13-11-15 मुरली कविता


अभी तुम किनारे पर हो खड़े,तुम्हें जाना घर
इस पार से उस पार जाने की करो तैयारी अब
अचल-अडोल बनना तो पास्ट को करो पास्ट
कलयुगी हद को छोड़ दो...पढ़ाई पर दो ध्यान
एक बाप की तरफ देखते आगे बढ़ो...अवस्था एकरस बानाओ
गफलत छोड़ देनी..अपनी अवस्था बनाने की गुप्त मेहनत करो
हम दाता के बच्चे ...कोई मुझे रिगार्ड दे,स्नेह दे ..तब मैं स्नेही बनो नही...मुझे ही देना
समाने की शक्ति ..स्वयं प्रति, सम्बन्ध और संपर्क में लानी
शुभ भावना,शुभ कामना रख सर्व प्रति...समाधान स्वरुप बनना
सत्य को साथी बनाने वाले की नैया नही डूबती

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!