23-11-15 मुरली कविता


बाबा कहते तन -मन -धन, मन्सा- वाचा -कर्मा सर्विस करो
21जन्म का बाप से एवजा प्राप्त करो
सर्विस में कभी आपस में अनबनी नही हो
आपस में एक मत हो
कोई खिट पिट न हो
एक ईश्वरीय मत पर चलो
आपस में एक दो में प्यारे बनो
भाई-बहन से नही रखना योग
अपने मूल् संस्कारों का करो परिवर्तन
प्रयत्न का समय गया बीत
प्रतिज्ञा कर जीवन का करो परिवर्तन


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!