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❍ 24 / 04 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *बाप से सीधा और सच्चा होकर रहे ?*
➢➢ *कम से कम 8 घंटे याद में रहे ?*
➢➢ *पुरुषार्थ शब्द को यथार्थ रीति से यूज़ किया ?*
➢➢ *सदा मास्टर सर्वशक्तिमान की स्मृति में रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *संगमयुग की विशेष शक्ति साइलेन्स की शक्ति है।* संगमयुगी आत्माओं का लक्ष्य भी है कि अब स्वीट साइलेन्स होम में जाना है। *शान्त स्वरूप रहना और सर्व को शान्ति देना-यही संगमयुगी आत्माओं का मुख्य लक्षण है। वर्तमान समय विश्व में इसी शक्ति की आवश्यकता है, इसको ही योगबल कहा जाता है।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं पवित्र आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा पवित्रता की शक्ति से स्वयं को पावन बनाए औरों को भी पावन बनने की प्रेरणा देने वाले हो ना? *घर-गृहस्थ में रह पवित्र आत्मा बनना, इस विशेषता को दुनिया के आगे प्रत्यक्ष करना है।*
〰✧ ऐसे बहादुर बने हो! *पावन आत्मायें हैं, इसी स्मृति से स्वयं भी परिपक्व और दुनिया को भी यह प्रत्यक्ष प्रमाण दिखाते चलो।*
〰✧ कौन-सी आत्मा हो? *असम्भव को सम्भव कर दिखाने के निमित्त, पवित्रता की शक्ति फैलाने वाली आत्मा हूँ। यह सदा स्मृति में रखो।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ आज हरेक को अव्यक्त स्थिती का अनुभव करा रहे हैं। हरेक यथाशक्ति अनुभव कर रहे हैं, कहाँ तक हरेक निराकारी और अलंकारी बने है वह देख रहे हैं। दोनों ही आवश्यक हैं। *अलंकारी कभी भी देह अहंकारी नहीं बन सकेगा।* इसलिए सदैव अपने आप को देखो कि निराकारी और अलंकारी हूँ। यही है मनमनाभव, मध्याजीभव।
〰✧ स्व - स्थिति को मास्टर सर्वशक्तिवान कहा जाता है। तो मास्टर सर्वशक्तिवान बने हो ना। इस स्थिति में सर्व परिस्थितियों से पार हो जाते हैं। *इस स्थिति में स्वभाव अर्थात सर्व में स्व का भाव अनुभव होता है।* और अनेक पुराने स्वभाव समाप्त हो जाते हैं।
〰✧ स्वभाव अर्थात स्व में आत्मा का भाव देखो फिर यह भाव - स्वभाव की बातें समाप्त हो जायेगी। सामना करने की सर्व शक्तियाँ प्राप्त हो जायेगी। *जब तक कोई सूक्ष्म वा स्थूल कामना है तब तक सामना करने की शक्ति नहीं आ सकती।* कामना सामना करने नहीं देती।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *उन पण्डितो आदि के बोलने में भी पावर होती है। एक सेकण्ड में खुशी दिला देते, एक सेकण्ड में रुला देते हैं। जब उन्हों के भाषण में इतनी पावर होती है; तो क्या आप लोगों के भाषण में वह पावर नहीं हो सकती?* अशरीरी बनाना चाहो वह अनुभव करा सकते है? वह लहर छा जावे। सारी सभा के बीच बाप के स्नेह की लहर छा जावे। उसको कहा जाता है प्रैक्टिकल अनुभव कराना। अब ऐसी भाषण होना चाहिए, तब कुछ चेन्ज होगी। *वह भले भाषण सभा को हँसा लेते, रुला लेते लेकिन न तो अशरीरीपन का अनुभव करा सकते और न ही बाप से स्नेह नहीं पैदा कर सकते।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- योगबल से सारे विश्व की राजाई लेना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा स्वीट बाबा की यादों में मगन होकर उड़ चलती हूँ स्वीट होम... और बाबा के सामने बैठ जाती हूँ... स्वीट बाबा से स्वीट रंगीन चमकती हुई किरणें निकलकर मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं...* मुझ आत्मा के जन्म-जन्मान्तर के विकर्म भस्म हो रहे हैं... मैं आत्मा स्वीट बाबा के साथ स्वीट होम से नीचे उतरकर फ़रिश्ता स्वरुप धारण कर अव्यक्त वतन में पहुँच जाती हूँ... मीठे बाबा मीठी दृष्टि देते हुए मीठी शिक्षाएं देते हैं...
