━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 01 / 03 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अतीन्द्रिय सुख का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *मनसा संकल्पों पर कंट्रोलिंग पॉवर का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *जीवनमुक्त अवस्था का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *संकल्प, बोल और कर्म तीनो को एक साथ शक्तिशाली बनाया ?*

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  *परमात्म प्यार में ऐसे समाये रहो जो कभी हद का प्रभाव अपनी ओर आकर्षित न कर सके।* सदा बेहद की प्राप्तियों में मगन रहो जिससे रूहानियत की खुशबू वातावरण में फैल जाए।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

   *"मैं सफलता का सितारा हूँ"*

 

  सदा सफलता के चमकते हुए सितारे हैं, यह स्मृति रहती है? *आज भी इस आकाश के सितारों को सब कितने प्यार से देखते हैं क्योंकि रोशनी देते हैं, चमकते हैं इसलिए प्यारे लगते हैं। तो आप भी चमकते हुए सितारे सफलता के हो।*

 

  *सफलता को सभी पसन्द करते हैं, कोई प्रार्थना भी करते हैं तो कहते - यह कार्य सफल हो। सफलता सब मांगते हैं और आप स्वयं सफलता के सितारे बन गये।*

 

  आपके जड़ चित्र भी सफलता का वरदान अभी तक देते हैं, तो कितने महान हो, कितने ऊँच हो, इसी नशे और निश्चय में रहो। *सफलता के पीछे भागने वाले नहीं लेकिन मास्टर सर्वशक्तिवान अर्थात् सफलता स्वरूप। सफलता आपके पीछे-पीछे स्वत: आयेगी।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  *अभी एक मिनट ऐसा पॉवरफुल सर्वशक्तियों सम्पन्न विश्व की आत्माओं को किरणें दो जो चारों ओर आपके शक्तियों का वायब्रेशन विश्व में फैल जाये।* (बापदादा ने ड़िल कराई) अच्छा।

 

✧  आज चारों ओर के सम्पूर्ण समान बच्चों को देख रहे हैं। समान बच्चे ही बाप के दिल में समाये हुए हैं। *समान बच्चों की विशेषता है - वह सदा निर्विघ्न, निर्विकल्प, निर्मान और निर्मल होंगे। ऐसी आत्मायें सदा स्वतंत्र होती है, किसी भी प्रकार के हद के बन्धन में बंधयमान नहीं होती।* तो अपने आप से पूछो ऐसी बेहद की स्वतंत्र आत्मा बने हैं। *सबसे पहली स्वतंत्रा है देहभान से स्वतन्त्र।* जब चाहे तब देह का आधार ले, जब चाहे देह से नयारे हो जाए। देह की आकर्षण में नहीं आये।

 

✧  दूसरी बात - *स्वतन्त्र आत्मा कोई भी पुराने स्वभाव और संस्कार के बन्धन में नहीं होगी।* पुराने स्वभाव और संस्कार से मुक्त होगी। साथ-साथ किसी भी देहधारी आत्मा के सम्बन्ध-सम्पर्क में अकर्षित नहीं होगी। सम्बन्ध-सम्पर्क में आते न्यारे और प्यारे होंगे। *तो अपने को चेक करो - कोई भी छोटी-सी कर्मन्द्रिय बन्धन तो नहीं बांधती?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  *जैसे और स्थूल वस्तुओं को जब चाहो तब लो और जब चाहो तब छोड़ सकते हैं ना। वैसे इस देह के भान को जब चाहें तब छोड़ देही अभिमानी बन जायें - यह प्रैक्टिस इतनी सरल हैं, जितनी कोई स्थूल वस्तु की सहज होती है?* रचयिता जब चाहे रचना का आधर ले जब चाहे तब रचना के आधार को छोड़ दे ऐसे रचयिता बने हो? जब चाहें तब न्यारे, जब चाहें तब प्यारे बन जायें।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- रूहानी शक्ति से बन्धनों से मुक्त होना"*

➳ _ ➳ *मीठे मधुबन के प्रांगण में... मै आत्मा बाबा की यादो में चहल कदमी करते हुए... अपने प्यारे से बाबा की यादो में डूब जाती हूँ... और यूँ यादो में खोयी खोयी सी... में आत्मा अपने कदमो का रुख मीठे बाबा के कमरे की ओर बढ़ाती हूँ... मुझ आत्मा के स्वागत में पलके बिछाये बाबा मेरे ही इंतजार में बेठे है*... मुझे देखते ही बाबा खिल उठते है... अपने बच्चे को सम्मुख देख प्यारे पिता का असीम प्यार उमड़ आया है... और मै और बाबा एक दूजे के नयनों में खो से जाते है...

❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को देवताई सौंदर्य से दमकाते हुए बोले :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *सवेरे सवेरे उठकर मीठे बाबा की यादो में अपनी मद्धम हो गयी रौशनी को, पुनः प्रज्जवलित करो.*.. मीठे बाबा की यादो में अपने सारे विकर्मो को भस्म करके, दिव्य गुण और शक्तियो से सज जाओ... यह यादे ही खोया हुआ प्रकाश पुनः वापिस दिलायेगी..."

➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने मीठे बाबा को दिल से शुक्रिया करते हुए कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा... देह की दुनिया में लिप्त होकर मै आत्मा अपने वजूद को ही खो गयी थी... *आपने मुझे यादो के सत्य के प्रकाश में फिर से तेजस्वी बनाया है.*.. आपके प्यारे से साथ में, मै आत्मा अपनी रूहानियत को पाकर पुनः खुबसूरत होती जा रही हूँ..."

❉ *प्यारे बाबा मुझ आत्मा को आत्मिक तेज से प्रकाशित करते हुए बोले :-* "मीठे लाडले बच्चे... अमृतवेले यादो भरे मौसम में ईश्वरीय याद में गहरे डूब जाओ... और अपनी खोयी पवित्रता को पाकर देवताई सुखो में मुस्कराओ... *यादो के घृत से आत्मिक तेज को बढ़ाओ... सवेरे मीठे बाबा संग प्यार भरी बातो में खो जाओ... और यूँ ही यादो में के नशे में डूबे हुए, स्वर्ग के मीठे सुख अपनी हथेली पर सजाओ.*.."

➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा की ओर बड़े ही प्रेम से निहारती हुई कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... *मै आत्मा आपको पाकर आपकी मीठी यादो के साये तले, अपनी देवताई दिव्यता को पाती जा रही हूँ.*.. देह की मिटटी में विकारो की धूल से धूमिल हो गयी अपनी खोयी छवि को पुनः तेज से भर रही हूँ... मै आत्मा अमृतवेले यादो में तेजस्वी बन रही हूँ..."

❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपनी सारी शक्तियो से भरपूर करते हुए बोले :-* "मीठे सिकीलधे बच्चे... *सवेरे उठकर मीठे बाबा की मधुर यादो में रहकर स्वयं को नूरानी बनाओ*... अपनी खोयी सुंदरता को पाकर विश्व राज्य तिलक को पाओ... यादो में गहरे डूबकर अपनी असीम शक्तियो से पुनः सज जाओ... और खुशियो भरे स्वर्ग पर मुस्कराता हुआ जीवन पाओ..."

➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने मीठे बाबा को दिल से वादा करते हुए कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... *आपने जीवन में आकर *जिन सच्ची खुशियो से मुझे सजाया है, ज्ञान श्रंगार से मुझे बेशकीमती बनाया है, और अपनी यादो की खुशबु में सदा का निखारा है, उसका मै किन शब्दों में शुक्रिया करूँ..."* ऐसी मीठी प्यारी रुहरिहानं अपने बाबा सुनाकर... मै आत्मा साकार तन में आ गयी...

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करना*"
 
➳ _ ➳ "अतींद्रिय सुख पूछना है तो गोप गोपियों से पूछो" बाबा के ये महावाक्य स्मृति में आते ही मैं खो जाती हूँ उस अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति में जो अपने गोपीवल्लभ बाप की याद में बैठते ही मैं आत्मा रूपी गोपी प्राप्त करती हूँ। *अपने गोपी वल्लभ बाप के साथ मनाई साकार मिलन की मीठी यादें अब एक - एक करके अनेक चित्रों के रूप में मेरी आँखों के सामने स्पष्ट हो रही हैं*। साकार मिलन का वो सुख मुझे बार - बार उस पावन धरती की याद दिला रहा है और मन रूपी पँछी बार - बार उड़ कर उस स्थान पर जा रहा है।
 
