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 21 / 11 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अव्यभिचारी पिताव्रता होकर रहे ?*

 

➢➢ *विचार सगर मंथन कर अल्फ को सिद्ध किया ?*

 

➢➢ *स्व उन्नति का यथार्थ चश्मा पहन एक्साम्प्ल बनकर रहे ?*

 

➢➢ *हदों को सर्व वंश सहित समाप्त करने का पुरुषार्थ किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *कोई भी कर्म करते सदैव यही स्मृति रहे कि हर कर्म में बापदादा मेरे साथ भी है और हमारे इस अलौकिक जीवन का हाथ उनके हाथ में है अर्थात् जीवन उनके हवाले है। फिर जिम्मेवारी उनकी हो जाती है।* सभी बोझ बाप के ऊपर रख अपने को हल्का कर दो तो कर्मयोगी फरिश्ता बन जायेंगे।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं कल्प पहले वाली भाग्यवान आत्मा हूँ"*

 

  *'बाप ने सारे विश्व में से हमें चुनकर अपना बना लिया' - यह खुशी रहती है ना।*

 

  *इतने अनेक आत्माओंमें से मुझ एक आत्मा को बाप ने चुना - यह स्मृति कितना खुशी दिलाती है! तो सदा इसी खुशी से आगे बढ़ते चलो।*

 

  *बाप ने मुझ अपना बनाया क्योंकि मैं ही कल्प पहले वाली भाग्यवान आत्मा थी, अब भी हूँ और फिर भी बनूँगी - ऐसी भाग्यवान आत्मा हूँ। इस स्मृति से सदा आगे बढ़ते चलो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  (बापदादा ने ड्रिल कराई) *एवररेडी हो?* अभी-अभी बापदादा कहें *सब इकट्ठे चलो तो चल पडेगे?* कि सोचेंगे कि फोन करें, टेलीग्राम करें कि हम जा रहे हैं? टेलीफोन के ऊपर लाइन नहीं लगेगी? आपके घर वाले सोचेंगे कहाँ गये फिर?

 

✧  *सेकण्ड में आत्मा चल पडी* - है तो अच्छा ना कि याद आयेगा कि अभी तो एक सबजेक्ट में कमजोर हूँ? अच्छा, यह याद आयेगा कि चीजों को सिर्फ ठिकाने लगाकर आऊँ? सिर्फ इतल्ला करके आऊँ कि हम जा रहे हैं?

 

✧  यह सोच थोड-थोडा चलेगा? नहीं। सभी बंधन मुक्त बनेंगे। *अभी से चेक करो कि कोई सोन का, चांदी का धागा तो नहीं है?* लोहा मोटा होता है तो दिखाई देता है लेकिन ये सोना और चांदी आकर्षित कर लेता है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *जो मनसा के महादानी होंगे उनके संकल्प में इतनी शक्ति होती है जो संकल्प किया उसकी सिद्धि मिली।* तो मनसा महादानी संकल्पों की सिद्धि को प्राप्त करने वाला बन जाता है। जहाँ चाहे वहाँ संकल्पों को टिका सकते हैं। *संकल्प के वश नहीं होंगे लेकिन संकल्प उनके वश होता है।* जो संकल्पों की रचना रचे, वह रच सकता है। जब संकल्प का विनाश करना चाहें तो विनाश कर सकते हैं। *तो ऐसे महादानी में संकल्पों के रचने, संकल्पों को विनाश करने और संकल्पों की पालना करने की तीनों ही शक्ति होती हैं। तो यह है मनसा का महादान। ऐसे ही समझो मास्टर सर्वशक्तिवान का प्रत्यक्ष स्वरूप दिखाई देता है।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

*✺   "ड्रिल :- पावन बन गति-सदगति के लायक बनना”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा समुन्दर के किनारे बैठ सागर की लहरों को निहारती हुई पवित्रता के सागर बाबा को याद करती हूँ... जिसने खिवैया बन पतवार को अपने हाथों में लेकर... मझधार में डूबती हुई मेरी नैया को किनारे लगा दिया...* पवित्रता के सागर में कई जन्मों की अपवित्रता को धोकर पवित्र बना दिया... पत्थरबुद्धि से पारसबुद्धि बना दिया... मेरे जीवन के खारेपन को दूर कर मीठा बना दिया... मैं आत्मा ऐसे मीठे बाबा के पास पहुँच जाती हूँ वतन में...

