मुरली कविता दिनांक 04.06.2018
गृहस्थ में रहते ईश्वरीय पढ़ाई का कोर्स उठाओ
इस विद्यालय में पढ़कर देवी देवता बन जाओ
शिवबाबा हम बच्चों को कौड़ी से हीरा बनाते
पावन बनाने वाले बाप की बलिहारी हम गाते
दुर्योधन और द्रौपदी बन गए हैं नर और नार
लज्जा हमारी बचाओ करती हर नारी पुकार
रावण बैठा सबके अंदर बदलकर अपना वेश
हर मनुष्य मात्र में हो गए हैं पांच विकार प्रवेश
अष्ट शक्तियाँ सबको देते शिवबाबा यहां आकर
सम्मान दिलाते नारी को शक्तिस्वरूपा बनाकर
पांच विकारों से भारत बना नरक और कंगाल
राजयोग से बनाओ इसको फिर से मालामाल
पांच विकार मिलकर जग में मचा रहे कोहराम
नवदुर्गा बनकर मिटा डालो इनका नाम निशान
रूहानी यात्रा में सबके संग चलते चलाते जाना
पतित दुनिया को भूल वर्से में बुद्धि को लगाना
बुद्धि में सदा ही रखना तुम सृष्टि चक्र का ज्ञान
पढ़ाई पढ़कर बनना और बनाना सबको महान
ज्ञान बल से सम्पन्न बन ज्ञान प्रकाश फैलाओ
ज्ञान संजीवनी देकर मूर्छित को होश में लाओ
मात्र यही ईश्वरीय सेवा महावीर तुम्हें बनाएगी
विश्व कल्याण के कार्य में विजय तुम्हें दिलायेगी
एक दिलाराम से जो सदा अपना दिल लगाते
वही बाप की नजरों में सच्चे तपस्वी कहलाते
ॐ शांति