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❍ 14 / 12 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °अंतिम हाहाकार का सीन° देखने के लिए खुद को तैयार किया ?
‖✓‖ हर परिस्थिति को °उडती कला° का साधन समझ सदा उड़ते रहे ?
‖✓‖ "बाबा आये हैं हमें °बेहद की जागीर° देने" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ °एक बाप के फरमान° पर चलते रहे ?
‖✓‖ देहि अभिमानी बन °तीव्र वेग से याद की यात्रा° की ?
‖✓‖ बाप का परिचय दे बहुतों को °आप समान बनाने की सर्विस° की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ शक्तिशाली सेवा द्वारा °निर्बल में बल° भरा ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ पुरानी दुनिया में पुराने अन्तिम शरीर में किसी भी प्रकार की व्याधि अपनी श्रेष्ठ स्थिति को हलचल में न लाये। स्वचिन्तन, ज्ञान-चिन्तन, शुभचिन्तक बनने का चिन्तन ही चले तब कहेंगे कर्मातीत स्थिति।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °स्वचिन्तन, ज्ञान-चिन्तन, शुभचिन्तक° बनने का चिन्तन ही चलता रहा ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ शक्तिशाली सेवा द्वारा निर्बल आत्माओं में बल भरने वाली मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ सेवा के साधनों में याद की शक्ति का जौहर भर कर मैं सेवा में सहज ही सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ अपने अंदर याद का बल भर कर मैं दिलशिक्स्त आत्माओं को हिम्मत और उत्साह दिला कर उन्हें आगे बढ़ाती जाती हूँ ।
❉ निमित भाव द्वारा सेवा में सफलता प्राप्त करने वाली मैं श्रेष्ठ सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ अपने हर कदम को श्रेष्ठ बाप की श्रेष्ठ मत द्वारा श्रेष्ठ बनाती जाती हूँ ।
❉ स्वस्थिति द्वारा हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर, मैं स्वयं को व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर समर्थ आत्मा बनती जाती हूँ ।
❉ उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो, स्वयं उल्लास में रहते, मैं सर्व आत्माओं को भी उमंग उत्साह से भरपूर करती जाती हूँ ।
❉ अपने श्रेष्ठ संकल्प और याद के बल से मैं विहंग मार्ग की सेवा में सदैव तत्पर रहती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाबा आये हैं तुम्हे बेहद की जागीर देने, ऐसे मीठे बाबा को तुम प्यार से याद करो तो पावन बन जायेंगे"
❉ जैसे लौकिक में बच्चा जन्म लेता है और जन्म लेते ही अपने माँ बाप की प्रॉपर्टी का वारिस बन जाता है ।
❉ ठीक इसी तरह परम पिता परमात्मा बाप ब्रह्मा मुख द्वारा हमें भी एडॉप्ट करके अपना बच्चा बनाते है ।
❉ इसलिए परमात्मा बाप के हम बच्चे भी उनकी जागीर के वारिस बन जाते हैं ।
❉ कल्प - कल्प संगम युग पर ही परमात्मा बाप आते हैं और आ कर हमे बेहद के वर्से का मालिक बनाते हैं ।
❉ अभी वही संगम युग चल रहा है और बाप हमे बेहद की जागीर देने आये हुए हैं ।
❉ ऐसे मीठे बाबा को हमे बहुत प्यार से याद करना चाहिए । क्योकि जितना प्यार से बाप को याद करेंगे उतना पावन बनते जायेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बाप का परिचय दे बहुतों को आप समान बनाने की सर्विस करनी है । यहां वनवाह मे रहना है ।
❉ हम सभी आत्माओं का पिता एक ही है वह है सदा शिव कल्याणकारी । इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाकर पावन बनाने के लिए आता है व 21 जन्मों के लिए राजाई पद देता है । तो ऐसे ऊंच ते ऊंच बाप का रिगार्ड रखकर हमें भी दूसरों को बाप का परिचय देकर आप समान बनाने की सर्विस करनी है ।
