08-04-14          प्रातः मुरली         ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन
 


मीठे बच्चे सर्व का सद्गति दाता एक बाप है, बाप जैसी निष्काम सेवा और कोई भी नहीं कर सकता |   
प्रश्न:-   
न्यु वर्ल्ड स्थापन करने में बाप को कौन-सी मेहनत करनी पड़ती है?
उत्तर:-

एकदम अजामिल जैसे पापियों को फिर से लक्ष्मी-नारायण जैसे पूज्य देवता बनाने की मेहनत बाप को करनी पड़ती है | बाप तुम बच्चों को देवता बनाने की मेहनत करते | बाकी सर्व आत्मायें वापिस शान्तिधाम जाती हैं | हर एक को अपना हिसाब-किताब चुक्तू कर लायक बनकर वापस घर जाना है |

गीत:-  

इस पाप की दुनिया से.....    

ओम् शान्ति |

मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत सुना | बच्चे जानते हैं यह है पाप की दुनिया | नई दुनिया होती है पुण्य की दुनिया | वहाँ पाप होता नहीं है | वह है राम राज्य, यह है रावण राज्य | इस रावण राज्य में सब पतित दुःखी हैं, तब तो पुकारते हैं – हे पतित-पावन आकर हमें पावन बनाओ | सभी धर्म वाले पुकारते हैं – ओ गॉड फादर आकर हमें लिबरेट करो, गाइड बनो | गोया बाप जब आते हैं तो जो भी धर्म हैं सारी सृष्टि में, सबको ले जाते हैं | इस समय अभी रावण राज्य में हैं | सभी धर्म वालों को ले जाते हैं वापिस शान्तिधाम | विनाश तो सबका होना ही है | बाप यहाँ आकर बच्चों को सुखधाम का लायक बनाते हैं | सभी का कल्याण करते हैं, इसलिए एक को ही सर्व का सद्गति दाता, सर्व का कल्याण करने वाला कहा जाता है | बाप कहते हैं अभी तुमको वापिस जाना है | सभी धर्म वालों को शान्तिधाम, निर्वाणधाम जाना है, जहाँ सभी आत्मायें शान्ति में रहती हैं | बेहद का बाप जो रचयिता है, वही आकर सभी को मुक्ति और जीवनमुक्ति देते हैं | तो महिमा भी उस एक गॉड फादर की करनी चाहिए | जो सर्व की आकर सेवा करते हैं, उनको ही याद करना चाहिए | बाप खुद समझाते हैं मैं दूर देश, परमधाम का रहने वाला हूँ | सबसे पहले जो आदि सनातन देवी-देवता धर्म था, वह है नहीं इसलिए मुझे पुकारते हैं | मैं आकर सभी बच्चों को वापिस ले जाता हूँ | अब हिन्दू कोई धर्म नहीं है | असुल है देवी-देवता धर्म | परन्तु पवित्र न होने कारण अपने को देवता के बदले हिन्दू कह दिया है | हिन्दू धर्म स्थापन करने वाला तो कोई है नहीं | गीता ही है सर्व शास्त्र शिरोमणी | वह भगवान् की गाई हुई है | भगवान् एक को ही कहा जाता है – गॉड फादर | श्रीकृष्ण वा लक्ष्मी-नारायण को गॉड फादर वा पतित-पावन नहीं कहेंगे | यह तो राजा-रानी हैं | उन्हों को ऐसा किसने बनाया? बाप ने | बाप पहले नई दुनिया रचते हैं, जिसके यह मालिक बनते हैं | कैसे बने, यह कोई मनुष्य मात्र नहीं जानते हैं | बड़े-बड़े लखपति मन्दिर आदि बनाते हैं | उन्हों से पूछना चाहिए – इन्हों ने यह विश्व का राज्य कैसे पाया? कैसे मालिक बनें? कभी कोई बतला नहीं सकेंगे | क्या कर्म किया जो इतना फल पाया? अब बाप समझाते हैं - तुम अपने धर्म को भूले हुए हो | आदि सनातन देवी-देवता धर्म को न जानने कारण सब और-और धर्मों में कनवर्ट हो गये हैं | वह फिर रिटर्न होंगे अपने-अपने धर्म में | जो आदि सनातन देवी-देवता धर्म के हैं, वह फिर अपने ही धर्म में आ जायेंगे | क्रिश्चियन धर्म का होगा तो फिर क्रिश्चियन धर्म में आ जायेगा | यह आदि सनातन देवी-देवता धर्म का सैपलिंग लग रहा है | जो-जो जिस धर्म का है, उनको अपने-अपने धर्म में आना पड़ेगा | यह झाड़ है, इनकी तीन ट्यूब्स हैं फिर उनसे वृद्धि होती जाती है | और कोई यह नॉलेज दे न सके | अब बाप कहते हैं तुम अपने धर्म में आ जाओ | कोई कहते हैं मैं सन्यास धर्म में जाता हूँ, रामकृष्ण परमहंस सन्यासी का फालोअर हूँ | अब वह है निवृत्ति मार्गवाले, तुम हो प्रवृति मार्ग वाले | गृहस्थ मार्ग वाले निवृति मार्ग वालों के फालोअर्स कैसे बन सकते हैं? तुम पहले प्रवृति मार्ग में पवित्र थे | फिर रावण द्वारा तुम अपवित्र बने हो | यह बातें बाप समझाते हैं | तुम हो गृहस्थ आश्रम के, भक्ति भी तुमको करनी है | बाप आकर भक्ति का फल सद्गति देते हैं | कहा जाता है – रिलीजन इज़ माईट | बाप रिलीजन स्थापन करते हैं | तुम सारे विश्व के मालिक बनते हो | बाप से तुमको कितनी माईट मिलती है | एक सर्वशक्तिमान् बाप ही आकर सबकी सद्गति करते हैं और कोई न सद्गति दे सकते हैं, न पा सकते हैं | यहाँ ही वृद्धि को पाते रहते हैं | वापिस कोई भी जा नहीं सकता | बाप कहते हैं मैं सभी धर्मों का सर्वेन्ट हूँ, सबको आकर सद्गति देता हूँ | सद्गति कहा जाता है सतयुग को | मुक्ति है शान्तिधाम में | तो सबसे बड़ा कौन हुआ? बाप कहते हैं – हे आत्मायें तुम सब ब्रदर्स हो, सबको बाप से वर्सा मिलता है | सबको आकर अपने-अपने सेक्शन में भेजने के लायक बनाता हूँ | लायक नहीं बनते तो सजायें खानी पड़ती हैं | हिसाब-किताब चुक्तू कर फिर वापिस जाते हैं | वह है शान्तिधाम और वह है सुखधाम |

