04-11-14      प्रातः मुरली       ओम् शान्ति      “बापदादा”       मधुबन
 


"मीठे बच्चे - इन आँखों से जो कुछ दिखाई देता है, इसे देखते हुए भी नहीं देखो, इनसे ममत्व निकाल दो क्योंकि इसे आग लगनी है"   


प्रश्न:-   

ईश्वरीय गवर्मेंट का गुप्त कर्तव्य कौन-सा है, जिसे दुनिया नहीं जानती?


उत्तर:-
ईश्वरीय गवर्मेंट आत्माओं को पावन बनाकर देवता बनाती है-यह है बहुत गुप्त कर्तव्य, जिसे मनुष्य नहीं समझ सकते । जब मनुष्य देवता बनें तब तो नर्कवासी से स्वर्गवासी बन सकें । मनुष्य का सारा कैरेक्टर विकारों ने बिगाड़ा है । अभी तुम सबको श्रेष्ठ कैरेक्टर वाला बनाने की सेवा करते हो, यही तुम्हारा मुख्य कर्तव्य है ।

 

ओम् शान्ति |

रूहानी बाप जब ओम शान्ति कहा जाता है, तो अपना स्वधर्म और अपना घर याद पड़ता है फिर घर में बैठ तो नहीं जाना है । बाप के बच्चे बने हैं तो जरूर स्वर्ग का वर्सा भी याद पड़ेगा । ओम शान्ति कहने से भी सारा ज्ञान बुद्धि में आ जाता है । मैं आत्मा शान्त स्वरूप हूँ, शान्ति के सागर बाप का बच्चा हूँ । जो बाप स्वर्ग की स्थापना करते हैं, वही बाप हमको पवित्र, शान्त-स्वरूप बनाते हैं । मुख्य बात है पवित्रता की । पवित्र दुनिया और अपवित्र दुनिया है । पवित्र दुनिया में एक भी विकार नहीं । अपवित्र दुनिया में 5 विकार हैं इसलिए कहा जाता है विकारी दुनिया । वह है निर्विकारी दुनिया । निर्विकारी दुनिया से सीढ़ी उतरते-उतरते फिर नीचे विकारी दुनिया में आते हैं । वह है पावन दुनिया, यह है पतित दुनिया । रामराज्य और रावणराज्य है ना! समय पर दिन और रात गाये हुए हैं । ब्रह्मा का दिन और ब्रह्मा की रात । दिन सुख, रात दुःख । रात भटकने की होती है । यूँ तो रात में कोई भटकना नहीं होता है परन्तु भक्ति को भटकना कहा जाता है । तुम बच्चे यहाँ आये हो सद्गति पाने के लिए । तुम्हारी आत्मा में 5 विकारों के कारण पाप थे, उनमें भी मुख्य है काम विकार, जिससे ही मनुष्य पाप आत्मा बनते हैं । यह तो हर एक जानते हैं हम पतित हैं । भ्रष्टाचार से पैदा हुए हैं । एक काम विकार के कारण सारी क्वालिफिकेशन बिगड़ पडती है इसलिए बाप कहते हैं इस काम विकार को जीतो तो जगतजीत नई दुनिया के मालिक बनेंगे । तो अन्दर में इतनी खुशी रहनी चाहिए । मनुष्य पतित बनते हैं तो कुछ समझते नहीं । इस काम पर ही कितने हगामें होते हैं । कितनी अशान्ति, हाहाकार हो जाता है । इस समय दुनिया में हाहाकार क्यों है? क्योंकि सभी पाप आत्मायें हैं । विकारों के कारण ही असुर कहा जाता है । अभी बाप द्वारा समझते हो हम तो बिल्कुल कौड़ी मिसल वर्थ नाट ए पेनी थे । काम की जो चीज नहीं उसे आग में जलाया जाता है । अभी तुम बच्चे समझते हो दुनिया में कोई काम की चीज नहीं । सभी मनुष्य मात्र को आग लगनी है । जो कुछ इन आँखों से देखते हैं, सबको आग लग जायेगी । आत्मा को तो आग लगती नहीं । आत्मा तो जैसे इनश्योर है । आत्मा को कभी इनश्योर कराते हैं क्या? इनश्योर तो शरीर को कराते हैं । बच्चों को समझाया गया है, यह खेल है । आत्मा तो ऊपर में 5 तत्वों से भी ऊपर रहती है । 5 तत्वों से ही सारी दुनिया की सामग्री बनती है । आत्मा तो नहीं बनती, आत्मा तो सदैव हैं ही । सिर्फ पुण्य आत्मा, पाप आत्मा बनती है । 