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    16 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ डायरेक्ट °ईश्वर अर्थ दान पुण्य° किया ?

‖✓‖ °ज्ञान धन° से झोली भरकर सबको दी ?

‖✓‖ °भ्रमरी° की तरह भू-भू कर आप सामान बनाने की सेवा की ?

‖✓‖ बोल °स्पष्ट और स्नेह° से भरपूर रहे ?

‖✓‖ °महानता और सत्यता° की सीट पर सेट रहे ?

‖✓‖ सर्व बन्धनों से मुक्त °जीवनमुक्त स्थिति° का अनुभव किया ?

‖✗‖ साधन न होने से °साधना में विघन° तो नहीं पडा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

‖✓‖ °नम्रता और अथॉरिटी° के बैलेंस द्वारा बाप को प्रतक्ष्य किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

‖✓‖ बापदादा द्वारा चलायी गयी °15/03/2015 की अव्यक्त वाणी° को अच्छे से रीवाइज किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)

 

➢➢ मैं विशेष सेवाधारी हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं आत्मा सदैव लगन में मगन रह बाप को प्रतक्ष्य करती हूँ ।

 ❉   मैं आत्मा सदैव महानता और सत्यता की सीट पर बैठकर और नम्रता और सत्यता की अथॉरिटी के बैलेंस से बाप का परिचय देती हूँ ।

 ❉   परमात्म छत्रछाया के अंदर मैं सदैव परमात्म शक्ति से भरपूर रहती हूँ ।

 ❉   इसी परमात्म शक्ति द्वारा मैं विशेष सेवा धारी आत्मा बन सर्व आत्माओं को रुहानियत की शक्ति से भरपूर कर देती हूँ ।

 ❉   मुझ आत्मा के बोल सदैव स्पष्ट, मधुर और स्नेह से भरपूर रहते हैं ।

 ❉   स्वभाव-संस्कारों में मिलनसार बन, मैं सर्व आत्माओं को परमात्म प्यार का सन्देश देती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है, सबको शांतिधाम और सुखधाम का रास्ता बताना है"

 

 ❉   आज तक हमने केवल लौकिक पढ़ाई के बारे में ही सुना और देखा कि पढ़ाई पढ़ कर मनुष्य बैरिस्टर,डॉक्टर आदि जैसी ऊँची पोजीशन को प्राप्त करते हैं।

 ❉   लेकिन यह कभी नही सोचा था कि ऐसी भी कोई पढ़ाई होती है जिसे पढ़ कर मनुष्य से देवता बन जाएँ।

 ❉   मनुष्य से देवता बनने की ही पढ़ाई अब इस समय स्वयं भगवान आ कर हम बच्चों को पढ़ा रहें हैं।

 ❉   इस पढ़ाई से ही हम सम्पूर्ण बन कर अपने घर शांतिधाम में जाएंगे और फिर सुखधाम में आ कर सुख भोगेंगे।

 ❉   इसलिए अब हमारा यह फर्ज बनता है कि मनुष्य से देवता बनने की यह पढ़ाई अच्छी रीति पढ़ कर फिर औरों को पढ़ायें और सभी को शांतिधाम और सुखधाम का रास्ता बता कर सबका कल्याण करें।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ ज्ञान धन से झोली भरकर सबको देना है।

 

 ❉   बाबा जो ज्ञान रत्न हमें रोज़ देते हैं उन्हें स्वयं में धारण कर सबको देना है क्योंकि देना ही लेना है।

 ❉   जितना ज्ञान धन बाँटते है उतना समय को सफल करते हैं व बाबा की याद में रहते हैं। अनेक आत्माओं द्वारा शुभ संकल्प व दुआएं मिलती हैं।

 ❉   जो ज्ञान से भरपूर होते हैं तो वो कहीं पर भी मौक़ा पीते ही ज्ञान चर्चा कर अपना ज्ञान धन बाँटने लगते हैं व बाबा को प्रयत्क्ष करते हैं क्योंकि ज्ञान सागर के बच्चे हैं।

 ❉   ज्ञान धन से झोली भरी होने से सदा ज्ञान का मनन चिंतन चलता रहता है व ज्ञान की गहराई में जाने से बाबा का साथ हरपल अपने साथ अनुभव करते हैं। अनुभवीमूर्त बन सबको आगे बढ़ाते हैं।

 ❉   ज्ञान धन जो बाबा देते हैं वो बेशुमार क़ीमती हैं व उन एक एक रत्न को लाखों में भी नहीं ख़रीदा जा सकता। उन्हें ऐसे अपने पास लाॅकर में बंद करके नहीं रखना बल्कि बाँटना है। बाँटने से लौकिक धन की तरह  नहीं होता ये तो अविनाशी कमाई है 21 जन्मों के लिए।

 ❉   जैसे भ्रमरी भूं भूं करती रहती है उसीप्रकार हमें भी ज्ञान की भूं-भूं करते रहना है व औरों को जगाना है। ज्ञान अमृत का प्याला पीकर अपनी झोली भरकर सबको ज्ञान धन बाँटना है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ नम्रता और अथॉरिटी के बैलेंस द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाले ही विशेष सेवाधारी कहलाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   क्युकी वह सत्य बाप का सत्य परिचय सबको देते है।

 ❉   हमें हमारे गुण व व्यवहार द्वारा ही बाप को प्रत्यक्ष करना है।

 ❉   जब किसी को बाप का परिचय दे तो जितना नम्र होकर बोले उतना ही अथॉरिटी भी तो तभी उसे स्वीकार किया जायेगा।

 ❉   जब हम बाप का परिचय अपने प्रेक्टिकल स्वरुप द्वारा सबको देंगे तभी विशेष सेवाधारी कहलायेंगे।

 ❉   इतनी अथॉरिटी और गुण हो हममे की सभी सोचे की इन्हों को ऐसा बनाने वाला कोन है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ समय पर कोई भी साधन ना हो तो भी साधना में विघ्न ना पड़े... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   साधनो की निर्भरता को छोड़,अपनी स्तिथि को योगयुक्त और युक्तियुक्त बंनाने से समय पर साधन ना मिलने पर भी साधना में विघ्न नही पड़ेंगे।

 ❉   सहज सिद्धि पाने के लिए साधनो की बजाए साधना की विधि का प्रयोग करने से साधन के अभाव में भी साधना मे विघ्न नही पड़ेंगे।

 ❉   बाबा के साथ की शक्ति का अनुभव सदा करते रहें तो साधना में साधनो के अभाव का कोई प्रभाव नही पड़ेगा।

 ❉   फरिश्ता पन की स्तिथि द्वारा सदा हल्के रहें तो साधन के ना होते हुए भी साधना में सफलता सहज ही प्राप्त होगी।

 ❉   संगम समय की प्राप्तियों को सदा स्मृति में रख ज्ञान योग की धारणा अच्छी रीति करने से समय पर साधन ना मिलने पर भी साधना में विघ्न नही पड़ेगा।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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