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❍ 23 / 05 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *चलन रॉयल रखी ?*
➢➢ *कभी भी पुरुषार्थ में दिलशिकस्त तो नहीं हुए ?*
➢➢ *कंट्रोलिंग पॉवर द्वारा एक सेकंड के पेपर में पास हुए ?*
➢➢ *वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव किया और करवाया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *साधना अर्थात् शक्तिशाली याद।* निरन्तर बाप के साथ दिल का सम्बन्ध। *सिर्फ योग में बैठ जाना यही साधना नहीं है लेकिन जैसे शरीर से बैठते हो वैसे दिल, मन और बुद्धि चारों ही एक बाप की तरफ बाप के साथ समान स्थिति में बैठ जाएं-तब कहेंगे यथार्थ साधना।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मुझे ऊँचे ते ऊँचे बाप ने सर्वश्रेष्ठ बनाया है"*
〰✧ *विश्व में जितनी भी श्रेष्ठ आत्माएं गाई जाती हैं उनसे आप कितने श्रेष्ठ हो। बाप आपका बन गया। तो आप कितने श्रेष्ठ बन गये! सर्वश्रेष्ठ हो गये।*
〰✧ *सदैव यह स्मृति में रखो - ऊंचे ते ऊंचे बाप ने सर्वश्रेष्ठ आत्मा बना दिया। दृष्टि कितनी ऊंची हो गई, वृत्ति कितनी ऊंची हो गई! सब बदल गया। अब किसी को देखेंगे तो आत्मिक दृष्टि से देखेंगे और सर्व के प्रति कल्याण की वृत्ति हो गई।*
〰✧ *ब्राह्मण जीवन अर्थात् हर आत्मा के प्रति दृष्टि और वृत्ति श्रेष्ठ बन गई।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *सूर्य की लाइट तो है, लेकिन उसके चारों ओर भी सूर्य की लाइट परछाई के रूप में फैली हुई दिखाई देती है। और लाइट में विशेष लाइट दिखाई देती है। इसी प्रकार से, *मैं आत्मा ज्योति रूप हूँ - यह तो लक्ष्य है ही। लेकिन मैं आकार में भी कार्ब में हूँ।*
〰✧ चारों ओर अपना स्वरूप लाइट ही लाइट के बीच में स्मृति में रहे और दिखाई भी दे तो ऐसा अनुभव हो। *जैसे कि आइने में देखते हो तो स्पष्ट रूप दिखाई देता है, वैसे ही नाँलेज रूपी दर्पण में, अपना यह रूप स्पष्ट दिखाई दे और अनुभव हो।*
〰✧. *चलते - फिरते और बात करते, ऐसे महसूस हो कि 'मैं लाइट - रूप हूँ, मैं फरिश्ता चल रहा हूँ।'* तो ही आप लोगों की स्मृति और स्थिति का प्रभाव औरों पर पडेगा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ साधारण आत्मा जो भी कर्म करेगी वह देह अभिमान से। *विशेष आत्मा देही अभिमानी बन कर्म करेगी। देही अभिमानी बन पार्ट बजाने वाले की रिजल्ट क्या होगी? वह स्वयं भी सन्तुष्ट और सर्व भी उनसे संतुष्ट होंगे।* जो अच्छा पार्ट बजाते तो देखने वाले वंस मोर (एक बार और) करते। *तो सर्व का संतुष्ट रहना अर्थात् वंस मोर करना। सिर्फ स्वयं से संतुष्ट रहना बड़ी बात नही लेकिन 'स्वयं सन्तुष्ट रहकर दूसरों को भी सन्तुष्ट करना' - यह है पूरा स्लोगन। वह तब हो सकता जब देही अभिमानी होकर विशेष पार्ट बजाओ।* ऐसा पार्ट बजाने में मजा आएगा, खुशी भी होगी।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- श्रीमत पर चलना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा जब परमधाम से इस सृष्टि पर आई थी तो बाबा की वरदानों से भरपूर होकर अपने सम्पन्न स्वरुप में थी... 16 कलाओं से सम्पन्न थी... फिर धीरे-धीरे माया के वश होती गई... आधे कल्प से मैं आत्मा माया के मत पर चलकर श्रापित हो गई थी...* बाबा के दिए हुए गुणों-शक्तियों को खोकर कलाविहीन हो गई थी... अब फिर बाबा आये हैं मुझे माया के श्राप से मुक्त कराने... फिर से सम्पन्न सृष्टि की मालिक बनाने... *मैं आत्मा उड़कर पहुँच जाती हूँ वतन में बाबा से श्रीमत लेने...*
❉ *दुःख देने वाले रावण की मत को छोड़ने श्रीमत देकर वर्से के लायक बनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... देह और विकारो के आकर्षण में जीवन दारुण दुखो से भर गया है... *अब ईश्वरीय मत पर चलकर इसे मीठे सुख शांति और प्रेम की बगिया बना दो... श्रीमत के साये में फूलो सा खिल जाओ... और विकारो की परछाई से मुक्त होकर, सदा के प्रकाशवान हो जाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा श्रीमत की राह पर चलकर सहजता से अपनी मजिल को पाते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मैं आत्मा ईश्वरीय प्यार में और श्रीमत के हाथो में कितनी सुखी और खुशनुमा हो गयी हूँ... देह के भान से निकल कर आत्मिक स्मृति में सज गयी हूँ...* श्रीमत ने जीवन कितना प्यारा और बेफिक्र और खुशियो से सजा दिया है..."
