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   28 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ बाप समान °उदारचित° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °आज्ञाकारी वफादार° बन अचल अडोल स्थिति का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ संगठन में °उमंग उत्साह और श्रेष्ठ संकल्प° से सफलता को प्राप्त किया ?

 

‖✓‖ अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कर °महादानी° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ दिन रात °सर्विस के चिंतन° में रहे ?

 

‖✓‖ अपनी °रगें° सब तरफ से तोड़ी ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ स्वयं को स्वयं ही °परिवर्तन° कर विश्व के आधारमूर्त बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जब कर्मातीत स्थिति के समीप पहुंचेंगे तब किसी भी आत्मा तरफ बुद्धि का झुकाव, कर्म का बंधन नहीं बनायेगा। आत्मा का आत्मा से लेन-देन का हिसाब भी नहीं बनेगा। वे कर्म के बन्धनों का भी त्याग कर देंगी।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ किसी भी आत्मा की तरफ °बुद्धि का झुकाव तो नहीं° हुआ ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं अधिकारी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन की आधारमूर्त बनने वाली मैं श्रेष्ठ पद की अधिकारी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   परिस्थितियों व अन्य आत्माओं को बदलने के बजाए मैं स्वयं को बदल कर हर परिस्थिति को सफलतामूर्त बन सहज ही पार करती जाती हूँ ।

 

 ❉   दूसरों के सहयोग व सहारे की अपेक्षा ना रखते हुए, बाप की छत्रछाया में सर्व की सहयोगी बन मैं सबको आगे बढ़ाती हूँ ।

 

 ❉   मेरी मन बुद्घि सेवा के नये - नये प्लैन और तरीके सोचने में बिज़ी रहती है ।

 

 ❉   सेवा में स्वयं को बिज़ी रखने से मैं व्यर्थ के प्रभाव से सदैव मुक्त रहती हूँ और आलस्य, अलबेलेपन से बची रहती हूँ ।

 

 ❉   बेहद विश्व की सर्व आत्माओं को इमर्ज कर अपने शुभ संकल्पों और श्रेष्ठ वाइब्रेशन्स द्वारा मैं सर्व आत्माओं का कल्याण करती रहती हूँ ।

 

 ❉   मुझ आत्मा के संकल्प में भी किसी भी विकार की कमजोरी, व्यर्थ बोल, व्यर्थ भावना, घृणा व इर्ष्या की भावना नहीं रहती ।

 

 ❉   परमात्म छत्रछाया के अंदर मैं सदैव परमात्म शक्ति से भरपूर रहती हूँ और परमात्म शक्ति के बल से विश्व की आधार मूर्त आत्मा बन सर्व आत्माओं को रुहानियत की शक्ति से भरपूर कर देती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान ही महादान है, इस दान से ही राजाई प्राप्त होती है इसलिए महादानी बनो"

 

 ❉   लोग दान पुण्य आदि इसलिए करते हैं ताकि दान पुण्य का श्रेष्ठ फल उन्हें सुख शांति के रूप में मिले ।

 

 ❉   किन्तु वो करते हैं विनाशी धन, वस्तुओं आदि का दान । इसलिए उस दान से होने वाली प्राप्ति भी अल्पकाल के लिए ही होती है ।

 

 ❉   वास्तव में सच्चा सच्चा दान तो है, अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान ।

 

 ❉   जो स्वयं परमपिता परमात्मा हम बच्चों को अभी इस समय संगम युग पर आ कर दे रहें हैं ।

 

 ❉   जितना हम इन अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करते हैं उतना राजाई पद प्राप्त करते हैं ।

 

 ❉   इसलिए बाप समझाते हैं कि महादानी बनो अर्थात ज्ञान रत्नों को धारण कर औरों को कराओ ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ दिन रात सर्विस के चिंतन में रहना है और सब रगे तोड देनी है । सर्विस के बगैर आराम नही , सर्विस कर आपसमान बनाना है ।

 

  ❉   अभी तक घोर अंधियारे मे थे व पुकारते रहे पतित ते पावन आओ । अपने बच्चों को दु:खी देखकर परमपिता परमात्मा सर्विस के लिए दूरदेश से दौडा चला आता है व पतित से पावन बनाने के लिए आता है तो हमें भी बाप के कार्य में मददगार बनना है ।

 

  ❉   अब हम ईश्वरीय संतान है व हमारा जीवन हीरे तुल्य है । बाप हमें अविनाशी ज्ञान देते हैं तो हमें भी ज्ञान धन का दान करते हुए सर्विस के लिए तत्पर रहना है । दिन रात ये चिंतन चलता रहे कि इन दुखी अशांत आत्माओं को भी बाप से मिलाकर इनका कल्याण करना है ।

 

  ❉   जब बेहद का बाप स्वयं कहता हैं कि मैं तुम्हारा आबिडीएंट सर्वेंट हूं तो हमें भी निर्हंकारी होकर स्वयं को गॉडली सर्वेंट समझ सेवा के लिए तत्पर रहना है ।

 

  ❉   पुरानी दुनिया तो कब्रिस्तान होनी ही है फिर पुरानी दुनिया, पुराने सम्बंधों से अपना मोह क्यूं रखना । बस अपने को मेहमान या ट्रस्टी समझ बस अपना पार्टप्ले करना है । बस एक बाप की ही याद में रहते हुए ही कर्म करना है ।

 

  ❉   जो आज्ञाकारी, वफादार, सपूत बच्चे होते है व बाप से जास्ती प्यार होता है उन्हें सर्विस बगैर आराम नही आता व कुछ अच्छा नही लगता ।

 

  ❉   जिन बच्चों को सर्विस करने का शौक होता है या सर्विस ही जीने का आधार है खुशी है उन्हें ये दिन रात चिंतन रहता है कि जैसे हमें परमपिता परमात्मा से हमें असली स्वरुप की पहचान मिली ऐसे हमें भी दूसरों को आप समान बनाना है व अपने बाप से मिलने का रास्ता बताना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्वयं को स्वयं ही परिवर्तन कर विश्व के आधारमूर्त बनने वाले श्रेष्ठ पद के अधिकारी बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   "स्व राज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी" स्व पर जब सम्पूर्ण राज्य हो जायेगा तभी विश्व पर राज्य भी कर सकेंगे।

 

 ❉   जिस आत्मा में इतनी शक्ति हो की अपनी सर्व कर्मेन्द्रियो, संकल्पों, और कर्मो पर राज्य कर सके उसी आत्मा में सारे विश्व पर राज्य करने की शक्ति होगी।

 

 ❉   "चैरिटी बैगिन्स एट होम", हमें स्वयं ही स्वयं को परिवर्तन करना होगा, परमात्मा की याद द्वारा स्वयं ही स्वयं का उद्धार करना होगा।

 

 ❉   जितना योगयुक्त स्थिति में रहेंगे, आत्मिक दृष्टि व वृत्ति पक्की होगी, स्वदर्शन चक्रधारी बनेंगे उतना ही स्व का परिवर्तन होता जायेगा।

 

 ❉   जितना स्व में परिवर्तन आता जायेगा, दैवी गुण धारण होते जायेंगे, उतना ही दुनिया की आत्माओ के आगे एक्जाम्पल बनते जायेंगे और अनेक आत्माओ के उद्धार के निमित्त बनने से श्रेष्ठ पद के अधिकारी भी बन जायेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ संगठन में उमंग - उत्साह और श्रेष्ठ संकल्प से सफलता हुई पड़ी है... कैसे ?

 

 ❉   एक दूसरे को उमंग - उत्साह दिलाते हुए आगे बढ़ाने और श्रेष्ठ संकल्पों की रचना से वायुमण्डल को पॉवरफुल बनाने में मदद मिलेगी जो संगठन को प्रभावशाली बना कर, सफलता का आधार बन जायेगी ।

 

 ❉   संगठन में जब उमंग - उत्साह का वातावरण होगा और हर संकल्प शक्तिशाली होगा तो स्वरूप भी शक्तिशाली बन जाएगा जिससे सफलता प्राप्त करना सहज हो जायेगा ।

 

 ❉   उमंग - उत्साह और श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति संगठन के हर सदस्य में बल भर कर संगठन को बलशाली बना देगी और सफलता प्राप्ति में सहायक बन जायेगी ।

 

 ❉   संगठन के सभी सदस्य जब एक दूसरे को उमंग उत्साह दिलाते हुए विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति शुभ व श्रेष्ठ संकल्प रखेंगे तो विश्व कल्याण का कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न हो सकेगा ।

 

 ❉   संगठन में उमंग - उत्साह और  शक्तिशाली सतोप्रधान श्रेष्ठ संकल्प प्रकृति और मनुष्यात्माओं की वृति को परिवर्तन कर स्वयं के और विश्व कल्याण के सहयोगी बन हर कार्य को सफलता पूर्वक सम्पन्न कर सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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