मुरली कविता दिनांक 18.04.2018


शिवबाबा से बच्चों ने ज्ञान का तीसरा नेत्र पाया

आदि मध्य अंत जान खुद को बुद्धिमान बनाया

अन्तिम जन्म में शिव बाबा को वारिस बनाओ

देह आत्मा को पावन कर पद राजाई का पाओ

अन्दर का कखपन बाप के हवाले करते जाओ

ट्रस्टी बनकर बाप की श्रीमत पर चलते जाओ

भारत देश भगवान का जन्म स्थान कहलाता

संसार को स्वर्ग बनाने वाला ब्रह्मा तन में आता

हम बच्चों के लिये बनाते ऐसी दुनिया भगवान

उस दुनिया में नहीं होता दुख का नाम निशान

यहां के सुख को समझो तुम मृग तृष्णा समान

सुख का नहीं पाओगे कलियुग में नाम निशान

अपना सब कुछ बाप को अर्पित करते जाओ

लक्ष्मी नारायण जैसा श्रृंगार बाप से करवाओ

पवित्रता की धारणा को करते जाना तुम महीन

तभी बनोगे स्वर्ग में मात पिता के गद्दी नशीन

श्रीमत पर चलते जाना होकर पूरा खबरदार

विकर्म कर कभी ना खाना माया से तुम हार

बाप से हुई सर्व प्राप्तियों की झलक दिखाओ

सर्व प्राप्तियों की सम्पन्नता का नशा चढ़ाओ

खुश रहकर जिसने खुशी का खजाना लुटाया

इस दुनिया में खुशनसीब सिर्फ वही कहलाया

ॐ शांति