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❍ 01 / 11 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ दिल के स्नेह के आधार पर बापदादा से °सहज वरदान° प्राप्त होने की अनुभूति की ?
‖✓‖ आज दिन भर बार बार दिल से कहा :- "°मेरा बाबा... मेरा बाबा°" ?
‖✓‖ सूरत, नयन और वाणी के द्वारा °बाप को प्रतक्ष्य° किया ?
‖✓‖ °बेहद की वैराग्य वृति° को ईमर्ज कर साधनों के वशीभूत न हो चारों और साधना का वायुमंडल बनाया ?
‖✓‖ अनतर्मुखी बन अपनी °सूक्षम चेकिंग° की ?
‖✓‖ परमधाम में बाप के साथ बैठ सर्व आत्माओं को °रहम की दृष्टि° दी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °बापदादा की छत्रछाया° के अधिकारी बन माया व विघ्नो से सेफ रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ बीजरूप स्टेज सबसे पावरफुल स्टेज है, यह स्टेज लाइट हाउस, माइट हाउस का कार्य करती है। जैसे बीज द्वारा स्वत: ही सारे वृक्ष को पानी मिल जाता है ऐसे जब बीजरूप स्टेज पर स्थित रहते हो तो आटोमेटिकली विश्व को लाइट का पानी मिलता है।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ अधिक से अधिक समय °बीजरूप स्टेज° पर स्थित रहने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं अधिकारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ माया व विघ्नों से सेफ रहने वाली बापदादा की छत्रछाया की मैं अधिकारी आत्मा हूँ ।
❉ बाप की याद रूपी छत्रछाया मुझे माया के हर पेपर में विजय दिलाती है ।
❉ बाबा की याद मेरे चारों और सेफ्टी का ऐसा मजबूत किला बना देती है, जिसके अंदर मैं सर्व प्रकार के विघ्नों से सेफ रहती हूँ ।
❉ हर मुश्किल से मुश्किल बात भी मुझे सहज अनुभव होती है ।
❉ मन को भारी करने वाली पहाड़ समान बातें भी योगयुक्त स्थिति से मुझे रुई समान हल्की अनुभव होती हैं ।
❉ बाप को और बाप से मिलने वाली प्राप्तियों को याद कर मैं सदा अचल और एक रस स्तिथि में स्तिथ रहती हूँ ।
❉ अपने श्रेष्ठ पुरुषार्थ द्वारा भविष्य श्रेष्ठ प्रालब्ध प्राप्त कर, विजय का तिलक लेने वाली मैं विश्व अधिकारी आत्मा हूँ ।
❉ स्वयं भाग्य विधाता बाप मुझे विजय का तिलक लगा रहें हैं ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "वर्तमान समय के प्रमाण वैराग्य वृति को इमर्ज कर साधना का वायुमण्डल बनाओ"
❉ जब बाप समान सम्पन्न बनेंगे तभी बाप को प्रत्यक्ष कर सकेंगे, और इसके लिए वर्तमान समय प्रमाण जरूरी है साधना का वायुमण्डल निर्मित करना ।
❉ क्योंकि अभी साधनो का प्रयोग ज्यादा है और साधना कम है ।
❉ इसलिए बापदादा विशेष अटेंशन दिलवाते हैं कि साधनो के प्रयोग का अनुभव बहुत किया अब साधना को बढ़ाओ ।
❉ साधनो की कोई कमी नही है लेकिन साधन होते हुए भी बेहद का वैराग्य हो ।
❉ क्योकि बेहद की वैराग्य वृति ही आत्माओं में भी वैराग्य वृति ला कर उन्हें सुख और शांति की अनुभूति कराएगी ।
❉ इसलिए अभी बेहद की वैराग्य वृति द्वारा, समय की समीपता के प्रमाण तपस्या व साधना का वायुमण्डल बनाओ ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ दिल के स्नेह के आधार पर बापदादा से सहज वरदान प्राप्त होने की अनुभूति करनी है ।
❉ लौकिक में जिससे दिल से स्नेह होता है तो उसी की जी हजूरी करते हैं और जो जी हजूरी करने वाले बच्चे होते हैं उनके लिए दिल से दुआएं निकलती हैं । ऐसे ही वरदाता बाप से इतना स्नेह करना है कि बापदादा वरदानों से झोली भर दें ।
❉ हमें तो बेहद के बापदादा मिले हैं तो स्नेह भी बेहद का होना चाहिए । जैसे बापदादा हर कार्य हर बच्चें से मीठे बच्चे कहकर करवाते हैं ऐसे ही स्नेह के आधार पर हमें स्नेहीमूर्त बन आगे बढ़ना है और वरदानों से झोली भरते रहना है ।
❉ जिससे दिल का स्नेह होता है तो उसके लिए जी जान से सहयोग करने को तैयार रहते हैं तो बाप भी अपने बच्चों की स्नेह की डोर से बंधे हैं व अपने बच्चों से मेहनत न कराकर सहज ही वरदानों से भरपूर करते है ।
❉ संसार में भी जिसके लिए दिल से स्नेह होता है उसके लिए इंसान क्या नहीं करता । सब कुछ न्योछावर कर देता है । फिर बाबा तो हमारा बेहद का बाप है व अपने बच्चों का दिल से स्नेह व सच्चा स्नेह होने पर सब कुछ बच्चों को सहज ही देता है ।
❉ जब बाप से दिल से स्नेह होता है व याद होती है तो बाप को भी कशिश होती है व कितने भाग्यशाली हम बच्चे जिनको स्वयं भगवान याद करता है ! ऐसे बच्चों को वरदानों की सहज ही अनुभूति होती है व हरपल परमपिता परमात्मा का हाथ व साथ अनुभव होता है ।
❉ जहाँ तो स्वयं बापदादा बच्चों के स्नेह की डोर से ऐसे बँधे है कि बच्चों के बिना रह नहीं सकते व बच्चे भी बापदादा के बिना नहीं रह सकते । तो बाप से स्नेह के आधार पर सब सहज वरदान के रूप में प्राप्त करते हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ माया वा विघ्नों से सेफ रहने वाले बापदादा की छत्रछाया के अधिकारी अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?
