22-09-16 मुरली कविता


श्रीमत पर चलने वाले पाते पावन दुनिया की राजाई
मनमत को अपनाने वालों ने अपनी किस्मत गंवाई
इक दूजे से रूठकर कभी सेवा में रुकावट ना डालो
बाबा का प्यार भुलाकर मन में वैर भाव नहीं पालो
पतित बनने पर ही बच्चे पतित पावन को बुलाते हैं
जो पावन बनना चाहते उन्हें पतित पावन पढ़ाते हैं
अपनी मन बुद्धि को तुम पूरा ज्ञान रत्नों से भर लो
देकर सबको दान अपने दैवी संस्कारों से निखर लो
सुन लो बाबा की मुरली अब न बनो लून और पानी
बाप की याद में रहकर हमें प्यार की दुनिया बनानी
रोज करते जाओ पुराने संस्कारों का अंतिम संस्कार
इसी विधि से कल्प कल्प पाओगे सबसे तुम सत्कार
दिल में नेक इरादे लेकर सेवा करते जाओ बेहद की
सांसारिक बंधन टूटते जाएँगे जो हैं जंजीरें हद की

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!