21-01-15          प्रातः मुरली         ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन
 


मीठे बच्चे - पतित से पावन बनाने वाले बाप के साथ तुम्हारा बहुत-बहुत लव होना चाहिए, सवेरे-सवेरे उठकर पहले-पहले कहो शिववाबा गुडमॉर्निंग”   

प्रश्न:-   

एक्यूरेट याद के लिए कौन सी धारणायें चाहिए? एक्यूरेट याद वाले की निशानी क्या होगी?

उत्तर:-

एक्यूरेट याद के लिए धैर्यता, गम्भीरता और समझ चाहिए । इस धारणा के आधार से जो याद करते हैं उनकी याद, याद से मिलती है और बाप की करेन्ट आने लगती है । उस करेन्ट से आयु बढ़ेगी, हेल्दी बनते जायेंगे । दिल एकदम ठर जायेगी (शीतल हो जायेगी), आत्मा सतोप्रधान बनती जायेगी ।

ओम् शान्ति |

बाप कहते हैं मीठे बच्चे ततत्वम अर्थात् तुम आत्मायें भी शान्त स्वरुप हो । तुम सर्व आत्माओं का स्वधर्म है ही शान्ति । शान्तिधाम से फिर यहाँ आकर टाकी बनते हो । यह कर्मेन्द्रियां तुमको मिलती है पार्ट बजाने के लिए । आत्मा छोटी-बड़ी नहीं होती है । शरीर छोटा बड़ा होता है । बाप कहते हैं मैं तो शरीरधारी नहीं हूँ । मुझे बच्चों से सन्मुख मिलने आना होता है । समझो जैसे बाप हैं, उनसे बच्चे पैदा होते हैं, तो वह बच्चा ऐसे नहीं कहेगा कि मैं परमधाम से जन्म ले मात- पिता से मिलने आया हूँ । भल कोई नई आत्मा आती है किसके भी शरीर में, वा कोई पुरानी आत्मा किसके शरीर में प्रवेश करती है तो ऐसे नहीं कहेंगे कि मात- पिता से मिलने आया हूँ । उनको आटोमेटिकली मात- पिता मिल जाते हैं । यहाँ यह है नई बात । बाप कहते हैं मैं परमधाम से आकर तुम बच्चों के सम्मुख हुआ हूँ । बच्चों को फिर से नॉलेज देता हूँ क्योंकि मैं हूँ नॉलेजकुल, ज्ञान का सागर..... मैं आता हूँ तुम बच्चों को पढ़ाने, राजयोग सिखाने । राजयोग सिखाने वाला भगवान ही है । कृष्ण की आत्मा को यह ईश्वरीय पार्ट नहीं है । हर एक का पार्ट अपना । ईश्वर का पार्ट अपना है । तो बाप समझाते हैं मीठे बच्चे अपने को आत्मा समझो । ऐसा अपने को समझना कितना मीठा लगता है । हम क्या थे! अब क्या बन रहे हैं!

यह ड्रामा कैसा वन्डरफुल बना हुआ है यह भी तुम अभी समझाते हो । यह पुरुषोत्तम संगमयुग है इतना सिर्फ याद रहे तो भी पक्का हो जाता है कि हम सतयुग में जाने वाले हैं । अभी संगम पर है फिर जाना है अपने घर इसलिए पावन तो जरूर बनना है । अन्दर में बहुत खुशी होनी चाहिए । ओहो! बेहद का बाप कहते हैं मीठे-मीठे बच्चों मुझे याद करो तो तुम सतोप्रधान बनेंगे । विश्व का मालिक बनेंगे । बाप कितना बच्चों को प्यार करते हैं । ऐसे नहीं कि सिर्फ टीचर के रूप में पढ़ाकर और घर चले जाते हैं । यह तो बाप भी टीचर भी है । तुमको पढ़ाते भी हैं । याद की यात्रा भी सिखलाते हैं ।

