━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 20 / 02 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *भारत को स्वर्ग बनाने के लिए सेमिनार किया ?*
➢➢ *ज्ञान का विचार सागर मंथन किया ?*
➢➢ *अपनी श्रेष्ठ धारणाओं प्रति त्याग में भाग्य का अनुभव किया ?*
➢➢ *सर्व्शाक्तियों को अपने आर्डर में रख मास्टर सर्वशक्तिवान बनकर रहे ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ जितना अभी तन, मन, धन और समय लगाते हो, उससे *मन्सा शक्तियों द्वारा सेवा करने से बहुत थोड़े समय में सफलता ज्यादा मिलेगी।* अभी जो अपने प्रति कभी-कभी मेहनत करनी पड़ती है-अपनी नेचर को परिवर्तन करने की वा संगठन में चलने की वा सेवा में सफलता कभी कम देख दिलशिकस्त होने की, यह सब समाप्त हो जायेगी।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं सर्व बन्धनों से मुक्त डबल लाइट आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को डबल लाइट अर्थात् सर्व बन्धनों से मुक्त हल्के समझते हो? हल्के-पन की निशानी क्या है? *हल्का सदा उड़ता रहेगा। बोझ नीचे ले आता है। सदा स्वयं को बाप के हवाले करने वाले सदा हल्के रहेंगे।*
〰✧ *अपनी जिम्मेवारी बाप को दे दो अर्थात अपना बोझ बाप को दे दो तो स्वयं हल्के हो जायेंगे। बुद्धि से सरेन्डर हो जाओ। अगर बुद्धि से सरेन्डर होंगे तो और कोई बात बुद्धि में नहीं आयेगी।*
〰✧ *बस सब कुछ बाप का है, सब कुछ बाप में है तो और कुछ रहा ही नहीं। जब रहा ही नहीं तो बुद्धि कहाँ जायेगी कोई पुरानी गली, पुराने रास्ते रह तो नहीं गये हैं! बस एक बाप, एक ही याद का रास्ता, इसी रास्ते से मंजिल पर पहुँचो।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ बापदादा बच्चों के निमित बन नि:स्वार्थ विश्व सेवा को देख खुश होते हैं। *बापदादा करावनहार हो, करनहार बच्चों के हर कदम को देख खुश होते हैं क्योंकि सेवा की सफलता का विशेष अधार ही है - करावनहार बाप मुझ करनहार आत्मा द्वारा करा रहा है।*
〰✧ *मैं आत्मा निमित हूँ क्योंकि निमित भाव से निर्मान स्थिति स्वतः हो जाती है।* मैं-पन जो देहभान में लाता है वह स्वतः निर्मान भाव से समाप्त हो जाता है।
〰✧ *इस ब्राह्मण जीवन में सबसे ज्यादा विघ्न रूप बनता है तो देहभान का मैं-पना करावनहार करा रहा है, मैं निमित करनहार बन कर रहा हूँ, तो सहज देह-अभिमान मुक्त बन जाते हैं और जीवनमुक्ति का मजा अनुभव करते हैं।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ अब मास्टर सर्वशक्तिवान का नशा कम रहता है, इसलिए एक सेकण्ड में आवाज़ में आना, एक सेकण्ड में आवाज़ से परे हो जाना इस शक्ति की प्रैक्टिकल-झलक चेहरे पर नहीं देखते। जब ऐसी अवस्था हो जायेगी, *अभी-अभी आवाज़ में, अभी-अभी आवाज़ से परे। यह अभ्यास सरल और सहज हो जायेगा तब समझो सम्पूर्णता आई है। सम्पूर्ण स्टेज की निशानी यह है।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- खुद जागकर दूसरों को भी जगाना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा हिस्ट्री हॉल में बापदादा के सम्मुख बैठी हूँ... गॉडली स्टूडेंट बन ज्ञान मुरली सुन रही हूँ... ज्ञान सागर में डुबकी लगाकर साथ-साथ ज्ञान का मंथन करती जा रही हूं… मैं अविनाशी आत्मा अविनाशी बाबा के अविनाशी ज्ञान को धारण कर रही हूँ... *प्यारे बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं... बाबा के हाथों से ज्ञान, गुण, शक्तियों के हीरे बरस रहे हैं... मैं आत्मा इन हीरों से अपना श्रृंगार करके औरों का भी श्रृंगार कर रही हूँ...*
❉ *21 जन्मों की राजाई का सुख पाने के लिए ज्ञान का मंथन कर धारणा करने की समझानी देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... *ईश्वर पिता से पाये अमूल्य रत्नों को जितना लुटाओगे, उतने मालामाल हो, सतयुग के सुखो में मुस्कराओगे...* इसलिए इन बेशकीमती रत्नों को बुद्धि में इस कदर समाओ और जीवन में उसकी ऐसी मीठी झलक दिखाओ कि हर दिल आत्मा सच्चे ज्ञान को पाने को लालायित हो जाए...”
