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❍ 22 / 01 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *इस पुरानी दुनिया का बुधी से संन्यास किया ?*
➢➢ *बाप और वर्से की स्मृति में रह अविनाशी विश्राम का अनुभव किया ?*
➢➢ *सदा बाप के सम्मुख रह ख़ुशी का अनुभव किया ?*
➢➢ *हर संकल्प में पुण्य और बोल में दुआएं जमा करते चले ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ एकाग्रता अर्थात् सदा एक बाप दूसरा न कोई, ऐसे निरन्तर एकरस स्थिति में स्थित होने का विशेष अभ्यास करो। उसके लिए *एक तो व्यर्थ संकल्पों को शुद्ध संकल्पों में परिवर्तन करो। दूसरा माया के आने वाले अनेक प्रकार के विघ्नों को ईश्वरीय लग्न के आधार से सहज समाप्त करते, कदम को आगे बढ़ाते चलो।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बुद्धि द्वारा ज्ञान सागर के कण्ठे पर रहने वाली अखूट खजाने की मालिक आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा बुद्धि द्वारा ज्ञान सागर के कण्ठे पर रहने वाले अर्थात् सागर के द्वारा मिले हुए अखुट खजाने के मालिक अपने को समझते हो? *सागर जैसे सम्पन्न है, अखुट है, अखण्ड है, ऐसे ही आत्मायें भी मास्टर, अखण्ड, अखुट खजानों के मालिक हैं। जो खजाने मिले हैं उसको महादानी बन औरों के प्रति कार्य में लगाते रहो।* जो भी सम्बन्ध में आने वाली भक्त वा साधारण आत्मायें हैं उनके प्रति सदा यही लगन रहे कि भक्तों को भक्ति का फल मिल जाए, बिचारे भटक रहे हैं, भटकना देखकर तरस आता है ना!
〰✧ जितना रहमदिल बनेंगे उतना भटकती हुई आत्माओंको सहज रास्ता बतायेंगे। सन्देश देते चलो - यह नहीं सोचो कि कोई निकलता ही नहीं है। *आप महादानी बनो, सन्देश देते रहो, उल्हना न रह जाए। अविनाशी ज्ञान का कभी विनाश नहीं होता। आज सुनेंगे, एक मास बाद सोचेंगे और सोचकर समीप आ जायेंगे।* इसलिए कभी भी दिलशिकस्त नहीं बनना। जो करता है उसका बनता है। और जिसकी करते हो वह भी आज नहीं तो कल मानेंगे जरूर।
〰✧ *तो अखुट सेवा अथक बनकर करते रहो। कभी भी थकना नहीं क्योंकि बापदादा के पास सबका जमा हो ही जाता है और जो करते हो उसका प्रत्यक्षफल खुशी भी मिल जाती है।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *निरंतर हर कर्म करते हुए, लौकिक-अलौकिक कार्य करते हुए स्वराज्य अधिकारी का नशा कितना समय और किस परसेन्टेज में रहता है?* क्योंकि कई बच्चे अपने स्वराज्य के स्मृति को संकल्प रूप में याद करते हैं - मैं आत्मा अधिकारी हूँ, एक है संकल्प में सोचना। बार-बार स्मृति को रिफ्रेश करना - मैं हूँ।
〰✧ दूसरा है - *अधिकार के स्वरूप में स्वयं को अनुभव करना और इन कर्मेन्द्रियों रूपी कर्मचारी तथा मन-बुद्धि-संस्कार रूपी सहयोगी साथियों पर राज्य करना, अधिकार से चलाना।* जैसे आप सभी बच्चे अनुभवी हो कि हर समय बापदादा श्रीमत पर चला रहा है और आप सभी श्रीमत प्रमाण चल रहे हो।
