━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 29 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ सच्चाई से अपना °चार्ट° रखा ?
‖✓‖ °काम विकार° पर योग बल से विजय प्राप्त करने का पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ रूह को जब, जहाँ और जैसे चाहो स्थित करने की °रूहानी ड्रिल° की ?
‖✓‖ यथार्थ रीति °बाप को याद° करने की मेहनत की ?
‖✓‖ "मैं °आत्मा° हूँ" - अन्दर ही अन्दर यह घोटते रहे ?
‖✓‖ "हर एक °पार्टधारी° को अपने समय पर पार्ट बजाने आना ही है" - इस लॉ को अच्छी रीति समझा ?
──────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सर्व को °उमंग उत्साह° का सहयोग दे शक्तिशाली बनाया ?
──────────────────────────
✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ सदा इस स्मृति से डबल लाइट रहो कि मैं हूँ ही बिन्दू। बिन्दू में कोई बोझ नहीं। आखों के बीच में देखो तो बिन्दु ही है। बिन्दु ही देखता है, बिन्दु न हो तो आंख होते भी देख नहीं सकते। तो सदा इसी स्वरूप को स्मृति में रख उड़ती कला का अनुभव करो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ "मैं हूँ ही °बिन्दू°" - सदा इस स्मृति से डबल लाइट रहे ?
──────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ में सच्ची सेवाधारी आत्मा हूं ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सर्व को उमंग - उत्साह का सहयोग दे शक्तिशाली बनाने वाली मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा हूं ।
❉ स्वयं को निमित समझ, करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में मैं हर कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न करती जाती हूँ ।
❉ अपने हर कदम को श्रेष्ठ बाप की श्रेष्ठ मत द्वारा श्रेष्ठ बनाती जाती हूँ ।
❉ अपने विशेष पावरफुल संकल्पों द्वारा मुझे समस्त विश्व के सामने विशेष उदाहरणमूर्त आत्मा बन प्रत्यक्ष होना है, क्योकि सारा विश्व मुझे कॉपी करने वाला है ।
❉ इसलिए अपने श्रेष्ठ संकल्प और याद के बल से मैं विहंग मार्ग की सेवा में सदैव तत्पर रहती हूँ ।
❉ सदा अपनी शक्तिशाली वृति से वायुमण्डल को परिवर्तन कर सारे विश्व की सेवा करने वाली मैं सच्ची सेवाधारी हूँ ।
❉ मैं बेहद की स्थिति में रह बेहद विश्व के प्रति कल्याण की भावना रखने वाली विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ ।
❉ सेवा करते हुए भी मैं सदा न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित रहती हूँ ।
──────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - आत्म - अभिमानी हो कर बैठो, अंदर घोटते रहो - मै आत्मा हूं.... देही - अभिमानी बनो, सच्चा चार्ट रखो तो समझदार बनते जायेंगे, बहुत फायदा होगा"
❉ अपने वास्तविक स्वरूप को भूलने और स्वयं को देह समझने के कारण हमने बहुत नुक्सान उठाया ।
❉ देह अभिमान में आने के कारण ही विकारों की प्रवेशता हुई और आत्मा पतित बनने के कारण दुखी हो गई ।
❉ क्योकि पतित बनने के कारण आत्मा के वास्तविक गुण सुख, शान्ति और पवित्रता समाप्त हो गये ।
❉ आत्मा को इन दुखो से छुड़ाने के लिए ही संगम युग पर स्वयं परमात्मा बाप ने आ कर हमे हमारा वास्तविक परिचय दे कर यह राज बताया कि देह अभिमान ही हमारे दुखों का कारण है ।
❉ इसलिए अब बाप समझाते हैं कि देह अभिमान को छोड़ आत्म - अभिमानी बनो । अंदर घोटते रहो कि मैं आत्मा हूँ ।
❉ याद का सच्चा - सच्चा चार्ट रखो तो समझदार बनते जायेंगे जिससे बहुत फायदा होगा । तुम 21 जन्मों के लिए सुखी और सम्पन्न बन जायेंगे ।
──────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सबसे बड़ा दु:ख देने वाला काँटा काम विकार है, इस पर योगबल से विजय प्राप्त कर पतित पावन बनना है ।
❉ अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को याद करना है । याद में रहने से आत्मिक दृष्टि रहती है व आत्मा-आत्मा भाई भाई का भान रहता है व कोई विकर्म भी नहीं होता ।
❉ याद में रहने से कर्मेन्द्रियाँ शीतल हो जाती हैं व आर्डर अनुसार काम करती है तो अपनी कर्मेन्द्रियों का राजा बनना है व काम विकार पर जीत पानी है ।
❉ काम विकार सबसे बड़ा दु:ख देने वाला काँटा है व देहभान में आकर ही गल्त काम करते हैं । अब परमपिता परमात्मा द्वारा सत का ज्ञान मिलने पर योगबल द्वारा काम पर जीत पाकर पावन बनना है ।
❉ हमें स्वयं भगवान मिला है व हमें अपना बनाकर कह रहे हैं कि इस अंतिम जन्म में पावन बनकर 21 जन्मों के लिए राजाई पद पाना है । स्वयं परमात्मा हमारा साथी है व परमात्म शक्ति द्वारा काम विकार पर जीत पाकर जगतजीत बनना है व पावन बनना है ।
❉ जितना योगबल जमा करते जायेंगे उतना कर्मेन्द्रिय जीत बनकर अपने पुराने स्वभाव संस्कार पर सहज ही विजय प्राप्त कर पावन बनते जायेंगे ।
──────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व को उमंग-उत्साह का सहयोग दे शक्तिशाली बनाने वाले सेवाधारी बनना है... क्यों और कैसे ?
