27-12-13
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे
बच्चे
–
अविनाशी सर्जन से कुछ भी छिपाना नहीं है, अवज्ञा हो तो क्षमा लेनी है, नहीं तो बोझ चढ़ता जायेगा, निंदक बन पड़ेंगे|
प्रश्न:-
सच्ची कमाई का आधार क्या है? उन्नति में विघ्न क्यों पड़ते हैं?
उत्तर:-
सच्ची कमाई का आधार पढ़ाई है | अगर पढ़ाई ठीक नहीं तो सच्ची कमाई कर नहीं सकते | उन्नति में विघ्न तब ही पड़ता जब संग ठीक नहीं | कहा भी जाता है संग तारे कुसंग बोरे | संग ख़राब होगा तो पढ़ेंगे नहीं, नापास हो जायेंगे | संग ही एक-दो को रसातल में पहुँचा देता है, इसलिए संगदोष से तुम बच्चों को बहुत ही सम्भाल करनी है |
गीत:-
तू प्यार का सागर है....
ओम् शान्ति |
बेहद के बाप की महिमा बच्चे करते हैं | यह है भक्ति मार्ग की महिमा | तुम सपूत बच्चे अभी सम्मुख में बाप की महिमा करते हो | समझते हो बेहद का बाप आकर हमको ज्ञान दे स्वर्ग का मालिक बना रहे हैं क्योंकि ज्ञान का सागर वही है | गॉड में नॉलेज है | उसको कहते हैं गॉडली नॉलेज | परमपिता परमात्मा नॉलेज देने वाला है | किसको? बच्चों को | जैसे तुम्हारी मम्मा पर गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज नाम रखा हुआ है | तो जब वह जगत अम्बा गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज है तो उनके बच्चों में भी वही नॉलेज होगी | गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज सरस्वती को गॉड नॉलेज देते हैं | परन्तु किस द्वारा देते हैं? यह बड़ी ही समझने की बातें हैं | दुनिया नहीं जानती है कि जगत अम्बा कौन है? यह तो बच्चे जानते हैं जगत अम्बा तो एक ही होगी | नाम बहुत दे दिये हैं | मनुष्य तो यह जानते नहीं कि यह प्रजापिता ब्रह्मा की मुख वंशावली सरस्वती है | उनको नॉलेज देने वाला गॉड फादर है | सृष्टि चक्र कैसे फिरता है – यह नॉलेज गॉड फादर देते हैं | बाप ने नॉलेज दी बच्चों को | सरस्वती को कैसे मिली? ज़रूर प्रजापिता ब्रह्मा की मुख वंशावली है तो परमपिता परमात्मा जो ज्ञान का सागर है, उसने इस मुख द्वारा सरस्वती को ज्ञान दिया होगा | वही ज्ञान फिर औरों को भी दिया होगा | गॉड फादर पढ़ाते हैं तो ज़रूर गॉड फादर के बच्चे मास्टर गॉड हुए ना | इसलिए नाम रखा हुआ है गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज | बच्चे यह जानते हैं कि हम और हमारी मम्मा नॉलेज ले रही हैं ज्ञान सागर के द्वारा, जिसको ही गीता का भगवान् कहा जाता है | भगवान् तो एक है | कोई देवता या मनुष्य भगवान् नहीं हो सकता | अब गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज है तो कौन-सी नॉलेज होगी? राजयोग की | इस सहज राजयोग की नॉलेज से गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज सरस्वती ही फिर गॉडेज़ ऑफ़ लक्ष्मी बनती है | गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज की महिमा है तो ज़रूर बच्चों की भी है | प्रजापिता की सब सन्तान ठहरे | मम्मा की सन्तान नहीं कहेंगे | प्रजापिता ब्रह्मा के मुख कमल की यह हैं सन्तान | तुम सब ईश्वरीय