30-07-14          प्रातः मुरली         ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन
 


"मीठे बच्चे - तुम्हें डबल सिरताज राजा बनना है तो खूब सर्विस करो, प्रजा बनाओ, संगम पर तुम्हें सर्विस ही करनी है, इसमें ही कल्याण है"   

                                                        
प्रश्न:-   
पुरानी दुनिया के विनाश के पहले हरेक को कौन-सा श्रृंगार करना है?


उत्तर:-
तुम बच्चे योगबल से अपना श्रृंगार करो, इस योगबल से ही सारा विश्व पावन बनेगा । तुमको अब वानप्रस्थ में जाना है इसलिए इस शरीर का श्रृंगार करने की जरूरत नहीं । यह तो वर्थ नाट पेनी है, इससे ममत्व निकाल दो । विनाश के पहले बाप समान रहमदिल बन अपना और दूसरों का श्रृंगार करो । अन्धों की लाठी बनो ।

 

ओम् शान्ति |

अब यह तो बच्चे अच्छी रीति समझ गये हैं कि बाप आते हैं पावन बनने का रास्ता बताने । उनको बुलाया जाता है इसी एक बात के लिए कि आकर हमको पतित से पावन बनाओ क्योंकि पावन दुनिया पास्ट हो गई, अब पतित दुनिया है । पावन दुनिया कब पास्ट हुई, कितना समय हुआ, यह कोई नहीं जानते । तुम बच्चे जानते हो बाप फिर इस तन में आया हुआ है । तुमने ही बुलाया है कि बाबा आकर हम पतितों को रास्ता बताओ, हम पावन कैसे बनें? यह तो जानते हो हम पावन दुनिया में थे, अभी पतित दुनिया में हैं । अभी यह दुनिया बदल रही है । नई दुनिया की आयु कितनी, पुरानी दुनिया की आयु कितनी है-यह कोई भी नहीं जानते । पक्का मकान बनाओ तो कहेंगे इसकी आयु इतने वर्ष होगी । कच्चा मकान बनायेंगे तो कहेंगे इसकी आयु इतने वर्ष होगी । समझ सकते हैं यह कितने वर्ष तक चल सकता है । मनुष्यों को यह पता ही नहीं कि यह जो सारी दुनिया है उनकी आयु कितनी है? तो जरूर बाप को आकर बताना पड़े । बाप कहते हैं-बच्चे, अब यह पुरानी पतित दुनिया पूरी होनी है । नई पावन दुनिया स्थापन हो रही है । नई दुनिया में बहुत थोड़े मनुष्य थे । नई दुनिया है सतयुग जिसको सुखधाम कहते हैं । यह है दु :खधाम, इसका अन्त जरूर आना है । फिर सुखधाम की हिस्ट्री रिपीट होनी है । सबको यह समझाना है । बाप डायरेक्शन देते हैं अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो और फिर औरों को भी यह रास्ता बताओ । लौकिक बाप को तो सब जानते हैं, पारलौकिक बाप को तो कोई जानते नहीं । सर्वव्यापी कह देते हैं । कच्छ- मच्छ अवतार या 84 लाख योनियों में ले गये हैं । दुनिया में कोई भी बाप को नहीं जानते । बाप को जानें तब समझें । अगर पत्थर ठिक्कर में है तो वर्से की बात ही नहीं ठहरती । देवताओं की भी पूजा करते हैं, परन्तु कोई का आक्यूपेशन नहीं जानते, बिल्कुल ही इन बातों में अन्जान हैं । तो पहली-पहली मूल बात समझानी चाहिए । सिर्फ चित्रों से कोई समझ न सके । मनुष्य बिचारे न बाप को जानते हैं, न रचना को जानते हैं कि शुरू से लेकर यह रचना कैसे रची । देवताओं का राज्य कब था, जिनको पूजते हैं, कुछ भी पता नहीं । समझते हैं लाखों वर्ष सूर्यवंशी राजधानी चली, फिर चन्द्रवंशी लाखो वर्ष चले, इसको कहा जाता है अज्ञान । अभी तुम बच्चों को बाप ने समझाया है, तुम फिर रिपीट करते हो । बाप भी रिपीट करते हैं ना । ऐसे समझाओ, पैगाम दो, नहीं तो राजधानी कैसे स्थापन होगी । यहाँ बैठ जाने से नहीं होगा । हाँ, घर में बैठने वाले भी चाहिए । वह तो ड्रामा अनुसार बैठे हैं । यज्ञ की सम्भाल करने वाले भी चाहिए । बाप के पास कितने बच्चे आते हैं मिलने के लिए क्योंकि शिवबाबा से ही वर्सा लेना है । लौकिक बाप के पास बच्चा आया तो वह समझेंगे हमको बाप से वर्सा लेना है । बच्ची तो जाकर हाफ पार्टनर बनती है । सतयुग में कभी मिलकियत आदि पर झगड़ा होता ही नहीं । यहाँ झगड़ा होता है काम विकार पर । वहाँ तो यह 5 भूत होते नहीं, तो दु :ख का नाम-निशान नहीं । सब नष्टोमोहा होते हैं । यह तो समझते हैं स्वर्ग था, जो पास्ट हो गया । चित्र भी है परन्तु यह ख्यालात तुम बच्चों को अभी आते हैं । तुम जानते हो यह चक्र हर 5 हजार वर्ष के बाद रिपीट होता है । शास्त्रों में कोई यह नहीं लिखा है कि सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी डिनायस्टी 2500 वर्ष चली । अखबार में पढ़ा था कि बड़ौदा के राजभवन में रामायण सुन रहे हैं । कुछ भी आफतें आती हैं तो मनुष्य भक्ति में लग जाते हैं, भगवान को राजी करने के लिए । ऐसे कोई भगवान राजी होता नहीं है । यह तो ड्रामा में नूँध है । भक्ति से कभी भगवान् राजी नहीं होता । तुम बच्चे जानते हो आधाकल्प भक्ति चलती है, खुद ही दु :ख उठाते रहते हैं । भक्ति करते-करते सब पैसे