09-04-14     प्रातः मुरली      ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन


मीठे बच्चे बाप जो शिक्षायें देते हैं, उन्हें अमल में लाओ, तुम्हें प्रतिज्ञा कर अपने वचन से फिरना नहीं है, आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना है |   

प्रश्न:-   
तुम्हारी पढ़ाई का सार क्या है? तुम्हें कौन-सा अभ्यास अवश्य करना है?

उत्तर:-
तुम्हारी पढ़ाई है वानप्रस्थ में जाने की | इस पढ़ाई का सार है वाणी से परे जाना | बाप ही सबको वापस ले जाते हैं | तुम बच्चों को घर जाने के पहले सतोप्रधान बनना है | इसके लिए एकान्त में जाकर देही-अभिमानी रहने का अभ्यास करो | अशरीरी बनने का अभ्यास ही आत्मा को सतोप्रधान बनायेगा |

ओम् शान्ति |
अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करने से तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे और फिर ऐसे विश्व के मालिक बन जायेंगे | कल्प-कल्प तुम ऐसे ही तमोप्रधान से सतोप्रधान बनते हो फिर 84 जन्मों में तमोप्रधान बनते हो | फिर बाप शिक्षा देते हैं, अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो | भक्ति मार्ग में भी तुम याद करते थे, परन्तु उस समय मोटी बुद्धि का ज्ञान था | अब महीन बुद्धि का ज्ञान है | प्रैक्टिकल में बाप को याद करना है | यह भी समझाना है – आत्मा भी स्टार मिसल है, बाप भी स्टार मिसल है | सिर्फ़ वह पुनर्जन्म नहीं लेते हैं, तुम लेते हो इसलिए तुमको तमोप्रधान बनना पड़ता है | फिर सतोप्रधान बनने के लिए मेहनत करनी पड़े | माया घड़ी-घड़ी भुला देती है | अब अभुल बनना है, भूल नहीं करनी है | अगर भूलें करते रहेंगे तो तुम और भी तमोप्रधान बन जायेंगे | डायरेक्शन मिलता है अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो, बैटरी चार्ज करो तो तुम सतोप्रधान विश्व के मालिक बन जायेंगे | टीचर तो सबको पढ़ाते हैं | स्टूडेन्ट में नम्बरवार पास होते हैं | नम्बरवार फिर कमाई करते हैं | तुम भी नम्बरवार पास होते हो फिर नम्बरवार मर्तबा पाते हो | कहाँ विश्व के मालिक, कहाँ प्रजा दास-दासियाँ | जो स्टूडेन्ट अच्छे, सपूत, आज्ञाकारी, वफ़ादार, फ़रमानबरदार होते हैं वह ज़रूर टीचर की मत पर चलेंगे | जितना रजिस्टर अच्छा होगा उतनी मार्क्स जास्ती मिलेंगी इसलिए बाप