05-04-14           प्रातः मुरली         ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन
 


मीठे बच्चे बाप आये हैं सारी दुनिया का हाहाकार मिटाकर, जयजयकार करने – पुरानी दुनिया में है हाहाकार, नई दुनिया में है जयजयकार |   


प्रश्न:-   
कौन-सा ईश्वरीय नियम है जो गरीब ही बाप का पूरा वर्सा लेते, साहूकार नहीं ले पाते?


उत्तर:-
ईश्वरीय नियम है – पूरा बेगर बनो, जो कुछ भी है उसे भूल जाओ | तो गरीब बच्चे सहज ही भूल जाते हैं परन्तु साहूकार जो अपने को स्वर्ग में समझते हैं उनकी बुद्धि में कुछ भूलता नहीं इसलिए जिनको धन, दौलत, मित्र, सम्बन्धी याद रहते वह सच्चे योगी बन ही नहीं सकते हैं | उन्हें स्वर्ग में ऊँच पद नहीं मिल सकता |

 

ओम् शान्ति |

मीठे-मीठे निश्चयबुद्धि बच्चे तो अच्छी रीति जानते हैं, उन्हों को पक्का निश्चय है कि बाप आया है सारी दुनिया का झगड़ा मिटाने | जो सयाने समझदार बच्चे हैं, वह जानते हैं इस तन में बाप आये हुए हैं, जिसका नाम भी है शिवबाबा | क्यों आये हैं? हाहाकार को मिटाकर जयजयकार कराने | मृत्युलोक में कितने झगड़े आदि हैं | सबको हिसाब-किताब चुक्तू कर जाना है | अमरलोक में झगड़े की बात नहीं | यहाँ कितना हंगामा (हाहाकार) लगा हुआ है | कितनी कोर्ट, जज आदि हैं | मारामारी लगी हुई है | विलायत आदि में भी देखो हाहाकार है | सारी दुनिया में खिटपिट बहुत है | इसको कहा जाता है पुरानी तमोप्रधान दुनिया | किचड़ा ही किचड़ा है | जंगल ही जंगल है | बेहद का बाप यह सब-कुछ मिटाने के लिए आये हैं | अभी बच्चों को बहुत सयाना समझदार बनना है | अगर बच्चों में भी लड़ाई-झगड़ा होता रहेगा तो बाप के मददगार कैसे बनेंगे | बाबा को तो बहुत मददगार बच्चे चाहिये – सयाने, समझू, जिनमें कोई खिट-खिट न हो | यह भी बच्चे समझते हैं यह पुरानी दुनिया है | अनेक धर्म हैं | तमोप्रधान विशश वर्ल्ड है | सारी दुनिया पतित है | पतित पुरानी दुनिया में झगड़े ही झगड़े हैं | इन सबको मिटाने, जयजयकार कराने बाप आते हैं | हर एक जानते हैं इस दुनिया में कितना दुःख और अशान्ति है, इसलिए चाहते हैं विश्व में शान्ति हो | अब सारे विश्व में शान्ति कोई मनुष्य कैसे कर सकेंगे | बेहद के बाप को ठिक्कर-भित्तर में लगा दिया है | यह भी खेल है | तो बाप बच्चों को समझाते हैं, अब खड़े हो जाओ | बाप के मददगार बनो | बाप से अपना राज्य-भाग्य लेना है | कम नहीं, अथाह सुख है | बाप कहते हैं – मीठे बच्चे, ड्रामा अनुसार तुमको बेहद का बाप पदमापदम भाग्यशाली बनाने आया है | भारत में यह लक्ष्मी-नारायण राज्य करते थे | भारत स्वर्ग था | स्वर्ग को ही कहा जाता है वन्डर ऑफ़ वर्ल्ड | त्रेता को भी नहीं कहेंगे | ऐसे स्वर्ग में आने का बच्चों को पुरुषार्थ करना चाहिए | पहले-पहले आना है | बच्चे चाहते भी हैं हम स्वर्ग में आयें, लक्ष्मी वा नारायण बनें | अभी इस पुरानी दुनिया में बहुत हाहाकार होनी है | रक्त की नदियाँ बहनी हैं, रक्त की नदियों के बाद होती हैं घी की नदियाँ | उनको कहते हैं क्षीरसागर | यहाँ भी बड़े तलाव बनाते हैं, फिर कोई दिन मुकर्रर होता है जो आकर उसमें दूध डालते हैं | उसमें फिर स्नान करते हैं | शिवलिंग पर भी दूध चढ़ाते हैं | सतयुग की भी एक महिमा है कि वहाँ घी, दूध की नदियाँ हैं | ऐसी कोई बात नहीं है | हर 5 हज़ार वर्ष के बाद तुम विश्व के मालिक बनते हो | इस समय तुम गुलाम हो, फिर तुम बादशाह बनते हो | सारी प्रकृति तुम्हारी गुलाम बन जाती है | वहाँ कभी बेकायदे बरसात नहीं पड़ती, नदियाँ उछल नहीं खाती | कोई उपद्रव नहीं होता | यहाँ देखो कितने उपद्रव हैं | वहाँ पक्के वैष्णव रहते हैं | विकारी वैष्णव नहीं | यहाँ कोई वेजिटेरियन बना तो उनको वैष्णव कहते हैं | परन्तु नहीं, विकार से एक-दो को बहुत दुःख देते हैं | बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं | यह भी गायन है गांवड़े का छोरा.....कृष्ण तो गांवड़े का हो नहीं सकता है | वह तो बैकुण्ठ का मालिक है | फिर 84 जन्म लेते हैं |

