18-06-14           प्रातः मुरली         ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन
 


मीठे बच्चे बाप बागवान है, इस बागवान के पास तुम मालियों को बहुत अच्छे-अच्छे खुशबूदार फूल लाने हैं, ऐसा फूल नहीं लाओ जो मुरझाया हुआ हो”   

                                                        
प्रश्न:-   
बाप की नज़र किन बच्चों पर पड़ती है, किसके ऊपर नहीं पडती है?


उत्तर:-
जो अच्छी खुशबू देने वाले फूल हैं, अनेक काँटों को फूल बनाने की सर्विस करते हैं, उन्हें देख-देख बाप खुश होता | उन पर ही बाप की नज़र जाती है और जिनकी वृत्ति गन्दी है, आँखें धोखा देती हैं, उन पर बाप की नज़र भी नहीं पड़ती | बाप तो कहेंगे बच्चे फूल बन अनेकों को फूल बनाओ तब होशियार माली कहे जायेंगे |

 

ओम् शान्ति |

बागवान बाप बैठ अपने फूलों को देखते हैं क्योंकि और सब सेन्टर्स पर तो फूल और माली हैं, यहाँ तुम बागवान के पास आते हो अपनी खुशबू देने | तुम फूल हो ना | तुम भी जानते हो, बाप भी जानते हैं – काँटों के जंगल का बीजरूप है रावण | यूँ तो सारे झाड़ का बीज एक ही है परन्तु फूलों के बगीचे से फिर काँटों का जंगल बनाने वाला भी ज़रूर होगा | वह है रावण | तो जज करो बाप ठीक समझाते हैं ना | देवताओं रूपी फूलों के बगीचे का बीजरूप है बाप | तुम अभी देवी-देवता बन रहे हो ना | यह तो हर एक जानते हैं कि हम किस किस्म का फूल हैं | बागवान भी यहाँ ही आते हैं फूलों को देखने | वह तो सब हैं माली | वह भी अनेक प्रकार के माली हैं | उस बगीचे के भी भिन्न-भिन्न प्रकार के माली होते हैं ना | कोई की 500 रुपया तनख्वाह होती, कोई की 1000, कोई की 2000 रुपया | जैसे मुगल गार्डन का माली ज़रूर बहुत होशियार होगा | उसकी पगार भी अधिक होगी | यह तो बेहद का बड़ा बगीचा है, उसमें भी अनेक प्रकार के नम्बरवार माली हैं | जो बहुत अच्छे माली होते हैं वह बगीचे को बहुत अच्छा शोभनिक बना देते हैं, अच्छे फूल लगाते हैं | गवर्मेन्ट हाउस का मुगल गार्डन कितना अच्छा है | यह है बेहद का बगीचा | एक है बागवान | अब काँटों के जंगल का बीज है रावण और फूलों के बगीचे का बीज है शिवबाबा | वर्सा मिलता है बाप से | रावण से वर्सा नहीं मिलता | वह जैसे श्राप देता है | जब श्रापित होते हैं तो जो सुख देने वाला है उनको सब याद करते हैं क्योंकि वह है सुख दाता, सदा सुख देने वाला | माली भी भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं, बागवान आकरके मालियों को भी देखते हैं कि कैसे छोटा-मोटा बगीचा बनाते हैं | कौन-कौन से फूल हैं, वह भी ख्याल में लाते हैं | कभी-कभी बहुत अच्छे-अच्छे माली भी आते हैं, उन्हों के फूलों की सजावट भी अक्सर करके अच्छी हो जाती है | तो बागवान को भी ख़ुशी होती है – ओहो! यह मालिक तो बड़ा अच्छा है, फूल भी अच्छे-अच्छे लाये हैं | यह है बेहद का बाप और उनकी हैं बेहद की बातें | तुम बच्चे दिल में समझते हो बाबा बिल्कुल सत्य कहते हैं | आधाकल्प चलता है रावण राज्य | फूलों के बगीचे को काँटों का जंगल रावण बना देता है | जंगल में कांटे ही कांटे होते हैं | बहुत दुःख देते हैं | बगीचे के बीच में कांटे थोड़ेही होते हैं, एक भी नहीं | बच्चे जानते हैं | रावण देह-अभिमान में ले आता हैं | बड़े ते बड़ा कांटा है देह-अभिमान |

