10-11-14
प्रातः मुरली ओम्
शान्ति “बापदादा” मधुबन
“मीठे
बच्चे -
तुम्हें
अब टीचर बन सबको मन वशीकरण मन्त्र सुनाना है,
यह तुम सब बच्चों की ड्यूटी है” 
प्रश्न:-
बाबा
किन बच्चों का कुछ भी स्वीकार नहीं करते हैं?
उत्तर:-
जिन्हें अहंकार है मैं इतना देता हूँ,
मैं
इतनी मदद कर सकता हूँ,
बाबा
उनका कुछ भी स्वीकार नहीं करते । बाबा कहते मेरे हाथ में चाबी
है । चाहे तो मैं किसी को गरीब बनाऊं,
चाहे
किसको साहूकार बनाऊं । यह भी ड्रामा में राज है । जिन्हें आज
अपनी साहूकारी का घमण्ड है वह कल गरीब बन जाते और गरीब बच्चे
बाप के कार्य में अपनी पाई-पाई सफल कर साहूकार बन जाते हैं ।
ओम्
शान्ति |
यह
तो रूहानी बच्चे जानते हैं कि बाप आये हैं हमको नई दुनिया का
वर्सा देने । यह तो बच्चों को पक्का है ना कि जितना हम बाप को
याद करेंगे उतना पवित्र बनेंगे । जितना हम अच्छा टीचर बनेंगे
उतना ऊंच पद पायेंगे । बाप तुम्हें टीचर के रूप में पढ़ाना
सिखाते हैं तुमको फिर औरों को सिखाना है । तुम पढ़ाने वाले टीचर
जरूर बनते हो बाकी तुम कोई का गुरू नहीं बन सकते हो,
सिर्फ टीचर बन सकते हो । गुरू तो एक सतगुरू ही है वह सिखलाते
हैं । सर्व का सतगुरू एक ही है । वह टीचर बनाते हैं । तुम सबको
टीच करके रास्ता बताते रहते हो मनमनाभव का । बाप ने तुम्हारे
पर यह ड्यूटी रखी है कि मुझे याद करो और फिर टीचर भी बनो । तुम
कोई को बाप का परिचय देते हो तो उनका भी फर्ज है बाप को याद
करना । टीचर रूप में सृष्टि चक्र की नॉलेज देनी पड़ती है । बाप
को जरूर याद करना पड़े । बाप की याद से ही पाप मिट जाने हैं ।
बच्चे जानते हैं हम पाप आत्मा हैं,
इसलिए बाप सबको कहते हैं अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो
तुम्हारे पाप मिट जायेंगे । बाप ही पतित-पावन है । युक्ति
बताते हैं-मीठे बच्चे,
तुम्हारी आत्मा पतित बनी हैं,
जिस
कारण शरीर भी पतित बना है । पहले तुम पवित्र थे,
अभी
तुम अपवित्र बने हो । अब पतित से पावन होने की युक्ति तो बहुत
सहज समझाते हैं । बाप को याद करो तो तुम पवित्र बन जायेंगे ।
उठते,
बैठते,
चलते
बाप को याद करो । वो लोग गंगा स्नान करते हैं तो गंगा को याद
करते हैं । समझते हैं वह पतित-पावनी है । गंगा को याद करने से
पावन बन जाना है । परन्तु बाप कहते हैं कोई भी पावन बन नहीं
सकते हैं । पानी से कैसे पावन बनेंगे । बाप कहते हैं मैं
पतित-पावन हूं । हे बच्चों,
देह
सहित देह के सब धर्म छोड़ मुझे याद करने से तुम पावन बन फिर से
अपने घर मुक्तिधाम पहुँच जायेंगे । सारा कल्प घर को भूले हो ।
बाप को सारा कल्प कोई जानता ही नहीं है । एक ही बार बाप खुद
आकर अपना परिचय देते हैं-इस मुख द्वारा । इस मुख की कितनी
महिमा है । गऊमुख कहते हैं ना । वह गऊ तो जानवर है,
यह
है मनुष्य की बात ।
तुम
जानते हो यह बड़ी माता है । जिस माता द्वारा शिवबाबा तुम सबको
एडाप्ट करते हैं । तुम अभी बाबा-बाबा कहने लगे हो । बाप भी
कहते हैं इस याद की यात्रा से ही तुम्हारे पाप कटने हैं ।
बच्चे को बाप याद पड़ जाता है ना । उसकी शक्ल आदि दिल में बैठ
जाती है । तुम बच्चे जानते हो जैसे हम आत्मा हैं वैसे वह परम
आत्मा है । शक्ल में और कोई फर्क नहीं है । शरीर के सम्बन्ध
में तो फीचर्स आदि अलग हैं,
बाकी
आत्मा तो एक जैसी ही है । जैसे हमारी आत्मा वैसे बाप भी परम
आत्मा है । तुम बच्चे जानते हो-बाप परमधाम में रहते हैं,
हम
भी परमधाम में रहते हैं । बाप की आत्मा और हमारी आत्मा में और
कोई फर्क हैं नहीं । वह भी बिन्दी हैं,
हम
भी बिन्दी हैं । यह ज्ञान और कोई को है नहीं । तुमको ही बाप ने
बताया है । बाप के लिए भी क्या-क्या कह देते हैं । सर्वव्यापी
हैं,
पत्थर ठिक्कर में हैं,
जिसको जो आता है वह कह देते हैं । ड्रामा प्लैन अनुसार भक्ति
मार्ग में बाप के नाम,
रूप,
देश,
काल
को भूल जाते हैं । तुम भी भूल जाते हो । आत्मा अपने बाप को भूल
