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❍ 30 / 01 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *गुप्त याद की यात्रा में रहे ?*
➢➢ *बेहद सेवा में दधिची ऋषि की तरह अपनी हड्डी हड्डी स्वाहा की ?*
➢➢ *एकांत और अंतर्मुखता के अभ्यास द्वारा स्वयं को अनुभवों से संपन्न बनाया ?*
➢➢ *जिम्मेवारी संभालते हुए डबल लाइट रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जैसे शारीरिक हल्केपन का साधन एक्सरसाइज है वैसे *आत्मिक एक्सरसाइज योग अभ्यास द्वारा अभी-अभी कर्मयोगी अर्थात साकारी स्वरूपधारी बन साकार सृष्टि का पार्ट बजाना, अभी-अभी आकारी फरिश्ता बन आकारी वतनवासी अव्यक्त रूप का अनुभव करना - अभी-अभी निराकारी बन मूल वतनवासी का अनुभव करना, अभी-अभी अपने राज्य स्वर्ग अर्थात् बहकुंठ वासी बन देवता रूप का अनुभव करना, ऐसे बुद्धि की एक्सरसाइज करो तो सदा हल्के हो जायेंगे। पुरूषार्थ की गति तीव्र हो जायेगी।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बाप की समीपता द्वारा समान बनने वाली विश्व-कल्याणकारी आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को समीप आत्मा अनुभव करते हो? *समीप आत्माओंकी निशानी है - समान। जो जिसके समीप होता है, उस पर उसके संग का रंग स्वत: ही चढ़ता है। तो बाप के समीप अर्थात् बाप के समान।|*
〰✧ *जो बाप के गुण, वह बच्चों के गुण, जो बाप का कर्त्तव्य वह बच्चों का। जैसे बाप सदा विश्व-कल्याणकारी है ऐसे बच्चे भी विश्व-कल्याणकारी। तो हर समय यह चेक करो कि जो भी कर्म करते हैं, जो भी बोल बोलते हैं वह बाप समान हैं।*
〰✧ *बाप से मिलाते चलो और कदम उठाते चलो तो समान बन जायेंगे। जैसे बाप सदा सम्पन्न हैं, सर्वशक्तिवान हैं वैसे ही बच्चे भी मास्टर बन जायेंगे। किसी भी गुण और शक्ति की कमी नहीं रहेगी। सम्पन्न हैं तो अचल रहेंगे। डगमग नहीं होगे।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *बापदादा ने देखा। सुना नहीं देखा कि इस बारी डबल फारेनर्स ने साइलेन्स के बहुत अच्छे-अच्छे अनुभव किये।* सभी का सुन तो नहीं सकते हैं, लेकिन सुन लिया है।
〰✧ *अच्छे उमंग-उत्साह से प्रोगाम किया, और आगे भी अपने अपने देश में जाके भी यह साइलेन्स का अनुभव बीच-बीच में करते रहना चाहे जितना समय निकाल सको क्योंकि साइलेन्स का प्रभाव सेवा पर भी पडता ही है तो अच्छे प्रोग्राम किये।*
〰✧ बापदादा खुश है। आगे भी बढ़ाते रहना। उडते रहना, उडाते रहना। अच्छा। *अभी एक सेकण्ड में मन और बुद्धि को एकाग्र कर सकते हो? स्टॉप, बस स्टॉप हो जाए। अभी एक सेकण्ड के लिए मन और बुद्धि को एकदम एकाग्र बिन्दु, बिन्दु में समा जाओ।* (बापदादा ने ड़िल कराई)
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ बाप तो तुम बच्चों को बिन्दी रूप बनाने आये हैं। मैं आत्मा बिन्दु रूप हूँ। बिन्दी कितनी छोटी होती है और बाप भी कितना छोटा है। इतनी छोटी-सी बात भी तुम बच्चों की बुद्धि में नहीं आती है? *बच्चे! अगर बिन्दी को ही भूल जायेंगे, तो बोलो, किस आधार पर चलेंगे?* आत्मा के ही तो आधार से शरीर भी चलता है। मैं आत्मा हूँ। *यह नशा होना चहिये कि मैं बिन्दु, बिन्दु की ही संतान हूँ। संतान कहने से ही स्नेह में आ जाते हैं।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मुक्तिधाम में जाने की यात्रा करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बगीचे में पौधों को पानी देते हुए फूल पर बैठी तितली को देख रही हूँ... उसके रंग-बिरंगे पंख मन को भा रहे हैं... सुंदर-सुंदर प्यारी तितली एक-एक फूल के कानों में जा धीरे से कुछ कहती है... कलियाँ खुश हो रही हैं... फूल भी मुस्कुरा रहे हैं...* तितली रानी इस डाली से उस डाली पर उड़-उड़कर फूल-फूल का रस ले रही है... एक जगह ठहरती नहीं, किसी के भी हाथ नहीं आती है... मैं आत्मा मेरे जीवन में रंग भरकर, सर्व संबंधों का रस पान कराने वाले प्यारे बाबा के पास... रूहानी सैर करने तितली बन उड़ जाती हूँ...
