मुरली कविता दिनांक 22.12.2017


योगेश्वर शिवबाबा आकर हमें राजयोग सिखाते

विश्व महाराजा महारानी का पद हमको दिलाते

एक बाप दूजा ना कोई कर लो यह शुद्ध प्रतिज्ञा

प्रतिज्ञा याद रखी तो श्रीमत की ना होगी अवज्ञा

बाप का दिल है सबको स्वर्ग की परी बनाने का

पढ़ा लिखाकर स्वर्ग में सर्व श्रेष्ठ पद दिलाने का

कल्प पहले वाला पार्ट हम सभी बच्चे दोहराते

बाप भी कल्प पहले की तरह राजयोग सिखाते

ज्ञान सागर शिवबाबा में जिसने भी गोता खाया

उसने अपने आपको स्वर्ग का महाराजा बनाया

याद रखो ये पुरुषार्थी जीवन है लड़ाई का मैदान

जीते जो पांच विकारों को वो ही कहलाते महान

आदत जो कोई खराब हो वो सारी तुम निकालो

सूर्यवंशी के लायक तुम अपने आपको बना लो

इस गंदी दुनिया में कीचक समान बना है मानव

जो था देव समान स्वर्ग में आज बन गया दानव

दानवपन के सभी संस्कार राजयोग से मिटाओ

खुद को योगबल से फिर स्वर्ग के योग्य बनाओ

याद में रहने का हर दिन अभ्यास बढ़ाते जाओ

योगयुक्त रहने में खुद को पारंगत करते जाओ

कोई विकार का भूत खुद में तुम ना घुसने देना

रूहानी सेवा में सबको ज्ञान का इंजेक्शन देना

संगमयुग में अपना जीवन हीरे समान बनाओ

कलियुगी दुनिया से तुम पूरे विस्मृत होते जाओ

रंगीन बड़ा और रौनक भरा है कलियुगी संसार

इसके चक्कर में ना फंसना बच्चों किसी प्रकार

ईश्वरीय आदेशों पर अपनी कर्मेन्द्रियाँ चलाओ

राजयोगी की यह सच्ची जीवन शैली अपनाओ

ॐ शांति