05-04-16 मुरली कविता


रहमदिल बन अनेकों को बताना रास्ता
रात-दिन सर्विस करने वाले होते बहादुर
उंच तकदीर का आधार हैं याद की यात्रा
बंधनमुक्त बन सर्विस में लग जाना
शरीर से ममत्व निकाल जीते जी मरना
बिमारी में भी याद से विकर्म करने विनाश
बाप को अधिकारी स्थिति से बनाना साथी
तो व्यर्थ संकल्प,अशुद्ध बोल से बुद्धि डगमग नही होगी
बुद्धि की एकाग्रता से सारी शक्तियाँ आ जाती
जो सार से विस्तार ,विस्तार से सार
में जाने के अभ्यासी वो कहलाते राजयोगी
 

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!