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  25 / 11 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *वो जिस्मानी यात्रा सिर्फ दिन में ही होती है।* रात्रि को नहीं जाते हैं। रात्रि को तो सब सो जाते हैं। *इस यात्रा को तो तुम जानो अथवा बाप जाने* अर्थात् निराकार परमपिता परमात्मा जाने और निराकारी आत्मायें ही जानें।

➢➢  *सन्यासी लोग भी एकान्त में जंगल आदि में जाकर रहते हैं। परन्तु वह तत्व अथवा ब्रह्म की याद में रहते हैं। वह यात्रा तो है झूठी* क्योंकि ब्रह्म अथवा तत्व कोई सर्वशक्तिमान बाप तो है नहीं।

➢➢  *आत्माओं का बाप तो एक ही निराकार परमपिता परमात्मा शिव है, जिसको सब आत्मायें पुकारती हैं।* आत्मा ऐसे कब नहीं कहती, हे ब्रह्म बाबा, हे तत्व बाबा। नहीं। *आत्मा सदैव कहती है हे परमपिता परमात्मा, उनका नाम चाहिए।*

➢➢ ज्ञान और भक्ति दो अक्षर आते हैं। *आधाकल्प ज्ञान और आधाकल्प भक्ति चलती है।* बाप आकर समझाते हैं कि इन शाखा आदि में भक्ति का ही वर्णन है। ज्ञान अलग चीज़ है, *आधाकल्प ज्ञान सतयुग त्रेता दिन। आधाकल्प भक्ति यानी रात द्वापर कलियुग।*

➢➢  स्कूल में बच्चे नम्बरवार होते हैं। कोई तो बहुत अच्छा पढ़ते हैं - कोई थर्ड क्लास। *गरीबों की लगन अच्छी होती है। 50 गरीब आयेंगे तो एक साहूकार। क्यों? बाबा है गरीब निवाज़। मम्मा गरीब थी।* परन्तु बाबा से आगे चली गई। उन्हें लिफ्ट मिल गई।

➢➢  *बाबा कहते हैं मैं आता हूँ तुमको विश्व का मालिक बनाने। कोई हथियार आदि नहीं। न कोई खर्चे की बात है।* सिर्फ बाबा को याद करो और दैवीगुण धारण करो।

➢➢  वह भक्ति के गीत गाते हैं कि हे पतित-पावन आओ, आकर के पावन बनाओ। गीता के भगवान ने आकर पावन बनाया है। *तुम जानते हो गीता का भगवान हमको फिर से नर से नारायण, मनुष्य से देवता बना रहे हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *पहले श्रीमत कहती है कि मुझे याद करो। एक घण्टा आधा घण्टा सिर्फ याद जरूर करो।* कई बच्चे सारे दिन में 5 मिनट भी याद नहीं करते।

➢➢  भक्त लोग सवेरे उठकर कोठरी में बैठ जाते हैं। पूजा करते हैं। *तुमको भी कहा जाता है कि सवेरे याद की यात्रा अच्छी होगी। यह है रूहानी यात्रा।* बच्चे देही-अभिमानी बने हैं। हम आत्मा है, यह निश्चय करना भी मासी का घर नहीं है।

➢➢  *जितना यात्रा पर बुद्धि योग रहेगा अर्थात् बाप को याद करते रहेंगे उतना कमाई होगी। बुद्धि का योग दौड़ी पहनता है - बाप के पास, इसमें आत्म-अभिमानी बनना है।*

➢➢  *तुम बैठे हो अपने को आत्मा समझ बाप को याद करते हो।* फिर बाप की मत पर भी चलना है, जो मत बाबा ब्रह्मा द्वारा दे रहे हैं। फिर लक्षण भी अच्छे रखने है। शैतानी लक्षण नहीं होने चाहिए। उसमें भी जो पहला नम्बर अशुद्ध अहंकार है उनके बाद सब और विकार आते हैं। तो *अपने को आत्मा निश्चय करना, यह अभ्यास बड़ी मेहनत का है।*

➢➢  *अन्दर में यह ज्ञान है कि हम आत्मा है। यहाँ बाकी थोड़े रोज़ हैं। अब जाना है।* शिवबाबा कितना थोड़ा बोलते हैं *सिर्फ ईशारा देते हैं कि मुझे और वर्से को याद करो।*

➢➢   तुम भारतवासी स्वर्ग के मालिक थे। फिर गिरे क्यों? मुझ बाप को भूल गये। *अब मुझे याद करो तो चढ़ जायेंगे। मुख्य बात है बाप को याद करना,* ज्ञान की बातें सुननी और सुनानी है।

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *आधाकल्प तुम देह-अभिमानी बने हो। वह आधाकल्प की आदत तुमको इस एक जन्म में मिटानी है अथवा खत्म करनी है।* यह कोई वह सतसंग नहीं है शास्र सुनने का।

➢➢  *तुम गुप्त हो परन्तु बड़ा रॉयल्टी से चलना चाहिए। बिल्कुल थोड़ा बोलना चाहिए।* क्यों? हमको टाकी से सूक्ष्म, सूक्ष्म से मूल में जाना है। भक्तिमार्ग में बहुत रड़ियां मारते हैं। गीत गाते हैं। *यहाँ तुमको आवाज बिल्कुल नहीं करना चाहिए।*

➢➢  *यहाँ बहुत प्यार होना चाहिए। हम ईश्वरीय सन्तान हैं, बड़ी रॉयल चलन चाहिए। आपस में बहुत मीठा बोलो।* हम परमपिता परमात्मा की सन्तान हैं। हम श्रीमत पर चलकर बेहद का वसा ले रहे हैं। श्रीमत पर नहीं चलते तो कितनी डिस-सर्विस करते हैं इसलिए टाइम बहुत लग जाता है। *वाचा बड़ी फर्स्टवलास होनी चाहिए।*

➢➢  *बच्चों को देही-अभिमानी बनना है।* लक्षण भी सीखने हैं, तब खुशी का पारा चढ़ेगा। बाप कहते हैं *तुमको सर्वगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी पवित्र आत्मा बनना है।*

➢➢  *बाबा कहते हैं रात के राही थक मत जाओ। बन्दरपना छोड़ दो।* नहीं तो फिर सज़ायें खायेंगे। *दैवीगुण धारण करने हैं।* किसको भी कभी उल्टी मत नहीं देनी चाहिए जो उनका बुद्धियोग टूट पड़े।

➢➢  बलिहारी शिवबाबा की है, उनकी श्रीमत पर चलना है। *ज्ञान में बड़ी अच्छी बुद्धि चाहिए। श्रीमत पर चलना चाहिए।* बहुतों को अहंकार आ जाता है कि मेरे जैसा कोई है नहीं।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *पहली बात यह समझानी चाहिए- परमपिता परमात्मा के साथ आपका क्या सम्बन्ध है?* भल आप नगर सेठ हो सिर्फ एक बात आपसे पूछते है? देखना चाहिए क्या जवाब देते हैं क्योंकि *बाप को सब भूले हुए हैं। तो पहले परिचय देना पड़े।*

➢➢  *सबको ज्ञान की बातें सुनाओ। तुम्हारा धन्धा ही यह है। गीता का रहस्य इन चित्रों से समझाना है।*

➢➢  कहते हैं बाबा हमको फलानी सर्विस का शौक है तो बाबा भेज देते हैं। सर्विस बिगर क्या पद पायेंगे। *तुम्हारी सर्विस ही है मनुष्य से देवता बनाना।* पूछना ही यह है कि परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है?*

➢➢  *बाबा ने कुरूक्षेत्र वालों को डायरेक्शन दिये हैं कि बड़े-बड़े बोर्ड लगा दो। मेले में यह पोस्टर जरूर लगा दो।* तो सबका विचार चलेगा कि यह ठीक पूछते हैं। यह बड़ी अच्छी बात है।

➢➢  *बच्चों को सर्विस में लगा रहना चाहिए। बाबा सर्विस बिगर हम रह नहीं सकते। हमको कहाँ भेजो।* जो सर्विस ही नहीं जानते तो उनको बाबा थोड़ेही एलाउ करेंगे।

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