━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

  08 / 08 / 17  

       MURLI SUMMARY 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *परमपिता परमात्मा शिव भक्तों को भक्ति का फल देने कल्प के इस संगमयुग में आते है।*  भक्त कहते है- भगवान कण-कण में है। जहाँ देखो तू ही तू है। सब भगवान की लीला है। भगवान भिन्न-भिन्न रूप धारण कर लीला कर रहा है। भगवान सर्वव्यापी है, कह ग्लानि करते आये है। बाप समझाते है यह भी बना बनाया खेल है तभी मुझे आना पड़ता है भक्तो को भक्ति का फल देने। *भक्ति का फल ज्ञान है जिसके आधार पर तुम सिद्ध कर बता सकते हो कि भगवान सर्वव्यापी नही है।*

 

➢➢  *बाप बच्चो को कहते है बच्चे इस माया रावण पर जीत पाने से तुम जगत जीत अर्थात जगत के मालिक बनेगे।* तुम बच्चे जानते हो कि मेहनत ही 5 विकारो पर जीत पाने की है। इसमें भी काम विकार है बड़ा शत्रु। *ऊँच ते ऊंच बाप ही माया पर जीत पहनाए जगत का मालिक बना सकते है।*

 

➢➢  *यह रूहानी पढ़ाई ऐसी है जो चलते -चलते फिर माया का वार हो जाता है।* सब तो पवित्र रह नही सकते। माया बड़े तूफ़ान में लाती है जो चलते-चलते गिर पड़ते है। *गिरना और चढ़ना यह तो है जरूर। चढ़कर फिर आइरन एज से कॉपर एज, सिल्वर एज, गोल्डन एज में आना है। पढ़ते-पढ़ते ज्ञान सुनते-सुनते पिछाड़ी में हमारी वह गोल्डन एज बुद्धि बनेगी तब हम यह शरीर छोड़ देंगे।*

 

➢➢  *बाबा ने समझाया है- यह ब्राह्मण धर्म बहुत छोटा है। ब्राह्मण ही देवता सूर्यवंशी चंद्रवंशी बनते है। अभी पुरुषार्थ कर रहे है। सारा मदार है पवित्रता पर, जितना बाबा की याद में रहेंगे उतना बल मिलेगा।* 

 

➢➢  *भारत का सबसे बड़ा दुश्मन रावण(5 विकार) है, इसलिए पवित्रता की राखी बांधनी है वा सबको राखी का महत्त्व भी बताना है।* अभी सब रावण से हार खाये हुए है। भारत में ही रावण को जलाते रहते है। आधाकल्प रावण का राज्य चला है। *अब पवित्रता की राखी बांधनी है। इस संगम पर पवित्र बनेगें तो सतयुग में नर से नारायण का पद पायेंगे।* 

 

➢➢  *शिव परमपिता परमात्मा ब्रह्मा मुख द्वारा बच्चो को अडॉप्ट करते है। यह अलौकिक बाप भी है तो माता भी हो गयी। परन्तु मेल है इसलिए माता को कलष दिया जाता है। कन्याओ वा माताओ को आगे बढ़ाया जाता है।* 

 

➢➢  *जिस्मानी पढ़ाई भी पवित्रता में ही पढ़ी जाती है। यह है रूहानी पढ़ाई। इसमें बर्तन(बुद्धि) सोने का अर्थात पवित्र चाहिए, जिसमे ज्ञान धन ठहर सके।* पवित्र बनने में टाइम लगता है क्योंकि अभी सबका बर्तन(बुद्धि) ठिक्कर का बन गया है।

 

────────────────────────

 

❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *सदा याद रखो पवित्र बन वापिस घर(शान्तिधाम) जाना है। बुद्धि से बाबा को याद करना है।* जितना-जितना ज्ञान योग की धारणा होती जाएगी, उतना बुद्धि पवित्र होती जाएगी। 

 

