मीठे बच्चे
–
बाप जो शिक्षायें देते हैं, उन्हें अमल में लाओ, तुम्हें प्रतिज्ञा
कर अपने वचन से फिरना नहीं है, आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना है
| 
प्रश्न:-
तुम्हारी
पढ़ाई का सार क्या है? तुम्हें कौन-सा अभ्यास अवश्य करना है?
उत्तर:-
तुम्हारी
पढ़ाई है वानप्रस्थ में जाने की | इस पढ़ाई का सार है वाणी से परे
जाना | बाप ही सबको वापस ले जाते हैं | तुम बच्चों को घर जाने के
पहले सतोप्रधान बनना है | इसके लिए एकान्त में जाकर देही-अभिमानी
रहने का अभ्यास करो | अशरीरी बनने का अभ्यास ही आत्मा को सतोप्रधान
बनायेगा |
ओम् शान्ति
|
अपने को
आत्मा समझ बाबा को याद करने से तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन
जायेंगे और फिर ऐसे विश्व के मालिक बन जायेंगे | कल्प-कल्प तुम ऐसे
ही तमोप्रधान से सतोप्रधान बनते हो फिर 84 जन्मों में तमोप्रधान
बनते हो | फिर बाप शिक्षा देते हैं, अपने को आत्मा समझ बाप को याद
करो | भक्ति मार्ग में भी तुम याद करते थे, परन्तु उस समय मोटी
बुद्धि का ज्ञान था | अब महीन बुद्धि का ज्ञान है | प्रैक्टिकल में
बाप को याद करना है | यह भी समझाना है – आत्मा भी स्टार मिसल है,
बाप भी स्टार मिसल है | सिर्फ़ वह पुनर्जन्म नहीं लेते हैं, तुम
लेते हो इसलिए तुमको तमोप्रधान बनना पड़ता है | फिर सतोप्रधान बनने
के लिए मेहनत करनी पड़े | माया घड़ी-घड़ी भुला देती है | अब अभुल बनना
है, भूल नहीं करनी है | अगर भूलें करते रहेंगे तो तुम और भी
तमोप्रधान बन जायेंगे | डायरेक्शन मिलता है अपने को आत्मा समझ बाप
को याद करो, बैटरी चार्ज करो तो तुम सतोप्रधान विश्व के मालिक बन
जायेंगे | टीचर तो सबको पढ़ाते हैं | स्टूडेन्ट में नम्बरवार पास
होते हैं | नम्बरवार फिर कमाई करते हैं | तुम भी नम्बरवार पास होते
हो फिर नम्बरवार मर्तबा पाते हो | कहाँ विश्व के मालिक, कहाँ प्रजा
दास-दासियाँ | जो स्टूडेन्ट अच्छे, सपूत, आज्ञाकारी, वफ़ादार,
फ़रमानबरदार होते हैं वह ज़रूर टीचर की मत पर चलेंगे | जितना रजिस्टर
अच्छा होगा उतनी मार्क्स जास्ती मिलेंगी इसलिए बाप भी बच्चों को
बार-बार समझाते हैं, गफ़लत न करो | ऐसे मत समझो कल्प पहले भी फेल
हुए थे | बहुतों को यह दिल में आता होगा कि हम सर्विस नहीं करते
हैं तो ज़रूर फेल होंगे | बाप तो सावधानी देते रहते हैं, तुम सतयुगी
सतोप्रधान से कलियुगी तमोप्रधान बने हो फिर वर्ल्ड की
हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होगी | सतोप्रधान बनने लिए बाप बहुत सहज
रास्ता बताते हैं – मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे | तुम
चढ़ते-चढ़ते सतोप्रधान बन जायेंगे | चढ़ेंगे धीरे-धीरे इसलिए भूलो मत
| परन्तु माया भुला देती है | नाफ़रमानबरदार बना देती है | बाप जो
डायरेक्शन देते हैं, वह मानते हैं, प्रतिज्ञा करते हैं फिर उस पर
चलते नहीं हैं | तो बाप कहेंगे आज्ञा का उल्लंघन कर अपने वचनसे
फिरने वाले हैं | बाप से प्रतिज्ञा कर फिर अमल किया जाता है | बेहद
का बाप जैसी शिक्षाएं देते हैं ऐसी शिक्षाएं और कोई देंगे नहीं |
