━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 20 / 01 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *किसी पर कुदृष्टि तो नहीं गयी ?*

 

➢➢ *हर खजाने को बाप के डायरेक्शन प्रमाण कार्य में लगाया ?*

 

➢➢ *दैवी परिवार से अपोजीशन न कर माया से अपोजीशन की ?*

 

➢➢ *हर समय नवीनता का अनुभव करते औरों को भी उमंग उत्साह में लाये ?*

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

*अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  *बुद्धि की एकाग्रता से परखने की शक्ति आयेगी। इसके लिए व्यर्थ वा अशुद्ध संकल्पों की हलचल से परे एक में सर्व रस लेने वाली एकरस स्थिति चाहिए।* अगर अनेक रसों में बुद्धि और स्थिति डगमग होती है तो परखने की शक्ति कम हो जाती है और न परखने के कारण माया अपना ग्राहक बना देती है। यह माया है, यह भी पहचान नहीं सकते। यह रांग है, यह भी जान नहीं सकते।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

   *"मैं सदा रूहानी नशे में रहने वाला सच्चा रूहानी गुलाब हूँ"*

 

 सदा रूहानी नशे में रहने वाले सच्चे रूहानी गुलाब हो ना? जैसे रूहे गुलाब का नाम बहुत मशहूर है वैसे आप सभी आत्मायें रूहानी गुलाब हो। *रूहानी गुलाब अर्थात् चारों ओर रूहानियत की खुशबू फैलाने वाले।* ऐसे अपने को रूहानी गुलाब समझते हो?

 

  *सदा रूह को देखते और रूहों के मालिक के साथ रूह-रूहान करते यही रूहानी गुलाब की विशेषता है। सदा शरीर को देखते रूह अर्थात् आत्मा को देखने का पाठ पक्का है ना!* इसी रूह को देखने के अभ्यासी रूहानी गुलाब हो गये।

 

 *बाप के बगीचे के विशेष पुष्प हो क्योंकि सबसे नम्बरवन रूहानी गुलाब हो। सदा एक की याद में रहने वाले अर्थात् एक नम्बर में आना है, यही सदा लक्ष्य रखो।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  ब्रह्मा बाप से तो प्यार है ना! तब तो ब्रह्माकुमारी वा ब्रह्माकुमार कहलते हो ना! *जब चैलेन्ज करते हो कि सेकण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा ले लो तो अभी सेकण्ड में अपने को मुक्त करने का अटेन्शन।*

 

✧  अभी समय को समीप लाओ। *आपके सम्पूर्णता की समीपता, श्रेष्ठ समय को समीप लायेगी।* मालिक होना, राजा हो ना। स्वराज्य अधिकारी हो?

तो ऑर्डर करो। राजा तो ऑर्डर करता है ना! *यह नहीं करना है, यह करना है। बस ऑर्डर करो।*

 

✧  *अभी-अभी देखो मन को, क्योंकि मन है मुख्यमन्त्री।* तो हे राजा, अपने मन मन्त्री को सेकण्ड में ऑर्डर कर अशरीरी, विदेही स्थिति में स्थित कर सकते हो? *करो ऑर्डर एक सेकण्ड में* (बापदादा ने 5 मिनट ड़िल कराई) अच्छा।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  *अव्यक्त स्थिति की परख आप सभी के जीवन में क्या होगी, वह मालूम है? उनके हर कर्म में एक तो अलौकिकता और दूसरा हर कर्म करते कर्मेन्द्रियों से अतीन्द्रिय सुख की महसूसता आएगी।* उनके नयन-चैन, उनकी चलन अतीन्द्रिय सुख में हर वक्त रहेगी।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- पुण्य आत्मा बनने के लिए अपना पोतामेल देखना"*

❉ *प्यारे बाबा :-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... सत्य पिता के साथ *सदा सत्य भरी राहो पर मुस्कराते हुए सदा उमंगो संग झूमो.*..अपने दिल की हर बात को सत्य पिता को बयाँ करो... हर पल हर कदम पर मीठे बाबा से राय लेते रहो... और श्रीमत का हाथ पकड़े हुए यूँ सदा निश्चिन्त, बेफिक्र बन मौजो से भरा ईश्वरीय जीवन जियो..."

