मुरली कविता दिनांक 11.05.2018


जीवन पर्यन्त ये मीठी नॉलेज बच्चों सुनते जाना

पढ़ते रहना बाबा से और राजयोग सीखते जाना

बाप की तरह हम बच्चे शांति स्थापक सुखदाता

सिर्फ बाप हम बच्चों को सेल्वेशन आर्मी बनाता

भारत के डूबे इस बेड़े को हम बच्चे पार लगाते

ऐसी गुप्त सेवा हमारे सिवाए कोई नहीं कर पाते

बाप के जब हम बनते तो बाप करते शो हमारा

सारे जग को बताना है कि कौन है बाप हमारा

बाप टीचर सद्गुरु सारी दुनिया को स्वर्ग बनाते

सागर, आकाश, वायु, पृथ्वी वहाँ ना बांटे जाते

बाप नहीं सर्व व्यापक सब में फैली हुई है माया

संग रखो सर्वशक्तिमान को तब हारेगी ये माया

पूरे कल्प में एक ही बार बाप आकर हमें पढ़ाते

ज्ञान पाकर बच्चे 21 जन्म की प्रालब्ध चलाते

जन्म जन्मान्तर खुद पर पापों का बोझ चढ़ाया

इसीलिए सबके जीवन में घोर अंधियारा छाया

ये ड्रामा सारा बना बनाया पुनरावृत्ति को पाता

कल्प के अंत में संगम पर बाप यहां पर आता

लक्ष्मी नारायण ही कहलाते सबसे बड़े साहूकार

21 जन्म तक चलाते सतयुग में अपनी सरकार

बाप ने आकर दुशासनों से माताओं को बचाया

सर्व शक्तियाँ देकर उनको नग्न होने से बचाया

बाप की याद का चार्ट बच्चों इतना तुम बढ़ाओ

अंत समय कोई याद न आये ऐसे तुम हो जाओ

चलन चेहरे से बाप दिखे ऐसा खुद को बनाओ

प्रीत बुद्धि बने रहकर रूहानी सेवा करते जाओ

मेरा बाबा की स्मृति ही पहाड़ को रुई बनायेगी

भारी से भारी समस्या भी हल्की नजर आएगी

ना मिले जिस समस्या का दुनिया को समाधान

पल भर में उसको तुम करके दिखाओ आसान

प्यार के सागर में जो रहते हों हर समय लवलीन

समीप समान सम्पन्न बनकर वो हो जाते हसीन

ॐ शांति