मुरली कविता दिनांक 09.03.2018
मीठे बच्चे सच्चे बाप के साथ रखो सदा सच्चाई
कदम कदम पर जमा करो तुम पदमों की कमाई
शांतिधाम में जाकर ही सच्ची शांति को पाओगे
जीवनमुक्ति में जाकर ही सच्चे सुख को पाओगे
बाप की श्रीमत अपनाकर सुख शांति तुम पाओ
भटके हुओं पर तरस खाकर सच्चा मार्ग बताओ
मुक्ति के लिए बाप को याद कर बनो निर्विकारी
जीवनमुक्ति के लिये बनो तुम स्वदर्शन चक्रधारी
हर भटकने वाले को अपने घर का रस्ता बताना
मुक्ति जीवनमुक्ति का वर्सा सबको तुम दिलाना
प्रभु याद और सेवा में जो खुद का समय लगाते
कदमों में पदम कमाकर बड़े व्यापारी कहलाते
कमाई करके भी जिसने निर्माण खुद को बनाया
ऐसे मायाजीत के पास कभी नहीं आएगी माया
अर्पण जो कर देता है बाप के आगे अपनी सेवा
केवल वही खा सकता है सफलताओं का मेवा
ॐ शांति