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❍ 23 / 01 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *निश्चय में अडोल रहे ?*
➢➢ *स्वयं ज्ञान को धारण कर दूसरों को सुनाया ?*
➢➢ *अपने प्रतक्ष्य प्रमाण द्वारा बाप को प्रतक्ष्य किया ?*
➢➢ *अपने रहम की दृष्टि से हर आत्मा को परिवर्तित किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *बुद्धि को एकाग्र करने के लिए मनमनाभव के मंत्र को सदा स्मृति में रखो।* मनमनाभव के मंत्र की प्रैक्टिकल धारणा से पहला नम्बर आ सकते हो। मन की एकाग्रता अर्थात् एक की याद में रहना, *एकाग्र होना यही एकान्त है।* अभी अपने को एकान्तवासी बनाओ अर्थात् सर्व आकर्षणों के वायब्रेशन से अन्तर्मुख बनो। अब यही अभ्यास काम में आयेगा।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं अल्लाह के बगीचे का रूहानी गुलाब हूँ"*
〰✧ सदा अपने को बापदादा के अर्थात् अल्लाह के बगीचे के फूल समझकर चलते हो? सदा अपने आप से पूछो कि मैं रूहानी गुलाब बन सदा रूहानी खुशबू फैलाता हूँ? *जैसे गुलाब की खुशबू सबको मीठी लगती है, चारों ओर फैल जाती है, तो वह है स्थूल, विनाशी चीज और आप सब अविनाशी सच्चे गुलाब हो।*
〰✧ तो सदा अविनाशी रूहानियत की खुशबू फैलाते रहते हो? *सदा इसी स्वमान में रहो कि हम अल्लाह के बगीचे के पुष्प बन गये - इससे बड़ा स्वमान और कोई हो नहीं सकता। 'वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य' - यही गीत गाते रहो।*
〰✧ भोलानाथ से सौदा कर लिया तो चतुर हो गये ना! किसको अपना बनाया है? किससे सौदा किया है? कितना बड़ा सौदा किया है? *तीनों लोक ही सौदे में ले लिए। आज की दुनिया में सबसे बड़े ते बड़ा कोई भी धनवान हो लेकिन इतना बड़ा सौदा कोई नहीं कर सकता, इतनी महान आत्मायें हो - इस महानता को स्मृति में रखकर चलते चलो।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ एक-दो कर्मेन्द्रियाँ थोडा नाज-नखडा तो नहीं दिखाती? *आपका राज्य लाँ और ऑर्डर के बजाए लव ऑर लाँ में यथार्थ रीति से चल रहा है?* क्या समझते हैं? चल रहे हैं या थोडी आनाकानी करते हैं? जब कहते ही हो मेरा हाथ, मेरे संस्कार, मेरी बुद्धि, मेरा मन, तो मेरे के ऊपर मैं का अधिकार है?
〰✧ कि कब मेरा अधिकारी बन जाता, कब मैं अधिकारी बन जाती? *समय प्रमाण हे स्वराज्य अधिकारी, अभी सदा और सहज अकाल तख्तनशीन बनो।* तब ही अन्य आत्माओं को बाप द्वारा जीवनमुक्ति और मुक्ति का अधिकार तीव्र गति से दिला सकेंगे।
〰✧ *समय की पुकार अब तीव्र गति और बेहद की है। छोटी-सी रिहर्सल देखी, सुनी।। (कच्छ का भूकंप) एक ही साथ बेहद का नक्शा देखा ना!* चिल्लाना भी बेहद, मरना भी बेहद, मरने वालों के साथसाथ जीने वाले भी अपने जीवन में परेशानी से मर रहे हैं। ऐसे समय पर आप स्वराज्य अधिकारी आत्माओं का क्या कार्य है?
