18-11-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
“मीठे
बच्चे - यदि शिवबाबा का कदर है तो उनकी श्रीमत पर चलते रहो,
श्रीमत पर चलना माना बाप का कदर करना” 
प्रश्न:-
बच्चे बाप से भी बड़े जादूगर हैं - कैसे?
उत्तर:-
ऊंचे
से ऊंचे बाप को अपना बच्चा बना देना,
तन-मन- धन से बाप को वारिस बनाकर वारी जाना-यह बच्चों की
जादूगरी है । जो अभी भगवान को वारिस बनाते हैं वह 21 जन्मों के
लिए वर्से के अधिकारी बन जाते हैं ।
प्रश्न:-
ट्रिब्युनल किन बच्चों के लिए बैठती है?
उत्तर:-
जो
दान की हुई चीज को वापस लेने का संकल्प करते,
माया
के वश हो डिससर्विस करते हैं उन्हीं के लिए ट्रिब्युनल बैठती
हैं ।
ओम्
शान्ति |
रूहानी विचित्र बाप बैठ विचित्र बच्चों को समझाते हैं अर्थात्
दूरदेश का रहने वाला जिसको परमपिता परमात्मा कहा जाता है ।
बहुत-बहुत दूरदेश से आकर इस शरीर द्वारा तुमको पढ़ाते हैं । अब
जो पढ़ते हैं वह पढ़ाने वाले के साथ योग तो ऑटोमेटिकली रखते हैं
। कहना नहीं पड़ता है कि हे बच्चों,
टीचर
से योग रखो वा उनको याद करो । नहीं,
यहाँ
बाप कहते हैं-हे रूहानी बच्चों,
यह
तुम्हारा बाप भी है,
टीचर
भी है,
गुरू
भी है,
इनके
साथ योग रखो अर्थात् बाप को याद करो । यह है विचित्र बाबा ।
तुम घड़ी-घड़ी इनको भूल जाते हो इसलिए कहना पड़ता है । पढ़ाने वाले
को याद करने से तुम्हारे पाप भस्म हो जायेंगे । यह लॉ नहीं
कहता जो टीचर कहे मेरे को देखो,
इसमें तो बड़ा फायदा है । बाप कहते हैं सिर्फ मुझे याद करो । इस
याद के बल से ही तुम्हारे पाप कटने हैं,
इसको
कहा जाता है याद की यात्रा । अब रूहानी विचित्र बाप बच्चों को
देखते हैं । बच्चे भी अपने को आत्मा समझ विचित्र बाप को ही याद
करते हैं । तुम तो घड़ी-घड़ी शरीर में आते हो । मैं तो सारा कल्प
शरीर में आता नहीं हूँ सिर्फ इस संगमयुग पर ही बहुत दूरदेश से
आता हूँ - तुम बच्चों को पढ़ाने । यह अच्छी रीति याद करना है ।
बाबा हमारा बाप,
टीचर
और सतगुरू है । विचित्र है । उनको अपना शरीर नहीं है,
फिर
आते कैसे हैं?
