28-12-14
प्रातःमुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त
बापदादा”
रिवाइज
31-12-98
मधुबन
“हिम्मत के आधार पर स्वयं को मेहनत मुक्त बन
सदा विजयी अनुभव करो”
आज
नव युग रचता बापदादा अपने अति स्नेही,
सदा
सहयोगी और अति समीप बच्चों को नव युग,
नव
जीवन और नव वर्ष की मुबारक देने आये हैं । चारों ओर के बच्चे
अति स्नेह से बापदादा को दिल में सम्मुख रख मुबारक ले रहे हैं
। बापदादा बच्चों के नव वर्ष के उमंग-उत्साह को देख हर्षित हो
रहे हैं । मैंजारिटी बच्चे चाहे दूर बैठे हैं,
चाहे
समीप बैठे हैं सभी के मन में यही उमंग-उत्साह है कि इस वर्ष
में नवीनता करके ही दिखायेंगे । चाहे स्व के परिवर्तन में,
चाहे
सेवा की सफलता में,
चाहे
हर आत्मा को शुभ भावना,
शुभ
कामना द्वारा परिवर्तित करने में उमंग भी अच्छा है,
उत्साह भी बहुत अच्छा है । साथ- साथ हिम्मत भी
यथा शक्ति है । बापदादा ऐसे हिम्मत वाले बच्चों को एक संकल्प
के पीछे पदमगुणा मदद अवश्य देते हैं । इसलिए हिम्मत से सदा आगे
बढ़ते चलो । कभी भी स्व प्रति वा अन्य आत्माओं के प्रति हिम्मत
को कम नहीं करना क्योंकि यह नव युग है ही हिम्मत रखने से उड़ने
का युग,
वरदानी युग,
पुरुषोत्तम युग,
डायरेक्ट विधाता द्वारा सर्व शक्तियां वर्से में सहज प्राप्त
होने का युग,
इसलिए इस युग के महत्व को सदा स्मृति में रखो । कोई भी कार्य
आरम्भ करते हो चाहे स्व पुरुषार्थ,
चाहे
विश्व सेवा,
सदा
हिम्मत और बापदादा की मदद द्वारा निश्चय है ही कि स्व
पुरुषार्थ में वा सेवा में सफलता हुई पड़ी हैं । होना ही है ।
असम्भव,
सम्भव होना ही है क्योंकि यह युग सफलता का युग है । असम्भव,
सम्भव होने का युग है । इसलिए होगा या नहीं होगा,
कैसे
होगा,
इसका
क्वेश्चन इस युग में आप ब्राह्मण आत्माओं के लिए है ही नहीं ।
ब्राह्मणों की जन्म पत्री में है सफलता उसका जन्म सिद्ध अधिकार
है । अधिकारी आत्माओं को यह सोचने की आवश्यकता नहीं है,
वर्सा मिलना ही है ।
तो
नये वर्ष में यह विशेष स्मृति इमर्ज करो कि सब तरफ से सफलता
मुझ श्रेष्ठ बाह्मण आत्मा का अधिकार है ही । इस निश्चय से,
रूहानी नशे से उड़ते चलो । (अभिमानी नशा नहीं,
रूहानी नशा) निश्चय बुद्धि सदा हर कार्य में विजयी है ही है ।
ऐसे निश्चय बुद्धि ब्राह्मण आत्मा के मस्तक पर विजय के तकदीर
की लकीर सदा है ही है । विजय का तिलक सदा ही मस्तक पर चमक रहा
है । इसलिए इस वर्ष को सदा विजयी वर्ष अनुभव करते चलो । ऐसा
निश्चय और नशा है?
डबल
विदेशियों को है?
डबल
विदेशी होशियार हैं । (सबने हाथ हिलाया) बहुत अच्छा । तिलक नजर
आ रहा है । और भारतवासी तो हैं ही भाग्यवान,
क्यों?
भारत
की धरनी ही भाग्यवान है । इसलिए चाहे विदेशी,
चाहे
भारतवासी दोनों ही भाग्य विधाता के बच्चे हैं इसलिए हर
ब्राह्मण बच्चा विजयी है । सिर्फ हिम्मत को इमर्ज करो । हिम्मत
समाई हुई है क्योंकि मास्टर सर्वशक्तिवान हो । ऐसे हो ना?
