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❍ 01 / 12 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अपना चार्ट देखा की हमारे में कोई °अवगुण° तो नहीं है ?
‖✓‖ "°आप और बाप°" - ऐसे कंबाइंड रहे जो तीसरा कोई अलग न कर सके ?
‖✓‖ "हमारे °दुःख के दिन अब पूरे° हुए" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ °उतरती कला और चढ़ती कला° का राज़ बुधी में रहा ?
‖✗‖ °गोडली यूनिवर्सिटी° में एबसेंट तो नहीं ?
‖✗‖ "बाप से जो संपूरण पावन बनने की °प्रतिज्ञा° की है" - इसे तोडा तो नहीं ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °उदारचित° की विशेषता द्वारा अपने गुणों से दूसरों को गुणवान बनाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जैसे जोर-शोर की सेवा द्वारा सम्पूर्ण समाप्ति के समय को समीप ला रहे हो, ऐसे अब स्वयं को सम्पन्न बनाने का भी प्लैन बनाओ। अब धुन लगाओ कि कुछ भी हो जाए कर्मातीत बनना ही है। इसकी डेट अब फिक्स करो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ धुन लगाए रखी कि कुछ भी हो जाए °कर्मातीत° बनना ही है ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आधार और उद्धार मूर्त आत्मा हूं ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ उदारचित की विशेषता द्वारा अपने गुणों से दूसरों को गुणवान बनाने वाली मैं आधार और उद्धारमूर्त आत्मा हूँ ।
❉ उदारचित और सदा हर कार्य में फ्राखदिल बन मैं सबको सहयोग दे आगे बढ़ाती हूँ ।
❉ बाप द्वारा मिले सर्व खजानो और शक्तियों को खुले दिल से सर्व आत्माओं पर लूटा कर मैं सबको आप समान बनाती जाती हूँ ।
❉ सेवा की आधार स्वरूप बन मैं बाप दादा से सेवा में सहज सफलता का वरदान प्राप्त कर सफलतामूर्त बनती जाती हूँ ।
❉ स्व - परिवर्तन द्वारा सर्व आत्माओं के उद्धार के निमित बन मैं सबका कल्याण करती जाती हूँ ।
❉ अल्पकाल के आधार से, प्राप्तियों से, विधियों से थककर वास्तविक सहारा ढूंढने वाली आत्माओं को मैं मास्टर सहारेदाता बन सदाकाल का सहारा दे रही हूँ ।
❉ विश्व की आधार व उद्धारमूर्त आत्मा बन मैं सर्व आत्माओं को श्रेष्ठ अविनाशी प्राप्तियों की यथार्थ वास्तविक अनुभूति करवा रही हूँ ।
❉ बेहद विश्व की सर्व आत्माओं को इमर्ज कर अपने शुभ संकल्पों और श्रेष्ठ वाइब्रेशन्स द्वारा मैं सर्व आत्माओं का कल्याण करती रहती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारे दुख के दिन अब पूरे हुए, तुम अब ऐसी दुनिया में जा रहे हो जहां कोई भी अप्राप्त वस्तु नहीं"
❉ हमारे सुख और दुःख का कारण स्वयं हमारे द्वारा ही किये हुए कर्मो का फल है ।
❉ आज कलयुगी दुनिया रावण राज्य में सभी के कर्म आसुरी होने के कारण सबकी दुर्गति हो गई है, इसलिए सभी दुखी हैं ।
❉ सबको दुखो से छुड़ाने के लिए ही अब संगम युग पर परम पिता परमात्मा शिव बाबा आये हुए हैं और आ कर हमे दैवी धर्म और श्रेष्ठ कर्म सिखला रहें हैं । जिससे हम भविष्य नई दुनिया के मालिक बनेंगे ।
❉ इसलिए बाप आ कर हम बच्चों को धीरज देते हैं कि तुम्हारे दुःख के दिन अब पूरे हुए ।
❉ तुम अब ऐसी दुनिया में जा रहे हो जहां दुःख का नामो निशान भी नही होगा क्योकि वहां कोई भी अप्राप्त वस्तु होती नही ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ गॉडली यूनिवर्सिटी में कभी भी अब्सेन्ट नहीं होना है । सुखधाम का मालिक बनने की ऊंची पढ़ाई एक दिन भी मिस नहीं करनी है ।
❉ ये ऐसी गॉडली यूनिवर्सिटी है जिसमें भगवान स्वयं गुप्त रुप से अपने बच्चों को पढ़ाकर मनुष्य से देवता बना रहे हैं तो ऐसी ऊंच पढ़ाई को कभी मिस नही करनी है ।
