03-08-15 मुरली कविता


आसुरी मत से हुए दरबदर
ईश्वरीय मत की करो अब कदर
बाप से पावन बनाने की रखो उम्मीद
बाकि बीमारी आदि में कृपा आशीर्वाद की नही
बाप की डायरेक्शन पर चल करो श्रेष्ठ कर्म
पतित से पावन बनो कोई करो नही विकर्म
बहुत -बहुत मीठा बनना, लुन-पानी नही होना
हर्षित होना,स्वदर्शन चक्रधारी बनना
अन्तर्मुखी बन नयनों की भाषा,भावना की भाषा और संकल्पों की भाषा समझना
यह तीनों ही रूहानी जीवन की है अलौकिक भाषा
इससे बनते शक्तिशाली, मिलती सफलता
बाप की पलकों पर बैठ घर जाना तो बनना हल्का


ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!