चेन्ज भी ज़रूर होना है | चित्र कितना अच्छा है | ब्रह्मावंशी हो
फिर विष्णुवंशी बनेंगे | यह है नई ईश्वरीय भाषा, इनको भी समझना
पड़ता है | यह रूहानी नॉलेज कोई देते नहीं | कोई संस्था निकली है
जिन्होंने रूहानी संस्था नाम रखा है | परन्तु रूहानी संस्था
तुम्हारे बिगर कोई हो न सके | इमिटेशन बहुत हो जाती है | यह है नई
बात, तुम बिल्कुल थोड़े हो और कोई यह बातें समझ न सके | सारा झाड़ अब
खड़ा है | बाकी थुर नहीं है, फिर थुर खड़ा हो जाता है | बाकी
टाल-टालियाँ नहीं रहेंगे, वह सब ख़त्म हो जायेंगे | बेहद का बाप ही
बेहद की समझानी देते हैं | अब सारी दुनिया पर रावण राज्य है | यह
लंका है | वह लंका तो समुद्र के पार है | बेहद की दुनिया भी समुद्र
पर है | चारों तरफ़ पानी है | वह हद की बातें, बाप बेहद की बातें
समझाते हैं | एक ही बाप समझाने वाला है | यह पढ़ाई है | जब नौकरी
मिले, पढ़ाई की रिज़ल्ट निकले तब तक पढ़ाई में लगे रहते हैं | उसमें
ही बुद्धि चलती है | स्टूडेन्ट का काम है पढ़ाई में अटेन्शन देना |
उठते, बैठते, चलते, फिरते याद करना है | स्टूडेन्ट की बुद्धि में
यह पढ़ाई रहती है | इम्तहान के दिनों में बहुत मेहनत करते हैं कि
कहाँ नापास न हो जायें | ख़ास सवेरे बगीचे में जाकर पढ़ते हैं
क्योंकि घर के शोर के वायब्रेशन्स गन्दे होते हैं |
बाप ने
समझाया है देही-अभिमानी होने का अभ्यास डालो फिर भूलेंगे नहीं |
एकान्त के स्थान तो बहुत हैं | शुरू-शुरू में क्लास पूरा कर तुम सब
पहाड़ों पर चले जाते थे | अब दिन-प्रतिदिन नॉलेज डीप होती जाती है |
स्टूडेन्ट को एम ऑब्जेक्ट याद रहती है | यह है वानप्रस्थ अवस्था
में जाने की पढ़ाई | सिवाए एक के और कोई पढ़ा न सके | साधू सन्त आदि
सब भक्ति ही सिखलाते हैं | वाणी से परे जाने का रास्ता एक बाप ही
बतलाते हैं | एक बाप ही सबको वापिस ले जाते हैं | अब तुम्हारी है
बेहद की वानप्रस्थ अवस्था, जिसको कोई भी नहीं जानते हैं | बाप कहते
हैं – बच्चे, तुम सब वान्प्रस्थी हो | सारी दुनिया की वानप्रस्थ
अवस्था है | कोई पढ़े वा न पढ़े, वापिस सबको जाना है | जो भी
आत्मायें मूलवतन में जायेंगी, वह अपने-अपने सेक्शन में चली जायेंगी
| आत्माओं का झाड़ भी वन्डरफुल बना हुआ है | यह सारा ड्रामा का चक्र
बिल्कुल एक्यूरेट है | ज़रा भी फ़र्क नहीं | लीवर और सलेन्डर घड़ी
होती है ना | लीवर घड़ी बिल्कुल एक्यूरेट रहती है | इसमें भी किनका
बुद्धियोग लीवर रहता है, किनका सलेन्डर रहता है | कोई का बिल्कुल
लगता ही नहीं है | घड़ी जैसेकि चलती ही नहीं है | तुमको बिल्कुल
लीवर घड़ी बनना है तो राजाई में जायेंगे | सलेन्डर प्रजा में
जायेंगे | पुरुषार्थ लीवर बनने का करना है | राजाई पद पाने वालों
के लिए ही कोटों में कोई कहा जाता है | वही विजय माला में पिरो
जाते हैं | बच्चे समझते हैं – मेहनत बरोबर है | कहते हैं बाबा
घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं | बाबा समझाते हैं – बच्चे, जितना पहलवान
बनेंगे तो माया भी ज़बरदस्त लड़ेगी | मल्ल युद्ध होती है ना | उसमें
