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⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *शिवबाबा कहते
हैं - मैं निष्काम सेवाधारी हूँ। मनुष्य निष्कामी हो न सकें। जो करेगा उसको उनका
फल जरूर मिलेगा। मैं फल नहीं ले सकता हूँ। पुरानी दुनिया, पुराने शरीर में आकर
प्रवेश करता हूँ।*
➢➢ *सोमनाथ का मन्दिर भी यहाँ है, इनको अगर जान जायें तो सब एक पर ही फूल
चढ़ायें क्योंकि वह सबका लिबरेटर है।* हमारा तो एक दूसरा न कोई। कोई मरता है तो
उन पर फूल चढ़ाते हैं। शिवबाबा तो मरते नहीं हैं। सबको शान्तिधाम ले जाते हैं।
➢➢ भक्ति में मेरे लिए बड़े-बड़े मन्दिर बनाते हैं। इस समय देखो मैं कहाँ बैठा
हूँ। कितना गुह्य राज़ बच्चों को समझाता हूँ। बाबा कोई सतसंग में थोड़ेही मुरली
चलायेगा। *बच्चों को बहुत खुशी का पारा चढ़ता है। बाप बैठ बच्चों को पढ़ाते
हैं। कैसे आकर पढ़ाते हैं, यह तुम ही जानते हो।*
➢➢ यहाँ तो सब कुछ बच्चों के लिए किया जाता है। *तुम बच्चों को ही बाबा सब
शिक्षायें देते हैं। ऐसे नहीं यह मकान शिवबाबा वा ब्रह्मा बाबा का है। सब कुछ
बच्चों के लिए है।* तुम ब्राह्मण बच्चे हो, इसमें झगड़े आदि की कोई बात नहीं
है। सबकी कम्बाइन्ड प्रापर्टी है।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *कर्मेन्द्रियों
से काम लेते रहो परन्तु याद बाप को करो। जैसे स्त्री पति के लिए भोजन बनाती है।
हाथ से काम करती रहेगी परन्तु बुद्धि में होगा कि मैं पति के लिए भोजन बनाती
हूँ।* तुम बच्चे बाप की सर्विस में हो। बाप कहते हैं - बच्चे मैं तुम्हारा
ओबिडियन्ट सर्वेन्ट हूँ।
➢➢ *गृहस्थ व्यवहार में रहते, काम करते घड़ी-घड़ी मुझे याद करते रहो।* तुम
रेगुलर याद कर नहीं सकते। कोई कहे हम 12 घण्टा याद करते हैं, परन्तु नहीं। माया
घड़ी-घड़ी बुद्धियोग जरूर हटायेगी। तुम्हारी लड़ाई है ही माया के साथ। माया याद
करने नहीं देती है क्योंकि तुम माया पर जीत पाते हो। रावणजीत जगतजीत।
➢➢ बाप को पूरा याद करना है। ऐसे नहीं कि मैं तो शिवबाबा का हूँ ही, याद करने
की क्या दरकार है। परन्तु नहीं, *खास याद करना है और यह नोट रखना है कि सारे
दिन में हमने कितना समय याद किया?* ऐसे बहुत होते हैं जो सारे दिन की हिस्ट्री
लिखते हैं कि हमने सारा दिन यह-यह किया।
➢➢ भारत का प्राचीन राजयोग मशहूर है। भक्ति मार्ग में अनेक प्रकार के हठयोग आदि
सिखलाते हैं। उन्हों को यह पता नहीं है कि बाप ने कौन सा योग सिखलाया था? *भल
कोई-कोई अक्षर भी हैं - मनमनाभव, देह सहित देह के सब सम्बन्ध छोड़ मामेकम् याद
करो।*
➢➢ तुमको तो अपने गृहस्थ व्यवहार में रहना है। सब आकर इकट्ठे रहें तो सारी
देहली जितना तुम्हारे लिए चाहिए। ऐसा तो हो न सके। फिर भी *बाप से योग लगाते रहो
