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    21 / 05 / 15  की  मुरली  से  चार्ट  ❍ 

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ "°शरीर का भान बिलकुल भूल° जाए.. किसी का नाम रूप याद ना आये" - यह मेहनत की ?

 

‖✓‖ °नष्टोमोहा° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °ज्ञान की पॉइंट्स° को स्मृति में रख खुश रहे ?

 

‖✗‖ मनसा वाचा कर्मणा किसी को °दुःख° तो नहीं दिया ?

 

‖✗‖ °आसुरी चलन° तो नहीं रही ?

 

‖✗‖ °अल्बेलेपन° में समय तो नहीं गंवाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °विश्व कल्याण° के कार्य में सदा बिजी रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  परमात्म प्यार इस श्रेष्ठ ब्राह्मण जन्म का आधार है । कहते भी हैं प्यार - है तो जहान है, जान है । प्यार नहीं तो बेजान, बेजहान है । प्यार मिला अर्थात् जहान मिला । दुनिया एक बूँद की प्यासी है और आप बच्चों का यह प्रभु प्यार प्रापर्टी है । इसी प्रभु प्यार से पलते हो अर्थात् ब्राह्मण जीवन में आगे बढ़ते हो । तो सदा प्यार के सागर में लवलीन रहो ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ सदा प्यार के सागर में °लवलीन° रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं विश्व की आधारमूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   विश्व कल्याण के कार्य में सदा बिज़ी रहने वाली मैं विश्व की आधारमूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मेरी मन बुद्घि सेवा के नये - नये प्लैन और तरीके सोचने में बिज़ी रहती है ।

 

 ❉   सेवा में स्वयं को बिज़ी रखने से मैं व्यर्थ के प्रभाव से सदैव मुक्त रहती हूँ और आलस्य, अलबेलेपन से बची रहती हूँ ।

 

 ❉   बेहद विश्व की सर्व आत्माओं को इमर्ज कर अपने शुभ संकल्पों और श्रेष्ठ वाइब्रेशन्स द्वारा मैं सर्व आत्माओं का कल्याण करती रहती हूँ ।

 

 ❉   मुझ आत्मा के संकल्प में भी किसी भी विकार की कमजोरी, व्यर्थ बोल, व्यर्थ भावना, घृणा व इर्ष्या की भावना नहीं रहती ।

 

 ❉   परमात्म छत्रछाया के अंदर मैं सदैव परमात्म शक्ति से भरपूर रहती हूँ और परमात्म शक्ति के बल से विश्व की आधार मूर्त आत्मा बन सर्व आत्माओं को रुहानियत की शक्ति से भरपूर कर देती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - ज्ञान के प्वाइंट्स को स्मृति में रखो तो ख़ुशी रहेगी, तुम अभी स्वर्ग के गेट पर खड़े हो, बाबा मुक्ति - जीवनमुक्ति की राह दिखा रहे है "

 

 ❉   ज्ञान की प्वाइंट्स जो स्वयं परम पिता परमात्मा बाप ने हमे समझाई हैं वह कोई की बुद्धि में नही है ।

 

 ❉   मनुष्य कितने शास्त्र आदि पढ़ते हैं किन्तु जानते कुछ भी नही है ।

 

 ❉   पूरे वर्ल्ड की हिस्ट्री - जाग्रफी को केवल हम बच्चे ही जानते हैं ।

 

 ❉   इसलिए बाप कहते हैं कि ज्ञान के इन प्वाइंट्स को स्मृति में रखो तो ख़ुशी का पारा चढ़ा रहेगा।

 

 ❉   सदैव बुद्धि में रहे कि बाबा हमे ज्ञान दे कर स्वर्ग की बादशाही देने आये है । हम अभी स्वर्ग के गेट पर खड़े हैं ।

 

 ❉   बाबा हमे मुक्ति - जीवनमुक्ति की राह दिखा रहे हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ अपनी चलन का चार्ट रखना है- कभी भी आसुरी चलन नहीं चलनी है। दिल की सच्चाई से नष्टोमोहा बन भारत को स्वर्ग बनाने की सर्विस में लग जाना है।

 

 ❉   उठते बैठते चलते फिरते अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परम आत्मा को याद करना है व याद से ही विकर्म विनाश होंगे। पावन बनेंगे नहीं तो सज़ाएँ खानी पड़ेंगी व पद भी भ्रष्ट हो जायेगा।

