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❍ 03 / 11 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ कुछ भी हुआ तो °भावी° समझ शांत रहे ?
‖✓‖ सदा °गोडली स्टूडेंट लाइफ° की स्मृति रही ?
‖✓‖ बाबा ने जो °मीठी मीठी बातें° समझाई... वह दूसरों को समझाई ?
‖✓‖ युक्ति रच °आप समान° बनाने की कोशिश की ?
‖✓‖ बहुत प्यार और नम्रता से सबको °बाप का परिचय° दिया ?
‖✓‖ °पात्र° को देखकर दान दिया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °खुदाई खिदमतगार° की स्मृति द्वारा सहज याद का अनुभव किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अभी तक की रिजल्ट में मास्टर सूर्य के समान नॉलेज की लाईट देने के कर्त्तव्य में सफल हुए हो लेकिन अब किरणों की माइट से हरेक आत्मा के संस्कार रूपी कीटाणु को नाश करने का कर्त्तव्य करना है। अभ्यास ऐसा हो जो चलते फिरते आपके मस्तिष्क से लाईट का गोला नज़र आये और चलन से, वाणी से नॉलेज रूपी माइट का गोला नजर आये अर्थात् बीज नजर आये। मास्टर बीजरुप, लाईट और माइट का गोला बनो तब साक्षात् वा साक्षात्कार मूर्त्त बन सकेंगे।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ किरणों की माइट से हरेक आत्मा के °संस्कार रूपी कीटाणु को नाश° करने का कर्त्तव्य निभाया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा सहजयोगी हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ खुदाई खिदमतगार की स्मृति द्वारा सहज याद का अनुभव करने वाली मैं सहजयोगी आत्मा हूँ ।
❉ स्वयं को सर्व आत्माओं के प्रति सेवाधारी समझ, अपने हर संकल्प, वाणी और कार्य द्वारा मैं सर्व आत्माओं की सेवा के लिए सदा तत्पर रहती हूँ ।
❉ बाप द्वारा मिली सर्व शक्तियों, गुणों और खजानों को सेवा में लगा कर मैं अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाती जाती हूँ ।
❉ संगम युग पर मिले समय और श्वांसों के अनमोल खजाने को प्रभुप्रेम में मगन हो कर, सेवा में लगा कर सफल करती जाती हूँ ।
❉ सर्वशक्तिवान, विश्व के रक्षक, भाग्यविधाता बाप की असीम स्नेह से भरी हुई दृष्टि निरन्तर मेरे ऊपर रहती है, जो मुझे सहजयोगी बना देती है ।
❉ भले कैसी भी परिस्तिथि हो लेकिन सहज योगी बन बाप की मदद से मैं हर परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती हूँ ।
❉ मैं आत्मा बाबा से सदा सर्व संबंधो की अनुभूति व प्राप्ति में मगन रहती हूँ जिससे पुरानी दुनिया के वातावरण से सहज ही उपराम रहती हूँ ।
❉ निरन्तर योगी बन बाप की छत्र छाया को निरन्तर अपने ऊपर अनुभव कर सदा अतेंद्रिय सुख के झूले में झूलती रहती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारा यह टाइम बहुत - बहुत वैल्युबुल है, इसलिए इसे व्यर्थ मत गंवाओ, पात्र को देख कर ज्ञान दान करो"
❉ जैसे परीक्षा का समय स्टूडेंट्स के लिए मोस्ट वैल्युबुल होता है । क्योकि यह समय परीक्षा की सफलता का मुख्य आधार होता है ।
❉ उसी तरह हम ब्राह्मण बच्चों के लिये संगम युग का यह समय मोस्ट वैल्यु बुल समय है ।
❉ क्योकि भविष्य 21 जन्मों की सफलता इसी संगम युग के पुरुषार्थ पर निर्भर करती है ।
❉ संगम युग में एक - एक कदम में पदम की कमाई समाई हुई है । एक सेकण्ड एक वर्ष के समान है ।
❉ इसलिए बाप समझाते हैं कि इस अमूल्य समय को व्यर्थ मत गंवाओ ।
❉ ज्ञान का दान भी पात्र को देख कर करो, ताकि समय व्यर्थ ना जाये और कमाई जमा हो सके ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बहुत प्यार व नम्रता से सबको बाप का परिचय देना है । सबको यह मीठी मीठी बातें सुनाओ कि बाप कहते है अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो , इस देह से नष्टमोहा हो जाओ ।
