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❍ 30 / 11 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ "अभी हम °गोडली सर्विस° पर हैं" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ आत्माओं को जीवन बंध से निकाल °जीवन मुक्त° में ले जाने की सेवा की ?
‖✓‖ °बाप समान पढाने की°, संभालने की और शृंगार करने की सेवा की ?
‖✓‖ अपना °तन-मन-धन° ईश्वर के आगे अर्पण किया ?
‖✓‖ अपना सब कुछ °21 जन्मो के लिए ट्रान्सफर° किया ?
‖✓‖ मान की इच्छा छोड़ °स्वमान° में टिके रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ हर कर्म चरित्र के रूप में °गायन योग्य° बनाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ विदेही बनने की विधि है-बिन्दी बनना। अशरीरी बनते हो, कर्मातीत बनते हो, सबकी विधि बिन्दी है इसलिए बापदादा कहते हैं अमृतवेले बापदादा से मिलन मनाते, रूहरिहान करते जब कार्य में आते हो तो पहले तीन बिन्दियों का तिलक मस्तक पर लगाओ और चेक करो-किसी भी कारण से यह स्मृति का तिलक मिटे नहीं। अविनाशी, अमिट तिलक रहे।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ अमृतवेले बापदादा से मिलन मनाते, रूहरिहान करते और कार्य में आते हुए पहले °तीन बिन्दियों का तिलक° मस्तक पर लगाया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं महान आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ अपना हर कर्म चरित्र के रूप में गायन योग्य बनाने वाली मैं महान आत्मा हूँ ।
❉ समर्थ चिंतन द्वारा व्यर्थ को समाप्त कर मैं हर संकल्प को विशेष और महान बनाती जाती हूँ ।
❉ कर्म में भी साधारणता को समाप्त कर स्वयं को सेवा के विशेष कार्यो में लगा कर अपने हर कर्म को विशेष बना देती हूँ ।
❉ मैं आत्मा सर्व प्राप्तियों की अनुभवी सदा सफलतामूर्त, पदमापदम भाग्यशाली हूँ ।
❉ अपने श्रेष्ठ पुरुषार्थ द्वारा भविष्य श्रेष्ठ प्रालब्ध प्राप्त कर, विजय का तिलक लेने वाली मैं विश्व अधिकारी आत्मा हूँ ।
❉ मैं सदा ईश्वरीय रॉयल्टी से चमकती रहती हूँ और अपनी दिव्यता की झलक से सबको आकर्षित करती रहती हूँ ।
❉ अपने समय, वाणी, कर्म, श्वांस वा संकल्प को शुभ और श्रेष्ठ चिंतन में लगा कर सफल करती जाती हूँ ।
❉ परचिन्तन से परे, स्वचिंतक और शुभचिंतक बन मैं सर्व आत्माओं पर शुभभावना और शुभ कामना के वाइब्रेशन्स फैलाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम अभी गॉडली सर्विस पर हो, तुम्हे सबको सुख का रास्ता बताना है, स्कालरशिप लेने का पुरुषार्थ करना है"
❉ आज दुनिया में एक भी मनुष्य ऐसा नही है जो सुख, शांति की तलाश में ना भटक रहा हो ।
❉ क्योकि इस कलयुगी दुखधाम रावण राज्य में सभी अपरमअपार दुखों से पीड़ित है ।
❉ आत्मा को इन दुखो से छुड़ाए, सुखी होने का रास्ता अगर कोई बता सकता है तो वो है एक परमपिता परमात्मा बाप ।
❉ क्योकि दुःखहर्ता, सुखकर्ता सिवाय परम पिता परमात्मा बाप के कोई भी नही है ।
❉ दुःखहर्ता, सुखकर्ता बाप के हम बच्चे भी मास्टर दुखहर्ता, सुखकर्ता हैं और इस समय गॉडली सर्विस पर हैं ।
❉ हमारा फर्ज है सबको सुख का रास्ता बताना और स्कालरशिप लेने का पुरुषार्थ करना ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बाप से बेहद का वर्सा लेने के लिए डायरेक्ट अपना तन-मन-धन ईश्वर के आगे अर्पण करने में समझदार बनना है ।
❉ अभी तक तो भक्ति में गाते आए कि तन मन धन सब अर्पण तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे मेरा । सिर्फ कहते आए व किया नहीं । बस तेरे मेरे में फंसे रहे । अब सच्चा ज्ञान व सत का संग मिलने पर सब उसको अर्पण करना है ।
