18-04-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे
बच्चे
–
और संग तोड़ एक संग जोड़ो, भाई-भाई की दृष्टि से देखो तो देह
नहीं देखेंगे, दृष्टि बिगड़ेगी नहीं, वाणी में ताक़त रहेगी
| 
प्रश्न:-
बाप
बच्चों का क़र्ज़दार है या बच्चे बाप के?
उत्तर:-
तुम
बच्चे तो अधिकारी हो, बाप तुम्हारा क़र्ज़दार है | तुम बच्चे दान
देते हो तो तुम्हें एक का सौ गुणा बाप को देना पड़ता है | ईश्वर
अर्थ तुम जो देते हो दूसरे जन्म में उसका रिटर्न मिलता है |
तुम चावल मुट्ठी देकर विश्व का मालिक बनते तो तुम्हें कितना
फ़्राकदिल होना चाहिए | मैंने बाबा को दिया, यह ख्याल भी कभी
नहीं आना चाहिए |
ओम्
शान्ति
|
म्युज़ियम, प्रदर्शनी में समझाना है कि यह है पुरुषोत्तम
संगमयुग | समझदार तो सिर्फ़ तुम ही हो, तो सबको कितना समझाना
पड़ता है कि यह पुरुषोत्तम संगमयुग है | सबसे जास्ती सर्विस
स्थान है म्युज़ियम | वहाँ बहुत आते हैं, अच्छे सर्विसएबुल
बच्चे कम हैं | सर्विस स्टेशन सब सेन्टर्स हैं | देहली में
लिखा है स्प्रीचुअल म्युज़ियम | इसका भी ठीक अर्थ नहीं निकलता
है | बहुत लोग प्रश्न पूछते हैं तुम भारत की क्या सेवा कर रहे
हो? भगवानुवाच है ना – यह है फारेस्ट | तुम इस समय संगम पर हो
| न हो फारेस्ट के, न हो गार्डन के | अब गार्डन में जाने का
पुरुषार्थ कर रहे हो | तुम इस समय रावण राज्य को राम राज्य बना
रहे हो | तुमसे प्रश्न पूछते हैं – इतना खर्चा कहाँ से आया?
बोलो, हम बी.के. ही करते हैं | राम राज्य की स्थापना हो रही है
| तुम थोड़ा रोज़ आकर समझो कि हम क्या कर रहे हैं, हमारी एम
ऑब्जेक्ट क्या है? वो लोग सावरन्टी को मानते नहीं, इसलिए
राजाओं की राजाई ख़त्म कर दी है | इस समय वो भी तमोप्रधान बन
पड़े हैं, इसलिए अच्छे नहीं लगते | उन्हों का भी ड्रामा अनुसार
दोष नहीं | जो कुछ ड्रामा में होता है वह हम पार्ट बजाते हैं |
कल्प-कल्प बाप द्वारा स्थापना का यह पार्ट चलता है | खर्चा भी
तुम बच्चे ही करते हो, अपने लिए | श्रीमत पर अपना खर्चा कर
अपने लिए सतयुगी राजधानी बना रहे हो, और किसको पता भी नहीं है
| तुम्हारा नाम मशहूर है अननोन वारियर्स | वास्तव में उस सेना
में अननोन वारियर्स कोई होते नहीं हैं | सिपाही लोगों का
रजिस्टर रहता है | ऐसा हो न सके जिसका नाम नम्बर रजिस्टर में न
हो | वास्तव में अननोन वारियर्स तुम हो | तुम्हारा कोई रजिस्टर
में नाम नहीं | तुमको कोई हथियार पंवार नहीं | इसमें जिस्मानी
हिंसा तो है नहीं | योगबल से तुम विश्व पर जीत पाते हो | ईश्वर
सर्वशक्तिमान् है ना | याद से तुम शक्ति ले रहे हो | सतोप्रधान
बनने के लिए तुम बाप से योग लगा रहे हो | तुम सतोप्रधान बने तो
राज्य भी सतोप्रधान चाहिए | सो तुम श्रीमत पर स्थापना करते हो
| इनकागनीटो उनको कहा जाता है, जो है परन्तु देखने में न आये |
तुम शिवबाबा को भी इन आँखों से देख नहीं सकते | तुम भी गुप्त,
