मुरली कविता दिनांक 19.01.2018


बाप की शिक्षायें धारण कर बुद्धि को चमकाओ

ज्ञान को धारण करके तुम औरों को भी कराओ

जानो कैसे आता है जग में सृष्टि का रचनाकार

नर्क को स्वर्ग बनाने का कैसे करता है चमत्कार

मात पिता बनकर भी वो कहलाता है निराकार

ब्रह्मा तन में आकर वो बदलता ये सारा संसार

रावण के कारण जब सब पत्थरबुद्धि बन जाते

बच्चों को पारसबुद्धि बनाने बाप तभी तो आते

दो युगों तक बच्चों तुमने हद का वर्सा ही पाया

परमधाम से बाप तुम्हें बेहद का वर्सा देने आया

चक्र काट लिया पूरा हमने लेकर जन्म चौरासी

पांच विकारों ने फैला दी है सबके मन में उदासी

रहम करो मेरे परमपिता हर कोई उसको पुकारे

सबको सुखी बनाने आया दु:ख हरकर वो सारे

हिंसा की कोई बात नहीं है बाप से वर्सा पाने में

पूरी शक्ति लगाना तुम माया रावण को हराने में

21 जन्म का वर्सा लेना करके मुझे निरन्तर याद

मन बुद्धि में ना रहे अब किसी देहधारी की याद

सृष्टि चक्र पूरा हुआ अब ड्रामा फिर से दोहराना

पुजारीपने को त्यागकर पूज्य फिर से बन जाना

ईश्वरीय सेवा के प्रति स्नेही सहयोगी बन जाओ

अविनाशी रत्न का टाइटल बाबा से तुम पाओ

पवित्रता की धारणा यथार्थ रूप से करते जाओ

सेवा के हर कार्य में सदा सफलता पाते जाओ

ॐ शांति