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    10 / 04 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °पवित्रता° की धारणा पर विशेष अटेंशन रहा ?

‖✓‖ किसी से भी बहुत °नम्रता° और धीरे से बातचीत की ?

‖✓‖ °टाकी से मूवी और मूवी से साइलेंस° में जाने का अभ्यास किया ?

‖✓‖ साइलेंस की पॉवर से °नेगेटिव को पॉजिटिव° में परिवर्तित किया ?

‖✓‖ °सच्चा सच्चा आशिक° बन एक माशूक को याद किया ?

‖✗‖ याद में °आँखें बंद कर कांध नीचे° करके तो नहीं बैठे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

‖✓‖ °अव्यभिचारी और निर्विघन° स्थिति का अनुभव किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

➳ _ ➳  जब बाप समान बनना है तो एक है - निराकार और दूसरा है - अव्यक्त फरिश्ता । तो जब भी समय मिलता है सेकण्ड में बाप समान निराकारी स्टेज पर स्थित हो जाओ, फिर कार्य करते फरिश्ता बनकर कर्म करो, फरिश्ता अर्थात् डबल लाइट । कार्य का बोझ नहीं हो । तो बीच-बीच में निराकारी और फरिश्ता स्वरूप की मन की एक्सरसाइज करो तो थकावट नहीं होगी ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

‖✓‖ जब भी समय मिलता है सेकण्ड में बाप समान °निराकार° स्टेज पर स्थित हुए, फिर कार्य करते °फरिश्त° बनकर कर्म किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं बाप के समीप और समान आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   इस संगम युग पर परमात्म गोद में खेलने का सौभाग्य प्राप्त करने वाली मैं बाप के समीप और समान आत्मा हूँ

 ❉   मैं आत्मा बाप के गुणों और संस्कारों की समीपता का अनुभव कर रही हूँ

 ❉   जैसे बाबा सर्व शक्तियों और सर्व गुणों के सागर हैं, वैसे ही उनकी संतान मैं आत्मा भी सर्व शक्तियों ,सर्वगुणों से सम्पन्न हूँ

 ❉   मेरे सर्व सम्बन्ध केवल एक बाप के साथ हैं

 ❉   इसलिए मैं आत्मा सर्व संबंधो से बाप के साथ का समानता का अनुभव कर रही हूँ

 ❉   और सर्व सम्बंधों का मंगल मिलन बाबा के साथ मना रही हूँ

 ❉   मैं आत्मा अव्यभिचारी और निर्विघन अवस्था का अनुभव कर रही हूँ

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - सबसे अच्छा दैवी गुण है शांत रहना, अधिक आवाज़ में न आना, मीठा बोलना, तुम बच्चे अभी टॉकी से मूवी, मूवी से साइलेन्स में जाते हो, इसलिये अधिक आवाज़ में ना आओ"

 

 ❉   दैवी गुण होते है देवताओं में, और दैवी गुणों के कारण ही देवताओं को ऊँच मान कर उनकी पूजा की जाती है

 ❉   दैवी गुणों की धारणा तो तभी हो सकती है जब पवित्र बने देवताएं होते ही है पवित्र, इसलिए वे दैवी गुणों से सम्पन्न होते हैं

 ❉   इस कलयुगी दुनिया में कोई भी मनुष्य दैवी गुणों से सम्पन्न हो ना सके क्योंकि सभी मनुष्य पतित, विकारी हैं

 ❉   दैवी गुणों की धारणा तभी होती है जब परम पिता परमात्मा बाप कर हम बच्चों को दैवी गुण सिखलाते हैं

 ❉   सबसे अच्छा दैवी गुण है शांत रहना, अधिक आवाज में न आना, मीठा बोलना । अभी हमे वापिस अपने घर शांतिधाम जाना है । इसलिए अभी हम टॉकी से मूवी, मूवी से साइलेन्स में जाते हैं । इसलिए बाप समझाते हैं अधिक आवाज में ना आओ ।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)

 

➢➢ याद में कभी आँखें बंद कर कांध नीचे करके नहीं बैठना है। देही-अभिमानी होकर रहना है।

