13-08-16
मुरली कविता
सुनी -सुनाई उल्टी-सुल्टी, झूठी
बातों पर न करो विश्वास
एक कान से सुन दूसरे से देना निकाल
ज्ञान की ख़ुशी में रहने वाले बच्चे
दुःख और गम की दुनिया को जाते भूल
कर्मभोग के हिसाब-किताब को ख़ुशी से करते मर्ज
बाप आया अब ख़ुशी की दुनिया में ले जाने
तो कोई उल्टा कर्म नही करना
जिससे ब्राह्मण कुल-भूषणों का नाम हो बदनाम
श्रीमत पर अपना व् दूसरों का करना कल्याण
शरीर और आत्मा के न्यारेपन का हो चलते -फिरते अनुभव
तब ही फ़रिश्तेपन का होगा साक्षात्कार
संगम का एक सेकंड भी व्यर्थ गंवाना
अर्थात एक वर्ष प्रारब्ध का गंवाना
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!