मुरली कविता दिनांक 14.05.2018


अशरीरी बनकर सच्ची शांति का अनुभव पाओ

केवल कर्म व्यवहार हेतु तन का बाजा बजाओ

बाबा की यही कमाल आप समान मीठा बनाते

मनुष्य से देवता बनाकर हमें पूजन योग्य बनाते

हम ही थे और हम ही बनेंगे रखना सदा ये याद

सदा सलामती के लिये करते रहो बाप को याद

केवल खुद को कभी तुम शांति में नहीं बिठाना

बाप को याद कर सर्वशक्तियाँ भी बाप से पाना

सबके प्रति कल्याण की भावना मन में जगाओ

जग को बदलकर विश्व कल्याणकारी कहलाओ

त्रिकालदर्शी स्थिति में रहकर निर्णय लेते जाओ

इसी विधि के द्वारा हर कार्य में सफलता पाओ

ॐ शांति