Murli Revision - Bk Dr. Sachin - 08-05-2022


ओम शांति।
एक सूफी बौद्ध कथा है, किसी व्यक्ति को किसी स्त्री से प्रेम हो गया और वो जो कुछ मांगती थी, वो रोज उसे लाकर देता था, पर उसकी डिमांड्स उसकी मांग हर दिन बढ़ रही थी और बढ़ते बढ़ते एक दिन उसने कहा यदि तुम मुझे चाहते हो तो जाकर अपनी मां का ह्रदय लेकर आओ। आवेश और जोश और विभ्रम अवस्था और वह घर जाता है और अपनी मां को मार देता है और उसका दिल, उसका ह्रदय निकालता है लहू लुहान...और वो ह्रदय हाथ में लेकर निकल पडता है। और जब वह जा रहा है तो अचानक ठोकर लगती है और वह लडखडाता है और वह गिरता है और उसके हाथ में उसके मां का जो दिल है वो भी गिरता है, टुकड़े टुकड़े हो जाता है। दिल के टुकड़ों को वो इकट्ठा करने लगता है, टुकडे से आवाज आती है बच्चे, बेटा... जरा संभाल कर! परंतु वासना से ग्रसित उन कानों को वह आवाज सुनाई नहीं देती और वो हृदय वो स्त्री के पास ले आता है और उसे दिखाता है जिसे देखते ही वह शॉक्ड हो जाती है और कहती है यह तुमने क्या कर दिया। तुम अपनी मां के साथ ये कर सकते हो तो मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ करोगे। तुम यदि एक स्त्री के साथ लॉयल ईमानदार नहीं तो मेरे साथ कैसे हो सकते हो यहां से चले जाओ। सूफी संत यह बौद्ध कथा किसी और और अर्थों में सुनाते हैं। जो शिष्य किसी एक मास्टर का नहीं बन सकता वो किसी और का कैसे बनेगा। जो शिष्य किसी एक गुरु का नहीं बन सका वह किसी और गुरु का कैसे बन सकता है। जो भगवान का नहीं बना वह और किसी का कैसे बन सकता है। उसमें एक दूसरा अर्थ भी छिपा है मां की ममता का, निस्वार्थ प्रेम का ।

आज कौन सा दिन है मदर्स डे। भगवान धरती पर आता है और क्या कहता है वन्दे मातरम। जो एक का नहीं बन सका वो किसी का भी नहीं बन सकता। जो एक के प्रति समर्पित नहीं वो और किसी के प्रति समर्पित नहीं हो सकता। जो एक जगह नहीं टिका वो कहीं नहीं टिक सकता। जिसने एक को नहीं पहचाना वह सबको कैसे पहचानेगा। जिसने बीज को नहीं जाना वह वृक्ष को कैसे जान सकता है । ब्रम्हा माँ, इस यज्ञ की पालना उसने कैसे की जैसे उसके गर्भ में पल रहा कोई बच्चा हो और वह चाहता है कि हम कैसे बनें जैसे वह बना। जैसे उसने उसको पहचाना हम भी उस एक को जान ले, पहचान लें समझ लें। उसके जैसे हम भी तपस्वी बन जाएं। और तपस्या की आज सुबह की अव्यक्त वाणी में बाबा ने एक नई परिभाषा दी है। पिछली बार भी हमने तपस्या की परिभाषाएं देखी थी ढेर सारी.. सोलह। उसमें से पांच मुख्य थीं।

1) एक का बनना, इकानामी अर्थात तपस्या।

2) एक का बनना मन बुद्धि को एकाग्र करना अर्थात तपस्या।

3) एकरस स्थिति बनाना अर्थात तपस्या ।
आज सुबह की वाणी...आत्मा का ओरिजनल स्वरुप क्या है ? एकरस । एक के रस में चेतना डूब जाए। एक ही एक । एक ही उसे पूर्ण कर सकता है और वक के अत्रिरिक्त यदि कुछ और उसे पूर्ण करने की कोशिश करें तो पूर्ण नहीं और अपूर्ण ही होगी आत्मा । और सारे संबंध यही काम करते हैं जो पूर्ण हैं उसे पूर्णता की अवस्था से नीचे लाना । विभाजित चेतना। स्चिज़ोफ्रेनिक कोन्सिअस्नेस। खंडित चेतना ।

4) तपस्या अर्थात इकॉनमी ।

5) तपस्या अर्थात एकांत।
तो ये पांच परिभाषाये थी। एकांत का अभ्यास। एकाग्रता का अभ्यास। एकरस स्थिति का अभ्यास । कुछ भी होता रहे। आज की मुरली में पार्टी वन, हलचल होती रहे बाहर अंदर अचल। अन्दर मोज। ब्राह्मण अर्थात मौज क्षत्रिय अर्थात हलचल। कौन हो ? क्षत्रिय कुमार क्षत्रिय कुमारियाँ हो या ब्रहमा कुमार और ब्रह्मा कुमारियाँ हो ?
तो आज की मुरली में पांच परिभाषा मुरली की.....

