30-03-14     प्रातः मुरली   ओम् शान्ति    “अव्यक्त-बापदादा    रिवाइज: 31-12-97 मधुबन
 


 “इस वर्ष को मुक्ति वर्ष मनाओ, सफल करो सफलता लो”  

आज बापदादा अपने नव जीवन की श्रेष्ठ आत्माओं को, नव युग रचता आत्माओं को नये वर्ष की मुबारक दे रहे हैं | दुनिया के लिए नया वर्ष आरम्भ हो रहा है, आप बच्चों के मन में नव युग याद आ रहा है | जैसे आज नये वर्ष के लिए मनुष्य आत्माओं के दिल में ख़ुशी है, अल्पकाल का उत्साह है, ऐसे आप आत्माओं को नव युग आने की सदाकाल की ख़ुशी है | ऐसे लगता है कि बस आज और कल की बात है | आज पुराना युग है, कल नया युग सामने खड़ा है | ड्रामानुसार आज और कल की बात है, ऐसे स्पष्ट स्मृति अनुभव होती है? या सिर्फ़ नया वर्ष मनाने आये हो? नया वर्ष नव युग की याद दिलाता है | यह उमंग-उत्साह दिल में रहता है कि कल हम क्या होंगे? अपनी नई शरीर रूपी ड्रेस सामने आती है? याद है आपका नया शरीर नए युग में कैसा सुन्दर था? कैसा युग था, कैसे राज्य था, कैसे प्रकृति दासी थी, सतोप्रधान थी! उस राज्य अधिकारी स्थिति की स्मृति स्पष्ट है? दिखाई दे रही है, वह नई दुनिया कितनी सुन्दर है? एक सेकेण्ड में अपने राज्य अधिकार का अनुभव कर सकते हो या कर रहे हो? बस एक सेकण्ड में नव युग में चले जाओ | जाना आता है? कितने बार यह राज्य अधिकार प्राप्त किया है, याद है? अनुभव करो अपना राज्य कितना प्यारा है! न्यारा भी है तो प्यारा भी है | तो सेकण्ड में बस हमारा राज्य और हमारा विश्व राज्य अधिकारी स्वरूप स्मृति में आ जाए | वे लोग नए वर्ष में एक दो को अल्पकाल की गिफ्ट देते हैं और बाप गिफ्ट देते हैं नव युग के, विश्व राज्य के अधिकार की | यह अविनाशी गिफ्ट इस समय बाप द्वारा सबके लिए अटल भावी बन जाती है | जिस भावी को कोई टाल नहीं सकता | अचल है, अखण्ड है | तो ऐसी गिफ्ट मिल गई है ना? तो यह गिफ्ट सम्भाल कर रखना, कोई डाकू यह गिफ्ट ले नहीं जाये | सबके पास डबल लॉक है ना? आजकल सिंगल लॉक नहीं चलता, डबल लॉक चाहिए | गाडरेज का लॉक नहीं, गॉड का लॉक चाहिए | तो गॉड ने ऐसा लॉक दिया है जो कोई भी तोड़ नहीं सकता | अगर अलबेले हो जायेंगे तो डाकू आयेगा | डाकू भी होशियार होते हैं, उन्हों को पता पड़ जाता है कि इनका लॉक आज ढ़ीला है, इसलिए अलबेले नहीं होना |

 

