━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

    16 / 04 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °अंतरमुखी° बनकर शरीर के भान से परे रहने का अभ्यास किया ?

‖✓‖ बाप के साथ °सच्चे° और यग्य के प्रति इमानदार रहे ?

‖✓‖ गाँठ बाँधी की "हमें °लक्ष्मी नारायण° जैसा बनना ही है" ?

‖✓‖ नाज़ुक परिस्थियों से न घबरा बल्कि उनसे पाठ पड़ स्वयं को °परिपक्व° बनाया ?

‖✗‖ °अहंकार° में तो नहीं आये ?

‖✗‖ °उल्टा कर्म° करके सजायें तो तैयार नहीं की ?

───────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

‖✓‖ सम्पन्नता द्वारा °संतुष्टता° का अनुभव किया ?

───────────────────────────

 

आज की अव्यक्त पालना :-

➳ _ ➳  जैसे बापदादा को रहम आता है, ऐसे आप बच्चे भी मास्टर रहमदिल बन मन्सा अपनी वृत्ति से वायुमण्डल द्वारा आत्माओं को बाप द्वारा मिली हुई शक्तियां दो । जब थोड़े समय में सारे विश्व की सेवा सम्पन्न करनी है, तत्वों सहित सबको पावन बनाना है तो तीव्र गति से सेवा करो ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

‖✓‖ °मास्टर रहमदिल° बन मन्सा अपनी वृत्ति से वायुमण्डल द्वारा आत्माओं को बाप द्वारा मिली हुई शक्तियां दी ?

───────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सदा हर्षित , विजयी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   जिस भगवान को आज दिन तक सभी ढूंढ रहे हैं वो मेरा हो गया, इस श्रेष्ठ स्मृति में रहने वाली मैं सदा हर्षित आत्मा हूँ ।

 ❉   अपनी सर्व शक्तियाँ, सर्व खजाने उसने मुझे विल कर दिये हैं ।

 ❉   मैं आत्मा स्वयं को सदा सर्व खजानों से समपन्न और संतुष्ट अनुभव करती हूँ ।

 ❉   सुख, आनन्द, प्रेम, पवित्रता के सागर बाप ने मुझे मास्टर सागर बना दिया है ।

 ❉   मास्टर सागर की सीट पर सेट रह, मैं आत्मा सदा ख़ुशी में नाचती रहती हूँ... मेरे अन्दर सिवाए ख़ुशी के और कोई संकल्प नहीं जाता ।

 ❉   सदा संपन्न अनुभव करते हुए मैं किसी से भी तंग नहीं होती । किसी भी प्रकार का समस्या व विघन मुझे एक खेल अनुभव होता है... समस्या मनोरंजन का साधन अनुभव होती है...

 ❉   मैं आत्मा सदा निश्चयबुद्धि अवस्था का अनुभव कर सदा हर्षित और विजयी रहती हूँ ।

───────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अपनी उन्नति के लिए रोज पोतामेल निकालो, सारे दिन में चलन कैसी रही, चेक करो - यज्ञ के प्रति ऑनेस्ट ( ईमानदार) रहे ?"

 

❉   जैसे व्यापारी लोग रात को सोने से पहले पूरे दिन का पोतामेल निकालते हैं ताकि पता पड़े पूरे दिन में कितना फायदा और कितना नुक्सान हुआ ।

 ❉   ठीक इसी प्रकार हमारा भी यह ईश्वरीय व्यापार है, इसमें उन्नति के लिए हर रोज हमे अपना पोतामेल निकलना चाहिए ।

 ❉   पूरे दिन में कितना समय बाप की याद में रहे ? कोई पाप कर्म तो नही किया ? हर कर्म श्री मत प्रमाण रहा ?

 ❉   सारे दिन में चलन कैसी रही ? भगवान ने यह जो रुद्र ज्ञान यज्ञ रचा है उस यज्ञ के प्रति कितने ऑनेस्ट रहे ?