कहते
हैं मुझे प्रकृति का,
मुख
का आधार लेना पड़ता है । मैं तो विचित्र हूँ । तुम सभी चित्र
वाले हो । मुझे रथ तो जरूर चाहिए ना । घोड़े गाड़ी में तो नहीं
आयेंगे ना । बाप कहते हैं मैं इस तन में प्रवेश करता हूँ,
जो
नम्बरवन हैं वही फिर नम्बर लास्ट बनते हैं । जो सतोप्रधान थे
वही तमोप्रधान बनते हैं । तो उन्हों को ही फिर सतोप्रधान बनाने
के लिए बाप पढ़ाते हैं । समझाते हैं इस रावणराज्य में 5 विकारों
पर जीत पाकर जगतजीत तुम बच्चों को बनना है । बच्चों यह याद
रखना है कि हमको विचित्र बाप पढ़ाते हैं । बाप को याद नहीं
करेंगे तो पाप भस्म कैसे होंगे । यह बातें भी सिर्फ अभी
संगमयुग पर ही सुनते हो । एक बार जो कुछ होता है फिर कल्प बाद
वही रिपीट होगा । कितनी अच्छी समझानी है । इसमें बहुत विशाल
बुद्धि चाहिए । यह कोई साधू-सन्त आदि का सतसंग नहीं है । उनको
बाप भी कहते हो तो बच्चा भी कहते हो । तुम जानते हो यह हमारा
बाप भी है,
बच्चा भी है । हम सब कुछ इस बच्चे को वर्सा देकर और बाप से 21
जन्मों के लिए वर्सा लेते हैं । कीचड़पट्टी सब देकर बाप से हम
विश्व की बादशाही लेते हैं । कहते हैं बाबा हमने भक्तिमार्ग
में कहा था कि जब आप आयेंगे तो हम आप पर तन-मन- धन सहित वारी
जायेंगे । लौकिक बाप भी बच्चों पर वारी जाते हैं ना । तो यहाँ
तुमको यह कैसा विचित्र बाप मिला है,
उनको
याद करो तो तुम्हारे पाप भस्म हों और अपने घर चले जायेंगे ।
कितनी लम्बी मुसाफिरी है । बाप आते देखो कहाँ हैं! पुराने रावण
राज्य में । कहते हैं मेरी तकदीर में पावन शरीर मिलना है नहीं
। पतितों को पावन बनाने कैसे आऊं । हमको पतित दुनिया में ही
आकर सबको पावन बनाना पड़ता है । तो ऐसे टीचर का कदर भी रखना
चाहिए ना । बहुत हैं जो कदर जानते ही नहीं । यह भी ड्रामा में
होना ही है । राजधानी में तो सब चाहिए ना-नम्बरवार । तो सब
प्रकार के यहॉ ही बनते हैं । कम दर्जा पाने वाले का यह हाल
होगा । न पढ़ेंगे,
न
बाप की याद में रहेंगे । यह बहुत ही विचित्र बाप है ना,
इनकी
चलन भी अलौकिक है । इनका पार्ट और कोई को मिल न सके । यह बाप
आकर तुमको कितनी ऊंच पढ़ाई पढ़ाते हैं,
तो
उसका कदर भी रखना चाहिए । उनकी श्रीमत पर चलना चाहिए । परन्तु
माया घड़ी-घड़ी भुला देती है । माया इतनी जबरदस्त है जो अच्छे-
अच्छे बच्चों को गिरा देती है । बाप कितना धनवान बनाते है
परन्तु माया एकदम माथा मूड़ लेती है । माया से बचना है तो बाप
को जरूर याद करना पड़े । बहुत अच्छे बच्चे हैं जो बाप का बनकर
फिर माया के बन जाते हैं,
बात
मत पूछो,
पक्के ट्रेटर बन जाते हैं । माया एकदम नाक से पकड़ लेती है ।
अक्षर भी है ना-गज को ग्राह ने खाया । परन्तु उसका अर्थ कोई
नहीं समझते हैं । बाप हर बात अच्छी रीति समझाते हैं । कई बच्चे
समझते भी हैं परन्तु नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार | कोई को तो
जरा भी धारणा नहीं होती । बहुत ऊंची पढ़ाई है ना । तो उनकी
