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❍ 16 / 12 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम्हें अभी
ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, तुम जानते हो हर 5 हजार वर्ष बाद भोलानाथ बाप
द्वारा हम यह ज्ञान सुनकर मनुष्य से देवता बनते हैं।*
➢➢ इतनी छोटी सी आत्मा में सारा पार्ट भरा हुआ है। यह कितनी वन्डरफुल बात है,
इसको ही कुदरत कहा जाता है। *इतनी छोटी बिन्दी कितना 84 जन्मों का पार्ट, 5
हजार वर्ष का पार्ट उसमें भरा हुआ है। वह भी अविनाशी, जो रिपीट जरूर करना है।
यह बड़े ते बड़ी कुदरत है।*
➢➢ *आत्मायें तो सब एक जैसी नहीं हैं, नम्बरवार हैं। मुख्य गायन है देवताओं
का। पहले सुप्रीम शिवबाबा फिर कहेंगे लक्ष्मी-नारायण। ब्रह्मा-सरस्वती को
सुप्रीम नहीं कहेंगे। सम्पूर्ण तो लक्ष्मी-नारायण है फिर नम्बरवार एक दो के
पिछाड़ी आते हैं।*
➢➢ *नाटक में भी एक्टर नम्बरवार होते हैं। सब एक जैसे नहीं होते हैं।* कहेंगे
इनकी आत्मा सुप्रीम एक्टर है, यह पाई पैसे का एक्टर है। सबसे फर्स्टक्लास
क्रियेटर, डायरेक्टर कौन है? *करनकरावनहार एक ही परमपिता परमात्मा है।* अब तुमको
सारे ड्रामा का पता पड़ा है। *यह है बेहद का ड्रामा, नटशेल में तुमको बताया जाता
है। झाड़ का यह देवी-देवता धर्म है फ़ाउन्डेशन। फिर उनसे टालियाँ इस्लामी,
बौद्धी, क्रिश्चियन निकले हैं।*
➢➢ *शिव भोलानाथ यह ज्ञान सुनाते हैं। बाकी कोई डमरू आदि बजाने की बात नहीं
है। वास्तव में है ज्ञान की डमरू, इनको शंखध्वनि भी कहा जाता है।* शंखध्वनि मुख
से की जाती है। यह है ज्ञान की मुरली। बाप ड्रामा के आदि-मध्य अन्त का राज़ बैठ
सुनाते हैं।
➢➢ *आत्मा क्या चीज़ है, कैसे आती-जाती है। यह ड्रामा में पहले से ही नूँध है।
बाप कहते हैं - मनोकामना पूर्ण करने के लिए साक्षात्कार कराता हूँ, जो ड्रामा
में नूँध है। ऐसे नहीं आत्मा निकलकर यहाँ आती है। वह मर जाती है, नहीं। समझो
किसके स्त्री की आत्मा आती है। बोल सकेगी कि मैं सुखी हूँ। बाकी उनके शरीर को
भाकी नहीं पहन सकेंगे क्योंकि शरीर तो दूसरा है ना।*
➢➢ *मुक्ति तो सब माँगते हैं। मुक्त होते हैं दु:ख से फिर सुख में आयेंगे।
जीवनमुक्ति सबके लिए है। परन्तु पहले मुक्ति में जाकर फिर जीवनमुक्ति में आना
है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ अभी बाप द्वारा
तीसरा नेत्र मिलने से तुमने यह सब कुछ समझा है। *तुम बच्चों का सारा दिन विचार
सागर मंथन चलता रहेगा।* सतयुग में पावन कौन थे? बरोबर देवी-देवता ही थे।
➢➢ अभी तुम्हारी आत्मा जानती है कि हमारा बाप आया है। हमको नॉलेज दे रहा है।
फिर *हम बाबा के साथ घर जायेंगे। यह तुम बच्चों को रूहानी नशा है।*
➢➢ *यहाँ तो एक के साथ योग चाहिए। बाप के सिवाए दूसरा न कोई। क्यों दूसरे के
पीछे पड़े। धारणा नहीं होती है तो जरूर कहाँ बुद्धि भटकती है।*
➢➢ *बाप कहते हैं मामेकम् याद करो। इस याद से ही तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
दु:ख से तुम लिबरेट हो जायेंगे।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
