12-05-14   प्रातः मुरली   ओम् शान्ति   “बापदादा”   मधुबन
 


मीठे बच्चे इस दुःखधाम को जीते जी तलाक दो क्योंकि तुम्हें सुखधाम जाना है |   

                                                        
प्रश्न:-   
बाप बच्चों को कौन-सी एक छोटी सी मेहनत देते हैं?
उत्तर:-
बाबा कहते – बच्चे, काम महाशत्रु है, इस पर विजय प्राप्त करो | यही तुम्हें थोड़ी-सी मेहनत देता हूँ | तुम्हें सम्पूर्ण पावन बनना है | पतित से पावन अर्थात् पारस बनना है | पारस बनने वाले पत्थर नहीं बन सकते | तुम बच्चे अभी गुल-गुल बनो तो बाप तुम्हें नयनों पर बिठाकर साथ ले जायेंगे | 

ओम् शान्ति |

रूहानी बाप रूहानी बच्चों को समझाते हैं, यह तो बच्चे ज़रूर समझते हैं हम ब्राह्मण ही हैं, जो देवता बनेंगे | यह पक्का निश्चय है ना | टीचर जिसको पढ़ाते हैं ज़रूर आपसमान बना देते हैं | यह तो निश्चय की बात है | कल्प-कल्प बाप आकर समझाते हैं, हम नर्कवासियों को स्वर्गवासी बनाते हैं | सारी दुनिया को बनाने वाला कोई तो होगा ना | बाप स्वर्गवासी बनाते हैं, रावण नर्कवासी बनाते हैं | इस समय है रावण राज्य, सतयुग में है रामराज्य | रामराज्य की स्थापना करने वाला है तो ज़रूर रावण राज्य की स्थापना करने वाला भी होगा | राम भगवान् को कहा जाता है, भगवान् नई दुनिया स्थापन करते हैं | ज्ञान तो बहुत सहज है, कोई बड़ी बात नहीं है | परन्तु पत्थरबुद्धि ऐसे हैं जो पारसबुद्धि होना ही असम्भव समझते हैं | नर्कवासी से स्वर्गवासी बनने में बड़ी मेहनत लगती है क्योंकि माया का प्रभाव है | कितने बड़े-बड़े मकान 50 मंज़िल, 100 मंज़िल के बनाते हैं | स्वर्ग में कोई इतनी मंज़िल नहीं होती | आजकल यहाँ ही बनाते रहते हैं | तुम समझते हो सतयुग में ऐसे मकान नहीं होते, जैसे यहाँ बनाते हैं | बाप ख़ुद समझाते हैं इतना छोटा झाड़ सारे विश्व पर होता है, तो वहाँ मंज़िलें आदि बनाने की दरकार ही नहीं | ढेर की ढेर जमीन पड़ी रहती है | यहाँ तो जमीन है नहीं, इसलिए जमीन का दाम कितना बढ़ गया है | वहाँ तो जमीन का भाव लगता ही नहीं, न म्युनिसिपल टैक्स आदि लगता है | जिसको जितनी जमीन चाहिए ले सकता है | वहाँ तुमको सब सुख मिल जाते हैं, सिर्फ़ एक बाप की इस नॉलेज से | मनुष्य 100 मंज़िल आदि जो बनाते हैं, उसमें भी पैसे आदि तो लगते हैं ना | वहाँ पैसे आदि लगते ही नहीं | अथाह धन रहता है | पैसे का कदर नहीं | ढेर पैसे होंगे तो क्या करेंगे | सोने, हीरे, मोतियों के महल आदि बना देते हैं | अभी तुम बच्चों को कितनी समझ मिली है | समझ और बेसमझ की ही बात है | सतो बुद्धि और तमो बुद्धि | सतोप्रधान स्वर्ग के मालिक, तमोगुणी बुद्धि नर्क के मालिक | यह तो स्वर्ग नहीं है | यह है रौरव नर्क | बहुत दुःखी हैं इसलिए पुकारते हैं भगवान् को, फिर भूल जाते हैं | कितना माथा मारते, कान्फ्रेन्स आदि करते रहते हैं कि एकता हो जाए | परन्तु तुम बच्चे समझते हो – यह आपस में मिल नहीं सकते | यह सारा झाड़ जड़जड़ीभूत है, फिर नया बनता है | तुम जानते हो कलियुग से सतयुग कैसे बनता है | यह नॉलेज तुमको बाप अभी ही समझाते हैं | सतयुगवासी सो फिर कलियुगवासी बनते हो फिर तुम संगमवासी बन सतयुगवासी बनते हो | कहेंगे इतने सब सतयुग में जायेंगे? नहीं, जो सच्ची सत्य नारायण की कथा सुनेंगे वही स्वर्ग में जायेंगे | बाकी सब शान्तिधाम में चले जायेंगे | दुःखधाम तो होगा ही नहीं | तो इस दुःखधाम को जीते जी तलाक दे देना चाहिए | बाप युक्ति तो बताते हैं, कैसे तुम तलाक दे सकते हो | इस सारी सृष्टि पर देवी-देवताओं का राज्य था | अभी फिर बाप आते हैं स्थापना करने | हम उस बाप से विश्व का राज्य ले रहे हैं | ड्रामा प्लैन अनुसार चेन्ज ज़रूर होनी है | यह है पुरानी दुनिया | इसको सतयुग कैसे कहेंगे? परन्तु मनुष्य बिल्कुल समझते नहीं हैं कि सतयुग क्या होता है | बाबा ने समझाया है इस नॉलेज के लिए लायक वह हैं जिन्होंने बहुत भक्ति की है | उन्हें ही समझाना चाहिए | बाकी जो इस कुल के होंगे नहीं, वह समझेंगे नहीं | तो फिर ऐसे ही टाइम वेस्ट क्यों करना चाहिए | हमारे घराने के ही नहीं हैं तो कुछ भी मानेंगे नहीं | कह देते हैं आत्मा क्या, परमात्मा क्या – यह मैं समझना ही नहीं चाहता हूँ | तो ऐसे के साथ मेहनत क्यों करनी चाहिए | बाबा ने समझाया है – ऊपर में लिखा हुआ है भगवानुवाच, मैं आता ही हूँ कल्प-कल्प पुरुषोत्तम संगमयुग पर और साधारण मनुष्य तन में | जो अपने जन्मों को नहीं जानता है, मैं बतलाता हूँ | पूरे 5 हज़ार वर्ष का पार्ट किसका होता है, हम बता देते हैं | जो पहले नम्बर में आया है उनका ही पार्ट होगा ना | श्रीकृष्ण की महिमा भी गाते हैं फर्स्ट प्रिन्स ऑफ़ सतयुग | वही फिर 84 जन्मों के बाद क्या होगा? फर्स्ट बेगर | बेगर टू प्रिन्स | फिर प्रिन्स टू बेगर | तुम समझते हो प्रिन्स टू बेगर कैसे बनते हैं | फिर बाप आकर कौड़ी से हीरे जैसा बनाते हैं | जो हीरे जैसा है वही फिर कौड़ी जैसा बनते हैं | पुनर्जन्म तो लेते हैं ना | सबसे ज़्यादा जन्म कौन लेते हैं, यह तुम समझते हो | पहले-पहले तो श्रीकृष्ण को ही मानेंगे | उनकी राजधानी है | बहुत जन्म भी उनके होंगे | यह तो बहुत सहज बात है | परन्तु मनुष्य इन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं | बाप समझाते हैं तो वन्डर खाते हैं | बाप एक्यूरेट बताते हैं फर्स्ट सो लास्ट | फर्स्ट हीरे जैसा, लास्ट कौड़ी जैसा | फिर हीरे जैसा बनना है, पावन बनना है, इसमें तकलीफ़ क्या है | पारलौकिक बाप ऑर्डिनेन्स निकालते हैं – काम महाशत्रु है | तुम पतित किससे बने हो? विकार में जाने से इसलिए बुलाते भी हैं पतित-पावन आओ क्योंकि बाप तो एवर पारसबुद्धि है, वह कभी पत्थरबुद्धि नहीं बनते हैं, कनेक्शन ही उनका और पहले नम्बर जन्म लेने वाले का हुआ | देवतायें तो बहुत होते हैं परन्तु मनुष्य कुछ भी समझते नहीं | 

