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❍ 04 / 12 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *यह बेहद का
सन्यास सिवाए परमपिता परमात्मा के और कोई सिखला न सके।* वह तो हद का अर्थात्
घरबार का सन्यास करते हैं। यह तो मात-पिता है ना। मात-पिता घरबार कैसे
छुड़ायेंगे? उनका तो धर्म ही है निवृत्ति मार्ग का।
➢➢ *वास्तव में राधे-कृष्ण तो प्रिन्स-प्रिन्सेज हैं। आपस में दोनों सखासखी
ठहरे। उनको राधा का स्वामी नहीं कहेंगे। जब राधा का स्वामी बनता है फिर नाम
बदलकर लक्ष्मी-नारायण नाम पड़ेगा। श्री नारायण स्वामी है। हाँ, जब तक शादी नहीं
की है तब तक स्वामी नहीं कहेंगे।*
➢➢ *पहला नम्बर अवतार है भगवान का। अब निराकार कैसे अवतार ले? बताते हैं मैंने
इस चोले का आधार लिया है। यह अपने जन्मों को नहीं जानते। शरीर तो इनका है ना।
गाया भी जाता है - आये देश पराये। और सब अपने देश, अपने शरीर में आते हैं।*
➢➢ *विष्णु की नाभी कमल से 84 जन्मों बाद अभी ब्रह्मा निकला है। अभी ब्रह्मा
सरस्वती सो फिर लक्ष्मी-नारायण बन जाते हैं।* सूर्यवंशी बनेंगे फिर चन्द्रवंशी
बनेंगे। यह सारा चक्र बुद्धि में है।
➢➢ *शास्त्रों में महाप्रलय दिखाई है। वह तो होती नहीं। कहते हैं श्रीकृष्ण
सागर में पीपल के पत्ते पर आया। यह सब हैं गपोड़े। बाप कहते हैं-मैं तो आता हूँ
आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना करने।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम भी समझते हो
बेहद का बाप हम बच्चों को बैठ समझाते हैं। पूछते हैं बच्चों तुम्हारा घर कौन सा
है? (परमधाम)। परमधाम से कोई समझेंगे नहीं। कहना चाहिए शान्तिधाम, निर्वाणधाम।
*तुमको याद करना है अपने घर को।*
➢➢ *जानते हो बाबा आया हुआ है, हमको श्रृंगार कर घर ले जायेंगे।* फिर हम
सुखधाम में आयेंगे। अभी तो यह है दु:खधाम। इनका तुमको सन्यास करना है।
➢➢ *आत्मा पर जो जंक चढ़ी हुई है वह कैसे निकलेगी? योगबल से। जितना बाबा की
याद में रहेंगे उतना कट उतरेगी।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*तुम बच्चों की बुद्धि में रहना चाहिए कि अब नाटक पूरा हुआ है, अभी वापिस घर
जाना है।* हमने 84 का चक्र लगाया है।
➢➢ हमारा यह 84 वाँ अन्तिम जन्म है। फिर हम अपने घर जायेंगे। *जब तक पवित्र नहीं
बने हैं तब तक कोई वापिस नहीं जा सकते।* जन्म लेना ही है। जो तुम पहले-पहले थे
अब पिछाड़ी में हो। सब धर्म वाले अभी अन्त में भिन्न नाम, रूप देश, काल में
हैं।
➢➢ सेन्सीबुल बच्चे जो होंगे उनको कोई राय पूछनी होगी तो श्रीमत लेंगे। *श्रीमत
पर चलने से कभी धोखा नहीं खायेंगे।* शिवबाबा की ही श्रीमत है। बाबा दूर थोड़ेही
है। बाप देखते हैं बच्चे रांग चलते हैं वा राइट चलते हैं। हर एक को सर्जन से
राय मिल सकती है। यह है सबसे बड़ा सर्जन।
➢➢ समझो कोई गरीब बच्चा है, धारणा अच्छी है, सर्वीसएबुल है, परन्तु गरीब है
इसलिए आकर मिल नहीं सकता। ऐसे को टिकट भी मिल सकती है। *बाप तो गरीबनिवाज है
ना। ऐसे तो बाप को बच्चे चाहिए जो गरीब से गरीब हो और पढ़कर ऊंचे ते ऊंचा चढ़
