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❍ 21 / 10 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *याद से कर्मेन्द्रियों को शीतल बनाया ?*
➢➢ *अपना चार्ट रखा ?*
➢➢ *निर्णय शक्ति और कंट्रोलिंग पॉवर द्वारा सफलतामूर्त बनकर रहे ?*
➢➢ *सर्वशक्तिमान बाप को सतही बना माया को पेपर टाइगर बनाया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जैसे साकार में देखा लास्ट कर्मातीत स्टेज का पार्ट सिर्फ ब्लैसिंग देने का रहा, बेलेन्स की भी विशेषता और ब्लैसिंग की भी कमाल रही। ऐसे फालो फादर। *सहज और शक्तिशाली सेवा यही है। अब विशेष आत्माओं का पार्ट है ब्लैसिंग देने का। चाहे नयनों से दो, चाहे मस्तकमणी द्वारा।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं स्वदर्शन चक्रधारी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने स्वदर्शन-चक्रधारी श्रेष्ठ आत्मायें अनुभव करते हो? *स्वदर्शन-चक्र अर्थात् सदा माया के अनेक चक्रों से छुड़ाने वाला। स्वदर्शन-चक्र सदा के लिए चक्रवर्ती राज्य भाग्य के अधिकारी बना देता है। यह स्वदर्शन-चक्र का ज्ञान इस संगमयुग पर ही प्राप्त होता है। ब्राह्मण आत्मायें हो, इसलिए स्वदर्शन-चक्रधारी हो।*
〰✧ *ब्राह्मणों को सदा चोटी पर दिखाते है। चोटी अर्थात् ऊंचा। ब्राह्मण अर्थात् सदा श्रेष्ठ कर्म करने वाले, ब्राह्मण अर्थात् सदा श्रेष्ठ धर्म (धारणाओ) में रहने वाले - ऐसे ब्राह्मण हो ना? नामधारी ब्राह्मण नहीं, काम करने वाले ब्राह्मण।* क्योंकि ब्राह्मणों का अभी अन्त में भी कितना नाम है! आप सच्चे ब्राह्मणों का ही यह यादगार अब तक चल रहा है। कोई भी श्रेष्ठ काम होगा तो ब्राह्मणों को ही बुलायेंगे।
〰✧ क्योंकि ब्राह्मण ही इतने श्रेष्ठ है। तो किस समय इतने श्रेष्ठ बने हो? *अभी बने हो, इसलिए अभी तक भी श्रेष्ठ कार्य का यादगार चला आ रहा है। हर संकल्प, हर बोल, हर कर्म श्रेष्ठ करने वाले, ऐसे स्वदर्शन-चक्रधारी श्रेष्ठ ब्राह्मण है - सदा इसी स्मृति में रहो।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ एक सेकण्ड भी आवाज से परे हो स्वीट साइलेन्स की स्थिति में स्थित हो जाओ। तो कितना प्यारा लगता है? साइलेन्स प्यारी क्यों लगती है? क्योंकि आत्मा का स्वधर्म ही शान्त है, ओरिजनल देश भी शान्ति देश है। इसलिए *आत्मा को स्वीट साइलेन्स बहुत प्यारी लगती है।* एक सेकण्ड में भी आराम मिल जाता है।
〰✧ कितनी भी मन से, तन से थके हुए हो लेकिन *अगर एक मिनट भी स्वीट साइलेन्स में चले जाओ तो तन और मन को आराम ऐसा अनुभव होगा जैसे बहुत समय आराम करके कोई उठता है तो कितना फ्रेश होता है।* कभी भी कोई हलचल होती है, लडाई झगडा या हल्ला-गुल्ला कुछ भी होता है तो एक-दो को क्या कहते है?
