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 08 / 03 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अंतर्मुखी स्वीट साइलेंस की स्थिति में स्थित रहे ?*

 

➢➢ *बुधी को हल्का और क्लियर रख सहज सफलता का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *व्यर्थ समाप्त कर सदा समर्थ संकल्पों की रचना की ?*

 

➢➢ *"बालक सो मालिक" की स्थिति का अनुभव किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *जो बच्चे परमात्म प्यार में सदा लवलीन, खोये हुए रहते हैं उनकी झलक और फलक, अनुभूति की किरणें इतनी शक्तिशाली होती हैं जो कोई भी समस्या समीप आना तो दूर लेकिन आंख उठाकर भी नहीं देख सकती।* उन्हें कभी भी किसी भी प्रकार की मेहनत हो नहीं सकती ।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा हूँ"*

 

  सदा अपने को संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें हैं, ऐसे समझते हो! ब्राह्मणों को सदा ऊँची चोटी की निशानी दिखाते हैं। ऊँचे ते ऊँचा बाप और ऊँचे ते ऊँचा समय तो स्वयं भी ऊँचे हुए। *जो सदा ऊँची स्थिति पर स्थित रहते हैं वह सदा ही डबल लाइट स्वयं को अनुभव करते हैं। किसी भी प्रकार का बोझ नहीं। न सम्बन्ध का, न अपने कोई पुराने स्वभाव संस्कार का। इसको कहते हैं सर्व बन्धनों से मुक्त।*

 

  ऐसे - फ्री हो? सारा ग्रुप निर्बन्धन ग्रुप है। आत्मा से और शरीर के सम्बन्ध से भी। निर्बन्धन आत्मायें क्या करेंगी? सेन्टर सम्भालेंगी ना। तो कितने सेवाकेन्द्र खोलने चाहिए। टाइम भी है और डबल लाइट भी हो तो आप समान बनायेंगी ना! *जो मिला है वह औरों को देना है। समझते हो ना कि आज के विश्व की आत्माओंको इसी अनुभव की कितनी आवश्यकता है! ऐसे समय पर आप प्राप्ति स्वरुप आत्माओंका क्या कार्य है! तो अभी सेवा को और वृद्धि को प्राप्त कराओ।*

 

  ट्रीनीडाड वैसे भी सम्पन्न देश है तो सबसे ज्यादा संख्या ट्रीनीडाड सेन्टर की होनी चाहिए। आसपास भी बहुत एरिया है, तरस नहीं पड़ता? *सेन्टर भी खोलो और बड़े-बड़े माइक भी लाओ। इतनी हिम्मत वाली आत्मायें जो चाहे वह कर सकती हैं। जो श्रेष्ठ आत्मायें हैं उन्हों द्वारा श्रेष्ठ सेवा समाई हुई है।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *हर खजाने को चेक करो - ज्ञान का खजाना अर्थात जो भी संकल्प, कर्म किया वह नॉलेजफुल हो करके किया?* साधारण तो नहीं हुआ? योग अर्थात सर्व शक्ति का खजाना भरपूर हो।

 

✧  तो चेक करो हर दिन की दिनचर्या में समय प्रमाण जिस शक्ति की आवश्यकता है, उसी समय वह शक्ति ऑर्डर में रही? *मास्टर सर्वशक्तिवान का अर्थ ही है मालिक।*

 

✧  ऐसे तो नहीं समय बीतने के बाद शक्ति का सोचते ही रह जाएं। *अगर समय पर ऑर्डर पर शक्ति इमर्ज नहीं होती, एक शक्ति को भी अगर ऑर्डर में नहीं चला सकते तो निर्विघ्न राज्य के अधिकारी कैसे बनेंगे?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *यह अव्यक्त मिलन अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर ही मना सकते हो । अव्यक्त स्थिति का अनुभव कुछ समय लगातार करो तो ऐसे अनुभव होंगे जैसे साइन्स द्वारा दूर की चीजें सामने दिखाई देती है। ऐसे ही अव्यक्त वतन की एक्टिविटी यहाँ स्पष्ट दिखाई देगी।* बुद्धि बल द्वारा अपनी सर्व शक्तिवान के स्वरूप का साक्षात्कार कर सकते हैं।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  संकल्प की भाषा-सर्वश्रेष्ठ भाषा का अनुभव करना"*

