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❍ 27 / 12 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °समय और संकल्प° पर पूरा अटेंशन दिया ?
‖✓‖ °मेरे को तेरे° में बदला ?
‖✓‖ मस्तक में °लाइट° चमकती रही ?
‖✓‖ सदा फखुर में रह °बेफिक्र बादशाह° बनकर रहे ?
‖✓‖ सदा बापदादा को अपने °दिल्तख्त° में बिठाए रखा ?
‖✓‖ एक बार °हिम्मत का कदम° बड़ा बाप की हज़ार बार मदद प्राप्त की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ संपन्न और समान बनने के °तीव्र पुरुषार्थ° द्वारा साथ चलने की तैयारी अच्छे से की ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अपनी हर कमेन्द्रिय की शक्ति को इशारा करो तो इशारे से ही जैसे चाहो वैसे चला सको। ऐसे कर्मेन्द्रिय जीत बनो तब फिर प्रकृतिजीत बन कर्मातीत स्थिति के आसनधारी सो विश्व राज्य अधिकारी बनेंगे। हर कर्मेन्द्रिय 'जी हजूर' 'जी हाजिर' करती हुई चले। आप राज्य अधिकारियों का सदा स्वागत अर्थात् सलाम करती रहे तब कर्मातीत बन सकेंगे।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ आपकी हर कर्मेन्द्रिय °जी हजूर, जी हाजिर° करती हुई चली ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं युक्तियुक्त जीवनमुक्त आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ रूहानी शक्ति को हर कर्म में यूज़ करने वाली मैं युक्तियुक्त, जीवनमुक्त आत्मा हूँ ।
❉ अपनी रूहानियत की शक्ति से मैं स्वयं में तथा सर्व में परिवर्तन लाने वाली विशेष आत्मा हूँ ।
❉ रूहानियत की शक्ति मुझे अनेक जिस्मानी बंधनो के बंधन से मुक्त करती जाती है ।
❉ हर कर्म में रूहानी शक्ति को यूज़ कर मैं हर कर्म सहजता से करती जाती हूँ ।
❉ मनसा - वाचा - कर्मणा तीनो रूपों में रूहानियत की शक्ति के अनुभव द्वारा मैं निर्बल आत्माओं में शक्ति भरती जाती हूँ ।
❉ मैं निर्बल, दिलशिकस्त, असमर्थ आत्माओं को एक्स्ट्रा बल देने वाली रूहानी रहमदिल आत्मा हूँ ।
❉ मैं हताश और निराश आत्माओं के मन में आशा का दीपक जलाने वाला चैतन्य दीपक हूँ ।
❉ ज्ञान, शक्तियों और गुणों के रूहानी खजाने को मैं स्वाभाविक रीति से सर्व आत्माओं पर लुटाती रहती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "कर्मातीत अवस्था तक पहुँचने के लिए कंट्रोलिंग पावर को बढ़ाओ, स्वराज्य अधिकारी बनो"
❉ कर्मातीत अवस्था का अर्थ है कर्म करते भी कर्म के प्रभाव से मुक्त अवस्था । अर्थात हर कर्म करते भी कर्म के प्रभाव से न्यारा और प्यारा रहना ।
❉ और कर्मातीत अवस्था तक पहुँचने के लिए जरूरी है स्वराज्य अधिकारी बनना ।
❉ स्वराज्य अधिकारी तभी बन सकेंगे जब कंट्रोलिंग पावर होगी । अर्थात सभी कर्मेन्द्रियाँ वश में होंगी और हर कर्मेन्द्रिय ऑर्डर प्रमाण कार्य करेगी ।
❉ मन बुद्धि को एक सेकण्ड में जहां चाहे वहां स्थित कर लें । ऑर्डर करो परमधाम में चलो तो परमधाम में चलें जाएं, सूक्ष्म वतन में चलो तो सूक्ष्म वतन में पहुँच जाएँ ।
❉ इसे कहेंगे कंट्रोलिंग पावर । तो कर्मातीत स्थिति को पाने के लिए रोज कर्मेन्द्रियों की दरबार लगाओ और चेक करो कि संकल्प, समय और संस्कार सभी पर कण्ट्रोल है ?