जाती है । बच्चा बाप को भूल जाता है तो बाकी क्या जानेंगे ।
गोया निधनके हो गये । धनी को याद ही नहीं करते हैं । धनी के
पार्ट को ही नहीं जानते हैं । अपने को भी भूल जाते हैं । तुम
अच्छी रीति जानते हो-बरोबर हम भूल गये थे । हम पहले ऐसे
देवी-देवता थे,
अब
जानवर से भी बदतर हो गये हैं । मुख्य तो हम अपनी आत्मा को भी
भूले हुए हैं । अब रियलाइज कौन करावे । कोई भी जीव आत्मा को यह
पता नहीं होगा कि हम आत्मा क्या हैं,
कैसे
सारा पार्ट बजाते हैं?
हम
सब भाई- भाई हैं-यह ज्ञान और कोई में नहीं है । इस समय सारी
सृष्टि ही तमोप्रधान बन चुकी है । ज्ञान नहीं है । तुम्हारे
में अब ज्ञान है,
बुद्धि में आया हम आत्मा इतना समय अपने बाप की ग्लानि करते आये
हैं । ग्लानि करने से बाप से दूर होते जाते हैं । सीढ़ी नीचे
उतरते गये हैं ड्रामा प्लैन अनुसार । मूल बात हो जाती है बाप
को याद करने की । बाप और कोई तकलीफ नहीं देते हैं । बच्चों को
सिर्फ बाप को याद करने की तकलीफ है । बाप कभी बच्चों को कोई
तकलीफ दे सकते हैं क्या! लॉ नहीं कहता । बाप कहते हैं मैं कोई
भी तकलीफ नहीं देता हूँ । कुछ भी प्रश्न आदि पूछते हैं,
कहता
हूँ इन बातों में टाइम वेस्ट क्यों करते हो?
बाप
को याद करो । मैं आया ही हूँ तुमको ले जाने,
इसलिए तुम बच्चों को याद की यात्रा से पावन बनना है । बस मैं
ही पतित-पावन बाप हूँ । बाप युक्ति बताते हैं-कहॉ भी जाओ बाप
को याद करना है ।
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के चक्र का राज़ भी बाप ने समझा दिया है । अब अपनी जांच करनी
है-कहाँ तक हम बाप को याद करते हैं । बस और कोई तरफ का विचार
नहीं करना है । यह तो मोस्ट इजी है । बाप को याद करना है ।
बच्चा थोड़ा बड़ा होता है तो ऑटोमेटिकली माँ-बाप को याद करने लग
पड़ता है । तुम भी समझो हम आत्मा बाप के बच्चे हैं,
याद
क्यों करना पड़ता है! क्योंकि हमारे ऊपर जो पाप चढ़े हुए हैं,
वह
इस याद से ही खत्म होंगे इसलिए गायन भी है एक सेकण्ड में
जीवनमुक्ति । जीवनमुक्ति का मदार पढ़ाई पर है और मुक्ति का मदार
याद पर है । जितना तुम बाप को याद करेंगे और पढ़ाई पर ध्यान
देंगे तो ऊंच नम्बर में मर्तबा पायेंगे । धन्धा आदि तो भल करते
रहो,
बाप
कोई मना नहीं करते । धन्धा आदि जो तुम करते हो-वह भी दिन-रात
याद रहता है ना । तो अब बाप यह रूहानी धन्धा देते हैं- अपने को
आत्मा समझ मुझे याद करो और
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के चक्र को याद करो । मुझे याद करने से ही तुम सतोप्रधान
बनेंगे । यह भी समझते हो,
अभी
पुराना चोला है फिर सतोप्रधान नया चोला मिलेगा । अपने पास
बुद्धि में तन्त रखना है,
जिससे बहुत फायदा होना है । जैसे स्कूल में सब्जेक्ट तो बहुत
होते हैं फिर भी इंगलिश पर मार्क अच्छी होती है क्योंकि इंगलिश
है मुख्य भाषा । उन्हों का पहले राज्य था इसलिए वह जास्ती चलती
है । अभी भी भारतवासी कर्जदार है । भल कोई कितने भी धनवान हैं
परन्तु बुद्धि में यह तो है ना कि हमारे राज्य के जो हेड्स हैं,
वह
कर्जदार है । गोया हम भारतवासी कर्जदार हैं । प्रजा जरूर कहेगी
ना हम कर्जदार हैं । यह भी समझ चाहिए ना । जबकि तुम राजाई
स्थापन कर रहे हो । तुम जानते हो हम सभी इन सब कर्जों से छूटकर
सालवेन्ट बनते हैं फिर आधाकल्प हम कोई से भी कर्जा उठाने वाले
नहीं है । कर्जदार पतित दुनिया के मालिक हैं । अभी हम कर्जदार
भी हैं,
पतित
दुनिया के मालिक भी हैं । हमारा भारत ऐसा है-गाते हैं ना ।
तुम
बच्चे जानते हो हम बहुत साहूकार थे । परीजादे,
परीजादियां थे । यह याद रहता है । हम ऐसे विश्व के मालिक थे ।
अभी बिल्कुल कर्जदार और पतित बन पड़े हैं । यह खेल की रिजल्ट
बाप बतला रहे हैं । रिजल्ट क्या हुई है । तुम बच्चों को स्मृति
आई है । सतयुग में हम कितने साहूकार थे,
किसने तुमको साहूकार बनाया?
