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   21 / 07 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ बातचीत करने के °मैनर्स अच्छे° रखे ?

 

‖✓‖ °एम ऑब्जेक्ट° को सामने रख ॰फखुर में रहे ?

 

‖✓‖ °बेहद की वैराग्य वृत्ति° द्वारा साधना के बीज को प्रत्यक्ष किया ?

 

‖✓‖ °सर्विस के साथ-साथ याद° का भी चार्ट रखा ?

 

‖✓‖ °मास्टर रूहानी सर्जन° बन आत्माओं को ज्ञान इन्जेक्शन लगाया ?

 

‖✓‖ सार्विस को बढ़ाने के लिए °प्लैन बनाया°, मीटिंग की, विचार चलाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ अटेन्शन रूपी घृत द्वारा आत्मिक स्वरूप के सितारे की चमक को बढ़ाने वाले °आकर्षण मूर्त° बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जैसे विशेष दिनों पर भक्त लोग व्रत रखते हैं, साधना करते हैं। एकाग्रता का विशेष अटेंशन रखते हैं। ऐसे सेवाधारी बच्चों को भी यह वायब्रेशन आने चाहिए। सहज योग की साधना, साधनों के ऊपर अर्थात् प्रकृति के ऊपर विजयी हो। ऐसा न हो इसके बिना तो रह नहीं सकते, यह साधन नहीं मिला इसलिए स्थिति डगमग हो गई... इसको भी न्यारी जीवन नहीं कहेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ साधन नहीं मिला तो °स्थिति डगमग तो नहीं° हुई ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आकर्षण मूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अटेंशन रूपी घृत द्वारा आत्मिक स्वरूप के सितारे की चमक को बढाने वाली मैं आकर्षण मूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मुझ आत्मा का सितारा सदा चमकता हुआ सबको अपनी और आकर्षित करता रहता है ।

 

 ❉   अमृतवेले रोज ज्ञान और योग रूपी घृत मुझ आत्मा की जोत को सदा जगमगाता रहता है ।

 

 ❉   सम्पूर्ण अटेंशन द्वारा मैं बाप के गुणों और शक्तियों को स्वयं में धारण करती जाती हूँ ।

 

 ❉   मेरी मन बुद्धि की लगाम बाबा ने अपने हाथो में लेकर मुझे निश्चिन्त बना दिया है ।

 

 ❉   करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में निश्चय बुद्धि बन विजय का तिलक लगाए मैं निरंतर सफलतामूर्त बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं सर्व आत्माओं को सर्व शक्तियों, सर्व संबंधो का प्रत्यक्ष अनुभव करा कर उन्हें चढ़ती कला की अनुभवी बनाती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ “मीठे बच्चे – बड़े बड़े स्थानों पर बड़े बड़े दुकान (सेन्टर) खोलो, सर्विस को बढ़ाने के लिए प्लैन बनाओ, मीटिंग करो, विचार चलाओ”

 

 ❉   आज के समय में लोगो को आकर्षित करने के लिए बड़े बड़े शो किये जाते हैं ।

 

 ❉   दुकानदार भी अपने माल की बिक्री के लिए बड़े बड़े शो करते हैं ।

 

 ❉   यह देखा भी जाता है कि जिस दुकान पर जितना अधिक शो होता है, अच्छे अच्छे सेल्समैन होते हैं, उस दुकान पर लोगों की उतनी ही ज्यादा भीड़ होती है ।

 

 ❉   इसलिए बाप कहते हैं कि सब लोगो तक मेरा सन्देश पहुंचाने के लिए तुम भी बड़े बड़े शो करो ।

 

 ❉   बड़े बड़े स्थानों पर बड़े बड़े सेन्टर खोलो, सर्विस की नई नई युक्तियाँ निकालो, मीटिंग करो और विचार चलाओ कि किस तरह सभी को बाप का परिचय दें ।  

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ एम आब्जेक्ट को सामने रख फखुर में रहना है, मास्टर रूहानी सर्जन बन सबको ज्ञान का इन्जेक्शन लगाना है ।

 

 ❉   एम आब्जेक्ट को सामने रख नशे व खुशी में रहना है कि जिस भगवान को पाने के लिए दुनिया वाले कहाँ कहाँ ढूंढते फिर रहे हैं वो भगवान स्वयं हमें गुप्त रीति से पढ़ाकर नर से नारायण व नारी से श्री लक्ष्मी बना रहे हैं !

