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 24 / 11 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *ऐसी कोई आसुरी एक्ट तो नहीं की जिससे रजिस्टर खराब हो ?*

 

➢➢ *एक बाप की याद के नशे में रहे ?*

 

➢➢ *स्वयं को मोल्ड कर रियल गोल्ड बनकर रहे ?*

 

➢➢ *अपने श्रेष्ठ जीवन के प्रतक्ष्य प्रमाण द्वारा बाप को प्रतक्ष्य किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *चलते - फिरते अपने को निराकारी आत्मा और कर्म करते अव्यक्त फरिश्ता समझो तो साक्षी दृष्टा बन जायेंगे।* इस देह की दुनिया में कुछ भी होता रहे, लेकिन फरिश्ता ऊपर से साक्षी हो सब पार्ट देखते, सकाश अर्थात् सहयोग देता है। सकाश देना ही निभाना है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं एकरस स्थिति का अनुभव करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*

 

  *'सदा एक बाप की याद में रहने वाली, एकरस स्थिति का अनुभव करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ' - ऐसे अनुभव करते हो?*

 

  *जहाँ एक बाप याद है, वहाँ एकरस स्थिति स्वत: सहज अनुभव होगी। तो एकरस स्थिति श्रेष्ठ स्थिति है।*

 

  *एकरस स्थिति का अनुभव करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ - यह स्मृति सदा ही आगे बढ़ाती रहेगी। इसी स्थिति द्वारा अनेक शक्तियों की अनुभूति होती रहेगी।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  ऐसे नहीं, योग में बैटेंगे तो फुलस्टॉप लगेगा। हलचल में फुलस्टॉप। इतनी पॉवरफुल ब्रेक है? कि ब्रेक लगायेंगे यहाँ और ठहरेगी वहाँ। और समय पर फुलस्टॉप लगे, *समय बीत जाने के बाद फुलस्टॉप लगाया तो उससे फायदा नहीं है।* सोचा और हुआ।

 

✧  सोचते ही नहीं रहो कि मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ, आत्मा हूँ, मेरे को फुलस्टॉप लगाना है और कुछ नहीं सोचना है, यह सोचते भी टाइम लग जायेगा। ये सेकण्ड का फुलस्टॉप नहीं हुआ। *ये अभ्यास स्वयं ही करो। कोई को कराने की आवश्यकता नहीं है।* क्योंकि नये चाहे पुराने, सभी यह विधि तो जानते हो ना!

 

✧  तो अभ्यास बहुतकाल का चाहिए। उस समय समझो - नहीं, मैं फुल स्टॉप लगा दूँगी! नहीं लगेगा, यह पहले से ही समझना उस समय, समय अनुसार कर लेंगे! नहीं, होगा ही नहीं। *बहुत काल का अभ्यास काम में आयेगा।* क्योंकि कनेक्शन है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *कोई भी कार्य करते सिर्फ यह सोचो- मैं निमित हूँ कराने वाला कौन है?* जैसे भक्तिमार्ग में शब्द उच्चारण करते थे 'करन-करावनहार'। लेकिन वह दूसरे अर्थ से कहते थे। लेकिन इस समय जो भी कर्म करते हो उसमें करनकरावनहार तो है ना? कराने वाला बाप है, करने वाला निमित्त है। *अगर यह स्मृति में रख कर्म करते हैं तो सहज स्मृति नहीं हुई? निरन्तर योगी नहीं हुए?* फिर कभी हंसी में नीचे आयेंगे भी तो ऐसे अनुभव करेंगे जैसे हूबहू स्टेज पर कोई ऐक्टर होते हैं तो समझते हैं कि लोक-कल्याण अर्थ हंसी का पार्ट बजाया। फिर अपनी स्टेज पर तो बिल्कुल ऐसे अनुभव होगा जैसे अभी-अभी यह पार्ट बजाया, अब दूसरा पार्ट बजाता हूँ। *खेल महसूस होगा। साक्षी हो जैसे पार्ट बजा रहे हैं। तो सहज योगी हुए ना?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  बाप को याद कर सतोप्रधान बनना*"

 

_ ➳  एक खुबसूरत उपवन में झूले में झूलती हुई मै आत्मा... झूले के ऊपर नीचे के खेल को देख... मीठे बाबा की यादो में खो जाती हूँ... कि कैसे मीठे बाबा ने मुझे ज्ञान और भक्ति के खेल को समझाकर... मझे जनमो की यात्रा का राज समझा दिया है... *मीठे बाबा की यादो में अपने आत्मिक वजूद को पाकर, मै आत्मा... पुनः पावनता की खुशबु को स्वयं में भरकर... इस बेहद के स्टेज पर पूज्य बन मुस्करा रही हूँ..*.अपने इस खुबसूरत भाग्य का सिमरन करते हुए मै आत्मा... मीठे बाबा की बाँहों में झूलने वतन में पहुंचती हूँ...

