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    03 / 05 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °प्रवृति और निवृति° दोनों का बैलेंस रख श्रेष्ठ पार्ट बजाया ?

 

‖✓‖ स्वयं को और सर्व को °राज़ी° रखा ?

 

‖✓‖ किसी भी बात को °बाप और आप° दोनों ने मिलकर सुलझाया ? किसी को क़ाज़ी या वकील या जज तो नहीं बनाया ?

 

‖✓‖ दिन भर बार बार एक सेकंड में °आकारी फ़रिश्ता ड्रेस° पहनकर बाप दादा से मिलन मनाया ?

 

‖✓‖ सदा अपने °श्रेष्ठ स्वरुप° की स्मृति बनी रही ?

 

‖✓‖ एक दुसरे की कमजोरियों को न देख सिर्फ उनकी °विशेषताओं को देखा° ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ संगमयुग की °सर्व प्राप्तियों को स्मृति° में रख चढ़ती कला का अनुभव किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  परमात्म प्यार में ऐसे समाये रहो जो कभी हद का प्रभाव अपनी ओर आकर्षित न कर सके । सदा बेहद की प्राप्तियों में मगन रहो जिससे रूहानियत की खुशबू वातावरण में फैल जाए ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ रमात्म प्यार और °बेहद की प्राप्तियों° में मगन रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं श्रेष्ठ प्रालब्धी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मैं संगमयुग पर श्रेष्ठ पुरुषार्थ द्वारा अपनी भविष्य श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने वाली श्रेष्ठ प्रालब्धी आत्मा हूँ ।

 ❉   मैं केवल पुरुषार्थी नही लेकिन श्रेष्ठ प्रालब्धी हूँ - इस स्वरूप की स्मृति द्वारा मैं सदैव खुशियों के के झूले में झूलती रहती हूँ ।

 ❉   अविनाशी प्राप्तियों से सम्पन्न, सदा अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध को सामने रखते हुए मैं आत्मा सदैव चढ़ती कला का अनुभव करती रहती हूँ ।

 ❉   बाबा मुझे सर्व खजाने दे कर, विश्व राज्य तख़्त का अधिकारी बनाने आये हैं ।

 ❉   मैं परमात्म वर्से की अधिकारी आत्मा हूँ और अपने परम पिता परमात्मा बाप से श्रेष्ट भाग्य का वर्सा प्राप्त कर रही हूँ ।

 ❉   स्वयं भाग्य विधाता बाप मुझे बेहद का राज्य तख़्त पाने का गोल्डन चाँस दे रहें हैं ।

 ❉   अपने तीव्र पुरुषार्थ से मैं भविष्य गोल्डन दुनिया में ऊँच से ऊँच पद प्राप्त करके रहूँगी ।

 ❉   अपने आदि भविष्य स्वरूप् को स्मृति में रख मैं सदा दिव्यता की रॉयल्टी से चमकती रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "प्रवृति में रहते भी निवृति में कैसे रहें ?"

 

 ❉   प्रवृति में रहते भी निवृति में रहना अर्थात सबसे न्यारे और बाप के प्यारे हो कर रहना ।

 ❉   जो न्यारे और प्यारे के राज को जानते है वे सदा स्वयं से भी राजी रहते हैं, प्रवृति को भी राजी रखते हैं और बाप - दादा भी सदैव उन पर राजी रहते हैं ।

 ❉   जैसे प्रवृति का कायदा होता है कि अगर कोई भी बात मिया बीबी में होती है तो उसे आपस में सुलझाना ही अच्छा होता है । क्योकि अगर तीसरे तक बात गई तो फैलेगी जरूर ।

 ❉   ऐसे ही बाप और आप के बीच जो भी बात हो उसे केवल आप जानो और बाप जाने तीसरा कोई नही ।

 ❉   और यह तभी होगा जब बाप के स्नेही और समीप होंगे और बाप के स्नेही और समीप तभी हो सकते हैं जब बाप समान निराकारी बनने का अभ्यास होगा । देह का भान नही होगा ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ किसी भी बात को बाप और आप दोनों ने सुलझाना है। किसी को भी क़ाज़ी या वक़ील या जज नहीं बनाना है।

 

 ❉   जब इस देह रूपी मिट्टी का भान नहीं रहता तो आत्मा को स्व का व अपने पिता परम आत्मा की याद रहती है। बाप की याद की छत्रछाया में रहते है तो माया के वार से बचे रहते है व सदा सेफ़ रहते हैं। किसी क्यूँ, क्या, क्यों के क्वेश्चन में नहीं फँसते तो किसी क़ाज़ी की ज़रूरत नहीं पड़ती ।

