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   28 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °पवित्र° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °बुधी पर अटेंशन° का पहरा दिए रखा ?

 

‖✓‖ ड्रामा की हर सीन को °साक्षी° होकर देखा ?

 

‖✓‖ एक बाप की °याद° में मस्त रहे ?

 

‖✗‖ पढाई में °गफलत° तो नहीं की ?

 

‖✗‖ °हार खाकर° पद भ्रष्ट तो नहीं किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ विश्व कल्याण की भावना द्वारा हर आत्मा की °सेफ्टी का प्लान° बनाया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  पाप कटेश्वर वा पाप हरनी तब बन सकते हो जब याद ज्वाला स्वरूप होगी। इसी याद द्वारा अनेक आत्माओं की निर्बलता दूर होगी। इसके लिए हर सेकण्ड, हर श्वांस बाप और आप कम्बाइन्ड होकर रहो। कोई भी समय साधारण याद न हो। स्नेह और शक्ति दोनों रूप कम्बाइन्ड हो।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ हर सेकण्ड, हर श्वांस बाप और आप °कम्बाइन्ड° होकर रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सच्ची रहमदिल आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   विश्व कल्याण की भावना द्वारा हर आत्मा की सेफ्टी के प्लैन बनाने वाली मैं सच्ची रहमदिल आत्मा हूँ ।

 

 ❉   स्वयं अपने ही अकल्याण के निमित बनने वाली आत्माओं को सही रास्ता दिखा कर मैं उनका कल्याण करती जाती हूँ ।

 

 ❉   साक्षीपन की सीट पर सेट रह, मैं हर आत्मा के पार्ट को साक्षी हो कर देखती हूँ और किसी भी प्रकार की हलचल में आने की बजाए उनके लिए सेफ्टी का साधन सोचती हूँ ।

 

 ❉   विघ्न विनाशक बन मैं सर्व आत्माओं के विघ्नों को समाप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने संकल्प, वाणी और कर्म में रहमदिल बन, मैं वायुमण्डल को चेंज करने में सहयोगी बनने वाली सच्ची सेवाधारी हूँ ।

 

 ❉   दाता पन की सीट पर सेट हो कर सर्व आत्माओं को रहम की अंजली देकर उन्हें सर्व समस्याओं से मुक्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं हताश और निराश आत्माओं के मन में आशा का दीपक जलाने वाला चैतन्य दीपक हूँ ।

 

 ❉   मैं महादानी बन गरीब बेसहारा आत्माओं को सर्व शक्तियो और सर्व खजानो का दान कर सम्पन्न बनाती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अकाल मूर्त बाप का बोलता - चलता तख़्त यह ( ब्रह्मा ) है, जब वह ब्रह्मा में आते हैं तब तुम ब्राह्मणों को रचते है"

 

 ❉   अकाल मूर्त अर्थात जिसे काल खा ना सके । सभी आत्माये अकाल मूर्त है और सभी अपने शरीर रूपी रथ में भृकुटि तख़्त पर विराजमान है ।

 

 ❉   और अपने शरीर रूपी रथ में भृकुटि तख़्त पर विराजमान हो कर हम सभी आत्मायें इस सृष्टि रंगमंच पर अपना अपना पार्ट बजा रही है ।

 

 ❉   अकाल मूर्त निराकार परमपिता परमात्मा शिवबाबा को भी हम आत्माओं को ज्ञान सुनाने के लिए शरीर रूपी रथ का आधार लेना पड़ता है ।

 

 ❉   ब्रह्मा बाबा के शरीर रूपी रथ में उनकी भृकुटि तख्त पर बैठ कर शिव बाबा हम आत्माओं को ज्ञान सुनाते हैं ।

 

 ❉   इसलिए अकाल मूर्त शिव बाबा का बोलता - चलता तख़्त यह ( ब्रह्मा ) है, जिसमे आकर शिव बाबा हम ब्राह्मणों को रचते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ इस ड्रामा की हर सीन को साक्षी होकर देखना है, एक बाप की याद में मस्त रहना है ।

 

 ❉   यह ड्रामा कल्याणकारी है व हरेक का पार्ट एक्यूरेट है । जो हो रहा है व हूबहू 5000 वर्ष पहले भी हुआ था । जो हो रहा है उसे साक्षी होकर देखना है ।

 

 ❉   क्यूँ , क्या और कैसे में मूंझना नहीं है । बस 'नथिंग न्यू' को पक्का कर बिंदी लगाकर साक्षी होकर देखना है व एक बाप की याद में रहना है ।

 

