31-12-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
“मीठे
बच्चे - हद के संसार की वाह्यात बातों में अपना टाइम वेस्ट
नहीं करना है,
बुद्धि में सदा रॉयल ख्यालात चलते रहें
” 
प्रश्न:-
कौन-से बच्चे बाप के हर डायरेक्शन को अमल में ला सकते हैं?
उत्तर:-
जो
अन्तर्मुखी हैं,
अपना
शो नहीं है,
रूहानी नशे में रहते हैं,
वही
बाप के हर डायरेक्शन को अमल में ला सकते हैं । तुम्हें मिथ्या
अहंकार कभी नहीं आना चाहिए । अन्दर की बड़ी सफाई हो । आत्मा
बहुत अच्छी हो,
एक
बाप से सच्चा लव हो । कभी लूनपानी अर्थात् खारेपन का संस्कार न
हो,
तब
बाप का हर डायरेक्शन अमल में आयेगा ।
ओम्
शान्ति |
बच्चे सिर्फ याद की यात्रा में ही नहीं बैठे हैं । बच्चों को
यह फ़खुर है कि हम श्रीमत पर अपना परिस्तान स्थापन कर रहे हैं ।
इतना उमंग,
खुशी
रहनी चाहिए । कीचड़पट्टी आदि की सब वाह्यात बातें निकल जानी
चाहिए । बेहद के बाप को देखते ही हुल्लास में आना चाहिए ।
जितना-जितना तुम याद की यात्रा में रहेंगे उतना इम्प्रूवमेंट
आती जायेगी । बाप कहते हैं बच्चों के लिए रूहानी युनिवर्सिटी
होनी चाहिए । तुम्हारी है ही वर्ल्ड स्प्रीचुअल युनिवर्सिटी ।
तो वह युनिवर्सिटी कहाँ हैं?
युनिवर्सिटी खास स्थापन की जाती है । उसके साथ बड़ी रॉयल हॉस्टल
चाहिए । तुम्हारे कितने रॉयल ख्यालात होने चाहिए । बाप को तो
रात-दिन यही ख्यालात रहते हैं-कैसे बच्चों को पढ़ाकर ऊँच
इम्तहान में पास कराये?
जिससे फिर यह विश्व के मालिक बनने वाले हैं । असुल में
तुम्हारी आत्मा शुद्ध सतोप्रधान थी तो शरीर भी कितना सतोप्रधान
सुन्दर था । राजाई भी कितनी ऊँच थी । तुम्हारा हद के संसार की
किचड़पट्टी की बातों में टाइम बहुत वेस्ट होता है । तुम
स्टूडेंट के अन्दर किचड़पट्टी के ख्यालात नहीं होने चाहिए ।
कमेटियाँ आदि तो बहुत अच्छी- अच्छी बनाते हैं । परन्तु योगबल
है नहीं । गपोड़ा बहुत मारते हैं-हम यह करेंगे,
यह
करेंगे । माया भी कहती है हम इनको नाक-कान से पकड़ेंगे । बाप के
साथ लव ही नहीं है । कहा जाता है ना - नर चाहत कुछ और.... तो
माया भी कुछ करने नहीं देती है । माया बहुत ठगने वाली है,
कान
ही काट लेती है । बाप कितना बच्चों को ऊंच बनाते हैं,
डायरेक्शन देते हैं - यह-यह करो । बाबा बड़ी रॉयल-रॉयल बच्चियाँ
भेज देते हैं । कोई-कोई कहते हैं बाबा हम ट्रेनिंग लिए जावे?
तो
बाबा कहते हैं बच्चे,
पहले
तुम अपनी कमियों को तो निकालो । अपने को देखो हमारे में कितने
अवगुण हैं?
