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 15 / 03 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *बाप समान मास्टर स्नेह के सागर बनकर रहे ?*

 

➢➢ *अपनी विशेषताओं को सेवा में लगाया ?*

 

➢➢ *बेहद के सहयोगी बनकर रहे ?*

 

➢➢ *निमित बन आत्माओं का कनेक्शन बाप से करवाया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *सेवा में वा स्वंय की चढ़ती कला में सफलता का मुख्य आधार है - एक बाप से अटूट प्यार ।* बाप के सिवाए और कुछ दिखाई न दे । संकल्प में भी बाबा, बोल में भी बाबा, कर्म में भी बाप का साथ, *ऐसी लवलीन स्थिति में रह एक शब्द भी बोलेंगे तो वह स्नेह के बोल दूसरी आत्मा को भी स्नेह में बाँध देंगे । ऐसी लवलीन आत्मा का एक बाबा शब्द ही जादू मंत्र का काम करेगा ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं शान्ति का पैगाम देने वाला खुदाई पैगम्बर हूँ"*

 

✧  *सदा अपने को शान्ति का सन्देश देने वाले, शान्ति का पैगाम देने वाले सन्देशी समझते हो? ब्राह्मण जीवन का कार्य है - सन्देश देना।* कभी इस कार्य को भूलते तो नहीं हो?

 

  *रोज चेक करो कि मुझ श्रेष्ठ आत्मा का श्रेष्ठ कार्य है वह कहाँ तक किया! कितनों को सन्देश दिया। कितनों को शान्ति का दान दिया। सन्देश देने वाले महादानी-वरदानी आत्मायें हो।* कितने टाइटल्स हैं आपके?

 

  आज की दुनिया में कितने भी बड़े ते बड़े टाइटल हों आपके आगे सब छोटे हैं। वह टाइटल देने वाली आत्मायें हैं लेकिन अब बाप बच्चों को टाइटल देते हैं। *तो अपने भिन्न-भिन्न टाइटल्स को स्मृति में रख उसी खुशी, उसी सेवा में सदा रहो। टाइटल की स्मृति से सेवा स्वत: स्मृति में आयेगी।* अच्छा-

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  जब जैसे चाहो वैसे स्थिति बना सके। यह मन को ड्रिल करानी है। *यह जरूर प्रैक्टिस करो - एक सेकण्ड में आवाज में, एक सेकण्ड में फिर आवाज से परे, एक सेकण्ड में सर्विस के सकल्प से परे स्वरूप में स्थित हो जायें*। इस ड्रिल की बहुत आवश्यकता है।

 

✧  एक सेकण्ड में कार्य प्रति शारीरिक भान में आयें, फिर एक सेकण्ड में अशरीरि हो जायें। जिसकी यह ड्रिल पक्की होगी वह सभी परिस्थितियों का सामना कर सकते हैँ। *जैसे शारीरिक ड्रिल सुबह को कराई जाती है, वैसे यह अव्यक्त ड्रिर भी अमृतवेले विशेष रूप से करनी है*। करना तो सारा दिन है लेकिन विशेष प्राक्टीस करने का समय अमृतवेले है।

 

✧  *जब देखो बुद्धि बहुत बिजी है तै उसी समय यह प्रैक्टिस करो - परिस्थिति में होते हुए भी हम अपनी बुद्धि को न्यारा कर सकते हो*। लेकिन न्यारे तब हो सकेंगे जब जो भी कार्य करते हो वह न्यारी अवस्था में होकर करेंगे। अगर उस कार्य में अटैचमेन्ट होगी तो फिर एक सेकन्ट में डिटैच नहीं होगे। इसलिए यह प्रैक्टिस करो।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  एक तो साथी को सदैव साथ रखो। दूसरा - साक्षी बनकर हर कर्म करो। *तो साथी और साक्षी - ये दो शब्द प्रैक्टिस में लाओ तो यह बन्धन मुक्त की अवस्था बहुत जल्दी बन सकती है।* सर्वशक्तिवान का साथ होने से शक्तियाँ भी सर्वप्राप्त हो जाती हैं। और साथ-साथ साक्षी बनकर चलने से कोई भी बन्धन में फंसेंगे नहीं। तो बन्धनमुक्त हुए हो ना।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सच्चे सेवाधारी बनना"*

