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   31 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °अलोकिक ईश्वरीय दृष्टि° रख मित्र संबंधियों की सेवा की ?

 

‖✓‖ जो पड़ा है... वह °दूसरों को पड़ाया° ?

 

‖✓‖ अभी के प्रतक्ष्यफल से °उडती कला° का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ "हम °एवरहैप्पी गॉड के बच्चे° हैं" - इस स्मृति से आपार ख़ुशी में रहे ?

 

‖✓‖ बहुत बहुत °सावधान° होकर रहे ?

 

‖✗‖ बापदादा से कोई भी °बात छिपाई तो नहीं° ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ सेवा द्वारा अनेक आत्माओं की °आशीर्वाद प्राप्त कर° सदा आगे बढते रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  कर्मातीत स्थिति को पाने के लिए विशेष स्वयं में समेटने की शक्ति, समाने की शक्ति धारण करना आवश्यक है। कर्मबन्धनी आत्माएं जहाँ हैं वहाँ ही कार्य कर सकती हैं और कर्मातीत आत्मायें एक ही समय पर चारों ओर अपना सेवा का पार्ट बजा सकती हैं क्योंकि कर्मातीत हैं। उनकी स्पीड बहुत तीव्र होती है, सेकण्ड में जहाँ चाहे वहॉ पहुँच सकती हैं, तो इस अनुभूति को बढ़ाओ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ एक ही समय पर °चारों ओर अपनी सेवा का पार्ट° बजाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं महादानी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   सेवा द्वारा अनेक आत्माओं की आशीर्वाद प्राप्त कर सदा आगे बढ़ने वाली मैं महादानी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   बापदादा द्वारा मिले सर्व खजानों से मालामाल बन मैं गरीब बेसहारा आत्माओं को सर्व शक्तियो और सर्व खजानो का दान कर सम्पन्न बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने शुभ और श्रेष्ठ संकल्पों तथा पावरफुल वायब्रेशन्स द्वारा मैं सर्व आत्माओं को सुख, शान्ति का अनुभव कराती हूँ ।

 

 ❉   स्वयं उमंग - उत्साह में रहते हुए औरों को उमंग - उत्साह दिला कर मैं सर्व की दुआयों की पात्र आत्मा बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं हताश और निराश आत्माओं के मन में आशा का दीपक जलाने वाला चैतन्य दीपक हूँ ।

 

 ❉   ज्ञान, शक्तियों और गुणों के रूहानी खजाने को मैं स्वाभाविक रीति से सर्व आत्माओं पर लुटाती रहती हूँ ।

 

 ❉   दाता पन की सीट पर सेट हो कर सर्व आत्माओं को रहम की अंजली देकर उन्हें सर्व समस्याओं से मुक्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   विश्व सेवा के कार्य को सदा स्मृति में रख, रहमदिल और महादानी बन सर्व आत्माओं को बाप से मिला कर उनका भाग्य बनाती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - जो संकल्प ईश्वरीय सेवा अर्थ चलता है, उसे शुद्ध संकल्प वा निरसंकल्प ही कहेंगे,व्यर्थ नही"

 

 ❉   संकल्पों का चलना एक ऐसी प्रकृतिक प्रक्रिया है जो ना चाहते हुए भी चलती रहती है ।

 

 ❉   कोई भी मनुष्य ऐसा नही है जो एक क्षण भी संकल्प धारण किये बिना रह सकता हो ।

 

 ❉   इस कलयुगी दुनिया में क्योकि सभी मनुष्य देह अभिमान में रहते हैं इसलिए संकल्प भी देह, देह के पदार्थो और देह के सबंधियों के प्रति ही चलते हैं ।

 

 ❉   देह और देह की दुनिया के प्रति चलने वाले यह संकल्प ही विकर्मो का कारण बनते हैं और मनुष्य को दुखी करते हैं ।

 

 ❉   किन्तु हम ब्राह्मण बच्चों को अभी इस समय संगम युग पर परमात्म ज्ञान मिला है । इसलिए बाप समझाते हैं कि तुम्हारे संकल्प अब ईश्वरीय सेवा अर्थ चलने चाहिए ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ कोई भी उल्टा कर्म छिपकर नहीं करना है । बापदादा से कोई भी बात छिपानी नहीं है । बहुत-बहुत सावधान रहना है ।

 

  ❉   बाप ने अभी हमें कर्म, विकर्म, अकर्म का गुह्य ज्ञान दिया है व उसे अच्छी रीति समझते हुए अब कोई उल्टा कर्म नहीं करना है । संकल्पों पर पूरा अटेंशन देना है ।

