मुरली कविता दिनांक 17.03.2018


मीठे बच्चों बदलने वाली अब ये दुनिया पुरानी

याद करो स्वर्ग को छोड़ो पुरानी से प्रीत लगानी

एक बाप के बनकर ही सदा सुखी बन पाओगे

माया रावण की नगरी में केवल दुख ही पाओगे

स्वर्ग का मालिक बनने की शिक्षा देते भगवान

हम बच्चों को बना रहे भगवती और भगवान

छोड़ो इरादा पुरानी दुनिया की राजाई पाने का

करो प्रबन्ध अब नई दुनिया की राजाई पाने का

परलौकिक मात पिता की शिक्षा को अपनाओ

दुखी बनाने वाले दुश्मन रावण को तुम हराओ

महाविनाश की बच्चों अब पूरी हो चुकी तैयारी

आग बारिश और बमों से मिटेगी दुनिया सारी

सिर्फ मुझे तुम याद करो पावन तुम्हें बनाऊंगा

पलकों पर बिठाकर मैं स्वर्ग तुम्हें ले जाऊंगा

तन मन धन बाप को देकर बन जाओ महादानी

आप समान बनाने की सेवा होगी तुम्हें बढ़ानी

दुखधाम पुरानी दुनिया को दिल से तुम भुलाना

कर्म बन्धन में खुद को तुम कभी नहीं फंसाना

मेरा बाबा की शुद्ध स्मृति बच्चों मन में जगाओ

सर्व समर्थियों का अधिकार बाबा से तुम पाओ

स्थूल सेवा में अगर बनाया है खुद को मजबूत

मन की स्थिति भी रखो अचल अडोल मजबूत

ॐ शांति