━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 30 / 01 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *"हम ईश्वरीय संतान एक इश्वर की फैमिली के हैं" - इसी नशे में रहे ?*
➢➢ *ब्रह्मा बाप के समान पूरा पूरा बलि चडे ?*
➢➢ *समीप सम्बन्ध और सर्व प्राप्ति द्वारा सहजयोगी बनकर रहे ?*
➢➢ *रूहानी शान में रह हद के मान शान से दूर रहे ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ जैसे शारीरिक हल्केपन का साधन एक्सरसाइज है वैसे *आत्मिक एक्सरसाइज योग अभ्यास द्वारा अभी-अभी कर्मयोगी अर्थात साकारी स्वरूपधारी बन साकार सृष्टि का पार्ट बजाना, अभी-अभी आकारी फरिश्ता बन आकारी वतनवासी अव्यक्त रूप का अनुभव करना - अभी-अभी निराकारी बन मूल वतनवासी का अनुभव करना, अभी-अभी अपने राज्य स्वर्ग अर्थात् बहकुंठ वासी बन देवता रूप का अनुभव करना, ऐसे बुद्धि की एक्सरसाइज करो तो सदा हल्के हो जायेंगे। पुरूषार्थ की गति तीव्र हो जायेगी।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं बाप की समीपता द्वारा समान बनने वाली विश्व-कल्याणकारी आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को समीप आत्मा अनुभव करते हो? *समीप आत्माओंकी निशानी है - समान। जो जिसके समीप होता है, उस पर उसके संग का रंग स्वत: ही चढ़ता है। तो बाप के समीप अर्थात् बाप के समान।|*
〰✧ *जो बाप के गुण, वह बच्चों के गुण, जो बाप का कर्त्तव्य वह बच्चों का। जैसे बाप सदा विश्व-कल्याणकारी है ऐसे बच्चे भी विश्व-कल्याणकारी। तो हर समय यह चेक करो कि जो भी कर्म करते हैं, जो भी बोल बोलते हैं वह बाप समान हैं।*
〰✧ *बाप से मिलाते चलो और कदम उठाते चलो तो समान बन जायेंगे। जैसे बाप सदा सम्पन्न हैं, सर्वशक्तिवान हैं वैसे ही बच्चे भी मास्टर बन जायेंगे। किसी भी गुण और शक्ति की कमी नहीं रहेगी। सम्पन्न हैं तो अचल रहेंगे। डगमग नहीं होगे।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *बापदादा ने देखा। सुना नहीं देखा कि इस बारी डबल फारेनर्स ने साइलेन्स के बहुत अच्छे-अच्छे अनुभव किये।* सभी का सुन तो नहीं सकते हैं, लेकिन सुन लिया है।
〰✧ *अच्छे उमंग-उत्साह से प्रोगाम किया, और आगे भी अपने अपने देश में जाके भी यह साइलेन्स का अनुभव बीच-बीच में करते रहना चाहे जितना समय निकाल सको क्योंकि साइलेन्स का प्रभाव सेवा पर भी पडता ही है तो अच्छे प्रोग्राम किये।*
〰✧ बापदादा खुश है। आगे भी बढ़ाते रहना। उडते रहना, उडाते रहना। अच्छा। *अभी एक सेकण्ड में मन और बुद्धि को एकाग्र कर सकते हो? स्टॉप, बस स्टॉप हो जाए। अभी एक सेकण्ड के लिए मन और बुद्धि को एकदम एकाग्र बिन्दु, बिन्दु में समा जाओ।* (बापदादा ने ड़िल कराई)
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ बाप तो तुम बच्चों को बिन्दी रूप बनाने आये हैं। मैं आत्मा बिन्दु रूप हूँ। बिन्दी कितनी छोटी होती है और बाप भी कितना छोटा है। इतनी छोटी-सी बात भी तुम बच्चों की बुद्धि में नहीं आती है? *बच्चे! अगर बिन्दी को ही भूल जायेंगे, तो बोलो, किस आधार पर चलेंगे?* आत्मा के ही तो आधार से शरीर भी चलता है। मैं आत्मा हूँ। *यह नशा होना चहिये कि मैं बिन्दु, बिन्दु की ही संतान हूँ। संतान कहने से ही स्नेह में आ जाते हैं।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप द्वारा ड्रामा के आदि-मध्य-अंत का ज्ञान पाना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने संकल्पों पर कंट्रोल करते हुए भृकुटी पर अपना ध्यान केन्द्रित करती हूँ... अपने मस्तक पर चमकते हुए सितारे को देख रही हूँ... अपने सत्य स्वरुप का अनुभव करती हुई अपने मस्तक से बाहर निकल उड़ान भरती हूँ आसमान की ओर... *खुले आसमान में उड़ते हुए सूरज, चाँद, सितारों को पार करते हुए मैं आत्मा बहुत दूर निकल जाती हूँ... और प्रवेश करती हूँ सूक्ष्म वतन में प्यारे बापदादा के पास ड्रामा के सारे राजों को जानने...*
