मुरली कविता दिनांक 24.02.2018
रचता रचना का ज्ञान देते बाप ही तुम्हें आकर
जानी जाननहार बनते हो ईश्वरीय ज्ञान पाकर
ज्ञान का धन बच्चों अपनी बुद्धि में तुम बढ़ाओ
बाप से वर्सा पाने की विधि सबको तुम बताओ
सुनकर इतनी आवाजें आत्मा को आई थकान
इसीलिए तो पुकार रही घर ले चलो हे भगवान
सिद्धान्त यही ज्ञान का पहले बनो धारणायुक्त
तब ही कर सकेंगे औरों को 5 विकारों से मुक्त
भक्ति का फल देने के लिये बाप धरा पर आते
दुखधाम से छुड़ाकर हमको मुक्तिधाम ले जाते
ब्राह्मण बनाकर हम सबको बाबा ज्ञान सुनाते
ज्ञान गंगा बनकर हम सारे जग में ज्ञान फैलाते
ईश्वरीय ज्ञान सबको बहुत युक्ति से समझाओ
कभी किसी से खुद को बहस में ना उलझाओ
अपने हर संकल्प को श्रेष्ठ और महान बनाओ
शुद्ध संकल्पों के बल से नई दुनिया को लाओ
बाप को संगी बनाकर रखो केवल उससे प्रीत
केवल तभी मिलेगी बच्चों तुम्हें माया पर जीत
ॐ शांति