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❍ 25 / 10 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अकालतख्त नशीन
सो दिलतख्तनशीन बनो और इसी रूहानी नशे में रहो तो कोई भी विघ्न वा समस्या आपके
सामने आ नहीं सकती।*
➢➢ सबसे ऊंचा है परमपिता परमात्मा निराकार शिवबाबा। फिर ब्रह्मा, विष्णु, शंकर
फिर यहाँ आओ तो जैसे घर में मात-पिता और दादा बैठे होते हैं। वह है हद का, यह
है बेहद का। चित्र सहित सारी लिखत होनी चाहिए। फर्क भी बताना चाहिए कि *अनेक
मनुष्य हठयोग सिखाते आये हैं और एक परमात्मा राजयोग सिखाते हैं, जिससे मुक्ति
जीवनमुक्ति मिल रही है।*
➢➢ अब देवता धर्म की स्थापना हो रही है। भारत अविनाशी खण्ड है। बाप भी यहाँ आये
हैं ना। *भारत का प्राचीन योग मशहूर है, परन्तु योग सिखाया किसने और कैसे, वह
नहीं जानते। कृष्ण ने तो योग नहीं सिखाया। परमपिता परमात्मा ही योग सिखला रहे
हैं।*यह कितनी अटपटी बात है जो बुद्धि से खिसक जाती है। कई तो जानते भी छोड़
देते हैं। तब बाप कहते हैं समझदार देखना हो तो यहाँ देखो... समझदार वर्सा लेते
हैं। बेसमझ छोड़ देते हैं।
➢➢ *चढ़ती कला तो परमात्मा ही करा सकते हैं। बाकी तो सब एक दो को गिराते ही
रहते हैं। देवतायें भी गिरते जाते हैं। भल सुख में ही हैं परन्तु कला तो कम होती
जाती है ना।*जूँ की तरह गिरते जाते हैं क्योंकि ड्रामा भी जूँ के मिसल चलता ही
रहता है। तो चढ़ती कला एक के ही द्वारा होती है।
➢➢ शिव जयंती भी भारत में ही मनाई जाती हैं। परन्तु जानते नहीं हैं ; *समझो
क्राइस्ट के जयंती मनाते हैं उनको कर्तव्य को जानते हैं। परन्तु शिव का कर्तव्य
नहीं जानते व पतित पावन हैं।* भारत बड़े ते बड़ा तीर्थ हैं।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम्हारा यह है
अहिंसक योग जो अति सहज है। *चलते-फिरते बाप को याद करते रहो। हिंसक और अहिंसक
को भी सिद्ध करना है। कई तो शरीर की तन्दरूस्ती के लिए क्रिया करते हैं। वह कोई
फिर परमात्मा से नहीं मिलते, हठयोग को भी योग कह देते हैं। योगाश्रम है ना। यह
है फिर सहज राजयोग। ईश्वर का सिखाया हुआ योग।*
➢➢ *जिनको बाप एक दो नम्बर में रखते, वह भी याद नहीं करते हैं। भाषण तो बहुत
अच्छा कर लेते हैं परन्तु याद में नहीं रहते। आत्मा तो याद से ही उड़ेगी, ज्ञान
से थोड़ेही उड़ेगी। ध्यान में भी याद से ही जाते हैं।*
➢➢ कई बच्चियां लिखती हैं कि बाबा हमने आपको पहचाना है। वह ध्यान में ब्रह्मा
को भी देखती हैं और प्रेरणा भी मिलती है। तो फिर उनको निश्चय हो जाता है। *जिसने
बाबा को कभी देखा भी नहीं है वह भी लिखती हैं हम बाबा को बहुत याद करते हैं। हम
आपसे वर्सा लेकर ही छोड़ेंगे।*
➢➢ *सिर्फ बाप और वर्से को याद करो। स्वर्ग को याद करो,* यह तो नर्क है। हम सो
का अर्थ भी बाबा ने समझाया है, हम सो देवता, हम सो क्षत्रिय...... और कोई तो इन
सब बातों को समझते नहीं। तो विराट रूप में यह समझाना है कि हम सो देवता.... बनते
हैं। अभी हम स्वर्ग में गये कि गये।
➢➢ बाप बच्चों पर बच्चे बाप पर बलिहार जाते हैं। लौकिक में बच्चे बाप पर
बलिहार जाते हैं, बाप जाते हैं। तो यह समझने की बात है कि *बरोबर परमात्मा बाप,
