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❍ 10 / 12 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *सर्विस कर आत्माओं को आप समान बनाया ?*
➢➢ *आज्ञाकारी वफादार बनकर रहे ?*
➢➢ *अंतर्मुखता की गुफा में रहे ?*
➢➢ *विस्तार में साधना को छिपाया तो नहीं ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *किसी भी विघ्न से मुक्त होने की युक्ति है - सेकण्ड में स्वयं का स्वरूप अर्थात् आत्मिक ज्योति स्वरूप स्मृति में आ जाए और कर्म में निमित्त भाव का स्वरूप -* इस डबल लाइट स्वरूप में स्थित हो जाओ तो सेकण्ड में हाई जम्प दे देंगे। कोई भी विघ्न आगे बढ़ने में रूकावट नहीं डाल सकेगा।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *" मैं परमात्मा द्वारा चुनी हुई श्रेष्ठ आत्मा हूँ "*
〰✧ सभी अपने को इस विश्व के अन्दर सर्व आत्माओंमें से चुनी हुई श्रेष्ठ आत्मा समझते हो? यह समझते हो कि स्वंय बाप ने हमें अपना बनाया है? *बाप ने विश्व के अन्दर से कितनी थोड़ी आत्माओंको चुना। और उनमें से हम श्रेष्ठ आत्मायें हैं।* यह संकल्प करते ही क्या अनुभव होगा? अतीन्द्रिय सुख की प्राप्ति होगी। ऐसे अनुभव करते हो? अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति होती है वा सुना है? प्रैक्टिकल का अनुभव है वा सिर्फ नालेज है? क्योंकि ज्ञान अर्थात् समझ। समझ का अर्थ ही है - 'अनुभव में लाना'।
〰✧ सुनना, सुनाना अलग चीज है, अनुभव करना और चीज है। यह श्रेष्ठ ज्ञान है अनुभवी बनने का। द्वापर से अनेक प्रकार ज्ञान सुने और सुनाये। जो आधाकल्प किया वह अभी भी किया तो क्या बड़ी बात! *यह नई जीवन, नया युग, नई दुनिया के लिए नया ज्ञान, तो इसकी नवीनता ही तब है जब अनुभव में लाओ।*
〰✧ एक एक शब्द, आत्मा, परमात्मा, चक्र कोई भी ज्ञान का शब्द अनुभव में आये। रियलाइजेशन हो। *आत्मा हूँ यह अनुभूति हो, परमात्मा का अनुभव हो, इसको कहा जाता है - 'नवीनता'।* नया दिन, नई रात, नया परिवार सब कुछ नया ऐसे अनुभव होता है? भक्ति का फल अभी ज्ञान मिल रहा है तो ऐसे ज्ञान के अनुभवी बनो अर्थात् स्वरूप में लाओ।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ कई बच्चे कहते हैं - बहुत सेवा की है ना तो थक गये हैं, माथा भारी हो गया है। तो माथा भारी नहीं होगा। और ही *‘करावनहार' बाप बहुत अच्छा मसाज करेगा। और माथा और ही फ्रेश हो जायेगा।* थकावट नहीं होगी, एनर्जी एक्सट्रा आयेगी।
〰✧ *जब साइन्स की दवाइयों से शरीर में एनर्जी आ सकती है, तो क्या बाप की याद से वा आत्मा में एनर्जी नहीं आ सकती?* और आत्मा में एनर्जी आई तो शरीर में प्रभाव आटोमेटिकली पडता है। अनुभवी भी हो, कभी-कभी तो अनुभव होता है।
〰✧ फिर चलते-चलते लाइन बदली हो जाती है और पता नहीं पडता है। जब कोई उदासी, थकावट या माथा भारी होता है ना फिर होश आता है, क्या हुआ? क्यों हुआ? लेकिन *सिर्फ एक शब्द ‘करनहार' और ‘करावनहार' याद करो, मुश्किल है या सहज है? बोलो हाँ जी।* अच्छा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जो बाप के रिश्ते से प्राप्ति होती है वह उसी सेकेण्ड में स्मृति में नहीं आती है, भूल जाते हैं। इसलिए कोई का आधार ले लेते हैं। प्राप्ति कोई कम है क्या? *मुश्किल के समय बाप का सहारा लेना चाहिए, न कि किसी आत्मा का सहारा लेना चाहिए। लेकिन उस समय वह प्राप्ति भूल जाती है। कमज़ोर होते हैं। जैसे डूबते हुए को तिनका मिल जाता है तो उसका सहारा ले लेते हैं।* उस समय परेशानी के कारण जो तिनका सामने आता है उनका सहारा ले लेते हैं, *लेकिन उससे बेसहारे हो जायेंगे- यह स्मृति में नहीं रहता।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना"*
➳ _ ➳ खुबसूरत प्रकृति के सानिध्य में बैठी हुई मै आत्मा... मीठे बाबा की यादो में डूबी हुई... अपने महान भाग्य को याद कर रही हूँ... कि अचानक चलते चलते भगवान ही मेरे जीवन में उतर आया... और यह साधारण गरीब और दुखी जीवन... *यकायक ईश्वरीय अमीरी से खनकने लगा... और मेरी अमीरी की गूंज पूरे विश्व में गुंजायमान हो गयी..*. ऐसे मीठे भाग्य को तो कल्पनाओ में भी कभी न देखा... और आज ऐसे मीठे, ज्ञान धन की दौलत से खनकते... जीवन की मालिक बनकर मुस्करा रही हूँ... *ऐसे प्यारे भाग्य को सजाकर... मेरे हाथो में सौंपने वाले मीठे बाबा को... प्यार करने* वतन में उड़ चलती हूँ...
