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❍ 25 / 04 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °निर्मल और निर्मान° बनकर रहे ?
‖✓‖ याद से माईट ले °निर्भय और अडोल° अवस्था बनाई ?
‖✓‖ बेहद बाप के साथ °वफादार° रहे ?
‖✓‖ जो पढाई में तीखे होशियार हैं, उनका °रिगार्ड° रखा ?
‖✓‖ जो भटक रहे हैं, उनको °रास्ता बताने की युक्ति° रची ?
‖✗‖ °खाने पीने° की छी-छी तमन्नाएं तो नहीं रखी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ श्रेष्ठ वेला के आधार पर °सर्व प्राप्तियों के अधिकार° का अनुभव किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जब मन्सा में सदा शुभ भावना वा शुभ दुआयें देने का नेचुरल अभ्यास हो जायेगा तो मन्सा आपकी बिजी हो जायेगी । मन में जो हलचल होती है, उससे स्वत: ही किनारे हो जायेंगे । अपने पुरुषार्थ में जो कभी दिलशिकस्त होते हो वह नहीं होंगे । जादूमन्त्र हो जायेगा ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ मन्सा में सदा शुभ भावना वा शुभ °दुआयें° देने का अभ्यास करते रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं पदमापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं श्रेष्ठ वेला में जन्म लेने वाली संगमयुगी पदमा पदम भाग्यशाली आत्मा हूँ ।
❉ स्वयं भाग्य विधाता बाप ने मुझे अपना श्रेष्ठ भाग्य लिखने की कलम स्वयं मेरे हाथ में दे दी है ।
❉ संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण बनते ही बाबा ने मुझे सर्व प्रॉपर्टी का अधिकारी बना दिया है ।
❉ अपने सर्व खजाने, सर्व शक्तियां और सर्व गुण मुझे विल कर दिये हैं ।
❉ एवर हेल्दी शरीर , शांत मन , विश्व की बादशाही और प्रकृति का सम्पूर्ण सहयोग मुझे मिल रहा है ।
❉ मैं सदा ईश्वरीय रॉयल्टी से चमकती रहती हूँ और अपनी दिव्यता की झलक से सबको आकर्षित करती रहती हूँ ।
❉ मेरे भाग्य की सराहना स्वयं भगवान् कर रहे हैं इसलिए मुझ जैसी पदमापदम भाग्यशाली आत्मा कोई और हो नही सकती ।
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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बेहद बाप के साथ वफादार रहो तो पूरी माइट मिलेगी, माया पर जीत होती जायेगी"
❉ लौकिक में भी जो बच्चे अपने माता पिता के प्रति वफादार होते हैं ऐसे बच्चों पर उनके माता पिता पूरे बलिहार जाते हैं ।
❉ अपनी धन सम्पति आदि सब कुछ अपने बच्चों को विल कर देते हैं ।
❉ हम भी परम पिता परमात्मा बाप के बच्चे हैं । इसलिए हमे चाहिए कि हम अपने इस बेहद के बाप के साथ वफादार रहें । उनकी श्रीमत पर पूरी तरह से चलें ।
❉ क्योकि बाप के साथ जितना वफादार रहेंगे उतनी ही ऑल माइटी अथॉरिटी बाप की माइट हमे मिलती रहेगी ।
❉ और इस माइट से हम उस माया रावण पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेंगे जिसने हमे जंजीरो में कैद कर दुखी बना दिया है ।
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)
➢➢ जो पढ़ाई में तीखे होशियार हैं, उनका रिगार्ड करना है। जो भटक रहे हैं, उनको रास्ता बताने की युक्ति रचनी है। सबका कल्याण करना है।
❉ जो बच्चे ज्ञान ख़ज़ानों से अपने को भरपूर रखते हैं वे बच्चे पढ़ाई में होशियार होते है व दूसरों को भी आप समान बनाने की सेवा करते हैं। ऐसे बच्चों का हमेशा रिगार्ड करना है।
❉ हम ब्राह्मण बच्चों को हाइएस्ट अथाॅरिटी बाप मिला है जो ज्ञान का सागर है व हमें स्वयं आकर पढ़ाता है व मास्टर ज्ञानसागर बनाता है। हमें अच्छी रीति से पढ़ाई पढ़कर होशियार होना है।
