━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 25 / 01 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *गुप्त ज्ञान का सिमरन कर हर्षित रहे ?*
➢➢ *नॉलेजफुल बनकर रहे ?*
➢➢ *जिम्मेवारी संभालते हुए आकारी और निराकारी स्थिति का अभ्यास किया ?*
➢➢ *देह व देह की आकर्षणों से मुक्त रहे ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ एकाग्रता अर्थात् एक ही श्रेष्ठ संकल्प में सदा स्थित रहना। जिस एक बीज रूपी संकल्प में सारा वृक्ष रूपी विस्तार समाया हुआ है। एकाग्रता को बढ़ाओ तो सर्व प्रकार की हलचल समाप्त हो जायेगी। *एकाग्रता के आधार पर जो वस्तु जैसी है, वैसी स्पष्ट देखने में आयेगी। ऐसी एकाग्र स्थिति में स्थित होने वाला स्वयं जो है, जैसा है अथवा जो वस्तु जैसी है वैसी स्पष्ट अनुभव होगी।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं ब्राह्मण सो फरिश्ता हूँ"*
〰✧ सभी अपने को ब्राह्मण सो फरिश्ता समझते हो? अभी ब्राह्मण हैं और ब्राह्मण से फरिश्ता बनने वाले हैं फिर फरिश्ता सो देवता बनेंगे -वह याद रहता है? *फरिश्ता बनना अर्थात् साकार शरीरधारी होते हुए लाइट रूप में रहना अर्थात् सदा बुद्धि द्वारा ऊपर की स्टेज पर रहना। फरिश्ते के पांव धरनी पर नहीं रहते।* ऊपर कैसे रहेंगे? बुद्धि द्वारा। बुद्धि रूपी पांव सदा ऊँची स्टेज पर। ऐसे फरिश्ते बन रहे हो या बन गये हो?
〰✧ ब्राह्मण तो हो ही - अगर ब्राह्मण न होते तो यहाँ आने की छुट्टी भी नहीं मिलती। लेकिन ब्राह्मण ने फरिश्तेपन की स्टेज कहाँ तक अपनाई है? *फरिश्तों को ज्योति की काया दिखाते हैं। प्रकाश की काया वाले। जितना अपने को प्रकाश स्वरूप आत्मा समझेंगे - प्रकाशमय तो चलते फिरते अनुभव करेंगे जैसे प्रकाश की काया वाले फरिश्ते बनकर चल रहे हैं।*
〰✧ *फरिश्ता अर्थात् अपनी देह के भान का भी रिश्ता नहीं, देहभान से रिश्ता टूटना अर्थात् फरिश्ता। देह से नहीं, देह के भान से। देह से रिश्ता खत्म होगा तब तो चले जायेंगे लेकिन देहभान का रिश्ता खत्म हो।* तो यह जीवन बहुत प्यारी लगेगी। फिर कोई माया भी आकर्षण नहीं करेगी।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ तो हे विश्व कल्याणी, विश्व परिवर्तक आत्मायें सर्व साधन एवररेडी हैं? सर्वशक्तियाँ आपके ऑर्डर में हैं? ऑर्डर किया अर्थात संकल्प किया- निर्णय शक्तिा तो सेकण्ड से भी कम समय मं निर्णय शक्ति हाजिर हो जाए, कहे स्वराज्य अधिकारी हाजिर।
〰✧ ऐसे ऑर्डर में है? या एक मिनट अपने में लाने में लगेगा फिर दूसरे को दे सकेंगे? *अगर समय पर किसको जो चाहिए वह नहीं दे सके तो क्या होगा?* तो सभी बच्चों के दिल में यह संकल्प तो चल ही रहा है - आगे क्या होना है और क्या करना है?