〰✧ शान्त हो जाओ। क्योंकि *शान्ति में आराम है तो आप भी सारे दिन में समय-प्रति-समय, जब भी समय मिले स्वीट साइलेन्स में चले जाओ।* अनुभव में खो जाओ - बहुत अच्छा लगेगा। अशरीरी बनने का अभ्यास सहज हो जायेगा। क्योंकि अंत में अशरीरी-पन का अभ्यास ही काम में आयेगा। सेकण्ड में अशरीरी हो जायें।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *हर एक को चेक करना है कि हम सारे दिन में कितना जमा करते हैं या गवाते हैं? चेक करते हो? चेक ज़रूर करना है, क्यों? एक जन्म के लिए नहीं है लेकिन हर जन्म के लिए है। अनेक जन्म के लिए जमा चाहिए।* जमा करने की विधि जानते हो? बहुत सहज है। सिर्फ बिन्दी लगाते जाओ। अगर हर खज़ाने को बिन्दी रूप से याद करो तो जमा होता जाता, बिन्दी लगाई और व्यर्थ से जमा होता जाता है। *तो जमा करने का खाता उसकी विधि है बिन्दी और गवाने का रास्ता है लम्बी लाइन लगाना, क्वेश्वनमार्क लगाना, आश्चर्य की मात्रा लगाना।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- रोज रात को अपना पोतामेल निकालना"*
❉ *प्यारे बाबा :-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... सत्य पिता के साथ *सदा सत्य भरी राहो पर मुस्कराते हुए सदा उमंगो संग झूमो.*..अपने दिल की हर बात को सत्य पिता को बयाँ करो... हर पल हर कदम पर मीठे बाबा से राय लेते रहो... और श्रीमत का हाथ पकड़े हुए यूँ सदा निश्चिन्त, बेफिक्र बन मौजो से भरा ईश्वरीय जीवन जियो..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा :-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपके साये में सत्य स्वरूप में खिल उठी हूँ... श्रीमत को पाकर जीवन मूल्यों से भर गयी हूँ... *दिल के हर जज्बातों में आपको साझा कर रही हूँ.*.. आपके साथ और अमूल्य प्यार को पाकर, खुशनुमा जीवन को मालिक हो गयी हूँ..."
❉ *मीठे बाबा :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... जनमो की भटकन के पश्चात जो ईश्वर पिता को पाया है तो *उनकी श्रीमत पर चलकर जीवन अनन्त मीठे सुखो का पर्याय बना लो.*.. सच्चे साथी से हर कदम राय लेकर, जीवन को खुशियो की बहार बना दो... सच्चा पोतामेल ईश्वर पिता को देकर, प्यार में वफादारी का सबूत दे दो..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा :-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा परमात्मा पिता को पाकर कितनी भाग्यशाली हो गई हूँ... कभी कहाँ भला सोचा था कि *जीवन ईश्वरीय मत पर चलकर यूँ सुखो का समन्दर हो उठेगा.*.. प्यारे बाबा आपके प्यार को पाने वाले, अपने भाग्य की जादूगरी पर निहाल हो गयी हूँ... "
❉ *प्यारे बाबा :-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... जनमो के भटके मन को अब ईश्वरीय मत पर चलाकर निर्मल पवित्र बनाओ.... *श्रीमत के हाथो में पलकर, अथाह खुशियो से सजा योगी जीवन पाओ.*.. हर कर्म में मीठे बाबा को सच्चा साथी बनाकर राय लो... तो यह जीवन सच्चे सुख प्रेम शांति से भर उठेगा....और इनकी खुशबु से विश्व भी महक उठेगा...."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा :-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार के साये तले कितनी मालामाल हो गयी हूँ... श्रीमत को पाकर खुबसूरत जीवन की मालिक हो गयी हूँ... *जीवन असीम खुशियो से लबालब है और ईश्वर पिता हर पल, हर कदम मेरे साथ है.*.. ऐसे प्यारे भाग्य पर कितना न बलिहार जाऊं..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अपना चार्ट जरूर रखना है*"
