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    04 / 05 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °सम्पूरण पवित्र जीवन° अपनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

‖✓‖ अमृतवेले अपने दुसरे °सब संकल्पों को लॉकअप° कर बाप से मीठी मीठी रूहरिहान की ?

 

‖✓‖ सारे दिन में जो भी पाप हुए, वह सब °सच्चाई से बाप को सुनाया° ?

 

‖✓‖ हर °बोल अर्थ सहित° बोला ?

 

‖✓‖ °अटेंशन° रुपी पहरेदार ठीक रहा ?

 

‖✗‖ ड्रामा में होगा तो कर लेंगे - यह कहकर °पुरुषार्थ हीन° तो नहीं बने ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ अपने °श्रेष्ठ जीवन° द्वारा परमात्म ज्ञान का प्रतक्ष्य प्रूफ दिया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  बाप का बच्चों से इतना प्यार है जो रोज प्यार का रेसपान्ड देने के लिए इतना बड़ा पत्र लिखते हैं यादप्यार देते हैं और साथी बन सदा साथ निभाते हैं, तो इस प्यार में अपनी सब कमजोरियां कुर्बान कर दो

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ बाप के प्यार में अपनी सब °कमजोरियां कुर्बान° की ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं मायाप्रूफ आत्मा हूँ ।

 

✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

❉ बाबा को सदा अपनी आँखों में बसा कर माया पर विजय प्राप्त करने वाली मैं माया प्रूफ आत्मा हूँ ।

❉ मैं तन मन धन से एक बाप पर सम्पूर्ण समर्पित हूँ । और यह अव्यभिचारी समर्पण ही मुझे मायाजीत बनाता है ।

❉ प्रवृति में रहते हुए भी पर - वृति में रहने वाली मैं पवित्र आत्मा हूँ ।

❉ इस देह और देह की दुनिया के सम्बन्धो से परे सबसे न्यारी और बाप की प्यारी हूँ ।

❉ जैसे वॉटरप्रूफ कपड़े में पानी की एक बून्द भी टिक नही सकती वैसे ही परमात्म प्रेम ने मुझे माया प्रूफ बना दिया है ।

❉ इस अविनाशी और निस्वार्थ प्रेम को माया का कोई भी आकर्षण आकर्षित नही कर सकता ।

❉ अपने श्रेष्ठ जीवन द्वारा परमात्म ज्ञान का प्रत्यक्ष प्रूफ देने वाली मैं आत्मा सदा मायाप्रूफ बन माया के तूफानो से बची रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अमृतवेले अपने दूसरे सब संकल्पों को लॉकप (बंद) कर एक बाप को प्यार से याद करो, बाप से मीठी - मीठी रूहरिहान करो"

❉ अमृतवेला अर्थात अमृत पीने की वेला, जिसका गायन भक्ति मार्ग में भी है ।

❉ भक्त लोग भी सवेरे जल्दी उठ देवताओं को नहला कर, विधिवत उनकी पूजा अर्चना करते हैं ।

❉ हम ब्राह्मण बच्चों के लिए तो अमृत वेला विशेष वरदानी वेला है । क्योकि इस समय स्वयं भगवान हमारी झोलियाँ वरदानों से भर कर, हमे शक्तियों और खजानो से भरपूर कर देते हैं ।

❉ इसलिए अमृतवेले के इस वरदानी समय का हमे पूरा लाभ उठाने के लिए दूसरे सभी संकल्पों को लॉकप अर्थात बन्द कर केवल एक बाप को प्यार से याद करना चाहिए ।

❉ बाप से मीठी - मीठी रुहरिहान कर अमृतवेले के इस अनमोल समय को सफल बना लेना चाहिए ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ पुरूषार्थ कर अपनी भविष्य कमाई में लग जाना है, ड्रामा मे होगा तो कर लेंगे यह कहकर पुरूषार्थ हीन नहीं बनना है।

❉ अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है। याद से ही विकर्म विनाश हो जायेंगे। जितना याद कर पुरूषार्थ करेंगे उतना ही ऊंच पद पायेंगे।

