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❍ 25 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अपने को देखा की जैसे °देवतायें मीठे° होते हैं, ऐसा मीठा बना हूँ ?
‖✓‖ "हम ब्राह्मण कुल भूषण °देवताओं से भी उंच° हैं" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ बाप की श्रेठ ते °श्रेष्ठ मत° पर चल अपनी राजधानी स्थापन करने में अपना सहयोग दिया ?
‖✓‖ सृष्टि के °आदि मध्य अंत° का ज्ञान बुधी में फिराते रहे ?
‖✓‖ बाप ने जो सुनाया, उसे °अर्थ सहित° समझकर ख़ुशी में रहे ?
‖✓‖ किसी की कमी कमजोरियों का वर्णन करने की बजाये °गुण स्वरुप° बन गुणों का ही वर्णन किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °समस्याओं को समाधान° रूप में परिवर्तित किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ हर व्यक्ति को, बात को पॉजिटिव वृत्ति से देखो, सुनो या सोचो तो कभी जोश या क्रोध नहीं आयेगा। आप मास्टर स्नेह के सागर हो तो आपके नयन, चैन, वृत्ति, दृष्टि में जरा भी और कोई भाव नहीं आ सकता, इसलिए चाहे कुछ भी हो जाये, सारी दुनिया क्यों नहीं आप पर क्रोध करे लेकिन मास्टर स्नेह के सागर दुनिया की परवाह नहीं करो। बेपरवाह बादशाह बनो, तब आपकी श्रेष्ठ वृत्तियों से शक्तिशाली वायुमंडल बनेगा।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ हर व्यक्ति को, बात को °पॉजिटिव वृत्ति° से देखा ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विश्व कल्याणी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ समस्याओं को समाधान रूप में परिवर्तित करने वाली मैं विश्वकल्याणी आत्मा हूँ ।
❉ विश्वकल्याणी बन, श्रेष्ठ भावना, श्रेष्ठ कामना के संस्कार मैं स्वयं में इमर्ज कर रही हूँ ।
❉ इस शुभ और श्रेष्ठ संस्कार द्वारा मैं हद के आसुरी संस्कारों को सहज ही समाप्त करती जाती हूँ ।
❉ सभी समस्यायों को समाधान के रूप में परिवर्तित कर मैं समाधान स्वरूप बनती जाती हूँ ।
❉ क्या, क्यों और कैसे में समय ना गवाकर मैं विजयीपन के संस्कारों को इमर्ज कर रही हूँ ।
❉ सब कुछ सेवा में स्वाहा कर, मैं सब प्रकार की मेहनत से मुक्त होती जाती है ।
❉ समस्या स्वरूप् बनने की बजाए, मैं दानी, वरदानी बन स्व के ऊपर लगे विकारों के ग्रहण से मुक्त हो रही हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - अपनी दिल पर हाथ रख कर पूछो कि बाबा जो सुनाते हैं क्या हम सब पहले जानते थे, जो सुना है उसे अर्थ सहित समझ कर ख़ुशी में रहो"
❉ अनेक साधू सन्यासियों के प्रवचन सुने, सत्संगों पर गए, महात्माओं से ज्ञान भी लिया ।
❉ किन्तु आज तक कोई भी परमात्मा तक जाने का रास्ता नही बता पाया । हमारे वास्तविक स्वरूप, सृष्टि के आदि, मध्य और अंत का ज्ञान आज तक कोई भी नही दे पाया ??
