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 11 / 01 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *कदम कदम ईश्वरीय डायरेक्शन पर चल हर कार्य किया ?*

 

➢➢ *विश्व कल्याण की जिम्मेवारी समझ समय और शक्तियों की इकॉनमी की ?*

 

➢➢ *संकल्प और बोल द्वारा सर्व आत्माओं को वरदानो की प्राप्ति करवाई ?*

 

➢➢ *इच्छा मातरम् स्थिति का अनुभव किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *कितना भी कार्य की चारों ओर की खींचतान हो, बुद्धि सेवा के कार्य में अति बिजी हो - ऐसे टाइम पर अशरीरी बनने का अभ्यास करके देखो। यथार्थ सेवा का कभी बन्धन होता ही नहीं क्योंकि योग युक्त, युक्तियुक्त सेवाधारी सदा सेवा करते भी उपराम रहते हैं।* ऐसे नहीं कि सेवा ज्यादा है इसलिए अशरीरी नहीं बन सकते। *याद रखो मेरी सेवा नहीं बाप ने दी है तो निर्बन्धन रहेंगे।* ट्रस्टी हूँ, बन्धन मुक्त हूँऐसी प्रैक्टिस करो। अति के समय अन्त की स्टेज, कर्मातीत अवस्था का अभ्यास करो।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं प्रकृति की हलचल को साक्षी हो देखने वाली प्रकृति जीत आत्मा हु"*

 

✧  सदा मायाजीत और प्रकृतिजीत हो? मायाजीत तो बन ही रहे हो लेकिन प्रकृतिजीत भी बनो क्योंकि अभी प्रकृति की हलचल तो बहुत होनी हैं ना। हलचल में अचल रहो, ऐसे अचल बने हो? कभी समुद्र का जल अपना प्रभाव दिखायेगा तो कभी धरनी अपना प्रभाव दिखायेगी। *अगर प्रकृतिजीत होंगे तो प्रकृति की कोई भी हलचल अने को हिला नहीं सकेगी। सदा साक्षी होकर सब खेल देखते रहेंगे।*

 

  *जैसे फरिश्तों को सदा ऊंची पहाड़ी पर दिखाते हैं, तो आप फरिश्ते सदा ऊंची स्टेज अर्थात् ऊंची पहाड़ी पर रहने वाले।* ऐसी ऊंची स्टेज पर रहते हो?

 

  *जितना ऊंचे होंगे उतना हलचल से स्वत: परे रहेंगे।* अभी देखो यहाँ पहाड़ी पर आते हो तो नीचे की हलचल से स्वत: ही परे हो ना! शहरों में कितनी हलचल और यहाँ कितनी शान्ति और साधारण स्थिति में भी कितना रात-दिन का अन्तर होगा।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  मनोबल की बडी महिमा है। यह रिद्धि-सिद्धि वाले भी मनोबल द्वारा अल्पकाल के चमत्कार दिखाते हैं। आप तो विधिपूर्वक रिद्धि-सिद्धि नहीं, विधिपूर्वक कल्याण के चमत्कार दिखायेंगे जो वरदान हो जायेंगे, आत्माओं के लिए यह संकल्प शक्ति का प्रयोग वरदान सिद्ध हो जायेगा। तो *पहले यह चेक करो कि मन को कन्ट्रोल करने की कन्ट्रोलिंग पॉवर है?*

 

✧  सेकण्ड में जैसे साइन्स की शक्ति, स्विच के आधार से, स्विच ऑन करो, स्विच ऑफ करो - ऐसे सेकण्ड में मन को जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो, उतना कन्ट्रोल कर सकते हैं? बहुत अच्छे-अच्छे स्वयं प्रति भी और सेवा प्रति भी सिद्धि रूप दिखाई देंगे। *लेकिन बापदादा देखते हैं कि संकल्प शक्ति के जमा का खाता अभी साधारण अटेन्शन है।*

 

