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❍ 21 / 06 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °अशरीरी भव° के इंजेक्शन से संकल्प शक्ति को कण्ट्रोल किया ?
‖✓‖ °तख़्तनशीन° होकर अपनी स्थूल और सूक्षम कर्मेन्द्रियों को अपने आर्डर से चलाया ?
‖✓‖ "°जैसे चलायें°, जो करायें, जो खिलाएं - वही करेंगे" - यह वायदा निभाया ?
‖✓‖ स्वयं को °खुदाई खिदमतगार° समझकर रहे ?
‖✓‖ हर संकल्प, बोल और कर्म °बाप समान° रहा ?
‖✗‖ श्रीमत में °मनमत° मिक्स तो नहीं की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ फाइनल रिजल्ट में °फर्स्ट नंबर° लेने का पुरुषार्थ किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जैसे साइंस के साधन का यंत्र काम तब करता है जब उसका कनेक्शन मेन स्टेशन से होता है, इसी प्रकार साइलेंस की शक्ति द्वारा अनुभव तब कर सकेंगे, जबकि बापदादा से निरन्तर क्लीयर कनेक्शन और रिलेशन होगा।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ बापदादा से निरन्तर °क्लीयर कनेक्शन और रिलेशन° रहा ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं उड़ता पंछी हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ याद और सेवा के बैलेंस द्वारा अपने पुरुषार्थ को तीव्र बनने वाली मैं श्रेष्ठ पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।
❉ अपने श्रेष्ठ पुरुषार्थ के आधार पर फाइनल रिजल्ट में फर्स्ट नम्बर लेने वाला मैं उड़ता पंछी हूँ ।
❉ संगम युग के बहुमूल्य समय की कीमत को सदा स्मृति में रखते हुए, मैं सेकेंड में बीती को फुल स्टॉप लगा कर व्यर्थ से मुक्त होती जाती हूँ ।
❉ बेहद की वैराग्य वृति द्वारा मैं पुराने स्वभाव - संस्कार रूपी बीज को जला कर समाप्त करती जाती हूँ ।
❉ मनसा, वाचा और कर्मणा तीनो प्रकार की सेवा में सदा तत्पर रहने वाली मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ सारे विश्व की आत्माओ को बाप दादा से मिले सर्व खजानो और सर्व शक्तियों का दान करने वाली मैं महादानी आत्मा हूँ ।
❉ अमृतवेले से रात तक जो ईश्वरीय नियम और मर्यादाएं बाप द्वारा मिली हुई हैं उनका दृढ़ता से पालन कर निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "सहज याद का साधन - स्वयं को खुदाई खिदमतगार समझो"
❉ खुदाई खिदमतगार का अर्थ है खुदा अर्थात बाप द्वारा दी हुई सेवा में सदा तत्पर रहने वाले ।
❉ लौकिक में भी किसी भी प्रकार की सेवा करते समय सेवा देने वाले की याद बुद्धि में स्वत: रहती है ।
❉ यहां तो स्वयं भगवान हम बच्चों को सेवा के निमित बना रहे हैं तो यदि हम सेवा करते समय स्वयं को खुदाई खिदमतगार समझे तो सेवा देने वाले बाप की याद स्वत: और सहज बनी रहेगी ।
❉ इसलिए किसी भी प्रकार की सेवा करते समय बुद्धि में सदैव एक ही बात रहे कि बाप का काम है, बाप चला रहा है तो हर बात में हल्के रहेंगे ।
❉ लेकिन बुद्धि में यह सब तभी रहेगा जब बुद्धि की लगाम बाप के हाथ में होगी । मन बुद्धि मनमत से बिलकुल खाली होगी ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ हर संकल्प , बोल और कर्म बाप समान होना चाहिए ।
❉ बापदादा का साथ ले जो भी कर्म करें तो ये स्मृति रहे कि जो कार्य हम कर रहे हैं उसे देख ओर भी करेंगे और बाप व रूहानी परिवार का नाम बाला होगा ।
❉ बाप के डायरेक्शन में कर्म करना अर्थात फाॅलो फ़ादर बनना जिससे उनके लाडले व दिलतख्तनशीं बन सकते हैं ।
❉ हमारे सामने कितने विघ्न व परिस्थितियां आए लेकिन संकल्प में भी संशय के सूक्ष्म स्वरुप तक हलचल नहीं आये जैसे साकार ब्रह्मा बाबा के सामने कोई भी एग्जाम्पल न होते हुए भी बाप की श्रीमत के आधार पर अटल निश्चय रहा ।
❉ सदा यही समर्थ संकल्प रहे कि "बाप हमारा रक्षक है" कल्याणकारी है इसी निश्चय से हर परिस्थिति में अचल और हर्षित रहें । चेहरे पर सदा बेफिकर बादशाह के चिंह स्पष्ट दिखे तो ऐसे फाॅलो फ़ादर करो ।
❉ छोटे बड़े सबको स्वमान देते हुए, स्वमान के बोल से सबको अपना बना लो । विस्तार मे न बोलकर सार में बोलो । कम बोलो, मीठा बोलो और स्वमान में बोलो तो बाप समान बन जायेंगे ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ उडता पंछी अपने श्रेष्ठ पुरुषार्थ द्वारा फाइनल रिजल्ट में फर्स्ट नंबर लेते है... क्यों और कैसे ?
❉ तीव्र पुरुषार्थी सदा अपने श्रेष्ठ पुरुषार्थ द्वारा अपने सभी विकार्मो का नाश कर फर्स्ट नंबर ले लेते है।
❉ उडता पंछी सदा बापदादा की याद के झूले में झूलते रहते है, उनके कदम कभी जमीं पर नहीं पड़ते अर्थात वह देह भान या अभिमान में नहीं आते, सदेव हल्का बन उढ़ते रहते है।
❉ फर्स्ट नंबर लेने के लिए सदेव एक बाप की याद में उमंगो के पंख लगाये उड़ते रहना है, निरंतर व सहज योगी बनकर रहना है।
❉ उडता पंछी अपनी संतुष्टा, सरलता, हल्कापन, उमंग उत्साह, बेफिक्र नेचर द्वारा सदेव माया के तुफानो से स्वयं को सेफ रख सकता है और फ़ास्ट सो फर्स्ट का प्राइज ले सकता है।
❉ उड़ता पंछी इस देह भान के पिंजड़े को तोड़ आसमान में फरिश्तो समान उड़ता है, कोई बंधन उसे बांध नहीं सकते, मस्त मौला बंधनमुक्त होता है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ वृति द्वारा वायुमण्डल को पावरफुल बनाना यही लास्ट का पुरुषार्थ व सर्विस है... क्यों और कैसे ?
❉ अपनी श्रेष्ठ और पावरफुल वृति द्वारा कैसी भी धरणी तैयार करना चाहे कर सकते हैं ।
❉ वृति द्वारा की गई सेवा से दूसरों की वृतियों को बदलना सहज होता हैं । इसलिए वृति द्वारा वायुमण्डल को पावरफुल बनाना बहुत जरूरी है ।
❉ दूसरों के स्वभाव संस्कारों को बदलने में वाणी की बजाए वृति द्वारा की गई सेवा अधिक प्रभावशाली होती है ।
❉ वृति द्वारा वायुमण्डल को पावरफुल बना कर एक साथ अनेक आत्माओं का कल्याण किया जा सकता है।
❉ वृति द्वारा की गई सेवा का स्वरूप सहज और शक्तिशाली होता है ।
❉ वृति द्वारा की गई सेवा आत्मा को हर बात का अनुभव करा कर सहज ही अनुभवी मूर्त बना देती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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