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   16 / 09 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °योग से विकर्म विनाश° करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ वर्ल्ड की हिस्ट्री जियोग्राफी का सिमरण कर °स्वदर्शन चक्रधारी° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °निर्भयता व नम्रता° से ग्यानी व योगी तू आत्मा होने का परिचय दिया ?

 

‖✓‖ °निश्चयबुधी° बनकर रहे ?

 

‖✗‖ पुरुषार्थ में °दिलशिकस्त° तो नहीं हुए ?

 

‖✗‖ °क्रिमिनल आई° तो नहीं रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °मनसा शक्ति° के अनुभव द्वारा विशाल कार्य में सदा सहयोगी बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  सबसे तीव्रगति की सेवा है–'वृत्ति द्वारा वायब्रेशन फैलाना'। वृत्ति बहुत तीव्र राकेट से भी तेज है। वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तन कर सकते हो। जहाँ चाहो, जितनी आत्माओं के प्रति चाहो वृत्ति द्वारा यहाँ बैठे-बैठे पहुंच सकते हो। वृत्ति द्वारा दृष्टि और सृष्टि परिवर्तन कर सकते हो। सिर्फ वृत्ति में सर्व के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना हो।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ वृत्ति में सर्व के प्रति °शुभ भावना°, शुभ कामना रही ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सदा सहयोगी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मनसा शक्ति के अनुभव द्वारा विशाल कार्य में सदा सहयोग देने वाली मैं सहयोगी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने पॉवरफुल मनसा वायब्रेशन्स द्वारा प्रकृति को तथा विकारी आत्माओ के तमोगुणी वायब्रेशन्स को सतोगुणी बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपने शुभ और श्रेष्ठ संकल्पों द्वारा मैं दिलशिकस्त आत्माओं को सहयोग दे कर आगे बढ़ाती जाती हूँ ।

  

 ❉   मैं लवफुल और लॉ फुल के बैलेंस द्वारा कड़े से कड़े संस्कारों वाली आत्मा के भी संस्कार परिवर्तन करती जाती हूँ ।

 

 ❉   मेरी श्रेष्ठ संकल्प शक्ति, मेरी बुद्धि की लाइन को क्लियर कर, निरन्तर बाप के साथ जोड़े रखती है ।

 

 ❉   बुद्धि की लाइन क्लियर होने के कारण बाबा से टचिंग ले, मैं हर कार्य में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   सेवा करते हुए भी मैं सदा न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित रहती हूँ ।

 

 ❉   बाप के सतयुगी स्थापना के बेहद के कार्य में सहयोगी बन, मैं भविष्य राज्याधिकारी बनने की श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारी पढ़ाई का सारा मदार है योग पर, योग से ही आत्मा पवित्र बनती है, विकर्म विनाश होते हैं"

 

 ❉   आत्मा अपने घर परमधाम में अपने वास्तविक स्वरूप में सम्पूर्ण पवित्र है और जब इस सृष्टि रंग मंच पर पार्ट बजाने के लिए आती है तो सम्पूर्ण पवित्र अवस्था में ही आती है ।

 

 ❉   पार्ट बजाते बजाते अनेक जन्म लेते लेते आत्मा पर विकारों की कट चड़ने से आत्मा पतित बनती जाती है ।

 

 ❉   पतित आत्मा को फिर से पावन बना कर वापिस अपने घर परमधाम ले जाने के लिए ड्रामा प्लैन अनुसार परम पिता परमात्मा बाप आते है और आ कर हम आत्माओं को राजयोग की पढ़ाई पढ़ाते हैं ।

 

 ❉   इस पढ़ाई का सारा मदार है योग पर, क्योकि आत्मा को पावन बनाने का एक ही उपाय है और वह उपाय है परम पिता परमात्मा बाप की यथार्थ याद / योग ।

 

 ❉   क्योकि योग से ही आत्मा पवित्र बनती है, विकर्म विनाश होते हैं ।

 

 ❉   इसलिए बाप समझाते है, याद / योग में रहने की मेहनत करो तो तुम पावन बनते जायेंगे और पावन बन बाप के साथ वापिस अपने घर चलें जायेंगे ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ इस पुरूषोत्तम युग में स्वर्ग के देवी देवता बनने की पढ़ाई पढ़कर स्वयं को लायक बनाना है ।

 

 ❉   दुनिया वालों के लिए तो इस समय घोर कलयुग है । हम ब्राह्मण बच्चे कितने पदमापदम भाग्यशाली हैं जिन्हें भगवान ने स्वयं चुनकर अपना बनाया । ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर अपने असली स्वरूप को पहचाना व नया आलौकिक जन्म दिया ।

