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❍ 19 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ साधारण और व्यर्थ संकल्पों में °समय न गँवा° लास्ट में फ़ास्ट जाने का पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ °याद° में रहने का पूरा पूरा पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ °रूहानी पढाई° पड़कर दूसरों को पढाई ?
‖✓‖ आत्माओं को शांतिधाम अर्थात °अमरपुरी का रास्ता° बताया ?
‖✓‖ "भल कितने भी विघन पड़ें... स्वर्ग की स्थापना तो होनी ही है" - यह °निश्चय° रहा ?
‖✗‖ कभी ड्रामा का कोई सीन देखकर °हार्टफ़ैल° तो नहीं हुआ ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ संगठन में रहते °लक्ष्य और लक्षण° को समान बनाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ आप बच्चे जहाँ भी रहते हो, जो भी कर्मक्षेत्र है, आप हर एक बच्चे से बाप समान गुण, कर्म और श्रेष्ठ वृत्ति का वायुमण्डल अनुभव में आये, यही है बाप समान बनना। सब कुछ होते हुए, नॉलेज और विश्व कल्याण की भावना से, बाप को, स्वयं को प्रत्यक्ष करने की भावना से अभी बेहद की वैराग्य वृत्ति धारण करो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ नॉलेज और विश्व कल्याण की भावना से, बाप को, स्वयं को प्रत्यक्ष करने की भावना से °बेहद की वैराग्य वृत्ति° को धारण किये रखा ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ संगठन में रहते लक्ष्य और लक्षण को समान बनाने वाली मैं सदा शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
❉ उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो, मैं संगठन की सभी आत्माओं में उमंग उत्साह भर, उन्हें आगे बढ़ाती जाती हूँ ।
❉ मुझे स्वयं को सम्पन्न बना कर सबके सामने सैम्पुल बनना है, इस लक्ष्य को सामने रख, अपने हर कर्म से सबको प्रेरणा दे, उन्हें आप समान बनाती जाती हूँ ।
❉ अपने शक्ति स्वरुप में स्थित हो कर मैं आत्मा संगठन की सर्व आत्माओं को शक्ति स्वरुप बना रही हूँ और उनमे योग का बल भर रही हूँ ।
❉ मैं आत्मा सदा शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना स्वरुप हूँ ।
❉ संगठन की सर्व आत्माओं को सच्चा स्नेह और सहयोग देने वाली मैं सर्व की सहयोगी आत्मा हूँ ।
❉ मुझ शक्ति सम्पन्न आत्मा से संगठन की सर्व आत्माओं को श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति व सर्वशक्तियों की प्राप्ति होती है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम हो रूहानी पण्डे, तुम्हे सबको शान्तिधाम अर्थात अमरपुरी का रास्ता बताना है"
❉ पण्डा कहा जाता है तीर्थो की यात्रा पर ले जाने वाले सन्यासियों को । किन्तु वे सब है जिस्मानी पण्डे, जो जिस्मानी यात्राओं पर ले जाते हैं ।
❉ जैसे अमरनाथ की यात्रा पर कितने मनुष्य जाते हैं, कितनी तकलीफ सहन करते हैं और फायदा कुछ नही होता ।
❉ वास्तव में सच्चे पण्डे तो हम है क्योकि हम कोई को जिस्मानी यात्रा पर नही ले जाते ।
❉ हमारी है सच्ची - सच्ची रूहानी यात्रा जो स्वयं सत्य परम पिता परमात्मा बाप आ कर हमे सिखलाते हैं ।
❉ हम फिर इस रूहानी यात्रा पर चल, रूहानी पण्डा बन सबको शान्तिधाम अर्थात अमरपुरी का रास्ता बताते हैं
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ धंधा आदि करते भविष्य ऊँच पद पाने के लिए याद का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करना है ।
❉ बाबा कहते हैं भल काम धंधा करो ,लेकिन साथ साथ उठते बैठते, चलते फिरते , खाते पीते हर कर्म करते हुए बस बाप को याद करो । याद से ही विकर्म विनाश होते हैं व ऊंच पद प्राप्त करेंगे ।
