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❍ 24 / 05 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अमृत्वेले से ही °रीयालाईजेशन° कोर्स शुरू किया ?
‖✓‖ बाप से °सर्व संबंधो की अनुभूति° में मगन रहे ?
‖✓‖ "°पाना था जो पा लिया°" - मन की यही ख़ुशी की आवाज़ रही ?
‖✓‖ अपनी विशेषताओं को स्मृति में रख °विशेष आत्मा° बनकर रहे ?
‖✓‖ ज्ञान के पॉइंट्स को °मनन द्वारा स्वरुप° में लाया ?
‖✓‖ °ड्रामा° की नॉलेज से क्या-क्यों की क्वेश्चन को समाप्त किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °फुल स्टॉप° की स्टेज द्वारा प्रकृति की हलचल को समाप्त किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ आप गोप-गोपियों के चरित्र गाये हुए हैं - बाप से सर्व-सम्बन्धों का सुख लेना और मग्न रहना अथवा सर्व-सम्बन्धों के लव में लवलीन रहना । जब कोई अति स्नेह से मिलते हैं तो उस समय स्नेह के मिलन के यही शब्द होते कि एक दूसरे में समा गये या दोनों मिलकर एक हो गये । तो बाप के स्नेह में समा गये अर्थात् बाप का स्वरूप हो गये ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ बाप के स्नेह में समा °बाप का स्वरूप° बनकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं प्रकृतिपति हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ प्रकृति की हलचल से परे रहने वाली और प्रकृति पर जीत पाने वाली मैं प्रकृतिपति आत्मा हूँ ।
❉ सर्वशक्तियां और प्रकृति मुझ आत्मा की दासी हैं... और समय पर अपना
सहयोग देती हैं ।
❉ प्रकृति के हर खेल को मैं साक्षी हो कर देखती हूँ ।
❉ अपनी परिवर्तन शक्ति से मैं प्रकर्ति को भी परिवर्तन करने की हिम्मत रखती हूँ ।
❉ मैं प्रकृति - धर्म अर्थात पर धर्म और देह की स्मृति से बिलकुल अनासक्त हूँ ।
❉ फुलस्टॉप की स्टेज द्वारा मैं प्रकृति की हलचल को सहज ही स्टॉप कर सकती हूँ ।
❉ समेटने की शक्ति द्वारा मैं अभी अभी साकारी, अभी अभी आकारी और अभी अभी निराकारी स्थिति में स्थित होने की अभ्यासी बनती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "विजय का झंडा लहराने के लिये रियलाइजेशन कोर्स शुरू करो"
❉ विजय का झंडा लहराने अर्थात हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करने का मुख्य आधार
रियलाइजेशन है ।
❉ रियलाइजेशन नही करते, इसलिये वर्णन करने और अनुभव करने में अंतर हो जाता है जिस कारण विजय नही मिल पाती ।
❉ इसलिये रियलाइजेशन अर्थात अनुभव करने के कोर्स को अमृतवेले से शुरू करो । अमृतवेले से बाबा के साथ जो सर्व सम्बन्ध बनाते हो, हर कार्य के समय अलग - अलग सम्बन्ध का सहयोग लो ।
❉ इसी प्रकार हर सब्जेक्ट में जो भी प्वाइंटस वर्णन करते हो उसे अनुभव करो ।
❉ गुणों का वर्णन करते हो तो गुणों की धारणा के अनुभवी बनो । हर गुण के अनुभव की अथॉरिटी हो ।
❉ ऐसे मास्टर आलमाईटी अथॉरिटी बनो तो विजय का झंडा लहराता रहेगा ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)
➢➢ बाप से सर्व सम्बंधों की अनुभूति में मगन रहना है।
❉ बाप से सर्व सम्बंधों की अनुभूति में मगन रहेंगे तो पुरानी दुनिया के विनाशी सम्बंधों की याद ही नहीं आयेगी व झूठे सम्बंधो से सहज ही उपराम रहेंगे। हर कार्य के समय भिन्न भिन्न सम्बंध का अनुभव कर सकते हैं।