❉ *मीठे बाबा श्रेष्ठ मत की झंकार को मेरे जीवन में गुंजाते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *श्रीमत ही अनन्त सतयुगी सुखो का सच्चा आधार है... जितना श्रीमत पर चलेंगे... उतना ही सुखो के मखमल पर देवताई कदम धरेंगे...* संगम पर श्रीमत को मन बुद्धि दिल में समायेंगे... उतने ही मीठे सुखो की जागीर को बाँहों में पाएंगे... दुःख रहित सतयुगी राज्य में सदा के मुस्करायेंगे..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ज्ञान की रोशनी से रोशन होते हुए बाबा से कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपके प्यार को पाकर सच्चे प्रेम की बदली हो गई हूँ... *श्रीमत की सुखदायी राहो पर कदम रखकर... बेगमपुर की मालिक हो गयी हूँ... चहुँ ओर असीम सुख व्याप्त हो गया है...* और मै आत्मा आपका हाथ पकड़कर दुखो के दलदल से बाहर हो गयी हूँ..."
❉ *प्यारे बाबा अपने मखमली गोदी में बिठाकर सुखों की शहनाई बजाते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... श्रीमत के सुखदायी घेरे में रावण के दुखदायी पंजो से, सदा के सुरक्षित हो... *ईश्वर पिता की स्नेह छत्रछाया में फूलो सा महक रहे हो... सदा श्रीमत की मीठी बाँहों में झूलते रहो... ईश्वर पिता की गोद से कभी नीचे उतर, पाँव मटमैले ना करो*... तो सुखो की स्निग्धता कोमलता और खुशबु सदा बनी रहेगी... और दुःख के काँटों से परे रहेंगे..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा श्रीमत को गले लगाकर 21 जन्मों के श्रेष्ठ भाग्य को पाकर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा इस कदर मीठे भाग्य को पाऊँगी... ईश्वरीय दिल की धड़कन बन मुस्कराऊंगी... *और श्रीमत के आलिंगन में सदा प्रेम, सुख, शांति की तरंगो को पाऊँगी... मीठे बाबा ऐसा तो कभी कल्पनाओ में भी न सोचा था... आपने तो मुझे सुखो के आसमाँ पर बिठा दिया है..."*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- चलन बड़ी रॉयल रखनी है*"
➳ _ ➳ बाप समान बनने का दृढ़ संकल्प मन में धारण कर मैं मन बुद्धि के विमान पर बैठ पहुँच जाती हूँ भगवान की उस अवतरण भूमि मधुबन में जहां शिव बाबा के डायरेक्शन पर चल, सम्पूर्ण समर्पण भाव से ब्रह्मा बाप द्वारा किये हर कर्म का यादगार है।
*अपनी चलन वा दैवी गुणों से बाप का नाम बाला करने वाले अपने प्यारे ब्रह्मा बाप समान बनने का संकल्प मुझे स्वत: ही बाबा के कमरे की ओर ले कर चल पड़ता है*। मन मे अपने प्यारे मीठे शिव पिता की याद को समाये धीरे - धीरे कदम बढ़ाती हुई मैं बाबा की कमरे में प्रवेश करती हूँ। कमरे की चौखट पर पैर रखते ही मुझे ऐसा महसूस होता है जैसे अव्यक्त बापदादा "आओ बच्चे" कहकर मुझे पुकार रहें हैं।
➳ _ ➳ बाबा का "आओ बच्चे" कहकर पुकारना ही मेरे हृदय के तारों को झनझना देता हैं और बाबा के असीम प्यार का अहसास मन मे अथाह खुशी के साथ - साथ आंखों में खुशी के आंसू ले आता है। *बाबा के स्नेह में खोई एकाएक मैं अनुभव करती हूँ जैसे बापदादा मेरे पास आकर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे कमरे के अन्दर ले जा रहें हैं*। कमरे के अंदर आ कर कोने में रखे पलंग पर बापदादा बैठ जाते हैं और बड़े प्यार से मेरा हाथ पकड़ मुझे अपने पास बिठा लेते हैं। बाबा के इस असीम स्नेह को पाकर खुशी के आंसू जो मेरी आँखों से बह रहें है उन्हें बाबा एक - एक करके अपने हाथ में ले रहे है और वो प्रेम के आंसू मोती बन बाबा के गले का हार बनते जा रहें हैं।
