मुरली कविता दिनांक 27.12.2017


बाप को नहीं जानोगे तो पावन ना बन पाओगे

आने वाले स्वर्ग के वर्से लायक ना बन पाओगे

जिसको हम समझते थे हजारों सूर्यों के समान

बिंदी रूप में दी उसने खुद की असली पहचान

पुराने जग को सुखमय दुनिया बाबा ही बनाते

पतित से पावन बनाने का पार्ट वो ही बजाते

पांच विकारों के नशे में सारा संसार है खोया

अज्ञान निद्रा में जाने कब से हर कोई है सोया

पवित्रता का तुम सबने असली राज है जाना

कीमत क्या है इसकी ये सबको तुम समझाना

आधा कल्प से हम सबने जिसको था पुकारा

परमपिता शिव बाबा एक वो ही पिता हमारा

रावण का पुतला आधे कल्प से जलाते आये

अंदर बैठे पांच विकारों को मिटा नहीं क्यूँ पाये

इसी ईश्वरीय पढ़ाई से मिलेगी स्वर्ग की राजाई

लेकिन बच्चों करना तुम एकान्त में ये पढ़ाई

योगबल से विकारों की सारी खाद निकालो

राजाई पाने के लिए पावन खुद को बना लो

ज्ञान का बुद्धि से तुम सिमरण करते जाओ

जो भी समझा तुमने वो औरों को समझाओ

कर्मातीत अवस्था पाओ बनकर सतोप्रधान

स्वर्ग का वर्सा पाना बच्चों होगा तभी आसान

अपनी पवित्रता में बच्चों लाओ रोज निखार

अंश मात्र भी ना रहे ब्राह्मण जीवन में विकार

अपनाये रखा यदि तुमने अंश मात्र भी विकार

उसके पीछे पीछे आएंगे बाकी सभी विकार

अपने जीवन से विकारों का हर अंश मिटाओ

नम्बर वन विजयी आत्मा का टाइटल पाओ

हिम्मत का एक कदम बाप की तरफ बढ़ाओ

हजार गुणा सहयोग मीठे बाबा से तुम पाओ

ॐ शांति