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❍ 23 / 02 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *ध्यान की आश तो नहीं रखी ?*
➢➢ *अथॉरिटी से गीता के भगवान को सिद्ध किया ?*
➢➢ *अपने भरपूर स्टॉक द्वारा सबको शुभभावना - शुभ कामना की गिफ्ट दी ?*
➢➢ *मेहनत के साथ महानता और रूहानियत का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *समय प्रमाण अब मन्सा और वाचा की इकट्ठी सेवा करो।* लेकिन वाचा सेवा सहज है, मन्सा में अटेन्शन देने की बात है इसलिए *सर्व आत्माअों के प्रति मन्सा में शुभ भावना, शुभ कामना के संकल्प हों। बोल में मधुरता, सन्तुष्टता, सरलता की नवीनता हो तो सहज सफलता मिलती रहेगी।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं 'अंगद' के समान अचल-अडोल स्थिति में रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अचल अडोल स्थिति में रहने वाली 'अंगद' के समान श्रेष्ठ आत्मायें हैं, इसी नशे और खुशी में रहो। *क्योंकि सदा एक के रस में रहने वाले, एकरस स्थिति में रहने वाले सदा अचल रहते हैं।*
〰✧ जहाँ एक होगा वहाँ कोई खिटखिट नहीं। दो होता तो दुविधा होती। एक में सदा न्यारे और प्यारे। *एक के बजाए दूसरे कहाँ भी बुद्धि न जाये। जब एक में सब कुछ प्राप्त हो सकता है तो दूसरे तरफ जाएं ही क्यों!* कितना सहज मार्ग मिल गया।
〰✧ *एक ही ठिकाना, एक से ही सर्व प्राप्ति और चाहिए ही क्या! सब मिल गया बस जो चाहना थी, बाप को पाने की वह प्राप्त हो गया तो इसी खुशी में नाचते रहो, खुशी के गीत गाते रहो। दुविधा में कोई प्राप्ति नहीं इसलिए एक में ही सारा संसार अनुभव करो।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ ऑर्डर करो सूक्ष्मवतन जाना है, निराकारी वतन में जाना है तो तीनों लोकों में जब चाहे मन को पहुँचा सकते हो? है प्रैक्टिस? अभी इस अभ्यास की आवश्यकता ज्यादा है। *बापदादा ने देखा है अभ्यास तो करते हो लेकिन जब चाहे, जितना समय चाहे एकाग्र हो जाए, अचल हो जाए, हलचल में नहीं आये, इसके ऊपर और अटेन्शन।* जो गायन है मन जीत जगत जीत, अभी कभी-कभी मन धोखा भी दे देता है।
〰✧ तो बापदादा आज के समर्थ दिवस पर यही समर्थी विशेष अटेन्शन मे दे रहे हैं। *हे स्वराज्य अधिकारी बच्चे, अभी इस विशेष अभ्यास को चलते-फिरते चेक करो क्योंकि समय प्रमाण अभी अचानक के खेल बहुत देखेंगे।* इसके लिए एकाग्रता की शक्ति आवश्यक है। एकाग्रता की शक्ति से दृढ़ता की शक्ति भी सहज आ जाती है और दृढ़ता सफलता स्वत: प्राप्त कराती है।
〰✧ तो विशेष समर्थ दिवस पर इस समर्थी का अभ्यास विशेष अटेन्शन में रखो। इसलिए भक्ति मार्ग में भी कहते हैं मन के हारे हार, मन के जीते जीता तो जब मेरा मन कहते हो, तो मेरे के मालिक बन शक्तियों की लगाम से विजय प्राप्त करो। *इस नये वर्ष में इस होमवर्क पर विशेष अटेन्शन! इसी को ही कहा जाता है योगी तो हो लेकिन अभी प्रयोगी बनो।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ स्नेही बनने लिए क्या करना पड़ेगा? *जितना जो विदेही होगा उतना वो स्नेही होगा। तो विदेही बनना अर्थात् स्नेही बनना क्योंकि बाप विदेही है ना।* ऐसे ही देह में रहते विदेही रहने वाले सर्व के स्नेही रहते हैं। *यही नोट करना है कितना विदेही रहते है।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- गीता शास्त्र निराकारी मत का शास्त्र है, साकारी मत का नहीं, यह बात सिद्ध करना"*
