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   17 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपना °जीवन हीरे जैसा° बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °डबल अहिंसक° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ याद बल द्वारा दुःख को सुख में और °अशांति को शांति° में परिवर्तित किया ?

 

‖✓‖ बाप जो सुनाते हैं... उस पर °विचार सागर मंथन° कर दूसरों को सुनाया ?

 

‖✓‖ "यह पढाई पूरी होगी तो हम °कृषणपुरी° में जायेंगे" - यह नशा रहा ?

 

‖✓‖ "यह पुरुषोत्तम संगम युग °कल्याणकारी युग° है" - यह स्मृति रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ साक्षी हो ऊंची स्टेज द्वारा °सर्व आत्माओं को साकाश° दिया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  अभी ज्वालामुखी बन आसुरी संस्कार, आसुरी स्वभाव सब-कुछ भस्म करो। जैसे देवियों के यादगार में दिखाते हैं कि ज्वाला से असुरों का संघार किया। असुर कोई व्यक्ति नहीं लेकिन आसुरी शक्तियों को खत्म किया। यह अभी आपकी ज्वाला-स्वरूप स्थिति का यादगार है। अब ऐसी योग की ज्वाला प्रज्जवलित करो जिसमें यह कलियुगी संसार जलकर भस्म हो जाये।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ ज्वालामुखी बन आसुरी संस्कार, °आसुरी स्वभाव को भस्म° किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं बाप समान अव्यक्त फरिश्ता हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   साक्षी हो ऊंची स्टेज द्वारा सर्व आत्माओं को साकाश देने वाला मैं बाप समान अव्यक्त फरिश्ता हूँ ।

 

 ❉   कदम कदम पर ब्रह्मा बाप को फॉलो कर मैं निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।

 

 ❉   हम सो फरिश्ता मन्त्र को पक्का कर मैं साकार और आकार के अंतर को समाप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   सभी बातों में इजी रह, मैं देह अभिमान की टाइटनेस को समाप्त कर, सदा उपराम स्थिति में स्थित रहती हूँ ।

 

 ❉   दुनिया से उपराम हो कर मैं सबके पार्ट को साक्षी हो कर देखती रहती हूँ और सबको साकाश देती रहती हूँ ।

 

 ❉   चलते फिरते अपने निराकारी स्वरूप और कर्म करते अपने फरिश्ता स्वरूप में स्थित हो कर मैं आत्मा सदा ख़ुशी में ऊपर उड़ती रहती हूँ ।

 

 ❉   अपनी शुभ और श्रेष्ठ वृति और दृष्टि से मैं आत्मा सर्व को सहयोग और कल्याण का साकाश देती हूँ ।

 

 ❉   हर प्रकार के वातावरण में सेफ रह कर मैं सदा माया के तूफानों में भी अचल अडोल रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - यह पुरुषोत्तम संगम युग कल्याणकारी युग है, इसमें ही पढ़ाई से तुम्हे श्रीकृष्णपुरी का मालिक बनना है"

 

 ❉   सभी युगों में सबसे कल्याणकारी युग संगमयुग ही है ।

 

 ❉   यही वह समय है जब परमपिता परमात्मा शिव बाबा स्वयं आ कर ब्रह्मा मुख द्वारा हमे एडॉप्ट करते हैं ।

 

 ❉   और राजयोग की पढ़ाई द्वारा हमे पुरुषोत्तम अर्थात पुरुषों में सबसे उत्तम लक्ष्मी नारायण जैसा बनाते हैं ।

 

 ❉   अब वही पुरुषोत्तम संगम युग चल रहा है जबकि स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा आये हुए हैं ।

 

 ❉   और राजयोग की पढ़ाई द्वारा हमे श्रीकृष्णपुरी अर्थात सतयुग का मालिक बना रहें हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ इस पुरानी दुनिया में रहते डबल अहिंसक बन योगबल से अपनी नयी दुनिया स्थापन करनी है ।

 

 ❉   अभी तक मनुष्य कुम्भकरण की नींद में सोये हुए थे । अब बाप ने आकर अज्ञान की नींद से जगाया है । पुरानी दुनिया में पुकारते रहे पतित पावन आओ व अब बाप आए हैं हमें राजयोग सिखाकर सुखधाम ले जाने ।

 

