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   17 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपने °श्रेष्ठ जीवन° के प्रतक्ष्य प्रमाण द्वारा बाप को प्रतक्ष्य किया ?

 

‖✓‖ दुनिया की सब बातों से °अनासक्त° रहे ?

 

‖✓‖ बाप के °मददगार° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ आपस में °मीठी मीठी रूह रिहान° कर एक दुसरे को अपने अनुभव सुनाये ?

 

‖✓‖ "बाप अपने बच्चों को °स्वर्ग का प्रिंस° बनाने के लिए पढाते हैं" - यह निश्चय रहा ?

 

‖✗‖ अच्छी रीति पढाई ना पड़ने का कोई °बहाना° तो नहीं दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ स्वयं को °मोल्ड कर रियल गोल्ड° बन हर कार्य मैं सफल हुए ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  आगे चलकर अनेक प्रकार की परिस्थितियाँ आयेंगी उन्हें पार करने के लिए बहुत पावरफुल स्थिति चाहिए, अगर योगयुक्त होंगे तो जैसा समय वैसा तरीका टच होगा। अगर समय प्रमाण युक्ति नहीं आती हैं तो समझना चाहिए योगबल नहीं हैं। योगबल वाली आत्मा को आने वाली परिस्थिति का पहले से ही पता होगा इसलिए वह योगयुक्त स्थिति में रह हर परिस्थिति को सहज पार कर लेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °योगयुक्त° स्थिति में रह हर परिस्थिति को सहज पार किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं स्व परिवर्तक आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मैं हर परिस्थिति में स्वयं को परिवर्तन करने वाली स्व परिवर्तक आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं सेकंड में व्यर्थ संकल्पों पर फुल स्टॉप लगा कर स्वयं को संकल्पों की हलचल से मुक्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने शुभ संकल्पों और पॉवरफुल मनसा द्वारा मैं आत्मा चढ़ती कला में रह, अन्य आत्माओं को भी चढ़ती कला का अनुभव कराती हूँ ।

  

 ❉   मैं स्वयं को मोल्ड करने की क्षमता द्वारा हलचल की स्थिति को भी निर्विघ्न पार कर लेती हूँ ।

 

 ❉   दूसरों को बदलने की बजाए मैं स्वयं को बदलने वाली रीयल गोल्ड आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा सदैव एक साथ मनसा और कर्मणा सेवा में तत्पर रहती हूँ ।

 

 ❉   बाबा के वरदानों को स्मृति में ला कर और बाबा के साथ कंबाइंड रह कर मैं सर्व आत्माओं का कल्याण करती हूँ ।

 

 ❉   मुझे स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन करना है, इस बात को सदा स्मृति में रख कर मैं निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम सारे विश्व पर शान्ति का राज्य स्थापन करने वाले बाप के मददगार हो, अभी तुम्हारे सामने सुख, शान्ति की दुनिया है"

 

 ❉   आज सारी दुनिया में सभी मनुष्य मात्र सुख और शान्ति की तलाश में भटक रहे हैं

 

 ❉   किन्तु सच्ची शान्ति कैसे मिल सकती है, यह कोई भी नही जानता इसलिए सभी भौतिक सुख सुविधाओं में सुख शान्ति को तलाश करने में लगे हुए हैं ।

 

 ❉   लेकिन हम ब्राह्मण बच्चे यह बात अच्छी रीति जानते हैं कि सच्चा सुख और शान्ति इस रावण राज्य में नही बल्कि शांतिधाम, सुखधाम में ही मिल सकता है ।

 

 ❉   जिसकी स्थापना स्वयं सुखदाता, शांतिदाता परम पिता परमात्मा ही कर सकते हैं ।

 

 ❉   वही परम पिता परमात्मा शिव बाबा अब इस दुखधाम को सुखधाम में परिवर्तन करने के लिए आये हुए हैं ।

 

 ❉   तो हमे चाहिये कि सारे विश्व पर शांति का राज्य स्थापन करने वाले उस बाप के हम मददगार बने क्योकि अभी हमारे सामने वह सुख शान्ति की दुनिया दिखाई दे रही है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप को पहचान लिया तो फिर कोई बहाना नहीं देना है, पढ़ाई में लग जाना है, मुरली कभी मिस नहीं करनी है ।

 

 ❉   अभी हमने बाप को पहचान लिया है कि वह टीचर भी है , ज्ञान सुनाने वाला ज्ञान का सागर एक ही बाप है । इस कल्याणकारी संगम युग में ही आकर हमें सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देता है ।

 

 ❉   माया के तूफ़ान आते हैं तो कहते हैं कि बाबा किया करें भूल जाते हैं । जो बाप तुम्हें पढ़ाई से डबल सिरताज विश्व का मालिक बनाते हैं , अपने से ऊँची सीट पर बिठाता है मुझे ही भूल जाते हो !

