मुरली कविता दिनांक 08.01.2018
सेवा करोगे ज्ञान सुनाकर औरों की तुम जितनी
ज्ञान से बुद्धि भी परिष्कृत होती जाएगी उतनी
संशय बुद्धि बनकर कभी सौतेले ना कहलाना
सम्पूर्ण समर्पित होकर बच्चों मातेले बन जाना
जो बच्चे अपना सर्वस्व ईश्वरीय सेवा में लगाते
सूक्ष्म रूप से वो सगे बच्चे मदद बाप की पाते
परमधाम से शिव बाबा पण्डा बनकर है आया
छूट गया धक्के खाना अपने घर का पथ पाया
बनकर पूरे पावन याद करो तुम मुझे निरन्तर
धन पाओगे बेहद का जीवन होगा अति सुन्दर
अविनाशी ज्ञान रत्नों के बन जाओ महादानी
निरन्तर याद में रहकर अच्छी अवस्था बनानी
करो साधना दिल का रिश्ता बाबा से जोड़कर
संग बाप के बैठो तुम संसार की बातें छोड़कर
सम्बन्ध जहां हो दिल का वहीं होती है साधना
वरना दुखड़े सुनाने वाली बन जाती आराधना
बाप की सब है जिम्मेदारी बेफिक्र बन जाओ
करावनहार बाप को स्मृति में रख उड़ते जाओ
ॐ शांति