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❍ 28 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम बच्चे ही जानते हो। ज्ञान सागर परमपिता परमात्मा शिव हमें समझा रहे हैं ब्रह्मा द्वारा। *गायन भी हैं - सेकेण्ड में जीवनमुक्ति। परन्तु इस समय सब जीवनबंध में हैं, खास भारत। भारतवासी ही एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा लेते हैं।* अभी तुम बच्चे जानते हो हम भगवान के बने हैं। भगवान खुद कहते हैं तुम हमारे बच्चे हो, जानते हो ईश्वर ही नई दुनिया की स्थापना करते हैं।
➢➢ *जगत अम्बा मुख्य है ना। उनका देखो कितना प्रभाव है। ब्रह्मा का इतना नहीं है। सिर्फ पुष्कर में मन्दिर है। वहाँ पर बहुत करके पुरुष ही जाते हैं। अम्बा का बहुत मान है। जहाँ तहाँ देवियों के मन्दिर पर बहुत मेले लगते हैं।*
➢➢ *हद के मनुष्य तो न स्वर्ग को, नही नर्क को जानते हैं। वह तो यह सब कल्पना समझ लेते हैं। जीवनमुक्त तो कोई बन नही सकेंगे। यह तो अविनाशी बना बनाया ड्रामा है, इसमें कोई चेज नहीं हो सकती।*
➢➢ *भगवान को बुलाते हैं कि हमारे जीवन को मुक्त करो। दु:ख से लिबरेट करो। मनुष्य जानते नहीं कि दु:ख का राज्य कब और कौन स्थापन करते हैं। भल शास्त्र बहुत पढ़े हुए हैं। विद्वान पण्डित आदि कोई ऐसा नहीं जो सेकेण्ड में जीवनमुक्ति किसको दे सके।* कोई कह भी नहीं सकते कि हम जीवनमुक्ति दे सकते हैं या सबकी सद्गति कर सकते हैं। मैं ही खास भारत, आम सबकी सद्गति करता हूँ।
➢➢ *उतरती कला होने से भारत को पतित तो बनना ही है। वापिस कोई जा नहीं सकते।* तुम समझ गये हो जो भी मनुष्य मात्र हैं सब पतित हैं। जड़जड़ीभूत अवस्था में हैं, उसमें सब आ जाते हैं। *इस दुनिया में मनुष्यों को कितना दु:ख है। कदम-कदम पर दु:ख बढ़ता ही जाता है। तुम बच्चे समझते हो, बाहर तो बिल्कुल बेसमझ हैं। बाप को ही नहीं जानते। कहते भी हैं तुम मात पिता.... तो जरूर वह स्वर्ग रचने वाला है ना।*
➢➢ अब तुम जानते हो कि फिर से स्वर्ग की स्थापना हो रही है। *जब स्वर्ग था तो दूसरे कोई नहीं थे। अब दूसरे सब हैं तो यह धर्म नहीं हैं, फाउन्डेशन है नहीं। अब वह जो आदि सनातन देवी-देवता धर्म था उसकी फिर से स्थापना हो रही है।*
➢➢ *जब आसुरी राज्य शुरू होता है तब ये गन्दी बीमारियाँ शुरू होती हैं। यह भी ड्रामा बना हुआ है।* स्वर्ग में कितनी सुन्दर गायें होती हैं, कहते हैं कृष्ण के पास ऐसी-ऐसी अच्छी गायें थी, तो उनको भी ग्वाला बना दिया है। *कृष्ण कोई ग्वाला थोडे़ ही था। तुम कहेंगे शिवबाबा ने यह चैतन्य ह्युमन गायें चराई हैं।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *हम भोलानाथ शिवबाबा के सम्मुख बैठे हैं और ब्रह्मा मुखद्वारा यह सहज राजयोग भी सीख रहे हैं।* सब वेदों ग्रंथों शास्रों उपनिषदों का सार बाप बैठ समझाते हैं। यह बच्चों की ही बुद्धि में बैठा है।
➢➢ *शिवबाबा को ही याद करना है। सब आत्माओं का बाप है शिव, उनको याद करने से तुम स्वर्ग का मालिक बनेंगे।*
➢➢ *लौकिक बाप को याद करने से स्वर्ग के मालिक नहीं बनेंगे। भल घर में रहो परन्तु शिवबाबा को याद करो।*
➢➢ *अभी बाप कहते हैं तुमको घर वापिस जाना है। फिर आकर नई खाल लेंगे। तुम जानते हो हम पुनर्जन्म लेते आये हैं। सर्प एक पुरानी खाल छोड़ दूसरी नई ले लेते हैं। वैसे तुमको भी बदलना है।*
