━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

  10 / 11 / 17  

       MURLI SUMMARY 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  तुम जानते हो ब्रह्स्पति को वृक्षपति डे भी कहा जाता है। वृक्षपति सोमनाथ भी "हरा, शिव भी "हरा। बच्चों को बहुत करके गुरुवार के दिन स्कूल में बिठाते हैं। गुरू भी करते हैं। *तुमको सोमनाथ बाप पढ़ाते हैं। रूद्र भी सोमनाथ को कहते हैं। कहते हैं रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा। यह एक ही यज्ञ चलता है, जिसमें सारी पुरानी दुनिया की सामग्री स्वाहा होनी है।*

➢➢  *कोई तो पुरूषार्थ कर विश्व के मालिक डबल सिरताज बनते हैं। कोई फिर प्रजा में भी नौकर चाकर बनते हैं। सभी यहाँ पढ़ रहे हैं। राजधानी स्थापन हो रही है।* अटेन्शन आगे वाले दानों तरफ जायेगा। 8 दाने कैसे चल रहे हैं।

➢➢  *ऐसे नहीं बाप अन्तर्यामी है, सबकी दिल को जानते हैं। नहीं, जानी-जाननहार अर्थात् नालेजफुल है। सृष्टि के आदि मध्य अन्त को जानते हैं। बाकी एक-एक के दिल को थोड़ेही रीड करेंगे।* मुझे थाट रीडर समझा है। वास्तव में मैं जानी जाननहार अर्थात् नालेजफुल हूँ।

➢➢  *हर एक को अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है। पोप का भी अगर ड्रामा अनुसार पार्ट होगा तो मिलेगा।* अगर दूसरा होगा तो फिर आगे चलकर देखेंगे। *जो दिव्य दृष्टि से दिखाया था, वह सब इन आंखों से देखेंगे। विष्णु का साक्षात्कार किया है। वहाँ भी प्रैक्टिकल जायेंगे।*

➢➢  बाप वहाँ से आकर सच्चा पैगाम देते हैं और कोई भी ईश्वरीय पैगाम नहीं देते। वह तो यहाँ स्टेज पर पार्ट बजाने आते हैं और ईश्वर को भूल जाते हैं। *लक्ष्मीनारायण यहाँ आते हैं तो ईश्वर का पता नहीं रहता। उनको भी पैगम्बर नहीं कह सकते।*

➢➢  वह है जिस्मानी यात्रा, यह है रूहानी यात्रा। यह स्प्रीचुअल नालेज कोई के पास नहीं है। *वह है सब शास्त्रों की फिलासाफी। यह है रूहानी नालेज, सुप्रीम रूह यह नालेज देते हैं रूहों को।* रूहों को ही वापिस ले जाना है।

➢➢  माला के दाने जो बनते हैं उन्हों को पुरुषार्थ बहुत करना है। *बाबा ने कहा ब्राह्मणों की माला अभी नहीं बन सकती, अन्त में बनेंगी, जब रुद्र की माला बनेंगी।*

────────────────────────

 

❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *याद से विकर्म विनाश होंगे।* धारणा नहीं हो सकती है क्योंकि विकर्म बहुत हैं। बाप को भी याद नहीं कर सकते हैं। *जितना बाप को याद करेंगे उतना विकर्माजीत, निरोगी बनेंगे।*

➢➢  *सर्जन दवाई देते हैं कि मुझे याद करो फिर तुम मेरे से आकर मिलेंगे। मेरे द्वारा मेरे को याद करने से ही तुम मेरा वर्सा पायेंगे।*

➢➢  *बाप और स्वीट होम को याद करना है, जहाँ जाना है, वह बुद्धि में रहता है।* बाप वहाँ से आकर सच्चा पैगाम देते हैं और कोई भी ईश्वरीय पैगाम नहीं देते।

