14-03-16
मुरली कविता
तुम्हारा धंधा है सबकों करना
सुजाग़
बाप का परिचय दे सबकों बताना रास्ता
इससे होगा अपना उतना ही कल्याण
देहाभिमान और अहंकार का करना त्याग
गरीबों को होती भक्ति में लग्न
दान-पुण्य में होती बहुत श्रद्धा
साहूकार को रहता धन का नशा
इसलिए गरीब जाते आगे बढ़
आपस में रखना रूहानी स्नेह
लूनपानी हो कर नही रहना
सपूत बच्चा बनकर रहना
अपनी घोट तो चढ़े नशा
मनन से बाप का खज़ाना अंदर समाता
मनन में रहो मस्त तो कोई से नही होगा आकर्षण
उलझन से रहना मुक्त तो बढ़ाओ निर्णय की शक्ति
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!