मुरली कविता दिनांक 08.02.2018
सूर्यवंशी विजय माला का दाना खुद को बनाओ
धर्मराज की सजाओं से तुम पूरा छुटकारा पाओ
देही अभिमानी बनने की जो बच्चे मेहनत करते
विश्व का मालिक बनेंगे इस नशे में सदा वो रहते
पुरानी दुनिया पुराने सम्बन्ध याद नहीं वो करते
मैं बाबा का बाबा मेरा सिर्फ इसी ख्याल में रहते
संगमयुग में शिवबाबा अवतरित होकर है आया
अपना बनाकर हम बच्चों को शिवशक्ति बनाया
नर्क को स्वर्ग बनाने में जो बच्चे बनते मददगार
स्वर्ग का वर्सा पाने के वे बच्चे बन जाते हकदार
रावण ने बच्चों के छीने हैं सुख के सभी निवाले
5 विकारों में घिरकर बच्चे बन गये पूरे ही काले
माया रावण से लड़ाई करना बाबा हमें सिखाते
माया रावण को जीतने वाले सुख स्वर्ग के पाते
विकारों से मुक्त होकर हम बनेंगे खुश मिजाज
बनकर दैवी देवता हम करेंगे सारे जग पर राज
रूप बसन्त बनकर मुख से ज्ञान रत्न निकालो
विकर्म विनाश करके बाप से डबल वर्सा पा लो
एक दो को आगे बढ़ाकर सबके प्रिय बन जाओ
इसी गुण को अपनाकर सफलतामूर्त कहलाओ
मनन शक्ति के द्वारा ज्ञान का खजाना बढ़ाओ
सर्व विघ्नों को तुम अपने जीवन से दूर भगाओ
ॐ शांति