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AVYAKT MURLI

25 / 06 / 71

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25-06-71  ओम शान्ति  अव्यक्त बापदादा  मधुबन

 

सेवा और तपस्या की समानता

 

अपने को वृक्षपति की सन्तान समझते हो? वृक्ष की निशानी भक्ति-मार्ग में भी चली आती है। जब तपस्वी तपस्या करते हैं तो वृक्ष के नीचे तपस्या करते हैं। इसका रहस्य क्या है? वृक्ष के नीचे तपस्या क्यों करते हैं? उसका कारण क्या है, यह शुरू क्यों हुआ, इसका बेहद का रहस्य क्या है इस सृष्टि रूपी वृक्ष में भी आप लोगों का निवास स्थान कहां है? वृक्ष के नीचे जड़ में बैठे हो ना। चित्र जो अभी ज्ञान सहित बनाये जाते हैं वही फिर यादगार भक्ति-मार्ग में चलता रहता है। वृक्ष के चित्र में दूर से क्या दिखाई देता है? तपस्वी तपस्या कर रहे हैं, जैसे वृक्ष के नीचे तपस्वी बैठे हैं। वृक्ष के नीचे बैठने से आटोमेटिकली वृक्ष की सारी नॉलेज बुद्धि में आ जाती है। वृक्ष के नीचे बैठेंगे तो न चाहते हुए भी फल, फूल, पत्तों आदि में अटेन्शन जाता ही है। तो यह भी जब कल्पवृक्ष के नीचे फाउन्डेशन में बैठते हो, तो सारे वृक्ष का नॉलेज बुद्धि में आटोमेटिकली रहता है। जैसे बीज में वृक्ष की सारी नॉलेज रहती है, इसी रीति अपने को इस कल्पवृक्ष का फाउन्डेशन अथवा वृक्ष के नीचे जड़ में अपने को समझते हो तो सारे वृक्ष की नॉलेज आटोमेटिकली बुद्धि में आ जाती है। यह जो आपकी स्टेज है, उसका यादगार भक्ति-मार्ग में चलता आया है। यह है प्रैक्टिकल, तपस्या कर रहे हो। भक्ति-मार्ग में फिर स्थूल वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करते हैं। देखो, शुरू-शुरू में आपको नशा रहता था कि हम वृक्ष के ऊपर बैठे हैं। सारा वृक्ष नीचे है, हम ऊपर हैं। ऊपर भी ठहरे ना। अगर वृक्ष को उलटा कर देंगे तो ऊपर हो जायेंगे। तो जैसे पहले नशा बहुत रहता था कि हम इस वृक्ष के ऊपर बैठकर सारे वृक्ष को देख रहे हैं, ऐसे ही अभी भी यह भिन्न-भिन्न प्रकार से तपस्या का नशा रहता है? पहले की खुमारी इस खुमारी से ज्यादा थी वा अभी ज्यादा है? वह सिर्फ तपस्या का रूप था। अभी तपस्या और सेवा साथ-साथ हो गई है। वह नशा सिर्फ तपस्या का ही रहता था। नीचे उतरने का कोई कारण नहीं था। और अभी तपस्या और सेवा - दोनों ही साथ-साथ चलती हैं। दोनों कार्य चल रहे हैं। तो बीच-बीच में अपने आपको नशा चढ़ाने का खास अटेन्शन रखना चहिए। इसको ही बैटरी चार्ज कहते हैं। ऐसे अनुभव करेंगे जैसे सच-सच वृक्ष सारा इमर्ज रूप में है और हम साक्षी होकर इस वृक्ष को देख रहे हैं। यह भी नशा बहुत खुशी दिलाता है, शक्ति दिलाता है। इसलिए वृक्षपति और वृक्ष का गायन बहुत है। तो ऐसे भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवा करते हुए भी तपस्या का बल अपने में आपेही भरते रहना है। जिससे तपस्या और सेवा-दोनों कम्बाइन्ड और एक साथ रहेंगे। ऐसे नहीं कि सेवा में आ गये तो तपस्या भूल गये। नहीं, दोनों साथ-साथ रहें। कम्बाइन्ड रूप है ना। तो इसकी बीच-बीच में चेकिंग करनी पड़ेगी। जब तक चेकर नहीं बने हो तब तक मेकर नहीं बन सकते। वर्ल्ड-मेकर वा पीस-मेकर - यह जो गायन है वह तब तक नहीं बन सकते जब तक चेकर नहीं बने हो। अपने ऊपर चेकिंग बहुत चाहिए। दूसरा कितना भी चेक करे तो भी इतना नहीं कर सकते, लेकिन अपने आप को चेक करने से ही अपनी उन्नति कर सकते हो। अपने आपको चेक करना है। चेकिंग करने में समय नहीं चाहिए। जब नेचरल अभ्यास पड़ जाता है तो समय की भी आवश्यकता नहीं, आटोमेटिकली चलता रहता है। फिर चेकिंग करने में एक सेकेण्ड भी नहीं लगता। अगर अपने आप को चेक करो तो उसमें कितना समय लगेगा? एक सेकेण्ड तो कैसे भी बिज़ी होते भी निकल सकते हो। सिर्फ अभ्यास की आवश्यकता है। चेकिंग मास्टर बनना है। सभी में मास्टर बनना है। जैसे मास्टर सर्वशक्तिमान, मास्टर नॉलेजफुल हो वैसे चेकिंग मास्टर भी बनना है। अच्छा।

