24-12-15 मुरली कविता


अब घर जाना तो बनो देहि-अभिमानी
बाप की याद से होती अंत मति सो गति
यह है वंडरफुल ड्रामा अनादि अविनाशी
हरेक का पार्ट इसमें है नूँधा हुआ,नथिंग न्यू
बाप भी ड्रामा के बंधन में है बंधा हुआ
बाप की याद से उंच पद पाना
विकारों से करनी अपनी संभाल
हरेक ब्राह्मण बच्चा है महान और पूजनीय
बाबा की नयनों का तारा ,नूरे रत्न
माला के लास्ट मणके का भी है महत्व
क्योंकि उसने सच्चे दिल से अपने को बाप का डायरेक्ट बच्चा माना
स्थिति ख़ज़ानों से सम्पन्न और संतुष्ट रहे तो परिस्थिति बदल जाती


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!