मुरली कविता दिनांक 02.02.2018
मीठे बच्चों किसी के प्रति आसक्त ना हो जाना
पुरानी दुनिया पुराने तन से पूरे बेगर बन जाना
फ़्राख दिल बनकर तुम ये ईश्वरीय सेवा करना
सतगुरु की निंदा हो ऐसा काम कभी ना करना
शिवपुरी और विष्णुपुरी ही याद तुम्हें अब आये
किसी चीज वस्तु में अपनी बुद्धि कभी ना जाये
सब कुछ पाने का है केवल पवित्रता ही आधार
पवित्रता को बना लो तुम अपना निज संस्कार
ये दुनिया है दुखधाम जरा गौर से इसको जानो
सुख मिलेगा सतयुग में तुम बात बाप की मानो
खुद पर ही तुम रोजाना ज्ञान का जल टपकाना
पत्थरनाथ से पारसनाथ अपने आपको बनाना
देही अभिमानी बनना ही मंजिल है सबसे भारी
केवल इस पर निर्भर है प्रालब्ध स्वर्ग की सारी
आते जायेंगे रूहानी सेवा में विध्न डालने वाले
कभी ना घबरायेंगे जो हैं श्रीमत पर चलने वाले
करे कोई भी निंदा लेकिन ना करना तुम विवाद
रात को जागकर तुम करते रहना बाप को याद
बनकर शांति देवा सारे विश्व में शांति फैलाओ
शांति का मीठा अनुभव हर आत्मा को कराओ
अटेंशन रखकर जो कर लेते अपने शुद्ध विचार
वही बच्चे धारण करते अन्तर्मुखता के संस्कार
ॐ शांति