तो इस नए वर्ष में स्व के प्रति और सर्व के प्रति कोई नया प्लैन बनाया है? कान्फ्रेन्स करनी है, डायलॉग करना है, वह तो है ही | नया प्लैन क्या बनाया है? बापदादा इस नए वर्ष में, देश वा विदेश में वैराइटी वर्ग की विशेष आत्माओं का एक गुलदस्ता देखने चाहते हैं | वर्गों की सेवा तो बहुत की है ना, अभी हर वर्ग का ऐसा एक-एक रत्न तैयार करो, एक भी वर्ग मिस नहीं हो, क्यों? अभी जब समय समीप आ रहा है तो कोई भी वर्ग वाले उल्हना नहीं दें कि हमारा वर्ग रह गया | एक-एक वर्ग में विशेष एक-एक क्वालिटी का हो जो माइक का काम कर सके, क्योंकि जैसे समय समीप आ रहा है तो सर्व वर्ग वाले, सर्व धर्म वाले सबके मुख से एक आवाज़ निकले कि बाप आ गया, क्योंकि इस संगमयुग में ही सभी धर्म स्थापक आत्माओं वा सर्व वर्ग की आत्माओं में बीज पड़ना है | वह इतनी पॉवर अपने में ले जायेंगे जो फिर अपने-अपने समय पर वर्ग वा धर्म के इन्वेन्टर बनेंगे | तो सब बीज आपको तैयार करने हैं, जो समय पर अपने-अपने डिपार्टमेन्ट के निमित्त बनेंगे क्योंकि बीज बाप है और आप ब्राह्मण आत्मायें तना हो, सर्व आत्मायें बीज और तना द्वारा ही निकलते हैं | तो ऐसा गुलदस्ता बाप के सामने लाओ, विदेश वाले भी और देश वाले भी | एक-एक सैम्पुल लाओ, सैम्पुल से अन्य अनेकों स्वतः ही बनते हैं | लेकिन एक-एक पॉवरफुल माइक बनें, ऐसे बीज कहो, धर्म या वर्ग कहो वा वैराइटी फूलों का गुलदस्ता कहो तैयार होना चाहिए | एक भी मिस नहीं हो तब कहा जायेगा विश्व कल्याणकारी वा सर्व आत्माओं के निमित्त उद्धार करने वाली आत्मायें | एक शाखा भी कम नहीं, सर्व शाखायें चाहिए | चाहे आपके नव युग में कई वर्ग नहीं होंगे लेकिन उन आत्माओं में भी द्वापर में या कलियुग में जो इन्वेन्टर निमित्त हैं, उन्हों को शक्ति आप द्वारा ही मिलनी है | जैसे सभी धर्म पितायें आपके आगे बाप का झण्डा, प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने में सहयोगी बनेंगे, वैसे ही सर्व वर्ग वाले भी प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने में सहयोगी बनेंगे, तब कहेंगे सर्व के सहयोग से सुखमय दुनिया की स्थापना | सहयोगी बन रहे हैं लेकिन उनमें से अब विशेष आत्मा को सहयोग में आगे बढ़ाओ निमित्त बनाओ | निमित्त बनाने का बीज डालो | समझा, क्या करना है? विदेश में भी अभी आई.पी. या वी.आई.पी. के कनेक्शन तो सहज हो गये हैं ना | मुश्किल नहीं है ना? मुश्किल है या सहज है? तो आप सभी जब दूसरे न्यु ईयर में फिर आयेंगे तो अगले न्यु ईयर की सौगात बापदादा ऐसा गुलदस्ता देखने चाहते हैं | एक साल है, कम नहीं है | देश वाले भी करेंगे, विदेश वाले भी करेंगे? (हाँ जी) अवश्य करेंगे | कहो हुआ ही पड़ा है | सिर्फ़ निमित्त बनना है | डबल विदेशी बोलो? सब विदेशी ताली बजाओ | अच्छा-देखेंगे पहले कौन तैयार करता है – देश या विदेश? और कितना बड़ा गुलदस्ता तैयार करते हैं? ठीक है ना? चारों ओर सुन रहे हैं | देश वाले भी सुन रहे हैं, विदेश वाले भी सुन रहे हैं | अभी उमंग आ रहा है, उन्हों के मन में प्लैन बन रहा है – यह करेंगे, यह करेंगे | अच्छा – यह तो हुआ विश्व सेवा |

 

स्व के लिए क्या करेंगे? वह भी तो प्लैन बनेगा ना? क्योंकि अगर स्व कल्याण का श्रेष्ठ प्लैन नहीं बनायेंगे तो विश्व सेवा में सकाश नहीं मिल सकेगी | इसलिए बापदादा सबके दिलों के उमंग-उत्साह को जानते हुए यही कहेंगे कि हर एक उत्सव में बच्चों ने चाहे गोल्डन जुबली वाले, चाहे डायमण्ड जुबली वाले, चाहे सिल्वर जुबली वाले, चाहे और भी जो जुबलियाँ होनी हैं, सभी ने दिल से, उमंग-उत्साह से अपने मन में यह बाप से वायदा किया है कि हम बाप समान बनकर ही दिखायेंगे | सभी ने यह वायदा किया है ना? डबल फ़ॉरेनेर्स ने वायदा किया है? (सभी ने हाथ हिलाया) अच्छा, मुबारक हो | वायदा तो बहुत मीठा, बहुत अच्छा, बहुत प्यारा, बहुत शक्तिशाली किया है | अभी सिर्फ़ निभाते रहना | वायदा करने वाले उस समय बहुत उमंग-उत्साह से करते हैं, हिम्मत भी बहुत अच्छी रखते हैं फिर क्या होता? कभी माया चूहे के रूप में आ जाती, कभी बिल्ली के रुप में आ जाती, बिल्ली क्या करती है? म्याऊं-म्याऊं करती है ना | तो बच्चे क्या करते हैं? मैं मैं मैं, तो यह बिल्ली की म्याऊं-म्याऊं नहीं करना | चूहा क्या करता है? चूहा बेसमझ होकर जो आता है वह खा लेता है, काट लेता है | तो माया भी बच्चों के ख़ज़ानों को काटकर खा लेती है | कभी शेर आ जाता है, शेर क्या करता है? निर्भय वालों को भय पैदा कर देता है | सर्वशाक्तिवान बच्चों को दिलशिकस्त बना देता है | ऐसे नहीं करना, आने नहीं देना, डबल लॉक लगाकर ही रखना | इस वर्ष किसी को भी आने नहीं देना |

