28-11-13
प्रातः मुरली ओम् शान्ति
“बापदादा” मधुबन
“मीठे
बच्चे
–
देह-अभिमान है रुलाने वाला, देही-अभिमानी बनो तो पुरुषार्थ ठीक
होगा, दिल में सच्चाई रहेगी, बाप को पूरा फ़ालो कर सकेंगे”
प्रश्न:-
किसी भी परिस्थिति वा आपदा में स्थिति निर्भय वा एकरस कब रह
सकती है?
उत्तर:-
जब ड्रामा के ज्ञान में
पूरा-पूरा निश्चय हो | कोई भी आफत सामने आई तो कहेंगे यह ड्रामा में थी | कल्प पहले
भी इसे पार किया था, इसमें डरने की बात ही नहीं | परन्तु बच्चों को महावीर बनना है
| जो बाप के पूरे मददगार सपूत बच्चे हैं, बाप की दिल पर चढ़े हुए हैं, ऐसे बच्चे ही
सदा स्थिर रहते, अवस्था एकरस रहती है |
गीत:-
ओ दूर के मुसफ़िर.....

ओम्
शान्ति |
जब विनाश का समय होता है तो कुछ बच तो जाते ही हैं, राम की
सेना या रावण की सेना दोनों से बचते ज़रूर हैं | तो रावण की
सेना चिल्लाती है | एक तो हम साथ नहीं गये और फिर पिछाड़ी में
बहुत तकलीफ़ होती है क्योंकि त्राहि-त्राहि बहुत होती है | तुम
बच्चों में भी अनन्य जो हैं वही लायक होंगे विनाश देखने के |
वही हिम्मत वाले होंगे | जैसे अंगद के लिए बतलाते हैं कि वह
स्थिर रहा ना | विनाश सिवाए तुम बच्चों के और कोई देख न सके |
त्राहि-त्राहि ऐसी होती है, जैसे आपरेशन होने के समय कोई खड़े
नहीं हो सकते हैं | यह तुम सामने देखते रहेंगे | हाहाकार होता
रहेगा | जो अच्छे अनन्य बच्चे, बाबा के मददगार सपूत बच्चे हैं,
वह दिल पर चढ़े हुए हैं | हनूमान कोई एक नहीं था | सब हनूमान,
महावीरों की ही माला है | रुद्राक्ष माला होती है ना | रूद्र
भगवान् की भी माला है उसका नाम ही है रूद्र माला | रुद्राक्ष
एक बहुत कीमती बीज होता है | रुद्राक्ष में भी कोई रीयल, कोई
आर्टिफिशल होते हैं, वही माला 100 रूपये की भी मिलेगी, वही
माला दो रूपये की भी मिलेगी | हरेक चीज़ ऐसे है | बाप हीरे जैसा
बनाते हैं, उसकी भेंट में सब आर्टिफिशल ठहरे | सच परमात्मा के
आगे सब झूठे वर्थ नाट ए पेनी हैं | एक कहावत है ना – सूर्य के
आगे अन्धेरा कभी छिप नहीं सकता | अब यह है ज्ञान सूर्य, उनके
आगे अज्ञान कभी छिप नहीं सकता | तुमको सच्चे बाप द्वारा सच मिल
रहा है | तुम जानते हो सच्चे ईश्वर बाप के लिए मनुष्य जो बोलते
हैं वह झूठ बोलते हैं |
अभी तुम समझा हो गीता का भगवान् शिव है, न कि दैवी गुणों वाला
देवता श्रीकृष्ण | अभी है संगमयुग, फिर सतयुग ज़रूर होगा |
श्रीकृष्ण की आत्मा अभी ज्ञान ले रही है | मनुष्य फिर समझते
हैं ज्ञान दे रही है | कितना फ़र्क हो गया है | वह बाप, वह
बच्चा | बाप को एकदम गुम कर दिया है और बच्चे का नाम डाल दिया
है | आगे चलकर आखिर सच निकल पड़ेगा | पहली मुख्य बात है ही इस
पर | सर्वव्यापी क्यों समझा है? क्योंकि गीता में कृष्ण का नाम