खलास कर देते हैं । यह बातें तो कोई विरले ही समझेंगे जो बच्चे सर्विस पर हैं, वह समाचार भी देते रहते हैं । समझाया जाता है यह ईश्वरीय परिवार है । ईश्वर तो दाता है, वह लेने वाला नहीं है । उनको तो कोई भी देते नहीं, और ही सब बरबाद करते रहते हैं । बाप तुम बच्चों से पूछते हैं, तुमको कितने अथाह पैसे दिये । तुमको स्वर्ग का मालिक बनाया फिर वह सब कहाँ गया? इतने कंगाल कैसे बने? अभी मैं फिर आया हूँ, तुम कितने पदमापदम् भाग्यवान बन रहे हो । मनुष्य तो इन बातों को कोई भी नहीं जानते । तुम जानते हो अभी इस पुरानी दुनिया में यहाँ रहना नहीं है । यह तो खलास हो जानी है । मनुष्यों के पास जो ढेर पैसे हैं वह किसी के हाथ आने नहीं हैं । विनाश होगा तो सब खलास हो जायेंगे । कितने माइल में बड़े-बड़े मकान आदि बने हुए हैं । ढेर की ढेर मिलकियत है, सब खत्म हो जायेगी क्योंकि तुम जानते हो जब हमारा राज्य था तो और कोई थे ही नहीं । वहाँ अथाह धन था । तुम आगे चल देखते रहेंगे क्या-क्या होता है । उनके पास कितना सोना, कितनी चांदी, नोट आदि हैं, वह सब बजट निकलता है, एनाउन्स करते हैं इतना बजट है तो इतना खर्चा है । बारूद पर कितना खर्चा है । अभी बारूद पर इतना खर्चा करते हैं । उससे आमदनी तो कुछ है नहीं । यह रखने की चीज तो है नहीं । रखने का होता है सोना और चांदी । दुनिया गोल्डन एजेड है तो सोने के सिक्के होते हैं । सिलवर एज में चांदी है । वहाँ तो अपार धन होता है, फिर कम होते-होते अभी देखो क्या निकला है! काग़ज़ के नोट । विलायत में भी काग़ज़ के निकले हैं । काग़ज़ तो काम की चीज नहीं । बाकी क्या रहेगा? यह बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स आदि सब खत्म हो जायेंगी इसलिए बाप कहते हैं-मीठे-मीठे बच्चे, यह जो कुछ देखते हो, ऐसे समझो यह है नहीं । यह तो सब खलास हो जाना है । शरीर भी पुराना वर्थ नाट ए पेनी है । भल कोई कितना भी सुन्दर हो । यह दुनिया ही बाकी थोड़ा समय है । कुछ ठिकाना थोड़ेही है । बैठे-बैठे मनुष्य का क्या हो जाता है । हार्ट फेल हो जाते हैं । मनुष्य का कोई भरोसा नहीं । सतयुग में थोड़ेही ऐसे होगा । वहाँ तो काया कल्पतरू समान होती है, योगबल से । अब तुम बच्चों को बाप मिला है, कहते हैं इस दुनिया में तुमको रहना नहीं है । यह छी-छी दुनिया है । अब तो योगबल से अपना श्रृंगार करना है । वहाँ तो बच्चे भी योगबल से होते हैं । विकार की बात ही वहाँ नहीं होती । योगबल से तुम सारे विश्व को पावन बनाते हो तो बाकी क्या बड़ी बात है । इन बातों को भी वही समझेंगे जो अपने घराने के होंगे । बाकी तो सबको शान्तिधाम में जाना है, वह तो है घर । परन्तु मनुष्य उसको घर भी नहीं समझते हैं । वो तो कहते हैं एक आत्मा जाती है, दूसरी आती रहती है । सृष्टि वृद्धि को पाती जाती है । रचयिता और रचना को तुम जानते हो, इसलिए कोशिश करते हो औरों को समझाने की । यह समझकर कि बाबा का स्टूडेंट बन जाए, सब कुछ जान जाए, खुशी में आ जाए । हम तो अब अमरलोक में जाते हैं । आधाकल्प तो झूठी कथायें सुनी हैं । अब तो बहुत खुशी होनी चाहिए- अमरलोक में हम जायेंगे । इस मृत्युलोक का अभी अन्त है । हम खुशी का खजाना यहाँ से भरकर जाते हैं । तो इस कमाई करने में, झोली भरने में अच्छी रीति लग जाना चाहिए । टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए । बस, अभी तो हमको औरों की सर्विस करनी है, झोली भरनी है । बाप सिखलाते हैं, रहमदिल कैसे बनो? अंधों की लाठी बनो । यह सवाल तो कोई सन्यासी, विद्वान आदि पूछ नहीं सकते । उनको क्या पता स्वर्ग कहाँ, नर्क कहाँ होता है । भल कितने भी बड़े-बड़े पोजीशन वाले हैं, कमान्डर चीफ एरोप्लेन्स के हैं, कमान्डर चीफ लड़ाई के हैं, स्टीमर के हैं, लेकिन तुम्हारे आगे यह सब क्या हैं! तुम जानते हो बाकी थोड़ा समय है । स्वर्ग का तो कोई को पता ही नहीं । इस समय तो सब तरफ मारामारी चल रही है, फिर उन्हों को एरोप्लेन्स अथवा लश्कर आदि की दरकार नहीं रहेगी । यह सब खलास हो जायेंगे । बाकी थोड़े मनुष्य रहेंगे । यह बत्तियां, एरोप्लेन आदि रहेंगे परन्तु दुनिया कितनी छोटी रहेगी, भारत ही रहेगा । जैसे मॉडल छोटा बनाते हैं ना । और कोई की भी बुद्धि में नहीं होगा कि मौत आखरीन कैसे आना है । तुम तो जानते हो मौत सामने खड़ा है । वह कहते हैं हम यहाँ बैठे ही बाम्ब्स छोड़ेंगे । जहाँ गिरेगा सब खत्म हो जायेंगे । कोई लश्कर आदि की दरकार नहीं है । एक-एक एरोप्लेन भी करोड़ो खर्चा खा जाता है । कितना सोना सबके पास रहता है । टन्स के टन्स सोना है, वह सब समुद्र में चला जायेगा । 

