28-09-15 मुरली कविता


जितना करोगे बाप को याद,उतनी होगी बैटरी चार्ज
मनुष्य को नही सच की परख,तो हिलाते सच की नाँव
परन्तु सच की नाँव हिलती -डुलती पर डूबती नही
आज जो डालते विघ्न,समझेंगे वो कल
सबकी हट्टी और सर्व का सद्गति दाता है एक
सर्व गुणों से करो श्रृंगार...न दो कोई को दुःख
इस दुनिया से नही लगानी दिल..नयी दुनिया में जाना
अपनी विशेषताओं का दे दान..प्रेरणा स्वरुप बन..
बाप के स्नेह का कराना अनुभव
चेहरे और चलन से बाप का चरित्र करना प्रत्यक्ष
आत्म अभिमानी रहने वाला है.. ज्ञानी सबसे बड़ा
 

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!