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 09 / 03 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *बाप समान मास्टर प्यार का सागर बनकर रहे ?*

 

➢➢ *"भगवान के हम बच्चे हैं" - इसी नशे व ख़ुशी में रहे ?*

 

➢➢ *स्मृति के स्विच द्वारा सवा कल्याण और सर्व का कल्याण किया ?*

 

➢➢ *शनत स्वरुप में स्थित रह अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति की ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *बाप का बच्चों से इतना प्यार है जो अमृतवेले से ही बच्चों की पालना करते हैं । दिन का आरम्भ ही कितना श्रेष्ठ होता है! स्वयं भगवान मिलन मनाने के लिये बुलाते हैं, रुहरिहान करते हैं, शक्तियां भरते हैं!* बाप की मोहब्बत के गीत आपको उठाते हैं । कितना स्नेह से बुलाते हैं, उठाते हैं - मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे, आओ.... । तो *इस प्यार की पालना का प्रैक्टिकल स्वरूप है ' सहज योगी जीवन' ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ"*

 

  सदा अपने को विश्व-कल्याणकारी बाप के बच्चे विश्व- कल्याणकारी आत्मायें समझते हो? अर्थात् सर्व खजानों से भरपूर। *जब अपने पास खजाने सम्पन्न होंगे तब दूसरों को देंगे ना! तो सदा सर्व खजानों से भरपूर आत्माएँ बालक सो मालिक हैं!* ऐसा अनुभव करते हो?

 

  *बाप कहा माना बालक सो मालिक हो गया। यही स्मृति विश्व-कल्याणकारी स्वत: बना देती है। और यही स्मृति सदा खुशी में उड़ाती है। यही ब्रह्मण जीवन है।*

 

  *सम्पन्न रहना, खुशी में उड़ना और सदा बाप के ख]जानों के अधिकार के नशे में रहना। ऐसे श्रेष्ठ ब्रह्मण आत्मायें हो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  तो शक्तियों का खजाना कितना जमा है? जो समय पर कार्य में लगाते हैं, वह जमा होता है। चेक करते जा रहे हो कि मेरा खाता क्या है? क्योंकि *बापदादा को सभी बच्चों से अति प्यार है, बापदादा ही चाहते हैं कि सभी बच्चों का जमा का खाता भरपूर हो।*

 

✧  धारणा में भी भरपूर, धारणा की निशानी है - हर कर्म गुण सम्पन्न होगा। *जिस समय जिस गुण की आवश्यकता है वह गुण चेहरे, चलन में इमर्ज दिखाई दे।*

 

✧  अगर कोई भी गुण की कमी है, मानो सरलता के गुण की कर्म के समय आवश्यकता है, मधुरता की आवश्यकता है, चाहे बोल में, चाहे कर्म में अगर सरलता, मधुरता के बजाए थोडा भी आवेश या थकावट के कारण बोल मधुर नहीं है, चेहरा मधुर नहीं है, सीरियस है तो गुण सम्पन्न तो नही

कहेंगे ना। *कैसे भी सरकमस्टान्स हो लेकिन मेरा जो गुण है, वह मेरा गुण इमर्ज होना चाहिए।* अभी शार्ट में सुना रहे हैं।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *जैसे कुछ समय आप एक-दो को याद दिलाते थे - शिव बाबा याद है ? वैसे जब देखते हो कोई व्यक्त भाव में ज्यादा है तो उनको बिना कहे अपना अव्यक्ति शान्त रूप ऐसा धारण करो जो वह भी इशारे से समझ जायें तो फिर वातावरण कुछ अव्यक्त रहेगा।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- स्वर्ग के मालिक बनने का नशा होना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा सेण्टर में बाबा के कमरे में बैठ अपने दिल दर्पण में देख रही हूँ- अपने तकदीर की तस्वीर को... स्वयं भाग्यविधाता परमात्मा ने मेरी सोई हुई तकदीर को जगाकर, मेरा सुन्दर भाग्य बनाया है... परमात्मा ने अपने ज्ञान-योग के जल से मेरी तकदीर को सींचा है... अपने स्नेह-प्यार के फूलों की खुशबू से खुशबूदार बना दिया है...* 21 जन्मों तक सुख-शांति का वर्सा देकर मुझे एवर हेल्थी, एवर वेल्थी बना दिया है... अपने भाग्य के गुण गाती मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ सूक्ष्म वतन में मेरे भाग्यविधाता बाबा के पास...

