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❍ 15 / 09 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *ज्ञान में तो
सिर्फ बीज को जानना होता है। बीज के ज्ञान से सारा झाड़ बुद्धि में आ जाता है।*
तुम जानते हो ऊंच ते ऊंच भगवान है जो परमधाम में रहते हैं। वहाँ तो सभी आत्मायें
रहती हैं। सूक्ष्मवतन में तो हैं सिर्फ ब्रह्मा-विष्णु-शंकर।
➢➢ *मुख वंशावली कब
पुजारी हो न सके। तुम पूज्य बनते हो, वह हैं पुजारी। तुम गायन लायक बनते हो।
तुम्हारी पूजा अभी नहीं हो सकती।*
➢➢ *लक्ष्य को पकड़
लिया है कि अभी हम बेहद के बाप से बेहद का वर्सा ले रहे हैं, जिसको आधाकल्प से
याद किया है।* रावण वर्सा छीनते हैं। दुनिया वाले इस बात को नहीं जानते, तुम
बच्चे जानते हो।
➢➢ यह रूद्र ज्ञान
यज्ञ है, कोई मनुष्य का नहीं, प्रजापिता ने यह यज्ञ नहीं रचा है। *यह रूद्र
यज्ञ है। ज्ञान सागर अथवा शिव ने यह यज्ञ रचा है।*
➢➢ *सिविल मैरेज
में यह अक्षर नहीं निकालते हैं कि पति तुम्हारा गुरु ईश्वर आदि है। यह सब है ठगी,
इसलिए चित्र भी ऐसा बनाया है कि लक्ष्मी, नारायण के पाँव दबा रही है।* समझते
हैं वह भी यह सब करती थी, हिन्दू नारी को भी यह करना चाहिए। हाफ पार्टनर से यह
धन्धा कराया जाता है क्या ?
➢➢ हर एक वस्तु जो
तुम देखते हो नई से पुरानी जरूर होती है। दुनिया भी नई से पुरानी होती है। *यह
पुरानी दुनिया है। परन्तु कितने तक पुरानी है यह किसको पता नहीं है। सदैव चार
भागों में बांटा जाता है। यह भी 4 युग हैं।* पहले नया फिर चौथा पुराना फिर आधा
पुराना फिर सारा पुराना हो जाता है।
➢➢ *इस कल्प की आयु
5 हजार वर्ष है। अभी तुम हो अन्त में। अन्तिम जन्म में तुम बाप से वर्सा पाते
हो - 21 जन्मों के लिए।* सतयुग त्रेता में 21 जन्म, द्वापर कलियुग में 63 जन्म
क्यों होते हैं ? क्योंकि पतित बनने से आयु कम हो जाती है।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ यहाँ तुम आते हो
सम्मुख मुरली सुनने। मुरली तो बहुत प्यारी लगती है। योग तो तुम कहाँ भी बैठ कर
कर सकते हो। स्टूडेन्ट के इम्तहान का जब टाइम होता है तो कहाँ भी होंगे बुद्धि
में इम्तहान की ही बातें घूमती रहेंगी। यहाँ *तुम्हारी पढ़ाई और योग इकट्ठे
हैं। पढ़ाने वाले को भी याद करना पड़े। बाप कहते हैं मामेकम् याद करो।*
➢➢ शिवबाबा ब्रह्मा
द्वारा स्थापना, विष्णु द्वारा पालना फिर शंकर द्वारा विनाश कराते हैं। ब्रह्मा
सो विष्णु हो जाता है। *ब्रह्मा-सरस्वती सो लक्ष्मी-नारायण बनते हैं। ततत्वम्
तुम भी देवता घराने के हो ना।*
➢➢ *गीत तो बच्चों
ने बहुत बार सुने हैं, अब उनके अर्थ में टिकना है।* लक्ष्य को पकड़ लिया है कि
अभी हम बेहद के बाप से बेहद का वर्सा ले रहे हैं, जिसको आधाकल्प से याद किया
है।
➢➢ *हम सो पावन फिर
हम सो पतित। चढ़ती कला उतरती कला कैसे होती है। अभी यह सब तुम्हारी बुद्धि में
है।*
➢➢ *बाप जब स्वर्ग
का रचयिता है तो जरूर हमको स्वर्ग की बादशाही मिलनी चाहिए। भारत को थी, अब नहीं
है, इसलिए भगवान को आना ही पड़ता है।* भारत ही शिवबाबा का बर्थप्लेस है। आकर
तुमको स्वर्गवासी बनाया था।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*बाप कहते हैं जो भी कुछ पढ़ा है सब भूल जाओ।* बाप, टीचर, सतगुरू मैं ही हूँ -
21 जन्मों का तुमको वर्सा देता हूँ।
➢➢
*रोज सुनने वालों की बुद्धि में पूरी धारणा होगी।* मुख्य है ही नालेज से काम,
फिर भल कहाँ भी जाओ। मुरली तुमको मिलती रहेगी, मुरली पढ़ने की मिलेट्री में भी
मना नहीं हो सकती।
➢➢
*पुरूषार्थ बिगर प्रालब्ध बन न सके। पुरूषार्थ से समझा जाता है कल्प पहले भी
इसने इतना किया था। अभी तुम्हारी पढ़ाई चल रही है। रुद्र माला विष्णु की माला
गाई जाती है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ बाप कहते हैं
मुझे आना ही है कलियुग अन्त और सतयुग आदि में। सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का
राज्य था, पावन दुनिया थी। *बाप कहते हैं बच्चे, सबको बाप का परिचय देते रहो।*
➢➢ *तुम समझा सकते
हो, बाप कहते हैं तुम जो यह कसम उठवाते हो वह झूठा उठवाते हो। अब कहते हैं गीता
कृष्ण ने गाई।* हाथ में गीता उठाते हैं फिर कहते ईश्वर को हाजिर-नाजिर जान सच
बोलना। कृष्ण भगवान को हाजिर-नाजिर जान, यह नहीं कहते। ईश्वर के लिए ही कहते
हैं।
➢➢ *एक्यूरेट है एक
धर्मराज। सुप्रीम जज वही सच्चा है। सतयुग में तो जज आदि होते नहीं क्योंकि वहाँ
कोई ऐसी बात नहीं होती। सब हिसाब-किताब चुक्तू कर वहाँ चले जायेंगे। फिर नये
सिर सतोप्रधान सतो रजो तमो में आयेंगे।*
➢➢ *कांग्रेसी लोग
कितना आवाज से बोलते थे। उन्हों का लीडर था-बापू जी। वह था जिस्मानी बापू जी।
यह है फिर रूहानी बाप। सभी का बाप तो गांधी जी हो न सके। शिवबाबा तो सबका बाप
है ना।*
➢➢ *लिखा हुआ भी है
भगवानुवाच। उनका नाम शिव है। परम आत्मा है ना। परम अर्थात् सुप्रीम। परमधाम में
तो सब रहते हैं।* आत्माओंमें भी सुप्रीम पार्ट तो किसका होगा ना। उनको क्रियेटर,
डायरेक्टर, मुख्य एक्टर कहा जाता है। वह है रचयिता, करनकरावनहार,फिर पार्टधारी
भी है।
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