टीचर, सतगुरू है, उनसे ही वर्सा मिलता है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*रूहानी कमाई में बहुत ध्यान देना चाहिए। योग में बहुत प्रैक्टिस करनी चाहिए।
सुबह उठ बाप को बड़े प्यार से याद करना चाहिए।*
➢➢ *हमे अंदर से बहुत ख़ुशी होनी चाहिए की हम अपने लिए राजाई स्थापन कर रहे हैं
;तो औरो को भी रास्ता दिखाकर प्रजा बनानी चाहिए।*
➢➢ शिवबाबा हमारा बाप हैं तो उनको याद करना चाहिए परन्तु बच्चे भूल जाते हैं।
*टाइम बहुत वेस्ट करते हैं। वेस्ट टाइम नहीं करना चाहिए क्योकि विकर्म का बोझा
सिर पर बहुत हैं।*
➢➢ बच्चों को अपने भाई-बहिन पर बहुत रहम करना चाहिए। *8 घण्टा धन्धा किया फिर
यह कमाई करनी चाहिए।*
➢➢ *स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। हम ब्राह्मण चोटी हैं, ईश्वरीय सम्प्रदाय के
हैं, इस नशे में रहना है।*
➢➢ *अपना समय बाप की याद में सफल करना है। रूहानी सर्विस में बिजी रहना है।
बाप पर पूरा-पूरा बलिहार जाना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ चाहे सम्मुख हो,
चाहे चित्रों द्वारा, चाहे प्रोजेक्टर द्वारा तो दादे का परिचय देना बहुत जरूरी
है। जिस्मानी दादा साकार होता है। भल प्रोजेक्टर द्वारा समझाओ, वह भी नम्बरवार
चित्र दिखाना है। *पहले-पहले परमपिता परमात्मा की समझानी देनी है। तो परमपिता
परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है? और फिर प्रजापिता ब्रह्मा से क्या
सम्बन्ध है? तो पहले-पहले शिव का चित्र दिखाना चाहिए फिर है लिखत, जो प्रदर्शनी
पर समझाते हैं वा मैगजीन भी बनाते हैं तो पहले-पहले परिचय देना है।*
➢➢ परमात्मा के चित्र और कृष्ण के चित्र पर घड़ी-घड़ी समझाना चाहिए। स्वर्ग और
नर्क के गोले बड़े अच्छे मशहूर हैं। *नर्क के गोले पर लिख देना चाहिए कि यह है
रावण राज्य,भ्रष्टाचारी दुनिया और स्वर्ग के गोले पर लिखो कि यह है श्रेष्ठाचारी
दुनिया, तो टाइम लिखना चाहिए स्वर्ग इतना समय, नर्क इतना समय।* देखो चढ़ती कला,
उतरती कला का भी चित्र है क्योंकि उतरती कला में 5 हजार वर्ष और चढ़ती कला एक
सेकेण्ड में, तो यह जम्प हो गया। यह मुख्य बात समझाने की है, फिर है विराट रूप,
जिसमें ब्राह्मण चोटी ईश्वरीय सम्प्रदाय हैं।
➢➢ *बहुत में बहुत एक डेढ़ घण्टा प्रोजेक्टर दिखाना चाहिए क्योंकि मनुष्य इन
बातों में थक जाते हैं।* स्टोरी तो कोई नहीं - यह तो ज्ञान की बात है। पहले जब
लिखे तब अन्दर में आ सके। तो दिखाने के लिए टिकट रखना चाहिए। पैसे वाली टिकेट
नहीं, परन्तु एन्ट्रीपास हो, *बड़े-बड़े आदमियों को तो निमन्त्रण दे बुलाना
चाहिए क्योंकि बड़ों-बड़ों से ओपीनियन लिखाना है।*
➢➢ *प्रदर्शनी में भी ऐसे तो प्रोजेक्टर में भी ऐसे, मैगजीन में भी इन
अच्छे-अच्छे चित्रों को बनाकर साथ-साथ समझानी लिखो* फिर किसको प्रेजेन्ट दे देना
चाहिए।
➢➢ *अभी तो रावणराज्य है। इस पर तुम समझा सकते हो। चढ़ती कला तो परमात्मा ही
करा सकते हैं। बाकी तो सब एक दो को गिराते ही रहते हैं। देवतायें भी गिरते जाते
हैं।*
➢➢ *बाबा कहते हैं कि हर एक भाषा में स्लाईड्स बनाते जाओ। परन्तु काम करने वाला
ऐसा कोई है नहीं। बाबा युक्ति तो बता देते हैं। परन्तु काम करने वाला चाहिए तो
सर्विस बहुत बढ़ सकती है।*
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