मुरली कविता दिनांक 16.04.2018


औरों को ज्ञान सुनने की तुम सेवा करते जाओ

बाप की याद में रहकर सबकी आशीर्वाद पाओ

शक्तिशाली बनाने के लिए बाप ड्रिल सिखलाते

अहिंसक युद्ध के द्वारा माया पर विजय दिलाते

अब हम सब बच्चे अपने स्वीट होम में जायेंगे

पहले योगबल से खुद को विकर्माजीत बनायेंगे

अलौकिक जन्म का रूहानी प्यार नहीं भुलाना

इसी प्यार की स्मृति से श्रीमत पर चलते जाना

वर्सा देने वाले बाप से तुम अगर मुंह फिराओगे

माया की भूल भुलैया में फिर से फंस जाओगे

ईश्वरीय ज्ञान मुसाफिरी में बिल्कुल नहीं थकना

पावन बन विकारों का स्वाद नहीं फिर चखना

और संग तोड़कर जाना तुम बाप पर बलिहार

विकर्माजीत बनकर फिर ना खाना माया से हार

देह से न्यारा होकर खुद को साक्षी दृष्टा बनाओ

साक्षीपन की अवस्था द्वारा हीरो पार्ट बजाओ

अपनी देह के मालिक बनकर ही कर्म में आओ

विघ्नमुक्त होकर तुम खुद को विजयी बनाओ

जिस आत्मा ने हर रिश्ता एक प्रभु से निभाया

केवल वही पुरुषार्थी बच्चा फरिश्ता बन पाया
ॐ शांति