❉ *ड्रामा के आदि मध्य अंत के गुह्य रहस्यों का ज्ञान देकर ज्ञान का तीसरा नेत्र देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे बच्चे... किस कदर खूबसूरत प्यारा सा भाग्य लिए हो... कि पिता से सारे खजाने लेकर मा ज्ञानसागर बन गए हो... *सृष्टि के राजो को जानकर मीठे नशे में भर गए हो... और आशिक बन माशूक की यादो में खो गए हो...*”
➳ _ ➳ *प्यारे बाबा का ज्ञान सिमरकर त्रिकालदर्शी बन तीनों कालों का सैर करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सारे राजो को जानकर मा त्रिलोकीनाथ हो गई हूँ... सब कुछ जानकर मै आत्मा सच्ची ख़ुशी से भर सच्ची आशिक पिता माशूक की हो गई हूँ...”
❉ *बेहद के प्यारे बाबा हद से निकाल बेहद की ज्ञान वर्षा में भिगोते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे बच्चे... *हदो को जानने वाले बच्चे ज्ञान के तीसरे नेत्र से बेहद के राजदार बन पड़े हो...* अपने खूबसूरत सत्य स्वरूप से भविष्य की खूबसूरती को बाँहो में भर लिए हो... सदा के बुद्धिवान हो गए हो...”
➳ _ ➳ *दिव्य ज्ञान की ज्योति से सजधज कर जगमग जगमग करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा देहभान के जंजालों में फसी पड़ी थी... *आपने ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर सदा का रौशन किया है... मै आत्मा सृष्टि के सारे राजो को जानकर खुशनुमा बन गई हूँ...”*
❉ *ज्ञान चन्द्रमा मेरा बाबा ज्ञान कस्तूरी से मुझ आत्मा को सुवासित कर कहते हैं:-* “प्यारे बच्चे... ईश्वरीय पिता का मिलना... उसके साये में बैठना और सारे भेद जान लेना... खुद के सत्य स्वरूप को जान मन्त्रमुग्ध हो जाना... *कितनी मीठी प्यारी जादूगरी है... और यही सच्ची आशिकी है जो माशूक से है... कि बच्चे आशिकी में खुद को निखार रहे है...”*
➳ _ ➳ *अपने मन में शिव का ज्ञान धर एक शिव को मन मंदिर में बसाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा इस मीठी खूबसूरत जादूगरी से भर कर अपने भाग्य पर इठला रही हूँ.... *अपनी माशूक पिता से हुई आशिकी पर मुझे नाज है... कि ईश्वर मेरा माशूक है...”*
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- भारत की सेवा के लिए ब्रह्मा बाप के समान पूरा - पूरा बलि चढ़ना है*"
➳ _ ➳ साकार में सर्व प्राप्ति के साधन होते हुए भी ब्रह्मा बाबा ने जिस उपराम वृति से अपना तन - मन - धन ईश्वरीय यज्ञ में स्वाहा कर दिया और परमात्मा की जन्म भूमि भारत की सेवा के लिए स्वयं को बलि चढ़ा दिया ऐसे *भारत की सेवा के लिए ब्रह्मा बाप के समान पूरा - पूरा बलि चढ़ने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा कर, ब्रह्मा बाप समान बनने का संकल्प मन मे लेकर, मैं अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित होकर अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा से मिलने उनके अव्यक्त वतन की ओर चल पड़ती हूँ*।
