28-03-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे
बच्चे
–
ज्ञान की डिपार्टमेन्ट अलग है, योग की अलग है | योग से आत्मा
सतोप्रधान बनती है, योग के लिए एकान्त की जरूरत है
| 
प्रश्न:-
स्थाई याद में रहने का आधार क्या है?
उत्तर:-
तुम्हारे पास जो कुछ भी है, उसे भूल जाओ | शरीर भी याद न रहे |
सब ईश्वरीय सेवा में लगा दो | यही है मेहनत | इस क़ुर्बानी से
याद स्थाई रह सकती है | तुम बच्चे प्यार से बाप को याद करेंगे
तो याद से याद मिलेगी | बाबा भी करेन्ट देंगे | करेन्ट से ही
आयु बढती है | आत्मा एवरहेल्दी बन सकती है |
ओम्
शान्ति
|
अब
योग और ज्ञान – दो चीज़ें हैं | बाप के पास यह बहुत बड़ा ख़ज़ाना
है जो बच्चों को देते हैं | बाप को जो बहुत याद करते हैं उनको
करेन्ट जास्ती मिलती है क्योंकि याद से याद मिलती है – यह
कायदा है क्योंकि मुख्य है याद | ऐसे नहीं कि ज्ञान बहुत है,
इसका मतलब याद करते हैं, नहीं | ज्ञान की डिपार्टमेन्ट अलग है
| योग की बहुत बड़ी सब्जेक्ट है, ज्ञान की उससे कम | योग से
आत्मा सतोप्रधान बन जाती है क्योंकि बहुत याद करते हैं | याद
के बिगर सतोप्रधान बनना असम्भव है | बच्चे ही सारा दिन बाप को
याद नहीं करते तो बाप भी याद नहीं करेंगे | बच्चे अच्छी रीति
याद करते हैं तो बाप की भी याद से याद मिलती है | बाप को
खींचते हैं | यह भी बना-बनाया खेल है जिसको अच्छी रीति समझना
है | याद के लिए बहुत एकान्त भी चाहिए | पिछाड़ी में आने वाले
जो ऊँच पद पाते हैं उसका आधार भी याद है | उन्हें याद बहुत
रहती है | याद से याद मिलती है | जब बच्चे बहुत याद करते हैं
तो बाप भी बहुत याद करते हैं | वह कशिश करते हैं | कहते हैं ना
– बाबा, रहम करो, कृपा करो | इसमें भी चाहिए याद | अच्छी तरह
याद करेंगे तो ऑटोमेटिकली वह कशिश होगी, करेन्ट मिलेगी | आत्मा
को अन्दर आता है कि मैं बाबा को याद करती हूँ तो वह याद एकदम
भरपूर कर देती है | ज्ञान है धन | याद से फिर याद मिलती है,
जिससे हेल्दी बन जाते हैं, पवित्र बन जाते हैं | इतनी ताकत है
जो सारे विश्व को पवित्र बना देते हैं इसलिए बुलाते हैं – बाबा
आकर पतितों को पावन बनाओ |
मनुष्य तो कुछ नहीं जानते, ऐसे ही रड़ियाँ मारते और समय वेस्ट
करते रहते हैं बाप को जानते नहीं | नौधा भक्ति भल करते हैं |
शिव के मन्दिर में जाकर काशी कलवट खाते हैं, मिलता कुछ भी नहीं
| फिर भी विकर्म बनने शुरू हो जाते हैं | माया झट फँसा देती है
| प्राप्ति कुछ भी नहीं | अब तुम जानते हो – पतित-पावन बाप है
| उन पर कुर्बान जाना चाहिए | वह समझते हैं – शिव-शंकर एक है |
यह भी अज्ञान है | यहाँ बाबा बार-बार कहते हैं मन्मनाभव | मुझे
याद करो तो तुम पवित्र बन जायेंगे | तुम काल पर जीत पाते हो,
इसमें तुम जितनी कोशिश करेंगे तो माया भी विघ्न डालेगी क्योंकि
माया समझती है – यह बाप को याद करेंगे तो मुझे छोड़ देंगे;
क्योंकि जब तुम मेरे बनते हो तो सबकुछ छोड़ना पड़े | मित्र,
सम्बन्धी, धन आदि कुछ भी याद न आये | एक कथा है लाठी भी छोड़ो |
