29-06-14     प्रातः मुरली   ओम् शान्ति    “अव्यक्त-बापदादा    रिवाइज: 16-02-78 मधुबन
 


 विश्व के अधिकारी सो सर्व के सत्कारी नो

आज बापदादा हरेक बच्चे के नयनों से, मस्तक की लकीरों से विशेष बात देख रहे हैं । वह कौन सी होगी? जानते हो? जो दूसरों को परिचय में सुनाते हो कि बाप द्वारा क्या-क्या प्राप्ति 21 जन्मों के लिए होती है । चैलेंज करते हो ना? एवर हेल्दी, वेल्दी और हैप्पी यह तीनों ही प्राप्ति वर्तमान समय की प्राप्ति के हिसाब से 21 जन्म करते हो आज बापदादा हरेक की प्राप्ति की लकीर मस्तक और नयनों द्वारा देख रहे हैं अब तक चैलेंज प्रमाण ' ' सदा ' ' शब्द प्रैक्टिकल में कहाँ तक है? चैलेंज में सिर्फ हेल्दी, वेल्दी नहीं कहते हो लेकिन एवर हेल्दी वेल्दी कहते हो पहले वर्तमान और वर्तमान के आधार पर भविष्य है तों ' ' सदा' ' शब्द पर अन्डर-लाइन कर रिजल्ट देख रहे थे - क्या रिजल्ट होगी? यह बोल वर्तमान के हैं या भविष्य के हैं? सर्विस के प्रति ऐसी स्टेज की आवश्यकता अभी है या भविष्य में है? एक ही समय पर तन, मन और धन, मन, वाणी और कर्म से सर्व प्रकार की सेवा साथ-साथ होने से सहज सफलता प्राप्त होती है । ऐसी स्टेज अनुभव करते हो? जैसे शारीरिक व्याधि, मौसम के प्रभाव में, वायुमण्डल के प्रभाव में, या खान पान के प्रभाव में, बीमारी के प्रभाव में जाते हैं ऐसे मन की स्थिति पर प्रभाव पड़ता है एवर हेल्दी के बजाय रोगी बन जाते लेकिन एवर हेल्दी इन सब बातों में नॉलेजफुल होने के कारण सेफ रहते हैं  

इसी प्रकार एवर वेल्दी अर्थात् सदा सर्व शक्तियों के खजाने से, सर्व गुणों के खजाने से, ज्ञान के खजाने से सम्पन्न होंगे क्या करूँ, कैसे करूँ, चाहते हैं लेकिन कर नहीं पाते हैं - कभी भी ऐसे शक्तियों की निर्धनता के बोल या संकल्प नहीं कर सकते स्वयं को भी सदा सम्पन्न मूर्त अनुभव करेंगे और अन्य निर्धन आत्माएं भी सम्पन्न मूर्त को देख उनकी भरपूरता की छत्रछाया में स्वयं भी उमग, उत्साहवान अनुभव करेंगे ऐसे ही एवर हैप्पी अर्थात् सदा खुश कैसा भी दु:ख की लहर उत्पन्न करने वाला वातावरण हो, नीरस वातावरण हो, अप्राप्ति का अनुभव कराने वाला वातावरण हो, ऐसे वातावरण में भी सदा खुश रहेंगे और अपनी खुशी की झलक से दु:ख और उदासी के वातावरण को ऐसे परिवर्तन करेंगे जैसे सूर्य अन्धकार को परिवर्तन कर देता है अन्धकार के बीच रोशनी करना, अशान्ति के अन्दर शान्ति लाना, नीरस वातावरण में खुशी की झलक लाना इसको कहा जाता है एवर हैप्पी ऐसी सेवा की आवश्यकता अभी है कि भविष्य में  

