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   28 / 07 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

‖✓‖ °श्रीमत° पर स्वयं को श्रेष्ठ बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

‖✓‖ °प्यूरिटी° पर विशेष अटेंशन रहा ?

‖✓‖ °लायक वा सपूत° बच्चा बन सार्विस का सबूत दिया ?

‖✓‖ °ज्ञान धन पात्र देखकर° दिया ?

‖✗‖ °स्थूल धन व्यर्थ° तो नहीं गंवाया ?

‖✗‖ संकल्प में भी किसी देहधारी की तरफ आकार्षित हो °बेवफा° तो नहीं बने ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °सर्व सम्बन्धों का अनुभव एक बाप से° कर अथक और विघ्न-विनाशक स्थिति का अनुभव किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳ वर्तमान समय के प्रमाण अभी अपनी सेवा वा सेवा-स्थानों की दिनचर्या बेहद के वैराग्य वृत्ति की बनाओ। अभी आराम की दिनचर्या मिक्स हो गई है। अलबेलापन शरीर की छोटी-छोटी बीमारियों के भी बहाने बनाता है। अगर किसी पदार्थ की, साधनों की आकर्षण हैं तो साधना खण्डित हो जाती है।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ अपनी सेवा वा सेवा-स्थानों की दिनचर्या °बेहद के वैराग्य वृत्ति° को बनाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं अथक और विघ्न विनाशक आत्मा हूँ ।
 

✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

❉ सर्व सम्बन्धों का अनुभव एक बाप से करने वाली मैं अथक और विघ्न विनाशक आत्मा हूँ ।

❉  बाबा कैसे भी समय पर कोई भी सम्बन्ध निभाने के लिए बंधे हुए हैं, सर्व संबंधो से बाबा सदा मुझे अपना सहयोग देते रहते हैं ।

❉  कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन बाप की मदद से सहजयोगी बन, मैं हर परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती हूँ ।

❉  चलते – फिरते, खाते – पीते हर कर्म करते बुद्धि का योग सिर्फ एक बाप के साथ लगा कर मैं हर कार्य को सहज ही पूरा कर लेती हूँ ।

❉  क्या, क्यों के प्रश्नों से दूर, सारी जिम्मेवारी बाबा को सौंप मैं निमित बन अपना पार्ट बजा रही हूँ ।

❉  अपने सभी लौकिक कार्य भी बाप की डायरेक्शन प्रमाण खेल समझ कर करने से कोई भी बात मुझे कभी थकाती नही है ।

❉  सदा डबल लाइट स्थिति का अनुभव करते हुए मैं हर प्रकार के बोझ से सदैव मुक्त रहती हूँ ।

❉  कम्पलीट स्थिति के अनुभव द्वारा सर्व कम्पलेन समाप्त कर मैं सदा सहजयोगी बन एक बाप की लग्न में मग्न रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ “मीठे बच्चे – तुम्हारी पढाई का फाउंडेशन है प्योरिटी, प्योरिटी है तब योग का जोहर भर सकेगा, योग का जोहर है तो वाणी में शक्ति होगी”

❉  कहा जाता है जहाँ प्योरिटी है वहां सुख, शान्ति और सम्पन्नता स्वत: ही आ जाते हैं ।

❉  अपने मूल स्वरूप में आत्मा सम्पूर्ण प्योर ही होती है, और उसी सम्पूर्ण प्योरिटी की अवस्था में ही वापिस जा सकती है ।

❉  क्योकि शरीर धारण कर अनेक जन्म पार्ट बजाते बजाते और विकारो में गिरते गिरते आत्मा को प्योरिटी समाप्त हो जाती है ।

❉  आत्मा को फिर से सम्पूर्ण प्योर बनाने के लिए ही पतित पावन परमपिता परमात्मा बाप आते हैं और आ कर राजयोग की पढ़ाई पढ़ाते हैं, जिसे धारण कर हम स्वयं पावन बन, औरों को बनाते हैं ।

❉  लेकिन औरो को आप समान हम तभी बना सकेंगे जब वाणी में शक्ति होगी और वाणी में शक्ति तभी आएगी जब योग का जोहर होगा ।

❉  और योग का बल जमा करने के लिए प्योरिटी का होना बहुत जरुरी है, क्योकि हमारी पढाई का फाउंडेशन ही है प्योरिटी ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ स्थूल धन भी व्यर्थ नहीं गँवाना है । पतितो को दान नहीं करना है । ज्ञान धन भी पात्र को देखकर देना है ।

❉  स्थूल धन को ऐसे किसी को भी दान देकर गँवाना नहीं है । अगर कोई ग़रीब है तो उसे दान देकर उसे आदत नहीं डालनी उसे मेहनत करना सिखाना है ।

