04-11-13 प्रातःमुरली
ओम् शान्ति “बापदादा”
मधुबन Listen
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“मीठे
बच्चे
–
तुम्हारी सच्ची-सच्ची दीपावली तो नई दुनिया में होगी, इसलिए इस
पुरानी दुनिया के झूठे उत्सव आदि देखने की दिल तुम्हें नहीं हो
सकती”
प्रशन:- तुम
होलीहंस हो, तुम्हारा कर्तव्य क्या है?
उत्तर:-
हमारा
मुख्य कर्तव्य है एक बाप की याद में रहना और सबका बुद्धियोग एक
बाप के साथ जुड़ाना |
हम पवित्र बनते और सबको बनाते हैं | हमें मनुष्य को देवता
बनाने के कर्तव्य में सदा तत्पर रहना है | सबको दुःखों से
लिबरेट कर, गाइड बन मुक्ति-जीवनमुक्ति का रास्ता बताना है |
गीत:-
तुम्हें
पाके हमने जहाँ पा लिया है.......
ओम्
शान्ति
|
बच्चों ने गीत सुना
|
बच्चे कहते हैं हम स्वर्ग की राजाई का वर्सा पाते हैं
|
उसे कभी कोई जला न सके, कोई छीन न सके, वह वर्सा हमसे कोई जीत
न सके
|
आत्मा को बाप से वर्सा मिलता है और ऐसे बाप को बरोबर मात-पिता
भी कहते हैं
|
मात-पिता को पहचानने वाला ही इस संस्था में आ सकता है
|
बाप भी कहते हैं मैं बच्चों के सम्मुख प्रत्यक्ष हो पढ़ाता हूँ,
राजयोग सिखाता हूँ
|
बच्चे आकर बेहद के बाप को अपना बनाते हैं, जीते जी
|
धर्म के बच्चे जीते जी लिए जाते हैं
|
आप हमारे हैं, हम आपके हैं
|
तुम हमारे क्यों बने हो? कहते हो – बाबा, आपसे स्वर्ग का वर्सा
लेने हम आपके बने हैं
|
अच्छा बच्चे, ऐसे बाप को कभी फ़ारकती नहीं देना
|
नहीं तो नतीज़ा क्या होगा? स्वर्ग की राजाई का पूरा वर्सा तुम
पा नहीं सकेंगे
|
बाबा-मम्मा महाराजा-महारानी बनते हैं ना, तो पुरुषाथ कर इतना
वर्सा पाना है
|
परन्तु बच्चे पुरुषार्थ करते-करते फिर फ़ारकती दे देते हैं
|
फिर जाकर विकारों में फँसते हैं वा हेल में गिरते हैं
|
हेल नर्क को, हेविन स्वर्ग को कहा जाता है
|
कहते हैं हम सदा स्वर्ग के मालिक बनने के लिए बाप को अपना
बनाते हैं क्योंकि अभी हम नर्क में हैं
|
हेविनली गॉड फादर, जो स्वर्ग का रचयिता है वह जब तक न आये तब
तक कोई हेविन जा न सके
|
उसका नाम ही है हेविनली गॉड फादर
|
यह भी तुम अभी जानते हो
|
बाप कह रहे हैं – बच्चे, तुम समझते हो, बरोबर बाप से वर्सा
पाने के लिए हम बाप के पास आये हैं, 5 हज़ार वर्ष पहले मुआफ़िक
|
परन्तु फिर भी चलते-चलते माया का तूफ़ान एकदम बरबाद कर देते हैं
|
फिर पढ़ाई को छोड़ देते हैं, गोया मर गये
|
ईश्वर का बनकर फिर अगर हाथ छोड़ दिया तो गोया नई दुनिया से मरकर
पुरानी दुनिया में चला गया
|
हेविनली गॉड फादर ही नर्क के दुःख से लिबरेट कर फिर गाइड बन
स्वीट साइलेन्स होम में ले जाते हैं, जहाँ से हम आत्मायें आई
हैं
|
फिर स्वीट हेविन की राजाई देते हैं
|
दो चीज़ देने बाप आते हैं – गति और सद्गति
|
सतयुग है सुखधाम, कलियुग है दुःखधाम और जहाँ से हम आत्मायें