सन्तान निश्चय करते हो | ईश्वर बाप कहते हैं मैं बच्चों के ही सम्मुख होता हूँ | वो ही मुझे जानते हैं | तो जगत अम्बा है गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज | यह सहज राजयोग की नॉलेज है, न कि शास्त्रों की | गॉड ने इनको नॉलेज दी और यह गॉडेज़ कहलाई | जगत अम्बा तो माता ठहरी | फिर दूसरे जन्म में गॉडेज़ ऑफ़ वेल्थ, लक्ष्मी बनती है, जिससे मनुष्य भीख मांगते हैं | तो सिद्ध हुआ बाप द्वारा जगत अम्बा को राजयोग का वर्सा मिलता है | उनको गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज कहा जाता है | नॉलेज सोर्स ऑफ़ इनकम है | यह है सच्ची कमाई जो सच्चे बाप द्वारा होती है | तुम अब नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार सच्ची कमाई कर रहे हो | अगर पढ़ाई नहीं करते तो उनकी सच्ची कमाई नहीं होती | संग ठीक नहीं होगा तो पढ़ नहीं सकेंगे, उन्नति नहीं होगी | संग तारे कुसंग बोरे (डुबोये) संग खराब होगा, पढ़ेंगे नहीं, तो नापास हो पिछाड़ी में बैठे रहेंगे | टीचर जानता है इनका क्या कारण है | बाप नहीं जानता है | हाँ, इतना बाप ज़रूर समझेगा कि पढ़ाई कम की है, ज़रूर ख़राब संग है जिसके कारण नापास हो पढ़ते हैं | समझो आपस में प्यार है, दोनों नहीं पढ़ते हैं तो एक-दो को रसातल में पहुँचा देंगे | बाप समझाते हैं कि यह पढ़ते नहीं, इनको अलग करना चाहिए | पढ़ाई बिगर मनुष्य को कहा जाता है बेसमझ | पढ़ते हैं तो कहेंगे समझदार | भगवान् की मत पर नहीं चलते तो कहा जायेगा यह सौतेला बच्चा है | परन्तु वह अर्थ को नहीं जानते हैं | तुम जानते हो – कोई नहीं पढ़ते हैं तो फिर पतित के पतित ही रह जायेंगे, नापास हो भागन्ती हो जायेंगे | बाप कहते हैं – अहो रावण, तुम हमारे बच्चों को भी हप कर जाते हो | कितना शक्तिशाली हो | बच्चे शैतान की मत पर चल पड़ते हैं | श्रीमत पर नहीं चलते हैं | अपने साथ प्रण करना चाहिए – कदम-कदम हम बाबा की मत पर चलेंगे | जो श्रीमत पर नहीं चलते उनको आसुरी मत वाला कहेंगे | बाबा समझ जाते हैं यह इतना ऊँच पद पा नहीं सकेगा, किसको समझा नहीं सकेगा तो कहेंगे रावण के वश है | योग नहीं है जो बुद्धि शुद्ध जो जाए | बुद्धि का योग भी चाहिए | ईश्वरीय बच्चों की चलन बड़ी रॉयल होनी चाहिए | जमते जाम (जन्म लेते ही होशियार राजा) तो कोई हो नहीं सकता | इस कारण बाबा कहते हैं 5 विकार रूपी रावण पर जीत पानी है, श्रीमत पर | जो श्रीमत पर नहीं चलते तो बाबा कह देते यह आसुरी मत पर हैं | फिर उसमें कोई 5 परसेन्ट श्रीमत पर चलते, कोई 10 परसेन्ट चलते | वह भी हिसाब है |
तो जगत अम्बा एक ही है | जगत अम्बा है ब्रह्मा मुख वंशावली सरस्वती, यह उनका पूरा नाम है | सरस्वती को ही सितार देते हैं | यह है गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज, ज़रूर उनकी सन्तान भी होंगे | उनको भी तम्बूरा होना चाहिए | देखो, झाड़ में यह सरस्वती बैठी है, राजयोग सीख रही है फिर यह जाकर लक्ष्मी बनती है, गॉडेज़ ऑफ़ वेल्थ | इसमें हेल्थ, वेल्थ, हैपीनेस सब आ जाती है | यह तो सिवाए परमपिता परमात्मा