➢➢  *बाप आकर मैसेज देते है, राय देते है बच्चो और सबका बुद्धि से त्याग करो। तुम नंगे(अशरीरी) आये थे नंगे जाना है। पहले-पहले तुमने स्वर्ग में पार्ट बजाय। तुम गोरे अर्थात पवित्र थे। फिर काम चिता पर बैठने से  अभी काले बन गये है। अभी फिर काम चिता से उतर ज्ञान चिता पर बैठना है।* 
  
➢➢  *पुरुष लोग विकार के लिए माताओ को बहुत तंग करते है।* अत्याचार बहुत किये जाते है। *यह शास्त्रो में है कि द्रोपदी के चीर उतारे थे। तो उस समय याद करने के सिवाए और कर ही क्या सकेंगी। अंदर में शिवबाबा को याद करेंगे तो वह पाप नही लगता है। परवश है।* हाँ, बचने की कोशिश करनी है। बाप पवित्र रहने की युक्ति अच्छी रीति समझाते है।

 

────────────────────────

 

❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  जब बुद्धि गोल्डन एजेड बन जाती है फिर राज्य अधिकारी बनते है। गया भी हुआ है- पवित्रता की राखी बांधने से राज्यतिलक मिलेगा। हमे राजाई प्राप्त करने के लिए पवित्रता की प्रतिज्ञा करनी है। *बेहद के बाप से बेहद का वर्सा पाने के लिए पवित्र जरूर बनना है।*

 

➢➢  *ज्ञान और योग को अच्छी रीति धारण कर, इस अंतिम जन्म में रूहानी पढ़ाई अच्छी रीति पढ़नी है।* जितना ऊंच पढ़ते जायेंगे, ख़ुशी बढ़ती जायेगी। 

 

➢➢  ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी एक बाप की संतान आपस में भाई-बहन है। *एक दुसरे के प्रति विकारी दृष्टि नही रखनी है। पवित्रता की प्रतिज्ञा को नही तोड़ना है।*  

 

➢➢  सतयुग है पवित्र श्रेष्ठाचारी दुनिया। श्रेष्ठाचारी दुनिया स्थापन करना एक बाप का ही काम है। *पावन बन बाप से पावन दुनिया में जाने का सर्टिफिकेट लेना है।* 

 

➢➢  बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए *इस रूहानी यात्रा पर बहुत सच्चाई से चलना।* बाप से कुछ भी छिपाना नही है। बाप को *अपना पूरा पोतामेल देना है।* 

 

────────────────────────

 

❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *पुरानी दुनिया से बुद्धियोग हटा, एक बाप से योग लगा सर्व शक्तियों से संपन्न बन सही समय पर सही शक्ति का यूज़ कर, विघ्न विनाशक बन सबको दुखो की दुनिया से बाहर निकलना है।*

 

➢➢  *बाप का मददगार बन बुद्धि योगबल और ज्ञानबल से राजाई स्थापन करनी है।*

 

➢➢  *सच्चे सेवाधारी बन बाप से प्रतिज्ञा करो कि हम पवित्र बन भारत को पवित्र बनाने की सेवा करेंगे।*

 

➢➢  *नब्ज देख सबको बाप(परमात्मा) का यथार्थ परिचय देने की सेवा करनी है।* जब तक निश्चय नही बैठेगा समझेंगे नही।

 

➢➢  *रक्षाबंधन पर बड़े बड़े आदमियों के पास जा उन्हें समझाना है कि पतित-पावन बाप इस पतित दुनिया को पावन बनाने इस संगम पर ही आते है।* 

 

➢➢  *युक्ति से सर्व आत्माओ को सृष्टि चक्र का ज्ञान समझाना है। अमरनाथ वा सत्यनारायण की कथा सुनानी है। जब भारत पवित्र था तो सोने की चिड़िया था, अब भारत पतित है, लोहे की चिड़िया कहेंगे।* 

 

➢➢  *बाबा कहते है तुमको यह सिद्ध कर समझाना है गीता का भगवान श्री कृष्ण नही परमात्मा शिव है।* अभी इस बात को एक मानेगे दूसरे नही मानेगे। पिछाड़ी में सब जरूर समझेंगे।

 

────────────────────────