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❍ 26 / 12 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °निर्मोही° बनकर रहे ?
‖✓‖ जीरो बाप के साथ रह °हीरो पार्टधारी° बनकर रहे ?
‖✓‖ °ज्ञान के विचारों° में रहे ?
‖✓‖ °रूप बसंत° बन मुख से सदा सुखदायी बोल बोले ?
‖✓‖ हर एक से °प्यार से काम° लिया ?
‖✓‖ °अनाथ को सनाथ° बनाने की सेवा की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °साइलेंस की शक्ति° द्वारा विश्व में प्रतक्ष्यता का नगाड़ा बजाने का पुरुषार्थ किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अब सेवा के कर्म के भी बन्धन में नहीं आओ। हमारा स्थान, हमारी सेवा, हमारे स्टूडेंट, हमारी सहयोगी आत्माएं, यह भी सेवा के कर्म का बन्धन है, इस कर्मबन्धन से कर्मातीत। तो कर्मातीत बनना है और 'यह वही हैं, यही सब कुछ हैं,' यह महसूसता दिलाए आत्माओं को समीप ठिकाने पर लाना है।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °सेवा के कर्म के भी बन्धन° से स्वयं को मुक्त रखा ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं शान्त स्वरूप आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ साइलेन्स की शक्ति द्वारा विश्व में प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजाने वाली मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ ।
❉ वाणी से परे जा कर, साइलेन्स के बल से साइंस पर विजय पा कर मैं समय व सम्पूर्णता को समीप लाने वाली बाप की सहयोगी आत्मा हूँ ।
❉ एक सेकण्ड में जब चाहे वाणी में आना और जब चाहे वाणी से परे जाना मेरे लिए बहुत सहज है ।
❉ शान्त स्वरूप स्थिति में रहने की अभ्यासी बन अपने चारों और शान्ति के वायब्रेशन्स फैला कर मैं अपने सम्बन्ध, संपर्क में आने वाली अशांत आत्माओं को शांति से भरपूर करती जाती हूँ ।
❉ साइलेन्स की शक्ति द्वारा मैं माया को दूर से ही परख कर और उसे भगा कर मायाजीत बनती जाती हूँ ।
❉ मैं आत्मा वाइसलेस बन दुखी आत्माओ के दुःख और अशांति की स्थिति को जान उन्हें सुख और शान्ति के वायब्रेसशन्स द्वारा शीतल करती जाती हूँ ।
❉ आवाज से परे शांत स्वरूप की स्थिति में रहते सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति द्वारा मैं आत्मा सर्व आत्माओं को सुख की अनुभूति कराती हूँ ।
❉ साइलेन्स की शक्ति द्वारा मैं सर्व आत्माओं को अपने दिव्य स्वरूप का साक्षात्कार कराने वाली साक्षात्कारमूर्त आत्मा बनती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाप जो है, जैसा है, उसे यथार्थ पहचान कर याद करो, इसके लिए अपनी बुद्धि को विशाल बनाओ"
❉ आज दिन तक सभी मनुष्य परम पिता परमात्मा को याद आते आये और कर रहें हैं । किन्तु परमात्मा बाप का यथार्थ परिचय ना होने के कारण याद भी यथार्थ रीति नही कर पाते ।
❉ क्योकि परमात्मा कौन है? कब आते है? क्या आ कर करते हैं? यह कुछ भी नही जानते ।
❉ परम पिता परमात्मा बाप की यथार्थ पहचान ना होने और परमात्मा बाप को यथार्थ रीति याद ना कर पाने के कारण परमात्म प्यार से सदा वंचित रहते हैं और दुखी होते रहते हैं ।
❉ किन्तु अब परम परमात्मा बाप ने स्वयं आ कर हमे हमारा और अपना यथार्थ परिचय दे कर याद करने की यथार्थ विधि बताई है ।
❉ इसलिए अब हमे अपनी बुद्धि को विशाल बनाना है और परमात्मा जो है, जैसा है,बुद्धि द्वारा इस बात को अच्छी रीति जान कर परमात्मा बाप को उनके यथार्थ ( ज्योति बिंदु ) स्वरूप में याद करना है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ निर्मोही बनना है, हर एक से प्यार से काम लेना है, गुस्सा नहीं करना है । अनाथ को सनाथ बनाने की सेवा करनी है ।
