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   19 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ बाबा की याद में °खुशियाँ° मनाते रहे ?

 

‖✓‖ बाप को फॉलो कर बाबा के समान °सर्विसएबुल° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ बाबा के डायरेक्शन पर चलकर °महावीर° बनने का पुरुषार्थ किया ?

 

‖✓‖ अपने आप को आपेही परखा की मैं ऊंचे से ऊंचा इम्तिहान पास कर °उंच पद पाने के लायक° हूँ ?

 

‖✓‖ °अशरीरी स्थिति° का अनुभव व अभ्यास किया ?

 

‖✓‖ °आत्मा भाई-भाई° को देखकर बात की ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °हज़ार भुजा वाले ब्रह्मा बाप° के साथ का निरंतर अनुभव किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जैसे देखना, सुनना, सुनाना-ये विशेष कर्म सहज अभ्यास में आ गया है, ऐसे ही कर्मातीत बनने की स्टेज अर्थात् कर्म को समेटने की शक्ति से अकर्मी अर्थात् कर्मातीत बन जाओ। एक है कर्म-अधीन स्टेज, दूसरी है कर्मातीत अर्थात् कर्म-अधिकारी स्टेज। तो चेक करो मुझ कर्मेंन्द्रिय-जीत स्वराज्यधारी राजाओं की राज्य कारोबार ठीक चल रही है?

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ चेक किया की मुझ °कर्मेंन्द्रिय-जीत स्वराज्यधारी राजा° का राज्य कारोबार ठीक चल रहा है ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सच्ची स्नेही आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   हजार भुजा वाले ब्रह्मा बाप के साथ का निरन्तर अनुभव करने वाली मैं सच्ची स्नेही आत्मा हूँ ।

 

 ❉   हर कार्य में करनकरावन हार बाप का सहयोग ले कर , स्वयं निमित बन मैं हर कार्य में सहज ही सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   हर संकल्प और सेकण्ड में बाप दादा के साथ का अनुभव मुझे हर कार्य करने में एक्स्ट्रा मदद प्रदान करता है ।

 

 ❉   प्रेम के सागर की लहरों में लहराती हुई मैं सबको प्रेम से भरपूर कर उमंग उत्साह दिलाती रहती हूँ ।

 

 ❉   मैं सदा एक बाप के स्नेह में लवलीन रहने वाली बाप की अति स्नेही आत्मा हूँ ।

 

 ❉   सेवा की स्नेही बन मैं सर्व आत्माओं के सामने बाप के स्नेह को प्रत्यक्ष कर सर्व की स्नेही बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   बाप के मधुर बोल मेरे मन में उठने वाले सभी प्रश्नो को समाप्त कर देते हैं ।

 

 ❉   बाप का असीम स्नेह मुझे हर श्रीमत का पालन करने का प्रोत्साहन देता है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - जब तक जीना है बाप को याद करना है, याद से ही आयु बढ़ेगी, पढ़ाई का तन्त ( सार ) है ही याद"

 

 ❉   परमात्मा को याद तो आज तक सभी मनुष्य करते आये किन्तु यथार्थ ज्ञान ना होने के कारण आज तक कुछ भी प्राप्ति नही कर सके, बल्कि निरन्तर दुखी ही होते आये ।

 

 ❉   क्योकि परमात्मा कौन है? कब आते है? क्या आ कर करते हैं? यह आज तक कोई भी नही जान सका ।

 

 ❉   किन्तु अब परमात्मा स्वयं आ कर हमे हमारा और अपना यथार्थ परिचय दे कर याद करने की यथार्थ विधि सिखा रहे हैं ।

 

 ❉   राजयोग की पढ़ाई पढ़ा कर हमे 21 जन्मों का वर्सा दे रहे हैं अर्थात विश्व महाराजन बना रहे हैं ।

 

 ❉   तो अब हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम पढ़ाई को अच्छी रीति पढ़े । इस पढ़ाई का तन्त ( सार ) है याद ।

 

 ❉   इस लिए बाप समझाते हैं कि जब तक जीना है बाप को याद करना है क्योकि याद से ही विकर्म विनाश होंगे और आयु बढ़ेगी ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप के डायरेक्शन पर चलकर महावीर बनना है , जैसे बाबा आत्माओं को देखते हैं , आत्माओं को पढ़ाते हैं , ऐसे आत्मा भाई-भाई को देखकर बात करनी है ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझेंगे तो देह रुपी विकार निकलता जायेगा व आत्मा के पिता परमात्मा की याद बनी रहेगी । यथार्थ याद में रहते हुए ऊंच ते ऊंच बाप की श्रीमत पर चल पुरुषार्थ कर महावीर बनना है ।

 

  ❉   अपने को बिंदु समझ बिंदु बाप से पढ़ना है व जब भी किसी से बात करो तो ये समझना है कि मैं आत्मा हूं व आत्मा भाई से ही बात कर रही हूं ।

 

