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 18 / 11 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *बेहद की तकदीर को जीवन के कर्म की तस्वीर में लाये ?*

 

➢➢ *बाप को बेकबोन समझ तन-मन-धन से विश्व कल्याण की सेवा में बिजी रहे ?*

 

➢➢ *बेहद की स्टेज पर स्थित हो विश्व की सर्व आत्माओं को सकाश दी ?*

 

➢➢ *सदा एकरस, अखंड ज्योति के समान जगे हुए दीपक बनकर रहे ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  संघठित रूप में शक्तिशाली वायुमण्डल बनाने की जिम्मेवारी समझकर रहना। *जब देखो कि कोई व्यक्त भाव में ज्यादा है तो उनको बिना कहे अपना ऐसा अव्यक्ति शान्त रूप धारण कर लो जो वह इशारे से समझकर शान्त हो जाए, इससे वातावरण अव्यक्त बन जायेगा।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं परिवर्तन शक्ति द्वारा सबसे दुआयें लेने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*

 

  *सदा परिवर्तन शक्ति को यथार्थ रीति से कार्य में लगाने वाली श्रेष्ठ आत्मा हो ना। इसी परिवर्तन शक्ति से सर्व की दुआयें लेने के पात्र बन जाते।* जैसे घोर अन्धकार जब होता है, उस समय कोई रोशनी दिखा दे तो अन्धकार वालों के दिल से दुआयें निकलती हैं ना।

 

  ऐसे जो यथार्थ परिवर्तन शक्ति को कार्य में लगाते हैं, उनको अनेक आत्माओं द्वारा दुआयें प्राप्त होती हैं और सबकी दुआयें आत्मा को सहज आगे बढ़ा देती हैं। *ऐसे, दुआयें लेने का कार्य करने वाली आत्मा हूँ - यह सदा स्मृति में रखो तो जो भी कार्य करेंगे, वह दुआयें लेने वाला करेंगे। दुआयें मिलती ही हैं श्रेष्ठ कार्य करने से।*

 

  *तो सदा यह स्मृति रहे कि 'सबसे दुआयें लेने वाली आत्मा हूँ'- यही स्मृति श्रेष्ठ बनने का साधन है, यही स्मृति अनेकों के कल्याण के निमित्त बन जाती हैं। तो याद रखना कि परिवर्तन शक्ति द्वारा सर्व की दुआयें लेने वाली आत्मा हूँ।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *एक बल, एक भरोसा - ऐसी श्रेष्ठ आत्मा हैं, ऐसे अनुभव करते हो?* एक बल, एक भरोसा है या अनेक बल, अनेक भरोसे हैं? एक बल कौन-सा है? साइलेन्स का बल, योग का बल। आज साइन्स की शक्ति का प्रभाव है लेकिन वह भी निकली कहाँ से? शान्ति की शक्ति से निकली ना?

 

✧  एक बाप में भरोसा अर्थात निश्चय होने से यह साइलेन्स का बल, योग का बल स्वतः ही अनुभव होता है तो साइलेन्स की शक्ति वाले हैं, योग बल वाले हैं - यह स्मृति रहती है? *शान्ति की शक्ति सर्व श्रेष्ठ शक्ति है।* क्योंकि और सभी शक्तियाँ कहाँ से निकलती हैं? शान्ति की शक्ति से ना!

 

✧  तो शान्ति की शक्ति द्वारा जो चाहो वह कर सकते हो। असम्भव को भी सम्भव कर सकते हो। *जो दुनिया वाले आज असम्भव कहते हैं आपके लिए वह सम्भव है ना!* तो सम्भव होने के कारण सहज लगता है। मेहनत नहीं लगती।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  अभी तो बापदादा साथ चलने के लिए सूक्ष्मवतन में अपना कर्तव्य कर रहे हैं लेकिन यह भी कब तक? जाना तो अपने ही घर में है ना? इसलिए अभी जल्दी-जल्दी अपने को ऊपर की स्थिति में स्थित करने का प्रयत्न करो। *साथ चलना, साथ रहना और फिर साथ में राज्य करना है ना? साथ कैसे होगा? समान बनने से। समान नहीं बनेंगे तो साथ कैसे होगा? अभी साथ उड़ना है, साथ रहना है- यह स्मृति रखो तब अपने को जल्दी समान बना सकेंगे।* नहीं तो कुछ दूर पड़ जायेंगे। वायदा भी है ना कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ ही राज्य करेंगे!

