बाप
आया तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र देने
जिससे
तुम सृष्टि का आदि-मद्य-अंत को जान पाते
अपने
को आत्मा समझ बाप को करना याद
यह
बात हिम्मत से शेरनी शक्तियां ही समझाती
इस
पुरानी दुनिया को बुद्धि से भूलना
पूरा
पावन बन उंच पद पाना
ख़ज़ानों
की स्मृति से आत्मा बनती समर्थ
व्यर्थ होता समाप्त,आत्मा रहती खुश
भरपूर आत्मा कभी हलचल में नही आती
दूसरों
को भी खुशखबरी सुनाती
कर्म
और योग का बैलेंस रख बनना योग्य
ॐ
शांति!!!
मेरा
बाबा!!!