मुरली कविता दिनांक 08.11.2017
बच्चों सबकी भलाई करना बनाओ अपना स्वधर्म
अपना भला समाया इसमें करते जाओ यह सुकर्म
सर्व प्रकार की सेवा ही ब्राह्मण जीवन का आधार
सेवा करने से ही होता अपना और सबका उद्धार
कौन खेवैया हम सबका बाप ही आकर बतलाते
पावन बनाकर हम बच्चों को वे परमधाम ले जाते
इसी ज्ञान से सद्गति होती सबको यह ज्ञान सुनाना
लेकिन पहले खुद को ज्ञान योग से संपन्न बनाना
कल्याण करे जो खुद का वो औरों का कर पाएगा
याद करे ना बाबा को तो किसको वो समझाएगा
मनसा-वाचा-कर्मणा बच्चों तुम सेवा करते जाना
अपने अनमोल समय को बर्बाद होने से बचाना
ठान लिया है कुछ बच्चों ने पद ना कोई पाने का
मन उनका नहीं करता सेवा में समय लगाने का
बच्चों को पावन बनने की बाबा देने आए सीख
भक्तों की तरह ना मांगो तुम बच्चों मुझसे भीख
दो रोटी से काम चलाकर रस्ता सबको बतलाना
समझदारी से चलकर सबकी सेवा करते जाना
ख्याल रहे सेवा का मन में चाहे कहीं भी जाओ
चित्र त्रिमूर्ति का लेकर सबको इस पर समझाओ
तोड़कर ना बिखराना अपनी पवित्रता का गहना
धर्मराज की सजाओं से बच्चों तुम बचकर रहना
अंदर बाहर एक समान रखना खुद को बनाकर
आशीर्वाद पाना सबका सेवा में समय लगाकर
अपनी सुखमय अवस्था की स्मृति बढ़ाते जाना
अपने संग संग औरों का जीवन सुखमय बनाना
समय रूपी खजाना जिसने कभी न व्यर्थ गंवाया
तीव्र पुरुषार्थ करके वही अपनी मंज़िल को पाया
ॐ शांति