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   22 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30) °

 

‖✓‖ "बाप हमें नए °विश्व की राजाई° देते हैं" - इस ख़ुशी में खग्गियाँ मारी ?

 

‖✓‖ पुरानी दुनिया से °मरने का अभ्यास° किया ?

 

‖✓‖ °स्वीट साइलेंस होम° की स्मृति बनी रही ?

 

‖✓‖ "हम आत्मा रुपी °एक्टर° पार्ट धारी हैं" - यह बुधी में रहा ?

 

‖✓‖ "जो कुछ होता है... सब °ड्रामा में नूंध° है" - यह स्मृति में रहा ?

 

‖✓‖ अपने °संकल्पों को प्रभु अर्पण° किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ सदा °शुभ चिन्तक और स्व चिन्तक° बन प्रतक्ष्यता के समय को समीप लाया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  योगबल जमा करने के लिए मन्सा बहुत शुद्ध और श्रेष्ठ चाहिए। मन्सा शक्ति ही सेफ्टी का साधन है। मन्सा शक्ति द्वारा ही स्वयं की अन्त सुहानी बनाने के निम्मित बन सकेंगे। नहीं तो साकार सहयोग समय पर सरकमस्टांस प्रमाण प्राप्त नहीं हो सकता। उस समय मन्सा शक्ति अर्थात् श्रेष्ठ संकल्प शक्ति, एक के साथ लाइन क्लीयर हो तब परमात्म शक्तियों का अनुभव कर सकेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ एक के साथ °लाइन क्लीयर° रख परमात्म शक्तियों का अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सदा शुभ चिंतक और स्व चिंतक आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   स्व के प्रति श्रेष्ठ चिंतन और सर्व के प्रति शुभ भावना - शुभ कामना रखने वाली मैं सदा शुभ चिंतक और स्व चिंतक आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपनी शुभ चिंतन वृति द्वारा मैं सर्व आत्माओं की ग्रहण शक्ति को बढ़ाती हूँ ।

 

 ❉   सर्व प्रकार के आकर्षणों से मुक्त मैं प्रत्यक्षता के समय को समीप लाने वाली हूँ ।

 

 ❉   अशुद्ध और व्यर्थ चिंतन के प्रभाव से मुक्त मैं देह के सूक्ष्म लगाव से भी न्यारी हूँ ।

 

 ❉   निश्चय बुद्धि बन अपने हर कर्म में परमात्म मौज का अनुभव करते हुए मैं मायाप्रूफ बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने शुभ और श्रेष्ठ संकल्पों तथा पॉवरफुल मनसा द्वारा मैं चढ़ती कला में रह, अन्य आत्माओं को भी चढ़ती कला का अनुभव कराती हूँ ।

 

 ❉   मैं बाप से मिले सर्व खजानो को स्व के प्रति और सर्व आत्माओं के प्रति यूज़ करने वाली महादानी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - इस बेहद के खेल में तुम आत्मा रूपी एक्टर पार्टधारी हो, तुम्हारा निवास स्थान है - स्वीट साइलेन्स होम,जहां अब जाना है"

 

 ❉   यह सृष्टि एक बहुत बड़ा विशाल नाटक / खेल हैं और हम सभी इस खेल में पार्ट बजाने वाले एक्टर पार्टधारी हैं ।

 

 ❉   हर आत्मा का अपना अपना पार्ट नुंधा हुआ है।उसी पार्ट के अनुसार ही आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है और पार्ट बजाती है ।

 

 ❉   असुल में तो हम सभी अशरीरी आत्माएं हैं और हमारा निवास स्थान है स्वीट साइलेन्स होम । केवल इस सृष्टि पर पार्ट बजाने के लिए ही हमने यह शरीर रूपी वस्त्र धारण किया है।

 

 ❉   अब हमारा यह अंतिम जन्म है। इसलिए अब हम सभी को इस शरीर रूपी कपड़े को यहीं छोड़ अशरीरी बन वापिस अपने घर शांतिधाम लौटना है।

 

 ❉   अत: अंत समय शरीर और शरीर के मित्र सम्बन्धी आदि याद ना आये, इसके लिए हमे सबसे ममत्व मिटा कर बाप को और अपने स्वीट साइलेन्स होम को याद करना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ विजयमाला का दाना बनने के लिए जीते जी इस पुरानी दुनिया से मरना है ।

