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❍ 29 / 10 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *स्मृति में रहना, वर्णन करना (साइलेंस की शक्ति का )वह भी आवश्यक है लेकिन वर्तमान समय के प्रमाण सर्व आत्मायें प्रत्यक्षफल देखना चाहती हैं। प्रत्यक्षफल अर्थात् प्रैक्टिकल प्रूफ देखने चाहती हैं।* तो तन के ऊपर साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करते हैं। ऐसे ही मन के ऊपर, कर्म के ऊपर, सम्बन्ध सम्पर्क में आने से सम्बन्ध सम्पर्क में क्या प्रयोग होता है, कितनी परसेन्टज में होता है - यह विश्व की आत्मायें भी देखने चाहती हैं।
➢➢ *यह कर्मभोग - कर्म का कड़ा बन्धन साइलेन्स की शक्ति से पानी की लकीर मिसल अनुभव होगा।* भोगने वाला नहीं, भोगना भोग रही हूँ यह नहीं, लेकिन साक्षी दृष्टा हो इस हिसाब किताब का दृश्य भी देखते रहेंगे इसलिए तन के साथ-साथ मन की कमजोरी, डबल बीमारी होने के कारण जो कड़े भोग के रूप में दिखाई देता है, वह अति न्यारा और बाप का प्यारा होने के कारण डबल शक्ति अनुभव होने से कर्मभोग के हिसाब की शक्ति के ऊपर वह डबल शक्ति विजय प्राप्त कर लेगी।
➢➢ *याद और सेवा इसी बैलन्स द्वारा बाप की ब्लैसिंग मिलती रहेगी। बैलेन्स सबसे बड़ी कला है। हर बात में बैलेन्स हो तो नम्बरवन सहज ही बन जायेंगे।* बैलेन्स ही अनेक आत्माओंके आगे ब्लिसफुल जीवन का साक्षात्कार करायेगा। बैलेन्स को सदा स्मृति में रखते सर्व प्राप्तियों का अनुभव करते स्वयं भी आगे बढ़ो और औरों को भी बढ़ाओ।
➢➢ *जो बच्चे आदि से सेवा में उमंग-उत्साह का सहयोग देते रहे हैं, ऐसी आत्माओंको बापदादा भी सहयोग देते हुए 21 जन्म आराम से रखेंगे।* मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। *खाओ, पिओ और स्वर्ग का राज्य भाग्य भोगो।* आधाकल्प मेहनत शब्द ही नहीं होगा। ऐसी तकदीर बनाने आये हो।
➢➢ *कुमार जीवन में एनर्जी बहुत होती है। कुमार जो चाहे वह कर सकते हैं इसलिए बापदादा कुमारों को देख विशेष खुश होते हैं कि अपनी एनर्जी डिस्ट्रक्शन के बजाए कनस्ट्रक्शन के कार्य में लगाया।* एक-एक कुमार विश्व को नया बनाने में अपनी एनर्जी को लगा रहे हैं। कितना श्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं।
➢➢ *एक कुमार 10 का कार्य कर सकते हैं इसलिए कुमारों पर बापदादा को नाज है। कुमार जीवन में अपनी जीवन सफल कर ली।*
➢➢ *(कुमारों से ) ऐसी विशेष आत्मायें हो ना। बहुत अच्छा समय पर जीवन का फैंसला किया। फैंसला करने में कोई गलती तो नहीं की है ना। पक्का है ना।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *आज बापदादा सेनापति के रूप में सेना (शक्ति सेना वा पाण्डव सेना) को देखने गये। विशेष बात, साइन्स की शक्ति पर साइलेन्स के शक्ति की विजय है।* तो साइलेन्स की शक्ति संगठित रूप में और व्यक्तिगत रूप में कहाँ तक प्राप्त कर ली है? वह देख रहे थे। साइन्स की शक्ति द्वारा प्रत्यक्ष फल रूप में स्व परिवर्तन वायुमण्डल परिवर्तन, वृत्ति परिवर्तन, संस्कार परिवर्तन कहाँ तक कर सकते हैं वा किया है ? *तो आज सेना के हरेक सैनिक की साइलेन्स के शक्ति की प्रयोगशाला चेक की, कि कहाँ तक प्रयोग कर सकते हैं ?*
