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❍ 08 / 03 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *एक्यूरेट शब्दों में आत्माओं को अल्फ का परिचय दिया ?*
➢➢ *चलते फिरते भी याद का अभ्यास किया ?*
➢➢ *संतुष्ट रहे और सर्व को संतुष्ट किया ?*
➢➢ *परमात्म प्यार के अनुभवी बन सभी रुकावटों को पार किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *जो बच्चे परमात्म प्यार में सदा लवलीन, खोये हुए रहते हैं उनकी झलक और फलक, अनुभूति की किरणें इतनी शक्तिशाली होती हैं जो कोई भी समस्या समीप आना तो दूर लेकिन आंख उठाकर भी नहीं देख सकती।* उन्हें कभी भी किसी भी प्रकार की मेहनत हो नहीं सकती ।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें हैं, ऐसे समझते हो! ब्राह्मणों को सदा ऊँची चोटी की निशानी दिखाते हैं। ऊँचे ते ऊँचा बाप और ऊँचे ते ऊँचा समय तो स्वयं भी ऊँचे हुए। *जो सदा ऊँची स्थिति पर स्थित रहते हैं वह सदा ही डबल लाइट स्वयं को अनुभव करते हैं। किसी भी प्रकार का बोझ नहीं। न सम्बन्ध का, न अपने कोई पुराने स्वभाव संस्कार का। इसको कहते हैं सर्व बन्धनों से मुक्त।*
〰✧ ऐसे - फ्री हो? सारा ग्रुप निर्बन्धन ग्रुप है। आत्मा से और शरीर के सम्बन्ध से भी। निर्बन्धन आत्मायें क्या करेंगी? सेन्टर सम्भालेंगी ना। तो कितने सेवाकेन्द्र खोलने चाहिए। टाइम भी है और डबल लाइट भी हो तो आप समान बनायेंगी ना! *जो मिला है वह औरों को देना है। समझते हो ना कि आज के विश्व की आत्माओंको इसी अनुभव की कितनी आवश्यकता है! ऐसे समय पर आप प्राप्ति स्वरुप आत्माओंका क्या कार्य है! तो अभी सेवा को और वृद्धि को प्राप्त कराओ।*
〰✧ ट्रीनीडाड वैसे भी सम्पन्न देश है तो सबसे ज्यादा संख्या ट्रीनीडाड सेन्टर की होनी चाहिए। आसपास भी बहुत एरिया है, तरस नहीं पड़ता? *सेन्टर भी खोलो और बड़े-बड़े माइक भी लाओ। इतनी हिम्मत वाली आत्मायें जो चाहे वह कर सकती हैं। जो श्रेष्ठ आत्मायें हैं उन्हों द्वारा श्रेष्ठ सेवा समाई हुई है।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *हर खजाने को चेक करो - ज्ञान का खजाना अर्थात जो भी संकल्प, कर्म किया वह नॉलेजफुल हो करके किया?* साधारण तो नहीं हुआ? योग अर्थात सर्व शक्ति का खजाना भरपूर हो।
〰✧ तो चेक करो हर दिन की दिनचर्या में समय प्रमाण जिस शक्ति की आवश्यकता है, उसी समय वह शक्ति ऑर्डर में रही? *मास्टर सर्वशक्तिवान का अर्थ ही है मालिक।*
〰✧ ऐसे तो नहीं समय बीतने के बाद शक्ति का सोचते ही रह जाएं। *अगर समय पर ऑर्डर पर शक्ति इमर्ज नहीं होती, एक शक्ति को भी अगर ऑर्डर में नहीं चला सकते तो निर्विघ्न राज्य के अधिकारी कैसे बनेंगे?*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *यह अव्यक्त मिलन अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर ही मना सकते हो । अव्यक्त स्थिति का अनुभव कुछ समय लगातार करो तो ऐसे अनुभव होंगे जैसे साइन्स द्वारा दूर की चीजें सामने दिखाई देती है। ऐसे ही अव्यक्त वतन की एक्टिविटी यहाँ स्पष्ट दिखाई देगी।* बुद्धि बल द्वारा अपनी सर्व शक्तिवान के स्वरूप का साक्षात्कार कर सकते हैं।