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❍ 26 / 07 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °बेगमपुर के बादशाह° बनकर रहे ?
‖✓‖ वृक्षापति द्वारा °सर्व संबंधो के रस°, सर्व प्राप्ति संपन्न प्रतक्ष्य फल खाया ?
‖✓‖ बुधी रुपी विमान द्वारा °तीनो लोकों की सैर° की ?
‖✓‖ °नॉलेज फुल, पावरफुल, ब्लिसफुल° स्थिति का अनुभव किया ?
‖✓‖ °विश्व कल्याणकारी, महादानी, वरदानी° की सीट पर सेट रहे ?
‖✓‖ बाप को सखा, बंधू या बच्चा बनाकर भिन्न भिन्न प्रकार के °खेल खेले° ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ ईश्वरीय नशे द्वारा °पुरानी दुनिया को भूलने° का अभ्यास किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ साधना वाले का आधार सदा बाप ही होता है और जहाँ बाप है वहाँ सदा बच्चों की उड़ती कला है। जो साधना द्वारा बाप के साथ हैं, उनके लिए संगमयुग पर सब नया ही नया अनुभव होता है। हर घड़ी में, हर संकल्प में नवीनता क्योंकि हर कदम में उड़ती कला अर्थात् प्राप्ति में प्राप्ति होती रहेगी।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ एक बाप को अपना आधार बनाकर उडती कला का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सर्व प्राप्ति सम्पन्न आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ ईश्वरीय नशे द्वारा पुरानी दुनिया को भूलने वाली मैं सर्व प्राप्ति सम्पन्न आत्मा हूँ ।
❉ “एक बाप दूसरा न कोई” इस स्मृति का नशा मुझे समर्थी स्वरूप बना देता है ।
❉ इस अविनाशी नशे की मस्ती में मैं दुनिया के सब दुखों को भूल जाती हूँ ।
❉ जिम्मेवारिओं के बन्धनों से, माया के बन्धनों से और मन के बन्धनों से मैं मुक्त होती जाती हूँ ।
❉ अपनी स्व – स्थिति और स्वधर्म में स्थित रह मैं सदा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलती रहती हूँ ।
❉ हर कदम पर बाप के संकल्प और बोल को अपने संकल्प और बोल बना कर मैं सफलतामूर्त बनती जाती हूँ ।
❉ अपने श्रेष्ठ पुरुषार्थ के आधार पर भविष्य श्रेष्ठ परालब्ध बनाने वाली मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "संगम युगी बादशाही और सतयुगी बादशाही"
❉ संगम युग को सब युगों में सर्वश्रेष्ठ युग माना गया है क्योकि संगमयुग है ही बेगमपुर और संगमयुगी सर्व ब्राह्मण बेगमपुर के बादशाह हैं ।
❉ सतयुगी बादशाही भी इस संगमयुग की बेगमपुर की बादशाही के आगे कुछ भी नही ।
❉ संगमयुगी ब्राह्मणों के आदिकाल – अमृतवेले से ही श्रेष्ठता देखो कितनी महान है, इस समय की प्राप्ति का नशा और ख़ुशी सतयुग की बादशाही से पदमगुणा श्रेष्ठ है ।
❉ संगमयुग हर सेकण्ड परमात्म प्यार और अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलने की वेला है ।
❉ सतयुग के संस्कार और परालब्ध बनाने व भरने का समय अभी संगमयुग पर ही होता है ।
❉ इसलिए सदा सतयुग की परालब्ध और संगम युग की प्राप्तियो को स्मृति में रख हर सेकण्ड को सफल करो ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बेगमपुर के बादशाह बनकर रहना है ।
❉ कोटों में कोई, कोई में से कोई चुनकर जब भगवान ने ही मुझे अपना बना लिया तो फिर किस बात की चिंता व डर या दु:ख ! बेगम अर्थात् किसी भी प्रकार के ग़म या दु:ख से परे ।
