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    28 / 04 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

 

‖✓‖ "°अब नाटक पूरा होता है°" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ °स्वदर्शन चक्रधारी° बने और बनाया ?

 

‖✓‖ °मदर फादर° को फॉलो किया ?

 

‖✓‖ बाप के पूरे पूरे °मददगार° बनकर रहे ?

 

‖✗‖ °चनो° के पीछे समय तो नहीं गंवाया ?

 

‖✗‖ °अभिमान° को अपनी शान तो नहीं समझा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °एकमत और एकरस अवस्था° द्वारा धरनी को फलदायक बनाया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जितना स्वयं को मन्सा सेवा में बिजी रखेंगे उतना सहज मायाजीत बन जायेंगे । सिर्फ स्वयं के प्रति भावुक नहीं बनो लेकिन औरों को भी शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा परिवर्तित करने की सेवा करो । भावना और ज्ञान, स्नेह और योग दोनों का बैलेन्स हो । कल्याणकारी तो बने हो अब बेहद विश्व कल्याणकारी बनो ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °भावना और ज्ञान°, स्नेह और योग दोनों का बैलेन्स रहा ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं हिम्मतवान आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मै सर्व शक्तियों से सम्पन्न हिम्मतवान, उमंग उत्साह से भरपूर आत्मा हूँ ।

 ❉   मेरी हिम्मत का एक कदम और बाप की मदद के हजार कदम हर कार्य को फलदायक बना देते हैं ।

 ❉   मैं निर्विघ्न और हिम्मतवान आत्मा बन, एक बाप की लग्न में मगन, एकमत और एकरस रहती हूँ, जिससे अन्य आत्मायें स्वत: मेरी सहयोगी बन जाती हैं ।

 ❉   बाबा के रूहानी प्यार की शक्ति मुझ में अथाह हिम्मत पैदा कर पहाड़ जैसी परिस्तिथि को भी राई जैसा हल्का बना देती है ।

 ❉   मेरी हिम्मत के आगे माया का विकराल रूप भी छोटा पड़ जाता है और माया रूपी शेरनी भी बिल्ली बन भाग जाती है ।

 ❉   अपने स्वमान की हाईएस्ट सीट पर सेट हो कर मैं विकराल परिस्तिथियों को भी बड़ी सहजता से पार कर लेती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारा यह मोस्ट वैल्युबुल समय है, इसमें तुम बाप के पूरे - पूरे मददगार बनो, मददगार बच्चे ही ऊँच पद पाते हैं"

 

 ❉   हम संगमयुगी ब्राह्मण बच्चों के लिए यह संगम का समय मोस्ट वैल्युबुल है । क्योकि पूरे कल्प के लिए कमाई जमा करने का यही समय है ।

 ❉   इस समय हम जितनी कमाई करेंगे वह केवल एक जन्म के लिए नही बल्कि 21 जन्मों के लिए हमारी प्रालब्ध बन जायेगी ।

 ❉   इसलिए संगम के इस वैल्युबुल समय को हमे झरमुई - झगमुई बातों में व्यर्थ नही गवाना है ।

 ❉   हमे बाप का मददगार बन ऊँच पद पाने का पूरा पुरुषार्थ करना है ।

 ❉   क्योकि जितना हम बाप के स्वर्ग स्थापन के कार्य में मददगार बनेंगे, औरों को आप समान बनाने की सेवा करेंगे उतने ही भविष्य ऊँच पद के अधिकारी बनेंगे ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ रूहानी पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है। अविनाशी ज्ञान रत्नों से अपनी मुठ्ठी भरनी है।

 

 ❉   अभी तक तो अज्ञानता के अंधेरे में थे व अपना परिचय भी नहीं पता था। परमपिता परमात्मा ने ही हमे अपने असली स्वरूप की व हम शरीर नहीं आत्मा है व आत्मा के पिता परमात्मा का परिचय दिया तो हमें रूहों को इस रूहानी पढ़ाई को पढ़ना है।

 ❉   अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परम पिता को याद करके पढ़ाई पढ़नी है । अभी हमें इस सृष्टि के आदि मध्य अंत व 84 जन्मों के चक्र का ज्ञान मिला है।

 ❉   लौकिक पढ़ाई में तो कितना पैसा ख़र्च करते हैं व ये पढ़ाई काम नहीं आनी और इससे थोडी कमाई होती है। रूहानी पढ़ाई को पढ़ने के लिए तो कुछ ख़र्च भी नहीं होता बल्कि 21 जन्मों की अविनाशी कमाई जमा होती है ।

 ❉   इस रूहानी पढ़ाई को पढ़कर जितना ज्ञान धन बाँटते है यह उतना ही बढ़ता है

 ❉   हमेशा एक बाप की याद में रहकर पढ़ाई कर अपनी झोलियाँ अविनाशी ज्ञान रत्नों से भर लेनी है व चेक करना है कि बुद्घि लाइन तो क्लीयर है व बुद्धि रूप बर्तन तो सोने का है।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ एकमत और एकरस अवस्था द्वारा धरनी को फलदायक बनाने के लिए हिम्मतवान बनना पड़े... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   आज दुनिया में माया का राज्य है, माया को छोड़ जब हम राम के बनते है तो माया बड़ी चतुराई से रुस्तम बनकर वार करती है, माया के वारो से न घबरा उन पर विजयी बन एकरस अवस्था बनाये रखने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए।

 ❉   63 जन्मो से हम देह अभिमानी रहे है, अब स्वयं को देही अभिमानी बना इस दुनिया से ममत्व मिटा एकरस अवस्था बनाना बहुत मेहनत का काम है।

 ❉   हम सभी आत्माये 63 जन्म में अलग-अलग पार्ट बजा कर आई है, सभी के विचार, संस्कार, हिसाब-किताब अलग है। सभी के संस्कार मिलाना, एकमत होना साधारण काम नहीं।

 ❉   एकमत और एकरस अवस्था के लिए आवश्यक है - देही अभिमानी बन निरंतर बाप की याद में रहना। योग में ही मेहनत है, निरंतर याद में रहना कोई मासी का घर नहीं है।याद में ही माया विघ्न डालती है।

 ❉   जब हम सभी बाबा के बच्चो की एकमत और एकरस अवस्था अर्थात कर्मतित अवस्था हो जाएगी तभी इस सृष्ठि का परिवर्तन होगा और यह भारत भूमि फिर से सतोप्रधान सोने की चिड़िया बन जाएगी परन्तु उसके लिए हम सभी को बहुत हिम्मत रख बाबा के कदम पर कदम रख आगे बढ़ते जाना है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ जो अभिमान को शान समझ लेते, वह निर्मान नही रह सकते... क्यों ?

 

 ❉   अभिमान को शान समझने वाले सदैव देह अभिमान के नशे में रहते हैं । और देह अभिमान में रहने वाला कभी निर्मान चित नही बन सकता ।

 ❉   अभिमान को मान समझने वाले सदैव अपने आन, मान और शान के नशे में चूर रहते हैं इसलिए स्वयं को श्रेष्ठ और दूसरों को हीन समझते हैं  और यह भावना उन्हें निर्मान चित नही बनने देती ।

 ❉   निर्मान वही रह सकते हैं जिनमे नम्रता, सत्यता, निरहंकारिता जैसे गुण हो । लेकिन अभिमान को शान समझने वाले कभी इन गुणों की धारणा नही कर सकते, इसलिए वे कभी निर्मान नही रह सकते ।

 ❉   अभिमान को शान समझने वाले दूसरो में सदैव अवगुण ही देखते हैं, दूसरो में गुणों को देख उन्हें अपने अंदर धारण करने की क्षमता उनमे नही होती इसलिए वे कभी निर्मान नही बन सकते ।

 ❉  जो निर्मान होते हैं उनका स्वभाव सरल और बुद्धि विशाल होती है । किन्तु अभिमान को शान समझने वाले कभी दूसरों के साथ सरल व्यवहार नही कर सकते । इसलिए वे कभी निर्माणचित नही बन सकते ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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