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❍ 27 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ दूर होते हुए भी °स्नेह° के आधार पर बापदादा के अति समीप अनुभव किया ?
‖✓‖ मनसा-वाचा-कर्मणा सच्चे निष्काम °सहयोगी° बनकर रहे ?
‖✓‖ °मास्टर सर्वशक्तिमान° बनकर रहे ?
‖✓‖ अपनी बीती हुई बातों को, संस्कार रुपी बीती को °अविनाशी वैराग्य° द्वारा जलाया ?
‖✓‖ अमृतवेले से रात तक °ईश्वरीय नियमों और मर्यादाओं° को सदा पालन करने का व्रत लिया ?
‖✓‖ °निरंतर महादानी° बन पुण्य आत्मा बन प्रजा को दान किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ मैं पन के भाव को मिटा ब्रह्मा बाप समान °श्रेष्ठ त्यागी° बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ ज्ञान मनन के साथ शुभ भावना, शुभ कामना के संकल्प, सकाश देने का अभ्यास, यह मन के मौन का, ट्रैफिक कण्ट्रोल का टाइम मुकरर करो। विशेष एकान्तवासी और खजानों के एकानामी का प्रोग्राम बनाओ। एकनामी और एकानामी वाले बनो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ विशेष एकान्तवासी और खजानों के °एकानामी का प्रोग्राम° बनाया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं श्रेष्ठ त्यागी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं पन के भान को मिटाने वाली मैं ब्रह्मा बाप समान श्रेष्ठ त्यागी आत्मा हूँ ।
❉ हर कार्य और संकल्प में सदा औरों को आगे रखने की भावना द्वारा मेरे पन को मिटाती जाती हूँ ।
❉ कदम कदम पर ब्रह्मा बाप को फॉलो कर मैं निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।
❉ हम सो फरिश्ता मन्त्र को पक्का कर मैं साकार और आकार के अंतर को समाप्त करती जाती हूँ ।
❉ सभी बातों में इजी रह, मैं देह अभिमान की टाइटनेस को समाप्त कर, सदा उपराम स्थिति में स्थित रहती हूँ ।
❉ ब्रह्मा बाप समान सर्व के प्रति नम्र, उदार और करुणामय बन सबको उमंग उत्साह में ला कर निरन्तर आगे बढ़ाती जाती हूँ ।
❉ अपने संपर्क, सम्बन्ध में आने वाली हर आत्मा के प्रति मेरे मन में स्नेह, सहयोग और कल्याण की भावना सदा समाई रहती है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "स्नेह, सहयोग और शक्ति स्वरूप के पेपर्स की चेकिंग और रिज़ल्ट"
❉ बच्चों के पुरुषार्थ की रिज़ल्ट देखने के लिए बाप दादा समय प्रति समय अलग - अलग प्रकार के पेपर्स लेते रहते हैं ।
❉ आज बापदादा विशेष रूप से " स्नेह, सहयोग और शक्ति स्वरूप के पेपर्स की चेकिंग और रिज़ल्ट देख रहें हैं ।
❉ स्नेह के पेपर में बाप दादा ने एक अटूट स्नेह वाले दूसरे सर्व सम्बन्ध बाप से निभाने वाले और तीसरे बाप के डायरेक्ट स्नेही बनने वाले बच्चे देखे ।
❉ सहयोग के पेपर में एक निष्काम सहयोगी दूसरे मनसा - वाचा - कर्मणा, सम्बन्ध और सम्पर्क में सहयोगी और तीसरे औरो को सच्चे सहयोगी बनाने वाले देखे ।
❉ शक्ति स्वरूप के पेपर में एक मास्टर सर्वशक्तिवान, दूसरे समय पर शक्तियों का लाभ लेने वाले, और तीसरे स्व की शक्तियो द्वारा औरों को मास्टर सर्वशक्तिवान बनाने वाले देखे ।
❉ इन तीनो पेपर्स की चेकिंग और रिज़ल्ट के आधार पर ही सीट फिक्स होनी है । इस लिए पुरुषार्थ करके सभी जितनी चाहे नजदीक सीट ले सकते हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ फ़ाइनल रिज़ल्ट में बाप के साथ-साथ धर्मराज भी होंगे । उस रिज़ल्ट में पास विद ऑनर होने का पुरूषार्थ करना है ।
