17-12-15 बाबा पोएम


पाकर आत्म ज्योति दीपराज संग हम जगमगाते हैं
हम महाज्योति के बालदीप बाबा से मिलन मनाते हैं
बाबा सदा देखते हमारी भ्रकुटी में जलता आत्म दीप
दीपमाला बनते हम बच्चे होकर एक दूजे के समीप
संगम पर होता है दीपराज संग रूहानी मिलन मेला
दीपराज की रानी बनकर रहता नहीं है कोई अकेला
अमर हो जाते हम भी अमर ज्योति का संग पाकर
दीपराज मिलते हमको पुरुषोत्तम संगमयुग में आकर
हम बच्चे दीपराज संग सिर्फ दीपावली नहीं मनाएंगे
श्रीमत पर चलकर खुद को दीपराज समान बनायेंगे
हद के दीपक नहीं हम इक घर को रौशन करने वाले
हम हैं बेहद के दीपक अज्ञान अँधियारा मिटाने वाले
भिखारी बन जाते हैं आज के दिन सारी दुनिया वाले
हम बच्चे बन जाते सबको भिखारीपन से छुड़ाने वाले
इक दूजे से संस्कार मिलाकर बनते चैतन्य दीपमाला
फैलाते सारे जग में ईश्वरीय ज्ञान का दिव्य उजाला
अपने पुराने संस्कारों से हम हो गए आज से न्यारे
बाप समान बनने की खातिर हो गए बाप के प्यारे
अपने कलयुगी संस्कारों की आतिशबाजी जलाते हैं
आत्म दीप जलाकर हम सच्ची दिवाली मानते हैं

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!