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- एक्यूरेट शब्दों में अल्फ का परिचय देना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा मंदिर में बजती घंटी की आवाज़ से उन दिनों को स्मृतियों में लाती हूँ... जब मैं भी भगवान् को पाने की चाह में हर मंदिर, तीर्थ स्थानों में भटक रही थी... अल्पकाल की इच्छाओं की पूर्ति के लिए पूजा, जप, तप, उपवास करती थी... *इन कोटों भक्तों में से परमात्मा ने मुझे चुनकर अपना बनाकर मुझे सत्य ज्ञान देकर मेरे भटकन को समाप्त कर दिया...* सदाकाल के लिए मेरी झोली खजानों से भर दिया... *मैं आत्मा प्राप्तियों को याद करते-करते पहुँच जाती हूँ... मधुबन बाबा के कमरे में... बाबा प्यार से निहारते हुए मुझ पर अविनाशी ज्ञान रत्नों की बरसात करते हैं...*
❉ *प्यारे बाबा याद की मीठी मिठाई खिलाकर सबको बाबा का परिचय देकर ये मिठाई बाँटने की समझानी देते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय याद ही खुबसूरत सुखो का सच्चा आधार है... इन मीठी यादो में गहरे खो जाओ... *और दूसरो को भी इन मीठी अनुभूतियों के अहसास में भिगो दो... दुखो में भटके दिलो को... अल्फ और बे का परिचय देकर सच्चे सुखो का रास्ता बताओ...”*
➳ _ ➳ *मोस्ट बिलवेड बाबा को यादों में बसाकर सबकी राहों में सत्यता के फूल बिखेरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा सबको सच्चा रास्ता दिखाने वाली नूरानी मणि बन गयी हूँ... *सबको सच्चे पिता से मिलवा कर सदा का मुख मीठा करा रही हूँ...* असीम सुखो के राज को हर दिल में बाँट रही हूँ...”
❉ *स्वदर्शन चक्रधारी बनाकर असीम खुशियों की अनंत ऊँचाइयों में उड़ाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह और देहधारियों की यादो ने किस कदर विकारो से काला कर दिया है... अब ईश्वरीय यादो में सदा के ओजस्वी और खुबसूरत मणि बन जाओ... *मीठे सुखो में मुस्कराने का खुबसूरत भाग्य पाओ और सबको ऐसा ही भाग्यशाली बनाओ...* यही मिठाई खाओ और खिलाओ...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा रूहानी खुशबू बनकर हर दिल के आँगन को सत्य ज्ञान से महकाकर कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे पायी अनन्त खुशियां सारे विश्व में फैला रही हूँ... *हर आँचल को सच्ची यादो से बांध रही हूँ और सतयुगी सुखो का अधिकारी बना रही हूँ... भगवान धरा पर आकर सतयुग का वर्सा बाँट रहा यह खबर विश्व की हवाओ में महका रही हूँ...”*
❉ *मुझे पारसमणि बनाते हुए औरों को भी आप समान बनाने की युक्ति बतलाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... आप समान सबको सुखी बनाओ... दुखो में निस्तेज चेहरों पर सच्चे प्रकाश का ओज भर आओ... *सच्चे वजूद का पता देकर हर दिल को रौशन कर आओ... ईश्वरीय यादो में अनन्त सुखो के अधिकारी बनकर यह सुख सबके दामन में भी सजा आओ...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सबको अल्फ का एक्यूरेट परिचय देकर अल्लाह के बगीचे का फूल बनाने की सेवा करते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा यादो की मिठाई सबको बाँट कर बाप दादा के दिल तख्त पर मणि सी मुस्करा रही हूँ... *अल्फ और बे का परिचय देकर सबके मन को भटकन से छुड़ा रही हूँ... मीठे बाबा आपसे पायी खुशियो की जागीर सबको दिला आप समान अमीर बना रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- चलते - फिरते भी याद का अभ्यास करना है*"
