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    22 / 02 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं स्मृति सो समर्थ स्वरुप आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢  मास्टर ज्ञान सागर बन गुड़ियों का खेल समाप्त करना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ टीचर

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ °अथक, निरंतर सेवाधारी° बनकर रहे ?

‖✓‖ °हर सेकंड व संकल्प° विश्व कल्याण के प्रति लगाया ?

‖✓‖ °तन, मन और प्राप्त धन° विश्व सेवा में अर्पित किया ?

‖✓‖ दिन रात बाप द्वारा शक्तियों का वरदान लेते हुए °सर्व को देने वाले दाता° बनकर रहे ?

‖✓‖ सर्व आत्माओं के प्रति कल्याणकारी अर्थात °लाफुल और लवफुल° रहे ?

‖✓‖ °स्वस्थिति की सीट° पर रह परिस्थितियों पर विजय प्राप्त की ?

‖✓‖ सदा अपने को °महावीर° अथार्त ज्ञान के शस्त्रधारी अनुभव किया ?

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अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-

➳ _ ➳  बापदादा आगे पीछे कोने में भी बैठे हुए बच्चे को देख वाह बच्चे वाह का गीत गा रहे हैं। बापदादा देख रहे हैं कि हर एक बच्चा कितनी मीठी याद में बैठे हैं। कोने-कोने में आगे पीछे एक-एक बच्चा बाप को देख कितने हर्षित हो रहे हैं और बाप भी एक-एक बच्चे को देख वाह वाह बच्चे वाह के गीत गा रहे हैं क्योंकि बाप जानते हैं कि ऐसा मिलन भी सदा नहीं हो सकता। लेकिन आज यह साथ का अनुभव एक-एक बच्चे के स्नेह को देख सभी की दिल गदगद हो रही है। बाप को भी यह साकार में कभी-कभी का मिलन बहुत दिल को आकर्षित करता है।

 

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज पूरा दिन बाबा की मीठी मीठी याद में रहे ? बाप की याद में हर्षित रहे ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ सर्व पर रहम करो, 'वहम' और 'अहम' भाव को मिटाओ।

 

 ❉   बाबा कहते हैं, वर्तमान समय प्रमाण प्रमुख आवश्यता विश्व कल्याणकारी बन सर्व आत्माओं पर रहम करने की है।

 ❉   इसलिए सभी का लक्ष्य यही होना चाहिए कि चाहे कैसी भी अवगुण वाली, कड़े संस्कारो वाली, कम बुद्धि, पत्थर बुद्धि आत्मा हो।लेकिन हमे सभी पर रहम कर सबका कल्याण करना है।

 ❉   कभी भी रहम के बदले यह वहम पैदा नही करना कि यह कभी बदल नही सकते,यह तो हैं ही ऐसे आदि।ये सब वहम रहम की भावना को समाप्त कर देते हैं।

 ❉   इसी प्रकार अहम भाव अर्थात यह सोचना कि मैं ही सब कुछ हूँ-यह कुछ नही हैं।सब कुछ मैं ही कर सकता हूँ-यह कुछ भी नही कर सकते।यह मैं पन का भाव भी रहम दिल बनने नही देता।

 ❉   इसलिए वहम भाव और अहम भाव को समाप्त कर, रहम दिल की शक्ति से ऐसी समर्थ धरनी बनाओ जो किसी भी तरह की आत्मा परिवर्तित हो सके।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ तन, मन और प्राप्त धन सदा विश्व सेवा में अर्पण करेंगे।

 

 ❉   जब हमारे अंदर आत्म ज्ञान का दीपक जल उठता है तब हमें अहसास होता है कि मानवता के लिए अर्थात विश्व सेवा के लिए हमें भी कुछ करना है।

 ❉   जैसे दीपक सिर्फ़ ख़ुद के लिए नहीं जलता, दूसरे अँधियारी राह पर बिना ठोकर खाकर चले इसलिए जलता है इसी तरह आत्मज्ञानी और विवेकी आत्मा मानवता की सेवा में अपना तन-मन-धन लगाकर विश्व की सेवा करता है।

 ❉   ह्रदय की करूणा व उदारता से विश्व के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी का फ़र्ज़ भी महसूस होने लगता है। तन और मन को विश्व की सेवा में लगाकर शारीरिक व मानसिक रूप से अपने को मज़बूत महसूस करता है।

 ❉   बिना सेवा योग फलीभूत नहीं होता और बिना योग के सेवा में मन नहीं लगता। इसलिए ज़रूरी है कि हम यह कर्म करे । दोनों में पतंग और डोरी का साथ है। आसमान की ऊँचाइयाँ हो या आत्मिक ऊँचाइयाँ। ऊपर हम तभी उठेंगे जब तन, मन और प्राप्त धन विश्व सेवा में अर्पण करेंगे।

 ❉   बाबा कहते है कि संगम पर तन से, मन से और प्राप्त धन विश्व सेवा में अर्पण करेंगे तो उतना ही सतयुग में सुंदर काया पायेंगे व पद्म गुणा ख़ज़ाने पायेंगे । जैसे ब्रह्मा बाबा ने सब यज्ञ में लगाया तो सतयुग के नम्बर वन प्रिंस बनेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ मास्टर ज्ञान सागर बन गुडियो का खेल समाप्त करने पर ही स्मृति सो समर्थ स्वरुप बना जा सकता है.. क्यों और कैसे ?

 

 ❉   गुडियो का खेल समाप्त तब होगा जब यह ज्ञान हो की यह सब समय व धन की बर्बादी है इससे कुछ प्राप्ति नहीं होगी।

 ❉   मास्टर ज्ञान सागर बनने पर ही हमें यह बुद्धि में बेठेगा की "हम ही यह देवी देवता थे और अब फिर बन रहे है"तो गुडियो की पूजा बंद कर स्मृति सो समर्थि स्वरुप बन जायेंगे।

 ❉   जब तक गुडियो का खेल समाप्त नहीं करेंगे तब तक एक बाप पर सम्पूर्ण निश्चय कर पुरुषार्थ नहीं कर सकेंगे।

 ❉   सही व गलत के ज्ञान को बुद्धि में रख व्यर्थ की बातो पर समय वेस्ट न करने पर ही स्मृति सो समर्थी स्वरुप बना जा सकता है।

 ❉   क्युकी जब तक मास्टर ज्ञान सागर नहीं बनेंगे तब तक मन बुद्धि इधर उधर भटकते रहेंगे।

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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ जो समय पर सहयोगी बनते हैं उन्हें एक का पदमगुणा फल मिल जाता है...क्यों और कैसे ?

 

 ❉   समय पर सहयोग देने वाला सहज ही सभी की दुआयों का पात्र बन जाता हैं।ये दुआये लिफ्ट का काम करती है और उसे पदमगुणा फल की प्राप्ति कराती हैं।

 ❉   जो समय पर सहयोगी बनते हैं उन पर सदा परमात्म स्नेह की छत्रछाया रहती है।यह परमात्म छत्र छाया उन्हें हर कर्म में पदमगुणा फल की प्राप्ति करवाती है।

 ❉   समय पर सहयोगी बनने वाले के मन में सर्व के प्रति सदैव कल्याण की भावना समाई रहती है।विश्व कल्याण की भावना से उन्हें पदमगुणा फल की प्राप्ति सहज होती है।

 ❉   समय पर सहयोगी बनने वाले का हर कर्म, बोल और संकल्प श्रेष्ठ होने के कारण उसके हर कर्म से प्राप्त होने वाले फल को पदमगुणा फल में बदल देता है।

 ❉   समय पर सहयोग देने वाले को सर्व आत्माओ का और स्वयं परमत्मा के सहयोग   का पदमगुणा फल सहज ही प्राप्त होता है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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