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  23 / 08 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *रावण मत मनुष्य को बिगाड़ती है।* बाप आकर बिगड़ी को बनाते हैं।* रावण भी एक है, राम भी एक है। *5 विकारों को मिलाकर कहते हैं रावण।* रावण अपना राज्य स्थापन करते हैं, शोकवाटिका में बैठने का। वह बिगाड़ते हैं, वह बनाते हैं। *रावण को मनुष्य नहीं कहा जाता है।* परन्तु दिखाते हैं 5 विकार पुरूष के 5 विकार स्त्री के। *रावण राज्य में दोनों में विकार हैं।*

➢➢  बाप तो बाप है जो बच्चों को आकर वर्सा देते हैं। *मनुष्य कोर्ट में जाकर कहते हैं ईश्वर को हाजिर-नाजिर जान सच कहता हूँ। परन्तु अगर वह सर्वव्यापी है तो फिर प्रार्थना किसकी करते हैं!* उनको कुछ भी पता नहीं है।

➢➢  *इन चित्रों में तो बहुत बड़ा खजाना है। स्वर्ग के मालिक बनने की इनमें युक्ति है।* बाप तो बहुत युक्तियां निकालते रहते हैं। कल्प पहले भी निकाली थी और अब भी निकाली हैं। मनुष्यों को टच होगा कि यह बात तो बड़ी अच्छी है। बाप से जरूर वर्सा मिलेगा।

➢➢  *सबकी वानप्रस्थ अवस्था है। मौत सामने खड़ा है।* सबसे अच्छा धन्धा है यह। बाकी *जो भी मनुष्य धन्धे करते हैं वह हैं खोटे।*

➢➢  वो *लोग तो आपस में ही लड़ते झगड़ते रहते हैं, रावण की मत पर।* हम रावण से राज्य छीनते हैं। *रामराज्य राम द्वारा ही मिलता है।* सतयुग में रामराज्य शुरू होता है, यहाँ कलियुग में रामराज्य कहाँ से आया। *यह तो रावण राज्य है, सब दु:खी हैं।*

➢➢  *वह विश्व का रचयिता अथवा मालिक है लेकिन खुद नहीं बनता है। मालिक तुम बच्चों को बनाते हैं। परन्तु वह ऊंच है, उनसे वर्सा मिल रहा है।* 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *भक्ति मार्ग में तो आधाकल्प धक्के खाये हैं। यहाँ तो एक सेकेण्ड में बाप को जान बाप से वर्सा पाना है।*

➢➢  *तुम कितना सहज वर्सा ले रहे हो। जितना हो सके बाप को याद करो।*

➢➢  *समय बहुत थोड़ा है इसलिए रूहानी धंधा करो। एक धन्धा सिर्फ करना है - बाप और वर्से को याद करो।*

➢➢  *भोलानाथ बच्चों को ओम् शान्ति का अर्थ भी समझाते हैं। खुद भी कहते हैं ओम् शान्ति तो बच्चे भी कहते हैं ओम् शान्ति।* 

➢➢  यह ( ओम शांति कहना) अपना परिचय देना होता है कि *हम आत्मा शान्त स्वरूप, शान्तिधाम के रहने वाले हैं।* हमारा बाप भी वहाँ रहने वाला है।

➢➢  *तुम जानते हो 5 विकार हमारे में भी थे। अभी हम श्रीमत पर निर्विकारी बनते जाते हैं। बिगड़ी को सुधार रहे हैं।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाप की जो उत्कण्ठा है वह सपूत बच्चे ही पूरी कर सकते हैं। *बच्चों की बुद्धि में उत्कण्ठा रहनी चाहिए कि कैसे किसकी बिगड़ी को बनायें।* 

➢➢  *अविनाशी ज्ञान रत्नों की पूरी धारणा होगी तो बहुतों का कल्याण कर सकते हैं।* इस राजाई की स्थापना में पैसे की दरकार नहीं रहती है।

➢➢  अभी टाइम बाकी थोड़ा है। रामराज्य स्थापन करने में ढील नहीं करनी है। *रात दिन फुरना रहना चाहिए - कैसे किसको दु:ख से छुड़ायें।* बच्चों को यह *दिल में आना चाहिए - कैसे भाई बहिनों को रास्ता बतायें।*

➢➢  *तुम बच्चों को बड़ा मीठा बनना है। क्रोध का अंश भी न हो,* परन्तु सब बच्चे तो ऐसे बन नहीं सकते। बहुत बच्चे हैं जिनको माया एकदम नाक से पकड़ लेती है। *कितना भी समझाओ तो भी सुनते ही नहीं।*

