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❍ 10 / 11 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *प्यार के सागर बाप के प्यार का रीटर्न दिया ?*
➢➢ *स्वय में धारणा कर फिर दूसरों को धारणा कराई ?*
➢➢ *हदों से पार रह सबको अपने पैन की महसूसता करवाई ?*
➢➢ *उपराम स्थिति द्वारा उडती कला में रह कर्म रुपी डाली के बंधन में बंधने से बचे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *सम्पूर्ण फरिश्ता वा अव्यक्त फरिश्ता की डिग्री लेने के लिए सर्व गुणों में फुल बनो।* नालेजफुल के साथ-साथ फेथफुल, पावरफुल, सक्सेसफुल बनो। *अभी नाजुक समय में नाजों से चलना छोड़ विकर्मो और व्यर्थ कर्मो को अपने विकराल रुप (शक्ति रुप) से समाप्त करो।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं कर्मयोगी श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*
〰✧ *स्वयं को कर्मयोगी श्रेष्ठ आत्मा अनुभव करते हो? कर्मयोगी आत्मा सदा कर्म का प्रत्यक्ष फल स्वत: ही अनुभव करती है।*
〰✧ *प्रत्यक्षफल - 'खुशी' और 'शक्ति'। तो कर्मयोगी आत्म अर्थात् प्रत्यक्षफल 'खुशी' औरा 'शक्ति' अनुभव करने वाली।*
〰✧ *बाप सदा बच्चों को प्रत्यक्षफल प्राप्त कराने वाले हैं। अभी-अभी कर्म किया, कर्म करते खुशी और शक्ति का अनुभव किया! तो ऐसी कर्मयोगी आत्मा हूँ - इसी स्मृति से आगे बढ़ते रहो।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ सभी एक सेकण्ड में अशरीरी स्थिति का अनुभव कर सकते हो? या टाइम लगेगा? आप राजयोगी हो, राजयोगी का अर्थ क्या है? राजा हो ना। तो शरीर आपका क्या है? कर्मचारी है ना! तो सेकण्ड में अशरीरी क्यों नहीं हो सकते? ऑर्डर करो - अभी शरीर-भान में नहीं आना है, तो नहीं मानेगा शरीर? राजयोगी अर्थात मास्टर सर्वशक्तिवान *कर्मबंधन को भी नहीं तोड सकते तो मास्टर सर्वशक्तिवान कैसे कहला सकते?*
〰✧ कहते तो यही हो ना कि हम मास्टर सर्वशक्तिवान हैं तो इसी अभ्यास को बढ़ाते चलो। *राजयोगी अर्थात राजा बन इन कर्मेन्द्रियों को अपने ऑर्डर में चलाने वाले।* क्योंकि अगर ऐसा अभ्यास नहीं होगा तो लास्ट टाइम ‘पास विद ऑनर कैसे बनेंगे! धक्के से पास होना है या ‘पास विद ऑनर' बनना है? जैसे शरीर में आना सहज है, सेकण्ड भी नहीं लगता है।
〰✧ क्योंकि बहुत समय का अभ्यास है। ऐसे शरीर से परे होने का भी अभ्यास चाहिए और बहुत समय का अभ्यास चाहिए। लक्ष्य श्रेष्ठ है तो लक्ष्य के प्रमाण पुरुषार्थ भी श्रेष्ठ करना है। *सारे दिन में यह बार-बार प्रेक्टिस करो - अभी-अभी शरीर में हैं, अभी-अभी शरीर से न्यारे अशरीरी है।* लास्ट सो फास्ट और फर्स्ट आने के लिए फास्ट पुरुषार्थ करना पडे।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जैसे इस वक्त जिसके साथ स्नेह होता है, वह कहाँ विदेश में भी है तो उनका मन ज़्यादा उस तरफ़ रहता है। जिस देश में वह होता है उस देश का वासी अपने को समझते हैं। वैसे ही तुमको अब सूक्ष्मवतनवासी बनना है। *सूक्ष्मवतन को स्थूलवतन में इमर्ज करते हो वा खुद सूक्ष्मवतन में साथ समझते हो? क्या अनुभव है? सूक्ष्मवतनवासी बाप को यहाँ इमर्ज करते हो वा अपने को भी सूक्ष्मवतनवासी बना कर साथ रहते हो? बापदादा तो यही समझते हैं कि स्थूल वतन में रहते भी सूक्ष्मवतनवासी बन जाते।* यहाँ भी जो बुलाते हो, यह भी सूक्ष्मवतन के वातावरण में ही सूक्ष्म से सर्विस ले सकते हो।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सत्य बाप का संग मिला है इसलिए सच्चे बनना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपनी चेतना सरोवर के तट पर बैठकर चिंतन करती हूँ... अभी इस सरोवर में शांति की लहरें उठ रही हैं... पहले इसी चेतना सरोवर में कितने ही प्रश्नों की लहरें उठती थी और मैं आत्मा उनका जवाब ना मिलने के कारण परेशान, दुखी हो जाती थी...* मेरे बाबा ने आकर सारे प्रश्नों के जवाब देकर मेरे मन के सरोवर में कमल खिला दिया... अब मैं आत्मा एकांत में शांत मन से मीठे बाबा को शुक्रिया करने पहुँच जाती हूँ वतन में...
