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❍ 13 / 11 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °सत्य° को अपना साथी बनाए रखा ?
‖✓‖ °एक बाप° की तरफ देखते हुए अपनी अवस्था एकरस रखी ?
‖✓‖ अपनी अवस्था जमाने की °गुप्त मेहनत° की ?
‖✓‖ "अभी हम किनारे खड़े हैं... °घर जाना है°" - यह बुधी में रहा ?
‖✗‖ °बीती का चिंतन° तो नहीं किया ?
‖✗‖ किसी भी बात में °ठहर° तो नहीं गए ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °दातापन की स्थिति और समाने की शक्ति° द्वारा विघन-विनाशक समाधान स्वरुप बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ बीजरूप स्थिति या शक्तिशाली याद की स्थिति यदि कम रहती है तो इसका कारण अभी तक लीकेज है, बुद्धि की शक्ति व्यर्थ के तरफ बंट जाती है। कभी व्यर्थ संकल्प चलेंगे, कभी साधारण संकल्प चलेंगे। जो काम कर रहे हैं उसी के संकल्प में बुद्धि का बिजी रहना इसको कहते हैं साधारण संकल्प। याद की शक्ति या मनन शक्ति जो होनी चाहिए वह नहीं होती इसलिए पावरफुल याद का अनुभव नहीं होता इसलिए सदा समर्थ संकल्पों में, समर्थ स्थिति में रहो तब शक्तिशाली बीजरूप स्थिति का अनुभव कर सकेंगे।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सदा समर्थ संकल्पों में, °समर्थ स्थिति° में रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विघ्न विनाशक, समाधान स्वरूप आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ दाता पन की स्थिति और समाने की शक्ति द्वारा विघ्नों को पार करने वाली मैं विघ्न विनाशक, समाधान स्वरूप आत्मा हूँ ।
❉ दाता पन की स्मृति में रह, मास्टर दाता बन मैं सर्व आत्माओं को शक्तियों और गुणों का दान कर रही हूँ ।
❉ सर्व आत्माओं की शुभ चिंतक बन,सबको रिगार्ड और स्नेह दे, मैं सर्व की स्नेही बनती जाती हूँ ।
❉ मास्टर सागर बन अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं की कमी कमजोरियों को अपने अंदर समा लेती हूँ ।
❉ जैसे पानी के ऊपर लकीर कभी ठहर नही सकती, ऐसे ही मुझ मास्टर सागर के ऊपर कोई परिस्थिति कभी भी वार नही कर सकती ।
❉ सर्व के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रखते हुए समाधान स्वरूप बन मैं सबकी समस्याओं को हल कर देती हूँ ।
❉ मैं महावीर आत्मा बन, जीवन की सभी चुनौतियों को स्वीकार कर, अपनी शक्ति से उन्हें हरा कर अपनी दासी बना लेती हूँ ।
❉ स्वस्थिति में स्थित रह हर परिस्थिति को अपने वश में कर मैं सभी बातो से उपराम होती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम अभी शडपंथ ( किनारे ) पर खड़े हो, तुम्हे अब इस पार से उस पार जाना है, घर जाने की तैयारी करनी है"
❉ समुंद्र के किनारे पर खड़े लोगो को जैसे खिवैया नाव में बिठा कर एक किनारे से दूसरे किनारे पर ले जाता है
❉ इसी प्रकार हम भी इस समय किनारे अर्थात पुरुषोत्तम संगमयुग पर खड़े हैं जिसे पार कर हमे नई दुनिया में जाना है ।
❉ इस कलयुगी दुनिया से उस सतयुगी दुनिया में जाने का अभी बाकि थोडा समय रहा हुआ है ।
❉ इसलिए परमपिता परमात्मा शिवबाबा आये हैं हमे इस किनारे अर्थात कलयुगी दुनिया से उस किनारे अर्थात सतयुगी दुनिया में ले जाने के लिए ।
❉ इस लिए बाप समझाते हैं कि तुम अभी शडपंथ अर्थात किनारे पर खड़े हो इस पार से उस पार जाने के लिए । तुम्हे अभी घर जाना है, इसलिए घर जाने की तैयारी करो ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ पीछे मुड़कर नहीं देखना है । किसी भी बात में ठहर नहीं जाना है । एक बाप की तरफ देखते हुए अपनी अवस्था एकरस रखनी है ।
