18 / 01 / 15  की  मुरली  से  चार्ट 

  TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं सम्पूरण फ़रिश्ता हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ एक के साथ सर्व रिश्ते निभाना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ टीचर

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)  

‖✓‖ बाबा के आखिरी तीन बोल ( निराकारी , निर्विकारी, निरहंकारी) को स्मृति में लाया ?

‖✓‖ विशेष साकारी याद - प्रेम स्वरुप की स्मृति में रहे ?

‖✓‖ "मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा ना कोई" - यह अंतिम मन्त्र सदा स्मृति में रहा ?

‖✓‖ "जो बाप की पसंद.. वही मेरी पसंद" - यही संकल्प रहा ? बाप पसंद और लोक पसंद बनकर रहे ?

‖✓‖ "लक्ष्य और लक्षण" ,  "कथनी और करनी" समान रही ?

‖✓‖ "जैसा कर्म हम करेंगे.. हमको देख और करेंगे" - यह सदैव ध्यान रहा ?

‖✗‖ किसी भी संस्कार व परिस्थितियों के वशीभूत तो नहीं हुए ? अल्पकाल की प्राप्ति कराने वाले व्यक्ति व वैभवों की तरफ आकर्षित तो नहीं हुए ?

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∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ आज पूरा दिन बार बार बापदादा का आह्वान किया ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

➢➢ एक के साथ सर्व रिश्ता निभाने से हम स्वतः ही सर्व किनारों से मुक्त हो जाते हैं... क्यों ?

 ❉   दैहिक संबंधो से हम सहज ही अनासकत अनुभव करने लगते है ।

 ❉   इससे हर परिस्थिति में सिर्फ एक की ही याद आती है ।

 ❉   हर आत्मा के प्रति सामान दृष्टि और भाई भाई की दृष्टि रहने लगती जिससे किसी भी आत्मा के स्वभाव संस्कार से हम कभी हलचल में नहीं आते और हर परिस्थिति में उपराम अनुभव करते हैं।

 ❉   किसी से कुछ इच्छाए या अपेक्षाये नहीं रहती।

 ❉   एक से ही सबकुछ मिलता तो कही और देखने भटकने की जरुरत नहीं।

 ❉   उस जैसा रिश्ता कोई निभा नहीं सकता,वह सब आशाये बिना मांगे पूरी करते है।

 ❉   उनसे रिश्ता बनाने से हम आत्मा तृप्त सम्पूर्ण हो जाती है (हलवे का मिसाल) और दुनिया से उपराम हो जाती है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

➢➢ स्नेह ऐसा चुम्बक है जो ग्लानि करने वालो को भी समीप ले आता है.... क्यों और कैसे ?

 ❉   स्नेह सदा शुभ भावना के रूप में वायुमण्डल में खुशबू फैलाता है जिससे ग्लानि करने वाले भी खिचे चले आते है।

 ❉   स्नेह में परमात्म प्यार की शक्ति है जिससे ग्लानि करने वाली आत्मा भी सब भूल कर खिची चली आती है।

 ❉   स्नेह भरे बोलो में शांन्ति की शक्ति समाई हुई होती है जिससे ग्लानि करने वाले शान्त होकर खिचे चले आते है।

 ❉   स्नेह की शक्ति से मुख सदा हर्षित रहता है जिससे ग्लानि करने वाला भी आकर्षित हो खीचा चला आता है।

 ❉   स्नेह में समाने की शक्ति होती है जिससे ग्लानि करने वाले अपकारी पर भी उपकार कर अपनी और आकर्षित कर लेती है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति