सरोवर के किनारे बैठी मैं आत्मा पानी में चमकते सूर्य की किरणों को निहार रही हूँ... शांत जल में चमकती किरणें मानों ऐसा लग रहा पूरा सरोवर इन स्वर्णिम किरणों को समेटे मुस्कुरा रहा हो... *मैं आत्मा इस स्थूल देह को समेटकर अपने प्रकाश के शरीर को धारण कर स्वर्णिम आभा को चारों ओर बिखरते हुए पहुँच जाती हूँ शांति के सागर मेरे प्यारे बाबा के पास...*
❉ *क्रोध रूपी भूत को भगाकर मीठी रॉयल चलन की श्रीमत देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... इस कदर खूबसूरत चलन हो की हर कदम से झलके की ईश्वरीय पुत्र और सजे धजे से देवता हो... *मेरे मीठे बच्चों से मीठे बाबा की ही खुशबु आये... बच्चों को देख तुरन्त प्यारा पिता याद आ जाये ऐसे मीठी रॉयल चलन से भरे मेरे लाल हो... मिठास के पर्याय हो...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा से मीठी मीठी शांति की लहरों को अपने में समेटते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा आपकी श्रीमत को दिल में समाये विकारो से मुक्त हो प्यारा सा जीवन जी रही हूँ...* अपने सत्य स्वरूप के भान में जीकर शांति की तरंगे चारो ओर फैला रही हूँ... क्रोध से परे शांत मीठा जीवन जीती जा रही हूँ...”
❉ *मीठे बाबा अपनी मीठी मधुर वाणी की तरंगो से मुझे सराबोर करते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह के भान में आकर जो अपने दमकते स्वरूप को भूल गए... अब यादो में वही दिव्य संस्कार बसाओ... वही तेज वही दिव्यता वही रूहानियत को जीवन में उतारो... *पिता समान मीठे बन हर दिल को जीत लो... मधुरता से हर मन की पीड़ा हर लो... हर आत्मा आपसे सुख और सुकून पाये ऐसा व्यक्तित्व बनाओ...”*
➳ _ ➳ *प्रभु प्रेम में डूबकर अपने अंतर्मन के दामन को शांति आनंद से भरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा जो देह के प्रभाव में अपनी मूल मिठास दिव्यता को खो गई थी प्यारे बाबा ने उन सतरंगी गुणो से जीवन इंद्रधनुष सा खूबसूरत बना दिया है...* मै सुखदायी आत्मा बन हर दिल को सुख पहुंचा रही हूँ... और मीठे बाबा से मिला प्यार हर दिल पर लुटा रही हूँ...”
❉ *प्रेम, शांति के दीप जलाकर मेरे मन को रोशन करते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... देह के देहधारियों के प्रभाव से निकल अपने वास्तविक मीठे तेजस्वी स्वरूप में रहना है...इस वरदानी संगम पर ही देवताई संस्कारो को भरना है और सबको अपनी रूहानियत का दीवाना बनाना है... *यही मीठे संस्कार सतयुगी सुखो का आधार है... अब सुख देना है और आनन्द की लहरो में हर दिल को भिगोना है...”*
➳ _ ➳ *ज्ञान, योग के वास धूप से विकारों रूपी भूतों से मुक्त होते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा से पाये गुणो और शक्तियो के खजाने चारो दिशाओ में दिल खोल लुटा रही हूँ... *सबको अपने दिव्य गुणो की अदा दिखा मीठे बाबा का आशिक बना रही हूँ... प्यारे बाबा से पायी गुणो की दौलत से हर दिल की झोली भर रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सर्विसएबुल बनने के लिए विकारों के अंश को भी समाप्त करना है*"
