अपनी उन्नति करनी तो कोई गफलत नही करनी
ईश्वरीय औलाद बन कोई गुण नही हो आसुरी
हम है ईश्वरीय संप्रदाय के,यह निश्चय और नशा हो
हम बन रहे है स्वर्गवासी,इससे भारी कोई वस्तु नही हो
कर्मेन्द्रियों की चंचलता ,याद से ख़त्म करनी
अच्छी रीति पुरुषार्थ कर बनना मायाजीत
अन्तर्मुखी बन धारणा करनी
आपस में लून-पानी होना नही
रूहानी रहमदिल बच्चे होते महादानी
निर्बल,होपलेस में भी बल और होप भर देते
दिलशिक्स्त,असमर्थ आत्मा के प्रति रहमदिल, महादानी बनो
भाई-भाई ,हमशरीक पुरुषार्थी हो तो सहयोगी बना दो
किसी के संग का रंग प्रभाव नही डाल सकता
जब सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रहो
ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!