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❍ 29 / 05 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अविनाशी °ज्ञान रत्नों की कमाई° जमा की ?
‖✓‖ सेवा के वायुमंडल के साथ °बेहद की वैराग्य वृति° का वायुमंडल भी बनाया ?
‖✓‖ एक बाप से °अव्यभिचारी प्रीत° रखी ?
‖✓‖ °देही अभिमानी° रहने का अभ्यास किया ?
‖✓‖ °डबल अहिंसक° बनकर रहे ?
‖✗‖ कोई भी कर्त्तव्य बाप के °डायरेक्शन के विरुद्ध° तो नहीं किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °संकल्प को भी चेक° कर व्यर्थ के खाते को समाप्त किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जो नम्बरवन परवाने हैं उनको स्वयं का अर्थात् इस देह- भान का, दिन-रात का, भूख और प्यास का, अपने सुख के साधनों का, आराम का, किसी भी बात का आधार नहीं । वे सब प्रकार की देह की स्मृति से खोये हुए अर्थात् निरन्तर शमा के लव में लवलीन रहते हैं । जैसे शमा ज्योति-स्वरुप है, लाइट माइट रुप है, वैसे शमा के समान स्वयं भी लाइट-माइट रुप बन जाते हैं ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सब प्रकार की °देह की स्मृति से खोये° हुए रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं श्रेष्ठ सेवाधारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ विश्व कल्याणकारी परम पिता परमात्मा शिव बाबा की संतान, मैं आत्मा विश्व कल्याण के कार्य के निमित बनी हुई श्रेष्ठ सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ विश्व की सभी आत्माओं की सेवा करने के लिए अपने स्वीट होम परमधाम से इस धरा पर अवतरित हुई हूँ ।
❉ स्व परिवर्तन के आधार से विश्व परिवर्तन करने वाली मैं विशेष आत्मा हूँ।
❉ अपने हर एक संकल्प को अच्छी रीति चेक कर मैं व्यर्थ के खाते को समाप्त करती जाती हूँ ।
❉ विश्व की स्टेज पर विशेष एक्ट करने वाली मैं हीरो पार्टधारी आत्मा हूँ ।
❉ अपने विशेष पावरफुल संकल्पों द्वारा मुझे समस्त विश्व के सामने विशेष उदहरणमूर्त आत्मा बन प्रत्यक्ष होना है, क्योकि सारा विश्व मुझे कॉपी करने वाला है ।
❉ मुझ आत्मा के संकल्प में भी किसी भी विकार की कमजोरी, व्यर्थ बोल, व्यर्थ भावना, घृणा व इर्ष्या की भावना नहीं रहती
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाबा आया है तुम बच्चों को अविनाशी कमाई कराने, अभी तुम ज्ञान रत्नों की जितनी कमाई करने चाहो कर सकते हो"
❉ विनाशी धन की कमाई तो हम 63 जन्मों से करते आये । किन्तु अविनाशी ज्ञान रत्नों की कमाई करने का समय पूरे कल्प में केवल एक ही बार मिलता है ।
❉ और वो समय है पुरुषोत्तम संगम युग जब परम पिता परमात्मा आ कर अविनाशी ज्ञान रत्नों से हमारी झोली भरते हैं ।
❉ अब वही समय अर्थात पुरुषोत्तम संगम युग चल रहा है । जबकि परम पिता परमात्मा बाप हम आत्माओं को अविनाशी रत्नों की कमाई कराने आये हुए हैं ।
❉ इसलिए अभी हम जितनी चाहें उतनी कमाई कर सकते हैं ।
❉ यह अविनाशी कमाई केवल एक जन्म के लिए नही बल्कि 21 जन्मों के लिए हमारी श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने वाली है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢ एक बाप से अव्यभिचारी प्रीत रखते-रखते कर्मातीत अवस्था को पाना है।