(सभी
हाथ हिला रहे हैं) हाथ तो बहुत अच्छा हिलाते हैं । अभी मन से
भी सदा हिम्मत का हाथ हिलाते रहना । बापदादा को खुशी है,
नाज
है कि मेरा एक-एक बच्चा अनेक बार का विजयी है । एक बार नहीं,
अनेक
बार की विजयी आत्मायें हो । तो कभी यह नहीं सोचना,
पता
नहीं क्या होगा?
होगा
शब्द नहीं लाना । विजय है और सदा रहेगी । सब पक्के हैं?
बहुत
अच्छा । अभी फिर वहाँ जाकर ऐसा कमजोर समाचार नहीं लिखना कि
दादियां,
बाबा
माया आ गई,
ऐसे
नहीं लिखना । मायाजीत हैं । हम नहीं होंगे तो और कौन होगा,
यह
रूहानी नशा इमर्ज करो । और- और कार्य में मन और बुद्धि बिजी हो
जाती है ना तो नशा मर्ज हो जाता है । लेकिन बीच-बीच में चेक
करो कि कर्म करते हुए भी यह विजयीपन का रूहानी नशा है?
निश्चय होगा तो नशा जरूर होगा । निश्चय की निशानी नशा है और
नशा है तो अवश्य निश्चय है । दोनों का सम्बन्ध है । इसलिए अभी
99 में अपना नशा सदा इमर्ज रखना,
तो
अभुल हो जायेंगे । न भूल होगी,
न
मेहनत होगी । बापदादा ने पहले भी कहा है कि जब बापदादा बच्चों
को मेहनत करते हुए देखते हैं,
युद्ध करते हुए देखते हैं तो बच्चों की मेहनत करना बाप को
अच्छा नहीं लगता है इसलिए इस नव वर्ष को कैसे मनायेंगे?
मुक्ति वर्ष मनाया । निगेटिव,
वेस्ट को समाप्त किया तो यह वर्ष ऑटोमेटिक मेहनत मुक्त वर्ष हो
जायेगा । सब मौज में रहने वाले,
मेहनत करने वाले नहीं । मौज अच्छी लगती है या मेहनत अच्छी लगती
है?
मौज
अच्छी लगती है ना?
तो
यह वर्ष मन में,
संकल्प में भी मेहनत मुक्त हो ।
बापदादा के पास बच्चों के पत्र वा चिटकियां बहुत अच्छे- अच्छे
हिम्मत की आई हैं कि हम अब से 108
की माला में अवश्य आयेंगे । बहुतों के अच्छे- अच्छे उमंग के
पत्र भी आये हैं और रूहरिहान में भी बहुतों ने बापदादा को अपने
निश्चय और हिम्मत का अच्छा समाचार दिया है । बापदादा ऐसे
बच्चों को कहते हैं - बाप ने आप सबके बीती को बिन्दु लगा दिया
। इसलिए बीती को सोचो नहीं,
अब
जो हिम्मत रखी है,
हिम्मत और मदद से आगे बढ़ते चलो । नव वर्ष के नये उमंग भी बहुत
अच्छे- अच्छे लिखे हैं चाहे विदेश के बच्चों ने,
चाहे
देश के बच्चों ने,
बापदादा ऐसे बच्चों को यही वरदान देते हैं - इसी हिम्मत में,
निश्चय में,
नशे
में अमर भव । अमर रहेंगे ना! डबल विदेशी अमर रहेंगे?
भारतवासी भी रहेंगे ना?
भारत
को तो नम्बर लेना ही चाहिए ।
नये
वर्ष में क्या मनाते हैं?
एक
तो गिफ्ट देते और दूसरा ग्रीटिंग्स देते हैं । मिठाई खूब खाते
खिलाते हैं । नाचते गाते भी बहुत हैं । तो आप सिर्फ 12 के बाद
एक दिन नया वर्ष नहीं मनाना लेकिन ब्राह्मण बच्चों के लिए इस
नव युग में हर घड़ी नई है,
हर
श्वांस नया है,
हर
संकल्प नया है,
इसलिए सदा पूरा वर्ष,
एक
दिन नहीं,
एक
सप्ताह नहीं,
एक
मास नहीं,
चार
मास नहीं,
आठ
मास नहीं,
12
ही मास सदा एक दो को दिलखुश मिठाई बाँटते रहना । बाटेंगे ना!
