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  23 / 12 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम मुसाफिर हो, दूरदेश से आये हो पार्ट बजाने। तुम जानते हो यह कर्मक्षेत्र है। यहाँ हार और जीत का खेल है। बाप कहते हैं- हम भी मुसाफ़िर, तुम भी मुसाफ़िर हो। परन्तु तुम मुसाफ़िर पुनर्जन्म में आते हो, मैं मुसाफ़िर पुनर्जन्म में नहीं आता। मैं तुमको छी-छी पुनर्जन्म से छुड़ाता हूँ।* इस रावणराज्य में तुम बहुत दु:खी हो तब तो मुझे बुलाते हो।

➢➢  *यह नॉलेज तुमको अभी है। बाप तुमको चक्र का राज़ समझाते हैं। भल उन्होंने त्रिमूर्ति बनाया है। परन्तु शिव को डाला नहीं है। शिव को जाने तो चक्र को भी जाने। शिव को न जानने के कारण चक्र को भी नहीं जानते।*

➢➢  *वह (मनुष्य) समझते हैं आत्मा ब्रह्म अथवा परमात्मा में लीन हो जाती है। यह भी नहीं समझते कि आत्मा का स्वधर्म है ही शान्त। यह आत्मा बात करती है। आत्मा रहती है शान्तिधाम में।* वहाँ ही उसको शान्ति मिलेगी। *बाप कहते हैं मैं हूँ निराकार। वो लोग कहते है परमात्मा नाम-रूप से न्यारा है।*

➢➢  *पहले है निराकारी दुनिया फिर आकारी फिर साकारी। निराकारी दुनिया से, पहले देवी-देवता धर्म की आत्मायें आती हैं।* पहले सूर्यवंशी घराना यहाँ था, फिर चन्द्रवंशी घराने की आत्मायें आयेंगी। *सूर्यवंशी है तो चन्द्रवंशी नहीं हैं। चन्द्रवंशी जब होते हैं तो कहेंगे सूर्यवंशी पास्ट हो गये।*

महात्मा लोग तो सन्यास करते हैं, *कृष्ण तो पतित था ही नहीं जो सन्यास करे। छोटा बच्चा पवित्र होता है, इसलिए उनको सब प्यार करते हैं। पहले है सतोप्रधान फिर सतो-रजो-तमो में आते हैं।*

➢➢  *4 युगों का 4 हिस्सा करना पड़े फिर आधा-आधा करना पड़े। आधा में नई दुनिया, आधा में पुरानी दुनिया। ऐसे नहीं कि नई दुनिया की आयु बड़ी देंगे। समझो कोई मकान की आयु 50 वर्ष है तो आधा में पुराना कहेंगे। दुनिया का भी ऐसे है।* यह सब बाप ही आकर बच्चों को समझाते हैं।

➢➢  *हम संगमयुग के ब्राह्मणों की रसम-रिवाज बिल्कुल ही न्यारी है। किसको पता नहीं है कि संगमयुग किसको कहा जाता है, संगम पर क्या होता है?* तुम जानते ही दूरदेश के रहने वाला बाप पतित दुनिया में आये हैं। *ब्रह्मा-विष्णु-शंकर का दूरदेश नहीं है दूरदेश है शिवबाबा का और आत्माओं का। हम सब निराकारी दुनिया में रहने वाले हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *हम तो आवाज से परे जाते हैं।* यह तो निमित्त सबको जगाने के लिए बजाने पड़ते हैं। मुरली पढ़ने अथवा सुनने में आवाज बाहर नहीं जाता है। *पढ़ाई में आवाज होता ही नहीं है। बाप बैठ मन्त्र देते हैं- बच्चे चुप रहकर मुझे याद करो।*

➢➢  अब तुम बच्चों को समझाया जाता है *जितना बाप के साथ बुद्धियोग रखेंगे तो खाद निकल जायेगी।*

➢➢  *कृष्ण को सब बहुत याद करते हैं। बाबा का मनमनाभव मन्त्र तो बहुत नामीग्रामी है। देही-अभिमानी बनो।*

