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❍ 27 / 05 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °जितने न्यारे उतने प्यारे° बनकर रहे ?
‖✓‖ अपने आपसे °प्रतिज्ञा° की :- "अभी हम सच्ची कमाई करेंगे" ?
‖✓‖ सिर्फ °एक बाप से लव° रहा ?
‖✓‖ प्यार से बार बार कहा :- "°मेरा बाबा°" ?
‖✓‖ दूसरी आत्माओं को °बाप की याद दिलाई° ?
‖✓‖ तमोप्रधान मनुष्यों को °सतोप्रधान बनाने की सेवा° की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सभी को ठिकाना देने वाले °रहमदिल बाप के बच्चे° बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जो सदा बाप की याद में लवलीन रह मैं-पन की त्याग-वृत्ति में रहते हैं उन्हों से ही बाप दिखाई देता है । आप बच्चे नॉलेज के आधार से बाप की याद में समा जाते हो तो यह समाना ही लवलीन स्थिति हैं, जब लव में लीन हो जाते हो अर्थात् लगन में मग्न हो जाते हो तब बाप के समान बन जाते हो ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ मैं-पन की °त्याग-वृत्ति° में रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं रहमदिल आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सभी को ठिकाना देने वाले रहमदिल बाप की संतान मैं आत्मा भी रहमदिल हूँ ।
❉ सर्व भटकती हुई आत्माओं को ठिकाना मिल जाये, सभी का कल्याण हो जाये, यही शुभ भावना रखते हुए मैं सबको बाप का परिचय देती जाती हूँ ।
❉ अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली हर आत्मा को बाप का परिचय दे, बाप से मिलाने के निमित बन, बाप के कार्य में सहयोगी बनती जाती हूँ ।
❉ दाता पन की सीट पर सेट हो कर सर्व आत्माओं को रहम की अंजली देकर उन्हें सर्व समस्याओं से मुक्त करती जाती हूँ ।
❉ विश्व सेवा के कार्य को सदा स्मृति में रख, रहमदिल और महादानी बन सर्व आत्माओं को बाप से मिला कर उनका भाग्य बनाती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारा लव एक बाप से है क्योकि तुम्हे बेहद का वर्सा मिलता है, तुम प्यार से कहते हो - मेरा बाबा"
❉ लव का अर्थ है एक दो को बड़े प्यार से याद करना । स्थूल सम्बन्धो में भी जो एक दो को लव करते हैं वे आपस में एक दूसरे को याद करते रहते हैं ।
❉ लव होता ही उससे है जिससे हमे कुछ प्राप्ति होती है ।
❉ भल भक्ति मार्ग में भी परमात्मा को बड़े प्यार से याद तो सभी करते हैं परन्तु यथार्थ रीति ना जानने के कारण सच्चा लव नही रहता ।
❉ किन्तु अब परम पिता परमात्मा बाप ने आ कर हमे आत्मा - परमात्मा का यथार्थ परिचय और यथार्थ ज्ञान दे दिया है ।
❉ इसलिए अब हम आत्माओं का सच्चा लव एक परमात्मा बाप से है क्योकि उनसे हमे बेहद का वर्सा मिलता है । हम उन्हें " मेरा बाबा " कह बड़े प्यार से याद करते है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢ अपने आप से प्रतिज्ञा करनी है कि अभी हम सच्ची कमाई करेंगे। स्वयं को शिवालय लायक बनायेंगे।
❉ अभी तक हम घोर अँधियारे में थे व अज्ञानी थे । अब बाबा ने आकर दिव्य बुद्धि रूपी ज्ञान का तीसरा नेत्र दिया है जिससे अँधियारे से उजाले में आ गए है व अपने को पहचाना है।
❉ अपने को देह न समझ आत्मा समझ आत्मा के पिता परम आत्मा की याद में रहना है। यही सच्ची सच्ची कमाई है।
❉ हम सब आत्माओं का पिता एक ही है परमात्मा । परमात्मा स्वयं ही इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाने आते हैं व इस पढ़ाई से ही सच्ची अविनाशी कमाई से ही विश्व का मालिक बनेंगे।
❉ हर कर्म करते हुए मीठे परमात्मा की याद में रहना है व एक बाप से ही सच्चा सच्चा लव रखना है। जितना याद में रहेंगे उतने ही विकर्म विनाश होंगे व पावन बनते जायेंगे।
❉ नयी दुनिया यानि स्वर्ग में पावन बने बग़ैर तो आ ही नहीं सकते इसके लिए बहुकाल की याद की यात्रा का अभ्यास ज़रूरी है।श्रीमत पर सम्पूर्ण रीति से चलना है व दैवीय गुण धारण करने हैं।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सभी को ठिकाना देने वाले रहमदिल बाप के बच्चे रहमदिल होते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाप के सच्चे बच्चो को भी बाप की तरह विश्व कल्याण का फुरना रहेगा, दुखियो की पुकार सुनाई देगी।
❉ बाप ने हम आत्माओ को अपना डायरेक्ट बच्चा बनाया है और हमें जिम्मेदारी का ताज दिया है बाप के कर्तव्य में मददगार बनने का।
❉ निराकार बाप स्वयं तो हर आत्मा के पास जा कर बोलेंगे नही, हम इष्ट देव देवियों को अपने भक्तो की पुकार सुन उनका उद्धार करना होगा।
❉ आज दुनिया में आत्माये बहुत दुखी, परेशान, अशांत है। बाबा ने हम बच्चो को ज्ञान, गुण, शक्तियों से भरपूर किया है तो हम आत्माओ का कर्तव्य है बाप के अन्य बच्चो को भी प्राप्त करवाना।
❉ आज आत्माये अनेक देवी देवताओ गुरु गोसाई के पीछे भटक रही है, सच्ची प्राप्ति कही से भी नहीं हो पा रही है अब हमें उन्हें परमात्म अवतरण का सन्देश सुनाकर सच्चा मार्ग बताना है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ यथार्थ वैराग्य वृति का सहज अर्थ है - जितना न्यारा उतना प्यारा... कैसे ?
❉ यथार्थ वैराग्य वृति आत्मा को देह - भान और देह - अभिमान से मुक्त कर सर्व से न्यारा और बाप का प्यारा बना देगी ।
❉ यथार्थ वैराग्य वृति आत्मा को सब प्रकार के बंधनो से मुक्त कर देगी । जितनी आत्मा सर्व बंधनो से न्यारी होती जायेगी उतनी बाप की प्यारी बनती जायेगी ।
❉ यथार्थ वैराग्य वृति आत्मा को उड़ती कला का अनुभवी बना देगी जिससे आत्मा सहज ही सर्व से न्यारी और बाप की प्यारी बनती जायेगी ।
❉ यथार्थ वैराग्य वृति आत्मा को निरन्तर योगी सहजयोगी स्थिति द्वारा सर्व आकर्षणों से मुक्त कर न्यारा और प्यारा बना देगी ।
❉ यथार्थ वैराग्य वृति से आत्मा सब परिस्थितियों से उपराम बन, साक्षी और न्यारी स्थिति में स्थित होती जायेगी । जितनी आत्मा न्यारी होती जायेगी उतनी प्यारी होती जायेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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