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AVYAKT MURLI

16 / 06 / 69

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16-06-69 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन

 

पार्टियों के साथ

 

1. पाठशाला में जाते हो। पाठशाला का पहला पाठ क्या है? अपने को मरजीवा बनाना मरजीवा अर्थात् अपने देह से, मित्र सम्बन्धियों से, पुरानी दुनिया से मरजीवा। यह पहला पाठ पक्का किया है? (संस्कार से मरजीवा नहीं हुए हैं) जब कोई मर जाता है तो पिछले संस्कार भी खत्म हो जाते हैं। तो यहाँ भी पिछले संस्कार क्यों याद आना चाहिए। जबकि जन्म ही दूसरा तो पिछली बातें भी खत्म होनी चाहिए। यह पहला पाठ है मरजीवा बनने का। वह पक्का करना है। पिछले पुराने संस्कार ऐसे लगने चाहिए जैसे और कोई के थे। हमारे नहीं। पहले शूद्रों के थे अभी ब्राह्मणों के हैं। तो पुराने शूद्रों के संस्कार नहीं होने चाहिए। पराये संस्कार अपने क्यों बनाते हो। जो पराई चीज को अपना बनाते हैं उनको क्या कहेंगे? चोर। तो यह भी चोरी क्यों करते हो? यह तो - शूद्रों के संस्कार हैं, ब्राह्मणों के नहीं। शूद्र की चीज को ब्राह्मण स्वीकार क्यों करते हैं। अछूत के साथ कपड़ा भी लग जाये तो नहाते हैं। तो शुद्रपने का संस्कार ब्राह्मणों को लग जाये तो क्या करना चाहिए? उसके लिए पुरुषार्थ करना चाहिए। जैसे गन्दी चीज को नहीं छूते हैं वैसे पुराने सस्कारों से बचना है। छूना नहीं है। इतना जब ध्यान रखेंगे तो औरों को भी ध्यान दिला सकेंगे।

 

2. सर्विस की सफलता का मुख्य गुण कौन सा है? नम्रता। जितनी नम्रता उतनी सफलता। नम्रता आती है निमित्त समझने से। निमित्त समझकर सर्विस करना। नम्रता के गुण से सब आप के आगे नमन करेंगे। जो खुद झुकता है उसके आगे सभी झुकते हैं। निमित्त समझकर कार्य करना है। जैसे बाप शरीर का आधार निमित्त मात्र लेते हैं। वैसे आप समझो कि निमित्त मात्र शरीर का आधार लिया है। एक तो शरीर को निमित्त मात्र समझना है और दूसरा सर्विस में अपने को निमित्त सम- झना। तब नम्रता आयेगी। फिर देखो सफलता आप के आगे चलेगी। जैसे बापदादा टेम्प्रेरी देह में आते हैं ऐसे देह को निमित्त आधार समझो। बापदादा की देह में अटेचमेंन्ट होती है क्या? आधार समझने से अधीन नहीं होंगे। अभी देह के अधीन होते हो फिर देह को अधीन करेंगे।

 

3. गायन है दृष्टि से सृष्टि बनती है। कौन सी सृष्टि बनती है और कब बनती है? दृष्टि और सृष्टि का ही गायन क्यों है, मुख का गायन क्यों नहीं हैं? काम पर पहले-पहले क्या बदली करते हैं? पहला पाठ क्या पढ़ाते हैं? भाई-भाई की दृष्टि से देखो। भाई-भाई की दृष्टि अर्थात् पहले दृष्टि को बदलने से सब बातें बदल जाती हैं। इसलिए गायन है कि दृष्टि से सृष्टि बनती है। जब आत्मा को देखते हैं तब यह सृष्टि पुरानी देखने में आती है। पुरुषार्थ भी मुख्य इस चीज का ही है दृष्टि बदलने का। जब यह दृष्टि बदल जाती है तो स्थिति और परिस्थिति भी बदल जाती है। दृष्टि बदलने से गुण और कर्म आप ही बदल जाते हैं। यह आत्मिक दृष्टि नैचुरल हो जाये।

 

