❍ 29 / 01 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं प्राप्तियों से संपन्न आत्मा हूँ ।
───────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ नाउम्मीदी की चिता पर बैठी हुई आत्माओं को नए जीवन का दान देना
───────────────────────────
∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ सतगुरु
───────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ मन की एकाग्रता से °एकरस स्थिति° का अनुभव किया ?
‖✓‖ मन को जहां चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो °एकाग्र° किया ?
‖✓‖ °देहि अभिमानी° बनने की पूरी कोशिश की ?
‖✓‖ आत्माओं ने आप में °पवित्रता और योग की कशिश° का अनुभव किया ?
‖✓‖ °न्यारे और अधिकारी° होकर कर्म में आये ?
‖✓‖ यह °अनादी बना बनाया ड्रामा° स्मृति में रहा ?
‖✓‖ °बहुत मीठा° बनकर रहे ?
───────────────────────────
✺ अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-
➳ _ ➳ सबकी नजर परिवर्तन हो रही है, यह समझते हैं लेकिन करने वाले कौन, वह अभी पूरा प्रत्यक्ष नहीं हुआ है । धार्मिक लोग समझते हैं कि कुछ होने वाला है लेकिन अभी यह आवाज प्रसिद्ध हो कि परमात्मा द्वारा यह नई दिल्ली बनाने वाले आ गये हैं । यह अभी स्पष्ट रीति से आना चाहिए ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ “परमात्मा द्वारा यह नई दिल्ली बनाने वाले आ गये हैं” – आज यह सन्देश आत्माओं को सुनाया ?
───────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ नाउम्मीदी की चिता पर बैठी हुई आत्माओं को नए जीवन का दान देने वाले ही त्रिमूर्ति प्राप्तियों से संपन्न बन सकते है... क्यों और कैसे ?
❉ नाउम्मीदी की चिता पर बैठी हुई आत्माओं को जीवन में आशा की किरण दिखाना ही सर्वश्रेष्ठ सेवा है ।
❉ ऐसी आत्माओं को मुक्ति जीवन मुक्ति का वर्सा दिला हम परमात्म दुआओं के अधिकारी बनते हैं ।
❉ विश्व कल्याण के इस कार्य में सहयोगी बन हम कल्प कल्प विश्व महाराजन का वर्सा प्राप्त करते हैं।
❉ क्युकी वही रहमदिल होते है,सबको सुख शांति देना ही महापुण्य है।
❉ निराशा में आशा के दीपक जलाना,आत्माओ में उमंग उत्साह बढ़ाना उनकी दुवाओ का पात्र बनना है।
❉ नाउम्मीद आत्माओ में आश जगाना ही सबकी उम्मीदों का सितारा बनना है।
───────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ न्यारे और अधिकारी होकर कर्म में आना ही बंधनमुक्त स्थिति है... क्यों और कैसे ?
❉ हर कर्म करते बुद्धि का योग एक बाप से लगा रहे तो न्यारे और अधिकारी बन हर कर्म करते, कर्म के बंधन से मुक्त रहेंगे।
❉ स्वयं को निमित समझ हर कर्म ,करन करावन हार बाप की स्मृति में रह कर करेंगे तो बन्धन मुक्त स्तिथि का अनुभव सहज ही होगा।
❉ स्वयं को ट्रस्टी समझ हर कर्म करें गें तो हर कर्म न्यारे और अधिकारी बन कर,कर सकेंगे।
❉ कर्म योगी बन कर हर कर्म करेंगे तो कर्मो के बन्धन से मुक्त,न्यारे और अधिकारी बन हर कर्म कर सकेंगे।
❉ व्यर्थ संकल्पों से मुक्त रहेंगे तो कर्म बन्धन मुक्त स्तिथि का अनुभव सहज ही कर सकेंगे।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