━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 28 / 11 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *मीठे बाप से पूरा योग लगाकर अति मीठा और देहि अभिमानी बनकर रहे ?*
➢➢ *अपनी अवस्था मज़बूत बनाई ?*
➢➢ *स्वराज्य की सत्ता द्वारा विश्व राज्य की सत्ता प्राप्त की ?*
➢➢ *सर्व खाजनाओ की चाबी "मेरा बाबा" सदा साथ रही ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *हम ब्राह्मण सो फरिश्ता हैं, यह कम्बाइन्ड रुप की अनुभूति विश्व के आगे साक्षात्कार मूर्त बनायेगी।* ब्राह्मण सो फरिश्ता इस स्मृति द्वारा चलते फिरते अपने को व्यक्त शरीर, व्यक्त देश में पार्ट बजाते हुए भी ब्रह्मा बाप के साथी अव्यक्त वतन के फरिश्ते, अव्यक्त रुपधारी अनुभव करेंगे।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं बाप के स्नेह में सामयी हुई आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा बाप के स्नेह में सदा समाये हुए रहते हो? *जो समाया हुआ होता है उसको कोई सुध-बुध नहीं रहती। आप सभी को भी सब-कुछ भूल गया है ना! स्नेह में समाया हुआ सदा ही बाप का प्यारा और दुनिया से न्यारा रहता है। सभी लोग आपको कहते हैं ना कि आप तो न्यारे बन गये! न्यारा बनना ही बाप का प्यारा बनना है।* सारे विश्व को बाप प्यारा क्यों लगता है? क्योंकि सबसे न्यारा है। सबसे न्यारा एक ही है, और कोई हो नहीं सकता। तो आप भी कौन हैं? न्यारे और प्यारे। आपका यह न्यारा जीवन सारे विश्व को प्रिय लगता हे।
〰✧ इसलिए ब्राह्मण जीवन को अलौकिक जीवन कहते हैं। अलौकिक का अर्थ क्या है? लोक जैसे नहीं। अलौकिक अर्थात् लोक जैसा जीवन नहीं है। आपकी दृष्टि, स्मृति, वृत्ति सब बदल गई। स्मृति वा वृत्ति में क्या रहता है? त्याग वृत्ति रहती है! *आत्मा भाई-भाई की वृत्ति वा भाई-बहन की वृत्ति रहती है। हम सब आपस में एक परिवार के हैं - यह वृत्ति रहती है। और दृष्टि से भी आत्मा को ही देखते, शरीर को नहीं। तो सब बदल गया ना!* कभी गलती से शरीर को तो नहीं देखते हो? अगर आत्मा नहीं होती तो शरीर कुछ कर सकता है? तो प्यारी चीज कौन-सी है? आत्मा है।
〰✧ जब आत्मा निकल जाती है तो शरीर को रखने के लिए भी तैयार नहीं होते। तो प्यारी चीज आत्मा है ना! इसलिए वृत्ति, दृष्टि, स्मृति सब बदल जाती है। तो यह चेक करो कि सदा अलौकिक जीवन में हूँ या साधारण जीवन में हूँ? क्योंकि नया जन्म हो गया! जन्म नया है तो सब-कुछ नया है और सभी को प्रिय भी नया लगता है, न कि पुराना। तो नई जीवन में नई बातें हैं। पुराना समाप्त हो गया। समाप्त हुआ है या आधे वहाँ जिन्दा हो, आधे यहाँ जिन्दा हो? आधा शुद्र तरफ, आधा ब्राह्मण तरफ - ऐसे तो नहीं है ना? श्रेष्ठ जीवन को भूल कर साधारण जीवन को कौन याद करेगा! कोई को राजाई मिल जाए और फिर भी गरीबी को याद करता रहे, तो उसे क्या कहेंगे? भाग्यवान कहेंगे? *तो स्वप्न में भी पुराना जीवन याद नहीं आये। जब मर गये तो याद कहाँ से आयेगा! आधा तो नहीं मरे हो? पूरा मर गये होना! जो आधा मर जाता है, पूरा नहीं मरता, तो अच्छा नहीं लगता है ना! जब ऐसी बिढ़या जीवन मिल गई तो पुरानी जीवन याद आ नहीं सकती। तो ऐसे मरजीवा बने हो या आधा मरे हो?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *अशरीरी का अर्थ है कि शरीर की कोई भी आकर्षण आत्मा को अपने तरफ आकर्षित नहीं करे।* चाहे जिन्दा भी हैं, लेकिन जैसे जीते जी मरजीवा। वैसे आप सबका अपना शरीर तो है ही नहीं। मेरा शरीर कहेंगे या बाप की अमानत है?
〰✧ जब है ही बाप की अमानत तो अशरीरी बनना क्या मुश्किल है? मुश्किल है या सहज है? (सहज है) कहने में तो सहज है। *युद्ध नहीं करनी पडे कि नहीं, मैं आत्मा हूँ, मैं आत्मा हूँ...।* युद्ध में ही एक सेकण्ड पूरा हो जायेगा तो कहाँ पहुँचेंगे!
〰✧ बाप ने कहा और किया। अगर जरा भी सोचा - ऐसा नहीं वैसा, अभी तो थोडा टाइम चाहिए, इतना अभ्यास तो हुआ नहीं है, हो जायेगा, सोचा और गया। कहाँ गया? त्रेता में गया। *हाँ जी किया तो ब्रह्मा बाप के साथी बनेंगे।* अच्छा।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *जैसे शुरू में घर बैठे भी अनेक समीप आने वाली आत्माओं को साक्षात्कार हुए ना! वैसे अब भी साक्षात्कार होंगे। यहाँ बैठे भी बेहद में आप लोगों का सूक्ष्म स्वरूप सर्विस करेगा। अब यही सर्विस रही हुई है।* साकार में सभी इग्जाम्पल तो देख लिया। सभी बातें नम्बरवार ड्रामा अनुसार होनी हैं। *जितना-जितना स्वयं आकारी फ़रिश्ते स्वरूप में होंगे उतना आपका फ़रिश्ता रूप सर्विस करेगा।* आत्मा को सारे विश्व का चक्र लगाने में कितना समय लगता है? तो अभी आपके सूक्ष्म स्वरूप भी सर्विस करेंगे। *लेकिन जो इस न्यारी स्थिति में होंगे, स्वयं फ़रिश्ते रूप में स्थित होंगे।* शुरू में सभी साक्षात्कार हुए हैं। फ़रिश्ते रूप में सम्पूर्ण स्टेज और पुरुषार्थी स्टेज दोनों अलग-अलग साक्षात्कार होता था। *जैसे साकार ब्रह्मा और सम्पूर्ण ब्रह्मा का अलग-अलग साक्षात्कार होता था, वैसे अन्य बच्चों के साक्षात्कार भी होंगे। हंगामा जब होगा तो साकार शरीर द्वारा तो कुछ कर नहीं सकेंगे और प्रभाव भी इस सर्विस से पड़ेगा।* जैसे शुरू में भी साक्षात्कार से ही प्रभाव हुआ ना? परोक्ष अपरोक्ष-अनुभव ने प्रभाव डाला वैसे अन्त में भी यही सर्विस होनी है। *अपने सम्पूर्ण स्वरूप का साक्षात्कार अपने आप को होता है?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
*✺ "ड्रिल :- मनुष्य को देवता बनाने की सर्विस करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सरोवर के किनारे बैठ पानी में अपने प्रतिबिम्ब को निहारती हुई अपने अंतर्मन के सरोवर में डूब जाती हूँ... और अपने निज स्वरुप को निहारती हूँ... चमकते हीरे समान तेज दिव्य स्वरुप है मेरा...* जिसको भूल मैं आत्मा अपने को देह समझ देह के सर्व बन्धनों में फंस गई थी... अपने निज गुणों को भूलकर अवगुणों को धारण कर ली थी... अब परमप्रिय परमपिता परमात्मा इस संगम युग में अपने संग के रंग में रंग कर मुझे फिर से देवता बना रहे हैं... *मैं आत्मा उड़ते हुए प्यारे बाबा के पास पहुँच जाती हूँ... प्यारे बाबा से श्रीमत पर सर्वगुण संपन्न देवता बनने और बनाने का हुनर सीखने...*
❉ *श्रीमत पर सबकी रूहानी खातिरी करने का हुनर सिखाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... जिस परमात्मा को इतना पुकारा वह कितना सहज जीवन में मौजूद है यह कितनी बड़ी ख़ुशी है जागीर है... *यह ईश्वर प्राप्ति की ख़ुशी की दौलत अपने चेहरे और चलन से हर पल छ्लकाओ... जो ईश्वरीय खजाना सहजता से यूँ पा लिए हो उस खजाने की झनकार जमाने को भी सुनाओ...*
