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   25 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °मान का त्याग° कर सर्व के माननीय बनकर रहे ?

 

‖✓‖ गुप्त रूप से प्रवेश करने वाली °माया को परखा° ?

 

‖✓‖ "हम °वारियर्स° हैं" - इस स्मृति से माया रुपी दुश्मन से विजय प्राप्त की ?

 

‖✓‖ बुधी की प्रीत सिर्फ °एक बाप° से रही ?

 

‖✓‖ "अशरीरी बाप शरीर में प्रवेश कर ख़ास हमें °पढाने आये हैं°" - यह ख़ुशी रही ?

 

‖✓‖ ज्ञान के तीसरे नेत्र से °शांतिधाम और सुखधाम° को देखते रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ अन्तः वाहक शरीर द्वारा सेवा करने वाले कर्मबंधन मुक्त °डबल लाइट° फ़रिश्ता बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  योगबल अर्थात् साइलेन्स की शक्ति-कम मेहनत, कम खर्चे में बालानशीन कार्य करा सकती है। साइलेन्स की शक्ति-समय के खजाने में इकॉनामी करा देती हैं अर्थात् कम समय में ज्यादा सफलता पा सकते हो। यथार्थ इकॉनामी है-एकनामी बनना। एक का नाम सदा स्मृति में रहे। ऐसा एकनामी वाला इकॉनामी कर सकता है। जो एकनामी नहीं वह यथार्थ इकॉनामी नहीं कर सकता।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °एकनाम° बन इकॉनामी से कार्य किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं डबल लाइट हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अपने सभी बोझ बाप को दे कर, सदा हल्केपन का अनुभव करने वाली मैं डबल लाइट आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने मन बुद्धि को सदा मनमत से खाली रख सूक्ष्म वतन की सीन - सीनरियों को इस साकारी दुनिया में स्पष्ट अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   अपने साकारी शरीर द्वारा ईश्वरीय सेवा में बिज़ी रहने के साथ, अपने आकारी शरीर द्वारा मनसा सेवा में सदैव तत्पर रहती हूँ ।

 

 ❉   शुद्ध संकल्पों की शक्ति मुझे माया के तूफानों में भी डबल लाइट स्थिति द्वारा सहज ही मेहनत मुक्त, जीवन मुक्त स्तिथि का अनुभव कराती है ।

 

 ❉   अपने डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप् को स्मृति में रख मैं सदा दिव्यता की रॉयल्टी से चमकती रहती हूँ ।

 

 ❉   शिव शक्ति के कम्बाइंड स्वरूप द्वारा मैं सर्व आत्माओं को शक्ति स्वरूप का साक्षात्कार करवाती हूँ ।

 

 ❉   सेवा में बिज़ी रहते, हर कर्म करते भी मैं कर्मबन्धन मुक्त स्थिति का अनुभव कर सदैव हल्की रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - सदा ख़ुशी में रहो कि हमे कोई देहधारी नही पढ़ाते, अशरीरी बाप शरीर में प्रवेश कर खास हमे पढ़ाने आयें है"

 

 ❉   लौकिक पढ़ाई पढ़ने वाले विद्यार्थी सदा इसी ख़ुशी में रहते हैं कि हम पढ़ कर ऊँच पद पायेंगे जबकि वह प्राप्ति केवल एक जन्म के लिए ही होती है ।

 

 ❉   हम भी इस समय पढ़ रहे हैं । किन्तु यह पढ़ाई हमे कोई देहधारी मनुष्य नही पढ़ाते, बल्कि ज्ञान के सागर स्वयं परम पिता परमात्मा पढ़ाते हैं ।

 

 ❉   तो हमे इस बात का कितना नशा रहना चाहिए कि स्वयं अशरीरी भगवान मनुष्य तन का आधार ले कर हमे पढ़ाने के लिए  आये हैं ।

 

 ❉   इसलिए यह सबसे ऊँची ते ऊँची पढ़ाई है जो कोई विनाशी पद की प्राप्ति नही कराती बल्कि यह पढ़ाई भविष्य ऊँच पद पाने का मुख्य आधार है ।

 

