18-12-13
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे
बच्चे
–
पुरानी दुनिया से ममत्व छोड़ सर्विस करने का उमंग रखो, हुल्लास में रहो, सर्विस में कभी थकना नहीं है|

प्रश्न:-
जिन बच्चों को ज्ञान का नशा चढ़ा होगा, उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
उन्हें सर्विस का बहुत-बहुत शौक होगा | वह सदा मन्सा और वाचा सेवा में तत्पर रहेंगे | सबको बाप का परिचय दे सबूत देंगे | बादशाही स्थापन करने निमित्त सहन भी करना पड़े तो सहन करेंगे | बाप के पूरे-पूरे मददगार बन भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करेंगे |
गीत:-
माता ओ माता तू सबकी भाग्य विधाता....
ओम् शान्ति |
अब नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार बच्चे माता को जानते हैं | माँ को जानते हैं तो ज़रूर बाप को भी जानेंगे | यह माँ-बाप सौभाग्य विधाता और भाग्य विधाता हैं | सौभाग्य विधाता उन्हें कहेंगे जो पुरुषार्थ कर अपना पूरा सौभाग्य बनाते हैं, सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी घराने में वर्सा लेते हैं सो भी नम्बरवार | बहुत तो ऐसे भी हैं जैसे भील होते हैं ना | बहुत साधारण प्रजा में जाकर जन्म लेंगे | वह मर्तबा नहीं पा सकते | बाप तो ज़रूर समझायेंगे – बच्चे, इस पुरानी दुनिया से ममत्व मत रखो | दुनिया बिचारी तो चिल्लाती रहती है | बच्चों में सर्विस करने का शौक और उमंग चाहिए | किन्हों को भल उमंग आता है, परन्तु सर्विस करने का ढंग नहीं आता है | डायरेक्शन तो बहुत मिलते हैं | लिखत भी बड़ी रिफाइन चाहिए | त्रिमूर्ति और झाड़ के चित्र 30 x 40” के होने चाहिए | यह बहुत यूज़-फुल चीज़ें हैं | परन्तु इनका कद्र बच्चों में कम है | भल संजय का बहुत मान है परन्तु वह गायन पिछाड़ी का है | जैसे कहते हैं अतीन्द्रिय सुख गोप-गोपियों से पूछो, वह भी पिछाड़ी की अवस्था का गायन है | अभी वह सुख किसको थोड़ेही है | अभी तो रोते गिरते रहते हैं | माया थप्पड़ मार देती है | भल रोज़ आते हैं परन्तु वह नशा थोड़ेही चढ़ता है | तुमको सर्विस के चान्स बहुत मिलते हैं |
अब कहते रहते हैं वन रिलीजन हो | वन गवर्मेन्ट भारत में थी | उनको ही स्वर्ग कहा जाता था | परन्तु कोई जानते नहीं | 5 हज़ार वर्ष पहले की बात है जबकि एक गवर्मेन्ट थी | 2500 वर्ष भी कह सकते हैं क्योंकि राम के राज्य में भी एक गवर्मेन्ट थी | 2500 वर्ष आगे सतयुग-त्रेता में वन गवर्मेन्ट थी | दो थी ही नहीं, जो ताली बजे | यहाँ भी कहते रहते हैं हिन्दू चीनी भाई-भाई फिर देखो क्या करते रहते हैं! गोली चलाते रहते हैं | यह दुनिया ही ऐसी है | स्त्री-पुरुष भी आपस में लड़ पड़ते हैं | स्त्री पति को भी थप्पड़ मारने में देर नहीं करती | घर-घर में बहुत झगड़े रहते हैं | भारतवासी भी भूले हुए हैं कि 2500 वर्ष पहले की बात है जबकि वन गवर्मेन्ट थी | अभी तो अनेक गवर्मेन्ट, अनेक धर्म हैं तो ज़रूर झगड़ा रहेगा | तुम बतलाते हो भारत में एक गवर्मेन्ट थी | उसको कहा जाता है भगवान् भगवती की गवर्मेन्ट | भक्ति मार्ग होता ही बाद में है | सतयुग त्रेता में भक्ति होती नहीं | मनुष्य अपना अहंकार बहुत दिखाते हैं परन्तु ज्ञान कौड़ी का भी नहीं है | यूं ज्ञान तो बहुत है ना | डॉक्टरी, बैरिस्टरी का ज्ञान.....