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❍ 02 / 05 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ इस पुरानी दुनिया से °बुधी का लंगर° उठा रहा ?
‖✓‖ "बाबा हमारे लिए नया घर बना रहे हैं... हम जाते हैं °वैकुण्ठपुरी° में" - सदा इस स्मृति में रहे ?
‖✓‖ किसी भी परिस्थिति में °बाप और वर्से को याद° किया ?
‖✓‖ "जिसे सारी दुनिया ढूंढ रही है... वह °बाबा हमें मिल गया°" - इसी ख़ुशी में रहे ?
‖✓‖ सुने हुए का °मनन° किया ?
‖✗‖ एक मिनट भी अपना °समय वेस्ट° तो नहीं किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °सर्व खजानों° को स्व के प्रति और औरों के प्रति यूज़ किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ परमात्म-प्यार अखुट है, अटल है, इतना है जो सर्व को प्राप्त हो सकता है । लेकिन परमात्म-प्यार प्राप्त करने की विधि है-न्यारा बनना । जितना न्यारा बनेंगे उतना परमात्म प्यार का अधिकार प्राप्त होगा ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °न्यारे° बन परमात्म प्यार का अधिकारी बनकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं अखण्ड महादानी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं बाप से मिले सर्व खजानो को स्व के प्रति और सर्व आत्माओं के प्रति यूज़ करने वाली महादानी आत्मा हूँ ।
❉ जैसे बाप का भण्डारा सदा चलता रहता है ऐसे ही मुझ आत्मा का भी ज्ञान, शक्तियों और गुणों का भण्डारा सदा भरपूर रहता है ।
❉ इन ज्ञान, शक्तियों और गुणों के रूहानी खजाने को मैं स्वाभाविक रीति से सर्व आत्माओं पर लुटाती रहती हूँ ।
❉ मास्टर स्नेह का सागर बन मैं आत्मा सर्व आत्माओं को स्नेह भरी पालना के पवित्र धागे में बांधती जाती हूँ ।
❉ अपनी नम्रता से चारों ओर रूहानी खुशियों का प्रकाश फैला कर सबको अविनाशी खुशियों की अनुभूति कराती जाती हूँ ।
❉ अपने शक्ति स्वरूप् में स्तिथ हो, कमजोर आत्माओं की कमजोरियों को मिटा कर उनकी छुपी हुई शक्तियों को अपनी शक्तियों की किरणों से प्रज्वल्लित करती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे खिवैया मिला है इस पार से उस पार ले जाने के लिए, तुम्हारे पैर अब इस पुरानी दुनिया पर नही है, तुम्हारा लंगर उठ चुका है"
❉ समुद्र की लहरों के बीच फंसी हुई नाव को जैसे एक चतुर खिवैया ही पार ले जा सकता है ।
❉ ठीक उसी प्रकार आज सभी मनुष्यों की जीवन रूपी नाव भी विषय विकारों रूपी सागर में गोते खा रही है ।
❉ विषय विकारों में फंसी इस नाव को परमात्मा खिवैया के सिवाय और कोई भी सुरक्षित पार नही ले जा सकता ।
❉ वह खिवैया बाप अब आया हुआ है, हमारी जीवन रूपी नाव को इस पार अर्थात विषय सागर से निकाल उस पार अर्थात क्षीर सागर में ले जाने के लिए ।
❉ इस लिए अब हमारे पैर इस पतित दुनिया में नही है, हमारा लंगर उठ चुका है । अर्थात इस पतित दुनिया से अब हमे कोई प्रीत नही रखनी है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢ जिसे सारी दुनिया ढूँढ रही है, वह बाबा हमें मिल गया- इसी ख़ुशी में रहना है। याद से ही पाप कटते हैं इसलिए किसी भी परिस्थिति में बाप और वर्से को याद करना है।