जाये।*
➢➢ बाबा ने समझाया है - पदमपति यह वर्सा ले नहीं सकेंगे। वह अर्पण हो न सकेंगे।
न बाबा एलाउ करेंगे। *गरीबों की पाई-पाई सफल होती है।* ऐसी क्या पड़ी है, यह भी
पक्का सौदागर है इसलिए साहूकार आते ही नहीं हैं। बाप कहते हैं तुम अपनी राजाई
सम्भालते रहो।
➢➢ ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा यह टापिक बहुत अच्छी है। सारे चक्र
का राज इसमें आ जाता है। *यह सब बातें सेन्सीबुल बच्चे अच्छी रीति धारण कर
सकेंगे और प्वाइंट्स लिखते करेक्ट करते रहेंगे।*
➢➢ *बच्चों को मुरली एक भी मिस नहीं करनी चाहिए।* बहुत बच्चे सुस्त हैं जो कभी
मुरली भी नहीं पढ़ते हैं। मुरली में बहुत अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स निकलती हैं।
तो कभी भी मुरली मिस नहीं होनी चाहिए।
➢➢ अभी हमको वापिस जाना है। फिर नयेसिर चक्र शुरू होगा। पुरानी दुनिया कलियुग
से नयेसिर शुरू नहीं हो सकता। परन्तु नया चक्र सतयुग से शुरू होगा। यह सब बातें
तुम बच्चों को ही समझाई जाती हैं, परन्तु कितनी बातें बच्चे भूल जाते हैं। *धारणा
न होने कारण फिर वह खुशी का पारा नहीं चढ़ सकता।*
➢➢ स्कूल में मैनर्स भी सिखलाते हैं। इसमें भी मैनर्स अच्छे चाहिए। *दैवीगुण
धारण करने हैं। मूडी नहीं बनना है।* कभी मीठा, कभी कैसा वह फिर सार्विस नहीं कर
सकते। बहुत मीठा बनना चाहिए।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाबा आकर सब
वेदों, शास्त्रों का सार समझाते हैं।* यह भी बाबा ने समझाया है - *विष्णु को
ब्रह्मा बनने में 5 हजार वर्ष लगते हैं और ब्रह्मा से विष्णु को निकलने में एक
सेकण्ड...* और कोई यह बातें समझ न सके। बाबा कितना अच्छा हिसाब समझाते हैं।*
➢➢ *तुम कल्प-कल्प बाप का शो निकालते हो।* शिव शक्ति पाण्डव सेना तुम स्वर्ग
की स्थापना करते हो, टाइम लगता है। जब तक आसुरी गुण बदल दैवीगुण बन जायें।
➢➢ *यह रावणपुरी दु:खधाम है। पुरी रहने की होती है। रावणपुरी में राम-सीता हैं
नहीं।* यूँ तो तुम सब सीतायें हो और *बाप कहते हैं - मैं हूँ राम। मुझे तुम
सीताओंको रावण की जेल से छुड़ाना है।*
➢➢ *हमेशा पहले स्थापना फिर विनाश, पालना.. ऐसे कहना चाहिए।* ऐसे नहीं कि पहले
स्थापना, पालना, पीछे विनाश कहो। तो कोई सेन्सीबुल सुनेगा तो कहेगा यह तोते
मुआफिक पढ़े हुए हैं। स्थापना, पालना फिर विनाश कैसे होगा! इसलिए *कायदेमुजीब
करेक्ट अक्षर बोलने हैं।* स्थापना, विनाश, पालना।
➢➢ *टापिक की लिस्ट बनानी चाहिए। इस पर यह-यह प्वाइंट्स समझायेंगे। फिर सारी
नाँलेज बुद्धि में आ जायेगी, फिर एक्यूरेट भाषण करेंगे।* अचानक भाषण करेंगे तो
गड़बड़ होगी। यह भी नम्बरवार प्रैक्टिस है। तब तो जो तीखे हैं उनको बुलाते हैं,
आकर भाषण करो।
➢➢ *बहुत प्यार से किसको समझाना है* तब अच्छा पद मिल सकता है। *सभी को राजी
करना है।* यह तो जानते हो बाबा आकर सभी मनुष्य मात्र को खुश करते हैं। सर्व के
सद्गति दाता, सर्व को सुख-शान्ति देने वाला है।
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