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 29 / 12 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *ज्ञान का सिमरन कर आपार ख़ुशी में रहे ?*

 

➢➢ *योगबल से विकर्मों को दग्ध किया ?*

 

➢➢ *क्लियर बुधी द्वारा हर बात को परख कर यथार्थ निर्णय किया ?*

 

➢➢ *ज्ञान सूर्य बाप के साथ लकी सितारा बन इस जग से अन्धकार मिटाने की सेवा की ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  जैसे बापदादा अशरीरी से शरीर में आते हैं वैसे ही बच्चों को भी अशरीरी हो करके शरीर में आना है। अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर फिर व्यक्त में आना है। *जैसे इस शरीर को छोड़ना और शरीर को लेना यह अनुभव सभी को है। ऐसे ही जब चाहो तब शरीर का भान छोड़कर अशरीरी बन जाओ और जब चाहो तब शरीर का आधार लेकर कर्म करो। बिल्कुल ऐसे ही अनुभव हो जैसे यह स्थूल चोला अलग है और चोले को धारण करने वाली मैं आत्मा अलग हूँ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं परमात्मा बाप की स्नेही और सहयोगी आत्मा हूँ"*

 

  *सभी अपने को इस ड्रामा के अन्दर बाप के साथ स्नेही और सहयोगी आत्मायें हैं, ऐसा समझकर चलते हो? हम आत्माओंको इतना श्रेष्ठ भाग्य मिला है, यह आक्यूपेशन सदा याद रहता है?* जैसे लौकिक आक्यूपेशन वाली आत्मा के साथ भी कार्य करने वाले को कितना ऊंचा समझते हैं लेकिन आपका पार्ट, आपका कार्य स्वयं बाप के साथ है। तो कितना श्रेष्ठ पार्ट हो गया। ऐसे समझते हो?

 

  *पहले तो सिर्फ पुकारते थे कि थोड़ी घड़ी के लिए दर्शन मिल जाए। यही इच्छा रखते थे ना। अधिकारी बनने की इच्छा वा संकल्प तो सोच भी नहीं सकते थे, असम्भव समझते थे।* लेकिन अभी जो असम्भव बात थी वह सम्भव और साकार हो गई। तो यह स्मृति रहती है? सदा रहती है वा कभी-कभी। अगर कभी-कभी रहती है तो प्राप्ति क्या करेंगे?

 