➳ _ ➳ *शिवसागर में डूबकर ज्ञान रत्नों रूपी अमूल्य खजानों की मालिक बन ख़ुशी की लहर फैलाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय रत्नों को पाकर रत्नों की ख़ान बनती जा रही हूँ... *और इस दौलत की बदौलत पायी असीम ख़ुशी की झलक और फलक सारे विश्व में फैला रही हूँ... सच्चे ज्ञान रत्नों को पाकर जीवन आनन्द से भर गया है...”*
❉ *अपनी मीठी वाणी से मुझे महान बनाकर सबका कल्याण करने की शिक्षा देते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... 21 जनमो की खुबसूरत राजाई का राज ज्ञान रत्नों के दान में छुपा सा है... यह खजाना जितना लुटाओगे उतने तकदीरवान भाग्यवान बन अनन्त सुखो के झूले में खिलखिलायेंगे... *इस कीमती धन का हकदार सबको बनाओ,.. और सबका जीवन आप समान सुखी बनाओ...”*
➳ _ ➳ *शिव परमात्मा के ज्ञान को धारण कर ज्ञान स्वरुप बन अंधकार भरे जग में सबकी ज्योति जगाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:*- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ज्ञान खजाने से भरपूर होकर ऐसा ज्ञानवान धनवान् सबको बनाती जा रही हूँ... *सबके जीवन में मीठे सुखो की दस्तक देकर खुशियो की बहारो का आप समान हकदार बना रही हूँ... ज्ञान की धारणा से सच्ची खुशियो का हर पल आभास करा रही हूँ...”*
❉ *ज्ञान की जादुई छड़ी घुमाकर मनुष्य से देवता बनने का हुनर सिखाते हुए मेरे जादूगर बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *ईश्वर पिता गोद में बिठाकर ज्ञान रत्नों से सजा संवार रहे है... देवता सा सौंदर्य और अतुल धन सम्पदा दिलाने वाला यह अनमोल ज्ञान खजाना... सहज ही पाने वाले महान आत्मा हो...* इस नशे को रोम रोम में भर दो और ज्ञान का प्रतीक बन सबको प्रेरित करो...”
➳ _ ➳ *ज्ञानामृत पीकर शुद्ध, पावन बन सद्गुणों से विश्व को जगमग जगमग चमकाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... आपसे पाये दिव्य गुण शक्तियाँ और अथाह ज्ञान रत्नों की झनकार से हर दिल को मन्त्रमुग्ध कर रही हूँ... *मेरे ईश्वरीय रंगरूप को देख हर दिल ईश्वरीय ज्ञान का आतुर हो उठा है... और जनमो की अतृप्त आत्माये सदा का सुख पा रही है...”*
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- ज्ञान का विचार सागर मन्थन करना है*"
➳ _ ➳ सागर के तले में छुपी अनमोल वस्तुयों जैसे सीप, मोती आदि को पाने के लिए एक गोताखोर को पहले उसकी गहराई में तो जाना ही पड़ता है। *जब तक गोताखोर पानी के ऊपरी हिस्से पर तैरता रहता है तब तक तेज लहरों, पानी की थपेड़ों और तूफानों का भी उसको सामना करना पड़ता है* परन्तु यदि वह इन सबकी परवाह किये बिना पानी की गहराई में उतरता चला जाता है तो नीचे गहराई में जा कर हर चीज शांन्त हो जाती है और वह सागर के तले में छुपी उन चीजों को प्राप्त कर लेता है।
➳ _ ➳ इस दृश्य को मन बुद्धि रूपी नेत्रों से देखते - देखते मैं विचार करती हूँ कि जैसे स्थूल सागर की गहराई में अनमोल सीप, मोती आदि छुपे होते हैं इसी तरह से स्वयं *ज्ञान सागर भगवान द्वारा दिये जा रहे इस ज्ञान में भी कितने अनमोल खजाने छुपे हैं बस आवश्यकता है इन खजानों को ढूंढने के लिए इस अनमोल ज्ञान की गहराई में जाने की अर्थात विचार सागर मंथन करने की*। मलाई से भी मक्खन तभी निकलता है जब उसे पूरी मेहनत के साथ मथा जाता है तो यहां भी अगर विचार सागर मन्थन नही करेंगे तो ज्ञान रूपी मक्खन का स्वाद भी नही ले सकेंगे। *इसलिये विचार सागर मन्थन कर, ज्ञान की गहराई में जा कर, फिर उसे धारणा में लाकर अनुभवी मूर्त बनना ही ज्ञान सागर द्वारा दिये जा रहे इस ज्ञान का वास्तविक यूज़ है*।
➳ _ ➳ हम बच्चो को यह ज्ञान दे कर, हमारे दुखदाई जीवन को सुखदाई, मनुष्य से देवता बनाने के लिए स्वयं भगवान को इस पतित दुनिया, पतित तन में आना पड़ा। तो ऐसे भगवान टीचर द्वारा दिये जा रहे इस ज्ञान का हमे कितना रिगार्ड रखना चाहिए। *ज्ञान की एक - एक प्वाइंट पर विचार सागर मंथन कर उसे धारणा में ले कर आना और फिर औरों को धारण कराना ही भगवान के स्नेह का रिटर्न है*। और भगवान के स्नेह का रिटर्न देने के लिए ज्ञान का विचार सागर मन्थन कर, सेवा की नई - नई युक्तियाँ अब मुझे निकाल औरों को भी यह ज्ञान देकर उनका भाग्य बनाना है मन ही मन स्वयं से यह दृढ़ प्रतिज्ञा कर ज्ञान सागर अपने प्यारे परमपिता परमात्मा शिव बाबा की याद में मैं अपने मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ।
➳ _ ➳ मन बुद्धि की तार बाबा के साथ जुड़ते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे ज्ञान सूर्य शिवबाबा मेरे सिर के ठीक ऊपर आ कर ज्ञान की शक्तिशाली किरणों से मुझे भरपूर कर रहें हैं। *बाबा से आ रही सर्वशक्तियो रूपी किरणों की मीठी फुहारें जैसे ही मुझ पर पड़ती हैं मेरा साकारी शरीर धीरे - धीरे लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर मे परिवर्तित हो जाता हैं* और मास्टर ज्ञान सूर्य बन लाइट की सूक्ष्म आकारी देह धारण किये मैं फ़रिशता ज्ञान की रोशनी चारों और फैलाता हुआ सूक्ष्म लोक में पहुँच जाता हूँ और जा कर बापदादा के सम्मुख बैठ जाता हूँ।
➳ _ ➳ अपनी सर्वशक्तियों को मुझ में भरपूर करने के साथ - साथ अब बाबा मुझे विचार सागर मन्थन का महत्व बताते हए कहते हैं कि *"जितना विचार सागर मंथन करेंगे उतना बुद्धिवान बनेंगें और अच्छी रीति धारणा कर औरों को करा सकेंगे"*। बड़े प्यार से यह बात समझा कर बाबा मीठी दृष्टि दे कर परमात्म बल से मुझे भरपूर कर देते हैं। मैं फ़रिशता परमात्म शक्तियों से भरपूर हो कर औरों को आप समान बनाने की सेवा करने के लिए अब वापिस अपने साकारी तन में लौट आता हूँ।
➳ _ ➳ *अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप को सदा स्मृति में रख अपने परमशिक्षक ज्ञान सागर शिव बाबा द्वारा दिये जा रहे ज्ञान को गहराई से समझने और उसे स्वयं में धारण कर फिर औरों को धारण कराने के लिए अब मैं एकांत में बैठ विचार सागर मंथन कर सेवा की नई - नई युक्तियाँ सदैव निकालती रहती हूँ*।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अपनी श्रेष्ठ धारणाओं के प्रति त्याग में भाग्य का अनुभव करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सच्ची त्यागी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सर्वशक्तियों को सदा अपने आर्डर में रखती हूँ ।*
