मुरली कविता दिनांक 03.03.2018
बच्चों सेवा करते हुए कभी सुस्त नहीं हो जाना
विचार सागर मंथन कर ज्ञान को एक्ट में लाना
श्रीमत पर जो चलते और सेवा पर रहते तत्पर
राजी रहता है बाबा केवल ऐसे बच्चों के ऊपर
अपने लक्ष्य को लेकर सदा सावधान तुम रहना
चित्र अपने लक्ष्य का तुम बार बार देखते रहना
राजाई का नशा चढ़ेगा और खुशी छा जायेगी
यही विधि बच्चों तुम्हें मंजिल के पास लायेगी
सन्यास करो पुरानी सृष्टि का छोड़ो 5 विकार
जंगल में ना जाना तुम छोड़कर अपना घरबार
मन्दिर किसके यादगार सबको ये समझाओ
पूज्य से पुजारी कैसे बने सबको ये बतलाओ
धारण करके दैवी गुण स्वभाव मधुर बनाओ
गृहस्थ में रहकर खुद को कमल फूल बनाओ
बाप को खुश करने का बच्चों यही है आधार
श्रीमत पर चलकर कर लो अपना तुम सुधार
संकल्प स्वभाव संस्कार बाप समान बनाओ
हर आत्मा को अपनेपन का अनुभव कराओ
बाप समान बच्चे ही बड़े दिल वाले कहलाते
तन मन धन सम्बन्ध में वे सदा सफलता पाते
हर परीक्षा को करो तुम हर्षित होकर स्वीकार
जागृत कर लो खुद में परिपक्वता के संस्कार
ॐ शांति