आज बापदादा हरेक के प्राप्ति की लकीर देख रहे थे कि सदाकाल और स्पष्ट लकीर है? जैसे हस्तों द्वारा आयु की लकीर को देखते हो ना आयु लम्बी है, निरोगी है बापदादा भी लकीर को देख रहे थे तीनों ही प्राप्तियाँ जन्म होते अभी तक अखण्ड रही है वा बीच-बीच में प्राप्ति की लकीर खण्डित होती है? बहुतकाल रही है वा अल्पकाल? रिजल्ट में अखण्ड और स्पष्ट उसकी कमी देखी बहुत थोड़े थे जिनकी अखण्ड थी लेकिन अखण्ड भी स्पष्ट नहीं, ना के समान लेकिन बीती सो बीती वर्तमान समय में जबकि विश्व सेवा की स्टेज पर हीरो और हीरोइन पार्ट बजा रहे हो, उसी प्रमाण यह तीनों ही प्राप्तियाँ मस्तक और नयनों द्वारा सदाकाल और स्पष्ट दिखाई देनी चाहिए इन तीनों प्राप्तियों के आधार पर ही विश्व कल्याणकारी का पार्ट बजा सकते हो आज सर्व आत्माओं को इन तीनों प्राप्तियों की आवश्यकता है ऐसे अप्राप्त आत्मओं को प्राप्ति कराकर चैलेन्ज को प्रैक्टिकल में लाओ दु :खी अशान्त आत्मायें, रोगी आत्मायें, शक्तिहीन आत्मायें एक सेकेण्ड की प्राप्ति की अचली के लिए वा एक बूँद के लिए बहुत प्यासी हैं आपका खुशनसीब सदा खुश अर्थात् हर्षित मुख चेहरा देख उन्हों में मानव जीवन का जीना क्या होता है, उसकी हिम्मत, उमग-उत्साह आयेगा अब तो जिन्दा होते भी नाउम्मीदी की चिता पर बैठे हुए हैं ऐसी आत्माओं को मरजीवा बनाओ नये जीवन का दान दो अर्थात् तीनों प्राप्तियों से सम्पन्न बनाओ सदा स्मृति में रहे कि तीनों प्राप्तियाँ हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है तीनों ही प्रैक्टिकल धारणा के लिए डबल अण्डरलाइन लगाओ प्रभाव डालने वाले बनो किसी भी प्रकृति वा वातावरण के, परिस्थितियों के प्रभाव के वश नहीं बनो जैसे कमल का पुष्प कीचड़ और पानी के प्रभाव में नहीं आता ऐसे होता ही है, इतना तो जरूर होना ही चाहिए, ऐसा तो कोई बना नहीं है, ऐसे प्रभाव में नहीं आओ कोई भले बना हो लेकिन आप बनकर दिखाओ जैसे शुद्ध संकल्प रखते हो कि पहले नम्बर में हम आकर दिखायेंगे, विश्व महाराजन् बनकर दिखायेंगे वैसे वर्तमान समय पहले मैं बनूँगा बाप को फालो कर नम्बरवन में एक्जैम्पुल बनकर दिखाऊंगा ऐसा लक्ष्य रखो लक्ष्य के साथ लक्षण धारण करते रहो इसमें पहले मैं, यह दृढ संकल्प रखो इसमें दूसरे को नहीं देखो, स्वयं को देखो और बाप को देखो तब कहेंगे चेलैन्ज और प्रैक्टिकल समान है  

अच्छा सुनाया तो बहुत है और सुना भी बहुत है इस बार तो बापदादा सिर्फ सुनाने नहीं आये हैं, देखने आये हैं, देखने में जो देखा वह सुना रहे हैं बाप जानते हैं बनने तो इन आत्माओं में से ही हैं, अधिकारी आत्मायें भी आप ही हो लेकिन बार- बार स्मृति दिलाते हैं अच्छा  

ऐसे विश्व के राज्य- भाग्य के अधिकारी, बाप द्वारा सर्व प्राप्तियों के अधिकारी, माया और प्रकृति द्वारा सत्कार प्राप्त करने के अधिकारी ऐसे सर्व श्रेष्ठ आत्माओं को बाप-दादा का याद प्यार और नमस्ते

 

