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 08 / 02 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *रूप बसंत बन मुख से सदैव ज्ञान रतन निकाले ?*

 

➢➢ *देवताओं जैसा खुशमिजाज़ बनकर रहे ?*

 

➢➢ *"पहले आप" के विशेष गुण द्वारा सर्व के प्रिय बनकर रहे ?*

 

➢➢ *मनन शक्ति के आधार से ज्ञान खजाने को अपना बनाया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  एक तरफ मन्सा सेवा दूसरे तरफ मन्सा एक्सरसाइज। अभी-अभी निराकारी, अभी-अभी फरिश्ता। जैसे शरीर का नाम पक्का है। दूसरे को भी कोई बुलायेगा तो आप ऐसे-ऐसे करेंगे। तो *मैं आत्मा हूँ, आत्मा का संसार बापदादा, आत्मा का संस्कार ब्राह्मण सो फरिश्ता, फरिश्ता सो देवता। तो यह मन की ड्रिल करना। मैं आत्मा, मेरा बाबा।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं कमल पुष्प समान पुरानी दुनिया के वातावरण से न्यारा और एक बाप के प्यारा हूँ"*

 

 सदा अपने को कमल पुष्प समान पुरानी दुनिया के वातावरण से न्यारे और एक बाप के प्यारे, ऐसा अनुभव करते हो? *जो न्यारा वही प्यारा और जो प्यारा वही न्यारा।* तो कमल समान हो या वातावरण में रहकर उसके प्रभाव में आ जाते हो? जहाँ भी जो भी पार्ट बजा रहे हो वहाँ पार्ट बजाते पार्ट से सदा न्यारे रहते हो या पार्ट के प्यारे बन जाते हो, क्या होता है?

 

  कभी योग लगता, कभी नहीं लगता इसका भी कारण क्या है? न्यारेपन की कमी। *न्यारे न होने के कारण प्यार का अनुभव नहीं होता। जहाँ प्यार नहीं वहाँ याद कैसे आयेगी! जितना ज्यादा प्यार उतना ज्यादा याद। बाप के प्यार के बजाए दूसरों के प्यारे हो जाते हो तो बाप भूल जाता है। पार्ट से न्यारा और बाप का प्यारा बनो, यही लक्ष्य और प्रैक्टिकल जीवन हो।* लौकिक में पार्ट बजाते प्यारे बने तो प्यार का रिटर्न क्या मिला? कांटों की शैया ही मिली ना! बाप के प्यार में रहने से सेकण्ड में क्या मिलता है? अनेक जन्मों का अधिकार प्राप्त हो जाता है। तो सदा पार्ट बजाते हुए न्यारे रहो।

 

  *सेवा के कारण पार्ट बजा रहे हो। सम्बन्ध के आधार पर पार्ट नहीं, सेवा के सम्बन्ध से पार्ट। देह के सम्बन्ध में रहने से नुकसान है, सेवा का पार्ट समझ कर रहो तो न्यारे रहेंगे। अगर प्यार दो तरफ है तो एकरस स्थिति का अनुभव नहीं हो सकता है।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  बापदादा वाली एक्सरसाइज याद है? *अभी-अभी निराकारी, अभी-अभी फरिश्ता। यह है चलते-फिरते बाप और दादा के प्यार का रिटेन तो अभी-अभी यह रूहानी एक्सरसाइज करो।*

 

✧  सेकण्ड में निराकारी, सेकण्ड में फरिश्ता (बापदादा ने ड़िल कराई) अच्छा - *चलते-फिरते सारे दिन में यह एक्सरसाइज बाप की सहज याद दिलायेगी।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *सिर्फ बिंदु और एक , उसके आगे विस्तार में जाने की दरकार नही हैं। विस्तार में जाना हैं तो सर्विस प्रति।* अगर सर्विस नही तो बिंदु और एक। उसके आगे अपनी बुद्धि को चलाने की अधिक आवश्यकता नही हैं।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- श्रीमत पर पूरा पावन बन धर्मराज की सजाओं से छूट जाना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा मनमत, परमत पर चलते हुए दुखों के गर्त में डूबते गई और पतित कलियुगी दुनिया में पहुँच गई... पतित पावन को पुकारते इधर-उधर भटक रही थी... इस पतित दुनिया से पावन दुनिया में ले जाने के लिए स्वयं पतित पावन शिवबाबा इस धरा पर उतर आये... *प्यारे बाबा ने अपनी गोद में लेकर मुझे अपना वारिस बनाया... शिक्षक बन शिक्षाएं देकर सर्व शक्तियों, सर्व खजानों की मालिक बना रहे हैं... मुझे पावन बनाने के लिए श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ, ऊँचे से ऊँचा मत दे रहे हैं...*

 

   *धर्मराज की सजाओ से छूटने, हीरे जैसा पवित्र बनने की श्रीमत देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... *ईश्वरीय मत पर चलकर जीवन को अनन्त सुखो की जागीर बना दो... मीठे बाबा संग यादो में डूबकर पवित्रता से सज जाओ तो... हीरे जैसा खुबसूरत जीवन सहज ही पाओगे...* ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से इस कदर स्वयं को भरपूर कर लो कि... विकारो का विष सहज ही धूमिल हो जाए... और पावन बन विश्व की शोभा बनो.."

