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AVYAKT MURLI

18 / 01 / 85

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    18-01-85   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

स्मृति दिवस पर अव्यक्त बापदादा के अनमोल महावाक्य

सर्व समर्थ बापदादा अपने बच्चों प्रति बोले

आज समर्थ दिवस पर समर्थ बाप अपने समर्थ बच्चों को देख रहे हैं। आज का दिन विशेष ब्रह्मा बाप द्वारा विशेष बच्चों को समर्थी का वरदान आर्पित करने का दिन है। आज के दिन बापदादा अपनी शक्ति सेना को विश्व की स्टेज पर लाते - तो साकार स्वरूप में शिव-शक्तियों को प्रत्यक्ष रूप में पार्ट बजाने का दिन है। शक्तियों द्वारा शिव बाप प्रत्यक्ष हो स्वयं गुप्त रूप में पार्ट बजाते रहते हैं। शक्तियों को प्रत्यक्ष रूप में विश्व के आगे विजयी प्रत्यक्ष करते हैं। आज का दिन बच्चों को बापदादा द्वारा समान भव के वरदान का दिन है। आज का दिन विशेष स्नेही बच्चों को नयनों में स्नेह स्वरूप से समाने का दिन है। आज का दिन बापदादा विशेष समर्थ और स्नेही बच्चों को मधुर मिलन द्वारा अविनाशी मिलन का वरदान देता है। आज के दिन अमृतवेले से चारों ओर के सर्व बच्चों के दिल का पहला संकल्प मधुर मिलन मनाने का, मीठे-मीठे महिमा के दिल के गीत गाने का, विशेष स्नेह की लहर का दिन है। आज के दिन अमृतवेले अनेक बच्चों के स्नेह के मोतियों की मालायें, हर एक मोती के बीच बाबा, मीठे बाबा का बोल चमकता हुआ देख रहे थे। कितनी मालायें होंगी। इस पुरानी दुनिया में 9 रत्नों की माला कहते हैं लेकिन बापदादा के पास अनेक अलौकिक अनोखी अमूल्य रत्नों की मालायें थीं। ऐसी मालायें सतयुग में भी नहीं पहनेंगे। यह मालायें सिर्फ बापदादा ही इस समय बच्चों द्वारा धारण करते हैं। आज का दिन अनेक बंधन वाली गोपिकाओं के दिल के वियोग और स्नेह से सम्पन्न मीठे गीत सुनने का दिन है। बापदादा ऐसी लगन में मगन रहने वाली स्नेही सिकीलधे आत्माओं को रिटर्न में यही खुशखबरी सुनाते कि अब प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजने वाला ही है। इसलिए हे सहज योगी और मिलन के वियोगी बच्चे यह थोड़े से दिन समाप्त हुए कि हुए। साकार स्वीट होम में मधुर मिलन हो ही जायेगा। वह शुभ दिन समीप आ रहा है।

आज का दिन हर बच्चे के दिल से दृढ़ संकल्प करने से सहज सफलता का प्रत्यक्ष फल पाने का दिन है। सुना आज का दिन कितना महान है! ऐसे महान दिवस पर सभी बच्चे जहाँ भी हैं, दूर होते भी दिल के समीप हैं। बापदादा भी हर एक बच्चे को स्नेह और बापदादा को प्रत्यक्ष करने की सेवा के उमंग-उत्साह के रिटर्न में स्नेह भरी बधाई देते हैं। क्योंकि मैजारिटी बच्चों की रूह-रूहान में स्नेह और सेवा के उमंग की लहरें विशेष थीं। प्रतिज्ञा और प्रत्यक्षता दोनों बातें विशेष थीं। सुनते-सुनते बापदादा क्या करते! सुनाने वाले कितने होते हैं। लेकिन दिल का आवाज़ दिलाराम बाप एक ही समय में अनेकों का सुन सकते हैं। प्रतिज्ञा करने वालों को बापदादा बधाई देते। लेकिन सदा इस प्रतिज्ञा को अमृतवेले रिवाइज करते रहना। प्रतिज्ञा कर छोड़ नहीं देना। करना ही है, बनना ही है। इस उमंग-उत्साह को सदा साथ रखना। साथ-साथ कर्म करते हुए जैसे ट्रैफिक कन्ट्रोल की विधि द्वारा याद की स्थिति को लगातार बनाने में सफलता को पा रहे हो। ऐसे कर्म करते अपने प्रति अपने आपको चेक करने के लिए समय निश्चित करो। तो निश्चित समय प्रतिज्ञा को सफलता स्वरूप बनाता रहेगा।

