मुरली कविता दिनांक 09.01.2018


निराकार बाप से पढ़कर अपनी तक़दीर बनाओ

स्व पर राज्य करके राजाओं के राजा बन जाओ

बन्धनमुक्त होकर भी जो अपनी बुद्धि भटकाते

भाग्यशाली होकर भी वे दुर्भाग्यशाली बन जाते

ईश्वरीय श्रीमत में समाया हर सम्बन्ध का प्यार

प्यार से बच्चों कर लो तुम श्रीमत को स्वीकार

5 विकारों का दान कराकर बाबा पावन बनाते

इक्कीस जन्म के लिये हम सबको सुखी बनाते

लात मारकर इस दुनिया को जीतो पांच विकार

वैकुण्ठ में राज्य पाकर चलाओ अपनी सरकार

नशा चढ़ाओ हम ऐसी पाठशाला में पढ़ने आते

यहां आकर हम अपनी तक़दीर को ऊंचा बनाते

स्वदर्शन चक्र द्वारा राहु के ग्रहण से मुक्ति पाओ

योगबल बढ़ाकर अपना विकर्माजीत कहलाओ

नहीं बनाना साधनों को तुम साधना का आधार

साधन नहीं रहे तो साधना हो जाएगी निराधार

बाप समान अपने आपको शक्तिशाली बनाओ

अगर मगर का चक्कर अपने जीवन से मिटाओ

ॐ शांति