02-07-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
“मीठे
बच्चे –
तुम्हें टाइम पर अपने घर वापस जाना है इसलिए याद की रफ्तार को
बढ़ाओ,
इस
दुःखधाम को भूल शान्तिधाम और सुखधाम को याद करो” 
प्रश्न:-
कौन-सा
एक गुह्य राज तुम
मनुष्यों
को सुनाओ तो उनकी बुद्धि
में
हलचल मच जायेगी?
उत्तर:-
उन्हे गुह्य राज सुनाओ कि आत्मा इतनी छोटी बिन्दी है,
उसमें
फार एवर पार्ट भरा हुआ है,
जो पार्ट बजाती ही रहती है । कभी थकती
नहीं
।
मोक्ष किसी को मिल
नहीं
सकता । मनुष्य बहुत दु
:ख देखकर कहते हैं मोक्ष मिले तो अच्छा है,
लेकिन अविनाशी आत्मा पार्ट बजाने के बिना
रह
नहीं
सकती । इस बात को सुनकर उनके अन्दर हलचल मच जायेगी ।
ओम् शान्ति
|
मीठे-मीठे
रूहानी
बच्चों
को बाप समझाते
हैं,
यहाँ तो है रूहानी बच्चे । बाप रोज-रोज
समझाते
हैं
बरोबर इस दुनिया
में
गरीबों
को कितना
दुःख
है,
अभी यह फ्लड्स आदि होती है तो
गरीबों
को
दुःख
होता है,
उनके सामान आदि का क्या हाल हो जाता है ।
दुःख
तो होता है ना!
अपार
दुःख
हैं
।
साहूकारों
को सुख है
परन्तु
वह भी अल्पकाल के लिए । साहूकार भी बीमार
पड़ते
हैं ,
मृत्यु भी बहुत होती है-
आज फलाना मरा,
आज यह हुआ । आज
प्रेसिडेंट
है,
कल गद्दी छोड़नी
पड़ती
है । घेराव कर उनको उतार देते
हैं
।
यह भी दु
.ख होता है । बाबा ने कहा है
दुखों
की भी लिस्ट निकालो,
किस-किस प्रकार
के
दुःख
हैं -
इस दु'खधाम
में
।
तुम बच्चे सुखधाम को भी जानते हो,
दुनिया कुछ भी
नहीं
जानती । दु
:खधाम सुखधाम की
भेंट
वह नहीं कर सकते । बाप कहते
हैं
तुम सब कुछ जानते हो,
यह
मानेंगे
कि बरोबर कहते सच
हैं
।
यहाँ जिसको
बड़े-बड़े
मकान हैं, एरोप्लेन आदि
हैं,
वह समझते
हैं
कलियुग को अजुन
40 हजार वर्ष चलना है । बाद
में
सतयुग आयेगा । घोर अन्धियारे
में
हैं
ना । अब
उन्हों
को नजदीक ले आना है । बाकी थोड़ा समय है । कहाँ
लाखों
वर्ष कहते
हैं,
कहाँ तुम 5 हजार
वर्ष सिद्ध कर बतलाते हो । यह 5
हजार वर्ष के बाद चक्र रिपीट होता है ।
ड्रामा
कोई
लाखों
वर्ष का थोड़ेही होगा । तुम समझ गये हो जो कुछ होता है वह
5 हजार वर्ष
में
होता है । तो यहाँ दु
:खधाम
में
बीमारियाँ आदि सब होती
हैं
।
तुम तो मुख्य थोड़ी
बातें
लिख दो । स्वर्ग
में
दुःख
का नाम भी नहीं । अब बाप समझाते
हैं
मौत सामने
खड़ा
है,
यह वही गीता का एपीसोड चल रहा है । जरूर
संगमयुग
पर ही सतयुग की स्थापना होगी । बाप कहते
हैं
कि
मैं
राजाओं
का राजा बनाता हूँ तो जरूर सतयुग का बनायेगा ना । बाबा अच्छी
रीति समझाते
हैं
।
अब हम जाते
हैं
सुखधाम । बाप को ले जाना
पड़े
।
जो निरन्तर याद करते
हैं
वही
ऊँच
पद
पायेंगे,
उसके लिए बाबा
युक्तियाँ
बतलाते रहते
हैं
।
याद की रफ्तार
बढ़ाओ
।
कुम्भ के
मेले
पर भी टाइम पर जाना होता है । तुमको भी टाइम पर जाना है । ऐसे
नहीं
कि जल्दी-
जल्दी जाकर पहुँचेगे ।
नहीं,
यह जल्दी-जल्दी
करना अपने हाथ
में