 

_ ➳  *मीठे बाबा की मीठी दृष्टि से निहाल होकर खुशहाल जीवन पाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मैं आत्मा आपकी यादो में कितनी प्यारी और पवित्र बन मुस्करा रही हूँ... श्रीमत को पाकर तो जीवन ही सुखो की खान हो गया है...* प्यारे बाबा... आपने अपनी प्यार भरी पलको में बिठाकर मुझ आत्मा को कौड़ी से हीरे जैसा बना दिया है..."

 

   *ज्ञान अमृत पिलाकर विष से छुड़ाकर कमाल करते हुए मीठे जादूगर बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... सदा ईश्वरीय ज्ञान रत्नों की खनक में खोये रहो... विकारो रुपी विष से मुक्ति के लिए ईश्वरीय ज्ञान अमृत को प्रतिपल पीते रहो... *सदा श्रीमत की बाँहों में सुरक्षित रह... जीवन को हीरे जैसा धवल, चमकीला बनाओ... और पवित्रता की किरणों से विश्व नभ् पर प्रकाशित हो जाओ..."*

 

_ ➳  *अँधेरे से निकल प्रकाश की दुनिया में मालामाल होकर चमकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय राहो पर चलकर आत्मिक मूल्यों से सज संवर गयी हूँ... *विकारो की कालिमा में किस कदर निष्प्राण थी, आज आपकी यादो में पावनता से निखर कर जियदान पा ली हूँ... कितनी प्यारी और खुबसूरत मै आत्मा हो गयी हूँ..."*

 

   *अपनी शुभ शिक्षाओं, शुभ आशीषों से काया कल्प करते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *श्रीमत की सुखदायी राहो पर चलकर... सदा धर्मराज की सजाओ से बेफिक्र रहो...* ईश्वरीय मत को दिल से अपनाकर, देवताई वजूद से पुनः निखर जाओ... *पवित्रता की बाँहों में, सुख शांति को सहज ही आलिंगन करो...* ऐसे खुबसूरत जीवन के मालिक बनकर, विश्व धरा पर मदमस्त से इठलाओ..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा विकारों के पिंजरे से मुक्त होकर आजाद पंछी बन आकाश में उड़ते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपकी प्यार भरी छत्रछाया में हर सजा से मुक्त हूँ... पवित्र बन विश्व धरा पर बेमिसाल सौंदर्य से छलक रही हूँ...* और पावनता की लहर में हर दिल को रंग रही हूँ... अपनी ईश्वरीय अदाओ से हर दिल को ईश्वरीय मत का दीवाना बना रही हूँ..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- देवताओं जैसा खुशमिजाज बनना है*"

 

_ ➳  स्वदर्शन चक्रधारी बन स्व का दर्शन करते हुए अपने आदि और पूज्य स्वरूप में खोई अपने उस अति सुन्दर मन को मोहने वाले स्वरूप का भरपूर आनन्द लेते हुए *मैं विचार करती हूँ कि मंदिर में स्थापित मेरे जड़ चित्रों की दिव्य मुस्कराहट और चेहरे की हर्षितमुखता आज भी मेरे भगतों को नवजीवन दे रही है*। मेरी जड़ प्रतिमा के सामने आज भी मेरे भगत खड़े होकर एक गहन सुकून पाकर तृप्त हो जाते हैं। तो अपने उस स्वरूप को यादगार बनाने का पुरुषार्थ मुझे इस समय संगम युग पर अवश्य करना है तभी मेरे एक - एक कर्म का यादगार भक्ति में पूजन और गायन योग्य बनेगा।

 

_ ➳  यही विचार करते, अपने अंदर दैवी गुणों को धारण करने की मन ही मन स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा कर मैं आत्मिक स्मृति में स्थित हो कर बैठ जाती हूँ और *अपने मन, बुद्धि को  मनुष्य से देवता बनाने वाले अपने परमपिता परमात्मा शिव बाबा पर पूरी तरह एकाग्र करते हुए, बड़े प्यार से उनका आह्वान करती हूँ*। उनसे मिलने की मेरी इच्छा संकल्प के रूप में उन तक पहुँच रही है। मन बुद्धि रूपी नेत्रों से मैं स्पष्ट देख रही हूँ कि मेरे एक बुलावे पर भगवान कैसे अपना धाम छोड़, मेरे प्यार में बंध कर, मेरे पास दौड़े चले आ रहें हैं।