भी बच्चों को बार-बार समझाते हैं, गफ़लत न करो | ऐसे मत समझो कल्प पहले भी फेल हुए थे | बहुतों को यह दिल में आता होगा कि हम सर्विस नहीं करते हैं तो ज़रूर फेल होंगे | बाप तो सावधानी देते रहते हैं, तुम सतयुगी सतोप्रधान से कलियुगी तमोप्रधान बने हो फिर वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होगी | सतोप्रधान बनने लिए बाप बहुत सहज रास्ता बताते हैं – मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे | तुम चढ़ते-चढ़ते सतोप्रधान बन जायेंगे | चढ़ेंगे धीरे-धीरे इसलिए भूलो मत | परन्तु माया भुला देती है | नाफ़रमानबरदार बना देती है | बाप जो डायरेक्शन देते हैं, वह मानते हैं, प्रतिज्ञा करते हैं फिर उस पर चलते नहीं हैं | तो बाप कहेंगे आज्ञा का उल्लंघन कर अपने वचनसे फिरने वाले हैं | बाप से प्रतिज्ञा कर फिर अमल किया जाता है | बेहद का बाप जैसी शिक्षाएं देते हैं ऐसी शिक्षाएं और कोई देंगे नहीं | चेन्ज भी ज़रूर होना है | चित्र कितना अच्छा है | ब्रह्मावंशी हो फिर विष्णुवंशी बनेंगे | यह है नई ईश्वरीय भाषा, इनको भी समझना पड़ता है | यह रूहानी नॉलेज कोई देते नहीं | कोई संस्था निकली है जिन्होंने रूहानी संस्था नाम रखा है | परन्तु रूहानी संस्था तुम्हारे बिगर कोई हो न सके | इमिटेशन बहुत हो जाती है | यह है नई बात, तुम बिल्कुल थोड़े हो और कोई यह बातें समझ न सके | सारा झाड़ अब खड़ा है | बाकी थुर नहीं है, फिर थुर खड़ा हो जाता है | बाकी टाल-टालियाँ नहीं रहेंगे, वह सब ख़त्म हो जायेंगे | बेहद का बाप ही बेहद की समझानी देते हैं | अब सारी दुनिया पर रावण राज्य है | यह लंका है | वह लंका तो समुद्र के पार है | बेहद की दुनिया भी समुद्र पर है | चारों तरफ़ पानी है | वह हद की बातें, बाप बेहद की बातें समझाते हैं | एक ही बाप समझाने वाला है | यह पढ़ाई है | जब नौकरी मिले, पढ़ाई की रिज़ल्ट निकले तब तक पढ़ाई में लगे रहते हैं | उसमें ही बुद्धि चलती है | स्टूडेन्ट का काम है पढ़ाई में अटेन्शन देना | उठते, बैठते, चलते, फिरते याद करना है | स्टूडेन्ट की बुद्धि में यह पढ़ाई रहती है | इम्तहान के दिनों में बहुत मेहनत करते हैं कि कहाँ नापास न हो जायें | ख़ास सवेरे बगीचे में जाकर पढ़ते हैं क्योंकि घर के शोर के वायब्रेशन्स गन्दे होते हैं |