बाप कहते हैं मैं आकर न्यु वर्ल्ड स्थापन करता हूँ, इसमें मेहनत करनी पड़ती है | एकदम अजामिल जैसे पापियों को आकर ऐसा देवी-देवता बनाता हूँ | जबसे तुम वाम मार्ग में गये हो तो सीढी नीचे उतरते आये हो | यह 84 जन्मों की सीढी है ही नीचे उतरने की | सतोप्रधान से सतो, रजो, तमो....अभी यह है संगम | बाप कहते हैं मैं आता ही एक बात हूँ | मैं कोई इब्राहम-बुद्ध के तन में नहीं आता हूँ | मैं पुरुषोत्तम संगमयुग पर ही आता हूँ | अब कहा जाता है फालो फादर | बाप कहते हैं तुम सब आत्माओं को मुझे ही फ़ालो करना है | मामेकम् याद करो तो तुम्हारे पाप योग अग्नि में भस्म होंगे | इसको कहा जाता है योग अग्नि | तुम हो सच्चे-सच्चे ब्राह्मण | तुम काम चिता से उतर ज्ञान चिता पर बैठते हो | यह एक ही बाप समझाते हैं | क्राइस्ट, बुद्ध आदि सब एक को याद करते हैं | परन्तु उनको यथार्थ कोई जानते नहीं | अब तुम आस्तिक बने हो | रचता और रचना को तुमने बाप द्वारा जाना है | ऋषि-मुनि सब नेती-नेती कहते थे, हम नहीं जानते | स्वर्ग है सचखण्ड, दुःख का नाम नहीं | यहाँ कितना दुःख है | आयु भी बहुत छोटी है | देवताओं की आयु कितनी बड़ी है | वह हैं पवित्र योगी | यहाँ हैं अपवित्र भोगी | सीढी उतरते-उतरते आयु कमती होती जाती है | अकाले मृत्यु भी होती रहती है | बाप तुमको ऐसा बनाते हैं जो तुम 21 जन्म कभी रोगी नहीं बनेंगे | तो ऐसे बाप से वर्सा लेना चाहिए | आत्मा को कितना समझदार बनना चाहिए | बाबा ऐसा वर्सा देते हैं जो वहाँ कोई दुःख नहीं | तुम्हारा रोना-चिल्लाना बन्द हो जाता है | सब पार्टधारी हैं | आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है | यह भी ड्रामा | बाबा कर्म, अकर्म, विकर्म की गति भी समझाते हैं | कृष्ण की आत्मा 84 जन्म भोग अब अन्त में वही ज्ञान सुन रही है | ब्रह्मा का दिन और रात गाई हुई है | ब्रह्मा का दिन-रात सो ब्राह्मणों का | अब तुम्हारा दिन होने वाला है | महाशिवरात्रि कहते हैं | अब भक्ति की रात पूरी हो ज्ञान का उदय होता है | अब है संगम | तुम अब फिर से स्वर्गवासी बन रहे हो | अन्धियारी रात में धक्के भी खाये, टिप्पड़ भी घिसाई, पैसे भी ख़लास किये | अब बाप कहते हैं मैं आया हूँ तुमको शान्तिधाम और सुखधाम में ले जाने के लिये | तुम सुखधाम के रहवासी थे | 84 जन्म के बाद दुःखधाम में आकर पड़े हो | फिर पुकारते हो – बाबा आओ, इस पुरानी दुनिया में | यह तुम्हारी दुनिया नहीं है | तुम अब योगबल से अपनी दुनिया स्थापन कर रहे हो | तुमको अब डबल अहिंसक बनना है | न काम कटारी चलानी है, न लड़ना-झगड़ना है | बाप कहते हैं मैं हर 5 हज़ार वर्ष के बाद आता हूँ | यह कल्प 5 हज़ार वर्ष का है, न कि लाखों वर्ष का | अगर लाखों वर्ष का होता फिर तो यहाँ बहुत आदमशुमारी होती | गपोड़े लगाते रहते हैं इसलिए बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प आता हूँ, मेरा भी ड्रामा में पार्ट है | पार्ट बिगर मैं कुछ भी नहीं कर सकता हूँ | मैं भी ड्रामा के बन्धन में हूँ | पूरे टाइम पर आता हूँ, मन्मनाभव | परन्तु इसका कोई अर्थ नहीं जानता | बाप कहते हैं देह के सभी सम्बन्ध छोड़ मामेकम् याद करो तो सब पावन बन जायेंगे | बच्चे बाप को याद करने की मेहनत करते रहते हैं |

