मुरली कविता दिनांक 09.02.2018
अमृतवेला उठकर बाप से करो शुभ नमस्कार
ज्ञान के चिंतन में रहो तो खुशी मिलेगी अपार
आत्म स्वरूप की स्मृति जब अटूट बनाओगे
तब ही बाप की याद से करंट तुम ले पाओगे
पुरुषोत्तम संगमयुग से हम सतयुग में जायेंगे
किन्तु पावन बनकर पहले घर अपने जायेंगे
केवल ईश्वरीय याद ही बेहद कमाई करवाती
हर कल्प फिर यही कमाई काम हमारे आती
कांटों से फूल बनने वाले ही सबको महकाते
अपने संग वो औरों को सुगन्धित फूल बनाते
कलियुगी कांटो के बर्तन से बाबा ने निकाला
हम बच्चों को उसने संगमयुगी बर्तन में डाला
गुणों की सुगंध से सजकर स्वर्ग में हम जायेंगे
कलियुग के सभी कांटे पहले भस्म हो जायेंगे
केवल समझदार बच्चा बाप से पूरा वर्सा लेता
प्यार करता वो बाबा से प्राण जो सबको देता
शिवबाबा से तुम सबकी हो गई पक्की सगाई
फिर क्यूँ बाप की याद तुम्हें इतनी नहीं सताई
सभा में ज्ञान सुनाते समय बोलो एक ही बात
समझकर खुद को आत्मा करो बाप को याद
पुराने तन से बच्चों तुम पूरा ममत्व निकालो
पावन बनकर बुद्धि को घर की और बढ़ा लो
खुद का सुधार करके तुम आत्मा बनो महान
ज्ञान रत्नों से भरकर झोली करते जाओ दान
कमजोरी ना देखकर सबकी हिम्मत बढ़ाओ
विशेषतायें देखकर सम्बन्ध सम्पर्क में आओ
रूहानी प्यार से तुम सबके स्नेही बन जाओगे
दुआओं के रूप में सहयोग सभी का पाओगे
एकाग्रता के बल से सबका भटकना छुड़ाओ
सच्ची सेवा करके सबको एकाग्र बनाते जाओ
ॐ शांति