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❍ 16 / 02 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा संपन्न आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ कंबाइंड स्वरुप की स्मृति द्वारा सदा श्रेष्ठ स्वरुप की स्मृति में रहना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ टीचर
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ °सुखदाई स्थिति° की सीट पर सेट रहे ?
‖✓‖ जो ज्ञानवान और योगी हैं.. उनका ही °संग° किया ?
‖✓‖ °रूहानी° सेवा करना अपना फ़र्ज़ समझा ?
‖✓‖ °पावरफुल वृति° द्वारा आत्माओं को योग्य और योगी बनाया ?
‖✓‖ मैं पन का त्याग कर °निरहंकारी° बनकर रहे ?
‖✓‖ बाप जो पढाते हैं.. उसका °रीटर्न गुल गुल बनकर° दिखाया ?
‖✗‖ ईश्वरीय कुल का °नाम बदनाम° तो नहीं किया ?
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∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ आज पूरा दिन बार बार बापदादा का आह्वान किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम बहुत बड़े जौहरी हो, तुम्हे अविनाशी ज्ञान रत्नों रूपी जवाहरात देकर सबको साहूकार बनाता हूँ"
❉ जौहरी उसे कहा जाता है जो हीरे-जवाहारात का व्यापार करते हैं।किन्तु वो सब है विनाशी रत्न।
❉ वास्तव में सब से बड़े जौहरी तो हम ब्राह्मण बच्चे हैं।
❉ जिन्हें स्वयं सौदागर-रत्नागर परम पिता परमात्मा बाप आ कर अविनाशी ज्ञान रत्नो रूपी जवाहारात से भरपूर कर देते हैं।
❉ किन्तु जो इन अविनाशी ज्ञान रत्नो रूपी जवाहरात का व्यापार करते हैं।
❉ अर्थात वैल्युबुल ज्ञान रत्नों को स्वयं धारण कर औरों को कराते हैं।वही सबसे बड़े साहूकार बनते हैं।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)
➢➢ ज्ञानी और योगी आत्मा का संग ही करना है।
❉ जैसे कमरे में अंधेरा होता है तो लाइट जलाकर उसका अंधेरा दूर करते हैं उसीप्रकार ज्ञानी व योगी का संग अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करता है ।
❉ ज्ञानी व योगी आत्मा का संग अपने ज्ञान और योग के बल से दूसरों को सदा उमंग- उत्साह से आगे बढ़ाते है व आप समान बनाते हैं ।
❉ जैसे कोई बच्चा पढ़ाई में थोड़ा कमज़ोर होता है तो उसे आगे होशियार (नोलेजफुल ) बच्चे के साथ बिठाते है तो वह भी अच्छा पढ़ने लगता है उसी प्रकार ज्ञानी व योगी का संग करने से नीरस जीवन रसमय हो जाता है । ज्ञान की बातें रोज़ सुनने से परिवर्तन होने लगता है ।
❉ ज्ञानी व योगी का संग कर उस ज्ञान को समझ लेना काफ़ी नहीं होता बल्कि उसे अलग-अलग तरीक़े से अपनाकर प्रेक्टिकल में धारण करना है ।
❉ ज्ञानी और योगी के संग से अज्ञानी आत्मा पर रंग तो चढ़ेगा ही क्योंकि कहावत भी है संग का रंग तो चढ़ता ही है । इसलिए ज्ञानी व योगी को अपने संग का रंग चढ़ाना है, दूसरे के संग में आकर अपने को नहीं बदलना ।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)
➢➢ कंबाइंड स्वरुप की स्मृति द्वारा श्रेष्ठ स्थिति की सीट पर सेट रहने वाले सदा संपन्न स्थिति का अनुभव कर सकते हैं ... क्यों और कैसे ?
❉ कंबाइंड स्वरुप की स्थिति सर्व प्राप्तियो से भरपूर होती है।
❉ बाप के साथ कंबाइंड स्वरुप में रहने से हम सर्व ज्ञान गुण खजानों शक्तियों से संपन्न हो सकते है।
❉ सदेव बाप के साथ कंबाइंड रहने से माया हमारे पास भटक नहीं सकती।
❉ बाप के साथ कंबाइंड बच्चो की विजय निश्चित होने से बेफिक्र रहते है।
❉ बाप के साथ कंबाइंड रहने से मन शांत और कर्मेन्द्रिया शीतल रहती है।
❉ कंबाइंड स्वरुप स्थिति में स्थित होने से हमारे विकर्म विनाश होते जाते है और आत्मा पवित्र होती जाती है।
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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)
➢➢ पॉवरफुल वृति द्वारा आत्माओं को योग्य और योगी बनाओ... क्यों और कैसे ?
❉ आत्माओं को योग्य और योगी बनाने के लिए पावरफुल वृति, तपस्या अर्थात योग बल द्वारा बनेगी।
❉ वृति पावरफुल तब बनेगी जब हर आत्मा के प्रति रहम वा कल्याण की भावना होगी।
❉ पावरफुल वृति तब बनेगी जब शुभ श्रेष्ठ कर्म और श्रेष्ठ संकल्प होंगे।
❉ वृति को पावरफुल बनाने का मुख्य साधन है अव्यक्त स्वरूप की साधना।
❉ पावरफुल वृति द्वारा आत्माओ को योग्य और योगी तभी बना सकेंगे जब स्व स्तिथि पावरफुल होगी।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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