13-12-15 बाबा पोएम


झुको उसके सामने जो हमारे आगे अकड़ता है
देहभान ही हम सबको अहंकार में जकड़ता है
कलयुगी संस्कारों से बनकर पूरा मस्त फकीर
खींचो अपने ठोस इरादों की पत्थर पर लकीर
स्व परिवर्तन की शंखध्वनि आज बजा डालो
देहभान के सभी संस्कार जड़ से मिटा डालो
पहनो अपने हाथों में ईश्वरीय मर्यादा का कंगन
सर्व कर्मेन्द्रियाँ शुद्ध बनाओ जैसे होता है चंदन
कुचलो माया सर्प को श्रीमत रूपी कदमों तले
श्रीमत को ना छोड़ो कभी चाहे मरना पड़े भले
मस्तक सिंहासन पर सदा विराजमान तुम रहना
देवकुल का समझकर मीठे बोल मुख से कहना
मिल जाए कोई भी सेवा कभी ना तुम कतराना
सेवा से बनता भाग्य करना बाबा का शुकराना

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!