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

*✺   "ड्रिल :- संगमयुग की श्रेष्ठ वेला"*

 

_ ➳  *संगम का युग... मिलन का युग... मिलन, संगम... आत्मा परमात्मा का... सजनी साजन का... हसीन मुसाफिर और परिजादो का... शमा और परवानो का... सूरज, चांद, सितारों का...* कितना ही तो यह हसीन, खूबसूरत, सुहावना, मौजों का युग है...जहां फिर से एक बार कल्प पहले बिछड़े बच्चे अपने पिता से मिलते हैं...जहां फिर से आत्माओं को अपने कटे हुए पंखों की पुनः प्राप्ति होती हैं... जहां फिर से पतित नरक दुनिया को स्वर्ग बनाने एक बार धरा पर फिर से परमात्मा का अवतरण होता हैं...

 

   *खूबसूरत संगम युग की स्मृतियों में खोई... मुझ आत्मा को... पिताश्री प्यार से पुचकारते हुए बोले:-* "मीठी लाडली बच्ची... अब अपनी झोली पूर्ण रुप से भर लो... लूट लो संगम के सभी खजानों को... *यह वही लूटने का युग... मौजों का युग... भाग्य बनाने का युग हैं... इस समय भाग्य बनाने कि कलम मैंने  तुम्हारे ही हाथों में सौपी हैं... तो जैसा चाहो वैसा भाग्य बना लो...* देखो कहीं समय बीत ना जाए..."

 

_ ➳  *बाबा को संगम की श्रेष्ठ प्राप्तियों के लिए धन्यवाद करती मैं आत्मा बोली:-* "हां बाबा... मैं आत्मा आपसे पूरा वर्सा ले रही हूं... इतनी सब प्राप्तियों को पा मैं आत्मा... प्राप्ति स्वरूप हो गई हूं... किस-किस प्राप्ति का वर्णन में बयां करूं... *मन खुशियों के गीत गा रहा है बाबा... सर्व प्राप्तियों से भरपूर मैं आत्मा... मास्टर दाता बन... इन खजानों को लूटा बेहद की कमाई में व्यस्त हूं..."*

 

   *मीठी प्यार भरी मुस्कान देते बाबा बोले:-* "हां बच्चे... इसी तरह सदा भरपूर रहो... खुश रहो... और अविनाशी कमाई कमाते रहो... *सदैव स्मृति रहे... हम खुश नहीं रहेंगे तो और कौन रहेगा!... हम संगम की मौज हम नहीं लेंगे... तो फिर और कौन लेगा?... देवी-देवता सदा हर्षित दिखाते हैं... तुम्हें भी समृति रहे हम ही भविष्य में वह देवी-देवता बनने जा रहे है..."*

 

_ ➳  *कंबाइंड स्वरुप में स्थित बाप के साथ का अनुभव करती  मैं आत्मा बाबा से बोली:-* "बाबा... खुशियों की लहरों में मैं आत्मा जैसे खो गई हूं बाबा... *आहा! कितनी आनंदमय ये स्तिथि हैं... दूर-दूर तक गम का कोई नाम निशान नही... पुरानी दुनिया जैसी भूल सी गई है बस याद है तो संगम की प्राप्तिया... जिसे अनुभव करते-करते मैं आत्मा बाबा अनुभवी मूर्त बन गई हूं..."*

 

   *मीठी प्यार भरी दृष्टि देते हुए बाबा बोले:-* *"मीठी बच्ची... गोप गोपियों के सुख के आगे सभी सुख फीके हैं बच्ची... यह वही सुख है जिसका भक्ति मार्ग में गायन है... यह वही रासलीला है जो इस समय मैं बाप तुम बच्चो संग... इस धरा पर कर रहा हूं...* यह वही कल्याणकारी युग है जहां फिर से तुम आत्माओं का श्रृंगार हो रहा हैं... तुम हसीन परिज़ादे बन रहे हो..."