 

_ ➳  *जन्मते ही बाबा से मैं आत्मा 3 तिलक की अधिकारी बनी, स्वराज्य तिलक... सर्विसएबुल का तिलक...  सर्व ब्राह्मण परिवार, बापदादा के स्नेही सहयोगी पन का तिलक...* जैसे ही मुझ आत्मा को स्मृति आई, कि मैं कौन... और किसकी... तन मन धन सब बाबा को अर्पित हो गया… *बाबा ने बताया बच्ची यह सब तुम्हें सेवा निमित मिला है, इसे सेवा अर्थ यूज करो...* अपना सर्वस्व सफल कर भाग्य को उच्च बनाओ... *बाबा की शिक्षाओं पर अटेंशन रखते बापदादा और सर्व ब्राह्मण परिवार के सहयोग द्वारा मैं आत्मा स्वयं को विश्व परिवर्तन करने की सेवा में बाबा का मददगार देख रही हूं...* 

 

  *सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा मुझ आत्मा का हाथ थामे मुझ डबल लाइट फरिश्ते से बोले:-* "मीठी बच्ची... जिस प्रकार गोप गोपियों के सहयोग द्वारा श्री कृष्ण को गोवर्धन पर्वत उठाते दिखाया है, अभी उसी सहयोग की आवश्यकता मुझ गोपी वल्लभ को आप गोप गोपिकाओं से है... *दुखों के पहाड़ को प्रभु परिवार द्वारा उठाने का यह अभी समय है..."*

 

_ ➳  *पतित पावन बाबा की शिक्षाओं को स्वयं में उतारते मैं आत्मा बाबा से बोली:-* "हां बाबा... स्वदर्शन चक्रधारी बन मुझ आत्मा का भाग्य जाग उठा है... अभी मैं सर्विसएबुल आत्मा बन... सर्व को पावन बनाने की सेवा में तत्पर हूं... *निशदिन निशपल आप समान सेवा कर मैं आत्मा अपने भाग्य को उच्च बना रही हूं..."*

 

  *मीठे बाबा मुझ आत्मा को समझानी देते हुए बोले:-* "मीठी बच्ची... *सेवा में सफलता का मुख्य साधन निमित्त भाव है, मैं और मेरा अशुद्ध अहंकार हैं...* इसलिए जब मैं पन की स्मृति आये, तो खुद से पूछना मैं कौन?... और जब मेरा याद आये तो... तो बस मुझे याद कर लेना... इन्ही स्मृतियों से निरन्तर सहजयोगी और निरन्तर सेवाधारी रहोगे..."

 

_ ➳  *मीठे बाबा की मीठी समझानी को स्वयं में उतारते हुए मैं आत्मा बाबा से बोली:-* "हां मीठे बाबा... *"मेरा बाबा" ये चाबी मुझ आत्मा को सभी हदों से पार किए हुए हैं,* बेहद में रह मैं आत्मा निर्विघ्न तन मन धन से सेवाएं देने में तत्पर हूं... *मुझ आत्मा का खुशनुमा चेहरा चलते-फिरते सेवा केंद्र का कार्य कर रहा हैं... हर किसी से आवाज आ रही है बाबा- तुम्हें बनाने वाला कौन?..."*

 

  *मीठे बाबा प्यार भरी फुहार मुझ आत्मा पर बरसाते हुए बोले:-* "प्यारी बच्ची... *यह वही रूद्र ज्ञान यज्ञ है जिसमें असुर विघ्न डालते हैं... लेकिन एक कर्म योगी सेवाधारी के लिए यह माना जैसे खेल है...* जैसे जैसे तुम इसमे पहलवान बनते जा रहे हो, माया भी अपना वार जोरों से कर रही है... लेकिन यदि *सदा सेवा में बिजी हो तो माया का वार हो नहीं सकता..."*

