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❍ 21 / 12 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °पढाई° पडी और पढाई ?
‖✓‖ अपने आपको °आपेही सुधारा° ?
‖✓‖ आपस में °क्षीरखंड° होकर रहे ?
‖✓‖ °मास्टर प्यार का सागर° बनकर रहे ?
‖✓‖ "अब हमें °प्यार की राजधानी° में चलना है" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ अपना °दैवी स्वरुप° सदा स्मृति में रहा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ बाप की याद द्वारा असंतोष की परिस्थितियों में सदा °सुख व संतोष° की अनुभूति की ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ महारथियों का पुरुषार्थ अभी विशेष इसी अभ्यास का है। अभी-अभी कर्म योगी, अभी-अभी कर्मातीत स्टेज। एक स्थान पर खड़े होते भी चारों ओर संकल्प की सिद्धि द्वारा सेवा में सहयोगी बन जाओ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ एक स्थान पर खड़े होते भी चारों ओर °संकल्प की सिद्धि द्वारा सेवा में सहयोगी° बनकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं महावीर आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ बाप की याद द्वारा असन्तोष की परिस्थितियों में, सदा सुख व संतोष की अनुभूति करने वाली मैं महावीर आत्मा हूँ ।
❉ नॉलेज की शक्ति के आधार पर पहाड़ जैसी परिस्थिति भी मुझे राई के समान हल्की अनुभव होती है ।
❉ अपनी अचल, अडोल और एकरस स्थिति के द्वारा दुःख की परिस्थिति अथवा घटना में भी मैं सुख की स्थिति बनाये रखती हूँ ।
❉ ड्रामा के हर सीन को नथिंग न्यू समझ बाबा की याद में मगन रह कर मैं हर परिस्थिति को साक्षी हो कर देखती हूँ ।
❉ स्वस्थिति में स्थित रह हर परिस्थिति को अपने वश में कर मैं सभी बातो से उपराम होती जाती हूँ ।
❉ मैं महावीर आत्मा बन, जीवन की सभी चुनौतियों को स्वीकार कर, अपनी शक्ति से उन्हें हरा कर अपनी दासी बना लेती हूँ ।
❉ माया के तुफानो और किसी भी प्रकार की परस्थितियों रूपी पेपर में भी मैं कभी कन्फ्यूज नही होती ।
❉ परमात्म स्नेह से मिलने वाली ख़ुशी, अतीन्द्रिय सुख व हल्केपन का प्रत्यक्ष फल हर दिन खा कर मैं अपने जीवन को आनन्दित करती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है, इसमें आशीर्वाद की बात नही, तुम सबको यही बताओ कि बाप को याद करो तो सब दुःख दूर हो जायेंगे"
❉ किसी भी पद की प्राप्ति का मुख्य आधार पढ़ाई होता है और पढ़ाई में अध्यापक की आशीर्वाद की नही बल्कि पढ़ाई पढ़ने वाले विद्यार्थी की मेहनत काम आती है ।
❉ इसलिये जैसे लौकिक पढ़ाई में भी जो विद्यार्थी अच्छी रीति पढ़ते हैं केवल वही विद्यार्थी अच्छे नम्बरो से पास होते है और पद भी अच्छा पाते हैं ।
❉ इसी प्रकार हमारी भी यह रूहानी पढ़ाई है । यहां भी सारा मदार पढ़ाई पर है । और इस पढ़ाई का सार है परम पिता परमात्मा बाप की याद ।
❉ जितना हम पढ़ाई को अच्छी रीति पड़ेंगे और पढ़ाएंगे अर्थात जितना याद में रह औरों को आप समान बनायेंगे उतना ऊंच पद पाने के अधिकारी बनेंगे ।
❉ इसलिए बाप समझाते हैं कि तुम्हे पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है, इसमें आशीर्वाद की बात नही । तुम्हे सबको यह बताना है कि बाप को याद करो तो तुम्हारे दुःख दूर हो जायेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ देह-अभिमान को छोड़ मास्टर प्यार का सागर बनना है । अपने दैवी करेक्टर बनाने है । बहुत-बहुत मीठा होकर चलना है ।
❉ अभी तक तो देह-अभिमान मे रहने के कारण मैं मेरेपन मे रहने के कारण विकारों मे गिरते गए व एक दूसरे पर क्रोध करते रहे । अब ज्ञान का दिव्य नेत्र मिलने पर अपने असली स्वरुप को पहचान दूसरे को भी आत्मा देखना है ।