 

_ ➳  *उमंग उत्साह से उत्साहित मैं आत्मा बाबा से कहती हूं:-* *"सचमुच बाबा... ऐसा सुहावना, अनोखा युग... पूरे कल्प में नहीं होगा... जहां परमात्मा बाप और आत्मा रूपी बच्चे साथ-साथ पाठ बजाते... साथ-साथ खाते... मौज लूटते... साथ-साथ घर जाते हैं...* कदम कदम पर बाप से श्रीमत लेते... बाप से पढ़ते... मीठी मुरली सुनते...  वाह बाबा वाह मेरा भाग्य... वाह भाग्य विधाता..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बेहद की स्टेज पर स्थित हो विश्व की सर्व आत्माओं को साकाश देना*"

 

 _ ➳  सर्व आत्माओं के प्रति कल्याण की वृत्ति रखने वाले दया के सागर शिव परमपिता परमात्मा की सन्तान मैं आत्मा भी उनके समान सर्व आत्माओं पर रहम करने वाली मास्टर विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँइस स्मृति में स्थित हो कर विश्व की सर्व आत्माओं का कल्याण करने हेतू अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को मैं धारण कर लेती हूँ और *स्वयं को सर्वशक्तियों से सम्पन्न करने के लिए सर्व गुणों और सर्वशक्तियों के दाता अपने शिव बाप के पास चल पड़ती हूँ*। अपने लाइट के सूक्ष्म शरीर में मैं स्वयं को साकारी देह से बिलकुल अलग एकदम हल्का और निर्बन्धन अनुभव कर रही हूँ। कितनी न्यारी और प्यारी अवस्था है। कोई भारीपन, कोई बोझ नही। हल्केपन की इस स्थिति में अब मैं धीरे - धीरे ऊपर उड़ रही हूँ।

 

 _ ➳  पूरी दुनिया का भ्रमण करते, इस कलयुगी दुनिया के दिल को दहलाने वाले करुण दृश्यों को मैं देखती जा रही हूँ। विकारों के वशीभूत हो कर सभी एक दूसरे को दुःख दे रहें हैं। क्षण भर की शान्ति की तलाश में दर - दर भटक रहे है किंतु शान्ति से कोसों दूर है। *रोती, बिलखती, दुःख से पीड़ित आत्माओं को देखता हुआ मैं फ़रिशता कलयुगी दुनिया से बाहर आ जाता हूँ औऱ आकाश को पार कर जाता हूँ*। उससे भी ऊपर और ऊपर उड़ते हुए मैं सफेद प्रकाश की एक अति सुंदर मन को लुभाने वाली दुनिया में प्रवेश करता हूँ जहाँ चारों और प्रकाश की काया वाले फ़रिश्ते ही फ़रिश्ते हैं। पाँच तत्वों से बनी कोई भी वस्तु यहाँ नही है।

 

 _ ➳  अपने सामने मैं अव्यक्त बापदादा को देख रहा हूँ जो स्वागत की मुद्रा में अपनी दोनों बाहों को फैला कर खड़े हुए हैं। बाबा के अति तेजस्वी मुख मण्डल पर फैली दिव्य मुस्कराहट मुझे सहज ही अपनी और आकर्षित कर रही है। *बिना एक क्षण की भी देरी किये मैं दौड़ कर बापदादा के पास जाता हूँ और उनकी बाहों में समा जाता हूँ*। बाबा मुझे अपनी बाहों में भर लेते हैं और अपना असीम स्नेह मुझ पर लुटाने लगते हैं। अपनी सर्वशक्तियों से बाबा मुझे भरपूर कर देते हैं। *परमात्म बल मेरे अंदर भर कर मुझे असीम ऊर्जावान और शक्तिवान बना कर अब बाबा मुझे विश्व की सर्व आत्माओं का कल्याण करने की जिम्मेवारी दे कर अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख देते हैं*।

 

 _ ➳  परमात्म बल से भरपूर हो कर और बापदादा से वरदान ले कर मैं फ़रिशता विश्व की सर्व आत्माओं का कल्याण करने हेतु अब विश्व ग्लोब पर आ कर बैठ जाता हूँ और बापदादा का आह्वान करता हूँ। *बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर, बाबा से आ रही सर्वशक्तियों को स्वयं में भर कर इन शक्तियों को अब मैं विश्व ग्लोब पर बैठ पूरे विश्व मे फैला रहा हूँ*। विकारो की अग्नि में जलने के कारण दुखी और अशांत हो चुकी आत्माओं पर ये शक्तियाँ शीतल फुहारों के रूप में बरस रही हैं और उन्हें गहन शीतलता का अनुभव करवा रही है। शीतलता की अनुभूति करवाने के साथ - साथ अब मैं फ़रिशता उन आत्माओं को परमात्म परिचय दे कर उन्हें सदा के लिए दुःखो से छूटने का उपाय बता रहा हूँ।