 ❉   प्रवृति में रहते हुए भी देह व देह के सर्व सम्बंधो से कमल पुष्प समान न्यारे व प्यारे रहते हैं और सच्चे होने के कारण बाबा भी उन बच्चों पर सदा राज़ी रहता है व गृहस्थ परिवार में स्वयं को व सर्व को राज़ी रखते हैं तो उन्हें कभी क़ाज़ी या वक़ील की ज़रूरत नहीं पड़ती ।

 ❉   अगर संस्कार वंश कोई अंदर ही अंदर ही अंदर बहस चलती रहती है कि ये राइट है या रांग व फ़ैसला नहीं कर पाते तो सच्चे दिल से बाबा को बताओ तो बाप उसका जवाब आप को टचिंग कर ज़रूर देगा व बात सेकेंड में समाप्त हो जायेगी। उसको दिल में रखकर लम्बा नहीं खींचना। बाप ही हमारा जज,वक़ील क़ाज़ी सब है।

 ❉   जैसे लौकिक में कभी दो लोगों के बीच बात हो जाती है अगर किसी तीसरे को बात बता दी तो वह बात आग की तरह फैल जाती है। इसलिए प्रवृति में बाप और आप के सिवाए तीसरी आत्मा अर्थात परिवार की आत्माओं में बात फैलनी नहीं चाहिए ।

 ❉   बाबा है हमारा सच्चा सच्चा माशूक़ व हम है आशिक। तो आशिक व माशूक़ का रिश्ता इतना स्नेही और समीप का होता जो इशारों से ही बात समझ लेते हैं न फिर जब पसंद कर लिया तो बीचं में किसी दूसरे को क्यूँ डालना?बीच में डालते है तो बीच भँवर मे आ जाते है। बचाने की मेहनत तो फिर माशूक को ही करनी पड़ती है।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ संगमयुग की सर्व प्राप्तियो को स्मृति में रख चढ़ती कला का अनुभव करने वाले श्रेष्ठ प्रारब्धी संपन्न बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   संगमयुग सर्व युगों में श्रेष्ठ समय है क्युकी सरे कल्प सिर्फ यही समय है जब परमात्मा स्वयं भारत में आते है, इस पतित दुनिया को पावन बनाने।

 ❉   संगमयुग के एक जन्म में ही हम तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने का पुरुषार्थ करते है। 63 जन्मो से हम आत्माये गिरते ही आये अब एक जन्म में ही फिर से ऊपर चड़ना है।

 ❉   यह सृष्टि के महापरिवर्तन का समय है जब यह वैश्यालय को स्वयं बाप शिवालय बना रहे है और हमे इस श्रेष्ठ काम में अपना साथी बनाया।

 ❉   हम आत्माओ का यह पदमा पदम सौभाग्य है जो स्वयं परमात्मा ने हम आत्माओ को चुना और अपना बच्चा बनाया, हमें पढ़ाते है, हमारी पलना करते है, हमें मुक्ति जीवन्मुक्ति का वर्सा देते है।

 ❉   दुनिया की करोडो आत्माओ में से इस धरा पर कोटो में कोई और कोई में भी कोई हम वह भाग्यशाली आत्माये है जिन्होंने गुप्त रूप में आये परमात्मा को पहचाना और उनकी श्रीमत पर चल रहे है।

 ❉   बाप ने इस धरा पर आकर हम बच्चो को अडॉप्ट किया और ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण बनाया और फिर ब्राह्मण सो देवता बनेंगे ऐसा परम सौभाग्य बाप ने हम बच्चो को दिया।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ब्राह्मणों का श्वांस हिम्मत है, जिससे कठिन से कठिन कार्य भी आसान हो जाता है... कैसे ?

 

 ❉   ब्राह्मणों की हिम्मत का एक कदम और बाप की मदद के हजार कदम कठिन से कठिन कार्य को भी सहज बना देते हैं ।

 ❉   हिम्मत रख आगे कदम बढ़ाने वाले ब्राह्मणों के लिए तूफान भी तोहफा बन जाते हैं जिससे कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है ।

 ❉   हिम्मत रख आगे बढ़ने वाले ब्राह्मण कभी भी माया से हार नही खाते और माया के हर खेल को मनोरंजन समझ कठिन से कठिन परिस्तिथि पर भी विजय प्राप्त कर लेते हैं ।

 ❉   हिम्मत रख आगे कदम बढ़ाने वाले ड्रामा के हर सीन को साक्षी हो देखते है और कठिन से कठिन कार्य में भी सरलता का अनुभव करते हैं ।

 ❉   हिम्मत रख आगे बढ़ने वाले सदा उमंग उत्साह के पंखो द्वारा कठिन से कठिन कार्य को भी आसानी से कर लेते हैं ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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