प्रत्यक्षता के उमंग-उत्साह वाले बच्चों को बापदादा अपने राइट हैण्ड रूप से स्नेह की हैंडशेक कर रहे हैं। सदा मुरब्बी बच्चे सो बाप समान बन उमंग की हिम्मत से पदमगुणा बाप दादा की मदद के पात्र हैं ही हैं। सुपात्र अर्थात् पात्र हैं।

तीसरे प्रकार के बच्चे - दिन-रात स्नेह में समाये हुए हैं। स्नेह को ही सेवा समझते हैं। मैदान पर नहीं आते लेकिन ‘‘मेरा बाबा, मेरा बाबा’’ - यह गीत जरूर गाते हैं। बाप को भी मीठे रूप से रिझाते रहते हैं। जो हूँ जैसी हूँ आपकी हूँ। ऐसी भी विशेष स्नेही आत्मायें हैं। ऐसे स्नेही बच्चों को बापदादा स्नेह का रिटर्न स्नेह तो जरूर देते हैं लेकिन यह भी हिम्मत दिलाते हैं कि राज्य अधिकारी बनना है। राज्य में आने वाला बनना है - फिर तो स्नेही हो तो भी ठीक है। राज्य अधिकारी बनना है तो स्नेह के साथ पढ़ाई की शक्ति अर्थात् ज्ञान की शक्ति, सेवा की शक्ति, यह भी आवश्यक है। इसलिए हिम्मत करो। बाप मददगार है ही। स्नेह की रिटर्न में सहयोग मिलना ही है। थोड़ी सी हिम्मत से, अटेन्शन से राज्य अधिकारी बन सकते हो। सुना आज की रूह-रूहान का रेसपान्ड? देश विदेश चारों ओर के बच्चों की वतन में रौनक देखी। विदेशी बच्चे भी लास्ट सो फास्ट जाकर फर्स्ट आने के उमंग-उत्साह में अच्छे बढ़ते जा रहे हैं। वह समझते हैं जितना विदेश के हिसाब से दूर हैं उतना ही दिल में समीप रहते हैं। तो आज भी अच्छे-अच्छे उमंग-उत्साह की रूह-रूहान कर रहे थे। कई बच्चे बड़े स्वीट हैं। बाप को भी मीठी-मीठी बातों से मनाते रहते हैं। कहते बड़ा भोले रूप से हैं लेकिन हैं चतुर। कहते हैं - आप प्रामिस करो। ऐसे मनाते हैं। बाप क्या कहेंगे? खुश रहो, आबाद रहो, बढ़ते रहो। बातें तो बहुत लम्बी चौड़ी हैं, कितनी सुनाए कितनी सुनावें। लेकिन बातें सभी मजे से बड़ी अच्छी करते हैं। अच्छा

सदा स्नेह और सेवा के उमंग-उत्साह में रहने वाले, सदा सुपात्र बन सर्व प्राप्तियों के पात्र बनने वाले, सदा स्वयं के कर्मों द्वारा बापदादा के श्रेष्ठ दिव्यकर्म प्रत्यक्ष करने वाले, अपने दिव्य-जीवन द्वारा ब्रह्मा बाप की जीवन कहानी स्पष्ट करने वाले - ऐसे सर्व बापदादा के सदा साथी बच्चों को समर्थ बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।’’

