━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 16 / 07 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ सदा °योगयुक्त रह सहयोग° का अनुभव किया ?
‖✓‖ बुद्धि को °ज्ञान चिंतन° में बिजी रखा ?
‖✓‖ °एकांत° में जाकर विचार सागर मंथन किया ?
‖✓‖ दूरादेशी बन इस °बेहद के नाटक° को यथार्थ रीति समझा ?
‖✓‖ "इस बेहद नाटक में हम °वंडरफुल एक्टर° हैं" - यह स्मृति में रहा ?
‖✓‖ सभी पार्टधारियों के पार्ट को °साक्षी° होकर देखा ?
──────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ हर सेकंड और हर संकल्प को अमूल्य रीति से व्यतीत कर °अमूल्य रतन° बनकर रहे ?
──────────────────────────
✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ विनाशी साधनों के आधार पर आपकी अविनाशी साधना नहीं हो सकती। साधन निमित्त मात्र हैं और साधना निर्माण का आधार है इसलिए अब साधना को महत्व दो। साधना ही सिद्धि को प्राप्त करायेगी।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ साधन को महत्व न दे °साधना को महत्व° दिया ?
──────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢
मैं
अमूल्य रत्न हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉
हर सेकण्ड और संकल्प को अमूल्य रीति से व्यतीत करने वाली मै अमूल्य रत्न आत्मा
हूँ ।
❉ संगम युग के एक एक सेकण्ड के महत्व को जान मैं हर सेकण्ड को सफल करती जाती
हूँ ।
❉ व्यर्थ चिंतन में अपने बहुमूल्य समय को व्यर्थ न गवाते हुए मैं समर्थ चिंतन
द्वारा जमा का खाता बढाती जाती हूँ ।
❉ अपनी स्व – स्थिति और स्वधर्म में स्थित रह मैं सदा सुख के झूले में झूलती
रहती हूँ ।
❉ संगम युग के सर्वश्रेष्ठ खजानों को स्वयं के प्रति और विश्व की सर्व आत्माओ
के प्रति सफल करती जाती हूँ ।
❉ संगम युग की एक – एक घड़ी को परमात्म याद द्वारा सफल कर मैं अपनी बुद्धि को
स्वच्छ करती जाती हूँ ।
❉ परमात्म स्नेह की छत्र छाया में अतिन्द्रिय सुख द्वारा अपने जीवन को आनन्दित
करती जाती हूँ ।
──────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢
“मीठे
बच्चे – इस बेहद नाटक में तुम वन्डरफुल एक्टर हो, यह अनादि नाटक है, इसमें कुछ
भी बदली नही हो सकता”
❉ यह
सृष्टि एक बहुत बड़ा विशाल नाटक है जिसमे हम सभी पार्ट बजाने वाले एक्टर अर्थात
पार्टधारी हैं ।
❉ असुल में तो हम सभी अशरीरी आत्माए है और हमारा निवास स्थान है स्वीट सालेन्स
होम ।
❉ केवल इस सृष्टि पर पार्ट बजाने के लिए ही हमने यह शरीर रूपी वस्त्र धारण किया
है ।
❉ यह अनादि नाटक है जिसमे हर आत्मा का अपना अपना अविनाशी पार्ट नूँधा हुआ है
और हर आत्मा अपने पार्ट के अनुसार एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है और पार्ट बजाती है
।
❉ इस बेहद नाटक में सबसे वन्डरफुल हीरो पार्टधारी एक्टर हम हैं । हम ही पूरे
84 जन्मो का अविनाशी पार्ट बजाते हैं । यह अनादि नाटक हू – बु – हू रिपीट होता
हैं इसमें कुछ भी बदली नही हो सकता ।
──────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢
बुद्धि को
ज्ञान चिंतन में बिजी रखने की आदत डालनी है ।
❉ क्योंकि
बाप का एक-एक बोल महावाक्य है । जिन महावाक्यों को सुनने वाले महान अर्थात
पुरूषोत्तम बन जाते हैं । बाप के महावाक्य गुल-गुल बना देते हैं । इसलिए बुद्धि
को ऐसे श्रेष्ठ ज्ञान चिंतन में बिजी रखना है ।
❉ हम गाॅडली स्टूडेंट हैं व भगवान स्वयं हमें पढ़ा रहे हैं व हम ही नयी दुनिया
के मालिक बनेंगे ऐसा ज्ञान चिंतन करते रहेंगे तो सदा खुशी व नशे मे रहेंगे ।
❉ बुद्धि को श्रेष्ठ ज्ञान चिंतन में बिजी रखते हैं तो व्यर्थ चिंतन का समय ही
नहीं बचता व माया मौसी भी बिजी देखकर भाग जायेगी ।
❉ बुद्धि रूपी बर्तन को सोने का बनाने के लिए उस पर लगी जंग को ज्ञान की बातों
से शुद्ध बनाना है व ज्ञान मंथन कर बिजी रहते हुए बाबा के दिल पर राज करते हैं
।
❉ बुद्धि में ज्ञान मनन चिंतन चलता रहे कि हम क्या थे , और क्या बन गये है !
