30-03-16
मुरली कविता
याद से बन जाओगे पुण्य आत्मा
आत्मा की खाद निकलेगी और बनोगे पावन
ड्रामा अनादि है बना बनाया
इसमें मूंझने की नही कोई दरकार
हरेक का है निश्चित पार्ट
यह जान सदा रहना निश्चिन्त
याद से ही आत्मा कौड़ी से बनेगी हीरा
स्वप्न में भी मैं और मैं पन के संकल्प का न हो देह -अभिमान
अपने आदि- अनादि स्वरुप को स्मृति में रखना
तभी बनेंगे धारणा स्वरुप--सच्चे ब्राह्मण
स्वयं से ,सेवा से और सर्व से लेना सन्तुष्टता का सर्टिफिकेट
तब कहलायेंगे सिद्धि स्वरुप आत्मा
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!