16-03-14    प्रातः मुरली ओम् शान्ति   “अव्यक्त-बापदादा    रिवाइज: 14-12-97   मधुबन


“व्यर्थ और निगेटिव को अवाइड कर अवार्ड लेने के पात्र बनो”

आज बापदादा अपने परमात्म प्यार के पात्र आत्माओं को देख रहे हैं | परमात्म प्यार आनन्दमय झूला है जिस सुखदाई झूले में सदा झूलते रहते हैं | परमात्म प्यार अनेक जन्मों के दुःखों को एक सेकेण्ड में समाप्त कर देता है | परमात्म प्यार सर्व शक्ति सम्पन्न है, जो निर्बल आत्माओं को शक्तिशाली बना देता है | ऐसे श्रेष्ठ परमात्म प्यार के आप कितनी थोड़ी सी आत्मायें पात्र हो | ऐसी श्रेष्ठ पात्र आत्माओं को बापदादा देख-देख हर्षित होते हैं | जैसे बाप हर्षित होते हैं वैसे बच्चे भी हर्षित होते हैं लेकिन नम्बरवार | बापदादा तो यही हर बच्चे को दिल से वरदान देते हैं कि सदा परमात्म प्यार के झूले में झूलने वाले अविनाशी रत्न भव | इस प्यार के झूले से मन रूपी पाँव नीचे ही नहीं करो क्योंकि सारे विश्व की आत्माओं से परम आत्मा के लाडले हो, प्यारे हो | तो बापदादा यही बच्चों को दुआयें देते हैं इसी परमात्म प्यार में लवलीन रहो | ऐसे लवलीन आत्माओं के पास कोई भी पर-स्थिति वा माया की हलचल आ नहीं सकती | नीचे पाँव रखते हो तो माया भी भिन्न-भिन्न खेल खेलने आती है, भिन्न-भिन्न रूप धारण कर आकर्षित करती है | लवलीन आत्माओं के सर्व शक्तियों के आगे माया आँख उठाकर भी नहीं देख सकती | आपका तीसरा नेत्र, ज्वालामुखी नेत्र माया को शक्तिहीन कर देता है | तो आप सब जो विशेष आत्मायें हो, सभी ब्राह्मणों को बापदादा द्वारा जन्मते ही तीसरा नेत्र मिला हुआ है | लेकिन बाप देखते हैं कभी-कभी बच्चों का तीसरा नेत्र बहुत मेहनत का पुरुषार्थ करते-करते थक जाता है और थकने के कारण बन्द हो जाता है | माया को भी देखने के आँख बहुत दूरादेशी वाली है, दूर से देख लेती है | अभी तो माया भी समझ गई है कि अब हमारा राज्य गया कि गया, इसलिए माया से घबराओ नहीं | ख़ुशी-ख़ुशी से, सर्व शक्तियों के आधार से उनको विदाई दो | आने का चान्स नहीं दो, विदाई दो | वह भी ब्राह्मण आत्माओं से, श्रेष्ठ आत्माओं से वार करते-करते थक गई है | आप खुद कमज़ोरी के कारण माया का आह्वान करते हो, वह थक गई है लेकिन आप आह्वान करते हो तो वह भी चान्स ले लेती है | अभी शक्तिहीन हो गई है | आप सबका अनुभव क्या कहता है? अभी माया में पहले जैसी शक्ति है? उसमें शक्ति है या आप शक्तिशाली हो? वह ट्रायल तो करेगी क्योंकि आप ही आह्वान करते हो तो वह चान्स क्यों नहीं देगी | कमज़ोर बनते क्यों हो? बाप का यह क्वेश्चन है कि मास्टर सर्वशक्तिमान हो या नहीं? सभी मास्टर सर्वशक्तिमान हो? कभी-कभी सर्वशक्तिमान हो या सदा सर्वशक्तिमान हो? क्या हो? सदा शक्तिशाली हो? तो माया को कह दें कि अभी जाओ? आप उसे नहीं बुलाना | बाप माया को कहते हैं अभी समाप्त करो | तो माया बाप को कहती है कि मुझे आह्वान करते हैं तो बाप क्या करे? अगर किसी भी प्रकार की कमज़ोरी चाहे मन में, चाहे वचन में, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क में आती है तो समझो माया को आह्वान किया | उसको भी आह्वान का वायब्रेशन बहुत जल्दी पहुँचता है |