अच्छे- अच्छे महारथियों को भी माया एकदम लून-पानी कर देती है ।
ऐसे खारे बच्चे हैं जो बाप को कभी याद भी नहीं करते हैं ।
ज्ञान का
'
ग
'
भी
नहीं जानते । बाहर का शो बहुत है । इसमें तो बड़ा अन्तर्मुख
रहना चाहिए,
परन्तु कइयों की तो ऐसी चलन होती है जैसे अनपढ़ जट लोग होते हैं,
थोड़े-से पैसे हैं तो उसका नशा चढ़ जाता है । यह नहीं समझते कि
अरे,
हम
तो कंगाल हैं । माया समझने नहीं देती है । माया बड़ी जबरदस्त है
। बाबा थोड़ी महिमा करते हैं तो उसमें बड़ा खुश हो जाते हैं ।
बाबा
को रात-दिन यही ख्यालात चलती है कि युनिवर्सिटी बड़ी
फर्स्टक्लास होनी चाहिए,
जहाँ
बच्चे अच्छी रीति पढ़े । तुम जानते हो हम स्वर्ग में जाते हैं
तो खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए ना । यहॉ बाबा किस्म-किस्म का
डोज़ देते हैं,
नशा
चढ़ाते हैं । कोई देवाला निकाला हुआ हो,
उनको
शराब पिला दो तो समझेंगे हम बादशाह हैं । फिर नशा पूरा होने से
वैसे का वैसा बन जाते हैं । अब यह तो है रूहानी नशा । तुम
जानते हो बेहद का बाप टीचर बन हमको पढ़ाते हैं और डायरेक्शन
देते हैं-ऐसे-ऐसे करो । कोई-कोई समय में किसको मिथ्या अहंकार
भी आ जाता है । माया है ना । ऐसी-ऐसी बातें बनाते हैं जो बात
मत पूछो । बाबा समझते हैं यह चल नहीं सकेंगे । अन्दर की बड़ी
सफाई चाहिए । आत्मा बहुत अच्छी चाहिए । तुम्हारी लव मैरेज हुई
है ना । लव मैरेज में कितना प्यार होता है,
यह
तो पतियों का पति हैं । सो भी कितनों की लव मैरेज होती है । एक
की थोड़ेही होती है । सब कहते हैं हमारी तो शिवबाबा के साथ सगाई
हो गई । हम तो स्वर्ग में जाकर बैठेंगे । खुशी की बात है ना ।
अन्दर में आना चाहिए ना बाबा हमको कितना श्रृंगार करते हैं ।
शिवबाबा श्रृंगार करते हैं इन द्वारा । तुम्हारी बुद्धि में है
कि हम बाप को याद करते-करते सतोप्रधान बन जायेंगे । इस नॉलेज
को और कोई जानता ही नहीं । इसमें बड़ा नशा रहता है । अभी अजुन
इतना नशा चढ़ता नहीं है । होना है जरूर । गायन भी है अतीन्द्रिय
सुख गोप-गोपियों से पूछो । अभी तुम्हारी आत्मायें कितनी छी-छी
है । जैसे बहुत छी-छी कीचड़े में बैठी है । उन्हों को बाप आकर
चेंज करते हैं,
रिज्युवनेट करते हैं । मनुष्य ग्लान्स चेंज कराते हैं तो कितनी
खुशी होती है । तुमको तो अब बाप मिला तो बेड़ा ही पार है ।
समझते हो हम बेहद के बाप के बने हैं तो अपने को कितना जल्दी
सुधारना चाहिए । रात-दिन यही खुशी,
यही
चिन्तन रहे-तुमको मार्शल देखो कौन मिला हुआ है! रात-दिन इसी
ख्यालात में रहना होता है । जो-जो अच्छी रीति समझते हैं,
पहचानते हैं,
वह
तो जैसे उड़ने लग पड़ते हैं ।
तुम
बच्चे अभी संगम पर हो । बाकी वह सभी तो गंद में पड़े हैं । जैसे
कीचड़े के किनारे झोपड़ियों लगाकर गंद में बैठे रहते हैं ना ।
कितनी झुग्गियाँ बनी हुई रहती है । यह फिर है बेहद की बात ।
अभी उनसे निकलने की शिवबाबा तुमको बहुत सहज युक्ति बतलाते हैं
। मीठे-मीठे बच्चों तुम जानते हो ना इस समय तुम्हारी आत्मा और
शरीर दोनों ही पतित हैं । अभी तुम निकल आये हो । जो-जो निकलकर
आये हैं उनमें ज्ञान की पराकाष्ठा है ना । तुमको बाप मिला तो
फिर क्या! यह नशा जब चढ़े तब तुम किसको समझा सको । बाप आया हुआ
है । बाप हमारी आत्मा को पवित्र बना देते हैं । आत्मा पवित्र
बनने से फिर शरीर भी फर्स्टक्लास मिलता है । अभी तुम्हारी
आत्मा कहाँ बैठी है?
