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   09 / 11 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °देही अभिमानी° बनने की मेहनत की ?

 

‖✓‖ सबका °आदर° कर आदर्श बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °अचल और निर्भय° स्थिति बनाए रखी ?

 

‖✓‖ °पढाई° पर पूरा पूरा ध्यान दिया ?

 

‖✓‖ "हम इस °रूहानी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट° हैं" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ "°नयी दैवी राजधानी° फिर से स्थापन हो रही है" - यह ढिंढोरा पीता ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ स्थूल देश और शरीर की स्मृति से परे °सूक्षम देश के वेशधारी° बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  बीजरूप को सदा साथ रखो तो माया का बीज ऐसा भस्म हो जायेगा जो फिर कभी भी उस बीज से अंश भी नहीं निकल सकेगा। वैसे भी आग में जले हुए बीज से कभी फल नहीं निकलता इसलिए बीज को छोड़ सिर्फ शाखाओं को काटने की मेहनत नहीं करो। बीजरूप द्वारा विकारों के बीज को खत्म कर दो तो बार-बार मेहनत करने से स्वत: ही छूट जायेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖  °बीजरूप° द्वारा विकारों के बीज को खत्म करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सूक्ष्म देश की वेशधारी आत्मा हूं ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   स्थूल देश और शरीर की स्मृति से परे मैं सूक्ष्म देश की वेशधारी आत्मा हूं  ।

 

 ❉   जैसा कर्म करना हो वैसा वेश धारण कर मैं हर कर्म को सफलतापूर्वक संपन्न कर लेती हूं ।

 

 ❉   अभी-अभी साकारी और अभी-अभी आकारी इस अभ्यास द्वारा मैं सेकेंड में कभी स्थूल वतन वासी और कभी सूक्ष्म वतन वासी बन जाती हूं ।

 

 ❉   अपने साकारी शरीर द्वारा ईश्वरीय सेवा में बिज़ी रहने के साथ, अपने आकारी शरीर द्वारा मनसा सेवा में सदैव तत्पर रहती हूँ ।

 

 ❉   अपने इस बहुरूपी स्वरूप द्वारा मैं सर्व स्वरूपों के सुखों का सहज अनुभव कर सकती हूं ।

 

 ❉   अपने मन बुद्धि को सदा मनमत से खाली रख सूक्ष्म वतन की सीन - सीनरियों को इस साकारी दुनिया में स्पष्ट अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   यह प्रैक्टिकल अभ्यास मुझे अव्यक्त मिलन के विचित्र अनुभवों से भरपूर कर देता है ।

 

 ❉   अपने सभी बोझ बाप को दे कर, सदा हल्केपन का अनुभव करने वाली मैं डबल लाइट आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम इस रूहानी युनिवर्सिटी के स्टूडेंट हो, तुम्हारा काम है सारी युनिवर्स को बाप का मैसेज देना"

 

 ❉   युनिवर्सिटी होती है पढ़ने के लिए जहां टीचर्स बैठ स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं ।

 

 ❉   हमारी भी यह रूहानी युनिवर्सिटी है जहां हम सभी रूहें बैठकर पड़ती है ।

 

 ❉   इस रुहानी युनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला टीचर कोई देहधारी नहीं बल्कि हम रूहों के पिता निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाप है, जो हम सभी रूहों को रूहानी ज्ञान देते हैं ।

 

 ❉   इस रूहानी ज्ञान से हम दैवी राजधानी स्थापन कर, भविष्य उंच प्रालब्ध के अधिकारी बन जाते हैं ।

 

 ❉   तो जैसे हम इस ज्ञान को घारण कर सारे युनिवर्स अर्थात विश्व के मालिक बनते हैं ऐसे ही और भी विश्व की बादशाही प्राप्त करें ।  इसलिए हमारा काम है सारे युनिवर्स को बाप का मैसेज देना ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ नई राजधानी में ऊंच पद पाने के लिए पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है । पास होकर विजयमाला का दाना बनना है ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में पढ़ाई करते हैं तो कुछ बनने का लक्ष्य होता है और उसके लिए जी जान से मेहनत करते हैं इसीप्रकार इस ईश्वरीय पढ़ाई में पूरा ध्यान देना है । जितना अच्छी रीति से पढ़ेगे उतना ऊंचा पद पाऐंगे ।

 

  ❉   ये पढ़ाई ऊंच ते ऊंच है । क्योकि कितने भाग्यशाली है हम कि भगवान स्वयं टीचर बन हमें पतितों की दुनिया में पढ़ाने के लिए आते हैं तो इस नशे में स्थित हो कर पढ़ाई पर पूरा अटेंशन होना चाहिए ।

 

