मुरली कविता दिनांक 13.01.2018
पवित्रता के बल पर भारत को स्वर्ग बनाओ
गृहस्थ में तुम रहकर भी सारे तोड़ निभाओ
रिवाज यहां का बच्चों तुम्हें मरजीवा बनाता
घर में रहते तुमको ज्ञानामृत पीना सिखाता
पावन बनने का तुमको लक्ष्य दिया है जाता
पुरानी दुनिया से पूरा मरजीवा बनाया जाता
ब्रह्मा तन में आकर बाप गीता ज्ञान सुनाते
कल्प बाद फिर से राजाओं का राजा बनाते
अपना जीवन कमल फूल समान बनाओ
बाप के पास रोज ज्ञानामृत पीने को आओ
घर में रहकर पवित्र रहना होता नहीं आसान
पवित्रता की शक्ति हमें देता सिर्फ भगवान
निराकार वो सृष्टि का बीज रूप कहलाता
सबको साथ ले जाने वो परमधाम से आता
समझा रहा तुम्हें गीता ज्ञान सुनाने वाला
बन जाओ पवित्र अब सतयुग आने वाला
बच्चों घर में रहकर तुम सेवा करो रूहानी
बाप से वर्सा लेकर अपनी तकदीर जगानी
समर्थ बाप की स्मृति से कमजोरी मिटाओ
बाप समान तुम भी शक्तिशाली बन जाओ
अपने जीवन में जो गम्भीरता को अपनाये
सर्व सिद्धियां उसके आगे शीश झुकाये
ॐ शांति