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❍ 22 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम बच्चे जानते हो कि *बाप कितना प्यार का सागर है। सब पतितों को पावन बनाते हैं। सब बच्चों को सुखधाम का वर्सा देते हैं।*
➢➢ *आत्मा है कितनी छोटी। कहते हैं स्टॉर मिसल छोटी है।* आत्मा का साक्षात्कार बहुतों को होता है। बहुत छोटी लाइट है। *बिन्दी मिसल सफेद लाइट है। उनको दिव्य दृष्टि बिगर कोई देख न सके।*
➢➢ *निराकार बाप को जादूगर, सौदागर भी कहते हैं। तुम जानते हो दिव्य दृष्टि की चाबी बाप के हाथ में है।* अच्छा कुछ भी देखा, *कृष्ण का दीदार किया, इससे फायदा क्या है? कुछ भी नहीं।*
➢➢ *सेकेण्ड बाई सेकेण्ड ड्रामा चलता रहता है। ड्रामा में नूंध है जो कल्प पहले हुआ था, वही करेंगे, इमर्ज होगा। ड्रामा का पार्ट सेकेण्ड बाई सेकेण्ड खुलता जाता है।*
➢➢ *तुम एक्यूरेट समझते हो कि 84 जन्म का चक्र है। पहले गायन है ब्राह्मणों का, मुख वंशावली ब्राह्मण हैं ना।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ बाप कहते हैं देहधारी को याद मत करो। *ऊच ते ऊंच एक बाप को ही याद करना है। कितना बड़ा फरमान है - बच्चे, मामेकम् याद करो।*
➢➢ *मुख्य है बाप की याद जिससे विकर्म विनाश होंगे। जितना बाप की याद में लगे रहते उतना विकर्म विनाश होते रहते।*
➢➢ *तुमको तो बाप के पास जाना है। उनको याद करना है और कोई को याद करेंगे तो तुम्हारी रूहानी यात्रा बन्द हो जायेगी।*
➢➢ *मामेकम् याद करना है और कोई को याद नहीं करना है। बाप इन द्वारा कहते हैं- हे बच्चों मैं आया हूँ, सबको ले जाने वाला हूँ।*
➢➢ *यहाँ से तुम पहले जायेंगे शान्तिधाम।* बच्चे समझते हैं वह हमारा घर है, उनको ही शान्तिधाम कहते हैं। *वह तो हमारा अथवा बाप का घर है, जिस बाप को याद करते हैं। बाप से ही बिछुड़े हैं, इसलिए याद करते हैं।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुमको याद एक शिवबाबा को करना है और स्वदर्शन चक्र फिराना हैै।* बाबा कहते हैं मामेकम् याद करो।
➢➢ तुम बच्चों को भी सिखलाया जाता है, *यहाँ प्यार के मास्टर सागर बनेंगे तो वह संस्कार तुम्हारा अविनाशी बन जायेगा।* यहाँ सब एक दो के दुश्मन हैं क्योंकि रावण राज्य है। बाप कहते हैं कल्प पहले मिसल हुबहू तुमको अब बहुत प्यारा बनाते हैं।
➢➢ जितना जो बाप को याद कर *कमल फूल समान पवित्र रहेंगे अर्थात् विकारों पर जीत पायेंगे उतना वर्से के अधिकारी बनेंगे।*
➢➢ कभी किसका आवाज सुनते हैं कि यह गुस्सा करते हैं तो बाप शिक्षा देंगे कि बच्चे *गुस्सा करना ठीक नहीं है,* इससे तुम भी दु:खी होंगे दूसरों को भी दुखी करेंगे।
➢➢ जैसे लौकिक बाप भी बच्चों को शिक्षा देते हैं, वह होते हैं हद का सुख देने वाले। यह बाप है बेहद का और सदाकाल का सुख देने वाला। तो तुम बच्चों को *एक दो को दु:ख नहीं देना चाहिए।*
➢➢ सच्चे के आगे कोई बात छिप नहीं सकती। तुम्हारा सब ऊपर में गूँधा जाता है। अन्तर्यामी बाबा तो वह हैना। *समझना चाहिए हम छिपाकर विकर्म करते हैं तो बहुत सजा खानी पड़ेगी। हम ब्राह्मण निमित्त बने हैं सम्भालने के लिए। हमारे में ही यह आदत है तो ठीक नहीं।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *जैसे बाप समझाते हैं बच्चों को भी समझाना है। पहले बाप का परिचय देना है, वर्सा भी बाप से मिलता है। सर्विस जरूर करनी है।*
➢➢ कोई भी समझते नहीं हैं- यह संस्था क्या है? यह नाम क्यों पड़ा है? *प्रजापिता ब्रह्मा नाम डालने से फिर क्यों का प्रश्र निकल ही जायेगा। तुम कह सकते हो शिवबाबा के बच्चे सब भाई-भाई हैं। फिर प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे ब्रदर्स, सिस्टर्स हैं। यह समझने से फिर प्रश्र नहीं आयेगा।*
➢➢ *तमोप्रधान दुनिया में बहुत दु:ख है। यह तूफान आदि तो कुछ भी नहीं हैं। तूफान तो ऐसे लगेंगे जो बड़े-बड़े महल गिर जायेंगे। बहुत दु:ख का समय आने वाला है। यह विनाश का समय है। हाय-हाय, त्राहि-त्राहि करते रहेंगे। सबके मुख से हाय राम ही निकलेगा।*
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