〰✧ चलाने वाला चला रहा है, चलने वाले चल रहे हो। ऐसे, *हे स्वराज्य अधिकारी आत्मायें, क्या आपके स्वराज्य में आपकी कर्मेन्द्रियाँ अर्थात कर्मचारी आपके मन-बुद्धि-संस्कार सहयोगी साथी सभी आपके ऑर्डर में चल रहे हैं?*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *संगम पर पहले-पहले क्या बदली करते हैं? पहला पाठ क्या पढ़ाते हैं? भाई-भाई की दृष्टि से देखो। भाई-भाई की दृष्टि अर्थात पहले दृष्टि को बदलने से सब बातें बदल जाती है। इसलिए गायन है कि दृष्टि से सृष्टि बनती है।* जब आत्मा को देखते हैं तब यह सृष्टि पुरानी देखने में आती है। *पुरुषार्थ भी मुख्य इस चीज का ही है - दृष्टि बदलने का।* जब यह दृष्टि बदल जाती है तो स्थिति और परिस्थिति भी बदल जाती है। दृष्टि बदलने से गुण और कर्म आपेही बदल जाते हैं। *यह आत्मिक दृष्टि नैचुरल हो जाये।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप और वर्से को याद करना"*
➳ _ ➳ सत्य के प्रकाश से कोसो दूर मै आत्मा... देह के रिश्तो और धंधो में फंसी हुई, जकड़ी हुई थी... कि अचानक मीठे बाबा ने मुझे अपना हाथ देकर उस देह के दलदल से बाहर खींच लिया... और *आज अपना चमकदार जीवन और उज्ज्वल भविष्य को पाकर मै आत्मा कितनी भाग्यशाली हो गयी हूँ.*.. इसी मीठे चिंतन में खोयी हुई मै आत्मा... फ़रिश्ते रूप में दिल की गहराइयो से, मीठे बाबा का शुक्रिया करने... और बाबा को बेपनाह प्यार करने वतन में पहुंचती हूँ...
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अलौकिकता से सजाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *सदा ईश्वरीय यादो में डूबकर, सारी शक्तियो और खजानो से सम्पन्न बनकर, देवताई सुखो के मालिक बन मुस्कराओ.*.. ईश्वरीय साथ का यह समय बहुत कीमती है, इसे हर पल ईश्वरीय यादो में लगाओ... सिर्फ मीठे बाबा और वर्से को याद करने का ही धंधा करो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा संग यादो में झूलते हुए कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी यादो की छत्रछाया में पलकर कितनी सुखी हो गयी हूँ... *हर साँस आपको याद कर, अथाह सुखो और धन सम्पदा की मालिक बन रही हूँ.*.. देह की मिटटी से निकल ईश्वरीय यादो में खो गयी हूँ..."
❉ *प्यारे बाबा मुझ आत्मा को अपनी यादो की तरंगो से भिगोते हुए कहते है :-* "मीठे लाडले प्यारे बच्चे... देहभान से निकल, अपने सत्य स्वरूप के नशे में डूबकर... हर समय मीठे बाबा को याद करो... *यादो में ही सारे सुख समाये है... इसलिए बाकि सारे धंधे छोड़, सिर्फ मीठे बाबा को ही याद करने का धंधा करो.*.. और सतयुगी मीठे सुख को याद करो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा के ज्ञान वचनो को दिल में उतारते हुए कहती हूँ :-* "मेरे मीठे मीठे बाबा... *आपकी मीठी प्यारी यादो में, मै आत्मा अतुल खजानो को पाती जा रही हूँ.*.. सबको आपका परिचय देकर, सच्चे प्रेम सुख शांति की राहो पर चला रही हूँ..."