पहली तपस्या अर्थात बाप से बधाई लेना। मुबारक और यह मुबारक कैसी है मोहब्बत की मुबारक है और कौन ले सकता है जो, जिसके दिल से मुबारक की साज बज रहे हैं, केवल वही। बाप के रूप में बाप मुबारक देते हैं, टीचर के रूप में टीचर मुबारक देते हैं, गुरु के रूप में गुरु मुबारक देते हैं तीन। पहला बाप के रूप में बधाई, यह बधाई फाउंडेशन है ब्राह्मण जीवन का। नया वर्ष। पुराना वर्ष समाप्त हो रहा है नया शुरू हो रहा है। यह समय वह समय है जब सारे संसार में सेलिब्रेशन हो रहे हैं, तब भगवान क्या कर रहा है, अपनी चुनी हुई आत्माओं से मिल रहा है। टीचर कैसे बधाई देता है- शाबाश! शाबाश! शाबाश! कहकर पास विद ऑनर कहता है। और सद्गुरु कैसे बधाई देता है- श्रेष्ठ कर्म, प्राप्ति। तो तपस्या अर्थात बाप से बधाई लेते रहना। तपस्या अर्थात हमारे ह्रदय में यह दृश्य दिल के दूरदर्शन में यह दृश्य दिखाई दे। तपस्या अर्थात एक साज निरंतर अंदर से गूंजता रहे। कोई मनुष्य कोंग्रेचुलेशंस नहीं कर रहा है, स्वयं गोड, भगवान आकर.... । संसार के लोग कहते हैं हैप्पी न्यू यर, बाबा क्या कहते हैं... डायमंड यर। हैप्पी नाउ यर। नाउ अभी। जो साइलेंट है वही उसकी आवाज सुन सकता है। जो शोरगुल में है, चित्त कोलाहल में है उसकी आवाज नहीं आती। कुछ भी उससे लेना है तो सबसे पहले स्वयं शांत हो जाओ तो अपने आप उसकी आवाज हम सुन सकते हैं ग्रहण कर सकते हैं, उसकी सुक्ष्म टचिंग्स। तो तपस्या अर्थात बधाई।

दूसरा तपस्या अर्थात समारोह, सेलिब्रेशन। और तीन प्रकार के समारोह इस मुरली में बाबा ने सुनाएं हैं कौन कौन से? तीन प्रकार के समारोह....
1. पास्ट का समाप्ति समारोह।
2. वर्तमान समीपता संपन्नता समानता और
3. भविष्य का भविष्य का.....भविष्य का कौन सा समारोह.... सफलता का समारोह।
ये तीन सेलिब्रेशन अर्थात तपस्या। पास्ट समाप्त फुल स्टॉप। पार्टीयों से मुलाकात... डॉट लगाओ तो माया क्या हो जाएगी नॉट अलाऊ, नोट हो जाएगी। पार्टियों से मुलाकात.. फुल स्टॉप। नथिंग न्यू। तो फास्ट समाप्त, ना उसका चिंतन, न उसकी चर्चा, न उसका स्मरण, न उसका डिस्कशन, न उसका रिविजन, न बार बार उसको सुनते रहो दूसरों को हमारे साथ ये ये हुआ और इसने ये ये किया । चाहे कोई गाली देने वाला भी हो लेकिन फिर भी कौन है वह तुम्हारा... गुरुजी। कौन है तुम्हारा वो गुरुजी, शिक्षक, मास्टर। कोई तो पाठ पढ़ा रहा है वह... कौन सा पाठ पढ़ा रहा है, सहनशीलता का पाठ पढ़ा रहा है।

एक बहुत बड़ा चर्च था, घटना अभी-अभी की है.. कुछ समय पहले की। और दो व्यक्तियों ने उस चर्च को नष्ट कर दिया, डिस्ट्रॉय कर दिया पूरा राख राख होकर गिर पडा। ऐसे आठ लोग थे जिनकी पालना उस चर्च से चल रही थी । जिनका बचपन उस चर्च में गुजरा था, जिन्होंने जीवन की शिक्षा और दीक्षा उस चर्च से ली थी। और उन दो व्यक्तियों को पकड़ा गया और एक मीटिंग हुई और वो आठ लोग बैठे थे और वह दो अपराधी बैठे थे एक बड़ा एक छोटा और उनसे पूछा गया कि व्हाट मोटिवेटिड यू टू डू दिस क्राइम? ऐसी कौन सी बात थी, जिस वजह से तुमने यह किया? वह बड़ा जो होता है वह कहता है मेरा जन्म फलां फलां जगह हुआ ईराक में था मैं, फिर वहां से कहीं और गया फिर वहां से ड्रग एडिक्ट बन गया, फिर वहां से मेरी आदत बन गई, और वहां से कुसंग में गया...और इस तरह से मैंने ये सारे कार्य चालू किये। छोटे से पूंछा जाता है तुम बताओ वो कहता है मैं बचपन से स्कूल ड्राप आउट था, और अन्दर इतना गुस्सा था इतना गुस्सा था की मैंने छोटी छोटी चीजों को फोड़ना चालू किया घर की, और ये आदत फिर इतनी बढ गई की मैंने फिर बड़ी बड़ी चीजों को फोड़ना चालू किया और फिर एक दिन घर से भाग गया, और ऐसे बहुत सारे काम किये जहां पे पब्लिक प्रॉपर्टी को डिस्ट्रॉय करने में मुझे बहुत मजा आने लगा और फिर ये साथी मुझे मिल गया और हमने मिलकर इस चर्च को डिस्ट्रॉय कर दिया। उनकी ये कहानी उन आठ लोगों ने सुनी, और फिर उन्होंने खा थैंक्यू । बहुत आहत थे वो आठ भी परन्तु उन्होंने कहा हम जो रोज कहते थे, की हे प्रभु जो हमारे साथ बुरा करे उसका भला करना। अब उस प्रार्थना का पालन करने का ये समय है । इसलिए धन्यवाद और हम तुम्हे माफ़ करते हैं ।