➳ _ ➳ कर्मयोगी बन, चलते फिरते बुध्दि का योग अपने शिव पिता परमात्मा के साथ लगाकर, स्वयं को उनकी सर्वशक्तियों की शीतल छाया के नीचे अनुभव करते मैं बड़ी सहजता से हर कर्म कर रही हूँ। *बाबा की याद मेरे अंदर बल भर रही है जिससे बिना मेहनत और थकावट के हर कार्य बड़ी ही सहज रीति से और स्वत: ही सफलतापूर्वक संपन्न हो रहा है*। हर कर्म में भगवान को अपना साथी बना कर, कदम - कदम पर उनकी मदद और उनके साथ का अनुभव मेरे अंदर हर पल एक नई स्फूर्ति और ऊर्जा का संचार करता रहता है।
➳ _ ➳ ऐसे बाबा की याद में रह शरीर निर्वाह अर्थ हर रोज के अपने दैनिक कार्यो को सम्पन्न करके जैसे ही मैं कर्तव्यमुक्त होती हूँ। अपने भगवान बाप का दिल से शुक्रिया अदा करते हुए उनकी दिल को सुकून देने वाली अति मीठी याद में बैठ जाती हूँ। *अपनी पलको को हौले से बंद कर, अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में खोई मैं स्वयं से ही बातें कर रही हूँ कि कितनी महान सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो मुझे हर पल भगवान का संग मिलता रहता है*। कभी सिर्फ उनके एक दर्शन मात्र की मैं प्यासी थी और आज वो भगवान मेरे हर कर्म में मेरा सहयोगी है।
➳ _ ➳ "वाह मैं आत्मा वाह" "वाह मेरा भाग्य वाह" ऐसे मन ही मन वाह - वाह के गीत गाते हुए मैं मनमनाभव होकर अपने मन को सभी संकल्पो, विकल्पों से हटाकर उस एक अपने भगवान साथी पर एकाग्र करती हूँ। *एक पल के लिए मुझे अनुभव होता है जैसे बापदादा मेरे सामने हैं। अपनी पलको को मैं जैसे ही खोलती हूँ अपने सामने लाइट माइट स्वरूप में बापदादा को बैठे हुए देखती हूँ*। बापदादा की बहुत तेज लाइट और माइट मेरे ऊपर पड़ रही है जो मुझे लाइट माइट स्थिति में स्थित कर रही है।
➳ _ ➳ अपने साकार शरीर मे से एक अति सूक्ष्म लाइट का फ़रिश्ता मैं निकलता हुआ देख रही हूँ। *बापदादा की लाइट माइट मुझ नन्हे फ़रिश्ते को अपनी ओर खींच रही हैं। मैं नन्हा फ़रिश्ता आगे बढ़ता हूँ और जाकर बापदादा की गोद मे बैठ जाता हूँ*। अपने प्यार की शीतल छाँव में बिठाकर बापदादा अपना सारा स्नेह मेरे ऊपर उड़ेल रहें हैं। अपनी गोद मे मुझे लिटाकर, बड़े प्यार से अपना हाथ मेरे सिर पर थपथपाकर बाबा मुझे मीठी लोरी सुना रहें हैं। *ऐसा लग रहा है जैसे मेरी पलकें बंद हो रही हैं और थोड़ी देर के लिए मीठी निंद्रा की स्थिति में जाकर मैं गहन सुकून का अनुभव कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ क्षण भर की इस मीठी निंद्रा से जगते ही मैं स्वयं को फिर से अपने ब्राह्मण स्वरूप में देखती हूँ। किन्तु अब मैं स्वयं को बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूँ। *बाबा की गोद मे विश्राम करने के इस अति खूबसूरत सुखद अहसास ने मुझे बहुत ही एनर्जेटिक बना दिया है*। जैसे लौकिक रीति से भी एक साधारण मनुष्य कर्म करते - करते जब थक जाता है तो थोड़ी देर विश्राम कर लेता है ताकि दोबारा कर्म करने की शक्ति उसमे आ जाए। ऐसे ही बाबा की गोदी में लेटने के इस एक सेकण्ड के अनुभव ने मुझमे जैसे असीम बल भर दिया है। *इस अति मीठे सुखद एहसास के साथ, स्वयं को पहले से कई गुणा अधिक बलशाली अनुभव करके मैं उठती हूँ और फिर से कर्म योगी बन कर्म करने लग जाती हूँ*।
