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 24 / 03 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अपना बोल बहुत मीठा और रॉयल रखा ?*

 

➢➢ *ज्ञान रत्नों का दान किया ?*

 

➢➢ *"मैं" और "मेरेपन" की बलि चडाई ?*

 

➢➢ *संकल्पों में दृढ़ता से सोचना और करना समान बनाया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *जो सदा बाप की याद में लवलीन अर्थात् समाये हुए हैं । ऐसी आत्माओं के नैनों में और मुख के हर बोल में बाप समाया हुआ होने के कारण शक्ति-स्वरुप के बजाय सर्व शक्तिवान् नज़र आयेगा ।* जैसे आदि स्थापना में ब्रह्मा रुप में सदैव श्रीकृष्ण दिखाई देता था, ऐसे आप बच्चों द्वारा सर्वशक्तिवान् दिखाई दे।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं स्वराज्य अधिकरी आत्मा हूँ"*

 

  सभी अपने को स्वराज्य अधिकारी समझते हो? *स्वराज्य अब संगमयुग पर,विश्व का राज्य भविष्य की बात है। स्वराज्य अधिकारी ही विश्व राज्य अधिकारी बनते हैं।* सदा अपने को राजस्व अधिकारी समझ इन कर्मेन्द्रियों को कर्मचारी समझ अपने अधिकार से चलाते हो या कभी कोई कर्मेन्द्री राजा बन जाती है? आप स्वयं राजा हैं या कभी कोई कर्मेन्द्री राजा बन जाती? कभी कोई कर्मेन्द्री धोखा तो नहीं देती है? अगर किसी से भी धोखा खाया तो दुख लिया। धोखा दुख प्राप्त कराता। धोखा नहीं तो दुख नहीं।

 

  *तो स्वराज्य की खुशी में, नशे में, शक्ति में रहने वाले। स्वराज्य का नशा उड़ती कला में ले जाने वाला नशा है। हद के नशे नुकसान प्राप्त कराते, यह बेहद का नाशा अलौकिक रूहानी नशा सुख की प्राप्ति कराने वाले है।* तो यथार्थ राज्य है राजा का- प्रजा का राज्य हंगामें का राज्य है।

 

  आदि से राजाओंका राज्य रहा है। अभी लास्ट जन्म में प्रजा का राज्य चला है। तो आप अभी राज्य अधिकारी बन गये। अनेक-अनेक जन्म भिखारी रहे और अब भिखारी से अधिकारी बन गये। बापदादा सदा कहते- बच्चे खुश रहो, आबाद रहो। *जितना अपने को श्रेष्ठ आत्मा समझ, श्रेष्ठ कर्म, श्रेष्ठ बोल, श्रेष्ठ संकल्प करेंगे तो इस श्रेष्ठ संकल्प से श्रेष्ठ दुनिया के अधिकारी बन जायेंगे। यह 'स्वराज्य आपका जन्म-सिद्ध अधिकार है', यही आपको जन्म-जन्म के लिए अधिकरी बनाने वाला है।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  जो अन्त तक 'सन शोज फादर ' करके ही जायेगे। ऐसा सर्वीसएबल मृत्यु होता है। इस मृत्यू से भी सर्वीस होती है। *सर्वीस के प्रति बच्चे ही निमित्त है, ना कि माँ बाप। वह तो गुप्त रूप में है।*

 

✧  सर्वीस में मात - पिता बैकबोन हैं और बच्चे सामने हैं। *इस सर्वीस के पार्ट में मात - पिता का पार्ट नहीं हैं, इसमें बच्चे ही बाप का शो करेंगे*।यह भी सर्वीस का अन्त में मैडल प्राप्त होता है, ऐसा मैडल ड्रामा में कोई - कोई बच्चों को मिलना है।

 

✧  अभी हरेक अपने आप से जज करे कि हम ऐसा मैडल प्राप्त करने के लिए निमित्त बन सकते हैं। *ऐसे नहीं सिर्फ पुरानी बहनें ही बन सकेंगी*। कोई भी बन सकते हैं। नये - नये रत्न भी हैं जो कमाल कर दिखायेंगे।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *शक्ति रूप न्यारी और प्यारी।* इस समय ऐसी न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित हो? यह स्थिति इतनी पावरफुल है - जैसे डॉक्टर लोग बिजली की रेजेज देते हैं कीटाणु मारने के लिए। *तो यह स्थिति भी ऐसी पावरफुल है जो एक सेकण्ड में अनेक विकर्मों रूपी कीटाणु भस्म हो जाते हैं। विकर्म भस्म हो गये तो फिर अपने को हल्का और शक्तिशाली अनुभव करेंगे।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- पतितों को पावन बनाने की सर्विस करना"*

