━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 13 / 03 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ °ख़ुशी° में चलते फिरते पैदल करते बाप को याद किया ?
‖✓‖ "मैं मास्टर °आदि देव हूँ.. ईश्वरीय रतन हूँ°" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ धोखा खाने से पहले °माया को परखकर° स्वयं को बचाया ?
‖✓‖ °रहमदिल° बन पढाई पडी और पढाई ?
‖✗‖ ऐसा कोई कर्म तो नहीं किया, जो °दिल अन्दर खाती रहे°, पश्चाताप करना पड़े ?
‖✗‖ पतित बन °बुधी को मलीन° तो नहीं किया ?
‖✗‖ किसी भी °आदत के वश° हो अपना रजिस्टर खराब तो नहीं किया ?
───────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)
‖✓‖ °आदि रतन° की स्मृति से अपने जीवन का मूल्य जाना ?
───────────────────────────
✺ अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-
➳ _ ➳ चारों ओर के बच्चों को बापदादा तीव्र पुरुषार्थी भव कहते हुए यादप्यार दे रहे हैं। सदा अमृतवेले उठते तीव्र पुरुषार्थी भव का यादप्यार याद रख आगे बढ़ते चलना क्योंकि बाप का हर बच्चे से प्यार है। भले स्टेज पर थोड़े आते हैं लेकिन बापदादा सभी बच्चों को दूर से ही दिल का यादप्यार दे रहे हैं।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
‖✓‖ बापदादा से “°सदा अमृतवेले उठते तीव्र पुरुषार्थी भव°” का वरदान स्वीकार कर इस वरदान को स्वरुप में लाया ?
───────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ मैं सदा समर्थ आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं आत्मा आदि रतन, मास्टर आदि देव हूँ।
❉ मैं आत्मा प्रभु की रतन, ईश्वरीय रतन हूँ।
❉ मैं आत्मा अपने इस अनमोल जीवन की वैल्यू से सम्पूरण रूप से अवगत हूँ।
❉ सदा समर्थ सर्वशक्तिवान परम पिता परमात्मा बाप की छत्रछाया मेरे ऊपर है।
❉ बाबा से मिलने वाला रूहानी स्नेह मुझे सहज ही व्यर्थ से मुक्त कर समर्थ आत्मा बना देता है।
❉ समर्थ आत्मा बन, श्रेष्ठ संकल्पों की पूंजी जमा कर शुभ चिंतन द्वारा मैं सर्व आत्माओं का कल्याण कर सर्व की स्नेही आत्मा बन जाती हूँ।
───────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)
➢➢ "मीठे बच्चे - ख़ुशी जैसी खुराक नही, तुम ख़ुशी में चलते फिरते पैदल करते बाप को याद करो तो पावन बन जायेंगे"
❉ गाया जाता है ख़ुशी जैसी खुराक नही यानि ख़ुशी वह खुराक है जो सभी समस्याओं से मुक्त कर देती है।
❉ इस पतित विकारी दुनिया में तो ख़ुशी है नही।लेकिन हम ब्राह्मण बच्चों को तो स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने आ कर अथाह ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न कर दिया है।
❉ इसी ख़ुशी में बाप की याद में रह हर कर्म करते रहें और बाप की याद में दूर तक पैदल चलें जाएँ तो भी थकेगें नही क्योकि बाप की याद में चलते - चलते शरीर भी भूल जायेगा।
❉ बाप की याद से ही विकर्म विनाश होंगे और आत्मा पावन बनेगी।
❉ इसलिए सदा ख़ुशी में रह स्वयं को आत्मा समझ चलते फिरते हर कर्म करते बाप को याद कर पावन जरूर बनना है।
───────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)
➢➢ अपनी ऊँची तक़दीर बनाने के लिए रहमदिल बन पढ़ना और पढ़ाना है।
❉ हम पद्मापद्म भाग्यशाली है कि हमें स्वयं भगवान दूर देश से पतित दुनिया में पढ़ाने के लिए आते हैं। बहुत ख़ुशी रहनी चाहिए।
❉ जैसे बाप रहमदिल है अपने बच्चों से कितना प्यार करते हैं! हमें भी बाप के प्यार का रिटर्न बाप समान रहमदिल बन आप समान बनाना है।
❉ बाप कभी ऐसा नहीं कहते कि तुम मेरी बात नहीं मानते तो मैं तुम्हें नहीं पढ़ाता। वह रोज़ चार पेज के पत्र द्वारा अपनी बातें सुनाते हैं व पतित से पावन बनाने के लिए हमें रोज़ पढ़ाते है। हमें उसे अच्छी रीति पढ़कर रहमदिल बन दूसरों को पढ़ाना है।
❉ ऊँची तक़दीर बनाने के लिए ऊंच ते ऊंच पढ़ाई को पढ़कर 21 जन्मों के लिए भाग्य राज्य लेना है।
❉ बेहद का बाप हमारा टीचर है व अच्छी पढ़कर इसी नशे में रहने से पास विद आनर आकर 108 की माला का दाना बनकर अपनी ऊँची तक़दीर बना रहमदिल बन दूसरों को भी पढ़ाना है।
❉ पढ़ाई की कमाई के साथ-साथ श्रीमत पर चल पूरा वर्सा लेने का पुरूषार्थ कर पढ़ना और दूसरों को पढ़ाना है।
───────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)
➢➢ आदि रत्न की स्मृति से अपने जीवन का मुल्य जानने वाले सदा समर्थ होते है... क्यों और कैसे ?
❉ यह स्मृति से हमें हमारे कर्तव्यों का फुरना रहेगा।
❉ इससे हमारा स्वयं पर फुल अटेंशन रहता है, कोई अलबेलापन नहीं होता।
❉ अपने भाग्य की ख़ुशी में मग्न रहते है।
❉ माया के वार से हार नहीं खाते, हिम्मत हुल्लास रहता है।
❉ क्योकी वह आत्माये सदेव बाप से अपना कनेक्शन जोड़े रखती है।
───────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)
➢➢ ज्ञानी तू आत्मा वह है जो धोखा खाने से पहले परखकर स्वयं को बचा ले... कैसे ?
❉ परखने की शक्ति होगी तभी ज्ञानी तू आत्मा बन समस्या को आने से पहले परख कर उसका सामना कर सकेंगे।
❉ ज्ञानी तू आत्मा परखने की शक्ति द्वारा जैसा समय वैसा स्वरूप धारण कर स्वयं को धोखा खाने से बचा लेगी।
❉ ज्ञानी तू आत्मा हर समस्या को पहले से परख कर अपने समय और शक्ति को बचा लेगी।और अपनी शक्ति द्वारा धोखा खाने से बच जायेगी।
❉ ज्ञानी तू आत्मा बालक और मालिकपन की स्मृति द्वारा हर परिस्तिथि को परख कर सफलता मूर्त बन धोखा खाने से सदैव बच जायेगी।
❉ मन का संकल्प वा बुद्धि की जजमेंट तभी सही होगी जब परखने की शक्ति होगी।तभी ज्ञानी तू आत्मा बन समाधान स्वरूप बन सकेंगे और स्वयं को धोखे से बचा सकेंगे।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━