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   14 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °अमृत वेले° भोले भंडारी से सर्व खजानों से झोली भरी ?

 

‖✓‖ °अटेंशन° रुपी चोकीदार सुजाग रहा ?

 

‖✓‖ सदा ज्ञान रतन ग्रहण कर °होली हंस° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ बाप द्वारा की गयी °महिमा का सुमिरन° कर समर्थ स्टेज का अनुभव क्या ?

 

‖✓‖ °अटूट निश्चय° के बल पर सहज मनसा सेवा की ?

 

‖✓‖ °सभी की ठिकाना दिखाकर° रहमदिल बाप के रहमदिल बच्चे होने का कर्त्तव्य निभाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °ताज और तख़्त° को सदा कायम रखा ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  इस अभ्यास को शक्तिशाली बनाने के लिये पहले अपने पर प्रयोग करके देखो। हर मास वा हर 15 दिन के लिये कोई कोई विशेष गुण वा कोई कोई विशेष शक्ति का स्व प्रति प्रयोग करके देखो क्योंकि संगठन में वा सम्बन्ध-सम्पर्क में पेपर तो आते ही हैं तो पहले अपने ऊपर प्रयोग करके चेक करो, कोई भी पेपर आया तो किस गुण वा शक्ति का प्रयोग करने से कितने समय में सफलता मिली? जब स्व के प्रति सफलता अनुभव करेंगे तो आपके दिल में औरों के प्रति प्रयोग करने का उमंग-उत्साह स्वत: ही बढ़ता जायेगा।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ कोई न कोई विशेष गुण वा कोई न कोई विशेष शक्ति का °स्व प्रति प्रयोग° करके देखा ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं निरन्तर स्वत: योगी हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   मैं निरन्तर एक बाप की याद में रहने वाली निरन्तर स्वत: योगी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   स्वयं लाइट हाउस, सर्वशक्तिवान, विश्व का रक्षक, भाग्यविधाता बाप मेरे साथ है ।

 

 ❉   विश्व कल्याण और अपने दिल रूपी तख्त का ताज मुझे पहना कर बाबा ने मुझे विशेष ताजधारी आत्मा बना दिया है ।

 

 ❉   अपने दिल रूपी तख़्त पर बिठा कर बाबा ने मुझे सब प्रकार की मेहनत से मुक्त कर दिया है ।

 

 ❉   बाबा की असीम स्नेह से भरी हुई दृष्टि निरन्तर मेरे ऊपर रहती है ।

 

 ❉   बाप दादा के दिल रूपी तख़्त पर विराजमान हो कर मैं अखुट प्राप्तियों से सम्पन्न हो गई हूँ ।

 

 ❉   सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनने से मैं निरन्तर बाप की याद के झूले में झूलती रहती हूँ और अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति में मगन रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ होली हंस और अमृतवेला रूपी मानसरोवर

 

 ❉   होली हंस उन्हें कहा जाता है जो सदा ज्ञान रत्नों को धारण कर औरों को कराते रहते हैं ।

 

 ❉   जैसे हंसों का भोजन अमूल्य मोती होते हैं उसी प्रकार हम ब्राह्मण बच्चों रूपी हंसो की बुद्धि का भोजन ज्ञान रत्न हैं ।

 

 ❉   इन ज्ञान रत्नों को ग्रहण करने का उचित समय है अमृतवेला, जिसका गायन भक्तिमार्ग में भी है । इसलिए भक्त लोग भी सवेरे जल्दी उठ अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना करते हैं ।

 

 ❉   हम होली हंसो के लिए तो यह समय सबसे अधिक मूल्यवान है क्योकि यही वह समय है जब परमात्मा बाप से हमारा मिलन होता है ।

 

 ❉   परमात्म प्यार से भरपूर अमृतवेला रूपी मानसरोवर में डुबकी लगा कर, आत्मा परमात्म गुणों, शक्तियों और दिव्य आलौकिक खजानों से सम्पन्न हो जाती है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सदा ज्ञान रत्न ग्रहण करते होली हंस बन कर रहना है।

 

 ❉  जैसे हंसों का अमूल्य भोजन मोती होते हैं ऐसे ही होली हंसो के बुद्धि का भोजन ज्ञान रत्न ही हैं।

 

 ❉   जैसे हंस समुद्र मे पत्थर, कीड़े, मोती इत्यादि होते हैं लेकिन वह मोती ही चुगता है इसी तरह हमें भी जीवन में कर्म करते हुए हरेक में अच्छाई रूपी मोती चुगने है बुराई रूपी कंकड़ नहीं।

 

 ❉   अपनी बुद्धि को क्लीन व क्लीयर रखते हुए ज्ञान का मनन चिंतन करते हैं व देही अभिमानी रहते हैं तो दूसरी आत्मा में विशेषता ही दिखाई देती है व किसी की बात ऊपर नीचे देखें तो उसे दिल में न रखना है।

 

 ❉   ज्ञान का सागर हमारा साथी है व ऐसे साथी का संग पाकर हमें रोज़ ज्ञान अमृत का डोज़ लेना है व ज्ञान रत्न ग्रहण कर होली हंस बनना है।

 

 ❉   जैसे हंस मोती के सिवाय कुछ नहीं खाता अपने धर्म की पालना करता है इसीप्रकार बाबा की श्रीमत पर चल निश्चय बुद्धि बन व्यर्थ का त्याग कर होली हंस बन सिर्फ़ ज्ञान रत्नों को ग्रहण करना है।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ताज और तख्त को सदा कायम रखने के लिए निरंतर स्वतःयोगी बनकर रहना पडे...क्यों और कैसे ?

 

 ❉   अभी हम सब बच्चो के पास जिम्मेवारी का ताज और बाप के दिल का तख्त है, योगी आत्मा ही बाबा के दिल तख्त पर राज करती है।

 

 ❉   स्वतः योगी जो होते है उनके नयनो से बाप की झलक दिखाई देती है व फलक से बाप को प्रत्यक्ष करने की सेवा में लगे रहते है।

 

 ❉   याद और सेवा में जो बच्चे बीजी रहते है वही बच्चे बाप को प्रिय लगते है और बाप के दिल पर राज करते है।

 

 ❉   में आत्मा अकाल तख्त पर विराजमान हु, यह स्मृति वाले स्वतः योगी को बाप को याद करने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, उनकी याद नेचुरल होगी, वही बाप के सच्चे सपूत मुरब्बी बच्चे कहलाते है।

 

 ❉   निरंतर योगी रहने से हर कर्म यथार्थ श्रीमत प्रमाण बाप की राय लेकर करते है, बाप से बुद्धि का कनेक्शन होने से सही निर्णय कर पाते है अतः कोई विकर्म नहीं होता।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ प्लेन बुद्धि से प्लैन को प्रेक्टिकल में लाओ तो सफलता समाई हुई है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   प्लेन बुद्धि आत्मा बापदादा की मदद और टचिंग को सेकण्ड में कैच कर, प्लैन को प्रेक्टिकल स्वरूप में ला कर सहज ही सफलतामूर्त बन जाती है ।

 

 ❉   प्लेन बुद्धि आत्मा सब प्रकार के आकर्षणों से मुक्त सदा हल्केपन का अनुभव करती है और अपनी दिव्य आलौकिक बुद्धि द्वारा हर प्लैन को प्रेक्टिकल स्वरूप में ले आती है ।

 

 ❉   प्लेन बुद्धि से बनाये हुये हर प्लैन में बाप की याद और पूरी लग्न समाई होती है इसलिए उसे प्रेक्टिकल स्वरूप में लाने पर सफलता सहज प्राप्त होती है ।

 

 ❉   प्लेन बुद्धि आत्मा में महीनता का गुण होने के कारण हर प्लेन प्रेक्टिकल स्वरूप में आने पर सफल हो जाता है ।

 

 ❉   प्लेन बुद्धि आत्मा एकाग्रता की शक्ति द्वारा अपने लक्ष्य को सहज ही प्राप्त कर, हर प्लैन को प्रेक्टिकल स्वरूप में ला कर उसे सफल बना लेती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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