➳ _ ➳ *मैं आत्मा :-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपके साये में सत्य स्वरूप में खिल उठी हूँ... श्रीमत को पाकर जीवन मूल्यों से भर गयी हूँ... *दिल के हर जज्बातों में आपको साझा कर रही हूँ.*.. आपके साथ और अमूल्य प्यार को पाकर, खुशनुमा जीवन को मालिक हो गयी हूँ..."

❉ *मीठे बाबा :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... जनमो की भटकन के पश्चात जो ईश्वर पिता को पाया है तो *उनकी श्रीमत पर चलकर जीवन अनन्त मीठे सुखो का पर्याय बना लो.*.. सच्चे साथी से हर कदम राय लेकर, जीवन को खुशियो की बहार बना दो... सच्चा पोतामेल ईश्वर पिता को देकर, प्यार में वफादारी का सबूत दे दो..."

➳ _ ➳ *मैं आत्मा :-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा परमात्मा पिता को पाकर कितनी भाग्यशाली हो गई हूँ... कभी कहाँ भला सोचा था कि *जीवन ईश्वरीय मत पर चलकर यूँ सुखो का समन्दर हो उठेगा.*.. प्यारे बाबा आपके प्यार को पाने वाले, अपने भाग्य की जादूगरी पर निहाल हो गयी हूँ... "

❉ *प्यारे बाबा :-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... जनमो के भटके मन को अब ईश्वरीय मत पर चलाकर निर्मल पवित्र बनाओ.... *श्रीमत के हाथो में पलकर, अथाह खुशियो से सजा योगी जीवन पाओ.*.. हर कर्म में मीठे बाबा को सच्चा साथी बनाकर राय लो... तो यह जीवन सच्चे सुख प्रेम शांति से भर उठेगा....और इनकी खुशबु से विश्व भी महक उठेगा...."

➳ _ ➳ *मैं आत्मा :-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार के साये तले कितनी मालामाल हो गयी हूँ... श्रीमत को पाकर खुबसूरत जीवन की मालिक हो गयी हूँ... *जीवन असीम खुशियो से लबालब है और ईश्वर पिता हर पल, हर कदम मेरे साथ है.*.. ऐसे प्यारे भाग्य पर कितना न बलिहार जाऊं..."

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  विनाशी धन के साथ अविनाशी धन का भी दान करना है*"

➳ _ ➳ 
भक्ति में भगवान को पाने के लिए भक्तों ने क्या - क्या नही किया यही चिंतन करते - करते आँखों के सामने एक दृश्य उभर आता है, जिसका उल्लेख बाबा मुरली के माध्यम से अपने मधुर महावाक्यों में अनेक बार करते हैं। *इस दृश्य में मैं देख रही हूँ काशी कलवट खाने वाले भक्तों को जो अपना सिर काट कर शिव के ऊपर बलि चढ़ा रहें हैं*। यह दृश्य देख मैं मन ही मन विचार करती हूँ कि बेचारे ये भक्त इस बात से कितने अनजान है कि भगवान ऐसी बलि कभी स्वीकार नही करते। 

➳ _ ➳ 
भगवान के ऊपर बलि चढ़ना माना बुद्धि से भगवान के ऊपर सम्पूर्ण समर्पित हो जाना। *इसलिए जो तन - मन - धन सब कुछ बाप को अर्पण कर, कदम - कदम उनकी श्रीमत पर चलते हैं वही वास्तव में भगवान पर पूरा बलि चढ़ते हैं और भगवान के दिल में अपनी जगह बना लेते हैं*। और अब जबकि भगवान सम्मुख आये हुए हैं तो इस समय जो भगवान को पहचान कर, देह सहित उन पर पूरा बलि चढ़ेगा वो कल्प - कल्प के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य का निर्माण कर लेगा। 