ब्राह्मणों के कानों में बुरा कुछ सुनाई दे ही नहीं सकता और ब्राह्मणों के साथ बुरा कुछ हो ही नहीं सकता, जो हो रहा है जैसा भी हो रहा है और जो भी कर रहा है सब कुछ अच्छा ही अच्छा सब कुछ वाह वाह., हाय हाय करने वाले नहीं हैं।कौन से गीत गाने वाले हैं ? वाह वाह के गीत गाने वाले हो ख़ुशी में रहने वाले हो , दूसरों को ख़ुशी दिलाने वाले हो यही तो तुम्हारी सेवा है

जनरल रॉबर्ट ली था कभी मिलिट्री में, वह एक बार अपने साथी जनरल की बहुत स्तुति करता है। उसका जो साथी होता है, वह कहता है आप किसकी स्तुति कर रहे हो, वह व्यक्ति हमेशा आपकी निंदा करता है। एक मौका नहीं चूकता है जब भी आपका नाम आता है तुरंत निंदा चालू करता है और आप उसकी स्तुति कर रहे हो। रोबोट ली कहता है.. यह मेरे अपने ऑपिनियन है उसके बारे में, यह उसके ओपिनियन नहीं है मेरे बारे में। यह ओपिनियन किसका है मेरा, उसके बारे में। उसका जो ओपिनियन है मेरे बारे में, यह वह नहीं है।

तो तपस्या अर्थात दूसरी परिभाषा समारोह। और समारोह अर्थात पास्ट समाप्त। समारोह अर्थात वर्तमान में संपन्नता, समीप समानता। अभी नाउ और फ्यूचर में सफलता। और सफलता कौन? पार्टियों से मुलाकात..... विजय रत्न का तिलक, विजय का तिलक। सफलता कौन... किसे मिलेगी? किसे? पढ़ी है ना मुरली? शुभचिंतक का, सफलता का नहीं बोला है। शक्तियां.... ऑर्डर.... । दो उदाहरण दिए... एक तो सेवक का, कोई नौकर का और दूसरा स्थूल कर्मेंद्रियों का। तुम कौन हो मास्टर सर्वशक्तिमान। शक्तियों को ऑर्डर करो तो वह आर्डर तुम्हारा मानेगी। तो तपस्या अर्थात समारोह। तपस्या क्या है एक समारोह। ऐसी परिभाषा आज तक किसी ने भी नहीं दी हैं। तपस्या अर्थात सेलिब्रेशन, उत्सव, उत्साह।

थर्ड तपस्या अर्थात मौज। कितने प्रकार की मौज बताई है मुरली में? चार प्रकार की। कौन-कौन सी? मिलन की मौज, प्राप्तियों की मौज। समीपता की मौज और समानता की मौज। बस इस मौज में रहो। कोई पूछे तुम कैसे हो तो क्या कहोगे? मौज में हैं । मुझे हुए नहीं है जो क्षत्रिय है वो मूंझे हुए हैं। जो संसार के लोग हैं वह कन्फ्यूज्ड हैं, हम कंफ्यूज नहीं हैं क्योंकि हम किस में रहते हैं... निरंतर रूहानी मौज में रहते हैं। निरंतर मिलन हो रहा है। उनकी जो बधाई है, उनका जो सेलिब्रेशन है, उनकी जो मौज है न्यू ईयर की वो एक दिन की है न्यू ईयर की। न्यू इयर एक दिन चलता है बस!.... अगले दिन जैसे थे, सारी प्रतिज्ञाएं 2 जनवरी को समाप्त। मौज....! क्या वास्तव में मौज का अनुभव है? मिलन अगर हो रहा है तो मौज है, अगर नहीं है तो नहीं है। जो भगवान से विरग है, अलग है उसे मौज का अनुभव नहीं। भगवान के सामने बैठे हैं परंतु फिर भी वह मन से दूर हैं तो मिला नहीं।
यह मिलन वास्तव में साकार मिलन है ही नहीं यह अव्यक्त मिलन है और अव्यक्त मिलन वही कर सकते हैं जो अव्यक्त स्थिति में स्थित हैं। किसी से स्टेज पर जाकर और सामने दृष्टि लेकर मिलने का मिलन है ही नहीं। यह मिलन कैसा है? अव्यक्त, अनमैनिफेस्ट। यह मन का मिलन है। यह आत्मा का मिलन है। और यह मिलन निरंतर हो सकता है और निरंतर ही होना चाहिए। वास्तव में योग की सबसे पावरफुल परिभाषा है कंबाइंड। हम एक ही हैं। माय फादर एंड आई आर वन। वो और मैं निरंतर कैसे हैं... एक साथ हैं, वह मुझ में है मैं उसमें हूं, समाए हुए हैं..... यह अनुभव। तो तपस्या अर्थात मोज

