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❍ 21 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °प्रक्रितिजीत° अवस्था का अनुभव किया ?
‖✓‖ "°मैं आत्मा हूँ°" - इस अभ्यास से शरीर के भान को तोड़ने का पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ पूरा पूरा °मरजीवा° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ अंतिम विनाश की सीन देखने के लिए °हिम्मतवान° बनने पर विशेष अटेंशन दिया ?
‖✓‖ "हमारी °विजय निश्चित° है... क्योंकि हमारे साथ साक्षात परमपिता परमात्मा है" - यह स्मृति रही ?
‖✗‖ °पढाई° के समय बुधी इधर उधर तो नहीं भागी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °पुरुषार्थ और प्रालब्ध° के हिसाब को जान तीव्र गति से आगे बड़े ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ कितना भी कोई भटकता हुआ, परेशान, दु:ख की लहर में आये, खुशी में रहना असम्भव भी समझते हो लेकिन आपके सामने आते ही आपकी मूर्त, आपकी वृत्ति, आपकी दृष्टि आत्मा को परिवर्तन कर दे। सेवा में बेहद की वैराग्य वृत्ति अन्य आत्माओं को और समीप लायेगी। मुख की सेवा सम्पर्क में लाती है और वृत्ति से वायुमण्डल की सेवा समीप लायेगी।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ अपनी °मूर्त, वृत्ति, और दृष्टि° से आत्माओ को परिवर्तित किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं नॉलेजफुल आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ पुरुषार्थ और प्रालब्ध के हिसाब को जानकर तीव्रगति से आगे बढ़ने वाली मैं नॉलेजफुल आत्मा हूँ ।
❉ आलस्य और अलबेलेपन से मुक्त हो, अपने पुरुषार्थ को बढ़ा कर तीव्रगति से आगे बढ़ती जाती हूँ ।
❉ अपने तीव्र पुरुषार्थ से बाप दादा की एक्स्ट्रा मदद प्राप्त कर, हर कार्य में सफलता प्राप्त कर, मैं सफलतामूर्त आत्मा बन रही हूँ ।
❉ स्नेह के सागर बापदादा की अति स्नेही बन मैं बापदादा से सर्व सम्बन्धो की अनुभूति कर रही हूँ ।
❉ ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रख मैं अपने हर कर्म को श्रेष्ठ बनाती जाती हूँ ।
❉ बाप को कापी कर बाप समान बनने का पूरा अटेंशन देते हुए मैं निरंतर आगे बढ़ती जाती हूँ ।
❉ अपने तीव्र पुरुषार्थ के आधार पर मै स्वयं को हर शक्ति से संपन्न बना रही हूँ ।
❉ बापदादा से सहयोग ले स्वयं आगे बढ़, मैं औरो को सहयोग दे आगे बढ़ा रही हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - याद से सतोप्रधान बनने के साथ - साथ पढ़ाई में कमाई जमा करनी है, पढ़ाई के समय बुद्धि इधर - उधर न भागे"
❉ जैसे लौकिक पढ़ाई में जो होशियार पढ़ने वाले स्टूडेंट होते हैं, पढ़ते समय उनका पूरा ध्यान केवल अपनी पढ़ाई पर ही रहता है ।
❉ क्योकि वे जानते हैं कि पढ़ाई अच्छी रीति पढ़ेगें तो अच्छा पद पाकर अच्छी कमाई कर सकेंगे ।
❉ इसलिए पढ़ाई के समय उनकी बुद्धि कभी भी इधर - उधर नही भटकती ।
❉ हमारी भी यह रूहानी पढ़ाई भविष्य ऊंच पद पाने के लिए है ।
❉ इसलिए हमे भी इस बात पर पूरा अटेंशन देना है कि पड़ते समय बुद्धि इधर - उधर ना भटके ।
❉ परमपिता परमात्मा स्वयं टीचर बन हमे पढ़ा रहें हैं, उनकी याद से हमे सतोप्रधान बनना है और साथ साथ पढ़ाई से कमाई भी जमा करनी है अर्थात भविष्य ऊंच प्रालब्ध बनानी है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ अंतिम विनाश की सीन देखने के लिए हिम्मतवान बनना है । मैं आत्मा हूँ - इस अभ्यास से शरीर का भान टूटता जाए ।
❉ जब इम्तिहान नज़दीक़ होता है तो हम उसकी तैयारी में दिन रात मेहनत करते हैं । जितनी मेहनत करते हैं वैसा रिज़ल्ट देखने की हिम्मत रखते हैं । अब विनाश की घड़ियाँ नज़दीक़ है व उस अंतिम सीन को देखने के लिए हिम्मतवान बनना है ।
