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  27 / 11 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *सर्व का सद्गति दाता और सर्व का बाप वह (शिव) है। सब आपस में भाई-भाई है, न कि बाप ही बाप हैं।* यह समझ की बात है। परन्तु आसुरी मत ने जो सुनाया वह मान लिया। सब आसुरी मत के अधीन हैं।

➢➢  *5 हज़ार वर्ष पहले सुखधाम था। बाकी सब आत्मायें शान्तिधाम में रहती थी। यह भी तुम अब समझते हो जबकि तुमको परमपिता परमात्मा ने समझाया है।*

➢➢  *इस समय ईश्वर ने ही मत दी होगी और साकार में ही आकर दी होगी।* लिखा हुआ है श्रीमत भगवानुवाच सिर्फ नाम कृष्ण का डाल दिया है। वास्तव में है निराकार भगवान की मत। तो जरूर नई दुनिया स्थापन हुई होगी।

➢➢  *भगवान को कहा जाता है नॉलेजफुल, वह सब कुछ जानते हैं। उनकी गति वा सद्गति की मत सबसे न्यारी है। गाते भी हैं हे प्रभू तुम्हरी गत-मत तुम ही जानो। जब तुम बताओ तब ही हम जानें। तो जरूर उनको आना पड़े, नहीं तो सद्गति कैसे दे।*

➢➢  *शान्तिधाम और सुखधाम अलग-अलग हैं। सुखधाम में अशान्ति नहीं होती। दु:खधाम में फिर शान्ति नहीं होती। नई दुनिया थी जरूर, फिर वह शान्ति के बाद सुख की दुनिया आयेगी जरूर।* वहाँ इस दु:खधाम का नाम निशान नहीं होगा। अभी फिर सुख-शान्ति का नाम निशान नही है।

➢➢  *बाप का बच्चा ब्रह्मा। ब्रह्मा के बच्चे तुम ब्राह्मण। विष्णु वा शंकर के बच्चे नहीं कहा जाता। गायन है प्रजापिता ब्रह्मा तो यह ब्रह्मा भी पिता, शिव भी पिता। दोनों बाप ठहरे।*

➢➢  *बाप जरूर ब्रह्मा द्वारा ही सृष्टि रचेंगे। गायन भी है ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मणों की स्थापना। अनेक धर्म मनुष्यों के हैं तो एक धर्म भी मनुष्यों का था। मनुष्यों की बात है। जानवरों की तो हो न सके।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  यह है ही रावण का राज्य, उनका अब अन्त है। *मनुष्य तो जानते नहीं, पुकारते रहते हैं कि हे पतित-पावन, दुःख हर्ता सुख कर्ता, हे लिबरेटर आओ।* दुःख तो सबको है ही। बुद्धि भी कहती है कि इनको हेविन तो नहीं कहेंगे। स्वर्ग ही सबको याद आता है, तो जरूर अभी नर्क है।

➢➢  *त्रिकालदर्शी बाप है, उन द्वारा यह राज्य पाया है।* बाप किन्हों को आकर त्रिकालदर्शी बनाते हैं? जरूर बच्चों को ही बनायेंगे। सगे बच्चों को सिखायेंगे फिर उन द्वारा और सीखेंगे।

➢➢  *कहते हैं पतित-पावन, तो बुद्धि ऊपर जाती है।* पतित-पावनी गंगा कहने से फिर बुद्धि पानी की तरफ चली जाती है। ज्ञान अमृत नाम सुना है तो गंगाजल को अमृत समझते हैं। तो सबसे मुख्य प्रश्र यह है। *बाबा युक्तियां बहुत बताते हैं परन्तु किसको याद भी पड़े।*

➢➢  *भगवान ने ही गीता रची और पतितों को पावन बनाया। याद भी उनको करते हैं।* अब कृष्ण की आत्मा भी पावन बन रही है। इस बात को उठाते नहीं हैं।

➢➢  अगर कोई पूछे तो हम अपने 5 विकारों को वश कैसे करें, तो उन्हों को यह तरीका बताया जाता है कि पहले उन्हों को ज्ञान और योग का वास धूप लगाओ और साथ में परमपिता परमात्मा के महावाक्य हैं- *मेरे साथ बुद्धियोग लगाए मेरे बल को लेकर मुझ सर्वशक्तिवान प्रभु को याद करने से विकार हटते रहेंगे।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाप श्रीमत देते हैं। मुख्य प्रोब की बात उठानी है। *तुम माताओं को अच्छी तरह ललकार करनी चाहिए। कमजोर नहीं बनना चाहिए।* लेकिन कई ब्राह्मणों की भी आपस में नहीं बनती है। मतभेद के कारण आपस में बात भी नही करते हैं।