 

_ ➳  *मीठे बाबा से सुहानी प्यारी दृष्टि लेते मैं आत्मा बाबा से बोली:-* "हां मीठे बाबा... *मनसा वाचा कर्मणा तन मन धन संकल्प श्वांस सभी से मैं आत्मा सहयोगी हो हर पल हर दिन मैं आत्मा इन सभी खजानों को सफल कर रही हूं...* स्वर्णिम भारत का वह दृश्य जिसमें सभी जीव आत्माएं, प्रकृति पूरी सृष्टि सतोप्रधान है... दृश्य मुझ आत्मा की नजरों में घूम रहा है..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अपनी विशेषताओं को सेवा में लगाना*"
 
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अपने प्यारे मीठे शिव बाबा द्वारा मिल रही अनन्त प्राप्तियों की स्मृति आते ही मन उनके प्रति अगाध स्नेह की भावना से भर उठता है और उनका सुंदर, सलोना निराकारी स्वरूप सहज ही आंखों के सामने आ जाता है और मन मे उनका असीम प्रेम पाने की इच्छा जागृत होने लगती है। *मेरी यह इच्छा मेरे संकल्पो के माध्यम से जैसे ही मेरे मीठे प्यारे शिव पिता तक पहुंचती है मेरे दिलराम शिव बाबा अपना धाम छोड़ कर सेकेंड में मेरे पास आ जाते हैं*। उनसे आने वाली शीतल किरणों की शीतलता मुझे उनकी उपस्तिथि का अहसास करवा रही है। *मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ उनकी शक्तिशाली किरणों में समाए उनके असीम स्नेह को, उनके निश्छल, निस्वार्थ प्यार को*।
 
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मेरे दिलाराम शिव बाबा के प्यार की मीठी सुखद फुहारें मन को अथाह सुख प्रदान कर रही हैं। इन फुहारों से मिल रहे असीम आनन्द का आकर्षण मुझे धीरे धीरे उनके समीप ले जा रहा है। *उनके प्रेम के सुखद एहसास की मीठी डोर में बंधी मैं आत्मा अब अपने साकारी तन से बाहर आ कर, उनके साथ साथ चल पड़ती हूँ ऊपर की ओर*। उनकी किरणों रूपी बाहों के झूले में झूलती, अतीन्द्रिय सुख में गोते खाती मैं उनके साथ चली जा रही हूँ। *देह और देह की दुनिया के हर आकर्षण से मुक्त, हर बंधन से आजाद सुख के सागर शिव बाबा से मिल रहे गहन सुख में समाई मैं पहुंच गई अपने शिव बाबा के साथ उनके धाम*।
 
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परमधाम में सुख, शांति के सागर अपने प्यारे मीठे शिव परम पिता परमात्मा के सानिध्य में मैं आत्मा उनसे आ रही सर्वशक्तियों को स्वयं में समाहित करती जा रही हूँ। *उनसे आ रही सर्वशक्तियों की असीम किरणे जैसे - जैसे मुझ आत्मा पर प्रवाहित हो रही हैं मुझे ऐसा लग रहा है जैसे सुख का झरना मुझ आत्मा के ऊपर बह रहा है और मैं असीम सुख से भरपूर होती जा रही हूँ*। असीम सुख की अनुभूति करके, स्वयं को सर्वशक्तियों से सम्पन्न करके मैं आत्मा परमधाम से नीचे अब सूक्ष्म वतन में आ रही हूं।
 
