❍ 31 / 01 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ संकल्प रुपी बीज को कल्याण की शुभ भावना से भरपूर रखना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ बाप
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ °इच्छा मातरम् अविध्या° की स्थिति रही ?
‖✓‖ °काँटों को फूल° बनाने की सेवा की ?
‖✓‖ माया के झमेलों से घबराने की बजाये °परमात्म मेले की मौज° मनाते रहे ?
‖✓‖ चलते फिरते °कर्म करते याद° में रहने की प्रैक्टिस की ?
‖✓‖ °कदम कदम ईश्वरीय डायरेक्शन° पर चल हर कर्म किया ?
‖✗‖ अपनी °मगरूरी(देह अभिमान का नशा)° तो नहीं दिखाई ?
‖✗‖ किसी भी शुद्ध कर्म, व्यर्थ कर्म, विकर्म व पिछले °कर्म के बंधन° में तो नहीं बंधे ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-
➳ _ ➳ फैल रहा है लेकिन ऐसी रफ्तार से फैले जो सबके मुख से निकले विश्व पिता आ गये, विश्व पिता के बच्चे गुप्तवेष में अपना कार्य कर रहे हैं । अभी थोड़ा थोड़ा आवाज फैल रहा है लेकिन अभी थोड़ा जोर से फैलना चाहिए ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ “विश्व पिता आ गये हैं” – आज यह सन्देश आत्माओं को सुनाया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ संकल्प रुपी बीज को कल्याण की शुभ भावना से भरपूर रखने वाला ही विश्व कल्याणकारी बन सकता है... क्यों और कैसे ?
❉ संकल्प शक्ति विश्व की सर्वश्रेष्ठ शक्ति है और इसी शक्ति के बल पर हम ब्राह्मण आत्माएं इस विश्व को नर्क से स्वर्ग बनाने के कार्य में निमित बन अपना सहयोग देती हैं ।
❉ संकल्प हमारी सर्वश्रेष्ठ रचना है । जैसे संकल्प हम करते हैं ... वैसी तरंगें वातावरण में फैलती हैं और फिर वैसी ही घटनाओ का निर्माण होता है ।
❉ संकल्प शक्ति के बल किसी भी आत्मा की वृति को परिवर्तित किया जा सकता है ।
❉ संकल्प शुभ श्रेष्ठ होंगे तभी हम कर्म भी श्रेष्ठ कर सकेंगे।
❉ जब संकल्प अर्थात बिज अच्छा होगा तभी रहमदिल होंगे और सभी आत्माओ के कल्याण अर्थ अथक हो कार्य कर सकेंगे।
❉ संकल्प में सबके प्रति शुभ भावना प्रेम आदर होगा तभी व्यव्हार भी वैसा ही प्रैक्टिकल में होगा।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ माया के झमेलो में आने की बजाये परमात्म मेले की मौज मनाते रहो... क्यों और कैसे ?
❉ सदैव यह नशा और ख़ुशी रहे कि स्वयं भगवान हमारा साथी है तो माया के झमेलों में आने की बजाए परमात्म मेले की मौज मनाते रहेंगे।
❉ "मैं मायाजीत आत्मा हूँ"इस स्वमान की स्मृति में रहें तो माया के झमेलों से सहज ही दूर रहेंगें।
❉ निश्च्य बुद्धि बन हर कर्म परमात्म मिलन की मौज में रह कर करें तो माया के झमेलों से दूर रहेंगे।
❉ स्वदर्शन चक्रधारी बन कर रहे तो माया के चक्करो में नही फंसेंगे।
❉ करनकरावनहार बाबा करवा रहें है और मैं आत्मा निमित हो, कर रही हूँ सदैव यह स्मृति में रहे तो बुद्धि माया के झमेलों से स्वत्: दूर रहेगी।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