मुरली कविता दिनांक 25.06.2018
वानप्रस्थ अवस्था चल रही बच्चों अभी तुम्हारी
घर जाना है बाप की याद में लगाओ शक्ति सारी
63 जन्मों की भक्ति का फल देते हमें भगवान
21 जन्म तक दुख का नहीं होगा नाम निशान
वाणी से परे हम बच्चों को मूल वतन जाना है
वानप्रस्थ में जाने का पुरुषार्थ रोज बढ़ाना है
कहते बाप मैं बच्चों को वापस ले जाने आया
याद किया जिसने मुझे वो मेरे धाम में आया
बाप ने बच्चों को बनाया है स्वदर्शन चक्रधारी
ज्ञान की धारणा से बढ़ जाएगी खुशी तुम्हारी
हर कल्प के अंत में बाप भारत में ही आते हैं
हम बच्चों के द्वारा भारत को पावन बनाते हैं
इस बने बनाये ड्रामा पर निरन्तर चलते जाना
ज्ञान की स्मृति से स्वदर्शन चक्रधारी बन जाना
भक्तों को सत्य भगवान का परिचय देते जाना
मददगार बनकर खुदाई खितमतगार कहलाना
विजयी रत्न की मन में अखण्ड स्मृति जगाओ
सदाकाल के लिए विघ्नों को जीवन से भगाओ
ईश्वरीय सेवा में जो खुद को अर्पित करते जाते
सिर्फ वही बच्चे बापदादा से आफरीन को पाते
ॐ शांति