दिलखुश मिठाई बाँटने आती हैं?
सभी
होशियार हैं । तो दिलखुश मिठाई बांटना । कोई आपकी दिल खुश
मिठाई अपने स्वभाव के कारण,
संस्कार के कारण,
समस्या के कारण अगर नहीं भी स्वीकार करे तो आप दिलशिकस्त नहीं
होना । आपने बांटी,
आपका
आज्ञाकारी बनने का चार्ट बापदादा के पास जमा हो गया | यह नहीं
देखना कि मैंने तो दिलखुश मिठाई खिलाई लेकिन यह तो नाराज हो
गया,
कोई
हर्जा नहीं,
वह
राज को नहीं जानता है ना तो नाराज हो गया । आप तो राज़ को जानते
हो ना! तो यह राज़ भी जान लो कि यह हिसाब-किताब वा समस्या के वश
है । आप आज्ञाकारी बनो । ठीक है ना! आज्ञाकारी बनना है ना!
यहाँ तो हाँ बहुत अच्छा करते हैं,
अगर
आप यहाँ देखो ना,
हाथ
भी बहुत अच्छा हिलाते हो,
खुश
कर देते हो । कांध भी हिलाते हैं,
हाथ
भी हिलाते हैं । लेकिन बापदादा तो फिर भी हर बच्चे के ऊपर सदा
ही खुश रहते हैं । जब मेरा बच्चा कह दिया,
तो
जो भी हो,
जैसे
भी हो,
बाप
तो देख खुश होता ही है । बाप ने जो वायदा किया है - कैसे भी
लायक बनाकर साथ ले ही जाना है । साथ में चलना है ना?
साथ
चलने के लिए तैयार हैं?
सभी
तैयार हैं?
एवररेडी हैं?
अच्छा,
एवररेडी भी हैं,
बहुत
अच्छा । एवरहैपी भी हैं?
और
जब माया आ जायेगी तो?
फिर
थोड़ा- थोड़ा मन में चिल्लायेंगे?
बाबा
माया आ गई,
आ गई
। चिल्लाना नहीं,
अपने
को उड़ा देना । माया नीचे रह जाये आप ऊपर उड़ जाओ तो माया देखती
रहेगी । अच्छा तो खुशी में नाचते भी रहना और दिलखुश मिठाई
बांटते भी रहना । साथ में जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उसको
कोई न कोई गिफ्ट देना,
कोई
हाथ खाली नहीं जाये,
कौन
सी गिफ्ट देंगे?
आपके
पास गिफ्ट तो बहुत है । गिफ्ट का स्टॉक है?
तो देने में कन्जूस नहीं बनना,
देते
जाना । फ्राकदिल बनना,
किसी
को शक्ति का सहयोग दो,
शक्ति का वायब्रेशन दो,
किसको कोई गुण की गिफ्ट दो । मुख से नहीं लेकिन अपने चेहरे और
चलन से दो । यदि कोई गुण वा शक्ति इमर्ज नहीं भी हो,
तो
कम से कम छोटी सी सौगात भी देना,
वह
कौन सी?
शुभ
भावना और शुभ कामना की । शुभ कामना करो कि यह मेरा सिकीलधा भाई
या बहन,
सिकीलधा सोचेंगे तो अशुभ भावना से शुभ भावना बन जायेगी । इस
भाई बहन का भी उड़ती कला का पार्ट हो जाए,
इसके
लिए सहयोग वा शुभ भावना है । कई बच्चे कहते हैं कि हम देते हैं
वह लेते नहीं हैं । अच्छा शुभ भावना नहीं लेते हैं,
कुछ
तो देते हैं ना । चाहे अशुभ बोल आपको देते हैं,
अशुभ
वायब्रेशन देते हैं,
अशुभ
चलन चलते हैं तो आप हो कौन?
आपका
आक्यूपेशन क्या है?
विश्व परिवर्तक हो?
आपका
धंधा क्या है?