यह महा उत्सव तो बहुत अच्छे मना रहे हो | लेकिन उत्साह सदा रहे इसलिए उत्सव मना रहे हो | इस वर्ष उत्सव मना रहे हो ना? (इस ग्रुप में ईश्वरीय सेवा के आदि रत्न भाईयों का सम्मान समारोह तथा टीचर्स बहिनों की सिल्वर जुबली का कार्यक्रम रखा गया है) हर ग्रुप में उत्सव मना रहे हैं तो बाप समझते हैं कि यह वर्ष उत्सव मनाना अर्थात् माया को विदाई देना | ऐसे नहीं गोल्डन चुन्नी पहनकर बैठ जाओ, गोल्डन चुन्नी पहनना माना गोल्डन एजड बनना | दृश्य तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन सदा गोल्डन स्थिति की चुन्नी वा दुपट्टा पड़ा रहे | ऐसे नहीं दुपट्टा उतरा, उत्सव पूरा हुआ और जैसे थे वैसे रहे | यह उत्साह दिलाने का फ़ंक्शन है | तो जिन्होंने उत्सव मनाया है या मनाने के लिए आये हैं वह हाथ उठाओ | बापदादा खुश है | खूब मनाओ लेकिन मनाना अर्थात् बनना और बनाना | उत्सव मनाने समय अपने आपको अन्डरलाइन करो सदा याद और सेवा के उत्साह में रहने वाली आत्मा हूँ | बापदादा को भी दृश्य अच्छा लगता है | तो यह वर्ष बापदादा माया को विदाई देने का वर्ष मनाने चाहते हैं | तो ऐसा उत्सव मनायेंगे ना? कल जो मनायेंगे, ऐसा ही मनायेंगे ना? सिल्वर जुबली मनायेंगे ना? गोल्डन जुबली हो, सिल्वर जुबली हो लेकिन है तो उत्सव ना! ऐसे नहीं सोचना कि हम तो सिल्वर जुबली वाले हैं, पहले गोल्डन वाले बनें फिर हम बनें | ऐसे नहीं सोचना | और जिन्होंने नहीं भी मनाया है, वह भी ऐसे नहीं समझना कि जो उत्सव मनाने वाले हैं उन्हों के लिए बापदादा कह रहे हैं | सभी के लिए कह रहे हैं | ब्राह्मण जीवन का उत्सव तो मनाया है ना! ब्राह्मण तो सभी बन गये या ब्राह्मण भी बन रहे हैं? बन गये हैं | तो ब्राह्मण जन्म का उत्सव मनाने वाली आत्मायें अर्थात् सदा उत्साह में रहना और औरों को भी उत्साह में लाना | यह ब्राह्मणों का आक्यूपेशन है | वह ब्राह्मण तो मुख से कथा करते हैं, आप ब्राह्मण मुख से भी बोलते तो उत्साह दिलाने के लिए बोलते हैं | कैसी भी आत्मा हो चाहे आपके विरोधी आत्मा हो, क्योंकि हिसाब-किताब भी यहाँ ही चुक्तू होना है | लेकिन कैसी भी आत्मा हो ब्राह्मणों का काम है उत्साह भरी कहानी सुनाना | वह रोता हो, आप उन्हें उत्साह में नचा दो | जब कोई दिल में उत्साह होता है तो क्या होता है? पाँव नाचने लगते हैं | जैसे यह फ़ंक्शन करते हो ना | तो लास्ट में क्या करते हो? सब डांस करते हैं ना | यह तो पाँव की डांस है | ब्राह्मण आत्मा सिवाए उत्साह दिलाने और उत्साह में रहने के बिना रह नहीं सकती | उत्साह मिटाने वाली बातें होती हैं और होंगी लेकिन बापदादा इस वर्ष में यही सब बच्चों से शुभ आश रखते हैं कि बीती सो बीती, आज तक जो भी कैसी भी आत्मायें सम्बन्ध-सम्पर्क में रही हैं, जैसी भी हैं, चाहे निगेटिव भी हैं, सामना करने वाली भी हैं, ब्राह्मण जीवन को हिलाने वाली भी हैं लेकिन इस वर्ष में निगेटिव और वेस्ट दृष्टिकोण समाप्त करो | स्नेह दो, शक्ति दो | अगर स्नेह नहीं दे सकते, शक्ति नहीं दे सकते तो देखते, सुनते, सम्पर्क में आते वेस्ट और निगेटिव बातों को दिल में धारण करने में अवाइड करो | मन और बुद्धि में धारण नहीं हो, अवाइड करो | परिवर्तन करो | निगेटिव को वा वेस्ट को परिवर्तन करके दिल में समाओ | ऐसे दोनों बातों को जो अवाइड करेगा उसको बापदादा द्वारा, ब्राह्मण परिवार द्वारा बहुत अच्छे ते अच्छा, बड़े ते बड़ा अवार्ड मिलेगा और आत्माओं को तो अवार्ड देने वाली आत्मायें होती हैं | अवार्ड मिलता है ना? तो यह परमात्म अवार्ड है | अवाइड करो, अवार्ड लो | हिम्मत है? अच्छा |

