━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 20 / 01 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *संशय में आकर कोई प्रशन तो नहीं उठाया ?*
➢➢ *योग अग्नि से आत्मा रुपी सीता को पावन बनाया ?*
➢➢ *देहि अभिमानी स्थिति में स्थित हो सदा विशेष पार्ट बजाया ?*
➢➢ *प्रयोगी आत्मा बन योग के प्रयोग से सर्व खजानों को बढाया ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *बुद्धि की एकाग्रता से परखने की शक्ति आयेगी। इसके लिए व्यर्थ वा अशुद्ध संकल्पों की हलचल से परे एक में सर्व रस लेने वाली एकरस स्थिति चाहिए।* अगर अनेक रसों में बुद्धि और स्थिति डगमग होती है तो परखने की शक्ति कम हो जाती है और न परखने के कारण माया अपना ग्राहक बना देती है। यह माया है, यह भी पहचान नहीं सकते। यह रांग है, यह भी जान नहीं सकते।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं सदा रूहानी नशे में रहने वाला सच्चा रूहानी गुलाब हूँ"*
〰✧ सदा रूहानी नशे में रहने वाले सच्चे रूहानी गुलाब हो ना? जैसे रूहे गुलाब का नाम बहुत मशहूर है वैसे आप सभी आत्मायें रूहानी गुलाब हो। *रूहानी गुलाब अर्थात् चारों ओर रूहानियत की खुशबू फैलाने वाले।* ऐसे अपने को रूहानी गुलाब समझते हो?
〰✧ *सदा रूह को देखते और रूहों के मालिक के साथ रूह-रूहान करते यही रूहानी गुलाब की विशेषता है। सदा शरीर को देखते रूह अर्थात् आत्मा को देखने का पाठ पक्का है ना!* इसी रूह को देखने के अभ्यासी रूहानी गुलाब हो गये।
〰✧ *बाप के बगीचे के विशेष पुष्प हो क्योंकि सबसे नम्बरवन रूहानी गुलाब हो। सदा एक की याद में रहने वाले अर्थात् एक नम्बर में आना है, यही सदा लक्ष्य रखो।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ ब्रह्मा बाप से तो प्यार है ना! तब तो ब्रह्माकुमारी वा ब्रह्माकुमार कहलते हो ना! *जब चैलेन्ज करते हो कि सेकण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा ले लो तो अभी सेकण्ड में अपने को मुक्त करने का अटेन्शन।*
〰✧ अभी समय को समीप लाओ। *आपके सम्पूर्णता की समीपता, श्रेष्ठ समय को समीप लायेगी।* मालिक होना, राजा हो ना। स्वराज्य अधिकारी हो?
तो ऑर्डर करो। राजा तो ऑर्डर करता है ना! *यह नहीं करना है, यह करना है। बस ऑर्डर करो।*
〰✧ *अभी-अभी देखो मन को, क्योंकि मन है मुख्यमन्त्री।* तो हे राजा, अपने मन मन्त्री को सेकण्ड में ऑर्डर कर अशरीरी, विदेही स्थिति में स्थित कर सकते हो? *करो ऑर्डर एक सेकण्ड में* (बापदादा ने 5 मिनट ड़िल कराई) अच्छा।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *अव्यक्त स्थिति की परख आप सभी के जीवन में क्या होगी, वह मालूम है? उनके हर कर्म में एक तो अलौकिकता और दूसरा हर कर्म करते कर्मेन्द्रियों से अतीन्द्रिय सुख की महसूसता आएगी।* उनके नयन-चैन, उनकी चलन अतीन्द्रिय सुख में हर वक्त रहेगी।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- याद की सेक्रीन से सतोप्रधान बनना"*
➳ _ ➳ जीवन अपनी गति से चलते ही जा रहा था... कि अचानक जनमो के पुण्यो का फल सामने आ गया... मन्दिरो में प्रतिमा में खुदा छुपा था... *वह मेरा मीठा बाबा बनकर सामने आ गया..*. और जीवन सच्चे प्यार का पर्याय बन गया... ईश्वरीय प्रेम को पाकर मै आत्मा... दुखो की तपिश की भूल निर्मल हो गयी... मीठे बाबा के प्यार की मीठी अनुभूतियों में डूबी हुई मै आत्मा... बाबा की यादो में खोई सी, ठिठक जाती हूँ... और देखती हूँ... सम्मुख मेरा बाबा बाहें फैलाये मुस्करा रहा है...
