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   29 / 11 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपने °पूज्य स्वरुप° की स्मृति में रहे ?

 

‖✓‖ "हम सभी ऊंचे ते ऊंचे बाप के बच्चे सारे कल्प में °ऊंचे ते ऊंचे मर्तबे° वाले हैं" - यह रूहानी नशा रहा ?

 

‖✓‖ °संगमयुग के सुख° और सुहेजों को बुधी में इमर्ज रखा ?

 

‖✓‖ °हज़ार भुजा वाले° को अधिकार और प्रेम की सूक्षम रस्सी से बाँध हर कार्य में अपना साथी बनाया ?

 

‖✓‖ °बहुतकाल का पुरुषार्थ° करने का द्रिड संकल्प किया ?

 

‖✓‖ मनसा-वाचा-कर्मणा °पवित्रता° पर विशेष अटेंशन रहा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °कर्मभोग रुपी परिस्थिति° के आकर्षण को समाप्त किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  चारों ओर हलचल है, व्यक्तियों की, प्रकृति की हलचल बढ़नी ही है, ऐसे समय पर सेफ्टी का साधन है सेकण्ड में अपने को विदेही, अशरीरी वा आत्म-अभिमानी बना लेना। तो बीच-बीच में ट्रायल करो एक सेकण्ड में मन-बुद्धि को जहाँ चाहे वहाँ स्थित कर सकते हैं! इसको ही साधना कहा जाता है।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ एक सेकण्ड में °मन-बुद्धि° को जहाँ चाहे वहाँ स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सम्पूर्ण नष्टोमोहा आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   कर्मभोग रूपी परिस्थितियों की आकर्षण को भी समाप्त करने वाली मैं सम्पूर्ण नष्टोमोहा आत्मा हूँ ।

 

 ❉   देह और देह की दुनिया की किसी भी परिस्थिति में मैं अपनी स्व - स्थिति को बनाये रखती हूँ और उस परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर लेती हूँ ।

 

 ❉   अपने सर्वशक्तिमान् स्वरूप में सहज ही स्थित हो कर मैं सर्व शक्तियों को परिस्थिति व समय अनुसार जब, जहां और जैसे चाहे वैसे यूज़ करती हूँ ।

 

 ❉   नए दैवी संस्कारो को इमर्ज कर, मैं  पुराने आसुरी संस्कार, स्वभाव और स्मृतियों को मर्ज करती जा रही हूँ ।

 

 ❉   इस पुरानी विनाशी दुनिया और दुनियावी पदार्थो से मैं सम्पूर्ण नष्टोमोहा बनती जा रही हूँ ।

 

 ❉   अपनी देह से, मित्र सम्बंधियो से मुझे अब किसी तरह का कोई लगाव नहीं है ।

 

 ❉   सर्व संबंधो का सुख एक बाप से अनुभव कर मैं सर्व सुखों की अधिकारी बनती जा रही हूँ ।

 

 ❉   परमात्म प्यार और स्नेह का बल मुझे कर्मो के आकर्षण और बन्धनों से परे ले जाता है और हर परिस्थिति में अचल अडोल बना देता है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "होली मनाना अर्थात सम्पूर्ण पवित्र बन कर संस्कार मिलन मनाना"

 

 ❉   होली का अर्थ है पवित्रता और पवित्रता ही महानता है । इसलिए ब्राह्मण जीवन का मुख्य आधार है ही पवित्रता ।

 

 ❉   जैसे लौकिक में पहले होली जलाते है , और फिर एक दूसरे को रंग, गुलाल आदि लगा कर होली मनाते हैं ।

 

 ❉   इसी प्रकार हम ब्राह्मण बच्चे भी पहले योग अग्नि से अपवित्रता को जलाते है और फिर पवित्र बन संस्कार मिलन मनाते हैं ।

 

 ❉   लौकिक में तो एक दूसरे से गले मिलते है और एक दूसरे पर गुलाब जल डालते हैं ।

 

 ❉   लेकिन हम ब्राह्मण बच्चे संस्कार मिलन का मंगल मिलन मनाते हैं और एक दूसरे पर गुणों रूपी वायब्रेशन्स का गुलाब जल डाल सच्ची होली मनाते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ हम सभी ऊंचे ते ऊंचे बाप के बच्चे सारे कल्प में ऊंचे ते ऊंचे मर्तबे वाले हैं- इसी नशे में रहना है ।

 

  ❉   हम सभी ऊंचे ते ऊंचे बाप के बच्चे  सारे कल्प में ऊंचे ते ऊंचे मर्तबे वाले हैं क्योंकि कोटों में कोई कोई मे से भी कोई मे से चुनकर बाप ने हमें अपना बनाया है । सुबह सुबह ही उठो मेरे लाडलों कहकर कितने प्यार से उठाता है ।

