05-09-15 मुरली कविता


तुम विश्व में शांति स्थापित करने के बनते निमित्त  

इसलिये तुम्हें कभी नही होना अशांत

सवेरे अमृतवेले जो उठकर करते बाप को याद 

बाप कहते उनको सपूत व फरमानबरदार   

हमें क्षीर-ख़ण्ड हो रहना,किसी को नही देना दुःख    

स्मृति रखनी सदा...हम है ईश्वरीय संतान

अज्ञानता का पर्दा हटा,सम्पूर्णता की रोशनी वाले बनना.. सर्च-लाइट

सुख-शांति की सांस देने का बनना निमित्त

माया और प्रकृति के आकर्षण से दूर रहने वाले बनते हर्षित

ॐ शांति!!! 

मेरा बाबा!!!