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❍ 24 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अपनी °इच्छाओं को कम° कर समस्याओं को कम किया ?
‖✓‖ °मनुष्यों को देवता° बनाने की सेवा की ?
‖✓‖ पढाने वाले °टीचर का बहुत रीगार्ड° रखा ?
‖✓‖ °अच्छी रीति पड़े° और योग में रहे ?
‖✓‖ अपना °करैक्टर° सुधारने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ अपने ऊपर आपेही °रहम° किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °समय और संकल्पों° को सेवा में अर्पित किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अगर आपकी वृत्ति में श्रेष्ठ भावना, श्रेष्ठ कामना है तो अपने संकल्प से, दृष्टि से, दिल की मुस्कराहट से सेकण्ड में किसी को बहुत कुछ दे सकते हो। जो भी आवे उसको गिफ्ट दो, खाली हाथ नहीं जाये। जितना निश्चय रूपी फाउण्डेशन पक्का है उतना ही आदि से अब तक सहज योगी, निर्मल स्वभाव, शुभ भावना की वृत्ति और आत्मिक दृष्टि सदा नेचुरल रूप में अनुभव होगी।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ वृत्ति में °श्रेष्ठ भावना, श्रेष्ठ कामना° रही ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विधाता, वरदाता आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ समय और संकल्पों को सेवा में अर्पण करने वाली मैं विधाता, वरदाता आत्मा हूँ ।
❉ स्व की छोटी - छोटी बातों, तन, मन और साधनो में अपने समय और संकल्पों को व्यर्थ गवाने की बजाए मैं उन्हें सेवा में सफल करती जाती हूँ ।
❉ श्वांसो श्वांस सेवा की लग्न में मगन हो, मैं कदम - कदम में पद्मो की कमाई जमा करती जाती हूँ ।
❉ निस्वार्थ और निष्काम सेवाधारी बन, मैं स्व उन्नति की गिफ्ट स्वत: प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ निरन्तर महादानी, विधाता और वरदाता बन मैं स्व - कल्याण द्वारा, सारे विश्व का कल्याण कर रही हूँ ।
❉ मनमत और परमत से दूर सदैव एक बाप की श्रीमत पर चल मैं प्लेन बुद्धि से प्लैन द्वारा सर्व का कल्याण करती जाती हूँ ।
❉ मैं अंतर्मुखी बन ज्ञान सागर की लहरों में लहराने वाली ज्ञान गंगा बन सबको रास्ता दिखाती हूँ ।
❉ सदा चढ़ती कला द्वारा, सर्व आत्माओं को चढ़ती कला का अनुभव कराने वाली मैं एकांतप्रिय आत्मा हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम पुराने भक्तों को भक्ति का फल देने । भक्ति का फल है ज्ञान, जिससे ही तुम्हारी सद्गति होती है"
❉ पूरे 63 जन्म जिस परमात्मा को पाने के लिए इतनी भक्ति की, दर - दर की ठोकरें खाई, तीर्थ स्थानों पर गये ।
❉ वही परम पिता परमात्मा शिव बाबा अब इस संगम युग पर हम भक्तो को भक्ति का फल देने के लिए आये हैं ।
❉ सीता रूपी आत्मा जो विकारों में गिरने के कारण अपरमअपार दुखो से पीड़ित थी ।
❉ उन सभी सीता रूपी आत्माओं को दुखों से छुड़ाने के लिए परम पिता परमात्मा, सभी सीताओं के पति राम आये हैं ।
❉ और ज्ञान योग द्वारा हम सभी सीताओं को पावन बना रहें हैं, भक्ति का फल, ज्ञान हमे देकर हमारी सद्गति कर रहे हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ इस अमूल्य जीवन में पढ़ाने वाले टीचर का बहुत रिगार्ड रखना है ।
❉ अभी तक दुनियावी झमेलों में ही फँसे रहे व उसे ही अपना सब कुछ समझ समय व्यर्थ गँवाते रहे । इस समय पुरूषोत्तम संगमयुग पर जब हमें सत का संग मिला व पहचाना कि हम सब आत्माओं का पिता एक ही है सदा शिव । वही हमारा सुप्रीम बाप भी है , सुप्रीम टीचर भी है , सुप्रीम सदगुरू भी ।
