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    20 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ बापदादा से कदम-कदम पर °राय° लेते रहे ?

‖✓‖ °बाप की दुआएं° लेते हुए सदा भरपूरता का अनुभव किया ?

‖✓‖ °बिगर ओई फिकर° के अपनी गुप्त राझधानी श्रीमत पर स्थापन करने के कार्य में लगे रहे ?

‖✓‖ "कल्प पहले जिन्होंने °मदद° की... वह अभी भी अवश्य करेंगे" - यह बुधी में रहा ?

‖✓‖ "अभी हमारी वानप्रस्थ अवस्था है.. हम °वापस घर° जा रहे हैं" - यह ख़ुशी रही ?

‖✓‖ °नष्टोमोहा° बनकर रहे ?

‖✓‖ मुख से सदैव हर आत्मा के प्रति °शुभ बोल° निकले ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

‖✓‖ हर आत्मा को °हिम्मत उल्लास° दिलाया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

‖✓‖ आज दिन भर मुरली के पॉइंट्स को बार बार °दोहराया° (रीवाइज) किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)

 

➢➢ मैं रहमदिल विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   परम पिता परमात्मा शिव बाबा की सन्तान मैं आत्मा भी विश्व कल्याण के निमित हूँ ।

 ❉   स्वयं भगवान ने मुझे सफलतामूर्त के वरदान से श्रृंगारा है और अपने ही जैसा रहमदिल विश्वकल्याणकारी निस्वार्थ आत्मा बनाया है ।

 ❉   बाबा के वरदानों को स्मृति में ला कर और बाबा के साथ कंबाइंड रह कर मैं सर्व आत्माओं का कल्याण करती हूँ ।

 ❉   मुझे आत्मा के मुख से सदैव हर आत्मा के प्रति शुभ बोल ही निकलते हैं ।

 ❉   मैं आत्मा पहले दूसरी आत्माओं को समर्थ बनाकर फिर शिक्षा देती हूँ ।

 ❉   मैं आत्मा पहले धरनी पर हिम्मत और उल्लास का हल चला फिर बीज डालती हूँ जिससे हर बीज का फल सहज ही प्राप्त होता है । और इस विधि से मैं तीव्र गति से विश्व सेवा में अग्रसर रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप अभी तुम्हारी पालना कर रहे हैं, पढ़ा रहे हैँ, घर बैठे राय दे रहे हैं, तो कदम-कदम पर राय लेते रहो तब ऊँच पद मिलेगा"

 

 ❉   ऊँची से ऊँची अथॉरिटी जिस परम पिता परमात्मा बाप की एक झलक पाने के लिए लोग तरस रहे हैं ।

 ❉   वह परम पिता परमात्मा बाप प्रैक्टिकल में हमारे सामने आकर हम से सन्मुख मिलन मना रहे हैं ।

 ❉   कितने पदमा पदम भाग्यशाली है हम ब्राह्मण बच्चे, जिनकी पालना स्वयं परमात्मा आ कर इस समय कर रहे हैं ।

 ❉   दुनिया वालों की तरह हमे कहीं जाने की दरकार ही नही, क्योंकि स्वयं भगवान हमे घर बैठे ऐसी श्रेष्ठ राय दे रहे हैं । जो हमे स्वर्ग का मालिक बना देगी ।

 ❉   इस लिए हमे चाहिए कि कदम-कदम पर परमात्मा बाप से राय ले कर, उनकी मत पर

चल, ऊँच पद को प्राप्त करें ।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ सदा ख़ुशी रहे कि हमारी वानप्रस्थ अवस्था है, अब घर जाना है।

 

 ❉   हमारी वानप्रस्थ अवस्था है चाहे वह बच्चा है या बड़ा है क्योंकि 84 जन्म लेते लेते हमारा अब ये अंतिम जन्म है व अब हमें घर जाना है वापिस तो ख़ुशी होनी चाहिए।

 ❉   इस अंतिम जन्म में गृहस्थ परिवार में रहते हुए सर्व सम्बंध निभाते हुए न्यारा और प्यारा रहना है। सब कुछ देखते हुए भी कुछ नहीं देखना व किसी से ममत्व नहीं रखना।

 ❉   जैसे कहीं घूमने जाते हैं व चार पाँच दिन बाद लगने लगता है कि बस अब अपने घर जाएँ व अपना घर याद आने लगता है। इसीप्रकार हमारे परमपिता ने हमारा अपना असली घर कहाँ हैं ज्ञान दिया है तो यही फुरना रहता है कि बस अब घर जाना है।

 ❉   घर वापिस तभी जा सकते हैं जब सम्पूर्ण पवित्र और सम्पूर्ण कर्मातीत अवस्था होगी। उसके लिए बाबा बारी बारी से कहते हैं मामेकम् याद करो।

 ❉   इस पुरानी दुनिया को भूल कर नयी दुनिया में जाने के लिए पुरूषार्थ करना है व पढ़ाई पर पूरा अटेंशन देना है। कोई ऐसा विकर्म नहीं करना कि सज़ाएँ खानी पड़े।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ हर आत्मा को हिम्मत, हुल्लास दिलाने वाले रहमदिल, विश्व कल्याणकारी होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सभी आत्माओ को हिम्मत हुल्लास दिलाये आगे बढ़ाना ही उनकी सेवा करना है।

 ❉   आज की दुनिया में हर आत्मा बहुत परेशान है, कोई न कोई परिस्थिति में फसा हुआ है ऐसे में उन्हें हिम्मत दिलाना उस आत्मा की सेवा करना है।

 ❉   सभी आत्माओ को कुछ न कुछ दान देना, कोई भी खाली हाथ न जाये विश्व सेवाधारी बनना है।

 ❉   आगे बढ़ना सहज है, परन्तु संगठन में रह सभी को आगे बढ़ाना यही सच्चे सेवाधारी की निशानी है।

 ❉   रहमदिल बन हम बाप द्वारा चुनी हुई आत्माओ को सबकी सेवा करना है सबको प्यार और सहारा दे आगे बढ़ने में मदद करनी है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ बाप की दुआये लेते हुए सदा भरपूरता का अनुभव करो... कैसे ?

 

 ❉   बाप की दुआये लेते सदा भरपूरता का अनुभव तभी कर सकतें हैं जब बाप के प्यारे और सर्व से न्यारे बनेंगे ।

 ❉   बाप की श्रीमत पर चल हर कर्म करने से, बाप की दुआये लेते हुए सदा भरपूरता का अनुभव कर सकेंगे ।

 ❉   बाप के मददगार बन बाप के कार्य में सहयोगी बनने से बाप की दुआये लेते हुए सदा भरपूरता का अनुभव कर सकेंगे ।

 ❉   अपना तन, मन, धन सब कुछ बाप को समर्पित कर ट्रस्टी बन हर कर्म करने से बाप की दुआये लेते हुए सदा भरपूरता का अनुभव कर सकेंगे ।

 ❉   सच्चे दिल पर सदा साहिब राजी रहता है यानि बाप के साथ सच्चा रहना ही बाप की दुआओं का पात्र बना कर सहज भरपूरता की अनुभूति करायेगा ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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