नहीं
है । यह तो है ही ड्रामा की नूँध । महिमा सारी
ड्रामा
की है । यहाँ कितने जीव जन्तु आदि दु
:ख देने वाले हैं । सतयुग
में यह होते
नहीं
।
अन्दर ख्याल करना चाहिए-वहॉ
यह-यह होगा । सतयुग तो याद आता है
ना । सतयुग की स्थापना बाप करते
हैं
।
पिछाड़ी
में
सारा नटशेल
में
ज्ञान बुद्धि
में
आ
जाता है । जैसे बीज कितना छोटा,
झाड़
कितना
बड़ा
है । वह तो है
जड़
चीज़ें,
यह है चैतन्य । इनका किसको पता
नहीं
है,
कल्प की आयु लम्बी-चौडी
कर दी है । भारत ही बहुत सुख पाता है तो दु :ख
भी भारत ही पाता है । बीमारियाँ आदि भी भारत में अधिक
हैं
।
यहाँ मच्छरों
सदृश्य मनुष्य मरते
हैं
क्योंकि
आयु छोटी है । यहाँ के सफाई करने वालो और विलायत के सफाई करने
वालो
में
कितना फर्क है । विलायत से सारी
इन्वेंशन
यहाँ आती है । सतयुग का नाम ही पैराडाइज है । वहाँ सब
सतोप्रधान है । तुमको सब साक्षात्कार
होंगे
।
यह है अब
संगमयुग
जबकि बाप बैठ समझाते
हैं,
समझाते
रहेंगे,
नई-नई
बातें
सुनाते
रहेंगे।
बाप कहते
हैं
दिन-प्रतिदिन
गुह्य-गुह्य
बातें
सुनाता हूँ । आगे थोड़ेही पता था,
बाबा इतनी बिन्दी है,
उनमें
सारा पार्ट भरा हुआ है फार एवर । तुम पार्ट बजाते आये हो,
तुम किसको भी बताओ तो बुद्धि
में
कितनी हलचल हो जायेगी कि यह क्या कहते हैं,
इतनी छोटी बिन्दी
में
सारा पार्ट भरा हुआ है,
जो बजाते ही रहते,
कब थकते
नहीं
है!
किसको भी पता
नहीं
।
अभी तुम
बच्चों
को समझ पड़ती जाती है कि आधाकल्प है सुख,
आधाकल्प है
दुःख
।
बहुत
दुःख
देख कर ही मनुष्य कहते
हैं-इससे
तो मोक्ष पा
लें
।
जब तुम सुख
में,
शान्ति
में
होगे,
वहाँ थोडेही ऐसे
कहेंगे
।
यह सारी नॉलेज अभी तुम्हारी बुद्धि
में
है । जैसे बाप बीज होने कारण उसके पास सारे
झाड़
की नॉलेज है ।
झाड़
का मॉडल रूप दिखाया है ।
बड़ा
थोड़ेही
दिखा
सकते
।
बुद्धि
में
सारी नॉलेज आ जाती है । तो तुम
बच्चों
की कितनी विशाल बुद्धि होनी चाहिए । कितना समझाना पड़ता है,
फलाने-फलाने
इतने समय बाद फिर आते
हैं
पार्ट बजाने,
यह कितना
बड़ा
ह्यूज
ड्रामा
है । यह सारा
ड्रामा
तो कभी कोई देख भी न सके । इम्पॉसिबुल है । दिव्य दृष्टि से तो
अच्छी चीज देखी जाती है । गणेश,
हनूमान यह सब है भक्ति मार्ग के । परन्तु
मनुष्यों
की भावना बैठी हुई है तो छोड़
नहीं
सकते । अब तुम
बच्चों
को पुरूषार्थ करना है,
कल्प पहले मिसल पद पाने के लिए पढ़ना है ।
तुम जानते हो पुनर्जन्म तो हर एक को लेना ही है ।
सीढ़ी
कैसे उतरे हैं,
यह तो बच्चे जान गये हो । जो खुद जानते
हैं
वह
ओरों
को भी समझाने लग पड़ेगे । कल्प पहले भी यही किया होगा । ऐसे ही
म्यूजियम बनाकर कल्प पहले भी बच्चों को सिखाया होगा ।
पुरूषार्थ करते रहते
हैं,
करते
रहेंगे
।
ड्रामा में नूंध
है । ऐसे तो ढेर हो जायेंगे । गली-गली
घर-घर
में
यह स्कूल होगा । है सिर्फ धारणा करने की बात । बोलो तुम्हारे
दो बाप
हैं
,
बड़ा कौन ठहरा?
