19-05-16
मुरली कविता
एक बाप से रखनी सच्ची प्रीत
कोई देहधारी से नही
प्रीत बुद्धि बच्चे बाप के साथ रहते सच्चे
रोज़ अमृतवेले उठ एक बाप की याद में रहेंगे
उनकी बुद्धि दुनियावी बातों में नही भटकती
आपस में एक-दो के आशिक- माशूक नही बनना
संगम युग है हीरे-तुल्य,हीरो पार्टधारी बन रहना
शुभ -भावना,शुभ-कामना फ़ैलाने का देना अटेंशन
अपनी नज़र हीरे पर जाये पत्थर पर नही
हरेक की विशेषता को देखना, कमी नही
वायुमण्डल व विश्व का परिवर्तन
करने के पहले करो स्व परिवर्तन
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!