सब चीज़ें छुड़ाते हैं, परन्तु यह कभी नहीं कहते कि शरीर को भी
याद नहीं करो | बाप कहते हैं यह शरीर तो पुराना है, इसे भी
भूलो | भक्ति मार्ग की बातें भी छोड़ दो | एकदम सब-कुछ भूल जाओ
अथवा जो कुछ है काम में लगा दो, तब ही याद टिकेगी | अगर ऊँच पद
पाना है तो बहुत मेहनत चाहिए | शरीर भी याद न रहे | अशरीरी आये
थे, अशरीरी होकर जाना है |
बाप
बच्चों को पढ़ाते हैं, इनको कोई तमन्ना नहीं है | यह तो सर्विस
करते हैं | बाप में ही तो ज्ञान है ना | यह बाप और बच्चे का
खेल है इकठ्ठा | बच्चे भी याद करते हैं फिर बाप बैठ सर्चलाइट
देते हैं | कोई बहुत खींचते हैं तो बाप बैठ लाइट देते हैं |
बहुत नहीं खींचते हैं तो यह बाबा बैठ बाप को याद करते हैं |
कोई समय किसको करेन्ट देनी होती है तो नींद फिट जाती है | यह
फुरना लग जाता है कि फ़लाने को करेन्ट देनी है | पढ़ाई से आयु
नहीं बढ़ेगी, करेन्ट से आयु बढ़ती है | एवर हेल्दी बनते हैं |
दुनिया में किसको आयु 125-150 वर्ष भी होती है तो ज़रूर हेल्दी
होंगे | भक्ति भी बहुत करते होंगे | भक्ति में भी कुछ फ़ायदा
है, नुकसान नहीं | जो भक्ति भी नहीं करते उनके मैनर्स भी अच्छे
नहीं होते | भक्ति में भगवान में विश्वास रहता है | धन्धे में
झूठ-पाप नहीं करेंगे, क्रोध नहीं आयेगा | भक्तों की भी महिमा
है | मनुष्यों को यह मालूम नहीं है कि भक्ति कब शुरू हुई |
ज्ञान का तो पता नहीं पड़ता | भक्ति भी पॉवरफुल होती जाती है
फिर भी जब ज्ञान का प्रभाव हो जाता है तो फिर भक्ति बिल्कुल
छूट जाती है | यह दुःख-सुख, भक्ति और ज्ञान का खेल बना हुआ है
| मनुष्य कह देते हैं – दुःख-सुख भगवान ही देते हैं फिर उनको
सर्वव्यापी कह देते हैं | लेकिन सुख-दुःख अलग चीज़ है | ड्रामा
को न जानने कारण कुछ भी समझते नहीं है | इतनी सब आत्मायें एक
शरीर छोड़ दूसरा लेती हैं, यह तुम ही जानते हो | ऐसे नहीं
कहेंगे कि सतयुग में तुम देही-अभिमानी रहते हो | यह तो अब बाप
सिखलाते हैं - ऐसे देही-अभिमानी बनो | अपने को आत्मा समझ बाप
को याद करना है | पवित्र बनना है | वहाँ तो है ही पवित्र
सुखधाम | सुख में कोई याद नहीं करते | भगवान को याद करते हैं
दुःख में | देखो, ड्रामा कितना वन्डरफुल है! जिसको तुम ही
नम्बरवार जानते हो | यह जो प्वाइन्ट्स लिखते हैं वह भी भाषण के
समय रिवाइज़ करने के लिए | डॉक्टर, वकील भी प्वाइन्ट्स नोट करते
हैं | अब तुमको बाप की मत मिलती है तो फिर रिवाइज़ भी करना
चाहिए भाषण करने के समय | इसमें तो है बाबा की प्रवेशता | बाप
तुमको समझाते हैं तो यह भी सुनेंगे | वह प्वाइन्ट नहीं सुनाते
तो मुझे क्या पता जो तुमको समझाऊं | बाप कहते हैं – यह बहुत
जन्मों के अन्त का जन्म है | ब्रह्मा और विष्णु का चित्र भी है
| तुम राजाई में चलते हो सिर्फ़ नम्बरवार | जितना याद करते हैं,
धारणा करते हैं उतना पद पाते हैं | बाप कहते हैं – गुह्य ते
गुह्य बातें सुनाता हूँ | तुम नई-नई प्वाइन्ट्स नोट करो |
पुरानी काम में नहीं आयेंगी | भाषण के बाद फिर याद आयेगा कि यह
प्वाइन्ट्स अगर समझाते तो बुद्धि में ठीक बैठ जाती | तुम सब
