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❍ 11 / 02 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आलराउंडर अलर्ट आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ पुरुषार्थ के सूक्षम आलस्य का भी त्याग करना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ बाप
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ °पवित्र° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ °बहुतों की सेवा° की ?
‖✓‖ °मैसेंजर° बनकर रहे ?
‖✓‖ °समय के महत्व° को सामने रख सर्व प्राप्तियों का खाता जमा किया ?
‖✓‖ °काम-काज करते याद° में रहे ?
‖✓‖ सदा °अलर्ट, एवररेडी और आलराउंडर° बनकर रहे ?
‖✗‖ पुरुषार्थ में °दिलशिकस्त° तो नहीं हुए ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-
➳ _ ➳ आज के स्मृति दिवस पर एक-एक बच्चे को इस दिन की स्मृति के साथ समर्थी चाहिए । तो सभी बच्चे इस स्मृति दिवस पर आज अपने में कोई न कोई विशेषता ध्यान में रख और अपने में धारण करे, विशेष दिन पर विशेषता धारण करे ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ स्मृति दिवस पर जिस भी विशेषता को धारण करने का आपने द्रिड संकल्प लिया था... आज पूरा दिन उस पर विशेष अटेंशन रहा ? और अगर उसे धारण करने में कोई कमी रह गयी है तो उस कमी को दूर करने के लिए विशेष प्लान बनाया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे चलते फिरते याद में रहने का अभ्यास करना है, ज्ञान और योग यही मुख्य दो चीजें हैं, योग माना याद"
❉ याद की प्रक्रिया एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो निरन्तर चलती रहती है।निरन्तर हम किसी ना किसी को याद करते रहते हैं।
❉ जैसे लौकिक सम्बंधियों को याद करने के लिए हमे खास एक जगह बैठ कर याद करने की आवश्यकता नही पड़ती।
❉ ठीक इसी प्रकार चलते फिरते हर कर्म करते, परम पिता परमात्मा की याद निरन्तर बनी रहे, यह अभ्यास पक्का करना है।
❉ परम पिता परमात्मा द्वारा मिले ज्ञान की धारणा और योग अर्थात कर्मयोगी बन बाप को याद करना, यही दो चीजे मुख्य हैं।
❉ याद से ही विकर्म विनाश होंगे और हम पावन दुनिया के मालिक बनेंगे।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)
➢➢ कर्म करते बाप को याद करने का अभ्यास करना है ।
❉ कर्म करते हुए बाबा की याद में रहना हैं क्योंकि हम कर्मयोगी है , हठयोगी नहीं ।
❉ अपना कामधंधा छोड़कर नहीं बैठना वरना बैठने की आदत पड़ जाएगी ।
❉ कामकाज करते हुए याद में रहेंगे व साथ का अनुभव करेंगे तो हर कार्य ही सहज हो जाएगा ।
❉ याद में रहकर करने से पहाड़ जैसी परिस्थिति भी रूई जैसी हो जाएगी ।
❉ कर्म करते हुए याद में रहेंगे तो कभी अकेलापन भी नहीं होगा व रूहानी मस्ती में रहकर हर कार्य करने का अनुभव भी मस्त होगा ।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)
➢➢ पुरुषार्थ के सूक्षम आलस्य का भी त्याग कर ही आलराउंडर और अलर्ट का पार्ट बजाया जा सकता है ... क्यों और कैसे ?
❉ आलस्य को दूर किये बिना तीव्र पुरुषार्थ करना संभव नहीं है ।
❉ आलस्य हमें अपनी विशेषताओं का सम्पूरण उपयोग और सम्पूरण विकास नहीं करने देता है ।
❉ आलस्य से संगम का अमुल्य समय व्यर्थ जाता है,और व्यर्थ के कारण माया के आने का गेट खुल जाता है।
❉ आलस्य हमारी विशेषताओ को धीरे धीरे ख़त्म करता जाता है।
❉ आलस्य हमें सेवा के परम सौभाग्य से दूर करता जाता है।
❉ आलसी मनुष्य को कभी कुछ नया करने व सिखने की इच्छा नहीं होती।
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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)
➢➢ समय के महत्व को सामने रख सर्व प्राप्तियों का खाता फुल जमा करो... क्यों और कैसे ?
❉ बेहद की सेवा के लिए जरूरी है कि समय प्रमाण सर्व प्राप्तियों का खाता फुल जमा हो।
❉ स्वयं की सेफ्टी के लिए,समय के महत्व को सामने रख, सर्व प्राप्तियों का खाता जमा करना जरूरी है।
❉ समय प्रमाण आत्माओं के तमोगुणी संस्कारो को परिवर्तन करने के लिए,सर्व प्राप्तियों का खाता फुल जमा करना जरूरी है।
❉ समय के महत्व को देखते हुए आने वाले समय में स्वयं को वायुमण्डल के प्रभाव से मुक्त रखने के लिए सर्व प्राप्तियों का खाता जमा करना जरूरी है।
❉ आने वाले समय में प्रकृति के प्रकोप चरम सीमा पर होंगे, ऐसी स्तिथि में प्रकृति जीत बनने के लिये सर्व प्राप्तियों का खाता जमा करना जरूरी हो।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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