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❍ 20 / 12 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ आत्माओं के दुःख लेकर उन्हें °सुख° दिया ?
‖✓‖ व्यक्त में रहते °अव्यक्त फ़रिश्ते रूप° का अनुभव करवाया ?
‖✓‖ हर कदम पर व हर संकल्प में °ब्रह्मा बाप को फॉलो° किया ?
‖✓‖ हर संकल्प, बोल, कर्म, सम्बन्ध, संपर्क और सेवा सभी में °ब्राह्मण स्टेज° के प्रमाण प्रैक्टिकल लाइफ में चले ?
‖✓‖ °हर कर्म याद में° रहकर कर हर कर्म को यादगार बनाया ?
‖✗‖ कर्म के भोग भोगने में अच्छे व बुरे में °कर्म के वशीभूत° तो नहीं हुए ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ ईश्वरीय मर्यादाओं के आधार पर °विश्व के आगे एक्जामपल° बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ हर ब्राहमण बाप-सामन चैतन्य चित्र बनो, लाइट और माइट हाउस की झाँकी बनो। संकल्प शक्ति का, साइलेन्स का भाषण तैयार करो और कर्मातीत स्टेज पर वरदानी मूर्त का पार्ट बजाओ तब सम्पूर्णता समीप आयेगी। फिर सेकेण्ड से भी जल्दी जहाँ कर्तव्य कराना होगा वहाँ वायरलेस द्वारा डायरेक्शन दे सकेंगे। सेकंड में कर्मातीत स्टेज के आधार से संकल्प किया और जहॉ चाहें वहाँ वह संकल्प पहुंच जाए।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ बाप-सामन °चैतन्य चित्र° बनकर रहे, लाइट और माइट हाउस की झाँकी बनकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सहजयोगी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ ईश्वरीय मर्यादाओं के आधार पर विश्व के आगे एग्जाम्पल बनने वाली मैं सहजयोगी आत्मा हूँ ।
❉ अमृतवेले से रात तक बाप दादा द्वारा जो ईश्वरीय मर्यादायें मिली हुई है उनका पालन कर मैं विश्व की आधारमूर्त आत्मा बन रही हूँ ।
❉ अमृतवेले के महत्व को सदा स्मृति में रख उसका विशेष लाभ उठा कर अपनी स्थिति को पॉवरफुल बनाती जाती हूँ ।
❉ अमृतवेले विशेष बाप से शक्ति भर कर, शक्ति स्वरूप बन मैं हर मुश्किल को सहज बना देती हूँ ।
❉ सर्वशक्तिवान, विश्व के रक्षक, भाग्यविधाता बाप की असीम स्नेह से भरी हुई दृष्टि निरन्तर मेरे ऊपर रहती है, जो मुझे सहजयोगी बना देती है ।
❉ अपने मर्यादापूर्ण जीवन की झलक से, सहजयोगी की सीट पर सदा सेट रह कर मैं सारे विश्व के सामने उदाहरण बन कर प्रत्यक्ष होती हूँ ।
❉ बाप दादा के दिल रूपी तख़्त पर विराजमान हो कर मैं अखुट प्राप्तियों से सम्पन्न हो गई हूँ ।
❉ सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनने से मैं निरन्तर बाप की याद के झूले में झूलती रहती हूँ और अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति में मगन रहती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ " डबल रूप से सेवा द्वारा ही आध्यात्मिक जागृति "
❉ जैसे इस बात में सम्पूर्ण निश्चय है कि हम कल्प - कल्प के ब्रह्माकुमार कुमारी है ऐसे ही अपने फरिश्ता स्वरूप के अनुभव का भी सम्पूर्ण निश्चय हो तब कहेंगे डबल रूप से सेवा ।
❉ ब्रह्माकुमार वा कुमारी स्वरूप की सेवा का रूप तो हरेक यथा शक्ति अनुभव कर रहें हैं और सेवा का परिणाम भी देख रहे हैं ।
❉ किन्तु आगे आने वाले समय प्रमाण और आत्माओं की इच्छानुसार डबल रूप की सेवा की आवश्यकता होगी ।
❉ एक ब्रह्माकुमार कुमारी स्वरूप अर्थात साकारी स्वरूप की और दूसरी सूक्ष्म आकारी फ़रिश्ते स्वरूप की ।
