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❍ 05 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ माया और प्रकृति की °आकर्षण से दूर° रह हर्षित रहे ?
‖✓‖ "हम °ईश्वरीय संतान° हैं" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ °अमृत्वेले° उठकर बाप को याद किया ?
‖✓‖ °क्षीरखंड° होकर रहे ?
‖✗‖ अपने अन्दर जांच की हमसे कोई °विकर्म° तो नहीं होता है ?
‖✗‖ कभी भी °अशांत° तो नहीं हुए ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ संपूरणता की रौशनी द्वारा °अज्ञान का पर्दा° हटाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जैसे साकार रुप को देखा, कोई भी ऐसी लहर का समय जब आता था तो दिन-रात सकाश देने, निर्बल आत्माओं में बल भरने का विशेष अटेंशन रहता था, रात-रात को भी समय निकाल आत्माओं को सकाश भरने की सर्विस चलती थी। तो अभी आप सबको लाइट माइट हाउस बनकर यह सकाश देने की सर्विस खास करनी है जो चारों ओर लाइट माइट का प्रभाव फैल जाए।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ लाइट माइट हाउस बनकर °साकाश देने की सेवा° की ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा सर्च लाइट हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सम्पूर्णता की रोशनी द्वारा अज्ञान का पर्दा हटाने वाली मैं आत्मा सर्च लाइट हूँ ।
❉ अंतर्मुखी बन गुह्य अनुभवों के रत्नों से मैं स्वयं को भरपूर बना रही हूँ ।
❉ लाइट हाउस बन मैं सारे विश्व की आत्माओं को अज्ञान अन्धकार से निकलने का रास्ता बता रही हूँ ।
❉ सारे विश्व को हलचल से बचा कर, स्वर्णिम संसार बनाने वाली मैं आत्मा इस धरती का चेतन्य सितारा हूँ ।
❉ सारे संसार की दुखी आत्माओं को सुख - शान्ति का अनुभव कराने वाली मैं पुरुषोत्तम आत्मा हूँ ।
❉ अपने डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप् को स्मृति में रख मैं सदा दिव्यता की रॉयल्टी से चमकती रहती हूँ ।
❉ भटकती हुई आत्माओ को यथार्थ मंजिल पर पहुँचाने वाली मैं चैतन्य लाइट माइट हाउस हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम विश्व में शान्ति स्थापन करने के निमित हो, इसलिए तुम्हे कभी अशांत नही होना चाहिए"
❉ शांति हर मनुष्य को प्रिय हैं, क्योकि आत्मा का स्वधर्म ही है शांत स्वरूप ।
❉ किन्तु देह - अभिमान में आने और अपने मूल स्वरूप को भूलने के कारण आज हर आत्मा दुखी और अशान्त है ।
❉ इसलिए सभी शान्ति प्राप्त करने के लिए भटकते रहते हैं, अनेक प्रयास भी करते रहते हैं ।
❉ किन्तु यह नही जानते कि इस पतित विकारी दुनिया में सुख और शान्ति हो कैसे सकती है, शान्ति और सुख तो होते है सतयुगी दुनिया में ।
❉ उसी सतयुगी दुनिया की स्थापना करने के लिए ही परम पिता परमात्मा बाप आये हैं ।
❉ और हम बच्चों को उस सतयुगी दुनिया अर्थात विश्व में शान्ति स्थापन करने के निमित बनाया है, इसलिए बाप समझाते हैं कि तुम्हे कभी अशान्त नही होना चाहिए ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सदा स्मृति रखनी है कि हम है ईश्वरीय संतान । हमें क्षीरखंड होकर रहना है ।
❉ जिस भगवान पाने के लिए व दर्शन पाने के लिए कहाँ -कहाँ यात्राएँ करते रहे भटकते रहे कि बस एक बार दर्शन हो जाएँ उसी भगवान ने हमें ढूँढकर अपना बच्चा बना लिया । कितने पदमापदम भाग्यशाली है ! तो हमेशा स्मृति में रखना है कि हम ईश्वरीय संतान है ।
❉ लौकिक में बच्चे को क्या याद दिलाना पड़ता है कि अपने पिता को याद करो । बच्चा हमेशा ही याद रखता है भले अपने पिता से कितनी दूर ही क्यूँ न चला जाए । फिर हमें तो बेहद का बाप मिला है व बेहद का वर्सा मिलता है तो हमें बेहद के बाप को याद रखना है । सदा स्मृति रखनी है कि हम ईश्वरीय संतान है ।