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने सारे खजानो को मुझे सौंपते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की बाँहों में समाकर... जो ज्ञान धन की दौलत से भरपूर हो गए हो... तो *यह खजाने, यह अमीरी, हर दिल पर बिखेर कर... सबका दामन सच्ची खुशियो से सजाने वाले... खुशियो के सौदागर बनकर मुस्कराओ... अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करने की रेस की बदौलत... असीम आनन्द और सुख को अपने दिल में सजा हुआ सहज ही पाओ...*
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में दीवानी हैकर कहती हूँ:-* “मीठे मीठे बाबा... आपने मुझ आत्मा को अपने प्यार की बाँहों में भरकर, विश्व की बादशाही से सजा दिया है... कब सोचा था कि मेरी गरीबी यूँ ईश्वरीय अमीरी में बदल जायेगी... और मै आत्मा *यह धन बाँटने वाली... महा धनवान् बन इस धरा पर इठलाउंगी.*.."
❉ *प्यारे बाबा ने मुझे अपने प्यार और पालना में पत्थर से पारस सा चमकाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर धन की बरसात करने वाले, सबको सुखो की मुस्कान सजाने वाले,... इस धरा पर खुशियो की बहार लाने वाले... *मा भगवान बन, सबको अविनाशी रत्नों रुपी धन बांटते चलो... और इस रेस में एक से बढ़कर एक... ऐसा कमाल दिखाओ..*."
➳ _ ➳ *मै आत्मा प्यारे बाबा की अमूल्य शिक्षाओ को जीवन में उतारते हुए कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा.... मै आत्मा अपने समान सुंदर तकदीर हर आत्मा की बना रही हूँ... *ईश्वरीय ज्ञान रत्नों की दौलत देकर... सबकी दुखो भरी गरीबी, सदा की खत्म करवा रही हूँ..*. अपने बिछड़े पिता से हर आत्मा को मिलवाकर... पुण्यो का खाता बढ़ाती जा रही हूँ..."
❉ *मीठे बाबा ने मुझे ज्ञान धन से आबाद कर ज्ञान परी बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... हर दिल को ईश्वरीय धन से सम्पन्न बनाकर... सारे जहान को सच्चे आनंद से भरने वाले... सच्चे रहनुमा बन मुस्कराओ... सबके जीवन में सुख के फूल खिलाओ... *ईश्वरीय ज्ञान की झनकार सुना कर... सुख, शांति, प्रेम की तरंगे पूरे विश्व में फैलाओ.*.."