➢➢ *हम अपने स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं।* राज्य करने के लिए लायक बन रहे हैं। बाप हमको पढ़ाते हैं, लायक बनाते हैं। रोज़-रोज़ समझाते हैं, पक्का करने लिए। *माया तुम्हें याद नहीं करने देगी, तुम कितनी भी कोशिश करो, बाबा को याद करने लिए तो युद्ध चलती है ना। बाप बैठ रास्ता बताते है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ परमपिता परमात्मा बेहद के बाप को याद करो तो तुमको स्वर्ग में बेहद का सुख मिलेगा। *बस एक बाप को याद करो।*
➢➢ अन्तकाल में अगर कोई दूसरा याद आया तो अन्तकाल जो स्त्री सिमरे...... ऐसे जन्म में जायेंगे। बाप कहते हैं *मंजिल बहुत भारी है। सावधानी से सीढ़ी पर सम्भाल कर चलना है। एक दो को सावधान करते रहना है। शिवबाबा को याद करते रहो।*
➢➢ *हम आत्मा शिवबाबा की सन्तान हैं, इसी निश्चय में रहना है।* पूरा निश्चय न होने से ही अवस्था डांवाडोल होती है। जैसे पारा होता है ना। अभी-अभी खुशी का पारा चढ़ता है। अभी अभी भूल जायेंगे।
➢➢ इस दुनिया में मनुष्यों को कितना दु:ख है। कदम-कदम पर दु:ख बढ़ता ही जाता। बाबा कहते हैं अब *मैं जो सुनाता हूँ वह सुनो। पहली बात मनमनाभव।* मुझे याद करो तो विकर्म भस्म हो जायेंगे।
➢➢ सर्व अर्थात् भारत और सभी खण्ड आ जाते हैं। *तुम हो ईश्वरीय सन्तान, तुम ईश्वर द्वारा जितना पढ़ेंगे उतना ऊंचपद पायेंगे। पढ़ाई भी बड़ी सहज है, सिर्फ दो अक्षर याद करने हैं।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम बाप को जानते हो? तुम भारतवासियों ने वर्सा लिया था। सतयुगी स्वराज्य था फिर रावण राज्य होने से तुमने वर्सा गंवा दिया। रावण राज्य के कारण तुम पतित, बेसमझ, कंगाल बन पड़े हो। सभी आसुरी मत पर ही चलते हैं।*
➢➢ *कल्प पहले हमको बाप ने समझदार बनाया था। हम विश्व के मालिक बने थे, अभी हम माया के गुलाम बन पड़े हैं।* सम्पत्ति के गुलाम नहीं, माया रावण के गुलाम। *5 विकारों की जंजीरों में हम बंधे हुए हैं और शोक वाटिका में हैं। बरोबर रावण का राज्य सारे विश्व पर है।*
➢➢ *मुख्य है शिवबाबा। उसको क्रियेटर, डायरेक्टर भी कहते हैं। ब्रह्मा विष्णु शंकर का भी पार्ट है। जगत अम्बा, जगत पिता का भी पार्ट है। देवी-देवताओं का भी पार्ट है। फिर इस्लामी, बौद्धी आदि-आदि अपना-अपना पार्ट बजाते हैं, वही पार्ट फिर सबको बजाना है। फिर पार्ट में एक धर्म हो जायेगा। फिर दूसरे धर्म वाले अपने समय पर अपना पार्ट रिपीट करेंगे।*
➢➢ *परमपिता परमात्मा सर्व का सद्गति दाता है। सर्व का लिबरेटर है, दु:ख से लिबरेट करते हैं।* सुख से कोई लिबरेट करते हैं क्या? *दु:ख से लिबरेट तो बाप करते हैं। अच्छा सुख से लिबरेट कौन करते हैं? भारत सुखी था ना। फिर सुख से लिबरेट कर दु:ख में कौन लाया? सुख से लिबरेट करने वाला है रावण। अब राम की श्रीमत पर चलने से तुम 21 जन्मों के लिए लिबरेट होते हो। उसको कहा जाता है जीवनमुक्ति या सद्गति।*
➢➢ *तुम हो ब्राह्मण, तुमको यही सच्चा सहज राजयोग का रास्ता सबको बताना है। कुछ न कुछ समझाना है।* एक सेकेण्ड में बाप से वर्सा मिलता है। *परमपिता परमात्मा से जरूर मुक्ति जीवनमुक्ति का ही वर्सा मिलेगा।*
➢➢ *चित्रों में भी है ब्रह्मा द्वारा स्थापना। तो ब्रह्मा द्वारा ही सभी वेदशास्रों का सार सुनाया है। यह सब कौन समझाते हैं? परमपिता परमात्मा भोलानाथ शिव।*
➢➢ *भारतवासी खास,
सारी दुनिया आम सब रावण की जंजीरों में बंधे हुए हैं इसलिए जो कुछ करते हैं,
रांग करते हैं। बाप आकर सब राइट बताते हैं इसलिए परमपिता परमात्मा को राइटियस
कहेंगे। आधाकल्प राइटियस राज्य चलता है। आधाकल्प अनराइटियस राज्य चलता है। रावण
राज्य को झूठी दुनिया कहा जाता है।*
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