मुरली कविता दिनांक 18.06.2018


हमने पाई ईश्वरीय गोद मनुष्य से देवता बनेंगे

बाप की श्रीमत पर हम आजीवन चलते रहेंगे

बाप के बनकर हम पुरानी दुनिया से मर जाते

इस दुनिया से मरकर नई दुनिया में जन्म पाते

प्रभु सन्तान बनकर पाओ स्वर्ग का अधिकार

बाप की याद में रहकर बदलो अपने संस्कार

मेरी याद में बच्चों तुम कोई आवाज ना करो

केवल मुझको तुम अपनी बुद्धि से याद करो

ग्रहण लगा विकारों का दुनिया हो गई काली

मिली बाप की श्रीमत हमें गोरा बनाने वाली

सौगात स्वर्ग की ले आये बच्चों के लिए बाप

कहते बाप बच्चों को पहले लायक बनो आप

पांवों में गिरे हुए बच्चों को सर पर चढ़ाता हूँ

अपने हर बच्चे पर मैं बेहद सुख बरसाता हूँ

इसकी खुशी में बच्चों तुम श्रीमत पर चलना

देवता बनने के लिए अपने संस्कार बदलना

अपनी मत छोड़कर बाप की मत अपनाओ

श्रीमत पर चलकर सर्वोच्च देव पद को पाओ

ईश्वरीय ज्ञान के प्रति मन में निश्चय बिठाओ

होकर रहो बाप के किसी संशय में ना आओ

बाप प्रति बुद्धि की लगन और स्नेह बढ़ाओ

आकार में साकार पालना का अनुभव पाओ

जिसने अपने पुराने संस्कारों का त्याग किया

उसने हर कर्म में सफलता का अनुभव किया

ॐ शांति


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