08-08-16
मुरली कविता
मन्सा-वाचा-कर्मणा नही देना किसी
को दुःख
क्रोध त्याग,मीठे बोलों से करना वश
अपने मैनर्स सुधारने,दैवी गुण करने धारण
अपने पुरुषार्थ से स्वयं को देना राजतिलक
ईश्वरीय सेवा में कभी नही थकना
अपनी निर्वाण स्थिति में रहो स्थित
तो वाणी के कम शब्द होंगे शक्तिशाली और यथार्त्
एक शब्द से हज़ार शब्दों का राज़ होगा सपष्ट
दिल से बाबा कहना अर्थात्
ख़ुशी और शक्ति की प्राप्ति करना
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!