❉ *सच्ची कमाई के मार्ग को ज्ञान से रोशन करते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... स्वयं भगवान टीचर बनकर पढ़ा रहा है... तो देवताई संस्कारो को भरकर, श्रेष्ठतम जीवन के अधिकारी बन जाओ... *पुरानी दुनिया के विकारी ख्यालातों को छोड़कर... सोने जैसा दमकता श्रेष्ठ जीवन अपनाओ... सुंदर संस्कारो को अपनाकर जीवन सुखो के फूलो में खिलाओ...”*
➳ _ ➳ *श्रीमत का हाथ थाम हर कदम में पद्मों की कमाई जमा करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा सच्ची शिक्षाओ को धारण कर.. सच्चाई से छलकता हुआ जीवन जीने वाली महान आत्मा बन गई हूँ...* खुबसूरत ख्यालो वाली खुबसूरत आत्मा बनकर आपकी बाँहों में मुस्करा रही हूँ... जीवन कितना प्यारा और सुंदर हो गया है...”
❉ *मीठे बाबा स्नेह प्यार की तरंगों में डुबोकर मेरे भाग्य के सितारे को चमकाते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्ची कमाई करने के सुन्दरतम दिनों में सुंदर भाग्य की कहानी लिख लो... विकारो के ख्यालातों से इस मीठे भाग्य को दाग न लगाओ... *ईश्वर पिता की खुशनुमा यादो में जीवन इस कदर गुणो से महका दो... की धर्मराज का कोई डर न रहे...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा झूठी माया की झूठी मत को छोड़ मीठे बाबा की मीठी मत पर चलते हुए कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा सच की कमाई से मालामाल होती जा रही हूँ... आपका हाथ पकड़ कर ज्ञान और योग से, मै आत्मा देवताई स्वभाव पाती जा रही हूँ...* मीठे और सच्चे दिल को पाकर बापदादा के दिलतख्त पर मुस्करा रही हूँ...”
❉ *ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से मालामाल कर पदमपति बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... मीठा बाबा अपना धाम छोड़कर... धरा पर उतर,शिक्षक बन सुख और खुशियो भरी दुनिया का अधिकारी बना रहा है... तो *हर साँस से सच्ची कमाई कर सदा के धनवान् हो जाओ... रोम रोम से सच्चाई को छलकाने वाले ईश्वरपुत्र बनकर ईश्वरीय अदा जहान में दिखाओ...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा देह के मटमैले आवरण को निकाल आत्मिक स्वरुप में मणि समान चमकती हुई कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके मीठे प्यार की बाँहों में जीकर... दुखो के दुनिया में अपनाये हर विकार से मुक्त होती जा रही हूँ... *सच्चाई भरा निर्मल और पवित्र जीवन जीने वाली... सच्ची सच्ची ब्राह्मण बन मुस्करा रही हूँ...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सच्चाई और सफाई से पहले स्वयं में धारणा कर फिर दूसरों को धारणा करानी है*"
➳ _ ➳ ब्रह्मा बाप ने हर कर्म पहले खुद करके दिखाया और अपने हर कर्म से औरों को कर्म करने की प्रेरणा देने वाले प्रेरणास्त्रोत बन अनेको आत्माओं के जीवन को परिवर्तन करने के निमित बनें। *ऐसे ब्रह्मा बाप को फॉलो करने का मन मे दृढ़ संकल्प कर मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ कि शिव बाबा मुरली के माध्यम से हम बच्चों को जो भी श्रीमत देते हैं उसे दूसरों को सिर्फ पढ़ कर नही सुनाना बल्कि अपने जीवन मे धारण कर उसे अपने हर संकल्प, बोल और कर्म में लाकर दूसरी आत्माओं को अनुभव करवाना है*।
