━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

  21 / 08 / 17  

       MURLI SUMMARY 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *हम आत्मायें निर्वाणधाम की रहने वाली हैं।* यह बातें बुद्धि में आती नहीं हैं। *बाप कहते हैं ना - यह ज्ञान बिल्कुल ही प्राय:लोप हो जाता है।* तुम जानते हो अब यह नाटक पूरा होने वाला है। अब घर जाना है। *अपवित्र पतित आत्मायें वापिस घर जा नहीं सकती। एक भी जा नहीं सकता, यह ड्रामा है।*

➢➢  बाप कहते हैं तुम जो कुछ वेद शास्त्र आदि पढ़ते, दान पुण्य आदि जन्मजन्मान्तर से करते आये हो - यह सब है भक्ति मार्ग। *तुम जानते हो हम पहले ब्राह्मण फिर देवता बनते हैं। ब्राह्मण वर्ण है सबसे ऊंचा। यह तो प्रैक्टिकल बात है। ब्राह्मण बनने बिगर कोई देवता वर्ण में आ नहीं सकते।*

➢➢  *बाप समझाते हैं कि मैं सबकी मनोकामनायें पूरी करता हूँ। कृष्ण तो मनोकामनायें पूरी कर न सके। वह तो कृष्ण को ईश्वर समझ कृष्ण अर्पणम् कहते हैं। वास्तव में फल देने वाला मैं हूँ।*

➢➢  *यह है 84 जन्मों के चक्र की यात्रा, इनको कहा जाता है आवागमन की यात्रा।* आवागमन तो सभी का होता रहता है। आना और जाना। जन्म लिया और छोड़ा, इसको आवागमन कहा जाता है। *अभी तुम इस दु:खधाम के आवागमन के चक्र से छूटते जा रहे हो।* 

➢➢  *भारत बहुत सुन्दर, गोल्डन एज था। अब तो आइरन एज में है।* तुम भी आइरन एज में हो, अब गोल्डन एज में जाना है। *बाप सोनार का काम कर रहे हैं। तुम्हारी आत्मा में जो लोहे और तांबे की खाद पड़ी थी वह निकाली जाती है।* अभी तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों झूठे बन गये हैं। 

────────────────────────

 

❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *यह तो अभी तुम जानते हो कि बाप हमें रूहानी यात्रा सिखला रहे हैं। कहते हैं हे आत्मायें अब बाप को याद करने की यात्रा करनी है। जन्म-जन्मान्तर तुम जिस्मानी यात्रा करते आये हो। अभी तुम्हारी है यह रूहानी यात्रा।*

➢➢  तुम बच्चों को श्रीमत पर चलना है। *सारा मदार है याद की यात्रा पर, जो बच्चे जितना याद करते हैं, याद कायम उनकी रहेगी जिनको कुछ न कुछ ज्ञान है।*

➢➢  *बाप कहते हैं रूहानी बच्चे, इस यात्रा में थक मत जाओ। घड़ी-घड़ी बाप को भूलो मत। जितना याद में रहते हो उतना समय जैसे तुम भट्ठी में हो। याद नहीं करते हो तो भट्ठी में नहीं हो।* फिर तुमसे और भी विकर्म बनते, एड होते जाते हैं, जिससे तुम काले बन जाते हो।

➢➢  बच्चे कहते हैं बाबा कृपा करो। अब बाबा कृपा क्या करेंगे! *बाप तो कहते हैं याद में रहो तो खाद निकल जायेगी। तो याद में रहना है वा कृपा आशीर्वाद मांगना है? इसमें तो हर एक को अपनी मेहनत करनी है।*

────────────────────────

 

❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *बाप कहते हैं जितना तुम मुझे याद करते रहेंगे उतना शुद्ध बनते जायेंगे।* बाप तो श्रीमत देंगे और क्या करेंगे।

➢➢  बाप जब बच्चे कहते हैं तो समझना चाहिए हम आत्माओंको बाप बैठ समझाते हैं। *आत्म-अभिमानी बनना है।* यह तो सब जानते ही हैं आत्मा और शरीर दो चीजें हैं। परन्तु यह नहीं समझते हैं कि हम आत्माओं का बाप भी होगा। हम आत्मायें निर्वाणधाम की रहने वाली हैं।

