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❍ 02 / 11 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *यह तो समझने की
बात है कि बरोबर जब तुम ईश्वर के बनते हो तो आसुरी विकारी सम्प्रदाय दुश्मन बनते
हैं। हंस और बगुले इकठ्ठे रह न सकोगे।* हंस थोड़े होते हैं। बगुले बहुत करोड़ों
की अन्दाज में हैं।
➢➢ *बाप दु:ख हर्ता, सुख कर्ता है। अगर बच्चे दु:ख देंगे तो कौन समझेंगे - यह
ईश्वर के बच्चे हैं।*
➢➢ *बहुरूपी के बच्चे बहुरूपी होने चाहिए। परन्तु बच्चों की बुद्धि में आता नहीं
है। थोड़ी ही सर्विस में खुश हो जाते हैं।* दिमाग एकदम आसमान में चढ़ जाता है।
➢➢ *तुम श्रीमत से रावण पर जीत पाते हो। गीता, महाभारत, रामायण सबमें भक्ति की
सामग्री है। तुमने संगम पर जो कर्तव्य किया है, उसका यादगार यह मन्दिर आदि बने
हैं। यादगार बनना द्वापर से शुरू होता है।*
➢➢ *यह ड्रामा चल रहा है - कल्प पहले भी तुम ऐसे बने थे जैसे अब बन रहे हो।*
यह झाड वृद्धि को पाता रहेगा। फल भी जरूर पकेगा। झाड़ को बढ़ने में टाइम लगता
है। *जब झाड़ तैयार हो जायेगा तो तुम देवी देवता बन जायेंगे। बाकी सबका विनाश
हो जायेगा।* तुम बच्चे अब पक रहे हो। कोई पूरा पकते, कोई कम, कोई को तूफान लगते
हैं। *कमाई में ग्रहचारी आती है।*
➢➢ अब बाप समझाते हैं - तुम्हारी आत्मा में खाद पड़ी हुई है। *आपेही पूज्य और
आपेही पुजारी मनुष्य की आत्मा बनती है। भगवान तो बन नहीं सकता। अगर वह भी पुजारी
बने तो फिर पूज्य कौन बनावे!* हमको पूज्य बनाने वाला बाप है।
➢➢ *ब्राह्मणों की माला गाई हुई नहीं है, रूद्र माला ही पूजी जाती है। परन्तु
यह किसको पता नहीं है कि यह माला क्या है? ऊपर में मेरू दिखाते हैं। मेरू विष्णु
है। ऊपर में फूल शिवबाबा है, फिर है माला।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ बाप ही आकर
कल्प-कल्प हमको देवता बनाते हैं। सहज राजयोग और ज्ञान सुनाते हैं। *अपने को
आत्मा समझ बाप को याद करो। यह तो सहज है ना।*
➢➢ बच्चे कहते हैं घड़ी-घड़ी योग टूट पड़ता है। हम बाप को भूल जाते हैं। यह
माया के विघ्न हैं। *विघ्न न आयें, जल्दी योग लग जाये तो जल्दी विनाश हो जाए,
परन्तु ऐसा हो नहीं सकता। टाइम लगता है। जब तक योग लगाते रहो, अन्त में
कर्मातीत अवस्था होगी।*
➢➢ *बाबा कहते हैं योग लगाते रहो ताकि तुम्हारे सब पाप दग्ध हो जाएं।* कितनी
भारी कमाई है, इसलिए भारत का प्राचीन योग मशहूर है। परन्तु उससे क्या होता है,
यह किसको पता नहीं।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
अब तुम ब्रह्मण पुरुषार्थ कर रहे हो फिर रूद्र माला में पिरोना है इसलिए *पुरुषार्थ
ऐसा करो जो तख्तनशीन बनो। किसको दु:ख देने की बातें छोड़ दो।*
➢➢ *अब तुम ब्राह्मण पुरुषार्थ कर रहे हो फिर रूद्र माला में पिरोना है इसलिए
पुरुषार्थ ऐसा करो जो तख्तनशीन बनो।*
➢➢ *भल कोई 5 विकार दान में दे देते हैं परन्तु फिर योग भी लगाना है।*
जन्म-जन्मान्तर के जो सिर पर पाप हैं, जिससे तुम तमोप्रधान बने हो, वो योग के
सिवाए कैसे भस्म होंगे?
➢➢ तुम 5 विकारों का दान करते हो कि हम कोई पाप नहीं करेंगे। परन्तु
जन्म-जन्मान्तर के जो पापों का हिसाब है, वह कैसे चुक्तू होगा? *उसकी युक्ति है
जहाँ तक जीना है बाप की याद में रहना है। इस याद से ही विकर्म विनाश होंगे।*
➢➢ *यह ज्ञान मार्ग है, इसमें किसकी दिल कभी नहीं दु:खानी है। ज्ञान का छींटा
तो शीतल करने वाला है,* यहाँ तुम बच्चे आये हो पढ़ने के लिए। *पढ़ाई में मैनर्स
अच्छे रखने होते हैं।*
➢➢ *आगे जन्म-जन्मान्तर का हिसाब तो मेरे पास जमा है। बाकी इस जन्म का जो है
वह इनको सुनाओ तो मैं भी सुनूँगा।* बाकी घर बैठे समझेंगे शिवबाबा तो सब कुछ
जानते हैं। नहीं। वह तो भक्ति मार्ग में करते आये हो। *अब तो मैं सम्मुख आया
हूँ, तो बताना पड़े तब फिर सावधानी भी मिलेगी।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुमको डरना नहीं
चाहिए। गुप्त वेष में तुम कहाँ भी जा सकते हो।अजुन तो बहुत काम करना है।
किसम-किसम से पुरुषार्थ करना है।*
➢➢ जब नई दुनिया में देवतायें राज्य करते थे तो पवित्रता सुख-शान्ति थी,
अशान्ति वाले कोई धर्म नहीं थे। अभी तो अशान्ति फैलाने वाले कितने धर्म हैं। *तुम
फिर सिद्धकर बतलाते हो सबसे पुराना दुश्मन है रावण, जिसने भारत को कौड़ी जैसा
पतित बनाया है।*
➢➢ *तुम गोप गुप्त वेष में बहुत काम कर सकते हो। समझायेंगे तो दिल में जरूर
लगेगा कि बरोबर यह भी गवर्मेन्ट है।*
➢➢ *बाबा अनेक पॉइंटस देते हैं। यह ज्ञान यज्ञ तो चलना ही है। हर एक पंथ वाले
को बुलाते रहो। राजाओं को भी बुला सकते हो। कांफ्रेंस भी कर सकते हो। जैसा आदमी
वैसा-वैसा कार्ड छपाना पड़े।* आकर समझो यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है, आओ तो
हम आपको परमपिता परमात्मा की और 5 हजार वर्ष की जीवन कहानी सुनायें। वन्डर है
ना।
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