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❍ 10 / 01 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *ज्ञान की पॉइंट्स बुधी में रख ज्ञान में मस्त रहे ?*
➢➢ *श्रेष्ठ संकल्पों के सहयोग द्वारा सर्व आत्माओं में शक्ति भरी ?*
➢➢ *मास्टर दुःखहरता बन दुःख को भी रूहानी सुख में परिवर्तित किया ?*
➢➢ *"ब्राह्मण सो फ़रिश्ता" - इस कंबाइंड रूप का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *अशरीरी बनना वायरलेस सेट है। वाइसलेस बनना ही वायरलेस सेट की सेटिंग है। जरा भी अंश के भी अंशमात्र विकार वायरलेस के सेट को बेकार कर देगा इसलिए अब कर्मबन्धनी से कर्मयोगी बनो।* अनेक बन्धनों से मुक्त एक बाप के सम्बन्ध में समझो तो सदा एवररेडी रहेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं महावीर आत्मा हूँ"*
〰✧ सभी अपने को महावीर समझते हो ना? *महावीर अर्थात् सदा शस्त्रधारी। शक्तियों को वा पाण्डवों को सदा वाहन में दिखाते हैं और शस्त्र भी दिखाते हैं।*
〰✧ शस्त्र अर्थात् अलंकार। तो वाहनधारी भी और अलंकारधारी भी। *वाहन है - श्रेष्ठ स्थिति और अलंकार हैं - सर्वशक्तियाँ। ऐसे वाहनधारी और अलंकारधारी ही साक्षात्कारमूर्त बन सकते हैं।*
〰✧ *तो साक्षात बन सब को बाप का साक्षात्कार कराना यह है महावीर बच्चों का कर्तव्य।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *एकाग्रता की शक्ति, मन-बुद्धि दोनों ही एकाग्र हो तब कैचिंग पॉवर होगी।* बहुत अनुभव करेंगे। संकल्प किया - नि:स्वार्थ, स्वच्छ, स्पष्ट वह बहुत क्विक अनुभव करायेगा। साइलेन्स की शक्ति के आगे यह साइन्स चुकेगी। अभी भी समझते जाते हैं कि साइन्स में भी कोई मिसिंग है जो भरनी चाहिए।
〰✧ इसलिए *बापदादा फिर से अण्डरलाइन करा रहा हे कि अन्तिम स्टेज, अंतिम सेवा - यह संकल्प शक्ति बहुत फास्ट सेवा करायेगी।* इसलिए संकल्प शक्ति के ऊपर और अटेन्शन दो। बचाओ, जमा करो। बहुत काम में आयेगी। प्रयोगी इस संकल्प की शक्ति से बनेंगे।
〰✧ साइंस का महत्व क्यों है? प्रयोग में आती है तब सब समझते हैं हाँ, साइंस अच्छा काम करती है। तो साइलेन्स की पॉवर का प्रयोग करने के लिए एकाग्रता की शक्ति चाहिए और *एकाग्रता का मूल आधार है - मन की कन्ट्रोलिंग पॉवर, जिससे मनोबल बढता है।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *साइलेंस पॉवर प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *जैसे
साइन्स के साधनों द्वारा समय और आवाज़ कितना भी दूर होते समीप हो गया है ना।*
जैसे प्लेन द्वारा समय कितना नज़दीक हो गया है, थोड़े समय में कहाँ से कहाँ
पहुँच सकते हो। *टेलीफोन द्वारा आवाज़ कितना समीप हो गया है।* लण्डन के व्यक्ति
का आवाज़ भी ऐसे सुनाई देगा जैसे सम्मुख बात कर रहे हैं। ऐसे ही टेलीविजन के
साधनों द्वारा कोई भी दृश्य वा व्यक्ति दूर होते हुए भी सम्मुख अनुभव होता है।
〰✧ साइन्स तो आपकी रचना है। आप मास्टर रचयिता हो। *साइलेन्स की शक्ति से आप सब
भी विश्व की किसी भी दूर रहने वाली आत्मा का आवाज़ सुन सकते हो।* कौन-सा आवाज़?
