मुरली कविता दिनांक 19.03.2018
जो ना दिखाई देता दिल में उसकी याद बसाते
उसको याद करके ही विकर्म विनाश हो जाते
देहभान की आदत को जीवन से तुम मिटाओ
अवगुण सभी मिटाकर पावन खुद को बनाओ
शिव शक्ति पांडव सेना के खड़ी सामने माया
उससे वही जीतेगा जिसने श्रीमत को अपनाया
जन्म जन्म का देहभान राजयोग से मिटाओ
बनकर तुम आत्माभिमानी मेरे संग घर आओ
21 जन्म वर्सा पाने का दिल में नशा चढ़ाओ
बाप समान खुद को ज्ञान का सागर बनाओ
फल की इच्छा त्यागकर जो सेवा करता जाये
केवल वही आत्मा निष्काम सेवाधारी कहलाये
अपनी अव्यक्त स्थिति को हर दिन तुम बढ़ाओ
आनन्द स्नेह शक्ति का अव्यक्ति अनुभव पाओ
ॐ शांति