ब्रह्मा बाबा के स्मृति दिवस पर कविता
संस्कार बड़े ही सुन्दर लेकर वो दुनिया में आया
उसकी रूहानी छवि देखकर मन सबका हर्षाया
बढ़ी उम्र तो उसकी आभा भी उतनी बढ़ती गई
प्रति दिन उसकी रूहानी सुन्दरता निखरती गई
श्रेष्ठ कर्म करते रहकर उसने जीवन किया महान
चेहरे से लगने लगा वो हर किसी को देव समान
रूहानी सुन्दरता का ये राज उससे पूछा न गया
हमसे उसकी छवि को निहारे बिना रहा न गया
जान लिया हमने ये है शुद्ध संकल्पों का कमाल
इसीलिए उसने बनाया हर आत्मा को खुशहाल
उम्र भले झलके चेहरे पर फिर भी वो आकर्षक
निहारते हम उसको हर पल बनकर मूक दर्शक
उसके एक एक कर्म देखकर हुआ हमें एहसास
कैसे किया होगा उसने अपने चरित्र का विकास
बातों ही बातों में कोई आदि देव नहीं बन जाता
करके गहन तपस्या वो खुद को पूरा ही तपाता
योगाग्नि से वो बनकर निकला कुन्दन के समान
इसीलिये तो कहलाया अपना ब्रह्मा बाबा महान
तन से बूढ़ा होकर भी सदा बैठा होकर सावधान
जीवन से मिटाया जिसने माया का नाम निशान
दिल की उदारता से जिसने सब बच्चों को पाला
विकारों में डूबे हुओं को सहज रूप से निकाला
उसकी वृत्ति दृष्टि भावना में था कल्याण समाया
औरों लिए खुद को उसने विश्व कल्याणी बनाया
पवित्रता को उसने अपना मूल व्यक्तित्व बनाया
पवित्रता के बल पर ही पहले नम्बर में वो आया
देह में रहकर भी ब्रह्मा बाप रहते थे सदा विदेही
मनसा वाचा और कर्मणा बन गये सर्व के स्नेही
बाप होकर भी जिसने किया बच्चों का सम्मान
नहीं था जिसके भीतर अहंकार का नाम निशान
अलौकिक जन्म देकर माँ का पार्ट भी निभाया
छत्र छाया बनकर उसने सबको दिल में बसाया
बच्चों की हर कमी कमजोरी को उसने समाया
श्रीमत देकर उसने हर मुश्किल को पार कराया
एकान्तप्रिय होकर भी बाबा थे सदा मिलनसार
श्रेष्ठ व्यवहार से किया अपकारी पर भी उपकार
किया जिसने निराकारीपन का पक्का अभ्यास
यादों में बसाया था जिसने शिव को श्वासों श्वास
ईश्वरीय मत को जिसने हृदय से किया स्वीकार
निश्चय बुद्धि बनकर पाया विजय का अधिकार
रहता था मुख पे सदा बेफिक्र बादशाही का नूर
सम्पूर्णता की मंजिल पाई करके पुरुषार्थ भरपूर
देहभान त्यागकर जिसने दिव्यता को अपनाया
कर्मातीत अवस्था से खुद को एवर रेडी बनाया
एकाग्र होकर शुभ संकल्पों के प्रकम्पन फैलाये
दिल शिकस्त आत्माओं के चेहरे उसने खिलाये
सहयोग दिया था जिसने सबका सहारा बनकर
अपने बच्चों को जिसने प्यार किया जी भरकर
इसीलिए हर पल हम उनकी आभा को निहारते
वतन में जाकर उनके संग अपना वक्त गुजारते
विश्व परिवर्तन का कर्तव्य वो आज भी निभाता
हम सब बच्चों से मिलने अब भी वतन से आता
कर लें ऐसे ब्रह्मा बाप का दिल से हम अनुसरण
हम भी कर लें बाप समान जिम्मेदारी का वरण
पुरुषार्थ की गति बढ़ाकर कर्मातीत स्थिति पायें
इस वर्ष हम भी खुद को ब्रह्मा बाप समान बनायें
ॐ शांति