〰✧ होना तो बहुत कुछ है। सुनाया ना यह तो रिहर्सल है। यह 6 मास के तैयारी की घण्टी बजी है, घण्टा नहीं बजा है। *पहले घण्टा बजेगा, फिर नगाडा बजेगा। डरेंगे? थोडा-थोडा डरेंगे?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *हर वक्त अव्यक्त स्थिति में रहें उसके लिए क्या पुरुषार्थ करना है? सिर्फ एक अक्षर बताओ, जिस एक अक्षर से अव्यक्त स्थिति रहे।* जितना -जितना अव्यक्त स्थिति में स्थित होंगे - कोई मुख से बोले, न बोले लेकिन उनके अन्दर का भाव पहले से ही जान लेंगे। ऐसा समय आयेगा। इसलिए यह प्रैक्टिस कराते हैं। *अपने को मेहमान समझना। अगर मेहमान समझेंगे तो फिर जो अन्तिम सम्पूर्ण स्थिति का वर्णन है वह इस मेहमान बनने से होगी।* अपने को मेहमान समझेंगे तो फिर व्यक्त में होते हुए भी अव्यक्त में रहेंगे। *मेहमान का किसके साथ भी लगाव नहीं होता है,* हम इस शरीर में भी मेहमान हैं, इस पुरानी दुनिया में भी मेहमान हैं। *जब शरीर में ही मेहमान हैं तो शरीर से भी क्या लगन रखें। सिर्फ थोड़े समय के लिए यह शरीर काम में लाना है।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप की श्रीमत से मनुष्य से देवता बनना"*
➳ _ ➳ *अमृतवेले के रूहानी समय में मैं आत्मा बगीचे के झूले में बाबा की गोदी में बैठी हूँ... बाबा की गोदी के झूले में झूलती हुई उनके रूहानी प्यार में समाती जा रही हूँ...* अभी तक जिस भगवान को ढूंढ रही थी, दुनिया वाले जिसे अभी भी ढूंढ रहे हैं, अब मैं भाग्यशाली आत्मा उनकी गोद में बैठ उनकी पालना और शिक्षाएं ले रही हूँ... मीठे बाबा प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए मुझे वरदानों, खजानों से भरपूर करते हैं... *मैं आत्मा बाबा का दिल से शुक्रिया करती हुई उनसे रूह-रिहान करती हूँ... बाबा मुझे अपनी श्रेष्ठ मत देकर श्रेष्ठ बनाते हैं...*
❉ *प्यार के मीठे तराने सुनाकर प्रेम रस में मुझे भिगोते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... साधारण मनुष्य मात्र से खुबसूरत देवताई राज्य भाग्य वाले... महानतम भाग्य को पा रहे हो... तो श्रीमत के हाथ को सदा थाम कर दिल से शुक्रिया के नगमे गुनगुनाते रहो... *सच्चे प्यार के सागर से हर पल प्रेम सुधा का रसपान करो... और रूहानी प्रेम की बदली बन विश्व धरा को सिक्त करो...."*
➳ _ ➳ *प्यारे प्रभु का साथ पाकर उनके हाथों में हाथ डालकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपके सच्चे प्यार की चन्दन महक में खोयी सी विश्व धरा को प्रेम तरंगो से सराबोर कर रही हूँ... *श्रीमत के मखमली हाथो में बेफिक्र सी खुशियो के अनन्त आसमाँ में झूम रही हूँ... सच्चे प्रेम में खोकर मदमस्त हो गई हूँ..."*
❉ *प्यार के चन्दन से मेरे जीवन फुलवारी को महकाकर खुशियों से मेरी झोली भरते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... जिस ईश्वर पिता की खोज में दर दर भटक रहे थे... *आज उनकी फूलो सी गोद में देवताई स्वरूप को पा रहे हो... तो ऐसे मीठे बाबा पर दिल का सारा स्नेह उंडेल कर... सच्चे प्रेम का पर्याय बन जाओ... श्रीमत को दिल की गहराइयो से अपनाकर जीवन को सुखो के स्वर्ग में बदल दो..."*