यह सारा रावण राज्य एक आइलैण्ड है । अनगिनत मनुष्य हैं । तुम सब अपना राज्य स्थापन कर रहे हो । तो सर्विस में बिजी रहना चाहिए । कहाँ बाढ़ आदि होती है तो देखो कैसे बिजी हो जाते हैं । सबको खाना आदि पहुँचाने की सर्विस में लग जाते हैं । पानी आता है तो पहले से ही भागना शुरू करते हैं । तो विचार करो सब कैसे खत्म होंगे । सृष्टि के आलराउन्ड सागर है । विनाश होगा तो जलमई हो जायेगी, पानी ही पानी । बुद्धि में रहता है हमारा राज्य था तो यह बाम्बे-कराची आदि तो थे नहीं । भारत कितना छोटा जाकर रहेगा, सो भी मीठे पानी पर । वहाँ कुएं आदि की दरकार नहीं | पानी बड़ा स्वच्छ पीने का रहता है । नदियों पर तो खेलपाल करते हैं । गन्दगी की कोई बात नहीं । नाम ही है स्वर्ग, अमरलोक । नाम सुनकर ही दिल होती है जल्दी-जल्दी बाप से पूरा पढ़कर वर्सा ले लेवें । पढ़कर और फिर पढ़ावें । सबको पैगाम दें । कल्प पहले जिन्होंने वर्सा लिया है वह ले लेंगे । पुरूषार्थ करते रहते हैं क्योंकि बिचारे बाप को नहीं जानते हैं । बाप कहते हैं पवित्र बनो । जिनको हथेली पर बहिश्त मिलेगा वह क्यों नहीं पवित्र रहेंगे । बोलो, हम क्यों नहीं एक जन्म पवित्र बनेंगे, जबकि हमें विश्व की बादशाही मिलती है । भगवानुवाच-तुम इस अन्तिम जन्म में पवित्र बनेंगे तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे, 21 जन्म के लिए । सिर्फ यह एक जन्म मेरी श्रीमत पर चलो | रक्षाबन्धन भी इसकी निशानी है । तो क्यों नहीं हम पवित्र रह सकेंगे । बेहद का बाप गैरेंटी करते हैं । बाप ने भारत को स्वर्ग का वर्सा दिया था, जिसको सुखधाम कहते हैं । अपार सुख थे, यह है दु :खधाम । एक कोई बड़े को तुम ऐसे समझाओ तो सब सुनते रहेंगे । योग में रह बताओ तो सबको टाइम आदि ही भूल जाए । कोई कुछ कह न सके । 15 - 20 मिनट के बदले घण्टा भी सुनते रहें । परन्तु वह ताकत चाहिए । देह- अभिमान नहीं होना चाहिए । यहाँ तो सर्विस ही सर्विस करनी है, तब ही कल्याण होगा । राजा बनना है तो प्रजा कहॉ बनाई है । ऐसे ही बाप थोड़ेही माथे पर पाग रख देंगे । प्रजा डबल सिरताज बनती है क्या? तुम्हारी एम ऑब्जेक्ट ही है डबल सिरताज बनने की । बाप तो बच्चों को हुल्लास दिलाते हैं । जन्म-जन्मान्तर के पाप सिर पर हैं, वह योगबल से ही कट सकते हैं । बाकी इस जन्म में क्या-क्या किया है वह तो तुम समझ सकते हो ना । पाप काटने के लिए योग आदि सिखाया जाता है । बाकी इस जन्म की तो कोई बात नहीं । तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने की युक्ति बाप बैठ बतलाते हैं, बाकी कृपा आदि तो जाकर साधुओं से मांगो । अच्छा! 

