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 28 / 11 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *माया के तूफानों से डरे तो नहीं ?*

 

➢➢ *ज्ञान का विचार सागर मंथन किया ?*

 

➢➢ *श्रेष्ठ पुरुषार्थ द्वारा फाइनल रिजल्ट में फर्स्ट नंबर लिया ?*

 

➢➢ *वृत्ति द्वारा वायुमंडल को पावरफुल बनाया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *हम ब्राह्मण सो फरिश्ता हैं, यह कम्बाइन्ड रुप की अनुभूति विश्व के आगे साक्षात्कार मूर्त बनायेगी।* ब्राह्मण सो फरिश्ता इस स्मृति द्वारा चलते फिरते अपने को व्यक्त शरीर, व्यक्त देश में पार्ट बजाते हुए भी ब्रह्मा बाप के साथी अव्यक्त वतन के फरिश्ते, अव्यक्त रुपधारी अनुभव करेंगे।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं बाप के स्नेह में सामयी हुई आत्मा हूँ"*

 

  सदा बाप के स्नेह में सदा समाये हुए रहते हो? *जो समाया हुआ होता है उसको कोई सुध-बुध नहीं रहती। आप सभी को भी सब-कुछ भूल गया है ना! स्नेह में समाया हुआ सदा ही बाप का प्यारा और दुनिया से न्यारा रहता है। सभी लोग आपको कहते हैं ना कि आप तो न्यारे बन गये! न्यारा बनना ही बाप का प्यारा बनना है।* सारे विश्व को बाप प्यारा क्यों लगता है? क्योंकि सबसे न्यारा है। सबसे न्यारा एक ही है, और कोई हो नहीं सकता। तो आप भी कौन हैं? न्यारे और प्यारे। आपका यह न्यारा जीवन सारे विश्व को प्रिय लगता हे।

 

  इसलिए ब्राह्मण जीवन को अलौकिक जीवन कहते हैं। अलौकिक का अर्थ क्या है? लोक जैसे नहीं। अलौकिक अर्थात् लोक जैसा जीवन नहीं है। आपकी दृष्टि, स्मृति, वृत्ति सब बदल गई। स्मृति वा वृत्ति में क्या रहता है? त्याग वृत्ति रहती है! *आत्मा भाई-भाई की वृत्ति वा भाई-बहन की वृत्ति रहती है। हम सब आपस में एक परिवार के हैं - यह वृत्ति रहती है। और दृष्टि से भी आत्मा को ही देखते, शरीर को नहीं। तो सब बदल गया ना!* कभी गलती से शरीर को तो नहीं देखते हो? अगर आत्मा नहीं होती तो शरीर कुछ कर सकता है? तो प्यारी चीज कौन-सी है? आत्मा है।

 

  जब आत्मा निकल जाती है तो शरीर को रखने के लिए भी तैयार नहीं होते। तो प्यारी चीज आत्मा है ना! इसलिए वृत्ति, दृष्टि, स्मृति सब बदल जाती है। तो यह चेक करो कि सदा अलौकिक जीवन में हूँ या साधारण जीवन में हूँ? क्योंकि नया जन्म हो गया! जन्म नया है तो सब-कुछ नया है और सभी को प्रिय भी नया लगता है, न कि पुराना। तो नई जीवन में नई बातें हैं। पुराना समाप्त हो गया। समाप्त हुआ है या आधे वहाँ जिन्दा हो, आधे यहाँ जिन्दा हो? आधा शुद्र तरफ, आधा ब्राह्मण तरफ - ऐसे तो नहीं है ना? श्रेष्ठ जीवन को भूल कर साधारण जीवन को कौन याद करेगा! कोई को राजाई मिल जाए और फिर भी गरीबी को याद करता रहे, तो उसे क्या कहेंगे? भाग्यवान कहेंगे? *तो स्वप्न में भी पुराना जीवन याद नहीं आये। जब मर गये तो याद कहाँ से आयेगा! आधा तो नहीं मरे हो? पूरा मर गये होना! जो आधा मर जाता है, पूरा नहीं मरता, तो अच्छा नहीं लगता है ना! जब ऐसी बिढ़या जीवन मिल गई तो पुरानी जीवन याद आ नहीं सकती। तो ऐसे मरजीवा बने हो या आधा मरे हो?*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *अशरीरी का अर्थ है कि शरीर की कोई भी आकर्षण आत्मा को अपने तरफ आकर्षित नहीं करे।* चाहे जिन्दा भी हैं, लेकिन जैसे जीते जी मरजीवा। वैसे आप सबका अपना शरीर तो है ही नहीं। मेरा शरीर कहेंगे या बाप की अमानत है?

