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   06 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ "°एक बाप दूसरा न कोई°" - ऐसी स्थिति में रह सदा दिलतख़्तनशीन बनकर रहे ?

 

‖✓‖ योग लगाने वाले योगी नहीं बल्कि °सदा योग में रहने वाले° योगी बनकर रहे ?

 

‖✓‖ "हम विश्व के अन्दर सर्व आत्माओं में से °चुनी हुई श्रेष्ठ आत्माएं° हैं" - इस स्मृति से अतीन्द्रिय सुख का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ ज्ञान की पॉइंट्स को स्मृति में लाने के साथ साथ उसका °स्वरुप° बनने का अभ्यास किया ?

 

‖✓‖ सदा °संतुष्ट, संपन्न और एकरस° स्थिति का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ "°विजय° हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है" - यह स्मृति रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ हर °संकल्प व कर्म° को श्रेष्ठ और सफल बनाया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  कर्मातीत बनने के लिए कर्मों के हिसाब-किताब से मुक्त बनो। सेवा में भी सेवा के बंधन में बंधने वाले सेवाधारी नहीं। बन्धनमुक्त बन सेवा करो अर्थात् हद की रायॅल इच्छाओं से मुक्त बनो। जैसे देह का बन्धन, देह के सम्बन्ध का बन्धन, ऐसे सेवा में स्वार्थ-यह भी बन्धन कर्मातीत बनने में विघ्न डालता है। कर्मातीत बनना अर्थात् इस रॉयल हिसाब-किताब से भी मुक्त।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ देह का बन्धन, देह के सम्बन्ध का बन्धन, सेवा में स्वार्थ का बंधन इत्यादि °सर्व बन्धनों से मुक्त° रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं ज्ञान स्वरूप समझदार आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   हर संकल्प वा कर्म को श्रेष्ठ और सफल बनाने वाली मैं ज्ञान स्वरूप समझदार आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपनी ज्ञान स्वरूप स्थिति में स्थित हो कर हर कर्म करने से मैं हर कार्य में सहज ही सफलता प्राप्त कर लेती हूँ ।

 

 ❉   पुरुषार्थ और प्रालब्ध के हिसाब को जानकर तीव्रगति से आगे बढ़ने वाली मैं नॉलेजफुल आत्मा हूँ ।

 

 ❉   संगमयुग पर स्वयं परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने आकर मुझे भाग्य का अखुट खजाना प्राप्त करने की नॉलेज रूपी चाबी दे कर मालामाल कर दिया है ।

 

 ❉   नॉलेज की चाबी द्वारा मैं जितना चाहे उतना अपने श्रेष्ठ भाग्य का खजाना जमा कर सकती हूँ ।

 

 ❉   नॉलेजफुल की विशेषता द्वारा संस्कारों की टक्कर से बचने वाली मैं कमल पुष्प समान न्यारी व साक्षी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा ज्ञान की गहराई में जा कर स्वयं को हर गुण के अनुभव रुपी रत्नों से संपन्न कर रही हूँ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मेहनत समाप्त कर निरन्तर योगी बनो"

 

 ❉   ब्राह्मण जीवन में नम्बर आगे लेने का आधार ही है  " पवित्र और योगी " जीवन ।

 

 ❉   और योगी जीवन की रिजल्ट में बापदादा ने देखा कि योगी जीवन में भी तीन तरह के योगी है । एक हैं योग लगाने वाले, दूसरे सदा योग में रहने वाले और तीसरे हैं योग द्वारा विघ्न हटाने की मेहनत करने वाले ।

 

 ❉   किन्तु बापदादा को बच्चों का मेहनत करना अच्छा नही लगता । इसलिए बाप कहते हैं कि बाप के खजाने के बालक सो मालिक हो कर भी इतनी मेहनत क्यों करते हो ?

 

 ❉   सदा बाप के बच्चे हो और सदा खजाने के मालिक हो इसलिए अधिकारी बनो ।

 

 ❉   सदा यह स्लोगन याद रखो मैं एक श्रेष्ठ आत्मा बालक सो मालिक हूँ । पाना था सो पा लिया यह स्मृति में रखो और मेहनत समाप्त कर निरन्तर योगी बनो ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सदा संतुष्ट , सम्पन्न और एकरस स्थिति का अनुभव करना है ।

 

  ❉  जब कोटों मे कोई व कोई मे से भी कोई से भगवान ने चुनकर स्वयं अपना बनाया है । हम उस सर्वशक्तिमान परमपिता के बच्चे बन गए व उसके वर्से के अधिकारी बन गए । जब बाबा मिल गया तो सब मिल गया । इसलिए सदा संतुष्ट , सम्पन्न और एकरस स्थिति का अनुभव करना है ।

 

