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  10 / 10 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  मनुष्य ही समझते हैं और कहते भी हैं कि हम सब ब्रदर्स हैं। *रचता बाप एक है। उसको कहा जाता है परमपिता परमात्मा।* ऐसे हो नहीं सकता कि बहन को भाई कहें। *जब सब अपने को आत्म समझते हैं तब कहते हैं हम आपस में भाई-भाई हैं।*

➢➢  *सब बाप को ही पतित-पावन कहते हैं। ब्रह्म को कोई फादर नहीं कहते। न ब्रह्म की कोई तपस्या करते। शिव की तपस्या करते हैं।*

➢➢  *तुम बच्चे जानते हो बाबा से हम ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज ले सारे राज़ को जानकर, सारे झाड़ की नॉलेज समझकर मास्टर बीजरूप बन जाते हैं।* परमपिता परमात्मा में सारी नॉलेज है, हम उनके बच्चे हैं। वह बैठ समझाते हैं। इस कल्प वृक्ष की उत्पत्ति, पालना और संहार कैसे होता है,

➢➢  *राजा रानी तो कोटों में कोई बनेगा। बाकी जरूर अलबेले जो होंगे वह प्रजा बनेंगे। माला 108 की है, बाकी प्रजा तो बहुत होगी।* ऐसे भी नहीं हम तो अलबेले हैं, खूब पुरुषार्थ करना चाहिए।

➢➢  *तुम सबकी पढ़ाई और पद को जानते हो। दुनिया में रामचन्द्र के पद को कोई जानता होगा? बाबा अच्छी तरह समझाते हैं।* कैसे हम शिव जयन्ती के लिए फर्स्टक्लास निमंत्रण बनावें जो मनुष्य चक्रित हो जाए।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बच्चे जानते हैं परमपिता परमात्मा हमको *ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी का मालिक बना रहे हैं।* शंकर द्वारा विनाश होना है। त्रिमूर्ति ऊपर खड़ा है।

➢➢  तुम भी लिख सकते हो - सत्य मेव जयते... *बरोबर सत्य बाबा हमको विजय पाना सिखलाते हैं अथवा विजय प्राप्त कराते हैं।*

➢➢  *देह सहित जो कुछ है सबसे बुद्धि निकालनी है। एक बाप को याद करना है।*

➢➢  *बाबा से पूरा वर्सा लेना है तो श्रीमत पर पूरा-पूरा पुरूषार्थ करो। बाबा की राय पर चलो।*

➢➢  *भल कितना भी तूफान आये, बाबा को याद करने से बच जायेंगे।* 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  तुम कर्मयोगी हो, *कर्म करते हुए बाप की याद में रहो,* याद में रहने से कोई भी विकर्म नहीं होगा।

➢➢  कोई भी विनाशी चीज़ों में लोभ होगा, खाने का वा पहनने का शौक होगा तो उनकी बुद्धि बाप से नहीं लग सकती, *इसलिए बाबा विधि बताते हैं बच्चे लोभ रखो - बेहद के बाप से वर्सा लेने का। बाकी किसी भी चीज़ में लोभ नहीं रखो।* नहीं तो जिस चीज़ से अधिक प्यार होगा वही चीज़ अन्त में भी याद आयेगी और पद भ्रष्ट हो जायेगा।

➢➢  *लोभ के वश कोई भी चीज़ छिपाकर अपने पास नहीं रखनी है। बाप के फरमान पर चलते रहना है।*

➢➢  *बाबा जो खिलाये, जो पहनाये, एक शिवबाबा के भण्डारे से ही लेना है। देह-अभिमान में नहीं आना है। मम्मा बाबा को पूरा फालो करना है।*

➢➢  *बाबा मम्मा कहते हो तो पूरा-पूरा फालो करो। सबको रास्ता बताओ।* बाबा से वर्सा मिला था, अब फिर मिल रहा है। *याद की यात्रा करते रहो।* 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाबा का ख्याल चला कि शिव जयन्ती कैसे मनानी चाहिए। *गीता का भगवान शिव है, न कि कृष्ण - इसका बहुत प्रचार करना है। वह रचयिता, वह रचना।*

➢➢  *भगवान निराकार है, उनसे आत्मायें वर्सा पाती हैं। आत्मा ही 84 जन्म लेते-लेते गिरती आती है। गिरते-गिरते दुर्गति को पाती है। यह बात समझानी है, परमात्मा सर्वव्यापी नहीं है।*

➢➢  *वह बाप सद्गति दाता है, हम सब भाई-भाई हैं, न कि बाप। ऐसे थोड़ेही कहा जाता है । ऐसे थोड़ेही कहा जाता है - फादर ने ब्रदर्स का रूप धरा है, नहीं। इसलिए पहले यह बताओ कि परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है? लौकिक सम्बन्ध को तो सब जानते हैं। आत्माओं का है निराकार बाप। उनको हेविनली गॉड फादर कहते हैं।*

➢➢  फादर ने जरूर नई रचना का मालिक बनाया होगा। अभी हम मालिक नहीं हैं। हम सुखी थे। दु:खी किसने बनाया? यह नहीं जानते। आधाकल्प से रावण का राज्य चला है तो भारत की यह हालत हुई है। *भारत परमपिता परमात्मा की बर्थ प्लेस है। भारत में भगवान आया है। जरूर स्वर्ग स्थापन किया होगा।*

➢➢  शिव जयन्ती भी मनाई जाती है। *तुम लिख भी सकते हो - हम फलाना बर्थ डे मना रहे हैं। तो मनुष्य वन्डर खायेंगे, यह क्या कहते हैं? बधाई भी दो। बताओ हम पतित-पावन, सद्गति दाता परमपिता परमात्मा शिव की जयन्ती मना रहे हैं।* उस दिन बहुत शादमाना करना चाहिए। सर्व के सद्गति दाता की जयन्ती कम बात है क्या?

➢➢. *एरोप्लेन द्वारा पर्चे बड़े-बड़े शहरों में गिराने चाहिए। तो अखबारों में भी पड़ेगा। बहुत सुन्दर-सुन्दर कार्ड बनाने चाहिए। मोस्ट बिलवेड बाप की बहुत महिमा लिखनी चाहिए।* भारत को फिर से स्वर्ग बनाने आया है। वही बाप राजयोग सिखला रहे हैं। वर्सा भी वही देते हैं। *बहुत भभके के शिव जयन्ती के कार्ड छपाने चाहिए। प्लास्टिक पर भी छप सकते हैं।*

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