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❍ 19 / 01 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *सबके दुःख हरकर सुख दिया ?*
➢➢ *अविनाशी बीज से प्यार रखा ?*
➢➢ *एक बल एक भरोसे के आधार पर मंजिल को समीप अनुभव किया ?*
➢➢ *प्रकृति सहित हर आत्मा के प्रति शुभ भावना रखी ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *एकाग्रता की शक्ति बहुत विचित्र रंग दिखा सकती है।* एकाग्रता से ही सिद्धियां प्राप्त होती हैं। *स्वयं की औषधि भी एकाग्रता की शक्ति से कर सकते हैं। अनेक रोगियों को निरोगी भी बना सकते हैं।* कोई ने चलती हुई चीज को रोका, यह एकाग्रता की सिद्धि है। स्टाप कहो तो स्टाप हो जाए तब वरदानी रूप में जय-जयकार के नारे बजेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं जीवनमुक्त आत्मा हूँ"*
〰✧ *सभी बच्चे जीवनमुक्त स्थिति का विशेष वर्सा अनुभव करते हो? जीवनमुक्त हो या जीवनबन्ध? ट्रस्टी अर्थात् जीवनमुक्त।* तो मरजीवा बने हो या मर रहे हो? कितने साल मरेंगे? भक्ति मार्ग में भी जड़ चित्र को प्रसाद कौनसा चढ़ता हैं? जो झाटकू होता है।
〰✧ ज़ोर से चिल्लाना मरने वाला प्रसाद नहीं होता। *बाप के आगे प्रसाद वही बनेगा जो झाटकू होगा। एक धक से चढ़ने वाला। सोचा, संकल्प किया, 'मेरा बाबा, मैं बाबा का' तो झाटकू हो गया।*
〰✧ संकल्प किया और खत्म! लग गई तलवार! अगर सोचते, बनेंगे, हो जायेंगे... तो गें...गें अर्थात् ज़ोर से चिल्लाकर। गें गें करने वाले जीवनमुक्त नहीं। *बाबा कहा - तो जैसा बाप वैसे बच्चे। बाप सागर हो और बच्चे भिखारी हों, यह हो नहीं सकता। बाप ने आफर किया - मेरे बनो तो इसमें सोचने की बात नहीं।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *ब्राह्मण शब्द याद आये तो ब्राह्मण जीवन के अनुभव में खो जाओ। फरिश्ता शब्द कहो तो फरिश्ता बन जाओ।* मुश्किल है? नहीं? कुमार बोलो थोडा मुश्किल है? आप फरिश्ते हो या नहीं? आप ही हो या दूसरे हैं? कितने बार फरिश्ते बने हो? अनगिनत बार बने हो। आप ही बने हो? अच्छा।
〰✧ अनगिनत बार की हुई बात को रिपीट करना क्या मुश्किल होता है? कभी-कभी होता है? *अभी यह अभ्यास करना। कहाँ भी हो 5 सेकण्ड मन को घुमाओ, चक्कर लगाओ।* चक्कर लगाना तो अच्छा लगता है ना टीचर्स ठीक है ना राउण्ड लगाना आयेगा ना?
〰✧ बस राउण्ड लगाओ फिर कर्म में लग जाओ। *हर घण्टे में राउण्ड लगाया फिर काम में लग जाओ क्योंकि काम को तो छोड नहीं सकते हैं ना!* डयुटी तो बजानी है। लेकिन 5 सेकण्ड, मिनट भी नहीं, सेकण्ड नहीं निकल सकता है? निकल सकता है? यू.एन.की ऑफिस में निकल सकता है? *मास्टर सर्वशक्तिवान हो। तो मास्टर सर्वशक्तिवान क्या नहीं कर सकता।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *परिस्तिथि में आने से कमजोरी में आ जाते, स्व-स्थिति में आने से शक्ति आती है। तो परिस्थिति में आकर ठहर नहीं जाना है।* स्व-स्थिति की इतनी शक्ति है जो कोई भी परिस्थिति को परिवर्तन कर सकती है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अपने स्वीट बाप को याद करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बगीचे में पेड़ के नीचे बैठ मीठे बाबा को याद करती हूँ... प्यारे बाबा तुरंत मेरे सामने आ जाते हैं और अपनी गोदी में बिठाकर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए गुणों और शक्तियों से मुझ आत्मा को भरपूर करते हैं...* मैं आत्मा एक-एक गुण और शक्ति को स्वयं में धारण करती जा रही हूँ... एक-एक वरदान को अपने में समाती जा रही हूँ... फिर मीठे बाबा दृष्टि देते हुए मुझ आत्मा से मीठी-मीठी रूह-रिहान करते हैं...