❉ ड्रामा में जो पार्ट मिला है उसे बेखूबी से व निमित्त भाव से निभाना है । किसी के मोह में फंसकर नये बंधन नही बनाने हैं । ये दुनिया व ये शरीर सब विनाशी हैं तो विनाशी चीजों से मोह नही रखना । पुरानी दुनिया से निर्मोही बनेंगे तभी तो नयी दुनिया में आयेंगे ।
❉ बाबा प्यार का सागर है व हम उसके बच्चे मास्टर प्रेम का सागर है । हमें सब को प्रेम ही देना है व मुख से ताली नही बजानी । कोई गुस्सा भी करें हमें अपने स्वधर्म में रहना है ।
❉ जैसे बाबा किसी की गल्ती भी होती थी तो पहले उसकी खूब तारीफ करते थे व युक्ति से उसकी गल्ती समझाते कि बच्चे ये काम ऐसे करना था तो हमें भी किसी की गल्ती होने पर गुस्सा नहीं करना । प्यार से समझाकर उससे काम लेना है ।
❉ अनाथ यानि जिसका बाप नहीं। अनाथ माना गरीब । पहले हमारा भी नाथ नही था क्योंकि देहभान में आकर स्वयं को व बाप को ही भूल गए । अब बाप ने स्वयं अपना बनाकर दिव्य नेत्र व दिव्य ज्ञान देकर सनाथ बना दिया ।
❉ किसी वक़्त हम भी लौकिक में जूझते अनाथ से ही थे व् हम में लाखो बुराई के रावणी संस्कार थे फिर भी उन संस्कारो को अनदेखा कर बाबा ने हमे उसका बनाया फिर युक्ति से भले बुरे का ज्ञान दिया उसी तरह हर एक को प्यार से स्वीकार कर बाबा के कदम से कदम मिला प्यार का सेवाधारी बनना है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ साइलेंस की शक्ति द्वारा विश्व में प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजाने वाले शान्त स्वरुप बनना है... क्यों और कैसे ?
❉ साइलेंस की शक्ति सबसे बड़ी शक्ति है जिस द्वारा हम बड़े से बड़ा कार्य कर सकते है। जो कम साइंस भी नहीं कर सकती वह साइलेंस द्वारा किया जा सकता है।
❉ साइंस भी साइलेंस से ही निकली है, जब भी कोई वैज्ञानिक कोई प्रयोग करता है तो वह स्वयं को एकांत में अंतर्मुखी होकर साइलेंस में प्रयोग करता है तभी उसे सफलता प्राप्त होती है।
❉ जितना हम साइलेंस में रहेंगे उतनी हमारी शक्तियाँ इमर्ज होती जाएँगी, आत्मा में जो असीम शक्तियाँ है वह साइलेंस में रहते है तब ही इमर्ज होती है क्युकी आत्मा का स्वधर्म ही शांत है।
❉ जब सर्व आत्माये साइलेंस की शक्ति का महत्त्व जान जाएँगी, जब हमारी भी साइलेंस में रहने की स्थिति पक्की हो जाएगी तब विजय का नगाड़ा बजेगा क्युकी तब होगी साइंस पर साइलेंस की विजय।
❉ " मै आत्मा शान्त स्वरुप हु, मेरे पिता परमात्मा शान्ति के सागर है, मेरा घर शान्तिधाम है" यह अभ्यास अन्दर में सदा चलता रहे, इसी शान्त स्वरुप के जितने अनुभवी बनेंगे उतना ही विजय के नजदीक पहुच जायेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ ज़ीरो बाप के साथ रहने वाले ही हीरो पार्टधारी हैं... क्यों और कैसे ?
❉ ज़ीरो बाप के साथ रहेंगे तो बाप समान गुणों की धारणा कर गुण ग्राही बन जायेंगे और सबकी विशेषताओं को स्वयं में धारण कर हीरो पार्टधारी बन जायेंगे ।
❉ सर्व से किनारा कर जब केवल एक ज़ीरो बाप के साथ रहेंगे तो सभी बातों से सहज ही उपराम हो जायेंगे और चढ़ती कला के अनुभवी बन हीरो पार्ट बजायेंगे ।
❉ हीरो पार्टधारी बन अपने संकल्प, श्वांस, समय और सम्पति को तभी सफल कर पायेंगे जब केवल एक ज़ीरो बाप से कनेक्शन होगा ।
❉ बेहद की वैराग्य वृति को धारण कर जब एक ज़ीरो बाप के साथ रहेंगे और केवल एक बाप को ही अपना कम्पैनियन बना लेंगे तो हीरो पार्टधारी बन श्रेष्ठ कर्मो में प्रवृत रहेंगे ।
❉ केवल एक ज़ीरो बाप का साथ सर्व प्रकार की चिंताओं से मुक्त कर देगा और चिंता मुक्त स्थिति का अनभुव हीरो पार्टधारी आत्मा बना कर सहज ही खुशियों का आधार बन जाएगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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