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❍ 30 / 08 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ बाप को °प्रतक्ष्य° करने का द्रिड संकल्प लिया ?
‖✓‖ एक माया प्रूफ, दूसरा श्रेष्ठ जीवन के प्रूफ से °डबल प्रूफ° बनकर रहे ?
‖✓‖ चलते फिरते प्रतक्ष्य प्रमाण रुपी °चैतन्य संग्राहलय° बनकर रहे ?
‖✓‖ "एक कदम उठाया और °हज़ार कदम प्रारब्ध° में पाया" - यह अनुभव किया ?
‖✓‖ "°पाना था सो पा लिया°" - सदा यह गीत गाते रहे ?
‖✓‖ प्रवृति में रहते °पर-वृति° में रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °अखंड योग° की विधि द्वारा अखंड पूज्य बन्ने वाली श्रेष्ठ महान आत्मा बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ ज्वाला स्वरूप याद के लिए मन और बुद्धि दोनों को एक तो पावरफुल ब्रेक चाहिए और मोड़ने की भी शक्ति चाहिए। इससे बुद्धि की शक्ति वा कोई भी एनर्जी वेस्ट ना होकर जमा होती जायेगी। जितनी जमा होगी उतना ही परखने की, निर्णय करने की शक्ति बढ़ेगी। इसके लिए अब संकल्पों का बिस्तर बन्द करते चलो अर्थात् समेटने की शक्ति धारण करो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ संकल्पों का बिस्तर बन्द करते चले अर्थात् °समेटने की शक्ति° धारण किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं महान आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ अखण्ड योग की विधि द्वारा अखण्ड पूज्य बनने वाली मैं श्रेष्ठ महान आत्मा हूँ ।
❉ सुख के सागर बाप की संतान मैं आत्मा भी सुख और आनन्द में अखण्ड स्वरूप बन सर्व आत्माओं को सुख और आनन्द की अनुभूति करवाती हूँ ।
❉ मैं संगदोष से अपना बचाव करने वाली, सदैव दूसरों के गुणों को देखने वाली गुणग्राही आत्मा हूँ ।
❉ अपने हर संकल्प, बोल और कर्म को श्रेष्ठ दिशा प्रदान कर मैं हर कदम में पदम की कमाई जमा करती जाती हूँ ।
❉ दूसरों के अवगुणों को देखते हुए भी डोंटकेयर कर, मैं अखण्ड योगी बनती जाती हूँ ।
❉ अखण्ड योगी बन, अपने दिव्य संकल्प, बोल और कर्म द्वारा मैं सबको अपने दिव्य स्वरूप का दर्शन कराती हूँ ।
❉ मेरी दिव्य दृष्टि सर्व आत्माओं को दिव्य अनुभूति करा कर आनन्द विभोर कर देती है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "बाप को प्रत्यक्ष करने की विधि"
❉ आज साइन्स के युग में मनुष्य सुनने - सुनाने की बजाय हर बात का प्रत्यक्ष प्रमाण चाहते हैं ।
❉ इसी प्रकार परमात्म ज्ञान को निश्चय करने के लिए भी प्रत्यक्ष प्रूफ देखना चाहते हैं और प्रत्यक्ष प्रूफ है हम ब्राह्मण बच्चों का जीवन ।
❉ सबसे बड़ा प्रत्यक्ष प्रमाण है प्रवृति में रहते पर - वृति में रहना अर्थात देखते देह को है लेकिन वृति में आत्मा रूप है ।
❉ संपर्क में लौकिक सम्बन्ध में आते हुए भी भाई - भाई के सम्बन्ध में रहते हैं ।
❉ ऐसे प्रवृति में रहने वाले अर्थात सम्पूर्ण पवित्र जीवन में चलने वाले ही परमात्म ज्ञान यानि बाप को प्रत्यक्ष करने का प्रत्यक्ष प्रूफ हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ एक माया प्रूफ़ , दूसरा श्रेष्ठ जीवन के प्रूफ़ से डबल प्रूफ़ बनकर रहना है ।
❉ मायाप्रूफ बनने के लिए आत्मा की सजावट करनी है देह की नहीं । देह की सजावट से देहभान जन्म लेता है जिसके चलते माया को दाख़िल होने का प्रवेश द्वार मिल जाता है ।
❉ श्रेष्ठ जीवन प्रूफ़ बनने के लिए तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है तो तुम्हारी बुद्धि और चलन रिफ़ाइन होनी चाहिए । किसी में मोह ज़रा भी न हो ।