❉ जिसको सारी दुनिया ढूँढ रही है, वह बाबा हमें घर बैठे ही मिल गया व उसने ही हमें ढूँढ कर अपना बच्चा बनाया। दुनिया में सब तो पाई पैसे वाले के बच्चे बनते है और हम तो भगवान के बच्चे है ! कितनी ख़ुशी नशा रहना चाहिए ।
❉ बेहद का बाप मिला है पूरे 5000वर्ष के बाद । कौड़ी जैसी आत्मा को हीरे तुल्य बनाने, समझदार बनाने, सारे विश्व पर राज्यकरने लायक बनाने के लिए बाबा आया है तो ऐसे बेहद के बाप की याद में रहना है।
❉ याद से ही आत्मा को शक्ति मिलती है व विकर्म विनाश होते हैं । याद से ही पावन बन नई दुनिया में विश्व का मालिक बनेंगे।
❉ एक बाबा की याद ही अंतकाल में काम आयेगी इसलिए याद की यात्रा का अभ्यास चाहिए। याद में रहने से ही माया के वार से भी बच जाते हैं। बाबा की याद रहेगी तो वर्से भी स्वत: ही याद आयेगा।
❉ परिस्थिति कैसी भी आए बस एक बाबा की याद होगी तो पहाड़ जैसी परिस्थिति रूई जैसी नज़र आयेगी व खेल खेल में उसे पार कर लेंगे। बस जादू मंत्र को सदा याद रखना है-" मेरा बाबा " । जादूगर अपने जादू से सब रास्ते दिखा देता है व आसाँ कर देता है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व खजानों को स्व के प्रति और औरो के प्रति यूज करने वाले स्वयं को अखंड महादानी अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?
❉ आजकी आत्माये ज्ञान, गुण, शक्तियों से बहुत खाली है, दुःख अशान्ति, चिन्ताओ के घेरे में फासी हई है। एसी आत्माओ को हम परमात्मा के बच्चे प्राप्त खजानों को थोडा भी दान करे तो आत्माये तृप्त अनुभव करेंगे।
❉ परमात्मा ने हम बच्चो को अडॉप्ट किया है और हमे उनके सर्व खजाने वर्से में दिए है तो हम आत्मा का फर्ज है अपने भाई बहनों को भी उन खजानों से भरपूर करे।
❉ जब हम कोई आत्मा को उसकी जरुरत अनुसर किसी चीज़ का दान करते है तो उसके दिल से निकली सच्ची दुवाये हमे बहुत श्रेष्ठ अनुभूति करवाती है।
❉ जितना हम परमात्मा से प्राप्त खजानों को स्व व अन्य आत्माओ प्रति यूज करेंगे उतना ही यह खजाने और ही बढ़ते जायेंगे। परमात्मा तो सागर है, वह इतना देता है जो हम ले-ले कर थक जाये पर वो देते-देते नहीं थकेगा।
❉ अखंड महादानी वह होते है जो कभी दान देने से थकते नहीं, जो भी आत्माये उनके सम्बन्ध-संपर्क में आये वो कभी खाली हाथ वापस नहीं जा सकती, कुछ न कुछ उनको जरुर दान देंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सुने हुए को मनन करो, मनन करने से ही शक्तिशाली बनेंगे... क्यों और कैसे ?
❉ सुने हुए को मनन करने से आत्मिक उन्नति होती जायेगी जिससे स्व स्तिथि शक्तिशाली बनती जायेगी ।
❉ जितना सुने हुए को मनन करेंगे अर्थात विचार सागर मन्थन करेंगे उतना ही धारणाओं में वृद्धि होती जायेगी और सहज ही शक्तिशाली स्तिथि बनती जायेगी ।
❉ ज्ञान के मनन में स्वयं को बिजी रखेंगे तो व्यर्थ संकल्पों के प्रभाव से बचे रहेंगे और समर्थ चिंतन द्वारा शक्तिशाली स्तिथि बना सकेंगे ।
❉ सुने हुए को मनन करने से मन बुद्धि की लाइन क्लियर रहेगी और योग की गहन अनुभूति होने से स्तिथि शक्तिशाली बनती जायेगी ।
❉ ज्ञान का मनन करने से ज्ञान की हर प्वाईंट शक्ति के रूप में जमा हो कर स्तिथि को शक्तिशाली बनाती जायेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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