Shiv Jayanti-2016-80th Shiv Ratri

शिवबाबा याद है?              ओम् शान्ति             16-2-16                मधुबन


80 वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती से सम्बन्धित विशेष यादपत्र तथा सूचनायें

प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा के अति लाडले, परमात्म पालना, पढ़ाई और सर्व प्राप्तियों के अधिकारी श्रेष्ठ आत्मायें, विश्व के कोने-कोने में परमात्म प्रत्यक्षता की धूम मचाने वाले विश्व परिवर्तक, विशेष निमित्त बनी हुई टीचर्स बहिनें तथा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनें

 ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद मधुबन बेहद घर से स्वीकार करना जी।

बाद समाचार - आप सभी प्यारे अव्यक्त बापदादा की शक्तिशाली दृष्टि द्वारा विशेष दिव्य अनु-भूतियां करते हुए साक्षात बाप समान बनने का तीव्र पुरूषार्थ कर रहे होंगे। समय की समीपता प्रमाण आपसबके अन्दर भी बापदादा को विश्व के कोने-कोने में प्रत्यक्ष करने का शुभ संकल्प आ रहा होगा। मीठाबाबा कहे बच्चे दिल का मिलन ही सदाकाल का मिलन है। संगमयुग पर ड्रामा में भाग्यवान बच्चों को हीसाकार सो अव्यक्त मिलन का भाग्य प्राप्त होता है। साथ-साथ बापदादा का विशेष इशारा मिल रहा है किबच्चे अब अपनी याद को ऐसा पावरफुल ज्वाला रूप बनाओ जो दुनिया से भ्रष्टाचार, अत्याचार की अग्नि समाप्त हो और परमात्म सन्देश के शीतल स्वरूप की अनुभूति हो, अब बेहद के वैराग्य वृत्ति की लहर ऐसी फैलाओ जो स्व-परिवर्तन और विश्व परिवर्तन का कार्य सहज सम्पन्न हो जाए।

अब सेवाओं में भी नवीनता लाओ। सेवा की गति को फास्ट कर सन्देश देने का कार्य सम्पन्न करो। अचानक कुछ भी हो सकता है, इसलिए कोई का भी उल्हना न रहे कि हमें बताया भी नहीं। इसी लक्ष्य से यह 80 वीं महाशिवरात्रि का पर्व सभी ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनों को मिलकर खूब धूमधाम से मनाना है। लेकिन विश्व कल्याण की सेवाओं के साथ-साथ स्व सेवा का भी बैलेन्स बना रहे, इस डबल सेवा द्वारा ही बाप की प्रत्यक्षता समीप आयेगी।

आप सब साकार बापदादा की रिवाइज कोर्स की मुरलियों में भी शिव जयन्ती की महानतायें तो सुनते रहते हो। यह शिव जयन्ती का त्योहार संगमयुगी ब्राह्मणों के लिए सबसे बड़े से बड़ा त्योहार है, यही बाप और बच्चों का सर्वश्रेष्ठ हीरे समान अलौकिक जन्म दिन है। यही हमारी सच्ची-सच्ची दीवाली है इसलिए सभी अपने-अपने सेवा स्थानों को शिवबाबा की झण्डियों से, बिजलियों से खूब सजाते ही हो। मेले, प्रदर्शनी, शोभा यात्रायें, भिन्न-भिन्न झांकियां आदि निकाल सर्व को शिवबाबा के अवतरण का शुभसन्देश भी देते हो। इस महान उत्सव निमित्त सभी में बहुत अच्छा उमंग-उत्साह रहता है। आप सबके पास मधुबन से हर वर्ष कुछ न कुछ सुझाव भेजे जाते हैं, इस बार भी सेवाओं की खूब धूम मचानी है इसलिए राय है कि :-

1- विशेष शिव जयन्ती का त्योहार सभी सेवास्थानों पर कम से कम 3 या 7 दिन तक मनाया जाए, उसमें एक दिन ऐसे स्नेही सहयोगी भाई बहिनों को सेवाकेन्द्र पर विशेष आमन्त्रित किया जाए जो मधुबन से होकर गये हैं, चाहे राजयोग शिविर में आये हों, कॉन्फरेंस या विंग के कार्यक्रमों में आये हों, उन सबको बुलाकर उन्हें ईश्वरीय सेवाओं से अवगत कराया जाए तथा योग की गहन अनुभूति कराई जाए। स्थान स्थान पर प्रदर्शनियां रखी जाएं।

2- शिवजयन्ती के निमित्त विशेष अपने सेवा स्थानों के आस-पास के पड़ोसियों को विशेष पर्सनल मिलकर शिव सन्देश के पर्चे वा कार्ड दिये जाएं तथा उनके लिए विशेष सेवाकेन्द्र पर शिवजयन्ती के आगे पीछे किसी भी एक दिन स्नेह मिलन आयोजित कर उन्हें भी शिवबाबा के कर्तव्यों से अवगत कराया जाए।