 ❉   इस लिए अब हमारा पूरा ध्यान केवल अविनाशी  ज्ञान रत्नों की कमाई पर होना चाहिए ताकि ऊँच कमाई करके ऊँच पद प्राप्त कर सकें ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ विकर्मों से बचने के लिए बुद्धि की प्रीत एक बाप से लगानी है, इस सड़ी हुई देह का अभिमान छोड़ देना है।

 

 ❉   अभी हमें ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है व स्वयं को पहचाना है कि मैं देह नहीं देही हूँ । आत्मिक स्मृति में रहते है तो देहभान नहीं रहता और विकर्म नहीं होते ।

 

 ❉   आत्माभिमानी स्थिति रहती है तो आत्मा के पिता परमात्मा की याद स्वत: रहती है व मीठे बच्चे बनकर रहते हैं ।

 

 ❉   आधा कल्प से परमात्मा को पुकारते रहे कि पतित पावन आओँ व अब  बाप को पहचान लिया तो उसका सच्चा-सच्चा आशिक बनना है । उसी के प्यार में खोए रहना है ।

 

 ❉   इस पुरानी देह को सज़ा -सँवार कर उसकी सुंदरता पर अभिमान नहीं करना क्योंकि यह विनाशी शरीर भी साथँ नहीं देगा ।

 

 ❉   भले कहीं भी जाओ हर कर्म करते हुए बुद्धि से बस एक बाप को ही याद करना है । याद से ही विकर्म विनाश होंगे व पावन बनते जायेंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अन्तःवाहक शरीर द्वारा सेवा करने वाले कर्मबन्धन मुक्त डबल लाइट अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   अन्तःवाहक शरीर द्वारा सेवा करने के लिए हमें इन कर्मेन्द्रियो के भान से परे जाना होता है जो की बहुत हलकी व सूक्ष्म स्थिति है।

 

 ❉   अन्तःवाहक स्थिति द्वारा हम सरे विश्व की आत्माओ को एक ही समय एक साथ सकाश दे सकते है, और तभी हमारा विश्व सेवाधारी का स्वमान सिद्ध होता है।

 

 ❉   जब हम आत्माओ का कोई कर्मबंधन की डोर नहीं होगी, बुद्धि का लंगर इस दुनिया से उठा हुआ होगा तभी हम अन्तःवाहक शरीर अर्थात सूक्ष्म शरीर द्वारा इस दुनिया से उड़ सकेंगे।

 

 ❉   सूक्ष्म स्थिति डबल लाइट माइट स्थिति है, इस स्थिति में हम फ़रिश्ता बन ग्लोब के ऊपर कमल आसन पर विराजमान हो विश्व की आत्माओ तक परमात्म शक्तियों व गुणों की किरने फैलाते है जो की बहुत लाइट माइट स्थिति है।

 

 ❉   अनेक आत्माओ की सेवा करने से हमें सेवा का प्रत्यक्षफल ख़ुशी, शांति व शक्ति की प्राप्ति होती है, साथ ही साथ बाप का मददगार बनने से बाप का विशेष प्यार, साथ और मदद अनुभव होती है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ मान के त्याग में सर्व के माननीय बनने का भाग्य समाया हुआ है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   मान का त्याग आत्मा को निर्मान और निर्माण बना देता है जिससे सहज ही सर्व के माननीय बन जाते हैं ।

 

 ❉   मान का त्याग करने से आत्मा ईश्वरीय प्रेम में मगन हो, सबको ईश्वरीय स्नेह से भरपूर कर, सर्व से मान प्राप्त करने की अधिकारी बन जाती है ।

 

 ❉    मान प्राप्त करने की इच्छा से मुक्त आत्मा की दृष्टि हद से निकाल, बेहद में चली जाती है और बेहद विश्व की सेवा उसे सहज ही सर्व का माननीय बना देती है ।

 

 ❉    मान का त्याग आत्मा को श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित करता है और उसके श्रेष्ठ कर्मो के कारण उसे सर्व का सम्मान सहज ही प्राप्त हो जाता है ।

 

 ❉   मान का त्याग आत्मा को व्यक्ति, वस्तु व वैभवों के आकर्षण से मुक्त कर उसे स्नेह स्वरूप् बना कर सर्व का माननीय बना देता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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