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   24 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °विकारों से अपनी संभाल° करते रहे ?

 

‖✓‖ °अनादी अविनाशी ड्रामा° का ज्ञान स्मृति में रहा ?

 

‖✓‖ "°अब घर जाना है°" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ सदा खजानों से °संपन्न और संतुष्ट° स्थिति का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ °याद° से स्वयं की स्थिति मज़बूत बनायी ?

 

‖✗‖ कोई भी गृह्चारी आने पर °दिलशिकस्त° तो नहीं हुए ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ अपनी °महानता और महिमा° को स्मृति में रखा ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जैसे साकार में देखा लास्ट कर्मातीत स्टेज का पार्ट सिर्फ ब्लैसिंग देने का रहा, बेलेन्स की भी विशेषता और ब्लैसिंग की भी कमाल रही। ऐसे फालो फादर। सहज और शक्तिशाली सेवा यही है। अब विशेष आत्माओं का पार्ट है ब्लैसिंग देने का। चाहे नयनों से दो, चाहे मस्तकमणी द्वारा।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °ब्लैसिंग° देने का पार्ट बजाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं पूज्यनीय आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अपनी महानता और महिमा को जानने वाली सर्व आत्माओं में श्रेष्ठ मैं विश्व द्वारा पूज्यनीय आत्मा हूँ ।

 

 ❉   सदा बाप के दिल रूपी तख्त पर विराजमान रहने वाली मैं बाप की नूरे रत्न आत्मा हूँ ।

 

 ❉   निश्चय बुद्धि बन मैं सच्चे दिल से स्वयं को बाप का बच्चा अनुभव कर डायरेक्ट बाप से महान और पूज्यनीय बनने का वरदान प्राप्त कर रही हूँ ।

 

 ❉   सारे विश्व की आत्माओ को बाप दादा से मिले सर्व खजानो और सर्व शक्तियों का दान करने वाली मैं महादानी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   सर्व आत्माओं की मुक्ति, जीवनमुक्ति में जाने की आस को मैं पूर्ण करने वाली हूँ ।

 

 ❉   मैं सर्व आत्माओं को बाप का बच्चा बना कर उन्हें भी बाप से वर्सा पाने का अधिकारी बनाने वाली हूँ ।

 

 ❉   बाप के गुणों वा अपने आदि स्वरूप के गुणों का अनुभव कर मैं सम्पूर्ण मूर्त आत्मा बन रही हूँ ।

 

 ❉   अपने दिव्य संकल्प, बोल और कर्म द्वारा मैं सबको अपने दिव्य स्वरूप का दर्शन कराने वाली दिव्य मूर्ति हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अब घर जाना है इसलिए देहि - अभिमानी बनो, एक बाप को याद करो तो अन्त मति सो गति हो जायेगी"

 

 ❉   यह सृष्टि एक बेहद का विशाल नाटक है और हम सभी इस बेहद के नाटक में पार्ट प्ले करने वाले एक्टर्स हैं ।

 

 ❉   हमारा वास्तविक घर यह साकारी दुनिया नही, बल्कि प्रकृति के इन 5 तत्वों के पार निराकारी दुनिया परमधाम है ।

 

 ❉   उस निराकारी दुनिया परमधाम से हम सभी आत्माएं इस सृष्टि पर शरीर धारण कर पार्ट बजाने के लिए आई हैं ।

 

 ❉   अब यह सृष्टि रूपी नाटक पूरा होने वाला है । इसलिए हम आत्माओं के पिता परम पिता परमात्मा हमे वापिस अपने घर परमधाम ले जाने के लिए इस सृष्टि पर आये हैं ।

 

 ❉   किन्तु अपने घर वापिस हम तभी जा सकेंगे जब सम्पूर्ण पावन बनेंगे, क्योकि आत्मा जब इस सृष्टि पर आती है तो सम्पूर्ण पावन अवस्था में ही आती है ।

 

 ❉   इसलिए बाप समझाते हैं कि अब घर जाना है इसलिए देहि - अभिमानी बनो । एक बाप को याद करो तो अंत मति सो गति हो जायेगी क्योकि केवल एक बाप की याद से ही आत्मा सम्पूर्ण पावन बन सकेगी ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ कोई भी ग्रहचारी आती है तो दिलशिकस्त हो बैठ नहीं जाना है। फिर से पुरुषार्थ कर, बाप की याद में रह ऊंच पद पाना है ।

 

  ❉   कोई भी परिस्थिति आती है तो उससे हार मानकर नहीं बैठ जाना कि क्या करुं मेरी तो किस्मत ही ऐसी है । जो हो रहा है वो कल्प पहले भी हुआ व कल्प पहले भी विजय हुई तो अब भी विजय ही होगी ।

 

