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   02 / 11 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ इस संस्कार को एक °अलोकिक खेल° और परिस्थितियों को एक खिलौना मानकर चले ?

 

‖✓‖ °धंधा° आदि करते याद की मेहनत की ?

 

‖✓‖ °पढाई° पडी और पढाई ?

 

‖✓‖ आत्मा को सतोप्रधान बनाने का °फ़िक्र° रखा ?

 

‖✗‖ कोई भी °आसुरी काम° तो नहीं किया ?

 

‖✗‖ अपने °मुह मियाँ मिठू° तो नहीं बने ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °खुशियों° के अखुट खजाने से भरपूर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जैसे लाइट हाउस एक स्थान पर होते हुए चारों ओर अपनी लाइट फैलाता है, ऐसे लाइट हाउस बन, विश्व कल्याणकारी बन विश्व तक अपनी लाइट फैलाने के लिए पावरफुल स्टेज चाहिए। जैसे स्थूल लाइट का बल्ब तेज पावर वाला होगा तो चारों ओर लाइट फैलेगी। जीरो पावर हद तक रहेगी। तो अब लाइट हाउस बनो कि बल्व।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °लाइट हाउस° बन, विश्व कल्याणकारी बन विश्व तक अपनी लाइट फैलाई ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा बेफिक्र बादशाह हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   खुशियों के अखुट खजाने से सदा भरपूर रहने वाली मैं आत्मा बेफिक्र बादशाह हूं ।

 

 ❉   खुशियों के सागर से मिला खुशियों का अखुट खजाना किसी भी परिस्थिति में मेरी खुशी को गायब नहीं होने देता ।

 

 ❉   प्रवृति में रहते अपनी सब चिंताएं बाप को देकर मैं हर बात से उपराम रहती हूं ।

 

 ❉   अपनी लौकिक जिम्मेवारियों को पूरा करते हुए उनसे न्यारी और बाप की प्यारी बन, मैं अपना हर संकल्प और समय सफल करती जाती हूँ ।

 

 ❉   स्वयं करनकरावनहार बाप मेरे साथ है, इसलिए जो होगा अच्छा होगा यह स्मृति मुझे हर परिस्थिति में अचल अडोल बनाए रखती है ।

 

 ❉   स्वयं को निमित समझ, करन करावनहार बाप की छत्रछाया में मैं हर कार्य सफलतापूर्वक करती जाती हूँ ।

 

 ❉   सब चिंताएं बाप को देकर मैं माया जीत, कर्मेन्द्रिय जीत और प्रकृति जीत बनती जाती हूं ।

 

 ❉   अपने निज धाम और अपने निजी स्वरूप् की स्मृति में रहते हुए मैं स्वयं को इस दुनिया से सदा उपराम अनुभव करती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - आत्मा को सतोप्रधान बनाने का फुरना ( फ़िक्र ) रखो, कोई भी खामी ( कमी ) रह न जाए, माया गफ़लत न करा दे"

 

 ❉   अपने मूल स्वरूप में आत्मा सम्पूर्ण पावन सतोप्रधान है और जब इस सृष्टि पर शरीर धारण कर पार्ट बजाने आती है तो सतोप्रधान अवस्था में ही आती है ।

 

 ❉   लेकिन शरीर धारण कर अनेक जन्म पार्ट बजाते बजाते और विकारो में गिरते गिरते आत्मा सम्पूर्ण पतित तमोप्रधान बन जाती है ।

 

 ❉   आत्मा को तमोप्रधान से सतोप्रधान बनाने और वापिस अपने घर परमधाम ले जाने के लिए ही पतित पावन बाप आते हैं और आ कर राजयोग सिखलाते है ।

 

 ❉   पतित पावन परम पिता परमात्मा बाप की याद से ही आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट उतर सकती है और आत्मा सतोप्रधान बन सकती है ।

 

 ❉   इसलिए बाप कहते हैं आत्मा को सतोप्रधान बनने का फुरना ( फ़िक्र ) रखो, कोई भी कमी ना रह जाये, माया गफ़लत न करा दे ।

 

 ❉   इसलिए माया से बचने और सतोप्रधान बनने के लिए निरन्तर याद में रहने का पुरुषार्थ करो ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ धंधा आदि करते आत्मा को पावन बनाने के लिए समय निकाल याद की मेहनत करनी है ।

 

  ❉.  जैसे धंधा आदि करते हुए हम शरीर की सफाई करते है उसे सजाते संवारते हैं । कोई भी कार्य करते अपने श्रृंगार का ध्यान रखते उसे बिगडने नही देते इसीप्रकार शुभ भावना शुभ कामना और शुभ संकल्प से आत्मा का श्रृंगार करना है ।

