21-10-15 मुरली कविता


बाप की एक अद्वैत मत से बनते तुम देवता
मनुष्य इस भूल-भुलैया में भूल गया है घर का रास्ता
अपने घर कब और कैसे है उसको जाना
बाप आये पुरुषार्थ करा,वाणी से परे ..स्वीट होम ले जाने
बाप की याद से बुद्धि बनानी रिफाइन
बुद्धि में पढ़ाई रहे सदा भरपूर
क्रिमिनल आई को बनाना अब.. सिविल
दिलवाला बाप को दिल का स्नेह,सहयोग है प्रिय
तो बड़ा सौदा करो.. रख कर बड़ी दिल
सुदामा के कच्चे चावल का है गायन..वैल्यू है स्नेह का
पद्मो की कमाई करनी तो दिल का सच्चा स्नेह करो
समय,शक्ति न जाये व्यर्थ..तो पहले सोचो पीछे करो

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!