पाण्डवों ने जिन्होंने फ़ंक्शन मनाया, उन्हों में हिम्मत है? अवार्ड लेंगे? सभी ने हाथ उठाया, आज की डेट अन्डरलाइन करना | आज कौन सी डेट है? (14 दिसम्बर) तो हर मास की 14 तारीख अपने को चेक करना | अच्छा – सिल्वर जुबली वाले जो समझते हैं अवार्ड लेंगे, वह हाथ उठाओ | ऐसे देखा-देखी नहीं उठाओ | शर्म के कारण नहीं उठाओ | बापदादा चान्स देते हैं, अगर कोई में हिम्मत नहीं है तो नहीं उठाओ, कोई हर्ज़ा नहीं | बापदादा और सकाश देगा, ऐसी कोई बात नहीं है | ऐसे कोई हैं जो समझते हैं और थोड़ी हिम्मत चाहिए? कोई सिल्वर जुबली वाली टीचर्स ऐसी हैं? चलो यहाँ हाथ नहीं उठाओ, शर्म आता हो तो लिखकर देना | जब फ़ंक्शन मनाओ तब देना, समझते हो हमको एक्स्ट्रा हिम्मत चाहिए, तो उसके लिए विशेष ट्यूशन रखेंगे | जो पढ़ाई में कमज़ोर होता है तो क्या करते हैं? ट्यूशन रखते हैं ना? अच्छा | मधुबन वाले हाथ उठाओ | खड़े हो जाओ | मधुबन वाले चान्स अच्छा लेते हैं | अच्छा – मधुबन वाले अवार्ड लेंगे? सभी ने उठाया? ट्यूशन नहीं चाहिए? बहादुर हैं | अच्छा – बापदादा हिसाब लेंगे | मुबारक हो मधुबन वालों को |

बाकी जो कोने-कोने से स्नेही, सहयोगी, सम्बन्ध में रहने वाले नये पुराने बच्चे आये हैं, उन्हों को विशेष बापदादा एक तो आने की मुबारक देते हैं, दूसरा मर्यादा में चलने की भी मुबारक देते हैं | कम से कम एक साल तो नये भी मर्यादापूर्वक चले हैं तब यहाँ पहुँचे हैं | कोई चतुर भी होंगे लेकिन मैजारिटी तो मर्यादा को पालन करने वाले हैं | तो प्रवृत्ति में रहते मर्यादा में चलने वाली, मर्यादा रखने वाली आत्माओं को मर्यादा की भी मुबारक है |

अच्छा – मातायें हिम्मत रखती हो कि माया को विदाई देंगे? अगर हाँ तो एक हाथ की ताली बजाओ | अच्छा – प्रवृत्ति वाले पाण्डव, हिम्मत है? अवार्ड लेना है? एक हाथ की ताली बजाओ | बापदादा को भी ख़ुशी होती है, देखो बेहद का हाल, बेहद का नशा चढ़ाता है ना | आराम से बैठने की जगह तो है ना? अभी आपका उल्हना होगा कि दूर से देख नहीं सकते हैं | लेकिन अभी तो फिर भी आप बहुत आराम से बैठकर सुन तो सकते, टी.वी. में देख तो सकते | जब 9 लाख तैयार हो करेंगे तो क्या होगा? फिर बैठने की जगह मिलेगी? इसीलिए जो जितना पहले आया वह भाग्यवान है | तो जैसे अभी आप लोग अपने से पहले वालों का भाग्य गाते हो कि आप बहुत अच्छे हैं | ऐसे बापदादा कहते हैं कि अभी जो आप आये हो ना, उन्हों को भी पीछे वाले कहेंगे, आप बहुत भाग्यवान हैं | वृद्धि तो होनी है ना? नहीं तो राजधानी कैसे बनेगी?

