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   31 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सर्व शक्तियों रुपी किरणें चारों और फैला °मास्टर ज्ञान सूर्य° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ याद की यात्रा में रहकर °वाणी को जोहरदार° बनाया ?

 

‖✓‖ °विचार सागर मंथन° कर स्वयं में ज्ञान रतन धारण किये ?

 

‖✓‖ °मुख से सदैव रतन° ही निकाले ?

 

‖✓‖ "हमें °रंग बिरंगी दुनिया का मालिक° बनना है" - इसी स्मृति से हर्षित रहे ?

 

‖✓‖ "इसी लड़ाई के बाद °स्वर्ग के द्वार खुलने° हैं" - ख़ुशी ख़ुशी से यह दूसरों को समझाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ अपने पूर्वज स्वरुप की स्मृति द्वारा °सर्व आत्माओं को शक्तिशाली° बनाया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  इस कलियुगी तमोप्रधान जड़जड़ीभूत वृक्ष की दुर्दशा देखते हुए ब्रह्मा बाप को संकल्प आता है कि अभी-अभी बच्चों के तपस्वी रूप द्वारा, योग अग्नि द्वारा इस पुराने वृक्ष को भस्म कर दें, परन्तु इसके लिए संगठन रूप में फुलफोर्स से योग ज्वाला प्रज्जवलित चाहिए। तो ब्रह्मा बाप के इस संकल्प को अब साकार में लाओ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ संगठन रूप में °फुलफोर्स से योग ज्वाल° प्रज्जवलित की ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आधार व उद्धारमूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अपने पूर्वज स्वरूप की स्मृति द्वारा सर्व आत्माओं को शक्तिशाली बनाने वाली मैं आधार व उद्धारमूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   इस सृष्टि रूपी वृक्ष का मूल तना तथा सर्व आत्माओं की पूर्वज मैं आत्मा ब्राह्मण सो देवता हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा सर्व आत्माओं के हर कर्म, कुल मर्यादाओं का व सर्व रीति रस्मो का आधार हूँ ।

 

 ❉   मुझ शक्ति सम्पन्न आत्मा से सर्व आत्माओं को श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति व सर्वशक्तियों की प्राप्ति होती है ।

 

 ❉   मेरे हर संकल्प और कर्म के आधार पर ही सम्पूर्ण सृष्टि के समय और स्थिति का आधार है, क्योकि मेरे हर कर्म को सृष्टि की सर्व आत्मायें फॉलो करने वाली हैं ।

 

 ❉   मैं जहान की नूर हूँ । सारा जहान मेरी आँखों की दृष्टि लेने की इन्तजार में है ।

 

 ❉   विश्व के परिवर्तन का आधार मुझ आत्मा की सम्पूर्णता पर निर्भर है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारी एम ऑब्जेक्ट है वण्डर फुल रंग - बिरंगी दुनिया ( स्वर्ग ) का मालिक बनना, तो सदा इसी ख़ुशी में हर्षित रहो, मुरझाया हुआ नही"

 

 ❉   भारत में सात वण्डर्स गाये गये हैं किन्तु वे सब है माया रावण के स्थूल वण्डर्स जिसमे अपरमअपार दुःख हैं ।

 

 ❉   वास्तव में वन्डर ऑफ दी वर्ल्ड तो एक ही है जिसे वण्डरफुल रंग - बिरंगी दुनिया यानि स्वर्ग कहते हैं, जिसकी स्थापना स्वयं परम पिता परमात्मा बाप ही आ कर करते हैं ।

 

 ❉   इसी रंग - बिरंगी दुनिया ( स्वर्ग ) का मालिक बनना ही हमारी एम ऑब्जेक्ट है ।

 

 ❉   जैसे लौकिक पढ़ाई में विद्यार्थियों की कोई ना कोई एम ऑब्जेक्ट होती है, जिसे पाने के लिए ही वो दिन रात मेहनत करते हैं ।

 

 ❉   इसी तरह से हमे भी अपनी एम ऑब्जेक्ट को स्मृति में रख तीव्र पुरुषार्थ करना है और सदा इसी ख़ुशी में हर्षित रहना है, किसी भी बात में मुरझाना नही है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ ज्ञान रत्नों के सागर से जो अविनाशी ज्ञान रत्न प्राप्त हो रहे हैं, उनकी वैल्यू रखनी है ।

 

 ❉   ज्ञान रत्नों के सागर बाप के बच्चे हैं तो हमें ज्ञान स्वरूप बन अविनाशी ज्ञान रत्नों को धारण करना है व उसकी श्रीमत प्रमाण ही हर कार्य करना है ।

 

 ❉   ज्ञान सागर बाप हमें स्वयं टीचर बनकर रोज़ दूर देश से पढ़ाने आते है व इस पढ़ाई से 21 जन्मों के लिए राजाई देते हैं, अपने से ऊँची सीट पर बैठाते हैं तो हमें उन ज्ञान रत्नों को अच्छी रीति धारण करना है ।

 

 ❉   जैसे लौकिक में कोई क़ीमती चीज़ होती है तो उसे सम्भाल कर रखते है ।अब बेहद का बाप हमें बेहद के अविनाशी रत्न देता है व एक एक रत्न लाखों का है तो उसकी कितनी सम्भाल रखनी चाहिए  ! उसकी सम्भाल के लिए बुद्धि क्लीन व क्लीयर करनी है तभी ये अविनाशी ज्ञान ठहर सकेगा ।

 

 ❉   ज्ञान सागर बाप हमें अखूट ज्ञान रत्नों से भरपूर करते हैं तो हमें उन्हें धारण कर अपने जीवन में प्रेक्टिकल में लाकर अनुभवीमूर्त बनना है व बाप का नाम बाला करना है ।

 

 ❉   ये अविनाशी ज्ञान रत्न ऊंच ते ऊंच बाप के सिवाय कोई दूसरा दे नहीं सकता । हमें सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देकर , हमें पढ़ाकर वंडर आफ दि वर्ल्ड की स्थापना कर रहा है तो हमें कितनी खुशी व नशा होना चाहिए !

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने पूर्वज स्वरुप की स्मृति द्वारा सर्व आत्माओ को शक्तिशाली  बनाने वाले आधार, उद्धारमूर्त होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हम ब्राह्मण आत्माये इस सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष की जड़ो में बेठे है, हम आधार है इस पुरे वृक्ष की सभी आत्माओ को प्रेम, सुख, शांति से सिचकर सबका कल्याण करने के।

 

 ❉   हम पूर्वज है, इष्ट देव देवियाँ है, हमें अपने वरदानी महादानी स्थिति में स्थित होकर अनेक आत्माओ को मुक्ति जीवनमुक्ति का वरदान देना है और उनका भी उद्धार करना है।

 

 ❉   हम पूर्वज आधार इस इस सृष्टि के, जो कर्म हम अभी करेंगे उसका ही हुबहू भक्ति में हमारे भक्त गायन पूजन करेंगे, हमें अनुसरण करेंगे।

 

 ❉   हम पूर्वज है, सभी आत्माये हमारे से आश लगाये बेठी है की हमारे पूर्वज हमारा उद्धार करेंगे। हम पूर्वज है यह स्मृति सदा रहे तो अपने को परमात्म शक्तियों से भरपूर कर मास्टर सर्वशक्तिमान बनकर अनेक आत्माओ को मुक्ति जीवनमुक्ति देकर उनका भी उद्धार करना है।

 

 ❉   "मै पूर्वज हु" इस स्मृति से हमारे में रहमदिल, जिम्मेवारी, निमित्त, आधारमूर्त हु यह स्मृतियाँ रहेंगी और हम व्यर्थ को छोड़कर समर्थ आत्मा बनेंगे। कभी किसी का दोष दिखाई नहीं देगा, सब ऐसे प्रतीत होंगे जैसे वह हमारे बच्चे है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ जो सर्व शक्तियों रूपी किरणें चारों और फैलाते हैं वही मास्टर ज्ञान - सूर्य हैं... कैसे ?

 

 ❉   जैसे सूर्य का काम है किचड़े को भस्म करना, अन्धकार को मिटाना, रोशनी देना तो इसी रीति मास्टर ज्ञानसूर्य अर्थात अज्ञान रूपी अन्धकार को मिटाने वाले ।

 

 ❉   शरीर को जब अग्नि द्वारा जला देते हैं तो सदा के लिए नाम, रूप और रंग समाप्त हो जाता है, ऐसे ही मास्टर ज्ञानसूर्य का कर्तव्य है ना सिर्फ अपनी बल्कि औरों की कमजोरियों को जला कर भस्म कर देना ।

 

 ❉   जो कभी भी मनसा में, वाणी में या सम्बन्ध - सम्पर्क में, संस्कारों में फेल नही होते, वही मास्टर ज्ञानसूर्य है ।

 

 ❉   अपनी कर्मेन्द्रियों पर जीत पाने वाले, सर्व विकारों को भस्म कर सदा विजयी बनने वाले ही मास्टर ज्ञानसूर्य हैं ।

 

 ❉   मास्टर ज्ञान सूर्य वह हैं जो सदा अपने लाइट - माइट स्वरूप में स्थित रह, सबको लाइट - माइट दे सदा उड़ती कला का अनुभव कराते रहते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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