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       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *यूँ तो शिव के मन्दिर में भी जाते हैं तो शिवलिंग को शिवबाबा ही कहते हैं।* परन्तु उन्हों को इतनी खुशी क्यों नहीं होती है? वह तो शिवलिंग पर दूध, फल, फूल आदि चढ़ाते हैं। *तुमको तो दूध आदि चढ़ाने की दरकार ही नहीं। निराकार भगवान, वह तो पिता हुआ ना।*

➢➢  तुम बच्चे जानते हो कि हम बाप के घर के मालिक बनते हैं, जो कभी बदल-सदल नहीं हो सकता। *स्वीट होम की बदल सदल नहीं होगी। बाकी राजाई तो कितना बदल-सदल होती है।* वह चल है, वह अचल है। *मुक्तिधाम अचल है। यहाँ तो अदली-बदली होती है।*

➢➢  *चार युग जो हैं उसमें तो भारतवासी ब्राह्मण कुल ही मुख्य है।* जो देवी-देवता धर्म वाले हैं, सब तो सारा चक्र लगाते नहीं। तो इस धर्म वाला कोई और धर्म में कनवर्ट हो गया तो निकल आयेगा। *क्रिश्चियन धर्म में, बुद्ध धर्म में बहुत कनवर्ट हो गये हैं वह सब निकल आयेंगे। ऐसे बहुत कनवर्ट हो गये हैं।*

➢➢  *अन्त में सब साक्षात्कार होंगे। फिर अपने किये हुए करतूत सब याद आयेंगे। बाप साक्षात्कार कराते रहेंगे।* बाप का बनकर फिर क्या-क्या डिससर्विस की, फिर पछताना होता है इसलिए बाप समझाते रहते हैं कि सा|वस पर अच्छी रीति लगना है।

➢➢  *दुनिया पहले स्वर्ग थी। अब नर्क बन गई है।* यह चक्र कैसे फिरता रहता है। ड्रामा है ना। जब स्वर्ग है तब नर्क नहीं। कहाँ गया? नीचे। *ड्रामा को फिर फिरना है। यह चैतन्य ड्रामा है।*

➢➢  कर्मबन्धन का भी हिसाब-किताब कितना कड़ा है, जो पुरानी दुनिया को भूलते नहीं। *धूलछांई में जाकर बुद्धियोग लटकता है। नई दुनिया में लगता नहीं, इसको कहा जाता है कर्म खोटे।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  तुम बच्चे जानते हो कि यह बाप सबसे प्यारा है। *बाप को जब याद करते हो तो वर्सा याद आ जाता है। जिसको बाप याद आयेगा, निश्चय हो जायेगा तो जरूर खुशी होगी।*

➢➢  *भगवान का नाम सुनने से ही तुम्हारे रोमांच खड़े हो जाते हैं। बुद्धि में आता है कि बाप से हमको बाप के घर का भी वर्सा मिलता है और बाप की मिलकियत का भी वर्सा मिलता है।*

➢➢  *तुम्हारी बुद्धि में यह चक्र फिरता रहता है। तुम कहते हो कि हम मनुष्य से देवता, नर से नारायण बन रहे हैं।* यह राजयोग है।

➢➢  त्रिमूर्ति का चित्र तो सारा दिन बुद्धि में रहता है। *ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी की राजाई मिलती है। शंकर द्वारा यह आसुरी सृष्टि खलास होती है। बस बुद्धि में यही ख्यालात चलते रहें।*

➢➢  *बच्चों को कितनी खुशी होनी चाहिए कि हम स्वर्ग का वर्सा बाबा से ले रहे हैं।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *सर्वगुण सम्पन्न बनने में अच्छी ही मेहनत लगती है।* कोई न कोई विघ्न निकल पड़ते हैं। *खुद भी कहते हैं कि मेरे में मीठा बोलने का गुण नहीं है। पुरुषार्थ करना पड़ता है।* एम आब्जेक्ट तो सीधी है।

➢➢   *बाप कहते हैं कि 5 हजार वर्ष पहले मुफिफक श्रीमत द्वारा यह पुरुषार्थ कर रहे हो।* वह तो कहते हैं कि कल्प की आयु ही लाखों वर्ष की है। कलियुग तो अभी बच्चा है। तुम कहते हो *हम 5 हजार वर्ष पहले मुआफिक दैवी स्वराज्य पद पाने के लिए पुरुषार्थ कर रहे हैं।*

