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   04 / 09 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपने °पैसे° भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में सफल किये ?

 

‖✓‖ अपना °बैग बैगेज° भविष्य के लिए तैयार किया ?

 

‖✓‖ "हम बाप के साथ गुप्त रूप से °दैवी राजधानी° की स्थापना कर रहे हैं" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ °उत्तम से उत्तम पुरुष° बनने के लक्ष्य की स्मृति बनी रही ?

 

‖✓‖ °रूहानी कनेक्शन° रखा, ब्लड कनेक्शन तो नहीं ?

 

‖✓‖ क्या क्यों के प्रश्नों को समाप्त कर सदा °प्रसन्नचित° रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ गोल्डन एजेड स्वभाव द्वारा °गोल्डन एजेड सेवा° की ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  अभी तो कुछ नहीं है, अभी तो सब कुछ होना है, डरना नहीं, खेल है। विनाश नहीं, परिवर्तन होना है। सबमें वैराग्य वृत्ति उत्पन्न होनी है इसलिए रहमदिल बन सर्व शक्तियों द्वारा परेशान आत्माओं को शक्ति की सकाश दे रहम करो।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ रहमदिल बन सर्व शक्तियों द्वारा परेशान आत्माओं को °शक्ति की सकाश° दी ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं श्रेष्ठ पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   गोल्डन एजेड स्वभाव द्वारा गोल्डन एजेड सेवा करने वाली मैं श्रेष्ठ पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   ईर्ष्या, द्वेष और जिद जैसे पुराने संस्कारों की अलाए को योग बल से भस्म कर मैं गोल्डन एजेड संस्कारों वाली आत्मा बनती जा रही हूँ ।

 

 ❉   स्वभाव में सदा हांजी के संस्कार द्वारा मैं सर्व की स्नेही आत्मा बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   समय अनुसार जैसी सेवा वैसे स्वयं को मोल्ड कर मैं रीयल गोल्ड बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   अभिमान व अपमान की फीलिंग को समाप्त कर निर्मान भाव से मैं विश्व सेवा के कार्य में तत्पर रहती हूँ ।

 

 ❉   ब्रह्मा बाप को कापी कर, बाप समान बनने का पूरा अटेंशन देते हुए मैं निरंतर आगे बढ़ती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने तीव्र पुरुषार्थ के आधार पर मै स्वयं को हर शक्ति से संपन्न बना रही हूँ ।

 

 ❉   अपने श्रेष्ठ पुरुषार्थ के आधार पर बाप से सहयोग ले स्वयं आगे बढ़, मैं औरो को सहयोग दे आगे बढ़ा रही हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे इस पुरूषोतम संगमयुग पर ही उत्तम से उत्तम पुरुष बनना है, सबसे उत्तम पुरुष हैं यह लक्ष्मी - नारायण"

 

 ❉   सभी युगों में सबसे श्रेष्ठ युग संगम युग को माना गया है इसलिए इस युग को पुरुषोत्तम संगम युग भी कहा गया है ।

 

 ❉   यह वह समय है जब परम पिता परमात्मा का आत्माओं के साथ डायरेक्ट मिलन होता है । भगवान स्वयं साकार तन का आधार ले हमसे मिलने आते हैं ।

 

 ❉   यह वह उत्तम से उत्तम समय है जबकि परमात्मा आ कर हमे सर्वोत्तम देवी देवता बनाते हैं ।

 

 ❉   सर्वोत्तम अर्थात सबसे उत्तम पुरुष कहा जाता है लक्ष्मी - नारायण को ।

 

 ❉   और लक्ष्मी - नारायण जैसा सर्वोत्तम पुरुष बनाने के लिए ही संगम युग पर परम पिता परमात्मा बाप आ कर हमे श्रेष्ठ से श्रेष्ठ मत देते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ अपना बैग बैगेज भविष्य के लिए तैयार करना है । अपने पैसे भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में सफल करने है ।

 

 ❉   जैसे हमें कहीं बाहर जाना होता है तो कई दिन पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं उसी प्रकार हमें ये पुरानी दुनिया को छोड़कर नयी दुनिया में जाना है तो नयी दुनिया में जाने के लिए तैयारी तो यहीं से करनी है ।

 

 ❉   ये शरीर तो विनाशी है व विनाशी चीज़ से लगाव नही रखना । अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है व यही सच्ची सच्ची कमाई है व इसका प्रालब्ध भविष्य में मिलेगा ।