यह है ईश्वरीय विश्व-विद्यालय | ऐसे विद्यालय और हो न सकें | यहाँ ईश्वर बाप आकर सारे विश्व को चेन्ज करते हैं | हेल से हेविन बना देते हैं, जिस पर तुम राज्य करते हो | अब बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे | यह है बाबा का भाग्यशाली रथ, जिसमें बाप आकर प्रवेश करते हैं | शिव जयन्ती को कोई भी जानते नहीं हैं | वह तो कह देते परमात्मा नाम-रूप से न्यारा है | अरे, नाम-रूप से न्यारी तो कोई चीज़ होती नहीं | कहते हैं यह आकाश है, तो यह नाम तो हुआ ना | भल पोलार है, परन्तु फिर भी नाम है | तो बाप का भी नाम है कल्याणकारी | फिर भक्ति मार्ग में बहुत नाम रखे हैं | बाबुरीनाथ भी कहते हैं | वह आकर काम कटारी से छुड़ाकर पावन बनाते हैं | निवृत्ति मार्ग वाले ब्रह्म को ही परमात्मा मानते हैं, उनको ही याद करते हैं | ब्रह्म योगी, तत्व योगी कहलाते हैं | परन्तु वह हो गया रहने का स्थान, जिसको ब्रह्माण्ड कहा जाता है | वह फिर ब्रह्म को भगवान् समझ लेते हैं | समझते हैं हम लीन हो जायेंगे | गोया आत्मा को विनाशी बना देते हैं | बाप कहते हैं मैं ही आकर सर्व की सद्गति करता हूँ इसलिए एक शिवबाबा की जयन्ती हीरे तुल्य है बाकी सब जयन्तियाँ कौड़ी तुल्य हैं | शिवबाबा ही सबकी सद्गति करते हैं | तो वह है हीरे जैसा | वही तुमको गोल्डन एज में ले जाते हैं | यह नॉलेज तुमको बाप ही आकर पढ़ाते हैं, जिससे तुम देवी-देवता बनते हो | फिर यह नॉलेज प्रायः लोप हो जाती है | इन लक्ष्मी-नारायण में रचता और रचना की नॉलेज नहीं है |

बच्चों ने गीत सुना - कहते हैं ऐसी जगह ले चलो, जहाँ शान्ति और चैन हो | वह है शान्तिधाम, फिर सुखधाम | वहाँ अकाले मृत्यु नहीं होती है | तो बाप आये हैं बच्चों को उस सुख-चैन की दुनिया में ले चलने | अच्छा! 