 

 ❉   इस नये जन्म में कल्याणकारी संगमयुग पर भगवान स्वयं गुप्त रूप से पढ़ाकर नयी दुनिया की स्थापना का कार्य कर रहा है तो हमें अटेंशन देकर अच्छी रीति से पढ़ाई पढ़नी है ।

 

 ❉   इस कल्याणकारी संगमयुग में स्वयं जो सर्व का सदगति दाता है व इस पतित दुनिया में अपने बच्चों पर रहम कर पढ़ाने आते हैं व हमें पुरूषों में उत्तम देवी देवता बनाते हैं तो हमें इतने ऊँचे पद को पाने के लिए मेहनत कर अपने को लायक बनाता है ।

 

 ❉   अहो ! भाग्य है हमारा । जो स्वयं भगवान पढ़ाते हैं तो ख़ुशी उमंग उत्साह से पढ़ाई को पढ़कर स्वर्ग में ऊँच पद को प्राप्त करना है ।

 

 ❉   जैसे लौकिक में माँ बाप बच्चे को किसी अच्छी यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं तो उम्मीद करते हैं कि हमारा बच्चा अच्छे से पढ़कर ऊँचा पद पाए । हमें तो बेहद का बाप सुप्रीम टीचर इतनी ऊँची यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं तो हमें भी रूहानी पढ़ाई को पढ़कर स्वयं को स्वर्ग की राजाई पद पाने लायक बनाना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ मन्सा शक्ति के अनुभव द्वारा विशाल कार्य में सदा सहयोगी बनना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   वाचा तथा कर्मणा द्वारा हम सिमित आत्माओ की सेवा कर सकते है परन्तु मनसा सेवा द्वारा ही हम एक ही समय अनेक आत्माओ की सेवा कर सकते है।

 

 ❉   मनसा सेवा द्वारा ही हमारा विश्व सेवाधारी का टाइटल सिद्ध होता है, सारे विश्व की आत्माओ व प्रकृति का कल्याण करना कोई मासी का घर नहीं है।

 

 ❉   जितनी-जितनी मनसा सेवा करते जायेंगे उतनी मनसा स्थिति ठीक होगी तथा मनसा शक्ति भी बढती जाएगी, अंत में आत्माओ को एक सेकंड में मुक्ति जीवनमुक्ति देने के विशाल कार्य में वही आत्माये सहयोगी बन पाएंगी जिन्होंने बहुत लम्बे काल से मनसा शक्ति जमा की हो।

 

 ❉   जब भी समय मिले भले एक सेकंड के लिए स्वयं को फ़रिश्ता स्वरुप में स्थित कर बापदादा की छत्रछाया में बेठकर सारे विश्व की आत्माओ को सुख, शांति, प्रेम, शुभ भावना के वाइब्रेशन देने है।

 

 ❉   अनुभव की अथॉरिटी बनना है, जिस बात का एक बार अनुभव कर लिया वह कभी नहीं भूलता। अनुभव स्वरुप होने से उस स्थिति में जब चाहो तब सहज ही स्थित हो सकते है। यह अनुभव इतना हो की अंत की हाहाकार में भी हम एक सेकंड में उस स्थिति में टिक जाये।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ निर्भयता और नम्रता ही योगी व ज्ञानी आत्मा का स्वरूप है ... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   निर्भय और नम्र व्यवहार वाला स्वयं भी संतुष्ट रहेगा तथा औरो को भी संतुष्ट रखेगा और उसकी सन्तुष्ट स्थिति स्वत: ही उसके योगी और ज्ञानी स्वरूप को प्रत्यक्ष करेगी ।

 

 ❉   निर्भयता और नम्रता का गुण कठिन से कठिन परिस्तिथि में भी आत्मा को निराश नही होने देगा । यही योगी व ज्ञानी आत्मा की निशानी है ।

 

 ❉   निर्भय और नम्र व्यक्ति सदा स्नेही बन सर्व को स्नेह देने वाला और सर्व का स्नेह प्राप्त करने वाला सहजयोगी और ज्ञानी होगा ।

 

 ❉   नम्रता और निर्भयता व्यक्ति को अभिमान और अपमान की फीलिंग से मुक्त कर,उसे निष्काम सेवाधारी, ज्ञानी व योगी आत्मा सहज ही बना देते हैं ।

 

 ❉   अपने शांत और शीतल व्यवहार से सबको शीतलता का अनुभव करवाने वाला योगी व ज्ञानी वही बन सकता है जिसमे निर्भयता और नम्रता का गुण होगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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