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   16 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °निर्णय शक्ति और कंट्रोलिंग पॉवर° द्वारा हर कार्य में सफलता प्राप्त की ?

 

‖✓‖ पांडव गवर्नमेंट में विश्व कल्याण के कार्य के °ऑफिसर° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ संकल्प और बोल द्वारा सबको वरदानो की प्राप्ति करा °महादानी° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ लोकिक सेवा के माध्यम से °संपर्क बढाने की सेवा° की ?

 

‖✓‖ संपर्क में आने वाली आत्माओं को °शांति का अनुभव° करवाया ?

 

‖✓‖ °सहजयोगी° बनकर रहे... मुश्किल वाले योगी तो नहीं ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ विश्व कल्याण की जिम्मेवारी समझ °समय और शक्तियों की इकॉनमी° की ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  तपस्वी मूर्त का अर्थ है-तपस्या द्वारा शान्ति के शक्ति की किरणें चारों ओर फैलती हुई अनुभव में आयें। यह तपस्वी स्वरुप औरों को देने का स्वरुप है। जैसे सूर्य विश्व को रोशनी की और अनेक विनाशी प्राप्तियों की अनुभूति कराता है। ऐसे महान तपस्वी आत्माएं ज्वाला रुप शक्तिशाली याद द्वारा प्राप्ति के किरणों की अनुभूति कराती हैं।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ तपस्या द्वारा °शान्ति के शक्ति की किरणें° चारों ओर फैलती हुई अनुभव की ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं मास्टर रचता हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   विश्व कल्याण की जिम्मेवारी समझ समय और शक्तियों की इकॉनामी करने वाली मैं आत्मा मास्टर रचता हूँ ।

 

 ❉   स्वयं को बेहद की सेवार्थ निमित समझ मैं अपने समय और शक्तियों को उचित तरीके से कार्य में सफल करती हूँ ।

 

 ❉   सर्व खजानों का बजट बना कर मैं उन्हें स्वयं के प्रति और सर्व आत्माओं के प्रति बैलेंस बना कर यूज़ करती हूँ । ताकि कोई भी खजाना व्यर्थ ना जाये ।

 

 ❉   मास्टर रचयिता भव के वरदान को सदा स्मृति में रख मैं समय और शक्ति का स्टॉक जमा कर सेवा में सफल करती हूँ ।

 

 ❉   संकल्प शक्ति, निर्णय शक्ति और संस्कार की शक्ति तीनो मुझ आत्मा के आर्डर प्रमाण कार्य करती हैं ।

 

 ❉   अपने अधिकार की शक्ति द्वारा मैं इस त्रिमूर्ति रचना को अपनी सहयोगी बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   कर्मेन्द्रियों की राजा बन, अपनी हर कर्मेन्द्रिय को वश में कर मैं हर कर्मेन्द्रिय को सही रास्ते पर चलाती हूँ ।

 

 ❉   मास्टर रचियता की सीट पर सेट हो कर अपनी परिवर्तन शक्ति से मैं प्रकर्ति को भी परिवर्तन करने की हिम्मत रखती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "ऑलमाइटी अथॉरिटी राज योगी सभा व लोक पसन्द सभा"

 

 ❉   किसी भी देश की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए राज्यसभा व लोकसभा बनाई जाती हैं ।

 

 ❉   जिसमे नेताएं अपने भिन्न भिन्न विचारों द्वारा राज्य की उन्नति के लिए और राज्य व्यवस्था को उचित बनाये रखने के लिए कुछ विशेष नियम और ऑर्डर बनाते हैं ।

 

 ❉   इसी प्रकार स्वयं परम पिता परमात्मा ऑल माइटी अथॉरिटी द्वारा बनाई, हम ब्राह्मणों की भी यह राजयोगी सभा है ।

 

 ❉   किन्तु यह राजयोगी सभा हद की नही बेहद की सभा है जो किसी एक राज्य अथवा देश के लिए नही है बल्कि पूरे विश्व के कल्याण के लिए है ।

 

 ❉   इसलिए स्वयं को बेहद के सेवाधारी समझ अपनी प्युरिटी की पॉवर से सारे विश्व को परिवर्तन करो तो प्रभु पसन्द और लोक पसंद बन जायेंगे ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ पांडव गवर्नमेंट में विश्व कल्याण के कार्य में आॅफिसर बनकर रहना है ।

 

 ❉   पांडव गवर्नमेंट में आॅफिसर बनना माना अपने बेहद के ईश्वरीय कार्य में रूहानियत से सर्व आत्माओं पर प्रभाव पड़ना ।

 

 ❉   विश्व गवर्नमेंट में विश्व कल्याण के कार्य में एक कार्य करने वाले होते हैं व दूसरे कार्य करने वालों की महिमा करने वाले । एक होते है करना है दूसरे होते है करना चाहिए । तो हमें करना ही है व राज्य में आने के अधिकारी बनना ही है ।