 

  *पवित्रता का सागर प्यारा बाबा पवित्रता की किरणों को फैलाते हुए कहते हैं:-* "मेरे लाडले बच्चे... खिलते फूल जेसे मुस्कराते जीवन को पवित्रता से ही पा सकोगे... ईश्वर पिता वही पावनता से सजाने आया है.. पिता की मीठी यादो से खूबसूरत तकदीर सदा के लिए बन जायेंगी... *मीठा बाबा सोई तकदीर को जगाकर महकाने आया है... पावन बनाकर पावन दुनिया का वर्सा देने आया है... सदगति देने आया है..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा पवित्रता की किरणों के झरने में नहाते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपनी फूल से तकदीर को देहभान के नशे में काँटों से भर चली थी... *मीठे बाबा आपने आकर मेरा सोया भाग्य जगाया है... पावन बनाकर मेरा सुंदर जीवन सजाया है..."*

 

  *पवित्रता के चमकीले हीरों से सजाते हुए मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *मिटटी के मटमैले रिश्तो ने स्वयं को देह समझने से खूबसूरत तकदीर दुखो का पहाड़ बन गयी... अब मीठा बाबा फिर से सुनहरी सुंदरता से भरने धरा पर उतर आया है...* पवित्रता के श्रृंगार से तकदीर को सुखो से महकाने आया है..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा रूहानियत की खुशबू से महकते हुए कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा विश्व पिता से मिलकर पवित्रता से जगमगाने लगी हूँ... *मेरी पवित्रता विश्व में चहुँ ओर फैल रही है... मेरा भाग्य खिला गुलाब बन सारे विश्व में खुशबु बिखेर रहा है..."*

 

  *मेरा बाबा सर्व सुखों को मेरे झोली में डालते हुए कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *मीठे बाबा की मीठी यादो में खो जाओ... सच्चे माशूक को हर साँस संकल्प में बसा लो... और इन मीठी यादो में सोई तकदीर को सारे सुखो से भरपूर बना दो...* सच्चे पिता के साथ से पावन बनकर विश्व के मालिक बन मुस्कराओ..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा फ़रिश्ते समान पवित्र सुनहरे रंगों में सजते हुए हर्षित होकर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपकी यादो में देह के मटमैलेपन से मुक्त हो सुनहरे पवित्र रंग में रंगती जा रही हूँ...* मेरा पावन दमकता स्वरूप देख देख मै आत्मा प्यारे बाबा पर निहाल होती जा रही हूँ..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- विचार सागर मन्थन कर अल्फ को सिद्ध करना है*"

 

_ ➳  ज्ञान दाता परम पिता परमात्मा ने आकर जो सत्य ज्ञान हम ब्राह्मणों को देकर अज्ञान अंधकार में भटकने से जैसे हमे छुड़ाया है ऐसे ही *अज्ञान अंधकार में भटक रहे अपने सभी आत्मा भाइयों को यह ज्ञान देना और ज्ञानदाता बाप को प्रत्यक्ष करना ना केवल हर ब्राह्मण आत्मा का कर्तव्य ही है बल्कि ज्ञानदाता अपने प्यारे पिता परमात्मा के प्रति उनके स्नेह का रिटर्न भी है*। यही कर्तव्य अब मुझे करना है। परम पिता परमात्मा द्वारा रचे इस रुद्र ज्ञान यज्ञ में दधीचि ऋषि मिसल हड्डी - हड्डी स्वाहा कर, तन - मन - धन से इस ईश्वरीय सेवा में लग जाना है।

 

_ ➳  स्वयं से यह दॄढ प्रतिज्ञा कर, मन ही मन विचार सागर मन्थन कर, मैं सेवा की नई - नई युक्तियाँ सोचते - सोचते मन बुद्धि से पहुँच जाती हूँ उस वरदान भूमि पर जहाँ बाबा के निमित बने हुए, श्रेष्ठ, सिकीलधे बच्चे अपने भगवान बाप को प्रत्यक्ष करने के लिए  सेवा के नए - नए प्लैन्स बनाने के लिए मीटिंग करते रहते हैं। *मधुबन की उस पावन धरनी पर बैठी, मन में ज्ञानदाता अपने प्यारे बाबा को प्रत्क्षय करने का संकल्प लिए, अपने प्यारे बाबा की याद में बैठे - बैठे मैं अनुभव करती हूँ जैसे बाबा वतन में बैठ मुझे याद कर रहें हैं*। अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण कर मैं चल पड़ती हूँ अपने प्यारे बापदादा के पास उनके अव्यक्त वतन की ओर।