तो शक्ति भी तुम गुप्त ले रहे हो | तुम समझते हो हम पतित से
पावन बन रहे हैं और पावन में ही शक्ति होती है | तुम सतयुग में
सब पावन होंगे | उनके ही 84 जन्मों की कहानी बाप बतलाते हैं |
तुम बाप से शक्ति ले, पवित्र बन फिर पवित्र दुनिया में राज्य
भाग्य करेंगे | बाहुबल से कभी कोई विश्व पर जीत पा न सके | यह
है योगबल की बात | वो लड़ते हैं, राज्य तुम्हारे हाथ में आना है
| बाप सर्वशक्तिमान् है तो उनसे शक्ति मिलनी चाहिए | तुम बाप
को और रचना के आदि-मध्य-अन्त को भी जानते हो |
तुम
जानते हो हम ही स्वदर्शन चक्रधारी हैं | यह सबको स्मृति नहीं
रहती है | तुम बच्चों को स्मृति रहनी चाहिए क्योंकि तुम बच्चों
को ही यह नॉलेज मिलती है | बाहर वाले तो कोई समझ न सकें इसलिए
सभा में बिठाया नहीं जाता | पतित-पावन बाप को सब बुलाते हैं,
परन्तु अपने को पतित कोई समझते नहीं हैं, ऐसे ही गाते रहते हैं
पतित-पावन सीताराम | तुम सब हो ब्राइड्स, बाप है ब्राइडग्रूम |
वो आते ही हैं सर्व की सद्गति करने | तुम बच्चों को बाप
श्रृंगार कराते हैं | तुमको डबल इंजन मिली है | रोल्स रॉयल्स
में इंजन बहुत अच्छी होती है | बाप भी ऐसे हैं | कहते हैं
पतित-पावन आओ, हमको पावन बनाकर साथ ले जाओ | तुम सब शान्त में
बैठे हो | कोई झांझ आदि नहीं बजाते | तकलीफ़ की बात नहीं |
चलते-फिरते बाप को याद करते रहो, जो मिले उनको रास्ता बताते
रहो | बाप कहते हैं मेरे वा लक्ष्मी-नारायण, राधे-कृष्ण आदि के
जो भक्त हैं, उनको यह दान देना है, व्यर्थ नहीं गँवाना है |
पात्र को ही दान दिया जाता है | पतित मनुष्य, पतित को ही दान
देते रहते हैं बाप है सर्वशक्तिमान्, उनसे तुम शक्ति लेकर
उत्तम बनते हो | रावण जब आता है उस समय भी संगम हुआ – त्रेता
और द्वापर का | यह संगम है कलियुग और सतयुग का | ज्ञान कितना
समय और भक्ति कितना समय चलती है – यह सब बातें तुमको समझकर
समझनी है | मुख्य बात है बेहद के बाप को याद करो | जब बेहद का
बाप आते हैं तो विनाश भी होता है | महाभारत लड़ाई कब लगी? जब
भगवान् ने राजयोग सिखलाया था | समझ में आता है नई दुनिया का
आदि, पुरानी दुनिया का अन्त अर्थात् विनाश होना है | दुनिया
घोर अन्धियारे में पड़ी है, अब उनको जगाना है | आधाकल्प से सोये
पड़े हैं | बाप समझाते हैं अपने को आत्मा समझ भाई-भाई की दृष्टि
से देखो | तो तुम जब किसको ज्ञान देंगे तो तुम्हारी वाणी में
ताकत आयेगी | आत्मा ही पावन और पतित बनती है | आत्मा पावन बनें
तब शरीर भी पावन मिले | अभी तो मिल न सके | पावन सभी को बनना
है | कोई योगबल से, कोई सजाओं से | मेहनत है याद की यात्रा की
| बाबा प्रैक्टिस भी कराते रहते हैं | कहाँ भी जाओ तो बाबा की
याद में जाओ | जैसे पादरी लोग शान्ति में क्राइस्ट की याद में
जाते हैं और क्राइस्ट को याद करते हैं | भारतवासी तो अनेकों को
याद करते हैं | बाप कहते हैं एक के सिवाए और किसी को याद न करो
| बेहद के बाप से हम मुक्ति और जीवनमुक्ति के हक़दार बनते हैं |
सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिलती है | सतयुग में सब जीवनमुक्ति
में थे, कलियुग में सब जीवनबन्ध में हैं | यह किसको भी पता
नहीं है, यह सब बातें बाप बच्चों को समझाते हैं | बच्चे फिर
बाप का शो करते हैं | सब तरफ़ चक्कर लगाते हैं | तुम्हारा फ़र्ज़
है मनुष्य मात्र को यह पैगाम देना कि यह पुरुषोत्तम संगमयुग है
| बेहद का बाप बेहद का वर्सा देने आया है | बाप कहते हैं
मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश होंगे | पाप कट जायेंगे | यह
है सच्ची गीता, जो बाप सिखलाते हैं | मनुष्य मत से गिरे हो,
भगवान् की मत से तुम वर्सा ले रहे हो | मूल बात है –
उठते-बैठते, चलते-फिरते बाबा को याद करते रहो और परिचय देते
रहो | बैज तो तुम्हारे पास है, फ्री देने में हर्ज़ा नहीं है |
परन्तु पात्र देखकर |
बाप
बच्चों को उल्हना देते हैं कि तुम लौकिक बाप को याद करते हो और
मुझ पारलौकिक बाप को भूल जाते हो | लज्जा नहीं आती | तुम ही
पवित्र प्रवृत्ति मार्ग के गृहस्थ व्यवहार में थे, फिर अब बनना
है | तुम हो भगवान् के सौदागर | अपने अन्दर देखो बुद्धि कहाँ
भटकती तो नहीं है? बाप को कितना समय याद किया? बाप कहते हैं और
संग तोड़ एक संग जोड़ो | भूल नहीं करनी है | यह भी समझाया है
भाई-भाई की दृष्टि से देखो तो देह नहीं देखेंगे | दृष्टि
बिगड़ेगी नहीं | मंज़िल है ना | यह ज्ञान अभी ही तुमको मिलता है
| भाई-भाई तो सब कहते हैं, मनुष्य कहते हैं, ब्रदरहुड | यह तो
ठीक है | परमपिता परमात्मा की हम सन्तान हैं | फिर यहाँ क्यों
बैठे हो? बाप स्वर्ग की स्थापना करते हैं तो ऐसे-ऐसे समझाते
उन्नति को प्राप्त करते रहो | बाप को सर्विसएबुल बच्चियाँ बहुत
चाहिए | सेन्टर्स खुलते जाते हैं | बच्चों को शौक है, समझते
हैं बहुतों का कल्याण होगा | परन्तु टीचर्स सम्भालने वाली भी
अच्छी महारथी चाहिए | टीचर्स भी नम्बरवार हैं | बाबा कहते हैं
जहाँ लक्ष्मी-नारायण का मन्दिर हो, शिव का मन्दिर हो, गंगा का
कण्ठा हो, जहाँ बहुत भीड़ होती हो वहाँ सर्विस करनी चाहिए |
समझाओ – भगवान् कहते हैं काम महाशत्रु है | तुम श्रीमत प्रमाण
सर्विस करते रहो | यह तुम्हारा ईश्वरीय परिवार है, यहाँ 7 रोज़
भट्ठी में आकर परिवार के साथ रहते हो | तुम बच्चों को बहुत
ख़ुशी होनी चाहिए | बेहद का बाप जिससे तुम पदमापदम भाग्यशाली
बनते हो | दुनिया जानती नहीं कि भगवान् भी पढ़ा सकते हैं | यहाँ
तुम पढ़ते हो तो तुमको कितनी ख़ुशी होनी चाहिए | हम ऊँच ते ऊँच
जाने के लिए पढ़ रहे हैं | कितना फ़्राकदिल होना चाहिए | बाप के
ऊपर तुम क़र्ज़ चढ़ाते हो | ईश्वर अर्थ जो देते हो, दूसरे जन्म
में इनका रिटर्न लेते हो ना | बाबा को तुमने सब कुछ दिया तो
बाबा को भी सब कुछ देना पड़ेगा | मैंने बाबा को दिया, यह कभी
