मुरली कविता दिनांक 20.06.2018


ईश्वरीय शिक्षा धारण कर पुण्यात्मा बन जाओ

योगबल से अपने पापकर्मों का खाता चुकाओ

संगदोष में आकर बच्चों खराब तुम हो जाओगे

सच्चे प्यारे मीठे बाप में भी संशय को उठाओगे

पाप की दुनिया में आकर शिवबाबा हमें पढ़ाता

पुण्यात्माओं की दुनिया में जाना हमें सिखाता

करोगे जितना याद मुझको पाप उतरते जाएंगे

विकर्म विनाश होंगे सभी पुण्यात्मा बन जाएंगे

चलना है स्वीट होम तो खुद को स्वीट बनाओ

संगदोष में आकर बाप की याद नहीं भुलाओ

बाप का बनकर बाप की बदनामी नहीं करना

अंतिम दृश्य के लिए तुम ब्राह्मण बनकर रहना

मन वाणी कर्म को एक साथ सेवा में लगाओ

सर्व प्रकार की सेवा से सहज सफलता पाओ

मनसा में रखना तुम सबके प्रति शुभ भावना

वाणी द्वारा बाप से संबंध जोड़ने की कामना

संबंध के द्वारा स्नेह शांति का अनुभव कराओ

सेवा करके खुद को सफलता सम्पन्न बनाओ

शुद्ध संकल्पों को जीवन का खजाना बनाओ

सर्व के प्रति कल्याणकारी संकल्प उपजाओ

ॐ शांति