❉ जो बाबा ने हमें सर्वशक्तियों के ख़ज़ानों से भरपूर किया है तो हमें अज्ञानी आत्माओं को पहले जिस शक्ति की ज़रूरत हो आत्मिक स्थिति में रहकर उनको सकाश देकर युक्ति से ज्ञान सुनाकर रास्ता दिखाना है।
❉ पढाई हम ब्राह्मण बच्चों के लिए मुख्य है इससे ही अविनाशी कमाई जमा होती है । जो देह-अभिमानी रहते हैं वही पढ़ाई में होशियार होते हैं व ऊंचयपद पाते हैं। ऐसे महरथी व वशिष्ठ भाई बहनों के अनुभव सुन अपना भाग्य बनाना है।
❉ जो आत्माएँ शांति के लिए दर-दर भटक रही हैं उन्हें पढ़ाई में तीखे बच्चों को योगयुक्त होकर शांति की वायब्रेशनस देकर शांत कर युक्ति से बाप का परिचय देकर इस संगमयुगी समय में जन्म जन्म का भाग्य का अवसर मिला है तो इसप्रकार कल्याण करना है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ श्रेष्ठ वेला के आधार पर सर्व प्राप्तियो के अधिकार का अनुभव करने वाले स्वयं को पदमापदम भाग्यशाली अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?
❉ अमृतवेला वरदानी वेला है, इस समय बाप से जो वरदान लेना चाहो ले सकते है, यह समय भगवान ने सिर्फ अपने बच्चो के लिए मुक़र्रर किया है।
❉ यह एसी वेला है जो परमात्मा द्वारा चुनी हुई हम आत्माये ही तपस्वी मूर्त बन परमात्मा से ज्ञान, गुण, शक्ति, आनंद, प्रेम से अपनी झोलिया भरपूर करती है।
❉ परमात्मा से सर्व सम्बन्ध का डायरेक्ट कनेक्शन जोड़ हम आत्माये जो अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करती है उसका ही गायन है - अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप गोपियों से पूछो।
❉ हम ईश्वरीय संतान है, ईश्वरीय वर्से के अधिकारी। हमें बाप से कुछ मांगना नहीं पड़ता बल्कि अधिकार से बाप से लेते है। हक से हर बात अपने खुद दोस्त बाबा के साथ रूह-रिहान करते है।
❉ दिन के आदि का समय है अमृतवेला, आत्माये जब परमात्म से सर्व प्राप्तिया कर अपने दिन की शुरुवात करती है तो सारा दिन प्राप्त अखूट खजानों की ख़ुशी में नाचती रहती है और स्वयं को पदमापदम भाग्यशाली अनुभव करती है।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ अपने प्रसन्नता की छाया से शीतलता का अनुभव कराने के लिए निर्मल और निर्माण बनो... क्यों और कैसे ?
❉ निर्मल और निर्माण रहने वाला सदा हद के नाम, मान और शान से परे रहेगा और सदा सन्तुष्ट रह, अपने प्रसन्नता की छाया से सबको शीतलता का अनुभव कराता रहेगा ।
❉ निर्मलता और निर्माणता का गुण आत्मा को इच्छा मात्रम अविद्या बना कर, सदा तृप्त रखता है । और तृप्त आत्मा सदैव प्रसन्न रह सबको प्रसन्नता की छाया से शीतलता का अनुभव कराती रहती है ।
❉ निर्मल और निर्माण रहने वाला सब चिंताओं से मुक्त हो विकर्माजीत स्तिथि में स्तिथ रहता है और हर प्रकार के विघ्न से मुक्त, सदैव प्रसन्न रह, औरो को भी प्रसन्नता और शीतलता की अनुभूति कराता है ।
❉ निर्मल और निर्माण रहने वाला किसी के भी अवगुणों को चित पर नही रखता और मास्टर क्षमा का सागर बन सबको आत्मिक प्रेम और स्नेह से शीतलता का अनुभव कराता है ।
❉ निर्मल और निर्माण रहने वाले के जीवन में सदैव सत्यता, सरलता और नम्रता उसके साथ रहती है और अपने सत्य, सरल और नम्र व्यवहार से वह स्वत: ही प्रसन्नता की छाया से सबको शीतलता का अनुभव सहज कराता रहता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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