बाप ने समझाया है देही-अभिमानी होने का अभ्यास डालो फिर भूलेंगे नहीं | एकान्त के स्थान तो बहुत हैं | शुरू-शुरू में क्लास पूरा कर तुम सब पहाड़ों पर चले जाते थे | अब दिन-प्रतिदिन नॉलेज डीप होती जाती है | स्टूडेन्ट को एम ऑब्जेक्ट याद रहती है | यह है वानप्रस्थ अवस्था में जाने की पढ़ाई | सिवाए एक के और कोई पढ़ा न सके | साधू सन्त आदि सब भक्ति ही सिखलाते हैं | वाणी से परे जाने का रास्ता एक बाप ही बतलाते हैं | एक बाप ही सबको वापिस ले जाते हैं | अब तुम्हारी है बेहद की वानप्रस्थ अवस्था, जिसको कोई भी नहीं जानते हैं | बाप कहते हैं – बच्चे, तुम सब वान्प्रस्थी हो | सारी दुनिया की वानप्रस्थ अवस्था है | कोई पढ़े वा न पढ़े, वापिस सबको जाना है | जो भी आत्मायें मूलवतन में जायेंगी, वह अपने-अपने सेक्शन में चली जायेंगी | आत्माओं का झाड़ भी वन्डरफुल बना हुआ है | यह सारा ड्रामा का चक्र बिल्कुल एक्यूरेट है | ज़रा भी फ़र्क नहीं | लीवर और सलेन्डर घड़ी होती है ना | लीवर घड़ी बिल्कुल एक्यूरेट रहती है | इसमें भी किनका बुद्धियोग लीवर रहता है, किनका सलेन्डर रहता है | कोई का बिल्कुल लगता ही नहीं है | घड़ी जैसेकि चलती ही नहीं है | तुमको बिल्कुल लीवर घड़ी बनना है तो राजाई में जायेंगे | सलेन्डर प्रजा में जायेंगे | पुरुषार्थ लीवर बनने का करना है | राजाई पद पाने वालों के लिए ही कोटों में कोई कहा जाता है | वही विजय माला में पिरो जाते हैं | बच्चे समझते हैं – मेहनत बरोबर है | कहते हैं बाबा घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं | बाबा समझाते हैं – बच्चे, जितना पहलवान बनेंगे तो माया भी ज़बरदस्त लड़ेगी | मल्ल युद्ध होती है ना | उसमें बड़ी सम्भाल रखते हैं | पहलवानों को पहलवान जानते हैं | यहाँ भी ऐसे हैं, महावीर बच्चे भी हैं | उनमें भी नम्बरवार हैं | अच्छे-अच्छे महारथियों को माया भी अच्छी तरह तूफ़ान में लाती है | बाबा ने समझाया है – माया कितना भी हैरान करे, तूफ़ान लाये, तुम ख़बरदार रहना | कोई बात में हारना नहीं | मन्सा में तूफ़ान भल आयें, कर्मेन्द्रियों से नहीं करना है | तूफ़ान आते हैं गिराने के लिए | माया की लड़ाई न हो तो पहलवान कैसे कहेंगे | माया के तूफ़ानों की परवाह नहीं करनी चाहिए | परन्तु चलते-चलते कर्मेन्द्रियों के वश हो झट गिर पड़ते हैं | यह बाप तो रोज़ समझाते हैं – कर्मेन्द्रियों से विकर्म नहीं करना | बेकायदे काम करना छोड़ेंगे नहीं तो पैसे पैसे का पद पायेंगे | अन्दर खुद भी समझते हैं, हम नापास हो जायेंगे | जाना तो सबको है | बाप कहते हैं – मेरे को याद करते हो तो वह याद भी विनाश को नहीं पाती है | थोड़ा भी याद करने से स्वर्ग में आ जायेंगे | थोड़ा याद करने से अथवा बहुत याद करने से क्या-क्या पद मिलेंगे, यह भी तुम समझ सकते हो | कोई भी छिप नहीं सकते | कौन क्या-क्या बनेंगे | खुद भी समझ सकते हैं | अगर हम अभी हार्टफेल हो जायें तो किस पद को पायेंगे? बाबा से पूछ भी सकते हैं | आगे चलकर आपेही समझते जायेंगे | विनाश सामने खड़ा है, तूफ़ान, बरसात, नैचुरल कैलेमिटीज़ पूछ कर नहीं आती हैं | रावण तो बैठा ही है | यह बहुत बड़ा इम्तहान है | जो पास होते हैं वह ऊँच पद पाते हैं | राजायें ज़रूर समझदार चाहिए जो रैयत (प्रजा) को सम्भाल सकें | आई.सी.एस. इम्तहान में थोड़े पास होते हैं | बाप तुमको पढ़ाकर स्वर्ग का मालिक सतोप्रधान बनाते हैं | तुम जानते हो सतोप्रधान से फिर तमोप्रधान बनें, अब बाप की याद से सतोप्रधान बनना है | पतित-पावन बाप को याद करना है | बाप कहते हैं मन्मनाभव | यह है वही गीता का एपिसोड | डबल सिरताज बनने की ही गीता है | बनायेंगे तो बाप ना | तुम्हारी बुद्धि में सारी नॉलेज है | जो अच्छे बुद्धिवान हैं, उनके पास धारणा भी अच्छी होती है | अच्छा!
 

