10-09-15 मुरली कविता


चिंता रखों कैसे बतायें सुखधाम का रास्ता 

संगमयुग ही है पुरुषोत्तम बनने का ,यह सबकों पड़े पता  

बाप का बनने की होती ... सच्ची मुबारक देना 

हम खुशनसीब आत्मा है जो दुःख से छूट जाते सुखधाम 

बाप को ख्याल आया जैसे बच्चों को दुःख से छुड़ाऊ,सुखी बनाऊ

वैसे हमें भी हो ख़याल बाप की मदद कर ,यह पैगाम सबको पहुंचाऊ

एक बल -एक भरोसा यह पांव अचल है तो विजय है निश्चित

माया निश्चय के पांव न हिला सके, 

तो निश्चिन्तता का मिलता वरदान 

हरेक में विशेषता देखना माना विशेष आत्मा बनना 

ॐ शांति!!!  

मेरा बाबा!!!