❉ *प्यारे बाबा मुझे गुप्त रूहानी याद की यात्रा कराते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की यादो में ही सच्ची कमाई है... इन मीठी यादो में हर साँस संकल्प को पिरो दो... *यह मीठी यादे ही सतयुग के सुनहरी सुखो को जीवन में बहार सा खिलाएंगी... इसलिए हर साँस में ईश्वर पिता को प्यार कर लो...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपना बुद्धि योग एक बाबा की याद में डुबोकर प्यार से कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी महकती यादो में एवरहेल्दी बनती जा रही हूँ... *अपार सुखो में, आनन्द के झूलो में झूलने वाली सौभाग्यशाली बन रही हूँ... सच्ची कमाई करने वाली सबसे अमीर हो गई हूँ...”*
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा तितली को याद प्यार के रंग बिरंगी पंखों से सजाते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इंसानी यादो ने खोखला कर बेवफाई से सिला देकर ठगा है... सच्चे प्रेम और वफादारी का पर्याय... *प्यार के सागर बाबा से बेपनाह मोहब्बत कर लो... इस प्रेम के रंग में रंगकर आत्मा को अनन्त सुख और कमाई से भर कर सदा का मुस्कराओ... इस यात्रा में कभी रुकना नहीं...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा गोपी वल्लभ की सच्ची सच्ची गोपिका बन उसकी यादों में प्रेममय होकर कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय प्यार को पाकर रोम रोम से पुलकित हूँ... *इतना प्यारा बाबा साथी पाकर मै आत्मा सदा की निश्चिन्त हो गई हूँ... और बाबा की यादो में खजाने लूट रही हूँ... सच्ची कमाई को पाने वाली खुबसूरत आत्मा बन गयी हूँ...”*
❉ *मेरे बाबा अपने स्नेह के शीतल छीटों की फुहारों से मुझे महकाते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... यह गुप्त रूहानी यात्रा ही सच्चे सुखो का आधार है... *ईश्वर पिता की याद से ही अपना खोया ओज और तेज पा कर पुनः विश्व धरा पर चमकेंगे...* अपनी खुबसूरत सतोप्रधान अवस्था को पाकर... अथाह मीठे सुखो से भरे जीवन में खिलखिलायेंगे...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ज्ञान सिंधु परमात्मा की यादों की लहरों में लहराते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपने मीठे भाग्य को देख देख निहाल हूँ... वफ़ा की बून्द की प्यासी आज प्यार का समन्दर बाँहों में लिए मुस्करा रही हूँ... *मीठे बाबा के प्यार में मगन होकर आनन्द के गीत गा रही हूँ... यादो में मालामाल मैं आत्मा ख़ुशी के गगन में झूम रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- गुप्त याद की यात्रा में रहना है*"
➳ _ ➳ अपनी एम ऑब्जेक्ट लक्ष्मी नारायण के चित्र के सामने खड़ी मैं बड़ी बारीकी और तन्मयता से भाव विभोर हो कर उस चित्र को देख रही हूँ और मन ही मन हर्षित हो रही हूँ। *उस चित्र की खूबसूरती को देखते - देखते एक सुन्दर गीत के वो शब्द याद आ जाते है कि "जिसकी रचना इतनी सुन्दर है, वो रचनाकार खुद कितना सुन्दर होगा"* इन्ही शब्दो पर विचार करते - करते मैं फिर से लक्ष्मी नारायण के उस चित्र पर नजर डालती हूँ और उनके अनुपम सौन्दर्य और तेजस्वी मुख मण्डल को निहारते हुए *उन्हें ऐसा श्रेष्ठ बनाने वाले श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ रचनाकार अपने शिव पिता को जैसे ही याद करती हूँ, मस्तिष्क के स्मृति पटल पर मेरे सुन्दर सलौने शिव पिता का मनमोहक स्वरूप उभर आता है और मन बुद्धि पूरी तरह से उनके स्वरूप पर एकाग्र हो जाते हैं*।
