मुरली कविता दिनांक 09.04.2018


माया के वश होकर तुम श्रीमत विरुद्ध ना जाना

श्रीमत विरुद्ध जाकर बाप की निंदा नहीं कराना

अवज्ञा करने वाला ही माया का थप्पड़ खायेगा

माया से बचकर रहने वाला सयाना कहलायेगा

करो भले कितनी सेवा अगर योग नहीं लगाया

ऐसा बच्चा कभी बाप का सपूत नहीं कहलाया

आशीर्वाद देने पर भी बच्चे भस्मासुर बन जाते

स्वर्ग के बदले कामचिता पर भस्मीभूत हो जाते

बाप की याद में माताओं को स्थिति ऐसी बनानी

ज्ञानामृत पिलाने वाली माता भवानी कहलानी

आशीर्वाद के पात्र बनो बाप की आज्ञा मानकर

भस्मासुर नहीं बनना सजाओं का डर जानकर

स्वदर्शन और स्वचिंतन को जीवन में अपनाओ

हीरे समान अनमोल जीवन का अनुभव पाओ

परदर्शन और परचिंतन आत्मा पर लगाते दाग

इसी मूल बीज को समाप्त कर बनो हीरा बेदाग

विचित्र बाप का चिंतन करने वाले बनते महान

बाप का हर गुण धारण कर वो बनते चरित्रवान

ॐ शांति