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❍ 04 / 11 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °सर्वस्व त्यागी° बन सरलता और सहनशीलता का गुण धारण किया ?
‖✓‖ °सर्विस° का बहुत बहुत शौंक रखा ?
‖✓‖ "हम अभी °वर्ल्ड सर्वेंट° हैं" - यह सदा याद रहा ?
‖✓‖ "हम श्रीमत पर °विश्व का मालिक° बन रहे हैं" - यह नशा रहा ?
‖✓‖ °एम ऑब्जेक्ट° का चित्र सदा साथ रहा ?
‖✗‖ कोई भी °फिल्मी कहानियां व नोवेल्स° इत्यादि तो नहीं पडी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °ब्रह्मा बाप समान° श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ तस्वीर बनाने का पुरुषार्थ किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ कोई भी हिसाब-चाहे इस जन्म का, चाहे पिछले जन्म का, लग्न की अग्नि-स्वरूप स्थिति के बिना भस्म नहीं होता। सदा अग्नि-स्वरूप स्थिति अर्थात् शक्तिशाली याद की स्थिति, बीजरूप लाइट हाउस, माइट हाउस स्थिति इस पर अब विशेष अटेंशन दो तब रहे हुए सब हिसाब-किताब पूरे होंगे।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °अग्नि-स्वरूप स्थिति° अर्थात् शक्तिशाली याद की स्थिति पर विशेष अटेंशन दिया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं परोपकारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ श्रेष्ठ स्मृति और श्रेष्ठ कर्म द्वारा अपनी तकदीर की तस्वीर बनाने वाली मैं परोपकारी आत्मा हूँ ।
❉ हर कदम में ब्रह्मा बाप को फॉलो कर, मैं बाप समान सम्पूर्ण बनने का पुरुषार्थ कर रही हूँ ।
❉ मैं आत्मा सदैव अपकारी पर भी उपकार करने वाली, गाली देने वाले को भी गले लगाने वाली और निंदा करने वाले को भी सच्चा मित्र बनाने वाली हूँ ।
❉ मैं कभी भी किसी की कमजोरी दिल पर न रख सदैव रहमदिल, सभी की स्नेही और सहयोगी बनकर रहती हूँ ।
❉ सर्व आत्माओं को दिल से सच्चा स्नेह देने वाली, सर्व के प्रति शुभ कामना रखने वाली मैं आत्मा दिलाराम बाप के दिल रूपी तख़्त पर सदा विराजमान रहती हूँ ।
❉ मैं आत्मा वाइसलेस बन दुखी आत्माओ के दुःख और अशांति की स्थिति को जान उन्हें सुख और शान्ति के वायब्रेशन्स द्वारा शीतल करती जाती हूँ ।
❉ आवाज से परे शांत स्वरूप की स्थिति में रहते सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति द्वारा मै आत्मा सर्व आत्माओं को सुख की अनुभूति कराती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम अभी वर्ल्ड सर्वेन्ट हो, तुम्हे किसी भी बात में देह - अभिमान नही आना चाहिए"
❉ जब हम सतयुग में थे तो एक ही धर्म था, जिसे आदि सनातन देवी देवता धर्म कहते थे जहां देवी देवता निवास करते थे ।
❉ किन्तु विकारों में गिरने के कारण अब वह आदि सनातन देवी देवता धर्म विलुप्त हो गया है ।
❉ उसी देवी देवता धर्म की पुन:स्थापना करने के लिए ही परम पिता परमात्मा बाप आये हैं और विश्व सेवाधारी बन हम बच्चों की सेवा कर रहें हैं ।
❉ उसी विश्व सेवाधारी परम पिता परमात्मा बाप के हम बच्चे भी रूहानी सेवाधारी हैं ।
❉ इसलिए हमे भी अभी वर्ल्ड सर्वेन्ट बन बाप के इस कार्य में सहयोगी बनना है और किसी भी बात में देह - अभिमान में नही आना है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ एम आब्जेक्ट का चित्र साथ रखना है । नशा रहे कि अभी हम श्रीमत पर विश्व का मालिक बन रहे हैं ।