➳ _ ➳ 
कल्प - कल्प के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ भाग्य बनाने के लिए मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ कि *अपने इस अंतिम जन्म में अब मैं देह सहित बाप पर पूरा बलि चढ़, फ्लेन्थ्रोफिस्ट बन, सर्व आत्माओं का कल्याण अवश्य करूँगी ताकि भगवान के दिल तख्त की अधिकारी आत्मा बन, भविष्य विश्व राज्य की अधिकारी बन सकूँ*। महादानी बन सर्व आत्माओं का कल्याण करने का लक्ष्य लेकर, अब मैं स्वयं को भरपूर करने के लिए अपने अनादि स्वरूप में स्थित होकर, सर्वगुणों और सर्व शक्तियों के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के पास उनके धाम की ओर चल पड़ती हूँ।

➳ _ ➳ 
मन बुद्धि की एक अति सुंदर, मन को आनन्दित करने वाली आंतरिक यात्रा पर चलते हुए, इस टॉकी और मूवी वर्ल्ड से परे उस साइलेन्स वर्ल्ड में मैं आत्मा पहुँचती हूँ जहाँ ना कोई आवाज है और ना कोई संकल्प है। *केवल शान्ति ही शान्ति है। इस शान्ति धाम में गहन शान्ति का अनुभव करके, तृप्त हो कर अब मैं शांति के सागर अपने शिव पिता के समीप जा कर बैठ जाती हूँ। बाबा आ रही सर्वशक्तियों और सर्वगुणों की अनन्त किरणे मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं और मुझे शक्तिशाली बना रही हैं*। अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हुए प्रेम के सागर अपने प्यारे बाबा के प्यार की गहराई में मैं समाती जा रही हूँ

➳ _ ➳ 
बाबा के प्यार में समा कर, स्वयं को पूरी तरह तृप्त और शक्तियों से भरपूर करके अब मैं आत्मा सूक्ष्म वतन में आ जाती हूँ और अपने फरिश्ता स्वरूप को धारण कर बापदादा के सम्मुख पहुँच जाती हूँ। *अपनी शक्तिशाली दृष्टि से मुझे निहारते हुए बाबा अपनी असीम ऊर्जा मेरे अंदर भर रहें हैं। अपने हाथों का हल्का - हल्का स्पर्श मेरे सिर पर करते हुए बाबा परमात्म शक्तियों से मुझे भरपूर कर रहें है*। मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर अपने सभी अविनाशी खजाने, गुण और शक्तियां मुझे विल कर रहें हैं। अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर बाबा मुझे " महादानी भव " का वरदान दे रहें हैं।

➳ _ ➳  *
परमात्म गुणों, शक्तियों और ख़ज़ानों से भरपूर होकर बाबा से मिले वरदान को फलीभूत करने के लिए मैं फ़रिश्ता अब सूक्ष्म वतन से नीचे आता हूँ और महादानी बन विश्व ग्लोब पर आ कर बैठ जाता हूँ*। बाबा के साथ कम्बाइंड होकर, सर्वगुणों और सर्वशक्तियों की किरणे अब मैं सारे विश्व मे फैला रहा हूँ। ज्ञान वर्षा कर, सबको परमात्म अवतरण का संदेश देता हुआ अब मैं फ़रिश्ता नीचे साकार लोक में आ जाता हूँ । 

➳ _ ➳  *
अपने सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ अपने साकार शरीर मे मैं प्रवेश कर जाता हूँ और अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित होकर, महादानी बन अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी आत्माओं को परमात्म ज्ञान देने और परमात्म पालना का अनुभव करवाने की ईश्वरीय सेवा मे लग जाता हूँ*।

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं हर ख़ज़ाने को बाप के डायरेक्शन के प्रमाण कार्य मे लगाने वाली आत्मा हूँ।*
✺   *मैं आनेस्ट आत्मा हूँ।*
✺   *मैं ईमानदार आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺  *मैं आत्मा माया से आपोजीशन करती हूँ ।*
✺  *मैं आत्मा दैवी परिवार से प्यार करती हूँ ।*
✺  *मैं स्नेही आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳   *खुश रहोज्यादा गम्भीर नहीं रहो खुश रहोकभी-कभी कोई बच्चों का चेहरा बड़ा सोच-विचार मेंथोड़ा ज्यादा गम्भीर दिखाई देता हैं*। खुश रहोनाचो-गाओ,  *आपकी ब्राह्मण जीवन है ही खुशी में नाचने की और अपने भाग्य और भगवान के गीत गाने की*। तो नाचने-गाने वाले जो होते हैं ना वह ऐसा गम्भीर होके नाचे तो कहेंगे नाचना नहीं आता। *गम्भीरता अच्छी है लेकिन टू-मच गम्भीरता, थोडा-सा सोच-विचार का लगता है।*  

