02-05-15
प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन
“मीठे
बच्चे - तुम्हें खिवैया मिला है इस पार से उस पार ले जाने के
लिए,
तुम्हारे पैर अब इस पुरानी दुनिया पर नहीं हैं,
तुम्हारा लंगर उठ चुका है
|” 
प्रश्न:-
जादूगर बाप की वन्डरफुल जादूगरी कौन-सी है जो दूसरा कोई नहीं
कर सकता?
उत्तर:-
कौड़ी
तुल्य आत्मा को हीरे तुल्य बना देना,
बागवान बनकर काँटों को फूल बना देना - यह बहुत वन्डरफुल
जादूगरी है जो एक जादूगर बाप ही करता है,
दूसरा कोई नहीं। मनुष्य पैसा कमाने के लिए सिर्फ जादूगर कहलाते
हैं,
लेकिन बाप जैसा जादू नहीं कर सकते हैं।
ओम्
शान्ति।
सारे
सृष्टि चक्र वा ड्रामा में बाप एक ही बार आते हैं। और कोई
सतसंग आदि में ऐसे नहीं समझते होंगे। न वह कथा करने वाला बाप
है,
न वह
बच्चे हैं। वह तो वास्तव में फालोअर्स भी नहीं हैं। यहाँ तो
तुम बच्चे भी हो,
स्टूडेन्ट भी हो और फालोअर्स भी हो। बाप बच्चों को साथ में ले
जायेंगे। बाबा जायेंगे तो फिर बच्चे भी इस छी-छी दुनिया से
अपनी गुल-गुल दुनिया में चलकर राज्य करेंगे। यह तुम बच्चों की
बुद्धि में आना चाहिए। इस शरीर के अन्दर जो रहने वाली आत्मा है
वह बहुत खुश होती है। तुम्हारी आत्मा बहुत खुश होनी चाहिए।
बेहद का बाप आया हुआ है जो सभी का बाप है,
यह
भी सिर्फ तुम बच्चों को समझ है। बाकी सारी दुनिया में तो सब
बेसमझ ही हैं। बाप बैठ समझाते हैं रावण ने तुमको कितना बेसमझ
बना दिया है। बाप आकर समझदार बनाते हैं। सारे विश्व पर राज्य
करने लायक,
इतना
समझदार बनाते हैं। यह स्टूडेन्ट लाइफ भी एक ही बार होती है,
जबकि
भगवान आकर पढ़ाते हैं। तुम्हारी बुद्धि में यह है,
बाकी
जो अपने धन्धे धोरी आदि में फँसे हुए बहुत रहते हैं,
उनको
कभी यह बुद्धि में आ न सके कि भगवान पढ़ाते हैं। उन्हें तो अपना
धन्धा आदि ही याद रहता है। तो तुम बच्चे जबकि जानते हो भगवान
हमको पढ़ाते हैं तो कितना हार्षित रहना चाहिए और तो सब हैं पाई-
पैसे वालों के बच्चे,
तुम
तो भगवान के बच्चे बने हो,
तो
तुम बच्चों को अथाह खुशी रहनी चाहिए। कोई तो बहुत हार्षित रहते
हैं। कोई कहते हैं बाबा हमारी मुरली नहीं चलती,
यह
होता......। अरे,
मुरली कोई मुश्किल थोड़ेही है। जैसे भक्ति मार्ग में साधू-सन्त
आदि से कोई पूछते हैं-हम ईश्वर से कैसे मिलें?
परन्तु वह जानते नहीं। सिर्फ अंगुली से इशारा करेंगे कि भगवान
को याद करो। बस,
खुश
हो जाते हैं। वह कौन है-दुनिया में कोई भी नहीं जानते। अपने
बाप को कोई भी नहीं जानते। यह ड्रामा ही ऐसा बना हुआ है,
फिर
भी भूल जायेंगे। ऐसे नहीं कि तुम्हारे में सभी बाप और रचना को
जानते हैं। कहाँ-कहाँ तो चलन ऐसी चलते हैं,
बात
मत पूछो। वह नशा ही उड़ जाता है। अभी तुम बच्चों का पैर पुरानी
दुनिया पर जैसेकि है नहीं। तुम जानते हो कलियुगी दुनिया से अब
पैर उठ गया है,
बोट
(नांव) का लंगर उठाया हुआ है। अभी हम जा रहे हैं,
बाप
हमको कहाँ ले जायेंगे यह बुद्धि में है क्योंकि बाप खिवैया भी
है तो बागवान भी है। काँटों को फूल बनाते हैं। उन जैसा बागवान
कोई है नहीं जो काँटों को फूल बना दे। यह जादूगरी कोई कम
थोड़ेही है। कौड़ी तुल्य आत्मा को हीरे तुल्य बनाते हैं। आजकल
जादूगर बहुत निकले हैं,
यह
है ठगों की दुनिया। बाप है सतगुरू। कहते भी हैं सतगुरू अकाल।
बहुत धुन से कहते हैं। अब जबकि खुद कहते हैं सतगुरू एक है,
सर्व
का सद्गति दाता एक है,
फिर
अपने को गुरू क्यों कहलाना चाहिए?
