मुरली कविता दिनांक 24.11.2017
खुशियों की शहनाई तुम अपने दिल में बजाओ
बाप आये संग ले जाने तुम गीत खुशी के गाओ
नई दुनिया में जाने का बच्चों समय अब आया
मिटने वाली दुनिया को अब समझो तुम पराया
अपने दिल में शिव बाबा की याद बढ़ाते जाओ
माया के तूफानों से तुम खुद को बचाते जाओ
बाप की याद अगर भूले तो गफलत हो जाएगी
माया भी आकर तुम बच्चों को संशय में लायेगी
देह और देह के धर्म बन गये सब दुख देने वाले
बाप इनको बदलकर बना देते हैं सुख देने वाले
बाप को याद करने की तुम मेहनत करते जाओ
मिटने वाली दुनिया से अपना मुंह फेरते जाओ
दुखदायक है पांच विकार अब तो इनको छोड़ो
देह के बंधन तोड़कर सब रिश्ते बाबा से जोड़ो
ज्ञान रत्न धारण कर बनते जाओ तुम धनवान
दुनिया की हर बात से अब हो जाओ अनजान
एकरसता के आसन पर मन बुद्धि को बिठाओ
इसी तपस्या से स्वर्ग का राज्य सिंहासन पाओ
करो सम्मान सबका करके विचारों का मिलान
बदले में पाओ सबसे तुम आदर और सम्मान
ॐ शांति