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❍ 24 / 11 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *ऐसे नहीं कि
सृष्टि है नहीं और बाप आकर रचते हैं। बाप को बुलाते हैं कि हम जो पतित है उनको
आकर पावन बनाओ। दुनिया तो है ही। बाकी पुरानी को नई करते है। भगवान आते ही हैं
भक्तों की सद्गति करने। अपने साथ हाथ में हाथ देकर ले चलता हूँ। ऐसे नहीं कि
सुखधाम में जाकर तुमको छोड़ता हूँ। नहीं, इस समय के पुरूषार्थ अनुसार आपे ही
जाकर प्राप्लब्ध भोगते हो।*
➢➢ *यह ज्ञान मनुष्यों के लिए है,* जानवरों के लिए नहीं है क्योंकि मनुष्य
पढ़कर मर्तबा पाते हैं। अभी जो दु:ख देने की सामग्री है, इसमें सब आ गये - देह,
देह के धर्म आदि। तो *बाप इस दु:ख की सामग्री को सुख का बनाते हैं तब बाप ने कहा
है मैं दु:खधाम को सुखधाम बनाता हूँ, मैं हूँ ही दु:खहर्ता सुखकर्ता।*
➢➢ अब नये झाड़ का कलम लग रहा है तो ऐसे झाड़ को माया के तूफान देखो कितने लगते
हैं। जब तूफान लगता है तो बगीचे में जाकर देखो कितने फल फूल गिरे हुए होते हैं।
थोड़े बच जाते है। यहाँ भी ऐसे है कि *माया के तूफान आने से और बाबा की याद न
रहने से मुरझा जाते हैं। कोई तो गिर पड़ते हैं।*
➢➢ *परमात्मा को ज्ञान का सागर कहा जाता है, जानी जाननहार नहीं। जानी-जाननहार
माना थॉट रीडर, यानी अन्दर को जानने वाला। वास्तव में यह भी एक रिद्धि-सिद्धि
है, उससे प्राप्ति कुछ नहीं। अगर उल्टा भी लटक जायें तो भी प्राप्ति कुछ नहीं।*
➢➢ *वह (मनुष्य / शास्त्रज्ञानी) कह देते शास्त्र अनादि हैं। कब से? तारीख तो
कोई है नहीं। दूसरे धर्मों की तारीख है, उससे हिसाब लगाया जा सकता है। जैसे कहते
हैं क्राइस्ट के 3000 वर्ष पहले भारत हेविन था। परन्तु हेविन में क्या था, यह
नहीं जानते। झाड़ का राज़ तुम्हारी बुद्धि में है।* तुम वर्णन कर सकते हो कि इस
वृक्ष का फाउन्डेशन कैसे लगा, फिर कैसे वृद्धि को पाया।
➢➢ *जो इनकारपोरियल वर्ल्ड आत्माओं की है, उनको ब्रह्माण्ड, ब्रह्म लोक कहते
हैं। जहाँ आत्मायें अण्डे मिसल रहती हैं। साक्षात्कार भी करते हैं आत्मा बिन्दी
रूप है।* जैसे फायरफ्लाई जब इकट्ठे उड़ती हैं तो जगमग होती है, परन्तु वह लाइट
कम है। तो आत्मायें भी इकट्ठी उड़ेगी। इस छोटी सी बिन्दी में 84 जन्मों का
पार्ट भरा हुआ है।
➢➢ जब फ्लावरवाज़ (फूलदान) बनाते हैं, तो ऊपर में फूल बनाते हैं। यह भी ऐसे
है। *पहले देवी-देवता धर्म का तना था। पीछे यह सब धर्म तने से निकलते हैं
अर्थात् उनकी प्रजा का फ्लावर दिखाते हैं।* अब विचार करो हर एक धर्म जब आता है
तो फूलों का बगीचा था। गिरती कला पीछे आती है अर्थात् *पहले गोल्डन, सिल्वर,
कॉपर अब आइरन में है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ परमात्मा ने कहा
है *मनमनाभव। तुम बाप को याद करेंगे तो विकर्म विनाश होंगे और कोई नये विकर्म
होंगे ही नहीं। तुम एवरहेल्दी, वेल्दी बन जायेंगे।*
➢➢ अगर *बुद्धि में बाबा याद हो तो माया का असर नहीं होता है।* बाबा यह थोड़ेही
कहते हैं कि धन्धा आदि न करो। *धन्धा आदि करते बाप को याद करो - इसमें मेहनत
है। राजाई लेना, कोई कम बात है क्या* कोई हद की राजाई लेते हैं तो भी कितनी
मेहनत करनी पड़ती है। यह तो *सतयुग की राजाई लेते हो। मेहनत जरूर करनी पड़े।*
