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❍ 03 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °सोचना बोलना और करना° तीनो को एक समान बनाया ?
‖✓‖ °अच्छे संस्कारों° को धारण करने का पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ °मनुष्य से देवता° बनने की मेहनत की ?
‖✓‖ °आत्म अभिमानी° बनने की मेहनत की ?
‖✓‖ कर्म करते भी °एक माशूक की याद° में रहे ?
‖✓‖ °याद की यात्रा° में मस्त रह बुधी को पावन बनाया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ "°एक बाप दूसरा न कोई°" - यह स्मृति रही ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ हर बात में, वृत्ति में, दृष्टि में, कर्म में न्यारापन अनुभव हो, यह बोल रहा है लेकिन न्यारा-न्यारा, प्यारा-प्यारा लगता है। आत्मिक प्यारा। नम्बरवन ब्रह्मा की आत्मा के साथ आप सभी को भी फरिश्ता बन परमधाम में चलना है, तो मन की एकाग्रता पर अटेंशन दो, ऑर्डर से मन को चलाओ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ आपकी हर बात में, वृत्ति में, दृष्टि में, कर्म में °न्यारापन° अनुभव हुआ ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं अविनाशी, अमर आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ एक बाप दूसरा न कोई - इस दृढ संकल्प द्वारा मैं अमर भव का वरदान प्राप्त करने वाली अविनाशी, अमर आत्मा हूँ ।
❉ बाप के साथ का अनुभव मेरी स्थिति को सदा एकरस बनाये रखता है ।
❉ अपनी प्रीत को डोर परम पिता परमात्मा के साथ जोड़ने वाली मैं प्रीत बुद्धि आत्मा हूँ ।
❉ सर्व सम्बंधों की अविनाशी तार केवल एक बाप से जुडी होने के कारण मैं हर परिस्थिति में उपराम रहती हूँ ।
❉ बाप के स्नेह की लिफ्ट की गिफ्ट मेरे पुरुषार्थ को निरन्तर आगे बढ़ाती जाती है ।
❉ एक बाप के साथ सर्व सम्बंधों का अनुभव मुझे सर्व प्राप्ति सम्पन्न बना रहा है ।
❉ सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन मैं सर्व आत्माओं को इन प्रप्तियों का अनुभव करवा रही हूँ ।
❉ प्रीत की लग्न में मगन हो कर मैं आत्मा सदैव परमात्म मौज का अनुभव करती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - संगमयुग पर ही तुम्हे आत्म - अभिमानी बनने की मेहनत करनी पड़ती सतयुग अथवा कलियुग में यह मेहनत होती नही"
❉ अपने वास्तविक स्वरूप की विस्मृति और स्वयं को देह समझने की भूल ने हमे देवता से असुर बना दिया और अपरमअपार दुखो से पीड़ित कर दिया ।
❉ किन्तु संगम युग पर परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने आ कर हमे स्वयं अपना और हमारा वास्तविक परिचय दिया ।
❉ और बताया कि हमारा वास्तविक स्वरूप यह देह नही बल्कि इस देह में विराजमान ज्योति बिंदु आत्मा है ।
❉ इस लिए अब हमे अपने इस आत्मिक स्वरूप में रहने का अभ्यास पक्का करना है क्योकि जितना आत्मिक स्मृति में रह बाप को याद करेंगे, पावन बन, पावन दुनिया सतयुग के मालिक बन सकेंगे ।
❉ आत्म अभिमानी बनने की यह मेहनत हमे संगम युग पर ही करनी है क्योकि कलियुग और सतयुग में यह मेहनत होती ही नही ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बुद्धि को पवित्र बनाने के लिए याद की यात्रा में व्यस्त रहना है ।
❉ बुद्धि को पवित्र बनाने के लिए बुद्धि में से पुरानी व्यर्थ बातों को निकालना ज़रूरी है । व्यर्थ को निकालेंगे तभी समर्थ भरते जायेंगे व बाप की याद ठहरेगी ।
