मुरली कविता दिनांक 26.04.2018


ज्ञान रत्न कमाने की बच्चों जिम्मेदारी निभाओ

अपने संग औरों को भी ज्ञान से भरपूर बनाओ

बाप सदा सबको सुख देने का संकल्प चलाते

हम बच्चों को भी बाप सुखदाता बनाना चाहते

बाप कहते बच्चों से सदा शुभ संकल्प चलाओ

अपने मन में कभी कोई विकल्प ना उपजाओ

बने हो कितने पुण्यात्मा ये चेक करो तुम रोज

हर अवगुण को निकालो करके उसकी खोज

सबसे ज्यादा करेगा बच्चों आपका मन हैरान

योग नहीं करोगे तो मन ही बन जायेगा शैतान

शादी का ख्याल छोड़कर गुल गुल बन जाओ

स्वर्ग में शादी कर पटराजा पटरानी पद पाओ

बेहद का सुख देने के लिए बाप यही समझाते

बाप को भूलकर देहधारी याद तुम्हें क्यों आते

देहभान अगर आया तो यात्रा ना कर पाओगे

माया के कारण तुम बड़े घाटे में चले जाओगे

मुख से ज्ञान रत्न निकालो बुद्धि शुद्ध बनाकर

दुख कभी ना देना खुद को सुखदाता बनाकर

इच्छाओं रूपी मृग तृष्णा का पूरा त्याग करो

ईश्वरीय ज्ञान योग की तुम सच्ची कमाई करो

खेल समझकर विघ्नों को उनके संग तुम खेलो

हंसते गाते विघ्नों पर जीत पाने का सुख ले लो

ॐ शांति