मुरली कविता दिनांक 30.12.2017
मीठे बच्चों कर्मक्षेत्र पर तुम अपना पार्ट
बजाओ
मांगो नहीं किन्तु शांति के स्वधर्म में टिक जाओ
बच्चों कल क्या होने वाला है बाप नहीं बतायेंगे
पता चल गया यदि तो मुझे याद नहीं कर पायेंगे
सीन पिछाड़ी की देखना बच्चों बनकर महावीर
परिपक्व स्थिति बनाना तुम होकर धीर गम्भीर
तन में रहकर बच्चों तुम सच्ची शांति ना पाओगे
मिलेगी शांति जब अशरीरी बनकर घर जाओगे
मेरी याद में रहकर बच्चों तुम सारे पाप मिटाओ
बच्चों पावन बनकर तुम स्वर्ग की राजाई पाओ
बाप से वर्सा लेने के लिये त्यागो देह अभिमान
वर्सा पाने की ये विधि बताते हमें शिव भगवान
बच्चों केवल अपने ही पुरुषार्थ से काम रखना
कौन कितना जन्मेगा ये बिल्कुल नहीं परखना
अपना लक्ष्य कर लो पक्का काफी नहीं इतना
प्रजा बनेगी उतनी तुम ज्ञान सुनाओगे जितना
हठयोग से कर्मेन्द्रियाँ नियंत्रित कभी ना होगी
नियंत्रित करों कर्मेन्द्रियाँ तुम बनकर राजयोगी
पढ़ाई कभी ना छोड़ना बच्चों संशय में आकर
रखना अपनी अवस्था अचल अडोल बनाकर
व्यर्थ बातों से बचना भले कितनी भी हो महीन
बुद्धि किसी विकर्म से ना हो जाए कहीं मलिन
जब भी मैं शब्द कहो तो आत्मा तुम हो जाओ
सत्य स्वरूप में टिककर बंधन मुक्त हो जाओ
अपनी बुद्धि को तुम निश्चय से भरपूर बनाओ
निश्चिंत अवस्था बनाकर निश्चित विजय पाओ
ॐ शांति