01-03-16
मुरली कविता
श्रीमत पर सबका कल्याण करना
सुखी होने का बताना उनको रास्ता
देह-अभिमान से होती गफलत
बनते विकर्म,मिलती सबसे नफ़रत
आत्मभिमानी बनो,न करो अकर्त्तव्य
आपस में बनो क्षीण -ख़ण्ड
प्रीत-बुद्धि बन,बाप का रखो संग
अपना नही करो कोई नुक्सान
ऑलमाइटी -अथॉरिटी की हम है संतान
यही है सर्वश्रेष्ठ पोजीशन
इससे माया की अधीनता होती समाप्त
विश्व भी फिर आपके आगे जायेगा झुक
सदा काल का राज्य भाग्य होगा प्राप्त
करावनहार बाप की स्मृति 'मैं' को करती समाप्त
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!