 

यह भी तुम अभी जानते हो कि हमने भक्ति में कितने धक्के खाये, पैसे बरबाद किये | बाबा पूछते हैं – तुमको इतने पैसे दिये, राज्य भाग्य दिया, सब कहाँ गया? तुमको विश्व का मालिक बनाया फिर तुमने क्या किया? बाप तो ड्रामा को जानते हैं | नई दुनिया सो पुरानी दुनिया, पुरानी दुनिया सो नई दुनिया बनती है | यह चक्र है, जो कुछ पास्ट हुआ वह फिर रिपीट होगा | बाप कहते हैं अभी थोड़ा समय है, पुरुषार्थ कर भविष्य के लिए जमा करो | पुरानी दुनिया का सब-कुछ मिट्टी में मिल जाना है | साहूकार इस ज्ञान को लेंगे नहीं | बाप है गरीब निवाज़ | गरीब वहाँ साहूकार बनते हैं | साहूकार वहाँ गरीब बनते हैं | अभी तो पदमपति बहुत हैं | वह आयेंगे परन्तु गरीब बनेंगे | वह अपने को स्वर्ग में समझते हैं, वह बुद्धि से निकल नहीं सकता | यहाँ तो बाप कहते हैं सब कुछ भूल जाओ | खाली बेगर बन जाओ | आजकल तो किलोग्राम, किलोमीटर आदि क्या-क्या निकाला है | जो राजा गद्दी पर बैठता है वह अपनी भाषा चलाते हैं | विलायत की नकल करते हैं | अपना अक्ल तो है नहीं | तमोप्रधान हैं | अमेरिका आदि में विनाश की सामग्री में देखो कितना धन लगाते हैं | एरोप्लेन से बाम्ब्स आदि गिराते हैं, आग लगनी है | बच्चे जानते हैं, बाप आते ही हैं विनाश और स्थापना कराने | तुम्हारे में भी समझाने वाले सब नम्बरवार हैं | सब एक जैसे निश्चयबुद्धि नहीं हैं | जैसे बाबा ने किया, बाबा को फ़ालो करना चाहिए | पुरानी दुनिया में यह पाई पैसे क्या करेंगे | आजकल कागज़ के नोट निकाले हैं | वहाँ तो सिक्के (मुहरें) होंगे | सोने के महल बनते हैं तो सिक्कों का वहाँ क्या मूल्य है | जैसेकि सब कुछ मुफ़्त में है, सतोप्रधान धरनी है ना | अभी तो पुरानी हो गई है | वह है सतोप्रधान नई दुनिया | बिल्कुल नई जमीन है | तुम सूक्ष्मवतन में जाते हो तो शूबीरस आदि पीते हो | परन्तु वहाँ झाड़ आदि तो हैं नहीं | न मूलवतन में हैं | जब तुम बैकुण्ठ में जाते हो तब वहाँ तुमको सब कुछ मिलता है | बुद्धि से काम लो, सूक्ष्मवतन में झाड़ होंगे नहीं | झाड़ तो धरनी पर होते हैं, न कि आकाश में | भल नाम है ब्रह्म महतत्व परन्तु है पोलार | जैसे यह स्टार ठहरे हुए हैं आकाश में, वैसे तुम बहुत छोटी-छोटी आत्मायें ठहरी हुई हो | स्टार्स देखने में बड़े आते हैं | ऐसे नहीं कि ब्रह्म तत्व में कोई बड़ी-बड़ी आत्मायें होंगी | यह बुद्धि से काम लेना है | विचार सागर मंथन करना है | तो आत्मायें भी ऊपर में ठहरती हैं | छोटी बिन्दी हैं | यह सब बातें तुमको धारण करनी हैं, तब किसको धारण करा सकेंगे | टीचर ज़रूर खुद जानते हैं तब तो औरों को पढ़ाते हैं | नहीं तो टीचर ही काहे का | परन्तु यहाँ टीचर्स भी नम्बरवार हैं | तुम बच्चे बैकुण्ठ को भी समझ सकते हो | ऐसे नहीं कि तुमने बैकुण्ठ नहीं देखा है | बहुत बच्चों ने साक्षात्कार किया है | वहाँ स्वयंवर कैसे होता है, क्या भाषा है, सब कुछ देखा है | पिछाड़ी में भी तुम साक्षात्कार करेंगे परन्तु करेंगे वही जो योगयुक्त होंगे | बाकी जिनको अपने मित्र-सम्बन्धी, धन-दौलत याद आते रहेंगे वह क्या देखेंगे | सच्चे योगी ही अन्त तक रहेंगे, जिन्हों को बाप देख खुश होंगे | फूलों का ही बगीचा बनता है | बहुत तो 10-15 वर्ष रहकर भी चले जाते हैं | उनको कहेंगे अक के फूल | बड़ी अच्छी-अच्छी बच्चियाँ जो मम्मा-बाबा के लिए भी डायरेक्शन ले आती थी, ड्रिल कराती थी, वे आज हैं नहीं | यह बच्चियाँ भी जानती हैं और बापदादा भी जानते हैं कि माया बड़ी जबरदस्त है | यह है माया से गुप्त लड़ाई | गुप्त तूफ़ान | बाबा कहते हैं माया तुमको बहुत हैरान करेगी | यह हार-जीत का बना हुआ ड्रामा है | तुम्हारी कोई हथियारों से लड़ाई नहीं है | यह तो भारत का प्राचीन योग नामीग्रामी है, जिस योगबल से तुम यह बनते हो | बाहुबल से कोई विश्व की बादशाही ले न सके | खेल भी वन्डरफुल है | कहानी है दो बिल्ले लड़े मक्खन....