11-07-16 मुरली कविता


बाप आये ज्ञान रत्नों से करने भरपूर
यह है गुप्त ज्ञान रत्नों का दान
इससे पाते हम गुप्त रजाई बिना लड़ाई और बारूद
सबकों देना यह गुप्त ज्ञान का दान
मुक्ति -जीवनमुक्ति का बताना रास्ता
मर्यादा की लकीर से बाहर नही रखने पाँव
जरा भी निकले बाहर तो बन जायेंगे फ़क़ीर
मर्यादाओं में रहने से बनेंगे सदा निर्विघ्न
जो सदा न्यारे और बाप के है प्यारे
वो रहते सदा ही सेफ

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!