बड़ी सम्भाल रखते हैं | पहलवानों को पहलवान जानते हैं | यहाँ भी ऐसे
हैं, महावीर बच्चे भी हैं | उनमें भी नम्बरवार हैं | अच्छे-अच्छे
महारथियों को माया भी अच्छी तरह तूफ़ान में लाती है | बाबा ने
समझाया है – माया कितना भी हैरान करे, तूफ़ान लाये, तुम ख़बरदार रहना
| कोई बात में हारना नहीं | मन्सा में तूफ़ान भल आयें,
कर्मेन्द्रियों से नहीं करना है | तूफ़ान आते हैं गिराने के लिए |
माया की लड़ाई न हो तो पहलवान कैसे कहेंगे | माया के तूफ़ानों की
परवाह नहीं करनी चाहिए | परन्तु चलते-चलते कर्मेन्द्रियों के वश हो
झट गिर पड़ते हैं | यह बाप तो रोज़ समझाते हैं – कर्मेन्द्रियों से
विकर्म नहीं करना | बेकायदे काम करना छोड़ेंगे नहीं तो पैसे पैसे का
पद पायेंगे | अन्दर खुद भी समझते हैं, हम नापास हो जायेंगे | जाना
तो सबको है | बाप कहते हैं – मेरे को याद करते हो तो वह याद भी
विनाश को नहीं पाती है | थोड़ा भी याद करने से स्वर्ग में आ जायेंगे
| थोड़ा याद करने से अथवा बहुत याद करने से क्या-क्या पद मिलेंगे,
यह भी तुम समझ सकते हो | कोई भी छिप नहीं सकते | कौन क्या-क्या
बनेंगे | खुद भी समझ सकते हैं | अगर हम अभी हार्टफेल हो जायें तो
किस पद को पायेंगे? बाबा से पूछ भी सकते हैं | आगे चलकर आपेही
समझते जायेंगे | विनाश सामने खड़ा है, तूफ़ान, बरसात, नैचुरल
कैलेमिटीज़ पूछ कर नहीं आती हैं | रावण तो बैठा ही है | यह बहुत बड़ा
इम्तहान है | जो पास होते हैं वह ऊँच पद पाते हैं | राजायें ज़रूर
समझदार चाहिए जो रैयत (प्रजा) को सम्भाल सकें | आई.सी.एस. इम्तहान
में थोड़े पास होते हैं | बाप तुमको पढ़ाकर स्वर्ग का मालिक
सतोप्रधान बनाते हैं | तुम जानते हो सतोप्रधान से फिर तमोप्रधान
बनें, अब बाप की याद से सतोप्रधान बनना है | पतित-पावन बाप को याद
करना है | बाप कहते हैं मन्मनाभव | यह है वही गीता का एपिसोड | डबल
सिरताज बनने की ही गीता है | बनायेंगे तो बाप ना | तुम्हारी बुद्धि
में सारी नॉलेज है | जो अच्छे बुद्धिवान हैं, उनके पास धारणा भी
अच्छी होती है | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और
गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
रात्रि
क्लास - 05-01-69
बच्चे
यहाँ क्लास में बैठे हैं और जानते हैं हमारा टीचर कौन है | अभी यही
याद कि हमारा टीचर कौन है स्टूडेन्ट को सारा समय रहती है | यहाँ
भूल जाते हैं | टीचर जानते हैं बच्चे मुझे घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं |
ऐसा रूहानी बाप तो कब मिला नहीं | संगमयुग पर ही मिलता है | सतयुग
और कलियुग में तो जिस्मानी बाप मिलते हैं | यह याद दिलाते हैं कि
बच्चों को पक्का हो जाये कि यह संगमयुग है, जिसमें हम बच्चे ऐसे
पुरुषोत्तम बनने वाले हैं | तो बाप को याद करने से तीनों ही याद
आने चाहिए | टीचर को याद करो तो भी तीनों याद, गुरु को याद करो तो
भी तीनों याद आनी चाहिए | यह ज़रूर याद करना पड़ता है | मुख्य बात है
पवित्र बनने की | पवित्र को सतोप्रधान ही कहा जाता है | वह रहते ही
हैं सतयुग में | अभी चक्र लगाकर आये हैं | संगमयुग है | कल्प-कल्प
