25-03-16
मुरली कविता
आपस में करो रूहानी स्नेह
न हो एक -दो में मतभेद
श्रीमत पर पूरा-पूरा चलना
ईश्वर के दिल पड़ चढ़ना
दैवी गुण करने धारण
सर्विस में बाधा नही डालना
देही-अभिमानी ,एक्यूरेट और आल राउंड बनना
आपस में क्षीण ख़ण्ड हो रहना
आलस्य त्याग अथक बनना
बाप के सम्मुख का अनुभव कर ख़ुशी में रहना
सिद्धि स्वरुप के हर संकल्प में पुण्य,
बोल में दुआओ का खाता जमा होता
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!