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   22 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ "°सच की नैया हिलेगी... डूबेगी नहीं°" - यह बुधी में रख विघनो से घबराए तो नहीं ?

 

‖✓‖ बचपन के खेल समाप्त कर °वानप्रस्थ स्थिति° का अनुभव किया और कराया ?

 

‖✓‖ "°मैं आत्मा हूँ°" - यह स्मृति पक्की की ?

 

‖✓‖ °एक बाप° की तरफ अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ मनसा-वाचा-कर्मणा बहुत बहुत °ख़ुशी° में रहे ?

 

‖✗‖ किसी को °दुःख° तो नहीं दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °कंट्रोलिंग पॉवर° द्वारा एक सेकंड के पेपर में पास होने का अभ्यास किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जैसे साकार में आने जाने की सहज प्रैक्टिस हो गई है वैसे आत्मा को अपनी कर्मातीत अवस्था में रहने की भी प्रैक्टिस हो। अभी-अभी कर्मयोगी बन कर्म में आना, कर्म समाप्त हुआ फिर कर्मातीत अवस्था में रहना, इसका अनुभव सहज होता जाए। सदा लक्ष्य रहे कि कर्मातीत अवस्था में रहना है, निमित्त मात्र कर्म करने के लिए कर्मयोगी बने फिर कर्मातीत।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ निमित्त मात्र कर्म करने के लिए °कर्मयोगी° बनकर रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं पास विद ऑनर आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   कंट्रोलिंग पावर द्वारा एक सेकण्ड के पेपर में पास होने वाली मैं पास विद ऑनर आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अभी - अभी शरीर में आना और अभी - अभी शरीर से न्यारे बन अव्यक्त स्थिति में स्तिथ होने की रूहानी ड्रिल द्वारा मैं सदा शक्ति सम्पन्न रहती हूँ ।

 

 ❉   हर प्रकार की हलचल की सीन में भी मैं स्वयं को शांत रख उस सीन को साक्षी हो कर देखती हूँ ।

 

 ❉   इस रावण राज्य की कोई भी परिस्थिति वा व्यक्ति जरा संकल्प रूप में भी मुझे हिला नही सकते ।

 

 ❉   समेटने की शक्ति द्वारा मैं सेकण्ड में विस्तार को सार में समा लेती हूँ ।

 

 ❉   नॉलेजफुल स्थिति द्वारा परिस्थितियों को पार करने वाली मैं अंगद समान अचल अडोल आत्मा हूँ ।

 

 ❉   कंट्रोलिंग पॉवर द्वारा स्वराज्य अधिकारी बन, मैं भविष्य विश्व महाराजन बनने वाली पदमापदम सौभाग्यशाली आत्मा हूँ ।

 

 ❉   निमित पन की स्मृति मेरे चारों और सेफ्टी का किला बना कर मुझे हर कार्य में सफलता दिलाती है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे मनसा - वाचा - कर्मणा बहुत - बहुत ख़ुशी में रहना है, सबको खुश करना है, किसी को भी दुःख नही देना है"

 

 ❉   अपने वास्तविक स्वरूप की विस्मृति और स्वयं को देह समझने की भूल ने आज सभी को दुखी बना दिया है ।

 

 ❉   क्योकि देह - अभिमान में आने के कारण विकारों में गिरने से पतित बन गए हैं और कर्मेन्द्रियों के वश हो कर कोई ना कोई विकर्म करते रहते हैं और एक दो को दुःख देते रहते हैं ।

 

 ❉   किन्तु हम ब्राह्मण बच्चे कितने पदमा पदम सौभाग्यशाली हैं जो स्वयं परम पिता परमात्मा बाप ने आ कर हमारे सब दुःख हर लिए और हमे अपरमअपार ख़ुशी के खजानो से भरपूर कर दिया ।

 

 ❉   इसलिए बाप समझाते हैं कि अब हमे मनसा - वाचा - कर्मणा बहुत - बहुत खुश रहना है और सबको खुश रखना है ।

 

 ❉   कर्मेन्द्रियों से ऐसा कोई विकर्म नही करना जिससे किसी को दुःख हो ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ इन कर्मेन्द्रियों से कोई भूल न हो इसके लिए मैं आत्मा हूं यह स्मृति पक्की करनी है। शरीर को नहीं देखना है ।

 

  ❉   ऊपर से नीचे खेलने के लिए आए व देहभान की मिट्टी में खेलते खेलते स्वयं को व घर को ही भूल गए और फिर अपने बच्चों को दुखी देखकर परमपिता परमात्मा को आना पडा व हमें सत का ज्ञान दिया व दिव्य बुद्धि दी तो हमें यही पाठ पक्का करना है कि मैं आत्मा हूं देही नहीं ।

