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❍ 05 / 11 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अपनी रीफायीन बुधी से बाप का शो किया ?*
➢➢ *पहले स्वयं में धारण कर फिर दूसरों को सुनाया ?*
➢➢ *सबको अमर ज्ञान से अकाले मृत्यु के भय से छुडाया ?*
➢➢ *याद और सेवा का बैलेंस रख सर्व की दुआएं प्राप्त की ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ हर समय नवींनता का अनुभव करते औरों को भी नये उमंग-उत्साह में लाना। खुशी में नाचना और बाप के गुणों के गीत गाना। *मधुरता की मिठाई से स्वयं का मुख मीठा करते दूसरों को भी मधुर बोल, मधुर संस्कार, मधुर स्वभाव द्वारा मुख मीठा कराना।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं पद्मापद्म भाग्यवान आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को पद्मापद्म भाग्यवान अनुभव करते हो? *सारे कल्प में ऐसा श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त हो नहीं सकता। क्योंकि भविष्य स्वर्ग में भी इस समय के पुरुषार्थ की प्रालब्ध के रूप में राज्यभाग्य प्राप्त करते हो। भविष्य भी वर्तमान भाग्य के हिसाब से मिलता है। महत्व इस समय के भाग्य का है।*
〰✧ *बीज इस समय डालते हो और फल अनेक जन्म प्राप्त होता है। तो महत्व तो बीज का गिना जाता है ना। इस समय भाग्य बनाना या भाग्य प्राप्त होना - यह बीज बोना है।*
〰✧ *तो इस अटेन्शन से सदा पुरुषार्थ में तीव्रगति से आगे बढ़ते चलो और सदा इस समय के पद्मापद्म भाग्य की स्मृति इमर्ज रूप में रहे, कर्म करते हुए याद रहे कर्म में अपना श्रेष्ठ भाग्य भूले नहीं। स्मृतिस्वरुप रहो। इसको कहते हैं पद्मापद्म भाग्यवान।* इसी स्मृति के वरदान को सदा साथ रखना, तो सहज ही आगे बढ़ते रहेंगे, मेहनत से छूट जायेंगे।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ जैसे स्थूल कर्मेन्द्रियाँ आपके कन्ट्रोल में हैं। आँख को वा मुख को बंद करना चाहो तो कर सकते हो। ऐसे मन और बुद्धि को उसी स्थिति में स्थित कर सको जिसमें चाहो। *अगर फरिश्ता बनना चाहें तो सेकण्ड में फरिश्ता बनो - ऐसा अभ्यास है या टाइम लगता है?*
〰✧ क्योंकि हलचल जब बढ़ती है तो ऐसे समय पर कौन-सी स्थिति बनानी पडेगी? आकारी या निराकारी। साकार देहधारी की स्थिति पास होने नहीं देगी, फेल कर देगी। अभी भी देखो - *किसी भी हलचल के समय अचल बनने की स्थिति 'फरिश्ता स्वरूप' या ‘आत्म-अभिमानी' स्थिति ही है।*
〰✧ यही स्थिति हलचल में अचल बनाने वाली है। तो क्या अभ्यास करना है? आकारी और निराकारी। जब चाहें तब स्थित हो जाएँ - *इसके लिए सारा दिन अभ्यास करना पडे, सिर्फ अमृतवेले नहीं।* बीच-बीच में यह अभ्यास करो। (पार्टियों के साथ)
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *अभी अलबेलेपन का समय नहीं है। बहुत समय अलबेला पुरुषार्थ किया।* अब जो किया सो किया। फिर यह स्लोगन याद दिलायेंगे जो आप लोग औरों को सुनाते हो- 'अब नहीं तो कब नहीं'। *अगर अब न करेंगे तो फिर कब करेंगे? फिर कब हो नहीं सकेगा। इसलिए स्लोगन भी याद रखना*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अपना तन-मन-धन इंश्योर करना"*
➳ _ ➳ *जाना है हमें अपने परमधाम जहाँ देह ना है ना देह का ज्ञान... जाना है हमें अपने परमधाम...* इस गीत को सुनते ही मैं आत्मा टिक जाती हूँ अपने सत्य स्वरूप में... अपने सत्य स्वरुप में टिककर मैं आत्मा इस देह को छोड़कर अब ऊपर की ओर जा रही हूँ... *मैं चमकती हुई ज्योति आकाश मंडल को पार करती हुए जा रही हूं... अपने घर परमधाम... गोल्डन प्रकाश से प्रकाशित, संपूर्ण शांति से भरपूर यह मेरा घर है...* मेरे सामने है सुख के दाता, आनंद के सागर मेरे मीठे प्यारे बाबा ... उनके सानिध्य में, मैं असीम सुख और शांति का अनुभव कर रही हूं... उनसे निकल रहे शक्तिशाली प्रकंपन मुझे असीम आनंद से भरपूर कर रहे हैं... उन से आ रही सर्व शक्तियों की किरणे मुझे शक्तिशाली बना रही हैं... *मेरे प्यारे बाबा के प्रेम की शीतल छाया मुझे अतींद्रिय सुखमय स्थिति का अनुभव करवा रही है...* मैं आत्मा एक शिव पिता की लगन में मगन हो जाती हूँ...
