तुम्हारी कोई भी अक्टिविटी में आसुरीपन न हो
पुरुषार्थ कर अच्छे दैवी गुण धारण करो
जो करते उल्टे कर्म उन्हें पड़ता बहुत घाटा
बाप का बने हो तो आसुरी गुणों को करना त्याग
नही तो बाप धर्मराज रूप में लेंगे पूरा हिसाब
ख्यालात उंच और रॉयल रखो
डिस -सर्विस कर अपने आपको न श्रापित करो
रहमदिल बनना,खाने पीने में हबच(लालच) छोड़ना
विश्वकल्याणकारी कोई अकल्याण का कर्तव्य नही करते
रहमदिल,महादानी और निमित्तपन का कर्तव्य याद रखते
ऐसे सेवाधारी दुआओं का अधिकार करते प्राप्त
साधनों की आकर्षण से साधना होती खण्डित
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!