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❍ 15 / 08 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °मास्टर दु:ख हर्ता° बन दु:ख को भी रूहानी सुख में परिवर्तित किया ?
‖✓‖ बहुत °साहस° रख पुरूषार्थ किया ?
‖✓‖ ज्ञान रत्न चुगने वाला °हंस° बनकर रहे ?
‖✓‖ °एक बाप का हाथ° पकडे रखा ?
‖✗‖ थक कर °याद की यात्रा को छोड़ा° तो नहीं ?
‖✗‖ इस °पतित छी-छी दु:खदाई दुनिया° से दिल तो नहीं लगायी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °श्रेष्ठ संकल्पों° के सहयोग द्वारा सर्व में शक्ति भरी ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ आप बच्चों के पास पवित्रता की जो महान शक्ति है, यह श्रेष्ठ शक्ति ही अग्नि का काम करती है जो सेकण्ड में विश्व के किचड़े को भस्म कर सकती है। जब आत्मा पवित्रता की सम्पूर्ण स्थिति में स्थित होती है तो उस स्थिति के श्रेष्ठ संकल्प से लगन की अग्नि प्रज्वलित होती है और किचड़ा भस्म हो जाता है, वास्तव में यही योग ज्वाला है। अभी आप बच्चे अपनी इस श्रेष्ठ शक्ति को कार्य में लगाओ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ पवित्रता की सम्पूर्ण स्थिति में स्थित हो श्रेष्ठ संकल्प से °लगन की अग्नि° प्रज्वलित कर किचड़ा भस्म किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ श्रेष्ठ संकल्पों के सहयोग द्वारा सर्व आत्माओं में शक्ति भरने वाली मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
❉ सर्व शक्तियों के सागर शिव पिता परमात्मा की संतान, मैं आत्मा सदा शक्ति स्वरूप हूँ ।
❉ बाबा से आ रही सर्वशक्तियां लेज़र किरणों की तरह मुझ आत्मा पर उतर - उतर कर आ रही हैं ।
❉ शिव पिता की सर्वशक्तियों से सम्पन्न हो कर मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान बनती जा रही हूँ ।
❉ अपने शक्ति स्वरुप में स्थित हो कर मैं आत्मा सर्व आत्माओं को शक्ति स्वरुप बना रही हूँ और निर्बल आत्माओं में बल भर रही हूँ ।
❉ रोज अमृतवेले अपने विश्ववरदानी स्वरूप से विश्वकल्याणकारी बाप के साथ कम्बाइंड रूप बन मनसा संकल्प वा वृति द्वारा शुद्ध वायब्रेशन की खुशबू पूरे विश्व में फैलाती हूँ ।
❉ मैं आत्मा सदा शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना स्वरुप हूँ ।
❉ बेहद की स्थिति में स्थित हो निर्बल आत्माओं को अपनी प्राप्त हुई शक्तियों के आधार से शक्ति स्वरुप बना रही हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - कभी थक कर याद की यात्रा को छोड़ना नही, सदा देही - अभिमानी रहने का प्रयत्न करो, बाप का प्यार खींचने वा स्वीट बनने के लिए याद में रहो"
❉ जैसे लौकिक में मनुष्य किसी भी ऊँच पद को पाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं, कभी भी थकते नही ।
❉ इसी प्रकार हमारा उद्देशय भी लक्ष्मी नारायण जैसा ऊँच पद प्राप्त करना है ।
❉ लेकिन ऐसा ऊँच पद तभी पा सकेंगे जब निरन्तर याद की यात्रा पर रहेंगे । कभी भी थक कर याद की यात्रा को छोड़ेगें नही ।
❉ सदा देही - अभिमानी रहने का प्रयत्न करेंगे ।
❉ लक्ष्मी नारायण जैसा मीठा बनने के लिए बड़े प्यार से स्वीट बाप को याद कर, दैवी गुणों को धारण कर स्वीट बनने का निरन्तर पुरुषार्थ करेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ माला का दाना बनने के लिए साहस रख पुरूषार्थ करना है ।
❉ अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा की याद में रहना है । याद में नहीं रहेंगे तो बाप की दिल पर भी नहीं चढ़ेंगे । माला का दाना बनने के लिए याद की बहुत मेहनत करनी है व याद से ही विकर्म विनाश होंगे ।
❉ याद की यात्रा से ही आत्मा रूपी बैटरी को चार्ज कर सतोप्रधान बनना है । ज्ञान और योग में मस्त रहना है । स्वयं में ज्ञान रत्न धारण कर रूप बसंत बनना है । ज्ञान रत्नों से ही विश्व की बादशाही लेनी है व नम्बरवारानुसार माला का दाना बनना है ।
❉ देह-अभिमान के काँटे को निकाल बाप की याद से खूशबूदार फूल बनना है । शिवबाबा की ही याद में रहते हुए हर कर्म करना है । हमें बाबा का हाथ मिला है जिसके सहारे हम विषयवितरणी नदी को पार कर लेंगे ।
❉ इस कल्याणकारी संगमयुग पर भगवान स्वयं हमें टीचर बन पढ़ाने आते हैं तो हमें पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बनाते हैं । हमें इस हीरे तुल्य जन्म में पढ़कर अविनाशी कमाई जमाकर विजयमाला का दाना बनने का पुरूषार्थ करना है ।
❉ इस अंतिम जन्म में मनसा वाचा कर्मणा पवित्र बनना है व भगवान को अपना वारिस बनाकर उस पर बलिहार जाना है तब 21 जन्मों का राज्य भाग्य मिलेगा व नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार माला का दाना बनना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ शक्तिशाली आत्मा अपने श्रेष्ठ संकल्पों के सहयोग द्वारा सर्व में शक्ति भरने वाले होते है... क्यों और कैसे ?
