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   14 / 09 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ इस शरीर के भान को छोड़ °मरजीवा° बनने पर अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ ईश्वरीय सेवा में °स्वयं को ऑफर° किया ?

 

‖✓‖ °पुण्य आत्मा° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °अटेंशन° देकर पढाई पडी ?

 

‖✓‖ "सुप्रीम टीचर की पढाई हमें °नर से नारायण° बनाने वाली है" - यह निश्चय रहा ?

 

‖✗‖ °संशयबुधी° बन अपना नुकसान तो नहीं किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °निमित भाव° द्वारा सेवा में सफलता प्राप्त की ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  अब सर्व ब्राह्मण बच्चों को यह स्पेशल अटेंशन रखना है कि हमें चारों ओर पावरफुल याद के वायब्रेशन फैलाने हैं, क्योंकि आप सब ऊंचे ते ऊंचे स्थान पर रहते हो। तो जो ऊंची टावर होती है, वह सकाश देती है, उससे लाइट माइट फैलाते हैं। तो रोज कम से कम 4 घण्टे ऐसे समझो हम ऊंचे ते ऊंचे स्थान पर बैठ विश्व को लाइट और माइट दे रहा हूँ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ स्वयं को बार बार ऐसे समझा की मैं ऊंचे ते ऊंचे स्थान पर बैठ विश्व को °लाइट और माइट° दे रहा हूँ ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं श्रेष्ठ सेवाधारी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

  ❉   निमित भाव द्वारा सेवा में सफलता प्राप्त करने वाली मैं श्रेष्ठ सेवाधारी आत्मा हूँ ।

 

  ❉   स्वयं को निमित समझ, करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में मैं हर कार्य में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।

 

  ❉   अपने हर कदम को श्रेष्ठ बाप की श्रेष्ठ मत द्वारा श्रेष्ठ बनाती जाती हूँ ।

 

  ❉   स्वस्थिति द्वारा हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर, मैं स्वयं को व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर समर्थ आत्मा बनती जाती हूँ ।

 

  ❉   उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो, स्वयं उल्लास में रहते, मैं सर्व आत्माओं को भी उमंग उत्साह से भरपूर करती जाती हूँ ।

 

  ❉   अपने श्रेष्ठ संकल्प और याद के बल से मैं विहंग मार्ग की सेवा में सदैव तत्पर रहती हूँ ।

 

  ❉   दृढ संकल्प द्वारा पुराने स्वभाव संस्कार को, इस रूद्र ज्ञान यज्ञ में स्वाहा कर, विश्व परिवर्तन के कार्य में सहयोगी बनने वाली मैं पदमापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप जो तुम्हे हीरे जैसा बनाते हैं, उनमें कभी भी संशय नही आना चाहिए, संशयबुद्धि बनना माना अपना नुकसान करना"

 

 ❉   कहा जाता है "निश्चय बुद्धि विजयंती" और "संशय बुद्धि विनशन्ती"

 

 ❉   इसलिए किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए निश्चय बुद्धि होना बहुत जरूरी है ।

 

 ❉   पढ़ाई में भी जो विद्यार्थी निश्चयबुद्धि हो कर, अच्छी रीति पढ़ाई पढ़ते हैं, वही ऊँच पद प्राप्त करते हैं ।

 

 ❉   हमारी भी यह रूहानी पढ़ाई है इसलिए हमे भी इस बात पर सम्पूर्ण निश्चय होना चाहिये कि स्वयं भगवान हमारे जीवन को हीरे जैसा बनाने के लिए हमे पढ़ाते हैं ।

 

 ❉   इस बात में कभी भी संशय नही आना चाहिए क्योकि ज़रा भी संशय आया तो पढाई अच्छी रीति नही पढ़ सकेंगे और अपना ही नुकसान करेंगें ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सुप्रीम टीचर की पढ़ाई से हमे नर से नारायण बनाने वाली है, इसी निश्चय से अटेंशन देकर पढ़ाई पढ़नी है ।

 

 ❉   ज्ञान का सागर बाप एक है जो हमें सच्चा सच्चा ज्ञान देकर पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बनाता है व घोर अज्ञान के अँधियारे से निकाल ज्ञान रूपी तीसरा नेत्र देता है ।

 

 ❉   जब स्वयं भगवान टीचर बन हमें रोज़ पढ़ाने इस पतित दुनिया में हमारे लिए आते हैं तो हमें भी पूरे अटेंशन व निश्चय के साथ इस पढ़ाई को पढ़ना है ।

