22 / 01 / 15  की  मुरली  से  चार्ट 

  TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं रमता योगी हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ सत्यता , स्वच्छता और निर्भयता के आधार पर प्रतक्ष्यता करना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ टीचर

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)  

‖✓‖ स्थूल कारोबार का प्रोग्राम बनाते °बुधी का प्रोग्राम° भी सेट किया ?

‖✓‖ °ज्ञान का सिमरन° कर अतीन्द्रिय सुख में रहे ?

‖✓‖ सदैव बापदादा को अपना साथी बनाकर °डबल फ़ोर्स° से कार्य किया ?

‖✓‖ °भगवान को अपना वारिस° बनाया ?

‖✓‖ °बेहद की दृष्टि , वृति° रही ?

‖✗‖ °नज़र शरीरों पर° तो नहीं गयी ?

‖✗‖ किसी से °रफ़डफ बातचीत° तो नहीं की ?

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अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-

➳ _ ➳  सभी चैतन्य दीपकों को मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो । हर एक चैतन्य दीपक अपनी- अपनी चमक से विश्व को चमका रहे हैं । एक-एक चैतन्य दीपक कितना अच्छे ते अच्छा चमक रहा है । यह देखकर बापदादा एक-एक दीपक को देखकर खुश हो रहे हैं । वाह दीपकों वाह! सच्ची दीवाली अगर देखनी हो तो इन चैतन्य दीपकों के बीच में देख सकते हैं ।

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज पूरा दिन स्वयं को चैतन्य दीपक समझा ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

➢➢ सत्यता , स्वच्छता और निर्भयता के आधार से प्रतक्ष्यता करने वाला ही रमता योगी है... क्यों और कैसे ?

 ❉   सत्यता के आधार पर आगे बढ़ने वाली आत्मा ही निरंतर परमात्म याद में रह रमता योगी बन सकती है।

 ❉   मन और बुधी की स्वच्छता का होना एक योगी के लिए अत्यंत आवश्यक है ।

 ❉   परमात्म साथ के अनुभव से निर्भय होकर हर परिस्थिति में आगे बढ़ने वाला ही अचल अडोल रह निरंतर योगयुक्त रह सकता है ।

 ❉   सत्य ज्ञान को बुद्धि में धारण करने से बुद्धि स्वच्छ होती है,और निर्भय हो सत्य राह पर चल सकते है।

 ❉   सत्य ज्ञान स्वच्छ बुद्धि में ही ठहर सकता है(शेरनी का दूध...)।

 ❉   एक बार सत्य ज्ञान मिल जाये तो एक की लगन में मग्न हो रमता योगी बन जाता है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

➢➢ बेहद की दृष्टि वृति ही यूनिटी का आधार है... क्यों और कैसे ?

 ❉   क्योकि बेहद की दृष्टि वृति हद की सभी बातो से,सभी आकर्षणों से परे ले जाती है ।

 ❉   बेहद की दृष्टि वृति सर्व आत्माओ को अपना परिवार समझने की कला सिखाती है।

 ❉   बेहद की दृष्टि वृति सर्व के प्रति रूहानी प्रेम् पैदा कर ,सर्व के लिए आत्मीयता,सहयोग,

सहानुभूति की भावना उतपन्न करती है।

 ❉   बेहद की दृष्टि वृति सर्व आत्माओ को आत्मा भाई भाई के स्नेह रूपी सूत्र मे पिरो देती है।

 ❉   बेहद की दृष्टि वृति, मन बुद्धि को शरीरिक बन्धनों के सिमित दायरे से निकाल आत्मिकता के विशाल दायरे में ले जाती है।और "मेरे पन"  की भावना को "हम "में बदल देती है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति