❍ 12 / 12 / 14 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं खुशनसीब आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ ख़ुशी की खुराक खाना और खिलाना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ टीचर
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ सिर्फ एक °ईश्वरीय मत° पर चले ?
‖✓‖ पढाने वाले बाप पर पूरा °निश्चय° रहा ?
‖✓‖ "मेरे जैसा °खुशनसीब° कोई नहीं" - दिल से यही निकलता रहे ?
‖✓‖ °सर्विस° ज़रूर की ?
‖✓‖ °स्वराज्य अधिकारी° बनकर रहे ?
‖✗‖ पाप आत्माओं से °लेन-देन° तो नहीं किया ?
‖✗‖ अपनी °बीमारी सर्जन से छिपाई° तो नहीं ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (30/11/2014) :-
➳ _ ➳ तो सभी बच्चे सदा खुश रहते हैं या कभी-कभी? जो सदा खुश रहते हैं, कोई भी बात हो जाए, क्योंकि कलियुग है लेकिन यह बाप और बच्चों का सम्बन्ध ऐसा है जो बच्चा कहे बाबा, बाबा कहे बच्चे मिलन होता ही रहता है, होता है ना! हाथ उठाओ, होता है? यहाँ भी दिखाई दे रहा है । देखो बाप के पार्ट के साथ यह साधन भी निकले हुए हैं । दूर बैठे भी लास्ट वाला नजदीक दिखाई दे रहा है । शाम के समय जब बाप आते हैं तो साइंस भी अपना अच्छा मददगार है । वहाँ बैठे भी मुरली सुनने चाहो तो सुन सकते हो ना । साधन चाहिए ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ आज दिन भर कभी – कभी की बजाये सदा खुश रहे ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ ख़ुशी के खुराक खाने और खिलाने की क्या विधि है?
❉ सदा बापदादा से हुई प्राप्तियों को याद करते रहो और करवाते रहो ।
❉ सदा स्वमान की सीट पर सेट रहो और दूसरों को भी सीट पर सेट होने में अपना सहयोग दो ।
❉ दुआएं दो ... दुआएं लो ...
निर्मल,निर्माण और निरहंकारी बनकर रहे,सभी के विचारो को सम्मान दे।
❉ बाप से मिले अविनाशी ज्ञान रत्नों के खजाने सबको बाटते रहे।
❉ बच्चे कबसे बाप को ढूंड रहे है,उन्हें अपने बाप से मिलवाकर सच्ची ख़ुशी दिलवाए और सेवा का प्रत्यक्षफल ख़ुशी स्वयं भी प्राप्त करे।
❉ सभी के लिए शुभ भावना रखे,हम सभी भाई-भाई एक पिता की संतान है,कोई बड़ा छोटा नहीं है।
❉ हम आत्माओ की एक स्माइल और प्यार भरे दो बोल किसी भी आत्मा को खुश कर देते है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ संगम युग के स्वराज्य अधिकारी ही भविषय के विश्व राज्य अधिकारी बनते है.....क्यों ?
❉ जो अपनी कर्म इन्द्रियों पर कंट्रोल कर सकते है वह ही विशव पर कण्ट्रोल कर सकते है।
❉ अपनी देह की प्रकृति को आर्डर प्रमाण चलने वाले ही भविष्य में पञ्च तत्वों की प्रकृति को आर्डर प्रमाण चला सकते हैं।
❉ संगम पर शक्तिया धारण कर अपनी आसुरी प्रविर्ती को परिवर्तन कर मन बुद्धि को जीतने वाले ही सर्व के प्यारे बन सकते है।
❉ संगम पर विक्रमो को जीत कर जगत जीत बन सकते है।
❉ इन्द्रियों की गुलामी से निकल इंद्रियजीत बन कर ही सर्व को संतुष्ट करने वाले विश्वराज्य अधिकारी बन सकते है।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