❉ संगमयुग पर जब बाप सेवाधारी बन करके आते हैं तो छत्रछाया के रूप में हम बच्चों की सेवा करते हैं । याद करते ही सेकंड में साथ का अनुभव होता है । बाप को सामने लाने से स्वस्थिति में स्थित होने से परिस्थिति को परिवर्तन हो जाती है ।
❉ लोभ रूपी माया अपनी मीठी छुरी चलाती है व ज्ञान को भुलाकर अपनी बाँहों में नाच कराती है लेकिन बाबा अपने ज्ञान रत्नों से झोली भरते हैं व संतुष्टता से भरपूर होकर हमें माया प्रूफ, श्रेष्ठ जीवन के प्रूफ़ से डबल प्रूफ़ रहना है।
❉ प्रवृति में रहते देह और देह की दुनिया के सम्बंधों से परे कमल पुष्प समान न्यारा व प्यारा रहते है तो माया प्रूफ़ दूसरा श्रेष्ठ जीवन के प्रूफ़ से परमात्म ज्ञान का प्रयत्क्ष प्रूफ़ है । अंहकार रूपी विकार को छोड़ नम्रचित बन श्रेष्ठ जीवन जीना है ।
❉ परमात्मा के साथ डायरेक्ट सर्व सम्बंध से जो प्राप्ति हमें इस संगमयुग पर होती है व अखूट ख़ज़ानों से सम्पन्न होते हैं तो इस मोह रूपी विकार जो मानव को बेहाल कर देता है उनके साथ परमात्मा ज्ञान की शक्तियो की मदद से नाता तोड़ एक शिव बाबा से नाता जोड़ डबल प्रूफ़ बनकर रहना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अखण्ड योग की विधि द्वारा अखण्ड पूज्य बनने वाले श्रेष्ठ महान आत्मा कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ जैसा हमारा पुरुषार्थ होगा उसी अनुसार हमारी पूजा होगी, यदि अखंड योग होगा तो पूजा भी अखंड होगी। सारा मदार हमारे अभी के पुरुषार्थ पर है।
❉ अखंड योग अर्थात यह नहीं की एक ही जगह बेठ जाओ, कार्य व्यवहार तो करना ही है परन्तु चलते-फिरते, खाते-पिटे, उठते-बैठते बुद्धि से अखंड बाबा की याद हो। कभी भी बाबा भूले न।
❉ जो जितना समय यहाँ बाबा को अपना साथी बनाएगा उतना ही आदि से लेकर साथ प्राप्त होगा, अर्थात सतयुग में भी आदि से आएंगे और साथ पार्ट बजायेंगे।
❉ श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ है शिवबाबा उनके बाद है लक्ष्मी नारायण, जैसे मम्मा-बाबा का योग अखंड रहा तो नंबर वन पद पाया और द्वापर से लेकर कलयुग अंत से वह सबसे ज्यादा पूज्य है ऐसे ही फ़ॉलो फादर-मदर करना है।
❉ अविनाशी बाप अखंड राज्य, अखंड प्राप्तियो से हमारे भंडारे भरपूर कर रहे है, इसे माया के वश हो कभी खंडित नही होने देना, हमारी आत्मा की ज्योति सदेव जगती रहे कभी खंडित न हो इसी का यादगार हमारे मंदिरों में अखंड ज्योत जला कर रखते है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ दिव्य बुद्धि ही साइलेन्स की शक्ति का आधार है... कैसे ?
❉ जितना साइलेन्स का बल अपने अंदर जमा करते जायेगें, परखने की शक्ति का विकास होता जायेगा और परख कर बुद्धि हर परिस्थिति में यथार्थ निर्णय ले सकेगी ।
❉ साइलेन्स की शक्ति व्यर्थ चिंतन को समाप्त कर सभी व्यर्थ बातों से मुक्त कर देगी
। व्यर्थ समाप्त होने से समर्थ चिंतन स्वत: होने लगेगा और बुद्धि दिव्य होती जायेगी ।
❉ पुराने स्वभाव संस्कारों को समाप्त करने में साइलेन्स की शक्ति विशेष रूप से सहायक होती है, जैसे जैसे पुराने आसुरी संस्कार समाप्त होते जायेंगे, बुद्धि दिव्य बनती जायेगी और दैवी संस्कार इमर्ज होते जायेंगे ।
❉ साइलेन्स की शक्ति संकल्पो की एकाग्रता द्वारा विस्तार को सार में समा कर बुद्धि को स्वच्छ, निर्मल और दिव्य बना देगी ।
❉ बुद्धि का योग जितना बाबा से लगा रहेगा, बुद्धि की लाइन उतनी क्लियर होती जायेगी और बाबा की टचिंग से बुद्धि शुद्ध, शांत और दिव्य स्वत: बनती जायेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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