मुरली कविता दिनांक 28.02.2018


रूठकर 5 विकारों से जो ऋषि खुद को बनाता

माया के घुटकों से केवल वही स्वयं को बचाता

समय थोड़ा है संगम में उत्तम पद को पाने का

यह सुनहरा अवसर पूरे कल्प में नहीं आने का

मृत्यु नहीं उपाय अपने दुखों से मुक्ति पाने का

ख्याल करो तुम खुद को मायाजीत बनाने का

केवल राजयोग ही नर से नारायण हमें बनाता

स्वर्ग का वर्सा बच्चों केवल राजऋषि ही पाता

दिन बचे अब थोड़े बच्चों सतयुग आ जायेगा

ये कलियुग नर्क अब पूरा ही खत्म हो जायेगा

माया से बचने का तुम इलाज यही अपनाओ

बाप की निरन्तर याद में खुद को तुम डुबाओ

श्रीमत पर चलने में तुम ना करना कोई बहाना

नर से नारायण बनने में अपना हुनर लगाना

ईश्वरीय सेवा में जो खुद को सहयोगी बनाते

सतयुगी राज्य सिंहासन के नजदीक वही आते

वायुमण्डल में रूहानियत की खुशबू फैलाओ

बाप की नजरों में सच्चे रूहे गुलाब कहलाओ

ॐ शांति