31-05-16 मुरली कविता


रावण ने तुम्हें है बहुत पीड़ित किया
भक्तों का रक्षक भगवान् आया करने दूर पीड़ा
बाप से सच्चा रह बनना सपूत
सपूत ही मात-पिता को करते फॉलो
वो सदा ही चलते श्रीमत पर
याद से तमोप्रधान से बनना सत्तोप्रधान
ज्ञान रत्नों का करते रहना दान
व्यक्त भाव से परे अव्यक्त में रहना
इससे वातावरण भी रहता अव्यक्त,
साक्षात्कार मूर्त बन करा सकते साक्षात्कार
सम्पूर्ण पवित्रता ही है पवित्रता का आधार

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!