18-05-16
मुरली कविता
निश्चयबुद्धि बन बाप की हर आज्ञा
पर चल बनना श्रेष्ठ
जो बनाते दूसरों को भी आप समान
ईश्वरीय सेवा में बनते बाप के राईट-हैण्ड
वो है सच्चे-सच्चे खुदाई खिदमतगार
निश्चयबुद्धि की निशानी सदा निश्चिन्त,अचल
हर कदम में होता कल्याण समाया
तो क्यों क्या में नही जाना
जब बाप का हाथ है पकड़ा
तो अकल्याण भी कल्याण में जायेगा बदल
जो है सदा स्नेही--वह हर कार्य में बनते स्वतः सहयोगी
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!