19-04-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे
बच्चे
–
बाप की याद में सदा हर्षित रहो, पुरानी देह का भान छोड़ते जाओ,
क्योंकि तुम्हें योगबल से वायुमण्डल को शुद्ध करने की सेवा
करनी है
| 
प्रश्न:-
स्कॉलरशिप लेने अथवा अपने आपको राजाई का तिलक देने के लिये
कौन-सा पुरुषार्थ चाहिए?
उत्तर:-
राजाई
का तिलक तब मिलेगा जब याद की यात्रा का पुरुषार्थ करेंगे | आपस
में भाई-भाई समझने का अभ्यास करो तो नाम-रूप का भान निकल जाये
| फालतू बातें कभी भी न सुनो | बाप जो सुनाते हैं वही सुनो,
दूसरी बातों से कान बन्द कर लो | पढ़ाई पर पूरा ध्यान दो तब
स्कॉलरशिप मिल सकती है |
ओम्
शान्ति
|
बच्चे जानते हैं हम श्रीमत पर अपने लिये राजधानी स्थापन कर रहे
हैं | जितनी जो सर्विस करते हैं, मन्सा-वाचा-कर्मणा अपना ही
कल्याण करते हैं | इसमें हंगामे आदि की कोई बात नहीं | बस, इस
पुरानी देह का भान छोड़ते-छोड़ते तुम वहाँ जाकर पहुँचते हो |
बाबा को याद करने से ख़ुशी भी बहुत होती है | सदैव याद रहे तो
ख़ुशी ही ख़ुशी रहे | बाप को भूलने से मुरझाइस आती है | बच्चों
को सदैव हर्षित रहना चाहिए | हम आत्मा हैं | हम आत्मा का बाप
इस मुख द्वारा बोलते हैं, हम आत्मा इन कानों द्वारा सुनते हैं
| ऐसे-ऐसे अपनी आदत डालने के लिए मेहनत करनी होती है | बाप को
याद करते-करते वापिस घर जाना है | यह याद की यात्रा ही बहुत
ताक़त देती है | तुमको इतनी ताक़त मिलती है जो तुम विश्व के
मालिक बनते हो | बाप कहते हैं तुम मामेकम् याद करो तो तुम्हारे
विकर्म विनाश होंगे | इस बात को पक्का करना चाहिए | अन्त में
यही वशीकरण मन्त्र काम में आयेगा | सबको पैगाम भी यही देना है
– अपने को आत्मा समझो, यह शरीर विनाशी है | बाप का फ़रमान है
मुझे याद करो तो पावन बन जायेंगे | तुम बच्चे बाप की याद में
बैठे हो | साथ में ज्ञान भी है क्योंकि तुम रचता और रचना के
आदि-मध्य-अन्त को भी जानते हो | स्व आत्मा में सारा ज्ञान है |
तुम स्वदर्शन चक्रधारी हो ना | तुम्हारी यहाँ बैठे-बैठे बहुत
कमाई है | तुम्हारी दिन और रात कमाई ही कमाई है | तुम यहाँ आते
ही हो सच्ची कमाई करने के लिये | सच्ची कमाई और कहाँ भी होती
नहीं, जो साथ चले | तुमको और कोई धन्धा आदि तो यहाँ है नहीं |
वायुमण्डल भी ऐसा है | तुम योगबल से वायुमण्डल को भी शुद्ध
करते हो | तुम बहुत सर्विस कर रहे हो | जो अपनी सेवा करते हैं
वही भारत की सेवा करते हैं | फिर यह पुरानी दुनिया भी नहीं
रहेगी | तुम भी नहीं होंगे | दुनिया ही नई बन जायेगी | तुम
बच्चों की बुद्धि में सारा ज्ञान है | यह भी जानते हैं कि कल्प
पहले जो सर्विस की है वह अब करते रहते हैं | दिन-प्रतिदिन
बहुतों को आप समान बनाते ही रहते हैं | इस ज्ञान को सुनकर बहुत
ख़ुशी होती है | रोमांच खड़े हो जाते हैं | कहते हैं यह ज्ञान
कभी कोई से सुना नहीं है | तुम ब्राह्मणों से ही सुनते हैं |
भक्ति मार्ग में तो मेहनत कुछ भी नहीं है | इसमें सारी पुरानी
दुनिया को भूलना होता है | यह बेहद का सन्यास बाप ही कराते हैं