➳ _ ➳ *बाबा की श्रीमत पर चलते हुए दैवीय गुणों की धारणा करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ :-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा आपकी बाँहों में अनन्त सुखो की हकदार हो गई हूँ... प्यारे बाबा सुख की एक बून्द को कभी व्याकुल *मै आत्मा,आज आपकी यादो में देवताओ सा निखर रही हूँ...मनुष्य मत पर पाये दुखो के दलदल से निकल श्रीमत से सम्पूर्ण सुखी हो गयी हूँ..."*
❉ *अपने पलकों पर बिठाकर मेरे भाग्य को संवारते हुए मीठे प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता मनुष्य से देवताओ सा श्रृंगार कर... स्वर्गधरा पर सजा रहे है... *ऐसे मीठे पिता का रोम रोम से शुक्रिया कर... सच्चे प्यार से दिल, सदा का आबाद करो... सच्ची मत को अपनाकर... दिव्यता से सम्पन्न हो, अनोखे सुखो को दामन में भर लो..."*
➳ _ ➳ *बाबा के प्यार की लहरों में लहराती हुई स्वर्ग सुखों की अधिकारी बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मैं आत्मा किन शब्दों में आपकी दरियादिली का शुक्रिया करूँ... मीठे बाबा मेरे, मै आत्मा तो दुखो को ही अपनी तकदीर मान ली थी... आपने तो मुझे देवतुल्य बना दिया है...* और असीम मीठे सुखो से मेरा जीवन संवार दिया है..."
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- दैवीगुण धारण करने हैं*"
➳ _ ➳ एकांत में अंतर्मुखी बन कर बैठी मैं ब्राह्मण आत्मा विचार करती हूँ कि मेरा यह जीवन जो कभी हीरे तुल्य था आज रावण की मत पर चलने से कैसा कौड़ी तुल्य बन गया है! *दैवी गुणों से सम्पन्न थी मैं आत्मा और आज आसुरी अवगुणों से भर गई हूँ। रावण रूपी 5 विकारों की प्रवेशता ने मेरे दैवी गुण छीन कर मेरे अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहँकार पैदा कर मेरे जीवन को ही श्रापित कर दिया है और अब जबकि स्वयं भगवान आकर मेरे इस श्रापित जीवन से मुझे छुड़ा कर फिर से पूज्य देवता बना रहे हैं तो मेरा भी यह परम कर्तव्य बनता है कि उनकी श्रेष्ठ मत पर चल कर, अपने जीवन मे दैवी गुणों को धारण कर अपने जीवन को पलटा कर भविष्य जन्म जन्मान्तर के लिए सुख, शांति और पवित्रता का वर्सा उनसे ले लूँ*। मन ही मन इन्ही विचारो के साथ अपने दैवी गुणों से सम्पन्न स्वरूप को मैं स्मृति में लाती हूँ और अपने उस अति सुन्दर दिव्य स्वरूप को मन बुद्धि के दिव्य चक्षु से निहारने मे मगन हो जाती हूँ।
➳ _ ➳ दैवी गुणों से सजा मेरा पूज्य स्वरूप मेरे सामने है। लक्ष्मी नारायण जैसे अपने स्वरूप को देख मैं मन ही मन आनन्दित हो रही हूँ। अपने सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप में मैं बहुत ही शोभायमान लग रही हूँ। *मेरे चेहरे की हर्षितमुखता, नयनो की दिव्यता, मुख मण्डल पर पवित्रता की दिव्य आभा मेरे स्वरूप में चार चांद लगा रही है। अपने इस अति सुन्दर स्वरूप का भरपूर आनन्द मैं ले रही हूँ । मन ही मन अपनी इस ऐम ऑब्जेक्ट को बुद्धि में रख, ऐसा बनने की मन मे दृढ़ प्रतिज्ञा कर, अपने जीवन को पलटाने के लिए दैवी गुणों को धारण करने का संकल्प लेकर, पुजारी से पूज्य बनाने