━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

   16 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ ड्रामा की यथार्थ नॉलेज के आधार पर °बेहद के सन्यासी° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ "हमें अब मृत्यु लोक के मनुष्य से °अमरलोक का देवता° बनना है" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ अपनी °रूहानी पर्सनैलिटी° को स्मृति में रख मायाजीत बनकर रहे ?

 

‖✓‖ श्रेष्ठ बनने के लिए °श्रीमत° पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ पवित्रता की धारणा से °पक्का वैष्णव° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °खान पान° की पूरी परहेज़ की ?

──────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ हर °संकल्प, समय, वृति और कर्म द्वारा सेवा° करने वाले निरंतर सेवाधारी बनकर रहे ?

──────────────────────────

 

आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  पिछले कर्मों के हिसाब-किताब के फलस्वरूप तन का रोग हो, मन के संस्कार अन्य आत्माओं के संस्कारों से टक्कर भी खाते हो लेकिन कर्मातीत, कर्मभोग के वश न होकर मालिक बन चुक्तू कराओ। कर्मयोगी बन कर्मभोग चुक्तू करना-यह है कर्मातीत बनने की निशानी।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °कर्मयोग° बन कर्मभोग चुक्तू किया ?

──────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा निरन्तर सेवाधारी हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   हर संकल्प, समय, वृति और कर्म द्वारा सेवा करने वाली मैं निरन्तर सेवाधारी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   निद्रा की स्थिति में भी मुझ से निकलने वाले शान्ति और आनन्द के वायब्रेशन्स सबको शान्ति और आनन्द की अनुभूति कराते हैं ।

 

 ❉   अपनी हर कर्मेन्द्रिय द्वारा मैं सबको बाप के याद की स्मृति दिलाने की सेवा करती रहती हूँ ।

 

 ❉   अपनी पॉवरफुल वृति द्वारा वायुमण्डल में पॉवरफुल वायब्रेशन्स फैला कर मैं सबको सन्तुष्टता का अनुभव कराती हूँ ।

 

 ❉   अपने विशेष पावरफुल संकल्पों द्वारा मुझे समस्त विश्व के सामने विशेष उदाहरणमूर्त आत्मा बन प्रत्यक्ष होना है, क्योकि सारा विश्व मुझे कॉपी करने वाला है ।

 

 ❉   इसलिए अपने श्रेष्ठ संकल्प और याद के बल से मैं विहंग मार्ग की सेवा में सदैव तत्पर रहती हूँ ।

 

 ❉   सदा अपनी शक्तिशाली वृति से वायुमण्डल को परिवर्तन कर सारे विश्व की सेवा करने वाली मैं सच्ची सेवाधारी हूँ ।

 

 ❉   हर कदम में पदमो की कमाई जमा करने वाली मैं निरन्तर सेवाधारी पदमापदम सौभाग्यशाली आत्मा हूँ ।

──────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - संगमयुग पर तुम ब्राह्मण सम्प्रदाय बने हो, तुम्हे अब मृत्युलोक के मनुष्य से अमरलोक का देवता बनना है"

 

 ❉   सभी सम्प्रदायों में सबसे श्रेष्ठ और सर्वोत्तम सम्प्रदाय ब्राह्मण सम्प्रदाय को माना जाता है ।

 

 ❉   किन्तु वे हैं हद के ब्राह्मण । वास्तव में सच्चे - सच्चे ब्राह्मण तो हम हैं जिन्हें संगम युग पर स्वयं परम पिता परमात्मा बाप ब्रह्मा मुख द्वारा एडॉप्ट करते हैं ।

 

 ❉   इसलिए अभी हम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण सम्प्रदाय बने हैं और परमात्मा बाप से राजयोग की पढ़ाई पढ़ रहे हैं ।

 

 ❉   क्योकि हम ब्राह्मणों की एम ऑब्जेक्ट है मनुष्य से देवता बनना जिसके लिए ही परमात्मा बाप आ कर ईश्वरीय विश्व विद्यालय स्थापन करते हैं ।

 

 ❉   इस गॉड फादरली वर्ल्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ कर हम मृत्युलोक के मनुष्य से अमरलोक का देवता बनते हैं ।

──────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ मुरली से स्वयं को रिफ्रेश करना है, कहां भी रहते सतोप्रधान बनने का पुरुषार्थ करना है ।

 

  ❉   जैसे शरीर के लिए भोजन जरुरी है उसीप्रकार आत्मा के लिए भी भोजन जरुरी है । आत्मा का भोजन है मुरली । मुरली से आत्मा को बल मिलता है ।

  