❉ *बाबा मुझ आत्मा को विश्व कल्याण की भावनाओं से ओत-प्रोत करते हुए कहते है :-* लाडले विश्व कल्याणकारी बच्चे मेरे... ईश्वर पिता ने आकर है आपके जीवन को अथाह सुख-शांति से है सजाया... सर्व प्राप्तियों से है आपको सम्पन्न बनाया... बन रूहानी सोशल वर्कर तुम इस सुख-शांति को पूरी दुनिया मे फैलाओं... *हर आत्मा को सुखों की अमीरी से भर आओ...*
➳ _ ➳ *मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा विश्व कल्याण की भावना से सम्पन्न होकर कहती हूँ :-* मेरे दिल के सहारे सच्चे मनमीत बाबा मेरे... कितना ऊँचा कितना शानदार है आपने मुझ आत्मा का भाग्य बनाया... सच्ची सुख -शांति से है इस जीवन को सजाया... *बन अब मैं आत्मा रूहानी सोशल वर्कर सुखों की अमीरी से हर आत्मा को सजा रही हूँ... विश्व सेवाधारी बन पूरी दुनिया को सुख-शांति-पवित्रता से सम्पन्न बना रही हूँ...*
❉ *बाबा मुझ आत्मा को सर्व आत्माओं के कल्याण का रूहानी अहसास देकर कहते है :-* मीठे सच्चे सेवाधारी बच्चे मेरे... *पवित्रता की धरोहर से जीवन को श्रेष्ठ बनाकर क्या से क्या बन रहे हो... यह प्राप्ति औरों को भी कराओं...* सबके जीवन को आप समान खुशियों से महकाओं... सफल कर अपना तन-मन-धन तुम... इस दुनिया को सुख-शांति पवित्रता से सम्पन्न बनाओ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा विश्व कल्याण के मीठे रूहानी अहसासों से भरकर कहती हूँ :-* मीठे-मीठे रत्नागर बाबा मेरे... पवित्रता ही सुख-शांति का आधार है... इस सत्य से सबको रूबरू करा रही हूँ... सबके जीवन को आप समान खुशियों से महका रही हूँ... *सफल कर अपना तन-मन-धन सबकों ईश्वरीय सुखों से सम्पन्न बना रही हूँ...*
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को जिम्मेवारी का ताज पहनाकर कहते है :-* मीठे लाडले दिलतख्तनशीन बच्चे मेरे... *लगाकर अपना तन-मन-धन इस रूहानी सच्ची सेवा में अपना और दूसरों का भाग्य उज्जवल बनाओं...* अपने आत्मा भाईयों का तुम सोया भाग्य जगाओं... पवित्रता के फूलों से उनके जीवन को महकाओं... रूहानी सोशल वर्कर बन अब ये कमाल बच्चे कर दिखलाओं...
