20-06-16
मुरली कविता
बाबा फूल आदि नही करते स्वीकार
तुम्हें भी नही पहनने फूलों के हार
बाबा तो तुम्हें ही बनाते पूज्य
मेहनत कर मात-पिता से भी आगे बढ़ना
दिलतख्तनशीन ही बनते भविष्य के तख्तनशीन
ट्रस्टी और मोहजीत बनना
आँखों को बनाना स्वच्छ
खुशबूदार बनना फूल
संगम पर ही होती अती- इंद्रिय सुख की प्राप्ति
नॉलेज,बाप और वर्से की भी होती डबल प्राप्ति
एक -दो के संस्कारों को जानते हुए
उनसे चलना मिलकर
यही है उन्नति का साधन
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!