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 08 / 04 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *पॉइंट्स नोट कर धारणा की ?*

 

➢➢ *पवित्र बन बाप के दिल का प्यार पाने के अधिकारी बनकर रहे ?*

 

➢➢ *सवा कल्याण के साथ साथ पर उपकारी बनकर रहे ?*

 

➢➢ *अपनी सर्व कमजोरियों को सदाकाल के लिए विदाई दी ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *कोई भी खजाना कम खर्च करके अधिक प्राप्ति कर लेना, यही योग का प्रयोग है।* मेहनत कम सफलता ज्यादा इस विधि से प्रयोग करो। जैसे समय वा संकल्प श्रेष्ठ खजाने हैं, तो संकल्प का खर्च कम हो लेकिन प्राप्ति ज्यादा हो। *जो साधारण व्यक्ति दो चार मिनट संकल्प चलाने के बाद, सोचने के बाद सफलता या प्राप्ति कर सकता है वह आप एक दो सेकेण्ड में कर सकते हो, इसको कहते हैं कम खर्चा बाला नशीन। खर्च कम करो लेकिन प्राप्ति 100 गुणा हो इससे समय की वा संकल्प की जो बचत होगी वह औरों की सेवा में लगा सकेंगे, दान पुण्य कर सकेंगे, यही योग का प्रयोग है।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं कोटो में कोई हूँ"*

 

✧  सदा बाप और वर्सा दोनों की स्मृति रहती है? *बाप कौन और वर्सा क्या मिला है यह स्मृति स्वत: समर्थ बना देती है। ऐसा अविनाशी वर्सा जो एक जन्म में अनेक जन्मों की प्रालब्ध बनाने वाला है, ऐसा वर्सा कभी मिला है? अभी मिला है, सारे कल्प में नहीं।*

 

  *तो सदा बाप और वर्सा इसी स्मृति से आगे बढ़ते चलो। वर्से को याद करने से सदा खुशी रहेगी और बाप को याद करने से सदा शक्तिशाली रहेंगे। शक्तिशाली आत्मा सदा मायाजीत रहेगी और खुशी है तो जीवन है।* अगर खुशी नहीं तो जीवन क्या? जीवन होते भी ना के बराबर है। जीते हुए भी मृत्यु के समान है।

 

  *जितना वर्सा याद रहेगा उतनी खुशी। सदा खुशी रहती है? ऐसा वर्सा कोटो में कोई को मिलता है और हमें मिला है। यह स्मृति कभी भी भूलना नहीं। जितनी याद उतनी प्राप्ति। सदा याद और सदा प्राप्ति की खुशी।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  बीज में कौन - सी शक्ति है? वृक्ष के विस्तार को अपने में समाने की। *तो अब क्या पुरुषार्थ करना है? बीज स्वरूप स्थिती में स्थित होने का अर्थात अपने विस्तार को समाने का*। तो यह चेक करो।

 

✧  विस्तार करना तो सहज है लेकिन विस्तार को समाना सरल हुआ है? आजकल साइंस वाले भी विस्तार को समेटने का ही पुरुषार्थ कर रहे है। *साइंस पावर वाले भी तुम साइलेन्स की शक्तिवालों से काँपी करते है*। जैसे - जैसे साइलेन्स की शक्ति सेना इन्वेन्शन करती है फिर साइंस अपने रूप से इन्वेन्शन करती है।

 

✧  जैसे - जैसे यहाँ रिफाइन होते जाते है वैसे ही साइंस भी रिफाइन होती जाती है। जो बातें पहले उन्हों को भी असम्भव लगती थी वह अब सम्भव होती जा रही है। वैसे ही *यहाँ भी असम्भव बातें सरल और सम्भव होती जाती है।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *ऐसे विशेष आत्माओं को अपने अव्यक्त स्थिति में, अपनी रूहानी लाइट और माइट की स्थिति द्वारा लाइट-हाउस और माइट-हाउस बन एक स्थान पर रहते हुए भी चारों ओर अलौकिक रूहानी सर्विस की भावना और वृत्ति द्वारा सर्विस करनी चाहिए। इसको कहते हैं बेहद की सर्विस।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बुद्धियोग एक बाप से लगाना"*

 