❉ *स्वीट बाबा अपनी स्वीट शिक्षाओं से मुझ आत्मा को अपने समान स्वीट बनाते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... फूल बनाने वाले प्यारे पिता की यादो में डूब जाओ, मीठे बाबा को हर साँस के तार में पिरो दो... *ईश्वरीय यादो से प्राप्त सतयुगी सुखो को याद करो तो... मीठे संस्कारो से सज जायेंगे... और मीठे बाबा समान मीठे हो जायेंगे... हर लम्हा मिठास लुटाने वाले बन जायेंगे..."*
➳ _ ➳ *स्वीट फादर और स्वीट राजधानी को याद कर बहुत बहुत स्वीट बनते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा अपने मीठे बाबा की बाँहों में झूल रही हूँ... यादो में डूबी अतीन्द्रिय सुख में खोयी हूँ... मीठे बाबा की यादो में प्रेम की नदिया बन गई हूँ...* ईश्वरीय प्रेम की लहरे पूरे विश्व में फैला रही हूँ... अपने मीठे सुखो की यादो में मुस्करा रही हूँ..."
❉ *मुझ आत्मा को रूहानियत के रंगों से सजाते हुए मीठा बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *ईश्वर पिता जो धरा पर उतर आया है तो उसकी यादो में डूब अथाह खजानो को लूटकर मालामाल हो जाओ... यादो में दिव्य गुणो और शक्तियो से सजकर देवताई श्रृंगार कर लो...* यह यादे मीठेपन से खिला देंगी और पवित्रता से संवार कर विश्व का मालिक सा सजायेंगी..."
➳ _ ➳ *खुशियों के अम्बर में उड़ान भरकर खुशी के गीत गुनगुनाती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा देहधारियों की यादो में कितनी कड़वी हो गई थी... दुखो में कितनी कलुषित हो गई थी... *अब आपकी मीठी मीठी यादो में कितनी प्यारी मीठी और खुशनुमा होती जा रही हूँ... अपने सुखमय संसार को यादकर ख़ुशी से पुलकित होती जा रही हूँ..."*
❉ *अपनी मधुर वाणी से मेरे जीवन को मधुबन बनाकर मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब अपने दुखो के सारे बोझ मीठे पिता को सौंप हल्के मीठे होकर मुस्कराओ... पिता के प्यार में खो जाओ... *अपने सत्य स्वरूप के नशे में इतराओ... और अथाह सुखो की राजधानी को यादकर प्रेम और मीठेपन से महक उठो... और पूरे विश्व को इन मीठी तरंगो से भर दो..."*
➳ _ ➳ *मीठे बाबा के हाथों मधुरस का पान कर मिठास से भरपूर होकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा की यादो में डूबकर कितनी मीठी प्यारी सतोगुणी होकर खिलखिला रही हूँ... *प्यारे बाबा ने अपनी खुशनुमा यादो में मुझे कितना मीठा खुबसूरत बना दिया है... पवित्रता से महकाकर बेशकीमती बना दिया है..."*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सबके दुख हरकर सुख देना है*"
➳ _ ➳ अपने सुख सागर मीठे परमपिता परमात्मा शिव बाबा की सुख देने वाली मीठी याद में बैठ, अपने मन बुद्धि को एकाग्र कर, *मैं अपने मन बुद्धि का कनेक्शन अपने सुख दाता निराकार बाप के साथ जैसे ही जोड़ती हूँ, सेकण्ड में बुद्धि की तार जुड़ जाती है परमधाम निवासी मेरे प्यारे अति मीठे सुख सागर शिव बाबा के साथ और परमधाम से सुख की असीम किरणे मुझ आत्मा पर प्रवाहित होने लगती हैं*। ऐसा लग रहा है जैसे सुख का कोई विशाल झरना मुझ आत्मा के ऊपर बह रहा है और मैं असीम सुख से भरपूर होती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ इस असीम सुख का गहराई से अनुभव करके मैं विचार करती हूँ कि *इस सृष्टि पर रहने वाले सभी मनुष्य मात्र जो स्वयं को और अपने सुखदाता बाप को भूलने के कारण अपरमअपार दुख का अनुभव कर रहें हैं। वो सभी मेरे ही तो आत्मा भाई है। तो अपने उन आत्मा भाइयो को मास्टर सुख दाता बन सुख देना मेरा परम कर्तव्य भी है और यही मेरे सुखदाता बाप का फरमान भी है*। तो अपने बाप के फरमान पर चल सुख दाता के बच्चे मास्टर सुखदाता बन मुझे सबको सुख देना है। ऐसा कोई संकल्प नही करना, मुख से ऐसा कोई बोल नही बोलना और ऐसा कोई कर्म नही करना जो दूसरों को दुख देने के निमित बनें। बाप समान सबको सुख देना ही मेरा परम कर्तव्य है।
➳ _ ➳ अपने इस कर्तव्य को पूरा करने के लिए अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को मैं आत्मा धारण करती हूँ और सुख का फ़रिश्ता बन सारे विश्व की तड़पती हुई दुखी अशांत आत्माओं को सुख की अनुभूति करवाने चल पड़ती हूँ। *मैं फ़रिश्ता ऊपर की ओर उडते हुए नीचे पृथ्वी लोक के हर दृश्य को देख रहा हूँ। विकारों की अग्नि में जलने के कारण गहन दुख की अनुभूति करती सर्व आत्माओं को रोते बिलखते, चीखते - चिल्लाते हुए मैं देख रहा हूँ*। इन दुख दाई दृश्यों को देख सुख के सागर अपने शिव पिता का मैं आह्वान करता हूँ और उनके साथ कनेक्शन जोड़ कर उनसे सुख की शक्तिशाली किरणे लेकर सारे विश्व में सुख के शक्तिशाली वायब्रेशन फैलाने लगता हूँ।
➳ _ ➳ विकारों की अग्नि में जल रही दुखी अशांत आत्माओं पर सुख की ये शक्तिशाली किरणे शीतल जल बन कर, उन्हें विकारों की तपन से मुक्त कर, शीतलता का अनुभव करवा रही हैं। *विश्व की सभी दुखी अशांत आत्माओं को सुख देकर अब मैं फ़रिश्ता सूक्ष्म लोक में पहुँच कर, बापदादा को सारा समाचार दे कर, उनके साथ अव्यक्त मिलन मना कर, उनसे गुण, शक्तियाँ, वरदान और खजाने लेकर अपनी फ़रिश्ता ड्रेस को सूक्ष्म लोक में ही छोड़ कर, अपने निराकार स्वरुप को धारण कर अब परमधाम की ओर रवाना होती हूँ*।
➳ _ ➳ अपने निराकार स्वरूप में, निराकार सुखदाता अपने शिव पिता की सर्व शक्तियों की छत्रछाया के नीचे बैठ उनकी सुख की किरणों से स्वयं को भरपूर कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया में अपने साकारी ब्राह्मण तन में आ कर प्रवेश करती हूँ। *"सुखदाता की सन्तान मैं मास्टर सुखदाता हूँ" इस स्वमान की सीट पर सदा सेट रहते हुए, अपने ब्राह्मण स्वरूप में रहते अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी आत्माओं को अपने हर संकल्प, बोल और कर्म से सुख दे रही हूँ*। हर कर्म अपने सुख सागर बाबा की याद में रह कर करते हुए अब मैं इस बात पर पूरा अटेंशन रखती हूँ कि मनसा, वाचा, कर्मणा मुझ से ऐसा कोई कर्म ना हो जो दूसरों को दुख देने के निमित बने।
➳ _ ➳ *स्वयं को सदा सुखदाता बाप के साथ कम्बाइंड अनुभव करते मास्टर सुखदाता बन कभी अपने आकारी तो कभी साकारी स्वरूप द्वारा, सबको सुख का अनुभव करवाते अब मैं बाप समान मास्टर दुख हर्ता सुख कर्ता बन सबको दुखों से छुड़ाने और सुखी बनाने का रूहानी धन्धा निरन्तर कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं एक बल एक भरोसे के आधार पर मंजिल को समीप अनुभव करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं हिम्मतवान आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सदा प्रकृति सहित हर आत्मा के प्रति शुभ भावना रखती हूँ ।*
✺ *मैं संगमयुगी ब्राह्मण आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. हाथ इसीलिए उठवाते हैं, जैसे अभी तक एक देा को देख करके हाथ उठाने में उमंग आता है ना! ऐसे ही *जब भी कोई समस्या आवे तो सामने बापदादा को देखना, दिल से कहना बाबा, और बाबा हाजिर हो जायेगा, समस्या खत्म हो जायेगी।* समस्या सामने से हटा जायेगी और बापदादा समाने हाजिर हो जायेगा। 'मास्टर सर्वशक्तिवान' अपना यह टाइटल हर समय याद करो।
