मुरली कविता दिनांक 22.02.2018


बहुत ऊंची यात्रा पर तुम सब ब्राह्मण जाते हो

डबल इंजन के रूप में दो दो मां बाप पाते हो

आत्मा हुई पवित्र किंतु तन के तत्व तमोप्रधान

होलीनेस का टाइटल अभी नहीं देगा भगवान

हाहाकार फैलता है जब दुनिया बदलती सारी

राजाई बदलने पर मचती है भयंकर मारामारी

बुद्धि में तुम जितना स्वदर्शन चक्र फिराओगे

उतना ही तुम चक्रवर्ती राजाई का पद पाओगे

स्नान गंगा का किसी को पावन नहीं बनाता

पतित से पावन केवल शिव बाबा ही बनाता

बच्चों को याद करने का बाबा फर्ज निभाते

बाप की याद का फर्ज बच्चे पूरा नहीं निभाते

संगमयुग में बच्चों तुम पावन खुद को बनाओ

सुख शांति की वाटिका में सहज प्रवेश पाओ

हंस समान जो अपनी बुद्धि को पवित्र बनाते

श्रेष्ठ निर्णय शक्ति से वो सहज सफलता पाते

अपनी बुद्धि दृष्टि और वाणी को सरल बनाओ

स्वभाव की टक्कर किसी आत्मा से ना खाओ

ॐ शांति