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 29 / 03 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *हर समय बाप के कर्तव्य में सहयोगी बनकर रहे ?*

 

➢➢ *श्रेष्ठ संकल्प, बोल और कर्म को प्रतक्ष्य जीवन में लाये ?*

 

➢➢ *संकल्प, बोल और संस्कार बाप समान रहे ?*

 

➢➢ *संकल्प, डीश्रःटी वृत्ति शक्तिशाली रही ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  जैसे लौकिक रीति से कोई किसके स्नेह में लवलीन होता है तो चेहरे से, नयनों से, वाणी से अनुभव होता है कि यह लवलीन है, आशिक है, ऐसे *जिस समय स्टेज पर आते हो तो जितना अपने अन्दर बाप का स्नेह इमर्ज होगा उतना स्नेह का बाण औरों को भी स्नेह में घायल कर देगा ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं कोटो में कोई, कोई में भी कोई विशेष आत्मा हूँ"*

 

  अपने को इस सृष्टि के अन्दर कोटों में कोई और कोई में भी कोई... ऐसी विशेष आत्मा समझते हो? जो गायन है कोटों में कोई बाप के बनते हैं, वह हम हैं। यह खुशी सदा रहती है? *विश्व की अनेक आत्मायें बाप को पाने का प्रयत्न कर रहीं हैं और हमने पा लिया! बाप का बनना अर्थात् बाप को पाना। दुनिया ढूंढ रही है और हम उनके बन गये।*

 

 

  *भक्तिमार्ग और ज्ञान  मार्ग की प्राप्ति में बहुत अन्तर है। ज्ञान है पढ़ाई, भक्ति पढ़ाई नहीं है। वह थोड़े समय के लिए आध्यात्मिक मनोरंजन है। लेकिन सदा काल की प्राप्ति का साधन 'ज्ञान' है। तो सदा इसी स्मृति में रह औरों को भी समर्थ बनाओ।*

 

  *जो ख्याल ख्वाब में न था - वह प्रैक्टिकल में पा लिया। बाप ने हर कोने से बच्चों को निकाल अपना बना लिया। तो इसी खुशी में रहो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  आपने पूछा ना कि वतन में बैठ क्या करते हो? यही देखते रहते हैं और अव्यक्त सहयोग देने की सर्वीस करते हैं। सभी समझते है कि बापदादा वतन में पता नहीं क्या बैठ करते होंगे। *लेकिन सर्वीस की स्पीड साकार वतन से वहाँ तेज है*। क्योंकि यहाँ तो साकार तन का भी हिसाब साथ था।

 

✧  अब तो इस बन्धन से भी मुक्त है, अपने प्रति नहीं है सर्व आत्माओं के प्रति है। जैसे इस शरीर को छोडना और शरीर को लेना यह अनुभव सभी को है। *वैसे ही जब चाहो शरीर का भान बिल्कुल छोडकर अशरीरी बन जाना और जब चाहे तब शरीर का आधार लेकर कर्म करना यह अनुभव है*? इस अनुभव को अब बढाना है।

 

✧  बिल्कुल ऐसे ही अनुभव होगा जैसे कि यह स्थूल चोला अलग है और चोले को धारण करने वाली आत्मा अलग है, यह अनुभव अब ज्यादा होना चाहिए। *सदैव यह याद रखो कि अब गये कि गये*। सिर्फ सर्वीस के निमित्त शरीर का आधार लिया हुआ है लेकिन जैसे ही सर्वीस समाप्त हो वैसे ही अपने को एकदम हल्का कर सकते हैं।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  यह शरीर बाप ने ईश्वरीय सर्विस के लिए दिया है। आप तो मर चुके हो ना। लेकिन यह पुराना शरीर सिर्फ ईश्वरीय सर्विस के लिए मिला हुआ है, ऐसे समझकर चलने से इस शरीर को भी अमानत समझेगे। *जैसे कोई की अमानत होती है तो अमानत में अपनापन नहीं होता है, ममता भी नहीं होती है। तो यह शरीर भी एक अमानत समझो। तो फिर देह की ममता भी नहीं होती है। तो यह शरीर भी एक अमानत समझो। तो फिर देह की ममता भी खत्म हो जायेगी।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- बाप का राईट हैण्ड बनना"*

