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   12 / 11 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ मन से सदा के लिए °इर्ष्या द्वेष को विदाई° दी ?

 

‖✓‖ °ड्रामा के राज़° को बुधी में रखा ?

 

‖✓‖ °निश्चयबुधी° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ याद की यात्रा में रहकर °सच्ची सच्ची दीपावली° मनाई ?

 

‖✓‖ °पढाई° में अच्छी रीति लगे रहे ?

 

‖✗‖ और बातों में °बुधी इधर उधर° तो नहीं गयी ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °शुद्ध संकल्पों की शक्ति° के स्टॉक द्वारा मनसा सेवा के सहज अनुभवी बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  बीजरूप स्थिति में रहने का अभ्यास तो करो लेकिन कभी लाइट-हाउस के रूप में, कभी माइट-हाऊस के रूप में, कभी वृक्ष के ऊपर बीज के रूप में, कभी सृष्टि-चक्र के ऊपर टॉप पर खड़े होकर सभी को शक्ति दो। कभी मस्तकमणि बन, कभी तख्तनशीन बन.... भिन्न-भिन्न स्वरूपों का अनुभव करो। वैराइटी करो तो रमणीकता आयेगी, बोर नहीं होंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °भिन्न-भिन्न स्वरूपों का अनुभव° कर पुरुषार्थ में रमणीकता का अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं अनुभवी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   शुद्ध संकल्पों की शक्ति के स्टॉक द्वारा मनसा सेवा करने वाली मैं मनसा सेवा की अनुभवी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अंतर्मुखी बन, साइलेन्स की शक्ति द्वारा मैं अपने अंदर शुद्ध संकल्पों का स्टॉक जमा करती जाती हूँ ।

 

 ❉   शुद्ध संकल्पों की शक्ति व्यर्थ चिंतन को शुभ भावना, शुभकामना के स्वरूप में बदल देती है ।

 

 ❉   मुरली की हर प्वाइंट की धारणा से शुद्ध संकल्पों का खजाना जमा कर, उसे शक्ति रूप में कार्य में लगा कर मैं सहज ही सफलता मूर्त बन जाती हूँ ।

 

 ❉   स्व स्तिथि में स्तिथ रह, सर्व प्रकार के विघ्नों पर जीत पाने वाली, मैं दृढ संकल्पधारी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   दृढ़ता की पेटी बाँध, उमंग उत्साह से भरपूर हो कर मैं आत्मा निरन्तर सफलता की सीढ़िया चढ़ती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा सदा अपने श्रेष्ठ स्वमान, श्रेष्ठ स्मृति और श्रेष्ठ जीवन के समर्थी स्वरुप द्वारा श्रेष्ठ पार्टधारी बन श्रेष्ठता का खेल करती हूँ ।

 

 ❉   मेरे संकल्पों की दृढ़ता वृति को पावरफुल बना रही है जिससे शुभ और श्रेष्ठ वायब्रेशन वायुमण्डल में फ़ैल कर पावरफुल वायुमण्डल का निर्माण कर रहें हैं ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - यह भूल - भुलैया का खेल है, तुम घड़ी - घड़ी बाप को भूल जाते हो, निश्चयबुद्धि बनो तो इस खेल में फसेंगे नही"

 

 ❉   जैसे भूल - भुलैया के खेल में कोई फंस जाता है तो उसमे ही भटकता रहता है ।

 

 ❉   इसी तरह यह सृष्टि भी भूल - भुलैया का खेल है जहां आ कर हम अपने असली घर को ही भूल गए हैं ।

 

 ❉   यह भी भूल गए हैं कि हम आत्मा परम पिता परमात्मा बाप की सन्तान है और इस सृष्टि पर शरीर धारण कर पार्ट बजाने आई हैं ।

 

 ❉   अब संगम युग पर परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने आ कर हमे यह स्मृति दिलाई है कि इस भूल - भुलैया से निकलने का एक मात्र उपाय है बाप की याद ।

 

 ❉   इस लिए बाप समझाते हैं कि निश्चय बुद्धि बनो तो इस खेल में फसेंगे नही ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ ड्रामा के राज को बुद्धि मे रख पढ़ाई के सिवाए और कोई भी बात में नही जाना है ।

 

  ❉   बेहद का बाप हमें बेहद का ज्ञान देकर ज्ञान रत्नों से हमारी झोली भरता है । सृष्टि के आदि मध्य और अंत का ज्ञान सिवाय बाप के कोई ओर दे न सके । तो इस ज्ञान को बुद्धि मेंं धारण करना है व पढ़ाई रोज पढ़नी है ।

 

  ❉   ड्रामा एक्यूरेट है व कल्याणकारी है । हूबहू रिपीट होता है । इसलिए क्यूं ,क्या , क्यों मे न जाकर ड्रामा के राज को समझते हुए इस ऊंच ते ऊंच पढ़ाई को पढ़ना है । सारा दिन ज्ञान का मनन चिंतन अंदर ही अंदर करते रहना है ।

 

