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   09 / 10 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ स्वयं को सर्व को °सही रास्ता° बताया ?

 

‖✓‖ बाप का पूरा पूरा °मददगार° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ हम हैं स्पिरिचुअल रूहानी इन्कोग्नीटो °सैलवेशन आर्मी°" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ "इस यूनिवर्सिटी में पढाई पड़कर हम °डबल सिरताज° राजाओं का राजा बनते हैं" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ ज्ञान योग से पवित्र बन °आत्मा का श्रृंगार° किया ?

 

‖✗‖ कोई भी बात को °फील कर फैल° तो नहीं हुए ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ बाप की °हर श्रीमत का पालन° कर सच्चे स्नेही आशिक बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  पहले अपनी देह के लगाव को खत्म करो तो संबंध और पदार्थ से लगाव आपेही खत्म हो जायेगा। फरिश्ता बनने के लिए पहले यह अभ्यास करो कि यह देह सेवा अर्थ है, अमानत है, मैं ट्रस्टी हूँ। फिर देखो, फरिश्ता बनना कितना सहज लगता है!

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ "यह देह सेवा अर्थ है, अमानत है, मैं °ट्रस्ट° हूँ" - यह अभ्यास किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सच्ची स्नेही आशिक आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   बाप की हर श्रीमत का पालन करने वाली मैं सच्ची स्नेही आशिक आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं सदा एक बाप के स्नेह में लवलीन रहने वाली बाप की अति स्नेही आत्मा हूँ ।

 

 ❉   बाप के मधुर बोल मेरे मन में उठने वाले सभी प्रश्नो को समाप्त कर देते हैं ।

 

 ❉   बाप का असीम स्नेह मुझे हर श्रीमत का पालन करने का प्रोत्साहन देता है ।

 

 ❉   बाप के प्यार की लग्न में मगन हो कर मैं उमंग उत्साह में उड़ती रहती हूँ ।

 

 ❉   दिलाराम बाप के दिल रूपी तख़्त पर विराजमान हो, मैं हर बड़ी बात को छोटी बना कर, हर बात से उपराम रहती हूँ ।

 

 ❉   सर्व संबंधो का सुख एक बाप से अनुभव कर मैं सर्व सुखों की अधिकारी बनती जा रही हूँ ।

 

 ❉   अपने सच्चे साथी के संग में मैं सहज ही सर्व से न्यारी और प्यारी बनती जा रही हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम हो स्प्रीचुअल, रूहानी इनकागनीटो सैलवेशन आर्मी, तुम्हे सारी दुनिया को सैलवेज करना है, डूबे हुए बेड़े को पार लगाना है"

 

 ❉   जैसे किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा अथवा किसी भी प्रकार का अन्य संकट आने पर लोगो की सुरक्षा के लिए सैलवेशन आर्मी का प्रबन्ध किया जाता है ।

 

 ❉   ठीक इसी प्रकार हम भी स्प्रीचुअल, रूहानी इनकागनीटो सैलवेशन आर्मी हैं, हमे सारी दुनिया को सैलवेज करना है ।

 

 ❉   क्योकि आज सारी दुनिया में सभी मनुष्य मात्र विकारों की दुबन में फंस दुखी हुए पड़े हैं ।

 

 ❉   माया की दुबन में फंसने के कारण हर एक का बेड़ा डूबा हुआ है । सबकी जीवन रूपी नैया विषय सागर में गोते खा रही है ।

 

 ❉   जैसे बाबा ने हमारे डूबे हुए बेड़े को पार लगाया है, ठीक उसी तरह हमे भी सारी दुनिया को सैलवेज करना है, उनके डूबे हुए बेड़े को पार लगाना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ ज्ञान योग के पवित्र बन आत्मा का श्रृंगार करना है, शरीरों का नही ।

 

 ❉   अभी तक घोर अंधियारे में रहते हुए अपने विनाशी शरीर को ही सँवारते रहे । इस समय संगमयुग पर बाप ने अपना बनाया व सत्य ज्ञान दिया । अपने असली स्वरूप को पहचान कर अंधेरे से रोँशनी में आ गए । हमने ज्ञान से आत्मा रूपी जोत को जगाना है ।

