मुरली कविता दिनांक 07.11.2017


पावन बनाकर हम बच्चों की सद्गति करने आया

पावन बनने वाले ने बाबा से स्वर्ग का वर्सा पाया

पढ़ाने वाले पर जो मन में पूरा निश्चय बिठायेगा

एक वही बच्चा खुद को भोगी से योगी बनायेगा

पढ़कर भी जो बच्चे बाबा को नहीं पाते पहचान

उम्र भर के लिये बन जाते बुद्धि से पत्थर समान

सत्य गीता ज्ञान बाप बच्चों को बैठकर समझाते

21 जन्म का अखण्ड दैवी साम्राज्य हमें दिलाते

वर्सा भी देते बच्चों को बाबा ज्ञानामृत पिलाकर

दुनिया के मालिक बनो पावन खुद को बनाकर

पतितपना अपनाकर तुम योगी ना कहलाओगे

विकारी ही बने रहे तो पत्थरबुद्धि बन जाओगे

पावन नहीं बना सकता किसी नदिया का पानी

पावन बनाते शिव बाबा ये बात सबको बतानी

दुर्गति पाने का ग्रहण लगा खुद को तुम संभालो

स्वदर्शन चक्र चलाकर इससे खुद को बचा लो

स्वर्ग और नरक के दो गोले बच्चों तुम बनाओ

स्वर्ग पसंद या नरक अच्छा सबको पूछते जाओ

बच्चों क्यों बिगड़ते जब बाबा खुद करते श्रंगार

क्यों करते हो विकारों से बच्चों तुम इतना प्यार

अपने तन में फंसने से भी खुद को तुम बचाओ

बाप से योग लगाने का तुम समय बढ़ाते जाओ

याद भुलाकर सबकी तुम्हें रखनी है बाप से प्रीत

योग में रहकर बच्चों तुम्हें बनना है विकर्माजीत

अपनी बुद्धि को किसी देहधारी में ना अटकाना

आज्ञा मानकर बाबा की पावन खुद को बनाना

स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन जिसने भी किया

सिर्फ उसी ने सर्व खजानों को अपने नाम किया

सर्व शक्तियों का प्रकाश अपने मन में बढ़ाओ

माया दुश्मन को बच्चों तुम दूर से ही भगाओ

ॐ शांति