मुरली कविता दिनांक 20.02.2018
विकारमुक्त ब्राह्मण जब खुद को तुम बनाओगे
तब ही स्वर्ग में जाकर नारायण का पद पाओगे
यज्ञ के प्रति जिसने समझा खुद को जिम्मेदार
पावन बनाने की सेवा पर जो रहता सदा तैयार
बाप की दृष्टि में वो बच्चा कहलाता समझदार
सम्मान स्वरूप पाता वो रूहानी बाप का प्यार
जो रहते हैं पावन केवल वो ही ब्राह्मण कहलाते
श्रीमत पर ब्रह्माकुमार ब्रह्माकुमारी वो बन जाते
बाप की याद से खुद को देही अभिमानी बनाना
मीठे बच्चों सूक्ष्म रूप से सहयोग बाप का पाना
केवल बाप की याद बच्चों को पापों से बचायेगी
पावन बनाकर तुम बच्चों को राजाई दिलायेगी
लाडले बच्चों तुम्हारे अंदर आये ना कोई विकार
विकारमुक्त होकर शुद्ध बना लो अपने संस्कार
कल्याणकारी शिव बाबा दिव्य रूहानी सितारा
उनके जैसा चमकता हुआ रूहानी रूप हमारा
सुखदाई बन जाना दिल ना किसी का दुखाना
हर बोझ बाप को देकर श्रीमत पर चलते जाना
स्व परिवर्तन की भावना सफलतामूर्त बनायेगी
सच्चा सोना बनाकर विजय तिलक दिलायेगी
मन बुद्धि में शिव बाबा की इतनी याद समाना
अपने नयनों द्वारा बाप की झलक दिखलाना
ॐ शांति