  ❉   हम सब आत्माओं का एक ही पिता है परम आत्मा सदाशिव कल्याणकारी । परमात्मा स्वयं हम आत्माओं को पढ़ाते हैं व इस पढ़ाई से ही हम नयी दुनिया के मालिक बनेंगे ।

 

  ❉   ये शरीर तो विनाशी है व विनाश होने वाली शरीर को व सम्बंधों को क्यूं याद रखना । परमात्मा तो अविनाशी है फिर उसे कम याद करते है । उसके प्यार को अनुभव करने के लिए बिंदु बन बिंदु बाप को याद करना है ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझने से जो परमात्मा ने शक्तियां दी हैं - समेटने की शक्ति, समाने की शक्ति, निर्णय की शक्ति ... उनसे कितनी विपरीत परिस्थिति हो अनुकूल बन जायेंगी ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ हजार भुजाओं वाले ब्रह्मा बाप के साथ का निरंतर अनुभव करने वाले सच्चे स्नेही होते है ... क्यों और कैसे?

 

  ❉   हजार भुजाओं वाले ब्रह्मा बाप के ही मुखवंशावली बच्चे है व उनके द्वारा ही बाप हम बच्चों से नयी.दुनिया की स्थापना का कार्य करा रहे हैं ।जैसे आत्मा के बिना भुजायें काम नही कर सकती उसीप्रकार बापदादा के बिना भुजा रुपी बच्चे कुछ नहीं कर सकते ।

 

  ❉   हजार भुजाओं वाले बापदादा हर संकल्प और सेकंड अपने बच्चों के साथ है । बापदादा अपने बच्चों के बिना नहीं रह सकते व बच्चे भी बिना बापदादा के नहीं रह सकते भल कहीं भी चले जाएं । निरंतर साथ का अनुभव करते वाले सच्चे स्नेही होते हैं।

 

  ❉   बापदादा के साथ का  निरंतर साथ अनुभव करने वाले हर कार्य श्रीमत प्रमाण ही करते हैं व बापदादा की छत्रछाया को हमेशा अनुभव करते है तो बापदादा के स्नेही व सर्व के स्नेही बन जाते हैं । 

 

  ❉   जो बच्चे सरल स्वभाव के होते है तो अपनी हर बात साफ व सच्चे मन से सब बापदादा को बताते है तो बापदादा भी ऐसे सच्चे बच्चों को स्वयं याद करते हैं व बापदादा के दिल पर राज करते हैं।

  

  ❉   हजार भुजाओं वाले बापदादा का निरंतर साथ अनुभव करने वाले बच्चों को कभी किसी कार्य में मेहनत नहीं करनी पडती क्योंकि वो हर कार्य में हजार भुजाओं वाले बापदादा को आगे रखते है दो भुजाओं वाले को नहीं । तो बाप भी अपने बच्चों को स्नेह का रिटर्न देते हैं ।

 

  ❉   बापदादा के निरंतर साथ का अनुभव कर व स्नेह का प्रयत्क्ष स्वरुप हमें सेवा के प्रति स्नेही बन कर देना है जैसे बाप हमेशा हमारी सर्विस में लगे रहते हैं हमें भी निस्वार्थ भाव व निमित्त भाव से सर्विस कर स्नेही बनना है ।

 

  ❉   अगर हर परिस्थिति को साक्षी होकर देखने से और सहन करने की शक्ति और समेटने की शक्ति को यूज करते हुए दाता बनेगे तो हज़ार भुजा वाले बाबा का साथ सदा रहेगा ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अशरीरी स्थिति का अनुभव व अभ्यास ही नम्बर आगे आने का आधार है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   लंबे काल का अशरीरी बनने का अनुभव व अभ्यास होगा तभी अंत में कर्मातीत अवस्था बन सकेगी । इसलिये अभ्यास पर पूरा - पूरा अटेंशन ही आगे नम्बर दिलाएगा ।

 

 ❉   " नष्टोमोहा स्मृति लब्धा " इस अंतिम पेपर में जब हम पास होंगे तभी नम्बर आगे ले सकेंगे और यह तभी होगा जब निरन्तरकाल का अशरीरी स्थिति में स्थित रहने का अनुभव व अभ्यास होगा ।

 

 ❉   अशरीरी बनने का निरन्तर अभ्यास ही बन्धनमुक्त स्तिथि द्वारा सर्व सम्बन्धो से उपराम बना कर पास विद ऑनर में ले आएगा ।

 

 ❉   लम्बेकाल का अशरीरी अवस्था का अभ्यास ही मरजीवा बना कर एक सेकंड में आसानी से शरीर को छोड़ने में मददगार बन आगे नम्बर लाने का आधार बनेगा ।

 

 ❉   अंत समय एक बाप के सिवाए और किसी की भी याद ना आये, यह स्तिथि ही फर्स्ट डिवीज़न में आने का आधार है और इस स्तिथि को बनाने के लिए अशरीरी पन का लम्बे काल का अभ्यास जरूरी है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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