28-12-15 मुरली कविता
अविनाशी ज्ञान -रत्नों का दान
देना है ..महादानी बनना
इस दान से ही मिलती राजायी
सर्विस कर सबको आप समान बनाना
सर्विस करने वालो को सर्विस के बिगैर आराम नही
उनकी रगे हर तरफ से टूटी होती
अचल अडोल बनने के लिए बनो आज्ञाकारी वफादार
बाप समान उदारचित बनो
श्रेष्ठ पद के अधिकारी बनना तो
स्वयं को स्वयं परिवर्तन कर, विश्व के आधारमूर्त बनो
संगठन में उमंग -उत्साह और श्रेष्ठ संकल्प से सफलता हुई पड़ी है
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!