4. जो संगमयुग पर अपना राजा बनता है वह प्रजा का भी राजा बन सकता है। जो यहाँ अपना राजा नहीं वह वहाँ प्रजा का राजा भी नहीं बन सकता। संगमयुग पर ही सभी सस्कारों का बीज पड़ता है। यहाँ के बीज के सिवाए भविष्य का वृक्ष पैदा हो नहीं सकता है। यहाँ बीज न डालेंगे तो फूल कहाँ से निकलेगा। यहाँ अपना राजा बनने से क्या होगा? अपने को अधिकारी समझेंगे। अधिकारी बनने के लिए उदारचित का विशेष गुण चाहिए। जितना उदारचित्त होंगे उतना अधि- कारी बनेंगे। ब्राह्मणों का मुख्य कर्तव्य है पढ़ना और पढ़ाना। इसमें बिजी रहेंगे तो और बातों में बुद्धि नहीं जायेगी। तो अपने को पढ़ने और पढ़ाने में बिजी रखो। आजकल तक बापदादा ने सुनाया है कि मन की वृत्ति और अव्यक्त दृष्टि से सर्विस कर सकते हो। अपनी वृत्ति-दृष्टि से सर्विस करने में कोई बन्धन नहीं हैं। जिस बात में स्वतन्त्र हो वह सर्विस करनी चाहिए।

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- पाठशाला का पहला पाठ क्या है? इस संदर्भ में बाबा क्या समझानी दे रहे हैं?

 

 प्रश्न 2 :- सर्विस की सफलता का  मुख्य गुण कौन सा है?

 

 प्रश्न 3 :- गायन है दृष्टि से सृष्टि बनती है। कौन सी सृष्टि बनती है और कब बनती है?

 

 प्रश्न 4 :- बाबा के कौन सा बच्चे राजा बन सकते है?

 

 प्रश्न 5 :- ब्राह्मणों का मुख्य कर्तव्य क्या है? इस संदर्भ में बाबा क्या समझानी दे रहे हैं?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

(दृष्टि, सृष्टि, स्थिति, परिस्थिति, पुराने, निमित्त, संस्कार, आत्मा, पुरुषार्थ)

 

1         पहले शुद्रों के थे। अभी ब्राह्मणों के हैं। तो शुद्रों के _____ नहीं होने चाहिए।

 

2         जैसे गंदी चीज को नहीं छूते हैं वैसे _____ संस्कारों से बचना है।

 

3         जैसे बापदादा टेम्प्रेरी देह में आते हैं ऐसे देह को _____ आधार समझो।

 

4         जब _____ को देखते हैं तब यह _____ पुरानी देखने में आती है। _____ भी मुख्य इस चीज का ही है दृष्टि बदलने का।

 

 5  जब यह _____ बदल जाती है तो _____ और _____ भी बदल जाती है।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

1      :- जो पराई चीज को अपना बनाते हैं उसको क्या कहेंगे? चोर।

 

2      :- आधार समझने से अधीन नहीं होंगे।

 

3      :- दृष्टि बदलने से गुण और कर्म आप ही बदल जाते हैं।

 

4      :- अधिकारी बनने के लिए नम्रता का विशेष गुण चाहिए।

 

 5   :- जितना उदारचित होंगे उतना अधिकारी बनेंगे।

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- पाठशाला का पहला पाठ क्या है? इस संदर्भ में बापदादा क्या समझानी दे रहे हैं?

 उत्तर 1 :- पाठशाला का पहला पाठ है अपने को मरजीवा बनाना। मरजीवा अर्थात् अपने देह से, मित्र सम्बन्धियों से, पुरानी दुनिया से मरजीवा।

          इस संदर्भ में बाबा समझा रहे हैं कि-

जब कोई मर जाता है तो पिछले संस्कार भी खत्म हो जाते हैं। तो यहॉ भी पिछले संस्कार क्यों याद आना चाहिए। यह पहला पाठ है मरजीवा बनने का। वह पक्का करना है। पिछले पुराने संस्कार ऐसे लगने चाहिए जैसे और कोई के थे। हमारे नहीं।

 

 प्रश्न 2 :- सर्विस की सफलता प्रति बापदादा की समझानी क्या है?

