26-12-13       प्रातः मुरली       ओम् शान्ति   “बापदादा”     मधुबन


मीठे बच्चे अपना सौभाग्य बनाना है तो ईश्वरीय सेवा में लग जाओ, माताओं-कन्याओं को बाप पर कुर्बान जाने की उछल आनी चाहिए, शिव शक्तियाँ बाप का नाम बाला कर सकती हैं |    

प्रश्न:-   
सभी कन्याओं को बाप कौन-सी शुभ राय देते हैं?

उत्तर:-

हे कन्यायें – तुम अब कमाल करके दिखाओ | तुम्हें मम्मा के समान बनना है | अब तुम लोक-लाज छोड़ो | नष्टोमोहा बनो | अगर अधर कन्या बनी तो दाग़ लग जायेगा | तुम्हें रंग-बिरंगी माया से बचकर रहना है | तुम ईश्वरीय सेवा करो तो हज़ारों आकर तुम्हारे चरणों पर पड़ेंगे |


ओम् शान्ति |
तुम शिव शक्तियां हो उछल मारने वाली | बाप के ऊपर कुर्बान जाने की उछल आनी चाहिए | इसको ही कहा जाता है मौलाई मस्ती | बाप को सामने देखना होता है कि कौन-कौन बैठे हैं | वास्तव में क्लास की बैठक ऐसी होनी चाहिए जो टीचर की हरेक के ऊपर नज़र पड़े | यह जैसे सतसंग हो जाता है | परन्तु क्या करें ड्रामा की भावी ऐसी है | क्लास में नम्बरवार बिठा नहीं सकते | बच्चे मुखड़ा देखने के प्यासे होते हैं ना, वैसे बाप भी प्यासे रहते हैं | बच्चों के सिवाए घर में अन्धियारा समझते हैं | तुम बच्चे सोझरा करने वाले हो | भारत में तो क्या सारी दुनिया में सोझरा करने वाले हो |

गीत:-
 
माता ओ माता तू है सबकी भाग्य विधाता ....    

ओम् शान्ति |
यह गीत भी तुम्हारे शास्त्र हैं | सर्व शास्त्रमई शिरोमणी गीता है और सभी शास्त्र महाभारत, रामायण, शिवपुराण, वेद, उपनिषद् आदि इसमें से ही निकले हैं | वन्डर है ना | मनुष्य कहते हैं नाटक के रिकार्ड बजाते हैं | शास्त्र तो कोई इनके पास हैं नहीं | हम कहते हैं इन रिकार्ड से जो अर्थ निकलता है, उनसे सब वेद ग्रन्थ आदि का सार निकल आता है | (गीत बजा) यह है मम्मा की महिमा | मातायें तो ढेर हैं | परन्तु मुख्य है जगत अम्बा | यही जगदम्बा स्वर्ग का द्वार खोलती है | फिर पहले वह खुद ही जगत का मालिक बनती है तो ज़रूर माँ के साथ तुम बच्चे भी हो | उनका ही गायन है तुम मात-पिता .......| शिवबाबा को ही मात-पिता कहा जाता है | भारत में जगदम्बा भी है और जगतपिता भी है | परन्तु ब्रह्मा का इतना नाम वा मन्दिर आदि नहीं है | सिर्फ़ अजमेर में ब्रह्मा का मन्दिर नामीग्रामी है, वहाँ ब्राह्मण भी रहते हैं | ब्राह्मण दो प्रकार के होते हैं – सारसिद्ध और पुष्करणी | पुष्कर में रहने वालों को पुष्करणी कहा जाता है | परन्तु उन ब्राह्मणों को यह थोड़ेही पता है | कहेंगे हम ब्रह्मा मुखवंशावली हैं | जगत अम्बा का नाम तो बहुत बाला है | ब्रह्मा को इतना नहीं जानते | किसको धन बहुत मिलता है तो समझते हैं साधू-सन्तों की कृपा है | ईश्वर की कृपा नहीं समझते | बाप कहते हैं सिवाए मेरे और कोई भी कृपा कर नहीं सकते | हम तो सन्यासियों की महिमा भी करते हैं | अगर सन्यासी पवित्र न होते तो भारत जल मरता | परन्तु सद्गति दाता तो एक बाप ही है | मनुष्य, मनुष्य की सद्गति कर नहीं सकते |