➳ _ ➳ *मै आत्मा ईश्वरीय प्यार में गहरे डूबकर कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा... आपसे पायी खुशियां सबके दिन आँगन में सजाकर मै आत्मा... कितने महान भाग्य से सजती जा रही हूँ... *सच्चे ज्ञान की खशबू और गुणो की धारणा से हर दिल को अपने पिता से मिलवाने का महान सौभाग्य प्राप्त कर रही हूँ.*.."मीठे बाबा से प्यार भरी रुहरिहानं कर मै आत्मा... अपने स्थूल तन में लौट आयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अपना तन - मन - धन भारत के कल्याण के लिए लगाना है*"
➳ _ ➳ रामराज्य शब्द स्मृति में आते ही एक ऐसी दैवी दुनिया का चित्र आंखों के आगे उभर आता है जो सुखमय दुनिया मेरे प्रभु राम, मेरे परम प्रिय परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने हम बच्चों के लिये बनाई थी। जिसमे अपरमअपार सुख था, शांति थी, समृद्धि थी। *एक ऐसी दुनिया जहाँ सब मिल जुल कर बड़े प्यार से रहते थे। किसी के मन मे किसी के प्रति कोई ईर्ष्या - द्वेष कोई छल - कपट नही था*। उसी दैवी दुनिया अर्थात उस रामराज्य के बारे में विचार करते - करते मैं मन बुद्धि से पहुंच जाती हूँ उसी दैवी दुनिया में।
➳ _ ➳ स्वर्ण धागों से बनी हीरे जड़ित अति शोभनीय ड्रेस पहने एक राजकुमारी के रूप में मैं स्वयं को प्रकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण उस देव भूमि, उस रामराज्य में देख रही हूँ जहां हरे भरे पेड़ पौधे, टालियों पर चहचहाते रंग-बिरंगे खूबसूरत पक्षी, *वातावरण में गूंजती कोयल की मधुर आवाज, फूलों पर इठलाती रंग बिरंगी तितलियां, बागों में नाचते सुंदर मोर, कल-कल करते सुगंधित मीठे जल के झरने, रस भरे फलों से लदे वृक्ष, सतरंगी छटा बिखेरती सूर्य की किरणे मन को आनन्द विभोर कर रही हैं*।
➳ _ ➳ प्रकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस देव भूमि पर सोलह कला सम्पूर्ण, मर्यादा पुरुषोत्तम देवी-देवताओ को विचरण करते, पुष्पक विमानों मे बैठ उन्हें विहार करते मैं देख रही हूं। *लक्ष्मी नारायण की इस पुरी में राजा, प्रजा सभी असीम सुख, शान्ति और सम्पन्नता से भरपूर हैं*। चारों ओर ख़ुशी का माहौल हैं। दुख, अशांति का यहां नाम निशान भी दिखाई नही देता। ऐसे देवलोक के रमणीक नजारों को देख मैं मंत्रमुग्घ हो रही हूँ।
➳ _ ➳ मन बुद्धि से इस दैवी दुनिया की यात्रा कर मैं असीम आनन्द से भरपूर हो गई हूं। अपने देवताई स्वरूप का भरपूर आनन्द लेने के बाद अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होती हूँ और विचार करती हूँ कि यही भारत जब रामराज्य था तो कितना समृद्ध था। *किन्तु विकारों रूपी रावण की प्रवेशता ने इस समृद्ध भारत को कितना दुखी और कंगाल बना दिया और अब जबकि मेरे प्रभु राम इस रावण राज्य को फिर से रामराज्य बनाने के लिए आये हैं तो मुझे भी इस रामराज्य की स्थापना में अपने प्रभु राम का सहयोगी बन भारत को रामराज्य बनाने की सेवा में लग जाना चाहिए*।
➳ _ ➳ इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर विश्व ग्लोब पर आ जाता हूँ। विश्व की सर्व आत्मायें मेरे सम्मुख हैं। *अब मैं उन्हें उनके वास्तविक स्वरूप से परिचित करवा रहा हूँ। संकल्पो के माध्यम से उन्हें बता रहा हूँ कि आपका वास्तविक स्वरूप बहुत आकर्षक है, बहुत ही प्यारा है*। आप सभी बीजरूप निराकार परम पिता परमात्मा शिव की अजर, अमर, अविनाशी सन्ताने हो।
➳ _ ➳ देह के भान में आकर आप कुरूप बन गये हो। आपका देवताई स्वरूप संपूर्ण सतोप्रधान, सर्वगुण सम्पन्न था। विकारों रूपी रावण की प्रवेशता ने आपका सुख और पवित्रता का वर्सा छीन कर आपको दुखी बना दिया है। *सो हे आत्मन - अब जागो! अज्ञान रूपी निद्रा का त्याग कर परमात्मा शिव द्वारा दिए इस सत्य ज्ञान को स्वीकार कर उसे अपने जीवन में धारण करो*। ये सत्य ज्ञान ही आपके जीवन को फिर से श्रेष्ठ बनायेगा और भारत फिर से रामराज्य बन जायेगा।
