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   15 / 10 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ दृष्टि को °अलोकिक°, मन को शीतल, बुधी को रहम दिल और मुख को मधुर बनाए रखा ?

 

‖✓‖ बेहद की बुधी से °ड्रामा के गुह्य राज° को समझने का अभ्यास किया ?

 

‖✓‖ सबको स्थायी °सुख और शांति° का रास्ता बताया ?

 

‖✓‖ बहुत बहुत °सहनशील° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ बाप के द्वारा दिए गए °पावन° रहने के फरमान का पालन किया ?

 

‖✗‖ कोई भी °पाप° बाप से छिपाया तो नहीं ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ बाप के संग के रंग द्वारा हर आत्मा पर ज्ञान योग का °अविनाशी रंग° लगाया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ कल बापदादा द्वारा चलाई गयी 14/10/2015 की वाणी को अच्छे से °रीवाइज° किया और बापदादा से मिली प्रेरणाओं को जीवन में धारण करने का विशेष प्लान बनाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं होली आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   बाप के संग के रंग द्वारा हर आत्मा पर ज्ञान योग का अविनाशी रंग लगाने वाली मैं होली आत्मा हूँ ।

 

 ❉   परमात्म रंग में रंगी हुई मैं आत्मा सर्व आत्माओं को रूहानी रंग लगा उनके जीवन को खुशियों के रंगो से भर रही हूँ ।

 

 ❉   बाप के संग का अविनाशी रंग मुझे बाप समान बना रहा है । जिसमे रंग कर मैं औरों को आप समान बना रही हूँ ।

 

 ❉   किसी भी आत्मा के प्रति अशुद्ध वा साधारण भाव मेरी बुद्धि में कभी नही आते ।

 

 ❉   सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना और शुभकामना रखने वाली मैं सर्व की शुभचिंतक आत्मा हूँ ।

 

 ❉   किसी भी आत्मा के अकल्याण की बाते सुनते, देखते भी उस अकल्याणकारी वृति को कल्याण की वृति में बदलती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपनी शुद्ध और श्रेष्ठ वृति से मैं सर्व आत्माओं को रूहानी स्नेह से भरपूर कर रही हूँ ।

 

 ❉   अविनाशी ज्ञान, याद, शक्तियों, गुणों, शुभ भावनाओं और शुभ कामनाओं के रूहानी रंग से मैं सर्व आत्माओं के जीवन को रूहानियत से सम्पन्न बना रही हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारा फर्ज है सबको स्थाई सुख और शान्ति का रास्ता बताना, शान्ति में रहो और शान्ति की बख्शीश ( इनाम ) दो"

 

 ❉   दुनिया में एक भी मनुष्य ऐसा नही है जिसे सुख और शान्ति से रहना पसन्द ना हो ।

 

 ❉   हर मनुष्य अपने जीवन में सच्चा सुख और शान्ति चाहता है किन्तु वास्तविकता का पता ना होने के कारण उसे बाहरी साधनो में तलाश कर रहा है ।

 

 ❉   परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने आ कर अब हम बच्चों को सच्चा सुख और शान्ति प्राप्त करने का रास्ता बता दिया है ।

 

 ❉   जिस सुख और शान्ति को हम बाहर तलाश कर रहें हैं वह तो हम आत्माओं का स्वधर्म है अर्थात आत्मा अपने मूल स्वरूप में है ही सुख स्वरूप और शांत स्वरूप ।

 

 ❉   अपने मूल स्वरूप में टिकने से ही आत्मा सच्चे सुख और शान्ति की अनुभूति कर सकती है ।

 

 ❉   इसलिए अब हमारा भी यह फर्ज बनता है कि हम सबको स्थाई सुख और शान्ति का रास्ता बताएं ।  शान्ति में रह, सबको शान्ति की बख्शीश दें ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ डायरेक्ट बाप ने पावन बनने का फ़रमान दिया है इसलिए कभी पतित नहीं बनना है ।

 

 ❉   घोर कलयुगी दुनिया में बाप अपने बच्चों को दु:खी देखकर रह नहीं सके व इस पतित दुनिया में अपने बच्चों को दु:खों से छुड़ाकर पतित से पावन बनाने के लिए आए हैं तो हमें बाप की श्रीमत पर चलना है ।

 