   उत्तर 2 :- सर्विस की सफलता प्रति बापदादा की समझानी है कि -

          ..❶ सर्विस की सफलता के लिए मुख्य गुण है नम्रता। जितनी नम्रता उतनी सफलता। नम्रता आती है निमित्त समझने से। निमित्त समझकर सर्विस करना। नम्रता के गुण से सब आप के आगे नमन करेंगे। जो खुद झुकता है उसके आगे सभी झुकते हैं। निमित्त समझकर कार्य करना है।

          ..❷ जैसे बाप शरीर का आधार निमित्त मात्र लेते हैं। वैसे आप समझो कि निमित्त मात्र शरीर का आधार लिया है। एक तो शरीर को निमित्त मात्र समझना है और दूसरा सर्विस में अपने को निमित्त समझना। तब नम्रता आयेगी। फिर देखो सफलता आप के आगे चलेगी।

 

 प्रश्न 3 :- गायन है "दृष्टि से सृष्टि बनती है" कैसे?

   उत्तर 3 :- इस संदर्भ मे बाबा समझाते हुए कहते है कि दृष्टि और सृष्टि का ही गायन क्यों है, मुख का गायन क्यों नहीं है? काम (विकार) पर पहले-पहले क्या बदली करते हैं? पहला पाठ क्या पढ़ाते हैं? भाई-भाई की दृष्टि से देखो। भाई-भाई की दृष्टि अर्थात् पहले दृष्टि को बदलने से सब बातें बदल जाती हैं। इसीलिए गायन है कि दृष्टि से सृष्टि बनती है।

 

 प्रश्न 4 :- बाबा के कौन से बच्चे राजा बन सकते है?

   उत्तर 4 :- इस संदर्भ में बाबा समझाते हुए कहते हैं कि जो संगमयुग पर अपना राजा बनता है वह प्रजा का भी राजा बन सकता है। जो यहॉ अपना राजा नहीं वह वहॉ प्रजा का राजा भी नहीं बन सकता। संगमयुग पर ही सभी संस्कारों का बीज पड़ता है। यहॉ के बीज के सिवाए भविष्य का वृक्ष पैदा हो नहीं सकता है। यहॉ बीज न डालेंगे तो फूल कहॉ से निकलेगा।

 

 प्रश्न 5 :- ब्राह्मणों का मुख्य कर्तव्य क्या है? इस संदर्भ में बाबा क्या समझानी दे रहे हैं?

   उत्तर 5 :- ब्राह्मणों का मुख्य कर्तव्य है पढ़ना और पढ़ाना।

          इस संदर्भ में बाबा समझा रहे हैं कि-

इसमें बिजी रहेंगे तो और बातों में बुद्धि नहीं जायेगी। तो अपने को पढ़ने और पढ़ाने में बिजी रखो। आजकल तक बापदादा ने सुनाया है कि मन की वृत्ति और अव्यक्त दृष्टि से सर्विस कर सकते हो। अपनी वृत्ति-दृष्टि से सर्विस करने में कोई बंधन नहीं हैं। जिस बात में स्वतन्त्र हो वह सर्विस करनी चाहिए।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

(दृष्टि, सृष्टि, स्थिति, परिस्थिति, पुराने, निमित्त, संस्कार, आत्मा, पुरुषार्थ)

 

 1   पहले शुद्रों के थे। अभी ब्राह्मणों के हैं। तो शुद्रों के _____ नहीं होने चाहिए।

    संस्कार

 

 2  जैसे गंदी चीज को नहीं छूते हैं वैसे _____ संस्कारों से बचना है।

     पुराने

 

 3  जैसे बापदादा टेम्प्रेरी देह में आते हैं ऐसे देह को _____ आधार समझो। 

      निमित्त

 

 4  जब _____ को देखते हैं तब यह _____ पुरानी देखने में आती है। _____ भी मुख्य इस चीज का ही है दृष्टि बदलने का।

      आत्मा / सृष्टि / पुरुषार्थ

 

 5  जब यह _____ बदल जाती है तो _____ और _____ भी बदल जाती है।

      दृष्टि / स्थिति / परिस्थिति

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

 1  :- जो पराई चीज को अपना बनाते हैं उसको क्या कहेंगे? चोर। 【✔】

 

 2  :- आधार समझने से अधीन नहीं होंगे। 【✔】 

 

 3  :- दृष्टि बदलने से गुण और कर्म आप ही बदल जाते हैं। 【✔】 

 

 4  :- अधिकारी बनने के लिए नम्रता का विशेष गुण चाहिए। 【✖】

 अधिकारी बनने के लिए उदारचित्त का विशेष गुण चाहिए।

 

 5   :-  जितना उदारचित होंगे उतना अधिकारी बनेंगे। 【✔】