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❍ 26 / 10 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *"हम 21 जन्मो के लिए बेहद बाबा के वारिस बने हैं" - सदा इसी ख़ुशी में रहे ?*
➢➢ *बाप जो श्रेत्श कर्म सिखला रहे है, वही कर्म किये ?*
➢➢ *मनसा पर फुल अटेंशन दे चढ़ती कला का अनुभव किया ?*
➢➢ *कर्म में योग का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *अन्त:वाहक स्थिति अर्थात् कर्मबन्धन मुक्त कर्मातीत स्थिति का वाहन अर्थात् अन्तिम वाहन, जिस द्वारा ही सेकण्ड में साथ में उड़ेंगे।* इसके लिए सर्व हदों से पार बेहद स्वरूप में, बेहद के सेवाधारी, सर्व हदों के ऊपर विजय प्राप्त करने वाले विजयी रत्न बनो तब ही अन्तिम कर्मातीत स्वरूप के अनुभवी स्वरूप बनेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ"*
〰✧ स्वयं को स्वराज्य अधिकारी, राजयोगी श्रेष्ठ आत्मायें अनुभव करते हो? स्वराज्य मिला है वा मिलना है? स्वराज्य अधिकारी अर्थात् राजयोगी आत्मा सदा ही स्वराज्य की अधिकारी होने के कारण शक्तिशाली है। राजा अर्थात् शक्तिशाली। अगर राजा हो और निर्बल हो, तो शक्तिहीन को राजा कौन मानेगा? प्रजा उनके ऊपर और ही राज्य करेगी। *तो स्वराज्य अधिकारी अर्थात् सदा शक्तिशाली आत्मा ही कर्मेन्द्रियों पर अर्थात् अपने कर्मचारियों के ऊपर राज्य कर सकती है, जैसे चाहे चला सकती है। नहीं तो प्रजा, राजा को चलायेगी। प्रजा, राजा को चलाये तो प्रजा ही राजा हो गई ना।*
〰✧ नियम प्रमाण राजा, प्रजा को चलाता है। अगर प्रजा का राज्य है तो राजा नहीं कहेंगे, प्रजा का प्रजा पर राज्य कहेंगे। किन्तु बाप आकर राजयोगी बनाता है, प्रजा का प्रजा पर राज्य नहीं सिखाता है। तो सभी राज्य अधिकारी हो ना? कभी अधीन, कभी अधिकारी - ऐसे तो नहीं? *सदा अधिकारी, एक भी कर्मेन्द्रिय धोखा न दे। इसको कहते हैं - 'राजयोगी वा राज्य अधिकारी'। तो सदा इस स्वमान में स्थित रहो कि हम अधिकारी हैं, अधीन होने वाले नहीं! यह है ईश्वरीय नशा।* यह नशा सदा रहता है या कभी-कभी? कभी है, कभी नहीं - ऐसा न हो।
〰✧ क्योंकि अभी के संस्कार अनेक जन्म चलेंगे। अगर अभी के संस्कार सदा के नहीं हैं, कभी-कभी के हैं, तो अनेक जन्म में भी कभी-कभी राज्य अधिकारी बनेंगे। सदा राज्य अधिकारी अर्थात् रॉयल फैमिली के नजदीक रहने वाले। तो संस्कार भरने का समय अभी है, जैसा भरेंगे वैसा चलता रहेगा। तो अटेन्शन किस समय देना होता? जब रिकार्ड भरते वा टेप भरते हैं। तो अटेन्शन भरने के समय देते हैं। *चलने के समय तो चलता ही रहेगा लेकिन भरने के समय जैसा भरेंगे वैसे चलता रहेगा। तो भरने का समय अभी है। अभी नहीं तो कभी नहीं। फिर अटेन्शन देना चाहो तो भी नहीं दे सकेगे क्योंकि भरने का समय समाप्त हो जायेगा। फिर जो भरा वह चलता रहेगा।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि कई बच्चे परखने में बहुत होशियार होते हैं। कोई भी गलती होती है, जो नीति प्रमाण नहीं है, तो समझते हैं कि यह नहीं करना चाहिए, यह सत्य नहीं है, यथार्थ नहीं है, अयथार्थ है, व्यर्थ है। *लेकिन समझते हुए फिर भी करते रहते या कर लेते।*
〰✧ तो इसको क्या कहेंगे? कौन-सी पॉवर की कमी है? *कन्ट्रोलिंग पॉवर नहीं।* जैसे आजकल कार चलाते हैं, देख भी रहे हैं कि एक्सीडेन्ट होने की सम्भावना है, ब्रेक लगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन ब्रेक लगे ही नहीं तो जरूर एक्सीडेन्ट होगा ना।
〰✧ ब्रेक है लेकिन पॉवरफुल नहीं है और यहाँ के बजाए वहाँ लग गई, तो भी क्या होगा? इतना समय तो परवश होगा ना चाहते हुए भी कर नहीं पाते। *ब्रेक लगा नहीं सकते या ब्रेक पॉवरफुल न होने के कारण ठीक लग नहीं सकती। तो यह चेक करो।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ आप ग्रेट-ग्रेट-ग्रैण्ड फादर के बच्चे हैं, आपके ही सभी बिरादरी हैं, शाखायें हैं, परिवार है, आप ही भक्तों के इष्टदेव हो, यह नशा है कि हम ही इष्टदेव हैं? तो भक्त चिल्ला रहे हैं, आप सुन रहे हो! *वह पुकार रहे हैं- हे इष्ट देव, आप सिर्फ सुन रहे हो, रेसपाण्ड नहीं करते हो उन्हों को? तो बापदादा कहते हैं हे भक्तों के इष्ट देव अभी पुकार सुनो, रेसपाण्ड दो, सिर्फ सुनो नहीं। तो क्या रेसपाण्ड देगे? परिवर्तन का वायुमण्डल बनाओ।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- भरत को स्वर्ग बनाने की सेवा करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा राज योग प्रदर्शनी में लगे चित्रों पर समझा रही हूँ... सबको सत्य पिता का परिचय दे रही हूँ... सच्चे घर का पता बता रही हूँ... इस दुःख की नगरी से सुख, शांति की नगरी में जाने का रास्ता दिखा रही हूँ... अपनी जगी हुई ज्योति से सबकी बुझी ज्योति को जगा रही हूँ...* मैं देख रही हूँ सामने बाबा के खड़े मुस्कुरा रहे हैं... हर पल मेरे साथ खड़े होकर प्यारे बाबा ही सेवा करवा रहे हैं... फिर बाबा मुझे अपनी गोदी में लेकर उड़ चलते हैं वतन में...
❉ *प्यारे बाबा मुझे अपना राईट हैण्ड बनाकर सबके जीवन को प्रकाशमय करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... अब यह खेल पूरा हुआ और घर चलने के दिन आ गए है... सबकी वानप्रस्थ अवस्था है... यह खबर हर दिल आत्मा को सुनाओ... और ईश्वरीय यादो में पवित्र बन, ईश्वर पिता के साथी बन साथ चलने का भाग्य दिलाओ... *सबको घर चलने का रास्ता बताने वाले सच्चे सहयोगी बनो*..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ज्ञान परी बन सबको बाप के वर्से का अधिकारी बनाते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो के प्रकाश का हाथ थाम... देह के भान और दुखो के घने जंगल से बाहर निकल गई हूँ... *आपकी यादो में निखर कर सम्पूर्ण पवित्रता से सजकर घर चलने को तैयार हो रही हूँ... और सबको घर का रास्ता बता रही हूँ..."*
❉ *ज्ञान प्रकाश से अंधियारे को मिटाकर स्वर्ग का मालिक बनने का राह उज्जवल करते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... हर साँस समय संकल्प को यादो में पिरोकर... सम्पूर्ण पवित्रता से सज संवर कर वाणी से परे अपने घर में जाना है... यह आहट हर आत्मा दिल को देते जाओ... *और ईश्वरीय यादो में सजधज कर घर चलने का खुबसूरत रास्ता सबको बताओ... विकारो के दलदल से हर आत्मा को मुक्त कराओ...."*
➳ _ ➳ *शिव पिता को अपने यादों में बसाकर हर आत्मा के अरमानों को सजाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा अपने सत्य स्वरूप को पाकर... आपकी यादो में दिव्यता और शक्तियो से सम्पन्न होकर... *आपका हाथ पकड़ अपने सच्चे घर चलने को आमादा हूँ... और सबको साथी बनाकर, बाबा संग घर चलने का निमन्त्रण दे रही हूँ..."*