5 विकारों से आत्मा कितनी गन्दी बन पडती है । अभी बाप आये हैं पापी से छुड़ाने । विकार से सारा कैरेक्टर्स बिगड़ता है । कैरेक्टर्स किसको कहा जाता है-यह भी किसको पता नहीं है । गाया भी हुआ है पाण्डव राज्य, कौरव राज्य । अभी पाण्डव कौन है, यह भी कोई नहीं जानते । अभी तुम समझते हो हम ईश्वरीय गवर्मेंट के हैं । बाप आये हैं रामराज्य स्थापन करने । इस समय ईश्वरीय गवर्मेंट क्या करती है? आत्माओं को पावन बनाकर देवता बनाती है । नहीं तो फिर देवता कहाँ से आये-यह कोई नहीं जानते इसलिए इसको गुप्त गवर्मेंट कहा जाता हैं । है तो यह भी मनुष्य परन्तु देवता कैसे बनें, किसने बनाया? देवी-देवता तो होते ही हैं स्वर्ग में । तो उन्हों को स्वर्गवासी किसने बनाया । स्वर्गवासी से फिर नर्कवासी बनते हैं । फिर नर्कवासी सो स्वर्गवासी बनते है । यह तुम भी नहीं जानते थे । फिर और कैसे जानेंगे । स्वर्ग सतयुग को, नर्क कलियुग को कहा जाता है । यह भी तुम अभी समझते हो । यह ड्रामा बना हुआ है । यह पढ़ाई है ही पतित से पावन बनने की । आत्मा ही पतित बनती है । पतित से पावन बनाना-यह धन्धा बाप ने तुम्हें सिखलाया है । पावन बनो तो पावन दुनिया में चलेंगे । आत्मा ही पावन बने तब तो स्वर्ग के लायक बने । यह ज्ञान तुम्हें इस संगम पर ही मिलता है । पवित्र बनने का हथियार मिलता है । पतित-पावन एक बाबा को ही कहा जाता हैं । कहते हैं हमको पावन बनाओ । यह लक्ष्मी-नारायण स्वर्ग के मालिक थे । फिर 84 जन्म ले पतित बने हैं । श्याम और सुन्दर, इनका नाम भी ऐसा रखा हुआ है परन्तु मनुष्य अर्थ थोड़ेही समझते हैं । कृष्ण की भी क्लीयर समझानी मिलती है । इनमें दो दुनियायें कर दी हैं । वास्तव में दुनिया तो एक ही है । वह नई और पुरानी होती है । पहले छोटे बच्चे फिर बड़े बन बूढ़े होते हैं । दुनिया भी नई सो पुरानी होती है । तुम कितना माथा मारते हो समझाने लिए । अपनी राजधानी स्थापन कर रहे हो ना । इन्होंने भी समझा है ना । समझ से कितने मीठे बने हैं । किसने समझाया? भगवान ने । लड़ाई आदि की तो बात ही नहीं । भगवान कितना समझदार, नॉलेजफुल बनाते हैं । शिव के मन्दिर में जाकर नमन करते हैं परन्तु वह क्या है, कौन हैं, यह कोई नहीं जानते । शिव काशी विश्वनाथ गंगा... बस सिर्फ कहते रहते हैं, अर्थ ज़रा भी नहीं समझते । समझाओ तो कहेंगे तुम हमको क्या समझायेंगे, हम तो वेद-शास्त्र आदि सब पढ़े हुए हैं । तुम बच्चों में नम्बरवार हैं जो यह धारणा करते हैं । कई तो भूल जाते हैं क्योंकि बिल्कुल पत्थरबुद्धि बन गये हैं । तो अभी जो पारसबुद्धि बने हैं उन्हों का काम है औरों को भी पारसबुद्धि बनाना । पत्थरबुद्धि की एक्टिविटी ही ऐसी चलती है क्योंकि हंस-बगुले हुए ना । हंस कभी किसको दु :ख नहीं देते । बगुले दु :ख देते हैं । उन्हें असुर कहा जाता है । पहचान नहीं रहती । बहुत सेन्टर्स पर भी ऐसे विकारी बहुत आ जाते हैं । बहाना बनाते हैं हम पवित्र रहते हैं परन्तु है झूठ । कहा भी जाता है झूठी दुनिया.... । अभी है संगम । कितना फर्क रहता है । जो झूठ बोलते, झूठा काम करते, वही थर्ड ग्रेड बनते हैं । फर्स्ट, सेकण्ड, थर्ड ग्रेड होती है ना । बाप बता सकते हैं - यह थर्ड ग्रेड है ।