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते | 

रात्रि क्लास - 05-01-69

बच्चे यहाँ क्लास में बैठे हैं और जानते हैं हमारा टीचर कौन है | अभी यही याद कि हमारा टीचर कौन है स्टूडेन्ट को सारा समय रहती है | यहाँ भूल जाते हैं | टीचर जानते हैं बच्चे मुझे घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं | ऐसा रूहानी बाप तो कब मिला नहीं | संगमयुग पर ही मिलता है | सतयुग और कलियुग में तो जिस्मानी बाप मिलते हैं | यह याद दिलाते हैं कि बच्चों को पक्का हो जाये कि यह संगमयुग है, जिसमें हम बच्चे ऐसे पुरुषोत्तम बनने वाले हैं | तो बाप को याद करने से तीनों ही याद आने चाहिए | टीचर को याद करो तो भी तीनों याद, गुरु को याद करो तो भी तीनों याद आनी चाहिए | यह ज़रूर याद करना पड़ता है | मुख्य बात है पवित्र बनने की | पवित्र को सतोप्रधान ही कहा जाता है | वह रहते ही हैं सतयुग में | अभी चक्र लगाकर आये हैं | संगमयुग है | कल्प-कल्प बाप भी आते हैं, पढ़ाते हैं | बाप के पास तुम रहते हो ना | यह भी जानते हो यह सच्चा सद्गुरु है | और बरोबर मुक्ति-जीवनमुक्ति धाम का रास्ता बताते हैं | ड्रामा प्लैन अनुसार हम पुरुषार्थ कर बाप को फ़ालो करते हैं | यहाँ शिक्षा पाकर फ़ालो करते हैं | जैसे यह सीखते हैं वैसे तुम बच्चे भी पुरुषार्थ करते हो | देवता बनना है तो शुद्ध कर्म करना है | गन्दगी कोई भी न रहे | और बहुत ख़ास बात है बाप को याद करने की | समझते हैं बाप को भूल जाते हैं, शिक्षा को भी भूल जाते हैं और याद की यात्रा को भी भूल जाते हैं | बाप को भूलने से ज्ञान भी भूल जाता है | मैं स्टूडेन्ट हूँ, यह भी भूल जाता है | याद तो तीनों पड़नी चाहिए | बाप को याद करे तो टीचर, सद्गुरु ज़रूर याद पड़ेंगे | शिवबाबा को याद करते हैं तो साथ-साथ दैवीगुण भी ज़रूर चाहिए | बाप की याद में है करामत | करामात जितनी बाप बच्चों को सिखलाते हैं उतनी और कोई सिखला न सके | तमोप्रधान से हम इसी जन्म में सतोप्रधान बनते हैं | तमोप्रधान बनने में पूरा कल्प लगता है | अभी इस एक ही जन्म में सतोप्रधान बनना है, इसमें जो जितनी मेहनत करेंगे | सारी दुनिया तो मेहनत नहीं करती है | दूसरे धर्म वाले मेहनत नहीं करेंगे | बच्चों ने साक्षात्कार किया है | धर्म स्थापक आते हैं | पार्ट बजाया हुआ है फ़लानी-फ़लानी ड्रेस में | तमोप्रधान में वह आते हैं | समझ भी कहती है जैसे हम सतोप्रधान बनते हैं और सभी भी बनेंगे | पवित्रता का दान बाप से लेंगे | सभी बुलाते हैं हमको यहाँ से लिबरेट कर घर ले चलो | गाइड बनो | यह तो ड्रामा प्लैन अनुसार सभी को घर जाना ही है | अनेक बार घर जाते हैं | कोई तो पूरे 5000 वर्ष घर में नहीं रहते | कोई तो पूरे 5000 वर्ष रहते हैं | अन्त में आयेंगे तो कहेंगे 4999 वर्ष शान्तिधाम में रहे हैं | हम कहेंगे 4999 वर्ष इस सृष्टि पर रहे हैं | यह तो बच्चों को निश्चय है 83-84 जन्म लिये हैं | जो बहुत होशियार होंगे वह ज़रूर पहले आये होंगे | अच्छा – मीठे-मीठे सिकीलधे रूहानी बच्चों प्रति यादप्यार और गुडनाईट |

धारणा के लिए मुख्य सार:-  

1.    सतोप्रधान बनने के लिए याद की यात्रा से अपनी बैटरी चार्ज करनी है | अभुल बनना है | अपना रजिस्टर अच्छा रखना है | कोई भी गफ़लत नहीं करनी है |

2.    कोई भी बेकायदे कर्म नहीं करना है, माया के तूफ़ानों की परवाह न कर, कर्मेन्द्रिय जीत बनना है | लीवरघड़ी समान एक्यूरेट पुरुषार्थ करना है |

वरदान:-  
परमात्म दुआओं से अपनी झोली भरपूर कर माया को दूर भगाने वाले विजयी रत्न भव !    

संगमयुग के महत्व को जान हर सेकेण्ड परमात्म दुआयें जमा करते रहो | परमात्म  दुआओं से झोली सदा भरपूर है तो माया दूर से ही भाग जायेगी | जैसे इतने भी खौफनाक जानवर होते हैं लेकिन आपके पास लाइट है तो वो आगे नहीं आते | ऐसे सर्वशाक्तियों की लाइट आपके साथ है तो माया समीप नहीं आ सकती | तो माया से युद्ध करने वाले नहीं लेकिन बाप के साथ से, दुआओं से सदा मायाजीत बनने वाले विजयी रत्न बनो |

स्लोगन:- 
अचानक के पेपर में पास होना है तो अलबेलेपन को छोड़ अलर्ट बनो |     

 ओम् शान्ति |