31-08-1965     मधुबन आबू     रात्रि मुरली     साकार बाबा     ओम् शांति     मधुबन
 


गुड इवनिंग यह 31 अगस्त का रात्रि क्लास है

बच्चे बाप को पहचान सकते है । बाप है, पीछे बच्चे पैदा होते हैं । बाप आते है, आ करके जिस बच्चे को अपना बनाते है, परिचय दे करके बनाते हैं । परिचय देने बिगर कोई किसका बच्चा कैसे बनेंगे? जब बाप ने बच्चों को अपना परिचय दिया हुआ है कि तुम सब आत्माओं का बाप । अब ऐसे कभी भी कोई परिचय नहीं देंगे क्योंकि वो तो सर्वव्यापी का खेल है ना वा जो कहते है शिवोअहम तो ऐसे नहीं कहेंगे कि और सभी हमारे बच्चे हैं । फिर कहेंगे तत् त्वम् यानी तुम भी शिव हो । तुम भी आत्मा हो और मैं तुम्हारा बाप हूँ, बेहद का बाप हूँ । कहते है कि मैं कल्प-कल्प तुम बच्चों को 21 जन्म वर्सा देने आता हूँ । कैसे? राजयोग सिखला कर । तो देखो, बच्चे मानते हैं, क्योकि बहुतो ने माना है । और भी मानते हैं कि बरोबर भगवान ही सतयुग की रचना रचते हैं । तो सतयुग की बादशाही भी तो भगवान देंगे, कृष्ण तो नहीं देंगे, क्योंकि कृष्ण को बादशाही है । तो जरूर आगे जन्म में पुरुषार्थ किया है तब प्रिन्स बना है । इसलिए बाबा ने समझाया है कि पहले बाप का परिचय देकर पूंछना है कि निराकार परमपिता परमात्मा से, पतित-पावन, ज्ञान सागर पिता से क्या संबंध है? तो कहेंगे कि वो सबका बाप है अर्थात् भगवान है । सबका भगवान है । देखो, ये हमेशा याद रख देना कि वो सबका भगवान है । निराकार परमपिता परमात्मा सबका भगवान है । सभी भक्तों का भगवान है, ऐसे कहेंगे । सभी आत्माओं का बाप है । ये परिचय देकर पीछे कहना कि भगवान एक निराकार हुआ ना! अभी गीता का भगवान कौन? निराकार शिवबाबा या कृष्ण? तो देखो, जरूर समझाना पड़ेगा कि नहीं, वो तो परमात्मा हुआ । भगवान एक हुआ । हम दूसरे किसको भगवान नहीं कहते हैं । जब ब्रह्मा विष्णु शंकर को भी भगवान नहीं कहते, देवता कहते हैं तो अभी मनुष्य को भगवान कैसे कहेंगे? तो बच्चे, तुम्हारी विजय ही इसमें है जबकि तुम भगवान को सिद्ध कर देंगे और उनको बच्चा सिद्ध कर देंगे । गीता का भगवान वो है जिसने कृष्ण को आगे जन्म में वर्सा दिया है, जो कृष्ण फिर से बना है । फिर से, फिर से वो बनता आता है, क्योंकि सतयुग में ये जो सूर्यवंशी देवी-देवताएँ है वो तो अभी सभी बाप से बनते हैं । बाप आकर सच्चा ज्ञान देकर सचखण्ड बनाते हैं । इसलिए बाप कहते हैं मामेकम याद करो । मेरे को याद करने से, जिसको प्राचीन योग कहा जाता है, इस योगाग्नि वा याद की अग्नि से तुम्हारे सभी पाप नाश होंगे । और कोई उपाय पतित को पावन होने का है ही नहीं । ऐसी-ऐसी पाइंट पक्की-पक्की याद करो, फिर कल इन सबको दस दफा यह पाइंट पर जो बाबा समझाते हैं। क्या सुना, दीदी? ये पाइंट बड़ी मुख्य है, क्योंकि लिखा तो हुआ है । वो लिखा है प्रजापिता ब्रह्मा से.... पीछे अब बताओ कि गीता का भगवान शिव या कृष्ण है? वो भी लिखा हुआ है । इनके ऊपर में लिखा है । तो एक जरूर कुछ लिख करके दो जो यहाँ लगा हुआ है । बच्चे, तुम लिख सकेंगे? जैसे ये प्लास्टिक के ऊपर लिखकर आए हैं ना, उनमें ये कोई आर्ट नहीं है, वो तो बैठ करके हाँथ से लिखा है । अच्छा करके हमको इससे डबल यानी चौड़ा बना दो । हमारे पास है कपड़ा । यह बाबा की बहुत दिलपसन्द सेवा है जो मुझे कोई लिख करके देते हैं तो, क्योंकि लिख करके हम टॉगने से. .. .. ये दो हम लिखा दें एक अंदर टॅगा हुआ है, एक यहाँ टँगा हुआ है । ये सिंगल है वो उतना डबल होगा । इनको फिर विश्व रतन भी और मदद देंगे । प्लास्टिक देखेंगे, निकल आएगी ।.. .विचार करता रहता हूँ अंदर में कि कौन लिखेगा । अच्छा, कल सवेल में याद करना । (किसी ने कहा-मध्यमा की हैंडराइटिंग अच्छी है) हाँ, तो बहुत अच्छा । हम देखते हैं, नहीं तो मैं टिन के ऊपर भी लिखवा दूँगा । अगर प्लास्टिक न निकली तो फ्रेम बना दूँगा । हिन्दी में बनाऊँगा । पीछे इंगलिश में आपे ही कॉपी करेंगे । ये बाबा ने आज मुरली में लिखा है ना । आज मुरली में लिखा था ? (किसी ने कहा- दीवाली पर लिखा था) हाँ । तो उनमें ये बोर्ड बना करके हर एक जो-जो भी समझे कि अपने घर में सेन्टर होवे, कोई भी आ करके समझे, तो ये बात बिल्कुल जरूरी समझ कर जाओ । पहले-पहले लिखा हुआ है कि परलौकिक पतित-पावन, ज्ञान सागर परमपिता परमात्मा से आपका क्या परिचय है? जरूर कहेगा- ये तो उनको परमपिता कहते ही हैं । तो परमपिता तो पिता ही है । तो बोलेंगे बरोबर पिता है, सबका है । फिर प्रजापिता ब्रह्मा ये भी तो पिता ही है । तो बोले वो हुआ डाडा ये हुआ दादा । अभी बाप से वर्सा लेना है, क्योंकि स्वर्ग रचता है । तो ब्रह्मा द्वारा ही उनको शरीर चाहिए । तो देखो, ब्रह्मा द्वारा ब्रह्माकुमार-कुमारियों को ये वर्सा मिल रहा है । किससे? परमात्मा से । परमात्मा सिद्ध कर दिया अच्छी तरह से, फिर उनसे पूंछो, अब थोडा सोंच करो कि ये शहजादा सर्वगुण सम्पन्न, इसकी महिमा लिखी हुई है और वो पतित-पावन ज्ञान सागर, इन दोनों में भगवान कौन? फिर वो हुआ गीता का भगवान । अब कृष्ण तो हुआ नहीं । तो देखो, सारे ये जो भी विद्वान पण्डित हैं, बाप आकर समझाते हैं कि देखो, ये पतित है ना और झूठखण्ड है । ये सब जो भी कुछ है, ये सभी झूठ ही झूठ है और भगवान की निंदा भी करते है । ऐसी-ऐसी बातें अच्छी तरह से पक्की-पक्की पकड़ लो । इसमें तुम जीत पहनो कि गीता का भगवान, भगवान है, वर्सा उनसे मिलता है । वो कहते हैं देह के सभी धर्म त्याग मामेकम याद करो । समझती हो देह के सभी धर्म क्या? देह और देह से संबंध रखने वाले, जिसको मेरा-मेरा कहते हैं, मेरा गुरू, मेरा काका, मेरा चाचा, मेरा शरीर । मेरा-मेरा कहते हैं ना! तो वो आत्मा कहती है ये .मेरा- मेरा, बोलते हैं नहीं, देह के जो भी संबंध हैं, ये सभी छोड़ मामेकम याद कर । हे आत्मा! मामेकम याद कर । मैं सर्वशक्तिवान हूँ पतित-पावन हूँ । मेरे से योग लगाने से तुम पावन बन सकते हो, नहीं तो कोई उपाय नहीं है । नहीं तो पतित-पावन आवे तो क्या गंगा में स्नान कराएगा? नहीं । जरूर योग सिखलाएगा । योगाग्नि से ये जो खाद पड़ी हुई है चाँदी ताँबा लोहा वो भस्म हो जाएगी । इन प्याइंटों के ऊपर