| तुम बच्चों में भी नम्बरवार हैं | ख़ुशी भी नम्बरवार होती है,
एक जैसी नहीं | ज्ञान-योग भी एक जैसा नहीं | और सभी मनुष्य तो
देहधारियों के पास जाते हैं | यहाँ तुम उनके पास आते हो, जिसको
अपनी देह नहीं |
याद
का जितना पुरुषार्थ करते रहेंगे उतना सतोप्रधान बनते जायेंगे |
ख़ुशी बढ़ती जायेगी | यह है आत्मा और परमात्मा का शुद्ध लव | वह
है भी निराकार | तुम्हारी जितनी कट उतरती जायेगी, उतनी कशिश
होगी | अपनी डिग्री तुम देख सकते हो – हम कितना ख़ुशी में रहते
हैं? इसमें आसन आदि लगाने की बात नहीं है | हठयोग नहीं है |
आराम से बैठे बाबा को याद करते रहो | लेटे हुए भी याद कर सकते
हो | बेहद का बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम सतोप्रधान बन
जायेंगे और पाप कट जायेंगे | बेहद का बाप जो तुम्हारा टीचर भी
है, सतगुरु भी है, उनको बहुत प्यार से याद करना चाहिये | इसमें
ही माया विघ्न डालती है | देखना है हमने बाप की याद में रह
हर्षित होकर खाना खाया? आशिक को माशूक मिला है तो ज़रूर ख़ुशी
होगी ना | याद में रहने से तुम्हारा बहुत जमा होता जायेगा |
मंज़िल बहुत बड़ी है | तुम क्या से क्या बनते हो! पहले तो बेसमझ
थे, अभी तुम बहुत समझदार बने हो | तुम्हारी एम ऑब्जेक्ट कितनी
फर्स्टक्लास है | तुम जानते हो हम बाबा को याद करते-करते इस
पुरानी खाल को छोड़ जाए नई लेंगे | कर्मातीत अवस्था होने से फिर
यह खाल छोड़ देंगे | नज़दीक आने से घर की याद आती है ना | बाबा
की नॉलेज बड़ी मीठी है | बच्चों को कितना नशा चढ़ना चाहिए |
भगवान् इस रथ में बैठ तुमको पढ़ाते हैं | अभी तुम्हारी है चढ़ती
कला | चढ़ती कला तेरे भाने सर्व का भला | तुम कोई नई बातें नहीं
सुनते हो | जानते हो अनेक बार हमने सुनी है, वही फिर से सुन
रहे हैं | सुनने से अन्दर ही अन्दर में गदगद होते रहेंगे | तुम
हो अननोन वारियर्स और वेरी वेल नोन | तुम सारे विश्व को हेविन
बनाते हो, तब देवियों की इतनी पूजा होती है | करने वाले और
कराने वाले दोनों की पूजा होती है | बच्चे जानते हैं
देवी-देवता धर्म वालों का सैपलिंग लग रहा है | यह रिवाज़ अभी
पड़ा है | तुम अपने को तिलक लगाते हो | जो अच्छी रीति पढ़ते हैं
वह अपने को स्कॉलरशिप लायक बनाते हैं | बच्चों को याद की
यात्रा का बहुत पुरुषार्थ करना चाहिए | अपने को भाई-भाई समझो
तो नाम-रूप का भान निकल जाये, इसमें भी मेहनत है | बहुत
अटेन्शन देना है | फालूत बातें कभी सुननी नहीं है | बाप कहते
हैं मैं जो सुनाऊं, वह सुनो | झरमुई झगमुई की बातें न सुनो |
कान बन्द करो | सबको शान्तिधाम और सुखधाम का रास्ता बताते रहो
| जितना जो बहुतों को रास्ता बताते हैं, उतना उनको फ़ायदा मिलता
है | कमाई होती है | बाप आये हैं सबको श्रृंगार करने और घर ले
चलने | बाप बच्चों का सदैव मददगार बनते हैं | जो बाप के मददगार
बने हैं, उनको बाप भी प्यार से देखते हैं | जो बहुतों को
रास्ता बताते हैं, तो बाबा भी उनको बहुत याद करते हैं | उनको
भी बाप के याद की कशिश होती है | याद से ही कट उतरती जायेगी
