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❍ 25 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *परमपिता परमात्मा शिव निराकार है। वह ब्रह्मा द्वारा मनुष्य सृष्टि रचते है। ब्रह्मा शिव की रचना है। वह सृष्टि का क्रियेटर नही है। क्रियेटर निराकार शिव परमात्मा को ही कहेंगे।*
➢➢ *भक्ति मार्ग में भक्त भगवान की भक्ति करते, महिमा गाते है पर उन्हें जानते नही। अब तुम भगवान के बच्चे बन जानते हो कि भाग्य विधाता वा सौभाग्य विधाता है ही एक निराकार परमात्मा शिव जो इस संगम पर सर्व को सौभाग्यशाली बनाने आये है, सौभाग्यशाली अर्थात स्वर्ग का मालिक बनाने।*
➢➢ *यह ईश्वरीय कॉलेज है, जहाँ स्वयं ईश्वर महाराजाओ का महाराजा बनाने की पढ़ाई पढ़ाते है।* शिवबाबा है सिखलाने वाला। बाकि सब ब्रह्मा, सरस्वती,ब्राह्मण बच्चे सब सीखते है। *100 प्रतिशत भाग्यशाली जो है वह स्वर्ग के मालिक बनते है।* उसमें भी फिर नंबरवार है। *सूर्यवंशी को ही सौभाग्यशाली कहेंगे। त्रेता में दो कला कम हो जाती है इसलिए उन्हें सूर्यवंशी नही कहेंगे।*
➢➢ *इस समय भारत का कोई धर्म है नही। देवता धर्म को जानते ही नही। धर्म को न जानना गोया इरिलीजस है। धर्म में ताकत होती है, देवी-देवता धर्म वाले जब सतयुग में थे तो अथाह सुख था। अभी तो है कलियुग।*
➢➢ *पुण्य आत्मा, पाप आत्मा कहा जाता है। परन्तु मनुष्य में ज्ञान है नही कि मैं आत्मा हूँ। कम्यूनियन सब आत्माओ की आत्माओ के साथ होती है। आत्मा ही सारा खेल इस शरीर के द्वारा करती है। आत्मा बिगर शरीर तो कुछ काम कर ना सके।*
➢➢ *भारत स्वर्ग था, अभी नर्क है। हेविन स्थापन करने वाला बाप(परमात्मा) के सिवाए कोई हो न सके। हेल का अंत आये तब तो फिर बाप आकर हेविन में ले जाये। हेल में ही बाप को आना पड़ता है, हेविन का मालिक बनाने।*
➢➢ *जब संगम पर आत्माओ और परमात्मा की कॉन्फ्रेंस होती है तब आत्माओ को परमात्मा से मुक्ति मिलती है। गाया भी जाता है आत्मा परमात्मा अलग रहे बहुकाल... सूंदर मेला कर दिया जब सतगुरु मिला दलाल। बाप ही आकर नयी दुनिया रचते है, लायक बनाते है। सबसे नम्बरवन कॉन्फ्रेंस यह है। इसके बाद फिर कोई कपन्फ्रेंस यज्ञ तप आदि होते नही, सब बंद हो जाते है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *पुरानी दुनिया
को भूल बाप को वा वर्से को याद करना है। एक शिवबाबा से योग लगा अपने विकर्मों
का विनाश कर स्वर्ग की बादशाही लेनी है।*
➢➢ *परमात्मा को सभी याद करते है। जब आफत आती तब कहते है हे भगवान इनकी आयु बड़ी
करो, अर्जी हमारी मर्जी बाबा आपकी। तो यह कम्यूनियन(योग) हुआ ना।*
➢➢ *योग को ही कम्यूनियन कहा जाता है। यह कम्यूनियन आत्माओ की परमात्मा के साथ
होती ही संगम पर है।* परमात्मा बैठ आत्माओ के साथ कम्यूनियन करते है और कहाँ भी
परमात्मा आत्माओ से कम्यूनियन करे या आत्माये परमात्मा से करे, यह हो नही सकता
