मुरली कविता दिनांक 05.05.2018
दो बार ज्ञान स्नान करके करो खुद की संभाल
वरना भूल करवाकर माया कर देगी बुरा हाल
शिवबाबा प्रति दिल में पक्का निश्चय बिठाओ
प्यार से सबकी सेवा कर मदद बाप की पाओ
बलि बाप पर चढ़कर जो पूरा ट्रस्टी बन जाता
ऐसी आत्मा के लिए बाप मददगार बन जाता
बच्चों ज्ञान योग में तुम जितना तीखे जाओगे
राजधानी में उतना ही तुम उत्तम पद पाओगे
डरो नहीं परीक्षाओं से ये तो सब पर आयेगी
मनसा वाचा कर्मणा भूलें भी तुमसे करायेगी
माया के तूफानों में हर कर्मेन्द्रिय को सम्भालो
मायाजीत बनकर खुद को जगतजीत बना लो
खानपान की बच्चों को रखनी पूरी सावधानी
कुछ भी हो जाये कोई अशुद्ध वस्तु नहीं खानी
ब्राह्मण जीवन की विशेषता कार्य में लगाओ
इसी विधि से सर्व विशेषता सम्पन्न बन जाओ
मनमनाभव की स्मृति जितनी बढ़ती जाएगी
मन भटकन की आदत उतनी घटती जाएगी
ॐ शांति