❍ 14 / 01 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा सफलतामूर्त आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ सव कल्याण के प्रतक्ष्य प्रमाण द्वारा विश्व कल्याण की सेवा
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ टीचर
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ हर कर्म, हर संकल्प और हर वाणी में °रेगुलर° रहे ?
‖✓‖ माया पर विजय प्राप्त करने के लिए °याद की मेहनत° की ?
‖✓‖ जो बोला वह आपके स्वरुप में °प्रैक्टिकल° दिखाई दिया ?
‖✓‖ दूसरों के विचारों को अपने °विचारों से मिलाया° ?
‖✓‖ बाप समान सबको °सुख° दिया ?
‖✓‖ बहुत नम्रता और प्रेम भाव से मुस्कुराते हुए °मित्र- सम्बन्धियों की सेवा° की ?
‖✗‖ मित्र- सम्बन्धियों में °बुधी को भटकाया° तो नहीं ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (25/12/2014) :-
➳ _ ➳ तो बापदादा साथ है तो हाथ भी साथ देता है । लेकिन बापदादा को तो साथ सदा रखना है ना । यह तो हुआ दो घण्टे का साथ । सदा ऐसे ही साथ का अनुभव रखो, बस । अपने को अकेले नहीं करो । बापदादा को सदा साथ रखो ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ बापदादा को सदा साथ रखा ? अपने को अकेला तो नहीं किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ स्व कल्याण के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा ही विश्व कल्याण की सेवा सफलतापूर्वक कर सकते है... क्यों ?
❉ स्वयं में धारण कर शिक्षा देने से आत्म विश्वास बढ़ता है ।
❉ दूसरी आत्माएं भी जब प्रत्यक्ष प्रमाण देखती हैं तो उमंग और हिम्मत का अनुभव करती हैं ।
❉ प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती ।
❉ जितना दुसरो को कहकर नहीं समझा सकते उससे ज्यादा वो प्रेक्टिकल देख के प्रभावित होते है।
❉ स्व के कल्याण में जो वाइब्रेशन हमसे निकलती है वह सभी आत्माये व प्रकृति तक अवश्य पहुचती है।
❉ पहले स्वाम को परिपक्व करना होगा तभी अथॉरिटी से दुसरो को कह सकते है(पंडित की कहानी)।
❉ हममे इतना पवित्रता का बल,शक्तिया,चेहरे व चलन में रॉयल्टी हो जो हम इतना बड़ा लक्ष्य किसी को बता सके(नारद का मिसाल)।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ दूसरे के विचारों को अपने विचारों से मिलाना - यही है रिगार्ड देना.... क्यों और कैसे ?
❉ क्योंकि जब हम निरहंकारी होकर दूसरों के विचार सुनते है तो पॉजिटिव वाइब्रेशन एक दूसरे तक पहुंचती है और विचार भी मिल जाते है।
❉ पहले दुसरो की सुनना, समझना फिर अपने विचार देना यह विचारों को मिलाकर रिगार्ड देना है।
❉ शांन्ति की स्थिति में स्थित हो शुभ भावना द्वारा हम अपने विचारो को मिलाकर रिगार्ड दे सकते हैं।
❉ निर्माणचित बनकर हम दुसरो के विचार सुन उनके गुणो को ग्रहण कर उनको रिगार्ड दे सकते है।
❉ सदा स्मृति में एक मत एक भाषा एक राज्य याद हो तो दूसरों की हर बात को गंभीरता से लेकर उनका रिगार्ड किया जा सकता है।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