13-06-16
मुरली कविता
बाप पुरानी
दुनिया से मोड़ो मुख
जीवनमुक्ति के लिए दैवी मैनर्स करो धारण
पवित्रता है बड़ा दैवी मैनर्स जो सिखलाते बाप
यह है बेहद का सन्यास,बुद्धि से भूलनी पुरानी दुनिया
मोस्ट बिलवेड बाप और सुखधाम को करना याद
शरीर है रचना,आत्मा है रचता
इस मालिकपन की स्मृति से हाईएस्ट अथॉरिटी का होगा अनुभव
शिवशक्ति अर्थात् बाप और बच्चे के कंबाइंड स्वरुप की स्मृति से
माया को अथॉरिटी से करो पार
विस्तार को सेकण्ड में समाकर ज्ञान के सार
का अनुभव करो और कराओ
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!