➳ _ ➳ देख रही हूँ अब मैं स्वयं को मधुबन के आंगन में। बाबा की कुटिया के बाहर बने पार्क में मैं बैठी हूँ और एक खूबसूरत दृश्य देख रही हूँ। *सामने नटखट कान्हा मुरली बजा रहें हैं और उस मुरली की मीठी तान सबको मदहोश कर रही है*। गोपियाँ मुरली की मीठी तान को सुन कर अपनी सुध - बुध गंवा कर दौड़ी चली आ रही है। हर गोपी के साथ कान्हा रास करता हुआ दिखाई दे रहा है। *सभी गोपिकाएं एक अलौकिक मस्ती में मस्त हो कर अपने नटखट कान्हा के साथ, नृत्य कर रही हैं*। देखते ही देखते यह दृश्य एक और खूबसूरत दृश्य में परिवर्तित हो जाता है।
 
➳ _ ➳ अब मैं देख रही हूँ स्वयं को डायमण्ड हाल में अपने गोपीवल्लभ बाबा के सामने जो अपने निर्धारित रथ गुलजार दादी की भृकुटि में विराजमान हो कर, उनके मुख से मधुर महावाक्य उच्चारण कर रहें हैं। *वहां उपस्थित सभी आत्मा रूपी गोपिकाएं उन मधुर महावाक्यों को सुन कर, देह के भान से मुक्त, एक अलौकिक रूहानी मस्ती में डूबी हुई दिखाई दे रही हैं*। अपने गोपीवल्लभ बाबा की मीठी मुरली के मधुर महावाक्य मैं आत्मा गोपी एकाग्र हो कर सुन रही हूँ और इन मधुर महावाक्यो के एक - एक शब्द में समाये अपने गोपी वल्लभ बाबा के प्रेम का मैं गहराई तक अनुभव कर रही हूँ। उनके प्रेम का यह मधुर एहसास मुझे असीम सुख की अनुभूति करवा रहा है।
 
➳ _ ➳ मुरली के मधुर महावाक्य उच्चारण करने के साथ - साथ अब मेरे गोपीवल्लभ बाबा अपनी मीठी दृष्टि से मुझे निहाल कर रहें हैं। *उनकी मीठी दृष्टि से आ रही लाइट और माइट पाकर मैं भी लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर, मास्टर बीजरूप स्थिति का अनुभव कर रही हूँ*। और इस स्थिति में स्थित होते ही अब मै अपने गोपीवल्लभ बाबा को उनके निराकार बीजरूप स्वरूप में अपने बिल्कुल सामने देख रही हूँ। उनसे आ रही सर्वशक्तियाँ चारों और फैल रही है और उनसे निकल रहे वायब्रेशन शांति की गहन अनुभूति करवा रहें हैं।
 
➳ _ ➳ गहन शांति की अनुभूति में गहराई तक खोई मैं आत्मा गोपी धीरे धीरे अपने गोपीवल्लभ बाप के बिल्कुल समीप पहुंच कर अब उनके साथ कम्बाइंड हो जाती हूँ। *इस कम्बाइंड स्थिति में स्थित होते ही अब मैं उनसे आ रही अनन्त शक्तियों को स्वयं में समाता हुआ स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ*। परमात्म शक्तियां मुझ आत्मा में समाकर मुझे बहुत ही शक्तिशाली बना रही हैं। मेरे गोपीवल्लभ का प्रेम उनकी अनन्त किरणों के रूप में निरन्तर मुझ पर बरस रहा है। *ऐसा लग रहा है जैसे सुख का कोई झरना मुझ आत्मा के ऊपर बह रहा है और मैं असीम सुख से भरपूर होती जा रही हूँ*।
 
➳ _ ➳ इस अतीन्द्रिय सुखमय स्थिति का गहराई तक अनुभव करके अब मैं स्वयं को वापिस अपने ब्राह्मण स्वरूप में और अपने गोपी वल्लभ बाप को उनके रथ पर विराजमान देख रही हूँ। *उनकी मीठी याद में समाये अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति को अपने साथ लेकर अब मैं मधुबन से वापिस अपने कर्मक्षेत्र पर लौट रही हूँ*। कर्मयोगी बन, हर कर्म करते अपने मीठे बाबा की याद में रह अब मैं हर समय अतीन्द्रिय सुख का अनुभव कर रही हूँ।

