02-02-15      प्रातः मुरली      ओम् शान्ति      “बापदादा”      मधुबन
 


मीठे बच्चे - सबको यह खुशखबरी सुनाओ कि भारत अब फिर से स्वर्ग बन रहा है, हेविनली गॉड फादर आये हुए हैं”   

प्रश्न:-   
जिन बच्चों को स्वर्ग का मालिक बनने की खुशी है उनकी निशानी क्या होगी?

उत्तर:-

उनके अन्दर किसी भी प्रकार का दु:ख नहीं आ सकता । उन्हें नशा रहेगा कि हम तो बहुत बड़े आदमी हैं, हमें बेहद का बाप ऐसा (लक्ष्मी-नारायण) बनाते हैं । उनकी चलन बहुत रॉयल होगी । वह दूसरों को खुशखबरी सुनाने के सिवाए रह नहीं सकते ।

ओम् शान्ति |

बाप समझाते हैं और बच्चे जानते हैं कि भारत खास और दुनिया आम को यह सन्देश पहुँचाना है । तुम सब सन्देशी हो, बहुत खुशी का सन्देश सबको देना है कि भारत अब फिर से स्वर्ग बन रहा है अथवा स्वर्ग की स्थापना हो रही है । भारत में बाप जिनको हेविनली गॉड फादर कहते हैं, वही स्थापना करने आये हैं । तुम बच्चों को डायरेक्शन है कि यह खुशखबरी सबको अच्छी रीति सुनाओ । हरेक को अपने धर्म की तात रहती है । तुमको भी तात है, तुम खुशखबरी सुनाते हो, भारत के सूर्यवंशी देवी-देवता धर्म की स्थापना हो रही है अर्थात् भारत फिर से स्वर्ग बन रहा है । यह खुशी अन्दर में रहनी चाहिए-हम अभी स्वर्ग के मालिक बन रहे हैं । जिनको यह खुशी अन्दर में है उनको दु:ख तो कोई भी किस्म का हो नहीं सकता । यह तो बच्चे जानते हैं नई दुनिया स्थापन होने में तकलीफ भी होती है । अबलाओं पर कितने अत्याचार होते हैं । बच्चों को यह सदैव स्मृति में रहना चाहिए-हम भारत को बेहद की खुशखबरी सुनाते हैं । जैसे बाबा ने पर्चे छपवाये हैं-बहनों- भाइयों आकर यह खुशखबरी सुनो । सारा दिन ख्यालात चलते हैं कैसे सबको यह सन्देश सुनायें । बेहद का बाप बेहद का वर्सा देने आये हैं । इन लक्ष्मी-नारायण के चित्र को देखकर तो सारा दिन हर्षित रहना चाहिए । तुम तो बहुत बड़े आदमी हो इसलिए तुम्हारी कोई भी जंगली चलन नहीं होनी चाहिए । तुम जानते हो हम बन्दर से भी बदतर थे । अभी बाबा हमको ऐसा (देवी-देवता) बनाते हैं । तो कितनी खुशी होनी चाहिए । परन्तु वन्डर है बच्चों को वह खुशी रहती नहीं है । न उस उमंग से सबको खुशखबरी सुनाते हैं । बाप ने तुमको मैसेन्जर बनाया है । सबके कान पर यह मैसेज देते रहो । भारतवासियों को यह पता ही नहीं है कि हमारा आदि सनातन देवी-देवता धर्म कब रचा गया? फिर कहाँ गया? अभी तो सिर्फ चित्र हैं । और सभी धर्म हैं सिर्फ आदि सनातन देवी-देवता धर्म है नहीं । भारत में ही चित्र हैं । ब्रह्मा द्वारा स्थापना करते हैं । तो तुम सबको यह खुशखबरी सुनाओ तो तुमको भी अन्दर में खुशी रहेगी । प्रदर्शनी में तुम यह खुशखबरी सुनाते हो ना । बेहद के बाप से आकर स्वर्ग का वर्सा लो । यह लक्ष्मी-नारायण स्वर्ग के मालिक हैं ना । फिर वह कहाँ गये? यह कोई भी समझते नहीं इसलिए कहा जाता है-सूरत मनुष्य की, सीरत बन्दर मिसल है । अभी तुम्हारी शक्ल मनुष्य की है, सीरत देवताओं जैसी बन रही है । तुम जानते हो हम फिर से सर्वगुण सम्पन्न बनते हैं । फिर औरों को भी यह पुरूषार्थ कराना है । प्रदर्शनी की सर्विस तो बहुत अच्छी है । जिनको गहस्थ व्यवहार का बन्धन नहीं, वानप्रस्थी हैं अथवा विधवायें हैं, कुमारियाँ हैं उनको तो सर्विस का बहुत चांस है । सर्विस में लग जाना चाहिए । इस समय शादी करना बरबादी करना है, शादी न करना आबादी है । बाप कहते हैं यह मृत्युलोक पतित दुनिया विनाश हो रही है । तुमको पावन दुनिया में चलना है तो इस सर्विस में लग जाना चाहिए । प्रदर्शनी पिछाड़ी प्रदर्शनी करनी चाहिए । सर्विसएबुल बच्चे जो हैं, उन्हें सर्विस का शौक अच्छा है । बाबा से कोई-कोई पूछते हैं हम सर्विस छोड़े? बाबा देखते हैं-लायक हैं तो छुट्टी देते हैं, भल सर्विस करो । ऐसी खुशखबरी सबको सुनानी है । बाप कहते हैं अपना राज्य- भाग्य आकर लो । तुमने 5 हजार वर्ष पहले राज्य- भाग्य लिया था, अब फिर से लो । सिर्फ मेरी मत पर चलो ।

