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❍ 30 / 03 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ बाप से °बुधी की लाइन° कलीयर रही ?
‖✓‖ बाप की याद ने °अग्नि° का रूप लिया ?
‖✓‖ बार-बार °अटेंशन° देने की तपस्या की ?
‖✓‖ भोलेनाथ बाप से अपनी °झोली भरी° ?
‖✓‖ "इस पढाई से हमें 21 जन्मो के लिए °विश्व की राजाई° मिलती है" - यह स्मृति रही ?
‖✗‖ पुरानी दुनिया में °अल्पकाल क्षण भंगुर सुख° स्वीकार तो नहीं किये ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °अव्यक्त स्वरुप की साधना° द्वारा पावरफुल वायुमंडल बनाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ आजकल की दुनिया में राजनीति की हलचल, वस्तुओं के मूल्य की हलचल, करैन्सी की हलचल, कर्मभोग की हलचल, धर्म की हलचल -ऐसे सर्व प्रकार की हलचल से हर एक तंग आ गये हैं | इससे बचने के लिए एकाग्रता को अपनाओ, एकान्तवासी बनो । एकान्तवासी से एकाग्र सहज ही हो जायेंगे ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °एकांतवासी° बन सहज ही एकाग्रता को अपनाया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं अव्यक्त फ़रिश्ता हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं फ़रिश्ता अपने अव्यक्त स्वरुप की साधना द्वारा वायुमंडल को पावरफुल बना रहा हूँ ।
❉ मैं फ़रिश्ता निरंतर अपने अव्यक्त स्वरुप पर बार बार अटेंशन दे वायुमंडल को चार्ज कर रहा हूँ ।
❉ बाप दादा के साथ कम्बाइंड हो कर मैं फरिश्ता नीचे विश्व गोले की तरफ देख रहा हूँ ।
❉ बाप दादा से आ रही लाइट और माइट की किरणे मुझ फ़रिश्ते में समा कर, मुझ से सारे विश्व में फ़ैल रही हैं ।
❉ इन पावरफुल वाइब्रेशनस के प्रभाव में आ रही हर आत्मा व्यक्त भाव और व्यर्थ से परे हो रही है ।
❉ हर आत्मा के भीतर ये वायब्रेशन गहराई तक जाकर उनकी चेतना में जागरूकता ला रहें हैं ।
❉ इन लाइट और माइट की किरणों का स्पर्श पा कर वे आत्माएं राहत की अनुभूति कर रही हैं ।
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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - इस पुरानी दुनिया में अल्पकाल क्षण भंगुर सुख है, यह साथ नही चल सकता, साथ में अविनाशी ज्ञान रत्न चलते हैं, इसलिये अविनाशी कमाई जमा करो"
❉ इन आँखों से हम इस दुनिया में जो कुछ भी देखते हैं वह सब विनाशी है अर्थात थोड़े समय में ही समाप्त होने वाला है ।
❉ तो जो वस्तु है ही क्षण भंगुर यानि जिसका अस्तित्व ही कुछ समय के लिए है वह भला हमे सदा काल का सुख कैसे दे सकती है ?