| बाप कहते हैं जो डॉक्टर ऑफ़ फ़िलासोफी कहलाते हैं उनके पास यह ज्ञान ज़रा भी नहीं है | फ़िलासोफी किसको कहा जाता है – यह भी समझते नहीं | तो तुम बच्चों को सर्विस का शौक रखना है, स्थापना में मददगार बनना है | अच्छी चीज़ बनाकर देनी है | जैसे मनुष्य वैसा निमन्त्रण दिया जाता है | जैसे गवर्मेन्ट में बहुत ऑफिसर्स हैं, एज्यूकेशन मिनिस्टर है, चीफ़ मिनिस्टर है, यहाँ भी ऑफिस होनी चाहिए | डायरेक्शन निकलें वह फिर अमल में लावें | अब देखो गोरखपुरी गीतायें निकलती हैं सब फ्री देने के लिए तैयार रहते हैं | जो भी संस्थायें हैं उनको फन्ड्स बहुत है | कश्मीर का महाराजा मरा तो सारी मिलकियत आर्य समाजियों को मिली क्योंकि आर्य-समाजी था | सन्यासियों आदि के पास भी बहुत पैसे रहते हैं | तुम्हारे पास भी जो पैसा आदि है वह सब इस सेवा में लगा रहे हो ताकि भारत स्वर्ग बनें | तुम स्वर्ग बनाने में मदद करते हो | रात-दिन का फ़र्क है | वह दिन प्रतिदिन नर्कवासी बनाते जाते हैं तुमको अब बाप स्वर्गवासी बनाते हैं | हैं तो सब गरीब, ऐसे नहीं कि हम पैसे इकट्ठे करते हैं | तुम तो कहते हो बाबा यह पाई पैसा सब यज्ञ में, सर्विस में लगा दो | इस समय तो सब आपस में लड़ते रहते हैं | वन गवर्मेन्ट तो हो नहीं सकती | तो गवर्मेन्ट को बताना चाहिए कि सूर्यवंशी चन्द्रवंशी बरोबर वन गवर्मेन्ट थी | तुम भी चाहते हो तो वह होगी ज़रूर | बाप स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं | वह है ही हेविनली गॉड फादर | हम वन डीटी गवर्मेन्ट स्थापन कर रहे हैं | वहाँ डेविल गवर्मेन्ट होती नहीं | उन सबका विनाश हो जाता है | तुम्हारे पास नॉलेज बहुत अच्छी है, बहुत काम हो सकता है | देहली हेड ऑफिस है | बहुत सेवा कर सकते हैं | वहाँ बच्चे भी बहुत अच्छे हैं | जगदीश संजय भी है | परन्तु संजय तो सब हैं ना, एक नहीं | तुम हर एक संजय हो | तुम्हारा काम है–सबको रास्ता बताना | बाप तो अच्छी रीति समझाते रहते हैं, परन्तु बच्चे अपने ही धन्धेधोरी में, बच्चों आदि की सम्भाल में फँसे हुए हैं | गृहस्थ व्यवहार में रहते बाप के मददगार बनें, वह नहीं हैं | यहाँ तो सर्विस कर दिखाना है | वन गवर्मेन्ट कैसे स्थापन हो रही है, यह चक्र, ड्रामा देखो समय दिखा रहा है | जैसे रावण का चित्र बनाया है, वैसे बड़ा चक्र बनाकर लिखना चाहिए – अब काँटा आकर पहुँचा है | फिर वन गवर्मेन्ट होनी है | बाबा डायरेक्शन देते हैं | शिवबाबा तो गलियों में जाकर धक्के नहीं खायेंगे | अगर यह जाए तो गोया शिवबाबा को धक्के खाने पड़े | बच्चों को रिगार्ड रखना चाहिए | यह सर्विस करना बच्चों का काम है | लिखना चाहिए वन