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❍ 10 / 04 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *खाते पीते सब काम करते पढाई पर पूरा ध्यान दिया ?*
➢➢ *बहुतों को आप समान बनाने की सर्विस की ?*
➢➢ *किसी भी आत्मा को प्राप्तियों की अनुभूति करवाई ?*
➢➢ *नम्रता और धैर्यता का गुण धारण कर क्रोध अग्नि को शनत किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जैसे साइन्स की शक्ति का प्रयोग लाइट के आधार पर होता है। *अगर कम्प्युटर भी चलता है तो कम्प्युटर माइट है लेकिन आधार लाइट है। ऐसे आपके साइलेन्स की शक्ति का भी आधार लाइट है।* जब वह प्रकृति की लाइट अनेक प्रकार के प्रयोग प्रैक्टिकल में करके दिखाती है तो आपकी अविनाशी परमात्म लाइट, आत्मिक लाइट और साथ-साथ प्रैक्टिकल स्थिति लाइट, तो इससे क्या नहीं प्रयोग हो सकता!
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं विघ्न-विनाशक हूँ"*
〰✧ कभी किसी भी विघ्न के प्रभाव में तो नहीं आते हो? *जितनी ऊँची स्थिति होगी तो ऊँची स्थिति विघ्नों के प्रभाव से परे हो जाती है। जैसे स्पेस में जाते हैं तो ऊँचा जाते हैं, धरनी के प्रभाव से परे हो जाते। ऐसे किसी भी विघ्नों के प्रभाव से सदा सेफ रहते।*
〰✧ *किसी भी प्रकार की मेहनत का अनुभव उन्हें करना पड़ता - जो मुहब्बत में नहीं रहते। तो सर्व सम्बन्धों से स्नेह की अनुभूति में रहो।*
〰✧ *स्नेह है लेकिन उसे इमर्ज करो। सिर्फ अमृतेवेले याद किया फिर कार्य में बिजी हो गये तो मर्ज हो जाता। इमर्ज रूप में रखो तो सदा शक्तिशाली रहेंगे।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ अव्यक्त स्थिति का अनुभव होता है? *एक सेकण्ड भी अव्यक्त स्थिति का अनुभव होता है तो उसका असर काफी समय तक रहता है*। अव्यक्त स्थिती का अनुभव पाँवरफुल होता है। जितना हो सके उतना अपना समय व्यक्त भाव से हटाकर अव्यक्त स्थिती में रहना है।
〰✧ अव्यक्त स्थिती से सर्व स़कल्प सिद्ध हो जाता हैं। इसमें मेहनत कम और प्राप्ती अधिक होती है। और व्यक्त स्थिती में स्थित होकर पुरुषार्थ करने में मेहनत अधिक और प्राप्ती कम होती है। फिर चलते - फिरते उलझन और निराशा आती है। *इसलिए अव्यक्त स्थिती से सर्व प्राप्ती का अनुभव बढाओ*।
〰✧ *अव्यक्त मूर्त को समाने देख समान बनने का प्रयत्न करना है*। 'जैसा बाप वैसे बच्चे'। यह स्लोगन याद रखो। अन्तर न हो। अन्तर को अन्तरमुख होकर मिटाना है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *शरीर और आत्मा - दोनों का न्यारापन चलते-फिरते भी अनुभव होना है। जैसे कोई प्रेक्टिस हो जाती है ना।* लेकिन यह प्रेक्टिस किनकी हो सकती है? जो शरीर के साथ व शरीर के सम्बन्ध में जो भी बातें हैं, शरीर की दुनिया, सम्बन्ध व अनेक जो भी वस्तुएं हैं उनसे बिल्कुल डिटैच होंगे, ज़रा भी लगाव नहीं होगा, तब न्यारा हो सकेंगे। *अगर सूक्ष्म संकल्प में भी हल्कापन नहीं है, डिटैच नहीं हो सकते तो न्यारेपन का अनुभव नहीं कर सकेंगे।