साइन्स मुख का आवाज़ सुनाने का साधन बन सकती है लेकिन मन का आवाज़ नहीं पहुँचा
सकती। *साइलेन्स की शक्ति से हर आत्मा के मन का आवाज़ इतना ही समीप सुनाई देगा
जैसे कोई सम्मुख बोल रहा है।*
〰✧ आत्माओं के मन में अशान्ति, दु:ख की स्थिति के चित्र ऐसे ही स्पष्ट दिखाई
देंगे जैसे टी.वी. द्वारा दृश्य वा व्यक्ति स्पष्ट देखते हो। जैसे इन साधनों का
कनेक्शन जोड़ा, स्वीच ऑन किया और स्पष्ट दिखाई और सुनाई देता है। ऐसे ही *बाप
से कनेक्शन जोड़ा, श्रेष्ठ भावना और कामना का स्वीच ऑन किया तो दूर की आत्माओं
को भी समीप अनुभव करेंगे।* इसको कहा जाता है विश्व-कल्याणकारी। ऐसी स्थिति को
बनाने के लिए विशेष कोन-सा साधन अपनाना पड़े। *इन सबका आधार है – साइलेन्स।*
वर्तमान समय साइलेन्स की शक्ति जमा करो।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- बाप को याद करना और 84 के चक्र को जानना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बाह्य जगत में चक्कर लगा रहे अपने मन-बुद्धि को अंतर्जगत में
लेकर जाती हूँ... अंतर्जगत का चक्कर लगाते भृकुटी सिंहासन पर बैठ जाती हूँ...
मैं आत्मा स्मृतियों की सीट पर बैठकर स्वदर्शन चक्र फिराते हुए पहुँच जाती हूँ
हिस्ट्री हाल में...* प्यारे बाबा संदली पर विराजमान होकर सुप्रीम शिक्षक के
रूप में मुझे एवर निरोगी बनने का पाठ पढ़ाते हैं...
❉ *प्यारे बाबा तन के क्लेश मिटाकर एवर निरोगी बनने का राज बताते हुए कहते
हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... *जिसे पाने की चाहत में दर दर भटक रहे थे, वह
जब सम्मुख है तो उस पिता की याद में गहरे डूब जाओ... यह यादे ही सच्चे सुखो से
दामन छलकायेगी...* जीवन को निरोगी बनाकर, अनन्त खुशियो की बहारे खिलाएंगी... इन
मीठी यादो में सदा के खो जाओ...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सिमर सिमर सुख पाती हुई बाबा की यादों में डूबकर कहती हूँ:-*
“हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा भगवान को जगह जगह खोज रही थी... आज
भाग्य की बलिहारी से पिता शिक्षक और सतगुरु के रूप में पाकर धन्य धन्य हो गयी
हूँ...* मीठे बाबा... मेरा भटकना अब छूट गया है और मै आत्मा सदा की सुखी हो गयी
हूँ...”
❉ *मीठे बाबा पारलौकिक सुखों की लहरों से जीवन को सुखमय बनाते हुए कहते हैं:-*
“मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय यादो में देवताई सुख समाये है... *इन यादो
से ही जनमो के विकर्मो से मुक्ति है... इसलिए ईश्वर पिता की याद को हर साँस में
पिरो दो...* दिल की धड़कन की तरहा याद को दिल में समालो और सच्चे सुख निरोगी
काया को पाकर सदा का मुस्कराओ...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा के मीठे प्यार के समंदर में डूबकर कहती हूँ:-*
“मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा आपको जड़ चेतन व्यक्तियो में खोज कर, कितनी
बेहाल हो गयी थी... आपने आकर मुझे आवाज दी, और अपने से मिलवाया...* मीठे
बाबा... मै आत्मा रोम रोम से आपकी शुक्रगुजार हूँ... प्यारे बाबा... अब तो हर
पल आपकी यादो के नशे में मदमस्त हूँ...”