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *याद की यात्रा तो एक साधन है। लेकिन वह भी किसलिए कराते हैं? पहले अपने को क्या फ़ालो करना पड़ेगा?* याद की यात्रा भी किसलिए सिखाई जाती है? *गुरु रूप से मुख्य फ़ालो यही करना है - अशरीरी, निराकारी, न्यारा बनना।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- कदम-कदम पर श्रीमत पर चलते रहना"*
➳ _ ➳ मैं अल्लाह के बगीचे की रूहानी गुलाब रूहानी बागबान संग गुलाब के बगीचे में, बाबा का हाथ पकड सैर कर रही हूँ... बाबा संग झूले में बैठ झूला झूल रही हूँ... फूल बरसाकर प्यारे बाबा के साथ खेल रही हूँ... प्यारे बाबा के क़दमों में कदम रख चल रही हूँ... *मीठे बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख वरदानों की बरसात करते हैं... सारे खजानों को मुझ पर लुटाते हुए श्रेष्ठ मत देते हैं...* मैं आत्मा सर्व वरदानों से अपनी झोली भरते हुए प्यारे बाबा की श्रीमत पर चलते हुए पद्मों की कमाई करने की प्रतिज्ञा करती हूँ...
❉ *प्यारे बाबा मेरा श्रेष्ठ भाग्य बनाने श्रेष्ठ और ऊँची मत देते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... श्रीमत के हाथो में ही देवताई जादू को पा सकते हो... गर जीवन को खुबसूरत बनाना है और सुखो का अधिकारी बन मुस्कराना है तो श्रीमत पर हर कदम को उठाओ... *श्रीमत से ही जीवन दिव्यता से सजकर अथाह सुख दिलाएगा...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पंछी खुला आसमान पाकर इठलाती हुई खुशियों में लहराते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता को शिक्षक रूप में पाकर श्रीमत के जादू से स्वयं को देवताई स्वरूप में निखार रही हूँ... *श्रीमत ही मेरे जीवन की साँस है, मीठे बाबा आपका साथ ही मुझ आत्मा के प्राण है... ऐसा सच्चा साथ मुझे देवताओ सा सजा रहा है...”*
❉ *मीठा बाबा मीठी मुरली से मेरे सांसों का श्रृंगार करते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे.... इंसानी मतो पर चलकर जीवन को दुःख भरे दलदल में समा दिया है... अब श्रीमत की ऊँगली पकड़कर इस दलदल से बाहर निकल सुन्दरतम स्वरूप में मुस्कराओ... *श्रीमत ही सच्चे सुखो के फूलो की बहार जीवन में खिलाएंगी... श्रीमत पर ही जीवन को हरपल चलाना है...”*
➳ _ ➳ *इस जीवन में सबसे बड़ा उपहार प्यारे बाबा की श्रीमत को पाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपके मीठे साये में फूल समान खिलती जा रही हूँ... मेरा जीवन गुणो की खुशबु से भर गया है... *मै आत्मा श्रीमत को अपनाकर कितना मीठा प्यारा जीवन जीती जा रही हूँ... और श्रेष्ठता की ओर बढ़ती चली जा रही हूँ...”*
❉ *मेरे बाबा दिव्य ज्ञान देकर हाथ पकड़कर श्रीमत पर चलना सिखाते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *श्रीमत ही सुनहरे सुखो का सच्चा सच्चा आधार है इसलिए श्रीमत को हर पल हर संकल्प हर साँस में भर लो... और खुबसूरत देवताई श्रंगार से सज जाओ...* ईश्वरीय मत जीवन को श्रेष्ठ बनाकर अथाह सुख सम्पदा को दामन में भर देगी...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा के स्नेह भरे पलकों में बैठ बाबा की दुआओं को लेते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय मत पर चलकर सदा की सुखी हो गई हूँ... मुझ आत्मा का जीवन सच्चे प्रेम, सच्चे ज्ञान, सच्चे सुखो का पर्याय हो गया है... *मीठे बाबा... आपकी राहो का पथिक बनकर मै आत्मा खुशियो के बगीचे में पहुंच गयी हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- निश्चय में अडोल रहना है*"