बाबा ने रात्रि को भी समझाया किन्हों की दृष्टि कामी रहती है, तो कोई की सेमी कामी दृष्टि है | कोई नये-नये भी आते हैं जो पहले अच्छा-अच्छा चलते हैं, समझते हैं विकार में कभी नहीं जायेंगे, पवित्र रहेंगे | उस समय शमशानी वैराग्य आता है | फिर वहाँ (घर में) जाते हैं तो ख़राब हो पड़ते हैं | दृष्टि गन्दी हो पड़ती है | यहाँ जिनको अच्छा-अच्छा फूल समझ बागवान के पास ले आते हैं कि बाबा यह बहुत अच्छा फूल है, कोई-कोई माली कान में आकर बताते हैं यह फलाना फूल है|माली तो ज़रूर बताएँगे ना|ऐसे नहीं की बाबा अंतर्यामी है,माली हर एक की चाल-चलन बताते हैं कि

 बाबा इनकी दृष्टि अच्छी नहीं है, इनकी चलन रॉयल नहीं है, इनकी 10-20 परसेन्ट सुधरी है | मूल हैं आँखें, जो बहुत धोख़ा देती हैं | माली आकर बागवान को सब कुछ बतायेंगे | बाबा एक-एक से पूछते हैं बताओ तुमने कैसे फूल लाये हैं? कोई गुलाब के फूल होते हैं, कोई मोतिये के, कोई अक के भी ले आते हैं | यहाँ बहुत ख़बरदार रहते हैं | जंगल में जाते हैं तो फिर मुरझा जाते हैं | बाबा देखते हैं कि यह किस प्रकार के फूल हैं | माया भी ऐसी है जो मालियों को भी बड़ा ज़ोर से थप्पड़ लगा देती है, जो माली भी कांटे बन पड़ते हैं | बागवान आते हैं तो पहले-पहले बगीचे को देखते हैं, फिर बाप बैठ उनको श्रृंगारते हैं | बच्चे, ख़बरदार रहो, खामियां निकालते जाओ, नहीं तो फिर बहुत पछतायेंगे | बाबा आये हैं लक्ष्मी-नारायण बनाने, उनके बदले हम नौकर बनें! अपनी जाँच की जाती है, हम ऐसा ऊँच लायक बनते हैं? यह तो जानते हो काँटों के जंगल का बीज रावण है, फूलों के बगीचे का बीज है राम | यह सब बातें बाप बैठ बताते हैं | बाबा फिर भी स्कूल की पढ़ाई की महिमा करते हैं, वह पढ़ाई फिर भी अच्छी है, क्योंकि उसमें सोर्स ऑफ़ इनकम है | एम ऑब्जेक्ट भी है | यह भी पाठशाला है, इसमें एम ऑब्जेक्ट है | फिर कहाँ भी यह एम ऑब्जेक्ट होती नहीं है | तुम्हारी एक ही एम है नर से नारायण बनने की | भक्ति मार्ग में सत्य नारायण की कथा बहुत-बहुत सुनते हैं, हर मास ब्राह्मण को बुलाते हैं, ब्राह्मण गीता सुनाते हैं | आजकल तो गीता सब सुनाते हैं, सच्चा-सच्चा ब्राह्मण तो कोई है नहीं | तुम हो सच्चे-सच्चे ब्राह्मण | सच्चे बाप के बच्चे हो | तुम सच्ची-सच्ची कथा सुनाते हो | सत्य नारायण की कथा भी है, अमरकथा भी है, तिजरी की कथा भी है | भगवानुवाच – मैं तुमको राजाओं का राजा बनाता हूँ | वो लोग गीता तो सुनाते आये हैं | फिर कौन राजा बना? ऐसा कोई है जो कहे मैं तुमको राजाओं का राजा बनाऊंगा, मैं ख़ुद नहीं बनूंगा? ऐसा कभी सुना? यह एक ही बाप है जो बच्चों को बैठ समझाते हैं | बच्चे जानते हैं यहाँ बागवान पास रिफ्रेश होने आते हैं | माली तो ज़रूर बनना है | किस्म-किस्म के मालिक हैं | सर्विस नहीं करेंगे तो अच्छा फूल कैसे बनेंगे? हर एक अपने दिल से पूछे कि मैं किस प्रकार का फूल हूँ? किस प्रकार का माली हूँ? बच्चों को विचार सागर मंथन करना पड़े | ब्राह्मणियाँ जानती हैं – माली भी किस्म-किस्म के होते हैं ना | कोई अच्छे-अच्छे माली भी आते हैं, जिनका बड़ा अच्छा बगीचा होता है | जैसे अच्छा माली तो बगीचा भी अच्छा बनाते हैं | अच्छे-अच्छे फूल ले आते हैं, जो देख दिल खुश हो जाता है | कोई-कोई हल्के फूल ले आते हैं | बागवान समझ जाते हैं यह क्या-क्या पद पायेंगे | अभी तो टाइम पड़ा है | एक-एक कांटे को फूल बनाने में मेहनत लगती है | कोई तो फूल बनना चाहते नहीं, काँटा ही पसन्द करते हैं | आँखों की वृत्ति बहुत गन्दी रहती है | यहाँ आते हैं तो भी उनसे खुशबू नहीं आती | बागवान चाहते हैं मेरे आगे फूल बैठे तो अच्छा है, जिनको देख खुश होता हूँ | देखता हूँ कि वृत्ति ऐसी है तो उस पर नज़र भी नहीं डालते हैं इसलिए एक-एक को देखते हैं, यह मेरे फूल किस प्रकार के हैं? कितनी खुशबू देते हैं? कांटे से फूल बने हैं वा नहीं? हर एक ख़ुद भी समझ सकते हैं कि हम कहाँ तक फूल बने हैं? पुरुषार्थ करते हैं? घड़ी-घड़ी कहते हैं – बाबा, हम आपको भूल जाते हैं | योग में ठहर नहीं सकते हैं | अरे, याद नहीं करेंगे तो फूल कैसे बनेंगे? याद करो तो पाप कटें तब फूल बनकर फिर औरों को भी फूल बनायेंगे, तब माली नाम रख सकते हैं | बाबा मालियों की मांग करते रहते हैं | है कोई माली? क्यों नहीं माली बन सकते हैं? बन्धन तो छोड़ना चाहिए | अन्दर में जोश आना चाहिए | सर्विस का उल्हास रहना चाहिए | अपने पंख आज़ाद करने के लिए मेहनत करनी चाहिए | जिसमें बहुत प्यार है, उनको छोड़ना होता है क्या? बाप की सर्विस लिए जब तक फूल बन औरों को नहीं बनाया है तो ऊँच पद कैसे पायेंगे? 21 जन्मों के लिए ऊँच पद है | महाराजायें राजायें, बड़े-बड़े साहूकार भी हैं | फिर नम्बरवार कम साहूकार भी हैं, प्रजा भी है | अब हम क्या बनें? जो अभी पुरुषार्थ करेंगे वह कल्प-कल्पान्तर बनेंगे | अभी पूरा ज़ोर देकर पुरुषार्थ करना पड़े | नर से नारायण बनना चाहिए, जो अच्छे पुरुषार्थी होंगे वह अमल करेंगे | रोज़ की आमदनी और घाटे को देखना होता है | 12 मास की बात नहीं, रोज़ अपना घाटा और फ़ायदा निकालना चाहिए | घाटा नहीं डालना चाहिए | नहीं तो थर्ड क्लास बन पड़ेंगे | स्कूल में भी नम्बरवार तो होते हैं ना |

