मुरली कविता दिनांक 31.01.2018
बच्चों आपस में मिलकर पांचों भूतों को हराओ
मीठे बाबा से बदले में तुम बेहद का सुख पाओ
बाप की आज्ञाओं की जो बच्चे अवज्ञा करते हैं
धारणा टूटती उनकी विकारों में जाकर गिरते हैं
मंजिल बड़ी है ऊंची तुम्हें चलना है सम्भलकर
धारणा स्वरूप बनना बाप की मत पर चलकर
नर्क को स्वर्ग बनाने का परमपिता देते आदेश
बनकर पावन चलना तुमको बच्चों अपने देश
सिर्फ बाप ही आकर बच्चों को माया से छुड़ाते
घर वापस चलने का तरीका केवल वही बताते
गृहस्थ में रहकर भी जिन्होंने पवित्रता अपनाई
बाप करते उन बच्चों की दिल खोलकर बड़ाई
आसुरी मत को छोड़कर श्रीमत को अपनाओ
बनकर पूरे पावन बच्चों घर अपने तुम जाओ
भले हो कोई महारथी माया ना किसी को छोड़े
अपना बनाकर बच्चों को बाप से मुख वो मोड़े
अपनी जुबान से कभी पत्थर ना कोई निकालो
मनमत सारी छोड़कर ईश्वरीय मत अपना लो
अपने मन की अवस्था को श्रेष्ठ बनाते जाओ
एकरस स्थिति बनाकर सहजयोगी कहलाओ
खुशी के हर खजाने के अधिकारी जो बन जाते
सिर्फ वही बच्चे सब पर खुशियाँ अपार लुटाते
ॐ शांति