11-05-16 मुरली कविता


श्रीमत पर चलने से बनती उंच तकदीर
हे भगवान्..हाय !हाय! करना छोड़ो
अंदर में बाबा -बाबा कह प्यार से करो याद
मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई पढ़नी
कोई भी उल्टी बात नही सुननी व् सुनानी
श्रीमत में मनमत नही करनी मिक्स
सदबुद्धि वाले ही तुफानो को समझते तोफा
साक्षी हो सबका देखते पार्ट
हर्षित रहते,बाप को साथी बनाते अपना
सुखदाता बाप के सुख देने वाले बच्चे के पास
दुःख की नही आती कोई लहर

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!