3- जो बाबा के पक्के बच्चे अपने घरों मे सतसंग के रूप में कार्यक्रम रखवा सकते हैं, वे भी अपने पड़ोसियों को गली मोहल्ले वालों को विशेष इस शुभ दिन पर आमन्त्रित कर अपने बी.के. जीवन के अनुभवों से, उपलब्धियों से अवगत करायें तथा उनके लिए बहनों के प्रवचन आदि भी रखवायें।

4- 80 वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती की शुभ बधाईयों के बड़े-बड़े बोर्ड, (होर्डिंग्स) सेवाकेन्द्र के बाहर सड़कों पर अथवा विशेष स्थानों पर शिवरात्रि से कुछ दिन पूर्व ही लगवा दें ताकि लोग उन्हें पढ़कर प्ररेणा ले सकें। निम्न लिखित विषयों पर प्रवचन के कार्यक्रम रख सकते हैं:-

A -  शिव अवतरण एवं सतयुग की पुनर्स्थापना
B - शिव और शिव रात्रि
C - शिव जयन्ती ही गीता जयन्ती है
D - वर्तमान परिस्थितियों में शिवरात्रि का महत्व
E - परमात्मा शिव का रात्रि से क्या सम्बन्ध है?

5- शिव अवतरण का दिव्य सन्देश एवं परमात्मा पिता के परिचय पर लेख सभी स्थानीय छोटे बड़े अखबारों में छपवाये जाएं। पूरा पेज भी लेकर ज्ञान के अपने मुख्य चित्र त्रिमूर्ति, गोला और सर्व आत्माओंके पिता का प्रकाशित कराया जा सकता है। जहाँ पर भी कार्यक्रम हों, यह तीनों चित्र रखें जाए अथवा इनका स्पष्टीकरण दिया जाए।

6- शिव सन्देश के हैन्डविल (पर्चे) छपवाकर असंख्य संख्या में बांटे जाएं।

7- वी.आई.पीज के लिए बहुत सुन्दर शब्दों में सन्देश प्रिन्ट करवाकर भेजा जाए।

8- प्रत्येक सेवास्थान पर शिव ध्वज लहराने के समय अन्य धर्म के स्थानीय मुख्य मेहमानों को आमन्त्रित किया जाए तथा सभी भाई बहिनें शिवबाबा के झण्डे के नीचे खड़े होकर प्रतिज्ञा लें।

9- हर बाबा के बच्चे अपने-अपने घरों की छत पर शिवबाबा का ध्वज लहरायें।

10- रेडियो, टी.वी. तथा सिटी केवल के माध्यम से शिव रात्रि पर्व का महत्व प्रसारित किया जाए। शिवरात्रि के रहस्यों पर नाटक आदि के जो वीडियों बने हुए हैं, वह भी सभा में दिखा सकते हैं अथवा केवल टी.वी पर भी दे सकते हैं। शिव जयन्ती से सम्बन्धित लेख समाचार पत्रों में छपवायें जाए।

11- सम्बन्ध-सम्पर्क में आये हुए आई.पीज. वी.आई.पीज को सुन्दर ग्रीटिंग कार्ड भी भेजे जाएं, जिसमें शिवबाबा का संक्षिप्त परिचय वा अवतरण का दिव्य सन्देश छपा हुआ हो।

12 - सर्व धर्मो के नेताओं का अथवा वी.आई.पीज का स्नेह मिलन भी रख सकते हैं।

13- प्रभात फेरी/शोभा यात्रा भी निकाल सकते हैं।

14- बड़े हाल अथवा मन्दिरों में प्रवचन, प्रदर्शनी के कार्यक्रम रखे जाएं, जहाँ तक सम्भव हो अपने सेवाकेन्द्रों पर लाइट आदि की सजावट भी की जाए।

15- गुणों को धारण करने तथा अवगुण वा व्यसन छोड़ने की प्रेरणा दी जाए।

समय प्रति समय प्यारे अव्यक्त बापदादा ने शिव जयन्ती निमित्त जो विशेष इशारे दिये हैं तथा शिव जयन्ती का महत्व सुनाया है, वह भी साथ में भेज रहे हैं। इन्हें विशेष क्लास में भी पढ़कर सुनायें तथा इस आधारपर प्रवचन भी कर सकते हैं।


प्यारे अव्यक्त बापदादा के इशारे:-

1- शिवरात्रि की सर्विस के पहले स्वयं में शान्ति की शक्ति का फोर्स भरना है। भल योग के प्रोग्रामस रखते हैं लेकिन योग द्वारा शक्तियों का अनुभव करना, कराना है। आत्मिक बल और परमात्म बल की विशेष अनुभूति करनी और करानी है। अपनी ब्राह्मण फुलवाड़ी की कमजोरियों को मिटाने पर कड़ी दृष्टि रखनी है। उसके लिए समय देकर भी कमजोरियों को खत्म करना है, साथ-साथ जो भी कमजोर आत्मायें सम्पर्क और सम्बन्ध में हैं, उन्हों को भी विशेष योग की सकाश देनी है। ज्वालामुखी तपस्या करनी है।

