मुरली कविता दिनांक 08.06.2018
चलकर बाप की मत पर देही अभिमानी बनना
चित्र देखते हुए तुम विचित्र बाप को याद करना
पवित्र रहकर हम बच्चे भारत को पवित्र बनाते
इसीलिए बाप की दृष्टि में लकी स्टार कहलाते
गृहस्थ में रहते हुए खुद को आत्म निश्चय करो
बाप को निरन्तर याद करने का पुरुषार्थ करो
ज्ञान के भोजन से खुद को शक्तिशाली बनाओ
योग के बल से अपनी बुद्धि को पवित्र बनाओ
बाप का हाथ पकड़ा ये निश्चय मन में बिठाओ
अपने कारण तुम किसी को दुखी नहीं बनाओ
अपने अंदर जगाना बच्चों तुम अनादि संस्कार
उड़ता पंछी बनकर करना समस्याओं को पार
सबको तुम देते जाओ शांति की शक्ति का दान
कल्याण समाया हुआ इसमें ये सेवा बड़ी महान
ॐ शांति