━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 01 / 06 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °दृढ़ता° से असम्भव को भी संभव किया ?
‖✓‖ बुधी को °रूहानी धंधे में बिजी° रखा ?
‖✓‖ बाप का पूरा पूरा °मददगार° बनकर रहे ?
‖✓‖ "हमने °84 का चक्र° पूरा किया ... घर जाने में बाकी थोडा समय है" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ अपने को इस दुनिया में °मेहमान° समझा ?
‖✗‖ इस दुनिया की कोई भी चीज़ में °मोह° तो नहीं रखा ?
───────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °परमात्म मिलन° द्वारा रूह रिहान का सही रिस्पांस प्राप्त किया ?
───────────────────────────
✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जैसे साइंस प्रयोग में आती है तो समझते हैं कि साइंस अच्छा काम करती है, ऐसे साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करो, इसके लिए एकाग्रता का अभ्यास बढ़ाओ। एकाग्रता का मूल आधार है-मन की कंट्रोलिंग पावर, जिससे मनोबल बढता है।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ मन की °कंट्रोलिंग पावर° से एकाग्रता को बढाया ?
───────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं बाप समान बहुरूपी हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ समय और परिस्थिति अनुसार अपना रूप परिवर्तन करने वाली मैं बाप समान बहुरूपी आत्मा हूँ ।
❉ मैं सेकण्ड में जब चाहे साकारी शरीर छोड़ आकारी फ़रिश्ता ड्रेस पहन और निराकार बिंदु स्वरूप में बाप से सहज मिलन मनाती हूँ ।
❉ बुद्धि की लाइन क्लियर होने के कारण मैं बाप दादा से रूह रिहान का क्लियर रेस्पॉन्स प्राप्त करती हूँ ।
❉ बाबा से टचिंग ले कर अपनी हर समस्या का समाधान कर मैं समाधान स्वरूप बनती जाती हूँ ।
❉ अपने बहुरूपी रूप द्वारा मैं माया पर भी विजय प्राप्त कर मायाजीत बनती जाती हूँ ।
❉ मेरा फरिश्ता स्वरूप मुझे एक पल में ही इस पुरानी दुनिया की तमोगुणी वृति से दूर ले जाता है ।
❉ अपने निराकार बिंदु स्वरूप में स्थित हो, परमधाम में प्यारे बाबा से मिलन का अतीन्द्रिय सुख प्राप्त कर आनन्द विभोर होती जाती हूँ ।
───────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हें स्मृति आई कि हमने 84 जन्मों का चक्र पूरा किया, अब जाते हैं अपने घर शांतिधाम, घर जाने में बाकी थोड़ा समय है"
❉ शास्त्रो में मनुष्य आत्मा की 84 लाख योनियों की बात कही गई है । किन्तु वास्तव में वह बात 84 लाख योनियों की नही बल्कि मनुष्य आत्मा के 84 जन्मों की है ।
❉ असुल में हम सब आत्माएं है और शान्तिधाम की रहने वाली है । इस सृष्टि रंग मंच पर शरीर धारण कर पार्ट बजाने के लिए आई है ।
❉ अपने वास्तविक स्वरूप और अपने 84 जन्मों को भूलने के कारण इस देह और देह की दुनिया को ही सच मान लिया हैं ।
❉ किन्तु अब परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने आ कर हमे हमारे वास्तविक स्वरूप और हमारे 84 जन्मों की स्मृति दिलाई है ।
❉ अब हम जान गए हैं कि हमने 84 जन्मों का चक्र पूरा किया । यह हमारा अंतिम जन्म है ।
❉ इस लिए अब हमे वापिस अपने घर परमधाम जाना है । घर जाने में अब थोडा समय रहा हुआ है । इसलिए अब इस पुरानी दुनिया से ममत्व निकाल देना है ।
───────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢ स्वयं को पापों से मुक्त करने का पुरूषार्थ करना है, देह अभिमान में कभी नहीं आना है।
❉ अभी तक तो घोर अँधियारे में थे व कीचडे के डिब्बे में पड़े थे बाबा ने चोटी से खींचकर बाहर निकाला है। सत का ज्ञान मिला तो इस संगमयुग पर स्वयं को पहचान कर व बाप को पहचान कर अपने को देही समझना है, शरीर नहीं।
❉ 63 जन्मों के पुराने संस्कार है इसलिए बार बार देहभान में आ जाते है। देह अभिमान में आते ही विकार आते हैं व पाप कर्म करते है। इसलिए बार बार आत्मिक स्थिति का अभ्यास करना है।
❉ जितना अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परम आत्मा को याद करेंगे, उतने हल्के होते जायेंगे, आत्मा से कट निकलती जायेगी व खुशी का पारा चढ़ जायेगा। पापों का बोझ भी कम होता जायेगा।
❉ जितना देही-अभिमानी स्थिति में रहते है तो बाप की याद बनी रहती है। आत्मा भाई-भाई की दृष्टि भी बनी रहती है तो पवित्रता बनी रहती है व पाप कर्म भी नहीं होते।
❉ मनसा वाचा कर्मणा किसी को भी दु:ख नहीं देना है, लूनपानी नही होना है। कोई पाप कर्म हो भी गया तो उसे बाप को सच्चा सच्चा सब बताकर सच्चा रहना हैं। 21 जन्म फिर पापों से हल्के होने का पुरूषार्थ करना है।
───────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ परमात्म मिलन द्वारा रूहरिहान का सही रिस्पांस प्राप्त करने के लिए बहुरूपी बनना है... क्यों और कैसे ?
❉ निराकारी बाप से रिस्पांस हम तभी प्राप्त कर पाएंगे जब हमारी भी निराकारी स्थिति हो।
❉ बाप के डायरेक्शन को तभी केच कर पाएंगे जब हमारी वाईसलेस स्थिति हो।
❉ साइलेंस की शक्ति द्वारा ही हम बाप की टचिंग को समझ पाएंगे।
❉ अभी अभी आकरी और अभी अभी निराकारी जब यह अभ्यास पक्का होगा तो एक सेकंड में बाबा के साथ बुद्धि का कनेक्शन क्लियर जोड़ सकेंगे।
❉ आत्म अभिमानी स्थिति जितनी पक्की होगी उतना बाबा से रूहरिहान का मजा आयेगा और बाबा की बाते इतनी क्लियर सुनाई देगी जैसे साकार मिलन कर रहे हो।
───────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ दृढ़ता असम्भव में भी सम्भव करा देती है... कैसे ?
❉ जहाँ दृढ़ता हैं वहाँ मुश्किल से मुश्किल बात भी सहज हो जाती है ।
❉ हिम्मते बच्चे मददे बाप गाया हुआ है । हम दृढ़ता से हिम्मत का एक कदम बढ़ाते है तो हजार कदमो के साथ बाप की मदद स्वत: मिलती है ।
❉ दृढ़ता से किया हर कार्य उमंग उत्साह से भरपूर होता है और उमंग उत्साह कठिन से कठिन कार्य को भी सहज बना देता है ।
❉ दृढ़ निश्चय से किये हर कार्य में पूरी लग्न और मेहनत समाई होती है और मेहनत सफलता की कुंजी है जो असफल को भी सफल कर दिखाती है ।
❉ दृढ निश्चय स्व स्तिथि को मजबूत बनाता है और मजबूत स्व स्तिथि कठिन से कठिन कठिन परिस्तिथि में भी विजयी बना देती है ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━