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 30 / 01 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *आत्मिक स्थिति में रहने की आदत डाली ?*

 

➢➢ *पेपर में घबराने की बजाये फुल स्टॉप देकर फुल पास हुए ?*

 

➢➢ *क्वेश्चन, करेक्शन और कोटेशन का त्याग कर अपना कनेक्शन ठीक रखा ?*

 

➢➢ *योग के प्रयोग द्वारा विघन को समाप्त किया ?*

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*अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  जैसे शारीरिक हल्केपन का साधन एक्सरसाइज है वैसे *आत्मिक एक्सरसाइज योग अभ्यास द्वारा अभी-अभी कर्मयोगी अर्थात साकारी स्वरूपधारी बन साकार सृष्टि का पार्ट बजाना, अभी-अभी आकारी फरिश्ता बन आकारी वतनवासी अव्यक्त रूप का अनुभव करना - अभी-अभी निराकारी बन मूल वतनवासी का अनुभव करना, अभी-अभी अपने राज्य स्वर्ग अर्थात् बहकुंठ वासी बन देवता रूप का अनुभव करना, ऐसे बुद्धि की एक्सरसाइज करो तो सदा हल्के हो जायेंगे। पुरूषार्थ की गति तीव्र हो जायेगी।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं बाप की समीपता द्वारा समान बनने वाली विश्व-कल्याणकारी आत्मा हूँ"*

 

  सदा अपने को समीप आत्मा अनुभव करते हो? *समीप आत्माओंकी निशानी है - समान। जो जिसके समीप होता है, उस पर उसके संग का रंग स्वत: ही चढ़ता है। तो बाप के समीप अर्थात् बाप के समान।|*

 

  *जो बाप के गुण, वह बच्चों के गुण, जो बाप का कर्त्तव्य वह बच्चों का। जैसे बाप सदा विश्व-कल्याणकारी है ऐसे बच्चे भी विश्व-कल्याणकारी। तो हर समय यह चेक करो कि जो भी कर्म करते हैं, जो भी बोल बोलते हैं वह बाप समान हैं।*

 

  *बाप से मिलाते चलो और कदम उठाते चलो तो समान बन जायेंगे। जैसे बाप सदा सम्पन्न हैं, सर्वशक्तिवान हैं वैसे ही बच्चे भी मास्टर बन जायेंगे। किसी भी गुण और शक्ति की कमी नहीं रहेगी। सम्पन्न हैं तो अचल रहेंगे। डगमग नहीं होगे।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *बापदादा ने देखा। सुना नहीं देखा कि इस बारी डबल फारेनर्स ने साइलेन्स के बहुत अच्छे-अच्छे अनुभव किये।* सभी का सुन तो नहीं सकते हैं, लेकिन सुन लिया है।

 

✧  *अच्छे उमंग-उत्साह से प्रोगाम किया, और आगे भी अपने अपने देश में जाके भी यह साइलेन्स का अनुभव बीच-बीच में करते रहना चाहे जितना समय निकाल सको क्योंकि साइलेन्स का प्रभाव सेवा पर भी पडता ही है तो अच्छे प्रोग्राम किये।*

 

✧  बापदादा खुश है। आगे भी बढ़ाते रहना। उडते रहना, उडाते रहना। अच्छा। *अभी एक सेकण्ड में मन और बुद्धि को एकाग्र कर सकते हो? स्टॉप, बस स्टॉप हो जाए। अभी एक सेकण्ड के लिए मन और बुद्धि को एकदम एकाग्र बिन्दु, बिन्दु में समा जाओ।* (बापदादा ने ड़िल कराई)

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  बाप तो तुम बच्चों को बिन्दी रूप बनाने आये हैं। मैं आत्मा बिन्दु रूप हूँ। बिन्दी कितनी छोटी होती है और बाप भी कितना छोटा है। इतनी छोटी-सी बात भी तुम बच्चों की बुद्धि में नहीं आती है? *बच्चे! अगर बिन्दी को ही भूल जायेंगे, तो बोलो, किस आधार पर चलेंगे?* आत्मा के ही तो आधार से शरीर भी चलता है। मैं आत्मा हूँ। *यह नशा होना चहिये कि मैं बिन्दु, बिन्दु की ही संतान हूँ। संतान कहने से ही स्नेह में आ जाते हैं।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- सदैव खुशमौज में रह श्रीमत अनुसार सबकी खातिरी करना"*

