18-01-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
“18
जनवरी पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस पर प्रातः क्लास में
सुनाने के लिए प्यारे बापदादा के अनमोल महावाक्य”
“मीठे
बच्चे
–
अब घर चलना है इसलिए टॉकी से मूवी और मूवी से साइलेन्स में
जाने का अभ्यास करो” 
ओम्
शान्ति
|
रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों को समझाते हैं, समझा-समझा कर
कितना समझदार बना देते हैं | बाप आये ही हैं पवित्र बनाने और
पढ़ाने | एम-आब्जेक्ट सामने खड़ी है, तो ऐसे बाप को याद कर ख़ुशी
में रोमांच खड़े हो जाने चाहिए | यह भी बच्चे जानते हैं कि
दिन-प्रतिदिन हमको शान्ति में ही जाना है | शान्ति तो सबको
बहुत पसन्द होती है | बड़े आदमी जास्ती नहीं बोलते हैं और न जोर
से बोलते हैं | तुम बहुत-बहुत बड़े आदमी बनते हो वास्तव में
आदमी नहीं कहेंगे, तुम तो देवता बनते हो | देवताओं का बोलना
बहुत थोड़ा होता है | तुमको भी जब देवता बनना है तो टॉकी से बदल
साइलेन्स में रहने का अभ्यास करो | शान्ति में रहने वाले के
लिए समझेंगे कि इनका अपने ऊपर अटेन्शन है, जबकि तुमको
शान्तिधाम जाना है तो बोलना भी बहुत आहिस्ते (धीरे) है |
आहिस्ते बोलते-बोलते शान्तिधाम में चले जाना है | जितना तुम
शान्ति में रहते हो उतना शान्ति फैलाते हो | कोई आवाज़ से बात
करे तो बोलो शान्त, आवाज़ मत करो | तुम जानते हो हम शान्ति
स्थापन करते हैं | सतयुग में शान्ति रहती है ना | मूलवतन में
तो है ही शान्ति | शरीर ही नहीं तो बोलेंगे फिर कैसे | बाप
बच्चों को श्रीमत देते हैं, समझाते हैं मीठे बच्चों अब तुम्हें
अपने घर चलना है, टॉकी से मूवी में आना है फिर साइलेन्स में
चले जायेंगे | जो भी मिले उनको यही पैगाम देना है | तुम जितना
साइलेन्स में रहेंगे उतना समझेंगे यह लोग किसी धुन में हैं |
शान्त रहने का स्वभाव बहुत अच्छा है | वह बहुत मीठे लगते हैं |
फालतू बोलने से न बोलना अच्छा है |
मीठे
बच्चे – तुम्हें सभी आत्माओं की बहुत रूचि से सर्विस करनी है |
हरेक को सेवा के लायक बनाना है | जो दूसरों की प्यार से सेवा
करते हैं उनको सभी प्यार करते हैं | कभी भी सेवा का अहंकार
नहीं आना चाहिए | तुम बच्चों को बाप से ज्ञान की कश्तूरी मिली
है, वह दूसरों को देनी है | तुम्हें संग की भी बहुत-बहुत
सम्भाल रखनी है | हमेशा फूलों का ही संग करना है | याद की
यात्रा से तुम बच्चे बहुत-बहुत सेफ़ रहेंगे | जितना-जितना याद
में रहेंगे उतना ख़ुशी भी रहेगी और मैनर्स भी सुधरते जायेंगे |
मीठे बच्चे अपने कैरेक्टर्स ज़रूर-ज़रूर सुधारने हैं | हरेक अपनी
दिल से पूछे हमारा स्वभाव बहुत-बहुत मीठा है! कभी किसी को
नाराज़ तो नहीं करते! ऐसा वातावरण कभी न हो जो कोई नाराज़ हो जाए
| ऐसी कोशिश करनी है क्योंकि तुम बच्चे बहुत ऊँच सर्विस पर हो,
