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❍ 12 / 01 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *आधारमूर्त और उद्धारमूरत स्थिति का अनुभव किया ?*
➢➢ *इर्ष्या और घृणा से मुक्त रहे ?*
➢➢ *"एकता और एकाग्रता" - इन 2 श्रेष्ठ भुजाओं से हर कार्य में सफलता प्राप्त की ?*
➢➢ *सर्व आत्माओं को गोल्डन ऐज का साक्षातकार करवाया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *अगर संकल्प शक्ति कन्ट्रोल में नहीं आती तो अशरीरी भव का इन्जेक्शन लगा दो। बाप के पास बैठ जाओ। तो संकल्प शक्ति व्यर्थ नहीं उछलेगी।* अभी व्यक्त में रहते अव्यक्त में उड़ते रहो। उड़ना सीखो। सदा अव्यक्त वतन में विदेही स्थिति में उड़ते रहो, अशरीरी स्टेज पर उड़ते रहो।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाली विशेष आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा हर कदम में पदमों की कमाई जमा करने का साधन है। *हर कदम में अपने को विशेष आत्मा समझो, तो जैसी स्मृति होगी वैसी स्थिति स्वत: हो जायेगी। कर्म भी विशेष हो जायेंगे। तो सदा यह स्मृति रहे कि मैं विशेष आत्मा हूँ क्योंकि आप ने अपना बना लिया।* इससे बड़ी विशेषता और क्या हो सकती है?
〰✧ *भगवान के बच्चे बन जाना, यह सबसे बड़ी विशेषता है। सदा इसी स्मृति में रहना अर्थात् पदमों की कमाई जमा करना। किसके बने और क्या बने हैं यह भी याद रखो ते कमाई होती रहेगी।*
〰✧ *विश्व के आत्माओंकी निगाह आपके ऊपर है, इतनी ऊंचे ते ऊंची आत्माएं हो, तो सदा हर पार्ट बजाने, उठते, बैठते, चलते इस स्मुति मे रहो कि हम स्टेज पर पार्ट बजा रहे हैं। यह ब्राह्मण जीवन है ही आदि से अन्त तक स्टेज के ऊपर पार्ट बजाने वाले।* जब सदा यह स्मृति रहेगी कि मैं बेहद विश्व की स्टेज पर हूँ तो स्वत: हर कर्म के ऊपर अटेन्शन रहेगा। इतना अटेन्शन रखकर कर्म करेंगे तो कमाई जमा होती रहेगी।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ जो बापदादा ने अभ्यास सुनाया, मन सेकण्ड में एकाग्र हो जाए, क्योंकि *समस्या अचानक आती है और उसी समय अगर मनोबल है, तो समस्या समाप्त हो जाती है* लेकिन समस्या एक पढाई पढाने वाली बन जाती है।
〰✧ *इसलिए सभी मन-बुद्धि को अभी-अभी एकाग्र करो।* देखो होता है। (बापदादा ने ड़ि्ल कराई) *ऐसे सारे दिन में अभ्यास करते रहो।* अच्छा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *साइलेंस पॉवर प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ अब तक
वाणीमूर्त बने हो फिर बनेंगे साक्षात्कार मूर्त। अभी *वाणी से औरों को
साक्षात्कार होता है लेकिन फिर होगा सायलेन्स से साक्षात्कार।* जब बनेंगे तो सभी
के मुख से क्या निकलेगा? यह जो गायन है ना कि सभी परमात्मा के रूप हैं, यह गायन
संगम पर ही प्रैक्टिकल में होता है। भक्तिमार्ग में जो भी बातें चली हैं वह
संगम की बातों को मिक्स किया है। *तुम्हारी अन्त में यह स्थिति आती है, जो सभी
में साक्षात् बापदादा की मूर्त महसूस होगी।*
〰✧ आजकल साइंस वाले भी विस्तार को समेटने का ही पुरुषार्थ कर रहे हैं। *साइन्स
पावर वाले भी तुम सायलेंस की शक्ति वालों से कॉपी करते हैं।* जैसे-जैसे साइलेंस
की शक्ति सेना पुरुषार्थ करती है वैसा ही वह भी पुरुषार्थ कर रहे हैं।
साइलेन्स पावर पहले साइलेंस की शक्ति सेना इन्वेन्शन करती है फिर साइंस अपने
रूप से इन्वेन्शन करती है। *जैसे-जैसे यहाँ रिफाइन होते जाते हैं वैसे ही साइंस
भी रिफाइन होती जाती है।*
〰✧ जो बातें पहले उन्हों को भी असम्भव लगती थी वह अब सम्भव होती जा रही हैं।
वैसे ही यहाँ भी असम्भव बातें सरल और सम्भव होती जाती है। *अब मुख्य पुरुषार्थ
यही करना है कि आवाज में लाना जितना सहज है उतना ही आवाज से परे जाना सहज हो।*
इसको ही सम्पूर्ण स्थिति के समीप की स्थिति कहा जाता है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- उदारदिल बनना"*
➳ _ ➳ *अपने दुःख भरे अतीत की तुलना में, सुंदर सजीले वर्तमान को देख... जब
स्वयं निराकार भगवान ने कोटो में कोई और कोई में भी कोई... मुझ आत्मा को...
