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❍ 03 / 12 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ बहुत °मीठा° बनकर रहे ?
‖✓‖ बाप से °लाइन क्लीयर° रखी ?
‖✓‖ बापदादा की °छत्रछाया° के नीचे रहे ?
‖✓‖ "अभी हम °ब्राह्मण° हैं" - सदा यह स्मृति रही ?
‖✓‖ ऑनेस्ट बन अपनी °कर्म कहानी° बाप को लिखकर दे पापों से हलके हुए ?
‖✗‖ कोई भी °क्रिमिंल एसाल्ट° तो नहीं हुआ ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °एकता और एकाग्रता° की विशेषता से सफलता को गले का हार बनाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ कर्मातीत का अर्थ ही है-सर्व प्रकार के हद के स्वभाव-संस्कार से अतीत अर्थात् न्यारा। हद है बन्धन, बेहद है निर्बन्धन। ब्रह्मा बाप समान अब हद के मेरे-मेरे से मुक्त होने का अर्थात् कर्मातीत होने का अव्यक्ति दिवस मनाओ। इसी को ही स्नेह का सबूत कहा जाता है।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सर्व प्रकार के हद के स्वभाव-संस्कार से अतीत अर्थात् °न्यारे° बनकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं समाधान स्वरूप आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ एकता और एकाग्रता की विशेषता से सफलता को गले का हार बनाने वाली मैं समाधान स्वरूप आत्मा हूँ ।
❉ बाप दादा से सफलतामूर्त का वरदान प्राप्त कर मैं बाप दादा की प्रत्यक्षता के कार्य में सहयोगी बनने वाली विशेष आत्मा हूँ ।
❉ निरव्यर्थ संकल्प और निर्विकल्प स्थिति द्वारा मैं हर कार्य में सहज ही सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ बड़ी से बड़ी समस्या भी मेरी स्थिति को डगमग नही कर सकती । समाधान स्वरूप बन मैं हर समस्या का समाधान सहज ही कर लेती हूँ ।
❉ अपने शुभ और श्रेष्ठ संकल्पों द्वारा मैं आत्माओं के व्यर्थ संकल्पों को समाप्त कर उन्हें समर्थ बनाती जाती हूँ ।
❉ संगम युग पर मिले समय और श्वांसों के अनमोल खजाने को प्रभु प्रेम में मगन हो कर, सेवा में लगा कर सफल करती जाती हूँ ।
❉ मैं महावीर आत्मा बन, जीवन की सभी चुनौतियों को स्वीकार कर, अपनी शक्ति से उन्हें हरा कर अपनी दासी बना लेती हूँ ।
❉ स्वस्थिति में स्थित रह हर परिस्थिति को अपने वश में कर मैं सभी बातो से उपराम होती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - पापों से हल्का होने के लिए वफादार, ऑनेस्ट बन अपनी कर्म कहानी बाप को लिखकर दो तो क्षमा हो जायेगी"
❉ 63 जन्मों के विकर्मो का बोझ जो आत्मा के ऊपर चढ़ा हुआ है उसे मिटाने का एक ही उपाय है ।
❉ और वह उपाय है पतित पावन परम पिता परमात्मा बाप की याद ।
❉ केवल एक परमात्मा बाप की याद ही वह योग अग्नि है जिसमे आत्मा के सभी पाप भस्म हो सकते हैं और आत्मा पावन सतोप्रधान अवस्था को प्राप्त कर सकती है ।
❉ लेकिन बाप की याद बुद्धि में तभी ठहर सकती है जब बाप को अपने किये हुए अच्छे - बुरे कर्मो का सच्चा - सच्चा पोतामेल लिख कर दे ।
❉ इसलिए बाप समझाते हैं कि पापों से हल्का होने के लिए वफ़ादार, ऑनेस्ट बन अपनी सारी कर्म कहानी बाप को लिख कर दो तो क्षमा हो जायेगी ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ डबल सिरताज देवता बनने के लिए बहुत मीठा बनना है , लाइन कलीयर रखनी है । राजयोग की तपस्या करनी है ।
❉ स्वयं भगवान रोज हमें मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई पढ़ाते हैं व पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बना रहे हैं तो हमें भी अच्छी रीति धारण कर ज्ञान रत्नों से अपनी बुद्धि रुपी झोली को भरपूर करना है ।
