08-03-14       प्रातः मुरली       ओम् शान्ति   “बापदादा”     मधुबन


मीठे बच्चे सत्य सुनाने वाला एक बाप है, इसलिए बाप से ही सुनो, मनुष्यों से नहीं, एक बाप से सुनने वाला ही ज्ञान है |   


प्रश्न:-   
जो आत्मायें अपने देवी-देवता घराने की होंगी, उनकी मुख्य निशानी क्या होगी?


उत्तर:-
उन्हें यह ज्ञान बहुत अच्छा और मीठा लगेगा | वह मनुष्य मत को छोड़ ईश्वरीय मत पर चलने लग पड़ेंगे | बुद्धि में आयेगा कि श्रीमत से ही हम श्रेष्ठ बनेंगे | अभी यह पुरुषोत्तम संगमयुग चल रहा है, हमें ही उत्तम पुरुष बनना है | 

ओम् शान्ति |

मीठे-मीठे रूहानी बच्चे आत्म-अभिमानी भव | देह का अभिमान छोड़ अपने को आत्मा समझो | यह भी जानते हो परमात्मा एक है | ब्रह्मा को परमात्मा नहीं कहा जाता है | ब्रह्मा के 84 जन्मों की कहानी को तुम जानते हो | उनका यह है अन्तिम जन्म | मुझे आना भी इसमें ही होता है, जिसने पूरे 84 जन्म लिए हैं, उनको ही बताता हूँ | तुम 84 जन्मों को नहीं जानते हो, मैं ही तुमको बताता हूँ | पहले-पहले तुम यह देवी-देवता थे | अब यह बनने लिए फिर पुरुषार्थ करना है | पुनर्जन्म तो पहले जन्म से ही शुरू होता है | अब बाप कहते हैं – मैं जो तुमको सुनाता हूँ, वह है राइट | बाकी जो कुछ तुमने सुना है, वह है रांग | मुझे कहते हैं ट्रुथ, सत्य बोलने वाला | मैं सत्य धर्म की स्थापना करने आता हूँ | कहा जाता है सच तो बिठो नच अर्थात् सच्चे हो तो ख़ुशी में डांस करो | यह है ज्ञान डांस | वो लोग कृष्ण को दिखाते हैं – मुरली बजाई, रास किया | वह हैं सच खण्ड के मालिक | लेकिन इनको भी बनाने वाला कौन? सचखण्ड की स्थापना करने वाला कौन? वह है सचखण्ड, यह है झूठ खण्ड | भारत सचखण्ड था, जब इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था, उस समय और कोई खण्ड नहीं था |  मनुष्य यह नहीं जानते कि स्वर्ग कहाँ है? कोई मरते हैं तो कहते हैं स्वर्गवासी हुआ | बाप समझाते हैं तुम उल्टे लटक पड़े हो | माया के अधीन हो पड़े हो | अब तुमको बाप आकर सुल्टा बनाते हैं | तुम जानते हो भक्तों को भक्ति का फल देने वाला है भगवान् | इस समय सब भक्ति में हैं | जो भी शास्त्र आदि हैं, सब हैं भक्ति मार्ग के | यह गीत गाना आदि सब है भक्ति मार्ग | ज्ञान मार्ग में भजन होता नहीं | तुम जानते हो हमको आवाज़ से परे जाना है, वापिस जाना है | बाप कहते हैं – मीठे बच्चों, मुख से ‘हे भगवान्’ भी कभी नहीं कहना | यह भी भक्ति मार्ग है | कलियुग के अन्त तक भक्ति मार्ग चलता है | अब यह है पुरुषोत्तम संगमयुग, जबकि बाप आकर ज्ञान से तुमको उत्तम पुरुष बनाते हैं | तुम एक ईश्वरीय मत पर चलो | जो ईश्वर कहते हैं वह राइट | बाबा मनुष्य तन में आकर सुनाते हैं – तुम कितने समझदार थे, अब कितना बेसमझ बन पड़े हो | तुम गोल्डन एज में थे, अब आइरन एज में आ गये हो | यहाँ का जो होगा उनको यह ज्ञान बहुत अच्छा लगेगा | यहाँ वालों को मीठा लगेगा | यह बाबा ख़ुद भी गीता पढ़ते थे | बाबा मिला तो सब-कुछ छोड़ दिया | गुरु भी बहुत किये | बाप ने कहा – यह सब भक्ति मार्ग के गुरु हैं | ज्ञान मार्ग का गुरु मैं एक ही हूँ | ज्ञान जब मेरे से सुनें तब उनको ज्ञानी कह सकते हैं | बाकी सब हैं भक्त | श्रीमत ही श्रेष्ठ है, बाकी सब है मनुष्य मत, यह है ईश्वरीय मत | वह है रावण मत, यह है भगवान् की मत | भगवानुवाच – तुम कितने महान् भाग्यशाली हो, इसलिए तुम्हारा हीरे जैसा जन्म अभी है | अंगूठी में भी हीरा बीच में डालते हैं | माला में ऊपर फूल होता है, फिर मेरु | नाम भी है आदम-बीबी | तुम कहेंगे मम्मा-बाबा | आदि देव और आदि देवी, यह हैं संगम के | संगमयुग ही सबसे उत्तम है, जबकि इस राज्य की स्थापना हो रही है | तुम बच्चों को 16 कला सम्पूर्ण यहाँ बनना है | पुरानी दुनिया को नया बनाने बाप आते हैं | इस दुनिया का ड्यूरेशन कितना है – यह भी तुम बच्चों के सिवाए कोई नहीं जानते | लाखों वर्ष कह देते हैं | यह सब हैं झूठी बातें | झूठी माया, झूठी काया....कहा जाता है | सच्ची-सच्ची है ही नई दुनिया | यह है झूठ खण्ड | फिर झूठखण्ड को सचखण्ड बनाना बाप का ही काम है | बाप कहते हैं भक्ति मार्ग में जो कुछ पढ़ा है, वह सब भूलो | यह है तुम्हारा बेहद का वैराग्य | वो तो सिर्फ़ घरबार छोड़ फिर इस दुनिया में, जंगल में चले जाते हैं | यह भी ड्रामा में नूँध है | क्यों का सवाल नहीं उठता | यह तो बना-बनाया खेल है | तुम बच्चों को बाप समझाते हैं, ऐसे-ऐसे होता है | और जो भी धर्म वाले हैं वह स्वर्ग में नहीं आ सकते | बौद्ध डिनायस्टी, क्रिश्चियन डिनायस्टी कोई भी स्वर्ग में नहीं आते हैं | वह पीछे आते हैं | पहले-पहले है डीटी डिनायस्टी, फिर इस्लाम, बुद्ध, क्राइस्ट आकर अपना धर्म स्थापन करते हैं | बाबा पुरुषोत्तम संगमयुग पर आकरके यह डीटी डिनायस्टी स्थापन करते हैं | 