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को बेहद के सुखो का अधिकारी बनाते हुए कहते है:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *अपने समय साँस और संकल्पों को निरन्तर मीठे बाबा की मीठी यादो में पिरो दो..*. यह यादे ही असीम सुखो का खजाना दिलायेगी... मीठे बाबा की यादो में सतोप्रधान बन बाबा संग घर चलने की तैयारी करो... सिर्फ और सिर्फ मीठे बाबा को हर पल याद करो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा को अपनी बाँहों में भरकर कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा मेरे... *अब जो मीठे भाग्य ने आपका हाथ और साथ मुझ आत्मा को दिलाया है.*.. मै आत्मा हर घड़ी हर पल आपकी ही यादो में खोयी हुई हूँ... देह और देहधारियों के ख्यालो से निकल कर अपने मीठे बाबा की मधुर यादो में मगन हूँ..."
❉ *प्यारे बाबा मुझ आत्मा को अनन्त शक्तियो से भरते हुए कहते है :-* "मीठे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता की यादो में निरन्तर खो जाओ... इन यादो में गहरे डूबकर, स्वयं को असीम सुखो से भरी खुबसूरत दुनिया का मालिक बनाओ... और *यादो में सतोप्रधान बनकर, विश्व धरा पर देवताई ताजोतख्त को पाओ.*.."
➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने प्यारे बाबा से अमूल्य ज्ञान खजाने को पाकर, खुशियो से भरपूर होकर कहती हूँ :-* " मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपको पाकर कितनी खुशनसीब हो गयी हूँ.. श्रीमत को पाकर ज्ञानधन से भरपूर हो, मालामाल हो गयी हूँ... *आपके खुबसूरत साथ को पाकर सत्य से निखर गयी हूँ.*.."
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को बेहद के सतोप्रधान पुरुषार्थ के लिए उमंगो से सजाते हुए कहते है :-* "मीठे सिकीलधे बच्चे... यह *अंतिम जन्म में देह के भान और परमत से निकल कर, आत्मिक सुख की अनुभूतियों में खो जाओ..*. हर साँस ईश्वरीय यादो में लगाओ... यह यादे ही समर्थ बना साथ निभाएगी... देह धारियों के याद खाली कर ठग जायेंगी... इसलिए हर पल यादो को गहरा करो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने शानदार भाग्य पर मुस्कराते हुए मीठे बाबा से कहती हूँ :-* "प्यारे प्यारे बाबा मेरे... मेरे हाथो में अपना हाथ देकर, *आपने मुझे कितना असाधारण बना दिया है... ईश्वरीय खूबसूरती से सजाकर, मुझे पूरे विश्व में अनोखा बना दिया है.*.. मै आत्मा रग रग से आपकी यादो में डूबी हुई दिल से शुक्रिया कर रही हूँ..."मीठे बाबा को अपने प्यार की कहानी सुनाकर, मै आत्मा... साकारी तन में लौट आयी...
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- जब तक जीना है ज्ञान अमृत पीते रहना है*"
➳ _ ➳ ज्ञान अमृत पिला कर, अमर बनाने वाले अपने अमरनाथ शिव बाबा को याद करते - करते मैं अनुभव करती हूँ कि मेरे अमरनाथ बाबा जैसे वतन में खड़े मुझे बुला रहें हैं। मेरे शिव बाबा की याद संकल्प के रूप में मुझ तक पहुंच रही है। *अपने मीठे बाबा के संकल्पो को कैच कर, मैं सेंकड में अपना लाइट का फ़रिशता स्वरूप धारण करती हूँ और बिना एक क्षण भी व्यर्थ गंवाये, इस साकारी देह से निकल कर ऊपर आकाश की और चल पड़ती हूँ*। चारों और अपनी श्वेत आभा बिखेरता हुआ मैं फ़रिशता वतन की ओर उड़ता जा रहा हूँ।
➳ _ ➳ साकार लोक को पार कर, सूर्य, चाँद, तारा गणों के विशाल समूह को पार करके अब मैं पहुँच गया उस अव्यक्त वतन में जहां बापदादा अव्यक्त इशारों से मुझे बुला रहे हैं। *अब मैं स्वयं को बापदादा के सामने देख रहा हूँ। बापदादा के लाइट माइट स्वरूप से निकल रही लाइट और माइट पूरे सूक्ष्म वतन को एक दिव्य अलौकिक प्रकाश से प्रकाशित कर रही हूँ*। बापदादा इशारे से मुझे अपने पास बुला रहें हैं।
➳ _ ➳ बाहें पसारे बापदादा का ममतामयी स्वरूप मुझे उनकी बाहों में समाने के लिए व्याकुल कर रहा है। मैं दौड़ कर उनके पास पहुंचता हूँ और जा कर उनकी बाहों में समा जाता हूँ। *उनका प्रेम और वात्सलय पा कर मेरा अंतर्मन जैसे खिल उठा है*। उनकी करुणा वरदानों के रूप में निरन्तर मुझ पर बरस रही है।
➳ _ ➳ बापदादा के आनन्दमयी प्रेम के रस में मैं फ़रिशता डूबता जा रहा हूँ। इस आनन्दमयी स्थिति में एक बहुत ही खूबसूरत दृश्य मेरी आँखों के सामने बार - बार आ रहा है। *मैं देख रहा हूँ मेरे सामने एक बहुत ही सुंदर अति लुभावना सरोवर है और उस सरोवर में हंसो का बहुत सुंदर जौड़ा बैठा है*। हंसो की उस खूबसूरत जौड़ी पर मम्मा बाबा विराजमान है।
➳ _ ➳ मम्मा के हाथ मे एक कलश है । मैं मम्मा बाबा के इस अति सुंदर मनोहारी स्वरूप को निहार रहा हूँ। जैसे ही मम्मा की नज़र मुझ पर पड़ती है, मम्मा बड़े प्यार से मुझे अपने पास बुलाती है। *मैं फ़रिशता धीरे धीरे मम्मा के पास पहुँचता हूँ और उत्सुकता से उस कलश की ओर देखता हूँ। देखते ही देखते उस कलश में से ज्ञान की दिव्य अमृत धारा निकल कर अपने आप मेरे मुख में जाने लगती है*। ज्ञान अमृत पीकर अब मैं स्वयं को बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रहा हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे मेरी सारी प्यास बुझ चुकी है और मैं तृप्त हो चुका हूँ। तृप्त हो कर जैसे ही मैं उस सरोवर से बाहर निकलता हूँ, स्वयं को वापिस बापदादा की ममतामयी गोद मे पाता हूँ।
➳ _ ➳ बापदादा की ममतामयी गोद का सुख ले कर अब मैं बापदादा के सामने आ कर बैठ जाता हूँ। *बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख देते हैं और मुझे "ज्ञान के अखुट खजाने से सदा सम्पन्न भव" का वरदान देते हैं*। ज्ञान के अखुट खजाने से भरपूर हो कर अब मैं फ़रिशता बापदादा से विदाई लेता हूँ और वापिस साकार लोक की ओर प्रस्थान करता हूँ।
