03-05-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे
बच्चे
–
याद में रहकर भोजन बनाओ तो खाने वाले का हृदय शुद्ध हो जायेगा,
तुम ब्राह्मणों का भोजन बहुत ही शुद्ध होना चाहिए
| 
प्रश्न:-
सतयुग में तुम्हारे दर पर कभी भी काल नहीं आता है - क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि संगम पर तुम बच्चों ने बाप द्वारा जीते जी मरना सीखा
है | जो अभी जीते जी मरते हैं उनके दर पर कभी काल नहीं आ सकता
है | तुम यहाँ आये हो मरना सीखने | सतयुग है अमरलोक, वहाँ काल
किसी को खाता नहीं | रावण राज्य है मृत्युलोक, इसलिए यहाँ सभी
की अकाले मृत्यु होती रहती है |
ओम्
शान्ति
|
मीठे-मीठे बच्चे प्रदर्शनी देखकर आते हैं तो बुद्धि में वही
याद रहनी चाहिए | हम कैसे शुद्र थे, अब ब्राह्मण बने हैं फिर
देवता सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी बनेंगे | यह संगमयुगी मॉडल
प्रदर्शनी में रखना है | कलियुग और सतयुग के बीच में अब यह है
संगमयुग | तो संगमयुगी मॉडल बीच में हो, उसमें 15-20 सफेद पोश
वाले बिठाना चाहिए तपस्या में | जैसे सूर्यवंशी दिखाते हैं तो
चन्द्रवंशी भी दिखाना पड़े | ऐसा बनाना है जो मनुष्य समझ जाएँ
कि यही तपस्या कर ऐसा बनते हैं | जैसे तुम्हारे शुरू के चित्र
भी हैं | साधारण तपस्या के और भविष्य राजाई पद के | वैसे यह भी
बनाना पड़े | तो तुम समझा सकेंगे यह वह बनते हैं | दिखलाना भी
एक्यूरेट है | हम ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ राजयोग सीखकर यह बनते
हैं | तो संगमयुग भी जरुर दिखाना पड़े | तुम बच्चे देखकर आते हो
तो सारा दिन वह नॉलेज बुद्धि में रहनी चाहिए, तब ही ज्ञान सागर
के बच्चे तुम मास्टर ज्ञान सागर कहला सकते हो | अगर ज्ञान ही
बुद्धि में न रहे तो ज्ञान सागर थोड़ेही कहेंगे | सारा दिन
बुद्धि इसमें ही लगी रहे तो फिर बन्धन भी टूटते जायें | हम अभी
ब्राह्मण हैं, फिर देवता बनते हैं | अगर अच्छी रीति पुरुषार्थ
नहीं करेंगे तो क्षत्रिय कुल में चले जायेंगे | बैकुण्ठ देख भी
नहीं सकेंगे | मुख्य तो है ही बैकुण्ठ | वन्डर ऑफ़ वर्ल्ड सतयुग
को कहा जाता है, इसलिए पुरुषार्थ करना है | तुम्हारे दोनों
चित्र होने चाहिए | वह रंगीन ड्रेस वा गहनों आदि से सजाया हुआ
और वह तपस्या का | तो वह समझेंगे यही सूक्ष्मवतन में बैठे हैं
| ड्रेस तो बदल सकते हैं | फ़ीचर्स तो बदल नहीं सकेंगे | वह हुआ
अपवित्र प्रवृत्ति मार्ग, वह पवित्र प्रवृत्ति मार्ग, जिससे
समझें कि यह स्थापना कर रहे हैं | यही फिर वह बनते हैं | जो
मेहनत करेगा वही पायेगा | ब्राह्मण बनने वाले तो बहुत हैं ना |
इस समय तुम थोड़े हो | दिन-प्रतिदिन वृद्धि को पाते रहेंगे |
सारा सृष्टि चक्र कैसे फिरता है, बुद्धि में है – हम तपस्या कर
रहे हैं फिर यह बनेंगे | इसको ही कहा जाता है स्वदर्शन
चक्रधारी हो बैठना क्योंकि बुद्धि में तो सारी नॉलेज है | हम
क्या थे, अब फिर क्या बनते हैं | स्टूडेन्ट टीचर को तो ज़रूर
याद करेंगे | तुमको भी बाप को याद करना है | याद की यात्रा से
ही पाप कटते हैं | आत्मा पवित्र हो जाती है तो फिर शरीर भी
पवित्र मिलता है | जो शुद्र से ब्राह्मण बनते हैं वही फिर
देवता बनते हैं | इसका जितना बड़ा मॉडल हो, अच्छा है क्योंकि
लिखना भी पड़ता है – संगमयुगी पुरुषोत्तम बनने वाले ब्राह्मण |
अभी तुमको बाप बैठ पढ़ाते हैं | ऊपर में शिवबाबा का भी चित्र
है, जो तुमको पढ़ाते हैं | तुम यह बनते हो | यह ब्रह्मा भी
तुम्हारे साथ है | वह भी सफेद पोशधारी स्टूडेन्ट है | मनुष्य
तो रामराज्य को भी नहीं मानते हैं, गायन भी है राम राजा, राम
प्रजा | सतयुग में तो धर्म का राज्य है ही | बाकी त्रेता में
क्षत्रियों की ग्लानि कर दी है | सूर्यवंशी की ग्लानि नहीं की
है | तो यह भी लिखना पड़े | राम राजा, राम प्रजा...धर्म का
उपकार है | वह भी सेमी स्वर्ग है, क्योंकि 14 कला है ना | वहाँ
ऐसी ग्लानि की बातें होती नहीं | उनको क्लीयर कर दो हम क्या बन
रहे हैं | हम ही अपने लिए स्वराज्य स्थापन कर रहे हैं | विश्व
में शान्ति का एक स्वराज्य जो सब मांगते हैं, वह हम स्थापन कर
रहे हैं |
बाबा
प्रदर्शनी आदि देखते हैं तो ख्यालात चलते रहते हैं | तुम बच्चे
घर जायेंगे तो फिर यह सब बातें भूल जायेंगे | परन्तु यह सब
बुद्धि में याद रहना चाहिए | ऐसे नहीं, प्रदर्शनी से बाहर
निकले और खेल ख़लास | अच्छे-अच्छे बच्चे जो पुरुषार्थी हैं,
उनकी बुद्धि में टपकना चाहिए | बाबा को टपकता रहता है ना |
बुद्धि में सारा ज्ञान रहेगा तो बाबा की याद भी रहेगी | उन्नति
को पाते रहेंगे | अगर सतोप्रधान नहीं बनेंगे तो फिर सतयुग में
नहीं जायेंगे इसलिए अपने को याद की यात्रा में पक्का रखना है |
तुम राजयोगी हो | तुमको बड़ी जटायें हैं | महिमा सारी तुम
माताओं की है | जटायें भी नैचुरल हैं | राजयोगी और योगिन यह
सच्चा-सच्चा तपस्या का रूप दिखाते हैं | यह सब समझने की बातें
हैं | बाप कहते हैं देह के सब धर्म छोड़ अपने को आत्मा निश्चय
करो | बाकी सब देह के सम्बन्ध आदि भूल जाओ | एक बाप को याद करो
| वह तुमको बहुत मालदार बनाते हैं | जीते जी मर जाओ | बाप आकर
जीते जी मरना सिखलाते हैं | बाप कहते हैं मैं कालों का काल
हूँ, तुमको ऐसा मरना सिखलाता हूँ जो कभी तुम्हारे दर पर काल न
आ सके | वहाँ तो रावण राज्य ही नहीं | सतयुग में कभी काल खाता
नहीं, उनको अमरपुरी कहा जाता है | बाबा तुमको अमरपुरी का मालिक
बनाते हैं | यह है मृत्युलोक | वह है अमरपुरी | यह है राजयोग |
तुम लिख दो प्राचीन भारत का राजयोग फिर से सिखाया जाता है | जो
प्रदर्शनी आदि देखते हैं उन्हों को ख्याल करना चाहिए इसमें और
क्या करें, जिससे मनुष्य एक्यूरेट समझें | इनमें प्रैक्टिकल
बहुत अच्छी समझानी है | यथा राजा रानी तथा प्रजा तो इसमें आ ही
जाते हैं | बाप कितना क्लीयर कर समझाते हैं, अपने को आत्मा समझ
बाप को याद करो | मूल ज़ोर रखना चाहिए इस पर | विश्व में
पवित्रता, सुख, शान्ति कैसे स्थापन हो रही है, आकर समझो | तुम
अपने लिए ही करते हो | जितनी मेहनत करते हो उतना पद मिलता है |
वह भी नम्बरवार | यह भी दिखाओ नम्बरवार कैसे-कैसे बनते हैं |
प्रजा भी दिखाओ, तो साहूकार प्रजा, सेकण्ड ग्रेड, थर्ड ग्रेड
प्रजा भी दिखाओ | ऐसा एक्यूरेट बनाओ जो अच्छी रीति समझा सको |
मेहनत तो करनी ही है | समय बाकी थोड़ा है | ज्ञान है ही
तुम्हारे लिए | तुम प्रदर्शनी में ऐसा समझाओ जो मनुष्य समझें
हमको एक बाप को ही याद करना है तब ही हम यह बन सकेंगे | नहीं
तो फिर भक्ति मार्ग में आ जायेंगे |
तुम
महारथी बच्चे हो तो तुम्हारी बुद्धि चलती है | मेल्स भी
अच्छे-अच्छे हैं | नम्बरवन तो है जगदीश, जो मैगज़ीन बनाते हैं |
बृजमोहन को भी लिखने का अच्छा शौक है | शायद तीसरा भी कोई निकल
आये | हर एक बात तुम क्लीयर करते जायेंगे दिन-प्रतिदिन | बाप
ज्ञान का सागर है, उस परम आत्मा में ज्ञान तो भरा हुआ है ना |
जैसे गीत सुनते हो | सारा रिकॉर्ड भरा हुआ है | यह भी ऐसे है |
बाप के पास जो माल है वह मिलता रहेगा – ड्रामा अनुसार | यह
बच्चों की बुद्धि में चलना चाहिए | भल कुछ काम काज करो, हाथ से
भोजन बनाओ, बुद्धि शिवबाबा के पास हो | ब्रह्मा भोजन भी पवित्र
चाहिए | ब्रह्मा भोजन सो ब्राह्मणों का भोजन | ब्राह्मण जितना
योग में रह बनाते हैं, उतनी उस भोजन में ताक़त आती है | गायन है
कि देवतायें भी ब्रह्मा भोजन की बहुत महिमा करते हैं, जिससे
हृदय शुद्ध होता है तो ब्राह्मण भी ऐसे होने चाहिए | अभी नहीं
हैं | अभी अगर ऐसे बन जाएँ तो तुम्हारी बहुत वृद्धि हो जाए |
परन्तु ड्रामा अनुसार धीरे-धीरे वृद्धि को पाना है | ऐसा भी
ब्राह्मण निकलेगा जो कहेगा हम बाबा की याद में रह भोजन बनाते
हैं | बाबा चैलेन्ज देते हैं ना | ऐसा ब्राह्मण हो जो योग में
रह भोजन बनाये | भोजन पवित्र होना चाहिए | भोजन पर बहुत मदार
है | बाहर में बच्चों को नहीं मिलता है इसलिए यहाँ आते हैं |
बच्चे तो भोजन से भी रिफ्रेश होते हैं | योग वाले फिर ज्ञानी
भी होते हैं इसलिए उन्हों को सर्विस पर भी भेज देते हैं | बहुत
हो जायेंगे तो फिर यहाँ भी ऐसे ब्राह्मणों को रख देंगे | नहीं
तो महारथियों में से भोजन पर भी होने चाहिए, जो योगयुक्त खाना
बनें | देवतायें भी समझते हैं हम भी ब्रह्मा भोजन खाकर देवता
बने हैं | तो रूचि से तुम्हारे साथ मिलने के लिए आते हैं |
कैसे तुमसे मिलते हैं, यह भी ड्रामा में युक्ति है |
सूक्ष्मवतन में वह और यह मिलते हैं | यह भी वन्डरफुल
साक्षात्कार है | वन्डरफुल नॉलेज है ना | तो साक्षात्कार भी
वन्डरफुल है – अर्थ सहित | भक्ति मार्ग में साक्षात्कार तो
बहुत मेहनत से होते हैं | नौधा भक्ति करते हैं, सिर्फ़ दीदार के
लिए | समझते हैं दीदार होगा तो हम मुक्त हो जायेंगे | उनको यह
थोड़ेही पता है कि यह इस पढ़ाई से ऐसे बने हैं | यह
सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी इस पढ़ाई से बने हैं | बाकी जो इतने अनेक
चित्र बनाये हैं, ऐसे तो कुछ भी है नहीं, यह सब भक्ति मार्ग का
विस्तार है | बड़ी भारी कारोबार है | अब ज्ञान और भक्ति का राज़
तुम समझ सकते हो | यह बाप ही बैठ समझाते हैं, वह है स्प्रीचुअल
फादर | वही ज्ञान का सागर है | कल्प-कल्प पुरानी दुनिया को नई
दुनिया बनाना, राजयोग सिखाना बाप का ही काम है | परन्तु सिर्फ़
गीता में नाम बदली कर दिया है | बाप समझाते हैं यह भी
कल्प-कल्प का खेल है | हम घर से यहाँ आते हैं पार्ट बजाने |
झाड़ की तरफ़ भी बुद्धि चलनी चाहिए – कैसे किसको समझाया जाए |
हमको कहते हैं क्या हम स्वर्ग में नहीं आयेंगे | बोलो,
तुम्हारा धर्म स्थापक तो स्वर्ग में आता ही नहीं | वह जब
स्वर्ग में आये तब तुम भी आओ | हर एक धर्म का अपने-अपने समय पर
