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   07 / 11 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सबको °विकारों के दलदल° से निकालने की सेवा की ?

 

‖✓‖ ज्ञान और योग की धारणा कर °दूसरों को सुनाया° ?

 

‖✓‖ आत्माओं को सत्य बाप की °सत्य नॉलेज° दी ?

 

‖✓‖ "हम सत्य बाप द्वारा °सत्य देवता° बन रहे हैं" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ °कर्म, अकर्म और विकर्म° की गुह्य गति को बुधी में रख कोई विकर्म तो नहीं किया ?

 

‖✓‖ एक दो के °विचारों को रीगार्ड° दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ बाप समान स्थिति द्वारा °समय को समीप° लाया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जब आप अपनी बीजरूप स्थिति में स्थिति रहेंगे तो अनेक आत्माओं में समय की पहचान और बाप की पहचान का बीज पड़ेगा। अगर बीजरूप स्थिति में स्थित न रहे सिर्फ विस्तार में चले गये तो ज्यादा विस्तार से वैल्यु नहीं रहेगी, व्यर्थ हो जायेगा इसलिए बीजरूप स्थिति में, बीजरूप की याद में स्थित हो फिर बीज डालो। फिर देखना उस बीज का फल कितना अच्छा और सहज निकलता है।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ बीजरूप स्थिति में स्थिति रह आत्माओं में समय की पहचान और °बाप की पहचान का बीज° डाला ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं वरदानी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   बाप समान स्थिति द्वारा समय को समीप लाने वाली मैं तत त्वम् की वरदानी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मेरा इस देह और देह के किसी भी पदार्थ से कोई लगाव नही है ।

 

 ❉   मैं और मेरेपन की भावना से मुक्त, बाप समान स्थिति में स्थित हो कर मैं समय को समीप ला रही हूँ ।

 

 ❉   सदा एक बाप के लव में लवलीन रह कर मैं बाप समान परफेक्ट बनती जा रही हूँ ।

 

 ❉   अपनी लवलीन स्थिति द्वारा मैं सहज ही औरों को भी आप समान व बाप समान बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   सर्व संबंधो का सुख एक बाप से अनुभव कर मैं सर्व सुखों की अधिकारी बनती जा रही हूँ ।

 

 ❉   अपने सच्चे साथी के संग में मैं सहज ही सर्व से न्यारी और प्यारी बनती जा रही हूँ ।

 

 ❉   परमात्म प्यार और स्नेह का बल मुझे कर्मो के आकर्षण और बन्धनों से परे ले जाता है और हर परिस्थिति में अचल अडोल बना देता है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अभी तुम सत्य बाप द्वारा सत्य देवता बन रहे हो, इसलिए सतयुग में सत्संग करने की जरूरत नही"

 

 ❉   सत्संग का अर्थ है सत्य का संग । किन्तु इस झूठी कलयुगी दुनिया में सब जगह झूठ ही झूठ है, सत्य को तो कोई जानते ही नही ।

 

 ❉   क्योकि सिवाय परम पिता परमात्मा के और कुछ सत्य नही है । इसलिए कहा भी जाता है " God is truth " .

 

 ❉   अभी वही सत्य बाप आ कर हमे सत्य का मार्ग दिखला रहे हैं ।

 

 ❉   सत्य ज्ञान दे कर सत्य देवता बना रहे हैं । इस सत्य ज्ञान से हम सतयुगी दुनिया के मालिक बनेगें जहां सत्संग करने की जरूरत ही नही ।

 

 ❉   इसलिए अब हमें झूठ का संग छोड़ सत का संग करना है और सत्य बताने वाले सत्य बाप की याद में रह सच्चा - सच्चा सत्संग करना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ कर्म, अकर्म और विकर्म की गुह्य गति को बुद्धि में रखकर अब कोई विकर्म नहीं करने हैं, ज्ञान और योग की धारणा करके दूसरों को सुनाना है ।

 

  ❉   अब कल्याणकारी संगमयुग पर ही बाबा ने ज्ञान दिया कि मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है , जो कर्म हम करते हैं , उनका फल अगले जन्म में भी मिलता है व देह समाप्त होने पर सभी कर्म साथ ही समाप्त नही होते । ये सब सत्य ज्ञान स्पष्ट होने से दृष्टिकोण व स्वभाव मर्यादित हो गया ।

 

  ❉   कर्म मनुष्य का दर्पण है जिससे मनुष्य पहचाना जाता है । कर्म श्रेष्ठ हो तो प्रालब्ध भी श्रेष्ठ मिलती है और कर्म भ्रष्ट हो तो प्रालब्ध भी दु:ख का होता है । बाबा ने ये कर्मो की गुह्य गति बताई है ।

 