❉ याद में रहने को ही योग कहते हैं । अविनाशी बाप की अविनाशी याद से ही सच्ची कमाई है व इस कमाई से ही 21 जन्मों के लिए भविँष्य में ऊंच पद पाना है ।
❉ याद से ही आत्मा मीठी हो जाती है व शक्ति भरती जाती है । जितना याद में रहते हैं आत्मा पवित्र होती जाती है । पवित्र बने बग़ैर तो नई दुनिया में जा नहीं सकते तो इस अंतिम जन्म में याद का पूरा- पूरा पुरूषार्थ कर पवित्र बनकर 21 जन्मों के लिए राजाई पद पाना है ।
❉ जिससे प्रीत होती है उसे याद नहीं करना पड़ता उसकी याद स्वत: ही आती है । जैसे लौकिक में बच्चे को कहना नहीं पड़ता कि पिता को याद करो उसी प्रकार अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को याद करने का पूरा पूरा पुरूषार्थ करना है ।
❉ लौकिक में ऊंच पद पाने केलिए दिन रात मेहनत करते हैं । अब हमें तो बेहद के बाप से भविँष्य ऊंच पाना है तो याद का पूरा पूरा पुरूषार्थ करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ संगठन में रहते लक्ष्य और लक्ष्ण को समान बनाने वाले सदा शक्तिशाली आत्मा बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा कहते बच्चे - "संगदोश से अपनी बहुत संभाल करनी है"। संगठन में सबके साथ रहते हुए कभी किसी आत्मा के प्रभाव में आकर कोई उल्टा कर्म नहीं कर लेना है। सदेव चेकिंग करते रहे जो में कर रहा हु वह श्रीमत प्रमाण है या नहीं।
❉ "सत्संग तारे कुसंग बोर", हमें सिर्फ हंसो का साथ रखना है, जैसा संग वैसा रंग जरुर लगता है। एक बाप और ब्राह्मण परिवार के साथ के आलावा किसी विकारी से ज्यादा लगाव झुकाऊ नहीं हो।
❉ संगठन में रहते लव और लॉ का बैलेंस बनाकर चलना है, न किसी से दोस्ती न किसी से बैर। सदेव अपने लक्ष्य को अपनी नजरो में समाये रखे और देखते रहे में जो कर करा हु वह मुझे मेरे लक्ष्य के नजदीक ले जा रहा है या दूर।
❉ जैसा हमारा लक्ष्य होगा वैसे ही हमारे लक्षण भी बनते जायेगे क्युकी आत्मा में वह सरे गुण व शक्तियाँ समाहित होती है, जैसा जैसा लक्ष्य होगा वैसे गुण व शक्तियाँ इमर्ज होते जायेंगे।
❉ संगठन में सबके साथ रहते हुए, सबका साथ निभाते हुए, सबका उमंग उत्साह बढ़ाते हुए, एक दो को सहयोग दे आगे बढ़ाते हुए, सब कुछ करते हुए भी जो आत्मा स्व व सेवा का बैलेंस रखकर चलती है वही सदा शक्तिशाली होती है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ लास्ट में फ़ास्ट जाना है तो साधारण और व्यर्थ संकल्पों में समय नही गंवाओ... क्यों ?
❉ साधारण और व्यर्थ संकल्प आत्मा को संगम युग के बहुमूल्य खजानो और प्राप्तियों से वंचित कर, पुरुषार्थ में रुकावट डालते हैं जिससे लास्ट सो फ़ास्ट नही बन सकते ।
❉ व्यर्थ संकल्प आत्मा को शक्तिहीन बना देते है, आत्मा की शक्ति कम होने से मन, बुद्धि माया के दास बन जाते हैं और आगे बढ़ नही पाते ।
❉ लास्ट सो फ़ास्ट आने के लिए स्व स्थिति का मजबूत होना बहुत आवश्यक है किन्तु साधारण और व्यर्थ संकल्प स्वस्थिति को कमजोर बनाते हैं जिससे विकर्म होते हैं और आत्मा असन्तुष्टता का अनुभव करती है ।
❉ साधारण और व्यर्थ संकल्प बुद्धि को कमजोर बना देते हैं जिससे निर्णय शक्ति प्रभावित होती है । व्यर्थ का खाता बढ़ने से जमा का खाता घटता जाता है जो लास्ट सो फ़ास्ट बनने में रुकावट डालता है ।
❉ व्यर्थ संकल्प बुद्धि का कनेक्शन बाप से जुड़ने नही देते, योग का बल ना मिलने से आत्मा निर्बल हो जाती है जिससे आलस्य, अलबेलेपन के शिकार हो जाते है और आगे नही बढ़ पाते ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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