05-10-15 मुरली कविता


दुःख-सुख,मान-अपमान सब करना सहन
रोना,रुसना और नाज़ुकपना भी है देह-अभिमान
कोई बात में आनाकानी करना माना नाफरमानबदार
रूहानी मिल्ट्री हो इसलिए आर्डर पर होना हाज़िर
बाप जो करे हुक्म,उसे मानना फौरन
आँखों को बनाना सिविल,न करना कभी क्रोध
विश्व को पतित से पावन बनाने की सेवा का डालना घिराव
विजय माला का मणका बनना तो जीतो तीन मैडल
...स्व पर विजय अर्थात...व्यर्थ को श्रेष्ठ भाव और शुभ भावना में करो परिवर्तन
...स्व पर जो विजयी सो सर्व पर पाता विजय
...प्रकृति पर विजय अर्थात वायुमंडल,वायब्रेशन और स्थूल प्रकृति पर विजय
सच्चा राजयोगी माना ...स्वयं की कर्मेन्द्रियों पर सम्पूर्ण राज्य
 

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!