बाप को याद करना गोया घर को याद करना | सदैव बाबा-बाबा करते
रहो | यह है ब्राह्मणों की रूहानी यात्रा | सुप्रीम रूह को याद
करते-करते घर पहुँच जायेंगे | जितना देही-अभिमानी बनने का
पुरुषार्थ करेंगे तो कर्मेन्द्रियाँ वश होती जायेगी |
कर्मेन्द्रियों को वश करने का एक ही उपाय याद का है | तुम हो
रूहानी स्वदर्शन चक्रधारी ब्राह्मण कुल भूषण | तुम्हारा यह
सर्वोत्तम श्रेष्ठ कुल है | ब्राह्मण कुल देवताओं के कुल से भी
ऊँच है क्योंकि तुमको बाप पढ़ाते हैं | तुम बाप के बने हो, बाबा
से विश्व की बादशाही का वर्सा लेने के लिये | बाबा कहने से ही
वर्से की खुशबू आती है | शिव को हमेशा बाबा-बाबा कहते हैं |
शिवबाबा है ही सद्गति दाता और कोई सद्गति दे न सके | सच्चा
सतगुरु एक ही निराकार है जो आधाकल्प के लिये राज्य देकर जाते
हैं | तो मूल बात है याद की | अन्तकाल कोई शरीर का भान अथवा धन
दौलत याद न आये | नहीं तो पुनर्जन्म लेना पड़ेगा | भक्ति में
काशी कलवट खाते हैं, तुमने भी काशी कलवट खाया है अथवा बाप के
बने हो | भक्ति मार्ग में भी काशी कलवट खाकर समझते हैं सब पाप
कट गये | परन्तु वापिस तो कोई जा नहीं सकते | जब सब ऊपर से आ
जायें फिर विनाश होगा | बाप भी जायेंगे, तुम भी जायेंगे | बाकी
कहते हैं पाण्डव पहाड़ों पर गल गये | वह तो जैसे आपघात हो जाये
| बाप अच्छी रीति समझाते हैं | बच्चे सर्व का सद्गति दाता एक
मैं हूँ, कोई देहधारी तुम्हारी सद्गति कर नहीं सकते | भक्ति से
सीढ़ी नीचे उतरते आये हैं, अन्त में बाप आकर जोर से चढ़ाते हैं |
इसको कहा जाता है अचानक बेहद सुख की लॉटरी मिलती है | वह होती
है घुड़-दौड़ | यह है आत्माओं की दौड़ | परन्तु माया के कारण
एक्सीडेंट हो जाता है अथवा फ़ारकती दे देते हैं | माया
बुद्धियोग तोड़ देती है | काम से हार खाते तो की कमाई चट हो
जाती है | काम बड़ा भूत है, काम पर जीत पाने से जगतजीत बनेंगे |
लक्ष्मी-नारायण जगतजीत थे | बाप कहते हैं यह अन्तिम जन्म
पवित्र ज़रूर बनना है, तब जीत होगी | नहीं तो हार खायेंगे | यह
है मृत्युलोक का अन्तिम जन्म | अमरलोक के 21 जन्मों का और
मृत्युलोक के 63 जन्मों का राज़ बाप ही समझाते हैं | अब दिल से
पूछो कि हम लक्ष्मी-नारायण बनने के लायक हैं? जितनी धारणा होती
रहेगी उतनी ख़ुशी भी होगी | परन्तु तक़दीर में नहीं है तो माया
ठहरने नहीं देती है |
इस
मधुबन का प्रभाव दिन-प्रतिदिन जास्ती बढ़ता रहेगा | मुख्य बैटरी
यहाँ है, जो सर्विसएबुल बच्चे हैं, वह बाप को बहुत प्यारे लगते
हैं | जो अच्छे सर्विस एबुल बच्चे हैं उनको चुन-चुन कर बाबा
सर्चलाइट देते हैं | वह भी ज़रूर बाबा को याद करते हैं |
सर्विसएबुल बच्चों को बापदादा दोनों याद करते हैं, सर्चलाइट
देते हैं | कहते हैं मिठरा घुर त घुराय.....याद करो तो याद का
रेस्पान्स मिलेगा | एक तरफ़ है सारी दुनिया, दूसरी तरफ़ हो तुम
सच्चे ब्राह्मण | ऊँचे ते ऊँचे बाप के तुम बच्चे हो, जो बाप
सर्व का सद्गति दाता है | तुम्हारा यह दिव्य जन्म हीरे समान है
| हमको कौड़ी से हीरा भी वही बनाते हैं | आधाकल्प के लिये इतना