➳ _ ➳ हर कर्म बाबा की याद में रह कर करने से कर्म का बोझ अब मुझे भारी नही बनाता बल्कि बाबा की याद, कर्म करते भी कर्म के बन्धन से मुझे मुक्त रख, सदा हल्केपन का अनुभव करवाती है। *चलते - फिरते कर्म करते बीच - बीच मे शरीर से डिटैच हो कर अपने प्यारे बाबा की सर्वशक्तियों की किरणों रूपी गोद मे बैठ विश्राम करना और उनकी शक्तियों से भरपूर हो कर, शक्तिशाली बन फिर से कर्म में लग जाना, यही अभ्यास हर समय करते हुए, हर कर्म को मैं बड़ी सहजता से सम्पन्न कर लेती हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सन्तुष्ट रहने और सर्व को सन्तुष्ठ करने वाली शुभ भावना शुभ कामना सम्पन्न आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं परमात्म प्यार की अनुभवी बनकर किसी भी रुकावट से ना रुकने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. ब्राह्मण आत्मायें वर्तमान वायुमण्डल को देख विदेश में डरते तो नहीं है? कल क्या होगा, कल क्या होगा... यह तो नहीं सोचते हो? कल अच्छा होगा। अच्छा है और अच्छा ही होना है। *जितनी दुनिया में हलचल होगी उतनी ही आप ब्राह्मणों की स्टेज अचल होगी। ऐसे है? डबल विदेशी हलचल है या अचल है? अचल है? हलचल में तो नहीं हैं ना!* जो अचल हैं वह हाथ उठाओ। अचल हैं? कल कुछ हो जाये तो? तो भी अचल हैं ना! क्या होगा, कुछ नहीं होगा। आप ब्राह्मणों के ऊपर परमात्म छत्रछाया है। जैसे वाटरप्रुफ कितना भी वाटर हो लेकिन वाटरप्रुफ द्वारा वाटरप्रुफ हो जाते हैं। ऐसे ही कितनी भी हलचल हो लेकिन ब्राह्मण आत्मायें परमात्म छत्रछाया के अन्दर सदा प्रुफ हैं। बेफिकर बादशाह हो ना! कि थोड़ा-थोड़ा फिकर है, क्या होगा? नहीं। बेफिकर। *स्वराज्य अधिकारी बन, बेफिकर बादशाह बन, अचल-अड़ोल सीट पर सेट रहो। सीट से नीचे नहीं उतरो।* अपसेट होना अर्थात् सीट पर सेट नहीं है तो अपसेट हैं। सीट पर सेट जो हैं वह स्वप्न में भी अपसेट नहीं हो सकता।
➳ _ ➳ 2. बापदादा कम्बाइण्ड है, जब सर्वशक्तिवान आपके कम्बाइण्ड है तो आपको क्या डर है! *अकेले समझेंगे तो हलचल में आयेंगे। कम्बाइण्ड रहेंगे तो कितनी भी हलचल हो लेकिन आप अचल रहेंगे।*
➳ _ ➳ 3. बाप की जिम्मेवारी है, *अगर आप सीट पर सेट हो तो बाप की जिम्मेवारी है, अपसेट हो तो आपकी जिम्मेवारी है।*
✺ *ड्रिल :- "परमात्म छत्रछाया के अन्दर सदा सेफ रहने का अनुभव"*
➳ _ ➳ आज मैं आत्मा अपने ब्राह्मण जीवन में मिली हुई सारी प्राप्तियों को याद कर रही हूँ... *जब से बाबा ने अपना बच्चा बनाया तब से लेकर आज तक मैं खुशियों के झूले में झूल रही हूँ... बाबा से मिली शक्तियों को अपने कार्य व्यवहार में यूज़ करते हुए निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूँ...* इसी तरह इस कल्याणकारी संगमयुग की प्राप्तियों के अविनाशी झूले मैं झूलती मैं आत्मा इस शरीर रूपी चोले को छोड़ कर ऊपर की ओर उड़ जाती हूँ... और सूक्ष्मवतन में आकर ठहरती हूँ...
