❍ 17 / 12 / 14 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सहजयोगी आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ संतुष्टता के तीन सर्टिफिकेट लेना :- स्वयं से संतुष्ट, बाप संतुष्ट , लोकिक अलोकिक परिवार संतुष्ट
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ सतगुरु
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ "सारी दुनिया में जो एक्ट चलती है.. यह सब °बना बनाया ड्रामा° है" - यह अभ्यास किया ?
‖✓‖ "°हम आत्मा मेल हैं°" - यह स्मृति में रहा ?
‖✓‖ °स्वराज्य° का तिलक लगाए रखा ?
‖✓‖ "°पुरुषार्थ° के बिना °प्रालब्ध° मिल नहीं सकती" - इस बात को अच्छी तरह से समझा ?
‖✓‖ "हमें बाप से °पूरा वर्सा° लेना है"- अपना लक्ष्य स्मृति में रखा ?
‖✓‖ °टीचर° बन बहुतों का कल्याण करने के निमित बने ?
‖✓‖ °विश्व कल्याण° का ताज और स्थिति के तख़्त पर विराजमान रहे ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (30/11/2014) :-
➳ _ ➳ तो सभी आज से प्रोग्रेस क्या करेंगे? क्योंकि हर समय आगे बढ़ना है । तो आगे क्या बढ़ेगें? आगे बढ़ना अर्थात् दिल में बापदादा को समाना । दिल की बात कभी भी भूल नहीं सकती और दिल में सदा याद रह सकती है । रहती है ना। दिल में रह सकती है, सम्मुख की बात अलग है लेकिन दिल में जब भी चाहो तब बाप से मिल सकते हो और बाप भी मिलन मनाते रहते हैं, बाप को भी चैन नहीं आता बच्चों के बिना । तो सदा बाप और बच्चों का इस सगमयुग में मिलन मनाने का पार्ट बना हुआ है, जो जितना याद करे उतना इमर्ज कर सकते हैं ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ आज पूरा दिन दिल में बापदादा को समाये रखा ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ संतुष्टता के तीन सर्टिफिकेट (स्वयं से संतुष्ट, बाप से संतुष्ट और लोकीक अलोकिक परिवार से संतुष्ट) लेने के लिए स्वयं में किन धारणाओं को धारण करना अति आवश्यक है ?
❉ "पहले आप" का पाठ पक्का करें ।
❉ "बालक सो मालिक और मालिक सो बालक" का पाठ पक्का करें ।
❉ "दूसरों को आगे बढाना ही स्वयं आगे बढना है" - यह हमेशा याद रखें ।
❉ "में संतुष्टमणि हु" इस स्वमान की प्रेक्टिस बहुत अच्छी हो।
❉ इस दुनिया की स्थूल सभी चीजे विनाशी है,अल्पकाल का सुख देने वाली है।
❉ बापदादा से प्राप्त हुए अविनाशी खजानों की प्राप्तियो की स्मृति सदा बनाये रखे।
❉ हद की इच्छाओ को कम करते चले।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ राजयोगी बनने के लिए स्वराज्य का तिलक, विश्व कल्याण का ताज और स्थिति के तख्त पर विराजमान रहना क्यों आवश्यक है ?
❉ स्व को पहचान सर्व कर्मिन्द्रियों पर राज कर विश्व में शांन्ति का सन्देश देने वाला ही राजयोगी है।
❉ स्वे को आधार मान विश्व का उधार करने के लिए परमात्मा के साथ योग लगा कर ही राजयोगी बन सकते है।
❉ हद से बुद्धि को निकाल सम्पूरण विश्व को मनसा से शांन्ति शक्ति, प्रेम की बिब्रशन देने से ही राजयोगी बन सकते है।
❉ राज योगी सर्व का प्यारा और सर्व से न्यारा होता है।माना सब को एक समान मानता है।
❉ एक परमात्मा में ही अपनी बुद्धि लगा कर कर्मों से सबको गुणों का दान देने की जिमेवारी राजयोगी बना देती है।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