* तो अब महारथियों को यह प्रैक्टिस करनी है। बिल्कुल ही न्यारेपन का अनुभव हो। इसी स्टेज पर रहने से अन्य आत्माओं को भी आप लोगों से न्यारेपन का अनुभव होगा, वह भी महसूस करेंगे। ऐसे चलते-फिरते फरिश्तेपन के साक्षात्कार होंगे। यहाँ बैठे हुए भी अनेक आत्माओं को, जो भी आपके सतयुगी फैमिली में समीप आने वाले होंगे उन्हों को आप लोगों के फरिश्ते रूप और भविष्य राज्य - पद के - दोनो इकठे साक्षात्कार होंगे।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- नाटक पूरा हुआ, वापस घर जाना है"*
➳ _ ➳ *मैं फ़रिश्ता मधुबन डायमंड हाल में फरिश्तों की महफिल में बैठा हूँ...* अपनी चमकीली ड्रेस में सजे हुए फ़रिश्ते पूरे हाल की शोभा बढ़ा रहे हैं... पूरा डायमंड हाल रंग-बिरंगी फूलों से, गुब्बारों से सजा हुआ है... सभी फ़रिश्ते बाबा मिलन की अनमोल घडी के इन्तजार में बाबा की यादों को दिल में संजोये हुए झूम रहे हैं... *इन्तजार की घड़ियों को खत्म करते हुए बापदादा इस महफ़िल में आकर दृष्टि देकर ज्ञान अमृत की वर्षा करते हैं...*
❉ *अपने वरदानी बोल से स्वीट होम की याद दिलाते हुए स्वीट बापदादा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... इस पुरानी पतित देह की मिटटी से निकल कर... *अपने सत्य अविनाशी वजूद में खो जाओ... यह खेल अब पूरा हो गया, घर चलने का समय नजदीक आ गया है...* तो आत्मा मणि सा सज जाओ... शरीर तो यही छूटना है,साथ जाना नही... तो इसके चंगुल से स्वयं को छुड़ाते जाओ...”
➳ _ ➳ *परमात्म प्यार की कश्ती में बैठकर घर जाने की तैयारी करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में देह के भान से परे होकर, अपने खुबसूरत मणि रूप की चमक को पाकर मुस्करा उठी हूँ... *देह के आकर्षण से मुक्त होकर आपका हाथ पकड़ कर, ख़ुशी से घर चलने को आमादा हूँ...”*
❉ *अनंत शक्तियों के श्रृंगार से मेरे स्वरुप को निखारते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *परमधाम में अशरीरी थे और अशरीरी बन कर ही वापस घर को चलना है... इसलिए मीठे बाबा की यादो में खोकर, अपने सत्य स्वरूप को यादो में ताजा करो...* इस विनाशी देह के भान से मुक्त हो जाओ... और निराकारी आत्मा के नशे में खोये रहो...”
➳ _ ➳ *संगमयुग में प्यारे बाबा से अपनी खोई हुई जागीर पाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा देह के मायाजाल से बाहर निकल... अपने खुबसूरत अविनाशी रूप को यादो में बसा रही हूँ... *प्यारे बाबा आपकी यादो में अपनी खोयी चमक पाकर... धरती के लुभावने विनाशी आकर्षणों से सहज ही आजाद हो रही हूँ...”*
❉ *मन के सरोवर को स्मृतियों के कमल से खिलाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *धरती पर उतर कर देह की मिटटी में खेल, कितने काले और पतित हो गए.... अब वापिस घर जाना है तो... जो खुबसूरत सितारे थे उसी रंग रूप के नशे से भर जाओ...* मै ये हूँ,मै वो हूँ... इस देहभान की खुमारी से जरा बाहर निकलो, और अशरीरी आत्मा के भान में आ जाओ...”
➳ _ ➳ *अपनी जीवन नैय्या की पतवार बाबा के हाथों में देकर इस विषय सागर से पार होते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपकी यादो में घर चलने को तैयार हो रही हूँ... देह भान के सारे भ्रमो से निकल कर... सत्य की राहो में, तेजस्वी स्वरूप लिए खुशियो में झूम रही हूँ...* देह के सारे अलंकारो को त्याग कर, गुणो और शक्तियो से श्रृंगारित हो रही हूँ...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बापदादा की दिल पर चढ़ने के लिए श्रीमत पर बहुतों को आप समान बनाने की सर्विस करनी है*"
➳ _ ➳ भृकुटि सिंहासन पर विराजमान मैं तेजस्विनी मणि, बाबा की श्रीमत कर चल, बाबा के कार्य में पूरी पूरी मददगार बन, सर्विस में लग जाने वाली सच्ची सेवाधारी आत्मा हूं। मैं वह कोटो में कोई, कोई में भी कोई महान आत्मा हूँ जिसे स्वयं भगवान ने अपना मददगार चुना है। *सृष्टि परिवर्तन के महान कार्य में मुझे सहयोगी बनाकर, मेरे प्यारे परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने मुझे मेरा सर्वश्रेष्ठ भाग्य बनाने का डायमण्ड चांस दिया है*।
➳ _ ➳ संगमयुग पर भगवान बाप द्वारा मिली सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों और अपने सर्वश्रष्ठ भाग्य के बारे में मैं जैसे जैसे विचार कर रही हूं उतना ही बाबा से मिलने की तड़प भी तीव्र होती जा रही है। इसलिए *अपने प्यारे भाग्य विधाता बाबा की मीठी-मीठी यादों में खोई मैं उनसे मिलन मनाने, उनकी अनमोल शिक्षाये लेने और उनकी सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर करने के लिए इस साकारी देह से बाहर निकल कर ऊपर की ओर चल पड़ती हूँ*। आकाश के पार, सूक्ष्म वतन के भी पार अब मैं स्वयं को परमधाम में अपने मीठे प्यारे शिव बाबा के सानिध्य में स्पष्ट देख रही हूं।
➳ _ ➳ बाबा अपनी सर्वशक्तियों से मुझे भरपूर कर रहे है। ऐसा लग रहा है जैसे अपनी समस्त ऊर्जा का भंडार बाबा मेरे अंदर समाहित कर रहे हैं ताकि संपूर्ण ऊर्जावान बन मैं विश्व की समस्त आत्माओं का कल्याण करने के निमित बन बाबा के कार्य में मददगार बन सकूँ। *परमात्म शक्तियों से स्वयं को भरपूर कर, शक्तियों का पुंज बन अब मैं परमधाम से नीचे आ जाती हूँ और पहुंच जाती हूँ सूक्ष्म लोक में*। जहां मेरे मीठे प्यारे निराकार शिव भगवान अपने निर्धारित रथ ब्रह्मा बाबा के मुख कमल से मुझे अपनी मीठी मधुर समझानी देने के लिए विराजमान हैं।
➳ _ ➳ अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर अब मैं बापदादा के सामने पहुंच जाता हूँ। *बाबा मुझे देखते ही आओ मेरे मददगार सेवाधारी बच्चे कह कर मुझे गले से लगा लेते हैं*और अपने पास बिठा कर बाबा आज की कलयुगी दुनिया का सीन मेरे सामने इमर्ज करते हैं और मुझ से कहते हैं देखो बच्चे कैसे विकारों के वशीभूत हो कर आज सभी एक दूसरे को दुःख दे रहें हैं। रोती, बिलखती, दुःख से पीड़ित आत्माओं को मैं देख रही हूँ।
➳ _ ➳ बाबा मेरा ध्यान अपनी और खिंचवाते है और मुझ से कहते हैं मेरे मीठे बच्चे- "इस दुःख से भरी दुनिया को मैं फिर से सुख की दुनिया बनाने आया हूँ और इस कार्य मे आपको मेरा मददगार बनना है"। *सदा इस बात को स्मृति में रखना है कि इस संगम युग पर आपका जन्म बाप की मदद करने के लिए हुआ है*। इसलिए विचार सागर मंथन कर सेवा की नई नई युक्तियां निकालनी है। जो बच्चे आज तक मुझ से बिछुड़े हुए हैं उन तक मेरा सन्देश पहुंचा कर उन्हें मुझ से मिलवाना है ।
