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   20 / 11 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ इस शरीर में रहते °अशरीरी° बनने का पुरुषार्थ किया ?

 

‖✓‖ °नम्रता और धैर्यता° का गुण धारण किये रखा ?

 

‖✓‖ °ड्रामा के खेल° को अच्छी तरह से स्मृति में रहा ?

 

‖✓‖ ज्ञान का °मंथन° किया ?

 

‖✗‖ °मुरली मिस° तो नहीं की ?

 

‖✗‖ बाप से °आशीर्वाद या कृपा° तो नहीं मांगी ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ आत्माओं को °प्राप्तियों की अनुभूति° करा यथार्थ सेवाधारी बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  अपने को शरीर के बंधन से न्यारा बनाने के लिए अवतार समझो। अवतार हूँ, इस स्मृति में रह शरीर का आधार ले कर्म करो। कर्म के बंधन में नहीं बंधो। देह में होते भी विदेही अवस्था का अनुभव करो।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ "मैं अवतार हूँ" - इस स्मृति में रह शरीर का आधार ले कर्म किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं यथार्थ सेवाधारी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   सर्व आत्माओं को प्राप्तियों की अनुभूति कराने वाली मैं यथार्थ सेवाधारी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   हर आत्मा के प्रति शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना का भाव मुझे सहज ही उड़ती कला का अनुभव कराता है ।

 

 ❉   निमित सेवा भाव द्वारा हर आत्मा को उसकी भावना प्रमाण फल देने वाली मैं दिव्य मूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   तपस्या युक्त यथार्थ सेवा भाव द्वारा मैं सर्व आत्माओं को प्राप्तियों का मेवा खिला कर संतुष्ट कर देती हूँ ।

 

 ❉   अपने श्रेष्ठ और शुद्ध संकल्पों की खुशबू से मैं सारे विश्व में फैली अशुद्ध वृतियों को समाप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप् को स्मृति में रख मैं सदा दिव्यता की रॉयल्टी से चमकती रहती हूँ ।

 

 ❉   बाप समान वरदानी बन मैं सदैव सभी के दिल को आराम देती हूँ ।

 

 ❉   मैं संतुष्टमणि बन स्वयं संतुष्ट रह सर्व आत्माओ को निष्काम सेवा द्वारा संतुष्ट करती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम ड्रामा के खेल को जानते हो इसलिए शुक्रिया मानने की भी बात नही है"

 

 ❉   यह सृष्टि एक बहुत बड़ा विशाल नाटक/ड्रामा है जिसमे हम सभी पार्ट बजाने वाले एक्टर अर्थात पार्टधारी हैं ।

 

 ❉   इस अनादि ड्रामा मे हर आत्मा का अपना अपना अविनाशी पार्ट नूँधा हुआ है और हर आत्मा अपने पार्ट के अनुसार एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है और पार्ट बजाती है ।

 

 ❉   असुल में तो हम सभी अशरीरी आत्माए परम पिता परमात्मा बाप की संतान है और हमारा निवास स्थान है स्वीट सालेन्स होम ।

 

 ❉   जैसे हम आत्माओं का पार्ट इस बेहद के ड्रामा में नूँधा हुआ है उसी तरह परमात्मा बाप का भी इस ड्रामा में पार्ट नूँधा हुआ है ।

 

 ❉   ड्रामा प्लैन अनुसार ही परमात्मा बाप हम आत्माओं के कल्याणार्थ इस धरा पर आते हैं ।

 

 ❉   इसलिये बाप कहते हैं कि तुम ड्रामा के खेल को भली - भांति जानते हो इसलिए शुक्रिया मानने की भी बात नही है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ ज्ञान का मंथन कर आस्तिक बनना है । मुरली कभी मिस नही करनी है । अपनी उन्नति के लिए डायरी मे याद का चार्ट नोट करना है ।

 

  ❉   अभी तक अज्ञानता के कारण दर दर भटक रहे थे व बाबा ने अपनी असली पहचान देकर पूरी सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देकर त्रिकालदर्शी बनाया है तो हमें ज्ञान का विचार सागर मंथन कर दृढ़ निश्चयी बनना है ।

 

  ❉   बाबा अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए दूरदेश से परमधाम से पतितों की दुनिया में आते हैं व पढ़ाकर हमें पावन बनाते है । ऐसी ऊंच ते ऊंच पढ़ाई को अच्छी रीति धारण कर अनमोल अखूट खजानों से अपनी झोली भरनी है ।

 

  ❉   ये पढ़ाई ब्राह्मण जीवन का आधार है व पढ़ाई से प्यार नही माना बाबा से प्यार नही । ये पढ़ाई बाबा मुझे ही  पढ़ाने के लिए आते हैं । कितनी भाग्यशाली हूं मैं !

