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❍ 14 / 03 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *एकांत में बैठ सच्चे आशिक बन माशूक को याद किया ?*
➢➢ *अपना रजिस्टर बहुत अच्छा रखा ?*
➢➢ *निर्विघन स्थिति द्वारा स्वयं के फाउंडेशन को मज़बूत बनाया ?*
➢➢ *हर आत्मा के प्रति सदा उपकार की भावना रख स्वतः दुआएं प्राप्त की ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *जिस समय जिस सम्बन्ध की आवश्यकता हो, उसी सम्बन्ध से भगवान को अपना बना लो।* दिल से कहो मेरा बाबा, और बाबा कहे मेरे बच्चे, इसी स्नेह के सागर में समा जाओ । *यह स्नेह छत्रछाया का काम करता है, इसके अन्दर माया आ नहीं सकती ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं संगमयुगी श्रेष्ठ सच्चा ब्राह्मण हूँ"*
〰✧ 2. सदा अपने को संगमयुगी श्रेष्ठ ब्रह्मण आत्मायें अनुभव करते हो? *सच्चे ब्राह्मण अर्थात् सदा सत्य बाप का परिचय देने वाले। ब्राह्मणों का काम है कथा करना, तुम कथा नहीं करते लेकिन सत्य परिचय सुनाते हो। ऐसे सत्य बाप का सत्य परिचय देने वाले, ब्राह्मण आत्मायें हैं, यही नशा रहे। ब्राह्मण देवताओंसे भी श्रेष्ठ हैं।*
〰✧ *इसलिए ब्राह्मणों का स्थान चोटी पर दिखाते हैं। चोटी वाले ब्राह्मण अर्थात् ऊँची स्थिति में रहने वाले। ऊँचा रहने से नीचे सब छोटे होंगे। कोई भी बात बड़ी नहीं लगेगी।* ऊपर बैठकर नीचे की चीज देखो तो छोटी लगेगी। कभी कोई समस्या बड़ी लगती तो उसका कारण नीचे बैठकर देखते हो। ऊपर से देखो तो मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
〰✧ *तो सदा याद रखना -चोटी वाले ब्राह्मण हैं, इसमें बड़ी समस्या भी सेकण्ड में छोटी हो जायेगी। समस्या से घबराने वाले नहीं लेकिन पार करने वाले समस्या का समाधान करने वाले।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *यह पहली - पहली बात है जो कि तुम सभी को बताते हो कि - मैं आत्मा हूँ, न कि शरीर*। जब आत्मा होकर बिठाते हो तभी उनको फिर शरीर भूलता है। अगर आत्मा होकर नहीं बिठाते, तो क्या फिर देह सहित देह के संबन्ध भूल जाते! जब उनको बुलाते हो, तो क्या अपने शरीर से न्यारे होकर, जो न्यारा बाप है उनकी याद में नहीं बैठ सकते हो?
〰✧ अब सब बच्चे अपने को आत्मा समझ बैठो। सामने किसको देखें? आत्माओं के बाप को। इस स्थिति में रहने से व्यक्त से न्यारे होकर अव्यक्त स्थिति में रह सकेंगे। *'मैं आत्मा बिन्दु रुप हूँ' - क्या यह याद नहीं आता है*? बिन्दि रुप होकर बैठना नहीं आता? ऐसे ही अभ्यास को बढाते जाओगे तो एक सेकण्ड तो क्या, कितनी ही घण्टे इसी अवस्था में स्थित होकर इस अवस्था का रस ले सकते हो। इसी अवस्था में स्थित रहने से फिर बोलने कि जरूरत ही नहीं रहेगी।