धारणा कर नहीं सकते । बाप कहेंगे इनकी तकदीर में राज्य- भाग्य
नहीं है । कोई अक के फूल हैं,
कोई
खूशबूदार फूल हैं । वैराइटी बगीचा है ना । ऐसे भी तो चाहिए ना
। राजधानी में तुमको नौकर-चाकर भी मिलेंगे । नहीं तो नौकर-चाकर
कैसे मिलेंगे । राजाई यहाँ ही बनती है । नौकर,
चाकर,
चण्डाल आदि सब मिलेंगे । यह राजधानी स्थापन हो रही है । वन्डर
है । बाप तुमको इतना ऊंच बनाते हैं तो ऐसे बाप को याद करते
प्रेम के आंसू बहने चाहिए ।
तुम
माला के दाने बनते हो ना । कहते हैं बाबा आप कितने विचित्र हो
। कैसे आकर हम पतितों को आप पावन बनाने के लिए पढ़ाते हो ।
भक्ति मार्ग में भल शिव की पूजा करते हैं परन्तु समझते थोड़ेही
हैं कि यह पतित-पावन है फिर भी पुकारते रहते हैं-हे पतित-पावन
आओ,
आकर
हमको गुल-गुल देवी-देवता बनाओ । बच्चों के फरमान को बाप मानते
हैं और जब आते हैं तो कहते हैं-बच्चे,
पवित्र बनो । इस पर ही हंगामे होते हैं । बाप वन्डरफुल है ना ।
बच्चों को कहते हैं मुझे याद करो तो पाप कटें । बाप जानते हैं
हम आत्माओं से बात करते हैं । सब कुछ आत्मा ही करती है,
विकर्म आत्मा ही करती है । आत्मा ही शरीर द्वारा भोगती है ।
तुम्हारे लिए तो ट्रिब्युनल बैठेगी । खास उन बच्चों के लिए जो
सर्विस लायक बनकर फिर ट्रेटर बन जाते हैं । यह तो बाप ही जानते
हैं,
कैसे
माया हप कर लेती है । बाबा हमने हार खा ली,
काला
मुँह कर लिया...... अब क्षमा करो । अब गिरा और माया का बना फिर
क्षमा काहे की । उनको तो फिर बहुत-बहुत मेहनत करनी पड़े । बहुत
हैं जो माया से हार जाते हैं । बाप कहते हैं-यहाँ बाप पास दान
देकर जाओ फिर वापस नहीं लेना । नहीं तो खलास हो जायेगा ।
हरिश्चन्द्र का मिसाल है ना । दान देकर फिर बहुत खबरदार रहना
है । फिर ले लिया तो सौगुणा दण्ड पड़ जाता है । फिर बहुत हल्का
पद पा लेंगे । बच्चे जानते हैं यह राजधानी स्थापन हो रही है ।
और जो धर्म स्थापन करते हैं,
उन्हों की पहले राजाई नहीं चलती । राजाई तो तब हो जब 50
- 60 करोड़ हों,
तब
लश्कर बने । शुरू में तो आते ही हैं एक-दो,
फिर
वृद्धि को पाते हैं । तुम जानते हो क्राइस्ट भी कोई वेष में
आयेंगे । बेगर रूप में पहला नम्बर वाला फिर जरूर लास्ट नम्बर
में होगा । क्रिश्चियन लोग झट कहेंगे बराबर क्राइस्ट इस समय
बेगर रूप में है । समझते हैं पुनर्जन्म तो लेना ही है ।
तमोप्रधान तो जरूर हरेक को बनना है । इस समय सारी दुनिया
तमोप्रधान जड़-जड़ीभूत है । इस पुरानी दुनिया का विनाश जरूर होना
है । क्रिश्चियन लोग भी कहेंगे क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले
हेविन था फिर जरूर अब होगा । परन्तु यह बातें समझावे कौन । बाप
कहते हैं अभी वह अवस्था बच्चों की कहाँ है । घड़ी-घड़ी लिखते हैं
हम योग में नहीं रह सकते । बच्चों की एक्टिविटी से समझ जाते
हैं । बाबा को समाचार देने से भी डरते हैं । बाप तो बच्चों को
कितना प्यार करते हैं । प्यार से नमस्ते करते हैं । बच्चों में
