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❍ 21 / 12 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *ऐसा कोई काम तो नहीं किया जो दिल खाता रहे ?*
➢➢ *होलिएस्ट ऑफ़ होली बनने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *हर खजाने को कार्य में लगा पद्मो की कमाई जमा की ?*
➢➢ *दिल के स्नेह के आधार से सबका सहयोग सहज प्राप्त किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ अभी आत्मिक स्थिति की स्मृति कभी-कभी देह के पर्दे के अन्दर छिप जाती है, इसलिए यह स्मृति भी पर्दे के अन्दर दिखाई देती है। *आत्मिक स्मृति स्पष्ट और बहुत समय रहने से अपना भविष्य वर्सा अथवा अपने भविष्य के संस्कार स्वरूप में सामने आयेंगे। भविष्य संस्कारों को स्पष्ट स्मृति में लाने के लिए आत्मिक स्वरूप की स्मृति सदाकाल और स्पष्ट रहे।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं ज्ञान की भिन्न-भिन्न स्मृति में रहने वाली आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा ज्ञान सागर की भिन्न-भिन्न लहरों में लहराते रहते हो? शुरू से लेकर अब तक बाप द्वारा ज्ञान की कितनी पॉइंट्स मिली हैं उसी पॉइंट्स को मनन कर सदा हर्षित रहो। *जैसे ज्ञान सागर बाप ज्ञान में सम्पन्न हैं वैसे बच्चे भी ज्ञान में सम्पन्न बन ज्ञान की हर पॉइंट के नशे और खुशी में रहो।*
〰✧ अखुट पाइंटस मिली हैं। *एक भी पाइंट रोज बुद्धि में रखो और उसी के अनुभव में सदा रहो तो ज्ञान स्वरूप बन जायेंगे। कितना श्रेष्ठ ज्ञान और किसने दिया है। यही सदा स्मृति में रहे।*
〰✧ भक्त आत्मायें जिसके लिए तड़प रही हैं, प्यासी हैं उससे आप तृप्त हो गये। भक्ति की प्यास बुझ गई है ना। *तो सदा यही गीत गाते रहो - पाना था सो पा लिया.....।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ बापदादा आज देख रहे थे कि बच्चों की तीन प्रकार की स्टेजेस हैं। एक हैं - पुरुषार्थी, उसमें पुरुषार्थी भी है और तीव्र पुरुषार्थी भी हैं। दूसरे हैं - जो पुरुषार्थ की प्रालब्ध जीवनमुक्ति अवस्था की स्टेज अनुभव कर रहे हैं। लेकिन *लास्ट की सम्पूर्ण स्टेज है - देह में होते भी विदेही अवस्था का अनुभव।*
〰✧ तो तीन स्टेज देखी। पुरुषार्थी की स्टेज में ज्यादा देखे, प्रालब्ध जीवनमुक्ति की, *प्राप्लब्ध यह नहीं कि सेन्टर के निमित बनने की वा स्पीकर अच्छे बनने की वा ड्रामा अनुसार अलग-अलग विशेष सेवा के निमित बनने की।*
〰✧ यह प्रलब्ध नहीं है, *यह तो लिफ्ट है* और आगे बढ़ने की, सर्व द्वारा दुआयें लेने की लेकिन *प्राप्लब्ध है जीवनमुक्त की।* कोई बन्धन नहीं।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *फ़रिश्ता अर्थात् बाप के साथ सभी रिश्ते हों। अपनी देह के साथ भी रिश्ता नही।* बाप का दिया हुआ तन भी बाप को दे दिया था। अपनी वस्तु दूसरे को दे दी तो अपना रिश्ता खत्म हुआ। *सब हिसाब किताब बाप से, और किसी से नही। तुम्हीं से बैठो, तुम्हीं से बोलू.... तो लेन-देन सब खाता बाप से हुआ ना? जब एक बाप से सब खाता हुया तो और सभी खाते खत्म हो गये ना?* टीचर अर्थात् जिसके सब खाते एक बाप से अर्थात सब रिश्ते बाप से। *कोई पिछला खाता नहीं, सब खत्म हो गया। इसको ही कहा जाता है सम्पूर्ण बेगर । बेगर का कोई बैंक बैलेन्स नहीं होता। खाता नहीं, कोई रिश्ता नहीं। न किसी व्यक्ति से, न किसी वैभव से।