ऐसा विश्व का मालिक बनाने वाले, पतित से पावन बनाने वाले बाप के साथ बहुत लव होना चाहिए । सवेरे-सवेरे उठने से ही पहले-पहले शिवबाबा से गुडमॉर्निंग करना चाहिए । गुडमॉर्निंग अर्थात् याद करेंगे तो बहुत खुशी में रहेंगे । बच्चों को अपने दिल से पूछना है हम सवेरे उठकर कितना बेहद के बाप को याद करते हैं? मनुष्य भक्ति भी सवेरे करते हैं ना! भक्ति कितना प्यार से करते हैं । परन्तु बाबा जानते हैं कई बच्चे दिल व जान, सिक व प्रेम से याद नहीं करते हैं । सवेरे उठ बाबा से गुडमॉर्निंग करे, ज्ञान के चिन्तन में रहे तो खुशी का पारा चढ़े । बाप से गुडमॉर्निंग नहीं करेंगे तो पापों का बोझा कैसे उतरेगा । मुख्य है ही याद, इससे भविष्य के लिए तुम्हारी बहुत भारी कमाई होती है । कल्प- कल्पान्तर यह कमाई काम आयेगी । बड़ा धैर्य, गम्भीरता, समझ से याद करना होता है । मोटे हिसाब में तो भल करके यह कह देते हैं कि हम बाबा को बहुत याद करते हैं परन्तु एक्यूरेट याद करने में मेहनत है । जो बाप को जास्ती याद करते हैं उनको करेन्ट जास्ती मिलती है क्योंकि याद से याद मिलती है । योग और ज्ञान दो चीजें हैं । योग की सबजेक्ट अलग है, बहुत भारी सबजेक्ट है । योग से ही आत्मा सतोप्रधान बनती है । याद बिना सतोप्रधान होना, असम्भव है । अच्छी रीति प्यार से बाप को याद करेंगे तो आटोमेटिकली करेंट मिलेगी, हेल्दी बन जायेंगे । करेन्ट से आयु भी बढ़ती है । बच्चे याद करते हैं तो बाबा भी सर्चलाइट देते हैं । बाप कितना बड़ा भारी खजाना तुम बच्चों को देते हैं ।

मीठे बच्चों को यह पक्का याद रखना है, शिवबाबा हमको पढ़ाते हैं । शिवबाबा पतित-पावन भी है । सद्गति दाता भी है । सद्गति माना स्वर्ग की राजाई देते हैं । बाबा कितना मीठा है । कितना प्यार से बच्चों को बैठ पढ़ाते हैं । बाप, दादा द्वारा हमको पढ़ाते हैं । बाबा कितना मीठा है । कितना प्यार करते हैं । कोई तकलीफ नहीं देते । सिर्फ कहते हैं मुझे याद करो और चक्र को याद करो । बाप की याद में दिल एकदम ठर जानी चाहिए । एक बाप की ही याद सतानी चाहिए क्योंकि बाप से वर्सा कितना भारी मिलता है । अपने को देखना चाहिए हमारा बाप के साथ कितना लव है? कहाँ तक हमारे में दैवीगुण हैं! क्योंकि तुम बच्चे अब कांटों से फूल बन रहे हो । जितना-जितना योग में रहेंगे उतना कांटों से फूल, सतोप्रधान बनते जायेंगे । फूल बन गये फिर यहाँ रह नहीं सकेंगे । फूलों का बगीचा है ही स्वर्ग । जो बहुत कांटों को फूल बनाते हैं उन्हें ही सच्चा खुशबूदार फूल कहेंगे । कभी किसको काँटा नहीं लगायेंगे । क्रोध भी बड़ा काँटा है, बहुतों को दुःख देते हैं । अभी तुम बच्चे कांटों की दुनिया से किनारे पर आ गये हो, तुम हो संगम पर । जैसे माली फूलों को अलग पाट (बर्तन) में निकालकर रखते हैं वैसे ही तुम फूलों को भी अब संगमयुगी पाट में अलग रखा हुआ है । फिर तुम फूल स्वर्ग में चले जायेंगे, कलियुगी कांटे भस्म हो जायेंगे ।

