बेहद के खेल के हो तुम आत्मा अविनाशी एक्टर
तुम हो स्वीट -साइलेंस होम के रहवासी,वही है जाना
यह ड्रामा चलता रहता जूँ मिसल
ड्रामा में जो होता है उसमें ही नूँध
फ़िक्र की इसमें कोई करनी नही बात
बाप को याद कर करने सब विकर्म विनाश
पुरानी दुनिया से मर,बनना विजय माला का दाना
शुभ चिंतक वृति रख करनी सेवा
स्व के प्रति स्वचिंतन करनेवाली बनना आत्मा
जो कमजोरियों,व्यक्ति,वैभव के आकर्षण से बनाती प्रूफ
शुभचिंतक,स्वचिंतन की वृति ही लायेगी
प्रत्यक्षता को समीप
संकल्पों को भी अर्पण करना
कमजोरियों को स्वतः दूर भगाता
ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!