❉ लौकिक में भी जो बच्चे हर सब्जेक्ट पर बराबर ध्यान देते है वे ही अच्छे नम्बर से पास होकर ऊँच पद पाते हैं । ऐसे ही हमें चारों सब्जेक्ट पर एक समान देना है ।
❉ बाप रोज़ कहते हैं बच्चे पढ़ाई पर अटेंशन देकर उच्च पद पाने का पुरूषार्थ करो । अभी तो बाबा मीठे बच्चे कहकर बड़े प्यार से समझाते हैं लेकिन फ़ाइनल रिज़ल्ट देखेंगे तो उस समय बाप के साथ धर्मराज भी होंगे । उस समय पढ़ाई और अटेंशन का समय नहीं होगा ।
❉ ज्ञान के सागर से ज्ञान प्राप्त कर पहले अच्छी तरह धारण कर फिर ज्ञान गंगा बन अज्ञानी लोगों की प्यास बुझानी है । अपने को आत्मा समझ परमपिता को याद करने का पुरूषार्थ करना है । याद से विकर्म विनाश कर पतित से पावन बनना है क्योंकि पावन नहीं बनेंगे तो धर्मराज की सज़ाएँ खानी पड़ेगी ।
❉ बाबा कहते हैं ज्ञान योग की धारणा भी अच्छी रीति करनी है । धारणा अच्छी नहीं तो सेवा भी नहीं कर पायेंगे । श्रीमत का पालन कर सेवा में आगे बढ़ना है । यज्ञ के हरकार्य में अपनी सेवा देकर आगे बढ़ाना है।
❉ पास विद आॅनर में आने के लिए अपनी स्थिति अचल अडोल बनानी है । न मैं , न मेरा शब्द मुख से निकालने हैं । जैसे पति पत्नी के साथ डोर बांधती है , ऐसे हमने भी बाबा के संग डोर बाँधी है व बाबा ने हमें सम्भाला है । अंत समय बस बाबा बाबा सुनते सुनाते शरीर छोड़े ऐसी तैयारी पहले कर एवररेडी रहना है । तभी चारों सब्जेक्ट में पास विद ऑनर आयेंगे ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ मै पन के भान को मिटाने वाले ब्रह्मा बाप समान श्रेष्ठ त्यागी है... क्यों और कैसे ?
❉ ब्रह्मा बाबा की अंतिम तिन अनमोल शिक्षाए थी- "निराकारी, निरहंकारी, निर्विकारी बनना" जितना मै पन को मिटाते जायेंगे उतना ही बाप की इच्छा को पूरी करते जायेंगे।
❉ सबसे पहला त्याग ही है मै पन का, इसकी ही पूछ पकड़ के ही बाकि सब विकार आते है। इस एक मै को छोड़ने से हम आत्मिक स्थिति में स्थित हो सकेंगे।
❉ सबसे पहले त्याग इस मै का ही करना होगा। या कहो परिवर्तन करना होगा जब भी "मै" याद आये तो उस मै को "मै आत्मा" में परिवर्तन करदो तो आत्मिक स्थिति में स्थित होने से ब्रह्मा बाप समान बन जायेंगे।
❉ बाबा ने सिखाया है - "त्याग, तपस्या और फिर सेवा" जब तक त्याग नहीं होगा तब तक तपस्या में मन नहीं लगेगा और बिना त्याग तपस्या के सेवा में भी सफलता नहीं मिल सकती।
❉ ब्रह्मा बाबा हम सब बच्चो के आगे त्याग तपस्या सेवा के एक्साम्पल है। हमें हर कदम पर उनको फोलो करते जाना है, जैसे उन्होंने किया सैम वैसा कॉपी करते जाना है, उनके कदमो पर कदम रखते जाना है। अपने हर कर्म को चेक करना है ब्रह्मा बाबा के कर्म से और चेंज करना है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ फट से किसी का नुक्स निकाल देना - यह भी दुःख देना है ... क्यों और कैसे ?
❉ किसी आत्मा की विशेषता को देखे बिना उसकी एक गलती को देख फट से नुक्स निकालना उस आत्मा को दिलशिक्सत बना सकता है ।
❉ फट से नुक्स निकालना आत्मा को उत्साहहीन और असन्तुष्ट बना कर उसे दुखी कर सकता है ।
❉ किसी की छोटी सी गलती पर फट से नुक्स निकलने से आत्मा अशांत हो दुखी हो सकती है ।
❉ फट से किसी का नुक्स निकालना आत्मा को अपसेट कर उसके पुरुषार्थ को नीचे गिरा सकता है और उसे दुखी बना सकता है ।
❉ फट से किसी का नुक्स निकालने से कई बार आत्मा स्वयं को अपेक्षित महसूस करती है और यह महसूसता उसके लिए दुःख का कारण बन सकती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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