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते | 

रात्रि क्लास

अभी तुम्हारी सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी दोनों डिनायस्टी बनती हैं | जितना तुम जानते हो और पवित्र बनते हो उतना और कोई जान नहीं सकेंगे, न पवित्र बन सकेंगे | बाकी सुनेंगे बाप आया हुआ है तो बाप को याद करने लग जायेंगे | सो भी तुम आगे चल यह भी देखेंगे – लाखों, करोड़ों समझते जायेंगे | वायुमण्डल ही ऐसा होगा | पिछाड़ी की लड़ाई में सभी होपलेस हो जायेंगे | सभी को टच होगा | तुम्हारा आवाज़ भी होगा | स्वर्ग की स्थापना हो रही है | बाकी सभी का मौत तैयार है | परन्तु वह समय ऐसा होता है जो घुटका खाने का समय नहीं रहेगा | आगे चल बहुत समझेंगे, जो होंगे | ऐसे भी नहीं – यह सभी उस समय होंगे | कोई मर भी जायेंगे | होंगे वही जो कल्प-कल्प होते हैं | उस समय एक बाप की याद में होंगे | आवाज़ भी कम हो जायेगा | फिर अपने को आत्मा समझ बाप को याद करने लगेंगे | तुम सभी साक्षी होकर देखेंगे | बहुत दर्दनाक घटनायें होती रहेंगी | सभी को मालूम पड़ जायेगा कि अभी विनाश होना है | दुनिया चेन्ज होनी है | विवेक कहता है विनाश तब होगा जब बाम्ब्स गिरेंगे | अभी आपस में कहते रहते हैं कन्डीशन करो, वचन दो हम बाम्ब्स नहीं छोड़ेंगे | लेकिन यह सभी चीज़ें बनी हुई हैं विनाश के लिए |

तुम बच्चों को ख़ुशी भी बहुत रहनी है | तुम जानते हो नई दुनिया बन रही है | समझते हो बाप ही नई दुनिया स्थापन करेंगे | वहाँ दुःख का नाम नहीं होगा | उसका नाम ही है पैराडाइज़ | जैसे तुमको निश्चय है वैसे आगे चल बहुतों को होगा | क्या होता है जिनको अनुभव पाना है, वह आगे चलकर बहुत पायेंगे | पिछाड़ी के समय याद की यात्रा में भी बहुत रहेंगे | अभी तो समय पड़ा है, पुरुषार्थ पूरा नहीं करेंगे तो पद कम हो जायेगा | पुरुषार्थ करने से पद भी अच्छा मिलेगा | उस समय तुम्हारी अवस्था भी बहुत अच्छी होगी | साक्षात्कार भी करेंगे | कल्प-कल्प जैसे विनाश हुआ है, वैसे होगा | जिनमें निश्चय होगा, चक्र का ज्ञान होगा वह ख़ुशी में रहेंगे | अच्छा – रूहानी बच्चे गुडनाईट |

धारणा के लिए मुख्य सार:-  

1.    डबल अहिंसक बन योगबल से इस हेल को हेविन बनाना है | तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने का पुरुषार्थ करना है | 

2.    एक बाप को पूरा-पूरा फ़ालो करना है | सच्चा-सच्चा ब्राह्मण बन योग-अग्नि से विकर्मों को दग्ध करना है | सबको काम चिता से उतार ज्ञान चिता पर बिठाना है |

वरदान:-  

हर संकल्प में परमात्म चिन्तन द्वारा सर्व चिंताओं से मुक्त रहने वाले बेफ़िक्र बादशाह भव !    

दुनिया वालों को हर कदम में चिन्ता है लेकिन आप बच्चे सदा परमात्म चिन्तन में रहने के कारण सर्व चिंताओं से मुक्त हो | आपकी बुद्धि में है कि करावनहार करा रहे हैं और निमित्त बन करने वाले कर रहे हैं | सर्व के सहयोग की अंगुली से हर कार्य सहज सफल हो रहा है | कोई भी प्रकार की चिन्ता व फ़िक्र नहीं | सब ठीक चल रहा है और चलना ही है – यह निश्चय है इसलिए निश्चिन्त, बेफ़िक्र बादशाह हो |

स्लोगन:- 
साक्षीपन के तख़्त नशीन रहो तो समस्या तख़्त के नीचे रह जायेगी
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ओम् शान्ति |