ड्रामा अनुसार सभी ठीक तो चल ही रहा है। लेकिन ठीक चलते हुए भी चेकिंग करनी पड़े। कल्याणकारी युग है - यह भी जानते हो, फिर भी हरेक को अपने और दूसरे के कल्याण का प्लैन सोचना भी पड़ता है। ऐसे कुछ नये- नये प्लैन निकालो, जिसमें अवस्थाएं कुछ जम्प दें। सभी चल तो रहे हैं और चलते रहेंगे। लेकिन बीच-बीच में एक्स्ट्रा फोर्स प्लैनिंग वा सहयोग का मिलने से जम्प आ सकता है। जैसे राकेट को भी अग्नि का फोर्स दिया जाता है तब ही उड़ जाता है। ऐसे ही लाइट और माइट का फोर्स मिले, जिससे जम्प लगा सकें। इसके लिए एक्स्ट्रा फोर्स के सहयोग से हमको शक्ति की प्राप्ति का अनुभव होता है। यह भी जरूरी है। एक तो मनन शक्ति की बहुत कमजोरी है। इसलिए मैजारिटी की यही रिपोर्ट है कि व्यर्थ संकल्पों को कन्ट्रोल कैसे करें? इस मुख्य कमजोरी को कैसे-चेक अप करके इसको खत्म करें, इसके लिए प्लैन सोचना है। कमजोरियों का तो मालूम पड़ ही जाता है। उस पर समझानी मिलने से अन्दर दब तो जाती हैं लेकिन संस्कारों को खत्म नहीं कर सकते। इसलिए थोड़े समय के बाद मैजारिटी की फिर यही रिपोर्ट होती है। भट्ठी आदि से भी एक्स्ट्रा फोर्स मिलता है, कुछ-न-कुछ परिवर्तन होता है। लेकिन यह जो फोर्स यहां से ले जाते हैं वह सदाकाल रहे, इसके लिए प्लैन सोचो। बहुतों की कम्पलेन्ट रहती है कि शक्ति नहीं है। नॉलेज है, लेकिन नॉलेज को जो लाइट और माइट कहा जाता है, तो नॉलेज द्वारा अपने में शक्ति कैसे भरें, वह तरीका नहीं आता है। जैसे अपने पास माचिस हो लेकिन माचिस से आग निकालने का तरीका न आने के कारण कार्य सिद्ध नहीं कर सकते हैं। तो नॉलेज सभी को है, लेकिन नॉलेज से कोई तो लाइट और माइट का अनुभव करते हैं और कोई सिर्फ नॉलेज को समझ वर्णन करते हैं। नॉलेज द्वारा अपने में माइट कैसे लायें - वह भिन्न-भिन्न युक्तियों द्वारा बल भरना है, जिससे जम्प खायें। अच्छा।

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- भक्तिमार्ग में वृक्ष के नीचे तपस्या करने को संदर्भित करते हुए बाबा ने कौन सा राज़ बताया?