  ❉   मुरली ब्राह्मण जीवन का आधार है व गरम गरम हलुवा है । जैसे हलवा खाने से कमजोर शरीर में ताकत आ जाती है उसीप्रकार सुबह सुबह मुरली सुनकर पूरे दिन के लिए आत्मा को शक्ति भर जाती है । ये चिंतन भी चलता रहता है कि आज मेरे बाबा ने मेरे लिए क्या कहा ।

 

  ❉   पुरुषोत्तम संगमयुग पर बाप ही टीचर बनकर रोज पढ़ाकर हमें पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बनाते हैं , कौड़ी तुल्य से हीरे तुल्य जीवन बनाते हैं और विश्व का मालिक बनाते हैं तो ये नारायणी नशा चढ़ा रहना चाहिए ।

 

  ❉   भल काम धंधा करते रहो पर हर कर्म करते हुए बस एक बाप की याद में रहते हुए करना है । याद से ही विकर्म विनाश होंगे व आत्मा पावन बनती जाएगी ।

 

  ❉   जैसे माशूक अपने आशिक के लिए पत्र में अपना प्यार भेजता है व आशिक उस प्रेम पत्र को पढ़कर खुशी में नाचती रहती है उसीप्रकार हम सब का एक ही सच्चा सच्चा माशूक है ल सब आशिक उस प्रेम पत्र को सुनने के लिए भागे आते है कि आज मेरे लिए क्या कहा व उसे सुनकर रिफ्रेश हो जाते हैं ।

 

  ❉   ऊंच ते ऊंच बाप विश्व का मालिक बनाने के लिए हमें रोज पढ़ाने आते हैं इसलिए हमें कभी यू नहीं कहना कि फुर्सत नही है व मुरली रोज सुननी है ।

──────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ निरंतर सेवाधारी हर संकल्प, समय, वृत्ति और कर्म द्वारा सेवा करने वाले होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हमारा हर कर्म ही सेवा हो, हमारे सभी कर्म ऐसे श्रेष्ठ हो की जो भी देखे यह अनुभव करे की यह साधारण आत्माये नहीं है, कोई विशेष सत्ता है इनके साथ।

 

 ❉   जैसे कर्म हम करते है हमें देख कर ही और करते है। हमें किसी को कहकर नहीं सिखलाना है परन्तु अपने कर्मो को इतना श्रेष्ठ बनाना है जो उन्हें देख कर अनेक स्वयं ही परिवर्तन हो जाये।

 

 ❉   निरंतर सेवाधारी बनकर रहना है, हम विश्व मंच पर हीरो पार्टधारी है अतः हमारे हर कर्म एक कला की तरह अनुभव हो, साधारण कर्म भी सबको विशेष दिखाई दे।

 

 ❉   हमारा अमृत्वेला से रात्रि को सोने तक हर कर्म बाप की श्रीमत प्रमाण हो, विश्व की आत्माये हर समय हम पर नजर लगाये हुए है, हमारे हर संकल्प व कर्म बाप को प्रत्यक्ष करने वाले हो।

 

 ❉   हमें हर समय स्वयं पर डबल अटेंशन देना है, एस कोई कर्म न हो जो डिससर्विस हो जाये। समय, संकल्प, कर्म, वृत्ति सब बाप की सेवा में सफल करे की हमारा हर कर्म सेवा बन जाये।

──────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपनी रूहानी पर्सनैलिटी को स्मृति में रखो तो माया जीत बन जायेंगे... कैसे ?

 

 ❉   अपनी रूहानी पर्सनैलिटी को सदा स्मृति में रखेंगे तो याद और सेवा का डबल लॉक लगा रहेगा जिससे माया के तूफान भी तोहफा बन जायेंगे और हर विघ्न में घबराने की बजाए पेपर समझ उसे सहजता से पार कर सकेंगे ।

 

 ❉  अपनी शक्तिशाली रूहानी स्थिति में स्थित रहेंगे तो व्यर्थ चिंतन से मुक्त रहेंगे जिससे मन बुद्धि एकाग्र और शांतचित रहेंगे और माया के तुफानो को पार करना सहज हो जायेगा ।

 

 ❉   शक्तिशाली रूहानी स्थिति में स्थित आत्मा हर कर्म निमित पन की स्मृति में रह कर करती है जिससे करनकरवानहार बाप की मदद माया के हर विघ्न को समाप्त कर देती है ।

 

 ❉   रूहानी पर्सनैलिटी की स्मृति में रहेंगे तो उमंग - उत्साह के पंखो पर सवार हो, सदा उड़ती कला की अनुभूति करते रहेंगे और मायाजीत बन माया के तुफानो पर विजय प्राप्त कर सकेंगे ।

 

 ❉   रूहानी स्मृति परमात्म पालना के अनुभव द्वारा आत्मा को बलशाली बनाती है । आत्मा में बल भर कर आत्मा को शक्तिशाली बना लेने से माया का फ़ोर्स स्वत: समाप्त हो जाता है ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━