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    21 / 02 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं वानप्रस्थी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢  सदा एकांत और सिमरन में व्यस्त रहना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ बाप

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ "इस °दुख्धाम को आग° लगने वाली है" - यह बुधी में रहा ?

‖✓‖ °जीते जी मरने° का अभ्यास किया ?

‖✓‖ सदा °एक के अंत में रह° एक का सिमरन करते हुए स्मृति स्वरुप बनकर रहे ?

‖✓‖ "बाप की हज़ार कदम की मदद प्राप्त करने के लिए °हिम्मत का एक कदम° आगे बढाया ?

‖✓‖ "°पढना और पढाना°" - अपना यह मुख्य कर्तव्य निभाया ?

‖✗‖ °संशय° में तो नहीं आये ? निश्चय तो नहीं हिला ?

‖✗‖ अपनी °तकदीर को लकीर° तो नहीं लगाई ?

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अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-

➳ _ ➳  हर एक के चेहरे पर आज मिलन का भाग्य, हर एक के चेहरे पर खुशनुमा रूप में दिखाई दे रहा है और बापदादा भी एक-एक बच्चे को सन्मुख मिलने के भाग्य को देख हर्षित हो रहे हैं। हर एक बच्चे के मस्तक में मेरा बाबा, प्यारा बाबा, मीठा बाबा, यह लहर मिलन की चेहरे पर दिखाई दे रही है। बाप भी एक-एक बच्चे को आगे पीछे सभी को देख कितना हर्षित हो रहे हैं। वह बाप जाने और आप जानो। बाप के दिल से एक-एक बच्चे प्रति वाह बच्चे वाह! निकल रहा है। सम्मुख मिलन हो रहा है।

 

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज पूरा दिन चेहरा खुशनुमा रहा ? पूरा दिन मस्तक में “मेरा बाबा, प्यारा बाबा, मीठा बाबा” की लहर दिखाई दी ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - माया दुश्मन तुम्हारे सामने है इसलिये अपनी बहुत-बहुत संभाल करनी है, अगर चलते-चलते माया में फंस गए तो तकदीर को लकीर लगा देंगे"

 

 ❉   आज प्रत्येक मनुष्य 5 विकारों रूपी माया रावण की जंजीरो में बुरी तरह से फंसे हुए हैं।

 ❉   लेकिन हम ब्राह्मण बच्चों की तो माया सबसे बड़ी दुश्मन है क्योकि उसे अपना राज्य भाग्य छिन जाने का सबसे ज्यादा डर हम महावीर बच्चों से हैं।

 ❉   इसलिए वह विशेष रूप से हमारी बुद्धि पर अटैक कर,हमारा बुद्धि योग बाप से तोड़ने की हर सम्भव कोशिश करती है।

 ❉   इसलिए बाबा हमे सावधान करते हैं कि माया दुश्मन से अपनी बहुत बहुत संभाल करो।माया दुश्मन तुम्हारे सामने है,उससे बच कर रहो।

 ❉   अगर माया के जाल में फंस गए तो माया तुम्हारी 21 जन्मों की श्रेष्ठ तक़दीर को लकीर लगा देगी।अर्थात तुम्हे पद भ्रष्ट कर देगी।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ बाप के वर्से का पूरा अधिकार लेने के लिए जीते जी मरना है।

 

 ❉   बाप के वर्से का पूरा अधिकार लेने के लिए जीते जी मरना ये नहीं की शरीर से मरना है। गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए सर्व सम्बंध निभाते हुए न्यारे और प्यारे रहना है।

 ❉   देही अभिमानी बनने का पूरा पूरा पुरूषार्थ करना है।

 ❉   जैसे बच्चा जन्म लेता है जन्म लेते ही अपने पिता की प्रापर्टी का पूरा हक़दार होता है उसीप्रकार परमपिता परमात्मा ने हमें अपना बनाया तो उसके वर्से के शक्तियों के पूरे अधिकारी हैं सदा रहेंगे। अधिकार रखते है तभी तो कहते हैं  मेरा बाबा व बाबा भी कहते हैं मेरा बच्चा।

 ❉   बाप के वर्से का पूरा अधिकार पाने के लिए मनसा-वाचा-कर्मणा कमल समान पवित्र रहना है।

 ❉   वर्से का पूरा अधिकार पाने के लिए कर्म बंधनों में नहीं बँधना हैं, बंधनमुक्त बनना हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ सदा एकांत और सिमरण में व्यस्त रहने वाले ही बेहद के वानप्रस्थी है.. क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बेहद के वानप्रस्थी अर्थात नष्टोमोहा इस दुनिया से ममत्व ना रखने वाले ही बेहद के वानप्रस्थी है।

 ❉   एकांत व बाप के सिमरण में व्यस्त रहने वाला मनुष्य का बाहरी दुनिया से न्यारे और प्यारे रहते है।

 ❉   क्युकी उनकी बुद्धि दुनिया के बनावटी संबंधो व अल्पकाल के साधनों में नहीं फसती।

 ❉   क्युकी उन्हें सिर्फ एकांत में बेठ प्रभु सिमरण करने में ही सुख मिलेगा।

 ❉   "स्वयं को आत्मा समझ बाप को याद करना और सर्व सम्बन्ध एक बाप के साथ रखना"यही उनके जीवन का लक्ष्य होगा।

 ❉   वानप्रस्थी को मन बुद्धि में यह ही बसा होगा की "अब यह देह की दुनिया छोड़ वापस अपने घर जाने का समय आ गया है"तो एकांत में बेठ बाप की याद में लीन रहेगा।

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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ आप हिम्मत का एक कदम बढ़ाओ तो बाप मदद के हजार कदम बढ़ाएंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   भगवान भी उनकी मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करते हैं।

 ❉   हिम्मत वान बच्चे स्वयं पर और भगवान पर दृढ निश्चय रख कर जब हिम्मत का एक कदम बढ़ाते है तो भगवान भी हजार कदम बढ़ाकर उनकी मदद करते है।

 ❉   संगम युग पर विशेष वायदा है बाप का बच्चों के साथ के"हिम्मते बच्चे,मददे बाप"

 ❉   हिम्मत का एक कदम परमात्म शक्ति की अनुभूति करवाता है जिससे परमात्मा की मदद का अनुभव सहज ही होता है।

 ❉   हिम्मत रखना अर्थात करना।तो जिस कार्य को करने का दृढ निश्चय रख जब हिम्मत का कदम बढ़ाते है तो बाप की मदद अवश्य मिलती है ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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