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 24 / 09 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *कोई भी पाप का काम तो नही किया ?*

 

➢➢ *ज्ञान की धारणा कर औरों को धारण कराई ?*

 

➢➢ *स्नेह के बाण द्वार स्नेह में घायल किया ?*

 

➢➢ *सम्पूरणता द्वारा समाप्ति के समय को समीप लाये ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *अगर सेकण्ड में विदेही बनने का अभ्यास नहीं होगा तो लास्ट घड़ी भी युद्ध में ही जायेगी और जिस बात में कमजोर होंगे,* चाहे स्वभाव में, चाहे सम्बन्ध में आने में, चाहे संकल्प शक्ति में, वृत्ति में, वायुमंडल के प्रभाव में, जिस बात में कमजोर होंगे, *उसी रूप में जान बूझकर भी माया लास्ट पेपर लेगी इसीलिए विदेही बनने का अभ्यास बहुत जरूरी है।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं विशेष आत्मा हूँ"*

 

  अपने को विशेष आत्मायें समझते हो? *विशेष आत्मा विशेष कार्य के निमित्त हैं और विशेषतायें दिखानी हैं - ऐसे सदा स्मृति में रहे। विशेष स्मृति साधारण स्मृति को भी शक्तिशाली बना देती है। व्यर्थ को भी समाप्त कर देती है। तो सदा यह 'विशेष' शब्द याद रखना।*

 

  *बोलना भी विशेष, देखना भी विशेष, करना भी विशेष, सोचना भी विशेष। हर बात में यह विशेष शब्द लाने से स्वत: ही बदल जायेंगे और इसी स्मृति से स्व-परिवर्तन तथा विश्व-परिवर्तन सहज हो जायेगा।*

 

  *हर बात में विशेष शब्द ऐड करते जाना। इसी से जो सम्पूर्णता को प्राप्त करने का लक्ष्य है, मंजिल है उसको प्राप्त कर लेंगे।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  आज मुरलीधर बाप अपने मास्टर मुरलीधर बच्चों को देख रहे हैं। सभी बच्चे मुरली और मिलन के चात्रक हैं। ऐसे चात्रक सिवाए ब्राह्मण आत्माओं के और कोई हो नहीं सकता। *यह ज्ञान मुरली और परमात्म मिलन न्यारा और प्यारा है।* दुनिया की अनेक आत्मायें परमात्म मिलन की प्यासी हैं, इन्तजार में हैं।

 

✧  लेकिन आप ब्राह्मण आत्मायें दुनिया के कोन में गुप्त रूप में अपना श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त कर रहे हो क्योंकि *दिव्य बाप को जानने अथवा देखने के लिए दिव्य बुद्धि और दिव्य दृष्टि चाहिए जो बाप ने आप विशेष आत्माओं को दी है* इसलिए आप ब्राह्मण ही जान सकते और मिलन माना सकते हो।

 

✧  दुनिया वाले तो पुकारते रहते - *एक बूंद के प्यासे हम'* और आप क्या कहते हो - *हम वर्से के अधिकारी हैं*, कितना अन्तर है - कहाँ प्यासी और कहाँ अधिकारी: अभी भी सभी अधिकारी बनकर अधिकार से आकर पहुँचे हो। दिल में यह नशा है कि *हम अपने बाप के घर में अथवा अपने घर में आये हो।* ऐसे नहीं कहेंगे कि हम आश्रम में आये हैं। अपने घर में आये हैं - ऐसे समझते हो ना?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧ इसीलिए अलबेले मत बनना, रिवाइज करो। बार-बार रिवाइज करो। क्यों भूल जाते हो? *जब कोई काम शुरू करते हो ना तो बहुत अच्छा सोचते हो - मैं आत्मा हूँ, मैं आत्मा हूँ, ये भी आत्मा है, आत्मा शरीर से ये काम करा रही है, शुरू ऐसे करते हो। लेकिन काम करते-करते आत्मा मर्ज हो जाती है।* आप जो काम करते हो, उसमें हाथ तो चलता ही है लेकिन मन-बुद्धि सहित अपने को बिजी कर देते हो। *भल बॉडी-कान्सेज कम होते हो लेकिन एक्शन कॉन्सेज ज्यादा हो जाते हो।* फिर कहते हो बाबा मेरे से कुछ गलती नहीं हुई, मैंने किसको कुछ नहीं कहा, *लेकिन बापदादा कहते हैं कि मानो आप बॉडी कान्सेस नहीं हो, एक्शन कान्सेस हो और उसी समय कुछ हो जाये तो रिजल्ट क्या होगी? सोल कान्सेज जितना तो नहीं मिलेगा। तो इसकी विधि है बार-बार रिवाइज करो, बार-बार चेक करो।* जब काम पूरा होता है फिर आप सोचते हो, लेकिन नहीं, जब तक नेचरल सोल कान्सेज हो जाओ तब तक ये सहज विधि है बार-बार रिवाइज करना। *रिवाइज करेंगे तो जो पीछे सोचना पड़ता है वो नहीं होगा।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  दैवीगुण धारण करना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा कस्तूरी मृग समान इस मायावी जंगल में भटक रही थी... सच्ची सुख, शांति के लिए कहाँ-कहाँ भाग रही थी... अपने निज स्वरुप को भूल, निज गुणों को भूल, आसुरी अवगुणों को धारण कर दुखी हो गई थी... रावण के विकारों की लंका में जल रही थी... परमधाम से प्रकाश का ज्योतिपुंज इस धरा पर आकर मुझ आत्मा की बुझी ज्योति को जगाया...* दैवीय गुणों की सुगंध से मेरे मन की मृगतृष्णा को शांत किया... मैं आत्मा इस देह से न्यारी होती हुई उस ज्योतिपुंज मेरे प्यारे बाबा के पास पहुँच जाती हूँ...