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अब मैं देख रही हूँ स्वयं को सफेद प्रकाश से प्रकाशित फरिश्तों की जगमग करती हुई दुनिया में। *सफेद चमकीली फरिश्ता ड्रेस धारण कर मैं फरिश्ता पहुँच जाता हूँ अव्यक्त वतन वासी अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के सामने जिनकी भृकुटि में शिवबाबा चमक रहें हैं*। बापदादा बड़े प्यार से निहारते हुए अपनी मीठी दृष्टि मुझ पर डाल रहे हैं। उनकी शक्तिशाली दृष्टि से मुझ फरिश्ते के अंदर परमात्म बल भरता जा रहा है जो मुझे शक्तिशाली बना रहा है। *सुख की अनन्त शक्तियां बाबा मुझ में प्रवाहित करके मुझे आप समान मास्टर सुख दाता बना रहे हैं*।
 
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विश्व की दुखी आत्माओं को सुखी बनाने की सेवा अर्थ अब बाबा मुझे निमित बना कर वापिस साकारी दुनिया में लौटने का निर्देश देते हैं। *सुख का फरिश्ता बन अब मैं सूक्ष्म लोक से नीचे आ जाता हूँ और विश्व की तड़पती हुई दुखी अशांत आत्माओं को सुख की अनुभूति करवाने चल पड़ता हूँ*। एक बहुत ऊंचे और खुले स्थान पर जाकर मैं फरिश्ता बैठ जाता हूं। और अपने सुख सागर परमपिता परमात्मा शिव बाबा के साथ कनेक्शन जोड़ कर उनसे सुख की शक्तिशाली किरणे लेकर सारे विश्व में सुख के वायब्रेशन फैलाने लगता हूँ।
 
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सारे विश्व मे सुख, शांति की किरणें फैलाता और सबको सुख शांति की अनुभूति करवाता हुआ मैं फ़रिशता अब अपने साकारी तन में आ कर प्रवेश कर जाता हूँ इस स्मृति के साथ कि बाबा ने मुझे निमित बना कर ईश्वरीय सेवा अर्थ इस भू लोक पर भेजा है। इस बात को सदा स्मृति में रख अब मैं अपने जीवन को ईश्वरीय सेवा में सफल कर रही हूँ। *"मैं खुदाई खिदमतगार हूँ" इसलिए खुदा की खिदमत ही मेरे ब्राह्मण जीवन का कर्तव्य है। इसी स्मृति में स्थित हो कर अब मैं हर कर्म कर रही हूँ और अपने संकल्प, बोल और कर्म से अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परमात्म सुख का अनुभव करवाकर उनके जीवन को भी सुखदाई बना रही हूँ*।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं करनहार और करावनहार की स्मृति में स्थित रहने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं लाइट की ताजधारी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

  *मैं आत्मा सर्व बंधनों से मुक्त रहती हूँ ।*

  *मैं आत्मा दैहिक नातों से नष्टोमोहा बनती हूँ ।*

  *मैं आत्मा ट्रस्टी हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳. *एक वाणी, दूसरा स्व शक्तिशाली स्थिति और तीसरा श्रेष्ठ रूहानी वायब्रेशन जहाँ भी सेवा करो वहाँ ऐसा रूहानी वायब्रेशन फैलाओ जो वायब्रेशन के प्रभाव में सहज आकर्षित होते रहें।* देखो, अभी लास्ट जन्म में भी आप सबके जड़ चित्र कैसे सेवा कर रहे हैं? क्या वाणी से बोलते? वायब्रेशन ऐसा होता जो भक्तों की भावना का फल सहज मिल जाता है। *ऐसे वायब्रेशन शक्तिशाली हों, वायब्रेशन में सर्व शक्तियों की किरणें फैलती हों, वायुमण्डल बदल जाए। वायब्रेशन ऐसी चीज है जो दिल में छाप लग जाती है।* आप सबको अनुभव है किसी आत्मा के प्रति अगर कोई अच्छा या बुरा वायब्रेशन आपके दिल में बैठ जाता है तो कितना समय चलता है? बहुत समय चलता है ना! निकालने चाहे तो भी नहीं निकलता है, किसका बुरा वायब्रेशन बैठ जाता है तो सहज निकलता है? तो *आपका सर्व शक्तियों की किरणों का वायब्रेशन, छाप का काम करेगा। वाणी भूल सकती है, लेकिन वायब्रेशन की छाप सहज नहीं निकलती है।* अनुभव है ना!

