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    20 / 04 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °स्वदर्शन चक्रधारी° बनकर रहे ?

‖✓‖ अपनी बुधी °बेहद° में रखी ?

‖✓‖ "°अप्राप्त नहीं कोई वस्तु°" - ऐसा अनुभव किया ?

‖✓‖ °बाप में जो गुण° हैं, वह स्वयं में भरने का पुरुषार्थ किया ?

‖✓‖ कोई भी बात में अपसेट होने की बजाये °नॉलेजफुल° की सीट पर सेट रहे ?

‖✗‖ °मियाँ मिठू° तो नहीं बने ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

‖✓‖ °हर कदम में पद्मों° की कमाई जमा की ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

➳ _ ➳  मन्सा शक्ति का दर्पण है - बोल और कर्म । चाहे अज्ञानी आत्मायें, चाहे ज्ञानी आत्मायें - दोनों के सम्बन्ध-सम्पर्क में बोल और कर्म शुभ- भावना, शुभ-कामना वाले हों । जिसकी मन्सा शक्तिशाली वा शुभ होगी उसकी वाचा और कर्मणा स्वत : ही शक्तिशाली शुद्ध होगी, शुभ- भावना वाली होगी । मन्सा शवितशाली अर्थात् याद की शक्ति श्रेष्ठ होगी, शक्तिशाली होगी, सहजयोगी होंगे ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

‖✓‖ सम्बन्ध-सम्पर्क में बोल और कर्म °शुभ- भावन°, शुभ-कामना वाले रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं तृप्त आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं ईश्वरीय प्राप्तियों से सम्पन्न सदा तृप्त आत्मा हूँ ।

 ❉   मेरे कदम - कदम में पदमो की कमाई समाई हुई है ।

 ❉   सर्व शक्तिवान बाबा ने मुझे सब खजानो से सम्पन्न कर दिया है ।

 ❉   मेरे सभी भंडारे सदा भरपूर रहते हैं ।

 ❉   रोज सवेरे अमृतवेले बाबा वरदानों से मेरी झोली भर कर मुझे तृप्त कर देते हैं ।

 ❉   इससे मेरे अंदर बहुत उमंग उत्साह भर जाता है और आलस्य गायब हो जाता है ।

 ❉   बाबा द्वारा मिले वरदानों को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, पूरे विश्व को दान दे , असीम तृप्ति का अनुभव कर रही हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - सुख और दुःख के खेल को तुम ही जानते हो, आधकल्प है सुख और आधाकल्प है दुःख, बाप दुःख हरने सुख देने आते हैं "

 

 ❉   यह सृष्टि चक्र सुख और दुःख पर आधारित एक विशाल नाटक है ।

 ❉   इस सुख दुःख के रहस्य को हम ब्राह्मण बच्चे ही जानते हैं ।

 ❉   और कोई की बुद्धि में यह बातें है नही । दुनिया वाले तो समझते अभी अभी सुख है, अभी अभी दुःख है ।

 ❉   लेकिन हम ब्राह्मण बच्चे इस बात को अच्छी रीति जानते हैं के यह सुख दुःख अभी अभी की बात नही है । आधा कल्प है सुख और आधा कल्प है दुःख ।

 ❉   आधा कल्प स्वर्ग के सुख भोगने के बाद जब मायारावण की मत पर चल हम दुखी होते है तब राम अर्थात परम पिता परमात्मा हमारे दुखो को हर कर हमे सुख देने आते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)

 

➢➢ इम्तिहान से पहले पुरूषार्थ कर स्वयं को कम्पलीट पावन बनाना है, इसमें मिया मिट्ठू नहीं बनना है।

 

 ❉   हम सभी आत्माओं का पिता एक है परम आत्मा यानि सुप्रीम सोल। सब आत्मायें एक ही पिता की संतान होने से आपस में भाई-भाई हैं तो अपनी आत्मिक स्थिति व आत्मिक दृष्टि के पुरूषार्थ को पक्का करना है तभी पावन बनेंगे।

