09-11-16 मुरली कविता


पार्ट बजाया सारे कल्प में खुद को बनाकर श्रेष्ठाचारी
इसीलिए बाबा कहते बच्चों तुम हो सर्वोत्तम पार्टधारी

उत्तीर्ण वही कर पाएगा मानव से देव बनने की परीक्षा
बाप समान जो अपनाएगा पावन बनने की यह शिक्षा

हम बच्चों से मिलन मनाने मीठा बाबा सम्मुख आया
बाप के भीतर बच्चों ने शिक्षक और सतगुरु भी पाया

बाप के आने पर आता है संगमयुग का समय सुहाना
इसी एक युग में पुरुषोत्तम अपने आपको हमें बनाना

दिल में ये गदगद होता रहे अब मैं क्या हूँ बनने वाला
साधारण मानव से कुछ पल में देवरूप हूँ धरने वाला

शिव बाबा का बनकर हुआ हूँ गर्भ जेल से मैं आजाद
सर्वोच्च देव पद मैं पाऊंगा मन में रहता यही उन्माद

आए कोई भी परिस्थिति लेकिन दुखी कभी ना होना
आवाज से परे जाकर बाबा की याद में तुमको खोना

अशरीरीपन का अभ्यास ही सर्व कला सम्पन्न बनाता
अभ्यासी इस अवस्था का युद्ध में समय नहीं गंवाता

अपने हर संकल्प को मनचाही दिशा में लेकर जाता
खुद में 16 कलाएं जगाकर सूर्यवंशी घराने में आता

सरलता और सहनशीलता का गुण जीवन में लाओ
सच्चे स्नेही और सहयोगी का टाइटल सबसे पाओ

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!