❉ हमारे संकल्प इतने शक्तिशाली हो जो किसी भी निर्बल दुखी अशान्त आत्मा हमारे सम्मुख आये परन्तु शक्तिशाली बनकर कर जाये।
❉ "हम शिव शक्ति है" सदेव बाप के साथ कंबाइंड रहने से हमारे चारो और बहुटी शक्तिशाली औरा बन जाता है जिसके अन्दर आते ही आत्माये स्वयं को शक्तिशाली अनुभव करती है।
❉ "मै मास्टर सर्व शक्तिमान आत्मा हु" हमारा यह टाइटल बहुत उच्च ते उच्च है।इस स्वमं में स्थित होने से सर्व शक्तियाँ हमारे सामने हाजिर हो जाती है और हमारे आर्डर प्रमाण कार्य करती है।
❉ भक्तिमार्ग में भी हमारे शक्ति का प्रतिक दिखाया है, अष्ट शक्तियों से श्रृंगारित हम आत्माओ का यादगार अष्टभुजा के रूप में दिखाया है।हमें सदेव अपनी सर्व शक्तियों से श्रृंगारित होकर रहना है, जब जैसी शक्ति की आवश्यकता हो उसका उपयोग कर अनुभवी बन विजयी बनना है।
❉ ब्राह्मण जन्म होते ही बाप ने अपनी सर्व शक्तियाँ हमें विल करदी, अब उन शक्तियों को हमें सारे विश्व की आत्माओ तक पहुचाने के लिए जितना हो सके मनसा सेवा करना है।आज की आत्माये बहुत कमजोर है, दुखी है, परेशान है, हमारे शक्तिशाली संकल्पों के वाइब्रेशन ही सारी दुनिया की आत्माओ में शक्ति भरेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ मास्टर दुःख हर्ता बन दुःख को भी रूहानी सुख में परिवर्तन करना - यही आपका श्रेष्ठ कर्तव्य है... क्यों और कैसे ?
❉ सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रहने से आत्मा सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जायेगी और मास्टर दुखहर्ता बन अपनी प्राप्तियों से सर्व आत्माओं के दुखो को रूहानी सुखो से भरपूर कर देगी ।
❉ जितना योग का बल हम जमा करते जाएंगे उतने समर्थ बनते जायेंगे और समर्थ बन सर्व आत्माओं को रूहानी सुख की अनुभूति द्वारा सभी दुखो से लिबरेट कर देंगे ।
❉ एक बाप पर सम्पूर्ण निश्चय आत्मा में परमात्मा शक्तियां भर कर आत्मा को शक्तिशाली बना देगा और आत्मा शक्ति स्वरूप बन सबको दुखो से छुड़ाये रूहानी सुख के अनुभव से भरपूर कर देगी ।
❉ सोच और व्यवहार में जब स्वच्छता और स्पष्टता होगी तो सहजयोगी बन, अव्यक्त पालना के वरदान के सहज अनुभवी बन जाएंगे और मास्टर दुःख हर्ता बन सबके दुखो को रूहानी सुख में परिवर्तन कर देंगे ।
❉ संकल्प रूपी बीज को जब एकाग्रता रूपी जल से सींचेगे तो दृढ़ता की शक्ति आत्मा को सिद्धि स्वरूप बना देगी और सिद्धि दाता बन सर्व आत्माओं के दुखो को रूहानी सुख में परिवर्तित कर देगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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