━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

   26 / 10 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °आत्मा रुपी बैटरी° को याद की यात्रा से भरपूर किया ?

 

‖✓‖ तन-मन-धन से और बहुत नम्रता से सेवा कर सबको °बाप का परिचय° दिया ?

 

‖✓‖ दैहिक नातों से °नष्टोमोहा° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ दृष्टि में कोई भी चंचलता हुई तो °रूहानी सर्जन° को सच बताया ?

 

‖✓‖ आपस में °मीठे भाई-बहन° होकर रहे ?

 

‖✗‖ आपस में °मतभेद° में तो नहीं आये ?

──────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °करनहार और करावानहार° की स्मृति से लाइट के ताज्धारी बेफिक्र बादशाह बनकर रहे ?

──────────────────────────

 

आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जिम्मावारी को निभाना यह भी आवश्यक है लेकिन जितनी बड़ी जिम्मेवारी उतना ही डबल लाइट। जिम्मेवारी निभाते हुए जिम्मेवारी के बोझ से न्यारे रहो इसको कहते हैं बाप का प्यारा। घबराओ नहीं क्या करूँ, बहुत जिम्मेवारी है। यह करूँ, वा नहीं यह तो बड़ा मुश्किल है। यह महसूसता अर्थात् बोझ है! डबल लाइट अर्थात् इससे भी न्यारा। कोई भी जिम्मेवारी के कर्म के हलचल का बोझ न हो।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ जिम्मेवारी निभाते हुए जिम्मेवारी के °बोझ से न्यारे° रहे ?

──────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा बेफिक्र बादशाह हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   करनहार और करावनहार की स्मृति से लाइट की ताजधारी बनने वाली मैं आत्मा बेफिक्र बादशाह हूं।

 

 ❉   मैं आत्मा निमित्त हूं, इस स्मृति से करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में हर कर्म करते मै एकदम हल्की रहती हूं ।

 

 ❉   बस बाप और मैं, तीसरा ना कोई - यह अनुभूति मुझे सहज ही बेफिक्र बादशाह बना देती है ।

 

 ❉   सब चिंताएं बाप को देकर मैं माया जीत, कर्मेन्द्रिय जीत और प्रकृति जीत बनती जाती हूं ।

 

 ❉   सब प्रकार के बोझ बाप को दे, हर प्रकार की फिक्र से मुक्त होकर मैं निरंतर उड़ती रहती हूं ।

 

 ❉   अपने निज धाम और अपने निजी स्वरूप् की स्मृति में रहते हुए मैं स्वयं को इस दुनिया से सदा उपराम अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   अपनी लौकिक जिम्मेवारियों को पूरा करते हुए उनसे न्यारी और बाप की प्यारी बन, मैं अपना हर संकल्प और समय सफल करती जाती हूँ ।

──────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - आत्मा रूपी बैटरी 84 मोटरों में जाने के कारण डल हो गई है, अब उसे याद की यात्रा से भरपूर करो"

 

 ❉   किसी भी मोटर को चलाने के लिए उसमें बैटरी डाली जाती है, जिस के ज़ोर से मोटर चलती है ।

 

 ❉   बैटरी ठीक तरह से काम करे, इसके लिए बैटरी में करंट भरी जाती है, जो बैटरी को चार्ज कर मोटर को चलाती है ।

 

 ❉   चलाते - चलाते जब बैटरी खाली हो जाती है और मोटर काम करना बंद कर देती है ।

 

 ❉   तो बैटरी को फिर से चार्ज करने के लिए उसे मेनपावर में लगाया जाता है और बैटरी चार्ज करके फिर मोटर में डाली जाती है ।

 

 ❉   इसी तरह हमारी आत्मा रूपी बैटरी भी 84 मोटरो में जाने के कारण डल हो गई है अर्थात अनेक जन्म ले अलग अलग शरीर धारण कर पार्ट बजाते - बजाते इस पर विकारों की कट चढ़ गई है ।

 

 ❉   इस कट को उतारने के लिए तथा आत्मा रूपी बैटरी को फिर से चार्ज करने के लिए याद की यात्रा जरुरी है क्योंकि केवल एक परमपिता परमात्मा बाप की याद इस आत्मा रूपी बैटरी को चार्ज कर सकती है ।

──────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ हम मीठे बाप के बच्चे हैं, आपस में मीठे बहन-भाई होकर रहना है । कभी भी विकार की दृष्टि नहीं रखनी है ।

 