➳ _ ➳ बाबा के हाथों में अपना हाथ देकर मैं मन ही मन बाप समान बनने का और अपनी चलन वा दैवी गुणों से बाप का नाम बाला करने का जैसे ही संकल्प करती हूँ। मैं स्पष्ट अनुभव करती हूँ कि बाबा मेरे हर संकल्प को पढ़ रहे हैं। *मेरे मन की हर बात बिना कहे बाबा समझ रहें हैं। एक बड़ी प्यारी गुह्य मुस्कराहट के साथ अब बाबा मुझे निहारते हुए, अपनी मीठी दृष्टि मुझ पर डाल कर, मेरे हर संकल्प को पूरा करने का मेरे अंदर बल भर रहें हैं*। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा की दृष्टि से, बाबा की सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर गहराई तक समाती जा रही हैं और मेरे हर संकल्प को सिद्ध करने की शक्ति मेरे अंदर भरती जा रही है। *अपना वरदानी हाथ बाबा मेरे सिर पर रख कर मुझे "संकल्प सिद्धि" का वरदान दे रहें हैं*।
➳ _ ➳ बाबा से वरदान लेकर, बाबा के सामने किये अपने हर संकल्प को दृढ़ता के साथ पूरा करने की स्वयं से और बाबा से प्रतिज्ञा करके अब मैं बाबा के कमरे से बाहर आकर हिस्ट्री हाल की तरफ चल पड़ती हूँ और *हिस्ट्री हाल की दीवारों पर लगे साकार ब्रह्मा बाबा के हर कर्म के यादगार चित्रों को बड़े ध्यान से देखती हुई, बाबा के हर कर्म को फॉलो करने का दृढ़ संकल्प कर, अब मैं स्वयं को शक्तिशाली बनाने के लिए शान्ति स्तम्भ पर आकर बैठ जाती हूँ*। अपने निराकारी स्वरूप में स्थित हो कर, अपने शिव पिता का आह्वान करते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे बाबा परमधाम से नीचे उतर आये है।
➳ _ ➳ पूरा शांति स्तम्भ बाबा की सर्वशक्तियों की छत्रछाया से आच्छादित हो गया है। बाबा की सर्वशक्तियों की मीठी - मीठी फुहारें पूरे शान्ति स्तम्भ पर बरस रही हैं। *ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे शांति स्तम्भ अथाह शक्ति का स्तम्भ बन गया है और उसके नीचे बैठते ही उन फुहारों के रूप में वो सारी शक्ति मुझ आत्मा में समाने लगी है। स्वयं को मैं बहुत ही ऊर्जावान अनुभव कर रही हूँ*। मेरे हर संकल्प को सिद्ध करने के लिये बाबा ने जैसे अपनी सारी शक्ति मेरे अंदर भर दी है। बाबा की सर्वशक्तियों से भरपूर होकर अब मैं बाबा की कुटिया में आकर अपने प्यारे बापदादा का शुक्रिया अदा करती हूँ और *बाबा के साथ अपने मन की हर बात शेयर करके वापिस अपनी कर्मभूमि पर आकर अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित होती हूँ।
➳ _ ➳ बाबा से मिली सर्वशक्तियों का बल अब मुझे अपने पुराने स्वभाव संस्कारो को मिटाने और दैवी गुणों को धारण करने की हिम्मत दे रहा है। *अपने पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारों को अब मैं सहजता से छोड़ती जा रही हूँ। मनसा, वाचा, कर्मणा स्वयं पर पूरा अटेंशन दे कर, हर कर्म में ब्रह्मा बाप को फॉलो करते हुई अब मैं अपनी चलन वा दैवी गुणों से बाप का नाम बाला करने की अपनी प्रतिज्ञा को सहज ही पूरा कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं कन्ट्रोलिंग पावर द्वारा एक सेकण्ड के पेपर में पास होने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं पास विद ऑनर आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव करती और कराती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा बचपन के खेलों को समाप्त करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा साक्षीदृष्टा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ लेकिन प्राप्त हुए जन्म सिद्ध अधिकार को वा चमकते हुए भाग्य के सितारे को