बाबा ने समझाया है कि तुम सब सीतायें हो शोक वाटिका में | दुःख में शोक तो होता है ना | बीमारी आदि होती है तो क्या दुःख नहीं होगा | बीमार पड़ेंगे तो ज़रूर ख्याल चलेगा – कब अच्छे होंगे? ऐसे तो नहीं कहेंगे कि बीमार पड़े रहें | पुरुषार्थ करते हैं अच्छे हो जाएँ | नहीं तो दवाई आदि क्यों करते? अब बाप कहते हैं मैं तुम बच्चों को इन दुःखों, बीमारियों आदि से छुड़ाकर इजाफ़ा देता हूँ | माया रावण ने तुमको दुःख दिया है | मुझे तो कहते हैं सृष्टि का रचयिता | सब कहते हैं भगवान् ने दुःख लिए सृष्टि रची है क्या! स्वर्ग में ऐसे थोड़ेही कहेंगे | यहाँ दुःख है तब मनुष्य कहते हैं कि भगवान् को क्या पड़ी थी जो दुःख के सृष्टि की रचना की, और कोई काम ही नहीं था? परन्तु बाप कहते हैं यह सुख-दुःख, हार-जीत का खेल बना हुआ है | भारत पर ही खेल है – राम और रावण का | भारत की रावण से हारे हार है फिर रावण पर जीत पहन राम के बनते हैं | राम कहा जाता है शिवबाबा को | राम का भी, तो शिव का भी नाम लेना पड़ता है समझाने के लिए | शिवबाबा बच्चों का मालिक अथवा नाथ है | वह तुमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं | बाप का वर्सा है ही स्वर्ग की प्राप्ति फिर उनमें है पद | स्वर्ग में तो देवतायें ही रहते हैं | अच्छा स्वर्ग बनाने वाले की महिमा सुनो |

(गीत) भारत की सौभाग्य विधाता यह जगदम्बा ही है | उनको कोई जानते ही नहीं | अम्बाजी पर तो बहुत मनुष्य जाते होंगे | यह बाबा भी बहुत बार गया है | बबुरनाथ के मन्दिर में, लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में अनेक बार गये होंगे | परन्तु कुछ पता नहीं था | कितना बेसमझ थे | अब मैंने इनको कितना समझदार बनाया है | जगदम्बा का टाइटिल कितना बड़ा है – भारत की सौभाग्य विधाता | अब तुमको अम्बाजी के मन्दिर में जाकर सर्विस करनी चाहिए | जगत अम्बा के 84 जन्मों की कहानी बतानी चाहिए | ऐसे तो मन्दिर बहुत हैं | मम्मा के इस चित्र को तो मानेंगे नहीं | अच्छा, उस अम्बा की मूर्ति पर ही समझाओ और साथ में यह गीत ले जाओ | यह गीत ही तुम्हारी सच्ची गीता है | सर्विस तो बहुत है ना | परन्तु सर्विस करने वाले बच्चों में भी सच्चाई चाहिए | तुम यह गीत जगत अम्बा के मन्दिर में ले जाकर समझाओ | जगदम्बा भी कन्या है, ब्राह्मणी है | जगदम्बा को इतनी भुजायें क्यों दी हैं? क्योंकि उनके मददगार बच्चे बहुत हैं | शक्ति सेना है ना | तो चित्रों में फिर अनेक बाहें दिखा दी हैं | शरीर कैसे दिखलाते? बाहें निशानी सहज हैं, शोभती हैं | टांगें दें तो पता नहीं कैसी शक्ल हो जाए | ब्रह्मा को भी भुजायें दिखाते हैं | तुम सब उनके बच्चे हो परन्तु इतनी बाहें तो दे न सकें | तो तुम कन्याओं-माताओं को सर्विस में लग जाना चाहिए | अपना सौभाग्य बना लो | अम्बा के मन्दिर में तुम इस गीत पर जाकर महिमा करो तो ढेर आ जायेंगे | तुम इतना नाम निकलेंगी जो पुरानी ब्रह्माकुमारियां भी नहीं निकलती | यह छोटी-छोटी कन्यायें कमाल कर सकती हैं | बाबा सिर्फ़ एक को नहीं, सब कन्यायों को कहते हैं | हज़ारों आकर तुम्हारे चरणों पर गिरेंगे | उनके आगे इतने नहीं गिरेंगे तुम्हारे आगे गिरेंगे | हाँ, इसमें लोकलाज को छोड़ना है | बिल्कुल ही नष्टोमोहा होना है | कहेंगी मुझे तो सगाई करनी ही नहीं है, हम तो पवित्र रहकर भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करेंगी | अधर कुमारी को तो फिर भी दाग़ लग जाता है | कुमारी ने सगाई की और दाग़ लगने शुरू हो जाते हैं | रंग-बिरंगी माया लग जाती है | इस जन्म में मनुष्य क्या से क्या हो सकता है | मम्मा भी इस जन्म में हुई है | उन्हों को मर्तबा मिला है अल्पकाल के लिए | मम्मा को मिलता है 21 जन्मों के लिए | तुम भी नर से नारायण, नारी से लक्ष्मी बन रही हो | सम्पूर्ण पास हो जायेंगे तो फिर दैवी जन्म मिलेगा | उन्हों को तो है अल्पकाल का सुख, उसमें भी कितनी फ़िक्र रहती है | हम तो हैं गुप्त | हमको बाहर में कुछ शो नहीं करना है | वह शो करते हैं | यह राज्य तो रुण्य के पानी मिसल (मृगतृष्णा समान) है | शात्रों में भी है द्रोपदी ने कहा – अन्धे की औलाद अन्धे, यह जिसको राज्य समझते हो यह तो अभी ख़त्म हुआ कि हुआ | रक्त की नदियाँ बहनी हैं | पाकिस्तान का जब बंटवारा हुआ तो घर-घर में कितनी मारपीट करते थे | अभी तो चलते-फिरते रास्तों पर मारपीट होगी | कितना खून बहता है, क्या इसको स्वर्ग कहेंगे? क्या यही नई देहली, नया भारत है? नया भारत तो परिस्तान था | अभी तो विकारों की प्रवेशता है, बड़े दुश्मन हैं | राम-रावण का जन्म भारत में ही दिखाते हैं | शिव जयन्ती विलायत में नहीं मनाते हैं, यहाँ ही मनाते हैं | तुम जानते हो रावण कब आता है? जब दिन पूरा हो रात हुई तो रावण आ गया | जिसको वाम मार्ग कहा जाता है | दिखाते भी हैं वाम मार्ग में जाने से देवताओं की क्या हालत हो जाती है |

