18-11-15 मुरली कविता


उंच ते उंच पद पाना तो याद की यात्रा करनी
रूहानी फाँसी जैसे बुद्धि घर में रहे लटकी
जो बच्चे धारणा नही करते वो होते रहते नाराज़
बुद्धि में रहे दुनिया को आना नीचे कोई न हो रंज.. तब हो ख़ुशी
कहाँ भी बुद्धि नही भटकानी,सब कुछ भूलना
नशा रहे बाप हमें पढ़ा रहे,टाइम वेस्ट नही करना
मायाजीत के साथ सर्व ख़ज़ानों से बनना विधाता
ख़ुशी,शांति,शक्तियों,ज्ञान,गुण,सहयोग के खज़ानों को बाँटना और बढाना
पर उपकारी बनो तब अनेक जन्म बनेंगे विश्व अधिकारी
सर्व कमज़ोरियों को दो सदाकाल की विदाई...
तब बनो विश्वकल्याणकारी


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!