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   22 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सदा सेवा पर उपस्थित रह °ओबीडीयेंट सर्वेंट° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °अधमो का भी उद्धार° करने की सेवा की ?

 

‖✓‖ अपनी °चलन° बहुत बहुत रॉयल राखी ?

 

‖✓‖ °पढाई का शौंक° रखा ?

 

‖✓‖ °मोह की रगें° तोड़ने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °वानप्रस्थ (वाणी से परे) अवस्था° में रहने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °पुरुषार्थ की गति° तीव्र और ब्रेक पावरफुल रखी ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जितना स्थापना के निमित्त बने हुए ज्वाला-रुप होंगे उतना ही विनाश-ज्वाला प्रत्यक्ष होगी। संगठन रुप में ज्वाला-रुप की याद विश्व के विनाश का कार्य सम्पन्न करेगी। इसके लिए हर सेवाकेन्द्र पर विशेष योग के प्रोग्राम चलते रहे तो विनाश ज्वाला को पंखा लगेगा। योग-अग्नि से विनाश की अग्नि जलेगी, ज्वाला से ज्वाला प्रज्जवलित होगी।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °ज्वाला-रुप° से विनाश-ज्वाला को प्रत्यक्ष किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं यथार्थ योगी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अपने पुरुषार्थ की तीर्व गति और पावरफुल ब्रेक द्वारा पास विद ऑनर बनने वाली मैं यथार्थ योगी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   संकल्पों की हलचल से परे, एक ही संकल्प में टिक कर, बुद्धि की एकाग्रता द्वारा मैं सब परिस्थितियों को अपने वश में करती जाती हूँ ।

 

 ❉   विस्तार में बिखरी हुई बुद्धि को आवश्यकता पड़ने पर एक सेकण्ड में स्टॉप लगा कर मैं जब चाहे एकाग्र कर लेती हूँ ।

 

 ❉   जितना समय चाहे उतना समय बुद्धि को एक ही संकल्प में स्थित करके मैं मन बुद्धि को बाप में लगा कर निरन्तर योगी बन जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा सदा एक बाप के साथ सर्व संबंधो की अनुभूति व प्राप्ति में मगन रहती हूँ जिससे पुरानी दुनिया के वातावरण से सहज ही उपराम रहती हूँ ।

 

 ❉   चलते-फिरते, खाते-पीते हर कर्म करते बुद्धि का योग सिर्फ एक बाप के साथ लगा कर मैं हर कर्म को सहज ही पूरा कर लेती हूँ।

 

 ❉   भले कैसी भी परिस्तिथि हो लेकिन सहज और यथार्थ योगी बन बाप की मदद से मैं हर परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती हूँ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप आये हैं इस वेश्यालय को शिवालय बनाने । तुम्हारा कर्तव्य है - वेश्याओ को भी ईश्वरीय सन्देश दे उनका भी कल्याण करना"

 

 ❉   भारत जब शिवालय था तो सुख, शान्ति और सम्पन्नता से भरपूर था, दुःख का नाम निशान नही था ।

 

 ❉   वही भारत विकारों में गिरने के कारण आज वेश्यालय बन गया है और इसलिए सभी दुखी हो गए हैं ।

 

 ❉   आज पूरी दुनिया में सभी मनुष्य मात्र विषय सागर में गोते खा रहें हैं ।

 

 ❉   इस वेश्यालय को फिर से शिवालय बनाने के लिए ही परम पिता परमात्मा शिव बाबा आये हैं ।

 

 ❉   हमारा भी कर्तव्य है कि बाप के इस कार्य में मददगार बनने के लिए सबको बाप का परिचय दे, वेश्याओं को भी बाप का सन्देश दे उनका कल्याण करें

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ जितना समय मिले एकांत में बैठ बाप को याद करना है । पढ़ाई का शौक़ रखना है । पढ़ाई से रूठना नहीं है ।

 

 ❉   पढ़ाई तो ब्राह्मण जीवन का आधार है । सुबह सुबह पढ़ाई गरम हलवे का काम करती है । पढ़ाई से ही 21 जन्मों के लिए अविनाशी कमाई जमा होती है ।

 

 ❉   जब पढ़ाई का शौक़ होता है तो हम ज्ञान की गहराई में जाते है व ज्ञान मंथन करते है तो हंस की तरह सागर मंथन कर मोती चुगते है तो ईश्वरीय जीवन में आगे बढ़ते है ।

 

 ❉  पढ़ाई से प्यार है तो बाबा से भी प्यार है । जब ज्ञान का मनन चिंतन करते रहते हैं तो बाबा की याद भी बनी रहती है व लगन भी बढ़ती जाती है ।

 

 ❉   ये रूहानी पढ़ाई ऊँच ते ऊँच है जिसको पढ़ने से विश्व का मालिक बनते हैं तो ऐसी ऊंच पढ़ाई का शौक़ तो होना चाहिए !

