मुरली कविता दिनांक 29.06.2018
मीठा बाबा आया हम बच्चों को मीठा बनाने
देवताओं समान हमें सुन्दर और स्वीट बनाने
अवसर बड़ा अनमोल है इसका लाभ उठायें
आओ हम स्वयं को मीठा और मधुर बनायें
अनमोल ज्ञान रत्नों को धारण करते जाओ
मुख से सदा तुम ज्ञान रत्न निकालते जाओ
श्रीमत पर अपनी वाणी को जो मधुर बनाते
वही बच्चे बाप के दिल तख्त को जीत पाते
कड़वे वचन अपनी जुबान से नहीं निकालो
बाप से मिलने वाले ज्ञान रत्नों को सम्भालो
याद और सेवा का जो संतुलन रखता बनाये
अपने वरदानी जीवन का दर्शन वही कराये
पहाड़ समान मुश्किल को जो राई बनाता
बाप की नजरों में महावीर वही कहलाता
ॐ शांति