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❍ 12 / 12 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ "सदा वाह बाबा, वाह तकदीर और वाह मीठा परिवार" - यही °गीत° गाते रहे ?
‖✓‖ जितना समय मिले °रूहानी ड्रिल° का अभ्यास कर योगबल जमा किया ?
‖✓‖ अपनी °लाइन क्लीयर° रखी ?
‖✓‖ अपने °श्वास° व्यर्थ न गँवा ज्ञान से सफल किये ?
‖✓‖ °संगदोष° से अपनी बहुत बहुत संभाल की ?
‖✗‖ कोई °नए बंधन° तो नहीं बनाए ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ "°रूहानी यात्री हूँ°" - इस स्मृति से सदा उपराम, न्यारे और निर्मोही बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ कर्मातीत बनने के लिए चेक करो कहाँ तक कर्मों के बन्धन से न्यारे बने हैं? लौकिक और अलौकिक, कर्म और सम्बन्ध दोनों में स्वार्थ भाव से मुक्त कहॉ तक बने हैं?
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ चेक किया की कहाँ तक °कर्मों के बन्धन से न्यारे° बने हैं ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा उपराम, न्यारी और निर्मोही आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं रूहानी यात्री हूँ - इस स्मृति से सदा उपराम, न्यारी और निर्मोही रहने वाली मैं बेहद की वैरागी आत्मा हूँ ।
❉ सदा याद की यात्रा में निरन्तर आगे बढ़ती हुई मैं अपरमअपार सुख का अनुभव करती हूँ ।
❉ मन वा तन की भटकन से मुक्त हो कर मन व बुद्धि को स्थिर कर मैं केवल एक बाप की याद में समाई रहती हूँ ।
❉ इस देह की दुनिया और देह के सभी पदार्थो से मोह हटा कर नष्टोमोहा बन मैं बाप के दिलतख्त पर विराजमान रहती हूँ ।
❉ रूहानी यात्रा पर चलते हुए बाप दादा से उपराम, न्यारे और निर्मोही बनने का वरदान प्राप्त कर मैं निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।
❉ सर्व संबंधो का सुख एक बाप से अनुभव कर मैं सर्व सुखों की अधिकारी बनती जा रही हूँ ।
❉ अपने सच्चे साथी के संग में मैं सहज ही सर्व से न्यारी और बाप की प्यारी बनती जा रही हूँ ।
❉ परमात्म प्यार और स्नेह का बल मुझे कर्मो के आकर्षण और बन्धनों से परे ले जाता है और हर परिस्थिति में अचल अडोल बना देता है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम अभी रूहानी बाप द्वारा रूहानी ड्रिल सीख रहे हो, इसी ड्रिल से तुम मुक्तिधाम, शांतिधाम में चले जायेंगे"
❉ मनुष्य मुक्ति पाने के लिए गुरुओं, साधू - सन्यासियों के पास जाते है । समझते हैं गुरु उन्हें आवागमन से छुड़ाए मुक्ति दिलाएंगे ।
❉ किन्तु वे हैं हद के देह धारी गुरु जो स्वयं ही नही जानते कि मुक्ति, जीवन मुक्ति मिल कैसे सकती है ।
❉ जब तक परम पिता परमात्मा बाप स्वयं आ कर हम आत्माओं को मुक्ति, जीवन मुक्ति का रास्ता ना बताये तब तक मुक्ति, जीवन मुक्ति कोई पा ना सके ।
❉ ड्रामा प्लैन अनुसार संगम युग पर ही परम पिता परमात्मा बाप आते हैं और आ कर हमे मुक्ति, जीवन मुक्ति का रास्ता बताते हैं ।
❉ अभी वही संगम युग चल रहा है जबकि रूहानी बाप आये हुए है और हम रूहों को रूहानी ड्रिल सिखा रहे हैं । इस रूहानी ड्रिल से हम आत्माएं मुक्तिधाम, शांतिधाम में चली जाएँगी ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ माया से बचने के लिए संगदोष से अपनी बहुत-बहुत सम्भाल करनी है । अपनी लाइन क्लीयर रखनी है ।
❉ कहा भी गया है जैसा संग वैसा रंग यानि संगति का बहुत असर पड़ता है इसलिए हमेशा ज्ञानी व योगी का संग ही करना है । उनका संग करने से हमेशा ज्ञान का ही मनन चिंतन होगा व बुद्धि व्यर्थ से बची रहेगी ।
