━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 29 / 07 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ याद के पुरुषार्थ से °कर्मेन्द्रियों को वश° में किया ?
‖✓‖ बहुत प्यार वा °रूचि से पढ़ाई° पडी ?
‖✓‖ एकान्त में बैठ °विचार सागर मंथन° किया ?
‖✓‖ जो पॉइंट्स सुनी उसको °रीवाइज° किया ?
‖✓‖ सर्विस में दु:ख-सुख, मान-अपमान, गर्मी-ठण्डी सब कुछ °सहन° किया ?
‖✗‖ °नाउम्मीद° तो नहीं बने ?
──────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °सर्व खजानों को समय पर यू॰ज° कर निरन्तर खुशी का अनुभव किया ?
──────────────────────────
✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ वर्तमान समय अनेक साधनों को देखते हुए साधना को भूल नहीं जाना क्योंकि आखिर में साधना ही काम में आनी हैं। आज मन की खुशी के लिए मनोरंजन के कितने नये-नये साधन बनाते हैं। वह हैं अल्पकाल के साधन और आपकी है सदाकाल की सच्ची साधना। तो साधना द्वारा सर्व आत्माओं का परिवर्तन करो। हाय-हाय लेकर आये और वाह-वाह लेकर जाये।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ साधना द्वारा आत्माओं को परिवर्तित किया ?
──────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं खुशनसीब आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सर्व खजानों को समय पर यूज़ कर निरंतर ख़ुशी का अनुभव करने वाली मैं खुशनसीब आत्मा हूँ ।
❉ अपने जड़ चित्रों द्वारा अपने भक्तों को ख़ुशी की अनुभूति कराने वाली मैं आत्मा सुख स्वरूप हूँ ।
❉ मास्टर सुखकर्ता दुखहर्ता बन, सर्व आत्माओ के दुखो को दूर कर, उन्हें सुख की अनुभूति करवा कर मैं सच्चे आनन्द का अनुभव करती हूँ ।
❉ अपने विश्व वरदानी स्वरूप से विश्व कल्याणकारी बाप के साथ कंबाइनड रूप बन मैं मनसा संकल्प वा वृति द्वारा शुद्ध वाइब्रेशन्स की खुशबू सारे विश्व में फैलाती हूँ ।
❉ ईश्वरीय प्राप्तियों से सम्पन्न सदा तृप्त रहने वाली मैं तकदीरवान आत्मा हूँ ।
❉ भाग्यविधाता बाप से अपना श्रेष्ठ भाग्य स्वयं अपने ही हाथों से लिखने की कलम मैंने प्राप्त कर ली है ।
❉ सर्व खजानों से मालामाल हो कर मैं सदैव अपरमअपार ख़ुशी के झूले में झूलती रहती हूँ ।
❉ ख़ुशी का अखुट अविनाशी झरना लगातार मुझ आत्मा के ऊपर बहता रहता है ।
──────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ “मीठे बच्चे – जब समय मिले तो एकांत में बैठ विचार सागर मंथन करो, जो प्वाइन्ट्स सुनते हो उसको रिवाइज करो”
❉ किसी भी चीज में सफलता प्राप्त करने के लिए उसके बारे में मंथन करना बहुत जरूरी है ।
❉ जैसे लौकिक पढाई में भी जो विद्यार्थी पढाई को बार बार रिवाइज करते हैं, वे अच्छे नम्बरों से पास होते हैं और ऊंच पद प्राप्त करते हैं ।
❉ हमारी भी यह रूहानी पढाई है, जो भविष्य ऊंच पद पाने के लिए है ।
❉ जितना पढाई को अच्छी रीति पढेंगे और धारण करेंगे उतने ही ऊंच पद के अधिकारी बनेंगे ।
❉ इसलिए जब समय मिले तो एकांत में बैठ विचार सागर मंथन करो और जो प्वाइन्ट्स सुनते हो उसे अच्छी रीति धारण करो ।
──────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ याद का ऐसा पुरूषार्थ हो जो सब कर्मेन्द्रियों वश में हो जाए ।
