03-12-15 मुरली कविता


पापों का करना हल्का ,तो बाप से रहो ऑनेस्ट
अपनी कर्मों की कहानी लिखकर दो.. तो होगी क्षमा
देह-अभिमान है सब विकारों का झाड़
बाप देते डायरेक्शन इसका बीज बोना करो बंद
क्रिमिनल असाल्ट से करो खुद की संभाल
डबल-सिरताज बनना तो बहुत बनना मीठा
राजयोग की तपस्या से रखनी लाइन क्लियर
एक का बन.. एक को ही करना प्रत्यक्ष
एकाग्रता अर्थात निरव्यर्थ संकल्प, निर्विकल्प स्थिति
इससे मिली सफलता बनाती गले का हार
समस्या स्वरुप नही... समाधान स्वरुप बनना
बाप की छत्रछाया के नीचे माया की पड़ती नही छाया


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!