━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

    23 / 05 / 15  की  मुरली  से  चार्ट  ❍ 

         TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °प्राप्तियों को सदा सामने° रख कमजोरियों को सहज ही समाप्त किया ?

 

‖✓‖ "हम मृत्यु लोक में पड़ रहे हैं °अमरलोक में जाने° के लिए" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ इस पुरानी दुनिया से °नाता तोड़े° रखा ?

 

‖✗‖ किसी के °नाम रूप° में तो नहीं फंसे ?

 

‖✗‖ °संगदोष° में आकर लूज़ तो नहीं हुए ?

 

‖✗‖ °झरमुई-झगमुई° में अपना टाइम वेस्ट तो नहीं किया ?

───────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °त्रि-स्मृति° स्वरुप का तिलक धारण करके रहे ?

───────────────────────────

 

आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  मास्टर नॉलेजफुल, मास्टर सर्वशक्तिवान की स्टेज पर स्थित रह भिन्न-भिन्न प्रकार की क्यू से निकल, बाप के साथ सदा मिलन मनाने की लगन में अपने समय को लगाओ और लवलीन स्थिति में रहो तो और सब बातें सहज समाप्त हो जायेंगी, फिर आपके सामने आपकी प्रजा और भक्तों की क्यू लगेगी ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ बाप के साथ सदा °मिलन मनाने की लगन° में अपने समय को लगाया ?

───────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सम्पूर्ण विजयी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   त्रिमूर्ति स्वरूप का तिलक धारण करने वाली मैं सम्पूर्ण विजयी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   स्वयं की स्मृति, बाप की स्मृति और ड्रामा की स्मृति मुझे हर परिस्थिति में विजय का अनुभव कराती है ।

 

 ❉   इन तीन बिंदुओं की स्मृति का तिलक सदा अपने मस्तक पर लगाये, मैं हर परिस्थिति को सहज ही पार करती जाती हूँ ।

 

 ❉   बाबा ने मुझे सर्व प्राप्तियों का अनुभवी बना कर सम्पूर्ण विजयी भव  के वरदान से सम्पन्न कर दिया है ।

  

 ❉   हर कार्य में सफलता की ऊंचाइयों को छूने वाली मैं सदा सफलतामूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   सर्वशक्तिमान बाप ने मुझे अपनी सर्वशक्तियों से भरपूर कर दिया है ।

 

 ❉  इन सर्वशक्तियों की अथॉरिटी से मैं सिद्धि स्वरूप बनती जाती हूँ । और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।

───────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अभी तुम संगम युग पर हो, तुम्हे पुरानी दुनिया से तैलुक ( नाता ) तोड़ देना है क्योकि यह पुरानी दुनिया अब खत्म होनी है"

 

 ❉   सभी युगों में सबसे श्रेष्ठ युग संगम युग को माना गया है इसलिए इस युग को पुरुषोत्तम संगम युग भी कहा गया है ।

 

 ❉   यह वह समय है जब परम पिता परमात्मा का आत्माओं के साथ डायरेक्ट मिलन होता है । भगवान स्वयं साकार तन का आधार ले हमसे मिलने आते हैं ।

 

 ❉   हमे पुरानी दुःख भरी दुनिया से निकाल कर सुख की दुनिया में ले जाते हैं ।

 

 ❉   हम अभी इसी पुरुषोत्तम संगम युग पर खड़े हैं  जहां पुरानी दुनिया का विनाश और नई दुनिया की स्थापना हो रही है ।

 

 ❉   इस लिए बाप कहते हैं तुम्हे अब इस पुरानी दुनिया से कोई तैलुक ( नाता ) नही रखना है । इस दुनिया में रहते भी इससे ममत्व नही रखना है क्योकि यह दुनिया अब समाप्त होनी है ।

───────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ घर की याद के साथ-साथ बाप को भी याद करना है। याद के चार्ट की डायरी बनानी है।

 

 ❉   पुरानी दुनिया का तो विनाश होना ही है व हमें पुरानी दुनिया में जाना है इसलिए पुराने से मोह हटाकर नये घर को याद करना है व घर के साथ-साथ बाप को  भी याद करना है।

