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❍ 29 / 08 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ मनसा-वाचा-कर्मणा °याद° में रहने का पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ मुख से °ज्ञान की ही बातें° सुनायी ?
‖✓‖ दूसरों को भी ज्ञान-योग सुना °सर्विस की वृधि° की ?
‖✓‖ सर्व को °संतुष्ट° किया ?
‖✗‖ °क्रिमिनल आयी° तो नहीं रखी ?
‖✗‖ कोई भी °अकर्तव्य° तो नहीं किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °लोकिक को अलोकिक में परिवर्तन° कर सर्व कमजोरियों से मुक्त हुए ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अभी निर्भय ज्वालामुखी बन प्रकृति और आत्माओं के अन्दर जो तमोगुण है उसे भस्म करो। तपस्या अर्थात् ज्वाला स्वरूप याद, इस याद द्वारा ही माया वा प्रकृति का विकराल रूप शीतल हो जायेगा। आपका तीसरा नेत्र, ज्वालामुखी नेत्र माया को शक्तिहीन कर देगा।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °निर्भय ज्वालामुखी° बन प्रकृति और आत्माओं के अन्दर जो तमोगुण है उसे भस्म किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं मास्टर सर्वशक्तिमान् आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ लौकिक को आलौकिक में परिवर्तन कर सर्व कमजोरियों से मुक्त होने वाली मैं मास्टर सर्वशक्तिमान् आत्मा हूँ ।
❉ समाधान स्वरूप बन मैं किसी भी प्रकार की समस्या व कमजोरी से स्वयं को सहज ही मुक्त कर लेती हूँ ।
❉ अमृतवेले से रात तक अपने हर लौकिक कर्तव्य को आलौकिक में बदल कर मैं हर कर्तव्य को सरल और सहज बना लेती हूँ ।
❉ स्वयं को निमित समझ, हर लौकिक व्यवहार को निमित मात्र करते हुए करन करावनहार बाप की स्मृति से हर कार्य व्यवहार में सहज ही सफलता प्राप्त कर लेती हूँ ।
❉ विकारी दुनिया के विकारी मनुष्यों के संपर्क में आते हुए भी अपनी पवित्र वृति से मैं उनसे न्यारी और प्यारी रहती हूँ ।
❉ अपने सतोगुणी वाइब्रेशन द्वारा अपने आस पास के तमोगुणी वायुमण्डल को भी बड़ी सहजता से परिवर्तित कर देती हूँ ।
❉ अपनी दिव्य बुद्धि द्वारा मैं व्यर्थ संकल्पों रूपी बाणों को कमजोर बना कर उन पर जीत प्राप्त करती हूँ ।
❉ शुद्ध संकल्पों की शक्ति मुझे माया के तूफानों में भी डबल लाइट स्थिति द्वारा सहज ही मेहनत मुक्त, जीवन मुक्त स्तिथि का अनुभव कराती है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे सर्विस की बहुत उछल आनी चाहिए, ज्ञान और योग है तो दूसरों को भी सिखाओ, सर्विस की वृद्धि करो"
❉ अभी यह पुरुषोत्तम संगम युग का समय चल रहा है, जबकि परम पिता परमात्मा शिव बाबा आ कर पुरानी पतित दुनिया का विनाश और नई सतयुगी दुनिया की स्थापना कर रहे हैं ।
❉ विश्वकल्याण के इस कार्य में हमे भी भगवान का मददगार बन अपने भाग्य को श्रेष्ठ बनाना है ।
❉ इसलिए जैसे परमात्मा बाप रूहानी सर्वेंट बन हम बच्चों की सेवा कर रहें हैं ।
❉ हमे भी ऐसे ही बाप समान, सर्विस की बहुत उछल आनी चाहिए । युक्तियां निकालनी चाहिए कि सबको बाप का परिचय कैसे दें ।
❉ किन्तु सर्विस में सफलता तभी मिलेगी जब ज्ञान और योग का बल होगा इसलिए बाबा कहते हैं, ज्ञान और योग का बल जमा कर दूसरों को भी सिखाओ और सर्विस में वृद्धि करो ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ मुख से ज्ञान की बातें सुनानी है, किसको दु:ख नहीं देना है । कोई भी अकर्त्तव्य नहीं करना है ।
❉ ज्ञानसागर बाप ने हमें कोटों में से कोई चुनकर अपना बनाया है व हम पदमापदम भाग्यशाली जो भगवान के बच्चे बन गए । ज्ञानसागर बाप अपने बच्चों का रोज ज्ञान रत्नों से नवाजता है तो हम बच्चों को भी मास्टर ज्ञानसागर बन ज्ञान की बातें ही सुनानी हैं ।