➳ _ ➳ विश्व की सर्व आत्माओं को रामराज्य में चलने का संदेश दे कर, अपने फ़रिशता स्वरूप को छोड़ अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर भारत को रामराज्य बनाने की सेवा में अपना सब कुछ सफल कर रहा हूँ। *श्वांसों - श्वांस अपने शिव पिता परमात्मा की याद में रह कर, मनसा, वाचा, कर्मणा सम्पूर्ण पवित्र बन, पवित्रता का सहयोग दे कर, अपने शिव पिता परमात्मा के साथ भारत को पावन बनाने के कार्य मे उनका मददगार बन रहा हूँ*। जिस सत्य ज्ञान को पाकर मेरे जीवन में इतना सुखद परिवर्तन आ गया उस सत्य ज्ञान को सारे विश्व की सर्व आत्माओं तक पहुंचा कर उनके जीवन में भी सुखदाई परिवर्तन लाने के निमित्त बन, उन्हें भी रामराज्य लाने और उसमें राज्य करने के लिए उन्हें प्रेरित कर रहा हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अंतर्मुखता की गुफा में रहने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं देह से न्यारी देही आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदैव साधना का बीज डालती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा साधना से साधन का विस्तार करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा विस्तार में साधना को छिपाने से सदा मुक्त हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा ने पहले भी कहा है कि जैसे अभी यह पक्का हो गया है कि मैं ब्रह्माकुमारी/ब्रह्माकुमार हूँ। चलते फिरते- सोचते - हम ब्रह्माकुमारी हैं, हम ब्रह्माकुमार ब्राह्मण आत्मा हैं। ऐसे *अभी यह नेचुरल स्मृति और नेचर बनाओ कि 'मैं फरिश्ता हूँ'। अमृतवेले उठते ही यह पक्का करो कि मैं फरिश्ता परमात्म-श्रीमत पर नीचे इस साकार तन में आया हूँ, सभी को सन्देश देने के लिए वा श्रेष्ठ कर्म करने के लिए।* कार्य पूरा हुआ और अपने शान्ति की स्थिति में स्थित हो जाओ। ऊंची स्थिति में चले जाओ। *एक दो को भी फरिश्ते स्वरूप में देखो। आपकी वृत्ति दूसरे को भी धीरे- धीरे फरिश्ता बना देगी। आपकी दृष्टि दूसरे पर भी प्रभाव डालेगी।*
➳ _ ➳ *उमंग-उल्लास है तो सफलता है ही* क्यों नहीं हो सकता है! आखिर तो समय आयेगा जो सब साधन आपकी तरफ से यूज होंगे। आफर करेंगे आपको। आफर करेंगे कुछ दो, कुछ दो। मदद लो। *अभी आप लोगों को कहना पड़ता है - सहयोगी बनो, फिर वह कहेंगे हमारे को सहयोगी बनाओ। सिर्फ यह बात पक्की रखना। फरिश्ता, फरिश्ता, फरिश्ता! फिर देखो आपका काम कितना जल्दी होता है।* पीछे पड़ना नहीं पड़ेगा लेकिन परछाई के समान वह आपेही पीछे आयेंगे। बस सिर्फ आपकी अवस्थाओं के रुकने से रूका हुआ है। *एवररेडी बन जाओ तो सिर्फ स्विच दबाने की देरी है, बस। अच्छा कर रहे हैं और करेंगे।*
✺ *ड्रिल :- " 'मैं फरिश्ता हूँ' - यह नेचरल स्मृति और नेचर बनाना"*
➳ _ ➳ *सलोनी सी चाँदनी सुबह में छत पर बैठी मैं आत्मा अपने चंदा बाबा की यादों में मगन हूँ...* बाबा से बड़ी मीठी प्यारी-प्यारी बातें कर रही हूँ... ऐसा लग रहा है जैसे इस धरती ने चमकीले तारों की चादर ओढ़ रखी हो... और *मेरे चँदा बाबा से शीतल-शीतल किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... अतिइन्द्रिय सुख के झूले में, मैं आत्मा झूल रही हूँ...* चँदा बाबा से एक-एक किरण मुझ आत्मा में समा रही है... मैं आत्मा बेहद भरपूर और शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... *उस एक में समाया हुआ अनुभव कर रही हूँ...* तभी एक बहुत बड़ा सोने-हीरों से जड़ा एक दरवाजा मुझ आत्मा के सामने आता है... *जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है, फरिशतों की दुनिया...*
➳ _ ➳ अचानक ऐसा अनुभव होता है जैसे बाबा कह रहें हो अन्दर आओ मीठे बच्चे, ये सुन कर मैं आत्मा इस दरवाजें की तरफ आगें बढ़ती हूँ... और अचानक दरवाजा अपने आप खुल जाता है... *चारों तरफ सफेद रंग की लाइट ही लाइट है... सामने फरिशतों के बादशाह ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में शिव बाबा बड़े से रंग-बिरंगे फूलों से बने चमकीले रंग के झूले पर बैठे नजर आते है...* जैसे ही मैं आत्मा अन्दर जाने के लिए कदम बढ़ाती हूँ... उसी पल बाबा की दृष्टि भी मुझ आत्मा पर पड़ती है... जैसे ही बाबा की वरदानी दृष्टि मुझ आत्मा पर पड़ती है... *बाबा मुझ आत्मा को फरिशता भव का वरदान देते है... और बाबा की आँखों से सफेद रंग की लाइट मुझ आत्मा पर गिरने लगती है...* और धीरे-धीरे तत्वों से बना शरीर परिवर्तन होकर लाइट का बनता जा रहा है...