 प्रश्न 2 :- तपस्या और सेवा कंबाइंड रूप में साथ साथ चलती रहे, इस संबंध में बाबा की समझानी क्या है?

 प्रश्न 3 :- स्व उन्नति और दूसरों के कल्याण प्रति बापदादा की समझानी क्या है?

 प्रश्न 4 :- व्यर्थ संकल्पों का कारण और निवारण प्रति बापदादा की समझानी क्या है?

 प्रश्न 5 :- बच्चो के नॉलेज स्वरूप की भिन्न भिन्न स्टेज प्रति बापदादा के महावाक्य क्या है ?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( वृक्षपति, सेकेण्ड, नॉलेज, चेकिंग मास्टर, चेकर, वृक्ष, फाउन्डेशन, मेकर, जड़, अभ्यास, मास्टर नॉलेजफुल, निशानी )

 

 1   जैसे बीज में वृक्ष की सारी ________ रहती है, इसी रीति अपने को इस कल्पवृक्ष का ______ अथवा वृक्ष के नीचे _______ में अपने को समझते हो।

 2  जब तक ______ नहीं बने हो तब तक ______ नहीं बन सकते।

 3  एक ______ तो कैसे भी बिज़ी होते भी निकाल सकते हो। सिर्फ ______ की आवश्यकता है।

 4  जैसे मास्टर सर्वशक्तिमान, ________ हो वैसे ________ भी बनना है।

 5  अपने को _______ की सन्तान समझते हो? _____ की ______ भक्ति-मार्ग में भी चली आती है।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- चित्र जो अभी ज्ञान रहित बनाये जाते हैं वही फिर यादगार भक्ति-मार्ग में चलता रहता है।

 2  :- जैसे पहले नशा बहुत रहता था कि हम इस वृक्ष के नीचे बैठकर सारे वृक्ष को देख रहे हैं, ऐसे ही अभी भी यह भिन्न-भिन्न प्रकार से काम का नशा रहता है?

 3  :- चेकिंग करने में समय नहीं चाहिए। जब नेचरल अभ्यास पड़ जाता है तो समय की भी आवश्यकता नहीं, आटोमेटिकली चलता रहता है।

 4  :- वर्ल्ड-मेकर वा पीस-मेकर - यह जो गायन है वह तब तक नहीं बन सकते जब तक चेकर नहीं बने हो।

 5   :- चेकिंग मास्टर बनना है। सभी में मास्टर बनना है।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- भक्तिमार्ग में वृक्ष के नीचे तपस्या करने को संदर्भित करते हुए बाबा ने कौन सा राज़ बताया?

उत्तर 1 :- भक्तिमार्ग में वृक्ष के नीचे तपस्या करने को संदर्भित करते हुए बाबा ने राज़ बताया कि यह जो हम ब्राह्मण बच्चों की अभी की (संगमयुगीन) स्टेज है, उसका यादगार भक्ति-मार्ग में चलता आया है। इस संबंध में बाबा ने आगे बताया कि -

          ..❶ जब तपस्वी तपस्या करते हैं तो वृक्ष के नीचे बैठते हैं। वृक्ष के नीचे बैठने से आटोमेटिकली वृक्ष की सारी नॉलेज बुद्धि में आ जाती है। वृक्ष के नीचे बैठेंगे तो न चाहते हुए भी फल, फूल, पत्तों आदि में अटेन्शन जाता ही है। ऐसे ही 

          ..❷ जैसे बीज में वृक्ष की सारी नॉलेज रहती है, इसी रीति अपने को इस कल्पवृक्ष का फाउन्डेशन अथवा वृक्ष के नीचे जड़ में अपने को समझते हो तो सारे वृक्ष की नॉलेज आटोमेटिकली बुद्धि में आ जाती है। यह है प्रैक्टिकल, तपस्या कर रहे हो। भक्ति-मार्ग में फिर स्थूल वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करते हैं।

 

 प्रश्न 2 :- तपस्या और सेवा कंबाइंड रूप में साथ साथ चलती रहे, इस संबंध में बाबा की समझानी क्या है?

उत्तर 2 :- बापदादा बताते हैं  तपस्या और सेवा दोनों ही साथ-साथ चलती रहे तो बीच-बीच में अपने आपको नशा चढ़ाने का खास अटेन्शन रखना चहिए। इसको ही बैटरी चार्ज कहते हैं। इस संबंध में बाबा आगे समझाते है कि -

          ..❶ जब तक चेकर नहीं बने हो तब तक मेकर नहीं बन सकते। अपने ऊपर चेकिंग बहुत चाहिए। दूसरा कितना भी चेक करे तो भी इतना नहीं कर सकते।

          ..❷ अपने आप को चेक करने से ही अपनी उन्नति कर सकते हो। ऐसे नहीं कि सेवा में आ गये तो तपस्या भूल गये। तो इसकी बीच-बीच में चेकिंग करनी पड़ेगी।

          ..❸ भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवा करते हुए भी तपस्या का बल अपने में आपे ही भरते रहना है। जिससे ऐसे अनुभव करेंगे जैसे सच-सच वृक्ष सारा इमर्ज रूप में है और हम साक्षी होकर इस वृक्ष को देख रहे हैं। यह भी नशा बहुत खुशी दिलाता है, शक्ति दिलाता है। जिससे तपस्या और सेवा-दोनों कम्बाइन्ड और एक साथ रहेंगे।

 

 प्रश्न 3 :- स्व उन्नति और दूसरों के कल्याण प्रति बापदादा की समझानी क्या है?

उत्तर 3 :- स्व उन्नति और दूसरों के कल्याण प्रति बापदादा की समझानी है कि - 

          ..❶ ड्रामा अनुसार सभी ठीक चल रहे है पर फिर भी बीच बीच मे चेकिंग करनी पड़े। कल्याणकारी युग है - फिर भी हरेक को अपने और दूसरे के कल्याण का प्लैन सोचना  है।

          ..❷ सभी चल तो रहे हैं और चलते रहेंगे, बीच-बीच में एक्स्ट्रा फोर्स प्लैनिंग वा सहयोग का मिलने से जम्प आ सकता है। ऐसे कुछ नये- नये प्लैन निकालो, जिसमें अवस्थाएं कुछ जम्प दें।

          ..❸ जैसे राकेट को भी अग्नि का फोर्स दिया जाता है तब ही उड़ जाता है। ऐसे ही लाइट और माइट का फोर्स मिले, जिससे जम्प लगा सकें। इसके लिए एक्स्ट्रा फोर्स के सहयोग से हमको शक्ति की प्राप्ति का अनुभव होता है।

 

 प्रश्न 4 :- व्यर्थ संकल्पों का कारण और निवारण प्रति बापदादा की समझानी क्या है?

उत्तर 4 :- व्यर्थ संकल्पों का कारण और निवारण प्रति बापदादा की समझानी है कि -

          ..❶ कमजोरियों का तो मालूम पड़ ही जाता है। उस पर समझानी मिलने से अन्दर दब जाती हैं लेकिन संस्कारों को खत्म नहीं कर सकते। इसलिए थोड़े समय के बाद मैजारिटी की फिर यही रिपोर्ट होती है।

          ..❷ भट्ठी आदि से भी एक्स्ट्रा फोर्स मिलता है, कुछ-न-कुछ परिवर्तन होता है। यह जो फोर्स बाबा के पास से ले जाते हैं वह सदाकाल रहे, इसके लिए प्लैन सोचना चाहिए।

          ..❸ व्यर्थ संकल्पों को कन्ट्रोल न कर पाने का मुख्य कारण है मनन शक्ति की बहुत कमजोरी है। ज्ञान का, श्रीमत का मनन ना करना। इस मुख्य कमजोरी को चेक करके खत्म करें, इसके लिए प्लैन सोचना है।

 

 प्रश्न 5 :- बच्चो के नॉलेज स्वरूप की भिन्न भिन्न स्टेज प्रति बापदादा के महावाक्य क्या है ?