गवर्मेन्ट, जो भारत में थी, वह फिर से स्थापन हो रही है | कितने वर्षों से यह यज्ञ रचा हुआ है! सारी दुनिया का जो कचरा है वह इसमें समा जाना है | है बहुत सहज, परन्तु सभी को समझने में समय चाहिए | राजा तो कोई है नहीं | किसी एक को सभी थोड़ेही मानेंगे | पहले कोई भी नई इनवेन्शन निकलती थी तो राजाओं द्वारा उसका विस्तार कराते थे क्योंकि राजा में ताकत रहती है | किंग बनते हैं या तो राजयोग से या बहुत धन दान करने से | यहाँ तो है ही प्रजा का राज्य | एक गवर्मेन्ट नहीं है | एक फ़क़ीर सिपाही भी गवर्मेन्ट है, किसका पटका उतरने में देरी नहीं करते | ऐसे बहुत काम होते रहते हैं | दो पैसा दो तो बड़े मिनिस्टर को भी मार डालते हैं |
तो तुम बच्चों को सेवा का चान्स लेना है, सोना नहीं है | जैसे सतसंग में कथा सुनकर फिर घर में जाकर वैसे ही बन जाते, कोई हुल्लास नहीं रहता ऐसे बच्चों में भी हुल्लास कम है | गवर्मेन्ट का बगीचा होता है तो उसमें बहुत अच्छे फर्स्टक्लास फूल होते हैं, उनकी डिपार्टमेंट ही अलग होती है | कोई भी जायेंगे तो पहले फर्स्टक्लास फूल लाकर देंगे | बाप की भी यह फुलवाड़ी है, कोई आयेंगे तो हम क्या सैर करायेंगे? नाम बतायेंगे – यह अच्छे-अच्छे फूल हैं | टांगर, अक के भी फूल बैठे हैं, चमकते नहीं हैं, सर्विस नहीं करते | रोज़ कोई न कोई को बाप का परिचय अवश्य देना चाहिए | तुम तो हो गुप्त, कितने विघ्न पड़ते हैं | सर्विस लायक बने नहीं हैं | बाबा बार-बार कहते हैं मन्दिरों में जाओ, शमशान में जाओ, भाषण जाकर करना चाहिए | बच्चों को सर्विस का सबूत देना है | सैकड़ों से कोई निकलेंगे | मित्र-सम्बन्धियों आदि को भी समझाना चाहिए | यहाँ आने से डरते हैं तो घर में जाकर समझा सकते हो | बाप का परिचय मिलने से बहुत खुश हो जायेंगे | बाबा कहते सर्विस में थकावट नहीं होनी चाहिए | 100 में से एक निकलेंगे | बादशाही स्थापन करने में सहन ज़रूर करना पड़े | जब तक गाली नहीं खाई है तब तक कलंगीधर नहीं बनेंगे | ज्ञान का नशा चढ़ा हुआ है | परन्तु रिज़ल्ट कहाँ! अच्छा, 10-20 को ज्ञान दिया, उनसे एक-दो जागे वह भी बतलाना चाहिए ना | सर्विस का शौक चाहिए तब बाबा इनाम देंगे | बाप का परिचय दो – तुम्हारा बाप कौन है? तब ही फिर वर्से का नशा चढ़े | तुम भाषण करो – वर्ल्ड में सिवाए ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारियों के वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी कोई भी नहीं जानते | चैलेन्ज करो | बाबा ने शमशान की बात उठाई तो तुमको शमशान में जाकर सर्विस करनी चाहिए | धन्धाधोरी तो फिर भी 6-8 घण्टा करेंगे, बाकी समय कहाँ चला जाता है? ऐसे फिर ऊँच पद पा नहीं सकेंगे | बाबा कहेंगे तुम आये हो नारायण को वा लक्ष्मी को वरने परन्तु अपनी शक्ल तो देखो | बाबा समझाते तो ठीक हैं ना | एक ही टॉपिक उठाओ वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी आकर समझो – कैसे रिपीट होती है | अख़बार में डालो | हाल लेने की कोशिश करो | तुमको तीन पैर पृथ्वी नहीं मिलती | पहचानते नहीं हैं |
