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❍ 07 / 03 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ एकांत में बैठ सच्चे सच्चे आशिक बन माशूक को याद किया ?
‖✓‖ जो सर्विसेबल बाप की दिल पर छाडे हुए हैं... उनका ही °संग° किया ?
‖✓‖ °अच्छी रीति पड़कर° औरों को पढाया ?
‖✓‖ अपने आप से प्रतिज्ञा की - "°कभी भी रोयेंगे नहीं°" ?
‖✓‖ माया की अधीनता को छोड़ °स्वंत्रता° का अनुभव किया ?
‖✗‖ °झरमुई झगमुई(परचिन्तन)° के वार्तालाप से वातावरण खराब तो नहीं किया ?
‖✗‖ एक बाप की याद के सिवाए और कोई °फिकरात° तो नहीं की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)
➢➢ देह भान का त्याग कर °निक्रोधी° बने ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-
➳ _ ➳ अभी हर एक को बाप की याद में रहना है, सेवा में आगे बढ़ना है और जो भी बिचारे अनजान रह गये हैं, उन्हों की सेवा चारों ओर बहुत खुशी-खुशी से करते रहना है। कोई उल्हना नहीं रह जाए कि आपको पता था, हमको पता नहीं पड़ा।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ बाप की याद में रह सेवा में आगे बड़ते रहे ? °सेवा बहुत ख़ुशी-ख़ुशी° से करते रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ मैं निर्मानचित आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं आत्मा सदैव देह भान से मुक्त हूँ , सदैव क्रोधमुक्त हूँ ।
❉ मैं आत्मा सदैव अपकारी पर भी उपकार करती हूं, गाली देने वाले को भी गले लगाती हूँ, निंदा करने वाले को भी सच्चा मित्र मानती हूँ ।
❉ मैं आत्मा स्व परिवर्तन दिखा विश्व प्रसिद्ध आत्मा हूँ ।
❉ अज्ञान रूपी अंधकार में भटकती आत्माओं को मैं चैतन्य दीपक बन रास्ता दिखा रही हूँ।
❉ बाबा की किरणों का फोकस उन आत्माओं पर डाल रही हूँ।
❉ बाबा की लाइट और माइट की किरणों का स्पर्श उन आत्माओं को कराकर मैं उन्हें राहत की अनुभूति करवा रही हूँ।
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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम बहुत लकी हो क्योकि तुम्हे बाप की याद के सिवाए और कोई फिकरात नही, इस बाप को तो फिर भी बहुत ख्यालात चलते हैं"
❉ प्रजापिता ब्रह्मा के हम सब बच्चे ब्रह्मा कुमार कुमारियाँ है।
❉ स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने प्रजा पिता ब्रह्मा द्वारा हम बच्चों को एडॉप्ट कर हमे ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण बनाया है।
❉ हम ब्राह्मण बच्चे कितने लकी हैं क्योकि हमारा काम तो केवल परम पिता परमात्मा शिव बाबा को याद करने का है।
❉ बाबा को याद करने के अलावा और किसी भी बात की फ़िक्र करने की हमे जरूरत ही नही है।फिकरात तो होती है माँ-बाप को।
❉ इसलिए सारी फिकरात ब्रह्मा बाबा को है क्योकि उन्हें कितने ढेर बच्चों का ख्याल रखना है।उनकी बुद्धि में तो सारा दिन यही ख्यालात चलते रहते हैं कि कैसे ढेर बच्चों को संभाले।
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)
➢➢ "जो सर्विसएबुल, बाप की दिल पर चढ़े हुए हैं उनका ही संग करना है। अपना रजिस्टर बहुत अच्छा रखना है"।
❉ जो पढा़ई अच्छी रीति करते हैं वे हल्केपन का अनुभव करते हैं व सर्विस में तत्पर रहते हैं। उनका संग करना है क्योंकि उनके उमंग-उत्साह को देखकर दूसरे में भी उमंग-उत्साह रहता है कि हमें भी आगे बढ़ना है।
❉ जो ज्ञान से भरपूर होते है व योगबल भी शक्तिशाली होता है तो उनका चार्ट बहुत अच्छा होता है। ज्ञान से भरपूर होने से सदा ज्ञान खजाने को बाँटते रहते है तो ऐसे का संग करके दूसरे भी तर जाते हैं। कहा भी है संग तारे कुसंग बोरे।
❉ जो सर्विसएबुल बच्चे होते हैं वो बाबा के नज़दीक़ होते हैं व प्यारे होते हैं। उनके चाल चलन से दूसरी आत्मायें प्रभावित होती हैं।
❉ जो सर्विसएबुल आत्मायें होती हैं उन्हें बाबा की हर पल मदद मिलती है व बाप स्वयं अपने उन बच्चों को याद करते हैं। ऐसे बच्चे श्रीमत की पालना करते हुए अपना रजिस्टर को बहुत अच्छा रखते हैं।
❉ सर्विसएबुल बच्चे हर कर्म करते हुए रूहानी नशे में रहते हैं व सेवा में स्वयं को बिजी रखते हैं। अपनी वृत्ति द्वारा वातावरण को शक्तिशाली बनाकर दूसरी कमज़ोर आत्माओं को शक्ति की वायब्रेशनस देकर साथ चलाते हैं।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)
➢➢ निर्मानचित्त बनने के लिए देह भान का त्याग कर निक्रोधी होना आवश्यक है... क्यों और कैसे ?
❉ क्रोध की अग्नि मनुष्य स्वमं पर से कण्ट्रोल ख़त्म कर देती है।
❉ देह भान में आने से मनुष्य अहंकारी हो जाता है, अहंकारी मनुष्य कभी झुकता नहीं।
❉ निर्मानचित्त होने के लिए हमें हमारा व्यवहार निर्मल, शीतल बनाना है, बहुत मीठा बनकर रहना है।
❉ निर्मानचित्त होने के लिए निमित्त भाव होना परम आवश्यक है, करनकरावनहार बाप है और हम निम्मित मात्र है यह पक्का हो।
❉ देह भान का त्याग कर निक्रोधी बनने पर ही हम सभी आत्माओ को प्यार से एक धागे में बाँध आगे चल सकेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)
➢➢ मौज का अनुभव करने के लिए माया की अधीनता को छोड़ स्वतंत्र बनो... कैसे ?
❉ सदा इसी नशे और ख़ुशी में रहें कि हमको भगवान चला रहा है।तो यह नशा सहज ही माया की अधीनता से छुड़ा कर मौज का अनुभव करवाएगा।
❉ बाप की याद से आत्मा को बलशाली बनाये तो माया की अधीनता से बच जायेगे और रूहानी मौज का अनुभव करेंगे।
❉ मायाजीत बन माया की टक्कर और चक्र से खबरदार रहें तो माया की अधीनता समाप्त हो जायेगी और मौज में रहेंगे।
❉ स्वदर्शन चक्रधारी बनेगे तो माया पास आने की हिम्मत नही करेगी। जिससे हम माया की अधीनता से बच जायेंगे और मौज का अनुभव करेंगे।
❉ परमात्म मिलन की मस्तियों में डूबे रहें तो रूहानी मौज का अनुभव, माया की अधीनता से सहज ही किनारा करवा देगा।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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