 

   *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को दिव्यगुण धारी बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की सच्ची यादो में सतोप्रधान पूज्य बनने का पुरुषार्थ करो... ज्ञान रत्नों से बुद्धि को भरपूर कर अथाह सम्पत्ति और सुखो के मालिक बनो... *मीठे बाबा की मीठी यादो में देहभान में लगे सारे दागो को मिटा दो... और पूज्य देवता बन शान से मुस्कराओ.*.."

 

_ ➳  *मै आत्मा प्यारे बाबा से दिव्यता के वरदान को लेकर मुस्करा कर कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा देह भान में आकर, अपनी सारी आत्मिक सुंदरता को खो गयी थी... मै क्या थी, और क्या हो गयी हूँ... *आपने मीठे बाबा मुझे सच्ची यादो की राहो पर चलाकर, कितना दिव्य और प्यारा बनाया है.*.. आपके हाथ और सच्चे साथ ने पूज्य रूप में विश्व धरा पर सजा दिया है..."

 

   *मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपने अमूल्य रत्नों की जागीरों को सौंपते हुए कहते है :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *ईश्वरीय यादो में हर पल हर संकल्प से डूबकर, सतोप्रधान पूज्य बन अनन्त सुखो का आनन्द उठाओ.*.. यह ज्ञान और भक्ति का वन्डरफुल खेल है, इसमे पुनः सतोप्रधान बन विश्व बादशाही को पाओ.. मीठे बाबा की यादो में सारे विकारो को भस्म कर, पावनता से सज संवर कर मुस्कराओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा प्यारे बाबा के ज्ञान मणियो को अपने दिल में समाते हुए कहती हूँ :-*  "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी फूलो सी गोद में बैठकर, ज्ञान रत्नों से मालामाल हो रही हूँ... *इस प्यारे खेल में पुनः पावनता से खिलकर, सतोप्रधान बन रही हूँ.*..आपकी यादो में विकारो की कालिमा से मुक्त होकर, देवताई चमक से भर रही हूँ..."

 

   *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को रत्नों की दौलत से खुबसूरत बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... *ज्ञान और भक्ति के इस जादुई खेल में, ईश्वर पिता के साथ से रत्नों से लबालब होकर, देवताई सौंदर्य को पा रहे हो.*.. मीठे बाबा के प्यार के साये तले अपने खोये ओज को पाकर... सच्चे सुखो में मुस्करा रहे हो... पावन पिता के संग में सदा की पावनता को पा रहे हो..."

 

_ ➳  *मै आत्मा प्यारे बाबा से पायी ज्ञान की अतुलनीय धनसंपदा से सजकर कहती हूँ :-* "मीठे दुलारे बाबा मेरे... मै आत्मा किस कदर देह भान में फंसी थी और विकारो के दलदल में धँसी थी... *मीठे बाबा आपने हाथ देकर... जो मुझे बाहर निकाला है, मै आत्मा कितनी प्यारी पावन बनकर महक उठी हूँ..*. पूज्य बनकर निखर रही हूँ..."मीठे बाबा से पावनता का वरदान लेकर मै आत्मा... अपने वतन लौट आयी...

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- ऐसी कोई आसुरी एक्ट ना हो जिससे रजिस्टर खराब हो जाए*"

 

_ ➳  अन्तर्मुखी बन, एकान्त में बैठी, अपने ब्राह्मण जीवन के सुखद अनुभवों को याद कर *मन ही मन आनन्दित होते हुए, अपनी श्रेष्ठ दैवी चलन द्वारा अपने प्यारे परम पिता परमात्मा का नाम बाला करने की प्रतिज्ञा अपने आप से करते हुए मैं याद कर रही हूँ अपने प्यारे पिता से मिलने वाले उस असीम निस्वार्थ प्यार और अपने संगमयुगी ब्राह्मण जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों को जो मेरे प्यारे प्रभु ने आकर मुझे उपहार में दी हैं*। उन सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों की स्मृति मन में अपने प्यारे पिता के प्रति अगाध प्रेम की लहरें उतपन्न कर रही है। बलिहारी ऐसे पिता की जिन्होंने मेरे जीवन मे आकर मुझे  दुखभरी आसुरी दुनिया से निकाल सुखभरी दैवी दुनिया मे चलने का सत्य मार्ग बताया। 