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ समय और संकल्प पर पूरा अटेंशन देना है ।
❉ हर घड़ी मन बुद्धि को एक की ही याद में एकाग्रित रखे क्योकि पवित्रता की याद के चलते हर संकल्प पवित्रता से भरे होंगे और पवित्रता के संकल्प के चलते हर घड़ी सफल करने में सहजता होगी।
❉ बापदादा कहते है "मेरे राजे बच्चे" तो राजा की तरह सब कर्मिन्द्रियो पर राज्य करते अपने कंट्रोलिंग पावर से हर संकल्प व समय पर सम्पूर्ण अटेंशन देते उसे सफल करो।
❉ यह पुरुषोत्तम संगमयुग का समय आत्मा परमात्मा के मिलन का समय है ।इस समय जितना ज्यादा पुरुषार्थ कर प्राप्ति कर सकते हैं तो समय का ध्यान रखते हुए हम अपने संकल्पों पर पूरा अटेंशन देना है । समय का ध्यान रखते हमें कम खर्च बालानशीं बनना है ।
❉ एक ही समय में मनसा वाचा कर्मणा व् सम्बन्ध संपर्क में चाल चेहरा शक्तिशाली होंगे तो ऐसी स्थिति में कम समय व् कम मेहनत सफलता की सहज प्राप्ति होंगी।
❉ हमें हर समय स्वयं पर डबल अटेंशन देना है कि कोई ऐसा कर्म न हो जाए जिससे डिससर्विस हो जाए । समय ,संकल्प कर्म सब सेवा मे सफल करना है ।
❉ नयी दुनिया में तभी जा सकेंगे जब संगमयुग के महत्व जानेंगे । बाबा की याद में योगयुक्त रह पदमों की कमाई जमा करनी है ।
❉ जैसे बीता हुआ समय वापिस नहीं आता उसी प्रकार लिए हुए संकल्प भी वापिस नहीं आते । संगम का समय 84 जन्मों के बाद पूरे 5000 बाद मिला है इसलिये शुभ संकल्पों के साथ हर पल और हर संकल्प बाबा की श्रीमत का पालन करते हुए सफल करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ रूहानी शक्ति को हर कर्म में यूज करने वाले युक्तियुक्त जीवनमुक्त बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा की शक्तियों को हर समय हर कर्म में उपयोग लाने की प्रेक्टिस करते रहना चाहिए जिससे हमें हर कर्म में सफलता सहज प्राप्त होती जाती है।
❉ हर कर्म में बाबा की शक्तियों को प्रयोग करते रहने से हमारी रूहानी पर्सनालिटी सबको स्पष्ट दिखाई देती है और उसका सब पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है।
❉ बाबा सदेव कहते है अपने अलंकारो से सजे हुए रहो, अलंकारो को उतारो नहीं उन्हें सदा धारण करके रखो, यही अलंकर हमारी शक्तियों के प्रतिक है जो जड़ मूर्तियों में भी दिखाते है।
❉ बाबा ने बताया है सदेव योगयुक्त रहना है और साथ में बड़ी युक्ति से भी चलना है, हर समय हर कर्म व परिस्थिति अनुसार अपने को बहुत योगयुक्त और युक्तियुक्त स्थिति में रखकर चलना है।
❉ रूहानी शक्ति हमारे कर्मो में एक्स्ट्रा बल भरने का काम करती है, यह जैसे हमारे कर्मो में फ़ोर्स डालती है जो अन्य आत्माओ पर एक विशेष प्रभाव डालती है, और हमारे कर्म दुनिया से अलग दिखाई देते है। साधारण कर्म में भी एक विशेषता दिखाई देती है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सत्यता की विशेषता द्वारा ख़ुशी और शक्ति की अनुभूति करते चलो... कैसे ?
❉ सत्य को अपना साथी बना लेंगे तो परमात्मा बाप की मदद कदम - कदम पर मिलती रहेगी जो ख़ुशी और शक्ति की अनुभूति कराते हुए जीवन रूपी नैया को सहज ही पार ले जायेगी ।
❉ सत्यता का गुण व्यवाहर में सरलता, नम्रता और सहनशीलता लाता है और ये सभी गुण आत्मा को ख़ुशी और शक्तियों से भरपूर कर देते हैं ।
❉ सत्य को साथी बना कर जब सत्य बाप के साथ सत्य रहेंगे तो सर्व शक्तियों से आत्मा भरपूर रहेगी और ख़ुशी के खजाने से सदा सम्पन्न रहेगी ।
❉ सत्यता की विशेषता को जीवन में धारण करने वाले सदा साक्षीपन की सीट पर सेट रह , सर्व शक्तियों की अनुभूति करते हुए हर परिस्थिति में सदैव हर्षित रहते हैं ।
❉ सत्यता की शक्ति आत्मा को गुणों और शक्तियों का अनुभवी बना कर सिद्धि स्वरूप बना देती है और सिद्धि स्वरूप आत्मा सदैव खुशियों से सम्पन्न बन सर्व पर खुशियाँ लुटाती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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