मुरली कविता दिनांक 23.03.2018
पांच विकारों की मैल जग में फैलाती भ्रष्टाचार
प्रभु याद से बनकर पावन अपनाओ श्रेष्ठाचार
मीठे बच्चों श्रेष्ठ बनने की विधि यही अपनाओ
कम से कम आठ घण्टे ईश्वरीय सेवा में लगाओ
हम बच्चों को भ्रष्टाचारी किसने आकर बनाया
शिवबाबा ने आकर असली राज हमें बतलाया
हम बच्चों को बनना है अब फिर से श्रेष्ठाचारी
त्यागो पांच विकार जो बनाते हमको भ्रष्टाचारी
बाप की याद से ज्ञान की सुंदर परी बन जाओ
अंदर से हर भूत मिटाकर श्रेष्ठाचारी कहलाओ
हर इच्छा से मुक्ति पाकर तुम दाता बन जाओ
इच्छा मात्रम अविद्या का स्वमान बाप से पाओ
जिसने वश में कर लिए मन बुद्धि और संस्कार
केवल वही पा सकता स्व राज्य का अधिकार
ॐ शांति