मुरली कविता दिनांक 16.01.2018
बाप को याद करने में बच्चों पूरी ताकत लगाओ
विकार मिटाकर खुद को तुम खरा सोना बनाओ
श्रीमत पर चलने वाले ही श्रेष्ठ पुरुषार्थी कहलाते
ऐसे बच्चे ही सच्चे माशूक के आशिक बन पाते
सारे संसार के परिवर्तन का है भारत ही आधार
बाप यहां पर आकर करता सारे जग का सुधार
सुनकर झूठी गीता को हम अब तक गिरते आये
पांच विकार अपनाकर आत्मभान से मरते आये
अपने बाप को भूलकर हम बच्चे बन गए अनाथ
अपना बच्चा बनाकर उसने किया हमको सनाथ
शिक्षक बनकर वही बाप हमें राजयोग सिखाते
बच्चों को पूरा पावन बनाकर परमधाम ले जाते
सद्गति दाता यही बाप सतयुग की राजाई दिलाते
परमधाम से आकर हम बच्चे सुख स्वर्ग के पाते
काग विष्ठा न समझो इसे सुख के तुम अधिकारी
सुख तभी मिलेगा जब पावन होगी दुनिया सारी
गृहस्थ में रहकर भी तुम श्रीमत पर चलते जाओ
बाबा की याद में रहकर पावन तुम बनते जाओ
बाप ने आकर अपने बच्चों को ब्राह्मण बनाया
मैनर्स सुधारे हो जिसने ऊंच पद उसने ही पाया
ज्ञान सागर से बादल भर ज्ञान वर्षा करते जाना
याद की यात्रा को बच्चों तुम हर सम्भव बढ़ाना
कल्प के अंत का जन्म जब हीरे तुल्य बनाओगे
सारे कल्प में तब ही तुम हीरो पार्ट ही बजाओगे
बाप के संग का रंग हर आत्मा को तुम लगाओ
दुनियावी संग के रंग से अपने आपको बचाओ
ॐ शांति