 

  ❉   जैसे वी वी आई पी  होते है तो उनसे मिलने का अलग टाइम होता है ऐसे ही अमृतवेला मे बाप से हम सभी बच्चों से मिलने के लिए खास टाइम होता है । इस समय.में जो प्राप्त करना चाहो कर सकते हो । कितने भाग्यशाली हैं हम ! इस रुहानी नशे में में रहना है ।

 

  ❉   हम बच्चों को बाप पढ़ाकर स्वयं से ऊंची सीट पर बैठाते है व स्वयं स्वर्ग के मालिक न बनकर अपने बच्चोको बनाते हैं व स्वर्ग की बादशाही देकर राज्याधिकारी स्वरुप में ऊंची सीट पर बैठाते है ।

 

  ❉   संगमयुग पर ही परमात्म प्यार के अधिकारी , परमात्म वर्से के अधिकारी, परमात्म मिलन के अधिकारी बन विश्वराजन या विश्वराजन की रॉयल फैमिली बनते हैं ।

 

  ❉   अपने स्नेह की डोर से बाप को इसप्रकार बांधे रखते हैं कि जैसे ही 'मेरा बाबा' कहते हैं बाप स्वयं परमधाम छोडकर अपने बच्चों के पास आ जाते हैं व मदद करते हैं । हम बच्चों.को भी अनुभव होता हैं कि हजार भुजाओं वाला सर्वशक्तिमान बाप की छत्रछाया में  हैं । तो ऐसा श्रेष्ठ भाग्य कल्प में किसी ओर का हो सकता है क्या हम बच्चों के सिवा ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कर्मभोग रूपी परिस्थिति के आकर्षण को भी समाप्त करने के लिए सम्पूर्ण नष्टोमोहा बनना पड़ेगा... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   "मै आत्मा हु" यह अभ्यास पक्का करना होगा तभी देह में रहते भी देह और देह की दुनिया की सब परिस्थितियों के होते भी अचल अडोल अवस्था बना सकेंगे।

 

 ❉   पिछले कई जन्मो में हम बहुत पाप कर के आये है, उनका सबका हिसाब यही होना है इसलिए कर्मभोग तो आना ही है, हमें इन्हें ख़ुशी ख़ुशी चुक्त करना है, जितना ख़ुशी से करेंगे उतनी अवस्था एकरस रहेगी।

 

 ❉   हमें कर्मातित बनकर बाप के साथ अपने घर जाना है इसलिए जल्दी से जल्दी ख़ुशी ख़ुशी सब हिसाब किताब चुक्त कर घर चलने की तेयारी करनी है।

 

 ❉   सम्पूर्ण नष्टोमोहा बनेंगे तभी हम इस देह की आकर्षण को समाप्त कर सकेंगे। इस पुरानी दुनिया के साथ साथ इस पुरानी देह से भी सम्पूर्ण नष्टोमोहा बनना है।

 

 ❉   योगबल द्वारा इतनी शक्ति जमा करनी है की कर्मभोग आये तो हाय हाय करने की जगह वाह वाह ही सदा मुख से निकले। खुश रहना की सर्व बीमारियों का इलाज है, ख़ुशी जैसी कोई खुराख नहीं।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ पवित्रता का व्रत सबसे श्रेष्ठ सत्यनारायण का व्रत है - इसमें ही अतीन्द्रिय सुख समाया हुआ है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   पवित्रता की शक्ति ब्राह्मण आत्माओं को उड़ती कला की तरफ सहज ले जाने का आधार है और यह उड़ती कला का अनुभव ही आत्मा को अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करवाता है ।

 

 ❉   पवित्रता का बल विकारों की अग्नि को शांत कर आत्मा को शीतल बनाता है और शीतलता का अहसास आत्मा को अतीन्द्रिय सुख का सहज अनुभव कराता है ।

 

 ❉   पवित्रता का व्रत आत्मा को माया के अनेक विघ्नों से बचाता है जिससे आत्मा निर्विघ्न बन परमात्म छत्रछाया के अंदर अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलती रहती है । 

 

 ❉   आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट को उतार कर अतीन्द्रिय सुख प्राप्त करने का मुख्य आधार है परमात्म याद । और परमात्मा की याद तभी ठहरेगी जब पवित्रता के व्रत का पालन करेंगे ।

 

 ❉   आत्मा परमात्म मिलन द्वारा अतीन्द्रिय सुख का अनुभव तभी कर सकती है जब कर्मेन्द्रियजीत बने और कर्मेन्द्रियों को वश में करने का उपाय है पवित्रता के व्रत की दृढ प्रतिज्ञा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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