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    14 / 04 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °युक्तियुक्त व यथार्थ° सेवा की ?

‖✓‖ ट्रायल करके देखा की °कर्म में कितना समय बाप की याद° रही ?

‖✓‖ मीठे माशूक को °बहुत प्यार से याद° किया  ?

‖✓‖ महीन बुधी से °ड्रामा° के राज़ को समझने की कोशिश की ?

‖✓‖ °अंतर्मुखी° बनकर रहे ?

‖✓‖ °चलन रॉयल° और शानदार रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

‖✓‖ °शुधि की विधि° द्वारा किले को मज़बूत किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

➳ _ ➳  मन को पहले परमधाम में लेके आओ, फिर सूक्ष्मवतन में फरिश्तेपन को याद करो फिर पूज्य रूप याद करो, फिर ब्राह्मण रूप याद करो, फिर देवता रूप याद करो । सारे दिन में चलते फिरते यह 5 मिनट की एक्सरसाइज करते रहो । इसके लिए मैदान नहीं चाहिए, दौड़ नहीं लगानी है, न कुर्सी चाहिए, न सीट चाहिए, न मशीन चाहिए । सिर्फ शुद्ध संकल्प का स्वरूप चाहिए ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

‖✓‖ दिन भर बार बार °5 स्वरूपों का अभ्यास° किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सदा विजयी और निर्विघन आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में रह कर हर कर्म करने वाली सदा विजयी और निर्विघ्न आत्मा हूँ ।

 ❉   मैं आत्मा योगबल के द्वारा अपने किले को सदा मज़बूत बनाकर रखती हूँ ।

 ❉   जीवन में आने वाली हर परिस्तिथि को मैं योगबल और पवित्रता के बल से सहज पार कर लेती हूँ ।

 ❉   कोई भी कार्य करते हुए मैं सदा शुद्धि की विधि को अपनाती हूँ... शुद्ध संकल्पों में स्थित रहती हूँ ।

 ❉   इन शुद्ध संकल्पों की शक्ति द्वारा मैं हर विघ्न को पार करने में सफल हो जाती हूँ ।

 ❉   जिससे मेरा किला सदा मज़बूत रहता है और मैं आत्मा सदा विजयी और निर्विघन अवस्था का अनुभव करती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - हर एक की नब्ज देख पहले उसे अल्फ का निश्चय कराओ फिर आगे बढ़ो, अल्फ के निश्चय बिना ज्ञान देना टाइम वेस्ट करना है"

 

❉   किसी भी बीमारी का ईलाज करने के लिए पहले पहले डॉक्टर मरीज़ की नब्ज देखता है, उसके बाद उसका ईलाज शुरू करता है ।

 ❉   ठीक इसी प्रकार हम ब्राह्मण बच्चों को भी किसी भी आत्मा को ज्ञान सुनाने से पहले उसकी नब्ज देखनी है अर्थात चेक करना है कि उसमे सुनने - समझने की कितनी जिज्ञासा है ।

 ❉   सबसे पहले उसे अल्फ अर्थात अल्लाह यानि भगवान का निश्चय कराना है । उसकी बुद्धि में पहली मुख्य बात यही बिठानी है कि भगवान कौन है ?

 ❉   जब तक परमात्मा बाप की पहचान ना मिले तब तक कोई की बुद्धि में कुछ भी बैठना मुश्किल है । पहचान मिले तभी भक्ति मार्ग के शास्त्रों का खण्डन हो ।

 ❉   इसलिए पहले पहले सभी को अल्फ का निश्चय कराओ फिर आगे बड़ो अर्थात सृष्टि चक्र, आत्मा के 84 जन्मों का राज आदि सब बातें सुनाओ । जब तक अल्फ का निश्च्य ना हो तब तक आगे ज्ञान देना टाइम वेस्ट करना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)

 

➢➢ याद में रहने से ही कल्याण है, मीठे माशूक़ को बहुत प्यार से याद करना है, याद का चार्ट रखना है।

 