बाप भी आते हैं, पढ़ाते हैं | बाप के पास तुम रहते हो ना | यह भी
जानते हो यह सच्चा सद्गुरु है | और बरोबर मुक्ति-जीवनमुक्ति धाम का
रास्ता बताते हैं | ड्रामा प्लैन अनुसार हम पुरुषार्थ कर बाप को
फ़ालो करते हैं | यहाँ शिक्षा पाकर फ़ालो करते हैं | जैसे यह सीखते
हैं वैसे तुम बच्चे भी पुरुषार्थ करते हो | देवता बनना है तो शुद्ध
कर्म करना है | गन्दगी कोई भी न रहे | और बहुत ख़ास बात है बाप को
याद करने की | समझते हैं बाप को भूल जाते हैं, शिक्षा को भी भूल
जाते हैं और याद की यात्रा को भी भूल जाते हैं | बाप को भूलने से
ज्ञान भी भूल जाता है | मैं स्टूडेन्ट हूँ, यह भी भूल जाता है |
याद तो तीनों पड़नी चाहिए | बाप को याद करे तो टीचर, सद्गुरु ज़रूर
याद पड़ेंगे | शिवबाबा को याद करते हैं तो साथ-साथ दैवीगुण भी ज़रूर
चाहिए | बाप की याद में है करामत | करामात जितनी बाप बच्चों को
सिखलाते हैं उतनी और कोई सिखला न सके | तमोप्रधान से हम इसी जन्म
में सतोप्रधान बनते हैं | तमोप्रधान बनने में पूरा कल्प लगता है |
अभी इस एक ही जन्म में सतोप्रधान बनना है, इसमें जो जितनी मेहनत
करेंगे | सारी दुनिया तो मेहनत नहीं करती है | दूसरे धर्म वाले
मेहनत नहीं करेंगे | बच्चों ने साक्षात्कार किया है | धर्म स्थापक
आते हैं | पार्ट बजाया हुआ है फ़लानी-फ़लानी ड्रेस में | तमोप्रधान
में वह आते हैं | समझ भी कहती है जैसे हम सतोप्रधान बनते हैं और
सभी भी बनेंगे | पवित्रता का दान बाप से लेंगे | सभी बुलाते हैं
हमको यहाँ से लिबरेट कर घर ले चलो | गाइड बनो | यह तो ड्रामा प्लैन
अनुसार सभी को घर जाना ही है | अनेक बार घर जाते हैं | कोई तो पूरे
5000 वर्ष घर में नहीं रहते | कोई तो पूरे 5000 वर्ष रहते हैं |
अन्त में आयेंगे तो कहेंगे 4999 वर्ष शान्तिधाम में रहे हैं | हम
कहेंगे 4999 वर्ष इस सृष्टि पर रहे हैं | यह तो बच्चों को निश्चय
है 83-84 जन्म लिये हैं | जो बहुत होशियार होंगे वह ज़रूर पहले आये
होंगे | अच्छा – मीठे-मीठे सिकीलधे रूहानी बच्चों प्रति यादप्यार
और गुडनाईट |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1.
सतोप्रधान बनने के लिए याद की यात्रा से अपनी बैटरी चार्ज करनी है
| अभुल बनना है | अपना रजिस्टर अच्छा रखना है | कोई भी गफ़लत नहीं
करनी है |
2.
कोई भी बेकायदे कर्म नहीं करना है, माया के तूफ़ानों की परवाह न कर,
कर्मेन्द्रिय जीत बनना है | लीवरघड़ी समान एक्यूरेट पुरुषार्थ करना
है |
वरदान:-
परमात्म
दुआओं से अपनी झोली भरपूर कर माया को दूर भगाने वाले विजयी रत्न भव
!
संगमयुग
के महत्व को जान हर सेकेण्ड परमात्म दुआयें जमा करते रहो |
परमात्म दुआओं से झोली सदा भरपूर है तो माया दूर से ही भाग जायेगी
| जैसे इतने भी खौफनाक जानवर होते हैं लेकिन आपके पास लाइट है तो
वो आगे नहीं आते | ऐसे सर्वशाक्तियों की लाइट आपके साथ है तो माया
समीप नहीं आ सकती | तो माया से युद्ध करने वाले नहीं लेकिन बाप के
साथ से, दुआओं से सदा मायाजीत बनने वाले विजयी रत्न बनो |
स्लोगन:-
अचानक के
पेपर में पास होना है तो अलबेलेपन को छोड़ अलर्ट बनो |
ओम् शान्ति |