❉ *ज्ञान सूर्य प्यारे बाबा भटकते हुओं को राह दिखाने इस धरा पर आकर कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... धरा पर जब खेलने आये थे, कितने खुबसूरत महके फूल थे... देह के भान ने गुणहीन और शक्तिहीन बनाकर दुखो के दरिया में डुबो दिया... अब प्यारा बाबा कुम्हलाये फूलो को पुनः खिलाने आया है... प्यार और ज्ञान से पुर्नजीवन देने आया है... *यादो के समन्दर में गहरे डूबकर, अपनी खोयी रूहानियत को पा लो... और खुबसूरत पवित्र मणि बन घर चलने की तैयारी करो..."*
➳ _ ➳ *अपनी मंजिल को पाकर मन मधुबन में खुशियों में नाचते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा घर से जो निकली थी... किस कदर गजब की खुबसूरत थी... *मेरे रोम रोम से पवित्रता छनकर मेरे सौंदर्य में चार चाँद लगा रही थी... देह के भान ने मेरी खूबसूरती को नष्ट कर दिया... अब मै आत्मा आपकी यादो में, अपनी खोयी पवित्रता को पाकर फिर से खिल रही हूँ..."*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- श्रीमत लेते रहना है*
➳ _ ➳ मन बुद्धि का कनेक्शन अपने शिव पिता के साथ जुड़ते ही इस नश्वर भौतिक जगत से कनेक्शन टूटने लगता है और मन मगन हो जाता है प्रभु प्यार में। *मन को सुकून देने वाली मीठे बाबा की मीठी याद में मैं जैसे खो जाती हूँ और प्रभु यादों की डोली में बैठ उड़ कर पहुँच जाती हूँ उस खूबसूरत लाल प्रकाश की दुनिया में जहाँ मेरे मीठे बाबा रहते हैं*। देह, देह की दुनिया से बहुत दूर आत्माओं की इस निराकारी दुनिया में निराकार अपने शिव पिता को अनन्त प्रकाश के एक ज्योतिपुंज के रूप में मैं देख रही हूँ। मन को तृप्ति प्रदान करने वाला उनका अति मनमोहक प्रकाशमय स्वरूप मुझे अपनी ओर खींच रहा है। उनके आकर्षण में बंधी मैं आत्मा एक चमकती हुई ज्योति अब धीरे धीरे उस महाज्योति के पास जा रही हूँ।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे मेरे मन और बुद्धि की तार उस महाज्योति के साथ जुड़ी हुई है और उस तार में बिजली के तार की भांति एक तेज करेन्ट निकल रहा है जो मेरे शिव पिता से सीधा मुझ बिंदु आत्मा के साथ कनेक्ट हो रहा है और अपनी सारी शक्तियों का प्रवाह मेरे अंदर प्रवाहित करता जा रहा है। *ये सर्व शक्तियाँ मुझ आत्मा में समाकर मेरे अंदर अनन्त शक्ति का संचार कर रही है और मुझे शक्तिशाली बनाने के साथ - साथ ये शक्तियाँ मुझे छू कर अनन्त फ़ुहारों के रूप में चारों और फैल रही हैं और मेरे ऊपर बरस कर मुझे गहन शीतलता का अनुभव करवा रही हैं*। ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे शक्तियों का कोई सतरँगी फव्वारा मेरे ऊपर चल रहा है और अपनी मीठी - मीठी, हल्की - हल्की फ़ुहारों से मेरे अन्तर्मन की सारी मैल को धोकर साफ कर रहा है।