 

_ ➳  आज ब्राह्मण जीवन की खूबसूरती को जब मै आत्मा... निहारती हूँ तो मीठे आनन्द से भर जाती हूँ... मीठे *बाबा ने मीठे बोल, मीठी चाल, स्नेह भरी दृष्टि और दिल की विशालता देकर...मुझे जन्नत की हूर सजा दिया है.*.. पहले यह जीवन देह के प्रभाव में कितना कड़वा और कँटीला था... मीठे बाबा ने प्यार का सोने का पानी डालकर... मेरे मन बुद्धि को कितना उजला सच्चा और खुबसूरत बना दिया है... *भगवान ही तो यह जादु कर सकता था... और भगवान ने आकर ही मुझे खुबसूरत कृति सा सजाया है.*.. मीठे बाबा की रोम रोम से आभारी मै आत्मा...शुकराना करने वतन में उड़ चलती हूँ...

 

   *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को गुणो और शक्तियो में आप समान बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *दिलाराम बाबा को दिल अर्पित करने वाले, महान भाग्य के धनी हो... सब कुछ मीठे बाबा को सौपने वाले, समर्थ और सच्चे आशिक हो...* समर्थ की निशानी है... हर संकल्प बोल कर्म संस्कार बाप समान होगा... यही निरन्तर याद की अवस्था है... मीठे बाबा की यादो में सदा खोये हुए सदा के मायाजीत बन मुस्कराओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा भगवान को अपने दिल में समाकर हर पल उसकी यादो में डूबकर कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे साथी बाबा... मै आत्मा देह के प्रभाव में अपने दिल के 100 टुकड़े करके जगह जगह बांटा करती थी... और *आज आपने मेरे सारे टुकड़ो को जोड़ कर, खुबसूरत दिल सजाकर, अपने दिल की तिजोरी में ही बन्द कर दिया है... अब मुझे जिंदगी के दुःख तपन की कोई परवाह ही नही... मेरा जीवन भगवान के हाथो में सदा के लिए सुरक्षित हो गया है...*

 

   *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को सेवा के नये आयामो को समझाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *सदा यह स्म्रति रहे कि हम है ही फ़रिश्ते... सब कुछ बाबा का है... मेरा कुछ भी नही इस भाव में सदा हल्के फ़रिश्ते बन मुस्कराते रहो.*.. सदा निराकार आकर और साकार को फॉलो करने वाले स्वराज्य अधिकारी... किंग और क्वीन बनकर, बापदादा के दिल तख्त पर मुस्कराओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा मीठे बाबा की ज्ञान मणियो को सुनकर मन्त्रमुग्ध झूमती हुई कहती हूँ :-* "प्यारे प्यारे बाबा मेरे... *मै आत्मा आपकी मीठी यादो की छाँव में कितनी हल्की निश्चिन्त और बेफिक्री से भरी हुई फ़रिश्ता बन गयी हूँ... स्वयं भगवान मेरा साथी हो गया है...* तो मै आत्मा हर फ़िक्र से परे हो गयी हूँ... अपने हर संकल्प, बोल, कर्म को बाप समान सजाकर, किस कदर खुबसूरत हो गयी हूँ..."

 

   *मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपने शानदार भाग्य का नशा दिलाते हुए कहते है :-* "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... कितना प्यारा और खुबसूरत भाग्य है कि स्वयं भगवान ने दिल की तिजोरी में छुपा कर रखा है... *पवित्रता की धरोहर से जीवन को श्रेष्ठ बनाकर क्या से क्या बन रहे हो... यह प्राप्ति औरो को भी कराओ... सबके जीवन आप समान खुशियो से महकाओ... सबकी आशाये पूर्ण करने वाले महादानी वरदानी बनो..."*

 

_ ➳  *मै आत्मा अपने प्यारे बाबा के प्यार की बरसात में भीगते हुए कहती हूँ :-* "मीठे मनमीत बाबा... *आपने मेरा हाथ थामकर, मुझे देह के कंटीले जंगल से निकाल... खुबसूरत ज्ञान परी बना दिया है... मै आत्मा भगवान को वरने वाली... उसके दिल में सजने वाली, शिव प्रियतमा ही गयी हूँ...* शिव साजन को चुनकर, सारा ब्रह्माण्ड बाँहो में भर रही हूँ... और यह भाग्य हर दिल पर सजा रही हूँ..." मीठे बाबा को अपने जज्बात अर्पित कर... मै आत्मा स्थूल धरा पर उतर आयी...