➢➢ *तुमको याद करना है एक बाबा को, दूसरा नॉलेज को।* ज्ञान तो सेकेण्ड का बहुत
सिम्पल है।
➢➢ *मूलवतन को याद करना भी सेकेण्ड का काम है। दूसरा नम्बर है सूक्ष्मवतन।* तो
वहाँ भी कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि वहाँ भी सिर्फ ब्रह्मा, विष्णु, शंकर
दिखाया है। वह भी झट बुद्धि में आ जाता है। फिर है स्थूलवतन। इसमें 4 युगों का
चक्र आ जाता है। *यह है बाप की रचना, ऐसे नहीं कि सिर्फ तुम स्वर्ग को याद करते
हो।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
शारीरिक बीमारी आ जाती है। आगे कभी बुखार नहीं हुआ होगा, ज्ञान में आने के बाद
बुखार हो जाता है तो सशंय पड़ जाता है कि *ज्ञान में तो बंधन खलास होने चाहिए।*
परन्तु बाबा तो कह देते *यह बीमारी और आयेंगी, हिसाब-किताब भी चुक्तू करना है।*
➢➢ सन्यासियों का तो है हद का वैराग्य। तुम्हारा तो है बेहद का वैराग्य। *तुम्हें
तो सारी दुनिया को भुलाना है।*
➢➢ *रहमदिल और महादानी बनना है* इसको अविनाशी ज्ञान रत्न कहा जाता है। इस समय
तुम भविष्य के लिए धनवान बनो।
➢➢ बाप समझाते हैं *बच्चे अब तक तुमने जो कुछ पढ़ा और सुना है उन सबको भूल जाओ।*
मनुष्य मरने समय सब कुछ भूल जाते हैं ना। तो *यहाँ भी तुम जीतेजी मरते हो I*
➢➢ *बस पवित्र रहना है।* तो बाबा ने कहा है कि माया ने दु:ख दिया है, इसको छोड़ो।
*माया जीते जगतजीत बनो।* मन को जीतने की बात नहीं। मन तो शान्त,शान्तिधाम में
रहता है। यहाँ शरीर है तो शान्त रह न सके।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *आओ तो हम आपको
समझायें कि 5 हजार वर्ष पहले एक बहुत अच्छा देवताओं का राज्य था। उन्होंने यह
पद कैसे पाया। लक्ष्मी-नारायण जो सतयुग की राजाई लेते हैं, उन्हों के 84 जन्मों
की हिस्ट्री-जॉग्राफी सुनायें। ऐसे-ऐसे टेम्पटेशन (प्रलोभन) देकर उन्हों को
अन्दर ले आना चाहिए।*
➢➢ सेकेण्ड की कहानी है। परन्तु है पदमों की। *कहाँ भी तुम जा सकते हो। कॉलेज
में, युनिवर्सिटी में, हॉस्पिटल में जाओ तो कहना चाहिए कि तुम कितना बीमार पड़ते
हो। हम आपको ऐसी दवाई देंगे जो 21 जन्म बीमार ही नहीं पड़ेंगे।*
➢➢ *तुमको भाषण करना होता है सुबह और शाम को।* तो हर एक शहर में बड़े-बड़े हाल
तो होते ही हैं और बहुतों के मित्र-संबंधी भी होते हैं, तो एडवरटाइज़ करनी है
कि *हमको परमपिता परमात्मा का परिचय देना है। ताकि सभी परमात्मा से अपना
बर्थराइट ले सके।*
➢➢ *हमको सिर्फ डेढ़ घण्टा सुबह, डेढ़ घण्टा शाम के लिए हाल चाहिए। कोई हंगामा
नहीं होगा, बाजा-गाजा नहीं। तो कोई वाजिब किराये पर देवे तो हम ले सकते हैं।
एरिया को भी देखना है, घर को भी देखना है कि अच्छा है।*
➢➢ अच्छा आदमी होगा तो अच्छे जिज्ञासुओं को लेकर आयेगा। ऐसे-ऐसे *4-5 जगह भाषण
करना चाहिए। बड़े-बड़े शहरों में अगर फर्स्ट फ्लोर न मिले तो सेकेण्डपलोर, नहीं
तो लाचारी हालत में थर्ड फ्लोर भी ले सकते हो। ऐसे ही गाँव-गाँव में भी। जैसा
गाँव हो।*
➢➢ *भले कोई छोटा मकान हो। पूरा मकान तो चाहिए नहीं। सिर्फ 3 पैर पृथ्वी चाहिए।
सबको अपने सम्बन्धियों से बात करते रहना चाहिए तो कोई न कोई दे देंगे। तो ऐसे
सेन्टर्स खोलते रहना चाहिए।*
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