मुरली कविता दिनांक 30.03.2018
आराम से करो बच्चों रूहानी यात्रा बड़ी सुहानी
चलते फिरते बुद्धि में तुम्हें बाप की याद बिठानी
तन का मोह त्यागकर जो करता है बाप को याद
केवल उसको मिलती है स्थाई खुशी की सौगात
संभल संभल कर चलना आयेंगे माया के तूफान
बुद्धियोग टूटा तो खुशी का न रहेगा नाम निशान
सतोप्रधान सन्यास से सम्पूर्ण पवित्र बन जाओ
पुरानी दुनिया पुराने तन से पूरा ममत्व मिटाओ
त्रिकालदर्शी बनकर पुरुषार्थ का प्लान बनाओ
ज्ञान की धारणा से दिल में स्थाई खुशी जगाओ
सर्व शक्तियों की सम्पन्नता मुखड़े से झलकाओ
खुशी की चमक द्वारा योगी तूँ आत्मा कहलाओ
स्वभाव बोल और कर्म में सरलता को अपनाओ
मीठे शिवबाबा का नाम सारे विश्व में चमकाओ
ॐ शांति