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   20 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °शांतिधाम - सुखधाम° को याद किया ?

 

‖✓‖ °एक ईश्वर की मत° पर चले ?

 

‖✓‖ बाप से °कनेक्शन ठीक° रख सर्व शक्तियों की करंट लेते रहे ?

 

‖✓‖ °कर्म करते भी° एक बाप की याद में रहने का अभ्यास किया ?

 

‖✓‖ कम से कम °8 घंटा याद° में रहने का पुरुषार्थ किया ?

 

‖✗‖ याद में जो माया विघन डालती है, उससे °घबराए° तो नहीं ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ नॉलेज रुपी चाबी द्वारा भाग्य का °अखूट खजाना° प्राप्त किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जैसे कोई भी बात सामने आती है, तो स्थूल साधन फौरन ध्यान में जाते हैं लेकिन स्थूल साधन होते हुए भी ट्रायल योगबल की ही करनी चाहिए। जैसे साइंस के यंत्रों द्वारा दूर का दृश्य सन्मुख अनुभव करते हो, वैसे साइलेंस की शक्ति से भी दूरी समाप्त हो सामने का अनुभव आप भी करेंगे और अन्य आत्मायें भी करेंगी, इसको ही योगबल कहा जाता है।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ कोई भी बात सामने आने पर °योगबल से उसका समाधान° निकाला ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं मालामाल हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मैं अविनाशी ज्ञान रत्नों, सर्व गुणो, सर्व शक्तियों और सर्व खजानो से सम्पन्न आत्मा हूँ ।

 

 ❉   संगमयुग पर स्वयं परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने आकर मुझे भाग्य का अखुट खजाना प्राप्त करने की नॉलेज रूपी चाबी दे कर मालामाल कर दिया है ।

 

 ❉   सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा बाप ने मुझे अपनी सर्व शक्तियों का अधिकारी बना दिया है ।

 

 ❉   बाबा से मिली सर्वशक्तियों की अथॉरिटी से मैं आत्मा सिद्धि स्वरूप बन हर कार्य में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ।

 

 ❉   नॉलेज की चाबी द्वारा मैं जितना चाहे उतना अपने श्रेष्ठ भाग्य का खजाना जमा कर सकती हूँ ।

 

 ❉   सर्व खजानो से मालामाल हो कर मैं सदैव अपरमअपार ख़ुशी के झूले में झूलती रहती हूँ ।

 

 ❉   ख़ुशी का अखुट अविनाशी झरना लगातार मुझ आत्मा के ऊपर बहता रहता है और मुझे आनन्द से भरपूर करता रहता है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे अभी ज्ञान की दृष्टि मिली है, इसलिए तुम्हारा भटकना बन्द हुआ, तुम शांतिधाम - सुखधाम को याद करते हो"

 

 ❉   मनुष्य तभी भटकते हैं जब उन्हें यह ज्ञान नही होता कि क्या सही है और क्या गलत है ।

 

 ❉   पूरे 63 जन्म हम भी सुख शांति की तलाश में भटकते ही आये क्योकि यह ज्ञान नही था कि सुख शान्ति कैसे और कहाँ मिलेगी ।

 

 ❉   सुख शान्ति की तलाश में दर - दर ठोकरें खाते रहे । मन्दिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और तीर्थ स्थानों पर भटकते रहे, परन्तु कोई प्राप्ति नही हुई ।

 

 ❉   किन्तु अब परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने हमे ज्ञान की दृष्टि दे कर दर - दर भटकने और ठोकरें खाने से बचा लिया है ।

 

 ❉   हमें ज्ञान मिल गया है कि सच्ची और स्थाई शांति और सुख तो शान्तिधाम - सुखधाम में ही मिल सकता है । इसलिए अब हम बुद्धि से शांतिधाम - सुखधाम को याद करते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ इस पुरूषोत्तम संगमयुग पर ईश्वरीय सम्प्रदाय का बन, ईश्वर की मत पर चलना है ।

 

 ❉   अहो सौभाग्य ! भगवान ने स्वयं हमारा हाथ पकड़ कर और कीचडे के डिब्बे से निकाल फूल बना रहे हैं । अब हमें भगवान की श्रीमत मिली है उसे अच्छी रीति पालन कर ईश्वरीय सम्प्रदाय  (बाप ) का नाम बाला करना है ।

