30-04-16
मुरली कविता
बुद्धि-योग एक बाप से लगाओ तो
माया से नही होगी हार
असुरों का यज्ञ में विघ्न पड़ता
जब तक पाप का घड़ा भरता
विघ्नों से नही घबराना,
यह है ड्रामा में नूँध
ख़ुशी और शांति से रहना
श्रीमत पर अपना करना भला
पुरानी दुनिया से नाता तोड़ना
माया की बॉक्सिंग में नही हारना
बाप का दिया तन भी बाप को देना
सब हिसाब-किताब ,और रिश्ते खत्म
ऐसे सम्पूर्ण बेगर बनते डबल-लाइट फरिश्ता
अपनी विशेषताओं का करना प्रयोग
तो प्रगति का अनुभव होता जायेगा
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!