_ ➳  *मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा भाग्य विधाता बाप की श्रेष्ठ संतान हूँ... भाग्य विधाता परमात्मा ने स्वयं अपने हाथों से श्रेष्ठ भाग्य लिखने की कलम मुझ आत्मा को दे दी है... मैं आत्मा एकांत में बैठ सिर्फ एक बाबा से योग लगाती हूँ...* हर कर्म, हर सेवा को बाबा की याद में करती, अपने दिल को एक बाबा को समर्पित कर, एक की लगन में मगन होकर मैं आत्मा उड़ चलती हूँ प्यारे बाबा के पास प्यारे वतन में... एक बाबा की याद से अपने मस्तक पर श्रेष्ठ भाग्य की रेखा बनाने मीठे बाबा के सम्मुख बैठ जाती हूँ

 

   *एक बाबा से बुद्धियोग लगाकर सच्ची सच्ची रूहानी यात्रा करने की समझानी देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... *दुनियावी कार्यो को करते हुए भी बुद्धियोग ईश्वर पिता की यादो में खोया रहे... प्यार की ऐसी मीठी लहर दिल में बनी रहे...* ईश्वर पिता के साथ के यह मीठे सुंदर पल दिल की गहराइयो में बसा लो... और संगम पथ पर अथक पथिक बन यादो की यात्रा कर लो...

 

_ ➳  *बाबा को निरतंर निहारते हुए यादों के समन्दर में डूबकर मैं आत्मा कहती हूँ:-*  हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा मनुष्य से देवतुल्य के महा सौभाग्य को प्राप्त कर रही हूँ... मेरी यादो में मीठा बाबा सदा प्राण बन समाया है...* ये ईश्वरीय मीठी यादे मुझ आत्मा को अथाह सुख प्राप्तियां देकर मालामाल कर रही हैं...

 

   *मेरी धरती-गगन, मेरा सारा संसार बन सुख सघन देते हुए मेरे मीठे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *मीठे बाबा की मीठी यादो में जितना दिल को भिगोयेगें यह यादे उतने ज्यादा सुख सम्पन्नता और सच्चे प्रेम के महकते फूल जीवन में खिलाएंगी...* प्रेम में ऐसी वफादारी तो मनुष्य मात्र तो दे न सके... इसलिए मीठी ईश्वरीय यादो में अनन्त खुशियां पा लो...

 

 ➳ _ ➳  *प्यारे बाबा की छवि को अपने अंतर में उतारकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा धरती के मटमैले रिश्तो में सच्चे प्रेम की बून्द भी पा न सकी और प्यारा बाबा प्यार का सागर सा जीवन में छलक उठा...* ऐसे प्यारे बाबा को एक पल भी अब न बिसरूँ मै... रोम रोम से यादकर सच्चे प्रेम को जीती जा रही हूँ...

 

   *परमधाम से पधारकर सारे खजानों को मुझ पर लुटाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... जिस भगवान के जनमो से मुरीद होकर... मात्र एक झलक पाने को जर्रे जर्रे में खोज रहे थे... आज सम्पूर्ण दौलत सहित सामने है... *ऐसे प्यारे बाबा को जी भर के प्यार करो... हर पल हर घड़ी सिर्फ और सिर्फ उसे ही याद करो... दिल में बसाकर दिल का सच्चा श्रृंगार करो...”*

 

_ ➳  *देह दुनिया का भान खोकर एक बाबा को हर श्वांस में बसाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा ईश्वर पिता को प्यार करने वाली उसे अपने दिल में समाकर रुहरिहान करने वाली दिलरुबा बनी हूँ...* अब मेरा सारा प्यार मीठे बाबा के लिए है... साँस का हर कतरा मीठे बाबा की मधुर थाप से गूंज रहा है...

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- पढ़ाई में बहुत - बहुत कमाई है इसलिए कमाई खुशी - खुशी से करनी है*"

 

 _ ➳  जिस भगवान के दर्शन मात्र के लिए दुनिया प्यासी है वो भगवान शिक्षक बन मुझे पढ़ाने के लिए अपना धाम छोड़ कर आते हैं, यह ख्याल मन मे आते ही एक रूहानी नशे से मैं आत्मा भरपूर हो जाती हूँ और खो जाती हूँ उस परम शिक्षक अपने प्यारे परमपिता परमात्मा शिव बाबा की याद में। *उनकी मीठी सुखदायी याद मुझे असीम आनन्द से भरपूर करने लगती है। और ऐसा अनुभव होता है जैसे मेरे परम शिक्षक, मीठे शिव बाबा का प्यार उनकी अनंत शक्तियों की किरणों के रूप में परमधाम से सीधा मुझ आत्मा पर बरसने लगा है*।

