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  31 / 08 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *महिमा गाते हैं बेहद के बाप की क्योंकि बेहद का बाप बेहद की शान्ति और सुख का वर्सा देते हैं।* भक्ति मार्ग में पुकारते भी हैं बाबा आओ, आकर हमें सुख और शान्ति दो। भारतवासी 21 जन्म सुखधाम में रहते हैं। बाकी जो आत्मायें हैं, वह शान्तिधाम में रहती हैं। तो बाप के दो वर्से हैं ।

➢➢  *आत्माओंसे बात करते हैं। आत्मा शरीर से अलग है तो कुछ बात नहीं कर सकती। जैसे रात में शरीर से अलग हो जाती है।* आत्मा कहती है मैं इस शरीर से काम कर थक गयी हूँ, अब विश्राम करती हूँ। आत्मा और शरीर दोनों अलग चीज हैं। यह शरीर अब पुराना है। यह है ही पतित दुनिया। भारत नया था तो इसको स्वर्ग कहा जाता था। अभी नर्क है। सब दु:खी हैं। 

➢➢  *बाप का बच्चा जो ओबीडियन्ट रहते हैं उन्हें सपूत कहा जाता है। कपूत को वर्सा मिल न सके।* यह बाप बैठ समझाते हैं *निराकार भगवान की निराकारी आत्मायें बच्चे हैं। फिर प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान बनते हैं तो बहन-भाई हो जाते हैं। यह जैसे ईश्वरीय घर है और कोई सम्बन्ध नहीं।* भल घर में मित्र-सम्बन्धी आदि को देखते हैं परन्तु बुद्धि में है हम बापदादा के बने हैं।

➢➢  सतयुग है नई दुनिया, कलियुग है पुरानी दुनिया। *कलियुग से फिर सतयुग जरूर बनना है। चक्र रिपीट होता रहता है। यह बेहद का चक्र है, जिसकी नालेज बाप ही समझाते हैं। बाप ही नालेज फुल है।* इनकी आत्मा भी नहीं समझा सकती। यह पहले पावन थे फिर 84 जन्म ले पतित बने हैं। तुम्हारी आत्मा भी पावन थी फिर पतित बनी है।

➢➢  *आदि सनातन धर्म किसने स्थापन किया, यह कोई भी नहीं जानता क्योंकि शास्त्रों में 5 हजार वर्ष के चक्र को लाखों वर्ष दे दिया है।* यही भारत स्वर्ग था। अब तो नर्क है। *अब जो बाप द्वारा ब्राह्मण बनेंगे वही देवता बनेंगे। स्वर्ग का द्वार देख सकेंगे।* स्वर्ग का नाम ही कितना अच्छा है। *देवी-देवता वाम मार्ग में आते हैं तब पुजारी बनते हैं।* 

➢➢  *बाप जो सेवा करते हैं, उसको निष्काम सेवा कहा जाता है। बच्चों को स्वर्ग का मालिक बनाते खुद नहीं बनते। खुद निर्वाणधाम में बैठ जाते हैं। जैसे मनुष्य 60 वर्ष के बाद वानप्रस्थ में जाते हैं।* सतसंग आदि करते रहते हैं। कोशिश करते हैं हम भगवान से जाकर मिलें। परन्तु कोई मेरे से मिलते नहीं हैं। 

➢➢  *ड्रामा को समझना है। इस समय देखो मनुष्यों में क्रोध कितना है। बन्दर से भी बदतर हैं। क्रोध आता है तो कैसे बाम्ब्स से सबको मार डालते हैं। अब इन पर कौन केस करेगा! इनके लिए फिर पिछाड़ी में ट्रिब्युनल बैठती है। सबका हिसाब-किताब चुक्तू कर देते हैं। यह सब समझने की बातें हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *इस समय न शान्ति है, न सुख है क्योंकि भ्रष्टाचारी दुनिया है। तो जरूर कोई दु:खधाम से सुखधाम में ले जाने वाला चाहिए। बाप को खिवैया भी कहते हैं। विषय सागर से क्षीरसागर में ले जाने वाला है ।* बच्चे जानते हैं बाप ही पहले शान्तिधाम में ले जायेंगे क्योंकि अब टाइम पूरा होता है। यह बेहद का खेल है।

