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❍ 11 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाबा कहते है अब तुम्हारी बुद्धि में है बरोबर यह देहली परिस्तान थी। धर्मराज ने स्थापन किया था। देहली फिर से परिस्तान बनेगी। उसके लिए हम राजयोग सीख रहे है।*
➢➢ *भल तुम दिखने में कितने साधारण हो, तुम्हारे पास कोई ड्रेस वा हथियार-पावर नही है परंतु तुम्हे शुद्ध अहंकार है हमारे बिगर सारे विश्व की रावण (विकारो) से कोई रक्षा कर नही सकता।*
➢➢ *बच्चे जानते है अब हम श्रीमत पर चल रावण रुपी 5 विकारो की जेल से छुटकारा पा रहे है।* एक तो रावण का जेल फिर रावण की मत पर चलने वालों का जेल। भक्ति की भी जंजीरे, गुरुओं की भी जंजीरें फिर पति की भी जंजीरें। *रावण की मत पर तुम कितना दुखी होते हो।* पुकारते भी हो रावण हमको बहुत सताते है।
➢➢ *जब भक्ति शुरू होती है तो पहले-पहले होती है शिव की पूजा।* इतना बड़ा सोमनाथ का मंदिर बनवाया है,जरूर महाराजा होगा। *देवी-देवतायें खुद ही पूज्य थे, वही पुजारी बन पड़े। फिर वही पूजा के लिए मंदिर बनाएंगे।* जरूर उस समय इतने साहूकार थे जो ऐसे मंदिर बनाये। *ऐसे नही कोई एक सोमनाथ का मंदिर बनाते है। एक ने शुरू किया फिर बहुतो ने बनवाया। फिर बहुत मंदिरो को लूटकर ले गये।*
➢➢ *यह 5000 वर्ष का बना बनाया अविनाशी ड्रामा है। अभी यह नाटक पूरा होता है। फिर नये सिर शुरू होगा। यह चक्र तो फिरता ही रहता है। इस ड्रामा में हम सब एक्टर्स है।* शुरू से अंत तक सबका पार्ट है। वह छोटा ड्रामा होता है जो पुराना हो जाता है। यह कभी पुराना नही होता। बाकी हम पार्ट में आते है। नये से पुराने हो फिर पुराने से नये हो जाते है।
➢➢ *ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण अर्थात सदा इस स्मृति में रहना जो हुआ वह भी अच्छा और जो हो रहा है वो और अच्छा और जो होने वाला है वह बहुत-बहुत अच्छा।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *परमात्मा बांधेली बच्चियों पर बलिहारी जाते है जो मार खाते भी शिवबाबा को याद करती है। बाप ऐसे बच्चो को धीरज देते है बच्चे अपने को आत्मा समझ बाप को याद करती रहो।*
➢➢ *बाबा समझाते है जितना-जितना हम योग में रहते है उतना हमारी आत्मा दुःख से छूटती जाती है।*
➢➢ *जो बंधन-मुक्त बच्चियाँ है वह भी इतना याद नही करती जितना बांधेलियां याद करती है। शिवबाबा हमे बंधन से छुड़ाओ। शिवबाबा को याद करने से ही बेड़ा पार होता है। नष्टोमोहा बन बाप को याद करना है।*
➢➢ *निराकार परमात्मा शिव का फरमान है कि मामेकम याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे। निश्चयबुद्धि बन बाप को याद करना है।*
➢➢ *बाप अल्फ कहते है मुझे याद करो तो तुमको विश्व का वर्सा देता हूँ।* श्रीकृष्ण को याद करने से विकर्म विनाश नही होंगे। कृष्ण कैसे सबको वर्सा देगा। कृष्ण तो भारत का है ना। पतित तो सारी दुनिया है। *सबका पतित-पावन तो एक ही निराकार है। बुद्धियोग निराकार शिवबाबा से लगाना है।*
➢➢ *हम है नॉन-वायोलेन्स शक्ति सेना। हम न स्थूल हथियार उठाते, न काम कटारी चलाते। हमे योगबल से अपना राज्य(रामराज्य) स्थापन करना है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ एक होती है जिस्मानी सेना और तुम्हारी है रूहानी सेना। मिलेट्री समझती है हमारे बिगर कोई देश की रक्षा कर नही सकता। *सदा रूहानी नशे में रह समझना है हमारा राज्य स्थापन हो रहा है।*
➢➢ *सिर्फ याद और सेवा में बिजी रहो।* भाग्य विधाता बाप ने याद और सेवा की ऐसी विधि दी है जिससे जो जितना चाहे उतना अपना श्रेष्ठ भाग्य बना सकते है।
➢➢ *बाप का सच्चा बच्चा बन अपनी अवस्था पक्की रखनी है।* बुद्धियोग जरा भी विकारो की तरफ ना जाये। *सच्ची दिलवाला बनना है,* सच्ची दिल पर साहेब राजी होगा।
➢➢ *बाप जो रंक से राजा बनने की नयी नॉलेज दे रहे है उसे रूहानी नशे में रह अच्छी रीति धारण करना है।* यह नॉलेज कल्प में एक ही बार मिलती है।
➢➢ *श्रेष्ठ कर्म करने है, कोई भ्रष्ट कर्म नही करने है।* बाबा को याद कर बादशाही को याद करना है।
➢➢ सितम तो होते रहेंगे। सितम भी कर्मभोग है। पुरुष स्त्री को मारता है, तुमने भी कभी उनको मारा होगा, वही हिसाब-किताब चुक्तु हो रहा है। *नष्टोमोहा बन मार भी खानी है,* मार भी अच्छा पद बना लेती है।
➢➢ *संतुष्टता का गुण धारण कर हर परिस्थिति को खेल समझ कर संतुष्टमणि बन देखना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *योग की बहुत महिमा है। स्वयं राजयोगी बन बहुतो को योगी बनाने की सेवा करनी है। रहमदिल बन सब पर रहम करना है।*
➢➢ *हम है परमात्मा की रूहानी गुप्त सेना। इसी नशे में रह बाप का मददगार बन विकारो पर जीत पाकर सारे विश्व पर जीत पाने में सहयोगी बनना है।*
➢➢ सबकी बुद्धि में है कि कृष्ण भगवान ने राजयोग सिखाया। *तुमको यह सिद्ध करने की सेवा करनी है कि परम पिता परमात्मा शिव ने राजयोग सिखाया।*
➢➢ *युक्ति से सर्व से यह प्रश्न पूछना है कि परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है ? सबको बाप का यथार्थ परिचय देने की सेवा करनी है।*
➢➢ *महारथी बच्चो को अच्छी सर्विस करनी है। कहाँ से भी निमंत्रण आता है तो तुम जा सकते हो। बात बिल्कुल थोड़ी करनी है जो एकदम तीर लग जाये।*
➢➢ *सबसे श्रेष्ठ कर्म है सबको बाप का परिचय देना।* सभी बाप को भूले हुए है। शिव की पूजा करते है। परंतु जानते कुछ भी नही है। *चतुर बच्चा बन सबको एक अल्फ(बाप) का अर्थ समझाना है।*
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