❍ 05 / 01 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं बाप समान अखंड परोपकारी आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ स्वयं के प्रति इच्छा मातरम् अविध्या
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ बाप
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ अगर एक बार कोई भूल हुई तो उसी समय °कान पकड़ा° की वह भूल दोबारा ना हो ?
‖✓‖ °अंतर्मुखी° बनकर रहे ?
‖✓‖ ज्ञान , गुण और धारणा में °सिन्धु° और स्मृति में °बिंदु° बनकर रहे ?
‖✓‖ °सच्चे पिताव्रता° बनकर रहे ?
‖✓‖ कोई भी कर्म करने से पहले, बोल बोलने से पहले व संकल्प करने से पहले चेक किया की क्या यह °ब्रह्मा बाप समान° है ?
‖✓‖ °श्रेष्ठ पोजीशन° पर रह ओपोजीशन को समाप्त किया ?
‖✗‖ किसी से °सेवा तो नहीं ली° ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (25/12/2014) :-
➳ _ ➳ और बापदादा एक-एक को देख यही कहते कि अटेन्शन अविनाशी रहे, बातें आती हैं लेकिन बातों में अटेन्शन कम नहीं हो । वैसे बापदादा ने देखा है कि कई बच्चे लक्ष्य अपना अच्छा रखते हैं और चलते भी हैं लेकिन., लेकिन आता है । समय अब आप सबका इन्तजार कर रहे हैं । लक्ष्य अच्छा हैं, चेकिंग भी अच्छा है लेकिन बीच-बीच में कोई-कोई बात अपने तरफ आकर्षण कर देती है और फाइनल रिजल्ट अचानक होनी है, कोई तारीख फिक्स नहीं होगी ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ अटेंशन अविनाशी रहा ? बीच – बीच में कोई कोई बात ने आपको आकर्षित तो नहीं किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ स्वयं के प्रति इच्छा मात्रम अविद्या बनने से क्या प्राप्तिया होती है ?
❉ मस्त फ़कीर बनकर रहते हैं ।
❉ मैं और मेरापन समाप्त हो जाता है ।
❉ उपराम अवस्था रहने लगती है ।
❉ कम्पलीट बेगर टू प्रिंस बनने की स्मृति रहती है।
❉ संकल्प,समय कही व्यर्थ की इच्छाओ में नहीं फसता।
❉ संतुष्ट रहते है,और जहा संतुष्ठता है वहां प्रसन्नता है।
❉ स्थिति एकरस रहती है,एकाग्रता बढती है।
❉ अंत में सबकुछ समेटने में आसानी रहेगी।बुद्धि कही फसेगी नहीं।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ ज्ञान,गुण और धारणा में सिन्धू और स्मृति में बिन्दू बनने के लिए हमें किस पुरषार्थ पर मुख्य रूप में अटेंशन देना चाहिए ?
❉ ज्ञान गुण और धारना में सिन्दु बनने के लिए साक्षी होकर बीती को बीती कह ड्रामा की बिन्दी लगाने का पुरषार्थ करना चाहिए।
❉ लक्ष्य और लक्षण की समानता रख दृढ़ता और निर्विघ्नता से आगे बढ़ते रहने की अटेंशन से।
❉ किसी के भी अवगुण न देख गुण ग्राही बन बुद्धि में पवित्रता बनाने की अटेंशन से।
❉ बह्यमुखता को छोड़ अन्तर्मुखता को धारण कर कर्मिन्द्रियों के राजा बन ऑर्डर प्रमाण चलाने की अटेंशन से।
❉ बाप के कर्तव्य को अपना समझ कर्मो में शीतलता वाणी में मधुरता और संस्कारो में सरलता लाने की अटेंशन से।
❉ इच्छा मात्र अविद्या की स्मृति रख संतुष्ट मनी बनने की अटेंशन से।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