आती हैं वह है शान्तिधाम
|
यह बाप है ही शान्तिदाता, सुखदाता फार फ्युचर
|
इस अशान्त देश से पहले शान्ति देश में जायेंगे
|
उसको स्वीट साइलेन्स होम कहा जाता है, हम रहते ही वहाँ हैं
|
यह आत्मा कहती है कि हमारा स्वीट होम वह है फिर हम जो इस समय
नॉलेज पढ़ते हैं, उससे हमको स्वर्ग की राजधानी मिलेगी
|
बाप का नाम ही है हेविनली गॉड फादर, लिबरेटर, गाइड, नॉलेजफुल,
ब्लिसफुल, ज्ञान का सागर
|
रहमदिल भी है
|
सब पर रहम करते हैं
|
तत्वों पर भी रहम करते हैं
|
सभी दुःख से छूट जाते हैं
|
दुःख तो जानवर आदि सबको होता है ना
|
कोई को मारो तो दुःख होगा ना
|
बाप कहते हैं मनुष्य मात्र तो क्या, सभी को दुःख से लिबरेट
करता हूँ परन्तु जानवरों को तो नहीं ले जायेंगे
|
यह मनुष्यों की बात है
|
ऐसा बेहद का बाप एक ही है बाकी तो सब दुर्गति में ले जाते हैं
|
तुम बच्चे जानते हो बेहद का बाप ही स्वर्ग के वा मुक्तिधाम की
गिफ्ट देने वाला है
|
वर्सा देते हैं ना
|
ऊँच ते ऊँच बाप एक बाप है
|
सभी भक्त उस भगवान् बाप को याद करते हैं
|
क्रिश्चियन भी गॉड को याद करते हैं
|
हेविनली गॉड फादर है शिव
|
वही नॉलेजफुल, ब्लिसफुल है
|
इसका अर्थ भी तुम बच्चे जानते हो
|
तुम्हारे में भी नम्बरवर हैं
|
कोई तो बिल्कुल ऐसे हैं जो कितना भी ज्ञान का श्रृंगार करो फिर
भी विकारों में गिरेंगे, गन्दी दुनिया देखेंगे
|
कई
बच्चे दीपमाला देखने जाते हैं
|
वास्तव में हमे बच्चे यह झूठी दीपमाला देख नहीं सकते
|
परन्तु ज्ञान नहीं है तो दिल होगी
|
तुम्हारी दीवाली तो है सतयुग में, जबकि तुम पवित्र बन जाते हो
|
तुम बच्चों को समझाना है कि बाप आते ही हैं स्वीट होम वा स्वीट
हेविन में ले जाने
|
जो अच्छी रीति पढ़ेंगे, धारणा करेंगे, वही स्वर्ग की राजधानी
में आयेंगे
|
परन्तु तक़दीर भी चाहिए ना
|
श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो श्रेष्ठ नहीं बनेंगे
|
यह है श्री शिव भगवानुवाच
|
जब तक मनुष्यों को बाप की पहचान नहीं मिली है तब तक भक्ति करते
रहेंगे
|
जब निश्चय पक्का हो जायेगा तो फिर भक्ति आपेही छोड़ेंगे
|
तुम हो होलीनेस
|
गॉड फादर के डायरेक्शन अनुसार सभी को पवित्र बनाते हो
|
वह तो सिर्फ़ हिन्दुओं को वा मुसलमानों को क्रिश्चियन बनायेंगे
|
तुम तो आसुरी मनुष्यों को पवित्र बनाते हो
|
जब पवित्र बनें तब हेविन वा स्वीट होम में जा सकें
|
नन बट वन, तुम सिवाए एक बाप के और कोई को याद नहीं करते हो
|
एक बाप से ही वर्सा मिलना है तो ज़रूर उस एक बाप को ही याद
करेंगे
|
तुम पवित्र बन औरों को पवित्र बनाने की मदद करते हो
|
वह नन्स कोई पवित्र नहीं बनाती हैं, न आप समान नन्स बनाती हैं
|
सिर्फ़ हिन्दू से क्रिश्चियन बनाती हैं
|
तुम होली नन्स पवित्र भी बनाती हो और सभी आत्माओं का एक गॉड