बच्चे कहेंगे-बाबा,
आपने
हमको कितना साहूकार बनाया था । एक बाप ही साहूकार बनाने वाला
है । दुनिया इन बातों को नहीं जानती । लाखों वर्ष कह देने से
सब भूल गये हैं,
कुछ
नहीं जानते हैं । तुम अभी सब कुछ जान गये हो । हम पदमापदम
साहूकार थे । बहुत पवित्र थे,
बहुत
सुखी थे । वहाँ झूठ पाप आदि कुछ होता नहीं । सारे विश्व पर
तुम्हारी जीत थी । गायन भी है शिवबाबा आप जो देते हो वह और कोई
दे नहीं सकता । कोई की ताकत नहीं जो आधाकल्प का सुख दे सके ।
बाप कहते हैं भक्ति मार्ग में भी तुमको बहुत सुख अथाह धन रहता
है । कितने हीरे जवाहर थे जो फिर पिछाड़ी वालों के हाथ में आते
हैं । अभी तो वह चीज ही देखने में नहीं आती है । तुम फर्क
देखते हो ना । तुम ही पूज्य देवी-देवता थे फिर तुम ही पुजारी
बने हो । आपेही पूज्य,
आपेही पुजारी । बाप कोई पुजारी नहीं बनते हैं परन्तु पुजारी
दुनिया में तो आते हैं ना । बाप तो एवर पूज्य है । वह कभी
पुजारी होते नहीं,
उनका
धन्धा है तुमको पुजारी से पूज्य बनाना । रावण का काम है तुमको
पुजारी बनाना । यह दुनिया में किसको पता नहीं है । तुम भी भूल
जाते हो । रोज़-रोज़ बाप समझाते रहते हैं । बाप के हाथ में
है-किसको चाहे साहूकार बनाये,
चाहे
गरीब बनाये । बाप कहते हैं जो साहूकार हैं उन्हों को गरीब जरूर
बनना है,
बनेंगे ही । उन्हों का पार्ट ऐसा है । वह कभी ठहर न सके ।
धनवान को अहंकार भी बहुत रहता है ना-मैं फलाना हूँ,
यह-यह हमको है । घमण्ड तोड़ने लिए बाबा कहते हैं-यह जब आयेंगे
देने के लिए तो बाबा कहेंगे दरकार नहीं है । यह अपने पास रखो ।
जब जरूरत होगी तो फिर ले लेंगे क्योंकि देखते हैं-काम का नहीं
है,
अपना
घमण्ड है । तो यह सब बाबा के हाथ में हैं ना-लेना वा न लेना ।
बाबा पैसे क्या करेंगे,
दरकार नहीं । यह तो तुम बच्चों के लिए मकान बन रहे हैं,
आकरके बाबा से मिलकर ही जाना है । सदैव तो रहना नहीं है । पैसे
की क्या दरकार रहेगी । कोई लश्कर वा तोपे आदि तो नहीं चाहिए ।
तुम विश्व के मालिक बनते हो । अभी युद्ध के मैदान में हो,
तुम
और कुछ भी नहीं करते हो सिवाए बाप को याद करने के । बाप ने
फरमान किया है मुझे याद करो तो इतनी शक्ति मिलेगी । यह
तुम्हारा धर्म बहुत सुख देने वाला है । बाप है सर्वशक्तिमान् ।
तुम उनके बनते हो,
सारा
मदार याद की यात्रा पर है । यहाँ तुम सुनते हो फिर उस पर मंथन
चलता है । जैसे गाय खाना खाकर फिर उगारती है,
मुख
चलता ही रहता है । तुम बच्चों को भी कहते हैं ज्ञान की बातों
पर खूब विचार करो । बाबा से हम क्या पूछे । बाप तो कहते हैं
मनमनाभव,
जिससे ही तुम सतोप्रधान बनते हो । यह एम ऑबजेक्ट सामने है ।
तुम
जानते हो - सर्वगुण सम्पन्न,
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कला
सम्पन्न बनना है । यह ऑटोमेटिकली अन्दर में आना चाहिए । कोई की
ग्लानि वा पाप कर्म आदि कुछ भी न हो । कोई भी तुमको उल्टा कर्म
नहीं करना चाहिए । नम्बरवन हैं यह देवी-देवतायें । पुरूषार्थ
से ऊँच पद पाया है ना । उन्हों के लिए गाया जाता है अहिंसा
परमो देवी-देवता धर्म । किसको मारना यह हिंसा हुई ना । बाप
समझाते हैं तो फिर बच्चों को अन्तर्मुख हो अपने को देखना है-हम
कैसे बने हैं?