➳ _ ➳ अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ मैं फिर से अपने साकारी शरीर में प्रवेश कर, भृकुटि पर विराजमान हो जाती हूँ, इस दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ कि *मुरली के माध्यम से बाबा जो ज्ञान अमृत मुझे हर रोज पिलाने आते है, उस ज्ञान अमृत को मैं जब तक जिऊंगी तब तक पीती रहूँगी*।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं देही-अभिमानी स्थिति में स्थित हो सदा विशेष पार्ट बजाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सन्तुष्टमणी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं प्रयोगी आत्मा हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सदैव योग के प्रयोग करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सदा सर्व खज़ानों को बढ़ाती चलती हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *खुश रहो, ज्यादा गम्भीर नहीं रहो खुश रहो, कभी-कभी कोई बच्चों का चेहरा बड़ा सोच-विचार में, थोड़ा ज्यादा गम्भीर दिखाई देता हैं*। खुश रहो, नाचो-गाओ, *आपकी ब्राह्मण जीवन है ही खुशी में नाचने की और अपने भाग्य और भगवान के गीत गाने की*। तो नाचने-गाने वाले जो होते हैं ना वह ऐसा गम्भीर होके नाचे तो कहेंगे नाचना नहीं आता। *गम्भीरता अच्छी है लेकिन टू-मच गम्भीरता, थोडा-सा सोच-विचार का लगता है।*
✺ *ड्रिल :- "ब्राह्मण जीवन में सदा खुश रहने का अनुभव"*
➳ _ ➳ आनन्द स्वरूप मैं आत्मा... *आनन्द के झरने के नीचे*... प्रकाश धारा बरसाता, यह झरना... और इसकी एक एक बूँद को स्वयं में समाती जा रही हूँ मै... रोम रोम खुशियों की तरंगो से भरपूर हो रहा है... भृकुटि रूपी तख्त पर स्थित मैं आत्मा... अंग-अंग में खुशियों का संचार करती हुई... आसपास के वातावरण को खुशनुमा बना रही हूँ... और खुशियों का केन्द्र बिन्दु मेरी सुखद स्मृतियाँ जो कल्प के बाद मुझ आत्मा में इमर्ज हुई है... *मै सुखसागर की सन्तान मास्टर सुख स्वरूप हूँ*...
➳ _ ➳ मैं सुख स्वरूप... आनन्द स्वरूप आत्मा अपने स्वमान में स्थित होकर बैठ गयी हूँ बापदादा के चित्र के सामने... पल पल खुशी से भरपूर करती उनकी मोहक मुस्कान... *संगम पर खुले खुशियों के खजाने*... और मेरी हर खुशी में साथी बन मेरे संग नाचते गाते बापदादा... *साकारी आकारी और निराकारी मिलन... मिलन की गहरी अनुभूतियाँ*... मिलन के क्षणों का गहराई से चिन्तन करती हुई मैं आत्मा, देह से अलग होती हुई फरिश्ता रूप में जा रही हूँ... बापदादा के सम्मुख...
➳ _ ➳ बापदादा के हाथों में महकते फूलों का गुलदस्ता... उन फूलों की जादुई खुशबू एक रूहानी सी मादकता से भरपूर कर रही है मुझे... *आँखों के सामने अद्भुत दृश्य साकार हो रहा है*... साथियों संग नाचते खुशियाँ मनाते बालकृष्ण और उनकी मुरली की धुन पर थिरकती मैं गोपिका... बेहद हल्कापन पैरों की थिरकन में... *उमंगो का पारावार हर पल अब जीवन में*... महकतें फूलों की बगिया... और हर फूल खिलने की प्रेरणा दे रहा है अनवरत...
➳ _ ➳ और बालकृष्ण को देख रही हूँ अब बापदादा के रूप में... मेरा हाथ थामें उड चलें सागर की ओर... *सागर के किनारें सागर की गम्भीरता को अनायास निहार रहा हूँ मैं*... अपार रत्नों को अन्तर में समेटें... चिर शान्त ये लहरें जीवन हीनता का आभास करा रही है... दमघोटने वाली नीरवता, उदासी... बापदादा की तरफ देख रहा हूँ मैं... आँखों में सवाल समाये... और बापदादा समझ गये है मेरा अभिप्राय... *सागर की तरफ मुट्ठी बन्द कर कुछ उछाल रहे है वो*...और देखते ही देखते लहरों में लौटता जीवन... उछलती, मचलती, *खुशियों से नाचती ये लहरें वातावरण में खुशियों का सृजन करती हुई*..
➳ _ ➳ *खुशियों की खुराक खाता और बाँटता मैं फरिश्ता उड चला अब परम धाम की ओर*...स्वयं को खुशियों से भरपूर करने के लिए... अनन्त प्रकाश पुंज में आहिस्ता आहिस्ता समाता हुआ... *स्वयं को भरपूर कर रहा हूँ मैं शाश्वत खुशी से*... और अब लौट आया हूँ अपनी देह में... देह में रहने का एक नया उद्देश्य लेकर... *खुश रहना, खुशियाँ बाँटना*... और *खुशनुमा दुनिया का सृजन करना*...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━