 

 ❉   बुद्धि में यह नशा रहना चाहिए कि हमारी कितनी ऊंच ते ऊंच पढ़ाई है व हमारा मोस्ट बिलवेड बाप हमें पढ़ा रहा है । ऐसी ऊंच पढ़ाई पर पूरा अटेंशन देना है ।

 

 ❉   यह पढ़ाई हमारी सार्स आफ इनकम है व यह पढ़ाई ऐसी है जिसकी प्रालब्ध हमें अगले जन्म में मिलती है । लौकिक पढ़ाई से तो अल्प काल का सुख मिलता है ।

 

 ❉   मुरली हम ब्राह्मण बच्चों की आत्मा की खुराक है । जैसे ज्योति को जगाने के लिए घी की ज़रूरत होती है उसी प्रकार आत्मा की ज्योति को जगाने के लिए मुरली रूपी भोजन की ।

 

 ❉   बाबा चार पेज का प्रेम पत्र यानि मुरली से अपने मीँठे बच्चों का ज्ञान श्रृंगार करते हैं व अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना भरते हैं। एक एक ज्ञान रत्न बेशुमार क़ीमती है। मुरली सुनकर सुंदर परीजादा बनना हैं। तो ऐसी मुरली को कभी मिस नहीं करना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्व परिवर्तक स्वयं को मोल्ड कर रियल गोल्ड बन हर कार्य में सफलता प्राप्त करते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो प्योर गोल्ड होता है उसकी विशेषता होती है वह मोल्ड जल्दी हो जाता है, जैसा स्वयं को बनाना चाहे बना सकते है।

 

 ❉   जिसमे स्व परिवर्तन की शक्ति होती है वह आत्माओ के लिए ईश्वरीय नियम व मर्यादाओ पर चलना बहुत सरल हो जाता है, ख़ुशी ख़ुशी से स्व परिवर्तन कर सच्चा सोना बन जाते है।

 

 ❉   उन आत्माये का सभी के अनुसार अपने संस्कार मिलाना, संगठन में मिल जुल के रहना, दुसरो को उमंग दे आगे बढ़ाना, नम्रता उनका सहज गुण होगा।

 

 ❉   स्व परिवर्तक में समाने व सहन शक्ति बहुत होगी, वह अपनी हर कमी कमजोरी को बड़ी हिम्मत रख बिसो नाखुनो का जोर लगा कर परिवर्तन करेंगे।

 

 ❉   वह आत्माओ के लिए हर परिस्थिति व समय अनुसार अपने को मोल्ड करना सरल होगा जिससे वह हलके रह परिस्थिति को बड़ा न बना उससे पार निकल जायेंगे, स्वयं की श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रह अचल अडोल बन सफलता को प्राप्त करेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने श्रेष्ठ जीवन के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करो... कैसे ?

 

 ❉   बाप समान विश्वकल्याणकारी बन सदा सर्व आत्माओं का कल्याण करते रहें तो अपने श्रेष्ठ जीवन के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा बाप को प्रत्यक्ष कर सकेंगे ।

 

 ❉   सदा अपने अलंकारी स्वरूप में स्थित रहें तो स्वयं के पूज्य स्वरूप के साक्षात्कार द्वारा सहज ही बाप को प्रत्यक्ष कर सकेंगे ।

 

 ❉   अपने हर कर्म को दिव्यता और अलौकिकता से भरपूर कर ले तो हर कर्म में श्रेष्ठता दिखाई देगी जिससे बाप की प्रत्यक्षता स्वत: हो जायेगी ।

 

 ❉   सदा दैवी गुणों का श्रृंगार कर दर्शनीय मूर्त आत्मा बन कर रहें तो अपने दैवी गुणों की प्रत्यक्षता द्वारा बाप को प्रत्यक्ष कर सकेंगे ।

 

 ❉   कम्बाइंड स्वरूप में स्थित रह हर कर्म करें तो हमारे हर एक कर्म से बाप की प्रत्यक्षता स्वत: हो जायेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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