मुरली कविता दिनांक 14.12.2017
मेरे सपनों को साकार करने वो चुपके से आया
एक बूंद के प्यासे पर उसने बेहद प्यार लुटाया
मन के सुने आंगन में सुख का सावन बरसाया
कौन है वो उसने खुद ही आकर हमें बतलाया
अज्ञान भरी निद्रा से मुझे आकर उसने जगाया
पपीहे सी मीठी आवाज में उसने प्यार जताया
काबिल न थे फिर भी हमने उसका प्यार पाया
उस प्यार लुटाने वाले पर मुझे भी प्यार आया
उसकी प्यारी श्रीमत को दिल से मैंने अपनाया
पवित्रता के पंखों से बाबा के पास उड़ आया
ॐ शांति