21-03-16
मुरली कविता
याद की यात्रा की रेस बनाती
पुण्य -आत्मा
स्वर्ग की मलती इससे बादशाही
देह-अभिमान से होते पाप
तो अति -इंद्रिय सुख की नही होती अनुभूति
भूल हुई तो बाप को बताना सच, कुछ नही छिपाना
बाप सर्जन से श्रीमत पर चलने की लो राय
बुद्धि देह-धारियों से निकाल बाप में लगानी
घृणा की नही रखो दृष्टि,वो है बेसमझ आत्मा,
अज्ञान के है वशीभूत
शुभचिंतक बनो ,रहमदिल की रखो भावना
तपस्या के बल से असम्भव को सम्भव बनाना
है सफलतामूर्त बनना
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!