 

 ❉   बाप ही ज्ञान का सागर है व नालेॅज देकर पतित से पावन बनाता है। ये आत्मा परमात्मा की नोलेज बाप के सिवा कोई और दे नहीं सकता।

 

 ❉   बाप कहते है कि मामेकम् याद करो। मुझे याद करते करते तुम पावन बन जायेंगे। जितना याद करते हैं व उतना ही सर्विस अच्छी करते है व ऊंच पद पाते हैं।

 

 ❉   आत्मा ही 84 जन्म लेती है ये सब ज्ञान बाप ही इस समय हम बच्चों को समझाते हैं। हम बच्चे बाप को याद करते चक्र को समझते हुए चक्रवर्ती राजा बनेंगे।

 

 ❉   अपनी डायरी में ये रोज़ नोट करना है कि आज सारा दिन में क्या-क्या किया कितनी देर बाप की याद में रहे । चार्ट को देख पता चलता है कि कितनी गफलत की तो दिल खाता है व उसे देख पुरूषार्थ में तीव्रता आती है।

───────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सम्पूर्ण विजयी बनने के लिए त्रि-स्मृति स्वरुप का तिलक धारण करना आवश्यक है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   यदि हमे एक की भी स्मृति भूली तो हम माया के वश हो जायेंगे, माया सबसे पहला वार हमारी बुद्धि पर करती है और हमें गिरा देती है।

 

 ❉   यह तीनो स्मृतिया रहेंगी तब ही हम अंत समय स्वयं की अचल स्थिति बना सकेंगे और अंत मति सो गति होगी।

 

 ❉   अंतिम समय के दृश्यों को देखने के लिए हमें लम्बे समय का आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित होने का अभ्यास, अंतिम पेपर हमारा होगा नष्टोमोहा स्मृति लब्धा, और नयी दुनिया व घर जाने की ख़ुशी रहेगी तो सहज विजयी बन जायेंगे।

 

 ❉   ड्रामा और बाप दोनों कल्याणकारी है, इस वंडरफुल ड्रामा में बाप हमारे कल्याण के लिए बहुत छोटे से संगमयुग में आये है यह स्मृति रखने से आलस्य, अल्बेलापन दूर होगा, सदा अटेंशन रहेगा की बहुत कम समय है और मंजिल बहुत दूर है।

 

 ❉   स्वयं की, बाप की, ड्रामा की स्मृति सदा बुद्धि में चलती रहे तो हम त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी बन जायेंगे और माया से सदा सेफ रहेंगे, माया कभी हमारे आस-पास भटक भी नहीं सकेगी.

───────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ प्राप्तियों को सदा स्मृति में रखो तो कमजोरियां सहज समाप्त हो जाएंगी... कैसे ?

 

 ❉    संगम युग की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों को सदा स्मृति में रखने से आत्मा हर परिस्थिति में स्वयं को निर्विघ्न अनुभव करती है जिससे सभी कमजोरियां सहज समाप्त हो जाती है ।

 

 ❉   सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों को स्मृति में रखने से आत्मा स्वयं को कर्म बंधन से मुक्त अनुभव करती है और हर कर्म करते कर्म के प्रभाव से मुक्त रह सर्व कमजोरियों पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती है ।

 

 ❉   सर्वप्राप्तियों की स्मृति आत्मा को अधिकारीपन का अनुभव कराती है और अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह कर्म करने से सब प्रकार की कमजोरियां स्वत: समाप्त हो जाती हैं ।

 

 ❉   सर्वप्राप्तियों की स्मृति आत्मा को सिद्धि स्वरूप बना देती है और सिद्धि स्वरूप आत्मा के हर संकल्प में सफलता समाई होती है जो सब प्रकार की कमजोरियों को समाप्त कर देती है ।

 

 ❉   सर्व प्राप्तियों की स्मृति में रहने वाली आत्मा सदा परमात्म मिलन की मौज में रहती है जिससे उसके जीवन में आने वाली सभी कमजोरियां समाप्त हो जाती हैं ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━