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    14 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ अपने अन्दर के °विकारों की जांच° की ?

‖✓‖ °संतुष्ट और प्रसन्न° रह उडती कला का अनुभव किया ?

‖✓‖ °नष्टोमोहा° बन बाप को याद किया ?

‖✓‖ गिरे हुए को उठाकर °सहयोगी° बनकर रहे ?

‖✓‖ सदैव दाता अर्थात °रहमदिल° बनकर रहे ?

‖✓‖ अपनी ऐसी चलन रखी जो सब देखकर °फॉलो° करें ?

‖✓‖ "बाप जो सबका दुःख हरकर सुख देने वाला है... वह हमें श्रीमत दे रहे हैं" - यह °निश्चय° रहा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

‖✓‖ °रौब° के अंश का भी °त्याग° किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

‖✓‖ बापदादा द्वारा चलाये गयी °16/02/2015 की अव्यक्त वाणी को अच्छे से रीवाइज° किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)

 

➢➢ मैं स्वमानधारी पुण्य आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं आत्मा सदैव दाता की सीट पर सेट रह और रहमदिल अवस्था में स्थित हो सभी आत्माओं को मान देती हूँ।

 ❉   परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने मुझे श्रेष्ठ स्वमानों से सम्पन्न बनाया है।

 ❉   श्रेष्ठ स्वमान की स्तिथि मुझे हर परिस्तिथि से सहज ही उपराम बना देती है।

 ❉   मुझ आत्मा में कभी भी किसी आत्मा के प्रति भी संकल्प मात्र भी रौब नहीं रहता।

 ❉   मैं आत्मा सदैव गिरे हुए को उठा सभी आत्माओं की सहयोगी आत्मा हूँ।

 ❉   स्वमानधारी बन सर्व आत्माओं को सम्मान दे मैं सर्व के सम्मान की पात्र आत्मा बन जाती हूँ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम बच्चों को सुख-चैन की दुनिया में ले चलने, चैन है ही शांतिधाम और सुखधाम में"

 

 ❉   आज सारी दुनिया सुख - चैन की तलाश में भटक रही है लेकिन विनाशी पतित दुनिया में तो सुख - चैन की प्राप्ति हो नही सकती।

 ❉   इस पतित दुनिया में तो अपरमअपार दुःख हैं क्योकि यह तो है ही रावण राज्य दुखधाम।

 ❉   सुख - चैन तो है ही शांतिधाम और सुखधाम में।शांतिधाम में है शान्ति अर्थात चैन और सुखधाम में हैं अपरमअपार सुख।

 ❉   लेकिन शांतिधाम और सुखधाम में जाने का रास्ता सिवाए परम पिता परमात्मा के और कोई बता ना सके।

 ❉    अब वही परम पिता परमात्मा शिव बाबा आये हैं हम बच्चों को सब दुखो से छुड़ाये सुख-चैन की दुनिया में ले चलने के लिए।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ अपनी ऐसी चलन रखनी है जो सब देखकर फालो करें।

 

 ❉   हम भगवान के बच्चे हैं तो हमारी चाल चलन रायल होनी चाहिये व रायल्टी झलकनी चाहिये।

 ❉   जब हद में कोई राजा का बेटा होता है तो उसे कितनी ख़ुशी होती है, नाज होता है, हम तो बेहद के बाप के बच्चे हैं तो सदा हर्षितमुख रहना है। हमें सदा हर्षितमुख देखकर दूसरे पूछेंगे कि तुम्हें क्या मिला है व वो भी ये ख़ुशी पाना चाहेंगे।

 ❉   हर क़दम पर बाप अपने बच्चों को साथ दे रहा है, हिम्मत देकर हर पहाड़ जैसी परिस्थिति को रूई जैसा बनाता है, बेफिकर बादशाह बनाता है तो हर कठिन परिस्थिति में भी हमें निश्चिंत देखकर दूसरी आत्माओं का हौंसला बढता है।

 ❉   हमें हरेक के साथ बाप समान मीठा बनकर प्रेम से रहना है। चाहे कोई हमारे साथ गल्त करें तो भी शुभ भावना देते हुए आगे बढ़ना है। उल्टे बातें सुनकर अपना श्रृंगार नहीं बिगाड़ना है।

 ❉    बेहद के बाप प्यार का सागर, शक्तियों के सागर, क्षमा के सागर हैं । हम उनके बच्चे हैं ते हम भी मास्टर प्यार के सागर, मास्टर शक्तियों के सागर है। हमें वाणी द्वारा सबको सुख और शांति देनी है। जो बाप के गुण सो बच्चे के गुण।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ रोब के अंश का भी त्याग करने वाले ही स्वमानधारी पुण्य आत्मा बनते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   अहंकारी मनुष्य कभी देहि अभिमानी स्थिति में स्थित नहीं हो सकता।

 ❉   अहंकार हमारे सारे अलंकार छीन लेता है।

 ❉   रोब में आने वाले की बुद्धि एकाग्रता खो देती है।

 ❉   क्युकी उनका चित्त शांत और मन निर्मल होता है।

 ❉   वह सदेव हर परिस्थिति में स्वयं पर संतुलन बनाये अचल अडोल रहते है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ सन्तुष्टता और प्रसन्न्ता की विशेषता ही उड़ती कला का अनुभव कराती है... कैसे ?

 

 ❉   सन्तुष्टता और प्रसन्न्ता की विशेषता व्यक्ति को हर परिस्तिथि में अचल और अडोल बना कर उसे उड़ती कला का अनुभव कराती है।

 ❉   सन्तुष्ट और प्रसन्न व्यक्ति अपनी सन्तुष्टता और प्रसन्नता से दूसरों को भी सदैव सन्तुष्टता और प्रसन्नता का अनुभव करवा कर उड़ती कला में रहता है।

 ❉   संतुष्ट और प्रसन्न व्यक्ति परमात्म प्यार और सर्व की दुआओं का पात्र बन सदैव उडती कला का अनुभव करता है।

 ❉   सन्तुष्टता और प्रसन्नता की विशेषता व्यक्ति को इच्छा मात्रम अविद्या बना कर उसे उड़ती कला में ले जाती है।

 ❉   सन्तुष्टता और प्रसन्नता की विशेषता व्यक्ति को सहनशील बना कर उड़ती कला का अनुभव कराती है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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