कहा भी जाता है सेकेण्ड में विश्व की बादशाही | बच्चियाँ साक्षात्कार करती हैं | कहती हैं कृष्ण के मुख में माखन है | वास्तव में कृष्ण के मुख में नई दुनिया देखते हैं | योगबल से तुम विश्व की बादशाही रूपी माखन लेते हो | राजाई के लिए कितनी लड़ाई होती है और कितने लड़ाई से ख़त्म होते हैं | इस पुरानी दुनिया का हिसाब-किताब चुक्तू होना है | इस दुनिया की कोई भी चीज़ रहनी नहीं है | बाप की श्रीमत है – बच्चे हियर नो ईविल, सी नो ईविल......उन्होंने बन्दरों का एक चित्र बनाया है | आजकल तो मनुष्यों का भी बनाते हैं | आगे चीन की तरफ़ से हाथी दांत की चीज़ें आती थी | चूड़ियाँ भी कांच की पहनते थे | यहाँ तो जेवर आदि पहनने के लिए नाक कान आदि छेदते हैं, सतयुग में नाक-कान छेद करने की ज़रूरत नहीं | यहाँ तो माया ऐसी है जो सबके नाक-कान काट लेती है | तुम बच्चे अब स्वच्छ बनते हो | वहाँ नैचुरल ब्युटी रहती है | कोई चीज़ लगाने की ज़रूरत नहीं | यहाँ तो शरीर ही तमोप्रधान तत्वों से बनते हैं, इसलिए बीमारियाँ आदि होती हैं | वहाँ यह बातें होती नहीं | अभी तुम्हारी आत्मा को बहुत ख़ुशी है कि हमको बेहद का बाप पढ़ाकर नर से नारायण अथवा अमरपुरी का मालिक बनाते हैं इसलिए गायन है अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप-गोपियों से पूछो | भक्त लोग इन बातों को नहीं जानते हैं | तुम्हारे में भी खुश रहें और इन बातों का सिमरण करते रहें – ऐसे बच्चे बहुत थोड़े हैं | अबलाओं पर कितने अत्याचार होते हैं | जो गायन है द्रोपदी का, वह सब प्रैक्टिकल में हो रहा है | द्रोपदी ने क्यों पुकारा? यह मनुष्य नहीं जानते | बाप ने समझाया है – तुम सब द्रोपद्रियाँ हो | ऐसे नहीं, फ़ीमेल सदैव फ़ीमेल ही बनती है | दो बारी फ़ीमेल बन सकती है, जास्ती नहीं | मातायें पुकारती हैं – बाबा रक्षा करो, हमको दुशासन विकार के लिए हैरान करते हैं, इसको कहा जाता है वेश्यालय | स्वर्ग को कहा जाता है शिवालय | वेश्यालय है रावण की स्थापना, शिवालय है शिवबाबा की स्थापना | और तुमको नॉलेज भी देते हैं | बाप को नॉलेजफुल भी कहा जाता है | ऐसे नहीं नॉलेजफुल माना सबके दिलों को जानने वाला | इनसे फ़ायदा क्या! बाप कहते हैं यह सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज मेरे बिगर कोई दे न सके | मैं ही तुमको बैठ पढ़ाता हूँ | ज्ञान सागर एक ही बाप है | वहाँ है भक्ति की प्रालब्ध | सतयुग-त्रेता में भक्ति होती नहीं | पढ़ाई से ही राजधानी स्थापन हो रही है | प्रेजीडेंट आदि के देखो कितने वजीर हैं | एडवाइज़ देने के लिए वजीर रखते हैं | सतयुग में वजीर रखने की ज़रूरत नहीं | अब बाप तुमको अक्लमंद बनाते हैं | यह लक्ष्मी-नारायण देखो कितने अकलमंद थे | बेहद की बादशाही बाप से मिलती है | शिव-जयन्ती बाप की मनाते हैं | ज़रुर शिवबाबा भारत में आकर विश्व का मालिक बनाकर गये हैं | लाखों वर्ष की बात नहीं है | कल की तो बात है | अच्छा, ज़्यादा क्या समझाऊं | बाप कहते हैं मन्मनाभव | वास्तव में यह पढ़ाई इशारे की है | अच्छा!

 

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-  

1.    बाप का पूरा मददगार बनने के लिए सयाना, समझदार बनना है | अन्दर कोई खिटपिट न हो |

 

2.    स्थापना और विनाश के कर्तव्य को देखते हुए पूरा निश्चयबुद्धि बन बाप को फ़ालो करना है | पुरानी दुनिया के पाई-पैसे से, बुद्धि निकाल पूरा बेगर बनना है | मित्र-सम्बन्धी, धन-दौलत आदि सब कुछ भूल जाना है |

 

वरदान:-   

उमंग-उत्साह के संकल्प द्वारा जमा का खाता बढ़ाने वाले सम्पूर्ण वर्से के अधिकारी भव !    

बापदादा से सम्पूर्ण वर्से का अधिकार लेने के लिए स्वयं को उमंग-उत्साह में लाओ | अपने आपसे रेस करो, अभी जमा करने का समय है इसलिए दृढ़ संकल्प करो कि मुझे अपने जमा का खाता बढ़ाना ही है | सिर्फ़ समय और संकल्प की बचत करते चलो, व्यर्थ और साधारण संकल्प न हों तो जमा का खाता बढ़ता जायेगा फिर उसी प्रमाण सारे कल्प में राज्य भी करेंगे और पूज्य भी बनेंगे |


स्लोगन:-   

स्वप्न वा संकल्प की पवित्रता ही सबसे बड़े से बड़ी पर्सनैलिटी है |     

 

ओम् शान्ति |