मुरली कविता दिनांक 21.02.2018
हर
और से सबके प्रति बुद्धि की प्रीत मिटाओ
बाबा की याद में सर्व सम्बन्धों का सुख पाओ
ज्ञान रत्नों का दान करके बन जाओ साहूकार
ऐसी सर्वोच्च सेवा का जगाओ मन में संस्कार
श्रेष्ठ मत परमात्मा की ये धोखा कभी ना देती
इसे अपनाने वाले को ये जन्म जन्म सुख देती
सबको सुख देने बाबा साधारण तन में आया
प्रवेश किया था जिसमें ब्रह्मा उसको बनाया
बाप से ज्ञान मिलता हमको सद्गति देने वाला
21 जन्म तक हमको दुख से दूर रखने वाला
विश्व सेवा के लिए हम बने बाप के मददगार
विनाशी धन दौलत की हमको नहीं दरकार
सद्गति पाकर हम बच्चे जीवनमुक्ति में जायेंगे
बाप के बाकी बच्चे केवल मुक्ति को पायेंगे
मन बुद्धि में अगर रह गया क्रोध रूपी विकार
कभी ना कभी खिला देगा बच्चों तुमको हार
लिया हो जिसने हाथों में शिवबाबा का हाथ
माया से बचायेगा उन्हें बाबा देकर पूरा साथ
अपना एक भी श्वांस तुम व्यर्थ में नहीं गंवाना
श्रीमत छोड़कर कोई भी विकर्म नहीं बनाना
एक बल एक भरोसा है सफलता का आधार
सच्ची लगन से हो जायेंगे सारे विघ्नों से पार
सर्वशक्तिमान है संग जहाँ ना रहती कोई बात
सब विघ्न दूर हो जाते सफलता लगती हाथ
पवित्रता की मुस्कान से मुख मंडल सजाओ
केवल पवित्रता को अपना व्यक्तित्व बनाओ
ॐ शांति