 

यह वर्ष सर्व बातों से मुक्त वर्ष मनाओ | मुक्ति वर्ष | जब यह मुक्ति वर्ष मनायेंगे तब मुक्तिधाम में जायेंगे | इसके लिए क्या करेंगे? बहुत छोटी सी बात है, बड़ी बात नहीं है | बापदादा सिर्फ़ छोटा सा स्लोगन दे रहे हैं, “सफल करो सफलता लो” | समझा! सफल करो, सफलता लो | क्या सफल करना है? जो भी आपके पास है, अपनी जो प्रॉपर्टी है ना – समय, संकल्प श्वांस वा तन-मन-धन सफल करो, व्यर्थ न गंवाओ, न आइवेल के लिए सम्भालकर रखो | संकल्प को भी सफल करो | एक-एक संकल्प – यह आपकी प्रॉपर्टी है | जैसे धन स्थूल प्रॉपर्टी है, वैसे सूक्ष्म प्रॉपर्टी है समय, श्वांस, संकल्प | एक संकल्प भी व्यर्थ नहीं जाये, सफल हो | चाहे मन्सा सेवा द्वारा, चाहे वाचा द्वारा, चाहे कर्म द्वारा – चेक करो, सफल कितना किया? जमा कितना किया? और बापदादा इस वर्ष यह विशेष वरदान दे रहे हैं – सफल करो और पदमगुणा सफलता का अनुभव करो | यह प्रत्यक्ष फल सहज प्राप्त कर सकते हो, सिर्फ़ सच्ची दिल से | सच्ची दिल पर भोलानाथ बाप बहुत सहज राज़ी हो जाता है, इसलिए सफल करो | ज्ञान धन, शक्तियों का धन, गुणों का धन हर समय सफल करो | सफल करना आता है वा किनारे करना वा सम्भालने बहुत आता है? किनारे नहीं करो, लगाओ | जब कहते हो कि अचानक सब होना है, एवररेडी बनना है | तो जो भी है उसको सफल करो | बापदादा को नहीं चाहिए, अपने लिए जमा करो | बापदादा तो दाता है लेकिन सफल करना अर्थात् जमा करना क्योंकि बापदादा ने समय प्रमाण जमा का खाता देखा, हर एक बच्चे के जमा का खाता बापदादा के पास है | तो जमा के खाते में क्या देखा? कई बच्चे समझते वा कहते बहुत हैं कि हमारा यह भी जमा है, यह भी जमा है, बाहर से जमा का खाता बहुत वर्णन करते हैं लेकिन बाप के जमा के खाते में जो जितना कहते हैं, समझते हैं उससे बहुत कम जमा है | क्यों? वही पहला पाठ “मैं और मेरा-पन” | मैंने किया, मेरी यह सेवा है, मेरा यह कार्य है | तो जमा करते समय, वह समझते है कि जमा कर रहे हैं लेकिन वह ऑटोमेटिकली जमा के खाते से निकल, व्यर्थ के खाते में जमा हो जाता है | यह ऑटोमेटिक सूक्ष्म मशीनरी है | बाबा ने कराया, बाबा की सेवा है, मेरी सेवा नहीं है | मैंने किया, नहीं | वर्णन नहीं करो, मैंने यह किया है, मैं यह करती हूँ, मैं यह करता हूँ.....यह मैं-मैं नहीं | बाबा, बाबा बोलो तो पदमगुणा जमा होगा | और मैं मेरा बोलेंगे तो ट्रान्सफर होकर व्यर्थ के खाते में जमा हो जायेगा | यह ऑटोमेटिक मशीनरी बहुत फ़ास्ट है, आप लोगों को पता भी नहीं पड़ता है | इसकी चेकिंग भी बहुत सच्चे दिल से, मैं-पन से न्यारे होकर करने वाले कर सकते हैं | जब आप आदि रत्न आदि में स्थापना में निकले, सेवा में निकले तो क्या भाव रहता था? क्या बोल निकलता था? मैं-पन था? बाबा-बाबा कहा तभी वारिस बाबा के बने, जो आज सेवा के आदि बनें, यह बाबा-बाबा कहने का सबूत है |