कहाँ तक आगे बढ़ाते, कितना श्रेष्ठ बनाते जाते हैं वह हरेक के पुरूषार्थ पर है।
*मिले हुए भाग्य के अधिकार को जीवन में धारण कर कर्म में लाना अर्थात् मिली हुई
बाप की प्रॉपर्टी को कमाई द्वारा बढ़ाते रहना वा खा के खत्म कर देना, वह हरेक के
ऊपर है। जन्मते ही बापदादा सबको एक जैसा श्रेष्ठ ‘भाग्यवान-भव' का वरदान कहो वा
भाग्य की प्रॉपर्टी कहो, एक जैसी ही देते हैं। सब बच्चों को एक जैसा ही टाइटल
देते हैं- ‘सिकीलधे बच्चे, लाडले बच्चे', कोई को सिकीलधे - कोई को न सिकीलधे
नहीं कहते हैं।* लेकिन प्रॉपर्टी को सम्भालना और बढ़ाना इसमें नम्बर बन जाते
हैं। ऐसे नहीं कि सेवाधारियों को 10 पदम देते और ट्रस्टियों को 2 पदम देते हैं।
सबको पदमापदमपति कहते हैं। लेकिन भाग्य रूपी खजाने को सम्भालना अर्थात् स्व में
धारण करना और भाग्य के खजाने को बढ़ाना अर्थात् मन-वाणी-कर्म द्वारा सेवा में
लगाना। इसमें नम्बर बन जाते हैं।
✺ *"ड्रिल :- बाप से मिली हुई प्रॉपर्टी को सम्भालना और कमाई द्वारा बढ़ाना।*"
➳ _ ➳ *मैं कल्याणकारी आत्मा, कल्याणकारी बाबा की संतान, कल्याणकारी संगमयुग
में, कल्याणकारी ड्रामा में, कल्याणकारी पार्ट निभा रही हूँ...* वरदानी संगमयुग
में श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींचने मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ वरदाता बाबा के
पास... बाबा के सामने बैठकर उनको निहारती हूँ... बाबा मुझे ‘सिकीलधे बच्चे,
लाडले बच्चे’ का टाइटल देकर अपने प्यार से भरपूर कर रहे हैं...
➳ _ ➳ बाबा मुझे श्रेष्ठ ‘भाग्यवान-भव' का वरदान देते हैं... *मैं आत्मा ज्ञान,
योग, धारणा, सेवा चारों ही सब्जेक्ट्स में पास विद आनर होने के लिए तीव्र
पुरुषार्थ कर रही हूँ...* मैं आत्मा बाबा के दिव्य ज्ञान को पाकर त्रिकालदर्शी
बन गई हूँ... एक बाबा के साथ योग लगाकर योग अग्नि में अपने विकारों, विकर्मों
को भस्म कर रही हूँ...
➳ _ ➳ सर्व गुणों, शक्तियों को धारण कर धारणास्वरुप बन रही हूँ... पवित्रता की
शक्ति को धारण कर कई जन्मों की अपवित्रता को खत्म कर रही हूँ... *शूद्रपने के
संस्कारों से मुक्त होकर सच्चा-सच्चा ब्राह्मण बन रही हूँ...* मैं आत्मा सारी
कमी-कमजोरियों से मुक्त होकर शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सदा बाबा की श्रीमत पर ही चलती हूँ... मिले हुए भाग्य के
अधिकार को जीवन में धारण कर कर्म में ला रही हूँ... *मैं आत्मा बाबा द्वारा
मिली हुई प्रॉपर्टी को कमाई द्वारा बढ़ाती जा रही हूँ...* और नम्बर बना रही
हूँ... सर्व के प्रति शुभ भावना-शुभ कामना रख विश्व कल्याण कर रही हूँ... सभी
को सुख, शांति, पवित्रता की शक्ति का अनुभव करवा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपना सर्वश्रेष्ठ भाग्य बनाकर औरों को भी प्रेरित कर रही
हूँ... मैं आत्मा एक का पदम गुना बढाकर पदमापदमपति होने का अनुभव कर रही हूँ...
*मैं आत्मा भाग्य रूपी खजाने को स्व में धारण कर सम्भाल रही हूँ और
मन-वाणी-कर्म द्वारा सेवा में लगाकर भाग्य के खजाने को बढ़ा भी रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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