 ❉   इन सभी बातो का पोतामेल निकालने से अर्थात चेक करने से ही आत्मिक उन्नति होगी, नही तो माया के तूफान आगे बढ़ने नही देंगे और भविष्य राजाई से सदा के लिए वंचित कर देंगे ।

───────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)

 

➢➢ अन्तर्मुखी बनकर शरीर के भान से परे रहने का अभ्यास करना है, खान-पान, चाल-चलन सुधारना है, सिर्फ़ अपने को खुश करके अलबेला नहीं होना है।

 

 ❉   अंतर्मुखी अपनी अंतर में जो आत्मा है, उसी की ओर ध्यान देता है, उसकी उन्नति का ख़्याल रखता है तो शरीर के भान से परे रहता है।

 ❉  जितना अंतर्मुंखी रहते है उतना बाहरी आकर्षणों से डिटैच होते जाते है व सबके साथ मीठा बनकर रहते है, शांत रहते हैं ।

 ❉   अंतर्मुखी सदा सुखी इसलिए अंतर्मुखी बनो। अंतर्मुखी रहने से अंदर ही अंदर चिंतन चलता रहता है व वह आत्मा अपने परमपिता परमात्मा की याद में रहती है। आत्मा सुंदर होती जाती है व चाल चलन भी सुधरता जाता है।

 ❉   देह और देह के सम्बंधों को भूल अपने को अशरीरी आत्मा समझना ये पुरूषार्थ करना है व इसमें ही मेहनत है क्योंकि 63 जन्मों के संस्कार है।

 ❉   अंतर्मुखी बनकर देहभान से परे रहने का अभ्यास ज़रूरी है क्योंकि देहभान में रहने से कुछ न कुछ विकर्म करते रहते है व उल्टा सीधा बोलते है। इसलिए बिंदी बन बिंदी में समा जाना है।

 ❉   जैसे शरीर का बाप शरीर जैसा होता है वैसे आत्मा का बाप भी आत्मा जैसा होता है । हम आत्माएँ है न की शरीर। ये ज्ञान मिलने के बाद शरीर के भान से परे रहने का अभ्यास करना है तभी ऊंच पद पा सकेंगें।

───────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

 

➢➢ संपन्नता द्वारा संतुष्टा का अनुभव करने वाले सदा हर्षित विजयी होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो आत्माये दिव्य गुणों से संपन्न होती है उन्हें वह आत्माये सदेव हर परिस्थिति में हर्षित रहती है क्युकी सबसे बड़ा खजाना गुणों का ही होता है।

 ❉   इस दुनिया के सुख अल्पकाल काग विष्टा समान है, इन्हें प्राप्त करने से कोई सदेव के लिए खुश या सुखी नहीं रह सकता जब तक की वह इन इच्छाओ का त्याग कर परमात्मा से अपना सम्बन्ध न जोड़े।

 ❉   बाप हमें 21 जन्मो के लिए हेल्थ, वेल्थ, हैप्पीनेस से संपन्न बनाने आये है, यह स्मृति ही हमें सदा हर्षित विजयी बना देती है।

 ❉   जो आत्माये शांति, गुणों, शक्तियों, ज्ञान से संपन्न होती है वह सदा संतुष्ट और हर्षित रहती है क्युकी आत्मा की जो मूल जरूरते है उससे वह भरपूर है।

 ❉   स्व से संतुष्ट रहने वाला व्यक्ति ही सदेव हर्षित रह सकता है, जो स्व से संतुष्ट नहीं उसे भले दुनिया के सभी सुख-सुविधाए, धन, संपत्ति मिल जाये परन्तु वह कभी खुश नहीं रह सकता।

───────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

 

➢➢ नाजुक परिस्तिथियों से घबराओ नही, उनसे पाठ पढ़कर स्वयं को परिपक्व बनाओ... कैसे ?

 

 ❉   जीवन में आने वाली हर परिस्थिति हमे कुछ ना कुछ सिखा कर जाती है, इस बात को सदा स्मृति में रखें तो नाजुक परिस्तिथियों से घबराने की बजाए परिपक्व बन उनका सामना करेंगे ।

 ❉   "हर बात में कल्याण समाया है" यह स्मृति हर नाजुक परिस्तिथि में अचल अडोल बना कर उस परिस्तिथि को पार करने का बल प्रदान करेगी ।

 ❉   जीवन में आने वाली नाजुक परिस्तिथियाँ वो पेपर हैं जो हमे सफलता की सीढ़ी चढ़ने में मददगार हैं, यह सोच हमे हर परिस्तिथि में घबराने की बजाए उसका सामना करने में सहायक होगी ।

 ❉   मैं कल्प कल्प की विजयी आत्मा हूँ।इस स्वमान में स्तिथ रहने से हर परिस्तिथि रुई के समान हल्की प्रतीत होगी और सहज ही उस पर सफलता प्राप्त हो जायेगी ।

 ❉   मैं परमात्म छत्रछाया के अंदर सदा सुरक्षित हूँ ।कोई भी परिस्तिथि मेरा कुछ नही बिगाड़ सकती । इस प्रकार के श्रेष्ठ संकल्प स्वस्तिथि को मजबूत बना कर, परिस्तिथियों पर विजय दिलाने में सहायता करते हैं।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━