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❍ 19 / 04 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °नम्रता° रुपी कवच द्वारा स्नेह और सहयोग की प्राप्ति की ?
‖✓‖ स्थूल हाथ चलाते हुए °मनसा से शक्तियों का दान° देते रहे ?
‖✓‖ अगर दूसरा रांग करता है तो उस समय °समाने की शक्ति° का यूज़ किया ?
‖✓‖ सम्बन्ध संपर्क में आते हुए °बेहद का सम्बन्ध° अनुभव किया ?
‖✓‖ बेहद के त्याग और °बेहद की तपस्या° की अनुभूति की ?
‖✓‖ °द्रिड संकल्प° के हाई जम्प द्वारा 'चाहिए' को 'करके दिखाऊँगा' में परिवर्तित किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °ब्रह्मा बाप समान° महा त्याग से महान भाग्य बनाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ मन्सा सेवा के लिए मन, बुद्धि व्यर्थ सोचने से मुक्त होना चाहिए । “मनमनाभव” के मन्त्र का सहज स्वरूप होना चाहिए । जिन श्रेष्ठ आत्माओं की श्रेष्ठ मन्सा अर्थात् संकल्प शवितशाली हैं, शुभ- भावना,शुभ-कामना वाले हैं वह मन्सा द्वारा शक्तियों का दान दे सकते हैं ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °मनमनाभव° के मन्त्र का सहज स्वरूप बनकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विश्व महाराजन हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं आदिदेव प्रजापिता ब्रह्म मुख वंशावली ब्राह्मण, विश्व महाराजन बनने वाली महान आत्मा हूँ ।
❉ मैं आत्मा सदैव ब्रह्मा बाप के हर कदम रुपी कदम के पीछे अपना कदम उठाती हूँ ।
❉ अपने चेहरे, चलन और व्यक्तित्व से ब्रह्मा बाप समान रॉयलिटी की झलक दिखाने वाली मैं रॉयल आत्मा हूँ ।
❉ जैसे ब्रह्मा बाप ने अपना तन, मन और धन सब कुछ शिव बाबा को समर्पित कर दिया
❉ मुझ आत्मा का मन बुधी भी साकार में सदा बाप के आगे समर्पित है ।
❉ मैं फ़रिश्ता ब्रह्मा बाप समान महान त्यागी व सर्वस्व त्यागी बन महान भाग्य का अधिकारी हूँ ।
❉ मुझ आत्मा ने संस्कार रूप से भी विकारों के वंश का त्याग कर दिया है ।
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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)
➢➢ "नम्रता रूपी कवच द्वारा स्नेह और सहयोग की प्राप्ति"
❉ व्यवहार में नम्रता का गुण एक ऐसे कवच का काम करता है जो स्वत: ही सबके स्नेह और सहयोग का पात्र बना देता है ।
❉ और जहां स्नेह और सहयोग हैं वहाँ असफलता कभी हो ही नही सकती ।
❉ क्योकि भले ही कोई कितना भी स्वभाव - संस्कार की टक्कर वाला हो किन्तु स्नेह का पानी उस टक्कर से उत्तपन्न क्रोध की अग्नि को शीतल बना देगा ।
❉ इसलिए संस्कार बदल जायें, यह इन्तजार नही करो लेकिन अपने अंदर नम्रता का ऐसा गुण धारण करो कि मेरे ऊपर किसी का प्रभाव ना हो ।
❉ अगर कोई रॉंग कर रहा है तो उसको परवश समझ कर रहम की दृष्टि से, अपने नम्र व्यवहार से परिवर्तन करो ।
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)
➢➢ बेहद की स्थिति में स्थित रहना है।
❉ हद से निकलने के लिए बाबा ने जो श्रीमत दी है उनकी सम्पूर्ण रूप से पालना करेंगे व संस्कार रूप से विकारों के वंश का त्याग करेंगे तो बेहद की स्थिति में स्थित रहेंगे।
❉ बेहद के बाप से जो सर्व गुण, सर्वशक्तियाँ, ख़ज़ाने मिले हैं उनके अधिकारी बनकर उनका समय प्रमाण यूज करेंगे व नशे में रहेंगे उन शक्तियों गुणों के तो बेहद की स्थिति का अनुभव करेंगे।
❉ कोई भी परिस्थिति आए तो उसे साक्षीद्रष्टा होकर मनोरंजन के रूप में खेलते हुए बेहद की स्थिति में स्थित रहना है।
❉ जब लौकिक में किसी को ऊँची सीट मिलती है तो कोई छोड़ता है क्या? अब बाबा हमें सुखदाई स्थिति की सीट दे रहे हैं ऊँची पोज़ीशन पर बैठाते है तो हम हद की सीट के लिए बेहद की सीट क्यूँ छोड देते हैं? ये लौकिक सूट तो विनाशी है व बेहद के बाप से तो अविनाशी वर्सा मिलता है।
❉ बस एक बात याद रखनी है कि हम बाप के हैं व बाप हमारा। इसी में सब समाया हुआ है । बाप का स्नेह बच्चों के साथ सदा है और बच्चों की याद ही बाप को रहती है तो ऐसे बेहद के बाप की याद में बेहद की स्थिति में स्थित रहना है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ ब्रह्मा बाप समान महा त्याग से महान भाग्य बनाने वाले नंबरवन फ़रिश्ता सो विश्व महाराजन बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ "जो ओटे सो अर्जुन" जो किसी के कहे बिगर स्वयं को सेवा के लिए ऑफर करे वही अर्जुन बन सकता है।
❉ जो आत्माये यहाँ एक जन्म के लिए अपना सबकुछ बाप को समर्पित करते है, उन्हें बाप से 21 जन्मो के लिए पदमापदम गुणा होकर प्राप्त होता है। यहाँ की कोडियो के बदले स्वर्ग की बादशाही प्राप्त करना बड़े फायदे का सौदा है, कोई विरला ही बाप से ऐसा सौदा कर सकता है।
❉ जितना यहाँ अल्पकाल की चीजो का त्याग करेंगे और बाप को याद करेंगे उतना उच्च पद प्राप्त होगा, हमें कम्पलीट "बेगर टू प्रिंस" बनना है।
❉ यहाँ अगर सब कुछ सरेंडर किया यह शरीर भी अपना नहीं तो बचेगी बस आत्मा, स्वयं को आत्मा समझने से बाप की याद सहज आती है, अंत में बस एक बाप की याद रहे तो "अंत मति सो गति" हो जाएगी।
❉ त्याग, तपस्या और सेवा यही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए तो जितना जो पुरुषार्थ करेंगे उतना उच्च पद प्राप्त करेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ अभी सब आधार टूटने है इसलिए एक बाप को अपना आधार बनाओ... क्यों और कैसे ?
❉ यह दुनिया और इन आँखों से हम जो कुछ भी देख रहें हैं, वह जल्दी ही समाप्त होने वाला है । इस बात को सदा स्मृति में रखें तो सहज ही सब से किनारा हो जायेगा और एक बाप को ही अपना आधार बना सकेंगे ।
❉ मेरी जीवन रूपी नैया का खिवैया केवल एक बाप ही है जो इस नैया को पार ले जाएगा ।इस लिए मुझे केवल एक बाप को ही अपना सच्चा आधार बनाना है ।
❉ मुझे विश्व महाराजन बनने के लिए पास विद ऑनर अवश्य होना है और इसके लिए मुझे सबसे ममत्व मिटा कर केवल एक बाप को ही आधार बनाना है ।
❉ मेरा वास्तविक स्वरूप् देह नही आत्मा है । यह तन और मन तो अमानत है, मुझे इसका प्रयोग केवल ईश्वरीय सेवाओं अर्थ करना है । इस लिए मुझे केवल एक ईश्वर बाप को ही सच्चा आधार बनाना है ।
❉ भगवान ने जो रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा है उस यज्ञ में मैं भगवान की सहयोगी आत्मा हूँ । इस रूद्र ज्ञान यज्ञ में सब कुछ स्वाहा होना है । सब आधार टूटने हैं इस लिए बाप का सहयोगी बनने के लिए मुझे केवल एक बाप को ही आधार बनाना है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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