14-09-15 मुरली कविता


बाप बनाते हीरा ,उसमें नही रखना संशय
संशयबुद्धि होने से होता अपना ही नुक्सान
निश्चयबुद्धि बनना तो रखो साहस
माया तोड़ती साहस,बनाती संशयबुद्धि
पढ़ाई से हम बनते नर से नारायण
इसी निश्चय से देना पढ़ाई पर अटेंशन
पुण्य -आत्मा बनना तो करना नही कोई पाप -कर्म
निमित्त भाव- सेवा में स्वतः सफलता दिलाता
समर्थ आत्मा को हर कदम में मिलती सफलता
श्रेष्ठ सेवाधारी उमंग उत्साह दिलाते रहते
ईश्वरीय सेवा में स्वयं को ऑफर करो तो मिलती रहेगी आफरीन

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!