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❍ 26 / 03 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ इस पुरानी दुनिया को देखते हुए बुधी का योग °बाप व नयी दुनिया° की तरफ लगा रहा ?
‖✓‖ "मुझ आत्मा पर वृक्षपति बाप द्वारा °ब्रहस्पति की दशा° बैठी है" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ °श्रीमत° पर पूरा पूरा ध्यान रहा ?
‖✓‖ अन्दर कोई बिमारी है तो °सर्जन से राय° ली ?
‖✓‖ °संगदोष° से अपनी °संभाल° की ?
‖✓‖ अपने को और अपने परिवार को °सुखदाई° बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °स्मृति का स्विच° ओन कर सेकंड में अशरीरी स्थिति का अनुभव किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ एकाग्रता अर्थात् सदा एक बाप दूसरा न कोई, ऐसे निरन्तर एकरस स्थिति में स्थित होने का विशेष अभ्यास करो । उसके लिए एक तो व्यर्थ संकल्पों को शुद्ध संकल्पों में परिवर्तन करो । दूसरा माया के आने वाले अनेक प्रकार के विघ्नों को ईश्वरीय लग्न के आधार से सहज समाप्त करते, कदम को आगे बढ़ाते चलो ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °एकरस स्थिति° में स्थित होने का विशेष अभ्यास किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं प्रीतबुधी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ अपनी प्रीत को डोर परम पिता परमात्मा के साथ जोड़ने वाली मैं प्रीत बुद्धि आत्मा हूँ ।
❉ प्रीत की लग्न में मगन हो कर मैं आत्मा सदैव परमात्म मौज का अनुभव करती हूँ ।
❉ केवल एक परमात्मा बाप के साथ प्रीत की रीत निभाने वाली मैं सदा बाप की स्नेही आत्मा हूँ ।
❉ मैं आत्मा सदैव स्मृति का स्विच ओन कर देह और देह की दुनिया से उपराम रहती हूँ ।
❉ एक बाबा शब्द ही मुझ आत्मा के लिए पुरानी दुनिया को भूलने का आत्मिक बम है ।
❉ अशरीरी बनना मुझ आत्मा के लिए एक सेकंड का खेल है ।
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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - पढ़ाई ही कमाई है, पढ़ाई सोर्स ऑफ इनकम है, इस पढ़ाई से ही तुम्हे 21 जन्मों के लिए खजाना जमा करना है"
❉ लौकिक पढ़ाई इस लिए की जाती है ताकि पढ़ लिख कर अच्छा पद प्राप्त करें और कमाई करके अपने जीवन का निर्वाह करें ।
❉ इसलिए पढ़ाई को कहा ही जाता है सोर्स ऑफ इनकम ।
❉ भल पढ़ाई सोर्स ऑफ़ इनकम है लेकिन दुनियावी लौकिक पढ़ाई से प्राप्त पद विनाशी है इसलिए शरीर निर्वाह अर्थ प्राप्त होने वाली इनकम भी विनाशी है ।
❉ लेकिन हम ब्राह्मण बच्चों की पढ़ाई भी अविनाशी है और इस पढ़ाई से प्राप्त होने वाली इनकम भी अविनाशी है ।
❉ क्योकि यह कोई साधारण पढ़ाई नही बल्कि अविनाशी ज्ञान रत्न है जो स्वयं भगवान पढ़ाते हैं । इस पढ़ाई से हम 21 जन्मों के लिए खजाने जमा करते हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-10)
➢➢ इस पुरानी दुनिया को देखते हुए बुद्धि का योग बाप वा नयी दुनिया तरफ़ लगा रहे, ध्यान लगा रहे - कर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म न हो जाए।
❉ इस पुरानी दुनिया में सब कुछ देखते हुए भी कुछ नहीं देखना क्योंकि ये सब विनाश होना है तो विनाशी दुनिया से लगाव क्यूँ ? बस एक बाप को याद करना है।