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सदा "बालक सो मालिक" की स्मृति में रहना*"
 
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स्वयं ऑल माइटी अथॉरिटी भगवान जिनके दर्शन मात्र के लिये लोग तरस रहें हैं उनके दिल रूपी तख्त पर विराजमान होने का सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य प्राप्त करने वाली मैं दुनिया की सबसे खुशनसीब आत्मा हूँ यह विचार मन मे आते ही मेरी खुशनसीबी का खूबसूरत एहसास मुझे असीम खुशी से भरपूर कर देता है। *खुशी के पंख लगाए मैं आत्मा पंछी इस देह रूपी पिंजड़े के हर बन्धन को तोड़ अपने दिलाराम बाबा से अपने दिल का हाल बयां करने चल पड़ती हूँ*। अपने शिव पिया से मिलने की लगन में मग्न मैं आत्मा सजनी झूमती, गाती आकाश में विचरण करती, आकाश से भी ऊपर उड़ती जा रही हूँ।
 
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चांद सितारों से पार, फरिश्तो की आकारी दुनिया मे मैं पहुंच जाती हूं। मेरे सामने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर में ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में मेरे दिलाराम शिव बाबा चमक रहे हैं। अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर *जैसे ही मैं बाबा के पास पहुंचती हूँ एक बहुत ही विचित्र दृश्य मुझे दिखाई देता है। मैं देख रही हूं बाबा का स्वरूप जैसे बहुत विशाल हो गया है*। हजारों की संख्या में ब्राह्मण बच्चे अपने फ़रिशता स्वरूप में वहां आ रहें हैं और एक साथ बाबा की बाहों में समाते जा रहें हैं। *बाबा हर बच्चे को आओ मेरे दिलतख्तनशीन बच्चे कह कर अपने दिल रूपी तख्त पर बिठा रहे हैं*। बाबा के दिलतख्तनशीन बन सभी खुशी में झूम रहें हैं। सभी को परमात्म शक्तियों से बाबा भरपूर कर रहें हैं।
 
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अब बाबा अपने सभी फ़रिशता बच्चों को सम्बोधित करते हुए कह रहें हैं, हे मेरे मीठे सिकीलधे बच्चों:- "बाबा चाहते हैं कि मेरे सभी बच्चे बाप समान बन बाप के दिलतख्तनशीन बनें"। सभी बच्चे अधिकारी बन भी सकते हैं। क्योकि सभी को एक ही जैसा गोल्डन चांस है। चाहे आदि में आने वाले हैंचाहे मध्य में वा अभी आने वाले हैं। *बाप के दिलतख्तनशीन बनने का अधिकार सभी को है। किन्तु अधिकार लेने के लिये अधीनता के संस्कार को छोड़ना पड़ता है*। इसलिए पुराने आसुरी संस्कारों की अधीनता को छोड़ अधिकारी आत्मा बनो तो सहज ही बाबा के दिलतख्तनशीन बन जायेंगे।
 
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बाबा का दिलतख्तनशीन बनने के लिए पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारो को छोड़ने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा कर अब मैं अपने फ़रिशता स्वरूप को छोड़ निराकारी आत्मा बन योग अग्नि में पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारों को भस्म करने के लिए चल पड़ती हूँ परमधाम। *आत्माओं की निराकारी दुनिया मे अब मैं आत्मा स्वयं को देख रही हूँ। मेरे सामने मेरे दिलाराम शिव बाबा विराजमान हैं*। उनसे आ रही पवित्रता की शक्तिशाली किरणों की योग अग्नि में मेरे *पुराने आसुरी स्वभाव संस्कार जल कर भस्म हो रहें हैं और मैं उनके समान बनती जा रही हूं*।
 
