मुरली कविता दिनांक 01.03.2018
बीत जायेगी कलियुगी रात जरूर होंगे उजाले
बाप के साथ घर जाने के दिन अब आने वाले
बाप को याद करते रहो चूको ना एक भी पल
रात अंधेरी कलियुग की जल्द ही जाएगी ढ़ल
बाप संग स्वर्ग बनाने की हमने ली जिम्मेदारी
स्वर्ग में जाने की नहीं है अशुद्ध इच्छा हमारी
जग को स्वर्ग बनाने का हम तो फर्ज निभाते
इसी कारण बाप हमें स्वर्ग का मालिक बनाते
जिसने हर पल अपना स्वदर्शन चक्र फिराया
जान पायेगा वही कि मैं करीब स्वर्ग के आया
पांच विकारों से जो खुद को पूरा मुक्त बनाता
सिर्फ वही स्वर्ग में जाकर लक्ष्मी को वर पाता
देवता बनाने वाले बाप प्रति रखो सच्चा प्यार
महिमा करो बाप की ना करो खुद का सत्कार
ज्ञानी और योगी आत्मा पहले खुद को बनाओ
यथार्थ कर्मों के द्वारा फल सफलता का पाओ
बड़ी दिल रखकर हर खजाने को तुम लुटाओ
इसी विधि से खुद का भण्डारा भरपूर बनाओ
ॐ शांति