चौथा तपस्या अर्थात रूहानी चुंबक। तपस्या अर्थात रूहानी चुंबक। मन को इतना शक्तिशाली बना दो, इतना पावरफुल बना दो तो वाणी का जो समारोह है और वाणी की जो सेवा है उससे जो तपस्वी आत्मा है उसके प्रकाम्म्पन बहुत ज्यादा पावरफुल है। वाणी की सेवा कितनों की करोगे... एक लिमिटेड ग्रुप। परंतु संकल्प विश्व में पहुंच सकते हैं। यहां बैठे हुए किसी भी आत्मा को इमर्ज किया जा सकता है...स्पिरिचुअल टेलीपैथी... सब जुड़े हुए हैं। यह संसार एक प्रक्म्पनों का सागर है ओसियन ऑफ़ वाइब्रेशंस। यदि हम किसी पर फोकस कर दें और एकाग्रता से कर दें तो हमारे सारे संकल्प उस आत्मा तक पहुंचेंगे। अगर नहीं पहुंच रहे तो हो सकता है एकाग्रता कम है, हो सकता है इंटेंशन प्योर नहीं है। हो सकता है मंसा शुद्ध नहीं है, निस्वार्थ नहीं है और हो सकता है मन की पवित्रता भी इतनी नहीं है। झूठ है कहीं।

ज्ञान सरोवर का उद्घाटन हुआ था 1995 में 1000 से भी ज्यादा लोग थे। दादी प्रकाशमणि का भाषण था और दादी ने कहा था दादी ने आज तक अपने जीवन में कभी भी झूठ नहीं बोला । क्या सभा में ऐसा कोई है? पिन ड्रॉप साइलेंस। ऐसी अथॉरिटी, ऐसी पावर। झूठ जहां है वहां प्रकंपन ब्लॉक्ड है। जहां मनसा ही अशुद्ध है और हम चाहते हैं किसी की सेवा करें, वो कोई भी हो सकता है नजदीक का या दूर का। यदि मन में दोष है, मन में झूठ है, छल कपट है और उसके प्रति नेगेटिविटी है... पत्नी चाहती है कि पति ज्ञान में आए परंतु पति शराब पीता है शुभ भावनाएं तो है कि वह ज्ञान में आए और चले परं साथ साथ एक घृणा का भाव है कि ये अच्छा व्यक्ति नहीं है। साथ साथ चल रही है घृणा। तो तपस्या अर्थात... चौथा रूहानी चुंबक आकर्षित करेगा और ऐसा रूहानी चुंबक बनने के लिए हमें अपने ही शरीर से डिटेच रहना पड़ेगा। ऐसा रूहानी चुम्बक बनने के लिए स्वयं में प्योरिटी की पावर बढ़ानी पड़ेगी। वो हर चीज जिससे अपवित्रता प्रवेश करती है हृदय में उस सब को ब्लॉक, रिजेक्ट, अनइनस्टॉल।

पांचवा तपस्या अर्थात नवीनता। कितने प्रकार की नवीनता सुनाई मुरली में बाबा ने... संकल्प, बोल, कर्म, संबंध, संपर्क और स्वभाव संस्कार पांच प्रकार की नवीनता। और विदाई में क्या कहा एक बहुत सुंदर और पावरफुल स्व्मान है... कौन बन जाओ.. कौन बन जाओ... कौन बन जाओ... कौन बन जाओ... नवीनता के लाइट हाउस बन जाओ। क्या बन जाओ नवीनता के लाइटहाउस। तो सभी स्थिर बैठेंगे... मैं लाइटहाउस हूं और मुझसे सारे विश्व में लाइट ही लाइट फ़ैल रही है, नवीनता ही नवीनता है फैल रही है। संकल्पों में कौन सी नवीनता सद्भावना शुभकामना। वरदान में शुद्ध संकल्प कहां से आएंगे... मुरली से। तो सबसे पहले नवीनता लानी है विचारों में, संकल्पों में, चाहे कोई कैसा भी हो... लास्ट संडे की मुरली... चाहे पक्का रावण ही क्यों ना हो उसके प्रति भी शुभ भावना। दूसरी नवीनता वाणी में। तीन बातें हैं सरलता, मधुरता, और संतुष्टता। वाणी कैसी हो, सुंदर उत्तर है कि जब हम बोले तो आत्माओं को बाबा की याद आ जाए। जब हम बोले तो आत्माओं को बाप की याद आ जाए। तीसरा नवीनता कर्म में। कौन सी नवीनता? कौन सी नवीनतम? कर्म में कौन सी नवीनतम? कर्म का बीज प्राप्तियों के वृक्ष से भरा हो। कर्म ऐसे हो कि जैसे स्वयं को भी प्राप्ति हो का अनुभव हो और दूसरों को भी प्राप्ति का अनुभव हो। कर्म बीज है। चौथा संबंध-संपर्क....उसमे क्या.... मास्टर दाता। कितनी चीजें देनी है और कौन-कौन सी चीजें देनी है। क्या दो? उमंग उत्साह दो और क्या दो..हिम्मत दो, शुभ भावना दो...और क्या दो.. शांति दो शक्ति दो शांति तो खुशी दे और लास्ट... सहज विधि दो यह सबसे अच्छा है, जो तुमने सीखा है अपने अनुभव से वह दूसरों को सिखाना है। सहज विधि, यह भी एक दान है, हम कौन है देने वाले।

