मीठे
बच्चे
–
इस
दुःखधाम को जीते जी तलाक दो क्योंकि तुम्हें सुखधाम जाना है
| 
प्रश्न:-
बाप
बच्चों को कौन-सी एक छोटी सी मेहनत देते हैं?
उत्तर:-
बाबा
कहते – बच्चे, काम महाशत्रु है, इस पर विजय प्राप्त करो | यही
तुम्हें थोड़ी-सी मेहनत देता हूँ | तुम्हें सम्पूर्ण पावन बनना
है | पतित से पावन अर्थात् पारस बनना है | पारस बनने वाले
पत्थर नहीं बन सकते | तुम बच्चे अभी गुल-गुल बनो तो बाप
तुम्हें नयनों पर बिठाकर साथ ले जायेंगे |
ओम्
शान्ति
|
रूहानी बाप रूहानी बच्चों को समझाते हैं, यह तो बच्चे ज़रूर
समझते हैं हम ब्राह्मण ही हैं, जो देवता बनेंगे | यह पक्का
निश्चय है ना | टीचर जिसको पढ़ाते हैं ज़रूर आपसमान बना देते हैं
| यह तो निश्चय की बात है | कल्प-कल्प बाप आकर समझाते हैं, हम
नर्कवासियों को स्वर्गवासी बनाते हैं | सारी दुनिया को बनाने
वाला कोई तो होगा ना | बाप स्वर्गवासी बनाते हैं, रावण
नर्कवासी बनाते हैं | इस समय है रावण राज्य, सतयुग में है
रामराज्य | रामराज्य की स्थापना करने वाला है तो ज़रूर रावण
राज्य की स्थापना करने वाला भी होगा | राम भगवान् को कहा जाता
है, भगवान् नई दुनिया स्थापन करते हैं | ज्ञान तो बहुत सहज है,
कोई बड़ी बात नहीं है | परन्तु पत्थरबुद्धि ऐसे हैं जो
पारसबुद्धि होना ही असम्भव समझते हैं | नर्कवासी से स्वर्गवासी
बनने में बड़ी मेहनत लगती है क्योंकि माया का प्रभाव है | कितने
बड़े-बड़े मकान 50 मंज़िल, 100 मंज़िल के बनाते हैं | स्वर्ग में
कोई इतनी मंज़िल नहीं होती | आजकल यहाँ ही बनाते रहते हैं | तुम
समझते हो सतयुग में ऐसे मकान नहीं होते, जैसे यहाँ बनाते हैं |
बाप ख़ुद समझाते हैं इतना छोटा झाड़ सारे विश्व पर होता है, तो
वहाँ मंज़िलें आदि बनाने की दरकार ही नहीं | ढेर की ढेर जमीन
पड़ी रहती है | यहाँ तो जमीन है नहीं, इसलिए जमीन का दाम कितना
बढ़ गया है | वहाँ तो जमीन का भाव लगता ही नहीं, न म्युनिसिपल
टैक्स आदि लगता है | जिसको जितनी जमीन चाहिए ले सकता है
|
वहाँ
तुमको सब सुख मिल जाते हैं, सिर्फ़ एक बाप की इस नॉलेज से |
मनुष्य 100 मंज़िल आदि जो बनाते हैं, उसमें भी पैसे आदि तो लगते
हैं ना | वहाँ पैसे आदि लगते ही नहीं | अथाह धन रहता है | पैसे
का कदर नहीं | ढेर पैसे होंगे तो क्या करेंगे | सोने, हीरे,
मोतियों के महल आदि बना देते हैं | अभी तुम बच्चों को कितनी
समझ मिली है | समझ और बेसमझ की ही बात है | सतो बुद्धि और तमो
बुद्धि | सतोप्रधान स्वर्ग के मालिक, तमोगुणी बुद्धि नर्क के
मालिक | यह तो स्वर्ग नहीं है | यह है रौरव नर्क | बहुत दुःखी
हैं इसलिए पुकारते हैं भगवान् को, फिर भूल जाते हैं | कितना
माथा मारते, कान्फ्रेन्स आदि करते रहते हैं कि एकता हो जाए |
परन्तु तुम बच्चे समझते हो – यह आपस में मिल नहीं सकते | यह
सारा झाड़ जड़जड़ीभूत है, फिर नया बनता है | तुम जानते हो कलियुग
से सतयुग कैसे बनता है | यह नॉलेज तुमको बाप अभी ही समझाते हैं
| सतयुगवासी सो फिर कलियुगवासी बनते हो फिर तुम संगमवासी बन
सतयुगवासी बनते हो | कहेंगे इतने सब सतयुग में जायेंगे? नहीं,
जो सच्ची सत्य नारायण की कथा सुनेंगे वही स्वर्ग में जायेंगे |
बाकी सब शान्तिधाम में चले जायेंगे | दुःखधाम तो होगा ही नहीं
| तो इस दुःखधाम को जीते जी तलाक दे देना चाहिए | बाप युक्ति
