27 / 01 / 15  की  मुरली  से  चार्ट 

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं सच्ची त्यागी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ मैं और मेरेपन को समाप्त कर समानता और सम्पूरंता का अनुभव करना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ सतगुरु

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)  

‖✓‖ °निराकारी° बन मूल्वतन वासी का अनुभव किया ?

‖✓‖ °आकारी फ़रिश्ता° बन आकारी वतनवासी अव्यक्त रूप का अनुभव किया ?

‖✓‖ सदा स्मृति में रहा की "हम °ईश्वरीय संतान° हैं" ?

‖✓‖ कमल फूल समान °पवित्र° बनकर रहे ?

‖✓‖ °हाँ जी° कर सहयोग का हाथ बढाया ?

‖✗‖ देह अभिमान में आकर कोई °अवज्ञा° तो नहीं की ?

‖✗‖ मुख से °कडवे वचन° तो नहीं निकले ?

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अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-

➳ _ ➳   सबको पता पड़े, सेवा अच्छी कर रहे हो लेकिन अभी सभी तक आवाज नहीं गया है । कोने-कोने में यह तो पता पड़ना चाहिए कि हमारे सतयुगी राज्य अधिकारी गुप्तवेष में आ गये हैं ।

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ “हम सतयुगी राज्य अधिकारी गुप्त वेश में सेवा कर रहे हैं” – आज पूरा दिन यह स्मृति रही ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

➢➢ मैं और मेरेपन को समाप्त कर समानता सम्पूर्णता का अनुभव करने वाला ही सच्चा त्यागी है... क्यों और कैसे ?

 ❉   मैं और मेरेपन को समाप्त कर ही हम सच्चे सच्चे ट्रस्टीपन की सीट पर सेट हो सकते हैं

 ❉   मैं और मेरेपन को बाबा पर अर्पित करना ही बाबा पर पूरा पूरा बलिहार जाना है

 ❉   मैं और मेरेपन का त्याग करने के लिए सदा यही स्मृति में रखें :- "मेरी सब विशेषतायें प्रभु प्रसाद हैं "

 ❉   में और मेरापन का त्याग ही है "सम्पूर्ण समर्पण"।वही सदेव देहि अभिमानी स्थिति में टिक सकते है।

 ❉   में और मेरापन का त्याग ही हमें "मेरा तो तेरा,मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा ना कोई"यह श्रेष्ठ स्मृति में रह सकते है।

 ❉   मै और मेरापन का त्याग द्वारा ही हम गृहस्थ में कमल पुष्प समान रह सकते है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

➢➢ हाँ जी कर सहयोग का हाथ बढाना ही दुआओं की माला पहनना है ... क्यों और कैसे ?

  ❉   क्योकि हाँजी कर सहयोग का हाथ बढ़ाने वाला हर कार्य निस्वार्थ भाव से करता है इसलिए सर्व की दुआओ का पात्र सहज ही बन जाता है।

 ❉   हांजी कर सहयोग का हाथ बढ़ाने वाला सब के प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखता है।इसलिए सभी उसे दुआओं की माला पहनाते हैं।

 ❉   हांजी कर सहयोग की भावना रखने वाले के हर कर्म में सर्व के प्रति कल्याण की भावना समाई होती है जो उसे सर्व की दुआयों का पात्र बनाती है।

 ❉   हांजी कर सहयोग की भावना रखने वाला व्यक्ति परमात्म स्नेह की छत्र छाया में सर्व को स्नेह की अनुभूति करवा कर उनकी दुआओ का पात्र बनता है।

 ❉   हांजी कर सहयोग की भावना रखने वाले का हर कर्म श्रेष्ठ होता है।उसकी यही श्रेष्ठता ही उसे सबकी दुआयों की माला पहनाती है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति