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 03 / 03 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अपना मिजाज़ बहुत स्वीट बनाकर रखा ?*

 

➢➢ *अपने को सावधान करने के लिए एम ऑब्जेक्ट को सामने रखा ?*

 

➢➢ *अपनी उदारता द्वारा सर्व को अपने पन का अनुभव करवाया ?*

 

➢➢ *परीक्षाओं को गुड साईन समझ हर्षित रहे ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *बच्चों से बाप का प्यार है इसलिए सदा कहते हैं बच्चे जो हो, जैसे हो-मेरे हो। ऐसे आप भी सदा प्यार में लवलीन रहो, दिल से कहो बाबा जो हो वह सब आप ही हो।* कभी असत्य के राज्य के प्रभाव में नहीं आओ।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं निश्चयबुद्धि विजयी रत्न हूँ"*

 

✧  सदा अपने को निश्चय बुद्धि विजयी रत्न समझते हो? *सदा के निश्चय बुद्धि अर्थात् सदा के विजयी। जहाँ निश्चय है वहाँ विजय स्वत: है। अगर विजय नहीं तो निश्चय में कहाँ न कहाँ कमी है। चाहे स्वयं के निश्चय में, चाहे बाप के निश्चय में, चाहे नॉलेज के निश्चय में, किसी भी निश्चय में कमी माना विजय नहीं। निश्चय की निशानी है - 'विजय'।* अनुभवी हो ना।

 

  *निश्चय बुद्धि को माया कभी भी हिला नहीं सकती। वह माया को हिलाने वाले होंगे, स्वयं हिलने वाले नहीं। निश्चय का फाउण्डेशन अचल है तो स्वयं भी अचल होंगे। जैसा फाउण्डेशन वैसी मजबूत बिल्डिंग बनती है। निश्चय का फाउण्डेशन अचल है तो कर्म रूपी बिल्डिंग भी अचल होगी।*

 

  माया को अच्छी तरह से जान गये हो ना। माया क्यों और कब आती है, यह ज्ञान है ना। जिसको पता है कि इस रीति से माया आती है। तो वह सदा सेफ रहेंगे ना। अगर मालूम है कि यहाँ से इस रीति से दुश्मन आयेगा तो सेफ्टी करेंगे ना। आप भी समझदार हो तो माया वार क्यों करे। माया की हार होनी चाहिए। *सदा विजयी रत्न हैं, कल्प-कल्प के विजयी हैं, इस स्मृति से समर्थ बन आगे बढ़ते चलो। कच्चे पत्तों को चिड़ियायें खा जाती है इसलिए पक्के बनो। पक्के बन जायेंगे तो माया रूपी चिड़िया खायेगी नहीं। सेफ रहेंगे।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  जैसे सइंस ने लाइट हाऊस, माइट हाऊस बनाया है, तो सेकण्ड में स्विच ऑन करने से लाइट हाऊस चारों ओर लाइट देने लगता है, माइट देने लगता है। *ऐसे आप स्मृति के संकल्प का स्विच ऑन करने से लाइट हाऊस, माइट हाऊस हाक आत्माओं का लाइट, माइट दे सकते हो?*

 

✧  *एक सेकण्ड का ऑर्डर हो अशरीरी बन जाओ, बन जायेंगे ना!* कि युद्ध करनी पडेगी? यह अभ्यास बहुत काल का ही अंत में सहयोगी बनेगा। *अगर बहुतकाल का अभ्यास नहीं होगा तो उस समय अशरीरी बनना, मेहनत करनी पडेगी।*

 

✧  इसलिए बापदादा यही इशारा देते हैं - कि सारे दिन में कर्म करते हुए भी बार-बार यह अभ्यास करते रहो। इसके लिए मन के कन्ट्रोलिंग पॉवर की आवश्यकता है। *अगर मन कन्ट्रोल में आ गया तो कोई भी कर्मेन्द्रिय वशीभूत नहीं कर सकती।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *जितना साक्षी रहेंगे उतना साक्षात्कारमूर्त और साक्षात् मूर्त बनेंगे।* साक्षीपन कम होने के कारण साक्षात् और साक्षात्कारमूर्त भी कम बने हैं। *इसलिए यह अभ्यास करो। कौन सा अभ्यास? अभी-अभी आधार लिया, अभी-अभी न्यारे हो गये। यह अभ्यास बढ़ाना अर्थात् सम्पूर्णता और समय को समीप लाना है।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सर्विस में कभी सुस्त नहीं बनना है”*

 

 _ ➳  *समुन्दर के किनारे बैठ मैं आत्मा लहरों को देखते हुए अंतर्मन की गहराईयों में पहुँच जाती हूँ... और विचार करती हूँ की मेरे परमप्रिय परमपिता परमात्मा परमधाम से आकर ज्ञान का सागर बन मुझ पर ज्ञान वर्षा कर मेरी अज्ञानता को दूर कर रहे हैं...* एक बूंद प्यासी को प्यार का, आनंद का सागर बन प्यार बरसा रहे हैं... सुख, शांति का सागर बन मेरे जीवन की दुःख, अशांति को दूर कर रहे हैं... पवित्रता के सागर बन पतित से पावन बना रहे हैं... शक्तियों का सागर बन शक्तियों से सम्पन्न बना रहे हैं... *विचार करते करते सर्व गुणों, शक्तियों के सागर में डुबकी लगाने पहुँच जाती हूँ उस महासागर के पास...*

 

  *प्यारे बाबा ज्ञान की शंख ध्वनि कर आप समान बनाने की सर्विस करने की शिक्षा देते हुए कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... यादो के गहरे बादल बनकर फिर बरसना है... ईश्वरीय प्यार के प्याले को खुद पीकर फिर दूसरो को भी इस नशे में डुबोना है... *प्यारे बाबा से दिलोजान से प्यार करते हुए सबपर प्यार का रंग चढ़ाना है... और ईश्वरीय प्रेम की दीवानगी में अथक बनकर सबको ऐसा दीवाना बनाना है...”*

 

_ ➳  *मेरे जीवन के सहारे मेरे मनमीत बाबा के हर बात को कर्म में लाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा जो कभी प्रेम की बून्द को तरसती थी आज प्यार के सागर को पाकर प्रेम की बदली हो गई हूँ... हर दिल पर प्रेम वर्षा कर रही हूँ... *मै अथक बदली हूँ और सबको खुशियो के फूल खिलाने वाली आप समान बदली बना रही हूँ...”*

 

  *मीठे बाबा अपनी मीठी मीठी शीतल किरणों से जीवन को अथाह खुशियों से भरते हुए कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय यादो की खुशबु से स्वयं महककर सबका जीवन महकाओ... इन सच्ची खुशियों का पता हर दिल को दे आओ... *मीठी यादो में खुद को भरपूर कर इन खजानो से सबके दामन भी भर आओ... पूरे विश्व के थके दुखी बच्चों को सुखो की राह दिखा आओ...”*

 

_ ➳  *प्यार की बरसात कर प्यासे दिलों को सुख, शांति के सुमन से महकाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा इन मीठी खुशियो में खिलकर सबके दिलो को खिला रही हूँ... प्यारा बाबा सदा के दुःख दूर करने धरा पर आ गया है...ईश्वरीय नशे में डूबी मै आत्मा...  यह मीठी दस्तक हर दिल पर देती जा रही हूँ...

 

  *सद्ज्ञान देकर जीवन को ज्योतिर्मय कर रूहानी दौलत से सम्पन्न बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *रूहानी सर्विस के साथ साथ स्वयं की खूबसूरत स्थिति का हर पल ख्याल करो... गहरी यादो से भरी स्थिति ही सच्ची सर्विस का आधार है...* अपने पुरुषार्थ को बढ़ाते हुए औरो के मददगार बनो... यादो से भरे गहरे बादल ही आत्माओ को सुख की अनुभूति देकर सच्चे पिता का परिचय देने में सक्षम होंगे...

 

_ ➳  *मैं आत्मा पंछी बन बाबा की मधुर मीठी तान सबको सुनाकर सच्चे प्रेम के एहसासों में डुबोते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपसे ज्ञान और योग के पंख पाकर अनन्त खुशियो के आसमान में ऊँची उड़ान भर रही हूँ... *गुणो और शक्तियो के खजाने से भरपूर होकर सबको खुशियो का पता दिए चली जा रही हूँ...”*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- श्रीमत पर बाप समान प्यारा बन स्वयं को गुलगुल ( फूल ) बनाना है*"

 

_ ➳  एक खुशबूदार फूलों के बगीचे में टहलते हुए, रंग बिरंगे खुशबूदार फूलों को देख मन ही मन मैं विचार करती हूँ कि इन फूलों की खूबसूरती और खुशबू इस बग़ीचे की सुंदरता को कैसे निखार रही है! इन फूलों की महक कैसे हर आने जाने वाले को आकर्षित कर रही है। *जो भी मनुष्य इस बगीचे के सामने से गुजरता है वह इस बगीचे के अंदर आने से स्वयं को रोक ही नही पाता। इन फूलों की सुगंध से यहां का वायुमण्डल ऐसी ताजगी से भर गया है कि यहां आकर जैसे मनुष्य की सारी थकावट ही दूर हो जाती है और वह स्वयं को एकदम रिफ्रेश अनुभव करता है*।

 

_ ➳  ऐसा ही फूलों के समान सुगन्धित जीवन अगर हर मनुष्य का बन जाये और सभी एक दूसरे को ईर्ष्या, द्वेष, नफरत के कांटे चुभाने के बजाए एक दूसरे पर स्नेह, सहयोग और प्रेम के फूल बरसाये तो ये दुनिया स्वर्ग बन जाये। *यही विचार करते - करते अपनी आंखों को मूंद कर मैं उस वायुमण्डल में फैली खुशबू का गहराई तक स्वयं में समाते हुए एकाएक अनुभव करती हूँ जैसे मेरे ऊपर असंख्य रंग बिरंगे पुष्पों की वर्षा हो रही है और उनकी खुशबू मेरे रोम - रोम में समाती जा रही है*।

 

_ ➳  इस खूबसूरत दृश्य का आनन्द लेते - लेते मैं जैसे ही अपनी आंखों को खोलती हूँ तो देखती हूँ *बापदादा हजारों भुजाओं को फैलाये मेरे सिर के ऊपर स्थित हैं और उनकी हजारों भुजाओं से सर्वशक्तियों की अनन्त शीतल फ़ुहारें रंग बिरंगे पुष्पों के रूप में मेरे ऊपर बरस रही है*। बापदादा से आ रही सर्वशक्तियों की ये शीतल फुहारें मुझे डबल लाइट स्थिति में स्थित कर रही हैं। मेरा शरीर एक दम हल्का लाइट का बन गया है और *मेरे लाइट के शरीर से दिव्य सुगन्ध से भरी रंग बिरंगी रश्मियां निकल रही हैं जो आस पास के वायुमण्डल को भी दिव्य और अलौकिक बना रही हैं*।

 

_ ➳  पुष्पों की सुगंध की भांति मेरे अंग - अंग से निकल रही रश्मियों में समाई रूहानी खुशबू भी चारों और फैल रही है और वहां उपस्थित सभी आत्माओं को आनन्द की अनुभूति करवा रही हैं। *इस रूहानी वायुमण्डल का गहन आनन्द लेते - लेते मैं महसूस करती हूँ जैसे बापदादा अपना हाथ आगे बढ़ाकर "आओ मेरे रूहे गुलाब बच्चे" कहकर मेरा आह्वान कर रहें हैं*। बापदादा के हाथ मे अपना हाथ थमाते ही मैं अनुभव करती हूँ कि बापदादा का हाथ थामे एक खूबसूरत अदबुत रूहानी यात्रा पर जैसे मैं जा रही हूँ। इस रमणीक खूबसूरत यात्रा पर चलते - चलते बापदादा के साथ उनके अव्यक्त वतन में मैं पहुँच जाती हूँ।

 

