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   26 / 11 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सदा °ईश्वरीय मर्यादाओं° पर चलते रहे ?

 

‖✓‖ एक बाप से °सच्ची सच्ची प्रीत° रखी  ?

 

‖✓‖ "बाबा हमें °डबल सिरताज° बना रहे हैं" - इसी रूहानी नशे में रहे ?

 

‖✓‖ "हम हैं °स्वदर्शन चक्रधारी° ब्राह्मण" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ °विजय माला° में आने का लक्ष्य रखा ?

 

‖✓‖ °मनुष्य को देवता° बनाने का जादू सिखाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ अपनी पावरफुल स्टेज द्वारा °सर्व की शुभ कामनाओं को पूरण° किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जितना जो बिजी है, उतना ही उसको बीच-बीच में यह अभ्यास करना जरूरी है, फिर सेवा में जो कभी-कभी थकावट होती है, कभी कुछ न कुछ आपस में हलचल हो जाती है, वह नहीं होगा। एक सेकण्ड में न्यारे होने का अभ्यास होगा तो कोई भी बात हुई एक सेकण्ड में अपने अभ्यास से इन बातों से दूर हो जायेंगे। सोचा और हुआ। युद्ध नहीं करनी पड़ेगी।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °एक सेकण्ड में न्यार° होने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं महादानी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अपनी पावरफुल स्टेज द्वारा सर्व की शुभ कामनाओं को पूर्ण करने वाली मैं महादानी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   सर्व खजानो और सर्वगुणों के सागर परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने अनगिनत अविनाशी खजानों की सौगात मुझे गिफ्ट में दी है ।

 

 ❉   बाप द्वारा मिले सर्व खजानो को, सबको देने के निमित सहारा बन मैं सर्व आत्माओं को सर्व खजानो से सम्पन्न करती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने महादानी स्वरूप के शक्तिशाली संस्कारों को इमर्ज कर, कमजोर आसुरी संस्कारों को सहज ही समाप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने रहम की वृति और सर्व के प्रति शुभ भावना, शुभकामना रखते हुए मैं हर प्रकार की आत्मा के व्यवहार को सहज ही परिवर्तन कर देती हूँ ।

 

 ❉   अपने हर संकल्प, बोल और कर्म को फलदायक बनाने वाली मैं रूहानी प्रभावशाली आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं महादानी बन गरीब बेसहारा आत्माओं को सर्व शक्तियो और सर्व खजानो का दान कर सम्पन्न बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   ज्ञान, शक्तियों और गुणों के रूहानी खजाने को मैं स्वाभाविक रीति से सर्व आत्माओं पर लुटाती रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम ही सच्चे आलौकिक जादूगर हो, तुम्हे मनुष्य को देवता बनाने का जादू दिखाना है"

 

 ❉   जैसे एक जादूगर जब अपने जादू का खेल दिखाता है तो देखने वाले दंग रह जाते हैं ।

 

 ❉   किन्तु वे तो हैं हद के जादूगर जिनका जादू थोड़े समय के लिए ही काम करता है ।

 

 ❉   सबसे बड़ा जादूगर तो केवल एक परम पिता परमात्मा बाप ही है जो आ कर ऐसा जादू करते हैं कि पतित विकारी मनुष्यों को पावन देवी देवता बना देते हैं

 

 ❉   उसी रूहानी जादूगर बाप के हम रूहानी बच्चे भी बाप से यह जादू सीख कर जादूगर - जादूगरनी बन जाते हैं ।

 

 ❉   और सबको इतनी बड़ी कमाई करने का रास्ता बताते हैं अर्थात मनुष्य से देवता, नर से नारायण बनाने का जादू दिखाते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ पास विद ऑनर होने के लिए बाप से सच्ची-सच्ची प्रीत रखनी है । बाप को याद करने की गुप्त मेहनत करनी है ।

 

