19-03-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे
बच्चे
–
बाप का कर्तव्य है, काँटों के जंगल को ख़लास कर फूलों का बगीचा
बनाना, इससे ही नम्बरवन फैमली प्लैनिंग हो जाती है
| 
प्रश्न:-
फैमली प्लैनिंग का फर्स्टक्लास शास्त्र कौन-सा है और कैसे?
उत्तर:-
गीता
है फैमली प्लैनिंग का फर्स्टक्लास शास्त्र क्योंकि गीता द्वारा
ही बाप ने अनेक अधर्म विनाश कर एक धर्म स्थापन किया | गीता में
ही भगवान् के महावाक्य हैं – काम महाशत्रु है | जब काम शत्रु
पर जीत पा लेते हो तो फैमली प्लैनिंग स्वतः हो जाती है | यह एक
बाप का ही काम है | किसी मनुष्य का नहीं |
ओम्
शान्ति
|
शिव
भगवानुवाच | बाप बैठ रूहानी बच्चों को समझाते हैं, इस दुनिया
को तो आसुरी दुनिया ज़रूर कहेंगे | नई दुनिया को दैवी दुनिया
कहेंगे | दैवी दुनिया में मनुष्य बहुत थोड़े रहते हैं | अब यह
राज़ भी किसको समझाना चाहिए | जो फैमली प्लैनिंग के मिनिस्टर
होते हैं, उन्हों को समझाना चाहिए | बोलो, फैमली प्लैनिंग की
ड्यूटी तो गीता के कथन अनुसार एक बाप की ही है | गीता को तो सब
मानते ही हैं | गीता है ही फैमली प्लैनिंग का शास्त्र | गीता
से ही बाप नई दुनिया की स्थापना करते हैं | यह तो ऑटोमेटिकली
ड्रामा में उनका पार्ट नूँधा हुआ है | बाप ही आकरके आदि सनातन
देवी-देवता धर्म की स्थापना करते हैं अथवा प्योर नेशनलिटी की
स्थापना करते हैं | अपने को देवी-देवता धर्म का ही कहेंगे |
गीता में भगवान साफ़ बतलाते हैं कि मैं आता ही हूँ एक धर्म की
स्थापना करने, बाकी अनेक सब धर्मों का विनाश करने | तो इससे
फैमली प्लैनिंग नम्बरवन हो जायेगी | सारे सृष्टि पर जय-जयकार
हो जायेगी और एक आदि सनातन धर्म की स्थापना हो जायेगी | अब तो
बहुत मनुष्य होने के कारण बहुत किचड़ा हो पड़ा है | वहाँ के
जानवर पंछी आदि सब फर्स्टक्लास होंगे, जो देखने से ही दिल खुश
हो जाए, डरने की बात नहीं | बाप बैठ समझाते हैं तुमने मुझे
बुलाया ही इसलिए है कि आकर फैमली प्लैनिंग करो अर्थात् पतित
फैमलीज़ को वापिस ले जाओ, पावन फैमली की स्थापना करो | तुम सब
कहते थे – बाबा, आकर पतित दुनिया ख़लास कर नई पावन दुनिया बनाओ
| यह बाप की ही प्लैनिंग है | देखने से ही दिल खुश हो जाए |
लक्ष्मी-नारायण को देखने से तुम्हारी दिल खुश होती है ना |
वहाँ तो यथा राजा रानी तथा प्रजा सब फर्स्टक्लास होते हैं | तो
यह फैमली प्लैनिंग की युक्ति ड्रामा में नूँधी हुई है | तुम
बच्चों को समझाना है – पारलौकिक बाप तो सतयुगी प्लैनिंग
फर्स्टक्लास करते हैं, काँटों के जंगल को ही ख़लास कर देते हैं
| इस सारे भंभोर को आग लग जाती है | यह धन्धा तो बाप का ही है
| तुम कुछ भी नहीं कर सकते हो | कितनी भी मेहनत करो, सक्सेसफुल
