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  28 / 11 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम ऊंचे ते ऊंची चोटी ब्राह्मण हो क्योंकि तुम ऊंच ते ऊंच विश्व की सेवा करते हो।* मनुष्य को आत्मा का ज्ञान देते हो। तुम आत्मा को बाप से वर्सा मिलता है। बरोबर *बाप कल्प-कल्प के संगमयुगे वर्सा देने आते हैं।* शास्त्रों में तो युगे-युगे लिख दिया है। कल्प अक्षर बीच से निकाल दिया है। *उनका नाम ही है पतित-पावन। तो युगे-युगे आकर क्या करेंगे। कल्प में एक बार आकर पावन बनाकर चले जाते हैं।*

➢➢  *जब रावणराज्य शुरू होता है तो ठोकरें खाना शुरू होती हैं।* अभी दिन प्रतिदिन अधिक ही ठोकरें खाते रहते हैं। *पहले एक की भक्ति करते अब तो मनुष्यों की, टिवाटे की भक्ति करते हैं। भक्ति की बहुत सामग्री है, जितनी वृक्ष की सामग्री है। बीज से कितना बड़ा वृक्ष निकलता है, भक्ति भी इतनी है, ज्ञान है बीज।*

➢➢  पहले थे देह-अभिमानी। *सतयुग में तुम बाप को नहीं जानते क्योंकि सुख में होते हो तो बाप याद नहीं रहता। यहाँ दु:खों में हो तब पुकारते हो।* गायन भी है दु:ख हर्ता - सुखकर्ता। वास्तव में सच्चा-सच्चा हरिद्वार यह है।

➢➢  *मनुष्य हरि कहते हैं कृष्ण को, बैकुण्ठ को कृष्ण का हरि द्वार कहते हैं। तुम जानते हो वास्तव में हरि कृष्ण को नहीं कहेंगे। दु:ख हरने वाले को हरि कहेंगे।* तुम जानते हो शिवबाबा कृष्ण का द्वार अथवा वैकुण्ठ, सतयुग का द्वार खोलने आया है। कोई मकान बनाते हैं तो कोई ओपनिंग सेरीमनी करते हैं ना। तो बाबा आया है हरि द्वार की सेरीमनी करने।

➢➢  *तुम जानते हो रावण राज्य किसको कहा जाता है, रामराज्य किसको कहा जाता है। तुमको सारी रोशनी मिली है क्योंकि बाप जगाते हैं।* अब देखो दीपावली मनाते हैं, उसमें दीपक कोई छोटे, कोई बड़े बनाते हैं। अब यह छोटे बड़े दीपक जग रहे हैं ना, ज्ञान का घृत मिल रहा है। मनुष्य मरते हैं तो दीपक में घृत डालते रहते हैं कि प्राणी अन्धियारे में ठोकरे न खाये। वह हैं हद की बातें, तुम्हारी हैं बेहद की बातें।

➢➢  *बाप है गरीब निवाज। गरीबों की पाई-पाई पड़ेगी तब वह साहूकार बनेंगे। स्वर्ग में हेल्थ, वेल्थ, हैपीनेस है। अगर हेल्थ वेल्थ है तो हैपीनेस भी है। अगर हेल्थ हो वेल्थ न हो तो हैपीनेस हो नहीं सकती।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *जिसके साथ बच्चों का अभी योग है उनकी बाहर मनुष्य महिमा गाते रहते हैं। तुम उनकी याद में बैठे हो।*

➢➢  *अपने को आत्मा समझ देह का अभिमान छोड एक की ही याद में रहना है।*  अभी तुम आत्म-अभिमानी बने हो।

➢➢  *उठते-बैठते, चलते-फिरते बाप को याद करना है, इसको कहा जाता है योगबल।*

➢➢  *बाप कहते हैं मनमनाभव, मध्याजीभव। खुद धारण कर औरों को धारण करायें तो अहो सौभाग्य। याद से ही विकर्म विनाश होंगे।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुमको खुशी है कि बाबा आया है नई दुनिया स्थापन करने और हम नई दुनिया में जा रहे हैं।*

