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   30 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °पवित्र° बनने की गुप्त मेहनत की ?

 

‖✓‖ °दृष्टि बहुत शुद्ध° रही ?

 

‖✓‖ "बाप से हम °स्वर्ग का वर्सा° ले रहे हैं" - यह ख़ुशी रही ?

 

‖✓‖ ज्ञान का °सिमरन° कर सदा हर्षित रहे ?

 

‖✓‖ °आप समान° बनाने की सर्विस की ?

 

‖✓‖ "°ब्रह्मा सो विष्णु° कैसे बनते हैं" - इस टॉपिक पर सुनाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ बाप समान शुभ भावना से सेवा कर °अपकारियों पर भी उपकार° किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  योगबल द्वारा मन्सा सेवा करने के लिए अपने मन-वचन-कर्म की पवित्रता से साइलेन्स की शक्ति को बढ़ाओ तक किसी भी आत्मा की वृत्ति, दृष्टि को परिवर्तन कर सकते हो। स्थूल में कितनी भी दूर रहने वाली आत्मा हो, उनको सन्मुख का अनुभव करा सकते हो, इसको ही योगबल कहा जाता है।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ मन-वचन-कर्म की पवित्रता से °साइलेन्स की शक्ति° को बढाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं उपकारी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मैं शुभ भावना से सेवा करने वाली, बाप समान अपकारियों पर भी उपकार करने वाली उपकारी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने रहम की वृति और सर्व के प्रति शुभ भावना, शुभकामना रखते हुए मैं हर प्रकार की आत्मा के व्यवहार को सहज ही परिवर्तन कर देती हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा सदैव अपकारी पर भी उपकार करने वालीगाली देने वाले को भी गले लगाने वाली और निंदा करने वाले को भी सच्चा मित्र बनाने वाली हूँ ।

 

 ❉   मैं कभी भी किसी की कमजोरी दिल पर न रख सदैव रहमदिल, सभी की स्नेही और सहयोगी बनकर रहती हूँ ।

 

 ❉   सर्व आत्माओं को दिल से सच्चा स्नेह देने वाली, सर्व के प्रति शुभ कामना रखने वाली मैं आत्मा दिलाराम बाप के दिल रूपी तख़्त पर सदा विराजमान रहती हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा वाइसलेस बन दुखी आत्माओ  के दुःख और अशांति की स्थिति को जान उन्हें सुख और शान्ति के वायब्रेशन्स द्वारा शीतल करती जाती हूँ ।

 

 ❉   आवाज से परे शांत स्वरूप की स्थिति में रहते सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति द्वारा मैं आत्मा सर्व आत्माओं को सुख की  अनुभूति कराती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप का प्यार लेना हो तो आत्म - अभिमानी हो कर बैठो, बाप से हम स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं, इस ख़ुशी में रहो"

 

 ❉   आत्मा को सच्चे आनन्द की प्राप्ति तभी होती है जब उसका मिलन अपने पिता परम आत्मा के साथ होता है ।

 

 ❉   अब वही परम पिता परमात्मा हम आत्माओं के साथ मिलन मनाने इस धरती पर आये हुए हैं ।

 

 ❉   किन्तु उनके प्यार का अनुभव हम तभी कर सकते हैं जब उनके समान अपनी वास्तविक आत्मिक स्मृति में स्थित हो जाये ।

 

 ❉   इसलिए बाप कहते हैं कि उनका प्यार लेना हो तो आत्म - अभिमानी हो क़र बैठो ।

 

 ❉   सदा इसी ख़ुशी में रहो कि हम बाप से स्वर्ग की बादशाही ले रहे हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ राजाई पद प्राप्त करने के लिए ज्ञान और योग के साथ-साथ आप समान बनाने की सर्विस भी करनी है ।

 

 ❉   बिंदु बन बिंदु बाप को ही याद करना है । जितना आत्मिक स्थिति में रहते हैं तो बाप के साथ जुड़े रहते हैं व बाप समान मीठे बनते हैं ।

 

 ❉   हम सभी आत्माओं की पिता एक ही है वह है- सदा शिव कल्याणकारी । इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाकर पावन बनाने आता है व 21 जन्मों के लिए राजाई पद देता है तो ऐसे ऊँच ते ऊँच बाप का रिगार्ड रखकर हमें भी दूसरों को बाप का परिचय देकर आप समान बनाने की सर्विस करनी हैं ।

 

 ❉   कोई दुखी व अशांत आत्मा सम्पर्क में आती है तो उसको शांति की वायब्रेशनस देकर शांत करना है और उसे अज्ञानता के अंधेरे से निकाल ज्ञान का रास्ता बताना है ।

 

 ❉   बाप अपने बच्चों को निस्वार्थ प्यार देकर हमेशा अपने से ऊँची सीट पर बैठाते हैं तो ऐसे ही हम बच्चों को हरेक आत्मा के साथ सदा स्नेही व सहयोगी बन कर रहना है । अपकारी पर भी उपकार करना है ।

 

 ❉   इस कल्याणकारी संगमयुग पर ज्ञान सागर बाप ने दिव्य व आलौकिक ज्ञान देकर ज्ञानस्वरूप , प्रेम सागर बाप ने प्रेम स्वरूप ..... बनाया है उसीप्रकार हमें भी अंधों की लाठी बन आप समान बनाने की सेवा करनी है ।

 

 ❉   21 जन्मों के लिए राजाई पद व इतना ऊंच पद प्राप्त करना है तो उसके लिए पुरूषार्थ भी तो करना पड़ेगा । बाप हमें पढाकर जिन अमूल्य ज्ञान रत्नों से भरपूर करते हैं तो उन ज्ञान ख़ज़ानों को हमें भी बाँटते रहना है।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ शुभ भावना से सेवा करने वाले बाप समान अपकारियो पर भी उपकारी होते है... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   हमें हर आत्मा के प्रति सदा शुभ भावना ही रखनी है कोई हमें कुछ भी कहे तो यह समझो की वह आत्मा परवश है, उसकी आखो पर अज्ञानता की पट्टी बंदी हुई है, परन्तु हमें तो बाबा ने समझदार और त्रिकालदर्शी बनाया है न।

 

  ❉   बाबा कहते बच्चे "जो गाली दे उसे भी गले लगा लो, एक गाली देना अर्थात आपके आगे एक फुल चढ़ाना" कोई आपके आगे फुल चढ़ाये ये तो अच्छा लगता है न।

 

  ❉   हमें बड़े दिल वाले बाप के बच्चे है तो हमारे दिल भी बड़ा होना चाहिए।"किसी की गलती को माफ़ कर देना अच्छी बात है परन्तु उसको भूल जाना महानता है।"

 

  ❉   बाबा ने हम बच्चो को समाने की शक्ति है, सागर के बच्चे बन हर बुराई को समालो, और सहयोग की ऊँगली देकर शुभ भावना द्वारा उसको भी उचा उठा दो।

 

  ❉   हमने अनेक जन्मो से बाबा की ग्लानी की, अनेक गालिय दी फिर भी जैसे रहमदिल परोपकारी  बाबा ने हम आत्माओ पर उपकार किया और हमें अपना बच्चा बनाया, ऐसे हमें भी पुराणी बातो को बिंदी लगाकर सभी आत्माओ पर अब उपकार करना है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ज्ञान का सिमरण करना ही सदा हर्षित रहने का आधार है... कैसे ?

 

 ❉   ज्ञान का सिमरण बुद्धि की लाइन को क्लियर रखता है जिससे योग की गहन अनुभूति होती है और आत्मा हर्षित रहती है ।

 

 ❉   ज्ञान के सिमरण में स्वयं को बिजी रखने से व्यर्थ संकल्पों के प्रभाव से मुक्त रहते है और परमात्म मौज का अनुभव कर सदैव हर्षित रहते हैं ।

 

 ❉   ज्ञान का सिमरण आत्मा को बल प्रदान कर उसे शक्तिशाली बनाता है जिससे आत्मा सहज ही उड़ती कला के अनुभव द्वारा आनन्द के झूले में झूलती रहती है ।

 

 ❉   जितना ज्ञान का सिमरण मन में चलता रहता है उतना ही धारणाओं में वृद्धि होती जाती है और स्थिति शक्तिशाली बनती जाती है जो मन को हर्षित रखती है ।

 

 ❉  ज्ञान का सिमरण आत्मा को परमात्म शक्तियों का अनुभव कराता है और इन प्राप्तियों की स्मृति आत्मा को परम आनन्द से भरपूर कर देती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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