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❍ 27 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ हर परिस्थिति में °स्वयं को मोल्ड° किया ?
‖✓‖ सच्चा सच्चा °खुदाई खिदमतगार° बनकर सेवा की ?
‖✓‖ जीते जी इस °शरीर से मरने° का अभ्यास किया ?
‖✓‖ "मैं शरीर से भिन्न °आत्मा° हूँ" - एकांत में बैठ ऐसा अनुभव किया ?
‖✓‖ °विचार सागर मंथन° कर अच्छे अच्छे रतन निकाले ?
‖✓‖ °पढाई° का बहुत शौंक रखा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ मुरलीधर की °मुरली से प्रीत° रही ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ सदा डबल लाइट स्थिति में रहने वाले निश्चय बुद्धि, निश्चिन्त होंगे। उड़ती कला में रहेंगे। उड़ती कला अर्थात् ऊंचे से ऊँची स्थिति। उनके बुद्धि रूपी पाँव धरनी पर नहीं। धरनी अर्थात् देह भान से ऊपर। जो देह भान की धरनी से ऊपर रहते वह सदा फरिश्ते हैं।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ निश्चय बुद्धि, निश्चिन्त रह °बुद्धि रूपी पाँव° देह भान की धरनी से ऊपर रहा ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा शक्तिशाली आत्मा हूं
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मुरलीधर की मुरली से प्रीत रखने वाली मैं सदा शक्तिशाली आत्मा हूं
❉ बाप से सदा शक्तिशाली भव का वरदान ले मैं माया जीत बनती जाती हूं ।
❉ मेरी शक्तिशाली स्थिति के सामने कोई भी परिस्थिति अथवा विघ्न ठहर नहीं सकता ।
❉ मुरली के हर महावाक्य को बाप का फरमान समझ, मै उसे अपने जीवन में धारण करती जाती हूं
❉ एक बाप की लगन में मगन हो कर मैं सर्व से न्यारी और बाप की प्यारी बनती जाती हूं ।
❉ यह बेहद की पढ़ाई और ब्राहमण परिवार का प्यार मेरे लिए एक मजबूत किला बन मुझे सुरक्षा की अनुभूति कराता रहता है ।
❉ उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो, मैं संगठन की सभी आत्माओं में उमंग उत्साह भर, उन्हें आगे बढ़ाती जाती हूँ ।
❉ मुझ शक्ति सम्पन्न आत्मा से संगठन की सर्व आत्माओं को श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति व सर्वशक्तियों की प्राप्ति होती है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - एकांत में बैठ अब ऐसा अभ्यास करो जो अनुभव हो मैं शरीर से भिन्न आत्मा हूँ, इसको ही जीते जी मरना कहा जाता है"
❉ जीते जी मरना अर्थात इस देह में रहते हुए भी देह और देह की दुनिया से न्यारे और प्यारे रहना ।
❉ एक सेकेंड में जब चाहे आत्मा मन बुद्धि से इस देह का त्याग कर बाप के पास चली जाए और जब चाहे कर्म करने के लिए देह में वापिस आ जाये ।
❉ किन्तु यह अवस्था तब होगी जब आत्मा का इस देह से डिटैच होने का लम्बे समय का अभ्यास होगा ।
❉ इसके लिए जरूरी है एकांत में बैठ आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित रहने का अभ्यास करना ।
❉ और अनुभव करना कि मैं देह नही बल्कि इस देह से न्यारी एक आत्मा हूँ ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ जब भी समय मिले एकांत में चले जाना है । ऐसा अभ्यास हो जो जीते जी इस शरीर से मरे हुए हैं, इस स्टेज की अनुभव होता रहे ।