प्रकाशमणि दादी विदेश सेवा करके 1977 में.. रमेश भाई और दादी वापस भारत आए। 4 मास थे और अलग-अलग सेवा केंद्रों पर जा रहे थे और समाचार सेवा समाचार सुना रहे थे दिल्ली के किसी एक सेवा केंद्र पर सेंटर पर गये वहां पर 1200 सौ माताएं बहने थी और 800 भाई। दादी ने रमेश भाई को कहा कि आप भाइयों को टोली दो मैं माताओं और बहनों को देती हूँ। कितने लोग थे 800 भाई और 1200 माताएं। रमेश भाई ने लिखा की टोली देते देते मेरे हाथ दुख गये पूरे और फिर मैंने लास्ट लास्ट में दादी से पूछा दादी आपके हाथ नहीं दुखते, आपने तो 12 साल माताओं को दिया। दादी ने कहा मेरे हाथ नहीं दुखते, दादी के हाथ नहीं दुखते। दादी के हाथों को प्रेक्टिस है क्योंकि दाता है... यह हाथ क्या है.. देने वाले हैं। बनना क्या है... देवता, देवता अर्थात जो दे। अगर यह हायर कोन्सिअस्नेस रही तो फिर हाथ नहीं दुखेंगे। जैसे ही लो कोन्सिअस्नेस में आता है थकान चालू होती है, हायर कोन्सिअस्नेस में थकान नहीं है। ऊंचे स्व्मान में... थकान नहीं है। पार्टीयों से मुलाकात...तुम कौन हो? बड़े ते बड़े बाप की ऊंचे ते ऊंची आत्मा हो । तुम्हारी स्मृति ये है उसी अनुसार दृष्टि और वृत्ति भी होगी। हायर कोन्सियस्नेस हम कौन है....देने वाले।

कर्ण का निर्णायक युद्ध है अर्जुन के साथ, वो परसुराम स्वपन में आते हैं उसके गुरु और कहते हैं कर्ण तुम देने के लिए प्रसिद्ध हो, इसके लिए विजय अर्जुन को दे दो। हम किसके लिए प्रसिद्ध है देने के लिए। हम दाता है, हम देवता हैं, दे दो। किसी किसी का स्वभाव होता है, जिसको साइकोलॉजी में कहते हैं प्राइज तेग पर्सनालिटी। प्राइस टैग पर्सनालिटी, कोई भी चीज कहो तो उसको उसका कीमत पता है कितने का है। यह फ्लावर पॉट... उस दुकान से लिया था इतने का है। ये माइक कटने रूपए का है । घर का चम्मच... अरे! कहां गुम कर दिया इतने रूपए का है, उसकी कीमत इतनी थी । और मुरली की पॉइंट...... अरे! हमारी तो अभी उम्र हो रही है ना इसलिए याद नहीं रहता है। वो पर्स कितने की ली थी? पर्स 500 की थी, कब ली थी? 10 साल पहले, अब तक नहीं भूला है। पर्स की कीमत याद है बर्तन चम्मच की कीमत याद है, साड़ी की कीमत तो एग्जैक्ट याद है और कहां से ली थी वह भी याद है। प्राइस टैग... हर एक चीज को देखते ही प्राइस। ऐसी आत्मा दे सकेगी क्या और दे भी दे तो...... ।

एक व्यक्ति किसी को अपने घर पर बुलाता है भोजन के लिए। उसको कहता है आप खाओ ना और गुलाब जामुन खाओ ना। तो मेंहमान कहता है नहीं, मैं पहले से छह खा चुका हूं। वो बोलता है वैसे तो आपने 8 खाया है पर यहां गिनता कौन है। गिन गिन के चीजें रखी हुई है फ्रिज में, एक भी गायब तो इन्वेस्टिगेशन चालू, कौन घुसा था किचन में। प्राइस टैग। हर चीज की कीमत... चप्पल की कीमत पता है, हर चीज की कीमत पता है, आज की मुरली की पॉइंट्स याद नहीं रहता है आजकल। कमजोर हो रहा है दिमाग, उम्र बढ़ रही है ना इस वजह से....। यह कैसे याद रहता है? इधर से उधर टर्न कर दो उसी पत्ती को। संबंध संपर्क में क्या करना है दे दो। क्या दोगे? खुशी। क्या दोगे... शक्ति। क्या दोगे शांति। क्या दोगे खुशी, शांति, उमंग उत्साह और क्या दोगे सहज विधि। यदि अध्यात्मा के इस मार्ग में आधे आगे बढ़ते बढ़ते हमें अपने अनुभव ने कुछ सिखाया है तो दूसरों को सिखाना है की हमने ये ठोकर खाई और यह सीखा। एक संत लिखता है मैं तुमको सिखाता हूं इसलिए नहीं कि तुमसे ज्यादा जानता हूं पर ठोकरें तुमसे ज्यादा मैंने खाई है इसलिए, इसलिए सिखा सकता हूं। अपने अनुभवों से हमने जो सीखा और वास्तव में लोग पूछते हैं मेडिटेशन कैसे करें, योग कैसे करें। योग कोई नहीं सिखा सकता, योग हर आत्मा अपने अनुभव से ही सीखती है। योग की कोई विधि नहीं है, योग प्रेम कि अभिव्यक्ति है, प्रेम कैसे करते हैं यह सिखाया थोड़ी जाता है। चैतन्य महाप्रभु रो रहे हैं, रो रहे हैं, रात भर रो रहे हैं, हैं कृष्ण है कृष्ण हे कृष्ण , पूरा तकिया भीग गया है सुबह सुबह ग्रहस्ती आकर पूंछता है ये भगवान् से प्यार कैसे करते हैं, वो कहते है तुम्हे मेरी ये अवस्था देख के समझ नहीं आ रहा है तो मेरे समझाने पर तुमको क्या समझ आएगा। प्रभु प्रेम के आंसू.... । आबू में इस समय आए हुए हैं एसकोन के भगत, सब जगह घूम रहे हैं सब जगह घूम रहे हैं हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण रशिया से आये हैं, नक्की पर, सब जगह घूम रहे हैं, नॉनस्टॉप.... कैसी लगन है, थकते नहीं बिल्कुल। एक गाता है एक ढोल बजाता है बाकी सब नाचते हैं, घंटो.. घंटो.., बिना थके। इतनी पॉवर कहाँ से है? लगन। जिसे वो भगवान मानते हैं उसके प्रति लगन। तो लग्न जहां है वहां थकावट नहीं है। मुरली चली थी ना उमंग उत्साह वाली बोरडम, थकावट, कन्फ्यूजन, इन्डिसिजन यह सब तब होता है जब उमंग उत्साह नहीं रहता है। अगला न्युनेस किसमें स्वभाव संस्कार में। कैसा बनाना है जो ब्रह्मा का स्वभाव, जो बाप का स्वभाव वो मेरा स्वभाव, जो उसके संस्कार वह मेरे संस्कार।

