02-07-15 मुरली कविता


इस शरीर की वैल्यू तब होती जब इसमें आत्मा प्रवेश करती
हम सजावट शरीर की करते आत्मा की नही
हमें अब भारत की सच्ची रूहानी सेवा करनी
अपनी बुद्धि और चलन रिफाइन रखनी
हम सो देवता बनने वाले,इसका रूहानी नशा हो
अपने हमजिंस को मात-पिता समान किंग ऑफ़ फ्लावर्स बनाओ
संगम पर बाप छत्रछाया बन सेवा और साथ का सदा अनुभव कराते
उनकी छत्रछाया नाज़ुक परिस्थितियों में कमल-पुष्प समान न्यारा और प्यारा बनाती
बाप के साथ का अनुभव होता
जब बातों का पर्दा बीच से हटा हो


ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!