➳ _ ➳ इसी दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ मैं जैसे ही अपने प्यारे मीठे शिव बाबा की याद में बैठती हूँ, *ऐसा अनुभव होता है जैसे अव्यक्त ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में विराजमान शिव बाबा मेरे बिल्कुल सामने आ कर बैठ गए हैं* और अपने वरदानी हस्तों को मेरे सिर के ऊपर फैलाये मुझे इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का वरदान दे रहें हैं। अपने प्यारे बापदादा को अपने बिल्कुल सामने पाकर मैं एकटक उन्हें निहारती हुई उनके वरदानों की शक्ति को स्वयं में धारण करती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ बाबा आगे बढ़कर मेरे मस्तक पर विजय का तिलक दे कर मेरी आँखों के सामने से एकदम ओझल हो जाते हैं और *बाबा के वरदानों की शक्ति को स्वयं में अनुभव करती, शक्तिशाली स्थिति में स्थित हो कर, अब मैं अपने मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ अपने स्वरूप पर और अपनी निराकारी स्थिति में स्थित हो कर अपनी बुद्धि का योग अपने निराकार शिव पिता के साथ जोड़ती हूँ*।
➳ _ ➳ ऐसा अनुभव होता है जैसे पारवतन में बैठे मेरे मीठे प्यारे शिव बाबा अपने प्रेम की डोर से सहज ही मुझे अपनी ओर खींच रहें हैं। *बिना एक पल की भी देरी किये मैं आत्मा एक चमकता सितारा बन बिल्कुल सहज रीति इस देह को छोड़ ऐसे बाहर निकल आती हूँ जैसे मक्खन से बाल*। इस देह को मैं बिल्कुल साक्षी हो कर देख रही हूँ। इससे कोई ममत्व, कोई लगाव मुझे अनुभव नही हो रहा। *एक अति सुंदर न्यारे पन का अनुभव करते हुए मैं अति सूक्ष्म चैतन्य सितारा अपनी किरणो को चारों और फैलाता हुआ अब धीरे - धीरे ऊपर आकाश की ओर चल पड़ता हूँ*।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे इस धरती के आकर्षण से मैं पूरी तरह मुक्त हो चुका हूँ। एक बल, एक शक्ति मुझे बस ऊपर की और खींच रही है और निर्बाध गति से उड़ता हुआ मैं आकाश को पार करके उससे भी ऊपर कहीं दूर उड़ता चला जा रहा हूँ। *सफेद प्रकाश से प्रकाशित सूक्ष्म फ़रिशतो की आकारी दुनिया को क्रॉस करता हुआ उससे भी ऊपर मैं एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करता हूँ जहाँ मेरे ही समान असंख्य चमकते सितारे मुझे दिखाई दे रहें हैं*। यही मेरी मंजिल, मेरा घर, मेरे पिता परमात्मा का घर है। यहीं मेरे शिव पिता रहते हैं जिनके प्रेम की शक्ति मुझे खींच कर यहाँ ले आई है।
➳ _ ➳ अपने सामने अब मैं अपने शिव पिता को एक ज्योतिपुंज के रूप में देख रही हूँ जो अपने प्रेम की किरणों की शीतल फ़ुहारें मुझ पर बरसाते हुए मेरा स्वागत कर रहें हैं और अपनी शक्तियों रूपी किरणो की बाहों को फैलाये मेरा आह्वान कर रहें हैं। *अपने शिव पिता के प्रेम की शीतल फ़ुहारों का आनन्द लेती हुई मैं उनकी सर्वशक्तियों की किरणो रूपी बाहों में समा जाती हूँ*। मेरे शिव पिता की सर्वशक्तियां मेरे अंदर समाकर मुझे शक्तिशाली बना रही हैं। बाबा की सर्वशक्तियों को स्वयं में गहराई तक समाकर अब मैं ईशवरीय सेवा अर्थ साकार लोक में वापिस लौट रही हूँ।
➳ _ ➳ बाबा के वरदान और शक्तियाँ मुझे बाबा की शिक्षाओं को धारण करने का बल प्रदान कर रही हैं। *अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित हो कर अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को बाबा का ज्ञान केवल पड़ कर नही सुनाती बल्कि उसे स्वयं में धारण कर, अनुभवीमूर्त बन, परमात्म पालना का यथार्थ अनुभव सबको करवाते हुए अब मैं निमित बन सबको सच्चा ईश्वरीय ज्ञान देने की सेवा सफ़लतापूर्वक सम्पन्न कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं हदों से पार रह सब को अपने पन की महसूसता कराने वाली अनुभवी मूर्त आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं उपराम स्थिति द्वारा उड़ती कला में उड़ते रहकर कर्म रूपी डाली के बंधन में नहीं फँसने वाली बन्धनमुक्त आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ आज सर्व श्रेष्ठ भाग्य विधाता, सर्व शक्तियों के दाता बापदादा चारों ओर के सर्व बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। चाहे मधुबन में सम्मुख में हैं, चाहे देश विदेश में याद में सुन रहे हैं, देख रहे हैं, जहाँ भी बैठे हैं लेकिन दिल से सम्मुख हैं। उन सब बच्चों को देख बापदादा हर्षित हो रहे हैं। आप सभी भी हर्षित हो रहे हो ना! *बच्चे भी हर्षित और बापदादा भी हर्षित । और यही दिल का सदा का सच्चा हर्ष सारी दुनिया के दु:खों को दूर करने वाला है। यह दिल का हर्ष आत्माओं को बाप का अनुभव कराने वाला है क्योंकि बाप भी सदा सर्व आत्माओं के प्रति सेवाधारी है और आप सब बच्चे बाप के साथ सेवा साथी हैं।* साथी हैं ना! बाप के साथी और विश्व के दु:खों को परिवर्तन कर सदा खुश रहने का साधन देने की सेवा में सदा उपस्थित रहते हो। सदा सेवाधारी हो। *सेवा सिर्फ चार घण्टा, छ: घण्टा करने वाले नहीं हो। हर सेकण्ड सेवा की स्टेज पर पार्ट बजाने वाले परमात्म-साथी हो।*
✺ *ड्रिल :- "दिल का सदा का सच्चा हर्ष अनुभव करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा रूपी सूरजमुखी फूल एकांत में बैठी हूँ... मैं मन और बुद्धि द्वारा एक बगीचे में पहुँचती हूँ... वाह! कितना सुंदर नज़ारा हैं... चारों तरफ हरियाली ही हरियाली हैं... पेड़, पौधें, पक्षी सभी मन को लुभा रहे हैं...* वहाँ सभी मनुष्यात्मायें रूपी फूलों के पास धन (जल), समय (श्वास) और मित्र-सम्बन्धी ( मिट्टी) सब हैं परंतु तब भी सब मुरझाये हुए और दुःखी हैं... क्योंकि बाबा रूपी सूरज की पवित्र किरणें उनपर नहीं पड़ी हैं...
➳ _ ➳ सभी बाबा का इंतज़ार कर रहे कि कब वो आये और हमे किरणें दें... अचानक ऊपर आकाश से बाबा रूपी सूरज की तेज़ पवित्र किरणें मुझपर पड़ती हैं और मैं अपना मुख उनकी ओर कर लेती हूँ... *जहाँ-जहाँ बाबा की किरणें पड़ रही हैं, वहाँ-वहाँ मेरा मुख होता जा रहा हैं... मेरी शक्तियों रूपी पंखुड़ियाँ खुल चुकी हैं... मैं पवित्रता की किरणों से सच्चे हर्ष का अनुभव कर रही हूँ...* मैं आत्मा भी बाप समान हर्षित हो रही हूँ...
➳ _ ➳ *मैं बाबा से किरणें लेकर उन मुरझाई हुई मनुष्यात्माओं पर न्यौछावर कर रही हूँ... हर एक आत्मा खिल उठी हैं...* जो आत्मायें काँटों से भरी हुई थी, एक ही परिवार में रहकर मुख फेर लेती थी, वह भी कोमल बन चुकी हैं... जो दुःखों के कारण रोते-रुलाते रहते थे वो आज बाबा की किरणों से बेहद हर्षित हो रहे है... अब किसी का भी चेहरा मुरझाया हुआ नहीं हैं...
➳ _ ➳ अब मैं हर सेकंड सेवा में बाबा की साथी हूँ... *मैं आत्मा अब सेवा के अलावा और कोई संकल्प नहीं चलाती हूँ... मेरी अब यही शुभ भावना रहती हैं कि सर्व आत्मायें भी बाबा के वर्से के अधिकारी बन जाए और इस रावण की दुनिया से छूट जाए...* मैं आत्मा अब कभी भी दुःखी होकर कोई भी डिस सर्विस नहीं करती हूँ... मैं सुख, शांति का अनुभव कर रही हूँ... मैं अपने पवित्र संकल्पों का प्रभाव सर्व आत्माओं तक पहुँचा रही हूँ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अमृतवेले के समय उठते ही एक स्वमान का अभ्यास करती हूँ कि मैं हर्षितमुख आत्मा हूँ... याद की शक्ति द्वारा मैं उड़ता पंछी अनुभव कर रही हूँ और सर्व आत्माओं को भी अनुभव करा रही हूँ...* कोई भी हलचल हो जाए, मैं हमेशा उस हलचल से डिटैच होकर रहती हूँ... उसको ड्रामा समझकर भूल जाती हूँ... अब मैं कोई भी अपवित्र संकल्प नहीं करती जिससे मेरी खुशी चली जाए...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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