➳ _ ➳ देह और देह से जुड़े पदार्थो और सम्बन्धो की याद केवल दुख देने वाली है जबकि सुखदाई बाप की याद जीवन को सुख और शांति से भरपूर करने वाली है, मन को सुकून और चित को चैन देने वाली है। *यही विचार करते करते अपने मीठे प्यारे शिवबाबा की मीठी मधुर यादों में मैं खो जाती हूँ और उस सुखद पल को याद करती हूं जब पहली बार झूठे स्वार्थी दैहिक प्यार से परे निस्वार्थ सच्चे रूहानी प्यार का एहसास किया था*। जब मेरे दिलाराम भगवान ने सच्चा प्रीतम बन दैहिक सम्बन्धों के दुखदाई कड़वे वचनों से घायल हुए मेरे मन को अपने मीठे सुखदाई बोल से यह कह कर मरहम लगाया था कि *"मैं तुम्हारा हूँ, तुम्हारे लिए ही आया हूँ"। उनका यह कहकर अपने प्यार की शीतल छाया में मुझे समा लेना आज भी मन को उसी खूबसूरत एहसास से सरोबार कर देता है*।
➳ _ ➳ उस खूबसूरत एहसास को स्मृति में ला कर अगले ही पल इस नश्वर देह का त्याग कर अशरीरी आत्मा बन मैं उड़ चलती हूँ अपने दिलबर, दिलाराम शिव पिया के पास अपने स्वीट साइलेन्स होम में। यहां पहुँचते ही एक असीम गहन शांति का मैं अनुभव कर रही हूं। *ऐसा लग रहा है जन्म जन्म से मुझे जिस चीज की तलाश थी, जिसके लिए मैं आत्मा भटक रही थी वो तलाश अब पूरी हो गई*। मेरे सामने विराजमान है महाज्योति स्वरूप में मेरे दिलाराम शिव बाबा। उनसे निकल रही शक्तियों और गुणों की अनन्त किरणे मुझ पर पड़ रही हैं और असीम आनन्द से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं। अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हुए मैं आत्मा सजनी प्रेम के सागर अपने शिव पिया के प्यार की गहराई में समाती जा रही हूं।
➳ _ ➳ ईश्वरीय प्रेम का सच्चा सुख प्राप्त कर, स्वयं को पूरी तरह तृप्त और शक्तियों से भरपूर करके अब मैं आत्मा साकारी दुनिया मे वापिस लौट रही हूं। *परमात्म प्रेम का सुखदाई अनुभव, साकारी देह में रहते हुए भी अब मुझे देह और देह से जुड़े बन्धनों से मुक्त कर रहा है*। किसी भी देहधारी के झूठे प्यार का आकर्षण अब मुझे आकर्षित नही कर रहा। सर्व सम्बन्धों का सच्चा रूहानी प्यार मेरे मीठे शिव बाबा से मुझे निरन्तर प्राप्त हो रहा है। "मुझ से श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा इस संसार मे और कोई नही"। *स्वयं भाग्यविधाता भगवान मेरा सर्व सम्बन्धी बन गया। इसी श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति और नशे में रहते हुए अब मैं पुरानी दुनिया और इसके आकर्षणों से मुक्त हो रही हूं*।
➳ _ ➳ मेरे दिलाराम, दिलबर भगवान की याद मुझे इस पुरानी देह और देह के सम्बन्धो से सहज ही नष्टोमोहा बना रही है। मैं आत्मअभिमानी बनती जा रही हूं। *हर कर्म करते अपने दिलाराम शिव बाबा का हाथ और साथ अपने ऊपर मैं निरन्तर अनुभव करते हुए देह में रहते हुए भी देह से उपराम स्थिति का अनुभव कर रही हूं*। मैं अच्छी रीति जान गई हूं कि केवल परमात्मा की याद ही आत्मा को पुराने दैहिक कर्मबन्धनों से मुक्त कर सकती है। केवल परमात्म प्यार ही आत्मा को तृप्त कर सकता है। इसलिए परमात्म याद में निरन्तर रहने का अभ्यास बढ़ाना ही अब मेरे इस ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य है।
