28-03-16 मुरली कविता


सर्विस में रह कोई विघ्न रूप नही बनना
कदम -कदम श्रीमत पर चलना
कोई भी गफलत नही करना
एक्यूरेट बनना,अंदर बाहर एक रहना
बाप के सिवाये कोई की नही करनी बात
संशय बुद्धि हो पढ़ाई नही छोड़ना
भारत को डबल सिरताज बनाने की करनी सेवा
बहुत -बहुत एक्यूरेट और अन्तर्मुखी रहना
अन्तर्मुखता से अंदर की सूक्ष्म शक्ति की लीलाओं का होगा अनुभव
रूहानी सेवा के लिये एकाग्रता की बढ़ाओ शक्ति
इससे विघ्न हो जायेंगे सब समाप्त
सर्वप्राप्तियों को स्वयं में करो धारण
तो विश्व स्टेज पर हो जाओगे प्रत्यक्ष
 

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!