मुरली कविता दिनांक 01.06.2018


अशरीरीपन की ड्रिल ही नम्बर वन कहलाती

यही प्रेक्टिस पूरे वायुमण्डल में शांति फैलाती

बाप का फरमान है यही ड्रिल तुम करते जाओ

सारे संसार में शांति के प्रकम्पन फैलाते जाओ

खुश वही रहते हैं जो विघ्नों से कभी नहीं डरते

कोई कलंक लगे तब भी वो परवाह नहीं करते

बीज रूप मानव सृष्टि का मैं हूँ कालों का काल

आऊं सबको ले जाने जब माया मचाये भूचाल

तोड़ विकारों की मटकी कलश ज्ञान का पाओ

पूर्ण पावन बनकर सतयुग का मक्खन खाओ

एक जन्म शिवबाबा को अपना वारिस बनाओ

इसी विधि द्वारा 21 जन्मों की तक़दीर बनाओ

साक्षात्कार की आस ज्ञान के बदले ना लगाना

सर्व समर्थ है संग तुम्हारे विघ्नों से ना घबराना

अलौकिक स्वरूप की स्मृति को मन में जगाना

अलौकिक कर्म करके समर्थ आत्मा बन जाना

स्व उन्नति का चश्मा जब आंखों पर चढ़ाओगे

औरों की विशेषताओं को तब ही देख पाओगे

ॐ शांति


New Page 1