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी यादो के मीठे अहसासो में डूबते हुए कहा :-* "मीठे सिकीलधे लाडले बच्चे... देह के सारे धंधो को अब छोड़, सिर्फ रूहानी धंधा करो... *हर घड़ी, हर साँस, हर संकल्प, से मीठे बाबा और असीम खजानो दौलत को ही याद करो..*. याद करते करते, सुखो भरी खुबसूरत दुनिया के मालिक बन जायेंगे... इसलिए सिर्फ यादो का ही कारोबार करो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा प्यारे बाबा की अमूल्य शिक्षाओ को बुद्धि पात्र में समाते हुए कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मुझ आत्मा ने जीवन का कितना समय देह के रिश्तो के पीछे खपा दिया... और अब जो आप मिले हो तो मै आत्मा... हर साँस आपकी याद में ही खोयी हुई हूँ... आपकी यादो के सिवाय मुझे अब कोई कार्य नही... *आपकी यादे और देवताई जीवन ही मेरी सांसो का लक्ष्य है..*."मीठे बाबा को अपने दिल की बात बताकर मै आत्मा स्थूल जगत में आ गयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- रूहानी सर्विस में लज्जा नही करनी है*"
➳ _ ➳ इस पुरानी दुनिया के डूबे हुए बेड़े को पार लगाने के लिए स्वयं परम पिता परमात्मा *शिव बाबा ने आ कर जो रूहानी मिशनरी चलाई है उस ईश्वरीय मिशनरी में रूहानी सेवाधारी बन रूहों को सेल्वेज करने के कार्य मे स्वयं भगवान ने मुझे अपना मददगार बना कर जो श्रेष्ठ भाग्य बनाने का गोल्डन चाँस मुझे दिया है उसके लिए अपने शिव पिता परमात्मा का मैं दिल से कोटि कोटि धन्यवाद करती हूँ* और रूहानी सेवा करने के उनके फ़रमान को पूरा करने और सेवा मे सफ़लता प्राप्त करने के लिए स्वयं को मनसा,वाचा, कर्मणा तीनो रूपो से शक्तिशाली बनाने के लिए अब मैं अपने शिव पिता की याद में अशरीरी हो कर बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ अशरीरी स्थिति में स्थित होते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे शरीर के सभी अंगों से चेतना सिमट कर भृकुटि पर एकाग्र हो गई है। *एकाग्रता की इस अवस्था मे अपने सत्य स्वरूप का मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। स्वयं को मैं एक चैतन्य सितारे के रूप में भृकुटि के बीचोंबीच चमकता हुआ देख रही हूँ*। ऊर्जा का एक ऐसा स्त्रोत जिसके बिना इस शरीर का कोई अस्तित्व नही। अपने इसी वास्तविक स्वरूप में स्थित हो कर मैं जागती ज्योति आत्मा अब भृकुटि सिहांसन को छोड़ ऊपर आकाश की ओर जा रही हूँ। विशाल तारामण्डल और अंतरिक्ष को पार करके अब मैं सूक्ष्म वतन में प्रवेश करती हूँ।
➳ _ ➳ सूक्ष्म वतन में प्रवेश करते ही मैं देख रही हूँ सामने सृष्टि के रचयिता सर्वशक्तिवान मेरे शिव पिता परमात्मा अपने लाइट माइट स्वरूप में अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हैं। *अपनी बाहों को फैलाये स्वागत की मुद्रा में खड़े बाबा मेरा आह्वान कर रहें हैं। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा मेरा ही इंतजार कर रहे थे*। अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर, चमकीली फ़रिशता ड्रेस पहन कर अब मैं बापदादा के पास जा रही हूँ। अपनी बाहों में समाकर असीम स्नेह लुटाने के बाद अब बाबा अपनी शक्तिशाली दृष्टि से अपनी सम्पूर्ण लाइट और माइट मुझ फ़रिश्ते में प्रवाहित करके मुझे आप समान बलशाली बना रहे हैं। *सेवा में सदा सफ़लता प्राप्त करने के लिए बाबा अपने वरदानी हस्तों से मुझे सफ़लतामूर्त भव का वरदान दे रहें हैं और मेरे मस्तक पर विजय का तिलक लगा रहें हैं*।
➳ _ ➳ बाबा से वरदान और विजय का तिलक ले कर सूक्ष्म रूहानी सेवा करने के लिए अब मैं फ़रिशता बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर विश्व ग्लोब के ऊपर पहुँच जाता हूँ और उन आत्माओं को जो अपने पिता परमात्मा से बिछुड़ कर उन्हें पाने के लिए दर - दर भटक रही है और दुखी हो रही हैं। *उन भटकती आत्माओं को मनसा साकाश द्वारा परमात्म पहचान और परमात्म पालना का अनुभव करवाकर अब मै स्थूल सेवा करने के लिए अपनी बुद्धि रूपी झोली को ज्ञान के अखुट खजानों से भरपूर करने के लिए ज्ञान सागर अपने शिव पिता परमात्मा के पास जाने के लिए अपने निराकारी स्वरूप में स्थित होती हूँ* और परमधाम की ओर चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ यहाँ पहुँच कर मैं आत्मा अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों और सर्वगुणों की किरणों की छत्रछाया के नीचे जा कर बैठ जाती हूँ। ज्ञान की शक्तिशाली किरणो का फव्वारा मेरे ज्ञान सागर शिव पिता से सीधा मुझ आत्मा पर प्रवाहित होने लगता है। *अपनी बुद्धि रूपी झोली को ज्ञान के अखुट अविनाशी खजानों से भरपूर करके स्थूल सेवा करने के लिए मैं वापिस साकारी दुनिया मे लौट आती हूँ*।
