11-02-16 मुरली कविता


याद की यात्रा का जरूर करना पुरुषार्थ
याद का बल ही बनाता विकर्माजीत
रूहानी खिदमतगार बच्चें करते रुहों को सैलवेज
कल-कल करते जायेंगे मर
पिछड़ी में करेंगे पुरुषार्थ
यह आये न कभी ख़याल
विघ्नों में याद की यात्रा जाए न ठहर
कर्मयोगी बन करने कर्म
कर्म अर्थात व्यवहार,
योग अर्थात परमार्थ,
दोनों में रहे बैलेंस
करनकरावनहार की रहे सदा स्मृति,
तब सेवा में हो निर्माण ही निर्माण
पुराने संस्कारों का करो वैराग्य,
सेवा -सम्बन्ध में यही विघ्न के कारण

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!