देखना चाहिए-हमारे में कौन-से अवगुण हैं? तुम इन बैजेस पर तो बहुत सर्विस कर सकते हो, यह फर्स्टक्लास चीज है । भल पाई-पैसे की चीज हैं परन्तु इनसे कितना ऊंच पद पा सकते हैं । मनुष्य पढ़ने लिए किताबों आदि पर कितना खर्चा करते हैं । यहाँ किताब आदि की तो बात नहीं । सिर्फ सबके कानों में सन्देश देना है, यह है बाप का सच्चा मन्त्र । बाकी तो सब झूठे मन्त्र देते रहते हैं । झूठी चीज की वैल्यु थोड़ेही होती है । वैल्यु हीरों की होती है, न कि पत्थरों की । यह जो गायन है एक- एक वरशन्स लाखों की मिलकियत है, वह इस ज्ञान के लिए कहा जाता है । बाप कहते हैं शास्त्र तो ढेर के ढेर हैं । तुम आधाकल्प पढ़ते आये हो, उससे तो कुछ मिला नहीं । अभी इमको ज्ञान रत्न देते हैं । वह हैं शास्त्रों की अथॉरिटी । बाप तो ज्ञान का सागर है । इनका एक-एक वरशन्स लाखों-करोड़ों रूपयों का है । तुम विश्व के मालिक बनते हो । पद्मपति जाकर बनते हो । इस ज्ञान की ही महिमा है । वह शास्त्रों आदि पढ़ते तो कंगाल बन पड़े हो । तो अब इन ज्ञान रत्नों का दान भी करना है । बाप बहुत सहज युक्तियाँ समझाते हैं । बोलो, अपने धर्म को भूल तुम बाहर भटकते रहते हो । तुम भारतवासियों का आदि सनातन देवी-देवता धर्म था, वह धर्म कहाँ गया? 84 लाख योनियाँ कहने से कुछ भी बात बुद्धि में बैठती नहीं । अभी बाप समझाते हैं तुम आदि सनातन देवी-देवता धर्म के थे फिर 84 जन्म लिए हैं । यह लक्ष्मी-नारायण आदि सनातन देवी-देवता धर्म वाले हैं ना । अभी धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट बन गये हैं । और सब धर्म हैं, यह आदि सनातन धर्म है नहीं । जब यह धर्म था तो और धर्म नहीं थे । कितना सहज है । यह बाप, यह दादा । प्रजापिता ब्रह्मा है तो जरूर बी.के.ढेर के ढेर होंगे ना । बाप आकर रावण की जेल से, शोक वाटिका से छुड़ाते हैं । शोक वाटिका का अर्थ भी कोई समझते नहीं हैं । बाप कहते हैं यह शोक की, दु:ख की दुनिया है । वह है सुख की दुनिया । तुम अपनी शान्ति की दुनिया और सुख की दुनिया को याद करते रहो । इनकारपोरियल वर्ल्ड कहते हैं ना । अंग्रेजी अक्षर बहुत अच्छे हैं । अंग्रेजी तो चलती ही आती है । अभी तो अनेक भाषायें हो गई हैं । मनुष्य कुछ भी समझते नहीं- अब कहते हैं निर्गुण बाल संस्था..... निर्गुण अर्थात् कोई गुण नहीं । ऐसे ही संस्था बना दी है । निर्गुण का भी अर्थ नहीं समझते । बिगर अर्थ नाम रख देते हैं । अथाह संस्थायें हैं । भारत में एक ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म की संस्था थी, और कोई धर्म नहीं था । परन्तु मनुष्यो ने 5000 वर्ष के बदले कल्प की आयु लाखों वर्ष लिख दी है । तो तुम्हें सबको इस अज्ञान अंधकार से निकालना है । सर्विस करनी है । भल यह ड्रामा तो बना-बनाया है परन्तु शिवबाबा के यज्ञ से खायेंगे, पियेंगे और सर्विस कुछ भी नहीं करेंगे तो धर्मराज जो राईट हैण्ड है, वह जरूर सजा देंगे इसलिए सावधानी दी जाती है । सर्विस करना तो बहुत सहज है । प्रेम से कोई को भी समझाते रहो । बाप के पास कोई-कोई का समाचार आता है कि हम मन्दिर में गये, गंगा घाट पर गये । सवेरे उठकर मन्दिर में जाते हैं, रिलीजस माइन्डेड को समझाना सहज होगा । सबसे अच्छा है लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में सर्विस करना । अच्छा, फिर उन्हों को ऐसा बनाने वाला शिवबाबा है, वहाँ जाकर समझाओ । जंगल को आग लग जायेगी, यह सब खत्म हो जायेंगे फिर तुम्हारा भी पार्ट पूरा होता है । तुम जाकर राजाई कुल में जन्म लेते हो । राजाई कैसे मिलनी हैं, सो आगे चल पता पड़ेगा । ड्रामा में पहले से थोड़ेही सुना देंगे । तुम जान लेंगे हम क्या पद पायेंगे । जास्ती दान-पुण्य करने वाले राजाई में आते हैं ना । राजाओं के पास धन बहुत रहता है । अब तुम अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करते हो ।