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उनके साथ का यह मंगल मिलन मन को असीम सुख का अनुभव करवा रहा है। उनकी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में मैं आत्मा सिमटती जा रही हूं। कभी मैं स्वयं को देखती हूं और कभी सर्व शक्तियों के सागर अपने शिव पिया को। कितना प्यारा और अलौकिक मिलन है यह। *अपने शिव पिया के सानिध्य में मैं स्वयं को धन्य धन्य अनुभव कर रही हूं। वाह मैं आत्मा, वाह मेरे बाबा, जो मुझे अपनी सर्वशक्तियों से भरपूर कर रहे हैं और प्युरीफाई कर आप समान बना रहे हैं*। इस दिव्य अलौकिक मिलन का सुंदर सुखमय अनुभव करने के बाद मैं निराकारी दुनिया से वापिस साकारी दुनिया में लौट आती हूँ।
 
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साकारी दुनिया मे अब मैं अपने साकारी ब्राह्मण तन में विराजमान हो कर बाबा के दिलतख्तनशीन बनने का तीव्र पुरुषार्थ कर रही हूं। *"बाबा का दिलतख्तनशीन बनना" अब मेरा केवल यही लक्ष्य है और इस लक्ष्य को पाने के लिए निरन्तर मालिकपन की स्मृति में रह अब मैं अधीनता के सब संस्कारों को छोड़ती जा रही हूं*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं "विशेष" शब्द की स्मृति में रहने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं सम्पूर्णता की मंजिल को प्राप्त करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं स्व-परिवर्तक आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

  *मैं आत्मा विघ्नों से घबराने से मुक्त हूँ ।*

  *मैं आत्मा विघ्नों को पेपर समझकर पार करती हूँ ।*

  *मैं आत्मा विघ्न विनाशक हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. ब्राह्मण आत्मायें वर्तमान वायुमण्डल को देख विदेश में डरते तो नहीं है? कल क्या होगा, कल क्या होगा... यह तो नहीं सोचते हो? कल अच्छा होगा। अच्छा है और अच्छा ही होना है। *जितनी दुनिया में हलचल होगी उतनी ही आप ब्राह्मणों की स्टेज अचल होगी। ऐसे है? डबल विदेशी हलचल है या अचल है? अचल है? हलचल में तो नहीं हैं ना!* जो अचल हैं वह हाथ उठाओ। अचल हैं? कल कुछ हो जाये तो? तो भी अचल हैं ना! क्या होगा, कुछ नहीं होगा। आप ब्राह्मणों के ऊपर परमात्म छत्रछाया है। जैसे वाटरप्रुफ कितना भी वाटर हो लेकिन वाटरप्रुफ द्वारा वाटरप्रुफ हो जाते हैं। ऐसे ही कितनी भी हलचल हो लेकिन ब्राह्मण आत्मायें परमात्म छत्रछाया के अन्दर सदा प्रुफ हैं। बेफिकर बादशाह हो ना! कि थोड़ा-थोड़ा फिकर है, क्या होगा? नहीं। बेफिकर। *स्वराज्य अधिकारी बन, बेफिकर बादशाह बन, अचल-अड़ोल सीट पर सेट रहो। सीट से नीचे नहीं उतरो।* अपसेट होना अर्थात् सीट पर सेट नहीं है तो अपसेट हैं। सीट पर सेट जो हैं वह स्वप्न में भी अपसेट नहीं हो सकता।

 

 _ ➳  2. बापदादा कम्बाइण्ड है, जब सर्वशक्तिवान आपके कम्बाइण्ड है तो आपको क्या डर है! *अकेले समझेंगे तो हलचल में आयेंगे। कम्बाइण्ड रहेंगे तो कितनी भी हलचल हो लेकिन आप अचल रहेंगे।*

 

 _ ➳  3. बाप की जिम्मेवारी है, *अगर आप सीट पर सेट हो तो बाप की जिम्मेवारी है, अपसेट हो तो आपकी जिम्मेवारी है।*