 

_ ➳  अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों को फैलाये मेरे मन के सच्चे मीत, मेरे दिलाराम बाबा मेरे पास आ रहें हैं। उनके प्यार की शीतल फ़ुहारों का मीठा मधुर एहसास मुझे उनकी समीपता का स्पष्ट अनुभव करवा रहा है। *प्यार के सागर अपने प्यारे बाबा को अब मैं अपने सामने देख रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे एक विशाल सागर स्वयं चल कर मेरे पास आ गया है और अपनी शीतल लहरों की शीतलता को गहराई तक मुझ आत्मा में समाता चला जा रहा है*। सर्व गुणों, सर्वशक्तियों के सागर मेरे शिव पिता परमात्मा से निकल रहे शक्तिशाली वायब्रेशन मुझे टच कर रहें है और गहन शांति का अनुभव करवा रहें हैं।

 

_ ➳  अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में भरकर अब मेरे शिव पिता मुझ आत्मा को देह के हर बन्धन से मुक्त कराकर, अपने साथ ले जा रहें हैं। देह से बाहर आकर मैं स्वयं को एकदम हल्का अनुभव कर रही हूँ। *बन्धन मुक्त हो कर, आजाद पंछी की भांति उन्मुक्त हो कर, उड़ने का आनन्द लेती हुई मैं आत्मा अपने दिलाराम बाबा की किरणों की बाहों के झूले में झूलती, मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करती उनके साथ उनके धाम जा रही हूँ*। देह और देह की झूठी दुनिया के झूठे रिश्तों के मोह की जंजीरो की कैद से मैं आजाद हो चुकी हूँ, यह एहसास मुझे एक गहन सुकून दे रहा है।

 

_ ➳  अपने शिव पिता के साथ एक अति सुखद सुखमय रूहानी यात्रा करके अब मैं उनके साथ उनके धाम पहुँच चुकी हूँ। स्वयं को मैं आत्माओं की एक ऐसी निराकारी दुनिया में देख रही हूँ जहाँ चारों और शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन फैले हुए हैं। *शांति के सागर अपने शिव पिता के पास जाकर, उनके प्यार की किरणो की शीतल छाया के नीचे बैठ, उन्हें निहारती हुई अब मैं स्वयं को तृप्त कर रही हूँ*। मेरे शिव पिता के प्यार की शीतल फुहारे बारिश की रिम झिम बूंदों की तरह मुझ पर बरस रही हैं। मास्टर बीज रूप बन अपने बीज रूप शिव पिता परमात्मा के साथ मंगल मिलन मनाते हुए गहन अतीन्द्रिय सुख का मैं अनुभव कर रही हूँ।

 

_ ➳  गहन अतीन्द्रिय सुख और अपने शिव पिता परमात्मा के असीम प्रेम का अनुभव करके, अपने ब्राह्मण स्वरूप में लौट कर अपने शिव पिता के निष्काम और निस्वार्थ प्रेम के खूबसूरत सुखद एहसास को स्मृति में रख, अब मैं अपने शिव पिता की श्रेष्ठ शिक्षायों को स्वयं में धारण कर, अपने जीवन को देवताओ जैसा खुशमिजाज बनाने का पुरुषार्थ अति सहजता से कर रही हूँ। *मेरे मीठे प्यारे बाबा का प्यार और उनकी याद मुझे आसुरी अवगुणों का त्याग कर, दैवी गुणों को धारण करने का बल दे रही है। योग बल से अपने पुराने अभी आसुरी स्वभाव संस्कारो को भस्म कर, भविष्य देवताई संस्कारो को धारण कर अब मैं अपने जीवन को देवताओं जैसा खुशमिजाज बना रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं "पहले आप" के विशेष गुण द्वारा सर्व की प्रिय बनने वाली सफलमूर्त आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं मनन शक्ति के आधार से ज्ञान खज़ाने को अपना बना लेने वाली विघ्न विनाशक आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *कभी भी यह नहीं सोचना कि जो हम कर रहे हैं, जो हो रहा है वह बापदादा नहीं देखते हैं। इसमें कभी अलबेले नहीं होना।* अगर कोई भी बच्चा अपने दिल का चार्ट पूछे तो बापदादा बता सकते हैं लेकिन अभी बताना नहीं है। बापदादा हर एक महारथी, घोड़ेसवार... सबका चार्ट देख रहे हैं। *कई बार तो बापदादा को बहुत तरस आता है, हैं कौन और करते क्या हैं?* लेकिन जैसे ब्रह्मा बाप कहते थे ना - याद है क्या कहते थे? गुड़ जाने गुड़ की गोथरी जाने। शिवबाबा जाने और ब्रह्मा बाबा जाने क्योंकि *बापदादा को तरस बहुत पड़ता है लेकिन ऐसे बच्चे बापदादा के रहम के संकल्प को टच नहीं कर सकते, कैच नहीं कर सकते।*

