मुरली कविता दिनांक 25.04.2018


योग ही तुम्हारी हर पुरानी आदत को मिटायेगा

सर्व गुण धारण होंगे शक्तिशाली तुम्हें बनायेगा

ध्यान ना दोगे पढ़ाई पर तो रेस में थक जाओगे

काम क्रोध के वश होकर ऊपर ना चढ़ पाओगे

बाप रोज समझाते बच्चों अपनी चलन सुधारो

किंतू बच्चे नहीं सुधरते कितना भी माथा मारो

नहीं भरोसा मौत का पता नहीं कब आ जाये

बिना पृरुषार्थ के तुम्हारा जीवन चला ना जाये

ईश्वरीय सेवा में तुम अपनी तत्त्परता दिखाओ

सपूत बच्चे बनकर बाप का दिल तख्त पाओ

पूछ रहे आज बाबा बच्चों को देकर याद प्यार

जरा बताना बाप से तुम करते हो कितना प्यार

गॉडली बुलबुल बनकर बाप का नाम चमकाओ

ज्ञान की धारणा कर अपने मैनर्स अच्छे बनाओ

दौड़ी लगाओ विजय माला में पिरोये जाने की

सोचो नहीं तुम ब्राह्मण जीवन से थक जाने की

अपने अन्दर मालिकपन की अवस्था जगाओ

प्रकृति को दासी बनाकर सहयोग उसका पाओ

प्रकृतिजीत आत्मा को हलचल नहीं सताएगी

उसकी तरफ और आत्मायें सहारा लेने आएगी

मन बुद्धि को बाप की याद में ऐसा तुम डुबाओ

अलौकिक सुख और मनरस का अनुभव पाओ

ॐ शांति