  कभी-कभी राज्य मिलेगा। कभी राजा बनेंगे कभी प्रजा बनेंगे। *जो सदा के राजयोगी हैं वही सदा के राजे हैं। अधिकार तो अविनाशी और सदाकाल का है। जितना समय बाप ने गैरन्टी दी है, आधाकल्प उसमें सदाकाल राज्य पद की प्राप्ति कर सकते हो।* लेकिन राजयोगी नहीं तो राज्य भी नहीं। जब चांस सदा का है तो थोड़े समय का क्यों लेते।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  अभी एक सेकण्ड सभी पॉवरफुल संकल्प से, दृढता से पुराने वस्तुओं को, पुराने वर्ष को, पुरानी बातों को सदा के लिए विदाई दो। *एक सेकण्ड सभी - दृढ़ता सफलता है' - इस दृढ़ संकल्प में स्थित हो जाओ।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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✧  जैसे अव्यक्त ब्रह्मा बाप साकार रूप की पालना दे रहे हैं, साकार रूप की पालना का अनुभव करा रहे हैं, वैसे *आप व्यक्त में रहते अव्यक्त फ़रिश्ते रूप का अनुभव करो।* सभी को यह अनुभव हो कि यह सब फ़रिश्ते कौन हैं और कहाँ से आये हुए हैं! जैसे अभी चारों ओर यह आवाज़ फैल रहा है कि यह सफेद वस्त्रधारी कौन हैं और कहाँ से आये हैं! वैसे चारों ओर अब फ़रिश्ते रूप का साक्षात्कार हो। इसको कहा जाता है डबल सेवा का रूप। *सफेद वस्त्रधारी और सफेद लाइटधारी।* जिसको देख न चाहते भी आँख खुल जाए। जैसे अन्धकार में कोई बहुत तेज़ लाइट सामने आ जाती है तो अचानक आँख खुल जाती है ना कि यह क्या है, यह कौन है, कहाँ से आई! तो ऐसे अनोखी हलचल मचाओ। जैसे बादल चारों ओर छा जाते हैं, ऐसे *चारों ओर फ़रिश्ते रूप से प्रगट हो जाओ। इसको कहा जाता है- आध्यात्मिक जागृति।* इतने सब जो देश-विदेश से आये हो, ब्रह्माकुमार-कुमारी स्वरूप की सेवा की! अवाज़ बुलन्द करने की जागृति का कार्य किया! संगठन का झण्डा लहराया। अब फिर नया प्लैन करेंगे ना! जहाँ भी देखें तो फ़रिश्ते दिखाई दें, लण्डन में देखें, इण्डिया में देखें जहाँ भी देखें फ़रिश्ते-ही-फ़रिश्ते नजर आयें।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- स्वयं में धारणा कर दूसरों को भी जरुर करानी है"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा हिस्ट्री हॉल में बापदादा के सम्मुख बैठी हूँ... गॉडली स्टूडेंट बन ज्ञान मुरली सुन रही हूँ... ज्ञान सागर में डुबकी लगाकर साथ-साथ ज्ञान का मंथन करती जा रही हूंमैं अविनाशी आत्मा अविनाशी बाबा के अविनाशी ज्ञान को धारण कर रही हूँ...* प्यारे बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं... बाबा के हाथों से ज्ञान, गुण, शक्तियों के हीरे बरस रहे हैं... मैं आत्मा इन हीरों से अपना श्रृंगार करके औरों का भी श्रृंगार कर रही हूँ...

 

   *21 जन्मों की राजाई का सुख पाने के लिए ज्ञान का मंथन कर धारणा करने की समझानी देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता से पाये अमूल्य रत्नों को जितना लुटाओगे, उतने मालामाल हो, सतयुग के सुखो में मुस्कराओगे... *इसलिए इन बेशकीमती रत्नों को बुद्धि में इस कदर समाओ और जीवन में उसकी ऐसी मीठी झलक दिखाओ कि हर दिल आत्मा सच्चे ज्ञान को पाने को लालायित हो जाए...”*

 

_ ➳  *शिवसागर में डूबकर ज्ञान रत्नों रूपी अमूल्य खजानों की मालिक बन ख़ुशी की लहर फैलाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा ईश्वरीय रत्नों को पाकर रत्नों की ख़ान बनती जा रही हूँ... और इस दौलत की बदौलत पायी असीम ख़ुशी की झलक और फलक सारे विश्व में फैला रही हूँ...* सच्चे ज्ञान रत्नों को पाकर जीवन आनन्द से भर गया है...

 

   *अपनी मीठी वाणी से मुझे महान बनाकर सबका कल्याण करने की शिक्षा देते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... 21 जनमो की खुबसूरत राजाई का राज ज्ञान रत्नों के दान में छुपा सा है... *यह खजाना जितना लुटाओगे उतने तकदीरवान भाग्यवान बन अनन्त सुखो के झूले में खिलखिलायेंगे... इस कीमती धन का हकदार सबको बनाओ,.. और सबका जीवन आप समान सुखी बनाओ...”*

 

_ ➳  *शिव परमात्मा के ज्ञान को धारण कर ज्ञान स्वरुप बन अंधकार भरे जग में सबकी ज्योति जगाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा ज्ञान खजाने से भरपूर होकर ऐसा ज्ञानवान धनवान् सबको बनाती जा रही हूँ... सबके जीवन में मीठे सुखो की दस्तक देकर खुशियो की बहारो का आप समान हकदार बना रही हूँ...* ज्ञान की धारणा से सच्ची खुशियो का हर पल आभास करा रही हूँ...