➳ _ ➳ *अपने अलौकिक जीवन को देख मुस्कुराती हुई मैं आत्मा सोचती हूँ कितना प्यारा मीठा हो गया है हर पल मेरे इस जीवन का... देख रही हूँ अंतर- अज्ञानता में गुजरे कलियुगी जीवन के दुखों के पल और इस संगमयुग का एक-एक कीमती पल कितना सुहावना हो गया है...* बाबा जब से आयें हैं हर पल सुख-शांति की बरसात हो रही है... इन सुखद पलों की यादों को संजोये अपने दिलाराम बाबा के पास पहुँच जाती हूँ वतन में...

❉ *राइट हैन्ड बनने के लिए हर बात में राइटियस बन सदा श्रेष्ठ कर्म करने की शिक्षा देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे लाडले बच्चे... *मीठे बाबा के दिल पर राज करना है तो बाप समान बन राइट हैन्ड बनो... अपने खूबसूरत कर्मो से अपना भाग्य शानदार बनाओ... सदा श्रेष्ठ कर्म करके... बाबा के दिल में मणि बन मुस्कराओ...* ईश्वर पिता के दिल पर सदा का अधिकार पाओ..”.

➳ _ ➳ *भगवान् की मददगार बन विश्व कल्याण करते हुए अपने भाग्य पर इठलाती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा देही अभिमानी बन कर कर्मो को सुंदर बनाती जा रही हूँ... शुभ भाव और शुभ कर्मो को कर बाबा के दिल पर राज करती जा रही हूँ...* और यूँ अपने भाग्य की सुंदरता पर मोहित हो रही हूँ...”

❉ *अपनी स्नेह भरी दृष्टि से स्नेह प्यार का जादू मुझमें भरते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता जो जीवन में आ गया तो जीवन को श्रेष्ठता की ऊंचाइयों पर ले जाना है... *हर कर्म ईश्वर तुल्य हो ऐसा ही जादू इस धरा पर चलाना है... और देवता स्वरूप का आभास जमाने को कराना है... प्यारे बाबा का हाथ पकड़ राइट हैन्ड बनना है...”*

➳ _ ➳ *बाप समान बनने के लिए श्रीमत का हाथ थाम दिव्यता से भरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा श्रेष्ठ कर्मो के आधार पर शानदार देवता स्वरूप में ढल रही हूँ... ज्ञान और योग से निखर कर बाबा के समकक्ष बन रही हूँ...* सच्चाई को थामे हुए सच्चे सौंदर्य का प्रतीक बन रही हूँ...”

❉ *अपने अनंत किरणों की आभा से मुझे आच्छादित करते हुए मेरे ज्ञान सूर्य बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... सदा शुभ भावो से स्वयं को भरो... सत्य का हाथ थाम निश्चिन्त हो मुस्कराओ... *श्रेष्ठ कर्मो के बीज बोकर सुखमय जीवन का प्रतिफल पाओ... और इस खूबसूरत संगम पर ईश्वर पिता के मददगार बनने का सुन्दरतम भाग्य पाओ...”*

➳ _ ➳ *बाबा के प्रेम की छत्रछाया में स्वर्णिम दुनिया के सपनों को संजोते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा श्रीमत के साये में सुंदर हो रही हूँ.... दुआओ से पुण्यो को बढ़ाकर धनी हो रही हूँ... *सबके हितों की कामनाओ में जीवन लगा रही हूँ.... और अपने जीवन को बाबा की बाँहो में महका रही हूँ...”*

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- हर समय बाप के कर्तव्य में सहयोगी बनकर रहना*"

