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❍ 18 / 08 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ सदा °सर्वस्व त्यागी° की पोजीशन में रहे ?
‖✓‖ "मुझ आत्मा में °अविनाशी पार्ट° नून्धा हुआ है" - सवेरे सवेरे उठ यह चिंतन किया ?
‖✓‖ अपना °जीवन हीरे जैसा° बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ जैसे बाप मीठा है... ऐसे °मीठा° बन सबको सुख दिया ?
‖✗‖ कोई भी °अकर्तव्य° कार्य तो नहीं किया ?
‖✗‖ °गफलत° तो नहीं की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °ऑनेस्ट° बन स्वयं को बाप के आगे स्पष्ट कर चढ़ती कला का अनुभव किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जैसे दु:खी आत्माओं के मन में यह आवाज शुरु हुआ है कि अब विनाश हो, वैसे ही आप विश्व-कल्याणकारी आत्माओं के मन में यह संकल्प उत्पन्न हो कि अब जल्दी ही सर्व का कल्याण हो तब ही समाप्ति होगी। विनाशकारियों को कल्याणकारी आत्माओं के संकल्प का इशारा चाहिये इसलिए अपने एवर-रेडी बनने के पॉवरफुल संकल्प से ज्वाला रूप योग द्वारा विनाश ज्वाला को तेज करो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ मन में यह संकल्प रहा की "अब जल्दी ही °सर्व का कल्याण° हो" ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं चढ़ती कला की अनुभवी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ ऑनेस्ट बन स्वयं को बाप के आगे स्पष्ट करने वाली मैं चढ़ती कला की अनुभवी आत्मा हूँ ।
❉ मैं जो हूँ जैसी हूँ - वैसे स्वयं को बाप के आगे प्रत्यक्ष कर बाप के दिल रूपी तख़्त पर सदा विराजमान रहती हूँ ।
❉ मन के सभी बोझ बाप के हवाले कर मैं बुद्धि से एकदम हल्की होती जाती हूँ ।
❉ बाप के साथ सच्ची रह कर अपने पुरुषार्थ के मार्ग को स्पष्ट करती जाती हूँ ।
❉ मनमत और परमत से दूर सदैव एक बाप की श्रीमत पर चल मैं प्लेन बुद्धि से प्लैन द्वारा सर्व का कल्याण करती जाती हूँ ।
❉ मैं अंतर्मुखी बन ज्ञान सागर की लहरों में लहराने वाली ज्ञान गंगा बन सबको रास्ता दिखाती हूँ ।
❉ एकाग्रता की शक्ति द्वारा मैं सर्व आत्माओं को हलचल से मुक्त करा कर सुख शान्ति की अनुभूति कराती हूँ ।
❉ सदा चढ़ती कला द्वारा, सर्व आत्माओं को चढ़ती कला का अनुभव कराने वाली मैं एकांतप्रिय आत्मा हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - सवेरे - सवेरे उठ यही चिंतन करो कि मैं इतनी छोटी - सी आत्मा कितने बड़े शरीर को चला रही हूँ, मुझ आत्मा में अविनाशी पार्ट नूँधा हुआ है"
❉ आज दिन तक हम स्वयं को देह समझने के कारण इस देह और देह की दुनिया को ही सच समझते आये ।
❉ किन्तु अब परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने आ कर हमे हमारे वास्तविक स्वरूप की पहचान दी है ।
❉ अब हम जान गए कि हम देह नही बल्कि इस देह में विराजमान, कर्मेन्द्रियों को चलाने वाली ज्योति बिंदु आत्मा हैं ।
❉ इस लिए बाबा कहतें हैं सवेरे - सवेरे उठ यही चिंतन करो कि मैं इतनी छोटी सी आत्मा कितने बड़े शरीर को चला रही हूँ ।
❉ मुझ आत्मा में 84 जन्मों का अविनाशी पार्ट नूँधा हुआ है । मैं आत्मा कितनी वन्डरफुल हूँ ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ जैसे बाप मीठा है , ऐसे मीठा बन सबको सुख देना है ।
❉ जैसे ऊँच ते ऊँच बाप अपने बच्चों से मीठे मीठे बच्चों कहकर समझाता है ऐसे लौकिक में भी कभी बाप ने कहकर नही समझाया । मीठा बाबा बच्चों के बार बार गल्ती करने पर भी हर बार कितने प्यार से समझाता है ऐसे हमें भी सबके साथ मीठा बनकर रहना है ।