न वह
समझते हैं,
न
लोग ही कुछ समझते हैं। इस पुरानी दुनिया में रखा ही क्या है।
बच्चों को जब मालूम होता है,
बाबा
नया घर बना रहे हैं तो ऐसा कौन होगा जो नये घर से नफरत,
पुराने घर से प्रीत रखेंगे। बुद्धि में नया घर ही याद रहता है।
तुम बेहद बाप के बच्चे बने हो तो तुम्हें स्मृति रहनी चाहिए कि
बाप हमारे लिए न्यु वर्ल्ड बना रहे हैं। हम उस न्यु वर्ल्ड में
जाते हैं। उस न्यु वर्ल्ड के अनेक नाम हैं। सतयुग,
हेविन,
पैराडाइज,
वैकुण्ठ आदि...... तुम्हारी बुद्धि अब पुरानी दुनिया से उठ गई
है क्योंकि पुरानी दुनिया में दु:ख ही दु:ख है। इसका नाम ही है
हेल,
काँटों का जंगल,
रौरव
नर्क,
कंसपुरी। इनका अर्थ भी कोई नहीं जानते। पत्थरबुद्धि हैं ना।
भारत का देखो हाल क्या है। बाप कहते हैं इस समय सब पत्थरबुद्धि
हैं। सतयुग में सब हैं पारसबुद्धि,
यथा
राजा रानी तथा प्रजा। यहाँ तो है ही प्रजा का प्रजा पर राज्य
इसलिए सबकी स्टैम्प बनाते रहते हैं।
तुम
बच्चों की बुद्धि में यह याद रहना चाहिए। ऊंच ते ऊंच है बाप।
फिर सेकेण्ड नम्बर में ऊंच कौन है?
ब्रह्मा,
विष्णु,
शंकर
की तो कोई ऊंचाई नहीं है। शंकर की तो पहरवाइस आदि ही कैसी बना
दी है। कह देते हैं वह भांग पीते,
धतूरा खाते....... यह तो इनसल्ट है ना। यह बातें होती नहीं। यह
अपने धर्म को ही भूले हुए हैं। अपने देवताओं के लिए क्या- क्या
कहते रहते हैं,
कितनी बेइज्जती करते हैं! तब बाप कहते हैं मेरी भी बेइज्जती,
शंकर
की,
ब्रह्मा की भी बेइज्जती। विष्णु की बेइज्जती नहीं होती। वास्तव
में गुप्त उनकी भी करते हैं,
क्योंकि विष्णु ही राधे-कृष्ण हैं। अब कृष्ण छोटा बच्चा तो
महात्मा से भी ऊंच गाया जाता है। यह (ब्रह्मा) तो पीछे सन्यास
करते हैं,
वह
तो छोटा बच्चा है ही पवित्र। पाप आदि को जानते नहीं। तो ऊंच ते
ऊंच है शिवबाबा,
फिर
भी बिचारों को पता नहीं है कि प्रजापिता ब्रह्मा कहाँ होना
चाहिए। प्रजापिता ब्रह्मा को दिखाते भी शरीरधारी हैं। अजमेर
में उनका मन्दिर है। दाढ़ी मूँछ देते हैं ब्रह्मा को,
शंकर
वा विष्णु को नहीं देते। तो यह समझ की बात है। प्रजापिता
ब्रह्मा सूक्ष्मवतन में कैसे होगा! वह तो यहाँ होना चाहिए। इस
समय ब्रह्मा की कितनी सन्तान हैं?
लिखा
हुआ है प्रजापिता ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ इतने ढेर हैं तो जरूर
प्रजापिता ब्रह्मा होगा। चैतन्य है तो जरूर कुछ करते होंगे।
क्या प्रजापिता ब्रह्मा सिर्फ बच्चे ही पैदा करते हैं या और भी
कुछ करते हैं। भल आदि देव ब्रह्मा,
आदि
देवी सरस्वती कहते हैं परन्तु उनका पार्ट क्या है,
यह
किसको भी पता नहीं है। रचता है तो जरूर यहाँ होकर गया होगा।
जरूर ब्राह्मणों को शिवबाबा ने एडाप्ट किया होगा। नहीं तो
ब्रह्मा कहाँ से आये?