इस
झुग्गी (शरीर) में बैठी हुई है । तमोप्रधान दुनिया है ना ।
कीचड़े के किनारे पर आकर बैठे हैं ना । विचार करो हम कहाँ से
निकले हैं । बाप ने गन्दे नाले से निकाला है । अब हमारी आत्मा
स्वच्छ बन जायेगी । रहने वाले भी फर्स्टक्लास महल बनायेंगे ।
हमारी आत्मा को बाप श्रृंगार कर स्वर्ग में ले जा रहे हैं ।
अन्दर में ऐसे-ऐसे ख्यालात बच्चों को आने चाहिए । बाप कितना
नशा चढ़ाते हैं । तुम इतना ऊँच थे फिर गिरते- गिरते आकर नीचे
पड़े हो । शिवालय में थे तो आत्मा कितनी शुद्ध थी । तो फिर आपस
में मिलकर जल्दी-जल्दी शिवालय में जाने का उपाय करना चाहिए ।
बाबा
को तो वन्डर लगता है - बच्चों को वह दिमाग नहीं! बाबा हमको
कहाँ से निकालते हैं! पाण्डव गवर्मेन्ट स्थापन करने वाला बाप
है । भारत जो हेविन था सो अब हेल है । आत्मा की बात है । आत्मा
पर ही तरस पड़ता है । एकदम तमोप्रधान दुनिया में आकर आत्मा बैठी
है इसलिए बाप को याद करती है-बाबा,
हमको
वहाँ ले जाओ । यहाँ बैठे भी तुमको यह ख्यालात चलाने चाहिए
इसलिए बाबा कहते हैं बच्चों के लिए फर्स्टक्लास युनिवर्सिटी
बनाओ । कल्प-कल्प बनती है । तुम्हारे ख्यालात बड़े आलीशान होने
चाहिए । अभी वह नशा नहीं चढ़ा हुआ है । नशा हो तो पता नहीं क्या
करके दिखायें । बच्चे युनिवर्सिटी का अर्थ नहीं समझते हैं । उस
रॉयल्टी के नशे में नहीं रहते हैं । माया दबाकर बैठी है । बाबा
समझाते हैं बच्चे अपना उल्टा नशा मत चढ़ाओ । हरेक अपनी- अपनी
क्वालिफिकेशन देखो । हम कैसे पढ़ते हैं,
क्या
मदद करते हैं,
सिर्फ बातों का पकौड़ा नहीं खाना है । जो कहते हो वह करना है ।
गपोड़े नहीं कि यह करेंगे,
यह
करेंगे । आज कहते हैं यह करेंगे,
कल
मौत आया खत्म हो जायेंगे । सतयुग में तो ऐसे नहीं कहेंगे ।
वहाँ कभी अकाले मृत्यु होता नहीं । काल आ नहीं सकता । वह है ही
सुखधाम । सुखधाम में काल के आने का हुक्म नहीं । रावण राज्य और
रामराज्य के भी अर्थ को समझना है । अभी तुम्हारी लड़ाई है ही
रावण से । देह- अभिमान भी कमाल करता है,
जो
बिल्कुल पतित बना देता है । देही- अभिमानी होने से आत्मा शुद्ध
बन जाती है । तुम समझते हो ना वहाँ हमारे कैसे महल बनेंगे ।
अभी तुम तो संगम पर आ गये हो । नम्बरवार सुधर रहे हो,
लायक
बन रहे हो । तुम्हारी आत्मा पतित होने के कारण शरीर भी पतित
मिले हैं । अभी मैं आया हूँ तुमको स्वर्गवासी बनाने । याद के
साथ दैवीगुण भी चाहिए । मासी का घर थोड़ेही है । समझते हैं कि
बाबा आया है हमको नर से नारायण बनाने परन्तु माया का बड़ा गुप्त