 

✧  जब है ही बाप की अमानत तो अशरीरी बनना क्या मुश्किल है? मुश्किल है या सहज है? (सहज है) कहने में तो सहज है। *युद्ध नहीं करनी पडे कि नहीं, मैं आत्मा हूँ, मैं आत्मा हूँ...।* युद्ध में ही एक सेकण्ड पूरा हो जायेगा तो कहाँ पहुँचेंगे!

 

✧  बाप ने कहा और किया। अगर जरा भी सोचा - ऐसा नहीं वैसा, अभी तो थोडा टाइम चाहिए, इतना अभ्यास तो हुआ नहीं है, हो जायेगा, सोचा और गया। कहाँ गया? त्रेता में गया। *हाँ जी किया तो ब्रह्मा बाप के साथी बनेंगे।* अच्छा।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *जैसे शुरू में घर बैठे भी अनेक समीप आने वाली आत्माओं को साक्षात्कार हुए ना! वैसे अब भी साक्षात्कार होंगे। यहाँ बैठे भी बेहद में आप लोगों का सूक्ष्म स्वरूप सर्विस करेगा। अब यही सर्विस रही हुई है।* साकार में सभी इग्जाम्पल तो देख लिया। सभी बातें नम्बरवार ड्रामा अनुसार होनी हैं। *जितना-जितना स्वयं आकारी फ़रिश्ते स्वरूप में होंगे उतना आपका फ़रिश्ता रूप सर्विस करेगा।* आत्मा को सारे विश्व का चक्र लगाने में कितना समय लगता है? तो अभी आपके सूक्ष्म स्वरूप भी सर्विस करेंगे। *लेकिन जो इस न्यारी स्थिति में होंगे, स्वयं फ़रिश्ते रूप में स्थित होंगे।* शुरू में सभी साक्षात्कार हुए हैं। फ़रिश्ते रूप में सम्पूर्ण स्टेज और पुरुषार्थी स्टेज दोनों अलग-अलग साक्षात्कार होता था। *जैसे साकार ब्रह्मा और सम्पूर्ण ब्रह्मा का अलग-अलग साक्षात्कार होता था, वैसे अन्य बच्चों के साक्षात्कार भी होंगे। हंगामा जब होगा तो साकार शरीर द्वारा तो कुछ कर नहीं सकेंगे और प्रभाव भी इस सर्विस से पड़ेगा।* जैसे शुरू में भी साक्षात्कार से ही प्रभाव हुआ ना? परोक्ष अपरोक्ष-अनुभव ने प्रभाव डाला वैसे अन्त में भी यही सर्विस होनी है। *अपने सम्पूर्ण स्वरूप का साक्षात्कार अपने आप को होता है?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺  *"ड्रिल :-  दिल से ‘बाबा-बाबा’ कह ख़ुशी में रहना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा सेण्टर जाती हुई रास्ते में मंदिरों में बजती हुई घंटियों की आवाज़ सुनकर... अपनी बीती हुई कलियुगी जीवन को देखती हूँ... मैं आत्मा भी ऐसे ही घंटियाँ बजाते दर-दर भटक रही थी... कभी डर से, कभी अल्पकाल की कामनाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर की, देवताओं की पूजा, अर्चना करती थी... पत्थर की मूरत में कहाँ एक पल दर्शन की आस में बैठी थी... *स्वयं भगवान् ही मेरा हो गया... मेरे जीवन रूपी नैया को पार लगाने धरती पर उतर आया... भक्ति की इन आडम्बरों से मुझे छुड़ाकर सत्य ज्ञान दिया... पिता के रूप में, शिक्षक के रूप में, सतगुरु के रूप में, खुदा दोस्त के रूप में, एक साजन के रूप में सर्व संबंधों का अनुभव करा रहा है... सेंटर पहुँचकर बाबा के कमरे में बाबा के सम्मुख बैठ प्यार से बाबाकहती हूँ... तुरंत बाबा आ जाते हैं...*   

 

