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   11 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपने °घर और राजधानी° को याद कर अपार खुशी में रहे ?

 

‖✓‖ "हम इस पढ़ाई से °स्वर्ग की पटरानी° बनते हैं" - इसी आन्तरिक खुशी में रहे ?

 

‖✓‖ °आत्मिक शक्ति° के आधार पर सदा स्वस्थ रहने का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ °आत्म-अभिमानी° बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ किया ?

 

‖✓‖ विकारों रूपी °माया के चम्बे से बचकर° रहे ?

 

‖✗‖ याद की यात्रा में °ग॰फलत° तो नहीं की ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °एकरस स्थिति° द्वारा सदा एक बाप को फालो कर प्रसन्नचित रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  योग में सदा लाइट हाउस और माइट हाउस की स्थिति का अनुभव करो। ज्ञान है लाइट और योग है माइट। ज्ञान और योग-दोनों शक्तियां लाइट और माइट सम्पन्न हो-इसको कहते हैं मास्टर सर्वशक्तिमान। ऐसी शक्तिशाली आत्मायें किसी भी परिस्थिति को सेकण्ड में पार कर लेती हैं।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ सदा °लाइट हाउस और माइट हाउस° की स्थिति का अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं प्रसन्नचित आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   एकरस स्थिति द्वारा सदा एक बाप को फ़ॉलो करने वाली मैं प्रसन्नचित आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं बाप समान सदा सुख के सागर में लवलीन रहती हूँ ।

 

 ❉   ब्रह्मा बाप के जीवन रूपी कंप्यूटर को देख मैं सहज ही क्या, क्यों की क्यू से बाहर निकलती जाती हूँ ।

 

 ❉   क्या और कैसे के प्रश्नो को ऐसे में बदल मैं सहज ही समाधान स्वरूप बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   प्रश्नचित की बजाए प्रसन्नचित बन उमंग उत्साह से भरपूर हो कर मैं सर्व आत्माओं  को उमंग उत्साह से भरपूर कर देती हूँ ।

 

 ❉   अपने प्रसन्नचित स्वभाव के कारण हर कार्य में सफलता की ऊंचाइयों को छूने वाली मैं सदा सफलतामूर्त आत्मा बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   सुखदाता बाप की सन्तान मैं आत्मा मास्टर सुखदाता बन सर्व आत्माओं को सुख का खजाना बाँटती रहती हूँ ।

 

 ❉   बाप दादा के प्यार भरे संकल्पों को कैच कर, सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों की अनुभवी बन मैं सर्व आत्माओं को रूहानियत से भरपूर कर देती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अपनी सेफ्टी के लिए विकारों रूपी माया के चम्बे से सदा बच कर रहना है, देह - अभिमान में कभी नही आना है"

 

 ❉   इस कलयुगी रावण राज्य में एक भी मनुष्य ऐसा नही है जो सेफ हो अर्थात विकारों से बचा हुआ हो ।

 

 ❉   सभी 5 विकारों रूपी माया रावण की कैद में बुरी तरह से फंसे हुए है ।

 

 ❉   इन विकारों रूपी माया के चंगुल से निकलने का केवल एक ही उपाय है और वह उपाय है परम पिता परमात्मा बाप की याद ।

 

 ❉   परमात्मा बाप की याद ही माया से सेफ्टी का सहज साधन है । किन्तु बाप की याद तभी रहेगी जब देह - अभिमान में नही आएंगे ।

 

 ❉   इसलिए बाप समझाते हैं कि अपनी सेफ्टी के लिए विकारों रूपी माया के चम्बे से सदा बच कर रहो, देह - अभिमान में कभी नही आओ ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ अपने घर और राजधानी को याद कर अपार ख़ुशी में रहना है ।

 

❉   इस कल्याणकारी संगमयुग पर भगवान ने स्वयं हमें अपना बच्चा बना कर अज्ञान रूपी अंधेरे से निकालकर ज्ञान का तीसरा नेत्र दिया व श्रीमत दी कि अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को याद करो ।

 

❉   जब बाप को याद करते हैं तो घर की याद स्वत: ही आती है व खुशी रहती है कि अब घर जाना है व फिर वहाँ से राजधानी जाना है ।

 