बच्चों को सर्विस करनी चाहिए | जो खुद जागृत होगा वही जागृत कर सकेंगे | बाबा तो शुभ चिन्तक है | कहेंगे कहीं इनको माया का थप्पड़ न लगे | बीमार होंगे तो सर्विस नहीं कर सकेंगे | जगत अम्बा को ही ज्ञान का कलष मिलता है, लक्ष्मी को नहीं | लक्ष्मी को धन दिया, जिससे दान कर सकती है | लेकिन वहाँ तो दान आदि होता नहीं | दान हमेशा गरीबों को किया जाता है | तो कन्यायें ऐसे-ऐसे मन्दिरों में जाकर सर्विस करें तो बहुत आयेंगे | शाबासी देंगे, पाँव पड़ेंगे | माताओं का रिगॉर्ड भी है | मातायें सुनने से प्रफुल्लित भी होंगी | पुरुषों को फिर अपना नशा रहता है ना |

बाबा ने समझाया है – यह साकार है बाहरयामी | इनके अन्दर जो लॉर्ड रहता है, वह है लॉर्ड ऑफ़ लॉर्ड | कृष्ण को लॉर्ड कृष्णा कहते हैं ना | हम तो कहते हैं कृष्ण का भी लॉर्ड ऑफ़ लॉर्ड वह परमात्मा है | उनको यह मकान दिया गया है | तो यह लैण्डलेडी और लैण्ड लॉर्ड दोनों है | यह मेल भी है तो फ़ीमेल भी है | वन्डर है ना |

भोग लग रहा है | अच्छा, बाबा को सभी का याद-प्यार देना | ख़ुशी से सलाम भेजते हैं बड़े उस्ताद को | यह एक रस्म-रिवाज़ है | जैसे शुरू में साक्षात्कार होते थे, ऐसे अन्त में भी बाबा बहुत बहलायेंगे | आबू में बहुत बच्चे आयेंगे | जो होंगे सो देखेंगे | अच्छा!