 

 ❉   पहले  के नयन नहीं  तो हम कलयुग मेंँ थे । अब ज्ञान के सागर बाप से रूहानी ज्ञान मिलने पर हम कल्याणकारी संगमयुग में हैं । हम भगवान के बच्चे हैं व ईश्वरीय कुल के हैं । भगवान हमें पुरूषों में उत्तम बना रहे है ।

 

 ❉   बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परम आत्मा को याद में रहते हो तो ईश्वरीय परिवार के हो, अपनी ही दैवीय फ़ैमिली है ।

 

 ❉   इस संगमयुग पर बाप टीचर बन कर इस अंतिम जन्म में जो पढ़ाई पढ़ाते है उसकी प्रालब्धँ नयी दुनिया में मिलती है । इस पढ़ाई से मनुष्य से देवता बनते हैं ।

 

 ❉   63 जन्म तो आसुरी सम्प्रदाय के बने रहे और विकार करते करते सतोप्रधान से तमोप्रधान बन गए । अब सत्य का ज्ञान मिलने पर ईश्वर की मत पर चलते हुए काम काज करते हुए बस एक बाप की याद में ही रहना है । याद से ही विकर्म होंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ नॉलेज रूपी चाबी द्वारा भाग्य का अखूट खजाना प्राप्त करने वाले मालामाल बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   नॉलेज इस द सोर्स ऑफ़ इनकम, नॉलेज द्वारा ही हमें उचा पद मिलेगा, सारा मदार पढाई पर है। जो जितनी पढाई पड़ेगा और पढ़ायेगा उसको उतना उचा पद मिलेगा।

 

 ❉   ज्ञान सागर बाप रूहानी टीचर बन हम बच्चो को पढाई पढ़ाने आये है, इस पढाई द्वारा ही हम समझदार बन भविष्य 21 जन्मो के लिए रजाई प्राप्त करते है।

 

 ❉   नॉलेज की चाबी द्वारा ही बाप ने हम बच्चो की बुद्धि का बंद ताला खोला है, हमें सुजाक किया है, अज्ञान अन्धकार से निकाला है।

 

 ❉   जो बच्चे रेगुलर पढाई पढ़ते है उनकी बुद्धि शुद्ध होती जाती है, वह बच्चे आज्ञाकारी बन बाबा के सच्चे सपूत बनते व अपने श्रेष्ठ भाग्य का निर्माण करते है।

 

 ❉   रोज़ मुरली में बाबा हम बच्चो को अखूट ज्ञान खजाने से भरपूर करते है।ज्ञान रत्नों की बरसात करते है इतना मालामाल बना देते जो 21 जन्मो के लिए कभी मांगने की दरकार ही नहीं रहती।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ बाप से कनेक्शन ठीक रखो तो सर्व शक्तियों की करेंट आती रहेगी... कैसे ?

 

 ❉   एक बाप से कनेक्शन ठीक होगा तो परमात्म छत्र छाया के अंदर रह, परमात्म प्यार और परमात्म शक्तियों की अनुभूति करते रहेंगे ।

 

 ❉   बुद्धि की तार केवल एक बाप के साथ जुडी होगी तो बुद्धि हद के आकर्षणों में खचित होने की बजाए परमात्म शक्तियों का करेंट ले आनंद विभोर होती रहेगी ।

 

 ❉   एक बाप के साथ कनेक्शन आत्मा को सर्व से न्यारा और बाप का प्यारा बना कर बाप की सर्वशक्तियो, सर्वखजानो का वारिस बना देगा ।

 

 ❉   मन बुद्धि का कनेक्शन एक बाप से होगा तो आत्मा देह और देह के आकर्षणों से मुक्त हो, परमात्म शक्तियों का करेंट लेती रहेगी ।

 

 ❉   आत्मा सर्व शक्तियों की करेंट परमात्मा बाप से तभी ले सकती है जब आत्मा उपराम और न्यारी अवस्था में स्थित रहे और मन बुद्धि की तार केवल परमात्मा बाप के साथ जुड़ी हुई हो ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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