➳ _ ➳ 2. मास्टर सर्वशक्तिवान है, मास्टर सर्वशक्तिवान क्या नहीं कर सकते हैं! सिर्फ अपना टाइटल और कर्तव्य याद रखो। *टाइटल है 'मास्टर सर्वशक्तिवान' और कर्तव्य है 'विश्व-कल्याणकारी'। तो सदा अपना टाइटल और कर्तव्य याद करने से शक्तियाँ इमर्ज हो जायेंगी।* मास्टर बनो, शक्तियों के भी मास्टर बनो, आर्डर करो, हर शक्ति को समय पर आर्डर करो। वैसे शक्तियाँ धारण करते भी हो, हैं भी लेकिन सिर्फ कमी यह हो जाती है कि समय पर यूज नहीं करने आती। समय बीतने के बाद याद आता है, ऐसे करते तो बहुत अच्छा होता। *अब अभ्यास करो जो शक्तियाँ समाई हुई हैं, उसको समय पर यूज करो।* जैसे इन कर्मेन्द्रियों को आर्डर से चलाते हो ना, हाथ को, पाँव को चलाते हो ना! ऐसे हर शक्ति को आर्डर से चलाओ। कार्य में लगाओ। समा के रखते हो, कार्य में कम लगाते हो। *समय पर कार्य में लगाने से शक्ति अपना कार्य जरूर करेगी।*
✺ *ड्रिल :- " 'मास्टर सर्वशक्तिवान' के टाइटल की स्मृति में रह हर शक्ति को आर्डर से चलाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य को देख कर मन ही मन आनंदित हो रही हूँ... *स्वयं भाग्यविधाता मुझे जन्म-जन्म का अविनाशी भाग्य देने आए हैं... मेरे जीवन की पतवार स्वयं भगवान ने अपने हाथों में थाम ली है... मीठे बाबा ने मुझे हर चिंता, बोझ से फारिंग कर बेफिकर बादशाह बना दिया है*... मैं बाबा के दिलतख्त पर आसीन हूँ... बाबा के दिल के बिल्कुल समीप हूँ... उनका अगाध स्नेह मुझ पर बरस रहा है... मुझ आत्मा ने भी अपने दिल में एक दिलाराम को बसा लिया है... मैं आत्मा दिलाराम बाबा की सच्ची दिलरुबा हूँ...
➳ _ ➳ मेरे नैनों में एक बाबा की ही मूरत समाई हुई है... नैनों के सामने होना अलग बात है, बाबा तो मेरे नयनों में समा ही गये हैं... बस मैं और मेरा बाबा... इस लवलीन स्थिति में मुझ आत्मा की विनाशी दुनिया से, देहधारी से या कोई भी बाहरी आकर्षण से कोई भी खींच नहीं है... *मैं आत्मा बाबा के नयनों की नूर हूँ... अपने मीठे बाबा से कंबाइंड हूँ... मैं अपने शिव शक्ति स्वरुप में स्थित हूँ...*
➳ _ ➳ इस कंबाइंड स्वरुप में कितना सुख है, आनंद है... जो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता... मुझ आत्मा का हर कदम, हर कर्म श्रीमत प्रमाण हो रहा है... *हर क्षण मेरे बाबा मेरे साथ हैं... बाबा के हाथ और साथ से हर समस्या समाप्त होती जा रही है... मैं आत्मा निर्विघ्न बनती जा रही हूँ*... हर बाधा ईश्वरीय छत्रछाया में खत्म होती जा रही है...
➳ _ ➳ मीठे बाबा हम बच्चों को कितने टाइटल, स्वमान देते हैं... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... बाबा ने मुझे यह टाइटल दिया है... *स्वयं भगवान ने कहा है- बच्चे तुम मास्टर सर्वशक्तिमान हो... मुझ शक्तिशाली आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नहीं है... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... और मुझ आत्मा का कर्तव्य है विश्व का कल्याण करना... अपने स्वमान और कर्तव्य की स्मृति से मुझ आत्मा की सोई हुई समस्त शक्तियाँ जागृत हो रही हैं*... मैं सर्व शक्तियों की अधिकारी आत्मा बन रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं सर्व शक्तियों की मालिक हूँ... *जिस शक्ति को आर्डर किया, वह शक्ति हाजिर हो रही है... मैं शक्ति को समय और परिस्थिति अनुसार यूज़ कर रही हूँ*... मैं आत्मा राजा मन, बुद्धि, संस्कारों को और स्थूल कर्मेन्द्रियों को आर्डर प्रमाण चला रही हूँ... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हर शक्ति को कर्म में ला रही हूँ... समय पर उसका उपयोग कर रही हूँ... *समय पर कार्य में लगाने से मुझ आत्मा की शक्तियां बढ़ती जा रही हैं... मैं सर्व शक्तियों की मालिक बन जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता है... उस समय उसी शक्ति का आह्वान कर उसको यूज कर रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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