➳ _ ➳ इस लक्ष्य को पाने के लिए अब मैं ब्राह्मण आत्मा इस देह और देह की दुनिया मे रहते हुए स्वयं को केवल ट्रस्टी समझ हर कर्तव्य कर रही हूं। यह सृष्टि एक विशाल नाटक हैं जहां मैं शरीर धारण कर पार्ट बजा रही हूँ। *मुझ बिन्दु आत्मा को बिंदु बाप की याद से पावन बन कर वापिस अपने धाम जाना है इस बात को सदा स्मृति में रख बिंदु रूप में स्थित हो, बिंदु बाप की याद में रह, ड्रामा की हर सीन को साक्षी हो कर देख हर बात पर बिंदु लगाने का अभ्यास करते, अब मैं याद के चार्ट को बढ़ाने का पुरुषार्थ कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं निर्णय शक्त्ति और कन्ट्रोलिंग पावर यूज़ करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सदा सफलतामूर्त आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सर्वशक्तिवान बाप को सदा साथी बनाती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा माया को पेपर टाइगर कर बना देती हूँ ।*
✺ *मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *खुशी में नाचते भी रहना और दिलखुश मिठाई बांटते भी रहना। साथ में जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उसको कोई ना कोई गिफ्ट देना, कोई हाथ खाली नहीं जाये* कौन-सी गिफ्ट देंगे? आपके पास गिफ्ट तो बहुत है। गिफ्ट का स्टाक है? तो देने में कन्जूस नहीं बनना, देते जाना। *फ्राकदिल बनना, किसी को शक्ति का सहयोग दो, शक्ति का वायब्रेशन दो, किसको कोई गुण की गिफ्ट दो। मुख से नहीं लेकिन अपने चेहरे और चलन से दो*। यदि कोई गुण वा शक्ति इमर्ज नहीं भी हो, तो कम-से-कम छोटी सी सौगात भी देना, वह कौन सी? शुभ भावना और शुभ कामना की। *शुभ कामना करो कि यह मेरा सिकीलधा भाई या बहन, सिकीलधा सोचेंगे तो अशुभ भावना से शुभभावना बन जायेगी। इस भाई -बहन का भी उड़ती कला का पार्ट हो जाए, इसके लिए सहयोग वा शुभ भावना है*।
➳ _ ➳ कई बच्चे कहते हैं कि हम देते हैं वह लेते नहीं हैं। अच्छा शुभ भावना नहीं लेते हैं, कुछ तो देते हैं ना। चाहे अशुभ बोल आपको देते हैं, अशुभ वायब्रेशन देते हैं, अशुभ चलन चलते हैं तो आप हो कौन? *आपका आक्यूपेशन क्या है? विश्व-परिवर्तक हो? आपका धंधा क्या है? विश्व परिवर्तक हैं ना! तो विश्व को परिवर्तन कर सकते हो और उसने अगर आपको उल्टा बोल दिया, उल्टा चलन दिखाई तो उसका परिवर्तन नहीं कर सकते हो?*
➳ _ ➳ पाजिटिव रूप में परिवर्तन नहीं कर सकते हो? निगेटिव को निगेटिव ही धारण करेंगे कि निगेटिव को पाजिटिव में परिवर्तन कर आप हर एक को शुभ भावना, शुभ कामना की गिफ्ट देंगे। *शुभ भावना का स्टाक सदा जमा रखो। आप दे दो। परिवर्तन कर लो। तो आपका टाइटिल जो विश्व परिवर्तक है वह प्रैक्टिकल में यूज होता जायेगा। और यह पक्का समझ लो कि जो सदा हर एक को परिवर्तन कर अपना विश्व-परिवर्तक का कार्य साकार में लाता है वही साकार रूप में 21 जन्म की गैरन्टी से राज्य अधिकारी बनेगा*। तख्त पर भले एक बारी बैठेगा लेकिन हर जन्म में राज्य परिवार में, राज्य अधिकारी आत्माओं के समीप सम्बन्ध में होगा। तो *विश्व परिवर्तक ही विश्व राज्य अधिकारी बनता है। इसलिए सदा यह अपना आक्यूपेशन याद रखो - मेरा कर्तव्य ही है परिवर्तन करना। दाता के बच्चे हो तो दाता बन देते चलो, तब ही भविष्य में हाथ से किसको देंगे नहीं लेकिन सदा आपके राज्य में हर आत्मा भरपूर रहेगी, यह इस समय के दाता बनने का प्रालब्ध है। इसलिए हिसाब नहीं करना, इसने यह किया, इसने इतना बार किया, मास्टर दाता बन गिफ्ट देते जाओ*।
