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❍ 19 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अपने विकारी स्वभाव संस्कार व कर्म का °समर्पण° किया ?
‖✓‖ बाबा ने जो °अच्छी अच्छी पॉइंट्स° सुनाई, उन्हें नोट किया ?
‖✓‖ बाबा की बतायी हुई पॉइंट्स को °दूसरों को सुनाया° ?
‖✓‖ "हम इस पाठशाला में आये हैं °स्वर्ग के लिए पासपोर्ट° लेने" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ "जिसे सारी दुनिया पुकार रही है... वही °उंच ते उंच बाप° हम बच्चो की सेवा में उपस्थित हुआ है" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ °निश्चयबुधी° बनकर रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °रूहानी ड्रिल° के अभ्यास द्वारा फाइनल पेपर में पास होने का अभ्यास किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ डबल लाइट अर्थात् संस्कार स्वभाव का भी बोझ नहीं, व्यर्थ संकल्प का भी बोझ नहीं-इसको कहा जाता है हल्का। जितने हल्के होंगे उतना सहज उड़ती कला का अनुभव करेंगे। अगर योग में जरा भी मेहनत करनी पड़ती है तो जरूर कोई बोझ है। तो बाबा-बाबा का आधार ले उड़ते रहो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ संस्कार स्वभाव का और व्यर्थ संकलपों का भी °बोझ न रख° डबल लाइट स्थिति का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ रूहानी ड्रिल के अभ्यास द्वारा फाइनल पेपर में पास होने वाली मैं सदा शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
❉ हर रोज रूहानी एक्सरसाइज द्वारा मैं आत्मा बलशाली बनती जाती हूँ ।
❉ किसी भी प्रकार के हलचल के वातावरण में रहते हुए भी साइलेन्स की शक्ति द्वारा मैं सर्व प्रकार की हलचल से मुक्त होती जाती हूँ ।
❉ अपनी पावरफुल संकल्प शक्ति द्वारा मैं जिस स्थिति में जितना समय चाहे स्थित हो सकती हूँ ।
❉ श्रेष्ठ संकल्पों के सहयोग द्वारा सर्व आत्माओं में शक्ति भर कर मैं सर्व आत्माओं को शक्ति सम्पन्न बना रही हूँ ।
❉ सर्व शक्तियों के सागर शिव पिता परमात्मा की संतान, मैं आत्मा सदा शक्ति स्वरूप हूँ ।
❉ अपने शक्ति स्वरुप में स्थित हो कर मैं निर्बल आत्माओं में बल भर रही हूँ ।
❉ रोज अमृतवेले अपने विश्ववरदानी स्वरूप से विश्वकल्याणकारी बाप के साथ कम्बाइंड रूप बन मैं मनसा संकल्प वा वृति द्वारा शुद्ध वायब्रेशन की खुशबू पूरे विश्व में फैलाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम इस पाठशाला में आये हो स्वर्ग के लिए पासपोर्ट लेने, आत्म - अभिमानी बनो और अपना नाम रजिस्टर में नोट करा दो तो स्वर्ग में आ जायेंगे"
❉ लौकिक में जैसे स्कूल मे स्टूडेंट एडमिशन के लिए पहले अपना नाम रजिस्टर करवाते हैं ।
❉ और फिर अपने लक्ष्य को सामने रख, उंच पद पाने के लिए पढ़ाई में लग जाते हैं ।
❉ इसी प्रकार यह भी बेहद की रूहानी पाठशाला है जिसमे एक ही एम ऑब्जेक्ट है - स्वर्ग की बादशाही प्राप्त करना ।
❉ इस पाठशाला में स्टूडेंट आते ही हैं स्वर्ग के लिए पासपोर्ट लेने ।
❉ किन्तु स्वर्ग में जाने के लिए पासपोर्ट तभी मिलेगा जब इस रूहानी पाठशाला के रजिस्टर में अपना नाम नोट कराएंगे और आत्म - अभिमानी बनेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सरेन्डर के साथ-साथ निश्चयबुद्धि बनना है । कोई भी छी-छी काम न हो । अंदर कोई अवगुण न रहे तब अच्छा पद मिल सकता है ।
❉ जब अपने को सरेंडर कर दिया तो अपने सर्व सम्बंध सर्वशक्तिमान बाप के साथ रखने हैं व मेरा सच्चा साथी है तो हर कार्य सहज होते जायेंगे । ये संशय नहीं लाना ये कैसे होगा या मैं कैसे करूँगी ।