 

 ❉   कितने पदमापदम भाग्यशाली हैं हम , जो हमें बाबा अपने से भी ऊँची सीट पर बैठाते हैं व स्वयं स्वर्ग का मालिक न बनकर हमें स्वर्ग का मालिक बनाते हैं ।

 

 ❉   अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परम आत्मा को याद करना है व जब हमें बाप ने अपना बच्चा बनाया है तो हम बाप के वर्से के अधिकारी है व हमारा जो लक्ष्य है उसे याद रखना है ।

 

 ❉   जैसे बाप ज्ञान का सागर है व हमें ऊंच ते ऊंच पढ़ाई पढ़ाकर अविनाशी ज्ञान रत्नों से हमारी झोलियाँ भरता है तो हमें भी दूसरों को ज्ञान रत्नों को बाँट आप समान बनाना है ।

 

 ❉   बाप रूहानी सर्जन भी है व रूहानी सर्जन बन रूहों को अशांति , दुख से निकाल शांति , सुख और प्रेम से भरपूर करते हैं इसीप्रकार हमें भी मनसा सेवा द्वारा अपनी पावरफुल वायब्रेशनस द्वारा ज्ञान इन्जेक्शन लगाना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अटेंशन रूपी व्रत द्वारा आत्मिक स्वरुप के सितारे की चमक को बढ़ाने वाले आकर्षण मूर्त बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जितना स्वयं पर अटेंशन रहेगा उतना ही टेंशन मुक्त रहेंगे, अटेंशन रखने से गलतियाँ करने से बच जायेंगे जिससे मन का रोना भी बंद हो जायेगा सदा ख़ुशी के झूलो में झूलते रहेंगे, हर्षितमुख चेहरा ही सबको आकर्षित करता है।

 

 ❉   माया बहुत चतुर है, जहा भी थोडी सी कमी होगी वही से अन्दर घुस जाएगी और माथा ख़राब कर देगी इसलिए बाबा कहते पूरी चेकिंग करो और अटेंशन का डबल लॉक लगा हुआ हो।

 

 ❉   व्रत वह है जिससे हमारी वृत्ति का परिवर्तन हो, सदा अटेंशन रहे की में देह नहीं देहि हु, बाबा की याद से अपनी आत्मा की चमक बढ़ाते चले और अटेंशन रखे की कोई ऐस कर्म न हो जिससे आत्मा की चमक कम हो, जितनी हमारी आत्मा की चमक बढती जाएगी उतना ही हमारी रूहानियत बढ़ेगी और सर्व आत्माओ को हमारी तरफ रूहानी आकर्षण अनुभव होगा।

 

 ❉   "प्यूरिटी इस रॉयल्टी, अन्त समय में हमारी प्यूरिटी की रॉयलटी की तरफ ही अनेक आत्माये आकर्षित होंगी", और वैसा आकर्षणमूर्त हम तब बन पाएंगे जब बहुत समय से हमने परमात्मा की याद द्वारा अपने आत्मिक स्वरुप के सितारे की चमक को बढ़ाने के लिए स्वयं पर अटेंशन दिया होगा

 

 ❉   आत्मा की चमक कम होती है अपवित्रता की खाद पड़ने से, जितना जितना हम अपने संकल्प बोल कर्मो पर अटेंशन देंगे उतना ही हम विकर्म करने से बचेंगे ताकि यह खाद और न चढ़े, और परमात्मा की याद में रहकर पुरानी खाद को उतार सकेंगे। जब आत्मा से पूरी खाद निकल जाएगी तब वह बहुत चमकीला सितारा बन जाएगी जिसकी तरफ स्वतः ही सबको रूहानी आकर्षण अनुभव होगा।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ बेहद की वैराग्यवृति द्वारा साधना के बीज को प्रत्यक्ष करो... कैसे ?

 

 ❉   बेहद की वैराग्यवृति आत्मा को साधनों के विस्तार से मुक्त करा कर, साधना रूपी बीज को प्रत्यक्ष कर सिद्धि स्वरूप बना देगी ।

 

 ❉   बेहद का वैराग्य आत्मा को निर्बन्धन और नष्टोमोहा बना कर साधना के स्वरूप को सामने ले आएगा ।

 

 ❉   वैराग्य की भावना होगी तो हर कर्म में दिव्यता और आलौकिकता सपष्ट दिखाई देगी जिससे साधना का  बीज स्वत: प्रत्यक्ष होगा ।

 

 ❉   बेहद की वैराग्यवृति उपराम और न्यारी स्थिति के अनुभव द्वारा साधना के स्वरूप को सपष्ट करेगी ।

 

 ❉   बेहद का वैराग्य आत्मा को अन्तर्मुखी बना देगा जिससे आत्मा एकांतवासी बना साधना में लीन रह, साधना के बीज को प्रत्यक्ष करेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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