उत्तर 5 :- बच्चो के नॉलेज स्वरूप की भिन्न भिन्न स्टेज प्रति बापदादा के महावाक्य है कि -

          ..❶ अपने पास माचिस हो लेकिन माचिस से आग निकालने का तरीका न आने के कारण कार्य सिद्ध नहीं कर सकते हैं। ऐसे ही नॉलेज सभी को है लेकिन नॉलेज द्वारा अपने में शक्ति कैसे भरें, वह तरीका नहीं आता है।

          ..❷ नॉलेज से कोई तो लाइट और माइट का अनुभव करते हैं और कोई सिर्फ नॉलेज को समझ वर्णन करते हैं। नॉलेज द्वारा अपने में माइट कैसे लायें - वह भिन्न-भिन्न युक्तियों द्वारा बल भरना है, जिससे जम्प खायें और शक्ति अनुभव करें।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( वृक्षपति, सेकेण्ड, नॉलेज, चेकिंग मास्टर, चेकर, वृक्ष, फाउन्डेशन, मेकर, जड़, अभ्यास, मास्टर नॉलेजफुल, निशानी )

 

 1   जैसे बीज में वृक्ष की सारी _______ रहती है, इसी रीति अपने को इस कल्पवृक्ष का  ______ अथवा वृक्ष के नीचे _______ में अपने को समझते हो।

..   नॉलेज /  फाउन्डेशन /  जड़

 

  जब तक ______ नहीं बने हो तब तक _______ नहीं बन सकते।

..   चेकर /  मेकर

 

 3  एक ______ तो कैसे भी बिज़ी होते भी निकल सकते हो। सिर्फ ______ की आवश्यकता है।

 ..   सेकेण्ड / अभ्यास

 

  जैसे मास्टर सर्वशक्तिमान, ___________ हो वैसे _________ भी बनना है।

..   मास्टर नॉलेजफुल /  चेकिंग मास्टर

 

 5  अपने को ______ की सन्तान समझते हो? ______ की ______ भक्ति-मार्ग में भी चली आती है।

..   वृक्षपति /  वृक्ष /  निशानी

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-】【

 

 1  :- चित्र जो अभी ज्ञान रहित बनाये जाते हैं वही फिर यादगार भक्ति-मार्ग में चलता रहता है।

.. चित्र जो अभी ज्ञान सहित बनाये जाते हैं वही फिर यादगार भक्ति-मार्ग में चलता रहता है।

 

 2  :- जैसे पहले नशा बहुत रहता था कि हम इस वृक्ष के नीचे बैठकर सारे वृक्ष को देख रहे हैं, ऐसे ही अभी भी यह भिन्न-भिन्न प्रकार से काम का नशा रहता है?

 .. जैसे पहले नशा बहुत रहता था कि हम इस वृक्ष के ऊपर बैठकर सारे वृक्ष को देख रहे हैं, ऐसे ही अभी भी यह भिन्न-भिन्न प्रकार से तपस्या का नशा रहता है?

 

3  :-  चेकिंग करने में समय नहीं चाहिए। जब नेचरल अभ्यास पड़ जाता है तो समय की भी आवश्यकता नहीं, आटोमेटिकली चलता रहता है।

 

4  :- वर्ल्ड-मेकर वा पीस-मेकर - यह जो गायन है वह तब तक नहीं बन सकते जब तक चेकर नहीं बने हो।

 

5   :- चेकिंग मास्टर बनना है। सभी में मास्टर बनना है।