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❍ 24 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ बाप का °पूरा पूरा मददगार° बनकर रहे ?
‖✓‖ संकल्प द्वारा भी किसी को दुःख न दे °संपूरण अहिंसक° बनकर रहे ?
‖✓‖ सत्य बाप द्वारा राईट रोंग की जो समझ मिली है... उससे °राईटियस° बन जीवन बंध से छुटने का अनुभव किया ?
‖✓‖ "इसी संगम युग में हम °कनिष्ट से उत्तम पुरुष° बनते हैं" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ °पढाई का सार° बुधी में रख याद की यात्रा को बढाया ?
‖✗‖ "°ड्रामा में होगा तो° पुरुषार्थ कर लेंगे" - ऐसा तो नहीं सोचा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °त्याग, तपस्या और सेवा° भाव की विधि द्वारा सफलता स्वरुप बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ सदा खुशी में झूलने वाले सर्व के विघ्न हर्ता वा सर्व की मुश्किल को सहज करने वाले तब बनेंगे जब संकल्पों में दृढ़ता होगी और स्थिति में डबल लाइट होंगे। मेरा कुछ नहीं, सब कुछ बाप का है। जब बोझ अपने ऊपर रखते हो तब सब प्रकार के विघ्न आते हैं। मेरा नहीं तो निर्विघ्न।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ "मेरा कुछ नहीं, °सब कुछ बाप का° है" - इस स्मृति से निर्विघन स्थिति का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा सफलता स्वरूप आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ त्याग, तपस्या और सेवा भाव की विधि द्वारा हर कार्य में सफलता प्राप्त करने वाली मैं सदा सफलता स्वरूप आत्मा हूँ ।
❉ त्याग वृति को धारण कर, सच्ची सेवाधारी बन मैं सर्व आत्माओं का कल्याण कर रही हूँ ।
❉ सर्व आत्माओं को बाप का परिचय दे उन्हें बाप से मिला कर मैं सबका भाग्य जगा रही हूँ ।
❉ दृढ संकल्प द्वारा तपस्वी मूर्त आत्मा बन सबको अपने तपस्वी स्वरूप द्वारा सुख, शांति की अनुभूति करा रही हूँ ।
❉ त्याग, तपस्या और सेवा द्वारा विश्व की आधारमूर्त आत्मा बन सर्व आत्माओं का उद्धार कर रही हूँ ।
❉ हद के मैं और मेरेपन से मुक्त हो, बेहद की वृति द्वारा सफलता स्वरूप बन हर कार्य में निर्विघ्न सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ सफलता का तिलक लगाये, मैं सदैव अपने चमकते हुए भाग्य और भविष्य की ऊँची उड़ान को अपने दिल रूपी आईने में देख, हर्षित होती रहती हूँ ।
❉ अपने हर संकल्प, बोल और कर्म को फलदायक बनाने वाली मैं रूहानी प्रभावशाली आत्मा हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - यह पुरुषोत्तम संगमयुग कल्याणकारी युग है, इसमें ही परिवर्तन होता है, तुम कनिष्ट से उत्तम पुरुष बनते हो"
❉ सभी युगों में सबसे श्रेष्ठ युग संगम युग को माना गया है इसलिए इस युग को पुरुषोत्तम संगम युग भी कहा गया है क्योकि यह कल्याणकारी युग है ।
❉ यह वह समय है जब परम पिता परमात्मा का आत्माओं के साथ डायरेक्ट मिलन होता है । भगवान स्वयं साकार तन का आधार ले हमसे मिलने आते हैं ।
❉ इस समय ही परिवर्तन होता है क्योकि संगम युग पर ही आ कर परमात्मा हमे श्रेष्ठ मत देते हैं, जिस पर चल कर हम कनिष्ट से उत्तम पुरुष बनते हैं ।
❉ स्वयं परम पिता परमात्मा बाप हमे पुरानी दुःख भरी दुनिया से निकाल कर सुख की दुनिया में ले जाते हैं ।
❉ इसी पुरुषोत्तम संगम युग पर हम अभी खड़े हैं जहां बहुत बड़ा परिवर्तन हो रहा है । पुरानी दुनिया का विनाश और नई दुनिया की स्थापना हो रही है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सत्य बाप द्वारा राइट-रांग की जो समझ मिली है , उससे राइटियस बन जीवन बंध से छूटना है । मुक्ति जीवनमुक्त का वर्सा लेना है ।