तो यह वर्ष विदाई और बधाई का है और इस वर्ष में विशेष जो बच्चों ने संकल्प किया है, वह प्रैक्टिकल में करने वालों को बापदादा की एक्स्ट्रा मदद भी मिलेगी | सिर्फ़ दृढ़ रहना | बीच-बीच में ड्रामा पेपर लेगा लेकिन संकल्प में दृढ़ रहना, संकल्प रूपी पाँव हिले नहीं, अचल रहे तो बापदादा द्वारा एक्स्ट्रा मदद की अनुभूति होगी | सिर्फ़ लेने की शक्ति चाहिए | एक बल, एक भरोसा....कुछ भी हो जाए, बनना ही है | यह संकल्प रूपी पाँव मज़बूत रखना | तो बातें आयेंगी भी लेकिन ऐसे ही अनुभव करेंगे जैसे प्लेन में बादल नीचे रह जाते हैं और स्वयं बादलों से ऊपर रहते हैं | बादल एक मनोरजंन का दृश्य बन जाता है | ऐसे कितने भी काले बादलों जैसी बातें हों, जिसमें कुछ समस्या का हल या समाधान उस समय दिखाई न भी दे लेकिन यह दृढ़ निश्चय हो कि यह बादल आये हैं जाने के लिए | यह बादल बिखरने वाले ही हैं, रहने वाले नहीं हैं | ऐसे उड़ती कला की स्टेज पर स्थित हो जाओ तो कितने भी गहरे काले बादल बिखर जायेंगे और आप दृढ़ता के बल से सफ़ल हुए ही पड़े हैं | घबराओ नहीं, यह कैसे होगा! अच्छा होगा, क्योंकि बापदादा जानते हैं जितना समय समीप आ रहा है उतना नई-नई बातें, संस्कार, हिसाब-किताब के काले बादल आयेंगे | यहाँ ही सब चुक्तू होना है | कई बच्चे कहते हैं दिन-प्रतिदिन और ही ऐसी बातें बढती क्यों हैं? जिन बच्चों को धर्मराजपुरी में क्रास नहीं करना है, उन्हों के संगम के इस अन्तिम समय में स्वभाव-संस्कार के सब हिसाब-किताब यहाँ ही चुक्तू होने हैं | धर्मराजपुरी में नहीं जाना है | आपके सामने यमदूत नहीं आयेंगे | यह बातें ही यमदूत हैं, जो यहाँ ही ख़त्म होनी हैं इसीलिए बीमारी बाहर निकलकर खत्म होने की निशानी है | ऐसे नहीं सोचो कि यह तो दिखाई नहीं देता है कि समय समीप है और ही व्यर्थ संकल्प बढ़ रहे हैं! लेकिन यह चुक्तू होने के लिए बाहर निकल रहे हैं | उन्हों का काम है आना और आपका काम है उड़ती कला द्वारा, सकाश द्वारा परिवर्तन करना | घबराओ नहीं | कई बच्चों की विशेषता है कि बाहर से घबराना दिखाई नहीं देता है लेकिन अन्दर मन घबराता है | बाहर से कहेंगे नहीं-नहीं, कुछ नहीं | यह तो होता ही है लेकिन अन्दर उसका सेक होगा | तो बापदादा पहले से ही सुना देता है कि घबराने वाली बातें आयेंगी लेकिन आप घबराना नहीं | अपने शस्त्र छोड़ नहीं दो | जो घबराता है ना तो जो भी हाथ में चीज़ होती है वह गिर जाती है | तो जब यह मन में भी घबराते हैं ना तो शस्त्र व शक्तियां जो हैं वह गिर जाती हैं, मर्ज हो जाती हैं | इसीलिए घबराओ नहीं, पहले से ही पता है | त्रिकालदर्शी बनो, निर्भय बनो | ब्राह्मण आपस में सम्बन्ध में निर्भय नहीं बनना, माया से निर्भय बनो | सम्बन्ध में तो स्नेह और निर्माण | कोई कैसा भी हो आप दिल से स्नेह दो, शुभ-भावना दो, रहम करो | निर्माण बन उसको आगे रख आगे बढ़ाओ | जिसको कहा जाता है कारण रूपी निगेटिव को समाधान रूपी पॉजिटिव बनाओ | यह कारण, यह कारण, यह कारण......कारण वा समस्या को पॉजिटिव समाधान बनाओ |

