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❍ 29 / 03 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ सदा °एक के अंत° में अर्थात निरंतर एकांत में सदा स्मृति स्वरुप रहे ?
‖✓‖ "हमसे अधिक °भाग्य की रेखाएं° क्या और किसी की श्रेष्ठ हो सकती हैं ?" - यह चिंतन किया ?
‖✓‖ "मैं °अधिकारी आत्मा° हूँ" - इस स्मृति का तिलक लगाए रखा ?
‖✓‖ "मैं आत्मा °परमधाम से अवतरित° हुई हूँ... विश्व कल्याण के कर्तव्य के लिए" - सदा यह अनुभव किया ?
‖✗‖ छोटी छोटी बातों की °गुडिया का खेल° तो नहीं किया ?
‖✗‖ "ड्रामा अनुसार पुरुषार्थी हैं.. कर्मातीथ तो अंत में बनना है" - इस तरह से °ज्ञान की पॉइंट्स उल्टे रूप में° तो नहीं सोची ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ पावरफुल वृति द्वारा °मनसा सेवा° की ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ एकाग्रता अर्थात् एक ही श्रेष्ठ संकल्प में सदा स्थित रहना । जिस एक बीज रूपी संकल्प में सारा वृक्ष रूपी विस्तार समाया हुआ है । एकाग्रता को बढ़ाओ तो सर्व प्रकार की हलचल समाप्त हो जायेगी । एकाग्रता के आधार पर जो वस्तु जैसी है, वैसी स्पष्ट देखने में आयेगी । ऐसी एकाग्र स्थिति में स्थित होने वाला स्वयं जो है, जैसा है अथवा जो वस्तु जैसी है वैसी स्पष्ट अनुभव होगी ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °एक ही श्रेष्ठ संकल्प में सदा स्थित° रहने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ विश्व कल्याणकारी परम पिता परमात्मा की सन्तान मैं आत्मा मास्टर विश्व कल्याण कारी हूँ ।
❉ स्वयं परमात्मा ने विश्व कल्याण के कार्य अर्थ मुझ आत्मा को चुना है ।
❉ मैं आत्मा बाप सामान लाइट हाउस माईट हाउस बन आत्माओं को मुक्ति जीवनमुक्ति का वर्सा दे रही हूँ ।
❉ मैं आत्मा सर्व के प्रति महादानी , वरदानी हूँ ।
❉ मैं आत्मा अपनी मनसा शक्ति द्वारा वायुमंडल को पावरफुल बना रही हूँ.. मुझ आत्मा से पावरफुल वाइब्रेशन निकलकर पूरे विश्व में फ़ैल रहे हैं और पूरे विश्व की सेवा कर रहे हैं ।
❉ साइलेंस की शक्ति द्वारा मैं सारे विश्व की आत्माओं को शान्ति की अनुभूति करवा रही हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)
➢➢ "बेहद के वानप्रस्थी अर्थात निरन्तर एकांत में सदा स्मृति स्वरूप भव"
❉ जीवन का अंतिम पड़ाव जब मनुष्य अपनी सभी लौकिक जिम्मेवारियों के बंधन से मुक्त हो जाते हैं उसे लोग वानप्रस्थ अवस्था मानते हैं ।
❉ किन्तु वर्तमान समय प्रमाण देखा जाए तो सभी वानप्रस्थ अवस्था में हैं अर्थात सभी का अंत समय अब नजदीक हैं ।
❉ तो जैसे लौकिक में भी जो व्यक्ति उम्र के अंतिम पड़ाव पर होते हैं यानी वानप्रस्थी होते हैं, वो भी यही चाहते हैं कि अब यह अंतिम थोडा समय भगवान की याद में बिताया जाए ।
❉ हम तो बेहद के वानप्रस्थी हैं । और वानप्रस्थी गुड़ियों का खेल नही करते अर्थात आलस्य और अलबेलेपन में अपने बहुमूल्य समय को वेस्ट नही करते । बल्कि सफल करते हैं ।
❉ इसलिए अब हमे बेहद के वानप्रस्थी बन सदा एक के अंत में खोये रहना है, सदा एकांत में स्मृति स्वरूप बन कर रहना है । क्योकि हमे जल्दी से जल्दी बाप समान बनना ही है ।
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-10)
➢➢ सदा एक के अंत में अर्थात् एकांत में सदा स्मृति स्वरूप में रहना है।
