मुरली कविता दिनांक 12.05.2018
मात पिता को बच्चों पूरा फॉलो करते जाना
याद और श्रीमत से दिलतख्त बाप का पाना
अंत काल में जिसे केवल याद बाप ही आये
केवल ऐसी आत्मा ही जीवनमुक्ति को पाये
गृहस्थ में रहकर भी रखना बुद्धि को न्यारा
सब कुछ भूलकर सोचो केवल बाप हमारा
दुख का कांटा किसी को कभी नहीं लगाना
हर कदम मात पिता को फॉलो करते जाना
कोई कमी कमजोरी तुम कभी नहीं छुपाना
अपनी कमियां अविनाशी सर्जन को बताना
शिव के संग रहकर कमल फूल बन जाओगे
जीवनमुक्ति का वर्सा स्वर्ग में जाकर पाओगे
कांटे वही कहलाते जो काम कटारी चलाते
पवित्र फूल बनने वाले ही धर्मात्मा कहलाते
छोड़कर विकार तुम ज्ञानामृत का पान करो
शांतिधाम सुखधाम का रस्ता आसान करो
बाप की याद का तुम जितना चार्ट बढ़ाओगे
स्वर्ग में जाकर उतना ऊंच पद तुम पाओगे
दौड़ लगाकर माँ बाप का दिलतख्त पाओ
पुराने कांटे छोड़कर बाप से सम्बन्ध बनाओ
बाप का प्यार और शक्ति सबको देते जाओ
हर आत्मा के मन में उमंग उत्साह बढ़ाओ
मायावी चतुराई से जो रहते सदा ही न्यारे
केवल वही बच्चे लगते बापदादा को प्यारे
ॐ शांति