कोई भी आत्मा आती तो गर्भ में ही है | छोटा बच्चा सो बड़ा हुआ | शिवबाबा तो छोटा-बड़ा नहीं होता | न वह गर्भ से जन्म लेता है | बुद्ध की आत्मा ने प्रवेश किया, बुद्ध धर्म पहले तो होता नहीं | ज़रूर यहाँ के कोई मनुष्य में प्रवेश करेंगे | फिर गर्भ में तो ज़रूर जायेंगे | बुद्ध धर्म एक ने ही स्थापन किया फिर उनके पीछे और आते गये | फिर वृद्धि होती गई | जब लाखों हो जाते हैं तो फिर राजाई चलती है | बौद्धियों का भी राज्य था, बाप समझाते हैं यह सब पीछे आते हैं | उनको गुरु नहीं कहा जाता है | गुरु होता है एक | वह तो अपने धर्म की स्थापना कर फिर नीचे आ जाते हैं | बाप ने सबको ऊपर भेज दिया था फिर मुक्तिधाम से एक-एक करके नीचे आते है | तुम भी जीवनमुक्ति से नीचे आते हो | वैसे वह फिर मुक्ति से नीचे आते हैं | उनकी महिमा काहे की | ज्ञान तो उस समय प्रायः लोप हो जाता है | बाप ज्ञान देते हैं गति-सद्गति के लिए | वह गर्भ में नहीं आते, इसमें बैठे हैं, इनका दूसरा नाम नहीं | औरों के शरीरों का नाम है | यह है ही परम आत्मा | यह ज्ञान का सागर है | यह ज्ञान पहले आदि सनातन देवी-देवता धर्म वाली आत्माओं को मिलता है क्योंकि उन्हें ही भक्ति का फल मिलना है | भक्ति तुम ही शुरू करते हो | तुमको ही फल देता हूँ | बाकी दूसरे सब हैं बाईप्लाट | वह 84 जन्म भी नहीं लेते हैं | बाप समझाते हैं – बच्चे, तुम अब देही-अभिमानी बनो | वहाँ भी समझते हैं – एक शरीर छोड़ दूसरा लेंगे, दुःख की बात नहीं | विकारों की बात नहीं | विकार होते हैं रावण राज्य में | वह है निर्विकारी दुनिया | तुम समझायेंगे फिर भी मानते नहीं | कल्प पहले मिसल जो मानते हैं, वही पद पाते हैं, जो नहीं मानते है वह नहीं पाते हैं | सतयुग में सभी पवित्र, सुख, शान्ति में रहते हैं | सब मनोकामनायें 21 जन्म के लिए पूरी हो जाती हैं | सतयुग में कोई कामना नहीं | अनाज आदि सब-कुछ अथाह मिल जाता है | यह बाम्बे पहले नहीं थी | देवतायें खारे जमीन पर नहीं रहते | मीठी नदियाँ जहाँ थी, वहाँ देवतायें थे | मनुष्य थोड़े थे, एक-एक को बहुत जमीन होती है | दिखाते हैं – सुदामा ने दो मुट्ठी चावल दिये, महल मिल गये | मनुष्य दान पुण्य करते हैं ईश्वर अर्थ | अब वह कोई भिखारी है क्या? ईश्वर तो दाता है | समझते हैं ईश्वर दूसरे जन्म में बहुत कुछ देगा | तुम दो मुट्ठी देते हो, नई दुनिया में बहुत कुछ लेते जो | तुम खर्चा करके सेन्टर आदि बनाते हो, सबको शिक्षा मिले |  अपना धन खर्च करते हो फिर