कोई हो न सके | बाप कहते हैं – जिस काम विकार को तुम अपना
मित्र समझते हो वह बड़ा भारी दुश्मन है | बहुत है जो उनके मित्र
बन जाते हैं | बाप आर्डिनेन्स निकालते हैं – तुम इस पर विजय
पहनो | तुम समझाओ – बाप कहते हैं काम महाशत्रु है | बिचारों को
पता ही नहीं कि फैमली प्लैनिंग कैसे हो रहा है | यह तो
कल्प-कल्प बाप करते हैं ड्रामा अनुसार | फिर यह होना ही है |
सतयुग में बहतु थोड़े मनुष्य होते हैं, इसमें फ़िक्र की कोई बात
नहीं | बाप प्रैक्टिकल में यह काम कर रहे हैं | वो लोग कितना
माथा मारते हैं | एज्युकेशन मिनिस्टर को भी समझाओ | अभी के
कैरेक्टर्स कितने ख़राब हैं | देवताओं के कैरेक्टर्स कितने
अच्छे थे | तुम बेपरवाह होकर वाणी चलाओ | बोलो, यह कोई तुम
मिनिस्टर का काम नहीं है | यह तो ऊँच ते ऊँच बाप का काम है |
इन देवताओं के राज्य में एक धर्म, एक राज्य, एक भाषा थी |
कितने थोड़े मनुष्य थे | परन्तु ऐसी युक्ति से बोलना बहुत थोड़ों
को आता है | वह रूहाब नहीं रहता है | उन्हों को यह
लक्ष्मी-नारायण का चित्र दिखाना चाहिए | यह फैमली प्लैनिंग बाप
ने ही की थी | अब फिर कर रहे हैं | इनके राज्य की स्थापना हो
रही है |
बाबा
ने कहा है – यह लक्ष्मी-नारायण का चित्र हमेशा फ्रन्ट में रखो
और बत्तियाँ आदि खूब लगाओ | प्रभातफेरी में यह ट्रान्सलाइट का
चित्र हो | जो एकदम क्लीयर कोई भी देख सके | बोलो, हम यह फैमली
प्लैनिंग कर रहे हैं | यथा राजा रानी तथा प्रजा | डीटी
डिनायस्टी की स्थापना हो रही है | बाकी सब धर्म ख़लास हो
जायेंगे | इस बाप की प्लैनिंग को आकर समझो | तुम्हारी यह बात
सुनकर तुम पर बहुत कुर्बान जायेंगे | यह मिनिस्टर आदि
निर्विकारी प्लैनिंग बना कैसे सकेंगे | बाप जो ऊँच ते ऊँच
भगवान् है, वह आते ही हैं यह प्लैनिंग करने | बाकी सब अनेक
धर्मों को ख़लास कर देते हैं | यह बात है ही बेहद के बाप के हाथ
में | पुरानी चीज़ को नया बना देते हैं | बाप नई दुनिया की
स्थापना कर पुरानी का विनाश कर देते हैं | यह ड्रामा में नूँध
है | समझाना चाहिए – बहनों और भाइयों, इस सृष्टि चक्र के
आदि-मध्य-अन्त को तुम नहीं जानते हो, बाप बतलाते हैं | सतयुग
आदि में न इतने मनुष्य होते हैं, न फैमली प्लैनिंग आदि की बात
ही करते हैं | पहले तुम सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को आकर समझो |
सद्गति दाता बाप ही है | सद्गति अर्थात् सतयुगी मनुष्य |
पहले-पहले यह देवी-देवता बहुत थोड़े थे | फर्स्टक्लास धर्म था |
बाबा फूलों की फर्स्टक्लास प्लैनिंग बनाते हैं | काम तो
महाशत्रु है | आजकल तो उनके पिछाड़ी प्राण भी दे देते हैं | कोई
की किसके साथ दिल होती है, माँ-बाप शादी नहीं कराते हैं तो बस
