11-08-16 मुरली कविता


हम अपने ही योग बल से भारत को बनाते स्वर्ग
माया लाती देह-अभिमान और नाम-रूप का विघ्न
सर्विस में उन्नति होगी जब बनो देहि-अभिमानी
चित्रों द्वारा कैसे सर्विस को बढ़ाना यह करने विचार
तुम्हीं संग बैठूँ..तुम्ही संग खाऊँ ,तुम्ही से सर्व सम्बन्ध निभाऊँ
ऐसे प्रीत बुद्धि बच्चे ही बनते विजयी रत्न
चाहिये-चाहिये का संकल्प आना भी रॉयल रूप का है माँगना

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!