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं स्वयं की सर्व कमजोरियों को दान की विधि से समाप्त करने वाली आत्मा हूँ।*
✺   *मैं दाता आत्मा हूँ।*
✺   *मैं विधाता आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ *मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य के गुण गाती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा कमजोरियों के गुण गाने से मुक्त हूँ ।*
✺ *मैं भाग्यशाली आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *भटकती हुई आत्मायें, प्यासी आत्मायें, अशान्त आत्मायें, ऐसी आत्माओं को अंचली तो दे दो।* फिर भी आपके भाई-बहनें हैं। तो अपने भाईयों के ऊपर, अपनी बहनों के ऊपर रहम आता है ना! देखो, *आजकल परमात्मा अपने को आपदा के समय याद करते लेकिन शक्तियों को, देवताओं में भी गणेश है, हनुमान है और भी देवताअों को ज्यादा याद करते हैं, तो वह कौन है? आप ही हो ना!* आपको रोज याद करते हैं। पुकार रहे हैं - हे कृपालु, दयालु रहम करो, कृपा करो। जरा-सी एक सुख-शान्ति की बूँद दे दो। आप द्वारा एक बूँद की प्यासी हैं। तो दुःखियों का, प्यासी आत्माओं का आवाज हे शक्तियाँ, हे देव नहीं पहुँच रहा है! पहुँच रहा है ना? बापदादा जब पुकार सुनते हैं तो शक्तियों को और देवों को याद करते हैं।

 

 _ ➳  2. *उन्हों को भी कुछ समय दो। एक बूँद से भी प्यास तो बुझाओ, प्यासे के लिए एक बूँद भी बहुत महत्त्व वाली होती है।*

 

✺   *ड्रिल :-  "प्यासी, अशान्त आत्माओं को सुख-शान्ति की अंचली देने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *मधुबन की बगिया में झूले पर बैठी मैं लगन में मगन आत्मा शिव बाबा की यादों में मगन हूँ...* बाबा की शीतल किरणों के फूल मुझ आत्मा पर बरस रहे है... *अतिन्द्रिय सुख के झूले में, मैं आत्मा झूल रही हूँ... मीठे बाबा के असीम प्यार का अनुभव कर रही हूँ...* गुणों, शक्तियों और वरदानों की बारिश बाबा मुझ आत्मा पर कर रहे है... मैं आत्मा इस परमात्म बारिश में भीगकर भरपूर हो रही हूँ... और अतिइन्द्रिय सुख के झूले में झूल रही हूँ... उड़ रही हूँ... *आत्मा के सातों गुणों का अनुभव कर रही हूँ...* तभी अचानक कुछ आवाजें मुझ आत्मा को सुनाई देतीं है... *हे माँ कृपा करो, सुख दो शांति दो दया करो रहम करो माँ... मैं आत्मा और ध्यान से इन आवाजों को सुनती हूँ...* तभी कुछ और आवाजें आती है... हे शांति देवा, हे बुद्धि बल दाता रहम करो... *हे संकट मोचन हमारे संकट हरो राह दिखाओं सुख दो शांति दो... दुखी-अंशात आत्माओं की आवाज सुनकर मैं आत्मा अपने ईष्ट देव स्वरूप को इमर्ज करती हूँ...* और मैं आत्मा चलती हूँ बाबा संग उन स्थानों की ओर जहाँ से, ये अशांत दुखी आत्माएँ पुकार रही है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को ऊँची चोटी पर स्थित भव्य विशाल मन्दिर में... *मैं अष्ट भुजाधारी माँ दुर्गा हूँ... असुर संहारिणी हूँ पाप नाशिनी हूँ... जग उध्दारक हूँ...* लाखों भक्तों की लाइनें लगी... भक्त आत्माएँ पुकार रही है... *हे जगत जननी माँ... हे पाप नाशिनी... कष्ट हारिणी माँ शांति दो... सुख दो माँ... इन आत्माओं के नयन दो पल की शांति और खुशी के लिए तरस रहे है...* ये दुखियारी आत्माएँ पुकार रही है... हे माँ कृपा करो... रहम करो... *मैं आत्मा अपने वरदानी स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ... मुझ आत्मा के नयनों से शांति और पवित्रता की किरणें निकल सभी अशांत दुखी आत्माओं पर पड़ रही है...* सभी आत्माएँ सुख और शांति की अनुभूति कर रही है... उनके सभी कष्ट-पीड़ाएँ समाप्त हो रही है... *मुझ माँ दुर्गा के वरदानी हस्त से शक्तियों की किरणें निकल इन सभी आत्माओं पर पड़ रही है... ये सभी आत्माएँ मजबूत बन रही है... इनका उमंग-उत्साह बढ रहा है... इनका मन शांत हो रहा है...* सभी आत्माओं की मनोकामनाएँ पूर्ण हो रही है...

