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❍ 14 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ सच्चा °सच्चा वैष्णव° बनकर रहे ?
‖✓‖ आत्मा को °ईश्वरीय स्मृति° और शक्ति का भोजन दिया ?
‖✓‖ °याद° में रहकर सेवा की ?
‖✓‖ अहंकार को छोड़ °हर बात में बाबा° का नाम लिया ?
‖✓‖ देह सहित सभी °संबंधो से बुधीयोग टूटा° रहा ?
‖✗‖ °झरमुई झगमुई° में अपना टाइम वेस्ट तो नहीं किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °लाइन क्लियर° के आधार पर नंबरवन पास होने का पुरुषार्थ किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ आज दिन भर अंतर्मुखी रह बापदादा का आह्वान किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा एवररेडी हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ अपनी बुद्धि की लाइन क्लियर कर, नम्बर वन पास होने वाली मैं एवररेडी आत्मा हूँ ।
❉ महसूसता की शक्ति द्वारा मैं सूक्ष्म से सूक्ष्म बंधन को भी समाप्त करती जाती हूँ ।
❉ परमात्म प्यार और स्नेह का बल मुझे कर्मो के आकर्षण और बन्धनों से परे ले जाता है और हर परिस्थिति में अचल अडोल बना देता है ।
❉ शुद्ध और स्वच्छ बुद्धि द्वारा मैं बाप से टचिंग ले, हर कार्य के लिए सदा तैयार रहती हूँ ।
❉ बुद्धि की लाइन क्लियर होने के कारण सदा एवररेडी रह, बाप का कोई भी इशारा मिलते ही मैं उस कार्य में लग जाती हूँ ।
❉ एवररेडी रहने का यह अभ्यास ही मुझे सेकण्ड के अचानक के पेपर में पास विद ऑनर होने का अधिकारी बना देगा ।
❉ मैं विनाश के समय अंतिम डायरेक्शनस को कैच करने वाली वाइसलेस आत्मा हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम जब किसी को भी समझाते हो या भाषण करते हो तो बाबा - बाबा कहकर समझाओ, बाप की महिमा करो तब तीर लगेगा"
❉ आज तक सभी परम पिता परमात्मा बाप को याद तो करते आये किन्तु उनको यथार्थ रीति ना जानने के कारण वो सम्बन्ध नही बना सके जो वास्तव में हैं ।
❉ इसलिए अब तक भक्त बन उनकी पूजा करते आये किन्तु कोई प्राप्ति नही कर सके ।
❉ अब संगम युग पर स्वयं परमात्मा ने आ कर हमे स्वयं अपना और हमारा यथार्थ परिचय दिया है और बताया है कि हम सभी आत्माएं हैं और परम पिता परमात्मा की संतान है ।
❉ इसलिए बाबा कहते हैं कि तुम जब किसी को समझाते हो या भाषण करते हो तो बाबा - बाबा कह कर समझाओ ।
❉ क्योकि वो हम सब आत्माओं के बाबा ( पिता ) हैं और हम उनके बच्चे हैं । जब उनकी महिमा कर औरों को समझायेंगे तो उन्हें तीर लगेगा ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ वैष्णव बनना है । कोई भी हिंसा नहीं करनी है । देह सहित सभी सम्बंधों से बुद्धियोग तोड़ देना है ।
❉ वैष्णव सिर्फ़ भोजन सात्विक हो ऐसा नहीं मनसा वाचा कर्मणा व संकल्पों में भी पवित्रता हो । बाबा तो हमें डबल अहिंसक बनाते हैं । काम कटारी भी नहीं चलानी व न ही क्रोध करना है , न ही किसी का दिल दुखाना है ।
❉ अभी तक जिसे अपना समझते रहे मेरा शरीर मेरा परिवार कुछ भी मेरा नहीं है सब यहीं छूट जाना है फिर इनसे मोह क्यूँ रखना । इस शरीर को चलाने वाली तो एक चैतन्य शक्ति है आत्मा । ये असली ज्ञान तो हमें आत्मा के पिता परमात्मा शिव बाबा ने इस समय संगमयुग पर दिया है ।
