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 17 / 12 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *देह के नाम रूप से न्यारा होकर देही अभिमानी होकर रहे ?*

 

➢➢ *"हम राजाई लेने के लिए पढ रहे हैं" - इस आंतरिक ख़ुशी में रहे ?*

 

➢➢ *कल्याणकारी वृत्ति द्वारा सेवा की ?*

 

➢➢ *साधनों की आकर्षण से साधना को खंडित तो नही होने दिया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *कभी कहीं पर जाओ तो यही लक्ष्य रखो कि जहाँ जायें वहाँ यादगार कायम करें,* वह तब होगा जब आत्मिक प्यार की सौगात साथ होगी। *यह आत्मिक प्यार(स्नेह) पत्थर को भी पानी कर देगा। इससे किसी पर भी विजय हो सकती है।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं कल्प-कल्प की अधिकारी आत्मा हूँ"*

 

✧   सदा यह नशा रहता है कि हम ही कल्प-कल्प के अधिकारी आत्मायें है, हम ही थे हम ही हैं, हम ही कल्प कल्प होंगे। कल्प पहले का नजारा ऐसे ही स्पष्ट स्मृति में आता है। आज ब्रह्मण हैं कल देवता बनेंगे। हम ही देवता थे यह नशा रहता है? *हम सो, सो हम यह मंत्र सदा याद रहता है? इसी एक नशे में रहो तो सदा जैसे नशे में सब बातें भूल जाती हैं, संसार ही भूल जाता है, ऐसे इस में रहने से यह पुरानी दुनिया सहज ही भूल जायेगी।* ऐसी अपनी अवस्था अनुभव करते हो? तो सदा चेक करो - आज ब्रह्मण कल देवता, यह कितना समय नशा रहा।

 

✧  जब व्यवहार में जाते तो भी यह नशा कायम रहता कि हल्का हो जाता है? जो जैसा होता है उसको वह याद रहता है। जैसे प्रजीडेन्ट है वह कोई भी काम करते यह नहीं भूलता कि मैं प्रेजीडेन्ट हूँ। तो आप भी सदा अपनी पोजीशन याद रखो। इससे सदा खुशी रहेगी, नशा रहेगा। सदा खुमारी चढ़ी रहे। *हम ही देवता बनेंगे, अभी भी ब्रह्मण चोटी हैं ब्रह्मण तो देवताओंसे भी ऊंच है। इस नशे को माया कितना भी तोड़ने की कोशिश करे लेकिन तोड़ न सके।*

 

✧  माया आती तभी है जब अकेला कर देती है। बाप से किनारा करा देती है। डाकू भी अकेला करके फिर वार करते हैं ना। *इसलिए सदा कम्बाइन्ड रहो कभी भी अकेले नहीं होना। मैं और मेरा बाबा, इसी स्मृति में कम्बाइन्ड रहो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  (बापदादा ने ड़िल कराई) सभी में रूलिंग पॉवर है? कर्मेन्द्रियों के ऊपर जब चाहो तब रूल कर सकते हो? स्व-राज्य अधिकारी बने हो? *जो स्व-राज्य अधिकारी है वही विश्व के राज्य के अधिकारी बनेंगे।*

 

✧  *जब चाहो, कैसा भी वातावरण हो लेकिन अगर मन-बुद्धि को ऑर्डर दो स्टॉप, तो हो सकता है या टाइम लगेगा?* यह अभ्यास हर एक को सारे दिन में बीच-बीच में करना आवश्यक है।

 