 

❉   जैसे हम लौकिक में किसी को याद करते हैं तो खुली आँखो से याद करते है इसीप्रकार हमें अपने परमपिता परमात्मा को याद करते हुए आँखें बंद नहीं करनी हैं।

 ❉   आँखें बंद करके याद करना तो भक्ति मार्ग में होता है अब तो हमें स्वयं भगवान ने ज्ञान देकर हमारा ज्ञान रूपी तीसरा नेत्र खोल दिया तो हमें अपनी दिव्य बुद्धि से विचित्र निराकार बाप को देखते हुए याद में बैठना है।

 ❉   अपने को आत्मा समझ अपने परमपिता परम आत्मा को याद करना है। जब अपने को आत्मा समझेंगे शरीर नहीं तो देहभान से परे रहेंगे परमात्मा की याद स्वत: आयेगी।

 ❉   जितना देही-अभिमानी स्थिति में रहेंगे उतना बाप की याद में रहेंगे विकर्म विनाश होंगे। देही-अभिमानी रहने से पवित्र बनते जायेंगे।

 ❉   जैसे किसी को याद कर उसके बारे में अच्छा सोचते है तो उसके पास अच्छी वायेब्रेशनस जाती है ऐसे ही बाबा को दिव्य बुद्धि से देखते याद करने से अपने पिता से सारी शक्तियाँ प्राप्त करते हैं आँखें बंद करने से नींद भी जाती है ध्यान भी दूसरी और भटक जाता है। इसलिए याद में आँखें बंद करके कांध नीचे करके नहीं बैठना है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

 

➢➢ अव्यभिचारी और निर्विघ्न स्थिति द्वारा फर्स्ट जन्म की प्रालब्ध प्राप्त करने वाले समीप और समान स्थिति का अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो आत्माये एक बाप की अव्यभिचारी याद में रहती है वही योगबल द्वारा सम्पूर्ण पवित्र बन फर्स्ट जन्म की प्रालब्ध प्राप्त करती है।

 ❉   जितना यहाँ हम सदेव बाप की याद में उनके समीप रहेंगे उतना ही उन समान बन पुरे कल्प में समीप साथ का पार्ट बजायेंगे।

 ❉   अव्यभिचारी याद अर्थात मन बुद्धि में सिर्फ एक बाप की याद हो, इस स्थिति में चाहे जैसा भी विघ्न आये वो टिक नहीं सकता एक सेकंड में समाप्त हो जायेगा और हम सदा के लिए विजयी बन जायेंगे।

 ❉   विघ्न विनाशक स्थिति द्वारा हम माया के विघ्नों पर विजय प्राप्त करते करते मायाजीत जगतजीत सारे विश्व के मालिक बन जायेंगे।

 ❉   जिन्होंने एक बाप की याद में मग्न हो माया को जीत कर्मातित अवस्था प्राप्त की हो वही बाप के समान समीप होने से फर्स्ट नंबर की प्रालब्ध प्राप्त कर हीरो पार्ट बजाते है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

 

➢➢ साइलेन्स की पॉवर से निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करो... कैसे ?

 

 ❉   साइलेन्स की शक्ति परखने की शक्ति और निर्णय करने की शक्ति को बढ़ा कर निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन कर सकती है

 ❉   किसी भी बड़े से बड़े विघ्न को साइलेन्स की शक्ति से सहज ही समाप्त कर निगेटिव को पॉज़िटिव में परिवर्तन किया जा सकता है

 ❉   साइलेन्स की शक्ति आत्मा को हद के आकर्षणों से दूर बेहद में ले जाती है जहाँ नकारात्मकता समाप्त हो जाती है

 ❉   साइलेन्स की शक्ति संकल्पो में दृढ़ता ला कर निगेटिव को पॉज़िटिव में सहज ही बदल देती है

 ❉   साइलेन्स की शक्ति बहुत सहज ही स्व को और दूसरों को परिवर्तन कर निगेटिव को पॉज़िटिव में बदल देती है

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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