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❍ 02 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ पूरा °पावन° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ °कर्म और योग° का बैलेंस रख योग्य आत्मा बनकर रहे ?
‖✓‖ इस पुरानी दुनिया का °सन्यास° किये रखा ?
‖✓‖ रचना के °आदि मध्य अंत° को पूरा समझने पर अटेंशन दिया ?
‖✓‖ "अपने को °आत्मा समझकर बाप को याद° करो तो विकर्म विनाश होंगे" - यह बात दुसरे धर्म की आत्माओं को समझाई ?
‖✓‖ हिम्मत से °शेरनी शक्ति° बनकर आत्माओ को ज्ञान समझाया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ स्वयं को °ख़ुशी के खजाने से भरपूर° अनुभव किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अब अपनी उड़ती कला द्वारा फरिश्ता बन चारों ओर चक्कर लगाओ और जिसको शान्ति चाहिए, खुशी चाहिए, सन्तुष्टता चाहिए, फरिश्ते रूप में उन्हें अनुभूति कराओ। वह अनुभव करें कि इन फरिश्तों द्वारा शान्ति, शक्ति, खुशी मिल गई।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ जिसको शान्ति चाहिए, खुशी चाहिए, सन्तुष्टता चाहिए, °फरिश्ते रूप में उन्हें अनुभूति° कराई ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं ख़ुशी के खजाने से भरपूर आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सबको खुशखबरी सुना कर, ख़ुशी की खुराक खिलाने वाली मैं ख़ुशी के खजाने से भरपूर आत्मा हूँ ।
❉ मेरे ख़ुशी के खजाने के भण्डार सदा भरपूर रहते हैं ।
❉ सर्व खजानो और सर्वगुणों के सागर परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने अनगिनत अविनाशी खजानों की सौगात मुझे गिफ्ट में दी है ।
❉ इन अविनाशी खजानों की स्मृति मुझे सदा ख़ुशी से भरपूर रखती है, इसलिए मैं सबको खुशियाँ बाँट कर, सबके दुःख दूर करती रहती हूँ ।
❉ सर्व खजानो से सदा भरपूर रहने के कारण मैं कभी भी हलचल में नही आती ।
❉ सर्व खजानो से मालामाल हो कर मैं सदैव अपरमअपार ख़ुशी के झूले में झूलती रहती हूँ ।
❉ ख़ुशी का अखुट अविनाशी झरना लगातार मुझ आत्मा के ऊपर बहता रहता है और मुझे आनन्द से भरपूर कर, सर्व आत्माओं को आनन्दित करता रहता है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हे ज्ञान का तीसरा नेत्र देने, जिससे तुम सृष्टि के आदि - मध्य - अन्त को जानते हो"
❉ ज्ञान का तीसरा नेत्र मिलना माना सत्य और असत्य को पहचानने की समझ मिलना ।
❉ इस मनुष्य सृष्टि का आदि, मध्य और अंत क्या है, ना तो इस बारे में आज तक कोई जान पाया और ना ही बता पाया ।
❉ शास्त्रों का सार भी इस बात को सपष्ट नही कर पाया, इस लिए उसमे भी विद्धवानो ने नेति नेति लिख उसे समाप्त कर दिया ।
❉ क्योकि सिवाय परम पिता परमात्मा बाप के यह ज्ञान कोई के पास है ही नही ।
❉ और अब संगम युग पर परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने आ कर हमे रचता और रचना का ज्ञान सुनाया है ।
❉ हमे ज्ञान का तीसरा नेत्र दिया है, जिससे हम सृष्टि के आदि, मध्य और अंत के पूरे राज को जान गए हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ निर्वाणधाम में जाने के लिए पूरा पावन बनना है ।
❉ अभी तक तो भक्ति मार्ग में दर-दर भटकते रहे व कभी किसी ने आत्मा परमात्मा का ज्ञान दिया । इस कल्याणकारी संगमयुग पर भगवान ने स्वयं अपने बच्चों को चुन चुनकर घोर अँधियारे से उजाले में निकाल ज्ञान का तीसरा नेत्र दिया ।
