02-05-16
मुरली कविता
भगवान् टीचर बन पढ़ाते तो सदा रहे
ख़ुशी
वह राजयोग सिखाते , प्रजा योग नही
इस पढ़ाई की खूबी नए बच्चें पुराने से जाते तीखे
कर्मातीत अवस्था तक करना पुरुषार्थ
कौड़ियो पीछे हीरे तुल्य जीवन नही गँवाना
पढ़ाई और पढ़ाने वाले से रखनी सच्ची प्रीत
सब कुछ रूहानी सेवा में करना सफल
इंद्रप्रस्थ निवासी बनना तो मनुष्य की बदबू..देह-भान छोड़ना
देहि-अभिमानी हो देह-भान से उड़ना ऊपर
ज्ञान-योग के पंख रखने मज़बूत
समझदार वो जो अपने तन-मन-धन
को सफल कर बढ़ाते खज़ानान
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!