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना है व याद से ही विकर्म विनाश होते हैं । आत्मा में बल भरता है । रोज पूरे दिन का पोतामेल सोने से पहले बाबा को देना है ।

 

  ❉   रोज का चार्ट डायरी में लिखने से अटेंशन रहता है कि पूरे दिन में कितनी देर याद किया व कोई गल्ती हुई भी तो दोबारा नही करनी । किसी दिन याद का चार्ट कम होता है तो अगले दिन स्व पर व याद की यात्रा का चार्ट बढ़ाने पर अटेंशन देकर स्व की उन्नति करते है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ किसी भी आत्मा को प्राप्तियो की अनुभूति कराने वाले यथार्थ सेवाधारी बनकर रहना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   त्याग तपस्या और फिर सेवा, बाबा ने यह बहुत सुन्दर क्रम बताया है, जितना त्याग होगा उतनी ही तपस्या भी कर सकेंगे और जितना तपस्या का बल जमा किया होगा उतना ही सेवा में भी सफलता मिलेगी।

 

 ❉   त्याग का ही भाग्य बनता है, चाहे जितना त्याग करना पड़े पर हमारी सबके प्रति शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना हो, कभी किसी के प्रति हमारी दृष्टि वृत्ति ख़राब न हो। शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना रखना ही सबसे बड़ी सेवा है।

 

 ❉   जो आत्मा जो जिस चीज़ की जरुरत है उसे परखकर कर उसे वही चीज़ की प्राप्ति कराना है, कोई आपके पास शांति के लिए आये ओर आप उसको सुख दो तो वह खुश नहीं होगी। जिसकी रही भावना जैसी वैसा ही प्राप्ति का अनुभव उसका कराना है।

 

 ❉   जो हमें मिला है वह कोई स्थूल खजाना तो नहीं जो सबको दिखे वह तो बस अनुभव किया जा सकता है। बाप के सर्व खजानो से स्वयं को सदा भरपूर रखना है, हर आत्मा को कुछ न कुछ प्राप्ति का अनुभव कराना है, देना ही लेना है

 

 ❉   हम पूर्वज है, महान आत्माये है, भगवान के बच्चे है तो हमारा फर्ज है की बाप के खजानों की अनुभूति बाप का हर बच्चा करे। जहाँ निस्वार्थ भाव से सेवा होगी वहाँ बाप की याद जरुर होगी, कोन करा रहा है? किसकी आज्ञा पर सेवा कर रहे है? यह स्मृति रहने से भी बाप की सहज याद रहेगी।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ नम्रता और धैर्यता का गुण धारण करो तो क्रोधाग्नि भी शांत हो जायेगी... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   नम्रता और धैर्यता का गुण आत्मा को स्नेहशील बना देता है और स्नेह का शीतल जल क्रोध के संस्कार को परिवर्तित कर क्रोधाग्नि को शांत कर देता है ।

 

 ❉   नम्रता और धैर्यता मन बुद्धि को शीतल और शांत बना देते है और शांत स्वरूप स्थिति में स्थित आत्मा से निकले शांति के वायब्रेशन्स क्रोध की ज्वाला को शांत कर देते हैं ।

 

 ❉   मास्टर स्नेह का सागर बन, नम्रता और धैर्यता को धारण कर जब दूसरों की खामिया और कमियां स्वयं में समा लेते हैं तो क्रोध समीप भी नही आ सकता ।

 

 ❉   जब व्यवहार में नम्रता और धैर्यता का गुण आ जाता है तो प्यार,सच्चाई और स्नेह के संस्कार नेचुरल हो जाते हैं जो क्रोध के संस्कार को समाप्त कर देते हैं ।

 

 ❉   नम्रता और धैर्यता का गुण जैसे जैसे व्यक्ति के अंदर आता जाता है उसके विचार शुद्ध और सात्विक बनते जाते हैं जिससे मन प्रेम से भरपूर रहता है और क्रोध दूर भाग जाता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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