मुरली कविता दिनांक 23.02.2018


गीता का ज्ञान देने वाला नहीं है कोई साकारी

सर्वोच्च ज्ञान देने वाला केवल शिव निराकारी

ब्रह्मा ही सतयुग में जाकर श्रीकृष्ण बन जाते

फर्स्ट क्लास बच्चे ही ये सिद्ध कर दिखलाते

कृष्ण नहीं परमात्मा वो तो है शिव निराकार

शिव ही गीता सुनाते लेकर ब्रह्मा तन साकार

बलि चढ़े जो मुझ पर मैं उसको फूल बनाऊं

कांटों के जंगल से फूलों के बगीचे में ले जाऊँ

वृक्षपति से वर्सा लेने का सही समय है आया

श्रीमत अपनाने वाले ने राज्य भाग्य है पाया

बाप के प्रिय बनो ज्ञान को बुद्धि में समाकर

सेवा बढ़ाओ बीस नाखूनों का जोर लगाकर

शुभ भावना भरा उपहार सबको देते जाओ

इसी विधि से मास्टर भाग्य विधाता कहलाओ

मेहनत जितनी करते हो बनो उतने ही महान

रूहानियत अपनाओ तो प्रत्यक्ष होंगे भगवान

ॐ शांति