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   20 / 10 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सदा °हर्षित° रहे ?

 

‖✓‖ हमेशा सबको °सुख° दिया ?

 

‖✓‖ °होली हंस° बन अवगुण रुपी कंकड़ को छोड़ अच्छाई रुपी मोती चुगे ?

 

‖✓‖ माया के तूफानों से न डर सदा °महावीर° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ "बाबा हम तो °पास विद ऑनर° होकर दिखाएँगे" - बाबा को यह बात खुले दिल से बोली ?

 

‖✓‖ बाप के साथ ऐसा लव रहा जो °बाप की कशिश° सदा बनी रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °स्वीट साइलेंस° की लवलीन स्थिति द्वारा नष्टोमोहा समर्थ स्वरुप बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  सदा यही लक्ष्य याद रहे कि हमें बाप समान बनना है तो जैसे बाप लाइट है वैसे डबल लाइट। औरों को देखते हो तो कमजोर होते हो, सी फादर, फालो फादर करो। उड़ती कला का श्रेष्ठ साधन सिर्फ एक शब्द है- 'सब कुछ तेरा''मेरा' शब्द बदल 'तेरा' कर दो। तेरा हूँ, तो आत्मा लाइट है। और जब सब कुछ तेरा है तो लाइट (हल्के) बन गये।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °'सब कुछ तेरा'° - सिर्फ इस एक शब्द की स्मृति से उड़ती कला का अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं नष्टोमोहा समर्थ स्वरूप आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   स्वीट साइलेन्स की लवलीन स्थिति द्वारा नष्टोमोहा बनने वाली मैं समर्थ स्वरूप आत्मा हूँ ।

 

 ❉   देह, देह के सम्बन्ध, देह के संस्कार, व्यक्ति या वैभव आदि किसी भी प्रकार के आकर्षण से मैं सदैव मुक्त रहती हूँ ।

 

 ❉   हर परिस्थिति में अचल, अडोल बन मैं ड्रामा की हर सीन को साक्षी हो देखती रहती हूँ ।

 

 ❉   माया के हर दांव को असफल कर मैं न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित हो सदा एक बाप के लव में लीन रहती हूँ ।

 

 ❉   किसी भी प्रकार की हलचल के सीन में भी अपनी उपराम वृति द्वारा मैं सदा स्थिर रहती हूँ ।

 

 ❉   स्वीट साइलेन्स स्वरूप की लवलीन स्थिति में स्थित हो मैं देह के सर्व सम्बन्धो से नष्टोमोहा बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   सर्व सम्बंधों की अविनाशी तार केवल एक बाप से जुडी होने के कारण मैं हर परिस्थिति में उपराम रहती हूँ ।

 

 ❉   बाप के स्नेह की लिफ्ट की गिफ्ट मेरे पुरुषार्थ को निरन्तर आगे बढ़ाती जाती है ।

 

 ❉   एक बाप के साथ सर्व सम्बंधों का अनुभव मुझे सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सदा समर्थ आत्मा बना रहा है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम अभी कांटे से फूल बने हो, तुम्हे हमेशा सबको सुख देना है, तुम किसी को भी दुःख नही दे सकते हो"

 

 ❉   आज की इस कलयुगी दुनिया में सब कांटे बन एक दो को दुःख देते रहते हैं और इसका मूल कारण है आसुरी गुण जो देह - अभिमान के कारण उत्तपन्न होते हैं ।

 

 ❉   सतयुग में देह - अभिमान नही होता इसलिए सब खुशबूदार फूल अर्थात दैवी गुणों से युक्त होते हैं इसलिए विकार रूपी कांटे भी नही होते ।

 

 ❉   किन्तु द्वापर युग से जब देह अभिमान शुरू होता है तो विकारों रूपी कांटो की प्रवेशता होने से सभी एक दो को दुःख देते रहते हैं ।

 

 ❉   इन्ही दुखो से छुड़ाने अर्थात कांटो से खुशबूदार फूल बनाने के लिए अब परम पिता परमात्मा बाप आये हैं और ज्ञान - योग द्वारा हमे दैवी गुण धारण करना सिखा रहें हैं ।

 

 ❉   इसलिए बाप कहते हैं कि तुम अब कांटे से फूल बने हो इसलिए तुम्हे देह - अभिमान में आ कर काँटा नही बनना है, तुम्हे हमेशा सबको सुख देना है, किसी को भी दुःख नही देना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ माया के तूफ़ानों से डरना नहीं है , महावीर बनना है ।

 

 ❉   जितना लक्ष्य ऊँचा होता है तो उतने ही कठिन पेपर पास करने होते हैं । माया के तूफ़ान तो आयेंगे ही पर हमें उनसे डरना नहीं है क्योंकि हम बाबा के बहादुर बच्चे हैं ।

 

 ❉   जिसका साथी है भगवान उसे क्या रोक सके आँधी और तूफान । हम उस सर्वशक्तिवान के बन गए व वो हमारा । परमपिता का हाथ व साथ है तो फिर माया के तूफ़ानों से डरना नहीं है महावीर बनना है ।