उनको ही पुकारते हैं रहम करो । कृपा करो । बाप कहते
हैं
मांगने
से कुछ भी नहीं मिलेगा । हमने तो रास्ता बता दिया है ।
मैं
आता ही हूँ रास्ता बताने । सारा
झाड़
तुम्हारी बुद्धि
में
है ।
बाप कितनी
मेहनत
करते रहते
हैं
।
बाकी बहुत थोड़ा टाइम बचा है । मुझे सर्विसएबुल बच्चे चाहिए ।
घर-घर
में
गीता पाठशाला चाहिए । और चित्र आदि न रखो सिर्फ बाहर
में
लिख दो । चित्र तो यह बैज ही बस है । पिछाड़ी
में
यह बैज ही तुमको काम
में
आयेगा । ईशारे की बात है । मालूम
पड़
जाता है बेहद का बाप जरूर स्वर्ग ही
रचेंगे
।
तो बाप को याद
करेंगे
तब तो स्वर्ग
में
जायेंगे
ना । यह तो समझते हो हम पतित
हैं,
याद से ही पावन
बनेंगे
और कोई उपाय
नहीं
।
स्वर्ग है पावन दुनिया,
स्वर्ग का मालिक बनना है तो पावन जरूर बनना
है । स्वर्ग में जाने वाले फिर नर्क
में
गोते कैसे खायेंगे इसलिए कहा जाता है मनमनाभव । बेहद के बाप को
याद करो तो अन्त मती सो गति होगी । स्वर्ग
में
जाने वाले विकार
में
थोडेही
जायेंगे
।
भक्त लोग इतना विकार
में
नहीं
जाते । सन्यासी भी ऐसे
नहीं
कहेंगे
पवित्र बनो
क्योंकि
खुद ही
शादियां
कराते
हैं
।
वे
गृहस्थियों
को
कहेंगे
-मास-मास में
विकार
में
जाओ ।
ब्रह्मचारियों
को ऐसे
नहीं
कहेंगे
कि
तुम्हें
शादी
नहीं
करना है । तुम्हारे पास
गन्धर्वी
विवाह करते
हैं
फिर भी दूसरे दिन खेल खलास कर देते । माया बहुत कशिश करती है ।
तो भी पवित्र बनने का पुरूषार्थ इस समय ही होता है,
फिर है प्रालब्ध । वहाँ तो रावण राज्य ही
नहीं
।
क्रिमिनल ख्यालात ही
नहीं
होती । क्रिमिनल रावण बनाता है । सिविल शिवबाबा बनाते
हैं
।
यह भी याद करना है । घर-घर
में
क्लास होगा तो सब समझाने वाले बन
पड़ेंगे
।
घर-घर
में
गीता पाठशाला बनाए घर
वालों
को सुधारना है । ऐसे वृद्धि होती रहेगी । साधारण और गरीब,
वह जैसे हमजिन्स ठहरे ।
बड़े-बड़े आदमियों
को छोटे-छोटे
आदमियों
के
सतसंग में
आने
में
भी लज्जा आयेगी
क्योंकि
सुना है ना जादू है,
भाई-बहन बनाती
हैं
।
अरे,
यह तो अच्छा है ना । गृहस्थी
में
कितने झंझट होते
हैं
।
फिर कितना
दुखी
होते
हैं
।
यह है ही दुःख की दुनिया । अपार
दुःख
है फिर वहाँ सुख भी अपार होगा । तुम कोशिश करो लिस्ट बनाने की
। 25 –
30 मुख्य-मुख्य
दुःख
की
बातें
निकालो ।
बेहद के बाप से वर्सा पाने के लिए कितना पुरूषार्थ करना चाहिए
। बाप इस रथ द्वारा हमको समझाते
हैं,
यह दादा भी
स्टूडेंट
है । देहधारी सब
स्टूडेंट हैं
।
टीचर
पढ़ाने
वाला है विदेही । तुमको भी विदेही बनाते
हैं
इसलिए बाप कहते
हैं
शरीर का भान छोड़ते जाओ । यह मकान आदि कुछ भी
नहीं
रहेगा । वहाँ सब कुछ नया मिलना है,
पिछाडी
में
तुमको बहुत साक्षात्कार
होंगे
।
यह तो जानते हो उस तरफ विनाश बहुत हो जायेगा,
एटॉमिक बाम्बस से । यहाँ के लिए है रक्त की
नदियाँ,
इसमें
टाइम लगता है । यहाँ का मौत
बड़ा
खराब है । यह अविनाशी खण्ड है,
नक्शे
में
देखेंगे
हिन्दुस्तान तो एक जैसे कोना है ।
ड्रामा
अनुसार यहाँ उनका असर आता ही
नहीं
है । यहाँ रक्त की
नदियाँ
बहती
हैं
।
अभी तैयारिया कर रहे
हैं
।
हो सकता है
पिछाड़ी में
इनको
