मुरली कविता दिनांक 27.10.2017


रोग की परवाह किये बिना करो ईश्वरीय पढ़ाई

क्लास में मुरली सुननी तुम्हें भले मौत हो आई

तन से जाये प्राण करो जब ज्ञानामृत का पान

शिवबाबा का बच्चों के लिये एक यही फरमान

आपस में रूठकर तुम ना छोड़ो ईश्वरीय पढ़ाई

इसी पढ़ाई में ही नई दुनिया की खुशियाँ समाई

ज्ञान की सुन्दर बातें बाबा उनको ही समझाते

पुरानी दुनिया के रिवाज से जो पुरे ही मर जाते

माया रावण से छिड़ी लड़ाई इसको तुम हराओ

पतितपने को त्यागकर पुरे ही पावन बन जाओ

सजाओ से छूटना है तो श्रीमत को अपनाओ

सम्पूर्ण पावन बनकर विश्व महाराजा कहलाओ

तलवार मौत की सबके सर पर है लटकी पड़ी

करो पढ़ाई जमकर करीब आई विनाश की घड़ी

थोड़ा थोड़ा करके सेवा के लिये समय निकालो

निरन्तर सेवा को बढ़ाने की जिम्मेदारी संभालो

अष्ट शक्तियों से खुद को पूरा ही सम्पन्न बनाओ

परिस्थिति प्रमाण हर शक्ति को कार्य में लगाओ

हर परिस्थिति का सामना सहज रूप से करना

परिस्थिति के कारण स्वस्थिति से नहीं उतरना

देखकर मेरे कर्म सब जीवन में उसे अपनाएंगे

यही विचार स्मृति में रख कर्मों को श्रेष्ठ बनायेंगे

ॐ शांति