* खाते समाप्त। पिछले कर्मों के खाते में कोई भी बैंक बैलेन्स नहीं होना चाहिए। ऐसी चेकिंग करनी है। ऐसे कोई होते हैं कि मरने के बाद कोई सड़ा हुआ खाता रह जाता है तो पीछे वालों को तंग करता है। तो चेक करते हो कि सब खाते समाप्त हैं? स्वभाव, संस्कार, सम्पर्क, सब बातें, सब रिश्ते खत्म। फिर खाली हो जायेंगे ना? *जब इतना हल्का बने तभी पण्डा बन औरों को ऊँचा उठा सकेंगे। तो समझा टीचर को क्या करना होता है?*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मन्सा में भी पवित्र बनना"*
➳ _ ➳ आंख खुलते ही बापदादा को अपने आंखों के सामने देख रही हूँ... *बापदादा के नैनों से असीम प्यार छलक रहा है... मेरा दिल परमात्म प्यार को पाकर... परमात्मा प्राप्तियों का सिमरन करते करते गदगद हो गया है... प्रभु के स्नेह में नैनों से अश्रु धारा बह रही है...* बाबा ने मुझे अपना कर मुझे क्या से क्या बना दिया है... कहाँ दर-दर की ठोकरें खाते भटक रहे थे, कहाँ प्रभु ने अपने दिलतख्त पर बिठा लिया... *मैं आत्मा सजल नैनो से मीठे बाबा को एकटक निहार रही हूँ...*
❉ *स्नेह सागर में मुझ आत्मा को भिगोते हुए स्नेह सागर बाबा कहते हैं:-* "मेरे प्यारे बच्चे... बाबा इस पतित दुनिया में तुम बच्चों के लिए ही आए हैं... तुम्हें पावन बनाने के लिए... *पतित दुनिया में कोई भी जीव आत्मा पवित्र नहीं है... पवित्र न होने के कारण अपने को महात्मा भी कहलवा नहीं सकती... प्यारे बच्चे, तुम्हें अभी पवित्र जीवात्मा बनना है..."*
➳ _ ➳ *रत्नागर बाबा से मिले एक एक ज्ञान रत्न को स्वयं में धारण करती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे मीठे बाबा... हमारी जन्म जन्म की पुकार सुनकर आप हमें भक्ति के दलदल से निकालने आ गए हो... *मेरा मन आपके उपकारों का सिमरन करते करते रोमांचित हो उठा है... बाबा मैं आत्मा आपकी बताई गई युक्तियों और श्रीमत पर चलकर संपूर्ण पावन बन रही हूँ... पवित्रता की स्वयं में धारणा कर रही हूँ..."*
❉ *ज्ञान के गुह्य राज समझाते हुए सतगुरु बाबा कहते हैं:-* "मेरे लाडले सपूत बच्चे... पतित दुनिया में सभी जीवात्माओं को पावन बनाने के लिए एक बाप ही आते हैं... *परमपिता परमात्मा एक ही है... उनको जीव नहीं कहा जा सकता... क्योंकि उनका स्थूल सूक्ष्म शरीर नहीं है... वह परमात्मा ही एवर प्योर है... सुप्रीम प्योर है...* वही आकर सबको पावन बनाते हैं... अब तुम्हें परमपिता परमात्मा की मत पर ही चलना है..."
➳ _ ➳ *ज्ञान के मीठे बोल सुनकर गदगद होती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्यारे बाबा... ज्ञान के गुह्य राज मेरी बुद्धि में स्पष्ट होते जा रहे हैं... आपके बताए हुए ज्ञान को मैं आत्मा गहराई से समझ रही हूँ... *अब मैं आत्मा पूरी तरह से एक आपकी ही श्रीमत पर चल रही हूँ... आपके बताए हुए मार्ग को, शिक्षाओं को ही फॉलो कर रही हूँ..."*
❉ *मीठी मीठी समझानी देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे नैनों के नूर बच्चे... *सतयुग में पवित्र जीव आत्माएं ही होती हैं... वहां तो पावन बनाने की बात ही नहीं होती... वहां शरीर भी पावन तो आत्माएं भी पावन होती हैं... वहां जब तुम देवी देवता थे, तो संपूर्ण पावन थे...* तुम्हें इतना पावन बनाने वाले एक बाबा ही है... इसलिए उनकी मत पर चलकर संपूर्ण पवित्र जीवात्मा बनो..."