बाप समझाते हैं पवित्रता का पूरा सबूत देना है । कई कहते हैं आप दोनों इकट्ठे रहते पवित्र रहते हो-यह तो असम्भव है । लेकिन बच्चों में योगबल न होने कारण इतनी सहज बात भी पूरी रीति समझा नहीं सकते हैं । उनको यह बात कोई नहीं समझाते कि यहाँ हमको भगवान पढ़ाते हैं । वह कहते हैं पवित्र बनने से तुम 21 जन्म स्वर्ग के मालिक बनेंगे । जबरदस्त लॉटरी मिलती है । हमको और ही खुशी होती है । कई बच्चे गन्धर्वी विवाह कर पवित्र रहकर दिखाते हैं । देवी-देवतायें पवित्र हैं ना । अपवित्र से पवित्र तो एक बाप ही बनायेंगे । यह भी समझाया है ज्ञान, भक्ति, वैराग्य । ज्ञान और भक्ति आधा- आधा है फिर भक्ति के बाद है वैराग्य । अभी इस पतित दुनिया में नहीं रहना है, यह कपड़े उतार घर जाना है । 84 का चक्र अभी पूरा हुआ । अभी हम जाते हैं शान्तिधाम । पहली-पहली अल्फ की बात नहीं भूलनी है । यह भी बच्चे समझते हैं यह पुरानी दुनिया खत्म जरूर होनी है । बाप नई दुनिया स्थापन करते हैं । बाप अनेक बार नई दुनिया स्थापन करने आये हैं फिर नर्क का विनाश हो जाता है । नर्क कितना बड़ा है, स्वर्ग कितना छोटा है । नई दुनिया में है एक धर्म । यहाँ तो कितने ढेर धर्म हैं । लिखा हुआ भी है शंकर द्वारा विनाश । अनेक धर्मों का विनाश होता है फिर ब्रह्मा द्वारा एक धर्म की स्थापना होती है । यह धर्म किसने स्थापन किया? ब्रह्मा ने तो नहीं किया! ब्रह्मा ही पतित से फिर पावन बनते हैं । मेरे लिए तो नहीं कहेंगे पतित से पावन । पावन हैं तो लक्ष्मी-नारायण नाम है, पतित हैं तो ब्रह्मा नाम है । ब्रह्मा का दिन, ब्रह्मा की रात । उनको (शिवबाबा को) अनादि क्रियेटर कहा जाता है । आत्मायें तो हैं ही हैं । आत्माओं का क्रियेटर नहीं कहेंगे इसलिए अनादि कहा जाता है । बाप अनादि तो आत्मायें भी अनादि हैं । खेल भी अनादि है । यह अनादि बना बनाया ड्रामा है । स्व आत्मा को सृष्टि चक्र के आदि, मध्य, अन्त के डयुरेशन का ज्ञान मिलता है । यह किसने दिया? बाप ने । तुम 21 जन्म के लिए धणी के बन जाते हो फिर रावण के राज्य में निधन के बन जाते हो । फिर कैरेक्टर्स बिगड़ने लगते हैं । विकार है ना । मनुष्य समझते हैं नर्क-स्वर्ग सब इकट्ठे चलते हैं । अभी तुम बच्चों को कितना क्लीयर समझाया जाता है । अभी तुम गुप्त हो, शास्त्रों में क्या-क्या लिख दिया है । कितना सूत मुंझा हुआ है । बाप को ही बुलाते हैं हम कोई काम के नहीं रहे हैं । आकर पावन बनाकर हमारे कैरेक्टर्स सुधारो । तुम्हारे कितने कैरेक्टर्स सुधरते हैं । कई तो सुधरने के बदले और ही बिगड़ते हैं । चलन से ही मालूम पड़ जाता है । आज हंस कहलाते हैं, कल बगुला बन पड़ते हैं । देरी नहीं लगती है । माया