➳ _ ➳ मैं आत्मा बादलों के विमान में बैठ बापदादा के साथ पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगा रही हूँ... बाबा के साथ सूरज, चाँद, सितारों, आसमान की सैर करते हुए आनंद की लहरों में डोल रही हूँ... परमधाम, सूक्ष्मवतन से होते हुए हम विश्व के गोले के ऊपर बैठ जाते हैं... *बापदादा सारे विश्व की प्यासी, दुखी आत्माओं, तमोप्रधान प्रकृति को दिखाकर मुझे विश्व सेवा करने की शिक्षाएं देते हैं...*

❉ *प्यारे बाबा सबका कल्याण कर अन्धो की लाठी बनने के लिए प्रेरित करते हुए कहते है:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... *ईश्वर पिता की तरहा विश्व कल्याण की भावना से भर जाओ... जो मीठे सुख जो खुशियां आपके जीवन में महकी है उन्हें सबके दिल आँगन में खिला आओ...* सारा विश्व सच्ची खुशियो में खिलखिलाये और हर मन मीठा मुस्कराये ऐसी रूहानी सेवा करते रहो..."

➳ _ ➳ *ज्ञान के प्रकाश को स्वयं में भरकर चारों ओर ज्ञान की रोशनी फैलाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा आप समान सबको सुखी और ईश्वरीय वर्से का अधिकारी बना रही हूँ... सबको सच्चे सुख का रास्ता दिखाने वाली मा सुखदाता हो गई हूँ...* ज्ञान के प्रकाश से हर दिल की राहे रौशन कर रही हूँ..."

❉ *पतित पावन मीठे बाबा पवित्रता की किरणों से मुझे चमकाते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... दिन रात सदा सबके कल्याण के ख्यालातों में मगन रहो... स्वयं भी व्यर्थ से मुक्त रहेंगे और सबके जीवन को सुनहरे सुखो से सजाने वाले... *विश्व कल्याणकारी बन मीठे बापदादा के दिल तख्त पर इठलायेंगे... और खुबसूरत भाग्य के धनी बन जायेंगे..."*

➳ _ ➳ *दिन रात अपनी बुद्धि में सर्विस के खयालातों को भरकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे पायी खुशियो की दौलत को हर दिल पर लुटा रही हूँ... *सच्चे ज्ञान की झनकार से हर दिल में सुख की बहार सजा रही हूँ...* सबका जीवन खुशियो से खिल रहा है और पूरा विश्व मीठा मुस्करा रहा है..."

❉ *विश्व कल्याण का झंडा मेरे हाथों में सौंपते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के सहयोगी बनने वाले और सबके जीवन को नूरानी बनाने वाले महा भाग्यशाली हो... *सच्चे सहारे होकर, सबको इन मीठी खुशियो का पैगाम देते जाओ... ज्ञान के तीसरे नेत्र से सबकी जिंदगी में उजाला कर सुखो का पता दे आओ..."*

➳ _ ➳ *मैं विश्व कल्याणी फरिश्ता पूरे विश्व और प्रकृति को सर्व गुणों और शक्तियों की साकाश देते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मैं आत्मा ईश्वरीय सेवा धारी बनकर अपने महान भाग्य पर मुस्करा उठी हूँ... कभी अपने ही गमो में रोने वाली, आज धरा से दुःख के आँसू का सफाया कर रही हूँ...* चारो ओर खुशहाली और आनन्द के फूल खिलाने वाली खुबसूरत माली हो गई हूँ..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- अपना बोल चाल बहुत मीठा रॉयल रखना है *"
 