➳ _ ➳ *बाबा द्वारा दी गई शिक्षाओं का स्वरूप बनती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणेश्वर मीठे बाबा... आप हमारे लिए संपूर्ण पावन सतयुगी दुनिया की स्थापना कर रहे हो... उस दुनिया में ले जाने के लिए, हमें पावन बनाने के लिए कितनी मेहनत कर रहे हो... *अब मैं आत्मा आपके स्नेह में, आपकी याद में समाई हुई हूँ... आपकी शक्तिशाली पवित्र किरणों से मेरी जन्म जन्म की विकारों की मैल नष्ट होती जा रही है... और मैं आत्मा संपूर्ण पवित्र आत्मा बनती जा रही हूँ..."*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- चलन बड़ी रॉयल रखनी है*"
➳ _ ➳ आप समान अति मीठा बनाने वाले, मेरे अति मीठे शिव बाबा की मीठी याद मेरे अंदर एक ऐसी मिठास घोल देती है जिसमे विकारों की कड़वाहट घुलने लगती है। *अपने ऐसे अति मीठे बाबा की मीठी याद में बैठी मैं जैसे ही उनका आह्वान करती हूँ परमधाम से सीधे अपने ऊपर गिरती उनकी सर्वशक्तियों रूपी किरणों के मीठे झरने के नीचे स्वयं को अनुभव करती हूँ*। सातों गुणों की रंग बिरंगी किरणों का यह मधुर झरना मेरे तन - मन को शीतलता प्रदान कर रहा है। शीतलता की इसी गहन अनुभूति के बीच मैं अनुभव करती हूँ कि मुझ आत्मा को अपनी शीतल किरणों से शीतल बनाने वाले मेरे फर्स्टक्लास मीठे बाबा जैसे परमधाम से नीचे मेरे पास आ रहें हैं।
➳ _ ➳ उनकी उपस्थिति से उनकी समीपता का एहसास मुझे स्पष्ट अनुभव होने लगा है। अपने सिर के बिल्कुल ऊपर मुझे उनकी छत्रछाया की अनुभूति हो रही है। मेरे पूरे कमरे में जैसे शीतलता की मीठी लहर दौड़ रही है। पूरे घर मे मेरे मीठे शिव बाबा के शक्तिशाली वायब्रेशन फैल रहें हैं। *एक अति मीठी सुखदाई स्थिति में मैं सहज ही स्थित होती जा रही हूँ। यह स्थिति मुझे देह और देह के झूठे भान से मुक्त कर, लाइट माइट स्वरूप का अनुभव करवा रही है*। धीरे - धीरे मैं इस साकारी देह के बंधन से स्वयं को मुक्त कर अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर रही हूँ।
➳ _ ➳ मेरा यह लाइट का फ़रिशता स्वरूप मुझे धरती के आकर्षण से मुक्त कर, ऊपर की ओर ले जा रहा है। मैं स्वयं को धरती से ऊपर उड़ता हुआ अनुभव कर रहा हूँ। छत को पार करते हुए अब मैं खुले आकाश के नीचे पूरी दुनिया मे विचरण कर रहा हूँ। धीरे - धीरे अब मैं आकाश को भी पार करता हुआ लाइट की सूक्ष्म आकारी फरिश्तो की दुनिया मे प्रवेश कर रहा हूँ। इस अति सुन्दर फरिश्तो की दुनिया मे विचरण करता हुआ अब मैं स्वय को अव्यक्त ब्रह्मा बाप के सामने देख रहा हूँ। *फर्स्टक्लास मीठा और रॉयल बन बाप का नाम बाला करने वाले अपने प्यारे ब्रह्मा बाप के सामने बैठ मैं मन ही मन प्रतिज्ञा करता हूँ कि मुझे भी ब्रह्मा बाप समान फर्स्टक्लास मीठा और रॉयल बन बाप का नाम अवश्य बाला करना है*।
➳ _ ➳ इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल मुझमें भरने के लिए अब परमधाम से मेरे अति मीठे शिव बाबा फरिश्तों की इस दुनिया मे प्रवेश करते हैं और आ कर ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो जाते हैं। *बाप दादा अपने वरदानी हस्तों से अब मुझे विजयी भव का वरदान देते हुए, अपनी सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर प्रवाहित करते हुए मुझ आत्मा में बल भर रहें हैं ताकि कदम - कदम पर फॉलो फादर कर, अपने शिव बाबा का नाम मैं बाला कर सकूँ*। बापदादा की शक्तिशाली दृष्टि से मेरे पुराने आसुरी स्वभाव संस्कार जल कर भस्म हो रहें हैं और उसके स्थान पर फर्स्टक्लास मीठा और बहुत - बहुत रॉयल बनने के संस्कार इमर्ज हो रहें हैं।