बाबा
को हम याद करते हैं?
कितना समय हम याद करते हैं?
इतनी
दिल लग जाए जो यह याद कभी भूले ही नहीं । अब बेहद का बाप कहते
हैं तुम आत्मायें मेरी सन्तान हो । सो भी तुम अनादि सन्तान हो
। वह जो आशिक-माशूक होते हैं उन्हों की है जिस्मानी याद । जैसे
साक्षात्कार होता है फिर गुम हो जाते हैं वैसे वह भी सामने आ
जाते हैं । उस खुशी में ही खाते पीते याद करते रहते हैं ।
तुम्हारी इस याद में तो बहुत बल है । एक बाप को ही याद करते
रहेंगे । और तुमको फिर अपना भविष्य याद आयेगा । विनाश का
साक्षात्कार भी होगा । आगे चल जल्दी-जल्दी विनाश का
साक्षात्कार होगा । फिर तुम कह सकेंगे कि अभी विनाश होना है ।
बाप को याद करो । बाबा ने यह सब कुछ छोड़ दिया ना । कुछ भी
पिछाड़ी में याद न आये । अभी तो हम अपनी राजधानी में चले । नई
दुनिया में जरूर जाना है । योगबल से सब पापों को भस्म करना है,
इसमें ही बड़ी मेहनत करनी है । घड़ी-घड़ी बाप को भूल जाते हैं
क्योंकि यह बड़ी महीन चीज है । मिसाल जो देते हैं सर्प का,
भ्रमरी का,
वह
सब इस समय के हैं । भ्रमरी कमाल करती है ना । उनसे तुम्हारी
कमाल जास्ती है । बाबा लिखते हैं ना-ज्ञान की भूँ- भूँ करते
रहो । आखरीन जाग पड़ेंगे । जायेंगे कहाँ । तुम्हारे पास ही आते
जायेंगे । एड होते जायेंगे । तुम्हारा नामाचार होता जायेगा ।
अभी तो तुम थोड़े हो ना । अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार
और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
धारणा के
लिए मुख्य सार:-
1.
ज्ञान
का खूब विचार सागर मंथन करना है । जो सुना है उसे उगारना है ।
अन्तर्मुख हो देखना है कि बाप से ऐसी दिल लगी हुई है जो वह कभी
भूले ही नहीं ।
2.
कोई भी
प्रश्न आदि पूछने में अपना टाइम वेस्ट न कर याद की यात्रा से
स्वयं को पावन बनाना है । अन्त समय में एक बाप की याद के सिवाए
और कोई भी विचार न आये-यह अभ्यास अभी से करना है ।
वरदान:-
बाप
समान रहमदिल बन सबको क्षमा कर स्नेह देने वाले मास्टर दाता
भव !
जैसे
बाप को रहमदिल,
मर्सीफुल कहते हैं,
ऐसे
आप बच्चे भी मास्टर रहमदिल हो । जो रहमदिल हैं वही कल्याण कर
सकते हैं,
अकल्याण करने वाले को भी क्षमा कर सकते हैं । वह मास्टर स्नेह
के सागर होते हैं,
उनके
पास स्नेह के बिना और कुछ है ही नहीं । वर्तमान समय सम्पत्ति
से भी ज्यादा स्नेह की आवश्यकता हैं इसलिए मास्टर दाता बन सबको
स्नेह देते चलो । कोई भी खाली हाथ न जाये ।
स्लोगन:-
तीव्र
पुरुषार्थी बनने की चाहना हो तो जहाँ चाह है वहाँ राह मिल
जायेगी । 
ओम्
शान्ति |