14-11-15 मुरली कविता
यह पुरुषोत्तम बनने का है शुभ समय
बाप नर से नारायण बनने की पढ़ाई रहे पढ़ा
बाप आये देने सुख का वरसा तो क्यों रोना
यह है बना बनाया ड्रामा,इसमें हरेक का पार्ट अपना
पारब्रह्म में रहने वाला मिल गया तो ख़ुशी में रहना
पुरानी दुनिया,पुराना शरीर,पुराने संस्कारों का करना संन्यास
भाग्यवान बनने की ख़ुशी में रहना
ज्ञान के संस्कार करने धारण
विकारों पर पानी जीत
एकनामी और इकॉनमी वाले बन ..बुद्धि की क्लियर लाइन से बापदादा
की डायरेक्शन करनी कैच
स्थूल सूक्ष्म कामनाओ को करना त्याग
तब किसी भी बात का कर पायेंगे सामना
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!