19-06-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
“मीठे
बच्चे
–
विश्व
का मालिक बनाने वाले बाप को बड़ी रूचि से याद करो, याद से ही
तुम सतोप्रधान बनेंगे” 
प्रश्न:-
किस
एक बात पर पूरा ध्यान हो तो बुद्धि के कपाट खुल जायेंगे?
उत्तर:-
पढ़ाई
पर | भगवान् पढ़ाते हैं इसलिये कभी भी पढ़ाई मिस नहीं होनी चाहिए
| जहाँ तक जीना है, वहाँ तक अमृत पीना है | पढ़ाई में अटेन्शन
देना है, अबसेन्ट नहीं होना है | यहाँ-वहाँ से भी ढूंढ़कर मुरली
ज़रूर पढ़नी है | मुरली में रोज़ नई-नई प्वाइन्ट्स निकलती रहती
हैं, जिससे तुम्हारे कपाट ही खुल जायेंगे |
ओम्
शान्ति
|
शिव
भगवानुवाच सलिग्रामों प्रति | यह तो सारे कल्प में एक ही बार
होता है, यह भी तुम जानते हो और कोई भी जान न सके | मनुष्य इस
रचयिता और रचना के आदि, मध्य, अन्त को बिल्कुल ही नहीं जानते |
तुम बच्चे जानते हो कि स्थापना में विघ्न तो पड़ने ही हैं, इसको
कहा जाता है ज्ञान यज्ञ | बाप समझाते हैं इस पुरानी दुनिया में
तुम जो कुछ देखते हो वह सब स्वाहा हो जाना है | फिर उसमें
ममत्व नहीं रखना चाहिए | बाप आकर पढ़ाते हैं नई दुनिया के लिए |
यह है पुरुषोत्तम संगमयुग | यह है विशश और वाइसलेस का संगम,
जबकि चेन्ज होनी है | नई दुनिया को कहा जाता है वाइसलेस वर्ल्ड
| आदि सनातन देवी-देवता धर्म ही था | यह तो बच्चे जानते हैं
प्वाइन्ट्स समझने की हैं | बाप रात-दिन कहते रहते हैं – बच्चे,
तुमको गुह्य ते गुह्य बातें सुनाता हूँ | जहाँ तक बाप है पढ़ाई
चलनी ही है | फिर पढ़ाई भी बन्द हो जायेगी | इन बातों को
तुम्हारे सिवाए कोई भी नहीं जानते | तुम्हारे में भी नम्बरवार
हैं जो फिर बापदादा ही जानते हैं | कितने गिरते हैं, कितनी
तकलीफ़ होती है | ऐसे नहीं सदैव सभी पवित्र रह सकते हैं |
पवित्र नहीं रहते तो फिर सजायें खानी पड़ती हैं | माला के दाने
ही पास विद् आनर्स होते हैं | फिर प्रजा भी बनती है | यह बहुत
समझने की बातें हैं | तुम कोई को भी समझाओ तो वह समझ थोड़ेही
सकते हैं | टाइम लगता है | सो भी जितना बाप समझा सकते हैं,
उतना तुम नहीं | रिपोर्ट्स आदि जो आती हैं, उनको बाप ही जानते
हैं – फ़लाना विकार में गिरा, यह हुआ....... | नाम तो नहीं बता
सकते | नाम बतायें तो फिर उनसे कोई बात करना भी पसन्द नहीं
करेंगे | सब नफ़रत की दृष्टि से देखेंगे, दिल से उतर जायेंगे |
सारी की कमाई चट हो जाती है | यह तो जिसने धक्का खाया वह जाने
या बाप जाने | यह बड़ी गुप्त बातें हैं |
तुम
कहते हो फ़लाना मिला, उनको बहुत अच्छा समझाया, वह सेवा में मदद
कर सकते हैं | परन्तु वह भी जब सम्मुख हो ना | समझो गवर्नर को
तुम अच्छी तरह समझाते हो परन्तु वह थोड़ेही किसको समझा सकेंगे |
कोई को समझायेंगे तो मानेंगे नहीं | जिसको समझने का होगा वही
समझेगा | दूसरे को थोड़ेही समझा सकेंगे | तुम बच्चे समझाते हो
कि यह तो काँटों का जंगल है, इसको हम मंगल बनाते हैं | मंगलम्