 

  *मुझे राजयोग सिखलाकर मेरी बिगड़ी को सुधारकर तकदीरवान बनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे बच्चे... मुझ पिता के सिवाय दुःख भरी दुनिया से छुड़ा न सके... सुख भरे जीवन जो दुखो के पहाड़ बन गए है... मेरे सिवाय परिवर्तन हो न सके... *मेरे सोने से फूल बच्चों की बिगड़ी तकदीर को मै ही संवार सकता हूँ... अपनी सारी शक्तिया ज्ञान देकर मै ही भाग्यवान बना सकता हूँ कोई और नही...”*

 

_ ➳  *अपने सुन्दर भाग्य के नशे में खुशियों के गगन में उड़ते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा... आप संग ज्ञानवान बन रही हूँ... *अपने बिगड़ी सी किस्मत को हीरों से सजा रही हूँ... ज्ञान रत्नों से चमकती जा रही हूँ...  और भाग्यवान आत्मा बनती जा रही हूँ...”*

 

  *ज्ञान रत्नों की झंकार से मेरे जीवन को सुरीला बनाकर प्यारे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे फूल बच्चे.... कितने सुखो और आनंद खुशियो से भरपूर दुनिया के रहवासी थे... और किस विकारो के दलदल में फस कर धस से गए हो.... *मुझ विश्व पिता से बच्चों की यह दशा देखी न जाय... बच्चों की तकदीर जगाने आया हूँ... ज्ञान रत्नों का खजाना लिए उतर आया हूँ...”*

 

_ ➳  *विकारी दलदल से निकल खुबसूरत दुनिया की मालिक बनने की अधिकारी बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मुझ आत्मा ने तो दुखो को ही जीवन का अटल सत्य मान लिया था... *आपने आकर भाग्य की लकीर ही बदल दी... सुंदर जीवन का आधार दे दिया... सारे रत्न भरे खजाने मेरे हाथो में देकर सुखो से मेरा श्रृंगार कर दिया...”*

 

  *प्रेम के खजाने मुझ पर बरसाते हुए प्रेम के सागर मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे बच्चे... *जब सब ही खेल में उतर गए तो बाहर तो सिवाय ईश्वर पिता के कोई निकाल न सके... इन दर्दो से परमपिता ही उबार सके... वही खूबसूरत सुख दामन में वही सजा सके...* फूलो भरा महकता सतयुग वही तो बना सके... सारे विश्व को सम्पन्नता की दौलत से आबाद कर दे...

 

_ ➳  *स्वर्ग का राज्य तिलक अपने नाम कर बाबा के दिल तख़्त पर बैठकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा खुशनुमा भाग्य को पाकर निखरती जा रही हूँ... *अपनी काली हो गई तकदीर को सुनहरा सजाती जा रही हूँ... आपके दिए ज्ञान धन से विश्व की मालिक बन सुंदर तकदीर पाती जा रही हूँ..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप समान मास्टर प्यार का सागर बनना है*

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प्यार के सागर अपने प्यारे पिता के प्यार के मीठे मधुर एहसास के बारे में विचार करते ही एक सिहरन सी पूरे शरीर मे दौड़ जाती है और मन व्याकुल हो उठता है फिर से उसी प्यार को पाने के लिए। *जैसे ही मन में बाबा के निःस्वार्थ, निष्काम प्यार को पाने का संकल्प मन मे आता है मैं महसूस करती हूँ जैसे प्यार के सागर मेरे बाबा मेरे हर संकल्प को पूरा करने और अपने स्नेह की मीठी फुहारे मेरे ऊपर बरसाने के लिए मेरे पास आ रहें हैं*। हवाओ में भी जैसे एक विचित्र रूहानी खुशबू फैल गई है जो उनके आने का मुझे पैगाम दे रही है। अपनी अनन्त शक्तियों की किरणों के रूप में मेरे प्यार के सागर बाबा अपने प्यार की शीतल फुहारे मुझ पर बरसाते हुए परमधाम से उतरकर धीरे - धीरे नीचे आ रहें हैं। 

➳ _ ➳ 
मैं महसूस कर रही हूँ जैसे कि शक्तियों का एक तेजोमय पुंज आकाश से नीचे आकर, अब सीधा मेरे सिर के ऊपर स्थित हो गया है और अपने स्नेह की अनन्त किरणे मेरे ऊपर बिखेर रहा है। *बारिश की हल्की - हल्की बूंदों की तरह अपने ऊपर पड़ती अपने स्नेह के सागर पिता के स्नेह की किरणों के वायब्रेशन्स को मैं महसूस कर रही हूँ और उनके स्नेह में डूबती जा रही हूँ*।प्यार का सागर अपना असीम प्यार मुझ पर लुटाता जा रहा है और उस प्यार के मधुर एहसास में मैं गहराई तक समाती जा रही हूँ। देह और देह की दुनिया से जुड़े सम्बन्ध जैसे कहीं पीछे छूट रहें हैं और सारे सम्बन्ध उस एक के साथ जुड़ते जा रहें हैं। *हर सम्बन्ध का अविनाशी सुख अपने प्यारे पिता के प्यार में खोकर मैं ले रही हूँ। उनके लव में लीन यह लवलीन स्थिति मुझे उनके समान स्थिति में स्थित करती जा रही है*।

