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    01 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं बाप समान वरदानी महादानी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢  ब्रह्म मुहूर्त के समय वरदान लेना और देना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ टीचर

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ °मधुबन की स्मृति° से स्वयं को समर्थ अनुभव किया ?

‖✓‖ बाबा की याद में °लवलीन° रहे ?

‖✓‖ अपनी वाणी और कर्म द्वारा °बाप को प्रतक्ष्य° किया ?

‖✓‖ बाप समान °विश्व सेवाधारी, डबल सेवाधारी° बनकर रहे ?

‖✓‖ °स्नेह और प्राप्ति का संपन्न स्वरुप° बनकर रहे ?

‖✓‖ °अथॉरिटी और नम्रता° दोनों का बैलेंस रहा ?

‖✓‖ °रहम की वृति° से अगरबत्ती समान वायुमंडल को परिवर्तित किया ?

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अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-

➳ _ ➳  लेकिन यह मिलन और वह मिलन कितना अन्तर है! ड्रामा का पार्ट समझ हर एक इस पार्ट से अपना शक्ति, प्यार और उमंग ले लेते हैं। बापदादा भी बच्चों से मिलकर कितना खुश होगा, वह तो बच्चे भी जानते बाप भी जानते। तो यह चांस भी ड्रामा ने अच्छा बनाया है, बापदादा एक-एक बच्चे को देख कितना खुश होते हैं और कितनी मुबारकें दिल में देते हैं। 

 

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ ड्रामा का पार्ट समझते हुए बाबा से अपना शक्ति, प्यार और उमंग लिया ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मधुबन की महिमा"

 

 ❉   सभी तीर्थो में सर्वोत्तम तीर्थ स्थान वा महान भूमि है मधुबन भूमि, जहाँ स्वयं भाग्य विधाता भगवान विशेष भाग्यशाली आत्माओं से मिलन मनाने आते हैं।

 ❉   भक्ति में कृष्ण और गोपियों की रास लीला का जो गायन है वो वास्तव में इस समय का मधुबन भूमि का ही गायन है जहाँ सच्चे अर्थो में आत्माओं और परमात्मा की रास लीला होती है।

 ❉   भक्त लोग अभी तक भी इस दिव्य भूमि के दर्शनों के लिए तड़पते रहते हैं।

 ❉   इस समर्थ भूमि पर आते ही आत्माओं को अनेक प्राप्तियों का खजाना सहज ही प्राप्त हो जाता है।

 ❉   इस वरदानी मूर्त भूमि पर आ कर आत्माएं वरदानों से अपनी झोलियाँ भर कर जैसा चाहे वैसा श्रेष्ठ अपना भाग्य सहज ही बना सकती हैं।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ "मधुबन की स्मृति से समर्थ स्थिति का अनुभव करना"

 

 ❉   जिस मधुबन की भूमि पर आने से अनेक आत्माओं का व्यर्थ समाप्त हो जाता है सब समर्थ बन जाते है। ऐसे मधुबन की स्मृति से समर्थ स्थिति का अनुभव करते हैं।

 ❉   मधुबन की स्मृति से स्वर्ग जैसा अनुभव होता है और सब फरिश्ते की तरह उड़ते नज़र आते हैं।

 ❉   मधुबन की स्मृति से सबसे पहले बाबा के कमरे में पहुँच जाते है व बाप समान बनने के संकल्प व फिर बाबा की झोपड़ी में बाबा से रूहरिहान कर समर्थ स्थिति का अनुभव होता है।

 ❉   मधुबन की स्मृति से  शांति स्तम्भ में पहुँच जाते हैं व शक्तिशाली स्थिति हो जाती है और हिस्ट्री हाल में जाते ही व्यर्थ संकल्पों से मुक्त हो जाते हैं।

 ❉   दुनिया वाले तो चार धाम की यात्रा के लिए कितने धक्के खाते हैं व पैसा भी लगाते है। हम बाबा के बच्चे घर बैठे ही मधुबन की स्मृति से चारों धाम की यात्रा कर लेते हैं व अपनी समर्थ स्थिति का अनुभव करते हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ ब्रह्म महूर्त के समय वरदान लेने व दान देने पर ही बाप समान वरदानी, महादानी स्थिति का अनुभव कर सकते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   विश्व की आत्माओ को सुख शांति का दान देना ही महादान है।

 ❉   ब्रह्म मुहर्त वरदानी बेला है इस समय बाप से जो वरदान प्राप्त करना चाहो कर सकते ही।

 ❉   हम आत्माये है ही विश्व सेवाधारी बाप से सर्व शक्तिया ले विश्व की आत्माओ को देना यही हमारा कर्त्तव्य है।

 ❉   दाता के हम बच्चो को सदेव कुछ न कुछ देते ही रहना चाहिए कोई भी हमारे द्वार से खाली हाथ ना जाये।

 ❉   बाप से अमृत्वेला वरदान प्राप्त करना और उन्हें सेवा अर्थ लगाने से ही वरदान फलीभूत होगा।

 ❉   हम ज्ञान गंगाए है, सागर पिता से स्वयं को भरपूर कर जन जन की जन्मो की प्यास बुझानी है।

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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ क्रोधी का काम है क्रोध करना और आपका काम है स्नेह देना...क्यों और कैसे ?

 

 ❉   दाता के बच्चे मास्टर दाता बन सब को स्नेह देंगे तो दूसरों के क्रोध के संस्कार भी धीरे-2 परिवर्तित होने लगेंगे।

 ❉   सतयुग में सुख, शान्ति और प्रेम से राज्य करना है वह संस्कार तभी हमारे अंदर भरेंगे जब उसे अभी प्रैक्टिकल स्वरूप में लाएंगे।इसलिए क्रोधी के प्रति भी स्नेह रखना है।

 ❉   हम ऊँचे ते ऊँचे भगवान के बच्चे हैं इसलिए हमे उनके गुणों को धारण करना है।जैसे बाप स्नेह का सागर हैं हमे भी मास्टर स्नेह का सागर बन सबको स्नेह देना है।

 ❉   सबके साथ स्नेह, सच्चाई और प्रेम से रहेंगे अपकारी पर भी उपकार करेंगे ,क्रोधी को भी स्नेह देंगे तो ईश्वरीय मदद स्वत: ही प्राप्त होगी।

 ❉   जो पालना भगवान ने हमे दी है हमे उसका सबूत देना है इसलिए सबको स्नेह और सुख प्रदान करना है भले ही कोई हमे दुःख दे।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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