23-06-15 मुरली कविता


अब किसी में आँख न डूबे,क्योंकि ज्ञान का तीसरा नेत्र है मिला
बेहद का वैरागी बन सब कुछ करना अर्पण
इस पुरानी देह सहित सर्वस्व करना समर्पण
हद का कुछ भी नही आना काम
सबसे मोह तोड़ बनना नष्टोमोहा
सर्व दैवी गुण करने धारण
रजिस्टर पर कोई दाग़ न लगे,करनी नही ऐसी कोई भी भूल
क्रोध का न हो कोई भी अंश
ब्रह्मा को देखो, ब्रह्मा को फॉलो करना
सम्पूर्ण फरिश्ता बनाना माना ही फॉलो करना
फरिश्ता का मन्त्र पक्का कर लो
तब साइंस का यंत्र अपना काम शुरू करेगा
मनन से ख़ुशी रूपी मक्खन निकाल बनना शक्ति शाली


ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!