दादी के बारे में और एक चीज है। मुंबई से दादी आबू आ रही थी और ट्रेन में एक कन्या भी थी पर जिसका टिकट कंफर्म नहीं हुआ था और बीच में उठकर देखा रात में ट्रेन में तो वह बच्ची वो कन्या सत्रह अट्ठरह वर्ष की, बैठी थी। दादी ने अपनी जगह उसको दे दी और खुद रात भर उस बोरी पर बैठकर बिताई। बाप समान।

बाप समान हमारे संस्कार हमारे स्वभाव कैसा बन जाए बाप समान और बाप समान संस्कार क्या है... देना, त्याग। गो आउट ऑफ द वे एंड हेल्थ एंड सर्व। तो इन 5 चीजों में नवीनता संकल्प में, बोल में, कर्म में, संबंध संपर्क में और स्वभाव संस्कार में। तो तपस्या की आज की मुरली में ऐसी पांच परिभाषाएं। पहली बधाई। पहली मुबारक। कैसी मुबारक, मोहब्बत की मुबारक। और वह यदि मुबारक दे रहा है तो हमें क्या करना है अपनी तरफ से मुबारक को रिसीव करना है। भगवान की मुबारक प्योर एनर्जी है, क्या है वो.... एक्सट्रीमली प्योर एनर्जी। उसके जो शब्द है वह क्या है डिवाइन एनर्जी। उसके जो लिखित शब्द है उनमें भी क्या है, संसार में भी किताबें हैं, संसार में भी महान आत्माएं हुई है परंतु अव्यक्त मुरली और साकार मुरलीयों के शब्दों में जो प्रक्मपन हैं वह कैसे है वो डिवाइन है, उसमें एनर्जी है। मुरली में एक शब्द कहीं और आया है दिव्यता लाने वाले जीवन में एक जगह है.... डिवाइन। परमात्म शब्दों में डिविनिटी है, परमात्मा महावाक्यों में डिविनिटी है परमात्मा दुआओं में डिविनिटी है, परमात्मा ग्रेस में क्रिएटिविटी है, परमात्मा वरदानॉन में डिविनिटी है एक प्योर एनर्जी है। एनर्जी लेवल पर काम करना है दिस इज नोन एस एनर्जी कल्टीवेशन। एनर्जी एक्टिवेशन। वो हमे एनर्जी दे रहा है क्योंकि हमारी बैटरी डिस्चार्ज है जैसे ही उससे कांटेक्ट होता है अपने आप आत्मा में चार्जिंग होने लगती है, पावर आने लगती है और चार्जड सोल परिस्थितियों के बस में नहीं है, कंफ्यूज नहीं है ऐसा क्यों, ऐसा क्यों यह क्यों, वह क्यों, नथिंग न्यू, कुछ भी प्रभावित नहीं करता, मौज में है खुशी में है ऊपर है। परिस्थितियों के साथ हमने कुछ भी नहीं किया है वह जैसी है वैसी है छोटी लाइन थी हमने बड़ी लाइन खींची थी वह अपने आप छोटी हो गई। प्योरिटी।

तो सबसे पहली तपस्या अर्थात बधाई। दूसरा तपस्या अर्थात समारोह निरंतर जीवन क्या हो एक उत्सव और उत्सव जो होता है क्या करता है नाचते और गाते हैं। हमारे हृदय से भी बाबा ने कहा हर घड़ी और हर समय यह कौन सा युग है मुबारक का युग है। हर समय हर घड़ी क्या हो तुम्हारी समारोह फेस्टिवल और तीन प्रकार के समारोह फास्ट खत्म यह समारोह वास्तव है बाहर का समारोह नहीं है भीतर का समारोह है आंतरिक समारोह। अगर बाहर अंदर ही अंदर पास्ट चल रहा है इसने मेरे साथ यह यह किया यह ऐसे है यह वैसे है इसने यह किया उसने वह किया तो समारोह नहीं हो रहा है समाप्ति पास्ट का। वर्तमान समानता और समीपता और फ्यूचर... सक्सेस। एक अंग्रेजी अंग्रेजी लेखक ने लिखा है व्हेन आई लुक इनटू माय फ्यूचर आई सी वन लाइट एंड नथिंग लाइट बट लाइट इट डेज़ल्स माय आईज। इतना प्रकाश है, इतना प्रकाश है मैं जब भविष्य में देखता हूं आंखें बंद करनी पड़ती है चौंधिया जाती हैं आंखें, इतना प्रकाश मेरे भविष्य में भरा है। एक संसार का व्यक्ति यह लिखता है और हम..... पता नहीं मुझे कुछ मिलेगा कि नहीं मिलेगा, बीमार करूंगा तो सेवाधारी रहेगा कि नहीं रहेगा, घर वाले आ कर के देखेंगे कि नहीं देखेंगे./..., लुक इन टू द फ्यूचर ऑफ नथिंग बट ब्राइटनेस, प्रकाश ही प्रकाश है, प्रकाश ही प्रकाश है अरे एक भगवान ने जिनका हाथ थामा है, भगवान हाथ पकड़ कर ले चल रहा है उनके जीवन में प्रकाश नहीं होगा तो और क्या होगा। अमृतस्य विप्रः। चिल्ड्रन आफ इममोर्टालिटी। अगला तपस्या अर्थात मौज... कौनसी मौज मिलन की मौज, समानता की मौज, समपूर्णता की मौज समीपता की मौज, प्राप्तियों की मौज, मौज ही मौज। मौजों के यह दिन मिलन की यह रातें, बीते कहीं ना थम जाए हर दम हम हैं तुम्हारे तुम हो हमारे, बाबा यह कितने प्यारे नजारे, तेरे प्यार के आगे हर चीज फीका वो ताज फीका वो तख़्त फीका.... । तो झूमते रहना है । बाबा ने कहा ना यह नशा जो है ना यह नुकसान नहीं करता है, वह जो नशा है वह नुकसान करता है। अविनाशी बाप से अविनाशी प्राप्ति है अविनाशी नशा है यह। तो चलो तो दूर से दिखाई दे की यह नशे में है। रूहानी पियक्कड़। नशे में जो रहता है उसको भान रहता है क्या? डोलता है ऐसे ऐसे... । परंतु यह नशा नुकसान देने वाला नहीं है प्राप्तियों का नशा है।