➳ _ ➳ *खुशी की खुराक खाती और सर्व को खिलाती मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा श्रीमत का हाथ थामे आपसे पायी अनन्त खुशियो को हर दिल आत्मा पर उंडेल रही हूँ... *अपने पिता से सेवा का हुनर सीख सच्ची रूहानी सेवा कर रही हूँ... आपसे पायी अथाह ख़ुशी के प्रकम्पन्न पूरे विश्व में फैला रही हूँ...”*
❉ *मीठे बाबा देवताई गुणों से 16 श्रृंगार कर मुझे सजाते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... विश्व पिता की गोद में बैठे हो उसके दिल तख्त पर मुस्करा रहे... जिस भाग्य की कभी कल्पना भी न कर सके... वह भाग्य जीवन का सुंदर सच बनकर सम्मुख है... *सच्ची ख़ुशी का पर्याय ईश्वरीय बाँहों में ही है... अपनी रूहानी चलन से यह ईश्वरीय अमीरी सबको दिखाओ...”*
➳ _ ➳ *मन मधुबन को सच्चा हीरा बनाने के लिए बाबा का शुक्रिया करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... ईश्वरीय यादो में खुशियो की अपार दौलत मुझ आत्मा ने पायी है.. कितना सुख कितनी शांति कितनी ख़ुशी की अनुभवी हूँ... *मै आत्मा जनमो बाद सच्ची मुस्कराहट को जी पायी हूँ... और श्रीमत को साथ लिए सबके होठो पर यह मुस्कराहट सजा रही हूँ...”*
❉ *मेरे बागबान बाबा सुन्दर रूहानी बगीचे का निर्माण कर सेवा की जिम्मेवारी मुझे सौंपते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *श्रीमत के साथ पूरे विश्व की रूहानी सेवा कर सबको महा भाग्यशाली बनाओ... सबको अपने साथ की सच्ची खुशियो का भागीदार बनाओ और ईश्वर पिता के कन्धों पर चढ़ मुस्कराओ...* दुखो से कुम्हलाये मेरे हर फूल को खुशियो का पानी देकर खिला आओ...”
➳ _ ➳ *बाबा की पालना और शिक्षाओं से रूहे गुलाब बन जहाँ में खुशबू फैलाकर सबके जीवन को सजाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी श्रीमत की सुखमय राहो पर चलकर सच्चे सुख और सच्चे प्यार की गहरी अनुभवी होकर... *अनुभव की दौलत सबको बाँट रही हूँ... आपके मीठे प्यार में सबके दुखो को दूर करने वाली जादूगर बन गई हूँ...”*
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मीठे बाप से पूरा योग लगाकर अति मीठा और देही - अभिमानी बनना है*"
➳ _ ➳ अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण किये मैं फ़रिशता सूक्ष्म वतन में अव्यक्त बापदादा के सामने बैठा उनकी मीठी दृष्टि से स्वयं को निहाल कर रहा हूँ। बापदादा की मीठी दृष्टि मेरे रोम - रोम में मिठास घोल रही है और मुझे आप समान मीठा बना रही है। *बाबा की दृष्टि में मेरे लिए समाया असीम स्नेह, प्रेम के मीठे झरने के रूप में मुझ पर निरन्तर प्रवाहित हो रहा है*। बड़े स्नेह से निहारते हुए बाबा मेरी बुद्धि रूपी झोली को वरदानों से भरपूर कर रहें हैं। मुझे आप समान बहुत बहुत मीठा बना कर, सबको मीठी दृष्टि से निहाल कर, सबका कल्याण करने का वरदान दे रहें हैं।
➳ _ ➳ मेरे नैन अपने अति मीठे बापदादा को एकटक निहार रहें हैं। एक पल के लिए भी मेरी आँखें उनके ऊपर से नही हटना चाहती। ऐसा लगता है कि उनसे मिलने की जो प्यास थी उस जन्म - जन्म की प्यास को मेरी ये आंखे आज ही बुझा लेना चाहती हैं। *बाबा के नयनो में अथाह स्नेह का सागर लहराता हुआ मैं स्पष्ट देख रही हूँ और उस स्नेह की गहराई में मैं डूबती जा रही हूँ*। बाबा के नयनो में समा कर, बाबा को निहारते हुए, बाबा के वरदानी हस्तों को मैं अपने सिर के ऊपर अनुभव कर रही हूँ। बाबा के वरदानी हस्तों से बाबा की सर्वशक्तियाँ, गुण और खजाने मुझ फ़रिश्ते में समा रहें हैं और मुझे सर्व गुणों, सर्व शक्तियों और सर्व खजानों से सम्पन्न बना रहे हैं।
