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❍ 15 / 11 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °अंडरग्राउंड° (एकांतवासी) हो सागर के तले में जाने का अभ्यास किया ?
‖✓‖ संकल्पों को °सेकंड में कण्ट्रोल° करने का विशेष अभ्यास किया ?
‖✓‖ °मन, बुधी, संस्कार के अधिकारी° बन वरदानी मूर्त बनकर रहे ?
‖✓‖ "सेकंड में वर्से के अधिकारी बनने की °लाटरी° मिली" - इस नशे में रहे ?
‖✓‖ याद और सेवा दोनों के बैलेंस द्वारा °स्मृति स्वरुप° बनकर रहे ?
‖✓‖ आत्माओं को °हिम्मत देने और उल्लास° में लाने की सेवा की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ विशाल बुधी द्वारा °संगठन की शक्ति° को बढाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अभी संगठित रूप में लाइट-हाउस, माइट-हाउस बन शक्तिशाली वायब्रेशन्स फैलाने की सेवा करो। अभी अपनी वृत्ति को, वायब्रेशन, वायुमण्डल पावरफुल बनाओ। चारों ओर का वायुमण्डल सम्पूर्ण निर्विघ्न रहमदिल, शुभ भावना, शुभ कामना वाला बने तब यह लाइट-माइट प्रत्यक्षता के निमित्त बनेंगी।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ संगठित रूप में लाइट-हाउस, माइट-हाउस बन °शक्तिशाली वायब्रेशन्स° फैलाने की सेवा की ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सफलता स्वरूप आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ विशाल बुद्धि द्वारा संगठन की शक्ति को बढ़ाने वाली मैं सफलता स्वरूप आत्मा हूँ ।
❉ सबके विचारों को सम्मान देते हुए मैं संगठन की एकता को बनाये रखने में पूरा सहयोग देती हूँ ।
❉ अपनी विशाल बुद्धि द्वारा, एक समय में अनेक कार्य कर, मैं संगम युग के अमूल्य समय को सफल करती जाती हूँ ।
❉ समय की बचत और सेवा की फ़ास्ट गति मेरे पुरषार्थ की गति को तीव्र करती जाती है ।
❉ अभिमान व अपमान की फीलिंग को समाप्त कर निर्मान भाव से मैं संगठन में रह विश्व सेवा के कार्य में तत्पर रहती हूँ ।
❉ बाप समान रहमदिल, मास्टर दाता बन मैं सर्व आत्माओं को उंमग उत्साह से आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही हूँ ।
❉ अपने रहम की वृति और सर्व के प्रति शुभ भावना, शुभकामना रखते हुए मैं हर प्रकार की आत्मा के व्यवहार को सहज ही परिवर्तन कर देती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "स्मृति - स्वरूप का आधार याद और सेवा"
❉ ब्राह्मण जीवन का आधार ही है ' स्मृति - स्वरूप ' अर्थात हर कर्म में बाप की याद समाई रहे ।
❉ और स्मृति स्वरूप का मुख्य आधार है याद और सेवा ।
❉ जब याद और सेवा का बैलेंस होगा तो स्मृति स्वरूप बनना सहज हो जायेगा ।
❉ क्योकि याद और सेवा का बैलेंस होगा तो हर संकल्प में बाप की याद और हर कर्म में सेवा स्वत:समाई होगी ।
❉ जब बुद्धि में भी बाबा और मुख में भी बाबा होगा तभी स्मृति स्वरूप बन सदा बाप के स्नेही और सहयोगी बन सकेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ मन , बुद्धि , संस्कार के अधिकारी बन कर रहना है ।
❉ मन, बुद्धि और संस्कार ये तीनो आत्मा की सूक्ष्म शक्तियां हैं लेकिन इन तीनों के अधिकारी तभी बन सकते है जब देह अभिमान को त्याग कर अपने को आत्मा समझते हैं ।