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को बहुत बड़े मन्दिर में अपने वरदानी स्वरूप में... *मैं आत्मा बुद्धि-बल दाता सिद्धि विनायक गणेश हूँ... मैं आत्मा विघ्न-विनाशक हूँ... दुख हर्ता सुख कर्ता हूँ...* मैं वरदानी-महादानी आत्मा देख रही हूँ... भक्तों की भीड़ लगी है... वे पुकार रहे है *हे गणपति देवा दुख हरो... सुख दो ! शांति दो ! हमारे जीवन के विघ्नों को हरो मंगल मोरया...* हे देवा रहम करो... कृपा करो... मुझ वरदानी आत्मा की दृष्टि जैसे-जैसे इन, एक पल की शांति की प्यासी आत्माओं पर पड़ रही है *ये आत्माएँ असीम सुख और शांति का अनुभव कर रही है... मुझ विघ्न विनाशक गणेश के हाथों से शक्तिशाली किरणें इन आत्माओं पर पड़ रही है... इनके विघ्न नष्ट हो रहे है... इनका मनोबल बढ़ रहा है...* इनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो रही है... *सभी आत्माएँ खुश होकर जा रही है... भरपूर होकर जा रही है...*

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को बहुत बड़े भव्य सुन्दर मन्दिर में अपने वरदानी स्वरूप में... *मैं आत्मा महावीर पवन पुत्र हनुमान हूँ... मैं भव्य मन्दिर में विराजमान संकट मोचन हनुमान हूँ... भक्त आत्माओं की भीड़ लगी है...* डर, चिंता, भय के काले बादलों ने इन आत्माओं के जीवन में ग्रहण लगा दिया है... *अंशात और दुखी होकर वे आत्माएँ पुकार रही है... हे संकट मोचन, हे महावीर हमारा कल्याण करों, शांति दो...* इन दुखों के संकटों से हमें बाहर निकालों... हे महावीर कृपा करो... वे आरती गा रहे है... *जय जय हनुमान गोसाई कृपा करहु गुरु देव की नाई... मुझ संकट मोचन महावीर हनुमान के मस्तक और नयनों से शक्तियों की किरणें निकल कर सभी अशांत, दुखी, परेशान संकट मे घिरी आत्माओं पर पड़ रही है...* इनके कष्ट मिट रहे है... इनके संकट खत्म हो रहे है... *सभी आत्माएँ सुख-शांति की अनुभूति कर रही है... सभी आत्माओं का मनोबल बढ़ रहा है... सभी आत्माएँ खुश और सन्तुष्ट होकर जा रही है...*

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को अति सुन्दर विशाल मन्दिर में... *मैं आत्मा माँ सन्तोषी हूँ... सबको सन्तोष देने वाली, मैं मां सन्तोषी देख रही हूँ... भक्तों की भीड़ को जो नंगे पांव सीढीयाँ चढते हे माँ सन्तोषी, सुख दो माँ, शांति दो... जय माँ सन्तोषी कह पुकार रहे है...* वे एक पल की शांति और खुशी की अंचली मांग रहे है... कृपा करो हे जगत जननी कृपा करो... *कुछ आत्माएँ मन्दिर में आरती गा रही है... मैं तो आरती उतारु रे सन्तोषी माता की जय जय सन्तोषी माता जय जय माँ...* मुझ माँ सन्तोषी के नयनों से शीतल किरणें इन सभी आत्माओं पर पड़ रही है... *ये सभी आत्माएँ सुख और शांति की अनुभूति कर रही है...* मुझ सन्तोषी माँ के वरदानी हाथों से किरणें निकल इन आत्माओं पर पड़ रही है... सभी आत्माओं की मनोकामनाएं पूर्ण हो रही है... *इनका मन शांत हो गया है... सन्तोष से परिपूर्ण हो गया है... सभी आत्माएँ सन्तुष्ट होकर जा रही है... खुश होकर जा रही है... शुक्रिया मीठे बाबा शुक्रिया...*

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━