❉ ये ऐसी यूनिवर्सिटी है जिसमें बच्चे बूढ़े सब एक ही पढ़ाई पढ़ते हैं । कितनी वंडरफुल पढ़ाई है । जैसे डाक्टरी की पढ़ाई पढ़कर डाक्टर बनते हैं तो ये पढ़ाई स्वयं भगवान पढ़ाते हैं तो आप समान ही भगवान भगवती ही बनाते हैं । इसलिए ऐसी ऊंच पढ़ाई में अब्सेन्ट नहीं होना है ।
❉ जैसे लोकिक पढ़ाई में एक दिन अब्सेन्ट होते हैं तो पढ़ाई मे पीछे हो जाते हैं व नुकसान हो जाता है फिर ये तो बेहद की पढ़ाई है व ऊंच ते ऊंच पढ़ाई है जिससे सुखधाम के मालिक बनते हैं तो ये पढ़ाई एक दिन भी मिस नही करनी है ।
❉ जब भगवान अपने बच्चों के लिए अपना धाम छोडकर पतितों की दुनिया में इस पुरुषोत्तम संगमयुग में पढ़ाने के लिए आता है व पढ़ाकर सुखधाम का मालिक बना रहा है तो मुझे भी पढ़ाई में कभी अब्सेन्ट नही होना है व अच्छी रीति पढ़कर धारण करना है ।
❉ भगवान स्वयं रोज वरदानों से हमारी झोली भरते हैं व जिस दिन अब्सेन्ट हुए तो पता नही उस दिन हम कौन से वरदानों से वंचित रह जायेंगे । बाबा द्वारा दिया एक एक ज्ञान रत्न बेशुमार कीमती है । इसलिए पढ़ाई एक दिन भी मिस नही कर करनी व अपना घाटा नहीं करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ उदारचित की विशेषता द्वारा अपने गुणों से दुसरो को गुणवान बनाने वाले आधार और उद्धारमूर्त होते है... क्यों और कैसे ?
❉ हद की बातो से निकल बेहद में रहना, लेने की जगह एक बाप के साथ कंबाइंड हो सबको देते जाना यह है उदारचित आत्मा की निशानी।
❉ "जैसा कर्म हम करते है, हमें देख और करेंगे" विश्व के इस रंगमंच पर हम हीरो पार्टधारी आत्माये है। सबकी नजरे हमेशा हम पर रहती है, इसलिए स्वयं गुणवान बनना है तभी हमें देख और आत्माये कॉपी करेंगे।
❉ हर कर्म हमारा कोई न कोई गुण का प्रेक्टिकल साबुत दे। हमें हमारे प्रेक्टिकल जीवन द्वारा हर गुण का अनुभव सबको कराना है, और वही गुण हमारे सम्बन्ध संपर्क वाले अपेही फॉलो करेंगे।
❉ जोतना हम उदार रहेंगे उतना ही न्यारे और सबके प्यारे बनेंगे। गुणमूर्त बन गुणों का दान करते जाना है। गुणों के सागर बाप के हम बच्चे ही मास्टर गुणों के सागर बने।
❉ अपने व्यवहार में सबके प्रति शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना रख, सबके गुणों को ही देखते ही सबके प्रति रहमदिल बनकर रहना है, सबको गुणों का दान करते जाना है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ " आप और बाप " दोनों ऐसा कंबाइंड रहो जो तीसरा कोई अलग कर न सके... कैसे ?
❉ एकाग्रता की शक्ति द्वारा मलिकपन की सीट पर सेट रहेंगे तो कम्बाइंड स्वरूप में रहना इतना सहज हो जाएगा कि कोई भी अलग नही कर सकेगा ।
❉ रूलिंग पॉवर और कंट्रोलिंग पॉवर द्वारा मन बुद्धि को जब चाहे बाहरी दुनिया से समेट कर एक बिंदु पर एकाग्र करने का अभ्यास जितना बढ़ाएंगे उतना " आप और बाप " की कम्बाइंड स्मृति में रहना सहज होगा ।
❉ बाहर के आकर्षणों के वशीभूत होने की बजाए जितना अंतर्मुखी रहने का अभ्यास होगा उतना एकांतवासी बन एक के अंत में खो जाने में आसानी होगी जिससे माया से सेफ रहेंगे और कम्बाइंड स्वरूप का अनुभव करते रहेंगे ।
❉ " एक बाप दूसरा ना कोई "ऐसी निरन्तर एक रस स्तिथि में रहने की अनुभूति सहज ही कम्बाइंड स्थिति में स्थित कर देगी जिसे अलग करना मुश्किल हो जायेगा ।
❉ किसी भी शक्तिशाली स्तिथि जैसे बीज रूप स्तिथि, फरिश्ता पन की स्तिथि अथवा अव्यक्त स्तिथि में स्तिथ रहने का निरन्तर अभ्यास कम्बाइंड स्वरूप की स्मृति का आधार बन जायेगा जिसे कोई भी अलग नही कर सकेगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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