➳ _ ➳ एक बहुत ही प्यारी लाइट माइट स्थिति का मैं अनुभव कर रही हूँ। हर बोझ, हर बन्धन से मुक्त यह लाइट स्थिति मुझे परम आनन्द प्रदान कर रही है। अतीन्द्रीय सुख के सुखदाई झूले में मैं आत्मा झूल रही हूँ। *परम आनन्द की गहन अनुभूति करते - करते अब मैं बिंदु आत्मा सम्पूर्ण समर्पण भाव से अपने महाज्योति शिव पिता की किरणों रूपी बाहों में समाकर उनके और भी समीप पहुँच गई हूँ। समर्पणता के उस अंतिम छोर पर मैं स्वयं को देख रही हूँ जहाँ दोनों बिंदु एक दिखाई दे रहे हैं*। यह अवस्था मुझे बाबा के समान सम्पूर्ण स्थिति का अनुभव करवा रही है। अपनी इस सम्पूर्ण स्थिति में मैं स्वयं को सर्व गुणों और सर्वशक्तियों के मास्टर सागर के रूप में देख रही हूँ। अपने इस सम्पूर्ण स्वरूप के साथ मैं आत्मा परमधाम से नीचे आकर सूक्ष्म वतन में प्रवेश कर जाती हूँ।
➳ _ ➳ दिव्य प्रकाश की काया वाले फरिश्तो के इस अव्यक्त वतन में अपने सम्पूर्ण फ़रिश्ता स्वरूप को धारण कर, अव्यक्त बापदादा के सामने मैं उपस्थित होती हूँ और अपने अव्यक्त स्वरूप में स्थित होकर, बाहें पसारे खड़े अव्यक्त बापदादा की बाहों में समाकर, उनके प्रेम से स्वयं को भरपूर करके उनके सम्मुख बैठ जाती हूँ। *अपनी मीठी दृष्टि और मधुर मुस्कान के साथ बाबा मुझे निहारते हुए अपनी लाइट और माइट मुझ फ़रिश्ते में प्रवाहित करते जा रहें हैं*। बाबा की शक्तिशाली दृष्टि मेरे अंदर एक अनोखी शक्ति का संचार कर रही है और मुझे बाबा की श्रीमत पर चलने और उनके हर फरमान का पालन करने की प्रेरणा दे रही है।
➳ _ ➳ बाबा से दृष्टि लेते हुए मैं मन ही मन सदा बाबा की श्रीमत पर चलने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ और अपने निराकारी बिंदु स्वरूप में स्थित होकर अब उस प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए वापिस अपनी कर्मभूमि पर लौट आती हूँ। *कर्म करने के लिए जो शरीर रूपी रथ मुझ आत्मा को मिला हुआ है उस शरीर रूपी रथ पर पुनः विराजमान होकर मैं आत्मा अब फिर से सृष्टि रंगमंच पर अपना पार्ट बजा रही हूँ*। शरीर का आधार लेकर हर कर्म करते हुए अब बुद्धि का कनेक्शन केवल अपने शिव पिता के साथ निरन्तर जोड़ कर, उनकी जो श्रीमत मिलती है उसे राइट समझ उस पर चलने का पूरा पुरुषार्थ अब मैं कर रही हूँ और अपने प्यारे पिता के साथ अपने सँगमयुगी ब्राह्मण जीवन का भरपूर आनन्द ले रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं मनसा पर फुल अटेंशन देने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं चढ़ती कला की अनुभवी आत्मा हूँ।*
✺ *मैं विश्व परिवर्तक आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा कर्म में सदा योग का अनुभव करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा कर्मयोगी हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा हर कर्म को सदा श्रेष्ठ बनाती हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ ब्राह्मणों का काम क्या है? योग लगाना भी क्या है? मेहनत है क्या? योग का अर्थ ही है आत्मा और परमात्मा का मिलन। तो *मिलन में क्या होता है? खुशी में नाचते हैं। बाप की महिमा के मीठे-मीठे गीत दिल आटोमेटिक गाती है। ब्राह्मणों का काम ही यह है, गाते रहो और नाचते रहो।* यह मुश्किल है? नाचना गाना मुश्किल है? नहीं है ना। जिसको मुश्किल लगता है वह हाथ उठाओ। आजकल तो नाचने गाने की सीजन है, तो आपको भी क्या करना है? नाचो, गाओ। सहज है ना? सहज है तो काँध तो हिलाओ। मुश्किल तो नहीं है ना?