तुम हो परमधाम के फ़ॉरेनेर्स | आत्मायें सब परमधाम से आई हैं, तो यहाँ सब फ़ॉरेनेर्स हुए ना | परन्तु तुम्हारी यह भाषा कोई समझते नहीं | यहाँ साकार में नहीं बताया जाता कि पाँव छुओ, यह करो | जैसे साधू-महात्माओं के पाँव चूमकर धोकर पीते हैं, उसको तत्व पूजा कहा जाता है | 5 तत्वों का शरीर है ना | भारत का क्या हाल हो गया है | तो बाप कहते हैं सर्विस का सबूत दो, सभी को सुख दो | यहाँ तो बस यह तात लगी रहे, यह चिन्ता रहे | बुद्धियोग बाप के साथ हो |
गीत – माता तू सबकी भाग्य विधाता.....माता जगत अम्बा भाग्य विधाता है | पद माता पाती है | वह भी कहती शिवबाबा को याद करो, मैं भी उनसे धारण कर औरों को धारण कराती हूँ, सौभाग्य बनाती हूँ | तुम हो भारत के सौभाग्य विधाता | तो कितना नशा होना चाहिए | जो मम्मा की महिमा सो बाप की महिमा, सो दादे की | तुम बच्चों को यज्ञ की स्थूल सेवा भी करनी चाहिए तो रूहानी सेवा भी करनी चाहिए | मनमनाभव का मन्त्र सबको देना है | मनमनाभव यह है मन्सा, मध्याजी भव यह है वाचा | इसमें कर्मणा भी आ गई | कन्याओं को सर्विस में लग जाना चाहिए |
गांवों में सर्विस अच्छी होती है | बड़े शहरों में बहुत फैशन है | टैम्पटेशन बहुत है तो क्या करें? क्या बड़े शहरों को छोड़ दें? ऐसे भी नहीं | बड़े शहरों से, साहूकारों से आवाज़ निकलेगा | बाकी दुनिया को तो इस मनमनाभव के छू मन्त्र से स्वर्ग बनाना है | बाप बैठ समझाते हैं यह जगदम्बा कौन है, यह है भारत की सौभाग्य विधाता, इनकी शिव शक्ति सेना भी मशहूर है | हेड है जगदम्बा अर्थात् भारत में वन गवर्मेन्ट की स्थापना करने वाली हेड | भारत माता शक्ति अवतारों ने भारत में वन गवर्मेन्ट स्थापन की है, श्रीमत के आधार पर | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकिलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1.
बुद्धियोग एक बाप से रखना है, मनमनाभव के छू मन्त्र से इस दुनिया को स्वर्ग बनाना है |
2.
सर्विस में कभी थकना नहीं है | स्थूल सेवा के साथ-साथ रूहानी सेवा भी करनी है | मनमनाभव का मन्त्र सबको याद दिलाना है |
वरदान:-
दिल के स्नेह और सम्बन्ध के आधार पर समीपता का अनुभव करने वाले निरन्तर योगी भव !
ब्राह्मण आत्माओं में कोई दिल के स्नेह, सम्बन्ध से याद करते हैं और कोई दिमाग अर्थात् नॉलेज के आधार पर सम्बन्ध को अनुभव करने का बार-बार प्रयत्न करते हैं | जहाँ दिल का स्नेह और सम्बन्ध अति प्यारा अर्थात् समीप है वहाँ याद भूलना मुश्किल है | जैसे शरीर के अन्दर नस-नस में ब्लड समाया हुआ है ऐसे आत्मा में निश-पल अर्थात् हर पल याद समाई हुई है, इसको कहते हैं दिल के स्नहे सम्पन्न निरन्तर याद |
स्लोगन:-
निःस्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति से सेवा करो तब सफलता मिलेगी |
ओम्
शान्ति
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