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❍ 17 / 11 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ स्वयं °निर्माण° बनकर सब को मान दिया ?
‖✓‖ °मोह्जीत° बनकर रहे ?
‖✓‖ °एक बाप की याद° के नशे में रहे ?
‖✓‖ "अब यह °पुरानी दुनिया बदल रही° है" - यह स्मृति रही ?
‖✗‖ कोडियों पिछाड़ी अपना °समय बर्बाद° तो नहीं किया ?
‖✗‖ ऐसा कोई °आसुरी एक्ट° तो नहीं किया जिससे रजिस्टर खराब हुआ ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ अपने °तपस्वी स्वरुप° द्वारा सर्व को प्राप्तियों की अनुभूति कराई ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जैसे विदेही बापदादा को देह का आधार लेना पड़ता है, बच्चों को विदेही बनाने के लिए। ऐसे आप सभी जीवन में रहते, देह में रहते, विदेही आत्मा-स्थिति में स्थित हो इस देह द्वारा करावनहार बन करके कर्म कराओ। यह देह करनहार है, आप देही करावनहार हो, इसी स्थिति को 'विदेही स्थिति' कहते हैं। इसी को ही फॉलो फादर कहा जाता है। बाप को फॉलो करने की स्थिति है सदा अशरीरी भव, विदेही भव, निराकारी भव!
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ देह में रहते, विदेही आत्मा-स्थिति में स्थित हो इस °देह द्वारा करावनहार° बन करके कर्म कराया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा मास्टर विधाता हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ अपने तपस्वी स्वरूप द्वारा सर्व आत्माओं को प्राप्तियों की अनुभूति कराने वाली मैं आत्मा मास्टर विधाता हूँ ।
❉ जैसे सूर्य विश्व को रोशनी की अनुभूति कराता है उसी प्रकार मैं भी अपने तपस्वी स्वरूप द्वारा सारे विश्व में सर्व प्राप्तियों की किरणे बिखेर रही हूँ ।
❉ निमित सेवाधारी बन, सेवाओ द्वारा मैं बेहद की प्राप्ति का अनुभव कर, सदा रूहानी मौज में मस्त रहती हूँ ।
❉ सच्ची सेवा द्वारा मैं सर्व का स्नेह और सम्मान प्राप्त कर सर्व आत्माओं को खुशनसीबी के श्रेष्ठ भाग्य का अनुभव कराती हूँ ।
❉ बापदादा के संग का रंग मेरे चेहरे पर रूहानियत और नयनो में दिव्यता की झलक स्पष्ट दिखा रहा है ।
❉ अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली हर आत्मा को मैं बाप के स्नेह का अनुभव करवा कर, सबकी स्नेही बनती जा रही हूँ ।
❉ मेरे चेहरे की रूहानियत बाप के चित्र को और चलन की रॉयल्टी बाप के चरित्र को सपष्ट कर रही है ।
❉ अपने दाता - विधातापन के शक्तिशाली संस्कारों को इमर्ज कर, कमजोर आसुरी संस्कारों को सहज ही समाप्त करती जाती है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुमने दुःख सहन करने में बहुत टाइम वेस्ट किया है, अब दुनिया बदल रही है, तुम बाप को याद करो, सतोप्रधान बनो तो टाइम सफल हो जायेगा"
❉ अपने वास्तविक स्वरूप को भूलने और स्वयं को देह समझने के कारण पूरे 63 जन्म हम देह और देहधारियों से प्रीत रखते आये ।
❉ देहधारियों से प्रीत ही विकारों में गिरने और आत्मा के पतित बनने का कारण बनी ।
❉ आत्मा के पतित बनने से आत्मा के वास्तविक गुण सुख, शान्ति और पवित्रता समाप्त हो गये और आत्मा दुखी और अशांत हो गई ।
❉ इन दुखों को सहन करने में हमने बहुत टाइम वेस्ट किया । परन्तु अब हमे इन दुखो से छुड़ाने के लिए और हमारे टाइम को सफल बनाने के लिए स्वयं परमात्मा बाप आये हैं ।
❉ और आ कर हमे समझा रहें हैं, कि अब दुनिया बदल रही है, इसलिए तुम बाप को याद करो, सतोप्रधान बनो तो टाइम सफल हो जायेगा ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ एक बाप की याद के नशे में रहना है । पावन बनने का पुरुषार्थ जरुर करना है।