भारतवासियों के लिए ही यह ज्ञान है । बोलो, आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना हो रही है, पतित से पावन बनाने वाला बाप आया है । बाप कहते हैं मुझे याद करो, कितना सहज है । परन्तु इतनी तमोप्रधान बुद्धि हैं जो कुछ भी धारणा होती नहीं । विकारों की प्रवेशता है । जानवर भी किस्म-किस्म के होते हैं, कोई में क्रोध बहुत होता है, हर एक जानवर का स्वभाव अलग होता है । किस्म-किस्म के स्वभाव होते हैं दुःख देने के । सबसे पहले दु:ख देने का विकार है काम कटारी चलाना । रावण राज्य में है ही इन विकारों का राज्य । बाप तो रोज समझाते रहते हैं, कितनी अच्छी- अच्छी बच्चियाँ हैं, बिचारी कैद में हैं, जिनको बांधेली कहते हैं । वास्तव में उनमें अगर ज्ञान की पराकाष्ठा हो जाए तो फिर कोई भी उनको पकड़ न सके । परन्तु मोह की रग बहुत है । सन्यासियों को भी घरबार याद पड़ता है, बड़ा मुश्किल से वह रग टूटती है । अभी तुमको तो मित्र-सम्बन्धियों आदि सबको भूलना ही है क्योंकि यह पुरानी दुनिया ही खत्म होने वाली है । इस शरीर को भी भूल जाना है । अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है । पवित्र बनना है । 84 जन्मों का पार्ट तो बजाना ही है । बीच में तो कोई वापस जा न सके । अभी नाटक पूरा होता है । तुम बच्चों को खुशी बहुत होनी चाहिए । अभी हमको जाना है अपने घर । पार्ट पूरा हुआ, उत्कण्ठा होनी चाहिए-बाबा को बहुत याद करें । याद से विकर्म विनाश होंगे । घर जाए फिर सुखधाम में आयेंगे । कई समझते हैं जल्दी इस दुनिया से छूटें । परन्तु जायेंगे कहाँ? पहले तो ऊँच पद पाने लिए मेहनत करनी चाहिए ना । पहले अपनी नब्ज देखनी है-हम कहाँ तक लायक बने हैं? स्वर्ग में जाए क्या करेंगे? पहले तो लायक बनना पड़े ना । बाप के सपूत बच्चे बनना पड़े । यह लक्ष्मी-नारायण सपूत लायक हैं ना । बच्चों को देखकर भगवान भी कहते हैं यह बड़े अच्छे हैं, लायक हैं सर्विस करने के । कोई के लिए तो कहेंगे यह लायक नहीं है । मुफ्त अपना पद ही भ्रष्ट कर लेते हैं । बाप तो सच कहते हैं ना । पुकारते भी हैं पतित-पावन आओ, आकर सुखधाम का मालिक बनाओ । सुख घनेरे मांगते हैं ना । तो बाप कहते हैं कुछ तो सर्विस करने लायक बनो । जो मेरे भक्त हैं, उनको