08-11-16 मुरली कविता


मेरे संग करते जाओ संगमयुग का सफर सुहाना
याद करो ना कलियुग को ये तो है बीता जमाना
अपनी हर इक भूल बाबा को सच्चाई से बताकर
गलतियाँ तुम सुधारों खुद को बिगड़ने से बचाकर
दिल में ख्याल यही चलता हमें शिव बाबा पढ़ाते
बाल बच्चे और धंधा धोरी हमको याद नहीं आते
हर पल याद रहे शिव बाबा ऐसी युक्तियाँ निकालो
अपने घर में जगह जगह बाबा का चित्र लगा लो
देह से न्यारे शिव बाबा से हम सुख का वर्सा पाते
फिर भी कितने बच्चे बाप को याद नहीं कर पाते
हम बच्चे बैठे हैं उसमें जो है संगम युग की नैया
अपना प्यारा मीठा बाबा है इस नैया का खिवैया
बाबा ने आकर हम बच्चों को भटकने से छुड़ाया
कलियुग से निकालकर संगम की नैया में बिठाया
हम बच्चों के लिए बाबा देखो स्वर्ग सजाने आया
कहता हमसे बच्चों तुम सबको पावन बनाने आया
अशरीरीपन के द्वारा जीवन को बनाओ सुंदर साज
उल्टी सुल्टी बातें सुनकर होना नहीं कभी नाराज
मनमनाभाव का व्रत रखकर मुरली को सिमरना
ज्ञान की बातें सुनकर विचार सागर मंथन करना
यथार्थ विधि कर्म करने की जो लेता है जिम्मेदारी
एक वही बनता है सिद्धि स्वरूप का टाइटलधारी
सर्वशक्तिमान संग हमारे माया है कागज का शेर
किरणें देकर योग बल की कर दो इसे पल में ढ़ेर

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!