 ❉   अब हमें इस पुरानी दुनिया में रहते डबल अहिंसक बनना है न तो लड़ना झगड़ना है न ही काम कटारी चलानी है । अपने योगबल से विकर्मों का विनाश करके दुखधाम से सुखधाम में आना है ।

 

 ❉   कहा भी जाता है 'अहिंसा परमो देवी-देवता धर्म' । मनसा में कभी बुरे संकल्प भी न आए व कर्मेन्द्रियों से भी कोई उल्टा कर्म न हो ।

 

 ❉   दुनिया वालों के लिए ये कलयुगी दुनिया है व हमारे लिए यह कल्याणकारी संगमयुग है व बाप स्वयं टीचर बनकर पढ़ाते हैं व सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देते हैं जिसे पढ़कर हम देवी देवता बनते हैं ।

 

 ❉   बाबा कहते हैं बच्चे पुराना समाप्त कर नया जमा कर नयी दुनिया की स्थापना करनी है । बाबा ने यह जीवन दिया ही विश्व कल्याण के लिए है तो सर्व शक्तियाँ स्वयं के प्रति लगा रहमदिल व डबल अहिंसक बन नयी दुनिया बनानी है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ साक्षी हो उची स्टेज द्वारा सर्व आत्माओ को सकाश देने वाले बाप समान अव्यक्त फ़रिश्ता बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   स्वयं को स्वमान की सीट पर सेट करके सारे विश्व की आत्माओ को सकाश देने से ही सर्व आत्माओ की महान सेवा है।

 

 ❉   जो आत्माये इस व्यक्त दुनिया के भान से दूर अव्यक्त स्थिति में टिक कर सारे विश्व की आत्माओ को सकाश देती है वह बाप समान विश्व कल्याणकारी सो भविष्य राज्य अधिकारी बन जाते है।

 

 ❉   यह बेहद का अनादी बना बनाया ड्रामा है, इसकी हर सिन को साक्षी को देखना है, यही शुभ भावना और शुभ कामना रखनी है की सर्व का कल्याण हो जाये क्युकी है तो हम सब एक ही बाप की संतान।

 

 ❉   जो आत्माये उची स्टेज पर स्थित होकर स्थित रहती है, परिस्थितियाँ उनके निचे से गुजर जाती है। वही आत्माओ पर कोई बात रोक नहीं सकती, फ़रिश्ता अर्थात हल्का बन उढ़ते रहते है।

 

 ❉   जैसे बाबा सारे ड्रामा के राज को जानते हुए हमेशा साक्षी स्थिति में रहते है, ऐसे ही बाबा ने  हमें भी आदि मध्य अंत का ज्ञान दिया है तो हमें भी साक्षी स्थिति में रहना है, उची स्टेज पर स्थित होकर सर्व आत्माओ को सकाश देंगे तब बाप समान विश्व सेवाधारी कहलायेंगे। जो भी आत्माये आये कुछ न कुछ लेकर जाये, चाहे मनसा, चाहे वाचा, चाहे कर्मणा हर समय संकल्प स्वास सेवा प्रति हो।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ याद बल द्वारा दुःख को सुख में और अशांति को शान्ति में परिवर्तन करो... कैसे ?

 

 ❉   आत्मा में जैसे जैसे याद का बल जमा होता जायेगा आत्मा सर्व परिस्थितियों से उपराम होती जायेगी जिससे दुःख, सुख में और अशांति, शान्ति में परिवर्तित होती जायेगी ।

 

 ❉   याद का बल आत्मा को बलशाली बना देगा जिससे आत्मा दुःख की परिस्थिति में भी सुख और अशांति में भी शान्ति का अनुभव करेगी ।

 

 ❉   सर्वशक्तिवान बाप की याद आत्मा को शक्तिसम्पन्न बना देगी और सही समय पर सही शक्ति के प्रयोग से दुःख को सुख और अशांति को शान्ति में परिवर्तित करना सहज हो जाएगा ।

 

 ❉   याद का बल स्व स्थिति को पावरफुल बना कर हर परिस्थिति को सहज बना देगा और अपनी पावरफुल स्थिति द्वारा आत्मा दुःख की परिस्थिति में भी सुख और शांति की अनुभूति करेगी ।

 

 ❉   योग बल से आत्मा फरिश्ता समान सूक्ष्म, शुद्ध और हल्केपन के अनुभव द्वारा सुख दुःख से न्यारी, हल्की हो उड़ती रहेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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