23-12-15 बाबा पोएम


रावण कहाँ गया पांच विकारों की आग लगाकर
किस बिल में छुप गया जग में अशांति फैलाकर
हर जगह ढूंढो उसको हमें कहीं पर तो मिलेगा
उसको मारकर ही खुशियों का गुलशन खिलेगा
ढूंढा सारे जग में लेकिन रावण कहीं नहीं मिला
सारे जग में रावण के संस्कारों का ही वंश मिला
हमसे ही लिखवा रहा है हमारे विकर्मों का लेखा
देखा जग सारा किंतु अपने मन को नहीं देखा
हमारे मन में बैठकर सारी शक्तियों को चुराता है
चुपके से हम सबको गुणों से कंगाल बनाता है
हमारे भोले मन को विकर्मों के लिए उकसाता है
देहभान में लाकर हमें सम्पूर्ण पतित बनाता है
रावण की सब कुटील करतूतों को हम जान गए
उसकी सारी धोखेबाजियों को हम पहचान गए
रावण के किसी वार से अब कभी ना हम हारेंगे
आत्मिक भान जगाकर हम देहभान को मारेंगे
रावण रूपी शत्रु को हम अवश्य धुल चटा देंगे
आधे कल्प के लिए रावण को जड़ से मिटा देंगे
अपने अंतिम जीवन की बनाएंगे यह सुंदर रीत
प्यारे बाबा से निभाएंगे हम सच्चे दिल से प्रीत

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!