26-12-14          प्रातः मुरली         ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन
 


मीठे बच्चे - तुम्हारे यह रिकार्ड संजीवनी बुटी हैं, इन्हें बजाने से मुरझाइस निकल जायेगी ।”   


प्रश्न:-   
अवस्था बिगड़ने का कारण क्या है? किस युक्ति से अवस्था बहुत अच्छी रह सकती है?


उत्तर:-

1. ज्ञान की डांस नहीं करते, झरमुई झगमुई में अपना समय गंवा देते हैं इसलिए अवस्था बिगड़ जाती है । 2. दूसरों को दुःख देते हैं तो भी उसका असर अवस्था पर आता है । अवस्था अच्छी तब रहेगी जब मीठा होकर चलेंगे । याद पर पूरा अटेंशन होगा । रात को सोने के पहले कम से कम आधा घण्टा याद में बैठो फिर सवेरे उठकर याद करो तो अवस्था अच्छी रहेगी ।


गीत:-

कौन आया मेरे मन के द्वारे....    

 

ओम् शान्ति |

यह रिकॉर्ड भी बाबा ने बनवाये हैं बच्चों के लिए । इनका अर्थ भी बच्चों के सिवाए कोई जान नहीं सकते । बाबा ने कई बार समझाया है कि ऐसे अच्छे- अच्छे रिकॉर्ड घर में रहने चाहिए फिर कोई मुरझाइस आती है तो रिकॉर्ड बजाने से बुद्धि में झट अर्थ आयेगा तो मुरझाइस निकल जायेगी । यह रिकॉर्ड भी संजीवनी बूटी है । बाबा डायरेक्शन तो देते हैं परन्तु कोई अमल में लाये । अब यह गीत में कौन कहते हैं कि हमारे तुम्हारे सबके दिल में कौन आया है! जो आकर ज्ञान डांस करते हैं । कहते हैं गोपिकायें कृष्ण को नाच नचाती थी, यह तो है नहीं । अब बाबा कहते हैं-हे सालिग्राम बच्चे । सबको कहते हैं ना । स्कूल माना स्कूल, जहाँ पढ़ाई होती है, यह भी स्कूल है । तुम बच्चे जानते हो हमारी दिल में किसकी याद आती है! और कोई भी मनुष्य मात्र की बुद्धि में यह बातें नहीं हैं । यह एक ही समय है जबकि तुम बच्चों को उनकी याद रहती है और कोई उनको याद नहीं करते । बाप कहते हैं तुम रोज मुझे याद करो तो धारणा बहुत अच्छी होगी । जैसे मैं डायरेक्शन देता हूँ वैसे तुम याद करते नहीं हो । माया तुमको याद करने नहीं देती है । मेरे कहने पर तुम बहुत कम चलते हो और माया के कहने पर बहुत चलते हो । कई बार कहा है-रात को जब सोते हो तो आधा घण्टा बाबा की याद में बैठ जाना चाहिए । भल स्त्री-पुरूष हैं, इकट्ठे बैठें वा अलग- अलग बैठें । बुद्धि में एक बाप की ही याद रहे । परन्तु कोई विरले ही याद करते हैं । माया भुला देती है । फरमान पर नहीं चलेंगे तो पद कैसे पा सकेंगे । बाबा को बहुत याद करना है । शिवबाबा आप ही आत्माओं के बाप हो । सबको आपसे ही वर्सा मिलना है । जो पुरूषार्थ नहीं करते हैं उनको भी वर्सा मिलेगा, ब्रह्माण्ड के मालिक तो सब बनेंगे । सब आत्मायें निर्वाणधाम में आयेंगी ड्रामा अनुसार । भल कुछ भी न करें । आधाकल्प भल भक्ति करते हैं परन्तु वापिस कोई जा नहीं सकते, जब तक मैं गाइड बनकर न आऊं । कोई ने रास्ता देखा ही नहीं हैं । अगर देखा हो तो उनके पिछाड़ी सब मच्छरों सदृश्य जायें । मूलवतन क्या है-यह भी कोई जानते नहीं । तुम जानते हो यह बना-बनाया ड्रामा है, इनको ही रिपीट करना है । अब दिन में तो कर्मयोगी बन धन्धे में लगना है । खाना पकाना आदि सब कर्म करना है, वास्तव में कर्म सन्यास कहना भी रांग है । कर्म बिगर तो कोई रह न सके । कर्म सन्यासी झूठा नाम रख दिया है । तो दिन को भल धन्धा आदि करो, रात में और सवेरे-सवेरे बाप को अच्छी तरह से याद करो । जिसको अब अपनाया है, उसको याद करेंगे तो मदद भी मिलेगी । नहीं तो नहीं मिलेगी । साहूकारों को तो बाप का बनने में हृदय विदीर्ण होता है तो फिर पद भी नहीं मिलेगा । यह याद करना तो बहुत सहज है । वह हमारा बाप, टीचर, गुरू है । हमको सारा राज बतलाया है-यह वर्ल्ड की हिस्ट्री-जाँग्राफी कैसे रिपीट होती है । बाप को याद करना है और फिर स्वदर्शन चक्र फिराना है । सबको वापिस ले जाने वाला तो बाप ही है । ऐसे-ऐसे ख्यालात में रहना चाहिए । रात को सोते समय भी यह नॉलेज घूमती रहे । सुबह को उठते भी यही नॉलेज याद रहे । हम ब्राह्मण सो देवता फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनेंगे । फिर बाबा आएंगे फिर हम शूद्र से ब्राह्मण बनेंगे । बाबा त्रिमूर्ति, त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री भी है । हमारी बुद्धि खोल देते हैं । तीसरा नेत्र भी ज्ञान का मिलता है । ऐसा बाप तो कोई हो नहीं सकता । बाप रचना रचते हैं तो माता भी हो गई । जगत अम्बा को निमित्त बनाते हैं । बाप इस तन में आकर ब्रह्मा रूप से खेलते-कूदते भी हैं । घूमने भी जाते हैं । हम बाबा को याद तो करते हैं ना! तुम जानते हो इनके रथ में आते हैं । तुम कहेंगे बापदादा हमारे साथ खेलते हैं । खेल में भी बाबा पुरूषार्थ करता है याद करने का । बाबा कहते हैं मैं इनके द्वारा खेल रहा हूँ । चैतन्य तो हैं ना । तो ऐसे ख्याल रखना चाहिए । ऐसे बाप के ऊपर बलि भी चढ़ना है । भक्ति मार्ग में तुम गाते आये हो वारी जाऊं अब बाप कहते हैं हमको इस एक जन्म अपना वारिस बनाओ तो हम 21 जन्मों के लिए राज्य- भाग्य देंगे । अब यह फरमान देवे तो उस डायरेक्शन पर चलना है । वह भी जैसा देखेंगे ऐसा डायरेक्शन देंगे । डायरेक्शन पर चलने से ममत्व मिट जायेगा, परन्तु डरते हैं । बाबा कहते हैं तुम बलि नहीं चढ़ते हो तो हम वर्सा कैसे देगें । तुम्हारे पैसे कोई ले थोड़ेही जाते हैं । कहेंगे, अच्छा तुम्हारे पैसे हैं, लिटरेचर में लगा दो । ट्रस्टी हैं ना । बाबा राय देते रहेंगे । बाबा का सब कुछ बच्चों के लिए है । बच्चों से कुछ लेते नहीं हैं । युक्ति से समझा देते हैं सिर्फ ममत्व मिट जाए । मोह भी बड़ा कड़ा है । (बन्दर का मिसाल) बाबा कहते हैं तुम बन्दर मिसल उनके पिछाड़ी मोह क्यों रखते हो । फिर घर-घर में मन्दिर कैसे बनेंगे । हम तुमको बन्दरपने से छुड़ाए मन्दिर लायक बनाते हैं । तुम इस कीचड़पट्टी में ममत्व क्यों रखते हो । बाबा सिर्फ मत देंगे-कैसे सम्भालो । तो भी बुद्धि में नहीं बैठता । यह सारा बुद्धि का काम है ।