➳ _ ➳ मैं बाबा के सम्मुख हूँ और बाबा की प्यार भरी दृष्टि से निहाल हो रही हूँ... आज बाबा के साथ इस सृष्टि का चक्र लगाने नीचे की ओर आ रही हूँ... बाबा के हाथ में हाथ देकर मैं आत्मा अपने फरिश्ता रूप में इस धरती के ऊपर उड़ रही हूँ... उड़ते उड़ते मैं बाबा के साथ आज डबल विदेशी आत्माओ को देख रही हूँ... वायुमण्डल के प्रभाव में आकर ये आत्मायें हलचल में आ जाती हैं और उनकी स्थिति ऊपर नीचे हो जाती है... *मैं आत्मा बाबा के साथ कंबाइंड हो इन समस्त आत्माओ को पॉवरफुल वाइब्रेशन दे रही हूँ... ये किरणें उन आत्माओ तक पहुंच रही हैं और उनमें समाती जा रही हैं...* इन किरणों को प्राप्त कर इन आत्माओ की स्थिति अचल अडोल बन रही है... हलचल को समाप्त कर ये आत्मायें अपने स्वमान में स्थित हो रही हैं...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता अब बाबा का हाथ पकड़ कर आगे की ओर जाती हूँ... मैं देख रही हूँ उन सभी आत्माओ को जिन्हें बाबा ने अपना बच्चा बनाया है... ये सभी बाबा के बच्चे जो इस संगमयुग में ब्राह्मण बन कर पुरुषार्थ कर रहे हैं... पर *कभी कभी परिस्थिति वश तो कभी संबंध संपर्क में आते ये आत्मायें अपने स्वमान की सीट से थोड़ा हट जाती हैं और अपसेट हो जाती हैं...* मैं आत्मा बाबा के साथ इन आत्माओ को भी शक्तिशाली वाइब्रेशन दे रही हूँ...
➳ _ ➳ सभी ब्राह्मण आत्मायें बाबा की शक्तियों को स्वयं में भर रही हैं... जिससे वो अपने को पहले से ज़्यादा ऊर्जावान महसूस कर रही हैं... *सभी आत्मायें स्वयं को परमात्म छत्रछाया में अनुभव कर रही हैं और स्वयं को सुरक्षित देख रही हैं... बेफ़िक्र बादशाह बन सारी चिंताओं से मुक्त हो रही हैं...* ना किसी बात की फ़िक्र ना आने वाले कल का डर...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता अब नीचे की ओर वापस आ रही हूँ और नीचे आकर अपने स्थूल शरीर मे फिर से प्रवेश करती हूँ... मुझ आत्मा में भी ये समझ आ गयी है कि जब बाबा ने मुझे अपना बच्चा बना लिया है तो अब मुझे भी किसी भी बात से परेशान नहीं होना है... *बाप दादा कंबाइंड रूप से मेरे साथ हैं जो पल पल मेरी छत्रछाया बनकर मेरे साथ साथ चलते हैं...* जिससे मेरी सारी हलचल समाप्त हो रही है और मैं आत्मा अचल अडोल बनती जा रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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