 

 _ ➳  इसी गहन आनन्द की अनुभूति में समाई हुई मैं आत्मा अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप में स्थित हो कर, *अपने मोस्ट बिलवेड परम शिक्षक शिव बाबा की छत्रछाया के नीचे स्वयं को अनुभव करते हुए घर से चल पड़ती हूँ उस ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर जहां मेरे परम शिक्षक, मेरे मीठे शिव बाबा हर रोज मुझे ऐसी अविनाशी पढ़ाई पढ़ाने आते हैं जिसे पढ़ कर मैं भविष्य विश्व महारानी बनूँगी*। यह विचार मन मे आते ही एक दिव्य आलौकिक नशे से मैं भरपूर हो जाती हूँ और अपने परम शिक्षक की याद में तेज तेज़ कदमों से चलते हुए मैं पहुंच जाती हूँ अपने ईश्वरीय विश्वविद्यालय में और क्लासरूम में जा कर अपने परमप्रिय मीठे शिव बाबा की याद में बैठ जाती हूँ।

 

 _ ➳  मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूं कैसे शिव बाबा परमधाम से नीचे सूक्ष्म वतन में पहुंच कर अपने रथ पर विराजमान हो कर नीचे आ रहे हैं और आ कर सामने संदली पर बैठ गए हैं। *बापदादा के आते ही उनके शक्तिशाली वायब्रेशन पूरे क्लास रूम में फैलने लगें हैं*। ऐसा लग रहा है जैसे क्लासरूम में एक अलौकिक दिव्य रूहानी मस्ती छा गई है। एक दिव्य आलौकिक वायुमण्डल बन गया है। अपने परम शिक्षक बापदादा की उपस्थिति को क्लास रूम में बैठी हुई सभी ब्राह्मण आत्मायें स्पष्ट महसूस कर रही हूं। *बापदादा से लाइट माइट पा कर ब्राह्मण स्वरूप में स्थित सभी गॉडली स्टूडेंट्स भी जैसे अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो गए हैं*।

 

 _ ➳  मीठे बच्चे कहकर सभी ब्राह्मण बच्चो को सम्बोधित करते हुए शिव बाबा ब्रह्मा मुख से अब मीठे मधुर महावाक्य उच्चारण कर रहें हैं और साथ साथ सभी को अपनी मीठी दृष्टि से निहाल भी कर रहें हैं। *सभी गॉडली स्टूडेंट ब्राह्मण बच्चे आत्मिक स्मृति में स्थित हो कर, बाबा की शक्तिशाली दृष्टि से स्वयं को भरपूर करने के साथ साथ बाबा के मधुर महावाक्यों को भी बड़े प्रेम से सुन रहे हैं*। सब अपलक बाबा को निहार रहे हैं। बाबा सभी बच्चों को पढ़ाई पर विशेष अटेंशन खिंचवाते हुए समझा रहे हैं कि ऊंच पद पाने के लिए पढ़ाई में सदा तत्पर रहना और एक दो को ज्ञान सुना कर उनका भी कल्याण करना।

 

 _ ➳  मैं मन ही मन "जी बाबा" कहते हुए बाबा के इस डायरेक्शन को अमल में लाने का दृढ़ संकल्प करती हुई विचार करती हूं कि *कितनी पदमापदम सौभाग्यशाली हूँ मैं, जिसे स्वयं भगवान से पढ़ने का सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य प्राप्त हुआ*। पढ़ाई अच्छी रीति पढ़ने और एक दो को ज्ञान सुना कर उनका कल्याण करने का होमवर्क दे कर बाबा अपने धाम लौट जाते हैं। बाबा द्वारा मिले इस होमवर्क को पूरा करने के लिए मैं पूरी तन्मयता से अपनी ईश्वरीय पढ़ाई में लग जाती हूँ। *ज्ञान रत्न धारण कर, ज्ञान की शंख ध्वनि द्वारा औरों का कल्याण करने हेतू अब मैं ईश्वरीय विश्वविद्यालय से बाहर आ जाती हूँ*।

 

 _ ➳  चलते चलते रास्ते मे मिलने वाली आत्माओं को अब मैं सत्य ज्ञान सुनाती हुई, *उन्हें परमात्मा का यथार्थ परिचय दे कर परमात्मा से मिलने का रास्ता बताती हुई अपने कर्मक्षेत्र पर लौट आती हूँ और कर्मयोगी बन अपने कर्म में लग जाती हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं स्व - उपकार के साथ साथ पर- उपकारी बनने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं मायाजीत आत्मा हूँ।*

   *मैं विजयी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ  ।*

   *मैं आत्मा अपनी सर्व कमजोरियों को सदाकाल के लिए विदाई देती हूँ  ।*

   *मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

अव्यक्त बापदादा :-

 

_ ➳  मेहनत से छुटने की विधि- मेरा-पन समाप्त करोः- बापदादा सभी बच्चों को मेहनत से छुड़ाने आये हैं। आधाकल्प बहुत मेहनत की अब मेहनत समाप्त। उसकी सहज विधि सुनाई है, *सिर्फ एक शब्द याद करो - मेरा बाबा'। मेरा बाबा कहने में कोई भी मेहनत नहीं। मेरा बाबा कहो तो, दुख देने वाला मेरामेरा' सब समाप्त हो जायेगा। जब अनेक मेरा है तो मुश्किल है, एक मेरा हो गया तो सब सहज हो गया। बाबा-बाबा कहते चलो तो भी सतयुग में आ जायेंगे।* मेरा पोत्रा, मेरा धोत्रा, मेरा घर, मेरी बहू... अब यह जो मेरे-मेरे की लम्बी लिस्ट है इसे समाप्त करो। अनेकों को भुलाकर एक बाप को याद करो तो मेहनत से छूट आराम से खुशी के झूले में झूलते रहेंगे। सदा बाप की याद के आराम में रहो।

 

✺  *"ड्रिल :- मेरा बाबा शब्द की स्मृति से अनेको मेरा मेरा भूलने का अनुभव"*

 

_ ➳  *‘मेरा बाबाशब्द की रूहानी चुम्बकीय शक्ति से... मैं आत्मा प्यारे बाबा की याद में खींची चली जा रही हूँ...* मैं आत्मा मुक्त गगन की पंछी बन ऊपर उड रही हूँ... सांसारिक डाल की पकड को छोड रही हूँ... सर्व बन्धनों से छूट रही हूँ... *मेरा बाबाशब्द के जादू से मैं आत्मा डाल की पंछी से उड़ता पंछी बन रही हूँ...* मैं उड़ता पंछी पंच तत्वों की दुनिया से परे सूक्ष्मलोक पहुँच जाती हूँ...

 

_ ➳  *‘मेरा बाबा’, ‘प्यारा बाबा’, ‘मीठा बाबाकहते-कहते... मैं आत्मा बाबा के सामने बैठ जाती हूँ... बापदादा के रूहानी नैनों से अलौकिक, पारलौकिक रुहानी प्रेम छलक रहा है...* मुझ आत्मा का देहभान छूट रहा है... मैं आत्मा देही-अभिमानी बन रही हूँ... मुझ आत्मा का देह के सम्बन्धियों से मोह खत्म हो रहा है... *मुझ आत्मा का इस पुरानी दुनिया, पुरानी वस्तु-वैभव का आकर्षण ख़तम हो रहा है...*

 

_ ➳  *मैं आत्मा कई जन्मों से मेरा तन, मेरा मन, मेरा धन करते-करते दुखी, अशांत हो गई थी...* मेरा-मेरा करते मैं स्वयं को ही भूल गई... अपने पिता को भूल गई... अपने असली घर को ही भूल गई थी... मेरा बाबाशब्द की स्मृति से मैं आत्मा अपने स्व स्वरूप की स्मृति में टिक रही हूँ... *मुझ आत्मा को अपने असली पिता, असली घर, असली लक्ष्य स्पष्ट दिख रहा है...*

 

_ ➳  *‘मेरा बाबाशब्द में अनेकों मेरा-मेरा समा रहा है...* मैं आत्मा सबकुछ भूल एक बाबा को ही याद करती हूँ... मैं आत्मा विनाशी चीजों के मेरे-मेरे से किनारा कर रही हूँ... अविनाशी वर्से की अधिकारी बन रही हूँ... मैं आत्मा मेहनत से छूट रही हूँ... सहजयोगी बन रही हूँ... *अब मैं आत्मा मेरा बाबाशब्द की स्मृति से अनेको मेरा मेरा भूलकर... सदा बाबा की याद की खुशी के झूले में झूलने का अनुभव कर रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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