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❍ 06 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °सर्व बातों में न्यारे° बन परमात्म बाप के सहारे का अनुभव किया ?
‖✓‖ अपनी दिल से पुछा की हम कितनो को °आप समान° बनाते हैं ?
‖✓‖ "हमें संगम पर सेवा करके °गायन लायक° बनना है" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ °आँखें° धोखा देती हैं... इसलिए अपनी संभाल की ?
‖✗‖ कोई भी °विकारी बातें° इन कानो से तो नहीं सुनी ?
‖✗‖ समझदार बन °माया के तूफानों° से हार तो नहीं खायी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °निमित भाव° की स्मृति से हलचल को समाप्त किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ डबल लाइट रहने वाले की लाइट कभी छिप नहीं सकती। जब छोटी सी स्थूल लाइट टार्च हो या माचिस की तीली हो, लाइट कहाँ भी जलेगी, छिपेगी नहीं, यह तो रूहानी लाइट है, तो इसका हर एक को अनुभव कराओ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सर्व आत्माओं को °रूहानी लाइट° का अनुभव करवाया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा अचल - अडोल आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ निमित भाव की स्मृति से हलचल को समाप्त करने वाली मैं सदा अचल - अडोल आत्मा हूँ ।
❉ हर कार्य करनकरावन हार बाप की स्मृति में करने से मैं हर प्रकार के मैं पन और मेरे पन के भान से मुक्त होती जाती हूँ ।
❉ मैं पन और मेरे पन की भावना से मुक्त स्थिति मुझे हर परिस्थिति में अचल - अडोल स्थिति का अनुभव कराती है ।
❉ जो कर्म मैं करुँगी, मुझे देख और करेंगे इस बात को स्मृति में रख, निमित बन, मेहनत से मुक्त हो कर मैं हर सेवा में निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।
❉ नॉलेजफुल स्थिति द्वारा परिस्थितियों को पार करने वाली मैं अंगद समान अचल अडोल आत्मा हूँ ।
❉ इस रावण राज्य की कोई भी परिस्थिति वा व्यक्ति जरा संकल्प रूप में भी मुझे हिला नही सकते ।
❉ माया के तुफानो और किसी भी प्रकार की परस्थितियों रूपी पेपर में भी मैं कभी कन्फ्यूज नही होती ।
❉ निमित पन की स्मृति मेरे चारों और सेफ्टी का किला बना कर मुझे हर कार्य में सफलता दिलाती है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे संगम पर सेवा करके गायन लायक बनना है फिर भविष्य में पुरुषोत्तम बनने से तुम पूजा लायक बन जायेंगे"
❉ गायन और पूजन होता है देवी - देवताओं का, क्योकि वे पवित्र दैवी गुणों से सम्पन्न होते हैं ।
❉ इसलिए भक्त लोग उनकी प्रतिमा के आगे जा कर माथा टेकते हैं और उनकी महिमा गाते हैं ।
❉ परन्तु वे गायन योग्य और पूजनीय कैसे बने, यह बिलकुल भी नही जानते ।
❉ वास्तव में वे गायन योग्य और पूजनीय देवी - देवता कोई और नही, हम ब्राह्मण बच्चे हैं । जिन्हें संगम युग पर परम पिता परमात्मा शिव बाबा आ कर ऐसा बनाते हैं ।
❉ संगम युग पर सेवा करके अर्थात भगवान के कार्य में सहयोगी बन कर हम गायन लायक बनते हैं और फिर भविष्य में पुरुषोत्तम बनने से हम पूजनीय बन जाते हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ समझदार बन माया के तूफ़ानों से कभी हार नहीं खानी है । आँखें धोखा देती हैं इसलिए अपनी सम्भाल करनी है ।
❉ अभी तक घोर अँधियारे में थे व दुनियावी झमेलों में ही फँसे रहे । अब हमें सत का ज्ञान मिला तो जो अज्ञानता की परतें चढ़ी हुई थी वो बाप द्वारा दिव्य बुद्धि से आत्मा समझदार हो गई तो हमें समझदार बन माया के वार से हारना नहीं है ।
❉ हम गाॅडली स्टूडेंट हैं व भगवान रोज स्वयं हमें इतनी ऊँची व दा बेस्ट पढ़ाई पढ़ाते हैं तो हमें विकारों पर जीत पाकर जगतजीत बनना है ।