यह
नई बातें हैं ना। जब तक बाप नहीं आया है तब तक कोई जान नहीं
सकते। जिसका जो पार्ट है वही बजाते हैं। बुद्ध ने क्या पार्ट
बजाया,
कब
आया,
क्या
आकर किया - कोई नहीं जानते। तुम अभी जानते हो क्या वह गुरू है,
टीचर
है,
बाप
है?
नहीं। सद्गति तो दे न सके। वह तो सिर्फ अपने धर्म के रचता ठहरे,
गुरू
नहीं। बाप बच्चों को रचते हैं। फिर पढ़ाते हैं। बाप,
टीचर,
गुरू
तीनों ही हैं। दूसरे कोई को थोड़ेही कहेंगे कि तुम पढ़ाओ। और कोई
के पास यह नॉलेज है ही नहीं। बेहद का बाप ही ज्ञान का सागर है।
तो जरूर ज्ञान सुनायेंगे। बाप ने ही स्वर्ग का राज्य-भाग्य
दिया था। अभी फिर से दे रहे हैं। बाप कहते हैं तुम फिर से 5
हजार वर्ष बाद आकर मिले हो। बच्चों को अन्दर में खुशी है जिसको
सारी दुनिया ढूँढ रही है,
वह
हमें मिल गया। बाबा कहते हैं बच्चे तुम 5 हजार वर्ष के बाद फिर
से आकर मिले हो। बच्चे कहते-हाँ बाबा,
हम
आपको अनेक बार मिले हैं। भल कितना भी कोई तुमको मारे-पीटे
अन्दर में तो वह खुशी है ना। शिवबाबा के मिलने की याद तो है
ना। याद से ही कितने पाप कटते हैं। अबलाओं,
बांधेलियों के तो और ही जास्ती कटते हैं क्योंकि वह जास्ती
शिवबाबा को याद करती हैं। अत्याचार होते हैं तो बुद्धि शिवबाबा
की तरफ चली जाती है। शिवबाबा रक्षा करो। तो याद करना अच्छा है
ना। भले रोज मार खाओ,
शिवबाबा को याद करेंगी,
यह
तो भलाई है ना। ऐसे मार पर तो बलिहार जाना चाहिए। मार पड़ती है
तो याद करते हैं। कहते हैं गंगा जल मुख में हो,
गंगा
का तट हो,
तब
प्राण तन से निकलें। तुमको जब मार मिलती है,
बुद्धि में अल्फ और बे याद हो। बस। बाबा कहने से वर्सा जरूर
याद आयेगा। ऐसा कोई भी नहीं होगा,
जिसको बाबा कहने से वर्सा याद न पड़े। बाप के साथ मिलकियत जरूर
याद आयेगी। तुमको भी शिवबाबा के साथ वर्सा जरूर याद आयेगा। वह
तो तुमको विष के लिए (विकार के लिए ) मार देकर शिवबाबा की याद
दिलाते हैं। तुम बाप से वर्सा पाते हो,
पाप
कट जाते हैं। यह भी ड्रामा में तुम्हारे लिए गुप्त कल्याण है।
जैसे कहा जाता है लड़ाई कल्याणकारी है तो यह मार भी अच्छी हुई
ना।
आजकल
बच्चों का प्रदर्शनी मेलों की सर्विस पर जोर है। नव निर्माण
प्रदर्शनी के साथ-साथ लिख दो गेट वे टू हेविन। दोनों अक्षर
होने चाहिए। नई दुनिया कैसे स्थापन होती है,
उनका
एग्जीवीशन है तो मनुष्यों को सुनकर खुशी होगी। नई दुनिया कैसे
स्थापन होती है,
उनके
लिए यह चित्र बनाये हैं। आकर देखो। गेट वे टू न्यु वर्ल्ड,
यह
अक्षर भी ठीक है। यह जो लड़ाई है इनके द्वारा गेट्स खुलते हैं।
गीता में भी है भगवान आया था,
आकर
राजयोग सिखाया था। मनुष्य से देवता बनाया तो जरूर नई दुनिया
स्थापन हुई होगी। मनुष्य कितना कोशिश करते हैं मून (चांद) में
जाने की। देखते हैं धरती ही धरती है। मनुष्य कुछ भी देखने में
नहीं आते। इतना सुनाते हैं। इससे फायदा ही क्या! अभी तुम रीयल
साइलेन्स में जाते हो ना। अशरीरी बनते हो। वो है साइलेन्स
वर्ल्ड। तुम मौत चाहते हो,
शरीर
छोड़ जाना चाहते हो। बाप को भी मौत के लिए ही बुलाते हो कि आकर
अपने साथ मुक्ति-जीवनमुक्ति में ले जाओ। परन्तु समझते थोड़ेही
हैं,
पतित-पावन आयेंगे तो जैसे हम कालों के काल को बुलाते हैं। अभी
तुम समझते हो,
बाबा
आया हुआ है,
कहते