❉ दुनिया की सबसे सेफ जगह है बापदादा की छत्रछाया, बापदादा की शक्तिशाली छत्रछाया में जो रहता है वह स्वयं को सदा सेफ करता है,
❉ बाप की छत्र छाया में आत्मा निर्भय व निश्चिंतता का अनुभव करती है। बेफिक्र बादशाह बन सदा उमंगो के पंख लगाये उडती रहती है जैसे बच्चा अपने पिता के साथ शेर बनकर और अधिकारी स्वरुप रहता है।
❉ बाबा के बच्चे बाप की छत्र छाया में माया व प्रकृति दोनों से ही सेफ है, किसी भी तरह की मुश्किल बाप की छत्र छाया में आ नहीं सकती। वह ऐस शक्तिशाली औरा है जिसमे आत्मा के ऊपर किसी तरह का वार नहीं हो सकता। जब सर्व शक्तिवान बाप हमारा सर पर छत्र छाया बनकर रहते है तो बहुत सुकून अनुभव होता है, कोई कैसी भी पहाड़ जैसी बात हो वह भी राइ बन जाती है।
❉ बच्चो को सदा बाप की छत्र छाया के अन्दर रहना चाहिए, जब छत्र छाया में रहते है तो माया व विघ्न सर्व शक्तिमान बाप का साथ देखकर दूर से के भाग जाते ही। बाप के साथ कंबाइंड हो जाओ सदा सेफ रहेंगे।
❉ दिन में बार बार बाबा का आव्हान करे और यह अनुभव करे सर्व शक्तिमान बाप अपनी हजारो तेजोमय किरणों से मेरे सर पर छत्रछाया बनकर आ गए है, और उनकी किरणे मेरे में समा रही है, में भी शक्तिशाली होती जा रही हु। मेरे चारो और बहुत शक्तिशाली औरा बन गया है, जिसके अन्दर कोई भी माया या विघ्न आ नहीं सकते।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ प्रभु प्रिय, लोक प्रिय और स्वयं प्रिय बनने के लिए सन्तुष्टता का गुण धारण करो... कैसे ?
❉ जब बुद्धि योग केवल एक सर्वशक्तिवान बाप के साथ होगा तो सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बन, स्वयं संतुष्ट रह औरों को संतुष्ट कर पायेंगे और सन्तुष्टता का यह गुण प्रभु प्रिय, लोक प्रिय और स्वयं प्रिय बना देगा ।
❉ समर्थ और शुद्ध चिंतन द्वारा जैसे जैसे जमा का खाता बढ़ाते जाएंगे सन्तुष्टता जीवन में स्वत: ही आती जायेगी जो सबको सन्तुष्टता की अनुभूति करवा कर, प्रभु प्रिय, लोक प्रिय और स्वयं प्रिय बना देगी ।
❉ प्रभु प्रिय, लोक प्रिय और स्वयं प्रिय तभी बन सकेंगे जब सर्व आत्माओं को दिल का स्नेह और सहयोग दे कर संतुष्ट करेंगे और उनकी दुआयों के पात्र बनेंगे ।
❉ जब हर आत्मा के प्रति रहम व कल्याण की भावना होगी तो सर्व आत्माओं को कल्याणकारी वायब्रेशन पहुंचा कर सबको संतुष्ट कर प्रभु प्रिय, लोक प्रिय और स्वयं प्रिय बन सकेंगे ।
❉ सर्व को संतुष्ट रख, प्रभु प्रिय, लोक प्रिय और स्वयं प्रिय वही बन सकते हैं जो सदा उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो कर उड़ते रहते हैं और सर्व को उड़ती कला का अनुभव कराते रहते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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