मुरली कविता दिनांक 01.02.2018


भगवान हमको पढ़ाते जब ये निश्चय हो जायेगा

मानव से देव बनने का राज समझ तब आयेगा

नर से नारायण बनना है तो पावन दृष्टि बनाओ

मृदुभाषी बनकर भ्रातृत्व भाव हृदय में जगाओ

बिंदू रूप आत्मा को चर्म चक्षु से देख ना पाते

मुक्ति जीवनमुक्ति का राज बाबा आकर बताते

वादा किया भक्ति में बलिहार बाप पर जाने का

संगम का समय आया बाप से वादा निभाने का

बड़ी मिन्नतें करके हम शिव बाबा को बुलाते थे

सर्वव्यापी नहीं है वो ये समझ नहीं क्यों पाते थे

बाप नहीं आया है केवल दुखों से हमको छुड़ाने

पतितपने से छुड़ाकर हमें नर से नारायण बनाने

पतित बनती हर आत्मा कल्प के अंत में आकर

घर ले जाने आये हैं बाबा पावन सबको बनाकर

नई दुनिया में चलने की करो बच्चों ऐसी तैयारी

मीठी हो बोली अपनी और दृष्टि हो शुद्ध हमारी

पुरानी दुनिया के प्रति बेहद का वैराग्य जगाना

कर्म करते हुए याद की यात्रा में समय बिताना

शुभ संकल्पों की शक्ति हर बीमारी को मिटाती

कर्मभोग के हर बंधन को पानी की रेखा बनाती

कुल दीपक बनकर तुम रूहानी प्रकाश फैलाना

सारे जग में ब्राह्मण परिवार को प्रसिद्ध बनाना

ॐ शांति