बाबा हमको पढ़ाकर देवी देवता बना रहे हैं ।
❉ बुद्धि में यह ज्ञान मनन चिंतन रहे कि हम सब एक्टर्स है जिसका जो पार्ट है
वो एक्यूरेट रोल कर रहे हैं । इस तरह ज्ञान चिंतन चलता रहेगा तो हलचल में नहीं
आयेंगे ।
──────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢
हर सेकंड
और संकल्प को
अमूल्य रीती से व्यतीत करने
वाले
अमूल्य रत्न कहलाते है... क्यों
और कैसे ?
❉ हमारा
यह पुरुषोत्तम संगमयुग सारे कल्प में सबसे अमुल्य समय है, जब हम परमात्मा के
संग का अनुभव कर सकते है, सारा कल्प हम बाप को ढूंडते आये अब उनके साथ समय
बिताने का यही समय है।
❉ इस समय ही बाप ने अपने भाग्य की रेखा खीचने की कलम हमारे हाथ में दे दी है,
जितना अपना भाग्य लिखना चाहो लिख लो तो अपना एक सेकंड व संकल्प भी व्यर्थ न जाये
जो जन्म जन्मान्तर का नुकसान हो जाये।
❉ पुरुषोत्तम संगमयुग पर ही बाप अपने सर्व गुण, खजाने,
अमूल्य रत्न, वर्सा हमें
देते है, हमारा श्रृंगार करते है तो हमें बार बार मिटटी में जाकर अपना श्रृंगार
बिगाड़ना नहीं है।
❉ पुरुषोत्तम संगमयुग पर ही बाप वो जो है जैसे है प्रत्यक्ष हमारे सामने आते
है और सारे कल्प का राज हमको बताते है, जो आज तक न देवताओ को पता था न कोई ऋषि
मुनियो को पता था तो बुद्धिमान बन समय का
सदुपयोग
करना है।
❉ पुरे कल्प में हमारी उतरती कला होती है सिर्फ एक संगमयुग पर ही हमारी चडती
कला होती है, सारा कल्प हम गिरते ही आये अब यह हमारा फिर से पुरुषोत्तम बनने का
समय है, इसलिए इस
अमूल्य समय को अमूल्य रीती से व्यतीत कर
अमूल्य रत्न बनना है।
❉ संगम के एक एक सेकंड का बहुत महत्त्व है। यहाँ का एक सेकंड भी कई जन्मो के
बराबर है। भाग्य विधाता, ज्ञान का सागर बाप अभी ही मिले है और खुले हाथो से पदम्
गुणा भाग्यशाली बना रहे है अब "जो ओटे सो अर्जुन"।
──────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢
जो सदा
योगयुक्त हैं वो सहयोग का अनुभव करते विजयी बन जाते हैं... कैसे ?
❉
योगयुक्त रहने बाप के श्रेष्ठ संग का रंग सदा आत्मा पर लगा रहेगा और यही
श्रेष्ठ संग का अनुभव आत्मा को विजयी बना देगा ।
❉ योगयुक्त अवस्था आत्मा को सर्व चिन्ताओ से मुक्त कर देती है और आत्मा स्वयं
को प्रभु हवाले कर, प्रभु के सहयोग का अनुभव करते विजयी बन जाती है ।
❉ जो सदा योगयुक्त स्थिति में स्थित रहते हैं वे स्वयं को निमित समझ हर कार्य
में करनकरावन हार बाप के साथ का अनुभव करते हुए हर कार्य में विजय प्राप्त कर
लेते हैं ।
❉ योगयुक्त हो बाप के सहयोग का अनुभव करने वाले व्यर्थ से मुक्त हो, एकाग्र और
शांतचित अवस्था द्वारा हर कार्य में सहज ही विजय का अनुभव करते हैं ।
❉ योगयुक्त हो हर कर्म करने से माया के तूफान भी तोहफा बन जाते हैं और विपरीत
परिस्थितियो में भी हल्के पन के अनुभव द्वारा परिस्थिति पर विजय दिला देते हैं
।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━