❉ अभी तक तो अज्ञानता के कारण शरीर को ही सँवारते रहे व अब ज्ञान का तीसरा नेत्र बाबा ने दिया है व असली पहचान मिलने पर जाना है कि मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ एक चैतन्य शक्ति हूँ व हम सब आत्माओं का पिता एक ही है परम आत्मा । उस परमपिता परमात्मा की हम संतान हैं व ईश्वरीय संतान है तो सदा ये स्मृति रखनी है ।
❉ जैसे राजा का बेटा होता है तो उसे अपने पिता की सीट का नाज होता है व रायल चाल चलन होती है तो हम के ऊंच बाप के बेहद के बाप के बच्चे हैं तो कितना नशा होना चाहिए । सदा स्मृति में रहना चाहिये कि हम भगवान के बच्चे हैं ।
❉ जैसे बाप बहुत मीठा है व अपने बच्चों को भी बहुत मीठा बनाता है । हमें आपस में सब के साथ मीठा होकर रहना है । कहा भी जाता है - सन् शोज़ फादर फ़ादर शोज़ सन । सुखसागर बाप के बच्चे है तो सब को सुख देना है व कोईँ ऐसा कर्म नहीं करना कि किसी को दु:ख पहुँचे ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सम्पूर्णता की रोशनी द्वारा अज्ञान का पर्दा हटाने वाले सर्च लाइट बनना है... क्यों और कैसे ?
❉ सबसे पहले तो यह सिद्ध कर दिखाना होगा की- गीता का भगवान कोन? सभी इसलिए मुंझे हुए है क्युकी उच्च ते उच्च बाप को भूल गए है।
❉ लोग समझते है की स्वर्ग और नर्क दोनों यही है, घोर अंधियारे में है, हमें अपने सम्पूर्णता की रौशनी द्वारा सबको अज्ञान नींद से जगाकर सोझरे में लाना है
❉ हम परमात्मा के बच्चे को लाइट और माइट स्वरुप बनकर सबको सच्चा रास्ता बताना है, आत्मा की लाइट, चमक इतनी हो की कोई भी भटकी हुई आत्मा को मार्ग बता सके, हमारी आत्मा की चमक परमात्मा को पाने का रास्ता बता सके इसी का ही गायन भक्ति में है की -"जहाँ देखू तू ही तू नजर आये।"
❉ बाप सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया स्थापन करने आये है, इसमें प्यूरिटी है फर्स्ट। प्यूरिटी की पर्सनालिटी से ही हमारी आत्मा की शक्तियाँ इमर्ज होंगी और लाइट माइट बढ़ेगी। हमारी प्यूरिटी के आगे ही सारी दुनिया झुकेगी।
❉ जब हम सम्पूर्ण बन जायेंगे, दैवी राजधानी स्थापन हो जाएगी, सभी देव देविया तैयार हो जाएँगी तब पर्दा उठेगा। हमारे लिए ही विनाश रुका हुआ है, हम आधार है सबके उद्धार के लिए।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ माया और प्रकृति की आकर्षण से दूर रहो तो सदा हर्षित रहेंगे... क्यों और कैसे ?
❉ माया और प्रकृति की आकर्षण से दूर रहेंगे तो इच्छा मात्रम अविद्या बन, सन्तुष्टता की अनुभूति करते रहेंगे और सन्तुष्टता का अनुभव सदैव हर्षित रखेगा ।
❉ सदा हर्षित वही रह सकते हैं जो सदा परमात्म स्नेह के झूले में झूलते रहते हैं और परमात्म स्नेह के अनुभवी तभी बनेगे जब हद के सभी आकर्षणों से मुक्त रहेंगे ।
❉ माया और प्रकृति के आकर्षण से मुक्त आत्मा उमंग - उत्साह के पंखो पर सवार हो कर सदा हर्षित रह उड़ती रहती है ।
❉ जो सदा साक्षीपन की सीट पर सेट रहते हैं वह हर प्रकार के आकर्षण से मुक्त रहते हैं इसलिए हर परिस्थिति में सदैव हल्के और प्रसन्न रहते हैं ।
❉ अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह कर्म करने से माया और प्रकृति की आकर्षण से मुक्त रहेंगे और सर्व प्रकार की अधीनता समाप्त होने से सदा हर्षित रहेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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