_ ➳  रंग बिरंगे पुष्पों से सजे एक बहुत ही सुंदर झूले पर बापदादा मुझे अपने साथ बिठा लेते हैं। अपनी दृष्टि से बापदादा अपनी सारी रूहानी शक्ति मेरे अंदर प्रवाहित करने लगते हैं। *अपने वरदानी हाथ में मेरा हाथ लेकर सर्व गुणों, सर्वशक्तियों से मुझे भरपूर कर देते हैं। मेरे मस्तक पर विजय का तिलक लगाकर, "रूहानी खुशबू फैलाने वाले रुहेगुलाब भव" का वरदान देकर, मेरे सिर के ऊपर रूहानी पुष्पों का इसेन्स डाल रूहानी खुशबू मुझ में भर देते हैं*।

 

_ ➳  सर्वगुणों, सर्वशक्तियों की रूहानी खुशबू को अपने अंग - अंग में बसाकर अपने सूक्ष्म लाइट के शरीर के साथ मैं वापिस साकारी दुनिया मे आती हूँ और अपने साकारी तन में प्रवेश कर जाती हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर स्वयं को सदा लाइट माइट अनुभव करते हुए, बाबा की श्रीमत पर बाप समान प्यारा बन स्वयं को गुलगुल ( फूल ) बनाकर अपनी रूहानी खुशबू से मैं अब सबके जीवन को महका रही हूँ*। मेरी रूहानी खुश्बू मेरे सम्बन्ध, सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परमात्म प्रेम के रंग में रंग कर उन्हें भी गुलगुल ( फूल ) बनने की प्रेरणा दे रही है।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं अपनी उदारता द्वारा सर्व को अपनेपन का अनुभव कराने वाली बाप समान सर्वश त्यागी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं परीक्षाओं को गुड-साइन समझ हर्षित रह परिपक्व बनने वाली हर्षित आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *अन्तकाल चाहे जवान है, चाहे बुढ़ा है, चाहे तन्दरूस्त है, चाहे बीमार है, किसका भी कभी भी आ सकता है। इसलिए बहुतकाल साक्षीपन के अभ्यास पर अटेन्शन दो।* चाहे कितनी भी प्रकृतिक आपदायें आयेंगी लेकिन यह अशरीरीपन की स्टेज आपको सहज न्यारा और बाप का प्यारा बना देगी। इसलिए बहुतकाल शब्द को बापदादा अण्डरलाइन करा रहे हैं। *क्या भी हो, सारे दिन में साक्षीपन की स्टेज का, करावनहार की स्टेज का, अशरीरीपन की स्टेज का अनुभव बार-बार करो, तब अन्त मते फरिश्ता सो देवता निश्चित है।* बाप समान बनना है तो बाप निराकार और फरिश्ता है, ब्रह्मा बाप समान बनना अर्थात् फरिश्ता स्टेज में रहना। जैसे फरिश्ता रूप साकार रूप में देखा, बात सुनते, बात करते, कारोबार करते अनुभव किया कि जैसे बाप शरीर में होते न्यारे हैं। कार्य को छोड़कर अशरीरी बनना, यह तो थोड़ा समय हो सकता है लेकिन कार्य करते, समय निकाल अशरीरी, पावरफुल स्टेज का अनुभव करते रहो। आप सब फरिश्ते हो, बाप द्वारा इस ब्राह्मण जीवन का आधार ले सन्देश देने के लिए साकार में कार्य कर रहे हो। फरिश्ता अर्थात् देह में रहते देह से न्यारा और यह एक्जैम्पुल ब्रह्मा बाप को देखा है, असम्भव नहीं है। देखा अनुभव किया।

 

 _ ➳  जो भी निमित्त हैं, चाहे अभी विस्तार ज्यादा है लेकिन जितनी ब्रह्मा बाप की नई नालेज, नई जीवन, नई दुनिया बनाने की जिम्मेवारी थी, उतनी अभी किसकी भी नहीं है। तो सबका लक्ष्य है ब्रह्मा बाप समान बनना अर्थात् फरिश्ता बनना। शिव बाप समान बनना अर्थात् निराकार स्थिति में स्थित होना। मुश्किल है क्या? *बाप और दादा से प्यार है ना! तो जिससे प्यार है उस जैसा बनना, जब संकल्प भी है - बाप समान बनना ही है, तो कोई मुश्किल नहीं। सिर्फ बार-बार अटेन्शन। साधारण जीवन नहीं। साधारण जीवन जीने वाले बहुत हैं।* बड़े-बड़े कार्य करने वाले बहुत हैं। लेकिन आप जैसा कार्य, आप ब्राह्मण आत्माओं के सिवाए और कोई नहीं कर सकता है।