❉ जब भी समय मिले एकांत यानि एक के अंतमें यानि एक की ही याद में खो जाना है व ऐसा अनुभव करना है कि मैं आत्मा अलग व ये शरीर अलग है ।
❉ जीते जी मरने का अर्थ है कि पुरानी विनाशी व पुराने शरीर से सर्व सम्बंधँ छोड़ बस कुछ भी याद न आए बस मैं ओर मेरा बाबा ।
❉ ये दुनिया तो कब्रदाखिल होनी ही है इसलिए इससे मोह क्यूँ । इसलिए शरीर के भान के छोड़ अशरीरीपन की स्थिति का अनुभव करते रहना है ।
❉ एकांत में बैठ अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है व याद से ही विकर्म विनाश होंगे व जीते जी इस शरीर से मरे हुए हैं इस स्टेज का अनुभव होगा ।
❉ कछुआ मिसल अपना कर्म करते ही अपने को समेट लेता है ऐसे हमें भी अंतिम समय के लिए सब बैगेज और लगेज समेट अशरीरी होने का अभ्यास करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ मुरलीधर की मुरली से प्रीत रखने वाले सदा शक्तिशाली आत्मा बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा की मुरली ही ज्ञान सागर बाप की सर्व शिक्षाओ, प्रेम, युक्तियो का आधार है। बाप मुरली द्वारा ही बच्चो की पलना करते है, यही मुरली प्रभू प्रसाद है।
❉ मुरलीधर बाप की मुरली से ही अखूट ज्ञान रत्नों का खजाना प्राप्त होता है। जिनका मनन चिंतन और ज्ञान मंथन करने से आत्मा को शक्ति प्राप्त होती है, आत्मा का भोजन है मुरली, शुद्ध संकल्पों का खजाना मुरली द्वारा ही प्राप्त होता।
❉ सच्चा सच्चा गीता ज्ञान बाबा हम बच्चो को मुरली में ही देते है। बाबा की मुरली में जीवन जीने की कला सिखाती है। यह नशा व ख़ुशी रहती है की स्वयं भगवान हमको रोज़ पढ़ाते है।
❉ जिसको बाप की मुरली से प्रीत होती है वह एक दिन भी बिना मुरली के रह नही सकता। बाबा की मुरली बच्चो के लिए संजीवनी बूटी है। ऐसा हो ही नहीं सकता की जिसकी बाबा से प्रीत हो वह मुरली न सुने। बाबा की मिरली जैसे हम बच्चो के ऊपर बाप का वरदानी हाथ है जिसमे रहते आत्मा सदा सेफ है।
❉ मुरलीधर की मुरली आत्मा में शक्ति भरती है, पढाई के द्वारा आत्मा को सत्य ज्ञान, सत्य बाप, सत्य मार्ग प्राप्त हुआ है, मुरली ने हमें सत्य बाप से मिलवाया है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ हर परिस्थिति में स्वयं को मोल्ड कर लो तो रीयल गोल्ड बन जायेंगे... कैसे ?
❉ हर परिस्थिति में स्वयं को मोल्ड कर रीयल गोल्ड वही बन सकते हैं जो नम्रता और निर्मान भाव को अपने जीवन में धारण कर सबको अपने नम्र व्यवहार से संतुष्ट रखते हैं ।
❉ बाप की छत्रछाया के अंदर रहने वाले परमात्म प्यार और पालना का अनुभव करते हुए हर परिस्थिति में स्वयं को मोल्ड कर रीयल गोल्ड बन जाते हैं ।
❉ जो स्वयं को निमित समझ हर कर्म करते हैं वो हर परिस्थिति को सफलता की सीढ़ी समझ स्वयं को मोल्ड कर रीयल गोल्ड बन अपनी चमक की वायब्रेशन्स सारे विश्व में फैलाते हैं ।
❉ हर परिस्थिति में स्वयं मोल्ड करने की विशेषता वही धारण कर सकते हैं जो सदा अपने मस्तक पर तीन स्मृतियों का तिलक लगाये रखते हैं ।
❉ सर्व के प्रति शुभ भावना और शुभ कामना रखने वाला ही हर परिस्थिति में स्वयं को मोल्ड कर रीयल गोल्ड बन सकता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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