मुरली कविता दिनांक 19.04.2018
ट्रस्टी बनकर तुम देह के सब रिश्तों को संभालो
मन बुद्धि में किसी के प्रति ममत्व कभी न पालो
ब्रह्म को समझा परमात्मा देश को समझा धर्म
अभुल बनाकर माया ने करा दिए हमसे विकर्म
हर नारी बनी द्रौपदी ये प्रभु से कर रही पुकार
नग्न होने से बचाने हे प्रभु तुम आओ एक बार
केवल परमात्मा से हम पवित्रता का बल पाते
इसीलिए हम बच्चे परमपिता से योग लगाते
लक्ष्य बुद्धि में रखकर नष्टोमोहा बनते जाओ
पुराने शरीरों से अपना ममत्व निकालते जाओ
अफसोस किये बिना तुम याद बाप को करना
बाप की निंदा हो ऐसा काम कभी ना करना
अटूट निश्चय रखकर विजय का उमंग जगाओ
ना उम्मीदी का संस्कार जड़ से तुम मिटाओ
इन मुश्किलों पर हमने जीत पाई अनेक बार
इसी स्मृति से मिटाओ तुम संशय के संस्कार
बाप से मिले सर्व खजानों को स्मृति में लाओ
इनका प्रयोग करके शक्तिशाली बनते जाओ
ॐ शांति