17-10-15 मुरली कविता


स्वयं पुरानी दुनिया को भूल अपने नये स्वीट होम को करो याद
याद की यात्रा से पावन बनना और बनाना पावन
पूरे कल्प में इस समय ही यह एक्ट चलता
इस पुरुषार्थ से सारी दुनिया को पावन बनाना होता
यह पुरानी दुःख की दुनिया को भूलना
बुद्धि में नई दुनिया की स्थापना को रखना
इस वेश्यालय को अब शिवालय बनाना
बाप को सदा कंबाइंड रख ख़ुशी-मौज का करना अनुभव
मौज मानते रहो,तो माया की नही पड़ेगी नज़र
माया रूपी दुश्मन से बचना
तो याद का कवच पहने रहना

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!