━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

    11 / 05 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °ज्ञान योग° से स्वयं को बलवान बनाया ?

 

‖✓‖ धंधा आदि करते भी सदा अपनी °गोडली स्टूडेंट लाइफ° और स्टडी याद रही ?

 

‖✓‖ "स्वयं °भगवान् हमको पढाते° हैं" - इसी नशे में रहे ?

 

‖✓‖ °कांटो को फूल° बनाने की सेवा में बिजी रहे ?

 

‖✓‖ सिर्फ °एक बाप° के साथ प्रीत रखी ?

 

‖✗‖ एक की बात दुसरे को तो नहीं सुनायी ? °परचिन्तन° तो नहीं किया ?

───────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °विश्व कल्याणकारी° की ऊंची स्टेज पर स्थित रहे ?

───────────────────────────

 

आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  बाप का बच्चों से इतना प्यार है जो अमृतवेले से ही बच्चों की पालना करते हैं । दिन का आरम्भ ही कितना श्रेष्ठ होता है! स्वयं भगवान मिलन मनाने के लिये बुलाते हैं, रुहरिहान करते हैं, शक्तियां भरते हैं! बाप की मोहब्बत के गीत आपको उठाते हैं । कितना स्नेह से बुलाते हैं, उठाते हैं - मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे, आओ.... । तो इस प्यार की पालना का प्रैक्टिकल स्वरूप है ' सहज योगी जीवन' ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ प्यार की पालना का प्रैक्टिकल स्वरूप °सहज योगी जीवन° जी कर दिखाया ?

───────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं साक्षी दृष्टा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मैं विश्व कल्याणकारी की ऊँची स्टेज पर स्तिथ रह विनाश लीला को देखने वाली साक्षी दृष्टा आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं देह और देह के सर्व आकर्षणों से मुक्त हूँ ।

 

 ❉   ड्रामा की हर सीन को मैं आत्मा साक्षी हो देखती हूँ, इसलिये इस विनाशी दुनिया का कोई भी सम्बन्ध, पदार्थ, संस्कार और प्रकृति की हलचल मुझ पर कोई प्रभाव नही डाल सकते ।

 

 ❉   हलचल के हर सीन में भी मैं आत्मा कल्याण का अनुभव करती हूँ । वातावरण चाहे कितना भी हिलाने वाला हो... समस्या चाहे कितनी  भी विकराल हो... लेकिन मैं साक्षी दृष्टा की सीट पर सेट रह विकराल समस्या को भी हल्का अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   कोई भी सर्कमस्टांश आ जाए... माया के महावीर रूप सामने आ जाएँ ... लेकिन मैं आत्मा सदैव साक्षी हो हर परिस्तिथि को सहजता से पार कर लेती हूँ ।

 

 ❉   परमात्म प्यार और स्नेह का बल, मुझे कर्मो के आकर्षण और बंधनो से परे ले जाता है और हर परिस्तिथि में अचल अडोल बना देता है ।

───────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - धंधा आदि करते भी सदा अपनी गॉडली स्टूडेन्ट लाइफ और स्टडी याद रखो, स्वयं भगवान हमको पढ़ाते हैं इस नशे में रहो"

 

 ❉   लौकिक पढ़ाई पढ़ने वाले बच्चों की बुद्धि में सदैव यह बात रहती है कि वे स्टूडेंट हैं, चाहे वे स्कूल में हों या ना हो ।

 

 ❉   जैसे बैरिस्टरी की पढ़ाई पढ़ने वाले स्टूडेंट्स  को सदैव यह स्मृति रहती हैं कि इस पढ़ाई को पढ़ कर वे बैरिस्टर बनेंगे ।

 

 ❉   इसी प्रकार से हम भी रूहानी स्टूडेन्ट हैं जो इस समय रूहानी पढ़ाई पढ़ रहें हैं, भविष्य ऊंच पद पाने के लिए ।

 

 ❉   हमे पढ़ाने वाला कोई मनुष्य नही, बल्कि स्वयं भगवान हम रूहानी बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं ।

 

 ❉   तो हम बच्चों को कितना नशा रहना चाहिए । धंधा आदि करते भी बुद्धि में सदैव यही रहना चाहिए कि हम गॉडली स्टूडेन्ट भगवान से पढ़ रहें हैं । बुद्धि में सदैव स्टडी ( ज्ञान) का मंथन चलते रहना चाहिए ।