 

  ❉   जब अपने को आत्मा समझते हैं व दूसरे को भी आत्मा देखते हैं तो आत्मिक दृष्टि रहती है व दृष्टि शुद्ध पवित्र रहती है तो आंखे भी धोखा नहीं देती ।

 

  ❉   शरीर को देखते है तो शरीरधारी ही याद आते है व फिर विकारों मे आ जाते है। तो फिर ये विनाशी शरीर से मोह न रखते बस भ्रकुटि में चमकती हुई आत्मा को ही देखना है ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ बाप को ही याद करना है । आत्मा आत्मा से ही बात करनी है । दूसरे को देखते ही ये विचार आए कि ये महान आत्मा है विशेष आत्मा है बाबा का बच्चा है ।

 

  ❉   मनसा में भी किसी को देखते हुए शरीर का व सम्बंध का विचार आता है तो फिर वही वाचा व कर्मणा में आता है तो कर्मेन्द्रियों से कोई न कोई भूल हो जाती है व अवस्था खराब हो जाती है । इसलिए ये पाठ पक्का करना है कि मैं आत्मा हूं ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कन्ट्रोलिंग पॉवर द्वारा एक सेकंड के पेपर में पास होने वाले पास विथ ऑनर होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बाबा ने बताया है "अंतिम समय का पेपर एक सेकंड का होंगा" उसमे ही पास होना है तभी विजयी पास विथ ऑनर कहलायेंगे।

 

 ❉   इसलिए हमें अपने मन बुद्धि पर अभी से कन्ट्रोल करना होगा, आत्मा राजा है और सब कर्मेन्द्रियाँ उसकी कर्मचारी है, तो राजा का अपनी प्रजा पर कन्ट्रोल होना चाहिए।

 

 ❉   यहाँ कन्ट्रोलिंग पॉवर होगी तभी तो भविष्य में सारे विश्व पर राज्य अर्थात कन्ट्रोल कर सकेंगे। इसलिए अभी से स्व राज्य अधिकारी बनना है तभी विश्व राज्य अधिकारी बन सकेंगे।

 

 ❉   जिसका अभी लम्बे समय से स्वयं पर अटेंशन होगा, सर्व कर्मेन्द्रियो को कन्ट्रोल कर लिया होगा, कोई अंश की भी चंचलता नहीं होगी उनकी ही कर्मेन्द्रिया अंतिम समय में धोखा नहीं देंगे, कोई भी अंश रहा तो अंत में उसका वंश अवश्य निकल आयेगा।

 

 ❉   हर कर्म करने से पहले चेक करना है - यह श्रीमत प्रमाण है? ब्रह्मा बाप समान कदम है? कर्म अकर्म विकर्म की ग्हुय गति को ध्यान रख हर कर्म करना है, एसी स्थिति बनानी है जो बाप का हुक्म हो और एक सेकंड में यह देह छोड़ बाप के साथ चल दे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव करो और कराओ तो बचपन के खेल समाप्त हो जायेंगे... कैसे ?

 

 ❉   जैसे जैसे वानप्रस्थ स्थिति के अनुभवी बनते जाएंगे इस विनाशी दुनिया और दुनियावी पदार्थो से उपराम होते जाएंगे तथा सर्वशक्तिवान बाप की छत्रछाया के नीचे स्वयं को सुरक्षित अनुभव करेंगे जिससे बचपन के खेल समाप्त होते जायेंगे । और हर मुश्किल सहज अनुभव होगी ।

 

 ❉   जितना वानप्रस्थ स्थिति में स्थित रहेंगे उतनी आत्मिक उन्नति होती जायेगी और आत्मा में बल भरता जाएगा, जिससे स्व स्तिथि शक्तिशाली बनती जायेगी और बचपन के खेल समाप्त होते जायेंगे ।

 

 ❉   वानप्रस्थी बन जब समर्पित भाव से निरन्तर बाप की याद में रहेंगे तो ज्ञान और योग का बल आत्मा में भरता जाएगा और योग बल से आत्मा शक्तिशाली बनती जायेगी जो बचपन के खेल को स्वत: समाप्त कर देगी ।

 

 ❉   वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव इच्छा मात्रम अविद्या बना कर बुद्धि की लाईन को क्लियर रखेगा जिससे सर्वशक्तिवान बाप से सर्व शक्तियां प्राप्त होती रहेंगी और बचपन के खेल स्वत: समाप्त होते जायेंगे ।

 

 ❉   जितना वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव करेंगे और कराएंगे उतना देह और देह के सबंधो, पदार्थो के प्रति अनासक्त होते जायेंगे और बचपन के खेल समाप्त कर अपनी पावरफुल वृति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तित कर  सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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