 

_ ➳  अपने प्यारे प्रभु द्वारा स्थापित की जा रही उस अपरमअपार सुख की दैवी दुनिया में चलने के लिए अब मुझे उनकी श्रीमत पर चल अपने हर कर्म को श्रेष्ठ बनाना है और कोई भी आसुरी कर्तव्य नही करना है। *स्वयं से यह प्रतिज्ञा कर, अब मैं अपने जीवन को सुखमय बनाने वाले सुख के सागर अपने प्यारे पिता के पास जाने की सुखद रूहानी यात्रा पर चलने के लिए मन बुद्धि के विमान पर सवार होती हूँ* और एकाग्रता की शक्ति स्वयं में भरकर, सम्पूर्ण स्थिरता के साथ, मन बुद्धि के विमान को ऊपर आकाश की और ले कर चल पड़ती हूँ। 

 

_ ➳  मन बुद्धि के विमान पर बैठी, अपने सम्पूर्ण ध्यान को अपने निराकार शिव पिता के सुंदर सुखदाई स्वरूप पर एकाग्र कर, उनके सुन्दर स्वरूप को निहारती मैं आकाश को पार कर, उनकी निराकारी दुनिया की ओर जा रही हूँ। *मन में अपने प्यारे प्रभु की मीठी याद को समाये, उनसे मिलने की लगन में मग्न मैं साकारी और आकारी दुनिया को पार कर, पहुँच गई हूँ अपने प्यारे पिता के धाम*। शान्ति की यह दुनिया जहाँ चारों और शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन्स फैले हुए है और मन को गहन शान्ति की अनुभूति करवाकर तृप्त कर रहें हैं। 

 

_ ➳  ऐसे अपने स्वीट साइलेन्स होम में गहन शांति का अनुभव करके, अपने प्यारे पिता के सानिध्य में जाकर मैं बैठ जाती हूँ। *एक अनन्त प्रकाशमय ज्योतिपुंज के रूप में अपनी सर्वशक्तियों की अनन्त किरणें चारों और फैलाते हुए मेरे प्यारे पिता मेरे सम्मुख हैं और अपनी सर्वशक्तियों की किरणें मुझ पर प्रवाहित कर रहें हैं*। मेरे शिव पिता से निकल रही सर्वशक्तियों की किरणो का विशाल झरना मेरे ऊपर बरस रहा है और असीम आनन्द से मुझे भरपूर कर रहा है। *सर्वशक्तियों की मीठी फुहारें मुझे छूकर गहन सुख का अनुभव करवा रही हैं। एक गहन अतीन्द्रीय सुख के झूले में मैं झूल रही हूँ*।

 

_ ➳  अपने प्यारे पिता की शक्तियों को स्वयं में भरकर, शक्तिशाली बनकर, मैं आत्मा अब वापिस लौट रही हूँ। फिर से साकारी दुनिया मे आकर अपने साकारी तन में भृकुटि के अकालतख्त पर अब मैं विराजमान हूँ और अपने प्यारे पिता की सर्वशक्तियों के बल से आसुरी दुनिया मे रहते हुए भी उसके प्रभाव से अब मैं पूर्णतया मुक्त हूँ। *सर्वशक्तिवान मेरे प्यारे प्रभु की सर्वशक्तियों की ताकत, मुझे आसुरी कर्तव्यों से मुक्त कर, दैवी गुणों से सम्पन्न बनने में मदद कर रही है। अपने शिव पिता की अनमोल शिक्षायों को जीवन मे धारण कर, अपने कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे समान अमूल्य बनाने का पुरुषार्थ करते हुए, हर आसुरी चलन को अब मैं बिल्कुल सहज रीति छोड़ती जा रही हूँ*।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं स्वयं को मोल्ड कर रियल गोल्ड बन हर कार्य करने वाली आत्मा हूँ।*

✺   *मैं हर कार्य मे सफल होने वाली आत्मा हूँ।*

✺   *मैं स्व परिवर्तक आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं आत्मा सदा अपने श्रेष्ठ जीवन का प्रत्यक्ष प्रमाण देती हूँ  ।*