❉ हम ने तो भगवान को बहुत ढूंढ़ा व थक गए लेकिन बाबा ने हमें स्वयं कोटों में कोई और कोई में से भी कोई से ढूँढ निकाला व अपना बच्चा बनाया। हम डायरेक्ट ईश्वरीय कुल के हैं तो ऐसे स्मृति स्वरूप में रहना है।
❉ सदा ये अनुभव रहे कि मैं आत्मा परमधाम से अवतरित हुई हूँ बाप समान विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ । जो भी शुद्ध संकल्प भरने हैं उसे कर्म में लाने हैं व उसी स्मृति स्वरूप में रहना है।
❉ अमृतवेले में सदा स्मृति का तिलक लगाओ कि मैं बिंदी बाबा बिंदी व ड्रामा बिंदी तो सारा दिन स्मृति स्वरूप में रहेंगे।
❉ लौकिक पढ़ाई में भी जैसे जो एकांत में पढ़ते है व सुबह सुबह जो पढ़ते है तो सदा याद रहता है इसी प्रकार अकेले में व सिर्फ़ एक को ही याद करते है व उस एक के अंत में खो जाते हैं समा जाते हैं तो स्मृति व समर्थी स्वरूप में रहते हैं।
❉ बाबा ने हमें सृष्टि चक्र का ज्ञान देकर तीनों कालों का ज्ञान देकर त्रिकालदर्शी बनाया है तो हमें भक्ति के खेल को समाप्त कर मास्टर ज्ञान सागर के स्वरूप में रहना है।
❉ बाबा ने बच्चों को कितनी ऊँची पोजिशन दी है हम सर्वशक्तिमान केबच्चे - मास्टर सर्व शक्तिमान। तो हमेशा मास्टर सर्व शक्तिमान हूँ के स्मृति स्वरूप में रहना है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ पावरफुल वृत्ति द्वारा मन्सा सेवा करने वाले ही विश्व कल्याणकारी होते है... क्यों और कैसे ?
❉ सभी आत्माओ को हम सम्मुख जा जाकर सेवा करना संभव नहीं है, इसलिए मनसा सेवा ही एक मात्र तरीका है विश्व की सभी आत्माओ की एक साथ सेवा करने की।
❉ जब हम मनसा सेवा करते है तो हमारे द्वारा निकले शक्तिशाली वाइब्रेशन सभी आत्माओ तक बहुत जल्द पहुचते है।
❉ स्थूल या वाचा सेवा हम हर समय नहीं कर सकते, परन्तु मनसा सेवा हम जब चाहे उठते, बैठते, चलते, फिरते कर सकते है।
❉ मनसा सेवा बहुत सहज तरीका है विश्व की सभी आत्माओ को सुख, शांति, शक्ति का दान देने की।
❉ हमारी वृत्ति शुभ भावना, शुभ कामनाओ से भरपूर हो और हमारा मन रहमदिल हो तब हम विश्व कल्याण की सेवा कर सकते है।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ अशरीरी पन की एक्सरसाइज और व्यर्थ संकल्प रूपी भोजन की परहेज से स्वयं को तन्दरुस्त बनाओ... क्यों और कैसे ?
❉ जितना अशरीरी बनने का अभ्यास होगा और व्यर्थ संकल्प रूपी भोजन का परहेज होगा उतना ही योग का बल जमा होगा जो स्वयं को तन्दरुस्त, अचल- अडोल बना देगा ।
❉ अशरीरीपन की एक्सरसाइज और व्यर्थ संकल्प रूपी भोजन की परहेज सब बोझ समाप्त कर बुद्धि को हल्का और तन्दरूस्त बना देगी ।
❉ अशरीरीपन की स्तिथि का अभ्यास और व्यर्थ संकल्पों रूपी भोजन की परहेज सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्त कर देगी और बुद्धि प्रभु चिंतन में लीन हो तंदुरूस्ती का अनुभव करेगी ।
❉ तन्दुरुस्त बनने के लिए ख़ुशी की खुराक आवश्यक है और ख़ुशी के लिए जरूरी है हल्का पन और वो तभी होगा जब अशरीरी पन का अभ्यास और व्यर्थ संकल्प रूपी भोजन से परहेज रखेंगे ।
❉ व्यर्थ संकल्प रूपी भोजन वेट को बढ़ा कर बुद्धि को तन्दरूस्त नही रहने देता।बुद्धि को तन्दरूस्त रखने के लिए वेट को कम करना जरूरी है और वेट कम करने के लिए अशरीरी पन की एक्सरसाइज और व्यर्थ संकल्प रूपी भोजन से परहेज जरूरी है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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