मीठे-मीठे बच्चे जानते हैं – हमारा बीज है वृक्षपति, जिसके आने से हम पर बृहस्पति की दशा बैठती है | फिर रावण राज्य आता है तो राहू की दशा बैठती है | वह एकदम हाइएस्ट, वह एकदम लोएस्ट | एकदम शिवालय से वेश्यालय बना देते हैं | अभी तुम बच्चों पर है बृहस्पति की दशा | पहले नया वृक्ष होता है | फिर आधा से पुराना शुरू होता है | बागवान भी है, माली भी वृद्धि को पाते रहते हैं | बागवान पास ले आते हैं | हर एक माली फूल ले आते हैं | कोई तो ऐसे अच्छे फूल ले आते हैं, तड़फते हैं बाबा के पास जायें | कैसी-कैसी युक्तियों से बच्चियां आती हैं | बाबा कहते हैं बड़ा अच्छा फूल लाया है | भल माली सेकण्ड क्लास है, माली से फूल अच्छे होते हैं – तड़फते हैं शिवबाबा के पास जायें, जो बाबा हमको इतना ऊँच विश्व का मालिक बनाते हैं | घर में मार खाती हैं तो भी कहती हैं शिवबाबा हमारी रक्षा करो | उनको ही सच्ची द्रोपदी कहा जाता है | पास्ट जो हो गया सो फिर रिपीट होना है | कल पुकारा था ना, आज बाबा आये हैं बचाने के लिए युक्तियाँ बताते हैं – ऐसे-ऐसे भूं-भूं करो | तुम हो भ्रमरियां, वह हैं कीड़ा | उन पर भूं-भूं करते रहो | बोलो, भगवानुवाच – काम महाशत्रु है, उसको जितने से विश्व का मालिक बनते हैं | कोई न कोई समय अबलाओं के बोल लग जाते हैं तो फिर ठन्डे हो जाते हैं | कहते हैं – अच्छा, भले जाओ | ऐसा बनाने वाले पास जाओ | मेरी तक़दीर में नहीं है तुम तो जाओ | ऐसे द्रोपदियां पुकारती हैं | बाबा लिखते हैं भूं-भूं करो | कोई-कोई स्त्रियाँ भी ऐसी होती है जिनको सूपनखा, पूतना कहा जाता है | पुरुष उनको भूं-भूं करते हैं, वह कीड़ा बन पड़ती हैं, विकार बिगर रह नहीं सकती | बागवान पास किस्म-किस्म के आते हैं, बात मत पूछो | कोई-कोई कन्यायें भी कांटा बन पड़ती हैं इसलिए बाबा कहते हैं अपनी जन्मपत्री बताओ | बाप को सुनायेंगे नहीं, छिपायेंगे तो वह वृद्धि होती जायेगी | झूठ चल न सके | तुम्हारी वृत्ति ख़राब होती जायेगी | बाप को सुनाने से तुम बच जायेंगे | सच बताना चाहिए, नहीं तो बिल्कुल महारोगी बन जायेंगे | बाप कहते हैं विकारी जो बनते हैं उनका काला मुँह होता है | पतित माना काला मुँह | कृष्ण को भी श्याम-सुन्दर कहते हैं | कृष्ण को काला बना दिया है | राम को, नारायण को भी काला दिखाते हैं | अर्थ कुछ नहीं समझते हैं | तुम्हारे पास तो नारायण का चित्र गोरा है, तुम्हारी तो यह एम ऑब्जेक्ट है | तुमको काला नारायण थोड़ेही बनना है | यह मन्दिर जो बनाये हैं, ऐसे थे नहीं | विकार में गिरने से फिर फिर काला मुँह हो जाता है | आत्मा काली बन गई है | आयरन एज से गोल्डन एज में जाना है | सोने की चिड़िया बनना है | काली कलकत्ते वाली कहते हैं | कितनी भयंकर शक्ल दिखाई देती है | बात मत पूछो | बाप कहते हैं – बच्चे, यह सब है भक्ति मार्ग | अभी तुम्हें तो ज्ञान मिला है | अच्छा! 