तुम्हें इस सरे माण्डवे को रोशनी देनी है | तुम धरती के चैतन्य
सितारे हो | कहा भी जाता है नक्षत्र देवता | अब वह सितारे कोई
देवता नहीं हैं, तुम तो उनसे महान बलवान हो क्योंकि तुम सारे
विश्व को रोशन करते हो, तुम ही देवता बनने वाले हो |
बाप
अपने चैतन्य सितारों को देखते हैं, आत्मा कितनी छोटी सितारा
है, जैसे ऊपर सितारों की रिमझिम है, कोई सितारा बहुत तीखा होता
है और कोई हल्का | कोई चन्द्रमा के नज़दीक होते हैं | तुम बच्चे
भी योगबल से सम्पूर्ण पवित्र बनते हो तो चमकते हो | अभी तुम
बच्चों को अविनाशी ज्ञान रत्नों की लाटरी मिल रही है तो कितनी
ख़ुशी रहनी चाहिए | अन्दर में ख़ुशी की उछलें मारते रहो | यह
तुम्हारा जन्म हीरे जैसा गाया जाता है | तुम ब्राह्मण ही
नॉलेजफुल बनते हो तो तुमको नॉलेज की ही ख़ुशी रहती है | इन
देवताओं से भी तुम श्रेष्ठ हो | तो तुम्हारा चेहरा सदा ख़ुशी से
खिला रहे |
बाप
बच्चों को आशीर्वाद करते हैं मीठे-मीठे बच्चे सदा शान्त भव,
चिरन्जीवी भव अर्थात् बहुत जन्म जियो | आशीर्वाद तो बाप से
मिलती है फिर भी हरेक को अपना पुरुषार्थ करना है कि हम
चिरन्जीवी कैसे बनें | बाप को याद करने से तुम चिरन्जीवी बन
रहे हो | यह आशीर्वाद बाप देते हैं | ब्राह्मण लोग भी कहते हैं
आयुश्वान भव | बाप भी कहते हैं बच्चे सदा जीते रहो | तुम भी
समझते हो हम चिरन्जीवी बन रहे हैं | आधाकल्प के लिए कब काल
नहीं खायेगा | सतयुग में मरने का नाम नहीं होता | यहाँ तो
मनुष्य मरने से डरते हैं ना | तुम तो पुरुषार्थ कर रहे हो मरने
लिए | तुम जानते हो बाबा को याद करते-करते हम यह शरीर छोड़ अपने
शिवबाबा के पास जायेंगे, फिर स्वर्गवासी बनेंगें |
मीठे
बच्चे – मोस्ट बिलवेड बाप के बच्चे बने हो तो तुमको भी बाप
जैसा बहुत-बहुत मीठा बहुत प्यारा बनना है | बाबा पत्रों में भी
लिखते हैं मीठे-मीठे लाडले सिकीलधे बच्चों.......बाबा बहुत
मीठा है ना | प्रैक्टिकल में अनुभव करते हो कि बाबा कितना मीठा
कितना प्यारा है | हमें भी ऐसा बनाते हैं | यह भी तुम जानते हो
कि हम कितने मीठे कितने प्यारे थे | हम ही पूज्य से फिर पुजारी
बने तो खुद को पूजते रहे | यह भी बड़ी वन्डरफुल समझने की बातें
हैं |
बाप
अपने बच्चों को धैर्य देते हैं – जैसे जब कोई बीमार होते हैं
तो सर्जन धीरज देते हैं ना | वह तो है जिस्मानी बीमारी | तुम
बच्चों को पता पड़ा है कि यह है रूहानी अस्पताल, रूह को ही
बीमारी लगी है | इसलिए बाप रूह को ही ज्ञान-योग का इन्जेक्शन
लगा रहे हैं | आत्मा को ही ज्ञान-योग का इन्जेक्शन लगता है, न
कि शरीर को | यह कोई सुई वा दवाई आदि नहीं है | यह एक ही
इन्जेक्शन काफी है | कौन सा इन्जेक्शन? मनमनाभव, अशरीरी भव,
यही इन्जेक्शन है | देही-अभिमानी हो रहने से पवित्रता – सुख
शान्ति का वर्सा जमा होता रहेगा, सब दुःख दूर होते जायेंगे |
बच्चे जानते हैं आधाकल्प के दुःख दूर करने वाला आया हुआ है |
मीठे-मीठे बच्चे समझते हैं कि बाबा आया है सारी सृष्टि की बेहद
सेवा पर | सृष्टि पर कितना किचड़ा है, यह है ही नर्क तो बाप को
आना पड़ता है नर्क को स्वर्ग बनाने | बाबा बहुत उकीर (प्रेम) से
आते हैं जानते हैं मुझे बच्चों की सेवा में आना है | मैं
कल्प-कल्प तुम बच्चों की सेवा पर उपस्थित होता हूँ | जब खुद
आते हैं तब बच्चे समझते हैं बाप हमारी सेवा में उपस्थित हुए
हैं | यहाँ बैठे सभी की सेवा हो जाती है | सारी सृष्टि का
कल्याणकारी दाता तो एक ही है ना | बाप जानते हैं सारी दुनिया
की जो भी आत्मायें हैं सबको मैं ही वर्सा देने आता हूँ | बेहद
के बाप की नज़र दुनिया की आत्माओं तरफ़ जाती है | भल यहाँ बैठे
हैं परन्तु नज़र सारे विश्व पर और सारे विश्व के मनुष्यमात्र पर
है, क्योंकि सारी विश्व को ही निहाल करना है | ड्रामा प्लैन
अनुसार कल्प पहले मिसल सारे विश्व की आत्मायें निहाल हो जाने
वाली हैं | बाप सब बच्चों को याद करते हैं, नज़र तो जाती है ना
|
बाप
कहते हैं मीठे बच्चे अब ज्ञान रत्नों से अपनी खूब झोली भरो,
जितनी भरनी है भरो | अपना टाइम बरबाद न करो | बाप की याद में
टाइम को आबाद करो | जो अच्छी रीति धारण करते हैं वह फिर औरों
की भी अच्छी सर्विस ज़रूर करेंगे, समय बरबाद नहीं करेंगे |
बच्चों को पुरुषार्थ कर अन्तर्मुखी बनना है | अन्तर आत्मा है
ना | यह निश्चय करना है कि हम आत्माओं को बाप समझा रहे हैं |
सोलकानसेस हो रहना ही सच्चा-सच्चा अन्तर्मुखी बनना है |
तुम्हारे अन्तर्मुख होने की बात ही निराली है | अन्दर जो आत्मा
है उनको सब कुछ बाप से ही सुनना है | बाप प्यार से बार-बार
समझाते हैं | मात-पिता और जो भी अच्छे अनन्य बड़े भाई-बहन हैं,
जो अच्छी सर्विस करते हैं उनसे सीखते जाओ | अन्दर में यह
निश्चय करो कि हमें फालतू टाइम नहीं गँवाना है |
तुम्हारी यह है रूहानी पढ़ाई | अच्छे स्टूडेन्ट जो होते हैं वह
सदैव एकान्त में जाकर पढ़ते हैं | स्टूडेन्ट, स्टूडेन्ट शोभते
हैं | आपस में मिलते-जुलते रहते हैं, पढ़ाई पर ही वार्तालाप
करते हैं | इस बेहद की पढ़ाई में तो और ही ख़ुशी से लग जाना
चाहिए | तुम्हारे सामने तो एम आब्जेक्ट भी खड़ी है | कोई का बाप
बड़ा महल बनाता है तो दिल में ख़ुशी होती है, सबको दिखाते हैं,
हमारा कैसा महल बनता है | तुम बच्चे भी जानते हो हमारे महल आदि
बहुत अच्छे-अच्छे बनेंगे | आगे चल तुमको स्वर्ग भी सपने में
आयेगा | तुम बच्चे अपने लिए ही श्रीमत पर राजाई स्थापन कर रहे
हो, ख़ुशी की बात है ना | यह है प्रैक्टिकल की बात |
दिन-प्रतिदिन बच्चों को ख़ुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए |
तुम
बच्चे अभी बाप के मददगार बनते हो | याद में रहना ही मदद करना
है क्योंकि याद की यात्रा माना शान्ति की यात्रा इसलिए कहा
जाता है हरेक घर में स्वर्ग बनाओ | हरेक की बुद्धि में अल्फ और
बे है | अल्फ को याद करो तो बादशाही मिलेगी | और कुछ करना नहीं
है, सिर्फ़ अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो राजाई तुम्हारी
| अच्छा –
मीठे-मीठे सिकीलधे रूहानी बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का
दिल व जान सिक व प्रेम से यादप्यार और गुडमॉर्निंग | रूहानी
बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
अव्यक्त महावाक्य:
विनाश की डेट का पता है? कब विनाश होना है? जल्दी विनाश चाहते
हो या हाँ और ना की चाहना से परे हो? विनाश के बजाय स्थापना के
कार्य को सम्पन्न बनाने में सभी ब्राह्मण एक ही दृढ़ संकल्प में
स्थित हो जाएं तो परिवर्तन हुआ ही पड़ा है | सम्पन्न बनने की
कोई भी विशेष बात लक्ष्य में रखते हुए डेट फिक्स करें – होना
ही है, तो सम्पन्न हो जायेंगे | अभी संगठित रूप में एक ही दृढ़
संकल्प परिवर्तन का नहीं करते हो | कोई करता है, कोई नहीं करता
है इसलिए वायुमण्डल पॉवरफुल नहीं बनता है | मैनारिटी होने के
कारण जो करता है उसका वायुमण्डल में प्रसिद्ध रूप से दिखाई
नहीं देता है इसलिए अब ऐसे प्रोग्राम बनाओ, जो ऐसे विशेष ग्रुप
का कर्तव्य विशेष हो – दृढ़ संकल्प से करके दिखाना | जैसे शुरू
में पुरुषार्थ के उत्साह को बढ़ाने के लिए ग्रुप्स बने, जो यह
पान का बीड़ा उठाये कि जो कहेंगे वही करेंगे, करके दिखायेंगे |
जैसे शुरु में बाप से पवित्रता की प्रतिज्ञा की कि मरेंगे,
मिटेंगे, सहन करेंगे, मार खायेंगे, घर छोड़ देंगे, लेकिन
पवित्रता की प्रतिज्ञा सदा कायम रखेंगे – ऐसी शेरनियों के
संगठन ने स्थापना के कार्य में निमित्त बन करके दिखाया, कुछ
सोचा नहीं, कुछ देखा नहीं – करके दिखाया, वैसे ही अब ऐसा ग्रुप
चाहिए – जो लक्ष्य रखे, उस लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए सहन
करेंगे, त्याग करेंगे, बुरा-भला सुनेंगे, परीक्षाओं को पास
करेंगे लेकिन लक्ष्य को प्राप्त करके ही छोड़ेंगे | ऐसे ग्रुप
सैम्पल बनें तब उनको और भी फॉलो करें | जो आदि में सो अन्त में
| ऐसे मैदान में आने वाले, जो निन्दा, स्तुति, मान-अपमान सभी
को पार करने वाले हों – ऐसा ग्रुप चाहिए | कोई भी बात में
सुनना वा सहन करना, किसी भी प्रकार से, यह तो करना ही होगा,
कितना भी अच्छा करेंगे, लेकिन अच्छे को ज़्यादा सुनना, सहन करना
पड़ता है – ऐसी सहन शक्ति वाला ग्रुप हो | जैसे शुरू में
पवित्रता के व्रत वाला ग्रुप मैदान में आया तो स्थापना हुई,
वैसे अब यह ग्रुप मैदान में आए तब समाप्ति हो | ऐसा ग्रुप नज़र
आता है? जैसे वह पार्लियामेन्ट बनाते हैं ना – यह फिर सम्पन्न
बनने की पार्लियामेंट हो, नई दुनिया, नया जीवन बनाने का विधान
वाली विधान सभा हो | अब देखेंगे कौन-सा ग्रुप तैयार होता है!
