Baba Poem 18.1.2014

 

 

बाबा का नाम था दादा लेखराज

हीरे परखने में सरताज

शिवबाबा ने लिया इनके शरीर का लोन

ताकि बाबा हमें बुला सके अपने स्वीट होम

बाबा का था सबसे एक समान प्यार

सबको लगता बाबा की गोद में बैठें बार बार

मीठी दृष्टि बाबा ऐसी देते

सब हल्के होकर अपना सुध बुध खो देते

बाबा ने संभाला यज्ञ का कारोबार

बेगरी पार्ट में भी रहे निश्चिन्त और निर्विकार

रूहानी स्नेह से सबको पाला

शिवबाबा का नाम किया बाला

ब्रह्मा बाबा हैं ग्रेट ग्रेट ग्रैंडफादर

रात को रखते थे सबका गेट टूगेदर

फॉलो फादर करना है

बाबा के जैसे सम्पूर्ण बनना है

जो भी उनसे मिलता

श्री कृष्ण, लक्ष्मी नारायण का साक्षात्कार होता

कदम कदम रहता बापदादा का साथ

सदा चलते लेकर हाथों में हाथ

सर पर सदा वरदानी हाथ

हर पल बापदादा हमारे साथ

बाबा हमेशा कहते गो सून कम सून

हमें बनना सोलह कला सम्पूर्ण जैसे वो फुल मून

बाबा को ज़रा भी न था देह भान

ऐसा थे आप महान

सबकी जन्म पत्री देखकर बताते

सेवा करने के लिए सदा आगे बढ़ाते

आपने इतना प्यार से संभाला है

हर पल ममता से पाला है

पाकर ओ बाबा तुम्हें लगता है

किस्मत ने हम पर सब लुटा डाला है

रूहानी जादूगर थे आप

सबको अपना बना लेते हो आप

अव्यक्त होकर भी पालना करते हो आप

पेपर आने पर अव्यक्त इशारे देते हो आप !!

वाह बाबा वाह !!

 


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