तो अहंकार रहता है । अच्छे- अच्छे बच्चों को माया भुला देती है
। बाबा समझ सकते हैं,
कहते
हैं मैं नॉलेजफुल हूँ । जानी- जाननहार का मतलब यह नहीं कि मैं
सबके अन्दर को जानता हूँ । मैं आया ही हूँ पढ़ाने ना कि रीड
करने । मैं किसको रीड नहीं करता हूँ,
तो
यह साकार भी रीड नहीं करता है । इनको सब कुछ भूलना है । रीड
फिर क्या करेंगे । तुम यहाँ आते ही हो पढ़ने । भक्ति मार्ग ही
अलग है । यह भी गिरने का उपाय चाहिए ना । इन बातों से ही तुम
गिरते हो । यह ड्रामा का खेल बना हुआ है । भक्ति मार्ग के
शास्त्र पढ़ते-पढ़ते तुम नीचे उतरते तमोप्रधान बनते हो । अभी
तुमको इस छी-छी दुनिया में बिल्कुल रहना नहीं है । कलियुग से
फिर सतयुग आना है । अभी है यह संगमयुग । यह सब बातें धारण करनी
है । बाप ही समझाते हैं बाकी तो सारी दुनिया की बुद्धि पर
गॉडरेज का ताला लगा हुआ है । तुम समझते हो यह दैवीगुण वाले थे
वही फिर आसुरी गुण वाले बने हैं । बाप समझाते हैं अब भक्ति
मार्ग की बातें सब भूल जाओ । अब मैं जो सुनाता हूँ,
वह
सुनो,
हियर
नो ईविल..... अब मुझ एक से सुनो । अभी मैं तुमको तारने आया हूँ
।
तुम
हो ईश्वरीय सम्प्रदाय। प्रजापिता ब्रह्मा के मुख कमल से तुम
पैदा हुए हो ना,
इतने
सब एडाप्टेड बच्चे हैं । उनको आदि देव कहा जाता है । महावीर भी
कहते हैं । तुम बच्चे महावीर हो ना-जो योगबल से माया पर जीत
पाते हो । बाप को कहा जाता है ज्ञान का सागर । ज्ञान सागर बाप
तुमको अविनाशी ज्ञान रत्नों की थालियां भरकर देते हैं । तुमको
मालामाल बनाते हैं । जो ज्ञान धारण करते हैं वह ऊंच पद पाते
हैं,
जो
धारणा नहीं करते तो जरूर कम पद पायेंगे । बाप से तुम कारून का
खजाना पाते हो । अल्लाह अवलदीन की भी कथा है ना । तुम जानते हो
वहाँ हमको कोई अप्राप्त वस्तु नहीं रहती । 21 जन्मों के लिए
वर्सा बाप दे देते हैं । बेहद का बाप बेहद का वर्सा देते हैं ।
हद का वर्सा मिलते हुए भी बेहद के बाप को याद जरूर करते हैं-हे
परमात्मा रहम करो,
कृपा
करो । यह किसको पता थोड़ेही है वह क्या देने वाला है । अभी तुम
समझते हो बाबा तो हमको विश्व का मालिक बनाते हैं । चित्रों में
भी है ब्रह्मा द्वारा स्थापना,
ब्रह्मा सामने बैठे हैं साधारण । स्थापना करेंगे तो जरूर उनको
ही बनायेंगे ना । बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं । तुम पूरा
समझा नहीं सकते हो । भक्ति मार्ग में शंकर के आगे जाकर कहते
हैं - भर दो झोली । आत्मा बोलती है हम कंगाल हैं । हमारी झोली
भरो,
हमको
ऐसा बनाओ । अभी तुम झोली भरने आये हो । कहते हैं हम तो नर से
नारायण बनना चाहते हैं । यह पढ़ाई ही नर से नारायण बनने की है ।
पुरानी दुनिया में आने की दिल किसकी होगी! परन्तु नई दुनिया
में तो सब नहीं आयेंगे । कोई 25 परसेन्ट पुरानी में आयेंगे ।
कुछ कमी तो पड़ेगी ना । थोड़ा भी किसको मैसेज देते रहेंगे तो तुम