✺   *मैं आत्मा सदैव बाप को प्रत्यक्ष करती हूँ  ।*

✺   *मैं श्रेष्ठ जीवन जीने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *आज बापदादा ने जमा का खाता देखा इसलिए आज विशेष अटेन्शन दिला रहे हैं कि समय की समाप्ति अचानक होनी है। यह नहीं सोचो कि मालूम तो पड़ता रहेगा, समय पर ठीक हो जायेंगे।* जो समय का आधार लेता हैसमय ठीक कर देगाया समय पर हो जायेगा.... उनका टीचर कौन? समय या स्वयं परम-आत्मा?  *परम-आत्मा से सम्पन्न नहीं बन सके और समय सम्पन्न बनायेगातो इसको क्या कहेंगेसमय आपका मास्टर है या परमात्मा आपका शिक्षक है?* तो ड्रामा अनुसार अगर समय आपको सिखायेगा या समय के आधार पर परिवर्तन होगा तो बापदादा जानते हैं कि प्रालब्ध भी समय पर मिलेगी क्योंकि समय टीचर है। *समय आपका इन्तजार कर रहा है, आप समय का इन्तजार नहीं करो। वह रचना हैआप मास्टर रचता हो। तो रचता का इन्तजार रचना करेआप मास्टर रचता समय का इन्तजार नहीं करो।* 

 

✺   *ड्रिल :-  "समय का इन्तजार न कर सम्पन्न बनने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *मैं मास्टर रचयिता आत्मा हूँ... मैं सर्व शक्तियों से सम्पन्न आत्मा हूँ...* मेरे परम पिता परमात्मा ने मुझ आत्मा को ज्ञान दिया है कि... *समय आपकी रचना है... घड़ी के काँटे आप हो... आप ही रचयिता हो...* मैं आत्मा इस ज्ञान को धारण कर... पवित्र बन... कलयुगी समय को... सतयुगी समय में परिवर्तित कर रही हूँ... *मुझ आत्मा के पावन बनने से... पवित्र बनने से... सारा वायुमंडल... और सारी प्रकृति... पवित्र बन रही है... और सारा समय परिवर्तित हो रहा है...*

 

 _ ➳  *बाबा ने बताया है... समय से पहले सम्पूर्ण बनो... समय के बाद में सम्पूर्ण बने तो वह समय की महिमा होगी... आपकी नहीं...* मैं आत्मा बाबा के इन महावाक्यों को धारण कर... श्रेष्ठ और तीव्र पुरुषार्थ कर रही हूँ... *मैं आत्मा समय से पहले सम्पूर्ण बन गयी हूँ... जिससे सारे कल्प में मुझ आत्मा का महत्व रहता है... मुझ आत्मा की महिमा होती है...* क्यूँकि मैं आत्मा समय को परिवर्तित करने में... बापदादा की मददगार बनी हूँ... जैसे बाप की महिमा वैसे ही बच्चे की महिमा...

 

 _ ➳  मुझ आत्मा का बाबा ने जमा का खाता देखा... और *बाबा ने मुझ आत्मा को विशेष अटेन्शन दिलाया... कि समय की समाप्ति अचानक होनी है...* मुझ आत्मा को समझ आ गया है कि... *अभी कमी रखने का समय बीत चुका है...* मैं आत्मा तीव्र पुरुषार्थ कर... समय से फास्ट निकल रही हूँ... और समय को नजदीक ला रही हूँ... मैं आत्मा समय को अपने अनुसार परिवर्तित कर रही हूँ... समय के परिवर्तित होने का इंतजार नहीं करती हूँ... *जो आत्मा समय का आधार लेती है... या सोचते हैं कि समय ठीक कर देगा... या समय पर हो जायेगा... उनका टीचर समय होता है... वो आत्मा फिर रचना बन जाती है... समय उनका रचयिता बन जाता है...* मैं आत्मा जानती हूँ कि... महिमा रचयिता की होती है... रचना की नहीं... इसलिए मैं आत्मा स्वयं परमात्मा से सम्पन्न बनती हूँ... समय मुझ आत्मा का मास्टर नहीं है... समय मुझ आत्मा का शिक्षक नहीं है... स्वयं परमात्मा मुझ आत्मा का शिक्षक है...

 

 _ ➳  *अगर ड्रामा अनुसार समय मुझ आत्मा को सिखाता है... या समय के आधार पर मुझ आत्मा का परिवर्तन होता है... तो प्रालब्ध भी समय पर मिलेगी... क्योंकि समय टीचर है...* बाबा ने मुझ आत्मा को बताया है कि... आप समय के रचयिता हो... *समय आप विश्व परिवर्तक आत्माओं का इन्तजार कर रहा है... आप समय का इन्तजार नहीं करो... समय रचना है... आप आत्मा मास्टर रचता हो... तो रचता का इन्तजार रचना करती है...* आप मास्टर रचता समय का इन्तजार नहीं करो... मैं आत्मा बाबा के दिए... इस ज्ञान को हमेशा बुद्धि में रखती हूँ... और समय और प्रकृति को अपने अनुसार... परिवर्तित करती हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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