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   31 / 07 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °दिल के स्नेह° से सबका सहयोग सहज प्राप्त किया ?

 

‖✓‖ ज्ञान तलवार में °याद का जौहर° भरा ?

 

‖✓‖ °ज्ञान को अच्छी रीति धारण° कर सदा हार्षित रहे ?

 

‖✓‖ "हमें °अच्छी रीति पढ़कर° अपने को राजतिलक देना है" - सदा एक ही फिक्र में रहे ?

 

‖✓‖ "हमें °लक्ष्मी-नारायण° जैसा बनना है" - सदा यही उल्लास रहा ?

 

‖✗‖ °गन्दे बाइसकोप° देख अपने संकल्पों को अपवित्र तो नहीं बनाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ हर खजाने को कार्य में लगाकर °पदमों की कमाई° जमा की ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  याद को शक्तिशाली बनाने के लिए विस्तार में जाते सार की स्थिति का अभ्यास कम न हो, विस्तार में सार भूल न जाये। खाओ-पियो, सेवा करो लेकिन न्यारेपन को नहीं भूलो। साधना अर्थात् शक्तिशाली याद। निरन्तर बाप के साथ दिल का सम्बन्ध। साधना इसको नहीं कहते कि सिर्फ योग में बैठ गये लेकिन जैसे शरीर से बैठते हो वैसे दिल, मन, बुद्धि एक बाप की तरफ बाप के साथ-साथ बैठ जाए। ऐसी एकाग्रता ही ज्वाला को प्रज्जवलित करेगी।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ विस्तार में सार भूले तो नहीं ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं पदमापदम सौभाग्यशाली आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   हर खजाने को कार्य में लगा कर पदमो की कमाई जमा करने वाली मैं पदमापदम सौभाग्यशाली आत्मा हूँ ।

 

 ❉   संगम युग के एक एक सेकण्ड के महत्व को जान, बाप की याद से हर सेकण्ड को सफल करती जाती हूँ

 

 ❉   बाप द्वारा मिले वरदानो को स्वयं अपने प्रति जमा कर, औरों के प्रति दान करने वाली मैं वरदानी मूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   भोले भंडारी बाप के सर्व खजानों की मालिक बन मैं बाप से सर्व अधिकार प्राप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   संकल्प के खजाने को, ज्ञान के खजाने को और स्थूल धन के खजाने को उचित तरीके से कार्य में लगा कर मैं जमा का खाता बढाती जाती हूँ ।

 

 ❉   स्वयं भगवान मेरा साथी है, उसकी हजार भुजाओं के नीचे मैं स्वयं को सुरक्षित अनुभव कर निरंतर आगे बढती जाती हूँ ।

 

 ❉   बुद्धि को बाप के हवाले कर, दिलाराम बाप के दिल रूपी तख़्त पर विराजमान रहने वाली मैं बाप की दिल तख़्त नशीन आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ “मीठे बच्चे – सदा एक ही फ़िक्र में रहो कि हमे अच्छी रीति पढ़ कर अपने को राजतिलक देना है, पढाई से ही राजाई मिलती है"

 

 ❉   किसी भी ऊंच पद की प्राप्ति का मुख्य आधार पढाई होता है ।

 

 ❉   लौकिक में भी जिन बच्चों को पढाई का फ़िक्र रहता है, जो अच्छी रीति पढ्ते हैं, वही ऊंच पद प्राप्त करते हैं ।

 

 ❉   विश्व महाराजन बनने की हमारी भी यह रूहानी पढाई है ।

 

 ❉   इस पढाई से हम भविष्य 21 जन्मो के लिए विश्व की राजाई प्राप्त करते हैं ।

 

 ❉   इसलिए सदा यही फ़िक्र रहे कि हमे अच्छी रीति पढ़ अपने को राजतिलक देना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ ज्ञान तलवार में याद का जौहर भरना है । याद से ही बंधन काटने हैं ।

 

 ❉   ज्ञान तलवार में जितना याद का जौहर होता है समझाने वाले का तीर दूसरे पर उतना ही जल्दी लगता है व ज्ञान को अच्छी रीति समझ लेता है ।

 

