━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 26 / 09 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *परमपिता
परमात्मा शिव इस सृष्टि के बीज रूप है। वह ज्ञान के सागर इस सृष्टि के आदि मध्य
अंत को जानने वाले है। बाप ने समझाया जैसे आटे में नमक होता है ना वैसे
शास्त्रों में कुछ न कुछ सच है। बाकी तो प्राय: झूठ ही है।* अब तक जो सुना उसे
भूल, अब मैं जो सुनाता हूँ उसे सुनो।
➢➢ *यह सृष्टि रुपी झाड़ अब जड़जड़ीभूत हो गया है। यह छोटे-छोटे मठ पंथ पिछाड़ी
में निकलते हैं।* झाड़ की आयु पूरी होने से सारा झाड़ ही सूख गया है। तो *यह सब
जो भी धर्म वाले हैं, वह कोई सतयुग में आने वाले नहीं हैं। बाकी जो कनवर्ट हो
गये हैं - वह कहाँ न कहाँ से निकलते हैं। जितना जो जिसकी तकदीर में होगा वह
लेंगे।*
➢➢ *परमपिता परमात्मा निराकार शिव गीता में अपने वायदे अनुसार इस धरा पर
अवतरित हो पतित दुनिया को पावन बनाने का अपना कार्य कर रहे। इस समय महाभारत की
सीन चल रही है। जबकि अनेक धर्मो का विनाश हो एक धर्म की स्थापना हो रही है।
कौरवो की हार और पाण्डवों की विजय होनी है।*
➢➢ *अब महाभारत के समय विनाश तो दिखाते हैं। दिखाते हैं अर्जुन के रथ में
अर्जुन को कृष्ण ज्ञान देते हैं। यह भी समझते हो राजयोग का ज्ञान दिया है।
महाभारत लड़ाई के बाद जरूर राजयोग से राजाई स्थापना हुई होगी। इस समय तो राजाई
है नहीं। फिर से स्थापना हो रही है।*
➢➢ *परमपिता परमात्मा शिव ने समझाया कि अब कलियुग का अन्त है । सारी दुनिया
में दु:ख, अशान्ति है। यह दु:खधाम है तो जरूर पहले सुखधाम, शान्तिधाम था। जरूर
कोई है जो पतित दुनिया को पावन बनाने वाला है। वह पतित पावन बाप परमात्मा शिव
है जो इस धरा पर अवतरित हो पतित दुनिया को पावन बनाने का कार्य कर रहे है।*
➢➢ *यह राज की बात है कि ब्राह्मण चोटी हैं सबसे ऊंच। तुम देवता बनते हो तो
इतनी महिमा नहीं होती है। इस समय तुम्हारी महिमा बहुत है।* शक्तियों के कितने
मेले लगते हैं। लक्ष्मी का मेला नहीं लगता है। उनका सिर्फ दीपमाला के दिन
आह्वान करते हैं। मेला सदा जगत अम्बा का लगता है।
➢➢ *यह ज्ञान तो बड़ा सहज है.... ऊंच ते ऊंच है भगवान फिर देवता।* कोई की शक्ल
से ही पता पड़ जाता है कि इनको ज्ञान अच्छा लगता है। बात दिल से लगेगी तो कांध
ऐसे हिलता रहेगा। नहीं तो इधर उधर देखते रहेंगे। बाबा जांच भी करते हैं कि यह
नालायक है वा लायक है।
────────────────────────
❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *लौकिक सम्बन्धी
होते हुए भी पारलौकिक बाप को याद में रहना है। यह नई बात है इसमें मेहनत करनी
है।*
➢➢ हम ब्रह्मा मुख
वंशावली प्रजापिता ब्रह्माकुमार कुमारियाँ शिव परमात्मा की संतान है। *भल शरीर
निर्वाह अर्थ धन्धा आदि करो पर बुद्धि में रहे हम ब्रह्माकुमार कुमारी हैं,यहाँ
बैठे हैं। साथ में शिवबाबा ब्रह्मा बाबा है।*
➢➢ *भिन्न-भिन्न
युक्तियों से शिव बाबा को याद कर पुरानी दुनिया से अलग हो एकांत में विचार सागर
मंथन करते रहना है। शिव बाबा की याद से विकर्म विनाश करने है।*
➢➢ *पुरानी दुनिया
से ममत्व निकाल साइलेन्स की शक्ति से बुराई को अच्छाई में परिवर्तन कर सदा बाबा
की याद में प्रसन्नचित रहना है।*
➢➢ कृष्ण को तो कोई
भगवान कह न सके। *मनुष्य जब गॉड फादर कहकर पुकारते हैं तब निराकार को ही याद
करते हैं।* बच्चों को योगयुक्त हो सारा दिन यही ख्यालात रहने चाहिए कि हम कैसे
सर्विस करें। कैसे औरों को जगा कांटों को फूल बनाये है।
➢➢ इस समय सारी
दुनिया पतित है। काम महाशत्रु है। पावन बन फिर पतित बन पड़ते हैं। बाबा कहते
हैं काला मुँह कर दिया। ऐसे तो बहुत होते हैं। बाबा तो समझ जाते हैं कि इनमें
माया पर जीत पाने की ताकत नही है। *योगबल से माया पर जीत पानी है। बाबा समझाते
पावन बन पावन दुनिया में चलना है। मंजिल बहुत बड़ी है,* थकना नही है।
────────────────────────
❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢
मेहनत से मनुष्य एम.पी. आदि बन जाते हैं। है सारा मदार पुरूषार्थ पर । कहते हैं
ना - पुरूषार्थ बड़ा या प्रालब्ध बड़ी। पुरुषार्थ को ही बड़ा कहेंगे। पुरूषार्थ
से ही प्रालब्ध बनती है। *कोई फिर समझते हैं प्रालब्ध में होगा तब तो पुरूषार्थ
करेंगे। ड्रामा करायेगा। ऐसे समझकर अलबेले होकर नही बैठना हैं।*
➢➢
बाबा की श्रीमत पर चलना है। देह अभिमान में नही आना है। *बाबा का बच्चा बन कोई
ऐसा कर्म नही करना जिससे बाप का नाम बदनाम हो।*
➢➢
*निश्चयबुद्धि बन पढ़ाई अच्छी पढ़नी है। खुद समझकर फिर औरों को भी समझाना है।*
प्रजा नहीं बनाई, बहुतों का कल्याण नहीं किया तो वर्सा क्या मिलेगा।
➢➢
सन्यासी तो घरबार छोड़ जाते हैं।सन्यासी पवित्र बनते हैं, तो बड़े-बड़े
प्रेजीडेंट आदि भी जाकर उनको माथा टेकते हैं। फर्क देखो पतित और पावन का। *गृहस्थ
व्यवहार में रहते बाप से योग लगाकर कमल फूल समान पवित्र बन बाप से पूरा वर्सा
लेना है।*
➢➢
बच्चो ने रडियां मार-मार कर, पुकार-पुकार कर शिवबाबा की नींद फिटा दी। तो बच्चो
की पुकार सुन बाबा आ गये। *बच्चों को भी सर्व का कल्याण करने के लिए
निन्द्राजीत बनना है।*
➢➢
*बुराई में भी बुराई को नही देखना है ।* चाहे सारी बात बुरी हो लेकिन उसमें भी
एक दो अच्छाई जरूर होती हैं। पाठ पढ़ाने की अच्छाई तो हर बात में समाई हुई है
ही क्योंकि हर बात अनुभवी बनाने के निमित्त बनती है।
➢➢
*धैर्य वा सहनशीलता का गुण धारण कर सदा याद रखना है जो हो रहा है वह अच्छा और
जो होना है वह और अच्छा।*
────────────────────────
❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *पहले-पहले सबको
युक्ति से बाप का परिचय दे सबको शान्तिधाम ओर सुखधाम का रास्ता बताने की सेवा
करनी है।* जास्ती बातों में टाइम वेस्ट नहीं करना है। *निराकार बाप सभी का एक
है, बाकी सब उनकी रचना हैं। गीता का भगवान निराकार परमात्मा शिव है। प्रजापिता
ब्रह्मा द्वारा तो मनुष्य सृष्टि रची जाती है। शूद्र से एडाप्ट कर ब्राह्मण
बनाते हैं। यह सिद्ध कर समझाना है।*
➢➢ महाभारत पर
नाटक(बॉयोस्कोप) भी बनते हैं। *महाभारत का नाटक सर्विस के ख्याल से देखना चाहिए
कि वह लोग क्या बनाते हैं।सर्विस के लिए विचार सागर मंथन करना होता है।
प्रदर्शनी वा प्रोजेक्टर से सर्व को कहानी के माध्यम से महाभारत का अर्थ सिद्ध
कर समझाना है। जिन्होंने नाटक बनाया है उनको जाकर समझाना है। वास्तव में सच क्या
है, झूठ क्या है?* तुमने जो महाभारत लड़ाई दिखाई है, उनकी तिथि तारीख चाहिए, कब
लगी थी?*
➢➢ *महाभारत का जो
नाटक बनाया है उस पर सच और झूठ का कान्ट्रास्ट लिख पर्चे बनवा सर्विस करनी है।*
भारत कैसे कौड़ी से हीरे जैसा बनता है सो आकर समझो। जब महाभारत लड़ाई हुई तब
बाप भी था, जिससे वर्सा मिलता है।
➢➢ *शमशान में जाकर
सर्विस करनी है।* बच्चे जाते हैं परन्तु बहुत थक पड़ते हैं। सर्विस में थकना नही
है।
➢➢ *सर्वोदया वालों
को समझाना चाहिए सर्व माना सारी सृष्टि पर दया करना। सो तो ब्लिसफुल एक ही बाप
है। वही सर्व पर दया करते हैं।* आज से 5 हजार वर्ष पहले भारत स्वर्ग था, सर्व
सुख थे। अभी कलियुग के अन्त में इतने दु:ख हैं, भ्रष्टाचार है। सारी दुनिया पर
तो दया एक बेहद का बाप ही करते हैं।सर्वोदया, इसमें सारी दुनिया की बात है। अब
भगवान कैसे सर्व पर दया करते हैं सो आकर समझो।
➢➢ *आगे चल सन्यासी
आदि बहुत निकलेंगे जो समझेंगे कि इन्हों को पढ़ाने वाला बेशक परमपिता परमात्मा
है, कृष्ण तो हो नहीं सकता। तुम्हें दूरादेशी विशालबुद्धि बन सिद्ध कर समझाना
है।*
➢➢ *रावण के चित्र
पर समझाने की सेवा करनी है।* यह कोई को थोड़ेही पता है कि रावण राज्य द्वापर से
शुरू हुआ है, जो चला आ रहा है। यह कब से शुरू हुआ है। डेट डालनी चाहिए कि यह
रावण सबसे पुराना दुश्मन है। इन पर जीत पाने से तुम जगतजीत बन सकते हो।
────────────────────────