✧  जितना होना चाहिए उतना नहीं है। संकल्प के आधार पर बोल और कर्म ऑटोमेटिक चलते हैं। अलग-अलग मेहनत करने की जरूरत ही नहीं है, आज बोल को कन्ट्रोल करो, आज दृष्टि को अटेन्शन में लाओ, मेहनत करो, आज वृत्ति को अटेन्शन से चेज करो। *अगर संकल्प शक्ति पॉवरफुल हो तो यह सब स्वतः ही कन्ट्रोल में आ जाते हैं।* मेहनत से बच जायेंगे। तो संकल्प शक्ति का महत्व जाने।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *साइलेंस पॉवर प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  साइलेन्स की शक्ति कितनी महान है? *साइलेन्स की शक्ति क्रोध-अग्नि को शीतल कर देती है।* साइलेन्स की शक्ति *व्यर्थ संकल्पों की हलचल को समाप्त कर सकती है।* साइलेन्स की शक्ति ही कैसे भी पुराने संस्कार हों, ऐसे *पुराने संस्कार समाप्त कर देती है।* साइलेन्स की शक्ति अनेक प्रकार के *मानसिक रोग सहज समाप्त कर सकती है।*

〰✧  साइलेंन्स की शक्ति, *शान्ति के सागर बाप से अनेक आत्माओं का मिलन करा सकती है।* साइलेन्स की शक्ति-अनेक जन्मों से *भटकती हुई आत्माओं को ठिकाने की अनुभूति करा सकती है।* महान आत्मा, धर्मात्मा सब बना देती है। साइलेन्स की शक्ति - *सेकण्ड में तीनों लोकों की सैर करा सकती है।*

〰✧  साइलेन्स की शक्ति- *कम मेहनत, कम खर्चा वालानशीन करा सकती है*साइलेन्स की शक्ति *समय के खज़ाने में भी एकानामी करा देती है अर्थात् कम समय में ज्यादा सफलता पा सकते हो।* साइलेन्स की शक्ति- *हाहाकार से जयजयकार करा सकती है।* साइलेन्स की शक्ति सदा आपके गले में *सफलता की मालायें पहनायेंगी।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- एक बाप के डायरेक्शन पर चलना"*

➳ _ ➳ *सृष्टि चक्र का चक्कर लगाते-लगाते मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ, घोर कलियुग में... जहाँ चारों और अज्ञान अंधकार फैला हुआ था... मैं आत्मा माया को अपना समझ उसकी गोदी में सुखों को ढूंढ रही थी... और दुखों के गर्त में धंसती जा रही थी... मेरी ये हालत देख मेरे प्यारे पिता अपना धाम छोड़ इस धरती पर आ गया...* मुझे दुखों से छुड़ाने, सुख की दुनिया में ले जाने... मेरा प्यारा बाबा कलियुगी काली दुनिया से मुझे निकाल सुहाने संगमयुग में लाकर ख़ज़ानों से भरपूर कर दिया... अविनाशी खुशियों से जीवन आबाद कर दिया... प्यारे बाबा शिक्षक बन मीठी शिक्षाएं दे रहा है...

❉ *प्यारे बाबा श्रीमत रूपी श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत देकर कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... जब घर से निकले थे किस कदर खिले खुशनुमा फूल थे... अब अपनी सारी रूहानियत की महक खो चुके हो... खत्म से खाली और निस्तेज बन गए हो... *अब मीठा बाबा वही खिलता फूल बनाने आया है... अपनी गोद में बिठा पावनता से सजा धजा कर घर ले जाने आया है... इसलिए पिता की श्रीमत रुपी हाथ कभी न छोडो... श्रीमत पर चलकर हर डायरेक्शन अमल में लाओ..."*

➳ _ ➳ *मैं आत्मा गॉडली स्टूडेंट बन बाबा की श्रीमत को धारण करते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके साये में प्रतिपल निखरती जा रही हूँ... दिव्य गुणो से सजकर खूबसूरत हो रही हूँ... *आपकी यादो में डूबी हुई... श्रीमत को बाँहों में भरकर अनन्त सुखो को जी रही हूँ... आपके साथ से यह जीवन कितना मीठा प्यारा है..."*

❉ *मीठा बाबा मेरा हाथ अपने हाथ में लेते हुए प्यार से कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *परमत और मनमत पर चलकर अंजाम को देख लिया... दुखो के दरिया में डूबकर भँवर को भी जी लिया... अब भाग्य ने ईश्वर पिता के हाथो में जो ऊँगली थमाई है... उसे कसकर पकड़े रहो...* तो फूलो के गलीचे पर बैठकर सतयुग में पहुंच जायेंगे... मीठा बाबा कन्धों पर बिठाकर नई दुनिया में ले जायेगा..."

➳ _ ➳ *मैं आत्मा ज्ञान योग के पंखों से सजते हुए कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा सच्ची श्रीमत को पाकर फूलो सी खिल गयी हूँ... पतित जीवन को छोड़ पावनता से सजकर चमकीली परी हो गयी हूँ...* आपकी मीठी यादो में मगन होकर मुस्कराती हुई... हाथ पकड़ कर घर साथ चलने की तैयारी में जुट गयी हूँ..."

❉ *मेरे बाबा ब्लेस्सिंग्स देकर मुझे भरपूर करते हुए कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... विश्वपिता की श्रीमत को सदा सर आँखों पर लगाये रहो... यह श्रीमत ही सच्चा साथी है जो दुखो के समन्दर से निकाल सुखो के बगीचे में बसायेगी... *मीठे बाबा की श्रीमत ही सच्चा साथ निभाएगी... कदम कदम पर रक्षक बन सोने सा दमकायेगी... और पावनता से श्रंगारित कर मीठे सुख दिलाएगी..."*

➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा के हर डायरेक्शन को पालन करने का दृढ संकल्प लेते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा बिना ईश्वरीय मत के निर्रथक से जीवन की गहरी अनुभवी रही हूँ... अब मुझे सच्चा साथ और सच्चे सुखो से भरा जीवन मिला है... *आपकी श्रीमत ने पावन बनाकर अनन्त सुखो से भर दिया है... बाबा... अब मैं आपका श्रीमत रूपी हाथ कभी नही छोडूंगी... और अब मै ईश्वर पिता की साथी बन गयी हूँ..."*

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- चलते - फिरते कर्म करते याद में रहने की प्रैक्टिस करनी है*"

➳ _ ➳ अपने रूहानी पिता द्वारा सिखाई रूहानी यात्रा पर चलने के लिए मैं स्वयं को आत्मिक स्मृति में स्थित करती हूँ और रूह बन चल पड़ती हूँ अपने रूहानी बाप के पास उनकी सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर करने के लिये। *अपने रूहानी शिव पिता के अनन्त प्रकाशमय स्वरूप को अपने सामने लाकर, मन बुद्धि रूपी नेत्रों से उनके अनुपम स्वरूप को निहारती, उनके प्रेम के रंग में रंगी मैं आत्मा जल्दी से जल्दी उनके पास पहुँच जाना चाहती हूँ* और जाकर उनके प्रेम की गहराई में डूब जाना चाहती हूँ। मेरे रूहानी पिता का प्यार मुझे अपनी ओर खींच रहा है और मैं अति तीव्र गति से ऊपर की ओर उड़ती जा रही हूँ।

➳ _ ➳ सांसारिक दुनिया की हर वस्तु के आकर्षण से मुक्त, एक की लगन में मग्न, एक असीम आनन्दमयी स्थिति में स्थित मैं आत्मा *अब ऊपर की और उड़ते हुए आकाश को पार करती हूँ और उससे भी ऊपर अंतरिक्ष से परें सूक्ष्म लोक को भी पार कर उससे और ऊपर, अपनी मंजिल अर्थात अपने रूहानी शिव पिता की निराकारी दुनिया मे प्रवेश कर अपनी रूहानी यात्रा को समाप्त करती हूँ*। लाल प्रकाश से प्रकाशित, चैतन्य सितारों की जगमग से सजी, रूहों की इस निराकारी दुनिया स्वीट साइलेन्स होम में पहुँच कर मैं आत्मा एक गहन मीठी शांति का अनुभव कर रही हूँ।

➳ _ ➳ अपने रूहानी बाप से रूहानी मिलन मनाकर मैं आत्मा असीम तृप्ति का अनुभव कर रही हूँ। बड़े प्यार से अपने पिता के अति सुंदर मनमोहक स्वरूप को निहारते हुए मैं धीरे - धीरे उनके समीप जा रही हूँ। *स्वयं को मैं अब अपने पिता की सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों के आगोश में समाया हुआ अनुभव कर रही हूँ*। ऐसा लग रहा है जैसे मैं बाबा में समाकर बाबा का ही रूप बन गई हूँ। यह समीपता मेरे अंदर मेरे रूहानी पिता की सर्वशक्तियों का बल भरकर मुझे असीम शक्तिशाली बना रही है। *स्वयं को मैं सर्वशक्तियों का एक शक्तिशाली पुंज अनुभव कर रही हूँ*।

➳ _ ➳ अपनी रूहानी यात्रा का प्रतिफल अथाह शक्ति और असीम आनन्द के रूप में प्राप्त कर अब *मैं इस रूहानी यात्रा का मुख वापिस साकारी दुनिया की और मोड़ती हूँ और शक्तिशाली रूह बन, शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करने के लिए वापिस अपने साकार शरीर मे लौट आती हूँ*। किन्तु अपने रूहानी पिता के साथ मनाये रूहानी मिलन का सुखद अहसास अब भी मुझे उसी सुखमय स्थिति की अनुभूति करवा रहा है। *बाबा के निस्वार्थ प्रेम और स्नेह का माधुर्य मुझे बाबा की शिक्षाओं को जीवन मे धारण करने की शक्ति दे रहा है*।

➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण जीवन में हर कदम श्रीमत प्रमाण चलते हुए, बुद्धि से सम्पूर्ण समर्पण भाव को धारण कर, कर्मेन्द्रियों से हर कर्म करते बुद्धि को अब मैं केवल अपने शिव पिता पर ही एकाग्र रखती हूँ। *साकार सृष्टि पर, ड्रामा अनुसार अपना पार्ट बजाते, शरीर निर्वाह अर्थ हर कर्म करते, साकारी सो आकारी सो निराकारी इन तीन स्वरूपो की ड्रिल हर समय करते हुए, अब मैं मन को अथाह सुख और शांति का अनुभव करवाने वाली मन बुद्धि की इसी रूहानी यात्रा पर ही सदैव रहती हूँ*।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं विश्व कल्याण की जिम्मेवारी आत्मा हूँ।*
✺   *मैं समय और शक्तियों की इकोनॉमी करने वाली आत्मा हूँ।*
✺   *मैं मास्टर रचयिता आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ *मैं आत्मा महादानी हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा संकल्प और बोल द्वारा सबको वरदानों की प्राप्ति कराती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा बाबा का वरदानी हाथ हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  दिल मे झण्डा तो लहरा लिया है और कपडे का झण्डा भी लहरा लिया है जगह-जगह पर। *अभी प्रत्यक्षता का झण्डा जल्दी से जल्दी लहराना ही है। यही व्रत लोदृढ़ प्रतिज्ञा का व्रत लो की जल्दी से जल्दी यह झण्डा नाम बाला का लहराना ही है।* अभी दुखी दुनिया को मुक्तिधाम मे जीवनमुक्ति धाम में भेजो। बहुत दुखी है ना तो रहम करोअब दुख से छुडाओ। *जो बाप का वर्सा है - 'मुक्तिकावह सबको दिलाओ क्यों की परेशान बहुत हैं।* आप शान मे होवह परेशान हो। कभी भी मन्सा सेवा से अपने को अलग नही करनासदा सेवा करते रहो। वायुमण्डल फैलाते रहो। *सुखदाता के बच्चे सुख का वायुमण्डल फैलाते चलो। यही मनाना है।*

 

✺   *ड्रिल :-  "सुखदाता के बच्चे बन सुख का वायुमण्डल फैलाने का अनुभव"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने मीठे बाबा का हाथ पकड़े... उनसे मीठी-मीठी बातें करते हुए सैर कर रही हूँ... *मुझे तीर्थ यात्रा पर जाते हुए कुछ पदयात्री नजर आते हैं... जो कितना कष्ट, तकलीफें पाकर भी... भावना और प्रेम के वश पैदल चलते जा रहे हैं...* उनके हाथ में ध्वज/पताका है... मुंह से 'जय बाबा की' के जयकारे कर रहे हैं... उनके चेहरों पर अपने इष्टदेवों के प्रति कितना स्नेह है... जिस स्नेह और भक्ति भाव में भीगे हुए ये चलते जा रहे हैं...

 

 _ ➳  इनके हाथ में पताका देखकर मैं आत्मा याद करती हूँ शिवरात्रि को... जब *हम बाबा के बच्चे भी बाबा के अवतरण दिवस पर शिव ध्वज फहरा रहे हैं... हमारे दिलों में अपने प्यारे शिव साजन के स्नेह का झंडा लहरा रहा है.*.. हर ब्राह्मण आत्मा का दिल 'मेरा बाबा मेरा बाबा' के मधुर गीत गा रहा है... सबके दिलों में मीठे बाबा के प्यार की शहनाइयां गूंज रही हैं... सभी पर जैसे कि ईश्वरीय प्रेम का सुधा रस बरस रहा है... जिसे पीकर हर आत्मा रूपी चातक की प्यास बुझ रही है... और असीम तृप्ति मिल रही है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा रूपी सूरजमुखी अपने ज्ञान सूर्य बाबा को निहार रही हूँ... बाबा की किरणों का स्पर्श पाकर मन की एक एक कली खिल उठी है... खुशियों में झूम रही है... *मैं आत्मा अपने खेलते मुस्कुराते हुए चेहरे से बाबा को विश्व में प्रत्यक्ष कर रही हूँ... अपनी दिव्य रूहानी मुस्कान, अव्यक्त स्थिति से हर एक के दिल में परमात्म प्यार का झंडा लहरा रही हूँ*... विश्व की प्यासी, तड़पती अतृप्त, अशांत आत्माओं को प्यारे रूहानी पिता से मिलवाने के निमित्त बन रही हूँ...

 

 _ ➳  कष्टों, पीड़ाओं के थपेड़े खा खाकर दुःखी, निराश, अशांत आत्माएं... एक क्षण की शांति को पाने के लिए बेताब है... ये अपने पिता और घर को भूलकर कैसे भक्ति मार्ग में दर-दर भटक रही हैं... पर कोई भी ठिकाना नहीं पा रही हैं... *उन आत्माओं को मुझ आत्मा के द्वारा अपने वास्तविक घर का ठिकाना मिल रहा है... अपने रूहानी घर और रूहानी पिता का परिचय पाकर आत्माओं की उदासी, पीड़ाएँ समाप्त हो रही हैं*... सभी अपने रूहानी बाबा से मुक्ति और जीवन मुक्ति का वर्सा ले रही हैं... हर एक के दिल में, जुबां पर बाबा का नाम बाला हो रहा है...

 

 _ ➳  *मैं आत्मा सुख सागर पिता की संतान सुख स्वरूप आत्मा हूँ...* बाबा की छत्रछाया में हूँ... अपने बाबा से सर्व संबंधों का रसास्वादन कर रही हूँ... मैं आत्मा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूल रही हूँ... *ये सुख और आनंद के प्रकम्पन... मुझसे निकलकर चारों ओर फैल रहे हैं... चारों ओर का वायुमंडल चार्ज हो रहा है...* इस वायुमंडल में आने वाली हर आत्मा... सच्चे आत्मिक सुख का अनुभव कर रही है... मैं सुख सागर बाबा की किरणों के झऱने के नीचे स्थित होकर सर्वत्र सुखों की वर्षा कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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