 

   *ज्ञान की जादुई छड़ी घुमाकर मनुष्य से देवता बनने का हुनर सिखाते हुए मेरे जादूगर बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *ईश्वर पिता गोद में बिठाकर ज्ञान रत्नों से सजा संवार रहे है... देवता सा सौंदर्य और अतुल धन सम्पदा दिलाने वाला यह अनमोल ज्ञान खजाना... सहज ही पाने वाले महान आत्मा हो...* इस नशे को रोम रोम में भर दो और ज्ञान का प्रतीक बन सबको प्रेरित करो...

 

_ ➳  *ज्ञानामृत पीकर शुद्ध, पावन बन सद्गुणों से विश्व को जगमग जगमग चमकाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... आपसे पाये दिव्य गुण शक्तियाँ और अथाह ज्ञान रत्नों की झनकार से हर दिल को मन्त्रमुग्ध कर रही हूँ... *मेरे ईश्वरीय रंगरूप को देख हर दिल ईश्वरीय ज्ञान का आतुर हो उठा है... और जनमो की अतृप्त आत्माये सदा का सुख पा रही है...”*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप समान गद्दीनशीन बनने की शुभ कामना रखते हुए बाप को पूरा फॉलो करना है*"

 

_ ➳  सम्पूर्ण सृष्टि के रचयिता परमपिता परमात्मा शिव बाबा के फरमान पर चल जैसे *मम्मा, बाबा ने मनसा,वाचा,कर्मणा सम्पूर्ण पवित्रता को अपने जीवन में धारण कर, अपने पवित्र योगी जीवन द्वारा, परमात्म कर्तव्य में मददगार बन, भगवान के दिल रूपी तख्त पर राज किया ऐसे अपने भगवान बाप के दिलतख्त पर सदा विराजमान रहने और मम्मा बाबा के गद्दी नशीन बनने के लिए मुझे भी अपने इस अंतिम जीवन में पवित्रता की धारणा जरूर करनी है* और ब्रह्माचारी बन ब्रह्मा बाप के आचरण को फॉलो करते हुए, परमात्म कर्तव्य में सहयोगी अवश्य बनना है। यही दृढ़ प्रतिज्ञा स्वयं से करके, अपने प्यारे शिव पिता को याद करते हुए, मम्मा, बाबा के सम्पूर्ण स्वरूप को मैं जैसे ही स्मृति में लाती हूँ, पवित्रता के तेज से चमक रहा उनका ओजस्वी चेहरा आँखों के सामने उभर आता है।

 

_ ➳  मन बुद्धि के विमान पर बैठ मैं पहुँच जाती हूँ अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के पास उनकी कुटिया में। *उनके ट्रांसलाइट के चित्र के सामने बैठ उनकी मनमोहिनी सूरत को निहारते हुए मैं अनुभव करती हूँ जैसे ब्रह्मा बाबा और ममता की मूर्त मम्मा साक्षात मेरे सामने आकर बैठ गए है*। एक अलौकिक दिव्य आभा से दमकते उन दोनों के चेहरे पवित्रता की अद्भुत शक्ति से चमक रहें हैं। ऐसा लग रहा है जैसे प्यूरिटी की रॉयल्टी से चमक रहे उनके नैन अपने अन्दर अथाह प्रेम को समाकर केवल मुझे निहार रहें हैं और अपना असीम स्नेह मुझ पर लुटा रहें हैं। *उनके नयनों में अपने लिए समाये असीम स्नेह को देख मैं आनन्द विभोर हो रही हूँ*।

 

_ ➳  पवित्रता को अपने जीवन में धारण कर, उनके समान बनने का संकल्प करते ही मैं महसूस करती हूँ जैसे मम्मा बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख मुझे "पवित्र भव" का वरदान देते हुए अपनी पवित्र दृष्टि से पवित्रता की शक्ति मेरे अंदर भर रहें हैं। *मम्मा बाबा से आ रही पवित्रता की शक्ति को स्वयं में धारण करते हुए मैं अनुभव कर रही हूँ जैसे मैं पवित्रता का फरिश्ता बन रही हूँ और मेरे अंग -अंग से पवित्रता की श्वेत किरणें निकल कर चारों ओर फैल रही है*। पवित्रता का एक शक्तिशाली आभामंडल मेरे आस - पास निर्मित हो गया है जो दैहिक दुनिया के हर आकर्षण से मुझे मुक्त कर रहा है।

