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    29 / 04 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °समान और संपन्न° बनने पर पूरा अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ खाते पीते सब काम करते °पढाई पर पूरा ध्यान° रहा ?

 

 

‖✓‖ बुधी में °पढाई और पढाने वाले बाप° की याद से हर्षित रहे ?

 

‖✓‖ °आप समान° बनाने की सर्विस की ?

 

‖✓‖ "°अब नाटक पूरा होता है°... वापिस घर जाना है" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ °त्रिकालदर्शी° बनकर रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ कप-कल्प के °विजय की स्मृति° के आधार पर माया दुश्मन का आह्वान किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  मन्सा-सेवा बेहद की सेवा है । जितना आप मन्सा से, वाणी से स्वयं सैम्पल बनेंगे, तो सैम्पल को देखकर के स्वत: ही आकर्षित होंगे । सिर्फ दृढ़ संकल्प रखो तो सहज सेवा होती रहेगी ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ मन्सा से, वाणी से स्वयं °सैम्पल° बनकर रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं महावीर विजयी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मैं हर परिस्तिथि पर विजय प्राप्त करने वाली महावीर आत्मा हूँ ।

 ❉   दुश्मन का आह्वान कर, उसे पछाड़ने वाली मैं कल्प - कल्प की विजयी आत्मा हूँ ।

 ❉   मैं सदा त्रिकालदर्शी बन माया का डट कर सामना कर, उस पर जीत प्राप्त करती हूँ ।

 ❉   बाबा से मिली रूहानी शक्तियों को सही समय पर प्रयोग कर, मैं माया के तुफानो को खेल में बदल मनोरंजन का अनुभव करती हूँ ।

 ❉   सर्वशक्तिवान बाबा का वरदानी मूर्त हाथ सदा मेरे सिर के ऊपर है, इसलिए विजय का तिलक मेरे मस्तक पर सदैव चमकता रहता है ।

 ❉   बाप दादा का स्नेह और प्यार मुझ आत्मा को ज्ञान और योग के पंखो द्वारा सेकण्ड में स्थूल दुनिया और माया की परछाई से पार ले जाता है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अब नाटक पूरा होता है, वापिस घर जाना है, कलयुग अंत के बाद फिर सतयुग रिपीट होगा, यह राज सभी को समझाओ"

 

 ❉   यह सृष्टि एक बहुत बड़ा नाटक है, जहाँ हम सभी आत्मायें शरीर धारण कर पार्ट बजाने आई हैं ।

 ❉   असुल में हम सभी आत्मायें परमधाम की रहने वाली है और एक ही परम पिता परमात्मा की संतान है ।

 ❉   अब यह नाटक पूरा होता है ।इस लिए परमात्मा बाप आये हैं हम सभी आत्माओं को वापिस घर ले जाने के लिए ।

 ❉   अब इस कलयुगी दुनिया का अंत होगा और कलयुग अंत के बाद फिर सतयुग रिपीट होगा ।

 ❉   कल्प कल्प यह नाटक ऐसे ही रिपीट होता है । यह दुनिया नई सो पुरानी फिर पुरानी सो नई बनती है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ बापदादा की दिल पर चढ़ने के लिए श्रीमत पर बहुतों को आप समान बनाने की सेवा करनी है।

 

 ❉   बापदादा की दिल पर चढ़ने के लिए श्रीमत पर चलना है व पहली श्रीमत है अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है। इसीलिए देही-अभिमानी बनना है।

 ❉   जब स्वयं को आत्मा समझते है तो आत्मा के पिता परमात्मा की स्वत: ही याद आती है व आनी भी चाहिये कोईँ बच्चे को अपने पिता को याद करना पड़ता है या याद स्वत: आती है।

 ❉   लौकिक में भी कौन सा बच्चा माँ बाप के दिल पर चढ़ता है जो अच्छी सेवा करता है । बेहद का बाप तो हमारे लिए निस्वार्थ सेवा करता है तो हमें भी बाप समान निस्वार्थँ सेवा कर दूसरों को आप समान बनाना है।

 ❉   जो बच्चे बाबा की याद में रहते है व बाप के लव में लीन रहते हैं तो वह दूसरी आत्माओं को भी सत्य का ज्ञान देकर बाप का परिचय देकर अज्ञानता के रास्ते से निकालकर उन आत्माओं को अपने बाप से मिलाने की सेवा कर बाप के दिलतख्तनशीं बनते हैं।

 ❉   दु:खी अशांत आत्माओं को देखकर बाप की याद में रहने वाले बच्चों को देखकर लगता है कि जैसे हमें हमारा बाप मिला है ( प्रभु मिलन हुआ है) ऐसे इन आत्माओं का भी बाप से मिलन हो व सुख चैन मिले। ऐसे सर्विस वाले बच्चे बाप के दिल पर सदा राज करते हैं।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कल्प कल्प के विजयी की स्मृति के आधार पर माया दुश्मन का आव्हान करने वाले महावीर विजयी होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   "हम कल्प कल्प के विजयी है, अनेक बार हमने विजय प्राप्त की है" यह स्मृति हमें परिस्थितियों के आने पर बहुत हिम्मत देती है, हमारे उमंग उत्साह को बनाये रखती है।

 ❉   जब हमें कोई परिस्थिति पर अनेक बार विजयी होने का अनुभव रहता है तो वह परिस्थिति हमें बहुत छोटी खेल समान लगती है, और यह खेल खेलने में मजा आता है इसलिए माया का आव्हान करते रहते है।

 ❉   जब यह स्मृति रहेगी के मैंने यह पहले भी पार की है और विजयी रही हु तो इस बार भी मेरी विजय निश्चित है, विजयी हुई ही पड़ी है। इस स्मृति से हम बेफिक्र बादशाह रहेंगे।

 ❉   माया चाहे कितना भी वार करले अन्त में जीत हमारी निश्चित है, यह स्मृति माया के हर विघ्न में हमें अचल अडोल निश्चिंत बना देता है। यह सब सिर्फ साइड सीन सीनरिया है जो आयेंगी और चली जाएँगी। जो जितना सहज रूप से माया पर जीत पाता है उतना महावीर बनता जाता है।

 ❉   महावीर बच्चे माया के आने से घबराएंगे नहीं, उसका आव्हान करेंगे की आपको चाहे जो परीक्षा लेनी हो लेलो, हम तैयार है और हर परीक्षा में हमारी विजय निश्चित होनी ही है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ समय की सूचना है - समान बनो सम्पन्न बनो... कैसे ?

 

 ❉   समय की पुकार है बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बनना । और इसके लिए आवशयक है पुराने संस्कारों रूपी पत्तो को समाप्त कर बीज रूप आवस्था का निरन्तर अभ्यास।

 ❉   सच्चे सच्चे परवाने बन शमा अर्थात बाप पर पूरी तरह फ़िदा हो जाने वाले ही बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं ।

 ❉   समय की पुकार को सुन समान और सम्पन्न बनने के लिए जरूरी है सम्पूर्ण सरेंडर और सम्पूर्ण समर्पण । जो मन बुद्धि से सम्पूर्ण रीति बाप पर कुर्बान जाते हैं वही बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं ।

 ❉   बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने के लिए आधारमूर्त, उद्धारमूर्त और उदाहरण मूर्त का गुण बहुत जरूरी है ।

 ❉   सदा समर्थ, सर्व खजानो से सम्पन्न, बाप समान गुणमूर्त और शक्तिमूर्त आत्मा ही बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बन सकती है ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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