22-09-15 मुरली कविता


जब तुम बनो फूल..तब भारत बने सम्पूर्ण फूलों का बगीचा
इसलिए बाप आया तुम्हें काँटों से बनाने फूल
मंदिर लायक बनना तो चलन रखनी रॉयल और बनना मीठा
अच्छी रीति पुरुषार्थ कर बाप के परिचय की सेवा करते रहना
रूहानी-मिल्ट्री बन 5 विकारों पर पानी जीत
पवित्र जरूर बनना, देह-अभिमान में नही आना
साक्षी हो हरेक का पार्ट देखना
स्मृति स्वरुप बनो...तो नष्टोमोहा स्वतः बन जायेंगे
प्रवृति में निवृत्त होना अर्थात मैं पन को करना त्याग
कमल फूल समान न्यारे बनो..प्रभु का प्यार मिलता रहेगा

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!