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❍ 04 / 09 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *मनुष्य दान
गरीबों को करते हैं तो ईश्वर द्वारा उनको फल मिलता है। यहाँ भी शिवबाबा कहते
हैं - तुम मुट्ठी देते हो तो नई दुनिया में तुम्हें 21 जन्मों के लिए फल मिलेगा।
चाहे सूर्यवंशी राजाई, चाहे चन्द्रवंशी राजाई लो। चाहे साहूकार प्रजा बनो, चाहे
गरीब प्रजा बनो।*
➢➢ *यह रावण की
कितनी बड़ी दुनिया है। राम की इतनी बड़ी थोड़ेही होगी। वहाँ तो भारत ही स्वर्ग
होगा, दूसरे खण्डों का नाम-निशान नहीं होगा।* यह समझ की बात है, जो बुद्धि में
धारण करनी है। *अभी तुम जानते हो यह सारी पुरानी दुनिया भारत सहित जो भी है, यह
सब स्वाहा हो जाता है - इस ज्ञान यज्ञ में। यह बड़ा बेहद का यज्ञ हुआ ना, इनमें
पुरानी दुनिया सारी स्वाहा होनी है।*
➢➢ *तुम स्वर्ग के
मालिक थे ना और कोई धर्म नहीं था । आज से 5 हजार वर्ष पहले लक्ष्मी-नारायण का
राज्य था। राजायें भी डबल सिरताज थे। पवित्रता का भी ताज था और रतन जिड़त ताज
भी था।* रामराज्य तो पीछे होता है।
➢➢ *तुम जानते हो
अभी कितने मनुष्य हैं। कितने खण्ड हैं, कल जरूर भारत ही होगा। दैवी राज्य होगा।
सोने की द्वारिका होगी। गोया भारत में कृष्णपुरी होगी। लंका नहीं होगी। लंका
अर्थात् रावणराज्य खत्म हो जाता है। भारत द्वारिका बन जाता है जिसको कृष्णपुरी
कहते हैं।* द्वारिका होती है भारत में। भारत सोने का हो जाता है। द्वारिका भी
एक राजधानी हो जाती है।
➢➢ *आज पुरानी
दुनिया है - कल नई दुनिया बनेंगी। तुम ब्रह्मण डिनायस्टी ही दैवी डिनायस्टी
बनेंगे।* यह ब्रह्मण ही पढ़कर नम्बरवार डिनायस्टी बनेंगे। अभी शूद्र डिनायस्टी
है।
➢➢ *इस समय तुमको
दो बाप हैं। तीसरा है लौकिक शरीर देने वाला बाप। यह दो हैं प्रजापिता ब्रह्मा
और शिवबाबा। सब भक्तियां, सीतायें हैं। एक राम ही भगवान है। पुकारते भी हैं हे
राम। वास्तव में राम शिवबाबा को कहा जाता है।*
➢➢ *बाबा ने समझाया
है सतयुग में पहले लक्ष्मी फिर नारायण कहेंगे। यहाँ तो सरस्वती ब्रह्मा की बेटी
है इसलिए सरस्वती ब्रह्मा नहीं कहेंगे। पहले ब्रह्मा फिर उनकी बेटी सरस्वती।*
जगतपिता और जगत माता कहेंगे। यह स्त्री पुरूष तो हो न सकें।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ लौकिक बाप से
तुम हद का वर्सा लेते हो, *अब पारलौकिक बाप कहते हैं मेरे से बेहद का वर्सा
लो।* परमपिता परमात्मा आकर पतितों को पावन बनाते हैं और राज्य करने लायक बनाते
हैं।
➢➢ *मैं नालेजफुल,
ब्लिसफुल, लिबरेटर हूँ। सुख कर्ता, दु:ख हर्ता हूँ। जितना तुम बाप को याद करते
जायेंगे तो पाप कटते जायेंगे।*
➢➢ *बाप कहते हैं -
तुमको जो चाहे सो लो। इनको इनश्योर मैगनेट कहा जाता है। यह है गुप्त। अभी तुम
जानते हो बाबा सम्मुख आया हुआ है - हमको 21 जन्मों का वर्सा देते हैं।* जितना
इनश्योर करेंगे, बाबा कहते हैं हमारा बनेंगे तो तुम्हारा हक है राजाई लेना।
➢➢ यह भी बाबा ने
समझाया है *तुम शिव शक्तियां हो, सेना भी हो। तुम विकारों को छोड़, निर्विकारी
पावन बन अपना राज्य लेती हो।* फिर यह रावणराज्य खत्म हो जायेगा।
➢➢ *रेस में जो पहला
