मुरली कविता दिनांक 03.11.2017


देहधारी को याद किया तो बंधन में फंस जाओगे

बाप को याद करके ही तुम जीवनमुक्ति पाओगे

बुद्धि जिनकी भटकती देह के संबंधों की ओर

उन बच्चों को ही माया खींच लेती अपनी ओर

बाहर के किसी भी संग में बच्चों नहीं तुम आना

अपनी मन बुद्धि में केवल बाबा को ही बसाना

बिगड़े दुनिया की हालत धर्म स्थापक तब आते

लेकिन उनसे हम बच्चे स्वर्ग का वर्सा नहीं पाते

कलियुग के अंत में बाप जब परमधाम से आते

सृष्टि की रचना और रचता का राज हमें बताते

पतित से पावन बनने की शिक्षा हम उनसे पाते

राजयोग से पावन बनकर स्वर्ग का वर्सा पाते

स्वर्ग के स्थापक बाबा कभी स्वर्ग में नहीं आते

बच्चों को पावन बनाने वे पतित दुनिया में आते

पुरुषार्थ करो बच्चों तुम अपने देश में जाने का

छोड़ो अशुद्ध इरादा कलियुग के सुख पाने का

तुम्हें मिला अवसर पावन बनने और बनाने का

बाप के सिवा और किसी की संगत में ना आना

संगदोष में गिरने से बच्चों खुद को तुम बचाना

माया तुम्हें बेहोश ना कर दे कोई घूंसा लगाकर

देहधारी की याद से रखना है खुद को बचाकर

बाबा को याद करने से होंगे सारे विकर्म विनाश

देहधारी को याद किया तो हो जायेगा सर्वनाश

बाप का बनकर जो लेता है बेहद का सन्यास

माला के दाने के रूप में बनता बाप का ख़ास

सच्ची दिल से जो कोई बंधनमुक्त बन जाएगा

सम्पूर्ण पवित्र बनने से उसे रोक न कोई पायेगा

बेहद के सन्यासी बनो बुद्धि को सबसे हटाकर

सच्ची दिल से खुद को रखो नष्टोमोहा बनाकर

बाप का पूरा बनकर मेरेपन की खोट मिटाओ

पूरे निमित्त बनकर भरपूरता का अनुभव पाओ

श्रीमत को समझकर कर्म करो उसके अनुसार

बाप समान बनने का तब सपना होगा साकार

ॐ शांति