18-12-15
बाबा पोएम
बाबा आकर बड़े प्यार से हम बच्चों
को पढ़ाते हैं
अपनी कमियां निकालने की युक्ति हमें सिखाते हैं
देह भान सताता है कर्मों के बचे हिसाब के कारण
कर्मातीत बनाकर खुद को कर लो इसका निवारण
कर्मभोग खींचेगा अंत में पुरे जोर से अपनी ओर
याद का बल जमा कर लो अब ना रहो कमजोर
साक्षी दृष्टा बनना है कर्मभोग से मुक्ति की युक्ति
साक्षी दृष्टा बनकर पाते जाओ कर्मभोग से मुक्ति
प्रचंड तपस्या के बल से अग्निपिंड बन जाओ
अपने हर पुराने संस्कार पर खूब हथौड़े लगाओ
अव्यक्त होकर बाबा को अपने दिल में बसाओ
स्व परिवर्तन द्वारा खुद को रूहे गुलाब बनाओ
उल्हनों की माला बाबा को कभी नहीं पहनाओ
जैसा चाहे बाबा वैसा खुद को बनाकर दिखाओ
अपने साइलेंस के बल से ऐसा सन्नाटा फैलाओ
सबको अपने शांतिधाम का अनुभव यहीं कराओ
योग तपस्या से जीवन ऐसा नष्टोमोहा बन जाए
पुराने संस्कार के पत्ते बाबा की याद में झड़ जाए
बाबा को सिर्फ हमारा बीज रूप ही नजर आए
हमारा हर एक संस्कार बाप समान बन जाए
अपने मन को समझ लो बाबा की अमानत
मनमत अपनाकर ना करो अमानत में खयानत
यज्ञ सेवक बनकर दुआओं का खाता भरपूर करो
अपने संग हर आत्मा को सर्व विघ्नों से दूर करो
आत्मिक स्वरूप अपनाकर खुद को कर लो सबल
कर्मभोग के हर दर्द को कर दो पूरा ही निर्बल
अपनी मंजिल पर साध लो अपना पक्का निशाना
खुद को हमें बाप समान सम्पूर्ण निर्विकारी बनाना
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!