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❍ 03 / 02 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं अनुभवी मूर्त आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ बाप की छत्रछाया के अनुभव द्वारा विघन विनाशक की डिग्री लेना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ टीचर
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ "°पेपर क्लास आगे बढाने° के लिए आ रहे हैं" - सदैव यही समझा ?
‖✓‖ °बेहद की घडी° को याद रखा ?
‖✓‖ "हम अब पुराना कपडा छोड़ घर जायेंगे.. फिर °नया कपडा नयी दुनिया में° लेंगे" - यह आपार ख़ुशी रही ?
‖✓‖ "जो एक्ट चली वह फिर हुबहु °5 हज़ार वर्ष के बाद रिपीट° होगी" - इस सूक्षम राज को अच्छे से समझा ?
‖✓‖ °पैसे° आदि जो हैं उन्हें °सफल° किया ?
‖✓‖ बाप का पूरा पूरा °मददगार° बनकर रहे ?
‖✓‖ समय पर °सहयोगी° बने ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-
➳ _ ➳ यह आवाज से स्पष्ट नहीं कर सकते लेकिन अभी पहले जो समझते थे तो यह कर्तव्य ब्रह्माकुमारियां कहती हैं लेकिन हो गुप्त रहा है, अभी समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियां कुछ परिवर्तन करने का कार्य कर तो रही हैं लेकिन अभी स्पष्ट नहीं है । यही समझे ब्रह्माकुमारियां ही निमित्त हैं,कोई-कोई समझने लगे हैं लेकिन प्रत्यक्ष रूप में नहीं है वह भी समय आ जायेगा ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ “ब्रह्माकुमारियां परिवर्तन करने का कार्य कर रही हैं” – आज यह सन्देश आत्माओं को सुनाया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)
➢➢ मीठे बच्चे - तुम्हे अपार ख़ुशी होनी चाहिए कि हम अभी पुराना कपड़ा छोड़ घर जाएंगे फिर नया कपड़ा नई दुनिया में लेंगे ।
शिवभगवानुवाच:-
❉ मीठे बच्चों, अनेक जन्म पार्ट बजाते बजाते तुम्हारा यह शरीर रूपी कपड़ा अब पुराना हो गया है।
❉ विकारों में गिरते गिरते इस शरीर रूपी वस्त्र पर अनेक दाग लग गए हैं।
❉ मैं तुम्हारे लिए नई सतयुगी दुनिया ले कर आया हूँ ,जहां सब कुछ नयाँ सतोप्रधान होगा।
❉ इसलिए तुम्हे इस बात की अपार ख़ुशी होनी चाहिए कि अब तुम अपने इस पुराने जड़ जड़ीभूत शरीर रूपी वस्त्र को छोड़ नयाँ वस्त्र नई सतयुगी दुनिया में लेंगें।
❉ उस सतयुगी दुनिया में तुम बेदाग़ वस्त्र रूपी सुंदर और स्वस्थ शरीर धारण कर सुखमय,शांत और सपन्न जीवन व्यतीत करेंगे।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)
➢➢ अंधों को रास्ता दिखाना है ।
❉ अभी तक जो अज्ञान के अंधेरे में है उन्हें बाबा का ज्ञान देकर उनके मन की आँखों से अज्ञानता को मिटाना है
❉ जो ईश्वर की ग्लानि करते आए है कि ईश्वर सर्वव्यापी है उन्हें ईश्वरीय संदेश व ज्ञान देकर सही रास्ता दिखाना है ।
❉ हमें ईश्वरीय नशा इतना हो कि जो हमारे चेहरे से दिखाई दे कि ये नशे में है कि भगवान इस धरा पर आ गए है ।
❉ जो आत्माएँ शांति के लिए दर-दर भटक रही हैं उन्हें मनसा द्वारा सकाश देना है और बताना है शांति हमारे अंदर ही है। हम ब्राह्मण आत्माएँ संगमयुग पर शांतस्वरूप आत्माएँ हैं ।
❉ जो हम अभी तक जड़ चित्रों से माँगते आए व नौंधा भक्ति से पाया वह जड़ चित्र हमारे ही है । कल्प पहले हम ही देवी देवता थे ।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)
➢➢ बाप को छत्र छाया के अनुभव द्वारा विघ्न विनाशक की डिग्री लेने वाले ही अनुभव मूर्त बन सकते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ हर विघ्न हमें प्रतक्षय करने के लिए और आगे बढ़ाने के लिए आता है ।
❉ हर विघ्न हमें बापदादा के साथ और मदद की अनुभव करने का मोका देता है जो हमारे अतीन्द्रिय सुख को और अधिक बढ़ाता है ।
❉ हर विघ्न का सामना करने पर और उस पर विजय प्राप्त करने पर हम और अधिक शक्तिशाली अवस्था का अनुभव करते हैं ।
❉ हर विघ्न आने पर उसका धन्यवाद करना चाहिए । क्योंकि विघ्न आने पर ही हम बापदादा से मिली शक्तियों को यूज कर अपनी परीक्षा को पास कर अनुभवीमूर्त बन सकते हैं ।
❉ बाप की छत्रछाया के अनुभव द्वारा कोई विघ्न आने पर विघ्न को खेल के रूप में परिवर्तन कर दो । हाय-हाय की बजाय ओहो शब्द निकले । दुख की बलिहारी सुख के दिन आने की समझो ।
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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)
➢➢ जो समय पर सहयोगी बनते हैं.. उन्हें एक का पदमगुना फल मिल जाता है.. क्यों और कैसे ?
❉ समय पर सहयोग देना ही सच्चा सच्चा सहयोग देना है ।
❉ समय पर सहयोग देने वाले बच्चे ही बापदादा के दिल पर राज करते हैं ।
❉ समय पर सहयोग देने वाले बच्चे ब्राह्मण परिवार की दुआओं के अधिकारी बनते हैं ।
❉ समय पर सहयोग देने वाला अपनी सहयोग की वृति से सहज ही सर्व का प्रिय बन जाता है।
❉ समय पर सहयोग देने वाला सन्तुष्टता और ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न रहता है।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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