28-06-16 मुरली कविता


बाप ने दिया है तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र
जिससे तुम तीनों कालो,तीनों लोको को पाये हो जान
पारलौकिक बाप देते रुहों को वर्सा
अपने को रूह समझ पढ़ाई पढ़ो
तो मिले पूरा वर्सा
सचखण्ड का मालिक बनना तो
सच्ची-सच्ची कथा सुननी और सुनानी
बेहद के बाप को करना याद,
कोई देह-धारी को नही
मुख से जो बोल निकले उसमें
हो रहम और रुहाव
दोनों जब समान हो तब विश्व के नव-निर्माण
के बन सकते निमित्त
बाप के प्यार के पीछे व्यर्थ संकल्प को करना न्यौछावर...है सच्ची कुर्बानी

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!