  ❉   अभी तो दुनिया वालों के लिए कलयुग है व रावण राज्य है । विकारों में घिरे होने के कारण देह अभिमानी है व  स्वयं को आत्मा न समझ पंच मौलिक शरीर माने हुए है और परमात्मा से प्रीत के बजाय कर्मेन्द्रियों के विषयो के आकर्षण से बंधा हुआ है तो विकर्म ही करते हैं ।

 

  ❉   सतयुग और त्रेतायुग में आत्मा सतोप्रधान होती है व आत्माभिमानी स्थिति होती है और इन दोनों युगों में सृष्टि में पवित्रता ,सुख शांति रूप प्रारब्ध प्राप्त करती है व कर्म शुभ , भोग्य कर्म होते है तो उनके कर्म ही अकर्म होते है ।

 

  ❉   कलयुग के अंत और सतयुग के आरम्भ के संधिकाल में संगमयुग पर  बाबा ने जो गुह्य ज्ञान दिया कि कब  कर्म विकर्म और अकर्म होते है तो ये जानने के बाद कोई विकर्म नही करना है।

 

  ❉   आत्मिक स्थिति मे रहकर बाप की याद मे रहकर बाबा जो ज्ञान रत्नों से रोज हमारी झोली भरते है व उसे बुद्धि में अच्छी रीति धारण कर दूसरों को भी सुनाना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ बाप समान स्थिति द्वारा समय को समीप लाने वाले तत त्वयं के वरदानी बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बाप समान बनना अर्थात जैसे बाप बिंदी है वैसे ही हमें भी अपने बिंदी स्वरुप में स्थित होना है, जैसे बाप गुणों, शक्तियों, प्रेम, सुख, शांति, आनंद का सागर है वैसे ही हमें भी बनकर रहना है, जो बाप का कर्त्तव्य है विश्व कल्याण का वही हमारा भी कर्त्तव्य हो।

 

 ❉   बाप समान बनने के लिए हमें इस देह और देह की दुनिया से न्यारा बनना पड़ेगा। अनेक तरह से बुद्धि हटा के सिर्फ एक बाप में ही बुद्धि लगी रहे। अनेक मेरा को तेरे में परिवर्तन कर सिर्फ एक बाप मेरा होना चाहिए।

 

 ❉   यह तभी हो सकता जब हमारा सच्चा स्नेह, दिल का प्यार एक बाप से हो। दिल इस पुरानी दुनिया से बिलकुल हटी हुई हो, आशिक माशूक की तरह सिर्फ एक बाप के ही लव में सदा लवलीन रहे।

 

 ❉   जो आत्माये ऐसे बाप समान सदा बाप के लव में लीन रहती है वही समय को नजदीक लाने के निमित्त बनती है। माया व प्रकृति भी उनकी दासी बनकर रहती है।

 

 ❉   उनके श्रेष्ठ व पवित्र वाइब्रेशन से यह दुनिया पवित्र होती जाती है, वह सम्पूर्णता की स्टेज के नजदीक पहुचते जाते है। कोई भी पवित्र आत्मा इस पुरानी दुनिया में रह नहीं सकती इसलिए उनके लिए समय भी नयी दुनिया भी जल्दी जल्दी परिवर्तन करता है। ऐसे ही बच्चे बाप द्वारा तत त्वम् के वरदानी बन जाते है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ एक दो के विचारों को रिगार्ड दो तो स्वयं का रिकॉर्ड अच्छा बन जायेगा... कैसे ?

 

 ❉   एक दो के विचारों को रिगार्ड देंगे तो एक दूसरे को उमंग उत्साह दिला कर पुरुषार्थ में तीव्रता ला सकेंगे और स्वयं का रिकॉर्ड अच्छा बना सकेंगे ।

 

 ❉   दुआये पुरुषार्थ को बढ़ाती हैं जिससे रिकॉर्ड अच्छा बनता है और दुयाये जमा करने का सहज साधन है एक दूसरे के विचारों को रिगार्ड देना ।

 

 ❉   जितना दूसरों के प्रति शुभभावना, शुभकामना रख एक दूसरे के विचारों का रिगार्ड रखेंगे उतना परमात्म मदद के अनुभवी बन पुरुषार्थ में तीव्रता ला कर अपना रिकॉर्ड अच्छा बना सकेंगे ।

 

 ❉   एक दूसरे के विचारों का सम्मान संगठन में मजबूती ला कर एक दूसरे को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और रिकॉर्ड को अच्छा बनाने में सहयोगी बनता है ।

 

 ❉   एक दूसरे के विचारों को रिगार्ड देंगे तो स्वभाव - संस्कारों का टकराव नही होगा और एक दूसरे का सम्मान  रिकॉर्ड को अच्छा बना देगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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