01-01-16 बाबा पोएम


काम विकार जब से है जागा मन बुद्धि के अंदर
तूफान मचा दिया है इसने सारी दुनिया के अंदर
बुद्धि सबकी दूषित हो गई करके देह का दर्शन
सारे जग में फैल गया है केवल तन का प्रदर्शन
हड्डी मांस के तन पर हुई मोहित ये दुनिया सारी
दैहिक सुख भोगकर निढाल हुई आत्मा बेचारी
भौतिक वस्तुएं बिकती है लेकर तन का आधार
क्योंकि फैल चूका है सारे जग में काम विकार
कर डालो काम महाशत्रु को सम्पूर्ण रूप से नष्ट
इसी विकार ने किया हमारी मन बुद्धि को भ्रष्ट
झूठी तृष्णा के चक्रव्यूह से हमको है निकलना
दैहिक दृष्टि को हमें रूहानी दृष्टि में है बदलना
पाप है तन का आकर्षण मन को ये समझाना
आत्मिक भान जगाकर बुद्धि को शुद्ध बनाना
झूठ कपट लालच भी है काम विकार का रूप
मन की दूषित इच्छाओं का है चेहरा ये कुरूप
इच्छित वस्तु का अभाव दिल को है तड़पाता
विवेक शून्य बनाकर हमसे पापकर्म करवाता
बढ़ते जाते पापकर्म किंतु मिटती नहीं है इच्छा
विनाशी इच्छाएं हमें कभी ना बनने देती अच्छा
छोड़ो सारी तमन्नाएँ पूरी करो बाबा की इच्छा
इसी विधि से जीवन बनाओ सर्वोत्तम अच्छा

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!