➳ _ ➳ देह और देह की दुनिया को भूल अपने प्यारे पिता के स्वरूप को निहारने में मैं आत्मा ऐसे मग्न हो जाती हूँ जैसे चात्रिक पक्षी स्वन्ति की एक बूंद के लिये बादलों की ओर टकटकी लगाए देखता रहता है। *अपने प्यारे प्रभु को मन बुद्धि के दिव्य नेत्र से अपने सामने देखते हुए उनकी एक - एक किरण को एकटक निहारते हुए, मैं उनके अद्भुत सौंदर्य का रसपान कर रही हूँ*। शक्तियों की अनन्त किरणे बिखेरता उनका सुन्दर सलौना स्वरूप मुझे अपनी और आकर्षित कर रहा है। उनके पास जा कर उन्हें छूने की प्रबल इच्छा मेरे अंदर जागृत हो रही है। मेरे हर संकल्प को मेरे प्यारे प्रभु बिना कहे जैसे जान रहें हैं इसलिए बिल्कुल सहज रीति अपनी मैग्नेटिक पावर से मुझे अपनी और खींच रहें हैं।
➳ _ ➳ मेरे प्यारे मीठे बाबा की सर्वशक्तियों का यह चुम्बकीय बल मुझे देह भान से पूरी तरह मुक्त कर, अशरीरी स्थिति में स्थित कर रहा है। देह और देह से जुड़ी कोई भी वस्तु अब मुझे दिखाई नही दे रही। *मैं आत्मा स्वयं को एकदम साक्षी स्थिति में अनुभव कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं संकल्प मात्र भी देह से अटैच नही हूँ। बहुत ही न्यारी और प्यारी, एक अलौकिक सुखमय स्थिति में मैं स्थित हो चुकी हूँ और इस अति न्यारी और प्यारी स्थिति में मैं सहजता से नश्वर देह को त्याग कर अब ऊपर आकाश की ओर जा रही हूँ*। सेकेण्ड मेंआकाश को पार कर, सूक्ष्म वतन से होती हुई मैं पहुँच जाती हूँ परमधाम अपने प्यारे बाबा के पास और उनके पास जा कर बैठ जाती हूँ ।
➳ _ ➳ बाबा से सर्वगुणों और सर्वशक्तियों की सतरंगी किरणे निकलकर मुझ आत्मा पर बरस रही हैं और मुझे असीम आनन्द से भरपूर कर रही हैं। एक अलौकिक दिव्यता मुझ आत्मा में भरती जा रही है। प्यार के सागर मेरे मीठे बाबा अपनी शक्तिशाली किरणो के रूप में अपना असीम प्यार मुझ पर लुटा रहे हैं। *उनके प्यार की शीतल किरणे मेरे अंदर गहराई तक समा कर, मुझे भी उनके समान मास्टर प्यार का सागर बना रही हैं। निरसंकल्प बीज रूप अवस्था में अपने बीज रूप शिव पिता को छू कर, उनके प्यार का सुखद एहसास करने के साथ - साथ उनकी सर्वशक्तियों को स्वयं में समाकर, सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बनकर मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे अपना पार्ट बजाने के लिए लौट आती हूँ*।
➳ _ ➳ नीचे साकारी दुनिया मे आ कर अपने पांच तत्वों के बने शरीर में मैं प्रवेश करती हूँ। बाबा के प्यार के सुखद एहसास को सदा स्मृति में रख, गुप्त रीति उन्हें याद कर, लक्ष्मी नारायण जैसा श्रेष्ठ बनने का अब मैं जी जान से पुरुषार्थ कर रही हूँ। *बाबा की श्रीमत पर चल, बाबा की शिक्षाओं को जीवन मे धारण करते हुए अपने संकल्प, बोल और कर्म को योगयुक्त औऱ युक्तियुक्त बनाकर मैं सहज ही श्रेष्ठ बनती जा रही हूँ*। गुप्त रीति ईश्वरीय याद में रह योगबल से पुराने कर्मबन्धनों के हिसाब - किताब बिल्कुल सहज भाव से चुकतू करने के साथ - साथ *अपने पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारो को भी योग अग्नि में भस्म कर, श्रेष्ठ दैवी गुणों को धारण करते हुए अपने लक्ष्य की ओर मैं निरन्तर आगे बढ़ती जा रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं एकान्त और अंतर्मुखता के अभ्यास द्वारा स्वयं को अनुभवो से सम्पन बनाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं मायाजीत आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदा जिम्मेवारी संभालते हुए डबल लाइट रहती हूँ ।*
