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❍ 01 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ नाम, मान, शान व साधनों का संकल्प में भी °त्याग° किया ?
‖✓‖ °सहनशीलता° का गुण धारण कर माया के विघनो में पास हुए ?
‖✓‖ विशाल बुधी बन इस बने बनाए °ड्रामा° को अच्छी रीति समझा ?
‖✓‖ °कर्मों के हिसाब° के इस खेल को अच्छी रीति समझा ?
‖✓‖ बाप द्वारा दी हुई °अच्छी मत° पर चलते रहे ?
‖✓‖ °सच्ची कमाई° करने पर अटेंशन रहा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ विशेषता रुपी संजीवनी बूटी द्वारा °मूर्छित को सुरजीत° किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ समय प्रमाण अब चारों ओर सकाश देने का, वायब्रेशन देने का, मन्सा द्वारा वायुमण्डल बनाने का कार्य करना है। अब इसी सेवा की आवश्यकता है क्योंकि समय बहुत नाजुक आना है।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °मन्सा द्वारा वायुमण्डल° बनाने की सेवा की ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विशेष आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ विशेषता रूपी संजीवनी बूटी द्वारा मूर्छित को सुरजीत करने वाली मैं विशेष आत्मा हूँ ।
❉ हर आत्मा को श्रेष्ठ स्मृति तथा विशेषताओं की स्मृति रूपी संजीवनी बूटी खिला कर उन्हें मूर्छित से सुरजीत बनाती जाती हूँ ।
❉ विशेषताओं के स्वरूप का दर्पण सर्व आत्माओं के आगे रख मैं सर्व आत्माओं की कमजोरियों को समाप्त करती जाती हूँ ।
❉ अपने रहम की वृति और सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, शुभकामना रखते हुए मैं हर प्रकार की आत्मा के व्यवहार को सहज ही परिवर्तन कर देती हूँ ।
❉ मैं आत्मा सदैव अपकारी पर भी उपकार करने वाली, गाली देने वाले को भी गले लगाने वाली और निंदा करने वाले को भी सच्चा मित्र बनाने वाली हूँ ।
❉ मैं कभी भी किसी की कमजोरी दिल पर न रख सदैव रहमदिल, सभी की स्नेही और सहयोगी बनकर रहती हूँ ।
❉ मैं आत्मा वाइसलेस बन दुखी आत्माओ के दुःख और अशांति की स्थिति को जान उन्हें सुख और शान्ति के वायब्रेशन्स द्वारा शीतल करती जाती हूँ ।
❉ आवाज से परे शांत स्वरूप की स्थिति में रहते सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति द्वारा मैं आत्मा सर्व आत्माओं को सुख की अनुभूति कराती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम अभी सच्ची - सच्ची पाठशाला में बैठे हो, यह सतसंग भी है, यहां तुम्हे सत बाप का संग मिला है, जो पार लगा देता है"
❉ पाठशाला होती है पढ़ाई के लिए, जहां विधार्थी बैठ अपने टीचर से पढ़ाई पढ़ते हैं ।
❉ हमारी भी यह सच्ची - सच्ची पाठशाला है, जहां स्वयं परम पिता परमात्मा हम आत्माओं को रूहानी ज्ञान देने के लिए हर रोज परमधाम से आते हैं ।
❉ किन्तु हम रूहानी स्टूडेंट कितने पदमापदम सौभाग्यशाली हैं क्योकि इस रूहानी पाठशाला में पढ़ाई के साथ साथ हमे सत का संग भी मिलता है ।
❉ क्योकि परम पिता परमात्मा बाप, टीचर के साथ साथ सतगुरु बन हमे सतसंग भी सुनाते हैं ।
❉ यह सतसंग अर्थात सत बाप का संग हमे पार लगा देता है, मुक्ति - जीवन मुक्ति का वर्सा दे 21 जन्मों के लिए सुखी, सम्पन्न बना देता है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ अनेक आपदा़यें आयेंगी, अत्याचार होंगे - ऐसे समय पर सहन करते बाप की याद में रहना है, सच्ची कमाई करनी है ।
❉ दुनिया वालों के लिए इस समय घोर कलयुग है व चारों और दु:ख, अशांति और अत्याचार है व दु:खों को सहन करने की शक्ति खत्म हो चुकी है। पुरानी दुनिया का विनाश होना ही है ऐसे समय पर परमपिता परमात्मा ने स्वयं हमें चुनकर अपना बनाया है तो सत के असली स्वरूप को पहचान कर हमें उसे यथार्थ रीति से याद करना है ।
