❍ 25 / 01 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विश्व की भाग्य विधाता आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ नाम और मान के त्याग द्वारा सर्व का प्यार प्राप्त करना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ टीचर
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ यथार्थ पहचान से बाप के साथ °सर्व संबंधो की मर्यादाओं° को निभाया ?
‖✓‖ आदि से अंत तक जो भी महावाक्य उचारण हुए.. उन पर °अटल निश्चय° रहा ?
‖✓‖ बाप ने जो °टाइटल° दिए हैं.. ऐसे अपने को °अनुभव° किया ?
‖✓‖ हर आत्मा के प्रति आगे बढाने की व °ऊंचा उठाने की भावना° रही ?
‖✓‖ व्यर्थ को छोड़ समर्थ को अपनाने वाले °होली हंस° बनकर रहे ?
‖✓‖ °कमल पुष्प समान° प्रवृति में रहते न्यारे अथार्थ बाप के प्यारे बनकर रहे ?
‖✓‖ °स्वयं और सेवा° का बैलेंस रहा ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-
➳ _ ➳ हर एक दीपक की अपनी-अपनी विशेषता बाप भी देख रहे हैं और आप सभी तो देखते ही रहते हैं । आप दीपकों द्वारा विश्व चमक रहा है और हर एक दीपक अपनी रोशनी से विश्व को रोशन बना रहे हैं । बापदादा रिजल्ट को देख खुश हैं कि हर एक दीपक अपनी रोशनी से चारों ओर चमकाना, यह कार्य बहुत अच्छा दिल से कर रहे हैं । अभी इस दिव्य रोशनी को देख दुनिया वालों की भी नजर में आ रहा है कि विश्व में यह अलौकिक रोशनी कहाँ से आई है! सबकी नजर आप सबकी तरफ जा रही है ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ अपनी रौशनी से विश्व को रोशन बनाने और चमकाने के कार्य में अपना सहयोग दिया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ नाम और मान के त्याग द्वारा सर्व का प्यार प्राप्त करने वाला ही विश्व का भाग्य विधाता है... क्यों और कैसे ?
❉ नाम और मान का त्याग हमें स्वार्थ के भाव से दूर ले जाता है जिससे हम स्वतः ही सर्व के प्यारे बन जाते हैं ।
❉ नाम और मान के त्याग से ही सम्पूर्ण रूप से मैं और मेरेपन पर विजय प्राप्त की जा सकती है और तभी हम बेहद की विश्व सेवा कर सकते हैं ।
❉ नाम और मान का त्याग हमारी अवस्था को उपराम बना देता है । जिससे हम सहज ही साक्षीपन की सीट पर सेट हो विश्व की सर्व आत्माओं के भाग्य के निर्माण में अपना सहयोग दे सकते हैं ।
❉ नाम और मान के त्याग द्वारा ही निस्वार्थ निष्काम निर्माणता के गुण आ सकते है।
❉ नाम और मान का त्याग हमें सच्चा सेवाधारी बना सकता है,जो सेवा करेगा उसे मेवा मिलेगा।
❉ नाम मान शान का त्याग करने वाली ही देहि अभिमानी स्थिति में टिक सकते है।
❉ नाम मनन का त्याग करने के बाद ही हम व्यर्थ संकल्पों से व व्यर्थ फीलिंग से मुक्त बन सकते है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ परमात्म बाप के बच्चे हो तो बुद्धि रुपी पाँव सदा तख्तनशीन हो ... क्यों और कैसे ?
❉ "एक बाप दूसरा ना कोई"सदा स्मृति में रहे तो बुद्धि रूपी पाँव सदा दिलतख्तनशीन रहेंगे अर्थात सदा बाप दादा के दिल में समाये रहेंगे।
❉ "सच्चे दिल पर साहेब राजी"।दिल में सच्चाई और सफाई होगी तो बाप दादा के दिल पर राज करेंगे।
❉ बाबा की शिक्षाओ को अच्छी तरह से फॉलो करेंगे,श्रीमत में मनमत या परमत मिक्स नही करेगे तो बाप दादा के दिल तख़्त नशीन बन सकेंगे
❉ हर कर्म में दिव्यता और अलौकिकता की झलक दिखाई दे,तब बन सकेंगे बाप दादा के दिल तख़्त नशीन।
❉ सम्पूर्ण समर्पण की भावना होगी तब बाप दादा के दिल रूपी तख़्त पर विराजमान होंगे।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