❉ स्वयं भगवान हमारा हो गया व हम उसके हो गए तो फिर और क्या चाहिए । जब पुराने विनाशी सम्बंधों व पुरानी दुनिया को छोड दिया तो फिर पीछे मुडकर नही देखना न ही पुरानी बातों को याद करना है ।
❉ चाहे हम रह अभी इस दुनिया मे रहे है लेकिन हमारा बुद्धि योग नयी दुनिया मे रहे व ऊंच नयी दुनिया की आश में रहे । पुरानी बातों को याद कर उनमें नही अटकना है । अपने ऊंच लक्ष्य को याद रख आगे बढ़ना है ।
❉ अपने को आत्मा समझ अपने परमपिता परमात्मा को याद करना है । याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे व पावन बनेंगे तो एकरस अवस्था बनेगी ।
❉ सर्व सम्बंध सिर्फ बाप से निभाने हैं व बाप संग बैठूं, बाप संग खाऊं ,बाप संग चलूं ओर कोई की याद ही न आएं । अच्छी रीति यथार्थ याद में रहकर आत्मा मे बल भरकर अपनी अवस्था अचल अडोल बनानी है ।
❉ जैसे माशूक को अपने आशिक के सिवाय और कुछ नहीं याद आता ऐसे शिवबाबा हमारा सच्चा सच्चा माशूक है सिर्फ एक की ही याद मे रहकर अपना सब उसे देकर बेफिकर बादशाह बन अपनी अवस्था अचल अडोल बनानी है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ दाता पन की स्थिति और समाने की शक्ति द्वारा सदा विघ्न-विनाशक, समाधान स्वरुप बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ दाता विधाता के बच्चे हम भी मास्टर दाता है। बाप ने अपनी सर्व शक्तियाँ गुण खजाने हमें विल किये है, उन सबके हम भी अधिकारी बने है। तो अब यह हमारा कर्तव्य है की उन्ही गुण शक्तियों खजानों से हमें सर्व आत्माओ को भी भरपूर करना है।
❉ कोई मुझे दे तब में दू, ऐसा नहीं। हम देवता बनने वाले है हमारा काम है देना, लेने की इच्छा वाला तो लेवता अर्थात भक्त हो गया। निस्वार्थ भाव और कल्याण की भावना रख सबको कुछ न कुछ देते जाना है, हमारे दर से कोई भी खाली हाथ नहीं जाये।
❉ बाप समान अपकारियो पर भी उपकारी बनना है। सभी के अवगुण समाकर अर्थात ड्रामा समझ उनके अवगुणों को न देखते हुए सिर्फ गुणों को देखना है और उनके प्रति भी कल्याण की शुभ भावना व कामना रखना है।
❉ सागर से नदिया निकलती भी है और फिर सागर में जाकर समाती भी है। इसी प्रकार हमें भी सागर बनना है हम शुभ भावना द्वारा सभी के प्रति विघ्न विनाशक भी बने और सबकी कमी कमजोरियों को स्वयं में समा भी ले।
❉ हमारे इस स्वरुप को ही "गणेश" के रूप में भक्त आज गायन पूजन करते है, सभी के विघ्नों को हरने वाला विघ्न विनाशक तथा बड़ा पेट सामने की शक्ति का यादगार है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सत्य को अपना साथी बनाओ तो आपकी नैया ( नांव ) कभी डूब नही सकती... क्यों और कैसे ?
❉ सत्य को अपना साथी बना लेंगे तो परमात्मा बाप की मदद कदम - कदम पर मिलती रहेगी जो जीवन रूपी नैया को सहज ही पार ले जायेगी ।
❉ सत्यता का गुण व्यवाहर में सरलता, नम्रता और सहनशीलता लाता है जिनके सहारे जीवन की नैया सहजता से पार हो जाती है ।
❉ सत्य को साथी बना कर जब सत्य बाप के साथ सत्य रहेंगे तो सर्व शक्तियों से आत्मा भरपूर रहेगी जो जीवन की नैया को कभी डूबने नही देगी ।
❉ सत्य की राह पर चलने वाले सदा साक्षीपन की सीट पर सेट रह कर, हर परिस्थिति में सदैव हर्षित रहते हैं और जीवन रूपी नैया को हसंते - हंसते पार कर लेते है ।
❉ सत्यता की शक्ति आत्मा को गुणों और शक्तियों का अनुभवी बना कर सिद्धि स्वरूप बना देती है और सिद्धि स्वरूप आत्मा की जीवन नैया कभी डूब नही सकती ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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