 

 ❉   लोग कहते हैं कि ख़ाली हाथ आए हैं व ख़ाली हाथ जाना है । बाबा के हम ब्राह्मण बच्चे कहते हैं ख़ाली हाथ आए हैं व भरतु हाथ लेकर जाना है । जितना इस समय याद में रहकर पुरूषार्थ करते हैं उतना ही भविँष्य के लिए जमा करते हैं ।

 

 ❉   दुनिया वाले थोड़े ही जानते हैं कि हमें भगवान पढ़ाते है व हम गुप्त बाप से गुप्त रूप से पढ़कर 21 जन्मों के लिए वर्सा ले रहे हैं व भगवान भगवती बना रहे है । भविष्य के लिए हमें पद्मापदमपति बना रहे हैं ।

 

 ❉   इस कल्याणकारी संगमयुग पर हमें अपना तन मन धन सब यज्ञ की सेवा में लगाकर सफल करना है व जितना अभी लगाऐंगे उसका पद्म गुणा भविष्य में व नयी दुनिया स्वर्ग में प्राप्त करेंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ गोल्डन एजेड स्वभाव द्वारा गोल्डन एजेड सेवा करने वाले श्रेष्ठ पुरुषार्थी कहलाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हमारे दैवी गुणों की खुशबु से अनेक आत्माये सहज ही हमारी सहयोगी बनेंगी और हमें देख स्वयं भी कोई न कोई गुण उठाने का अवश्य पुरुषार्थ करेंगी।

 

 ❉   जितना जितना हमारे दैवी संस्कार बनते जायेंगे उतना ही हमारे द्वारा अनेक आत्माओ को हमारे चाल चलन, नैन चैन से परमात्म अनुभूतियाँ होंगी की यह कोई विशेष आत्माये है।

 

 ❉   "सन शोज फादर" आज दुनिया में गुरु कहलाने वाले अनेक है, परन्तु सच्चा ज्ञान व प्राप्ति कही नहीं है। हमें याद का इतना बल भरना होगा जो अथॉरिटी से बाप का परिचय दे किसी को भी ज्ञान बाण लगा सके, प्रजा तो बहुत बनती है परन्तु अधिकारी बच्चे बनाये यह है कमाल।

 

 ❉   स्नेह के सागर पिता परमात्मा के हम बच्चो को स्नेह स्वरुप बनकर सबको आगे बढ़ाना है, निर्बल को वरदानी रूप बन साथ लेकर चलना है, सबको गोल्डन एज्ड वर्से के अधिकारी बनाना है।

 

 ❉   श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ पुरुषार्थ है लक्ष्मी नारायण जैसा बनना, इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर ही हमें यह गोल्डन एज्ड संस्कार व गुण धारण करना है, हमें फॉलो फादर कर एक्सामप्ल बनकर दिखाना है। हमारा स्वभाव बहुत मीठा सबको सुख देने वाला होना चाहिए।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ क्यों क्या के प्रश्नों को समाप्त कर सदा प्रसन्नचित रहो... कैसे ?

 

 ❉   जो हर परिस्थिति में सदा राज़ी रहेंगे वो क्यों क्या के प्रश्नो को समाप्त कर स्वयं भी संतुष्ट रहेगे तथा औरों को भी संतुष्ट कर पायेंगे ।

 

 ❉   सदा साक्षीपन की सीट पर सेट रह सबके पार्ट को साक्षी हो कर देखे तो क्यों क्या के सभी प्रश्न समाप्त हो जायेंगे और सदा प्रसन्नचित रहेंगे ।

 

 ❉   दूसरों की करेक्शन करने की बजाये जब एक बाप से कनेक्शन रखेंगे तो सबको आत्मिक दृष्टि से देखेंगे और सबकी विशेषताओं को स्वयं में धारण कर सकेंगे जिससे क्यों क्या की क्यू से मुक्त हो जायेंगे ।

 

 ❉   नॉलेजफुल की सीट पर सेट रहने से ड्रामा का राज सदैव बुद्धि में रहेगा जिससे क्यों क्या में फंसने और किसी भी बात में अपसेट होने की बजाए उस बात को साक्षी हो कर देखेंगे और हर्षित रहेंगे ।

 

 ❉   गुण ग्राही बन जब सभी में गुण देखेंगे तो दूसरों की कमियों को देख दिलशिकस्त हो, क्यों क्या में नही आयेंगे बल्कि गुणों को देख सदा प्रसन्नचित रहेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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