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❍ 28 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ नॉलेजफुल बन °समस्याओं को मनोरंजन° का खेल अनुभव किया ?
‖✓‖ °संग° की बहुत बहुत संभाल की ?
‖✓‖ °बाप के मददगार° बन प्रीत बुधी बनकर रहे ?
‖✓‖ बहुत बहुत प्यार और °नम्रता से सेवा° की ?
‖✗‖ मुख से °आसुरी बोल° तो नहीं निकाले ?
‖✗‖ ऐसा कोई कर्म तो नहीं किया जो °पश्चाताप° करना पड़े ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ अपनी लवलीन स्थिति द्वारा °माया और प्रकृति को दासी° अनुभव किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अब डबल लाइट बन दिव्य बुद्धि रूपी विमान द्वारा सबसे ऊंची चोटी की स्थिति में स्थित हो विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति लाइट और माइट की शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना के सहयोग की लहर फैलाओ। इस विमान में बापदादा की रिफाइन श्रेष्ठ मत का साधन हो। उसमें जरा भी मन-मत, परमत का किचड़ा न हो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति लाइट और माइट की °शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना° के सहयोग की लहर फैलाई ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा स्नेही आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ अपनी लवलीन स्थिति द्वारा माया और प्रकृति को दासी बनाने वाली मैं सदा स्नेही आत्मा हूँ ।
❉ परमात्म स्नेह में सदा लवलीन रहने के कारण मैं हर प्रकार की मेहनत और मुश्किल से बची रहती हूँ ।
❉ प्रकृतिजीत और मायाजीत बन मै प्रकृति और माया दोनो को अपनी दासी बनाकर उन पर राज्य करती हूँ ।
❉ सदा मालिक पन की सीट पर सेट रह कर मैं अपने समय व संकल्प को माया व प्रकृति की तरफ लगा कर व्यर्थ गवाने की बजाए शुभ चिंतन में लगा कर जमा करती जाती हूँ ।
❉ अपने समय और संकल्प को बाप की याद और सेवा में लगा कर मैं सफल करती जाती हूँ ।
❉ सच्चे आत्मिक स्नेह द्वारा मैं सर्व आत्माओं को तृप्त कर रही हूँ ।
❉ मेरे आत्मिक स्नेह की अनुभूति आत्माओं को विनाशी सम्बन्धो के स्वार्थी प्रेम से उपराम बना रही है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - जैसे बाप भविष्य 21 जन्मों के लिए सुख देते है वैसे आप बच्चे भी बाप के मददगार बनो, प्रीत बुद्धि बनो, दुःख देने का कभी ख्याल भी ना आये"
❉ दुखो से भरी इस दुनिया में अगर कोई दुख से छुड़ा सकता है तो वह है परमपिता परमात्मा बाप ।
❉ परमात्मा को कहा ही जाता है दुखहर्ता सुखकर्ता । इसलिए जब मनुष्य दुखी होते है तो परमात्मा को ही पुकारते है ।
❉ उसी दुखहर्ता सुखकर्ता बाप के हम बच्चे भी मास्टर दुखहर्ता सुखकर्ता है ।
❉ इसलिए हमारा फर्ज बनता है कि जैसे बाप भविष्य 21 जन्म के लिए हमे सुख देते है । उसी तरह हम भी बाप का मददगार बन सबको सुखी होने का रास्ता बताएं ।
❉ प्रीत बुद्धि बन सबको आत्मिक स्नेह दें । किसी को दुख देने का ख्याल भी हमारे मन में ना आये ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बहुत-बहुत प्यार और नम्रता से सेवा करनी है । मीठा बनना है । मुख से आसुरी बोल नहीं निकालने हैं ।
❉ बाबा ने कोटों में कोई चुनकर अपना बनाया है व मुझ आत्मा को ईश्वरीय सम्प्रदाय का बनाया है । अपने को बहुत सौभाग्यशाली समझना है कि बाबा ने मुझे ईश्वरीय सेवा के निमित्त समझा है तो मुझे बहुत प्यार से नम्रता से सेवा करनी है ।
❉ बाबा प्यार का सागर है व हमें प्यार का सागर बना रहा है । कितना मीठा बाबा है हमारा ! कोई बच्चा चाहे कितनी गल्ती करता है तो भी बाबा हमेशा मीठे बच्चे ही कहता है तो हमें भी सबके साथ बहुत मीठा बनकर रहना है ।
❉ हमेशा सबमें विशेषता ही देखनी है व हरेक में विशेषता देखते देखते विशेष बनना है । जैसा देखते है वैसा सोचते हैं व फिर वैसा ही बोलते है । सब के प्रति शुभ भावना रखनी है ।
❉ अपकार करने वाले पर भी उपकार करना है । मुख से कभी अपशब्द नहीं निकालने है व न ही क्रोध करना है । बाप स्वयं पढ़ाकर हमें मनुष्य से देवता बना रहे हैं तो हमें दैवीगुण धारण करने है ।
❉ बाबा ने हमें ज्ञान रत्नों से भरपूर किया है व आत्मा को मीठा बनाया है तो मुख से हमेशा रत्न ही निकालने है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपनी लवलीन स्थिति द्वारा माया और प्रकृति को दासी बनाने वाले सदा स्नेही होते है... क्यों और कैसे ?
