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 23 / 09 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *घर घर में पैगाम पहुंचाने की युक्तियाँ रची ?*

 

➢➢ *विजय माला का दाना बनने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *नम्रता और ऑथरिटी के बैलेंस द्वारा बाप को प्रतक्ष्य किया ?*

 

➢➢ *साधन न होने पर साधना में विघन तो नहीं पड़ा ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *जितना जो बिजी है, उतना ही उसको बीच-बीच में यह अभ्यास करना जरूरी है, फिर सेवा में जो कभी-कभी थकावट होती है, कभी कुछ न कुछ आपस में हलचल हो जाती है, वह नहीं होगा।* एक सेकण्ड में न्यारे होने का अभ्यास होगा तो कोई भी बात हुई एक सेकण्ड में अपने अभ्यास से इन बातों से दूर हो जायेंगे। *सोचा और हुआ। युद्ध नहीं करनी पड़ेगी।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ"*

 

  डबल लाइट बनने की निशानी क्या होगी? *डबल लाइट आत्मायें सदा सहज उड़ती कला का अनुभव करती है। कभी रुकना और कभी उड़ना ऐसे नहीं।*

 

  *सदा उड़ती कला के अनुभवी ऐसी डबल लाइट आत्मायें ही डबल ताज के अधिकारी बनते हैं। डबल लाइट वाले स्वत: ही ऊँची स्थिति का अनुभव करते हैं।*

 

  *कोई भी परिस्थिति आवे, याद रखो - हम डबल लाइट हैं। बच्चे बन गये अर्थात् हल्के बन गये। कोई भी बोझ नहीं उठा सकते।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *पॉवरफुल मन की निशानी है - सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुँच जाएँ।* ऐसे पॉवरफुल हो या कभी कमजोर हो जाते हो।

 

✧  मन को जब उडना आ गया, *प्रैक्टिस हो गई तो सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुँच सकता है।*

 

✧  अभी-अभी साकार वतन में, अभीअभी परमधाम में एक सेकण्ड की रफ्तार है? *सदा अपने भाग्य के गीत बाते उडते रहो।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧ *आवाज से परे होना अर्थात् अशरीरी स्थिति का अनुभव होना।* तो शरीर के भान में आना जितना सहज है, उतना ही अशरीरी होना भी सहज है कि मेहनत करनी पड़ती है? सेकण्ड में आवाज में तो आ जाते हो लेकिन सेकण्ड में कितना भी आवाज में हो, चाहे स्वयं हो या वायुमण्डल आवाज का हो लेकिन सेकण्ड में फुल स्टॉप लगा सकते हो कि कोमा लगेगी, फुल स्टॉप नहीं? इसको कहा जाता है फरिश्ता व अव्यक्त स्थिति की अनुभूति में रहना, व्यक्त भाव से सेकण्ड में परे हो जाना। *इसके लिये ये नियम रखा हुआ है कि सारे दिन में ट्रैफिक ब्रेक का अभ्यास करो। ये क्यों करते हो? कि ऐसा अभ्यास पक्का हो जाये जो चारों ओर कितना भी आवाज का वातावरण हो लेकिन एकदम ब्रेक लग जाये।* आत्मा का आदि व अनादि लक्षण तो शान्त है, तो सेकण्ड में ऑर्डर हो कि अपने अनादि स्वरूप में स्थित हो जाओ तो हो सकते कि टाइम लगेगा?

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सबको सुखधाम का रास्ता बताना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा राज योग प्रदर्शनी में लगे चित्रों पर समझा रही हूँ... सबको सत्य पिता का परिचय दे रही हूँ... सच्चे घर का पता बता रही हूँ... इस दुःख की नगरी से सुख, शांति की नगरी में जाने का रास्ता दिखा रही हूँ... अपनी जगी हुई ज्योति से सबकी बुझी ज्योति को जगा रही हूँ...* मैं देख रही हूँ सामने बाबा के खड़े मुस्कुरा रहे हैं... हर पल मेरे साथ खड़े होकर प्यारे बाबा ही सेवा करवा रहे हैं... फिर बाबा मुझे अपनी गोदी में लेकर उड़ चलते हैं वतन में...

