मुरली कविता दिनांक 04.05.2018


आत्मा रूपी कपड़े को लक्ष्य सोप से साफ करो

पवित्रता के संस्कार अपने जीवन में धारण करो

पतित से पावन बनने की जादूगरी बाप सिखाते

बाप को फॉलो करने वाले स्वर्ग की राजाई पाते

बाप को याद करके तुम पावन खुद को बनाओ

ज्ञान की धारणा कर अज्ञान अंधियारा मिटाओ

माया ने तुम आत्माओं को कितना मैला बनाया

मैल मिटाने आत्माओं का मैं परमधाम से आया

बच्चों अपना बुद्धियोग पुरानी दुनिया से हटाओ

स्वीट होम जाना है घर की तरफ नजर घुमाओ

सौदागर बाप से बच्चों तुम पक्का सौदा कर लो

नई दुनिया के लिए तन मन धन इंश्योर कर लो

सर्व ईश्वरीय खजानों को अपने कर्म में लगाओ

ईर्ष्या व दिलशिकस्त पन से स्थाई मुक्ति पाओ

जिसने सेवा में अपने अंदर निस्वार्थपन जगाया

प्रभु की दृष्टि में वो ही स्वच्छ आत्मा कहलाया

ॐ शांति