13-01-16
मुरली कविता
ब्रह्मा बाबा है शिवबाबा का रथ
दोनों को पार्ट चलता इकट्ठा
इसमें नही लाना संशय
जीवघात है सबसे बड़ा महापाप
इससे और दुखों में जाते फंस
छुई-मुई नही बनना,दैवी गुण करने धारण
अपनी सुधारनी चलन
कर्मातीत अवस्था में जाने का करना पुरुषार्थ
बाप की शक्ति से मिलन में मगन रहना
बाप के संग में रहो,बाप को साथी बनाओ
तो बन जाओगे मायाजीत,जगतजीत
अपनी ऊँची वृत्ति से प्रवृति की परिस्थितियों को चेंज करो
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!