04-12-15 मुरली कविता


सतगुरु आया ऊँची बनाने तकदीर
अपनी चलन रखनी रॉयल ..जो हो न बाप की निंदा
देही-अभिमानी बनने का करना पुरुषार्थ
ड्रामा में विनाश का पार्ट है नूँध
तो प्रकृति अपना दिखायेगी जरूर प्रकोप
पुरानी दुनिया से निकालना अपना बुद्धियोग
देह-भान छोड़..आत्मा समझ बाप को करना याद
आप समान बनाने की करनी सेवा
नर से नारायण बनते हो... तो ख़ुशी में रहना
हाँ जी का पाठ दुआयें लेने का होता साधन
कोई को रॉन्ग कहने के बजाये बनो उसका सहारा
हार्ड वर्क के साथ-साथ स्थिति मज़बूत बनाने का रखो लक्ष्य


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!