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 28 / 02 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *विनाशी देह को न देख देही अभिमानी बनने की मेहनत की ?*

 

➢➢ *दिन रात सर्विस में तत्पर रह आपार ख़ुशी में रहे ?*

 

➢➢ *समय और संकल्पों को सेवा में अर्पण किया ?*

 

➢➢ *अपनी इच्छाओं को कम किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  परमात्म-प्यार अखुट है, अटल है, इतना है जो सर्व को प्राप्त हो सकता है। लेकिन *परमात्म-प्यार प्राप्त करने की विधि है-न्यारा बनना। जितना न्यारा बनेंगे उतना परमात्म प्यार का अधिकार प्राप्त होगा।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं बापदादा का सिकीलधा रूहानी गुलाब हूँ"*

 

  सभी अपने को सिकीलधे समझते हो ना? कितने सिक व प्रेम से बाप ने कहाँ-कहाँ से चुनकर एक गुलदस्ते में डाला है। गुलदस्ते में आकर सभी 'रूहे गुलाब' बन गये। रूहे गुलाब अर्थात् अविनाशी खुशबू देने वाले। ऐसे अपने को अनुभव करते हो? *हरेक को यही नशा है ना कि हम बाप को प्रिय हैं! हरेक कहेगा कि मेरे जैसा प्यारा बाप को और कोई नहीं है। जैसे बाप जैसा प्रिय और कोई नहीं। वैसे बच्चे भी कहेंगे।* 

 

  क्योंकि हरेक की विशेषता प्रमाण बाप को सभी से विशेष स्नेह है। नम्बरवार होते हुए भी सभी विशेष स्नेही हैं। बच्चों के मूल्य को सिर्फ बाप जानें और आप जानों। और कोई नहीं जान सकता। *दूसरे तो आप लोगों को साधारण समझते हैं, लेकिन कोटो में कोई और कोई में भी कोई आप हो। जिसको बाप ने अपना बना लिया। बाप का बनते ही सर्व प्राप्तियॉं हो गई। खजानों की चाबी बाप ने आप सबको दे दी।* अपने पास नहीं रखी। इतनी चाबियाँ हैं जो सबको दी है। यह मास्टर की (चाबी) ऐसी है जो जिस खजाने को लगाना चाहो, लगाओ और खजाना प्राप्त करो। मेहनत नहीं करनी पड़ती।

 

  वैसे भी लंदन राज्य का स्थान है ना। प्रजा बनने वाले नहीं। सभी सेवा में आगे बढ़ने वाले। *जहाँ प्राप्ति हैं वहाँ सेवा के सिवाए रह नहीं सकते। सेवा कम अर्थात् प्राप्ति कम। प्राप्ति स्वरूप बिना सेवा के रह नहीं सकते।* देखो, आप लोग कितना भी देश छोड़कर विदेश चले गये तो भी बाप ने विदेश से भी ढूँढकर अपना बना लिया। कितना भी भागे फिर भी बाप ने तो पकड़ लिया ना।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *सिर्फ मैं शब्द नहीं बोलना आत्मा साथ में बोला, पक्का हो जायेगा।* जैसे शरीर का नाम पक्का है ना दूसरे को भी कोई बुलायेंगे तो आप ऐसे-ऐसे करेंगे। तो मैं आत्मा हूँ। आत्म का संसार बापदादा, आत्मा का संस्कार ब्राह्मण सो फरिश्ता, फरश्तिा सो देवता। तो क्या करेंगे? यह मन की ड़ि्ल करना। आजकल डॉक्टर्स भी कहते हैं ड़ि्ल करो, ड़ि्ल करो। एक्सरसाइज करो।

 

✧   तो *यह एक्सरसाइज करो। मैं आत्मा, मेरा बाबा क्योंकि समय की गति को ड्रामा अनुसार स्लो करना पडता है।* होना चाहिए क्रियेटर को तीव्र, क्रियेशन के नहीं लेकिन अभी के प्रमाण समय तेज जा रहा है। प्रकृति एवररेडी है सिर्फ ऑर्डर के लिए रूकी हुई है। ड्रामा का समय ही ऑर्डर करेगा ना। स्थापना वाले अगर एवररेडी नहीं होंगे ते विनाश के बाद क्या प्रलय होगी? होनी है प्रलय?