   *प्यारे बाबा अपने प्यारे रूहानी नैनों से मुझे निहारते हुए कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... पिता की गोद में जब फूलो से खिलते हो तो... अपनेपन की अधिकार की खुशबु से भर उठते हो... ईश्वर कहने से वो प्यार, वो अपनापन, वो अधिकार भरा रंग नही छलकता... *बाप के बच्चे बनते हो तो... उसकी जागीर को सहज ही बाँहों में भरकर मुस्करा उठते हो... तुम प्यार से कहते हो मीठे बाबा’, तो मुख में रस आ जाता है, ईश्वर या प्रभु कहने से वह रस नही आता"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा बाबा शब्द से अपना मुख मीठा करते हुए कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा जब मीठे बाबा मेरे कह पुकारती हूँ... असीम सुख आनन्द से भर उठती हूँ... *खुदा को जीवन में पिता तुल्य पाकर मै आत्मा बेफिक्र निश्चिन्त सी खुशियो के गीत गाती हुई धरा गगन को अनहद नाद से भिगोती हूँ...”*

 

   *मीठे बाबा मेरे भाग्य का सितारा चमकाते हुए कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... बाबा कहकर ईश्वर पिता के कन्धों पर नाच उठते हो... *प्यार से बाबा पुकार कर, सारे खजाने सारी दौलत के मालिक हो उठते हो... बाबा के अधिकारी बन, परछाई सा संग लिए फिरते हो और खुदाया साथ पाकर खुशियो के आसमान पर झूमते हो...* जो मिठास बाबा रूप में चखते हो... प्रभु रूप में दूर से बस इंतजार सा करते हो...

 

_ ➳  *बाबा के निराले प्रेम में मदहोश होकर मैं खुशनसीब आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा दुखो के गर्त में डूबी हुई सी दर दर ईश्वर को खोज रही थी... और मीठे बाबा ने बच्चे कहकर हाथ थाम लिया...* प्यारे बाबा का प्यार पाकर मै आत्मा फूल सी खिल उठी हूँ... और प्यारा बच्चा बनकर सारे खजाने बाबा के लूट रही हूँ...

 

   *सांसों के मधुर अहसासो में डुबोते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... मेरा बाबा कहकर सांसो को बाबा में भिगो दो, और सुखो के मीठेपन को चख लो... अतीन्द्रिय सुख में डूबकर.. संगम के वरदानी वेला में, बच्चे बनने का महाभाग्य प्राप्त कर... *अथाह संम्पत्ति के अधिकारी हो... पिता के दिल में मणि सा बस जाओ... ईश्वर और प्रभु में यह आनंद कहाँ... जो बाप के पहलु में सहज ही मिलता है...”*

 

_ ➳  *बाबा की गोद में अतीन्द्रिय सुखों का आनंद लेते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वर को कितना पुकार रही थी... और आप पिता बनकर सम्मुख आ गए हो... मुझे गोद में उठाया कन्धों पर चढ़ाया... *असीम प्यार देकर ज्ञान रत्नों से श्रंगार कर खुबसूरत देवता बना रहे हो... मीठे बाबा... ईश्वर तो कितना दूर सा था और आप दिल की धड़कन हो...”*

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- माया के तूफानों से डरना वा मूँझना नही है*"

 

_ ➳  "सर्व शक्तियों को समय पर कार्य मे लगाने वाली मास्टर सर्वशक्तिवान आत्माओं के सामने माया के तूफान तोहफा बन जाते हैं" *बाबा के इन महावाक्यों को स्मृति में ला कर मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट हो कर सर्वशक्तियों का आह्वान करने और स्वयं को सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बनाने के लिये मैं सर्वशक्तिवान शिव बाबा की याद में मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ*। अशरीरी बन बाबा की याद में बैठते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे शिव बाबा अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो कर मेरे सामने आ गए हैं

 

_ ➳  बाबा की लाइट, माइट जैसे - जैसे मुझ आत्मा पर पड़ रही है वैसे - वैसे मैं अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होती जा रही हूँ। *अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं अनुभव कर रही हूँ कि जैसे बाबा मुझे अपनी और खींच रहें हैं और मैं डबल लाइट फ़रिशता बन स्वत: ही ऊपर की ओर उड़ रहा हूँ*। सूर्य, चांद, तारागणों से पार अन्तरिक्ष को भी पार करता हुआ उससे भी ऊपर मैं पहुंच गया फ़रिशतो की आकारी दुनिया सूक्ष्म लोक में। 

