28-09-16 मुरली कविता


कल्प का चक्र लगाकर हमने 84 रूप किए हैं धारण
बाप अजन्मा आ गया है धरकर रूप अति साधारण
श्रीमत जो देते हैं बाबा उसे सुनते जाओ देकर ध्यान
धारण कर श्रीमत को फिर ज्ञान सुनाओ बाप समान
दुखी होकर रावण राज्य से बच्चों ने बाप को बुलाया
बच्चों के लिए बाप आकाश सिंहासन छोड़कर आया
समझो और समझाओ हम सब शांति धाम के वासी
हम आए हैं तो जाएँगे भी अब छोड़ो मन की उदासी
एहसास कराया बाबा ने हम सब आत्माएं निराकार
इस कर्मक्षेत्र पर हम सब आते हैं लेकर तन साकार
समझो खुद को दैवी कुल का पास करो हर परीक्षा
रोज चार्ट में लिखना अपने हर संकल्पों की समीक्षा
रोना कभी ना आए तुम्हें ये है कायरता की निशानी
बेहद सुख शांति की दुनिया तुम्हें सबके लिए बनानी
माया रावण के आगे अचल अडोल रहो अंगद समान
पांच विकारों को हराकर कल्प कल्प पाओ सम्मान
कर्म करते हुए जो बच्चे योग का सन्तुलन रखते हैं
वही बच्चे बाप की नजर में सच्चे कर्मयोगी बनते हैं

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!