07-11-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे
बच्चे - "बाप
आये हैं तुम्हें रूहानी हुनर सिखलाने,
जिस हुनर से तुम सूर्य-चांद से भी पार
शान्तिधाम में जाते हो" 
प्रश्न:-
साइन्स घमण्ड और साइलेन्स घमण्ड
में
कौन-सा अन्तर
है?
उत्तर:-
साइन्स घमण्डी चांद सितारों पर जाने के लिए कितना खर्चा करते
हैं
।
शरीर का जोखिम उठाकर जाते हैं । उन्हें यह डर रहता
है
कि
रॉकेट कहाँ फेल न हो जाए । तुम बच्चे साइलेन्स घमण्ड वाले बिगर
कौड़ी
खर्चा सूर्य-चांद से भी पार मूलवतन में चले जाते हो । तुम्हें
कोई डर
नहीं
क्योंकि तुम शरीर को यहाँ ही छोड़कर जाते हो
।
ओम्
शान्ति |
रूहानी बाप बैठ रूहानी
बच्चों
को समझाते हैं । बच्चे सुनते तो रहते हैं कि साइन्सदान चांद पर
जाने का प्रयत्न करते रहते हैं । लेकिन वे लोग तो सिर्फ चांद
तक जाने की कोशिश करते हैं,
कितना खर्चा करते
हैं
।
बहुत डर रहता
है
ऊपर जाने
में
।
अब तुम अपने ऊपर विचार करो,
तुम कहा के रहने वाले हो?
वह तो चन्द्रमा की तरफ जाते
हैं
।
तुम तो सूर्य-चाँद
से भी पार जाते हो,
एकदम मूलवतन
में
।
वो लोग तो ऊपर जाते हैं तो उनको बहुत पैसे मिलते
हैं
।
ऊपर
में
चक्र लगाकर आते तो
उन्हों
को लाखों सौगातें
मिलती है । शरीर का जोखिम (रिस्क) उठाकर जाते हैं । वह है
साइन्स घमण्डी । तुम्हारे पास
है
साइलेन्स का घमण्ड । तुम जानते हो हम आत्मा अपने शान्तिधाम
ब्रह्माण्ड में जाते
हैं
।
आत्मा ही सब कुछ करती
है
।
उन्हों
की भी आत्मा शरीर के साथ ऊपर
में
जाती
है
।
बड़ा
खौफनाक
है
।
डरते भी
हैं,
ऊपर से गिरे तो जान खत्म हो जायेगी । वह सब
हैं
जिस्मानी हुनर । तुमको बाप रूहानी हुनर (कला) सिखलाते
हैं
।
इस हुनर सीखने से तुमको कितनी
बड़ी
प्राइज मिलती
है
।
21
जन्मों
की प्राइज मिलती
हैं,
नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार । आजकल
गवर्मेंट
लॉटरी भी निकालती
है
ना । यह बाप तुमको प्राइज देते
हैं
।
और क्या सिखाते
हैं?
तुमको
बिल्कुल
ऊपर ले जाते
हैं,
जहाँ तुम्हारा घर
है
।
अभी तुमको याद आता
है
ना कि हमारा घर कहाँ
हैं
और राजधानी जो गँवाई
है,
वह कहाँ
हैं
।
रावण ने छीन लिया । अब फिर से हम अपने असली घर भी जाते हैं और
राजाई
भी पाते
हैं
।
मुक्तिधाम हमारा घर
है
- यह कोई को पता नहीं
है
।
अब तुम
बच्चों
को सिखलाने के लिए देखो बाप कहाँ से आते
हैं,
कितना दूर से आते हैं । आत्मा भी रॉकेट
है
।
वह कोशिश करते
हैं
ऊपर जाकर देखे चन्द्रमा में क्या
है,
स्टॉर में क्या
है?
तुम बच्चे जानते हो यह तो इस माण्डवे की
बत्तियां हैं । जैसे माण्डव
में
बिजलियां लगाते
हैं
।
म्यूजियम
में
भी तुम बत्तियों
की लड़ियाँ लगाते हो ना । यह फिर
है
बेहद की दुनिया । इसमें यह सूर्य,
चांद, सितारे
रोशनी देने वाले हैं । मनुष्य फिर समझते हैं सूर्य-चन्द्रमा यह
देवतायें हैं । परन्तु यह देवता तो
हैं
नहीं
।
अभी तुम समझते हो बाप कैसे आकर हमको मनुष्य से देवता बनाते हैं
। यह ज्ञान सूर्य,
ज्ञान चन्द्रमा और ज्ञान लकी सितारे
हैं
।
ज्ञान से ही तुम
बच्चों
की सद्गति हो रही
है
।
तुम कितना दूर जाते हो । बाप ने ही घर जाने का रास्ता बताया
है
।
सिवाए बाप के कोई भी वापिस अपने घर जा नहीं सकते । बाप जब आकर
शिक्षा देते हैं,
तब तुम जानते हो । यह भी समझते हैं हम
आत्मा पवित्र बनेंगे तब ही अपने घर जा सकेंगे । फिर या तो
योगबल से या सजाओं के बल से पावन बनना
है
।
बाप तो समझाते रहते
हैं
जितना बाप को याद करेंगे उतना तुम पावन
बनेंगे
।
याद
नहीं
करेंगे
तो पतित ही रह जायेंगे
फिर बहुत सजा खानी पड़ेगी और पद भी भ्रष्ट हो जायेगा । बाप खुद
बैठ तुमको समझाते हैं । तुम ऐसे-ऐसे घर जा सकते हो ।
ब्रह्माण्ड क्या
है,
सूक्ष्मवतन क्या
है,
कुछ भी पता
नहीं
।
स्टूडेंट
पहले थोड़ेही कुछ जानते हैं,
जब पढ़ना शुरू करते हैं तो फिर नॉलेज मिलती
है
।
नॉलेज भी कोई छोटी,
कोई
बड़ी
होती
है
।
आई .सी .एस. का
इम्तहान
दिया तो फिर कहेंगे नॉलेजफुल । इससे ऊंच नॉलेज कुछ होती नहीं ।
अब तुम भी कितनी ऊंच नॉलेज सीखते हो । बाप तुमको पवित्र बनने
की युक्ति बताते हैं कि
बच्चों
मामेकम्
याद करो तो तुम पतित से पावन बनेंगे । असुल
में
तुम आत्मायें पावन थी । ऊपर अपने घर
में
रहने वाली थी,
जब तुम सतयुग
में
जीवनमुक्ति में हो तो बाकी सब मुक्तिधाम में रहते हैं । मुक्ति
और जीवनमुक्ति दोनों
को हम शिवालय कह सकते
हैं
।
मुक्ति
में
शिवबाबा भी रहते हैं,
हम बच्चे (आत्मायें)
भी रहते
हैं
।
यह
है
रूहानी हाइएस्ट नॉलेज । वह कहते
हैं
हम चांद के ऊपर जाकर
रहेंगे
।
कितना माथा मारते हैं । बहादुरी दिखाते
हैं
।
इतने मल्टी-मिलियन माइल ऊपर जाते
हैं,
लेकिन
उन्हों
की आश पूर्ण
नहीं
होती
हैं
और तुम्हारी आश पूरी हो जाती
है
।
उनका
है
झूठा जिस्मानी घमण्ड । तुम्हारा
है
रूहानी घमण्ड । वह माया की बहादुरी कितनी दिखाते हैं । मनुष्य
कितनी तालियां बजाते हैं,
बधाईयां देते हैं । मिलता भी बहुत
है
।
करके 5 - 10
करोड़ मिलेंगे
।
तुम
बच्चों
को यह ज्ञान
है
कि
उन्हों
को यह जो पैसे मिलते
हैं,
सब खत्म हो जायेंगे
।
बाकी थोड़े दिन ही समझो । आज क्या
है,
कल क्या होगा! आज तुम नर्कवासी हो,
कल स्वर्गवासी बन जायेंगे
।
टाइम कोई जास्ती
नहीं
लगता
है,
तो
उन्हों
की
है
जिस्मानी ताकत और तुम्हारी
है
रूहानी ताकत । जो सिर्फ तुम ही जानते हो । वह जिस्मानी ताकत से
कहाँ तक जायेंगे
।
चांद,
सितारों तक पहुँचेंगे और लड़ाई शुरू हो
जायेगी । फिर वह सब खत्म हो जायेंगे । उन्हों का हुनर यहाँ तक
ही खत्म हो जायेगा । वह
है
जिस्मानी हाइएस्ट हुनर,
तुम्हारा
है
रूहानी हाइएस्ट हुनर । तुम शान्तिधाम
में
जाते हो । उसका नाम ही
है
स्वीट होम । वो लोग कितने ऊपर जाते
हैं
और तुम अपना हिसाब करो-तुम कितने माइल्स ऊपर
में
जाते हो?
तुम कौन?
