━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 06 / 05 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °निश्चय और हिम्मत° के आधार से आगे बड़े ?
‖✓‖ "इस °पुरानी दुनिया का अंत° है" - यह स्मृति में रहा ?
‖✓‖ बुधी का योग नर्क से निकाल °स्वर्ग° की तरफ किया ?
‖✓‖ "°बाबा यह सब आपका है°" - यह भावना रही ?
‖✓‖ °परमात्म प्यार° में खोये रहे ?
‖✗‖ °मुरली में लापरवाह° तो नहीं बने ?
───────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ भिन्नता को मिटाकर °एकता° लाये ?
───────────────────────────
✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जो प्यारा होता है, उसे याद किया नहीं जाता, उसकी याद स्वत: आती है । सिर्फ प्यार दिल का हो, सच्चा और नि :स्वार्थ हो । जब कहते हो मेरा बाबा, प्यारा बाबा-तो प्यारे को कभी भूल नहीं सकते । और निःस्वार्थ प्यार सिवाए बाप के किसी आत्मा से मिल नहीं सकता इसलिए कभी मतलब से याद नहीं करो, नि :स्वार्थ प्यार में लवलीन रहो ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ बाप को मतलब से याद न कर , बाप के °नि:स्वार्थ प्यार° में लवलीन रहे ?
───────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं साकार ब्रह्मा बाप समान सेवा में हड्डिया भी स्वाहा कर, अपनी हर
कर्मेन्दिय द्वारा सेवा करने वाली सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ परमात्म छत्रछाया के अंदर मैं सदैव परमात्म शक्ति से भरपूर रहती हूँ ।
❉ इसी परमात्म शक्ति द्वारा मैं विशेष सेवा धारी आत्मा बन सर्व आत्माओं को
रुहानियत की शक्ति से भरपूर कर देती हूँ ।
❉ मैं आत्मा ब्राह्मण परिवार की सभी आत्माओं में भिन्नता को मिटा कर उन्हें एकता
के सूत्र में बाँधने वाली हूँ ।
❉ यही ब्राह्मण परिवार की एकता ही सारे विश्व में एक धर्म, एक राज्य की स्थापना
का आधार बनेगी ।
❉ मुझे बस यही स्मृति रहती हैं कि मैं सेवा के मैदान में खड़ी हूँ और मुझे सारे
विश्व का कल्याण करना है ।
❉ विश्व कल्याण की जिम्मेवारी उठाने के साथ साथ नई सतयुगी दुनिया लाने में बाप
की मददगार बनने की प्रतिज्ञा मैंने बाप से की है ।
───────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢
"मीठे बच्चे - तुम्हारा मुख अभी स्वर्ग की तरफ है, तुम नर्क से किनारा कर
स्वर्ग की तरफ जा रहे हो, इसलिए बुद्धि का योग नर्क से निकाल दो"
❉ दुनिया में सभी मनुष्य विकारों की दलदल में सिर से पैर तक पूरी तरह डूबे हुए
नर्क में पड़े हैं ।
❉ किन्तु हम बच्चों को भगवान ने आकर विकारों की इस दलदल से निकाल, नर्क से
स्वर्ग में जाने का रास्ता दिखाया है ।
❉ इसलिए भगवान समझाते हैं कि अब हम नर्क से किनारा कर स्वर्ग की तरफ जा रहें है
इसलिए अब हमे अपना बुद्धि योग इस नर्क से निकाल लेना चाहिए ।
❉ जैसे नयाँ घर जब बनाते हैं तो पुराने घर से बुद्धि योग टूट नये घर से लग जाता
है ।
❉ हमारे लिए भी नये घर स्वर्ग की स्थापना हो रही है इसलिए अब हमारा मुख भी
