19-01-16
मुरली कविता
सर्व धर्म पिताओं के आदि पिता
है प्रजापिता ब्रह्मा बाबा
वह है ग्रेट ग्रेट ग्रैंड फादर
श्रीमत पर किया हर कर्म होता श्रेष्ठ
श्रीमत के विरुद्ध किया कर्म होता पाप
पाप कर्म कर बाप से नही छिपाना
उसका होता 100 गुना दंड
ख़ुशी हो जाती ग़ुम
बाप से योग भी जाता टूट
सच्चे बाप के साथ रहना सच्चा
हर संकल्प,हर कर्म बाप के आगे करना अर्पण
बाप पर पूरा -पूरा जाना बलिहार
निमित्त अर्थात होना अर्पण और नम्रचित बनना
नम्रचित वो जो झुकते सदा..झुकना अर्थात फिर झुकाना
अब समस्या स्वरुप नही बनना
समाधान स्वरुप बनना
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!