के कोई दे न सके | हेविनली गॉड फादर वह है | अब देखो, मम्मा सर्विस कर रही है | समझो, कहाँ मम्मा को निमन्त्रण दें तो पहले मम्मा के आक्यूपेशन को जानें | पहले नॉलेज चाहिए – यह कौन है? दुनिया तो नहीं जानती | कहते हैं कृष्ण को गाली मिली | परन्तु यह तो हो नहीं सकता, इम्पासिबुल है | सबसे जास्ती गाली खाने वाला है शिवबाबा, सेकेण्ड नम्बर में गाली खाने वाला है ब्रह्मा | परन्तु कृष्ण को गाली दे न सकें | मनुष्यों को यह पता नही कि सरस्वती गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज भविष्य में राधे बनती है | स्वयंवर बाद लक्ष्मी बनती है, गॉडेज़ ऑफ़ वेल्थ | उनमें हेल्थ, वेल्थ, हैप्पी सब आ जाता है | तुमको समझाने का बड़ा नशा चाहिए | मम्मा कौन है – यह समझाना पड़े ना | यह है सरस्वती, ब्रह्मा की बेटी मुख वंशावली | भारतवासी कुछ भी जानते नहीं | नॉलेज है नहीं | अन्धश्रद्धा बहुत है | ब्लाइन्ड फेथ में भारतवासी बहुत हैं | पूजा किसकी करते हैं, यह भी नहीं जानते | क्रिश्चियन अपने क्राइस्ट को जानते हैं | सिक्ख लोग जानते हैं कि गुरुनानक ने सिक्ख धर्म स्थापन किया | अपने धर्म स्थापक को जानते हैं | सिर्फ़ भारतवासी हिन्दू नहीं जानते | अन्धश्रद्धा से पूजा करते रहते हैं, आक्यूपेशन का कुछ भी पता नहीं है | कल्प की आयु बड़ी करने से कुछ भी समझते नहीं | इस्लामी, बौद्धी आदि बाद में आये हैं | उन्हों के आगे ज़रूर यह देवतायें होंगे | उन्हों का भी इतना समय होगा | इतने और सब धर्मों को आधाकल्प लगता है तो इस एक धर्म को भी आधाकल्प देना पड़े | लाखों वर्ष तो कह नहीं सकते | तुम जगत अम्बा के मन्दिर में जाकर समझायेंगे – इस गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज को यह नॉलेज किसने दी? ऐसे तो नहीं कहेंगे कृष्ण ने जगत अम्बा को नॉलेज दी | परन्तु यह भी समझा वह सकेंगे जिनकी प्रैक्टिस अच्छी है | कोई-कोई को तो देह-अभिमान बहुत है | कोई न कोई मित्र सम्बन्धी आदि याद पड़ते रहते हैं | बाप कहते हैं औरों को याद करेंगे तो मेरी याद भूल जायेंगे | तुम गाते भी हो और संग तोड़ एक संग जोड़ेंगे | वह तो अब यहाँ बैठे हैं | बाबा हम आपके हैं, आपकी मत पर चलेंगे | ऐसा कोई कर्म नहीं करेंगे जिसमें नाम बदनाम हो | बहुत बच्चे ऐसे-ऐसे काम करते हैं, जिससे नाम बदनाम होता है | जब तक कोई समझे तब तक गाली देते रहते हैं | नाम भी तो बाला हुआ है | अहो, प्रभू तेरी लीला गाई है ना | परन्तु बच्चे समझ सकते हैं, और कोई जानते नहीं | बाप कहते हैं – बच्चे, मैं तो निष्काम सेवा करता हूँ | अपकारियों पर भी उपकार करता हूँ | भारत को ही सोने की चिड़िया बनाता हूँ | नंबरवन उपकार करने वाला हूँ | परन्तु मनुष्य मुझे सर्वव्यापी कह बहुत गाली देते हैं | मैं तो तुम बच्चों को नॉलेज देता हूँ | तो इस ज्ञान यज्ञ में आसुरी सम्प्रदाय के विघ्न बहुत पड़ते हैं | बाप तो समझाते हैं जो बच्चे अच्छी तरह नहीं समझते हैं उनके कारण ही किचड़ा पड़ता है | ग्लानी कराते हैं | कई बच्चे तो बहुत अच्छी सर्विस करते हैं, कई डिससर्विस भी करते हैं | एक तरफ़ कई कन्स्ट्रक्शन करते हैं तो एक तरफ़ फिर डिस्ट्रक्शन भी करते हैं क्योंकि ज्ञान नहीं है | यह सूर्यवंशी, चन्द्रवन्शी राजधानी स्थापन हो रही है | जो पूरी रीति नहीं समझते हैं उनको समझाना है | तरस तो पड़ता है ना | बाप का बनकर और वर्सा नहीं लिया तो वह क्या काम का रहा | बाप मिला है तो पूरा पुरुषार्थ कर वर्सा लेना चाहिए, श्रीमत पर चलना चाहिए | ऐसा कर्तव्य नहीं करना है जिससे बाप की ग्लानी हो | बाप जानते हैं काम, क्रोध यह महाशत्रु हैं | यह नाक-कान से पकड़ते रहते हैं | यह तो होगा | उनसे पार जाना है | कोई तो नाम-रूप में फंस पड़ते हैं | सब बच्चे तो एक जैसे नहीं होते | बाप फिर भी सावधान करते हैं – ख़बरदार रहना! ऐसे अकर्तव्य कार्य कर अगर निन्दा करायेंगे तो पद भ्रष्ट हो पड़ेंगे | रुस्तम के साथ माया भी रुस्तम हो लडती है | बाप को याद करते-करते माया का तूफ़ान कहाँ ले जाता है | बच्चे कोई सच बताते नहीं है | राय भी नहीं लेते हैं | अविनाशी सर्जन से कुछ भी छिपाना नहीं है | अगर बताते नहीं हैं तो और ही गन्दे हो जाते हैं | ऐसे नहीं, बाबा जानी जाननहार है, सब समझते हैं | नहीं, तुम जो अवज्ञा करते हो वह आकर बताओ – शिवबाबा मेरे से यह भूल हुई है, क्षमा चाहता हूँ | क्षमा नहीं लेते तो भूलें होती रहेंगी | गोया अपने सिर पर पाप चढ़ाते रहते हो | बाप तो समझाते हैं कल्प-कल्पान्तर के लिये अपने पद को भ्रष्ट न करो | अगर अभी ऊँच पद नहीं बनायेंगे तो कल्प-कल्पान्तर ऐसा हाल होगा | यह नॉलेज है | बाबा जानता है कल्प पहले मुआफ़िक राजाई स्थापन हो रही है | बापदादा जास्ती समझ सकते हैं | यह फिर भी मुरब्बी बच्चा है | माताओं की महिमा बढ़ानी है, माताओं को आगे रखा जाता है | गोपों को समझाते हैं उनको आगे ले आओ | गोप भी बहुत सर्विस कर सकते हैं | चित्र लेकर समझाओ – ऊँच ते ऊँच यह भगवान् है | फिर है त्रिमूर्ति – ब्रह्मा-विष्णु-शंकर | उनमें भी ऊँच कौन है, किसका नाम है? सब कहेंगे प्रजापिता ब्रह्मा, जिसके द्वारा वर्सा मिलता है | शंकर वा विष्णु को पिता नहीं कहेंगे | उनसे कोई वर्सा नहीं मिलता है | प्रजापिता ब्रह्मा उनको कहा जाता है | उनसे क्या मिलता है? ब्रह्मा है शिवबाबा का बच्चा | शिवबाबा है ज्ञान का सागर, हेविन स्थापन करने वाला | तो ज़रूर हेविन के लिए शिक्षा मिलती है | यह राजयोग के लिए मत है | ब्रह्मा द्वारा बाप श्रीमत देते हैं | यह है देवता बनने के लिए | ब्रह्माकुमारी सो श्री लक्ष्मी गॉडेज़ ऑफ़ वेल्थ | वह ब्राह्मण, वह देवी-देवता | निराकारी दुनिया में सब आत्मायें हैं | बच्चों को समझाते तो बहुत हैं, परन्तु समझने वाले कोई समझें | मनुष्य तो ब्लाइन्ड फेथ से सन्यासी गुरु के फ़ालोअर्स बनते हैं | उनसे क्या मिलेगा, यह भी नहीं जानते हैं | टीचर तो फिर भी जानते हैं कि पदवी पायेंगे | बाकी जिसके फ़ालोअर्स बनते हैं उनसे क्या प्राप्ति है, कुछ भी नहीं जानते | यह है अन्धश्रद्धा, फ़ालोअर्स तो है ही नहीं | न वह बनाते और न तुम उनके जैसा बनते हो | एम आब्जेक्ट क्या है – कुछ भी नहीं जानते | अच्छा!