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-  

1. अपने पंख आज़ाद करने की मेहनत करनी है, बन्धनों से मुक्त हो होशियार माली बनना है | काँटों को फूल बनाने की सेवा करनी है | 

2. अपने आपको देखना है कि मैं कितना खुशबूदार फूल बना हूँ? मेरी वृत्ति शुद्ध है? आँखें धोखा तो नहीं देती हैं? अपनी चाल-चलन का पोतामेल रख खामियां निकालनी है |

 

वरदान:- 

निश्चयबुद्धि बन कमज़ोर संकल्पों की जाल को समाप्त करने वाले सफ़लता सम्पन्न भव !   

अभी तक मैजारिटी बच्चे कमज़ोर संकल्पों को स्वयं ही इमर्ज करते हैं – सोचते हैं पता नहीं होगा या नहीं होगा, क्या होगा....यह कमज़ोर संकल्प ही दीवार बन जाते हैं और सफ़लता उस दीवार के अन्दर छिप जाती है | माया कमज़ोर संकल्पों की जाल बिछा देती है, उसी जाल में फँस जाते हैं इसलिए मैं निश्चयबुद्धि विजयी हूँ, सफ़लता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है – इस स्मृति से कमज़ोर संकल्पों को समाप्त करो |

 

स्लोगन:- 

तीसरा ज्वालामुखी नेत्र खुला रहे तो माया शक्तिहीन बन जायेगी |     

 

ओम् शान्ति |