✧  और कोशिश करो जिस समय मन-बुद्धि बहुत व्यस्त है, ऐसे समय पर भी एक सेकण्ड के लिए स्टॉप करना चाहो तो हो सकता है? तो *सोचो स्टॉप और स्टाप होने में 3 मिनट, 5 मिनट लग जाएँ, यह अभ्यास अंत में बहुत काम में आयेगा।* इसी आधार पर पास विद ऑनर वन सकेंगे। अच्छा।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *सबसे सहज बात कौन-सी है, जिसको समझने से सदा के लिए सहज मार्ग अनुभव होगा? वह सहज बात है सदा अपनी ज़िम्मेदारी बाप को दे दो।* ज़िम्मेवारी देना सहज है ना? स्वयं को हल्का करो तो कभी भी मार्ग मुश्किल नहीं लगेगा। मुश्किल तब लगता है जब थकना होता या उलझते हैं। *जब सब ज़िम्मेवारी बाप को दे दी तो फ़रिश्ते हो गये। फ़रिश्ते कब थकते हैं क्या? लेकिन यह सहज बात नहीं कर पाते तब मुश्किल हो जाता। ग़लती से छोटी-छोटी ज़िम्मेवारियों का बोझ अपने ऊपर ले लेते इसलिए मुश्किल हो जाता। भक्ति में कहते थे- सब कर दो राम हवाले। अब जब करने का समय आया तब अपने हवाले क्यों करते?* मेरा स्वभाव, मेरा संस्कार- यह मेरा कहाँ से आया? *अगर मेरा खत्म तो नष्टोमोह हो गये। जब मोह नष्ट हो गया तो सदा स्मृति स्वरूप हो जायेंगे। सब कुछ बाप के हवाले करने से सदा खुश और हल्के रहेंगे। देने में फिराक दिल बनो। अगर पुरानी कीचड़पट्टी रख लेंगे तो बीमारी हो जायेगी।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  अपनी चलन बहुत-बहुत रॉयल रखना"*

 

_ ➳  बरसात के भीगे भीगे खुबसूरत मौसम में... मै आत्मा ठंडी फुहारों का आनन्द लेती हुई... अपने प्रियतम बाबा को पुकारती हूँ... मीठे बाबा एक पल में हाजिर हो जाते है...और मै आत्मा... *अपने प्यारे बाबा के असीम प्यार की बदौलत... मीठे हो गए, अपने मन को निहारती हूँ..*. यह मन बिना बाबा के कितना कटु और शुष्क था... आज सच्चे प्रेम में पोर पोर से डूबा हुआ है... मीठे बाबा ने मुझे प्रेम की मिसाल बना दिया है... आज सारा विश्व मेरी प्रेम तंरगों का दीवाना है... और मुझे यूँ खोया देख बाबा मुस्करा रहे है...

 

   *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सतयुगी सुखो से आबाद बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता को टीचर, और सतगुरु को पाकर सब कुछ पा लिया है... मीठे बाबा के सारे खजाने सारी खाने आपकी है.. इतनी दौलत के मालिक बनकर... *अपनी श्रीमत के रंग में रंगी, मीठी दैवी चलन का, दीवाना विश्व को बनाओ.*.. सबको आप समान सुखो से भर आओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा मीठे बाबा सागर से मीठेपन को स्वयं में भरकर कहती हूँ :-* "मेरे मीठे मीठे बाबा... *आपने जीवन में आकर, अपने प्यार की मिठास से, मुझ आत्मा को कितना, मीठा, प्यारा बना दिया है.*.. मै आत्मा इस सच्चे प्रेम की तरंगे, सारे विश्व पर बरसा रही हूँ... सबको सुखो का अधिकारी बनाती जा रही हूँ..."

 

   *प्यारे बाबा मुझ आत्मा को विश्वकल्याण की भावना से ओतप्रोत करते हुए कहते है :-* "मीठे लाडले बच्चे मेरे... *मीठे बाबा को पाकर, जो सुखो की दौलत पायी है... खुशियो की जागीरे दिल में समायी है.*.. उनकी झलक अपनी रूहानियत से सारे जहान में फैलाओ... अपनी देवताई चलन से सहज ही ईश्वर पिता का परिचय दे आओ... बिछड़े हुए बच्चों को प्यारे पिता से मिलवाओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा मीठे बाबा की सारी रत्नों भरी खाने, अपने नाम, करते हुए कहती हूँ :-* "मीठे दुलारे बाबा मेरे... आप जीवन में न थे बाबा... तो मै आत्मा कितनी कँटीली और कड़वी थी... सच्ची मिठास से कितनी अनजान और अनभिज्ञ थी... *आपने अपने मीठे प्यार से सींच सींचकर... मुझे रूहानी गुलाब बना दिया है.*.. मै आत्मा दिव्यता की खुशबु हर दिल पर महका रही हूँ..."