  ❉   सम्पन्न बाप के , प्रेम के सागर , सुख के सागर .... के बच्चे हैं तो सम्पन्न स्वरुप, प्रेम स्वरुप, सुख स्वरुप ..... हैं । हम ब्राह्मण बच्चों के लिए कोई अप्राप्य चीज तो हो ही नहीं सकती । इसलिए सदा संतुष्ट , सम्पन्न और एकरसता अनुभव करनी है ।

 

  ❉   लौकिक में बिजनेस में कभी घाटा होता है कभी फायदा व विनाशी कमाई होती है जिससे हद की खुशी मिलती है । हमें तो बेहद का बाप मिला है व जो हर पल हमारा साथ निभा रहा है व साथ दे रहा है तो ऐसे अविनाशी बाप का हाथ व साथ पाकर सदा संतुष्ट , सम्पन्न व खुश रहना है ।

 

  ❉  बाबा का बच्चा बनते ही सबको सर्व खजानें मिल गए , राज्याधिकारी बन गए ।बाप के खजाने के बालक सो मालिक बन गए व जो पाना था सो पा लिया अब क्या बाकि रहा । तो सदाकाल की इस प्राप्ति के अविनाशी नशे में रहते सदा खुश, सम्पन होते एकरस स्थिति का अनुभव करना है।

 

  ❉   जिस परमात्मा को पाने के लिए दुनिया कहां -कहां भटकती है वो परमपिता परमात्मा हमें घर बैठे मिल गया तो हमसे भाग्यवान कोई ओर हो सकता है ! उस परमात्मा को पाकर जो हमारा सुप्रीम बाप, सुप्रीम टीचर, सुप्रीम सदगुरु है सदा खुश , सम्पन्न , संतुष्ट व अचल अडोल रहना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ हर संकल्प व कर्म को श्रेष्ठ और सफल बनाने के लिए ज्ञान स्वरुप समझदार बनकर रहना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हर कर्म करने से पहले बुद्धि रूपी तराजू में तोलकर देखना है की क्या यह संकल्प यथार्थ है? श्रीमत प्रमाण है? ब्रह्मा बाप समान है? अगर है तो ही उसे कर्म में लाना है।

 

 ❉   ज्ञान स्वरुप बनना है, सिर्फ सुनकर अच्छा अच्छा नहीं करना है। परन्तु प्रेक्टिकल जीवन में उसे धारण करना है। जितना ज्ञान स्वरुप होंगे उतना समझदारी से चल सकेंगे।

 

 ❉   ज्ञान सीरूप बनने के लिए आवश्यक है - ज्ञान मंथन। "अपनी घोट तो नशा चढ़े" जितना ज्ञान को घोटेंगे उतना ही नशा चढ़ेगा। और बाबा का ज्ञान अति गुह्य है इसलिए मंथन कर ज्ञान की गहराइयो में जाकर रत्न निकालने है और ज्ञान को यथार्थ समझना है।

 

 ❉   संकल्प व कर्म श्रेष्ठ तब होंगे जब वह बाबा की श्रीमत अनुसार होंगे। बाबा की श्रीमत के अलावा जो भी कर्म हम करते है वह सभी व्यर्थ के पाप के खाते में जाते है।

 

 ❉   ज्ञान स्वरुप होकर किये गए कर्म की सफलता निश्चित होनी ही है क्युकी वह हम त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट होकर करते है। असंभव से भी असंभव कार्य ईश्वरीय ज्ञान के आधार से संभव किया जा सकता है बस दिल साफ़ होनी चाहिए।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ब्राह्मण जीवन की विशेषता है ख़ुशी, इसलिए ख़ुशी का दान करते चलो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉  ख़ुशी के खजाने से मालामाल बन सबको ख़ुशी का दान देंगे तो स्नेही बाप के स्नेह के अधिकारी बन अतीन्द्रिय सुख के झूले में सदैव झूलते रहेंगे ।

 

 ❉   खुश रह कर जितना दूसरों को ख़ुशी देंगे उतना ही सर्व आत्माओं के स्नेह का सहयोग सहज ही प्राप्त करते रहेंगे ।

 

 ❉   ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न बन सर्व आत्माओं को ख़ुशी का दान  देने से सहज ही सर्व की दुआओं के पात्र बन उड़ती कला का अनुभव करते रहेंगे ।

 

 ❉   ख़ुशी की खुराक खाते हुए जितना दूसरों को ख़ुशी देंगे उतना ही हर परिस्थिति में परमात्म मदद का अनुभव करते हुए सदा मौज में रहेंगे ।

 

 ❉   स्नेही बन जितना दूसरों को स्नेह देंगे, उतना स्नेह के खजाने और सर्व प्राप्तियों की अनुभूति करते हुए सदा ख़ुशी में रहेंगें ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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