मुरली कविता दिनांक 10.04.2018
आधा
कल्प माया ने सबको किया बहुत हैरान
कल्प के अन्त में शरण देने आए खुद भगवान
बाप के प्रति अपने मन में सच्ची प्रीत जगाओ
माया को हराकर बच्चों जगतजीत बन जाओ
मैल मिटाना आत्मा का बड़ी मेहनत का काम
देही अभिमानी बनकर यह काम करो आसान
कहीं और ना जोड़ो बाप से बुद्धियोग लगाकर
वरना माया जला देगी भस्मासुर तुम्हें बनाकर
बाप आये हम बच्चों को माया रावण से बचाने
माया से मुक्त कर स्वर्ग का मालिक हमें बनाने
वेद शास्त्रों को पढ़कर मुझे कोई भी नहीं पाता
बच्चों तुमसे मिलने मैं स्वयं ही धरा पर आता
होकर माया से हैरान बच्चे शरण बाप की आते
प्रीत बाप से रखकर खुद को जगतजीत बनाते
पाप का बोझ उतारो तुम बुद्धि मुझसे जोड़कर
भस्मासुर ना बना दे माया बुद्धि मुझसे तोड़कर
खुद को ना फंसाना यहां ये जग मायावी संसार
श्रीमत को छोड़ते ही माया बैठी खाने को तैयार
अपना तन मन धन भारत की सेवा में लगाओ
माया दुश्मन से बच्चों सारी दुनिया को छुड़ाओ
देह सहित सब भूल देही अभिमानी बन जाओ
पुराने कर्मों का खाता योग बल से तुम चुकाओ
शक्तिरूप बनकर शक्तिमान को साथी बनाओ
चिंतामुक्त बनकर सर्व प्रति शुभभावना जगाओ
बंधनमुक्त यदि रहे तो कोई चिंता नहीं सतायेगी
औरों के प्रति शुभभावनायें सिद्ध होती जायेगी
अपनी बुद्धि को तुम रखना सदा प्रश्नों के पार
सदा प्रसन्नचित्त रहने का मात्र एक यही आधार
ॐ शांति