➳ _ ➳ आसुरी संस्कारों का त्याग कर इन दैवी संस्कारों को ही अब मुझे अपने जीवन में धारण करने का पुरुषार्थ करना है, इसी दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ अपने लाइट माइट स्वरूप को अपने ब्राह्मण स्वरूप में मर्ज करके अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ। अपने ब्राह्मण जीवन के नियमो और मर्यादाओं पर चलते हुए अब मैं हर कर्म में ब्रह्मा बाप को फॉलो कर रही हूँ। *अपने मीठे शिव बाबा की श्रीमत पर कदम - कदम चलते हुए अब मैं आसुरी अवगुणों का त्याग करती जा रही हूँ। मेरे मुख से अब किसी भी आत्मा को दुख देने वाले कड़वे बोल नही निकलते। बाप समान सबको सुख देने वाले मीठे बोल ही अपने मुख से बोलते हुए अब मैं सबके जीवन को खुशियों की मिठास से भर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं हर खजाने को कार्य मे लगाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं पदमो की कमाई जमा करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं पद्मापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदैव दिल का स्नेह रखती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सब का सहयोग सहज प्राप्त करती हूँ ।*
✺ *मैं स्नेही और सहयोगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा सभी बच्चों के 5 स्वरूप देख रहे हैं। पहला - अनादि ज्योतिबिन्दु स्वरूप। याद है ना अपना स्वरूप? भूल तो नहीं जाते? दूसरा है - आदि देवता स्वरूप। पहुंच गये देवता स्वरूप में?तीसरा - मध्य में पूज्य स्वरूप, वह भी याद है? आप सबकी पूजा होती है या भारतवासियों की होती है? आपकी पूजा होती है? कुमार सुनाओ आपकी पूजा होती है? तो तीसरा है पूज्य स्वरूप। चौथा है - संगमयुगी ब्राह्मण स्वरूप और लास्ट में है फरिश्ता स्वरूप। तो 5 हीरूप याद आ गये? अच्छा *एक सेकण्ड में यह 5 ही रूपों में अपने को अनुभव कर सकते हो?* वन, टू, थ्री, फोर, फाइव... तो कर सकते हो! यह 5 ही स्वरूप कितने प्यारे हैं? *जब चाहो, जिस भी रूप में स्थित होने चाहो, सोचा और अनुभव किया। यही रूहानी मन की एक्सरसाइज है।*
➳ _ ➳ आजकल सभी क्या करते हैं? एक्सरसाइज करते हैं ना! जैसे आदि में भी आपकी दुनिया में (सतयुग में) नेचुरल चलते-फिरते की एक्सरसाइज थी। ख़डे होकरके वन, टू, थ्री.. एक्सरसाइज नहीं। तो अभी अन्त में भी बापदादा मन की एक्सरसाइज कराते हैं। *जैसे स्थूल एक्सरसाइज से तन भी दुरूस्त रहता है ना! तो चलते-फिरते यह मन की एक्सरसाइज करते रहो*। इसके लिए टाइम नहीं चाहिए। 5 सेकण्ड कभी भी निकाल सकते हो या नहीं! ऐसा कोई बिजी है,जो 5 सेकण्ड भी नहीं निकाल सके! है कोई, तो हाथ उठाओ। फिर तो नहीं कहेंगे - क्या करें टाइम नहीं मिलता? यह तो नहीं कहेंगे ना! टाइम मिलता है? तो *यह एक्सरसाइज बीच-बीच में करो। किसी भी कार्य में हो 5 सेकण्ड की यह मन की एक्सरसाइज करो। तो मन सदा ही दुरुस्त रहेगा, ठीक रहेगा।*
➳ _ ➳ *बापदादा तो कहते हैं - हर घण्टे में यह 5 सेकण्ड की एक्सरसाइज करो। हो सकती है? देखो, सभी कह रहे हैं - हो सकती है। याद रखना।* ओम् शान्ति भवन याद रखना, भूलना नहीं। तो जो मन की भिन्न भिन्न कम्पलेन है ना! क्या करें मन नहीं टिकता! मन को मण बना देते हो। वजन करते हैं ना! पहले जमाने में पाव, सेर और मण होता था, आजकल बदल गया है। तो *मन को मण बना देते हैं बोझ वाला और यह एक्सरसाइज करते रहेंगे तो बिल्कुल लाइट हो जायेंगे। अभ्यास हो जायेगा।*
✺ *ड्रिल :- "5 स्वरूपों का 5 सेकण्ड की एक्सरसाइज का अभ्यास करना"*
➳ _ ➳ अमृतवेले उठते ही मन बाबा के प्यार में समाया हुआ है...अपने शिव साजन की महिमा के गीत गा रहा है... *बाबा ने मुझ आत्मा को कैसे किचड़े के ढेर से उठाकर अपने दिलतख्त पर बिठा लिया... मुझे अपनी बाहों में समा लिया... कहां एक बूँद प्यार के लिए तरसते थे और अब... खुद प्यार का सागर चलकर मेरे पास आ गया है... उसने मुझे अपना बना लिया है... अपने सर्व खजानों का मालिक बना दिया है*... मीठे बाबा! कैसे मैं शुक्रिया करूं आपका... मेरे मीठे शिव साजन के स्नेह में... मुझ आत्मा को संसार के सभी सुख फीके लगने लगे हैं...