भगवान् विष्णु कहते हैं ना | यह श्लोक आदि सब भक्ति मार्ग के
हैं | मंगल तब होता है जब विष्णु का राज्य होता है | विष्णु
अवतरण भी दिखाते हैं | बाबा ने सब कुछ देखा हुआ है | अनुभवी है
ना | सभी धर्म वालों को अच्छी तरह जानते हैं | बाप जिस तन में
आयेंगे तो उनकी पर्सनैलिटी भी चाहिये ना | तब कहते हैं बहुत
जन्मों के अन्त में, जबकि यहाँ का बड़ा अनुभवी होता है, तब मैं
इनमें प्रवेश करता हूँ | वह भी साधारण, पर्सनैलिटी का यह मतलब
नहीं कि राजा रजवाड़ा हो | नहीं, उनको तो बहुत अनुभव है | इनके
रथ में आता हूँ बहुत जन्मों के अन्त में |
तुमको समझाना पड़े यह राजधानी स्थापन होती है | माला बनती है |
यह राजधानी कैसे स्थापन हो रही है, कोई राजा-रानी कोई क्या
बनते हैं | यह सब बातें एक ही दिन में तो कोई समझ नहीं सकता |
बेहद का बाप बेहद का वर्सा देते हैं | भगवान् आकर समझाते हैं
सो भी मुश्किल थोड़े पवित्र बनते हैं | यह भी समझने में टाइम
चाहिए | कितनी सजायें खाते हैं | सजायें खाकर भी प्रजा बनते
हैं | बाप समझाते हैं – बच्चे, तुम्हें बहुत-बहुत मीठा भी बनना
है | कोई को दुःख नहीं देना है | बाप आते ही हैं सबको सुख का
रास्ता बताने, दुःख से छुड़ाने | तो फिर ख़ुद किसको कैसे दुःख
देंगे | यह सब बातें तुम बच्चे ही जानते हो | बाहर वाले बड़ा
मुश्किल समझते हैं |
जो
भी सम्बन्धी आदि हैं, उन सबसे ममत्व तोड़ देना है | घर में रहना
है परन्तु निमित्त मात्र | यह तो बुद्धि में है कि यह सारी
दुनिया ख़त्म हो जानी है | परन्तु यह ख्यालात भी किसको रहता
नहीं | जो अनन्य बच्चे हैं वह समझते हैं, वह भी अभी सीखने का
पुरुषार्थ करते रहते हैं | बहुत फेल भी हो पड़ते हैं | माया की
चकरी बहुत चलती है | वह भी बड़ी बलवान है | परन्तु यह बातें और
कोई को थोड़ेही समझा सकते | तुम्हारे पास आते हैं, समझना चाहते
हैं – यहाँ क्या होता है, इतनी रिपोर्ट्स आदि क्यों आती है? अब
इन लोगों की तो बदली होती रहती है तो फिर एक-एक को बैठ समझाना
पड़े | फिर कहते यह तो बड़ी अच्छी संस्था है | राजधानी के
स्थापना की बातें बड़ी गुह्य गोपनीय हैं | बेहद का बाप बच्चों
को मिला है तो कितना हर्षित होना चाहिए | हम विश्व के मालिक
देवता बनते हैं तो हमारे में दैवी गुण भी ज़रूर होना चाहिए | एम
ऑब्जेक्ट तो समाने खड़ी है | यह है नई दुनिया के मालिक | यह तुम
ही समझते हो | हम पढ़ते हैं, बेहद का बाप जो नॉलेजफुल है वह
हमको पढ़ाते हैं, अमरपुरी अथवा हेविन में ले जाने के लिए हमको
यह नॉलेज मिलती है | आयेंगे वही, जिन्होंने कल्प-कल्प राज्य
लिया है | कल्प पहले मुआफ़िक हम अपनी राजधानी स्थापन कर रहे हैं
| यह माला बन रही है, नम्बरवार | जैसे स्कूल में भी जो अच्छा
पढ़ते हैं उनको स्कालरशिप मिलती है ना | वह हैं हद की बातें,
तुमको मिलती हैं बेहद की बातें | तो तुम बाप के मददगार बनते
हो, वही ऊँच पद पाते हो | वास्तव में तो मदद अपने को ही करनी
है | पवित्र बनना है, सतोप्रधान थे फिर से बनना है ज़रूर | बाप
को याद करना है | उठते, बैठते, चलते बाप को याद कर सकते हो |
जो बाप हमको विश्व का मालिक बनाते हैं, उनको बहुत रूचि से याद
करना है | परन्तु माया छोड़ती नहीं है | अनेक प्रकार की
किस्म-किस्म की रिपोर्ट्स लिखते हैं – बाबा, हमको माया के
विकल्प बहुत आते हैं | बाप कहते हैं युद्ध का मैदान है ना | 5
विकारों पर जीत पानी है | बाप को याद करने से तुम भी समझते हो
हम सतोप्रधान बनते हैं | बाप आकर समझाते हैं, भक्ति मार्ग वाले
कोई भी जानते नहीं | यह तो पढ़ाई है | बाप कहते हैं तुम पावन
कैसे बनेंगे! तुम पावन थे, फिर बनना है | देवता पावन हैं ना |
बच्चे जानते हैं हम स्टूडेन्ट पढ़ रहे हैं | भविष्य में फिर
सूर्यवंशी राज्य में आयेंगे | उसके लिए पुरुषार्थ भी अच्छी
रीति करना है | सारा मार्क्स के ऊपर मदार है | युद्ध के मैदान
में फेल होने से चन्द्रवंशी में चले जाते हैं | उन्होंने फिर
युद्ध का नाम सुन तीर-कमान आदि दे दिये हैं | क्या वहाँ बाहुबल
की लड़ाई थी, जो तीर-कमान आदि चलाये! ऐसी कोई बात है नहीं | आगे
बाणों की लड़ाई चलती थी | इस समय तक भी निशानियाँ हैं | कोई-कोई
चलाने में होशियार होते हैं | अब इस ज्ञान में लड़ाई आदि की कोई
बात नहीं है |
तुम
जानते हो शिवबाबा ही ज्ञान का सागर है, जिनसे हम यह पद पाते
हैं | अब बाप कहते हैं देह सहित देह के सभी सम्बन्धों से ममत्व
तोड़ना है | यह सब पुराना है | नई दुनिया गोल्डन एजड भारत था |
कितना नाम मशहूर था | प्राचीन योग कब और किसने सिखाया? यह
किसको पता नहीं | जब तक ख़ुद न आकर समझायें | यह है नई चीज़ |
कल्प-कल्प जो होता आया है, वही फिर रिपीट होगा | उसमें फ़र्क
नहीं पड़ सकता है | बाप कहते हैं अब यह अन्तिम जन्म पवित्र रहने
से फिर 21 जन्म तुमको कभी अपवित्र नहीं होना है | बाप कितना
अच्छी रीति समझाते हैं फिर भी सब एकरस थोड़ेही पढ़ते हैं |
रात-दिन का फ़र्क है | आते हैं पढ़ने लिए फिर थोड़ा पढ़कर गुम हो
जाते हैं | जो अच्छी रीति समझते हैं वह अपना अनुभव भी सुनाते
हैं – कैसे हम आये, फिर कैसे हमने पवित्रता की प्रतिज्ञा की |
बाप कहते हैं पवित्रता की प्रतिज्ञा कर फिर एक बार भी पतित बना
तो की कमाई चट हो जायेगी | फिर वह अन्दर में खाता रहेगा |
किसको भी कह नहीं सकेंगे कि बाप को याद करो | मूल बात तो
विकार के लिए ही पूछते हैं | तुम बच्चों को यह पढ़ाई रेग्युलर
पढ़नी है | बाप कहते हैं हम तुमको नई-नई बातें सुनाता हूँ | तुम
हो स्टूडेन्ट, तुमको भगवान् पढ़ाते हैं! भगवान् के तुम
स्टूडेन्ट हो | ऐसी ऊँच ते ऊँच पढ़ाई को तो एक दिन भी मिस नहीं
करना चाहिए | एक दिन भी मुरली न सुनी तो फिर अबसेन्ट पड़ जाती
है | अच्छे-अच्छे महारथी भी मुरली मिस कर देते हैं | वह समझते
हैं हम तो सब कुछ जानते हैं, मुरली नहीं पढ़ी तो क्या हुआ! अरे,
अबसेन्ट पड़ जायेगी, नापास हो जायेंगे | बाप ख़ुद कहते हैं रोज़
ऐसी अच्छी-अच्छी प्वाइन्ट्स सुनाता हूँ जो समय पर समझाने में
