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   12 / 09 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपने ऊपर आपही °कृपा° की ?

 

‖✓‖ °पढाई° पडी और पढाई ?

 

‖✓‖ °याद की यात्रा° पर पूरा पूरा अटेंशन दिया ?

 

‖✓‖ मुख से सदा °मीठे बोल° बोले ?

 

‖✓‖ °आँखें° बहुत बहुत पवित्र रही ?

 

‖✗‖ कोई भी ऐसा °विकर्म° तो नहीं किया जिससे रजिस्टर खराब हो जाए ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °बाह्यमुखी चतुराई से दूर° रह बाप पसंद सच्चे सोदागर बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  ज्ञान के मनन के साथ शुभ भावना, शुभ कामना के संकल्प, सकाश देने का अभ्यास, यह मन के मौन का या ट्रैफिक कण्ट्रोल का बीच-बीच में दिन मुकरर करो। अगर किसको छुट्टी नहीं भी मिलती हो, सप्ताह में एक दिन तो छुट्टी मिलती है, उसी प्रमाण अपने-अपने स्थान के प्रोग्राम फिक्स करो। लेकिन विशेष एकान्तवासी और खजानों के एकानामी का प्रोग्राम अवश्य बनाओ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ विशेष एकान्तवासी और खजानों के °एकानामी का प्रोग्राम° बनाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा सच्चा सौदागर हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   बह्यमुखी चतुराई से मुक्त रह, बाप से सच्चा सौदा कर, सच्ची कमाई जमा करने वाली मैं आत्मा सच्चा सौदागर हूँ ।

 

 ❉   बाप के साथ सच्ची रह कर, बाप के नयनों का सितारा बन, मैं दिव्यता की रॉयल्टी से सदा चमकती रहती हूँ ।

 

 ❉   " मेरा बाबा " इस एक सेकण्ड के बोल से मैं बाप के अनगिनत खजानो की अधिकारी बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   संगमयुग पर स्वयं परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने आकर मुझे भाग्य का अखुट खजाना प्राप्त करने की नॉलेज रूपी चाबी दे कर मालामाल कर दिया है ।

 

 ❉   सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा बाप ने मुझे अपनी सर्व शक्तियों का अधिकारी बना दिया है ।

 

 ❉   नॉलेज की चाबी द्वारा मैं जितना चाहे उतना अपने श्रेष्ठ भाग्य का खजाना जमा कर सकती हूँ ।

 

 ❉   सर्व खजानो से मालामाल हो कर मैं सदैव अपरमअपार ख़ुशी के झूले में झूलती रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अपने ऊपर आपे ही कृपा करनी है, पढ़ाई में गैलप करो, कोई भी विकर्म करके अपना रजिस्टर खराब नही करो"

 

 ❉   लोग गुरुओं और साधू सन्यासियों के पास जाते हैं तो सोचते हैं कि वे कृपा करके उन्हें मोक्ष की प्राप्ति करा देंगे ।

 

 ❉   किन्तु हमारी तो यहां रूहानी पढ़ाई हैं और पढ़ाई में कृपा आदि की बात हो नही सकती ।

 

 ❉   जो जितनी अच्छी रीति पढ़ते हैं अर्थात पुरुषार्थ करते हैं, वैसा ही पद प्राप्त करते हैं ।

 

 ❉   इसलिए बाप समझाते हैं कि उंच पद पाना है तो अपने ऊपर आप ही कृपा करो ।

 

 ❉   पढ़ाई में गैलप करो और कोई भी विकर्म करके अपना रजिस्टर खराब मत करो ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ देही अभिमानी बन अविनाशी सच्ची कमाई जमा करनी है ।

 

 ❉   सत का संग मिलने पर अपने असली स्वरूप की पहचान हुई कि मैं आत्मा इस शरीर को चलाने को चलाने वाली चैतन्य शक्ति हूँ । आत्मा अविनाशी है व आत्मा के पिता परमात्मा भी अविनाशी हैं ।

 

 ❉   अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना है । याद से ही आत्मा में बल भरता है व आत्मा मीठी हो जाती है । यहाँ के संस्कार ही आत्मा के साथ जाते हैं । याद में रहने से ही सच्ची अविनाशी कमाई होती है ।