 

 _ ➳  इसीलिए बापदादा ने कहा - भिन्न-भिन्न प्रकार का रायल अलबेलापन बाप देखते रहते हैं। आज बापदादा कह ही देते हैं कि तरस बहुत पड़ता है। *कई बच्चे ऐसे समझते हैं कि सतयुग में तो पता ही नहीं पड़ेगा कौन क्या था, अभी तो मौज मना लो। अभी जो कुछ करना है कर लो। कोई रोकने वाला नहीं, कोई देखने वाला नहीं। लेकिन यह गलत है।* सिर्फ बापदादा नाम नहीं सुनाते, नाम सुनायें तो कल ठीक हो जाएं। तो *बापदादा सभी बच्चों को फिर से इशारा दे रहे हैं कि समय सब प्रकार से अति में जा रहा हे। माया भी अपना अति का पार्ट बजा रही है, प्रकृति भी अपना अति का पार्ट बजा रही है। ऐसे समय पर ब्राह्मण बच्चों का अपने तरफ अटेन्शन भी अति अर्थात् मन-वचन-कर्म में अति में चाहिए। साधारण पुरुषार्थ नहीं।*

 

✺   *ड्रिल :-  "अटेन्शन रख रायल अलबेलेपन से मुक्त होने का अनुभव"*

 

 _ ➳  मैं ज्योति पुंज... चमकती हुई मणि... परमधाम में... महाज्योति शिवबाबा के सम्मुख हूँ... उनसे निकल रही अनन्त किरणें मेरे चारों ओर फैल रही हैं... *सर्वशक्तियों के इस प्रभा मण्डल ने ज्वाला स्वरूप धारण कर लिया है... इससे उठ रही लपटों में मैं आत्मा स्वयं को तपता हुआ अनुभव कर रही हूँ... मेरे पुराने स्वभाव संस्कार... इस योग अग्नि से जल कर भस्म हो रहे हैं... मेरी खोई हुई सर्वशक्तियां पुनः जागृत हो रहीं हैं...* 

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने पुराने संस्कार... अलबेलेपन के संस्कार को... अंतर्मुखी हो चेक कर रही हूँ... कि कौन कौन सी बातें मुझे आगे बढ़ने में बाधा डाल रहीं हैं... मैं उन सभी आदतों को सूक्ष्म रूप से चेक करती हूँ... *मैं आत्मा मनमनाभव स्थिति में रह... याद की यात्रा को बढ़ा रही हूँ... हर कर्म... बाबा की याद में रहकर उमंग उत्साह से कर रही हूँ...*  

 

 _ ➳  मैं आत्मा स्वयं को वरदाता बाप के सम्बन्ध से *बालक सो मालिक* की स्मृति दिलाती हूँ कि कैसे बाबा ने हमें अपने सर्व खज़ानों से... सर्व प्राप्तियों से भरपूर कर... मालिक बना दिया... *मैं आत्मा सर्व खजानों के मालिक... जिस खजाने से अप्राप्त कोई वस्तु नहीं... ऐसे मालिक बन सदा उमंग उत्साह में रहती हूँ...*  

 

 _ ➳  मैं आत्मा तीव्र पुरुषार्थ कर... योगयुक्त स्थिति में रह हर कर्म कर रही हूँ... सवेरे अमृतवेले उठ... बाबा से मिलन मनाने के लिये... सर्वप्राप्ति सम्पन्न बनने के लिये... स्वयं को उत्साहित करती हूँ... जागरूक करती हूँ... *मनसा वाचा कर्मणा... अपने ऊपर पूरा अटेंशन रखती हूँ... ऐसा अनुभव करती हूँ... जैसे बाबा मेरी हर एक्ट को... मेरे हर संकल्प को चेक कर रहें हों...* मुझे बाबा से की गयी हर प्रतिज्ञा को... श्रीमत अनुसार पूरा करना ही है...  

 

 _ ➳  *मैं आत्मा शक्ति स्वरूप बन अपने पुरुषार्थ को शक्तिशाली बना रही हूँ... मैं आत्मा सवेरे उठते ही पुरुषार्थ में शक्ति भरने की कोई न कोई पॉइंट विशेष रूप से बुद्धि में याद रखती हूँ...* स्वयं को याद दिलाती हूँ कि अब साधारण पुरुषार्थ के दिन नहीं... अब मैं आत्मा नम्बरवन में आने के लिए... मायाजीत बनने के लिए... विशेष पुरुषार्थ कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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