मुरली कविता दिनांक 23.05.2018
शिवबाबा है एक मात्र निष्काम सेवाधारी
सौंप दो उसको तुम अपनी सम्पत्ति सारी
अभी का दिया सब सेवा में लग जायेगा
सतयुग में तुम्हें नया होकर मिल जाएगा
जो बच्चे देते हैं बाप को अपना समाचार
उन बच्चों का बाप ध्यान रखते हर प्रकार
अंतिम जन्म जीते जी बाप के बन जाओ
शिवबाबा की सुनाई गीता को अपनाओ
बाप की हर मत को सदा सही समझना
किसी बात पर तुम संशय में ना उलझना
औरों के अवगुणों से आंखें बन्द कर लो
अपने मन बुद्धि में सर्व गुणों को भर लो
दुखदायक है माया उल्टा कर्म करवाती
बाबा की श्रीमत बच्चों को सुखी बनाती
चौकन्ने होकर बदलो अपना हर संस्कार
सिद्धि स्वरूप अवस्था होगी तब साकार
सहज हुआ आपका जैसे वाणी में आना
कर लो सहज तुम परे आवाज से जाना
अशरीरीपन का तुम रोज करो व्यायाम
व्यर्थ संकल्पों पर लगाओ पूर्ण विराम
केवल यही विधि हर बीमारी मिटायेगी
सारे कल्प के लिए स्वस्थ तुम्हें बनायेगी
ॐ शांति