➳ _ ➳ पाँच तत्वों की बनी साकारी दुनिया को पार कर, सूर्य, चांद, तारागणों से भी पार सफेद प्रकाश की उस दुनिया में मैं पहुँचती हूँ जहाँ ब्रह्मा बाबा अव्यक्त फ़रिश्ता स्वरूप में आज भी अपने बच्चों की पालना करने के लिए ठहरें हुए हैं। *उस अव्यक्त वतन में पहुंचते ही अपने सामने मैं अव्यक्त ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में विराजमान अपने प्राणप्रिय शिव बाबा को देख रही हूँ*। बाबा को देखते ही साकार पालना की स्मृतियाँ मन में ताजा हो उठती हैं और मन अपने प्यारे बाबा की ममतामयी गोद का सुख पाने के लिए मचलने लगता है।
➳ _ ➳ मन में यह संकल्प आते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे मेरा आकारी शरीर और भी सूक्ष्म हो गया है और मैं एक नन्हा सा फ़रिश्ता बन गया हूँ। *बाबा अपनी गोद मे मुझे बिठा कर बड़े प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेर रहें हैं। अपने हाथों से मुझे टोली खिला रहें हैं*। मेरे साथ मीठी - मीठी रूह रिहान कर रहें हैं। बाबा के हाथों का मीठा - मीठा स्पर्श और उनकी ममतामयी गोद में बैठने का सुख अनुभव करके मैं मन ही मन अपने भाग्य पर गर्व महसूस कर रही हूँ जो अव्यक्त रूप में आज भी बाबा मुझे साकार पालना का अनुभव करवा रहें हैं।
➳ _ ➳ साकार पालना के खूबसूरत अनुभव में खोई अब मैं महसूस करती हूँ जैसे साकार ब्रह्मा बाबा द्वारा किया हुआ हर कर्म मेरी आँखों के सामने अनेक दृश्यों के रूप में उभर कर मेरे सामने आ रहा है। *मैं देख रही हूँ साकार ब्रह्मा बाबा के उस महान तपस्वी वैरागी स्वरूप को कि कैसे सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि बन ब्रह्मा बाबा ने अपना तन - मन - धन ईश्वरीय यज्ञ में समर्पित कर दिया*। तन के लिए बाबा के मुख से सदा यही बोल निकला कि मेरा शरीर नही है, शिव बाबा का रथ है। मन मे सिवाए एक शिव बाबा के दूसरा कोई नही और धन के लिए भी बाबा के मन मे कभी यह संकल्प नही आया कि यज्ञ में मेरा धन लग रहा है। मुख से सदा एक ही शब्द निकला कि शिव बाबा का भंडारा है।
➳ _ ➳ अपना तन - मन - धन बाबा ने ईश्वरीय सेवा में लगा कर यहां तक कि अपना समय, संकल्प, श्वांस सब कुछ भारत की सेवा के लिए बलि चढ़ा दिया। *बाबा के एक एक कर्म का चरित्र चित्र के रूप में देख कर मैं मन ही मन अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के प्रति आभार व्यक्त करती हूँ और उनके समान बनने का जैसे ही दृढ़ संकल्प करते हुए बाबा की ओर देखती हूँ मैं अनुभव करती हूँ जैसे बापदादा बड़े प्यार से मुझे निहार रहें हैं*। मेरे सिर पर अपना वरदानी हाथ रख कर मुझे ब्रह्मा बाप समान बनने का वरदान दे रहें हैं।
➳ _ ➳ बापदादा से वरदान लेकर, अव्यक्त में भी साकार पालना का अनुभव करके अब मैं अपने सूक्ष्म आकारी फ़रिश्ता स्वरुप में ही वापिस साकारी दुनिया मे आकर अपने साकारी शरीर मे प्रवेश करती हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं ब्रह्मा बाप समान निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी इन तीन विशेषताओं को अपने ब्राह्मण जीवन मे धारण कर, भारत की सेवा के लिए पूरा - पूरा बलि चढ़ने का पुरुषार्थ कर रही हूँ*। अपने तन - मन - धन को ईश्वरीय सेवा में सफल कर, ब्रह्मा बाप समान सम्पूर्णता के लक्ष्य को पाने की ओर अब मैं निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं समीप सम्बन्ध और सर्व प्राप्ति द्वारा सहजयोगी बनने वाली सर्व सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं रूहानी शान में रह कर कभी हद के मान शान में नहीं आ सकने वाली निर्मानचित्त आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *सबसे पहला खजाना है - ज्ञान का खजाना, जिस ज्ञान के खजाने से इस समय भी आप सभी मुक्ति और जीवनमुक्ति का अनुभव कर रहो हो।* जीवन में रहते, पुरानी दुनिया में रहते, तमोगुणी वायुमण्डल में रहते ज्ञान के खजाने के आधार से इन सब वायुमण्डल, वायब्रेशन से न्यारे मुक्त हो, कमल पुष्प समान न्यारे मुक्त आत्मायें दुःख से, चिंता से, अशान्ति से मुक्त हो। *जीवन में रहते बुराइयों के बन्धनों से मुक्त हो। व्यर्थ संकल्पों के तूफान से मुक्त हो। हैं मुक्त?* सभी हाथ हिला रहे हैं। तो मुक्ति और जीवनमुक्ति इस ज्ञान के खजाने का फल है, प्राप्ति है। चाहे व्यर्थ संकल्प आने की कोशिश करते हैं, निगेटिव भी आते हैं लेकिन ज्ञान अर्थात् समझ। *व्यर्थ संकल्प वा निगेटिव का काम है आना और आप ज्ञानी तू आत्माओं का काम है इनसे मुक्त, न्यारे और बाप के प्यारे रहना।* तो चेक करो - ज्ञान का खजाना प्राप्त है? भरपूर है? सम्पन्न है या कम है? *अगर कम है तो उसको जमा करो, खाली नहीं रहना।*
✺ *ड्रिल :- "ज्ञान के खजाने का महत्व अनुभव करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अशरीरी स्वरूप में ऊंची पहाड़ी पर जाकर बैठी हूं... चारों ओर निर्मल प्रकृति की मनोरम छटा देख मन ही मन पुलकित अनुभव कर रही हुं... अमृतवेले की इस पावन मुहूर्त में मैं आत्मा प्रकृति की गोद मे बैठ स्वयं को स्वतन्त्र अनुभव कर रही हूं... यह खुला सा वातावरण सारे बन्धनों से मुक्त अनुभव करा रहा है... ठंडी ठंडी हवाएं आत्मा को शीतलता प्रदान कर रही है... *मैं आत्मा अशरीरी स्वरूप में उन्मुक्त हो विचरण कर रही हूं...*
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा मीठे शिवबाबा से मिलन मनाने अपने निवास परमधाम की ओर उड़ रही हूं... देह और देह की दुनिया से दूर , ग्रह नक्षत्रों के पार स्थित परमात्म निवास परमधाम की ओर बढ़ रही हूं... लाल प्रकाश से भरपूर इस परमधाम में सर्व शक्तिमान पिता विराजमान दिखाई दे रहे है... *मैं आत्मा मीठे बाबा के सम्मुख जाकर बैठ जाती हूं... मीठे बाबा की मीठी दृष्टि पाकर मैं आत्मा निहाल हो रही हूं...* बाबा की मीठी किरणे मुझ आत्मा को परम् तृप्ति का अनुभव करा रही है...
➳ _ ➳ मीठे शिवबाबा की ज्ञान की किरणें मुझ आत्मा को भरपूर कर रही है... मैं आत्मा ज्ञान प्रकाश में नहाकर उज्ज्वल हो रही हूं... मुझ आत्मा के अज्ञानता के समस्त अंधकार को मिटा रहे है... दुःख, चिंता, अशांति से मुक्त अनुभव कर रही हूं... *मैं आत्मा परमात्मा पिता की शक्तिशाली प्रकाश ऊर्जा के नीचे बैठ स्वयं को शक्तिशाली अनुभव कर रही हूं...* मुझ आत्मा को ज्ञान प्रकाश में स्थित होकर मुक्ति व जीवनमुक्ति की प्राप्ति बड़ी ही सहजता से हो रही है...
➳ _ ➳ मीठे बाबा से भरपूर हो अब मैं आत्मा अपने स्थूल वतन की ओर लौट रही हूं... ज्ञान प्रकाश से उज्ज्वल हो मैं ज्ञान की ऊर्जा सम्पूर्ण विश्व मे फैला रही हूं... *मैं आत्मा ज्ञान सूर्य से ज्ञान किरणे प्राप्त कर ज्ञान का खजाना भर रही हूं और सभी आत्माओं तक ज्ञान प्रकाश बांट रही हूं...* पुराने देह की दुनिया मे रहते हुए भी मैं आत्मा ज्ञान खजाने द्वारा स्वयं को और अन्य साथी आत्माओ को व्यर्थ निगेटिव से मुक्त कर रही हूं... *मैं आत्मा सर्व खजाने से सम्पन्न महसूस कर रही हूं...*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━