 

 ❉   माया के चाहे कितने तूफान आ जाए हमें डरना नहीं हैं महावीर बन सहज पार करने हैं क्योंकि हमारा हिम्मत का एक क़दम होता है तो बाप के हज़ार क़दम होते हैं व हमें हिम्मत दिलाकर बाबा हमें आगे बढ़ाते हैं ।

 

 ❉   हमेशा ये अनुभव करना है कि मैं हज़ार भुजाओं वाले सर्वशक्तिमान बाप की छत्रछाया में हूँ तो कैसी भी परिस्थिति आए माया के तूफ़ानों से डरेंगे नहीं महावीर बन उसे सहज ही पार करेंगे  व अगली कक्षा में जायेंगे ।

 

 ❉   लौकिक में जब भी किसी पर कोई दु:ख आता है तो वह पारलौकिक पिता को याद करता है व उसे भगवान की मदद से उसे पार कर लेता है फिर हमें तो सतबाप सदगुरू मिला है जो हमारी नैया को हर तूफ़ान से पार ले जाता है । इसलिए माया के तूफ़ानों को खेल समझ पार करना है व डरना नहीं हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्वीट साइलेंस की लवलीन स्थिति द्वारा नष्टोमोहा समर्थ स्वरुप स्थिति का अनुभव कर सकते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   स्वीट साइलेंस की अनुभूति स्वीट होम में ही कर सकते है, वहाँ न कोई देह की चुरपुर न कोई धंधा धोरी। इस स्थिती में एक सेकंड भी अगर स्थित हो गए तो आत्मा बहुत शक्तिशाली अनुभव करेगी और यह अनुभव आत्मा को बार बार आत्मिक स्थिति की अनुभूति करने के लिए खिचेगा।

 

 ❉   स्वीट साइलेंस में स्थित होने से आत्मा अतीन्द्रिय सुख में नाचने लगेगी और उसे यह देह देह की दुनिया में कोई रस अनुभव नहीं होगा। वह इस दुनिया के झूटे संबंधो से, अल्पकाल के सुख सुविधा से स्वयं की उपराम हो जाएगी जिसको कहते है नष्टोमोहा स्मृति लब्धा।

 

 ❉   आत्मा को इस दुनिया में सब खेल समान दिखाई देगा। जितना स्वीट साइलेंस में स्थित होंगे उतना इस दुनिया के सुख फिखे लगने लगेंगे क्युकी अब आत्मा को सच्चे सुख शांति की अनुभूति होगी।

 

 ❉   स्वीट होम हम आत्माओ का घर है वहाँ सब आत्माये रहती है वहाँ की स्वीट साइलेंस में रहने से कोई भी देह का सम्बन्धी अनुभव नहीं होगा सबके प्रति आत्मिक दृष्टि वृत्ति रहेगी जिससे हमारा लगाव झुकाव मिटता जायेगा।

 

 ❉   स्वीट साइलेंस की अनुभूति तकब होगी जब हम पूर्णतः इस देह का भान भूल जाये और आत्मिक स्थिति में स्थित हो जाये। तब आत्मा और परमात्मा का सुखद मिलन होता है जिससे आत्मा इस दुनिया से उसका मोह छूटता जाता है, एक बाप ही उनकी दुनिया हो जाती है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ होली हंस बन अवगुण रूपी कंकड़ को छोड़ अच्छाई रूपी मोती चुगते चलो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   होली हंस बन अवगुण रूपी कंकड़ को छोड़ जब अच्छाई रूपी मोती चुगते चलेंगे तो बाप के दिल रूपी तख़्त पर सदा विराजमान रहेंगे और बाप की आशीर्वाद स्वत: प्राप्त कर सकेंगे ।

 

 ❉   अपने समय, संकल्प और श्वांसों को तभी सफल कर पाएंगे जब माया पर जीत होगी और मायाजीत तभी बन सकेंगे जब होली हंस बनेगे और दूसरों के अवगुणों को ना देख उनकी अच्छाइयों को धारण करेंगे ।

 

 ❉   सदा बाप दादा के गुण गाते रहेंगे तो गुणों पर विशेष अटेंशन जायेगा और हम होली हंस बन अवगुण रूपी कंकड़ को छोड़ अच्छाई रूपी मोती चुगते रहेंगे ।

 

 ❉   दूसरों की करेक्शन करने के बजाये जब एक बाप से कनेक्शन रखेंगे तो होली हंस बन अच्छाई रूपी मोती चुग सकेंगे और सबकी विशेषताओं को स्वयं में धारण कर सकेंगे ।

 

 ❉   सदा अपनी श्रेष्ठ स्थिति और श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहेंगे तो किसी के भी अवगुण दिखाई नही देंगे और सबको सम्मान देते हुए सबकी अच्छाइयों को स्वयं में समाते जायेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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