➳ _ ➳ आप समान अति मीठा बनाने वाले, मेरे अति मीठे शिव बाबा की मीठी याद मेरे अंदर एक ऐसी मिठास घोल देती है जिसमे विकारों की कड़वाहट घुलने लगती है। *अपने ऐसे अति मीठे बाबा की मीठी याद में बैठी मैं जैसे ही उनका आह्वान करती हूँ परमधाम से सीधे अपने ऊपर गिरती उनकी सर्वशक्तियों रूपी किरणों के मीठे झरने के नीचे स्वयं को अनुभव करती हूँ*। सातों गुणों की रंग बिरंगी किरणों का यह मधुर झरना मेरे तन - मन को शीतलता प्रदान कर रहा है। शीतलता की इसी गहन अनुभूति के बीच मैं अनुभव करती हूँ कि मुझ आत्मा को अपनी शीतल किरणों से शीतल बनाने वाले मेरे फर्स्टक्लास मीठे बाबा जैसे परमधाम से नीचे मेरे पास आ रहें हैं।
 
➳ _ ➳ उनकी उपस्थिति से उनकी समीपता का एहसास मुझे स्पष्ट अनुभव होने लगा है। अपने सिर के बिल्कुल ऊपर मुझे उनकी छत्रछाया की अनुभूति हो रही है। मेरे पूरे कमरे में जैसे शीतलता की मीठी लहर दौड़ रही है। पूरे घर मे मेरे मीठे शिव बाबा के शक्तिशाली वायब्रेशन फैल रहें हैं। *एक अति मीठी सुखदाई स्थिति में मैं सहज ही स्थित होती जा रही हूँ। यह स्थिति मुझे देह और देह के झूठे भान से मुक्त कर, लाइट माइट स्वरूप का अनुभव करवा रही है*। धीरे - धीरे मैं इस साकारी देह के बंधन से स्वयं को मुक्त कर अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर रही हूँ।
 
➳ _ ➳ मेरा यह लाइट का फ़रिशता स्वरूप मुझे धरती के आकर्षण से मुक्त कर, ऊपर की ओर ले जा रहा है। मैं स्वयं को धरती से ऊपर उड़ता हुआ अनुभव कर रहा हूँ। छत को पार करते हुए अब मैं खुले आकाश के नीचे पूरी दुनिया मे विचरण कर रहा हूँ। धीरे - धीरे अब मैं आकाश को भी पार करता हुआ लाइट की सूक्ष्म आकारी फरिश्तो की दुनिया मे प्रवेश कर रहा हूँ। इस अति सुन्दर फरिश्तो की दुनिया मे विचरण करता हुआ अब मैं स्वय को अव्यक्त ब्रह्मा बाप के सामने देख रहा हूँ। *फर्स्टक्लास मीठा और रॉयल बन बाप का नाम बाला करने वाले अपने प्यारे ब्रह्मा बाप के सामने बैठ मैं मन ही मन प्रतिज्ञा करता हूँ कि मुझे भी ब्रह्मा बाप समान फर्स्टक्लास मीठा और रॉयल बन बाप का नाम अवश्य बाला करना है*।
 
➳ _ ➳ इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल मुझमें भरने के लिए अब परमधाम से मेरे अति मीठे शिव बाबा फरिश्तों की इस दुनिया मे प्रवेश करते हैं और आ कर ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो जाते हैं। *बाप दादा अपने वरदानी हस्तों से अब मुझे विजयी भव का वरदान देते हुए, अपनी सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर प्रवाहित करते हुए मुझ आत्मा में बल भर रहें हैं ताकि कदम - कदम पर फॉलो फादर कर, अपने शिव बाबा का नाम मैं बाला कर सकूँ*। बापदादा की शक्तिशाली दृष्टि से मेरे पुराने आसुरी स्वभाव संस्कार जल कर भस्म हो रहें हैं और उसके स्थान पर फर्स्टक्लास मीठा और बहुत - बहुत रॉयल बनने के संस्कार इमर्ज हो रहें हैं।
 
