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❍ 03 / 07 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °उच्चारण और आचरण° ब्रह्मा बाप समान रहा ?
‖✓‖ अपकारी पर भी °उपकार° किया ?
‖✓‖ किसी ने कुछ बोला तो °सुना अनसुना° कर दिया ?
‖✓‖ °सुखदायी° बन सबको सुख दिया ?
‖✓‖ सच्चा सच्चा °वैष्णव° बनकर रहे ?
‖✗‖ °मोह° के कारण देह के सम्बन्धियों को याद तो नहीं किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °मगन अवस्था° के अनुभव द्वारा माया को अपना भक्त बना मायाजीत बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ तपस्वी अर्थात् सदा बाप की लगन में लवलीन, प्रेम के सागर में समाए हुए, ज्ञान, आनन्द, सुख, शान्ति के सागर में समाये हुए को ही कहेंगे तपस्वी। ऐसे त्याग, तपस्या वाले ही सेवाधारी कहे जाते हैं।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सदा °बाप की लगन में लवलीन°, प्रेम के सागर में समाए हुए, ज्ञान, आनन्द, सुख, शान्ति के सागर में समाये हुए रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं मायाजीत आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ परमात्म पालना में पलने वाली, माया के तूफानों में भी सदा अचल रहने वाली मैं मायाजीत आत्मा हूँ ।
❉ माया का रूप चाहे कितना भी विकराल हो किन्तु प्यार के सागर के प्रेम में समाई हुई मुझ आत्मा के सामने माया के तूफान भी तोहफा बन जाते हैं ।
❉ मेरी मग्न अवस्था के सामने माया भक्त बन मेरा गुणगान करती रहती है ।
❉ अपने अनेक टाइटल्स के स्वरूप, गुणों के श्रृंगार तथा रचता और रचना के ज्ञान की पॉइंटस को बुद्धि में रख मैं अपार ख़ुशी के झूले में झूलती रहती हूँ ।
❉ ज्ञान की पॉइंटस को बुद्धि में धारण कर मनन द्वारा मैं हर पॉइंट को अपने जीवन में धारण करती जाती हूँ ।
❉ अपने श्रेष्ठ जीवन द्वारा परमात्म ज्ञान का प्रत्यक्ष प्रूफ देने वाली मैं चैतन्य मूर्ति हूँ ।
❉ अपनी निर्णय शक्ति द्वारा मैं सेकण्ड में माया के रॉयल रूप को पहचान, माया को झट से अपनी दासी बना लेती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे सच्चा सच्चा वैष्णव बनना है, सच्चे वैष्णव भोजन की परहेज के साथ साथ पवित्र भी रहते हैं"
❉ सच्चा वैष्णव उसे कहा जाता है जिसका खान - पान शुद्ध हो, सात्विक हो ।
❉ आहार का हमारे जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव होता है । इस लिए कहा भी जाता है " जैसा होगा अन्न वैसा होगा मन" ।
❉ भक्ति मार्ग में भी विशेष रूप से शुद्ध भोजन की महिमा की गई है । इसलिए देवताओं को भी हमेशा शुद्ध सात्विक आहार का ही भोग लगाया जाता है ।
❉ हम ब्रह्मामुखवंशावली ब्राह्मण बच्चे भविष्य ऊँच देवताई पद प्राप्त करने वाले हैं ।
❉ इसलिए अब हमे सच्चा सच्चा वैष्णव बनना है, हमे शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करने के साथ साथ पवित्र भी बनना है क्योकि अब हमे पवित दुनिया में जाना है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ एक बाप से ही सुनना है ।
❉ बाप कहते हैं कि देह के सब सम्बंध तोड़ अपने को आत्मा समझ परमात्मा को यादयकरना है ।
❉ जैसे लौकिक सम्बंधी को याद करते हो ऐसे बाप को याद करो तो विश्व के मालिक बन जाओगे व तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा ।
❉ बाप कहते है देखते हुए भी नहीं देखना, सुनते हुए भी नहीं सुनना । बुद्धियोग बस एक बाप से जुड़ा हो । बस फालो फ़ादर करना है ।
❉ बाबा को ही साथी बनाकर बाबा की श्रीमत पर ही चलना है ।
❉ बाप ही सर्व का सदगति दाता है । हमें काँटों से फूल बनाता हैं, अमूल्य ज्ञान रत्नों से हमारी झोलियाँ भरता है, पतित से पावन बनाता है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ मगन अवस्था के अनुभव द्वारा माया को अपना भक्त बनाने वाले मायाजीत बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ जो आत्माये बाप की लगन में मगन रहती है उनके चारो और एक शक्तिशाली औरा बन जाता है, जिसके अन्दर प्रवेश करनी की माया में हिम्मत नहीं है।
❉ एक की लगन में मगन रहने से हमारा मन बुद्धि जब एक बाप में बिजी हो जाते है तो माया यह देखकर की इनके पास तो हमारे लिए समय ही नहीं है वापस चली जाती है।
❉ जब हमारी मगन अवस्था होती है तो माया की बाते हमें खेल समान अनुभव होती है और हम उन्हें श्रेष्ठ स्वमान द्वारा बार-बार हरा देते है तो माया परास्त हो चली जाती है।
❉ जो जितना महावीर होता है उससे माया भी उतना महावीर होकर लडती है, जब वह देखती है की यह अंगद मिसाल अचल अडोल है, किसी बात का इन्हें कोई फर्क ही नहीं पड रहा तो हमें नमन करती है और चली जाती है।
❉ "हथ कार डे दिल यार डे" अर्थात इन हाथो से कार्य करते हुए भी दिल बाप की याद में लगा हुआ हो।
❉ "मन के जीते जीत है और मन के हारे हार" इसलिए अपने मन को अपना मित्र बना लो, दोस्ती कारलो उससे, हम जहा बोलो, जब बोलो, जैसा बोल वही उसी स्थिति में स्थित हो जाये।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ आपका उच्चारण और आचरण ब्रह्मा बाप के समान हो तब कहेंगे सच्चे ब्राह्मण... कैसे ?
❉ जैसे ब्रह्मा बाप ने सम्पूर्ण बन कर अपना कार्य सम्पन्न किया । यह नही सोचा कि यह ऐसा है, यह वैसा है । सबमे गुणों को देखा । ऐसे हमे भी ब्रह्मा बाप को फालो कर सच्चा ब्राह्मण बनना है ।
❉ ब्रह्मा बाप का सद्गुणों पर पूरा ध्यान था । वे सदैव सबमें गुण रूपी मोती चुगते और दुर्गुण रूपी कंकड़ छोड़ देते थे । ऐसे ही हमे भी गुण ग्राही बनना है ।
❉ ब्रह्मा बाप सदैव दूसरों में उमंग उत्साह भर उन्हें प्रेरणा देते रहे । कभी किसी के अवगुणों को उजागर कर उन्हें दिलशिकस्त नही होने दिया । हमे भी ऐसे ही ब्रह्मा बाप को फालो कर सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना है ।
❉ ब्रह्मा बाप सबमे गुण देखते हुए सदा सकारात्मक चिंतन करते थे । ऐसे ही हमे भी ब्रह्मा बाप को फालो करते हुए सबके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना है ।
❉ ब्रह्मा बाप का व्यवहार सदैव सर्व के प्रति नम्र, उदार और करुणामय रहा । ऐसे ही हमे भी सर्व के गुणों के देखते हुए सब के प्रति करुणा मय बनना है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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