भगवान शिव संदेश

 

  पाँच हज़ार वर्ष बाद पुनः करने आत्माओं का कल्याण |

जागो जागो भारत की संतान आये भारत में शिव भगवान |

 

कहते तुम आत्मा अविनाशी, ज्योतिर्बिंदु रूप तुम्हारा

पार्ट बजाने इस सृष्टि पर छोड़ आये परमधाम प्यारा |

भ्रकुटी के बीच हो चैतन्य सितारा, जड़ देह से अलग अस्तित्व तुम्हारा

चौरासी जन्म संसार चक्र में खो चुके अपनी पहचान

पुनः याद दिलाने आये स्वरुप, सम्बन्ध और अपना धाम |

 

मै शिव पिता रूहानी, ज्योतिर्बिंदु मेरा स्वरुप,

निराकार, जनम मरण से न्यारा, मानव सृष्टि का बीज रूप

सत्य कथा सुनाने देने बेहद का वर्सा परमधाम से दुःखधाम में आया

पावन बनाता दुःख से छुड़ाता, नहीं हूँ मैं कण कण में समाया |

स्वर्ग बसाने, नरक मिटाने, पधारे दूरदेश मेहमान

देव, मानव उनकी रचना, वो त्रिमूर्ति रचयिता महान

शिवलिंग द्वारा पूजते उनको शिवरात्रि को करते सम्मान |

जागो जागो भारत की संतान, आये भारत में परमपिता भगवान |

 

सतोप्रधान तुम थे सतयुग में, स्वर्णिम युग था तब भारत में

पवित्रता, सुख, शांति जीवन में, पवित्र गृहस्थ आश्रम हर घर में

सोलह कला संपूर्ण, गुण सर्व संपन्न थे, वो पावन देवतायें महान

अद्वैत लक्ष्मी नारायण राज्य वहां, भाषा, कुल, मत एक समान |

 

चौदह कला हुई युग त्रेता में, कमतरता आयी सुख संपत्ति में

आत्मिक सम्बन्ध फिर भी गहरे, देही अभिमानी पूज्य देवतायें जो ठहरे |

कहाँ गए देवतायें पूज्य, क्यों होता है उनका मान,

यही बतलाने आये शिव जिन्होंने बनाये देव समान |

जागो जागो भारत की संतान, आये भारत में परमशिक्षक भगवान |

 

द्वापर युग से रावण विकार, किये जड़ जीव अपने अधिकार

इब्राहम, बुद्ध, क्राइस्ट, शंकर किये धर्म स्थापन नम्बरवार

कर्म काण्ड, भक्ति, ग्रंथों की रचना, राज्य धर्मं का हुआ विस्तार |

खो गयी वैकुंठ नगरी और देवता धर्मं का नाम

रावण राज्य शुरू हुआ नरक बना यह सुन्दर जहान |

 

कलियुग में धर्मं अति ग्लानी, बनते सब देह अभिमानी

विकारों के वश होते नर नारी, अधर्म में फसती दुनिया सारी |

भ्रष्टाचारी पतित बना मानव चली गयी भारत की शान

अज्ञान के इस रात्रि आये वृद्ध ब्रह्मा तन में भगवान |

विश्व शांति पुनः करने स्थापन रामराज्य नवयुग का निर्माण |

जागो जागो भारत की संतान, आये भारत में रचयिता भगवान |

 

कलियुग सतयुग के संगम पर, ब्रह्मा तन के भागीरथ पर,

द्रोपदियों को नंगन से बचाने, सीताओं को रावण से छुड़ाने,

ज्ञान गंगा से करने उत्थान, देने गीता राजयोग का व्याख्यान,

माया विकारों से युद्ध कराने दिये अर्जुनों को ज्ञान बाण |

जागो जागो भारत की संतान, आये भारत में गीता भगवान |

 

शिव देते बस यही पैगाम “ अब न बनो माया के गुलाम”

जनम यह अंतिम है सभी के “ अपने को आत्मा जान मुझे परमपिता पहचान”

हुए रावण राज्य में विकर्म सारे, “मन्मनाभव मामेकम याद करो”

तो मिटेंगे जन्म जन्मान्तर के सभी पाप तुम्हारे |

अब तो जागो कुम्भकर्ण निद्रा से, हुआ खेल पूरा जाना अपने मूल ठिकान

पुरुषार्थ कर भाग्य बना लो ताकि न हो बुरा अंजाम |

भक्ति का फल देने, गति सद्गति का देने ज्ञान

भगवान आये इस धरा पर रह न जाये अधूरे अरमान |

जागो जागो भारत की संतान, आये भारत में सद्गुरु भगवान |

 

शुरू होगी जब महाभारत लड़ाई, हो न सकेगी यह ईश्वरीय पढाई

आसमान फटेगी, धरती कपेंगी समुद्र करेंगे उछाल |

खाक होगी सब बम अग्नि में, वायु दिखलायेंगे रूप विकराल

बिखर जायेंगे कृत्रिम आधार, छायेगा चहु और अन्धकार |

टूटेगी तब मानव अहं जब कोई न सुनेगा चीख पुकार

रक्त बहायेंगे मानव मानव के भूलकर सब धर्म ईमान |

अभी नहीं तो कभी नहीं, छोड़ भी दो मिथ्या अभिमान

याद से ही पाप कटेंगे, पावन बनेंगे सजा प्रति करते सावधान |

जागो जागो भारत की संतान, आये भारत में धर्मराज भगवान |

 

सदा पावन, सदा सत्य, अभोक्ता , सर्व शक्तिमान

ज्ञान, शांति, प्रेम सागर, पतित पावन, दिव्य गुणों की खान

ब्रह्मलोक निवास, स्थापन, पालन, विनाश दिव्य काम

श्रीमत पालन, दैवी गुण धारण से होगा सच्चा शिव को प्रणाम |