यह खुशखबरी सुनाओ कि अभी शिवबाबा वर्सा दे रहे हैं । वह कहते हैं मुझे याद करो और पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बन जायेंगे । इस पुरानी दुनिया को आग लग रही है । सामने एम ऑब्जेक्ट देखने से बड़ी खुशी रहती है-हमको यह बनना है । सारा दिन बुद्धि में यही याद रहे तो कभी भी कोई शैतानी काम न हो । हम यह बन रहे हैं फिर ऐसा उल्टा काम कैसे कर सकते हैं? परन्तु किसकी तकदीर में नहीं है तो ऐसी-ऐसी युक्तियाँ भी रचते नहीं, अपनी कमाई नहीं करते । कमाई कितनी अच्छी है । घर बैठे सभी को अपनी कमाई करनी है और फिर औरों को करानी है । घर बैठे यह स्वदर्शन चक्र फिराओ, औरों को भी स्वदर्शन चक्रधारी बनाना है । जितना बहुतों को बनायेंगे उतना तुम्हारा मर्तबा ऊंचा होगा । इन लक्ष्मी-नारायण जैसे बन सकते, एम ऑबजेक्ट ही यह है । हाथ भी सब सूर्यवंशी बनने में ही उठाते हैं । यह चित्र भी प्रदर्शनी में बहुत काम आ सकते हैं । इन पर समझाना है । हमको ऊंच ते ऊंच बाप जो सुनाते हैं, वही हम सुनते हैं । भक्ति मार्ग की बातें सुनना हम पसन्द नहीं करते । यह चित्र तो बहुत अच्छी चीज़ है । इन पर तुम सर्विस बहुत कर सकते हो । अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1. अपनी नब्ज देखनी है कि हम कहाँ तक लायक बने हैं? लायक बन सर्विस का सबूत देना है । ज्ञान की पराकाष्ठा से बंधनमुक्त बनना है ।

2. एक बाप की मत पर चल अवगुणों को अन्दर से निकालना है । दुःखदाई स्वभाव को छोड़ सुखदाई बनना है । ज्ञान रत्नों का दान करना है ।

वरदान:-

हर कंडीशन में सेफ रहने वाले एयरकंडीशन की टिकेट के अधिकारी भव !   

एयरकन्डीशन की टिकेट उन्हीं बच्चों को मिलती है जो यहाँ हर कन्डीशन में सेफ रहते हैं । कोई भी परिस्थिति आ जाए, कैसी भी समस्यायें आ जायें लेकिन हर समस्या को सेकण्ड में पार करने का सर्टीफिकेट चाहिए । जैसे उस टिकेट के लिए पैसे देते हो ऐसे यहाँ ' 'सदा विजयी '' बनने की मनी चाहिए-जिससे टिकिट मिल सके । यह मनी प्राप्त करने के लिए मेहनत करने की जरूरत नहीं, सिर्फ बाप के सदा साथ रहो तो अनगिनत कमाई जमा होती रहेगी ।

स्लोगन:- 

कैसी भी परिस्थिति हो, परिस्थिति चली जाए लेकिन खुशी नहीं जाए ।   

 

ओम् शान्ति |