मुरली कविता दिनांक 12.04.2018


मीठे बच्चे ईश्वरीय कुल को कलंक नहीं लगाना

किया वचन जो बाबा से हर हालात में निभाना

कदम कदम पर बच्चों रहना तुमको खबरदार

गलती मत करना जगाकर कीचक के संस्कार

हर उल्टे कर्म का हिसाब लेने बैठा है धर्मराज

मनमत परमत छोड़ बजाओ श्रीमत का साज

मैं हूँ अजन्मा लेकिन बच्चों से मिलने आता हूँ

ब्रह्मा तन में आकर अपने बच्चों को पढ़ाता हूँ

गले लगाकर बाबा कहते बच्चों को देकर प्यार

तीव्र पुरुषार्थ करके बनो साहूकारों के साहूकार

बने हो तुम पाण्डव तो कीचक कभी ना बनना

कंस जरासंध शिशुपाल जैसे विकारी ना बनना

सदा योग में रहकर तुम पाप से खुद को बचाना

वरना पड़ जायेगा तुमको माया से घूंसा खाना

कायम रहना है उस पर जो किया बाप से वादा

आत्म श्रृंगार करना तुम जीवन बनाकर सादा

बाप के सर्व खजानों से खुद को भरपूर बनाना

ईश्वरीय याद और सेवा का डबल लॉक लगाना

अगर करना है बच्चों तुम्हें नव विश्व का निर्माण

तो पहले अपनी अवस्था को बनाओ तुम निर्मान

ॐ शांति