❉ *योग अग्नि से पापो को भस्म कर सम्पूर्ण सतोप्रधान बनने की शिक्षा देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... खूबसूरत महकते फूल आत्मा से... देहभान में लिप्त साधारण मनुष्य बनकर... विकारो में फंस पड़े हो... *अब स्वयं के सत्य स्वरूप को ईश्वरीय यादो में उजला करो... योग अग्नि में... सारे पापो को भस्म कर वही दमकता चमकता स्वरूप पुनः पा लो...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा योग अग्नि से सारे हिसाब-किताब चुक्तु करते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपको पाकर निहाल हो गई हूँ... और पिता की मीठी यादो में देहभान के सारे पापो से मुक्त होती जा रही हूँ...* अपने दमकते स्वरूप को पाती जा रही हूँ... और बाबा का हाथ थामे खुशियो में उड़ती जा रही हूँ...”
❉ *मीठे बाबा सतयुगी स्वर्णिम सुखों से मुझ आत्मा को मालामाल करते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे... अब भगवान को पाकर जीवन को सच्चा बनाओ... *अब और नए हिसाब किताब बनाकर स्वयं को मत उलझाओ... पुराने सारे पापो को ईश्वरीय यादो में जलाओ...* और हल्के खुशनुमा होकर अथाह खुशियो में डूब जाओ... सुंदर देवता बन मुस्कराओ...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पवित्रता के सफ़ेद किरणों से विकारों की कालिमा को भस्म करते हुए कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा मीठे बाबा को पाकर सारे विकारो से मुक्त हो गई हूँ... बाबा ने मुझे दमकता सा सुनहरा रंग दे दिया है... *मै आत्मा गुणो और शक्तियो से भरपूर होती जा रही हूँ... और अपने पापो के सारे बोझों को यादो में स्वाहा कर रही हूँ...”*
❉ *सुखों के आसमान तले मेरे भाग्य के सितारे को पारसमणि समान चमकाते हुए पारसनाथ बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... जब घर से निकले थे तो सतोप्रधान स्थिति से भरपूर थे... अथाह सुखो के मालिक थे... फिर नीचे उतरते विकारो में गिरकर पापो से भर गए... *अब मीठा बाबा अपनी गोद में बिठा सारे पापो को मिटाकर... स्वर्ग की खूबसूरत सौगात हथेली पर रख ले आया है... और वही सच्चा सोना बनाने आया है...”*
➳ _ ➳ *बिंदु बाबा के यादों के सहारे पुराने सारे हिसाब-किताब को बिंदु लगाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता की यादो में सतोप्रधान होती जा रही हूँ... फिर से सजकर देवताई स्वरूप पा रही हूँ... *पापो की दुनिया से सारे हिसाबो को खत्म कर... नई सुख़ शांति आनन्द की दुनिया का राज्य भाग्य पा रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सपूत बनना है*
➳ _ ➳ अपने प्यारे परम पिता परमात्मा का सपूत बच्चा बन उनकी आज्ञानुसार, उनके फरमान का पालन करते हुए, अपने मन औऱ बुद्धि को याद की उस खूबसूरत रूहानी यात्रा पर मैं ले चलती हूँ, जो यात्रा जन्म जन्मांतर के पापों को भस्म कर, मुझे भविष्य 21 जन्मों के लिए अपरमअपार सुख देने वाली है। *चित को चैन देने वाली और मन को अमन कर देने वाली याद की उस यात्रा पर चलने के लिए मैं नश्वर संसार की हर बात से किनारा कर, हर संकल्प, विकल्प से अपने मन बुद्धि को हटाकर अपने ध्यान को एकाग्र करती हूँ* और अपनी सभी कर्मेन्द्रियों से चेतनता को समेट कर, मस्तक के बिल्कुल सेन्टर पर स्थित कर लेती हूँ।
