02-02-16 मुरली कविता


एक से बाँधी तुमनें अपनी जीवन डोर
एक से है अब तुम्हारा कनेक्शन
एक से निभाना है अब तोड़
बाप के साथ तुम्हारा जुड़ा है पल्लव
आधा -कल्प करते वो फिर तुम्हारी परवरिश
बुद्धि की बांधनी एक से डोर
एक की ही श्रीमत पर चलना
अपने को बहुत-बहुत स्वीट बनाना
संकल्प में भी न हो कोई उलझन
ऐसी प्रतिज्ञा करो जब हो पास विद ऑनर
ज्ञान घृत और योग की बत्ती रहे जब ठीक
तब तो ख़ुशी का जगता रहे दीपक

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!