 

_ ➳  अब मैं देख रहा हूँ स्वयं को सूक्ष्म वतन में। मेरे सामने अव्यक्त बापदादा अष्ट शक्तियों के अलग - अलग स्वरूप में मुझे दिखाई दे रहें हैं। *अष्ट शक्तियों को मुझ में समाहित कर मुझे सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बनाने के लिए अब बापदादा एक - एक शक्ति से भरपूर अपनी शक्तिशाली किरणे मुझ फ़रिश्ते में प्रवाहित कर रहें हैं*। 

 

_ ➳  अपना सम्पूर्ण ध्यान इस नश्वर दुनिया से समेट कर मैं अपना संसार केवल एक शिव बाबा को बना सकूँ इसके लिए समेटने की शक्तिशाली किरणों से बाबा मुझे भरपूर कर रहें हैं। *अपनी सहनशक्ति से हर बात को सहन करते हुए हिम्मतवान बन हर परिस्थिति को मैं सहजता से पार कर सकूँ इसके लिए बाबा अब सहनशक्ति से भरपूर किरणे मुझ में प्रवाहित कर रहें हैं*। 

 

_ ➳  जैसे बापदादा सभी बच्चों की सभी बातों को स्वयं में समा लेते हैं। वैसे समाने की शक्ति से भरपूर किरणे मुझ में समाहित कर बाबा मुझमे हर बात को स्वयं में समाने का बल भर रहें हैं। *अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परख कर हर प्रकार के धोखे से मैं स्वयं को बचा सकूँ इसके लिए बाबा परखने की शक्ति से भरपूर किरणो से मुझे सम्पन्न बना रहे हैं*। माया के अति सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप को पहचान कर उचित समय पर मैं उचित निर्णय ले सकूँ इसके लिए बाबा निर्णय करने की शक्ति से सपन्न किरणे अब मुझमे भर रहें हैं।

 

_ ➳  विपरीत परिस्थिति में घबराने के बजाए उसका डटकर सामना करने के लिए बाबा अब सामना करने की शक्ति से मुझे भरपूर कर रहें हैं। *एक दो को सहयोग दे, संगठन को निर्विघ्न चलाने के लिए बाबा सहयोग की शक्ति से भरपूर किरणे मुझ में प्रवाहित कर मुझे सहयोगी आत्मा बना रहें हैं*। देह और देह के सम्बन्धो के विस्तार को समेट कर सबको आत्मिक स्वरूप में देखने का पाठ पक्का हो इसके लिए विस्तार को सार में समाने की शक्ति बाबा मुझे दे रहें है। 

 

_ ➳  अपने आठ स्वरूपों से अष्ट शक्तियों को मेरे अंदर भरकर बाबा ने मुझे अष्ट शक्तियों से सम्पन्न कर दिया हैं। देह अभिमान में आने के कारण मुझ आत्मा में निहित अष्ट शक्तियाँ जो मर्ज हो गई थी वो आठों शक्तियाँ अब इमर्ज हो गई हैं। *बापदादा के आठों स्वरूपों से अष्टशक्तियों को स्वयं में भरपूर करके अब मैं सर्व शक्ति सम्पन्न स्वरूप बन कर वापिस साकारी दुनिया मे लौट आती हूँ। 

 

_ ➳  *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सदा सेट रहते हुए, माया के तूफानों में मुरझाने के बजाए अब मैं समय और परिस्थिति के अनुसार उचित शक्ति का प्रयोग करके सहज ही माया के हर वार का सामना कर, माया पर विजय प्राप्त कर रही हूँ*।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं श्रेष्ठ पुरुषार्थ द्वारा फाइनल रिजल्ट में फर्स्ट नम्बर लेने वाली आत्मा हूँ।*

✺   *मैं उड़ता पंछी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं आत्मा वृत्ति द्वारा वायुमंडल को पावरफुल बनाती हूँ  ।*

