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    04 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ °बाप और सेवा° से प्यार रहा ?

‖✓‖ बाबा को °बाप, टीचर, सतगुरु° तीनो संबंधो से याद किया ?

‖✓‖ °सिर्फ एक बाप° से ही बुधियोग जुदा रहा ?

‖✓‖ सबको °बाप की याद° दिलाई ?

‖✓‖ सबको °मीठी मीठी बातें° सुनाई ?

‖✗‖ मनसा वाचा कर्मणा किसी को °दुःख° तो नहीं दिया ?

‖✗‖ इस °पुरानी दुनिया से दिल° तो नहीं लगाई ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

➢➢ किसी भी °विकराल समस्या को शीतल° बनाया ?

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अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-

➳ _ ➳  बापदादा ने देखा कि दिल का प्यार, सच्चा प्यार कभी मिट नहीं सकता। तो बाप भी वाह बच्चे वाह का गीत गाते रहते हैं। सभी बच्चों के याद में रहने का प्रयत्न देख बापदादा भी खुश होते हैं। इसके लिए मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। बाप भी आप बच्चों को याद करते हैं ऐसे नहीं है कि बच्चे भूल गये हैं, नहीं। एक-एक बच्चा बापदादा के दिल में है। भले नम्बरवार हैं लेकिन याद में रहते हैं। तो आज बापदादा इस दिन को महान समझते हैं जो बाप और बच्चों का सम्मुख मिलन होता है, बाप भी खुश बच्चे भी खुश।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज पूरा दिन बापदादा के °दिल में समाये रहे° और खुश रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ मैं सम्पूर्ण निश्चयबुधी आत्मा हूँ

 

 ✺   श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मुझ आत्मा को स्वयं में... बाप में... और ड्रामा में सम्पूर्ण निश्चय है ।

 ❉   इसी सम्पूर्ण निश्चय के कारण ही मैं कभी भी स्वयं से दिलशिकस्त नही होती।

 ❉   मैं आत्मा व्यर्थ संकल्प रुपी कमजोरी के जर्मस कभी अपने अंदर प्रवेश नहीं होने देती ।

 ❉   स्वयं भगवान मेरा मददगार है।उसकी हजार भुजाएं के नीचे मैं स्वयं को सुरक्षित अनुभव कर  आगे बढ़ती जाती हूँ।

 ❉   मैं आत्मा सदा हलचल के सीन में भी कल्याण का अनुभव करती हूँ । वातावरण चाहे हिलाने वाला हो... समस्या चाहे विकराल हो... लेकिन सदा निश्चयबुधी विजयी स्थिति का अनुभव कर विकराल समस्या को भी शीतल अनुभव करती हूँ ।

 ❉   करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में निश्चय बुद्धि बन विजय का तिलक लगाये मैं निरन्तर सफलतामूर्त बनती जाती हूँ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम बाप के बच्चे मालिक हो, तुमने कोई बाप के पास शरण नही ली है, बच्चा कभी बाप की शरण में नही आता"

 

 ❉   "शरण पड़ी मैं तेरे" यह गायन है भक्तों का, जो मन्दिरों में देवताओं के आगे जा कर भक्त माथा टेकते हैं और गाते हैं।

 ❉   किन्तु यहां तो शरण वाली कोई बात ही नही।क्योकि शरण तो शरणार्थी लेते हैं।

 ❉   हम तो परम पिता परमात्मा बाप के बच्चे हैं। बच्चे कभी बाप की शरण नही लेते।

 ❉   बच्चे तो मालिक होते हैं।माँ बाप की हर चीज पर बच्चों का हक होता है।

 ❉   तो परम पिता परमात्मा बाप के बच्चे होने के नाते हमारा भी यह हक बनता है  कि हम मालिक बन बाप से पूरा वर्सा लें।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ "सबके कानों में मीठी बातें सुनानी हैं, सबको बाप की याद दिलानी है। बुद्धियोग एक बाप से जुड़ाना है"।

 

 ❉   हम प्यार के सागर के बच्चे मास्टर प्यार के सागर हैं जैसे बाबा रोज़ हमें मीठे बच्चे कहकर मीठी-मीठी बातें सुनाते हैं व कहते हैं अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो।

 ❉   आत्मिक स्वरूप में रहकर दूसरों को बाबा का ज्ञान सुनायेंगे तो उसको भी बाबा की टचिंग होगी व उस आत्मा को बाबा की ओर खींच अनुभव होगी।

 ❉   बाप की याद में रहने से सदा हर्षितमुख रहेंगे, कभी मुरझाएंगे नहीं। इसलिए बाप की मीठी बातों को याद रख ख़ुद भी मीठा बनना है व दूसरों को भी मीठा बनाना हैं।

 ❉   बाप से ऐसी दिल लगी हो व याद का जौहर हो कि हर पल बाबा की मीठी बातें ही अंदर चलती रहे तो दूसरों को भी सुनाते रहेंगे व बाबा से भी जोड़ेंगे।

 ❉   जब भी किसी आत्मा से मिले तो ये पूछना है कि शिवबाबा याद हैं? ऐसे करने से ख़ुद को व दूसरों को बाबा की याद दिलानी हैं व बाबा से जोड़ना है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ किसी भी विकराल समस्या को शीतल बनाने के लिए सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि होना आवश्यक है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   निश्चय बुद्धि विजयन्ति, बाप में सम्पूर्ण निश्चय ही सफलता का आधार है।

 ❉   यह निश्चय की "में कर सकता हु" हमारा आत्मबल बढाता है।

 ❉   निश्चयबुद्धि होने से हमारे विचारो व कर्मो में द्रणता आती है।

 ❉   "मन के हारे हार, मन के जीते जीत" अगर मन में सम्पूर्ण निश्चय है तो हमारी जीत हुई पड़ी है।

 ❉   "सर्व शक्तिमान बाप हमारे साथ है, एक बल एक भरोसा" यह सम्पूर्ण निश्चय अनेक पहाड़ जैसी विकराल समस्याओ को रुई समान बना देता है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ जिसका बाप और सेवा से प्यार है उसे परिवार का प्यार स्वत: मिलता है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जिसका बाप और सेवा से स्नेह है उसके हर कर्म में ब्राह्मण परिवार के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना होगी इसलिए वह स्वत: ही ब्राह्मण परिवार के प्यार का पात्र होगा।

 ❉   जिसका बाप और सेवा से प्यार होगा वह अपने ब्राह्मण परिवार के प्रति भी आज्ञाकारी और वफादार होगा इसलिए उसे परिवार का स्नेह स्वत: ही प्राप्त होगा।

 ❉   बाप और सेवा से स्नेह रखने वाला अपने ब्राह्मण परिवार के प्रति भी पूर्ण रूप से समर्पित होगा इसलिए परिवार के प्यार का स्वत:ही हकदार होगा।

 ❉   जिसका बाप और सेवा से प्यार होगा वह सर्व ब्राह्मण आत्माओं का किसी ना किसी रूप में अवश्य सहयोगी होगा। सहयोग की भावना ही उसे सम्पूर्ण परिवार के प्यार का पात्र बना देगी।

 ❉   जिसका बाप और सेवा से प्यार होगा उसका सर्व ब्राह्मण आत्माओं के प्रति आत्मिक स्नेह वा प्यार होगा जिससे वह सबके स्नेह का अधिकारी होगा।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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