मुरली कविता दिनांक 24.03.2018


रूहानी पथिकों तुम पुरानी दुनिया को भुलाओ

प्रभु याद में रहकर घर की ओर कदम बढ़ाओ

बाप को पाकर खुद को समझो तुम भाग्यवान

वारिस बनाया उसने मानो उसका तुम एहसान

परमधाम का राही बाबा सबको ले जाने आया

आओ चलें संग उसके त्यागकर अपनी काया

गृहस्थ में रहकर बच्चों याद की यात्रा बढ़ाओ

भूलकर पुराना संसार सच्चा सन्यास अपनाओ

संशय में आकर कमजोर ना खुद को बनाओ

करो भरोसा बाबा पर निश्चय बुद्धि बन जाओ

सच्ची मानवता का आत्म अभिमान है आधार

अपनी आत्म शक्तियों को कर लो तुम साकार

अपनी मनसा से जो सदा करता रहता हो दान

संकल्पों को वश में करके वो बन जाता महान

ॐ शांति