✺ *ड्रिल :- "मास्टर दाता बन सदा खुशी में नाचते रहना और दिलखुश मिठाई बांटते रहना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा देह से निकल अपने आप को *फ़रिश्ता स्वरूप* में स्थित करती हूं,बेहद सुंदर प्रकाशीय स्वरूप और पहुँचता हूं मैं फ़रिश्ता अपने घर *सूक्ष्म वतन* में... जहां हर तरफ सफेद चमकीला प्रकाश फैला हुआ है... *देखता हूं मैं फ़रिश्ता स्वयं को बापदादा की बाहो में और साथ में हैं एडवांस पार्टी वाले वरिष्ठ भाई बहनें वो भी फ़रिश्ता स्वरूप में...* सूक्ष्म वतन में सब फरिश्ते लाइट के ताज से सुसज्जित अपने अपने स्थान पर बैठे हैं... सब प्रसन्न हैं मुझे फ़रिश्ता रूप में परिवर्तित देख कर...
➳ _ ➳ *फिर बापदादा मुझे तिलक देते हैं और आशीर्वाद देते हैं विश्व परिवर्तक भव... मास्टर दाता भव... और टोली खिलाते हैं... और पहनाते हैं लाइट का गोल क्राउन...* इस ताज को पहनते ही मुझ फ़रिश्ते की रोशनी और बढ़ जाती है... इसके बाद एक एक कर सभी भाई बहने मुझे मिठाई खिलाकर शुभ भावना की गिफ्ट दे रहें हैं... तभी उस सीट पर बैठे बैठे एक दृश्य इमर्ज होता है मुझ फरिश्ते को अपने कर्तव्यों का कि मुझे साकार दुनिया में जाकर क्या करना है...
➳ _ ➳ सम्पूर्णता के सुखद अहसासों से भर कर मैं फ़रिश्ता आता हूं वापिस इस साकारी लोक में अपनी आत्मिक स्थिति में... *बाबा के दिये वरदान गूँज रहे हैं... बाबा ने विश्व परिवर्तक आत्मा भव, मास्टर दाता भव के वरदानों से मुझ आत्मा को सजाया है... मैं अधिकारी आत्मा हूं* इस नशे में मैं आत्मा झूम रही हूं नाच रही हूं... मुझ आत्मा को बाबा ने निमित्त बनाया है... *वाह बाबा वाह* के गीत गाते हुए मैं आत्मा उमंग उत्साह भरी अपनी सेवा के कार्य को शुरू करती हूं...
➳ _ ➳ *बाबा की याद में खोई हुई वरदानों की बारिश में भीगती अब मैं आत्मा सभी आत्माओं को मास्टर दाता बन शुभ भावना शुभ कामना की गिफ़्ट दे रही हूं... मैं विश्व परिवर्तक आत्मा हूं... नेगेटिव को पाजिटिव में बदल अब मैं अपने सिकीलधे भाई बहनों को गुण और शक्तियों का दान दे रही हूं... कोई के अशुभ बोल भी अब मैं शुभ में परिवर्तित कर रही हूं...* सब अपने आपको उड़ता हुआ अनुभव कर रहे हैं... इनको प्राप्त कर सभी बहुत खुश दिख रहे हैं... *सभी को बाबा प्रत्यक्ष हो रहे हैं... इसी खुशी में सभी नाचते हुए बाबा को धन्यवाद देते हुए गा रहे हैं... बरस रही है बाबा हम पर आप की मेहरबानियां...*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सबको दिलखुश मिठाई खिलाकर बहुत खुश हूं...* और इसी खुशी में नाच रही हूँ... कितना आत्म विभोर करने वाले पल हैं ये... *आनंद में सराबोर मैं आत्मा अपने प्यारे बाबा की यादों में खो जाती हूँ... बाबा... बाबा... बाबा...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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