➳ _ ➳ अपने बाबा की महिमा गाती हुई मैं आत्मा... अपने मीठे बाबा को अपने पास बुलाती हूँ... मेरे दिल की पुकार सुन कर बाबा मेरे समीप आ जाते हैं... बाबा मुझ पर बेशुमार प्यार बरसा रहे हैं... इस प्यार की बारिश में मेरा रोम-रोम गीला हो गया है... मैं आत्मा तृप्त हो रही हूँ... मुख से वाह-वाह के ही बोल निकल रहे हैं... *बाबा मेरे मस्तक पर विजयी भव का तिलक लगाते हैं... मुझे पवित्रता और विश्व सेवा की जिम्मेवारी का ताज पहनाकर अपने दिलतख्त पर बिठा लेते हैं...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य के गीत गा रही हूँ... *पूरे कल्प में मुझ आत्मा का कितना सुंदर पार्ट है... मैं हीरो पार्टधारी आत्मा हूँ... मैं आत्मा अपने 5 स्वरूपों को बुद्धि के नेत्रों से देख रही हूँ*... मैं अपने अनादि जगमगाते प्रकाशमय ज्योति स्वरुप में हूँ... फिर अपने सतयुगी राजाई स्वरुप का... फिर मध्य में पूज्य इष्टदेव स्वरुप का अनुभव कर रही हूँ... कैसे विधि विधान से मेरी पूजा हो रही है... फिर अपने श्रेष्ठ संगमयुगी स्वरुप का... और फिर फरिश्ता स्वरुप का अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा मन की यह सुंदर एक्सरसाइज कर रही हूँ... 5 सेकेंड में अपने पांच स्वरुपों का अनुभव कर रही हूँ... स्थूल एक्सरसाइज करने से शरीर स्वस्थ रहता है, उसी प्रकार मन की ये एक्सरसाइज, ड्रिल करने से मैं आत्मा शक्तिशाली बनती जा रही हूँ... मैं चलते फ़िरते अपने इन पांचों स्वरूपों का अभ्यास कर रही हूँ... *मन को शक्तिशाली, सुंदर बनाने का सुंदर अभ्यास मैं आत्मा... कर्म करते हुए बीच बीच में कर रही हूँ... बीच बीच मे 5 सेकण्ड निकाल अपने पांचों स्वरूपों में स्थित हो रही हूँ...*
➳ _ ➳ मन की ये सुंदर ड्रिल करने से मुझ आत्मा की विभिन्न प्रकार की कम्पलेन समाप्त हो रही है... मैं आत्मा शक्तिशाली बन रही हूँ... अपने संकल्पों पर कंट्रोल आता जा रहा है... मेरा मन अब शांत होता जा रहा है... *स्थूल एक्सरसाइज करने से भारी शरीर हल्का हो जाता है, उसी प्रकार मन की ये एक्सरसाइज करने से मन का बोझ खत्म हो रहा है... मैं आत्मा बोझमुक्त, लाइट, हल्की हो रही हूँ... अपनी प्रकाशमय, लाइट स्वरूप की स्थिति में स्थित हो रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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