 

✺   *ड्रिल :-  "परमात्म छत्रछाया के अन्दर सदा सेफ रहने का अनुभव"*

 

 _ ➳  आज मैं आत्मा अपने ब्राह्मण जीवन में मिली हुई सारी प्राप्तियों को याद कर रही हूँ... *जब से बाबा ने अपना बच्चा बनाया तब से लेकर आज तक मैं खुशियों के झूले में झूल रही हूँ... बाबा से मिली शक्तियों को अपने कार्य व्यवहार में यूज़ करते हुए निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूँ...* इसी तरह इस कल्याणकारी संगमयुग की प्राप्तियों के अविनाशी झूले मैं झूलती मैं आत्मा इस शरीर रूपी चोले को छोड़ कर ऊपर की ओर उड़ जाती हूँ... और सूक्ष्मवतन में आकर ठहरती हूँ...

 

 _ ➳  मैं बाबा के सम्मुख हूँ और बाबा की प्यार भरी दृष्टि से निहाल हो रही हूँ... आज बाबा के साथ इस सृष्टि का चक्र लगाने नीचे की ओर आ रही हूँ... बाबा के हाथ में हाथ देकर मैं आत्मा अपने फरिश्ता रूप में इस धरती के ऊपर उड़ रही हूँ... उड़ते उड़ते मैं बाबा के साथ आज डबल विदेशी आत्माओ को देख रही हूँ... वायुमण्डल के प्रभाव में  आकर ये आत्मायें हलचल में आ जाती हैं और उनकी स्थिति ऊपर नीचे हो जाती है... *मैं आत्मा बाबा के साथ कंबाइंड हो इन समस्त आत्माओ को पॉवरफुल वाइब्रेशन दे रही हूँ... ये किरणें उन आत्माओ तक पहुंच रही हैं और उनमें समाती जा रही हैं...* इन किरणों को प्राप्त कर इन आत्माओ की स्थिति अचल अडोल बन रही है... हलचल को समाप्त कर ये आत्मायें अपने स्वमान में स्थित हो रही हैं...

 

 _ ➳  मैं फरिश्ता अब बाबा का हाथ पकड़ कर आगे की ओर जाती हूँ... मैं देख रही हूँ उन सभी आत्माओ को जिन्हें बाबा ने अपना बच्चा बनाया है... ये सभी बाबा के बच्चे जो इस संगमयुग में ब्राह्मण बन कर पुरुषार्थ कर रहे हैं... पर *कभी कभी परिस्थिति वश तो कभी संबंध संपर्क में आते ये आत्मायें अपने स्वमान की सीट से थोड़ा हट जाती हैं और अपसेट हो जाती हैं...* मैं आत्मा बाबा के साथ इन आत्माओ को भी शक्तिशाली वाइब्रेशन दे रही हूँ... 

 

 _ ➳  सभी ब्राह्मण आत्मायें बाबा की शक्तियों को स्वयं में भर रही हैं... जिससे वो अपने को पहले से ज़्यादा ऊर्जावान महसूस कर रही हैं... *सभी आत्मायें स्वयं को परमात्म छत्रछाया में अनुभव कर रही हैं और स्वयं को सुरक्षित देख रही हैं... बेफ़िक्र बादशाह बन सारी चिंताओं से मुक्त हो रही हैं...* ना किसी बात की फ़िक्र ना आने वाले कल का डर...

 

 _ ➳  मैं फरिश्ता अब नीचे की ओर वापस आ रही हूँ और नीचे आकर अपने स्थूल शरीर मे फिर से प्रवेश करती हूँ... मुझ आत्मा में भी ये समझ आ गयी है कि जब बाबा ने मुझे अपना बच्चा बना लिया है तो अब मुझे भी किसी भी बात से परेशान नहीं होना है... *बाप दादा कंबाइंड रूप से मेरे साथ हैं जो पल पल मेरी छत्रछाया बनकर मेरे साथ साथ चलते हैं...* जिससे मेरी सारी हलचल समाप्त हो रही है और मैं आत्मा अचल अडोल बनती जा रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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