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❍ 05 / 06 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ शुभ भावना से °कारण को निवारण° में परिवर्तित किया ?
‖✓‖ निंदा-स्तुति मान-अपमान दुःख-सुख सब कुछ °सहन° किया ?
‖✓‖ एक बाप से °ज्ञान इंजेक्शन° व अंजन ली ?
‖✓‖ °सब संग तोड़° एक बाप को याद किया ?
‖✗‖ बाप से °रूठे° तो नहीं ?
‖✗‖ अविनाशी सर्जन से °कोई बात छिपाई° तो नहीं ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सेवा करते °उपराम° स्थिति में रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ वर्तमान समय के प्रमाण सर्व आत्मायें प्रत्यक्षफल अर्थात् प्रैक्टिकल प्रूफ देखने चाहती हैं। तो तन, मन, कर्म और सम्पर्क-सम्बन्ध में साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करके देखो। शान्ति की शक्ति से आपका संकल्प वायरलेस से भी तेज किसी भी आत्मा प्रति पहुंच सकता है। इस शक्ति का विशेष यंत्र है 'शुभ संकल्प' इस संकल्प के यंत्र द्वारा जो चाहे वह सिद्धि स्वरूप में देख सकते हो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ तन, मन, कर्म और सम्पर्क-सम्बन्ध में °साइलेन्स की शक्ति° का प्रयोग किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं योगयुक्त, युक्तियुक्त सेवाधारी हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ हर प्रकार की सेवा करते, उपराम स्थिति में रहने वाली मैं योगयुक्त, युक्तियुक्त सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ स्वयं को निमित समझ करन करावन हार बाप को सदा स्मृति में रख हर सेवा करते हुए मैं स्वयं को निर्बन्धन अनुभव करती हूँ ।
❉ सेवा करते करते बीच बीच में अशरीरी बनने के अभ्यास द्वारा मैं सहज ही कर्मातीत स्तिथि का अनुभव करती जाती हूँ ।
❉ चलते-फिरते, खाते-पीते हर कर्म करते बुद्धि का योग सिर्फ एक बाप के साथ लगा कर मैं हर कर्म में आनन्द का अनुभव करती हूँ ।
❉ हर प्रकार की सेवा को मैं सहज योगी बन बाप की मदद से सहजता से सफल करती जाती हूँ ।
❉ योगयुक्त हो कर हर कर्म करने से मुझे बाबा से हर पल आत्मिक शक्ति प्राप्त होती रहती है जो मेरे हर कार्य को सहज कर देती है।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - अभी तुम्हे निंदा - स्तुति, मान - अपमान, दुःख - सुख सब कुछ सहन करना है तुम्हारे सुख के दिन अभी समीप आ रहें हैं"
❉ इस कलयुगी दुनिया में सभी एक दो को दुःख ही देते रहते हैं क्योकि है ही दुखधाम ।
❉ किन्तु अब परम पिता परमात्मा बाप आये हैं इस दुःख धाम को सुख धाम में बदलने के लिए ।
❉ सुख धाम में जाने के लिए ही अभी हम बाप की श्रीमत पर चल पुरुषार्थ कर रहे हैं ।
❉ इसलिए अब बाप कहते हैं कि तुम्हे अभी मान -अपमान, निंदा - स्तुति सब कुछ सहन करना है ।
❉ क्योकि अब तुम्हारे सुख के दिन नजदीक आ रहें हैं । तुम इस दुःख धाम से निकल सुख धाम में चले जाएंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢ किसी भी कारण से पढ़ाई नहीं छोड़नी है। सजायें बहुत कड़ी हैं उनसे बचने के लिए और सब संग तोड़ एक बाप को याद करना है। रूठना नहीं है ।
❉ कोटों में कोई कोईँ में से भी कोई चुनकर बाप ने हमें अपना बनाया व पतित दुनिया में आकर हमें पढ़ाकर पावन बनाता है। तो ऐसी ऊंच पढ़ाई को किसी भी कारण से नहीं छोड़ना है।
❉ ड्रामानुसार कुछ न कुछ तकलीफ परेशानी हो जाती है। कई बार माया के अनेक तूफान आते हैं व संशय आ जाता है व रूठ कर पढ़ाई छोड़ देते हैं। ये भूल जाते हैं कि हमें कौन पढ़ा रहा है?? हमें निश्चयबुद्धि बन एक बाप की याद में रहना है।
❉ रूठना माना सदगति से रूठ जाना। रूठेंगे तो सजायें भी खानी पड़ेगी व नीचे गिरते जायेंगे। बिना साक्षात्कार के सज़ा मिल नहीं सकती।बाप के सिवाय सदगति तो कोई को मिल नहीं सकती।
❉ बाप हमें पढ़ाकर 21 जन्मों के लिए बादशाही देते हैं, काँटे से फूल बनाते हैं, पतित से पावन बनाते हैं तो ऐसी ऊंच पढ़ाई को आपस में रूठकर या ब्राह्मणी से रूठकर छोड़ना नहीं है।
❉ देह व देह के सर्व सम्बंध निंभाते हुए कमल पुष्प समान न्यारे व प्यारे रहते हुए अपने को आत्मा समझो व एक बाप को याद करो।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सेवा करते उपराम स्थिति में रहने वाले योगयुक्त, युक्तियुक्त सेवाधारी प्रतीत होते है... क्यों और कैसे ?
❉ सेवा करते बाबा की याद में रहने वाले चलते फिरते फ़रिश्ते दिखाई देते है।
❉ याद में रहते जब सेवा करते है तो थकान बिलकुल महसूस नहीं होती, कार्य बहुत जल्दी और सफलतापूर्वक होता है।
❉ जब सेवा करे तो यह याद रहे - करावनहार करवा रहा है और में आत्मा इन कर्मेन्द्रियो द्वारा कर रही हु, तो योगयुक्त स्थिति रहेगी।
❉ क्युकी उन आत्माओ को यह भान या अभिमान नहीं रहता की मैंने किया, या में ही कर सकता हु। कर्म के लिए देह में आये और फिर बिंदी बन देह से परे।
❉ कर्म करते योग में रहना ही कर्मयोगी बनना है, कर्मयोगी आत्माये स्थूल शरीर द्वारा कर्म यहाँ करती है परन्तु उनका मन परमात्मा में लगा होता है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ शुभ भावना कारण को निवारण में बदल देती है... कैसे ?
❉ सर्व के प्रति शुभ भावना बुद्धि की लाइन को क्लियर रखती है जिससे बाप की टचिंग सहज ही मिलती रहती है और कारण स्वत: निवारण में बदल जाता है ।
❉ शुभभावना बुद्धि को व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर, स्वस्थिति को मजबूत बनाती है । जिससे समाधान स्वरूप बन हर कारण को निवारण में बदलना सहज हो जाता है ।
❉ शुभभावना मन बुद्धि को हल्का रखती है जिससे आत्मा उड़ती कला में विचरण करते हुए हर परिस्थिति को सहज ही पार कर लेती है और हर कारण को निवारण में बदल देती है ।
❉ सर्व के प्रति शुभभावना रखने वाले, हर समय हर सेकण्ड बाप की मदद का अनुभव करते हुए हर समस्या को समाधान में सहज ही परिवर्तित कर लेते हैं ।
❉ शुभ भावना और शुभकामना चिंतन को शुद्ध और श्रेष्ठ बनाती हैं जिससे सभी समस्याएं समाप्त हो जाती है और कारण निवारण में बदल जाता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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