मुरली कविता दिनांक 28.06.2018


बाप जैसा सबके प्रति खुद को रहमदिल बनाना

मन में किसी के प्रति कभी नफरत नहीं जगाना

धरा पर आकर यही योजना बाप अमल में लाते

तत्वों सहित सारी दुनिया को पावन बाप बनाते

इसी प्लान में खुद को बाप का मददगार बनाओ

खुद पावन बनकर सबको विकार मुक्त बनाओ

माया शत्रु से सबको बचाने बाप धरा पर आते

लेकिन विचित्र बाप को पहचान नहीं कोई पाते

पांच विकारों को बच्चों अपने जीवन से मिटाना

सुख दुनिया के मक्खन का गोला बाप से पाना

बन जाओ रहमदिल और मीठी रख लो जुबान

नफरत का मिटा दो तुम जीवन से नाम निशान

समर्पित भाव से जो ईश्वरीय सेवा को अपनाते

वे बच्चे बापदादा के दिलतख्तनशीन बन जाते

अपने संकल्प नियन्त्रित करने युक्ति अपनाओ

बुद्धि की शक्ति को व्यर्थ बहने से तुम बचाओ

ॐ शांति