❉ जैसे लौकिक में ऊंचा लक्ष्य होता है तो बच्चा दिन रात मेहनत करता है व अपने लक्ष्य को याद रखता है व उस चित्र को याद रखता है । तो हमें भी अपने लक्ष्य को याद रखना है व लक्ष्मी नारायण का चित्र हमेशा साथ रखना है ।
❉ जब एम आब्जेक्ट का चित्र साथ रखते हैं तो लक्ष्य याद रहता है व याद बनी रहती है । जैसा लक्ष्य होता है वही लक्षण भी आने लगते है ।
❉ हमें कितना नशा होना चाहिए कि स्वयं भगवान हमें रोज पढ़ाने के लिए पतितो की दुनिया में आते हैं व हमें पढ़ाकर विश्व का मालिक बना रहे हैं तो हमें श्रीमत का सम्पूर्ण रीति से पालन करना है ।
❉ जब भगवान स्वयं हमे अपना बच्चा बनाता है तो बाप से हमे विश्व की बादशाही का वर्सा मिलता है व स्वयं बादशाही न लेकर अपने बच्चों को अपने से ऊंची सीट पर बिठाता है ।
❉ इस कल्याणकारी पुरूषोत्तम संगमयुग पर स्वयं भगवान पढ़ाते है तो आपसमान ही बनाते है व नर से नारायण नारी से श्री लक्ष्मी बनाते हैं । आधा कल्प के लिए राजाई पद मिलता है तो नशा रहना चाहिए ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ ब्रह्मा बाप समान श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ तस्वीर बनाने वाले परोपकारी कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाप आये है हम सब आत्माओ की तक़दीर जगाने, हमारे श्रेष्ठ कर्म और श्रेष्ठ स्मृति द्वारा ही हम अपनी तक़दीर जगा सकते है और भविष्य वर्से की सुन्दर तस्वीर प्राप्त कर सकते है।
❉ नंबरवन में जाने वाले ब्रह्मा बाप को फॉलो करना है। ब्रह्मा बाप के हर कदम पर कदम रख चलना है। जैसा बाप वैसे ही हम बच्चो को भी बनना है।
❉ परोपकारी अर्थात अपकारियो पर भी उपकार करना, चाहे कोई कैसा भी स्वभाव संस्कार का हो परन्तु हमारी दृष्टि वृत्ति उसके प्रति कल्याण की हो, हमारी शुभ भावना उसके प्रति सदा रहे।
❉ 63 जन्मो से हमने कितने ही विकर्म किये, बाप को कितनी ही गलिया दी परन्तु बाप ने हम अजामिल जैसे पापियों को भी गले का हर बनाया, इतना बेहद का प्यार, शिक्षा, वर्सा सब भरपूर दिया इसलिए शिव को भोला भंडारी कहा जाता है। ऐसे ही बाप समान हमें भी बनना है।
❉ हम अपनी सुन्दर तस्वीर अपने श्रेष्ठ कर्म व श्रेष्ठ भावना द्वारा ही बना सकते है। हमारे कर्म ही हमारी पहचान बनते है, सभी को हमारे कर्म द्वारा ही कोई विशेषता दिखाई दे। तो जैसा कर्म वैसा फल अवश्य मिलता है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्वस्व त्यागी बनने से ही सरलता व सहनशीलता का गुण आएगा... कैसे ?
❉ सर्वस्व त्यागी बन तन - मन - धन से सम्पूर्ण समर्पण, आत्मा को निर्मान और निर्माण बना देता है और उसमें सरलता तथा सहजता का गुण ले आता है ।
❉ इच्छा मात्रम अविद्या बन जब सब कुछ बाप पर कुर्बान कर देते हैं तो सर्व के प्रति सरलता और सहनशीलता स्वत: आ जाती है ।
❉ सर्वस्व त्याग हद की दृष्टि वृति को बेहद का बना कर, सर्व के प्रति सहयोग और सहनशीलता की भावना जागृत कर देता है ।
❉ व्यवाहर में सरलता और सहनशीलता का गुण लाने के लिए जरूरी है देह - अभिमान को छोड़ आत्म - अभिमानी बनना और आत्म अभिमानी वही बन सकता है जो सर्वस्व त्यागी बन सब कुछ बाप पर समर्पित कर देता है ।
❉ सर्वस्व त्यागी अपना हर संकल्प, समय, श्वांस और सम्पति ईश्वरीय कार्य अर्थ सफल करते हैं, इसलिए कदम कदम पर ईश्वरीय मदद उन्हें हर कार्य में सफलतामूर्त बना कर उन्हें सरलचित्त और सहनशील बना देती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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