दादी जी तथा दादी जानकी जी बापदादा के सामने बैठी हैं - आज तुम्हारी सखी (दीदी) ने भी खास यादप्यार दी है। आज वह भी वतन में इमर्ज थी। इसलिए उनकी भी सभी को याद। वह भी (एडवांस पार्टी) में अपना संगठन मजबूत बना रहे हैं। उन्हों का कार्य भी आप लोगों के साथ-साथ प्रत्यक्ष होता जायेगा। अभी तो सम्बन्ध और देश के समीप हैं इसलिए छोटे-छोटे ग्रुप उन्हों में भी कारण अकारण आपस में न जानते हुए भी मिलते रहते हैं। यह पूर्ण स्मृति नहीं है लेकिन यह बुद्धि में टचिंग है कि हमें मिलकर कोई नया कार्य करना है। जो दुनिया की हालतें हैं, उसी प्रमाण जो कोई नहीं कर सकता है वह हमें मिलके करना है। इस टचिंग से आपस में मिलते जरूर हैं। लेकिन अभी कोई छोटे, कोई बड़े, ऐसा ग्रुप है। लेकिन गये सभी प्रकार के हैं। कर्मणा वाले भी गये हैं, राज्य स्थापना करने की प्लैनिंग बुद्धि वाले भी गये हैं। साथ-साथ हिम्मत हुल्लास बढ़ाने वाले भी गये हैं। आज पूरे ग्रुप में इन तीन प्रकार के बच्चे देखे और तीनों ही आवश्यक हैं। कोई प्लैनिंग वाले हैं, कोई कर्म में लाने वाले हैं और कोई हिम्मत बढ़ाने वाले हैं। ग्रुप तो अच्छा बना रहा है। लेकिन दोनों ग्रुप साथ-साथ प्रत्यक्ष होंगे। अभी प्रत्यक्षता की विशेषता बादलों के अन्दर है। बादल बिखर रहे हैं लेकिन हटे नहीं हैं। जितना-जितना शक्तिशाली मास्टर ज्ञान सूर्य की स्टेज पर पहुँच जाते हैं वैसे यह बादल बिखरते जा रहे हैं। मिट जायेंगे तो सेकण्ड में नगाड़ा बज जायेगा। अभी बिखर रहे हैं। वह भी पार्टी अपनी तैयारी खूब कर रही है। जैसे आप लोग यूथ रैली का प्लैन बना रहे हो ना, तो वह भी यूथ हैं अभी। वह भी आपस में बना रहे हैं। जैसे अभी भारत में अनेक पार्टियों की जो विशेषता थी वह कम हो फिर भी एक पार्टी आगे बढ़ रही है ना। तो बाहर की एकता का भी रहस्य है। अनेकता कमज़ोर हो रही है और एक शक्तिशाली हो रहे हैं। यह स्थापना के राज में सहयोग का पार्ट है। मन से मिले हुए नहीं है, मजबूरी से मिले हैं, लेकिन मजबूरी का मिलन भी रहस्य है। अभी स्थापना की गुह्य रीति-रसम स्पष्ट होने का समय समीप आ रहा है। फिर आप लोगों को पता पड़ेगा कि एडवांस पार्टी क्या कर रही है और हम क्या कर रहे हैं। अभी आप भी क्वेश्चन करते हो कि वह क्या कर रहे हैं और वह भी क्वेश्चन करते हैं कि यह क्या कर रहे हैं? लेकिन दोनों ही ड्रामा अनुसार बढ़ रहे हैं।

जगदम्बा तो है ही चन्द्रमा। तो चन्द्रमा जगत अम्बा के साथ दीदी का शुरू से विशेष पार्ट रहा है। कार्य में साथ का पार्ट रहा है। वह चन्द्रमा (शीतल) है और वह तीव्र है। दोनों का मेल है। अभी थोड़ा बड़ा होने दो उसको। जगदम्बा तो अभी भी शीतलता की सकाश दे रही है लेकिन प्लैनिंग में आगे आने में साथी भी चाहिए ना। पुष्पशान्ता और दीदी इन्हों का भी शुरू में आपस में हिसाब है। यहाँ भी दोनों का हिसाब आपस में समीप का है। भाऊ (विश्वकिशोर) तो बैकबोन है। इसमें भी पाण्डव बैकबोन हैं शक्तियाँ आगे हैं। तो वह भी उमंग- उत्साह में लाने वाले ग्रुप हैं। अभी प्लैनिंग करने वाले थोड़ा मैदान पर जायेंगे फिर प्रत्यक्षता होगी। अच्छा

विदेशी भाई-बहिनों से - सभी लास्ट सो फास्ट जाने वाले और फर्स्ट आने के उमंग-उत्साह वाले हो ना। सेकण्ड नम्बर वाला तो कोई नहीं है। लक्ष्य शक्तिशाली है तो लक्षण भी स्वत: शक्तिशाली होंगे। सभी आगे बढ़ने में उमंग-उत्साह वाले हैं। बापदादा भी हर बच्चे को यही कहते कि सदा डबल लाइट बन उड़ती कला से नम्बरवन आना ही है। जैसे बाप ऊँचे ते ऊँचा है वैसे हर बच्चा भी ऊँचे ते ऊँचा है।

सदा उमंग-उत्साह के पंखों से उड़ने वाले ही उड़ती कला का अनुभव करते हैं। इस स्थिति में स्थित रहने का सहज साधन है - जो भी सेवा करते हो, वह बाप करन-करावहार करा रहा है, मैं निमित्त हूँ, कराने वाला करा रहा है, चला रहा है, इस स्मृति से सदा हल्के हो उड़ते रहेंगें। इसी स्थिति को सदा आगे बढ़ाते रहो।

विदाई के समय - यह समर्थ दिन सदा समर्थ बनाता रहेगा। इस समर्थ दिन पर जो भी आये हो वह विशेष समर्थ भव का वरदान सदा साथ रखना। कोई भी ऐसी बात आये तो यह दिन और यह वरदान याद करना तो स्मृति समर्थी लायेगी। सेकण्ड में बुद्धि के विमान द्वारा मधुबन में पहुँच जाना। क्या था, कैसा था और क्या वरदान मिला था। सेकण्ड में मधुबन निवासी बनने से समर्थी आ जायेगी। मधुबन में पहुँचना तो आयेगा ना। यह तो सहज है, साकार में देखा है। परमधाम में जाना मुश्किल भी लगता हो, मधुबन में पहुँचना तो मुश्किल नहीं। तो सेकण्ड में बिना टिकट के, बिना खर्चे के मधुबन निवासी बन जाना। तो मधुबन सदा ही हिम्मत हुल्लास देता रहेगा। जैसे यहाँ सभी हिम्मत हुल्लास में हो, किसी के पास कमज़ोरी नहीं है ना। तो यही स्मृति फिर समर्थ बना देगी।

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- आज समर्थ दिवस पे विशेष ब्रह्मा बाप से विशेष बच्चों को कौन-कौन से वरदान प्राप्त है?

 प्रश्न 2 :- तीसरे प्रकार के बच्चों की क्या विशेषतायें हैं?

 प्रश्न 3 :- ग्रुप में बाबा ने कौन से तीन प्रकार के बच्चे देखे ? ग्रुप की प्रत्यक्षता अभी अस्पष्ट क्यों है?

 प्रश्न 4 :- उमंग उत्साह में उड़ते रहने से कैसी स्थिति हो जाएगी?

 प्रश्न 5 :- समर्थ दिन को विशेष समर्थ दिन कैसे बनाये?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

(आवाज़, प्रतिज्ञा, मगन, प्रत्यक्षता, उमंग-उत्साह, दिल, स्नेह, रिटर्न, ट्रैफिक कन्ट्रोल, चेक)

 1   सुनाने वाले कितने होते हैं। लेकिन दिल का _____  दिलाराम बाप एक ही समय में अनेकों का सुन सकते हैं।  ______ करने वालों को बापदादा बधाई देते।

 2  बापदादा ऐसी लगन में _____ रहने वाली स्नेही सिकीलधे आत्माओं को रिटर्न में यही खुशखबरी सुनाते कि अब ________ का नगाड़ा बजने वाला ही है।

 3  विदेशी बच्चे भी लास्ट सो फास्ट जाकर फर्स्ट आने के _____ - _______ में अच्छे बढ़ते जा रहे हैं। वह समझते हैं जितना विदेश के हिसाब से दूर हैं उतना ही _____ में समीप रहते हैं।

 4  बापदादा भी हर एक बच्चे को ____ और बापदादा को प्रत्यक्ष करने की सेवा के उमंग-उत्साह के _______  में स्नेह भरी बधाई देते हैं।

 5  कर्म करते हुए जैसे ______ ______ की विधि द्वारा याद की स्थिति को लगातार बनाने में सफलता को पा रहे हो। ऐसे कर्म करते अपने प्रति अपने आपको _____  करने के लिए समय निश्चित करो।

 

सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】

 1  :- सदा मुरब्बी बच्चे सो बाप समान बन उमंग की हिम्मत से पदमगुणा बाप दादा की मदद के पात्र हैं ही हैं। सुपात्र अर्थात् पात्र हैं।

 2  :- बाप को भी झूठी-झूठी बातों से मनाते रहते हैं। कहते बड़ा भोले रूप से हैं लेकिन हैं चतुर।

 3  :- अभी स्थापना की गुह्य रीति-रसम स्पष्ट होने का समय समीप आ रहा है। फिर आप लोगों को पता पड़ेगा कि एडवांस पार्टी क्या कर रही है और हम क्या कर रहे हैं।

 4  :- जगदम्बा तो है ही चन्द्रमा। तो चन्द्रमा जगत अम्बा के साथ दीदी का शुरू से विशेष पार्ट रहा है। कार्य में साथ का पार्ट रहा है। वह चन्द्रमा (शीतल) है और वह तीव्र है।

 5   :- इस पुरानी दुनिया में 6 रत्नों की माला कहते हैं लेकिन बापदादा के पास अनेक अलौकिक अनोखी अमूल्य रत्नों की मालायें थीं। ऐसी मालायें सतयुग में भी नहीं पहनेंगे।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- आज समर्थ दिवस पर विशेष ब्रह्मा बाप से विशेष बच्चों को कौन-कौन से वरदान प्राप्त है?

   उत्तर 1 :- आज समर्थ दिवस पर समर्थ बाप अपने समर्थ बच्चों को देख रहे हैं:-

          आज का दिन विशेष ब्रह्मा बाप द्वारा विशेष बच्चों को समर्थी का वरदान अर्पित करने का दिन है।

          आज के दिन बापदादा अपनी शक्ति सेना को विश्व की स्टेज पर लाते - तो साकार स्वरूप में शिव-शक्तियों को प्रत्यक्ष रूप में पार्ट बजाने का दिन है।

          आज का दिन बच्चों को बापदादा द्वारा समान भव के वरदान का दिन है। आज का दिन विशेष स्नेही बच्चों को नयनों में स्नेह स्वरूप से समाने का दिन है।

          आज का दिन बापदादा विशेष समर्थ और स्नेही बच्चों को मधुर मिलन द्वारा अविनाशी मिलन का वरदान देता है।

          आज के दिन अमृतवेले से चारों ओर के सर्व बच्चों के दिल का पहला संकल्प मधुर मिलन मनाने का, मीठे-मीठे महिमा के दिल के गीत गाने का, विशेष स्नेह की लहर का दिन है।

           आज का दिन अनेक बंधन वाली गोपिकाओं के दिल के वियोग और स्नेह से सम्पन्न मीठे गीत सुनने का दिन है।

          आज का दिन हर बच्चे के दिल से दृढ़ संकल्प करने से सहज सफलता का प्रत्यक्ष फल पाने का दिन है।

 

 प्रश्न 2 :- तीसरे प्रकार के बच्चों की क्या विशेषतायें हैं?

