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    03 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ "मैं आत्मा °निराकार° हूँ और हमारा बाप भी निराकार है" - यह स्मृति में रहा ?

‖✓‖ बाप से °सच्चे° होकर रहे ?

‖✓‖ °ब्रह्मा बाप° को फॉलो किया ?

‖✓‖ सर्व प्रति °गुणग्राहक° बने ?

‖✓‖ °मनसा और कर्मणा° दोनों सेवा साथ साथ की ?

‖✓‖ °पैगम्बर° बन सबको बाप और वरसे को याद करने का पैगाम दिया ?

‖✓‖ इस °छी-छी दुनिया को भूलने° का अभ्यास किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

➢➢ °डबल सेवा° द्वारा अलोकिक शक्ति का साक्षात्कार कराया ?

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अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-

➳ _ ➳ सभी शारीरिक और आत्मा रूप से खुश तो हो ना! हाथ हिलाओ। सभी के हाथ बापदादा देख रहे हैं। बहुत अच्छा। मुबारक हो। 

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ शारीरिक और आत्मा रूप से °खुश° रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ मैं विश्व सेवाधारी हूँ

 

 ✺   श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं आत्मा विश्व सेवक हूँ... बाप समान विश्व सेवाधारी हूँ । मैं आत्मा सदा विश्व परिवर्तन की सेवा में तत्पर हूँ ।

 ❉   स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने मुझे विश्व सेवा के निमित बनाया है।

 ❉   स्व परिवर्तन के आधार से विश्व परिवर्तन करने वाली मैं विशेष आत्मा हूँ।

 ❉   मैं आत्मा सदैव एक साथ मनसा और कर्मणा सेवा में तत्पर रहती हूँ ।

 ❉   मैं आत्मा साक्षात्कार मूर्त हूँ ... एक अलौकिक शक्ति हूँ ।

 ❉   सदा अपनी शक्तिशाली वृति से वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाली मैं विश्व परिवर्तक आत्मा हूँ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - खिवैया आया है तुम्हारी नईया पार लगाने, तुम बाप से सच्चे हो कर रहो तो नईया हिलेगी - डुलेगी लेकिन डूब नही सकती"

 

 ❉   खिवैया उसे कहा जाता है जो नईया को पार ले जाता है।

 ❉   आज सभी मनुष्य आत्माओं की जीवन रूपी नईया विकारों रूपी सागर में गोते खा रही हैं।विकारों रूपी सागर से इस जीवन रूपी नईया को एक अनुभवी खिवैया ही पार लगा सकता है।

 ❉   अब वही सबका खिवैया परम पिता परमात्मा सत्य बाप हम सब आत्माओं की जीवन रूपी नईया को पार लगाने के लिए आया हुआ है।

 ❉   लेकिन जो बाप से सच्चे हो कर रहेंगे उन्ही की जीवन रूपी नईया पार लगेगी।

 ❉   क्योकि गायन भी है ना सच की नईया हिलेगी - डुलेगी लेकिन डूब नही सकती।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ "घर की याद के साथ-साथ पावन बनने के लिए बाप को भी ज़रूर याद करना है"।

 

 ❉   सिर्फ़ एक पाठ पक्का करो कि हम देह नही आत्मा हैं। इसी पार्ट से बाप की याद रहेगी और पावन भी बनेंगे।

 ❉   जो चीज़ अपनी होती है व प्यारी होती है उसकी याद स्वत: ही आती है करनी नहीं पड़ती। बाबा मेरा है तो बाबा की याद व घर की याद स्वत: ही आयेगी।

 ❉   बाप पतितो को पावन बनाने के लिए ही आते हैं। सबको सतोप्रधान बनाने क्योंकि अब घर जाना है। याद की यात्रा के बग़ैर पावन बन नहीं सकते।

 ❉   समय को याद रखना है कि ये पुरुषोत्तम संगमयुग है। प्राप्तियों का समय है, वरदानों से अपनी झोलियाँ भरने का समय है,जितना समय सफल करेंगे व जितना ज़्यादा याद में रहेंगे उतना अधिक पुरूषार्थ कर पावन बन घर जायेंगे।

 ❉   बिंदु बन बिंदु स्वरूप को याद करना है।बाप की याद से पवित्र बनना है। यह हमारा अंतिम जन्म है। पवित्र बने बग़ैर हम घर जा नही सकेंगे और सजायें खानी पड़ेगी।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ डबल सेवा द्वारा अलोकिक शक्ति का साक्षात्कार कराने वाले ही विश्व सेवाधारी है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सभी मनुष्य अब सुनना पसंद नहीं करते है, प्रेक्टिकल स्वरुप देखना चाहते है।

 ❉   अब हमें मनसा वाचा दोनों सेवाओ को बढ़ाना होगा, दोनों के बैलेंस से ही अलोकिक शक्तियों का साक्षात्कार करवा सकते है।

 ❉   क्युकी हमें आत्माओ को सिर्फ बोल के नहीं सेवा करनी है, मनसा शक्तियों की आज आत्माओ को अति आवश्यकता है।

 ❉   डबल सेवा के लिए परमात्मा से स्वयं का कनेक्शन जोड़ अलोकिक शक्तिया स्वयं में धारण कर शुभ भावना के शुद्ध वाइब्रेशन द्वारा आत्माओ की सेवा करनी है।

 ❉   जब तक हमारे चेहरे व चलन से अलोकिक शक्तियों का साक्षात्कार नहीं होगा कोई अन्य आत्मा की हम सेवा नहीं कर पाएंगे, शक्तिया पहले स्वयं में धारण करो तभी दुसरो को भी धारणा करवा सकते है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ सर्व प्रति गुणग्राहक बनो लेकिन फालो ब्रह्मा बाप को करो... कैसे ?

 

 ❉   ब्रह्मा बाप ने सम्पूर्ण बन कर अपना कार्य सम्पन्न किया ।यह नही सोचा कि यह ऐसा है, यह वैसा है।सबमे गुणों को देखा।ऐसे हमे भी ब्रह्मा बाप को फालो करना है।

 ❉   ब्रह्मा बाप का सद्गुणों पर पूरा ध्यान था।वे सदैव सबने गुण रूपी मोती चुगते और दुर्गुण रूपी कंकड़ छोड़ देते थे।ऐसे ही हमे भी गुण ग्राही बनना है।

 ❉   ब्रह्मा बाप सदैव दूसरों में उमंग उत्साह भर उन्हें प्रेरणा देते रहे। कभी किसी के अवगुणों को उजागर कर उन्हें दिलशिकस्त नही होने दिया।हमे भी ऐसे ही ब्रह्मा बाप को फालो कर सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना है।

 ❉   ब्रह्मा बाप सबमे गुण देखते हुए सदा सकारात्मक चिंतन करते थे।ऐसे ही हमे भी ब्रह्मा बाप को फालो करते हुए सबके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना है।

 ❉   ब्रह्मा बाप का व्यवहार सदैव सर्व के प्रति नम्र, उदार और करुणामय रहा।ऐसे ही हमे भी सर्व के गुणों के देखते हुए सब के प्रति करुणा मय बनना है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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