31-12-15
बाबा पोएम
अपना हीरे तुल्य जीवन तमोप्रधान
नहीं बनाओ
राजयोग के द्वारा पवित्र जीवन शैली अपनाओ
क्यूँ उलझाते हो मन बुद्धि को व्यर्थ की बातों में
व्यर्थ चिन्तन में डूबकर जागते क्यूँ हो रातों में
भूल नहीं क्यूँ पाते हो जो कुछ अप्रिय होता है
ड्रामा है ये बना बनाया फिर ये मन क्यूँ रोता है
साक्षी होकर देखते रहो इस ड्रामा की हर सीन
चुन चुनकर निकालो सारे अवगुण अपने महीन
मन को उदास ना कर सके कैसी भी हो घटना
साक्षी दृष्टा बनकर हर मुश्किल से हमें निपटना
स्वेच्छिक देह के त्याग की हमें तैयारी है करनी
अवगुणहीन होकर हमें गुणों से झोली है भरनी
मिटने वाली दुनिया से अपना लंगर उठाना है
बाप समान बनकर सबको कमाल दिखाना है
खोए रहना बाबा की यादों में सुबह और शाम
दिलाराम को दिल में बसाकर पाओगे आराम
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!