➳ _ ➳ आसुरी संस्कारों का त्याग कर इन दैवी संस्कारों को ही अब मुझे अपने जीवन में धारण करने का पुरुषार्थ करना है, इसी दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ अपने लाइट माइट स्वरूप को अपने ब्राह्मण स्वरूप में मर्ज करके अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ। अपने ब्राह्मण जीवन के नियमो और मर्यादाओं पर चलते हुए अब मैं हर कर्म में ब्रह्मा बाप को फॉलो कर रही हूँ। *अपने मीठे शिव बाबा की श्रीमत पर कदम - कदम चलते हुए अब मैं आसुरी अवगुणों का त्याग करती जा रही हूँ। मेरे मुख से अब किसी भी आत्मा को दुख देने वाले कड़वे बोल नही निकलते। बाप समान सबको सुख देने वाले मीठे बोल ही अपने मुख से बोलते हुए अब मैं सबके जीवन को खुशियों की मिठास से भर रही हूँ*।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं "मैं" और "मेरेपन" को बली चढ़ाने वाली आत्मा हूँ।*
✺   *मैं सम्पूर्ण आत्मा हूँ।*
✺   *मैं महाबली आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ *मैं आत्मा संकल्पों में सदा दृढ़ता धारण करती हूँ ।*
✺ *मैं सोचना और करना को समान करने वाली आत्मा हूँ ।*
✺ *मैं समर्थ आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

अव्यक्त बापदादा :-

 

_ ➳  *ब्राह्मण माना ही है पवित्र आत्मा।* अपवित्रता का अगर कार्य होता भी है तो यह बड़ा पाप है। *इस पाप की सजा बहुत कड़ी है।* ऐसे नहीं समझना यह तो चलता ही है। थोड़ा बहुत तो चलेगा ही, नहीं। *यह फर्स्ट सबजेक्ट है। नवीनता ही पवित्रता की है।* ब्रह्मा बाप ने अगर गालियाँ खाई तो पवित्रता के कारण। हो गया, ऐसे छूटेंगे नहीं। *अलबेले नहीं बनो इसमें। कोई भी ब्राह्मण चाहे सरेण्डर है, चाहे सेवाधारी है, चाहे प्रवृत्ति वाला है, इस बात में धर्मराज भी नहीं छोड़ेगा, ब्रह्मा बाप भी धर्मराज का साथ देगा।* इसलिए कुमार कुमारियाँ कहाँ भी हो, मधुबन में हो, सेन्टर पर हो लेकिन इसकी चोट, संकल्प मात्र की चोट बहुत बड़ी चोट है। गीत गाते हो ना - पवित्र मन रखो, पवित्र तन रखो... गीत है ना आपका। तो *मन पवित्र है तो जीवन पवित्र है इसमें हल्के नहीं होना,* *थोड़ा कर लिया क्या है! थोड़ा नहीं है, बहुत है।* बापदादा आफीशियल इशारा दे रहा है, इसमें नहीं बच सकेंगे। *इसका हिसाब-किताब अच्छी तरह से लेंगे*, कोई भी हो।  *इसलिए सावधान, अटेन्शन।* सुना - सभी ने ध्यान से। दोनों कान खोल के सुनना। *वृत्ति में भी टचिंग नहीं हो। दृष्टि में भी टचिंग नहीं।* संकल्प में नहीं तो वृत्ति, दृष्टि क्या है! *क्योंकि समय सम्पन्नता का समीप आ रहा है, बिल्कुल प्युअर बनने का।* उसमें यह चीज तो पूरा ही सफेद कागज पर काला दगा है।

 

✺   *ड्रिल :-  "बापदादा का पवित्रता के प्रति सभी ब्राह्मणों को आफिशयल इशारा"*

 

_ ➳  बाबा ने मुझ भाग्यशाली आत्मा को अपना बनाया हैं... *बाबा ने मुझ आत्मा को कोटों में कोई, कोई में से भी कोंई, लाखों- करोड़ो आत्माओं में से अपने प्यार के लिए चुना हैं...* शूद्र से ब्राह्मण बनाया हैं... *ब्राह्मण जन्म लेते ही परमात्मा ने पवित्रता का वरदान दिया हैं...* मै आत्मा हद की ब्राह्मण नहीं हूँ... बेहद की ब्राह्मण हूँ... *परमात्मा ने मुझे पवित्र भव का वरदान दिया हैं... ब्राह्मण जन्म लेते ही मुझ आत्मा का दिव्य पवित्र जन्म हुआ हैं...* मुझ पवित्र आत्मा में अपवित्रता जैसी कोई भी बात नहीं हैं... मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें निकल रही है... *पवित्रता के सागर परमपिता मेरे पिता हैं...* मुझ आत्मा से अपवित्रता का कोई भी कार्य नहीं हो रहा है... *मै ब्रह्मा बाप के कदम में कदम रखने वाली पवित्र आत्मा हूँ...* पवित्रता मुझ आत्मा का फर्स्ट कदम हैं... मै आत्मा पवित्र स्वरुप हूँ...

