मुरली कविता दिनांक 28.12.2017


धारण करो अपने जीवन में सभी श्रेष्ठ संस्कार

बनकर अन्धों की लाठी सेवा करो सर्व प्रकार

याद निरन्तर करके तुम अवस्था ऐसी बनाओ

अपने भावी पद का साक्षात्कार करते जाओ

हम आत्मा गायें हैं जिसका शिवबाबा है ग्वाला

हम सबको एक वही अपने घर ले जाने वाला

चिंता करते बाबा बच्चों को माया खा ना जाये

घर जाते जाते बच्चे माया के वश ना हो जाये

लगी हुई है चारों तरफ महाभारत की लड़ाई

दुनिया के महाविनाश की घड़ी पास है आई

बाप कहते आपके लिए मैं हाजिर हुआ हुजूर

स्वर्ग में जाने के लिये तुम पावन बनो जरूर

रावण ने आकर पूरे भारत को पतित बनाया

तुम सबने मिलकर भारत को पावन बनाया

रूहानी यात्रा बच्चों को नहीं लगती आसान

कुछ दूरी पर चलते ही अनुभव करते थकान

किंतु निरन्तर याद से कर्मातीत बन पाओगे

कर्मातीत बनकर ही तुम उत्तम पद पाओगे

सूक्ष्म रूप का देहभान जड़ से तुम मिटाओ

आकारी सो निराकारी खुद को बनाते जाओ

समय पर सहयोग देकर जो सेवा को बढ़ाते

बदले में पदमगुणा सहयोग वो बाबा से पाते

ॐ शांति