❉ यह अमूल्य जीवन 5000 वर्ष में बस एक बार ही मिलता है । इसी पुरूषोत्तम संगमयुग में जब स्वयं भगवान हमें टीचर बन अपना धाम छोड़ कर हम पतितों को पढ़ाने के लिए आते हैं तो ऐसे सुप्रीम टीचर का हमें रिगार्ड रखना चाहिए व पढ़ाई को अच्छे से धारण करना चाहिए ।
❉ लौकिक में भी कहते हैं टीचर ही बच्चे के भविष्य का निर्माता होता है । हमें तो बेहद का सुप्रीम टीचर मिला है व ऐसी नालेज देता है जो उस सुप्रीम टीचर के सिवाय कोई ओर न दे सकें । लौकिक में टीचर तो एक जन्म के लिए भविँष्य बनाता है । बेहद का सुप्रीम टीचर तो हमें पढ़ाकर हमारा 21 जन्मों के लिए भाग्य बनाता है ।
❉ हमें बहुत खुशी व नशा होना चाहिए कि हम कितने पदमापदम भाग्यशाली हैं कि स्वयं भगवान हमें पढ़ाते है !! अपने सुप्रीम टीचर का बहुत बहुत रिगार्ड रखना है जो स्वयं पढ़ाकर हमें अपने से ऊँची सीट पर बैठाते हैं ।
❉ पहले हमारा जीवन वर्थ नाट ए पैनी था व सुप्रीम टीचर ने ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर वर्थ फ़ार पाउंड बना दिया है तो ऐसे ऊंच ते ऊंच टीचर का बहुत रिगार्ड करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ समय और संकल्पों को सेवा में अर्पण करने वाले विधाता, वरदाता बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ हमारे पास अमूल्य खजाना है समय और संकल्पों का, यह खजाने ऐसे है जिससे एक ही स्थान पर बैठकर हम सारे विश्व की आत्माओ और प्रकृति की जितनी चाहे सेवा कर सकते है।
❉ स्थूल सेवा के लिए पहले से बहुत व्यवस्था जमानी पड़ती है और वह हम कोई निर्धारित समय पर ही कर सकते है परन्तु मनसा सेवा जब भी जहाँ भी थोडा भी समय मिले तो कर सकते है।
❉ जिन आत्माओ ने अपने समय और संकल्पों को सफल कर लिया वही सफलतामूर्त बनती है, वह आत्माये अपने श्रेष्ठ स्थिति व स्वरुप द्वारा किसी को भी मुक्ति जीवनमुक्ति दिलाने के निमित्त बन जाती है, वह मास्टर विधाता और मास्टर वरदाता का पार्ट बजाती है।
❉ अंत समय में यह समय और संकल्पों का बहुत समय का जमा किया हुआ खजाना ही हमारे काम आयेगा। यही हमारे सुरक्षा कवच बनेंगे, यही हमें पास विथ ऑनर का रिजल्ट दिलाएगा, इसी से अनेको की दुवाओ का भंडारा भरेगा।
❉ जब भी समय मिले चाहे एक सेकंड ही क्यों न हो, स्वयं को बिंदु समझ सिन्धु बाप के सम्मुख अनुभव करे और सारे विश्व में अपने शुभ संकल्पों के वाइब्रेशन फैला दे तो यह समय और संकल्प जमा हो गया। एक सेकंड या संकल्प का भी पदम गुना भाग्य जमा हो गया।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपनी इच्छाओं को कम कर दो तो समस्याये कम हो जायेंगी... कैसे ?
❉ संगम युग की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों को सदा स्मृति में रखेंगे तो हद की सभी इच्छायें समाप्त होती जायेगी और सहज ही समस्या मुक्त बन जायेंगे ।
❉ जब इच्छा मात्रम अविद्या बन हर कर्म करेंगें तो हर कर्म करते कर्म के प्रभाव से मुक्त रह सर्व समस्यायों पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेंगे ।
❉ अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह हर कर्म करने से हद की सभी इच्छाएं समाप्त हो जायेंगी और समाधान स्वरूप बन सभी समस्याओं से मुक्त हो जायेंगे ।
❉ सर्व इच्छाओं से मुक्त, सदा परमात्म मिलन की मौज में रहेंगे तो जीवन में आने वाली सभी समसयाएं और कमजोरियां स्वत: समाप्त हो जायेंगी ।
❉ अपनी इच्छाओं को कम कर देंगे तो हर परिस्थिति में सदा राज़ी और सर्व आकर्षणों से मुक्त रहेंगे, जिससे सभी समस्याएं सहज ही समाप्त हो जाएँगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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