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   17 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °निडर° बनकर सेवा की ?

 

‖✓‖ °आत्मा° समझ आत्मा से बात की ?

 

‖✓‖ °आत्म अभिमानी° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ दूसरी बातों में न जाकर °सिर्फ एक बाप को याद° करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °स्वछता और सत्यता° को धारण कर संपन्न बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✗‖ किसी भी बात में °संशयबुधी° तो नहीं हुए ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °पुरुषार्थ और सेवा° में विधिपूर्वक वृद्धि को प्राप्त किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  किसी भी प्रकार का देह का, सम्बन्ध का, वैभवों का बन्धन अपनी ओर आकर्षित न करे, ऐसे स्वतन्त्र बनो इसको ही कहा जाता है-बाप-समान कर्मातीत स्थिति। प्रैक्टिस करो अभी-अभी कर्मयोगी, अभी-अभी कर्मातीत स्टेज।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖  किसी भी प्रकार का देह का, सम्बन्ध का, वैभवों का °बन्धन अपनी ओर आकर्षित तो नहीं° कर पाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं तीव्र पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   पुरुषार्थ और सेवा में विधिपूर्वक वृद्धि को प्राप्त करने वाली मैं तीव्र पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   हर कार्य को पूरी विधि से करते हुए मैं सहज ही उसमें सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   अमृतवेले से रात तक बाप दादा द्वारा जो शिक्षायें मिली हुई है उन्हें यथार्थ रीति फॉलो कर मैं सफलतापूर्वक आगे बढ़ती जाती हूँ ।

 

 ❉   हर कार्य विधिपूर्वक सम्पन्न करने से मैं कारण को निवारण में बदल कर हर समस्या का समाधान सहज रीति कर लेती हूँ ।

 

 ❉   हर कर्म में फालो फादर कर स्नेह का रेसपांड देने वाली मै तीव्र पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रख मैं अपने हर कर्म को श्रेष्ठ बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   बाप को कापी कर बाप समान बनने का पूरा अटेंशन देते हुए मैं निरंतर आगे बढ़ती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने तीव्र पुरुषार्थ के आधार पर मै स्वयं को हर शक्ति से संपन्न बना रही हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - सत बाप द्वारा संगम पर तुम्हे सत्य का वरदान मिलता है इसलिए तुम कभी भी झूठ नही बोल सकते हो"

 

 ❉   सत का मार्ग सिवाय एक परमात्मा बाप के और कोई दिखा ना सके क्योकि सिवाय परम पिता परमात्मा बाप के और कुछ सत्य नहीं है ।

 

 ❉   इसलिए कहा भी जाता है " God is truth " अर्थात परमात्मा ही सच है । इसके अलावा इस झूठी दुनिया में और कुछ भी सच नही है ।

 

 ❉   इसलिए केवल एक परम पिता परमात्मा बाप की मत ही सर्वश्रेष्ठ मत हैं । परमात्मा की मत के अलावा ओर जो भी मतें हैं सब आसुरी मतें हैं ।

 

 ❉   क्योकि रावण का राज्य हैं और रावण राज्य में सभी के संस्कार आसुरी अर्थात विकारी हैं जिसके कारण आज पूरी दुनिया दुःखी और अशांत हैं ।

 

 ❉   इन सभी दुःखो से छुड़ाने के लिए ही सत  परमात्मा बाप संगम पर आकर हमे सत्य का वरदान देते हैं और समझाते हैं कि तुम कभी भी झूठ नही बोल सकते ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ शरीर पर नजर जाने से विघ्न आते है, इसलिए भ्रकुटी मे देखना है । आत्मा समझ , आत्मा से बात करनी है । आत्माभिमानी बनना है ।

 

  ❉   अभी तक अज्ञानता के कारण अपने शरीर को संवारने में ही लगे रहे । देहभान के कारण विकारों मे आकर नीचे गिरते गए व अपने को, अपने घर को व अपने बाप  को भूल गए । विघ्नों से ही घिरे रहे ।

