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    08 / 02 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं दिल्तख्त्नशीन आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ शुद्ध संकल्प के व्रत द्वारा वृति का परिवर्तन करना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ टीचर

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

‖✓‖ अपने अनेक टाइल्स अथार्थ °स्वरुप स्मृति° में रखे ? 

‖✓‖ °जैसा समय वैसा स्वरुप° रुपी ड्रेस धारण कर फैशनेबल संगम्युगी ब्राह्मण बनकर रहे ?

‖✓‖ सदा रूहानी याद में रहने वाले °रूहे-गुलाब° बनकर रहे ?

‖✓‖ सदैव °रूहानी सजी सजाई मूर्त° बनकर रहे ?

‖✓‖ हर संकल्प व कर्म °बाप समान° रहा ?

‖✓‖ "मैं °मास्टर भगवान° हूँ" - यह स्मृति में रहा ?

‖✓‖ मनन करते °मगन अवस्था° में रहे ?

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अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-

➳ _ ➳  सभी खुश हैं! खुश हैं सभी, हाथ उठाओ । तैयार हो? तैयार हो ना! उमंग सबमें है, कुछ करना है, कुछ करना है, हो भी रहा है लेकिन स्पीड बढ़ाओ ।

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज पूरा दिन खुश रहे ? और उमंग में रहे की कुछ करना है ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

➢➢ मनन शक्ति ही मायाजीत बनने का साधन है।

शिवभगवानुवाच:-

 ❉   मीठे बच्चों तुम सबको दिव्य बुद्धि रूपी तीसरा नेत्र प्राप्त है।इस दिव्य बुद्धि द्वारा ही तुम बच्चे मुझ अपने बाप से मिलन मना सकते हो।

 ❉   तुम्हारी इस दिव्य बुद्धि की खुराक है मनन शक्ति।किन्तु इस खुराक को सही समय पर ना खाने के कारण कमजोर पड़ जाते हो।

 ❉   तुम्हारी इसी कमजोरी का फायदा उठा कर माया व्यर्थ संकल्पों के रूप में कर,बुद्धि पर वार करती है और मुझ से तुम्हारा बुद्धि योग तुड़वा देती है।

 ❉   जिससे तुम सर्व प्राप्तियों से वंचित रह जाते हो।बाप दादा द्वारा तुम्हे कितने टाइटल मिले हुए हैं।

 ❉   हर रोज अमृत वेले एक एक टाइटल को स्मृति में लाओ और उस पर मनन करते रहो तो यह मनन शक्ति तुम्हे सहज ही मायाजीत बना देगी।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

➢➢ इस वरदानी जन्म का हर सेकेंड सर्व प्राप्ति करने का सुहावना सेकेंड है

 ❉   क्योंकि इस ब्राह्मण जीवन में हमें परमपिता परमात्मा मिले हैं जिसको पाने के लिए हम कहाँ कहाँ भटकते रहे

 ❉   इस संगमयुग में स्वयं बाबा ने  हमें कोटों में कोई और कोई मे से भी कोई ढूँढकर अपना बनाया हम पद्मापद्म भाग्यशाली आत्माएँ हैं

 ❉    इस वरदानी समय में ही बाबा ने हमें दिव्य बुद्धि दी ज्ञान का तीसरा नेत्र खोला

 ❉   इस वरदानी जन्म में ही दिव्य बुद्धि द्वारा परमात्म मिलन परमात्म प्रेम की अनुभूति होती है

 ❉    इस वरदानी समय में ही हम संगमयुगी बच्चे रोज़ वरदानों से झोलियाँ भरते हैं जो प्राप्तियाँ करना चाहे पुरूषार्थ कर प्राप्त कर सकते हैं वरदानी मूर्त बन इसी नशे में उड़ने का समय है

 ❉   इस वरदानी जन्म में ही बाप , टीचर , सतगुरू , दोस्त , साजन सर्व सम्बंध निस्वार्थ भाव, निस्वार्थ प्रेम से निभाने वाला एक बाबा ही है

 ❉   क्योंकि यह जीवन बाबा ने वरदान प्राप्त कर देवता बनने के लिए  दिया है

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

➢➢ शुद्ध संकल्प के व्रत द्वारा वृति का परिवर्तन करके ही दिल तख्तनशीन बना जा सकता है ... क्यों और कैसे ?

 ❉   हमारे शुद्ध संकल्प से साकारात्मक वाइब्रेशन निकलकर दूसरी आत्माओं तक पहुँचते हैं जो उनकी वृति का परिवर्तन करने में कारगार साबित होते हैं।

 ❉   हमेशा अटेंशन बनाये रखें की हमारे द्वारा किये गए शुद्ध संकलपों से हमारे कर्म बंधन कटने लगते हैं ।

 ❉   स्वमान की सीट पर सेट रहने से और निरंतर बाप की याद में रहने से हम सदा शुद्ध संकल्पों करने का अभ्यास बढ़ाने में मदद मिलती है ।

 ❉   स्वयं को ऊँची स्थिति पर ले जाने की रूहानी लिफ़्ट है शुद्ध संकल्प ।

 ❉   शुद्ध संकल्पों के द्वारा चाहे सर्वश्रेष्ठ अर्थात ऊँची मंज़िल व दिलतख्तनशीन बना जा सकता है ।

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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

➢➢ जहां सर्व शक्तियां साथ हैं .. वहाँ निर्विघन सफलता है ही ... क्यों और कैसे ?

 ❉   बाबा की सर्व शक्तियों का अनुभव हमें सहज ही माया को दूर से परखने में मदद करता है ।

 ❉   सर्व शक्तियों का अनुभव हमें हर परिस्थिति में सरल चित और सहज बनाए रखता है ।

 ❉   सर्व शक्तियां के साथ से हमें हर विघन एक खेल नज़र आता है ।

 ❉   सर्वशक्ति स्वरूप् आत्मा का हर कदम हर कर्म स्वत्:ही शक्तिशाली होता है।इसलिए सफलता अवश्य मिलती है।     

 ❉   सर्वशक्तियां सदैव अधिकारी पन का अनुभव कराती है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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