 ❉   अभी हम ईश्वरीय सम्प्रदाय के बने हैं । हमारा बाप ऊँच ते ऊँच है व स्क्रीन से भी मीठा है व प्यार का सागर है । अपने बच्चों से हमेशा मीठे बच्चे सिकीलधे बच्चे कहता है । इतना मीठा तो लौकिक बाप ने भी कभी नहीं कहा । तो हमें भी मीठा होकर रहना है ।

 

 ❉   प्रजापिता ब्रह्मा की मुखवंशावली संतान है व आपस में भाई बहन हैं । लौकिक में ब्लेड रिलेशन में भाई बहन होते है तो आपस में प्यार होता है । फिर हमारा तो रूहों का सम्बंध है व रूहानी प्यार होना चाहिए कि ये हमारी रूहानी मीठी बहन है व ये हमारा मीठा रूहानी भाई है ।

 

 ❉   जब आत्मिक दृष्टि होती है तो आत्मा भाई भाई की दृष्टि होती है व यही स्मृति रहती है कि ब्राह्मण भाई बहन है व  फिर देवी देवता होंगें ।

 

 ❉   ये आँखे सबसे पहले धोखा देती हैं इसलिए इनकी बहुत सम्भाल रखनी है । क्योंकि जैसा देखते हैं फिर वही विचार चलते हैं व फिर वैसा कर्म करते हैं ।

 

 ❉   अगर कोई गल्ती हो भी जाए तो बाप से सब सच सच बताना हैं छुपाना नहीं है । सब सच बताने से बाप थोडा माफ़ कर देते हैं ।

──────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ करनहार और करावनहार की स्मृति से लाइट के ताजधारी बेफिक्र बादशाह अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   करन करावनहार बाप है, और हम सिर्फ निमित्त इंस्ट्रूमेंट है। वह सर्व शक्तिमान बाबा हमारे साथ है, उसकी श्रीमत प्रमाण हम चल रहे है तो चिंता किस बात की।

 

 ❉   जब बाप ही हमारी नय्या का खिवैया बन गया तो हमारा बेडा पार होना ही है. सच की नैय्या हिलती डुलती है प्रांत डूबती कभी नहीं है, और बाप जो खिवैया बनकर आया है तो हमें वैश्यालय से शिवालय में जरुर ले चलेंगे।

 

 ❉   एक ही स्मृति रहे "हुकुमी हुक्म चला रहा है", हमें बस उस हुक्म का पालन करते जाना है। उस उच्च ते उच्च बाप की श्रीमत के आगे अपनी मनमत नहीं चलाना है।

 

 ❉   वह बाप कल्याणकारी शिव पिता है, कराने वाला करा रहा है, करन हार हम किये जा रहे। इसलिए सदेव स्वयं को सरेंडर करते अर्थात बाप की श्रीमत में सर अंडर करके रहना है। क्या क्यों के प्रश्नों को समाप्त कर, बाप जो बोलो जैसा बोले वही करना है।

 

 ❉   हा जी का पाठ पक्का कारलो। एक बाप के आगे सदेव हाजी करने वाले बच्चो से ही बाप भी राजी रहता है, जिसपर बाप राजी उसको क्या रोकेगा आंधी तूफ़ान, यह सब तो फिर तोहफा बन जायेंगे।

──────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सर्व बन्धनों से मुक्त होने के लिए दैहिक नातो से नष्टोमोहा बनो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जितना आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित रहेंगे, देह और देह के सर्व संबंधो से नष्टोमोहा बन सर्व बंधनो  से मुक्त होते जायेंगे ।

 

 ❉   जब सर्व सम्बन्धों की अनुभूति एक बाप से करेंगे तो दैहिक सम्बन्धो से ममत्व समाप्त होता जायेगा और सर्व बन्धनमुक्त बनते जाएंगे ।

 

 ❉   निरंतर एक बाप की याद सर्व से न्यारा और बाप का प्यारा बना कर दैहिक नातों से मोहजीत बना कर देह के सब बंधनों से मुक्त कर देगी ।

 

 ❉   हद का मैं और मेरा पन देह अभिमान का मुख्य कारण है, इसलिए जब वृति और दृष्टि बेहद की बनती जाएगी तो मोहजीत बन, हद के सर्व सम्बंधों के बन्धन से छूटते जायेंगे ।

 

❉   सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन जब स्वयं को बाप के हवाले कर देंगे तो देह के सम्बन्ध अपनी और आकर्षित नही कर पायेंगे और आत्मा सर्व बन्धनों से मुक्त उपराम स्थिति में स्थित हो जायेगी ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━