➢➢  *ऐसे नहीं कि सृष्टि चक्र को जानने से सर्वगुण सम्पन्न बन जाते हैं। नहीं, यह तो पढ़ाई है। वह है हद की पढ़ाई, यह है बेहद की पढ़ाई।* सिर्फ तुम जानते हो तुम्हारी बुद्धि में यह रहता है कि यह चक्र कैसे फिरता है और धर्म तो बाद में आते हैं। यह

➢➢  *सर्विस के लिए अनेक प्रकार की युक्तियां रचनी चाहिए। नहीं तो टाइम वेस्ट जाता है।* हर एक को अपनी दिल से पूछना चाहिए। *बहुत रहमदिल बन बहुतों का कल्याण करना है।* ज्ञान का स्वाद नहीं तो रहमदिली का स्वाद नहीं आता।

➢➢  *बाबा तो सर्विस की युक्तियां बहुत बतलाते हैं। सुना बस भागे।* अगर फुर्सत हुई। सर्विस का बहुत शौक होना चाहिए तब तो ऊंच पद पा सकेंगे।

➢➢  बाबा को अच्छी-अच्छी बच्चियां चाहिए - सर्विस करने वाली। *विचार करना चाहिए कि बाबा की सर्विस में क्या मदद करें जो हमारे स्वराज्य की जल्दी स्थापना हो जाए।* सर्विस का शौक होना चाहिए।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *कहाँ भी प्रदर्शनी वा प्रोजेक्टर दिखाया जाए तो यह वन्डरफुल बात जरूर लिखनी चाहिए कि 5 हजार वर्ष पहले मुआफिक फिर से तुमको हम इस प्रदर्शनी के द्वारा राजयोग सीखने के लिए युक्ति बतलाते हैं।*

➢➢  *तुम अखबार में भी डाल सकते हो,* मैंगजीन की तो बात नहीं। अखबारें तो लाखों की अन्दाज में छपती हैं। हाँ वह पैसे तो बहुत लेते हैं। समझाने से वह डाल सकते हैं। *चक्र भी डाल सकते हैं। बाबा ने जो प्रश्न लिखा था कि गीता का भगवान कृष्ण वा शिव? वह भी अखबार में डाल सकते हैं।*

➢➢  बड़ी अच्छी अखबार में डालो, परन्तु हमेशा पड़े तब मनुष्यों की आँख खुले। *एक बार डाला कोई ने पढ़ा, कोई ने नहीं भी पढ़ा। रोज डालने से मनुष्यों की आँख खुलेगी। फिर आकर ज्ञान समझेंगे।*

➢➢  प्रदर्शनी तो एक गांव में होगी। अखबार तो चारों ही ओर जाती है। सारा ही दिन ख्यालात चलते रहते हैं। *वर्णन करना पड़ता है कि क्या किया जाए? कैसे सर्विस को आगे बढ़ाया जाए? तुम हो सच्चे-सच्चे खुदाई खिदमतगार बच्चे। सोसायटी की सर्विस करना, यह खिदमत है ना।*

➢➢  *बाबा लाकेट भी बनवा रहे हैं, जिससे तुम बहुत सहज रीति समझा सकते हो। बैग्स में भी यह चित्र लगवा सकते हो।*

➢➢  तुमको अब कितनी नालेज मिली है। कितनी खुशी होनी चाहिए। कहाँ भी जाकर तुम सा|वस कर सकते हो। *श्रीनाथ द्वारे पर भी जाकर समझा सकते हो। ट्रस्टी लोगों को समझाओ। कासकेट ले कोई भी बड़े आदमी को खोलकर समझाने से बहुत खुशी होगी।*

➢➢  *प्रोजेक्टर पर भी तुम सब चित्र दिखाए नालेज दो तो है बहुत अच्छा। विलायत में भी प्रोजेक्टर पर बहुत अच्छी नालेज दे सकते हो।* वह सुनकर बहुत खुश होंगे। क्राइस्ट अभी कहाँ है फिर कब आयेगा? उनको पता पड़ जायेगा। *ड्रामा के चक्र का ज्ञान तो मिल जायेगा ना। साथ में प्रोजेक्टर है तो उस पर बहुत अच्छी सर्विस कर सकते हैं।*

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