01-10-14          प्रातः मुरली         ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन
 


मीठे बच्चे - सर्वशक्तिमान् बाप आया है तुम्हें शक्ति देने, जितना याद में रहेंगे उतना शक्ति मिलती रहेगी”   

                            
प्रश्न:-   
इस ड्रामा में सबसे अच्छे ते अच्छा पार्ट तुम बच्चों का है - कैसे?


उत्तर:-
तुम बच्चे ही बेहद के बाप के बनते हो । भगवान टीचर बनकर तुम्हें ही पढ़ाते हैं तो भाग्यशाली हुए ना । विश्व का मालिक तुम्हारा मेंहमान बनकर आया हैं, वह तुम्हारे सहयोग से विश्व का कल्याण करते हैं । तुम बच्चों ने बुलाया और बाप आया, यही है दो हाथ की ताली । अभी बाप से तुम बच्चों को सारे विश्व पर राज्य करने की शक्ति मिलती है ।

 

ओम् शान्ति |

मीठे-मीठे रूहानी बच्चे रूहानी बाप के सामने बैठे हैं । शिक्षक के सामने भी बैठे हैं और यह भी जानते हैं यह बाबा गुरू के रूप में आये हैं हम बच्चों को ले जाने । बाप भी कहते हैं-हे रूहानी बच्चों, मैं आया हूँ तुमको यहाँ से ले जाने । यह पुरानी दुनिया बन गई है और यह भी जानते हो कि यह दुनिया छी-छी है । तुम बच्चे भी छी-छी बन गये हो । अपने को आपेही कहते हो पतित-पावन बाबा आकर हम पतितों को इस दुःखधाम से शान्तिधाम में ले जाओ । अभी तुम यहाँ बैठे रहते हो तो यह दिल में आना चाहिए । बाप भी कहते हैं मैं तुम्हारे बुलावे पर, निमन्त्रण पर आया हूँ । बाप याद दिलाते हैं बरोबर तुम बुलाते थे ना आओ । अभी तुमको स्मृति आई है हमने बुलाया है । अब बाबा आये हुए हैं ड्रामा अनुसार कल्प पहले मिसल । वो लोग प्लैन बनाते हैं ना । यह भी शिवबाबा का प्लैन है । इस समय सबके अपने- अपने प्लैन है ना । 5 वर्ष का प्लैन बनाते हैं, उसमें यह-यह करेंगे, बातें देखो कैसे आकर मिलती है । आगे यह प्लैन आदि नहीं बनाते थे, अभी प्लैन बनाते रहते हैं । तुम बच्चे जानते हो हमारे बाबा का प्लैन यह ह । ड्रामा के प्लैन अनुसार 5 हजार वर्ष पहले मैंने यह प्लैन बनाया था । तुम मीठे-मीठे बच्चे जो यहाँ बहुत दुःखी हो गये हो, वेश्यालय में पड़े हो, अब मैं आया हूँ तुमको शिवालय में ले जाने । वह शान्तिधाम है निराकारी शिवालय और सुखधाम है साकारी शिवालय । तो इस समय बाप तुम बच्चों को रिफ्रेश कर रहे हैं । तुम बाप के सम्मुख बैठे हो ना । बुद्धि में निश्चय तो है बाबा आया हुआ है । 'बाबा' अक्षर बहुत मीठा है । यह भी जानते हो हम आत्मायें उस बाप के बच्चे हैं फिर पार्ट बजाने के लिए इस बाबा के बनते हैं । कितना समय तुमको लौकिक बाबायें मिले हैं? सतयुग से लेकर सुख और दुःख का पार्ट बजाया है । अभी तुम जानते हो हमारा दुःख का पार्ट पूरा होता है, सुख का पार्ट भी पूरा 21 जन्म बजाया है । फिर आधाकल्प दुःख का पार्ट बजाया । बाबा ने तुमको स्मृति दिलाई है, बाबा पूछते हैं बरोबर ऐसे हैं ना । अब फिर तुमको आधाकल्प सुख का पार्ट बजाना है । इस ज्ञान से तुम्हारी आत्मा भरपूर रहती है फिर खाली हो जाती है । फिर बाप भरपूर करते हैं, तुम्हारे गले में विजय माला पड़ी है । गले में ज्ञान की माला है । बरोबर हम चक्र लगाते रहते हैं । सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग फिर आते हैं इस स्वीट संगम पर । इनको स्वीट कहेंगे । शान्तिधाम कोई स्वीट नहीं है । सबसे स्वीट है पुरूषोत्तम कल्याणकारी संगमयुग । ड्रामा में तुम्हारा भी अच्छे ते अच्छा पार्ट है । तुम कितने लकी हो । बेहद के बाप के तुम बनते हो । वह आकर तुम बच्चों को पढ़ाते हैं । कितनी ऊंच, कितनी सहज पढ़ाई है । कितना तुम धनवान बनते हो, इसमें कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती । डॉक्टर, इन्जीनियर आदि कितनी मेहनत करते हैं, तुमको तो वर्सा मिलता है, बाप की कमाई पर बच्चे का हक होता है ना । तुम यह पढ़कर 21 जन्मों की सच्ची कमाई करते हो । वहाँ तुमको कोई घाटा नहीं पड़ता है जो बाप को याद करना पड़े, इनको ही अजपाजाप कहा जाता है ।

तुम जानते हो बाबा आया हुआ है । बाप भी कहते हैं मैं आया हूँ, दोनों हाथ की ताली बजेगी ना । बाप कहते हैं मुझे याद करो तो जन्म-जन्मान्तर के पाप भस्म हो जायें । 5 विकारों रूपी रावण ने तुमको पाप आत्मा बनाया है फिर पुण्य आत्मा भी बनना है, यह बुद्धि में आना चाहिए । हम बाप की याद से पवित्र बनकर फिर घर जायेंगे, बाप के साथ । फिर इस पढ़ाई से हमको माइट मिलती है । देवी-देवता धर्म के लिए कहा जाता है रिलीजन इज माइट । बाप तो हैं सर्वशक्तिमान् । तो बाबा से हमको विश्व में शान्ति स्थापन करने की ताकत मिलती है । वह बादशाही हमसे कोई छीन न सके । इतनी ताकत मिलती है । राजाओं के हाथ में देखो कितनी ताकत आ जाती है । कितना उनसे डरते हैं । एक राजा की कितनी प्रजा, लश्कर आदि होता है परन्तु वह है अल्पकाल की ताकत । यह फिर है 21 जन्मों की ताकत । अभी तुम जानते हो हमको सर्वशक्तिमान् बाप से ताकत मिलती है विश्व पर राज्य करने की । लॅव तो रहता है ना । देवतायें प्रैक्टिकल में नहीं हैं तो भी कितना लव रहता है । जब सम्मुख होंगे तो प्रजा का कितना लव होगा । याद की यात्रा से यह सब तुम ताकत ले रहे हो । यह बातें भूलो नहीं । याद करते- करते तुम बहुत ताकत वाले बन जाते हो । सर्वशक्तिमान् और कोई को नहीं कहा जाता । सबको शक्ति मिलती है, इस समय कोई में शक्ति नहीं है, सब तमोप्रधान हैं । फिर सभी आत्माओं को एक से ही शक्ति मिल जाती है फिर अपनी राजधानी में आकर अपना- अपना पार्ट बजाते हैं । अपना हिसाब-किताब चुक्तू कर फिर ऐसे ही नम्बरवार शक्तिमान बनते हैं । पहले नम्बर में हैं इन देवताओं में शक्ति । यह लक्ष्मी-नारायण बरोबर सारे विश्व के मालिक थे ना । तुम्हारी बुद्धि में सारा सृष्टि का चक्र है । जैसे तुम्हारी आत्मा में यह नॉलेज है, वैसे बाबा की आत्मा में भी सारी नॉलेज है । अभी तुमको ज्ञान दे रहे हैं । ड्रामा में पार्ट भरा हुआ है जो रिपीट होता रहता है । फिर वह पार्ट 5 हजार वर्ष के बाद रिपीट होगा । यह भी तुम बच्चे जानते हो । तुम सतयुग में राज्य करते हो तो बाप रिटायर लाइफ में रहते हैं फिर कब स्टेज पर आते हैं? जब तुम दुःखी होते हो । तुम जानते हो उनके अन्दर सारा रिकॉर्ड भरा हुआ हैं । कितनी छोटी आत्मा है, उनमें कितनी समझ रहती है । बाप आकर कितनी समझ देते हैं । फिर वहाँ सतयुग में यह सब भूल जाते हो । सतयुग में तुमको यह नॉलेज होती नहीं । वहाँ तुम सुख भोगते रहते हो । यह भी अभी तुम समझते हो, सतयुग में हम सो देवता बन सुख भोगते हैं । अभी हम सो ब्राह्मण हैं । फिर सो देवता बन रहे हैं । यह ज्ञान बुद्धि में अच्छी रीति धारण करना है । किसको समझाने में खुशी होती है ना । तुम जैसे प्राण दान देते हो । कहते हैं ना काल आकर सबको ले जाते हैं । काल आदि कोई है नहीं । यह तो बना-बनाया ड्रामा है । आत्मा कहती हैं मैं एक शरीर छोड़ चला जाता हूँ फिर दूसरा लेता हूँ । मुझे कोई काल नहीं खाता । आत्मा को फीलिंग आती है । आत्मा जब गर्भ में रहती हैं तो साक्षात्कार कर दुःख भोगती है । अन्दर सजा भोगती है इसलिए उनको कहा जाता है गर्भ जेल । कितना यह वंडरफुल ड्रामा बना हुआ है । गर्भ जेल में सजायें खाते अपना साक्षात्कार करते रहते हैं । सजा क्यों मिली? साक्षात्कार तो करायेंगे ना-यह-यह बेकायदे काम किया है, इनको दुःख दिया है । वहाँ सब साक्षात्कार होते हैं फिर भी बाहर आकर पाप आत्मा बन जाते हैं । सभी पाप भस्म कैसे होंगे? सो तो बच्चों को समझाया है-इस याद की यात्रा से और स्वदर्शन चक्र फिराने से तुम्हारे पाप कटते हैं । बाप कहते भी हैं-मीठे-मीठे स्वदर्शन चक्रधारी बच्चों, तुम 84 का यह स्वदर्शन चक्र फिरायेंगे तो तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के पाप कट जायेंगे । चक्र को भी याद करना है, किसने यह ज्ञान दिया, उनको भी याद करना है । बाबा हमको स्वदर्शन चक्रधारी बना रहे हैं । बनाते तो हैं परन्तु फिर रोज़-रोज़ नये आते हैं तो उन्हों को रिफ्रेश करना होता है । तुमको सारा ज्ञान मिला है, अभी तुम जानते हो हम यहाँ आये हैं पार्ट बजाने । 84 का चक्र लगाया अब फिर वापिस जाना है । ऐसे चक्र फिराते रहते हो? बाप जानते हैं बच्चे बहुत भूल जाते हैं । चक्र फिराने में कोई तकलीफ नहीं है, फुर्सत तो बहुत मिलती है । पिछाड़ी में तुम्हारी यह स्वदर्शन चक्रधारी की अवस्था रहेगी । तुमको ऐसा बनना है । सन्यासी लोग तो यह शिक्षा दे नहीं सकते । स्वदर्शन चक्र को खुद गुरू लोग ही जानते नहीं ह । वह तो सिर्फ कहेंगे चलो गंगा जी पर । कितने स्नान करते हैं! बहुत स्नान करने से गुरूओं की आमदनी होती है । घड़ी-घड़ी यात्रा पर जाते हैं । अब उस यात्रा और इस यात्रा में फर्क देखो कितना है । यह यात्रा वह सब यात्रायें छुड़ा देती हैं । यह यात्रा कितनी सहज है । चक्र भी फिराओ । गीत भी है ना-चारों तरफ लगाये फेरे फिर भी हरदम दूर रहे । बेहद के बाप से दूर रहे । यह तुमको महसूसता आती है । वो लोग इस अर्थ को नहीं जानते । अभी तुम जानते हो बहुत फेरे लगाते रहे । अभी इन फेरों से तुम छूट गये हो । फेरे लगाते कोई नज़दीक नहीं आये हो और ही दूर होते गये ।