बाबा राय देते हैं अमृतवेले भी कैसे बाबा से बाते करो । बाबा, आप बेहद के बाप, टीचर हो । आप ही बेहद के वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी बता सकते हो । लक्ष्मी-नारायण के 84 जन्मों की कहानी दुनिया में कोई नहीं जानते । जगत अम्बा को माता-माता भी कहते हैं । वह कौन है? सतयुग में तो हो नहीं सकती । वहाँ के महारानी-महाराजा तो लक्ष्मी-नारायण हैं । उनको अपना बच्चा है जो तख्त पर बैठेंगे । हम कैसे उनके बच्चे बनेंगे जो तख्त पर बैठेंगे । अभी हम जानते हैं यह जगदम्बा ब्राह्मणी हैं, ब्रह्मा की बेटी सरस्वती । मनुष्य थोड़ेही यह राज़ जानते हैं । रात को बाबा की याद में बैठने का नियम रखो तो बहुत अच्छा है । नियम बनायेंगे तो तुमको खुशी का पारा चढ़ा रहेगा फिर और कोई कष्ट नहीं होंगे । कहेंगे एक बाप के बच्चे हम भाई-बहन हैं । फिर गन्दी दृष्टि रखना क्रिमिनल एसाल्ट हो जायेगी । नशा भी सतो, रजो, तमोगुणी होता है ना । तमोगुणी नशा चढ़ा तो मर पड़ेंगे । यह तो नियम बना लो- थोड़ा भी समय बाबा को याद कर बाबा की सर्विस पर जाओ । फिर माया के तूफान नहीं आयेंगे । वह नशा दिन भर चलेगा और अवस्था भी बड़ी रिफाइन हो जायेगी । योग में भी लाइन क्लीयर हो जायेगी । ऐसे-ऐसे रिकार्ड भी बहुत अच्छे हैं, रिकार्ड सुनते रहेंगे तो नाचना शुरू कर देंगे, रिफ्रेश हो जायेंगे । दो, चार, पांच रिकॉर्ड बड़े अच्छे हैं । गरीब भी बाबा की इस सर्विस में लग जाएं तो उनको महल मिल सकते हैं । शिवबाबा के भण्डारे से सब कुछ मिल सकता है । सर्विसएबुल को बाबा क्यों नहीं देंगे । शिवबाबा का भण्डारा भरपूर ही है ।

