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❍ 03 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °सोचना बोलना और करना° समान बनाया ?
‖✓‖ बहुत °सिंपल साधारण° बनकर रहे ?
‖✓‖ सदा °श्रीमत° पर चलते रहे ?
‖✓‖ सर्व प्रति °रहमदिल और कल्याणकारी° बनकर रहे ?
‖✗‖ किसी को °दुःख° तो नहीं दिया ?
‖✗‖ अपने हाथ में °लॉ° तो नहीं लिया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ स्व उन्नति द्वारा सेवा में उन्नति करने वाले °सच्चे सेवाधारी° बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अन्त:वाहक अर्थात् अन्तिम स्थिति, पावरफुल स्थिति ही आपका अन्तिम वाहन है। अपना यह रूप सामने इमर्ज कर फरिश्ते रूप में चक्कर लगाओ, सकाश दो, तब गीत गायेंगे कि शक्तियां आ गई..... फिर शक्तियों द्वारा सर्वशक्तिवान स्वत: ही सिद्ध हो जायेगा।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ अपनी अंतिम स्थिति इमर्ज कर °फरिश्ते रूप° में चक्कर लगा सकाश दिया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ स्व - उन्नति द्वारा सेवा में उन्नति करने वाली मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ अपने हर कर्म द्वारा सर्व आत्माओं को श्रेष्ठ कर्म की प्रेरणा दे कर उन्हें आगे बढ़ाती जाती हूँ ।
❉ मनसा - वाचा - कर्मणा सदा सेवा में तत्पर रह कर मैं अपने भाग्य को श्रेष्ठ बनाती जाती हूँ ।
❉ सेवा करते हुए भी मैं सदा न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित रहती हूँ ।
❉ मैं बेहद की स्थिति में स्थित रह बेहद विश्व के प्रति कल्याण की भावना रखने वाली, सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ मैं देह की स्मृति, ईश्वरीय सम्बन्धो और सेवा के साधनो के लगाव से मुक्त सम्पूर्ण बंधनमुक्त आत्मा हूँ ।
❉ बाप द्वारा विश्व सेवाधारी का वरदान प्राप्त कर मैं सदा सेवा में सफलतामूर्त बनती जाती हूँ ।
❉ दृढ संकल्प द्वारा संगठित रूप से पुराने संस्कार, स्वभाव को बाबा द्वारा रचे इस रुद्र ज्ञान यज्ञ में स्वाहा कर, स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन के कार्य में निमित बनने वाली मैं पदमापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाप आये हैं सबके दुःख हर कर सुख देने, इसलिए तुम दुःख हर्ता के बच्चे किसी को भी दुःख मत दो"
❉ आज पूरी दुनिया में सभी मनुष्य मात्र, माया रावण के श्राप से श्रापित हैं, इसलिए सभी दुखी हैं ।
❉ ईश्वर बाप को ना जानने के कारण सभी मनुष्य रावण राज्य में आसुरी मत पर चल एक दो को दुःख ही देते रहते हैं ।
❉ सबके दुःखो को हर कर उन्हें सुख देने के लिए ही अभी इस समय संगम युग पर परम पिता परमात्मा शिव बाबा आये हैं ।
❉ और आ कर हमे सभी दुःखो से छूटने और सुखों से भरपूर बनने की श्रेष्ठ मत दे रहे हैं ।
❉ और आज्ञा करते हैं कि तुम दुःखहर्ता - सुखकर्ता बाप के बच्चे हो, इसलिए अब किसी को भी दुःख मत दो ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ संगम पर बहुत सिम्पल साधारण रहना है क्योंकि यह वनवाह में रहने का समय है । यहाँ कोई आश नहीं रखनी है ।
❉ इस कल्याणकारी संगमयुग पर हम ब्रह्मामुखवंशावली बच्चे हैं व ब्रह्मा बाप कितने सिम्पल साधारण है ! तो हम बच्चों को भी सिम्पल रहना है ।
❉ कहा भी जाता है - "सादा जीवन ऊँच विचार" । जितना हम साधारणँ जीवन जीते हैं तो इच्छाएँ कम होती हैं व बाहरी आकर्षणों से दूर रहते हैं । मन शांत रहता है व विचार भी ऊँचे होते हैं ।
❉ संगम पर हमारी अब वानप्रस्थ अवस्था है व हमें वाणी से परे साइलेंस में रहना है व पुरानी दुनिया से मोह छोड़ बस एक की याद में रहना है ।
❉ जैसे कन्याएँ मायके में बहुत सिम्पल रहती हैं वैसे ही यह संगमयुग हमारा मायका है व हमें बहुत सिम्पल रहना है ।
❉ जब संगमयुग पर हमें स्वयं भगवान मिल गया जो पूरी सृष्टि का मालिक है वह मेरा पिता है ,साथी है ,ख़ुदा दोस्त है तो फिर और कुछ पाने की इच्छा ही नहीं रह जाती । "जो पाना था सो पा लिया" ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ स्व-उन्नति द्वारा सेवा में उन्नति करने वाले ही सच्चे सेवाधारी है... क्यों और कैसे ?