अगला तपस्या अर्थात... तपस्या अर्थात... रूहानी चुंबक। जहां पर पवित्रता बहुत ज्यादा है वहां विघ्न बहुत कम है, जहां पवित्रता कम है वहां विघ्न बहुत ज्यादा है। और मुख्य कारण है अपवित्रता भीतर सूक्ष्म अपवित्रता। किसी के देह के प्रति आकर्षण यह केवल अपवित्रता नहीं है। किसी के नाम में भी आकर्षण, किसी के गुणों में भी आकर्षण, किसी की विशेषताओं में भी आकर्षण और उसमें फंस गए और वही अच्छा लगता है यह भी पवित्रता कहा बाबा ने। पवित्र आत्मा अर्थात डीटेच्ड। पवित्रता की सबसे बड़ी परिभाषा है समानता समभाव। सब सेम। इक्वैनिमिटी इस प्यूरिटी। उसके बाद नेक्स्ट नवीनता, इस पर काम करना है हर एक को। जिस ढंग से उठते हैं जिस दिन से अमृतवेला करते हैं उसमें नवीनता। जितने बजे उठते हैं उसमें नवीनता। उठने के बाद क्या करते हैं उसमे नवीनता। उठे और चले सीधा नींद पूरी करने कहीं और जगह यह अमृतवेला नहीं है। बिस्तर की नींद पूरी हो गई अब कोई ऐसा कोना मिल जाए शांतिस्तंभ के पास अंधेरे वाला, जहां नींद भी हो और योग भी हो। कोई अंधेरे कोने में कोई दूसरा बैठ गया हो तो.... स्स्स्सस। उठने में नवीनतां, अमृतवेला करने में नवीनता, स्नान करके अमृतवेला फ्रेश... शरीर को रगड़ो, सारे जो पोर्स है वह खुल जाए। नींद आती है तो थोड़ा स्वास का अभ्यास खुली हवा में और जरूरी नहीं बैठ कर ही करना है चलते फिरते। लक्ष्य एक ही है सोना नहीं है बस। जिन सोया तीन खोया और एक व्यक्ति हंसी में कहता है और तुमने जाग कर भी क्या पाया, जागत है जो मोबाइल चलावत है, तुमने क्या पावत। उससे तो अच्छे हम हैं।

मुरली सुनने में, सुनाने में, लिखने में, रिवाइज करने में, हर चीज में नवीनता। रिवाइस किस तरह से करना है, पूरी मुरली पढ़ी सभी ने पढ़ी है आज और उसको ऑर्गेनाइज करना है। जो चीज ऑर्गेनाइज नहीं होती है वह याद नहीं रहती है। हर चीज का एक पैटर्न हो तो याद रहती है। अगर उसका पैटर्न ही नहीं है पूरा निबंध है एक तो वह याद नहीं रहती है उसको क्या करना है पार्टीशन... टुकड़े टुकड़े करने है उसके, क्योंकि लेखक बोलने वाला वक्ता तो उसकी भाषा में न कोमा है ना पैराग्राफ कहीं एंड होता है ना कहीं फुलस्टॉप है, वह तो कंटीन्यूअस स्पीच बोलता है। कंटिन्यूज स्पीच है उसका परंतु वह इतना हाई लेवल है अव्यक्त मुरली और अव्यक्त मुरलियों की हिंदी भी इतनी हाई लेवल है कि याद रखना बड़ा काम है। संसार के ग्रंथ संसार के लोगों ने जो लिखा हुआ है उनको एक बार पढ़ो तो याद रखा जा सकता है पर मुरली असंभव.... इतना हाई लेवल की फिलॉसफीकल हिंदी है। भगवान की अपनी हिंदी है वह किसी का ग्रामर के तुम्हारे रूल को फॉलो नहीं करता है, हां तुम्हारे घर में है तो ठीक नहीं तो जाओ। कहां वाक्य चालू होता है और कहां एंड होता है पता नहीं चलता है पूरा पेराग्राफ एक ही होता है कभी-कभी। ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे बड़ा सा और बीच में और कुछ और ऐसे एक बहन है वह तो बस यही सुनकर निश्चय हो गया था कि यह भगवान है जो लास्ट में या प्यार दिया ना बाबा ने वह सब सुना आज की मुरली चार घंटा मुरली चली और लास्ट में ऐसे बच्चों को ऐसे बच्चों को उसको लगा यह क्या है, यह भगवान है, तब तक नहीं था। माया आएगी आएगी निश्चय को हिलाने और माया का अंतिम रूप है भगवान। नवीनता.. दिनचर्या में नवीनता.. संबंध संपर्क में, नवीनतम... नुमासाम के योग में, नवीनता चिंतन में, नवीनता पढ़ने में, नवीनता बोल में, नवीनता सोने में, नवीनता खाने में, पीने में। इतना भारीपन भारीपन भारीपन... । हल्का कर दो, ऊर्जा बहे शरीर में वो हर चीज जो हर उस में डाली जा रही है और जो ऊर्जा को ब्लॉक कर रही है उसको रोक देना है। पहले ऐसेडिक खाते हैं और फिर सोचते हैं अभी ऐसेडिक ज्यादा हो गया अभी अल्कलाइन खाओ। फिर अल्कलाइन खाते हैं। एसिडिक ही मत खाओ।

