30-09-16 मुरली कविता


ये ईश्वरीय पढ़ाई पढ़कर प्रिंस बनो श्रीकृष्ण समान
करते है जो याद बाप को वही बन सकते हैं महान
किसी देहधारी को कभी नहीं कह सकते भगवान
भूलो नहीं तुम्हें पढ़ाने आता है स्वयं शिव भगवान
बैठे जब से काम चिता पर बच्चे बन गए पुरे काले
योग अग्नि में बैठकर भर लो अपने में ज्ञान उजाले
एक बाप ही आकर देता हमें पावन बनने का ज्ञान
देह अभिमान मिटाकर हमारा भरता है रुहानी ज्ञान
मिल जाता जब आत्म ज्ञान तो छूट जाती है भक्ति
राजयोग के बल से आत्मा में भरती रहती है शक्ति
त्यागकर अपना तन आत्मा स्वर्ग कभी नहीं जाती
अपने कर्मों के आधार पर अगला जन्म यहीं पाती
अंत समय अब आ गया सबको अपने घर है जाना
सम्पूर्ण पावन बनकर अब हमें नई दुनिया में आना
अपना बाबा आया ले जाने हम बच्चों को परमधाम
सम्पूर्ण शुद्ध बनो मिटाकर विकारों का नाम निशान
स्वयं को सम्पूर्ण पावन बनाना अपनी है जिम्मेदारी
अपवित्र रहकर नहीं बनो सजाएं खाने के अधिकारी
बन जाओ सम्पूर्ण सतोप्रधान मिटाओ कमियां सारी
बन पाएगी इसी आधार पर सारी दुनिया निर्विकारी
जग भंभोर को जलाने की सबने कर ली पूरी तैयारी
कैसी बनी है बच्चों घर चलने लायक अवस्था तुम्हारी
करो बाप को याद लौकिक अलौकिक तोड़ निभाकर
पावन बनना है खुद को सांसारिक बंधनों से बचाकर
स्व स्थिति में स्थित रहकर पुरे समझदार बन जाओ
संकल्प कर्म को श्रेष्ठ बनाकर सेवा में सफलता पाओ
खुश रहकर तुम करते ही रहना सबको ख़ुशी का दान
बना लो अपना ब्राह्मण जीवन विघ्नमुक्त और आसान

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!