❉ अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परम आत्मा को याद करने से आत्मा से खाद निकल जाती है । जितना आत्मिक स्थिति में रहते हैं तो उतना ही कर्मेन्द्रियाँ शीतल होती हैं ।
❉ याद से आत्मिक सुख मिलता है व आत्मिक तृप्ति मिलती है तो कर्मेन्द्रियाँ आत्मा के आर्डर अनुसार ही चलती है ।
❉ जब बाबा की याद में रहते है तो आत्मा पावन बनती जाती है व याद से ही सतोप्रधान हो जाते हैं । आत्मा स्वराज्याधिकारी हो जाती है ।
❉ बाबा की याद में रहने से 63 जन्मों के पुराने संस्कारों व विकारों का विनाश होता है व बुद्धि पर लगी कट उतरती जाती है । बुद्धि की लाइन क्लीन व क्लीयर होने से कर्मेन्द्रियों पर पूरा कंट्रोल रहता है ।
❉ जब भगवान ने मुझे अपना बनाया , गले से लगाया व ज्ञान दिया कि इस अंतिम जन्म में पवित्र बनना है । तुम ही याद का पुरूषार्थ करके विश्व के मालिक बनोगे तो बाप की श्रीमत पर चलते हुए अपने कर्मेन्द्रियों को वश में रखना है ।
──────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ खुशनसीब आत्मा सर्व खजानों को समय पर यूज़ कर निरंतर ख़ुशी का अनुभव करने वाली होती है... क्यों और कैसे ?
❉ परमात्मा बाप ने हम बच्चो को ज्ञान, गुण, शक्तियाँ, प्रेम, सुख, आनंद सर्व खजानों से भरपूर किया है, उन्ही खजानों से खेलते रहो तो कभी दुःख की लहर आ नहीं सकती।
❉ "अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप गोपियों से पूछो" यह कहावत हम बच्चो के लिए ही है, हम ही वह गोप गोपी है जो परमात्मा के साथ और प्यार के अतीन्द्रिय सुखो के झूले में झूलते रहते है।
❉ बाबा ने हमें हर सुख, गुण शक्तियों से भरपूर किया है, कोई अप्राप्त वस्तु नहीं है, अब हमें यह कला हमें आनी चाहिए की समयप्रमाण उनका उपयोग अपने जीवन में कब और कैसे करना है जिससे स्व व विश्व का कल्याण कर सके, सेवा का प्रत्यक्ष फल ही है ख़ुशी।
❉ हम अथाह खुशनसीब है जो परमात्मा ने हमें अपना बच्चा बनाया और सर्व खजानों का अधिकारी बनाया, अब यह हमारा कर्तव्य है की यह खजाने हम और आत्माओ को भी दिलाये, जितना खजानों को बाटेंगे उतना और ही बढेगा।
❉ वही आत्मा खुशनसीब है जिसमे इतनी बुद्धि हो की कोनसा खजाना किस समय उपयोग में लाये, सही समय पर सही खजाने को उपयोग करने से ही सफलता स्वरुप बन सकेंगे, नहीं तो रखे रखे हमें खजानों की विस्मृति हो जाती है की यह खजाना हमारे पास है भी या नहीं।
──────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बाप की श्रेष्ठ आशाओं का दीपक जगाने वाले ही कुल दीपक हैं... कैसे ?
❉ जो बाप की श्रीमत पर चल, बाप समान बनने का लक्ष्य रख, तीव्र पुरुषार्थ करते हैं वही बाप की श्रेष्ठ आशाओं का दीपक जगाने वाले कुलदीपक बन बाप का नाम बाला करते हैं ।
❉ बाप समान निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी स्थिति में स्थित हो सर्व का कल्याण करना ही बाप की श्रेष्ठ आशाओं का दीपक जगाने वाले कुलदीपक बनना है ।
❉ ब्रह्मा बाप को फ़ॉलो कर, तन मन धन सब कुछ बाप पर अर्पित करने वाले ही बाप की श्रेष्ठ आशाओं को पूरा करते हैं ।
❉ जो सर्वस्व त्यागी बन त्याग के अभिमान का भी त्याग करते हैं वही कुलदीपक बन बाप का नाम रोशन करते हैं ।
❉ त्यागी और तपस्वी बन बाप पर पूरा बलिहार जाने वाले बच्चे ही बाप की आशाओं के दीपक को सदा जगमगाये रखते हैं ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━