❉ दुनिया वाले कहते हैं कि खाली हाथ आए हैं व खाली हाथ ही जाना हैं । हम ब्राह्मण बच्चे कहते हैं कि खाली हाथ आए हैं व भरतु करके जाना है । बेहद का बाप जो पूरी सृष्टि का मालिक है व हम उसके बच्चे , तो बच्चे बाप के वर्से के अधिकारी होते हैं । उस अधिकार को पाने के लिए हमें बाप को सब सौंप कर बस एक की याद में मग्न रहना है ।
❉ भगवान स्वयं इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाकर अखूट ज्ञान रत्नों से हमारी झोली भरते हैं व पढ़ाकर हमें मनुष्य से देवता बना रहे हैं । नयी दुनिया में 21 जन्मों की बादशाही दे रहे हैं तो ऐसे ऊंच ते ऊंच बाप की श्रीमत पर चल हमें अपना सब अर्पण कर समझदार बनना है ।
❉ जब मेरा कुछ है ही नही व सब कुछ विनाशी है । उस अविनाशी बाप ने मुझे अपना बना लिया व मुझे बेहद का बाप मिल गया तो तन मन धन की चिंता क्यूं करनी । अपना सब समर्पण कर बेहद के बाप के वर्से का अधिकारी बनना है ।
❉ अभी तक बेसमझी में गुरु को ही अपना सब कुछ समझ अपना धन अर्पण कर यही समझते थे कि ईश्वर अर्पण करते हैं । अब ज्ञान मिला है कि जितना इस संगमयुग में तन मन धन अर्पण उसका फल अगले 21 जन्मों तक मिलेगा तो हमें डायरेक्ट ईश्वर के आगे सब अर्पण कर बेहद के बाप से वर्सा लेना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ महान आत्मा वह है जिनका हर कर्म चरित्र के रूप में गायन योग्य हो... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा हम बच्चो को सतयुग की बादशाही देने आये है, वह स्वर्ग जिसकी महिमा है 16 कला सम्पूर्ण। बाबा कहते बच्चे वह सभी गुण संस्कार के रूप में यही धारण करनी है। हमारा यहाँ का हर कर्म एक कला के रूप में दिखाई दे।
❉ महान कर्म करने वालो का ही गायन पूजन होता है, अभी के हमारे महान कर्म के ही भक्ति में अनेक यादगार दिखाए जाते है।
❉ यह डायमंड युग है, इस युग में अपने कर्मो को साधारण नहीं रखना है, हर कर्म पर चेकिंग हो की यह साधारण तो नहीं, चेक एंड चेंज करते रहो। इसका सरल उपाय है स्वयं के हर कर्म को ब्रह्मा बाबा से कॉपी करो।
❉ अल्पकाल के सुख देना यह कोई महान कार्य नहीं है, महान कार्य है किसी को बाप से मिलवा देना, मुक्ति जीवनमुक्ति का अधिकारी बना देना। उसक जन्मो के लिए सुख, शांति, पवित्रता का वर्सा दिलाना।
❉ बाबा ने हम बच्चो को बहुत गहराई से कर्मो की ग्हुय गति समझाई है। कर्म, अकर्म, विकर्म का सारा ज्ञान बाबा ने हम बच्चो को दिया है। बस बाबा की श्रीमत प्रमाण कर्म करते जाये तो महान होंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ मान की इच्छा को छोड़ स्वमान में टिक जाओ तो मान परछाई के समान पीछे आएगा... क्यों और कैसे ?
❉ हद के मान और शान को प्राप्त करने की इच्छा तब उत्तपन्न होती है जब हम देह के भान में आते हैं । स्वमान में रहने से देह का भान समाप्त हो जाएगा तो मान परछाई की तरह स्वत:पीछे आएगा ।
❉ स्वमान में रहने से आत्मा में प्रेम, नम्रता , हर्षितमुखता, जैसे दैवी गुण स्वत: आते जाएंगे और आसुरी गुण जैसे क्रोध, अपमान, अभिमान आदि समाप्त होते जाएंगे जिससे सबका मान स्वत: प्राप्त होता रहेगा ।
❉ स्वमान में रहने से आत्मा भाई भाई की दृष्टि पक्की होती जायेगी जिससे अभिमान और अपमान की फीलिंग समाप्त होती जायेगी जो मान प्राप्त करने की इच्छा को समाप्त कर सहज ही सबके सम्मान का अधिकारी बना देगी ।
❉ जितना स्वयं को स्वमान की सीट पर सेट रखेंगे उतने ही निर्माण और निर्मान बनते जायेगे और निर्मानता का भाव आत्मा को मान की इच्छा से मुक्त कर स्वत: ही सर्व के मान का अधिकारी बना देगा ।
❉ स्वमान में स्थित रहने से जो रूहानी नशा चड़ता है, वह आत्मा को मैं और मेरे पन की हदों से दूर बेहद में ले जाता है और हद की सभी इच्छाओं जैसे मान - सम्मान प्राप्त करने की इच्छा से मुक्त कर देता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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