मुरली कविता दिनांक 10.01.2018
तन को याद करके तुम ना बनो भूत अभिमानी
विदेही बाप को याद करके बनो देही अभिमानी
एक बाप ही सृष्टि को सदा के लिये सुखी बनाते
इसी सेवा के कारण उनके ऊंचे यादगार बनाते
माया के वश होने से ही बच्चे पुजारी बन जाते
मुक्त हो जाते जब माया से पूज्य तभी कहलाते
जन्म मरण में आने वाले नहीं कहलाते भगवान
हड्डी मांस के पुतले हैं सब पांच तत्वों के मकान
ज्ञान सूर्य और ज्ञान चन्द्रमा के हम लकी सितारे
पाकर ज्ञान प्रकाश इनसे बन जाते चमकते तारे
आओ मेहनत कर हम ईश्वरीय संस्कार अपनायें
सतयुग के सब सुख पाने लायक खुद को बनायें
निराकार को याद करें बनकर तुम खुद निरकार
शूद्रों को ब्राह्मण बनाने की सेवा का करें विचार
सर्व शक्तियों को सारे विश्व की खातिर लगाओ
हर आत्मा को तुम शक्तिशाली अनुभव कराओ
बाप समान जब शक्तियाँ औरों को देते जाओगे
अपने संग संग औरों को सम्पन्न बनाते जाओगे
एकता और एकाग्रता की शक्ति जीवन में लाओ
ईश्वरीय सेवा के प्लान में सहज सफलता पाओ
ॐ शांति