➳ _ ➳ अपने प्रति बाबा की आशाओं को मैं फ़रिशता स्पष्ट अनुभव कर रहा हूँ जिन्हें पूरा करने के लिए मैं वापिस साकारी दुनिया मे लौट आता हूँ और अपने ब्राह्मण स्वरूप में विराजमान हो कर *अब मैं बाबा से प्रोमिस करती हूं कि श्रीमत पर चल, याद से अपने अंदर बल भरकर अपने योगयुक्त और युक्तियुक्त बोल से, अपनी शक्तिशाली मनसा वृति से और अपने श्रेष्ठ कर्मो से मैं अनेकों आत्माओं को आप समान बनाऊँगी* और सृष्टि परिवर्तन के इस महान कार्य में बाबा की मददगार अवश्य बनूँगी।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं किसी भी आत्मा को प्राप्तियों की अनुभति कराने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं यथार्थ सेवाधारी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदैव नम्रता और धैर्यता का गुण धारण करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा क्रोधाग्नि को सदा शांत कर देती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा शांत स्वरूप हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ दुनिया में अनेक प्रकार की विल होती है लेकिन ब्रह्मा बाप ने बाप से प्राप्त हुई सर्व शक्तियों की विल बच्चों को की। ऐसी अलौकिक विल और कोई भी कर नहीं सकते हैं। बाप ने ब्रह्मा बाप को साकार में निमित्त बनाया और ब्रह्मा बाप ने बच्चों को निमित्त भव' का वरदान दे विल किया। *यह विल बच्चों में सहज पावर्स की (शक्तियों की) अनुभूति कराती रहती है। एक है अपने पुरूषार्थ की पावर्स और यह है परमात्म-विल द्वारा पावर्स की प्राप्ति। यह प्रभु देन है, प्रभु वरदान है।* यह प्रभु वरदान चला रहा है। वरदान में पुरूषार्थ की मेहनत नहीं लेकिन सहज और स्वत: निमित्त बनाकर चलाते रहते हैं।
✺ *"ड्रिल :- परमात्म-विल द्वारा पावर्स की प्राप्ति का अनुभव"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा चमकता हुआ सितारा... हद के बन्धनों, हद की दुनिया से डिटैच होती हुई... पहुँच जाती हूँ सफेद चमकीले प्रकाश की दुनिया में...* प्यारे बापदादा के सामने बैठ जाती हूँ... *मैं सितारा ज्ञान चंद्रमा के मस्तक पर चमकते हुए ज्ञान सूर्य को निहार रही हूँ...* मैं आत्मा बाबा से निकलती इन किरणों को आत्मसात कर रही हूँ... मैं आत्मा सम्पूर्ण फरिश्ता स्वरूप धारण कर रही हूँ...
➳ _ ➳ *मैं फरिश्ता अपने सिर पर बापदादा का वरदानी हाथ अनुभव कर रही हूँ...* बापदादा के दिव्य हाथों से दिव्य वरदानों की वर्षा हो रही है... मैं आत्मा वरदानों से भरपूर हो रही हूँ... बापदादा मुझ फरिश्ते का हाथ पकड दृष्टि दे रहे हैं... *बाबा के दिव्य चमकते हुए मस्तक से... रूहानी दृष्टि से... दिव्य हाथों से… दिव्य शक्तियां मुझ फरिश्ते में ट्रान्सफर हो रही हैं... बाबा मुझ फरिश्ते को सर्व शक्तियों की विल कर रहे हैं...*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सहज ही सर्व शक्तियों की अनुभूति कर रही हूँ...* मैं आत्मा सर्व गुणों, खजानों से भरपूर होने का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा सहजयोगी बन रही हूँ... मैं आत्मा निश्चय बुद्धि बन रही हूँ... *एक बाप दूसरा न कोई इस स्थिति से मुझ आत्मा का विनाशी संबंधो का मोह ख़तम हो रहा है...*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा `निमित्त भव' के वरदान में स्थित होकर निमित्त भाव से हर कर्म कर रही हूँ...* और सफलता प्राप्त कर रही हूँ... मैं आत्मा कितनी ही सौभाग्यशाली हूँ जो परमात्मा की पालना, शिक्षा, और वर्से की अधिकारी हूँ... *अब मैं आत्मा सदा इसी नशे में रहती हूँ कि... सर्व शक्तिमान परमात्मा मेरे साथ है...* मैं आत्मा हर परिस्थिति में विजय प्राप्त कर रही हूँ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा इस अलौकिक परमात्म-विल द्वारा अलौकिक पावर्स की प्राप्ति का अनुभव कर रही हूँ...* और सहज प्राप्ति-स्वरूप बन रही हूँ... प्रभु वरदान से स्वतः चल रही हूँ... वही मुझे चला रहा है... *इस प्रभु देन से बिना मेहनत के सदाकाल के लिए सर्व प्राप्तियों की अधिकारी बन गई हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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