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❍ 04 / 08 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *यह जो बेहद की लीला रूपी नाटक है, उनकी लीला के आदि मध्य अन्त को तुम बच्चे जानते हो। वो लोग समझते हैं कि ईश्वर की माया अपरमअपार है।* अब तुम्हारी बुद्धि में जागृति आई है और तुम सारी बेहद की लीला को जान चुके हो।
➢➢ *मूलवतन, सूक्ष्मवतन, स्थूलवतन के आदि मध्य अन्त को जानना है। ब्रह्मा और विष्णु का पार्ट यहाँ चलता है।* विष्णु का रूप है एम-आब्जेक्ट। यह पद पाना है। *गाते भी हैं ब्रह्मा देवता नम:... फिर कहते हैं शिव परमात्माए नम:, उनको निराकार ही कहते हैं।*
➢➢ *सबके शरीर स्वाहा होने हैं। होलिका होती है ना। विनाश के समय सबके शरीर इस यज्ञ में स्वाहा होंगे। सबके शरीरों की आहुति पड़नी है।* परन्तु तुम बाप से पहले वर्सा लेते हो। जाना तो सभी को है।
➢➢ *परमपिता परमात्मा ब्रह्मा मुख द्वारा मुख वंशावली रचते हैं। बाबा ने समझाया है पहले हमेशा स्त्री को एडाप्ट करते हैं, फिर रचना रचते हैं।* वह तो है - कुख वंशावली। यह सारी रचना है मुख वंशावली।
➢➢ *बच्चे जानते हैं हम पतित-पावन बाप के पास जाते हैं, पावन बनकर।* तो गाया
हुआ है - *पतित-पावन को आना है और पतितों को पावन बनाना है। जो बनेंगे वही
पवित्र दुनिया में चलेंगे और अमर बनेंगे। बाकी जो पवित्र नहीं बनेंगे वह अमर नहीं
होंगे।* तुम अमर दुनिया के मालिक बनते हो। *बाप कितना ऊंच वर्सा देते हैं।
पवित्र ऐसा बनते हैं जो फिर 21 जन्म पवित्र रहते हैं।*
➢➢ *तुम जानते हो हम सो देवता थे फिर 84 जन्म पास किये। अब फिर बाप के पास आये
हैं वर्सा लेने। बाप आये हैं पावन बनाने। पतित बनाता है रावण। हम बेहद के मुख्य
आलराउन्ड पार्टधारी हैं।*
➢➢ *रावण का बहुत बड़ा परिवार है। तुम्हारा है सिर्फ दैवी परिवार छोटा। आसुरी परिवार तो कितना बड़ा है। वह कोई देवता बनने वाले नहीं हैं। जो और धर्मों में कनवर्ट हो गये हैं वह निकल आयेंगे। विनाश नजदीक आयेगा तो सबको यहाँ आना ही है। राजधानी स्थापन होनी ही है। नम्बरवार जैसे कल्प पहले पुरूषार्थ किया है वह अभी भी करेंगे।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ पहले-पहले सृष्टि सतोप्रधान थी। अब तो तमोप्रधान है। *जितना हम याद करेंगे कर्मातीत बनेंगे,* उतना ऊंच पद पायेंगे।
➢➢ *ड्रामा देखने जो पहले जायेंगे तो जरूर आदि मध्य अन्त सारा देखेंगे और बुद्धि में रहेगा हमने यह-यह देखा है।* फिर भी चाहना हो देखने की तो देख सकते हैं। वह तो हुआ हद का नाटक। तुम तो बेहद के नाटक को जान गये हो।
➢➢ *बाप का फरमान है कि 7 रोज भट्ठी में बैठना है। गीता भागवत का पाठ" रखते हैं तो भी 7 रोज बिठाते हैं।* यह भट्ठी है। सब तो नहीं बैठ सकते। कोई कहाँ, कोई कहाँ हैं। आगे चलकर बहुत वृद्धि को पायेंगे।
➢➢ तुम उत्तम हीरे हो क्योंकि तुम श्रेष्ठाचारी बनते हो। *तुमको सिर्फ बाप को ही याद करना है क्योंकि ब्रह्मणों को बाप के पास ही जाना है।*