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ऐसा लग रहा है जैसे देह से मेरा कोई सम्बन्ध नही। अपने स्वरूप में पूरी तरह डूब कर केवल दो सितारों की उपस्थिति को ही मैं अनुभव कर रही हूँ। एक अति सूक्ष्म चैतन्य स्टार के रुप में मैं स्वयं को देख रही हूँ और अपने सामने स्थित सुपर स्टार के रूप में अपने पिता को देख रही हूँ। *इन दोनों स्टार्स में ही जैसे सारी दुनिया समा गई है। अपने प्यार की अनन्त किरणों की वर्षा मुझ पर करते, प्यार के सागर मेरे सुपर स्टार शिव बाबा चुम्बक की तरह मुझे खींच कर अब अपने साथ ऊपर ले जा रहें हैं*। बाबा की सर्वशक्तियों की मैग्नेटिक पॉवर, नश्वर संसार की हर चीज से किनारा करवाकर मुझे खींचती हुई अब आकाश को पार कर, सूक्ष्म लोक से ऊपर मेरे स्वीट साइलेन्स होम में मुझे ले आई है। *अपने घर मे आकर मैं आत्मा शांति की गहन स्थिति का अनुभव कर रही हूँ*।

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इस शांतिधाम घर मे चारों और फैले शांति के वायब्रेशन्स मुझे गहन शांति की अनुभूति करवाकर एक अनोखी शक्ति का संचार मेरे अन्दर कर रहें हैं। *साइलेन्स का बल अपने अंदर भरकर अब मैं सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के सागर अपने प्यारे पिता के पास आकर बैठ गई हूँ और बड़े प्यार से उन्हें निहार रही हूँ*। मैं महसूस कर रही हूँ जैसे बाबा भी बड़े प्यार से मुझे निहार रहें हैं और अपना प्यार शीतल लहरों के रूप में धीरे - धीरे मुझ तक पहुँचा रहें हैं। बाबा के अथाह प्यार की शीतल लहरों की शीतलता मन को गहन सुख प्रदान कर रही है। धीरे - धीरे ये लहरे बढ़ रही हैं और मुझे अपने अंदर समाती जा रही हैं। 

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प्यार के सागर मेरे पिता के प्यार की लहरों का प्रवाह मुझे बहा कर अपने बिल्कुल समीप ले आया है। जहाँ पहुँच कर ऐसा लग रहा है जैसे प्यार का कोई सतरंगी झरना मेरे ऊपर बरस रहा है और उस झरने के नीचे खड़ी होकर मैं स्नान करके प्यार के सागर अपने पिता के समान बनती जा रही हूँ। *नफरत, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा के पुराने स्वभाव संस्कार जैसे प्यार के सागर की गहराई में डूब गए हैं और उसके स्थान पर सबको प्रेम देने, सहयोग देने के संस्कार जैसे इमर्ज हो गए हैं*। स्वयं को मैं बाप समान प्यार का सागर अनुभव कर रही हूँ। अपने प्यारे पिता के साथ स्नेह मिलन मनाकर, उनके समान बन कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया में लौट आती हूँ और अपने साकार तन में फिर से भृकुटि के अकालतख्त पर आकर विराजमान हो जाती हूँ। 

➳ _ ➳  *
प्यार के सागर अपने पिता से प्राप्त किये हुए प्यार का मधुर एहसास मेरी शक्ति बनकर अब मुझे भी बाप समान प्यार का सागर बन सबको सच्चा रूहानी प्यार देने के लिए प्रेरित करता रहता है इसलिए अपने प्यारे पिता के प्यार से स्वयं को हरपल भरपूर रखते हुए अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को आत्मिक स्नेह देकर उन्हें तृप्त करती रहती हूँ*

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं स्मृति के स्विच द्वारा स्व कल्याण करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं सर्व का कल्याण करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