 

  *प्यारे बाबा ज्ञान के प्रकाश से मेरी आभा को प्रकाशित करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय यादे ही विकारो से मुक्त कराएंगी... मीठे बाबा की मीठी यादे ही सच्चे सुख दामन में सजायेंगी... *यह यादे ही आनन्द का दरिया जीवन में बहायेंगी... और दैवी गुणो की धारणा सुखो भरे स्वर्ग को कदमो में उतार लाएंगी..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा पद्मापदम् भाग्यशाली अनुभव करती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में सच्चे सुख दैवी गुणो के श्रृंगार से सज कर निखरती जा रही हूँ... *साधारण मनुष्य से सुंदर देवता का भाग्य पा रही हूँ... और विकारो से मुक्त हो रही हूँ..."*

 

  *मीठा बाबा आसुरी अवगुणों के आवरण को हटाकर दैवीय गुणों से भरपूर करते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... देह के भान में आकर विकारो के दलदल में गहरे धँस गए थे... अब ईश्वरीय यादो से दुखो की कालिमा से सदा के लिए मुक्त हो जाओ... *दैवी गुणो को जाग्रत कर सुंदर देवताई स्वरूप से सज जाओ... और यादो से अथाह सुख और आनंद की दुनिया को गले लगाओ..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा परमात्म आनंद के झूले में झूलती हुई कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय यादे ही सच्चे सुखो का आधार है... *यह रोम रोम में बसाकर देवताई गुणो से भरती जा रही हूँ... देह के भान से निकल कर ईश्वरीय यादो में महक रही हूँ...* और उज्ज्वल भविष्य को पाती जा रही हूँ..."

 

  *मेरे बाबा मेरा दिव्य श्रृंगार कर पावन बनाते हुए कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... विकारो रुपी रावण ने सच्चे सुखो को ही छीन लिया और दुखो के गर्त में पहुंचाकर शक्तिहीन किया है... *अब अपनी देवताई सुंदरता को पुनः ईश्वरीय यादो से पाकर... दैवी गुणो की खूबसूरती से दमक उठो... यह दैवी गुण ही स्वर्ग के सच्चे सुखो का आधार है..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा दैवीय गुणों से सज धज कर खूबसूरत परी बनकर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा सच्चे ज्ञान को पाकर देवताई गुण स्वयं में भरने की शक्ति... मीठे बाबा की यादो से पाती जा रही हूँ...* और विकारो से मुक्त होकर अपने सुन्दरतम स्वरूप को पा रही हूँ... अपनी खोयी चमक को पुनः पा रही हूँ..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अच्छी मार्क्स के लिए कोई भी कर्म याद में रहकर करना है*"

 

