03-06-16 मुरली कविता


अविनाशी ज्ञान रत्नों से भरो सबकी झोली
दर से कोई नही जाए खाली
सब कुछ भूल बनो अशरीरी
बाप है सर्व-संबंधों की सैकरीन
बाप की याद से ही होगा कल्याण
समय,संकल्प,शक्ति के ख़ज़ानों को
स्वयं व् सर्व प्रति करो सफल
तो स्वतः बन जाओगे सफलतामूर्त
एकाग्रता द्वारा जाओ सागर के तले,
अनुभव के हीरे मोती करो प्राप्त
तो बन जाओगे अनुभवी मूर्त

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!