 

 ❉   जब भी समय मिले एकांत में बैठ एक की ही याद में बैठना है । याद में ही विकर्म विनाश होगें, आत्मा में बल भरेगा व पावन बन नयी दुनिया में जायेंगे ।

 

 ❉  लौकिक में टीचर से जो पढ़ाई पढ़ते है उससे अल्पकाल की कमाई होती है व इस पढ़ाई पर कितना ख़र्च करते हैं । संगमयुग पर भगवान स्वयं टीचर बनकर  पढ़ाते हैं तो इस पढ़ाई की कमाई से 21 जन्मों तक प्रालब्ध पायेंगे और इस रूहानी पढ़ाई पर कोई ख़र्चा भी नहीं होता ।

 

 ❉.  इस रूहानी पढ़ाई को कभी रूठकर छोड़ना नही है ।रूठे मतलब बाबा से प्यार नही।आपस में रूठकर बैठ जाने से अपना ही नुक्सान है ।जहाँ बाबा हमे इतनी ऊँची सीट पर बिठा रहे है वहाँ छोटी छोटी बातो में रूठ कर बाबा के निस्वार्थ प्यार को कभी भी ठुकराना नही है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ पास विथ ऑनर बनने के लिए पुरुषार्थ की गति तीव्र और ब्रेक पावरफुल रखने वाले यथार्थ योगी कहलाते है... क्यों और कैसे ?  

 

 ❉   पास विथ ऑनर होना अर्थात योगबल द्वारा अपने सभी विकार्मो को ख़त्म कर अष्ट रत्नों की माला में आना। बाप समान बनकर बाप के साथ सजनी बनकर घर जाना और फिर नारायण की गद्दी पर बेठना।

 

 ❉   इतना उचा पद पाना कोई मासी का घर नहीं है, इतनी उची मंजिल प्राप्त करने के लिए लम्बे समय के अभ्यास की आवश्यकता है।

 

 ❉   अब सिर्फ पुरुषार्थ का समय नहीं है ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है। अभी भी सिर्फ चलते रहेंगे तो पहुच नहीं सकेंगे अब उड़ना पड़ेगा।

 

 ❉   अब कलयुग का भी अंत चल रहा है समय बहुत कम है रिजल्ट डिक्लेअर होने का और कदम कदम पर माया के जाल बीछे हुए है, इसे में व्यर्थ सकल्पों को ब्रेक लगाना भी आना।

 

 ❉   जैसे सुपर सोनिक एयरोप्लेन जितना गति से उड़ते है उतना ही पावरफुल उनका ब्रेक भी होता है, वैसे ही आत्मा भी राकेट है। लम्बी मंजिल कम समय में पार करने के लिए जितना तीव्र पुरुषार्थ करो उतना पावरफुल ब्रेक भी हो।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ आप ओबीडियेंट सर्वेन्ट हो इसलिए अलमस्त नही हो सकते । सर्वेन्ट माना सदा सेवा पर उपस्थित... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सेवा में याद का बैलंस होगा तो निमित पन की स्मृति सदैव हल्के पन की अनुभूति करवाती रहेगी जिससे सेवा में थकावट का अनुभव नही होगा और ओबीडियेंट सर्वेन्ट बन सदा सेवा पर उपस्थित रहेंगे ।

 

 ❉   जब हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त तरीके से करेंगे तो निरन्तर योगी और सहजयोगी स्थिति में स्थित रह कर सेवा में तत्पर रहेंगे, कभी अलमस्त नही होंगे ।

 

 ❉   निश्चयबुद्धि और योगयुक्त हो कर जब सेवा करेंगे तो आलस्य और अलबेलेपन से मुक्त रहेंगे और सेवा पर सदा उपस्थित रह सकेंगे ।

 

 ❉   जहां एक बल एक भरोसा होगा वहाँ परमात्म मदद का अनुभव स्वत: ही होगा और परमात्मा से मिलने वाली मदद सेवा में सफलतामूर्त बना देगी ।

 

 ❉  स्वमान की सीट पर सेट रह कर जब सेवा के क्षेत्र में आयेंगे तो ओबीडियेंट सर्वेन्ट बन हर सेवा में सदा उपस्थित रहेंगे, कभी भी अलमस्त नही बनेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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