➢➢  *ऊंच ते ऊंच है भगवान। उनको सबका बाप कहा जाता है। वह स्वर्ग का रचयिता है फिर जब मनुष्य दु:खी होते हैं तो लिबरेट भी कहते हैं। रूहानी पण्डा भी है। सभी आत्माओं को शान्तिधाम में ले जाते हैं। वहाँ सब आत्मायें रहती हैं।* 

➢➢  *अब तुम जानते हो यह कलियुगी शरीर बहुत पुरानी खाल है। आत्मा भी पतित है तो शरीर भी पतित है। अब बाप से योग लगाए पावन बनना है। यह है भारत का प्राचीन राजयोग। सन्यासियों का तो हठयोग है।* 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *आत्मा खुद भी कहती है जब मैं सुखधाम में थी तो शरीर सतोप्रधान था। मैं आत्मा 84 जन्म भोगती हूँ।* सतयुग में 8 जन्म, त्रेता में 12 जन्म पूरे हुए फिर फर्स्ट नम्बर में जाना है। बाप ही आकर पावन बनाते हैं। 

➢➢  यह तो जानते हो *जो अच्छे कर्म करते हैं, वह अच्छे कुल में जन्म लेते हैं।* बुरे कर्म करने वाले बुरे कुल में जन्म लेते हैं। अब तुम पवित्र बन रहे हो। पहले-पहले तुम विष्णु कुल में जन्म लेंगे। तुम मनुष्य से देवता बनते हो।

➢➢  सबका लिबरेटर, गाइड एक ही बाबा है। और सभी हैं जिस्मानी यात्रा कराने वाले। अनेक प्रकार की यात्रा करते हैं। यह है रूहानी यात्रा। बाप सभी आत्माओं को अपने शान्तिधाम में ले जाते हैं। अभी *तुम बच्चों को बाप विष्णुपुरी में ले जाने के लायक बना रहे हैं।*

➢➢  बाप कहते हैं *इस पुरानी दुनिया में कोई से दिल नहीं लगाओ।* अब जाना है नई दुनिया में। तुम आत्मायें सब ब्रदर्स हो। इसमें मेल भी हैं, फीमेल भी हैं। सतयुग में तुम पवित्र रहते थे, उसको कहा ही जाता है पवित्र दुनिया।

➢➢  *तुम पढ़ाई पढ़ रहे हो - सुखधाम का मालिक बनने।* उस पढ़ाई का फल तो इसी जन्म में भोगते हैं। तुम इस पढ़ाई का फल दूसरे जन्म में पाते हो। बाप कहते हैं, मैं तुमको स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ, जिनको भगवान भगवती कहते हैं। लक्ष्मी भगवती, नारायण भगवान।

➢➢  बाप कहते हैं हे आत्मायें मैं तुम्हारा बाप आया हुआ हूँ। आप *मेरी श्रीमत पर चलो तो श्रेष्ठ स्वर्ग के मालिक बन जायेंगे।* वह मनुष्य तो मनुष्यों के गाइड बनते हैं। बाप गाइड बनते हैं सर्व आत्माओंके। आत्मा ही कहती है हे पतित-पावन। अब बाप हमको पुण्य आत्मा बना रहे हैं। स्वर्ग में रूहानी बाप होता नहीं। वहाँ तो है ही प्रालब्ध।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप आकर कहते हैं इन बच्चियों द्वारा तुमको स्वर्ग का द्वार मिलेगा।* बाप शिक्षा देते हैं पावन बन स्वर्ग का मालिक बनो। पतित बनने से तुम नर्क के मालिक बन पड़े हो। 

➢➢  *आत्मा कहती है बाबा आप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हो। हम प्रतिज्ञा करते हैं हम पवित्र बन आपके मददगार जरूर बनेंगे।*

➢➢  *शिवबाबा कहते हैं - मैं इन माताओं द्वारा स्वर्ग का द्वार खोलता हूँ। माता गुरू बिगर किसका उद्धार नहीं हो सकता है। बाप ही आकर सबकी सद्गति करते हैं, तुमको भी सिखलाते हैं फिर तुम मास्टर सद्गति दाता बन जाते हो। सबको कहते हो मौत सामने खड़ा है, बाप को याद करो। सब खत्म हो जाना है।* 

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