मुरली कविता दिनांक 10.02.2018
मनमनाभव की हर बूंद है मीठे ज्ञानामृत समान
करते और कराते जाओ इस ज्ञानामृत का पान
हर आत्मा को तुम बाप का परिचय देते जाओ
जीवन मुक्ति की खुराक खाओ और खिलाओ
सबसे उत्तम सेवा ज्ञान योग का भोजन कराना
अतीन्द्रिय सुख का तुम सबको अनुभव कराना
बाप से हम बच्चों ने ज्ञान का तीसरा नेत्र पाया
इस पुरानी दुनिया को शिव बाप बदलने आया
खुशी की खुराक बांटकर सबका करो सत्कार
दुखी आत्माओं पर करो ये सबसे बड़ा उपकार
दैवी गुण धारण करो और दैहिक भान मिटाओ
सुखदाता बाप के तुम सच्चे आशिक बन जाओ
शांतिधाम सुखधाम को तुम याद करो बारम्बार
जीवन नैया कर देगा खिवैया भवसागर से पार
चले जो बाप की मत पर वो महावीर कहलाता
खुद को आत्मा समझकर भ्रातृत्व भाव जगाता
देहभान के वश होकर माया से कभी मत हारो
देहभान पर ज्ञान हथौड़ा तुम पूरा जोर से मारो
आत्मा समझकर आत्मा से करो सदा तुम बात
देह अभिमान मिटाने का प्रयास करो दिन रात
भाई भाई की दृष्टि से महावीर बन दिखलाओ
उल्टी सुल्टी बातें सुनकर बच्चों चुप हो जाओ
मनसा वाचा कर्मणा तीनों सेवाएं करते जाओ
सेवा के सब खातों को तुम रोज बढ़ाते जाओ
खुद पर शासन करके बनो स्वराज्य अधिकारी
राज्य करने को मिलेगी तुमको ये दुनिया सारी
ॐ शांति