➳ _ ➳ *भरपूर हुई है, मन की गागर*... *छलछल अब छलक रही है*... *मौजे परमात्म प्रेम की अंग अंग से अब झलक रही है*, *बाँट रही मै, भर भर आँचल, फिर भी मै भरपूर हूँ*... मौजों में रहती हरदम खुशियों का मै नूर हूँ... और प्रभु प्रेम का उपहार, इन खुशियों का नूर बनकर मैं आत्मा बैठी हूँ , खुशियों के सागर के पहलू में... खुशियों की तरंगे मेरे रोम रोम से बही जा रही हैं... ये धरती,ये गगन, ये बहती पवन सब मुझसे खुशनुमा मस्तियों की सौगात लिये जा रही है... *उनकी आँखो से बरसती खुशियों की चाँदनी अभी भी मुझे नख शिख नहला रही है*...

❉ *ज्ञान चन्द्रमा बापदादा आँखों ही आँखों में खुशियों की चाँदनी में नहलाते स्नेह से भरपूर हो मुझ आत्मा से बोले:-* "सदा रूहानियत की स्थिति में रहने वाली मेरी रूहे गुलाब बच्ची... *सारे ज्ञान का सार मन्मनाभव को क्या आपने बुद्धि में धारण किया है*? क्या जन्मों जन्मों के लिए खुशी की खुराक से भरपूर हुए हो? *समाने और समेटने की शक्ति द्वारा एकाग्रता का अनुभव करने वाले सार स्वरूप बने हो*? ऊँचे ते ऊँचे बाप की बच्ची, *अब बाप समान ऊँची स्थिति बनाओं*... *समेटकर संकल्पों को अपने, इस लगाव की रस्सी को जलाओं..."*

➳ _ ➳ *ज्ञान का तीसरा नेत्र दे कर सृष्टि के आदि मध्य अन्त का सम्पूर्ण सार मेरी बुद्धि में समाँ, मुझे त्रिनेत्री बनाने वाले बापदादा से, मैं आत्मा बोली:-* "मीठे से मीठा ज्ञान का एक ही अक्षर बुद्धि में धारण कर मैं धन्य हुई हूँ बाबा!... *जन्मों जन्मों की मिठास अब तो जीवन में इस कदर घुली कि कोशिशों के बिना ही दिशाओं में भी घुलने लगी है... गैर नही रहा कोई अब, हर रूह अपनी- सी लगने लगी है...जाम खुशियों का अब भर- भर कर उँडेल रही हूँ*... *गमों की दुनिया भूली हूँ बाबा! अब बस खुशियों से खेल रही हूँ..."*

❉ *इस दुनियावी जहाजी बेडे को इस पतित भवसागर से पार ले जाने वाले मेरे खिवैय्या सतगुरू मुझ आत्मा से बोलें:-* "रूहानी बच्ची... संगम के इन गलियारों से इस ज्ञान की मीठी सेक्रीन, *मन्मनाभव* का सबको अनुभव कराओं, *ज्ञान और योग की ये फर्स्ट क्लास वन्डरफुल खुराक, खुशी के एक -एक लम्हें के लिए तरसती हर आत्मा को पिलाओं*, इस अनमोल खुराक के सर्जन का अब हर रूह से परिचय कराओ..."

