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❍ 11 / 08 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बहुत बच्चे गफलत करने के कारण भूल जाते हैं। अवज्ञा भी करते रहते हैं। बेहद बाप की निंदा कराने के निमित्त बन पड़ते हैं। क्रोध के कारण भी कितना नुकसान कर देते हैं।*
➢➢ *यह जो दिलवाला
मन्दिर है - यह पूरा यादगार है। जो भी भक्तिमार्ग के यादगार हैं, यादगार होते
ही इस संगम के हैं।* सतयुग त्रेता में तो ऐसी बात होती नहीं, फिर रावणराज्य में
मनुष्य दु:खी होते हैं। रावण ही रजो तमो बनाते हैं।*
➢➢ *मैजारिटी माताओं
की है इसलिए भारत माता शक्ति अवतार गाया जाता है। सेना भी कहा जाता है क्योंकि
आपस में बहुत हैं ना।* तुम देखते हो वृद्धि को पाते रहते हैं। *सन्यासी घरबार
छोड़ते हैं पवित्र बनने लिए, रावण राज्य शुरू होता है तो पवित्रता की जरूरत रहती
है।*
➢➢ *देह-अभिमान में
आने के बाद ही विकार में गिरते हैं, फिर चढ़ न सकें।* चढ़ते हैं फिर गिरते हैं,
टाइम तो लगता है ना। *ऐसा हो नहीं सकता जो सीधा चलता जाए। थोड़ी भी अवस्था अच्छी
होती है फिर देह-अभिमान आ जाता है।* महसूसता आती है कोई ग्रहचारी है।
➢➢ *तमोप्रधान से
फिर सतोप्रधान बनना है। सतोप्रधान भी सबको बनना है। तुम्हारा पार्ट ही सतयुग
में है, इसलिए तुम सतोप्रधान बनते हो, परन्तु जाना तो सबको है ना। सबको
नम्बरवार रूद्र माला बनना है।*
➢➢ *तुम बाप के साथ
निवास करते हो। यह जैसे डबल पियरघर है। प्रजापिता ब्रह्मा का भी है और शिवबाबा
भी यहाँ आया है, तुम बच्चों को ज्ञान श्रृंगार कराने। यह है बेहद का पियरघर।*
➢➢ *अतीन्द्रिय सुख
अन्त का गाया हुआ है। पिछाड़ी में तुमको पता पड़ जायेगा कि किस-किस ने कितना
पुरूषार्थ किया! क्या पद पायेंगे।* पिछाड़ी में समझेंगे, जब तक पुरूषार्थ कर
गोल्डन एज तक पहुँच जायेंगे। जो नहीं पहुँचते हैं वह फिर सजा खाते हैं।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अभी तो कयामत
का समय है। सबको हिसाब-किताब चुक्तू कर जाना है। तुम चुक्तू करते रहते हो ज्ञान
और योगबल से। गाया भी जाता है चढ़े तो चाखे वैकुंठ रस। तुम बैठे भी यहाँ ही हो
- चोटी पर चढ़ने लिए।*
➢➢ *यह है बेहद का
पियरघर, ससुरघर, वह तो हद के होते हैं, कन्या ससुरघर जाकर जेवर आदि पहनती है,
उसमें सुख समझती है। तुम अभी समझ गये हो कि हम बच्चे बेहद सुख में जा रहे हैं
तो उसके लिए पुरूषार्थ भी बहुत अच्छा करना पड़े।*
➢➢ *परमपिता
परमात्मा के गले की रूद्र माला बनने लिए तुमको यहाँ ज्ञान मिलता है। फिर जब तुम
अचल, स्थेरियम बनते हो तो तुम जाकर रूद्र माला बनते हो जब तुम सतोप्रधान बन जाते
हो तो तुम बाप के साथ निवास करते हो।*
➢➢ *इस समय यह
सृष्टि है तमोप्रधान। जब सृष्टि सतोप्रधान थी तो तुम बच्चे वहाँ राज्य करते थे।
तुम्हारी बुद्धि में यह स्वदर्शन चक्र है। तुम ब्राह्मण ही स्वदर्शन चक्रधारी
बनते हो।*
➢➢ *आत्मा कहती है
मैं आइरन एज में आ गई हूँ। अब परमपिता परमात्मा मिला है - कहते हैं बच्चे तुमको
यहाँ पुरूषार्थ कर गोल्डन एज में जाना है।* जब ऐसी अवस्था हो जायेगी तब गोल्डन
एज में आयेंगे।
➢➢ कोई सतोगुणी और
कोई अब तक भी रजोगुणी हैं। 3 प्रकार के पुरूषार्थी होते हैं। *ऊंच ते ऊंच
पुरूषार्थी सदैव बुद्धि में एक बाप को ही याद रखते हैं।* ऊंच ते ऊंच है वह बाप।
अभी तुम जानते हो तुम्हारा विनाश नहीं होता है। बाकी सब विनाश हो जाते हैं,
