❍ 23 / 12 / 14 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा मायाजीत हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ याद और सेवा के शक्तिशाली आधार द्वारा तीव्र गति से आगे बढना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ टीचर
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ °विचार सागर मंथन° किया ?
‖✓‖ वातावरण को अच्छा रखने के लिए °मुख से सदैव रतन° निकले ?
‖✓‖ °हर्शित्मुख° रहे ?
‖✓‖ इस संसार को °अलोकिक खेल° और परिस्थितियों को अलोकिक खिलौना समझा ?
‖✓‖ °याद और निस्वार्थ सेवा° दोनों साथ-साथ रहे ?
‖✗‖ सर्विस में °थके° तो नहीं ?
‖✗‖ अपनी साहूकारी पोजीशन आदि का °अहंकार° तो नहीं रखा ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (30/11/2014) :-
➳ _ ➳ बापदादा देखते हैं कि हर एक बच्चा अपने समय (सेवा का समय) फिक्स होने पर अच्छा साथ दे रहे हैं । तो सभी बच्चों को समय पर साथ देने की बापदादा हजार बार यादप्यार दे रहे हैं ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ आज दिन भर में यज्ञ सेवा में समय पर साथ निभाया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ तीव्रगति से आगे बढने के लिए याद और सेवा का शक्तिशाली आधार होना क्यों आवश्यक है ?
❉ याद और सेवा दोनों डबल लॉक का कार्य करती हैं ।
❉ याद और सेवा दोनों का मिश्रण हमें सदैव समर्थ संकल्पों और कर्मों में व्यस्त रखता है जिससे हम व्यर्थ संकल्पों और कर्मों से सहज ही मुक्त हो जाते हैं ।
❉ याद और सेवा से हम परमात्म दुआओं , ब्राह्मण परिवार की दुआओं और विश्व की सर्व आत्माओं की दुआओं के पात्र बनते हैं जिससे हम तीव्र गति से अपने लक्ष्य की और आगे बड़ते हैं।
❉ याद और सेवा का प्रत्यक्ष फल ख़ुशी मिलती है जिससे हमारा उमंग उत्साह बढ़ता है।
❉ याद और सेवा से हम आत्माओ की कट निकलती जाती है और हम प्योर बनते जाते है।
❉ याद और सेवा हमें प्रभु के प्रेम के पात्र बना देती है जिससे हमारी बुद्धि की लाइन क्लियर होती जाती है।
❉ याद और सेवा से अनेक अनुभवों के द्वारा हम प्राप्ति स्वरुप बनते जाते है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ इस संसार को अलौकिक खेल और परिस्थितियों को खिलौने समझने के लिए हमे कौन सी धारणाएं करनी होंगी ?
❉ साक्षी दृष्टा होकर हर सीन को देखने की धारणा से।
❉ कर्मो की गुहिया गति के ज्ञान की धारणा को धारण करने से परिस्थितियां खेल नज़र आयेगी।
❉ आत्म अभिमानी होकर अवयक्त स्थिति में रहकर हर कर्म करने की धारणा से संसार एक अलौकिक खेल नज़र आयेगा।
❉ तीनो कालों का बुद्धि में रख स्वदर्शन चक्र फिराते रहने की धारणा से।
❉ बुद्धि में ड्रामा के चक्र का राज और 84 जन्मों की कहानी के ज्ञान की मनन करते रहने की धारणा से।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