 

 ❉   जैसे लौकिक में बाप अपने बच्चे को शिक्षा देकर आप समान बनाते हैं हमें तो बेहद का बाप भगवान स्वयं पढ़ाते हैं तो हमें भगवान आप समान भगवान भगवती बनाते हैं । तो कितना नशा व ख़ुशी होनी चाहिए ।

 

 ❉   देहभान में आकर यह नहीं देखना कि ये तो ब्राह्मणी ही पढ़ा रही है । वह तो केवल माइक है , इंसट्रूमेंट है नालेज दे रही है । पढ़ाने वाला तो शिव बाबा है । अपने को आत्मा समझ बैठकर पढ़ना है व हम सब आत्माओं का पिता परमात्मा ही हमें पढ़ा रहा है ।

 

 ❉   इस रूहानी वंडरफुल पढ़ाई को इस निश्चय से पढ़ना है कि बाप से ये पढ़ाई पढ़कर हमारा कौड़ी तुल्य जीवन हीरे तुल्य बनाकर अपने से ऊँची सीट पर बिठाकर 21 जन्मों के लिए राजाई देता है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ श्रेष्ठ सेवाधारी वह है जो निमित्त भाव द्वारा सेवा में सफलता प्राप्त करने वाले हो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जहाँ नाम, मान, शान की इच्छा होती है वहाँ निस्वार्थ भाव से सेवा नहीं कर सकते, और स्वार्थ रूप में की गयी सेवा में सफलता भी अल्पकाल की मिलती है।

 

 ❉   जितना निमित्त भाव होगा उतना सेवा की जिम्मेदारी बाप की होगी, करन करावनहार बाप है और जहाँ बाप का हाथ और साथ है वहाँ सफलता हमारे कदम चूमती है।

 

 ❉   श्रेष्ठ सेवाधारी सदेव आलराउंडर सेवा करते भी बापदादा को आगे रखते है, स्वयं का नहीं परन्तु बाप की याद सबको दिलाते है, उनके हर बोल, कर्म, संकल्प से बाप ही प्रत्यक्ष दिखाई देता है।

 

 ❉   जितना निमित्त भाव होगा उतनी ही निरहंकारी, निराकारी स्थिति रहेगी और वृत्ति भी पावन होगी। वृत्ति से ही वायुमंडल बनता है, वायुमंडल धरनी है उसके प्रभाव से सफलता अवश्य होती है।

 

 ❉   "हथ कार डे दिल यार डे" अर्थात हाथो से कर्म करते हुए भी दिल में याद बाबा की रहे, तब हम जो भी सेवा करेंगे वह बाप की याद में होगी और हम निमित्त भाव से वह सेवा करेंगे, श्रेष्ठ सेवाधारी सदेव बाप को आगे रखते है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ईश्वरीय सेवा में स्वयं को आफर करो तो आफरीन मिलती रहेंगी... कैसे ?

 

  ❉   जो स्वयं को ईश्वरीय सेवा में आफर करते हैं, वे निर्माण और निर्मानचित बन सर्व आत्माओं को संतुष्ट रखते हैं इसलिए उन्हें सर्व आत्माओं की आफरीन अर्थात दुआये स्वत: मिलती रहती हैं

 

  ❉   ईश्वरीय सेवा में स्वयं को आफर करने वाले सदा उमंग उत्साह से भरपूर रहते हैं तथा अपने उमंग उत्साह से अन्य आत्माओं को भी चढ़ती कला का अनुभव कराते, उनकी दुआओं के पात्र बन जाते हैं ।

 

  ❉   जो तन - मन - धन से ईश्वरीय सेवा में सदा तत्पर रहते हैं, वे अपने शुभ और श्रेष्ठ वायब्रेशन्स से सर्व आत्माओं के कल्याण के निमित बन, सर्व की आफरीन प्राप्त करते हैं ।

 

  ❉   ब्राह्मण जीवन का मुख्य कर्तव्य है आगे बढ़ना और बढ़ाना इसलिए जो स्वयं को ईश्वरीय सेवा में आफर कर स्वयं आगे बढ़ औरों को आगे बढ़ाते हैं, वे सर्व आत्माओं की आफरीन से सदा भरपूर रहते हैं ।

 

  ❉   याद और सेवा का बैलेंस रख, ईश्वरीय सेवा में जो स्वयं को आफर करते हैं वे परमात्म शक्ति द्वारा सर्व आत्माओं का कल्याण कर, सर्व की दुआओं के अधिकारी बन जाते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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