मुरली कविता दिनांक 28.04.2018
लक्ष्य सोप के द्वारा आत्म शुद्धि करते जाना
मन बुद्धि में जमा हुआ तुम सारा मेल मिटाना
अनेक जन्म के पाप कर्मों का है सर पर बोझ
योग द्वारा मिटाते जाओ उनको तुम हर रोज
प्रभु याद में रहने से हर पाप की होगी धुलाई
केवल यही विधि हमें शिव बाबा ने सिखलाई
स्वच्छ यदि बनना है तो ज्ञान की सोटी खाओ
स्वच्छ बनकर फिर औरों को स्वच्छ बनाओ
स्वर्ग की राजाई के लिये संस्कारों को सुधारो
विकारयुक्त इस राजाई को बच्चों ठोकर मारो
बाप की याद बिना तुम पावन ना बन पाओगे
अगर पवित्र नहीं बने तो गन्दे ही रह जाओगे
नष्टोमोहा बनकर खुद को युक्ति से चलाओ
अपना कर्म रजिस्टर खराब होने से बचाओ
नींद जीतकर आत्मा की सफाई करते जाओ
अमृत वेले बाप की याद का अभ्यास बढ़ाओ
देह और देह के सम्बन्ध से जो न्यारे हो जाते
मिटने वाली दुनिया से भी वे साक्षी हो जाते
सम्बन्ध सम्पर्क में आकर भी सदा न्यारे रहते
सर्व आकर्षण से मुक्त वो सदा निर्लेप ही रहते
ऐसे सहजयोगी को माया का नहीं लगता वार
न्यारे रहकर सदा पाते बाप का रूहानी प्यार
मन बुद्धि से सबके प्रति शुभकामना जगाओ
इसी सूक्ष्म सेवा से महान आत्मा कहलाओ
ॐ शांति