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❍ 31 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ सहज ही °आवाज़ से परे° जाने का अभ्यास किया ?
‖✓‖ °ख़ुशी की खुराक° खाते हुए अतीन्द्रिय सुख का अनुभव किया ?
‖✓‖ सवेरे सवेरे उठकर बाबा से °मीठी मीठी बातें° की ?
‖✓‖ बाप का पूरा पूरा °मददगार° बनकर रहे ?
‖✓‖ "°बाबा भी ड्रामा के बंधन° में बंधा हुआ है" - यह बात यथार्थ रीति समझी ?
‖✓‖ °भोजन शुधि° से बनाया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °शांति के दूत° बन आत्माओं को शांति का सन्देश दिया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ डबल लाइट बन दिव्य-बुद्धि रूपी विमान द्वारा सबसे ऊंची चोटी की स्थिति में स्थित हो, अव्यक्त वतनवासी बन विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना के सहयोग की लहर फैलाओ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति °शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना° के सहयोग की लहर फैलाई ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मै आत्मा मास्टर शांति दाता शक्ति दाता हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ शांति की दूत बन सर्व आत्माओं को शांति का संदेश देने वाली मैं आत्मा मास्टर शांति दाता, शक्ति दाता हूं ।
❉ सदा अपने शांत स्वरुप में स्थित रहकर मैं सर्व आत्माओं को शांति का अनुभव कराती हूं ।
❉ मेरा शक्ति स्वरुप सर्व आत्माओं को शक्ति संपन्न बना रहा है ।
❉ मुझ आत्मा से निकल रहे भिन्न भिन्न श्रेष्ठ वायब्रेशन्स के फाउन्टेन के नीचे सर्व आत्माएं सुख की अनुभूति कर रही हैं ।
❉ मैं बाप से मिले सर्व खजानो को स्व के प्रति और सर्व आत्माओं के प्रति यूज़ करने वाली महादानी आत्मा हूँ ।
❉ मुझ शक्ति सम्पन्न आत्मा से सर्व आत्माओं को श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति व सर्वशक्तियों की प्राप्ति होती है ।
❉ मैं आत्मा वाइसलेस बन दुखी आत्माओ के दुःख और अशांति की स्थिति को जान उन्हें सुख और शान्ति के वायब्रेशन्स द्वारा शीतल करती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - सवेरे - सवेरे उठ बाबा से मीठी - मीठी बातें करो, विचार सागर मंथन करने के लिए सवेरे का टाइम बहुत अच्छा है"
❉ भक्ति मार्ग में भी सवेरे के समय का विशेष गायन है । भक्ति के लिए सवेरे का समय विशेष रूप से उपयोगी माना गया है ।
❉ इसलिए भक्त लोग भी सवेरे - सवेरे जल्दी उठ कर देवताओं को नहला कर, विधिवत उनकी पूजा अर्चना करते हैं ।
❉ हम ब्राह्मण बच्चों के लिए तो सवेरे का समय विशेष वरदानी समय है । क्योकि इस समय स्वयं भगवान हमारी झोलियाँ वरदानों से भर कर, हमे शक्तियों और खजानो से भरपूर कर देते हैं ।
❉ इसलिए सवेरे - सवेरे उठ बाबा से मीठी - मीठी बातें करो । बड़े प्यार से बाबा को याद करो ।
❉ सवेरे के समय बुद्धि स्वच्छ और निर्मल होती है इसलिए विचार सागर मंथन करने के लिए भी सवेरे का टाइम बहुत अच्छा है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सतयुगी राजधानी स्थापन करने में बाप का पूरा मददगार बनने के लिए पावन रहना है, याद में विकर्म विनाश करने है, भोजन भी शुद्धि से बनाना है ।
❉ अभी तक देह अभिमान में रहकर विकारों में फँसे रहे व विकर्म करते रहे । अब सत का ज्ञान मिलने पर अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है व आत्मा पर लगी कट उतारनी है ।