 ❉   हम 63 जन्मों से विकर्म करते अपने आप को ही भूल गए व पतित हो गए कि हम कौन है ? इस संगम युग पर ही परमात्मा ने ज्ञान दिया कि हम आत्मायें है व हम सब आत्माओं का पिता एक ही है परम आत्मा यानि सदा शिव कल्याणकारी ।

 ❉   इस समय पर हमारे परमपिता परमात्मा ने एक जादुई मंत्र दिया है वह है मनमनाभव- अपने को आत्मा समझ मुझे मन ही मन याद करो। याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे व आत्मा को बल मिलेगा।

 ❉   जिससे प्यार होता है तो उसकी याद स्वत: ही आती है। बाप से जिनका लव होगा तो श्रीमत पर भी चलेंगे और ख़ुशी में रहेंगे।

 ❉   जैसे किसी की सगाई होती है ते वह सगाई होते ही अपने माशूक़ से दूर बोने पर भी दिन रात उसकी याद में रहती है उसीप्रकार हमारी भी शिव बाबा भी हमारा मीठा माशूक़ है व सगाई हुई है तो हमारी याद भी मीठी कभी न भूलने वाली होनी चाहिए।

 ❉   हम कितना समय बाबा की याद में रहते हैं ये सच्चा सच्चा चार्ट ज़रूर रखना है। जितना याद में रहेंगे उतना ही ऊँचा पद पाएँगे व यही अविनाशी कमाई ही साथ जायेगी।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

 

➢➢ शुद्धि की विधि द्वारा किले को मजबूत करने वाले स्वयं को सदा विजयी और निर्विघ्न अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   इस अश्वमेघ रूद्र ज्ञान यज्ञ में हमें अपने विकारो की सम्पूर्ण आहुति देना है और आत्मा को शुद्ध बनाये विजय भव का वरदान प्राप्त करना है।

 ❉   परमात्मा की याद से मन बुद्धि को शुद्ध बनाना है और इतनी द्रणता धारण करनी है जो हम अंगद मिसाल बन जाये।

 ❉   "मन के हारे हार और मन के जीते जीत" हमें मन को शुद्ध बनाना है ताकि कोई भी परिस्थिति में हम विचलित न हो हिम्मत हुल्लास से आगे बढ़ते रहे।

 ❉   जब किला मजबूत होगा अर्थात हम सभी ब्राह्मण बच्चो के समान संकल्प होंगे तो हमारे वाइब्रेशन से वायुमंडल की शुद्धि होगी और हम सभी विजयी निर्विघ्न बन जायेंगे अर्थात नयी दुनिया आ जाएगी।

 ❉   जो श्रीमत द्वारा स्वयं की स्वयं की शुद्धि करता है तो उसकी नेगेटिव संकल्प, व्यवहार, कर्म ख़त्म होती जाते है, और आत्मा शुद्ध होने से शक्तिशाली होती जाती है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

 

➢➢ युक्तियुक्त और यथार्थ सेवा का प्रत्यक्षफल है ख़ुशी... कैसे ?

 

 ❉   युक्तियुक्त और सहज सेवा सर्व की दुआओं का पात्र बना कर जीवन को अनमोल ख़ुशी प्रदान करती है ।

 ❉   युक्तियुक्त और यथार्थ तरीके से की गई सेवा बुद्धि को शुद्ध, सुजाग बना कर सफलतामूर्त बना देती है । और सेवा में सफलता मन को अलौकिक ख़ुशी से भरपूर कर देती है ।

 ❉   युक्तियुक्त और यथार्थ सेवा जमा का खाता बढ़ा कर, उड़ती कला में ले जाती है और मन को खुश और तृप्त कर देती है ।

 ❉   युक्तियुक्त और यथार्थ भाव से की गई सेवा शीघ्र ही फलीभूत हो कर मन को  सच्चे आनन्द और ख़ुशी से भर देती है ।

 ❉   युक्तियुक्त और निष्काम भाव से की गई सेवा प्रभु प्रिय बना देती है जिससे सेवा का प्रत्यक्ष फल ख़ुशी के रूप में सहज ही प्राप्त हो जाता है ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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