❍ 26 / 01 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं मास्टर दुःख हर्ता सुख कर्ता हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ कर्मों की गति को जान गति सद्गति का फैसला करना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ सतगुरु
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ बहुत बहुत °सिंपल, निराकारी और निरहंकारी° बनकर रहे ?
‖✓‖ चलते-फिरते अपने को °निराकारी आत्मा° समझा ?
‖✓‖ कर्म करते °अव्यक्त फ़रिश्ता° समझा ?
‖✓‖ °योधे न बन योगी° बनकर रहे ?
‖✓‖ बाप द्वारा जो फर्स्ट क्लास ज्ञान मिला है.. उसका °चिंतन° किया ?
‖✓‖ °बेहद का पुरुषार्थ° किया ?
‖✗‖ °ड्रामा कहकर रुक° तो नहीं गए ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-
➳ _ ➳ आज स्मृति दिवस पर बापदादा आप स्मृति के दीपकों को देखकर हर्षित हो रहे हैं । कितना एक-एक दीपक अपनी झलक दिखा रहे हैं, जिससे विश्व परिवर्तन हो रहा है । अंधकार बदल रोशनी में आ रहा है और अभी दिल में सभी आत्माओं को यह संकल्प है कि कहाँ से रोशनी आ रही है! धीरे-धीरे इस रोशनी को देख वा आप दीपकों को देख खुश भी बहुत हो रहे हैं । यह रोशनी चारों ओर फैलनी ही है । अच्छा ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ अपने स्मृति के दीपक की रौशनी से आत्माओं को खुश किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ कर्मों की गति को जान गति-सदगति का फैसला करने वाला ही मास्टर दुःख हर्ता सुख कर्ता बन सकता है ... क्यों और कैसे ?
❉ कर्मों की गति को स्मृति में रख हर कर्म करने से ही हम त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट हो अपने कर्मों से हर आत्मा को सुख की अनुभूति करवा सकते हैं ।
❉ कर्मों की गुह्य गति हमें सिखाती है की जो सुख हम आत्माओं को देते हैं ... वह हमारे पास लौट के आता है ।
❉ कर्मों की गुह्य गति को स्मृति में रख कर्म करने वाली आत्मा कभी किसी को दुःख नहीं पहुंचा सकती क्योंकि उसका परिणाम हमें एक न एक एक दिन भुगतना पड़ता है ।
❉ कर्मो की गति को जानने के बाद हमारी बुद्धि पर पड़े ताले खुल जाते है,फिर जो हमारे साथ होता है उसे हम सहर्ष स्वीकार करते है।
❉ कर्मो की गति को जानने के बाद ही हम राजयोग द्वारा पुराने कर्मो का खाता चुक्त कर नए सुकर्म द्वारा पूण्य का खाता जमा करते है।
❉ कर्मो की ग्हुय गति जानने के बाद हमारा अटेंशन रहता है,आदि मध्य अंत का ज्ञान स्मृति में रहता है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ अनुभूति न होना - युद्ध की स्टेज है , योगी बनो योद्धे नहीं ... क्यों और कैसे ?
❉ क्योकि योगी सदा परमात्म प्यार में समाया हुआ होगा इसलिए परमात्म प्यार की अनुभूति सहज ही हो जायेगी।
❉ ज्ञानी तू योगी आत्मा भगवान को अति प्रिय है।अत:योगी सदैव परमात्म छत्र छाया में परमात्म प्रेम की अनुभूति करता रहेगा।
❉ योगी आत्मा अपने योग बल से परिस्तिथिओ पर सहज ही विजय प्राप्त कर परमात्म सुख की अनुभूति करती रहेगी।
❉ योगी आत्मा माया जीत बन परमात्म प्रेम के झूले में झूलती हुई सदैव आनन्द की अनुभूतियो में लीन रहेगी।
❉ योगी आत्मा का हर कर्म योग युक्त स्तिथि में योग की गहन अनुभतियों से भरपूर होगा।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