09-07-16 मुरली कविता


इस सभा में बैठना बाप की याद में सिर्फ
मित्र,संबंधी,धंधे आदि की याद
से वायुमंडल में आते विघ्न
तुम्हारी है रूहानी ड्रिल...मनमनाभव
बुद्धि से तुम आशिक बन
करते परमात्मा माशूक को याद
ड्रामा के ज्ञान को बुद्धि में रख.. रहो निश्चिन्त
बनी बनायीं बन रही..निर्मोही बनना
कोई ग्रहचारी आये तो ज्ञान दान से करना समाप्त
काली रूप बन पतित संकल्प का करना संघार
सर्व शस्त्रधारी किसी का नही बन सकते शिकार
रॉयल रूप की इच्छा का स्वरुप
है नाम ,मान और शान

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!