मुकाबला है । तुम्हारी लड़ाई है ही गुप्त इसलिए तुमको
अननोन-वारियर्स कहा गया है । अननोन वारियर और कोई होता ही नहीं
। तुम्हारा ही नाम है वारियर्स । और तो सबके नाम रजिस्टर में
है ही । तुम अननोन वारियर्स की निशानी उन्होंने पकड़ी है । तुम
कितने गुप्त हो,
किसको पता नहीं । तुम विश्व पर विजय पा रहे हो
माया को वश करने के लिए । तुम बाप को याद करते हो फिर भी माया
भुला देती है । कल्प-कल्प तुम अपना राज्य स्थापन कर लेते हो ।
तो अननोन वारियर्स तुम हो जो सिर्फ बाप को याद करते हो । इसमें
हाथ-पांव कुछ नहीं चलाते हो । याद के लिए युक्तियाँ भी बाबा
बहुत बतलाते हैं । चलते-फिरते तुम याद की यात्रा करो,
पढ़ाई
भी करो । अभी तुम समझते हो हम क्या थे,
क्या
बन गये हैं । अब फिर बाबा हमको क्या बनाते हैं । कितना सहज
युक्ति बतलाते हैं । कहाँ भी रहते याद करो तो जक उतर जाये ।
कल्प-कल्प यह युक्ति देते रहते हैं । अपने को आत्मा समझ बाप को
याद करो तो सतोप्रधान बनेंगे,
और
कोई भी बंधन नहीं । बाथरूम में जाओ तो भी अपने को आत्मा समझ
बाप को याद करो तो आत्मा का मैल उतर जाये । आत्मा को कोई तिलक
नहीं लगाना होता है,
यह
सब तो भक्ति मार्ग की निशानी है । इस ज्ञान मार्ग में कोई
दरकार नहीं है,
पाई
का खर्चा नहीं । घर बैठे याद करते रहो । कितना सहज है । वह
बाबा हमारा बाप भी है,
टीचर
और गुरू भी है ।
पहले
बाप की याद फिर टीचर की फिर गुरू की,
कायदा ऐसे कहता है । टीचर को तो जरूर याद करेंगे,
उनसे
पढ़ाई का वर्सा मिलता है फिर वानप्रस्थ अवस्था में गुरू मिलता
है । यह बाप तो सब होलसेल में दे देते हैं । तुमको 21 जन्म के
लिए राजाई होलसेल में दे देते हैं । शादी में कन्या को दहेज
गुप्त देते हैं ना । शो करने की दरकार नहीं । कहा जाता है
गुप्त दान । शिवबाबा भी गुप्त है ना,
इसमें अहंकार की कोई बात नहीं । कोई-कोई को अहंकार रहता है कि
सब देखे । यह है सब गुप्त । बाप तुमको विश्व की बादशाही दहेज
में देते हैं । कितना गुप्त तुम्हारा श्रृंगार हो रहा है ।
कितना बड़ा दहेज मिलता है । बाप कैसे युक्ति से देते हैं,
किसको पता नहीं पड़ता । यहाँ तुम बेगर हो,
दूसरे जन्म में गोल्डन सून इन माउथ होगा । तुम गोल्डन दुनिया
में जाते हो ना । वहाँ सब कुछ सोने का होगा । साहूकारों के
महली में अच्छी जड़ित होगी । फर्क तो जरूर रहेगा । यह भी अभी
तुम समझते हो-माया सबको उल्टा लटका देती हैं । अब बाप आया हैं
तो बच्चों में कितना हौसला होना चाहिए । परन्तु माया भुला देती
हैं-बाप का डायरेक्शन हैं या ब्रह्मा का?
भाई
का हैं या बाप का?