क्रिश्चियन लोग कहते हैं क्राइस्ट से 3 हज़ार वर्ष पहले पैराडाइज़ था | वह फिर भी पिछाड़ी को आये हैं ना तो उनकी ताक़त है | उनसे ही सब सीखने जाते हैं क्योंकि उन्हों की फ्रेश बुद्धि है | वृद्धि भी उन्हों की है | सतो, रजो, तमो में आते हैं ना | तुम जानते हो सब कुछ विलायत से ही सीखते हैं | यह भी तुम जानते हो – सतयुग में महल आदि बनने में कोई टाइम नहीं लगेगा | एक की बुद्धि में आया फिर वृद्धि होती जाती है | एक बनाकर फिर ढेर बनाते जाते हैं | बुद्धि में आ जाता है ना | साइन्स वालों की बुद्धि तुम्हारे पास ऊँच हो जाती है | झट महल बनाते रहेंगे | यहाँ मकान वा मन्दिर बनाने में 12 मास लग जाते हैं, वहाँ तो इन्जीनियर आदि सब होशियार होते हैं | वह है ही गोल्डन एज | पत्थर आदि तो होंगे ही नहीं | अभी तुम बैठे हो ख्याल करते होंगे, हम यह पुराना शरीर छोड़ेंगे, फिर घर में जायेंगे, वहाँ से फिर सतयुग में योगबल से जन्म लेंगे | बच्चों को ख़ुशी क्यों नहीं होती! चिन्तन क्यों नहीं चलता! जो मोस्ट सर्विसएबुल बच्चे हैं उन्हों का चिन्तन ज़रूर चलता होगा | जैसे बैरिस्टरी पास करते हैं तो बुद्धि में चलता है ना – हम यह करेंगे, यह करेंगे | तुम भी समझते हो हम यह शरीर छोड़ जाकर यह बनेंगे | याद से ही तुम्हारी आयु वृद्धि को पायेगी | अभी तो बेहद बाप के बच्चे हैं, यह ग्रेड बहुत ऊँची है | तुम ईश्वरीय परिवार के हो | उनका कोई और सम्बन्ध नहीं है | भाई-बहन से भी ऊँच चढ़ा दिया है | भाई-भाई समझो, यह बहुत प्रैक्टिस करनी है | भाई का निवास कहाँ है? इस तख़्त पर अकाल आत्मा रहती है | यह तख़्त सभी आत्माओं के सड़ गये हैं | सबसे जास्ती तुम्हारा तख़्त सड़ गया है | आत्मा इस तख़्त पर विराजमान होती है | भ्रकुटी के बीच में क्या है? यह बुद्धि से समझने की बातें है | आत्मा बिल्कुल सूक्ष्म है, स्टार मिसल है | बाप भी कहते हैं मैं भी बिन्दी हूँ | मैं फिर तुमसे बड़ा थोड़ेही हूँ | तुम जानते हो हम शिवबाबा की सन्तान हैं | अब बाप से वर्सा लेना है इसलिए अपने को भाई-भाई आत्मा समझो | बाप तुमको सम्मुख पढ़ा रहे हैं | आगे चल और ही कशिश होती जायेगी | यह विघ्न भी ड्रामा अनुसार पड़ते रहते हैं | 