 

✧   कि विनाश के बाद स्थापना होनी ही है? *तो स्थापना के निमित बने हुए अभी समय प्रमाण एवररेडी होने चाहिए।* बापदादा यही देखने चाहते है, जैसे ब्रह्मा बाप अर्जुन बना ना, एक्जैम्पुल बना ना! ऐसे ब्रह्मा बाप को फॉलो करने वाले कौन बनते हैं? स्वयं भी देखो, समय को भी देखो।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *फरिश्ता रूप की स्थिति अर्थात् अव्यक्त स्थित जिसकी सदाकाल रहती है वह बिन्दु रूप में भी सहज स्थित हो सकेगा।* अगर अव्यक्त स्थिति नहीं है तो बिन्दु रूप में स्थित होना भी मुश्किल लगता है। इसलिए अभी इसका भी अभ्यास करो। *शुरू शुरू में अव्यक्त स्थिति का अभ्यास करने के लिए कितना एकान्त में बैठ अपना व्यक्तिगत पुरुषार्थ करते थे। वैसे ही इस फाइनल स्टेज का भी पुरुषार्थ बीच-बीच में समय निकाल करना चाहिए। यह है फाइनल सिद्धि की स्थिति।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- बाप मेहमान बनकर आया है, उनका आदर करना"*

➳ _ ➳ *मैं आत्मा सेण्टर में बाबा के कमरे में बैठ अपने दिल दर्पण में देख रही हूँ- अपने तकदीर की तस्वीर को... स्वयं भाग्यविधाता परमात्मा ने मेरी सोई हुई तकदीर को जगाकर, मेरा सुन्दर भाग्य बनाया है... परमात्मा ने अपने ज्ञान-योग के जल से मेरी तकदीर को सींचा है... अपने स्नेह-प्यार के फूलों की खुशबू से खुशबूदार बना दिया है...* 21 जन्मों तक सुख-शांति का वर्सा देकर मुझे एवर हेल्थी, एवर वेल्थी बना दिया है... अपने भाग्य के गुण गाती मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ सूक्ष्म वतन में मेरे भाग्यविधाता बाबा के पास...

❉ *मुझे राजयोग सिखलाकर मेरी बिगड़ी को सुधारकर तकदीरवान बनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे बच्चे... मुझ पिता के सिवाय दुःख भरी दुनिया से छुड़ा न सके... सुख भरे जीवन जो दुखो के पहाड़ बन गए है... मेरे सिवाय परिवर्तन हो न सके... *मेरे सोने से फूल बच्चों की बिगड़ी तकदीर को मै ही संवार सकता हूँ... अपनी सारी शक्तिया ज्ञान देकर मै ही भाग्यवान बना सकता हूँ कोई और नही...”*

➳ _ ➳ *अपने सुन्दर भाग्य के नशे में खुशियों के गगन में उड़ते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा... आप संग ज्ञानवान बन रही हूँ... *अपने बिगड़ी सी किस्मत को हीरों से सजा रही हूँ... ज्ञान रत्नों से चमकती जा रही हूँ... और भाग्यवान आत्मा बनती जा रही हूँ...”*

❉ *ज्ञान रत्नों की झंकार से मेरे जीवन को सुरीला बनाकर प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे.... कितने सुखो और आनंद खुशियो से भरपूर दुनिया के रहवासी थे... और किस विकारो के दलदल में फस कर धस से गए हो.... *मुझ विश्व पिता से बच्चों की यह दशा देखी न जाय... बच्चों की तकदीर जगाने आया हूँ... ज्ञान रत्नों का खजाना लिए उतर आया हूँ...”*

➳ _ ➳ *विकारी दलदल से निकल खुबसूरत दुनिया की मालिक बनने की अधिकारी बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मुझ आत्मा ने तो दुखो को ही जीवन का अटल सत्य मान लिया था... *आपने आकर भाग्य की लकीर ही बदल दी... सुंदर जीवन का आधार दे दिया... सारे रत्न भरे खजाने मेरे हाथो में देकर सुखो से मेरा श्रृंगार कर दिया...”*

❉ *प्रेम के खजाने मुझ पर बरसाते हुए प्रेम के सागर मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे बच्चे... *जब सब ही खेल में उतर गए तो बाहर तो सिवाय ईश्वर पिता के कोई निकाल न सके... इन दर्दो से परमपिता ही उबार सके... वही खूबसूरत सुख दामन में वही सजा सके...* फूलो भरा महकता सतयुग वही तो बना सके... सारे विश्व को सम्पन्नता की दौलत से आबाद कर दे...”

➳ _ ➳ *स्वर्ग का राज्य तिलक अपने नाम कर बाबा के दिल तख़्त पर बैठकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा खुशनुमा भाग्य को पाकर निखरती जा रही हूँ... *अपनी काली हो गई तकदीर को सुनहरा सजाती जा रही हूँ... आपके दिए ज्ञान धन से विश्व की मालिक बन सुंदर तकदीर पाती जा रही हूँ..."*

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- याद का सच्चा - सच्चा चार्ट रखना है*"