  ❉   रुहानी पढ़ाई से ही सुप्रीम टीचर हमे पूरी सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देते हैं व हमें पढ़ाकर मनुष्य से देवता बनाते हैं । नयी दुनिया का मालिक बनाते है व स्वयं से ऊंची सीट पर बैठाते हैं । हमे ऐसे सुप्रीम टीचर की श्रीमत पर चलकर ऊंच पद पाना है ।

 

  ❉   बाप जो अविनाशी अनमोल ज्ञान रत्न देते हैं तो उनसे अपनी झोली भरनी है । उन्हें अच्छी रीति धारण करने के लिए बुद्धि रुपी बर्तन सोने का रखते लाइन कलीन व कलीयर होनी चाहिए ।

 

  ❉   विजयमाला का दाना बनने के लिए चारो सब्जेक्ट में पास विद अॉनर होना है । ज्ञान से भरपूर होंगे तो याद में रहेंगे । ज्ञान की गहराई में जाते जाऐंगे तो याद में रहेंगे । याद में रहेंगे तो धारणाओं मे पक्के होते जाऐंगें व तभी सेवा कर सकेंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्थूल देश और शरीर की स्मृति से परे सूक्ष्म देश के वेशधारी बनकर रहना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हमारा आदि अनादी ज्योति बिंदु स्वरुप है। हम आत्मायओ को अब इस देह का भान ताज कर, फ़रिश्ता रूप रचकर अपने वतन वापस जाना है। हमारा इस स्थूल देश का पार्ट अब पुरा हुआ।

 

 ❉   "में अव्यक्त फ़रिश्ता हु", यह स्वमान हमें सहज अव्यक्त स्थिति में स्थित होने का अभ्यास कर सकते है। इस स्थूल देश और वेश को अब भूलते जाना है क्युकी यह सब ख़त्म होने वाला है, अब घर जाने का समय आ गया है।

 

 ❉   सूक्ष्म देश की वेश भूषा सफ़ेद चमकीली प्रकाश मई है। वह वाणी से परे मूवी देश है, वहाँ का सारा कार्य व्यवहार संकल्पों द्वारा होता है। वहाँ बापदादा हमारा इन्तेजार कर रहे है, फरिश्तो की दुनिया बहुत मनभावन है।

 

 ❉   हमें सदेव सूक्ष्म वतन वासी बनकर रहना चाहिए। अपनी फ़रिश्ता ड्रेस पहनने से सदा लाइट और माइट का अनुभव करेंगे। फ़रिश्ता समान लाइट हाउस बनने से सर्व आत्माये हमारे रूहानी आकर्षण में खिची चली आयेगी। लाइट हाउस का कम है अन्धकार में सबको सत्य राह बताना, लाइट हाउस की रौशनी दूर दूर से भी दिखाई देती है।

 

 ❉   ब्राह्मण सो फ़रिश्ता, फ़रिश्ता सो देवता बनना है। बुद्धि की ड्रिल द्वारा बार बार स्वयं को फ़रिश्ता स्वरुप में स्थित करने का अभ्यास करे। जैसा समय वैसे स्वरुप में स्थित हो जाओ। एक पल में साकारी, एक पल में आकरी और एक पल में निराकारी। यही ड्रिल बुद्धि में चलती रहे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सबका आदर करने वाले ही आदर्श बन सकते हैं । सम्मान दो तब सम्मान मिलेगा... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सबका आदर करने वाला व्यक्ति अपने नम्र व्यवहार द्वारा स्वयं भी संतुष्ट रहता है तथा औरो को भी संतुष्ट रखता है । सर्व को सन्तुष्टता प्रदान करने का यह गुण उसे सर्व का सम्माननीय बना देता है ।

 

 ❉   सर्व का आदर करने का गुण व्यक्ति को सर्व का स्नेही बना देता है और स्नेही व्यक्ति सबको सम्मान दे सबका सम्मान प्राप्त कर लेता है ।

 

 ❉   सबका रिगार्ड रखने वाला व्यक्ति सरल और गुण मूर्त स्वभाव द्वारा  सद्गुणों की धारणा कर सबको सम्मान देता और सबका सम्मान प्राप्त करता है ।

 

 ❉   जो सबका आदर करते हैं वो स्वयं प्रिय, लोक प्रिय और प्रभु प्रिय बन सबके सामने आदर्श बन जाते हैं और सर्व का सम्मान सहज ही प्राप्त कर लेते हैं ।

 

 ❉   सबका आदर करने वाला व्यक्ति अभिमान और अपमान की फीलिंग से सदैव मुक्त रहता है और निर्मान भाव द्वारा सबके सामने आदर्श बन सबको सम्मान देता और सबका सम्मान प्राप्त कर लेता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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