सुख दे देते हैं जो फिर उनको याद करने की दरकार नहीं | बाबा
कहते – बच्चे, ढेरों का ढेर धन तुमको देता हूँ | तुम सब गँवा
बैठे हो | कितने हीरे जवाहरात मेरे ही मन्दिर में लगाते हो |
अब तो हीरे को देखो कितना दाम है! आगे हीरों पर भी रूंग मिलती
थी, अब तो सब्जी पर भी रूंग नहीं मिलती | तुम जानते हो कैसे
राज्य लिया, कैसे गँवाया? अब फिर ले रहे हैं | यह ज्ञान बड़ा
वन्डरफुल है | कोई की बुद्धि में मुश्किल ठहरता है | राजाई
लेनी है तो श्रीमत पर पूरा चलना है | अपनी मत काम में नहीं
आयेगी | जीते जी वानप्रस्थ में जाना है तो सब कुछ इनको देना
पड़े | वारिस बनाना पड़े | भक्ति मार्ग में भी वारिस बनाते हैं |
दान करते हैं परन्तु अल्पकाल के लिये | यहाँ तो इनको वारिस
बनाना होता है – जन्म-जन्मान्तर के लिये | गायन भी है फ़ालो
फादर | जो फ़ालो करते हैं वह ऊँच पद पाते हैं | बेहद के बाप का
बनने से ही बेहद का वर्सा पायेंगे | शिवबाबा तो है दाता | यह
भण्डारा उनका है | भगवान् अर्थ जो दान करते हैं, तो दूसरे जन्म
में अल्पकाल का सुख मिलता है | वह हुआ इनडायरेक्ट | यह है
डायरेक्ट | शिवबाबा 21 जन्मों के लिये देते हैं | कोई की
बुद्धि में आता है हम शिवबाबा को देते हैं | यह जैसे इन्सल्ट
है | देते हैं लेने के लिये | यह बाबा का भण्डारा है | काल
कंटक दूर हो जाते हैं | बच्चे पढ़ते हैं अमरलोक के लिये | यह है
कांटों का जंगल | बाबा फूलों के बगीचे में ले जाते हैं | तो
बच्चों को बहुत ख़ुशी रहनी चाहिए | दैवी गुण भी धारण करने हैं |
बाप कितना प्यार से बच्चों को गुल-गुल बनाते हैं | बाबा बहुत
प्यार से समझाते हैं | अपना कल्याण करना चाहते हो दैवीगुण भी
धारण करो और किसके भी अवगुण नहीं देखो | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार
और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा
के
लिए
मुख्य
सार:-
1.
बेहद के बाप से सर्च लाइट लेने के लिये उनका मददगार बनना है |
मुख्य बैटरी से अपना कनेक्शन जोड़कर रखना है | किसी भी बात में
समय बरबाद नहीं करना है |
2.
सच्ची कमाई करने वा भारत की सच्ची सेवा करने के लिये के बाप की
याद में रहना है क्योंकि याद से वायुमण्डल शुद्ध होता है |
आत्मा सतोप्रधान बनती है | अपार ख़ुशी का अनुभव होता है |
कर्मेन्द्रियाँ वश में हो जाती है |
वरदान:-
याद
और सेवा के बैलेन्स द्वारा बाप की मदद का अनुभव करने वाले
ब्लैसिंग की पात्र आत्मा भव
!
जहाँ
याद और सेवा का बैलेन्स अर्थात् समानता है वहाँ बाप की विशेष
मदद अनुभव होती है | यह मदद भी आशीर्वाद है क्योंकि बापदादा
अन्य आत्माओं के मुआफ़िक आशीर्वाद नहीं देते | बाप तो है ही
अशरीरी, तो बापदादा की आशीर्वाद है सहज, स्वतः मदद मिलना जिससे
जो असम्भव बात है वह सम्भव हो जाए | यही मदद अर्थात् आशीर्वाद
है | ऐसी आशीर्वाद की पात्र आत्मायें हो जो एक कदम में पदमों
की कमाई जमा हो जाती है |
स्लोगन:-
सकाश
देने के लिए अविनाशी सुख, शान्ति वा सच्चे प्यार का स्टॉक जमा
करो
|
ओम् शान्ति
|