मुरली कविता दिनांक 10.04.2018
स्वीट होम की और बच्चों अपने कदम बढ़ाओ
पुरानी दुनिया का हर हिसाब चुक्तु करते जाओ
योग में बैठकर बच्चों प्रकाश स्तम्भ बन जाओ
ज्ञान योग के पंख देकर वतन का मार्ग बताओ
जब हो रात अंधेरी तब अशरीरी साजन आता
हम सब आत्म सजनियों को अपना वो बनाता
बाप कहते बच्चों अगर निरोगी काया है पानी
अपनी मन बुद्धि तुम्हें केवल मुझमें ही लगानी
याद करोगे जितना मुझको होगी उतनी कमाई
दिल किसी से लगाया तो छूट जाएगी ये पढ़ाई
इसी पढ़ाई से तुम सबको ऊंची प्राप्ति करनी
पावन बनकर ही तुमको मिलेगी पावन धरनी
पढ़ाई छोड़कर बच्चों कभी कुसंग में ना जाना
किसी भी देहधारी से अपना दिल नहीं लगाना
शिव बाबा को तुम अपना सर्व संबंधी बनाओ
किसी भी दैहिक संबंध में बुद्धि ना लटकाओ
लगाव जहाँ होगा तो बुद्धि भी वहां पर जायेगी
बाप की याद भुलाकर इधर उधर भटकायेगी
बाप में बुद्धि लगाकर तुम एकरस बन जाओ
नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप खुद को तुम बनाओ
बच्चों इन पंच तत्वों को बना लो अपना दास
जीवन भर फिर कभी नहीं रहोगे तुम उदास
ॐ शांति