➳ _ ➳ मेरे कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बनाने वाले, सर्व सम्बन्धो का मुझे सुख देकर मेरे जीवन को खुशहाल बनाने वाले मेरे दिलाराम बाबा ने मेरे जीवन मे आकर जो अनगिनत उपकार मुझ पर किये हैं, उनका तो बदला चुकाया भी नही जा सकता। *लेकिन उनके स्नेह का रिटर्न देने के लिए मैं सदा उनकी वफादार फरमानबरदार बनकर रहूँगी। अपने ऐसे सच्चे बाबा के प्रति निश्चय में मैं कभी कमी नही आने दूँगी। चाहे दुनिया कितने भी इल्जाम लगाए लेकिन अपने दिलाराम बाबा का हाथ और साथ मैं कभी नही छोडूंगी*। मन ही मन स्वयं से बातें करते हुए मैं बाबा के प्रति निश्चय में कभी भी ना हिलने की दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ और अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के बारे में विचार करती हूँ जिन्होंने समाज का विरोध सहन करके भी सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन परमात्म कर्तव्य को सम्पूर्ण समर्पण भाव से पूरा किया और भगवान के दिल रूपी तख्त पर सदा के लिए विराजमान हो गए।
➳ _ ➳ ऐसे कदम - कदम पर फ़ॉलो फादर कर, ब्रह्मा बाप समान सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन, परमात्म कार्य मे सदा सहयोगी बनने का संकल्प लेकर मैं अपने दिलाराम बाबा की दिल को आराम देने वाली मीठी सी प्यारी सी याद में अपने मन और बुद्धि को एकाग्र करती हूँ। *मन को शीतलता देने वाली सागर की मीठी - मीठी लहरों के समान मेरे मीठे बाबा की मीठी - मीठी याद मेरे मन और बुद्धि को भी शान्त और शीतल बना देती है और शरीर को पूरी तरह रिलैक्स कर देती है*। यह रिलैक्सेशन मेरे सारे शरीर से चेतना को धीरे - धीरे समेट कर मेरे सम्पूर्ण ध्यान को दोनों आईब्रोज के बीच भृकुटि के मध्य भाग पर केंद्रित कर देती है।
➳ _ ➳ मैं महसूस कर रही हूँ देह का भान पूरी तरह समाप्त हो गया है और स्वयं को मैं अशरीरी आत्मा देख रही हूँ। केवल एक अति सूक्ष्म चमकता हुआ शाइनिंग स्टार मुझे दिखाई दे रहा है। जिसमे से निकल रही किरणे मन को आनन्दित करती हुई चारों और फैल रही हैं। *देह भान से पूरी तरह मुक्त यह अशरीरी स्थिति मुझे मेरे सातों गुणों और अष्ट शक्तियों से सम्पन्न, ओरिजनल स्वरूप का स्पष्ट अनुभव करवा रही है। अपने स्वधर्म में मैं पूरी तरह स्थित हो कर अपने सत्य स्वरूप का भरपूर आनन्द ले रही हूँ*। दुनियावी आकर्षणों से बोझ से मुक्त स्वयं को मैं बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूँ और हल्की हो कर ऊपर की औऱ उड़ रही हूँ। *पाँच तत्वों से निर्मित इस भौतिक जगत को पार करके, उससे ऊपर सूक्ष्म लोक को भी पार करके मैं पहुँच गई हूँ ब्रह्मलोक में अपने दिलाराम शिव पिता के पास जिनके साथ मेरा जन्म - जन्म का अनादि सम्बन्ध है*।
