20-10-15
मुरली कविता
तुम कांटे से बन रहे फूल..तो सबको दो सुख
कभी किसी को नही देना फिर दुःख
अच्छे पुरुषार्थी सदा रहते बेफिक्र
महावीर का पुरुषार्थ कर पाना माया पर जीत
आत्मा पर चढ़ी कट उतार लवली बनना
माया के तूफ़ानों से नही डरना..महावीर बनना
प्रकृति, माया कितना भी हिलाये रहना अचल
बाप के लव में न्यारे और प्यारे रह...देखते हुए न देखना सुनते
हुए न सुनना
इसे कहते स्वीट साइलेंस की लवलीन स्थिति
तब कहेंगे नष्टोमोहा समर्थ-स्वरुप की आत्मा वरदानी
हंस की तरह अच्छाई रूपी मोती चुगना..अवगुणों रूपी कंकड़ को देना
छोड़
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!