ख्याल नहीं आना चाहिए | बहुतों के अन्दर चलता है – हमने इतना
दिया, हमारी खातिरी क्यों नहीं हुई? तुम चावल मुट्ठी देकर
विश्व की बादशाही लेते हो | बाबा तो दाता है ना | राजायें रॉयल
होते हैं, पहले-पहले जब मुलाकात होती है तो हम नज़राना देते
हैं, वे कभी हाथ में नहीं लेंगे | सेक्रेटरी तरफ़ इशारा करेंगे
| तो शिवबाबा जो दाता है वह कैसे लेंगे | यह बेहद का बाप है ना
| इनके आगे तुम नज़राना रखते हो | परन्तु बाबा तो रिटर्न में सौ
गुणा देंगे | तो मैंने दिया – यह ख्याल कभी नहीं आना चाहिए |
हमेशा समझो हम तो लेते हैं | वहाँ तुम पदमपति बनेंगे | तुम
प्रैक्टिकल में पदमापदम भाग्यशाली बनते हो | बहुत बच्चे
फ़्राकदिल भी हैं | तो कई मनहूस (कन्जूस) भी हैं | समझते ही
नहीं हैं कि पदमापदमपति हम बनते हैं, हम बहुत सुखी बनते हैं |
जब परमात्मा बाप गैर हाज़िर है तो इनडायरेक्ट अल्पकाल के लिए फल
देते हैं | जब हाज़िर हैं तो 21 जन्म के लिए देते हैं | यह गाया
हुआ है शिवबाबा का भण्डारा भरपूर | देखो, ढेर बच्चे हैं, किसको
भी यह मालूम नहीं है कि कौन क्या देते हैं? बाप जाने और बाप की
गोथरी (ब्रह्मा) जाने, जिसमें बाप रहते हैं – बिलकुल साधारण |
इस कारण बच्चे यहाँ से बाहर निकलते हैं तो वह नशा गुम हो जाता
है | ज्ञान योग नहीं तो खिट-खिट चलती रहती है | अच्छे-अच्छे
बच्चों को भी माया हरा देती है | माया बेमुख कर देती है |
शिवबाबा, जिसके पास तुम आते हो, उनको तुम याद नहीं कर सकते हो!
अन्दर अथाह ख़ुशी होनी चाहिए | वह दिन आया आज, जिसके लिए कहते
थे आप आयेंगे तो हम आपके बनेंगे | भगवान् आकर एडाप्ट करते हैं
तो कितना ख़ुशनसीब कहेंगे | कितना ख़ुशी में रहना चाहिए | परन्तु
माया ख़ुशी गँवा देती है | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार
और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा
के
लिए
मुख्य
सार:-
1.
भगवान् ने हमें एडाप्ट किया है, वही हमें टीचर बनकर पढ़ा रहे
हैं, अपने पदमापदम भाग्य का सिमरण कर ख़ुशी में रहना है |
2.
हम आत्मा भाई-भाई हैं, यह दृष्टि पक्की करनी है | देह को नहीं
देखना है | भगवान् से सौदा करने के बाद फिर बुद्धि को भटकाना
नहीं है |
वरदान:-
मेरे
को तेरे में परिवर्तन कर बेफ़िकर बादशाह बनने वाले ख़ुशी के
ख़ज़ाने से भरपूर भव
!
जिन
बच्चों ने सब कुछ तेरा किया वही बेफ़िकर रहते हैं | मेरा कुछ
नहीं, सब तेरा है......जब ऐसा परिवर्तन करते हो तब बेफ़िकर बन
जाते हो | जीवन में हर एक बेफ़िकर रहना चाहता है, जहाँ फ़िकर
नहीं वहाँ सदा ख़ुशी होगी | तो तेरा कहने से, बेफ़िकर बनने से
ख़ुशी के ख़ज़ाने से भरपूर हो जाते हो | आप बेफ़िकर बादशाहों के
पास अनगिनत, अखुट, अविनाशी ख़ज़ाने हैं जो सतयुग में भी नहीं
होंगे |
स्लोगन:-
ख़ज़ानों
को सेवा में लगाना अर्थात् जमा का खाता बढ़ाना
| 
ओम् शान्ति
|