मुरली कविता दिनांक 26.03.2018


नई दुनिया का नया ज्ञान हम बच्चे बाप से पाते

सूर्यवंशी घराने को पाकर हम मालिक बन जाते

बाप में निश्चय रखने वाला स्वर्ग का वर्सा पाता

धंधा धोरी करते भी उसको याद बाप ही आता

जन्म 84 पूरे हुए अब तुम सबको घर है जाना

पहले कर्मों का हिसाब तुम योगबल से चुकाना

गृहस्थ में पवित्र बनने का दृढ़ कर लो संकल्प

विकारों के प्रति मन में कभी ना आये विकल्प

बाप को याद करने की तुम सबसे रेस लगाओ

इसी विधि द्वारा बाप के गले का हार बन जाओ

शरीर निर्वाह कर्म करते स्वदर्शन चक्र फिराओ

पाप कोई करके सतगुरु की निंदा नहीं कराओ

जो हिम्मत कभी ना हारे चाहे कुछ भी हो जाये

उमंग उत्साह रखकर वो तक़दीरवान बन जाये

राय आपको देने वाला करता आपका सम्मान

राय स्वीकार करके उसकी बदले में दो सम्मान
ॐ शांति