❉ इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर हमें सत का संग मिला है व सच्चा-सच्चा साथी मिला है जो सर्व सम्बंध निभाने का ऑफर करते हैं तो सर्व प्राप्तियों को व समय को याद करते संगदोष से सम्भाल करनी है ।
❉ माया तो बडी रुस्तम है इससे खबरदार रहना है । जैसे ही माया मौसी खाली देखती है तभी वार करती है । इसलिए बस अपने को आत्मा समझ परमपिता परमात्मा की याद में बिजी रहना है ।
❉ अभी तक अज्ञानता के अंधेरे मे थे व देहधारियों से ही सर्व सम्बंध निभाते देह-अभिमान में रहते तमोप्रधान बनते गये । अब हमें ज्ञान के तीसरे नेत्र से नई दुनिया को देखते हुए पाप आत्माओं से कोई लेन देन नहीं करना व अपनी सम्भाल करनी है ।
❉ बाबा हमें अनमोल अखूट ज्ञान रत्न देकर हमें वरदानों से भरपूर करते है तो उनको बुद्धि रुपी झोली में धारण कर मंथन करते रहना है व याद से आत्मा पर लगी जंग को उतार लाइन क्लीयर रखनी है ।
❉ ये अनमोल पल जब भगवान ने स्वयं हमे अपना बनाया व कहते है कि मनमनाभव तो इस मंत्र को याद करते हुए अपने हर श्वांस को बाबा की याद में रहते हुए सफल करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ रूहानी यात्री हु - इस स्मृति से सदा उपमराम, न्यारे और निर्मोही स्थिति रहती है... क्यों और कैसे ?
❉ रूहानी यात्री होने से इस देह और देह की दुनिया का भान नहीं रहता, आत्मिक स्थिति सहज बन जाती है।
❉ स्वयं को आत्मा समझने से परमात्मा की याद सहज आती है। जिसके मन में परमात्मा है वह देह धारियों से मोह नहीं होगा वह इस दुनिया से उपराम न्यारा रहेगा।
❉ रूहानी यात्री समझने से हमारा लक्ष्य और लक्षण क्लियर रहेगा जिससे मन बुद्धि देह की दुनिया के आकर्षणो में फसेगी नहीं।
❉ आत्मा हु तो आत्मा के सभी भाई-भाई किसी से कोई मोह नहीं, सबके प्यारे क्युकी सब एक परमात्मा की संतान है, और उपराम क्युकी सबको एक दिन अपने घर जाना ही है।
❉ रूहानी यात्री हु, तो जो भी यहाँ हो रहा है उसे साक्षी होकर देखेंगे की यह सब यात्रा के साइड के सीन सिनरिया है जिससे हलचल में नहीं आएंगे एकरस अवस्था बनी रहेगी।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सदा वाह बाबा, वाह तकदीर और वाह मीठा परिवार - यह गीत गाते रहो... क्यों ?
❉ सदा वाह बाबा, वाह तकदीर और वाह मीठा परिवार - यह गीत गाते रहेंगे तो सर्व प्राप्तियों के नशे में रह, स्वयं भी उमंग - उत्साह में उड़ते रहेंगे तथा औरों को भी उमंग उत्साह दिलाते रहेंगे ।
❉ बाबा की, मीठे परिवार की तथा अपनी श्रेष्ठ तक़दीर की स्मृति हमारी सर्व कमजोरियों को समाप्त कर, हमारे हर कर्म को दिव्य और आलौकिक बना देगी और बाप की प्रत्यक्षता का आधार बन जायेगी ।
❉ सदा बाबा के, अपने श्रेष्ठ भाग्य के तथा ईश्वरीय परिवार के गीत गाते रहेंगे तो अपनी स्व स्थिति से हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर, सदा निर्विघ्न रह औरों के विघ्नों को समाप्त कर सकेंगे ।
❉ अपनी श्रेष्ठ तकदीर की स्मृति में रह बाप के तथा आलौकिक ईश्वरीय परिवार का गुणगान करते रहेंगे तो सिद्धि स्वरूप बन जायेंगे और सिद्धि स्वरूप आत्मा के हर संकल्प में सफलता समाई होती है जो सब प्रकार की कमजोरियों को समाप्त कर देती है ।
❉ स्वयं को कर्म बंधन से मुक्त करने के लिए जरूरी है कि हर कर्म करते कर्म के प्रभाव से आत्मा मुक्त रहे और यह तभी हो सकता है जब अपनी श्रेष्ठ तकदीर की स्मृति में रह, हर कर्म बाप की याद में करेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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