मुरली कविता दिनांक 06.12.2017
बाप को और चक्र को तुम याद करते जाओ
बुद्धि से ये नर्क भुलकर निरोगी बनते जाओ
बाप की इस राय को दिल से तुम अपनाओ
ईश्वरीय सेवा में तन मन धन से काम आओ
बेसमझ बच्चों को बाप ही आकर समझाते
पतित बन गये बच्चों को पावन बाप बनाते
निरन्तर मुझे याद करो बाप का ये फरमान
जीवन से मिटाओ विकारों का नाम निशान
प्रतिदिन ईश्वरीय याद का चार्ट बढ़ाते जाओ
5-10 मिनट से बढ़कर 8 घण्टे तक लाओ
त्रेसठ जन्म तक तुमने विकारों में खाये गोते
इसीलिए जन्म लेते ही दिखाई देते हो रोते
दुख भरी पुरानी दुनिया को से दिल हटाओ
नई दुनिया की तरफ अपनी बुद्धि घुमाओ
काम विकार जहर समान सबको ये बताओ
अपने संग संग औरों को भी पावन बनाओ
ईश्वरीय सेवाकेंद्र खोलकर सेवा को बढ़ाओ
हर कदम पर तुम राय बाप की लेते जाओ
स्वदर्शन चक्र द्वारा अपने अवगुण मिटाओ
परदर्शन से मुक्त होकर मायाजीत कहलाओ
वानप्रस्थ अवस्था का अनुभव तुम बढ़ाओ
बचपन के हर खेल से तुम मुक्त होते जाओ
ॐ शांति