28 / 01 / 15  की  मुरली  से  चार्ट 

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं एवर हैप्पी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ नीरस वातावरण में ख़ुशी की झलक का अनुभव करना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ टीचर

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)  

‖✓‖ सवेरे सवेरे उठकर बाप से °मीठी रूह रिहान° की ?

‖✓‖ बाबा को अव्यक्त रूप में °सदा साथी° अनुभव किया ?

‖✓‖ कोई बात नीचे ऊपर भी हो तो भी ड्रामा का खेल समझ कर °बहुत अच्छा बहुत अच्छा° कहते रहे ?

‖✓‖ बाप से जो ज्ञान मिला है उसका °सिमरन कर आपार ख़ुशी° में रहे ?

‖✗‖ ऐसा कोई कर्म तो नहीं किया जिससे °बाप, टीचर और सतगुरु की निंदा° हो ?

‖✗‖ °शरीर की कोई भी आकर्षण° ने अपनी तरफ आकर्षित तो नहीं किया ?

‖✗‖ किसी से °घृणा° तो नहीं की ?

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अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-

➳ _ ➳  अभी सेवा द्वारा यह तो परिवर्तन आया है कि ब्रह्माकुमारियां जो बताती हैं वह अच्छा बताती हैं, अभी यह आवाज हो कि सत्य बताती हैं । वह भी दिन आ जायेगा क्योंकि अभी आवाज पहुँचा है लेकिन अभी आवाज में फोर्स चाहिए ।

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज पूरा दिन आवाज़ में फ़ोर्स लाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

➢➢ नीरस वातावरण में ख़ुशी की झलक का अनुभव कराने वाला ही एवर हैप्पी रह सकता है... क्यों और कैसे ?

 ❉   नीरस वातावरण में ख़ुशी की झलक का अनुभव कराने के लिए सदा परमात्म अभिमानी बन रूहानी नशे में रहे

 ❉   इसके लिए हमें नकारत्मकता को देखते हुए भी देखना और सुनते हुए भी सुनने का अभ्यास करना चाहिए

 ❉   नीरस वातावरण में ख़ुशी की झलक का अनुभव कराना ही परमात्मा के बच्चों की पहचान है

 ❉   नीरस वातावरण में ख़ुशी की झलक दिखाने वाला सबकी दुवाओ का पात्र बन जाता है,यही दुवाये उसके अपने जीवन की परिस्थितिया समाप्त कर देती है।

 ❉   समय को स्वीकार करने परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढालने की शमता बढती है।

 ❉   "समय परिवर्तन शील है,सदेव एक जैसा नहीं रहता"यह स्मृति हिम्मत बढाती है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

➢➢ अशरीरी वह है जिसे शरीर का कोई भी आकर्षण अपनी तरफ आकर्षित नहीं करता... क्यों और कैसे ?

  ❉   क्योकि अशरीरी अवस्था देह और देह के आकर्षणों से न्यारी निराकारी अवस्था है

 ❉   अशरीरी अवस्था सर्व प्रकार के बन्धनों से मुक्त अवस्था है।

 ❉   अशरीरी अवस्था हर प्रकार की हलचल से मुक्त उपराम अवस्था हैं

 ❉   अशरीरी अवस्था अति परम आनन्दमयी अवस्था है जिसके आगे देह और देह के सर्व आकर्षण नीरस है।

 ❉   अशरीरी अवस्था अतेंद्रिय सुख से भरपूर अत्यंत न्यारी और प्यारी अवस्था है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति