30-01-14       प्रातः मुरली       ओम् शान्ति   “बापदादा”     मधुबन


मीठे बच्चे सदा ख़ुशी में रहो और दूसरों को भी ख़ुशी दिलाओ, यही है सब पर कृपा करना, किसी को भी रास्ता बताना यह सबसे बड़ा पुण्य है |   


प्रश्न:-   
सदा खुशमिज़ाज़ कौन रह सकते हैं? खुशमिज़ाज़ बनने का साधन क्या है?


उत्तर:-
सदा खुशमिज़ाज़ वही रह सकते जो ज्ञान में बहुत होशियार हैं, जो ड्रामा को कहानी की तरह जानते और सिमरण करते हैं | खुशमिज़ाज़ बनने के लिए सदा बाप की श्रीमत पर चलते रहो | अपने को आत्मा समझो और बाप जो भी समझाते हैं उसका अच्छी तरह मंथन करो | विचार सागर मंथन करते-करते खुशमिज़ाज़ बन जायेंगे |


ओम् शान्ति |

रूहानी बाप रूहानी बच्चों के साथ रूहरिहान कर रहे हैं | यह तो आत्मायें जानती हैं कि एक ही हमारा बाप है और शिक्षा भी देते हैं, टीचर का काम है शिक्षा देना | गुरु का काम है मंज़िल बताना | मंज़िल को भी बच्चे समझ गये हैं | मुक्ति जीवनमुक्ति के लिए याद की यात्रा बिल्कुल जरुरी है | हैं दोनों सहज | 84 जन्मों का चक्र भी फिरता रहता है | यह याद रहना चाहिए अभी हमारा 84 का चक्र पूरा हुआ है, अब वापिस जाना है | परन्तु पाप आत्माएँ मुक्ति जीवनमुक्ति में वापिस जा नहीं सकती | ऐसे-ऐसे विचार सागर मंथन करना है | जो करेंगे सो पायेंगे | ख़ुशी में भी वही आयेंगे और दूसरों को भी ख़ुशी में वही लायेंगे | औरों पर भी कृपा करनी है – रास्ता बताने की | तुम बच्चे जानते हो यह पुरुषोत्तम संगमयुग है | यह भी कोई को याद रहता है, कोई को नहीं | भूल जाता है | यह भी याद रहे तो ख़ुशी का पारा चढ़ा रहे | बाप टीचर गुरु के रूप में याद रहे तो भी ख़ुशी का पारा चढ़ा रहे | परन्तु चलते-चलते कुछ रोला पड़ जाता है | जैसे पहाड़ों पर नीचे ऊपर चढ़ना होता है, वैसे बच्चों की अवस्था भी ऐसे होती है | कोई बहुत ऊँच चढ़ते हैं फिर गिरते हैं तो आगे से भी जास्ती गिर पड़ते हैं | की कमाई चट हो जाती है | भल कितना भी दान पुण्य करते हैं परन्तु फिर पुण्य करते-करते अगर पाप करने लग पड़ते हैं तो सब पुण्य ख़त्म हो जाते है | सबसे बड़ा पुण्य है – बाप को याद करना | याद से ही पुण्य आत्मा बनेंगे | अगर संग के रंग से भूल ही भूल करते जायें तो आगे से भी जास्ती नीचे गिर जाते | फिर वह खाता जमा नहीं रहेगा | ना (घाटा) हो जायेगा | पाप का काम करने से ना हो जाता | बहुत पाप का खाता चढ़ जाता है | मुरादी सम्भाली जाती है ना | बाप भी कहते हैं तुम्हारा खाता पुण्य का था, पाप करने से वह सौ गुणा हो जाता है और ही घाटे में आ जायेगा | पाप भी कोई बहुत बड़ा, कोई हल्का होता है | का&#