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  07 / 09 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢   तुम ब्राह्मण फिर देवता बनते हो। यह बाजोली तुम खेलते हो, यह चक्र फिरता रहता है, इनको नई रचना कहा जाता है। *तुम बच्चों की तकदीर अब अच्छी बन रही है। नर से नारायण बनने आये हो। यह है एम-आब्जेक्ट।* लक्ष्मी-नारायण बन रहे हो। चित्र सामने खड़े हैं।

➢➢  बाप को देखना है तो नौधा भक्ति करो तो बाबा वह साक्षात्कार करा देंगे। परन्तु साक्षात्कार से होगा क्या? *यहाँ तो तुमको साक्षात्कार होता है, तुम सो देवीदेवता प्रिन्स प्रिन्सेज बनेंगे। तो यह समझने की बातें हैं।* तुमको इस धुन में ही रहना है। 

➢➢  तुम तो जानते हो कि अभी राजधानी स्थापन हुई नहीं है। अभी लड़ाई लग ही नहीं सकती। *कर्मातीत अवस्था अजुन कहाँ हुई है। अभी तुम देखेंगे कि गलीगली में यह रूहानी हॉस्पिटल कालेज खुलते जायेंगे। बाबा बुद्धि का ताला खोलते जायेंगे। ब्राह्मणों की वृद्धि होती जायेगी।* ब्राह्मणों को ही फिर देवता बनना है। 

➢➢  *बच्चों को तो बहुत मीठा बनना है।* तुम्हारा ज्ञान है ही गुप्त। कान में मन्त्र देते हैं ना। *तुम भी किसको कहते हो शिवबाबा को याद करो। आगे चल सिर्फ कहने से ही बुद्धि में ठका हो जायेगा और झट पुरूषार्थ करने लग पड़ेंगे।* 

➢➢  दीपमाला होती है सतयुग में। दशहरा है संगमयुग पर। वहाँ तो सदैव दीवाली है। *दीवाली का अर्थ ही है सब आत्माओं की ज्योत जग जाती है।* ऐसे नहीं कि सतयुग में कोई दीपावली मनाते हैं, दीवे आदि जगाते हैं। नहीं, वहाँ तो खुशियाँ मनाते हैं, जब कारोनेशन होता है। यह ज्ञान की बातें हैं। हर एक की आत्मा साफ शुद्ध होती है। वहाँ सब पवित्र ही होते हैं। तुमको रोशनी मिली है।

➢➢  तुम्हारी लड़ाई बिल्कुल ही अलग है। *तुम्हारी लड़ाई है ही पुराने दुश्मन रावण से। तुम माया पर जीत पाकर जगतजीत बनते हो।* बाप तुमको विश्व का मालिक बना रहे हैं। बाहुबल से कोई विश्व का मालिक बन न सके। *अभी टाइम बाकी थोड़ा है। विनाश सामने खड़ा है।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम्हारी यह लाइफ मोस्ट वैल्युबुल है, इसमें कौड़ी से हीरे जैसा बनना है।* है सारी बुद्धि की बात। तुम्हें बाबा की याद में रहना है। आजकल तो मौत के लिए अनेक बाम्ब्स बनाये हैं। मनुष्यों ने तो कोई गुनाह नहीं किया है। आगे तो लड़ाई हमेशा शहर से बाहर मैदान में होती थी फिर विजय पाकर शहर के अन्दर आते थे। आजकल तो जहाँ देखो वहाँ बाम्ब्स ठोक देते हैं। *बच्चों को कहाँ भी आना-जाना है तो बाप की याद में रहकर औरों को याद कराना है।*

➢➢  *बाप ने समझाया है, सवेरे उठ बाप को याद करो, याद का चार्ट रखो।* भारत का प्राचीन योग मशहूर है। बहुत जगह योग आश्रम हैं। वह सब हठयोग सिखाते हैं, उनसे कोई फायदा नहीं है। उसको हठयोग कहा जाता है।

➢➢  अनेक जन्मों का सिर पर जो पाप है वा इस जन्म में जो पाप किये हैं वह कैसे छूटें? उसका प्रायश्चित कैसे हो? *बाप कहते हैं कल्प-कल्प तुम बच्चों को मैं समझाता हूँ - बाप को याद करना है और चक्र भी घुमाना है। तुम्हारा स्वदर्शन चक्र फिरता रहता है। इस चक्र से तुम्हारे सब पाप नाश हो जाते हैं।*

➢➢  *जिन्होंने कल्प पहले राज्य भाग्य लिया है, वही अब लेंगे। उन्हों का ही पुरूषार्थ चलेगा। जितना-जितना रावण पर जीत पाते जायेंगे उतनी याद से शक्ति मिलती जायेगी।*