राजाई भी तुम ही लेते हो | बाप कहते हैं मैं ही तुमको अपना परिचय देता हूँ | मेरा परिचय कोई को है नहीं | न मैं किस तन में आता हूँ | मैं आता ही एक बार हूँ | जब पतित दुनिया को चेन्ज करना है | मैं हूँ ही पतित-पावन | मेरा पार्ट ही संगमयुग पर है, सो भी एक्यूरेट समय पर आता हूँ | तुमको यह थोड़ेही पता पड़ता है कि शिवबाबा इनमें कब प्रवेश होता है | कृष्ण की तिथि तारीख, मिनट, घड़ियाँ लिखते हैं | इनका कोई मिनट आदि नहीं निकाल सकते | यह ब्रह्मा भी नहीं जानते थे | जब नॉलेज सुनाई तब मालूम पड़ा | कशिश होती है | इसमें तो कट चढ़ी हुई थी | जब परमपिता परमात्मा ने प्रवेश किया तो तुमको कशिश हुई और तुम भागे | कोई भी तुमने परवाह नहीं की | बाप कहते हैं मैं तो सम्पूर्ण पवित्र हूँ | तुम आत्माओं पर कट चढ़ी हुई है, अब वह कैसे निकले? ड्रामा में सब आत्माओं को अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है | यह बहुत गुह्य बात है | आत्मा कितनी छोटी है | दिव्य दृष्टि के बिगर उनको कोई देख न सके | बाप आकर तुमको ज्ञान का तीसरा नेत्र देते हैं | तुम जानते हो हम आत्माओं को ही बाप पढ़ाते हैं | भक्ति मार्ग में तो ज्ञान है आटे में नमक | जैसे भगवानुवाच अक्षर राइट है, फिर कृष्ण कहने से रांग हो जाता है | मनमनाभव अक्षर ठीक है परन्तु अर्थ नहीं समझते | मामेकम् अक्षर राइट है | यह है गीता का एपक (युग) | भगवान् इस समय ही इस रथ में आते हैं, उन्होंने दिखाया है घोड़ा गाड़ी | उसमें कृष्ण बैठा है | अब कहाँ भगवान् का यह रथ, कहाँ घोड़ा गाड़ी! कुछ भी समझते नहीं | यह बेहद के बाप का घर है | बाप सब आत्माओं (बच्चों) को 21 जन्मों के लिए हेल्थ, वेल्थ, हैप्पीनेस देते हैं | यह भी अनादि अविनाशी बना बनाया ड्रामा है | कब शुरू हुआ, कह नहीं सकते | चक्र फिरता ही रहता है | इस संगम का तो किसको मालूम ही नहीं | बाप बतलाते हैं यह ड्रामा 5 हज़ार वर्ष का है | आधा में सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी, आधा में अर्थात् 2500 वर्ष में बाकी और सब धर्म | तुम जानते हो सतयुग में है ही वाइसलेस वर्ल्ड | तुम अभी योगबल से विश्व की राजाई लेते हो | क्रिश्चियन लोग खुद समझते हैं – हमको कोई प्रेर रहा है, जो हम विनाश के लिए यह सब कुछ बनाते हैं | कहते हैं हम ऐसे बाम्ब्स बनाते हैं जो एक दुनिया तो क्या 10 दुनिया ख़त्म कर सकते हैं | बाप कहते हैं मैं हेविन स्थापन करने आया हूँ | बाकी विनाश तो यह करेंगे | अच्छा!  