➢➢  *सतयुग में हेल्थ वेल्थ है तो सदैव हैपी रहते हैं। वहाँ कभी रोते नहीं हैं। तो तुमको भी यहाँ रोना नहीं है।* परन्तु माया के तूफान मुरझा देते हैं।

➢➢  जीत तुम्हारी होनी है। महावीर और महावीरनी कहा जाता है। *बाप कहते हैं माया के तूफान तो आयेंगे परन्तु कर्म में नहीं आना।* योगबल से स्थापना हो रही है और बाहुबल से विनाश हो रहा है।

➢➢  *यहाँ वर्सा पाने का तुम पुरूषार्थ कर रहे हो। जो धारणा करेंगे करायेंगे, वह ऊंच पद पायेंगे।*

➢➢  *बाप कहते हैं मुख्य बात जरूर धारण करो कि हमको निराकार बाप पढ़ाते हैं।* कृष्ण नहीं पढ़ाते हैं।

➢➢  *तुमको मुरली सुननी है जरूर।* मुरली नहीं सुनते हो तो गोया बाप टीचर को भूल जाते हो, यह भी जैसे तलाक हो गया। *तुमको भी कितना अटेन्शन देना है। अब नापास होंगे तो कल्प-कल्पान्तर नापास होंगे।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *यह सृष्टि तो अनादि अविनाशी है। इनका कब विनाश नहीं होता। यह सृष्टि चक्र लगाती रहती है। बीज भी एक है तो झाड़ भी एक है।*

➢➢  *बाप समझाते हैं मैं वेद-शास्त्रों से नहीं मिलता हूँ। यह सब भक्ति मार्ग के शास्त्र हैं।  भक्तिमार्ग की बहुत सामग्री है। जन्म-जन्मान्तर से तुम भक्ति करते आये हो। अब ज्ञान सुनो फिर सतयुग में ज्ञान नहीं सुनेंगे। कहा जाता है ज्ञान अंजन सतगुरू दिया। सतयुग में अंधकार है नहीं जो भक्ति करें। बाप से ज्ञान लो फिर भक्ति नहीं रहेगी।*

➢➢  *हेल्थ मिलती है हास्पिटल से और वेल्थ मिलती है पढ़ाई से। तो देखो मेरे बच्चे कितने गरीब हैं। तीन पैर पृथ्वी में हास्पिटल खोल देते हैं। जहाँ से ही सबको हेल्थ वेल्थ मिलती है।*

➢➢  *कहते हैं गीता के भगवान ने ज्ञान घोड़े गाड़ी में बैठकर दिया। कृष्ण के लिए कोई घोड़े गाड़ी थोड़े ही आयेगी। अगर कृष्ण होता तो उनके लिए अच्छे से अच्छी गाड़ी ले आयें। बड़े-बड़े धनवान आ जायें।* यहाँ तो देखो अपनी मोटर (शरीर) भी नहीं है। आता ही हूँ पतित शरीर में। तो गुप्त है ना। कृष्ण की तो बात नहीं।

➢➢  *कृष्ण की राजधानी में कंस तो होता नहीं है। बाप द्वारा हम स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं। बाप ही आकर स्वर्ग के स्थापना की सेरीमनी कर रहे हैं। स्थापना को सेरीमनी कहा जाता है। मकान का पहला फाउन्डेशन लगाया जाता है फिर मकान बनकर पूरा होता है फिर सेरीमनी की जाती है। तो बाप फाउन्डेशन लगाने आया है। 1937 में फाउन्डेशन लगाया। अब फिर स्थापना कर रहे है।* 

➢➢  *इस पृथ्वी पर स्वर्ग था, बाप अब फिर स्थापन कर रहे हैं।* हर एक को पैगाम दे रहे हैं। *धर्म स्थापक को पैगम्बर कहा जाता है ना। सच्चा-सच्चा पैगाम बाप ही देते है। बाप ही राजयोग सिखला कर स्वर्ग की स्थापना कराते है।*

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