❉ एक परमात्मा को ही सत्य कहा जाता है क्योंकि परिवर्तनशील नहीं है , एक ही है, न रुप बदलता है न नाम । जो दिखता नहीं है वही सत्य है । निराकार है । ऐसे बाप का परिचय देकर सोए हुए मनुष्यों को जगाना है ।
❉ जैसे बाप हमेशा अपने बच्चों की सर्विस में तत्पर रहता है तो हमें भी दु:खी अशांत आत्माओं को बाप का परिचय देकर व बाप से मिलने का रास्ता बताकर उनका कल्याण करना है व सर्विस में लगे रहना है ।
❉ सगी सम्बंधी मित्रों सब को ये पैगाम देना है कि भगवान इस धरा पर आ चुके है कोई बाद में ये उलाहना न दे कि हमें नही बताया । हर आत्मा को बाप का परिचय देकर आप समान बनाने की सर्विस करनी है ।
❉ इस कल्याणकारी संगमयुग पर ज्ञानसागर बाप ने दिव्य ज्ञान देकर, प्रेमसागर बाप ने प्रेमस्वरुप ...... बनाया है उसी प्रकार हमें भी अंधों की लाठी बनकर आप समान बनाने की सर्विस करनी है ।
❉ जैसे लड़की की शादी होती है तो सुसराल जाने से पहले उसे पुराने कपड़े पहनाते हैं कि ये दोबारा न पहनें । ऐसे हमें भी अपने पुराने संस्कारों , पुराने घर को, दुखधाम को भूलना है । इस पुरानी दुनिया , अपनी देह को भी भूल शांतिधाम व सुखधाम को याद करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ शक्तिशाली सेवा द्वारा निर्बल में बल भरने वाले सच्चे सेवाधारी कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ निर्बल आत्मा में बल भरना यही है सच्ची सेवा, किसी भी आत्मा को तीर तब लग सकता जब स्वयं को शक्तिशाली स्थिति में स्थित किया हो।
❉ बाबा ने हम आत्माओ को विश्व कल्याण की जिम्मेदारी का ताज पहनाया है, तभी विश्व के मालिक का ताज पहन सकेंगे, इसलिए इस समय स्वयं को शक्तिशाली बनाकर सर्व आत्माओ की सेवा करनी है।
❉ आज विश्व की आत्माओ में आत्मिक बल बिलकुल नहीं है, सहन करना, समाना, सार में आना बिलकुल ही आत्माये गुणों में खाली हो गयी है, ऐसे में हम परमात्मा की संतानों को सर्व को बाप की याद से बलवान बनाना है।
❉ हमारी दृष्टि, वृत्ति, बोली, भावना सर्व आत्माओ के प्रति इतनी शुभ व श्रेष्ठ हो की जो भी हमारे सम्बन्ध संपर्क में आये वह स्वयं को भरपूर अनुभव करे। खली हाथ आये पर झोली भर कर जाये।
❉ जब बाबा की याद से आत्मा की कट निकलेगी तब याद का जोहर आत्मा में भरेगा श्रेष्ठ स्वमान में स्थित होकर जब किसी की सेवा करेंगे तब हमारे द्वारा अनेको को ज्ञान बाड़ लगेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ हर परिस्थिति को उड़ती कला का साधन समझ कर सदा उड़ते रहो... कैसे ?
❉ जीवन में आने वाली हर परिस्थिति हमे कुछ ना कुछ सिखा कर जाती है, इस बात को सदा स्मृति में रखेंगे तो परिस्तिथियों से घबराने की बजाए परिपक्व बन उनका सामना कर सकेंगे और हर परिस्थिति को उड़ती कला का साधन समझ सदा उड़ते रहेंगे ।
❉ "हर बात में कल्याण समाया है" यह स्मृति हर परिस्तिथि में अचल अडोल बना कर उस परिस्तिथि को पार करने का बल प्रदान करेगी ।
❉ जीवन में आने वाली नाजुक परिस्तिथियाँ वो पेपर हैं जो हमे सफलता की सीढ़ी चढ़ने में मददगार हैं, यह चिंतन हमे उड़ती कला का अनुभव करायेगा और हम हर परिस्तिथि में घबराने की बजाए सहजता से उसका सामना कर सकेंगे ।
❉ मैं कल्प कल्प की विजयी आत्मा हूँ । इस स्वमान में स्तिथ रहने से हर परिस्तिथि रुई के समान हल्की प्रतीत होगी और हमे उड़ती कला का अनुभवी बना देगी जिससे उस परिस्थिति पर सफलता प्राप्त करना सरल हो जाएगा ।
❉ मैं परमात्म छत्रछाया के अंदर सदा सुरक्षित हूँ ।कोई भी परिस्तिथि मेरा कुछ नही बिगाड़ सकती । इस प्रकार के श्रेष्ठ संकल्प स्वस्तिथि को मजबूत बना कर, परिस्तिथियों पर विजय दिलाने में सहायता करते हैं।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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