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   14 / 11 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °भाग्यवान° बनने की ख़ुशी में रहे ?

 

‖✓‖ "यह संगमयुग सर्वोत्तम बनने का °शुभ समय° है" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ °ड्रामा का ज्ञान° स्मृति में रख किसी भी बात में रोये तो नहीं ?

 

‖✓‖ °ज्ञान तलवार° से विकारों को जीतने का पुरुषार्थ किया ?

 

‖✓‖ पुरानी दुनिया और पुराने शरीर का °सन्यास° किया ?

 

‖✓‖ स्थूल सूक्षम कामनाओं का °त्याग° किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °एकनामी और इकॉनमी° के पाठ द्वारा हलचल में भी अचल अडोल रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  मैजॉरिटी भक्तों की इच्छा सिर्फ एक सेकेण्ड के लिये भी लाइट देखने की है, इस इच्छा को पूर्ण करने का साधन आप बच्चों के नयन हैं। इन नयनों द्वारा बाप के ज्योतिस्वरुप का साक्षात्कार हो। यह नयन, नयन नहीं दिखाई दें लाइट का गोला दिखाई दे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ आत्माओं को अपने नयनों द्वारा बाप के °ज्योतिस्वरुप का अनुभव° करवाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं अचल अडोल आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   एकनामी और इकॉनामी के पाठ द्वारा हलचल में भी एकरस रहने वाली मैं अचल अडोल आत्मा हूँ ।

 

 ❉   बुद्धि की लाइन क्लियर होने के कारण मैं बाप दादा से रूह रिहान का क्लियर रेस्पॉन्स प्राप्त करती हूँ ।

 

 ❉   बाबा से टचिंग ले कर अपनी हर समस्या का समाधान कर मैं समाधान स्वरूप बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं विनाश के समय अंतिम डायरेक्शनस को  कैच करने वाली वाइसलेस आत्मा हूँ ।

 

 ❉   निमित भाव की स्मृति मुझे हलचल की परिस्थिति में भी हल्का रखती है ।

 

 ❉   हर कार्य करनकरावन हार बाप की स्मृति में करने से मैं हर प्रकार के मैं पन और मेरे पन के भान से मुक्त होती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं पन और मेरे पन की भावना से मुक्त स्थिति मुझे हर परिस्थिति में अचल - अडोल स्थिति का अनुभव कराती है ।

 

 ❉   जो कर्म मैं करुँगी, मुझे देख और करेंगे इस बात को स्मृति में रख, निमित बन, मेहनत से मुक्त हो कर मैं हर सेवा में निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - यह संगमयुग सर्वोत्तम बनने का शुभ समय है, क्योकि इसी समय बाप तुम्हे नर से नारायण बनने की पढ़ाई पढ़ाते हैं"

 

 ❉   सभी युगों में सबसे श्रेष्ठ युग संगम युग को माना गया है क्योकि यही संगम युग पुरुषोत्तम बनने का शुभ समय है ।इसलिए इस युग को पुरुषोत्तम संगम युग भी कहा गया है ।

 

 ❉   यह वह समय है जब परम पिता परमात्मा का आत्माओं के साथ डायरेक्ट मिलन होता है । भगवान स्वयं साकार तन का आधार ले हमसे मिलने आते हैं ।

 

 ❉   ब्रह्मा मुख द्वारा हमे एडॉप्ट करते हैं । और राजयोग की पढ़ाई द्वारा हमे पुरुषोत्तम अर्थात पुरुषों में सबसे उत्तम लक्ष्मी नारायण जैसा बनाते हैं ।

 

 ❉   अब यही पुरुषोत्तम संगम युग चल रहा है जबकि परम पिता परमात्मा बाप आये हुए हैं ।

 

 ❉   और राजयोग की पढ़ाई द्वारा हमे नर से नारायण अर्थात श्रीकृष्णपुरी / सतयुग का मालिक बना रहें हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ भाग्यवान बनने की खुशी में रहना है , किसी की बात की चिंता नहीं करनी है । कोई शरीर छोड़ देता है तो भी दु:ख के आंसू नही बहाने है ।

 

  ❉   जिसे दुनिया वाले पाने के लिए एक क्षण की झलक के लिए तरसते रहते हैं उसी भगवान ने इस समय संगमयुग पर कोटो मे से कोई व कोई मे से भी कोई मुझे चुनकर अपना बनाया तो कितना श्रेष्ठ व ऊंचा भाग्य है मुझ आत्मा का तो हमेशा नशे व खुशी में रहना है ।

 

  ❉   जब पूरी सृष्टि का मालिक स्वयं भगवान मेरा है व उसने मुझे अपना बना लिया तो फिर  और क्या चाहिए । अपना तन मन धन सब उसे समर्पण कर देना है । जब उसने हमारा हाथ पकड़ा है तो अब सब चिंताएं बाबा की कैसे चलाना है बस हमें तो हाथ पकड़े रखना है व बेफिकर बादशाह बनना है ।

 

  ❉   पदमापदम भाग्यशाली है हम जो स्वयं भगवान रोज सुप्रीम टीचर बन कर पढ़ाने आते हैं व हमें नयी दुनिया की बादशाही देकर स्वयं से ऊंची सीट पर बैठा रहे हैं तो खुशी से डांस करते रहना है ।

 

  ❉   भाग्य लिखने की तकदीर भगवान ने अपने बच्चों को दी है कि जैसा पुरूषार्थ करेंगे उतना ही ऊंचा पद पायेंगे । तो सदा बाबा से हुई प्राप्तियों को स्मृति में रखते हुए - श्रेष्ठ हीरोपार्टधारी हूं , बाबा का लाडला सिकीलधा बच्चा हूं .... । तो ये रुहानी खुशी चेहरे से झलकती रहे ।

 

  ❉   ये शरीर तो विनाशी है व इससे मोह नही रखना ।बाबा का ज्ञान मिलने पर ड्रामा के राज को समझते हुए किसी के शरीर छोड़ने पर दु:खी नही होना है न ही आंसू बहाने हैं । जिसका जितना पार्ट है उतना ही चलेगा व ड्रामा कल्याणकारी है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ एकनामी और इकॉनामी के पाठ द्वारा हलचल में भी अचल-अडोल रहने का अभ्यास करना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   एकनामी अर्थात बुद्धि में सदा एक बाप की याद रहे दूसरा न कोई, इकॉनामी अर्थात कम खम खर्च बालानशीन। बाबा हमेशा सम्झाते है बच्चे वह कर्म करो जिसमे कम खर्चे में अधिक प्राप्ति हो।

 

 ❉   एकनामी और इकॉनामी का जितना बैलेंस होगा उतना बुद्धि देह की दुनिया के व्यर्थ से सेफ रहेगी, मायावी आकर्षणों से दूर एक बाप की याद में मग्न रहेगी। अनेक तरफ से बुद्धि निकल एक बाप में लग जाएगी।

 

 ❉   इसी बैलेंस से द्वारा हमारा बाप से कनेक्शन सदेव क्लियर रहेगा। बापदादा के समय प्रति समय जो भी बाबा के डायरेक्शन होंगे वह बुद्धि केच कर पायेगी, यही डायरेक्शन हमारे सेफ्टी का साधन है।

 

 ❉   अचल अडोल स्थिति भी तभी बन पायेगी जब माया के झूटे अकर्षणो के जाल से बुद्धि को निकाल एक बाप की श्रीमत पर चलेंगे, हर कर्म में बाबा को साथ रखेंगे।

 

 ❉   जैसे-जैसे अंतिम समय नजदीक आता जायेगा माया भी अपने अंतिम दाव पेज दिखाएगी हलचल बहुत बढती जाएगी, एसी स्थिति में स्वयं को अचल अडोल करने का एक ही साधन है बाबा की याद की लाइन क्लियर हो इसलिए अभी से एकनामी और इकॉनामी वाला बनकर रहना है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्थूल सूक्ष्म कामनाओं का त्याग करो तब किसी भी बात का सामना कर सकेंगे... कैसे ?

 

 ❉   स्थूल सूक्ष्म कमनाओं का त्याग बेहद की वैराग्य वृति द्वारा आत्मा को देह और देह के सर्व बंधनो से मुक्त कर देगा जिससे आकर्षण के सब संस्कार सहज ही समाप्त हो जायेंगे और किसी भी बात का सामना करना सरल प्रतीत होगा ।

 

 ❉   जितना आत्मा में योग का बल होगा उतना किसी भी परिस्थिति का सामना करना सहज होगा और यह तभी होगा जब स्थूल सूक्ष्म कामनाओं का त्याग कर, इच्छा मात्रम अविद्या बनेंगे ।

 

 ❉   स्थूल सूक्ष्म कामनाओं का जितना त्याग करेंगे उतना कर्मो में श्रेष्ठता आती जायेगी जिससे समाधान स्वरूप बन हर समस्या का सामना सहजता से कर सकेंगे ।

 

 ❉   जब स्थूल सूक्ष्म कामनाओं का त्याग कर देंगे तो स्वयं को सदा अधिकारीपन की सीट पर सेट अनुभव करेंगे और अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह जब हर कर्म करेंगे तो सब प्रकार की अधीनता समाप्त हो जायेगी और हर बात का सामना करना सहज हो जायेगा ।

 

 ❉   स्थूल सूक्ष्म कामनाओं का त्याग हद के मैं और मेरे पन को समाप्त कर बुद्धि को विशाल बना देगा और विशाल बुद्धि आत्मा सदा योग युक्त स्थिति का अनुभव करते हुए हर परिस्थिति का सामना सहजता और सरलता से कर सकेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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