इनको बहुत अच्छी- अच्छी तरह से जमाओ । खूब जमाओ इनको । ऐसे नहीं कि एक पाइंट पहले वाली याद करे, दूसरी पाइंट सुनाओ तो पहली वाली भूल जावे । ऐसे भी नहीं करना । बस, अगर ये दो पाइंट भी ये बुड्‌ढी- बुड्‌ढी बच्चियों अच्छी तरह से समझ गई तो पीछे सब समझ जाएँगी । ये जैसे कि अलफ समझना । अलफ समझा तो पीछे सब कुछ अच्छी तरह से समझ जाएगी । ये बच्चियाँ आई है तो मेहनत करके और अच्छी तरह से फिर यहाँ भी करेंगी तो अपना जहाँ- जहाँ जाती हैं सुनते तो हैं सभी और ब्राह्मणियों भी तो यहीं हैं और ये मुरली भी जाएगी । बजती रहती है ना । देखो, ये भी बजती रहती है, ये भी जाएगी, सुनेंगे सभी, फिर लिखत में भी जाएगी । तो सब इसके ऊपर ध्यान देंगे । तो ये बच्चियाँ, जिनका मुख नहीं खुलता है, इस गीता के पाइंट को तो अच्छी तरह से पक्का समझाओ कि गीता का भगवान.... तो ये हो गया ना कि बाप के बदले में बच्चे का नाम डाल दिया । कृष्ण को प्रालब्ध मिली बाप से और वहाँ इसने गीता का भगवान कृष्ण को रख दिया । ये तो पक्की पाइंट याद कर दो समझाने के लिए । भले कोई कितना भी मत्था मारे तो तुम हट न सको ।.तो ये क्या आज मैंने कहा था कल कहा था, आज ही कहा है एक दिन में कितना मुख खुला है न ? तो बाकी जितना .मुख खुलता जाएगा, बड़ा होता जाएगा । जैसे देखो, बच्ची होती है, तो पहले छोटा मुख तो बिचारी कुछ नहीं बोल सकती है । जितना बड़ा मुख खुलता जाएगा इतना जास्ती बोलती जाएगी । तो ये भी कहती हैं हम बच्चियाँ हैं, मुख नहीं खुलता है, फिर से खुलता जाएगा । फिर खुशी होगी । ये दो- चार पॉइंट मजबूत हड्‌डी याद करके जावे, क्योंकि पाइंट बुद्धि में बैठने से खुशी होती है । कब इन पर जीत पहन सकते है । सन्यासियों के ऊपर, विद्वानों के ऊपर हम जीत पहन सकते हैं, कोई भी होगा हम जीत पहनेंगे, क्योंकि गीता तो सभी पढ़ते हैं । पहला नंबर शास्त्र झूठा तो सब झूठा । देखो, रावण झूठ तो सभी झूठ कर देता है । बाबा सच । बाबा को सच कहा जाता है ना । तो झूठ किसको कहा जाना चाहिए ना । तो रावण को झूठ । सत्य सच को, फिर उसके बरखिलाफ है रावण असत्य । देखो... सब असत्य बोलते हैं । पहले नंबर में परमात्मा सर्वव्यापी है ये देखो असत्य बोला । गीता का भगवान कृष्ण है- ये दूसरा असत्य बोला । फिर ये सभी जो भी हैं महाभारत में जुआ, द्रौपदी का दांव, धूर-छाई ये बोलो ये सभी असत्य है । सभी दंत कहानी हैं जिनसे और ही बड़ा नुकसान हो पड़ा है । बाबा ने बताया था ना- द्रौपदी को पाँच पति दिखलाया । अभी पाँच पति होता है क्या? नहीं । अब स्त्री पाँच पति पहले करे, चार करे, तीन करे । बाकी भारत की नारी एक पति करती है । देखो, मर जाता है तो विधवा रहती है । पति नहीं रह सकते है, वो फट शादी कर लेते हैं । (म्युजिक बजा) घर चलना है जिसके लिए ये सारा आधाकल्प भक्ति हुई । कोई भी घर नहीं जा सके । पावन बनते हैं श्रीमत पर चलते हैं वो श्रेष्ठ बनेगा । न चलेगा तो कम श्रेष्ठ बनेगा । अच्छा! मीठे-मीठे, सिकीलधे ज्ञान सितारों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडनाइट ।