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   27 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ आत्माओं को °पतित से पावन° बनाने का रास्ता बताया ?

 

‖✓‖ स्वयं को °संपन्न बनाने° पर अटेंशन दे विशाल कार्य में स्वतः सहयोगी बनकर रहे ?

 

‖✓‖ "°हीयर नो ईविल.... सी नो ईविल°" - यह मन्त्र याद रखा ?

 

‖✓‖ बाप की याद के साथ साथ बुधी °परमधाम° घर में भी लगी रही ?

 

‖✓‖ चलते फिरते °स्वदर्शन चक्रधारी° होकर रहे ?

 

‖✓‖ बाप ने जो स्मृतियाँ दिलाई हैं... उनका °सिमरण° कर स्वयं का कल्याण किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °समय के महत्व° को जान स्वयं को संपन्न बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जैसे किला बांधा जाता है, जिससे प्रजा किले के अन्दर सेफ रहे। एक राजा के लिए कोठरी नहीं बनाते, किला बनाते हैं। आप सभी भी स्वयं के लिए, साथियों के लिए, अन्य आत्माओं के लिए ज्वाला रूप याद का किला बांधो। याद के शक्ति की ज्वाला हो तो हर आत्मा सेफ्टी का अनुभव करेगी।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ स्वयं के लिए, साथियों के लिए, अन्य आत्माओं के लिए °ज्वाला रूप याद° का किला बांधा ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं विश्व की आधारमूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   समय के महत्व को जान स्वयं को सम्पन्न बनाने वाली मैं विश्व की आधारमूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने शुभ और श्रेष्ठ कर्मो द्वारा, सारे कल्प के लिए कमाई जमा कर, अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने वाली मैं पदमापदम सौभाग्यशाली आत्मा हूँ ।

 

 ❉   विश्व परिवर्तन का यह समय चल रहा है, इस बात को सदैव बुद्धि में रख, अपने तीव्र पुरुषार्थ द्वारा संगम युग के इस अनमोल समय को सफल करती जाती हूँ ।

 

 ❉   स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने मुझे विश्व परिवर्तन के महान कार्य के निमित बनाया है ।

 

 ❉   विश्वकल्याण के कार्य की सेवा में स्वयं को बिज़ी रखने से मैं व्यर्थ के प्रभाव से सदैव मुक्त रहती हूँ और आलस्य, अलबेलेपन से बची रहती हूँ

 

 ❉   मैं सेकंड में व्यर्थ संकल्पों पर फुल स्टॉप लगा कर स्वयं को संकल्पों की हलचल से मुक्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   एक अविनाशी आधार अर्थात एक बाप के सहारे के आधार पर, इस कलियुगी पतित दुनिया से किनारा कर स्वयं को सम्पन्न बना रही हूँ ।

 

 ❉   स्वभाव - संस्कारों में मिलनसार बन, मैं सर्व आत्माओं को परमात्म प्यार का सन्देश देती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे पढ़ाई से अपनी कर्मातीत अवस्था बनानी है, साथ - साथ पतित से पावन बनाने का रास्ता भी बताना है, रूहानी सर्विस करनी है"

 

 ❉   कर्मातीत अवस्था अर्थात कर्म से अतीत यानि कर्म करते हुए भी न्यारी और प्यारी अवस्था में स्थित होना ।

 

 ❉   इस कर्मातीत अवस्था को पाने का मुख्य आधार है राजयोग की पढ़ाई, जो इस समय स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा हमे पढ़ा रहें हैं ।

 

 ❉   किन्तु पढ़ाई से अपनी कर्मातीत अवस्था बनाने के साथ - साथ हमे सबको पतित से पावन होने का रास्ता भी बताना है ।

 

 ❉   बाप समान सच्चा रूहानी सेवाधारी बन, रूहानी सर्विस में तत्पर रहना है ।

 

 ❉   सर्व आत्माओं को बाप का पैगाम दे, सर्व के कल्याण के निमित बन अपने भाग्य को श्रेष्ठ बनाना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ अंदर से आसुरीपन को समाप्त करने के लिए चलते-फिरते स्वदर्शन चक्रधारी होकर रहना है ।

 

 ❉   इस संगमयुग पर सत का परिचय मिलने पर असली स्वरूप की स्मृति में रहते है तो दृष्टि भी शुद्ध व पवित्र होती जाती है व आसुरी विकार समाप्त होते जाते हैं ।

 

 ❉   सदा इस नशे में रहना है कि ज्ञान सागर बाप ने हमें स्वदर्शन चक्रधारी ब्रह्मावंशी ब्राह्मण बनाया है तो चलते फिरते चक्र को चलाते हुए अपने अंदर से आसुरी विकारों को समाप्त करना है ।

 

 ❉   स्वं को जानना, स्वयं की चेकिंग    करते हुए स्वयं में परिवर्तन करना ही   स्वदर्शन चक्रधारी है । स्वदर्शन चक्र का ये मतलब नहीं है कि आसुरों का विनाश करना है बल्कि बाप की याद में रहते अपने अंदर के विकारों का नाश करना है

 

 ❉   चलते फिरते स्वदर्शन चक्रधारी होकर रहने से हमारी कर्मेन्द्रियां मन बुद्धि के आर्डर प्रमाण चलती हैं व फिर आसुरी विकार खत्म होते जायेंगे ।

 

 ❉   चलते फिरते चक्र फिराते रहने से स्वं पर अटेंशन रहता है व दैवीय गुण धारण करते जाते है तो आसुरी विकार खत्म होते जाते हैं ।

 

 ❉   अंदर से आसुरीपन को समाप्त कर स्वदर्शन चक्रधारी बन हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझ एवररेडी बन तीव्र पुरूषार्थ करना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ समय के महत्त्व को जान स्वयं को संपन्न बनाने वाले विश्व के आधारमूर्त होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सारे विश्व की आत्माओ की नजर हम पर, हमारे संपन्न बनने का सभी इन्तेजार कर रहे है, हम देवी देवता तैयार हो तो बाप प्रत्यक्षता का पर्दा खोलेंगे।

 

 ❉   कलियुग एक दम अंतिम समय पर आ कर पंहुचा है ऑक्सीजन पर जिन्दा है, ऐसे में हम परमात्मा की संतानों की जिम्मेदारी है की जल्द से जल्द स्वयं को  परिवर्तन कर संपन्न बनाये और विश्व की सभी आत्माओ को भी मुक्ति जीवनमुक्ति का वरदान प्राप्त कराये।

 

 ❉   सारे कल्प की हम वह विशेष हीरो पार्टधारी है, सारा ड्रामा हमारे ऊपर बना हुआ है, आदि से लेकर अंत तक हमने आलराउंडर पार्ट बजाया है, अब यह पुरुषोत्तम संगमयुग चल रहा है, डायमंड एज्ड यह समय है, सरे कल्प की परालब्ध, भाग्य बनाने का यह समय है।इस वैल्युएबल समय को सफल करना है, एक एक सेकंड एक एक वर्ष के समान है।

 

 ❉   एसी आत्माये जिन्होंने समय के महत्त्व को समझ लिया, बाप पर निश्चय पक्का हुआ और स्वपरिवर्तन के कार्य में लग गयी वही आत्माये अनेक आत्माओ के उद्धार के आधारमूर्त बनती है अनेक आत्माओ को उनके द्वारा परमात्मा से मुक्ति जीवनमुक्ति का अविनाशी वर्सा प्राप्त होता है। परमात्मा की तरह वह आत्माये भी जैसे विश्व कल्याण के लिए अवतरित हुई हो ऐसा उनके सानिध्य से अनुभव होता है, वही आगे चलकर इष्ट देव-देवी बनते है।

 

 ❉   यदि हम स्वयं समय के महत्त्व को जान स्व परिवर्तन करे तो फुल मार्क्स मिलेंगे और यदि समय ने हमें परिवर्तन करवाया तो हमारे नंबर कम हो जायेंगे क्युकी महानता हमारी नहीं रहेगी के परिवर्तन हुए, महानता समय की हो जाएगी जिसने परिवर्तन करवाया।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्वयं को सम्पन्न बना लो तो विशाल कार्य में स्वत: सहयोगी बन जायेंगे... कैसे ?

 

 ❉   जैसे ब्रह्मा बाप ने सम्पूर्ण बन कर अपना कार्य सम्पन्न किया । यह नही सोचा कि यह ऐसा है, यह वैसा है । सबमे गुणों को देखा । ऐसे ब्रह्मा बाप को फालो कर स्वयं को सम्पन्न बना ले तो विशाल कार्य में स्वत: सहयोगी बन जायेंगे ।

 

 ❉   जितना शुद्ध संकल्पों का खजाना जमा करते जायेंगे उतना ही चिंतन श्रेष्ठ होता जायेगा और सम्पन्न बन, विश्व कल्याण के विशाल कार्य में सहयोगी बन जायेंगे ।

 

 ❉   सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रहेंगे तो सब प्रभावों से मुक्त होते जायेंगे और सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन बाप के मददगार बन जायेंगे ।

 

 ❉   जब हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त होगा तो पुराने आसुरी संस्कारों पर सहज ही विजय प्राप्त कर नए दैवी संस्कारों से सम्पन्न बन जायेंगे और विशाल कार्य में स्वत: सहयोगी बन जायेंगे ।

 

 ❉   पवित्रता की शक्ति ही सम्पूर्ण अवस्था को प्राप्त करने का आधार है इसलिए पवित्रता की शक्ति द्वारा जब स्वयं को सम्पन्न बना लेंगे तो विश्व की आधारमूर्त आत्मा बन विशाल कार्य में सहयोगी बन जायेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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