14-07-16
मुरली कविता
वृक्षपति बाप द्वारा बैठी है
तुम पर
ब्रहस्पति की दशा
वो तुम्हें ले जा रहे अविनाशी सुख की ओर
जो निश्चयबुद्धि से स्वयं को समझते आत्मा
उन पर ही बैठती ब्रहस्पति की दशा
अती-इंद्रिय सुख पूछो गोप-गोपियों से ..
यह है उनका ही गायन
डेली अपनी डायरी में याद का रखना चार्ट
तन-मन-धन ईश्वरीय सेवा में करना सफल
असहयोगी को सहयोग ..
कमज़ोर को बल ...
अपकारियों पर करना उपकार
स्वार्थ व ईर्ष्या है क्रोध के कारण
चिड़चिड़ापन है जड़,उसे करना समाप्त
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!