➳ _ ➳ *कोई आने की आहट ना हुई.... इस तरह से दिल में आए हो...* ये गीत सुनते हुए मैं आत्मा शिव पिता के प्यार में मगन हो जाती हूँ और मिलन मनाने पहुंच जाती हूँ परमधाम... मैं आत्मा परमधाम में बिंदु बन, बिंदु शिव पिता के साथ मिलन मना रही हूँ... *उनसे निकलती अनन्त सर्वशक्तियों की किरणें मुझ बिंदु आत्मा पर पड़ रही हैं... इन किरणों के पड़ने से मैं आत्मा एकदम हल्की होती जा रही हूँ...* मेरा स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली व चमकदार बनता जा रहा है... अपने मीठे बाबा की सर्वशक्तियों को स्वयं में समा कर मैं आत्मा शक्तियों का पुंज बनती जा रही हूँ... *परमात्म लाइट मुझ में समा कर मुझे लाइट माइट स्वरूप में स्थित करती जा रही हैं...*
❉ *गीता ज्ञान दाता शिव पिता गहरी समझानी देते हुए कहते है :-* "मीठे समझदार बच्चे मेरे... कलियुग के इस अंत में शिव पिता सच्चा गीता ज्ञान सुनाने है आया... ये बात तुम सबको बताओ... *सबके जीवन से अज्ञान अन्धेरा मिटाओ...अज्ञान निद्रा से उनको जगाओ... गीता का भगवान कौन ये तुम सिद्ध कर बताओं..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ज्ञान सागर पिता की हर समझानी को गहरे से दिल में समाते हुए कहती हूँ :-* "मीठे-मीठे ज्ञान सागर बाबा मेरे... आपकी हर बात को अच्छे से समझ दिल रूपी डायरी में नोट्स बना रही हूँ... *कलियुग के अंत में कल्याणकारी गीता ज्ञान दाता शिव पिता है धरा पर आया...* ये बात हर आत्मा को बता रही हूँ... आप से मिली ज्ञान की इस रोशनी से सबके जीवन से अज्ञान अंधकार मिटा रही हूँ... शिव ही गीता का भगवान ये सिद्ध कर बतला रही हूँ..."
❉ *मीठे बाबा ज्ञान का प्रकाश डालते हुए मुझ आत्मा से कहते है :-* "मीठे कल्प पहले वाले बच्चे मेरे... *गीता में बाप के बदले बच्चे का नाम डालकर कितना है मनुष्य ने खुद को भटकाया...* इस एक भूल के कारण ही है दुर्गति को पाया... और गीता शास्त्र को साकारी मत का बताया... इस एक भूल से अपने जीवन को है कौड़ी तुल्य बनाया..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ज्ञान प्रकाश से भरपूर हो ज्ञान प्रकाश चारों ओर फैलाते हुए कहती हूँ :-* "मीठे दिल के सच्चे सहारे बाबा मेरे... गहरे से आपकी समझानी को अन्दर समा रही हूँ... गीता का भगवान देवता श्री कृष्ण नहीं... परमात्मा शिव है... ये अन्तर सबको बता रही हूँ... *परमात्मा शिव रचयिता और श्रीकृष्ण उनकी रचना है ये सिद्ध कर बता रही हूँ...* और दुर्गति से सदगति की ओर उनको ले जा रही हूँ... मुक्ति और जीवनमुक्ति की राह सबको दिखा रही हूँ..."