बोम्ब्स
भी लोन
देंगे
।
बाकी वह
बोम्ब्स
जो
फेंकने
से ही दुनिया खत्म हो जाए,
वह
थोड़ेही
लोन पर
देंगे।
हल्की क्वालिटी के
देंगे
।
काम की
चीज़ें थोड़ेही
किसको दी जाती है । विनाश तो कल्प पहले मिसल हो ही जाना है ।
नई बात
नहीं
।
अनेक धर्म विनाश,
एक धर्म की स्थापना । भारत खण्ड कभी विनाश
को
नहीं
पाता है । कुछ तो बचने ही है । सब मर जाए फिर तो प्रलय हो जाए
। दिन-प्रतिदिन
तुम्हारी बुद्धि विशाल होती जायेगी । तुमको
पढ़ाई
का बहुत रिगॉर्ड रहेगा । अभी इतना रिगॉर्ड
थोड़ेही
है तब तो कम पास होते
हैं
।
बुद्धि
में
आता
नहीं
है,
कितनी
सजायें
खानी
पड़ेंगी
फिर
आयेंगे
भी देरी से । गिरते
हैं
तो फिर की कमाई चट हो जाती है । काले के काले बन
जायेंगे
।
फिर वह खड़े हो न सके । कितने जाते है,
कितने जाने वाले भी
हैं
।
खुद भी समझ सकते
हैं
इस हालत
में
शरीर छूट जाए तो हमारी क्या गति होगी । समझ की बात है ना । बाप
कहते
हैं
तुम बच्चे हो शान्ति स्थापन करने वाले,
तुम्हारे
में
ही अशान्ति होगी तो पद भ्रष्ट हो जायेगा । किसको भी
दुःख
देने की दरकार
नहीं
है । बाप कितना प्यार से सबको बच्चे-बच्चे
कहकर बात करते हैं । बेहद का बाप है ना । सारी दुनिया की इसमें
नॉलेज है तब तो समझाते
हैं
।
इस दुनिया
में
कितने प्रकार के दु
:ख
हैं।
ढेर
दुःख
की
बातें
तुम लिख सकते हो । जब तुम यह सिद्ध कर
बताएँगे
तो
समझेंगे
कि यह बात तो
बिल्कुल
ठीक है । यह अपार दु
:ख तो सिवाए एक बाप के और कोई दूर कर
नहीं
सकते ।
दुखों
की लिस्ट होगी तो कुछ न कुछ बुद्धि
में
बैठेगा । बाकी तो सुना-
अनसुना कर
देंगे,
उनके लिए ही गाया जाता है,
रिढ (भेड)
क्या जाने साज से....
बाप समझाते
हैं
तुम
बच्चों
को ऐसा गुल-गुल
बनना है । कोई अशान्ति,
गन्दगी नहीं
होनी चाहिए । अशान्ति फैलाने वाले देह-
अभिमानी ठहरे,
उनसे दूर रहना है । छूना भी
नहीं
है । अच्छा!
मीठे-मीठे
सिकीलधे
बच्चों
प्रति मात-पिता
बापदादा का याद-प्यार
और गुडमॉर्निग । रूहानी बाप की रूहानी
बच्चों
को नमस्ते ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1.
जैसे पढ़ाने वाला टीचर विदेही है,
उसे
देह का भान नहीं,
ऐसे
विदेही बनना है । शरीर का भान छोड़ते जाना है । क्रिमिनल आई को
बदल सिविल आई बनानी है ।
2.
अपनी बुद्धि को विशाल बनाना है । सजाओं से
छूटने के लिए बाप का वा पढाई का रिगॉर्ड रखना है । कभी भी दुःख
नहीं देना है । अशान्ति नहीं फैलानी है ।
वरदान:-
खुशियों के खजाने से सम्पन्न बन दुःखी आत्माओं को खुशी का दान
देने वाले पुण्य आत्मा भव! 
इस समय दुनिया
में
हर समय का दुःख है और आपके पास हर समय की खुशी है । तो
दुखी
आत्माओं
को खुशी देना
- यह सबसे बड़े से
बड़ा
पुण्य है । दुनिया वाले खुशी के लिए कितना समय,
सम्पत्ति खर्च करते
हैं
और आपको सहज अविनाशी खुशी का खजाना मिल गया । अब सिर्फ जो मिला
है उसे
बांटते
जाओ ।
बाँटना
माना बढ़ना । जो भी सम्बन्ध
में
आये वह अनुभव करे कि इनको कोई श्रेष्ठ प्राप्ति हुई है जिसकी
खुशी है ।
स्लोगन:-
अनुभवी आत्मा कभी भी किसी बात से धोखा
नहीं
खा
सकती,
वह
सदा विजयी रहती है । 
ओम्
शान्ति |