मुरली कविता दिनांक 01.01.2018


बन गए हो मरजीवा तो सब कुछ तुम भुलाओ

बाप जो कहते वह श्रीमत जीवन में अपनाओ

बाप और चक्र को याद करो अशरीरी बनकर

सद्गति को पाओगे बच्चों सदा निरोगी बनकर

जन्म बिताये देवों और असुरों के संग रहकर

एक जन्म देख लें भगवान के संग भी रहकर

बाबा कहते बच्चों को भूलो पिछली हर बात

मनमनाभव मध्याजी भव मंत्र जपो दिन रात

कर लो विकर्म विनाश बाप की याद में रहकर

रोज रोज बाबा जाते हैं यही बात हमें कहकर

अपने मन दर्पण में रोजाना चेहरा देखें अपना

क्या पूरा होगा मेरा लक्ष्मी को वरने का सपना

बाप ने आकर तुम सबको धक्कों से छुड़ाया

अंध श्रद्धा के महारोग से तुम सबको बचाया

बैठकर ईश्वरीय पाठशाला में कर लो ये पढ़ाई

पांच विकारों की दुनिया से ले लो तुम विदाई

बाप की श्रीमत अपनाकर करो बेहद की सेवा

नशा चढ़ाओ बेहद की बादशाही पाने का मेवा

अपना हर संकल्प बनाओ इतना आलीशान

व्यर्थ मिट जाये सारा और बन जाओ महान

ॐ शांति