पार्ट है | यह वैरायटी धर्मों का नाटक बना हुआ है | बना-बनाया
खेल है | इसमें कुछ भी कहने की दरकार ही नहीं रहती है | मुख्य
धर्म दिखाये गये हैं | यह तो बच्चे जानते हैं | यह चित्र आदि
भी कोई नये नहीं हैं | कल्प-कल्प ऐसे हुबहू चलते आयेंगे |
विघ्न भी अनेक प्रकार के पड़ते हैं | मारपीट आदि के भी विघ्न
पड़ते हैं ना | बच्चों को कितना युक्ति से समझाया जाता है |
बोलो, भगवानुवाच है ना – काम महाशत्रु है | अभी तो यह कलियुगी
दुनिया विनाश होनी है | देवता धर्म स्थापन हो रहा है इसलिए बाप
कहते हैं – बच्चे तुम पवित्र बनो | काम को जीतो | इस पर ही
झगड़ा होता है | तुम बड़ों-बड़ों को समझाते हो | गवर्नर का नाम
सुन सब चले आयेंगे इसलिए युक्ति रची जाती है | हो सकता है
उनमें से कोई अच्छी रीति समझ जाए | बड़ों का नाम सुन ढेर आ
जायेंगे | हो सकता है कोई बड़ा भी आ जाए | है तो बहुत मुश्किल |
बाबा कितना लिखते हैं – बच्चे जिससे उद्घाटन कराओ उनको पहले
समझाओ ज़रूर की ऐसे मनुष्य से देवता बन सकते हो | विश्व में
शान्ति हो सकती है | स्वर्ग में ही विश्व में शान्ति और सुख था
| ऐसे-ऐसे भाषण करो और अख़बार में पड़े तो फिर तुम्हारे पास इतने
ढेर आने लग जायेंगे जो तुमको नींद भी करने नहीं देंगे | नींद
फिटानी पड़े | सर्विस से, योग से बल भी आता है क्योंकि तुम्हारी
कमाई होती है | कमाई करने वाले को कभी उबासी नहीं आती है |
झुटका नहीं आयेगा | कमाई से पेट भर गया फिर नींद नहीं आती |
जैसे रेग्युलर हो जाते हैं | तुम भी बहुत भारी कमाई करते हो |
उबासी देवाला निकालने वाले खाते हैं | जो अच्छी रीति समझते
हैं, याद में रहते हैं उनको उबासी नहीं आयेगी | अगर
मित्र-सम्बन्धी आदि याद आते हैं तो उबासी आती रहेगी | यह
निशानियाँ हैं | स्वर्ग में तुमको उबासी आदि कभी आयेगी ही नहीं
| बाप का वर्सा पा लिया तो वहाँ सोना, उठना, बैठना कायदेसिर
चलता है | एक्यूरेट, आत्मा लीवर बन जाती है | अभी सलेन्डर बनी
है, उनको लीवर बनाना है | कोई बना सकते हैं, कोई नहीं बना सकते
हैं | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार
और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा
के
लिए
मुख्य
सार:-
1.
बन्धनमुक्त बनने वा अपनी उन्नति करने के लिए बुद्धि ज्ञान से
सदा भरपूर रखनी है | मास्टर ज्ञान सागर बन, स्वदर्शन चक्रधारी
होकर याद में बैठना है |
2.
नींद को जीतने वाला बन याद और सेवा का बल जमा करना है | कमाई
में कभी सुस्ती नहीं करनी है | झुटका नहीं खाना है |
वरदान:-
इस
अलौकिक जीवन में सम्बन्ध की शक्ति से अविनाशी स्नेह और सहयोग
प्राप्त करने वाली श्रेष्ठ आत्मा भव
!
इस
अलौकिक जीवन में सम्बन्ध की शक्ति आप बच्चों को डबल रूप में
प्राप्त है | एक बाप द्वारा सर्व सम्बन्ध, दूसरा दैवी परिवार
द्वारा सम्बन्ध | इस सम्बन्ध से सदा निःस्वार्थ स्नेह, अविनाशी
स्नेह और सहयोग सदा प्राप्त होता रहता है | तो आपके पास
सम्बन्ध की भी शक्ति है | ऐसी श्रेष्ठ अलौकिक जीवन वाली शक्ति
सम्पन्न वरदानी आत्मायें हो इसलिए अर्जी करने वाले नहीं, सदा
राज़ी रहने वाले बनो |
स्लोगन:-
कोई भी
प्लैन विदेही, साक्षी बन सोचो और सेकण्ड में प्लेन स्थिति
बनाते चलो | 
ओम्
शान्ति
|