➳ _ ➳ जान-बूझ कर सहज से हटकर मुश्किल में चले जाते हो। मुश्किल है नहीं, बहुत सहज है क्योंकि बाप जानते हैं कि आधाकल्प मुश्किल की जीवन व्यतीत की है इसलिए इस समय सहज है। मुश्किल वाला कोई है? कभी-कभी मुश्किल लगता है? जैसे कोई चलते- चलते रास्ता भूलकर और रास्ते में चला जाए तो मुश्किल लगेगा ना। ज्ञान का मार्ग मुश्किल नहीं है। ब्राह्मण जीवन मुश्किल नहीं है! *ब्राह्मण के बजाए क्षत्रिय बन जाते हो तो क्षत्रिय का काम ही होता है लड़ना, झगड़ना... वह तो मुश्किल ही होगा ना! युद्ध करना तो मुश्किल होता है, मौज मनाना सहज होता है।*
✺ *ड्रिल :- "ब्राह्मण जीवन में नाचते, गाते रह सहज मौज मनाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा *झील के किनारे बैठ सूर्योदय के सुंदर नजारे का आनंद ले रही हूँ*... पानी की कल-कल ध्वनि... समूचे वातावरण में गुंजायमान हो रही है... पक्षियों का कलरव सर्वत्र मधुर संगीत घोल रहा है... मैं आत्मा उगते हुए सूर्य को देख रही हूँ... उगते हुए सूर्य की अरुणिमा से जैसे प्रकृति भी सुनहरी लाल चादर ओढ़ी हुई प्रतीत हो रही है... *प्रकृति की इस सुंदर छवि को देख मेरा मन आनंद विभोर हो रहा है*...
➳ _ ➳ सहसा वह गीत याद आ जाता है- 'जिसकी रचना इतनी सुंदर वह कितना सुंदर होगा...' इस स्मृति मात्र से ही *मन दर्पण में प्यारे शिवबाबा का सुंदर सलोना रूप छा जाता है... अपने प्रियतम की इस मोहिनी मूरत को निहारते-निहारते... मैं अपने बाबा को अपने बिल्कुल समीप ही देख रही हूँ*... मीठे बाबा अपनी स्नेह भरी दृष्टि से मुझे भरपूर कर रहे हैं... मेरा मन ईश्वरीय प्यार के झरने में भीगता जा रहा है... मेरे रोम-रोम से 'मेरा मीठा बाबा, मेरा प्यारा बाबा' का अनहद नाद सा गूँज रहा है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा मीठे बाबा से मिलन मना कर अति आनंदित हो रही हूँ... *मुख से वाह वाह के ही बोल निकल रहे हैं... कितना सुंदर है मेरा यह ब्राह्मण जीवन... मैं आत्मा बाबा के स्नेह में, अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूल रही हूँ*... परमात्मा की मोहब्बत में लीन होकर मैं हर प्रकार की मेहनत से मुक्त हो रही हूँ... योग लगाना नहीं पड़ता, मेहनत करनी नहीं पड़ती मेरा मन, मिलन के असीम सुख का अनुभव करने के लिए... स्वत: ही बाबा की मधुर स्मृतियों में समाया रहता है...
➳ _ ➳ परमात्मा से मिलन मनाते हुए मन मयूर खुशी में नाच रहा है... इस स्नेह में डूबकर आत्मा बाबा की महिमा के मीठे-मीठे गीत गुनगुना रही है... मेरे मीठे बाबा ने मुझे हर मेहनत से छुड़ा दिया है... अब मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य के और प्यारे बाबा की महिमा के गीत गुनगुनाती रहती हूँ... और हर पल खुशी की रास मना रही हूँ... *मुझ अति भाग्यवान श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा का काम ही है सदा ख़ुशी में नाचना और गाते रहना... बाबा ने मेरा यह ब्राह्मण जीवन कैसे मौजों से, आनंद से, खुशियों से भर दिया है*...
➳ _ ➳ आधाकल्प मैं आत्मा भक्ति के विविध प्रपंचों में पड़ कर अनेक कष्ट भोगती रही... जैसे कोई पथिक रास्ता भटक जाता है तो उसे कितनी परेशानी होती है... बाबा ने मुझ ब्राह्मण आत्मा के सहज कर्तव्य, सहज धर्म की स्मृति दिलाई है... *अब मैं आत्मा इस सुंदर ब्राह्मण जीवन में क्षत्रिय समान युद्ध नहीं करती हूँ... मैं आत्मा बाबा के बताए सहज मार्ग पर चलते हुए स्वयं को एक के लव में लवलीन कर रही हूँ... सदा ख़ुशी में नाचते, गाते सहज मौज का अनुभव कर रही हूँ*... 'पाना था सो पा लिया' के सुंदर अनुभवों में मगन हो रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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