तो बताते हैं, कैसे तुम तलाक दे सकते हो | इस सारी सृष्टि पर
देवी-देवताओं का राज्य था | अभी फिर बाप आते हैं स्थापना करने
| हम उस बाप से विश्व का राज्य ले रहे हैं | ड्रामा प्लैन
अनुसार चेन्ज ज़रूर होनी है | यह है पुरानी दुनिया | इसको सतयुग
कैसे कहेंगे? परन्तु मनुष्य बिल्कुल समझते नहीं हैं कि सतयुग
क्या होता है | बाबा ने समझाया है इस नॉलेज के लिए लायक वह हैं
जिन्होंने बहुत भक्ति की है | उन्हें ही समझाना चाहिए | बाकी
जो इस कुल के होंगे नहीं, वह समझेंगे नहीं | तो फिर ऐसे ही
टाइम वेस्ट क्यों करना चाहिए | हमारे घराने के ही नहीं हैं तो
कुछ भी मानेंगे नहीं | कह देते हैं आत्मा क्या, परमात्मा क्या
– यह मैं समझना ही नहीं चाहता हूँ | तो ऐसे के साथ मेहनत क्यों
करनी चाहिए | बाबा ने समझाया है – ऊपर में लिखा हुआ है
भगवानुवाच, मैं आता ही हूँ कल्प-कल्प पुरुषोत्तम संगमयुग पर और
साधारण मनुष्य तन में | जो अपने जन्मों को नहीं जानता है, मैं
बतलाता हूँ | पूरे 5 हज़ार वर्ष का पार्ट किसका होता है, हम बता
देते हैं | जो पहले नम्बर में आया है उनका ही पार्ट होगा ना |
श्रीकृष्ण की महिमा भी गाते हैं फर्स्ट प्रिन्स ऑफ़ सतयुग | वही
फिर 84 जन्मों के बाद क्या होगा? फर्स्ट बेगर | बेगर टू
प्रिन्स | फिर प्रिन्स टू बेगर | तुम समझते हो प्रिन्स टू बेगर
कैसे बनते हैं | फिर बाप आकर कौड़ी से हीरे जैसा बनाते हैं | जो
हीरे जैसा है वही फिर कौड़ी जैसा बनते हैं | पुनर्जन्म तो लेते
हैं ना | सबसे ज़्यादा जन्म कौन लेते हैं, यह तुम समझते हो |
पहले-पहले तो श्रीकृष्ण को ही मानेंगे | उनकी राजधानी है |
बहुत जन्म भी उनके होंगे | यह तो बहुत सहज बात है | परन्तु
मनुष्य इन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं | बाप समझाते हैं तो
वन्डर खाते हैं | बाप एक्यूरेट बताते हैं फर्स्ट सो लास्ट |
फर्स्ट हीरे जैसा, लास्ट कौड़ी जैसा | फिर हीरे जैसा बनना है,
पावन बनना है, इसमें तकलीफ़ क्या है | पारलौकिक बाप ऑर्डिनेन्स
निकालते हैं – काम महाशत्रु है | तुम पतित किससे बने हो? विकार
में जाने से इसलिए बुलाते भी हैं पतित-पावन आओ क्योंकि बाप तो
एवर पारसबुद्धि है, वह कभी पत्थरबुद्धि नहीं बनते हैं, कनेक्शन
ही उनका और पहले नम्बर जन्म लेने वाले का हुआ | देवतायें तो
बहुत होते हैं परन्तु मनुष्य कुछ भी समझते नहीं |
क्रिश्चियन लोग कहते हैं क्राइस्ट से 3 हज़ार वर्ष पहले
पैराडाइज़ था | वह फिर भी पिछाड़ी को आये हैं ना तो उनकी ताक़त है
| उनसे ही सब सीखने जाते हैं क्योंकि उन्हों की फ्रेश बुद्धि
है | वृद्धि भी उन्हों की है | सतो, रजो, तमो में आते हैं ना |
तुम जानते हो सब कुछ विलायत से ही सीखते हैं | यह भी तुम जानते
हो – सतयुग में महल आदि बनने में कोई टाइम नहीं लगेगा | एक की
बुद्धि में आया फिर वृद्धि होती जाती है | एक बनाकर फिर ढेर
बनाते जाते हैं | बुद्धि में आ जाता है ना | साइन्स वालों की
बुद्धि तुम्हारे पास ऊँच हो जाती है | झट महल बनाते रहेंगे |
यहाँ मकान वा मन्दिर बनाने में 12 मास लग जाते हैं, वहाँ तो
इन्जीनियर आदि सब होशियार होते हैं | वह है ही गोल्डन एज |
पत्थर आदि तो होंगे ही नहीं | अभी तुम बैठे हो ख्याल करते
होंगे, हम यह पुराना शरीर छोड़ेंगे, फिर घर में जायेंगे, वहाँ