 

 ❉   बेहद का बाप हम रूहों को रोज़ रूहानी पढ़ाई पढ़ाते हैं व अविनाशी ज्ञान रत्नों से हमारी झोली भरते है । तो  देही अभिमानी बन अविनाशी कमाई जमा करनी है ।

 

 ❉   जब इस आत्मिक स्थिति में रहते है तो आत्मा आत्मा भाई भाई की दृषिटि  रहती है व दृष्टि शुद्ध व पवित्र होती है । इस अंतिम जन्म में पवित्र रहकर 21 जन्मों के लिए राजाई पद प्राप्त कर कमाई जमा करनी है ।

 

 ❉   देही-अभिमानी बन हांजी का पाठ पक्का कर सर्व को सन्तुष्टता देकर ख़ुशी के झूले में झुलाकर  स्वयम् को भी सदा हर्षित रहते चेहरे से बापदादा का शो केस बन रहना है

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ बाप पसंद सच्चे सौदागर वह है जो बाह्यमुखी चुतराई से मुक्त रहते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   "सच्चे दिल पर साहेब राजी", भोला भंडारी बाप को सच्चे बच्चे अति प्रिय है जो अन्दर बाहर समान हो, जिनमे कोई छल कपट न हो, जिनका सोचना, बोलना और करना समान हो।

 

 ❉   "साफ़ दिल तो मुराद हासिल" जिनका दिल साफ़ है, जो निस्वार्थ भाव से किसी के कल्याण की भावना रखते है उनकी मुराद जरुर पूरी होती है। बाप चतुरसुजान भी है, उनसे चतुराई करने से गोया अपना ही नुकसान कर बैठेंगे।

 

 ❉   जो बाप से जितना सच्चा होकर रहते है, बाप को अपना सच्चा सच्चा पोतामेल देते है, बाप की श्रीमत का पूरा पालन करते है ऐसे सपूत बच्चे बाप के पसंद मुरब्बी बच्चे होते है।

 

 ❉   बाप सौदागर भी है, हमसे हमारी सब बुराइया अथवा पुराना सब कुछ स्वाहा करवाकर हमें सतयुगी नयी दुनिया का मालिक बनाने आते है, कोडी के बदले पद्मा पदम भाग्यशाली बनाते है। कोई विरला ही ऐसा व्यापार करे।

 

 ❉   गरीब निवाज बाप अपने भोले भले सीधे बच्चो को उच्च ते उच्च उठाते है, भोला का भंडारी बनकर उनकी झोली भर देते है। बाप को वो बेहद प्यारे जो दिल के सच्चे सच्चे है। जिनमे ज्यादा तेरे-मेरे का हिसाब-किताब नहीं, जिनको चतुराई करना नहीं आता।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सर्व का स्नेह प्राप्त करना है तो मुख से सदा मीठे बोल बोलो... क्यों ?

 

 ❉   मुख से निकले मीठे बोल सुनने वाले को आत्मिक प्रेम और आत्मीयता की अनुभूति करवा कर सर्व का स्नेही बना देते हैं ।

 

 ❉   आज सभी आत्माएं दुखी और अशांत हैं । हमारे मुख से निकले मीठे बोल उन्हें सुख, शान्ति की अनुभूति करवा कर सहज ही उनके स्नेह का पात्र बना देते हैं ।

 

 ❉   मीठे और समर्थ बोल आत्मा को चढ़ती कला का अनुभवी बना कर सर्व आत्माओं के स्नेह का अधिकारी बना देते हैं

 

 ❉   मुख से निकले मीठे बोल व्यवाहर में नम्रता  के गुण को स्पष्ट करते हैं और नम्रता का गुण सर्व आत्माओं को स्वत: आकर्षित कर उनके स्नेह का पात्र बना देता है ।

 

 ❉   मीठे बोल आत्माओं में उमंग उत्साह उत्तपन्न कर उन्हें हर बोझ से मुक्त कर देते हैं    और हल्केपन का अनुभव हमे सहज ही उनका स्नेही बना देता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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