➳ _ ➳ *मुझ आत्मा से सब डिफेक्ट निकाल, मुझे प्युअर डायमण्ड बनाने वाले रत्नाकर बाप से, मैं आत्मा बोली:- "मीठे बाबा... एक बाप के डायरेक्शन प्रमाण चलने वाली मै महावीर आत्मा, मन्मनाभव की स्मृति से सबको समर्थ बना रही हूँ*... आत्मा भाई -भाई की स्मृति से बाप के वर्से की ये अधिकारी आत्माए देखो, अपने भाग्य पर किस कदर इठला रही है, निमित्त बन, कर जो दिया इनको अखुट खजाना, अब त्रिकाल दर्शी बन ये भी सबको लुटा रही है, बाबा! *विकारों की खोट आपने मुझ आत्मा से जैसे निकाली है, वैसे ही मैं अब हर आत्मा को प्योर डायमंड बनने के तमाम हुनर सिखा रही हूँ..."*

❉ *अतीन्द्रिय सुखों की रिमझिम सी बरसातों में भिगो देने वाले ज्ञानसागर बाप, शिक्षक और सतगुरू बोले:-* "सबको सुख देने वाली मेरी खुशबूदार फूल बच्ची... अपने *दिव्य गुणों की खुशबू से अब सतयुगी नजारें साकार करो*, *खुशियों के रंगों से जो बेरंग नजारें है, अब उनमे भी परमात्म प्यार भरों*... सदा खुश मौज में रहों खुद, फिर औरो, को खुशियाँ बाँट दो, प्यारें बन कर संसार के मोह के बंधन काट दों... *अन्तिम समय, सेकेन्ड का समय और नष्टोमोहा का पेपर, इस पेपर में पास सबको पास कराओं..."*

➳ _ ➳ *वन्डरफुल ज्ञान देने वाले वन्डरफुल बाप से इस वन्डरफुल समझानी को पाकर मैं आत्मा धन्य हो बोली*:- "प्यारे मीठे बापदादा... *इस ज्ञान का सार, वर्से का सार, ये अखुट खुशी और आपका पावन प्यार*... जो भर भर आपने लुटाया है... *इस पालना का रिटर्न मैने भी हर आत्मा को आप का परिचय देकर चुकाया है*... घर घर मन्दिर बन रहा है बाबा ! हर नर में नारायण नजर आते है... आप मौजों का सागर हो, ये सुनकर हर रूह आपके पहलू में आ चुकी है... *और विश्व कल्याणकारी मैं आत्मा, निमित्त भाव से खुशियों के अखुट खजाने लुटाये जा रही हूँ... वरदानों से भरपूर कर रहे है बापदादा मुझे और मै मन्द मन्द मुस्कुराये जा रही हूँ..."*

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- तीसरे नेत्र से आत्मा भाई को देखो, भाई - भाई समझ सभी को ज्ञान दो*"

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परम पिता परमात्मा की संतान हम सभी आत्मा भाई - भाई हैं जो इस सृष्टि रंगमंच पर अपना - अपना पार्ट बजाने के लिए अवतरित हुए है। इस सृष्टि रूपी नाटक में हर आत्मा शरीर रूपी वस्त्र धारण कर अपना पार्ट बजा रही है। एक का पार्ट ना मिले दूसरे से। *इस वन्डरफुल सृष्टि ड्रामा के गुह्य राज को जान, सृष्टि चक्र के हर सीन को साक्षी होकर देखने का पुरुषार्थ करती हुई मैं आत्मा अपने ब्राह्मण स्वरूप की स्मृति में बैठ अब अपने सँगमयुगी ब्राह्मण जीवन के कर्त्तव्यों के बारे में विचार करती हूँ कि मेरा यह ब्राह्मण जीवन जो मेरे पिता परमात्मा की देन है, को मुझे परमात्म श्रीमत अनुसार सफल कर, अपने पिता के स्नेह का रिटर्न देना है*

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स्वयं से यह दृढ़ प्रतिज्ञा कर, अपने पिता के इस फरमान को कि *"अपने को आत्मा समझ आत्मा भाई - भाई को ज्ञान देना है" को स्मृति में लाकर, आत्मिक स्मृति के पाठ को पक्का करने और स्वयं को परमात्म बल से भरपूर करने के लिए मैं अशरीरी स्थिति में स्थित होती हूँ*। देह से न्यारे अपने निराकार ज्योति स्वरूप में स्थित हो कर अपने मन बुद्धि को अपने निराकार महाज्योति शिव पिता परमात्मा पर एकाग्र करते ही उनसे आ रहे परमात्म करेंट को मैं अपने अंदर प्रवाहित होते हुए स्पष्ट अनुभव करती हूँ।
 