➢➢  सन्यासी तो छोड़कर चले जाते हैं। प्राप्ति तो कुछ भी नहीं। तुमको तो प्राप्ति बहुत है इसलिए नष्टोमोहा पूरा बनना है। *प्यार एक बाप में रखो। उनको ही याद करना है।* ऐसे भी बहुत हैं जो बाबा के प्यार में आँसू बहाते हैं कि ऐसे बाबा से हम दूर क्यों हैं? हम तो बस शिवबाबा से ही लटके रहें। यहाँ प्राप्ति बहुत भारी है। 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाप कहते हैं काम विकार महाशत्रु है। कैसे शत्रु बना, यह कोई भी नहीं जानता। बाप ने हमको स्वराज्य दिया था, अब गंवाया है। फिर बाप आकर विकारों पर जीत पाने की युक्तियाँ बताते हैं। वास्तव में तुम्हारी लड़ाई काम महाशत्रु से है। *अब बाप कहते हैं कि कामी से निष्कामी बनो। निष्कामी अर्थात् कोई भी कामना नहीं, जिसमें कोई विकार नहीं उसको निष्कामी कहेंगे।*

➢➢  तुम पुरानी दुनिया का सन्यास करते हो। यह बाप ही आकर सिखलाते हैं। *बाप कहते हैं बुद्धि से पुरानी दुनिया का सन्यास करो। तुमको गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र रहना है। 5 विकारों का सन्यास करना है, फिर युक्ति मिलती है।*

➢➢  बाप बच्चों को समझाते हैं - *एक तो कोई को भी दु:ख नहीं देना है।* बाबा कभी किसको दु:ख नहीं देते तो तुम बच्चों को भी ऐसा बनना है। *दूसरे को दु:ख दिया गोया अपने को दु:ख दिया। किसको दु:ख देते हैं गोया अपना ही खाता खराब करते हैं, इसमें बड़ी खबरदारी चाहिए।*

➢➢  *ऐसा कोई पाप कर्म नहीं करना है, जिससे रजिस्टर खराब हो।* बच्चे लिखते हैं कि बाबा आज हमसे यह भूल हो गई। उस पर क्रोध किया। आज मैं गिर गया। बाबा हमारा इसमें मोह हैं। बहुत रिपोर्ट आती है। फिर उनको समझाया जाता है। *तुम्हारा अन्जाम (वायदा) है कि आप जब आयेंगे तो मैं आपके साथ ही बुद्धियोग रखूँगा। नष्टोमोहा बनूंगा।*

➢➢  बाप समझाते हैं कि *कर्मणा में नहीं आओ। तूफान भल आयें परन्तु तुमको बहुत मीठा  बनना है। क्रोधी से क्रोध नहीं करना चाहिए। मुस्कराना होता है।* क्रोध में मनुष्य गाली देते हैं। समझते हैं इनमें क्रोध का भूत आया हुआ है। ज्ञान से समझाना होता है। *गृहस्थ व्यवहार में तुम्हारा व्यवहार बहुत मीठा होना चाहिए।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  तुम्हारी तो ब्रान्चेंज खुलती ही रहेंगी। दान क्या करना चाहिए, सो भी तुम बच्चे ही समझते हो। *उत्तम से उत्तम दान है अविनाशी ज्ञान रत्नों का। घर-घर में तुम यह हास्पिटल खोल दो। तुम्हारे हास्पिटल में दवाई आदि कुछ भी नहीं है, सिर्फ बाप का परिचय देना है कि उठते-बैठते बाप को याद करो।*

➢➢  *तुम्हारे में भी ताकत आती जायेगी। अभी भाषण से एक दो निकलते हैं फिर 50-100 निकलेंगे। पुरूषार्थ करने लग पड़ेंगे।* होना तो है ना। गृहस्थ व्यवहार में भी रहना है। छोड़ना नहीं है। कोई निकाल भी देते हैं। परन्तु इसमें नष्टोमोहा अच्छा होना चाहिए इसलिए बाप शरण भी बड़ी खबरदारी से देते हैं। नहीं तो फिर यहाँ आकर तंग करते हैं।

➢➢  धीरे-धीरे झाड़ बढ़ेगा। *बच्चों को बहुत पुरूषार्थ करना है। अन्धों की लाठी बनना है।* नम्बरवार बनते हैं ना। सब एक समान तो नहीं होते हैं। हाँ, सतयुग में सब पवित्र हो जायेंगे। वहाँ दु:ख का नाम नहीं होता। 

➢➢  *बच्चों को टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए। बाबा कहते हैं कि बच्चे सार्विस करते-करते थक मत जाना।* कोटों में कोई ही निकलते हैं। फिर भी माया का  थप्पड़ लगने से फेल हो जाते हैं। माया भी सर्वशक्तिमान् है तो बाबा भी सर्वशक्तिमान् है। *आधाकल्प तो माया भी जीत लेती है ना। तो बाप को याद करना है और श्रीमत लेते रहना है।*

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