 

 ❉   अपना चार्ट रखने से यह पता चलता है कि हम कितनी देर याद में रहे व किसी को दु:ख तो नहीं दिया । अपनी चलन राॅयल रखनी है क्यूँकि राॅयल व ऊंच ते ऊंच बाप के बच्चे हैं।

 

 ❉   देही-अभिमानी रहना है। अगर देह- अभिमान में रहते हैं तो अनेक प्रकार की माया आ जाती है व तेरे मेरे के चक्कर में ग़ुस्सा करते हैं और लून पानी हो जाते हैं।

 

 ❉   बेहद के बाप से 21 जन्मों के लिए राजाई लेनी है तो मेहनत तो करनी पड़ेगी । पढ़ाई भी अच्छी रीति पढ़नी है व मनसा वाचा कर्मणा पवित्र रहना है। दिल से बाप के साथ सच्चा रहना है सिवाय बाप के किसी और से दिल नहीं लगानी है।

 

 ❉   मरजीवा बन यानि यानि पुरानी दुनिया व पुराने सम्बंधों को भूलकर मर गए तो फिर याद क्यूँ आनी चाहिए। पुरानी दुनिया तो खत्म होनी है। नई दुनिया यानि स्वर्ग की स्थापना के कार्य के लिए अपने को बाप का सच्चा सच्चा मददगार बनाना है।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ विश्व कल्याण के कार्य में सदा बीजी रहने वाले ही विश्व के आधारमूर्त है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बाप के मददगार बन विश्व का कल्याण करने की हम विशेष आत्माओ की जिम्मेदारी है। जिम्मेवारी का ताज बाबा ने हम बच्चो को पहनाया है।

 

 ❉   हम आत्माये पूर्वज है, सरे विश्व की आत्माओ की नजर हम पर है, की हमारे पूर्वज अब हमारा दुःख हरेंगे और मुक्ति दिलाएंगे।

 

 ❉   इस कल्पवृक्ष की जड़ो में हम ब्राह्मण आत्माये बेठी है, सारे वृक्ष को सीचना हम आत्माओ का कर्तव्य है।

 

 ❉   इस विश्व की हम आधारमूर्त आत्माये है, विश्व नाटक में हम हीरो पार्टधारी है, सरे विश्व की आत्माओ की नजर हम पर है, जैसा कर्म हम करेंगे हमें देख सब करेंगे।

 

 ❉   इस सृष्टि को पवित्रता के बल से थामने वाली हम आत्माये है। हमारी पवित्रता के बल से ही यह सृष्टि पावन होने वाले है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ संगमयुग का एक - 2 सेकण्ड वर्षो के समान है इसलिए अल्बेलेपन में समय नही गवाओं... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   संगमयुग21 जन्मों के लिए श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने का स्वर्णिम युग है इसलिए एक - 2 सेकण्ड वर्षो के समान है । इसे अलबेलेपन में व्यर्थ गवाना अपनी प्रालब्ध को बिगाड़ना है ।

 

 ❉   परमात्म प्यार और परमात्म पालना का अनुभव पुरे कल्प में संगम युग के अलावा और किसी युग में मिलना असम्भव है । इसलिए आलस्य और अलबेलेपन को छोड़ संगम युग के हर एक सेकण्ड को प्रभु मिलन की मौज में बिताओ ।

 

 ❉   जिस अतीन्द्रिय सुख के लिए देवी - देवता भी तरसते हैं वो केवल संगम युग पर ही प्राप्त हो सकता है इसलिए आलस्य और अलबेलेपन में समय व्यर्थ गवाने की बजाए एक - एक सेकण्ड अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हुए बिताओ ।

 

 ❉   सर्व प्राप्तियों का अनुभव केवल संगम युग पर ही सम्भव है । क्योकि संगम युग पर ही स्वयं भगवान हमारे सन्मुख है । इसलिए अनुभवी मूर्त बन संगम युग के एक - एक सेकण्ड को सफल करो ।

 

 ❉   पूरे कल्प में केवल संगम युग पर ही स्वयं  भाग्य विधाता परम पिता परमात्मा बाप हमे हमारा श्रेष्ठ भाग्य लिखने की कलम हमारे ही हाथो में देते हैं । इसलिए आलस्य और अलबेलेपन में समय गवाना माना अपने भाग्य को लकीर लगाना है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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