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❍ 23 / 07 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ बहानेबाजी को मर्ज और °बेहद की वैराग्य वृत्ति° को इमर्ज किया ?
‖✓‖ °शान्तिधाम और सुखधाम° को याद किया ?
‖✓‖ °निश्चयबुद्धि° बन याद की यात्रा में रहे ?
‖✓‖ "जो सर्व की सद्गति करने वाला जीवनमुक्ति दाता है, वह °हमारा बाप° बना है" - यह नशा रहा ?
‖✓‖ °ब्राह्मण सो देवता° बनने का पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ °हम सो, सो हम° के मन्त्र को यथार्थ समझा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सदा श्रेष्ठ और नये प्रकार की सेवा द्वारा वृद्धि करने वाले °सहज सेवाधारी° बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ एक बाप दूसरा न कोई-यही आपकी अखण्ड-अटल साधना है। यह अखण्ड-अटल साधना वहाँ अखण्ड राज्य का अधिकारी बना देती है। यहाँ का छोटा-सा संसार बापदादा, मात-पिता और बहन-भाई, वहाँ के छोटे संसार का आधार बनता है।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ "°एक बाप दूसरा न कोई°" - यह अखण्ड-अटल साधना की ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सहज सेवाधारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सदा श्रेष्ठ और नये प्रकार की सेवा द्वारा वृद्धि करने वाली मैं सहज सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ मेरे शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति सर्व आत्माओं को सहज ही परमात्म मिलन की अनुभूति करवाती है ।
❉ जैसे जवाहरी हर रोज अपने हर एक रत्न को चेक करता है कि उसकी चमक ठीक है ? इसी प्रकार अमृत वेले मैं भी अपने संपर्क में आने वाली आत्माओं को संकल्प शक्ति द्वारा ईश्वरीय शक्तियों और गुणों की चमक से सम्पन्न करती हूँ ।
❉ मेरे सहजयोग की शक्ति आत्माओं को सहज ही मेरी तरफ आकर्षित करती है ।
❉ अपने श्रेष्ठ संकल्पों और याद के बल से मैं विहंग मार्ग की सेवा में सदैव तत्पर रहती हूँ ।
❉ एक समय पर अनेक आत्माओं को बाप का सन्देश देने वाली मैं रूप बसंत आत्मा हूँ ।
❉ अपनी शक्तिशाली वृति से वायुमंडल को परिवर्तन कर सारे विश्व की सेवा करने वाली मैं सहज सेवाधारी हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ “मीठे बच्चे – जो सर्व की सद्गति करने वाला जीवनमुक्ति दाता है, वह आपका बाप बना है, तुम उनकी संतान हो, तो कितना नशा रहना चाहिए”
❉ लोग गुरु गोंसाई करते हैं मुक्ति पाने के लिए, किन्तु मुक्ति – जीवनमुक्ति सिवाय परमपिता परमात्मा के कोई दे ना सके ।
❉ वही सर्व की सद्गति करने वाला जीवनमुक्ति दाता परमपिता परमात्मा बाप सबको मुक्ति – जीवन मुक्ति देने के लिए आया हुआ है ।
❉ उस परमपिता परमात्मा की एक झलक पाने के लिए लोग कितने धक्के खाते हैं । तीर्थो पर जाते हैं, जप - तप, पूजा - पाठ, भक्ति आदि करते हैं ।
❉ किन्तु हम बच्चे कितने पदमापदम सौभाग्यशाली हैं जो स्वयं परमपिता परमात्मा ने आकर हमे बना लिया है ।
❉ तो हमे कितना नशा रहना चाहिए कि स्वयं आल माइटी अथॉरिटी हमारा बाप बन गया और हम उसकी संतान बन उसकी सारी सम्पति के मालिक बन गए ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ इस पुरानी दुनिया से बेहद का वैरागी बन अपनी देह को भूल शांतिधाम और सुखधाम को याद करना है ।