❉ *मीठे लाडले बाबा मुझ आत्मा को ज्ञान खजानों से भरते हुए कहते है :-* "मीठे-मीठे प्यारे बच्चे मेरे... *सब सत्यों में सत्य महान शिव है गीता का भगवान... ये नारा अब हर दिल तक पहुचाओं...* गीता के भगवान से उनको रुबरु कराओं... गीता है निराकारी मत का शास्त्र अब ये युक्ति से सिद्ध कर बताओं..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ज्ञान खजाने से स्वयं को भरपूर करते हुए कहती हूँ :-* "प्राण प्यारे ओ बाबा मेरे... सब सत्यों मे सत्य महान शिव है गीता का भगवान... ये सत्य प्रकाश चारों ओर फैला रही हूँ... गीता के भगवान से सबको रूबरू करा रही हूँ... *गीता शास्त्र निराकारी मत का है बड़ी युक्ति से सबको सिद्ध कर बता रही हूँ...* और इस प्रकार आपकी प्रत्यक्षता का झंडा फहरा रही हूँ..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- ऑथोरिटी से गीता के भगवान को सिद्ध करना है*"
➳ _ ➳ प्रभु मिलन के लिए तरस रही इन अंखियों की प्यास बुझाने के लिए, अपने प्रभु से मिलन मनाने, मन बुद्धि के विमान पर बैठ मैं पहुँच जाती हूँ परमात्मा की अवतरण भूमि मधुबन में जहाँ परमात्म मिलन मानने हजारों ब्राह्मण आत्मायें आ कर उपस्थित हुई हैं। *महाशिवरात्रि का पावन पर्व और पूरा मधुबन अपने प्यारे प्रभु के आगमन के लिए दुल्हन के समान सजा हुआ बहुत ही आकर्षक लग रहा है*। दूर - दूर से आई ब्राह्मण आत्मायें गीता के भगवान अपने प्यारे प्रभु से मिलन मनाने के लिए मौन भट्टी और योग भट्टी में रह, विशेष तपस्या कर रही हैं।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे मधुबन के डायमंड हॉल में अव्यक्त फ़रिशतो की विशेष सभा लगी हुई है। इस इंद्र सभा मे बैठे सभी फ़रिश्ते उस पल का इंतजार कर रहें हैं जब भगवान अपने रथ पर विराजमान होकर उनके सामने होगा। *सामने स्टेज पर भगवान के निर्धारित रथ गुलजार दादी जी विराजमान हैं। अपनी सम्पूर्ण अवस्था प्राप्त कर रही दादी जी को हजारों ब्राह्मण आत्माये दुआयें दे रही हैं जो उन्हें भगवान से मिलाने के निमित बनी*। प्रभु प्रेम में मग्न दादी जी जैसे भगवान का ही स्वरूप दिखाई दे रही हैं। डायमंड हॉल में उपस्थित सभी ब्राह्मण आत्मायें अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर अव्यक्त बापदादा का आह्वान कर रही हैं।
➳ _ ➳ अपनी अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर अपने प्यारे प्रभु की याद में मग्न मैं देख रही हूँ मन बुद्धि रूपी नेत्रों से उस खूबसूरत दृश्य को कि कैसे *परमधाम से सर्वशक्तिवान भगवान अपनी सर्वशक्तियाँ बिखेरते हुए नीचे आ रहें है और सूक्ष्म वतन में आकर अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि पर विराजमान होकर अब अव्यक्त बापदादा सूक्ष्म वतन से नीचे आ रहें हैं और मधुबन के डायमंड हाल में अपने निर्धारित रथ गुलजार दादी के तन में प्रवेश कर रहें हैं*। बापदादा की पधरामणि होते ही दादी जी का चेहरा एक दिव्य आभा से दमकने लगा है। एक दिव्य तेज उनके मुखमण्डल पर दिखाई दे रहा है।
➳ _ ➳ बापदादा के आते ही सेकेंड में पूरे हॉल में जैसे एक तेज करेन्ट दौड़ने लगा है। शक्तियों के वायब्रेशन पूरे हॉल में फैल गए है और पूरा हॉल एक विशाल शांति कुंड बन गया है। एक गहन शान्ति चारों ओर छाई हुई है। *दादी जी के नयनों से अपने एक - एक बच्चे को निहारते साक्षात भगवान को मैं देख रही हूँ और सोच रही हूँ कितने पदमापदम सौभाग्य शाली है हम ब्राह्मण बच्चे जिन्हें साक्षात भगवान से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है*। सभी ब्राह्मण बच्चे अपने प्यारे बापदादा से मीठी दृष्टि ले रहे हैं और बड़े प्यार से दादी जी के मुखकमल से उच्चारित होने वाले अपने प्यारे बापदादा के मधुर महावाक्य सुन रहें हैं।
➳ _ ➳ सारे विश्व के सभी ब्राह्मण बच्चों को संगठित रूप में फुल अथॉरिटी से गीता के भगवान को सिद्ध करने का लक्ष्य देते हुए बापदादा इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अब सभी बच्चों को अपनी शक्तिशाली दृष्टि से विशेष बल दे रहे हैं। *अपने साकार रथ को छोड़ अब अव्यक्त बापदादा अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होकर विश्व की सर्व ब्राह्मण आत्माओं को विशेष लाइट और माइट दे रहें हैं*। अपनी सर्वशक्तियों से अपने एक - एक ब्राह्मण बच्चे को बापदादा भरपूर कर रहें हैं। बापदादा की लाइट माइट पाकर सभी ब्राह्मण आत्मायें अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो गई हैं।