से फिर सतयुग में योगबल से जन्म लेंगे | बच्चों को ख़ुशी क्यों
नहीं होती! चिन्तन क्यों नहीं चलता! जो मोस्ट सर्विसएबुल बच्चे
हैं उन्हों का चिन्तन ज़रूर चलता होगा | जैसे बैरिस्टरी पास
करते हैं तो बुद्धि में चलता है ना – हम यह करेंगे, यह करेंगे
| तुम भी समझते हो हम यह शरीर छोड़ जाकर यह बनेंगे | याद से ही
तुम्हारी आयु वृद्धि को पायेगी | अभी तो बेहद बाप के बच्चे
हैं, यह ग्रेड बहुत ऊँची है | तुम ईश्वरीय परिवार के हो | उनका
कोई और सम्बन्ध नहीं है | भाई-बहन से भी ऊँच चढ़ा दिया है |
भाई-भाई समझो, यह बहुत प्रैक्टिस करनी है | भाई का निवास कहाँ
है? इस तख़्त पर अकाल आत्मा रहती है | यह तख़्त सभी आत्माओं के
सड़ गये हैं | सबसे जास्ती तुम्हारा तख़्त सड़ गया है | आत्मा इस
तख़्त पर विराजमान होती है | भ्रकुटी के बीच में क्या है? यह
बुद्धि से समझने की बातें है | आत्मा बिल्कुल सूक्ष्म है,
स्टार मिसल है | बाप भी कहते हैं मैं भी बिन्दी हूँ | मैं फिर
तुमसे बड़ा थोड़ेही हूँ | तुम जानते हो हम शिवबाबा की सन्तान हैं
| अब बाप से वर्सा लेना है इसलिए अपने को भाई-भाई आत्मा समझो |
बाप तुमको सम्मुख पढ़ा रहे हैं | आगे चल और ही कशिश होती जायेगी
| यह विघ्न भी ड्रामा अनुसार पड़ते रहते हैं |
अभी
बाप कहते हैं – तुमको पतित नहीं होना है, यह ऑर्डिनेन्स है |
अब तो और ही तमोप्रधान बन पड़े हैं | विकार बिगर रह नहीं सकते |
जैसे गवर्मेन्ट कहती है शराब नहीं पियो, तो शराब बिगर रह नहीं
सकते | फिर उनको ही शराब पिलाए डायरेक्शन देते हैं फलानी जगह
बाम्ब्स सहित गिर जाओ | कितना नुकसान होता है | तुम यहाँ
बैठे-बैठे विश्व का मालिक बनते हो | वह फिर वहाँ बैठे-बैठे
बाम्ब्स छोड़ते हैं – सारे विश्व के विनाश के लिए | कैसे
चटाभेटी है | तुम यहाँ बैठे-बैठे बाप को याद करते हो और विश्व
के मालिक बन जाते हो | कैसे भी करके बाप को याद ज़रूर करना है |
इसमें हठयोग करने वा आसन आदि लगाने की भी बात नहीं है | बाबा
कोई भी तकलीफ़ नहीं देते हैं | कैसे भी बैठो सिर्फ़ तुम याद करो
कि हम मोस्ट बिलवेड बच्चे हैं | तुमको बादशाही ऐसे मिलती है
जैसे माखन से बाल | गाते भी हैं सेकण्ड में जीवनमुक्ति | कहाँ
भी बैठो, घूमो फिरो, बाप को याद करो | पवित्र होने बिगर
जायेंगे कैसे? नहीं तो सजायें खानी पड़ेंगी | जब धर्मराज के पास
जायेंगे तब सबका हिसाब-किताब चुक्तू होगा | जितना पवित्र
बनेंगे उतना ऊँच पद पायेंगे | इम्प्योर रहेंगे तो सूखा रोटला
खायेंगे | जितना बाप को याद करेंगे, पाप कटेंगे | इसमें खर्चे
आदि की कोई बात नहीं | भल घर में बैठे रहो, बाप से भी मन्त्र
ले लो | यह है माया को वश करने का मन्त्र – मनमनाभव | यह
मन्त्र मिला फिर भल घर जाओ | मुख से कुछ बोलो नहीं | अल्फ़ और
बे,
बादशाही को याद करो | तुम समझते हो बाप को याद करने से हम
सतोप्रधान बन जायेंगे, पाप कट जायेंगे | बाबा अपना अनुभव भी
सुनाते हैं – भोजन पर बैठता हूँ, अच्छा, हम बाबा को याद कर
खाते हैं, फिर झट भूल जाता है क्योंकि गाया जाता है जिनके
मत्थे मामला........कितना ख्याल करना पड़ता है – फलाने की आत्मा
बहुत सर्विस करती है, उनको याद करना है | सर्विसएबुल बच्चों को
बहुत प्यार करते हैं | तुमको भी कहते हैं इस शरीर में जो आत्मा
