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❍ 26 / 01 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *ज्ञान स्वरुप स्थिति का अनुभव किया ?*
➢➢ *परिस्थितियों का वर्णन आर मनन चिंतन न कर स्वदर्शन चक्रधारी बनकर रहे ?*
➢➢ *संकल्प, संस्कार और समबंधो में नवीनता का संकल्प लिया ?*
➢➢ *आत्मिक एक्सरसाइज कर भारीपन समाप्त किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ आजकल की दुनिया में राजनीति की हलचल, वस्तुओ के मूल्य की हलचल, करैन्सी की हलचल, कर्मभोग की हलचल, धर्म की हलचल ऐसे *सर्व प्रकार की हलचल से हर एक तंग आ गये हैं। इससे बचने के लिए एकाग्रता को अपनाओ, एकान्तवासी बनो। एकान्तवासी से एकाग्र सहज ही हो जायेंगे।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं समर्थ बाप के संग में रहने वाली समर्थ आत्मा हूँ"*
〰✧ अपने को सदा समर्थ आत्मायें समझते हो! *समर्थ आत्मा अर्थात् सदा माया को चेलेन्ज कर विजय प्राप्त करने वाले। सदा समर्थ बाप के संग में रहने वाले। जैसे बाप सर्वशक्तिवान है वैसे हम भी मास्टर सर्वशक्तिवान हैं।* सर्व शक्तियाँ शस्त्र हैं, अलंकार हैं, ऐसे अलंकारधारी आत्मा समझते हो?
〰✧ *जो सदा समर्थ हैं वे कभी परिस्थितियों में डगमग नहीं होंगे। परिस्थिति से स्वस्थिति श्रेष्ठ है। स्वस्थिति द्वारा कैसी भी परिस्थिति को पार कर सकते हो।*
〰✧ जैसे विमान द्वारा उड़ते हुए कितने पहाड़, कितने समुद्र पार कर लेते हैं, क्योंकि ऊँचाई पर उड़ते हैं। *तो ऊँची स्थिति से सेकण्ड में पार कर लेंगे। ऐसे लगेगा जैसे पहाड़ को वा समुद्र को भी जम्प दे दिया। मेहनत का अनुभव नहीं होगा।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ शक्ति स्वरूप आत्माओं का क्या स्वरूप दिखाया है? शक्तियों को (शक्ति स्वरूप में पाण्डव भी आ गये तो शक्तियाँ भी आ गई) *सदा शक्तियों को कोई को 4 भूजा, कोई को 6 भूजा, कोई को 8 भूजा, कोई को 16 भूजा, साधारण नहीं दिखाते हैं।*
〰✧ यह भूजायें सर्व शक्तियों का सूचक हैं। इसलिए *सर्वशक्तिवान द्वारा प्राप्त अपनी शक्तियों को इमर्ज करो। इसके लिए यह नहीं सोचो कि समय आने पर इमर्ज हो जायेंगी लेकिन सारे दिन में स्वयं प्रति भिन्न-भिन्न शक्तियाँ यूज करके देखो।*
〰✧ सबसे पहला अभ्यास स्वराज्य अधिकार सारे दिन में कहाँ तक कार्य में लगता है? मैं तो हूँ ही आत्मा मालिक, यह नहीं। *मालिक होके ऑर्डर करो और चेक करो कि हर कर्मेन्द्रियाँ मुझ राजा के लव ऑर लॉ में चलते हैं? ऑर्डर करें - ‘मनमनाभव' और मन जाये निगेटिव और वेस्ट थाट्स में, क्या यह लव और लॉ रहा?*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ अव्यक्त स्थिति की पालिश ही बाकी रही है। *आपस में बातचीत करते समय आत्मा रूप में देखो। शरीर में होते हुए भी आत्मा को देखो। यह पहला पाठ है।* इसकी ही आवश्यकता है। *जो भी सभी धारणायें सुनी हैं, उन सभी को जीवन में लाने लिये यही पहला पाठ पक्का करना पड़ेगा।* यह आत्मिक-दृष्टि की अवस्था प्रैक्टिकल में कम रहती है। *सर्विस की सफलता ज्यादा निकले, उसका भी मुख्य साधन यह है कि आत्म-स्थिति में रह सर्विस करनी है। पहला पाठ ही पालिश है।* इसकी ही आवश्यकता है। कब नोट किया है - सारे दिन में यह आत्मिक-दृष्टि, स्मृति कितनी रहती है? *इस स्थिति की परख अपनी सर्विस की रिजल्ट से भी देख सकते हो। यह अवस्था शमा है।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- संकल्प, संस्कार, सम्बन्ध, बोल और कर्म में नवीनता लाना"*
➳ _ ➳ *‘तेरी याद का अमृत पीते हैं’... -अमृतवेले के समय ये गीत सुनते हुए मैं
आत्मा यादों का अमृत पी रही हूँ... इस देह और देह की दुनिया के विनाशी यादों से
मरकर प्यारे बाबा की अविनाशी यादों में जी रही हूँ... रूहानी बाबा के साथ रूहानी
सैर कर रही हूँ...* परमधाम में अपने अनादि बिंदी स्वरुप में स्थित हो जाती
हूँ... फिर सतयुग में अपने देवताई स्वरूप पर फ़िदा होकर, मध्य काल में अपने
पूज्य देवी स्वरुप के दर्शन करती हूँ... फिर रूहानी संगमयुग में ईश्वर की गोद
में अपने पवित्र ब्राह्मण स्वरुप को देखती हूँ... फिर फ़रिश्ता बन बाबा के साथ
सूक्ष्म वतन में पहुँच जाती हूँ... मीठी रूह-रिहान करने...
