20-11-15 मुरली कविता
याद बच्चें ड्रामा के खेल को जानते तो
शुक्रिया क्या मानना
कल्प पहले अनुसार जिन्होंने बोया बीज.. वो फिर बोयेगा
भविष्य उंच बनने वाले ही बनेंगे फिर सहयोगी
बाप से कृपा ,आर्शीवाद नही मांगनी
भक्ति में माँगना होता ,ज्ञान में नही
सर्विस करो.. कोई से कुछ भी नही लेना
अशरीरी बनने का करना पुरुषार्थ
याद के यात्रा से होंगे विनाश विकर्म
ड्रामा के मंथन से बनते आस्तिक
हर आत्मा प्रति शुभ भावना,श्रेष्ठ कामना का रखना भाव
सेवा से आत्मा को प्राप्ति का मेवा कराना अनुभव
सेवा में त्याग ,तपस्या नही तो है नामधारी बनना तो सच्ची सेवा
से सच्चा सेवाधारी बनना
नम्रता और धैर्यता करती क्रोधाग्नि को शांत
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!