07-06-16 मुरली कविता


तुम हो महान भाग्यशाली,तुम्हें पढ़ाते भगवान्
यह पढ़ाई किसी ऋषि-मुनि ने भी नही पढ़ी
इस रूद्र-ज्ञान -यज्ञ से होगी विनाश की ज्वाला प्रज्जव्लित
यह है ड्रामा की भावी,पुरानी दुनिया होगी स्वाहा
तो इस बेहद के यज्ञ में तन -मन-धन करना स्वाहा
सब कुछ नई दुनिया के लिए करना ट्रान्सफर
जितना-2 जो संकल्प,बोल,कर्म में बनेगा पवित्र
उतना लाइट का क्राउन होगा उसका स्पष्ट
इष्ट देव के रूप में होगी उसकी प्रत्यक्षता
सदा बाप-दादा की छत्रछाया के अंदर रहो तो बन जायेंगे विघ्न-विनाशक

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!