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15 / 05 / 15 की मुरली
से
चार्ट
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TOTAL MARKS:- 100
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शिवभगवानुवाच
:-
➳ _ ➳
रोज
रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में
जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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1
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होमवर्क
(Marks:-
6*5=30)
‖✓‖
संगदोष से अपनी
°संभाल°
की
?
‖✓‖
तन-मन-धन से बाप के कर्तव्य में
°मददगार°
बने
?
‖✓‖
°अनुभवी
स्वरुप°
बन चहरे से खुशनसीबी की झलक दिखाई
?
‖✓‖
प्रीत बुधी बन एक बाप की
°अव्यभिचारी
याद°
में रहे
?
‖✓‖
अपनी चलन से
°बाप
का शो°
किया
?
‖✗‖
किसी भी बात में
°मूंझे°
तो नहीं ?
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2
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विशेष पुरुषार्थ
(Marks:-10)
‖✓‖
°मुरली
के साज़°
द्वारा माया को सरेंडर कराया
?
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आज की अव्यक्त पालना
:-
➳ _ ➳
बाप से सच्चा प्यार है तो प्यार की निशानी है-समान, कर्मातीत बनो । '
करावनहार' होकर कर्म करो, कराओ । कर्मेन्द्रियां आपसे नहीं करावें लेकिन आप
कर्मेन्द्रियों से कराओ । कभी भी मन-बुद्धि वा संस्कारों के वश होकर कोई भी कर्म
नहीं करो ।
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3
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विशेष
अभ्यास
(Marks:-10)
‖✓‖
°करावनहार° होकर
कर्मेन्द्रियों से
कर्म कराया
?
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4
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स्वमान का अभ्यास
(Marks:-10)
➢➢
मैं
मास्टर मुरलीधर हूँ ।
✺ श्रेष्ठ
संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉
मुरली के साज़ द्वारा माया को सरेन्डर कराने वाली मैं मास्टर मुरलीधर आत्मा हूँ
।
❉
मुरली द्वारा हर कारण को निवारण में बदल मैं सर्व समस्याओं को सहज ही हल कर
लेती हूँ ।
❉
मुरलीधर बाप की छत्रछाया में निश्चय बुद्धि बन विजय का तिलक लगाये मैं निरन्तर
सफलतामूर्त बनती जाती हूँ ।
❉
मास्टर मुरलीधर की स्मृति मुझे माया के तूफानों में भी सहज ही मेहनत मुक्त,
जीवन मुक्त स्तिथि का अनुभव कराती है ।
❉
मुरली महावाक्यों को अपने जीवन में धारण कर ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान रूपी
अंधकार में भटकती आत्माओं को मैं चैतन्य दीपक बन रास्ता दिखाती हूँ ।
❉
स्वयं को सदा ज्ञान खजाने से सम्पन्न अनुभव कर सर्व आत्माओं को ज्ञान दान दे
उन्हें संतुष्ट करती जाती हूँ ।
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5
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सार
-
ज्ञान मंथन
(Marks:-10)
➢➢
"मीठे
बच्चे - याद में रहने की मेहनत करो तो पावन बनते जायेंगे, अभी बाप तुम्हे पढ़ा
रहे हैं फिर साथ में ले जायेंगे"
❉
आत्मा अपने घर परमधाम में अपने वास्तविक स्वरूप में सम्पूर्ण पवित्र है और जब
इस सृष्टि रंग मंच पर पार्ट बजाने के लिए आती है तो सम्पूर्ण पवित्र अवस्था में
ही आती है ।
❉
पार्ट बजाते बजाते अनेक जन्म लेते लेते आत्मा पर विकारों की कट चड़ने से आत्मा
पतित बनती जाती है ।
❉
पतित आत्मा को फिर से पावन बना कर वापिस अपने घर परमधाम ले जाने के लिए ड्रामा
प्लान अनुसार परम पिता परमात्मा बाप आते है और आ कर हम आत्माओं को राजयोग
सिखलाते हैं ।
❉
क्योकि आत्मा को पावन बनाने का एक ही उपाय है और वह उपाय है परम पिता परमात्मा
बाप की यथार्थ याद ।
❉
इसलिए बाप समझाते है, याद में रहने की मेहनत करो तो तुम पावन बनते जायेंगे और
पावन बन बाप के साथ वापिस अपने घर चलें जायेंगे ।
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6
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मुख्य धारणा
-
ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢
संगदोष से अपनी बहुत-बहुत सम्भाल करनी है। पावन बनना है,
अपनी चलन से बाप को शो करना है।
❉
हमेशा सत का संग करना है। कहते भी है - संग तारे कुसंग बोरे। कई बार कोई
व्यक्ति बहुत वर्षों से ज्ञान में हैं व उसमें कोई परिवर्तन नहीं है तो नयी
आत्मा उसे देखकर अपना पुरूषार्थ करना ही छोड़ देती है। अपनी बहुत बहुत सम्भाल
करनी है व आगे ही बढना है।
❉
अपने को आत्मा निश्चय कर बाप को याद करना है। याद करने से ही विकर्म विनाश
होंगे व पावन बनेंगे। पावन बने बग़ैर तो घर वापिस जा नहीं सकते।
❉
दुनिया वाले जिस भगवान को पाने के लिए कहाँ कहाँ भटक रहे हैं व उस भगवान ने
कोटो में कोई और कोई में से भी कोई हमें स्वयं चुनकर अपना बच्चा बनाया है कितने
भाग्यशाली हैं हम व कितनी ख़ुशी होनी चाहिए कि ऊंच ते ऊंच बाप के बच्चे है!