स्वर्ग की ओर होना चाहिए । इस पुरानी कलयुगी दुनिया से अब हमे मुख मोड़ लेना
चाहिए ।
───────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢
इस पुरानी दुनिया का अंत है, बाप डायरेक्ट आया है तो एकदम सरेंडर हो जाना है,
बाबा यह सब आपका है...... इस युक्ति से पुण्यात्मा बन जाओगे।
❉ बाप इस घोर कलयुग के समय आता है व दुनिया पतित हो चुकी है। घोर काली रात का
अंत होने वाला है तभी बाप अपने बच्चों को पतित से पावन बनाने के लिए हमारे लिए
इस पतित दुनिया में आता है।
❉ जब बाप हमारे लिए इस पतित दुनिया में आता है तो हमें अपना सब कुछ न्यौछावर कर
देना चाहिए। बाप की श्रीमत पर चलना चाहिए ।
❉ जब बाप हमें नयी दुनिया में ले जाने के लिए आया है तो नई दुनिया में पवित्र
बने बग़ैर तो जा नही सकते । तो हमें मनसा-वाचा-कर्मणा पवित्र बनना है । गृहस्थ
व्यवहार में रहते हुए कमल समान न्यारा व प्यारा रहना है।
❉ बाप बच्चों को युक्ति बताते है- कि बच्चे पुरानी दुनिया का तो अंत होना ही है
तो अपना सब कुछ अभी दान दे दो तो भविष्य के लिए उसका पद्मगुणा प्राप्त करोगे।
❉ मनुष्य जो दान करते हैं उसका फल एक जन्म के लिए मिलता है। जब बाप डायरेक्ट आये
हुए है तो बाप को जो दान देते है तो बाप इनका कुछ भविष्य बन जाये इसलिए दान
कराते है व उसका फल 21 जन्मों के लिए बाप देते हैं।
───────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢
भिन्नता को मिटाकर एकता लाने वाले सच्चे सेवाधारी बनना है... क्यों और कैसे ?
❉ हम सब एक परमात्मा की संतान है, जब यह दृष्टि वृत्ति पक्की हो तब एक अलोकिक
ब्राह्मण परिवार की फीलिंग आयेगी।
❉ जब हम सभी ब्राह्मणों के संकल्प, विचार, भावना एक जैसी होगी तभी अंतिम नगाड़ा
बजेगा।
❉ हम एक परिवार के बच्चे ही जब तक एकमत होकर नहीं चलेंगे संगठन की शक्ति अनुभव
व प्रयोग नहीं कर पाएंगे।
❉ अब हम सभी को बाप को प्रत्यक्ष करना है, भिन्नता को मिटा कर सहयोग की ऊँगली
लगा कर ही यह महान कार्य संभव हो सकता है।
❉ भिन्नता को मिटाने के लिए हमें देह के भान, सम्बन्ध, जात-पात, रंग-रूप से
उठकर आत्मिक स्थिति का लम्बे समय तक अभ्यास करना होगा।
───────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢
परमात्म प्यार में खो जाओ तो दुखों की दुनिया भूल जायेगी... कैसे ?
❉ परमात्म प्यार में वो शक्ति हैं जो आत्मा को सर्व बंधनो से मुक्त कर देती है
और उसे सर्व सुखों से भरपूर कर देती है ।
❉ परमात्म प्यार आत्मा को अतीन्द्रिय सुखों की अनुभूति करवा कर दुःखो की दुनिया
से दूर ले जाता है ।
❉ परमात्म प्यार संस्कारो की टाइटनेस को समाप्त कर देता है जिससे आत्मा उड़ती कला
के अनुभव द्वारा दुखों की दुनिया को सहज ही भूल जाती है ।
❉ परमात्म प्यार आत्मा को लाइट और माइट से भरपूर कर देता है जिससे आत्मा स्वयं
को दुखों की दुनिया से उपराम अनुभव करती है ।
❉ परमात्म प्यार आत्मा को बल प्रदान कर उसे असीम सुख और शांति से भरपूर कर, दुखों
की दुनिया से सहज ही किनारा करवा देता है ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━