27-06-15 मुरली कविता


घर जाना,इस रूद्र ज्ञान यज्ञ में सब कुछ करना स्वाहा
संगम पर चलता है वंडरफुल खेल
भगवान के रचे यज्ञ में असुरों के विघ्न पड़ते
यह है राजस्व अश्वमेध यज्ञ, स्वराज्य पाने अर्थ पड़ते विघ्न
शरीर पर कोई भरोसा नही, 21जन्मों की तकदीर बनानी
इसलिये ज़रा भी चांस नही गंवानी
ट्रस्टी बन अपना सब कुछ करना अर्पण
साकार बाप को करना फॉलो
याद का वायुमंडल अमृतवेले बनाओ
मन्सा सेवा से ही नज़र से निहाल करना
अपनी श्रेष्ठ स्मृति से सबको समर्थ बनाना
निर्विघ्न बन, किला मजबूत बनाना
तीनों सेवा मन्सा,वाचा,कर्मणा साथ-साथ करना


ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!