❉ बाप कहते है मामेकम् याद करो। याद से ही विकर्म विनाश होंगे व नयी दुनिया के मालिक बन जाओगे। बाप को व नयी दुनिया को याद करना है।
❉ पुरानी दुनिया से तो हद की प्राप्ति होती हैं व बेहद के बाप बेहद की प्राप्ति होती है व बाप से नयी दुनिया यानि स्वर्ग की बादशाही प्राप्त होती है। फिर अपना बुद्धियोग सिर्फ़ बाप से ही लगाना है।
❉ श्रीमत का पालन करते हुए अच्छी रीति पढाई पढनी है वकर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म नहीं करना है क्योंकि पावन बने बग़ैर नयी दुनिया में नहीं जा सकते व सज़ाएँ खानी पड़ेगी ।
❉ जैसे नये घर में जाने के लिए पुराने घर को तो छोड़ना पड़ता है उसी प्रकार देह सहित देह के सम्बंध होते है पुरानी दुनिया। पुरानी दुनिया याद रहेगी तो नयी सतयुगी दुनिया में कैसे जायेंगे। पुरानी को छोड़ेंगे तभी तो नया दुनिया में जायेंगे।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ स्मृति का स्विच ओन कर सेकंड में अशरीरी स्थिति का अनुभव करने वाले प्रीत बुद्धि बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ जब यह स्मृति रहे की हम आत्मा है और परमात्मा हमारा पिता है तो आत्मा की परमात्मा से सच्ची प्रीत हो जाती है।
❉ "हम सब आशिक है उस एक माशूक के" अनेक जन्मो से हम उनको बुलाते आये है, अब जब वो मिला है तो उससे सच्ची प्रीत हो जाती है।
❉ एक सेकंड में यह देहभान छोड़ स्वयं को आत्मा अनुभव करना सर्वोच्च स्थिति है, वही आत्मा की बाप से सच्ची प्रीत होगी।
❉ प्रीत बुद्धि अर्थात बाप से प्यार, बाप की श्रीमत से प्यार ओर यह तभी हो सकता है जब हम अशरीरी स्थिति का यह अनुभव करे।
❉ बाप ने हमें स्वयं की, ड्रामा की, घर की, सुखधाम की अनेक स्मृतिया दिलाई है, उनके आधार से हम अशरीरी स्थिति में स्थित हो बाप को याद करे तो हमारा बाप पर सम्पूर्ण निश्चय होगा जो कभी हिलेगा नहीं।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ देह भान की मिट्टी के बोझ से परे रहो तो डबल लाइट फरिश्ता बन जायेंगे... कैसे ?
❉ अव्यक्त स्तिथि का अनुभव कर, अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहें तो देह भान की मिट्टी का बोझ समाप्त हो जाएगा और डबल लाइट फरिश्ता बन जाएंगे ।
❉ संकल्पों की अधीनता को छोड़, निर्संकल्प बिंदु रूप स्तिथि का अनुभव सहज ही देह भान की मिट्टी के बोझ को समाप्त कर, डबल लाइट फरिश्ता बना देगा ।
❉ अधिकारी पन की सीट पर सेट रहने से सब प्रकार की अधीनता समाप्त हो जायगी और एक दम हल्के डबल लाइट फरिश्ता बन, देह भान की मिट्टी के बोझ से मुक्त हो जाएंगे ।
❉ हमारे पुराने संस्कारो से देह रूपी वस्त्र अगर चिपका हुआ होगा तो संस्कारो की टाईटनेस डबल लाइट फरिश्ता बनने नही देगी।इसलिए सभी प्रकार के संस्कारों से न्यारे रहें तो देह भान के बोझ से परे रहेंगे ।
❉ जब स्वयं को इजी बना लेंगे तो हर कार्य इजी हो जाएगा और पुरुषार्थ भी इजी हो जाएगा । तब हर प्रकार की परिस्तिथि में इजी रह, हल्के पन के अनुभव द्वारा देह भान की मिट्टी के बोझ से परे, डबल लाइट फरिश्ता स्तिथि का अनुभव सहज ही कर सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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