〰✧ बिन्दु होकर बैठना कोई जड अवस्था नहीं है। जैसे बीज में सारा पेड़ समाया हुआ है, वैसे ही मुझ आत्मा में बाप की याद समायी हुई है। ऐसे होकर बैठने से सब रसनायें आयेगी और साथ भी यह नशा होगा कि - 'हम किसके सामने बैठे हैँ। बाप हमको भी अपने साथ कहाँ ले जा रहे है।' बाप तुम बच्चों को अकेला नहीं छोडता है। जो बाप का और तुम बच्चों का घर है, वहाँ पर साथ में ही लेकर जायेंगे। सब इकट्ठे चलने ही है। *आत्मा समझकर फिर शरीर में आकर कर्म भी करना है, परंतु कर्म करते हुए भी न्यारा और प्यारा होकरल रहना है*। बाप भी तुम बच्चों को देखते हैँ। देखते हुए भी बाबा न्यारा और प्यारा है ना। अच्छा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जो बन्धन मुक्त की स्थिति सुनाई कि शरीर में रहते हुए सिर्फ निमित ईश्वरीय कर्तव्य के लिए आधार लिया हुआ है। अधीनता नहीं निमत आधार लिया है। *जो निमित आधार शरीर को समझेंगे वह कभी भी अधीन नहीं बनेंगे। निमित आधार मूर्त ही सर्व आत्मओं के आधार मूर्त बन सकते हैं। जो स्वयं ही अधीन है वह उद्धार क्या करेंगे।* इसलिए सर्विस की सफलता इतनी है जितनी अधीनता से परे हरेक हैं।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप की याद में रहना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बाबा की यादों में खोई हुई मन-बुद्धि से पहुँच जाती हूँ मधुबन बाबा की कुटिया में... बाबा के सामने बैठ जाती हूँ और बाबा को प्यार से निहारती रहती हूँ... मीठे बाबा भी मुझे अपनी मीठी दृष्टि से निहाल कर रहे हैं...* बस प्यार की तरंगे बहती जा रही हैं और मैं आत्मा इन प्यार की तरंगो में और गहरे, और गहरे डूबती जा रही हूँ... फिर मीठे बाबा मीठी शिक्षाओं से मुझे भरपूर करते हैं...
❉ *यादों के समुन्दर में डुबोकर हीरे मोतियों से मुझे सजाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे बच्चे... *मीठे पिता की यादो के सिवाय कोई भी नाता सच्चा नही... ये यादे ही जादूगरी करके सुनहरा चमकीला रंग देकर सजायेंगी...* इसलिए इन यादो के मोतियो को अपनी सांसो में पिरो लो... यही पल सच्चे साथी बनेगे...”
➳ _ ➳ *प्यारे बाबा के यादों की बाँहों में खूबसूरत फूल बन मुस्कुराते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *आपकी मीठी यादो के साये में मै आत्मा कितनी खूबसूरत और प्यारी होती जा रही हूँ... इन यादो में अनन्त सुख को जी रही हूँ...* मै कितनी भाग्यशाली हूँ सच्चे पिता की गोद में सुरक्षित हूँ...”
❉ *अपने प्यार की छत्रछाया में मुझे अमूल्य सितारा बनाकर गगन में चमकाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे बच्चे... *खुद को खूबसूरती से सजाने वाले इन मीठे पलों को यादो में बांध लो... सांसो को यादो में अमर कर दो...* ये यादे ही जनमो की कलुषिता को जलायेगी और सोने जैसी दमकती काया और आनन्द ख़ुशी से छलकता महकता जीवन कदमो में भर जाएँगी...”
➳ _ ➳ *खुद को भी भूल एक बाबा की यादों में समाकर मैं भाग्शाली आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपके बिना किस कदर अधूरी सी थी... *आपने आकर जनमो के गहरे अँधेरे को सदा की रोशनी से रोशन किया है... ये पल आपकी यादो में भीगे भीगे से अनमोल है... जहाँ हम आप एक दूजे में खोये है...”*
❉ *सच्ची कमाई का राज समझाते हुए मेरे हर श्वांस को सफल बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे बच्चे... *सारा मदार कीमती यादो और कीमती समय पर है... इस समय को मुट्ठी में बांध यादो में घोट दो... और सुर्ख योग अग्नि में सारी कालिमा को धो दो...* समय रहते बाबा के दिल को सदा का जीत लो... गफलत शब्द को सदा की विदाई दे अथक बन जाओ...”
