29-12-14     प्रातःमुरली     ओम् शान्ति     “बापदादा”     मधुबन
 


मीठे बच्चे - तुम्हारे पास मनमनाभव और मध्याजीभव के तीन बाण हैं, इन्हीं बाणों से तुम माया पर विजय प्राप्त कर सकते हो” 
प्रश्न:-   
बच्चों को बाप की मदद किस आधार पर मिलती हैं ?
उत्तर:-

जो बच्चे जितना बाप को प्यार से याद करते उतना बाप की मदद मिलती है । प्यार से बातें करो । अपना कनेक्शन ठीक रखो, श्रीमत पर चलते रहो तो बाप मदद करता रहेगा । बच्चे बाप की शुक्रिया मानते, बाबा आप परमधाम से आकर हमें पतित से पावन बनाते हो, आपसे हमें कितना सुख मिलता है । प्यार में आंसू भी आ जाते हैं । 

ओम् शान्ति |

बच्चों को सबसे प्रिय हैं माँ और बाप । और माँ-बाप को फिर बच्चे हैं बहुत प्रिय । अब बाप जिसको त्वमेव माताक्ष पिता कहते हैं । लौकिक माँ-बाप को तो कोई ऐसे कह न सकें । यह महिमा हैं जरूर, परन्तु किसकी हैं-यह कोई जानते नहीं । अगर जाने तो वहाँ चला जाये और बहुतों को ले जाये । परन्तु ड्रामा की भावी ही ऐसी है । जब ड्रामा पूरा होता है तब ही आते हैं । आगे टाँकी नाटक होते थे । जब नाटक पूरा होता था तो सभी एक्टर्स स्टेज पर खड़े हो जाते थे । यह भी बेहद का बड़ा नाटक है । यह भी सारा बच्चों की बुद्धि में आना चाहिए-सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग । यह सारी सृष्टि का चक्र है । ऐसे नहीं मूलवतन, सूक्ष्मवतन में चक्र फिरता है । सृष्टि का चक्र यहाँ ही फिरता है ।

गाया भी जाता है एकोअंकार सतनाम..... यह महिमा किसकी है? भल ग्रंथ में भी सिक्ख लोग महिमा करते हैं । गुरूनानक वाच..... अब एकोअंकार यह तो उस एक निराकार परमात्मा की ही महिमा हैं परन्तु यह लोग परमात्मा की महिमा को भूल गुरूनानक की महिमा करने लगते हैं । सतगुरू भी नानक को समझ लेते हैं । वास्तव में सृष्टि भर में महिमा जो भी हैं उस एक की ही है और कोई की महिमा है नहीं । अभी देखो ब्रह्मा में अगर बाबा की प्रवेशता नहीं होती तो यह कौड़ी तुल्य है । अभी तुम कौड़ी तुल्य से हीरे तुल्य बनते हो परमपिता परमात्मा द्वारा । अब है पतित दुनिया, ब्रह्मा की रात्रि । पतित दुनिया में जब बाप आते हैं और जो उनको पहचान लेते हैं वह उन पर कुर्बान जाते हैं । आज की दुनिया में तो बच्चे भी धुंधकारी बन पड़ते हैं । देवतायें कितने अच्छे थे, अभी वह पुनर्जन्म लेते-लेते तमोप्रधान बन गये हैं । सन्यासी भी पहले बहुत अच्छे थे, पवित्र थे । भारत को मदद देते थे । भारत में अगर पवित्रता न हो तो काम चिता पर जल जाए । सतयुग में काम कटारी होती नहीं । इस कलियुग में सब काम चिता के कांटो पर बैठे हुए हैं । सतयुग में तो ऐसे नहीं कहेंगे । वहाँ यह प्याइज़न होता नहीं । कहते हैं ना अमृत छोड़ विष काहे को खाए । विकारी को ही पतित कहा जाता है । आजकल मनुष्य तो देखो 10 - 12 बच्चे पैदा करते रहते हैं । कोई कायदा ही नहीं रहा है । सतयुग में जब बच्चा पैदा होता है तो पहले से ही साक्षात्कार होता है । शरीर छोड़ने के पहले भी साक्षात्कार होता है कि हम यह शरीर छोड़ जाकर बच्चा बनूँगा । और एक बच्चा ही होता है, जास्ती नहीं । लॉ मुजीब चलता है । वृद्धि तो होनी है जरूर । परन्तु वहाँ विकार होता नहीं । बहुत पूछते हैं तब वहाँ पैदाइस कैसे होती है? बोलना चाहिए वहाँ योगबल से सब काम होता है । योगबल से ही हम सृष्टि की राजाई लेते हैं । बाहुबल से सृष्टि की राजाई नहीं मिल सकती है ।

