11-11-16
मुरली कविता
सेवा का तुम शौक जगाकर ऊँची तकदीर बनाओ
ईश्वरीय ज्ञान का अनमोल दान सबको देते जाओ
बाबा देते एक ही श्रीमत बच्चों सेवा करते जाओ
दधीचि ऋषि मिसल हड्डियाँ तक सेवा में लगाओ
जीवन साथी का संग छूटेगा क्योंकि वो है देहधारी
अविनाशी साजन से यहाँ पक्की हुई सगाई हमारी
अंतिम साँस तक बने रहना मुझको शिव पटरानी
उसके संग रहकर मुझको अपनी तकदीर जगानी
ज्ञान योग में जो चढ़ेंगे ऊँचे वैकुण्ठ रस वो पाएंगे
बाप को भूलने वाले ही चमाट विकारों की खायेंगे
आत्मघात कहलाता है पांच विकारों को अपनाना
मेरे बच्चों पावन बनकर सीखो बाप से वर्सा पाना
सम्मान सबको देते जाना सेवा को भी तुम बढ़ाना
बाप की ज्ञानयुक्त बातों में ही अपना दिल लगाना
किरणें शांति की फैलाकर बनना शांति का सागर
शांति का अनुभव कराओ दिल बाबा में लगाकर
ज्ञान सूर्य की किरणें अपने दिल में समाते जाओ
सर्व गुणों में सम्पन्नता का अनुभव बढ़ाते जाओ
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!