09-01-16 बाबा पोएम


जिसने अपनी नजरों को नहीं सम्भाला
माया अवश्य निकालेगी उसका दिवाला
आँखों के धोखे से खुद को तुम बचाना
आँखों के ईशारे पर मन को नही नचाना
योगी जीवन का दुश्मन है यह अहंकार
इसके कारण आता है जीवन में विकार
अहंकार बनता है यज्ञ सेवा में रुकावट
परचिंतन से मन को देता बड़ी थकावट
दिल नहीं लगता है फिर मुरली सुनने में
मन व्यस्त होता व्यर्थ के जाले बुनने में
माया दुश्मन सारी श्रीमत भूला देती है
एक पल में वर्थ नॉट ए पैनी बना देती है
बाबा कहते तुम पवित्र धाम से आए हो
देहभान में आकर पतितपने को पाए हो
संगमयुग में कर लो देहभान से किनारा
शिवबाबा को बनाओ अपना एक सहारा
याद में ना रहने से शिवालय लगेगा दूर
सजाएं खाने से थककर हो जाओगे चूर
कोई तकलीफ नहीं पावन होकर रहने में
एक जन्म चलना हमें बाबा के कहने में
एक जन्म याद रखना बाप का कायदा
बाप से निभाना है पवित्रता का वायदा
पुरानी दुनिया से अब दिल नहीं लगाना
अपनी सोई हुई शक्तियों को है जगाना
अपने पर नजर रखकर रहना होशियार
गफलत करते ही माया खिला देगी हार
कोई विनाशी इच्छा मन में नही पालना
पुरानी दुनिया से मन को तुम निकालना
माया के विघ्नों का ढूंढते रहना कारण
हर एक विघ्न का करते जाना निवारण
योग लगाकर बाप से बनना सतोप्रधान
पांच विकारों से हो जाना पूरा अनजान
नहीं खाएंगे हम बार बार माया से हार
होकर रहेंगे हम बाबा पर पुरे बलिहार
बने रहेंगे सदा हम निराकार बिन्दु सार
नहीं पड़ेगी फिर हमें धर्मराज की मार

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!