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AVYAKT MURLI

03 / 01 / 83

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03-01-83       ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा       मधुबन

डबल विदेशी बच्चों से बापदादा की रूह-रूहान

सर्व की विशेषताओं को बेहद के कार्य में लगाने वाले, बेहद की स्थिति में स्थित करने वाले विश्व-पिता बोले-

आज बापदादा विशेष डबल विदेशी बच्चों से मिलने के लिए आये हैं। सभी बच्चे दूर-दूर से अपने स्वीट होम में पहुँच गये। जहाँ सर्व प्राप्ति का अनुभव करने का स्वत: ही वरदान प्राप्त होता है। ऐसे वरदान भूमि पर वरदाता बाप से मिलने आये हैं। बापदादा भी कल्प-कल्प के अधिकारी बच्चों को देख हर्षित होते हैं। बापदादा देख रहे हैं भारत में नज़दीक रहने वाली कई आत्मायें अभी तक प्यासी बन ढूंढ रही हैं। लेकिन साकार रूप से दूर-दूर रहने वाले डबल विदेशी बच्चों ने दूर से ही अपने बाप को पहचान, अधिकार को पा लिया। दूर वाले समीप हो गये और समीप वाले दूर हो गये। ऐसे बच्चों के भाग्य की कमाल देख बापदादा भी हर्षित होते हैं। आज वतन में भी बापदादा डबल विदेशी बच्चों की विशेषताओं पर रूह-रूहान कर रहे थे। भारतवासी बच्चों की और डबल विदेशी बच्चों की, दोनों की अपनी अपनी विशेषता थी। आज बच्चों की कमाल के गुण गा रहे थे। त्याग क्या किया और भाग्य क्या लिया! लेकिन बच्चों की चतुराई देख रहे थे कि त्याग भी बिना भाग्य के नहीं किया है। सौदा करने में भी पक्के व्यापारी हैं। पहले प्राप्ति का अनुभव हुआ, अच्छी प्राप्ति को देख व्यर्थ बातों का त्याग किया। तो छोड़ा क्या और पाया क्या? उसकी लिस्ट निकालो तो क्या रिजल्ट निकलेगी? एक छोड़ा और पदम पाया। तो यह छोड़ना हुआ या पाना हुआ? हम आत्मायें विश्व की ऐसी श्रेष्ठ विशेष आत्मायें बनेंगी, डायरेक्ट बाप से सम्बन्ध में आने वाली बनेंगी - ऐसा कब सोचा था! क्रिश्चियन से कृष्णपुरी में आ जायेंगे यह कभी सोचा था! धर्मपिता के फालोअर थे। तना के बजाए टाली में अटक गये। और अब इस वैरायटी कल्प वृक्ष का तना आदि सनातन ब्राह्मण सो देवता धर्म के बन गये। फाउन्डेशन बन गये। ऐसी प्राप्ति को देख छोड़ा क्या? अल्पकाल की निंद्रा को जीता। नींद में सोने को छोड़ा और स्वयं सोना (गोल्ड) बन गये। बापदादा डबल विदेशियो का सवेरे-सवेरे उठ तैयार होना देख मुस्कराते हैं। आराम से उठने वाले और अभी कैसे उठते हैं! नींद का त्याग किया - त्याग के पहले भाग्य को देख, अमृतवेले का अलौकिक अनुभव करने के बाद यह नींद भी क्या लगती है! खान-पान छोड़ा या बीमारी को छोड़ा? खाना पीना छोड़ना अर्थात् कई बीमारियों से छूटना। मुक्त हो गये ना। और ही हैल्थ वैल्थ दोनों मिल गई। इसलिए सुनाया कि पक्के व्यापारी हो।

