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    06 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ अपने °आसुरी गुणों की जांच° की ?

‖✓‖ °सर्व शक्तियों° से संपन्न अनुभव किया ?

‖✓‖ °बहुत मीठा° बन शांति और प्यार से बात की ?

‖✓‖ "°जो करेगा वह पायेगा°" - यह बुधी में रहा ?

‖✓‖ सच्चे बाप से °सच्चाई° से चले ?

‖✓‖ °मुरली° पर पूरा ध्यान दिया ?

‖✓‖ दूसरों को न देख °स्वयं को देखा° ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

➢➢ °सर्व संबंधो° के सहयोग की अनुभूति द्वारा निरंतर योगी, सहजयोगी बनकर रहे ?

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अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-

➳ _ ➳  बापदादा आप लोगों के भाग्य के आगे उन्हों को बिचारे समझते हैं। लेकिन अभी ऐसा समय आने वाला है जो इन दिनों को याद करेंगे इसलिए आप अपना कार्य करते रहो। वह बिचारे हैं। आप लोग तो भाग्यवान हैं अपना भाग्य प्राप्त हुआ, उसको अनुभव कर रहे हो और बापदादा भी खुश है कि अव्यक्त होते हुए भी बच्चों ने पहचाना और सेवा का भाग्य भी ले रहे हैं। अच्छा।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज पूरा दिन अपने °महान भाग्य° के अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ मैं निरंतर योगी, सहजयोगी आत्मा हूँ

 

 ✺   श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं आत्मा बाप के  साथ भिन्न भिन्न संबंधों का सहज ही अनुभव कर निरंतर योगी और सहजयोगी अनुभव करती हूँ ।

 ❉   चलते-फिरते, खाते-पीते हर कर्म करते बुद्धि का योग सिर्फ एक बाप के साथ लगा कर मैं हर कर्म को सहज ही पूरा कर लेती हूँ।

 ❉   बाबा कैसे भी समय पर कोई भी सम्बन्ध निभाने के लिए बंधे हुए हैं । बाबा सदा सर्व संबंधो से मुझे अपना सहयोग देते हैं ।

 ❉   भले कैसी भी परिस्तिथि हो लेकिन सहज योगी बन बाप की मदद से मैं हर परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती हूँ।

 ❉   मैं आत्मा सदा सर्व संबंधो की अनुभूति व प्राप्ति में मगन रहती हूँ जिससे पुरानी दुनिया के वातावरण से सहज ही उपराम रहती हूँ ।

 ❉   निरन्तर योगी बन बाप की छत्र छाया को निरन्तर अपने ऊपर अनुभव कर सदा अतेंद्रिय सुख के झूले में झूलती रहती हूँ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - पद का आधार है पढ़ाई, जो पुराने भक्त्त होंगे वह अच्छा पढ़ेगें और पद भी अच्छा पाएंगे"

 

 ❉   किसी भी पद की प्राप्ति का मुख्य आधार पढ़ाई होता है।लौकिक पढ़ाई में भी जो विद्यार्थी अच्छी रीति पढ़ते हैं केवल वही विद्यार्थी अच्छे नम्बरो से पास होते है और पद भी अच्छा पाते हैं।

 ❉   यहां भी सारा मदार पढ़ाई पर है।यह पढ़ाई कोई मनुष्य नही पढ़ाते बल्कि स्वयं भगवान पढ़ाते हैं।

 ❉   किन्तु पढ़ाई को अच्छी रीति वही पढ़ेंगे जो पुराने भक्त होंगे।

 ❉   क्योकि यह ज्ञान कोई साधारण ज्ञान नही है, ईश्वरीय ज्ञान है।इस ज्ञान को अच्छी रीति वही उठायेंगे जिन्होंने बहुत भक्ति की होगी।

 ❉   जितना अच्छी रीति ज्ञान को धारण करेंगे उतना ही पद भी अच्छा पायेंगे।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ बहुत मीठा बन शांति और प्यार से बात करनी है।

 

 ❉   हम शांति के सागर के बच्चे शांतस्वरूप आत्माएँ है। अगर कोई अशांत आत्मा सम्पर्क में आती है तो शांति के वायब्रेशनस देकर शांति से, मीठा बनकर बात करनी है।

 ❉   हम प्रेम के सागर शिवबाबा के बच्चे हैं तो हमें सबके साथ नि:स्वार्थ प्रेम से चलना है व मीठा बनकर रहना है।

 ❉   जिन्होंने सत् को पहचान लिया है वो सदा मीठा बन दूसरों को भी मीठा बना शांति व प्यार से चलेगा।

 ❉   अगर कोई बुरा कहता है तो भी उसमें विशेषता व अच्छाई देखते हुए प्यार व शांति से बात करनी है।

 ❉   जैसे गुलाब काँटों के बीच में रहते हुए अपनी विशेषता ख़ुशबू को चारों ओर फैलाता है उसीप्रकार हमें चाहे कैसी परिस्थिति हो अपनी स्थिति में रह मीठा बन सबसे शांति और प्यार से बात करनी है।

 ❉   हम कितनी गल्तियां करते हैं तो भी बाप रोज़ अपने बच्चों से मीठे बच्चे कहकर प्यार से रोज़ चार पेज के पत्र द्वारा हमसे रोज़ बातें करते हैं व खुशबूदार फूल बनाते हैं तो हमें भी बाप समान सबसे मीठा बन शांति व प्यार से बात करनी है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ सर्व संबंधो के सहयोग की अनुभूति द्वारा निरंतर योगी ही सहजयोगी स्थिति का अनुभव कर सकते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   एक बाप से सर्व संबंधो की अनुभूति हमें सर्व प्राप्ति संपन्न बना देती है जिससे योग सहजयोग बन जाता।

 ❉   बाप से सर्व सम्बन्ध रखने से कभी दुनियावी संबंधो में बिद्धि भटकती और हम सहजयोगी बन जाते है।

 ❉   बाप सर्व सम्बन्ध समपूर्ण रीती से अंत तक निभाते है, जिससे हमारी याद बाबा से जुडी रहती है।

 ❉   जिससे दिल का प्यार होता है उसकी याद सहज ही बनी रहती है, एक बाप से सर्व सम्बन्ध होंगे तो उनकी याद सहज व निरंतर बनी रहेगी।

 ❉   बच्चो की जरुरत के समय बाबा कही भी एक सेकंड से भी कम समय में पहुच सकते जबकि किसी देहधारी को पहुचने में वक़्त लग सकता है। ऐसे बाबा का सहयोग हम आत्माओ को बस एक बार दिल से "मेरा बाबा" कहने से प्राप्त हो जाता है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ सर्वशक्तियों से सम्पन्न रहना यही ब्राह्मण स्वरूप की विशेषता है... कैसे ?

 

 ❉   सर्व शक्तियों से सम्पन्न ब्राह्मण सदैव अधिकारीपन की स्मृति में रह सर्व शक्तियों की प्राप्ति का अनुभव करता रहेगा।

 ❉   सर्वशक्तियों से सम्पन्न ब्राह्मण कभी भी माया के प्रभाव में नही आएगा।

 ❉   सर्वशक्तियों से सम्पन्न ब्राह्मण का हर कर्म स्मृति स्वरूप होगा और  स्तिथि सदा शक्तिशाली होगी।

 ❉   सर्व शक्तियों से सम्पन्न ब्राह्मण सदा अपने अलंकारी स्वरूप में स्तिथ होगा।

 ❉   सर्वशक्तियों से सम्पन्न ब्राह्मण की हर एक चलन रॉयलिटी से भरपूर होगी।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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