मुरली कविता दिनांक 03.04.2018
ज्ञानामृत का पान करो और योगाग्नि जलाओ
दुख दर्द सभी तुम अपने जीवन से दूर भगाओ
जीवनमुक्ति का आनंद मिलता ईश्वरीय ज्ञान से
क्योकि यह ज्ञान सुनते प्रत्यक्ष हम भगवान से
बाप आकर हमें आत्मभान का आदेश सुनाते
यह आज्ञा मानने वाले ही स्वर्ग की राजाई पाते
ज्ञान योग सिखाकर बाप सबको सुखी बनाते
उसके बाद शिवबाबा परमधाम में छिप जाते
योगाग्नि से हम बच्चों के रोग सभी मिट जाते
ज्ञानामृत पीने से 21 जन्म का अमरत्व पाते
बाप हमें राजाई दिलाते इसका नशा चढ़ाओ
सम्पूर्ण पवित्रता से राजऋषि का दर्जा पाओ
योगाग्नि से विकर्म जलाकर रोगमुक्त हो जाओ
अपने सभी कर्मभोग तुम योगबल से चुकाओ
मास्टर सर्वशक्तिमान की स्मृति मन में जगाओ
हर परिस्थिति को साइड सीन समझते जाओ
परिस्थिति देखकर ना रुकना कभी घबराकर
उड़ते रहना बच्चों सदा मन में खुशी जगाकर
कठोर तपस्या से खुद को ऐसा योगी बनाओ
अपनी झलक मात्र से औरों का योग लगाओ
ॐ शांति