14-06-16
मुरली कविता
सर्विसेबल सपूत -बच्चा बन लेनी
बाप की आशीर्वाद
सबको देना सुख,नही देना दुःख
क्रोध करना ,तंग करना ऐसी नही हो चलन
ऐसे कर्मो से मिलती धर्मराज की सज़ा
राईट-रॉंग की जजमेंट बुद्धि में रख करने कर्म
उलटे -सुल्टे कर्म से होती बाप की अवज्ञा
ट्रस्टी बन कर गृहस्थ व्यवहार में रहना
सदा सत -बाप ,सत-शिक्षक,सतगुरु का रहे संग
इस सत्संग में रहने वाले रहते हर्षित और डबल-लाइट
खुशियों की खान साथ है ऐसा होगा अनुभव
अपने मीठे बोल,उमंग-उत्साह के सहयोग से
दिलशिक्स्त् को बनाओ शक्तिशाली
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!