❉ क्योकि सिवाए परमपिता परमात्मा बाप के, यह ज्ञान कोई की बुद्धि में भी नही है ।
❉ इसलिए बाबा कहते हैं कि अपनी दिल पर हाथ रख कर पूछो कि बाबा जो ज्ञान सुनाते हैं क्या हम सब वह पहले से जानते थे ।
❉ जो सुना है उसे अर्थ सहित समझ कर ख़ुशी में रहो । क्योकि जितना ज्ञान का मन्थन करेंगे उतना सुने हुए को अर्थ सहित समझ कर ख़ुशी के झूले में झूलते रहेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बाप की श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत पर चल अपनी राजधानी स्थापन करनी है ।
❉ जब बाबा ने चुनचुन कर अपने बच्चों को आसुरी सम्प्रदाय से निकाल ईश्वरीय सम्प्रदाय का बनाया तो हम बच्चों को भी ईश्वर की श्रेष्ठ मत पर चलकर यज्ञ के कार्य में मददगार बन नयी राजधानी स्थापन करनी है ।
❉ हम सर्वश्रेष्ठ परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ संतान हैं । बाप हम सब बच्चों को एक ही शिक्षा देते हैं कि अपने को आत्मा समझ बाप के याद करो । हमें बाप की श्रीमत पर चलते हुए अच्छी रीति पढ़कर नयी दुनिया का मालिक बनना हैं ।
❉ "ज्ञान अंजन सतगुरू दिया, अज्ञान अंधेर विनाश" । जब सतगुरू से ज्ञान मिलता है तो अज्ञान का अंधेरे का विनाश हो जाता है और सतगुरू की श्रेष्ठ मत पर चल नयी दुनिया की स्थापना करते हैं ।
❉ मनमत और परमत को श्रेष्ठ नहीं माना जाता है । श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ तो एक शिव परमात्मा व उनकी ही श्रीमत है तो पुरानी मत समाप्त कर शिव परमात्मा की श्रीमत पर चल श्रेष्ठ बनना है ।
❉ लौकिक में जब कोई व्यक्ति इलेक्शन में अपनी पार्टी बनाने के लिए अच्छे से अच्छे कार्य करते है ताकि उनके सदस्य बनें व पार्टी बन जाए । फिर हमें तो बेहद का बाप मिला है व बाप कहते हैं ज्ञान रत्नों को धारण कर ज्ञान रत्नों का दान करो व हरेक को बाप का परिचय दो । जितना ज्ञान दान करोगे उतनी प्रजा बनेगी व श्रेष्ठ मत पर चल राजधानी स्थापन करनी है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ समस्याओ को समाधान रूप में परिवर्तित करने वाले विश्व कल्याणी कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ "में मास्टर विघ्न विनाशक हु" यह सबसे श्रेष्ठ स्वमान बाबा ने हमें दिया है स्वयं को विघ्न प्रूफ रखने का। इसकी रोज़ प्रेक्टिस से हम विघ्न प्रूफ बन जायेंगे।
❉ जो आत्मा स्वयं ही विघ्नों में, परिस्थितियों में, समस्याओ में उलझी हुई होगी वह भला दुसरो की समस्याओ का क्या समाधान करेंगी? जब तक स्वयं विघ्न मुक्त न हो किसी और का कल्याण नहीं कर सकते।
❉ हमें कभी भी समस्या स्वरुप नहीं बनना है, समाधान स्वरुप बनना है। स्व पुरुषार्थ द्वारा स्वयं को इतना अनुभवी बना लेना हाइ जो आज की अनेको दुखी आत्माओ की समस्याओ का समाधान बताकर उनका भी कल्याण कर सके।
❉ विश्व कल्याण यही है की दुनिया की सभी आत्माये आज दो दुःख, अशांति, विकारो में फासी हुई है उन्हें सच्चा आत्मा का और परमात्मा का ज्ञान प्राप्त हो ताकि वह भी अपना भाग्य जमा कर ले।
❉ जिन गुण शक्तियों की या कहो जीवन जीने की कला विकारो के वश होकर आत्माये भूल गयी है वाही गुण शक्तियाँ आत्माओ में फिर से जाग्रत करना है, भारत का प्राचीन राजयोग तो मशहुर है उसी की साधना द्वारा समस्याओ का समाधान करके विश्व कल्याणी बन सकते है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ किसी की कमी, कमजोरियों का वर्णन करने के बजाए, गुण स्वरूप बनो, गुणों का ही वर्णन करो... कैसे ?
❉ जब दूसरों की करेक्शन करने के बजाये एक बाप से कनेक्शन रखेंगे तो किसी की भी कमी, कमजोरियों का वर्णन करने की बजाये, गुण ग्राही बन सबकी विशेषताओं को स्वयं में धारण कर सकेंगे ।
❉ जब स्वयं को सभी बातों से उपराम कर, एक की लग्न में मगन रहेंगे तो चढ़ती कला के अनुभवी बन जायेंगे और गुण स्वरूप बन सबके गुणो का ही वर्णन करते रहेंगे ।
❉ अपने संकल्प, श्वांस, समय और सम्पति को तभी सफल कर पायेंगे जब दूसरों की कमी, कमजोरियों को देखने की बजाये, गुण स्वरूप बन सबके गुणों को ही देखेंगे और गुणों का ही वर्णन करेंगे ।
❉ जब मास्टर क्षमा का सागर बन सबको क्षमा करेंगे तो किसी की कमी, कमजोरियों पर ध्यान ही नही जायेगा, केवल उनके गुणों का ही वर्णन करेंगे ।
❉ जब हर कर्म शुभ और श्रेष्ठ होगा तो सर्व के प्रति रहम और कल्याण की भावना, उनके अवगुणों पर ध्यान केंद्रित करने की बजाए, उनके गुणों का वर्णन करेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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