❉ *मेरे बाबा काँटों रूपी दुखों को निकाल मुझ पर रंग बिरंगी फूलों की बरसात करते
हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *एक पिता की यादो में खोकर अपने
भाग्य को देवताओ सा खुबसूरत और दिव्य बनाओ... यह मीठी यादे ही तन मन को सदा का
स्वस्थ बनाएगी...* जीवन के सब दुःख दूर हो जायेंगे और आप बच्चे खुशनुमा फूल से
सुखो में खिल जायेंगे...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने तन मन को बाबा की यादों के दिव्य सुगंध से महकाते हुए
कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा दुखो के दलदल में फंसकर तन मन से
रुग्ण हो गयी थी... *आपने प्यारे बाबा मुझे सदा का सुखी बनाया है... मेरे थके
कदमो तले अपने प्यार का मखमल बिछाया है... सच्चे प्यार में मिले सुकून और शीतलता
ने जीवन की तपिश को हर लिया है...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- सर्विस की भिन्न - भिन्न युक्तियां रचनी हैं*"
➳ _ ➳ एकान्त में बैठ जैसे ही भगवान के रथ ब्रह्मा बाबा के बारे में मैं विचार
करती हूँ मन सहज ही अपने प्यारे ब्रह्मा बाप के प्रति असीम प्रेम और स्नेह से
सरोबार हो उठता है। *भगवान से मिलवाने के निमित बने ब्रह्मा बाप के लिए मन से
कोटि - कोटि धन्यवाद स्वत: ही निकलने लगता है*। अपना तन - मन - धन सब कुछ
ईश्वरीय यज्ञ में स्वाहा कर बाबा ने जिस निस्वार्थ भाव से सारे विश्व की सेवा
की, उनके उस त्याग को याद कर, *दिल से उनका शुक्रिया अदा करते - करते मैं महसूस
करती हूँ जैसे अव्यक्त ब्रह्मा बाप मेरे सामने खड़े मन्द - मन्द मुस्करा रहें
हैं और अव्यक्त इशारे से मुझे कुछ कह रहे हैं*। बाबा के उन अव्यक्त ईशारो को
समझने के लिए मैं सेकण्ड में देह भान का त्याग कर अपनी अव्यक्त स्थिति में
स्थित होती हूँ।
➳ _ ➳ अपनी अव्यक्त स्थिति में स्थित होते ही मैं स्पष्ट अनुभव करती हूँ कि
जैसे बापदादा मुझे बेहद की सर्विस के लिए डायरेक्शन दे रहें हैं। *विश्व की जो
दुर्दशा बाबा देख रहें हैं अब वो सब दृश्य मुझे दिखाई दे रहें हैं*। विकारों की
अग्नि में जल रही दुखी और अशांत आत्माये, भगवान की एक झलक पाने के लिए दर - दर
भटक रही, अपने शरीर को कष्ट देने वाले भक्ति के कर्म कांडों में फंसी भक्त
आत्मायें। *कहीं प्रकृति के प्रकोप का शिकार हुई रोती बिलखती आत्मायें तो कहीं
शरीर की भयंकर बीमारियों के रूप में कर्मभोग की भोगना भोगती दुखी आत्मायें और
कही अकाले मृत्यु के कारण शरीर ना मिलने की वजह से भटकती आत्मायें*।
➳ _ ➳ इन सभी दृश्यों को देखते - देखते, मन मे विरक्त भाव लिए मैं जैसे ही बाबा
की ओर देखती हूँ। बाबा के नयनों में बाबा की इच्छा मुझे स्पष्ट समझ में आने
लगती है। *बाबा के मन की आश को जान मैं मन ही मन स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ
कि अपने इस ब्राह्मण जीवन को अब मुझे केवल बाबा की सर्विस में ही लगाकर सफल
करना है*। अब मुझे केवल सर्विस का ही फुरना रखना है। स्वयं से प्रतिज्ञा करते -
करते मैं जैसे ही बाबा के मुख मण्डल को निहारती हूँ, एक गुह्य मुस्कराहट के साथ
बाबा के वरदानी हाथ को अपने सिर के ऊपर अनुभव करती हूँ। *बाबा के वरदानी हस्तों
से निकल रही अदृश्य शक्ति को मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ जो मुझे बलशाली बना
रही है*।
➳ _ ➳ विश्व की सर्व आत्माओं के कल्याणार्थ मुझे निमित बनाने के लिए बाबा अपनी
लाइट माइट से मुझे भरपूर कर रहें हैं ताकि लाइट हाउस बन मैं सभी को अज्ञान
अंधकार से निकाल ज्ञान सोझरे में लाकर सबके दुखी अशांत जीवन को सुखदाई बना
सकूँ। भक्त आत्माओं को दर - दर के धक्कों से छुड़ा कर उन्हें उनके पिता परमेश्वर
से मिलवा सकूँ। *इस बेहद की सर्विस के लिए बाबा अपने सर्व गुणों, सर्व शक्तियों
और सर्व ख़ज़ानों से मुझे सम्पन्न बना रहे हैं*। बापदादा से लाइट माइट, वरदान और