❉ अपनी आत्मिक दृष्टि रखनी है । जब आत्मा-आत्मा भाई भाई की दृष्टि रहती है व स्वीट बाप को याद कर देह-अभिमान के काँटे को जला देने से दृष्टि शुद्ध व पवित्र रहती है । आँखें धोखा नहीं देती ।
❉ सबसे पहले ये आँखें ही धोखा देती हैं जो किसी भी बाहरी आकर्षण में फँस जाती हैं । फिर जो देखते हैं वो सोचते है व फिर वैसा कर्म करते हैं । इसलिए अपनी आँखों को सिविलाइज्ड बनाना है ।
❉ जिसका साथी है भगवान उसे क्या रोक सके ये आँधी और तूफान । पुराने कर्म भोग के रूप में कोई परिस्थिति आती है तो डर कर हारना नहीं है युक्ति से हिम्मत का एक क़दम बढ़ाना है व समझदार बन जिस शक्ति की ज़रूरत हो उसे यूज कर तूफ़ान को पार करना है ।
❉ अपने को आत्मा समझ बाप की याद में रहना है । ये ज़िंदगी तो युद्ध का मैदान है व तूफान तो आते ही रहेंगे । ऊंच ते ऊंच बाप के समझदार बच्चे याद की यात्रा में रहकर माया के तूफ़ानों से हार नहीं खाते ।
❉ इस संगमयुग पर बाप हमें पतित से पावन बनाकर नयी दुनिया में ले जाने के लिए आए है तो हमें इन मन की आँखों से नयी दुनिया को देखना है व अपनी दृष्टि बहुत अच्छी बनानी है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सदा अचल-अडोल रहना है तो निमित्त भाव की स्मृति से हलचल को समाप्त करना होगा... क्यों और कैसे ?
❉ "करन करावनहार बाप है" यह स्मृति रहने से निमित्त भाव आयेगा, करवाने वाला जिम्मेदार बाप है और हम निमित्त मात्र उनकी आज्ञा का पालन कर रहे है।
❉ "बाप बेठा है, तुम चिंता मत करो"। यह बेहद का कार्य बाप का है, वह सर्व शक्तिमान है, सारी जिम्मेदारी उस एक पिता परमात्मा की है हमें तो बस निमित्त जो सेवा मिली उसमे सदा हा जी करना है।
❉ हमारे साथ सर्वोच्च सत्ता, स्वयं कल्याणकारी बाप है, उनके साथ से हर कार्य हुआ ही पड़ा है तो हम बच्चो के साथ जब परमपिता है तो डरना या चिंता किस बात की?
❉ रावण के राज्य में रहते हुए हम राम के बने है तो माया महावीरो से महावीर बनकर लड़ेगी। विजयी बनने के लिए सर्व शक्तिमान का साथ और हाथ बहुत जरुरी है। बालक सो मालिक की स्मृति से बाप को आगे करदो और आप रूहानी मोजो में रहो।
❉ यदि स्वयं को निमित्त नहीं समझेंगे तो जैसे चिन्ताओ की गठरी अपने सर पर ढोते रहेंगे और बाप भी कहेगा की तुम्हे गठरी ढोने में मजा आता है तो करो।परन्तु यदि बाप याद है, निमित्त भाव याद है तो तुम्हारे सब बोझ बाप ले लेगा और हम अचल अडोल रह सकेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व बातों में न्यारे बनो तो परमात्म बाप के सहारे का अनुभव होगा... कैसे ?
❉ सभी बातों से किनारा कर केवल एक बाप की याद में रहेंगे तो स्वयं को आत्मिक शक्ति से सम्पन्न कर सदा परमात्म बाप के सहारे का अनुभव करते रहेंगे ।
❉ सदा अपनी श्रेष्ठ स्थिति और श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहेंगे तो सर्व बातों से सहज ही न्यारे होते जायेंगे और परमात्म मदद का अनुभव करते रहेंगे ।
❉ सम्पूर्ण ट्रस्टी बन तन, मन, धन से बाप पर जब कुर्बान जायेगे तो दिल की महसूसता से दिलाराम बाप के सहारे का अनुभव स्वत: होता रहेगा ।
❉ बाप समान बनने का लक्ष्य रख जब हर कदम ब्रह्मा बाप को फॉलो करते हुए उठायेगे तो बाप के दिल रूपी तख़्त पर सदा विराजमान रहेंगे और परमात्म बाप की आशीर्वाद स्वत: प्राप्त कर सकेंगे ।
❉ सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन जब स्वयं को बाप के हवाले कर देंगे तो सर्व बातों से न्यारे रहेंगे और परमात्मा मदद के अधिकारी बन निरन्तर सफलता प्राप्त करते जायेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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