❍ 01 / 01 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं फर्स्ट डिवीज़न की अधिकारी आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ रियलिटी द्वारा हर कर्म बोल में रॉयल्टी
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ टीचर
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ अपने °असली स्वरुप° की स्मृति सदा बनी रही ?
‖✓‖ इस °शरीर रुपी दूम को भूलने° का अभ्यास किया ?
‖✓‖ श्रीमत पर °खुदाई खिदमतगार° बनकर रहे' ?
‖✓‖ °अच्छे मार्क्स° से पास होने का पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ °तन-मन-धन° सब सफल किया' ?
‖✓‖ °श्रेष्ठ कर्मों° का खाता बढाया ?
‖✗‖ एक बाप के सिवाए कोई °मित्र सम्बन्धी° आदि तो याद नहीं आया ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (25/12/2014) :-
➳ _ ➳ नये वर्ष की नवीनता सम्पन्न मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो । बापदादा अपने तीव्र पुरुषार्थी बच्चों को देख सभी बच्चों को नये वर्ष की नवीनता की मुबारक दे रहे हैं । इस नये वर्ष के आरम्भ में हर बच्चे ने मन्सा-वाचा-सम्बन्ध-सम्पर्क में अपने में अवश्य कोई नवीनता का लक्ष्य रखकर प्रैक्टिकल में वर्ष की नवीनता बुद्धि में रखी होगी ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ बापदादा से नए वर्ष की मुबारक ली ? आज पूरा दिन पुरुषार्थ में नवीनता का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ हर कर्म व बोल में रोयल्टी दिखलाने के लिए रियलिटी का होना क्यों आवश्यक है ?
❉ रियलिटी (सत्य स्वरुप) की स्मृति ही हमें सत्य बोल और सत्य कर्म की और अग्रसर करती है ।
❉ रियलिटी (आत्मिक स्वरुप) की स्मृति ही हमारे बोल और कर्म में रूहानियत लाती है ।
❉ रियलिटी (परमात्म स्वरुप) की स्मृति से हम हम बोल और कर्म में अपवित्रता से सेफ रहते हैं ।
❉ रियलिटि से ही हममें अथॉरिटी आती है।रियलिटी कभी झुकती या किसी से डरती नहीं।
❉ रियलिटी अर्थात सत्यता को कोई प्रमाण अर्थात प्रूव करने की जरुरत नहीं। वह स्वयं सिद्ध है ही।
❉ इमानदार व सच्चे दिल वाला व्यक्ति स्वयं को सदा हल्का व तनावमुक्त अनुभव करता है।
❉ जब हमें रियलिटी पता होगी (सत्य ज्ञान) तो हममें हंस समान दूध पानी अलग कर करने की समझ आ जाती है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ विक्रमो का खाता खत्म करने के लिए श्रेष्ठ कर्मो का खाता किस पुरषार्थ से बढा सकते हैं ?
❉ सर्व से संतुष्ट हो सर्व को संतुष्ट कर दुआएं प्राप्त करने से।
❉ सदा एक ही परमात्मा की याद में रह कर्म योगी बनने से।
❉ जो ज्ञान रत्न हमे मिले है वो औरो को दान कर महादानी बनने से।
❉ श्रीमत पर चलकर दिनचर्या का हर कर्म करने से।
❉ व्यक्त में भी अव्यक्त भाव रखकर सर्व को आत्मिक दृष्टि से देखने से।
❉ ज्वाला मुखी योग करने से।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