घर में ही हंगामा मचा देते हैं | यह है ही गन्दी दुनिया | सब
एक-दो को काँटा लगाते रहते हैं | सतयुग में तो फूलों की वर्षा
होती है | तो ऐसे-ऐसे विचार सागर मंथन करो | बाबा इशारा देते
रहते हैं | तुम इनको रिफाइन करो | चित्र भी भिन्न-भिन्न प्रकार
के बनाते हैं | ड्रामा अनुसार जो कुछ होता है वह ठीक है |
किसको समझाना भी बहुत सहज है | सबका ध्यान बाप की तरफ़ खिंचवाना
है | बाप का ही यह काम है | अब बाप ऊपर में बैठा हुआ, यह काम
करेगा नहीं | कहते भी हैं जब-जब धर्म की ग्लानि होती है, आसुरी
राज्य होता है तब-तब आकर इन सबको ख़लास कर दैवी राज्य की
स्थापना करता हूँ | मनुष्य तो अज्ञान की नींद में सोये पड़े हैं
| यह सब विनाश हो जायेगा | जो निर्विकारी बनते हैं उनकी ही
फैमली आकर राज्य करती है | गायन भी है – ब्रह्मा द्वारा
स्थापना, किसकी? इस फैमली की | यह प्लैनिंग हो रही है |
ब्रह्माकुमार-कुमारियां पवित्र बनते हैं तो उन्हों के लिए ज़रूर
पवित्र नई दुनिया चाहिए | यह पुरुषोत्तम संगमयुग बहुत छोटा है
| इतने थोड़े समय में कितनी अच्छी प्लैनिंग कर देते हैं | बाप
सबका हिसाब-किताब चुक्तू कराए अपने घर ले जाते हैं, इतना सारा
किचड़ा वहाँ नहीं ले जायेंगे | छी-छी आत्मायें जा न सकें, इसलिए
बाप आकर गुल-गुल बनाकर ले जाते हैं | ऐसी-ऐसी बातों पर विचार
सागर मंथन करो | तुम रियलाइज़ करते रहते हो | बाप कहते हैं मैं
एक धर्म की स्थापना कराने, तुमको रिहर्सल करा रहा हूँ | यह
फैमली प्लैनिंग किसने की? बाप कहते हैं मैं कल्प पहले मिसल
अपना कार्य कर रहा हूँ | पुकारते ही हैं पतित फैमली से बदल कर
पावन फैमली स्थापन करो | इस समय सब हैं पतित | शादियों पर
लाखों खर्चा करते हैं | कितना शादमाना करते हैं और ही पावन से
बदल पतित बन जाते हैं |
तुम
बच्चों को अब यही ईश्वरीय धन्धा करना चाहिए | सबको समझाना
चाहिए | सब आसुरी नींद में सोये पड़े हैं, उनको जगाना चाहिए |
गोरा बनकर औरों को भी बनायें | तो बाप का प्यार भी जाये |
सर्विस ही नहीं करेंगे तो मिलेगा क्या? कोई बादशाह बनते हैं तो
ज़रूर कोई अच्छे कर्म किये हैं | यह तो कोई भी समझ सकते हैं |
यह राजा-रानी हैं, हम दास-दासियाँ हैं तो ज़रूर आगे जन्म में
कर्म ऐसे किये हैं | बुरे कर्म करने से बुरा जन्म मिलता है |
कर्मों की गति तो चलती रहती है | अब बाप तुमको अच्छे कर्म करना
सिखलाते हैं | वहाँ भी ऐसे ज़रूर समझेंगे कि अगले जन्म के
कर्मों के अनुसार ऐसे बने हैं | बाकी क्या कर्म किये हैं वह
नहीं जानेंगे | कर्म गाये जाते हैं | जितना जो अच्छा कर्म करते
हैं वह ऊँच पद पाते हैं | ऊँच कर्मों से ही ऊँच बनते हैं |
अच्छे कर्म नहीं करते हैं तो झाड़ू लगाते हैं | भरी ढोते हैं |
