24-10-15 मुरली कविता


यह है पुरुषोत्तम कल्याणकारी संगम युग
इसमे ही तुम परिवर्तन हो कनिष्ठ से बनते उत्तम
अपनी उन्नति करनी... तो करना अच्छा पुरुषार्थ
ड्रामा में होगा तो करायेगा ..यह कहना है रॉन्ग
हरेक के पुरुषार्थ का पार्ट भी है ड्रामा में नूँध
सत्य बाप ने राइट-रॉन्ग की दी है पूरी समझ
उसे राइटयिस बन जीवन बंध से छूटना
मुक्ति और जीवनमुक्ति का वर्सा लेना
त्याग से ही स्वयं का और दूसरों का बनता भाग्य
दृढ संकल्प करना..यही होती तपस्या
त्याग ,तपस्या और सेवा में हद के भान करने समाप्त
तभी निर्विघ्न बनेंगे और सफलता होगी प्राप्त
संकल्प में भी दुःख नही देना...यही है सम्पूर्ण अहिंसा

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!