➳ _ ➳ अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हूँ और रूहानी सेवाधारी बन अपने सम्बन्ध - सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को अपने मुख से ज्ञान रत्नों का दान दे कर उनकी बुद्धि रूपी झोली में भी अविनाशी ज्ञान रत्न डाल कर उन्हें भी उनके परमपिता परमात्मा बाप से मिलवाने की रूहानी सेवा कर रही हूँ। *अपने शिव पिता द्वारा मिले ज्ञान रत्नों को स्वयं धारण कर ज्ञान स्वरुप बन मैं अनेको आत्माओं का कल्याण कर रही हूँ*। मेरे मुख से निकले वरदानी बोल अनेकों आत्माओं को मुक्ति, जीवन मुक्ति का रास्ता दिखा रहें हैं।
➳ _ ➳ *बाप समान निरहंकारी बन, सर्व आत्माओं को ज्ञान रत्न दे कर, उनका कल्याण करने की रूहानी सेवा ही मेरे ब्राह्मण जीवन का उद्देश्य है इस बात को सदा स्मृति में रख सच्ची रूहानी सेवाधारी बन अब मैं रूहों की सेवा के कार्य पर सदैव तत्पर रहती हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सदा बाप के सन्मुख रह खुशी का अनुभव करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं अथक आलस्य रहित आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदैव हर संकल्प में पुण्य और बोल में दुआयें जमा करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सिद्धि स्वरूप हूँ ।*
✺ *मैं सफलतामूर्त आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. रूहानियत नयनों से प्रत्यक्ष होती है... रूहानियत की शक्ति वाली आत्मा सदा नयनों से औरों को भी रूहानी शक्ति देती है... रूहानी मुस्कान औरों को भी खुशी की अनुभूति कराती है... उनकी चलन, चेहरा फरिश्तों के समान डबल लाइट दिखाई देता है... ऐसी *रूहानियत का आधार है पवित्रता... जितनी-जितनी मन-वाणी-कर्म में पवित्रता होगी उतना ही रूहानियत दिखाई देगी...* पवित्रता ब्राह्मण जीवन का श्रृंगार है... पवित्रता ब्राह्मण जीवन की मर्यादा है... तो बापदादा हर बच्चे की पवित्रता के आधार पर रूहानियत को देख रहे हैं... *रूहानी आत्मा इस लोक में रहते हुए भी अलौकिक फरिश्ता दिखाई देगी...*
➳ _ ➳ 2. रूहानी संकल्प अपने में भी शक्ति भरने वाले हैं और दूसरों को भी शक्ति देते हैं... जिसको दूसरे शब्दों में कहते हो रूहानी संकल्प मनसा सेवा के निमित्त बनते हैं... रूहानी बोल स्वयं को और दूसरे को सुख का अनुभव कराते हैं... शान्ति का अनुभव कराते हैं... *एक रूहानी बोल अन्य आत्माओं के जीवन में आगे बढ़ने का आधार बन जाता है...* रूहानी बोल बोलने वाला वरदानी आत्मा बन जाता है... *रूहानी कर्म सहज स्वयं को भी कर्मयोगी स्थिति का अनुभव कराते हैं और दूसरों को भी कर्मयोगी बनाने के सैम्पुल बन जाते हैं...* जो भी उनके सम्पर्क में आते हैं वह सहजयोगी, कर्मयोगी जीवन का अनुभवी बन जाते हैं...
✺ *ड्रिल :- "ब्राह्मण जीवन में रूहानियत का अनुभव करना और कराना"*
➳ _ ➳ अपने सर्वोच्च ब्राह्मण जीवन के बारे में विचार करते ही मुझे मेरे ब्राह्मण जीवन के कर्तव्यों का बोध होने लगता हैं... *अपने ब्राह्मण जीवन को रूहानियत से भरपूर कर, औरों को रूहानियत का अनुभव करवा कर, उनके जीवन को भी रूहानियत से भरपूर करना ही मेरे ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य है...* अपने इसी लक्ष्य को पाने के लिए, स्वयं में पवित्रता का बल जमा करने के लिए अब मैं अपने परम पवित्र सत्य स्वरूप में स्थित होती हूँ और पवित्रता के सागर अपने शिव पिता परमात्मा की याद में अपने मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ...
