04-08-16
मुरली कविता
तुम हो सच्चे-सच्चे
राजऋषि,राजयोगी
तुम्हें रजाई पानी तो पवित्रता की प्रतिज्ञा करनी
पढ़ाई पर देना पूरा -पूरा अटेंशन
बाप जो सुनाते उसे करना धारण
कोई खराब काम कुल कलंकित वाला नही करना
टाइम वेस्ट..मनी वेस्ट नही करना
सदा अपने को स्टेज पर समझ कर्म करना
वर्तमान और भविष्य स्टेटस की रहे स्मृति
तो हर समय, हर कर्म होंगे श्रेष्ठ
ईर्ष्या और अप्राप्ति का कारण है इच्छा
जहाँ सर्व प्राप्तियां है वहां है प्रसन्नता
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!