विश्व परिवर्तक हैं ना! तो विश्व को परिवर्तन कर सकते हो और
उसने अगर आपको उल्टा बोल दिया,
उल्टा चलन दिखाई तो उसका परिवर्तन नहीं कर सकते हो?
पॉजिटिव रूप में परिवर्तन नहीं कर सकते हो?
निगेटिव को निगेटिव ही धारण करेंगे कि निगेटिव को पॉजिटिव में
परिवर्तन कर आप हर एक को शुभ भावना,
शुभ
कामना की गिफ्ट देंगे । शुभ भावना का स्टॉक सदा जमा रखो । आप
दे दो । परिवर्तन कर लो । तो आपका टाइटिल जो विश्व परिवर्तक
हैं वह प्रैक्टिकल में यूज होता जायेगा । और यह पक्का समझ लो
कि जो सदा हर एक को परिवर्तन कर अपना विश्व परिवर्तक का कार्य
साकार में लाता है वही साकार रूप में 21 जन्म की गैरंटी से
राज्य अधिकारी बनेगा । तख्त पर भले एक बारी बैठेगा लेकिन हर
जन्म में राज्य परिवार में,
राज्य अधिकारी आत्माओं के समीप सम्बन्ध में होगा । तो विश्व
परिवर्तक ही विश्व राज्य अधिकारी बनता है । इसलिए सदा यह अपना
आक्यूपेशन याद रखो - मेरा कर्तव्य ही है परिवर्तन करना । दाता
के बच्चे हो तो दाता बन देते चलो,
तब
ही भविष्य में हाथ से किसको देंगे नहीं लेकिन सदा आपके राज्य
में हर आत्मा भरपूर रहेगी,
यह
इस समय के दाता बनने का प्रालब्ध है । इसलिए हिसाब नहीं करना,
इसने
यह किया,
इसने
इतना बार किया,
मास्टर दाता बन गिफ्ट देते जाओ । और ग्रीटिंग्स क्या देंगे?
देखो
किसी को भी,
किसी
से प्राप्ति होती है ना तो उसके मुख से,
मन
से यही शब्द निकलता है कि आपको मुबारक हो,
एक
दो को खुशी बाँटते हो तो कहते हैं मुबारक हो । उत्सव मनाते हो
तो कहते हैं मुबारक हो । ऐसे जो भी आपके सामने आवे तो मुख से
ऐसे शब्द बोलो,
संकल्प में ऐसे श्रेष्ठ संकल्प हो तो जो भी आपसे मिलेगा वह हर
समय दिल से मुबारक वा दुआयें अवश्य देगा । तो सदा ऐसे बोल बोलो,
ऐसा
सम्बन्ध-सम्पर्क में आओ जो दिल से,
मुख
से मुबारक निकले वा दुआयें निकलें । ऐसा शब्द नहीं निकालो जो
मुबारक लायक नहीं हो । एक एक बोल जैसे रत्न हो । साधारण बोल
नहीं हो । बापदादा ने अब तक रिजल्ट में देखा है,
कल
तो बदल जायेगा लेकिन अब तक देखा है कि बोल में जो संयम और
स्नेह होना चाहिए वह स्नेह भी कम हो जाता है और संयम भी कम हो
जाता है । इसलिए ऐसा बोल बोलो जो रत्न हो । आप स्वयं जब हीरे
तुल्य हो तो हर बोल भी रत्न समान हो । ऐसा मूल्यवान हो ।
साधारण नहीं हो । न साधारण हो,
न
व्यर्थ हो । और कभी-कभी बापदादा देखते हैं,
रिजल्ट सुनाये,
क्योंकि 12 बजे के बाद सब समाप्त करना है ना! तो बापदादा ने यह
भी देखा है कि कोई- कोई बच्चे छोटी सी बात का विस्तार बहुत
करते हैं,
इसमें क्या होता है,
जो
ज्यादा बोलता है ना तो जैसे वृक्ष का विस्तार होता है उसमें
बीज छिप जाता है,
वह
ऐसे समझते हैं कि हम समझाने के लिए विस्तार कर रहे हैं,
लेकिन विस्तार में जो बात आप समझाने चाहते हैं ना उसका सार छिप
जाता है और बोल,
वाणी
की भी एनर्जी होती है । जो वेस्ट बोल होते हैं तो वाणी की
एनर्जी कम हो जाती है । ज्यादा बोलने वाले के दिमाग की एनर्जी
भी कम हो जाती है ।
शार्ट और स्वीट
यह दोनों शब्द याद रखो । और कोई सुनाता है ना तो उसको तो कह
देते हैं कि मेरे को इतना सुनने का टाइम नहीं है । लेकिन जब
खुद सुनाते हैं तो टाइम भूल जाता है । इसलिए अपने खजाना का
स्टॉक जमा करो । संकल्प का खजाना जमा करो,
बोल
का खजाना जमा करो,
शक्तियों का खजाना जमा करो,
समय
का खजाना जमा करो,
गुणों का खजाना जमा करो । रोज रात को अपन इन खजाना के बचत का
पोतामेल चेक करो । कितने संकल्प वेस्ट के बजाए बेस्ट के खाते
में जमा किया?