पार्टियों से मुलाकात... पहले तो ग्रुप... विदेशियों से डॉट नोट। भारतवालों से मूर्ति... चैतन्य मूर्ति। महान देश है यह। पार्टी नंबर वन... अचल अडोल अवस्था.. वह सारी बातें जो डिस्कस की। पार्टी नंबर टू.. पार्टी नंबर टू... श्रेष्ठ आत्मा दृष्टि वृद्धि स्मृति। पार्टी नंबर थ्री.... सफलता के सितारे, विजय का तिलक, कौन बनेंगे जो शक्तियां जिनके कंट्रोल में हों ओर्डर पर हो । पार्टी नंबर फोर , एक बाप दूसरा ना कोई, दूसरा कोई आ गया तो क्या होगा.. ट खिट पिट चालू। कोई भी ना आना चाहिए उसके और हमारे बीच। वह हर व्यक्ति वह हर वस्तु वो हर चीज जो भगवान और मेरे बीच है उसको क्या कर देना है हटा दो.. गेट आउट। वो हर बंधन जो हमें बांध रहा है, जोर से कहो की मुझे यह स्वीकार नहीं है। वरदान... शुद्ध संकल्प। स्लोगन... परमात्म क्या...? पालना..? परमात्म? परमात्मा प्यार क्या है? सहजपालना है या सहज योगी बना देती है? ऐसे सहज योगी आत्माओं को, ऐसे शुद्ध संकल्प करने वाली आत्माओं को, ऐसे ऐसे.. श्रेष्ठ आत्माओं को, महान आत्माओं को, ऐसे नवीनता के लाइटहाउस आत्माओं को, ऐसे चारों ओर की मास्टर दाता आत्माओं को, ऐसे एक बाप दूसरा ना कोई आत्माओं को, ऐसे एकरस स्थिति में रहने वाले आत्माओं को आत्मा का ओरिजिनल नेचर है एकरस स्थिति किनी अहही बात है, इसलिए वह डिस्टर्ब है क्योंकि अपने नेचर से वो दूर है, ऐसे... ऐसे.. मास्टर दाता हो गया, ऐसे.. मौज में रहने वाली आत्माओं को, ऐसे मधुबन निवासी आत्माओं को, ऐसे डॉट नोट करने वाली, ऐसे माया को नोट अलाऊ करने वाली आत्माओं को, ऐसे ख़ुशी की डांस करने वाली, सेलिब्रेसंस करने वाली आत्माओं को , ऐसे खुश रहना है खुश रखना है ख़ुशी बांटनी है, ऐसे अचल अडोल आत्माओं को, ऐसे खिट पिट न करने वाली आत्माओं को , ऐसे वाह बाबा वाह करने वाली आत्माओं को, ऐसे हाय हाय ना करने वाली आत्माओं को, ऐसे उजियारे में अमृतवेला करने वाली आत्माओं को, ऐसे हलचल में ना आने वाली आत्माओं को, नथिंग न्यू का पाठ पक्का करने वाली आत्माओं को, ऐसे फुल स्टॉप लगाने वाली आत्माओं को, ऐसे फरिश्ता सो देवता बनने वाली आत्माओं को, ऐसे नशे में डांस करने वाली आत्माओं का, ऐसे मुबारक लेने वाली मुबारक करने वाली आत्माओं को दिल के दूरदर्शन में यह दृश्य इमर्ज रखने वाली आत्माओं को, ऐसे अविनाशी प्रीत निभाने वाली आत्माओं को, ऐसी अविनाशी नशे में रहने वाली आत्माओं को, ऐसे ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी आत्माओं को, ऐसे रूहानी चुंबक आत्माओं को, ऐसे समान समीपता में रहने वाली आत्माओं को, ऐसे महान भारत देश की चैतन्य महान आत्माओं को, ऐसे ऐसे ऐसे और ऐसे और ढेर सारे स्वमानो वाली आत्माओं को बापदादा का याद प्यार गुड नाइट और नमस्ते। हम रूहानी बच्चों की रूहानी बापदादा को याद प्यार गुड मॉर्निंग गुड नाइट और नमस्ते।