15-03-16 मुरली कविता


बाप को प्रिय होती ज्ञानी तू आत्मा
उनके जैसा बनो ज्ञान का सागर
बाप स्मृति दिलाते अंतिम जन्म तुम्हारा
पवित्र बन घर वापिस जाना अब
योगग्नि से पापों को करो भस्म
सत्तोप्रधान बन फिर सुखधाम में आना
बाप समान दुख हर्ता -सुख कर्ता बनना
स्मृति से बनो समर्थी सवरूप
समर्थी बन माया से करो सामना सहज
ईश्वरीय कुल हमारा यह रहे सदा स्मृति
तब सर्व कमज़ोरियां होगी स्वतः समाप्त
सत्य स्वयं होगा समय से सिद्ध
सत्य को नही चाहिये कोई प्रमाण
 

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!