 

  ❉   अब संगमयुग पर सत का ज्ञान मिलने पर व दिव्य दृष्टि मिलने पर अपने को आत्मा समझना है शरीर नहीं । शरीर पर नजर जाने से ही तेरे मेरे में फंसे रहेंगे इसलिए भ्रकुटी में ही देखना है । मैं चमकता हुआ सितारा हूं व ये भी चमकता हुआ सितारा है ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ दूसरे को भी आत्मा समझ बात करनी है । जब दृष्टि आत्मिक होती है तो भाव भी आत्मिक  होता है व शब्दों व कर्म में भी श्रेष्ठ भाव होता है ।

 

  ❉   शरीर पर नजर होती है तो देहधारियों की ही याद बनी रहती है व बाबा को भूल जाते हैं तो व्यर्थ बातों में अपना समय गंवा देते है । यहां बाते हैं वहां बाप नहीं ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को याद करना है । अपने व दूसरे के नामरुप को भूल मैं आत्मा हूं इस समृति से देहभान को समाप्त कर आत्माभिमानी बनना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ पुरुषार्थ और सेवा में विधिपूर्वक वृद्धि को प्राप्त करने वाले ही तीव्र पुरुषार्थी कहलाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   विधिपूर्वक द्वारा कार्य करने से ही वृद्धि होती है, जहाँ कार्य विधि पूर्वक होता है वह ही सफलता मिलती है क्युकी वह सब व्यवस्थित होता है।

 

 ❉   बाबा ने अमृतवेला से रात्रि तक हर कर्म करने की विधि बताई है, ब्रह्मा बाप ने हर कर्म करके भी दिखाये है उसे ही फॉलो करना है, उनकी श्रीमत पर चलने से विकर्म करने से बच जायेंगे।

 

 ❉   हमारे यहाँ के विधि पूर्वक कार्य करने का ही यादगार है जो आज भी भक्तिमार्ग में हमारी पूजा बहुत विधि विधान से नियमानुसार होती है।

 

 ❉   पुरुषार्थ और सेवा की वृद्धि तब होगा जब हर कर्म विधिपूर्वक होगा। कोई अलबेलापन, आलस्य या मनमत द्वारा शोर्टकट नहीं मरेंगे तो सफलता प्राप्त होगी।

 

 ❉   मनसा, वाचा, कर्मणा जो भी संकल्प, बोल या कर्म करते है सब कुछ बाबा की श्रीमत अनुसार हो। बाबा की आज्ञा अनुसार हो, बाबा अनेक युक्तिया बताते रहते है इसलिए युक्तियुक्त होकर रहना है तो योगयुक्त भी रह सकेंगे और वृद्धि को पाते रहेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्वच्छता और सत्यता में सम्पन्न बनना ही सच्ची पवित्रता है... क्यों ?

 

 ❉   आचरण में सत्यता और स्वच्छता की विशेषता व्यवहार में दिव्यता और अलौकिकता ला कर आत्मा को पावन बना कर आत्मा की चमक को बढ़ा देती है ।

 

 ❉   स्वच्छता और सत्यता आत्मा को व्यर्थ से मुक्त कर जमा का खाता बढ़ा कर आत्मा को पावन चमकदार बना देती है ।

 

 ❉   स्वच्छ चिंतन और व्यवहार में सत्यता की विशेषता सभी बुराइओं को निकाल आत्मा को शुद्ध, पवित्र और हल्का बना देती है ।

 

 ❉   स्वच्छ बुद्धि बनने के लिए जरूरी है, सत्यता और स्वच्छता में सम्पन्न बनना क्योकि बुद्धि जैसे जैसे स्वच्छ और निर्मल होती जाती है आत्मा में पवित्रता का बल भरने लगता है ।

 

 ❉   सत्यता और स्वच्छता का गुण व्यवहार को सरल बनाता है और सरल स्वभाव व्यक्ति को गुण मूर्त बनाता है जिससे व्यक्ति सद्गुणों की धारणा कर पवित्र बनता जाता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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