➳ _ ➳ एकाग्रता की शक्ति द्वारा, अपने वास्तविक स्वरूप को ज्ञान के दिव्य चक्षु से निहारते हुए, अपने अंदर समाये गुणों और शक्तियों का आनन्द लेते हुए, याद की इस खूबसूरत यात्रा पर अब मैं धीरे - धीरे आगे बढ़ती हूँ। *एक चैतन्य सितारे के रूप में स्वयं को भृकुटि के भव्यभाल पर चमकता हुआ मैं देख रही हूँ जो अपने गुणों और शक्तियों की किरणें चारों और फैलाता हुआ धीरे - धीरे भृकुटि सिहांसन को छोड़, देह रूपी गुफा से बाहर आ रहा है*। अपनी सम्पूर्ण निराकारी स्थिति में अब मैं स्वयं को देह से बिल्कुल न्यारा देख रही हूँ। मेरा यह सतोगुणी स्वरूप मुझे गहन सुखमय स्थिति का अनुभव करवा रहा है। *देह और देह की दुनिया के हर बन्धन, हर बोझ से मुक्त एकदम लाइट स्थिति में स्थित होकर अब मैं धीरे - धीरे ऊपर आकाश की ओर जा रही हूँ*।
➳ _ ➳ अपने गुणों और शक्तियों की रंग बिरंगी किरणो को चारों औऱ फैलाते हुए, याद की इस अति मनभावनी रूहानी यात्रा का आनन्द लेते हुए, मैं सारे विश्व का चक्कर लगाती हुई पहुँच जाती हूँ विशाल नीलगगन में। *सूर्य, चाँद, तारागणों के इस मांडवे को देखते - देखते इस विशाल नीलगगन को पार कर अब मैं इससे और आगे की यात्रा पर चलते हुए, सूक्ष्म लोक को पार करके, पहुँच जाती हूँ अपनी मंजिल अपने मूलवतन घर में*। साकारी और आकारी दोनों दुनियाओं से परें शान्ति की यह दुनिया जहाँ संकल्पों की भी हलचल नही, अपने इस मूलवतन घर में आकर याद की अपनी रूहानी यात्रा को मैं विराम देती हूँ और *इस यात्रा से मिलने वाले अतीन्द्रीय सुख के मधुर एहसास में डूब जाने के लिए, सुख के सागर अपने निराकार शिव पिता के पास पहुँचती हूँ*।
➳ _ ➳ सर्वगुणों, सर्वशक्तियों के सागर अपने प्यारे पिता को ज्योतिपुंज के रूप में अपने सामने मैं देख रही हूँ जो अपनी किरणों रूपी बाहों को फैलाये मेरा आह्वान कर रहें हैं। *अपना सम्पूर्ण ध्यान महाज्योति अपने शिव पिता पर केंद्रित कर, मन बुद्धि रूपी नेत्रों से उनके सुन्दर स्वरूप को और उनसे निकल रहे प्रकाश की एक - एक किरण को निहारते हए मैं असीम आनन्द का अनुभव कर रही हूँ*। शक्तियों के सागर सर्वशक्तिवान मेरे शिव पिता की सर्वशक्तियों की अनन्त किरणें मुझ आत्मा के ऊपर पड़ रही हैं और मुझे गहन शीतलता की अनुभूति करवा रही हैं। *एक दिव्य अलौकिक आनन्द का अनुभव करते हुए, अतीन्द्रिय सुख के झूले में मैं झूल रही हूँ*।
➳ _ ➳ मेरे प्यारे पिता की सर्वशक्तियों की शक्तिशाली किरणें मेरे अंदर प्रवाहित हो कर मुझमे असीम बल भर रहीं हैं। स्वयं को मैं बहुत ही शक्तिशाली और तृप्त अनुभव कर रही हूँ। सुख, शांति के सागर अपने शिव पिता से मिल कर, उनसे शक्तियों की खुराक ले कर, असीम ऊर्जावान बन कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया में लौट रही हूँ। *अपने साकारी तन में विराजमान हो कर, अपने शिव पिता की याद को सदा अपने हृदय में बसा कर अब मैं सदा स्मृति स्वरूप रहती हूँ। बाबा का सपूत बच्चा बन, बाबा की आज्ञा अनुसार निरन्तर बाप को याद करने का बाबा ने जो फरमान दिया है उसे पूरा करने के लिए, कर्मयोगी बन, मन बुद्धि से याद की यात्रा पर चलने का पुरुषार्थ अब मैं निरन्तर कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं पुरुषार्थ को यथार्थ रीति यूज़ कर सदा आगे बढ़ने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं श्रेष्ठ पुरुषार्थी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदैव मास्टर सर्वशक्तिमान की स्मृति में रहती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सदा मालिकपन की स्मृति में रहती हूँ ।*