 

 _ ➳ परमात्मा का परिचय पाकर और परमात्म प्यार का अनुभव करके सभी आत्मायें प्रसन्न हो रही हैं। उनके चेहरों की मुस्कराहट वापिस लौट आई है। हर आत्मा का चेहरा रूहानियत से चमकने लगा है।  ईश्वरीय ज्ञान के महत्व को सर्व आत्मायें स्वीकार कर रही है। *परमात्म परिचय दे कर सर्व आत्माओं का कल्याण कर, अब मैं अपने सूक्ष्म शरीर के साथ वापिस साकारी दुनिया मे लौट आती हूँ और अपने साकारी तन में विराजमान हो कर अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित हो जाती हूँ*। सर्व आत्माओं के प्रति कल्याणकारी वृति रखते हुए, मास्टर विश्व कल्याणकारी बन अब मैं सबको बाप का परिचय दे कर उनका कल्याण हर समय करती रहती हूँ।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं लगन की अग्नि में सब चिंताओं को समाप्त करने वाली निश्चयबुद्धि निश्चिन्त आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं ऐसी अचल अडोल आत्मा हूँ जो किसी भी प्रकार की समस्या बुद्धि रूपी पांव को हिला ना सके ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  वह प्रकृति का खेल तो देख लिया। लेकिन बापदादा पूछते हैं कि आप लोगों ने सिर्फ प्रकृति का खेल देखा या अपने उड़ती कला के खेल में बिजी रहेया सिर्फ समाचार सुनते रहे? समाचार तो सब सुनना भी पड़ता है, परन्तु जितना समाचार सुनने में इन्ट्रेस्ट रहता है *उतना अपनी उड़ती कला की बाजी में रहने का इन्ट्रेस्ट रहाकई बच्चे गुप्त योगी भी हैंऐसे गुप्त योगी बच्चों को बापदादा की मदद भी बहुत मिली है और ऐसे बच्चे स्वयं भी अचलसाक्षी रहे और वायुमण्डल में भी समय पर सहयोग दिया।* जैसे स्थूल सहयोग देने वालेचाहे गवर्मेन्टचाहे आस-पास के लोग सहयोग देने के लिए तैयार हो जाते हैं,

 

 _ ➳  ऐसे *ब्राह्मण आत्माओं ने भी अपना सहयोग - शक्तिशान्ति देने कासुख देने का जो ईश्वरीय श्रेष्ठ कार्य हैवह किया?* जैसे वह गवर्मेन्ट ने यह कियाफलाने देश ने यह किया... फौरन ही अनाउन्समेंट करने लग जाते हैंतो बापदादा पूछते हैं - आप ब्राह्मणों ने भी अपना यह कार्य किया? *आपको भी अलर्ट होना चाहिए। स्थूल सहयोग देना यह भी आवश्यक होता हैइसमें बापदादा मना नहीं करते लेकिन जो ब्राह्मण आत्माओं का विशेष कार्य हैजो और कोई सहयोग नहीं दे सकता* ऐसा सहयोग अलर्ट होके आपने दियादेना है ना! या सिर्फ उन्हों को वस्त्र चाहिएअनाज चाहिए? *लेकिन पहले तो मन में शान्ति चाहिएसामना करने की शक्ति चाहिए। तो स्थूल के साथ सूक्ष्म सहयोग ब्राह्मण ही दे सकते हैं* और कोई नहीं दे सकता है। तो यह कुछ भी नहीं है, *यह तो रिहर्सल है। रीयल तो आने वाला है। उसकी रिहर्सल आपको भी बाप या समय करा रहा है।*

 