नम्बर आता है उनको बड़ा इनाम मिलता है। तो यह लक्ष्मी-नारायण पहले नम्बर में
हैं। इन्हों की दौड़ी तुमसे जास्ती है। पहले नम्बर में है ब्रह्मा फिर सरस्वती,
इनको योगबल की दौड़ी कहा जाता है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
बाप कहते हैं तुम तो कहते हो ना - यह सब ईश्वर ने दिया है। बस ऐसा नहीं समझो यह
मेरा है। *अपना ममत्व नहीं रखो।* ममत्व रखेंगे तो राजाई नहीं मिलेगी। *गृहस्थ
व्यवहार में रहते श्रीमत पर चलो तो ममत्व नहीं रहेगा।*
➢➢
अभी तुम जानते हो हम मनुष्य से देवता बनते हैं, *जितना जास्ती पुरूषार्थ करेंगे
उतना ऊंच पद मिलेगा।* तुम जैसे बेगर टू प्रिन्स बन रहे हो। *अच्छी रीति पढ़ाई
पढ़ेंगे तो राजा बनेंगे।* अच्छी रीति नहीं पढ़ेंगे, पवित्र नहीं रहेंगे तो
राजाई भी नहीं पायेंगे।
➢➢
*यहाँ जो चावल-मुट्ठी देते हैं तो 21 जन्म लिए महल मिल जाते हैं। यह है
इन्श्योरेन्स।* हर एक अपने को इनश्योर करते हैं - भगवान के पास।
➢➢
*कोई पूछते हैं हम लक्ष्मी को वर सकते हैं? बाबा कहते हाँ पहले बन्दरपना तो छोड़ो
तो क्यों नहीं वर सकते हो।*
➢➢
*तुमको ही बाप कहते हैं हियर नो ईविल, सी नो ईविल.....* ऐसा खिलौना बन्दर का
बनाया है। तुम भी बन्दर मिसल थे। अभी तुम्हारी सूरत बदली है। जिनमें 5 विकार
हैं उनको ही कहेंगे बन्दर।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *यह
लक्ष्मी-नारायण ही पहलेपहले नम्बर के हैं। सतयुग में दैवी गुणों वाले मनुष्य थे
फिर 84 जन्म भी इन्हों को ही लेने पड़ते हैं।* अब वह लक्ष्मीनारायण कहाँ हैं?
सब पतित दुनिया में हैं ना।
➢➢ *तुम कहते हो
कृष्ण गीता का भगवान है, नहीं। प्रजापिता ब्रह्मा को भी भगवान नहीं कहा जाता
है। शिव को ही भगवान कहेंगे क्योंकि वह है निराकार और यह प्रजापिता ब्रह्मा है
साकार। तो भगवान एक शिव ही है।*
➢➢ आखिर बाप को आना
ही पड़ता है - यह दुनिया नहीं जानती। *बाबा ने प्रश्नावली के पोस्टर बहुत अच्छे
बनवाये थे, जिससे मनुष्यों को बाप का परिचय मिल जाए। परन्तु सम्मुख समझाने के
बिगर कोई समझ नहीं सकेंगे।*
➢➢ *बाबा ने तुमको
समझदार बनाया है फिर तुम्हारे द्वारा सभी आत्माओंको रावण की जंजीरों से छुड़ाए
शिवालय में ले जाते हैं अथवा अशोकवाटिका में ले जाते हैं।* इस समय सब शोकवाटिका
में हैं। अभी तुम रावण को भगा रहे हो फिर जयजयकार हो जायेगी।
➢➢ बाबा ने आकर
समझाया है, राम ही आकर सबकी सद्गति करते हैं। स्वर्ग में ले जाते हैं, जिसको
रामराज्य कहा जाता है। *बाबा ने पोस्टर बहुत अच्छे बनवाये थे। तुम बच्चों को
गीता पाठशालाओं में जाकर समझाना है।*
➢➢ *हम लिखते भी
हैं परमपिता, फिर पूछते हैं कि परमपिता परमात्मा के साथ आपका क्या सम्बन्ध है?*
जरूर कहेंगे वह सबका बाप है। अच्छा *जब हम उनके बच्चे हैं, वह तो बेहद का बाप
नई दुनिया रचने वाला है फिर तो हमको जरूर स्वर्ग में होना चाहिए। यहाँ नर्क
पतित दुनिया में क्यों पड़े हो?*
➢➢ *परमपिता
परमात्मा को खिवैया भी कहते हैं। खिवैया बोटमेन को कहा जाता है। जो बोट (नांव)
में बिठाए उस पार ले जाये। तो बाप खिवैया है, उस पार ले जाने वाला।*
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