❉ जब मन बुद्धि और संस्कार तीनों शक्तियों के अधिकारी हो जाते हैं तो स्वराज्य अधिकारी बन जायेंगे । जिसका स्व पर अधिकार नही वो राज्याधिकारी व विश्वाधिकारी भी नही बन सकता ।
❉ जब मन व बुद्धि पर अधिकारी होंगे तभी कर्मेन्द्रियों को कछुए की तरह समेटकर अपने स्वरुप में स्थित होकर देह से न्यारा व प्यारा रह सकते हैं ।
❉ मन, बुद्धि , संस्कार के अधिकारी बनकर रहना है।अगर एक भी शक्ति के ऊपर अधिकारी नही है तो वरदानी स्वरुप की सेवा जितनी करनी चाहिए नही कर पाते ।
❉ जब आत्मा मन बुद्धि संस्कार के अधिकारी होने पर इन्द्रियों को नियंत्रण मे रखने की , कर्तव्य और अकर्तव्तय का विचार कर अकर्त्तव्य से अलग रहने की और कर्त्तव्य को ठीक रीति से करने की शक्ति प्राप्त होती है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ विशाल बुद्धि द्वारा संगठन की शक्ति को बढ़ाने वाले सफलता स्वरुप बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ विशाल बुद्धि अर्थात त्रिकालदर्शी बन हर कर्म करने वाले जिनकी दृष्टि वृत्ति बेहद की हो। जो दुरान्देशी होते है, अपनी बुद्धि की शक्ति से सही व गलत का यथार्थ निर्णय ले पते है।
❉ संगठन को मजबूत बनाने का आधार है, एकमत, एकबल, एक भरोसा, अनेकता में भी एकता, एक बाप के सब बच्चो का देखना, सोचना, बोलना, करना सब समान हो।
❉ बालक सो मालिक का पाठ सबको पक्का हो, जितना अपनी राय देने में मालिक स्थिति उतना ही बालक बनकर सबके संकल्प को स्वीकार भी करने की सरलता।
❉ विशाल बुद्धि रख एक दो को सम्मान देना, सबको समान बनाना, बड़ा दिल रख सबकी बातो को अपने में समाना, बाप समान छोटो को भी प्यार से आगे रख आगे बढ़ाना जैसे बाबा ने हमेशा हम बच्चो को आगे रखा।
❉ त्याग, तपस्या और सेवा यही ब्राह्मण जीवन है। हमारा हर कर्म परिवार की एकता का हो, कभी कोई ऐसा कर्म नहीं करना जिससे कुल का नाम बदनाम हो। एक एक इट से मिलकर ही यह किला मजबूत बन सकता है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व सिद्धियां प्राप्त करने के लिए मन की एकाग्रता को बढ़ाओ... क्यों ?
❉ एकाग्रता की शक्ति संकल्पों को पावरफुल बना देती है और पॉवरफुल संकल्प आत्मा को सिद्धि स्वरूप बना देते हैं ।
❉ आने वाले समय प्रमाण अनेक प्रकार की हलचल के बीच एकाग्रता की शक्ति ही आत्मा को एकांतवासी स्तिथि का अनुभव करा कर,सिद्धि स्वरूप बना कर सर्वशक्तिमान् बाप की प्रत्यक्षता का आधार बनेगी ।
❉ संकल्पों की एकाग्रता विस्तार को सार में समा कर, मेहनत से मुक्त कर देती है और आत्मा को सिद्धि दाता बना कर श्रेष्ठ परिवर्तन की गति को फास्ट कर देती है ।
❉ किसी भी आत्मा को सेकण्ड में उड़ती कला का अनुभव वही आत्मा करवा सकती है जो उड़ती कला की अनुभवी हो, सिद्धि स्वरूप हो और इसके लिए जरूरी है एकाग्रता की शक्ति ।
❉ एकाग्रता की शक्ति बुद्धि की लाइन को क्लियर रखती है जिससे योग की गहन अनुभूति करते हुए आत्मा सर्व सिद्धियां प्राप्त कर लेती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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