हैं चलो घर और हम घर जाते हैं। बुद्धि काम करती है ना। यहाँ कई
बच्चे होंगे जिनकी बुद्धि धन्धे आदि तरफ दौड़ती होगी। फलाना
बीमार है,
क्या
हुआ होगा। अनेक प्रकार के संकल्प आ जाते हैं। बाप कहते हैं तुम
यहाँ बैठे हो,
आत्मा की बुद्धि बाप और वर्से तरफ रहे। आत्मा ही याद करती है
ना। समझो कोई का बच्चा लण्डन में है,
समाचार आया बीमार है। बस,
बुद्धि चली जायेगी। फिर ज्ञान बुद्धि में बैठ न सके। यहाँ बैठे
हुए बुद्धि में उनकी याद आती रहेगी। कोई का पति बीमार हो गया
तो स्त्री के अन्दर उथल-पाथल होगी। बुद्धि जाती तो है ना। तो
तुम भी यहाँ बैठे सब कुछ करते शिवबाबा को याद करते रहो। तो भी
अहो सौभाग्य। जैसे वह पति को अथवा गुरू को याद करते हैं,
तुम
बाप को याद करो। तुम्हें अपना एक मिनट भी वेस्ट नहीं करना
चाहिए। बाप को जितना याद करेंगे तो सर्विस करने में भी बाप ही
याद आयेगा। बाबा ने कहा है मेरे भक्तों को समझाओ। यह किसने कहा?
शिवबाबा ने। कृष्ण के भक्तों को क्या समझायेंगे?
उनको
कहो कृष्ण नई दुनिया स्थापन कर रहे हैं। मानेंगे?
क्रियेटर तो गॉड फादर है,
कृष्ण थोड़ेही है। परमपिता परमात्मा ही पुरानी दुनिया को नई बना
रहे हैं,
यह
मानेंगे भी। नई सो पुरानी,
पुरानी सो फिर नई होती है। सिर्फ टाइम बहुत दे देने से मनुष्य
घोर अन्धियारे में हैं। तुम्हारे लिए तो अब हथेली पर बहिश्त
है। बाप कहते हैं मैं तुमको उस स्वर्ग का मालिक बनाने आया हूँ।
बनेंगे?
वाह,
क्यों नहीं बनेंगे! अच्छा,
मुझे
याद करो,
पवित्र बनो। याद से ही पाप भस्म हो जायेंगे। तुम बच्चे जानते
हो विकर्मों का बोझ आत्मा पर है,
न कि
शरीर पर। अगर शरीर पर बोझा होता तो जब शरीर को जला देते हैं तो
उसके साथ पाप भी जल जाते। आत्मा तो है ही अविनाशी,
उसमें सिर्फ खाद पड़ती है। जिनको निकालने के लिए बाप एक ही
युक्ति बतलाते हैं कि याद करो। पतित से पावन बनने की युक्ति
कैसी अच्छी है। मन्दिर बनाने वाले,
शिव
की पूजा करने वाले भी भक्त हैं ना। पुजारी को कभी पूज्य कह न
सकें। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार
और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के
लिए मुख्य सार :-
1)
जिसे
सारी दुनिया ढूँढ रही है,
वह बाबा हमें मिल गया - इसी खुशी में रहना है। याद से ही पाप
कटते हैं इसलिए किसी भी परिस्थिति में बाप और वर्से को याद
करना है। एक मिनट भी अपना समय वेस्ट नहीं करना है।
2)
इस
पुरानी दुनिया से बुद्धि का लंगर उठा देना है। बाबा हमारे लिये
नया घर बना रहे हैं,
यह है रौरव नर्क,
कंस पुरी,
हम जाते हैं वैकुण्ठपुरी में। सदा इस स्मृति में रहना है।
वरदान:-
सर्व
खजानों को स्व के प्रति और औरों के प्रति यूज करने वाले अखण्ड
महादानी भव! 
जैसे
बाप का भण्डारा सदा चलता रहता है,
रोज
देते हैं ऐसे आपका भी अखण्ड लंगर चलता रहे क्योंकि आपके पास
ज्ञान का,
शक्तियों का,
खुशियों का भरपूर भण्डारा है। इसे साथ में रखने वा यूज करने
में कोई भी खतरा नहीं है। यह भण्डारा खुला होगा तो चोर नहीं
आयेगा। बंद रखेंगे तो चोर आ जायेंगे इसलिए रोज अपने मिले हुए
खजानों को देखो और स्व के प्रति और औरों के प्रति यूज करो तो
अखण्ड महादानी बन जायेंगे।
स्लोगन:-
सुने
हुए को मनन करो,
मनन करने से ही शक्तिशाली बनेंगे। 