13-04-16
मुरली कविता
बाप की है यह वंडरफुल हट्टी
तुम हो इस हट्टी के मालिक
यह है सर्व ख़ज़ानों को भण्डार
यहाँ सुख, शांति, ज्ञान, पवित्रता का है भरमार
निर्वृति मार्ग वालों के पास नही मिलता यह सामान
विकारों का दान दे बनना पवित्र
बाप- दादा से की प्रतिज्ञा को रखना याद
बाप की याद में रह करने विकर्म विनाश
अभी समय ,एनर्जी व् स्थूल ख़ज़ानों के कम खर्च बालानशीन बनना
स्वयं के बजाये इन्हें विश्व के कल्याण प्रति करना यूज़
एक की लग्न में मग्न रहो तो बन जाओगे निर्विघ्न
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!