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    23 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °बापदादा के गुण° गाते रहे ?

‖✓‖ "हमें °भगवान् पढाते° हैं" - यह ख़ुशी सदा चेहरे से झलकती रही ?

‖✓‖ अपने ऊपर और दूसरों पर °रहम° किया ?

‖✗‖ अल्बेलेपन की नींद में व अल्पकाल की प्राप्ति के नशे में व व्यर्थ संकल्पों के नाच में मस्त होकर अपना °समय तो नहीं गंवाया° ?

‖✗‖ कितना भी कोई प्यारा संबधी हो उसमें °मोह की रग° तो नहीं गयी ?

‖✗‖ °झरमुई झगमुई° तो नहीं की ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

‖✓‖ °सर्व शक्तियों° को आर्डर प्रमाण अपना सहयोगी बनाया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

➳ _ ➳  एकाग्रता की शक्ति बहुत विचित्र रंग दिखा सकती है । एकाग्रता से ही सिद्धियां प्राप्त होती हैं । स्वयं की औषधि भी एकाग्रता की शक्ति से कर सकते हैं । अनेक रोगियों को निरोगी भी बना सकते हैं । कोई ने चलती हुई चीज को रोका, यह एकाग्रता की सिद्धि है । स्टॉप कहो तो स्टॉप हो जाए तब वरदानी रूप में जयजयकार के नारे बजेंगे ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

‖✓‖ एकाग्रता की शक्ति से °सिद्धि स्वरुप° बनने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं प्रकृतिजीत आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   प्रकृति की हलचल से परे रहने वाली मैं सदा मायाजीत, प्रकृतिजीत आत्मा हूँ ।

 ❉   सर्वशक्तियां और प्रकृति मुझ आत्मा की दासी हैं... और समय पर अपना सहयोग देती हैं ।

 ❉   प्रकृति के हर खेल को मैं साक्षी हो कर देखती हूँ ।

 ❉   अपनी परिवर्तन शक्ति से मैं प्रकर्ति को भी परिवर्तन करने की हिम्मत रखती हूँ ।

 ❉   मैं आत्मा अलबेलेपन की नींद में व अल्पकाल की प्राप्ति के नशे में अपना समय नहीं गंवाती हूँ ।

 ❉   संकल्प शक्ति, निर्णय शक्ति और संस्कार की शक्ति तीनो मुझ आत्मा के आर्डर प्रमाण कार्य करती हैं ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारा चेहरा सदा खुशनुमा चाहिए 'हमे भगवान पढ़ाते हैं', यह ख़ुशी चेहरे से झलकनी चाहिए"

 

 ❉   लौकिक पढ़ाई पढ़ने वाले जो होशियार स्टूडेंट होते हैं, उन्हें कितनी ख़ुशी रहती है कि पढ़ाई पढ़ कर हम ऊँच पद पायेंगे ।

 ❉   और हम ब्राह्मण बच्चों की पढ़ाई तो  इस जिस्मानी पढ़ाई से भी कितनी ऊँची और श्रेष्ठ प्राप्ति कराने वाली है ।

 ❉   हमे कोई जिस्मानी टीचर या गुरु नही पढ़ाते बल्कि स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा ब्रह्मा मुख द्वारा हम बच्चों को रूहानी पढ़ाई पढ़ाते हैं ।

 ❉   जिसे पढ़ कर हम मनुष्य से देवता बन जाते हैं ।भविष्य 21 जन्मों के लिए विश्व महाराजन बन सुखी, शांत और सम्पन्न जीवन व्यतीत करते हैं ।

 ❉   तो इस बात को सदा स्मृति में रखते हुए कि  'हमे स्वयं भगवान पढ़ाते हैं', सदा खुशनुमा रहना चाहिए और ख़ुशी की झलक हमारे चेहरे पर सदा दिखाई देनी चाहिए ।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-10)

 