❉ जितना अपने को सर्व सम्बंधों से न्यारा रखेंगे व नष्टोमोहा बनायेंगे तो उस अंतिम विनाश की घड़ी के पेपर में सब हिम्मत से पार करेंगें ।
❉ बाबा बार बार युक्ति बतलाते हैं - कि आत्मिक दृष्टि से देखो । मैं आत्मा हूँ ये अभ्यास पक्का करो । इसी अभ्यास से देहभान टूटेगा व अंतिम समय इसी अभ्यास से हम नष्टोमोहा बन अचल अडोल स्थिति में रहेंगे ।
❉ हम सर्वशक्तिमान के बच्चे मास्टर सर्वशक्तिमान हैं व बाबा ने हमें इतना ऊँचा ज्ञान देकर अनमोल ख़ज़ानों , गुणों व शक्तियों से भरपूर किया है । अंतिम समय पर उन्हें यूज कर सफल होना है व हिम्मतवान बनना हैं ।
❉ अंतिम विनाश के सीन को देखने के लिए डिटेच होने का व् वैराग्य का अभ्यास होगा तो उस समय केवल बाबा से ही कनेक्शन जुड़ा रहेगा जिससे हर सीन को देखने की हिम्मत स्वत्: ही आ जायेगी ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ पुरुषार्थ और प्रालब्ध के हिसाब को जानकर तीव्रगति से आगे बढ़ने वाले नॉलेजफुल बनकर रहना है... क्यों और कैसे ?
❉ जितना पुरुषार्थ करेंगे उतनी ही प्रालब्ध मिलेगी यह ईश्वरीय लॉ बहुत ही परफेक्ट बना हुआ है इसमें पाई पैसे का भी अंतर नहीं हो सकता, भगवान का यह खुला भंडारा है जो जितना करेगा उतना पायेगा।
❉ बाप से सच्चा सच्चा सौदा करना है, आत्मा अपनी ही मित्र और अपनी ही शत्रु है, ऐसा कोई विकर्म इन कर्मेन्द्रियो द्वारा न हो हम अपने ही पेरो पर कुल्हाड़ी मारे और अपना ही नुकसान करले।
❉ सारा मादर हमारे पुरुषार्थ पर है, अभी का पुरुषार्थ ही आधार से ही हमारा भविष्य पद निर्धारित होगा और भक्ति में भी यहाँ जिसका जैसा पुरुषार्थ वैसी भक्ति होगी। तो सारे कल्प की प्राप्तियो का यह आधार अभी का पुरुषार्थ ही है।
❉ नॉलेजफुल बाप ने हम बच्चो को भी मास्टर नॉलेजफुल बनाया है, कर्म अकर्म विकर्म की ग्हुय ते ग्हुय राज हमें समझाए है, सृष्टि के आदि मध्य अंत का सारा ज्ञान हमको दिया कुछ ऐसा नहीं जो बताया पढाया या सिखाया न हो।
❉ हमें बाबा ने बहुत अच्छी दिव्य बुद्धि दी है जिसमे हम यह सारा ज्ञान धारण कर सके तो सदेव कोई भी कर्म करने से पहले बुद्धि के तराजू में उसे तोल ले की यह कर्म करने से मेरा पुण्य जमा होगा या पाप?, क्या यह कर्म श्रीमत प्रमाण है?, बस चेकिंग का डबल अटेंशन रहे और माया को एन्ट्री न देने का डबल लॉक हो तो तीव्रगति से पुरुषार्थ आगे बढ़ता जायेगा और उच्च पद प्राप्त कर सकेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ प्रकृति का दास बनने वाले ही उदास होते हैं, इसलिए प्रकृतिजीत बनो... क्यों ?
❉ प्रकृति अर्थात देह का दास बनने वाले सदा देह - अभिमान में आकर कोई ना कोई पापकर्म करते रहते हैं इसलिए सदा उदास रहते हैं ।
❉ प्रकृति के अधीन रहने वाला कभी कर्मेन्द्रियजीत नही बन पाता और कर्मेन्द्रियों के धोखे में आ कर विकर्म करता रहता है और उदास रहता है ।
❉ परमात्म प्यार और पालना का अनुभव कर, वही खुश रह सकते हैं जो आत्म अभिमानी हो और प्रकर्ति का दास कभी आत्म अभिमानी नही बन सकता ।
❉ प्रकृति की अधीनता आत्मा को विनाशी इन्द्रिय सुख में धकेल कर, उसे अविनाशी अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति से वंचित कर उदास बना देती है ।
❉ प्रकृति का दास बनने वाले सदा माया से हार खाते रहते हैं और विघ्नों में फंस, सदा दुखी होते रहते हैं, इसलिए हमेशा उदास रहते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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