मुरली कविता दिनांक 26.01.2018
मोती चुगते हैं ज्ञान के हंस मण्डली में हम
सारे
ज्ञानसूर्य से पढ़ने वाले हम बच्चे लकी सितारे
इस ड्रामा की अंत है अब नई दुनिया में जाना
पवित्र बनकर औरों को भी पवित्र हमें बनाना
सम्मुख हैं बाप के फिर नाम रूप बदल जायेंगे
संगमयुगी ब्राह्मण फिर देवी देवता बन जायेंगे
आया मैं तुम सब बच्चों को वापस घर ले जाने
आदमशुमारी बढ़ी है इतनी ज्यूँ सरसों के दाने
धर्म ग्लानी के समय मीठे बाबा धरा पर आते
पतित बन गये बच्चों को फिर से पावन बनाते
मुझे याद करके बच्चों पावन तुम बन जाओगे
पवित्रता के बल पर सम्मान जगत में पाओगे
अपना तन मन धन ईश्वरीय सेवा में लगाकर
दम लेना बच्चों तुम्हें संसार को स्वर्ग बनाकर
सच्चा सेवाधारी बन माया से सबको छुड़ाना
कौड़ी से हीरे समान तुम्हें बनना और बनाना
विचार सागर मंथन में अपना समय लगाना
अलौकिक सेवा की और आगे कदम बढ़ाना
मेरा बाबा दिल से कहकर जो मुझको पुकारे
रहम स्नेह में रूप में उसे मिलते सभी सहारे
बाप की रहम दृष्टि बच्चों को सम्पन्न बनाती
मेरेपन की यथार्थ स्मृति आशीर्वाद बन जाती
अनुभव किया जिसने दिल से बाप का प्यार
और कुछ भी पाने का वो करता नहीं विचार
ॐ शांति