मुरली कविता दिनांक 02.04.2018


श्रीमत पर चलकर बच्चों खुद को श्रेष्ठ बनाओ

लक्ष्मी नारायण समान तुम भी ऊंच पद पाओ

बाप ने ही माताओं को ज्ञान कलश सम्भलाया

माताओं द्वारा बाप ने सबको ज्ञानामृत पिलाया

सबकी इच्छायें पूरी करती मातायें गऊ समान

इसीलिए भक्ति में देते हैं गऊमुख की पहचान

बुद्धिहीन नयनहीन बच्चे पूछ रहे असली राह

धक्के खाते माथा टेकते मुख से निकले आह

सिर्फ विनाशी सुख ही वो मांग रहे भगवान से

लेकिन वो अनजान हैं परमात्मा की पहचान से

विकारों के कारण बने कौड़ी तुल्य पतित रोगी

पुरुषार्थ करके बन जाओ फिर से तुम निरोगी

5 विकारों को जीतकर जगतजीत बन जाओ

सृष्टि चक्र समझकर चक्रवर्ती राजा कहलाओ

कंगाल बनाया रावण ने उसकी मत को छोड़ो

पावन बनाने वाले बाबा की तरफ बुद्धि मोड़ो

पवित्रता के बल से तुम जग को स्वर्ग बनाओ

एक बाप का ऑर्डिनेंस हर आत्मा को सुनाओ

शिव परमात्मा का परिचय सबको देते जाओ

शांतिधाम सुखधाम की राह सबको दिखाओ

सर्वशक्तिमान के संग का सदा अनुभव करना

कमजोर बनकर शिकायत किसी से ना करना

बुद्धि में शिव पिता की याद अब ऐसे बैठ जाये

जहां भी देखें सिर्फ हमको नजर बाप ही आये

ॐ शांति