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❍ 16 / 05 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ "हम °संगमयुगी° हैं.. हम अपने घर जा रहे हैं" - ज्ञान के इसी सच्चे नशे में रहे ?
‖✓‖ "जिस °बाबा° को सब पुकार रहे हैं... वह °हमारे सम्मुख° है" - इसी नशे में रहे ?
‖✓‖ दृष्टी से आत्माओं को °शांत° किया ?
‖✓‖ °अशरीरी° बनने का अभ्यास किया ?
‖✓‖ सदा °श्रीमत° पर चले ?
‖✗‖ °योग को किनारे° कर सिर्फ कर्म में बिजी तो नहीं हुए ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ वायरलेस सेट द्वारा बाप की °डायरेक्शनस को कैच° किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जिस समय जिस सम्बन्ध की आवश्यकता हो, उसी सम्बन्ध से भगवान को अपना बना लो । दिल से कहो मेरा बाबा, और बाबा कहे मेरे बच्चे, इसी स्नेह के सागर में समा जाओ । यह स्नेह छत्रछाया का काम करता है, इसके अन्दर माया आ नहीं सकती ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ जिस समय जिस सम्बन्ध की आवश्यकता हो, °उसी सम्बन्ध से भगवान को अपना बनाया° ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं वाइसलेस आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं विनाश के समय अंतिम डायरेक्शनस को कैच करने वाली वाइसलेस आत्मा हूँ ।
❉ अशरीरीपन के अभ्यास द्वारा मैं आत्मा सेकण्ड में वाइसलेस बन आवाज की दुनिया के पार पहुँच जाती हूँ ।
❉ साइलेन्स की शक्ति द्वारा मैं माया को दूर से ही परख कर और उसे भगा कर मायाजीत बनती जाती हूँ ।
❉ मैं आत्मा वाइसलेस बन दुखी आत्माओ के दुःख और अशांति की स्थिति को जान उन्हें सुख और शान्ति के वायब्रेसशन्स द्वारा शीतल करती जाती हूँ ।
❉ आवाज से परे शांत स्वरूप की स्थिति में रहते सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति द्वारा मैं आत्मा सर्व आत्माओं को सुख की अनुभूति कराती हूँ ।
❉ साइलेन्स की शक्ति द्वारा मैं सर्व आत्माओं को अपने दिव्य स्वरूप का साक्षात्कार कराने वाली साक्षात्कारमूर्त आत्मा बनती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - सदा इसी नशे में रहो कि हम संगमयुगी ब्राह्मण है, हम जानते हैं जिस बाबा को सब पुकार रहे हैं, वह हमारे सन्मुख है"
❉ सभी युगों में सबसे श्रेष्ठ युग संगम युग माना गया है इसलिए संगम युग को सर्वोत्तम युग कहा गया है ।
❉ यह वह समय है जबकि परम पिता परमात्मा शिव बाबा आ कर पुरानी कलयुगी दुनिया का विनाश कर नई सतयुगी दुनिया की स्थापना करते हैं ।
❉ और अब वही संगम युग चल रहा है, जब परम पिता परमात्मा बाप आये हुए हैं और आ कर ब्रह्मा मुख द्वारा हमे एडॉप्ट कर सतयुगी दुनिया का मालिक बना रहे हैं ।
❉ तो हमे इस बात का कितना नशा रहना चाहिए कि हम संगमयुगी ब्राह्मण है जिन्हें स्वयं भगवान ने ब्रह्मा मुख द्वारा एडॉप्ट किया है ।
❉ दुनिया वाले जिस भगवान की एक झलक पाने के लिए तरस रहें हैं, पुकार रहें हैं, वह भगवान स्वयं हमारे सन्मुख आये हुए हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢ ज्ञान के सच्चे नशे में रहने के लिए याद रहे कि हम संगमयुगी है, अब यह पुरानी दुनिया बदलने वाली है, हम अपने घर जा रहे हैं।
❉ इस श्रेष्ठ समय को पुरूषोत्तम संगमयुग या परमात्म अवतरण युग भी कहते हैं। डायरेक्ट बाप द्वारा प्राप्त 'शक्तियों का युग' कहा जाता है। ये कल्याण कारी संगमयुग है याद रखेंगे तो ज्ञान का नशा रहेगा।