2- शिवरात्रि पर जो स्टेज बनाते हो, उस स्थूल और सूक्ष्म स्टेज को ऐसा बनाओ, जिससे आने वाली आत्माओं को अपने स्वरूप रूह और रूहानियत का अनुभव हो। वाणी द्वारा वाणी से परे जाने का अनुभव हो।

3- सम्पर्क में आने वाली आत्माओं का विशेष प्रोग्राम रखो। लक्ष्य रखो कि अनुभव कराना है, न कि सिर्फ भाषण करना है। रूहानियत और रूहानी बाप के सम्बन्ध और अनुभव में समीप लाओ। जनरल सन्देश देनेकी बात अलग है। वह करना है भले करो, लेकिन यह जरूर करो।

4- इस दिन निमित्त बनी हुई आत्माओं को अर्थात् सर्विसएबुल आत्माओं को विशेष एकाग्रता का, अन्तर्मुखता का व्रत रखना है। इस व्रत से वृत्तियों का परिवर्तन होगा। जैसे भक्त लोग स्थूल भोजन का व्रत रखते हैं, तो सर्विसएबुल ज्ञानी तू आत्माओं को व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ बोल, व्यर्थ कर्म की हलचल से परे एकाग्रता अर्थात् रूहानियत में रहने का व्रत लेना है, तब आत्माओं को ज्ञान सूर्य का चमत्कार दिखा सकेंगे।

5- इस शिवरात्रि पर सन्देश देने की सेवा के साथ, ऐसा संकल्प करो कि परिचय के साथ बाप की झलक देखने या अनुभव करने का प्रसाद भी हर एक को मिले। जैसे कोई फंक्शन आदि होता है तो जहाँ प्रसाद मिलता है, वहाँ सभी को आकर्षण होती है। न चाहते हुए भी लोग प्रसादी की आकर्षण से स्वत: ही आ जाते हैं। तो ऐसा लक्ष्य रखो - वायुमण्डल बनाओ - अपनी समर्थता के आधार पर असमर्थ आत्माओं को विशेष रहम के संकल्प की आकर्षण से प्राप्ति या अनुभूति का प्रसाद बाँटो।

6- इस शिवरात्रि पर बाप को प्रत्यक्ष करने का कार्य करना है। अथॉरिटी से निर्भय हो वास्तविक परिचय देना है। उत्सव मनाने समय ऐसा प्रोग्राम रखो जिसमें सबका अटेन्शन विश्व के रचयिता तथा जिसके द्वारापार्ट बजाया उस आदि देव अर्थात् साकार ब्रह्मा को पहचानें। यह शिवरात्रि विशेष बाप को प्रत्यक्ष करनेवाली, नवीनता वाली हो।

7- भाषण करते समय यह विशेष अटेन्शन रहे कि प्वाइन्ट्स में ज्यादा न जावें, भाषण का लेविल ठीक रहे, प्वाइन्ट्स में ज्यादा जाने से जो लक्ष्य होता है वह खत्म हो जाता है। भाषण में शब्द कम हों लेकिन ऐसे शक्तिशाली हों जिसमें बाप का परिचय और स्नेह समाया हुआ हो, जो स्नेह रूपी चुम्बक आत्माओं को परमात्मा तरफ खैंचे।

8- यह शिवरात्रि प्रत्यक्षता की शिवरात्रि करके मनाओ। सबका अटेन्शन जाए यह कौन हैं और किसके प्रति सम्बन्ध जोड़ने वाले हैं, सब अनुभव करें कि जो आवश्यकता है वह यहाँ से ही मिल सकती है, सबसुखों के खान की चाबी यहाँ ही मिलेगी।


80 वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती के शुभ दिन पर क्लास में या झण्डा फहराते समय
यह प्रतिज्ञायें सभी से करवा सकते हैं

1- अपने समय और श्रेष्ठ संकल्पों का खजाना विश्व कल्याण की सेवा में लगायेंगे। सबके सहयोगी मास्टर दाता बनकर रहेंगे।

2- अपने स्वमान की सीट पर रह, सर्व को सम्मान देते हुए विश्व के आगे उदाहरण स्वरूप बनेंगे।

3- किसी भी विपरीत परिस्थिति में सदा एकरस स्थिति का अनुभव करेंगे, कभी अपसेट नहीं होंगे।

4- व्यर्थ और निगेटिव को सदा के लिए समाप्त कर शुभ संकल्पों के खजाने से सम्पन्न बनेंगे।

5- निमित्त भाव, निर्मान भाव से सबकी सेवा करेंगे, सबके प्रति शुभचिंतक होकर रहेंगे।

6- रूहानी स्नेह से सम्पन्न बन क्रोध व रोब के कडुवेपन को समाप्त करेंगे।

7- पवित्रता की लाइट का क्राउन धारण कर परमात्म याद की छत्रछाया के नीचे रहेंगे।

8- दृढ़ता की शक्ति द्वारा अपनी सूक्ष्म वृत्तियों का परिवर्तन कर दृष्टि को दिव्य बनायेंगे।

ओम् शान्ति