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   07 / 07 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ कारण सुनाने के बजाए °निवारण कर° दुआओं के अधिकारी बनकर रहे ?

 

‖✓‖ "°हियर नो ईविल, टॉक नो ईविल°" - बाप का यह डायरेक्शन सदा याद रहा ?

 

‖✓‖ आपस में बहुत °मीठी-मीठी ज्ञान की बातें° सुनी और सुनाई ?

 

‖✓‖ "बाप °विश्व का मालिक° बनाने की पढ़ाई पढ़ाने आये हैं" - यह स्मृति में रहा ?

 

‖✓‖ श्रीमत पर °तन-मन-धन° से भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा की ?

 

‖✗‖ "हमें °फुर्सत नहीं°" - ऐसा तो नहीं कहा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °कम्बाइन्ड स्वरूप° की स्मृति द्वारा अभुल बन निरन्तर योगी बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  हरेक यही संकल्प लो कि हमें शान्ति की, शक्ति की किरणें विश्व में फैलानी है, तपस्वी मूर्त बनकर रहना है, अब एक दूसरे को वाणी से सावधान करने का समय नहीं है, अब मन्सा शुभ भावना से एक दूसरे के सहयोगी बनकर आगे बढ़ो और बढ़ाओ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °मन्सा शुभ भावन° से एक दूसरे के सहयोगी बनकर आगे बड़े और बढाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं निरन्तर योगी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति द्वारा अभुल बनने वाली मैं निरन्तर योगी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   स्वयं को बाप के साथ कम्बाइन्ड अनुभव कर मैं सहज ही निरन्तर योगी का वरदान प्राप्त कर लेती हूँ ।

 

 ❉   अपने बुद्धि रूपी हाथ को बाप दादा के हाथ में देकर मैं परीक्षाओं रूपी सागर में भी सदा अचल रहती हूँ ।

 

 ❉   बाबा के साथ का अनुभव मुझे हर कठिन से कठिन परिस्थिति में भी एकरस बनाये रखता है ।

 

 ❉   बाप के प्यार में लवलीन रह कर मैं सदा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलती रहती हूँ ।

 

 ❉   योग के बल से वायुमण्डल में श्रेष्ठ वयब्रेशन्स फैला कर मैं वायुमण्डल को शुद्ध करती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम डबल अहिंसक रूहानी सेना हो तुम्हे श्रीमत पर अपनी दैवी राजधानी स्थापन करनी है"

 

 ❉    कोई भी राजधानी जब स्थापन करनी होती है तो सेना की जरूरत होती है ।

 

 ❉   जैसे जिस्मानी सेना में कमांडर्स, जनरल, लेफ्टिनेंट आदि सब होते हैं, और सब मिलकर अपनी राजधानी स्थापन करते हैं ।

 

 ❉   वो राजधानी स्थापन होती है हिंसा द्वारा । लड़ाई द्वारा एक राज्य दूसरे राज्य पर अपना अधिकार जमा लेते हैं ।

 

 ❉   किन्तु हम डबल रूहानी सेना हैं । हम श्रीमत पर अपनी दैवी राजधानी स्थापन करते हैं ।

 

 ❉   बिना किसी हिंसा या लड़ाई के शांति पूर्वक हम फिर सारे विश्व पर अपना राज्य स्थापन करते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ आपस से बहुत मीठी-मीठी ज्ञान की बातें सुन्नी और सुनानी हैं । बाप का डायरेक्शन सदा याद रहे- हियर नो ईविल, टाॅक नो इविल ....

 

 ❉   हमारा मीठा बाबा हमें ज्ञान बहुत सहज तरीक़े से समझाते हैं तो हमें भी ज्ञान की बातों को बहुत ध्यान से सुननी हैं व मीठा बनकर सुनानी हैं ।

 

 ❉   बाबा बार बार पहला ही पाठ पक्का कराता है कि अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो पर बच्चे फिर भी भूल जाते हैं । मीठा बाबा कभी ये नहीं कहता कि अब नहीं समझाऊँगा । हर बार मीठे बच्चे ही कहकर समझाता है व हमें भी हमेशा मीठा होकर ज्ञान की बातें सुनानी हैं ।

 

 ❉   जैसे मुँह को भी मीठी चीज अच्छी लगती है ऐसे कानों को भी मीठी आवाज़ अच्छी लगती है तभी तो किसी ने कहा है कि गुड चाहे ना खिलाओ पर गुड जैसी बात कह दो। ऐसे ही बाबा की श्रीमत पर चल कर सबको ज्ञान की मीठी मीठी बातें सुनानी हैं ।

 

 ❉   बाबा हमेशा कहते हैं कभी भी किसी की बुरी बात नहीं सुनो व उसे दूसरे कान तक जाने ही नहीं दो । एक कान से दूसरे कान तक जाएगी तो उसका कुछ न कुछ अंश तो दिमाग़ में रह जायेगा ।

 

 ❉   अपनी दृष्टि हमेशा पवित्र व शुद्ध रखनी है क्योंकि कहा भी गया है - जैसी दृष्टि वैसी वृत्ति , जैसी वृति वैसी कृति । जैसा हम करेंगे हमें देख दूसरे भी वैसे ही करेंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ निरंतर योगी ही कंबाइंड स्वरुप की स्मृति द्वारा अभुल बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जिससे प्यार होता है उसकी याद स्वतः आती है, याद करना नहीं पड़ता, जिसका बाप से दिल का स्नेह हो, सदा एक की प्रीत में दिल लगा रहे उसकी याद की डोर कभी टूट नहीं सकती।

 

 ❉   जिसका एक शिव बाबा दूसरा न कोई हो। बाप को अपना सब कुछ मन लिया हो, सर्व सम्बन्ध एक बाप से जोड़ लिए हो ऐसे आशिक को अपने माशूक की याद हर पल बनी रहेगी।

 

 ❉   पतियों का पति पिता परमात्मा है, हम सब पर्वतियो ने कबसे उन्हें पुकारा है, अब पतिव्रता बनकर रहना है, कोई संकल्प भी किसी देहधारी के प्रति आना अर्थात संकल्प से बाप को तलाक देना।

 

 ❉   बाप के साथ कंबाइंड स्वरुप में रहने पर ही हम शिव शक्ति होने का अनुभव कर पाएंगे, इसके लिए हमारा बाप के साथ योग निरंतर हो बाप की याद कभी भूले नहीं।

 

 ❉   निरंतर योगी को हर कर्म करते भी बाबा का साथ फील होता है, उन्हें यह अनुभव होता है की बाबा उनके आस पास ही है, वह कंबाइंड होकर कार्य कर रहे है तो साथी की याद सदा साथ रहती है भूलती नहीं है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कारण सुनाने के बजाए उसका निवारण करो तो दुआओ के अधिकारी बन जायेंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉    किसी भी आत्मा की समस्या का निवारण उसे उस समस्या से मुक्त कर, शांत और संतुष्ट बना देगा जिससे उस आत्मा के मन से दुआये स्वत:ही निकलेगी ।

 

 ❉    समस्या का निवारण आत्माओ को चिन्ता मुक्त कर उनके जीवन को सरल बना देगा और हमे उनकी दुआओ का पात्र बना देगा ।

 

 ❉    कारण सुनाने की बजाए उसका निवारण करने से उस आत्मा के मन से सभी बोझ उतर जायेंगे और बुद्धि हल्की होने से परमात्म आनन्द की अनुभूति सहज हो जायेगी और हम उसकी दुआओ के अधिकारी बन जायेगे ।

 

 ❉    समस्या का निवारण आत्मा को व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर बुद्धि को एकाग्रचित और शांतचित बनाकर मन बुद्धि को परमात्मा के साथ जोड़ने में मदद करेगा । जिससे आत्मा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हुए हमे दुआओ से भरपूर कर देगी ।

 

 ❉    कारण का निवारण आत्मा के संकल्प, समय और श्वांस को व्यर्थ जाने से बचा कर उसे सफल बना देगा और उसका जमा का खाता बढ़ा कर हमे उसकी दुआओ का अधिकारी बना देगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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