➳ _ ➳ *मीठे बाबा की यादों में सच्ची कमाई कर सतयुगी सुखों की अधिकारी बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मुझ आत्मा ने इस सच्चे समय के महत्व को जान लिया है... आपकी यादो में भर देने का इसे ठान लिया है...* न होगी यादो में गफलत कोई... दिल को यूँ समझा दिया है... और आपको सदा का बाहों में जकड़ लिया है...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- एकान्त में बैठ सच्चे - सच्चे आशिक बन अपने माशूक को याद करना है*"
➳ _ ➳ दिल मे सच्चे प्यार की आश ले कर,
अपने परमात्मा माशूक की सच्ची आशिक बन,
मैं उनके प्रेम की लगन में मगन हो कर उन्हें याद कर रही हूँ। *मेरी याद
उन तक पहुंच रही है,
मेरे प्यार की तड़प की वो महसूस कर रहें हैं तभी तो मेरे प्रेम के आकर्षण
में आकर्षित हो कर वो मेरे पास आ रहें हैं*। उनके आने का मैं स्पष्ट अनुभव कर
रही हूँ। अपने प्रेम की शीतल फुहारें मुझ पर बरसाते हुए मेरे सच्चे माशूक शिव
बाबा अपना घर परमधाम छोड़ मुझ से मिलने के लिए इस साकार लोक में आ रहें हैं।
➳ _ ➳ प्यार के सागर मेरे शिव पिता परमात्मा मुझे मेरे सच्चे प्यार का
प्रतिफल देने के लिए अब मेरे सम्मुख हैं। उनके प्रेम की शीतल किरणों की शीतलता
मुझे अपने आस - पास उनकी उपस्थिति का स्पष्ट अनुभव करवा रही हैं। *ऐसा अनुभव हो
रहा है जैसे मैं किसी विशाल सागर के किनारे बैठी हूँ और सागर की लहरों की शीतलता,
शीतल हवाओं के झोंको के रूप में बार - बार आ कर मुझे स्पर्श कर रही
हैं*। मेरे शिव पिता परमात्मा से आ रहे सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन
मुझे ऐसी ही शीतलता का अनुभव करवा रहें हैं। शीतल हवाओं के झोंको के रूप में
मेरे शिव माशूक का प्यार निरन्तर मुझ पर बरस रहा है और मेरे मन को तृप्त कर रहा
है।
➳ _ ➳ अपने प्रेम की किरणों के आगोश में भरकर मेरे शिव साजन अब मुझ
आत्मा को इस देह के पिजड़े से निकाल,
अपने साथ ले जा रहें हैं। *देह के बन्धन से मुक्त हो कर मैं स्वयं को
एकदम हल्का अनुभव कर रही हूँ। उन्मुक्त हो कर उड़ने का आनन्द कितना निराला,
कितना लुभावना है*। अपने सच्चे माशूक की बाहों के झूले में झूलती,
अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर इतराती मैं आत्मा आशिक उनके साथ उनके धाम जा
रही हूँ। *देह और देह की दुनिया के झूठे रिश्तों के मोह की जंजीरो की कैद से
निकल,
अपने शिव पिया के साथ अब मैं पहुंच गई उनकी निराकारी दुनिया में*।
➳ _ ➳ देख रही हूँ अब मैं स्वयं को परमधाम में अपने सच्चे माशूक शिव
पिता परमात्मा के सामने। उनके प्यार की शीतल छाया के नीचे बैठी मैं आशिक आत्मा
अपलक उन्हें निहार रही हूँ। *63
जन्मो से जिनके दर्शनों की आश मन में लिए इधर - उधर भटक रही थी। वो मेरे
माशूक,
मेरे शिव बाबा आज मेरे बिल्कुल सामने हैं। प्रभु दर्शन की प्यासी मैं
आत्मा आज उन्हें अपने सामने पा कर तृप्त हो गई हूँ*। उनके प्यार की शीतल फुहारे
रिम - झिम करती बारिश की बूंदों की तरह निरन्तर मुझ पर पड़ रही हैं। उनकी
सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर असीम बल भर रही हैं। *बीज रूप स्थिति में स्थित हो कर
अपने बीज रूप शिव पिता परमात्मा के साथ मैं मंगल मिलन मना रही हूँ*। यह मंगल
मिलन मुझे अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करवा रहा है।
➳ _ ➳ इस अतीन्द्रिय सुख का गहन अनुभव करने के बाद,
अपने माशूक शिव पिता परमात्मा के इस अदभुत,
अद्वितिय प्यार का सुखद एहसास अपने साथ ले कर मै उनकी आशिक आत्मा वापिस
साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ। अब मैं अपने साकारी तन में विराजमान हूँ और स्वयं
को अपने शिव पिया के साथ कम्बाइंड अनुभव कर रही हूँ। *उनके निस्वार्थ प्यार का