❉ बाबा प्यार का सागर है व हम बच्चे मास्टर प्यार का सागर हैं । बाबा सबको एक जैसा एकरस होकर प्यार देते हैं ऐसे हमें भी एकरस स्थिति में रहकर बाप का परिचय देना है ।
❉ अभी तक तो हम घोर अंधियारे मे थे व भूल गए कि मैं कौन हूं । अब संगमयुग में जब बापने बच्चों को दुखी देखकर नीचे आते हैं तो सत का परिचय देते हैं व हमारी अज्ञानता को दूर कर दिव्य दृष्टि दी है तो हमें भी दूसरों को बाप का परिचय देना है ।
❉ अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना है व याद से ही विकर्म विनाश होते जाऐंगे व आत्मा की ज्योत जगती जाएगी ।
❉ लौकिक मे कभी बाप को कहने की जरुरत नही पडती कि मुझे याद करो स्वत: ही आती है । फिर बाबा शब्द तो इतना मीठा है कि मीठा बाबा कहते ही अपने परमपिता परम आत्मा की याद स्वत: ही आती है ।
❉ लौकिक में कई बार काम करते हुए इतना खो जाते हैं कि सुध बुध नही रहती ऐसे एक बाप की लगन मे इतना मगन हो जाना है कि देह का भान ही न रहे ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ खुदाई खिदमतगार की स्मृति द्वारा सहज याद का अनुभव करने वाले सहजयोगी बनना है... क्यों और कैसे ?
❉ सहजयोगी अर्थात जिसे बाप को याद करने की मेहनत न करनी पड़े। बाबा की याद इतना इजी हो जैसे हमें इस देह में रहना, देह के संबंधियो को याद करना सहज लगता है। नाम लिया और एक सेकंड में आखो के सामने आ जाते है।
❉ "मै खुदाई खिदमतगार हु" यह स्मृति रहने से हमें यह ध्यान रहेगा की किसके घर में रहता हु, किसका दिया खाता हु, किसका कार्य करता हु, कोन हमें पाल रहा है। तो बाप की याद सहज ही रहेगी।
❉ अपना सब कुछ बुद्धि से बाबा को सम्पूर्ण समर्पण करदो तो यह कुछ भी मेरा नहीं रहेगा। सब बाबा का है बस हम निमित्त बन सम्भाल रहे है। यह बहुत अच्छी युक्ति बाबा ने बताई है डीटेच रहने के लिए।
❉ बुद्धि में बाप की याद तभी सहज रूप से रहेगी जब सब तरफ से बंधनमुक्त बने हो। जितना बाबा की सेवा में स्वयं को बीजी करेंगे उतना व्यर्थ छूटता जायेगा। स्वयं को बार बार याद दिलाना है "में विश्व सेवाधारी हु"।
❉ हुकुमी हुक्म चला रहा है, कराने वाला करा रहा है, करनहार हम किये जा रहे। हमें सदेव सिर्फ हा जी का पार्ट बजाना है, जिसकी सेवा कर रहे है वह कभी नहीं भूलता और उसकी याद सहज आती रहती है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सदा गॉडली स्टूडेंट लाइफ की स्मृति रहे तो माया समीप नही आ सकती... क्यों ?
❉ सदा गॉडली स्टूडेंट लाइफ की स्मृति में रहेंगे तो संगम युग की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियां सदा स्मृति में रहेंगी और आत्मा उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो उड़ती रहेगी जिससे माया समीप नही आएगी ।
❉ गॉडली स्टूडेंट लाइफ की स्मृति आत्मा को बालक सो मालिक की सीट पर सेट रखेगी तथा बालक और मालिकपन का बैलेंस आत्मा को मायाजीत बना देगा ।
❉ गॉडली स्टूडेंट लाइफ का रूहानी नशा आत्मा को अधिकारी पन की सीट पर सेट रखेगा और अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह कर कर्म करने से माया और प्रकृति की आकर्षण से मुक्त रहेंगे ।
❉ गॉडली स्टूडेंट लाइफ की स्मृति मन बुद्धि को ईश्वरीय सेवा में व्यस्त रखेगी जिससे माया के रॉयल रूप को पहचानना और उससे बचना सरल हो जाएगा ।
❉ ज्ञान का सिमरण आत्मा को परमात्म शक्तियों का अनुभव कराता है और इन प्राप्तियों की स्मृति आत्मा को सर्वशक्ति सम्पन्न बना देती है, जिसके सामने माया दुश्मन भाग जाती है और इसके लिए जरूरी है सदा गॉडली स्टूडेंट लाइफ की स्मृति में रहना ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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