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-  

1.   बेहद का वैरागी बन जो कुछ अब तक भक्ति में पढ़ा वा सुना है, वह सब भूलना है | एक बाप से सुनकर, उनकी श्रीमत से स्वयं को श्रेष्ठ बनाना है | 

2.    जैसे बाप सम्पूर्ण पवित्र है, उस पर कोई कट (जंक) नहीं | ऐसे पवित्र बनना है | ड्रामा के हर पार्टधारी का एक्यूरेट पार्ट है, इस गुह्य रहस्य को भी समझकर चलना है | 

 

वरदान:-  
बीती को श्रेष्ठ विधि से बीती कर यादगार स्वरूप बनाने वाले पास विद आनर भव !   

“पास्ट इज़ पास्ट” तो होना ही है | समय और दृश्य सब पास हो जायेंगे लेकिन पास विद आनर बनकर हर संकल्प वा समय को पास करो अर्थात् बीती को ऐसी श्रेष्ठ विधि से बीती करो, जो बीती को स्मृति में लाते ही वाह, वाह के बोल दिल से निकलें | अन्य आत्मायें आपकी बीती हुई स्टोरी से पाठ पढ़ें | आपकी बीती, यादगार-स्वरूप बन जाए तो कीर्तन अर्थात् कीर्ति गाते रहेंगे |


स्लोगन:- 
स्व कल्याण का श्रेष्ठ प्लैन बनाओ तब विश्व सेवा में सकाश मिलेगी |      

ओम् शान्ति |