❉ जब पुरानी दुनिया के पुराने सम्बंधों से मोह तोड़ एक से ही नाता जोड़ लिया तो फिर देहभान में आकर किसी बात में संशय नहीं करना है निमित्त भाव से करते हुए निश्चयबुद्धि बनना है ।
❉ ब्राह्मण जीवन का आधार ही निश्चयबुद्धि हैं । कहा भी गया है निश्चयबुद्धि विजयन्ति , संशयबुद्धि विनाशयन्ति ।
❉ कई बच्चें विकारों पर जीत नहीं पाते व कोई न कोई गल्त काम करते है तो उन्हें निश्चय नहीं होता कि हम इतना ऊंच पद पा सकते है व इसलिए पुरूषार्थ भी नहीं करते ।
❉ जब बाप टीचर बनकर हमें पढ़ाकर 21 जन्मों के लिए राजाई पद देते हैं तो हमें इतने ऊंच पद के पाने के लिए अपनी चेकिंग करनी है कि कोई अवगुण न रहे तभी ऊंच पद प्राप्त कर सकेंगे ।
❉ अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना हैं । याद में रहने से ही देही अभिमानी स्थिति रहती है व दृष्टि भी शुद्ध व पवित्र रहती है तो छी छी काम भी नहीं होता ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सदा शक्तिशाली ही रूहानी ड्रिल के अभ्यास द्वारा फाइनल पेपर में पास होते है... क्यों और कैसे ?
❉ जितनी रूहानी ड्रिल करेंगे उतना ही आत्म अभिमानी स्थिति पक्की होती जाएगी जिससे अंत समय में आत्मा यह शरीर को सहज छोड़ देगी।
❉ बाबा ने हमें अनेक अलंकार दिए है जो भक्ति में हमारी भुजाओ के रूप में बनाते है, सदा उन अलंकारो से सजे हुए रहने से सदा शक्तिशाली रहते है, और माया के वार से सेफ रहते है।
❉ फाइनल पेपर में पास तभी जो सकेंगे जब यहाँ लम्बे समय से सफलता स्वरुप बने हो। अगर लम्बे समय का अभ्यास नहीं होगा तो अंत में धोखा हो सकता है।
❉ बाबा ने बहुत अच्छी अच्छी ड्रिल्स बताई है दिन में समय प्रति समय उनका अभ्यास करते रहना चाहिए यह जैसे की आत्मा के लिए भोजन का कार्य करेंगी, आत्मा की शक्तियाँ इमर्ज होती जाएँगी।
❉ बाबा ने बताया है फाइनल पेपर सेकंड का होना है, उस एक सेकंड में हमारी जीत या हार का फैसला हो जायेगा। तो हमें अभी से वह अवस्था बनानी है जो अंत समय एक सेकंड में आत्म अभिमानी को इस दुनिया से उड़ जाये तब पास विथ ऑनर हों सकते है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपने विकारी स्वभाव - संस्कार व कर्म को समर्पण कर देना ही समर्पित होना है... कैसे ?
❉ सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रहेंगे तो सर्व आकर्षणों से मुक्त हो जायेंगे जिससे विकारी स्वभाव - संस्कार व कर्म को समर्पण करना सहज हो जायेगा ।
❉ जितना योग का बल जमा करते जाएंगे उतने समर्थ बनते जायेंगे और पुराने स्वभाव - संस्कार व कर्म पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेंगे ।
❉ हद का मैं और मेरा पन ही स्वभाव - संस्कार व कर्म को विकारी बनाता है इसलिए मैं और मेरेपन को समाप्त कर इन पुराने आसुरी संस्कारों को बदला जा सकता है ।
❉ हर कर्म अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह कर करेंगे तो पुरान विकारी स्वभाव - संस्कारों पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेंगे ।
❉ अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति का सहज उपाय है ब्राह्मण जीवन की नियम और मर्यादाओं का पालन, जितना नियम और मर्यादाओं में रहेंगे पुराने विकारी स्वभाव - संस्कार स्वत: समाप्त होते जाएंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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