❉ अपने को आत्मा समझ परमपिता परमात्मा को ही याद करना है । याद की यात्रा से आत्मा में शक्ति भरती है व यही सच्ची कमाई है । इसलिए बुद्धियोग देह के विनाशी सम्बंधों से तोड़ एक बाप के साथ ही लगाना है ।
❉ देहभान में रहकर ही तो विकारों में गिरते चले गये व पावन से पतित बन गए । इसलिए सर्व के सदगति दाता पतित पावन बाप से बुद्धियोग लगा विनाशी शरीर से विनाशी सम्बंधों से योग तोड़ देना है ।
❉ अब हमें बेहद का बाप बेहद का प्यार मिला है तो हद की दुनिया में देह सहित सभी सम्बंधों से जिनसे हमेशा दु:ख ही मिला से बुद्धियोग नहीं लगाना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ एवररेडी लाइन क्लियर के आधार पर नंबरवन पास होते है ... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा ने इशारा दिया है - कभी भी कुछ भी हो सकता है इसलिए अचानक व एवररेडी का पाठ पक्का हो। जो कुछ होना है सब अचानक, इसलिए सदा एवररेडी रहो कोई भी घडी अंतिम घडी हो सकती है।
❉ "अंत मति सो गति" यह सदा स्मृति में रहे, यदि अंत समय एक बाप के सिवा कुछ और याद आया तो जन्मो जनम का घाटा हो जायेगा।
❉ बाप से डायरेक्शन लेने का एक ही साधन है संकल्प शक्ति। बाप के शुद्ध शक्तिशाली संकल्पों को हम केच कर सके इसलिए हमें अपनी बिद्धि की लाइन बाप से सदा जुटी हुई और क्लियर रखनी चाहिए।
❉ बाबा पहले से कुछ नहीं बताता परन्तु समय आने पर अपने बच्चो को सेफ करने के लिए उन्हें टचिंग जरुर कराएगा। जिसने उसे समझ लिया वो पार हो जायेंगे नहीं तो यही फस पड़ेंगे।
❉ "अब घर जाना है", बस यही धुन लगी रहे। सदेव लाइन क्लियर रहे, व्यर्थ या देह अभिमान की बिलकुल धुन्द न हो, लक्ष्य सदा आँखों के सामने हो, जितना नंबरवन बाप को फॉलो करेंगे उतना ही नंबरवन लेने का चांस है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ मन को शक्तिशाली बनाने के लिए आत्मा को ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन दो... क्यों और कैसे ?
❉ स्वयं को आत्मा समझ जब हर कर्म करेंगे तो ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन आत्मा को मिलता रहेगा और मनमनाभव की स्थिति मन को सहज ही शक्तिशाली बना देगी ।
❉ जितना शुद्ध संकल्पो का खजाना जमा होगा, चिंतन श्रेष्ठ होगा उतनी मन की स्थिति शक्तिशाली बनेगी और यह तभी होगा जब आत्मा को ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन मिलता रहेगा ।
❉ मन को प्रभु चिंतन में जितना व्यस्त रखेंगे उतना परमात्म शक्तियों का भोजन आत्मा को मिलता रहेगा जो माया के तूफानों से आत्मा को बचा कर मन को शक्तिशाली बना देगा ।
❉ मन को शक्तिशाली बनाने के लिए ख़ुशी की खुराक आवश्यक है और ख़ुशी के लिए जरूरी है हल्का पन और वो तभी होगा जब आत्मा को ईश्वरीय शक्ति और स्मृति का भोजन मिलता रहेगा ।
❉ कर्मयोगी बन हर कर्म करने से आत्मा को ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन मिलता रहेगा । परमात्म याद और परमात्मा शक्ति का यह भोजन मन बुद्धि को व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर शक्तिशाली बना देगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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