19-03-16 मुरली कविता


देह-अभिमान है कड़ी बीमारी इससे हुआ डाउन फाल
देहि-अभिमानी बनो तो ख़ुशी का पारा रहे चढ़ा
चलन भी सुधरे और रहे नशा
योग बल से कर्मभोग पर पानी विजय
तब होगी प्राप्त कर्मातीत अवस्था
बहुत -बहुत शीतल व मीठा बनना
क्रोध के भूत को भीतर से देना निकाल
स्वमानधारी बन स्वमान की सीट पर रहो सेट
तो माया आगे हो जायेगी सरेंडर
दिलाराम के साथ का अनुभव वाली लवलीन आत्मा
सदा साक्षिपन के सीट पर रहती सेट
 

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!