04-09-15 मुरली कविता


तुम्हें बनना पुरुषोत्तम-संगम युग पर लक्ष्मी- नारायण जैसा उत्तम  

आदि देवी-देवता धर्म और दैवी राजधानी की स्थापना में करनी बाप की गुप्त मदद 

बागबान बाप काँटो के जंगल को बना रहे फूलों का बगीचा 

जिसमें नही होंगे ख़ौफ़नाक दुःख का एक भी कोई काँटा 

ईश्वरीय बर्थ डे रखना याद न कि आसुरी जिस्मानी बर्थ डे 

रूहानी कनेक्शन रखना,न कि ब्लड कनेक्शन 

भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में पैसा करना सफल

पुरुषार्थ कर अपने को देना राजतिलक 

गोल्डन एज्ड सेवा माना देह-अभिमान व अपमान की अलाए जिसमें नही मिक्स 

ऐसी सेवा करने वाले हांजी का संस्कार रखते,

जैसा समय जैसी सेवा में वैसा स्वयं को मोल्ड कर बनते रियल गोल्ड 

प्रसन्नचित रहना तो क्यों? क्या? के प्रश्न करने समाप्त

ॐ शांति!!! 

मेरा बाबा!!!