➳ _ ➳ जैसे सूर्य की ज्वलन्त किरणे हर प्रकार के किचड़े को जला कर भस्म कर देती है ऐसे *ज्ञानसूर्य अपने शिव पिता के साथ योग लगाकर उनकी शक्तिशाली किरणो से अपने ऊपर चढ़े विकारों के किचड़े को समाप्त करने के लिए मैं आत्मा सर्वशक्तिवान, ज्ञान सूर्य अपने शिव पिता के पास उनके धाम पहुँचती हूँ* और उनकी सर्वशक्तियों की ज्वालास्वरूप किरणों की योगअग्नि में अपने 63 जन्मो के विकर्मों को दग्ध करने के लिए उनके बिल्कुल समीप जा कर बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ निरसंकल्प स्थिति में स्थित होकर, शक्तियों के सागर अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की एक - एक किरण को निहारते हुए मैं स्पष्ट महसूस करती हूँ कि हर किरण में से बहुत तेज अग्नि निकल रही है। *इस अग्नि की तपन को मैं आत्मा स्पष्ट महसूस कर रही हूँ और इस तपन के प्रभाव से अपने रूप को परिवर्तित होते हुए देख रही हूँ*। विकारों की अग्नि में जलने के कारण मेरा स्वरूप जो आयरन जैसा हो गया था वो अब इस योग की अग्नि में निखर कर कुंदन जैसा बन रहा है।
➳ _ ➳ ज्ञान सूर्य बाबा से आ रही इन सर्वशक्तियों का स्वरूप प्रतिपल बदल रहा है और इनकी तीव्रता भी बढ़ती जा रही है। *ऐसा लग रहा है जैसे शक्तियों का एक चक्र मेरे चारों और निर्मित हो गया है जिसमे से अग्नि की लपटें निकल रही हैं और इन लपटों की तेज गर्माहट से मुझ आत्मा द्वारा किये हुए विकर्मों की मैल पिघल रही है*। मेरे पुराने आसुरी स्वभाव, संस्कार इस योग अग्नि में जल कर भस्म हो रहें हैं। जैसे - जैसे विकारों की कट उतर रही है वैसे - वैसे मैं आत्मा लाइट होती जा रही हूँ। *मेरी चमक बढ़ती जा रही हैं। सच्चे सोने के समान मैं एक दम शुद्ध और प्योर होती जा रही हूँ*।
➳ _ ➳ देह भान में आने और अपने निज स्वरूप की विस्मृति के कारण मुझ आत्मा में निहित वो सर्व गुण और सर्व शक्तियाँ जो मर्ज हो गए थे वो मेरे शिव पिता के सहयोग से पुनः जागृत हो रहें हैं। *अपने खोये हुए सातों गुणों और अष्ट शक्तियों को पुनः प्राप्त कर मैं स्वयं को गुण स्वरूप और शक्ति स्वरूप अनुभव कर रही हूँ*। अपने सतोगुण और शक्तिसम्पन्न स्वरूप को पुनः प्राप्त कर मैं आत्मा अब ईश्वरीय सेवा अर्थ वापिस साकार लोक की और प्रस्थान करती हूँ। *साकार सृष्टि रूपी कर्मभूमि पर आकर अपने साकार तन में मैं आत्मा प्रवेश करती हूँ और भृकुटि पर विराजमान हो कर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ*।
➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण स्वरूप में रहते अब मैं सदैव इस बात को स्मृति में रखती हूँ कि मेरा यह ब्राह्मण जन्म ईश्वरीय देन है। *खुद ईश्वर बाप ने ईश्वरीय सेवा अर्थ मुझे यह अनमोल संगमयुगी ब्राह्मण जन्म गिफ्ट किया है*। इसलिए मेरे इस ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य और कर्तव्य सर्विसएबुल बन विश्व की सर्व आत्माओ का कल्याण करना है। *अपने इस कर्तव्य को पूरा करने और सर्विसएबुल बनने के लिए अब मैं स्वयं पर पूरा अटेंशन देते हुए इस बात का पूरा ध्यान रखती हूँ कि मनसा, वाचा, कर्मणा मुझ से ऐसा कोई कर्म ना हो जो विकर्म बनें*।
➳ _ ➳ विकारों का अंशमात्र भी मुझ आत्मा में ना रहे इसके लिए योगबल से आत्मा को तपाकर विकारों को भस्म करने का पुरुषार्थ मैं निरन्तर कर रही हूँ। *पुराने विकारी स्वभाव संस्कारों को योग अग्नि में जलाकर भस्म करने के साथ - साथ नये दैवी संस्कारो को अपने जीवन में धारण कर, सर्विसएबुल बन अपने संकल्प, बोल और कर्म से अब मैं सबको आप समान बनाने की सेवा कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं एक हिम्मत की विशेषता द्वारा सर्व का सहयोग प्राप्त कर आगे बढ़ने वाली विशेष आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं बुद्धि से हल्की रहकर बाप का अपनी पलकों पर बिठाकर साथ ले जाने का अनुभव करने वाली भाग्यवान आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *जो ब्रह्मा बाप ने आज के दिन तीन शब्दों में शिक्षा दी, (निराकारी, निर्विकारी और निरअहंकारी) इन तीन शब्दों के शिक्षा स्वरूप बनो। मनसा में निराकारी, वाचा में निरअहंकारी, कर्मणा में निर्विकारी। सेकण्ड में साकार स्वरूप में आओ, सेकण्ड में निराकारी स्वरूप में स्थित हो जाओ। यह अभ्यास सारे दिन में बार-बार करो।* ऐसे नहीं सिर्फ याद में बैठने के टाइम निराकारी स्टेज में स्थित रहो लेकिन बीच-बीच में समय निकाल इस देहभान से न्यारे निराकारी आत्मा स्वरूप में स्थित होने का अभ्यास करो। *कोई भी कार्य करो, कार्य करते भी यह अभ्यास करो कि मैं निराकार आत्मा इस साकार कर्मेन्द्रियों के आधार से कर्म करा रही हूँ। निराकारी स्थिति करावनहार स्थिति है। कर्मेन्द्रियाँ करनहार हैं, आत्मा करावनहार हैं। तो निराकारी आत्म स्थिति से निराकारी बाप स्वतः ही याद आता है।* जैसे बाप करावनहार हैं ऐसे मैं आत्मा भी करावनहार हूँ। इसलिए कर्म के बन्धन में बंधेंगे नहीं, न्यारे रहेंगे क्योंकि कर्म के बन्धन में फँसने से ही समस्यायें आती हैं। सारे दिन में चेक करो -करावनहार आत्मा बन कर्म करा रही हूँ? अच्छा! अभी मुक्ति दिलाने की मशीनरी तीव्र करो।
✺ *ड्रिल :- "निराकारी, निर्विकारी और निरअहंकारी बनने का अनुभव"*
➳_ ➳ *मैं आत्मा भृकुटी सिंहासन में विराजमान मन-बुद्धि द्वारा आत्मा रूपी रंग-बिरंगी मोरनी एक बगीचे में पहुँचती हूँ...* मेरे पँखो पर विकार रूपी मैल चढ़ी हुई हैं... अहंकार रूपी कीचड़ में गलकर टूट चुकें हैं... अहंकार के वश रहकर मैं अपने आप को ही भूल चुकी हूँ कि मैं कौन हूँ... आस-पास का वातावरण भी मेरी मैल से दूषित हो चुका है... मैं खुशी रूपी बारिश में न ही नृत्य कर पाती हूँ, न ही उसका लुफ्त उठा पाती हूँ...
➳ _ ➳ अचानक परमधाम से शिव बाबा आ रहे है... *बाबा मुझ आत्मा रूपी मोरनी पर अपनी सुनहरी किरणें न्यौछावर कर रहे हैं... मेरे पँखो से मैल धीरे-धीरे साफ हो रही हैं... वह सोने के पँख बन चुके हैं... अब मैं मनसा में निराकारी, वाचा में निरअहंकारी, कर्मणा में निर्विकारी स्थिति में स्थित रहती हूँ...* देही-अभिमानी स्थिति में स्थित रहती हूँ... अंश मात्र भी अहंकार नहीं करती हूँ... अब कोई भी विकारों के वश कर्म नहीं करती हूँ...
➳ _ ➳ मैं एक सेकंड में साकार स्वरूप में, सेकण्ड में निराकारी स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ... यह अभ्यास सारे दिन में बार-बार करती हूँ... सिर्फ याद पर बैठने के समय ही नहीं बल्कि हर समय देहभान से न्यारे निराकारी आत्मा स्वरूप में स्थित होने का अभ्यास करती हूँ... *जब कोई भी कार्य करती हूँ तो यह अभ्यास करती हूँ कि मैं निराकार आत्मा इस साकार कर्मेन्द्रियों के आधार से कर्म करा रही हूँ...*
➳ _ ➳ *कर्मेन्द्रियाँ करनहार हैं, आत्मा करावनहार हैं... अब मैं आत्मा कर्म के बन्धन में नहीं बंधती हूँ... हमेशा न्यारी रहती हूँ...* सारे दिन में चेक करती हूँ कि मैं करावनहार आत्मा बन कर्म करा रही हूँ या नहीं... मैं आत्मा सभी को दुःखों से मुक्ति दिला रही हूँ... मैं आत्मा बाबा से मिली हुई शक्तियों को यूज़ करके मुक्ति दिलाने की मशीनरी तीव्र कर रही हूँ... मैं आत्मा उमंग-उत्साह में रहकर चढ़ती कला का अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं हर कर्म करते वक्त बाबा को ही याद करती हूँ... *मैं जो भी कर्म करती हूँ उसमें सफलता मिलती जा रही हैं... बाबा ने हर कार्य आसान कर दिया हैं... अब मैं बाप समान होने की अनुभूति कर रही हूँ...* एक बाप की याद में रहकर मैं ऊँच स्थान प्राप्त करने के लिए बाबा की श्रीमत को अच्छे से फॉलो कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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