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    23 / 02 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं सर्व प्राप्ति सम्पन्न आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢  संगमयुग के महत्व को जान एक का अनगिनत बार रिटर्न प्राप्त करना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ सतगुरु

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ अपनी चाल चलन बहुत °रॉयल° रखी ?

‖✓‖ °नम्रता° का गुण धारण किया ?

‖✓‖ इन आखो से जो कुछ दिखाई देता है, उसे °देखते हुए भी नही देखने° का अन्यास किया ?

‖✗‖ कैसी भी परिस्थिति में °खुशी तो नहीं गयी° ?

‖✗‖ इस °शरीर रूपी कपड़े में ममत्व° तो नहीं रखा ?

‖✗‖ किसी °देहधारी को याद° तो नहीं किया ?

‖✗‖ किसी भी बात में °थोड़ा भी धक्का° तो नही आया ?

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अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-

➳ _ ➳  बाप भी वाह बच्चे वाह के गीत गा रहे हैं और बच्चे भी यही गीत गा रहे हैं वाह बाबा वाह! कितना इस संगमयुग का ड्रामा में पार्ट है जो बच्चे बाबा को देख रहे हैं, जान रहे हैं और बाप बच्चों को देख कितने खुश हो रहे हैं। हर एक के दिल से यही बोल निकल रहा है, मेरा बाबा प्यारा बाबा और बाप के मुख से भी यही निकल रहा है वाह बच्चे वाह! एक-एक बच्चा कैसे अपना जन्म सिद्ध अधिकार सन्मुख मिलने का अनुभव कर रहे हैं। बाप को भी बहुत-बहुत-बहुत एक-एक बच्चे का मुखड़ा देख खुशी हो रही है।

 

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज पूरा दिन “वाह बाबा वाह” का गीत गाते रहे ? “मेरा बाबा प्यारा बाबा” - दिल से यही बोल निकलता रहा ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - इस शरीर रूपी कपड़े को यहां ही छोड़ना है, इसलिए इससे ममत्व मिटा दो, कोई भी मित्र-सम्बन्धी याद ना आये"

 

 ❉   यह सृष्टि एक बहुत बड़ा विशाल नाटक हैं और हम सभी इस नाटक में पार्ट बजाने वाले पार्टधारी।हर आत्मा का अपना अपना पार्ट नुंधा हुआ है।उसी पार्ट के अनुसार ही आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।

 ❉   असुल में तो हम सभी अशरीरी आत्माएं हैं जो शांतिधाम की रहने वाली हैं।केवल इस सृष्टि पर पार्ट बजाने के लिए ही हमने यह शरीर रूपी वस्त्र धारण किया है।

 ❉   अब हमारा यह अंतिम जन्म है।इसलिए अब हम सभी को इस शरीर रूपी कपड़े को यहीं छोड़ अशरीरी बन वापिस अपने घर शांतिधाम लौटना है।

 ❉   क्योकि हम सभी आत्माएं अशरीरी ही आती है और अशरीरी ही वापिस जाना पड़ता है।सृष्टि का भी यही नियम है के जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है अर्थात उसे शरीर छोड़ना ही है।

 ❉   अत: शरीर और शरीर के मित्र सम्बन्धी अंत समय याद ना आये, इसके लिए हमे सबसे ममत्व मिटा कर एक परमात्मा को याद करना चाहिए।क्योकि अंत मति सो गति तो होनी ही है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ इन आँखों से जो दिखाई देता है-" यह सब कब्रदाखिल होना है इसलिये इसको देखते हुए भी नहीं देखना है"।

 

 ❉   जो कुछ इन आँखों से देखते हैं वो सारा एक दिन खत्म हो जाना है इसलिए किसी भी बाहरी आकर्षण से मोह नहीं रखना है। देखते हुए भी नहीं देखना है।

 ❉   मन और बुद्धि को सिर्फ़ बाबा से ही जोड़ो। बाबा के सिवाय ओर कुछ याद न आए।

 ❉   जैसे पुराना घर तोड़कर नया बनाना शुरू करते है तो आँखों में नये घर को ही देखते हैं उसी प्रकार हमें इन आँखों से पुरानी दुनिया को देख बंधन में नहीं फँसना । नयी दुनिया सुखधाम को देखना है।

 ❉   अपनी आई सिविलाइज्ड रखनी है।

 ❉   इन आँखों से जो देखते हैं वह सब कब्रदाखिल है इसलिए इस शरीर का श्रंृगार करने की ज़रूरत नहीं है। बाबा का बनकर योगबल से अपना श्रृंगार करना है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ संगमयुग के महत्त्व को जान एक का अनगिनत बार रिटर्न प्राप्त करना ही सर्व प्राप्ति संपन्न बनना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   यहाँ की एक जन्म का त्याग 21 जन्मो के लिए हमारी झोली भर देता है।

 ❉   संगमयुग का सच्चे दिल से एक पैसे का दान सतयुग में पदम् गुणा होकर मिलता है।

 ❉   बाप बच्चो की कभी उधारी नहीं रखता,एक का पदम् गुण में परिवर्तन कर वापस देते है।

 ❉   इस एक जन्म की अल्पकाल के सुख देने वाली चीजो का त्याग अनेक जन्म हमें सर्व प्राप्ति संपन्न बना देता है।

 ❉   यही पुरुषोत्तम युग है जब सब कुछ सफल कर अनेक जन्मो की लाटरी ले सकते है।

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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ कैसी भी परिस्तिथि हो परिस्तिथि चली जाये लेकिन ख़ुशी नही जाये...कैसे ?

 

 ❉   ख़ुशी सबसे बड़ी ते बड़ी दवा और दुआ है।अगर यह दवा और दुआ लेते रहें तो कैसी भी परिस्तिथि आये सहज ही विदाई ले लेगी।

 ❉   सदा अपने श्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख खुश रहें तो सब दुःख-दर्द,सब परिस्तिथियाँ समाप्त हो जाएंगी।

 ❉   ड्रामा को स्मृति में रख सदा ख़ुशी के गीत गाते रहें तो परिस्तिथियों पर विजय निश्चित है।

 ❉   संगम युग की सर्व प्राप्तियों का अनुभव करते ,परमात्म मिलन को मौज में रहें तो परिस्तिथियां सूली से काँटा बन जाएँगी।

 ❉   स्वयं भाग्य  विधाता मेरा हो गया यह सदा स्मृति में रहे तो ख़ुशी का नशा चड़ा रहेगा।जिसके आगे परिस्तिथियाँ छोटी नजर आयेंगी।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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