 

_ ➳  जैसे - जैसे देह की दुनिया का आकर्षण समाप्त हो रहा है वैसे - वैसे मैं फ़रिश्ता अपनी पवित्रता की श्वेत रश्मियाँ फैलाता हुआ ऊपर की ओर उड़ने लगा हूँ। *सारे विश्व में भ्रमण करता, दुनिया के खूबसूरत नज़ारो को देखता मैं फ़रिश्ता ऊपर आकाश को पार कर उससे भी ऊपर उड़ते हुए अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के पास उनके अव्यक्त वतन में प्रवेश करता हूँ*। देख रहा हूँ अपने सामने सम्पूर्ण अव्यक्त ब्रह्मा बाबा और मम्मा को जिनकी पवित्रता का प्रकाश पूरे वतन में फैला हुआ है। *पवित्रता की अनन्त शक्तिशाली किरणे दोनों के सम्पूर्ण स्वरूप से निकल कर मुझ फरिश्ते तक पहुँच रही है*।

 

_ ➳  मम्मा बाबा से मिल रही पवित्रता की शक्ति, मुझे अपने जीवन में सम्पूर्ण पवित्रता को धारण करने का जैसे बल प्रदान कर रही है। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा अपनी बाहों को फैलाये मुझे अपने पास बुला रहें हैं। *उनके समीप पहुँच कर, उनकी बाहों में समाकर, उनसे असीम स्नेह और प्यार पाकर, अब मैं फ़रिश्ता उनके सामने बैठ उनके वरदानी हस्तों से मिल रही पवित्रता की लाइट से स्वयं को शक्तिशाली बनाते हुए पवित्रता की शक्ति अपने अन्दर भरकर, वापिस साकार लोक की ओर लौट रहा हूँ*। अपने पवित्र लाइट माइट सूक्ष्म स्वरूप के साथ अपने साकार तन में प्रवेश कर, अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, अब मैं अपने इस ईश्वरीय जीवन को सम्पूर्ण पवित्र योगी जीवन बनाने की ही तपस्या कर रही हूँ।

 

_ ➳  *मात पिता के गद्दी नशीन बनने के लिए, पवित्रता को अपने जीवन मे धारण कर, कदम - कदम पर फॉलो मदर फादर करते हुए, उनके समान बनने का पुरुषार्थ अब मैं पूरी लगन के साथ कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं क्लियर बुद्धि द्वारा हर बात को परख कर यथार्थ निर्णय करने वाली सफलतामूर्त आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺  *मैं ज्ञान सूर्य बाप के साथ रहकर जग से अंधकार को मिटाने वाला, अंधकार से मुक्त होने वाला लकी सितारा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *आजकल चाहे संसार मेंचाहे ब्राह्मण संसार में हर एक को हिम्मत और सच्चा प्यार चाहिए। मतलब का प्यार नहीं, स्वार्थ का प्यार नहीं।* एक सच्चा प्यार और दूसरी हिम्मतमानो 95 परसेन्ट किसने संस्कार वश, परवश होके नीचे-ऊपर कर भी लिया लेकिन 5 परसेन्ट अच्छा कियाफिर भी अगर आप उसके 5 परसेन्ट अच्छाई को लेकर पहले उसमें हिम्मत भरोयह बहुत अच्छा किया फिर उसको कहो बाकी यह ठीक कर लेनाउसको फील नहीं होगा। अगर आप कहेंगी यह क्यों कियाऐसा थोड़ेही किया जाता हैयह नहीं करना होता हैतो पहले ही बिचारा संस्कार के वश हैकमजोर हैतो वह नरवश हो जाता है। प्रोग्रेस नहीं कर सकता है। 5 परसेन्ट की *पहले हिम्मत दिलाओयह बात बहुत अच्छी है आपमें। यह आप बहुत अच्छा कर सकते हैं,* फिर उसको अगर समय और उसके स्वरूप को समझकर बात देंगे तो वह परिवर्तन हो जायेगा। हिम्मत दोपरवश आत्मा में हिम्मत नहीं होती है। *बाप ने आपको कैसे परिवर्तन किया?आपकी कमी सुनाईआप विकारी हो, आप गन्दे हो, कहाआपको स्मृति दिलाई आप आत्मा हो और इस श्रेष्ठ स्मृति से आपमें समर्थी आईपरिवर्तन किया। तो हिम्मत से स्मृति दिलाओ। स्मृति समर्थी स्वतः ही दिलायेगी।* समझा। 