❉ सत बाप ने संगमयुग पर ही हमें सत का परिचय दिया व हमें झूठी विनाशी रौरव नर्क की दुनिया से निकला व हम पुरूषोत्तम संगमयुग में आकर राइट रांग को समझ सकें ।
❉ राइट रांग को समझाने वाला तो एक ही राइटियस होता है जिसको ट्रुथ कहते हैं । बाप ही आकर हर एक को राइटियस बनाते हैं ।
❉ यह अनादि बना बनाया अविनाशी ड्रामा है व एक्यूरेट है । हरेक का पार्ट एक्यूरेट है । ऐसा नहीं होता कि पार्ट पूरा हुआ तो मुक्ति मिल गई । आवागमन के चक्र से कोई नहीं छूट सकता । बाबा भी बँधा हुआ है तभी तो संगम पर अपने बच्चों के लिए आता है ।
❉ ज्ञानसागर बाप अपने बच्चों को ज्ञान देकर अनमोल रत्नों से झोलियाँ भरते हैं व जिसे धारण करते हुए कौड़ी तुल्य जीवन के हीरे तुल्य बनाते हैं । श्रीमत पर चलते हुए राइटियस बन जीवन बंध से छूटते हैं ।
❉ जितना याद की यात्रा में रहते हैं उतना ही विकर्मों का विनाश करते हुए पावन बन विनाशी बंधनों से स्वयं को मुक्त करते हैं व यथार्थ रीति याद में रहकर पावन बन मुक्ति व जीवन मुक्ति का वर्सा लेना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ त्याग, तपस्या और सेवा भाव की विधि द्वारा सदा सफलता स्वरुप बन सकते है... क्यों और कैसे ?
❉ त्याग का ही भाग्य बनता है, सबसे बडे ते बड़ा त्याग है देह अभिमान का त्याग, में और मेरा यह है सूक्ष्म देह अभिमान, जब इनका त्याग करेंगे तब हम एकाग्र मन बुद्धि द्वारा तपस्या कर सकेंगे।
❉ जितना जितना त्याग और तपस्या की होगी उस आधार पर सेवा स्वयं आपके पास चलकर आयेगी, आपको कही जाना या भटकना नहीं होगा अपेही आप सेवाधारी बन जायेंगे।
❉ दिल से बाबा की याद में रहकर जो भी सेवा करेंगे उसकी सफलता निश्चित हुई पड़ी है, जैसी सेवा भाव और भावना उसी के आधार से भाग्य भी बनता है।
❉ त्यागी पहले बनना पड़े तभी तपस्या भी कर सकेंगे, सन्यासी है हद के त्यागी बाबा ने हमें बेहद का त्यागी बनाया है, यह दुनिया, सम्बन्धी, पुराने संस्कार, सबका बुद्धि से त्याग करना है तभी हमारा मन बुद्धि एक बाप की याद में लग सकता है, नहीं यह इसी दुनिया में भागता रहेगा
❉ "तपस्वी वही जिसके अंग अंग हो शीतल" तपस्या के आधार से ही हमारी आत्मा में जोहर भरता है, आत्मा शक्तिशाली बनती है, आत्मा के गुण शक्ति इमर्ज होती है और आत्मिक स्थिति में स्थित होकर कोई भी सेवा करो तो उसकी सफलता निश्चित है। त्याग, तपस्या और सेवा ही सफलता हा आधार है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ संकल्प द्वारा भी किसी को दुःख न देना - यही सम्पूर्ण अहिंसा है... कैसे ?
❉ किसी के प्रति निगेटिव संकल्प चलाना भी हिंसा है इसलिए जितना शुद्ध संकल्पों का खजाना जमा करते जायेंगे, सम्पूर्ण अहिंसक बन सर्व का कल्याण कर सकेंगे ।
❉ संकल्प में भी किसी के प्रति दुर्भावना ना रख, सर्व के प्रति शुभ भावना और शुभ कामना रखना ही सम्पूर्ण अहिंसक बनना है ।
❉ सम्पूर्ण अहिंसक तभी बन सकेंगे जब श्रेष्ठ संकल्प शक्ति द्वारा दुखी और अशांत आत्माओं को सुख शांति की अनुभूति कराएंगे ।
❉ संकल्प में भी किसी आत्मा के प्रति कोई अकल्याण की भावना ना हो, इसलिए ड्रामा के राज को सदा बुद्धि में रख सबके कल्याण का भाव मन में रखना - यही सम्पूर्ण अहिंसा है ।
❉ हद की वृति और दृष्टि को बदल कर जब बेहद की वृति और दृष्टि बना लेंगे तो सम्पूर्ण अहिंसक बन संकल्प में भी किसी को दुःख नही दे सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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