 

   *मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपनी सम्पत्ति का मालिक बनाते हुए कहते है :-* "मीठे सिकीलधे बच्चे... मीठे बाबा ने जो इतना मीठा प्यारा और दिव्य स्वरूप खिलाया है... *इस दिव्यता का मुरीद सबको बनाकर, सच्चे पिता की छवि, अपनी मीठी चलन से दिखाओ.*.. सबको मीठे बाबा के वर्से का अधिकारी, आप समान बना आओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा प्यारे बाबा को बड़े ही प्रेम से निहारते हुए कहती हूँ :-* "मेरे सच्चे साथी बाबा... *आपने अपनी प्यार भरी बाँहों में समाकर, मुझे रूहानी बना दिया है.*.. अपनी असली सुंदरता को पाकर, मै आत्मा... गुणो की खान बनकर मुस्करा रही हूँ... और इस दैवी सुुंदरता की छटा, पूरे विश्व में बिखेर कर, आपके करीब ला रही हूँ... मीठे बाबा पर यूँ अपना प्यार उंडेल कर मै आत्मा... धरा की ओर रुख करती हूँ..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- ऐसी चलन नही चलनी है जो सतगुरु की निंदा हो*"

 

_ ➳  एक खुले स्थान पर, ठन्डी हवाओ का आनन्द लेती अपने खुदा दोस्त को अपने साथ अनुभव करती मैं अपने खुदा दोस्त का शुक्रिया अदा करती हूँ जिन्होंने अपनी श्रेष्ठ मत द्वारा मेरे जीवन को सर्वश्रेष्ठ बना दिया। *अपने ऐसे खुदा दोस्त, भगवान बाप को मैं प्रोमिस करती हूँ कि उनकी निंदा कराने वाला कोई भी कर्म मैं कभी भी नही करूँगी*। हर कदम उनकी श्रेष्ठ मत पर चलते हुए, उनके हर फरमान का पालन करते अपने श्रेष्ठ संकल्प, बोल और कर्म द्वारा उनका नाम बाला करूँगी।

 

_ ➳  मन ही मन अपने आप से दृढ़ प्रतिज्ञा करती अपने प्यारे मीठे बाबा की मीठी मधुर पालना के झूले में स्वयं को झूलते हुए अनुभव करती *मैं महसूस करती हूँ जैसे मेरी इस प्रतिज्ञा को पूरा करने में बाबा मेरे सहयोगी बन, मुझ में अपनी शक्तियाँ प्रवाहित कर, मुझे आप समान बलशाली बनाने के लिए अपने पास बुला रहें हैं*। परमधाम से अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की मीठी फ़ुहारों को अपने ऊपर गिरते हुए मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। *ये रंग बिरंगी मीठी फुहारे मेरे अन्तर्मन को छू कर मुझे देह से न्यारी एक अति प्यारी अवस्था का अनुभव करवा रही हैं*।

 

_ ➳  इस न्यारी और प्यारी अवस्था मे मैं स्वयं को मस्तक के बीचों - बीच चमकते हुए एक अति सूक्ष्म गोल्डन स्टार के रूप में देख रही हूँ जिसकी रंग बिरंगी किरणों का प्रकाश चारों और फैलकर मन को बहुत ही सुखद अनुभूति करवा रहा है। *इस प्रकाश में मुझ आत्मा के सातों गुणों और अष्ट शक्तियों का मिश्रण समाया है जो मुझे मेरे सातों गुणों और अष्ट शक्तियों का अनुभव करवा कर बहुत ही शक्तिशाली स्थिति में स्थित कर रहा है*। स्वयं में से निकल रहे इस खूबसूरत प्रकाश को देखते और गहन आनन्द की अनुभूति करते - करते मैं गोल्डन स्टार अपनी रंग बिरंगी किरणो को फैलाता हुआ अब चमकते चैतन्य सितारों की उस गोल्डन दुनिया मे जा रहा हूँ जहाँ मेरे प्यारे पिता रहते हैं।

 

_ ➳  अपने पिता के प्रेम की लग्न में मग्न, मैं जगमग करती ज्योति धीरे - धीरे ऊपर उड़ते हुए आकाश को पार करती हूँ और उससे ऊपर फरिश्तो की दुनिया को पार कर, अनन्त ज्योति के देश, अपने परमधाम घर मे प्रवेश कर जाती हूँ। *सामने महाज्योति मेरे शिव पिता अपनी सर्वशक्तियों की अनन्त किरणो को फैलाये ऐसे लग रहे है जैसे अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में मुझे भरने के लिए व्याकुल हो रहें हैं*। बिना कोई विलम्ब किये मैं चमकती हुई चैतन्य ज्योति अपने महाज्योति शिव पिता के पास पहुँचती हूँ और उनकी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में समा जाती हूँ। 

 