मीठे बच्चे जानते हैं पारलौकिक बाप से हमको अविनाशी वर्सा मिलता है । जो सच्चे-सच्चे बच्चे हैं, जिनका बापदादा से पूरा लव है उनको बड़ी खुशी रहेगी । हम विश्व का मालिक बनते हैं । हाँ पुरुषार्थ से ही विश्व का मालिक बना जाता है, सिर्फ कहने से नहीं । जो अनन्य बच्चे हैं उन्हों को सदैव यह याद रहेगा कि हम अपने लिए फिर से वही सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी राजधानी स्थापन कर रहे हैं । बाप कहते हैं मीठे बच्चे जितना तुम बहुतों का कल्याण करेंगे उतना ही तुमको उजूरा मिलेगा । बहुतों को रास्ता बतायेंगे तो बहुतों की आशीर्वाद मिलेगी । ज्ञान रत्नों से झोली भरकर फिर दान करना है । ज्ञान सागर तुमको रत्नों की थालियाँ भर- भर कर देते हैं । जो फिर दान करते हैं वही सबको प्यारे लगते हैं । बच्चों के अन्दर में कितनी खुशी होनी चाहिए । सेन्सीबुल बच्चे जो होंगे वह तो कहेंगे हम बाबा से पूरा ही वर्सा लेंगे, एकदम चटक पड़ेंगे । बाप से बहुत लव रहेगा क्योंकि जानते हैं प्राण देने वाला बाप मिला है । नॉलेज का वरदान ऐसा देते हैं जिससे हम क्या से क्या बन जाते हैं । इनसालवेट से सालवेन्ट बन जाते हैं, इतना भण्डारा भरपूर कर देते हैं । जितना बाप को याद करेंगे उतना लव रहेगा, कशिश होगी । सुई साफ होती है तो चकमक (चुम्बक) तरफ खैच जाती है ना । बाप की याद से कट निकलती जायेगी । एक बाप के सिवाए और कोई याद न आये । जैसे स्त्री का पति के साथ कितना लव होता है । तुम्हारी भी सगाई हुई है ना । सगाई की खुशी कम होती है क्या? शिवबाबा कहते हैं मीठे बच्चे तुम्हारी हमारे साथ सगाई है, ब्रह्मा के साथ सगाई नहीं है । सगाई पक्की हो गई फिर तो उनकी ही याद सतानी चाहिए |

बाप समझाते हैं मीठे बच्चे गफलत मत करो । स्वदर्शन चक्रधारी बनो, लाइट हाउस बनो । स्वदर्शन चक्रधारी बनने की प्रैक्टिस अच्छी हो जायेगी तो फिर तुम जैसे ज्ञान का सागर हो जायेंगे । जैसे स्टूडेंट पढ़कर टीचर बन जाते हैं ना । तुम्हारा धन्धा ही यह है । सबको स्वदर्शन चक्रधारी बनाओ तब ही चक्रवर्ती राजा-रानी बनेगे इसलिए बाबा सदैव बच्चों से पूछते हैं स्वदर्शन चक्रधारी हो बैठे हो? बाप भी स्वदर्शन चक्रधारी हैं ना । बाप आये हैं तुम मीठे बच्चों को वापिस ले जाने । तुम बच्चों बिगर हमको भी जैसे बेआरामी होती है । जब समय होता है तो बेआरामी हो जाती है । बस अभी हम जाऊँ, बच्चे बहुत पुकारते हैं, बहुत दु :खी हैं । तरस पड़ता है । अब तुम बच्चों को चलना है घर । फिर वहॉ से तुम आपेही चले जायेंगे सुखधाम । वहाँ मैं तुम्हारा साथी नहीं बनूँगा । अपनी अवस्था अनुसार तुम्हारी आत्मा चली जायेगी ।