मधुर एहसास मुझे हर पल उनकी उपस्थिति का अनुभव कराता रहता है*। एक पल के लिए भी
मैं उनसे अलग नही होती। चलते - फिरते,
खाते - पीते हर कर्म करते वो मुझे अपने साथ अनुभव होते हैं। अपने माशूक
शिव परमात्मा की सच्ची आशिक बन अब मैं हर पल उनकी ही यादों में खोई रहती हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं निर्विघ्न स्थिति में रहने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं स्वयं के फाउंडेशन को मजबूत बनाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं पास विद ऑनर आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा हर आत्मा के प्रति सदा उपकार अर्थात शुभ कामना रखती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा स्वतः दुआएं प्राप्त करती हूँ ।*
✺ *मैं उपकारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *एक दो के सहयोगी बनो जो सभी मास्टर सर्वशक्तिवान बन आगे उड़ते चलें। दाता बनकर सहयोग दो।*बातें नहीं देखो, सहयोगी बनो। स्वमान में रहो और सम्मान देकर सहयोगी बनो क्योंकि *किसी भी आत्मा को अगर आप दिल से सम्मान देते हो, यह बहुत-बहुत बड़ा पुण्य है क्योंकि कमजोर आत्मा को उमंग-उत्साह में लाया तो कितना बड़ा पुण्य है!* गिरे हुए को गिराना नहीं है, गले लगाना है अर्थात् बाहर से गले नहीं लगाना, *गले लगाना अर्थात् बाप समान बनाना। सहयोग देना।*
✺ *ड्रिल :- "गिरे हुए को गिराना नहीं, गले लगाना"*
➳ _ ➳ मैं मास्टर सर्वशक्तिवान... सर्वशक्तिवान शिवबाबा से कंबाइंड हूँ... प्यारे बाबा से सर्वशक्तियों की किरणें निरन्तर मुझ आत्मा पर पड़ रहीं हैं... *मैं आत्मा पदमापदम सौभाग्यशाली... जो स्वयं भगवान मेरा हो गया... वाह मेरा भाग्य...बाबा ने मेरे सारे बोझ... चिंताएं... फिकरातों से मुक्त कर दिया... अब मुझे भी बाप समान बनकर सभी आत्माओं को सहयोग देकर... उन्हें आप समान बनाना है...*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मास्टर दाता के स्वमान में रह हरेक आत्मा के प्रति शुभ भावना... शुभ कामना रख रही हूँ... मैं आत्मा फॉलो फादर कर सभी आत्माओं को सम्मान की दृष्टि से देख रही हूँ...* जैसे ब्रह्मा बाबा ने अपकारियो पर भी उपकार किया... निंदा करने वालो को भी अपना मित्र समझा... उन्हें गले लगाया... वैसे ही *मैं आत्मा फॉलो फादर करती... सभी आत्माओं के प्रति सदभावना रख हर कर्म कर रहीं हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाप समान विश्व की सर्वआत्माओं के प्रति कल्याण की भावना रख रहीं हूँ... किसी भी आत्मा के प्रति भेदभाव नहीं रखती अपितु सर्व के प्रति आत्मिक दृष्टि रखती हूँ... *मैं आत्मा विश्वकल्याणकारी के स्वमान में स्थित हो... विशाल दिल रख... रहम की भावना से... सर्व आत्माओं के प्रति सुख... शांति... के वायब्रेशन्स फैला रही हूँ...*
➳ _ ➳ मैं मास्टर सर्वशक्तिवान... अपनी श्रेष्ठ वृति के वायब्रेशन्स द्वारा वायुमण्डल को ऐसा बनाती हूँ... *जो कोई भी मेरे सम्बन्ध सम्पर्क में आता है... वह खुद बखुद मेरी ओर आकर्षित होता है...* उन्हें मुझसे स्नेह... प्यार की भासना आती है... सहयोग... हिम्मत की अनुभूति होती है...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य को देख बहुत खुश हो रहीं हूँ... सदा सर्वशक्तिवान के स्वमान में रह... उमंग उत्साह के पंख लगा... हरेक को सहयोग देती हुई... सम्मान देती हुई... उड़ती कला में उड़ रही हूँ...* और सर्वशक्तिवान... शिवबाबा... भाग्यविधाता को दिल से शुक्रिया करती हुई... अपने भाग्य की सराहना कर रहीं हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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