_ ➳  मेरे प्यारे पिता की सर्वशक्तियों की किरणें स्नेह की मीठी फ़ुहारों के रूप में मुझ पर बरसने लगती हैं। *सर्वशक्तिवान मेरे प्यारे मीठे बाबा अपना असीम स्नेह मुझ पर बरसाते हुए अपनी सर्वशक्तियों से मुझे बलशाली बनाने के लिए अपनी लाइट माइट को फुल फोर्स के साथ मुझ में प्रवाहित करने लगते हैं*। अपने प्यारे पिता की लाइट माइट पाकर, सर्व शक्ति सम्पन्न स्वरूप बनकर, अपने संकल्प, बोल और कर्म को श्रेष्ठ बना कर, अपने प्यारे पिता का नाम बाला करने के लिए अब मैं साकार सृष्टि पर लौट आती हूँ। 

 

_ ➳  अपने साकार तन का आधार लेकर, ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, इस सृष्टि रूपी कर्मभूमि पर अब मैं हर कर्म अपने प्यारे बाबा की याद में रहकर कर रही हूँ। *अपने हर संकल्प, बोल और कर्म पर पूरा अटेंशन देते हुए मैं इस बात का विशेष ध्यान रखती हूँ कि देह भान में आकर, मेरे मन मे कोई भी गलत संकल्प भी कभी उतपन्न ना हो, मेरे मुख से कभी भी, कोई भी ऐसा बोल ना निकले जो किसी को आहत करे या ऐसा कोई भी कर्म मुझ से ना हो जाये जो किसी को तकलीफ पहुँचे और मेरे प्यारे पिता की निंदा का कारण बनें*। इसलिये इन सभी बातों पर पूरा अटेंशन दे, अपने हर संकल्प, बोल और कर्म को श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनाने का पुरुषार्थ अब मैं निरन्तर कर रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं कल्याणकारी वृत्ति द्वारा सेवा करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं सर्व आत्माओं की दुआओं की अधिकारी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं आत्मा साधनों की आकर्षण से सदैव मुक्त हूँ  ।*

   *मैं आत्मा साधना को खंडित करने से सदा मुक्त हूँ  ।*

   *मैं आत्मा बेहद की वैरागी हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा के पास भी *दिल का चित्र निकालने की मशीनरी* है। यहाँ एक्सरे में यह स्थूल दिल दिखाई देता है ना। तो *वतन में दिल का चित्र बहुत स्पष्ट दिखाई देता है।* कई प्रकार के छोटे-बड़े दागढीले स्पष्ट दिखाई देते हैं।

 

 _ ➳  बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि बापदादा का बच्चों से प्यार होने के कारण एक बात अच्छी नहीं लगती। वह है - मेहनत बहुत करते हैं। *अगर दिल साफ हो जाए तो मेहनत नहींदिलाराम दिल में समाया रहेगा* और आप दिलाराम के दिल में समाये हुए रहेंगे। दिल में बाप समाया हुआ है। किसी भी रूप की मायाचाहे सूक्ष्म रूप होचाहे रायल रूप होचाहे मोटा रूप होकिसी भी रूप से माया आ नहीं सकती। स्वप्न मात्रसंकल्प मात्र भी माया आ नहीं सकती। तो मेहनत मुक्त हो जायेंगे ना! *बापदादा मन्सा में भी मेहनत मुक्त देखने चाहते हैं। मेहनत मुक्त ही जीवनमुक्त का अनुभव कर सकते हैं।* होली मनाना माना मेहनत मुक्तजीवनमुक्त अनुभूति में रहना। 

 

✺   *ड्रिल :-  "दिल साफ रख मेहनत मुक्त बनना"*

 

 _ ➳  *मैं त्यागी और तपस्वी ब्राह्मण आत्मा कमलासन पर विराजमान* हूँ... भृकुटि सिंहासन पर विराजमान मुझ आत्मा से *चारो ओर रंगबिरंगी गुणों और शक्तियों की किरणें निकलकर समस्त संसार में* फैल रही है... सारा संसार जड़, चैतन्य और जंगम सहित सर्वस्व इन गुणों और शक्तियों से भरपूर हो रहा हैं... अब *मैं अपने फरिश्ता स्वरूप में उड़ चलती हूँ सूक्ष्मवतन की ओर...* अपने प्राणप्रिय बापदादा के पास... बापदादा के विशाल आकारी शरीर के समक्ष *मैं फरिश्ता एक नन्हा सा बालक हूँ... बापदादा की शक्तिशाली किरणें मुझमे शक्ति भरते हुए तीनो लोकों में फैल रही हैं...* बापदादा मुझे अपने कंधो पर बिठाकर पूरे सूक्ष्मवतन की सैर करा रहे है...