  ❉   बाबा भी ड्रामा में बंधे हैं व पूरे कल्प बाद ही अपने बच्चों से मिलने आते हैं । अपने बच्चों को पतित बनते हुए देखकर इस दुनिया से निकाल  पावन बनाने के लिए आते हैं । तो बच्चों को भी मन लगाकर अपनी पढाई पर ध्यान देना है ।

 

  ❉   ड्रामा के राज को समझाकर बाप सुप्रीम टीचर बन पढ़ाने के लिए आते हैं व त्रिकालदर्शी बनाते हैं ।ये पढ़ाई ऊंच ते ऊंच है व रुहानी पढ़ाई है । झगमुई बातों मे अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है । बस पढ़ाई के  अनमोल रत्नों से अपने को खजानों से भरपूर करना है ।

 

  ❉   यही पढ़ाई ही सोर्स आफ इंकम है व जिसे पढ़ाकर बाबा हमें स्वयं अपने से ऊंची सीट पर बैठाकर 21 जन्मों के लिए राजाई पद देते हैं । तो ऊंच पद पाने के लिए पढ़ाई का व ज्ञान का मनन चिंतन चलता रहना चाहिए ।

 

  ❉   जैसे हद की पढ़ाई मे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पढ़ाई के सिवाय कहीं ध्यान नही जाता फिर हमें भी अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए व ड्रामा के राज को समझते हुए बेहद की पढ़ाई पर ही ध्यान देना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्थूल संकल्पों की शक्ति के स्टॉक द्वारा मनसा सेवा के सहज अनुभवी बनना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   कहते है "अंतर्मुखी सदा सुखी", जितना अंतर्मुखी होंगे उतना ही मन एकाग्र होगा, एकाग्रचित्त मन से जो भी संकल्प करते है वह सिद्ध होते है क्युकी उन संकल्पों में शक्ति समाई हुई होती है।

 

 ❉   मन को एकाग्र करने के लिए आवश्यक है की मन शुद्ध संकल्पों से भरपूर हो, स्वयं के व सारे विश्व के प्रति जब बेहद की दृष्टि वृत्ति होगी तब हमारी संकल्प शक्ति का स्टॉक जमा होगा।

 

 ❉   शुद्ध संकल्प की शक्ति से हमारे चारो ओर शुभ वाइब्रेशन का औरा बन जाता है। मन शांत और शीतल रहता है, जहाँ जब जैसे लगाना चाहो लगा सकते है इसलिए मनसा सेवा भी सहज हो जाती है।

 

 ❉   जब हमारे पास शुद्ध संकल्पों का स्टॉक भरपूर होगा तभी हम दुसरो की भी किसी भी स्थान पर बैठकर सेवा कर सकेंगे। अंतिम समय में यही मनसा सेवा सबसे ज्यादा करनी है इसलिए इसकी अभी से बहुत प्रेक्टिस होनी चाहिए।

 

 ❉   अंतिम समय में मनसा सेवा करने के लम्बे समय से मनसा सेवा का अनुभवी बनना पड़ेगा। एक सेकंड में हमारे बुद्धि का योग लगना चहिये, किसी को भी लाइन में खड़ा नहीं रख सकते इसलिए अभी से साइलेंस की शक्ति द्वारा व्यर्थ संकल्पों को ख़त्म कर शुद्ध संकल्प व शुभ कामना का स्टॉक जमा करना है।

 

 ❉   ब्राह्मणों के संकल्प बहुत शक्तिशाली होते है, जैसे हम संकल्प करते है वैसा ही होता है, इसको कहते है संकल्प सिद्धि का वरदान। जो ब्राह्मणों के शुद्ध संकल्प, कल्याणकारी संकल्प, शुभ भावना व कामना के संकल्प होते है वह जरुर फल देते है समयानुसार (कोई फल जल्दी निकल आता कोई थोड़े टाइम बाद)। पर सिद्धि अवश्य होते है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ मन से सदा के लिए ईर्ष्या - द्वेष को विदाई दो तब विजय होगी... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   मन से सदा के लिए जब ईर्ष्या - द्वेष को विदाई देंगे तो गुणों और शक्तियों के अनुभवी बन, हर समस्या का समाधान कर उस पर विजय प्राप्त कर सकेंगे ।

 

 ❉   ईर्ष्या - द्वेष की भावना से जब स्वयं को मुक्त रखेंगे तो त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट रह हर बात में कल्याण का अनुभव करेंगे और विजयी रत्न बन जायेंगे ।

 

 ❉   ईर्ष्या - द्वेष से मुक्त रहने वाले सदा स्वमान की सीट पर सेट रह सर्व बातों से न्यारे रहेंगे और परमात्म मदद के अधिकारी बन निरन्तर सफलता प्राप्त करते जायेंगे ।

 

 ❉   ईर्ष्या - द्वेष को छोड़ सादगी और सरलता से जीवन जीने वाले मनुष्य अपने रॉयल स्वभाव से हर समस्या का समाधान कर उस पर विजय प्राप्त कर लेते हैं ।

 

 ❉   स्वयं को ईर्ष्या - द्वेष से जो मुक्त रखते हैं वे सब बातों के प्रभाव से सदा मुक्त रहते हैं और परमात्म पालना का अनुभव करते हुए हर कार्य में विजयी बन जाते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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