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❍ 19 / 08 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम यह भी समझते
हो *भारत जब चढ़ती कला में था तब उन्हों को देवी-देवता कहते थे। अभी उतरती कला
में है, इसलिए उन्हें देवी-देवता कह नहीं सकते।* अभी अपने को मनुष्य समझते
हैं।
➢➢ तुम अब शिवबाबा
के बने हो, *वर्सा तुमको अब निराकार से मिल रहा है, साकार द्वारा। निराकार कैसे
दे जब तक साकार में न आये। तो कहते हैं मैं इनके बहुत जन्मों के अन्त में
प्रवेश करता हूँ। प्रजापिता भी यहाँ चाहिए ना।*
➢➢ *अमरनाथ पर एक
तालाब दिखाते हैं जो मानसरोवर है। कहते हैं उसमें स्नान करने से परीजादा बन
जाते हैं। वास्तव में यह है ज्ञान मानसरोवर। ज्ञान सागर बाप बैठ ज्ञान स्नान
कराते हैं, जिससे तुम बहिश्त की परियां बन जाते हो।*
➢➢ तुम बच्चे जानते
हो *निश्चयबुद्धि ही विजयी होते हैं, बाप में निश्चय रखेंगे तो जरूर बादशाही
मिलेगी।* बाप बैठ समझाते हैं मैं स्वर्ग की स्थापना करने वाला, पतितों को पावन
बनाने वाला हूँ।
➢➢ तुम जानते हो यह
सब भक्ति मार्ग के कर्मकान्ड हैं। *सतयुग त्रेता में यह भक्ति मार्ग तो हो नहीं
सकता। वहाँ है ही देवताओं की राजधानी।भक्ति कहाँ से आ सकती। यह भक्ति तो बाद
में होती है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ अब बाप कहते हैं
*मामेकम् याद करो* और कोई तकलीफ नहीं देते हैं। सिर्फ कहते हैं - *हे आत्मायें
मुझे याद करो।* मैंने तुमको पार्ट बजाने भेजा था।
➢➢ *तुमको याद
दिलाते हैं - नंगे (अशरीरी) आये थे। पहले-पहले तुम देवता बन स्वर्ग में आये।*
भगवान जब सबका बाप है तो सबको स्वर्ग में आना चाहिए ना! परन्तु सब धर्म तो आ
नहीं सकते।
➢➢ *थोड़ा समय है
सिर्फ अपने आपको आत्मा समझो। हम एक शरीर छोड़ दूसरा लेता हूँ, 84 जन्म पूरे हुए।
अब यह अन्तिम जन्म है।* आत्मा सच्चा सोना बन जायेगी। सतयुग में सच्चा जेवर थे,
अब सब झूठे हैं।
➢➢ अब फिर तुम
ज्ञान चिता पर बैठे हो, गोरा बनते हो। *श्वासों श्वास याद करेंगे तो वह अवस्था
अन्त में होगी।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*आपस में एक दो को यह याद दिलाना चाहिए - बाबा को याद करते हो, 84 के चक्र को
याद करते हो ?*
➢➢
अब घर जाते हैं। *यह पुरानी दुनिया, पुराना वस्त्र सब त्याग करना है।* अभी हम
नई दुनिया के लिए तैयार हो रहे हैं। पुरानी दुनिया का नशा नहीं रहता।
➢➢
लड़ाई भी तुम्हारी माया के साथ है। इतना ऊंच पद है तो जरूर कुछ मेहनत करेंगे
ना! *पढ़ना भी है, पवित्र भी बनना है।*
➢➢
पतित दुनिया को पावन बनना ही है। अभी *तुम बच्चों की बुद्धि में है हम बाप
द्वारा मनुष्य से देवता बन रहे हैं। बाप पढ़ाते हैं यह नशा चढ़ना चाहिए ना।*
➢➢
यह बाप बैठ समझाते हैं। *बाप और कोई तकलीफ नहीं देते हैं। नोट करते जाओ, पतियों
के पति को कितना टाइम याद किया!*
➢➢ अव्यभिचारी सगाई चाहिए ना। *मित्र-सम्बन्धी आदि सब भूल जायें। एक से ही
प्रीत रखनी है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *श्रीकृष्ण को
सब भगवान मानेंगे नहीं। भगवान तो है निराकार। उनका नाम शिव मशहूर है। प्रजापिता
ब्रह्मा तो यहाँ है। सूक्ष्मवतन में तो ब्रह्मा विष्णु शंकर हैं। यह भी अच्छी
रीति समझाना चाहिए।*
➢➢ *तुम किसको भी
समझा सकते हो - क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले भारत स्वर्ग था।* तुम बच्चे समझ
गये हो कि चक्र को अब फिरना ही है।
➢➢ *कोई को संशय न
आये इसलिए पहले सम्बन्ध की बात समझानी है।* गीता में भी है ना - अर्जुन को
भगवान ने बैठ समझाया। अब घोड़े-गाड़ी में बैठ राजयोग सिखावे, यह तो हो नहीं सकता।
➢➢ *दिखाते हैं
विष्णु की नाभी से ब्रह्मा निकला और फिर ब्रह्मा के हाथ में शास्त्र दे दिये
हैं। सूक्ष्मवतन में तो हो न सके। तो यहाँ ही सार समझायेंगे ना। ऐसे ऐसे चित्रों
पर तुम समझा सकते हो। प्रदर्शनी में भी यह चित्र काम में आयेंगे जरूर।*
➢➢ गाया भी हुआ है
भगवानुवाच - मैं तुमको राजयोग सिखलाता हूँ। *सिर्फ यह भूल कर दी है जो बाप के
बदले बच्चे का नाम डाल दिया है।* इस भूल को भी तुम बच्चे ही समझते हो और कोई
समझते नहीं।
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