❉ एक बाप के लव में लिन रहने से आत्मा शक्तिशाली होती है, और आत्मा से शुद्ध व शक्तिशाली वाइब्रेशन प्रकृति को प्राप्त होते है और प्रकृति भी सुखदायी बनती जाती है।
❉ बाबा की याद से आत्मा में शक्ति भरती है जिससे हम आत्माये भी मास्टर सर्व शक्तिवान बनते है, अलोकिक जन्म होते है बाप की सर्व शक्तियाँ हमें वर्से के रूप में प्राप्त होती है। मास्टर सर्व शक्तिमान के सामने आने की किसी की ताकत नहीं है।
❉ जितना बाप की याद में लीन रहेंगे उतना ही आत्मा पवित्र बनती जाएगी, पवित्रता की ही सारी बलिहारी है, जब आत्मा पवित्र बनती है तो प्रकृति भी उनको नमन करती है और माया भी उनके रास्ते में नहीं आती।
❉ आत्मा जब अपने स्वमान की सीट पर सेट रहती है तो बाप की छत्रछाया उसके ऊपर सदा रहती है, सर्वशक्तिमान बाप के साथ से माया दूर से ही देख क भाग जाएगी।
❉ बाबा के स्नेह में लीन रहने से बाबा की याद में कोई मेहनत या मुश्किल अनुभव नहीं होता, जिससे स्नेह होता है उसकी याद सहज आती है, चलते फिरते, उठते बैठते खाते पिते स्नेही कभी भूलता ही नहीं है।
❉ जिनका हर समय संकल्प बाप की याद, प्यार और स्नेह में गुजरता हो, बाप की सेवा में सदा मगन हो, प्रकृति और माया भी उनकी दासी बन उनकी सेवा में हाजिर रहती है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ नॉलेजफुल बनो तो समस्यायें भी मनोरंजन का खेल अनुभव होंगी... क्यों और कैसे ?
❉ नॉलेजफुल की सीट पर सेट रहने से बुद्धि की लाइन क्लियर रहती है जिससे योग की गहन अनुभूति होती है, आत्मा हर्षित रहती है जिससे सभी समस्याएं खेल अनुभव होती हैं ।
❉ जो नॉलेजफुल बन स्वयं को ज्ञान के सिमरण में बिजी रखते हैं, वे माया के प्रभाव से मुक्त रहते है और परमात्म मौज के अनुभवी बन हर समस्या को मनोरंजन का खेल अनुभव करते हैं ।
❉ नॉलेजफुल बनना आत्मा को बल प्रदान कर उसे शक्तिशाली बनाता है जिससे आत्मा हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर, सहज ही उड़ती कला के अनुभव द्वारा हर परिस्थिति को खेल समझ आनन्द के झूले में झूलती रहती है ।
❉ जितना ज्ञान का सिमरण मन में चलता रहता है उतना ही धारणाओं में वृद्धि होती जाती है और स्थिति शक्तिशाली बनती जाती है जिसके सामने हर समस्या मनोरंजन का खेल अनुभव होती है ।
❉ नॉलेजफुल की सीट पर सदा सेट रहने की स्थिति आत्मा को परमात्म शक्तियों का अनुभव कराती है और इन प्राप्तियों की स्मृति आत्मा को परम आनन्द से भरपूर कर, हर समस्या को खेल की अनुभूति कराती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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