 ❉   बाबा ने हमें सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान दिया है । किसी आत्मा के पार्ट को देखकर हलचल में नहीं आना है । यह बना बनाया अनादि ड्रामा है ।

 

 ❉   जो हो रहा है अच्छा ही हो रहा है व जो होगा अच्छा ही होगा व जब बाप साथ है तो अकल्याण तो हमारा हो ही नही सकता ।

 

 ❉   जैसे नाटक में हीरो अपना पार्ट बजा कर ख़ुशी ख़ुशी घर वापिस जाता है उसीप्रकार इस सृष्टि रंगमंच पर हम हीरो पार्टधारी है व सब अपना पार्ट प्ले करने आए हैं व फिर नयी दुनिया में जाना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ विश्व कल्याण की भावना द्वारा आत्मा की सेफ्टी के प्लान बनाने वाले ही सच्चे रहमदिल है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बाबा ने हम आत्माओ का बहुत सुन्दर ब्राह्मण परिवार बनाया है। इस परिवार का एक एक सदस्य अनमोल व कीमती है, स्वयं तो आगे बढ़ना ही है परन्तु सहयोग दे सबको साथ लेकर चलना है, क्युकी सतयुग में भी हम अकेले तो जायेंगे नहीं वहाँ भी सर्व ब्राह्मण तैयार हो जायेंगे तभी जा सकेंगे क्युकी बाबा राजधानी स्थापन करने आये है।

 

 ❉   हम वरदानी बन सबको बाप का परिचय तो देते है परन्तु कुछ आत्माओ में शक्ति व हिम्मत की कमी होने के कारण पूरा चल नहीं पाते इसलिए महादानी बन उन आत्माओ को अपनी शक्ति व सहयोग का एक्स्ट्रा फ़ोर्स देने की आवश्यकता होती है।

 

 ❉   हम मास्टर सर्व शक्तिमान है, विघ्न विनाशक है, तो हमें न सिर्फ अपने परन्तु विश्व कल्याणकारी होने के नाते सारे विश्व की आत्माओ के विघ्न विनाश करना है, हमारी मनसा सेवा द्वारा इतने पावरफुल वाइब्रेशन फ़ैलाने है जो अनेक आत्माओ के विघ्न स्वतः ही समाप्त हो जाये।

 

 ❉   "देना ही पाना है" बाबा ने हमें हमेशा बेहद में रहना सिखाया है, जब बेहद की सेवा करते है तो हद की सेवा स्वतः हो जाती है। जब हम अन्य आत्माओ की सेवा के शुभ संकल्प द्वारा प्लान बनाते है तो हमारी सेफ्टी का प्लान बाबा खुद बनाते है।

 

 ❉   आज आत्माये बहुत दुखी, अशान्त है, अज्ञानवश स्वयं का कल्याण करने की इच्छा से और ही स्वयं का अकल्याण कर रही है, ऐसे में सच्चे रहमदिल वही है जो आत्माओ का सच्चा रास्ता बताये, हर पल हमारा यही संकल्प होना चाहिए की क्या करे जो सर्व आत्माओ का कल्याण हो जाये।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कर्मयोगी वही बन सकता है जो बुद्धि पर अटेंशन का पहरा देता है... कैसे ?

 

 ❉   बुद्धि पर अटेंशन का पहरा होगा तो सोच और व्यवहार में स्पष्टता आती जायेगी, बुद्धि स्वच्छ होती जायेगी जिससे हर कर्म करते बाप की याद स्वत: बनी रहेगी ।

 

 ❉   कर्मयोगी बनने के लिए जरूरी है ब्राह्मण जीवन की नियम और मर्यादाओं का पालन, जिसके लिए अटेंशन रूपी पहरेदार का ठीक होना आवश्यक है ।

 

 ❉   स्वयं को आत्मा समझ जब हर कर्म करेंगे तो कर्म में योग का अनुभव सहज होने लगेगा और स्वत: ही कर्मयोगी बन जायेंगे किन्तु आत्मिक स्मृति में निरन्तर तभी रह सकेंगे जब बुद्धि पर अटेंशन का पहरा होगा ।

 

 ❉   बुद्धि पर जब अटेंशन का पहरा होगा तो हर कर्म करते मन ही मन ज्ञान का चिंतन चलता रहेगा जिससे बाप की याद बनी रहेगी और हर कर्म योग युक्त और युक्तियुक्त होगा ।

 

 ❉   याद और सेवा के बैलंस का डबल लॉक  बुद्धि को व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर एकाग्र और शांतचित बना देगा जिससे कर्मयोगी बन हर कर्म में योग का अनुभव सहज हो जायेगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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