 

_ ➳  आबू की खूबसूरत पहाड़ियों को क्रॉस कर, आकाश से होता हुआ मैं फरिश्ता, अव्यक्त वतन में प्रवेश करता हूँ। *सफेद प्रकाश से प्रकाशित फरिश्तो की इस खूबसूरत दुनिया में पहुँच कर मैं देखता हूँ बापदादा के सामने उनके सभी निमित बने हुए सिकीलधे यज्ञ रक्षक ब्राह्मण बच्चे उपस्तिथ है*। फरिश्तो की जैसे एक बहुत सुन्दर सभा लगी हुई है। सभी को बापदादा सेवा के प्लैन्स की बधाई दे रहें हैं और साथ ही साथ आने वाले समय प्रमाण सेवा में कौन सी एडिशन करनी है, यह भी समझा रहें हैं। बापदादा अपने सभी विश्व कल्याणकारी *ब्राह्मण सो फ़रिश्ता बच्चों को इस नयें ज्ञान को जल्दी से जल्दी सारे विश्व के आगे प्रत्यक्ष करने का फरमान दे रहें हैं। क्योंकि जब तक यह प्रत्यक्ष नही होता कि " यह ज्ञान नयां है " तब तक ज्ञानदाता बाप की प्रत्यक्षता कैसे हो सकती है*!

 

_ ➳  बापदादा के फरमान अनुसार सभी ब्राह्मण बच्चे अब इसी एक संकल्प में स्थित हैं कि इस नयें ज्ञान को और ज्ञान दाता बाप को अब जल्दी से जल्दी प्रत्यक्ष करना है। इस संकल्प को सिद्ध करने के लिए बापदादा अपनी हजारों भुजाओं को फैला कर सभी फरिश्तो को "सफलतामूर्त भव" का वरदान दे रहें हैं। *बापदादा के हस्तों से वरदानी पुष्पों की वर्षा हो रही है। सभी बच्चे उमंग उत्साह में झूम रहें हैं। अपनी लाइट माइट से बापदादा सभी बच्चों में बल भर रहें हैं*। विजय का तिलक मस्तक पर लगाये, शक्तियों के अवतार बन कर अब सभी फ़रिश्ते इस ईश्वरीय कार्य को सम्पन्न करने के लिए विश्व ग्लोब पर बैठ, संकल्प शक्ति से मनसा सकाश द्वारा विश्व की सर्व आत्माओं को यह नयां ज्ञान और परमात्म अवतरण का सन्देश दे रहें हैं।

 

_ ➳  इस बेहद की विहंग मार्ग की सेवा को करके अब सभी फ़रिश्ते साकार सृष्टि पर लौट रहे हैं। अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर सभी ब्राह्मण संगठित रूप में अब इस नये ज्ञान और ज्ञानदाता को प्रत्यक्ष करने का दृढ़ संकल्प लेकर इस ईश्वरीय सेवा में एकजुट होकर लग गए हैं। *सभी घर - घर जाकर ज्ञान की ऑथॉरिटी से इस बात को सिद्ध कर रहें हैं कि यह कोई साधारण ज्ञान नही है बल्कि स्वयं भगवान इस ज्ञान के ज्ञानदाता हैं और वे स्वयं सारी दुनिया को अज्ञान अंधकार से निकाल ज्ञान के सोझरे में ले जाने के लिए आये हैं*। अखबारों द्वारा, टेलीविजन द्वारा, मीडिया द्वारा घर - घर  में इस नए ज्ञान का प्रचार हो रहा है। परमात्म मदद से सभी एक दो सहयोग देते, उमंग उत्साह से इस नये ज्ञान को और ज्ञानदाता भगवान को प्रत्यक्ष करने के महान कार्य को सम्पन्न कर रहें हैं।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मै स्वउन्नति का यथार्थ चश्मा पहन एक्जैम्पुल बनने वाली अलबेलेपन से मुक्त्त आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं हदों को सर्व वंश सहित समाप्त करके बेहद की बादशाही के नशे में रहने वाला बेफिक्र बादशाह हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा का *हर एक बच्चे से बहुत-बहुत-बहुत प्यार है।* ऐसे नहीं समझें कि हमारे से बापदादा का प्यार कम है। *आप चाहे भूल भी जाओ लेकिन बाप निरन्तर हर बच्चे की माला जपते रहते हैं।* क्योंकि बापदादा को हर बच्चे की विशेषता सदा सामने रहती है। कोई भी बच्चा विशेष न होयह नहीं है। *हर बच्चा विशेष है|* बाप कभी एक बच्चे को भी भूलता नहीं हैतो *सभी अपने को विशेष आत्मा हैं और विशेष कार्य के लिए निमित्त हैं,* ऐसे समझ के आगे बढ़ते चलो। 

