28-05-16
मुरली कविता
श्रीमत पर चल देना सुख
आसुरी मत से मिलता दुःख
बाप आया ले जाने सुखधाम
पुरुषार्थ कर उंच पद पाना
देह-अभिमान का देना दान
इस भूत में सब भूत आ जाते
आत्म-अभिमानी बनने का करना अभ्यास
याद करना नही,स्वतः आये याद
अजपाजाप निरन्तर चलता रहे
साधरणता खत्म हो.. आयेगी महानता
मनन शक्ति द्वारा सागर के तले में जाने
वाले ही बनते रत्नों के अधिकारी
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!