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    30 / 05 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °चावल मुठी दे° 21 जन्मो के लिए महल लेने का पुरुषार्थ किया ?

 

‖✓‖ गृहस्थ व्यवहार में रहते इस पुरानी दुनिया से °ममत्व मिटाकर रहे° ?

 

‖✓‖ सब कुछ करते °बुधी बाप की तरफ° लगी रही ?

 

‖✓‖ °बाप उस्ताद° को पहचान कर याद किया और खुश रहे ?

 

‖✓‖ अपने °पूर्वज स्वरुप° को स्मृति में रख सर्व आत्माओं पर रहम किया ?

 

‖✓‖ °आत्मा से प्यार° किया, शरीर से तो नहीं ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °अशरीरीपन के इंजेक्शन° द्वारा मन को कण्ट्रोल किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  सेवा में सफलता का मुख्य साधन है-त्याग और तपस्या । ऐसे त्यागी और तपस्वी अर्थात् सदा बाप की लग्न में लवलीन, प्रेम के सागर में समाए हुए, ज्ञान, आनन्द, सुख, शान्ति के सागर में समाये हुए को ही कहेंगे-तपस्वी । ऐसे त्याग तपस्या वाले ही सच्चे सेवाधारी हैं ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °त्याग तपस्य° वाले सच्चे सेवाधारी बनकर रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं एकाग्रचित आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   एकाग्रता की शक्ति द्वारा मन को कण्ट्रोल करने वाली मैं एकाग्रचित आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मेरी मन बुद्धि की लगाम बाबा ने अपने हाथों में लेकर मुझे निश्चिन्त बना कर व्यर्थ की मेहनत से छुड़ा दिया है ।

 

 ❉   अशरीरीपन का इन्जेक्शन लगा कर मैंने संकल्प शक्ति को अपने कण्ट्रोल में कर लिया है ।

 

 ❉   संकल्प शक्ति, निर्णय शक्ति और संस्कार की शक्ति तीनो मुझ आत्मा के आर्डर प्रमाण कार्य करती हैं ।

 

 ❉   मेरा हर संकल्प शुद्ध और श्रेष्ठ हैं और अपने  शुद्ध संकल्पों की शक्ति द्वारा मैं हर विघ्न को पार करने में सफल हो जाती हूँ ।

 

 ❉  अन्य आत्माओं को भी अपनी एकाग्रता की शक्ति द्वारा संकल्पों की हलचल से मुक्त करा कर सुख शान्ति की अनुभूति कराती हूँ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम आत्माओं का प्यार एक बाप से है, बाप ने तुम्हे आत्मा से प्यार करना सिखलाया है, शरीर से नही"

 

 ❉   अपने वास्तविक स्वरूप अर्थात आत्मा का बोध ना होने के कारण अब तक हम स्वयं को देह/शरीर समझते आये ।

 

 ❉   स्वयं को शरीर समझने के कारण शरीरों से ही प्यार करते आये, यह जानते हुए भी कि शरीर तो विनाशी है ।

 

 ❉   अब परमपिता परमात्मा बाप ने आ कर हमे वास्तविकता का बोध कराया है और यह समझ दी है कि हम शरीर नही आत्मा है और परम पिता परमात्मा शिव बाबा की सन्तान है ।

 

 ❉   परमात्मा बाप की संतान होने के कारण हम आत्माओं का प्यार एक बाप से ही है ।

 

 ❉   और बाप समझाते हैं कि आत्मा होने के कारण तुम्हें आत्मा से ही प्यार करना है, शरीरों से नही ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ गृहस्थ व्यवहार में रहते इस पुरानी दुनिया से ममत्व मिटाकर पूरा पावन बनना है।

 

 ❉   पुरानी दुनिया पुराने सम्बंधों से ममत्व मिटा देना है क्योंकि ये सर्व सम्बंध झूठे हैं, मतलबी हैं, विनाशी हैं तो इनसे फिर मोह क्यूँ ? इन सब से ममत्व मिटाकर एक बाप की याद में ही रहना है।

