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    06 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सर्विस के साथ साथ °याद की यात्रा° में रहे ?

 

‖✓‖ °नेगेटिव को पॉजिटिव° में बदला ?

 

‖✓‖ "अविनाशी सर्जन °स्वयं भगवान् हमें मिला° है 21 जन्म निरोगी बनाने के लिए" - इसी नशे व ख़ुशी में रहे ?

 

‖✗‖ °झरमुई - झगमुई° की बातें तो नहीं सुनी ?

 

‖✗‖ ज्ञान की बातों के सिवाए °और कोई बात° तो मुख से नहीं निकाली ?

 

‖✗‖ किसी पर °क्रोध° तो नहीं किया  ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ माया के रॉयल रूप के °बन्धनों से मुक्त° रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  शान्ति की शक्ति का प्रयोग पहले स्व के प्रति, तन की व्याधि के ऊपर करके देखो। इस शक्ति द्वारा कर्मबन्धन का रूप, मीठे सम्बन्ध के रूप में बदल जायेगा। यह कर्मभोग, कर्म का कड़ा बन्धन साइलेन्स की शक्ति से पानी की लकीर मिसल अनुभव होगा। भोगने वाला नहीं, भोगना भोग रही हूँ-यह नहीं लेकिन साक्षी दृष्टा हो इस हिसाब-किताब का दृश्य भी देखते रहेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °शान्ति की शक्ति° का प्रयोग स्व के प्रति किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं विश्वजीत, जगतजीत आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अपने पुरुषार्थ के आधार पर सारे विश्व पर, जगत पर राज्य करने वाली मैं विश्वजीत, जगतजीत आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं सर्व शक्तियों से भरपूर हूँ ।स्वयं भगवान ने मुझे अपनी सर्वशक्तियाँ, सर्व खजाने विल कर दिए हैं ।

 

 ❉   अपनी निर्णय शक्ति द्वारा मैं सेकण्ड में माया के रॉयल रूप को पहचान, माया को भी झट से अपनी दासी बना लेती हूँ ।

 

 ❉   मेरे सर्व सम्बन्ध केवल बाबा के साथ हैं, इसलिए मैं अब सर्व दुनियावी सम्बन्धो के बंधन से मुक्त हो गई हूँ ।

 

 ❉   सर्वशक्तिमान बाप के साथ का अनुभव प्रकृति के पांचो तत्वों और पांचो विकारों को मेरा  सहयोगी बना देता है ।

 

 ❉   अपनी परिवर्तन शक्ति से मैं प्रकर्ति को भी परिवर्तन करने की हिम्मत रखती हूँ । प्रकृति के पांचो तत्व मेरे ऑर्डर प्रमाण कार्य करते हैं ।

 

 ❉   इस शरीर रूपी प्रकृति पर भी मेरा पूरा कण्ट्रोल है, इसलिए जब चाहे एक सेकण्ड में अशरीरी भव के डायरेक्शन को सहज और स्वत: कार्य में लगा सकती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारा टाइम बहुत वैल्युबुल है, इस लिए फ़ालतू बातों में अपना टाइम वेस्ट मत करो"

 

 ❉   शास्त्रो में भी संगम युग को पुरुषोत्तम युग मान कर,  इस समय को विशेष कमाई का समय माना गया है ।

 

 ❉   अब वही पुरुषोत्तम संगम युग चल रहा है जबकि स्वयं भगवान आ कर हमे हमारे ही हाथों से अपना श्रेष्ठ भाग्य लिखने की कलम दे रहे हैं ।

 

 ❉   इस समय को व्यर्थ गंवाना अपने ही हाथो से अपने ही भाग्य को लकीर लगाना है ।

 

 ❉   इस लिए संगम युग का यह समय बहुत ही वैल्युबुल हैं, इसका एक - एक सेकण्ड एक वर्ष के समान है ।

 