भी बड़ी गुप्त है । यहाँ कुछ देखने में आता थोड़ेही है । बाहर निकलने से दिखाई पड़ता है फिर आश्चर्यवत् सुनन्ती.... भागन्ती हो जाते हैं । इतनी जोर से गिरते जो हडगुड ही टूट जाते हैं । इन्द्रप्रस्थ की बात है । मालूम तो पड़ ही जाता है । ऐसे को फिर सभा में नहीं आना चाहिए । थोड़ा बहुत ज्ञान सुना है तो स्वर्ग में आ ही जाते है । ज्ञान का विनाश नहीं होता है । अभी बाप कहते हैं पुरूषार्थ कर ऊँच पद को पाओ । अगर विकार में गये तो पद भ्रष्ट हो जायेगा । अभी तुम समझते हो यह चक्र कैसे फिरता है । अभी तुम बच्चों की बुद्धि कितनी पलटती है फिर भी माया धोखा जरूर देती है । इच्छा मात्रम अविद्या । कोई इच्छा रखी तो गया । वर्थ नाट ए पेनी बन जाते हैं । अच्छे- अच्छे महारथियों को भी माया किसी न किसी प्रकार से धोखा दे देती है फिर वह दिल पर चढ़ नहीं सकते हैं । कोई तो बच्चे ऐसे होते हैं जो बाप को भी खत्म करने में देरी नहीं करते । परिवार को भी खत्म कर देते हैं । महान् पाप आत्माये हैं । रावण क्या-क्या करा देता है । बहुत नफरत आती है । कितनी डर्टी दुनिया है । इससे कभी दिल नहीं लगानी है । पवित्र बनने की बड़ी हिम्मत चाहिए । विश्व के बादशाही की प्राइज लेने के लिए पवित्रता है मुख्य । पवित्रता पर कितने हंगामें होते हैं । गांधी भी कहते थे हे पतित-पावन आओ । अब बाप कहते हैं हिस्ट्री-जाँग्राफी फिर से रिपीट होती है । सबको वापिस आना ही है, तब तो इकट्ठा जावे । बाप भी तो आये हैं ना-सबको घर ले जाने के लिए । बाप के आने बिगर कोई वापिस जा न सके । अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमोर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1. माया के धोखे से बचने के लिए किसी भी प्रकार की इच्छा नहीं रखनी है । इच्छा मात्रम अविद्या बनना हैं । 

2.विश्व के बादशाही की प्राइज लेने के लिए मुख्य है पवित्रता, इसलिए पवित्र बनने की हिम्मत रखनी है । अपने कैरेक्टर्स सुधारने हैं ।

 

वरदान:-

श्रेष्ठ कर्म द्वारा दिव्य गुण रूपी प्रभू प्रसाद बांटने वाले फरिश्ता सो देवता भव !    

वर्तमान समय चाहे अज्ञानी आत्मायें हैं, चाहे ब्राह्मण आत्मायें हैं, दोनों को आवश्यकता गुणदान की है । तो अब इस विधि को स्वयं में वा ब्राह्मण परिवार में तीव्र बनाओ । ये दिव्य गुण सबसे श्रेष्ठ प्रभू प्रसाद है, इस प्रसाद को खूब बांटों, जैसे स्नेह की निशानी एक दो को टोली खिलाते हो ऐसे दिव्य गुणों की टोली खिलाओ तो इस विधि से फरिश्ता सो देवता बनने का लक्ष्य सहज सबमें प्रत्यक्ष दिखाई देगा |

 

स्लोगन:-   

योग रूपी कवच को पहनकर रखो तो माया रूपी दुश्मन वार नहीं कर सकता |   

 

ओम् शान्ति |