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 01 / 01 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ स्वदर्शन चक्र फिराते रहे ?

 

➢➢ ऊंचे ते ऊंचे बाप को प्रतक्ष्य किया ?

 

➢➢ नयनो में पवित्रता की झलक और मुख पर पवित्रता की मुस्कराहट रही ?

 

➢➢ सब जिम्मेवारियान निभाते हुए आकारी और निराकारी स्थिति का अनुभव किया ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  जैसे कोई कमजोर होता है तो उनको शक्ति भरने के लिए ग्लूकोज चढ़ाते हैं, ऐसे जब अपने को शरीर से परे अशरीरी आत्मा समझते हो तो यह साक्षीपन की अवस्था शक्ति भरने का काम करती हैं और जितना समय साक्षी अवस्था की स्थिति रहती है उतना ही बाप साथी भी याद रहता है अर्थात् साथ रहता है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं रूहानी नशे में स्थित रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"

 

  सदा रुहानी नशे में स्थित रहते हो? रुहानी नशा अर्थात् आत्म अभिमानी बनना। सदा चलते-फिरते आत्मा को देखना यही है रुहानी नशा। रुहानी नशे में सदा सर्व प्राप्ति का अनुभव सहज ही होगा। जैसे स्थूल नशे वाले भी अपने को प्राप्तिवान समझते हैं, वैसे यह रुहानी नशे में रहने वाले सर्व प्राप्ति स्वरुप बन जाते हैं। इस नशे में रहने से सर्व प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं।

 

✧  दु:ख और अशान्ति को विदाई हो जाती है। जब सदाकाल के लिए सुखदाता के, शान्तिदाता के बच्चे बन गये तो दुख अशान्ति को विदाई हो गई ना। अशान्ति का नामनिशान भी नहीं। शान्ति के सागर के बच्चे अशान्त कैसे हो सकते। रुहानी नशा अर्थात् दुख और अशान्ति की समाप्ति। उसकी विदाई का समारोह मना दिया? क्योंकि दुख अशान्ति की उत्पत्ति होती है अपवित्रता से। जहाँ अपवित्रता नहीं वहाँ दुख अशान्ति कहाँ से आई।

 

  पतित पावन बाप के बच्चे मास्टर पतित पावन हो गये। जो औरों को पतित से पावन बनाने वाले हैं वह स्वयं भी तो पावन होंगे ना। जो पावन पवित्र आत्मायें हैं उनके पास सुख और शान्ति स्वत: ही है। तो पावन आत्मायें, श्रेष्ठ आत्मायें विशेष आत्मायें हो। विश्व में महान् आत्मायें हों क्योंकि बाप के बन गये। सबसे बड़े ते बड़ी महानता है पावन बनना। इसलिए आज भी इसी महानता के आगे सिर झुकाते हैं। वह जड़ चित्र किसके हैं? अभी मन्दिर में जायेंगे तो क्या समझेंगे? किसकी पूजा हो रही है? स्मृति में आता है-कि यह हमारे ही जड़ चित्र हैं। ऐसे अपने को महान् आत्मा समझकर चलो। ऐसे दिव्य दर्पण बनो जिसमें अनेक आत्माओंको अपनी असली सूरत दिखाई दे।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  ऑर्डर करो, जैसे हाथ को ऊपर उठाना चाहो तो उठा लेते हो। क्रेक नहीं है तो उठा लेते हो ना! ऐसे मन, यह सूक्ष्म शक्ति कन्ट्रोल में आनी है। लाना ही है। ऑर्डर करो - स्टॉप तो स्टॉप हो जाए।

 

✧  सेवा का सोची, सेवा में लग जाए। परमधाम में चलो, तो परमधाम में चला जाये। सूक्ष्मवतन में चलो, सेकण्ड में चला जाए। जो सोचो वह ऑर्डर में हो। अभी इस शक्ति को बढाओ। छोटे-छोटे संस्कारों में, युद्ध में समय नहीं गंवाओ, आज इस संस्कार को भगाया, कल उसको भगाया।

 

