मुरली कविता दिनांक 09.06.2018
बच्चों अपने शांति के स्वधर्म में स्थित हो
जाओ
माया कुछ ना कर सकेगी पूरे बेफिक्र हो जाओ
भोला एक ही भोलानाथ शिवबाबा कहलाता है
कोई इच्छा बिना बच्चों की सेवा करने आता है
माया की गुलामी से बच्चों को छुड़ाने आता है
अपने जैसे हमें भी मास्टर ज्ञान सागर बनाता है
कहते बाप मैं बच्चों का गुलाम बनकर आता हूँ
माया की गुलामी से अपने बच्चों को छुड़ाता हूँ
बाप की याद में माया छोड़ेगी विघ्नों रूपी तीर
लेकिन बच्चों बने रहना माया के आगे महावीर
शांति धर्म में स्थित रह माया से खुद को बचाना
पुरानी दुनिया के प्रति मन में पूरा वैराग्य जगाना
अपना लौकिक जीवन अलौकिक बनाते जाओ
पवित्रता की खुशबू अपने घर में फैलाते जाओ
मन बुद्धि की एकाग्रता से कमजोरियां मिटाओ
बाप की नजरों में सच्चे योगी तपस्वी कहलाओ
ॐ शांति