मुरली कविता दिनांक 08.03.2018


सबको बताना शिव परमात्मा की सत्य पहचान

युक्ति से सबको बताना सर्वव्यापी नहीं भगवान

पुण्यात्मा से पापात्मा हमें रावण आकर बनाता

बाबा आकर पापात्मा से पुण्यात्मा हमें बनाता

रावण के बेर छुड़ाय ज्ञान रत्न सबसे चुगवाओ

सेवा में व्यस्त रहकर अपनी खुशी को बढ़ाओ

अमृत वेले बाप के प्यार में डूबकर याद करना

चलते फिरते याद में रहने का अभ्यास करना

अपनी बुद्धि का योग जोड़कर रखना बाप से

धारणा होगी तब ही छुटकारा मिलेगा पाप से

शुभकामनाएँ देना पहनकर सन्तुष्टता का हार

क्रोध करने का नहीं लाना मन में कभी विचार

शुभभावना रखना चाहे कोई गलती करे हजार

जगाये रखना खुद में तुम रहमदिली के संस्कार

परमात्म प्यार का मीठा अनुभव जिसने पाया

उसके पुरुषार्थी पथ पर विघ्न कभी ना आया

ॐ शांति