अपना बना...* मेरे जीवन को सुन्दर... रंग-बिरंगे रंगों से श्रृंगारित कर
दिया... प्यारे बाबा ने पवित्रता के रंग में रंगकर, मुझ आत्मा को शिखर पर सजा
दिया... *ज्ञान और योग के पानी से निरन्तर गुणों... और शक्तियों की पंखुड़ियों
से खिली मैं आत्मा... समस्त विश्व को अपनी रूहानियत की खुशबू से सराबोर कर रही
हूँ...*
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को मेरे महान भाग्य के नशे में डुबाते हुए कहा :-*
"मेरे प्यारे फूल बच्चे... स्वयं भगवान ने परमधाम से आकर, आप महान बच्चों को
अपनी आँखों का तारा बनाया है... दुःख भरी जिंदगी से बाहर निकाल, सुख भरी गोद
में बिठाया है... *आप बच्चे निराकार और साकार पिता की अनूठी पालना में पलने
वाले पद्मापद्म सौभाग्यशाली बच्चे हो... सदा इसी नशे में रहना... क्योंकि ऐसा
प्यारा भाग्य तो देवताओं का भी नहीं है..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ईश्वरीय पालना में सजे संवरे अपने महान भाग्य को देख पुलकित
होते हुए कहती हूँ :-* "मीठे मीठे प्यारे बाबा... मुझ आत्मा ने... आप... स्वंय
भाग्यविधाता बाप को पा लिया, इससे अच्छी बात और क्या होगी... *आपने मेरे कौड़ी
जैसे जीवन को, हीरे जैसा... बेशकीमती बना दिया है... मैं आत्मा असीम सुखों की
अनुभूतियों से भर गई हूँ... अलौकिक और पारलौकिक पिता को पाने वाली... मैं आत्मा
देवताओं से भी ज्यादा भाग्यशाली हूँ..."*
❉ *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को विश्व कल्याण की भावनाओं से सजाते हुए कहा :-*
"मीठे लाडले बच्चे... *आप बच्चे बाप के मददगार हो... तुम पहले अपने पर रहम
करो... फिर सभी आत्माओं के... विकारों रूपी गन्दगी को निकालने की सेवा करो...
