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   17 / 07 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सेवा में °सदा जी हाज़िर° कर प्यार का सच्चा सबूत दिया ?

‖✓‖ आत्माओं को बाप का परिचय देकर °गीता का भगवान् सिद्ध° किया ?

‖✓‖ "हमको °भगवान पढाते° हैं" - इसी नशे व ख़ुशी में रहे ?

‖✓‖ °शुद्ध अहंकार° में रहे ?

‖✗‖ किसी भी बात में °संशयबुधी° तो नहीं बने ?

‖✗‖
°सूक्ष्म वतन की बातों° में ज्यादा इंटरेस्ट तो नहीं रखा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °सदाकाल के अटेंशन° द्वारा विजय माला में पिरोने वाले मनके बनने का पुरुषार्थ किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳ सर्व प्राप्ति, सर्व साधन होते हुए भी साधनों में नहीं आओ, साधना में रहो। साधन होते हुए भी त्याग वृत्ति में रहो तब थोड़े समय में अनेक आत्माओं का भाग्य बना सकेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ साधन होते हुए भी °त्याग वृत्ति° में रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं विजयी आत्मा हूँ ।
 

✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

❉  सदाकाल के अटेंशन द्वारा विजय माला में पिरोने वाली मैं सदाकाल की विजयी आत्मा हूँ ।

❉  हर कर्म में फॉलो फादर कर स्नेह का रेस्पोंड देने वाली मैं बाप की स्नेही आत्मा हूँ ।

❉  बाबा ने मुझे सर्व प्राप्तियो का अनुभवी बना कर सम्पूर्ण विजयी भव के वरदान से सम्पन्न कर दिया है ।

❉  त्रिमूर्ति स्वरूप का तिलक धारण कर मैं हर परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त करती जाती हूँ ।

❉  स्वयं की स्मृति¸ बाप की स्मृति और ड्रामा की स्मृति मुझे हर प्रकार से उपराम रखती है ।

❉  हर कदम पर बाप के संकल्प और बोल को अपने संकल्प और बोल बना कर मैं सफलतामूर्त बनती जाती हूँ ।

❉  अपने श्रेष्ठ पुरुषार्थ द्वारा भविष्य श्रेष्ठ प्रालब्ध प्राप्त कर, विजय का तिलक लेने वाली मैं विश्व अधिकारी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ “मीठे बच्चे – पहले पहले सबको बाप का सही परिचय दे कर गीता का भगवान सिद्ध करो फिर तुम्हारा नाम बाला होगा”

 

❉  कहने को तो सभी भगवान को याद करते हैं किन्तु भगवान का वास्तविक परिचय क्या है, यह कोई नही जानता ।

❉  सही पहचान ना होने के कारण ही कृष्ण को गीता का भगवान कह देते हैं, जानते कुछ भी नही ।

❉  इसलिए सबसे पहले तो सभी को परमात्मा बाप का सही परिचय देना है ।

❉  परिचय देने से ही उन्हें इस बात का वास्तविक ज्ञान होगा कि गीता का भगवान कृष्ण नही बल्कि परम पिता परमात्मा शिव बाबा हैं ।

❉  वही संगम युग पर आकर हम आत्माओ को सच्चा सच्चा गीता ज्ञान सुनाते हैं ।

❉  गीता ज्ञान दाता परम पिता परमात्मा बाप का सही परिचय दे कर, जब गीता का भगवान सिद्ध करेंगे तभी हमारा नाम बाला होगा ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सदा इसी नशे व खुशी में रहना है कि हमको भगवान पढ़ाते हैं ।

❉  दुनिया वालों को तो नहीं पता कि हम कहाँ जाते हैं व हममें कौन पढ़ाता है ? बेहद के बाप भगवान स्वयं दूर देश से इस पतित दुनिया में आकर गुप्त रूप से पढ़ाते हैं ।

❉  बेहद का बाप बेहद का वर्सा देने के लिए , पतित से पावन बनाने के लिए, नर से नारायण और नारी से श्री लक्ष्मी बनाने के लिए पढ़ाने के लिए आते हैं । कितनी ऊंच पढ़ाई है ! कितना नशा व खुशी होनी चाहिए !

❉  हम कितने पदमापदम भाग्यशाली है कि स्वयं भगवान पढ़ाते हैं तो हमें उसे अच्छी रीति पढ़कर धारण कर अपना भाग्य ऊंच बनाना है व बहुत ख़ुशी रहनी चाहिए ।

❉  जैसे लौकिक में पिता से सिर्फ़ पिता का ही सम्बंध होता है लेकिन भगवान अपने बच्चों से सर्व सम्बंध निभाते हैं । वह बाप भी है, सतगुरू भी है व टीचर भी । कितने भाग्यशाली है हम !

❉  भगवान से स्वयं पढाई पढ़कर हम ऊंच ते ऊंच पद प्राप्त कर अपनी ऊँची तक़दीर बनाते हैं व 21 जन्मों की राजाई प्राप्त करते हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सदाकाल के अटेंशन द्वारा विजय माला में पिरोने के लिए बहुत समय के विजयी होना आवश्यक है... क्यों और कैसे ?

❉  बाबा ने हम बच्चो को बता रखा है जो होना है अचानक होगा, इसलिए हमें एवररेडी रहना है जो की हम सदाकाल के अटेंशन द्वारा ही रह सकते है, हमारे संकल्प, बोल, कर्म सब अभी से ही बहुत रॉयल बनाने है।

❉  बाबा ने यह भी बताया है कि लम्बे समय के अभ्यासी बनना जरुरी है तभी अंत में विजयी बन सकेंगे इसलिए हमें योग का प्रयोग कर बहुत समय के विजयी होना आवश्यक है।

❉  कोई भी घडी अंतिम घडी हो सकती है, इसलिए सदाकाल स्वयं पर अटेंशन रखना है, कोई भी पल व्यर्थ न जाये कि यदि वही घडी अगर मेरी अंतिम हुई तो मेरी क्या गति सदगति होगी।

❉  स्वमान की प्रेक्टिस व बाप की याद द्वारा बहुत समय से जो परिस्थितियों पर विजय होने के अनुभवी होंगे वही अंतिम दृश्य के समय भी अपनी स्थिति को अचल अडोल बनाकर अंतिम विजय को प्राप्त कर सकेंगे।

❉  "अंत मति सो गति" विजय माला में वही पिरोये जायेंगे जिन्होंने लम्बे समय से बाप की याद से अपने सब विकर्म विनाश किये हो व बहुत समय के पुरुषार्थ द्वारा अपना पुण्य का खाता जमा किया हो।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सेवा में सदा जी हाजिर करना – यही प्यार का सच्चा सबूत है... कैसे ?

❉  ट्रस्टी बन सब कुछ बाप पर कुर्बान करने वाले ही सेवा में सदा जी हाजिर कर प्यार का सच्चा सबूत दे सकते हैं ।

❉  बाप के हर कार्य में सहयोगी और समय पर बाप के मददगार बनने वाले ही बाप के प्रति अपने प्यार का सच्चा सबूत देते हैं ।

❉  जो अपना हर संकल्प, समय, श्वांस और सम्पति ईश्वरीय कार्य अर्थ सफल करते हैं वही सेवा में सदा जी हाजिर कर अपने प्यार को साबित करते हैं ।

❉  मान, शान की इच्छा से मुक्त और अभिमान से रहित हो कर जो नि:स्वार्थ भाव से सेवा करते हैं वही सच्चे प्यार का सबूत देते हैं ।

❉  निश्चयबुद्धि और योगयुक्त हो कर जो हर प्रकार की सेवा में सदा तत्पर रहते हैं, वही परवाने बन अपने प्यार को प्रत्यक्ष करते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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