 

अभी बापदादा के पास वारिस क्वालिटी बहुत कम आती है, क्यों? बाबा और मैं-पन मिक्स है | इसलिए इस वर्ष में बापदादा खुली दिल से वरदान दे रहे हैं – जितना जमा करने चाहो उतना कर लो, कर लो, कर लो | सफल करो सफलता मूर्त बनो | अच्छा |

 

अभी कौन सा उत्सव मनाया? सिल्वर जुबली | सिल्वर जुबली वाले हाथ उठाओ | जिन्हों की सेरीमनी मनाई वह हाथ उठाओ | डबल सेरीमनी मनाई है | भारत की भी तो विदेश की भी | अच्छा है यह सेरीमनी मनाना अर्थात् अपने आपको पक्की प्रतिज्ञा की स्टैम्प लगाना | सेरीमनी मनाई, बापदादा को भी दृश्य अच्छा लगता है | साथ-साथ जो संकल्प करते हो, उसको ऐसी आलमाइटी गवर्मेन्ट की स्टैम्प लगाओ जो सदा अविनाशी, अटल रहे | मनाना अर्थात् वायदा निभाना | तो ऐसी पक्की स्टैम्प लगाई? या कच्ची स्टैम्प लगाई है? पक्की लगाई? यह सिल्वर जुबली वाले कुमार, हाथ तो अच्छा हिला रहे हैं, पक्की मनाई? अच्छा है | यह दृश्य भूल नहीं जाना | कभी भी कुछ भी कमज़ोरी आये तो अपने उत्सव का फोटो सामने लाना | हर एक का फोटो निकालते हैं ना | सबको मिलता है? तो ऐसे फ़ोटो नहीं निकलता है, मतलब से निकलता है | फ़ोटो इसलिए निकलता है कि जब ऐसा कोई समय आवे तो फ़ोटो सामने रखना, ऐसे नहीं अलमारी में बन्द रख दो जो समय पर भी याद नहीं आवे | यह सबसे बड़ी सौगात है, यह स्मृति दिलाने की निशानी है | अच्छा |

 

सर्व नव युग के विश्व अधिकारी, नव जीवन द्वारा विश्व परिवर्तक आत्माओं को, सदा सफल करने के सफलतामूर्त बनने वाली आत्माओं को, सदा अपने किये हुए वायदों को साकार स्वरूप देने वाले अचल, अखण्ड स्वरूप आत्माओं को, सदा उत्सव में रह औरों को ही उत्सव द्वारा उत्साह दिलाने वाले आत्माओं को, बापदादा का नये वर्ष और नये युग के स्थापना की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो | साथ-साथ हिम्मत रख सर्व बच्चे आगे बढ़ने वाले हिम्मते बच्चे और मददे बाप ऐसे सर्व बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते |

 

वरदान:-   

सदा हल्के बन बाप के नयनों में समाने वाले सहजयोगी भव !    

संगमयुग पर जो ख़ुशियों की खान मिलती है वह और किसी युग में नहीं मिल सकती | इस समय बाप और बच्चों का मिलन है, वर्सा है, वरदान है | वर्सा अथवा वरदान दोनों में मेहनत नहीं होती इसलिए आपका टाइटल ही है सहजयोगी | बापदादा बच्चों की मेहनत देख नहीं सकते, कहते हैं बच्चे अपने सब बोझ बाप को देकर खुद हल्के हो जाओ | इतने हल्के बनो जो बाप अपने नयनों पर बिठाकर साथ ले जाये | बाप से स्नेह की निशानी है – सदा हल्के बन बाप की नज़रों में समा जाना |

 

स्लोगन:- 


निगेटिव सोचने का रास्ता बन्द कर दो तो सफलता स्वरूप बन जायेंगे |     

 

ओम् शान्ति |