✺ *मैं स्मृति स्वरूप आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *मातपिता के समान पालना की विशेषता अनुभव करते हो? जो भी आत्मायें सम्बन्ध वा सम्पर्क में आवें, वे अनुभव करें कि यही श्रेष्ठ आत्मायें हमारे ‘पूर्वज' हैं। इन्हीं आत्माओं द्वारा जीवन का सच्चा प्रेम, और जीवन की उन्नति का साधन प्राप्त हो सकता है क्योंकि पालना द्वारा ही प्रेम और जीवन की उन्नति प्राप्त होती है।* पालना द्वारा आत्मा योग्य बन जाती है। छोटा सा बच्चा भी पालना द्वारा अपनी जीवन की मंजिल को पहुँचने के लिए हिम्मतवान बन जाता है। ऐसे रूहानी पालना द्वारा आत्मा निर्बल से शक्ति स्वरूप बन जाती है। अपनी मंजिल की ओर तीव्रगति से पहुंचने की हिम्मतवान बन जाती है। पालना में वह सदा प्रेम के सागर बाप द्वारा सच्चे अथाह प्रेम की अनुभूति करती है। *ऐसे राज्य सत्ता की निशानियां अपने में अनुभव करते हो?*
✺ *"ड्रिल :- मातपिता के समान पालना की विशेषता स्वयं में अनुभव करना*"
➳ _ ➳ *मैं सचेतन आत्मा अपने चेतन मन के सर्व हलचल को शांत करती हुई एकांत में बैठती हूँ...* सर्व बाहरी आकर्षणों से परे होते हुए अंतर्मुखी हो रही हूँ... मैं आत्मा इस देह को छोड़कर फरिश्ता स्वरुप धारण करती हूँ... *मैं फरिश्ता इस व्यक्त वतन से ऊपर उड़ते हुए अव्यक्त वतन में अव्यक्त बापदादा के सम्मुख बैठ जाती हूँ...*
➳ _ ➳ अव्यक्त बापदादा से निकलती इन्द्रधनुषी किरणों का तेज प्रकाश मुझ फरिश्ते पर पड़ रहा है... *मैं आत्मा सर्व गुणों के खजाने, शक्तियों के खजाने, स्वमानों के खजाने, वरदानों के खजानों से भरपूर हो रही हूँ...* मुझ आत्मा के दिव्य चक्षु खुल रहे हैं... मैं आत्मा स्मृति स्वरुप बन रही हूँ... मैं आत्मा बाप समान बन रही हूँ...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा को पूर्वजपन की स्मृति आ रही है... *मैं आत्मा ही पूर्वज हूँ... दी ग्रेट-ग्रेट ग्रैंड फादर की वंशावली हूँ... मैं फरिश्ता भी मास्टर ग्रेट-ग्रेट ग्रैंड फादर हूँ...* विश्व कल्याणकारी हूँ... मात-पिता ने जैसे मुझ आत्मा की पालना की, शिक्षा दी, सर्व खजानों से सम्पन्न बनाकर सर्व वर्से का अधिकारी बनाया... *वैसे ही अब मुझ पूर्वज आत्मा का कर्तव्य है कि अपने भाई-बहनों को भी पालना देकर योग्य बनाना...*
➳ _ ➳ *मैं फरिश्ता बापदादा के साथ विश्व ग्लोब के ऊपर बैठ जाती हूँ...* बापदादा से निकलती किरणें मुझ फरिश्ते से होती हुई पूरे विश्व की आत्माओं पर पड़ रही हैं... *अज्ञान-अंधकार में भटकती आत्माओं को सत्य ज्ञान की किरणों के प्रकाश से प्रकाशित कर रही हूँ... *मैं फरिश्ता सच्चे प्रेम के लिए भटकती आत्माओं को प्रेम की किरणों से भरपूर कर रही हूँ...* सर्व आत्माओं को प्रेम के सागर बाबा के सच्चे अथाह प्रेम की अनुभूति करा रही हूँ...
➳ _ ➳ *मैं फरिश्ता बापदादा से निकलती सुख-शांति की किरणों का दान देकर सबके दुःख-अशांति को मिटा रही हूँ...* पवित्रता की किरणों से विकारों की अपवित्रता को भस्म कर रही हूँ... *आनंद की किरणों से सर्व को जीवन के सच्चे आनंद की अनुभूति करा रही हूँ...* मैं फरिश्ता शक्तियों की किरणों से निर्बल आत्माओं को शक्ति स्वरूप बना रही हूँ... तमोप्रधान प्रकृति को सतोप्रधान बना रही हूँ...
➳ _ ➳ *मैं पूर्वज आत्मा अपने आक्युपेशन की स्मृति में रह सर्व आत्माओं की रूहानी पालना कर रही हूँ...* सबको उन्नति के मार्ग पर आगे बढा रही हूँ... अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए हिम्मतवान बना रही हूँ... *अब मैं आत्मा सदा पूर्वजपन की स्मृति में रह रहमदिल भावना से विश्व कल्याण कर रही हूँ... और मातपिता के समान पालना की विशेषता का स्वयं में अनुभव कर रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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