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❍ 23 / 11 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ एक °ईश्वरीय मत° पर चलकर सतोप्रधान बनने का पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ जीवन को °परिवर्तन° करने की दिल से प्रतिज्ञा की ?
‖✓‖ "°हिम्मते बच्चे मददे बाप°" - इसके अर्थ को यथार्थ समझकर बड़े कार्य में मददगार बनकर रहे ?
‖✗‖ सर्विस में आपस में कोई °अनबन° तो नहीं हुई ?
‖✗‖ किसी °भाई-बहन° से तो योग नहीं रखा ?
‖✗‖ कर्मेन्द्रियों से कोई °विकर्म° तो नहीं किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ अपने °मूल संस्कारों के परिवर्तन° द्वारा विश्व परिवर्तन करने का पुरुषार्थ किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ कोई भी सेवा के प्लैन्स बनाते हो, भले बनाओ, भले सोचो, लेकिन क्या होगा! उस आश्चर्यवत होकर नहीं। विदेही, साक्षी बन सोचो। सोचा, प्लैन बनाया और सेकण्ड में प्लेन स्थिति बनाते चलो। अभी आवश्यकता स्थिति की है। यह विदेही स्थिति परिस्थिति को बहुत सहज पार कर लेगी। जैसे बादल आये, चले गये। विदेही, अचल-अडोल हो खेल देख रहे हैं।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सोचते, प्लैन बनाते हुए सेकण्ड में °प्लेन स्थिति° बनाते चले ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं उदाहरण स्वरूप आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ अपने मूल संस्कारों के परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन करने वाली मैं उदाहरण स्वरूप आत्मा हूँ ।
❉ मैं लवफुल और लॉ फुल के बैलेंस द्वारा कड़े से कड़े संस्कारों वाली आत्मा के भी संस्कार परिवर्तन करती जाती हूँ ।
❉ दूसरों की कमजोरियों वा बुराइओं को जानते हुए भी क्षमाशील बन उन्हें क्षमा कर निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।
❉ मैं दिलशिक्सत आत्माओं को भी सहारा दे कर उनमें उमंग और उत्साह जगाती जाती हूँ ।
❉ अपने योग बल और पावरफुल वायब्रेशन्स से विश्व की समस्त आत्माओं को सहज ही परमात्म प्रेम का अनुभव कराती हूँ ।
❉ बेहद विश्व की सर्व आत्माओं को इमर्ज कर अपने शुभ संकल्पों और श्रेष्ठ वाइब्रेशन्स द्वारा मैं सर्व आत्माओं का कल्याण करती रहती हूँ ।
❉ अपनी मनसा शुभभावना द्वारा मैं एक दो की सहयोगी बन स्वयं आगे बढ़ते हुए औरों को भी आगे बढ़ाती जाती हूँ ।
❉ मुझ आत्मा के संकल्प व बोल में सदा कल्याण की भावना व कामना भरी रहती है । किसी भी आत्मा के रॉंग व्यवहार को देख, अपसेट होने की बजाये उसे रहम की दृष्टि द्वारा मैं सहज ही परिवर्तित करती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तन - मन - धन अथवा मनसा - वाचा - कर्मणा ऐसी सर्विस करो जो 21 जन्मों का बाप से एवजा मिले परंतु सर्विस में कभी आपस में अनबनी नहीं होनी चाहिए"
❉ संगठन में की गई कोई भी सेवा तभी सफल होती है जब उसमें सभी की एक मत हो ।
❉ सभी एक दूसरे के विचारों का सम्मान करें और एक दूसरे को सम्मान दें ।
❉ परमपिता परमात्मा शिव बाबा की संतान हम ब्राह्मण बच्चे भी इस समय ईश्वरीय सेवा में लगे हुए है ।
❉ इसलिए हमारा भी फर्ज बनता है कि हम तन - मन - धन अथवा मनसा - वाचा - कर्मणा ऐसी सर्विस करें जो सारे विश्व का कल्याण हो और 21 जन्मों का बाप से एवजा मिले ।
❉ और इसके लिए इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना है कि संगठन में सर्विस करते हुए कभी भी आपस में अनबनी ना हो । सभी विश्व कल्याण के इस कार्य में एक दो के सहयोगी बन आगे बढ़ते और बढ़ाते रहें ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ एक ईश्वरीय मत पर चलकर सतोप्रधान बनना है। माया की मत छोड देनी है । आपस में संगठन मजबूत करना है, एक दो के मददगार बनना है ।
❉ अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को याद.करना है । याद से ही विकर्म विनाश होंगे व आत्मा पर लगी जंग उतरती जायेगी व पावन बनेगी ।
