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❍ 29 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °मंदिरों° आदि को देखते यह स्मृति में रहा की यह सब हमारे ही यादगार हैं ?
‖✓‖ "अभी हम °लक्ष्मी नारायण° बन रहे हैं" - यह स्मृति में रहा ?
‖✓‖ "यह °ड्रामा का खेल° एक्यूरेट चल रहा है" - यह यथार्थ रीति समझा ?
‖✓‖ ज्ञान तलवार में °याद का जोहर° भरा ?
‖✓‖ गृहस्थ व्यवहार में रहते °कमल फूल समान° बनकर रहे ?
‖✓‖ हंस और बगुले साथ हैं तो बहुत °युक्ति° से चले ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सर्व समस्याओं की °विदाई का समारोह° मन समाधान स्वरुप बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अभी समय प्रमाण वृत्ति से वायुमण्डल बनाने के तीव्र पुरुषार्थ की आवश्यकता हैं इसलिए वृत्ति में जरा भी किचड़ा न हो, तब प्रकृति तक आपका वायब्रेशन जायेगा और वायुमण्डल बनेगा इसलिए हर एक की विशेषताओं को देखो और अपनी वृत्ति को सदा शुभ रखो। इसके लिए याद रखो कि 'दुआ देना है और दुआ लेना है' कोई भी निगेटिव बात एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °दुआएं° दी और दुआएं ली ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा समाधान स्वरूप हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सर्व समस्याओ की विदाई का समारोह मनाने वाली मैं आत्मा समाधान स्वरूप हूँ ।
❉ जैसे -जैसे मैं सम्पूर्णता की और बढ़ती जाती हूँ, सभी समस्याएं मुझे बचपन का खेल अनुभव होती जाती हैं ।
❉ समाधान स्वरूप बन, मैं अपनी सभी समस्यायों को आधा कल्प के लिए समाप्त करती जाती है ।
❉ दाता पन की सीट पर सेट हो कर सर्व आत्माओं को रहम की अंजली देकर उन्हें सर्व समस्याओं से मुक्त करती जाती हूँ ।
❉ बाबा से मिले सर्व खजानो और सर्व प्राप्तियों की अथॉरिटी से, मैं आत्मा सिद्धि स्वरूप बन हर कार्य में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ विश्व सेवा के कार्य को सदा स्मृति में रख, रहमदिल और महादानी बन सर्व आत्माओं की समस्यायों के समाधान द्वारा विश्व परिवर्तन के कार्य में सहयोगी बनती जाती हूँ ।
❉ सर्व भटकती हुई आत्माओं को ठिकाना मिल जाये, सभी का कल्याण हो जाये, यही शुभ भावना रखते हुए मैं सबको बाप का परिचय देती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - यह ड्रामा का खेल एक्यूरेट चल रहा है, जिसका जो पार्ट जिस घड़ी होना चाहिए, वही रिपीट हो रहा है, यह बात यथार्थ रीति समझना है"
❉ यह सृष्टि एक बहुत बड़ा विशाल ड्रामा हैं और हम सभी इस ड्रामा के खेल में पार्ट बजाने वाले पार्टधारी ।
❉ सृष्टि रूपी इस ड्रामा के खेल में हर आत्मा का अपना अपना पार्ट नुंधा हुआ है । और उसी अनुसार सभी अपना पार्ट बजा रहे हैं ।
❉ ड्रामा का यह खेल बिलकुल एक्यूरेट चल रहा है, जिस घड़ी जिसका जो पार्ट होना चाहिए, वही रिपीट हो रहा है ।
❉ परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने स्वयं आ कर हम आत्माओ को इस सृष्टी चक्र के आदि, मध्य और अंत का राज बताया है।
❉ अब हमारी बुद्धि में ड्रामा का यह सारा राज है, इसलिए ड्रामा के इस राज को यथार्थ रीति समझ कर हमे हर परिस्थिति में हर्षित रहना है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान रहना है ।