ज्ञान के स्पीकर हो, परन्तु नम्बरवार | सबसे अच्छे महारथी हैं
| बाबा की बात अलग है | यह बापदादा दोनों इकट्ठे हैं | मम्मा
सबसे अच्छा समझाती थी | बच्चे सम्पूर्ण मम्मा का साक्षात्कार
भी करते थे | कहाँ ज़रूरी होता था तो बाबा भी प्रवेश करके अपना
काम कर लेता था | यह सब समझने की बातें हैं | पढ़ाई फ़ुर्सत के
समय होती है | सारा दिन तो धन्धा आदि करते हैं | विचार सागर
मंथन करने के लिए फ़ुर्सत चाहिए, शान्ति चाहिए | समझो, कोई को
करेन्ट देनी है, कोई अच्छी सर्विस करने वाला बच्चा है, तो उनको
मदद करनी है | उनकी आत्मा को याद करना पड़ता है | शरीर को याद
कर फिर आत्मा को याद करना है | यह युक्ति रचनी है | सर्विसएबुल
बच्चे को तकलीफ़ है तो उनको मदद करनी है | बाप को याद करना है
फिर खुद को भी आत्मा समझ कुछ न कुछ उनकी आत्मा को भी याद करना
है | यह जैसे सर्च लाइट देना होता है | ऐसे नहीं, सिर्फ़ एक जगह
बैठ याद करना है | चलते-फिरते भोजन खाते भी बाप को याद करो |
दूसरे को करेन्ट देना है तो फिर रात्रि को भी जागो | बच्चों को
समझाया है – सवेरे उठकर जितना बाप को याद करेंगे उतना कशिश
होगी | बाबा भी लाइट देंगे | बाबा का यही धन्धा है – बच्चों को
सर्च-लाइट देने का | जब बहुत सर्च-लाइट देनी होती है तो भी बाप
को बहुत याद करते हैं | तो बाप भी सर्च-लाइट देते हैं | आत्मा
को याद कर सर्च-लाइट देनी होती है | यह बाबा भी सर्च-लाइट देते
हैं, फिर इसको कृपा कहो, आशीर्वाद कहो, कुछ भी कहो |
सर्विसएबुल बीमार होगा तो तरस पड़ेगा | रात को जागकर भी उनकी
आत्मा को याद करेंगे क्योंकि उनको पॉवर की दरकार है | याद करते
हैं तो उनकी रिटर्न में याद मिलती है | बाप का लव बच्चों पर
जास्ती है | फिर उनको भी याद पहुँचती है | बाकी ज्ञान तो सहज
है, उसमें माया के विघ्न नहीं पड़ते हैं | मुख्य है याद, इसमें
विघ्न पड़ते हैं | याद से बुद्धि सोने का बर्तन बन जाती है,
जिसमें धारणा होती है | कहावत है शेरनी का दूध सोने के बर्तन
में ठहरता है | इस बाप के ज्ञान धन के लिए भी सोने का बर्तन
चाहिए | वह तब होगा जब याद की यात्रा में रहेंगे | याद नहीं
करेंगे तो धारणा नहीं होगी | ऐसे मत समझो कि बाप अन्तर्यामी है
| कुछ बोला और हुआ – यह तो भक्ति मार्ग में होता है | बच्चा
हुआ तो कहेंगे गुरु की कृपा है | अगर नहीं हुआ तो कहेंगे ईश्वर
की भावी | रात-दिन का फ़र्क है | तुम बच्चों को ड्रामा का राज़
तो बाप ने अच्छी रीति समझाया है | तुम भी पहले नहीं जानते थे |
यह है तुम्हारा मरजीवा जन्म | अभी तुम जानते हो हम देवता बन
रहे हैं | तुम इस टॉपिक पर समझा सकते हो कि यह लक्ष्मी-नारायण
को राज्य कैसे मिला? फिर कैसे गँवाया? सारी हिस्ट्री-जॉग्राफी
हम आपको समझायेंगे | यह ब्रह्मा भी कहते हैं हम लक्ष्मी-नारायण
की पूजा करते थे, गीता पढ़ते थे | बाबा ने जब प्रवेश किया तो सब
कुछ छोड़ दिया | साक्षात्कार हुआ | बाबा ने कहा – मुझे याद करो
तो विकर्म विनाश होंगे | इसमें गीता आदि पढने की बात नहीं |
बाप इनमें बैठा है, सब कुछ छुड़ा दिया | कभी शिव का दर्शन करने
मन्दिर में नहीं गये | भक्ति की बातें एकदम उड़ गई | यह नॉलेज
बुद्धि में आ गई – रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त की | बाप को
जानने से तुम सब कुछ जान जाते हो | तुम वन्डरफुल टॉपिक्स लिखो,
जो मनुष्य वन्डर खायें, भागें सुनने के लिए | मन्दिर में जाकर
कोई से भी पूछो जब यह लक्ष्मी-नारायण विश्व के मालिक थे तो और
कोई धर्म नहीं था, भारत ही था फिर तुम सतयुग को लाखों वर्ष
कैसे कह देते हो? जबकि कहते हैं क्राइस्ट से 3 हज़ार वर्ष पहले
पैरडाइज़ था, फिर लाखों वर्ष कैसे हुए? लाखों वर्ष में तो ढेरों
के ढेर मच्छरों सदृश्य हो जायें | थोड़ी भी बात सुनाओ तो वन्डर
खायेंगे | परन्तु जो इस कुल के होंगे उन्हों की बुद्धि में यह
ज्ञान बैठेगा | नहीं तो कहेंगे ब्रह्माकुमारियों का वन्डरफुल
ज्ञान है, इसमें समझने की बुद्धि चाहिए | मुख्य बात है याद की
| स्त्री-पुरुष एक-दो को याद करते हैं | यह आत्मा याद करती है
परमात्मा को | इस समय सब रोगी हैं, अब निरोगी बनना है | यह
टॉपिक भी रखो | बोलो – आप जो घड़ी-घड़ी बीमार पड़ते हो तो हम आपको
ऐसी संजीवनी बूटी देंगे जो तुम कभी बीमार नहीं पड़ेंगे, अगर
हमारी दवाई अच्छी तरह काम में लायेंगे तो | कितनी सस्ती दवाई
है? 21 पीढ़ी सतयुग-त्रेता तक बीमार नहीं होंगे | वह है ही
स्वर्ग | ऐसी-ऐसी प्वाइन्ट नोट कर लिखो | तुम सब सर्जनों से भी
बड़ा अविनाशी सर्जन तुम्हें ऐसी दवाई देंगे जो तुम भविष्य 21
जन्म के लिए कभी बीमार नहीं पड़ेंगे | अभी है संगम | ऐसी बातें
सुनकर मनुष्य खुश होंगे | भगवान भी कहते हैं – मैं अविनाशी
सर्जन हूँ | याद भी करते हैं – हे पतित-पावन, अविनाशी सर्जन आओ
| अब मैं आया हूँ | तुम सबको समझाते रहो, अन्त में आखरीन सब
समझेंगे ज़रूर | बाबा युक्तियाँ बताते रहते हैं | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार
और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा
के
लिए
मुख्य
सार:-
1. बाप
से सर्च-लाइट लेने के लिए सवेरे-सवेरे उठ बाप की याद में बैठना
है | रात्रि को जागकर एक-एक को करेन्ट दे मददगार बनना है |
2.
अपना सब-कुछ ईश्वरीय सेवा में सफल कर, इस पुराने शरीर को भी
भूल बाप की याद में रहना है | पूरा कुर्बान जाना है |
देही-अभिमानी रहने की मेहनत करनी है |
वरदान:-
ऊपर
से अवतरित हो अवतार बन सेवा करने वाले साक्षात्कार मूर्त भव
! 
जैसे
बाप सेवा के लिए वतन से नीचे आते हैं, ऐसे हम भी सेवा के प्रति
वतन से आये हैं, ऐसे अनुभव कर सेवा करो तो सदा न्यारे और बाप
समान विश्व के प्यारे बन जायेंगे | ऊपर से नीचे आना माना अवतार
बन अवतरित होकर सेवा करना | सभी चाहते हैं कि अवतार आयें और
हमको साथ ले जायें | तो सच्चे अवतार आप हो जो सबको मुक्तिधाम
में साथ ले जायेंगे | जब अवतार समझकर सेवा करेंगे तब
साक्षात्कार मूर्त बनेंगे और अनेकों की इच्छायें पूर्ण होंगी |
स्लोगन:-
आपको कोई
अच्छा दे या बुरा आप सबको स्नेह दो, सहयोग दो, रहम करो
|
ओम् शान्ति
|