11-07-15 मुरली कविता


श्रीमत पर तुम करते विश्व की सेवा



इस हेल को बनाते हेवन ,तो तुम्हारा यह जीवन है अमूल्य
 


देह-अभिमान कर देता ख़ुशी को गायब

 

दिल में शंका पैदा होने से भी ख़ुशी हो जाती गुम

 

देहि-अभिमानी बनने से ख़ुशी सैदेव रहती कायम

 

स्थूल,सूक्ष्म सेवा कर ख़ुशी का करो अनुभव

 

खान-पान ,चलन रखनी रॉयल

 

पोतामेल रखो..कितना याद किया,कितने ज्ञान रत्न धारण किये,कितने बने प्योर

 

अतीइंद्रिय सुखो के झूले झूलते रहो

 

देह -अभिमान की मिट्टी में पांव नही रखो

 

मैं त्यागी हूँ..इसका भी करो त्याग

 

ॐ शान्ति!!!

 

मेरा बाबा!!!