बाबा ने समझाया है अगर क्रिस्चियन लोग आपस में मिल जाएं तो सारी सृष्टि का राज्य ले सकते हैं परन्तु आपस में मिलेंगे नहीं, लॉ नहीं कहता, इसलिए दो बिल्ले आपस में लड़ते हैं तो माखन तुम बच्चों को मिल जाता है । कृष्ण के मुख में माखन दिखाया है । यह सृष्टि रूपी माखन है ।

बेहद का बाप कहते हैं यह योगबल की लड़ाई शास्त्रों में गाई हुई हैं, बाहुबल की नहीं । उन्ही ने फिर हिंसक लड़ाई शास्त्रों में दिखा दी है । उनसे अपना कोई सम्बन्ध नहीं है । पाण्डवों कौरवों की लड़ाई है नहीं । यह अनेक धर्म 5 हजार वर्ष पहले भी थे, जो आपस में लड़कर विनाश हुए । पाण्डवों ने देवी-देवता धर्म की स्थापना की । यह है योगबल, जिससे सृष्टि का राज्य मिलता है । मायाजीत-जगतजीत बनते हैं । सतयुग में माया रावण होता नहीं । वहाँ थोड़ेही रावण का बुत बनाकर जलायेंगे । बुत (चित्र) कैसे-कैसे बनाते हैं । ऐसा कोई दैत्य वा असुर होता नहीं । यह भी नहीं समझते 5 विकार स्त्री के हैं और 5 विकार पुरूष के हैं । उनको मिलाकर 10 शीश वाला रावण बना देते हैं । जैसे विष्णु को भी 4 भुजायें देते हैं । मनुष्य तो यह कॉमन बात भी समझते नहीं हैं । बड़ा रावण बनाकर जलाते हैं । मोस्ट बिलवेड बच्चों को अभी बेहद का बाप समझाते हैं । बाप को बच्चे हमेशा नम्बरवार प्यारे होते हैं । कोई तो मोस्ट बिलवेड भी है तो कोई कम प्यारे भी हैं । जितना सिकीलधा बच्चा होगा उतना जास्ती लव होगा । यहाँ भी जो सर्विस पर तत्पर रहते हैं, रहमदिल रहते हैं, वह प्यारे लगते हैं । भक्ति मार्ग में रहम मांगते हैं ना! खुदा रहम करो । मर्सी ऑन मी । परन्तु ड्रामा को कोई जानते नहीं हैं । जब बहुत तमोप्रधान बन जाते हैं तब ही बाबा का प्रोग्राम है आने का । ऐसे नहीं, ईश्वर जो चाहे कर सकते हैं या जब चाहे तब आ सकते हैं । अगर ऐसी शक्ति होती तो फिर इतनी गाली क्यों मिले? वनवास क्यों मिलें? यह बातें बड़ी गुप्त हैं । कृष्ण को तो गाली मिल न सके । कहते हैं भगवान यह नहीं कर सकता! परन्तु विनाश तो होना ही है फिर बचाने की तो बात ही नहीं । सभी को वापिस ले जाना है । स्थापना- विनाश कराते हैं तो जरूर भगवान होगा ना । परमपिता परमात्मा स्थापना करते हैं, किसकी? मुख्य बात तुम पूछो ही यह कि गीता का भगवान कौन? सारी दुनिया इसमें मूंझी हुई हैं । उन्होंने तो मनुष्य का नाम डाल दिया है । आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना तो भगवान बिगर कोई कर नहीं सकता । फिर तुम कैसे कहते हो कृष्ण गीता का भगवान है । विनाश और स्थापना कराना किसका काम है? गीता के भगवान को भूल गीता को ही खण्डन कर दिया है । यह बड़े ते बड़ी भूल है । दूसरा फिर जगन्नाथपुरी में देवताओं के बड़े गन्दे चित्र बनाये हैं । गवर्मेंट की मना है गन्दे चित्र रखने की । तो इस पर समझाना चाहिए । इन मन्दिरों पर कोई की बुद्धि में यह बातें आती नहीं हैं । यह बातें बाप ही बैठ समझाते हैं ।

