━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

    19 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ °दृढ़ता° द्वारा कड़े संस्कारों को भी मोम की तरह पिघलाया ?

‖✓‖ सदा °उपराम° रहने का अभ्यास किया ?

‖✓‖ बापदादा के लाडले °मरजीवा जन्मधारी° ब्राह्मण बनकर रहे ?

‖✓‖ °सच्चा लव° एक बाप से ही रहा ?

‖✓‖ अपनी दृष्टि °पवित्र° रखी ?

‖✗‖ °देह अभिमान° की मिटटी में तो नहीं खेले ?

‖✗‖ कभी °लडे झगडे° तो नहीं ?

───────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

‖✓‖ °स्वस्थिति° की सीट पर सेट रह परिस्थितियों पर विजय प्राप्त की ?

───────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

‖✓‖ आज दिन भर मुरली के पॉइंट्स को बार बार °दोहराया° (रीवाइज) किया ?

───────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)

 

➢➢ मैं आत्मा मास्टर रचता हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं आत्मा सदैव मास्टर सर्वशक्तिमान की सीट पर सेट रह हर परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त करती हूँ ।

 ❉   मैं आत्मा सर्व शक्तियों की मालिक हूँ ।

 ❉   सर्व शक्तियों की ऑथोरिटी द्वारा मैं माया पर जीत पा कर, माया को भी सरेण्डर कर देती हूँ ।

 ❉   मास्टर रचयिता की सीट पर सेट रह कर, अधिकारिपन की स्मृति द्वारा मैं अपनी कर्मेन्द्रियों पर जीत पाती हूँ ।

 ❉   स्वयं भगवान ने मुझे मास्टर आल माइटी ऑथोरिटी बना कर स्व पर और विश्व पर राज्य करने की अथॉरिटी दी है ।

 ❉   मैं आत्मा सदैव देह अभिमान की मिटटी से दूर रह बापदादा की लाडली मरजीवा जनमधारी ब्राह्मण आत्मा हूँ ।

───────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - जैसे तुम आत्माओं को यह शरीर रूपी सिहांसन मिला है, ऐसे बाप भी इस दादा के सिहांसन पर विराजमान हैं, उन्हें अपना सिहांसन नही"

 

 ❉   परमधाम से इस सृष्टि रंग मंच पर पार्ट बजाने के लिए आने वाली हर आत्मा को शरीर रूपी सिहांसन का आधार लेना पड़ता है ।

 ❉   क्योकि जब तक आत्मा शरीर रूपी सिहांसन का आधार ना ले तब तक कोई भी कर्म कर ना सके ।

 ❉   तो जैसे हम सभी आत्माओं को कर्म करने के लिए यह शरीर रूपी सिहांसन मिला है, ऐसे ही परम पिता परमात्मा को भी इस धरा पर आकर हम आत्माओं को ज्ञान सुना कर हमारी सदगति करने के लिए शरीर रूपी सिहांसन का आधार लेना पड़ता है ।

 ❉   इसलिये अब परम पिता परमात्मा बाप ने इस दादा अर्थात प्रजापिता ब्रह्मा के तन को अपना सिहांसन बनाया है । ताकि हम सभी आत्माओं को ज्ञान दे कर हमारा कल्याण कर सकें ।

 ❉   क्योंकि परम पिता परमात्मा बाप निराकार हैं, उन्हें अपना सिहांसन नही है ।

───────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ अपने ऊपर आपेही रहम करना है, अपनी दृष्टि बहुत ऊँची पवित्र रखनी है।

 

 ❉   अपने ऊपर आपेही रहम करना है बाप ने जो दिव्य दृष्टि द्वारा ज्ञान का तीसरा नेत्र खोला है उसके द्वारा ज्ञान को धारण कर पतित से पावन बनना है।

 ❉   हम ब्राह्मण बच्चे ईश्वरीय संतान हैं व आत्मा-आत्मा भाई भाई हैं तो सदा आत्मिक दृष्टि व पवित्र दृष्टि रखनी है

 ❉   भगवान हमारे पिता है व टीचर भी है व जो पढाते हैं हम उस पढ़ाई को पढ़कर देवी देवता बनते हैं, विश्व का मालिक बनाते हैं। हमें इतने ऊंच पद को पाने का नशा होना चाहिए।

 ❉   हमें अपने ऊपर रहम करना चाहिए व अपने ऊपर अटेंशन देनी चाहिए कि हम क्या थे व हमारे परमपिता परमात्मा ने स्वयं आकर हमें क्या से क्या बना दिया। हमारे कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बना दिया।

 ❉   अगर हमारी कुदृष्टि हो गई तो सारी कमाई चट हो जायेगी व ऐसे गिरेंगे जैसे पाँचवी मंज़िल से। इसलिए अपनी दृष्टि बहुत ऊँची व पवित्र रखनी है।

 ❉   अपनी दिव्य दृष्टि से किसी भी शरीरधारी को देख मस्तक की तरफ आत्मा को व मस्तकमणी को ही देखना है तो महावीर, शक्तिरूप, शिव शक्ति ही दिखाई देंगे।

───────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ स्व स्थिति की सीट पर स्थित रह परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करने वाले ही मास्टर रचता बनते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   स्व स्थिति की सीट हाईएस्ट पोजीशन है इसपर सेट रह हम कोई भी परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर सकते है।

 ❉   हम मास्टर रचता आत्माओ को "सदा विजयी भव" का बाप से वरदान प्राप्त है।

 ❉   जो स्व स्थिति में सेट रहते है उनके द्वारा निकले हुए पावरफुल वाइब्रेशन अनेक परिस्थितियों पर विजय दिलाते है।

 ❉   "में विजयी रत्न हूँ" यह हम बच्चो को बाप से वरदान प्राप्त है, जो किसी भी परिस्थिति पर विजय दिला सकता है।

 ❉   जो स्व की स्थिति से अनेक परिस्थितियों को पार कर इस विश्व का परिवर्तन कर नयी दुनिया बनाने वाले बाप के मददगार है वही मास्टर रचता है।

───────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ दृढ़ता कड़े संस्कारों को भी मोम की तरह पिघला ( खत्म कर ) देती है... कैसे ?

 

 ❉   दृढ निश्चय से कड़े से कड़े संस्कार भी आसानी से परिवर्तित हो जाते हैं । क्योकि जहाँ दृढ़ता हैं वहाँ मुश्किल से मुश्किल बात भी सहज हो जाती है ।

 ❉   हिम्मते बच्चे मददे बाप गाया हुआ है । इसलिए  दृढ़ता से कड़े से कड़े संस्कार को भी परिवर्तित करने में अर्थात कठिन से कठिन कार्य में भी बाप की मदद स्वत:मिलती है ।

 ❉   दृढ़ता से किया हर कार्य उमंग उत्साह से भरपूर होता है और उमंग उत्साह कड़े संस्कार जैसी मुश्किल बातों को भी सहज बना देता है ।

 ❉   दृढ़ निश्चय से किये हर कार्य में पूरी लग्न और मेहनत समाई होती है और मेहनत सफलता की कुंजी है जिसके आगे कड़े से कड़े संस्कार भी मोम की तरह पिघल जाते हैं ।

 ❉   दृढ निश्चय स्व स्तिथि को मजबूत बनाता है और मजबूत स्व स्तिथि कड़े से कड़े संस्कारो पर भी विजय प्राप्त कर लेती है ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━