26-09-16
मुरली कविता
ज्ञान योग में तीखी आत्माओं को
फॉलो करते जाओ
अपने से बड़ों को सम्मान देने का दैवी गुण अपनाओ
सद्गति होती जब अपनी भक्ति की नहीं रहती दरकार
मुक्ति मिलती भक्ति से मिल जाता अपना दैवी परिवार
पतित से पावन बनाने का ज्ञान केवल बाबा ही सुनाता
उसके सिवा यह ज्ञान कल्प में कोई और नहीं सिखाता
अंत समय आया कलियुग का दुनिया बन गई दुखधाम
सतयुग स्थापन करने आए पतित पावन परमात्मा राम
छोड़ो विकारों का आकर्षण इनसे कर लो तुम सन्यास
ईश्वरीय ज्ञान के सभी विषयों को करना तुम्हें पूरा पास
विकर्म विनाश करने का बाबा एक ही उपाय बतलाते
पावन बनते हैं वही बच्चे जो ममेकम् का मंत्र अपनाते
ज्ञान को अच्छा समझाने वालों की करते जाओ संगत
देह अहंकार को त्यागकर चेहरे पर लाओ रूहानी रंगत
इसी ख़ुशी में खोए रहो कि हम बच्चे स्वदर्शन चक्रधारी
इंद्रिय जीत बनकर बच्चों जीत लो तुम ये दुनिया सारी
विघ्न देखकर घबरा जाओ कभी बनो ना इतना भोला
शक्ति स्वरूप नहीं बने तो लग जाएगा माया का गोला
अपने दिल में लहराते जाओ बाबा की याद का झण्डा
अपने आप ही लहराएगा बाप की प्रत्यक्षता का झण्डा
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!