07-04-16 मुरली कविता


बाप के पास जो है वक्खर (सामान)
उसका तुम्हें मिला है पूरा अंत
उसे धारण करो और धारण कराना
बाप ड्रामा के राज़ को पहले नही सुनाते
क्योंकि यह है लॉ,पहले जानने से नही आता मज़ा
भोजन को दृष्टि से शुद्ध बना,करना स्वीकार
अब घर जाना इस परम सुख ,परम आनंद में रहना
आत्मा को ख़ुशी का भोजन बनाता शक्तिशाली
ख़ुशी जैसी कोई खुराक नही
ड्रामा की स्मृति रहे तो कभी मुरझा सकते नही
ड्रामा की हर सीन है कल्याणकारी
परचिन्तन,परदर्शन की धूल से दूर रहने वाला होता सच्चा अमूल्य हीरा
 

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!