✺   *मैं लास्ट का पुरुषार्थ व सर्विस करती हूँ  ।*

✺   *मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *वैज्ञानिकों को बहुत अच्छा अनुभव है। जैसे साइंस दिनप्रतिदिन अति सूक्ष्ममहीन होती जाती है।* ऐसे आप साइलेन्स और साइंस - दोनों के अनुभवी हो। तो *अपने हमजिन्स को साइलेन्स का महत्व सुनाओ। उनका भी कल्याण करो।* कल्याण करना आता है नासाइलेन्स भी एक विज्ञान है, *साइलेन्स का विज्ञान क्या हैउसकी इन्हों को पहचान दो। साइलेन्स के विज्ञान से क्या-क्या होता है,* यह जानने से साइंस भी ज्यादा रिफाइन कर सकेंगे क्योंकि हमारी नई दुनिया में भी विज्ञान तो काम में आयेगा ना! लेकिन रिफाइन रूप में होगा। अभी के विज्ञान की इन्वेन्शन में फायदा भी हैनुकसान भी है। लेकिन नई दुनिया में रिफाइन विज्ञान होने के कारण नुकसान का नाम-निशान नहीं होगा। तो *ऐसे जो बड़े-बड़े वैज्ञानिक हैं उन्हों को साइलेन्स का ज्ञान दो। तो फिर अपनी नई दुनिया में रिफाइन विज्ञान का कार्य करने में मददगार बनेंगे।*

 

 _ ➳  2. *ऐसे इन्जीनियर्स को तैयार करो। चलो पूरा ज्ञान नहीं लेवेंरेग्युलर नहीं बनें लेकिन बाप को तो पहचानें*। कई ऐसी आत्मायें हैं जो रेग्युलर नहीं बनती हैं लेकिन *निश्चय और खुशी में रहती हैं। सम्बन्ध में सहयोगी रहती हैं। ऐसी आत्मायें भी तैयार करो।* 

 

✺   *ड्रिल :-  "साइलेन्स के विज्ञान का अनुभव"*

 

 _ ➳  *बाबा के अव्यक्त महावाक्यों को मैं आत्मा मानस पटल पर लाते हुए इन पर विचार कर रही हूँ... बाबा के द्वारा उच्चारे गये शब्द "साइलेंस का अनुभव कराओं, अपने हमजिन्स का कल्याण करों"...* ये शब्द बार-बार मुझ आत्मा के कानों में गूंज रहे है... *मैं आत्मा भी अन्तरमुखता की गुफा में प्रवेश कर साइलेंस विज्ञान के अद्भुत प्रयोग में लग जाती हूँ...* सभी संकल्पों को एक सेकंड में स्टॉप कर... मैं आत्मा चेतना को भृकुटि के मध्य एकाग्र करती हूँ... और *मन बुद्धि रूपी विमान में बैठ राकेट से भी ज्यादा तेज गति से उड़कर पँहुच जाती हूँ अपने साइलेंस होम में...* चारों ओर एक गहन सन्नाटा है... गहन शांति है और मैं आत्मा स्थित हूँ अपने स्वधर्म में... सामने शांति के सागर ज्योतिमय शिव बाबा, उनसे निकलती सर्व शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा में समा रही है... एक-एक शक्ति की बहुत गहराई से अनुभव कर रही हूँ मैं आत्मा... स्वयं को मैं आत्मा बेहद शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... *गहन शांति की शक्ति का अनुभव मैं आत्मा स्वयं में कर रही हूँ... लग रहा है शांतिधाम की समस्त शांति मुझ आत्मा में समा गई हो... महसूस कर रही हूँ मैं आत्मा स्वयं में इस साइलेंस बल को इस याद के बल को...* अब मैं आत्मा इस साइलेंस बल को स्वयं में भर चलती हूँ इस विश्व गलोब के ऊपर...