➳ _ ➳ *मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा जिम्मेवारी का ताज पहन कर कहती हूँ :-* मीठे प्यारे जादूगर बाबा मेरे... तन-मन-धन इस ईश्वरीय सेवा में लगा कर अपना और दूसरों का भाग्य चमका रही हूँ... देकर सबको ईश्वरीय पैगाम... सुखमय जीवन की सच्ची राह दिखा रही हूँ... *पवित्रता के फूलों से उनके जीवन को महका रही हूँ... इस प्रकार सच्ची सुख शांति पवित्रता से दुनिया को सम्पन्न बना रही हूँ...*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- रूहानी सोशल वर्कर बन सबको रूहानी यात्रा सिखानी है*"
➳ _ ➳ स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने रूहानी पण्डा बन जो रूहानी यात्रा हम बच्चों को सिखलाई है, उस यात्रा पर रहने के लिए एक दो को सावधानी देते आगे बढ़ना और बढ़ाना ही हम ब्राह्मण बच्चों का कर्तव्य है। *अपने आश्रम में, बाबा के कमरे में बैठी मैं मन ही मन यह विचार करते हुए बाबा का आह्वान करती हूँ और बाबा के साथ कम्बाइंड हो कर वहाँ उपस्थित अपने सभी ब्राह्मण भाईयों और बहनों को मनसा सकाश देते हुए ये संकल्प करती हूँ कि यहाँ उपस्थित मेरे सभी ब्राह्मण भाई बहन एक दो को सहयोग देते, इस रूहानी यात्रा पर निरन्तर आगे बढ़ते रहें* और ऐसे ही आगे बढ़ते और दूसरों को बढ़ाते जल्दी ही सारे विश्व की सभी ब्राह्मण आत्मायें संगठित रूप से एकमत होकर बाबा को प्रत्यक्ष करने का कार्य सम्पन्न करें।
➳ _ ➳ इसी संकल्प के साथ, स्वयं को अपने प्यारे बाबा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करते, *अपने ब्राह्मण सो फरिश्ता स्वरुप में स्थित हो कर, मैं फरिश्ता अब बापदादा के साथ कम्बाइंड होकर ऊपर की ओर उड़ते हुए मधुबन की पावन धरनी पर पहुँचता हूँ जो परमात्मा की अवतरण भूमि है*। जहाँ भगवान साकार में आ कर अपने ब्राह्मण बच्चों से मिलन मनाते हैं, उनकी पालना करते हैं और परमात्म प्यार से उन्हें भरपूर करते हैं। *इस पावन धरनी पर आकर अब मैं देख रहा हूँ करोड़ो ब्राह्मण आत्मायें यहां उपस्थित है और सभी एक दूसरे के प्रति आत्मा भाई - भाई की रूहानी दृष्टि, वृति रख, अपने रूहानी शिव पिता के प्रेम की लग्न में मग्न हैं*।
➳ _ ➳ सभी ब्राह्मण बच्चों के स्नेह की डोर बाबा को अपनी ओर खींच रही है और बच्चो के स्नेह में बंधे भगवान को भी अपना धाम छोड़ कर नीचे आना पड़ता है। मन बुद्धि रूपी नेत्रों से मैं देख रही हूँ, बाबा परमधाम से नीचे आ रहें है। *सूक्ष्म वतन से होते हुए अपने आकारी रथ पर विराजमान हो कर बापदादा अब मधुबन की उस पावन धरनी पर हम बच्चों के सामने आ कर उपस्थित होते हैं*। सभी ब्राह्मण बच्चे अब अपने पिता परमात्मा से मिलन मनाने का आनन्द ले रहे हैं। बापदादा अपने एक - एक अमूल्य रत्न को नजर से निहाल कर रहें हैं। एक - एक करके सभी ब्राह्मण बच्चे बाबा के पास जा कर बाबा से दृष्टि और वरदान ले रहें हैं।
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता भी बापदादा से दृष्टि और वरदान लेने के लिए उनके पास पहुंचता हूँ और उनकी ममतामयी गोद में जा कर बैठ जाता हूँ। अपनी स्नेह भरी दृष्टि से बाबा मुझे निहार रहें हैं। बाबा की दृष्टि से बाबा के सभी गुण मुझ में समाते जा रहें हैं। *बाबा की शक्तिशाली दृष्टि मुझमें एक अलौकिक रूहानी नशे का संचार कर रही हैं । जिससे मैं फरिश्ता असीम रूहानी आनन्द का अनुभव कर रहा हूँ*। बाबा के हाथों का मीठा - मीठा स्पर्श मुझे बाबा के अपने प्रति अगाध प्रेम का स्पष्ट अनुभव करवा रहा है ।
