25-12-15 बाबा पोएम


यदि किसी का देहभान अब भी नहीं पिघलेगा
उसको माया का अजगर हर हाल में निगलेगा
नहीं बचेगा उसका ब्राह्मण जीवन का अस्तित्व
कभी नहीं बन सकेगा उसका ईश्वरीय व्यक्तित्व
देहभान की चोटें खाकर लहूलुहान हो जाएगा
कल्प कल्प जीवन में कभी सम्भल ना पाएगा
केवल दुःख की दुनिया में ही जीवन वो पाएगा
सतयुग के सुख फिर वो कभी भोग ना जाएगा
स्वर्गिक सुख पाना है तो विषय विकार छोड़ दे
ज्ञान के सश्त्रों से तूँ देहभान की मटकी फोड़ दे
यह मत सोच कि मुझको मंजिल मिलेगी कब
सब कुछ तूँ पाएगा देहभान को मिटाएगा जब
होकर देह से न्यारा बिखरा दे आत्मिक प्रकाश
देता जा सारे जग को सुख शान्ति का सकाश
योग अग्नि से जला दे दुःख के कांटे और शूल
खिला ले अपने मन में शुद्ध संकल्पों के फूल
बना अपने जीवन को खुशियों भरा गुलदस्ता
खुद को रख दैवी गुणों से खिलता और हँसता
छोड़ दे तूँ सोच विचार सिर्फ देहभान को मार
बाबा खुद पहनाएगा तुझे विजयमाला का हार

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!