तो जगत अम्बा एक ही है | जगत अम्बा है ब्रह्मा मुख वंशावली सरस्वती, यह उनका पूरा नाम है | सरस्वती को ही सितार देते हैं | यह है गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज, ज़रूर उनकी सन्तान भी होंगे | उनको भी तम्बूरा होना चाहिए | देखो, झाड़ में यह सरस्वती बैठी है, राजयोग सीख रही है फिर यह जाकर लक्ष्मी बनती है, गॉडेज़ ऑफ़ वेल्थ | इसमें हेल्थ, वेल्थ, हैपीनेस सब आ जाती है | यह तो सिवाए परमपिता परमात्मा के कोई दे न सके | हेविनली गॉड फादर वह है | अब देखो, मम्मा सर्विस कर रही है | समझो, कहाँ मम्मा को निमन्त्रण दें तो पहले मम्मा के आक्यूपेशन को जानें | पहले नॉलेज चाहिए – यह कौन है? दुनिया तो नहीं जानती | कहते हैं कृष्ण को गाली मिली | परन्तु यह तो हो नहीं सकता, इम्पासिबुल है | सबसे जास्ती गाली खाने वाला है शिवबाबा, सेकेण्ड नम्बर में गाली खाने वाला है ब्रह्मा | परन्तु कृष्ण को गाली दे न सकें | मनुष्यों को यह पता नही कि सरस्वती गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज भविष्य में राधे बनती है | स्वयंवर बाद लक्ष्मी बनती है, गॉडेज़ ऑफ़ वेल्थ | उनमें हेल्थ, वेल्थ, हैप्पी सब आ जाता है | तुमको समझाने का बड़ा नशा चाहिए | मम्मा कौन है – यह समझाना पड़े ना | यह है सरस्वती, ब्रह्मा की बेटी मुख वंशावली | भारतवासी कुछ भी जानते नहीं | नॉलेज है नहीं | अन्धश्रद्धा बहुत है | ब्लाइन्ड फेथ में भारतवासी बहुत हैं | पूजा किसकी करते हैं, यह भी नहीं जानते | क्रिश्चियन अपने क्राइस्ट को जानते हैं | सिक्ख लोग जानते हैं कि गुरुनानक ने सिक्ख धर्म स्थापन किया | अपने धर्म स्थापक को जानते हैं | सिर्फ़ भारतवासी हिन्दू नहीं जानते | अन्धश्रद्धा से पूजा करते रहते हैं, आक्यूपेशन का कुछ भी पता नहीं है | कल्प की आयु बड़ी करने से कुछ भी समझते नहीं | इस्लामी, बौद्धी आदि बाद में आये हैं | उन्हों के आगे ज़रूर यह देवतायें होंगे | उन्हों का भी इतना समय होगा | इतने और सब धर्मों को आधाकल्प लगता है तो इस एक धर्म को भी आधाकल्प देना पड़े | लाखों वर्ष तो कह नहीं सकते | तुम जगत अम्बा के मन्दिर में जाकर समझायेंगे – इस गॉडेज़ ऑफ़ नॉलेज को यह नॉलेज किसने दी? ऐसे तो नहीं कहेंगे कृष्ण ने जगत अम्बा को नॉलेज दी | परन्तु यह भी समझा वह सकेंगे जिनकी प्रैक्टिस अच्छी है | कोई-कोई को तो देह-अभिमान बहुत है | कोई न कोई मित्र सम्बन्धी आदि याद पड़ते रहते हैं | बाप कहते हैं औरों को याद करेंगे तो मेरी याद भूल जायेंगे | तुम गाते भी