तुम बच्चों को यह नशा रहना चाहिए हम रूहानी युनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं । हम गॉडली स्टूडेंट हैं । हम मनुष्य से देवता अथवा विश्व का मालिक बनने के लिए पढ़ रहे हैं । इससे हम सारी मिनिस्टरी पास कर लेते हैं । हेल्थ की एज्यूकेशन भी पढ़ते हैं, कैरेक्टर सुधारने की भी नॉलेज पढ़ते हैं । हेल्थ मिनिस्टरी, फूड मिनिस्टरी, लैंड मिनिस्टरी, बिल्डिंग मिनिस्टरी सब इसमें आ जाती है ।

मीठे-मीठे बच्चों को बाप बैठ समझाते हैं जब कोई सभा में भाषण करते हो वा किसको समझाते हो तो घड़ी-घड़ी बोलो अपने को आत्मा समझ परमपिता परमात्मा को याद करो । इस याद से ही तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे । तुम पावन बन जायेंगे । घड़ी-घड़ी यह याद करना है । परन्तु यह भी तुम तभी कह सकेंगे जब खुद याद में होंगे । इस बात की बच्चों में बहुत कमजोरी है । अन्दरूनी तुम बच्चों को खुशी होगी, याद में रहेंगे तब दूसरों को समझाने का असर होगा । तुम्हारा बोलना जास्ती नहीं होना चाहिए । आत्म- अभिमानी हो थोड़ा भी समझायेंगे तो तीर भी लगेगा । बाप कहते हैं बच्चे बीती सो बीती । अब पहले अपने को सुधारो । खुद याद करेंगे नहीं, दूसरों को कहते रहेंगे, यह ठगी चल न सके । अन्दर दिल जरूर खाती होगी । बाप के साथ पूरा लव नहीं है तो श्रीमत पर चलते नहीं हैं । बेहद के बाप जैसी शिक्षा तो और कोई दे न सके । बाप कहते हैं मीठे बच्चे इस पुरानी दुनिया को अब भूल जाओ । पिछाड़ी में तो यह सब भूल ही जाना है । बुद्धि लग जाती है अपने शान्तिधाम और सुखधाम में । बाप को याद करते-करते बाप के पास चले जाना है । पतित आत्मा तो जा न सके । वह है ही पावन आत्माओं का घर । यह शरीर 5 तत्वों से बना हुआ है । तो 5 तत्व यहाँ रहने लिए खींचते हैं क्योंकि आत्मा ने यह जैसे प्रापटी ली हुई है, इसलिए शरीर में ममत्व हो गया है । अब इनसे ममत्व निकाल जाना है अपने घर । वहाँ तो यह 5 तत्व हैं नहीं । सतयुग में भी शरीर योगबल से बनता है । सतोप्रधान प्रकृति होती है इसलिए खींचती नहीं । दु :ख नहीं होता । यह बड़ी महीन बातें हैं समझने की । यहाँ 5 तत्वों का बल आत्मा को खींचता है इसलिए शरीर छोड़ने की दिल नहीं होती है । नहीं तो इसमें और ही खुश होना चाहिए । पावन बन शरीर ऐसे छोड़ेंगे जैसे मक्खन से बाल । तो शरीर से, सब चीजों से ममत्व एकदम मिटा देना है, इससे हमारा कोई कनेक्शन नहीं । बस हम जाते हैं बाबा के पास । इस दुनिया में अपना बैग बैगेज तैयार कर पहले से ही भेज दिया है । साथ में तो चल न सके । बाकी आत्माओं को जाना है । शरीर को भी यहाँ छोड़ दिया है । बाबा ने नये शरीर का साक्षात्कार करा दिया है । हीरे जवाहरों के महल मिल जायेंगे । ऐसे सुखधाम में जाने लिए कितनी मेहनत करनी चाहिए । थकना नहीं चाहिए । दिनरात बहुत कमाई करनी है इसलिए बाबा कहते हैं नींद को जीतने वाले बच्चे मामेकम् याद करो और विचार सागर मंथन करो । ड्रामा के राज को बुद्धि में रखने से बुद्धि एकदम शीतल हो जाती है । जो महारथी बच्चे होंगे वह कब हिलेंगे नहीं । शिवबाबा को याद करेंगे तो वह सम्भाल भी करेंगे ।