➳ _ ➳ अब मैं सामने से अपनी अति मीठी मम्मा को आते हुए देख रही हूँ जो बाबा के पास आ कर बैठ गई है और बहुत मीठी दृष्टि से मुझे निहारती जा रही हैं। *मम्मा के मस्तक से निकल रही लाइट सीधी मेरे मस्तक पर पड़ रही है और मुझमे असीम शक्ति का संचार कर रही है*। मम्मा का मुस्कराता हुआ चेहरा और मीठी मुस्कान मुझे दिल की गहराई तक स्पर्श कर रही है। ऐसा लग रहा है जैसे अपनी मीठी मुस्कान और मीठी दृष्टि से मम्मा अपनी सारी मिठास मेरे अंदर प्रवाहित कर मुझे आप समान अति मीठा बना रही है। *अपने हाथ से इशारा करते हुए मम्मा मुझे अपने पास बुला रही है। अपनी गोद में बिठा कर अपने हाथों से मुझे मीठी टोली खिला रही हैं*।
➳ _ ➳ मम्मा के हाथों की मीठी टोली, और बापदादा की अति मीठी दृष्टि से मेरे अंदर देह अभिमान के कारण जो कड़वाहट आ गई थी वो अब बिल्कुल समाप्त हो गई है और मैं स्वयं को विशेष रूहानी स्नेह और प्यार की मिठास से भरपूर अनुभव कर रहा हूँ। बाप समान बहुत - बहुत मीठा बन कर अब मैं साकारी दुनिया में वापिस लौट रहा हूँ। *बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर मैं सारे विश्व में चक्कर लगा रहा हूँ और अपने रूहानी स्नेह के वायब्रेशन सारे विश्व मे चारों और फैला रहा हूँ*। मैं देख रहा हूँ रूहानी स्नेह के वायब्रेशन से लोंगो के हृदय परिवर्तन हो रहें हैं। जिस हृदय में एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या - द्वेष और नफरत के भाव थे, वो भाव आपसी स्नेह में परिवर्तित हो रहें हैं। *सभी एक दो को मीठी दृष्टि से देख रहें हैं। ऐसा लग रहा है जैसे नफरत की दुनिया स्नेह की एक सुंदर दुनिया बन गई है*।
➳ _ ➳ सभी आत्माओं के एक दूसरे के प्रति अति मीठे व्यवहार को देखता हुआ, प्रसन्नचित मुद्रा में मैं फ़रिशता अब साकारी दुनिया मे अपने साकारी तन में आ कर विराजमान हो जाता हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में अब मैं स्थित हूँ और अपने मीठे बाबा के प्यार की मिठास से स्वयं को भरपूर करके, उस मिठास से भरपूर वायब्रेशन, अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को देते हुए, उनके जीवन को भी मैं मिठास से भर रही हूँ*। मेरी मीठी दृष्टि पा कर सभी आत्माओं की दृष्टि, वृति भी परिवर्तित हो गई है। सभी एक दो को सच्चा रूहानी स्नेह और प्यार दे कर, एक दो के जीवन में खुशियां भर रहें हैं
➳ _ ➳ *सबको आत्मा भाई - भाई की मीठी दृष्टि से देखते हुए, अपने मधुर व्यवहार और मीठे बोल से सबको संतुष्ट करने वाली सन्तुष्ट मणि आत्मा बन मैं अपने मीठे बाबा और सर्व आत्माओं की दुआयों की पात्र आत्मा बन गई हूँ*।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं स्वराज्य की सत्ता द्वारा विश्व राज्य की सत्ता प्राप्त करने वाली मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं सर्व खजाने की चाबी- "मेरा बाबा" साथ रख कर कोई भी आकर्षण से मुक्त रहने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. *वैज्ञानिकों को बहुत अच्छा अनुभव है। जैसे साइंस दिनप्रतिदिन अति सूक्ष्म, महीन होती जाती है।