➢➢  बाप भी समझते हैं - शायद टाइम लगेगा। जब सब अच्छी रीति बाप की सर्विस में लग जायें। शौक भी तो चाहिए ना जो *आकर कहें कि बाबा हमको सर्विस पर भेजो, हम जाकर औरों का कल्याण करें। परन्तु बोलते नहीं।*

➢➢  बाप कहते हैं अगर *अपनी जीवन बनानी है तो सर्विस करो।* सागर पास आकर रिफ्रेश हो फिर सर्विस करनी है। भक्ति मार्ग में तो आधाकल्प धक्के खाये हैं। यहाँ तो *एक सेकेण्ड में बाप को जान बाप से वर्सा पाना है।*

➢➢  बाप को कहते ही हैं रहमदिल, ब्लिसफुल तो *बच्चों को भी बाप समान रहमदिल बनना है।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  जैसे *बाप सबकी बिगड़ी बनाते हैं, बच्चों में भी यही उत्कण्ठा रहनी चाहिए कि कैसे हम बिगड़ी को बनावें।* सब मनुष्य मात्र एक दो की बिगाड़ते रहते हैं। बिगड़ी को सुधारने वाला एक ही बाप है। तो जैसे तुम सुधरे हो वैसे *तात (लगन) लगी रहे कि कैसे जाकर दु:खी आत्माओं की सहायता करें।*

➢➢  *मित्र सम्बन्धियों को भी समझाना चाहिए। उनको भी रास्ता बतायें।* दु:खी जीव आत्माओं को 21 जन्मों के लिए सुखी बनायें, फिर भी हमारे भाई बहन हैं, बहुत दु:खी अशान्त हैं। *हम तो बाप से वर्सा ले रहे हैं तो ख्याल आना चाहिए कि कैसे जाकर किसको समझायें, भाषण करें। घर-घर जायें, मन्दिरों में जायें।*

➢➢  बाप मत देते हैं, *मन्दिरों में बहुत सर्विस कर सकते हो।* भक्त बहुत हैं, अन्धश्रद्धा से शिव के मन्दिर में बहुत जाते हैं। अन्दर में कोई न कोई आश रखकर जाते हैं। यह नहीं समझते कि शिव हमारा बाप है। उनकी इतनी जो महिमा है तो जरूर कभी कुछ करके गये होंगे। शिव के मन्दिर में क्यों जाते हैं! अमरनाथ पर यात्रा करने क्यों जाते हैं! ढेर यात्रियों को ब्राह्मण  लोग वा सन्यासी ले जाते हैं। *यह है भक्तिमार्ग का धन्धा, इससे तो सुधरेंगे नहीं।* भोलानाथ बाप ही आकर बिगड़ी को बनाते हैं।

➢➢  *तुमको दिल में आना चाहिए कि कैसे हम भाई बहनों को रास्ता बतायें।* किसको दु:खी, रोगी देखा जाता है तो रहम आता है ना। बाप कहते हैं अभी हम तुमको ऐसा सुखी बनाते हैं जो आधाकल्प के लिए रोगी नहीं होंगे। तो *तुम बच्चों को औरों को भी सुखधाम का रास्ता बताना है। सर्विस की उत्कण्ठा वाले एक जगह रह नहीं  सकेंगे। समझेंगे हम भी जाकर किसको सुखधाम का रास्ता बतायें।* बाबा तो बहुत ललकार करते हैं।

➢➢  *पहले उन्हें समझाना है जो गरीब हैं, व्यापारी हैं।* बाकी *बड़े आदमी तो कहेंगे कि हमको फुर्सत नहीं है, हम बिजी हैं।* समझते हैं हम भारत को स्वर्ग बना रहे हैं, प्लैन करते रहते हैं। लेकिन तुम जानते हो शिवबाबा बिगर कोई स्वर्ग बना नहीं सकते।

➢➢  पहली बात ही यह है - *परमपिता परमात्मा से आपका क्या सम्बन्ध है!* नीचे में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी नाम लिखा हुआ है। बाबा बहुत नया तरीका, बहुत सहज बताते हैं। *बाबा को उत्कण्ठा रहती है - ऐसे ऐसे बोर्ड लगाना चाहिए। बाबा डायरेक्शन देते हैं।* 

➢➢  *10-20 स्थानों पर बोर्ड लगाओ, यह एडवरटाइजमेंट भी डाल सकते हो।* हमारे जो बिछुड़े हुए बच्चे होंगे उन्हों को यह अक्षर लगेंगे। कहेंगे पता तो निकालें कि यह क्या समझाते हैं। यह भी *लिखा हुआ हो कि इस पहेली को समझने से तुम मुक्ति-जीवनमुक्ति को पा सकते हो, एक सेकेण्ड में।*

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