❉
दुनिया वाले तो पाई पैसे वालों के बच्चे हैं व हम भगवान के बच्चे हैं। दुनिया
वाले डाक्टर, वक़ील की पढाई पढकर अपने को ऊंच समझते हैं व हम तो ईश्वरीय पढाई
पढ़ते हैं जिसे पढ़कर हम देवी देवता बनेंगे। हमारी चाल चलन ऐसी राॅयल होनी
चाहिए जिसे देखते ही दुनिया वालों को पता चलना चाहिए कि हम किसके बच्चे हैं?
❉
कैसी भी परिँस्थिति आये लेकिन खुशी हमारे चेहरे पर सदा दिखाई दे व दुनिया वाले
पूछे कि तुम्हें क्या मिला है जो हमेशा खुश रहते हो व हम अधिकार से कहें कि
हमें भगवान मिला है।
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7
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वरदान
-
ज्ञान मंथन
(Marks:-10)
➢➢
मास्टर मुरलीधर ही मुरली के साज द्वारा माया को सरेंडर करा सकते है... क्यों और
कैसे
?
❉
मुरली भगवान के महावाक्य है, श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बाप हम बच्चो मुरली के द्वारा
ही शिक्षा देते है। कर्म, अकर्म, विकर्म, ड्रामा का राज समझाते
❉
बाबा की मुरली द्वारा प्राप्त ज्ञान का ही अलंकर भक्ति में तलवार के रूप में
दिखाया है जिससे ही देवी देवताओ ने असुरो अर्थात विकारो का नाश किया।
❉
मुरली सुनना और उसको मनन करना यही बुद्धि में चलता है तो जैसे माया के अन्दर
घुसने का गेट बंद किया हुआ है।
❉
बाबा से प्यार की पहली निशानी है रोज़ मुरली सुनना। मुरली में बापदादा हम बच्चो
को मायाजीत बनने की अनेको युक्तिया बताते है जिससे हम स्वयं को माया प्रूफ बना
सकते है।
❉
कहते है- कृष्ण की मुरली सुन गोप-गोपिया अपनी सुध बुध भूल जाती थी। हम बच्चे भी
सत्य बाप का सत्य ज्ञान सुन इस देह की सुध बुध भूल अतीन्द्रिय सुख के झूलो में
झूलते रहते है।
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8
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स्लोगन
-
ज्ञान मंथन
(Marks:-10)
➢➢
अनुभवी स्वरूप बनो तो चेहरे से खुशनसीबी की झलक दिखाई देगी... कैसे
?
❉
अनुभवी स्वरूप बनेगे तो स्वयं को सर्व शक्तियों से भरपूर अनुभव करेंगे और यह
भरपूरता चेहरे से खुशनसीबी के रूप में सहज ही दिखाई देगी ।
❉
अनुभवी स्वरूप सदैव अतेंद्रिय सुख की अनुभूति द्वारा अपने चेहरे और चलन से
खुशनसीबी की झलक दिखाते रहेंगे ।
❉
जितना अनुभवी स्वरूप बनते जायेगे उतना ही सन्तुष्टता का अनुभव कर, औरों को भी
संतुष्ट कर सकेंगे और यह खुशनसीबी चेहरे से स्वत: प्रत्यक्ष होगी ।
❉
दूसरों के संस्कार परिवर्तन के लिए साधारण वाइब्रेशन्स से परिवर्तन होना
मुश्किल है।इसके लिए शक्तिशाली वाइब्रेशन्स चाहिए और वायब्रेशन्स तभी शक्तिशाली
होंगे जब अनुभवी स्वरूप होंगे ।
❉
अनुभव कराने के लिए स्वयं अनुभव स्वरूप् बनेंगे तब सर्व आत्माओं की इच्छाओं को
पूर्ण कर सकेंगे और अपनी खुशनसीबी की झलक अपने चेहरे से दिखा सकेंगे ।
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⊙_⊙
आप
सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को
आज की मुरली से मिले
चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
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ॐ शांति
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