21-05-16 मुरली कविता


बाप समान बनो तुम प्यार के सागर
किसी को भी नही दो रंज(नाराज़)
हमारा यह है ब्राह्मण-कुल उत्तम
यहाँ हम भर रहे ज्ञान रत्नों से झोली
सतयुग में होंगे हमारे सोने के महल
इन ख्यालातों से ख़ुशी का पारा रहे चढ़ा
अशरीरी बनने का करना अभ्यास
स्वयं को पवित्र जरूर बनाना
सिर्फ आशीर्वाद पर नही चलना
निर्बल आत्माओं को बाप के समीप लाना
उन्हें हिम्मत की देनी टांग
अपने सहयोग से वर्से के अधिकारी बनाना
वरदानी मूर्त बन
अपने परिवर्तन द्वारा, बोल और सम्बन्ध
में सफलता प्राप्त कर बनना सफलतामूर्त

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!