शक्तियों का असीम बल ले कर अपने लाइट के फ़रिश्ता स्वरूप में स्वयं को अत्यन्त
शक्तिशाली बनाकर अब मैं फ़रिश्ता विश्व ग्लोब पर पहुँचता हूँ।
➳ _ ➳ विश्व ग्लोब पर बैठ, बापदादा का आह्वान कर, उनके साथ कम्बाइंड होकर, उनसे
सुख, शांति और पवित्रता की शक्तियाँ लेकर अब मैं सारे विश्व मे प्रवाहित कर रहा
हूँ। *मैं देख रहा हूँ इन सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन विश्व की सर्व
आत्माओं तक पहुँच रहें हैं*। विकारों की अग्नि में जल रही आत्माओं पर ये
वायब्रेशन शीतल फ़ुहारों का रूप लेकर बरस रहें हैं और उन्हें शीतलता का अनुभव
करवा रहें हैं। *भक्त आत्माओं को ये वायब्रेशन परमात्म प्यार का अनुभव करवाकर
उन्हें भटकने से छुड़ा रहें हैं। बीमारियों से पीड़ित आत्माओं पर ये वायब्रेशन
मरहम का काम कर रहें हैं और उनकी पीड़ा को खत्म कर रहें हैं*। प्रकृति का प्रकोप
सहन करती आत्माओं को ये वायब्रेशन धैर्य का बल दे रहें हैं।
➳ _ ➳ विश्व की सर्व आत्माओं की बेहद की सेवा करके अब मैं अपने फ़रिश्ता स्वरूप
के साथ वापिस साकार लोक में लौटती हूँ और अपने ब्राह्मण स्वरूप को धारण कर लेती
हूँ। *बाप की सेवा का फुरना रख, अपने ब्राह्मण स्वरूप द्वारा मैं अपने संकल्प,
बोल और कर्म के माध्यम से अपने सम्बन्ध, सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं की
स्थूल सेवा और अपने फ़रिश्ता स्वरूप द्वारा विश्व की सर्व आत्माओं की बेहद की
सेवा अब सदैव कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
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*मैं श्रेष्ठ संकल्पों की सहयोगी आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सर्व में शक्ति भरने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺
*मैं मास्टर दुख हर्ता हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा दुख को भी सदा रूहानी सुख में परिवर्तन कर देती हूँ ।*
✺ *मैं श्रेष्ठ कर्तव्य निभाने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. देखो परिवर्तन तो होना ही है ना! तो प्रकृति भी अपना काम तो करेगी ना! जब मनुष्य आत्माओं ने प्रकृति को तमो गुणी बना दिया, तो वह अपना काम तो करेगी ना। लेकिन हर खेल, ड्रामा के खेल मे यह भी खेल हैं। खंल को देखते हुए अपनी अवस्था ऊपर नीचे नही करना। *मास्टर सर्वशक्तिवान आत्माओं की स्व-स्थिति पर पर-स्थिति प्रभाव नही डाले। और ही आत्माओं को मानसिक परेशानियों से छुडाने के निमित्त बनो क्यों की मन की परेशानी आप मेडिटेशन से ही मिटा सकते हो।* डाक्टर्स अपना काम करेंगे, साईन्स वाले अपना काम करेंगे, गवमेंन्ट अपना काम करेगी, आप का काम हैं मन के परेशानी, टेन्शन को मिटाना। टेन्सन फ्री जीवन का दान देना। सहयोग देना।
➳ _ ➳ 2. जैसे आग लगती है तो आग बुजाने वाले डरते नही है, बुजाते है। *तो आप सब भी मन के परेशानी की आग बुजाने वाले हो।*
➳ _ ➳ 3. देखो प्रकृति को कोई मना नहीं कर सकता है, गुजरात में आओ, आबू में नहीं आओ, बाम्बे में नहीं आओ, नहीं। वह स्वतन्त्र है। *लेकिन सभी को अपने स्व-स्थिति को अचल-अडोल और अपने बुद्धि को, मन के लाइन को क्लियर रखना हैं। लाइन क्लियर होगी तो टचिंग होगी।* बापदादा ने पहले भी कहा था उन्हों की वायरलेस है, आपकी वाइसलस बुद्धि है। क्या करना है? क्या होना है? यह निर्णय स्पष्ट और शीघ्र होगा। ऐंसे नही सोचते रहो बाहर निकलें, अन्दर बैठें, दरवाजे पर बैठें, छत पर बैठें। नहीं। आपके पांव वहाँ ही चलेंगे जहाँ सेफटी होगी। और अगर बहुत घबरा जाओ, घबराना तो नही चाहिए, लेकिन बहुत घबरा जाओ, बहुत डर लगे तो मधुबन एशलम घर आपका है। *डरना नहीं, अभी तो कुछ नही है, अभी तो सब कुछ होना है, डरना नहीं, खेल है। परिवर्तन होना है ना। विनाश नही, परिवर्तन होना है।* सबमें वैराग्य वृत्ति उत्पन्न होनी है। रहमदिल बन सर्व शक्तियों द्वारा सकाश दे रहम करो। समझा!