 

 _ ➳. *अभी सेकण्ड में ज्ञान सूर्य स्थिति में स्थित हो चारों ओर के भयभीत, हलचल वाली आत्माओं को, सर्वशक्तियों की किरणें फैलाओ। बहुत भयभीत हैं। शक्ति दो। वायब्रेशन फैलाओ।* अच्छा। (बापदादा ने ड्रिल कराई)

 

✺   *ड्रिल :-  "श्रेष्ठ रूहानी वायब्रेशन फैलाने का अनुभव"*

 

 _ ➳  पावन अमृतवेला में बाबा को निहारती अपने भाग्य को सहारती इठलाती इतराती मैं आत्मा गुनगुनाती हूं..."जाने क्या देखा मुझमें मुझे प्यार कर लिया, मेरे लाडले कहा और मुझे बांहों में भर लिया" *मैं विशेष आत्मा हूं... मुझे स्वयं भगवान ने अपना बनाया है... इसी रूहानी नशे में अपने स्वमान में स्थित हो बाबा को साथ ले सृष्टि की सैर को निकलती हूं...*

 

 _ ➳  ऊँची ऊँची चोटियों के ऊपर से, कहीं कल-कल करती नदियां... ऊपर से नीचे गिरते झरने... ताल तालाब... लहलहाते पेड़ पौधे... चहचहाते पक्षियों के झुंड...उगते सूरज की लालिमा ये सब बड़ा ही सुखदायी लग रहा है... *परम कलाकार की बनाई ये तस्वीर एकदम अनोखी है मन को भाने वाली है...*

 

 _ ➳  तभी कोलाहल से मेरी तंद्रा टूटती है...नीचे देखती हूं, तो पाती हूँ कि *अनेक आत्मायें भयभीत होकर हलचल में हैं... शक्तिहीन स्थिति में होने के कारण बेचैन हैं...* इनकी इसी अवस्था को दिखाने के लिए ही बाबा ने आज मुझे इस सैर को प्रेरित किया है... *मेरे बाबा को हर एक आत्मा का कितना ध्यान रहता है... ये सोचकर ही मैं आत्मा कृतकृत्य हो जाती हूं... ये मेरे आत्मा भाई हैं, मुझे इनको इस अवस्था से बाहर निकालना ही है... मैं आत्मा सर्वशक्तिमान की संतान हूँ...*

 

 _ ➳  *अपने  सर्वशक्तिमान, ज्ञान सूर्य पिता को याद कर मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य की शक्तिशाली स्थिति में स्थित हो इन आत्माओं को सर्व शक्तियों की किरणें दे रही हूं...* शुभभावना और शुभकामनाओं के वायब्रेशन्स दे रही हूं... *ईश्वर पिता से प्राप्त इन रूहानी वायब्रेशन्स से वायुमंडल बदल रहा है... शक्तियों की किरणों के वायब्रेशन फैलते ही इन आत्माओं की हलचल समाप्त हो रही है...* ये आत्मायें शान्ति की सुख की शक्तियों की तरंगों को अनुभव कर रही हैं... *वातावरण धीरे धीरे हल्का हो शान्त हो गया है सभी आत्माएँ प्रसन्नता पूर्वक इस सुख शान्ति के लिए ईश्वर पिता को मन ही मन धन्यवाद देती हैं...*

 

 _ ➳  *मैं भी बाबा को इस सेवा को कराने के लिये दिल से शुक्रिया अदा करती हूं...* बाबा आपका जितना भी शुक्रिया करूँ वो कम है... मेरे बाबा... मेरे बाबा... *"किस तरह सुनाएं ओ बाबा! जो तुमसे इतना पाएं हैं वो भूल कभी ना पाएंगे..."*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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