मुरली कविता दिनांक 30.11.2017
इक दूजे को दुख देना केवल भूतों का ही काम
रामराज्य में नहीं होता है भूतों का नाम निशान
कोई बीमारी आ जाये तो बिल्कुल ना घबराना
राजयोग के बल से हर कर्मभोग को तुम हटाना
देह अभिमान में रहने वाले बन जाते मरे समान
योग में रहकर हर दर्द घटाना हो जाता आसान
परमपिता परमात्मा को रचता क्यों कहा जाता
धरा को आखिर क्या बनाने परमधाम से आता
राजयोग सिखाकर हम बच्चों को पावन बनाता
पवित्रता के बल से सारे संसार को स्वर्ग बनाता
ब्रह्मा के बच्चे हम सब ब्रह्माकुमार और कुमारी
भाई बहन सब हैं आपस में त्यागो दृष्टि विकारी
मोह में कभी ना फंसना ये सत्यानाश कर देगा
देहधारी में फंसाकर तुम्हें बाबा से दूर कर देगा
सबको भोगना ही होगा अपना अपना कर्मभोग
कर्मभोग मिट जायेगा लगाये रखो बाप से योग
देह दुनिया और संस्कार से रिश्ते सभी मिटाओ
मुक्ति और जीवनमुक्ति का वर्सा बाबा से पाओ
फरिश्ते समान मुक्त होकर देवतुल्य बन जाओ
सर्व प्रकार की सेवायें पांच तत्वों से तुम पाओ
सरल बनाते जाओ अपना हर स्वभाव संस्कार
सफलता बन जायेगी फिर तुम्हारे गले का हार
ॐ शांति