बाबा कहते बच्चे, *फैमिलियरटी में नहीं आओ। एक दो के नाम-रूप को मत याद करो। एक
बाप दूसरा न कोई - यह पाठ पक्का कर लो।*
➢➢ *दूसरों के पिछाड़ी न पड़ो। बाप से राय लेते रहो, इससे तुम दु:ख से लिबरेट
हो जायेंगे।* धारणा भी अच्छी होगी।
➢➢ बाप भारतवासियों को आकर पतित से पावन बनाते हैं। पतित मनुष्य जो बुलाते हैं
वह जरूर समझते होंगे *हम पावन थे, अब पतित बने हैं, फिर पावन बनना है।*
➢➢ बाबा अब पत्रों द्वारा तो किसको इतना समझा नहीं सकते। सम्मुख आकर मिलें तो
बाबा भी समझाये। कोई समझाने वाला ठीक नहीं है तो मूँझ पड़ते हैं। *सर्विस के
लिए बुद्धि चलनी चाहिए।*
➢➢ एक के साथ पूरा योग नहीं है। देही-अभिमानी नहीं बने हैं। इसलिए धारणा नहीं
होती है। *देही-अभिमानी भी जरूर बनना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *भोलानाथ है देने
वाला। भोलानाथ शिवबाबा को तो कहते ही हैं। भोलानाथ होकर गया है और बरोबर बिगड़ी
बनाकर गया है। आदि-मध्य-अन्त का राज़ बताकर गया है, इसलिए भगत गाते हैं।*
➢➢ *अच्छी रीति समझाना चाहिए। तुमने तो 5 हजार वर्ष पहले भी यह ज्ञान सुना था।
देवताओं को 5 हजार वर्ष हुए हैं। उन्हों को मनुष्य से देवता किसने बनाया? अभी
भी वही बाप फिर से बनायेगा। 5 हजार वर्ष बाद फिर से बाप को आना पड़ता है। रावण
द्वारा पतित बने हुए को पावन बनाने। हिस्ट्री-जॉग्राफी मस्ट रिपीट।*
➢➢ *यह महाभारी महाभारत लड़ाई 5 हज़ार वर्ष पहले भी लगी थी। कोई लाखों वर्ष की
बात नहीं है। यह भारत ही स्वर्ग था। इन देवताओं का राज्य था। यह सतयुग के मालिक
थे। चित्रों पर भी अच्छी रीति समझाना पड़ता है।*
➢➢ *हेविनली गॉड फादर ने हेविन स्थापन किया था। भारत को कहते भी हैं प्राचीन
देश है, इसमें गॉड गॉडेज राज्य करते थे। गॉड कृष्ण, गॉडेज राधे कहते हैं।
राधे-कृष्ण लक्ष्मी नारायण सतयुग में थे, फिर राम-सीता त्रेता में 5 हजार वर्ष
का हिसाब-किताब क्लीयर है। जब उन्हों का राज्य था तो बाकी सब आत्मायें
मुक्तिधाम में थी।*
➢➢ *आत्मा तो अविनाशी है। आत्मा का कभी विनाश नहीं होता। ड्रामा भी अविनाशी
है। आत्मा को 84 जन्मों का अविनाशी पार्ट मिला हुआ है। परमात्मा भी बिन्दी,
आत्मा भी बिन्दी। परन्तु परमात्मा सुप्रीम है।*
➢➢ बहुत तुमको कहते हैं कि तुम तो कुमार अथवा कुमारी हो। तुमको विकारों का
अनुभव ही नहीं। हम तो विकारी गृहस्थ में रहने वाले हैं। तुम हमको यह ज्ञान कैसे
दे सकते हो? हमको तो युगल समझाये, जो अनुभवी हो? जो विकार में गया हुआ हो, वही
हमको समझा सकते हैं कि हमने ऐसे जीत पाई। ऐसे-ऐसे बाबा के पास पत्र आते हैं। *ऐसे-ऐसे
बहुत युगल हैं जो अपना अनुभव सुना सकते हैं कि हम ऐसे प्रवृत्ति में रह श्रीमत
का पूरा-पूरा पालन कर रहे हैं। खान-पान की भी पूरी परहेज रखते हैं। तो ऐसा
अनुभवी समझाने वाला हो।*
➢➢ *हिस्ट्री रिपीट होती है। सतयुग के बाद त्रेता... चक्र लगाते हैं। अभी
कलियुग का अन्त है। एक तरफ विनाश ज्वाला खड़ी है - दूसरी तरफ बाबा यहाँ आये
हैं, नई दुनिया स्थापन करने अर्थ। यह वही महाभारत लड़ाई है।*
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