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   14 / 08 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सबको °सन्देश पहुँचाने° वा सबका कल्याण करने की युक्ति रची ?

 

‖✓‖ °शुभाचिंतक° मणी बन अपनी किरणों से विश्व को रोशन किया ?

 

‖✓‖ बाप को °सच-सच सुना° इस जन्म के पापों के बोझ को हल्का किया ?

 

‖✓‖ ज्ञान की अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स पर °विचार सागर मंथन° कर लिखा ?

 

‖✓‖ "हमने °84 का चक्र पूरा° किया, अब जाते हैं अपने घर" - इसी खुशी में रहे ?

 

‖✗‖ °देह-अभिमान° में कभी न आयें, यह ध्यान रखा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ हर संकल्प, बोल और कर्म को °फलदायक° बना रूहानी प्रभावशाली आत्मा बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  कई बच्चे कहते हैं कि जब योग में बैठते हैं तो आत्म-अभिमानी होने के बदले सेवा याद आती है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि लास्ट समय अगर अशरीरी बनने की बजाए सेवा का भी संकल्प चला तो सेकण्ड के पेपर में फेल हो जायेंगे। उस समय सिवाय बाप के, निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी-और कुछ याद नहीं। सेवा में फिर भी साकार में आ जायेंगे इसलिए जिस समय जो चाहे वह स्थिति हो नहीं तो धोखा मिल जायेगा।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ योग में बैठते सेवा इत्यादि के भी संकल्प न चला °सिवाय बाप के और कुछ याद तो नहीं° आया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं रूहानी प्रभावशाली आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अपने हर संकल्प, बोल और कर्म को फलदायक बनाने वाली मैं रूहानी प्रभावशाली आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने संपर्क, सम्बन्ध में आने वाली हर आत्मा के प्रति मेरे मन में स्नेह, सहयोग और कल्याण की भावना समाई रहती है ।

 

 ❉   अपने प्रभावशाली बोल द्वारा मैं उत्साहहीन आत्माओं को भी हिम्मत और उत्साह से भरपूर कर देती हूँ ।

 

 ❉   मेरा हर कर्म स्व के प्रति और दूसरों के प्रति सदैव फलदायी होता है ।

 

 ❉   मैं निर्बल, दिलशिकस्त, असमर्थ आत्माओं को एक्स्ट्रा बल देने वाली रूहानी रहमदिल आत्मा हूँ ।

 

 ❉   हताश और निराश आत्माओं के मन में आशा का दीपक जलाने वाला मैं चैतन्य दीपक हूँ ।

 

 ❉   ज्ञान, शक्तियों और गुणों के रूहानी खजाने को मैं स्वाभाविक रीति से सर्व आत्माओं पर लुटाती रहती हूँ ।

 

 ❉   सर्व आत्माओं को सच्चा स्नेह और सहयोग देने वाली मैं सहयोगी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - सदा इसी ख़ुशी में रहो कि हमने 84 का चक्र पूरा किया, अब जाते हैं अपने घर, बाकी थोड़े दिन यह कर्मभोग है"

 

 ❉   इस सृष्टि चक्र में पार्ट बजाने वाली हम ब्राह्मण आत्माएं विशेष हीरो पार्टधारी हैं ।

 

 ❉   जिन्होंने सतयुग आदि से लेकर कलयुग अंत पूरे 84 जन्मों का पार्ट बजाया है ।

 

 ❉   अब हमारा यह अंतिम जन्म है । परम पिता परमात्मा बाप आये हैं हमे वापिस अपने घर शांतिधाम ले जाने के लिए ।

 

 ❉   इसलिए हमे इस बात की ख़ुशी होनी चाहिए कि 84 का चक्र पूरा कर अब हम जायेंगे अपने घर ।

 

 ❉   बाक़ी थोड़े दिन यह कर्मभोग है । अभी सब हिसाब किताब चुक्तू कर अपने घर जाएंगे और फिर आयेगे नई दुनिया सुखधाम में ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ विकर्मों से बचने के लिए देही-अभिमानी बन बाप को याद करना है ।

 

 ❉   अभी तक अज्ञानता के कारण अपने को देह समझ देहधारियों को ही याद करते रहे । देह-अभिमान में आकर ही विकर्म करते रहे । अब बाबा ने ज्ञान दिया है देही-अभिमानी बनना है व विकर्मों का विनाश करने के लिए याद की यात्रा में रहना है ।

 

 ❉   संगमयुग पर स्वयं भगवान ने हमें अपनी पहचान दी कि मैं कौन हूँ व मेरा कौन है तो अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परम आत्मा को याद करना है । आत्मिक स्थिति में रहने से देहभान की मिट्टी से परे होने लगते है व विकर्म भी नहीं होते ।

 

 ❉   आत्मिक दृष्टि होने से आत्मा-आत्मा भाई भाई है व आँखें भी क्रिमिनल नहीं होती । दृष्टि शुद्ध व पवित्र होती है तो विकर्म भी नहीं होते व बाबा की याद भी बनी रहती है ।

 

 ❉   अपने को आत्मा समझ आत्मा के सातों गुणों को इमर्ज करते हुए कर्म करते हैं तो देही-अभिमानी स्थिति रहती है व श्रेष्ठ कर्म ही करते हैं ।

 

 ❉   ऊंच ते ऊंच बाप का बन श्रीमत पर ही चलना है । बाप की याद में रहने से ख़ुशी मिलती है व आत्मा सतोप्रधान होती जाती है ।

 

 ❉   जब अपने को बिंदु समझ बिंदु बाप को याद करेंगे तो देह-अभिमानी की बीमारी छूट जाएगी । किसी को दुख भी नहीं देंगे व कोई ख़राब काम नहीं करेंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ जो हर संकल्प, बोल और कर्म को फलदायक बनाते है वह रूहानी प्रभावशाली बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हम आत्माओ का प्रभाव तब निकलेगा जब हमारे संकल्प, बोल व कर्म सभी समर्थ होंगे, कोई व्यर्थ न हो, व्यर्थ जमा की हुई शक्तियों को नष्ट कर देता है इसलिए प्रभाव कम निकलता है।

 

 ❉   वर्ल्ड ऑलमाइटी अथॉरिटी के हम बच्चो का संकल्प, बोल कर्म साधारण मनुष्यों की तरह अब नहीं होना चाहिए, हमें हर आत्मा को स्नेह, प्रेम, सुख, शांति, शक्ति कुछ न कुछ देते ही जाना है

 

 ❉   हमारे हर बोल में बाप का नाम, विशेषता, गुण, शक्ति कुछ न कुछ समाया हो, व्यर्थ की झरमुई झगमुई की बातो में अब अपना समय, संकल्प, शक्ति व्यर्थ नहीं गवाना हई।

 

 ❉   ज्ञान की तलवार में योग का जोहर भरना होगा। हमारे में इतना साइलेंस पॉवर हो की किसी को ज्यादा बोल कर समझाने की जरुरत न पड़े, जितना साइलेंस पॉवर होगी उतना तीर जल्दी लगेगा।

 

 ❉   हमारा हर बोल संकल्प कर्म आत्माओ को सुख देने वाला, उमंग उत्साह से भरपूर हो, संजीवनी बूटी समान किसी भी निर्जीव को सजीव करदे।इसके लिए सदा एकरस स्थिति और एकमत होकर चलना होगा।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ऐसी शुभचिंतक मणी बनो जो आपकी किरणे विश्व को रोशन करती रहें... कैसे ?

 

 ❉   हद के मैं और मेरेपन से बुद्धि को निकाल जब बेहद की दृष्टि, वृति रखेंगे तो सर्व के प्रति शुभचिंतक बन अपनी शुभभावनाओ और शुभकामनाओं की किरणे सारे विश्व में फैला सकेंगे ।

 

 ❉   रूहानी शान में रह जब सर्व के प्रति आत्मा भाई भाई की दृष्टि रखेंगे तो सर्व आत्माओ के प्रति शुभचिंतक वृति होगी जिसकी किरणे सारे विश्व को रोशन करेंगी ।

 

 ❉   गुण ग्राही बन सर्व आत्माओं के गुणों को देखने से देह के भान और मैं और मेरे पन के भान से मुक्त हो जायेंगे और सब के शुभ चिंतक बन अपनी शुभ भावना की किरणों से सबको रोशन कर देंगे ।

 

 ❉   स्नेह के खजाने से सम्पन्न बन सर्व आत्माओं को स्नेह देने से ऐसी शुभचिंतक मणी बन जायेंगे जो अपनी किरणों से सारे विश्व को रोशन कर देंगे ।

 

 ❉   रीयल डायमंड बन कर अपने वायब्रेशन की चमक विश्व में तब फैला सकेंगें, जब सोच और व्यवहार में स्वच्छता और स्पष्टता होगी और सर्व के प्रति शुभचिंतक वृति होगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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