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   23 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °मनन° कर ख़ुशी रुपी मक्खन निकाला ?

 

‖✓‖ °दैवी गुण° धारण करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ "°हमारा कुछ भी नहीं°... यह देह भी हमारी नहीं" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ पुरानी दुनिया से °बेहद का वैरागी° बनकर रहे ?

 

‖✗‖ °आँख किसी में डूबी° तो नहीं ?

 

‖✗‖ कोई ऐसी भूल तो नहीं की जिससे °रजिस्टर पर दाग° लगा हो ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °साकार बाबा को फॉलो° कर नंबर वन लेने का पुरुषार्थ किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  व्यक्तियों को तो कोर्स करा देते हो लेकिन प्रकृति को वाणी की शक्ति से नहीं बदल सकते। उसके लिए योगबल चाहिए। योग में जब बैठते हो तो शान्ति सागर के तले में चले जाओ। संकल्प भी शान्त हो जाएं, बस एक ही संकल्प हो 'आप और बाप' इसी को ही योग कहते हैं। ऐसा पावरफुल योग हो जो बाप के मिलन की अनुभूति के सिवाए और सब संकल्प समा जाएं, इससे योगबल जमा होगा और वह शक्ति अपने आप कार्य करेगी।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ बस एक ही संकल्प °'आप और बाप'° में स्थित हो पावरफुल योग का अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सम्पूर्ण फरिश्ता हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अशुद्ध और व्यर्थ से इनोसेन्ट रहदेह के सूक्ष्म अभिमान के सम्बन्ध से भी न्यारा रहने वाला मैं सम्पूर्ण फरिश्ता हूँ ।

 

 ❉   कदम कदम पर ब्रह्मा बाप को फॉलो कर मैं निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।

 

 ❉   हम सो फरिश्ता मन्त्र को पक्का कर मैं साकार और आकार के अंतर को समाप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   साइलेन्स के बल से मैं साइंस पर भी विजय प्राप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   सभी बोझ बाप को दे कर, फरिश्ता स्वरूप् में स्थित हो मैं हल्केपन की अनुभूति में सदा उड़ती रहती हूँ ।

 

 ❉   सभी बातों में इजी रह, मैं देह अभिमान की टाइटनेस को समाप्त कर, सदा उपराम स्थिति में स्थित रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे अब ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, इसलिए अब तुम्हारी आँख किसी में भी डूबनी नही चाहिए"

 

 ❉   ज्ञान का तीसरा नेत्र मिलना माना सत्य और असत्य को पहचानने की समझ मिलना ।

 

 ❉   अभी तक हम सभी इस अज्ञान रूपी अन्धकार में भटक रहे थे कि हम सब देह हैं ।

 

 ❉   खुद को देह समझने के कारण देह के सम्बन्धो से लगाव रख दुखी हो रहे थे ।

 

 ❉   किन्तु अब परमात्मा ने आकर ज्ञान का तीसरा नेत्र दे दिया अर्थात यह समझ दे दी कि हमारा वास्तविक स्वरूप ये देह नही आत्मा है, और हम परम पिता परमात्मा की संतान है ।

 

 ❉   इसलिए अब परमात्मा बाप कहते हैं कि हमारी आँख अब किसी में भी डूबनी नही चाहिए।अर्थात हमारी बुद्धि अब इन विनाशी देह के सम्बन्धो से निकल परमात्मा बाप के साथ जुड़ जानी चाहिए ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ इस पुरानी दुनिया से बेहद का वैरागी बन अपना सब कुछ अर्पण कर देना है ।

 

 ❉   यह देह भी हमारी नहीं है जिसे हम रोज़ सजाने सँवारने में लगे रहते है वो भी साथ छोड़ देती है । इसलिए विनाशी दुनिया से मोह नही रखना व इस पुरानी दुनिया में पुनर्जन्म लेना ही नहीं है ।

 

 ❉   इस विनाशी पुरानी छी छी दुनिया से ममत्व निकाल बस नयी दुनिया नये घर को याद करना है । जैसे पुराना मकान टूटता है तो यही लगता है कि अब नये घर में जाना है ।

 

 ❉   पुरानी दुनिया से नाता तोड़ बस बेहद के बाप को याद करना है क्योंकि इस पुरानी दुनिया का कुछ भी काम नहीं आना क्योंकि ये सब हद का है ।

 

 ❉   इस पुरानी दुनिया में रहते हुए सर्व सम्बंध निभाते हुए तन मन धन से सब कुछ बाप को अर्पण कर देना है क्योंकि ये शरीर जब तक है तब तक के सम्बंध है । आंतरिक सम्बंध जो एक बाप के साथ है वही अंत तक काम आना है ।

 

 ❉   बाबा सब आप का ही है व जो कुछ भी पाया है सब आपकी ही बदौलत है व हम भी आपके ही है इसलिए सब उसे अर्पण कर निश्चिंत रहना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ नंबरवन सम्पूर्ण फ़रिश्ता बनने के लिए हमें साकार बाप को फालो करना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   ब्रह्मा बाबा ने साकार में अपने जीवन में जिस रीती व युक्ति से पुरुषार्थ किया हमें भी फॉलो फादर करना है।

 

 ❉   आदि देव ब्रह्मा का जीवन उदाहरण है हम सभी के लिए की कैसे इस दुनिया में रहते भी हम नयी दुनिया की अपनी सीट बुक करवा सकते है।

 

 ❉   ब्रह्मा बाबा सबसे आगे है इसलिए जो भी बाते आती है सबसे पहले बाबा से होकर हमतक आती है, तो बाबा अनुभवी है और हमें उनके अनुभवों से सीखना है।

 

 ❉   कोई भी बात या परिस्थिति कैसे पार करना है यह हम बाबा के जीवन से सिख सकते है, हमें सिर्फ बाबा को कॉपी करना है वह तो आसन है ना।

 

 ❉   बाबा की शिक्षाए, प्यार, मदद, साथ, शक्तिया हम आज अव्यक्त में भी ऐसे फील कर सकते है जैसे बाबा साकार में हमारे साथ हो।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ मनन करने से जो ख़ुशी रूपी मक्खन निकलता है - वही जीवन को शक्तिशाली बनाता है... कैसे ?

 

 ❉   मनन करने से आत्मिक उन्नति होती जायेगी और आत्मा में बल भरता जाएगा, जिससे स्व स्तिथि शक्तिशाली बनती जायेगी ।

 

 ❉   जितना ज्ञान का मनन करेंगे अर्थात विचार सागर मन्थन करेंगे उतना ही धारणाओं में वृद्धि होती जायेगी और सहज ही शक्तिशाली स्तिथि बनती जायेगी ।

 

 ❉   ज्ञान के मनन में स्वयं को बिजी रखेंगे तो व्यर्थ संकल्पों के प्रभाव से बचे रहेंगे और समर्थ चिंतन द्वारा शक्तिशाली स्तिथि बना सकेंगे ।

 

 ❉   सुने हुए को मनन करने से मन बुद्धि की लाइन क्लियर रहेगी और योग की गहन अनुभूति होने से स्तिथि शक्तिशाली बनती जायेगी ।

 

 ❉   ज्ञान का मनन करने से ज्ञान की हर प्वाईंट शक्ति के रूप में जमा हो कर स्तिथि को शक्तिशाली बनाती जायेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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