बहुत काम आयेंगी | नहीं सुनेंगे तो फिर कैसे काम में लायेंगे |
जब तक जीना है, अमृत पीना है, शिक्षा को धारण करना है |
अबसेन्ट तो कभी भी नहीं होना चाहिए | यहाँ-वहाँ से ढूंढ़कर, कोई
से लेकर भी मुरली पढ़नी चाहिए | अपना घमण्ड नहीं होना चाहिए |
अरे, भगवान् बाप पढ़ाते हैं, उसमें तो एक दिन भी मिस नहीं होना
चाहिए | ऐसी-ऐसी प्वाइन्ट्स निकलती हैं जो तुम्हारा वा किसी का
भी कपाट खुल सकता है | आत्मा क्या है, परमात्मा क्या है, कैसे
पार्ट चलता है, इसे समझने में टाइम चाहिए | पिछाड़ी में सिर्फ़
यही याद रहेगा कि अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो | परन्तु
अभी समझाना पड़ता है | पिछाड़ी की यही अवस्था है, बाप को याद
करते-करते चले जाना है | याद से ही तुम पवित्र बनते हो | कितना
बने हो सो तो तुम समझ सकते हो | इम्प्योर को बल ज़रूर कम मिलेगा
| मुख्य 8 रत्न ही हैं जो पास विद् ऑनर हो जाते हैं | वह कुछ
भी सजा नहीं खाते हैं | यह बड़ी महीन बातें हैं | कितनी ऊँची
पढ़ाई है | स्वप्न में भी नहीं होगा कि हम देवता बन सकते हैं |
बाप को याद करने से ही तुम पदमापदम भाग्यशाली बनते हो | इसके
सामने तो वह धन्धा आदि कुछ भी काम का नहीं है | कोई भी चीज़ काम
आने वाली नहीं है | फिर भी करना तो पड़ता ही है | यह कभी भी
ख्याल नहीं आना चाहिए कि हम शिवबाबा को देते हैं | अरे, तुम तो
पदमापदमपति बनते हो | देने का ख्याल आया तो ताक़त ख़त्म हो जाती
है | मनुष्य ईश्वर अर्थ दान-पुण्य करते हैं, लेने के लिए | वह
देना थोड़ेही हुआ | भगवान् तो दाता है ना | दूसरे जन्म में
कितना देते हैं | यह भी ड्रामा में नूँध है | भक्ति मार्ग में
है अल्पकाल का सुख, तुम बेहद के बाप से बेहद सुख का वर्सा पाते
हो | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार
और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा
के
लिए
मुख्य
सार:-
1.
जब तक
जीना है, अमृत पीना है, शिक्षाओं को धारण करना है | भगवान्
पढ़ाते हैं, इसलिए एक दिन भी मुरली मिस नहीं करनी है |
2.
पदमों
की कमाई जमा करने के लिए निमित्त मात्र घर में रहते, काम-काज
करते एक बाप की याद में रहना है |
वरदान:-
पवित्रता को आदि अनादि विशेष गुण के रूप में सहज अपनाने वाले
पूज्य आत्मा भव
! 
पूज्यनीय बनने का विशेष आधार पवित्रता है | जितना सर्व प्रकार
की पवित्रता को अपनाते हो उतना सर्व प्रकार से पूज्यनीय बनते
हो | जो विधिपूर्वक आदि अनादि विशेष गुण के रूप से पवित्रता को
अपनाते हैं वही विधिपूर्वक पूजे जाते हैं | जो ज्ञानी और
अज्ञानी आत्माओं के सम्पर्क में आते पवित्र वृत्ति, दृष्टि,
वायब्रेशन से यथार्थ सम्पर्क-सम्बन्ध निभाते हैं, स्वप्न में
भी जिनकी पवित्रता खण्डित नहीं होती है – वही विधिपूर्वक पूज्य
बनते हैं |
स्लोगन:-
व्यक्त
में रहते अव्यक्त फ़रिश्ता बनकर सेवा करो तो विश्व कल्याण का
कार्य तीव्रगति से सम्पन्न हो |
ओम्
शान्ति
|