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❍ 14 / 02 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं बेहद की वैरागी आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ कलयुगी दुनिया के दुःख अशांति का नज़ारा देखते हुए सदा साक्षी रहना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ टीचर
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ वाणी के साथ °वृति से भी सेवा° की ?
‖✓‖ °गुप्त नशे° में रहकर सेवा की ?
‖✓‖ अपनी जांच की हम °कितना याद में रहते° हैं ?
‖✓‖ "हम °अच्छी रीति पड़कर उंच पद° पाएं" - यह फ़िक्र रही ?
‖✓‖ "दुनिया के लिए हाहाकार है और आपके लिए °जयजयकार° है" - यह अनुभव किया ?
‖✗‖ कोई भी °विकर्म करके झूठ बोलकर° अपना नुक्सान तो नहीं किया ?
‖✗‖ ऐसा कोई कर्म तो नहीं किया जो °दिल खाती° रहे ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-
➳ _ ➳ सभी को बहुत-बहुत यादप्यार स्वीकार हो क्योंकि सभी बहुत उमंग-उत्साह से आये हैं और सब मिल करके 18 जनवरी मना रहे हैं तो 18 जनवरी की विशेषता क्या है, उस विशेषता को अपने में धारण करके आगे बढ़ते रहना,बढ़ना ही है यह पक्का निश्चय करो कि जो भी कोई कमी है उसको आज रात तक सोच करके और संकल्प लेके सोना ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ 18 जनवरी की विशेषता को अपने जीवन में धारण कर आगे बड़ते रहे ? उस विशेषता की धारणा पर विशेष अटेंशन बना रहा ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे भगवान पढ़ाते हैं, तुम्हारे पास है ज्ञान रत्न, इन्ही रत्नों का धंधा तुम्हे करना है, तुम यहाँ ज्ञान सीखते हो, भक्ति नही।
❉ भक्ति और ज्ञान दो मार्ग हैं।भक्ति का अर्थ है - मनुष्य अथवा देवी देवताओं के चित्रों के आगे जाकर उनकी पूजा करना और ज्ञान का अर्थ है - भगवान को उसके यथार्थ स्वरूप में याद करना।
❉ अब तक हम भक्ति करते आये क्योकि आत्मा परमात्मा का यथार्थ ज्ञान नही था।
❉ लेकिन अब भगवान स्वयं परमधाम से हमारे पास आये हैं हमे पढ़ाने के लिए, ज्ञान रत्नों से भरपूर करने के लिए।
❉ ये ज्ञान रत्न हमे भक्ति मार्ग के धक्को से छुड़ा कर, आत्मा परमात्मा का यथार्थ परिचय दे, यथार्थ रीति से भगवान को याद करना सिखलाते हैं।
❉ हमे भी इन ज्ञान रत्नों का धंधा करना है अर्थात सबको यह ज्ञान सिखा कर, भक्ति से छुड़ाना है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)
➢➢ भगवान को सर्वव्यापी कह ग्लानि कर देते हैं ।
❉ भगवान को इतर बितर पत्थर सब में है कहकर सबसे बड़ी करते हैं । अगर हर पत्थर , पत्ते ... में भगवान है तो फिर उसी से हर प्राप्ति क्यूँ नहीं कर लेते ।
❉ भगवान सर्वव्यापी नहीं है ,सर्वज्ञ है , सर्व शक्तिवान है ।
❉ अगर परमात्मा हर व्यक्ति में व्यक्त है तो फिर क्यूँ पुकारते है , हे प्रभु ! दर्शन दो । पतित पावन आओ हमें पावन बनाओ ।
❉ सब लोग कहते है कि आत्मा ही परमात्मा है तो विकर्म क्यूँ करते है । भगवान तो विकर्म नहीं कर सकता ।
❉ मीरा ने कहा - जहाँ भी देखूँ प्रभु तू ही तू है । वह इसलिए कहा क्योंकि उसे इतना प्यार था प्रभु से , यहाँ भी देखती वहीं चारों ओर प्रभु ही दिखाई देते । लोगों ने उसका गल्त मतलब निकाला कि कण - कण में भगवान है ।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)
➢➢ कलयुगी दुनिया के दुःख अशांति का नज़ारा देखते हुए सदा साक्षी रह कर ही बेहद का वैरागी बना जा सकता है .. क्यों और कैसे ?
❉ साक्षीपन की सीट पर सेट होकर ही हम उपराम अवस्था का अनुभव कर सकते है ।
❉ साक्षीपन की सीट पर सेट होकर ही हम हर हलचल में अचल अडोल अवस्था का अनुभव कर सकते हैं ।
❉ यह ड्रामा यथार्थ रीती चल रहा है,साक्षी पन की सीट ही नश्तोमोहा बना सकती है।
❉ साक्षी होने से यह बेहद का ड्रामा बड़ा वंडरफुल लगेगा हर सीन में मजा आयेगा।
❉ साक्षी होने से हम उपराम रह एकांत में शांत रह सकते है।
❉ साक्षी होने की प्रेक्टिस से ही अंत के खूने नाहक नज़ारे देख पाएंगे।
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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)
➢➢ कैसी भी धरणी तैयार करनी है तो वाणी के साथ वृति से सेवा करो... क्यों ?
❉ वाणी के साथ वृति द्वारा की गई सेवा से दूसरों की वृतियों को बदलना सहज होता हैं।
❉ वाणी के साथ वृति द्वारा की गई सेवा से अति शीघ्र संस्कारों का परिवर्तन कर सकते हैं।
❉ वाणी के साथ वृति द्वारा की गई सेवा एक साथ अनेक आत्माओं का कल्याण कर सकती है।
❉ वाणी के साथ वृति द्वारा की गई सेवा का स्वरूप सहज और शक्तिशाली होता है।
❉ वाणी के साथ वृति द्वारा की गई सेवा आत्मा को सहज ही अनुभवी मूर्त बना देगी।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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