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जैसे मोबाइल को चार्जर के साथ लगा कर बिजली का स्विच ऑन करते ही मोबाईल की बैटरी चार्ज होने लगती है ऐसे ही स्मृति के स्विच को ऑन करते ही परमात्म शक्तियों के शक्तिशाली करेन्ट से मैं भी स्वयं को चार्ज होता हुआ स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। *मुझे अनुभव हो रहा है कि परमात्म बल पा कर मुझ आत्मा की सोई हुआ शक्तियाँ पुनः जागृत हो रही हैं। मेरे शिव पिता परमात्मा से आ रहा सर्वशक्तियों का करेन्ट मैगनेट की भांति मुझे ऊपर अपनी ओर खींच रहा हैं*। परमात्म शक्तियों की मैजिकल पावर से मैं विदेही बन अब ऊपर की और उड़ रही हूँ। सेकेण्ड में आकाश और सूक्ष्म लोक को पार करके मैं पहुँच गई अपने शिव पिता परमात्मा की अनन्त शक्तियों की किरणों के बिल्कुल नीचे उनके पास उनके निजधाम में।

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अपने इस परमधाम घर मे अब मैं सर्वशक्तियों के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के बिल्कुल समीप हूँ और उनसे आ रही सर्वशक्तियों की शक्तिशाली किरणों को स्वयं में समा कर असीम ऊर्जावान बन रही हूँ। *अपने प्यारे, मीठे बाबा के सर्वगुणों, सर्वशक्तियों और सर्व खजानों को स्वयं में भर कर, अब मैं ईश्वरीय सेवा अर्थ वापिस साकार लोक की ओर आ रही हूँ*। साकार लोक में अपने साकार शरीर मे प्रवेश कर, अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित हो कर, आत्मिक स्मृति में रह कर अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाले सभी आत्मा भाइयों को परमात्म ज्ञान देकर, उनका कल्याण कर रही हूँ।

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जिस आत्मिक दृष्टि से बाबा अपने हर बच्चे को देखते है उसी आत्मिक स्मृति में स्थित होकर, सबको आत्मा भाई - भाई की दृष्टि से देखने के मूल मंत्र को अपने जीवन मे धारण कर, अपनी दृष्टि वृति को आत्मिक बनाकर अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी आत्माओं को अब मैं रूहानी स्नेह दे कर उन्हें सुख और शांति की अनुभूति करवा रही हूँ। *अपने शिव पिता परमात्मा द्वारा मिली हर ईश्वरीय सेवा को आत्मिक स्मृति में और अपने शिव पिता परमात्मा की याद में रह कर करने से हर सेवा में मैं सहज ही सफलता प्राप्त कर रही हूँ*। स्वयं को आत्मा समझ अपने सभी आत्मा भाइयों को वाणी द्वारा परमात्म सन्देश देने और उन्हें परमात्म प्रेम का अनुभव करवा कर उन्हें सच्चा ईश्वरीय मार्ग दिखाने की रूहानी सेवा अब मैं निरन्तर कर रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं पेपर में घबराने के बजाए फुल स्टॉप देकर फुल पास होने वाली आत्मा हूँ।*
✺   *मैं सफलतामूर्त आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ *मैं आत्मा सदैव स्वउन्नति करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा क्वेश्चन, करेक्शन और कोटेशन का त्याग करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा अपना कनेक्शन सदा ठीक रखती हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *सबसे पहला खजाना है - ज्ञान का खजाना, जिस ज्ञान के खजाने से इस समय भी आप सभी मुक्ति और जीवनमुक्ति का अनुभव कर रहो हो।* जीवन में रहते, पुरानी दुनिया में रहते, तमोगुणी वायुमण्डल में रहते ज्ञान के खजाने के आधार से इन सब वायुमण्डल, वायब्रेशन से न्यारे मुक्त हो, कमल पुष्प समान न्यारे मुक्त आत्मायें दुःख से, चिंता से, अशान्ति से मुक्त हो। *जीवन में रहते बुराइयों के बन्धनों से मुक्त हो। व्यर्थ संकल्पों के तूफान से मुक्त हो। हैं मुक्त?* सभी हाथ हिला रहे हैं। तो मुक्ति और जीवनमुक्ति इस ज्ञान के खजाने का फल है, प्राप्ति है। चाहे व्यर्थ संकल्प आने की कोशिश करते हैं, निगेटिव भी आते हैं लेकिन ज्ञान अर्थात् समझ। *व्यर्थ संकल्प वा निगेटिव का काम है आना और आप ज्ञानी तू आत्माओं का काम है इनसे मुक्त, न्यारे और बाप के प्यारे रहना।* तो चेक करो - ज्ञान का खजाना प्राप्त है? भरपूर है? सम्पन्न है या कम है? *अगर कम है तो उसको जमा करो, खाली नहीं रहना।*

 

✺   *ड्रिल :-  "ज्ञान के खजाने का महत्व अनुभव करना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा अशरीरी स्वरूप में ऊंची पहाड़ी पर जाकर बैठी हूं... चारों ओर निर्मल प्रकृति की मनोरम छटा देख मन ही मन पुलकित अनुभव कर रही हुं... अमृतवेले की इस पावन मुहूर्त में मैं आत्मा प्रकृति की गोद मे बैठ स्वयं को स्वतन्त्र अनुभव कर रही हूं... यह खुला सा वातावरण सारे बन्धनों से मुक्त अनुभव करा रहा है... ठंडी ठंडी हवाएं आत्मा को शीतलता प्रदान कर रही है... *मैं आत्मा अशरीरी स्वरूप में उन्मुक्त हो विचरण कर रही हूं...*

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा मीठे शिवबाबा से मिलन मनाने अपने निवास परमधाम की ओर उड़ रही हूं... देह और देह की दुनिया से दूर , ग्रह नक्षत्रों के पार स्थित परमात्म निवास परमधाम की ओर बढ़ रही हूं... लाल प्रकाश से भरपूर इस परमधाम में सर्व शक्तिमान पिता विराजमान दिखाई दे रहे है... *मैं आत्मा मीठे बाबा के सम्मुख जाकर बैठ जाती हूं... मीठे बाबा की मीठी दृष्टि पाकर मैं आत्मा निहाल हो रही हूं...* बाबा की मीठी किरणे मुझ आत्मा को परम् तृप्ति का अनुभव करा रही है...

 

 _ ➳  मीठे शिवबाबा की ज्ञान की किरणें मुझ आत्मा को भरपूर कर रही है... मैं आत्मा ज्ञान प्रकाश में नहाकर उज्ज्वल हो रही हूं... मुझ आत्मा के अज्ञानता के समस्त अंधकार को मिटा रहे है... दुःख, चिंता, अशांति से मुक्त अनुभव कर रही हूं... *मैं आत्मा परमात्मा पिता की शक्तिशाली प्रकाश ऊर्जा के नीचे बैठ स्वयं को शक्तिशाली अनुभव कर रही हूं...* मुझ आत्मा को ज्ञान प्रकाश में स्थित होकर मुक्ति व जीवनमुक्ति की प्राप्ति बड़ी ही सहजता से हो रही है...

 

 _ ➳  मीठे बाबा से भरपूर हो अब मैं आत्मा अपने स्थूल वतन की ओर लौट रही हूं... ज्ञान प्रकाश से उज्ज्वल हो मैं ज्ञान की ऊर्जा सम्पूर्ण विश्व मे फैला रही हूं... *मैं आत्मा ज्ञान सूर्य से ज्ञान किरणे प्राप्त कर ज्ञान का खजाना भर रही हूं और सभी आत्माओं तक ज्ञान प्रकाश बांट रही हूं...* पुराने देह की दुनिया मे रहते हुए भी मैं आत्मा ज्ञान खजाने द्वारा स्वयं को और अन्य साथी आत्माओ को व्यर्थ निगेटिव से मुक्त कर रही हूं... *मैं आत्मा सर्व खजाने से सम्पन्न महसूस कर रही हूं...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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