 

 ❉   बाबा कहते है पुरानी दुनिया से ममत्व मिटाकर सब भूलकर बुद्धू बन जाओ। श्रीमत पर चल अपने को देही समझ बाप को याद कर पावन बनना है।

 

 ❉   पुरानी दुनिया को छोड़ेंगे तभी तो नयी दुनिया में जाएंेगे अगर पुराना भी पकड़े रखेंगे व नया भी पकड़ना चाहेंगे तो दोनों लड्डुओं को तो नहीं रख सकते।

इसलिए पुरानी मैं को मिटाकर मैं आत्मा हूँ इसी स्मृति में रहना है।

 

 ❉   बाप सौदागर है। पुराना सब लेकर नया देता है। पुराना तो हम लोहे का देते है व बाप है ना बच्चों से कितना प्यार है! कहता है सब मामेकम् याद करो तो पावन बन जाओगे । लोहे के बदलें सोने का देता है।

 

 ❉   इस अंतिम जन्म में गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए कमल पुष्प समान न्यारा और प्यारा रहना है। बाप की याद में रहते हुए श्रेष्ठ कर्म करते हुए पावन बन 21 जन्मों के लिए बादशाही लेनी है।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अशरीरी पन के इंजेक्शन द्वारा मन को कण्ट्रोल करने वाले एकाग्रचित्त होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   आत्मा राजा है और मन बुद्धि उसके कर्मचारी, यदि हम राजा की सीट पर सेट हो और कर्मचारी हमारा आर्डर न मने यह हो नहीं सकता।

 

 ❉   आत्मा रचता है और मन बुद्धि संस्कार उसकी त्रि-मूर्ति रचना, कारवनहार बन अपने मन बुद्धि पर कण्ट्रोल रखना है।

 

 ❉   जब हम आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित रहते है तब हमारा मन अनेक जगह भटकने की जगह एक परमात्मा पर स्थिर हो जाता है, क्युकी उसे परमात्मा से सच्ची प्राप्ति होने लगती है।

 

 ❉   जिन आत्माओ ने स्वयं को इस देह के भान से ऊपर अशरीरी अवस्था बनाने का बहुत अभ्यास किया है उन आत्माओ का मन बहुत एकाग्र रहता है।

 

 ❉   इसके लिए हमें हमारे मन को बहुत प्यार से दोस्त बनाकर उससे बाते करनी होगी, मन भी वही लगेगा जहा से उसे प्रेम ख़ुशी शांति की अनुभूति होगी।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने पूर्वज स्वरूप को स्मृति में रख सर्व आत्माओं पर रहम करो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   अपने पूर्वज स्वरूप को स्मृति में रखेंगे तो सर्व आत्माओं के प्रति समदृष्टि की भावना स्वत: उतपन्न होगी और सर्व आत्माओं पर रहम कर सकेंगे ।

 

 ❉   अपने पूर्वज स्वरूप को स्मृति में रखने से अपना महादानी, वरदानी स्वरूप सदा बुद्धि में रहेगा जिससे सर्व आत्माओं पर रहम की भावना बनी रहेगी ।

 

 ❉   पूर्वज स्वरूप की स्मृति विश्व कल्याणकारी की सीट पर सेट कर सर्व आत्माओं के प्रति रहम की भावना स्वत: उत्तपन्न करेगी ।

 

 ❉   अपने पूर्वज स्वरूप की स्मृति में रहने से निर्माणता और निर्मानता का गुण सहज ही विकसित होगा जो सर्व के प्रति रहम की भावना बनाये रखेगा ।

 

 ❉   पूर्वज स्वरूप की स्मृति सर्व आत्माओं के प्रति कल्याण की वृति बनाये रखेगी जिससे सर्व आत्माओं के ऊपर रहम की भावना बनी रहेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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