➢➢  देह-अभिमान बहुत है। *रामराज्य में जाने के लिए तो लायक बनना पड़े ना। यह है ईश्वरीय राज्य, इसमें आसुरी स्वभाव वाले रह न सके।* उनको बी.के. कहलाने का भी हक नहीं है।

➢➢  *हरेक मनुष्य को अपने 5 विकारों को वश करना है और अपनी आत्मा की डोर परमात्मा के साथ जोड़नी है* तब ही शान्ति स्थापन होगी।

➢➢  *विहंगमार्ग की सर्विस करनी चाहिए।* अपने को अक्लमंद बहुत समझते है परन्तु ख्याल करना चाहिए कि अक्लमंद कैसे हो सकते हैं? अभी तो कच्चे हैं।

➢➢  *बाप कितना मीठा प्यारा है, तो बाप समान बनना चाहिए।* कोई कोई बच्चे कितने कड़वे बन पड़ते हैं।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बच्चे लिखते हैं बहुत प्रभावित हुआ परन्तु बुद्धि में बैठा कुछ भी नहीं।* सिर्फ इतना समझते हैं ब्रह्माकुमारियां अच्छा रास्ता बताती हैं। घर गये खलास इसलिए *प्रदर्शनी में जब आते हैं तो एक-एक बात पर अच्छी तरह समझाकर लिखाना चाहिए।* सैकड़ों आते हैं, कोई की बुद्धि में एक बात भी नहीं ठहरती। *बाबा के पास ऐसा समाचार नहीं आता है कि इन-इन मुख्य बातों पर भाषण किया।* यह स्कूल है, टीचर पूछता है तो स्टूडेन्ट को जवाब देना पड़ता है। *तुम टीचर होकर पूछेगे तो जवाब देंगे।*

➢➢  *तुम बच्चे उतरती कला और चढ़ती कला पर भी समझाते हो।* कोई मुक्ति में गये, कोई जीवनमुक्ति में गये, सबका भला हो गया। सबकी चढ़ती कला हो गई। अब फिर उन सतीप्रधान सतयुग वालों को तमोप्रधान में नीचे जरूर आना है। *तो यह भी दिखाना पड़े कि द्वापर से उतरती कला होती है।*

➢➢  *इस समय सारा झाड जड़जड़ीभूत है। इनका विनाश होना है। इस पर अच्छी रीति भाषण करना है।* ऐसे नहीं जो आया सो बोल दिया। *बड़े अक्षरों में यह पहेली लगा दो, जो सब पढ़ें कि गीता का भगवान पुनर्जन्म रहित, ज्ञान सागर परमपिता परमात्मा या श्रीकृष्ण?*

➢➢  गीता माई बाप खण्डन तो सब शास्त्र खण्डन हो गये। *तुम सिद्धकर बताओ कि सारी दुनिया झूठी है, सब पत्थरबुद्धि हैं।* पारसबुद्धि होते ही है सतयुग में। पत्थरबुद्धि है तब तो बाबा आकर पारसबुद्धि बनाते हैं। जो पारसबुद्धि थे वही आकर पत्थरबुद्धि बने हैं, जबकि सृष्टि का भी अन्त है।

➢➢  *हर एक मर्चेन्ट, हर एक धर्म वालों को तुम्हें अलग-अलग निमन्त्रण देना है। रामकृष्ण वालों का बड़ा मठ है। हरिजन की भी एसोशियेसन है, उनके जो मुख्य है सबको निमन्त्रण देकर बुलाना चाहिए। ऐसे काम करने वाले कोई हों जो इसमें लगे रहें। आपस में राय करनी चाहिए।*

➢➢  बाप कहते हैं यह तो जंगली कांटे हैं। तो *एक-एक बात पर अच्छी तरह पूछकर फिर लिखाना चाहिए। पतित-पावन परमात्मा या गंगा? सर्व का सद्गति दाता परमपिता परमात्मा या पानी की गंगा? ऐसे चित्र बनाने चाहिए।*

➢➢  *यहाँ तो हर एक बात पूछनी है। सर्व का सद्गति दाता, पतित-पावन बाप एक है वा सर्वव्यापी है? अगर सर्वव्यापी है तो फिर बाप कैसे ठहरा? बताओ, पतित-पावन, ज्ञान का सागर गीता का भगवान है या श्रीकृष्ण? भगवान किसको कहेंगे? जरूर निराकार को कहेंगे।*

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