 ❉   मनसा वाचा कर्मणा हर पल अपनी सम्भाल करनी है । कोई भी ऐसा विकर्म नहीं करना जो दिल को खाए वरना गिरने के बाद फिर उतना ऊपर नहीं आ पायेंगे ।

 ❉   एक छोटा सा भाव भी गल्त आ गया व उसी क्षण पेपर हो गया तो फ़ेल हो जायेंगे । इसलिए हर संकल्प श्रेष्ठ, शुभ भावना रखते हुए पुरूषार्थ कर पेपर से पहले स्वयं को पावन बनाना है।अपनी झूठी प्रशंसा नहीं करनी कि हम तो पावन बन गए है , सम्पूर्ण बन गए हैंं।

 ❉   ऊंच ते ऊंच बाप मिला है जो हमारा टीचर भी है, सतगुरू भी है। हमें पढाई को अच्छी रीति पढकर व यथार्थ रीति याद में रहकर पावन बनने का पुरूषार्थ करना है। याद की यात्रा में रहने का अभ्यास होगा तो विकर्म विनाश होंगे व पावन बनेंगे।

 ❉   ज्ञान से ही स्व को पहचाना । बाप ही रचयिता और रचना का ज्ञान देते हैं। कल्प में एक बार ही ये ज्ञान देकर पतित से पावन बनाते हैं और कोई तो पावन बना नहीं सकता। इसलिए स्वीट बाप को याद करना है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

 

➢➢ हर कदम में पद्मो की कमाई जमा करने वाले स्वयं को सर्व खजानों से संपन्न व तृप्त आत्मा अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो आत्माये इस एक जन्म में अपना सबकुछ सारे विश्व की आत्माओ के कल्याण अर्थ पाई पैसा लगाते है, उन्हें 1 का 100 गुणा देने के लिए बाप बंधा हुआ है क्युकी बाप के मददगार बने है ना।

 ❉   भोलेनाथ बाबा गरीब निवाज है, गरीब बच्चे यहाँ कोडी के बदले स्वर्ग की बादशाही वर्से के रूप में बाप से ले लेते है, नंबर 1 व्यापार है यह।

 ❉   हर कदम जो हम बाप की याद में उठाते है, हमारे विकर्म तो विनाश होते ही है साथ में स्वर्ग का पद भी उच्च प्राप्त होता जाता है। जितनी पवित्र आत्मा उतना उच्च पद।

 ❉   हर कदम जो हम श्रीमत पर उठाते है वह हमारे भविष्य के लिए जमा होता जाता है, वर्तमान में भी संगमयुग की रूहानी मौजो का आनंद ले सकते है।

 ❉   जितना विचार सागर मंथन कर ज्ञान के गहराई में जायेंगे उतना ज्ञान सागर से अमूल्य रत्न प्राप्त होते जायेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

 

➢➢ कोई भी बात में अपसेट होने की बजाए नॉलेज फुल की सीट पर सेट रहो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   नॉलेजफुल की सीट पर सेट रहेंगे तो किसी भी परिस्तिथि के आने से पहले उसे परख कर उस परिस्तिथि में अपसेट होने की बजाये उसे सहज ही पार कर लेंगे ।

 ❉   नॉलेजफुल की सीट पर सेट रहने से ड्रामा का राज सदैव बुद्धि में रहेगा जिससे किसी भी बात में अपसेट होने की बजाए उस बात को साक्षी हो कर देखेंगे और हर्षित रहेंगे ।

 ❉   नॉलेजफुल की सीट पर सेट रहने वाला हर बात में मनोरंजन का अनुभव करेगा और किसी भी बात में अपसेट  नही होगा ।

 ❉   नॉलेजफुल की सीट पर सेट रहने से त्रिकालदर्शी बन हर बात में कल्याण का अनुभव करेगे और किसी भी बात में अपसेट होने से सहज ही बच जायेंगे ।

 ❉   नॉलेजफुल की सीट, विपरीत परिस्तिथि में घबराने की बजाए उस परिस्तिथि को पार करने की सूझ - बूझ प्रदान कर, हमे अपसेट होने से बचा लेगी ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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