वाले अपने परमपिता परमात्मा का दिल की गहराइयों से मैं शुक्रिया अदा करती हूँ* और 63 जन्मो के आसुरी अवगुणों को योग अग्नि में दग्ध करने के लिए अपने प्यारे पिता की याद में अब सम्पूर्ण एकाग्रचित होकर बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ एकाग्रता की शक्ति जैसे - जैसे बढ़ने लगती है मेरा वास्तविक स्वरूप मेरे सामने पारदर्शी शीशे के समान चमकने लगता है और अपने स्वरूप का मैं आनन्द लेने में व्यस्त हो जाती हूँ। एक चमकते हुए बहुत ही सुन्दर स्टार के रूप में मैं स्वयं को देख रही हूँ। *उसमे से निकल रही रंगबिरंगी किरणें चारों और फैलते हुए बहुत ही आकर्षक लग रही हैं। उन किरणों से मेरे अंदर समाये गुण और शक्तियों के वायब्रेशन्स जैसे - जैसे मेरे चारों और फैल रहें है, एक सतरंगी प्रकाश का खूबसूरत औरा मेरे चारो और बनता जा रहा है*। प्रकाश के इस खूबसूरत औरे के अंदर मैं स्वयं को ऐसे अनुभव कर रही हूँ जैसे किसी कीमती खूबसूरत जगमगाती डिब्बी के अंदर कोई बहुमूल्य हीरा चमक रहा हो और अपनी तेज चमक से उस डिब्बी की सुंदरता को भी बढ़ा रहा हो।
➳ _ ➳ सर्वगुणों औऱ सर्वशक्तियों की किरणें बिखेरते अपने इस सुन्दर स्वरूप का अनुभव करके और इसका भरपूर आनन्द लेकर अब मैं चमकती हुई चैतन्य शक्ति देह की कुटिया से निकल कर, स्वयं को कौड़ी से हीरे तुल्य बनाने वाले अपने प्यारे शिव बाबा के पास उनके धाम की ओर चल पड़ती हूँ। *प्रकाश के उसी खूबसूरत औरे के साथ मैं ज्योति बिंदु आत्मा अपनी किरणे बिखेरती हुई अब धीरे - धीरे ऊपर उड़ते हुए आकाश में पहुँच कर, उसे पार करके, सूक्ष्म वतन से होती हुई अपने परमधाम घर मे पहुँच जाती हूँ*। आत्माओं की इस निराकारी दुनिया में चारों और चमकती जगमग करती मणियों के बीच मैं स्वयं को देख रही हूँ। चारों और फैला मणियो का आगार और उनके बीच मे चमक रही एक महाज्योति। ज्ञानसूर्य शिव बाबा अपनी सर्वशक्तियों की अनन्त किरणे फैलाते हुए इन चमकते हुए सितारों के बीच बहुत ही लुभावने लग रहे हैं। *उनकी सर्वशक्तियों की किरणों का तेज प्रकाश पूरे परमधाम घर मे फैल रहा है जो हम चैतन्य मणियों की चमक को कई गुणा बढ़ा रहा है*।
➳ _ ➳ अपने प्यारे पिता के इस सुंदर मनमनोहक स्वरूप को देखते हुए मैं चैतन्य शक्ति धीरे - धीरे उनके नजदीक जाती हूँ और उनकी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में ऐसे समा जाती हूँ जैसे एक बच्चा अपनी माँ के आंचल में समा जाता है। मेरे पिता का प्यार उनकी अथाह शक्तियों के रूप में मेरे ऊपर निरन्तर बरस रहा है। *मेरे पिता के निस्वार्थ, निष्काम प्यार का अनुभव, उनका प्यार पाने की मेरी जन्म - जन्म की प्यास को बुझाकर मुझे तृप्त कर रहा है। परमात्म प्यार से भरपूर होकर योग अग्नि में अपने विकर्मों को दग्ध करने के लिए अब मैं बाबा के बिल्कुल समीप जा रही हूँ और उनसे आ रही जवालास्वरूप शक्तियों की किरणों के नीचे बैठ, योग अग्नि में अपने पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारों को जलाकर भस्म कर रही हूँ*। बाबा की शक्तिशाली किरणे आग की भयंकर लपटों का रूप धारण कर मेरे चारों और जल रही है, जिसमे मेरे 63 जन्मो के विकर्म विनाश हो रहें हैं और मैं आत्मा शुद्ध पवित्र बन रही हूँ।