_ ➳  अपने रूहानी पिता द्वारा सिखाई रूहानी यात्रा पर चलने के लिए मैं स्वयं को आत्मिक स्मृति में स्थित करती हूँ और रूह बन चल पड़ती हूँ अपने रूहानी बाप के पास उनकी सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर करने के लिये। *अपने रूहानी शिव पिता के अनन्त प्रकाशमय स्वरूप को अपने सामने लाकर, मन बुद्धि रूपी नेत्रों से उनके अनुपम स्वरूप को निहारती, उनके प्रेम के रंग में रंगी मैं आत्मा जल्दी से जल्दी उनके पास पहुँच जाना चाहती हूँ* और जाकर उनके प्रेम की गहराई में डूब जाना चाहती हूँ। मेरे रूहानी पिता का प्यार मुझे अपनी ओर खींच रहा है और मैं अति तीव्र गति से ऊपर की ओर उड़ती जा रही हूँ।

 

_ ➳  सांसारिक दुनिया की हर वस्तु के आकर्षण से मुक्त, एक की लगन में मग्न, एक असीम आनन्दमयी स्थिति में स्थित मैं आत्मा *अब ऊपर की और उड़ते हुए आकाश को पार करती हूँ और उससे भी ऊपर अंतरिक्ष से परें सूक्ष्म लोक को भी पार कर उससे और ऊपर, अपनी मंजिल अर्थात अपने रूहानी शिव पिता की निराकारी दुनिया मे प्रवेश कर अपनी रूहानी यात्रा को समाप्त करती हूँ*। लाल प्रकाश से प्रकाशित, चैतन्य सितारों की जगमग से सजी, रूहों की इस निराकारी दुनिया स्वीट साइलेन्स होम में पहुँच कर मैं आत्मा एक गहन मीठी शांति का अनुभव कर रही हूँ।

 

_ ➳  अपने रूहानी बाप से रूहानी मिलन मनाकर मैं आत्मा असीम तृप्ति का अनुभव कर रही हूँ। बड़े प्यार से अपने पिता के अति सुंदर मनमोहक स्वरूप को निहारते हुए मैं धीरे - धीरे उनके समीप जा रही हूँ। *स्वयं को मैं अब अपने पिता की सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों के आगोश में समाया हुआ अनुभव कर रही हूँ*। ऐसा लग रहा है जैसे मैं बाबा में समाकर बाबा का ही रूप बन गई हूँ। यह समीपता मेरे अंदर मेरे रूहानी पिता की सर्वशक्तियों का बल भरकर मुझे असीम शक्तिशाली बना रही है। *स्वयं को मैं सर्वशक्तियों का एक शक्तिशाली पुंज अनुभव कर रही हूँ*।

 

_ ➳  अपनी रूहानी यात्रा का प्रतिफल अथाह शक्ति और असीम आनन्द के रूप में प्राप्त कर अब *मैं इस रूहानी यात्रा का मुख वापिस साकारी दुनिया की और मोड़ती हूँ और शक्तिशाली रूह बन, शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करने के लिए वापिस अपने साकार शरीर मे लौट आती हूँ*। किन्तु अपने रूहानी पिता के साथ मनाये रूहानी मिलन का सुखद अहसास अब भी मुझे उसी सुखमय स्थिति की अनुभूति करवा रहा है। *बाबा के निस्वार्थ प्रेम और स्नेह का माधुर्य मुझे बाबा की शिक्षाओं को जीवन मे धारण करने की शक्ति दे रहा है*।

 

_ ➳  अपने ब्राह्मण जीवन में हर कदम श्रीमत प्रमाण चलते हुए, बुद्धि से सम्पूर्ण समर्पण भाव को धारण कर, कर्मेन्द्रियों से हर कर्म करते बुद्धि को अब मैं केवल अपने शिव पिता पर ही एकाग्र रखती हूँ। *साकार सृष्टि पर, ड्रामा अनुसार अपना पार्ट बजाते, शरीर निर्वाह अर्थ हर कर्म करते, साकारी सो आकारी सो निराकारी इन तीन स्वरूपो की ड्रिल हर समय करते हुए, अब मैं मन को अथाह सुख और शांति का अनुभव करवाने वाली मन बुद्धि की इसी रूहानी यात्रा पर ही सदैव रहती हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं स्नेह के बाण द्वारा स्नेह में घायल करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं स्नेह और प्राप्ति सम्पन्न आत्मा हूँ।*

   *मैं लवलीन आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं संपूर्ण आत्मा हूँ  ।*