 

✺   *ड्रिल :-  "विशेष आत्मा होने का अनुभव"*

 

 _ ➳  आज मैं आत्मा बाबा कि याद में खोई हुई हूँ... मुझ आत्मा को *परमात्म प्यार की सौगात मिली हैं...* वाह मेरा भाग्य कि परमात्मा भगवान को *मुझ आत्मा से बहुत बहुत प्यार हैं...* मैं कितनी भाग्यशाली आत्मा हूँ जिसको सारी दुनिया में सबसे विशेष भगवान का प्यार मिला हैं... वाह मेरा भाग्य वाह... ये प्यार कोटो में कोई और कोई में भी कोई को प्राप्त होता हैं... भगवान ने मुझ लकी आत्मा को *अपने प्यार के लिए चुना हैं…* उसकी सर्वशक्तियां, सर्व ख़जाने मुझ आत्मा के पास हैं...

 

 _ ➳  परमात्मा ने मुझे अपना बना के *अपना सर्वस्व मुझे दिया हैं...* और उससे भी सबसे खास मुझ आत्मा को परमातम प्यार मिला हैं... सारी दुनिया तो विनाशी प्यार के पीछे दौड़ रही है पर मुझ *आत्मा को सच्चा सच्चा परमातम प्यार मिला हैं...* सारी दुनियाँ जिसे कण कण में ढूढ़ रही है वो स्वयं मुझे मिला हैं... मैं आत्मा अपने भाग्य के कितने ना गीत गाऊं... ये सच्चा सच्चा परमात्म प्यार सारे कल्प में एक ही बार मुझ आत्मा को मिला हैं... बाबा का *प्यार कभी भी कम नहीं होता* और भगवान का प्यार मुझ आत्मा के लिए बढता ही रहता हैं... बाबा हर समय मुझे याद करते रहते हैं कि *बच्चे देखो मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ...*

 

 _ ➳  बाबा मुझ आत्मा को निरंतर याद करते हैं और मैं आत्मा भी बाबा को निरंतर याद करती हूँ... वाह मुझ आत्मा का भाग्य जो *स्वयं भगवान मुझे याद करते हैं...* मैं आत्मा उनकी प्यार में पल रही हूँ... मैं आत्मा अपने परम पिता को भूल से भी नहीं भूल सकती हूँ... और उनकी *ममता और स्नेह में पल रही हूँ...* मैं आत्मा कितनी विशेष हूँ कि *परमात्मा मुझे याद करते हैं...* कोई ना कोई विशेषता परमात्मा ने मुझ आत्मा को दी हैं...

 

 _ ➳  तीनों लोको, *तीनों कालों का ज्ञान मुझ आत्मा में हैं... जो इस संगम पर मुझे मिला हैं... बाबा का हर बच्चा विशेष आत्मा हैं...* और बाबा ने अपने हर बच्चे कि विशेषताओ को अपने प्यार से और भी ज्यादा निखारा हैं... वाह बच्चे वाह जो परमात्मा भी उन्हें भूलता नहीं हैं... मैं आत्मा *परमात्म प्यार कि अधिकारी* बन गई हूँ... वाह मेरा भाग्य जो परमात्मा मेरे साथ हैं...

 

 _ ➳  मैं आत्मा मन में *परमातम प्यार का अनुभव कर* रही हूँ... भगवान ने मुझ आत्मा को अपना कहा है... माँ की ममता और *पिता का स्नेह मुझ आत्मा को परम-पिता से मिल रहा है...* भगवान ने अपने कार्य में मुझ आत्मा को सहयोगी बनाया हैं... और मैं *आत्मा फॉलो फादर* करते हुए आगे बढती जा रही हूँ... मुझ आत्मा की *जन्मों कि प्यास बुझ गई* जो *परमात्मा का प्यार मुझे मिल गया*... वाह बाबा वाह... वाह मेरा भाग्य वाह...

 

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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