❉ इस कल्याणकारी संगमयुग में ही बाप इस पतित दुनिया में आकर हमें अपने असली स्वरूप व सत का परिचय देते हैं व बताते हैं कि हम सब आत्माओं का बाप एक ही है व उनको याद करना है। याद से ही पावन बनेंगे।
❉ यह बेहद का बाप है व इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाकर पावन बनने का रास्ता बताते हैं। बाप ने ही आकर पूरी सृष्टि के आदि मध्य और अंत का ज्ञान देकर त्रिकालदर्शी बनाया है। बाप के वग़ैर ये ज्ञान और तो कोई दे नहीं सकता।
❉ ये संगमयुग हम ब्राह्मण बच्चों के लिए ही है जब भगवान स्वयं आकर कल्प में एक बार अपने बच्चों को पढाते हैं व बताते है कि इस पुरानी दुनिया का विनाश होगा व तुम्हारे द्वारा नयी दुनिया की स्थापना होगी व गुप्त रीति से पढाई करके तुम नयी दुनिया की स्थापना का कार्य कर रहे हो।
❉ इस वरदानी संगमयुग में पुराना हिसाब किताब चुकतू करना है व ज्ञान ख़ज़ानों द्वारा विशेष मुक्ति व जीवन मुक्ति की प्राप्ति का अनुभव करते हैं। पावन बन अपने घर जाना है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ वायरलेस सेट द्वारा विनाशकाल के अंतिम डायरेक्शन को केच करने के लिए वाइसलेस स्थिति में स्थित होने की प्रेक्टिस बहुत जरुरी है... क्यों और कैसे ?
❉ अंतिम समय के बापदादा के डायरेक्शन वही आत्माये केच कर पाएंगी जिनकी बुद्धि का कनेक्शन बाप से जुडा हुआ होगा।
❉ बाबा बिंदी है और हम आत्माये भी बिंदी है। रूहरिहान द्वारा संकल्पों की शक्ति से ही हम बाबा के सिग्नल्स को केच कर सुरक्षित रह पाएंगे।
❉ जिन आत्माओ को लम्बे समय से आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित होने की प्रेक्टिस होगी वही अंतिम समय में आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित हो स्वयं को बाप समान बना बाप के इशारे समझ पाएंगे।
❉ विनाशकाल हाहाकार के समय में भी जो आत्माये शान्त स्थिति में स्थित होंगी वही एक सेकंड के इस खेल में बाबा के डायरेक्शन केच कर विजयी बन जायेंगी।
❉ बाबा हम बच्चो को कभी विनाश की डेट नहीं बताते, हमेशा अचानक और एवररेडी का पाठ पक्का कराते है इसलिए हम बच्चो को निरंतर साइलेंस में रह बाबा के डायरेक्शन समझते रहना चाहिए।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ योग को किनारे कर कर्म में बिजी हो जाना - यही अलबेलापन है... कैसे ?
❉ देह अभिमान में आने से परम पिता परमात्मा बाप की याद भूल जाती है और अलबेलेपन में योग को किनारे कर कर्म में बिजी हो जाते हैं ।
❉ स्वयं को निमित ना समझने के कारण मैं और मेरे पन में उलझ जाते है और अलबेले बन कर योग को किनारे कर देते हैं ।
❉ साक्षी पन की सीट पर सेट ना रहने के कारण प्रसन्नचित की बजाए प्रश्नचित बन जाते हैं और प्रश्नो के घेरे में फंसने के कारण अलबेलेपन का अनुभव करने लगते है और कर्म योगी की बजाए कर्म भोगी बन जाते हैं ।
❉ व्यर्थ संकल्प मन बुद्दी को बाप से दूर ले जाते हैं । जिससे बाप की याद भूल जाती है और आलस्य और अलबेलेपन के रूप में माया का वार होने लगता है ।
❉ ब्राह्मण जीवन के नियम और मर्यादाओं का पालन ना करने के कारण सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों से वंचित रह जाते हैं और आलस्य और अलबेले पन का शिकार होने के कारण योग को किनारे कर देते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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