17-09-16
मुरली कविता
बहुत जल्द ही आएंगे नई दुनिया
के दिन सुहाने
इसलिए बाबा आया हम बच्चों को पावन बनाने
एक बाप की मत ने खत्म कर दिया रावण राज
अपनी दैवी दुनिया में पवित्र प्रेम के बजेंगे साज
विश्व नाटक का सच्चा राज है लेना और गंवाना
फिर से पावन बनकर विश्व की राजाई को पाना
ॐ शांति उच्चारित करके भूलना अपने तन को
खुद को रूह समझकर बाबा में लगाना मन को
नहीं दिखते इन आँखों से आत्मा और परमात्मा
अनुभव होगा इनका करके देहभान का खात्मा
सृष्टि का चक्र निराला चार युगों में घूमता रहता
बीत चुकी घटनाओं को ये हुबहू दौहराता रहता
सुर्यवंश और चन्द्रवंश दोनों युग होते सुखदायक
रावण बनाता है द्वापर कलियुग को दुखदायक
श्रीमत पर चलकर बनते जाओ तुम सतोप्रधान
उत्तम पद पाकर बन जाओ विष्णुपुरी की शान
मिले सबका आशीर्वाद हमें ऐसी सेवा करनी है
वरसे से अपनी झोली विनाश से पहले भरनी है
निर्बल में बल भरकर वरदाता बनो बाप समान
देकर सर्व शक्तियाँ बनाओ सबको आप समान
साक्षी होकर देखते जाओ इस दुनिया का खेल
आने वाली हर समस्या को सहज पाओगे झेल
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!