 ❉   बाप पतित दुनिया में अपने ब्राह्मण बच्चों को रोज पढ़ाने आते हैं व ज्ञान रत्नों से हमारी झोलियाँ भरते हैं । बाप पुरानी दुनिया का विनाश कर नयी दुनिया की स्थापना का कार्य हमें निमित्त बना करवा रहे हैं । नयी दुनिया में तो पावन बने बग़ैर तो जा नहीं सकते इसलिए अपने घर वापिस जाने के लिए पावन बनना ही है ।

 

 ❉   पवित्रता के सागर के हम बच्चे पवित्रस्वरूप हैं तो हमें मनसा वाचा कर्मणा पवित्र रहना है । ऐसे कर्म नहीं करने जिससे बाप का नाम बदनाम हो व सज़ाएँ खानी पड़े ।

 

 ❉   डायरेक्ट बाप ने पावन बनने का फ़रमान दिया है कि इस अंतिम जन्म में तुम बच्चे मेरे कहने पर पवित्र बनो तो तुम्हें 21 जन्मों के लिए पवित्रता का ताज मिलता रहेगा ।

 

 ❉   स्वयं बाप हमें अपने से ऊँची सीट पर बिठाते हैं व ख़ुद स्वर्ग का मालिक नहीं बनते हमें डबल मालिक बनाते हैं ब्रह्मांड का भी व स्वर्ग का भी तो हमें ऊंच ते ऊंच बाप का फ़रमान मान फरमानबरदार बच्चा बन पावन बनना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ बाप के संग के रंग द्वारा हर आत्मा पर ज्ञान योग का अविनाशी रंग लगाने वाली होली आत्मा कहलाती है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   होली के त्यौहार में सब एक दुसरे पर रंग लगाते है। अब हम ब्राह्मण आत्माये जब परमात्मा के संग के रंग में रंगी हुई है तो हमें अन्य आत्माओ पर एक बाप रंग लगाना है।

 

 ❉   हमारे चेहरे, चलन, व्यवहार द्वारा हमारे सम्बन्ध संपर्क वाली आत्माओ को यह अनुभव हो की इन्हें कोई विशेष प्राप्ति हुई है और वह भी हमें देख इसी रंग में स्वयं को रंगने में लग जाये।

 

 ❉   संग का रंग बहुत जल्दी लगता है, कहते है "सत का संग तारे कुसंग बोरे", इसलिए हमें होली बुद्धि बन सबको सिर्फ एक बाप के श्रेष्ठ संग का अविनाशी रंग लगाना है।

 

 ❉   जितना हम बाप के संग रहेंगे अर्थात कर्म करते भी जितना मन बुद्धि में बाप की याद रहेगी उनका हर पल संग रहेगा उतना ही हममे याद का जोहर भरेगा और फिर आत्माओ को ज्ञान बांड लगेगा।

 

 ❉   जिसने इस होली युग में जितना स्वयं को परमात्मा के रंग में रंग होगा उतना ही होली आत्मा होगा और उनके द्वारा अनेक आत्माओ को भी ज्ञान, गुण, शक्तियों, शुभ भावना, शुभ वृत्ति के रंग सहज ही लगेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ दृष्टि को आलौकिक, मन को शीतल, बुद्धि को रहमदिल और मुख को मधुर बनाओ... कैसे ?

 

 ❉   जब आत्मिक स्मृति में रह सबको आत्मा भाई भाई की नजर से देखेंगे तो दृष्टि में अलौकिकता, मन में शीतलता , बुद्धि में रहम भावना और बोल में मधुरता स्वत: आने लगेगी ।

 

 ❉   बुद्धि का योग जब निरन्तर बाप के साथ लगा रहेगा तो दृष्टि को आलौकिक, मन को शीतल, बुद्धि को रहमदिल और मुख को मधुर बनाना सहज हो जायेगा ।

 

 ❉   आलौकिक दृष्टि, शीतल मन, रहमदिल बुद्धि और मधुर बोल तब होंगे जब संकल्पों में व्यर्थ समाप्त होगा और चिंतन श्रेष्ठ और शुद्ध होगा ।

 

 ❉   आसुरी गुणों को छोड़, जब दैवी गुणों की धारणा होगी तो दृष्टि आलौकिक, मन शीतल, बुद्धि रहमदिल और बोल सहज ही मधुर बनते जायेंगे ।

 

 ❉   सदा कम्बाइंड स्वरूप की स्मृति में रहेंगे तो दृष्टि में आलौकिक भाव, मन में शीतलता, बुद्धि में रहम भाव और मुख में मधुरता सहज ही आने लगेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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