 

 ❉   जैसे दही को मंथते है तो मक्खन निकल आता है ऐसे ही जितना ज्ञान का मंथन करते है व गहराई में जाते हैं तो धारणाएँ पक्की होने लगती हैं व आत्मा पवित्र बन जाती है ।

 

 ❉   अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को याद करते हैं तो विकारों की कट उतरती जाती है व पापों का बोझ हल्का हो जाता है । आत्मा में दैवीय गुण भरते जाते हैं ।

 

 ❉   योग करते सिर्फ एक विदेही बाप की याद में रहते सारी दुनिया से  बन रहना है । क्योंकि जितना एक बाप की याद में रहेंगे तब कर्मेन्द्रियाँ किसी विकार में फँसने की बजाय केवल पवित्रता ही धारण करेगी ।

 

 ❉   जब ज्ञान का सागर हमारा साथी है व ऐसे साथी का संग पाकर रोज़ ज्ञान अमृत की डोज लेनी है व ज्ञान रत्न ग्रहण कर पवित्र बन आत्मा का श्रृंगार करना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सच्चे स्नेही आशिक वह है जो बाप की हर श्रीमत का पालन करे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो माशूक को पसंद हो वही आशिक को भी पसंद होता है। जैसा माशूक कहे वैसा रहना खाना चलना बोलना उठना बेठना सब माशूक की पसंद का हो उसे कहते है सम्पूर्ण न्योछावर जाना।

 

 ❉   जिससे प्यार हो, स्नेह हो उसकी निशानी ही है की स्नेही की हर बात को फॉलो करना बहुत सहज होगा, उसको कोई मेहनत अनुभव नहीं होगी।

 

 ❉   जिससे स्नेह हो उसकी बात न माने यह हो नहीं सकता। सच्चे मुरब्बी बच्चे वही है जो बाप की कहना हुआ और बच्चो का हाँ जी करना हुआ। एक सेकंड व एक संकल्प भी क्या क्यों कैसे नहीं कर सकते।

 

 ❉   भले कहे कि मेरा बाबा मेरा बाबा परन्तु उसका कहना न माने, उसकी श्रीमत पर न चले, उनके मददगार सहयोगी न बने तो यह दिल का प्यार नहीं है यह है दिखावे का प्यार। सच्चे प्यार पर तो कुर्बान जाते है।

 

 ❉   सदेव बाप के सच्चे स्नेही बनो, जो बाबा कहे उसमे हा जी, श्रीमत में मनमत बिलकुल मिक्स न हो, बाप का कहना और हमारा करना हो, वही सच्चे आशिक कहलायेंगे जो पूरा पूरा बाप की आज्ञा का पालन करे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कोई भी बात को फील करना - यह भी फेल की निशानी है... कैसे ?

 

 ❉   किसी भी बात में फीलिंग व्यर्थ चिंतन का कारण बन स्थिति को नीचे गिरा सकती है और किसी भी परिस्थिति में फेल होने का कारण बन सकती है ।

 

 ❉   कोई भी बात को फील करना आत्मा को दिलशिकस्त बना कर उसके पुरुषार्थ को ढीला करने का कारण बन सकता है । और पुरुषार्थ में ढीलापन फेल होने का मुख्य कारण है ।

 

 ❉   दूसरों की बात को फील करने वाले सदा अपसेट रहते हैं और किसी भी चीज पर अटेंशन नही दे पाते और एकाग्रता की कमी के कारण हर क्षेत्र में फेल होते हैं ।

 

 ❉   फीलिंग की भावना असन्तुष्टता उत्तपन्न करती है और असन्तुष्ट व्यक्ति हर बात में दुखी रहता है और दुःख की अनभूति उसे हर क्षेत्र में असफल बना देती है ।

 

 ❉   किसी भी बात में फीलिंग आना स्थिति की एकरसता को समाप्त कर देता है जिससे छोटी से छोटी परिस्थिति भी बड़ी दिखाई देती है और असफलता का कारण बन जाती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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