❉ कहते है कि संग का रंग ज़रूर चढ़ता है तो फिर हमें सत का संग मिला है व अपने से भी ऊँची सीट पर बिठाता है । हमें फिर नीचे उतर देहभान की मिट्टी में अपने को गंदा नहीं करना व सब के साथ मीठा रह सुख देना है ।
❉ बाप का नाम ही है सदा शिव कल्याणकारी । बाप उत्तम ते उत्तम कल्याणकारी कार्य करने के लिए आते है व सबको सदगति देते है तो जो बाप कर्त्तव्य करते हैं तो बच्चों को भी ऐसे ही कर्त्तव्य करने चाहिये ।
❉ देहधारियों की याद में रहते है तो उनकी ही आसुरी मत पर चलते हैं व दुख देते हैं । अब जब बाबा ने अपना बच्चा बनाया है व हम उसके बन गये तो बाबा की श्रीमत पर चलते हुए बाप समान मीठा बन सबको सुख देना है ।
❉ जैसे बाबा अपकारी पर भी उपकार करते है व किसी को दुख नहीं देते निस्वार्थ प्यार देते हैं तो हमें भी सबको निस्वार्थ प्यार देते हुए सुख देना है ।
❉ जैसे 'बाबा' बोलते ही मन में ख़ुशी आती है , सुख मिलता है तो हम उस बेहद बाप के बच्चे है व हमारे चाल चलन में इतनी रूहानियत होनी चाहिए कि किसी को हमारे दो बोल सुनकर ही शांति मिले , सुख मिले व पवित्रता की वायब्रेशनस मिले ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ ऑनेस्ट बन स्वयं को बाप के आगे स्पष्ट करने वाले चढ़ती कला के अनुभवी होते है... क्यों और कैसे ?
❉ "सच्चे दिल पर साहेब राजी" जिनका दिल सच्चा और साफ़ होता है, तो उनकी हर मुराद बाप पूरी करता है, उनको सदेव बाप के साथ का अनुभव होता है।
❉ रूहानी बाप रूहानी सर्जन भी है, वह हम रूहो की खाद निकालने आये है, जितना सर्जन को बीमारी क्लियर बताएँगे उतना ही वह उन बीमारियों को ख़त्म करने की युक्तियाँ बताएँगे।बाप से छिपाया तो दवाई कैसे बता सकेंगे।
❉ जो पाप कर्म हम कर चुके है उनकी सजा तो कभी माफ़ नहीं होती, वह कर्मो का खाता तो बन गया। परन्तु आगे के लिए बाबा हमें शक्तियों से भरपूर कर देते है।
❉ जो बच्चे बाप से ऑनेस्ट रहते है उन्हें बाप की एक्स्ट्रा मदद मिलती है। उनमे इतनी दृढ़ता की शक्ति आ जाती है की बड़े से बड़ी धारणा सहज महसूस होती है।
❉ पुरुषार्थी अर्थात यह नहीं की गलतियाँ बार बार दोहराते रहे। पुरुषार्थी वह जो एक बार जो गलती हो गयी उसे दुबारा कभी न दोहराए। सदेव आगे बढ़ते रहे, कही अटक न जाये।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सच्चा तपस्वी वह है जो सदा सर्वस्व त्यागी की पोजीशन में रहता है... कैसे ?
❉ तन, मन, धन सब कुछ बाबा को समर्पित कर जो ट्रस्टी बन कर रहते हैं वही सदा सर्वस्व त्यागी की पोजीशन पर स्थित रहने वाले सच्चे तपस्वी बनते हैं ।
❉ मैं पन का त्याग कर, हर प्रकार के मान, शान और सम्मान की इच्छा से मुक्त रहने वाले ही सर्वस्व त्यागी और सच्चे तपस्वी कहलाते हैं ।
❉ देह के भान का त्याग कर, निरहंकारी स्थिति में सदा स्थित रह, सर्वस्व त्याग करने वाले सच्चे तपस्वी बनते हैं ।
❉ सर्वस्व त्यागी की पोजीशन में रहने वाले सच्चे तपस्वी वही बनते हैं जो हद की सर्व इच्छाओं और कामनाओ से मुक्त, पुराने स्वभाव, संस्कार का भी त्याग कर देते हैं ।
❉ निमित बन हर कर्म करने वाले और कर्म के फल की इच्छा ना रखने वाले ही सर्वस्व त्यागी की पोजीशन पर स्थित रह, सच्चे तपस्वी बनते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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