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   08 / 10 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सदा °सच्चा° होकर रहे ?

 

‖✓‖ अपने °शांत स्वरुप में° स्थित रह अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति की ?

 

‖✓‖ मुख से सदा °बाबा-बाबा° निकलता रहे ?

 

‖✓‖ बाबा से °अविनाशी सर्जन° के सम्बन्ध की अनुभूति की ?

 

‖✗‖ °भाई-बहन° के सिवाए और किसी सम्बन्ध का भान तो नहीं रहा ?

 

‖✗‖ कोई भी °क्रिमिनल एक्ट° तो नहीं की ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °स्मृति के स्विच° द्वारा स्व कल्याण और सर्व का कल्याण किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  फरिश्ता स्थिति का अनुभव करने के लिए अभी-अभी आवाज में आते, डिस्कस करते, कैसे भी वातावरण में संकल्प करो और आवाज से परे, न्यारे फरिश्ता स्थिति में टिक जाओ। अभी-अभी कर्मयोगी, अभी-अभी फरिश्ता अर्थात् आवाज से परे अव्यक्त स्थिति। यही अभ्यास लास्ट पेपर में विजयी बनायेगा।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ कैसे भी वातावरण में संकल्प करो और आवाज से परे, न्यारे °फरिश्ता स्थिति° में टिकने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   स्मृति के स्विच द्वारा स्व कल्याण और सर्व का कल्याण करने वाली मैं सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ ।

 

 ❉   " मैं बाबा की बाबा मेरा " इस शक्तिशाली स्मृति से मैं अपनी स्थिति को पावरफुल बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   जैसे स्विच ऑन करते ही रोशनी हो जाती है, इसी प्रकार स्मृति रूपी स्विच ऑन कर मैं अज्ञान अंधकार को ज्ञान की रोशनी से उज्ज्वल बना रही हूँ ।

 

 ❉   स्मृति रूपी स्विच के अटेंशन द्वारा मैं स्व कल्याण द्वारा विश्व कल्याण के निमित बन रही हूँ ।

 

 ❉   योग अग्नि द्वारा अपने पुराने स्वभाव संस्कारों को जला कर, मैं सिद्धि स्वरूप का वरदान प्राप्त कर रही हूँ ।

 

 ❉   मैं सदा ज्ञान रत्नों से खेलती और खुशियों के झूले में झूलती रहती हूँ ।

 

 ❉   सर्वशक्तियों की अथॉरिटी से मैं सिद्धि स्वरूप बन हर कार्य में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - सबसे मीठा अक्षर  ' बाबा ' है, तुम्हारे मुख से सदा बाबा - बाबा निकलता रहे, सबको शिवबाबा का परिचय देते रहो"

 

 ❉   स्वयं का और परमात्मा का सही परिचय ना होने के कारण अब तक हम उनके साथ भगवान और भक्त का रिश्ता निभाते आये ।

 

 ❉   किन्तु अब परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने आकर हमे हमारा और अपना यथार्थ परिचय दे वास्तविकता का बोध कराया है ।

 

 ❉   अब हमे यह ज्ञान मिला है कि हम सभी आत्माएं परम पिता परमात्मा शिव बाबा की संतान है, वो हम सब आत्माओं के बाबा है ।

 

 ❉   लौकिक में भी बच्चा सबसे पहले ' बाबा ' शब्द ही बोलना सीखता है । क्योकि बाबा शब्द बहुत ही मीठा है ।

 

 ❉   इसलिए हमारे मुख से सदा बाबा - बाबा निकलता रहे और हम सबको शिवबाबा का परिचय देते रहें ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सत के संग वापस जाना है इसलिए सदा सच्चा रहना है ।

 

 ❉  अभी तक झूठी विनाशी दुनिया में रह रहे थे । अब हमें सत का संग मिला है तो सब के साथ सच्चा होकर रहना है । यहाँ सच्चाई के साथ रहेंगे तभी सचखंड में जाने लायक बनेंगे ।

 

 ❉   बाप आए है हमें अपने साथ जाने के लिए व दु:ख की दुनिया से छुड़ाकर सुखधाम में ले जाने के लिए । पावन बने बग़ैर तो जा नहीं सकते इसलिए बाप की याद में रहना है व याद से ही आत्मा पावन बनती है ।