आत्मायें । बाप कहते हैं मैं कितने माइल ऊपर
में
रहता हूँ । गिनती कर सकेंगे! उन्हों के पास तो गिनती
हैं,
बतलाते हैं इतने माइल ऊपर में गये फिर लौट
आते
हैं
।
बड़ी खबरदारी रखते
हैं,
ऐसे उतरेंगे
यह
करेंगे,
बहुत आवाज होता
है
।
तुम्हारा क्या आवाज होगा । तुम कहाँ जाते हो फिर कैसे आते हो,
कोई पता
नहीं
।
तुमको क्या प्राइज मिलती
है,
यह भी तुम ही जानो । वन्डरफुल
है
।
बाबा की कमाल
है,
किसको पता
नहीं
।
तुम तो
कहेंगे
यह नई बात थोड़ेही
है
।
हर 5 हजार वर्ष बाद वह अपनी यह प्रैक्टिस करते
रहेंगे
।
तुम इस सृष्टि रूपी
ड्रामा
के आदि,
मध्य, अन्त
डयुरेशन आदि को अच्छी रीति जानते हो । तो तुमको अन्दर फखुर
होना चाहिए - बाबा हमको क्या सिखलाते
हैं
।
बहुत
ऊँचा
पुरूषार्थ करते
हैं
फिर भी
करेंगे
।
यह सब बातें और कोई
नहीं
जानते । बाप
हैं
गुप्त । तुमको कितना रोज समझाते
हैं
।
तुमको कितनी नॉलेज देते
हैं
।
उन
लोगों
का जाना
है
हद तक । तुम बेहद
में
जाते हो । वह चन्द्रमा तक जाते हैं,
अब वह तो बड़ी-बड़ी बत्तियां हैं,
और तो कुछ
है
नहीं
।
उनको धरनी बहुत छोटी देखने
में
आती
हैं
।
तो
उन्हों
की जिस्मानी नॉलेज और तुम्हारी नॉलेज
में
कितना फर्क
है
।
तुम्हारी आत्मा कितनी छोटी
है
।
परन्तु रॉकेट बड़ा तीखा
है
।
आत्मायें
ऊपर
में
रहती
हैं
फिर आती हैं पार्ट बजाने । वह भी सुप्रीम आत्मा
है
।
परन्तु उनकी पूजा कैसे हो । भक्ति भी जरूर होनी ही
है
।
बाबा ने समझाया
है
आधाकल्प
है
ज्ञान दिन,
आधाकल्प
है
भक्ति रात । अभी
संगमयुग
पर तुम ज्ञान लेते हो । सतयुग में तो ज्ञान होता
नहीं
इसलिए इसको पुरूषोत्तम
संगमयुग
कहा जाता
है
।
सबको पुरूषोत्तम बनाते
हैं
।
तुम्हारी आत्मा कितना दूर- दूर जाती
है,
तुमको
खुशी
है
ना । वह हुनर दिखाते हैं तो बहुत पैसे मिलते हैं । भल कितना भी
मिलें परन्तु तुम समझते हो वह कुछ भी साथ चलना नहीं
हैं
।
अभी मरे कि मरे । सब खत्म हो जाने वाला
है
।
अभी तुमको कितने वैल्युबुल रत्न मिलते हैं,
इनकी वैल्यु कोई गिनी नहीं जाती । लाख-लाख
रूपया एक-एक वर्शन्स का
है
।
कितने समय से तुम सुनते ही आते हो । गीता
में
कितनी वैल्युबुल
नॉलेज
है
।
यह एक ही गीता
है
जिसको मोस्ट वैल्युबुल कहते
हैं
।
सर्वशास्त्रमई
शिरोमणी श्रीमत भगवत गीता
है
।
वो लोग भल
पढ़ते
रहते हैं परन्तु अर्थ
थोड़ेही
समझते हैं । गीता पढ़ने से क्या होगा । अब बाप कहते हैं मुझे
याद करो तो तुम पावन बनेंगे । भल वह गीता
पढ़ते
हैं
परन्तु एक का भी बाप से योग नहीं । बाप को ही सर्वव्यापी कह
देते
हैं
।
पावन भी बन नहीं सकते । अब यह लक्ष्मी-नारायण के चित्र
तुम्हारे सामने
हैं
।
इनको देवता कहा जाता
है
क्योंकि
दैवीगुण हैं । तुम
आत्माओं
को पवित्र बन सबको अपने घर जाना
है
।
नई दुनिया में तो इतने मनुष्य होते
नहीं
।
बाकी सब
आत्माओं
को जाना
पड़ेगा
अपने घर । तुमको बाप भी वन्डरफुल नॉलेज देते हैं,