 

 ❉   जीते जी मरना यानि इसी दुनिया में रहते हुए सर्व सम्बंध निभाते हुए भी इस पुरानी दुनिया से न्यारे और प्यारे रहना है ।

 

 ❉   पुरानी दुनिया का विनाश तो होना ही है फिर इससे मोह क्यूँ करना व येँ शरीर भी हमारा नहीं है इसे भी छोडना है तो इससे भी मोह नहीं रखना व बस एक बाप की याद में रहना है ।

 

 ❉   देही अभिमानी बनना है व बस एक बाप की याद में रहना है । जितना ज़्यादा याद में रहेंगे उतने विकर्म विनाश होंगे व सतोप्रधान होते जायेंगे और विजय माला के दाना बनेंगे ।

 

 ❉   पुरानी दुनिया बदल रही है  इसमें ममत्व निकाल देखते हुए न देख अपनी बुद्धि नयी दुनिया में लगाकर सदा ईश्वरीय मत पर चलना है ।

 

 ❉   बेहद के बाप की याद में रहते हुए बच्चे हर क़दम रूहानी सर्विस में बढ़ते रहते हैं वही पदमों की कमाई जमा करते विजयमाला का दाना बनते हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सदा शुभ चिन्तक और स्व चिन्तक बन हम प्रत्यक्षता के समय को समीप ला सकते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हमारे शुभ चिंतन द्वारा ही वायुमंडल में शुद्ध वाइब्रेशन फैलते है जिससे हम मनुष्यों की वृत्ति व प्रकृति को सतोगुणी बना सकते है।

 

 ❉   जब हम स्व चिंतन कर स्व परिवर्तन करेंगे अर्थात हमारा जो लक्ष्य है नर से नारायण व नारी से लक्ष्मी बनने का उसे पूर्ण करने के लिए अपनी कथनी करनी एक करेंगे तब हमारे द्वारा अनेक आत्माओ को टचिंग होगी और विश्व परिवर्तन होगा।

 

 ❉   हम आत्माओ के एक एक संकल्प का बहुत महत्त्व है, अंत के समय हम हमारे संकल्पों में शुभ भावना व शुभ कामना द्वारा ही हम अनेक आत्माओ का कल्याण कर सकते है।

 

 ❉   जब हम स्व चिंतन व शुभ चिन्तक बन रहते है तो हमारे चारो और पावरफुल औरा बन जाता है जिसके अन्दर आने से अनेक आत्माओ को सुख शांति प्रेम आनंद की अनुभूति होती है और उन्हें यह अनुभव होगा की यहां कोई दैवी शक्ति कार्य कर रही है।

 

 ❉   हमारे संकल्पों द्वारा ही हमारी वृत्ति दृष्टि का निर्माण होता है, जब सभी आत्माओ का एकमत हो यह एक शुभ संकल्प होगा की "अब घर जाना है" तब प्रत्यक्षता का अंतिम नगाड़ा बजेगा।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने संकल्पों को भी अर्पण कर दो तो सर्व कमजोरिया स्वत: दूर हो जाएंगी... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   अपने संकल्पों को भी अर्पण कर दे तो व्यर्थ चिंतन से बच जायेंगे और आत्मा को योग बल से शक्तिशाली बना कर सर्व प्रकार की कमजोरियों से स्वत: मुक्त हो जाएंगे ।

 

 ❉   संकल्पों को भी अर्पण करने से सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्त हो जायेंगे और आत्मा प्रभु चिंतन में लीन हो स्वयं को बलशाली अनुभव करेगी ।

 

 ❉   आत्मा निर्संकल्प अवस्था में स्थित हो , अतीन्द्रिय सुख की अनुभति तभी कर पायेगी जब संकल्पों को भी अर्पण कर सर्व कमजोरियो से मुक्त रहेंगे ।

 

 ❉   बुद्धि को शांत और एकाग्रचित बना कर प्रभु मिलन का आनन्द लेने के लिए जरूरी है कि बुद्धि हर प्रकार के संकल्पों के प्रभाव से मुक्त हो ।

 

 ❉   सदा रूहानियत के नशे में रह, दूसरों को भी रूहानियत का अनुभव वही आत्मा करा सकेगी जो संकल्पों के प्रभाव से मुक्त निराकारी स्थिति में स्थित होगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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