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❍ 01 / 05 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ हर °संकल्प° श्रेष्ठ रहा ?
‖✓‖ अपने ऊपर °अटेंशन° का पूरा पूरा पहरा दिया ?
‖✓‖ °मात-पिता° को फॉलो किया ?
‖✓‖ माया से अपनी °संभाल° की ?
‖✓‖ आत्माओं को °पैगाम° दिया की बाप को याद करो ?
‖✓‖ इस दुखधाम को °बुधी से भूलने° का अभ्यास किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ बीती को चिंतन में न लाकर °फुल स्टॉप° लगाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ परमात्म प्यार आनंदमय झूला है, इस सुखदाई झूले में झूलते सदा परमात्म प्यार में लवलीन रहो तो कभी कोई परिस्थिति वा माया की हलचल आ नहीं सकती ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °परमात्म प्यार° के आनंदमयी, सुखदाई झूले में झूलते रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं तीव्र पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं बीती को फुल स्टॉप लगा, निरन्तर आगे बढ़ने वाली तीव्र पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।
❉ अपने संकल्प, समय और शक्ति को सदा समर्थ चिंतन द्वारा सफल करती जाती हूँ ।
❉ संगम युग के बहुमूल्य समय की कीमत को सदा स्मृति में रखते हुए, मैं सेकेंड में बीती को फुल स्टॉप लगा आगे बढ़ती जाती हूँ ।
❉ मैं समर्थ संकल्पों की रचना द्वारा, व्यर्थ और निगेटिव संकल्पों को समाप्त करती जाती हूँ ।
❉ कर्मयोगी आत्मा बन, अपने हर कर्म को रूहानियत से भरपूर कर, मैं आत्मा अपने पुरुषार्थ में दिन - प्रतिदिन तीव्रता लाती जाती हूँ ।
❉ मेरे हर कदम में सत्यता और हर कर्म में कल्याण की भावना मुझे दुआयों की लिफ्ट प्रदान कर सफलतामूर्त बनाती जाती है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम इन आंखो से जो कुछ देखते हो यह सब पुरानी दुनिया की सामग्री है, यह समाप्त होनी है, इसलिए इस दुःखधाम को बुद्धि से भूल जाओ ।"
❉ इस कलयुगी दुनिया में आज सभी मनुष्य दुखी हैं क्योकि सारी दुनिया ही पतित, तमोप्रधान बन गई है ।
❉ इसे फिर से सतोप्रधान, सुखधाम बनाने के लिए परमपिता परमात्मा बाप आएं हैं ।
❉ अब इस पुरानी कलयुगी दुनिया का विनाश और नई सतयुगी दुनिया की स्थापना होनी है ।
❉ इसलिए बाप कहते हैं इन आँखों से तुम जो कुछ भी देख रहे हो, वह पुरानी दुनिया की सामग्री है जो समाप्त होनी है ।
❉ इसलिए इस दुःखधाम को बुद्धि से भूल जाओ अर्थात इस दुनिया में रहते हुए भी मन बुद्धि से इस दुनिया से न्यारे हो कर रहो ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢ मात पिता को फालो कर दिलतख्तनशीन बनना है। दिन रात सर्विस में तत्पर रहना है। सबको पैग़ाम देना है कि बाप को याद करो।
❉ जैसे हम आत्माओं का पिता निराकारी ज्योति बिंदु है तो हमें भी अपने को शरीर न समझ आत्मा समझ बिंदु समझ बिंदु को याद कर बिंदु में ही समा जाना है।
❉ शिव बाबा हमारे पिता है व ब्रह्मा बाबा हमारी माँ हैं जिन्होंने हमें एडाप्ट किया है । लौकिक में भी बच्चा अपने माँ बाप को फ़ालो कर लक्ष्य प्राप्त करता है तो ये हमारे बेहद के माँ बाप है तो हमें उन्हें क़दम क़दम पर फालो कर दिलतख्त नशीन बनना है ।
❉ जैसे हम बच्चों को जिस समय भी बाप की ज़रूरत होती है तो हमारा एक क़दम हिम्मत का रखने पर बाप हमारी हज़ार क़दम हिम्मत देकर मदद करता है व जी हजूर सदा सेवा में तत्पर रहता है तो हमें भी दिन रात याद में रहते हुए सर्विस करनी है।
❉ हम 63 जन्म विकर्म करते करते पतित हो गए व अपनी पहचान भी खो दी। अब परमपिता परमात्मा शिव ने हमें अपना व अपने पिता का परिचय दिया है तो भी घड़ी घड़ी भूल जाते हैं। इसलिए घड़ी घड़ी एक दूसरे से पूछना है शिव बाबा याद है ??