❉ हम ऊपर से नीचे खेलने के लिए आए व नीचे आकर अपने घर को व बाप को भूल गए । बाप अपने बच्चों को दुखी देखकर इस पतित दुनिया में आए व हमें अपने असली स्वरुप की पहचान दी तो अपने को आत्मा समझ अपने परमपिता को याद करना है ।
❉ कितना नशा व खुशी होनी चाहिए कि स्वयं ऊंच ते ऊंच बाप ने हमें अपना बनाया व हम भगवान के हो गए व जो पाना था सो पा लिया तो उस परमपिता परमात्मा की याद के नशे मे रहना है ।
❉ लौकिक में कभी बच्चे को बाप को याद नही करना पड़ता स्वत: ही याद रहती है चाहे वो बाप से कितनी दूर हो जाए । हमें तो बेहद का बाप मिला है व हमारे कौडी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बना दिया ।
❉ बाबा हमें इस पतित दुनिया में स्वयं सुप्रीम टीचर बनकर पढ़ाकर पावन बनाकर नयी दुनिया का मालिक बना रहे हैं तो हमें इस रुहानी पढ़ाई को अच्छी रीति पढ़कर व श्रीमत पर चलते हुए पावन बनने का पुरुषार्थ करना है ।
❉ बाबा कहते हैं कि इस अंतिम जन्म मे पवित्र बनो तो 21 जन्मों के लिए विश्व की बादशाही प्राप्त करोगे तो हमे बाबा की श्रीमत पर चल अंतिम जन्म पावन जरुर बनना है क्योंकि पावन बने बगैर तो नयी दुनिया में जा नही सकते ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपने तपस्वी स्वरुप द्वारा सर्व को प्राप्तियो की अनुभूति कराने वाले मास्टर विधाता कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ स्वयं भाग्य विधाता सर्व शक्तिमान बाप इस समय हमारा हुआ है, बाप ने आकर हम बच्चो के सभी भंडारे भरपूर कर दिए है। सौदागर बाप हम बच्चो को कोडी के अदले करून का खजाना देने आये है।
❉ सदेव अपनी प्राप्तियो की लिस्ट अपनी बुद्धि में होनी चाहिए तो हमारे चेहरे से उसकी ख़ुशी की फलक सबको दिखाई देगी।और वही वाइब्रेशन हमसे सर्व आत्माओ को फैलेगा तो उन्हें भी इन प्राप्तियो की अनुभूति करवानी है।
❉ शंकर हम बच्चो के ही तपस्वी स्वरुप का यादगार है जिनके ज्ञान का तीसरा नेत्र दिखाते है। उस नेत्र के खुलते ही सर्व तरह से अज्ञान का अंधेरा समाप्त हो ज्ञान का प्रकाश फ़ैल जाता है।
❉ हमें हठयोगी नहीं कर्मयोगी बनना है। चलते फिरते हमारी मन बुद्धि बाप की याद में बीजी रहे। जो भी आत्माये हमारे सम्बन्ध संपर्क में आये उन्हें हमसे कुछ प्राप्ति की अनुभूति अवश्य हो।
❉ मास्टर विधाता बन सबको देते जाना है, प्रेम सुख शान्ति की अनुभूति सर्व को कराना है। जिसको जिस चीज की जरुरत हो उसे परख कर उसे संतुष्ट करना है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ स्वयं निर्माण बनकर सर्व को मान देते चलो - यही सच्चा परोपकार है... क्यों और कैसे ?
❉ स्वयं निर्माण बन सर्व को मान देने वाले अभिमान और अपमान की फीलिंग से मुक्त रह कर, निष्काम सेवाधारी बन सर्व आत्माओं पर उपकार करते हैं ।
❉ जो सदा निर्माण रह कर सर्व को मान देते हैं वे परोपकारी बन अपने नम्र और स्नेही व्यवाहर द्वारा सर्व को स्नेह और ख़ुशी प्रदान करते हैं ।
❉ निर्माण बन कर सर्व को मान देने वाली आत्मा की दृष्टि हद से निकाल, बेहद में चली जाती है और बेहद विश्व की सेवा ही सबसे बड़ा परोपकार है ।
❉ स्वयं के मान का त्याग कर सर्व को मान देने वाली आत्मा का हर संकल्प, बोल और कर्म श्रेष्ठ बन जाता है जो उसे अपकारी पर भी उपकार करने की प्रेरणा देता है ।
❉ सर्व को मान देने और निर्माण रहने वाली आत्मा परोपकारी बन हर प्रकार के स्वभाव और संस्कार वाले व्यक्ति को अपने निस्वार्थ और निश्चल प्रेम से सहज ही परिवर्तित कर देती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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