06-01-16 मुरली कविता


कदम-कदम पर श्रीमत पर चलना
नही तो माया निकल देगी देवाला
आँखे देती धोखा तो करो इसकी संभाल
अहंकारी से माया कराती विकर्म
थप्पड़ मार वर्थ नॉट पैनी देती बना
जो करते परचिन्तन बनते वो यज्ञ में विघ्न रूप
कोई बेकायदे चलन नही चलना
अपने ऊपर रखना बहुत कण्ट्रोल
बुद्धि से पतित दुनिया का रखना वैराग्य
मास्टर सर्वशक्तिमान कभी नही खाते हार
जो बार-बार माया से हारते वो धर्मराज के खाते मार
हार के बजाये हो जाओ बलिहार
स्वयं को सदा विजयी रत्न समझ हर कर्म और संकल्प से कार्य करो
'कब' शब्द है कमज़ोरी,इसलिए 'कब करेंगे' को 'अब करेंगे' में बदलो

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!