❉ एक बाप की लगन में इतने मगन रहना है कि "मेरा तो बस एक शिव बाबा दूसरा न कोई " । बाबा ही मेरा संसार है तो याद में मस्त रहने से दृष्टि वृत्ति पवित्र हो जायेगी ।
❉ बाबा रोज कहते है अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो । याद से आत्मा में बल भरता है व पवित्रता आती है । बुद्धि की लाइन क्लीन व क्लीयर हो जाती है व याद ठहरती है ।
❉ बुद्धि में पवित्रता आना माना मैं और मेरा बाबा ही याद हो जैसे परमधाम में पवित्रता होती है । उसके लिए याद का अभ्यास होना ज़रूरी है ।
❉ जैसे कोई आशिक होता है तो उसकी बुद्धि कार्य करते हुए भी अपनी माशूक की तरफ़ लगी रहती है फिर मेरा तो सच्चा सच्चा शिव माशूक़ है व मुझे तो उस की याद में ही मशगूल रहना है तो बुद्धि इधर उधर कहीं जाए ही नहीं बस याद में ही मस्त रहना है ।
❉ जितना आत्माभिमानी स्थिति होती है उतनी बाप की याद बनी रहती है व बुद्धि पवित्र बनती हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ एक बाप दूसरा न कोई- इस द्रढ संकल्प द्वारा अविनाशी, अमर बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ अमरनाथ बाप हम बच्चो को सच्ची सच्ची अमरकथा सुनकर अमरपुरी का मालिक बनाने आये है। देह सहित देह के सर्व संबंधो को भूल एक बाप को याद करना है।
❉ अविनाशी के हम अविनाशी बच्चे है, आत्मा अजर अमर अविनाशी है यह ज्ञान हमें स्वयं परमपिता परमात्मा ने इस समय आकर दिया है, बाप के सत्य ज्ञान से हमें सदा यह स्मृति रहनी चाहिए की शरीर मरता है आत्मा कभी मर नहीं सकती।
❉ यह हमारा मरजीवा जन्म है, हम बाप के बने है तो बाप का बनकर फिर बाप को फोरकती नहीं देना है। जब तक यह सासे है बाप का बनकर रहना है।पूरी हिम्मत रख माया पर जीत पानी है।
❉ एक बाप दूसरा न कोई- यह दृढ संकल्प होगा को बुद्धि माया के अकर्षणो में नहीं आयेगी। जहाँ बाप का साथ है वहाँ माया आ नहीं सकती। द्रढ़ संकल्प ही सफलता की चाबी है।
❉ अभी जितना एक बाप के साथ और पास होंगे उतना ही सारे कल्प में भी बाबा का साथ मिलेगा। यह संगम का अमूल्य समय है सारे कल्प में यही एक समय है जब स्वयं परमपिता परमात्मा से सर्व संबंधो का सुख हम अनुभव कर सकते है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सोचना - बोलना और करना तीनो को एक समान बनाओ - तब कहेंगे सर्वोत्तम पुरुषार्थी... कैसे ?
❉ सोचना - बोलना और करना जब तीनो एक समान होंगे तभी अपनी पॉवरफुल वृति द्वारा दूसरों की वृतियों को सहजता से बदल सर्वोत्तम पुरुषार्थी बन पाएंगे ।
❉ स्वयं के संस्कारों को परिवर्तित कर औरों के संस्कारों का परिवर्तन करने वाला ही सर्वोत्तम पुरुषार्थी है और वह वही बन सकता है जिसका सोचना - बोलना और करना एक समान होगा ।
❉ मन, वचन और कर्म तीनो रूपो से की गई सेवा एक साथ अनेक आत्माओं का कल्याण कर सकती है किन्तु इन तीनों रुपो से एक साथ सेवा वही कर सकता है जिसका सोचना - बोलना और करना एक समान होगा ।
❉ सोचना - बोलना और करना तीनो को एक समान बनाने वाली सर्वोत्तम पुरुषार्थी आत्मा द्वारा की गई सेवा का स्वरूप सहज और शक्तिशाली होता है । जो जल्दी ही सर्व आत्माओं को प्रभावित करता है ।
❉ सोचना - बोलना और करना तीनो को एक समान बनाने वाला ही निमित और निर्मान भाव द्वारा सर्वोत्तम पुरुषार्थी बन सकता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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