फादर से बुद्धियोग जुटाती हो
|
गीता में भी है ना – देह सहित देह के सभी सम्बन्ध छोड़ अपने को
आत्मा समझ बाप को याद करो
|
फिर नॉलेज को धारण करने से ही राजाई मिलेगी
|
बाप की याद से ही एवरहेल्दी बनेंगे और नॉलेज से एवरवेल्दी
बनेंगे
|
बाप तो है ही ज्ञान सागर
|
सभी वेदों-शास्त्रों का सार बतलाते हैं
|
ब्राह्मण के हाथ में शास्त्र दिखाते हैं ना
|
तो यह ब्रह्मा है
|
शिवबाबा इनके द्वारा सभी वेदों शास्त्रों का सार बतलाते हैं
|
वह है ज्ञान का सागर
|
इनके द्वारा तुमको नॉलेज मिलती रहती है
|
तुम्हारे द्वारा फिर औरों को मिलती रहती है
|
कई
बच्चे कहते हैं – बाबा, हम यह रूहानी हॉस्पिटल खोलते हैं, जहाँ
रोगी मनुष्य आकर निरोगी बनेंगे और स्वर्ग का वर्सा लेंगे, अपना
जीवन सफल करेंगे, बहुत सुख पाएंगे
|
तो इतने सबकी आशीर्वाद ज़रूर उनको मिलेगी
|
बाबा ने उस दिन भी समझाया था कि गीता, भागवत, वेद, उपनिषद आदि
सब जो भी भारत के शास्त्र हैं, यह शास्त्र अध्ययन करना, यज्ञ,
तप, व्रत, नेम, तीर्थ आदि करना यह सब भक्ति मार्ग की सामग्री
रूपी छांछ है
|
एक ही श्रीमत भगवत गीता के भगवान् से भारत को मक्खन मिलता है
|
श्रीमत भगवत गीता को भी खण्डन किया हुआ है, जो ज्ञान सागर
पतित-पावन निराकार परमपिता परमात्मा के बदले श्री कृष्ण का नाम
डालकर छांछ बना दिया है
|
एक ही कितनी बड़ी भरी भूल है
|
अभी तुम बच्चों को ज्ञान सागर डायरेक्ट ज्ञान दे रहे हैं
|
अभी तुम जानते हो कि यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है, यह सृष्टि
रूपी झाड़ की वृद्धि कैसे होती है? तुम ब्राह्मण हो चोटी,
शिवबाबा है ब्राह्मणों का बाप
|
फिर ब्राह्मण से देवता फिर क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र बनेंगे
|
यह हो गई बाजोली
|
इसको 84 जन्मों का चक्र कहा जाता है
|
वेद सम्मेलन करने वालों को भी तुम समझा सकते हो
|
भक्ति है छांछ, ज्ञान है मक्खन
|
जिससे मुक्ति-जीवनमुक्ति मिलती है
|
अब अगर तुमको विस्तार से ज्ञान समझना है तो धीर्यवत होकर सुनो
|
ब्रह्माकुमारियां तुमको समझा सकती हैं
|
शास्त्रों में भी लिखा हुआ है भीष्मपितामह, अश्वस्थामा आदि को
पिछाड़ी में इन बच्चो ने ज्ञान दिया है
|
अन्त में यह सब समझ जायेंगे कि यह तो ठीक कहते हैं, अन्त में
आयेंगे ज़रूर
|
तुम प्रदर्शनी करते हो, कितने हज़ार मनुष्य आते हैं परन्तु
निश्चयबुद्धि सब थोड़ेही बन जाते
|
कोटों में कोई ही निकलते हैं जो अच्छी रीति समझकर निश्चय करते
हैं
|
अच्छा!
मीठे-मीठे
सिकिलधे लकी ज्ञान सितारों प्रति, मात-पिता बापदादा का
नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार याद-प्यार और गुडमॉर्निंग
|
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते
|
धारणा
के लिए मुख्य सार:-
1.
