❍ 13 / 01 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सम्पूरण योगी आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ मास्टर रचयिता की स्टेज द्वारा आपदाओं में भी मनोरंजन का अनुभव करना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ सतगुरु
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ "मैं आत्मा इस स्थूल देह में प्रवेश कर °कर्मेन्द्रियों से कार्य° करवा रही हूँ" - यह अभ्यास किया ?
‖✓‖ "एक सेकंड में देह को धारण करना और °एक सेकंड में देह के भान को छोड़ना°" - यह अभ्यास किया ?
‖✓‖ हाय-हाय की बजाये °ओहो° शब्द निकला ?
‖✓‖ बाबा से °मीठी मीठी बातें° की ?
‖✓‖ बाप सामान °प्यार का सागर° बनकर रहे ?
‖✗‖ °कडवे बोल° तो नहीं बोले ?
‖✗‖ °साधारण संकल्प° कर धरनी में पाँव तो नहीं रखा ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (25/12/2014) :-
➳ _ ➳ सभी ठीक हैं, हाथ उठाओ । हाथ उठाते हैं बापदादा इस पर तो खुश हो जाते हैं लेकिन बच्चे भी चतुर हैं ना । कहेंगे उस समय तो हम ठीक थे ना इसलिए हाथ उठाया और है भी राइट । लेकिन आप सभी तो औरों को भी आगे बढानेवाले हैं, ठीक चल रहे हैं वह तो ठीक हैं, बाप भी मानते हैं लेकिन यह सर्टिफिकेट सदा रहे अर्थात् इतना अटेन्शन अपने ऊपर सदा रहे, तो क्या होगा, बापदादा भी खुश हैं और स्वयं पुरुषार्थ करने वाले भी ठीक । और उन्हों के साथी भी ठीक । तो अच्छा पुरुषार्थी हैं । तो बापदादा भी खुश हैं जब हाथ उठाते हैं तो बापदादा समझते हैं कोई कहेंगे हाथ उठा लिया लेकिन हाथ उठाया उनको आगे के लिए तो शक्ति मिलेगी ना । अपने आप तो सोचेंगे ना । मानो कल ही किसके ऊपर पेपर आ जाता है तो सोच तो चलेगा किसमें हाथ उठाया । और करेक्शन करके आगे बढ़ा ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ “ठीक हैं... और ठीक चल रहे हैं “- यह सर्टिफिकेट सदा साथ रहा ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ मास्टर रचयिता की स्टेज पर सेट रहने से आपदायों में भी मनोरंजन का अनुभव होता है... क्यों और कैसे ?
❉ क्योंकि हर विघन आगे बढ़ाने का साधन अनुभव होता है ।
❉ हर आपदा सृष्टि रंग पर चल रहे एक खेल का हिस्सा अनुभव होती है ।
❉ मास्टर रचयिता की स्टेज "निश्चित विजय हमारी" की स्थिति का अनुभव करवाती है जिससे हम हर आपदा में निश्चिन्त अवस्था का अनुभव करते हैं ।
❉ त्रिकालदर्शी बन जाते है,नथिंग न्यू।
❉ क्युकी हमें रिजल्ट पता रहती है,विजय तो हमारी होनी ही है।
❉ साक्षीपन आ जाता है,जो अनेक बार हुआ वही हो रहा है।
❉ बेफिक्र बन,उमंग उल्लास से आगे बढ़ते रहते है।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ दिलतख्त को छोड़ साधारण संकल्प करना ही धरणी में पांव रखना है.. क्यों ?
❉ क्योंकि बाप ऊंच ते ऊंच है उनके दिलतख्त पर श्रेष्ठ संकल्पों से बैठ सकते है।साधारण संकल्प तो धरणी के होते है।
❉ क्योंकि दिलतख्त माना ही उड़ती कला में रहना। साधारण कर्मो से उड़ती कला नहीं हो सकती।
❉ क्योंकि दिलतख्त पर देहि अभिमानी स्थिति में ही बैठ सकते है देह अभिमान में साधारण संकल्प होते है।
❉ दिलतख्त पर बैठने से बुद्धि बेहद की हो जाती है और साधारण संकल्प से हद की बुद्धि जो इस धरनी पर पांव रखने जैसी है।
❉ क्योंकि दिलतख्त पर श्रेष्ठ संकल्पों से श्रेष्ठ कर्मो से बैठा जा सकता है साधारण कर्म इस धरा की दुनिया के होते है।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