  *मैं आत्मा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करती हूँ ।*

  *मैं आत्मा अपने शांत स्वरुप स्थिति में स्थित रहती हूँ ।*

  *मैं शान्तस्वरूप आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *बाप और बच्चों का एक दिवस जन्म यही वण्डर है।* तो आज आप सभी सालिग्राम बच्चे बाप को मुबारक देने आये हो वा बाप से मुबारक लेने आये हो? देने भी आये हो, लेने भी आये हो। साथ-साथ की निशानी है कि *आप बच्चों का और बाप का आपस में बहुत-बहुत-बहुत स्नेह है। इसलिए जन्म भी साथ-साथ है और रहते भी सारा जन्म कम्बाइण्ड अर्थात् साथ हैं।* इतना प्यार देखा है! अगर आक्युपेशन भी है तो *बाप और बच्चों का एक ही विश्व परिवर्तन करने का आक्युपेशन है* और वायदा क्या है? कि *परमधाम, स्वीट होम में भी साथ-साथ चलेंगे* या आगे पीछे चलेंगे? साथ-साथ चलना है ना! तो ऐसा स्नेह आपका और बाप का है। *न बाप अकेला कुछ कर सकता, न बच्चे अकेले कुछ कर सकते।* कर सकते हो? सिवाए बाप के कुछ कर सकते हो! और बाप भी कुछ नहीं कर सकता। इसीलिए ब्रह्मा बाप का आधार लिया आप ब्राह्मणों को रचने के लिए। *सिवाए ब्राह्मणों के बाप भी कुछ नहीं कर सकते। इसलिए इस अलौकिक अवतरण के जन्म दिवस पर बाप बच्चों को और बच्चे बाप को पदमापदम बार मुबारक दे रहे हैं। आप बाप को दे रहे हैं, बाप आपको दे रहे हैं।*

 

✺   *ड्रिल :-  "बाप के साथ सदा कम्बाइण्ड रहने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *शिवरात्रि के इस महान अलौकिक अवतरण जन्म दिवस पर मैं आत्मा सुबह आँख खुलते ही अपने मीठे लाडले बाबा को, फरिश्ता स्वरूप में अपने सामने पाती हूँ...* मैं आत्मा मीठे बाबा को गुड मोर्निंग विश करती हूँ... *बाबा मुस्कुरा कर मुझ आत्मा को रिस्पोन्ड करते है...* कमरे में चारों ओर लाइट ही लाइट है... और रंग-बिरंगे लाइट के फूलों से पूरा कमरा सज गया है... *बाबा मुझ आत्मा को शक्तिशाली दृष्टि दे रहे है...* मीठे बाबा की आंखों से सफेद रंग की शक्तिशाली पवित्र किरणें निकल मुझ आत्मा पर पड़ रही है... जैसे-जैसे ये किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... मैं आत्मा देह भान से न्यारी होती जा रही हूँ... *मुझ आत्मा का स्वरूप परिवर्तित होकर चमकीला फरिश्ता स्वरूप बनता जा रहा है...* मैं नन्हा फरिश्ता बिना देरी किए, जल्दी से जाकर अपने लाडले बाबा के गले लग जाता हूँ...

 

 ➳ _ ➳  *बाबा भी मुझ नन्हे लाडले बच्चे को अपनी बाहों में समा लेते है... और अब मैं मीठा फरिश्ता मीठे बाबा को इस अलौकिक जन्म दिवस पर पदमापदम मुबारक देता हूँ...* और सामने टेबल पर रखे फूल बाबा को भेट करता हूँ... और अपने हाथों से बाबा के लिए बनाया कार्ड बाबा को भेट करता हूँ... *मीठे बाबा बड़े ही प्यार से इसे स्वीकार करते हुए बड़ी ही मीठी दृष्टि से मुझे देखते है... बाबा की इस मीठी दृष्टि से मुझ आत्मा के नयन सजल हो जाते है...* बाबा मुझ आत्मा को भी पदमापदम गुणा मुबारक दे रहे है... और रंग-बिरंगे फूलों की बारिश कर रहे है... इन फूलों की बारिश में, मैं फरिश्ता भीग रहा हूँ... *मैं फरिश्ता बाबा के हाथों में हाथ ले डांस कर रहा हूँ...* तभी बाबा सामने देखते है बाबा के देखते ही वहाँ एक बड़ा सा फूलों से सजा झूला आ जाता है...