➢➢ *वरदान भूमि पर आकर वरदान लिया? सबसे बड़े ते बड़ा वरदान है सदा अपने को बाप द्वारा बाप के साथ का अनुभव करना। सदा बाप की याद में अर्थात् सदा साथ में रहना।* तो सदा ही खुश रहेंगे, कभी भी कोई भी बात संकल्प में आये तो बाप के साथ में सब समाप्त हो जायेगा और खुशी में झूमते रहेंगे।
➢➢ *चारों ओर के सभी सिकीलधे स्नेही, सहयोगी, सर्विसएबुल बच्चों के पत्र तो क्या लेकिन दिल के मीठे-मीठे साजों भरे गीत बापदादा ने सुने।*
➢➢ *जितना बच्चे दिल से याद करते हैं उससे पदमगुणा ज्यादा बापदादा भी बच्चों को याद करते, प्यार करते और इमर्ज करके टोली खिलाते।* अभी भी सामने टोली रखी है। सभी बच्चे बाप के सामने हैं।
➢➢ केक काट रहे हैं और सभी बच्चे खा रहे हैं। *जो भी बच्चों ने समाचार लिखा है, अपनी अवस्था व सर्विस का, बापदादा ने सुने। सर्विस का उमंग- उत्साह बहुत अच्छा है।*
➢➢ *जो बच्चे स्थूल धन की कमी के कारण पहुंच नहीं सकते, उन्हें भी बापदादा याद दे रहे हैं।* भल धन कम है लेकिन हैं बादशाह क्योंकि आजकल के राजाओंके पास जो नहीं है, वह इन्हीं के पास अविनाशी और जन्म-जन्म के लिए जमा है। *बापदादा ऐसे वर्तमान बेगमपुर के बादशाह और भविष्य विश्व के बादशाहों को बहुत-बहुत याद्प्यार देते हैं। ऐसे बच्चे दिल से यहाँ हैं शरीर से वहाँ हैं इसलिए बापदादा सम्मुख बच्चों को देख सम्मुख याद्प्यार देते हैं।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *हरेक ब्रहमण आत्मा भी स्व में प्रत्यक्ष प्रूफ के रूप में सदा विशेष से विशेष अनुभव करने चाहती है। रिजल्ट में साइलेन्स की शक्ति का जितना महत्व है, उतना उसे विधि पूर्वक प्रयोग में लाने में अभी कम है। चाहना बहुत है, नालेज भी है लेकिन प्रयोग करते हुए आगे बढ़ते चलो। साइलेन्स शक्ति के प्राप्ति की महीनता अनुभव करते स्व प्रति वा अन्य प्रति कार्य में लगाना, उसमें अभी और विशेष अटेन्शन चाहिए।*
➢➢ जैसे साइन्स की शक्ति परिवर्तन भी कर लेती, वृद्धि भी कर लेती है, विनाश भी कर लेती, रचना भी कर लेती, हाहाकार भी मचा देती और आराम भी दे देती। लेकिन *साइलेन्स की शक्ति का विशेष यंत्र है -'शुभ संकल्प' इस संकल्प के यंत्र द्वारा जो चाहो वह सिद्धि स्वरूप में देख सकते हो।*
➢➢ सदा खुश रहने का यह तरीका (बाबा की याद ) याद रखना और दूसरों को भी बताते रहना। दूसरों को भी खुशी में रहने का साधन देना। तो आपको सभी आत्मायें खुशी का देवता मानेंगी क्योंकि विश्व में आज सबसे ज्यादा खुशी की आवश्यकता है। वह आप देते जाना। *अपना टाइटिल याद रखना कि मैं खुशी का देवता हूँ।*
➢➢ *सदा ऐसे समझो चलते फिरते खाते पीते हमको बाप की सेवा अपनी चलन से व चेहरे से करनी है तो सहज ही निरन्तर योगी बन जायेंगे।*
➢➢ *(कुमार जीवन में) कोई गलत कहकर खींचे तो? चाहे दुनिया की अक्षौणी आत्मायें एक तरफ हो जाएं, आप अकेले हो फिर क्या होगा? बोलो, मैं अकेला नही हूँगा, बाप मेरे साथ है। बापदादा खुश होते हैं - स्वयं की भी जीवन बनाई और अनेकों की जीवन बनाने के निमित्त बने हो।*
