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   13 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ पवित्र बन °बुद्धि रूपी बर्तन° को स्वच्छ बनाया ?

 

‖✓‖ डायरेक्ट बाप के आगे अपना सब कुछ °अर्पित° किया ?

 

‖✓‖ सदा °ईश्वरीय मत° पर चले ?

 

‖✓‖ सृष्टि के °आदि-मध्य-अन्त° के ज्ञान का सिमरण किया ?

 

‖✓‖ हर परिस्थिति में °रा॰जी° रह रा॰जयुक्त बनकर रहे ?

 

‖✗‖ सिर्फ °कुक्कड़ ज्ञानी° तो बनकर नहीं रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °मधुरता° के वरदान द्वारा सदा आगे बढ़ते रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  सारथी अर्थात् आत्म-अभिमानी क्योंकि आत्मा ही सारथी है। ब्रह्मा बाप ने इस विधि से नम्बरवन की सिद्धि प्राप्त की, तो फॉलो फादर करो। जैसे बाप देह को अधीन कर प्रवेश होते अर्थात् सारथी बनते हैं देह के अधीन नहीं होते, इसलिए न्यारे और प्यारे हैं। ऐसे ही आप सभी ब्राह्मण आत्माएं भी बाप समान सारथी की स्थिति में रहो। सारथी स्वत: ही साक्षी हो कुछ भी करेंगे, देखेंगे, सुनेंगे और सब-कुछ करते भी माया की लेप-छेप से निर्लेप रहेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ बाप समान °सारथी° की स्थिति में स्थित रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मधुरता के वरदान द्वारा सदा आगे बढ़ने वाली मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मेरी मधुरता की धारणा कड़वी धरनी को भी मधुर बना देती है ।

 

 ❉   मेरी मीठी दृष्टि सर्व आत्माओं को शीतलता का अहसास करवाती है ।

 

 ❉   मेरे मीठे बोल सर्व आत्माओं को मिठास से भरपूर कर देते हैं ।

 

 ❉   मेरी दो घड़ी को मीठी दृष्टि व बोल सहज ही आत्माओं की सृष्टि को बदल देते हैं ।

 

 ❉   मधुरता के वरदान द्वारा मैं सर्व आत्माओं को बदल कर उन्हें भी मधुर बना देती हूँ ।

 

 ❉   सदा मीठा रहना और सर्व को मीठा बनाना यही मुझ आत्मा का कार्य है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप को तुम बच्चे ही प्यारे हो, बाप तुम्हे ही सुधारने के लिए श्रीमत देते हैं, सदा ईश्वरीय मत पर चल स्वयं को पवित्र बनाओ"

 

 ❉   जैसे लौकिक माँ बाप अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं ।

 

 ❉   बच्चे ग़लती करते हैं तो माँ बाप उन्हें सुधारने के लिए मत देते है ।

 

 ❉   इस तरह से हम आत्माएं भी परमपिता परमात्मा शिव बाबा की संतान हैं ।

 

 ❉   रूहानी बाप हम रूहानी बच्चों से बहुत प्यार करते हैं, इसलिए हम बच्चों को ही सुधारने के लिए श्रीमत देते हैं ।

 

 ❉   बाबा समझाते हैं, कि पतित बनने के कारण तुम दुखी हुए हो इसलिए अब सदा ईश्वरीय मत पर चल स्वयं को पवित्र बनाओ ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ डायरेक्ट बाप के आगे अपना सब कुछ अर्पण कर श्रीमत पर चलकर 21 जन्मों के लिए राजाई पद लेना है ।

 

 ❉   भक्ति में गाते आए हैं कि तन मन धन सब तेरा व तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे मेरा । अब तो हमें भगवान ने ही अपना बना लिया व हम उसके बन गए । भगवान मिल गया इससे ज़्यादा क्या चाहिए !