 

 ➳ _ ➳  बाबा मुझ फरिश्ते का हाथ पकड़ झूले पर बैठ जाते है... *बाबा मुझ आत्मा को टोली खिला रहे है... मुझ आत्मा के नयन सजल हो रहे है...* मैं श्रेष्ठ भाग्य को देख-देख हर्षा रही हूँ, गीत गा रही हूँ... *वाह ऐसा वण्डरफुल जन्म मैं आत्मा अभी ही इस संगम पर मनाती हूँ... बाबा के साथ के अनुभवों से सजी ये जीवन कितना सुहाना है...* मैं फरिश्ता एकदम से बाबा से लिपट जाता हूँ... और मन ही मन बाबा से कहता हूं... *बाबा आप हमेशा मेरे साथ ऐसे ही रहना... बाबा बिन कहें मेरे दिल की आवाज सुन लेते है...* और मुझे बड़ी मीठी दृष्टि देते हुए मुझ फरिश्ते के दोनों हाथ अपने हाथ में ले लेते है... *मैं फरिश्ता बाबा की सागर जैसी आँखों में जब देखता हूँ...* तो अनुभव कर रहा हूँ... जैसे बाबा की बिन कहे भी बाबा इन सागर जैसी आँखों से ही कह रहे हो... *"आप बच्चों का और बाप का आपस में बहुत-बहुत-बहुत स्नेह है... इसलिए जन्म भी साथ-साथ है और रहते भी सारा जन्म कम्बाइंड अर्थात साथ है... स्वीट होम में भी साथ-साथ चलेंगे"...*

 

 _ ➳  उस नि:शब्द के ये शब्द सुन मैं फरिश्ता खुशी से भर गया हूँ... और *अब बाबा मुझ फरिश्तें के सिर पर अपना हाथ रख मुझे वरदान दे रहे है... "कम्बाइंड स्वरूप भव बच्चे", विजयी भव बच्चे...* मैं फरिश्ता अन्तर्मन से बाबा द्वारा दिए वरदानों को स्वीकार करता हूँ... बाबा सर्व शक्तियों से मेरा श्रृंगार कर रहे है... *मैं फरिश्ता बेहद शक्तिशाली स्थिति का अनुभव कर रहा हूँ... सर्व शक्तियों और वरदानों से भरपूर मैं फरिश्ता अब अपनी दिनचर्या की शुरुआत करता हूँ...* मैं फरिश्ता हर कर्म करते हुए बाबा के साथ का अनुभव कर रहा हूँ... बाबा की छत्रछाया को निरंतर अनुभव कर रहा हूँ...

 

 _ ➳  *मैं फरिश्ता चलते हुए महसूस कर रहा हूँ... जैसे बाबा मेरे हाथों में हाथ लिए मेरे साथ चल रहे है...* हर सेवा करते बाबा के साथ की अनुभूति मैं फरिश्ता कर रहा हूँ... मन खुशी में गा रहा है... *तुम तो यही कहीं बाबा मेरे आस-पास हो... आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो... तुम तो यही-कही बाबा...* बाबा के हर पल के साथ से, मैं आत्मा उड़ती कला और निरंतर सहजयोगी अवस्था का अनुभव कर रही हूं... *उठते-बैठते, चलते-फिरते, खाते-पीते हर पल बाबा का हाथ और साथ का अनुभव मैं आत्मा निरंतर कर रही हूँ... और अपने भाग्य की स्मृति में झूम रही हूँ...* वाह मुझ आत्मा का भाग्य जो हर पल, स्वयं भगवान का हाथ और साथ मिला है...

 

 ➳ _ ➳  *कैसा अद्भुत और वण्डर मुझ आत्मा का यह नया जन्म हुआ है... कितना महान और श्रेष्ठ ये जीवन है... जिसका हर पल उसके साथ से सजा है... मैं आत्मा अपने इस कम्बाइंड स्वरूप के नशे में झूम रही हूँ... मैं आत्मा शिवशक्ति हूँ...* बाबा के द्वारा दिया वरदान प्रत्यक्ष हो रहा है... वाह मुझ ब्राह्मण आत्मा का भाग्य वाह... *मैं आत्मा बाबा के हर पल का साथ पाकर खुशी-खुशी से तीव्र गति से आगे बढ़ रही हूँ...* और अन्य आत्माओं को भी आगे बढ़ा रही हूँ... *अपने इस कम्बाइंड स्वरूप से हर कार्य में सहज सफलता प्राप्त कर रही हूँ...* इस प्रकार सर्व का कल्याण करते हुए हर पल मैं आत्मा खुशियों के गीत गाते आगे बढ़ रही हूँ... *मेरे संग-संग चलते है बाबा... मेरे संग-संग चलते है बाबा... जैसे गंगन मे चाँद, चलता है... चलता है उनकी किरणों की छाया मे दिल हर पल रहता है... शुक्रिया करनकरावनहार मीठे बाबा शुक्रिया...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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