 

✺   *ड्रिल :-  "ब्राह्मण जीवन में सदा खुश रहने का अनुभव"*

 

 _ ➳  आनन्द स्वरूप मैं आत्मा... *आनन्द के झरने के नीचे*... प्रकाश धारा बरसाता, यह झरना... और इसकी एक एक बूँद को स्वयं में समाती जा रही हूँ मै... रोम रोम खुशियों की तरंगो से भरपूर हो रहा है... भृकुटि रूपी तख्त पर स्थित मैं आत्मा... अंग-अंग में खुशियों का संचार करती हुई... आसपास के वातावरण को खुशनुमा बना रही हूँ... और खुशियों का केन्द्र बिन्दु मेरी सुखद स्मृतियाँ जो कल्प के बाद मुझ आत्मा में इमर्ज हुई है... *मै सुखसागर की सन्तान मास्टर सुख स्वरूप हूँ*...

 

 _ ➳  मैं सुख स्वरूप... आनन्द स्वरूप आत्मा अपने स्वमान में स्थित होकर बैठ गयी हूँ बापदादा के चित्र के सामने... पल पल खुशी से भरपूर करती उनकी मोहक मुस्कान... *संगम पर खुले खुशियों के खजाने*... और मेरी हर खुशी में साथी बन मेरे संग नाचते गाते बापदादा... *साकारी आकारी और निराकारी मिलन... मिलन की गहरी अनुभूतियाँ*... मिलन के क्षणों का गहराई से चिन्तन करती हुई मैं आत्मा, देह से अलग होती हुई फरिश्ता रूप में जा रही हूँ... बापदादा के सम्मुख...

 

 _ ➳  बापदादा के हाथों में महकते फूलों का गुलदस्ता... उन फूलों की जादुई खुशबू एक रूहानी सी मादकता से भरपूर कर रही है मुझे... *आँखों के सामने अद्भुत दृश्य साकार हो रहा है*... साथियों संग नाचते खुशियाँ मनाते बालकृष्ण और उनकी मुरली की धुन पर थिरकती मैं गोपिका... बेहद हल्कापन पैरों की थिरकन में... *उमंगो का पारावार हर पल अब जीवन में*... महकतें फूलों की बगिया... और हर फूल खिलने की प्रेरणा दे रहा है अनवरत...

 

 _ ➳  और बालकृष्ण को देख रही हूँ अब बापदादा के रूप में... मेरा हाथ थामें उड चलें सागर की ओर... *सागर के किनारें सागर की गम्भीरता को अनायास निहार रहा हूँ मैं*... अपार रत्नों को अन्तर में समेटें... चिर शान्त ये लहरें जीवन हीनता का आभास करा रही है... दमघोटने वाली नीरवता, उदासी... बापदादा की तरफ देख रहा हूँ मैं... आँखों में सवाल समाये... और बापदादा समझ गये है मेरा अभिप्राय... *सागर की तरफ मुट्ठी बन्द कर कुछ उछाल रहे है वो*...और देखते ही देखते लहरों में लौटता जीवन... उछलती, मचलती, *खुशियों से नाचती ये लहरें वातावरण में खुशियों का सृजन करती हुई*..

 

 _ ➳  *खुशियों की खुराक खाता और बाँटता मैं फरिश्ता उड चला अब परम धाम की ओर*...स्वयं को खुशियों से भरपूर करने के लिए... अनन्त प्रकाश पुंज में आहिस्ता आहिस्ता समाता हुआ... *स्वयं को भरपूर कर रहा हूँ मैं शाश्वत खुशी से*... और अब लौट आया हूँ अपनी देह में... देह में रहने का एक नया उद्देश्य लेकर... *खुश रहना, खुशियाँ बाँटना*... और *खुशनुमा दुनिया का सृजन करना*...

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━