मुरली कविता दिनांक 19.05.2018
बच्चों पवित्रता के बिना मानव जीवन है बेकार
पवित्र बन पवित्र बनाने में बन जाओ मददगार
पढ़ाने वाले के प्रति मन में संशय यदि लाओगे
तकदीर को लकीर लगाकर बर्बाद हो जाओगे
बाप पर पूरा निश्चय ही विजयी तुम्हें बनायेगा
निश्चय के आधार पर खाना आबाद हो जायेगा
बाप हूँ सबका इसलिये परमपिता कहलाता हूँ
केवल बुद्धि के नेत्रों से ही मैं पहचाना जाता हूँ
माताओं को मिला मर्तबा उसका रिगार्ड रखना
विघ्न कहीं ना बन जाओ खुद को तुम परखना
उल्टे कर्म करके खुद पर तुम बोझ नहीं चढ़ाना
हर आत्मा के पुरुषार्थ में मददगार बनते जाना
ज्ञान कलश देकर बढ़ाया है माताओं का मान
रखो ना ईर्ष्या करो बाप के निर्णय का सम्मान
विश्व शांति स्थापन कर शांति पुरस्कार पाओ
माताओं बहनों को हर सितम से तुम बचाओ
एक जन्म के लिए देह अभिमान को मिटाओ
सारे कल्प में सम्मान लेने का अधिकार पाओ
आधा कल्प अपनी जनता से सम्मान पाओगे
आधा कल्प अपने ही भक्तों द्वारा पूजे जाओगे
संगमयुग में जगाते हो जब तुम अपना स्वमान
भगवान भी खुद देता है हॄदय से तुम्हें सम्मान
हर कदम बाप और परिवार की दुआएं पाओ
पुरुषार्थ के पथ पर हर पल आगे बढ़ते जाओ
ॐ शांति