19 / 12 / 14  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100        

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं सम्पूरण ग्यानी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ स्नेह की शक्ति से माया की शक्ति को समाप्त करना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ टीचर

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

‖✓‖ यह °बेहद अनादी ड्रामा° स्मृति में रहा ?

‖✓‖ °बाप° के साथ साथ °घर° से भी लव रहा ?

‖✓‖ °स्नेह की शक्ति° से परिस्थिति रुपी पहाड़ को पानी समान हल्का बनाया ?

‖✓‖ °ज्ञान और योग में मस्त° बनकर रहे ?

‖✓‖ बाप जो समझाते हैं वह अपने °भाइयों को भी समझाया° ?

‖✓‖ मन वाणी और कर्म से बाप के कर्त्तव्य में °सदा सहयोगी° रहे ?

‖✗‖ ऐसी कोई °गफलत° तो नहीं की जो बैटरी डिस्चार्ज हो जाए ?

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अव्यक्त बापदादा (30/11/2014) :-

➳ _ ➳  कम से कम हर एक अमृतवेला तो मनाते हो ना! जो अमृतवेला रोज जरूर मनाते हैं वह हाथ उठाओ । मैजॉरिटी है । हर जगह अमृतवेले का साधन तो अपनाते हैं, कोशिश अच्छी कर रहे हो, अमृतवेले को महत्व देते हो लेकिन आगे भी जो अमृतवेले में कभी-कभी हो, वह आगे बढ़ना क्योंकि अमृतवेला दिन का आरम्भ है, तो उसमें जरूर याद में रहना है । सारे दिन का प्रभाव पड़ता है ।

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज अमृतवेला मनाया ? रोजाना अमृतवेला अच्छे से करने का प्लान बनाकर बापदादा को सुनाया ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

➢➢ स्नेह की शक्ति का माया की शक्ति को समाप्त करने में क्या योगदान होता है ?

 ❉   स्नेह की शक्ति से दुसरे स्वतः ही आपके सहयोगी बन जाते हैं ।

 ❉   स्नेह की शक्ति से स्वभाव संस्कार के विघ्न स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं ।

 ❉   स्नेह की शक्ति से आपके पॉजिटिव वाइब्रेशनस दूसरी आत्माओं तक पहुँचते हैं जिससे आपके कर्मबंधन स्वतः ही कटने लगते हैं ।

 ❉   स्नेह की शक्ति से आपको सर्व आत्माओ की दुवाये मिलती है,जो बहुत काम आती है।

 ❉   स्नेही सर्व का प्रिय होता है।सभी के प्रिय प्रभु के भी प्रिय होते है।

 ❉   स्नेह की डोर सबसे मजबूत डोर है,इसमें बंधने से हमारी शक्तिया इमर्ज हो जाती है।

 ❉   स्नेही खुशमिजाज,प्यारा,न्यारा होता है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

➢➢ योगी बनने के लिए तन-मन-धन, मन, वाणी और कर्म से बाप के कर्तव्य में सदा सहयोगी बनना क्यों आवश्यक है ?

 ❉   जो तन-मन-धन से बाप के हर कर्म में सहयोगी बनने से परमात्मा के साथ सहज योग लग जाता है।

 ❉   मन से सर्व आत्माओं को बाप की तरह ही दुआयो का दान देने से योग परमात्मा के साथ लग सकता है।

 ❉   वाणी में हर बात परमात्मा के ज्ञान की समाई हुई हो तो बुद्धि स्व स्वतः ही योग परमात्मा से लगा रहता है।

 ❉   हर कर्म परमात्म प्यार की झलक लाकर परमात्मा के सहयोगी बनने से योगी बन जाते है।

 ❉   सदा बुद्धि एक बाप के कार्य में खुद को निमित समझ कर लगाने से परमात्मा का साथ रहता है और योगी बन जाते है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

ॐ शांति