 

 ❉   लौकिक में बच्चे की ज़िम्मेवारी बाप की होती है व बच्चा बाप के होते निश्चिंत रहता है । हमें तो बेहद का बाप मिला है सारी ज़िम्मेवारी उसे सौंप श्रीमत पर चलते हुए बेफिकर बादशाह रहना है व बाप का वर्सा लेना है ।

 

 ❉   हम तो यहाँ मुसाफ़िर बनकर आये हैं व इस पुरानी कलयुगी दुनिया का विनाश होना है तो अपना तन मन धन सब यज्ञ सेवा में लगाकर सफल करना है । श्रेष्ठ कर्म करते हुए पावन बन नयी दुनिया में राजाई पद लेना है ।

 

 ❉   जब बाप इस संगमयुग पर हमें पतित से पावन बनाकर अपने साथ ले जाने के लिए आया है तो हमें भी ऊंच ते ऊंच बाप की श्रीमत पर चलना है ।अंतिम जन्म सब देह व देह के सम्बंधों को निभाते हुए कमल पुष्प समान न्यारा व प्यारा रहना है व 21 जन्मों के लिए राजाई पद लेना है ।

 

 ❉   लौकिक में माँ-बाप सपूत बच्चे को ही अपना सब ख़ुशी से देते है तो हम बेहद बाप के बच्चे हैं तो हर कार्य ईश्वर के अर्थ ही करना है व याद में रहना है । एक बाप के सिवाय दूसरा कोई याद न आए ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ श्रेष्ठ आत्मा वह है जो मधुरता के वरदान द्वारा आगे बढ़ने वाली हो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हमें रेस करनी है किसी से रिस नहीं करनी है।मधुरता के गुण द्वारा सभी से संस्कार मिलन करना है। सबको सहयोग देना ही सहयोग लेना है, स्वयं आगे बढ़ने के साथ-साथ सबको आगे बढ़ाना है।

 

 ❉   मधुर बोल, स्वभाव वाला व्यक्ति सबकी को प्रिय होता है। जिसमे मधुरता का गुण होता है वह सबको सम्मान देता है और स्वयं भी सबके सम्मान का पात्र बन जाता है, एसी आत्माओ को सर्व का सहयोग सहज ही प्राप्त होता है किसी से सहयोग मांगना नहीं पड़ता।

 

 ❉    मधुरता के गुण से निर्मलता भी आती है, हमारा मन व चित्त शीतल तथा शांत रहते है। मधुरता बहुत बड़ा गुण है जिससे हम किसी का भी दिल जीत सकते है अतः कोई भी हमारे आगे विघ्न रूप बनकर नहीं आएंगे लेकिन हमारे आगे मन से नमस्कार करेंगे और आगे बढ़ने में सहयोगी बनेंगे। 

 

 ❉   मधुरता रूहानी अट्रैक्शन है।मधुरता हमारा एक श्रृंगार है, जैसे देवी देवताओ की जड़ मूर्ति पर भी कितनी मधुर मुस्कान दिखाते है जो कैसी भी दुखी आत्मा हो पर खुश हो जाती है ऐसे ही हम चैतन्य देवी देवताओ के नैन चैन मुस्कान बोल बहुत मधुर होना चाहिए।

 

 ❉   आज की आत्माये सच्चे प्रेम की प्यासी है, हमारे दो मधुर बोल और निस्वार्थ प्रेम किसी भी आत्मा को परिवर्तन कर सकती है। जब हमारे बोल में मधुरता के साथ अथॉरिटी मिक्स होगी तभी किसी को तीर लगा सकते है इसलिए बाबा ने सिखाया भी है "कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो।"

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ हर परिस्थिति में राज़ी रहो तो राजयुक्त बन जायेंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हर परिस्थिति में सदा राज़ी रहने वालों से सभी राज़ी रहते हैं और बाप भी उन पर राज़ी रहते हैं ।

 

 ❉   जो हर परिस्थिति में सदा राज़ी रहते हैं वो स्वयं भी सदा संतुष्ट रहते हैं और सबको संतुष्ट कर सबकी दुआयों के पात्र भी बन जाते हैं ।

 

 ❉   हर परिस्थिति में सदा राज़ी रहने वाले ही सर्व आकर्षणों से मुक्त रह, सहजयोगी जीवन का आनन्द ले सकते हैं ।

 

 ❉   साक्षीपन की सीट पर सेट रह कर, हर परिस्थिति में सदैव वही हर्षित रह सकते हैं जो हर परिस्थिति में सदा राजी रहते हैं ।

 

 ❉   हर परिस्थिति में सदा राजी रहने वाले ही अपनी समायोजन करने की शक्ति और सहनशील व्यवहार द्वारा सहज ही सबका मन मोह लेते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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