 

✺   *ड्रिल :-  "हिम्मतहीन को हिम्मत दे आगे बढ़ाना"*

 

 _ ➳  मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ... *मैं प्रेम के सागर शिव बाबा से... वरदानी अमृतवेला में मिलन मना रही हूँ... यह वेला आत्मा और परमात्मा के मिलन की श्रेष्ठ वेला है... इस वेला में मैं आत्मा अपने ज्ञान सूर्य शिव बाबा से सर्व शक्तियां ग्रहण कर रही हूँ...* मेरे ज्ञान सूर्य शिवबाबा मुझ आत्मा पर अपनी सर्व शक्तियों की बौछार कर रहे हैं... इन शक्तियों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूँ... *बाबा से विशेष प्रेम की हरे रंग की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... और एक शक्तिशाली हरे रंग का आभा मंडल मुझ आत्मा के चारों ओर बन रहा है...* इस आभा मंडल का प्रभाव दूर - दूर तक फैल रहा है... *इस आभा मंडल के संपर्क में जो भी आ रहा है वो गहरे और सच्चे प्रेम का अनुभव कर रहा है...* मैं आत्मा अब उड़ कर अपने सूक्ष्म वतन में पहुँच जाता हूँ... फरिश्ता स्वरूप ब्रह्मा बाबा मेरे सामने अपने बाहें फैला कर मेरा आह्वान कर रहे हैं... मैं नन्हा प्रेम का फरिश्ता बाबा की बाहों में समा जाता हूँ... बाबा मुझे अपनी प्रेम भरी दृष्टि से सच्चे प्रेम की अनुभूति करवा रहे हैं... मैं सच्चे प्रेम से भरपूर हो गयी हूँ... *बाबा मुझसे कह रहे हैं जाओ बच्ची इस अविनाशी और सच्चे प्रेम को अपने सेवा स्थान पे जाकर सबको बाटों... बाबा का आदेश मिलते ही मैं फरिश्ता उड़ चल पड़ता हूँ पंच तत्व की दुनिया में अपने सेवा स्थान की ओर...*

 

 _ ➳  इस दुनिया में पहुँचते ही मैं आत्मा देखती हूँ कि यहाँ की सारे आत्माएँ सच्चे प्रेम की प्यासी है... *यहाँ चारों तरफ झूठे और स्वार्थी प्रेम के सिवा कुछ भी नहीं है... सब मतलब का प्रेम ही करते हैं... जिससे सब आत्माएँ हिम्मतहीन, उदास और परेशान है...* सब आत्माएँ सच्चे प्रेम की तलाश में इधर - उधर भटक रही है... इन आत्माओं को देख कर मुझ आत्मा का हृदय विदीर्ण हो रहा है... *मैं सच्चे प्रेम और हिम्मत का फरिश्ता विश्व के ग्लोब पे इन सब आत्माओं को इमर्ज करता हूँ...* सच्चे प्रेम की तलाश में भटकती सारी आत्माएँ मुझ फरिश्ते के सामने विराजमान है... *मैं प्रेम का फरिश्ता इन सारी आत्माओं पर प्रेम के हरे रंग की बरसात कर रही हूँ... जिससे ये सब आत्माएँ सच्चे प्रेम का अनुभव कर रही है...* और इस प्रेम से भरपूर हो गयी है... इनकी सच्चे प्रेम की तलाश पूरी हो गयी है... *सब के चेहरों पर सच्चे प्रेम की एक गहरी मुस्कान आ गयी है... सब आत्माएँ बहुत खुशनुमा नजर आ रही है...*