✧  कन्ट्रोलिंग पॉवर धारण करो तो अलग-अलग संस्कार पर टाइम नहीं लगाना पडेगा। नहीं सोचना है, नहीं करना है, नहीं बोलना है। स्टॉप। तो स्टॉप हो जाए। यह है कर्मातीत अवस्था तक पहुँचने की विधि।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧  अभी यह धूम मचाओ। अन्त:वाहक शरीर से चक्र लगाने का अभ्यास करो। ऐसा समय आयेगा जो प्लेन भी नहीं मिल सकेगा। ऐसा समय नाजुक होगा तो आप लोग पहले पहुँच जायेंगे। अन्त:वाहक शरीर से चक्र लगाने का अभ्यास ज़रूरी है। ऐसा अभ्यास करो जैसे प्रैक्टिकल में सब देख कर मिलकर आये हैं। दूसरे भी अनुभव करें - हाँ, यह हमारे पास वही फ़रिश्ता आया था। फिर ढूँढने निकलेंगे फ़रिश्तों को। अगर इतने सब फ़रिश्ते चक्र लगायें तो क्या हो जाये ? अॉटोमेटिकली सबका अटेन्शन जायेगा। तो अभी साकारी के साथसाथ आकारी सेवा भी ज़रूर चाहिए। अच्छा - अभी अमृतवेले शरीर से डिटैच हो कर चक्र लगाओ।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- सवेरे-सवेरे उठकर पहले शिवबाबा को गुडमॉर्निंग कहना"

➳ _ ➳ अमृतवेला शुद्ध पवन है, मेरे लाडले जागो कहते हुए मेरे बाबा मुझे उठाते हैं... मैं आत्मा अपने प्राण प्यारे बाबा को सामने देख मुस्कुराते हुए गुडमॉर्निंग कर उनकी गोद में समा जाती हूँ... अमृतवेले के रूहानी समय में मैं आत्मा बापदादा का हाथ पकड पूरे ग्लोब का, सूक्ष्मवतन का, परमधाम का, सतयुगी दुनिया का चक्कर लगा रही हूँ... प्यारे बाबा की याद में लवलीन होकर विचार सागर मंथन कर मीठे बाबा से रूह-रिहान कर रही हूँ...

❉ ढेर सारा याद प्यार देकर, गुड मॉर्निंग कर मीठी समझानी देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... सवेरे सवेरे अपने सच्चे मीठे और प्यारे बाबा को गुडमोर्निग अवश्य करो... जनमो के बाद जो मीठा बाबा मिला है उसकी मीठी यादो के अनन्त सुख में खो जाओ... मीठे पिता को ही जीओ और उसकी यादो में वैसा ही खूबसूरत बन जाओ...”

➳ _ ➳ मन दर्पण में एक बाबा की मूरत को बसाकर साँझ, सवेरे एक बाबा को ही निहारती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अब शरीर के सारे नातो से न्यारी होकर मीठे बाबा की यादो में खोयी हूँ.... बाबा ही मेरा संसार है... बाबा से ही जीवन का सवेरा है बाबा ही मेरे जीवन का आधार है इस नशे में डूबी हुई हूँ...”

❉ अपनी मीठी यादों के रंगों में मेरे जीवन के हर पल को रंगीन बनाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे...अब देहधारियों को नही... अपने सच्चे सच्चे पिता को ही हर पल याद करो... ये यादे ही सुनहरे सुखो से दामन सजाएंगी... जीवन को सच्चे प्यार और मधुरता से छलकायेगी... सवेरे उठकर मीठे बाबा को यादो में बसाओ...”

➳ _ ➳ पल-पल बाबा को प्यार से याद कर दिल ही दिल में उनसे बातें करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा कितनी महान भाग्य से सजी हूँ की सवेरे सवेरे उठकर ईश्वर पिता को गुडमॉर्निंग कर रही हूँ... मेरी यादो में स्वयं भगवान समाया है... अब इंसानी रिश्तो से ऊपर उठकर... मै भगवान को चाहने वाली उसकी यादो में जीने वाली खुशनसीब आत्मा हूँ...”

❉ रिमझिम रिमझिम प्यार की बरसात में रूहानी प्यार का अनुभव कराते हुए मेरे बाबा कहते हैं:- "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब सच्ची यादो का छलकता मौसम आ गया है... भगवान स्वयं धरती पर बच्चों के आकर्षण में बन्ध उतर गया है तो सच्चे प्यार के मधुमास में खो जाओ.... सवेरे सवेरे सच्चे माशूक की सच्ची बेपनाह मुहोब्बत में गहरे डूब जाओ...”