 

_ ➳  *मै आत्मा सभी कमी कमज़ोरी को पीछे छोड़कर आगे बढती जा रही हूँ...* मुझ आत्मा में किसी भी प्रकार का अलबेला पन नहीं है... *बाबा की सभी शिक्षाओ और डायरेक्शन को फॉलो करते हुए आगे और आगे बढती जा रही हूँ...* मै आत्मा विश्व सेवाधारी हूँ... *पवित्रता के वाइब्रेशन मुझ आत्मा से निकल चारों और फ़ैल रही हैं...* मुझ आत्मा के चारों और पवित्रता का आभामंडल बना हुआ है... *संकल्प मात्र में भी मुझ आत्मा में अपवित्रता का कोई नाम निशान नहीं हैं...* मेरे तन के साथ साथ मेरा मन भी एकदम स्वच्छ, पवित्र और निर्मल है... *मेरा जीवन पवित्रता की राह में समर्पित है...* पवित्रता के बल से मै आत्मा पूज्यनीय बनती जा रही हैं... *पवित्रता के बल से मै आत्मा देवता बन रही हूँ...*

 

_ ➳  *मै आत्मा पवित्रता के बल से एकदम हल्की हो चुकीं हूँ...* किसी भी प्रकार का बोझ मुझ आत्मा को नहीँ हैं... *मै आत्मा पवित्रता का कठोरता से पालन कर रही हूँ...* इस बात को लेकर मै आत्मा एकदम हल्की नहीं हूँ... बापदादा ने पवित्रता का जो इशारा सभी बच्चो को दिया है... उसे मै आत्मा दृढ़ होकर पालन कर रही हूँ... *पवित्रता के सब्जेक्ट में मैं आत्मा फुल पास हूँ...* और इस सब्जेक्ट में मेरा फुल अटेंशन है...

 

_ ➳  *मुझ आत्मा का अनादी स्वरुप पवित्र है... मै शांतिधाम की निवासी हूँ...* जहा सभी आत्माये अपने बिंदु और संपूर्ण पवित्र स्वरुप में रहती है... और आदि स्वरुप भी पवित्र है... *मै आत्मा उस पवित्र दुनिया की मालिक हूँ... जिसे मेरे परम पवित्र परमात्मा ने मेरे लिए बनाया है... वहा सुख ही सुख है...* पवित्रता के बल से ही मै आत्मा स्वर्ग की मालिक बनती जा रही हूँ... *मुझ आत्मा की दृष्टि वृति एकदम पवित्र बनती जा रही है...* मुझ आत्मा की वृति में भी अपवित्रता की कोई टचिंग नहीं है... *मुझ आत्मा के संकल्प भी एकदम पवित्र है...* *मुझ आत्मा से पवित्रता के शुभ संकल्प निकल रहे है... जिससे मेरे चारों और पवित्रता का वातावरण बन गया है...*

 

_ ➳  *पवित्रता के बल से मै आत्मा एकदम विशेष बन गई हूँ...* जैसे जैसे समय समीप आता जा रहा है, मुझ आत्मा में और पवित्रता का बल भरता जा रहा हैं... *पवित्रता के सागर परमपिता परमात्मा से मै आत्मा पवित्रता की किरणें और शक्ति लेकर चारों और फैला रही हूँ...* जिससे संसार की सभी आत्माये पवित्र बनती जा रही हैं... *प्रकृति के पांचो तत्व पवित्र बनते जा रहे है...* मै आत्मा एकदम प्योर बनती जा रही हूँ... अपवित्रता का कोई भी दाग मुझ आत्मा में नहीं हैं... *पवित्रता ही सुख, शांति की जननी हैं...* मै आत्मा और भी *आत्माओ को पवित्रता की राह बता रही हूँ...* मेरा हर आचरण पवित्र बनता जा रहा है... *मुझ आत्मा की सबसे बड़ी पूंजी है पवित्रता...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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