(गीत) यह है ज्ञान डांस । बाप आकर ज्ञान डांस कराते हैं गोप-गोपियों को । कहाँ भी बैठे हो बाबा को याद करते रहो तो अवस्था बहुत अच्छी रहेगी । जैसे बाबा ज्ञान और योग के नशे में रहते हैं तुम बच्चों को भी सिखलाते हैं । तो खुशी का नशा रहेगा । नहीं तो झरमुई-झगमुई में रहने से फिर अवस्था ही बिगड़ जाती है । सुबह को उठना तो बहुत अच्छा है । बाबा की याद में बैठ बाबा से मीठी-मीठी बातें करनी चाहिए । भाषण करने वालों को तो विचार सागर मंथन करना पड़े । आज इन प्याइंटस पर समझाएंगे, ऐसे समझाएंगे । बाबा को बहुत बच्चे कहते हैं हम नौकरी छोड़े? परन्तु बाबा कहते हैं पहले सर्विस का सबूत तो दो । बाबा ने याद की युक्ति बहुत अच्छी बताई है । परन्तु कोटों में कोई निकलेंगे जिनको यह आदत पड़ेगी । कोई को मुश्किल याद रहती है । तुम कुमारियों का नाम तो मशहूर हैं । कुमारी को सब पांव पड़ते हैं । तुम 21 जन्मों के लिए भारत को स्वराज्य दिलाते हो । तुम्हारा यादगार मंदिर भी है । ब्रह्माकुमार-कुमारियों का नाम भी मशहूर हो गया है ना । कुमारी वह जो 21 कुल का उद्धार करे । तो उनका अर्थ भी समझना पड़े । तुम बच्चे जानते हो यह 5 हजार वर्ष का रील है, जो कुछ पास हुआ है वह ड्रामा । भूल हुई ड्रामा । फिर आगे के लिए अपना रजिस्टर ठीक कर देना चाहिए । फिर रजिस्टर खराब नहीं होना चाहिए । बहुत बड़ी मेहनत है तब इतना ऊंच पद मिलेगा । बाबा का बन गया तो फिर बाबा वर्सा भी देंगे । सौतेले को थोड़ेही वर्सा देंगे । मदद देना तो फर्ज है । सेन्सीबुल जो हैं वह हर बात में मदद करते हैं । बाप देखो कितनी मदद करते हैं । हिम्मते मर्दा मददे खुदा । माया पर जीत पाने में भी ताकत चाहिए । एक रूहानी बाप को याद करना है, और संग तोड़ एक संग जोड़ना है । बाबा है ज्ञान का सागर । वह कहते हैं मैं इनमें प्रवेश करता हूँ, बोलता हूँ । और तो कोई ऐसे कह न सके कि मैं बाप, टीचर, गुरू हूँ । ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को रचने वाला हूँ । इन बातों को अभी तुम बच्चे ही समझ सकते हो । अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1. पुरानी किचड़पट्टी में ममत्व नहीं रखना है, बाप के डायरेक्शन पर चलकर अपना ममत्व मिटाना है । ट्रस्टी बनकर रहना है । 

2. इस अन्तिम जन्म में भगवान को अपना वारिस बनाकर उन पर बलि चढ़ना है, तब 21 जन्मों का राज्य भाग्य मिलेगा बाप को याद कर सर्विस करनी है, नशे में रहना है | रजिस्टर कभी खराब न हो यह ध्यान देना है ।

 

वरदान:-

अपने पोजीशन की स्मृति द्वारा माया पर विजय प्राप्त करने वाले निरन्तर योगी भव !   

जैसे स्थूल पोजीशन वाले अपनी पोजीशन को कभी भूलते नहीं । ऐसे आपका पोजीशन है मास्टर सर्वशक्तिमान, इसे सदा स्मृति में रखो और रोज़ अमृतवेले इस स्मृति को इमर्ज करो तो निरन्तर योगी बन जाएंगे और सारा दिन उसका सहयोग मिलता रहेगा । फिर मास्टर सर्वशक्तिमान के आगे माया आ नहीं सकती, जब आप अपनी स्मृति की ऊँची स्टेज पर रहेंगे तो माया चींटी को जीतना सहज हो जायेगा ।

 

स्लोगन:- 

आत्मा रुपी पुरुष को श्रेष्ठ बनाने वाले ही सच्चे पुरुषार्थी हैं ।   

 

ओम् शान्ति |