  ❉   देह व देह के सर्व सम्बंध विनाशी हैं इनसे मोह क्यूं रखना । अब इस सगंमयुग पर बेहद का बाप मिला है तो बस उसी बाप से ही सच्ची प्रीत रख पास विद ऑनर होना है ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में कोई लक्ष्य होता है तो उसे पाने के लिए मेहनत करते हैं ऐसे ही विजयमाला का बनने के लिए सच्चा सच्चा आशिक बन बस माशूक पर फिदा जाना है व सच्चे मीत के साथ प्रीत की रीत निभाकर विजयी बनना है ।

 

  ❉   कल्याणकारी संगमयुग पर बाप हमें वर्सा देने आए है तो हमें भी पुरुषार्थ कर पास विद ऑनर होना चाहिए । सर्व सम्बंध सिर्फ बाप से ही निभाने हैं व किसी ओर की याद भी न आए ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है । ये गुप्त मेहनत है । किसी को क्या पता कि हम मन ही मन में क्या कर रहे हैं

 

  ❉   भल धंधादि करते रहो अंदर ही अंदर ये अजपाजाप चलता रहे व बाबा की याद में ही हर कर्म करते रहें तो ये याद की गुप्त मेहनत है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपनी पॉवरफुल स्टेज द्वारा सर्व की शुभ कामनाओ को पूर्ण करने वाले महादानी बनना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हम दुसरो को कुछ तभी दे पाएंगे जब उसका स्टॉक हमारे पास भरपूर होगा। जिसके पास कुछ जमा किया हुआ होगा वाही तो दुसरो को दे सकेगा। स्वयं खली हो तो दुसरो को क्या देंगे?

 

 ❉   इस समय स्वयं भाग्य विधाता बाप हमारा बना है, अपने सभी भंडारे उन्होंने हम बच्चो के लिए खोल दिए है तो हमें अपने को सर्व खजानों से भरपूर कर लेना चाहिए।

 

 ❉   स्वयं सर्व खजानों के अथॉरिटी स्वरुप होंगे तभी किसी को एक सेकंड में कुछ दे भी पाएंगे। एक सेकंड भी किसी को वेट कराने या लाइन में खड़े नहीं रखना है। एक सेकंड में मुक्ति या जीवनमुक्ति की अनुभूति करानी है।

 

 ❉   जब स्वयं पॉवरफुल स्टेज पर होंगे तभी किसी की शुभ कामनाओ को पूर्ण कर सकेंगे इसके लिए अपने पूर्वज व देवतायी संस्कारों को इमर्ज करना पड़ेगा जो सभी की शुभ कामनाओ को पूर्ण कर सके।

 

 ❉   सबसे बड़े ते बड़ा दान है ज्ञान दान देना। एक बाप का सत्य परिचय सबको मिल जाये, सब बाप को जान ले, पहचान ले, अविनाशी वर्से के अधिकारी बन जाये इससे बड़ा दान किसी के लिए कुछ नहीं होगा।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सदा ईश्वरीय मर्यादाओं पर चलते रहो तो मर्यादा पुरुषोत्तम बन जायेंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   नियम और मर्यादाओं का बल आत्मा को मायाजीत और विकर्माजीत बनाने में मदद करता है, इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम बनने के लिए मर्यादाओं के अंदर चलना जरूरी है ।

 

 ❉   परमात्म मदद और परमात्म शक्तियों का अनुभव करने और सिद्धि स्वरूप बनने के लिए मर्यादाओं में रह मर्यादा पुरुषोत्तम बनना बहुत आवश्यक है ।

 

 ❉   जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मूर्त और समाधान स्वरूप तभी बन सकते हैं जब दृढ़ता से मर्यादाओं का पालन किया जाये ।

 

 ❉   ईश्वरीय नियम और मर्यादाएं बैक बॉन की तरह होती है जो हमे हर परिस्तिथि में सेफ रखती हैं । इसलिए मर्यादाओं के अंदर चल मर्यादा पुरुषोत्तम बनना आवश्यक है ।

 

 ❉   मर्यादाओं का पालन आत्मा को चढ़ती कला का अनुभव कराता है इसलिए किसी भी परिस्थिति में मर्यादाओं का उल्लंघन नही होना चाहिए ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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