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❍ 25 / 02 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं बन्धनमुक्त, जीवनमुक्त आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ सदा बेहद की स्थिति में स्थित रहना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ सतगुरु
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ °पढाई का शौक° रखा ?
‖✓‖ °जीते जी मरने° का अभ्यास किया ?
‖✓‖ °शान्तिधाम और सुखधाम° को याद किया ?
‖✓‖ प्रेम से °मुक्ति और जीवनमुक्तिधाम का रास्ता° बताया ?
‖✓‖ °निश्चयबुधी° बन व्यर्थ से दूर रहे ?
‖✗‖ किसी से भी °आरग्यु° तो नही किया ?
‖✗‖ °साक्षात्कार की आश° तो नही रखी ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-
➳ _ ➳ हर एक के दिल में उमंग उत्साह है कि दुनिया का हर एक बच्चा बाप को पहचान कितना अपने को आगे बढ़ा रहे हैं।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ आज पूरा दिन उमंग और उत्साह से आगे बड़ते रहे ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुमने अब तक जो कुछ पड़ा है उसे भूल जाओ, जीते जी मरना माना सब कुछ भूलना, पिछला कुछ भी याद ना आये"
❉ अब तक हमने जो कुछ भी शास्त्रो में पड़ा।उसे सच मान कर भक्ति मार्ग की रस्मो-रिवाजों के अनुसार भगवान को प्राप्त करने की कोशिश करते आये।लेकिन प्राप्ति कुछ नही हुई।
❉ किन्तु अब परमपिता परमात्मा बाप ने स्वयं आ कर हमे सत्यता का बोध कराया है।हमे ज्ञान का तीसरा नेत्र दे कर सच और झूठ का भेद बताया है।
❉ इसलिए अब बाप कहतें हैं जो कुछ भी शास्त्रों में पढ़ा है उसे भूल जाओ।
❉ अब तुम्हे जीते जी मरना है अर्थात पिछला कुछ भी याद ना आये, इसलिए सब कुछ भूल जाना है।
❉ जीते जी नही मरेंगे यानि पिछला भूलेंगे नही तो आरग्यु करते रहेंगे और कुछ भी ज्ञान की धारणा नही कर पाएंगे।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)
➢➢ किसी से आरग्यू नहीं करनी है, प्रेम से मुक्ति और जीवनमु्क्ति का रास्ता बताना है।
❉ अपने को असली स्वरूप में स्थित कर सामने वाली को आत्मा देखकर युक्ति से बाबा का ज्ञान सुनाना हैं ताकि उसे बाबा की टचिंग हो।
❉ अगर कोई आत्मा बाबा का ज्ञान सुनना ही नहीं चाहती व आरग्यू करती है तो उसे शुभ भावना देकर शांत रहना है।ड्रामा में हरेक का अपना अपना एक्यूरेट पार्ट है।
❉ हम आत्मा-आत्मा भाई भाई हैं। देह अभिमान में आ जाते है व आत्मिक स्मृति को भूल जाते हैं तभी आरग्यू करते है। तो अपने असली स्वरूप में रहते हुए सबके साथ प्रेम से चलना है ।
❉ ब्राह्मण जीवन के लक्ष्य को स्मृति में रखते हुए सबके साथ प्रेम से चलते हुए बाबा का परिचय अन्य आत्माओं को देते हुए चलना है।जैसे बाबा ने हमें अपना बनाया वैसे हमें भी दूसरों को आप समान बनाना है।
❉ मुक्ति और जीवनमुक्ति का रास्ता बताने वाला तो सिर्फ़ व सिर्फ़ एक शिवबाबा ही हैं। पवित्र बने बग़ैर तो जा नहीं सकते इसलिए पवित्र बनना है।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)
➢➢ सदा बेहद की स्थिति में स्थित रहने वाले ही बंधनमुक्त,जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव कर सकते है...क्यों और कैसे ?
❉ क्युकी वह देह व देह की दुनिया से न्यारे और प्यारे रहते है।
❉ बेहद में रहने से हम किसी के अवगुण नहीं देखते ना हमारे संकल्प व समय व्यर्थ जाता है।
❉ क्युकी वह हद की आकर्षणो से परे रहते है बुद्धि कही फसती नहीं।
❉ बेहद में रहने के लिए यह स्मृति रहे की "हम सब एक पिता की संतान आत्मा भाई भाई है" तो सबके प्रति शुभ भावना आपही आयेगी।
❉ बेहद में रहने से ड्रामा को यथार्थ एक नाटक की तरह जानेंगे और आत्मिक भाव बढेगा जो सभी बन्धनों को मुक्त होने में सहायक होगा।
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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)
➢➢ निश्चयबुद्धि की निशानी-निश्चित विजयी और निश्चिन्त, उनके पास व्यर्थ आ नही सकता...क्यों और कैसे ?
❉ निश्चय बुद्धि के मन में कभी भी कमजोरी या संशय की फीलिंग नही आ सकती इसलिए उनके पास कभी व्यर्थ नही आ सकता।
❉ निश्चय बुद्धि का हर कर्म निश्चिन्त होगा और निश्चिन्तता व्यर्थ को समर्थ में बदल देगी जिससे उनके पास कभी व्यर्थ आएगा ही नही।
❉ जितना स्वयं में और हर बात में निश्चय होगा उतना बाप दादा भी अवश्य मददगार बनेगे।और मन बुद्धि एक बाप में ही लगे रहेगे जिससे व्यर्थ स्वत:दूर रहेगा।
❉ जितना निश्चय दृढ होगा स्तिथि उतनी ही अच्छी बनती जायेगी और व्यर्थ के प्रभाव को अपने ऊपर हावी होने नही देगी।
❉ निश्चय बुद्धि सदैव एक रस और अथक रहेंगे इसलिये उनके आगे कभी कोई विघ्न या व्यर्थ आ नही सकता।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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