➳ _ ➳ अपनी अनन्त शक्तियों की किरणों रूपी बाहों को फैलाये मेरे मीठे शिव बाबा मेरे सामने खड़े हैं। बिना एक पल भी व्यर्थ गंवाये अपने प्यारे पिता के पास जाकर मैं उनकी किरणों रूपी बाहों में समा जाती हूँ। *पूरे पाँच हजार वर्ष उनसे बिछड़ कर उनसे दूर रहने की सारी पीड़ा को मैं उनकी किरणों रूपी बाहों में समाकर, अतीन्द्रिय सुख की गहन अनुभूति में खोकर, भुला रही हूँ*। प्यार के सागर अपने शिव पिता के प्यार की गहराई में समाकर मैं स्वयं को उनके निस्वार्थ प्यार से भरपूर कर रही हूँ। मेरे शिव पिता का अविनाशी प्यार उनके स्नेह की किरणों के रूप में निरन्तर मुझ पर बरस रहा है। *उनसे आ रही स्नेह की किरणों की मीठी फुहारें मुझे रोमांचित कर रही हैं और मेरे निश्चय को दृढ़ रखने का बल मुझे दे रही हैं*।
➳ _ ➳ अपने दिलाराम बाबा की सर्व शक्तियों से स्वयं को भरपूर करके, उनके प्यार के खूबसूरत मीठे मधुर अति सुखद एहसास के साथ अब मैं वापिस देह और देह की दुनिया में लौट रही हूँ। बड़े से बड़ी परिस्थितियां भी अब बाबा के प्रति मेरे निश्चय को डिगा नही पाती क्योंकि मेरे बाबा का प्यार ढाल बन कर मुझमें असीम शक्ति का संचार प्रतिपल करता रहता है। *अपने सर्वशक्तिवान बाबा की सर्वशक्तियों की छत्रछाया को मैं सदा अपने ऊपर महसूस करते हुए, सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि बन अब माया के हर पेपर को अपने पिता के सहयोग से सहज ही पार करती जा रही हूँ*। स्वयं पर, बाबा पर और ड्रामा पर सम्पूर्ण निश्चय मुझे व्यर्थ के हर संकल्प विकल्प से मुक्त रखते हुए, मेरी साइलेन्स की शक्ति को बढ़ाकर मेरी स्थिति को एकरस और अचल अडोल बनाता जा रहा है।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अपने प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं श्रेष्ठ तकदीरवान आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदा अपनी रहम की दृष्टि से हर आत्मा को परिवर्तन कर देती हूँ ।*
✺ *मैं पुण्य आत्मा हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सदैव रहमदिल हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ सदा ही एक-दो को *शुभ भावना की मुबारक दो। यही सच्ची मुबारक है। मुबारक जब देते हो तो स्वयं भी खुश होते हो और दूसरे भी खुश होते हैं।* तो सच्चे दिल की मुबारक है - *एक-दो के प्रति दिल से शुभ भावना, शुभ कामना की मुबारक।* शुभ भावना ऐसी श्रेष्ठ मुबारक है जो कोई भी आत्मा की कैसी भी भावना हो, अच्छी भावना वा अच्छा भाव न भी हो, *लेकिन आपकी शुभ भावना उनका भाव भी बदल सकती है,* स्वभाव भी बदल सकती है। वैसे स्वभाव का अर्थ ही है - स्व (सु) अर्थात् शुभ भाव। *हर समय हर आत्मा को यही अविनाशी मुबारक देते चलो। कोई आपको कुछ भी दे लेकिन आप सबको शुभ भावना दो।* अविनाशी आत्मा के अविनाशी *आत्मिक स्थिति में स्थित होने से आत्मा परिवर्तन हो ही जायेगी।*
✺ *ड्रिल :- "सच्ची मुबारक देने का अनुभव"*
