मुरली कविता दिनांक 06.01.2018
काया बच्चों की हुई पुरानी मैं नई बनाने आया
आधा कल्प नहीं पड़ेगा तुम पर मौत का साया
हर घटना घटती है बच्चों कल्प में एक ही बार
फिर घटेगी वही घटना कल्प बाद अगली बार
इक दूजे से पार्ट किसी का मिल कभी न पाता
कर्म आज का हर कोई कल्प के बाद दोहराता
बच्चों सारी दुनिया जब हो जाती है तमोप्रधान
तब ही धरती पर आता है सद्गति दाता भगवान
जब तुम बच्चे बुद्धि से शिव बाबा के बन जाते
तब ही तुम वास्तविकता में मरजीवा कहलाते
राख कर दिया मेरे बच्चों को माया ने जलाकर
सबको ले जाऊंगा अपने संग माया से बचाकर
काम एक ही करना बच्चों बुद्धि शुद्ध बनाओ
अपने संग संग औरों को बाप समान बनाओ
ले लो कसम पवित्र रहने की केवल एक जन्म
विश्व के मालिक बने रहोगे तुम पूरे 21 जन्म
बापदादा के हम नूरे रत्न इसका नशा चढ़ाओ
सब कुछ सहन करके पावन खुद को बनाओ
महातीर्थ आबू की प्रत्यक्षता विश्व में फैलाओ
एक संकल्प धारण कर ये जिम्मेदारी निभाओ
अन्तर्मुखता की विशेषता धारण जो कर लेता
सर्व आत्मओं दुआयें वो सहज रूप से लेता
ॐ शांति