* ऐसे आप साइलेन्स और साइंस - दोनों के अनुभवी हो। तो *अपने हमजिन्स को साइलेन्स का महत्व सुनाओ। उनका भी कल्याण करो।* कल्याण करना आता है ना? साइलेन्स भी एक विज्ञान है, *साइलेन्स का विज्ञान क्या है, उसकी इन्हों को पहचान दो। साइलेन्स के विज्ञान से क्या-क्या होता है,* यह जानने से साइंस भी ज्यादा रिफाइन कर सकेंगे क्योंकि हमारी नई दुनिया में भी विज्ञान तो काम में आयेगा ना! लेकिन रिफाइन रूप में होगा। अभी के विज्ञान की इन्वेन्शन में फायदा भी है, नुकसान भी है। लेकिन नई दुनिया में रिफाइन विज्ञान होने के कारण नुकसान का नाम-निशान नहीं होगा। तो *ऐसे जो बड़े-बड़े वैज्ञानिक हैं उन्हों को साइलेन्स का ज्ञान दो। तो फिर अपनी नई दुनिया में रिफाइन विज्ञान का कार्य करने में मददगार बनेंगे।*
➳ _ ➳ 2. *ऐसे इन्जीनियर्स को तैयार करो। चलो पूरा ज्ञान नहीं लेवें, रेग्युलर नहीं बनें लेकिन बाप को तो पहचानें*। कई ऐसी आत्मायें हैं जो रेग्युलर नहीं बनती हैं लेकिन *निश्चय और खुशी में रहती हैं। सम्बन्ध में सहयोगी रहती हैं। ऐसी आत्मायें भी तैयार करो।*
✺ *ड्रिल :- "साइलेन्स के विज्ञान का अनुभव"*
➳ _ ➳ *बाबा के अव्यक्त महावाक्यों को मैं आत्मा मानस पटल पर लाते हुए इन पर विचार कर रही हूँ... बाबा के द्वारा उच्चारे गये शब्द "साइलेंस का अनुभव कराओं, अपने हमजिन्स का कल्याण करों"...* ये शब्द बार-बार मुझ आत्मा के कानों में गूंज रहे है... *मैं आत्मा भी अन्तरमुखता की गुफा में प्रवेश कर साइलेंस विज्ञान के अद्भुत प्रयोग में लग जाती हूँ...* सभी संकल्पों को एक सेकंड में स्टॉप कर... मैं आत्मा चेतना को भृकुटि के मध्य एकाग्र करती हूँ... और *मन बुद्धि रूपी विमान में बैठ राकेट से भी ज्यादा तेज गति से उड़कर पँहुच जाती हूँ अपने साइलेंस होम में...* चारों ओर एक गहन सन्नाटा है... गहन शांति है और मैं आत्मा स्थित हूँ अपने स्वधर्म में... सामने शांति के सागर ज्योतिमय शिव बाबा, उनसे निकलती सर्व शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा में समा रही है... एक-एक शक्ति की बहुत गहराई से अनुभव कर रही हूँ मैं आत्मा... स्वयं को मैं आत्मा बेहद शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... *गहन शांति की शक्ति का अनुभव मैं आत्मा स्वयं में कर रही हूँ... लग रहा है शांतिधाम की समस्त शांति मुझ आत्मा में समा गई हो... महसूस कर रही हूँ मैं आत्मा स्वयं में इस साइलेंस बल को इस याद के बल को...* अब मैं आत्मा इस साइलेंस बल को स्वयं में भर चलती हूँ इस विश्व गलोब के ऊपर...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को विश्व गलोब के ऊपर, देख रही हूँ इस साकार लोक को जहाँ साइंस के साधनों की धूम मची है... किस प्रकार *साइंस तेजी से प्रगति की राह पर है... और किस प्रकार हर मनुष्य आत्माएँ साइंस द्वारा निर्मित साधनों की प्राप्ति में लगी हुई है... और इन स्थूल साधनों में सुख-शांति तलाश रही है...