➳ _ ➳ सभी रूहानी मौज में डूबे हुए, बापदादा के स्नेह में समाए हुए फ़रिश्ते अब ऑथोरिटी से गीता के भगवान को सिद्ध करने के लिए पूरे विश्व मे चक्कर लगा कर, विश्व की सर्व आत्माओ को परमात्म अवतरण का सन्देश दे रहें हैं। *ब्राह्मणों का शक्तिशाली संगठन युक्ति से घर - घर जाकर हर एक को गीता के भगवान का संदेश दे रहा है। नई - नई युक्तियां निकाल कर अपने पिता परमात्मा से बिछुड़े अपने आत्मा भाइयों को मिलाने की सेवा में सभी लगे हुए हैं*। अखबारों द्वारा, टेलीविजन द्वारा, मीडिया द्वारा घर - घर मे बाबा का संदेश पहुँच रहा हैं। परमात्म मदद से सभी एक दो सहयोग देते, उमंग उत्साह से गीता के भगवान को सिद्ध कर, भगवान को प्रत्यक्ष करने के महान कार्य को सम्पन्न कर रहें हैं।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अपने भरपूर स्टॉक द्वारा सबको शुभभावना-शुभ कामना की गिफ्ट देने वाली मास्टर भाग्य विधाता आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं मेहनत के साथ महानता और रूहानियत का अनुभव करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ वर्तमान समय माया के विशेष दो रूप बच्चों का पेपर लेते हैं। जानते हो? जानते तो हो। एक व्यर्थ संकल्प, विकल्प नहीं, व्यर्थ संकल्प। दूसरा भी सुनायें क्या? दूसरा है ‘मैं ही राइट हूँ’। जो किया, जो कहा, जो सोचा... मैं कम नहीं, राइट हूँ। *बापदादा समय के प्रमाण अब यही चाहते - एक शब्द सदा स्मृति में रखो - बाप से हुई सर्व प्रप्तियों का, स्नेह का, सहयोग का रिटर्न करना है। रिटर्न करना अर्थात् बाप समान बनना। दूसरा - अब हमारी रिटर्न-जर्नी (वापसी यात्रा) है।* एक ही शब्द रिटर्न सदा याद रहे। इसके लिए बहुत सहज साधन है - *हर संकल्प, बोल और कर्म को ब्रह्मा बाप से टेली करो।* बाप का संकल्प क्या रहा? बाप का बोल क्या रहा? बाप का कर्म क्या रहा? इसको ही कहा जाता है फालो फादर। फालो फादर करना तो सहज होता है ना!
➳ _ ➳ *नया सोचना, नया करना उसकी आवश्यकता है ही नहीं, जो बाप ने किया वह फालो फादर।* सहज है ना! अभी-अभी निराकारी, अभी-अभी फरिश्ता बापदादा वाली एक्सरसाइज याद है? अभी-अभी निराकारी, अभी-अभी फरिश्ता... यह है चलते फिरते बाप और दादा के प्यार का रिटर्न। *तो अभी-अभी यह रूहानी एक्सरसाइज करो। सेकण्ड में निराकारी, सेकण्ड में फरिश्ता।* (बापदादा ने ड्रिल कराई) अच्छा - चलते-फिरते सारे दिन में यह एक्सरसाइज बाप की सहज याद दिलायेगी।
✺ *ड्रिल :- "हर संकल्प, बोल और कर्म में फालो फादर करने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *मैं एक ब्राह्मण आत्मा हूँ... मैं आत्मा परमात्मा की श्रेष्ठ रचना हूँ... भाग्यविधाता की भाग्यशाली संतान हूँ...* मैं आत्मा बापदादा की छत्रछाया के नीचे अपना पुरुषार्थ कर रही हूँ... *मैं बाप समान और फॉलो फादर करने वाली आत्मा हूँ...* इस साकारी ब्राह्मण तन से निकल कर मैं आत्मा अपने सूक्ष्म वतन की ओर चलती हूँ... अपने वतन में पहुंच कर मैं आत्मा असीम सुख और शांति का अनुभव कर रही हूँ... बापदादा मेरे सम्मुख खड़े हैं, उनको देखते ही मैं आत्मा उनके गले लग जाती हूँ... *बाबा ने अपने रूई से कोमल हाथ मेरे मस्तक पर रख दिए... बाबा का स्पर्श मिलते ही मैं आत्मा भी एकदम रूई समान हल्की होकर उड़ने लगी हूँ...* बाबा से शक्ति की किरणें मुझ आत्मा पर निरंतर प्रवाहित हो रही है जिससे मैं आत्मा बाबा के समान मास्टर सर्व शक्तिमान बन रही हूँ... बाबा ने मुझे अपने वरदानी बोल से शिक्षाएँ दे रहे हैं... *बच्ची हमेशा बाप को फॉलो करो... उनके बोल, संकल्प, और कर्मों को फॉलो करो... तुम्हें कुछ भी नया करने की जरूरत नहीं है... सिर्फ कदम पे कदम रखते हुए आगे बढ़ो...* मुझ आत्मा ने हाँ जी कह कर पक्का वादा किया कि आज से बाबा *मैं आत्मा सिर्फ और सिर्फ "सी फादर और फॉलो फादर ही कर करूँगी...* मैं आत्मा बाबा की शिक्षाओं से भरपूर होकर वापस उड़ कर पहुँच जाती हूँ अपने स्थूल वतन...