  ❉   ड्रामा के राज को अच्छे से समझते हुए यह  सोचना है नथिंग न्यू । जो हो रहा है इसमें ही कल्याण है व बाबा को याद करते हुए उस ग्रहचारी को खेल समझ पार करना है ।

 

  ❉   कोई भी ग्रहचारी आई है तो मुझे कुछ सीखाने के लिए आई है व मेरे पेपर हैं । जिन्हें पास करके मुझे महारथी बनना है व अगली कक्षा में जाना है और ऊंच पद पाना है ।

 

  ❉   अविनाशी ड्रामा में सब का पार्ट एक्यूरेट है व सब हीरोपार्टधारी है । सब बहुत अच्छे से प्ले कर रहे हैं । बाबा भी इस ड्रामा में बंधायेमान है व पतितों की दुनिया में हमें पावन बनाने आते हैं । तो हमें भी अपने को ट्रस्टी समझ बाप की याद में रहकर ऊंच पद पाना है ।

 

  ❉   जैसे बिजनैसमेन की व्यापार में कई बार स्थिति ऐसी होती है कि दीवाला निकल जाता है तो फिर से धंधा कर चढ़ना शुरु हो जाते हैं । ऐसे ही बाप कहते हैं नीचे गिरते गिरते तमोप्रधान हो गए । अब बाप ने दिव्य नेत्र दिये हैं तो बाप को याद करना है व अंतिम जन्म पवित्र बन ऊंच पद पाना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपनी महानता और महिमा को जानने वाले सर्व आत्माओ में श्रेष्ठ विश्व द्वारा पूजनीय बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   "हम महान आत्माये है" क्युकी सारे विश्व में कोटो में कोई और कोई में भी कोई हम  आत्माओ को परमात्मा ने चुना है अपने मददगार बनाया है।

 

 ❉   हमारे अभी के संगमयुग के एक एक कर्म की भक्ति में कितनी महिमा और गायन होता है। भक्त हम आत्माओ का ही गायन पूजन कितने विधि विधान से करते है।

 

 ❉   सदेव अपनी महिमा और महानता को स्मृति में रखो, हम कोन है? किसकी संतान है? क्या हम बनने वाले है? तो उमंग उत्साह में रहेंगे और नशा चढ़ा रहेगा।

 

 ❉   बाबा रोज रोज मुरली में हमें कितना समझाते है, हमें अपने पूर्व जन्मो की सारी हिस्ट्री जियोग्राफी बताते है, हम कितने सतोप्रधान थे, अब कितने तमोप्रधान बन गए है। यह नॉलेज सारे विश्व में बाप और हम बच्चो के सिवा किसी को पता नहीं है।

 

 ❉   अपनी महानता और महिमा को जानकर सदा उसी प्रमाण कर्म करना है, बाप की बताई नॉलेज का प्रेक्टिकल साबुत बनकर दिखाना है, तब सारी दुनिया के आगे बाप को प्रत्यक्ष करना है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्थिति सदा खजानों से सम्पन्न और संतुष्ट रहे तो परिस्थितियाँ बदल जायेंगी... कैसे ?

 

 ❉   जब स्वयं को सदा खजानों से सम्पन्न और संतुष्ट अनुभव करेंगे तो हर कर्म  अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह कर करेंगे जिससे सर्व प्रकार की अधीनता समाप्त हो जायेगी और परिस्थितियां बदल जाएँगी ।

 

 ❉   जब स्थिति सदा खजानो से सम्पन्न और संतुष्ट रहेगी तो संगम युग की अविनाशी प्राप्तियों को सदा स्मृति में रख परमात्म मौज का अनुभव करते रहेंगे और अपनी स्व स्थिति से हर परिस्थिति को बदल सकेंगे ।

 

 ❉   स्वयं को सदा खज़ानों से सम्पन्न अनुभव करते हुए जब संतुष्ट रहेंगे तो परमात्मा पालना का अनुभव करते हुए चढ़ती कला द्वारा हर परिस्थिति में उपराम रहेगे जिससे परिस्थितियां स्वत: बदल जाएंगी ।

 

 ❉   सर्व खजानो से सम्पन्न और संतुष्ट आत्मा अपनी सन्तुष्टता और प्रसन्नता की विशेषता से इच्छा मात्रम अविद्या बन जाती है जिससे कोई भी परिस्थिति आने पर प्रश्नों की क्यू समाप्त हो जाती है और परिस्थिति बदल जाती है ।

 

 ❉   संगम युग के सर्वश्रेष्ठ खज़ानों से सम्पन्न और संतुष्ट आत्मा सदा रूहानी नशे से भरपूर रहती है और  रूहानी नशा, आत्मा को मैं और मेरे पन की हदों से दूर बेहद में ले जाता है जहां हद की सभी परिस्थितियां अपने आप बदल जाती हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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