अभी ड्रामा प्लैन अनुसार बाप को ही आना पड़ता है, सबको साथ ले जाने । बाप कहते हैं मेरी मत पर तुमको चलना ही है, पवित्र बनना है । इस दुनिया को देखते हुए नहीं देखना है । जब तक नया मकान बनकर तैयार हो जाए तब तक पुराने में रहना पड़ता है । बाप संगम पर ही आते हैं वर्सा देने । बेहद के बाप का है बेहद का वर्सा । बच्चे जानते हैं बाप का वर्सा हमारा है । उस खुशी में रहते हैं । अपनी कमाई भी करते हैं और बाप का वर्सा भी मिलता है । तुमको तो वर्सा ही  मिलता है । वहाँ तुमको पता नहीं पड़ेगा स्वर्ग का वर्सा हमको कैसे मिला । वहाँ तो तुम्हारी लाइफ बहुत सुखी रहती है क्योंकि तुम बाप को याद कर माइट लेते हो । पाप काटने वाला पतित-पावन एक ही बाप ह । बाप को याद करने और स्वदर्शन चक्र को फिराने से ही तुम्हारे पाप कटते हैं । यह अच्छी रीति नोट करो । यही समझाना बस है । आगे चल तुमको तीक-तीक नहीं करनी पड़ेगी । एक इशारा ही बस है । बेहद के बाप को याद करो तो तुम्हारे पाप कट जायेंगे । तुम नर से नारायण, नारी से लक्ष्मी बनने आते हो । यह तो याद है ना । और कोई की भी बुद्धि में यह बात नहीं आती । यहाँ तुम आते हो, बुद्धि में है हम जाते हैं बापदादा के पास । उनसे नई दुनिया स्वर्ग का वर्सा लेने ।

बाप कहते हैं स्वदर्शन चक्रधारी बनने से तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे । अब जो तुम्हारी जीवन हीरे जैसी बनाते हैं उनको देखो । यह भी तुम समझते हो-इसमें देखने की कोई बात नहीं । यह तुम दिव्य दृष्टि द्वारा जानते हो । आत्मा ही पढ़ती है इस शरीर द्वारा-यह ज्ञान अभी मिला है । हम जो कर्म करते हैं, आत्मा ही शरीर लेकर कर्म करती है । बाबा को भी पढ़ाना है, उनका नाम तो सदैव शिव ही है । शरीर के नाम बदलते हैं । यह शरीर तो हमारा नहीं है । यह इनकी मिलकियत है । शरीर आत्मा की मिलकियत होती है, जिससे पार्ट बजाती है । यह तो बिल्कुल सहज समझ की बात हैं । आत्मा तो सबमें है, सबके शरीर का नाम अलग- अलग पड़ता है । यह फिर है परम आत्मा, सुप्रीम आत्मा । ऊंच ते ऊंच हैं । अभी तुम समझते हो भगवान तो एक है क्रियेटर । बाकी सब हैं रचना पार्ट बजाने वाले । यह भी जान गये हो कैसे आत्मायें आती हैं, पहले-पहले आदि सनातन देवी-देवता धर्म की आत्मायें रहती हैं थोड़ी । फिर पिछाड़ी में लायक बनते हैं पहले आने के लिए । यह सृष्टि चक्र की जैसे माला है जो फिरती रहती हैं । माला को तुम फिराते हो तो सब दानों का चक्र फिरता है ना । सतयुग में भक्ति जरा भी नहीं होती । बाप ने समझाया है-हे आत्मायें, मामेकम याद करो । तुमको घर जरूर लौटना है, विनाश सामने खड़ा है । याद से ही पाप कटेंगे और फिर सजायें खाने से भी छूट जायेंगे । मर्तबा भी अच्छा पायेंगे । नहीं तो सजायें बहुत खानी पड़ेगी । मैं तुम बच्चों के पास कितना अच्छा मेहमान हूँ । मैं सारे विश्व को चेंज करता हूँ? पुराने विश्व को नया बना देता हूँ । तुम भी जानते हो बाबा कल्प-कल्प आकर विश्व को चेन्ज़ कर पुराने विश्व को नया बना देते हैं । यह विश्व नये से पुरानी, पुरानी से नई होती है ना । तुम इस समय चक्र फिराते रहते हो । बाप की बुद्धि में ज्ञान हैं, वर्णन करते हैं तुम्हारी बुद्धि में भी है चक्र कैसे फिरता है । तुम जानते हो बाबा आया हुआ है, उनकी श्रीमत पर हम पावन बनते हैं । याद से ही पावन बनते जायेंगे फिर ऊंच पद पायेंगे । पुरूषार्थ भी कराना जरूरी है । पुरूषार्थ कराने के लिए कितने चित्र आदि बनाते हैं । जो आते हैं उनको तुम 84 के चक्र पर समझाते हो । बाप को याद करने से तुम पतित से पावन बन जायेंगे । अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमोर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1. ज्ञान को बुद्धि में अच्छी रीति धारण कर अनेक आत्माओं को प्राण दान देना है, स्वदर्शन चक्रधारी बनना है ।  

2. इस स्वीट संगम पर अपनी कमाई के साथ-साथ बाप की श्रीमत पर चल पूरा वर्सा लेना है । अपनी लाइफ सदा सुखी बनानी है ।

 

वरदान:-

स्नेह की उड़ान द्वारा सदा समीपता का अनुभव करने वाले स्नेही मूर्त भव !    

सभी बच्चों में बापदादा का स्नेह समाया हुआ है, स्नेह की शक्ति से सभी आगे उड़ते जा रहे हैं । स्नेह की उड़ान तन वा मन से, दिल से बाप के समीप ले आती है । भल ज्ञान योग धारणा में सब यथाशक्ति नम्बरवार हैं लेकिन स्नेह में हर एक नम्बरवन हैं । यह स्नेह ही ब्राह्मण जीवन प्रदान करने का मूल आधार है । स्नेह का अर्थ है पास रहना, पास होना और हर परिस्थिति को बहुत सहज पास करना ।

 

स्लोगन:- 

अपनी नज़रों में बाप को समा लो तो माया की नज़र से बच जायेंगे ।   

 

ओम् शान्ति |