❉ गृहस्थ परिवार में रहते सर्व सम्बंध निभाते आत्मा आत्मा भाई भाई की दृष्टि रखते हुए कमल पुष्प समान न्यारा और प्यारा रहना है ।
❉ जब भगवान हमें स्वयं रोज पतित दुनिया में पढ़ाने आते हैं व इस पढ़ाई से हम देवी देवता बनेंगे तो देवी देवता की तरह हमें भी गृहस्थ परिवार में रहते हुए न्यारा और प्यारा रहना है ।
❉ बाबा कहते हैं इस अंतिम जन्म में पवित्र रहो तो 21 जन्मों के लिए राजाई पद प्राप्त करोगे तो हमें अपने परमपिता की श्रीमत पर चलते हुए गृहस्थ परिवार में रहते हुए कमल फूल समान रहना है ।
❉ जैसे कमल पुष्प कीचड़ में रहते अपने ऊपर कीचड़ की एक बूँद भी नहीं लगने देता बल्कि अपने को देवी देवता की पूजा लायक बनाता है ऐसे ही गृहस्थ व्यवहार में रहते अपने को मनसा वाचा कर्मणा पवित्र बनाना है ।
❉ अपनी चलन होली हंस की तरह राॅयल रखनी है जैसे हंस बगुलों में रहते फिर भी अपनी राॅयलटी को नहीं छोड़ते । हमें भी गृहस्थ व्यवहार में रहते बड़ी युक्ति से अपनी पवित्रता को बनाये रखना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व समस्याओ की विदाई का समारोह मनाने वाले समाधान स्वरुप बनकर रहना है... क्यों और कैसे ?
❉ "मै विघ्न विनाशक हु" यह स्वमान बाबा ने हम बच्चो को दिया है। इस स्वमान में स्थित रहकर हम जीवन की कैसे भी कठिन समस्या को सहज ही समाप्त कर सकते है।
❉ हम भगवान के बच्चे है, स्वयं भगवान हमारी पालना कर रहा है, हमारी जिम्मेदारी बाप ने ली है तो हमें किस बात की चिंता? यदि हम ही चिंता में उलझे रहेंगे तो दुनिया की आत्माओ का क्या होगा?
❉ "अब हमारे सुख के दिन आये की आये" अब सभी समस्याओ का विदाई देने का समय आ गया है, परमात्मा हमें मिल गया अब समस्या स्वरुप नहीं परन्तु समाधान स्वरुप बनकर रहना है।
❉ परमात्मा ने अपनी सर्व शक्तियाँ हमें विल करदी है, हमारे सामने माया अब वार करने नहीं परन्तु हमें नमस्कार करने आनी चाहिए। मास्टर सर्व शक्तिमान के आगे कोई भी पहाड़ जैसी बात राई समान दिखाई देगी।
❉ सब समस्याओ की वजह है देह अभिमान अब बाप ने हम बच्चो को समझा दिया है की बच्चे देहि अभिमानी होकर रहना ही सर्व समस्याओ का हल है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ जो सदा ज्ञान का सिमरण करते हैं वे माया की आकर्षण से बच जाते हैं... कैसे ?
❉ ज्ञान का सिमरण बुद्धि की लाइन को क्लियर रखता है जिससे योग की गहन अनुभूति होती है, आत्मा हर्षित रहती है और माया के आकर्षण से बची रहती है ।
❉ जितना स्वयं को ज्ञान के सिमरण में बिजी रखते हैं, उतना माया के प्रभाव से मुक्त रहते है और परमात्म मौज का अनुभव कर सदैव हर्षित रहते हैं ।
❉ ज्ञान का सिमरण आत्मा को बल प्रदान कर उसे शक्तिशाली बनाता है जिससे आत्मा माया पर विजय प्राप्त कर, सहज ही उड़ती कला के अनुभव द्वारा आनन्द के झूले में झूलती रहती है
❉ जितना ज्ञान का सिमरण मन में चलता रहता है उतना ही धारणाओं में वृद्धि होती जाती है और स्थिति शक्तिशाली बनती जाती है जो आत्मा को माया के आकर्षणों से मुक्त रखती है ।
❉ ज्ञान का सिमरण आत्मा को परमात्म शक्तियों का अनुभव कराता है और इन प्राप्तियों की स्मृति आत्मा को मायाजीत बना कर, परम आनन्द से भरपूर कर देती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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