कितना समय बेस्ट के खाते में जमा किया?
गुण
और शक्तियों से श्रेष्ठ कार्य किया?
गुण
को कार्य में लगाया?
शक्ति को कार्य में लगाया?
यह
है जमा करना । तो सभी संकल्प,
समय,
गुण,
शक्ति इसका पोतामेल रोज रात्रि को चेक करो फिर टोटल करो कितना
बचत का खाता हुआ?
यही
बचत स्वयं को भी सहयोग देती रहेगी और औरों को भी देगी । तो
समझा - क्या करना है?
सब
पूछते हैं ना क्या करना है?
तो
अब यह करना है । ग्रीटिंग्स भी लेना है,
गिफ्ट भी देनी है,
जमा
भी करना है और मेहनत को छोड़ना है । जब बचत के ऊपर अटेंशन देंगे
तो मेहनत नहीं करनी पड़ेगी । मेहनत मुक्त वर्ष धूमधाम से मनायें
। वेस्ट और निगेटिव पुजा वर्ष मनायें । बापदादा मुक्ति वर्ष की
रिजल्ट अभी नहीं पूछ रहे हैं,
बापदादा को याद है । रिजल्ट लेंगे कि कितनी ने मुक्ति वर्ष
मनाया या मास मनाया?
6
मास मनाया,
आधा
मनाया,
पूरा
मनाया - यह सब 18 तारीख को हिसाब लेंगे?
डबल
विदेशियों ने तो अच्छा मना लिया है ना,
भारत
वालों ने भी मनाया तो है,
रिजल्ट 18 तारीख को लेंगे । जिसने सारा वर्ष मनाया,
उसको
क्या देंगे?
दादियां बतावें जिन्होंने पूरा वर्ष मुक्ति वर्ष मनाया है,
उनको
क्या देंगे?
मुबारक और दुआयें तो हैं ही और यादगार क्या देंगे?
इनाम
तैयार रखना । देखेंगे कितने इनाम लेते हैं?
तो
नया वर्ष,
नया
उमंग,
नया
उत्साह और नई हिम्मत सब नया ही नया । जो इस घड़ी स्टेज है वह
दूसरे घड़ी उससे श्रेष्ठ स्टेज होनी चाहिए । ठीक है ना?
अच्छा ।
वरदान:-
निर्माणता के गुण को धारण कर सबको सुख देने वाले सुख देवा,
सुख
स्वरूप
भव ! 
आप
महान आत्माओं की निशानी है निर्माणता । जितना निर्माण बनेंगे
उतना सर्व द्वारा मान प्राप्त होगा । जो निर्माण हैं वह सबको
सुख देंगे । जहाँ भी जायेंगे,
जो
भी करेंगे वह सुखदायी होगा । तो जो भी सम्बन्ध- सम्पर्क में
आये वह सुख की अनुभूति करे । इसलिए आप ब्राह्मण आत्माओं का
गायन है - सुख के सागर के बच्चे सुख स्वरूप,
सुखदेवा । तो सबको सुख देते और सुख लेते चलो । कोई आपको दुख दे
तो लेना नहीं ।
स्लोगन:-
सबसे बड़े
ज्ञानी वह हैं जो आत्म- अभिमानी रहते हैं । 
ओम्
शान्ति |