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❍ 08 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *जो नॉलेज मेरे पास है वही तुमको देता हूँ। आत्मा ही ग्रहण करती है। नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार नॉलेजफुल बन जाते हैं। कोई तो पूरे नॉलेजफुल बन जाते हैं। कोई कम पुरुषार्थ से इतने नॉलेजफुल नहीं बनते हैं।*
➢➢ *बाप समझाते हैं मैं ही संगम पर आकर दैवी राज्य स्थापन करता हूँ। सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी घराना अभी ही स्थापन होता है।* फिर नई दुनिया अमरलोक में आकर अपना राज्य भाग्य करते हैं। *इसको ही संगमयुग कहा जाता है। दूसरा कोई संगम पर नहीं आता है, सिर्फ एक बाप ही आते हैं।*
➢➢ *सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था। त्रेता में राम-सीता का राज्य शुरू होता है, आधा कल्प के बाद भक्ति मार्ग शुरू होता है, धक्के खाने पड़ते हैं। मनुष्य कहते भी हैं ओ गॉड फादर। तो जरूर उन से हेविन का वर्सा मिलना चाहिए।*
➢➢ *बाबा मुक्ति-जीवनमुक्ति देते हैं। पहले आत्मायें सभी साईलेन्स में जाती हैं फिर हर एक को अपना-अपना पार्ट बजाने आना है।* देवी देवता धर्म वालों का अपना पार्ट, इस्लामी, बौद्धी धर्म वालों का अपना पार्ट। यह सब बातें तुम बच्चों की बुद्धि में हैं।
➢➢ *मूलवतन में अशरीरी होने कारण आवाज नहीं होता है, इसलिए उनको निर्वाणधाम कहा जाता है। सूक्ष्मवतन में मूवी होती है।* टॉकी, मूवी और साइलेन्स।
➢➢ *आत्मा इतनी छोटी जब शरीर से निकल जाती है तो फिर शरीर कोई काम नहीं कर सकता। कहेंगे मर गया। एक शरीर छोड़ दूसरा शरीर ले पार्ट बजाते हैं फिर उसमें रोने की कोई दरकार ही नहीं है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम हो बेहद के बच्चे। तुम नज़र के सामने बैठे हो। बरोबर दो अक्षर सुन रहे हो। *मुझे निरन्तर याद करो तो तुम निहाल हो जायेंगे अर्थात् स्वर्ग के मालिक बन जायेंगे।*
➢➢ भगवानुवाच भी है कि *मुझे याद करो और संग तोड़ो। अपने शरीर से भी तोड़ो, अशरीरी बनो।* पहले तुम अशरीरी आये थे। आत्मायें सब अशरीरी होती हैं।
➢➢ *तुम बच्चों को साइलेन्स सिखाई जाती है। तुम अपने स्वधर्म में टिको, घर को याद करो।*
➢➢ तुमको अब तीसरा नेत्र मिला है। *आत्मा जानती है कि अभी हम एक परमपिता परमात्मा को याद करते हैं और उनसे ही वर्सा मिलता है।*
➢➢ बच्चे जानते हैं हम किसकी नज़र के सामने बैठे हैं, *तुम अपने पारलौकिक परमपिता परमात्मा की नज़र के सामने बैठे हो। तुम जानते हो इस बाबा की नज़र के सामने आने से हम 21 जन्म स्वर्ग का वसा पाते हैं।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *टॉक छोड़ना है। भुन-भुन भी नहीं करनी है। अन्दर में राम-राम कहते हैं, अब बाप कहते हैं बच्चे यह भी छोड़ो।* तुमको वाणी से परे जाना है - यहाँ रहते टाकी और मूवी से परे जाना है। यह एम आब्जेक्ट बुद्धि में क्लीयर है कि हमको मुक्तिधाम जाना है।
➢➢ यह है ही कांटों का जंगल। भारत ही फूलों का बगीचा है। *अब तुम फ्लावर बन रहे हो। बाप समझाते हैं कोई को भी दु:ख नहीं देना है।* दु:ख दिया तो दु:खी होकर मरेंगे। ऊंच पद पा नहीं सकेंगे।
➢➢ बाप के पास यह सारी नॉलेज है,जब तुमको सारी नॉलेज सुनाते हैं, आप समान बनाते हैं। तुम फिर *औरों को आप समान बनाओ। ज्ञानी और योगी बनाओ।*
➢➢ वह है निराकार परमपिता परमात्मा। जानते हैं यह हमारे बच्चे आकर बने हैं, *जिनको पक्का निश्चय है कि हम परमपिता परमात्मा की सन्तान है, वह जरूर स्वर्ग के मालिक बनेंगे।* नज़र से निहाल भी होना है और स्वर्ग के मालिक भी बनना है, स्वर्ग में है बादशाही।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ अभी यह प्रिंसिपल बैठा है, *तो क्यों न यह नॉलेज सबको देनी चाहिए। तो सब जान जायें कि वर्ल्ड की हिस्ट्री जॉग्राफी क्या है, यह कैसे रिपीट होती है?* यह किसको पता नहीं है, गॉड इज वन। और कोई क्रियेटर है नहीं, न ऊपर कोई दुनिया है, न नीचे कोई दुनिया है।
➢➢ *बाप कहते हैं स्कूलों में बच्चों को यह नॉलेज दो।* कोई इन्वेन्शन निकलती है तो पहले राजा को दिखाते हैं फिर उन द्वारा वृद्धि को पाती है। यह आत्मा को सृष्टि चक्र के आदि मध्य अन्त का ज्ञान मिलता है जिससे 21 जन्मों के लिए चक्रवर्ती राजा बनते हैं।
➢➢ *बाबा प्रिंसिपल बच्चे को भी कहते हैं कि जो अच्छे स्टूडेन्टस हैं, उनको यह हिस्ट्री-जॉग्राफी समझाओ। गवर्मेन्ट को भी एप्रोच करो। बड़े-बड़े आफीसर्स को समझाओ। परन्तु बड़ी युक्ति से समझाना है कि सतयुग में आदि सनातन देवी-देवता धर्म की राजधानी थी।*
➢➢ *यह नॉलेज भी तुमको यहाँ है फिर तो बड़े-बड़े स्कूल, कॉलेजों में जाकर बड़ों बड़ों को यह नॉलेज दो। भारत में सूर्यवंशी, चन्द्रवंशियों का राज्य था, जो अब नहीं है। फिर जरूर होगा। यह अनादि वर्ल्ड ड्रामा है,* इनकी नॉलेज बच्चों में जरूर होनी चाहिए।
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