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   25 / 11 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ मित्र सम्बन्धी आदि पर °तरस° रख उन्हें समझाया ?

 

‖✓‖ "अब °डीटी डीनायस्टी° स्थापन हो रही है" - यह खुशखबरी सबको सुनाई ?

 

‖✓‖ अपनी °दृष्टी वृति को पावन° बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °परमात्म स्मृति° से मन की उलझनों को समाप्त किया ?

 

‖✓‖ सब खयालात छोड़ °एक बाप की याद° में रहे ?

 

‖✗‖ पुरुषार्थ में °सुस्ती° तो नहीं की ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °प्रैक्टिकल जीवन° द्वारा परमात्म ज्ञान का प्रूफ दिया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  सारे दिन में बीच-बीच में एक सेकण्ड भी मिले, तो बार-बार यह विदेही बनने का अभ्यास करते रहो। दो चार सेकण्ड भी निकालो इससे बहुत मदद मिलेगी। नहीं तो सारा दिन बुद्धि चलती रहती है, तो विदेही बनने में टाइम लग जाता है और अभ्यास होगा तो जब चाहे उसी समय विदेही हो जायेंगे क्योंकि अन्त में सब अचानक होना है। तो अचानक के पेपर में यह विदेही पन का अभ्यास बहुत आवश्यक है।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ सारे दिन में बीच-बीच में एक सेकण्ड भी मिले, तो बार-बार °विदेही° बनने का अभ्यास करते रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं विजयी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   प्रैक्टिकल जीवन द्वारा परमात्म ज्ञान का प्रूफ देने वाली धर्मयुद्ध में विजय प्राप्त करने वाली मैं विजयी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   परमात्म ज्ञान और गुणों की प्रैक्टिकल धारणा कर मैं सबको उनका प्रैक्टिकल अनुभव करा कर सबके जीवन को खुशियों से भर देती हूँ ।

 

 ❉   अपनी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित हो कर मैं अशांत और दुखी आत्माओं को सेकण्ड में शांति की अनुभूति कराती हूँ ।

 

 ❉   हर कार्य करनकरावन हार बाप की स्मृति में करने से मैं हर प्रकार के मैं पन और मेरे पन के भान से मुक्त रहती हूँ ।

 

 ❉   निमित पन की स्मृति मेरे चारों और सेफ्टी का किला बना कर मुझे हर कार्य में सफलता दिलाती है ।

 

 ❉   ज्ञान के मुख्य पॉइंट्स के अभ्यास द्वारा और योग की विशेषता द्वारा मैं सिद्धि स्वरूप बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   अभ्यास की प्रयोगशाला में बैठ, एक बाप की लग्न में मगन हो कर मैं निर्विघ्न बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   कोई भी विघ्न मेरी स्थिति की एकरसता को डगमगा नही सकता, निर्विघ्न आत्मा बन मैं सब विघ्नों को सहजता से पार कर लेती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - सबको यह खुशखबरी सुनाओ कि अब डीटी डिनायस्टी स्थापन हो रही है, जब वाइसलेस वर्ल्ड होगी तब बाकी सब विनाश हो जायेंगे"

 

 ❉   आज सारी दुनिया सुख - शान्ति की तलाश में भटक रही है लेकिन विनाशी पतित दुनिया में सुख - शान्ति की प्राप्ति कभी भी नही हो सकती है ।

 

 ❉   क्योकि यह तो है ही रावण राज्य दुखधाम । जहां सिवाय दुःख और अशांति के और कुछ भी सम्भव नही है ।

 

 ❉   अविनाशी सुख और शांति तो केवल सतयुग में ही सम्भव है । क्योकि वो है ही पावन दुनिया सुखधाम । जिसकी स्थापना स्वयं परम पिता परमात्मा बाप करते हैं ।

 

 ❉   अभी संगम युग पर वही शांति दाता सुख दाता परम पिता परमात्मा बाप आये हुए है और आ कर सुखधाम अर्थात डीटी डिनायस्टी की स्थापना कर रहें हैं ।

 

 ❉   इसलिए हमारा कर्तव्य है कि सारी दुनिया को यह खुशखबरी सुनाये कि अब फिर से विश्व में शांति स्थापन हो रही है । जब वाइसलेस वर्ल्ड होगी तब बाकी सब विनाश हो जायेंगे ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ पतित पावन बनने के पुरुषार्थ में सुस्ती नही करनी है ।कोई भी मित्र सम्बंधी आदि है उन पर तरस रख समझना है , छोड़ नही देना है ।

 

  ❉   बच्चे इस दुनियावी भछलभूलैया में आकर घर वापिस जाने का रास्ता भूल गए व स्वयं को भी भूल गए । अपने बच्चों को दु:खी देखकर बाप दूरदेश से पतित से पावन बनाने के लिए आते हैंतो हमें भी श्रीमत पर चलना है ।

