02-10-15
मुरली कविता
आत्म-अभिमानी बनो तो घर की
दिखायी दे राह
बाप आये ..आत्मा का देने ज्ञान..अविनाशी ड्रामा का राज़ भी
समझाया
आत्मा एक शरीर छोड़ लेती दूसरा...तो रोना नही..ख़ुशी से शरीर
छोड़ना
सतयुगी मोहजीत देवताओँ ने यह ज्ञान संगम पर पाया
बाप से सर्व प्राप्तियां कर बनना पद्मपति
सिनेमा नही देखना..हद -बेहद के राज़ को समझ फिर समझाना
सेवा जो विघ्न बने.. सच्ची सेवा नही..सर्व प्रति सच्ची -सेवा
करना
गुप्त और सच्चे-सेवाधारी बन करना विश्व का कल्याण
हर बात हो प्रभु अर्पण ..तो मुश्किलातें हो जाती सहज अनुभव
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!