बाप तुम बच्चों को दुःख से छुड़ाकर शान्ति का दान देते हैं । तुमको भी शान्ति का दान देना है । तुम्हारी यह बेहद की शान्ति अर्थात् योगबल दूसरो को भी एकदम शान्त कर देगे । झट मालूम पड़ जायेगा, यह हमारे घर का है वा नहीं । आत्मा को झट कशिश होगी यह हमारा बाबा है । नब्ज भी देखनी होती है । बाप की याद में रह फिर देखो यह आत्मा हमारे कुल की है । अगर होगी तो एकदम शान्त हो जायेगी । जो इस कुल के होंगे उन्हों को ही इन बातों में रस बैठेगा । बच्चे याद करते हैं तो बाप भी प्यार करते हैं । आत्मा को प्यार किया जाता है । यह भी जानते हैं जिन्होंने बहुत भक्ति की है वह ही जास्ती पढ़ेंगे । उनके चेहरे से मालूम पड़ता जायेगा कि बाप में कितना लव है । आत्मा बाप को देखती है । बाप हम आत्माओं को पढ़ा रहे हैं । बाप भी समझते हैं हम इतनी छोटी बिन्दी आत्मा को पढ़ाता हूँ । आगे चल तुम्हारी यह अवस्था हो जायेगी । समझेंगे हम भाई- भाई को पढ़ाते हैं । शक्ल बहन की होते भी दृष्टि आत्मा तरफ जाए । शरीर पर दृष्टि बिल्कुल न जाये, इसमें बड़ी मेहनत है । यह बड़ी महीन बातें हैं । बड़ी ऊँच पढ़ाई है । वजन करो तो इस पढ़ाई का तरफ बहुत भारी हो जायेगा । अच्छा !

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1. अपनी झोली ज्ञान रत्नों से भरकर फिर दान भी करना है । जो दान करते हैं वो सबको प्यारे लगते हैं, उन्हें अपार खुशी रहती है ।

2. प्राणदान देने वाले बाप को बहुत प्यार से याद करते सबको शान्ति का दान देना है । स्वदर्शन चक्र फिराते ज्ञान का सागर बनना है ।

वरदान:-

ज्ञान कलष धारण कर प्यासों की प्यास बुझाने वाले अमृत कलषधारी भव !   

अभी मैजारिटी आत्मायें प्रकृति के अल्पकाल के साधनों से, आत्मिक शान्ति प्राप्त करने के लिए बने हुए अल्पज्ञ स्थानों से, परमात्म मिलन मनाने के ठेकेदारों से थक गये हैं, निराश हो गये हैं, समझते हैं सत्य कुछ और है, प्राप्ति के प्यासे हैं । ऐसी प्यासी आत्माओं को आत्मिक परिचय, परमात्म परिचय की यथार्थ बूँद भी तृप्त आत्मा बना देगी इसलिए ज्ञान कलष धारण कर प्यासों की प्यास बुझाओ । अमृत कलष सदा साथ रहे । अमर बनो और अमर बनाओ ।

स्लोगन:- 

एडॅजेस्ट होने की कला को लक्ष्य बना लो तो सहज सम्पूर्ण बन जायेंगे ।   

 

अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क

जैसे अभी सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को ईश्वरीय स्नेह, श्रेष्ठ ज्ञान और श्रेष्ठ चरित्रों का साक्षात्कार होता है, ऐसे अव्यक्त रिथति का भी स्पष्ट साक्षात्कार हो । जैसे साकार में ब्रह्मा बाप अन्य सब जिम्मेवारियाँ होते हुए भी आकारी और निराकारी स्थिति का अनुभव कराते रहे, ऐसे आप बच्चे भी साकार रूप में रहते फरिश्तेपन का अनुभव कराओ ।

 

ओम् शान्ति |