➳ _ ➳ मैं परमपवित्र आत्मा इस देह रूपी मन्दिर में स्वयं को देख रही हूँ... भृकुटि सिहांसन पर विराजमान "मैं पवित्रता का देवता" एक चमकते हुए सितारे के रूप में विराजमान हूँ... *पवित्रता के सागर अपने शिव पिता परमात्मा की याद में मग्न, मैं स्वयं को उनकी छत्रछाया के नीचे अनुभव कर रही हूँ...* उनसे निकल रही पवित्रता की श्वेत धारा निरन्तर मुझ आत्मा के ऊपर बरस रही है और मुझे अपनी और खींच रही है... रेशम की डोर की भांति पवित्रता की इस श्वेत धारा से बंधी मैं आत्मा ऊपर उड़ रही हूँ... नीले आकाश से परे, श्वेत चांदनी के प्रकाश से प्रकाशित दिव्य अलौकिक लोक को पार कर मैं पहुंच गई पवित्रता के सागर, पतित पावन परम पिता परमात्मा के पावन लोक परमधाम में...
➳ _ ➳ पवित्रता के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के सम्मुख अब मैं स्वयं को देख रही हूँ... अपनी पवित्र किरणों की फुहारों से वो मुझ आत्मा के ऊपर चढ़ी विकारों की मैल को धोकर मुझे शुद्ध, पवित्र बना रहे हैं... पवित्रता की शक्तिशाली किरणों से मैं स्वयं को भरपूर अनुभव कर रही हूँ... *पवित्रता का शक्तिशाली औरा मेरे चारों और निर्मित हो गया है... पवित्रता के इस शक्तिशाली औरे के साथ अब मैं परमधाम से वापिस नीचे आ रही हूँ...* अपने साकारी ब्राह्मण तन में अब मैं विराजमान हूँ... मेरा पवित्रता का औरा रूहानी शक्ति में परिवर्तित हो रहा है...
➳ _ ➳ रूहानी शक्ति से भरपूर आत्मा बन अपने नयनो से अब मैं सबको रूहानी दृष्टि दे रही हूँ... मेरी रूहानी मुस्कान सभी को खुशी का अनुभव करवा रही है... *पवित्रता का श्रृंगार कर, डबल लाइट फ़रिशता बन मैं औरों को भी लाइट माइट स्थिति का अनुभव करवा रही हूँ...* रूहानी संकल्पो से स्वयं में शक्ति भर कर मैं निर्बल आत्माओं को शक्ति सम्पन्न बना रही हूँ... मेरे रूहानी बोल सभी को सुख और शांति की अनुभूति करवा रहे हैं... *अपने रूहानी कर्मो द्वारा मैं अनेको आत्माओं के सामने सैम्पुल बन, कर्मयोगी स्थिति का अनुभव करवा कर उन्हें भी कर्मयोगी बना रही हूँ...*
➳ _ ➳ इस वर्ल्ड ड्रामा में मैं हाईएस्ट और होलीएस्ट हीरो एक्टर हूँ... सारे संसार की निगाहें मेरी ओर हैं... सभी मुझे संकल्प, बोल व कर्म में फॉलो कर रहे हैं... *विश्व रंगमंच पर अपना हीरो पार्ट बजाते हुए मैं सबको पवित्र रूहानी वायब्रेशन दे रही हूँ...* मेरे पवित्र स्वरूप को देख सभी पवित्र बनने की प्रेरणा ले रहे हैं... मेरी शक्तिशाली रूहानी मनसा वृति से अपवित्र वातावरण स्वत: ही पवित्र वातावरण में परिवर्तित हो रहा है... *जैसे पानी का फव्वारा अपने आस - पास की हर चीज को भिगो देता है ऐसे ही मुझ आत्मा से निकलने वाले रूहानी वायब्रेशन सबको रूहानियत के शीतल जल से भिगो कर उनमें भी रूहानियत की शक्ति भर रहें हैं...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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