➳ _ ➳ यादों की रोशनी से सीप में मोती समान जगमगाती बाबा की प्यारी परी बनकर मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सच्चे प्यार को पाकर कितनी प्यार भरी हो गयी हूँ... कभी धरती की मिटटी से खेलने वाली आज आसमानी माशूक की बाँहों में झूल रही हूँ... सवेरे मीठा माशूक मुझसे मिलने आये और मै आत्मा उसकी बाँहों में समाकर स्वयं को ही भूल सी जाऊँ...”

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- प्राणदान देने वाले बाप को बहुत प्यार से याद करते सबको शान्ति का दान देना है"

➳ _ ➳ "विश्व की सर्व आत्मायें शांति की तलाश में भटक रही है, उन तड़पती हुई आत्माओं को शांति की अनुभूति करवाओ" अपने शिव पिता परमात्मा के इस फरमान का पालन करने के लिए, अपनी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित हो कर मैं शांति के सागर अपने शिव पिता परमात्मा की याद में बैठ जाती हूँ। अशरीरी स्थिति में स्थित होते ही मैं स्वयं को शान्तिधाम में शांति के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के सन्मुख पाती हूँ जो शांति की अनन्त शक्तियों से मुझे भरपूर कर रहें हैं। अपने शिव पिता से आ रही शांति की शक्तिशाली किरणों को स्वयं में समा कर मैं जैसे शांति का पुंज बनती जा रही हूं।

➳ _ ➳ शांति की असीम शक्ति का स्टॉक अपने अंदर जमा करके अब मैं परमधाम से नीचे आ कर विश्व की उन सर्व आत्माओं को शांति की अनुभूति करवाने चल पड़ती हूँ जो पल भर की शांति की तलाश में भटक रही हैं। सूक्ष्म लोक में पहुंच कर अपना लाइट का फ़रिशता स्वरूप धारण कर, शांति दूत बन बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर अब मैं विश्व ग्लोब पर आ कर बैठ जाता हूँ। मैं देख रहा हूँ बापदादा से अविरल शांति की धाराएं निकल रही हैं जो निरन्तर मुझ फ़रिश्ते में समा रही है। शांति की इन धाराओं को मैं फ़रिशता अब विश्व ग्लोब के ऊपर प्रवाहित कर रहा हूँ। शांति की इन धाराओं के विश्व ग्लोब पर पड़ते ही शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन पूरे विश्व मे फैल रहें हैं।

➳ _ ➳ जैसे - जैसे ये वायब्रेशन वायुमण्डल में फैल रहें हैं वैसे - वैसे वायुमण्डल में एक दिव्यता छाने लगी है। जैसे सुबह की ताजी हवा शरीर को सुखद अहसास करवाती है वैसे ही वायुमण्डल में फैले ये शांति के वायब्रेशन आत्माओं को एक अद्भुत सुख का अनुभव करवा रहें हैं। उनके अशांत मन शांति का अनुभव करके तृप्त हो रहे हैं। सबके चेहरे पर एक सकून दिखाई दे रहा है। जन्म जन्मान्तर से शांति की एक बूंद की प्यासी आत्माओं की प्यास बुझ रही है। शांति के सागर शिव पिता से आ रही शांति की किरणों का प्रवाह और भी तीव्र होता जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे शांति की शक्ति की किरणों की बरसात हो रही है।

➳ _ ➳ जैसे चात्रक पक्षी अपनी प्यास बुझाने के लिए स्वांति की एक बूंद पाने की इच्छा से व्याकुल निगाहों के साथ निरन्तर आकाश की ओर देखता रहता है। इसी प्रकार शांति की तलाश में भटकती और तड़पती हुई आत्मायें भी शांति की एक बूंद पाने की इच्छा से व्याकुल निगाहों से ऊपर देख रही है और शांति की किरणों की बरसात में नहा कर जैसे असीम शांति का अनुभव करके प्रसन्न हो रही हैं। विश्व की सर्व आत्माओं को शांति की अनुभूति करवाकर अब मैं फ़रिशता बापदादा के साथ फिर से सूक्ष्म लोक में पहुंचता हूँ। अपनी फ़रिशता ड्रेस को उतार कर अपने निराकारी स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं आत्मा अपने शांत स्वरूप में स्थित हो कर वापिस साकारी दुनिया मे अपने साकारी शरीर मे प्रवेश करती हूं।