प्यारे पिता को पाकर, जो सच्चे अहसासों को आपने जिया है... उनकी अनुभूति हर दिल
को कराओ... सबके जीवन में आप समान खुशियों की बहारों को सजाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा से अमूल्य ज्ञान रत्नों को पाकर समस्त विश्व में इस
ज्ञान धन की दौलत लुटाकर कहती हूँ :-* "मेरे प्यारे प्यारे बाबा... मैं आत्मा
आपसे पायी इस अथाह ज्ञान सम्पदा की अपनी बाँहो में भरकर, हर दिल को आपकी ओर
आकर्षित कर रही हूँ... *मैं आत्मा... आपकी श्रीमत पर चल... आप सच्चे साथी को
साथ रख... हर आत्मा के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना... रहम की भावना रख, उनके
प्रति सुख, शांति, प्रेम की किरणें फैला रही हूँ...*
❉ *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा में शुभ संकल्पों के संस्कारों को पक्का कराते हुए
कहा :-* "मेरे मीठे मीठे अथक सेवाधारी बच्चे... *हर आत्मा के प्रति सदा शुभ
भावना रख... मास्टर रहम का सागर बन... अपना बनाओ... किसी भी आत्मा के प्रति
नफरत की भावना नहीं रखो... बल्कि उनके भी सोये भाग्य को जगाकर, खुशियों के दामन
से सजाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने मीठे प्यारे बाबा के प्यार पर दिल से न्योछावर होकर कहती
हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा... आपने शुभ संकल्पों और शुभ भावना का जादू मुझे
सिखाकर, मेरा जीवन कितना निराला और अनोखा कर दिया है... *मैं आत्मा शुभ भावना
से भरकर, प्यारे और मीठे जीवन को सहज ही पा गयी हूँ... आपसे पाये असीम प्यार की
तरंगे... पूरे विश्व पर बिखेरने वाली विश्व कल्याणकारी बन गयी हूँ... मीठे बाबा
को दिल की गहराइयों से शुक्रिया कर मैं आत्मा... साकार वतन में लौट आयी..."*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- आधारमूर्त और उद्धारमूर्त स्थिति का अनुभव"*
➳ _ ➳ अपने प्यारे परमपिता परमात्मा के बर्थ प्लेस भारत में अरावली की सुन्दर
पहाड़ियों पर बसे महान तीर्थ माउंट आबू जो भगवान की अवतरण भूमि है, की ऊँची
पहाड़ी पर, *अपने प्यारे पिता के सानिध्य में, प्रकृति के खूबसूरत नज़ारो का
आनन्द लेने की इच्छा से, अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी फ़रिश्ता स्वरूप को धारण
कर, मन बुद्धि के विमान पर सवार होकर मैं पहुँच जाती हूँ उस महान तीर्थ पर*।
➳ _ ➳ आबू की सबसे ऊँची खूबसूरत पहाड़ी पर खड़ा मैं फ़रिश्ता वहाँ से सारी दुनिया
का नज़ारा देख रहा हूँ और मन ही मन विचार कर रहा हूँ कि जब भारत स्वर्ग था तो
यही दुनिया कितनी सुन्दर थी! *हर घर मंदिर था। 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण
निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, देवी देवतायें इस दुनिया मे निवास करते थे।
किंतु आज घर - घर मे फैली हिंसा से इस दुनिया की क्या हालत हो गई है*। भारत के
उत्थान और पतन की कहानी को बुद्धि के दिव्य नेत्र से देखता हुआ मैं फ़रिश्ता मन
ही मन अपने प्यारे पिता से प्रोमिस करता हूँ कि उनकी श्रीमत पर चल *योगबल की
ड्रिल करते, नोंनवायोलेंस बन, सभी का उद्धार करने के निमित बन, भारत को फिर से
स्वर्ग बनाने के उनके कार्य में मददगार अवश्य बनूँगा*।
➳ _ ➳ इसी संकल्प के साथ मैं फरिश्ता अपने अन्दर योग बल जमा करने के लिए आबू की
उस ऊँची पहाड़ी से उड़कर अपने प्यारे बापदादा के अव्यक्त वतन की ओर चल पड़ता हूँ।
*प्रकृति के अति सुन्दर नज़ारो को देखता और उनका भरपूर आनन्द लेता हुआ मैं
फ़रिश्ता आकाश में उड़ता हुआ, कुछ ही सेकण्ड में पहुँच जाता हूँ फरिश्तो की आकारी