✺ *मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा शक्तियों की खान हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बाप आपकी हर सेवा में सहयोग देने वाले हैं *बापदादा सभी बच्चों को कहते हैं कि आप सभी 'आप और बाप' कम्बाइण्ड हैं। तो कम्बाइण्ड हैं तो सिंगल हुए क्या*? लौकिक जीवन अलग चीज है, लेकिन ब्राह्मण जीवन में कम्बाइण्ड रूप में हो। *ऐसे कम्बाइण्ड हो जो कोई भी अलग नहीं कर सकता*। ऐसे कम्बाइण्ड हो ना? या अकेले हो? कम्बाइण्ड हो। *सदा बाप हर कार्य में सहयोगी हैं, साथी हैं*। यह नशा रहता है ना? *कभी अपने को अकेले तो नहीं समझते? कभी-कभी समझते हो*? नहीं। पहले *बापदादा आप सबका साथी है और अविनाशी साथ निभाने वाले है। बाबा कहा और बाबा हाजिर है। कहते हैं हजूर सदा हाजिर है। तो मौज में रहते हो ना*? उदास तो नहीं होते? होते हैं? हाँ ना नहीं करते? उदास तो नहीं है ना? मौज में रहते हो ना! *मौज ही मौज है, हम बाप के, बाप हमारे*। *बाप आपकी हर सेवा में सहयोग देने वाले हैं। इसलिए इसी रूहानी नशे में सदा रहना* - हम कम्बाइण्ड हैं। कम्बाइण्ड हैं ना? बहुत अच्छे रूहानी नशे वाले हैं। नशा है ना? बापदादा को अति प्रिय से भी प्रिय हैं।
✺ *ड्रिल :- "सदा कम्बाइण्ड स्वरूप के रूहानी नशे में रहने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *फूल और खूशबू... सागर और लहरें... बादल और बरखा... सूरज और धूप जैसे कम्बाइंड है, वैसे ही संगम पर शिव से कम्बाइंड मैं शिव शक्ति*... उनकी सारी शक्तियाँ और गुण मेरी अमानतें है... मैं आत्मा भृकुटी तख्त पर कम्बाइन्ड रूप में... दूर दूर तक फैलता आत्मिक गुणों का प्रकाश... और इस प्रकाश की परिधि में आने वाली हर आत्मा सुख शान्ति और पवित्रता की गहरी अनुभूति कर रही है... मुझ आत्मा का अविनाशी सहारा, अविनाशी साथी... हर पल हर सेवा में मेरा सहयोगी...
➳ _ ➳ उस रूहानी माशूक के संग के नशे में चूर मैं आत्मा... मेरे हर सकंल्प, हर बोल, हर कर्म में रूहानियत... *धडकनों में बाबा शब्द की सरगम साफ साफ सुनाई दे रही है*... और देख रही हूँ... फरिश्ता स्वरूप बापदादा को... *जो मेरे सम्मुख खडे हो गये है मेरे धडकनों की आवाज सुनकर*... मुस्कुराते हुए आगे बढकर मेरे सर पर हाथ रख दिया है उन्होनें... *उनके हाथों का ये कोमल स्पर्श हर उदासी से, हर रंजो गम से बेपरवाह कर रहा है, मुझे*...
➳ _ ➳ *सदा मौजों में रहने का वरदान दे रहे है बाबा मुझे*... वरदान की शक्तियों को स्वयं में समाती जा रही हूँ मैं... रूहानी नशे में चूर, मैं बिन्दु रूप में सिमटती जा रही हूँ... *मैं आत्मा जा पहुँची हूँ परमधाम में*... एक एक आत्मा मणि को बेहद ध्यान से देखती हुई... *चमकती हुई हर आत्मा अपने अपने सैक्शन में*... अपनी पवित्रता का प्रकाश फैलाती हुई... दूर दूर तक शान्ति का अटल साम्राज्य...
➳ _ ➳ *हर आत्मा को बेहद करीब से अनुभव करती हुई... मैं देख रही हूँ शिव बिन्दु को*... मन की आँखों से उनके स्नेह का पान करती हुई मैं एकदम उनके करीब आकर कुछ पल के लिए स्थिर हो गयी हूँ... *झरने के नीचे जैसे घट रख दिया हो किसी ने... उनके पावन से स्नेह से स्वयं को भरपूर करती हुई... उन्ही का स्वरूप बनती जा रही हूँ... और अब उनके स्नेह का आकर्षण मुझे खींच रहा है अपनी ओर... मैं बूँद समाती जा रही हूँ उस सागर में...*
➳ _ ➳ *देर तक कम्बाइंड स्वरूप की गहरी अनुभूति*... और अब मैं आत्मा अपने गहरे अनुभवों के साथ, लौट रही हूँ साकार तन और साकारी दुनिया की ओर... *देह में अवतरित मैं आत्मा अब भी कम्बाइंड स्वरूप की गहरी और ठहरी अनुभूतियों के साथ*... शिव शक्ति के रूप में बापदादा का हर सेवा में सहयोग अनुभव कर रही हूँ...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━