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को विश्व गलोब के ऊपर, देख रही हूँ इस साकार लोक को जहाँ साइंस के साधनों की धूम मची है... किस प्रकार *साइंस तेजी से प्रगति की राह पर है... और किस प्रकार हर मनुष्य आत्माएँ साइंस द्वारा निर्मित साधनों की प्राप्ति में लगी हुई है... और इन स्थूल साधनों में सुख-शांति तलाश रही है...* लेकिन फिर भी ना उन्हें सच्ची खुशी मिल रही है... और ना ही सच्ची शांति बल्कि साइंस ही उन्हें विनाश की ओर ले जा रही है... हर आत्मा सच्ची खुशी, सच्ची शांति को तलाश रही है... भटक रही है... उनका दुख, अंशाति, दर्द बढ़ ही रहा है... *मैं आत्मा फरिशता ड्रेस धारण कर आवाहन करता हूँ... एडवांस पार्टी की सभी आत्माओं का,* आवाहन करते ही सभी एडवांस पार्टी की आत्माएँ मुझ आत्मा के चारो तरफ घेरा बना कर खडी हो जाती है... *अपने फरिशता ड्रेस में... और हम सभी मिलकर एक दूसरे का हाथ पकड़कर विश्व गलोब पर बैठ जाते है... और ऊपर शिव बाबा से निरंतर शक्तिशाली किरणें हमारे ऊपर पड़ रही है... और हमसे ये पवित्रता, सुख, शांति की किरणें इस पूरे विश्व में फैल रही है... ये किरणें इस विश्व की हर आत्मा को मिल रही है... हर आत्मा सुख, शांति, शक्ति की अनुभूति कर रही है...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा देख रही हूँ... *इस विश्व में जहाँ-जहाँ भी दुख-अशांति है... साइंस के साधन जहाँ फेल हो गये है... वहाँ-वहाँ बाबा के बच्चे जो इस विश्व में सेवा अर्थ भिन्न-भिन्न स्थानों पर है... वह साइलेंस बल द्वारा इन विकट समस्याओं को हल कर रहे है...* और हम फरिशते भी उनके साथ सकाश दे रहे है... *जहाँ साइंस काम नहीं कर रही वहाँ अब ये साइलेंस कार्य कर रही है... साइंस पर साइलेंस की विजय हो रही है...* ये देख कर बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी प्रभावित हो रहे है... वो भी अनुभव कर रहे है... कोई दिव्य अलौकिक शक्ति के द्वारा यह कार्य हो रहा है... मैं फरिशता, एडवांस पार्टी के फरिशतो के साथ इन वैज्ञानिकों की आत्माओं और इन्जीनियर्स को भी सकाश दे रही हूँ... *साइलेंस की शक्ति इनको अनुभव हो रही है... और ये आत्माएँ भी साइलेंस की साइंस को जानने में लग गई है... इस साइलेंस विज्ञान को साइंस में यूज करने के कार्य में जुट गई है... इन्हें भी अनुभव हो रहा है... जैसे इनको ये कार्य करने की कहीं से प्रेरणा मिल रही है...* वे एक अलौकिक शक्ति का अनुभव कर रहे है... और *इसी शांति की शक्ति से आकर्षित होकर ये आत्माएँ निमित्त आत्माओं द्वारा मधुबन घर में पहुंच गयी है...*

 

 _ ➳  ये सभी वैज्ञानिक और इंजीनियर यहां पहुंच कर दिव्यता और अलौकिकता का अनुभव कर रही है... *यहाँ हर ब्राह्मण आत्मा साइलेंस से भरपूर है... और उनका ये साइलेंस विज्ञान इन सभी आत्माओं को आकर्षित कर रहा है...* उनमें इस शक्ति को जानने की उत्सुकता बढ रही है... साइलेंस विज्ञान से बना यहाँ का अलौकिक वातावरण, यहाँ की गहन शांति इन्हें प्रभावित कर रही है... *ये आत्माएँ भी इस शक्ति-शांति को फील कर रही है... इन आत्माओं ने साइंस और साइलेन्स का फर्क देखा अनुभव किया* हर ब्राह्मण आत्मा से मिलने पर शांति और खुशी का अनुभव कर रही है... *एक-एक आत्मा साइलेंस के इस विज्ञान की इनवेंशन का अनुभव कर रही है... इस सभी आत्माओं को शिव पिता का परिचय मिल रहा है... इनका भी कल्याण हो रहा है... इनको बाबा का नई दुनिया बनाने का पलैन समझ आ गया है* और अब ये आत्माएं भी हमारी सम्पूर्ण सहयोगी बन गयी है... *अब ये आत्माएँ भी साइलेंस विज्ञान को समझ रही है... और एक लगन के साथ साइलेंस विज्ञान को यूज कर साइंस के साधनों को रिफाइन करने में जुट गयी है... सभी बड़े-बड़े इन्जीनियर्स भी निश्चय और खुशी के साथ मददगार बन साइंस के साधनों को रिफाइन करने में तीव्र गति से लग गये है...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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