 ❉   इसलिए बाप समझाते हैं कि फ़ालतू बातों में अपना टाइम वेस्ट मत करो । संगम युग के एक - एक सेकण्ड को बाप की याद से सफल बनाओ ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ सर्विस के साथ-साथ याद की यात्रा में रह स्वयं को निरोगी बनाना है।

 

 ❉  लौकिक सर्विस के साथ साथ हेल्थ पर ध्यान देते बाप की याद में रहते विकर्म विनाश करने है।

 

 ❉   याद और सेवा में बैलेंस रखना है व याद में रहते ही सर्विस करनी है। जितना याद में व योगयुक्त रहेंगे  उतनी ही निरोगी काया प्राप्त करेंगे।

 

 ❉   सर्विस के साथ साथ बाप की याद में रहने से मेहनत करने से थकान नही लगती, हल्के बन रहते है ,बाप की एक्स्ट्रा मदद मिलेगी।

 

 ❉   सर्विस के साथ बाप की याद में रहने से काँटे से फूल बनते हैं। बाप अविनाशी सर्जन है व आधा कल्प के लिए निरोगी बनाते हैं। याद से ही निरोगी बनते हैं व 21 जन्मों के लिए कोई रोग भी नहीं होता।

 

 ❉   सर्विसएबुल बच्चे बाप के दिल पर राज करते है व याद में रहते है तो देहभान से परे रहते है। बाप और वर्से की याद रहती है तो हर्षितमुख रहते है व सबके साथ मीँठे रहते है व विकारों से दूर रहते है। निरोगी रहते हैं।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ माया के रॉयल रूप के बन्धनों से मुक्त, विश्वजीत जगतजीत कहलाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   देहभान के है बंधन, और आत्मा के है सम्बन्ध।माया के रॉयल बन्धनों को पहचानने से हम उनसे अपना बचाव कर सकते है।

 

 ❉   जब तक मन बुद्धि दुनिया के बन्धनों में फासी रहेगी हम बाबा को याद नहीं कर पाएंगे और बिना याद करे विकर्म विनाश नहीं होंगे तो विश्वजीत जगतजीत बन नहीं सकते।

 

 ❉   जब हमारे मोटे व सूक्ष्म सभी बंधन समाप्त होंगे तभी हम एक परमात्मा की याद में मग्न हो कर्मतित अवस्था को प्राप्त कर सकते है।

 

 ❉   हम बच्चो के सामने अब माया बहुत रॉयल रूप से आती है, हमें परखने की शक्ति द्वारा उसे पहचान सही निर्णय लेना है और अपने को उससे सेफ रखना है।

 

 ❉   मायाजीत बच्चो का ही एक बाप से सच्चा प्यार रहता है, बाप के सपूत बच्चे बन वह बाप से पूरा-पूरा वर्सा लेते है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ विश्वपरिवर्तक वही है जो किसी के निगेटिव को पॉजिटिव में बदल दे... कैसे ?

 

 ❉   साइलेन्स की शक्ति द्वारा  परखने की शक्ति और निर्णय करने की शक्ति को बढ़ा कर  निगेटिव को पॉजिटिव में आसानी से बदला जा सकता है ।

 

 ❉   संकल्प शक्ति अर्थात हमारे संकल्पो की दृढ़ता किसी भी प्रकार को निगेटिविटी को पॉजिटिविटी में सहज ही बदल सकती है ।

 

 ❉  मनसा सेवा सबसे सहज साधन है जिससे दूर रहते हुए भी संस्कार परिवर्तन द्वारा किसी के भी निगेटिव को पॉज़िटिव में बदला जा सकता है ।

 

 ❉   शुभ चिंतन और श्रेष्ठ चिंतन द्वारा शुभ वायब्रेशन्स फैला कर किसी के भी निगेटिव को पॉजिटिव में सहज ही बदल सकते हैं ।

 

 ❉   अपनी शक्तिशाली वृति से वायुमण्डल को प्रभावशाली बना कर निगेटिव एनर्जी को समाप्त कर उसे पॉजिटिव बनाया जा सकता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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