➳ _ ➳ मैं आत्मा लाइट - माइट हाउस फरिश्ता बाबा से प्राप्त शिक्षाओं से संपन्न होकर विश्व के ग्लोब पर बैठ जाती हूँ... *मैं फरिश्ता सारे विश्व की आत्माओं का आह्वान करती हूँ... सारे विश्व की आत्माएँ मेरे सामने मर्ज हो रही है... मैं फरिश्ता सारी आत्माओं को अपने नैनो और मस्तक से सर्व शक्तियों के वायब्रेशन दे कर भरपूर कर रही हूँ...* सर्व आत्माओं को व्यर्थ मुक्त बना रही हूँ... बाबा के बच्चों को समझा रही हूँ कि *माया विशेष दो रूप से पेपर लेती है... एक तो व्यर्थ संकल्प और दूसरा मैं ही राइट हूँ’...* जो किया... जो कहा... जो सोचा... मैं कम नहीं... राइट हूँ... इस तरह के माया के प्रभाव से बचने के लिए एक ही बात याद रखती हूँ... *जो भी मैं आत्मा कर रही वो सब करावनहार बाबा है मैं आत्मा तो सिर्फ निमित्त मात्र हूँ...* सब आत्माएँ इस बात को अच्छे से धारण कर रही है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा समय के प्रमाण सेवा करते हुए एक ही शब्द सदा स्मृति में रखती हूँ... जो भी मुझे प्राप्त है वो सब बाबा से प्राप्त हुआ है... *मैं आत्मा बाबा से प्राप्त सर्व प्राप्तियों का... स्नेह का... सहयोग का... रिटर्न कर रही हूँ... जिससे मैं आत्मा बाप समान बनना रही हूँ...* अब मुझ आत्मा की रिटर्न-जर्नी (वापसी यात्रा) है... इसके लिए बाबा ने बहुत ही सहज साधन बताया है... हर संकल्प... बोल... और कर्म में ब्रह्मा बाबा को फॉलो करो... अब मैं आत्मा शिव बाबा के कहे अनुसार ब्रह्मा बाबा को फॉलो कर रही हूँ...
➳ _ ➳ जिस तरह ब्रह्मा बाबा ने कर्म किए... बिना थके दिन - रात यज्ञ सेवा में दिया उसी तरह मैं आत्मा भी *ब्रह्मा बाबा के कदम पे कदम रखते हुए आगे बढ़ रही हूँ... मैं आत्मा कुछ भी नया नहीं सोच रही हूँ और ना ही कुछ नया कर रही हूँ... जो बाबा ने किया और कहा है उसी को फालो कर रही हूँ... जिससे मुझ आत्मा के पुरुषार्थ में रफ्तार आ गयी है...* अब मैं आत्मा हमेशा फॉलो फादर ही कर रही हूँ... *फॉलो फादर करना अति सहज है...*
➳ _ ➳ जब भी मैं आत्मा अपने कर्म क्षेत्र पर जाती हूँ तो बापदादा की करायी हुई ड्रिल अभी-अभी निराकारी... अभी-अभी फरिश्ता को करती हूँ और एक सेकंड में भरपूर हो जाती हूँ... अभी-अभी निराकारी... *अभी-अभी फरिश्ता... इस ड्रिल को चलते फिरते करना माना बाप और दादा के प्यार का रिटर्न देना...* मैं आत्मा चलते-फिरते सारे दिन में यह एक सेकंड की एक्सरसाइज कर रही हूँ... जिससे बाबा की याद सहज और निरंतर बनी रहती है... *मैं आत्मा एक सेकेन्ड की ड्रिल से दिन भर खुद को रिफ्रेश अनुभव कर रही हूँ... और बाबा की याद से बिजी देख माया भी मुझ आत्मा से दूर ही भाग जाती है...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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