 

 _ ➳  रास्ते में आनेवाले चित्रो को मैं फरिश्ता देख रहा हूँ... चांद सितारों की उपर की इस दुनिया की रोशनी को अपने अंतर में समाकर हर्षित हो रहा हूँ... फिर मैं देख रहा हूँ की *बापदादा के पास दिल का चित्र निकालने की मशीनरी है...* जिसमे दिल के... अंतर मन के सारे संकल्प बहुत स्पष्ट दिखाई दे रहे है... कई प्रकार के श्रेष्ठ संकल्प और छोटे, बडे़ दाग भी स्पष्ट दिखाई दे रहे है... *मैं देख रहा हूँ अपनी ही कमी कमजोरी के चित्र को...* कभी तो मेरे दिल में कोई आत्मा आती दिखाई दे रही है तो कभी कोई... कभी कही किसी से लगाव झुकाव होने कारण दिल से बापदादा निकल जाते तो कही घृणा नफरत के कारण...

 

 _ ➳  कभी पांच तत्वो से निर्मित देह अपनी तरफ खिंचता तो कभी सूक्ष्म कर्मेन्द्रियाँ आकर्षित करती... कभी वो साधन अपनी तरफ खिंचते जिसको मैं अपनी साधना का आधार बना बैठा हूँ... इस तरह *भिन्न भिन्न प्रकार के चित्र दिखाई दे रहे है मेरे दिल में... जो दिलाराम बापदादा को मुझसे दूर कर रहे है...* अब मुझ फरिश्ते को ज्ञात हुआ है की मुझे बाप को अपने दिल में समाने के लिए इतनी मेहनत क्यों लग रही हैं... बापदादा का मुझसे बहुत प्यार होने के कारण उनको मेरी यह एक बात अच्छी नहीं लगी की मैं इतनी मेहनत कर रहा हूँ... *बापदादा उन चित्रो के एकदम नजदीक जा रहे है...* बिलकुल उनके सामने आकर हम खडे हो गए...

 

 _ ➳  *बापदादा अपनी किरणों से और अपने वायब्रेशन्स के माध्यम से दिल के सारे छोटे-बड़े दाग को साफ करते जा रहे है...* एक एक दाग को बापदादा ने मिटा कर दिल को एकदम साफ कर दिया... *अब दिल साफ हो गया तो मैं फरिश्ता मेहनत मुक्त हो गया... एकदम हलकापन अनुभव हो रहा है...* डेड साइलेन्स की अनुभूति हो रही है... *एक बाप दूसरा न कोई* दिल से यही गीत बज रहा है... अब दिल में इसी धुन का बसेरा है *मैं बाबा का और बाबा मेरा...* अब बिना मेहनत के मैं भी दिलाराम के दिल में और दिलाराम भी मेरे दिल में... *अब माया चाहे कोई भी रूप लेकर आए... चाहे सूक्ष्म रूप होचाहे रायल रूप होचाहे मोटा रूप हो... पल भर के लिए भी दिलाराम को दिल से हटा नहीं सकती...* स्वप्न मात्रसंकल्प मात्र भी माया आ नहीं सकती...

 

 _ ➳  *मनसा में भी एकदम मेहनत मुक्त अवस्था हो चुकी है...* अब मैं फरिश्ता बापदादा के कंधे से नीचे उतरकर बापदादा को धन्यवाद करता हुआ *वापस लौटता हूँ अपने कर्मक्षेत्र अपने सेवा स्थान पर...* मैं फरिश्ता शरीर में प्रवेश करने के बाद भी वही मेहनत मुक्त अवस्था का अनुभव कर रहा हूँ... इस अवस्था के कारण मुझे कोई भी कर्म करते हुए भी कर्म बंधन या कर्मेन्द्रियाँ अपनी तरफ आकर्षित नही कर पा रही... *मुझे कर्मातीत अवस्था की अनुभूति हो रही है... इस कारण मुझे जीवनमुक्ति का अनुभव हो रहा है...* इस जीवनमुक्त अवस्था में *दिलाराम को अपने दिल में समाए हुए... मैं आत्मा सच्ची सच्ची होली मना रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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