पवित्र बन आप समान पवित्र बनाना है
|
एक बाप के सिवाए किसी को भी याद नहीं करना है
|
अपना यह जो ईश्वरीय सतसंग है, कॉमन सतसंग नहीं है
|
यह है ईश्वरीय स्कूल, कॉलेज
|
जिस कॉलेज में अपने को रेग्युलर स्टडी करनी है, बाकी तो सिर्फ़
सतसंग करना, थोड़ा समय सुना फिर तो जैसा है वैसा ही बन जाता है
क्योंकि वहाँ कोई रेग्युलर पढ़ाई नहीं मिलती है, जहाँ से कोई
प्रालब्ध बनें इसलिए अपना सतसंग कोई कॉमन सतसंग नहीं है
|
अपना तो ईश्वरीय कॉलेज है, जहाँ परमात्मा बैठ हमें पढ़ाता है हम
उस पढ़ाई को पूरी धारण कर ऊँच पद को प्राप्त करते हैं
|
जैसे रोज़ाना स्कूल में मास्टर पढ़ाए डिग्री देते है वैसे यहाँ
भी स्वयं परमात्मा गुरु, पिता, टीचर के रूप में हमको पढ़ाए
सर्वोत्तम देवी देवता पद प्राप्त कराते हैं इसलिए इस स्कूल में
ज्वाइन्ट होना ज़रूरी है
|
यहाँ आने वाले को यह नॉलेज समझना ज़रूर है, यहाँ कौनसी शिक्षा
मिलती है? इस शिक्षा को लेने से हमको क्या प्राप्ति होगी! हम
तो जान चुके हैं कि हमको खुद परमात्मा आकर डिग्री पास कराते
हैं और फिर एक ही जन्म में सारा कोर्स पूरा करना है
|
तो जो शुरू से लेकर अन्त तक इस ज्ञान के कोर्स को पूरी रीति
उठाते हैं वो फुल पास होंगे, बाकी जो कोर्स के बीच में आयेंगे
वो तो इतनी नॉलेज को उठायेंगे नहीं, उन्हों को क्या पता आगे का
कोर्स क्या चला? इसलिए यहाँ रेग्युलर पढ़ना है, इस नॉलेज को
जानने से ही आगे बढ़ेंगे इसलिए रेग्युलर स्टडी करनी है
|
“परमात्मा
का सच्चा बच्चा बनते कोई संशय में नहीं आना चाहिए”
जब
परमात्मा खुद इस सृष्टि पर उतरा हुआ है, तो उस परमात्मा को
हमें पक्का हाथ देना है लेकिन पक्का सच्चा बच्चा ही बाबा को
हाथ दे सकता है
|
इस बाप का हाथ कभी नहीं छोड़ना, अगर छोड़ेंगे तो फिर निधण के बन
कहाँ जायेंगे! जब परमात्मा का हाथ पकड़ लिया तो फिर सूक्ष्म में
भी यह संकल्प नहीं चाहिए कि मैं छोड़ दूँ वा संशय नहीं होना
चाहिए
|
पता नहीं हम पार करेंगे वा नहीं, कोई ऐसे भी बच्चे होते हैं जो
पिता कोई न पहचानने के कारण पिता के भी सामने पड़ते हैं और ऐसे
भी कह देते हैं हमको कोई की भी परवाह नहीं है
|
अगर ऐसा ख्याल आया तो ऐसे न लायक बच्चे की सम्भाल पिता कैसे
करेगा फिर तो मानो कि गिरा कि गिरा क्योंकि माया तो गिराने की
बहुत कोशिश करती है क्योंकि परीक्षा तो अवश्य लेगी कि कितने तक
योद्धा रुसतम पहलवान है! अब यह भी ज़रूरी है, जितना जितना हम
प्रभु के साथ रुसतम बनते जायेंगे उतना माया भी रुसतम बन हमको
गिराने की कोशिश करेगी
|
जोड़ी पूरी बनेगी जितना प्रभु बलवान है तो माया भी उतनी बलवानी
दिखलायेगी, परन्तु अपने को तो पक्का निश्चय है आखरीन भी
परमात्मा महान बलवान है, आखरीन उनकी जीत है
|
श्वांसो, श्वांस इस विश्वास में स्थित होना है, माया को अपनी
बलवानी दिखलानी है, वह प्रभु के आगे अपनी कमज़ोरी नहीं
दिखायेगी, बस एक बारी भी कमज़ोर बना तो खलास हुआ इसलिए भल माया
अपना फ़ोर्स दिखलाये, परन्तु अपने को मायापति का हाथ नहीं छोड़ना
है, वो हाथ पूरा पकड़ा तो मानो उनकी विजय है, जब परमात्मा हमारा
मालिक है तो हाथ छोड़ने का संकल्प नहीं आना चाहिए
|
परमात्मा कहते है, बच्चे जब मैं खुद समर्थ हूँ, तो मेरे साथ
होते हुए भी समर्थ अवश्य बनेंगे
|
समझा बच्चे
|