 

  *प्यारे बाबा मुझे अपना राईट हैण्ड बनाकर सबके जीवन को प्रकाशमय करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... अब यह खेल पूरा हुआ और घर चलने के दिन आ गए है... सबकी वानप्रस्थ अवस्था है... यह खबर हर दिल आत्मा को सुनाओ... और ईश्वरीय यादो में पवित्र बन, ईश्वर पिता के साथी बन साथ चलने का भाग्य दिलाओ... *सबको घर चलने का रास्ता बताने वाले सच्चे  सहयोगी बनो*..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा ज्ञान परी बन सबको बाप के वर्से का अधिकारी बनाते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो के प्रकाश का हाथ थाम... देह के भान और दुखो के घने जंगल से बाहर निकल गई हूँ... *आपकी यादो में निखर कर सम्पूर्ण पवित्रता से सजकर घर चलने को तैयार हो रही हूँ... और सबको घर का रास्ता बता रही हूँ..."*

 

  *ज्ञान प्रकाश से अंधियारे को मिटाकर स्वर्ग का मालिक बनने का राह उज्जवल करते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... हर साँस समय संकल्प को यादो में पिरोकर... सम्पूर्ण पवित्रता से सज संवर कर वाणी से परे अपने घर में जाना है... यह आहट हर आत्मा दिल को देते जाओ... *और ईश्वरीय यादो में सजधज कर घर चलने का खुबसूरत रास्ता सबको बताओ... विकारो के दलदल से हर आत्मा को मुक्त कराओ...."*

 

_ ➳  *शिव पिता को अपने यादों में बसाकर हर आत्मा के अरमानों को सजाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा अपने सत्य स्वरूप को पाकर... आपकी यादो में दिव्यता और शक्तियो से सम्पन्न होकर... *आपका हाथ पकड़ अपने सच्चे घर चलने को आमादा हूँ... और सबको साथी बनाकर, बाबा संग घर चलने का निमन्त्रण दे रही हूँ..."*

 

  *ज्ञान सूर्य प्यारे बाबा भटकते हुओं को राह दिखाने इस धरा पर आकर कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... धरा पर जब खेलने आये थे, कितने खुबसूरत महके फूल थे... देह के भान ने गुणहीन और शक्तिहीन बनाकर दुखो के दरिया में डुबो दिया... अब प्यारा बाबा कुम्हलाये फूलो को पुनः खिलाने आया है... प्यार और ज्ञान से पुर्नजीवन देने आया है... *यादो के समन्दर में गहरे डूबकर, अपनी खोयी रूहानियत को पा लो... और खुबसूरत पवित्र मणि बन घर चलने की तैयारी करो..."*

 

_ ➳  *अपनी मंजिल को पाकर मन मधुबन में खुशियों में नाचते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा घर से जो निकली थी... किस कदर गजब की खुबसूरत थी... *मेरे रोम रोम से पवित्रता छनकर मेरे सौंदर्य में चार चाँद लगा रही थी... देह के भान ने मेरी खूबसूरती को नष्ट कर दिया... अब मै आत्मा आपकी यादो में, अपनी खोयी पवित्रता को पाकर फिर से खिल रही हूँ..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सर्व की मुबारक प्राप्त करने के लिए विजय माला का दाना बनने का पुरुषार्थ करना है*"

 

_ ➳  अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण किये मैं फ़रिश्ता अपने शिव पिता की आज्ञानुसार, ईश्वरीय सेवा अर्थ सारे विश्व मे भ्रमण कर रहा हूँ। *भगवान की तलाश में भटक रही भक्त आत्मायें जो कि मन्दिरो में देवी देवताओं के जड़ चित्रों के सामने खड़ी होकर भगवान को पाने के लिए आराधना कर रही हैं*। केवल उनके एक दर्शन मात्र के लिए तरस रही हैं। उन भक्त आत्माओं को परमात्मा के अवतरण का संदेश देने की सूक्ष्म सेवा करने के लिए मैं फ़रिश्ता अब एक मंदिर के ऊपर पहुँचता हूँ। *मंदिर में भक्त आत्माओं द्वारा की जाने वाली अनेक गतिविधियों को मैं फ़रिश्ता देख रहा हूँ*। 

 

_ ➳  हाथ मे माला सिमरण करती भक्त आत्माओं को देख मैं फ़रिश्ता *अपने सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन के बारे में विचार करता हूँ कि इस समय संगमयुग पर, परमात्मा की श्रेष्ठ मत पर चल कर, हम ब्राह्मण बच्चो द्वारा किया हुआ हर कर्म कैसे भक्ति में पूजन और गायन योग्य बन जाता है*! ब्राह्मणों के श्रेष्ठ कर्म का यादगार माला के रूप में आज भी भक्तो द्वारा अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए सिमरण किया जा रहा है। 

 