 

 ❉   जब विश्व कल्याण के कार्य में बाप ने हमें चुन लिया व बाप के बन गए तो विश्व कल्याणार्थ कार्य करते हैं तो लोक पसन्द व प्रभु पसन्द बनकर कार्य करते हैं । बाप भी बालक सो मालिक के रूप में देखते हैं ।

 

 ❉   पांडव गवर्नमेंट में स्वयं को बेहद की सेवार्थ निमित्त समझते हुए अपने समय और शक्तियों को कार्य में लगाते हुए अन्य आत्माओं को ईश्वरीय सम्पर्क में लाना है व प्रजा बढ़ाने का आॅफिस खोल आॅफिसर बनना है ।

 

 ❉   पांडव गवर्नमेंट में आॅफिसर बन सफलता हासिल करने का आधार निर्णय शक्ति है । अपने सम्पर्क में आती कोई भी आत्मा की नब्ज़ को परख उन्हें किस चीज़ की ज़रूरत है और उसी चाहना प्रमाण उसे तृप्त करना है ।

 

 ❉   पांडव गवर्नमेंट में विश्व कल्याण के कार्य में आॅफिसर बनना है तो कंट्रोलिंग शक्ति भी होनी चाहिए । सेवा में स्वयं की कंट्रोलिंग शक्ति से दूसरों की सेवा के निमित्त बन उन पर सर्वश्रेष्ठ रूहानी पकड़ का प्रभाव पड़ता है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ विश्व कल्याण की जिम्मेदारी समझ समय और शक्तियों की इकॉनामी करने वाले मास्टर रचता कहलाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   विश्व कल्याणकारी बाप के हम बच्चे भी मास्टर विश्व कल्याणकारी है, हमें किसी गली मोहल्ले या शहर देश की सेवा नहीं करनी है अपितु सरे विश्व के कल्याण के निमित्त बाप ने हम बच्चो को बनाया है।

 

 ❉   बाप ने हम बच्चो को जिम्मेदारी का ताज पहनाया है, भगवान ने कोटो में से हम कोई आत्माओ को इस विशेष कार्य के लिए चुना है तो कितना औना रहना चाहिए विश्व कल्याण करने का।

 

 ❉   बाप बेहद का सौदागर है, उनसे कोडी के बदले पदम् हम प्राप्त करते है, तो इतने कीमती खजाने को ऐसे ही व्यर्थ नहीं गवाना है, सच्चा व्यापारी बन सौदा करना है। जितना कमाया उतना ही व्यर्थ की वजह से गवा दिया तो और ही नुकसान हो जायेगा।

 

 ❉   बाबा ने हमें ही निमित्त बनाया है, अंत समय में सर्व प्राप्तियो के लिए आत्माये हमारी ही तरफ देखेंगी, अगर अभी से स्टॉक जमा नहीं किया होगा तो उन्हें क्या देंगे? किसी भी आत्मा को एक सेकंड भी इन्तेजार कराने की दरकार नहीं है।

 

 ❉   एकनामी बन अपने समय, संकल्प, शक्तियों की इकनामी करना है। अपने को इतना भरपूर करना है जो सर्व आत्माओ को संतुष्ट कर सके तभी अंत में हमारी जयजयकार होगी, और वही आत्माये अनेक जन्मो तक हमारी भक्ति, पूजा, गुणगान करेंगी।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ महादानी वह है जिसके संकल्प और बोल द्वारा सबको वरदानों की प्राप्ति हो... कैसे ?

 

 ❉   एक बाप की लग्न में मगन हो कर, जब बाप समान बन जाएंगे तो महादानी बन अपने संकल्प और बोल से सबको वरदानों की प्राप्ति करवा सकेंगे ।

 

 ❉   बाप से मिले सर्व खजानो और शक्तियों को जितना स्वयं में धारण करेंगे उतना ही सर्व शक्तियों और खजानो से सम्पन्न बन अपने संकल्प और बोल से सहज ही सबको वरदानों से सम्पन्न बना सकेंगे ।

 

 ❉   साधना द्वारा ज्ञान, योग और धारणा को अपना कर जब सिद्धिया प्राप्त कर लेंगे तो सिद्धि स्वरूप बन सबको वरदानों से भरपूर कर सकेंगे ।

 

 ❉   साइलेन्स की शक्ति द्वारा परमात्म शक्तियों को स्वयं में जमा कर जब शक्ति स्वरूप बन जायेगे तो अपने संकल्प और बोल से सर्व आत्माओं की झोली वरदानों से भर सकेंगे ।

 

 ❉   उपराम वृति से जब साक्षी और न्यारी स्थिति में स्थित हो जायेंगे तो वरदानीमूर्त बन सर्व आत्माओं को वरदानों की प्राप्ति करवा सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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