अभी बाप कहते हैं – तुमको पतित नहीं होना है, यह ऑर्डिनेन्स है | अब तो और ही तमोप्रधान बन पड़े हैं | विकार बिगर रह नहीं सकते | जैसे गवर्मेन्ट कहती है शराब नहीं पियो, तो शराब बिगर रह नहीं सकते | फिर उनको ही शराब पिलाए डायरेक्शन देते हैं फलानी जगह बाम्ब्स सहित गिर जाओ | कितना नुकसान होता है | तुम यहाँ बैठे-बैठे विश्व का मालिक बनते हो | वह फिर वहाँ बैठे-बैठे बाम्ब्स छोड़ते हैं – सारे विश्व के विनाश के लिए | कैसे चटाभेटी है | तुम यहाँ बैठे-बैठे बाप को याद करते हो और विश्व के मालिक बन जाते हो | कैसे भी करके बाप को याद ज़रूर करना है | इसमें हठयोग करने वा आसन आदि लगाने की भी बात नहीं है | बाबा कोई भी तकलीफ़ नहीं देते हैं | कैसे भी बैठो सिर्फ़ तुम याद करो कि हम मोस्ट बिलवेड बच्चे हैं | तुमको बादशाही ऐसे मिलती है जैसे माखन से बाल | गाते भी हैं सेकण्ड में जीवनमुक्ति | कहाँ भी बैठो, घूमो फिरो, बाप को याद करो | पवित्र होने बिगर जायेंगे कैसे? नहीं तो सजायें खानी पड़ेंगी | जब धर्मराज के पास जायेंगे तब सबका हिसाब-किताब चुक्तू होगा | जितना पवित्र बनेंगे उतना ऊँच पद पायेंगे | इम्प्योर रहेंगे तो सूखा रोटला खायेंगे | जितना बाप को याद करेंगे, पाप कटेंगे | इसमें खर्चे आदि की कोई बात नहीं | भल घर में बैठे रहो, बाप से भी मन्त्र ले लो | यह है माया को वश करने का मन्त्र – मनमनाभव | यह मन्त्र मिला फिर भल घर जाओ | मुख से कुछ बोलो नहीं | अल्फ़ और बे, बादशाही को याद करो | तुम समझते हो बाप को याद करने से हम सतोप्रधान बन जायेंगे, पाप कट जायेंगे | बाबा अपना अनुभव भी सुनाते हैं – भोजन पर बैठता हूँ, अच्छा, हम बाबा को याद कर खाते हैं, फिर झट भूल जाता है क्योंकि गाया जाता है जिनके मत्थे मामला........कितना ख्याल करना पड़ता है – फलाने की आत्मा बहुत सर्विस करती है, उनको याद करना है | सर्विसएबुल बच्चों को बहुत प्यार करते हैं | तुमको भी कहते हैं इस शरीर में जो आत्मा विराजमान है, उनको याद करो | यहाँ तुम आते ही हो शिवबाबा के पास | बाप वहाँ से नीचे आये हैं | तुम सबको कहते भी हो – भगवान् आया है | परन्तु समझते नहीं | युक्ति से बताना पड़े | हद और बेहद के दो बाप हैं | अब बेहद का बाप राजाई दे रहे हैं | पुरानी दुनिया का विनाश भी सामने खड़ा है | एक धर्म की स्थापना, अनेक धर्मों का विनाश होता है | बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारे पाप भस्म हो जायेंगे | यह योग अग्नि है, जिससे तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे | यह तरीका बाप ने ही बताया है | तुम बच्चे जानते हो – बाप सबको गुल-गुल बनाकर, नयनों पर बिठाए ले जाते हैं | कौन-से नयन? ज्ञान के | आत्माओं को ले जाते हैं | समझते हो जाना तो ज़रूर है, उनसे पहले क्यों न बाप से वर्सा तो ले लें | कमाई भी बहुत भारी है | बाप को भूलने से फिर घाटा भी बहुत है | पक्के व्यापारी बनो | बाप को याद करने से ही आत्मा पवित्र बनेंगी | फिर एक शरीर छोड़ दूसरा जाकर लेंगे | तो बाप कहते हैं – मीठे-मीठे बच्चों, देही-अभिमानी बनो | यह आदत पक्की डालनी पड़े | अपने को आत्मा समझ बाप से पढ़ते रहो तो बेड़ा पार हो जायेगा, शिवालय में चले जायेंगे | चन्द्रकान्त वेदान्त में भी यह कथा है | बोट (नाव) कैसे चलती है, बीच में उतरते हैं, कोई चीज़ में दिल लग जाती है | स्टीमर चला जाता है | यह भक्ति मार्ग के शास्त्र फिर भी बनेंगे, तुम पढ़ेंगे | फिर जब बाबा आयेंगे तो यह सब छोड़ देंगे | बाप आते हैं सबको ले जाने | भारत का उत्थान और पतन कैसे होता है, कितना क्लीयर है | यह सांवरा और गोरा बनता है | ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा | एक तो सिर्फ़ नहीं बनता है ना | यह सारी समझानी है | कृष्ण की भी समझानी है गोरा और सांवरा | स्वर्ग में जाते हैं तो नर्क को लात मारते हैं | यह चित्र में क्लीयर है ना | राजाई के चित्र भी तुम्हारे बनाये थे | अच्छा!

 

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते | 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

 

1. बाप के ऑर्डिनेन्स को पालन करने के लिए हम आत्मा भाई-भाई हैं, भ्रकुटी के बीच में हमारा निवास है, हम बेहद बाप के बच्चे हैं, हमारा यह ईश्वरीय परिवार है – इस स्मृति में रहना है | देही-अभिमानी बनने की आदत डालनी है |

 

2. धर्मराज की सजाओं से छूटने के लिए अपने सब हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं | माया को वश करने का जो मन्त्र मिला है, उसको याद रखते सतोप्रधान बनना है |

 

वरदान:-

शुभचिन्तन द्वारा निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करने वाले शुभचिन्तक भव !   

सदा समर्थ रहने के लिए सिर्फ़ दो शब्द याद रखो – शुभचिन्तन और शुभचिन्तक | शुभचिन्तन से निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन कर सकते हो | शुभचिन्तन और शुभचिन्तक इन दोनों का आपस में सम्बन्ध है | अगर शुभचिन्तन नहीं है तो शुभचिन्तक भी नहीं बन सकते | वर्तमान समय इन दोनों बातों का अटेन्शन रखो क्योंकि बहुत सी समस्यायें ऐसी हैं, लोग ऐसे हैं जो वाणी से नहीं समझते लेकिन शुभचिन्तक बन वायब्रेशन दो तो बदल जायेंगे | 

स्लोगन:- 

ज्ञान रत्नों से, गुणों और शक्तियों से खेलो, मिट्टी से नहीं |   

 

ओम् शान्ति |