जिससे तुम मनुष्य से देवता बहुत ऊंच बनते
हो । तो ऐसी
पढ़ाई
पर
अटेंशन
भी इतना चाहिए
|
यह भी समझते
हैं
जैसा जिसने कल्प पहले
अटेंशन
दिया
है,
ऐसा देते
रहेंगे
।
मालूम पड़ता रहता
है
।
बाप सर्विस का समाचार सुनकर खुश भी होते
हैं
।
बाप को कभी चिट्ठी ही
नहीं
लिखते
हैं
तो समझते
हैं
उनका बुद्धियोग कहाँ ठिक्कर भित्तर तरफ लग गया
है
।
देह- अभिमान आया हुआ
है,
बाप को भूल गये
हैं
।
नहीं
तो विचार करो लव मैरेज होती
है
तो उनका कितना आपस
में
प्यार रहता
है
।
हाँ,
कोई-कोई के ख्याल बदल जाते
हैं
तो फिर
स्त्री
को भी मार डालते
हैं
।
यह तुम्हारी
है
उनके साथ लव मैरेज । बाप आकर तुमको अपना परिचय देते
हैं
।
तुम आपेही परिचय
नहीं
पाते हो । बाप को आना पड़ता
है
।
बाप आयेगा तब जबकि दुनिया पुरानी होगी । पुरानी को नई बनाने
जरूर संगम पर ही आयेंगे । बाप की
ड्यूटी है
नई दुनिया स्थापन करने की । तुमको स्वर्ग का मालिक बना देते
हैं
तो ऐसे बाप के साथ कितना लव होना चाहिए फिर
क्यों
कहते कि बाबा हम भूल जाते
हैं
।
कितना
ऊंच
ते
ऊंच
बाप
है
।
इनसे
ऊंचा
कोई होता ही
नहीं
।
मनुष्य मुक्ति के लिए कितना माथा मारते,
उपाय करते
हैं
।
कितनी झूठ ठगी चल रही
है
।
महर्षि आदि का कितना नाम
है
।
गवर्मेंट
10
- 20 एकड जमीन दे देती
हैं
।
ऐसे
नहीं
कि
गवर्मेंट
कोई इरिलीजस
है
।
इनमें
कोई मिनिस्टर रिलीजस
है,
कोई अनरिलीजस
है
।
कोई धर्म को मानते ही
नहीं
।
कहा जाता
है
रिलीजन इज माइट । क्रिश्चियन में माइट थी ना । सारे भारत को हप
करके गये । अभी भारत
में
कोई माइट
नहीं
है
।
कितना झगड़ा मारामारी लगी
पड़ी
है
।
वही भारत क्या था । बाप कैसे,
कहाँ आते
हैं,
किसको कुछ भी पता
नहीं
।
तुम जानते हो मगध देश
में
आते
हैं
जहाँ मगरमच्छ होते
हैं
।
मनुष्य ऐसे
हैं
जो सब-कुछ खा जायें
।
सबसे जास्ती वैष्णव भारत था । यह वैष्णव राज्य
है
ना । कहाँ यह महान् पवित्र देवतायें,
कहाँ आजकल देखो क्या-क्या हप करते जाते हैं
। आदमखोर भी बन जाते हैं । भारत की क्या हालत हो गई
है
।
अभी तुमको सारा राज समझा रहे
हैं
।
ऊपर से लेकर नीचे तक पूरा ज्ञान देते हैं । पहले-पहले तुम ही
इस पृथ्वी पर होते हो फिर मनुष्य वृद्धि को पाते हैं । अभी
थोड़े
समय
में
हाहाकार हो जायेगा फिर हाय-हाय करते रहेंगे । स्वर्ग
में
देखो कितना सुख
है
।
यह एम आब्जेक्ट की निशानी देखो । यह सब तुम
बच्चों
को धारणा भी करनी
है
।
कितनी बड़ी पढ़ाई
है
।
बाप कितना क्लीयर कर समझाते
हैं
।
माला का राज भी समझाया
है
।
ऊपर
में
फूल
हैं
शिवबाबा,
फिर
मेरू,
प्रवृत्ति मार्ग
है
ना । निवृति मार्ग वालों को तो माला फेरने का हुक्म
नहीं
।
यह
हैं
ही देवताओं
की माला,
उन्होंने
कैसे राज्य लिया
है,
तुम्हारे में भी नम्बरवार
हैं
।
कोई-कोई
हैं
जो बेधड़क हो किसको भी समझाते
हैं-
आओ तो हम आपको ऐसी बात बतायें
जो और कोई बता ही नहीं सकते । सिवाए शिवबाबा के और कोई जानते
ही नहीं ।
उन्हों
को यह राजयोग किसने सिखाया । बहुत रसीला बैठ समझाना चाहिए । यह
84 जन्म कैसे लेते,
देवता, क्षत्रिय,
वैश्य, शूद्र. ।
बाप कितनी सहज नॉलेज बताते हैं और पवित्र भी बनना
है
तब ही ऊंच पद पायेंगे । सारे
विश्व
पर शान्ति स्थापन करने वाले तुम हो । बाप तुमको राज्य- भाग्य
देते
हैं
।
दाता
हैं
ना । वह कुछ लेता नहीं
है
।
तुम्हारी पढ़ाई की यह
हैं
प्राइज । ऐसी प्राइज तो और कोई दे न सके । तो ऐसे बाप को प्यार
से
क्यों
नहीं याद करते
हैं
।
लौकिक बाप को तो सारा जन्म याद करते हो । पारलौकिक को
क्यों नहीं
याद करते हो । बाप ने बताया
है
युद्ध का मैदान
हैं,
टाइम लगता
है
पावन बनने
में
।
इतना ही समय लगता
है
जब तक
लड़ाई
पूरी हो । ऐसे
नहीं
जो शुरू
में
आये हैं वह पूरे पावन
होंगे
।
बाबा कहते
हैं
माया की लड़ाई बड़ी जोर से चलती
है
।
अच्छे- अच्छे को भी माया जीत लेती
है
।
इतनी तो बलवान
है
।
जो गिरते हैं वह फिर मुरली भी कहाँ से सुनें ।
सेण्टर
में तो आते ही
नहीं
तो उनको कैसे पता पड़े । माया एकदम वर्थ नाट ए पेनी बना देती
है
।
मुरली जब
पढ़े
तब सुजाग हो । गन्दे काम
में
लग जाते
हैं
।
कोई सेन्सीबुल बच्चा हो जो उनको समझावे-तुमने माया से कैसे हार
खाई
है
।
बाबा तुमको क्या सुनाते
हैं,
तुम फिर कहाँ जा रहे हो । देखते
हैं
इनको माया खा रही
है
तो बचाने की कोशिश करनी चाहिए । कहाँ माया सारा हप न कर लेवे ।
फिर से सुजाग हो जाएं ।
नहीं
तो ऊंच पद
नहीं
पायेंगे । सतगुरू की निंदा कराते हैं | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे
बच्चों
प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग । रूहानी
बाप की रूहानी
बच्चों
को नमस्ते ।
धारणा के
लिए मुख्य सार:-
1.
बाप
से साइलेन्स का हुनर सीखकर इस हद की दुनिया से पार बेहद
में
जाना
है
।
फखुर (नशा) रहे बाप हमें
कितना वन्डरफुल ज्ञान देकर,
कितनी बड़ी प्राइज देते
हैं
।
2.
बेधड़क
होकर
बहुत रसीले
ढंग
से
सेवा करनी
है
।
माया की
लड़ाई
में
बलवान बन जीत पानी
है
।
मुरली सुनकर सुजाग रहना
है
और
सबको सुजाग करना
है
|
वरदान:-
इस कल्याणकारी युग में सर्व का कल्याण करने वाले प्रकृतिजीत
मायाजीत भव
! 
संगमयुग को कल्याणकारी युग कहा जाता
है
इस युग में सदा ये स्वमान याद रहे कि
मैं
कल्याणकारी आत्मा
हूँ,
मेरा
कर्तव्य
है
पहले स्व का कल्याण करना फिर सर्व का कल्याण करना ।
मनुष्यात्मायें
तो क्या हम प्रकृति का भी कल्याण करने वाले हैं इसलिए
प्रकृतिजीत,
मायाजीत कहलाते
हैं
।
जब आत्मा पुरुष प्रकृतिजीत बन जाती
है,
तो प्रकृति भी सुखदाई बन जाती
है
।
प्रकृति वा माया की हलचल में आ
नहीं
सकते ।
उन्हों
पर अकल्याण के वायुमण्डल का प्रभाव
पड़
नहीं
सकता ।
स्लोगन:-
एक
दूसरे के विचारों
को
सम्मान दो तो
माननीय
आत्मा
बन जायेंगे
| 
ओम्
शान्ति |