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    06 / 04 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °सच्चा आशिक° बन एक माशूक को ही याद किया ?

‖✓‖ "मैं डायरेक्ट ज्ञान सागर से निकली °चैतन्य ज्ञान गंगा° हूँ" - यह स्मृति रही ?

‖✓‖ श्रीमत पर चल °अच्छे मैनर्स° धारण किये ?

‖✓‖ °पवित्रता° की शमा चारों और जलाई ?

‖✓‖ °एकमत, एकरस° स्थिति का अनुभव किया ?

‖✗‖ व्यर्थ बोल, °व्यर्थ भावना°, घृणा व इर्ष्या की भावना तो नहीं आई ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

‖✓‖ °चैलेंज और प्रैक्टिकल° की समानता द्वारा स्वयं को पापों से सेफ रखा ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

➳ _ ➳  जैसे कोई शरीर में भारी है, बोझ है तो अपने शरीर को सहज जैसे चाहे वैसे मोल्ड नहीं कर सकेंगे । ऐसे ही अगर मोटी-बुद्धि है अर्थात् किसी न किसी प्रकार का व्यर्थ बोझ वा व्यर्थ किचड़ा बुद्धि में भरा हुआ है, कोई न कोई अशुद्धि है तो ऐसी बुद्धि वाला जिस समय चाहे, वैसे बुद्धि को मोल्ड नहीं कर सकेगा इसलिए बहुत स्वच्छ, महीन अर्थात् अति सूक्ष्म-बुद्धि, दिव्य बुद्धि, बेहद की बुद्धि, विशाल बुद्धि चाहिए । ऐसी बुद्धि वाले ही सर्व सम्बन्ध का अनुभव जिस समय, जैसा सम्बन्ध वैसे स्वयं के स्वरूप का अनुभव कर सकेंगे ।
 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

‖✓‖ व्यर्थ बोझ वा व्यर्थ किचड़ा बुद्धि से हटा बुद्धि बहुत °स्वच्छ, महीन° बनाने पर पूरा अटेंशन रहा ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं विश्व सेवाधारी हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं विश्व कल्याणकारी परम पिता परमात्मा की संतान विश्व सेवाधारी आत्मा हूँ

 ❉   विश्व की सभी आत्माओं की सेवा करने के लिए  अपने स्वीट होम परमधाम से इस धरा पर अवतरित हुई हूँ

 ❉   मैं आत्मा जो चैलेंज करती हूँ उस चैलेंज को प्रैक्टिकल जीवन में लाकर दिखाती हूँ

 ❉   मैं आत्मा पाप और पुण्य की गति को जानकार स्वयं को सदा सेफ रखती हूँ

 ❉   मुझ आत्मा के संकल्प में भी किसी भी विकार की कमजोरी, व्यर्थ बोल, व्यर्थ भावना, घृणा इर्ष्या की भावना नहीं रहती

 ❉   मैं आत्मा पुण्य आत्मा भव के वरदान द्वारा स्वयं को सेफ रख विश्व सेवाधारी का पार्ट बजाती हूँ

 ❉   मैं आत्मा संगठित रूप में सदैव एकमत, एकरस स्थिति का अनुभव करती हूँ

 ❉   मेरा सहज योगी रूप विश्व की समस्त आत्माओं को सहज ही परमात्म प्रेम का अनुभव कराता है

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप नॉलेजफुल है, उन्हें जानी जाननहार कहना, यह उल्टी महिमा है, बाप आते ही हैं तुम्हे पतित से पावन बनाने"

 

 ❉   शास्त्रों में परमात्मा को अंतर्यामी कह कर, उनकी महिमा की गई है

 ❉   लोगो का यह विश्वास है कि भगवान जानी जाननहार है जो सभी के मन की बातों को जानते हैं

 ❉   किन्तु यह विश्वास बिल्कुल गलत है यह महिमा बिल्कुल ही उल्टी है सच तो यह है कि परम पिता परमात्मा बाप जानी जानन हार नही बल्कि नॉलेजफुल है

 ❉   सृष्टि चक्र की सारी नॉलेज उनमे समाई हुई है ।वो ज्ञान के सागर हैं

 ❉   वो पतित पावन है, वो आते ही हैं पतितों को पावन बनाने, पुरानी कलयुगी दुनिया का विनाश कर नईं सतयुगी दुनिया की स्थापना करने

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)

 

➢➢ सच्चा आंशिक बन एक माशूक़ को ही याद करना है। जितना हो सके याद का अभ्यास बढ़ाते जाना है।

 

 ❉   एक बाप से ही आशिक की तरह लव रखना है क्योंकि जो बाप के लव में लवलीन रहते है बाबा भी उन बच्चों को याद करते हैं।

 ❉   बाबा तुझ संग बैठूँ , खाऊँ , चलूँ ।ऐसा प्यार रखना है कि हर पल बाबा का साथ अनुभव हो जैसे आशिक को माशूक़ की याद सताती है उसके बिना रह नहीं पाता उसी प्रकार हमारी याद भी बाबा के लिए होनी चाहिए।

 ❉   जैसे किसी आशिक को अपने माशूक़ को याद के लिए काम छोड़कर याद में नहीं बैठना पड़ता उसकी याद उसके दिल में समाई रहती है स्वत: ही आती है तो शिव बाबा हमारा माशूक़ है हम उसके आशिक तो चलते फिरते कर्म करते हुए हमेशा याद रहनी चाहिए

 ❉   हम सब आत्मायें परमात्मा की संतान है। परमात्मा ऊंच ते ऊंच बहुत प्यारे ते प्यारा सभी का माशूक़ है। जितना ज़्यादा याद करते है उतना ही गहरा सम्बंध होता है यहाँ याद से तो अविनाशी कमाई है 21 जन्मों की

 ❉   जैसे आशिक माशूक़ को एक बार देखता है तो उसको कभी भूलता नहीं चाहे उसे देखे या नहीं बस उसकी यादों में ही खो जाता है हमारा बाबा से प्यार भी ऐसा होना चाहिएँ कि बस उसकी याद में ही खो जाए पुरानी विनाशी दुनिया को भूल जायें।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

 

➢➢ चैलेंज और प्रैक्टिकल की समानता द्वारा स्वयं को पापो से सेफ रखने से विश्व सेवाधारी बनना सहज हो जाता है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हम माया के चेलेंजो पर प्रैक्टिकल में विजय प्राप्त करके ही सबके सामने उधारण स्वरुप बन सकते है।

 ❉   हमें प्रैक्टिकल में विजय प्राप्त करते देख ही अनेक आत्माओ की हिम्मत उमंग उत्साह बढेगा और वह भी सत्मार्ग पर चल पड़ेंगे।

 ❉    अपने पापो से मुक्त होने के लिए रावण की इस दुनिया में रहते भी राम का बनकर रहने का चेलेंज हमें प्रैक्टिकल में कर के दिखाना है।

 ❉   हम हमारा दैवी राज्य ला कर रहेंगे यह प्रैक्टिकल में करने के लिए हमें अभी सभी पापो से मुक्त होना है, और विश्व की सभी आत्माओ को मुक्ति-जीवन्मुक्ति का रास्ता बताना है।

 ❉    जब हमारे संकल्प, बोल और कर्म में समानता होगी तभी हम मनमत को छोड़ एक बाप की श्रीमत पर चलेंगे और स्वयं को पापो से मुक्त कर सभी आत्माओ का कल्याण कर सकेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

 

➢➢ पवित्रता की शमा चारों ओर जलाओ तो बाप को सहज देख सकेंगें... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   पवित्रता की शक्ति ब्राह्मण आत्माओं को उड़ती कला की तरफ सहज ले जाने का आधार है और यह उड़ती कला का अनुभव ही बाप को सहज देखने में मदद करेगा

 ❉   पवित्रता की शमा चारों और जलाने से नेत्रहीन को भी तीसरा मिल जाता है जिससे बाप को सहज देखना आसान हो जाता है

 ❉   पवित्रता की शक्ति किसी भी आत्मा की दृष्टि, वृति और कृति को बदल कर बाप को सहज देखना आसान बना देती है

 ❉   पवित्रता की शमा माया के अनेक विघ्नों से बचने की छत्रछाया है, इस छत्रछाया में रह कर बाप को सहज देखना सरल है

 ❉   पवित्रता की शक्ति ही सम्पूर्ण अवस्था को प्राप्त करने का आधार है और  सम्पूर्णता को पाना माना बाप को सहज देखना

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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