➢➢ घूमते फिरते याद में रहना है, झरमुई, झगमुई नहीं करना है।

 

 ❉   घूमते फिरते हरेक कर्म करते हुए एक की ही शिवबाबा की याद में रहना है। बाप की याद रहती है तो घर की याद आपे ही आ जाती है।

 ❉   परमपिता परमात्मा ने हमें अपना बनाया है व हम उसके बने हैं। हमें विश्व की बादशाही मिलती है तो अथाह ख़ुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए।

 ❉   जो जितना प्यार से याद करते है उतने बाबा के दिल पर चढ़ते है व बाबा भी उन बच्चों को स्वयं याद करते हैं।

 ❉   परमपिता परमात्मा बाप को याद करने से पाप कटते जाते हैं। याद में नहीं रहते तो पुरानी दुनिया व पुराने सम्बंध याद आते हैं तो झरमुई, झगमुई नहीं करना है। विनाश होने वाली चीज़ों को याद नहीं करना।

 ❉   हमें याद करने के लिए अपने धंधेखोरी को छोड़कर नहीं बैठना। हम कर्मयोगी है, कर्म करते हुए याद में रहना है। याद में रहकर कार्य करते हैं तो कार्य सहज हो जाते हैं।

 ❉   घूमते फिरते याद में रहते है तो रूहानी नशा रहता है, ख़ुशी रहती है। माया भी याद में बिजी देखकर नमस्कार करके चली जाती है व झरमुई, झगमुई से भी बचे रहते हैं।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

 

➢➢ सर्व शक्तियों को आर्डर प्रमाण अपना सहयोगी बनाने वाले प्रकृतिजीत बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   प्रक्रतिजीत अर्थात स्वयं की कर्मेन्द्रियो पर भी राज्य करने वाले, जिसका स्वयं पर राज्य हो वही प्रकृति पर भी जीत पा सकते है।

 ❉   जब हम अपने श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहते है तो सभी शक्तिया हमारी दासी बन कर हाजिर होती है और हमारा हुक्म मान हमारी सहयोगी बनती है।

 ❉   "में मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हु" यह स्मृति से हम कोई भी कार्य में सहज सफलता प्राप्त कर सकते है।

 ❉   जब सभी शक्तिया हमारे आर्डर प्रमाण चलेंगी तो हमसे कोई विकर्म नहीं होगा और प्रक्रतिजीत बन जायेंगे।

 ❉   सही समय पर सही शक्ति का आव्हान करना और एक सेकंड में उस शक्ति के स्वरुप में स्थित हो जाना यही अभ्यास हमें प्रक्रतिजीत बना सकता है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

 

➢➢ बापदादा के गुण गाते रहो तो स्वयं भी गुणमूर्त बन जायेंगे... कैसे ?

 

 ❉   बाप दादा के गुण गाते रहेंगे तो गुणों पर विशेष अटेंशन जायेगा और हम गुणमूर्त बन सबमे गुण ही देखेंगे । किसी की भी कमी कमजोरी देखते हुए भी दिखाई नही देगी ।

 ❉   बापदादा के गुण गाते रहने से बाप दादा के गुणो की धारणा ऑटोमेटिकली हमारे अंदर होती जायेगी जो स्वयं हमे भी गुण मूर्त बना देगी ।

 ❉   बापदादा के गुण गाते रहने से बाप दादा के रॉयल बच्चे बन रॉयल्टी से भरपूर रहेंगे । और रॉयल आत्मा सदैव सर्व में गुणों को देखती और गुणों को धारण करती है ।

 ❉   बाप दादा के गुण गाते रहेंगे तो दैवी गुणों  से सम्पन्न बनते जायेंगे और गुणमूर्त बन सबको गुणों का दान करते रहेंगे ।

 ❉   बाप दादा के गुण गाने से स्वभाव में मधुरता और नम्रता आती जायेगी और नम्रता का गुण सहज ही गुणमूर्त बना देगा ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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