मुरली कविता दिनांक 25.12.2017


रात हुई पूरी कलियुग की नवयुग है आने वाला

योग लगाओ बाप से विकर्म विनाश करने वाला

सतोप्रधान बुद्धि सिर्फ उस आत्मा की बन पाती

आप समान बनाने की जो हर पल सेवा बढ़ाती

बाप का परिचय देने का बच्चों करना कारोबार

सारी दुनिया में एक यही है सबसे बड़ा व्यापार

समय आ गया घर जाने का दुनिया को बताओ

कुम्भकरण की निद्रा में सोने वालों को जगाओ

संगमयुग में बाबा आकर हमें सत्य ज्ञान सुनाता

कलियुग मिटाकर हमको नई दुनिया में ले जाता

जो भी निर्देश करे बाबा दिल से करना स्वीकार

याद की यात्रा में रहकर मिटाओ हर एक विकार

मेहनत करो काम विकार को पूरा ही मिटाने की

अपने आपको श्रीमत पर पूरा पावन बनाने की

ईश्वरीय सेवा जो बढ़ाये ऐसे सुंदर चित्र बनाओ

संदेश देने के लिए चित्र विदेश में भी पहुंचाओ

ईश्वरीय सेवा के मन में सदा प्लान बनाते जाओ

सेवा की हर योजना को साकार रूप देते जाओ

ईश्वरीय सेवा में बच्चों तुम घाटा कभी ना खाना

सबके कल्याण के लिये अपना जीवन बिताना

ज्ञानधन के दान में तुम कंजूसी कभी ना करना

कड़े हिसाब किताब को योगबल से चुक्तु करना

अकेलेपन की फीलिंग दिल में कभी ना लाना

सर्व सम्बन्धों से बाबा को अपना साथी बनाना

कंबाइण्ड बन बाप से सर्व संबंधों का रस पाना

मनमनाभव द्वारा खुद का मनोरंजन करते जाना

श्रीमत प्रमाण सेवा की खातिर रहना सदा तैयार

शिवबाबा से पा लेना सर्व शक्तियों का अधिकार
ॐ शांति