24-09-16
मुरली कविता
ईश्वरीय शिक्षा अर्जन करने वाले
तुम हो रूप बसन्त
मुख से ज्ञान रत्न उगारने वाले बच्चे हो रूहानी संत
तुम हो बाबा के बच्चे करो एक ही आज्ञा का पालन
कभी न करना मनमत पर अपने जीवन का संचालन
व्यर्थ की बातें करके ना करना कभी अपना नुकसान
रहना तुम्हें होशियार सदा माया लेगी बड़ा इम्तिहान
तुम हो ईश्वरीय विद्यार्थी अपना लक्ष्य सदा याद रखो
हम ही बनेंगे देवता अपने मन में ये बात दोहराते रहो
छोड़कर विकारी तन को मिलेगा मुझको पवित्र शरीर
बनना है मुझे सम्पूर्ण पवित्र जैसे होता गंगा का नीर
जिसने मन में पैदा कर ली हो नफरत पांच विकारों से
नहीं घबराता वो कभी माया के तीरों और तलवारों से
मूल्यवान है समय हमारा अब खुद को ये समझाओ
व्यस्त दिनचर्या में से राजयोग के लिए समय चुराओ
बाबा की यादों में रहकर हर उलझन को सुलझाओ
पवित्रता के मार्ग पर बढ़ने की मन में ख़ुशी जगाओ
जब ध्यान जाए औरों की तरफ तब होता मन उदास
तनाव आता है जीवन में मिट जाती भूख और प्यास
श्रेष्ठ और महान बनाते जाओ अपना हर एक विचार
खुद पर और दुनिया पर आसान होगा करना उपकार
दृढ़ता की शक्ति से अपने मन को वश में करते जाओ
बाबा से योगयुक्त होने का मीठा अनुभव करते जाओ
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!