01-08-16
मुरली कविता
सुनी सुनाई बातों पर न करो
विश्वास
निंदा-स्तुति,जय-पराजय सबमें रहो समान
एक बाप से सुनो,न करो परचिन्तन
तो आत्मा की रहेगी चढ़ती कला
आसुरी खान-पान का करो त्याग,बनो सहनशील
अपनी व्यर्थ संकल्पों की रचना करो समाप्त
तब होगी सफलता
कर्म के अदि-मद्य-अंत को जान करो कर्म
तो बन जायेंगे सम्पूर्ण मूर्त
समय पर दुःख और धोखे से बचकर सफल
होने वाला ही है ज्ञानी
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!