27-09-16 मुरली कविता


ज्ञान धन कमाने की बच्चों आदत अच्छी डालो
धंधे धोरी के बीच में से याद का समय निकालो
अमृतवेले बाप की याद से स्वर्ग का वर्सा पाओ
गृहस्थ में रहकर कमल पुष्प समान बन जाओ
दुनिया वाले सत्संगों से वर्सा कभी नहीं मिलता
बाप की याद से ही जीवन मधुबन सा खिलता
आपस में हम भाई भाई एक पिता की सन्तान
इस स्मृति से नफरत को मिटाना होगा आसान
कैसे बनूँ मैं सम्पूर्ण पावन करते रहो ये चिन्तन
समय निकालकर करते जाओ ज्ञान का मंथन
देह के सब बंधन भूलाकर आत्मभान जगाओ
एक बाबा की याद से स्वयं को पावन बनाओ
अपना समझकर सबको ईश्वरीय ज्ञान सुनाओ
मन बुद्धि से ईश्वरीय कमाई में व्यस्त हो जाओ
अपनी पावन वृत्ति से वायुमण्डल को बदल दो
हरेक कमजोर स्थान को पवित्रता का बल दो
हर आत्मा को देते रहो परमात्मा की पहचान
बाप को प्रत्यक्ष करना तब हो जाएगा आसान

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!