28-12-15 बाबा पोएम


अपने घर की तरफ आओ अपना कदम बढ़ाएं
देही अभिमानी बनकर हम बंधनमुक्त बन जाएं
अपने घर को उड़ने के लिए दो दो पंख लगाएं
ज्ञान योग को इस जीवन का अटूट अंग बनाएं
अंश मात्र भी देहभान मन बुद्धि में ना रह जाए
संगमयुगी जीवन पर हम कोई दाग नहीं लगाएं
याद में हो इतनी गहराई जो खुद को भूल जाएं
मैं बाबा में और बाबा मुझमें सम्मिश्रित हो जाए
कौन हूँ मैं कौन है बाबा पहचान नहीं कोई पाए
ये अवस्था पाकर हम घर जाने योग्य बन जाएं

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!