मुरली कविता दिनांक 07.03.2018


मीठे बन जाओ ओ मेरे बच्चों अपने बाप समान

दुख ना किसी को देना समझाते तुमको भगवान

क्रोध करे और डांटे सबको बुरे वचन जो कहता

ऐसा करने वाला कभी भी सुखी नहीं रह सकता

बच्चों के सामने काम क्रोध के पेपर आते अनेक

पास वही होता है जिसका साथी शिवबाबा एक

भूत सभी विकारों के तुम्हारी बुद्धि को हिलायेंगे

बाप की याद में रहने वाले कभी ना डगमगायेंगे

आया हूँ मैं बच्चों को खोया राज्य भाग्य दिलाने

योग पवित्रता के बल से विश्व का मालिक बनाने

दुख को तुमने बुलाया था काम कटारी चलाकर

कितना तूफान मचाया है इसने जीवन में आकर

मीठे बनकर त्यागो दुख देने वाले सभी संस्कार

सुखी बनोगे तभी जब ना होंगे जीवन में विकार

बाप ने आकर आत्मा रूपी हर दिए को जलाया

ज्ञान रूपी घृत से नवजीवन हर आत्मा ने पाया

काम क्रोध के भूतों से तुम सदा रहना होशियार

चुपके से आकर ये भूत कहीं ना कर दे बंटाधार

देवता अगर बनना है तो खत्म करो सब विकार

इनके वश होकर ना करना किसी पर अत्याचार

राजयोग अपनाकर बच्चों तुम गोरे बन जाओगे

इस शरीर को छोड़कर तुम तन भी सुंदर पाओगे

अपनी सम्भाल करके माया से खुद को बचाओ

योग चिता में बैठकर अपना राज्य फिर से पाओ

सौभाग्यशाली तुम जैसा कोई नहीं इस संसार में

सिर्फ तुमको ही बाबा ले जाते सुखमय संसार में

कर्म करो ना ऐसा कोई जो मिल जाये तुम्हें शाप

ट्रेटर ना बन जाना कहीं विकारों वश करके पाप

नथिंग न्यू की स्मृति रखकर पूर्ण विराम लगाना

सभी प्रश्न समाप्त कर अचल अडोल बन जाना

बच्चों जब तुम खुद को सुख स्वरूप बनाओगे

दुख की सभी लहरों से तुम मुक्ति पाते जाओगे

ॐ शांति