➢➢  माया तुम्हारा बहुत सामना करती है। युद्ध के मैदान में तुमको बहुत हराती है। चलते-चलते कोई तूफान में आ जाते हैं, विकार में जाकर एकदम काला मुँह कर देते हैं। बाप कहते हैं अभी मैं तुम्हारा गोरा मुँह करता हूँ। *तुम विकार में जाकर फिर काला मुँह मत करो। योग से अपनी अवस्था को शुद्ध बनाओ।*

➢➢  बाबा का नाम ही है गरीब-निवाज। *बाप कहते हैं तुमको अपना गृहस्थ व्यवहार सम्भालना है। ऐसे नहीं कि तुम यहाँ बैठ जाओ, सिर्फ श्रीमत पर चलते रहो।* मामेकम् याद करो, बस। भक्तिमार्ग में भी तुम गाते हो कि मेरा तो एक दूसरा न कोई। तुम बच्चों को कितनी बातें समझाई जाती हैं।

➢➢  बाबा ने ब्रह्माकुमार कुमारियों द्वारा अनेक बार स्थापन किया होगा। जब ऐसी बात है तो देरी क्यों? बाबा से तो हम 21 जन्मों का वर्सा जरूर लेंगे। *बाबा घर-बार तो नहीं छुड़ाते हैं। भल उनको भी अच्छी रीति सम्भालो, सिर्फ बाप को याद करना है। नशा रहना चाहिए कि हम बाबा के बने हैं।*

➢➢  *बच्चों को तो पुरूषार्थ कर माँ बाप को फालो करना है।* मम्मा बाबा की गद्दी पर बैठने के लायक तो बनो। हार्टफेल क्यों होना चाहिए! पुरूषार्थ कर फालो करो। सूर्यवंशी गद्दी का मालिक बनो। स्वर्ग में तो आओ ना। नापास होते हो तो चन्द्रवंशी में चले जाते हो, दो कला कम हो जाती हैं।

────────────────────────

 

❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *ब्राह्मण बनने बिगर कोई देवता वर्ण में आ नहीं सकते।* तुम निश्चय करते हो हम ब्रह्मा के बच्चे हैं, शिवबाबा से दैवी राज्य ले रहे हैं। अभी तुम्हारा पुरूषार्थ चलता है। रेस भी करनी पड़ती है। *अच्छी रीति पढ़कर फिर दूसरों को भी पढ़ायें, लायक बनायें तो वह भी स्वर्ग के सुख देखें।* 

➢➢  *तुम सब ब्रह्माकुमारियां हो ना। तुम ब्रह्माकुमारियां ही भारत को स्वर्ग बनाती हो।* तो तुम्हारा यादगार भक्ति मार्ग में चला आता है। कुमारियों को बहुत मान देते हैं। हैं तो ब्रह्माकुमार भी परन्तु माताओं की मैजारिटी है। बाप खुद आकर कहते हैं वन्दे मातरम्। तुम बाप को वारिस बनाते हो।

➢➢  *तुम बच्चों को कितनी बातें समझाई जाती हैं। सब तो एक जैसे समझ वाले हो नहीं सकते। पिछाड़ी में निकलेंगे।* फिर तुम्हारे में बल भी होगा। सुनने से ही झट आकर पकड़ लेंगे। *निश्चय हो कि बाप हमको 21 जन्मों के लिए स्वर्ग का मालिक बनाते हैं, तो एक सेकेण्ड भी न छोड़ें।* 

➢➢  देखते हैं बाप स्वर्ग की बादशाही देने आये हैं तो फट से पकड़ना चाहिए ना। बाबा यह सब आपका है। आपके काम में लग गया। *बाबा ने भी सब कुछ इन माताओं के हाथ में दे दिया। माताओंकी कमेटी बनाई, उन्हों को दे दिया। बाबा ही सब कुछ कराते थे।*

────────────────────────