 

  ❉   देह-अभिमान सबसे बड़ा विकार है व इससे ही सब विकार आते हैं । किसी के प्रभाव में आ जाते है व बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है । इसलिए देही-अभिमानी बनना है । अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना है ।

 

  ❉   बाबा का बनने के बाद भी अगर कोई गल्त काम करते हैं व छिपाते हैं तो उसकी सजा 100 गुना मिलती है व पद भी भ्रष्ट हो जायेगा । अब संगमयुग पर बाबा हमें पतित से पावन बनाने आए हैं तो हमें अपने ऊपर पूरा अटेंशन देना है ।

  

  ❉   अगर कोई भूल हो भी गई तो सब बाप को सच बता देना है । बताने से आगे के लिए बच जाते हैं व आधी सजा भी माफ हो जाती है । जैसे लौकिक में भी बच्चा जब कोई गल्ती करके सच सच बता देता है तो मां बाप उसे आराम से समझा देते हैं ।

 

  ❉   कहा भी गया है सचे दिल पर साहिब राजी । जो बच्चे बाप के साथ सच्चे रहते है वो बाप के दिल पर राज करते हैं । तो हमें सच्चे बाप के साथ सच्चा सच्चा रहना है कुछ छिपाना नही है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सेवा द्वारा अनेक आत्माओ की आशीर्वाद प्राप्त कर सदा आगे बढ़ने वाले महादानी कहलाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   आज की आत्माये बहुत दुखी, अशान्त है, उन्हें चारो तरफ अँधियारा नजर आ रहा है। ऐसे में हमारी सेवा द्वारा दिया गया सुख, शान्ति, प्रेम का थोडा सा दान भी उन आत्माओ के लिए किसी खजाने से कम नहीं है।

 

 ❉   अंधकार से सोझरे में ले चलने के लिए परमात्मा आये है, यह सन्देश जब आत्माओ को मिलता है तो उनके दिल से हमारे लिए अनेको दुवाये निकलती है।

 

 ❉   यह दुवाये ही हमारे लिए सुरक्षा कवच का कार्य करती है, विघ्नों को समाप्त कर आगे बढ़ने का मार्ग बनाती है। जिसके साथ दुवाये है उसके आगे कोई विघ्न ठहर ही नहीं सकता।

 

 ❉   जहाँ दवाई भी काम नहीं करती वहाँ दुवाये काम आती है। जितनो की यहाँ सेवा करेंगे उतने ही बापदादा, अन्य आत्माओऔर ब्राह्मण परिवार की दुवाये प्राप्त होती है जो मुश्किल के समय में बहुत काम आती है।

 

 ❉   दुवाये लिफ्ट का काम करती है, इसलिए सदा महादानी बन सर्व आत्माओ की निस्वार्थ सेवा करते जाना है और अनेको की दुवाओ के पात्र बनना है। कहते भी है "दे दान तो छुटे ग्रहण"।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अभी का प्रत्यक्षफल आत्मा को उड़ती कला का बल देता है... कैसे ?

 

 ❉   अभी का प्रत्यक्ष फल आत्मा को खुशियों के खजाने से सम्पन्न कर देता है जिससे आत्मा उमंग - उत्साह के पंखो पर सवार हो उड़ती कला की अनुभवी बन जाती है ।

 

 ❉   अभी का प्रत्यक्ष फल आत्मा को संतुष्टमणि बना देता है और संतुष्टमणि आत्मा सर्व को संतुष्ट कर सहज ही सर्व की दुआयों की पात्र बन उड़ती कला का अनुभव करती रहती है ।

 

 ❉   प्रत्यक्ष फल की प्राप्ति बुद्धि को शुद्ध और सुजाग  बना कर सेवा में सफलतामूर्त बना देती है । और सेवा में सफलता मन को अलौकिक ख़ुशी से भरपूर कर आत्मा को उड़ती कला में ले जाती है ।

 

 ❉   यथार्थ सेवा का प्रत्यक्ष फल जमा का खाता बढ़ा कर, आत्मा को उड़ती कला में ले जाता है और मन को खुश और तृप्त कर देता है ।

 

 ❉   ख़ुशी के रूप में प्राप्त होने वाला सेवा का प्रत्यक्ष फल आत्मा को आनन्द से भरपूर कर देता है और आनन्द से भरपूर आत्मा हल्की हो उड़ती कला के बल की अनुभवी बन जाती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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