22-05-15 मुरली कविता


देहधारियों की प्रीत निकाल ,विदेही बाप को करना याद
इस याद की यात्रा से होंगे शीतल सारे अंग
जो दैवी कुल वालें होते, बेहद का वैराग्य रखते
पावन फूल बनने का पुरुषार्थ करते
अपनी आसुरी चलन तो नही? उसका पोतामेल रखते
बाप से कुछ भी नही वो छिपाते,सब सच-सच बताते
अपनी उन्नति का रखना पूरा ख्याल
बाप को अपनी पढ़ाई का जलवा दिखाना
बाप की याद से विकर्म काटने,क्षीरखण्ड हो रहना
निंदा कराने वालें कोई कर्म नही करना
5 विकारों को परिवर्तित कर मायाजीत, जगत जीत बनना
काम- विकार को शुभ भावना रूप में ...
क्रोध को रूहानी रूप में,मोह को स्नेह रूप में ...
देहाभिमान को स्वाभिमान रूप में...करना परिवर्तन
आत्मा रूपी रीयल गोल्ड में मेरेपन की अलाय
समाप्त करना

ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!