विदेशी बच्चों की और एक विशेषता यह देखते कि जिस तरफ भी लगते हैं तो बहुत तीव्रगति से उस तरफ चलते हैं। तीव्रगति से चलने के कारण प्राप्ति भी सर्व प्रकार की फुल करने चाहते हैं। बहुत फास्ट चलने के कारण कभी कभी चलते चलते थोड़ी सी भी माया की रूकावट आती है तो घबराते भी फास्ट हैं। यह क्या हुआ। ऐसे भी होता है क्या! ऐसे आश्चर्य की स्थिति में पड़ जाते हैं। फिर भी लगन मजबूत होने के कारण विघ्न पार हो जाता है और आगे के लिए मजबूत बनते जाते हैं। मंज़िल पर चलने में महावीर हो, नाजुक तो नहीं हो ना! घबराने वाले तो नहीं हो? ड्रामा तो बहुत अच्छा करते हो। ड्रामा में माया को भगाने के साधन भी बहुत अच्छे बनाते हो। तो इस बेहद के ड्रामा अन्दर प्रैक्टिकल में भी ऐसे ही महावीर पार्टधारी हो ना? मुहब्बत और मेहनत , दोनों में से मुहब्बत में रहते हो वा मेहनत में? सदा बाप की याद में समाये हुए रहते हो वा बार बार याद करने वाले हो वा याद स्वरूप हो? सदा साथ रहते हो वा सदा साथ रहें, इसी मेहनत में लगे रहते हो? बाप समान बनने वाले सदा स्वरूप रहते हैं। याद स्वरूप, सर्वगुण स्वरूप, सर्व शक्तियों स्वरूप। स्वरूप का अर्थ ही है अपना रूप ही वह बन जाये। गुण वा शक्ति अलग नहीं हो। लेकिन रूप में समाये हुए हों। जैसे कमज़ोर संस्कार वा कोई अवगुण बहुत काल से स्वरूप बन गये हैं, उसको धारण करने की कोई मेहनत नहीं करते हो लेकिन नेचर और नैचुरल हो गये हैं। उनको छोड़ने चाहते हो, महसूस करते हो कि यह नहीं होना चाहिए लेकिन समय पर फिर से न चाहते भी वह नेचर वा नैचरल संस्कार अपना कार्य कर लेते हैं। क्योंकि स्वरूप बन गये हैं। ऐसे हर गुण वा हर शक्ति निजी स्वरूप बन जाए। मेरी नेचर और नैचुरल गुण बाप समान बन जाएँ। ऐसा गुण स्वरूप, शक्ति स्वरूप, याद स्वरूप हो जाता है। इसको ही कहा जाता है - बाप समान। तो सब अपने को ऐसे स्वरूप अनुभव करते हो? लक्ष्य तो यही है ना। पाना है तो फुल पाना या थोड़े में भी राजी हो? चन्द्रवंशी बनेंगे? (नहीं) चंद्रवंशी राज्य भी कम थोड़े ही है। सूर्यवंशी कितने बनेंगे? जो भी सब बैठे हैं सूर्यवंशी बनेंगे? राम की महिमा कम तो नहीं है। उमंग उत्साह सदा श्रेष्ठ रहे यह अच्छा है।

अब विश्व की आत्मायें आप सबसे क्या चाहती हैं वह जानते हो? अभी हर आत्मा अपने पूज्य आत्माओं को प्रत्यक्ष रूप में पाने के लिए पुकार रही हैं। सिर्फ बाप को नही पुकार रहे हैं। लेकिन बाप के साथ आप पूज्य आत्माओं को भी पुकार रहे हैं। हरेक समझते हैं - हमारा पैगम्बर कहो, मैसेन्जर कहो, देव आत्मा कहो, वह आवे और हमें साथ ले चले। यह विश्व की पुकार पूर्ण करने वाले कौन हैं?