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1. अमरलोक में जाने के लिए संगम पर खुशी का खजाना भरना है । टाइम वेस्ट नहीं करना है । अपनी झोली भरकर रहमदिल बन अंधों की लाठी बनना है । 

2. हथेली पर बहिश्त लेने के लिए पवित्र जरूर बनना है । स्वयं को सतोप्रधान बनाने की युक्तियां रच अपने ऊपर आपेही कृपा करनी है । योगबल जमा करना है ।

 

वरदान:-

सदा केयरफुल रह माया के रॉयल रूप की छाया से सेफ रहने वाले मायाप्रूफ भव !   

वर्तमान समय माया रीयल समझ को, महसूसता की शक्ति को गायब कर रांग को राइट अनुभव कराती है । जैसे कोई जादूमंत्र करते हैं तो परवश हो जाते हैं, ऐसे रॉयल माया रीयल को समझने नहीं देती है । इसलिए बापदादा अटेंशन को डबल अन्डरलाइन करा रहे हैं । ऐसा केयरफुल रहो जो माया की छाया से सेफ मायाप्रूफ बन जाओ । विशेष मन-बुद्धि को बाप की छत्रछाया के सहारे में ले आओ ।

 

स्लोगन:- 

जो सहजयोगी हैं उनको देखकर दूसरों का भी योग सहज लग जाता है ।     

 

ओम् शान्ति |