❉ अपनी शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना का सहारा सभी आत्माओ को देना है, आज दुनिया में आत्माओ के पास साधनों सुख सुविधा तो बहुत है परन्तु सच्चा साथी, निर्स्वार्थ भाव से प्रेम करने वाले, सच्ची खुशी का एक पल मिलना बहुत मुश्किल है, सहयोग देकर सबको साथ साथ लेकर आगे बढ़ना है, सबके उमंग उत्साह को बढ़ाना भी बहुत बड़ी सेवा है।
❉ हिम्मत के दो बोल, सहयोग की दो बाते, प्रेम का व्यवहार ही आत्मा के उमंग उत्साह को बढाती है यही सेवा है सबको उमंग दिलाते एक दुसरे के सहयोगी बनकर रहना है।
❉ आज की दुनिया में आत्माये इतनी निराश, हताश, दुखी है, बिलकुल हिम्मतहिन हो गयी है, बहार से जो भी दिखे अन्दर से बहुत खाली थी। हमें बाप से उन्हें मिलाकर उनको भी सच्चे प्रेम, सुख, शांति का अविनाशी वर्सा दिलाना है।
❉ इस अंत के समय में आत्माये सुनना नहीं चाहती है, अनुभव करना चाहती है। अनुभवीमूर्त बनकर एक सेकंड में उन्हें भी अनुभव करवाने की सेवा करनी है।
❉ हम आधारमूर्त है, हमें स्वयं भी सदा उमंग में रहना है, उदासी हमें अपनी दासी न बना सके। बाप ने हमें निमित्त बनाया है अनेक आत्माओ के उद्धार के लिए। तो हमें सदा उमंग उत्साह में रहना है हमें देख कोई भी सेकंड में अपने सरे गम दुःख तकलीफ भूल जाये ऐस हमें बनना है।
──────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ रूह को जब, जहां और जैसे चाहो स्थित कर लो - यही रुहानी ड्रिल है... कैसे ?
❉ जितना अशरीरी बनने का अभ्यास होगा उतना जल्दी रूह को जब, जहां और जैसे चाहे स्थित करने की रूहानी ड्रिल द्वारा सहज ही उपराम स्थिति में स्थित हो सकेंगे ।
❉ रूह को जब, जहां और जैसे चाहें वैसे स्थित करने की रूहानी ड्रिल का अभ्यास तब पक्का होगा जब स्वदर्शन चक्रधारी बन स्व का दर्शन करते रहेंगे ।
❉ आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित रहने का जितना निरन्तर अभ्यास करते रहेंगे उतना ही रूह को जब, जहां और जैसे चाहें उस स्थिति में स्थित करने का अभ्यास भी बढ़ता जायेगा ।
❉ बेहद की वैराग्य वृति, निरन्तर योगी, सहजयोगी स्थिति द्वारा आत्मा को सेकण्ड में जहां, जैसे और जिस स्थिति में स्थित रहना चाहे उसी स्थिति में स्थित कर देगी ।
❉ अंतर्मुखी रहने का निरन्तर अभ्यास आत्मा को एकांतवासी बना देगा और आत्मा जब, जहां और जैसे चाहे एक के अंत में खो कर उसी स्थिति में स्थित हो जायेगी ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━