मुरली कविता दिनांक 01.05.2018
मीठे बच्चे सदा रूहानी सेवा के पथ पर चलना
दुखधाम बनी दुनिया को सुखधाम में बदलना
हर आत्मा की मनोकामना पूर्ण तुम ही करना
सच्ची सुख शांति के लिए याद बाप को करना
पांच विकारों का महारोगी माया ने हमें बनाया
देव कुल की आत्माओं को पूरा असुर बनाया
बैठकर योग भट्ठी में सभी रोगों से मुक्ति पाओ
सबको तुम भुलाओ याद किसी को ना आओ
तन से न्यारे होकर याद करने का सही कायदा
इसी विधि से होता है याद की यात्रा में फायदा
करते रहना याद मुझे मैं पावन तुम्हें बनाऊंगा
दुखदाई कंसपुरी से तुम्हें कृष्णपुरी ले जाऊंगा
सम्पूर्ण पावन बनकर करना बाप का सहयोग
सदा लगाये रखना बच्चों केवल बाप से योग
भारत को सुप्रीम शांति देने की सेवा अपनाना
तन से न्यारे होकर बाप से सर्व शक्तियां पाना
बाप समान सम्पन्न स्वरूप खुद में तुम जगाना
समान समीप रहकर वरदानी मूरत कहलाना
पुरुषार्थी अगर बने तो वरदानी ना बन पायेंगे
पुरुषार्थी बच्चे किसी को वरदान ना दे पायेंगे
समय आया है याद की तीखी दौड़ी लगाओ
बाप की माला का विजयी मणका बन जाओ
ॐ शांति