विदेशी भी ऐसा ही ग्रुप बनाना | सच्चे ब्राह्मण बनकर दिखाना |
जहाँ से आये हो वहाँ पहुँचते ही सभी समझें कि यह तो अवतार
अवतरित हुए हैं | जब एक अवतार दुनिया में क्रान्ति ला सकता है
तो इतने सभी अवतार जब उतरेंगे तो कितनी बड़ी क्रान्ति हो
जायेगी! विश्व में क्रान्ति लाने वाले अवतार हो – ऐसे समझते
हुए कार्य करना |
जैसे
महाविनाश को स्वर्ग के गेट खुलने का साधन बताते हो – कहाँ
महाविनाश और कहाँ स्वर्ग का गेट! तो महाविनाश की आपदा को भी
मनोरंजन का रूप दे दिया ना – ऐसे किसी भी प्रकार की छोटी बड़ी
समस्या वा आपदा मनोरंजन का रूप दिखाई दे | हाय-हाय के बजाए
‘ओहो!’ शब्द निकले, इसको कहा जाता है अंगद के समान स्टेज | जो
योगियों की स्टेज लोग वर्णन करते हैं – दुःख भी सुख के रूप में
अनुभव हो – दुःख-सुख समान, निन्दा स्तुति समान | यह दुःख है,
यह सुख हैं – इसकी नॉलेज होते हुए भी दुःख के प्रभाव में नहीं
आओ | दुःख की भी बलिहारी सुख के दिन आने की समझो, इसको कहा
जाता है सम्पूर्ण योगी | परिवर्तन की शक्ति इसको कहा जाता है |
दुश्मन को भी दोस्ती में परिवर्तन कर दें – दुश्मन की दुश्मनी
चल न सके | दुश्मन बन आवे और बलिहार जावे | यह है शक्तियों की
महिमा | ऐसे शक्ति सेना तैयार है! जब विश्व को परिवर्तन करने
की चैलेन्ज करते हो तो यह क्या बड़ी बात है – इसका सहज साधन है
– लेने वाला नहीं लेकिन देने वाला दाता बनो | दाता के आगे सब
स्वयं ही झुकते हैं | वैसे भी कोई चीज़ दो तो वह अपना सिर और
आँखें नीचे कर लेते हैं – निर्माणता दिखने लिए ऐसे करते हैं |
वह स्थूल युक्ति है और यहाँ संस्कार स्वभाव से झुकेंगे | तब तो
दुश्मन भी बलिहार जायेंगे | तो ऐसी शक्ति सेना तैयार है! अच्छा
|
वरदान:-
शान्ति की शक्ति के प्रयोग द्वारा हर कार्य में सफलता प्राप्त
करने वाले प्रयोगी आत्मा भव
!
अब
समय के परिवर्तन प्रमाण शान्ति की शक्ति के साधन प्रयोग में
लाकर प्रयोगी आत्मा बनो | जैसे वाणी द्वारा आत्माओं से स्नेह
के सहयोग की भावना उत्पन्न करते हो ऐसे शुभ भावना, स्नेह की
भावना की स्थिति में स्थित हो उन्हों में श्रेष्ठ भावनायें
उत्पन्न करो | जैसे दीपक, दीपक को जगा देता है ऐसे आपकी
शक्तिशाली शुभ भावना औरों में सर्वश्रेष्ठ भावना उत्पन्न करा
देगी | इस शक्ति से स्थूल कार्य में भी बहुत सहज सफलता प्राप्त
कर सकते हो, सिर्फ़ प्रयोग करके देखो |
स्लोगन:-
सर्व का
प्यारा बनना है तो खिले हुए रूहानी गुलाब बनो, मुरझाओ नहीं
|
ओम्
शान्ति
|