❉ ना ही इस विनाशी दुनिया की कोई वस्तु मृत्यु के पश्चात साथ जा सकती है, क्योकि आत्मा केवल संस्कार ले आ कर आती है और जाती है ।
❉ इस विनाशी दुनिया में अगर हमारे साथ कुछ जा सकतें हैं तो वो हैं अविनाशी ज्ञान रत्न जो इस समय स्वयं परम पिता परमात्मा बाप हमे आ कर दे रहें हैं ।
❉ जितना हम इन ज्ञान रत्नों को धारण कर, औरों को कराएंगे उतना ही अविनाशी कमाई जमा करते जाएँगे और प्रालब्ध के रूप में भविष्य 21 जन्म सुख, शान्ति और सम्पनता से भरपूर रहेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)
➢➢ बाप की याद से अपार सुखों का अनुभवों करने के लिए बुद्धि की लाइन क्लीयर चाहिए।
❉ बाप की याद से अपार सुखों का अनुभव करने लिए बुद्धि रूपी बर्तन को साफ़ रखना है तभी याद ठहर सकती है।
❉ अगर बुद्धि रूपी बर्तन व्यर्थ से भरा है तो वही चिंतन चलेगा। फिर वही वाचा में आयेगा व वैसे कर्म करेंगे और फिर सुख का अनुभव नहीं होगा।
❉ बाबा की याद में रहेंगे तो माया भी बिजी देखकर भाग जायेगी। बाबा की याद है तो साथ भी है तो फिर सुख भी हैं।
❉ अपने को आत्मा समझ बाप को याद करेंगे तो कोई विकर्म नही होगा व बुद्धि की लाइन भी क्लीयर रहेगी और सुख का अनुभव होगा।
❉ अगर बाबा की याद है व बुद्धि की लाइन क्लीयर है तो धारणा भी होंगी व सर्विस भी सहज होगी। फिर सुखों का अनुभव भी होगा।
❉ जैसे किसी बर्तन में पहले गंदा पानी है उसमें थोड़ा साफ़ पानी ओर डाल देंतो भी पानी गंदा ही रहेगा उसीप्रकार अगर बुद्धि में व्यर्थ भरा हुआ है तो एक दो अच्छे संकल्प बुद्धि में आए तो वो कुछ क्षण में ही भूल जायेंगे। इसीलिए बुद्धि रूपी बर्तन ख़ाली व साफ़ होगा तभी बाबा की याद में रहेंगे और सुखों का अनुभव हेगा।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ अव्यक्त स्वरुप की साधना द्वारा पावरफुल वायुमंडल बनाने वाले ही अव्यक्त फ़रिश्ता स्थिति का अनुभव करते है... क्यों और कैसे ???
❉ अव्यक्त फ़रिश्ता अर्थात जो इस देह के भान से उपराम अव्यक्त स्थिति में स्थित हो।
❉ अव्यक्त स्वरुप की साधना द्वारा हमारे चारो और शक्तिशाली वायुमंडल बना बन जाता है जिसमे हमें गहन शांति, सुख व हल्केपन का अनुभव होता है।
❉ अव्यक्त स्वरुप की स्थिति द्वारा हम इस देह, देह के सम्बन्ध, देह की दुनिया से दूर जा सकते है जो बहुत अतीन्द्रिय सुख से भरपूर होगा।
❉ आत्मिक स्वरुप में हम आत्मा की सभी ओरिजिनल संस्कार, गुण, शक्तिया इमर्ज हो जाती है जिससे हमारे आस-पास बहुत पावरफुल वायुमंडल बन जाता है।
❉ अव्यक्त स्वरुप द्वारा पावरफुल वायुमंडल बनाने पर हमें अनुभव होगा जैसे सबके संकल्पों को जान सकेंगे, जो सामने आये पल में उसकी हर मुश्किल आसान हो जाएगी, सुख-दुःख निंदा-स्तुति से उपराम हो जायेंगे इतने हल्के जैसे उड़ रहे हो, अखंड ख़ुशी रहेगी।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ सर्व शक्तिमान् बाप को प्रत्यक्ष करने के लिए एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाओ...क्यों और कैसे ?
❉ एकाग्रता की शक्ति किसी भी आत्मा को सेकण्ड में उड़ती कला का अनुभव करवा सकती है ।
❉ आने वाले समय में अनेक प्रकार की हलचलों के बीच एकाग्रता की शक्ति ही एकांतवासी स्तिथि का अनुभव करा कर, सर्वशक्तिमान् बाप की प्रत्यक्षता का आधार बनेगी ।
❉ संगठित रूप से एकाग्रता की शक्ति ही विश्व परिवर्तन का आधार बन, सर्वशक्तिमान् बाप की प्रत्यक्षता में सहायक होगी ।
❉ वर्तमान समय विश्व कल्याण करने का सहज साधन अपनी श्रेष्ठ संकल्पों की एकाग्रता द्वारा सर्व आत्माओं की भटकती हुई बुद्धि को एकाग्र करना है, इसके लिए मुख्य रूप से एकाग्रता की शक्ति की आवश्यकता है ।
❉ एकाग्रता की शक्ति अनुभवी मूर्त बना कर सर्व आत्माओं को शक्तियों की प्राप्ति का अनुभव प्रेक्टिकल रूप में करवा कर सर्वशक्तिमान बाप को प्रत्यक्ष करने में सहायक होगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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