❉ भगवान का बनने के बाद हमारे लिए संसार बेगमपुर है व हम संगमयुगी ब्राह्मण आत्मायें बेगमपुर के बादशाह है ।
❉ संकल्प में भी दु:ख की लहर न हो ।सुख के सागर बाबा का साथ पाकर हमेशा सुखमय संसार का अनुभव कर बेगमपुर का बादशाह बनना है ।
❉ अप्राप्ति ही दुखों का कारण होती है पर हम ब्राह्मणों के लिए अप्राप्य तो कुछ है ही नहीं । इसलिए बेगमपुर का बादशाह बनकर रहना है ।
❉ सम्बंधों में भी कोई सम्बंध की कमी होती है तो दु:ख की लहर आती है । सर्व सम्बंध बाप के साथ अविनाशी हैं तो दु:ख की लहर हो ही नहीं सकती ।
❉ बाप से ज्ञान धन की अखूट खजाने प्राप्त होते हैं जिससे सर्व की प्राप्ति सहज ही हो जाती है तो बेगम संसार है । सदा सुख के संसार के बालक सो मालिक अर्थात् बादशाह है । बेगमपुर के बादशाह बन जाते हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ ईश्वरीय नशे द्वारा पुरानी दुनिया को भूलने वाले सर्व प्राप्ति संपन्न बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ "चडे तो चाखे वैकुण्ठ रस गिरे तो चकनाचूर", जो आत्माये परमात्मा की याद से स्वयं को पवित्र बनाती है उन्हें वैकुण्ठ रस की प्राप्ति होती है तथा वो आत्माये पुरानी दुनिया में फसी रहती है वह चकनाचूर हो जाती है।
❉ जिस आत्मा ने एक बार परमात्मा का प्यार अनुभव कर लिया वह आत्मा ईश्वरीय नशे द्वारा परम आनंद व अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करटी है। उनका फिर इस पुरानी दुनिया से ममत्व मिट जाता है, जिसको कहते है "फरिश्तो के पैर पृथ्वी पर नहीं टिकते"।
❉ जिन आत्मा ने परमात्मा की श्रीमत पर इस एक जन्म बेहद के वैरागी बन गए उन्हें बाप 21 जन्मो के लिए सर्व प्राप्तियो से संपन्न बना देते है, अखूट खजानों से मालामाल कर देते है।
❉ परमात्मा की याद हमें आत्म अभिमानी बना देती है, हम सभी आत्माओ ज्ञान, गुण, शक्तियों से भरपूर कर देती है। कोई प्राप्त वस्तु नहीं रह जाती। भोलानाथ सब भण्डारे भरपूर कर देते है।
❉ यह पुरानी दुनिया है वैश्यालय बाप हमें शिवालय में ले जाने आये है, जो आत्माये यहाँ परमात्मा की याद द्वारा अपने सभी विकर्म विनाश करती है वही वैकुण्ठ में जाकर विश्व महाराजा महारानी बनते है। बाबा हमें करूँ का खजाना देते है। सुख, शांति समृद्धि से भरपूर कर देते है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ एक दो को कॉपी करने की बजाए बाप को कॉपी करो... क्यों ?
❉ बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण तभी बन पायेंगे जब एक दो को कॉपी करने की बजाए बाप को कॉपी करेंगे ।
❉ एक दो को कॉपी करेंगे तो आलस्य और अलबेलापन पुरुषार्थ को तीव्र नही होने देगा इसलिए एक दो को कॉपी करने की बजाए बाप को कॉपी करेंगे तो बाप समान बन जायेंगे ।
❉ बाप के गुण और शक्तियाँ स्वयं में तभी धारण कर पाएंगे जब बाप को कॉपी कर बाप समान बनने का लक्ष्य होगा ।
❉ जब एक दो को देखने की बजाए बाप के कदम पर कदम रखेंगे तभी बाप समान निर्विकारी, निराकारी और निरहंकारी बन सर्व का कल्याण कर सकेंगें ।
❉ अपने हर संकल्प, समय, श्वांस और सम्पति को सफल कर ऊंच पद के अधिकारी तभी बन सकेंगे जब एक दो को कॉपी करने की बजाए बाप को कॉपी करेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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