   *मैं आत्मा संपूर्णता द्वारा समाप्ति के समय को समीप लाती हूँ  ।*

   *मैं अव्यक्त फरिश्ता हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  आज भाग्य विधाता बाप अपने श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चे के भाग्य की रेखायें देखदेख भाग्य विधाता बाप भी हर्षित होते हैं क्योंकि सारे कल्प में चक्र लगाओ तो आप जैसा श्रेष्ठ भाग्य किसी धर्म आत्मा, महान आत्माराज्य अधिकारी आत्माकिसी का भी इतना बड़ा भाग्य नहीं हैजितना आप संगमयुगी श्रेष्ठ आत्माओं का है। मस्तक से अपने भाग्य की रेखाओं को देखते होबापदादा हर एक बच्चों के मस्तक में चमकती हुई ज्योति की श्रेष्ठ रेखा देख रहे हैं। आप सभी भी अपनी रेखायें देख रहे हो? *नयनों में देखो तो स्नेह और शक्ति की रेखायें स्पष्ट हैं। मुख में देखो मधुर श्रेष्ठ वाणी की रेखायें चमक रही हैं। होठों पर देखो रूहानी मुस्कानरूहानी खुशी की झलक की रेखा दिखाई दे रही है। हृदय में देखो वा दिल में देखो तो दिलाराम के लव में लवलीन रहने की रेखा स्पष्ट है। हाथों में देखो दोनों ही हाथ सर्व खजानों से सम्पन्न होने की रेखा देखो, पांवों में देखो हर कदम में पदम की प्राप्ति की रेखा स्पष्ट है।* कितना बड़ा भाग्य है!     

 

✺   *ड्रिल :-  "अपने श्रेष्ठ भाग्य की रेखाओं को देख श्रेष्ठ भाग्यवान होने का अनुभव करना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा बाबा की याद में बैठी हूँ इस शरीर के भान से मुक्त हो, अपने चारों ओर के वातावरण से, देह के संबंधों से स्वयं को बुद्धि से मुक्त कर बाबा की याद में खो जाती हूँ... *और इस देह के बंधन को छोड़, इस साकारी दुनिया को छोड़ बाबा के पास उड़ जाती हूँ...* बाबा को देखते ही मेरे नयनों में प्रेम के आँसू छलक आते हैं और अपने भाग्य पर नाज़ होता है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा कितनी भाग्यशाली हूँ जो लाखों करोड़ों आत्माओं में से बाबा ने मुझे चुना है... मेरा भटकना बंद हो गया... *ये  संसार की आत्माएं आपको पाने के लिए कितने प्रयत्न करती हैं कितने जप तप तीर्थ व्रत करती हैं परंतु फिर भी आपको पा नहीं पाती और मेरा कितना श्रेष्ठ भाग्य आप भाग्य विधाता बाप ने बना दिया है...*

 

 _ ➳  इस संसार में मुझ जैसा श्रेष्ठ भाग्य किसी का भी नहीं है  *चाहे कोई धर्म आत्मा हो, महान आत्मा हो, राज्य अधिकारी आत्मा हो किसी का भी भाग्य इतना बड़ा इतना महान नहीं है...* ये सारी दुनिया कलियुग में जी रही है दुख भोग रही है और मैं आत्मा इस संगमयुग की श्रेष्ठ प्राप्तियों के झूले में झूल रही हूँ...

 

 _ ➳  मेरे प्यारे बाबा ने श्रेष्ठ भाग्य लिखने की कलम मुझे दे दी है मैं जैसा चाहूँ अपना भाग्य लिख सकती हूँ... *मेरे नयनों से स्नेह और रूहानियत झलकती है... मेरा मुख मधुर वाणी बोलता है और होठों पर रूहानी मुस्कान रहती है जिसे देख अन्य आत्माएं भी सोचती हैं कि इन्हें ज़रूर कुछ मिला है और इस रूहानी प्रेम का अनुभव करने के लिए मेरी ओर खिंची चली आती हैं...* मैं आत्मा उन आत्माओं को भी रूहानी दृष्टि से प्रेम के वाइब्रेशन दे उनके मन को भी ररूहानियत से भर देती हूँ...

 

 _ ➳  *मेरा हृदय दिलाराम बाप के लव में लवलीन है... मैं आत्मा बाप द्वारा दिये सर्व ख़ज़ानों से सम्पन्न हूँ...* मेरे बाबा विकारों के बदले मुझे अमूल्य रत्नों से भरपूर कर रहे हैं... मेरे हर कदम में पदम समाया हुआ है... मैं इस संसार की सबसे भाग्यशाली आत्मा हूँ... *मेरे भाग्य की रेखा को देख मेरे बाबा भी हर्षित होते हैं...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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