❉ बाप की याद में रहते हुए सबको पैग़ाम देना है कि एक बाप की बहुकाल की याद का अभ्यास ही अंतिम समय काम आयेगा। याद से ही विकर्म विनाश होंगे व पावन बन नई दुनिया के मालिक बनेंगे।
❉ जो बच्चे देह-अभिमानी रहते है व सच्ची सच्ची याद में लवलीन रहते हैं। अपना सच्चा सच्चा चार्ट बाप को देते हैं तो बाप स्वयं ऐसे बच्चों को याद करता है व ऐसे बच्चे माँ बाप को फालो कर दिलतख्तनशीन बनते है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बीती को चिंतन में ना लाकर फ़ुलस्टॉप लगाने वाले तीव्र पुरुषार्थी बनना है... क्यों और कैसे ?
❉ अब समय बहुत कम बचा है अंतिम नज़ारे सामने दिखाई देने लगे है, इसलिए अभी भी पुरानी पाई पैसे की बातो में न उलझ भविष्य के लिए जमा करो।
❉ जो भी पास्ट में हो गया वह अब परिवर्तन तो नहीं कर सकते तो उसी में पछताने या दुःख मानाने से क्या फायदा? इसलिए जो हो गया उसको भूल आगे के लिए प्लान बनाओ।
❉ अब स्वयं को बिंदी स्थिति में स्थित कर बीती को बिंदी लगाने और परमात्मा को याद कर नयी दुनिया में जाना यही हमारा जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।
❉ यह पुरुषोत्तम संगमयुग अमूल्य समय है जीवन को श्रेष्ठ बनाने की सारे कल्प में यही थोड़ी सी अमुल्य घडिया मिली है इसलिए तीव्र पुरुषार्थी बन जितना हो सके अपनी झोली ज्ञान, गुण, शक्ति से भरपूर करलो।
❉ ड्रामा के नॉलेज को बुद्धि में रख नथिंग न्यू का पाठ पक्का कर, जो हुआ हमारे कल्याण के लिए ही हुआ यह निश्चय रख अब आगे बढ़ते जाना है, एक आंख में घर और दूसरी आँख में स्वर्ग रख बाप को ही याद करना है।
❉ पुरानी व्यर्थ की बातो रूपी गन्दगी को बुद्धि से बाहर निकालने पर ही बुद्धि स्वच्छ होगी और उसमे परमात्मा की याद ठहर सकेगी।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ जब हर संकल्प श्रेष्ठ होगा तब स्वयं का और विश्व का कल्याण होगा... कैसे ?
❉ श्रेष्ठ और शुभ संकल्प वायुमण्डल को पॉवरफुल बना कर स्वयं के और विश्व के कल्याण में विशेष रूप से सहयोगी बन जाएंगे ।
❉ जब हर संकल्प शक्तिशाली होगा तो स्वरूप भी शक्तिशाली बन जाएगा और शक्ति स्वरूप ही स्वयं का और विश्व का कल्याण करने में सहायक होगा ।
❉ श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति औरो में भी बल भर कर स्वयं अपना और विश्व का कल्याण करने के निमित बन जायेगी ।
❉ हर आत्मा के प्रति रहम व कल्याण जैसे श्रेष्ठ संकल्प सर्व आत्माओं को कल्याणकारी वायब्रेशन पहुंचा कर स्वयं के और विश्व के कल्याण के सहायक बन जायेगें ।
❉ शक्तिशाली सतोप्रधान श्रेष्ठ संकल्प प्रकृति और मनुष्यात्माओं की वृति को परिवर्तन कर स्वयं के और विश्व कल्याण के सहयोगी बन जायेगें ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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