मुरली कविता दिनांक 15.05.2018
आशीर्वाद माँ बाप का लेकर आगे बढ़ते जाना
श्रीमत विरुद्ध चलकर आशीर्वाद नहीं गंवाना
पतित से पावन बनने का बाप शुभ मार्ग बताते
यही मार्ग अपनाकर हम मुक्ति जीवनमुक्ति पाते
अपने पापों की गठरी बाप की याद से उतरेगी
इसी विधि से तुम्हारी बिगड़ी तक़दीर सुधरेगी
जब श्रीमत पर चलोगे तब आशीर्वाद पाओगे
पावन बनकर विश्व के मालिक बन जाओगे
किसी के नाम रूप में बुद्धि को नहीं फंसाओ
अपनी बुद्धि में केवल शिवबाबा को बसाओ
बाप की मत पर चलकर राइटियस बन जाओ
ईश्वरीय सेवा में बाप के सहयोगी बन जाओ
आशीर्वाद बाप का पाओ बनकर आज्ञाकारी
देहभान छोड़कर बनो बाप समान निरहंकारी
एकान्त और एकाग्रता द्वारा सूक्ष्म सेवा बढ़ाओ
छोटी साधारण बातों में बुद्धि को ना उलझाओ
हलचल में अचल होकर एकान्त में खो जाओ
एकाग्रता द्वारा बेहद सेवा के निमित्त बन जाओ
राजयुक्त योगयुक्त युक्तियुक्त होकर करो कर्म
ज्ञानी तूँ आत्मा का सिर्फ यही एकमात्र स्वधर्म
ॐ शांति