आप पूज्य देव आत्माओं का इन्तजार कर रहे हैं कि हमारे देव आयेंगे, हमें जगायेंगे और ले जायेंगे। उसके लिए क्या तैयारी कर रहे हो? इस कांफ्रेंस के बाद देव प्रत्यक्ष होंगे अभी कांफ्रेंस के पहले स्वयं को श्रेष्ठ आत्मा प्रत्यक्ष करने का स्वयं और संगठित रूप से प्रोग्राम बनाओ। इस कांफ्रेंस द्वारा निराशा से आशा अनुभव होनी चाहिए। वह दीपक तो उद्घाटन में जगायेंगे, नारियल भी तोड़ेंगे। साथ-साथ सर्व आत्माओं प्रति शुभ आशाओं का दीपक भी जगायेंगे। ठिकाना दिखाने का ठका हो जाए। जैसे नारियल का ठका करते हो ना। तो विदेशी चाहे भारतवासी दोनों को मिलकर ऐसी तैयारी पहले से करनी है। तब है महातीर्थ की प्रत्यक्षता। प्रत्यक्षता की किरण अब्बा के घर से चारों ओर फैले। जैसे कहते भी हो कि आबू विश्व के लिए लाइट हाउस है। यही लाइट अन्धकार के बीच नई जागृति का अनुभव करावे। इसके लिए ही सब आये हो ना! वा सिर्फ स्वयं रिफ्रेश हो चले जायेंगे?

सर्व ब्राह्मणों का एक संकल्प, वही कार्य की सफलता का आधार है। सबको सहयोग चाहिए। किले की एक ईंट भी कमज़ोर होती तो किले को हिला सकती है। इसलिए छोटे बड़े सब इस ब्राह्मण परिवार के किले की ईंट हो तो सभी को एक ही संकल्प द्वारा कार्य को सफल करना है। सबके मन से यह आवाज़ निकले कि यह मेरी जिम्मेवारी है। अच्छा - जितना बच्चे याद करते हैं उतना बाप भी याद प्यार देते हैं। अच्छा

ऐसे सदा दृढ़ संकल्प करने वाले, सफलता के जन्म-सिद्ध अधिकार को साकर में लाने वाले, सदा अपने श्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रखते हुए समर्थ रहने वाले, स्वयं की विशेषता को सदा कार्य में लगाने वाले, सदा हर कार्य में बाप का कार्य सो मेरा कार्य ऐसे अनुभव करने वाले, सर्व कार्य में ऐसे बेहद की स्थिति में स्थित रहने वाले विशाल बुद्धि बच्चों को यादप्यार और नमस्ते।’’

ब्राजील पार्टी से

देश में सबसे दूर लेकिन दिल के समीप रहने वाली आत्मायें हो ना! सदा अपने को दूर बैठे भी बाप के साथ अनुभव करते हो ना। आत्मा उड़ता पंछी बन सेकण्ड में बाप के वतन में, मधुबन में पहुँच जाती है ना! सदा सैर करते हो? बापदादा बच्चों की मुहब्बत को देख रहे हैं कि कितनी दिल से साकार रूप में मधुबन में पहुँचने का प्रयत्न कर पहुँच गये हैं। इसके लिए मुबारक देते हैं। बापदादा आगे के लिए सदा विजयी रहो और सदा औरों को भी विजयी बनाओ यही वरदान देते हैं। अच्छा

अब विश्व की आत्मायें आप सबसे क्या चाहती हैं वह जानते हो? अभी हर आत्मा अपने पूज्य आत्माओं को प्रत्यक्ष रूप में पाने के लिए पुकार रही है। सिर्फ बाप को नही पुकार रहे हैं। हरेक समझते हैं हमारा पैगम्बर कहो, मैसेन्जर कहो, देव आत्मा कहो वह आवे और हमें साथ ले चले। आप पूज्य देवात्माओं का इन्तजार कर रहे हैं।

शान्ति शान्ति शान्ति शान्ति

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- किन बच्चो के भाग्य की कमाल देखकर बापदादा हर्षित हो रहे है?

 

 प्रश्न 2 :- आज वतन में बापदादा बच्चों की किस कमाल का गुणगान कर रहे थे?

 

 प्रश्न 3 :- डबल विदेशियों का सवेरे सवेरे उठ कर तैयार होना देखकर क्यों मुस्कुराते है

 

 प्रश्न 4 :- विदेशी बच्चों की कौन सी विशेषता का बाप दादा वर्णन कर रहे है

 

 प्रश्न 5 :- विश्व की आत्माओं की पुकार और महा तीर्थ की प्रत्यक्षता के बारे में बापदादा ने क्या इशारें दिये है?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( याद, प्राप्ति, वरदान, स्वरूप, मन, बाप, जिम्मेवारी, कमज़ोर, परिवार, संकल्प, सफलता, सहयोग  )

 

1         सर्व ब्राह्मणों का एक संकल्प, वही कार्य की _____ का आधार है। सबको ____ चाहिए।

 

2         किले की एक ईंट भी _____ होती तो किले को हिला सकती है। इसलिए छोटे बड़े सब इस ब्राह्मण ____ के किले की ईंट हो तो सभी को एक ही ____ द्वारा कार्य को सफल करना है।

 

3         सबके____  से यह आवाज़ निकले कि यह मेरी _____ है।

 

4         जहाँ सर्व ____ का अनुभव करने का___ स्वत: ही  प्राप्त होता है। ऐसे वरदान भूमि पर वरदाता ____ से मिलने आये हैं।

 

5         बाप समान बनने वाले सदा ____ रहते हैं। _____ स्वरूप, सर्वगुण स्वरूप, सर्व शक्तियों स्वरूप।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1 :- स्वमान का अर्थ ही है अपना रूप ही वह बन जाये। गुण वा शक्ति अलग नहीं हो। लेकिन रूप में समायें हुए हों। 

 

 2 :- जैसे संगमयुगी संस्कार वा कोई अवगुण बहुत काल से स्वरूप बन गये हैं, उसको धारण करने की कोई मेहनत नहीं करते हो लेकिन नेचर और नैचुरल हो गये हैं।

 

 3 :- मेरी नेचर और नैचुरल गुण बाप समान बन जाएँ। ऐसा गुण स्वरूप, शक्ति स्वरूप, याद स्वरूप हो जाता है। इसको ही कहा जाता है - बाप समान

 

 4 :- मंज़िल पर चलने में महावीर हो, अलबेले तो नहीं हो ना! घबराने वाले तो नहीं हो?

 

6         :- इस बेहद के ड्रामा अन्दर प्रैक्टिकल में भी ऐसे ही महावीर पार्टधारी हो ना? मुहब्बत और मेहनत , दोनों में से मुहब्बत में रहते हो वा मेहनत में?

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- किन बच्चो के भाग्य की कमाल देखकर बापदादा हर्षित हो रहे है?

 

 उत्तर 1 :- डबल विदेशी बच्चों की कमाल देख बापदादा हर्षित हो रहे है क्योंकि:-

          भारत में नज़दीक रहने वाली कई आत्मायें अभी तक प्यासी बन ढूंढ रही हैं। लेकिन साकार रूप से दूर-दूर रहने वाले डबल विदेशी बच्चों ने दूर से ही अपने बाप को पहचान, अधिकार को पा लिया।

          दूर वाले समीप हो गये और समीप वाले दूर हो गये। ऐसे बच्चों के भाग्य की कमाल देख बापदादा भी हर्षित होते हैं।  

 

 प्रश्न 2 :- आज वतन में बापदादा बच्चों की कौन सी कमाल का गुणगान कर रहे थे ?

 

 उत्तर 2 :- आज वतन में बापदादा बच्चों के कमाल के गुण गान कर रहें थे ,बापदादा कहते है कि :-

          बच्चों ने त्याग क्या किया और भाग्य क्या लिया!

          बापदादा बच्चों की चतुराई देख रहे थे कि त्याग भी बिना भाग्य के नहीं किया है।

          सौदा करने में भी पक्के व्यापारी हैं।

          पहले प्राप्ति का अनुभव हुआ, अच्छी प्राप्ति को देख व्यर्थ बातों का त्याग किया।

         तो छोड़ा क्या और पाया क्या? उसकी लिस्ट निकालो तो क्या रिजल्ट निकलेगी?

          एक छोड़ा और पदम पाया। तो यह छोड़ना हुआ या पाना हुआ?

          हम आत्मायें विश्व की ऐसी श्रेष्ठ विशेष आत्मायें बनेंगी, डायरेक्ट बाप से सम्बन्ध में आने वाली बनेंगी - ऐसा कब सोचा था!

          क्रिश्चियन से कृष्णपुरी में आ जायेंगे यह कभी सोचा था!

          धर्मपिता के फालोअर थे। तना के बजाए टाली में अटक गये। और अब इस वैरायटी कल्प वृक्ष का तना आदि सनातन ब्राह्मण सो देवता धर्म के बन गये।

          फाउन्डेशन बन गये। ऐसी प्राप्ति को देख छोड़ा क्या?अल्पकाल की निंद्रा को जीता। नींद में सोने को छोड़ा और स्वयं सोना (गोल्ड) बन गये।

 

 प्रश्न 3 :- डबल विदेशियों का सवेरे सवेरे उठने और खान पान के सन्दर्भ में क्या कहते है?

 

 उत्तर 3 :- बापदादा डबल विदेशियो का सवेरे-सवेरे उठ तैयार होना देख मुस्कराते हुए कहते है :-

          आराम से उठने वाले और अभी कैसे उठते हैं!

          नींद का त्याग किया - त्याग के पहले भाग्य को देख, अमृतवेले का अलौकिक अनुभव करने के बाद यह नींद भी क्या लगती है!

          खान-पान छोड़ा या बीमारी को छोड़ा?

          खाना पीना छोड़ना अर्थात् कई बीमारियों से छूटना।

          ❺ मुक्त हो गये ना। और ही हैल्थ वैल्थ दोनों मिल गई।इसलिए सुनाया कि पक्के व्यापारी हो।

     

 प्रश्न 4 :-विदेशी बच्चों की कौन सी विशेषता का बाप दादा वर्णन कर रहे है?

 

 उत्तर 4 :- बापदादा कहते:-

          विदेशी बच्चे जिस तरफ भी लगते हैं तो बहुत तीव्रगति से उस तरफ चलते हैं।

          तीव्रगति से चलने के कारण प्राप्ति भी सर्व प्रकार की फुल करने चाहते हैं।

          बहुत फास्ट चलने के कारण कभी कभी चलते चलते थोड़ी सी भी माया की रूकावट आती है तो घबराते भी फास्ट हैं।

          यह क्या हुआ। ऐसे भी होता है क्या! ऐसे आश्चर्य की स्थिति में पड़ जाते हैं।

          फिर भी लगन मजबूत होने के कारण विघ्न पार हो जाता है और आगे के लिए मजबूत बनते जाते हैं।

 

 प्रश्न 5 :-विश्व की आत्माओं की पुकार और महा तीर्थ की प्रत्यक्षता के बारे में बापदादा ने क्या इशारें दिये है?

 

 उत्तर 5 :- विश्व की आत्माओं की पुकार के बारें में बापदादा कहते :-

          अब विश्व की आत्मायें आप सबसे क्या चाहती हैं वह जानते हो?

          अभी हर आत्मा अपने पूज्य आत्माओं को प्रत्यक्ष रूप में पाने के लिए पुकार रही हैं।

          सिर्फ बाप को नही पुकार रहे हैं। लेकिन बाप के साथ आप पूज्य आत्माओं को भी पुकार रहे हैं।

          हरेक समझते हैं - हमारा पैगम्बर कहो, मैसेन्जर कहो, देव आत्मा कहो, वह आवे और हमें साथ ले चले।

     महातीर्थ आबू की प्रत्यक्षता के बारे में बापदादा के इशारें है :-

          अभी कांफ्रेंस के पहले स्वयं को श्रेष्ठ आत्मा प्रत्यक्ष करने का स्वयं और संगठित रूप से प्रोग्राम बनाओ।