❉ मन ही मन बस एक बाप को याद करना है। बाप ज्ञान का सागर, शांति का सागर, प्रेम का सागर हैं। हमें विश्व का मालिक बनाते हैं तो हमें श्रीमत पर सम्पूर्ण रीति से चलते हुए भविष्य के लिए कमाई जमा करनी है।

❉ देह और देह की दुनिया के सम्बंधों से न्यारा रहना है व पुरानी दुनिया की वस्तुओं को देखते हुए भी न देखना है।दूसरी आत्माओं को बाप का परिचय देकर ज्ञान सागर बाप से मिलवाना भी पुरूषार्थ कर कमाई करना है।

❉ जैसे खाना ही खाना है तो उसके लिए पहले पैसे कमाने पड़ते है फिर सामान लाना पड़ता है फिर पकाते है व फिर खाते है तो मेहनत तो करनी पड़ती है। फिर अविनाशी भविष्य कमाई के लिए पुरूषार्थ तो करना ही है बस ड्रामानुसार होगा तो मिल जायेगा यह सोच कर पुरूषार्थ हीन नहीं बनना ।

❉ इस कल्याणकारी संगमयुग पर ही बाप हमें पतित से पावन बनाने के लिए आते हैं तो हमें पढ़ाई को अच्छी रीति पढ़कर भविष्य के लिए कमाई जमा करनी है व बिंदु बन बिंदु बाप को याद करना है।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने श्रेष्ठ जीवन द्वारा परमात्म ज्ञान का प्रत्यक्ष प्रूफ देने वाले माया प्रूफ बन जाते है... क्यों और कैसे ?

❉ हम आत्माओ का परमात्मा द्वारा नर से नारायण बनने का श्रेष्ठ ज्ञान मिला है, अब हमें दैवीगुण धारण कर अपने भविष्य स्वरुप को प्रत्यक्ष करना है।

❉ जितना जितना हम आत्माये ज्ञान को प्रेक्टिकल अपने जीवन में धारण करती जायेंगे उतनी हमसे रूहानी वाइब्रेशन दुनिया की आत्माओ को फैलेगा।

❉ जिन आत्माओ ने सर्वशक्तिमान बाप की श्रीमत पर चल अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाया है, वह आत्माये मास्टर सर्वशक्तिमानबन जाती है, एसी आत्माओ के सामने माया टिक नहीं सकती।

❉ राजयोग द्वारा जो आत्माये कर्मेन्द्रियजीत, मनजीत बन जाती है वाह आत्माओ पर माया का वार नहीं होता है वह मायाजीत, जगतजीत बन जाते है।

❉ जिन आत्माओ ने परमात्म ज्ञान को धारण कर अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाया वही बच्चे बाप को प्रत्यक्ष करने के निमित्त बने है, ऐसे बच्चो पर बाप का वरदानी हाथ सदा रहता है, सर्वशक्तिमान का साथ जिन बच्चो के साथ है माया उन्हें दूर से देख भाग जाती है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अटेंशन रूपी पहरेदार ठीक है तो अतीन्द्रिय सुख का खजाना खो नही सकता... क्यों और कैसे ?

❉ ज्ञान और योग की धारणा अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने के लिए बहुत जरूरी है और धारणा तभी होगी जब अटेंशन रूपी पहरेदार ठीक होगा ।

❉ अटेंशन पुरुषार्थ में तीव्रता लाता है और पुरुषार्थ में तीव्रता ही अतींद्रिय सुख की अनुभूति का आधार है ।

❉ अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति का सहज उपाय है ब्राह्मण जीवन की नियम और मर्यादाओं का पालन, जिसके लिए अटेंशन रूपी पहरेदार का ठीक होना आवश्यक है ।

❉ अटेंशन रूपी पहरेदार ठीक होगा तो सोच और व्यवहार में स्पष्टता आती जायेगी, बुद्धि स्वच्छ होती जायेगी और अतीन्द्रिय सुख का खजाना कभी खो नही सकेगा ।

❉ श्रीमत का पालन अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति का मुख्य आधार है और श्रीमत का पालन करने के लिए अटेंशन रूपी पहरेदार का ठीक होना अति आवश्यक है ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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