हो और संग तोड़ एक संग जोड़ेंगे | वह तो अब यहाँ बैठे हैं | बाबा हम आपके हैं, आपकी मत पर चलेंगे | ऐसा कोई कर्म नहीं करेंगे जिसमें नाम बदनाम हो | बहुत बच्चे ऐसे-ऐसे काम करते हैं, जिससे नाम बदनाम होता है | जब तक कोई समझे तब तक गाली देते रहते हैं | नाम भी तो बाला हुआ है | अहो, प्रभू तेरी लीला गाई है ना | परन्तु बच्चे समझ सकते हैं, और कोई जानते नहीं | बाप कहते हैं – बच्चे, मैं तो निष्काम सेवा करता हूँ | अपकारियों पर भी उपकार करता हूँ | भारत को ही सोने की चिड़िया बनाता हूँ | नंबरवन उपकार करने वाला हूँ | परन्तु मनुष्य मुझे सर्वव्यापी कह बहुत गाली देते हैं | मैं तो तुम बच्चों को नॉलेज देता हूँ | तो इस ज्ञान यज्ञ में आसुरी सम्प्रदाय के विघ्न बहुत पड़ते हैं | बाप तो समझाते हैं जो बच्चे अच्छी तरह नहीं समझते हैं उनके कारण ही किचड़ा पड़ता है | ग्लानी कराते हैं | कई बच्चे तो बहुत अच्छी सर्विस करते हैं, कई डिससर्विस भी करते हैं | एक तरफ़ कई कन्स्ट्रक्शन करते हैं तो एक तरफ़ फिर डिस्ट्रक्शन भी करते हैं क्योंकि ज्ञान नहीं है | यह सूर्यवंशी, चन्द्रवन्शी राजधानी स्थापन हो रही है | जो पूरी रीति नहीं समझते हैं उनको समझाना है | तरस तो पड़ता है ना | बाप का बनकर और वर्सा नहीं लिया तो वह क्या काम का रहा | बाप मिला है तो पूरा पुरुषार्थ कर वर्सा लेना चाहिए, श्रीमत पर चलना चाहिए | ऐसा कर्तव्य नहीं करना है जिससे बाप की ग्लानी हो | बाप जानते हैं काम, क्रोध यह महाशत्रु हैं | यह नाक-कान से पकड़ते रहते हैं | यह तो होगा | उनसे पार जाना है | कोई तो नाम-रूप में फंस पड़ते हैं | सब बच्चे तो एक जैसे नहीं होते | बाप फिर भी सावधान करते हैं – ख़बरदार रहना! ऐसे अकर्तव्य कार्य कर अगर निन्दा करायेंगे तो पद भ्रष्ट हो पड़ेंगे | रुस्तम के साथ माया भी रुस्तम हो लडती है | बाप को याद करते-करते माया का तूफ़ान कहाँ ले जाता है | बच्चे कोई सच बताते नहीं है | राय भी नहीं लेते हैं | अविनाशी सर्जन से कुछ भी छिपाना नहीं है | अगर बताते नहीं हैं तो और ही गन्दे हो जाते हैं | ऐसे नहीं, बाबा जानी जाननहार है, सब समझते हैं | नहीं, तुम जो अवज्ञा करते हो वह आकर बताओ – शिवबाबा मेरे से यह भूल हुई है, क्षमा चाहता हूँ | क्षमा नहीं लेते तो भूलें होती रहेंगी | गोया अपने सिर पर पाप चढ़ाते रहते हो | बाप तो समझाते हैं कल्प-कल्पान्तर के लिये अपने पद को भ्रष्ट न करो | अगर अभी ऊँच पद नहीं बनायेंगे तो कल्प-कल्पान्तर ऐसा हाल होगा | यह नॉलेज है | बाबा जानता