पार्टियों से मुलाकात 

आस्ट्रेलिया : - सर्विसएबुल हो ना सर्विसएबुल अर्थात् हर संकल्प, बोल और कर्म सर्विस में साथ-साथ लगा हुआ हो त्रिमूर्ति बाप के बच्चे हो ना तो तीनों ही सर्विस साथ-साथ होनी चाहिए एक ही समय तीनों सर्विस हो तो प्रत्यक्ष फल निकल सकता है तो तीनों सर्विस साथ-साथ चलती है? मन्सा द्वारा आत्माओं को बाप से बुद्धियोग लगाने की सेवा, वाणी द्वारा बाप का परिचय देने की सेवा और कर्म द्वारा दिव्यगुण मूर्त बनाने की सेवा तो मुख्य सब सबजेक्ट योग, ज्ञान और दिव्य गुण तीनों ही साथ-साथ हो, ऐसे हर सेकेण्ड अगर पावरफुल सर्विस करने वाले हैं तो जैसे गायन है मिनट- मोटर वैसे एक सेकेण्ड में मरजीवा बनने की स्टेम्प लगा सकते हो यही अन्तिम सेवा का रूप है अभी वाणी द्वारा कहते बहुत अच्छा लेकिन अच्छा नहीं बनते जब वाणी और मन्सा से और कर्म से तीनों सेवा इकट्ठी होगी तब ऐसे नहीं कहेंगे कि बहुत अच्छा है लेकिन मुझे प्रैक्टिकल बनकर दिखाना है, ऐसे अनुभव में जायेंगे तो ऐसे सविसएबुल बनो इसी को ही वरदानी और महादानी की स्टेज कहा जाता है सर्विस का उमग-उत्साह अच्छा है, बाप को भी योग्य बच्चों को देख खुशी होती है अभी दिव्य गुणों का श्रृंगार और अधिक करना है मर्यादा की लकीर के अन्दर रहते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम का टाइटल लेने का अटेंशन हो तो यह ताज और तिलक अटेंशन देकर धारण करना

2. सदा हर कर्म करते हुए एक्टर बन करके कर्म करते हो? स्वयं ही स्वयं को साक्षी बन चेक करो कि जो पार्ट बजाया वह यथार्थ महिमा योग्य, चरित्र रूप में किया हमेशा महिमा उस कर्म की होती जो श्रेष्ठ होता है तो एक्टर बन एक्ट करो फिर साक्षी बन चेक करो कि महान हुआ या साधारण जन्म ही अलौकिक है तो कर्म भी अलौकिक होने चाहिए, साधारण नहीं संकल्प में ही चेकिंग चाहिए क्योकि संकल्प ही कर्म में आता है अगर संकल्प को ही चेक कर चेन्ज कर दिया तो कर्म महान होंगे सारे कल्प में महान आत्मायें प्रैक्टिकल में आप हो, तो संकल्प से भी चेकिंग और चेज साधारण को महानता में परिवर्तन करो अच्छा

 

ग्याना पार्टी: - बापदादा तो हरेक को दिलतख्तनशीन देखते हैं जैसे कोई बहुत प्रिय बच्चे होते हैं या सिकीलधे लाडले होते जो उनको कभी नीचे धरनी या मिट्टी पर पांव नहीं रखते देते तो बापदादा भी लाडले बच्चों को दिल तख्त के नीचे उतरने नहीं देते वहाँ ही विराजमान रखते इससे श्रेष्ठ स्थान और कोई है? तो सदा वहाँ ही रहते हो ना? नीचे तो नहीं आते हो? जब और कोई स्थान है ही नहीं तो बुद्धि रूपी पांव और कहाँ टिक सकते हैं ? याद अर्थात् दिलतख्तनशीन बापदादा को जो निरन्तर योगी बच्चे हैं वह सदा साथ रहते हुए नजर आते हैं सहजयोगी हो ना मुश्किल तो नहीं लगता? कोई भी परिस्थिति जो भल हलचल वाली हो लेकिन बाबा कहा और अचल तो बाबा कहने में कितना टाइम लगता है परिस्थिति के संकल्प में चले जाते हैं तो जितना समय परिस्थिति का संकल्प रहता उतना समय मुश्किल लगता अगर कारण के बजाए निवारण में चले जाओ तो कारण ही निवारण बन जाये ब्राह्मणों के आगे कोई परिस्थिति होती नहीं - क्योंकि मास्टर सर्वशक्तिमान हैं उनके आगे यह परिस्थितियाँ चीटी समान भी नहीं सिर्फ होता क्या है, जब कोई ऐसी बातें आती हैं तो उस समय उस कारण में समय लगा देते हैं क्यो हुआ? कैसे हुआ? उसके बजाए यह सोचें जो हुआ उसमें कल्याण भरा हुआ है, सेवा समाई हुई है तो चेन्ज हो जायेगा भल रूप सरकमस्टान्सेज का हो लेकिन समाई सर्विस है ऐसा सोचने से और इस रूप से देखने से सदा अचल रहेंगे तो अभी मधुबन में क्या परिवर्तन करके जायेंगे? सदा कम्पलीट, कम्पलेन नहीं अब तक जो रिजल्ट है उसका प्रमाण अच्छा है अब चारों ओर आवाज फैलाने का बहुत जल्दी प्रयत्न करो क्योंकि अभी समय है फिर इच्छा होगी लेकिन सरकमस्टान्सेज ऐसे होंगे कि कर नहीं सकेंगे इसलिए जितना जल्दी हो सके चक्रवर्ती बन सन्देश देते जाओ, बीज बोते जाओ लकी हो जो ड्रामा अनुसार अपने जीवन से, वाणी से, कर्म से सर्व रीति से सेवा करने के निमित्त हो और आगे भी बन सकते हो हर कर्म में सबको ज्ञान का स्वरूप दिखाई दे - यही विशेष लक्ष्य रखो क्योंकि कर्म ऑटोमेटिक (स्वत:) सबका अटेंशन खिंचवाते हैं प्रैक्टिकल कर्म एक बोर्ड का काम करता है । कर्म देखते ही सबका अटेंशन जाता है कि ऐसे कर्म सिखलाने वाला कौन तो अभी नवीनता क्या करेंगे? लाइट हाउस बनेंगे ? एक स्थान पर रहते भी चारों ओर लाइट फैलायें जो कोई भी उल्हना दे कि इतना नजदीक लाइट हाउस थे और फिर भी हमको लाइट नहीं मिली अच्छा

 

जर्मनी: - बापदादा को क्वालिटी पसन्द आती है क्वालिटी अच्छी है तो क्वांटिटी बन ही जायेगी मेहनत करते चलो सफलता जन्मसिद्ध अधिकार है जर्मन की धरनी द्वारा भी कोई विशेष कर्म जरूर होना है जर्मन की धरती में ऐसे विशेष व्यक्ति हैं जो एक भी बहुत नाम बाला कर सकता है, छिपे हुए रतन हैं जर्मनी में चारों ओर आवाज फैलाओ तो निकल येंगे अभी भी अच्छी मेहनत की है और भी चारों ओर फैलाओ यही लक्ष्य रखो अगले वर्ष ग्रुप बनाकर लाना है वारिस क्वालिटी । लक्ष्य से सफलता हो ही जायेगी अच्छा और सब संकल्प छोड़ एक संकल्प में रहो, मैं कल्प-कल्प की विजयी हूँ, विजय हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, तो सफलता ही सफलता है संकल्प किया और सफलता मिली इसलिए ज्यादा नहीं सोचो प्लान बनाओ लेकिन कमल फूल समान हल्का रहो सोचा, किया और समाप्त जितना एक संकल्प में रहेंगे उतनी टचिंग अच्छी होती रहेगी ज्यादा संकल्प में रहने से जो ओरिजिनल बाप की मदद है वह मिक्सअप हो जाती है इसलिए एक ही संकल्प कि मैं बाबा की, बाबा मेरा मैं निमित्त हूँ, इस संकल्प से सफलता अवश्य प्राप्त होगी चक्रवर्ती बनो तो बहुत अच्छा गुलदस्ता तैयार हो जायेगा क्वांटिटी भल हो लेकिन जर्मन की धरनी से ऐसे एक भी निकल आया तो नाम बाला हो जायेगा अच्छा

 

विदाई के समय

जैसे अभी खुशी में नाच रहे हो वैसे सदा खुशी में नाचते रहो कोई भी परस्थिति आये तो परस्थिति के ऊपर भी नाचते रहो जैसे चित्र दिखाते हैं सर्प के ऊपर भी नाच रहे हैं यह जड़ चित्र आप सबका यादगार है जिस समय भी कोई परस्थिति आये तो यह चित्र याद रखना तो परस्थिति रूपी सांप पर भी डान्स करने वाले हैं यही सांप आपके गले में सफलता की माला डालेंगे अच्छा

 

वरदान:-   

समय और संकल्प रूपी खजाने पर अटेंशन दे जमा का खाता बढ़ाने वाले पदमापदमपति भव !   

वैसे खजाने तो बहुत हैं लेकिन समय और संकल्प विशेष इन दो खजानों पर अटेंशन दो हर समय संकल्प श्रेष्ठ और शुभ हो तो जमा का खाता बढ़ता जायेगा इस समय एक जमा करेंगे तो पदम मिलेगा, हिसाब है एक का पदमगुणा करके देने की यह बैक है इसलिए क्या भी हो, त्याग करना पड़े, तपस्या करनी पड़े, निर्मान बनना पड़े, कुछ भी हो जाए.... इन दो बातों पर अटेंशन हो तो पदमापदमपति बन जायेंगे

 

स्लोगन:- 

मनोबल से सेवा करो तो उसकी प्रालब्ध कई गुणा ज्यादा मिलेगी ।   

 

ओम् शान्ति