मुरली कविता दिनांक 15.03.2018
इस अनोखे विद्यालय में होता ज्ञानामृत का पान
पावन यहां बनाते हमें खुद ज्ञान सागर भगवान
बाप की यादों में जब खुद को पूरा ही डुबाओगे
बाप की मदद से स्वर्ग के मालिक बन जाओगे
पतित पावन ज्ञान का सागर हमको लेने आया
ज्ञान अमृत पिलाकर हमें पावन उसने बनाया
शुद्र कुल को छोड़कर ब्राह्मण कुल में आओ
बनकर पूरे पावन स्वर्ग में देव कुल को पाओ
अल्पकाल के हर सुख का आकर्षण मिटाओ
सतयुग का सुख पाने लायक खुद को बनाओ
गुप्त रीति और अहिंसा से अपना राज्य पाओ
बाप की मदद से भारत को हीरे तुल्य बनाओ
नहीं दे सकता और कोई जो सुख बाप से पाते
बाप की पढ़ाई पढ़कर हम विश्वपति बन जाते
मन बुद्धि और संस्कार पर जो रखता अधिकार
केवल वही चलाता इन्द्रियों पर अपनी सरकार
संग हो जिसके सहयोगी हजार भुजाओं वाला
ऐसा बच्चा कभी दिलशिकस्त नहीं होने वाला
ॐ शांति