मुरली कविता दिनांक 04.11.2017
बाबा कहने से जिस सुख का होता तुम्हें अनुभव
भगवान या ईश्वर कहने में वो सुख नहीं है संभव
अविनाशी बाप के बच्चों को लालच नहीं सताये
बाप की याद से हर बच्चा अविनाशी वर्सा पाये
परमधाम का वासी बाबा पिता अपना कहलाता
बाप से हम सब बच्चों का ये है अविनाशी नाता
यही सम्बन्ध आत्माओं में भ्रातृत्व भाव जगाता
बच्चों के भीतर का सारा देह अभिमान मिटाता
बाप के बनकर स्वर्ग का वर्सा बच्चे बाप से पाते
स्वर्ग का वर्सा हम सारे चौरासी जन्मों में गंवाते
वर्सा गंवाकर हम बच्चे करते रहे बाबा को याद
दुखों से मुक्त होने के लिए कितनी की फरियाद
परमधाम से बाबा आया अब उसके बन जाओ
अपने मन में बाबा के प्रति सच्चा प्यार जगाओ
सर्वशक्ति सम्पन्न बनो स्मृति में रहकर बाप की
एक शक्ति की कमी से कहीं हार ना हो आपकी
समझना सदा खुद को सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न
किसी प्रकार की थकावट फिर ना होगी उत्पन्न
ॐ शांति