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  05 / 08 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम जानते हो यह बेहद का बाप है, बेहद का समाचार सुनाते हैं।* एक होता है हद का समाचार, दूसरा होता है बेहद का समाचार। इस दुनिया में कोई जानते ही नहीं। *बाप कहते हैं तुमको बेहद का समाचार सुनाते हैं तो तुमको सृष्टि के आदि मध्य अन्त का ज्ञान बुद्धि में आ जाता है।*

 

➢➢  *बाप ने समझाया है कि तुम 84 जन्म कैसे लेते हो।* तुम ही देवी-देवता थे फिर *8 जन्म सतयुग में, 12 जन्म त्रेता में, 63 जन्म द्वापर-कलियुग में लिए और यह एक जन्म है सबसे ऊंच।* तो सहज समझते हो ना।

 

➢➢  पहले-पहले *बाप समझाते हैं मैं तुम्हारा बाप हूँ और मैं परमधाम में रहता हूँ। मुझे ही नालेजफुल, ब्लिसफुल कहते हैं। मैं आकर तुम आत्माओं को पवित्रता सुख शान्ति का वर्सा देता हूँ।*

 

➢➢  *बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प, कल्प के संगमयुग पर साधारण वृद्ध तन में प्रवेश करता हूँ जिसका नाम फिर ब्रह्मा रखता हूँ। जो फिर ज्ञान को धारण करके अव्यक्त सम्पूर्ण ब्रह्मा बनते हैं।*

 

➢➢  तुम जानते हो *बाप ही पतित-पावन है। अन्त में ही आयेंगे पावन बनाने। जो कल्प पहले पावन बने थे, वही आयेंगे।* आकर ब्रह्मा के मुख वंशावली बनेंगे और पुरूषार्थ कर शिवबाबा से अपना वर्सा लेंगे।

 

➢➢  भारत की बड़ी महिमा है। बाप भी भारत में ही बैठ समझाते हैं। *बच्चे तुम 5 हजार वर्ष पहले आदि सनातन देवी देवता धर्म के थे, राज्य करते थे। उनमें पहले नम्बर लक्ष्मी-नारायण विश्व पर राज्य करते थे। उसको 5 हजार वर्ष हुए। उनको विश्व महाराजन, विश्व महारानी कहा जाता था। वहाँ कोई दूसरा धर्म तो है नहीं।*

 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢   *बाबा कहते हैं मुझे याद करो। इस योग अग्नि से ही विकर्म विनाश होंगे। सभी आत्माओं को कहते हैं मामेकम् याद करो।*

 

➢➢  *बाप को और चक्र को याद करने से तुम रूहानी विलायत में चले जायेंगे।* वह फोरेन तो दूरदेश है ना। हम आत्मायें सब दूरदेश में रहने वाली हैं।

 

➢➢  *अभी हम अपने घर जाते हैं। बाप का घर सो अपना घर। बाबा ने कहा है - मुझे याद करो और अपने मुक्तिधाम को याद करो।*

 

➢➢  *सच्चे बाप को याद करो तो सचखण्ड के मालिक बन जायेंगे।* सच्चा बाबा ही स्वर्ग स्थापन करते हैं।

 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बूढ़ी-बूढ़ी मातायें सिर्फ इतना धारण करें कि हम 84 जन्म कैसे लेते हैं,* यह भी समझाया जाता है कि बाबा कर्मक्षेत्र पर पार्ट बजाने भेज देते हैं। मुख से कुछ बोलते नहीं हैं।

 

➢➢  बाप कहते हैं *और संग बुद्धियोग तोड़ो।* सरकारी नौकरी 8 घण्टा करते हो उनसे भी यह बहुत ऊंची कमाई है। कहाँ भी जाओ, बुद्धि से यह याद करते रहना है। तुम कर्मयोगी हो।

 

➢➢  बाप ने समझाया है - तुम जमुना के किनारे राज्य करते हो। तो *बुद्धि में यह याद रखना है कि 4 युग और 4 वर्ण हैं। पांचवा यह लीप युग है, जिसको कोई जानते नहीं।*

 

➢➢  बरोबर हम सतोप्रधान थे फिर सतो, रजो, तमो में आये हैं। अब फिर *संगम पर हम सतोप्रधान बन रहे हैं। यह जरूर तुम बच्चों की बुद्धि में होगा* तब तो तुमको स्वदर्शन चक्रधारी कहा जाता है।*

 

➢➢  गाड फादर कहते हैं तो बच्चे ठहरे ना। वह हम सबका बाप है तो ब्रदर्स ठहरे ना!  *बरोबर हम प्रजापिता ब्रह्मा के मुख वंशावली बहन भाई ठहरे।* सतयुग में तो मुख वंशावली होती नहीं। सिर्फ संगम पर ही मुख वंशावली होने से बहन-भाई कहलाते हो।

 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप खुद कहते हैं मैं वृद्ध तन में आता हूँ। तो तुम बच्चों को भी यही मन्त्र सुनाते रहना है कि शिवबाबा कहते हैं मामेकम् याद करो।*

 

➢➢  कोई 84 लाख जन्म कहते। *कोई को समझाओ तो समझ जाते हैं कि 84 जन्म ठीक हैं।* 84 जन्म कैसे लेते हैं - यह बुद्धि में होना चाहिए।

 

➢➢  तुम जानते हो बरोबर *बाप ने अपना परिचय दिया है और सृष्टि चक्र कैसे फिरता है वह भी यथार्थ रीति समझाया है। उसे समझकर हम औरों को समझाते हैं।*

 

➢➢  *यह भी समझाना होता है - अभी हम ब्राह्मण हैं फिर देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र बनते हैं। ऊंच ते ऊंच है शिवबाबा।* यह अभी तुम्हारी बुद्धि में है। ऐसे हम पुनर्जन्म लेते हैं। पुर्नजन्म को तो जरूर मानना पड़े।

 

➢➢  *आत्माओं का बाप अब परमपिता परमात्मा आये हैं। तो ऐसी-ऐसी सहज बातें बुढ़ियों को समझानी चाहिए।*

 

➢➢  यह बातें तो बड़ी सहज हैं जो *बुढ़िया भी समझा सकती हैं कि बरोबर हमने 84 जन्म लिए हैं और कोई धर्म वाले मनुष्य नहीं लेते।* अब तुमको अपने 84 जन्मों के पार्ट की स्मृति आई है।

 

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