मुरली कविता दिनांक 23.01.2018
भाग्यवान हम बच्चे बाप जिनके सम्मुख आते
मीठे बच्चे कहकर सबको ईश्वरीय ज्ञान सुनाते
कामधेनु बच्चों को नहीं रहे मांगने की दरकार
खत्म करो भक्तिमार्गी भिखारीपन के संस्कार
दाता बाप के समान तुम भी दाता बन जाओ
सबकी पवित्र मनोकामनायें पूरी करते जाओ
केवल बाप अपने बच्चों को राजयोग सिखाते
कल्प पहले की तरह स्वर्ग का मालिक बनाते
बाप ही केवल तुम बच्चों को देता है सुख सारे
भँवर में फंसी नैया को लेकर जाता वो किनारे
ज्ञानधन बाप से पाकर बनते जाना है अमीर
चाहे होना पड़ जाये विनाशी धन से फकीर
कृष्णपुरी में चलना है तो तीव्र करो पुरुषार्थ
पावन बनने का बच्चों जगाओ मन में स्वार्थ
जो नहीं होते पावन वे ब्राह्मण नहीं कहलाते
अपवित्र जीवन जीने वाले शुद्र ही रह जाते
माया के तूफानों से रहना तुम पूरे खबरदार
कांटे से बदलकर फूल बनो तुम खुशबूदार
हर कर्म करते हुए बाबा मन में रहे समाया
याद करना बाबा को भूलकर अपनी काया
बच्चों का काम है बुद्धि की सीढ़ी पर चढ़ना
याद में रहने वाला ही सीखता है आगे बढ़ना
कृष्णपुरी में चलना है तो छोड़ो सभी विकार
पक्के कर लो खुद में ब्राह्मणपन के संस्कार
अपने बाप की आज्ञा का पालन करते जाओ
मास्टर सतगुरु का टाइटल भी बाप से पाओ
सतगुरु के आदेश पर बदलो अपने संस्कार
मुक्ति जीवनमुक्ति का देना सबको अधिकार
बापदादा की हर आज्ञा पर तुम चलते जाओ
दुआओं का खाता तुम हर रोज बढ़ाते जाओ
ॐ शांति