मुरली कविता दिनांक 30.05.2018
नष्टोमोहा बनकर बाप पर पूरा बलिहार जाओ
साकार बाप को फॉलो कर स्वर्ग का वर्सा पाओ
तन मन धन सब बाप को देकर ट्रस्टी बन जाओ
कदम कदम पर बाप की तुम श्रीमत लेते जाओ
रूहानी हॉस्पिटल खोलने में धन अपना लगाओ
पापी को दान देकर अपने पर पाप नहीं चढ़ाओ
ईश्वरीय सेवा में बाप ने अपना सब कुछ लगाया
स्वर्ग को रचने वाली माताओं को वारिस बनाया
आने वाले सतयुग की विशेषता बाप हमें सुनाते
दुख की बात कोई नहीं सब लोग खुशियाँ मनाते
सतयुगी दुनिया के फूल होते हैं इतने खुशबूदार
अगरबत्ती वहां पर जलाने की ना रहती दरकार
बाप के बनकर सीखो बाप से ईश्वरीय संस्कार
कलियुग भूलने से मिलेगा तुम्हें सतयुगी संसार
तमोप्रधान दुनिया में सदा रहना तुम्हें सावधान
योग तुड़वाकर माया तुम्हारा कर देगी नुकसान
विकारों रूपी भूत रखकर लक्ष्मी ना वर पाओगे
नहीं छोड़ोगे विकारों को तो बंदर ही रह जाओगे
मन में विकल्प आते हुए विकर्म कभी ना करना
राजाई पाने के लिये पवित्रता की प्रतिज्ञा करना
जीते जी मरके खुद को छोटा बच्चा तुम बनाना
बाप का कहा धारण कर बाकी सबकुछ भुलाना
असोच बनकर अपनी बुद्धि को आजाद बनाओ
बाप से मदद पाने का तुम अनुभव करते जाओ
एक बाप की स्मृति रहने से सेवा बढ़ती जायेगी
शुभचिंतन की विधि से हर चिंता मिटती जायेगी
उपराम स्थिति से कर लो सर्व बातों से किनारा
अनुभव करते जाओ सदा एक बाप का सहारा
ॐ शांति