 ❉   जितना ज़्यादा ज्ञान की गहराई में जाते हैं उतना ही याद में रमते जाते हैं व संकल्पों में दृढ़ता रहती है । माया व मायापति में फ़र्क़ समझ आता है । झुकाव माया की तरफ न होकर चिंतन में ज़्यादा रहता है ।

 

 ❉   जैसे कमल के फूल पर पानी की बूँद नहीं ठहरती उसी प्रकार जिसके हर श्वास में याद रहती है उसके ऊपर बाहरी वृत्तियों का कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता व वो अपने को कछुए की भाँति बाहरी दुनिया से समेट लेता है ।

 

 ❉   जो विचार सागर मंथन कर याद में रहता है वो दृढ़निश्चयी होकर अपना अटेंशन लक्ष्य पर ही रखता है व विजयी होता है व याद से ही अपने विकर्मों का विनाश करता है ।

 

 

 ❉  ज्ञान की गहराई में जाकर व उसे धारण कर याद का बल जमा करता है वही उसकी सच्ची व अविनाशी कमाई है । जिससे वह नयी दुनिया के लिए राजाई पद प्राप्त करता है ।

 

 ❉   अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है । ये ज्ञान तो बाप के सिवाय और कोई सुना न सके। बाप को यथार्थ रीति याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे व पावन बनेंगे। ज्ञान के साथ-साथ याद में जितना रहेंगे उतनी ही हमारी स्थिति अच्छी होगी।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ हर खजाने को कार्य में लगाकर पदमो की कमाई जमा करने वाले स्वयं को पदमापदम भाग्यशाली अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बाबा ने हमें श्रेष्ठ विचार, गुण, शक्तियाँ सबसे भरपूर किया है यह सब हम जितना दुसरो को देंगे उतनी ही बढती जाएगी व उतना ही गुणों, शक्तियों का अनुभवी बनते जायेंगे और अथॉरिटी आती जाएगी।

 

 ❉   सच्चा सौदागर बाप एक के बदले पदम देते है, यह बेहद का सौदा है जो कोई विरला ही कर सके। एक के बदले पदम पाने का यही स्वर्णिम अवसर है सरे कल्प में फिर कभी नहीं आता।

 

 ❉   परमात्मा हमें ब्राह्मण सो देवता बनाने आये है तो हमें सदेव सबको कुछ न कुछ देते जाना है और सर्व आत्मा के साथ-साथ परमात्म दुवाओ का अधिकारी बनना है। हमारा यह जीवन परमात्मा के कार्य में मदद आ सके इससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा?

 

 ❉   हम ब्राह्मण आत्माये इस कल्प वृक्ष की जड़ो में बेठी है, हमारे प्रत्येक विचार व कर्म के वाइब्रेशन पुरे झाड़ में फैलते है इसलिए जब हम हमारे श्रेष्ठ खजानों को कार्य में लगाते है तो स्व का ही नहीं अपितु सारे विश्व का कल्याण होता है।

 

 ❉   हमारे पास जो भी हो तन, मन, धन, समय, संकल्प, वाणी, कर्म परमात्मा की श्रीमत पर विश्व की आत्माओ के सेवा अर्थ सफल करना है, जो सफल करेगा वही सफलता पायेगा।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ जहाँ दिल का स्नेह है वहाँ सबका सहयोग सहज प्राप्त होता है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   दिल से सबको स्नेह देने वाले सबकी दुआओं के पात्र बन जाते हैं इसलिए उन्हें सबका सहयोग सहज ही प्राप्त होता है ।

 

 ❉   जो दिल से सबको स्नेह देते हैं वो स्वयं भी संतुष्ट रहते हैं और सर्व को संतुष्ट कर सबकी दुआओं के पात्र बन जाते हैं ।

 

 ❉   दिल से स्नेह देने वाले गुणग्राही बन दूसरों के अवगुणों को ना देखते हुए सबमे गुण ही देखते हैं और सबका सहयोग प्राप्त करते हैं ।

 

 ❉   दिल का स्नेह हद की दृष्टि, वृति को बेहद की बना कर, सबके स्नेह और सहयोग का पात्र बना देता है ।

 

 ❉   दिल का स्नेह व्यवहार में सच्चाई और सफाई ले आता है और जहां सच्चाई और सफाई है वहाँ सबका सहयोग सहज प्राप्त होता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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