मुरली कविता दिनांक 06.03.2018


रहमदिली अपनाकर देते रहो सबको जीयदान

सेवा ऐसी करो जो बन जायें अनेकों भाग्यवान

अविनाशी ज्ञान रत्नों की रोटी सबको खिलाओ

कभी ना रूठे कोई सबको बड़े प्यार से चलाओ

बच्चों हर आत्मा की तुम ज्ञान की भूख मिटाओ

लात मारकर उनको खुद पर पाप नहीं चढ़ाओ

नापास होने का ख्याल मन में कभी ना लाओ

सूर्यवंशी का लक्ष्य लेकर तुम आगे बढ़ते जाओ

भाग्यशाली होते हैं वो बच्चे जिनको बाप पढ़ाते

बाप के बनकर वो बच्चे जीवन सेवा में लगाते

ध्यान सदा रखना तुम कोई बच्चा रूठ ना जाये

संशयवश किसी बिचारे के पैर खिसक ना जाये

बाप को याद करने में जो अपना समय लगाते

विजय माला में केवल वही बच्चे पिरोये जाते

अंतिम जन्म में जिसने बाप की श्रीमत अपनाई

केवल वही करेगा ज्ञान रत्नों की सच्ची कमाई

हर सवाल से मुक्त होकर बाप को याद करना

मुरझाये हुए को सुरजीत करने की सेवा करना

बाप की संगत का तुम प्राकृतिक नशा चढ़ाओ

बाप का अनुसरण कर विश्व राज्य तख्त पाओ

सेवा करने का बल और फल जिसने भी पाया

सर्व शक्तियों से सम्पन्न केवल वही बन पाया

ॐ शांति