➢➢ *तुम जानते हो वापिस घर जाकर फिर सतयुग में आकर पार्ट बजाना है सुख का।* बहुत लोग समझते भी हैं फिर भी 7 रोज देते नहीं हैं। तो समझा जाता है यह अपने घराने का अनन्य नहीं है। अनन्य होंगे तो उनको बड़ा अच्छा लगेगा।
➢➢ *बाप को याद
करते-करते हम गोल्डन एज में चले जायेंगे। अपना टैम्प्रेचर देखना होता है, जितना
ऊंच जायेंगे उतना खुशी का पारा चढ़ेगा।* नीचे उतरने से खुशी का पारा भी नीचे
उतर जाता है। सतोप्रधान से नीचे उतरते-उतरते अब बिल्कुल ही तमोप्रधान बन पड़े
हो।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अपने से तुमको बातें करनी हैं।* हम आत्मायें बाप से मिली हैं, बाप ने कितना जागृत किया है।
➢➢ बाप आकर पतितों को पावन बनाते हैं, यह किसको पता नहीं है। *तुम बच्चे अभी कितने समझदार बन गये हो।*
➢➢ तुमको युक्ति बतलायेंगे कि कैसे इस पीड़ा से छूट सकते हो। *बाप को याद करना है,* जिससे तुम्हारी पीड़ा हमेशा के लिए खत्म हो जायेगी।
➢➢ बाप कहते हैं सच्ची दिल पर साहेब राजी होगा। कितनी अबलायें बाप की याद में सच्ची दिल से रहती हैं। *प्रतिज्ञा की हुई है कि हम विकार में कभी नहीं जायेंगे।* विघ्न तो बहुत पड़ते हैं।
➢➢ यह सब है रूद्र ज्ञान यज्ञ की शाखायें। जैसे बाप के बहुत नाम रखे हैं, वैसे इस रूद्र ज्ञान यज्ञ के भी बहुत नाम रख दिये हैं। रूद्र कहा जाता है परमपिता परमात्मा को, सो तुम जानते हो। राजस्व अश्वमेध अर्थात् *यह रथ (शरीर) इस यज्ञ में स्वाहा करना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *यह अमरकथा पार्वतियों को अमरनाथ बाबा शिव ही सुना रहे हैं।* बच्चे आये हैं बेहद बाबा के पास, वर्सा तो लेना ही है ना। *यहाँ सागर के पास आते ही हो रिफ्रेश होने के लिए। फिर जाकर आप समान बनाना है। तो बच्चों का भी यही धन्धा हुआ।*
➢➢ *इतना बड़ा चित्र हो जो मनुष्य दूर से ही पढ़ सके। यह बहुत समझने और समझाने की बात है, जिससे मनुष्य समझें कि बरोबर हम स्वर्गवासी थे, अब नर्कवासी बने हैं, फिर पावन बनना है।*
➢➢ *ड्रामा का राज भी समझाना है। यह चक्र कैसे फिरता है, कितना समय लगता है। हम ही विश्व के मालिक थे, आज तो एकदम कंगाल बन पड़े हैं। रात-दिन का फर्क है।*
➢➢ *चित्रों पर बहुत अच्छी रीति समझाना है। बुद्धि में यही याद रहे कि हम कितना ऊंच थे फिर कितना नीचे गिरे हैं। गिरे हुए तो बहुत तुम्हारे पास आयेंगे।*
➢➢ अब तक किसकी बुद्धि में बैठता नहीं है। *देहली से आवाज निकलना चाहिए, वहाँ झट नाम होगा।* परन्तु अजुन देरी दिखाई देती है।
➢➢ *अबलाओं, गणिकाओंको बाप कितना ऊंच आकर उठाते हैं। तुम ऐसे-ऐसे का जब उद्धार करेंगे तब नाम बाला होगा।*
➢➢ *यह बेहद की लीला है। उसमें मुख्य एक्टर्स, डायरेक्टर, क्रियेटर कौन हैं, वह जानते नही। इसलिए तुम पूछते हो इस नाटक में कौन-कौन मुख्य एक्टर हैं।* शास्त्रों में लिख दिया है कौरव सेना में कौन बड़े हैं, पाण्डव सेना में कौन बड़े हैं। यहाँ फिर है बेहद की बात।
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