➳ _ ➳ देख रही हूँ मैं आत्मा इस परिवर्तन की प्रक्रिया को... अब मैं आत्मा देख रही हूँ अपने *इस फरिशता स्वरूप को कितना अलौकिक कितना प्यारा मुझ आत्मा का यह स्वरूप है...* कितना हल्कापन कितना आंनद महसूस हो रहा है... अब मैं फरिशता उड़ कर पहुंच जाता हूँ बाबा के पास... *बाबा मुझ फरिशते को गोद में ले लेते है... और मेरे सिर पर हाथ फेरते है... अनुभव कर रहा हूँ मैं फरिशता बाबा के इस वरदानी हाथ को अपने सिर के ऊपर,* बाबा मुझ फरिशते का हाथ पकड़ते है और मुझे इस फरिशतों की दुनिया की सैर कराने लग जाते है... *चारों तरफ लाइट की ड्रेस वाले फरिशते घूम रहे है... रंग-बिरंगे लाइट के फूल चारों ओर है...*
➳ _ ➳ वही लाइट की रंग-बिरंगी तितलियाँ फूलों पर मड़रा रही है... *तभी बाबा मुझे गोदी में उठा लाइट के झूले पर बिठा झूला झूलाते है... मेरे ऊपर रंग-बिरंगे लाइट के फूल रूपी शक्तियों की बारिश बाबा कर रहे है...* तभी एकदम से झूला रूक जाता है बाबा भी झूले पर आकर बैठते है... *और मुझ फरिशतें का हाथ हाथों में लेकर दृष्टि देते है... मैं आत्मा महसूस कर रही हूँ, बाबा के अव्यक्त शब्दों को जो बाबा इस वरदानी दृष्टि द्वारा कह रहे है... बच्चे जाओ अपने विश्व कल्याण के कर्तव्य को पूरा करो...* बाबा हर पल आपकी छत्रछाया बनकर साथ है... *मैं फरिशता भी बाबा की आज्ञा को सिर-माथे रख, बाबा से वरदानी दृष्टि लेकर साकारी दुनिया में अवतरित हो जाता हूँ श्रेष्ठ कर्म करने, परमात्म सन्देश देने...*
➳ _ ➳ देख रहा हूँ मैं लाइट का फरिशता स्वयं को इस साकारी दुनिया में, उमंग-उत्साह के साथ *मैं फरिशता सबको बाबा का सन्देश दे रहा हूँ... हर कर्म मैं फरिशता बाबा की याद में बड़े उमंग-उत्साह से कर रहा हूं...* हर कर्म श्रेष्ठ हो रहा है... हर कार्य में सफलता मिल रही है... *जो भी आत्माएँ सामने आ रही है सभी को फरिशता स्वरूप में देख रहा हूँ... मुझ फरिशते की वृति-दृष्टि से ये आत्माएँ भी परिवर्तन हो रही है... मुझ फरिशते की वृत्ति धीरे-धीरे इन्हें भी फरिशता बना रही है... मैं फरिशता अपनी इस फरिशता जीवन को नेचुरल अनुभव कर रहा हूँ...* इस प्रकार मैं फरिशता हूँ ये पाठ पक्का हो गया है... आत्माएँ स्वयं आफर कर रही है, आप हमें सहयोगी बनाओं, ये साधन आप यूज करो... *मैं फरिशता अनुभव कर रहा हूँ... सर्व कार्य जल्दी समपन्न हो रहे है... हर कार्य में सहज सफलता मिल रही है... शुक्रिया मीठे बाबा शुक्रिया*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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