* लेकिन फिर भी ना उन्हें सच्ची खुशी मिल रही है... और ना ही सच्ची शांति बल्कि साइंस ही उन्हें विनाश की ओर ले जा रही है... हर आत्मा सच्ची खुशी, सच्ची शांति को तलाश रही है... भटक रही है... उनका दुख, अंशाति, दर्द बढ़ ही रहा है... *मैं आत्मा फरिशता ड्रेस धारण कर आवाहन करता हूँ... एडवांस पार्टी की सभी आत्माओं का,* आवाहन करते ही सभी एडवांस पार्टी की आत्माएँ मुझ आत्मा के चारो तरफ घेरा बना कर खडी हो जाती है... *अपने फरिशता ड्रेस में... और हम सभी मिलकर एक दूसरे का हाथ पकड़कर विश्व गलोब पर बैठ जाते है... और ऊपर शिव बाबा से निरंतर शक्तिशाली किरणें हमारे ऊपर पड़ रही है... और हमसे ये पवित्रता, सुख, शांति की किरणें इस पूरे विश्व में फैल रही है... ये किरणें इस विश्व की हर आत्मा को मिल रही है... हर आत्मा सुख, शांति, शक्ति की अनुभूति कर रही है...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा देख रही हूँ... *इस विश्व में जहाँ-जहाँ भी दुख-अशांति है... साइंस के साधन जहाँ फेल हो गये है... वहाँ-वहाँ बाबा के बच्चे जो इस विश्व में सेवा अर्थ भिन्न-भिन्न स्थानों पर है... वह साइलेंस बल द्वारा इन विकट समस्याओं को हल कर रहे है...* और हम फरिशते भी उनके साथ सकाश दे रहे है... *जहाँ साइंस काम नहीं कर रही वहाँ अब ये साइलेंस कार्य कर रही है... साइंस पर साइलेंस की विजय हो रही है...* ये देख कर बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी प्रभावित हो रहे है... वो भी अनुभव कर रहे है... कोई दिव्य अलौकिक शक्ति के द्वारा यह कार्य हो रहा है... मैं फरिशता, एडवांस पार्टी के फरिशतो के साथ इन वैज्ञानिकों की आत्माओं और इन्जीनियर्स को भी सकाश दे रही हूँ... *साइलेंस की शक्ति इनको अनुभव हो रही है... और ये आत्माएँ भी साइलेंस की साइंस को जानने में लग गई है... इस साइलेंस विज्ञान को साइंस में यूज करने के कार्य में जुट गई है... इन्हें भी अनुभव हो रहा है... जैसे इनको ये कार्य करने की कहीं से प्रेरणा मिल रही है...* वे एक अलौकिक शक्ति का अनुभव कर रहे है... और *इसी शांति की शक्ति से आकर्षित होकर ये आत्माएँ निमित्त आत्माओं द्वारा मधुबन घर में पहुंच गयी है...*
➳ _ ➳ ये सभी वैज्ञानिक और इंजीनियर यहां पहुंच कर दिव्यता और अलौकिकता का अनुभव कर रही है... *यहाँ हर ब्राह्मण आत्मा साइलेंस से भरपूर है... और उनका ये साइलेंस विज्ञान इन सभी आत्माओं को आकर्षित कर रहा है...* उनमें इस शक्ति को जानने की उत्सुकता बढ रही है... साइलेंस विज्ञान से बना यहाँ का अलौकिक वातावरण, यहाँ की गहन शांति इन्हें प्रभावित कर रही है... *ये आत्माएँ भी इस शक्ति-शांति को फील कर रही है... इन आत्माओं ने साइंस और साइलेन्स का फर्क देखा अनुभव किया* हर ब्राह्मण आत्मा से मिलने पर शांति और खुशी का अनुभव कर रही है... *एक-एक आत्मा साइलेंस के इस विज्ञान की इनवेंशन का अनुभव कर रही है... इस सभी आत्माओं को शिव पिता का परिचय मिल रहा है... इनका भी कल्याण हो रहा है... इनको बाबा का नई दुनिया बनाने का पलैन समझ आ गया है* और अब ये आत्माएं भी हमारी सम्पूर्ण सहयोगी बन गयी है... *अब ये आत्माएँ भी साइलेंस विज्ञान को समझ रही है... और एक लगन के साथ साइलेंस विज्ञान को यूज कर साइंस के साधनों को रिफाइन करने में जुट गयी है... सभी बड़े-बड़े इन्जीनियर्स भी निश्चय और खुशी के साथ मददगार बन साइंस के साधनों को रिफाइन करने में तीव्र गति से लग गये है...*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━