मुरली कविता दिनांक 05.07.2018


पूरा बैगर बन जाओ सब कुछ तुम भुलाकर

रखो शिवपुरी विष्णुपुरी से बुद्धियोग लगाकर

फ्राकदिल बनकर तुम सेवा को बढ़ाते जाओ

अच्छे पद के लायक औरों को बनाते जाओ

नहीं करना कभी किसी से पैसों की दरकार

सतगुरु का शो करना बनकर पूरा निर्विकार

बाप ने आकर तुम्हें सच्ची ज्ञान मीरा बनाया

ऊंच पद पाये वो जिसने बचपन ना भुलाया

ज्ञानामृत में डूबकर तुम सारी कट निकालो

पावन होकर खुद को सच्चा सोना बना लो

मनमनाभव का कवच खुद को तुम पहनाना

माया शत्रु के हर वार से खुद को तुम बचाना

आसक्ति मिटाकर देही अभिमानी बन जाओ

श्वासों श्वांस मीठे बाप को याद करते जाओ

सर्व प्राप्ति सम्पन्न होकर रूहानी मौज मनाओ

अपने ब्राह्मण जीवन को मेहनत मुक्त बनाओ

हल्की महीन बुद्धि व्यक्तित्व में निखार लाती

अलौकिक सौंदर्य से मुख मंडल को चमकाती
 

ॐ शांति