➢➢  *बेहद का बाप कहते हैं अल्लाह को याद करो। आत्मा अल्लाह का बच्चा है।* आत्मा कहती है खुदा ताला। अल्ला सांई। *जब अल्लाह कहते हैं तो जरूर आत्मा का बाप निराकार है, उनको ही सब याद करते हैं। अल्लाह कहने से जरूर नज़र ऊपर जायेगी। बुद्धि में आता है कि अल्लाह ऊपर में रहता है।*

➢➢  *अब तुम फिर मालिक बन रहे हो। एक मुसाफ़िर सारी दुनिया को हसीन बनाने वाला है।* कब्रिस्तान को बदल परिस्तान स्थापन करते हैं। *यहाँ तुम बच्चे आये हो रिफ्रेश होने। मुसाफ़िर को याद करते हो।*

➢➢  *इस समय आत्मा पतित बन गई है इसलिए बाप को पुकारते है कि आप आओ-आकर हमको पावन बनाओ।* रावण ने हमको पतित बनाकर काला कर दिया है। जबसे रावण आया है तो हम पतित बने हैं। *अब समझते जरूर है हम पावन थे तब तो याद करते हैं- हे पतित-पावन आओ।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  तुम जानते हो हमारा यह बहुत बड़ा यज्ञ है। उस यज्ञ में तिल जौंडालते हैं। यह है राजस्व अश्वमेध रूद्र ज्ञान यज्ञ। *इस यज्ञ में सारी पुरानी दुनिया की सामग्री स्वाहा होनी है। जिसको राज्य पाना है वही योग में पूरा रहते हैं। देह के सब धर्म छोड़ो।*

➢➢  *बाबा ने समझाया है पढ़ाई में बाजे गाजे की दरकार ही नहीं है। जब देखो उदासी आती है तो अपने को रिफ्रेश करने के लिए भल ऐसे-ऐसे गीत बजाओ। परन्तु जितना आवाज कम करेंगे तो अच्छा है।*

➢➢  *रॉयल मनुष्य कम आवाज करते हैं। मुख से थोड़ा बोलना है।* जैसे रत्न निकलते हैं। *तुम ईश्वर के बच्चे हो तो कितनी रॉयल्टी, कितना तुम्हारे में नशा होना चाहिए।* राजा के बच्चे को इतना नशा नहीं होगा जितना तुमको रहना चाहिए।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बेहद का बाप एक ही है जो परमधाम से आया है। उस निराकार को ही पुकारते हैं। उनको भगवान कहा जाता है। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर देवता हैं। भगवान जो परमधाम में रहते हैं, वह सब आत्माओं का बाप है।*

➢➢  *बेहद का बाप जो ज्ञान का सागर है, वह इस बह्मा द्वारा बैठ ज्ञान सुनाते हैं। सूक्ष्मवतन में तो नहीं सुनायेंगे, बाप यहाँ समुख बैठ समझाते हैं, तब तो गाते हैं दूरदेश के रहने वाले।*

➢➢  *बाबा ने समझाया है यह सागर और पानी की नदियाँ अनादि हैं ही। बाकी ऐसे नहीं कि भक्ति अनादि है। भक्ति शुरू होती है द्वापर में।*

➢➢  *बाबा तो ज्ञान का सागर है। यह है गीता पाठशाला।* तो पाठशाला में मन्त्र दिया जाता है क्या? *तुम जब किसको पर्सनल समझाते हो तो रिकार्ड बजाते हो क्या? नहीं। क्लास में भी ऐसे समझाना है।* इसमें गीत गाने वा कविता आदि सुनाने की दरकार नहीं। *यह ज्ञान तुम कोई भी धर्म वाले को दे सकते हो।*

➢➢  *तुम बच्चों को भी चित्रों पर सारा ड्रामा का राज़ समझाया गया है। यह नॉलेज ऐसी है जो बिगर चित्रों के भी समझा सकते हो।* मनुष्यों को भगवान का कुछ भी पता नहीं है। कल्प की आयु तो लम्बी चौड़ी कर दी है। *अब तुमको बाप ने समझाया है। तुमको फिर औरों को समझाना पड़े।*

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