 

 _ ➳  मैं प्रेम का फरिश्ता देखता हूँ कि कुछ ब्राह्मण परिवार की आत्माओं को भी हिम्मत और सच्चा प्यार चाहिए... मतलब का प्यार नहीं... स्वार्थ का प्यार नहीं... जबकि प्रेम के सागर का सच्चा प्यार चाहिए... *मैं फरिश्ता उड़ कर पहुँच जाता हूँ अपने ब्राह्मण भाई - बहनों के पास... और उनको भी सच्चे... अविनाशी प्रेम से भरपूर कर रही हूँ... हिम्मतहीन आत्माओं को शक्ति की किरणें देकर हिम्मतवान बना रही हूँ...* मैं आत्मा किसी भी आत्मा की कमी कमजोरी को नहीं देखती हूँ... उसमें *एक गुण भी है तो ऐसी आत्माओं को प्रेम से सहारा देकर आगे बढ़ने की हिम्मत दे रही हूँ...*

 

 _ ➳  अगर किसी आत्मा ने 95 परसेन्ट अपने पुराने संस्कार वश... परवश होकर नीचे-ऊपर कर लिया लेकिन 5 परसेन्ट अच्छा किया... *तो मैं आत्मा उसकी 5 परसेन्ट अच्छाई को लेकर... पहले उसमें हिम्मत भर रही हूँ... उस आत्मा को कह रही हूँ... आप ने बहुत अच्छा किया...* फिर उसको कहती हूँ बाकी जो बचा हुआ है उसको भी ठीक कर लेना... जिससे उस आत्मा को फील नहीं होता है... *वो हिम्मत से और अच्छा करने लगती है...* मैं आत्मा उस आत्मा की कमी को डायरेक्ट ना बोल के युक्ति से समझा कर बोल रही हो... *यह क्यों किया... ऐसा थोड़े ही करते है... यह नहीं करना चाहिए था... ऐसा ना बोल पहले उस संस्कार के वश... कमजोर... आत्मा को युक्ति से समझाती हूँ...* अगर मैं आत्मा उसकी कमी को बताती हूँ तो वह आत्मा नरवस हो जाएगी... प्रोग्रेस नहीं कर सकेगी... उस संस्कार के परवश आत्मा को पहले 5 परसेन्ट की हिम्मत दे रही हूँ... उसकी तारीफ कर आप में यह बात बहुत अच्छी है... आपमें यह गुण बहुत अच्छा है... आप और भी अच्छा कर सकते हैं... *मैं आत्मा उसके समय और उसके स्वरूप को समझकर बता रही हूँ... जिससे वह आत्मा मोल्ड हो रही है... और स्वयं ही परिवर्तन कर रही है...* वो आत्मा मुझ आत्मा से सच्चे सागर के सच्चे प्यार का अनुभव करके दिन पर दिन निखरती जा रही है...

 

 _ ➳  मैं फरिश्ता हिम्मतहीन को हिम्मत दे आगे बढ़ा रही हूँ... अपने संस्कार से परवश आत्मा में हिम्मत नहीं होती है... जिस तरह से बाबा ने मुझ आत्मा को परिवर्तित किया है...  जिस तरह से बाबा ने मुझ आत्मा की कमी नहीं सुनाई... मुझ आत्मा के विकार नहीं देखे... मुझ आत्मा को स्मृति दिलाई की आप महान आत्मा हो और इस श्रेष्ठ स्मृति से आपमें समर्थी आएगी... ऐसा समझा कर परिवर्तन किया... *ऐसे ही मैं आत्मा भी परवश आत्मा को हिम्मत से स्मृति दिला रही हूँ कि स्मृति से समर्थी स्वतः ही आ जाएगी... वह  हिम्मतहीन आत्मा भी हिम्मत से आगे बढ़ रही है...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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