नशा रहे हम है संगमयुगी ब्राह्मण
दुनियां जिसे रही पुकार,वो है अब हमारे सम्मुख
बुद्धि योग ठीक होने से होंगे शान्तिधाम-सुखधाम के फिर
साक्षात्कार
अपनी योग की अच्छी स्थिति बनानी
जो सन्नाटा छा जाए ,आत्मा हो जाये दृष्टि से शांत
पुरानी दुनियां की चूँ चा छोड़, अब जाना नयी दुनिया
अशरीरी बनने का करना अभ्यास
वाईसलेस बनने से होगी अंतिम समय की डाईरेक्शन कैच
वाईसलेस माना ही वायरलेस
वाईसलेस के अभ्यास से स्वेच्छा से छूटेगा शरीर
योग छोड़ कर्म में बिजी होना.. माना अलबेलापन
ॐ
शांति !!!
मेरा बाबा !!!