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❍ 09 / 12 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अब तुम समझदार
बने हो और फील करते हो कि पहले हम कितने बेसमझ थे।* यह भी समझ में नहीं आता था
कि यह पतित दुनिया है और *इसी भारत में जब देवी देवताओंका राज्य था तो पावन सुखी
थे।*
➢➢ *स्वर्ग का किसको पता नहीं था। मनुष्य तो समझते हैं वहाँ भी दु:ख था। यह है
बेसमझी।* अब तुम बच्चे समझदार बने हो। बाप ने आकर समझाया है।
➢➢ बाप की श्रीमत पर तुम चल रहे हो। *मनुष्य कहते भी हैं कि यह पतित दुनिया
है। स्वर्ग पावन दुनिया थी।* बच्चे यह भी जानते हैं स्वर्ग सोने की चिड़िया थी।
➢➢ *बच्चों को परमपिता परमात्मा के डायरेक्शन मिलते हैं।* बाप आत्माओंसे बात
करते हैं - तुम हमारे अविनाशी बच्चे हो। *इस दुनिया में किसको भी पिताश्री नहीं
कह सकते। श्री माना श्रेष्ठ परन्तु यहाँ एक भी मनुष्य श्रेष्ठ है नहीं। यह तो
एक की ही महिमा हो सकती है।*
➢➢ प्रजापिता के भी बच्चे ठहरे। वह शिव हो गया दादा और वह बाबा। *शिवबाबा
स्वर्ग की स्थापना करने वाला है तो जरूर उनसे ही वर्सा मिलेगा।* बाप को ही
स्वर्ग की स्थापना करनी है ना। वही मालिक है।
➢➢ यह वही महाभारत लड़ाई है। यूरोपवासी यादव भी हैं और कौरव पाण्डव भाई-भाई
हैं । *निश्चय है परमपिता परमात्मा ज्ञान का सागर है।* इन आरगन्स द्वारा हमको
नालेज दे रहे हैं और कोई सतसंग ऐसा होगा क्या। *यहाँ बाप सामने बैठ समझाते
हैं।*
➢➢ *बाप कहते हैं तुमने आसुरी मत पर मुझे कितनी गाली दी है, मेरा अपकार किया
है फिर भी मैं तुम पर कितना उपकार करता हूँ। ईश्वर का अपकार होना भी ड्रामा में
नूंध है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप कहते हैं
मुझे याद करो।* ऐसे नहीं कहते कि इस देहधारी को भी याद करो। *बाप सम्मुख बात कर
रहे हैं।* कल्प पहले भी ऐसे समझाया था।
➢➢ *बाप कहते हैं हे आत्मायें तुम तो अशरीरी आई थी* फिर पार्ट बजाते अब 84
जन्म पूरे किये हैं। अभी मैं कहता हूँ तुमको वापिस चलना है। *मामेकम् याद करो
तो विकर्म विनाश होंगे।*
➢➢ देहधारी को याद करने से विकर्म विनाश नहीं होंगे। *तुम वायदा करते हो बाबा
हम आपको ही याद करेंगे।* जब तक मृत्यु नहीं हुआ है, पढ़ना ही है। *यह तो याद
कर सकते हो ना कि अब हमको जाना है घर।*
➢➢ *याद भी करते हैं हे पतित-पावन आओ। शिवबाबा को ही याद करेंगे। बच्चों को
कितना सहज रीति समझाते हैं - शान्तिधाम को याद करो।*
➢➢ अल्फ और बे दो अक्षर हैं। *अब तुम बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे
और वहाँ पहुंच जायेंगे।*
➢➢ फिर भी बाप कहते हैं कुछ समझदार बनो। *इस कमाई और उस कमाई को बुद्धि में रखो।
सच्ची कमाई बाप ही कराते हैं। बाप और स्वर्ग को याद करना, यह भूलो मत।*
➢➢ सिमरण करते-करते अन्त मती सो गति हो जायेगी। *सवेरे उठ बाप की याद में बैठो।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*तुम्हारा काम ही है बाप का परिचय देना। भल दुश्मन हो तो भी मित्रता रखनी है।
बहुत मीठा बनना है।*
➢➢ *तुम बच्चे जानते हो हम पहले जायेंगे शान्तिधाम में।* वहाँ सुख का नाम नहीं
लेंगे। शान्ति ही शान्ति होगी। *फिर जायेंगे सुखधाम में।* वहाँ फिर शान्ति का
नाम नहीं लेंगे।
➢➢ तुम जानते हो हम इस मृत्युलोक से अमरलोक चले जायेंगे वाया शान्तिधाम। *यह
बुद्धि में याद रखना है जब तक तुम ट्रांसफर हो जाओ। अपनी पढ़ाई की रिजल्ट तक
पढ़ना पड़े।*
➢➢ *यह दुनिया, यह सब कुछ छोड़ना है। खुशी होनी चाहिए।* बेहद नाटक का राज भी
समझ गये हो।
➢➢ जानते हो बाप हम आत्माओंसे बात करते हैं। हम कानों से सुनते हैं। बाबा इस
दादा के मुख द्वारा बोलते हैं। *जो रत्न बाबा के मुख से निकलते वही तुम बच्चों
के मुख से निकलने चाहिए।* सदैव मुख से रत्न ही निकले।
➢➢ *बाबा जो सुखधाम का मालिक बनाते हैं, ऐसे बाबा की ग्लानी तो हम कभी नहीं
सुनेंगे। हमको तो शिवबाबा से वर्सा लेना है और बातों से क्या तैलुक।*
➢➢ पक्के योगी, राजऋषि होंगे तो दूसरे को तीर लगेगा। खुद में ही कोई कमी होगी
तो दूसरे को बोल नहीं सकेंगे। *ऐसी प्रैक्टिस करनी है जो अन्त में देह भी याद
ना पड़े।* हम आत्मा है।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अब तुम बच्चों
का धन्धा ही है पढ़ना-पढ़ाना* और फिर अपने शरीर निर्वाह अर्थ कर्म भी करना है।
➢➢ *बाप कहते हैं तुमको नई-नई प्वाइंट सुनाता हूँ जिससे तुमको नशा चढ़े। किसको
समझाने की युक्ति आये। तुम फार्म भराकर पूछ सकते हो कि परमपिता परमात्मा से
तुम्हारा क्या सम्बन्ध है? तुम जब प्रश्न पूछेंगे तो कहेंगे वह (शिवबाबा) तो
बाप है। हम सब बच्चे हैं। इतना मान ले तो लिखा लेना चाहिए।*
➢➢ बहुत सहज ते सहज बातें निकालनी पड़ती हैं। *मित्र-सम्बन्धियों आदि के पास
जाओ, उनको भी यह समझाओ।* यह तो नशा है ना हम बापदादा से वर्सा पाते हैं।
➢➢ बाप सभा में समझायेंगे परन्तु ऐसे के फिर मित्र बन जाते हैं। माया
अच्छे-अच्छे बच्चों की बुद्धि भी पत्थर बना देती है। बाप के फरमानबरदार बच्चे
बनते ही नहीं हैं, बड़ा नाजुक रास्ता है। *इसमें बड़ी खबरदारी रखनी चाहिए।
रहमदिल बन किसमें आदत है तो मिटानी चाहिए।*
➢➢ बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं। *तुम बच्चों को भी सर्विस करनी है परन्तु
पहले अपनी वृत्ति भी अच्छी चाहिए।*
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