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    26 / 05 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ स्वभाव बाप सामान °इजी° रहा ?

 

‖✓‖ °ज्ञानयुक्त बुधी° रही ? अभिमान तो नहीं आया ?

 

‖✓‖ °एम ऑब्जेक्ट° को सामने रख ख़ुशी में रहे ?

 

‖✓‖ जो बाप °प्रिंस - प्रिंसेस° बनाता है, कार्य करते हुए उसे भूले तो नहीं ?

 

‖✗‖ स्मृति-विस्मृति का °युद्ध° तो नहीं चला ?

 

‖✗‖ "सब थोड़े ही रजा बनेंगे" - इस तरह के ख़याल से °दिलशिकस्त° तो नहीं हुए ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ अपने °महत्व व कर्त्तव्य° की सदा स्मृति रही ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जो सदा बाप की याद में लवलीन अर्थात् समाये हुए हैं । ऐसी आत्माओं के नैनों में और मुख के हर बोल में बाप समाया हुआ होने के कारण शक्ति-स्वरुप के बजाय सर्व शक्तिवान् नज़र आयेगा । जैसे आदि स्थापना में ब्रह्मा रुप में सदैव श्रीकृष्ण दिखाई देता था, ऐसे आप बच्चों द्वारा सर्वशक्तिवान् दिखाई दे ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ नैनों में और मुख के हर बोल में °बाप समाया रहा° ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सदा जागती ज्योत हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मैं बीती को बीती कर, अपने महत्व कर्तव्य को जानने वाली सदा जागती ज्योत हूँ ।

 

 ❉   जग की ज्योति मैं आत्मा, जग के परिवर्तन का आधार हूँ ।

 

 ❉   स्व परिवर्तन के द्वारा विश्व का परिवर्तन करने वाली मैं विश्व की आधारमूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मास्टर रचता बन, समेटने की शक्ति द्वारा मैं सेकण्ड में सर्व संकल्पों को समेट कर एक संकल्प में स्थित होती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने शक्तिशाली ज्वाला स्वरूप की स्मृति से वायुमण्डल को पावरफुल बना कर सर्व आत्माओं को शक्ति सम्पन्न बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   चैतन्य लाईट हाउस बन मैं सर्व आत्माओं को सही दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अपना स्वभाव बाप समान इजी बनाओ, तुम्हारे में कोई घमण्ड नही होना चाहिए, ज्ञानयुक्त बुद्धि हो, अभिमान ना हो"

 

 ❉   जैसे बच्चों का स्वभाव बिल्कुल इजी होता है, किसी से कोई ईर्ष्या - द्वेष, मान - अपमान और अभिमान की भावना नही होती, सबके लिए मन में प्यार होता है ।

 

 ❉   ऐसा बच्चों जैसा इजी स्वभाव ब्रह्मा बाबा का रहा । अपने ईजी स्वभाव और सम्पूर्ण समर्पण भावना के कारण ही ब्रह्मा बाबा सम्पूर्णता को प्राप्त हुए ।

 

 ❉   हमे भी ब्रह्मा बाबा को फॉलो कर, बाप समान इजी स्वभाव वाला बनना है ।

 

 ❉   हमारे में किसी भी बात का कोई भी घमण्ड नही होना चाहिए ।

 

 ❉   परमात्मा बाप ने हमे सारा ज्ञान दे कर ज्ञानवान बना दिया है, इसलिए अब हमारी बुद्धि ज्ञानयुक्त होनी चाहिए, कोई अभिमान नही होना चाहिए ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ मोस्ट बिलवेड बाप को बड़े प्यार से याद करना है, इसमें बेबी नहीं बनना है।

 

 ❉   लौकिक मे छोटा सा बच्चा भी अपने पिता को नहीं भूलता फिर हमें तो बेहद का बाप मिला है जो पूरी सृष्टि का मालिक है व उसने मुझे अपना बच्चा बनाया है तो ऐसे मोस्ट बिलवेड बाप को बड़े प्यार से याद करना है।

 

 ❉  जैसे किसी स्त्री का पति बाहर रहता है तो उसका उसके साथ कनेक्शन रहता है व प्यार से याद करती है उसीप्रकार हमारा बाप से कनेक्शन जुड़ा रहना चाहिए। कनेक्शन जुड़ा रहने से बड़े प्यार से याद में रहते हैं।

 

 ❉   जो बाप अपने बच्चों से इतना नि:स्वार्थ प्यार करता है व पतितों की दुनिया में हमें पावन बनाने के लिए आता है तो ऐसे मोस्ट बिलवेड बाप को बड़े प्यार से याद करना है।

 

 ❉   बाप हमारा सुप्रीम बाप भी है, टीचर भी है, सुप्रीम सदगुरू भी है व हर सम्बंध निभाता है। मोस्ट बिलवेड बाप अपने बच्चों को स्वयं से भी ऊँची पोज़ीशन पर बिठाता है तो ऐसे बाप को बड़े प्यार से याद करना है।

 

 ❉   मोस्ट बिलवेड बाप को बड़े प्यार से याद करते हैं तो खुशी का पारा चढ़ा रहता है व रूहानी नशा रहता है। बेफिकर बादशाह रहते हैं व बाप के दिलतख्तनशीं बनते हैं।

 

 ❉   कई बार बच्चे कहते हैं कि बाबा भूल जाते है तो बाप कहते है कि मैं तुम्हें अपने से भी ऊँचा बिठाता हूँ व जिसके पास इतनी ज़िम्मेवारी हो वो भला कैसे भूल सकता है ? बेबी भी बाप को नहीं भूलता तो तुम बेबी से भी बेबी हो।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने महत्त्व व कर्तव्य को जानने वालो की सदा जागती ज्योत होती है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   उन आत्माओ को सदा यही फुरना लगा रहता है की कब और कैसे अनेक आत्माओ का कल्याण करे।

 

 ❉   उनकी मन बुद्धि सदा सेवा की नयी नयी युक्तिया निकालने में ही बिजी रहती है कभी व्यर्थ व आलस्य नहीं आता।

 

 ❉   हम विश्व के आधारमूर्त है, बाबा ने हमें सारे विश्व को पावन करने की जिम्मेदारी दी है, हम विश्व कल्याण के लिए अवतरित हुए है यही उनकी मन बुद्धि में चलता रहेगा।

 

 ❉   हम हीरो पार्टधारी आत्माये है, ड्रामा में बाप के साथ हमारा विशेष पार्ट नुन्धा हुआ है, हमें हद की नहीं बेहद का कार्य करना है यह स्मृति और नशा जब रहता है तो आत्मा सदा अलर्ट रहती है।

 

 ❉   हम भविष्य में देवी देवता बनने वाले है, हमें सभी आत्माओ को बाप से मिलवाना है हमारा लक्ष्य बहुत उचा है उचे बाप से उची पढाई पढ रहे है तो हम आत्माओ को सदेव बाप की याद बनी रहेगी और हमारी ज्योत जगती हुई रहेगी।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ लवलीन स्थिति का अनुभव करने के लिए स्मृति - विस्मृति की युद्ध समाप्त करो... कैसे ?

 

 ❉   स्वयं को ट्रस्टी समझ, हर कर्म करनकरावन हार की स्मृति में रह कर करें तो स्मृति - विस्मृति की युद्ध समाप्त हो जायेगी और एक बाप के लव में लीन स्थिति का अनुभव सहज हो जायेगा ।

 

 ❉   हर कर्म करते बुद्धि का योग निरन्तर एक बाप के साथ जुटा रहे तो स्मृति - विस्मृति के युद्ध से मुक्त हो लवलीन स्थिति के अनुभवी बन जाएंगे ।

 

 ❉   दिल सच्ची और साफ रखें तो बाप के दिल रूपी तख़्त पर विराजमान हो जायेंगे और बाप के लव में लीन रहेंगे जिससे स्मृति - विस्मृति की युद्ध समाप्त हो जायेगी ।

 

 ❉   नष्टोमोहा बन सर्व से न्यारे और बाप के प्यारे बन जाए तो स्मृति - विस्मृति की युद्ध से मुक्त हो जायेगे और सदा लवलीन स्तिथि का अनुभव करते रहेंगे ।

 

 ❉   देह - अभिमान को छोड़ जब देही - अभिमानी स्थिति में स्थित रहेंगे तो बाप की याद सहज बनी रहेगी और बाप के लव में लीन रहेगें जिससे स्मृति - विस्मृति की युद्ध समाप्त हो जायेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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