01-01-16 मुरली कविता


मुख से निकले सदैव ज्ञान रत्न
मुखड़ा हरदम रहे हर्षित
ब्राह्मण जीवन में जो करते ज्ञान धारणा
उनकी चलन होती देवताओं मिसल
ज्ञान मंथन करने का होगा उनको अभ्यास
आसुरी अवगुणों से होंगे वो मुक्त
न ग्लानि करेंगे किसी की, न देंगे गाली
सर्विस का शौक रखना,थकना नही
गुण देखने की उत्कंठा हो, तब रहेगा उत्साह
एकरस स्थिति होगी,बन जायेंगे गुणमूर्त
बेहद के वैराग्य वृत्ति का मज़बूत फाउंडेशन..
अशरीरी स्थिति बनाता सहज


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!