❉  हमने किसी को धन दान किया व उसने उस धन को गल्त काम के लिए यूज किया तो उस पाप के उसके साथ-साथ हम भी भागीदार है । इसलिए स्थूल धन का दान अच्छी भांति परख कर देना है ।

❉  ज्ञान रत्नों का अखूट धन बाबा हमें देते है तो हमें ज्ञान धन का दान उचित समय पर व्यक्ति को परख कर ही देना है जैसे कोई व्यक्ति दु:खी है , अशांत है व हम उस समय उसे ज्ञान सुनाने लगे तो वह उसे नहीं सुनेगा । हमें उस समय उसे शांति , सुख की वायब्रेशनस देनी है ।

❉  ऐसा कहा जाता है कि किसी को धन का दान करते हैं तो उससे सम्बंध जुड़ जाता है । क्योंकि जो लेता है या देता है उसे किसी भी जन्म में लेना या देना पड़ता है । ऐसी आत्मा को दान देना है जिसका आचरण व चाल चलन अच्छा हो । क्योंकि बाबा कहते हैं कि दान भी पात्र देखकर करना है ।

❉  अभी तक तो भक्ति में ऐसा करते आयें हैं कि कोई भी भिखारी आए उसे ख़ाली नहीं भेजना चाहे अन्न या धन कुछ भी दान देना है । अब ज्ञान मिलने पर ये सब छोड शुभ भावना शुभ कामना देनी हैं व अपने धन को यज्ञ में लगाकर सफल करना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सर्व संबंधो का अनुभव एक बाप से करने वाले अथक और विघ्न विनाशक बन जाते है... क्यों और कैसे ?

❉  जब सर्व शक्तिमान भगवान हमारा बाप है तो हम उनके बच्चे मास्टर सर्व शक्तिमान है, और मास्टर सर्व शक्तिमान के आगे कोई विघ्न ठहर नहीं सकते।

❉  जब सर्व सम्बन्ध एक बाप से अनुभव करेंगे और मन सदा एक बाप में ही लगा रहेगा और हर कर्म कर्मयोगी बनकर होगा जिससे आत्मा का बल बढेगा और अथक व निर्विघ्न होकर सेवा कर सकेंगे।

❉  जब हम बाप सर्व सम्बन्ध एक बाप से अनुभव करते है तो हमें इस दुनिया से कोई आसक्ति नहीं रहती, बाप से हमें इतना प्रेम, सुख, आनंद की अनुभूति होती है जो इस दुनिया की बातें चींटी समान दिखाई पड़ती है जैसे कोई खेल हो।

❉  "मेरा तो शिव बाबा एक दूसरा न कोई" जब इस लगन में मन मगन हो जाता है, तो पिता की सर्व शक्तियो, गुणों और वर्से के अधिकारी बन जाते है, बाप समान जैसा बाप वैसे बच्चे मास्टर ऑलमाइटी अथॉरिटी बन जाते है।

❉  जब हम बाप के साथ होते है, तो जैसे कोई शेर का बच्चा पिता के साथ सदा सेफ है वैसे ही हम भी बाप के साथ रहे तो माया बिल्ली दूर से ही देखकर भाग जाएगी। बाप से साथ कंबाइंड रहने से जो पावरफुल वाइब्रेशन हमसे निकलते है वह अपने ही नहीं अनेको के विघ्नों को समाप्त कर देते है और आत्मा पुरुषार्थ में अथक हो आगे बढती रहती है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ संकल्प में भी किसी देहधारी तरफ आकर्षित होना अर्थात बेवफा होना... क्यों और कैसे ?

❉  किसी भी देहधारी की तरफ आकर्षण होगा तो बुद्धि का योग उसमे ही अटका रहेगा जिससे बाप को याद नही कर सकेंगे और बाप से बेवफा हो जाएेंगें ।

❉  देह का आकर्षण नाम रूप में फंसा कर दृष्टि को विकारी बना देगा और बाप से दूर ले जायेगा ।

❉  बाप से सर्व सम्बंधो की अनुभूति तभी कर सकेंगे जब मन बुद्धि केवल एक बाप में लगी होगी, संकल्प में भी किसी देहधारी तरफ आकर्षण बाप से सर्व संबंधो की अनुभूति से वंचित कर देगा ।

❉  बाप समान बनने के लिए जरूरी है बाप के गुणों को स्वयं में धारण करना और धारणा तभी होगी जब देहधारियों के आकर्षण से परे आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित हो, बाप के प्रति वफादार रहेंगे ।

❉  देहधारी का आकर्षण चिन्तन को शुद्ध और श्रेष्ठ नहीं बनने देगा और परमात्म पालना और परमात्म प्यार के अनुभव से आत्मा को दूर ले जाएगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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