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⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ यह पारलौकिक बाप
सन्मुख बैठ करके समझाते हैं, बच्चों *मैं परमधाम से तुम बच्चों के पास आया हुआ
हूँ, ड्रामा के प्लैन अनुसार। क्यों आया हूँ? तुमको वापस ले जाने के लिये।*
➢➢ *अभी ड्रामा के प्लैन अनुसार बाबा और तुम बच्चों की कदम-कदम वही चाल चलती
है जो कल्प-कल्प चली है।* तुम्हारे कदम-कदम में पदम हैं। देवताओं के पैर में
पदम दिखाते हैं तो इसका भी कोई अर्थ होगा ना। *अभी तुम्हारी पदमों की आमदनी होती
रहती है। तुम बाबा के पास पदमापदमपति बनने के लिए आते हो।*
➢➢ तुम जानते हो *सभी आत्मायें शान्तिधाम में जरूर जायेंगी। बाकी हर एक आत्मा
को अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है। इसको ही तो वन्डर कहते हैं।* तुम बच्चे अभी
कितनी महीनता में जाते हो, *आत्मा कितनी छोटी है, कैसे पार्ट बजाती है।*
➢➢ यह ज्ञान जैसे बाप के पास है, वह ज्ञान का सागर है, ऐसे तुम बच्चों के पास
भी है, *तुम अभी ऐसे ज्ञानवान बनते जाते हो। वह हैं भक्तिवान, तुम हो ज्ञानवान।
भक्तिवान माना रात के रहने वाले और ज्ञानवान माना दिन के रहने वाले।*
➢➢ तुम्हारी बुद्धि अभी बहुत दूर-दूर जाती है - *हम आत्मा स्वीट होम,
ब्रह्माण्ड के रहने वाले हैं। बाप इस मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है, क्योंकि वह
नॉलेजफुल है, उनको झाड़ की नॉलेज है।*
➢➢ *बाप सिर्फ तुमको पढ़ाते हैं। भगवानुवाच, मैं तुमको डबल सिरताज राजाओं का
राजा बनाता हूँ,* तो अपनी तकदीर पर तुमको बहुत खुश रहना चाहिए। वाह! *बाबा आ
करके क्या हमारी तकदीर बनाते हैं, जो पत्थर जैसे जीवन को हीरे जैसा बना देते
हैं!*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *आत्मा का
स्वधर्म भी शान्त है और घर भी शान्त है। तो पहले हमको वहाँ पहुंचने का है।* बाबा
भी वहाँ से आये हुए हैं। परन्तु मनुष्यों को इन सब बातों का पता नहीं है।
➢➢ रूहानी बाप रूहानी बच्चों को समझाते हैं, यह तो जरूर पक्का निश्चय हो गया
होगा कि हम आत्मा हैं और परमात्मा बाप के बच्चे हैं, तो *सभी ब्रदर्स ही हैं।
ब्रदर्स को बाप ने डायरेक्शन दिया है कि मुझ पतित-पावन बाप को याद करो।*
➢➢ बच्चों के अन्दर चलना चाहिए कि बाबा ने हमको सृष्टि चक्र का ज्ञान दिया है,
84 जन्मों की कहानी पढ़ाई है। *यह 84 का चक्र पूरा हुआ है। हम फिर से घर जाते
हैं, अनेक बार हम याद की यात्रा से पवित्र बन करके घर गये हैं।*
➢➢ सिर्फ हम आत्मा हैं - हम ही पावन, सतोप्रधान थे, *अब पतित बने हैं तो हीरे
जैसा जीवन बनाने वाले बाप को खुशी से याद करना है, जिससे जंक निकल जाये।*
➢➢ बाप समझाते हैं बच्चे *पहले-पहले अपने को आत्मा समझो, यह भी ज्ञान है फिर
बाप को याद करो - यह है विज्ञान* क्योंकि आत्मा को ज्ञान से परे विज्ञान में,
शान्त घर में जाना है।
➢➢ अभी तुम पतित विकारी हो गये हो। जन्म-जन्मान्तर विकार से ही पैदा हुए हो
इसलिए भ्रष्टाचारी कहा जाता है। तो हम भ्रष्टाचारी से श्रेष्ठाचारी कैसे बनें -