दुनिया सूक्ष्म वतन में*। अव्यक्त वतनवासी अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के सम्मुख
पहुँच कर अपने शिव पिता का मैं आह्वान करता हूँ और एक सेकण्ड से भी कम समय में
अपने सर्वशक्तिवान शिव पिता को अपनी सर्वशक्तियों की अनन्त किरणें फैलाते हए
अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि पर आकर विराजमान होते हुए स्पष्ट अनुभव करता
हूँ।
➳ _ ➳ देख रहा हूँ मैं फ़रिश्ता बापदादा के मस्तक से आ रही उस तेज लाइट को जिसमे
से सर्वशक्तियों की अनन्त धारायें निकल कर पूरे वतन में फैल रही है।
*सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन्स चारों और फैलकर वायुमण्डल को बहुत ही
शक्तिशाली बना रहे हैं*। इन शक्तिशाली वायब्रेशन्स को गहराई तक स्वयं में समाते
हुए मैं फ़रिश्ता बापदादा के पास पहुँचता हूँ और उनकी बाहों में समाकर उनके
प्यार का बल अपने अंदर भर कर, *अब बीज रूप स्थिति के अनुभव द्वारा, स्वयं को
योगबल से भरपूर करने के लिए अपने निराकारी बिंदु स्वरूप में स्थित होकर मैं
चैतन्य ज्योति, सूक्ष्म वतन से ऊपर अनन्त ज्योति के देश अपने परमधाम घर की ओर
चल पड़ती हूँ*।
➳ _ ➳ निराकार, महाज्योति अपने बीज रूप शिव पिता के सामने, मास्टर बीज रूप
स्थिति में स्थित, मैं निराकार ज्योति बिंदु आत्मा, उनके सानिध्य में गहन आनन्द
की अनुभूति कर रही हूँ। *उनसे निकल रही शक्तियों की शीतल फुहारे मुझे असीम
तृप्ति का अनुभव करवा रही हैं*। बीज रूप अपने सर्वशक्तिवान शिव पिता को अपलक
निहारते - निहारते मैं उनके बिल्कुल समीप पहुंच जाती हूँ और जाकर उन्हें टच
करती हूँ। *शक्तियों का झरना फुल फोर्स के साथ बाबा से निकल कर मुझ आत्मा में
समाने लगा है। एक- एक शक्ति को मैं अपने अंदर गहराई तक समाता हुआ अनुभव कर रही
हूँ*।
➳ _ ➳ स्वयं में मैं परमात्म शक्तियों की गहन अनुभूति कर रही हूँ। इन शक्तियों
के बल से सारे विश्व की आत्माओं का उद्धार करने की ईश्वरीय सेवा को निमित बन
पूरा करने के लिए मैं आत्मा अपने सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप के साथ परमधाम से
नीचे आ जाती हूँ और साकारी दुनिया मे लौट कर, अपनी साकारी देह में आकर विराजमान
हो जाती हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, योगबल की रूहानी ड्रिल बार
- बार करते हुए नोंनवायोलेंस ( अहिंसक ) बन, विश्व की सर्व आत्माओं को अपनी
शक्तियों के वायब्रेशन्स और शुभ संकल्पो द्वारा, हिंसा के मार्ग को छोड़ अहिंसक
बनने की प्रेरणा देकर, सबका उद्धार करने के ईश्वरीय कर्तव्य को निमित बन,
करनकरावनहार बाबा के सहयोग से मैं सफ़लतापूर्वक सम्पन्न कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
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*मैं साक्षी हो ऊंची स्टेज पर रहने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सर्व आत्माओं को सकाश देने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं बाप समान अव्यक्त फ़रिश्ता आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
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*मैं आत्मा याद बल को कार्य में लगाती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा दुख को सदा सुख में परिवर्तन कर देती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा अशांति को सदा शांति में परिवर्तन कर देती हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा को राजी करना बहुत सहज है। बापदादा को राजी करने का सहज साधन है 'सच्ची दिल'। *सच्ची दिल पर साहेब राजी है। हर कर्म में सत्यवादी।* सत्यता महानता है। *जो सच्ची दिल वाला है, वह सदा संकल्प, वाणी और कर्म में, सम्बन्ध-सम्पर्क में राजयुक्त होगा* अर्थात् राज को समझ करने वाले, चलने वाले, और हम कहाँ तक राजयुक्त हैं - उसको परखने की निशानी है - *अगर राज जानता है तो वह कभी भी अपने स्व-स्थिति से नाराज नहीं होगा* अर्थात् दिलशिकस्त नहीं होगा और *संकल्प में भी, वृत्ति से भी, स्मृति से भी, दृष्टि से भी किसी को नाराज नहीं करेगा,* क्योंकि वो सबके वा अपने संस्कार-स्वभाव को जानने वाला राजयुक्त है। तो *बाप को राजी करने की विधि है - राजयुक्त चलना और राजयुक्त अर्थात् न अपने अन्दर नाराजगी आये, न औरों को नाराज करे।*
✺ *ड्रिल :- "राजयुक्त होकर बापदादा को सहज राजी करना"*
➳ _ ➳ इस साकार लोक में... अपने कर्म क्षेत्र के... सभी कार्यों को समाप्त कर... मैं आत्मा इस संगमयुग की... सुहानी बेला के शुभचिंतन में खो गई हूँ... स्नेह सागर और नदियों के संगम में... खुशियों भरे... मौज मनाने वाले... मेले का आनंद ले रही हूँ... बापदादा के संग मिलन मेले का श्रेष्ठ भाग्य... अनुभव कर हर्षित हो रही हूँ... स्नेह सुधा बरसाते हुए मेरे बाबा... मुझे भी अपने समान स्नेही बना कर... धन्य धन्य कर रहे हैं... बापदादा से... *कभी सूर्य समान उज्जवल... शक्तिशाली किरणें लेती हुई... कभी चंद्रमा जैसी शीतल चांदनी लेती हुई...* मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य के गीत गाती ही जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मुझ सच्ची दिल वाली... स्नेही आत्मा ने... दिलाराम बाप को राजी कर लिया है... *दिलाराम बाप... इस सच्ची दिल में... याद के रूप में... सदा के लिए ठहर गए हैं...* सदा ही बाप के साथ का अनुभव करती हुई... स्वयं को बाप के समीप अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा फरिश्ता स्वरुप में... स्नेह के सागर से... मिलन मनाने के... उमंग-उत्साह में उड़ती और उड़ाती ही रहती हूँ...
➳ _ ➳ हर कर्म सत्यता से करती हुई... मैं सत्यवादी आत्मा... अपने बाबा की दिलतख्तनशीन बन गई हूँ... सत्यता महानता है... सदा संकल्प... वाणी और कर्म में... सत्यता की शक्ति धारण करके... *सर्व के साथ सत्यता से... सभ्यतापूर्वक... स्नेह व सम्मान से व्यवहार कर रही हूँ... स्वस्थिति को श्रेष्ठ बना कर...* सर्व का सम्मान... सहज ही प्राप्त करती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ *ड्रामा के... सृष्टि चक्र के... राज़ को जान कर... समझकर... निश्चिंत हो गई हूँ...* साक्षीपन की स्थिति में रहकर... हर परिस्थिति के खेल को देख रही हूँ... देख कर आनंदित हो रही हूँ... समय के राज़ को जान कर... हर धोखे से स्वयं को बचा लिया है... अचल अडोल अवस्था से... नम्रतापूर्वक... संबंध संपर्क में आने वाली... हर आत्मा की पालना... बहुत ही स्नेह से... शांति से कर रही हूँ...
➳ _ ➳ स्मृति स्वरूप बन कर... सृष्टि चक्र समझ कर... अपने पार्ट को देखते हुए.. आनंदविभोर हो रही हूँ... हर्षित हो रही हूँ... दूसरी आत्माओं के संस्कार स्वभाव को भी जान कर... अपना पार्ट कुशलता से बजा रही हूँ... मुझ एकरस स्थिति वाली आत्मा के... वाणी व्यवहार से... हर दूसरी आत्मा... संतुष्ट व हर्षित दिखाई दे रही है... श्रेष्ठ स्वस्थिति द्वारा... विश्व में स्नेह व शांति का... प्रकंपन देते हुए... विश्व सेवा करती जा रही हूँ... *मेरे प्यारे बापदादा भी... मुझ सच्ची दिल वाली... राजयुक्त आत्मा पर... सहज ही राज़ी हैं...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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