➢➢  *ज्ञान का सागर, प्रेम का सागर...एक बूँद है मनमनाभव, मध्याजीभव। यह मिलने से हम विषय सागर से क्षीर सागर में चले जाते हैं।* स्वर्ग में घी दूध की नदियाँ बहती हैं। यह सब महिमा है।

────────────────────────

 

❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  बाबा का बना और वर्सा मिल गया। उनमें नम्बरवार पद हैं। बच्चा पैदा हुआ, वर्से के हकदार बन गया। यहाँ तुम हो मेल्स बच्चे। *बाप से वर्से का हक लेना है। सारा मदार पुरुषार्थ पर है।*

➢➢  कोई-कोई सारे दिन की दिनचर्या रखते हैं। हाबी होती है लिखने की। यह बाबा बहुत अच्छी राय देते हैं कि अपना हिसाब-किताब रखो। *कितना समय याद किया ? कितना समय किसको समझाया ? ऐसा चार्ट रखें तो बहुत उन्नति हो जाये।*

➢➢  *बाबा का एक फरमान है याद करो, दूसरा है नालेज को धारण करो।* याद नहीं करेंगे तो सजायें बहुत खानी पड़ेगी।

➢➢  बाप कहते हैं बच्चे मेरे पास पावन बनाने का एक ही उपाय है। *देह सहित जो भी देह के सम्बन्ध हैं उनको भूल जाना है।*

➢➢  *देही-अभिमानी हो तो रहमदिल बन श्रीमत पर चलें।* बाप कहते हैं अपना चार्ट लिखो - कितना समय याद करते हैं ?

➢➢  *अगर माला में पिरोना है तो मेहनत करो।* बाबा सबके लिए बहुत अच्छी राय देते हैं। भल गूँगा हो, कोई को भी ईशारे से बाबा की याद दिला सकते हैं।

➢➢  *स्वदर्शन चक्र फिराते रहेंगे तो धन बहुत मिलेगा। भगवानुवाच, मेरे द्वारा मुझे भी जानो और सृष्टि चक्र के आदि-मध्य-अन्त को भी जानो। यह दो बातें मुख्य हैं जिस पर ध्यान देना है।*

────────────────────────

 

❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  श्रीमत पर पूरा ध्यान देंगे तो ऊंच पद पायेंगे फिर रहमदिल बनना है, *सबको रास्ता बताना है, सबका कल्याण करना है। मित्र सम्बन्धियों आदि को भी सच्ची यात्रा पर ले जाने की युक्ति रचनी है।*

➢➢  *भल गूँगा हो, कोई को भी ईशारे से बाबा की याद दिला सकते हैं।* अन्धे, लूले कैसे भी हों - तन्दरूस्त से भी ज्यादा ऊंच पद पा सकते हैं। सेकण्ड में जीवनमुक्ति गाई हुई है। बाबा का बना और वर्सा मिल गया।

➢➢  *सतयुग त्रेता में न साक्षात्कार, न भक्ति। फिर भक्ति मार्ग से यह सब बातें शुरू होती हैं। कितनी अच्छी-अच्छी बातें बाबा समझाते हैं। जो फिर बच्चों को औरों को समझानी हैं।*

➢➢  *सामने महाभारत लड़ाई खड़ी है। यह सब शान्ति के लिए यज्ञ रचते हैं, परन्तु मटेरियल यज्ञ से शान्ति हो न सके। इस यज्ञ से विनाश ज्वाला प्रगट होती है। यह भ्रष्टाचारी दुनिया इसमें स्वाहा होने वाली है।*

➢➢  *सतयुग में बहुत थोड़े मनुष्य थे, एक धर्म था। अब कलियुग के अन्त में देखो कितने मनुष्य हैं ? कितने धर्म हैं ? यह सब धर्म कहाँ तक चलेंगे ? सतयुग जरूर आना है। अब सतयुग की स्थापना कौन करेंगे ? रचता बाप ही करेंगे। कलियुग का विनाश भी सामने खड़ा है। तुम भूल गये हो कि गीता का भगवान कौन है ?*

────────────────────────