✺ *मैं बाप के समीप रत्न हूँ ।*
✺ *मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *सबसे पहला खजाना है - ज्ञान का खजाना, जिस ज्ञान के खजाने से इस समय भी आप सभी मुक्ति और जीवनमुक्ति का अनुभव कर रहो हो।* जीवन में रहते, पुरानी दुनिया में रहते, तमोगुणी वायुमण्डल में रहते ज्ञान के खजाने के आधार से इन सब वायुमण्डल, वायब्रेशन से न्यारे मुक्त हो, कमल पुष्प समान न्यारे मुक्त आत्मायें दुःख से, चिंता से, अशान्ति से मुक्त हो। *जीवन में रहते बुराइयों के बन्धनों से मुक्त हो। व्यर्थ संकल्पों के तूफान से मुक्त हो। हैं मुक्त?* सभी हाथ हिला रहे हैं। तो मुक्ति और जीवनमुक्ति इस ज्ञान के खजाने का फल है, प्राप्ति है। चाहे व्यर्थ संकल्प आने की कोशिश करते हैं, निगेटिव भी आते हैं लेकिन ज्ञान अर्थात् समझ। *व्यर्थ संकल्प वा निगेटिव का काम है आना और आप ज्ञानी तू आत्माओं का काम है इनसे मुक्त, न्यारे और बाप के प्यारे रहना।* तो चेक करो - ज्ञान का खजाना प्राप्त है? भरपूर है? सम्पन्न है या कम है? *अगर कम है तो उसको जमा करो, खाली नहीं रहना।*
✺ *ड्रिल :- "ज्ञान के खजाने का महत्व अनुभव करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अशरीरी स्वरूप में ऊंची पहाड़ी पर जाकर बैठी हूं... चारों ओर निर्मल प्रकृति की मनोरम छटा देख मन ही मन पुलकित अनुभव कर रही हुं... अमृतवेले की इस पावन मुहूर्त में मैं आत्मा प्रकृति की गोद मे बैठ स्वयं को स्वतन्त्र अनुभव कर रही हूं... यह खुला सा वातावरण सारे बन्धनों से मुक्त अनुभव करा रहा है... ठंडी ठंडी हवाएं आत्मा को शीतलता प्रदान कर रही है... *मैं आत्मा अशरीरी स्वरूप में उन्मुक्त हो विचरण कर रही हूं...*
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा मीठे शिवबाबा से मिलन मनाने अपने निवास परमधाम की ओर उड़ रही हूं... देह और देह की दुनिया से दूर , ग्रह नक्षत्रों के पार स्थित परमात्म निवास परमधाम की ओर बढ़ रही हूं... लाल प्रकाश से भरपूर इस परमधाम में सर्व शक्तिमान पिता विराजमान दिखाई दे रहे है... *मैं आत्मा मीठे बाबा के सम्मुख जाकर बैठ जाती हूं... मीठे बाबा की मीठी दृष्टि पाकर मैं आत्मा निहाल हो रही हूं...* बाबा की मीठी किरणे मुझ आत्मा को परम् तृप्ति का अनुभव करा रही है...
➳ _ ➳ मीठे शिवबाबा की ज्ञान की किरणें मुझ आत्मा को भरपूर कर रही है... मैं आत्मा ज्ञान प्रकाश में नहाकर उज्ज्वल हो रही हूं... मुझ आत्मा के अज्ञानता के समस्त अंधकार को मिटा रहे है... दुःख, चिंता, अशांति से मुक्त अनुभव कर रही हूं... *मैं आत्मा परमात्मा पिता की शक्तिशाली प्रकाश ऊर्जा के नीचे बैठ स्वयं को शक्तिशाली अनुभव कर रही हूं...* मुझ आत्मा को ज्ञान प्रकाश में स्थित होकर मुक्ति व जीवनमुक्ति की प्राप्ति बड़ी ही सहजता से हो रही है...
➳ _ ➳ मीठे बाबा से भरपूर हो अब मैं आत्मा अपने स्थूल वतन की ओर लौट रही हूं... ज्ञान प्रकाश से उज्ज्वल हो मैं ज्ञान की ऊर्जा सम्पूर्ण विश्व मे फैला रही हूं... *मैं आत्मा ज्ञान सूर्य से ज्ञान किरणे प्राप्त कर ज्ञान का खजाना भर रही हूं और सभी आत्माओं तक ज्ञान प्रकाश बांट रही हूं...* पुराने देह की दुनिया मे रहते हुए भी मैं आत्मा ज्ञान खजाने द्वारा स्वयं को और अन्य साथी आत्माओ को व्यर्थ निगेटिव से मुक्त कर रही हूं... *मैं आत्मा सर्व खजाने से सम्पन्न महसूस कर रही हूं...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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