कदम-कदम पर जो होता उसमें है कल्याण
जो रहते बाप के याद में,उनका होता अधिक कल्याण
ड्रामा में विनाश होना है निश्चित
राजधानी भी होगी ही जरूर स्थापित
इसमें मूंझना नही, क्या हो रहा?सदा रहना खुश
जो अब तक पढ़ा उसे भूलना
बाप जो पढ़ाते वो ही पढ़ना
भाई-बहन की दृष्टि से क्रिमिनल आई करनी खत्म
इस दुनिया में मनुष्य है आत्मिक स्नेह की भूखी
स्वार्थी स्नेह से दुखी हो उपराम होना चाहती
मास्टर स्नेह के सागर बन सच्चे आत्मिक स्नेह के कराओ अनुभूति
ज्ञान -धन से रहो भरपूर तो स्थूल धन की स्वतः होगी प्राप्ति
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!