कर्मों का फल तो कहेंगे ना | कर्मों की थ्योरी चलती है |
श्रीमत से अच्छे कर्म होते हैं | कहाँ बादशाह, कहाँ
दास-दासियाँ | बाप कहते हैं अब फ़ालो फादर | मेरी श्रीमत पर
चलेंगे तो ऊँच पद पायेंगे | बाप साक्षात्कार भी कराते हैं | यह
मम्मा, बाबा, बच्चे इतने ऊँच बनते हैं, यह भी कर्म है ना |
बहुत बच्चियाँ कर्मों को समझती नहीं हैं | पिछाड़ी में
साक्षात्कार सबको होगा | अच्छी तरह पढ़ेंगे, लिखेंगे तो नवाब
बनेंगे, रुलेंगे पिलेंगे तो होंगे ख़राब | यह तो उस पढ़ाई में भी
होता है | भगवानुवाच, इस समय सारी दुनिया काम चिता पर जल मरी
है | कहते हैं स्त्री को देखने से अवस्था बिगड़ती है | वहाँ तो
ऐसे अवस्था नहीं बिगड़ेगी | बाप कहते हैं नाम रूप देखो ही नहीं
| तुम भाई-भाई को देखो | बड़ी मंज़िल है | विश्व का मालिक बनना
है | कभी किसकी बुद्धि में नहीं होगा – यह लक्ष्मी-नारायण
विश्व के मालिक कैसे बनें? बाप कहते हैं मैं तुमको स्वर्ग का
मालिक बनाता हूँ | यह लक्ष्मी-नारायण सर्वगुण सम्पन्न थे |
आजकल जिनका तुम नया ब्लड समझते हो वह क्या करते रहते हैं! क्या
गाँधी जी यह सिखाकर गये? राम राज्य बनाने की भी युक्ति चाहिए |
यह तो बाप का ही काम है | बाप तो एवर पावन है | तुम फिर 21
जन्म पावन रह फिर 63 जन्म पतित बन जाते हो | समझाने में इतना
मस्त बनना चाहिए | बाप बच्चों को समझाते रहते हैं – बच्चे,
पावन बनो |
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार
और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा
के
लिए
मुख्य
सार:-
1.
अपनी अवस्था सदा एकरस अडोल बनाने के लिए किसी के भी नाम-रूप को
नहीं देखना है | भाई-भाई को देखो | दृष्टि को पावन बनाओ |
समझाने में रूहाब धारण करो |
2.
बाप का प्यार पाने के लिए बाप समान धन्धा करना है, जो आसुरी
नींद में सोये हुए हैं उन्हें जगाना है | गोरा बनकर दूसरों को
बनाना है |
वरदान:-
निःस्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति से सेवा करने वाले सफलता
मूर्त भव
! 
सेवा
में सफलता का आधार आपकी निःस्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति है |
इस स्थिति में रहने वाले सेवा करते स्वयं भी सन्तुष्ट और
हर्षित रहते और उनसे दूसरे भी सन्तुष्ट रहते | सेवा में संगठन
होता है और संगठन में भिन्न-भिन्न बातें, भिन्न-भिन्न विचार
होते हैं | लेकिन अनेकता में मूँझो नहीं | ऐसा नहीं सोचो किसका
मानें, किसका नहीं मानें | निःस्वार्थ और निर्विकल्प भाव से
निर्णय लो तो किसी को भी व्यर्थ संकल्प नहीं आयेगा और सफ़लता
मूर्त बन जायेंगे
|
स्लोगन:-
अब सकाश
द्वारा बुद्धियों को परिवर्तन करने की सेवा प्रारम्भ करो
|
ओम्
शान्ति
|