➢➢ *अभी थोड़ा बहुत जो माया के विघ्न देखते हो, वह भी नथिंग न्यू। माया सिर्फ पेपर लेने आती है। माया से घबराओ मत।* खिलौना समझकर खेलो तो माया वार नहीं करेगी। लेकिन आराम से विदाई ले सो जायेगी इसलिए *ज्यादा नहीं सोचो यह क्या हुआ, हो गया फुलस्टाप लगाओ और आगे जाकर पदमगुणा जो कुछ रह गया, वह भर लो।*
➢➢ बढ़ते चलो और बढ़ाते चलो। *बापदादा साथ है, माया की चाल चलने वाली नहीं है इसलिए घबराओ नहीं। खुशी में नाचो, गाओ। अब तो अपना राज्य आया कि आया। हे स्वराज्य अधिकारी, विश्व का राज्य भाग्य आपका इंतजार कर रहा है।* सर्व को बहुत-बहुत याद्प्यार और *'निर्विग्न भव' का वरदान बापदादा दे रहे हैं।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *विश्व की आत्माओं वा सम्बन्ध, सम्पर्क में आने वाली आत्माओंको महसूसता हो कि शान्ति की किरणें इन विशेष आत्मा वा विशेष आत्माओं द्वारा मिल रही हैं। हरेक से चलता फिरता ''शान्ति यज्ञ कुण्ड'' का अनुभव हो।* इस बुद्धि द्वारा अनुभव करें कि यह शान्ति का अवतार शान्ति देने आ गया है। चारों ओर की अशान्त आत्मायें शान्ति की किरणों के आधार पर शान्ति कुण्ड की तरफ खिंची हुई आवें।
➢➢ जैसे प्यासा पानी की तरफ स्वत: ही खिंचता हुआ जाता है। ऐसे आप शान्ति के अवतार आत्माओं की तरफ खिंचे हुए आवें। *इसी शान्ति की शक्ति का अभी और अधिक प्रयोग करो। शान्ति की शक्ति वायरलेस से भी तेज आपका संकल्प किसी भी आत्मा प्रति पहुंचा सकती है।*
➢➢ *(बीमारी को सूली से काँटा अनुभव कारना) यह रीसर्च करो, इसमें एक दो को नहीं देखो।* यह क्या करते, इसने कहाँ किया है। पुराने करते वा नहीं करते, बड़े नहीं करते छोटे करते, यह नहीं देखो। *पहले मैं इस अनुभव में आगे आ जाऊं क्योंकि यह अपने आन्तरिक पुरूषार्थ की बात है। जब ऐसे व्यक्तिगत रूप में इसी प्रयोग में लग जायेंगे, वृद्धि को पाते रहेंगे तक एक एक के शान्ति की शक्ति का संगठित रूप में विश्व के सामने प्रभाव पड़ेगा।*
➢➢ फर्स्ट स्टैप विश्व शान्ति की कांफ्रेंस कर निमंत्रण दिया लेकिन शान्ति की शक्ति का पुंज जब सर्व के संगठित रूप में प्रख्यात होगा तो आपको निमंत्रण आयेंगे कि हे शक्ति, शान्ति के अवतार इस अशान्ति के स्थान पर आकर शान्ति दो। *जैसे सेवा में अभी भी जहाँ अशान्ति का मौका (मृत्यु) होता है तो आप लोगों को बुलाते हैं कि आओ आकर शान्ति दो। और यह धीरे-धीरे प्रसिद्ध भी होता जा रहा है कि ब्रहमाकुमारियाँ ही शान्ति दे सकती हैं।*
➢➢ *हर अशान्ति के कार्य में आप लोगों को निमंत्रण आयेंगे। जैसे बीमारी के समय सिवाए डाक्टर के कोई याद नहीं आता, ऐसे अशान्ति के कोई भी बातों में सिवाए आप शान्ति अवतारों के और कोई दिखाई नहीं देगा।* तो अभी शक्ति सेना, पाण्डव सेना, विशेष शान्ति की शक्ति का प्रयोग करो। प्रयोग करके दिखाओ। शान्ति की शक्ति का केन्द्र प्रत्यक्ष करो।
➢➢ *सदा इसी स्मृति में रहो कि बाप को जानने वाली, बाप को पाने वाली कोटों में कोई जो गाई हुई आत्मायें हैं, वह हम हैं। इसी खुशी में रहो तो आपके यह चेहरे चलते फिरते सेवाकेन्द्र हो जायेंगे।*
➢➢ *जैसे सर्विस सेन्टर पर आकर बाप का परिचय लेते हैं, वैसे आपके हर्षित चेहरे से बाप का परिचय मिलता रहेगा। बापदादा हर बच्चे को ऐसा ही योग्य समझते हैं।*
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