❉ बाबा हमें रोज ज्ञान देते है ये देव आत्मा है ,बाबा का बच्चा है ,सब आत्मायें आपस में भाई भाई है ये बुद्धि मे रखना है। हम सब प्यार के सागर बाप के बच्चे मास्टर प्यार के सागर हैं । हमे सब के साथ प्यार से चलना है ।
❉ भगवान स्वयं हमें इस पतित दुनिया में पढ़ाकर पावन बनाने के लिए आते है व मनुष्य से देवता बनाने के लिए पढ़ाते है तो हमें भी अपनी चलन रॉयल बनानी है ।
❉ जितना बाबा की याद में रहते है तो आत्मा मे लगी जंक उतरती जाती है व आत्मा याद से सतोप्रधान बनती जाती है तो दैवीय गुणों की धारणा होती है । अभी दैवीय गुणों की धारणा करेंगे तभी तो नयी दुनिया मे देवताई पद प्राप्त करेंगे ।
❉ अपकारी पर भी उपकार करना है । कोई गुस्सा करें तो भी हमें प्यार से व मीठा बोलना है । हम कितनी गल्ती करते हैं बाबा फिर भी हमेशा अपने बच्चों को मीठे बच्चे कहकर बुलाते है तो हमें भी बाप समान मीठा बनना है व सबके साथ मीठा होकर चलनाहै ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बाप की याद द्वारा असन्तोष परिस्थितियो में, सदा सुख व सन्तोष की अनुभूति करने वाले महावीर कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ "यह लड़ाई है दिया और तूफान की" हम जगमग ज्योति पर माया के अनेक तूफ़ान आते है, इन तुफानो से पार होने का एक साधन है - "बाप की याद"।
❉ बाप की याद से ही हमें शक्ति मिलेगी जो हम कैसी भी परिस्थिति आये , चाहे माया कितना ही वार करे पर "हमारी हिम्मत और बाप की मदद" से सहज विजय प्राप्त कर लेंगे।
❉ माया वार अनेक करेगी, हजर्तुफान आएंगे परन्तु हमें बाप का साथ कभी नहीं छोदना है, उनकी याद में रहकर सबकुछ सहन करना है, जो अचल अडोल रह हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त करेंगे वही महावीर कहलायेंगे।
❉ जितना जितना हम ज्ञान योग में आगे बढ़ेंगे उतना हमारी परीक्षा लेने और हमारी चेकिंग करने माया अनेक प्रकार से आयेगी। "महावीर से माया भी महावीर बनकर लड़ेगी"।
❉ बाप की याद से सदा संतोष रहेगा, अशांत नहीं होंगे क्युकी हम जानते है हमारा बाप कल्याणकारी है, पुरुषोत्तम संगमयुग चल रहा है, सर्व शक्तिमान की हम संतान है तो हमें चिन्त्ता किस बात की।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपना दैवी स्वरूप सदा स्मृति में रहे तो कोई की भी व्यर्थ नज़र नही जा सकती... क्यों और कैसे ?
❉ अपने दैवी स्वरूप को सदा स्मृति में रखेंगे तो हर कर्म व्यर्थ से मुक्त यथार्थ और युक्तियुक्त होगा जिससे पुराने आसुरी संस्कारों पर सहज ही विजय प्राप्त कर नए दैवी संस्कारों को धारण कर पवित्र आत्मा बन सकेंगे ।
❉ अपने दैवी स्वरूप की स्मृति में रहेंगे तो वृति, दृष्टि और कृति पावन बनती जायेगी जिससे कोई की भी व्यर्थ नजर नही जा सकेगी ।
❉ अपने दैवी संस्कारो को सदा स्मृति में रखेंगे तो रॉयल आत्मा बन रॉयल्टी से भरपूर रहेंगे । और सदैव सर्व आत्माओं में गुणों को देखते और गुणों को धारण करते रहेंगे जिससे कोई की भी व्यर्थ नजर नही जायेगी ।
❉ बुद्धि में जब दैवी स्वरूप की स्मृति रहेगी तो व्यवहार में दिव्यता और अलौकिकता स्वत: आने लगेगी और जब हर कार्य दिव्य और आलौकिक होगा तो व्यर्थ देखना स्वत: समाप्त हो जायेगा ।
❉ दैवी स्वरूप की स्मृति आत्मा को अपने अलंकारी स्वरूप में स्तिथ रखेगी और अलंकारी मूर्त आत्मा का हर संकल्प और कर्म श्रेष्ठ और दिव्य होगा जो उसे व्यर्थ से मुक्त रखेगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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