❉ जैसे अव्यक्त ब्रह्मा बाप साकार पालना का अनुभव करा रहे हैं ऐसे आप व्यक्त में रहते सबको अव्यक्त फ़रिश्ते स्वरूप का अनुभव कराओ । इसको कहेंगे डबल रूप की सेवा ।
❉ जैसे बादल चारों और छा जाते हैं, ऐसे आप चारों और फ़रिश्ते रूप में प्रकट हो जाओ तब होगी आध्यात्मिक जागृति ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ व्यक्त में रहते अव्यक्त फरिश्ते का अनुभव करना है ।
❉ अपनी कर्मेन्द्रियों को सम्पूर्ण रुप से वश रखते हुए चाल चलन चेहरे से फरिश्ते सा अनुभव हो कि व्यक्त में रहते अव्यक्त की अनुभूति हो ।
❉ अपनेचेहरे को इस कदर लाइट हाउस म्यूजियम बना लो कि स्वयं व दूसरों दोनों को इसे देखकर अव्यक्त की अनुभूति हो ।
❉ जैसे हम बच्चे अव्यक्त ब्रह्मा बाबा को व्यक्त में अनुभव करते ऐसेबाबा से ली शक्तियां स्वरूप में ला फरिश्ता स्वरूप अनुभव हो ।
❉ लौकिक में भी कोई किसी की मुसीबत मे मदद करता है तो यही कहते है कि फरिश्ता बन कर आया है तो हमें भी अशान्त और दुखी आत्माओं को सुख और शान्ति का साकाश दे फरिश्ते रूप कीअनुभूति करानी है ।
❉ हर कार्य शुभ चिन्तन से सर्व रिश्तों से उपराम हो कर करेंगे तो देखने वाले भी कहेगें कैसे फरिश्ते है ।जहाँ रहो खशी का आलम बनाये रखो सदा खुशहाल और फरिश्तों वाली चाल ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ ईश्वरीय मर्यादाओं के आधार पर विश्व के आगे एग्जाम्पल बनने वाले सहजयोगी बनना है - क्यों और कैसे
❉ विश्व के आगे एग्जाम्पल बनने के लिए अमृतवेले से रात तक जो ईश्वरीय मर्यादायें हैं उसी प्रमाण सहजयोगी बनना हैं क्योकि जैसा कर्म मैं करूंगी मुझे देखकर दूसरे भी करेंगे ।
❉ जब अमृतवेले विशेष बाप से शक्ति भर लेंगे तो शक्तिस्वरुप होने से किसी भी कार्य में मुश्किल नही होगी व मर्यादापूर्वक जीवन बिताने से सहज योगी की स्टेज स्वत: बन जायेगी ।
❉ ईश्वरीय मर्यादाओं पर चलते हुए श्रीमत का पालन करते हुए विश्व कल्याण की भावना से कर्म करते है तो भगवान भी अपने बच्चों पर फिदा हो जाता है व अपना प्यार लुटाता है । सदा खुश रह खुशियां बांटते हैं ।
❉ सदा हर्षितमुख और हलके रह हर कर्म करते हुए, स्वमान की स्मृति में रह सहजयोगी बन जायेगे।
❉ सदा फ़िक्र बाप को दे फखुर लेकर बेफिक्र बादशाह बन कर ड्रामा में अपना बेस्ट पार्ट प्ले करने की अटेंशन से सहजयोगी बन जायेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपनी चलन और चेहरे से पवित्रता की श्रेष्ठता का अनुभव कराओ... कैसे ?
❉ जब निरन्तर बाप के श्रेष्ठ संग का रंग लगा रहेगा तो रूहानियत से महकते रहेंगे और सबको अपनी चलन और चेहरे से पवित्रता की श्रेष्ठता का अनुभव कराते रहेंगे ।
❉ स्वमान की सीट पर निरन्तर सेट रहने से सदा स्वयं को रूहानी नशे से भरपूर अनुभव करेंगे और सबको अपनी चलन और चेहरे से रूहानियत का अनुभव कराते रहेंगे ।
❉ याद और सेवा का डबल लॉक जब लगा कर रखेंगे तो वाणी में योग का जौहर आएगा जिससे चलन और चेहरे पर रूहानियत और पवित्रता की श्रेष्ठता स्पष्ट दिखाई देगी ।
❉ सदा अपने कम्बाइंड स्वरूप की स्मृति में रहेगे तो अपने चेहरे वा चलन से बाप को प्रत्यक्ष कर, पवित्रता की श्रेष्ठता से सबको रूहानी अनुभव करवा सकेंगे ।
❉ " एक बाप दूसरा ना कोई " ऐसी निरन्तर एक रस स्तिथि में रहने की अनुभूति सहज ही चेहरे पर रूहानियत, नयनो में पवित्रता की झलक और मुख पर पवित्रता की मुस्कराहट ले आएगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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