हिसाब-किताब चुक्तू कर जायेंगे।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*सिवाए ज्ञान के कोई बात नहीं सुनना चाहिए।* यह बातें भी नामीग्रामी हैं। दिखाते
भी हैं धूतियों के कारण राम-सीता को वनवास मिला। धूतीपना नुकसान कर देता है। *हियर
नो ईविल... उल्टी-सुल्टी बातें करने वालों के संग में कभी नहीं फँसना।* बहुत
नुकसान कर देते हैं। बेहद के बाप से बुद्धियोग तुड़ा देते हैं।
➢➢
टाइम लगता है पावन बनने में। *जब तक यह दुनिया है, यह पढ़ाई है तब तक पढ़ना
है।* जहाँ तक जीना है - वहाँ तक पीना है, ताकि कर्मातीत अवस्था में चले जायेंगे।
*इस देह से, दुनिया से बिल्कुल ममत्व निकल जाए।*
➢➢
*किसम-किसम की प्वाइंट्स बाबा सुनाते रहते हैं, सुननी चाहिए।* अगर सुनेंगे नहीं
तो माला में आ नहीं सकेंगे। माला में नम्बरवार आने हैं। *बाप से पूरा वर्सा लेना
चाहिए।* गवर्मेन्ट की नौकरी करो, बाकी टाइम में मेहनत करनी है। *शिवबाबा कहते
हैं पवित्र बनेंगे तो पवित्र दुनिया का मालिक बनेंगे।*
➢➢
मन्सा में तूफान बहुत आते हैं। चढ़ने में तो टाइम लगता है। बाबा रोज समझाते रहते
हैं कि बच्चे *पढ़ाई रोज पढ़ो।* प्वाइंट्स दिन-प्रतिदिन बहुत मिलती रहती हैं। *बाप
और वर्से को याद करो।*
➢➢
*कामी और क्रोधी से बहुत दूर रहना चाहिए, उनका संग नहीं करना चाहिए।* संग उनका
होना चाहिए जो ज्ञान की टिकलू-टिकलू करते हैं। ऐसे नहीं जो झरमुई झगमुई करते,
किसकी निंदा करते - उनका संग हो। *सिवाए ज्ञान के कोई बात नहीं सुनना चाहिए।*
➢➢ तुम्हारा विनाश नहीं होता है। बाकी सब विनाश हो जाते हैं, हिसाब-किताब
चुक्तू कर जायेंगे। शिवबाबा कहते हैं *पवित्र बनेंगे तो पवित्र दुनिया का मालिक
बनेंगे।* नहीं तो फिर सजायें खाकर जायेंगे। कितना बड़ा आर्डीनेंस है। तुम समझते
हो बरोबर *विनाश सामने खड़ा है, इसलिए हमको मजबूत हो जाना है।*
➢➢
बेहद का बाप अवस्था देख प्यार करेंगे ना! बाप कहते हैं *अपना कल्याण करना चाहते
हो तो श्रीमत पर चलो।* ऐसा काम नहीं करो जो दूसरे को नफरत आ जाए। *याद के बल से
एवरहेल्दी, ज्ञान के बल से एवरवेल्दी बनना है।* पवित्रता का आर्डीनेंस निकाला
है। पवित्र बनने से ही तुम अमरपद को पाते हो।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम्हारा यादगार
कितना एक्यूरेट दिलवाला मन्दिर बना हुआ है। नीचे तपस्या में बैठे हैं, ऊपर में
राजाई दिखाई है। और मन्दिर में मुख्य जगदम्बा का भी नाम है। *पार्ट तो तुम
माताओं का है ना। बाप आकर गुरू पद तुम माताओं को ही देते हैं।*
➢➢ बहुत बच्चियां
हैं जिन्होंने बाबा को कब देखा भी नहीं है तो भी याद करती रहती हैं, तो जरूर
ऊंच पद पायेंगे। *सारा पुरूषार्थ का खेल है ना। कोई तो रात-दिन बहुत मेहनत करते
हैं।* तुम जानते हो इस पतित दुनिया में इस ही शरीर में तुमको सतोप्रधन बनना
है।
➢➢ *ख्याल करना है
- सारे दिन में हम बाबा की सर्विस में कितना समय रहा?* बाबा की याद में कितना
समय रहा? कोई कोई बच्चों का चार्ट आता है परन्तु वह चार्ट जब सदैव के लिए रहे।
ऐसे भी नहीं बाबा एक-एक का बैठ देखेंगे।
➢➢ *सन्यासियों में
भी कोई विरले ऐसे होते हैं जो बैठे-बैठे शरीर छोड़ देते हैं और सन्नाटा हो जाता
है। फिर भी गृहस्थियों के पास जाकर जन्म लेते हैं। फिर श्रेष्ठाचारी बनने के
लिए जंगल में चले जाते हैं। माया का राज्य है ना। यह चक्र कैसे फिरता है उनको
भी समझाना है।*
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