इसी
में बहुत मूँझते हैं । बाप कहते हैं अच्छा वा बुरा हो-तुम बाप
का डायरेक्शन ही समझो । उन पर चलना पड़े । इनकी कोई भूल भी हो
जायेगी तो अभुल करा देंगे । उनमें ताकत तो है ना । तुम देखते
हो यह कैसे चलते हैं,
इनके
सिर पर कौन बैठे हैं । एकदम बाजू में बैठे हैं । गुरू लोग बाजू
में बिठाकर सिखलाते हैं ना । तो भी मेहनत इनको करनी होती है ।
तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने में पुरूषार्थ करना पड़ता है ।
बाप
कहते हैं मुझे याद कर भोजन बनाओ । शिवबाबा की याद का भोजन और
किसको मिल न सके । अभी के भोजन का ही गायन है । वह ब्राह्मण
लोग भल स्तुति गाते हैं परन्तु अर्थ कुछ नहीं समझते । जो महिमा
करते हैं,
समझते कुछ नहीं । इतना समझा जाता है कि यह रिलीजस माइन्डेड हैं
क्योंकि पुजारी हैं । वहाँ तो रिलीजस माइन्डेड की बात ही नहीं,
वहाँ
भक्ति होती नहीं । यह भी किसको पता नहीं है- भक्ति क्या चीज़
होती है । कहते थे ज्ञान,
भक्ति,
वैराग्य । कितने फर्स्ट क्लास अक्षर हैं । ज्ञान दिन,
भक्ति रात । फिर रात से वैराग्य तो दिन में जाते हैं । कितना
क्लीयर है । अभी तुम समझ गये हो तो तुमको धक्का नहीं खाना पड़ता
है ।
बाप
कहते हैं मुझे याद करो,
मैं
तुमको विश्व का मालिक बनाता हूँ । मैं तुम्हारा बेहद का बाप
हूँ,
सृष्टि का चक्र जानना भी कितना सहज है । बीज और झाड़ को याद करो
। अभी कलियुग का अन्त है फिर सतयुग आना है । अभी तुम संगमयुग
पर गुल-गुल बनते हो । आत्मा सतोप्रधान बन जायेगी तो फिर रहने
का भी सतोप्रधान महल मिलेगा । दुनिया ही नई बन जाती हैं | तो
बच्चों को कितनी खुशी रहनी चाहिए । अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार
और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
धारणा के
लिए मुख्य सार:-
1.
सदा
फखुर (नशा) रहे कि हम श्रीमत पर अपना परिस्तान स्थापन कर रहे
हैं । वाहयात कीचड़पट्टी की बातों को छोड़ बड़े हुल्लास में रहना
है ।
2.
अपने
ख्यालात बड़े आलीशान रखने हैं । बहुत अच्छी रॉयल युनिवर्सिटी और
हॉस्टल खोलने का प्रबन्ध करना है । बाप का गुप्त मददगार बनना
है,
अपना शो
नहीं करना है ।
वरदान:-
पवित्रता की श्रेष्ठ धारणा द्वारा एक धर्म के संस्कार वाले
समर्थ सम्राट
भव ! 
आपके
स्वराज्य का धर्म अर्थात् धारणा है
''पवित्रता”
। एक धर्म अर्थात् एक धारणा । स्वप्न वा
संकल्प मात्र भी अपवित्रता अर्थात् दूसरा धर्म न हो क्योंकि
जहाँ पवित्रता है वहाँ अपवित्रता अर्थात् व्यर्थ संकल्प वा
विकल्प का नाम-निशान नहीं होगा । ऐसे सम्पूर्ण पवित्रता के
संस्कार भरने वाले ही समर्थ सम्राट हैं । अभी के श्रेष्ठ
संस्कारों के आधार से भविष्य संसार बनता है । अभी के संस्कार
भविष्य संसार का फाउण्डेशन है ।
स्लोगन:-
विजयी
रत्न वही बनते हैं जिनकी सच्ची प्रीत एक परमात्मा से है । 
ओम्
शान्ति |