 

✺   *ड्रिल :-  "सारे दिन में करावनहार की स्टेज का बार-बार अभ्यास करना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा सभी बाहरी बातों से मन बुद्धि को हटाए भृकुटि के मध्य स्वयं को निहार रही हूं... *अपने अनादि स्वरुप में स्थित मैं आत्मा बाप समान निराकारी, निरहंकारी, संपूर्ण निर्विकारी स्थिति का अनुभव कर रही हूं...* रूप में बिंदु गुणों में सिंधु मैं आत्मा बाप समान अथक सेवाधारी बन संपूर्ण विश्व में अमूल्य ज्ञान रत्नों की बौछार करती हूं... *मैं आत्मा चैतन्य शक्ति हूं... इस देह से न्यारी... बाबा ने मुझ आत्मा को ये देह साकार लोग को परमात्म परिचय देने अर्थ दिया है...*

 

 _ ➳  *सारे दिन बीच-बीच में मैं करावनहार आत्मा कर्म से न्यारी हो अपनी इन्द्रियों को समेट अशरीरी पन का अभ्यास करती हूं...* इस बहुतकाल के अभ्यास द्वारा मैं आत्मा अपने आस-पास के सभी दृश्यों को साक्षी हो देख रही हूं... *मैं देखती हूं... मेरे चारों ओर दुःख ही दुःख अशांति ही अशांति है...* पापाचार, भ्रष्टाचार अकालमृत्यु बढ़ता ही जा रहा है... चारों ओर त्राहि त्राहि मची हुई है... *आत्माएं सच्ची शांति और सुख की तलाश में इधर उधर भटक रही हैं...*

 

 _ ➳  प्रकृति अपने आपे से बाहर हैं... पांच तत्व भी अपना कहर बरसा रहे हैं... *बीज रूप स्थिति में स्थित मैं करावनहार आत्मा इस दृश्य को बिना हिले बिना डुले साक्षी हो देख रही हूं...* मैं स्वयं इन सब दृश्यों को अचल अडोल हुए सामना करते हुए अनुभव कर रही हूं... अब मैं करावनहार निमित्त आत्मा स्वयं को फरिश्ता स्वरुप में इमर्ज कर बापदादा का आह्वान करती हूं... *फरिश्ता स्वरुप में मैं आत्मा ब्रह्मा बाप समान स्वयं को इस देह से न्यारी अशरीरी अनुभव कर रही हूं...*

 

 _ ➳  यह आ गए बापदादा मेरे सन्मुख... बापदादा और मैं मास्टर करावनहार आत्मा कंबाइंड स्वरुप में स्थित हो सर्व को साकाश दे रहे हैं... *समस्त आत्माएं हमारे सानिध्य में शांति और सुख  का अनुभव करती जा रही है...* चारों ओर शांति का वातावरण छा गया है... आत्माएं तृप्त होती जा रही हैं... *प्रकृति के पांच तत्व भी शांति को प्राप्त हैं...* चारों और रूहानी वातावरण छा जाता है... *धीरे-धीरे सभी आत्माएं सहज ही अपने शरीर से न्यारी कर्मातीत अवस्था को प्राप्त होती जा रही है...*

 

 _ ➳  भक्तिमार्ग में किये वायदे अनुसार *"प्रभु जब आप आएंगे तो और संग बुद्धियोग तोड़ आप संग जोड़ूंगी"...* सभी आत्माएं प्रभु प्रेम में मग्न बाप समान अवस्था का अनुभव कर रही हैं... *सभी अपनी आत्मिक कर्मातीत स्टेज में स्थित हो मच्छरों सदृश्य बापदादा संग परमधाम की ओर चल पड़ी हैं...* मैं आत्मा भी बापदादा संग स्वयं को अनुभव करती हूं... मैं असाधारण करावनहार निमित आत्मा अपने पाठ कों बेखूबी पूरा कर बाबा संग परमधाम की ओर रवाना हो रही हूं...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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