❉ जितना देही-अभिमानी होते है उतनी आत्मा मीठी होती जाती है ।आत्मा में बल भरता है व बाप की याद बनी रहती है । याद का जौहर होता है तो ज्ञान धन भी अच्छी रीति दान करते हैं ।
❉ जैसे घड़े में पानी हो व और डालते जाओ तो भरने पर वह बाहर छलकने लगता है उसीप्रकार जब हम हरपल बाबा की बातों का व ज्ञान का चिंतन करते रहते है तो जब भी कोई संगी मिलता oहै तो ज्ञान का चिंतन ही चलता है ।
❉ जब मनसा में श्रेष्ठ स्मृति रहती है व बाबा की याद रहती है तो वाचा में सत्यता व मधुरता रहती है । सबके साथ मीठा रहते हैं व किसी को दु:ख नहीं देते ।
❉ सुखसागर बाप के बच्चे हैं तो हमें भी मास्टर सुखदाता बन सबको सुख ही देना है । कहा भी जाता है 'सन शोज़ फादर' ।
❉ जैसे मीठा हमारा बाबा है वैसे ही मीठा हम बच्चो को बन जो कर्तव्य बाप करते है वैसा ही कर्तव्य हम बच्चो को भी करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ लोकीक को अलोकिक में परिवर्तन कर सर्व कमजोरियों से मुक्त होने वाले स्वयं को मास्टर सर्वशक्तिमान अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?
❉ मास्टर सर्व शक्तिमान आत्माये कभी किसी विघ्न या परिस्थिति के प्रभाव में नहीं आ सकती वह सदा अचल अडोल रहती है क्युकी उनकी सर्व शक्तियाँ मर्ज रहती है, जिससे वह कैसी भी हाल में खुशहाल रहते है।
❉ श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहने से हमारी आत्मिक स्थिति पक्की होती है, जिससे हम ड्रामा के हर पार्ट को साक्षी होकर देखते है, हमारी हद की दृष्टि बेहद मे परिवर्तन होती जाती है।
❉ हम रूहानी पण्डे है, यह हमारा मरजीवा जन्म है, अब हम ब्रह्मा के बच्चे रूहानी सेवाधारी है, हमारा सब लोकीक ख़त्म हो अब सिर्फ यह स्मृति रहे की जो भी कर्म करते है बाप की आज्ञा अनुसार सेवा अर्थ करते है। हद की बातो को भूल अब बेहद में रहना है।
❉ लोकीक कार्य को अलोकिक में परिवर्तन करे अर्थात देह के भान को भूल आत्मिक स्थिति में स्थित होकर कर्म करे, अब इस लोकीक दुनिया से दूर अलोकिक दुनिया की सैर और अनुभव करे।
❉ देह भान में आना ही सर्व कमजोरियों, दुःख, परेशानियों की जड़ है, जब हमारी दृष्टि वृत्ति लोकीक से निकल अलोकिक हो जाएगी तब आत्मा की शक्तियाँ बढेंगी।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व को संतुष्ट करो तो पुरुषार्थ में स्वत: हाई जम्प लग जायेगा... क्यों और कैसे ?
❉ सर्व को संतुष्ट करने वाले सहज ही सर्व की दुआयों के पात्र बन जाते हैं और दुआये पुरुषार्थ में हाई जम्प लगाने में लिफ्ट का काम करती हैं ।
❉ जो स्वयं संतुष्ट रह, सर्व को संतुष्ट करते हैं उन्हें बाप की एक्स्ट्रा मदद मिलती है जिससे उनके पुरुषार्थ में स्वत: ही हाई जम्प लग जाता है ।
❉ जो सर्व को संतुष्ट रखते हैं वे सदा उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो कर उड़ते रहते हैं और उड़ती कला के अनुभव द्वारा हाई जम्प लगा कर अपने पुरुषार्थ को तीव्र कर लेते हैं ।
❉ सदा सबको संतुष्ट रखने वाले स्वयं भी ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न रहते हैं तथा औरों को भी खुशियां बाँटते हुए अपने पुरुषार्थ में तीव्रता ले आते हैं ।
❉ सर्व को संतुष्ट करने वाले हर परिस्थिति में राज़ी रहते है और सबको राज़ी रखते हैं, ऐसे बच्चों पर बाप भी राज़ी रहते हैं । इसलिए उनके पुरुषार्थ में स्वत: ही हाई जम्प लग जाता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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