✺   *ड्रिल :-  "प्राकृतिक हलचल के समय स्थूल के साथ सूक्ष्म शक्तियों के सहयोग देने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *भृकुटि की गुफा में बैठी मैं महातेजस्वी, परम पवित्र अति तेजोमय स्वराज अधिकारी आत्मा हूँ... तपस्वियों में अति श्रेष्ठ तपस्वी मैं आत्मा हूँ...* देख रही और महसूस कर रही हूँ... मैं आत्मा अपने इस महान तेजस्वी स्वरूप को बहुत गहराई से... कितना तेजस्वी मुझ आत्मा का यह स्वरूप है... जैसे प्रकाश की एक तेजोमय दिव्य किरण हो... *देख रही हूँ मैं आत्मा स्वयं को त्याग और तपस्या की अति श्रेष्ठ पवित्र भूमि मधुबन घर में, शांतिवन बाबा के कमरे में बैठे हूए...* संध्या का यह समय है... अपने निराकारी तेजोमय स्वरूप में स्थित मैं तेजोमय आत्मा गहराई से अपने स्वरूप का अनुभव करते हुए एक शिव पिता की याद में स्थित हो जाती हूँ... देख रही हूं बाबा से अनंत शक्तियों की अविरल धाराएं मुझ पर गिर रही है... मैं आत्मा वरदानों और शक्तियों से भरपूर होती जा रही हूँ... अनुभव हो रहा है जैसे इस देह में होते भी इसमें नहीं हूँ... *देह भान से मैं आत्मा ऊपर उठ चुकी हूँ... एक शक्तिशाली स्थिति का अनुभव मैं आत्मा कर रही हूँ...* और मुझ से ये शकितयों की किरणें चारों ओर फैल रही है...

 

 _ ➳  तभी एकाएक कुछ दृश्य मुझ आत्मा के सामने आते है... *कुछ आवाजें कानों में गुंजने लगती है... हमें बचाओं... कोई तो हमारी मदद करों...* और एक दर्दनाक दृश्य मुझ आत्मा के सामने उभरता है... भूकम्प, बाढ, चक्रवात के कारण कुछ जगह पर भारी नुकसान हुआ है... लोग यहाँ वहाँ भाग रहे है... अपने परिजनों को ढूंढ रहे है... खून से लथपथ लाशें यहाँ वहाँ गिरी है... सबकी आँखों में दर्द है... लोग यहाँ-वहाँ भाग रहे है... और *तभी कुछ लोग उनकी मदद के लिए आ रहे है...* तभी ये दृश्य गायब हो जाता हैं... और *ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे बाबा कह रहे हो बच्चे इन आत्माओं को स्थूल के साथ सुक्ष्म शक्तियों का भी सहयोग दो...* इनकों शांति दो... मैं आत्मा बिना देरी किए अपनी सूक्ष्म लाइट की ड्रेस धारण कर, अपना श्रेष्ठ ईश्वरीय कार्य (सुख, शांति देने ) करने उस स्थान पर पहुंच जाता हूँ... देख रहा हूँ... चारों तरफ यही समाचार फैला हुआ हैं... *और अन्य जगह से लोग यहाँ मदद देने के लिए आ रही है...* गवर्नमेंट भी स्थूल सहयोग अनाज कपड़ा, दवाएं पहुंचा रही है... *आपदा ग्रसित आत्माओं को स्थूल साधनों द्वारा मदद मिल रही है...*

 

 _ ➳  *लेकिन फिर भी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रसित आत्माओं की आखों में आँसू और दर्द है... बेचैनी है... अन्दर से बेहद अशांत है...* उनकी नजरें ये दर्दनाक मंजर देखकर काँप उठी है... लेकिन *मैं आत्मा ये प्रकृति का खेल साक्षी होकर देख रही हूँ... एक अचल अवस्था में...* और अब मैं श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा अनुभव कर रहा हूँ स्वयं को बाबा की छत्रछाया के नीचे, बाबा से निकलती सुख, शांति की किरणें मुझ फरिशते पर पड़ रही है और *मुझ आत्मा से ये सुख, शांति की किरणें इन सभी आपदा से ग्रसित आत्माओं पर और प्रकृति को जा रही है...* मेरे साथ और भी ब्राह्मण आत्माएं फरिशता ड्रेस धारण कर इन सभी आत्माओं को शांति की किरणों द्वारा सहयोग दे रही है... जैसे-जैसे ये किरणें इन आत्माओं पर पड़ रही है... *इन आत्माओं का मन शांत हो रहा है... इनके अन्दर सामना करने की शक्ति आ गई है... ये आत्माएँ मजबूत बन रही है... इनकी सारी हलचल समाप्त हो गई है...* अब ये आत्माएँ दर्द से बाहर निकल गई है... और मानसिक तौर पर मजबूत हो गई है... और अब प्रकृति की हलचल भी समाप्त हो गई है... चारों तरफ शांति हो गई है... आपदा से ग्रसित आत्माएँ भी हल्का अनुभव कर रही है...  *स्थूल के साथ अब इन आत्माओं को सूक्ष्म में भी सहयोग मिल रहा है...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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