21 / 01 / 15  की  मुरली  से  चार्ट 

  TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं अमृत कलशधारी आत्मा हूँ ।

───────────────────────────

∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ ज्ञान कलश धारण कर प्यासों की प्यास बुझाना

───────────────────────────

∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ टीचर

───────────────────────────

∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)  

‖✓‖ सवेरे सवेरे उठकर पहले पहले °शिव बाबा को गुड मोर्निंग° कही ?

‖✓‖ °धैर्यता , गंभीरता और समझ° से बाप को एक्यूरेट याद किया ?

‖✓‖ सब जिम्मेवारियां निभाते हुए °आकारी और निराकारी स्वरुप° का अनुभव करते रहे ?

‖✓‖ °स्वदर्शन चक्र° फिराते रहे ?

‖✓‖ °सबको शांति का दान° दिया ?

‖✓‖ °आपार ख़ुशी° में रहे ?

‖✓‖ °एडजस्ट होने की कला° को लक्ष्य बनाया ?

───────────────────────────

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ बापदादा द्वारा चलायी गयी 18/01/15 की अव्यक्त वाणी से मिली प्रेरणा को जीवन में धारण करने की विधि और प्लान पर मंथन किया ?

───────────────────────────

∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

➢➢ ज्ञान कलश धारण कर प्यासों की प्यास बुझाने वाला ही अमृत कलशधारी है... क्यों और कैसे ?

 ❉   हर सम्बन्ध और संपर्क में आने वाली आत्मा को आत्मा और परमात्मा का यथार्थ परिचय देकर अमृत कलशधारी बना जा सकता है ।

 ❉   हमेशा मुख से ज्ञान रतन निकालते रहे।

 ❉   परमात्म द्वारा प्राप्त सच्चे ज्ञान को आत्माओं को सुनाकर और सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान अमृत सुनाकर सच्चा सच्चा अमृत कलशधारी बना जा सकता है।

 ❉   आज दुनिया में अज्ञान अंधकार फैला है, हमे ज्ञान का प्रकाश देना है।

 ❉   दुनिया को विषय अग्नि से निकाल ज्ञान की शीतल छीटे डालने है।

 ❉   ज्ञान सागर पिता ने हम ज्ञान गंगाओ को जो ज्ञान दिया है उससे सरे विश्व को सीचना है।

───────────────────────────

∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

➢➢ एडजस्ट होने की कला को लक्ष्य बना लो तो सहज सम्पूर्ण बन जाएंगे .... क्यों और कैसे ?

 ❉  क्योकि एडजस्ट होने की कला आत्मा को प्रकृतिजीत बनाती है।

 ❉  एडजस्ट होने की कला से सम्पन्न व्यक्ति जहाँ चाहे,जैसे चाहे अपने आप को सेट कर सकता है।

 ❉  एडजस्ट होने की कला आत्मा को माया जीत बनाती है।

 ❉  एडजस्ट होने की कला आत्मा को हर परिस्तिथि में अचल अडोल स्तिथि का अनुभव कराती है।

 ❉  एडजस्ट होने की कला मनोबल को ऊँचा उठाती है

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति