मुरली कविता दिनांक 31.03.2018
ज्ञान योग के बल से पुराने पापों को चुकाना है
इसी योगबल से खुद को हेल्दी वेल्दी बनाना है
पूरे कल्प में सिर्फ संगमयुग ही विशेष कहलाता
इसी युग में परमात्मा हम बच्चों से मिलने आता
शिक्षक बनकर परमात्मा हम बच्चों को पढ़ाता
संगम पर बाबा सनातन धर्म की कलम लगाता
कर्मों का हिसाब चुकाकर हम घर वापस जाते
इसीलिए संगमयुग को बाबा विशेष युग बताते
नाटक 84 जन्मों का छोड़कर ना कोई जायेगा
घर चलेंगे हम सारे जब संगम पर बाबा आयेगा
बाप से मिले ज्ञान धन का तुम दान सबको देना
गुप्त रीति से पढ़कर 21 जन्म की राजाई लेना
बाप टीचर गुरु के रूप में करना बाबा को याद
कोई देहधारी की अब तुम्हें कभी ना आये याद
बिंदू बाप की याद से हर सेकण्ड करो कमाई
पद्मापति बनकर खाओ अनेक जन्म राजाई
बिगड़ी हुई बात का शुभभावना से करो सुधार
श्रेष्ठ सेवा का बना लो बच्चों एक यही आधार
ॐ शांति