❉ इस पुरानी दुनिया में रहते हुए सर्व सम्बंध निभाते हुए बुद्धि से देहभान से परे रहते हुए सिर्फ बाप को याद करना है
❉ जब इस पुरानी दुनिया का विनाश होना ही है तो इससे ममत्व मिटाकर नयी दुनिया में जाने के लिए पुरूषार्थ करना है व पढ़ाई अच्छी रीति पढ़नी है ।
❉ जैसे नया घर बन रहा होता है तो हमारा ध्यान नये घर की तरफ़ ही होता है व पुराना घर याद नही आता इसी तरह जब बाप नयी दुनिया की स्थापना कर हमें नयी दुनिया में ले जाने के लिए आया है तो हमें शांतिधाम व सुखधाम को ही याद करना है ।
❉ हमें गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए ही कमल पुष्प समान न्यारा व प्यारा बन कर रहना है । नये घर व नयी दुनिया में जाने के लिए पवित्र बनना है व पवित्र बने बग़ैर तो नयी दुनिया में जा ही नहीं सकते ।
❉ जितना याद की यात्रा का बल होगा उतनी ही जल्दी विकर्म विनाश होगें व पावन बन जायेंगे । बाप को याद करने से घर की याद स्वत: ही आती है व एक आँख में शांतिधाम व दूसरी में सुखधाम की याद बनी रहती है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सहज सेवाधारी सदा श्रेष्ठ और नये प्रकार की सेवा द्वारा वृद्धि करने वाले होते है... क्यों और कैसे ?
❉ हर समय सेवा में कुछ न कुछ नवीनता होनी चाहिए, जिससे आत्माओ को कुछ नए वाइब्रेशन व फीलिंग की अनुभूति हो और नवीनता होगी तो सेवाधारी को भी उमंग उत्साह बना रहता है।
❉ जो सहज सेवाधारी होंगे उनका हर संकल्प भी सेवा प्रति होगा और ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, प्रेक्टिकल में याद और सेवा के बैलेंस द्वारा अनेको को उनके संकल्पों की कैचिंग होगी और ह्रदय परिवर्तन होगा।
❉ बाबा भी कहते बच्चे - "मिल जुल कर प्लानिंग करके सेवा के नए नए प्लान बनाओ", चाहे मनसा सेवा, चाहे कर्मणा चाहे वाचा। जिससे अनेक आत्माये आये और बाप का सन्देश उन तक पहुचे।
❉ बाबा भी मुरलियो में अनेक प्रकार की सेवा की युक्तियाँ बताते है, सेवा करेंगे तभी मेवा मिलेगा, सेवा की प्लानिंग में बुद्धि को बीजी रखेंगे तभी वह व्यर्थ की जगह समर्थ में लग सकेगी।
❉ अमृतवेला सभी आत्माओ का सबकोनशीयस माइंड जाग्रत रहता है, उस समय हम उन्हें जैसे संकल्प देंगे वह उन्हें स्पष्ट केच करती है। उस श्रेष्ठ वेला में हमें आत्माओ में श्रेष्ठ संकल्पों के बिज बोने है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बहानेबाजी को मर्ज करो और बेहद की वैराग्यवृति को इमर्ज करो... कैसे ?
❉ चिन्तन को शुद्ध और श्रेष्ठ बनाने की आदत डाल लें तो बहानेबाजी समाप्त हो जायेगी और बेहद की वैराग्यवृति इमर्ज हो जायेगी ।
❉ ‘एक बल एक भरोसा’ के आधार पर हर कर्म करें तो हर प्रकार की बहानेबाजी से छूट, बेहद के वैरागी बन जायेंगें ।
❉ देह अभिमान की बांस को समाप्त कर देही अभिमानी बनने की युक्तियाँ हमे हर बहानेबाजी से मुक्त कर, वैरागी बना देगी ।
❉ ज्ञानी तू आत्मा, निरंतर योगी और सहज सेवाधारी आत्मा ही भगवान को प्रिय है, इस बात को बुद्धि में रख सदा सेवा में तत्पर रहो तो किसी भी प्रकार की बहानेबाजी करने का समय ही नही मिलेगा और बेहद के वैरागी बन जायेंगे ।
❉ जितना उपराम वृति द्वारा साक्षी व न्यारी स्थिति में स्थित रहेंगे, उतना ही बेहद के वैरागी बन सब प्रकार की बहानेबाजी से छूट जायेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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