✺ *ड्रिल :- "मास्टर सर्वशक्तिवान बन प्रकृति के खेल देखने का अनुभव"*
➳ _ ➳ बाबा के प्यार में डूबी मैं उनका आत्मा बच्चा उनकी याद में बैठी हूँ... बाबा के दिये इस गुह्य ज्ञान को स्मृति में रख स्वयं को भृकुटि के बीचोंबीच आत्मा देख रही हूँ... *मैं आत्मा अपने दिव्य प्रकाश से चमक रही हूँ और मेरा ये प्रकाश मेरे चारों ओर के वातावरण को भी आलौकित कर रहा है...* इस प्रकाश से मेरी देह भी चमक उठी है... मैं आत्मा अब इस देह से निकल कर अपना फरिश्ता स्वरूप धारण करती हूँ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने फरिश्ता रूप में आज इस पूरे सृष्टि का चक्कर लगा रही हूँ... इस धरती के आकर्षण से ऊपर उड़कर मैं फरिश्ता इस पूरे विश्व को देख रही हूँ...* मैं देखती हूँ कि प्रकृति भिन्न भिन्न रूप में चारों ओर विनाश कर रही है... कहीं पर बाढ़ का प्रकोप है तो कहीं भूकंप से सारी इमारतें ध्वस्त हो गयी हैं... कहीं पर बादल फटने से पूरा क्षेत्र उसकी चपेट में आ गया है तो कहीं भयंकर तूफान आने से हर तरफ विनाश ही विनाश दिखाई दे रहा है... अब सृष्टि के इस अंत समय में प्रकृति भी अपना तमोगुणी स्वरुप दिखा रही है...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता इन सब के बीच अपने आत्मा भाइयों को देखती हूँ जो ऐसी सीन को देखकर डरे हुए हैं... *मैं फरिश्ता अपने बापदादा को याद करते हुए उनसे शक्तियों की किरणें लेती हूँ और अब मैं इन सभी आत्माओ को ये शक्तिशाली किरणें दे रही हूँ...* मुझसे ये वायब्रेशन प्राप्त करके आत्मायें अपने को शक्तिशाली महसूस कर रही हैं...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा को मेरे बाबा ने विश्व परिवर्तन के निमित्त बनाया है... मैं आत्मा इस बेहद के नाटक को साक्षी होकर देख रही हूँ... *इस बेहद के ड्रामा में कैसी भी सीन हो मैं आत्मा उसे बस एक खेल समझ कर पार करती हूँ...* मैं मास्टर सर्वशक्तिमान की स्मृति में स्थित हो अपनी स्वस्थिति को शक्तिशाली बना रही हूं... मेरी ये शक्तिशाली स्थिति अन्य आत्माओं के मन को भी शक्तिशाली बनाने के निमित्त बनती है...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा इस रहस्य को जानती हूँ कि ये विनाश का सीन भी ड्रामा में नूँध है... ये विनाश नहीं परिवर्तन है और मुझे ये बाबा का संदेश सभी आत्माओ को देना है...* बाबा का परिचय देकर उनका बुद्धियोग बाबा से जोड़ना है... जिससे ये समस्त आत्मायें भी अपनी स्वस्थिति को अचल अडोल बना कर अपने मन और बुद्धि की लाइन को एक दम क्लियर कर रही हैं... अब ये आत्मायें भी विनाश को ड्रामा का खेल समझ कर देख रही हैं... और अपनी मानसिक परेशानियों से मुक्त हो रही हैं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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