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❍ 23 / 08 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ बाप समान °न्यारे और सदा प्यारे° रहे ?
‖✓‖ सदा °स्मृति स्वरुप° रह एक ही लगन में मगन रहे ?
‖✓‖ शिव और शक्ति कंबाइंड रूप से मनसा संकल्प व वृति द्वारा °वाइब्रेशनस की खुशबू° फैलाई ?
‖✓‖ °याद और सेवा° का बैलेंस रखा ?
‖✓‖ स्व के प्रति और सर्व के प्रति °विघन विनाशक° बनकर रहे ?
‖✓‖ °बाप को प्रतक्ष्य° करने का द्रिड संकल्प किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °सागर के तले° में जाकर अनुभव रुपी रतन प्राप्त किये ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ लास्ट सो फास्ट पुरुषार्थ ज्वाला-रुप का ही रहा हुआ है। पाण्डवों के कारण यादव रुके हुए हैं। पाण्डवों की श्रेष्ठ शान, रुहानी शान की स्थिति यादवों के परेशानी वाली परिस्थिति को समाप्त करेगी। तो अपनी शान से परेशान आत्माओं को शान्ति और चैन का वरदान दो। ज्वाला स्वरुप अर्थात् लाइट हाउस और माइट हाउस स्थिति को समझते हुए इसी पुरुषार्थ में रहो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ ज्वाला स्वरुप अर्थात् °लाइट हाउस और माइट हाउस° की स्थिति में रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा समर्थ आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सागर के तले में जा कर अनुभव रूपी रत्न प्राप्त करने वाली मैं सदा समर्थ आत्मा हूँ ।
❉ ज्ञान के मुख्य पॉइंट्स के अभ्यास द्वारा और योग की विशेषता द्वारा मैं सिद्धि स्वरूप बनती जाती हूँ ।
❉ अभ्यास की प्रयोगशाला में बैठ, एक बाप की लग्न में मगन हो कर मैं निर्विघ्न बनती जाती हूँ ।
❉ कोई भी विघ्न मेरी स्थिति की एकरसता को डगमगा नही सकता, निर्विघ्न आत्मा बन मैं सब विघ्नों को सहजता से पार करती जाती हूँ ।
❉ ज्ञान, गुणों और शक्तियों के सागर के तले में जाकर अनेक प्रकार के अनुभवों के मोती चुग कर मैं अनुभवीमूर्त बनती जाती हूँ ।
❉ मैं सदा ज्ञान रत्नों से खेलती और खुशियों के झूले में झूलती रहती हूँ ।
❉ सफलता का तिलक लगाये, मैं सदैव अपने चमकते हुए भाग्य और भविष्य की ऊँची उड़ान को अपने दिल रूपी आईने में देख, हर्षित होती रहती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "स्मृति दिवस पर बापदादा की बच्चों प्रति शिक्षायें"
❉ बच्चे सदा बाप समान न्यारे और प्यारे रहें इसलिए स्मृति दिवस पर बापदादा अपने सभी समर्थ स्वरूप बच्चों को कुछ विशेष शिक्षायें दे रहें हैं ।
❉ याद और सेवा का बैलेंस रख सदा ब्लिस फुल रहो तथा स्व के प्रति और सर्व के प्रति सदा विघ्न - विनाशक बनो ।
❉ सदा कमल पुष्प के आसन पर अपने श्रेष्ठ जीवन के पांव रखो ।
❉ रोज अमृतवेले विश्व वरदानी स्वरूप से विश्व - कल्याणकारी बाप के साथ कम्बाइन्ड बन, मनसा संकल्प वा वृति द्वारा श्रेष्ठ वायब्रेशन की खुशबू सारे विश्व में फैलाओ ।
❉ तन, मन, धन और समय सेवा में लगा कर फाइनल सर्व आत्माओं में से सलेक्ट करो कि कौन सी आत्मायें मुक्ति के वर्से के योग्य हैं और कौन सी आत्मायें जीवन मुक्ति के योग्य हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सदा स्मृति स्वरुप रह एक ही लगन में मगन रहना है ।
❉ भक्ति में भक्त प्रीत के गीत में खो जाते हैं तो फिर हमें तो भगवान ने अपना बना लिया व हम उसके बन गए तो सदा एक ही की याद में मगन रहना है ।