 

 ❉   कहा भी गया है "सच्चे दिल पर साहिब राज़ी " । जिनका दिल साफ़ व सच्चा होता है वो ही बाप के दिल पर राज करते हैं । सत बाप है सत टीचर है और सत गुरू है तो अपने सच्चे बच्चों को ही साथ ले जायेगा व नयी दुनिया में तभी तो राजाई पद देगा ।

 

 ❉   बाप के साथ ओर वापिस जाना है व अपने बाप को सब सच सच बताना है कोईँ गल्ती होने पर छुपानी नहीं है । सच बताने पर बाप आधी माफ कर देगा वरना सजायें भी खानी पड़ेंगी व पद भी भ्रष्ट हो जायेगा ।

 

 ❉   बाबा कहते है कितना भी सच्चा साथी हो लेकिन वो सदा साथ नहीं निभाता । हमें तो रूहानी साथी मिला है सदा साथ निभाने वाला । इसलिए किसी देहधारी का साथ तो सचखंड नहीं पहुँचा सकता ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्मृति के स्विच द्वारा स्व कल्याण और सर्व का कल्याण करने वाले सिद्धि स्वरुप बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   गाया जाता है "सेकंड में जीवनमुक्ति", अर्थात बाप ने आकर स्मृति का स्विच ओन किया और निश्चय हुआ तो जीवनमुक्ति के अधिकारी बन गए।

 

 ❉   जैसे ही बाबा ने हम बच्चो को आत्मा, परमात्मा और ड्रामा की समृति दिलाई हमें स्व कल्याण में लग जाना चाहिए, स्व कल्याण से ही विश्व कल्याण होगा।

 

 ❉   सदेव स्मृति का दीपक जलता रहे। तीनो स्मृतियाँ का स्विच सदा ओन रहे तो स्व का और विश्व का कल्याण सदा होता ही रहेगा क्युकी जो भी कार्य करेंगे वह श्रेष्ठ स्मृति में रहते है और उनका हर कार्य सिद्ध होता है।

 

 ❉   श्रेष्ठ स्मृति रहने से स्थिति भी श्रेष्ठ रहती है और जैसी स्थिति वैसा कर्म होता है। सदा नए जन्म की श्रेष्ठ स्मृतियाँ रहे तो पुराना सब समाप्त कर नए स्व व विश्व कल्याण में लग जायेंगे।

 

 ❉   "में बाबा की और मेरा बाबा" बस यही धुन लगी रही तो व्यर्थ की सब बातो से मुक्त हो जायेंगे। एक बाप मेरा तो बाप की सारी प्रॉपर्टी की अधिकारी में बन गयी। बाप के समान बनने का श्रेष्ठ लक्ष्य रहेगा और जैसे में बाबा की वैसे सारे विश्व की आत्माये भी बाबा की तो दृष्टि वृत्ति बेहद की हो जायेगा।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करने के लिए अपने शांत स्वरूप में स्थित रहो... क्यों और कैसे?

 

 ❉   जितना अपनी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित रहेंगे उतना बुद्धि एकाग्र रहेगी और याद की यात्रा में निरन्तर आगे बढ़ते हुए अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करते रहेंगे ।

 

 ❉   अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति के लिए जरूरी है बाप से कनेक्शन जोड़ना और बाप से कनेक्शन जोड़ने के लिए जरूरी है बुद्धि की लाइन क्लियर होना और बुद्धि की लाइन तब क्लियर होगी जब अपनी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित होंगे ।

 

 ❉   जितना आत्मिक स्वरूप में टिकने का अभ्यास होगा उतना ही अधिक अपनी शांत स्वरूप आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित रह योग की गहन अनुभूति द्वारा अतीन्द्रिय सुख की प्राप्ति कर सकेंगे ।

 

 ❉   अपनी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित तभी रह सकेंगे जब अंतर्मुखी बन निरन्तर एक बाप की याद में रहेंगे और सर्व सम्बंधों का सुख एक बाप से लेते हुए अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहेंगे ।

 

 ❉   बेहद की वैराग्य वृति आत्मा को देह और देह के सर्व बंधनो से मुक्त कर देगी जिससे आकर्षण के सब संस्कार समाप्त हो जायेगे और आत्मा अपनी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित रह, अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति कर सकेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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