 उत्तर 2 :- तीसरे प्रकार के बच्चे की विशेषतायें हैं :-

          दिन-रात स्नेह में समाये हुए हैं। स्नेह को ही सेवा समझते हैं। मैदान पर नहीं आते लेकिन ‘‘मेरा बाबा, मेरा बाबा’’ - यह गीत जरूर गाते हैं।

          बाप को भी मीठे रूप से रिझाते रहते हैं। जो हूँ जैसी हूँ आपकी हूँ। ऐसी भी विशेष स्नेही आत्मायें हैं।

          ऐसे स्नेही बच्चों को बापदादा स्नेह का रिटर्न स्नेह तो जरूर देते हैं लेकिन यह भी हिम्मत दिलाते हैं कि राज्य अधिकारी बनना है।

 

 प्रश्न 3 :- ग्रुप में बाबा ने कौन से तीन प्रकार के बच्चे देखे ? ग्रुप की प्रत्यक्षता अभी अस्पष्ट क्यों है?

   उत्तर 3 :- आज पूरे ग्रुप में इन तीन प्रकार के बच्चे देखे और तीनों ही आवश्यक हैं। कोई प्लैनिंग वाले हैं, कोई कर्म में लाने वाले हैं और कोई हिम्मत बढ़ाने वाले हैं।

     अभी प्रत्यक्षता की विशेषता बादलों के अन्दर है। बादल बिखर रहे हैं लेकिन हटे नहीं हैं। जितना-जितना शक्तिशाली मास्टर ज्ञान सूर्य की स्टेज पर पहुँच जाते हैं वैसे यह बादल बिखरते जा रहे हैं। मिट जायेंगे तो सेकण्ड में नगाड़ा बज जायेगा। अभी बिखर रहे हैं।

 

 

प्रश्न 4 :- उमंग उत्साह में उड़ते रहने से कैसी स्थिति हो जाएगी?

   उत्तर 4 :- उमंग उत्साह में उड़ने वाले:-

          बापदादा भी हर बच्चे को यही कहते कि सदा डबल लाइट बन उड़ती कला से नम्बरवन आना ही है। जैसे बाप ऊँचे ते ऊँचा है वैसे हर बच्चा भी ऊँचे ते ऊँचा है।

           सदा उमंग-उत्साह के पंखों से उड़ने वाले ही उड़ती कला का अनुभव करते हैं।

          इस स्थिति में स्थित रहने का सहज साधन है - जो भी सेवा करते हो, वह बाप करन-करावहार करा रहा है, मैं निमित्त हूँ, कराने वाला करा रहा है, चला रहा है, इस स्मृति से सदा हल्के हो उड़ते रहेंगें।

 

 प्रश्न 5 :- समर्थ दिन को विशेष समर्थ दिन कैसे बनाये?

   उत्तर 5 :- विशेष दिन को समर्थ करने की विधि है :-

          ❶ यह समर्थ दिन सदा समर्थ बनाता रहेगा। इस समर्थ दिन पर जो भी आये हो वह विशेष समर्थ भव का वरदान सदा साथ रखना।

          कोई भी ऐसी बात आये तो यह दिन और यह वरदान याद करना तो स्मृति समर्थी लायेगी।

          सेकण्ड में बुद्धि के विमान द्वारा मधुबन में पहुँच जाना। क्या था, कैसा था और क्या वरदान मिला था। सेकण्ड में मधुबन निवासी बनने से समर्थी आ जायेगी।