*यह बाप समझाते हैं, बच्चे मुझे याद करो तो पवित्र श्रेष्ठचारी बन जायेंगे। इस
याद में तुम सबकुछ कर सकते हो। ऐसे नहीं कि धन्धाधोरी नहीं कर सकते हो।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
यह भी ड्रामा बना हुआ है, तो यह बातें बाप समझाते हैं और पावन बनने के लिए
पुरुषार्थ कराते हैं। बाबा तुम बच्चों को टाइम तो देते हैं *सिर्फ 8 घण्टा मुझे
याद करो।*
➢➢ बच्चे, बाप से पूछते हैं बाबा माला के दाने कौन बनेंगे? बच्चे, *माला का
दाना वही बनेंगे जो कर्मातीत अवस्था को पायेंगे।* जिसको अन्त में कुछ भी याद न
पड़े। *कोई बहुत धनवान हैं, अनेक कारखाने आदि हैं... तो वह सब भूलना पड़े।*
➢➢ तुम अभी शरीर का भान मिटाने के लिये अपने को आत्मा समझते हो। दूसरी कोई भी
चीज़ याद न आये। *पूरा आत्म-अभिमानी बन जाना है।* मैं आत्मा हूँ, मैं आत्मा
हूँ, मेरे पास कुछ है ही नहीं जो आत्मा को याद पड़े। गाया जाता है अन्तकाल जो
स्त्री सिमरे.....। तो अगर कोई भी चीज़ होगी तो जरूर वह याद आयेगी।
➢➢ अगर कुछ भी है, कोई मित्र सम्बन्धी आदि भी हैं तो याद आयेगा जरूर। *तुमने
तो अपना सब कुछ शिवबाबा को दे दिया, फिर ऐसे नहीं समझो कि यह मेरी चीज़ है।* जब
बाबा को दे दिया फिर तुमको याद ही क्यों आये, तुम भूल जाओ।
➢➢ अभी यह गीता का एपीसोड संगमयुग है जबकि दुनिया बदलती है। तो यह बच्चों की
बुद्धि में होना चाहिए और *बच्चों को बहुत-बहुत मीठा बनना चाहिए। प्यार से चलना
होता है।* जो बच्चे शान्त और मीठे हैं, उनका पद भी ऊंचा होगा।
➢➢ अभी तुम्हें ईश्वरीय बुद्धि मिली है, तुम समझते हो कि *हम बेहद के बाबा की
सन्तान बने हैं, बाबा से वर्सा ले रहे हैं। तो अथाह खुशी होनी चाहिए।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *सतयुग त्रेता
में जो भी आते हैं वह विजयी होते हैं।* फिर सब एक्टर्स इस नाटक में पार्ट बजाने
के लिए नम्बरवार आते हैं। *सब इकट्ठे तो नहीं आ जायेंगे। तुम सभी एक्टर्स के
रहने का स्थान ब्रह्म लोक है, वहाँ से यहाँ आ करके शरीर लेते हो।*
➢➢ *वह है हद की सर्विस, यह है सारे वर्ल्ड की सर्विस। तुम बरोबर अभी बेहद की
सर्विस करते हो।* जैसे बाप विचार सागर मंथन करते हैं, ऐसे तुम बच्चों को भी
मंथन करना सिखलाते हैं, करन-करावनहार है ना, तो तुमको करके ही सिखलाते हैं।
➢➢ ड्रामा में नम्बरवन मत मिलती है ईश्वर की इसलिए उसको कहा जाता है - ईश्वरीय
मत, जो तुम्हें देवता बनाती है और मनुष्य की मत छी-छी बनाती है। *ईश्वरीय मत से
तुम मनुष्य से देवता बनते हो। फिर 21 जन्मों के बाद मनुष्य मत पर मनुष्य बन जाते
हो।*
➢➢ *कोई एक पैसा भी देंगे तो वहाँ उनके लिए महल बन जायेगा। जैसे सुदामा ने
चावल मुट्ठी दी।* तो बच्चे सुदामा मिसल दाल चावल ले आते हैं, समझते हैं कि हमको
महल मिल जायेंगे। ऐसे बच्चों पर बाप बहुत खुश होते हैं वाह! इनके नई दुनिया में
महल बनने वाले हैं क्योंकि बहुत प्यार और सद्भावना से ले आते हैं।
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