मुरली कविता दिनांक 28.05.2018
पवित्रता की प्रतिज्ञा कर सगे बच्चे बन जाओ
यही विधि अपनाकर बाप से पूरा वर्सा पाओ
बाप के जैसा रहमदिल नहीं पाओगे संसार में
भूल करने वालों को रखता अपने परिवार में
बाप को छोड़कर बच्चे आखिर कहां जायेंगे
भूल करके पावन बनने बाप के पास आयेंगे
सम्पूर्ण पवित्र बनने वाला ही सगा कहलाता
एक वही सगा बच्चा मीठे बाप से वर्सा पाता
पावन बनते जाना है बाप की याद में खोकर
पुरानी दुनिया को हम बच्चों ने मार दी ठोकर
बनना है गुणवान अवगुण रूपी भूत भगाकर
ज्ञान धारण करवाओ मुरली सबको सुनाकर
निश्चय रूपी नींव को तुम पक्का करते जाओ
सेवा में सफल होकर विजय रत्न कहलाओ
उड़ता पंछी केवल वही आत्मा कहलायेगा
जो फ़रिश्तेपन का अभ्यास बढ़ाता जायेगा
ॐ शांति