❉ अब सत.का ज्ञान मिलने पर व ऊंच ते ऊंच बाप व श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बाप मिलने पर एक की ही श्रेष्ठ मत पर चलना है व अपनी मनमत या परमत मिक्स नही करनी । ऐसा श्रेष्ठ ज्ञान कोई दूसरा दे न सका ।
❉ जितना ज्यादा आत्मिक स्थिति मे रहते है उतनी बाप की याद बनी रहती है व जब बाप की याद रहती है तो माया भी बिजी देखकर भाग जाती है । बाप हमें सच्चा सच्चा ज्ञान देकर आप समान बना रहे हैं तो हमें भी देह अभिमान में आकर माया के वश नही होना , देही अभिमानी बनना है ।
❉ अब हम ईश्वरीय सम्प्रदाय के हैं व ईश्वरीय मत मिलती है तो हमें उस पर चलना है।पांच विकारों को छोड़ व माया को छोड़ देना है । बाप हमें तमोप्रधान से सतोप्रधान बनाने ही आए हैं ।
❉ जैसे लौकिक में कमेटी बनी होती है व कोई भी कार्य होता है तो कमेटी में मिलकर सब उसकी जिम्मेवारी लेकर कार्य को करते हैं व आगे बढ़ते हैं । इसी प्रकार संगमयुग पर बाबा भी यही कहते हैं कि मैं अकेले थोड़ा जाऊंगा सब को साथ लेकर जाऊंगा । सब को मिलकर नयी दुनिया की स्थापना के कार्य मे मददगार बनना है
❉ संगठन मे आपस मे एक दूसरे की राय मानते हुए उमंग उत्साह से आगे बढ़ते हुए मजबूत बनना है । पहले तो स्वयं का मददगार बनना है । भल कहीं भी जाओ वहां पर एक दो को बाप का परिचय देकर उनका कल्याण करते हुए मददगार बनना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपने मूल संस्कारों के परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन करने वाले उदाहरण स्वरुप होते है... क्यों और कैसे ?
❉ स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन होगा। जितना जितना स्व परिवर्तन करेंगे उतना ही हमें देख कर अन्य आत्माये भी परिवर्तन होंगी। हिम्मत का एक कदम पहले मुझे आगे बढ़ाना है।
❉ हम दैवी कुल की आत्माये माया के वश होकर अपने मूल संस्कारो को भूल गयी है, अब परमपिता परमात्मा शिव हमें फिर से उन्ही दैवी संस्कारों की स्मृति दिला रहे है। जब यह आसुरी संस्कार परिवर्तन होंगे और दैवी संस्कारो की धारणा हो जाएगी तब यह विश्व भी परिवर्तन हो जायेगा और फिर से भारत सोने की चिड़िया बन जायेगा।
❉ हम आत्माओ का मूल संस्कार है ही प्रेम, सुख, शांति, आनंद, पवित्रता इन संस्कारों को भूलने के कारण ही हम इतना दुखी हुए है। अब बाप फिर से वही दैवी दुनिया स्थापन करने आये है।
❉ अपने पुराने स्वभाव संस्कारों को अब पूर्ण रूप से परिवर्तन करना है, कोई भी बात पुरानी नहीं होनी चाहिए। अब दैवी संस्कार ही हमारी नेचुरल नेचर होनी चाहिए।
❉ जैसे सफ़ेद कपडे में छोटा सा दाग भी स्पष्ट दिखाई देता है वैसे हममे भी अब छोटी सी भी कोई बात रही होगी तो वह बहुत बड़े रूप में सिखाई पड़ेगी। इसलिए अब सम्पूर्ण परिवर्तन का समय है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अब प्रयत्न का समय बीत गया, इसलिये दिल से प्रतिज्ञा कर जीवन का परिवर्तन करो... कैसे ?
❉ अटेंशन पुरुषार्थ में तीव्रता लाता है और पुरुषार्थ में तीव्रता ही परिवर्तन का आधार है । इसलिये स्व पर अटेंशन दे कर प्रयत्न करने की बजाए, स्वयं से दृढ प्रतिज्ञा कर जीवन को परिवर्तित कर सकेंगे ।
❉ जीवन में आगे बढ़ने के लिए कुछ नियमो और मर्यादाओं का पालन करना अनिवार्य है । इसलिए जो ब्राह्मण नियमो और मर्यादाओं को अपने जीवन में दृढ़ता से धारण कर लेता है उसके लिए जीवन का परिवर्तन करना सहज हो जाता है ।
❉ अपना आचरण और उच्चारण ब्रह्मा बाप समान बना ले और बाप समान सम्पूर्ण स्थिति को पाने की दिल से प्रतिज्ञा करे तो शीघ्र ही अपने जीवन को परिवर्तित कर बाप समान स्थिति को प्राप्त कर लेंगे ।
❉ जो उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो कर हर कार्य साहस और दृढ प्रतिज्ञा के साथ करते हैं, वे अपने जीवन को परिवर्तन कर, विश्व परिवर्तन के निमित बन जाते हैं ।
❉ जहां दृढ़ता होती हैं वहां मुश्किल से मुश्किल बात भी सरल हो जाती है । इसलिए दृढ संकल्प करके, स्वयं को परिवर्तन करने की प्रतिज्ञा जो बाप से करते हैं वे सरलता से अपने जीवन का परिवर्तन कर सकतें हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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