डाल दिया है | इन बातों को तुम जानते हो | श्रीकृष्ण अथवा
देवी-देवताओं की जो आत्मायें हैं उन्होंने 84 जन्म पूरे लिए
हैं | गाया भी जाता है आत्मा परमात्मा अलग रहे
बहुकाल........हम ही सबसे पहले बिछुड़े हैं | बाकी सब आत्मायें
तो बाबा के साथ वहाँ रहती हैं | इसका अर्थ कोई नहीं समझते |
तुम्हारे में भी कोई बिरले हैं जो यथार्थ रीति समझा सकते हैं |
देह-अभिमान ही बहुत रुलाता है | देही-अभिमानी ही ठीक पुरुषार्थ
करेंगे तो धारणा भी अच्छी रीति हो सकती है इसलिए कहा जाता है
फ़ालो फादर | एक्ट में भी फादर आते हैं | फादर तो दोनों हो जाते
हैं | यह कौन-सा फादर कहते हैं, सो तुमको थोड़ेही पता पड़ता है
क्योंकि बाप-दादा दोनों इस शरीर में हैं | एक जो एक्ट में आते
हैं, उसे फ़ालो किया जाता है | बाप समझाते हैं – बच्चे,
देही-अभिमानी बनो | बहुत अच्छे बच्चे भी देह-अभिमानी हैं
क्योंकि बाबा को याद नहीं करते | जो योगी नहीं, वह धारणा नहीं
कर सकते | यहाँ तो सच्चाई चाहिए | पूरा फ़ालो करना चाहिए | जो
सुनते हो वह धारण कर समझाते रहो | निर्भय रहना है | ड्रामा पर
खड़े रहना है | कोई भी आफतें आदि आती हैं तो समझते हैं यह
ड्रामा में है | तकलीफ़ पास तो की है ना | तुम सब महावीर हो ना
| तुम्हारा नाम बाला है | 8 बहुत अच्छे महावीर हैं, 108 उनसे
कम हैं, 16 हज़ार उनसे कम | बनना तो जरुर है | यह बादशाही कल्प
पहले भी स्थापन हुई है सो होनी है | बहुत संशय में आकर छोड़ भी
देते हैं | निश्चय हो तो ऐसे बाप को फ़ारकती थोड़ेही दे सकते हैं
| जोर करके ज्ञान अमृत पिलाया जाता है तो भी पीते नहीं, जैसे
छोटा बच्चा होता है ना | बाप ज्ञान दूध पिलाते हैं तो भी पीते
नहीं हैं, एकदम मुँह फेर लेते हैं तो बिल्कुल निकम्मे बन जाते
हैं | कह देते हैं हमको मात-पिता से कुछ भी नहीं चाहिए, मैं
श्रीमत पर नहीं चल सकता हूँ तो श्रेष्ठ फिर कैसे बनेंगे?
भगवान् की है श्रीमत | तो यह भी एक स्लोगन लिख देना चाहिए कि
निराकार ज्ञान सागर पतित-पावन भगवान् शिवाचार्य वाच – माता
स्वर्ग का द्वार है | समझाने के लिए बुद्धि में प्वाइन्ट्स आनी
चाहिए | स्टूडेंट ज़रूर सब नम्बरवार होंगे | ड्रामा में वही
अपना-अपना पार्ट बजा रहे हैं | दुःख में हम उनको याद करते हैं
| दूर देश में बाप रहते हैं, उनको हम आत्मायें याद करती हैं |
दुःख में सिमरण सब करें, सुख में एक भी नहीं करते हैं | अभी तो
दुःख की दुनिया है ना | यह समझाना बहुत सहज है | पहले-पहले तो
समझाना है कि बाप है स्वर्ग की स्थापना करने वाला, तो क्यों
नहीं हमको स्वर्ग की बादशाही मिलनी चाहिए | यह भी जानते हैं सब
तो वर्सा नहीं पायेंगे | सब स्वर्ग में आ जायें तो फिर नर्क हो
ही नहीं | वृद्धि कैसे हो?
यह
तो गाया हुआ है – भारत अविनाशी खण्ड अर्थात् अविनाशी बाप का
बर्थ प्लेस है | भारत ही स्वर्ग था | हम ख़ुशी से बोलते हैं – 5
हज़ार वर्ष पहले स्वर्ग था | बरोबर स्वर्ग के मालिकों के चित्र
तो हैं ना | कहते भी हैं क्राइस्ट से 3 हज़ार वर्ष पहले भारत
हेविन था | ज़रूर भारत में ही सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी थे | चित्र
भी उनके हैं | कितना सहज है | बुद्धि में यह नॉलेज चलती है |
बाबा की आत्मा में यह नॉलेज थी तो हम आत्माओं को भी धारणा कराई
है | वह है ही नॉलेजफुल | फिर कहते भी हैं कि इस प्रजापिता
ब्रह्मा द्वारा राजयोग सिखलाता हूँ जिससे वह राजाओं का राजा बन
जाते हैं | फिर यह नॉलेज प्रायः लोप हो जायेगी | अब ज्ञान फिर
से तुमको मिल रहा है | तो अब तुम बच्चों को चैलेन्ज देनी है |
इसमें बड़ी अच्छी फर्स्टक्लास बुद्धि चाहिए | बाबा अपने पास कभी
भी ऊँची वस्तु नहीं रखते | कहेंगे इतने मकान आदि बनाये हैं, वह
भी बच्चों के रहने के लिए बनाये हैं | नहीं तो बच्चे कहाँ आकर
रहेंगे | एक दिन तो सब मकान अपने हाथ आ जायेंगे | भगवान् के दर
पर भक्तों की भीड़ तो होनी ही है ना | उन्हों ने तो बहुत भगवान्
बना दिये हैं | प्रैक्टिकल में तो यह है ना | तुम समझते हो
कितनी भीड़ होगी | दुनिया में तो बहुत अन्धश्रद्धा है | मेले
लगते हैं तो कितनी भीड़ हो जाती है | कभी-कभी तो आपस में लड़
पड़ते हैं | भीड़ में फिर कितने मर पड़ते हैं | बहुत नुकसान हो
जाता है | तो यह स्वदर्शन चक्र बहुत अच्छा है | स्लोगन भी ज़रूर
लिख देना चाहिए | पिछाड़ी में माताओं के आगे सभी को झुकना है |
शक्तियों के ऐसे चित्र बनाते हैं | बाप बच्चों के लिए ज्ञान
बारूद बनवाते हैं | कहते हैं सिद्ध करो | वह तो सहज है | भक्त
भगवान् को याद करते हैं, साधू साधना करते हैं – भगवान् से
मिलने लिए | गॉड को फादर कहा जाता है | बरोबर हम उनकी सन्तान
ठहरे | ब्रदरहुड कहते हैं ना | चीनी-हिन्दू भाई-भाई हैं | तो
बाप एक हुआ ना | जिस्मानी रूप में फिर बहन-भाई हो जाते हैं,
विकारी दृष्टि हो न सके | यह युक्ति है पवित्र रहने की | बाप
भी कहते हैं – काम महाशत्रु है | परन्तु जब कोई समझे | मुख्य
एक बात है – भगवान् सबका बाप है | बाप स्वर्ग की स्थापना करने
वाला है तो ज़रूर बाप से वर्सा मिलना चाहिए | वर्सा था, अब
गँवाया है | यह सुख-दुःख का खेल है | यह अच्छी रीति से समझाना
चाहिए | अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार
और गुडमॉर्निंग | रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते |
धारणा
के लिए मुख्य सार:-
1) सच्चाई
को धारण कर बाप की हर एक्ट को फ़ालो करना है | ज्ञान अमृत पीना
और पिलाना है | निर्भय बनना है |
2) हम
भगवान् के बच्चे आपस में भाई-भाई हैं – इस स्मृति से अपनी
दृष्टि-वृत्ति को पवित्र बनाना है |
वरदान:-
दिव्य बुद्धि के वरदान द्वारा अपने रजिस्टर को बेदाग़ रखने वाले
कर्मों की गति के ज्ञाता भव

ब्राह्मण जन्म लेते ही हर बच्चे को दिव्य बुद्धि का वरदान
मिलता है | इस दिव्य बुद्धि पर किसी भी समस्या का, संग का वा
मनमत का प्रभाव न पड़े तब रजिस्टर बेदाग़ रह सकता है | लेकिन यदि
समय पर दिव्य बुद्धि काम नहीं करती तो रजिस्टर में दाग़ लग जाता
है, इसलिए कहा जाता है कर्मों की लीला अति गुह्य है | दुनिया
वाले तो हर क़दम में कर्मों को कूटते हैं लेकिन आप कर्मों की
गति के ज्ञाता बच्चे कभी कर्म कूट नहीं सकते | आप तो कहेंगे
वाह मेरे श्रेष्ठ कर्म |
स्लोगन:-
पवित्रता की गहन धारणा से ही अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति होती
है |

ओम्
शान्ति
|