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  16 / 09 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  यह तो बच्चे जानते हैं, कहते हैं *जब हम आपके बने हैं यह पुरानी दुनिया तो खत्म होनी ही है। यह बेहद के रावण की लंका है जो विनाश होनी है।* वह जो सिलान में लंका दिखाते हैं वह तो बात ही बिल्कुल झूठी है।

➢➢  *यह विनाश ज्वाला इस यज्ञ से प्रज्वलित हुई है। लड़ाई शुरू यहाँ से ही हुई है। अभी तो यह छोटी-छोटी रिहर्सल है।* तुम्हारी बुद्धि में है कि सारी दुनिया में ही रावणराज्य है। *इसका अब अन्त है और राम राज्य की आदि है। यह बातें और किसकी बुद्धि में आ न सके।* तुम थोड़े से ही ब्रह्मण जानते हो।

➢➢  *माया ऐसी है जो बिल्कुल ही पुरूषार्थ करने नहीं देती। नाक से पकड़ घूंसा मार एकदम बेहोश कर देती है।* बाक्सिंग है ना। बाबा कहते हैं माया एक सेकेण्ड में गिरा देती है। *सेकेण्ड में जीवनमुक्ति से सेकेण्ड में जीवनबंध बन पड़ते हैं। फारकती दे देते हैं, खलास। निश्चय हुआ-यह बादशाही लो। संशय हुआ खलास। बड़ा वन्डरफुल खेल है।*

➢➢  *बाप समझाते हैं - यह ज्ञान जो तुमको मिलता है यह बिल्कुल ही नया है। इसका पुस्तक तो है नहीं।* भगवान राजयोग कैसे सिखाते हैं। यह अब तुम ब्रह्मण ही जानते हो। *तुम्हारे में भी इस ज्ञान के नशे में रहने वाले बहुत थोड़े हैं। आज उस नशे में रहते हैं, कल भूल जाते हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम विश्व के मालिक बन जायेंगे।*

➢➢  *हम बाप के गले का हार बन जायेंगे, फिर नई दुनिया में आयेंगे।* वर्ल्ड की हिस्ट्री-जाग्राफी हूबहू रिपीट होती है। कितना अच्छा यह चक्र है।

➢➢  *बाप सब राज आकरके समझाते हैं। हम एक्टर 84 जन्म कैसे लेते हैं वह भी तो जानना चाहिए।* 84 लाख जन्म की तो बात ही नहीं है।कल्प की आयु ही 5 हजार वर्ष है। 

➢➢  यह कोई कामन सतसंग थोड़ेही है। तुम कितना धीरज (धैर्यता) से बैठ समझाते हो। *यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है। कैसे तुम स्वदर्शन चक्रधारी बने हो। बाप कहते हैं ब्रह्मण कुल भूषण स्वदर्शन चक्रधारी।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाबा कहते हैं अमृतवेले उठ विचार सागर मंथन करो* और तो टाइम सारे दिन में मिलता नहीं है। रात को तो वायुमण्डल खराब रहता है। भक्ति भी सवेरे उठकर करते हैं।

➢➢  कितने अच्छे-अच्छे बच्चे थे, चले गये। आज हैं नहीं। माया ने एकदम श्रापित कर दिया। *बाप तो वर्सा दे रहे हैं। तो बच्चों को पूरा पुरूषार्थ कर वर्सा लेना चाहिए।* अच्छी रीति खुद भी समझते हैं। बाप भी समझते हैं।

➢➢  बाप समझाते रहते हैं - *कुछ भी हो दु:ख-सुख, स्तुति-निंदा आदि कोई करे तुम पढ़ाई को तो ना छोड़ो।* कोई किसकी निंदा भी करते हैं क्योंकि बुद्धि में तो ज्ञान है नही।

➢➢  *अति मीठा बनना चाहिए।* सम्मुख सुनने से वैराग्य आता है। ऐसा फिर कभी नहीं करेंगे, यह करेंगे। यहाँ से बाहर निकला बस खलास।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाबा के तो दिन-रात ख्यालात चलते रहते हैं। *प्रोजेक्टर में गोला इतना बड़ा दिखाई पड़ना चाहिए जो मनुष्य दूर से ही एकदम अच्छी रीति पढ़ सके।*  

➢➢  बड़ी दीवारों पर इतना बड़ा दिखाई पड़े। क्लीयर हो। *एक-एक चित्र स्लाइड से इतना बड़ा दिखाई पड़े जो सामने कोई भी पढ़ सके।*

➢➢  *यह भारत अविनाशी बाप की अविनाशी जन्म भूमि है, इसलिए इनको अविनाशी खण्ड कहा जाता है।* बरोबर भारत प्राचीन था, अब तुम्हारी बुद्धि में बैठा है - बरोबर भारत अविनाशी खण्ड है।

➢➢  *कलियुग अन्त और सतयुग आदि, इस समय सभी धर्म भी जरूर हैं। हिस्ट्री मस्ट रिपीट, यानी कलियुग के बाद सतयुग जरूर होना है। जैसे दिन के बाद रात, रात के बाद दिन जरूर आता है। ऐसे हो न सके कि रात न आये।*

➢➢  *5 हजार वर्ष पहले स्वर्ग था। अब फिर भगवान आये हैं स्वर्ग की स्थापना करने। यह बातें बुद्धि में अच्छी रीति बैठ जाएं तो भी अहो सौभाग्य।*

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