❉ बाप कहते हैं कि उठते बैठते चलते फिरते बस मुझे याद करो। ऐसा बाप के सिवाय कोई और कह ही नहीं सकता क्योंकि कोई आत्मा व आत्मा के पिता परमात्मा के बारे में जानता ही नहीं है।
❉ सिर्फ व सिर्फ एक बाप की याद में रहना है क्योंकि वही आधे कल्प का आशिक है। लौकिक में अपने आशिक को कोई कभी भूल सकता है क्या?? कितनी प्रीत होती है। ऐसे ही हमारी बाप के लिए प्रीत अव्यभिचारी ( सिर्फ एक के साथ) होनी चाहिए।
❉ ये देह व देह के सर्व सम्बंध झूठे व विनाशी है तो इनसे मोह नहीं रखना। जब इन विनाशी चीज़ों से सम्बंध नहीं रखते तो एक बाप की याद बनी रहती है व पुरानी दुनिया व पुराने शरीर से वैराग्य हो जाता है।
❉ इस कल्याणकारी संगमयुग में जो पढ़ाई पढ़ रहे हैं उसकी प्रालब्ध नयी दुनिया में मिलती है। बेहद के बाप से बेहद सुख की प्राप्ति होती है तो पूरा पूरा पुरूषार्थ कर श्रीमत पर चलना है।
❉ जितनी बाप से प्रीत होगी तमोप्रधान से सतोप्रधान जायेंगे। बापसे प्रीत रखते-रखते जब पावन बन जायेंगे तो कर्मातीत अवस्था होगी तब यह शरीर छूटेगा।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ संकल्प को भी चेक कर व्यर्थ के खाते को समाप्त करने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी होते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा कहते - अब एक संकल्प भी व्यर्थ जाने से बहुत नुक्सान हो जायेगा, एक-एक संकल्प का बहुत महत्त्व है, हमारे संकल्प ही सबसे अमूल्य खजाना है।
❉ हमारे श्रेष्ट संकल्पों द्वारा ही इस सृष्टि का परिवर्तन होना है, अभी भी व्यर्थ संकल्प चलेंगे तो परिवर्तन का कार्य कब संपन्न करेंगे।
❉ जो भी संकल्प हम ब्राह्मण आत्माये करती है उसकी वाइब्रेशन वातावरण में फैलती है और उसी अनुसार वायुमंडल बनता है।
❉ अंतिम समय में विश्व की आत्माओ की सेवा मनसा द्वारा ही होनी है, वो भी वही कर पायेगा जिसने बहुत समय से अपने मन को एकाग्र किया होगा।
❉ बाबा ने हम बच्चो को बहुत सुन्दर ड्रिल सिखाई है, हर घंटे में 1-2 मिनट निकाल उन्हें करे और बिच बिच में अपने संकल्पों को चेक व चेंज करे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सेवा के वायुमण्डल के साथ बेहद के वैराग्य वृति का वायुमण्डल बनाओ... क्यों और कैसे ?
❉ मैं और मेरेपन से दूर स्वयं को ट्रस्टी समझ जब निमित भाव से सेवा करेंगे तो सेवा के वायुमण्डल के साथ बेहद के वैराग्य वृति का वायुमण्डल स्वत: बनता जायेगा ।
❉ स्वयं को बन्धनमुक्त कर, विश्व कल्याणकारी की सीट पर सेट हो, सारे विश्व के कल्याणार्थ जब सेवा करेंगे तो सेवा के वायुमण्डल के साथ बेहद की वैराग्य वृति भी आ जायेगी ।
❉ नष्टोमोहा बन सर्व के प्रति शुभभावना, शुभ कामना रख कर की हुई सेवा में सेवा के वायुमण्डल के साथ बेहद की वैराग्य वृति का वायुमण्डल भी निर्मित होता जाएगा ।
❉ देह भान से न्यारे और प्यारे हो, योग युक्त स्थिति में की गई सेवा में सेवा के वायुमण्डल के साथ बेहद की वैराग्य वृति का वायुमण्डल स्वत: बनता जाएगा ।
❉ स्वयं को साक्षी और न्यारी स्थिति में स्थित कर के जो सेवा की जाती है उसमे सेवा के वायुमण्डल के साथ बेहद की वैराग्य वृति के वायुमण्डल का भी निर्माण हो जाता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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