❉ जब सच्चा मीत मिल गया तो सदा अविनाशी मीत के साथ रहना है । जिस के साथ सच्ची प्रीत होती है तो उसे याद नहीं करना पड़ता स्वत: ही उसकी लगन में मगन रह सदा उनके साथी बन करके चलते है ।
❉ जैसे किसी कन्या की सगाई होती है तो उसका माशूक़ कितनी भी दूर हो वह सदा उसके ख़्यालों व याद में ही मगन रहती है उसीप्रकार हमारी भी शिवबाबा से सगाई हो गई है व हमें भी सच्चे आशिक की तरह अपने माशूक़ की लगन में मगन रहना है ।
❉ स्मृति स्वरूप बन एक की लगन में मगन माना मन बुद्धि चेहरे चाल चलन से एक की याद की राॅयल पर्सनैलिटी छलकती हो तो जैसा और जिसकी स्मृति का चाल चलन होगा उनके स्वरूप स्वत: ही बने रहेंगे ।
❉ सभी सम्बंधों से विस्मृति ले एक बाबा की याद में रहेंगे तब ओरों को भी याद दिला पायेंगे क्योंकि बिना लगन के मगन नहीं रह सकते ।
❉ संगमयुग हम ब्राह्मण बच्चों के लिए वरदानी समय है ।कितने पदमापदम भाग्यशाली है ! भगवान ने हमें स्वयं स्मृति दिलाई कि हम कौन है व कौन साथ निभा रहा है ! फिर स्मृति स्वरूप रह एक की ही लगन में मगन रह अपने भाग्य की लकीरों को ख़ुद लिखना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सदा समर्थ आत्मा वह है जो सागर के तले में जाकर अनुभव रूपी रत्न प्राप्त करने वाले हो... क्यों और कैसे ?
❉ "शिवबाबा ज्ञान का, गुणों का, शक्तियों का सागर है" जितना हम सागर की गहराई में जायेंगे उतना ही अमुल्य रत्न व नए-नए अनुभव प्राप्त होंगे।
❉ जितना अनुभवों की अथॉरिटी बनेंगे उतना ही सर्व समर्थी आती जाएगी, ज्ञान की पॉइंट भले भूल जाये परन्तु अनुभव हम कभी नहीं भूल सकते है, अनुभव के आधार से आने वाले विघ्नों को पहले से ही परख लेंगे।
❉ सागर बाप से जितना बुद्धि का योग निरंतर, क्लियर व पक्का होगा उतना दिन प्रति दिन सुन्दर अनुभव करते रहेंगे और खुशियों के झूलो में झूलते रहेंगे।
❉ ज्ञान सागर बाबा हमें रोज़ ग्हुय ते ग्हुय राज बताते है, ज्ञान के अमूल्य रत्नों की बरसात करते है, जितना ज्ञान मंथन करेंगे उतना अमृत प्राप्त होगा।
❉ जितना हम बाप द्वारा प्राप्त ज्ञान, गुण, शक्ति का स्वयं व दुसरो के प्रति प्रयोग करेंगे उतना ही वह शक्तियाँ बढती जाती है। योग का प्रयोग जितना करेंगे उतना समर्थी बनते जायेंगे अर्थात उनकी ऑथोरिटी आती जाएगी।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अशुद्धि ही विकार रूपी भूतों का आवाह्नन करती है इसलिए संकल्पों से भी शुद्ध बनो... क्यों और कैसे ?
❉ शुद्ध संकल्पों का खजाना जमा होगा तो बुद्धि कहीं बाहर नही भटकेगी जिससे विकार रूपी भूतों की प्रवेशता से सुरक्षित रहेंगे ।
❉ शुद्ध संकल्प निगेटिव को पॉजिटिव में बदल कर चिंतन को समर्थ और श्रेष्ठ बना देते हैं जिससे सब प्रकार की अशुद्धियाँ समाप्त हो जाती हैं और विकार रूपी भूत दूर भाग जाते हैं ।
❉ बाबा से टचिंग लेने के लिए जरूरी है मन बुद्धि की लाइन क्लियर होना । लेकिन मन बुद्धि की लाइन तभी क्लियर होगी जब कोई अशुद्धि नही होगी और विकारों की प्रवेशता नहीं होगी और यह तभी होगा जब शुद्ध संकल्पों का खजाना जमा होगा ।
❉ जितना शुद्ध संकल्प का खजाना जमा होगा, चिंतन श्रेष्ठ होगा उतनी ही चेहरे पर रूहानियत की झलक सपष्ट दिखाई देगी और विकार रूपी भूतों की प्रवेशता से मुक्त रहेंगे ।
❉ निराकारी स्तिथि में स्तिथ हो जाएँ तो सब प्रकार की अशुद्धियां समाप्त हो जाएँगी और शुद्ध चिंतन द्वारा विकार रूपी भूतों की प्रवेशता से स्वयं को सेफ रख सकेंगें ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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