➳ _ ➳ सच्चे सोने के समान शुद्ध और स्वच्छ बनकर अपने प्यारे पिता की श्रेष्ठ मत पर चल कर, अब मैं अपने जीवन को पलटाने और श्रेष्ठ बनाने के लिए स्वयं में दैवी गुणों की धारणा करने के लिए फिर से साकार सृष्टि पर लौट आती हूँ और अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर पूज्य बनने के पुरुषार्थ में लग जाती हूँ। *अपने आदि पूज्य स्वरूप को सदा स्मृति में रखते हुए, बाबा की याद से पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारों को दग्ध कर, नए दैवी संस्कार बनाने का पुरुषार्थ करते हुए अब मैं स्वयं का परिवर्तन बड़ी सहजता से करती जा रही हूँ*
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं जिम्मेवारी संभालते हुए आकारी और निराकारी स्थिति की अभ्यासी आत्मा हूँ।*
✺ *मैं साक्षात्कारमूर्त आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं सच्ची रहमदिल आत्मा हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा देह वा देह-अभिमान की आकर्षण से सदा मुक्त हूँ ।*
✺ *मैं देही अभिमानी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. बापदादा प्रत्यक्षता वर्ष के पहले इस वर्ष को 'सफलता भव का वर्ष' कहते हैं। *सफलता का आधार हर खजाने को सफल करना। सफल करो, सफलता प्राप्त करो। सफलता प्रत्यक्षता को स्वतः ही प्रत्यक्ष करेगी।* वाचा की सेवा बहुत अच्छी की लेकिन *अब सफलता के वरदान द्वारा बाप की, स्वयं की प्रत्यक्षता को समीप लाओ। हर एक ब्राह्मणों की जीवन में सर्व खजानों की सम्पन्नता का आत्माओं को अनुभव हो।* आजकल की आत्मायें आपके अनुभवी मूर्त द्वारा अनुभूति करने चाहती है। सुनने कम चाहती हैं, अनुभूति ज्यादा चाहती हैं। *'अनुभूति का आधार है - खजानों का जमा खाता'।* अभी सारे दिन में बीच-बीच में यह अपना चार्ट चेक करो, सर्व खजाने जमा कितने किये? *जमा का खाता निकालो, पोतामेल निकालो।* एक मिनट में कितने संकल्प चलते हैं? संकल्प की फास्ट गति है ना। कितने सफल हुए, कितने व्यर्थ हुए? कितने समर्थ रहे, कितने साधारण रहे?
➳ _ ➳ 2. *अब ऐसे एवररेडी बनो जो हर संकल्प, हर सेकण्ड, हर श्वांस जो बीते वह वाह, वाह हो।* व्हाई नहीं हो, वाह, वाह हो। अभी कोई समय वाह-वाह होता है, कोई समय वाह के बजाए व्हाई हो जाता है। कोई समय बिन्दी लगाते हैं, कोई समय क्वेश्चन मार्क और आश्चर्य की मात्रा लग जाती है। *आप सबका मन भी कहे वाह! और जिसके भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हो, चाहे ब्राह्मणों के, चाहे सेवा करने वालों के वाह! वाह! शब्द निकले। अच्छा।*
✺ *ड्रिल :- "सर्व खजानों को सफल करने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *पीस पार्क में बाबा की याद की छत्रछाया में बैठी मैं पीसफुल आत्मा बड़ी गहराई से बाबा के महावाक्यों पर मनन कर रही हूँ...* मैं पीसफुल आत्मा मनन की लगन में एक मगन अवस्था में स्थित हूँ... ज्ञान की एक-एक प्वाइंट पर बड़ी गहराई से मंथन कर रही हूँ... बाबा के कहे महावाक्य मन रुपी स्लेट पर प्रत्यक्ष हो रहे है... *"सफलता का आधार हर खजाने को सफल करना। सफल करो, सफलता प्राप्त करो"* मैं आत्मा बाबा से मिले सर्व अखूट खजानों को सामने लाती हूँ... *वाह बाबा वाह कितने सारे अखूट अविनाशी खजाने बाबा ने मुझ आत्मा को दिए है...* एक-एक खजाना अविनाशी है... *जितना बांटो उतना ही बढ़ता जाता है...*