देखो, बच्चियां कितना प्रतिज्ञा पत्र भी लिखती हैं । खून से भी लिखती । एक कथा भी है ना कृष्ण को खून निकला तो द्रोपदी ने अपना चीर फाड़कर बांध दिया । यह लव है ना । तुम्हारा लव है शिवबाबा के साथ । इनका (ब्रह्मा का) खून निकल सकता है, इनको दु :ख हो सकता है लेकिन शिवबाबा को कभी दु :ख नहीं हो सकता क्योंकि उनको अपना शरीर तो है नहीं । कृष्ण को अगर कुछ लगे तो दुःख होगा ना । तो उनको फिर परमात्मा कैसे कह सकते । बाबा कहते मैं तो दुःख-सुख से न्यारा हूँ । हाँ, बच्चों को आकर सदा सुखी बनाता हूँ । सदा शिव गाया जाता है । सदा शिव, सुख देने वाला कहते हैं - मेरे मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे जो सपूत हैं, ज्ञान धारण कर पवित्र रहते हैं, सच्चे योगी और ज्ञानी रहते हैं, वह मुझे प्यारे लगते हैं । लौकिक बाप के पास भी कोई अच्छे, कोई बुरे बच्चे होते हैं । कोई कुल को कलंक लगाने वाले निकल पड़ते हैं । बहुत गन्दे बन जाते हैं । यहाँ भी ऐसे हैं । आश्चर्यवत् बच्चा बनन्ती, सुनन्ती, कथन्ती फिर फारकती देवन्ती इसलिए ही निश्चय पत्र लिखवाया जाता है । तो वह लिखत फिर सामने दी जायेगी । ब्लड से भी लिखकर देते हैं । ब्लड से लिखकर प्रतिज्ञा करते हैं । आजकल तो कसम भी उठवाते हैं । परन्तु वह है झूठा कसम । ईश्वर को हाजिर-नाजिर जानना अर्थात् यह भी ईश्वर है, मैं भी ईश्वर कसम उठाता हूँ । बाप कहते हैं अभी तुम प्रैक्टिकल में हाजिर नाजिर जानते हो । बाबा इन आँखों रूपी खिड़कियों से देखते हैं । यह पराया शरीर है । लोन पर लिया है । बाबा किरायेदार हैं । मकान को काम में लाया जाता है ना । तो बाबा कहते हैं मैं यह तन काम में लाता हूँ । बाबा इन खिड़कियों से देखते हैं । हाजिर-नाजिर है । आत्मा जरूर आरगन्स से ही काम लेगी ना । मैं आया हूँ तो जरूर सुनाऊँगा ना । आरगन्स यूज करते हैं तो जरूर किराया भी देना पड़ेगा ।

तुम बच्चे इस समय नर्क को स्वर्ग बनाने वाले हो । तुम रोशनी देने वाले, जागृत करने वाले हो । और तो सब कुम्भकरण की नींद में सोये पड़े हैं । तुम मातायें जगाती हो, स्वर्ग का मालिक बनाती हो । इसमें मैजारिटी माताओं की हैं, इसलिए वन्दे मातरम् कहा जाता है । भीष्म पितामह आदि को भी तुमने ही बाण मारे हैं । मनमनाभव-मध्याजीभव का बाण कितना सहज है । इन्ही बाणों से तुम माया पर भी जीत पा लेते हो । तुम्हें एक बाप की याद, एक की श्रीमत पर ही चलना है । बाप तुम्हे ऐसे श्रेष्ठ कर्म सिखलाते हैं, जो 21 जन्म कभी कर्म कूटने की दरकार ही न पड़े । तुम एवरहेल्दी-एवरवेल्दी बनते हो । अनेक बार तुम स्वर्ग के मालिक बने हो । राज्य लिया और फिर गँवाया है । तुम ब्राह्मण कुल भूषण ही हीरो-हीरोइन का पार्ट बजाते हो । ड्रामा में सबसे ऊंच पार्ट तुम बच्चों का है । तो ऐसे ऊंच बनाने वाले बाप के साथ बहुत लव चाहिए । बाबा आप कमाल करते हो । न मन, न चित, हमको थोड़ेही पता है, हम सो नारायण थे | बाबा कहते हैं तुम सो नारायण अथवा सो लक्ष्मी देवी-देवता थे फिर पुनर्जन्म लेते-लेते असुर बन गये हो । अभी फिर पुरूषार्थ कर वर्सा पाओ । जितना जो पुरूषार्थ करते हैं, साक्षात्कार होता रहता हैं ।