❉   ये दुनिया तो झूठी है व अब हमें मायावी दुनिया से पार जाना है । पुरानी दुनिया का विनाश होना है तभी तो नयी दुनिया आयेगी व हम अपने घर मे जायेंगे ।

 

❉   हम इस पुरानी दुनिया में पार्ट बजाने आये हैं जैसे नाटक में हीरो अपना पार्ट बजाकर अपने घर वापिस जाता है व अपने घर जाने की ख़ुशी होती है । इसीप्रकार हमारा भी यहाँ पार्ट पूरा हुआ व हमें अपने घर और राजधानी को याद कर ख़ुशी में रहना है ।

 

❉   स्वयं भगवान हमें रोज पढ़ाने आते हैं व इस पढ़ाई को पढ़कर ही हम मनुष्य से देवता बनते हैं व नयी दुनिया के लिए राजाई पद प्राप्त करते हैं तो हमें ख़ुशी में रहना है ।

 

❉   ये दुनिया तो दुखधाम है व बाबा हमें  सुखधाम का मालिक बना रहे हैं जहाँ अथाह सुख ही सुख है तो हमें हमेशा बाबा की याद में रहना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ एकरस स्थिति द्वारा सदा एक बाप को फॉलो करने वाले सदा प्रसन्नचित्त रहते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो कायदे में रहता है वही फायदे में रहता है।ईश्वरीय श्रीमत पर चलने वाला बाप का सपूत बच्चा होता है, उनकी गारंटी बाप स्वयं लेते है। "जो बाप का ध्यान करते है उनका ध्यान रखने की जिम्मेदारी बाप की है"।

 

 ❉   "फॉलो फादर" यह श्रेष्ठ युक्ति है अपने जीवन को श्रेष्ठ व सुन्दर बनाने की। कोई मेहनत करने की आवश्यकता नहीं बस जैसा बाप ने किया वैसा हमें कॉपी करना है, उनके कदमो पर कदम रखना है। अपने जीवन के लक्ष्य को इतना महान बना दो की व्यर्थ के लिए समय ही न बचे।

 

 ❉   कोई भी कर्म करते सिर्फ इतना सोचो की ब्रह्मा बाप होते तो क्या करते, जो कदम हमने रखा क्या वो ब्रह्मा बाप का कदम होता? तुरन्त सही मार्ग मिल जायेगा। और सच की नैया हिलेगी डुलेगी परन्तु डूबेगी कभी नहीं।

 

 ❉   कोई भी बात समझ न आये तो टेंशन लेनें की जगह स्वयं पर अटेंशन रख बाप को सौप दो।" बाबा बेठा है" वह मददगार बच्चो की मदद करने के लिए बंधा हुआ है तो हमारी स्थिति कभी डगमग नहीं होगी सदा एकरस रहेंगे।

 

 ❉   सर्व शक्तिमान बाप, हजार भुजाओ से हमारे साथ है तो फिर क्या फिकरात, संगमयुग के मौजो के समय में मौज करते रहो, बेफिक्र बादशाह बन उमंग उत्साह के पंख लगाये उढ़ते रहो।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ आत्मिक शक्ति के आधार पर सदा स्वस्थ रहने का अनुभव करो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सभी बातों से किनारा कर केवल एक बाप की याद में रहेंगे तो स्वयं को आत्मिक शक्ति से सम्पन्न कर सदा स्वस्थ अनुभव करेंगे ।

 

 ❉   साधना द्वारा जब ज्ञान, योग और धारणा को अपना बना कर आत्मिक शक्तियो को इमर्ज करेंगे तो यह आत्मिक बल सदा स्वस्थता का अनुभव करायेगा ।

 

 ❉   चिंतन को जब शुद्ध और श्रेष्ठ बना कर प्रभु प्रेम में मग्न रहेंगे तो परमात्म बल आत्मिक शक्तियों को उजागर कर तन और मन दोनों को स्वस्थ अनुभव करायेगा ।

 

 ❉   सदा अपनी श्रेष्ठ स्थिति और श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहेंगे तो आत्मिक शक्तियों के आधार पर स्वयं को सदा स्वस्थ अनुभव करेंगे ।

 

 ❉   निर्संकल्प अवस्था में स्थित हो अतीन्द्रिय सुख की गहन अनुभूति में जब खो जायेंगे तो शक्ति स्वरूप बन स्वयं को स्वस्थ अनुभव करेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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