❉ "स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन होगा", जितना-जितना स्व उन्नति करेंगे उतना आत्मा में बल भरता जायेगा और अनेक आत्माये रूहानी आकर्षण से खिचती आयेंगी।
❉ सेवा में वृद्धि तब होगी जब हमने योग द्वारा शक्ति जमा की हो तथा ज्ञान तलवार में जोहर भरा हो, जितना स्व पुरुषार्थ करेंगे उतना जोहर भरता जायेगा और किसी को भी एक सेकंड में तीर लगा सकेंगे।
❉ आत्मिक स्वरुप में स्थित हो मनसा सेवा करने से अनेक आत्माओ की उन्नति होती है और जितना हम सेवा करते है उतनी दुगनी कमाई हमारी भी जमा होती है।
❉ बाबा ने हमें सिर्फ स्व कल्याणकारी नहीं बनाया है परन्तु विश्व कल्याण की जिम्मेवारी का ताज पहनाया है, हमें स्व उन्नति के साथ साथ विश्व की उन्नति अर्थ याद और सेवा का बैलेंस बनाकर चलना है।
❉ आज की दुनिया में सुनना कोई नहीं चाहता है सब प्रेक्टिकल स्वरुप देखना चाहते है, जब हम स्व उन्नति द्वारा दुनिया के सामने प्रेक्टिकल में इतना धरणा स्वरुप दिखाई देंगे तब वह हमारी बातो को सुनेंगे। पहले खुद को करना है फिर दुसरो को कहना है, वही सच्चे सेवाधारी है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ समीप आने के लिए सोचना - बोलना और करना समान बनाओ... कैसे ?
❉ अपने हर कर्म को दिव्यता और अलौकिकता से भरपूर कर ले तो हर कर्म में श्रेष्ठता दिखाई देगी जिससे सोचना - बोलना और करना बाप समान हो जायेगा और बाप के समीप आ जायेंगे ।
❉ सदा दैवी गुणों का श्रृंगार कर दर्शनीय मूर्त आत्मा बन कर रहें तो दैवी गुणों की धारणा मनसा, वाचा और कर्मणा बाप समान बना कर, बाप के समीप ले आयेगी ।
❉ कम्बाइंड स्वरूप में स्थित रह हर कर्म करें तो हमारा हर संकल्प, बोल और कर्म बाप समान बन जायेगा, जो बाप के समीप ले आएगा ।
❉ गुणग्राही नेचर, सीखने की भावना और एक बाबा की तरफ अटेंशन होगा तो मन, वचन और कर्म से बाप पर कुर्बान हो, बाप समान बन, बाप के समीप आ जायेंगे ।
❉ रीयल डायमंड बन कर अपने वायब्रेशन की चमक जब विश्व में फैलायेंगें तो सोच, बोल और व्यवहार में बाप समान स्पष्टता और समीपता स्वत: दिखाई देगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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