➳ _ ➳ मैं बाबा के नयनो में अपने लिए असीम स्नेह देख कर गद गद हो रहा हूँ और साथ ही साथ बाबा के नयनों में अपने हर ब्राह्मण बच्चे के लिए जो आश है कि सभी एक दो को सावधान करते इस रूहानी यात्रा पर सदा आगे बढ़े। *बाबा की इस आश को जान, मन ही मन बाबा को मैं प्रोमिस करता हूँ कि इस रूहानी यात्रा पर एक दो को सावधान करते, मैं निरन्तर आगे बढ़ता ओर बढाता रहूँगा*। बाबा मेरे मन के हर संकल्प को पढ़ते हुए, अपना वरदानी हाथ मेरे मस्तक पर रख मुझे सदा विजयी रहने का वरदान दे रहें हैं।
➳ _ ➳ अपने सभी ब्राह्मण बच्चो को नजर से निहाल करके, वरदानो से भरपूर करके, अपने मीठे मधुर महावाक्यों द्वारा अपने सभी बच्चों को मीठी समझानी देकर अब बाबा सभी बच्चों को याद की रूहानी यात्रा पर चलने की ड्रिल करवा रहें है। *मैं देख रही हूँ सभी ब्राह्मण आत्मायें सेकेंड में अपनी साकारी देह को छोड़ निराकारी आत्मायें बन रूहानी दौड़ में आगे जाने की रेस कर रही हैं। सभी का लक्ष्य इस रूहानी दौड़ में आगे बढ़ने का है और सभी अपने पुरुषार्थ के अनुसार नम्बरवार इस लक्ष्य को प्राप्त कर अपनी मंजिल पर पहुंच रही हैं*।
➳ _ ➳ सभी आत्मायें इस रूहानी यात्रा को पूरा कर अब परमधाम में अपने प्यारे बाबा के सम्मुख बैठ उनसे मिलन मना रही हैं। परमात्म शक्तियों से स्वयं को भरपूर कर रही हैं। *शक्ति सम्पन्न बन कर अब सभी आत्मायें वापिस अपने साकारी ब्राह्मण स्वरूप में लौट रही है और सभी एक दो को सावधान करते, एक दूसरे को सहयोग देते अपनी रूहानी यात्रा पर निरन्तर आगे बढ़ रही हैं*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सब को अमर ज्ञान दे अकाले मृत्यु के भय से छुड़ाने वाली शक्तिशाली सेवाधारी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं याद और सेवा का बैलेंस रख कर सर्व की दुआयें प्राप्त करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. आज बापदादा ने बच्चों की बातें बहुत सुनी हैं। बापदादा को हँसाते भी हैं, कहते हैं ट्रैफिक कन्ट्रोल 3 मिनट नहीं होता, शरीर का कन्ट्रोल हो जाता है, खड़े हो जाते हैं, *नाम है मन के कन्ट्रोल का* लेकिन मन का कन्ट्रोल कभी होता, कभी नहीं भी होता। *कारण क्या है? कन्ट्रोलिंग पावर की कमी। इसे अभी और बढ़ाना है।* आर्डर करो, जैसे हाथ को ऊपर उठाना चाहो तो उठा लेते हो। क्रेक नहीं है तो उठा लेते हो ना! *ऐसे मन, यह सूक्ष्म शक्ति कन्ट्रोल में आनी है। लाना ही है। आर्डर करो - स्टाप तो स्टाप हो जाए।* सेवा का सोचो, सेवा में लग जाए। परमधाम में चलो, तो परमधाम में चला जाये। सूक्ष्मवतन में चलो, सेकण्ड में चला जाए। जो सोचो वह आर्डर में हो। अभी इस शक्ति को बढ़ाओ। छोटे-छोटे संस्कारों में, युद्ध में समय नहीं गंवाओ, आज इस संस्कार को भगाया, कल उसको भगाया। *कन्ट्रोलिंग पावर धारण करो तो अलग-अलग संस्कार पर टाइम नहीं लगाना पड़ेगा।* नहीं सोचना है, नहीं करना है, नहीं बोलना है। स्टाप। तो स्टाप हो जाए। *यह है कर्मातीत अवस्था तक पहुंचने की विधि।*
➳ _ ➳ 2. इस अवस्था से सेवा भी फास्ट होगी। क्यों? एक ही समय पर *मन्सा शक्तिशाली, वाचा शक्तिशाली, संबंध-सम्पर्क में चाल और चेहरा शक्तिशाली। एक ही समय पर तीनों सेवा बहुत फास्ट रिजल्ट निकालेगी* ऐसे नहीं समझो कि इस साधना में सेवा कम होगी, नहीं। सफलता सहज अनुभव होगी। और सभी जो भी सेवा के निमित्त हैं अगर संगठित रूप में ऐसी स्टेज बनाते हैं तो मेहनत कम और सफलता ज्यादा होगी। तो विशेष अटेन्शन कन्ट्रोलिंग पावर को बढ़ाओ। *संकल्प, समय, संस्कार सब पर कन्ट्रोल हो। बहुत बार बापदादा ने कहा है - आप सब राजे हो।* जब चाहो जैसे चाहो, जहाँ चाहो, जितना समय चाहो ऐसा मन बुद्धि ला और आर्डर में हो। आप कहो नहीं करना है, और फिर भी हो रहा है, कर रहे हैं तो यह ला और आर्डर नहीं है। *तो स्वराज्य अधिकारी अपने राज्य को सदा प्रत्यक्षस्वरूप में लाओ।*
➳ _ ➳ *तीन मास का अभ्यास सदाकाल का अनुभवी बना देगा।* अगर अपने उमंग-उत्साह से किया तो। मजबूरी से किया 3 मास पास करने हैं, फिर तो सदाकाल का नहीं होगा। *लेकिन उमंग-उत्साह से किया तो सदाकाल के लिए अनादि अविनाशी संस्कार इमर्ज हो जायेंगे।* समझा।
✺ *ड्रिल :- "कन्ट्रोलिंग पावर से कर्मातीत स्थिति प्राप्त करने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं संगमयुगी ब्राह्मण आत्मा... स्वस्थिति की ओर ध्यान केंद्रित करती हूँ... रोम-रोम प्रभु संग... आनंद मिलन... मंगल मिलन की कहानी सुना रहा है... कितनी श्रेष्ठ तकदीर की लकीर है... ईश्वर के साथ कभी उड़ रही हूँ... कभी खेल रही हूँ... तो कभी गा रही हूँ... ईश्वर ने स्वयं मुझ आत्मा का सर्वशक्तियोंं से श्रृंगार किया है... *सर्वशक्तियों व सर्वगुणों की रंगबिरंगी मणियाँ... मेरे मस्तक पर चमक रही हैं...* मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा... अपनी कंट्रोलिंग पावर का बढ़ते हुए अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ *सूक्ष्म कर्मेंद्रियों को कंट्रोल करके... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी बन गई हूँ...* सूक्ष्म शक्तियों को... परमधाम जाने का आर्डर करती हूँ... एक सेकेंड में ही ज्योतिस्वरूप... प्रकाशमय सितारा बन... परमधाम पहुंच जाता हूँ... स्वयं को शिव बाबा के सम्मुख अनुभव कर रहा हूँ... *गहरी शांति... लाखों सूर्य सा तेज... दिव्यता का सागर मेरे बाबा...* मुझ पर सर्वशक्तियों की सर्वगुणों की किरणें बरसा रहे हैं... भरपूर होता मैं सितारा... और भी जगमगाने लगा हूँ... कुछ देर यहीं स्थित होकर... इस स्थिति का आनन्द ले रहा हूँ... अब अपनी पाँच तत्वों की इस देह में प्रवेश करता हूँ...
➳ _ ➳ मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा... अब अपने मन और बुद्धि को सूक्ष्मवतन में जाने का ऑर्डर देती हूँ... यह एक सेकंड में सफेद प्रकाश की... फरिश्तों की दुनिया में पहुँच जाता है... बापदादा से दृष्टि लेती हुई... सुखों की लहरों में समा जाती हूँ... *आंखें कान सभी... केवल बाबा को ही देख और सुन रहे हैं...* मन-बुद्धि... बाबा की श्रीमत पर ही चल रहे हैं... अब पाँच तत्वों की साकार दुनिया में... पार्ट बजाने के लिए आ जाती हूँ... *सर्व प्रकार की अधीनता समाप्त हो गई है... देह के दास से देह की मालिक बन कर...* सुख... शांति तथा सर्व गुणों से संपन्न हो रही हूँ...
➳ _ ➳ इन छोटी सी कर्मेंद्रियों के जाल के विस्तार को बिंदी लगा रही हूँ... बिंदी बन... बिंदी में ही सब समा रही हूँ... बेहोशी के जाल से... पूर्ण रुप से मुक्त हूँ... स्वतंत्र हूँ... माझी रूपी अधिकारी आत्मा बन... नैया को परीक्षाओं की लहरों से... खेलते खेलते मज़े से पार कर रही हूँ... जैसे चाहूँ वैसे ही... अपने स्थूल व सूक्ष्म शक्तियों को... कार्य में लगा रही हूँ... अधीनता के संस्कार को परिवर्तित कर... *मनसा, वाचा शक्तिशाली... चाल और चेहरा भी शक्तिशाली बन कर... सेवाओं में सफलतामूर्त अनुभव कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ कर्मेंद्रियों की राज्य अधिकारी मैं आत्मा... अपनी राज्य सत्ता अनुभव कर रही हूँ... हर कर्मेंद्री जी हाज़िर... जी हजूर करते हुए... मेरी प्रजा बनकर सिर झुकाकर... मुझे सलाम कर रही है... *मैं राज्य अधिकारी... इन का दरबार हर रोज लगाती हूँ...* समय, संकल्प, संस्कार... सभी मुझ मास्टर सर्वशक्तिवान के कंट्रोल में है... शक्ति रूपी सेनानी सदा तैयार रहने से... उमंग उत्साह से भरपूर हूँ... *योगयुक्त रहकर कर्म करते हुए... कर्मों के बंधनों से मुक्त हो गई हूँ... कर्मातीत अवस्था का अनुभव कर...* कर्मातीत स्टेज के आसन पर विराजमान हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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