क्योंकि वह तो न आत्मा अपने को जानती है, न परमात्मा को ही जानते है।
➢➢ *बाप बैठ बच्चो को समझाते है बच्चे, अब मेरे पास आना है। आत्मा पर पापो का बोझा बहुत है।* आत्मा को ही भोगना पड़ता है। शरीर धारण कराये सजा देते है। शरीर को चोट लगने से आत्मा को दुःख होता है ना।
➢➢ *परमात्मा शिव, शांति का सागर, शान्तिधाम का रहवासी है।* बाप कहते है बच्चे मुझे सुख शांति का वर्सा देने कल्प-कल्प आना पड़ता है। याद भी करते है पतित- पावन आओ। *बाप को याद कर शान्तिधाम में जा सुखधाम में आना है।*
➢➢ *बाप ही स्वर्ग का वर्सा देंगे, लायक बायेंगे। बाप(परमात्मा) को याद करो। इसको ही भारत का प्राचीन योग कहा जाता है, इससे ही विकर्म विनाश होंगे। फिर अंत मति सो गति हो जायेगी। याद से ही निरोगी बनेगे। आयु बड़ी हो जायेगी।*
➢➢ लक्ष्मी-नारायण सतयुग के मालिक कैसे बने, यह कोई भी नही जानते है। कितनी पूजा करते है, यात्राये करते है। महिमा गाते रहते है, अर्थ कुछ भी नही समझते। *बाप समझाते है पुरुषार्थ से प्रालब्ध मिली हुई है। सिर्फ मुझे(परमात्मा शिव) याद करो तो वर्सा तुम्हारा ही है। मनमनाभव, मध्याजी भव।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *श्रीमत पर चल, भाग्यशाली वा सौभाग्यशाली बनने का तीव्र पुरुषार्थ कर एक बाप से दिल की वार्तालाप करनी है।*
➢➢ *कलियुग को भूल पुरुषार्थ कर सतयुग में आना है। जीवन बंधन का त्याग कर, जीवन्मुक्त बनना है।*
➢➢ *त्रिकालदर्शी वा स्वदर्शन चक्रधारी बन बुद्धि द्वारा सृष्टि चक्र को फिराते रहने का अभ्यास करना है।*
➢➢ यह कल्प का संगम है। इस संगम पर *विकारो को त्यागकर पावन बन पावन दुनिया में जाने के लायक बनना है।*
➢➢ अभी हम दोजक(कलयुग) और बहिश्त(सतयुग) के बीच में बैठे है और तो सभी है दोजक में। *सदा इसी ख़ुशी में रहना है कि अब हमें अपने पुरुषार्थ से बहिश्त में जाना है।*
➢➢ *निश्चयबुद्धि बन परमात्मा द्वारा प्राप्त सर्व शक्तियो को समय पर स्व के प्रति कार्य में लगा विद्धि द्वारा सिद्धि प्राप्त करनी है।*
➢➢ *व्यर्थ देखने वा सुनने के बोझ को समाप्त कर डबल लाइट बनना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम आन गॉड फादरली सर्विस पर हो। तुम्हे यथार्थ रीति सर्व आत्माओ को बाप का परिचय देने की सर्विस करनी है।*
➢➢ *सर्व आत्मा को त्रिकालदर्शी बन सृष्टि के आदि, मध्य अंत का ज्ञान युक्ति से समझाने की सेवा करनी है।*
➢➢ *बाप का मददगार बन सबको यह सन्देश देना है कि सबसे अच्छी कॉन्फ्रेंस जीव आत्माओं और परमात्मा की है।* जो परमपिता परमात्मा आकर सर्व को सदगति देते है। पतित-पावन बाप सबको पावन बनाते है और बाकि जो भी कॉन्फ्रेंस करते है वेस्ट आफ टाइम है।
➢➢ *स्व परिवर्तन
द्वारा विश्व परिवर्तन के कार्य में खुदा का खुदाई खिदमतगार बन सर्व आत्माओ का
कल्याण करने की सेवा करनी है।*
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