❉ ये अनादि ड्रामा बना बनाया है व हरेक का पार्ट एक्यूरेट है । दु:ख सुख तो हमारे ही कर्मों का फल है व हमें उन्हें चुकतू करना ही है । बाप की याद में रहने से आने वाले विघ्न सहज ही पार कर लेते हैं ।
❉ जैसे जैसे बड़ी क्लास में जाते हैं तो पेपर भी मुश्किल होते जाते हैं व बड़े होते है इसी प्रकार जब बाप हमें नयी दुनिया का मालिक बनाते हैं तो हमें उसके लिए मेहनत तो करनी ही पड़ेगी व बड़े बड़े पेपर आपदाओं के रूप में आयेंगे व हमें उन्हें बाप की याद में रहने से पार करना है ।
❉ अनेक आपदा़यें आयेंगी , अत्याचार भी होंगे पर एक बाप से सच्ची प्रीत होगी व उसकी याद की छत्रछाया होगी तो कोई दु:ख की लहर अनुभव नहीं । भक्ति मार्ग में जिनका भी नाम है, जिनकी भी माला बनी है उन सब ने सहन किया है जैसे मीरा ने ज़हर पीया ।
❉ चाहे कैसी भी परिस्थिति आए, हर कर्म करते हुए अपने को आत्मा समझ बाप की याद में रहना है व याद में रहने से ही विकर्म विनाश होते हैं । यही सच्ची सच्ची अविनाशी कमाई है जो आत्मा के साथ जाएगी ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ विशेष आत्मा वह है जो अपनी विशेषता रूपी संजीवनी बूटी द्वारा मुर्छित को सुरजीत करने वाले हो... क्यों और कैसे ?
❉ जितनी हममे विशेषता होगी उतनी दूसरी आत्माये हमें देख कर्म करेंगी, हमें यह विशेष ध्यान-ध्यान रखना चाहिए की हम विश्व नाटक के मुख्य एक्टर एक्ट्रेस है, सरे विश्व की आत्माओ की नजर हम पर है। हमारा हर कर्म साधारण नहीं विशेष हो।
❉ हमारे हर कर्म व संकल्प इतने मीठे और ज्ञान से भरपूर हो की हमें देखते ही किसी को भी आत्मिक अनुभूतिया हो। हमारी विशेषताए आत्माओ के लिए संजिवनी बूटी का काम करे उन्हें अज्ञान नींद से जगाये।
❉ हम बच्चो का ही दृष्टान्त हनुमान बनाये है, आज आत्माये 5 विकारो में इतना लिप्त हो गयी है की स्वयं को बिलकुल भूल गयी है, अज्ञान नींद में सोयी हुई है। बाबा का ज्ञान आत्माओ के लिए संजीवनी बूटी है, जिससे आत्माये फिर से सुजाक होंगी और आत्म स्मृति आयेगी।
❉ जितना जितना हममे ज्ञान का जोहर भरता जायेगा उतना ही कोई कैसे भी कड़े संस्कार वाली आत्मा हो उनको एक सेकंड में ज्ञान का तीर लगेगा। कहा भी है अंत समय में भीष्म पितामाह जैसी आत्माओ को भी बाण लगने है।
❉ विशेष आत्मा वही है जिसने अपने में बाप की सर्व विशेषताए समाई हो, जो बाप समान बना हो, जिसको देखते ही बाप नजर आये। ऐसे जब हम बन जायेंगे तो हमें देख कर ही अनेक आत्माओ को बाप दिखाई देगा और हमारी आत्मिक स्थिति पावरफुल होने से उन्हें भी आत्मा अनुभूतिया होंगी।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ नाम - मान - शान व साधनों का संकल्प में भी त्याग ही महान त्याग है... क्यों और कैसे ?
❉ जब नाम - मान - शान व साधनो का संकल्प में भी त्याग होगा तभी आत्मा योगयुक्त स्थिति में स्थित रह, योग बल से शक्तिशाली बन सकेगी और सर्व प्रकार की कमजोरियों से मुक्त हो सकेगी ।
❉ नाम - मान - शान व साधनो को संकल्प में भी अर्पण करने से ही हम सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्त हो पायेंगे और आत्मा प्रभु चिंतन में लीन हो स्वयं को बलशाली अनुभव करेगी ।
❉ आत्मा निर्संकल्प अवस्था में स्थित हो , अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति तभी कर पायेगी जब हद के नाम - मान - शान व साधनो का संकल्प में भी त्याग होगा ।
❉ बुद्धि को शांत और एकाग्रचित बना कर प्रभु मिलन का आनन्द लेने के लिए जरूरी है कि बुद्धि नाम - मान - शान व साधनो के संकल्प के प्रभाव से भी मुक्त हो ।
❉ सदा रूहानियत के नशे में रह, दूसरों को भी रूहानियत का अनुभव वही आत्मा करा सकेगी जो हद के नाम - मान व शान के प्रभाव से मुक्त, निराकारी स्थिति में स्थित होगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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