❉ पुरानी दुनिया का विनाश कर नयी दुनिया की स्थापना का कार्य बाप गुप्त रूप से हम बच्चों से करा रहा है व नयी दुनिया तो सतोप्रधान है इसलिए अपने पुराने स्वभाव संस्कारों का योगबल से विनाश कर पावन बन बाप का मददगार बनना है ।
❉ बाबा की याद में रहकर ही सात्विक भोजन बनाना है क्योंकि जैसा खायेंगे अन्न वैसा होगा मन । मन शुद्ध होगा तो विचार भी शुद्ध होंगे । जैसी वृत्ति वैसी कृति , जैसी कृति वैसी दृष्टि, जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि ।
❉ देह सहित सब सम्बंधों को भूल बस एक बाप की याद में रहना है व याद से ही शक्ति मिलती है । बाप से सर्वशक्तियाँ प्राप्त कर पावन बन सतयुगी राज्य की स्थापना कर बाप का मददगार बनना है ।
❉ नयी दुनिया में पावन बने बग़ैर तो जा नहीं सकते इसलिए बाप की श्रीमत पर चल दैवीगुणों को धारण कर इस अंतिम जन्म में पावन बनना है व नयी दुनिया में राजाई पद पाना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ शान्ति का दूत बन सर्व को शान्ति का सन्देश देने वाले मास्टर शान्ति, शक्ति दाता कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ शांति के सागर बाप के हम बच्चे मास्टर शांति के सागर है। जहाँ भी जाये हमें शांति के वाइब्रेशन ही फ़ैलाने है। सबको शांति का दान देना है।
❉ शांति हम आत्माओ का स्वधर्म है। शांति के लिए आत्माये बहुत भटक रही है, न जानने के कारण स्वयं शांत स्वरुप होते भी अल्पकाल के साधनों में शांति ढूंड रही है।
❉ सच्ची शांति एक शांति के सागर परमपिता परमात्मा से ही मिल सकती है। शंतिधाम है ही शांति की दुनिया जहाँ आत्माये बहुत शांति में रहती है, कोई चुरपुर नहीं। वही शांति आत्माये यहाँ अनुभव करना चाहती है।
❉ हम जहा भी जाये, जहा से भी गुजरे हमारे से शांति की फीलिंग सबको हो। इसके लिए हमें स्वयं शांत स्वरुप होकर रहना होगा, शांति की शक्ति से स्वयं को भरपूर करना होगा।
❉ दाता के बच्चे हम भी दूत है, कैसी भी अशान्त आत्मा हमारे सामने आते ही स्वयं को शान्त अनुभव करे। सभी उसके संकल्प, विकल्प शांत हो जाये।अपकारियो पर भी उपकारी बनना है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ जैसे आवाज में आना सहज लगता है वैसे आवाज से परे जाना भी सहज हो... कैसे ?
❉ जितना अंतर्मुखता में रहेंगे, साइलेन्स का बल अपने अंदर जमा करते जायेंगे जिससे आवाज से परे जाना उतना ही सहज अनुभव होगा जितना आवाज में आना ।
❉ एकांतवासी बन जितना बाप की याद मे रहेंगे उतना योग का बल अपने अंदर जमा करते जायेंगे और योग का बल आत्मा को सेकण्ड में आवाज से परे की गहन शांति की स्थिति में स्थित कर देगा ।
❉ एक सेकण्ड में देह से न्यारे होने और कर्म करने हेतु देह में वापिस आने का निरन्तर अभ्यास आत्मा को जब चाहे आवाज से परे की स्थिति में स्थित करने में सहायक बन जायेगा ।
❉ स्वराज्य अधिकारी की सीट पर जब सदा सेट रहेंगे तो कर्मेन्द्रियों की चंचलता समाप्त हो जायेगी और मन बुद्धि को जहां लगाना चाहेंगे वहीं एकाग्र कर सेकण्ड में आवाज से परे जा सकेंगे ।
❉ नष्टोमोहा स्मृतिस्वरूप स्थिति में स्थित रहने का निरन्तर अभ्यास आत्मा को जब चाहे आवाज से परे जाने का अभ्यासी बना देगा । जिससे आवाज से परे जाना भी उतना ही सहज होगा जितना आवाज में आना सहज लगता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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