_ ➳  यही विचार करते - करते अब मैं फ़रिश्ता ईश्वरीय सेवा के अपने कर्तव्य को स्मृति में लाकर, *मन बुद्धि का कनेक्शन अपने पिता परमात्मा के साथ जोड़, मनसा साकाश द्वारा उन आत्माओं को परमात्म परिचय देकर और उन्हें परमात्मा प्रेम का अनुभव करवा कर, दूसरे स्थान की सेवा करने अर्थ अब उस स्थान को छोड़ ऊपर की ओर उड़ चलता हूँ*। सारे विश्व की आत्माओं को अपनी श्रेष्ठ मनसा वृति द्वारा परमात्म सन्देश देता हुआ मैं फ़रिश्ता ऊपर आकाश की ओर उड़ता जा रहा हूँ। 

 

_ ➳  सूर्य, चांद, तारागणों से परे समस्त सौरमण्डल को पार कर अब मैं फ़रिश्ता श्वेत प्रकाश से प्रकाशित फ़रिशतो की एक बहुत ही प्यारी दुनिया में प्रवेश करता हूँ। अपने सम्पूर्ण फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के इस अव्यक्त वतन में, चारों और चमकते श्वेत सूक्ष्म आकारी फ़रिशतो के बीच अब मैं स्वयं को देख रहा हूँ। *सामने अव्यक्त ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में विराजमान शिव बाबा। प्रकाश की अनन्त धारायें ब्रह्मा बाबा की भृकुटि से निकल रही हैं जो बारिश की बूंदों के समान मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही हैं और मुझे शक्तिशाली बना रही हैं*। बापदादा की समस्त शक्तियों को मैं स्वयं में समाता हुआ अनुभव कर रहा हूँ।

 

_ ➳  अपनी शक्तियों का बल मुझ फ़रिश्ते में भरकर अब बाबा अपना वरदानी हाथ ऊपर उठाते हैं। बाबा के एक हाथ को मैं अपने सिर के ऊपर अनुभव कर रहा हूँ और बाबा के दूसरे हाथ में मैं एक माला देख रहा हूँ। *बाबा उस माला के ऊपर जैसे ही दृष्टि डालते है माला के हर मणके में एक अलग ब्राह्मण आत्मा का दिव्य आभा से दमकता हुआ चेहरा दिखाई देने लगता है*। उस माला में स्वयं को तलाश करती मेरी निगाहों को देख बाबा बड़ी गुह्य मुस्कराहट के साथ, उस विजयमाला में आने का पुरुषार्थ करने का मुझे संकेत देते हैं। 

 

_ ➳  बाबा के अव्यक्त इशारे को समझ, बाबा से वरदान लेकर, विजयमाला में आने के अपने लक्ष्य को पूरा करने का पुरुषार्थ करने के लिये अब मैं अपने पुरुषार्थी ब्राह्मण स्वरूप में लौट आती हूँ। *"विजयमाला में आने के लिए अथक हो सर्विस करनी है" बाबा के इस फरमान को सदैव स्मृति में रख अब मैं हर समय ऑन गॉडली सर्विस पर तत्पर रहती हूँ। ईश्वरीय यज्ञ में मिली हर सेवा को अथक हो कर करते हुए अपने इस लक्षय को पाने का पुरुषार्थ अब मैं पूरी लग्न से कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं नम्रता और अथॉरिटी के बैलेन्स द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं विशेष सेवाधारी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं आत्मा साधना में विघ्न पढ़ने से सदा मुक्त हूँ  ।*

   *समय पर कोई भी साधन न हो तो भी मैं आत्मा साधना में सदा लीन हूँ  ।*

   *मैं आत्मा साधन और साधना का बैलेंस रखती हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *आज से हर एक अपने में देखे - दूसरे का नहीं देखना। दूसरे की यह बातें देखने के लिए मन की आंख बंद करना।* यह आंखें तो बंद कर नहीं सकते नालेकिन मन की आंख बन्द करना - दूसरा करता है या तीसरा करता हैमुझे नहीं देखना है। *बाप इतना भी फोर्स देकर कहते हैं कि अगर कोई विरला महारथी भी कोई ऐसी कमजोरी करे तो भी देखने के लिए और सुनने के लिए मन को अन्तर्मुखी बनाना।*

 

 _ ➳  हंसी की बात सुनायें - बापदादा आज थोड़ा स्पष्ट सुना रहे हैंबुरा तो नहीं लगता है। अच्छा-एक और भी स्पष्ट बात सुनाते हैं। *बापदादा ने देखा है कि मैजारिटी समय प्रति समयसदा नहीं कभी-कभी महारथियों की विशेषता को कम देखते और कमजोरी को बहुत गहराई से देखते हैं और फालो करते हैं।* एक दो से वर्णन भी करते हैं कि क्या हैसबको देख लिया है। महारथी भी करते हैंहम तो हैं हीपीछे। अभी महारथी जब बदलेंगे ना तो हम बदल जायेंगे। *लेकिन महारथियों की तपस्या, महारथियों के बहुतकाल का पुरूषार्थ उन्हों को एडीशन मार्क्स दिलाकर भी पास विद आनर कर लेती है।* आप इसी इन्तजार में रहेंगे कि महारथी बदलेंगे तो हम बदलेंगे तो धोखा खा लेंगे इसलिए मन को अन्तर्मुखी बनाओ। समझा।

 

 _ ➳  यह भी बापदादा बहुत सुनते हैंदेख लिया... देख लिया। हमारी भी तो आंखे हैं नाहमारे भी तो कान हैं नाहम भी बहुत सुनते हैं। लेकिन महारथियों से इस बात में रीस नहीं करना। *अच्छाई की रेस करोबुराई की रीस नहीं करोनहीं तो धोखा खा लेंगे। बाप को तरस पड़ता है क्योंकि महारथियों का फाउन्डेशन निश्चय, अटूट-अचल है,उसकी दुआयें एक्स्ट्रा महारथियों को मिलती हैं।* इसलिए कभी भी मन की आंख को इस बात के लिए नहीं खोलना। बंद रखो। *सुनने के बजाए मन को अन्तर्मुखी रखो।* समझा।    

 

✺   *ड्रिल :-  "बुराई को देखने की मन की आँख बन्द करना"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा अपने ईश्वरीय विश्व विद्यालय में... बापदादा के चित्र के आगे बैठी हूँ... सामने प्राण प्यारे बाबा मुझे देख मन्द मन्द मुस्करा रहें हैं...* मैं आत्मा झट से बाबा के गले लग जाती हूँ... मेरे बाबा... मेरे मीठे प्यारे बाबा... कहते हुए बाबा की गोद में बैठ जाती हूँ... *आहा!!... बाबा का स्पर्श पाते ही स्वयं को जन्नत की परी... जैसा अनुभव कर रही हूँ... बाबा की यादों में खोकर मैं आत्मा रुई जैसी हल्की हो रही हूँ...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा हल्की होकर...  उड़ती हुई पहुँच जाती हूँ अपने मीठे वतन में... जहाँ शिव बाबा... कोहिनूर हीरे से भी तेज़ चमक रहें हैं... उनसे निकलता किरणों रूपी प्रकाश चारों ओर अपनी लालिमा फैला रहा है... *मैं आत्मा बाबा से निकलती दिव्य तेजस्वी किरणों को स्वयं में धारण कर रही हूँ... स्वयं को समर्थ व शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... मुझ आत्मा के आसुरी अवगुण भस्म हो रहे हैं...* अविनाशी बाबा के प्रेम में लवलीन हुई मैं आत्मा एकरस स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...

 

 _ ➳  *अब मैं आत्मा अन्तर्मुखी बन... साइलेन्स की शक्ति से स्वयं ही स्वयं की चेकिंग कर रही हूँ...* अब मुझ आत्मा में किसी की बुराई देखने का अवगुण तो नहीं है...? हरेक के पार्ट को साक्षीदृष्टा बन देख रही हूँ...? *मुझे बापदादा के शब्द याद आ रहें हैं... बदला नहीं लेना... बदल कर दिखाना है... सी नो ईविल...*अब मैं आत्मा साइलेन्स की शक्ति से किसी की बुरी बात या बुरे सम्बन्ध को... अच्छाई में परिवर्तित कर रही हूँ... साक्षीदृष्टा बन हरेक के पार्ट को देख रही हूँ...

 

 _ ➳  *अब मैं आत्मा महारथियों के पुरुषार्थ* को... उनकी विशेषताओं को... बहुत गहराई से देख रही हूँ... *उनका अमृतवेले उठना... मुरली क्लास सुनना... सुनाना... दुःखी अशांत आत्माओं को सकाश देना... उनका बहुतकाल का पुरुषार्थ... उनका बाबा पर... ड्रामा पर... अटूट निश्चय...* मैं आत्मा उनकी विशेषताओं को देख... उन्हें फॉलो कर... तीव्र पुरुषार्थी बन रही हूँ... हरेक के प्रति शुभ भावना शुभ कामना... रख रहीं हूँ...  

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा सदा अटेंशन रख... साइलेन्स की शक्ति द्वारा... अन्तर्मुखी बन... हरेक के गुणों को देख रहीं हूँ... *मैं आत्मा संकल्प शक्ति द्वारा हर एक की बुराई को देखते हुए भी उसे अच्छाई में परिवर्तित कर रही हूँ...* तीव्र पुरुषार्थी बन सदा उड़ती कला में रह अन्तर्मुखी स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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