➳ _ ➳  अपने प्यारे ब्रह्मा बाप के मधुबन घर में, बाबा के कमरे में बैठी मैं देख रही हूँ अपने सामने लगे बाबा के ट्रांसलाइट के चित्र को जिसे देखते ही अनुभव होता है *जैसे बाबा साक्षात सामने बैठे हैं अपने हर नये बच्चे को भी वैसी ही साकार पालना का अहसास दिलाने के लिए जैसी साकार पालना हमारी वरिष्ठ दादियों ने साकार बाबा से ली है*। बाबा के उस चित्र को बड़े प्यार से निहारते हुए मैं अनुभव कर रही हूँ जैसे बाबा अपने नयनों में अथाह स्नेह को समाये एकटक मुझे देख रहें हैं। *बाबा के नयनों में अपने लिए समाये असीम स्नेह के साथ, अपने सहयोगी राइट हैंड के रूप में मुझे देखने की उनकी आश को भी उनके नयनों में मैं स्पष्ट पड़ रही हूँ*। 

➳ _ ➳  मन ही मन बाबा की इस आश को पूरा करने की मैं स्वयं से और बाबा से प्रतिज्ञा करते ही अनुभव करती हूँ जैसे बाबा मेरे हर संकल्प को पड़ रहे हैं और मन्द - मन्द मुस्करा भी रहें हैं। *एक अलौकिक दिव्य मुस्कराहट के साथ बाबा के वरदानी हाथ को मैं अपने सिर के ऊपर अनुभव कर रही हूँ*। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा "विजयी भव" का वरदान देकर मेरी इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल मेरे अंदर भर रहें हैं। शक्तियों की रंग बिरंगी सुनहरी किरणो को बाबा के वरदानी हस्तों से निकल कर अपने अंदर समाते हुए मैं महसूस कर रही हूँ। *सर्वशक्तियों की किरणों की मीठी फुहारें मेरे मस्तक को स्पर्श करके सीधी मुझ आत्मा में प्रवाहित होकर मुझे बलशाली बना रही हैं*।

➳ _ ➳  ऐसा लग रहा है जैसे आप समान बनाने के लिए बाबा अपनी शक्तियों का समस्त बल मुझमें भर रहें हैं। एक विशेष दिव्य शक्ति मैं अपने अंदर अनुभव कर रही हूँ। यह शक्ति मुझे बहुत ही लाइट और माइट स्थिति में स्थित कर रही है। *अपने साकार तन को मैं लाइट के शरीर मे परिवर्तित होते देख रही हूँ। सफेद लाइट के फरिश्ता स्वरूप में मैं स्थित हो चुकी हूँ और अपने इस डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप में मैं धरनी के आकर्षण से स्वयं को न्यारा होते हुए महसूस कर रही हूँ*। मेरे अंग - अंग से श्वेत रश्मियां निकल कर चारों और फैल रही हैं और इन रश्मियों को फैलाता हुआ अब मैं फरिश्ता धीरे - धीरे ऊपर आकाश की ओर उड़ रहा हूँ। 

➳ _ ➳  सदा ब्रह्मा बाप के स्नेह में समाकर, उनका सहयोगी बनने का संकल्प लिए हुए अब मैं आकाश को पार कर, उससे ऊपर उनके अव्यक्त वतन की ओर बढ़ रहा हूँ। *देख रहा हूँ मैं सामने अपने अव्यक्त ब्रह्मा बाप के अव्यक्त वतन के खूबसूरत अव्यक्त नज़ारो को। सामने अपने सम्पूर्ण फरिश्ता स्वरूप में ब्रह्मा बाबा अपने सहयोगी बच्चो का स्वागत करने के लिए अपनी बाहों को फैलाकर खड़े है*। बाबा के मस्तक से निकल रही स्नेह की धारायें पूरे वतन में फैल रही हैं और इनसे निकलने वाले स्नेह के वायब्रेशन्स आत्मा को छूकर उसे असीम स्नेह देकर अव्यक्त में भी साकार पालना का अनुभव करवा रहें हैं। *स्नेह के उस रूहानी वायुमण्डल में आकर असीम स्नेह पाकर मैं फरिश्ता स्वयं को तृप्त अनुभव कर रहा हूँ*।

➳ _ ➳  बाबा के पास जाकर, बाबा की बाहों में समाकर उनके प्यार की गहराई में खोकर, उनके स्नेह का रिटर्न देने के लिए मैं फरिश्ता अब वापिस साकारी दुनिया मे आ रहा हूँ। *साकार सृष्टि पर अपने साकारी तन में प्रवेश कर, अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, ब्रह्मा बाप की सहयोगी बन कर, परमात्म कार्य को सम्पन्न करने और ब्रह्मा बाप समान सम्पूर्णता को पाने का पुरुषार्थ अब मैं कर रही हूँ*। नव सृष्टि की स्थापना के कार्य में निमित बन, ब्रह्मा बाप के साथ कदम से कदम मिला कर चलने के लिए मैं कदम - कदम पर उन्हें फॉलो कर रही हूँ। *उनके एक - एक कर्म को कॉपी करते हुए मैं स्वयं को अमूल्य बना कर, अपने श्रेष्ठ कर्म द्वारा औरों के जीवन को अमूल्य बनाने का लक्ष्य रख उनकी अमूल्य पालना का रिटर्न उनकी सहयोगी बन कर दे रही हूँ*।,

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं सदा खुशी और मौज की स्थिति में रहने वाली आत्मा हूँ।*
✺   *मैं कम्बाइन्ड स्वरूप की अनुभवी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ *मैं आत्मा सदा योग रूपी कवच पहन कर रखती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा माया रूपी दुश्मन के वार से सदैव मुक्त हूँ ।*
✺ *मैं मायाजीत आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *अभी बापदादा नम्बरवन की स्टेज चलन और चेहरे पर देखना चाहते हैं*। अब समय अनुसार नम्बरवन कहने वालों को हर चलन में दर्शनीय मूर्ति दिखाई देनी चाहिए। *आपका चेहरा बतावे कि यह दर्शनीय मूर्त है*। *आपके जड़ चित्र अन्तिम जन्म तक भी, अन्तिम समय तक भी दर्शनीय मूर्त अनुभव होते हैं।* तो चैतन्य में भी जैसे ब्रह्मा बाप को देखा, साकार स्वरूप में, फरिश्ता तो बाद में बना, लेकिन साकार स्वरूप में होते हुए आप सबको क्या दिखाई देता था? साधारण दिखाई देता था? अन्तिम 84वाँ जन्म, पुराना जन्म, 60 वर्ष के बाद की आयु, फिर भी आदि से अन्त तक दर्शनीय मूर्त अनुभव की। की ना? साकार रूप में की ना? ऐसे जिन्होंने नम्बरवन में हाथ उठाया, टी.वी. में निकाला है ना? बापदादा उनका फाइल देखेंगे, फाइल तो है ना बापदादा के पास। तो अब से *आपकी हर चलन से अनुभव हो, कर्म साधारण हो, चाहे कोई भी काम करते हो, बिजनेस करते हो, डाॅक्टरी करते हो, वकालत करते हो, जो कुछ भी करते हो लेकिन जिस स्थान पर आप सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हो वह आपकी चलन से ऐसे महसूस करते हैं कि यह न्यारे और अलौकिक हैं?* या साधारण समझते हैं कि ऐसे तो लौकिक भी होते हैं? *काम की विशेषता नहीं लेकिन प्रैक्टिकल लाइफ की विशेषता।*

 

 _ ➳  बहुत अच्छा बिजनेस है, बहुत अच्छा वकालत करता है, बहुत अच्छा डायरेक्टर है... यह तो बहुत हैं। एक बुक निकलता है जिसमें विशेष आत्माओं का नाम होता है। कितनों का नाम आता है, बहुत होते हैं। इसने यह विशेषता की, यह इसने विशेषता की, नाम आ गया। तो जिन्होंने भी हाथ उठाया, उठाना तो सबको चाहिए लेकिन जिन्होंने उठाया है और उठाना ही है। तो आपकी प्रैक्टिकल चलन में चेंज देखें। यह अभी आवाज नहीं निकला है, *चाहे इन्डस्ट्री में, चाहे कहाँ भी काम करते हो, एक-एक आत्मा कहे कि यह साधारण कर्म करते भी दर्शनीय मूर्त हैं*।

 

✺   *ड्रिल :-  "साधारण कर्म करते भी दर्शनीय मूर्त दिखाई देने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *इस साधारण देह में मैं विशेष आत्मा*... महसूस कर रही हूँ अपनी विशेषताओं को... *दुनिया जिसकी एक-एक बूँद के लिए तरस रही है... मुझे वो पूरी मधुशाला ही हासिल है*... लम्हा लम्हा उनका साथ, मुझे उनके गुणों और शक्तियों से भर पूर कर रहा है... मैं आत्मा हर चलन में दर्शनीय मूरत बनती जा रही हूँ... मेरा लौकिक जीवन अलौकिक बनता जा रहा है... साक्षी होकर देख रही हूँ मैं अपने हर कर्म को...

 

 _ ➳  *शिव बिन्दु के साथ कम्बाइन्ड स्वरूप मैं आत्मा*...  देह व कर्मेन्द्रियों को आॅर्डर प्रमाण कर्म में लीन कर... साक्षी भाव से देख रही हूँ... *भिन्न भिन्न व्यवसायों की मेरी वेशभूषा... भिन्न भिन्न कार्य स्थल... मगर उद्देश्य केवल एक... आत्माओं को सुख शान्ति, आनन्द की अनुभूति कराना*... मन में शुभभावना और शुभकामना, नयनों से रूहानी स्नेह बरसाती मैं आत्मा चेहरें से, चलन से दर्शनीय मूरत बनती जा रही हूँ...

 

 _ ➳  *शुभभावनाओं का बिजनेस, श्रीमत की वकालत, अपनी रूहानी चाल चलन से इस ड्रामा की आत्माओं को, डायरेक्ट करती हुई... रूहानी डायरेक्टर, देह अभिमान की सर्जरी करती मैं रूहानी सर्जन*... अपने लौकिक कार्यों को परमात्म याद में रहकर अलौकिक बना रही हूँ... *मैं आत्मा, ज्ञान, प्रेम पवित्रता सुख शान्ति आनन्द और शक्तियों का अविरल झरना बहाती... सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को अपनी विशेषताओं का एहसास करा रही हूँ*...

 

 _ ➳  प्रेम, पवित्रता सुख, शान्ति की तलाश में भटकती इन आत्माओं के लिए, शिव पिता के साथ कम्बाइन्ड मैं आत्मा रूहानी प्रेम सुख शान्ति का लहराता सागर बन गयी हूँ... *मेरा हर संकल्प हर कर्म समय स्वाँस सफल हो रहा है... मुझसे अपनी समस्याओं का समाधान लेकर जाती ये आत्माऐं... मेरे चेहरें में, चलन में, बापदादा को प्रत्यक्ष देख रही है*... 

 

 _ ➳  मेरे लौकिक कार्यों में रूहानियत की झलक पाती ये आत्माए मेरे साधारण कार्यों से असाधारण प्रेरणा ले रही हैं... *मेरा चलना, मेरा देखना, मेरा बोलना, सब कुछ रूहानी है... मेरे हर कर्म में सेवा भाव और भी गहरा होता जा रहा है*... देहभान से परे शिव पिता के निरन्तर साथ का सुनहरा एहसास मुझे दर्शनीय मूरत बनाता जा रहा है...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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