❉ अपने को आत्मा समझ बाप को याद करेंगे तो विकर्म विनाश होंगे व पावन बनते जायेंगे । पावन बने बग़ैर तो निर्वाणधाम जा नहीं सकते ।
❉ बाप ने आकर ही सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान दिया है कि पहले हम ही सतोप्रधान थे व नीचे आते आते तमोप्रधान हो गये । अब हमें बाप फिर वापिस घर पतित से पावन बनाकर ले जाने के लिए आया है व हमें याद में रहकर पावन बनना है ।
❉ पुरानी दुनिया तो खत्म होनी है व नयी दुनिया में जाने के लिए बाप हमें पढ़ाकर पतित से पावन बनाते है व कहते हैं इस अंतिम जन्म में पवित्र रहना है ।
❉ बाबा कहते हैं देह के सब सम्बंध छोड मुझे याद करो तो तुम्हारे पाप कट जायेंगे व तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जाओगे ।
❉ जैसे लौकिक में अपने घर जाना होता है तो पुराना सामान ले जाने का मन नही करता ऐसे ही हमे अपने पुराने संस्कार ,सम्बन्ध सब यही छोड बाबा की याद से पावन बन कर घर जाना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सबको खुशखबरी सुनाने वालो का ख़ुशी के खजाने से भरपूर भण्डार रहता है... क्यों और कैसे ?
❉ "धन दिए धन न खूटे", ज्ञान धन एक एक धन जो जितना दो बढ़ता ही जाता है, और जितना हमारा धन का खजाना बढ़ता जाता है उतनी ख़ुशी भी बढती है।
❉ बाबा सच्चा सौदागर है, हम कौड़ी के बदले बाप से ज्ञान के अमुल्य रत्न प्राप्त करते है। जो आत्मा बाप से ऐसा सौदा करले उसकी तो जैसे लौटरी लग गयी।
❉ सबको यह खुश खबरी सुनाओ की हमारा परमपिता परमात्मा आ गया है, हमें सदा के लिए सुख शांति समृद्धि का वर्सा देने, तो नशा व ख़ुशी बढती जाएगी, अब हमारे सुख के दिन आये की आये।
❉ जो जितनी आत्माओ की सेवा करते, जितनो को अपने पिता परमात्मा से मिलाते है उनके जीवन का कल्याण करते है, उतनी ही आत्माओ की दिल की दुवाओ के हकदार बनते, यही दुवाये कठिन समय में सुरक्षा कवच बनती है।
❉ परमात्मा को सर्विसेबुल बच्चे बहुत प्रिय, वह बाप के दिल पर राज करते है, सर्विस का प्रत्यक्ष फल ख़ुशी का खजाना है, सबको खुशखबरी दे बाप से बच्चो को जो मिला दे वो परमात्मा प्रेम के सो अविनाशी वर्से के अधिकारी बन जाते।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ योग्य बनना है तो कर्म और योग का बैलेन्स रखो... क्यों और कैसे ?
❉ कर्म और योग का बैलेन्स आत्मा को बलशाली बना देगा जिससे आत्मा हर परिस्थिति को सहज ही पार करने के योग्य बन जायेगी ।
❉ कर्म करते सर्वशक्तिवान बाप की याद आत्मा को शक्तिसम्पन्न बना देगी और आत्मा सही समय पर सही शक्ति के प्रयोग से सभी समस्याओं को हल करने के योग्य बन जायेगी ।
❉ कर्म करते योग का बल स्व स्थिति को पावरफुल बना कर हर परिस्थिति को सहज बना देगा और अपनी पावरफुल स्थिति द्वारा आत्मा हर परिस्थिति में न्यारी और प्यारी रहेगी ।
❉ कर्म और योग का बैलेंस होगा तो आत्मा फरिश्ता समान सूक्ष्म, शुद्ध और हल्केपन के अनुभव द्वारा सुख दुःख से न्यारी, हल्की हो उड़ती रहेगी ।
❉ जब हर कर्म योगयुक्त स्थिति में रह कर करेंगे तो निमित पन के भाव और करन करावनहार बाप की मदद से आत्मा हर कार्य को सहज रीति से करने के योग्य बन जायेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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