❉ *अपनी हजार भुजाओं की छत्रछाया में सच्चे प्रेम और साथ का एहसास कराते हुए
प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे बच्चे... *विजय माला में स्वयं को देखो...
नम्बर वन में आने के लिए सदा बाप का हाथ और साथ पकड़े रहो... हर सेकण्ड बाबा के
स्नेह और सहयोग की महसूसता ही नम्बर वन का आधार है...* और कभी कभी विघ्नो को
हटाने की मेहनत दूसरे नम्बर में ले जायेगी...”
➳ _ ➳ *स्वदर्शन चक्रधारी बन यादों की सीढ़ियों पर चढ़कर विजय माला में आने की
अधिकारी बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मै आत्मा ईश्वर
पिता को पाकर सदा उड़ती कला की अनुभूतियों में हूँ... सदा बाबा के हाथ को पकड़े
हुए... सहयोग को प्राप्त करते हुए... खुशियो के आसमान में उड़ती ही जा रही
हूँ...* हर विघ्न से मुक्त सहजयोगी बन रही हूँ...”
❉ *दिव्यता के सुगंध से मुझे रूहे गुलाब बनाकर रूद्र माला में पिरोते हुए प्यारे
बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे बच्चे... सदा याद में कंबाइंड न होना तीसरे
नम्बर पर ले जायेगा... इसलिए अपनी चेंकिंग करो... बुद्धि की लाइन सदा क्लियर रखो...
*संकल्प बोल और कर्म को बाप समान बनाते जाओ... चढ़ती कला नही अब सदा उड़ती कला का
अनुभव करो... और विजय माला में समीप रत्न बन जाओ...”*
➳ _ ➳ *याद की दौड़ी लगाकर बाबा की मखमली गोदी में बैठ अतीन्द्रिय सुखों का
अनुभव करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा अपने
पुरुषार्थ को तीवता से ऊंचाइयों पर ले जा रही हूँ... मन बुद्धि को एक बाबा में
लगाकर उड़ती कला में जा रही हूँ...* सदा बाबा के साथ कम्बाइंड होकर बाप समान बनती
जा रही हूँ...”
❉ *योग की अनंत किरणों से मेरे भाग्य को सुनहरा बनाकर मेरे भाग्यविधाता प्यारे
बाबा कहते हैं:-* “मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब सेवाओ में नवीनता की अनुभूति
कराओ... रियल सुख रियल शांति का अनुभव सारे जहान को कराओ... निमित्त नम्रचित्त
बन सफलता मूर्त बनो... *अपने सुंदर भाग्य के नशे में डूब जाओ... और व्यर्थ बोल
संकल्प से परे समर्थ आत्मा बन मुस्कराओ... बाप को फॉलो कर 16 कलाओं से सम्पूर्ण
बन जाओ...”*
➳ _ ➳ *सर्वशक्तिवान बाबा की प्रीत में विजयी रतन बन चमकते हुए मैं आत्मा कहती
हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपकी मीठी यादो की छत्रछाया में समर्थ
आत्मा बन रही हूँ... प्यारे बाबा सारे व्यर्थ खत्म हो रहे है...* और सबको सच्चे
सुखो की अनुभूति कराती जा रही हूँ... 16 कलाओं से सजकर मुस्कराती जा रही
हूँ...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- ज्ञान स्वरूप स्थिति का अनुभव करना*"
➳ _ ➳ अपने आश्रम के क्लास रूम में,
अपने परम शिक्षक शिव पिता परमात्मा के मधुर महावाक्य सुनने के बाद,
ज्ञान के सागर,
अपने प्यारे बाबा से मिलने वाले *अविनाशी ज्ञान रत्नों के बारे में
विचार सागर मन्थन करते हुए,
एकाएक शास्त्रों में लिखी एक बात स्वत: ही स्मृति में आने लगती है जिसमे
कहा गया है "कि समुंद्र मन्थन में,
समुंद्र को मथने से जो अमृत निकला था उसे पीकर देवता सदा के लिए अमर बन
गए थे"*। भक्ति में कही हुई यह बात स्मृति आते ही मैं विचार करती हूँ कि वास्तव
में वो अमृत तो यह ज्ञान अमृत है जो इस समय भगवान द्वारा दिये जा रहे ज्ञान का
मंथन करके हम ब्राह्मण बच्चे प्राप्त कर रहें है और इस अमृत को पीकर भविष्य
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जन्मो के लिए "सदा अमर भव" के वरदान के अधिकारी बन रहें हैं।
➳ _ ➳ तो कितने पदमापदम सौभाग्यशाली है हम ब्राह्मण बच्चे जो इस ज्ञान
अमृत को पीकर अमर बन रहें हैं। *मन ही मन अपने भाग्य की सराहना करती,
ज्ञान अमृत पिला कर,
सदा के लिए अमर बनाने वाले,
ज्ञान के सागर अपने प्यारे पिता का दिल से शुक्रिया अदा करके,
मैं उनकी याद में अपने मन और बुद्धि को एकाग्र करती हूँ* और ज्ञान सागर
में डुबकी लगाने के लिए,
एक चमकता हुआ चैतन्य सितारा बन अपने अकाल तख्त को छोड़,
देह की कुटिया से बाहर आकर,
सीधा ऊपर आकाश की ओर चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ आकाश को पार करके,
मैं सूक्ष्म लोक में प्रवेश करती हूँ और इस लोक को भी पार करके ज्ञान
सागर अपने शिव पिता के पास उनके धाम में पहुँच जाती हूँ। *इस शान्ति धाम घर में
आकर मुझे ऐसा लग रहा हूँ जैसे शांति की शीतल लहरें बार - बार आकर मुझ आत्मा को
छू रही हैं और मुझे गहन शीतलता और असीम सुकून दे रही हैं*। ऐसा अनुभव हो रहा है
जैसे एक छोटा बच्चा सागर के किनारे खड़ा,
सागर की लहरों के साथ खेल रहा है और उस खेल का भरपूर आनन्द ले रहा हैं,
*ऐसे ही मैं आत्मा शान्ति के सागर अपने शिव पिता की शान्ति की लहरों से
खेलते हुए असीम आनन्द ले रही हूँ*
➳ _ ➳ शान्ति की गहन अनुभूति करते - करते,
मैं आत्मा ज्ञान,
गुणों और शक्तियों के सागर अपने शिव पिता से ज्ञान के अखुट ख़ज़ाने अपनी
बुद्धि रूपी झोली में भरने के लिए और स्वयं को गुणों और शक्तियों से भरपूर करने
के लिए अब बिल्कुल उनके समीप पहुँच जाती हूँ और उनकी सर्वशक्तियों की किरणों की
छत्रछाया के नीचे जा कर बैठ जाती हूँ। *अनन्त रंग बिरंगी किरणों के रूप में
ज्ञान सागर शिव बाबा से ज्ञान की नीले रंग की फुहारे,
और सर्वगुणों,
सर्वशक्तियों की इंद्रधनुषी रंगों की शीतल फुहारे मुझ पर बरस रही है*।
ऐसा लग रहा है जैसे बाबा ज्ञान,
गुण और शक्तियों की शक्तिशाली किरणे मुझ आत्मा में प्रवाहित कर मुझे आप
समान मास्टर ज्ञान का सागर बना रहे हैं।
➳ _ ➳ सर्वगुण,
सर्वशक्तिसम्पन्न बनकर,
अपनी बुद्धि रूपी झोली को ज्ञान के अखुट ख़ज़ानों से भरकर मैं वापिस अपने
कर्मक्षेत्र पर लौट आती हूँ और आकर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती
हूँ। *"मैं गॉडली स्टूडेंट हूँ" सदा इस स्मृति में रहते हुए मैं आत्मा अब अपने
ब्राह्मण जीवन मे ज्ञान के सागर शिवबाबा से प्रतिदिन मुरली के माध्यम से
प्राप्त ज्ञानधन को जीवन मे धारण कर ज्ञानस्वरूप आत्मा बनती जा रही हूँ*। ज्ञान
ख़ज़ानों से सम्पन्न होकर,
परमात्म ज्ञान को मैं आत्मा अपने कर्मक्षेत्र व कार्य व्यवहार में
प्रयोग करके अपने हर संकल्प,
बोल और कर्म को सहज ही व्यर्थ से मुक्त कर,
उन्हें समर्थ बना कर समर्थ आत्मा बनती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ *बुद्धि में सदा ज्ञान का ही चिंतन करते,
ज्ञान के सागर अपने शिव पिता के ज्ञान की लहरों में शीतलता,
खुशी व आनन्द
का अनुभव करते,
ज्ञान की हर प्वाइंट को अपने जीवन मे धारण कर मैं आत्मा ज्ञान सम्पन्न
बनती जा रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺
*मैं विश्व कल्याण की भावना रखने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं हर आत्मा की सेफ्टी के प्लेन बनाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सच्ची रहमदिल आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺
*मैं कर्मयोगी आत्मा हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा बुद्धि पर अटेंशन का पहरा देती हूँ ।*
✺ *मैं न्यारी प्यारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा सदा टीचर्स को इसी नजर से देखते हैं *हर टीचर के फीचर्स में बापदादा के फीचर्स दिखाई दें। फेस में ब्रह्मा बाप के फीचर्स और भ्रकुटी में ज्योतिबिन्दु के फीचर,* किसी भी टीचर को देखो तो सबके मुख से यही निकले कि *यह तो बाप समान हैं। यह तो ब्रह्मा बाबा जैसे लगते हैं, यह तो शिव बाप जैसे लगते हैं।* हैं भी और होने ही हैं। तो टीचर्स आधारमूर्त हैं। जैसे बाप के लिए कहते हैं - *ब्रह्मा बाप का सदा यही स्लोगन रहा 'जो कर्म मैं करूँगा वह सब करेंगे'। ऐसे हर एक टीचर को यही स्लोगन सदा याद रहता है कि 'जो कर्म, जो बोल, जो वृत्ति, जो विधि हम करेंगे, हमें देख सर्व करेंगे'।*
➳ _ ➳ *बापदादा ने ब्रह्मा बाप की गद्दी आप टीचर्स को बैठने के लिए दी है। मुरली सुनाने के लिए निमित्त टीचर्स हैं, बाप की गद्दी मिली हुई है।* ड्रामा ने आप टीचर्स को बहुत-बहुत ऊँचा मर्तबा दिया है। *बापदादा भी सदा टीचर्स को इसी विशेष महत्व से देखते हैं। महान हो, महत्व वाले हो।* है ना ऐसे? कभी स्टूडेन्ट से सर्टीफिकेट लेवें? बापदादा तो देखते रहते हैं। (बाबा टीचर्स को पकड़ो) यह तो प्रेम में पकड़ी हुई हैं तब तो टीचर्स बनी हैं। अभी कान दादी पकडेंगी, बाप तो प्यार में पकड़ेंगे। फिर भी हिम्मत रखकर निमित्त तो बनी हैं ना! (दादी कह रही हैं टीचर्स बहुत अच्छी हैं) बहुत अच्छी हो, मुबारक हो। अच्छे तो हैं ही। अगर टीचर्स नहीं होती तो इतने सेन्टर्स कैसे खुलते। मुबारक हो आप सबको। बापदादा तो बहुत-बहुत श्रेष्ठ नजर से देखते हैं। टीचर्स भी बहुत आई हैं। अच्छी हैं - हिम्मत और मेहनत में मुबारक हो।
✺ *ड्रिल :- "बाप समान टीचर बनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ कोटो में कोई... कोई में भी कोई मैं सौभाग्यशाली आत्मा... बैठी हूँ... *एक बाप की याद में... बिन्दुरूपी बाप की याद में... मन... वचन... कर्म... से एक बाप को समर्पित...* ब्रह्मामुख वंशावली ब्राह्मण आत्मा मैं... ड्रामा के राज को जान... अपने संगमयुग को यथार्थ रीति सफल कर रही हूँ... *स्वयं भगवान ने जिसे सराहा वह मैं आत्मा... पावन... पवित्र... बन रही हूँ... प्रजापिता ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मैं रूहानी स्टूडेंट... रूह बन कर... रूहानी बाप को याद कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ *अकाल तख्त पर विराजमान मैं आत्मा...* रूह बन कर... उड़ चली हूँ... रूहानी वतन में... मेरे रूहानी पिता से मिलने... सुनहरा लाल प्रकाश छाया हैं जहाँ... नीरव शांति फैली हैं जहाँ... न देह हैं न देह के संबंध हैं... *अपने बिंदु रूपी पिता के सन्मुख... प्यार के सागर के सम्मुख... प्यार से परिपूर्ण होती जा रही हूँ...* बाबा से आती हुई सर्व शक्तियों रूपी रंग बिरंगी किरणों को मैं आत्मा धारण कर रही हूँ... अपने आप को संपूर्ण करती जा रही हूँ... *63 जन्मों के विकारों को उसकी किरणों में स्वाहा होता देख रही हूँ...*
➳ _ ➳ बाबा के संग चलती मैं आत्मा... पहुँचती हूँ सूक्ष्म वतन में... जहाँ ब्रह्मा बाबा... और सभी एडवांस पार्टी की आत्मायें हमारा ही इंतजार कर रही थी… *ब्रह्मा बाप के तन में शिवबाबा का अलौकिक अवतरण* को मैं आत्मा देख रही हूँ... और *मैं आत्मा भी अपने लाइट के फ़रिश्ते स्वरुप में परवर्तित हो गई हूँ...* मुझ फ़रिश्ता स्वरुप आत्मा का भव्य... सत्कार हो रहा हैं... सुगन्धित फूलों की वर्षा हो रही हूँ... मुझ आत्मा को डबल ताज से नवाजा जा रहा हैं... सफ़ेद मोतियों की माला से श्रृंगार हो रहा हैं...
➳ _ ➳ और मैं आत्मा अचरज भरी निगाहों से देख रही हूँ... मेरा हाथ पकडे सभी मुझे एक दिव्य सिहांसन पर बिठाते हैं... और तब *बापदादा का दिव्य... अलौकिक... भव्य स्वरुप* देख कर मैं आत्मा भाव विभोर हो जाती हूँ... बापदादा एक बड़े से लाल गोले में एक सीन दिखा रहे हैं... ब्रह्माकुमारी का सेंटर हैं... बहुत ब्राह्मण आत्मायें सफ़ेद वस्त्रों में सज्ज... बापदादा का झंडा लिए खड़े हैं... और सब से आगे मैं आत्मा खड़ी हूँ... *सफ़ेद साडी में सज्ज... लक्ष्मी नारायण का बैच पहने... हाथ में बापदादा का झंडा लहराती... मुझ आत्मा का दिव्य स्वरुप नजर आ रहा हैं...*
➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने आप को समर्पित टीचर के रूप में देखती हूँ...* तेजोमय किरणों के आभा मंडल से सज्ज मेरा रूप... बापदादा का साक्षात्कार करवा रहा हैं... नैनो में रूहानियत छलक रही हैं... बोल में मधुरता ही मधुरता हैं... मुझ आत्मा से बापदादा की प्रत्यक्षता हो रही हैं... *फेस में ब्रह्मा बाप के फीचर्स और भ्रकुटी में ज्योतिबिन्दु के फीचर... दिखाई दे रहे हैं...* बापदादा को प्रत्यक्ष करने में मैं आत्मा... मंसा... वाचा... कर्मणा... समर्पित हो गई हूँ... *मुरली सुनाने के लिए निमित्त समर्पित टीचर मैं आत्मा... बाप की गद्दी की वारिसदार बन गई हूँ...*
➳ _ ➳ फ़रिश्ता स्वरुप मै आत्मा... अपना ही समर्पित टीचर के रूप को देख के आनंदित हो जाती हूँ... *एडवांस पार्टी की सभी आत्माओं द्वारा आशीर्वचनों को प्राप्त करती मैं आत्मा...* सब की लाडली बन गई हूँ... बापदादा से आती हुई सौभाग्यशाली किरणों को अपने में धारण कर मैं आत्मा.. बापदादा को धन्यवाद करती थकती नहीं हूँ... मुझ आत्मा को अपना बनाया... *रंक से राजा बनाने वाले तेरा कोटि बार शुक्रिया...* शुक्रिया मेरे बाबा शुक्रिया बोलती मै आत्मा अपने हर लौकिक कार्य को... बापदादा की सेवा को निम्मित समझ कर पूरा कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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