➳ _ ➳ साकारी दुनिया मे आ कर अब मैं आत्मा अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, निरन्तर अपने शांत स्वधर्म में रहकर शांति के वायब्रेशन चारों ओर फैला रही हूँ। सर्व आत्माओ को शांति के सागर बाप का परिचय दे कर, उन्हें भी अपने शांत स्वधर्म में स्थित हो कर शांति पाने का सहज उपाय बता रही हूं। स्वयं को शांति के सागर अपने शिव पिता के साथ सदा कम्बाइंड अनुभव करने से मेरे सम्पर्क में आने वाली परेशान आत्मायें डेड साइलेन्स की अनुभूति करके सहज ही अपनी सर्व परेशानियों से मुक्त हो रही हैं। "विश्व की सर्व आत्माओं को शांति का अनुभव कराना" यही मेरा कर्तव्य है। इस बात को सदा स्मृति में रख अब मैं इसी ईश्वरीय सेवा में निरन्तर लगी रहती हूं।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं ऊंचे ते ऊंचे बाप को प्रत्यक्ष करने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं शुभ और श्रेष्ठ कर्मधारी आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ मैं आत्मा रूहानियत का अर्थ समझती हूँ ।
✺ मैं आत्मा नयनों में पवित्रता की झलक सदा अनुभव कराती हूँ ।
✺ मैं आत्मा मुख पर पवित्रता की मुस्कुराहट सदा धारण करती हूँ ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. दादियों का एक संकल्प बापदादा के पास पहुँचा है। दादियाँ चाहती हैं कि अभी बापदादा साक्षात्कार की चाबी खोलेयह इन्हों का संकल्प हैं। आप सब भी चाहते होबापदादा चाबी खोलेंगे या आप निमित्त बनेंगे? अच्छा, बापदादा चाबी खोले, ठीक है। बापदादा हाँ जी करते हैं, (ताली बजा दी) पहले पूरा सुनो। बापदादा को चाबी खोलने में क्या देरी हैलेकिन करायेगा किस द्वाराप्रत्यक्ष किसको करना हैबच्चों को या बाप कोबाप को भी बच्चों द्वारा करना है क्योंकि अगर ज्योतिबिन्दु का साक्षात्कार भी हो जाए तो कई तो बिचारे..., बिचारे हैं ना! तो समझेंगे ही नहीं कि यह क्या है। अन्त में शक्तियाँ और पाण्डव बच्चों द्वारा बाप प्रत्यक्ष होना है।

 

 _ ➳  2. तो ब्रह्मा बाप को फालो करो। अशरीरीबिन्दी आटोमेटिकली हो जायेंगे।

 

 _ ➳  3. आप भी एक रूहानी रोबट की स्थिति तैयार करो। जिसको कहेंगे रूहानी कर्मयोगीफरिश्ता कर्मयोगी। पहले आप तैयार हो जाना।

 

 _ ➳  4. बापदादा ऐसे रूहानी चलते-फिरते कर्मयोगी फरिश्ते देखने चाहते हैं। अमृतवेले उठोबापदादा से मिलन मनाओरूह-रूहान करोवरदान लो। जो करना है वह करो। लेकिन बापदादा से रोज अमृतवेले 'कर्मयोगी फरिश्ता भवका वरदान लेके फिर कामकाज में जाओ।

 

 _ ➳  5. इस स्थिति की धरनी तैयार करो तो बापदादा साक्षात बाप बच्चों द्वारा साक्षात्कार अवश्य करायेगा। 'साक्षात् बाप और साक्षात्कार' - यह दो शब्द याद रखना। बस हैं ही फरिश्ते। सेवा भी करते हैं, ऊपर की स्टेज से फरिश्ते आये, सन्देश दिया फिर ऊपर चले गये अर्थात् ऊँची स्मृति में चले गये। 

 

✺   ड्रिल :-  "बापदादा से रोज अमृतवेले 'कर्मयोगी फरिश्ता भव' का वरदान लेने का अनुभव"

 

 _ ➳  हमारी मीठी मीठी दादियों के मन में विश्व कल्याण के कितने श्रेष्ठ संकल्प है... दादियों ने बापदादा को प्रत्यक्ष करने के लिए अपना सब कुछ समर्पित किया है... विश्व की सर्व आत्माओ के लिए दादियों का संकल्प है की बापदादा साक्षात्कार की चाबी खोले... बापदादा को तो साक्षात्कार की चाबी खोलने में कोई देरी नहीं लगती... लेकिन वो साक्षात्कार भी हम बच्चों के द्वारा ही करायेंगे... बाप को बच्चों के द्वारा ही प्रत्यक्ष होना है... क्योंकि बाप तो निराकार ज्योतिबिन्दु है... अगर ज्योतिबिन्दु का साक्षात्कार भी हो जाए तो कई तो बिचारे समझेंगे ही नहीं कि यह क्या है... तो अंत में शक्तियाँ और पाण्डव बच्चों द्वारा बाप प्रत्यक्ष होना है...

 

 _ ➳  अमृतवेला में मैं सदा रूहानी खुश्बु से महकती हुई बापदादा की दिलतख्तनशीन ब्राह्मण आत्मा.. अपने फरिश्ताई ड्रेस में... अपने सेवा स्थान से उड चलती हू अपने प्यारे मधुबन पांडव भवन की ओर... रास्ते में पेड़ पहाडियों को निहारते हुए... जो भी आत्मा सामने दिखे... उन्हे शांति की शक्ति से भरपूर करते हुए पहुंची बापदादा के कमरे में... वहाँ मुझे आते देख बापदादा मुस्कुराएं और मुझे अपनी मीठी दृष्टि से निहाल करने लगे... बापदादा के नयनो से प्रेम की किरणें मुझ पर बरस रही है... मैं परमात्म प्रेम से तृप्त अनुभव कर रही हूँ... बापदादा के इस रूहानी मिलन में वो परमानंद का अनुभव हो रहा है जो आजतक कभी नहीं हुआ...

 

 _ ➳  उनसे रूह-रूहान करते हुए मैं स्वयं को पद्मापद्म भाग्यशाली महसूस कर रही हूँ... बापदादा अपना प्रेम से भरपूर हाथ मेरे मस्तक पर रखते हुए मुझे कर्मयोगी फरिश्ता भव का वरदान दे रहे है... बापदादा का यह वरदान पाकर मैं आत्मा धन्य हो गई... बापदादा से विदाई लेकर वापस लौटती हूँ... लेकिन अब मेरी स्थिति पहले से अधिक श्रेष्ठ है... मेरा हर कर्म ब्रह्मा बाप समान है... चलना-फिरना, बोलना, हंसना, उठना-बैठना... हर कर्म में मैं आत्मा ब्रह्माबाप को फाॅलो कर रही हूँ... मैं अशरीरी स्थिति की अनुभूति में मग्न हूँ... इस श्रेष्ठ स्मृति में ही हर कर्म हो रहा है... आटोमेटिकली बिन्दी अवस्था...

 

 _ ➳  कर्म करते हुए भी कर्मो से एकदम न्यारी प्यारी अवस्था... एक ऐसी स्थिति है जो मैं स्वयं को रूहानी रोबट अनुभव कर रही हूँ... मैं रूहानी कर्मयोगी फरिश्ता उडता जा रहा हूँ... मैं इस ही स्मृति में उडता जा रहा हू कि मैं बाबा का रूहानी रोबट हूँ... सूक्ष्मवतन से नीचे उतर कर... सेवा करते हुए सबको बापदादा का परिचय बोल से और चाल चलन से देते हुए... फिर से ऊपर चलते हुए मुझे निकलती हुई लाइट माइट की किरणें पूरे ग्लोब पर पड रही हैं... आत्माएं मुझे देखकर धन्य-धन्य अनुभव कर रही है... सारी आत्माएं मुझसे निकलती लाइट माइट अनुभव कर रही हैं... उन लाइट और माइट से सारी ब्राह्मण आत्माएं भी कर्मयोगी फरिश्ता बन गई है...

 

 _ ➳  विश्व की सारी ब्राह्मण आत्मायें ग्लोब के आसपास चक्र लगा रही है... सबसे निकलती लाइट माइट अंधो की लाठी बन चुकी है... हर एक ब्राह्मण आत्मा ब्रह्मा बाप समान संपूर्ण सम्पन्न और कर्मातीत स्थिति के लिए पुरूषार्थ कर रहा है... हर एक ब्राह्मण में बापदादा का साक्षात्कार सारी धरती की आत्माओ को हो रहा है... चारों ओर साक्षात्कार की धूम मची है... सबको अनुभव हो रहा है कि कोई फरिश्ते आए... और साक्षात्कार करा कर भगवान का सन्देश दिया और चले गए... अन्त में शक्तियाँ और पाण्डव बच्चों द्वारा बाप प्रत्यक्ष हुए... दादियों का संकल्प भी पूरा हुआ... सभी के मन से यही आवाज निकल रहा है वाह बाबा वाह... और बाप भी कह रहे है वाह बच्चें वाह...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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