━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 02 / 12 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *आत्मा तो जानती
है, अब सबको मालूम पड़ेगा तो आ जायेंगे क्योंकि और और धर्मो में बहुत कनवर्ट हो
गये हैं।* तुम भी अपने को देवी-देवता थोड़ेही समझते थे। शूद्र धर्म में थे। अब
तुमको बाप ने समझाया है।
➢➢ *जिस्मानी पढ़ाई में भी रजिस्टर रहता है। उसमें मैनर्स भी दिखाते हैं। गुड,
बेटर और बेस्ट... यहाँ भी ऐसे है।* कोई तो बिल्कुल कुछ भी जानते नहीं हैं। भल
बच्चे बने हैं। बाप के पास रहे पड़े हैं। तो भी कईयों से घर में रहने वालों की
चलन अच्छी होती है।
➢➢ मनुष्य यह नहीं जानते कल्याण, अकल्याण किसको कहा जाता है। *कल्याण की मत
कौन दे सकता है? कुछ भी समझते नहीं हैं। तुम बच्चे जानते हो। तुम्हारे में भी
बहुत थोड़े हैं जो विजय माला में आयेंगे। बाकी प्रजा बनेंगे।*
➢➢ *जब सिलवर जुबली मनाते हैं तो अखबार में 2-4 पेज ले लेते हैं। अब वह तो
कामन पाई पैसे की सिलवर जुबली मनाते हैं। तुम्हारी यह गोल्डन जुबली सबसे न्यारी
है।* हमेशा गोल्डन, सिल्वर जुबली मनाते हैं, कापर आइरन जुबली नहीं मनाते।
────────────────────────
❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ बहुत थोड़ा समय
है, *योग लगाने में बड़ी मेहनत है। योग से ही विकर्म विनाश करने हैं।* अगर योग
में रह गोल्डन एज तक नहीं पहुँचे तो रोयल घराने में आ न सके। प्रजा में चले
जायेंगे।
➢➢ *विचार करना चाहिए कौन-कौन से मुख्य चित्र हैं?* जिससे मनुष्य समझ जायें कि
बरोबर दुर्गति हुई है। *बाबा बच्चों का ध्यान खिंचवाते हैं, विचार सागर मंथन
करना चाहिए।*
➢➢ *काम का भूत वा देह-अभिमान का भूत होने से बाप को याद नहीं कर सकते। देही-
अभिमानी जब बनें तब बाप को याद करें।*
────────────────────────
❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢
बाप के साथ लव भी रहे और पढ़ाई में भी एक्यूरेट रहें। *यह बहुत वैल्युबुल ज्ञान
रत्न हैं, जिसका बहुत नशा रहना चाहिए।*
➢➢ यह तो कल्याणकारी बाप है, वह तो सब पैसे जाते हैं विकारों में। *तुम बच्चों
को इन विकारों से छुड़ाया जाता है। मनुष्य से देवता बनाया जाता है। तुम्हारे
में न काम की हिंसा, न क्रोध की हिंसा है।*
➢➢ यह है राजयोग, राजाई प्राप्त करने का। *पढ़ाई वा योग में सुस्ती करने से
राजाई नहीं प्राप्त कर सकेंगे। लिमिट है - इतने राजायें बनने हैं।* जास्ती बन न
सके।
➢➢ *अच्छे पुरुषार्थी जो होंगे वह कभी नहीं कहेंगे कि जो तकदीर में होगा।*
ड्रामा अनुसार ऐसे-ऐसे ख्यालात वाले प्रजा में जाए नौकर बनेंगे। *पद ऊंचा पाना
है तो एडवरटाइज करनी पड़े।*
➢➢ *देखो यहाँ बहुत बड़े-बड़े अादमी आते हैं। देखते हैं बर्तन हाथ से मांजते
हैं तो खुद भी मांजने लग पड़ते हैं।* परन्तु कोई-कोई को देह-अहंकार आ जाता है।
थाली कटोरा नहीं साफ कर सकते। ऐसे *देह-अभिमान वाले गिर पड़ते हैं। अपना
अकल्याण कर बैठते हैं।*
➢➢ *बाप देही-अभिमानी बनना सिखलाते हैं।* माँ-बाप को बच्चे कभी एलाउ नहीं
करेंगे कि बर्तन मांजें। परन्तु माँ-बाप से रीस नहीं करनी चाहिए। *पहले माँ-बाप
जैसा बनना चाहिए।*
────────────────────────
❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ तुमने शिवजयन्ती
पहले इतना धूमधाम से नहीं मनाई है। *अब बच्चों को विचार चलाना है कि दुनिया को
कैसे पता पड़े क्योंकि अब शिवजयन्ती आने वाली है। तो ऐसा धूमधाम से जयन्ती मनाओ
जो सारी दुनिया को पता पड़ जाए।*
➢➢ अब शिवजयन्ती का तो सबको मालूम पड़ना चाहिए। *तुमको सारी दुनिया का ओना रखना
है। बाप का परिचय सबको देना है।* गाया भी हुआ है कि बच्चों ने घर-घर में बाप का
सन्देश पहुँचाया है कि बाप आया है, जिसको वर्सा लेना हो तो आकर लो।
➢➢ कोई बड़े घर में जन्मता है तो सब उनको बधाईयाँ भेजते हैं। बाकी दुनिया में
तो बहुत जन्मते रहते हैं। *तुम तो बाप के वारिस बने हो। तो उस बेहद के बाप का
जन्म-दिन तो मनाना चाहिए। धूमधाम से त्रिमूति शिव जयन्ती मनानी है।*
➢➢ *क्या करें जो बहुतों को मालूम पड़े? यह फुरना रहता है ना। किस प्रकार की
सर्विस करें जो हमारे कल्प पहले वाले ब्रह्मण कुल भूषण फिर से आ जाएं।* युक्तियाँ
रची जाती हैं। *बाप कहते हैं सिवाए अखबार के तो मुश्किल है। अखबार सब तरफ जाती
है। अखबार के 2-4 पेज लेना पड़े।*
➢➢ समय नाजुक आता जाता है। नहीं तो फिर देरी पड़ जायेगी। *अब शिव जयन्ती के
लिए पहले से ही तैयारी करनी चाहिए। अखबार के दो पेज लेवे जिसमें त्रिमूति झाड़
और आजकल की प्वाइंटस लिखी जायें।*
➢➢ *अभी शिवजयन्ती में दो अढ़ाई मास हैं। तुम बहुत काम कर सकते हो। दो-चार
अखबारों में डालना चाहिए - हिन्दी और अंग्रेजी मुख्य हैं। इन दोनों में छप जाए।*
शिवजयन्ती इस रीति मनाना ठीक होगा।
➢➢ सर्विस का शौक बहुत रखना है। *घर-घर में गीता पाठशाला खोलनी है तो वृद्धि
होती जायेगी। लिख देना चाहिए आओ तो तुमको अपने पारलौकिक बाप का परिचय दें। बेहद
के बाप से बेहद का वर्सा कैसे मिलता है, वह आकर समझो।*
────────────────────────