 

  ❉  .भक्ति में भी पुकारते आए कि हे पतित पावन आओ । फिर बुलाकर भूल गए । अब बाप आए हैं व टीचर बनकर पढ़ा कर हम आत्माओं को पतित से पावन बना रहे हैं । हमें भी अच्छी रीति पढ़कर पतित से पावन बनने का पुरूषार्थ करना है ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना है व याद से ही विकर्म विनाश करने हैं । परमात्मा से योग लगाने से ही पारस बुद्धि बन जायेंगे व आत्मा पर लगी जंग उतरती जायेगी । पतित.पावन बाप तो एक ही है व पावन बने बगैर तो घर वापिस नही जा सकते ।

 

  ❉   कोई भी आत्मा सम्पर्क में आती है उसे बाप का परिचय देकर उनका कल्याण करना है व युक्ति से ज्ञान सुनाना है । ये लगा रहे जैसे हम बाप के वर्से के अधिकारी हैं ये भी बाप के वर्से के अधिकारी बनें ।

 

  ❉   मित्र सम्बन्धी आदि को शिव पिता का परिचय देकर यह समझाना है कि पतित पावन कोई देहधारी या पतितपावनी गंगा नही बल्कि ज्ञानसागर पिता जिसके ज्ञान से स्नान कर पतित से पावन बन जायेगें ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ प्रेक्टिकल जीवन द्वारा परमात्म ज्ञान का प्रूफ देने वाले धर्मयुद्ध के विजयी बनते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बाबा हम बच्चो को राजयोग सिखाते है। यह एक स्थान पर बैठकर शरीर द्वारा नहीं किया जाता परन्तु बाप राजयोग द्वारा हम बच्चो के मन बुद्धि को परिवर्तन कर हमें श्रेष्ठ कर्म करने की शिक्षा देते है।

 

 ❉   राजयोग के 4 मुख्य सब्जेक्ट ज्ञान योग धारणा और सेवा में हमें प्रेक्टिकल जीवन जीने की कला सिखाते है। हमें राजा बनने का योग अर्थात ज्ञान सिख रहे है जिससे हमारे जीवन में दैवी गुण धारण हो।

 

 ❉   आज दुनिया में ज्ञान सुनाने वाले बहुत है, कही कही से थोडा ज्ञान सुनकर औरो को सुनाते रहते है परन्तु परमात्मा हमें ज्ञान प्रेक्टिकल जीवन में धारण करना सिखाते है।

 

 ❉   हमें भी औरो को कहकर नहीं सुनाना है परन्तु बाबा की जो आज्ञाये व श्रीमत है उनका प्रेक्टिकल स्वरुप बनकर दिखाना है। कहकर करवाने से प्रभाव उतना नहीं पड़ता जितना की हमें करते हुए देखकर कोई सीखे।

 

 ❉   यह धर्मयुद्ध है, यहाँ माया से हम बच्चो का गुप्त युद्ध चल रहा है जिसको भक्ति में महाभारत युद्ध दिखाया है। इस समय हमें परमात्मा पिता से हमें जो ज्ञान व शिक्षाए मिली है उनका स्वरुप बनकर प्रेक्टिकल साबुत देना है जिससे हम माया पर सदा के विजयी बन जायेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ आत्मा को उज्ज्वल बनाने के लिए परमात्म स्मृति से मन की उलझनों को समाप्त करो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जितना परमात्म स्मृति में रहेंगे उतना ही धारणाओं में वृद्धि होती जायेगी और स्थिति शक्तिशाली बनती जायेगी जो आत्मा को उज्ज्वल बना कर मन की सभी उलझनों को समाप्त कर देगी ।

 

 ❉   परमात्म स्मृति आत्मा को परमात्म शक्तियों का अनुभव कराती है और शक्ति सम्पन्न स्थिति में स्थित हो कर आत्मा मायाजीत बन, मन की सभी उलझनों से मुक्त हो जाती है ।

 

 ❉   जितना स्वयं को प्रभु सिमरण में बिजी रखते हैं, उतना माया के प्रभाव से मुक्त रहते है और परमात्म मौज का अनुभव आत्मा को उज्ज्वल बना कर मन की उलझने दूर कर देता है ।

 

 ❉   परमात्मा की याद बुद्धि की लाइन को क्लियर रखती है जिससे योग की गहन अनुभूति होती है, आत्मा हर्षित रहती है और मन की सभी उलझनों से दूर हो जाती है ।

 

 ❉   परमात्म का सिमरण आत्मा को बल प्रदान कर उसे शक्तिशाली बनाता है जिससे आत्मा माया पर विजय प्राप्त कर, मन की सभी उलझनों से किनारा कर, सहज ही उड़ती कला के अनुभव द्वारा आनन्द के झूले में झूलती रहती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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