➳ _ ➳ वाह कितने अखूट खजाने बाबा ने मुझ आत्मा को दिए है... *जिन्हें मुझ से कोई छीन नहीं सकता जो कभी खुटते नहीं है... मैं सर्व खजानों की मालिक आत्मा हूँ...* तभी मुझ आत्मा के कानों में बाबा के कहे महावाक्य गूंजने लगते है... *"सफलता का आधार हर खजाने को सफल करना"* तभी मैं आत्मा अन्तर्मन से प्रश्न करती हूँ... क्या मैं आत्मा बाबा से मिले हर खजाने को सफल कर हमेशा सफलता प्राप्त कर रही हूं ? *मैं आत्मा स्व चेकिंग करती हूँ... सारे दिन में, मैं आत्मा कितने खजाने जमा कर रही हूँ... कहीं कोई खजाना व्यर्थ तो नहीं जा रहा है ?* मैं आत्मा अपना पोतामेल निकाल रही हूँ... और अब मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को मधुबन पांड़व भवन बाबा की कुटिया में...
➳ _ ➳ *सम्मुख ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में शिव बाबा चमक रहे है... मैं आत्मा सच्चाई से बाबा को अपना खजानों के जमा खाते का पोतामेल दे रही हूँ...* बापदादा मुझे दृष्टि दे रहे है... बाबा की दृष्टि से निकलती शक्तिशाली अविरल धाराएं मुझ आत्मा में समा रही है... *बाबा ने अपना वरदानी हाथ मुझ आत्मा के सिर पर रख दिया है... बाबा मुझे "सफलतामूर्त भव" का वरदान दे रहे है... मैं आत्मा अन्तर्मन से इस वरदान को स्वीकार कर रही हूँ...* बाबा सर्व शक्तियों से मुझ आत्मा को भरपूर रहे है... *मैं आत्मा बेहद शक्तिशाली स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...* और बहुत हल्का फील कर रही हूँ...
➳ _ ➳ सर्व शक्तियों और वरदानों से भरपूर हो *मैं आत्मा अब देख रही हूँ... स्वयं को कर्मक्षेत्र पर शिव बाबा की याद में कर्म करते हुए... अब मैं आत्मा बाबा से मिले हर खजाने को सफल कर रही हूँ... और निरंतर सफलता प्राप्त कर रही हूँ...* मैं आत्मा एवररेडी बन हर संकल्प, हर सेकंड, हर श्वांस को मैं आत्मा सफल कर, वाह वाह कर रही हूँ... सफलता प्राप्त कर रही हूँ... *बाबा से मिला सफलता भव का वरदान प्रत्यक्ष हो रहा है... मैं आत्मा जिन भी आत्माओं के सम्पर्क में आ रही हूँ... वे सभी आत्माएँ मुझ आत्मा से सर्व खजानों की सम्पन्नता का अनुभव कर रही है...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा खजानों की मालिक खजानों से मालामाल आत्मा, *सभी आत्माओं को भी खजानों से मालामाल सम्पन्न बना रही हूँ... वे सभी भी वाह वाह के गीत गा रहे है... सभी सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाली आत्माएँ सन्तुष्ट हो रही है...* हर खजाने को सफल कर मैं आत्मा सफलता प्राप्त कर बाप की प्रत्यक्षता को समीप ला रही हूँ... *सफलता प्रत्यक्षता को स्वतः ही प्रत्यक्ष कर रही है... शुक्रिया मीठे बाबा शुक्रिया...*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━