 

  ❉.  दैवीगुण धारण करने है । आसुरी संग से दूर रहना है । आसुरी वृत्ति नही रखनी क्योंकि जैसा सोचते हैं वैसा ही करते हैं ।

 

  ❉   मैं परमपिता की संतान हूं मुझे पावन बनकर  रहना है निरंतर याद की यात्रा पर रहना है तो याद से विकर्म विनाश होंगे व आत्मा पावन बन जायेगी ।

 

   बाबा ये नही कहते कि कामकाज छोड बैठ याद करो कोई हठयोगी नहीं है कर्मयोगी हैं ।हर कर्म करते हुए याद मे रहना है । याद मे ही मेहनत है जो पारे मिसल खिसक जाती है ।

 

   ❉   जब किसी को अपना बनाते हैं तो उसकी याद स्वत: ही आती है याद करना नही पडता । तो बाबा से भी ऐसे सर्व सम्बंध जोडने है कि याद स्वत: ही आए व आत्मा पर लगी कट उतर पावन बन जाएं।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ खुशियों के अखूट खजाने से भरपूर सदा बेफिक्र बादशाह होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   "ख़ुशी जैसी खुराक नहीं" सभी समस्याओ और गमो का निवारण है ख़ुशी, जो खुश रहते है उनके पास कोई समस्या आ नहीं सकती।

 

 ❉   ख़ुशी वह शक्ति है जिसके आगे माया के सब वार फीके है, माया भी यह देख की इन्हें तो कोई फर्क नहीं पद रहा, यहाँ मेरी कोई खातिरदारी नहीं होनी है भाग जाती है।

 

 ❉   हमें अखूट खजाने मिले, बाप, वर्सा सबकी स्मृति जब बुद्धि में रहेगी तब हमारी ख़ुशी का पारा चढ़ेगा और हम बेफिक्र होंगे। सबको अविनाशी ख़ुशी की खुशखबरी सुनाते रहो।

 

 ❉   ख़ुशी सबसे अनमोल खजाना है, जान जाये पर ख़ुशी नहीं जानी चाहिए, अपनी ख़ुशी का आधार हम स्वयं है, किसी और को इस खजाने की चाबी नही देना है अर्थात हमारी ख़ुशी का आधार कोई विनाशी चीज न हो।

 

 ❉   स्वयं को जान गए, बाप मिल गया, बाप के वर्से के अधिकारी बन गए इससे बढकर और क्या ख़ुशी होगी? हम बच्चे सदा बाप के संग रहते है तो हमें किस बात की चिंता, करन करावनहार बाप करा रहा है, जिम्मेदारी सब बाप को दे दो और स्वयं संगमयुग की मौजो में झूलते रहो।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ इस संसार को एक आलौकिक खेल और परिस्थितियों को खिलौना मान कर चलो तो कभी निराश नही होंगे... कैसे ?

 

 ❉   जब हर बात प्रभू अर्पण कर देंगे तो करनकरावनहार बाप की छत्रछाया के नीचे स्वयं को सुरक्षित अनुभव करेंगे जिससे संसार एक आलौकिक खेल और परिस्थितियां खिलौना दिखाई देंगी और हर मुश्किल सहज अनुभव होगी ।

 

 ❉   सच्चाई और सफाई से, सरल चित बन जब स्वयं को बाप के आगे समर्पित कर देंगे तो परमात्म मदद से समाधान स्वरूप बन हर समस्या को हल ढूंढ सकेंगे और निराश ना होते हुए हर परिस्थिति को खिलौना और संसार को आलौकिक खेल समझेंगे ।

 

 ❉   आत्मा रूपी दीपक में जब ज्ञान का घृत रोज डालते रहेंगे तो  आत्मिक उन्नति होती जायेगी और आत्मा में बल भरता जाएगा, जिससे स्व स्तिथि शक्तिशाली बनती जायेगी और हर परिस्थिति खेल अनुभव होगी ।

 

 ❉   जब संगम युग की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों की स्मृति में रहेंगे तो सिद्धि स्वरूप बन जायेंगे और सिद्धि स्वरूप आत्मा के हर संकल्प में सफलता समाई होती है जो सब प्रकार की कमजोरियों को समाप्त कर परिस्थिति को खेल बना देती है ।

 

 ❉   जितना ज्ञान और योग से आत्मा में बल भरते जायेंगे उतनी आत्मा शक्तिशाली बनती जायेगी जिसके सामने माया शक्तिहीन हो जायेगी और सर्व परिस्थितियों में भी मनोरंजन का अनुभव होता रहेगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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