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 21 / 03 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *नष्टोमोहा बन बाप को याद किया ?*

 

➢➢ *अपनी चलन ऐसी रखी जो सब देखकर फॉलो करें ?*

 

➢➢ *बाप की हर श्रीमत का पालन किया ?*

 

➢➢ *किसी भी बात को फील तो नहीं किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *मास्टर नॉलेजफुल, मास्टर सर्वशक्तिवान की स्टेज पर स्थित रह भिन्न-भिन्न प्रकार की क्यू से निकल, बाप के साथ सदा मिलन मनाने की लगन में अपने समय को लगाओ और लवलीन स्थिति में रहो तो और सब बातें सहज समाप्त हो जायेंगी,* फिर आपके सामने आपकी प्रजा और भक्तों की क्यू लगेगी ।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं बाप की छत्रछाया के अन्दर रहने वाली आत्मा हूँ"*

 

✧  सदा अपने को बाप की छत्रछाया के अन्दर रहने वाले अनुभव करते हो? *बाप की याद ही 'छत्रछाया' है। जो छत्रछाया के अन्दर रहते वह सदा सेफ रहते हैं। कभी बरसात या तूफान आता तो छत्रछाया के अन्दर चले जाते हैं। ऐसे बाप की याद 'छत्रछाया' है। छत्रछाया में रहने वाले सहज ही मायाजीत हैं।*

 

✧  *याद को भूला अर्थात् छत्रछाया से बाहर निकला। बाप की याद सदा साथ रहे। जो ऐसे छत्रछाया में रहने वाले हैं उन्हें बाप का सहयोग सदा मिलता रहता है।*

 

  हर शक्ति की प्राप्ति का सहयोग सदा मिलता रहता है। कभी कमजोर होकर माया से हार नहीं खा सकते। कभी माया याद भुला तो नहीं देती है? *63 जन्म भूलते रहे, संगमयुग है याद में रहने का युग। इस समय भूलना नहीं। भूलने से ठोकर खाई, दु:ख मिला। अभी फिर कैसे भूलेंगे! अभी सदा याद में रहने वाले।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *अन्त में सहज रीति शरीर के भान से मुक्त हो जायें - यह है 'पास विद आँनर ' की निशानी*। लेकिन वह तब हो सकेगी जब अपना चोला टाइट नही होगा। अगर टाइटनस होगी तो सहज मुक्त नहीं हो सकेंगे। टाइटनस का अर्थ है कोई से लगाव। इसलिए अब यही सिर्फ एक बात चेक करो - ऐसा लूज चोला हुआ है जो एक सेकण्ड में इस चोले को छोड़ सके।

 

✧  अगर कहाँ भी अटका हुआ होगा तो निकलने में भी अटक होगी। इसी को ही एवरडी कहा जाता है। *ऐसे एवरेडी वहीं होंगे जो हर बात में एवरडी होंगे*। प्रैक्टिकल में देखा ना - एक सेकण्ड में बुलावे पर ऐवरडी रह दिखाया। यह सोचा क्या कि बच्चे क्या कहेंगे? बच्चों से बिगर मिले कैसे जावें - यह स़ोचा?

 

✧  एलान निकला और एवरेडी। चोले से इजी होने से चोला छोडना भी ईजी होता हैं, इसलिए यह कोशिश हर वक्त करनी चाहिए। यही संगम युग का गायन होगा कि कैसे रहते हुए भी न्यारे थे, तब ही एक सेकण्ड में न्यारे हो गये। *बहुत समय से न्यारे रहने वाले एक सेकण्ड में न्यारे हो जायेंगे*।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *आवाज से परे की स्थिति प्रिय लगती है वा आवाज़ में रहने की स्थिति प्रिय लगती है? कौन-सी स्थिति ज्यादा प्रिय लगती है? क्या दोनों ही स्थिति इकट्ठी रह सकती हैं? इसका अनुभव है? यह अनुभव करते समय कौन सा गुण प्रत्यक्ष रूप में दिखाई देता है? (न्यारा और प्यारा)* यह अवस्था ऐसी है जैसे बीज में सारा वृक्ष समाया हुआ होता है, वैसे ही इस अव्यक्त स्थिति में जो भी संगमयुग के विशेष गुणों की महिमा करते हो वह सर्व विशेष गुण उस समय अनुभव में आते हैं। क्योंकि मास्टर बीजरूप भी हैं, नालेजफुल भी हैं। *तो सिर्फ शान्ति नहीं लेकिन शान्ति के साथ-साथ ज्ञान, अतीन्द्रिय सुख, प्रेम, आनन्द, शक्ति आदि-आदि सर्व मुख्य गुणों का अनुभव होता है। न सिर्फ अपने को लेकिन अन्य आत्मायें भी ऐसी स्थिति में स्थित हुई आत्मा के चेहरे से इन सर्व गुणों का अनुभव करती हैं।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺  *"ड्रिल :- बाप आयें हैं सुख-चैन की दुनिया में ले चलने"*

 

_ ➳  *झील के किनारे बैठी मैं आत्मा प्यारे बाबा का आह्वान करती हूँ... प्यारे बाबा के आगमन से झील की लहरें ख़ुशी से उछल रही हैं... हवा और पानी साथ साथ खेल रहे हैं... पेड़ पौधे झुक झुककर सलाम कर रहे हैं... मौसम की मस्ती से मेरे मन में भी उमंग उल्लास की लहरें दौड़ रही हैं...* ऐसा लग रहा पूरी प्रकृति प्रेम के सागर की आने की खुशी में प्रेम की कविताएं सुना रही हैं... इस दुख की दुनिया से निकाल सुख, शांति की दुनिया में ले जाने आए मेरे बाबा के सामने मैं आत्मा बैठ प्यार की बातें करती हूँ...

 

  *सुख-शांति के सागर मेरे प्यारे बाबा हथेली पर स्वर्ग की सौगात सजाकर कहते हैं:-* "मेरे लाडले बच्चे... मै विश्व का पिता आप बच्चों की झोली सदा के लिए सुख से भरने आया हूँ...* अमन ही अमन हो ऐसी चैन की दुनिया बसाने आया हूँ... सुख शांति भरपूर हो ऐसी मीठी सुखो की दुनिया बच्चों के लिए सौगात स्वरूप लाया हूँ..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा खुशियों के सागर में झूमती लहराती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके बिना किस कदर दुखमय जीवन को अपनी नियति समझ रही थी... आपने मीठे बाबा... *मेरा दामन खुशियो से खिलाया है... सुख शांति से भरे जीवन का अधिकारी बना सजाया है..."*

 

  *प्यारे बाबा परमात्म माइट और परमात्म दिव्य लाइट से मुझे भरपूर करते हुए कहते है:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... इस घोर पाप की दुनिया से ईश्वर पिता के सिवाय कोई निकाल ही न सके... सुख भरा चैन सिर्फ पिता ही जीवन में ला सके... *ऐसे मीठे बाबा को हर पल यादो में सजाओ... जो परमधाम से उतर आये और सुख शांति के सौगातों से लबालब कर जाय..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा शांतिधाम और सुखधाम की स्मृतियों को मन में बसाकर कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... आप महा पिता मेरे लिए कितनी दूर से आते हो... *सुनहरे सुखो से और शांतिमय जीवन से मेरी सदा के लिए दुनिया सजाते हो... अपनी मीठी यादो से मुझे आप समान सुंदर बनाते हो... जिंदगी को महकाते हो..."*

 

  *मेरे बाबा पाप की दुनिया से मुझे निकाल चैन की दुनिया में ले जाने दूर देश से आकर कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *अपने खिलते हुए खुशबूदार फूलो को इस कदर विकारो रुपी काँटों में झुलसता तो मै पिता देख ही न सकूँ... और बच्चों को मुस्कराहटों से सजाने महकाने धरती पर आऊं...* बच्चे सुख शांति के जीवन में चैन से रहे तो मै पिता सदा का आराम पाऊँ..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा अपने घर को, स्वर्णिम दुनिया के सुखों को याद कर आनंदोल्लास में डूबकर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा पाप की दुनिया में गहरे धस गई थी... आपसे मेरी दारुण सी दशा देखी न गई... आप दौड़े से आये और मेरा जीवन सुखो की सौगातों से महका दिया...* यूँ जीवन मीठा और प्यारा बना दिया..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- नष्टोमोहा बन एक बाप को याद करना है*"
 
➳ _ ➳  देह और देह की दुनिया से डिटैच हो कर, अपने सत्य स्वरूप में स्थित हो कर मैं मन बुद्धि रूपी नेत्रों से स्वयं को देख रही हूं। इस देह से उपराम, भृकुटि सिहांसन पर विराजमान मैं एक चमकती हुई मणि हूँ। *अपने इस वास्तविक स्वरूप में स्थित होते ही मैं स्वयं को लगावमुक्त अनुभव कर रही हूं। देह और देह से जुड़ी हर वस्तु से जैसे मैं अनासक्त हो गई हूँ*। संसार के किसी भी पदार्थ में मुझे कोई आसक्ति नही। इस नश्वर संसार से अनासक्त होते ही एक बहुत प्यारी और हल्की स्थिति का अनुभव मैं कर रही हूं। ऐसा लग रहा है जैसे देह और देह के सम्बन्धो की रस्सियों ने मुझ आत्मा को बांध रखा था इसलिए मैं उड़ नही पा रही थी लेकिन अब मैं सभी बन्धनों से मुक्त हो गई हूँ।
 
➳ _ ➳  बन्धनमुक्त हो कर अब मैं आत्मा इस देह से निकल कर चली ऊपर की ओर। आकाश के पार मैं पहुंच गई फरिश्तों की दुनिया में। फरिश्तों की इस दुनिया मे पहुंच कर अपने सम्पूर्ण निर्विकारी, सम्पूर्ण पावन फ़रिशता स्वरूप को मैने धारण कर लिया। *अब मैं फ़रिशता देख रहा हूँ स्वयं भगवान अपने लाइट माइट स्वरूप में मेरे सम्मुख हैं। उनकी पावन दृष्टि जैसे जैसे मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही है मैं फ़रिशता अति तेजस्वी बनता जा रहा हूँ*। बापदादा की शक्तिशाली किरणे मोती बन कर मेरे ऊपर बरस रही हैं और हर मोती से निकल रही रंग बिरंगी शक्तियों की किरणें मुझे शक्तिशाली बना रही हैं। बापदादा की लाइट माइट मुझ फ़रिश्ते में समा कर मुझे डबल लाइट बना रही है।
 
➳ _ ➳  अपने इसी लाइट माइट स्वरूप में मैं फ़रिशता अब वापिस धरती की ओर लौट रहा हूँ। अब मैं सम्पूर्ण लगावमुक्त हूँ, विरक्त हूँ। संसार के सब प्रलोभनों से ऊपर हूँ। *देह की आकर्षण से मुक्त, देह के सम्बन्धो और देह से जुड़ी सभी इच्छाओं से मुक्त मैं फ़रिशता अब अपनी साकारी देह में प्रवेश कर रहा हूँ*।
 
➳ _ ➳  अब मैं देह में रहते हुए भी निरन्तर अव्यक्त स्थिति में स्थित हूँ। स्वयं को निरन्तर बापदादा की छत्रछाया के नीचे अनुभव कर रहा हूँ। *अब मेरे सर्व सम्बन्ध केवल एक बाबा के साथ हैं। मेरे हर संकल्प, हर बोल और हर कर्म में केवल बाबा की याद समाई है*। बाबा की स्वर्णिम किरणों का छत्र निरन्तर मेरे ऊपर रहता है जो मुझे अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति से सदैव भरपूर रखता है।
 
➳ _ ➳  देह में रहते अव्यक्त स्थिति में स्थित होने के कारण अब मैं आत्मा स्वयं को सदा बाबा के साथ अटैच अनुभव करती हूं और उनकी लाइट माइट से स्वयं को हर समय भरपूर करती रहती हूँ। *साकारी देह में रहते हुए सम्पूर्ण नष्टोमोहा बन मैं अपने पिता परमात्मा के स्नेह में निरन्तर समाई रहती हूँ*। देह और देह की दुनिया से अब मेरा कोई रिश्ता नही।
 
➳ _ ➳  बाबा के प्रेम के रंग में रंगी मुझ आत्मा को सिवाय बाबा के और कुछ नजर नही आता। सुबह आंख खोलते बाबा, दिन की शुरुवात करते बाबा, हर संकल्प, हर बोल में बाबा, हर कर्म करते एक साथी बाबा, दिन समाप्त करते भी एक बाबा के लव में लीन रहने वाली मैं लवलीन आत्मा बन गई हूं। *मुख से और दिल अब केवल यही निकलता है "दिल के सितार का गाता तार - तार है, बाबा ही संसार मेरा, बाबा ही संसार है"*

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं बाप की हर श्रीमत का पालन करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं सच्ची स्नेही आत्मा हूँ।*

   *मैं आशिक़ आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

  *मैं आत्मा कोई भी बात को फील करने से मुक्त हूँ ।*

  *मैं आत्मा फेल होने से मुक्त हूँ ।*

  *मैं फीलिंगप्रूफ आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *सभी को अपना निश्चय चाहिए कुछ भी हो जाए, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे, साथ राज्य में आयेंगे।* पक्का है ना! साथ रहेंगे ना! बाप को अकेला छोड़के नहीं चले जाना। अकेला थोड़ेही अच्छा लगेगा। आपको भी अच्छा नहीं लगेगा, बाप को भी अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए छोड़ना नहीं। *कोई भी बात आवे आप दिल से बोलो, मेरा बाबा, बाबा हाजिर है। आपकी समस्या को हल कर देंगे।, दिल से बोलना, बाबा यह बात है, बाबा यह करो, बाबा यह... बाप बँधा हुआ है। लेकिन दिल से, ऐसे नहीं कि मतलब के टाइम पर याद करो और फिर भूल जाओ।*

 

✺   *ड्रिल :-  "दिल से मेरा बाबा बोलकर समस्या से मुक्त होने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *ओ बाबा आपने कैसा जादू फेरा है... जिसको देखो वही है कहता बाबा तो बस मेरा है... बाबा तो बस मेरा है... बाबा तो बस मेरा है* इस गीत को सुनते हुए... मैं बाप पसन्द दिव्य श्रेष्ठ आत्मा प्रभु महिमा के गीत गा रही हूँ... *और मन ही मन उस रत्नागर, जादूगर का शुक्रिया कर रही हूँ... जिसने जादू चलाकर मेरे जीवन को क्या से क्या बना दिया...* मुझे जीना सीखा दिया... वाह बाबा कैसी आपने कमाल कर दी है... *कितनी सुन्दर हीरे तुल्य आप हमारी जीवन बना रहे हो बाबा... बाबा आप बहुत मीठे हो, कितने प्यारे हो...* प्यार के सागर बाबा भी रंग-बिरंगें स्नेह के फूलों की वर्षा मुझ आत्मा पर कर, रिस्पॉन्स दे रहे है... जैसे-जैसे मुझ आत्मा पर स्नेह के पुष्पों की वर्षा हो रही है... *मुझ आत्मा की चमक बढ़ रही है...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा बाबा से कह रही हूँ... *मीठे लाडले बाबा आप हमेशा मेरे साथ ऐसे ही रहना... बाबा कुछ भी हो जाए, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे, साथ राज्य में आयेंगे...* ऐसा कहते ही मुझ आत्मा के नयन सजल हो जाते है... *रिसपांस में, बाबा से बेहद शक्तिशाली करंट अनुभव हो रही है...* और अचानक मुझ आत्मा के सामने एक दृशय आ जाता है... *मैं आत्मा देख रही हूँ... एक विशाल सागर में छोटी-छोटी नौकाएं चली हुई है... एक-एक नौका में सिर्फ़ एक-एक आत्मा बैठी हुई है...* और सभी साथ चलते हुए भी, अपनी-अपनी रीति आगे बढ़ रहे है... *कुछ आत्माएँ प्रभु महिमा के गीत-गाते आगे बढ़ रही है... और कुछ अपने भाग्य के गीत-गाते हुए आगे बढ़ रहे है...* इन सबकी नौकाओं पर बाबा का झंड़ा लगा हुआ है... कुछ नौकाओं में बैठी आत्माएं यहाँ-वहाँ के नजारे देखते हुए... आगे बढ़ रही है...

 

 _ ➳  *तभी अचानक सागर में लहरें उठने लगती है... और सभी नौकाएं यहाँ-वहाँ हिलने लगती है... हिचकोले खाने लगती है...* तेज तूफान के साथ बारिश भी होने लगती है... तभी नांव में बैठी आत्माएं जो प्रभु महिमा के गीत गा रही थी... और *कुछ आत्माएँ जो भाग्य के गीत गा रही थी... इस तांड़व रुपी तूफान को देख घबराती नहीं है... और कहती है मेरे बाबा मीठे बाबा, मेरे साथी आ जाओं मदद करो मेरे बाबा और उनके ऐसे कहते ही बाबा आ जाते है...* बाबा उनकी तरफ एक दृष्टि देते है और उन आत्माओं का हाथ अपने हाथ में ले लेते है... और *उन आत्माओं की नौका एक बड़ी लहर के साथ जाकर आगे निकल जाती है... और चारों तरफ लहरें शांत हो जाती है... तूफान थम जाता है* और वो आत्माएं वाह बाबा वाह के गीत गाते हुए फिर से आगे बढ़ने लगती है...

 

 _ ➳  और दूसरी तरफ भी कुछ आत्माएँ जो पीछें लहरों-तूफान में फंसी है... घबरा भी रही है... और *उनके मन में कई प्रश्नों रूपी लहरे  उत्पन्न हो रही है... क्या करें, क्या होगा और साथ ही पुकार भी रही है... मेरे बाबा मीठे बाबा मदद करों...* बाबा उन आत्माओं के साथ ही खड़े है... मदद देने के लिए लेकिन वे आत्माएं बाबा की मदद नहीं ले पा रही है... तभी ये सारा दृश्य मुझ आत्मा के सामने से गायब हो जाता है... और मुझ आत्मा के कानों में बाबा के ये महावाक्य गूंजने लगते है... *"कोई भी बात आवे आप दिल से बोलना, बाबा यह बात है, बाबा यह करों, बाबा यह... बाप बँधा हुआ है... लेकिन दिल से"*  और मुझ आत्मा पर शक्तियों और वरदानों की किरणें बाबा से पड़ने लगती है... *मैं आत्मा बेहद शक्तिशाली अवस्था का अनुभव कर रही हूँ...  और अब इस दृश्य का राज मुझ आत्मा के सामने स्पष्ट होता जा रहा है...* मैं आत्मा बाबा को दिल से शुक्रिया कह रही हूँ... और अब मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को इस धरा पर पार्ट प्ले करते हुए...

 

 _ ➳  *मैं आत्मा हर कर्म बाबा की याद में, और अपने भाग्य की समृति में रह कर करते हुए, अपनी जीवन रूपी नौका में बैठ मंजिल की तरफ बढ़ रही हूँ...* मैं आत्मा देख रही हूँ... इस जीवन रूपी नौका के चारों ओर कई प्रकार के बातों रूपी तूफान आ रहे है... लेकिन *मैं आत्मा दिल से मेरा बाबा, मीठा बाबा, मेरे साथी कह... बाबा की मदद से सहज ही हर समस्या को पार कर वाह बाबा वाह के गीत गाते खुशी और रूहानी नशे में रह कर आगे बढ़ रही हूँ...* बाबा के हाथ और साथ से सहज ही समस्या मुक्त हो आगे बढ़ रही हूँ... और *अन्य आत्माओं को भी आगे बढ़ा रही हूँ... आप समान बना रही हूँ... वाह बाबा वाह शुक्रिया लाडले बाबा...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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