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 27 / 01 / 21  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *किसी के अवगुण देख उसकी निंदा तो नहीं की ?*

 

➢➢ *मुरली तो मिस नहीं की ?*

 

➢➢ *देह अभिमान के मैं पन की सम्पूरण आहुति डाली ?*

 

➢➢ *स्वयं से, सेवा से और सर्व से संतुष्टता का सर्टिफिकेट लिया ?*

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*अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *परमार्थ मार्ग में विघ्न-विनाशक बनने का साधन है - माया को परखना और परखने के बाद निर्णय करना* क्योंकि परमार्थी बच्चों के सामने माया भी रायल ईश्वरीय रुप रच करके आती है, जिसको *परखने के लिए एकाग्रता अर्थात् साइलेन्स की शक्ति को बढ़ाओ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं निश्चयबुद्धि विजयी रत्न हूँ"*

 

  *'सदा निश्चयबुद्धि विजयी रत्न हैं।' - इसी नशे में रहो। निश्चय का फाउन्डेशन सदा पक्का है! अपने आप में निश्चय, बाप में निश्चय और ड्रामा की हर सीन को देखते हुए उसमें भी पूरा निश्चय।* सदा इसी निश्चय के आधार पर आगे बढ़ते चलो।

 

  *अपनी जो भी विशेषतायें हैं, उनको सामने रखो, कमजोरियों को नहीं, तो अपने आप में फेथ रहेगा। कमजोरी की बात को ज्यादा नहीं सोचना तो फिर खुशी में आगे बढ़ते जायेंगे। बाप का हाथ लिया तो बाप का हाथ पकड़ने वाले सदा आगे बढ़ते हैं, यह निश्चय रखो।*

 

  जब बाप सर्वशक्तिवान है तो उसका हाथ पकड़ने वाले पार पहुँचे कि पहुँचे। चाहे खुद भले कमजोर भी हो लेकिन साथी तो मजबूत है ना। इसलिए पार हो ही जायेंगे। *सदा निश्चयबुद्धि विजयी रत्न, इसी स्मृति में रहो। बीती सो बीती, बिन्दी लगाकर आगे बढ़ो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  ऑर्डर करें मधुरता स्वरूप बनना है और समस्या अनुसार, परिस्थिति अनुसार क्रोध का महारूप नहीं लेकिन सूक्ष्म रूप भी आवेश वा चिडचिडापन आ रहा है, क्या यह ऑर्डर है? ऑर्डर में हुआ? *ऑर्डर करें हमें निर्मान बनना है और वायुमण्डल अनुसार सोचो कहाँ तक दबकर चलेंगे, कुछ तो दिखाना चाहिए।*

 

✧  क्या मुझे ही दबना है? मुझे ही मरना है! मुझे ही बदलना है? क्या यह लव ऑर ऑर्डर है? इसलिए *विश्व के ऊपर, चिल्लाने वाले दु:खी आत्माओं के ऊपर रहम करने के पहले अपने ऊपर रहम करो।* अपना अधिकार सम्भालो। *आगे चल आपको चारों ओर सकाश देने का, वायब्रेशन देने का, मन्सा द्वारा वायुमण्डल बनाने का बहुत कार्य करना है।*

 

✧  पहले भी सुनाया कि अभी तक जो जो जहाँ तक सेवा के निमित हैं, बहुत अच्छी की है और करेंगे भी लेकिन अभी समय प्रमाण तीव्र गति और बेहद सेवा की आवश्यकता है। तो *अभी पहले हर दिन को चेक करो स्वराज्य अधिकारकहाँ तक रहा?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  ऐसे तो नहीं कि बहुत सुनते हो तो बिन्दु-स्वरूप में रहना मुश्किल हो जाता है? *परन्तु बिन्दु-रूप में स्थित रहने की कमी का कारण यही है कि पहला पाठ ही कच्चा है।* कर्म करते हुए अपने को अशरीरी आत्मा महसूस करें - यह सारे दिन में बहुत प्रैक्टिस चाहिए। *प्रैक्टिकल में न्यारा होकर कर्तव्य में आना - यह जितना-जितना अनुभव करेंगे उतना ही बिन्दु-रूप में स्थित होते जावेंगे।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- भूल हो तो बाप को रिपोर्ट कर सावधानी लेना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा अमृतवेले के रूहानी समय में घर की छत पर बैठ रूहानी समय का आनंद ले रही हूँ... पंछियों को दाना डालते हुए उनकी चहचाहट सुन रही हूँ... जो कानों में मधुरस घोल रही है... जैसे अपने दिल की बात मुझसे कह रहे हों... *मैं आत्मा भी पंछी बन आसमान में उड़ते हुए बादलों को पार करते हुए अपने प्यारे वतन में पहुँच जाती हूँ अपने प्यारे बाबा के पास... अपने दिल का हाल सुनाने...*

 

  *मेरे दिल की हर बात को जानने वाले जानी जाननहार प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... *मीठा बाबा भले ही हर बात को जानने वाला है पर बच्चों को ईमानदारी से हर बात का समाचार अवश्य देना है... बताने से ईश्वर पिता की मदद और सावधानी मिलेगी... वरना वह भूल अमिट हो जायेगी...* अभी यादो में खुद को निखारने के मौसम में खुबसूरत और साफ दिल बन जाओ...

 

_ ➳  *बाबा की हर सावधानी को अपने दिल दर्पण में समाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा अपने दिल की हर बात मीठे बाबा आपको सुनाकर हल्की और निश्चिन्त होती जा रही हूँ... आपकी यादो में मै आत्मा हर विकार से मुक्त होती जा रही हूँ...* हर विघ्न से परे होकर त्रिनेत्री बनती जा रही हूँ...

 

  *मेरे हर कदम में श्रीमत के फूल बिछाकर मेरे मीठे लाडले बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्ची दिल पर साहिब सदा राजी है... तो ऐसी सच्ची दिल से ईश्वर पिता के दिल को जीतने वाले, दिल तख्त धारी बन मुस्कराओ... *मीठे बाबा को दिल की हर बात बताओ और सलाह लेकर श्रीमत प्रमाण हर कदम को उठाओ... ऐसी दैवीय चलन वाली अदा दिखाओ...”*

 

_ ➳  *अपने मनमीत के कानों में अपने दिल की हर सरगम को सुनाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी श्रीमत पर हर कर्म को करती जा रही हूँ... *मीठे बाबा आपकी यादो में निर्मल होती जा रही हूँ... हर कर्म का पोतामेल आपको देकर सदा की निश्चिन्त होती जा रही हूँ... और सच्चा मनमीत बनाकर हर बात बताती जा रही हूँ...”*

 

  *मिटटी से निकाल मोती सा चमकाकर हीरे समान मेरे जीवन को बनाते हुए मेरे जौहरी बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... इस देह की दुनिया में और देह के प्रभाव में आकर अपने सत्य स्वरूप को सदा का भूल गए हो... मिटटी में खेलते खेलते विकारो से लथपथ हो गए हो... *अब अपने हर कर्म को मीठे बाबा को बताओ और देहभान की मिटटी से स्वयं को छुड़ाओ... श्रीमत पर हर कदम उठाकर अपने खुबसूरत वजूद को पाओ...”*

 

_ ➳  *खुशियों के फूलों से खिले हुए मन से बाबा का शुक्रिया करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी महकती यादो में... विकर्मो से परे होकर श्रेष्ठ कर्मो से जीवन को महान बनाती जा रही हूँ... *मीठे बाबा आपका हाथ पकड़कर मै आत्मा निश्चिन्त होकर जीवन पथ पर देवताई सुंदरता को पाती जा रही हूँ...”*

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मुरली कभी भी मिस नही करनी है*"

 

_ ➳  अपने शिव प्रीतम की प्रेम भरी पाति को जो मुझे हर रोज मुरली के माध्यम से प्राप्त होती है। जिसमे लिखे एक - एक शब्द में मेरे शिव प्रीतम का मेरे प्रति अथाह प्रेम समाया होता है, उस प्रेम भरी पाति को पढ़ कर मैं आत्मा सजनी अपने शिव प्रीतम के प्रेम की गहराई में डूबती जा रही हूँ। *मुरली के एक - एक शब्द में अपने प्यारे मीठे बाबा की मीठी याद को मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ*। बाबा की मीठी याद प्रेम की मीठी मीठी फुहारों के रूप में मुझे अपने ऊपर बरसती हुई महसूस हो रही है जो मुझे एक बहुत ही न्यारी और प्यारी अवस्था की अनुभूति करवा रही है। *यह न्यारी और प्यारी अवस्था मुझे देह और देह की दुनिया के हर लगाव से मुक्त कर रही है*।

 

_ ➳  देह और देह की दुनिया के आकर्षण से मुक्त, अशरीरी स्थिति में मैं स्थित होती जा रही हूँ। इस स्थिति में स्थित होते ही मेरे शिव पिता परमात्मा का प्रेम चुम्बक की तरह मुझे अपनी ओर खींच रहा है। *अपने शिव प्रीतम के प्रेम की लग्न में मग्न हो कर मैं आत्मा सजनी विदेही बन, अपनी इस नश्वर देह का परित्याग कर चल पड़ी उनसे मिलने उनके ही धाम, परमधाम की ओर*। परमधाम से अपने ऊपर पड़ रही अपने शिव प्रीतम के प्रेम की मीठी - मीठी फुहारों का आनन्द लेती हुई मैं साकार लोक और सूक्ष्म लोक को पार करके, अब पहुंच गई अपने शिव परम पिता परमात्मा के पास उनके निराकारी लोक में।

 

_ ➳  अब मैं स्वयं को आत्माओ की एक ऐसी निराकारी दुनिया मे देख रही हूँ जहां देह और देह की दुनिया का संकल्प मात्र भी नही। *हर तरफ चमकते हुए सितारे दिखाई दे रहें हैं और उन सभी चमकते सितारों के बीच मे एक चमकता हुआ ज्योतिपुंज अपनी सर्वशक्तियों से पूरे परमधाम को प्रकाशित करता हुआ दिखाई दे रहा हैं*। उस ज्योतिपुंज शिव परम पिता परमात्मा से निकलने वाली अनन्त किरणों का प्रकाश आत्मा को तृप्त कर रहा है। *उस प्रकाश में सातों गुण और अष्ट शक्तियों का समावेश है जो शक्तिशाली वायब्रेशन के रूप में पूरे परमधाम में फैल रहा है*। ये शक्तिशाली वायब्रेशन आत्मा को उसके ओरिजनल स्वरूप के स्थित करके उसे गहन सुख, शांति की अनुभूति करवा रहें हैं।

 

_ ➳  अपने शिव प्रीतम के सानिध्य में बैठ, उनके प्रेम से, उनके गुणों और उनकी शक्तियों से स्वयं को भरपूर करके अब मैं आत्माओं की निराकारी दुनिया से नीचे आकर, फ़रिशतो की आकारी दुनिया मे प्रवेश कर रही हूँ। *अपने शिव प्रीतम की प्रेम भरी पाति को उनके ही मुख कमल से सुनने के लिए अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर पहुंच जाती हूँ उनके सम्मुख*। मेरे बिल्कुल सामने मेरे प्रीतम शिव बाबा अपने अव्यक्त आकारी रथ ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान है। *ब्रह्मा मुख कमल से मेरे शिव साजन मीठे मधुर महावाक्य उच्चारण करते हुए, मुझ आत्मा सजनी से मीठी रूह - रिहान करते हुए अपनी प्रेम भरी दृष्टि से मुझे निहार रहें हैं*।

 

_ ➳  अपनी मीठी मधुर दृष्टि से मुझे भरपूर करके अब मेरे शिव प्रीतम ब्रह्मा मुख कमल द्वारा उच्चारित प्रेम भरे मधुर महावाक्यों को मुरली के रूप में मुझे भेंट कर अपने धाम लौट रहे हैं। *मैं आत्मा अपने प्यारे शिव परम पिता परमात्मा की उस प्रेम भरी पाति को अपने साथ लिए अब वापिस अपनी साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ*। अपने निराकार स्वरूप में अब मैं आत्मा अपने साकारी तन में प्रवेश कर रही हूँ और फिर से अपने अकाल तख्त पर आकर विराजमान हो गई हूँ।

 

_ ➳  अपने शिव प्रीतम की प्रेम भरी पाति को अब हर रोज मुरली के माध्यम से पढ़ कर, स्वयं को उनके प्रेम से भरपूर कर मैं आनन्द विभोर हो जाती हूँ। *मुरली में लिखे मेरे शिव प्रीतम के मधुर महावाक्य मुझे माया के हर तूफान से लड़ने का बल देते हैं*। अपने शिव प्रीतम के प्रेम पत्र मुरली को अपने दिल से लगाये, उनके प्रेम में खोई मैं हर बात से जैसे उपराम हो गई हूँ और इसी उपराम स्थिति ने मुझे मायाजीत बना दिया है।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं देह - अभिमान के मैं पन की सम्पूर्ण आहुति डाल ने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं धारणा स्वरूप आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं आत्मा सदैव स्वयं से, सेवा से और सर्व से संतुष्टता का सर्टिफिकेट प्राप्त करती हूँ  ।*

   *मैं आत्मा सिद्धि स्वरूप हूँ  ।*

   *मैं संतुष्टमणि निष्काम सेवाधारी हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *आज समर्थ बाप अपने स्मृति स्वरूप, समर्थ स्वरूप बच्चों से मिलने के लिए आये हैं। आज विशेष चारों ओर के बच्चों में स्नेह की लहर लहरा रही हैं। विशेष ब्रह्मा बाप के स्नेह की यादों में समाये हुए हैं। यह स्नेह हर बच्चे के इस जीवन का वरदान है।* परमात्म स्नेह ने ही आप सबको नई जीवन दी है। हर एक बच्चे को स्नेह की शक्ति ने ही बाप का बनाया। यह स्नेह की शक्ति सब सहज कर देती है। जब स्नेह में समा जाते हो तो कोई भी परिस्थिति सहज अनुभव करते हो। *बापदादा भी कहते हैं कि सदा स्नेह के सागर में समाये रहो। स्नेह छत्रछाया है, जिस छत्रछाया के अन्दर कोई माया की परछाई भी नहीं पड़ सकती।* सहज मायाजीत बन जाते हो। *जो निरन्तर स्नेह में रहता है उसको किसी भी बात की मेहनत नहीं करनी पड़ती है। स्नेह सहज बाप समान बना देता है।* स्नेह के पीछे कुछ भी समर्पित करना सहज होता है।

 

 _ ➳  2. *जैसे इस विशेष स्मृति दिवस में अर्थात् स्नेह के दिन में स्नेह में समाये रहे ऐसे ही सदा समाये रहो, तो मेहनत का पुरुषार्थ करना नहीं पड़ेगा।*

 

✺   *ड्रिल :-  "परमात्म स्नेह की शक्ति का अनुभव"*

 

 _ ➳  *"आबू का तीर्थ तुमको पुकारे आजाओ ब्रह्मा बाबा हमारे, आना ही होगा, आना ही होगा, आना ही होगा"...* ये गीत सुनते सुनते मैं आत्मा अपने अलौकिक पिता *ब्रह्मा बाबा* के स्मृति दिवस को याद करती हूं... बाबा मेरे प्यारे बाबा कहाँ हो आप... उनकी यादों में खोई मैं पहुँचती हूं *पांडव भवन... अपने बाबा की तपस्या स्थली पर जहां मेरे अलौकिक पिता मेरे ब्रह्मा बाबा ने शिव पिता की याद में रह सम्पूर्णता प्राप्त की... ये भूमि कितनी पावन है...*

 

 _ ➳  स्मृति दिवस पर बाबा के सभी बच्चे बाबा से मिलन मनाने आए हुए हैं... सब बच्चे विशेष ब्रह्मा बाबा की याद में बैठे हैं... *आबू भूमि की इस धरती पर, इस पावन धरा पर चारों तरफ़ रूहानी खुशबू फैली हुई है... ये मेरे प्यारे बाबा के स्नेह की खुशबू है... और सुनाई दे रही है...* रूहानी स्नेह सरगम, इस सरगम की तरंगों में मैं आत्मा गुनगुनाने लगती हूं... *"स्नेह प्यार की तुझसे ओ बाबा बाँधी है जीवन डोर, बाँधी है जीवन ड़ोर"...*

 

 _ ➳  *मेरे पिता आदिदेव ब्रह्मा बाबा जो मुझ आत्मा की पालना कर रहे हैं... दिव्य गुणों से मुझे गुणवान बना रहे हैं... रोज़ शिव बाबा की श्रीमत को अपने मुख द्वारा सुना मुझे हीरे जैसे बना रहे हैं...* जहाँ कभी भी मैं अलबेलेपन में आती हूं बड़े प्यार से समझानी देते हैं... *बच्चे तुम्हें बाप समान बनना है...* उन्हीं मेरे स्नेही ब्रह्मा बाबा का आज स्मृति सो समर्थी दिवस है...

 

 _ ➳  *शान्ति स्तम्भ के आगे बैठते ही बाबा के स्नेह की छत्रछाया का अनुभव होने लगता है... बाबा अपने स्नेह पुष्पों की वर्षा कर रहे हैं... बाबा का स्नेह ही मुझ आत्मा को समर्थ बना रहा है... ये परमात्म स्नेह ही मुझे मायाजीत बना रहा है...* बाबा का वरदानी हाथ मुझे अपने सर पर महसूस होता है... इसी स्नेह शक्ति के बल को अपने अंदर समाये मैं सहज होती जा रही हूं...

 

 _ ➳  *बाबा के प्यार से मैं बिना मेहनत तीव्र गति से अपना पुरुषार्थ कर रही हूं...* और अपने ऊपर अलौकिक और अपने पारलौकिक पिता की छत्रछाया का अनुभव करती हूं... *बाबादादा का स्नेह रूपी हाथ और साथ मुझे हर परिस्थिति को उड़ाते हुए पार करा रहा है... मैं आत्मा समर्थी स्वरूप बन रही हूं...* ये बाबा के स्नेह सुमन की बरसात ही है, जिसमें भीग मैं आत्मा निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूं... *ये परमात्म स्नेह की शक्ति ही है जो मुझ आत्मा को सब कुछ सहज लग रहा है...* अहो सौभाग्य! मुझ आत्मा का जो ये वरदानी जीवन मिला...   *बाबा के स्नेह में समाई मुझ आत्मा के अंदर एक ही धुन बज रही है... मैं बाबा की बाबा मेरा... मैं बाबा की बाबा मेरा...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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