है कल्प पहले मुआफ़िक राजाई स्थापन हो रही है | बापदादा जास्ती समझ सकते हैं | यह फिर भी मुरब्बी बच्चा है | माताओं की महिमा बढ़ानी है, माताओं को आगे रखा जाता है | गोपों को समझाते हैं उनको आगे ले आओ | गोप भी बहुत सर्विस कर सकते हैं | चित्र लेकर समझाओ – ऊँच ते ऊँच यह भगवान् है | फिर है त्रिमूर्ति – ब्रह्मा-विष्णु-शंकर | उनमें भी ऊँच कौन है, किसका नाम है? सब कहेंगे प्रजापिता ब्रह्मा, जिसके द्वारा वर्सा मिलता है | शंकर वा विष्णु को पिता नहीं कहेंगे | उनसे कोई वर्सा नहीं मिलता है | प्रजापिता ब्रह्मा उनको कहा जाता है | उनसे क्या मिलता है? ब्रह्मा है शिवबाबा का बच्चा | शिवबाबा है ज्ञान का सागर, हेविन स्थापन करने वाला | तो ज़रूर हेविन के लिए शिक्षा मिलती है | यह राजयोग के लिए मत है | ब्रह्मा द्वारा बाप श्रीमत देते हैं | यह है देवता बनने के लिए | ब्रह्माकुमारी सो श्री लक्ष्मी गॉडेज़ ऑफ़ वेल्थ | वह ब्राह्मण, वह देवी-देवता | निराकारी दुनिया में सब आत्मायें हैं | बच्चों को समझाते तो बहुत हैं, परन्तु समझने वाले कोई समझें | मनुष्य तो ब्लाइन्ड फेथ से सन्यासी गुरु के फ़ालोअर्स बनते हैं | उनसे क्या मिलेगा, यह भी नहीं जानते हैं | टीचर तो फिर भी जानते हैं कि पदवी पायेंगे | बाकी जिसके फ़ालोअर्स बनते हैं उनसे क्या प्राप्ति है, कुछ भी नहीं जानते | यह है अन्धश्रद्धा, फ़ालोअर्स तो है ही नहीं | न वह बनाते और न तुम उनके जैसा बनते हो | एम आब्जेक्ट क्या है – कुछ भी नहीं जानते | अच्छा!मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1.
संग दोष से सदा बचे रहना है | सच्ची पढ़ाई पढ़कर सच्ची कमाई का स्टॉक जमा करना है |
2.
कदम-कदम पर बाबा की श्रीमत पर चलेंगे – यह अपने साथ प्रण करना है |
वरदान:-
अपने चेहरे रूपी दर्पण द्वारा मन की शक्तियों का साक्षात्कार कराने वाले योगी तू आत्मा भव !
जो मन में होता है उसकी झलक मस्तक पर ज़रूर आती है | ऐसे नहीं समझना कि मन में तो हमारे बहुत कुछ है | लेकिन मन की शक्ति का दर्पण चेहरा अर्थात् मुखड़ा है | कितना भी आप कहो हमारा योग तो बहुत अच्छा है, हम सदा ख़ुशी में नाचते हैं लेकिन चेहरा उदास देख कोई नहीं मानेगा | “पा लिया” इस ख़ुशी की चमक चेहरे से दिखाई दे | खुश्क चेहरा नहीं दिखाई दे, ख़ुशी का चेहरा दिखाई दे, तब कहेंगे योगी तू आत्मा |
स्लोगन:-
जब सरल स्वभाव, सरल बोल, सरलता सम्पन्न कर्म हों तब बाप का नाम बाला कर सकेंगे |
ओम्
शान्ति
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