          परमधाम में जाना मुश्किल भी लगता हो, मधुबन में पहुँचना तो मुश्किल नहीं। तो सेकण्ड में बिना टिकट के, बिना खर्चे के मधुबन निवासी बन जाना।

           मधुबन सदा ही हिम्मत हुल्लास देता रहेगा। जैसे यहाँ सभी हिम्मत हुल्लास में हो, किसी के पास कमज़ोरी नहीं है ना। तो यही स्मृति फिर समर्थ बना देगी।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

(आवाज़, प्रतिज्ञा, मगन, प्रत्यक्षता, उमंग-उत्साह, दिल, स्नेह, रिटर्न, ट्रैफिक कन्ट्रोल, चेक)

 1   सुनाने वाले कितने होते हैं। लेकिन दिल का _____  दिलाराम बाप एक ही समय में अनेकों का सुन सकते हैं।  ______ करने वालों को बापदादा बधाई देते।

       आवाज़ / प्रतिज्ञा

 

 2  बापदादा ऐसी लगन में _____ रहने वाली स्नेही सिकीलधे आत्माओं को रिटर्न में यही खुशखबरी सुनाते कि अब ________ का नगाड़ा बजने वाला ही है।

      मगन / प्रत्यक्षता

 

 3  विदेशी बच्चे भी लास्ट सो फास्ट जाकर फर्स्ट आने के _____ - _______ में अच्छे बढ़ते जा रहे हैं। वह समझते हैं जितना विदेश के हिसाब से दूर हैं उतना ही _____ में समीप रहते हैं।

      उमंग-उत्साह / दिल

 

 4  बापदादा भी हर एक बच्चे को ____ और बापदादा को प्रत्यक्ष करने की सेवा के उमंग-उत्साह के _______ में स्नेह भरी बधाई देते हैं।

      स्नेह / रिटर्न

 

 5  कर्म करते हुए जैसे ______ ______ की विधि द्वारा याद की स्थिति को लगातार बनाने में सफलता को पा रहे हो। ऐसे कर्म करते अपने प्रति अपने आपको _____  करने के लिए समय निश्चित करो। 

    ट्रैफिक /कंट्रोल / चेक

सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】

 1  :- सदा मुरब्बी बच्चे सो बाप समान बन उमंग की हिम्मत से पदमगुणा बाप दादा की मदद के पात्र हैं ही हैं। सुपात्र अर्थात् पात्र हैं।

 

 2  :-  बाप को भी झूठी-झूठी बातों से मनाते रहते हैं। कहते बड़ा भोले रूप से हैं लेकिन हैं चतुर।

  बाप को भी मीठी-मीठी बातों से मनाते रहते हैं। कहते बड़ा भोले रूप से हैं लेकिन हैं चतुर।

 

 3  :- अभी स्थापना की गुह्य रीति-रसम स्पष्ट होने का समय समीप आ रहा है। फिर आप लोगों को पता पड़ेगा कि एडवांस पार्टी क्या कर रही है और हम क्या कर रहे हैं। 

 

 4  :- जगदम्बा तो है ही चन्द्रमा। तो चन्द्रमा जगत अम्बा के साथ दीदी का शुरू से विशेष पार्ट रहा है। कार्य में साथ का पार्ट रहा है। वह चन्द्रमा (शीतल) है और वह तीव्र है।

 

 5   :-  इस पुरानी दुनिया में 6 रत्नों की माला कहते हैं लेकिन बापदादा के पास अनेक अलौकिक अनोखी अमूल्य रत्नों की मालायें थीं। ऐसी मालायें सतयुग में भी नहीं पहनेंगे।

  इस पुरानी दुनिया में 9 रत्नों की माला कहते हैं लेकिन बापदादा के पास अनेक अलौकिक अनोखी अमूल्य रत्नों की मालायें थीं। ऐसी मालायें सतयुग में भी नहीं पहनेंगे।