तो विकर्म विनाश होंगे। आत्मा गोल्डन एज़ड बन जायेगी, तब ही घर में जायेंगे।*
मम्मा बाबा मुआफिक इज्जत से पास होकर जाना है।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
यह हॉस्पिटल और कॉलेज कम्बाइन्ड है। हेल्थ और वेल्थ दोनों मिलती है। एज्युकेशन
को सोर्स आफ इनकम कहा जाता है। *जितना जो पढ़ते हैं वह बाप से इतना वर्सा लेते
हैं। पुरुषार्थ पूरा करना चाहिए। फालो फादर।*
➢➢ *बाप ने कहा - अपने को देह से अलग समझो। देह अहंकार छोड़ो, देही-अभिमानी बनो।*
सारी आयु तुम अपने को देह समझते आये हो। अभी यह अन्तिम जन्म है। अभी तुमको
देही-अभिमानी बनना है। सतयुग में देवतायें आत्म-अभिमानी थे। उनको मालूम रहता था
कि एक शरीर छोड़ दूसरा लेना है।
➢➢ भक्ति मार्ग में अक्सर करके कोई सन्यासी आदि जब बैठते हैं तो ऑखें बन्द करके
बैठते हैं। यहाँ कायदा है देखते हुए भी चलायमान नहीं होना है। *अपनी परीक्षा
लेनी होती है कि देखने से मेरी वृत्ति खराब तो नहीं होती है!*
➢➢ मनुष्य दीपावली पर साल का फ़ायदा नुकसान निकालते हैं। तुम्हारी है
कल्प-कल्प की बात। अभी तुमको 21 जन्म के लिए करना है। *बाप को याद करने से जमा
होगा फिर 21 जन्म कोई तकलीफ नहीं होगी। कोई अप्राप्त वस्तु नहीं होगी। स्वर्ग
की सारी प्राप्ति अभी के पुरुषार्थ पर होती है।*
➢➢ शिवबाबा कहेंगे तुम बच्चे ही ट्रस्टी होकर सम्भालो। भक्तिमार्ग में कहते
हैं - शिवबाबा यह सब कुछ आपका दिया हुआ है फिर जब वापिस लेते हैं तो कितना दु:खी
होते हैं। अब बाबा तुमसे लेते कुछ भी नहीं हैं। *बाप सिर्फ कहते हैं इनसे ममत्व
मिटा दो। ट्रस्टी होकर गृहस्थ व्यवहार की सम्भाल करो।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप आते हैं
पुरानी दुनिया को नया बनाने। भारत सबसे ऊंच है। नाम ही है पैराडाइज़। अभी हम
स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं श्रीमत पर। हम खुदाई खिदमतगार हैं, सैलवेशन आर्मी
हैं।*
➢➢ *तुम बच्चे बाप की सर्विस में हो। बच्चों को अर्थात् आत्माओं को समझायेंगे
ना। आत्मा कहेगी - स्वीट फादर, आप जो हमको ज्ञान और योग सिखलाते हो, हम उस
सर्विस में ही बिजी हैं।*
➢➢ *अब बाप बच्चों को समझाते हैं फादर शोज़ सन, सन शोज़ फादर। तुम सबको घर का
रास्ता बताते हो।* इसको भूल-भूलैया का खेल कहा जाता है। भक्ति में कितना माथा
मारते हैं परन्तु बाप से वर्सा कोई ले न सकें।
➢➢ *गृहस्थ व्यवहार की पूरी सम्भाल करो। सबसे अच्छा है यह रूहानी हॉस्पिटल
खोलना।* शिवबाबा कहते हैं हम क्या सम्भाल करेंगे। ब्रह्मा बाबा के लिए भी कहते
हैं यह क्या करेंगे? इनके पास जो कुछ था सो शिवबाबा को दे दिया।
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