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❍ 24 / 04 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अपने ऊपर °रहम° किया ?
‖✓‖ °सदा एक बाप° की तरफ ही दृष्टि रखी ?
‖✓‖ °एक बाप की मत° पर चल माया के श्राप से बचे रहे ?
‖✓‖ °सर्विसएबल और आज्ञाकारी° बनकर रहे ?
‖✓‖ °फुलस्टॉप° लगा प्रसन्नचित रहे ?
‖✗‖ कैसे व ऐसे के °विस्तार° में तो नहीं गए ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °निश्चय° की अखंड रेखा द्वारा नंबरवन भाग्य बनाने का पुरुषार्थ किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जितना अभी तन, मन, धन और समय लगाते हो, उससे मन्सा शक्तियों द्वारा सेवा करने से बहुत थोड़े समय में सफलता ज्यादा मिलेगी । अभी जो अपने प्रति कभी-कभी मेहनत करनी पड़ती है- अपनी नेचर को परिवर्तन करने की वा संगठन में चलने की वा सेवा में सफलता कभी कम देख दिलशिकस्त होने की, यह सब समाप्त हो जायेगी ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °मन्सा शक्तियों द्वारा सेवा° कर सेवा में सफलता का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं तिलकधारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं निश्चयबुद्धि बन नम्बरवन भाग्य बनाने वाली तिलकधारी आत्मा हूँ ।
❉ स्वयं भाग्य विधाता बाप मुझे विजय का तिलक लगा रहें हैं ।
❉ संगम युग पर इस ब्राह्मण जीवन को पाकर मैं स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली अनुभव कर रही हूँ ।
❉ सेवा की जिम्मेवारी का ताज मेरे सिर पर सदा सुशोभित रहता है ।
❉ मैं सदा ज्ञान रत्नों से खेलती और खुशियों के झूले में झूलती रहती हूँ ।
❉ सफलता का तिलक लगाये, मैं सदैव अपने चमकते हुए भाग्य और भविष्य की ऊँची उड़ान को अपने दिल रूपी आईने में देख, हर्षित होती रहती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - अपने ऊपर रहम करो, बाप जो मत देते हैं उस पर चलो तो अपार ख़ुशी रहेगी, माया के श्राप से बचें रहेंगे"
❉ आज पूरी दुनिया में सभी मनुष्य मात्र माया रावण के श्राप से श्रापित हैं , इसलिए सभी दुखी हैं ।
❉ क्योकि ईश्वर बाप को ना जानने के कारण सभी मनुष्य रावण राज्य में आसुरी मत पर चल रहे हैं ।
❉ माया रावण के श्राप से स्वयं को श्रापित होने से बचाने का एक मात्र उपाय है परमात्मा बाप की श्रेष्ठ मत पर चलना ।
❉ और वह श्रेष्ठ मत इस समय संगम युग पर परमात्मा बाप आ कर हम बच्चों को दे रहें हैं ।
❉ और आज्ञा करते हैं कि अपने ऊपर रहम करो और पुरुषार्थ कर मुझ बाप को याद करो तो अपार ख़ुशी में रहेंगे और माया के श्राप से बच जायेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)
➢➢ सर्विसएबुल और आज्ञाकारी बनना है। अपना और दूसरों का कल्याण करना है।
❉ ज्ञान को अच्छी रीति से धारण कर ही सर्विसएबुल व आज्ञाकारी बनना है। सर्विस की सफलता के लिए देही-अभिमानी बनना है व दिल साफ़ रखना है।
❉ हम संगमयुगी ब्राह्मण बने है तो सर्विस का शौक़ होना चाहिये। ब्राह्मण जीवन पुरूषार्थ करने का समय है।जितनी कमाई करेंगे उतना ऊँचा पद पायेंगे
❉ जो सम्पूर्ण रीति से श्रीमत पर चलते हुए सर्विस करते है वे बच्चे बाप को अति प्यारे होते है । बाप के प्यारे तो सर्व के प्यारे ।
❉ लौकिक में भी जो बच्चे अच्छी सर्विस करते है व माँ बाप के कहे बिना ही काम करते रहते है तो माँ बाप उन्हें कितना प्यार करते हैं । फिर ये तो बेहद का बाप है तो बेहद का बाप सर्विसएबुल व आज्ञाकारी बच्चों को हमेशा दिल पर रखता है व स्वयं याद करता है।
❉ जैसे बाप हमें मीठे सिकीलधे बच्चे कहकर ज्ञान धन देकर हीरे जैसा बनाता है हमें भी दूसरों को ज्ञान धन बाँटते हुए हीरे जैसा बनाना है । सिर्फ बाप को ही याद करने से हीरे जैसा बन जायेंगे।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ निश्चय की अखंड रेखा द्वारा नंबरवन भाग्य बनाने वाले विजय के तिलकधारी होते है... क्यों और कैसे ?
❉ "निश्चय बुद्धि विजयंती" यदि हमारा निश्चय अखंड है तो भले हमारी नय्या कितना भी हिले डुले परन्तु हम सदेव हर विघ्न को पार कर विजय होते रहेंगे।
❉ अखंड रेखा अर्थात सम्पूर्ण निश्चय जिसमें कभी भी किसी भी परिस्थिति में 0.1 % का भी संशय न आया हो, जब भगवान पर हमें सम्पूर्ण निश्चय होगा तभी उसके बताये मार्ग पर चल हम विजयी बन सकते है।
❉ निश्चय अखंड होगा तो बाबा की हर श्रीमत पर आंख बन्द कर हा जी करते रहेंगे और भाग्यविधाता बाप द्वारा 21 जन्मो के लिए नंबरवन भाग्य और विजय के तिलकधारी बन जायेंगे।
❉ हमारे निश्चय के % पर ही यह निर्भर करता है की कितना इस ज्ञान, योग, धारणा, सेवा को अपने जीवन में प्रेक्टिकली उतारते है, जो जितना पुरुषार्थ करेगा उसी अनुसार प्रालब्ध पायेगा।
❉ एक बाप और ड्रामा पर सम्पूर्ण निश्चय हमें सभी चिन्ताओ से निश्चिंत कर सहजयोगी बना देगा, संगमयुग के सुहाने पालो का आनंद लेते सदा के विजयी का वरदान बाप से प्राप्त कर लेंगे।
❉ यह निश्चय की भगवान स्वयं आया है, हमें सम्मुख मिलते है, हमें पढ़ाते है, हमे अपना बच्चा बनाया है, हम गॉडली स्टूडेंट है, यही प्राप्तिया हमें नंबरवन भाग्यवान बना देती है।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ बुद्धि रूपी कम्प्यूटर में फुलस्टॉप की मात्रा आना माना प्रसन्नचित रहना... क्यों और कैसे ?
❉ बुद्धि रूपी कंप्यूटर में फुल स्टॉप, क्या - क्यों की क्यू को समाप्त कर विस्तार को सार में समा देता है और आत्मा को चढ़ती कला के अनुभव द्वारा सदैव प्रसन्नचित रखता है ।
❉ बुद्धि रूपी कंप्यूटर में फुलस्टॉप लगाने से तीन स्मृतयों का तिलक सदैव बुद्धि में रहता है जो आत्मा को सदैव हर्षित रखता है ।
❉ बुद्धि रूपी कंप्यूटर में फुलस्टॉप लगाने से व्यर्थ से सहज किनारा होने लगता है और बुद्धि श्रेष्ठ और समर्थ चिंतन द्वारा प्रसन्नचित स्तिथि का अनुभव करने लगती है ।
❉ बुद्धि रूपी कंप्यूटर में फुल स्टॉप लगाने से बुद्धि की लाइन सदैव क्लियर रहती है और बाप से जुड़ी रहती है जिससे आत्मा सदैव प्रसन्नचित स्तिथि का अनुभव करती रहती है ।
❉ बुद्धि रूपी कंप्यूटर में फुल स्टॉप , मन बुद्धि को शांत और एकाग्रचित बना कर आत्मा को प्रसन्नता से भरपूर कर देता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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