स्वर्ग के मालिक जरूर बनेंगे । अभी नर्क के मालिक भी सब है ना
। राजा,
रानी,
प्रजा सब नर्क के मालिक हैं । वहाँ थे डबल सिरताज । अभी वह
नहीं है । आजकल तो धर्म आदि को कोई मानते नहीं । देवी-देवता
धर्म ही खत्म हो गया है । गाया जाता है रिलीजन इज माइट,
धर्म
को न मानने कारण ताकत नहीं रही है । बाप समझाते हैं-मीठे-मीठे
बच्चों,
तुम
ही पूज्य से पुजारी बनते हो । 84 जन्म लेते हो ना । हम सो
ब्राह्मण,
सो
देवता फिर हम सो क्षत्रिय...... बुद्धि में यह सारा चक्र आता
है ना । यह 84 का चक्र हम लगाते ही रहते हैं अब फिर वापस घर
जाना है । पतित कोई जा न सके । आत्मा ही पतित अथवा पावन बनती
है । सोने में खाद पड़ती है ना । जेवर में नहीं पड़ती,
यह
है ज्ञान अग्नि जिससे सारी खाद निकल तुम पक्का सोना बन जायेंगे
फिर जेवर भी तुमको अच्छा मिलेगा । अभी आत्मा पतित है तो पावन
के आगे नमन करते हैं । करती तो सब कुछ आत्मा है ना । अब बाप
समझाते हैं-बच्चे,
सिर्फ मामेकम याद करो तो बेड़ा पार हो जाए । पवित्र बन पवित्र
दुनिया में चले जायेंगे । अब जो जितना पुरूषार्थ करेंगे । सबको
यही परिचय देते रहो । वह है हद का बाप,
यह
है बेहद का बाप । संगम पर ही बाप आते हैं स्वर्ग का वर्सा देने
। तो ऐसे बाप को याद करना पडे ना । टीचर को कब स्टूडेंट भूलते
हैं क्या! परन्तु यहाँ माया भुलाती रहेगी । बड़ा खबरदार रहना है
। युद्ध का मैदान है ना । बाप कहते हैं अब विकार में मत जाओ,
गन्दे नहीं बनो । अब तो स्वर्ग में चलना है । पवित्र बनकर ही
पवित्र नई दुनिया के मालिक बनेंगे । तुमको विश्व की बादशाही
देता हूँ | कम बात है क्या । सिर्फ यह एक जन्म पवित्र बनो । अब
पवित्र नहीं बनेंगे तो नीचे गिर जायेंगे । टैम्पटेशन बहुत है ।
काम पर जीत पाने से तुम जगत के मालिक बनेगे । तुम साफ कह सकते
हो परमपिता परमात्मा ही जगतगुरू है जो सारे जगत को सद्गति देते
हैं । अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार
और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
धारणा के
लिए मुख्य सार:-
1.
अविनाशी
ज्ञान रत्नों से बुद्धि रूपी झोली भरकर मालामाल बनना है । किसी
भी प्रकार का अहंकार नहीं दिखाना है ।
2.
सर्विस
लायक बनकर फिर कभी ट्रेटर बन डिससर्विस नहीं करनी है । दान
देने के बाद बहुत-बहुत खबरदार रहना है,
कभी वापस लेने का ख्याल न आये ।
वरदान:-
सब
कुछ तेरा-तेरा कर मेरे पन के अंश मात्र को भी समाप्त करने वाले
डबल लाइट
भव ! 
किसी
भी प्रकार का मेरापन - मेरा स्वभाव,
मेरा
संस्कार,
मेरी
नेचर.... कुछ भी मेरा है तो बोझ है और बोझ वाला उड़ नहीं सकता ।
यह मेरा-मेरा ही मैला बनाने वाला है इसलिए अब तेरा-तेरा कह
स्वच्छ बनो । फरिश्ता माना ही मेरेपन का अंशमात्र नहीं ।
संकल्प में भी मेरेपन का भान आये तो समझो मैला हुआ । तो इस
मैलेपन के बोझ को समाप्त कर,
डबल
लाइट बनो ।
स्लोगन:-
जहान के
नूर वह हैं जो बापदादा को अपने नयनों में समाने वाले हैं । 
ओम्
शान्ति |