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   19 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °हम ब्रह्मा की नयी रचना° आपस में भाई-बहन हैं" - यह अन्दर में समझा ?

 

‖✓‖ सदा इसी ख़ुशी में रहे की हमें °शिव बाबा पढाते° हैं ?

 

‖✓‖ बाप की सुनाई बातों पर °विचार° कर बुधी के लिए स्वयं ही भोजन तैयार किया ?

 

‖✓‖ हबच (लालच) छोड़ °बादशाही के सुखों° को याद किया ?

 

‖✓‖ श्रीमत पर चल आत्माओं को °मुक्ति जीवनमुक्ति° पाने का रास्ता बताया ?

 

‖✓‖ °ओपोजीशन माया से° की, दैवी परिवार से तो नहीं ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ हर खजाने को बाप के डायरेक्शन प्रमाण कार्य में लगा °ऑनेस्ट व इमानदार° बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जैसे सूर्य की किरणें फैलती हैं, वैसे ही मास्टर सर्वशक्तिवान की स्टेज पर शक्तियों व विशेषताओं रुपी किरणें चारों ओर फैलती अनुभव करे, इसके लिए 'मैं मास्टर सर्वशक्तिवान, विघ्न-विनाशक आत्मा हूँ', इस स्वमान के स्मृति की सीट पर स्थित होकर कार्य करो तो विघ्न सामने तक भी नहीं आयेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ मास्टर सर्वशक्तिवान की स्टेज पर सेट होकर शक्तियों व विशेषताओं रुपी °किरणें चारों ओर फैलती अनुभव° की ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं ऑनेस्ट आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   हर खजाने को बाप के डायरेक्शन प्रमाण कार्य में लगाने वाली मैं ऑनेस्ट आत्मा हूँ ।

 

 ❉   परमत वा संगदोष से अपनी संभाल कर सदा एक बाप के संग रहने वाली मैं बाप की दिलतख्तनशीन आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने समय, वाणी, कर्म, श्वांस वा संकल्प को शुभ और श्रेष्ठ चिंतन में लगा कर सफल करती जाती हूँ ।

 

 ❉   परचिन्तन से परे, स्वचिंतक और शुभचिंतक बन मैं सर्व आत्माओं पर शुभभावना और शुभ कामना के वाइब्रेशन्स फैलाती हूँ ।

 

 ❉   स्वमान की सीट पर सदा सेट रह, मैं अभिमान और अपमान की फीलिंग से सदैव मुक्त रहती हूँ ।

 

 ❉   मनमत को छोड़, केवल एक बाप की श्रीमत पर चल मैं अपने हर कर्म को श्रेष्ठ बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   बाबा से मिली सर्वशक्तियों और सर्वखजानो को मैं विश्वकल्याण के प्रति लगा कर सबका कल्याण करती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - श्रीमत पर चल सबको मुक्ति - जीवनमुक्ति पाने का रास्ता बताओ, सारा दिन यही धन्धा करते रहो"

 

 ❉   मनुष्य मुक्ति पाने के लिए गुरु करते हैं, साधू - सन्यासियों के पास जाते हैं ।

 

 ❉   लेकिन यह नही जानते कि मुक्ति - जीवन मुक्ति का रास्ता सिवाय परमपिता परमात्मा बाप के कोई बता ना सके ।

 

 ❉   जब तक स्वयं परमात्मा बाप आ कर मुक्ति - जीवनमुक्ति के गेट ना खोलें तब तक कोई भी मनुष्य मुक्ति - जीवनमुक्ति को पा ना सके ।

 

 ❉   अभी संगम युग पर सभी आत्माओं को मुक्ति - जीवनमुक्ति का वर्सा देने के लिए परमात्मा बाप आये हुए हैं ।

 

 ❉  और हमे समझा रहे हैं कि श्रीमत पर चल सबको मुक्ति - जीवनमुक्ति पाने का रास्ता बताओ, सारा दिन यही धन्धा करते रहो ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ हम ब्रह्मा की नई रचना आपस में भाई बहन हैं, यह अंदर समझना है किसी को कहने की दरकार नहीं ।

 