बापदादाको एक बात पर कभी-कभी हंसी आती है | पता है कौन सी बात? जानते हो? एक तरफ़ तो चैलेन्ज करते हैं – बाबा हम प्रकृति जीत बनेंगे | प्रकृति को भी परिवर्तन करेंगे, यह कहते हो ना? प्रकृति को बदलेंगे ना? ऐसी चैलेन्ज करने वाले प्रकृति को परिवर्तन कर सकते हैं | लेकिन जब सम्बन्ध-सम्पर्क में कोई बातें होती हैं तो उसको समाधान नहीं कर सकते | परिवर्तन नहीं कर सकते | हंसी की बात है ना – प्रकृति जड़ है उसके लिए तो चैलेन्ज है लेकिन ब्राह्मण आत्माओं को परिवर्तन करना, वह नहीं होता है | और फिर क्या सोचते हैं? वह हो नहीं सकता, यह होना ही नहीं है | हो ही नहीं सकता, बदल ही नहीं सकता | तो प्रकृति को कैसे बदलेंगे? खुद बदलकर औरों को बदलो | चलो वह रांग है, 100 परसेन्ट रांग है | लेकिन आपका वायदा क्या है? बाप से क्या वायदा किया है? स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करेंगे? यह वायदा है या भूल गये हैं? हाँ तो सब करते हो | कैसी भी बातें हो, बातों को बदलने के लिए मदद भले लो लेकिन यह बदलना ही मुश्किल है, यह सर्टिफिकेट नहीं दो | किसने आपको अथॉरिटी दी है सर्टिफिकेट देने की? तो यह सोचना कि यह तो होना ही नहीं है, यह तो ठीक होगा ही नहीं | किसने आपको जज बनाया? ऐसे ही जज की कुर्सी पर बैठ जाते हो? या तो वकील बनते, बहुत कायदे कानून बताते, बहस करते, ऐसा नहीं ऐसा | ऐसा नहीं ऐसा | न वकील बनो, न जज बनो | यह अथॉरिटी बापदादा ने दी नहीं है, जो निमित्त हैं उनका सहयोग लो | वह निमित्त आत्मायें भी बापदादा की राय से करती हैं | अपनी मनमत नहीं चलाती हैं |

तो इस वर्ष में यह सब बातें समाप्त करो अर्थात् मन से परिवर्तन करो, अवाइड करो, ऊपर पहुँचाया, ज़िम्मेवारी ख़त्म | आपसे परिवर्तन नहीं होता तो निमित्त आत्माओं तक पहुँचाना यह आपका फ़र्ज़ है | फिर खुद लॉ हाथ में नहीं उठाओ, तभी अवार्ड के पात्र बनेंगे | अच्छा |

चारों ओर के परमात्म प्यार के सुखमय, आनन्दमय झूले में झूलने वाली लकी और लवली आत्माओं को, सदा दृढ़ संकल्प द्वारा समाधान स्वरूप श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा परमात्म अवार्ड लेने के पात्र हीरो पार्टधारी आत्माओं को, सदा बापदादा की पालना का रिटर्न देने वाले बाप के दिलतख़्त नशीन आत्माओं को बापदादा का पदमगुणा, अरब-खरब से भी ज़्यादा यादप्यार और नमस्ते |

वरदान:-  

सदा सर्व प्राप्तियों से भरपूर रहने वाले हर्षितमुख, हर्षितचित भव  

जब भी कोई देवी या देवता की मूर्ति बनाते हैं तो उसमें चेहरा सदा हर्षित दिखाते हैं | तो आपके इस समय के हर्षितमुख रहने का यादगार चित्रों में भी दिखाते हैं | हर्षितमुख अर्थात् सदा सर्व प्राप्तियों से भरपूर | जो भरपूर होता है वही हर्षित रह सकता है | अगर कोई भी अप्राप्ति होगी तो हर्षित नहीं रहेंगे | कोई कितना भी हर्षित रहने की कोशिश करे, बाहर से हंसेंगे लेकिन दिल से नहीं | आप तो दिल से मुस्कराते हो क्योंकि सर्व प्राप्तियों से भरपूर हर्षितचित है |

स्लोगन:- 
पास विद आनर बनना है तो हर ख़ज़ाने का जमा खाता भरपूर हो |  

ओम् शान्ति |