14-05-16 मुरली कविता


ईश्वरीय सेवा में सब करो सफल
मौत सामने है खड़ा
देह सहित देह के सब सम्बन्ध भूल
मोहजीत बनना
विचार-सागर -मंथन करना ,
तब हो अच्छी धारणा
महावीर सदा करते चढ़ती कला का अनुभव
सदा अथक ,उमंग -उत्साह में रहते
रुकने वाले होते घोड़ेसवार
थकने वाले है पयादा
सदा चलने वाले होते महावीर
शक्तिशाली अपनी साधना द्वारा
जब चाहे शीतल, जब चाहे ज्वाला-स्वरुप
करते धारण

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!