मुरली कविता दिनांक 30.01.2018


ड्रामा के आदि मध्य अंत का दिया बाप ने ज्ञान

अंत समय आया ड्रामा का हमने लिया है जान

सम्पूर्ण निर्विकारी बनने की जिसने ली सौगन्ध

जग को स्वर्ग बनाने के लिये हुआ वही पाबन्द

बाप पर जिस बच्चे ने किया सब कुछ बलिहार

नाम उसी का होगा बाप के रजिस्टर में स्वीकार

एक बाप के बच्चे हम सब हुए ईश्वरीय परिवार

मिलकर आपस में जगाओ भाईचारे के संस्कार

देते जाना शिव पिता का हर आत्मा को परिचय

इसमें नहीं कोई अन्धश्रद्धा और ना कोई संशय

आया है वो परमधाम से हमें राजयोग सिखाने

नई दुनिया में चलने लायक हम सबको बनाने

मिटने वाले धन दौलत को तुम सेवा में लगाओ

स्वर्ग के सुख भोगने का सौभाग्य बाप से पाओ

हम ईश्वरीय सन्तान बाप की मत को अपनायेंगे

रावण की मत छोड़कर श्रीमत पर चलते जायेंगे

ब्रह्मा बाप समान हमको अपनी तकदीर बनानी

स्वर्ग बना देंगे भारत को बनकर हम महादानी

बाप का बच्चा होने का जिसने सम्बन्ध निभाया

सर्व सिद्धि का स्वरूप उसने ही खुद को बनाया

याद रहती हो जिसको सदा अपनी रूहानी शान

हद के मान शान की ओर उसका न जाता ध्यान

ॐ शांति