रात्रि क्लास – 8-4-68

यह ईश्वरीय मिशन चल रही है | जो अपने दैवी-देवता धर्म के होंगे वही आ जायेंगे | जैसे उन्हों की मिशन है क्रिश्चियन बनाने की | जो क्रिश्चियन बनते हैं उनको क्रिश्चियन डिनायस्टी में सुख मिलता है | वेतन अच्छा मिलता है, इसलिये क्रिश्चियन बहुत हो गये हैं | भारतवासी इतना वेतन आदि नहीं दे सकते | यहाँ करप्शन बहुत है | बीच में रिश्वत न लें तो नौकरी से ही जवाब | बच्चे बाप से पूछते हैं इस हालत में क्या करें? कहेंगे युक्ति से काम करो फिर शुभ कार्य में लगा देना |

यहाँ सभी बाप को पुकारते हैं कि आकर हम पतितों को पावन बनाओ, लिबरेट करो, घर ले जाओ | बाप ज़रूर घर ले जायेंगे ना | घर जाने लिये ही इतनी भक्ति आदि करते हैं | परन्तु जब बाप आये तब ही ले जाये | भगवान है ही एक | ऐसे नहीं सभी में भगवान आकर बोलते हैं | उनका आना ही संगम पर होता है | अभी तुम ऐसी-ऐसी बातें नहीं मानेंगे | आगे मानते थे | अभी तुम भक्ति नहीं करते हो | तुम कहते हो हम पहले पूजा करते थे | अब बाप आया है हमको पूज्य देवता बनाने लिये | सिक्खों को भी तुम समझाओ | गायन है ना मनुष्य से देवता......| देवताओं की महिमा है ना | देवतायें रहते ही हैं सतयुग में | अभी है कलियुग | बाप भी संगमयुग पर पुरुषोत्तम बनने की शिक्षा देते हैं | देवतायें हैं सभी से उत्तम, तब तो इतना पूजते हैं | जिसकी पूजा करते हैं वह ज़रूर कभी थे, अभी नहीं हैं | समझते हैं यह राजधानी पास्ट हो गई है | अभी तुम हो गुप्त | कोई जानते थोड़ेही हैं कि हम विश्व के मालिक बनने वाले हैं | तुम जानते हो हम पढकर यह बनते हैं | तो पढ़ाई पर पूरा अटेन्शन देना है | बाप को बहुत प्यार से याद करना है | बाबा हमको विश्व का मालिक बनाते हैं तो क्यों नहीं याद करेंगे | फिर दैवीगुण भी चाहिए | अच्छा – रूहानी बच्चों को रूहानी बाप व दादा का याद प्यार गुडनाईट और नमस्ते |

धारणा के लिए मुख्य सार :-

1.  इस दुनिया में अपना बाहरी शो नहीं करना है | सम्पूर्ण पास होने के लिए गुप्त पुरुषार्थ करते रहना है |


2. 
इस रंग-बिरंगी दुनिया में फँसना नहीं है | नष्टोमोहा बन बाप का नाम बाला करने की सेवा करनी है | सबका सौभाग्य जगाना है |


वरदान:-
 
अथॉरिटी के आसन पर स्थित रह सहजयोगी जीवन का अनुभव करने वाले महान आत्मा भव !    

जैसे स्पीकर की सीट सहज ही ले लेते हो ऐसे अभी सर्व अनुभवों के अथॉरिटी का आसन लो | अथॉरिटी के आसन पर सदा स्थित रहो तो सहजयोगी, सदा के योगी, स्वतः योगी बन जायेंगे | ऐसे अथॉरिटी वालों के आगे माया झुकेगी न कि झुकायेगी | जैसे हद की अथॉरिटी वाले विशेष व्यक्तियों के आगे सब झुकते हैं | अथॉरिटी की महानता सबको झुकाती है | ऐसे आप महान आत्मायें अनुभवों की अथौरिटी में रहो तो सब आपेही झुकेंगे |


स्लोगन:-
 
सदा खुश रहना, ख़ुशी का ख़ज़ाना बाँटना और सबमें ख़ुशी की लहर फैलाना यही श्रेष्ठ सेवा है |       


ओम् शान्ति
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