17-02-16
बाबा
कविता6;6;6;6;
आओ हम शिव बाबा को अपना दोस्त
बनाएं
मन बुद्धि के भीतर बैठे हुए रावण को जलाएं
पावन बनकर और बनाकर पाएं सबकी दुआएं
प्रभु याद में खोकर देहधारियों की याद भुलाएं
रहे सदा यह याद शरीर को आत्मा है चलाती
संस्कारों के अनुसार अच्छे बुरे कर्म करवाती
तन से न्यारी आत्मा है शिव बाबा की सन्तान
इसी परम सत्य से हम सब हो गए हैं अनजान
रहते हम सम्पूर्ण पवित्र जब होते हैं सतयुग में
पतित हम बन जाते हैं जब होते हैं कलियुग में
समय आ गया अब पतित से पावन बन जाएं
शिव पिता के संग ख़ुशी ख़ुशी अपने घर जाएं
भूलो कलियुगी बंधन जो इक दिन मिट जाएंगे
धन दौलत और साधन काम नहीं कोई आएंगे
विनाशी आकर्षण में अपनी बुद्धि नहीं लगाओ
एक बाबा की याद में रहकर सद्गति को पाओ
विकारमुक्त है सतयुग तो बनो निर्विकारी अभी
बनेंगे जब पुरे पवित्र सतयुग में जा पाएंगे तभी
ठान लो विकारों के आगे मुझको झुकना नहीं
पवित्रता के पथ पर चलकर कभी रुकना नहीं
विकारों में फंसकर सतयुगी राज्य हमने गंवाया
फिर से हमारा बाबा वही राज्य हमें देने आया
बनकर सतोप्रधान बनो रूद्र माला का दाना
निश्चित होगा तभी तुम्हारा विष्णुपुरी में जाना
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!