➳ _ ➳ अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप की स्मृति में स्थित हो कर अपने परमशिक्षक शिव पिता को याद करते ही मुझे अनुभव होता है जैसे शिव बाबा परमधाम से नीचे सूक्ष्म लोक में प्रवेश कर, अपने रथ का आधार लेकर मेरे सामने उपस्थित हो गए हैं और अपने मधुर महावाक्य उच्चारण कर रहें हैं। *गॉडली स्टूडेंट बन आत्मिक स्मृति में स्थित होकर अपने परमशिक्षक द्वारा मिलने वाले ज्ञान के एक - एक अमूल्य रत्न को मैं अपनी बुद्धि में धारण करते हुए मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करती हूँ कि कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान शिक्षक बन मुझे पढ़ाने के लिए आये हैं*।

➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर नाज करती, अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा को उनके लाइट माइट स्वरूप में देखते - देखते मैं अनुभव करती हूँ कि बाबा की लाइट माइट मुझे सहज ही लाइट माइट स्वरूप में स्थित कर रही है। *एक सुंदर दिव्य अलौकिक अनुभूति करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता के लाइट माइट स्वरूप के सम्मुख अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होकर उनके अति मनमोहक मधुर महावाक्यों को सुनना, मेरे अंदर असीम आनन्द का संचार कर रहा है*। मेरा रोम - रोम बाबा के एक - एक महावाक्य को ग्रहण कर रहा है।

➳ _ ➳ अपने प्यारे बाबा के मधुर महावाक्यों का आनन्द लेती अब मैं विचार करती हूँ कि *जब स्वयं भगवान मुझे पढ़ाने के लिए अपना घर परमधाम छोड़ कर यहाँ आये हैं तो ऐसे भगवान शिक्षक द्वारा पढ़ाई जाने वाली इस बेहद की पढ़ाई का मुझे कितना कद्र होना चाहिए*! यही विचार कर, स्वयं से मैं प्रोमिस करती हूँ कि अपने परमशिक्षक शिव परम पिता परमात्मा द्वारा मिलने वाले इन अमूल्य ज्ञान रत्नों को मुझे अपनी बुद्धि में अच्छी रीति धारण करना है और साथ ही साथ अपने पुरुषार्थ को तीव्र करने के लिए याद के सब्जेक्ट पर पूरा अटेंशन देने के लिए याद का चार्ट जरूर रखना है।

➳ _ ➳ मन ही मन स्वयं से यह प्रोमिस कर मैं जैसे ही बापदादा की ओर देखती हूँ ऐसा अनुभव होता है जैसे बाबा मेरे हर संकल्प को पढ़ कर उस संकल्प को पूरा करने का बल मुझे दे रहें हैं। *सूक्ष्म रूप में बाबा से मिलने वाला बल बाबा की लाइट माइट के रुप में मेरे ऊपर प्रवाहित होकर मेरे अंदर असीम ऊर्जा का संचार कर रहा है*। स्वयं को मैं बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा की लाइट माइट ने मुझे सहज पुरुषार्थी बना दिया है और हर प्रकार की मेहनत से मुक्त कर दिया है।

➳ _ ➳ अब मैं हर समय अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरुप को स्मृति में रखते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा द्वारा दिए जा रहे अविनाशी ज्ञान रत्नों को धारण कर, तीव्र पुरुषार्थ के लिए याद का एक्यूरेट चार्ट रख, अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ। *याद का एक्यूरेट चार्ट रखने से अपने पुरुषार्थ में तीव्रता का अनुभव अब मैं स्पष्ट कर रही हूँ। याद के बल से सहज पुरुषार्थी बन भविष्य 21 जन्मों की श्रेष्ठ प्रालब्ध पाने का तीव्र पुरुषार्थ मैं बिल्कुल सहज रीति कर रही हूँ*। सर्वसम्बधों के रुप में बाबा को हर घड़ी अपने साथ अनुभव करते, कभी साकारी, कभी आकारी और कभी निराकारी स्वरुप में बाबा से हर पल मिलन मनाने का सुख मैं प्राप्त कर रही हूँ।

➳ _ ➳ *"स्टूडेंट लाइफ इज़ दी बेस्ट लाइफ" इस स्लोगन का अनुभव अपनी इस ईश्वरीय स्टूडेंट लाइफ में हर समय करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता की शिक्षाओं को अपने जीवन मे धारण कर, तीव्र पुरुषार्थी बन अपनी स्टूडेंट लाइफ का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं समय और संकल्पों को सेवा में अर्पण करने वाली आत्मा हूँ।*
✺   *मैं मास्टर विधाता आत्मा हूँ।*
✺   *मैं वरदाता आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ *मैं आत्मा अपनी इच्छाओं को कम करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा समस्याओं से मुक्त हूँ ।*
✺ *मैं इच्छा मात्रम अविद्या आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  जब 9 लाख आयेंगे तो साधन स्वतः जुट जायेगा। घबराओ नहीं, हाल बनाना पड़ेगा। देखो, भविष्य बहुत बहुत उज्जवल है। सब साधन मिल जायेंगे। बने बनाये हाल आपको मिलेंगे। बनाने नहीं पड़ेंगे। *सिर्फ जो इस वर्ष का स्लोगन दिया है ना - सफल करो, सफलता है ही। अच्छा।*

 

 _ ➳  टीचर्स अभी स्वयं भी सफल करो और सफल कराओ। सेवा में वृद्धि होना अर्थात् खजानों को सफल किया और कराया। तो इस वर्ष का स्लोगन को प्रैक्टिकल में लाना तो स्वतः ही वृद्धि होती जायेगी। हिम्मत दिलाओ। बापदादा ने देखा है, कोई-कोई स्थान में हिम्मत कम दिलाने की शक्ति है। *हिम्मत दिलाओ, हर कार्य में मन्सा में भी, वाचा में भी, सम्बन्ध-सम्पर्क में भी, कर्म में भी हिम्मत दिलाओ।* टीचर्स की सीट ही है - हिम्मत में रहना और हिम्मत दिलाना। क्यों? क्योंकि टीचर्स को जो बाप की मुरली सुनाने का चाँस मिला है और तख्त मिला है, यह एक्सट्रा मदद है। तो हिम्मत और उल्हास दिलाओ। *सारा क्लास रूहानी खिला हुआ गुलाब दिखाई दे। सुना टीचर्स ने। उल्हास में लाओ क्लास को।*

 

✺   *ड्रिल :-  "क्लास को हिम्मत और उल्हास दिलाने का अनुभव"*

 

 _ ➳  मैं चैतन्य आत्मा... भृकुटी के मध्य विराजमान स्वयं को देख रही हूं... *अपने फरिश्ता स्वरूप को इमर्ज किये ये उड़ चला मैं फ़रिश्ता एक रुहानी यात्रा पर...* देह के भान, इस साकार लोक को भी पीछे छोड़ते हुए... चांद तारों से भी पार सूक्ष्मवतन...

 

 _ ➳  *यह आ पहुंचा मैं फ़रिश्ता बापदादा की दुनिया, फरिश्तों के लोक...* चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश हैं... और सामने बापदादा, *चेहरे पर मुस्कान और मीठे बोल लिये "आओ बच्चे आओ इधर आओ" कह बाहें पसारे मेरा स्वागत कर रहे हैं...* बाबा... मीठे बच्चे... बाबा ममतामई दृष्टि से मुझे निहारते हुए... और मैं ये आ पहुँचा बापदादा के समीप...

 

 _ ➳  बापदादा की स्नेह भरी दृष्टि में मैं स्वयं को भूलते जा रहा हूं... मीठे बच्चे... ओ मीठे बच्चे... अचानक मुझे सुध आती है... बापदादा प्यार से मेरे सिर पर अपना हाथ फेर लाड प्यार देते है... *त्रिकालदर्शी बाप मुझ मास्टर त्रिकालदर्शी को दृष्टि दे रहे हैं...* मैं फ़रिश्ता भविष्य सेवा वृद्धि के दृश्य को देख रहा हूं कि किस प्रकार सभी साधन एकाएक अपने आप ही जुट गए हैं... 9 लाख भाई बहन एक बड़े से हाल में बापदादा के सन्मुख बैठे हैं... यह दृश्य देख *भविष्य सेवा को ले मैं अपनी सभी चिंताओं को भूल चुका हूं... मैं बेफिक्र बादशाह हो चला हूं...*

 

 _ ➳  अब मैं फरिश्ता बेहद की रूहानी हिम्मत लिए, उमंग उत्साह से भरपूर अपने सभी खजानों को सफल करते जा रहा हूं... *बापदादा से विदा ले अब मैं आ पहुंचा अपनी स्थूल शरीर स्थूल लोक में...* भृकुटि के मध्य मैं आत्मा स्वयं को निहार रही हूं... *मुझ आत्मा से शक्तिशाली, उमंग उत्साह की किरणे चारों ओर फैल रही हैं... चारों ओर का वायुमंडल उमंगो से तरंगों से उत्साह से भरपूर हो चला है...* उपस्थित सभी आत्माएं सारा क्लास रूहानी खिला हुआ गुलाब दिखाई दे रहा है...

 

 _ ➳  *सभी रूहानी गुलाब "मैं आत्मा कल्प कल्प की विजय रत्न हूं" कि स्मृति का तिलक लगाएं अपने सभी खजानों को सफल करते जा रहे हैं...* मनसा, वाचा, कर्मणा सभी खजानों को सफल करते हुए सेवा में वृद्धि को पा रहे हैं... *उनमे एक बेहद की रूहानी हिम्मत, एक नया रूहानी जोश अनुभव हो रहा है...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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