          इस कांफ्रेंस द्वारा निराशा से आशा अनुभव होनी चाहिए।

          वह दीपक तो उद्घाटन में जगायेंगे, नारियल भी तोड़ेंगे। साथ-साथ सर्व आत्माओं प्रति शुभ आशाओं का दीपक भी जगायेंगे।

          ठिकाना दिखाने का ठका हो जाए। जैसे नारियल का ठका करते हो ना।

          तो विदेशी चाहे भारतवासी दोनों को मिलकर ऐसी तैयारी पहले से करनी है। तब है महातीर्थ की प्रत्यक्षता।

         प्रत्यक्षता की किरण अब्बा के घर से चारों ओर फैले। जैसे कहते भी हो कि आबू विश्व के लिए लाइट हाउस है।

          यही लाइट अन्धकार के बीच नई जागृति का अनुभव करावे। इसके लिए ही सब आये हो ना! वा सिर्फ स्वयं रिफ्रेश हो चले जायेंगे

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( याद, प्राप्ति, वरदान, स्वरूप, मन, बाप, जिम्मेवारी, कमज़ोर, परिवार, संकल्प, सफलता, सहयोग )

 

 1 सर्व ब्राह्मणों का एक संकल्प, वही कार्य की _____ का आधार है। सबको ____ चाहिए।

    सफलता / सहयोग

 

  किले की एक ईंट भी _____ होती तो किले को हिला सकती है। इसलिए छोटे बड़े सब इस ब्राह्मण ____ के किले की ईंट हो तो सभी को एक ही ____ द्वारा कार्य को सफल करना है।

  कमज़ोर / परिवार / संकल्प

 

 3  सबके____  से यह आवाज़ निकले कि यह मेरी _____ है।

   मन / जिम्मेवारी

 

  जहाँ सर्व ____ का अनुभव करने का___ स्वत: ही  प्राप्त होता है। ऐसे वरदान भूमि पर वरदाता ____ से मिलने आये हैं।

  प्राप्ति / वरदान / बाप

 

 5  बाप समान बनने वाले सदा ____ रहते हैं। _____ स्वरूप, सर्वगुण स्वरूप, सर्व शक्तियों स्वरूप।

   स्वरूप / याद

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:- 】 【

 

 1 :- स्वमान का अर्थ ही है अपना रूप ही वह बन जाये। गुण वा शक्ति अलग नहीं हो। लेकिन रूप में समायें हुए हों।

  स्वरूप का अर्थ ही है अपना रूप ही वह बन जाये। गुण वा शक्ति अलग नहीं हो। लेकिन रूप में समाये हुए हों। 

 

 2 :- जैसे संगमयुगी संस्कार वा कोई अवगुण बहुत काल से स्वरूप बन गये हैं, उसको धारण करने की कोई मेहनत नहीं करते हो लेकिन नेचर और नैचुरल हो गये हैं।

 जैसे कमज़ोर संस्कार वा कोई अवगुण बहुत काल से स्वरूप बन गये हैं, उसको धारण करने की कोई मेहनत नहीं करते हो लेकिन नेचर और नैचुरल हो गये हैं।

 

 3 :- मेरी नेचर और नैचुरल गुण बाप समान बन जाएँ। ऐसा गुण स्वरूप, शक्ति स्वरूप, याद स्वरूप हो जाता है। इसको ही कहा जाता है - बाप समान

 

 4 :- मंज़िल पर चलने में महावीर हो, अलबेले तो नहीं हो ना! घबराने वाले तो नहीं हो?

 मंज़िल पर चलने में महावीर हो, नाजुक तो नहीं हो ना! घबराने वाले तो नहीं हो?

 

 5 :- इस बेहद के ड्रामा अन्दर प्रैक्टिकल में भी ऐसे ही महावीर पार्टधारी हो ना? मुहब्बत और मेहनत , दोनों में से मुहब्बत में रहते हो वा मेहनत में?