❉ पुराने स्वभाव संस्कारों को जब स्वाहा करेंगे व बुद्धि से निकाल देंगे तभी नये संस्कारों को भर सकेंगे । जितना अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद.करेंगे तो आत्मा पर लगी जंक उतरती जायेगी व बुद्धि की लाइन क्लीयर होती जायेगी ।
❉ डबल सिरताज बनने के लिए मनसा वाचा कर्मणा व संकल्पों मे पवित्रता लानी है क्योंकि पावन बने बगैर तो बाप के साथ घर वापिस जा नहीं सकते । इसलिए बाप कहते है इस अंतिम जन्म में मेरे कहने पर पवित्र जरुर बनो ।
❉ डबल सिरताज बनने के लिए हमें दैवीय गुण धारण करने हैं व बहुत मीठा बनना है । अभी यही संस्कार भरेंगे तो 21 जन्मों के लिए स्वर्ग में प्रालब्ध प्राप्त करेंगे ।
❉ इस कल्याणकारी संगमयुग पर भगवान स्वयं आकर राजयोग सीखा रहे हैं । पहले हम वर्थ नाट पैनी थे अभी वर्थ पाउण्ड बन रहे हैं । बाबा ही हम बच्चों को राजयोग सीखा कर डबल सिरताज बना रहे हैं व उसके लिए बुद्धि को क्लीयर रखना है । सर्व सम्बंध सिर्फ एक बाप के साथ रखने हैं । योगबल से पावन बनना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ एकता और एकाग्रता की विशेषता से सफलता को गले का हार बनाने वाले समाधान स्वरुप होते है... क्यों और कैसे ?
❉ एकमत और एकनामी होने से ही एकता बढ़ेगी। जितनी संगठन में एकता होगी उतना ही संगठन शक्ति द्वारा कैसे भी बड़े से बड़ा कार्य सफल होना ही है।
❉ संगठन में बहुत शक्ति है, जब संगठन मिलकर पूर्ण एकाग्रता से एक कार्य में लग जाता है तो हर एक की सहयोग की ऊँगली से सफलता हमारे गले का हार बन जाती है।
❉ एकाग्रता अर्थात सारा ध्यान लक्ष्य की ओर ही हो। सबको साथ लेकर सब मिलकर एक ही लक्ष्य को पूरा करने में लग जाये। जहाँ एकता और एकाग्रता होगी वहाँ सफलता जरुर होगी।
❉ एक अकेला विश्व परिवर्तन का कार्य नहीं कर सकता, सबके सहयोग द्वारा ही होगा। जितनी हममें एकता होगी उतना ही किला मजबूत होगा और किसी भी दुश्मन के वार से सब सेफ रहेंगे।
❉ हमें संगठन के लिए कभी समस्या स्वरुप नहीं बनना है, सदा समाधान स्वरुप बनकर रहना है, भिन्न भिन्न स्वभाव संस्कार होते भी एक बाप को आगे रख एकमत और एकनामी होकर चलना है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बापदादा की छत्रछाया के नीचे रहो तो माया की छाया पड़ नही सकती... क्यों और कैसे ?
❉ स्वयं को सदा बापदादा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करेंगे तो संगम युग की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियां सदा स्मृति में रहेंगी और आत्मा उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो उड़ती रहेगी जिससे माया समीप नही आएगी ।
❉ बाप दादा की छत्रछाया आत्मा को बालक सो मालिक की सीट पर सेट रखेगी तथा बालक और मालिकपन का बैलेंस आत्मा को मायाजीत बना देगा ।
❉ बापदादा की छत्रछाया के नीचे रहने का रूहानी नशा आत्मा को अधिकारी पन की सीट पर सेट रखेगा और अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह कर कर्म करने से आत्मा माया और प्रकृति की आकर्षण सदा मुक्त रहेगी ।
❉ स्वयं को बापदादा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करने की स्मृति मन बुद्धि को ईश्वरीय सेवा में व्यस्त रखेगी जिससे माया के रॉयल रूप को पहचानना और उससे बचना सरल हो जाएगा ।
❉ बाप की छत्रछाया आत्मा को परमात्म शक्तियों का अनुभव कराती है और इन प्राप्तियों की स्मृति आत्मा को सर्वशक्ति सम्पन्न बना देती है, जिसके सामने माया दुश्मन भाग जाती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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