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    20 / 05 / 15  की  मुरली  से  चार्ट  ❍ 

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपनी उन्नति के लिए बाप की °सर्विस° में तत्पर रहे ?

 

‖✓‖ बाप का और पढाई का °रिगार्ड° रखा ?

 

‖✓‖ बाप की शिक्षाओं को धारण कर °सपूत बच्चा° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °देहि-अभिमानी° बनने का पूरा पूरा पुरुषार्थ किया ?

 

‖✓‖ °परिवर्तन शक्ति° द्वारा व्यर्थ संकल्पों के बहाव का फ़ोर्स समाप्त किया ?

 

‖✓‖ "जिस °शिव° की सभी पूजा करते हैं... वह अभी हमारा बाप बना है.. हम उसके सम्मुख बैठे हैं" - यह नशा रहा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ सव स्थिति द्वारा °परिस्थितियों पर विजय° प्राप्त की ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  जब मन ही बाप का है तो फिर मन कैसे लगायें! प्यार कैसे करें! यह प्रश्न ही नहीं उठ सकता क्योंकि सदा लवलीन रहते हैं, प्यार स्वरुप, मास्टर प्यार के सागर बन गये, तो प्यार करना नहीं पड़ता, प्यार का स्वरुप हो गये । जितना-जितना ज्ञान सूर्य की किरणें वा प्रकाश बढ़ता है उतना ही ज्यादा प्यार की लहरें उछलती हैं ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ आज पूरा दिन °मास्टर प्यार के सागर° बनकर रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं संगमयुगी विजयी रत्न हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   स्व स्थिति द्वारा परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करने वाली मैं संगमयुगी विजयी रत्न आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने स्वधर्म और स्व स्थिति में स्थित रह, मैं सदा सुख का अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   मैं प्रकृति - धर्म अर्थात पर धर्म और देह की स्मृति से बिलकुल अनासक्त हूँ ।

 

 ❉   संगम युग के सर्वश्रेष्ठ खजानों को मैं स्वयं के प्रति और विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति सफल करती जाती हूँ ।

 

 ❉   संगम युग की एक - एक घड़ी को परमात्म याद द्वारा सफल कर मैं अपनी बुद्धि को स्वच्छ करती जाती हूँ ।

 

 ❉   परमात्म स्नेह से मिलने वाली ख़ुशी, अतीन्द्रिय सुख व हल्केपन का प्रत्यक्ष फल हर दिन खा कर मैं अपने जीवन को आनन्दित करती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे नशा रहना चाहिये कि जिस शिव की सभी पूजा करते हैं, वह अभी हमारा बाप बना है, हम उनके सन्मुख बैठे हैं"

 

 ❉   दुनिया के सभी मनुष्य मात्र जिस भगवान की पूजा करते है, जिसे ढूंढने के लिए दर - दर की ठोकरे खाते हैं ।

 

 ❉   वह परम पिता परमात्मा शिव बाप इस समय स्वयं हमारे सन्मुख आया हुआ है ।

 

 ❉   स्वयं भगवान हमारा बाप बन हमे विश्व का मालिक बना रहा है । 21 जन्मों के लिए स्वर्ग का वर्सा दे रहा है ।

 

 ❉   तो कितना नशा रहना चाहिए हमे अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य का । स्वयं भगवान जिसका हो गया उससे श्रेष्ठ भाग्य भला किसका हो सकता है ?

 

 ❉   दुनिया वाले उसके एक दर्शन मात्र के लिए तरस रहे है और हम पदमापदम भाग्यशाली बच्चे उसके सन्मुख बैठे है । उसके प्यार की पालना में पल रहें है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ बाप का व पढ़ाई का रिगार्ड रखना है। देही अभिमानी बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करना है।

 

 ❉   सभी आत्माओं का पिता एक ही है वह है- सदा शिव कल्याणकारी। इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाकर पावन बनाने के लिए आता है तो ऐसे ऊंच ते ऊंच बाप का व पढ़ाई का रिगार्ड रखना है।

 