❉ एक बाप ही है जो हर सम्बंध की अनुभूति कराता है जिस समय जिस सम्बंध की कमी महसूस हुई तभी उसी सम्बंध के रूप में हाज़िर। वह सुप्रीम बाप, सुप्रीम माँ , सुप्रीम टीचर, सुप्रीम सतगुरू, खुदा दोस्त, साथी, माशूक भी है। जब एक बाप ही सर्व सम्बंध निभाता है तो कोई दूसरे की याद ही नहीं आती।
मेरा तो बस शिव बाबा दूसरा न कोई।
❉ एक बाप ही है जो अपने बच्चों को कहाँ कहाँ से कचड़े के डिब्बे से निकाल कर लाया, अपना बनाया। कितनी ंगल्ती करते है, फिर भी हमेशा मीठे बच्चे, सिकीलधे बच्चे कहकर निस्वार्थ प्यार देता है । अपने बच्चों को नमस्ते करता है । जो बाप अपने बच्चों से इतना प्यार करता है तो बच्चों को भी बाप के प्यार में मगन रहना है।
❉ विशेष ब्रह्मा माँ अपने बच्चों को अमृतवेले इतने प्यार से उठाती है व "आओ बच्चे, आओ बच्चे " कहकर विशेष शक्तियों की खुराक बच्चों को खिलाती है बुद्धि बल द्वारा तीनों लोकों की सैर कराती है।
❉ एक बाप ही सुप्रीम टीचर के रूप में हमें शिक्षाएँ देते है व इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाकर पावन बनाने के लिए आते हैं व सदगुरू बन हमारी सदगति करते है। हमें विश्व का मालिक बनाते है इतनी ऊँची पोज़ीशन पर बिठाते हैं तो ऐसे ऊँच ते ऊंच बाप की याद में सर्व सम्बंध निभाते हुए मगन रहना है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ फुलस्टॉप की स्टेज द्वारा प्रकृति की हलचल को स्टॉप करने वाले ही प्रक्रतिपति बन सकते है ... क्यों और कैसे ?
❉ एक सेकंड में फुलस्टॉप लगाने की लम्बे समय की प्रेक्टिस से हम हलचल के समय भी अचल रह सकते है।
❉ बाबा भी बिंदी हम भी बिंदी, ड्रामा को बुद्धि में रख बिंदी लगाने से हम बेफिर्क निश्चिंत बन जायेंगे।
❉ अनेक व्यर्थ संकल्पों को फुलस्टॉप लगाकर जब एक परमात्मा की याद में बैठेंगे तो मास्टर सर्वशक्तिमान बच्चो की प्रकृति दासी बन जाएगी।
❉ जो भी पास्ट में हो गया उसे सोच सोच कर समय नष्ट मत करो, फुलस्टॉप लगाओ और मन बुद्धि की हलचल को समाप्त कर प्रक्रतिजीत बन जाओ।
❉ जिन आत्माओ ने लम्बे समय से प्रकृति की सेवा की है उसे शुद्ध वाइब्रेशन दिए है वह आत्माओ की प्रकृति जैसे दोस्त बन जाती है, आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित होंगे तो प्रकृति भी हमारी दासी बन सेवा करेगी।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ निर्विघ्न राज्याधिकारी बनने के लिए निर्विघ्न सेवाधारी बनो... क्यों और कैसे ?
❉ निर्विघ्न सेवाधारी तभी बन सकेंगे जब सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि हो कर सेवा करेंगे, तभी निर्विघ्न राज्याधिकारी बन सकेंगे ।
❉ स्वयं को निमित समझ, करनकरावन हार बाप की याद में रह कर जब सेवा करेंगे तो सब विघ्न स्वत: ही समाप्त हो जाएंगे और निर्विघ्न सेवाधारी बन निर्विघ्न राज्याधिकारी बन जाएंगे ।
❉ ज्ञान और योग का बैलेंस बना कर की गई सेवा सहज ही विघ्नों से मुक्त कर देगी और निर्विघ्न सेवाधारी और निर्विघ्न राज्याधिकारी बना देगी ।
❉ निस्वार्थ भाव से की गई सेवा सबकी दुआयों का पात्र बना कर निर्विघ्न सेवाधारी बना कर निर्विघ्न राज्याधिकारी बना देगी ।
❉ मन बुद्धि जितने एकाग्र और शांतचित होंगे उतनी ही निर्विघ्न अवस्था बनती जायेगी और उतने ही निर्विघ्न राज्याधिकारी बन सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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