 ❉   हम सब एक ही परमपिता के बच्चे हैं आत्मा के रूप में तो सब आपस में भाई-भाई हुए । फिर जब संगमयुग पर ब्रह्मा बाप ने एडाप्ट किया तो आपस में भाईँ बहन हुए ।

 

 ❉   शास्त्रों में भी यही लिखा है कि सृष्टि की रचना ब्रह्मा ने की है । आज तक ये ज्ञान ही नहीं था कि ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना कैसे की । अब ये ज्ञान मिला है कि ब्रह्मा बाप के मुखवंशावली हैं ।

 

 ❉   कोटों में कोई व कोईँ में से भी कोई में से चुनकर बाबा ने हमें अपना बनाया व इस घोर कलयुगी दुनिया से निकाल इस संगमयुग पर अपना बनाकर हमें नया जीवन दिया व फिर ब्रह्मा ने संकल्पों से हमारी रचना की ।

 

 ❉   लौकिक माँ बाप के बच्चे आपस में भाई बहन होते है फिर हम तो आलौकिक बाप के बच्चे होने के नाते आपस में भाईँ बहन हैं ।

 

 ❉   जैसे लौकिक माँ बाप के बच्चे आपस में प्यार से रहते हैं व शुद्ध दृष्टि होती है । आलौकिक ब्रह्मा माँ के बच्चे होते हुए हमें आपस में शुद्ध दृष्टि रखनी हैं व मनसा वाचा कर्मणा पवित्रता रखनी है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ हर खजाने को बाप के डायरेक्शन प्रमाण कार्य में लगाने वाले ऑनेस्ट व इमानदार कहलाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   भक्ति में हमने बहुत गाया था, "जब आप आओगे तो सबकुछ आप पर वार देंगे" अब बाप आया है तो जो हमने कहा वो करके दिखाना है।

 

 ❉   हमें जो कुछ मिला है सब बाप का दिया हुआ है, अमानत के तौर पर हमें मिला है, उसे स्वयं के प्रति यूज़ करना अर्थात अमानत में खयानत डालना है।

 

 ❉   करन करावनहार एक बाप ही है, वह करवा रहा है और हम निमित्त मात्र कर रहे है, यह स्मृति सदा रहे तो कभी श्रीमत में मनमत मिक्स नहीं करेंगे।

 

 ❉   जब हम सर्व खजानों को बाप के डायरेक्शन प्रमाण यूज़ करते है, तो वह खजाने डबल होते जाते है। बाप कहते है- "फॉलो फादर" हमेंशा यह चेक करते रहो की जो कर्म हम कर रहे है क्या ब्रह्मा बाप भी यही करते।

 

 ❉   हमारे मन बुद्धि समय संकल्प गुण शक्तियाँ सब कुछ बाप के कार्य में सेवा प्रति लगाने वाले है ही सच्चे वफादार फरमानबरदार कहलाते है। इन खजानों द्वारा सिर्फ सेवा होनी चाहिए स्वयं के प्रति यूज़ करने का नहीं सोचना।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ आपोजीशन माया से करनी है दैवी परिवार से नही... क्यों ?

 

 ❉   माया से आपोजीशन करेंगें तो दैवी परिवार के सहयोग से माया पर विजय प्राप्त करने में सहज ही सफलता प्राप्त कर सकेंगे ।

 

 ❉   माया से आपोजीशन और दैवी परिवार से स्नेह होगा तो मायाजीत बन हर परिस्थिति में उपराम रहेंगे ।

 

 ❉   अपने समय, संकल्प और श्वांसों को तभी सफल कर पाएंगे जब माया पर जीत होगी और जीत होगी, दैवी परिवार के सहयोग और माया के साथ आपोजीशन करने से ।

 

 ❉   व्यर्थ चिंतन माया का एक रॉयल रूप है, इससे बचने के लिए माया के साथ आपो जीशन जरूरी है ।

 

 ❉   आलस्य और अलबेलापन पुरुषार्थ में सबसे बड़ी रुकावट है जिसका कारण है माया की प्रवेशता । इससे तभी बच सकते हैं जब माया के साथ आपोजीशन और दैवी परिवार का सहयोग हो ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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