 ❉   जितना देही-अभिमानी रहते हैं तो उतना ही बाप की याद में रहते हैं। जितना जास्ती याद में रहते हैं उतना ही ज़्यादा आत्मा में बल भरता है व विकर्म विनाश होते हैं।

 

 ❉   63 जन्मों से अपने को शरीर समझते आएँ हैं व देह- अभिमान में रहते हैं तो विचित्र बाप को भूल जाते हैं।इसलिए अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को ज्योतिर्बिंदु को ही याद करना है व श्रीमत पर चल पुरूषार्थ करना है।

 

 ❉   बाप की श्रीमत पर चलते हुए ही ये रूहानी पढ़ाई को पढ़ना हैं व शिव बाबा व वर्से को याद करना है। फिर नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार ही पद पाना है।

 

 ❉   बिंदु बन बिंदु बाप को ही याद करना है । जितना आत्मिक स्थिति में रहते है तो सबके साथ मीठा रहते है बाप समान रहमदिल रहते है।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्व स्थिति द्वारा परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करने वाली ही संगमयुगी विजयी रतन है ... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जितना जितना हम आगे बढ़ते है उतनी ही परिस्थितिया भी हमारी परीक्षा लेने आती है, परमात्मा की याद द्वारा हमें अपनी स्व स्थिति बनाये रखना है और विजय को प्राप्त करना है।

 

 ❉   हम संगमयुगी ब्राह्मणों को बापदादा की शक्तियों व प्यार की स्पेशल पालना मिल रही है, बापदादा के साथ से हिम्मत रख आगे बढते रहेंगे तो हर परिस्थिति सहज पार हो जाएगी।

 

 ❉   परमात्म प्यार की छत्रछाया में रहेंगे तो माया और परिस्थितिया पेपर टाइगर समान नजर आयेगी।

 

 ❉   हम बच्चे रावण की दुनिया में रहते भी सर्वशक्तिमान बाप के साथ से मास्टर सर्वशक्तिमान बने है, राम का संग होने से हमारी विजयी निश्चित है।

 

 ❉   हम संगमयुगी महावीर बच्चे है, हमें माया से डरना नहीं है बलवान बन माया का आव्हान करना है की आप आओ और हम आप पर विजय प्राप्त कर के दिखावे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ परिवर्तन शक्ति द्वारा व्यर्थ संकल्पों के बहाव का फ़ोर्स समाप्त करो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   व्यर्थ संकल्प आत्मा को संगम युग के बहुमूल्य खजानो और प्राप्तियों से वंचित कर देते है इसलिए परिवर्तन शक्ति द्वारा व्यर्थ संकल्पों के बहाव के फ़ोर्स को समाप्त करो ।

 

 ❉   व्यर्थ संकल्प आत्मा को शक्तिहीन बना देते है, आत्मा की शक्ति कम होने से मन, बुद्धि माया के दास बन जाते हैं । इसलिए व्यर्थ संकल्पों के बहाव के फ़ोर्स को समाप्त करना जरूरी है ।

 

 ❉   व्यर्थ संकल्प बुद्धि को कमजोर बना देते हैं जिससे निर्णय शक्ति प्रभावित होती है । व्यर्थ का खाता बढ़ने से जमा का खाता घटता जाता है । इसलिए व्यर्थ संकल्पों को समाप्त करना बहुत जरूरी है ।

 

 ❉   व्यर्थ संकल्प स्वस्थिति को कमजोर बनाते हैं  जिससे विकर्म होते हैं और आत्मा असन्तुष्टता का अनुभव करती है।इसलिए व्यर्थ संकल्पों के बहाव के फ़ोर्स को समाप्त करना चाहिए ।

 

 ❉   व्यर्थ संकल्प बुद्धि का कनेक्शन बाप से जुड़ने नही देते, योग का बल ना मिलने से आत्मा निर्बल हो जाती है और आलस्य, अल्बेलेपन के शिकार हो जाते हैं । इसलिए व्यर्थ संकल्पों के फ़ोर्स को समाप्त करना जरूरी है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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