मुरली कविता दिनांक 20.03.2018
मीठे बच्चों संगदोष में कभी नहीं तुम आना
संशय बुद्धि बनकर तुम खुद को नहीं डुबाना
गृहस्थी होकर यदि पावन खुद को बनाओगे
श्रीमत अपनाकर तुम हीरे जैसे बन जाओगे
बाप ने बच्चों के लिये नहीं बनाया दुखधाम
सबको दुखी बनाना सिर्फ रावण का है काम
बच्चों को बाप सदा माया को हराना सिखाते
अहिंसक युद्ध द्वारा विश्व की राजाई दिलाते
संगदोष के कारण ना बिगड़े अवस्था हमारी
श्रीमत पर चलकर बनना सम्पूर्ण निर्विकारी
मैं पन को समाप्त कर निमित्त भाव जगाना
करावनहार की स्मृति रख माया को भगाना
खुद स्वच्छ बनकर जो सबको स्वच्छ बनाते
ऐसी सेवा करने वाले ही होलीहंस कहलाते
ॐ शांति