───────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ किसी को भी एक राम (बाप) की बातों के सिवाए दूसरी कोई बातें नहीं सुनानी है।

 

 ❉  हम सब मनुष्य आत्माओं के पिता  बाप हैं तो अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परम आत्मा को ही याद करना है व उस परमपिता की ही बातें करनी हैं।

 

 ❉   हमारा सुप्रीम बाप हम आत्माओं के लिए इस पतित दुनिया में हमारे लिए ही आया है व हमें पढ़ाकर पतित से पावन व मनुष्य से देवता बनाने की पढ़ाई पढ़ा रहा है तो हमारा ध्यान बस पढ़ाई पर ही होना चाहिए।

 

 ❉   हमें आपस में पढ़ाई की, ज्ञान की, बाप की ही बातें करनी हैं । कोई भी कर्म करते हुए पढ़ाई की बातें ज्ञान मंथन चलते रहना चाहिए।

 

 ❉   अपने को आत्मा न समझने से देहभान में आ जाते है तो बाप को भूल जाते हैं व  परचिंतन करने लगते है। इसलिए बस एक बाबा की ही याद में रहना है।

 

 ❉   बाबा हमें पढ़ाकर देवी देवता बना रहे है, बाबा ने हमें ईश्वरीय बुद्धि दी है , 84 के चक्र का ज्ञान दिया है तो सारा दिन स्मृति में रहना चाहिए। हम गाॅडली स्टूडेंट है यह नशा रहना चाहिए।

───────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ विनाश लीला को देखने के लिए विश्व कल्याणकारी की ऊची स्टेज पर स्थित रह साक्षी दृष्टा होकर रहना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   विनाश काल का समय खूने नाहक समय होगा उस समय हम आत्माओ को विश्व की सभी आत्माओ को मुक्ति जीवनमुक्ति दिलवानी होगी।

 

 ❉   यदि हम आत्माये उस समय हलचल में आई तो हमारी भी अंत मति सो गति होगी और वही कल्प कल्प का भाग्य बन जायेगा।

 

 ❉   साक्षी दृष्टा स्थिति हमें अंतिम समय देहि अभिमानी बनने में बहुत मदद करेगी, हम डीटेच होंगे जिससे बुद्धि कही फसेगी नहीं।

 

  ❉   विनाश लीला के समय जहा सारी दुनिया त्राहि-त्राहि करेगी वही हम आत्माये घर व नयी दुनिया में जाने की वाह-वाह करेंगे।

 

 ❉   साक्षी दृष्टा की सीट पर सेट रहने से जो भी दृश्य सामने आएंगे वह हमें ड्रामा के पार्ट जैसा अनुभव होगा और हम घबराने की जगह विश्व की आत्माओ की मदद करेंगे और बाप को प्रत्यक्ष कर सकेंगे।

───────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ज्ञान योग से स्वयं को बलवान बना लो तो माया का फ़ोर्स समाप्त हो जायेगा... कैसे ?

 

 ❉   ज्ञान और योग आत्मा में बल भर कर आत्मा को शक्तिशाली बना देते हैं जिसके सामने माया शक्तिहीन हो जाती है और माया का फ़ोर्स समाप्त हो जाता है ।

 

 ❉   ज्ञान और योग से स्थिति मजबूत बनती है जिसके आगे माया रूपी परिस्तिथियों का फ़ोर्स समाप्त हो जाता है ।

 

 ❉   ज्ञान और योग से आत्मा उपराम अवस्था को प्राप्त कर अचल और अडोल स्थिति के अनुभव द्वारा सहज ही माया के फ़ोर्स से मुक्त हो जाती है ।

 

 ❉   ज्ञान और योग वृति और वायुमण्डल को पॉवरफुल बना देते हैं जिसके आगे माया का फ़ोर्स स्वत: ही समाप्त हो जाता है ।

 

 ❉   ज्ञान और योग का बल आत्मा को शक्तिस्वरूप बना देता है और सर्व शक्तियों का अनुभव हमें सहज ही माया को दूर से परखने और माया के फ़ोर्स को समाप्त करने में मदद करता है ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━