राजयोग एक बाप ने ही सिखलाया था । सच्चा-सच्चा सहज राजयोग तो तुम अभी सिखला सकते हो । तुम्हारा फर्ज हैं बाप का परिचय सबको देना । सभी निधनके बन पड़े हैं । यह बातें भी कल्प पहले वाले कोटों में कोई ही समझेंगे । बाबा ने समझाया है, सारी दुनिया में महान् मूर्ख देखना हो तो यहाँ देखो । बाप जिनसे 21 जन्म का वर्सा मिलता, उनको भी फारकती दे देते हैं । यह भी ड्रामा में नूँध है । अभी तुम स्वयं ईश्वर की औलाद हो । फिर देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र की औलाद बनेंगे । अभी आसुरी औलाद से ईश्वरीय सन्तान बने हो । बाप परमधाम से आकर पतित से पावन बनाते हैं तो कितना शुक्रिया मानना चाहिए । भक्ति मार्ग में भी शुक्रिया करते रहते हैं । दुःख में थोड़ेही शुक्रिया मानेंगे । अभी तुमको कितना सुख मिलता है तो बहुत लव होना चाहिए । हम बाप से प्यार से बातें करेंगे तो क्यों नहीं सुनेंगे । कनेक्शन है ना । रात को उठकर बाबा से बातें करनी चाहिए । बाबा अपना अनुभव बतलाते रहते हैं । मैं बहुत याद करता हूँ । बाबा की याद में आंसू भी आ जाते हैं । हम क्या थे, बाबा ने क्या बना दिया है - तत्त्वम । तुम भी वह बनते हो । योग में रहने वालों को बाबा मदद भी देते हैं । आपेही आँख खुल जायेगी । खटिया हिल जाएगी । बाबा बहुतों को उठाते हैं । बेहद का बाप कितना रहम करते हैं । तुम यहाँ क्यों आये हो? कहते हो बाबा भविष्य में श्री नारायण को वरने की शिक्षा पाने आये हैं अथवा लक्ष्मी को वरने लिए यह इम्तहान पास कर रहे हो । कितना वन्डरफुल स्कूल है । कितनी वन्डरफुल बातें हैं । बड़े ते बड़ी युनिवर्सिटी हैं । परन्तु गॉडली युनिवर्सिटी नाम रखने नहीं देते हैं । एक दिन जरूर मानेंगे । आते रहेंगे । कहेंगे बरोबर कितनी बड़ी युनिवर्सिटी है । बाबा तो अपने नयनों पर बिठाकर तुमको पढ़ाते हैं । कहते हैं तुमको स्वर्ग में पहुँचा देंगे । तो ऐसे बाबा से कितनी बातें करनी चाहिए । फिर बाबा बहुत मदद करेंगे । जिनके गले घुटे हुए हैं, उनका ताला खोल देंगे । रात को याद करने से बहुत मजा आयेगा । बाबा अपना अनुभव बतलाते हैं । मैं कैसी बातें करता हूँ, अमृतवेले ।बाप बच्चों को समझाते हैं खबरदार रहना । कुल को कलंकित नहीं करना । 5 विकार दान में दे फिर वापिस नहीं लेना | अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1. बाप का प्रिय बनने के लिए रहमदिल बन सर्विस पर तत्पर रहना है । सपूत, आज्ञाकारी बन सच्चा योगी वा ज्ञानी बनना है । 

2. अमृतवेले उठ बाप से बहुत मीठी-मीठी बातें करना है, बाप का शुक्रिया मानना है । बाप की मदद का अनुभव करने के लिए मोस्ट बिलवेड बाप को बड़े प्यार से याद करना है ।

वरदान:-

सदा उमंग-उत्साह में रह मन से खुशी के गीत गाने वाले अविनाशी खुशनसीब भव !

आप खुशनसीब बच्चे अविनाशी विधि से अविनाशी सिद्धियां प्राप्त करते हो । आपके मन से सदा वाह- वाह की खुशी के गीत बजते रहते हैं । वाह बाबा! वाह तकदीर! वाह मीठा परिवार! वाह श्रेष्ठ संगम का सुहावना समय! हर कर्म वाह-वाह है इसलिए आप अविनाशी खुशनसीब हो । आपके मन में कभी व्हाई, आई (क्यों, मैं) नहीं आ सकता । व्हाई के बजाए वाह-वाह और आई के बजाए बाबा-बाबा शब्द ही आता है

स्लोगन:- 

जो संकल्प करते हो उसे अविनाशी गवर्मेंट की स्टैम्प लगा दो तो अटल रहेंगे । 

ओम् शान्ति |