➳ _ ➳ आज जब मै आत्मा बाबा को याद करने बैठीं तो बाबा मुझें दिल से मुबारक दे रहे थे कि वाह बच्ची वाह, *बाबा की शुभ भावना हमेशा मुझ आत्मा के साथ हैं...* मै आत्मा भी दिल से सभी आत्माओं को दिल से शुभ कामना दे रही हूँ... *कोई भी आत्मा चाहे वो किसी भी संस्कार के वशीभूत हो या कितना भी* *मुझ आत्मा का अपमान करे पर मुझ आत्मा को उसके लिए सदैव शुभ भावना ही हैं...* मुझ आत्मा का स्व प्रति भी शुभ भावना हैं... कि *मै आत्मा भी निर्विघन बाबा की सेवा और ज्ञान में सफ़लता मूर्त बन चुकीं हूँ...* मैं आत्मा ख़ुशी के ख़जाने से भरपूर हो करके *सर्व आत्माओं को ख़ुशी का ख़जाना बाँट रही हूँ...*
➳ _ ➳ *शुभ भावना से सर्व आत्माओं का व्यवहार मेरे लिए बहुत ही अच्छा हो चुका हैं...* सभी मुझ आत्मा को बहुत सहयोग दे रहे हैं... *मैं आत्मा सच्चे दिल से सभी आत्माओं को अविनाशी बाप, अविनाशी ज्ञान, अविनाशी खजानों, और स्वर्ग की बादशाही की मुबारक देने में इतनी खुश* हूँ कि और भी आत्माये मुझे भी मुबारक दे रही हैं... *बाबा ने जो नया जन्म दिया उसकी मुबारक, सर्व आत्माओं और ख़ुद के लिए शुभ भावना और शुभ कामना की मुबारक...* यही मुबारक सबको दे रही हूँ... मै आत्मा देख रही हूँ कि कोई भी आत्मा मेरे सामने आ रही हैं... *उसका स्वभाव कैसा भी हो, चाहे वो मेरा विरोध क्यों ना करे... उस आत्मा के लिए मेरे मन से सिर्फ और सिर्फ शुभ भावना ही निकल रही हैं...* शुभ भावना से वह आत्मा बिलकुल बदल चुकी हैं... *वो आत्मा मेरी सहयोगी बन चुकी है...*
➳ _ ➳ शुभ भावना से मेरे चारों ओर एक *सकारात्मक आभामंडल बन चुका हैं...* जिससे *कोई भी आत्मा मेरे पास आते ही सुख की अनुभति कर रही हैं...* शुभ भावना के कारण सबका स्नेह और सहयोग मुझे मिल रहा हैं... *स्व प्रति भी शुभ भावना और शुभ कामना से मुझ आत्मा के भी पुराने संस्कार, स्वभाव भी परिवर्तित हो चुका हैं...* मै आत्मा जो पुराने स्वभाव के कारण इतना भारी महसूस कर रही थी... *शुभ भावना से सु भाव होकर एकदम हल्की हो चुकी हूँ...* मै आत्मा ख़ुशी के ख़जाने से भरपूर हो चुकी हूँ...
➳ _ ➳ बाबा ने मुझ आत्मा के सारे बोझ और चिंताए ले करके *मुझ आत्मा को शुभ भावना और शुभ कामना से भरपूर कर दिया हैं...* मेरे दिल में बस यही शुभ कामना हैं कि सभी ख़ुश रहें... और *मेरे दिल से सभी आत्माओं के लिए सच्चे दिल से शुभ भावना निकल रही हैं...* कोई भी आत्मा मेरे पास आ रही है, चाहे उसके कैसे भी संकल्प हो... *वो मुझ आत्मा से शुभ भावना ही लेकर जा रही है... मैं अविनाशी आत्मा अपने अविनाशी आत्मिक स्थिति में स्थित होकर अपने आदि, अनादी संस्कार इमर्ज कर चुकी हूँ...* जिससे मुझ आत्मा के कलियुगी संस्कार समाप्त हो चुके हैं...
➳ _ ➳ *बाबा ने शुभ भावना और शुभ कामना का ऐसा मंत्र दिया हैं... जिससे कोई भी आत्मा मेरे संपर्क में आते ही परिवर्तित हो जाती हैं...* यही सच्ची सच्ची मुबारक बाबा मुझे दे रहे कि बच्चे सदैव आगे बढ़ते जाओ... *कैसे भी संस्कारों वाली आत्मा हो उसके लिए यही शुभ भावना रखों कि ये भी तो भगवान का बच्चा हैं...* बस पुराने संस्कारों के वशीभूत हैं... *शुभ भावना रख वो आत्माए भी बदल चुकी है... यही दिल कि सच्ची मुबारक मै आत्मा सबको दे रही हूँ... जो बाबा ने मुझ आत्मा को दिया... वाह बाबा वाह... आपका बहुत बहुत शुक्रिया...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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