विराजमान है, उनको याद करो | यहाँ तुम आते ही हो शिवबाबा के
पास | बाप वहाँ से नीचे आये हैं | तुम सबको कहते भी हो –
भगवान् आया है | परन्तु समझते नहीं | युक्ति से बताना पड़े | हद
और बेहद के दो बाप हैं | अब बेहद का बाप राजाई दे रहे हैं |
पुरानी दुनिया का विनाश भी सामने खड़ा है | एक धर्म की स्थापना,
अनेक धर्मों का विनाश होता है | बाप कहते हैं मामेकम् याद करो
तो तुम्हारे पाप भस्म हो जायेंगे | यह योग अग्नि है, जिससे तुम
तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे | यह तरीका बाप ने ही बताया
है | तुम बच्चे जानते हो – बाप सबको गुल-गुल बनाकर, नयनों पर
बिठाए ले जाते हैं | कौन-से नयन? ज्ञान के | आत्माओं को ले
जाते हैं | समझते हो जाना तो ज़रूर है, उनसे पहले क्यों न बाप
से वर्सा तो ले लें | कमाई भी बहुत भारी है | बाप को भूलने से
फिर घाटा भी बहुत है | पक्के व्यापारी बनो | बाप को याद करने
से ही आत्मा पवित्र बनेंगी | फिर एक शरीर छोड़ दूसरा जाकर लेंगे
| तो बाप कहते हैं – मीठे-मीठे बच्चों, देही-अभिमानी बनो | यह
आदत पक्की डालनी पड़े | अपने को आत्मा समझ बाप से पढ़ते रहो तो
बेड़ा पार हो जायेगा, शिवालय में चले जायेंगे | चन्द्रकान्त
वेदान्त में भी यह कथा है | बोट (नाव) कैसे चलती है, बीच में
उतरते हैं, कोई चीज़ में दिल लग जाती है | स्टीमर चला जाता है |
यह भक्ति मार्ग के शास्त्र फिर भी बनेंगे, तुम पढ़ेंगे | फिर जब
बाबा आयेंगे तो यह सब छोड़ देंगे | बाप आते हैं सबको ले जाने |
भारत का उत्थान और पतन कैसे होता है, कितना क्लीयर है | यह
सांवरा और गोरा बनता है | ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो
ब्रह्मा | एक तो सिर्फ़ नहीं बनता है ना | यह सारी समझानी है |
कृष्ण की भी समझानी है गोरा और सांवरा | स्वर्ग में जाते हैं
तो नर्क को लात मारते हैं | यह चित्र में क्लीयर है ना | राजाई
के चित्र भी तुम्हारे बनाये थे | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार
और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा
के
लिए
मुख्य
सार:-
1.
बाप के
ऑर्डिनेन्स को पालन करने के लिए हम आत्मा भाई-भाई हैं, भ्रकुटी
के बीच में हमारा निवास है, हम बेहद बाप के बच्चे हैं, हमारा
यह ईश्वरीय परिवार है – इस स्मृति में रहना है | देही-अभिमानी
बनने की आदत डालनी है |
2.
धर्मराज
की सजाओं से छूटने के लिए अपने सब हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं
| माया को वश करने का जो मन्त्र मिला है, उसको याद रखते
सतोप्रधान बनना है |
वरदान:-
शुभचिन्तन द्वारा निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करने वाले
शुभचिन्तक भव
! 
सदा
समर्थ रहने के लिए सिर्फ़ दो शब्द याद रखो – शुभचिन्तन और
शुभचिन्तक | शुभचिन्तन से निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन कर
सकते हो | शुभचिन्तन और शुभचिन्तक इन दोनों का आपस में सम्बन्ध
है | अगर शुभचिन्तन नहीं है तो शुभचिन्तक भी नहीं बन सकते |
वर्तमान समय इन दोनों बातों का अटेन्शन रखो क्योंकि बहुत सी
समस्यायें ऐसी हैं, लोग ऐसे हैं जो वाणी से नहीं समझते लेकिन
शुभचिन्तक बन वायब्रेशन दो तो बदल जायेंगे |
स्लोगन:-
ज्ञान
रत्नों से, गुणों और शक्तियों से खेलो, मिट्टी से नहीं | 
ओम् शान्ति
|