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❍ 09 / 08 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ "संकल्प किया और °अशरीरी° हुए" - यह अभ्यास किया ?
‖✓‖ "संकल्प किया और °विश्व कल्याणकारी° की ऊंची स्टेज पर स्थित हो गए" - यह अभ्यास किया ?
‖✓‖ सभी को °श्रेष्ठ चरित्र° द्वारा बाप दादा का चित्र दिखाया ?
‖✓‖ चारों ही सब्जेक्ट पर अटेंशन दे °चारों अलंकार° धारण किये ?
‖✓‖ "°लोकिक और अलोकिक°" - दोनों में बैलेंस रखा ?
‖✓‖ °ट्रस्टी° बन बहानेबाजी को ख़तम किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °संगठन रुपी किले को मज़बूत° बना सर्व के स्नेही, संतुष्ट आत्मा बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ पावरफुल मन की निशानी है-सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुच जाए। मन को जब उड़ना आ गया, प्रैक्टिस हो गई तो सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुंच सकता है। अभी-अभी साकार वतन में, अभी-अभी परमधाम में, सेकण्ड की रफ़्तार है-अब इसी अभ्यास को बढ़ाओ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °सेकण्ड में जहाँ चाहे° वहाँ पहुचने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सर्व की स्नेही, संतुष्ट आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ संगठन रूपी किले को मजबूत बनाने वाली मैं सर्व की स्नेही सदा संतुष्ट आत्मा हूँ ।
❉ सबको दिल का स्नेह और रिगार्ड दे, मैं सबकी स्नेही बन जाती हूँ ।
❉ संतुष्टमणि बन स्वयं संतुष्ट रह मैं सर्व को संतुष्ट रखती हूँ ।
❉ सभी को शुभ भावना और शुभ कामना का सहयोग दे मैं सबको आगे बढ़ाती जाती हूँ ।
❉ अपने शुभ और श्रेष्ठ संकल्पों तथा पॉवरफुल मनसा द्वारा मैं चढ़ती कला में रह, अन्य आत्माओं को भी चढ़ती कला का अनुभव कराती हूँ ।
❉ बाबा द्वारा मिले वरदानों को, मास्टर वरदाता बन, पूरे विश्व को दान दे, मैं असीम तृप्ति का अनुभव कर रही हूँ ।
❉ सच्चाई और स्नेह के सतयुगी संस्कार अपने अंदर भर कर मैं सर्व आत्माओं को स्नेह से भरपूर कर देती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "रूहानी सेनानियों से रूहानी कमाण्डर की मुलाक़ात"
❉ जैसे बाहुबल सेना में वैराइटी प्रकार के सैनिक होते हैं । कोई बॉर्डर पर जाने वाले, कोई युद्ध के मैदान में जाने वाले और कोई डायरेक्ट वार करने वाले होते हैं ।
❉ ऐसे ही हम भी इस विश्व - कल्याण के मैदान पर तैनात रूहानी सेनानी अर्थात सेवाधारी हैं ।
❉ हम रूहानी सेनानियों से रूहानी कमांडर मुलाक़ात कर रहें हैं और पूछ रहे हैं ।
❉ कि क्या सभी अपने श्रेष्ठ चरित्र द्वारा बाप दादा का चित्र दिखाने की शक्ति रखने वाले श्रेष्ठ शस्त्रधारी हैं ?
❉ चारों सब्जेक्ट्स के चारों ही अलंकारधारी बन जब इस विश्व कल्याण के मैदान में आएंगे तभी विश्व परिवर्तन के आधारमूर्त सेनानी बन बाप का नाम बाला कर सकेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ चारों ही सब्जेक्ट पर अटेंशन दे चारों अलंकार धारण करने हैं ।
❉ चारों ही सब्जेक्ट पर अटेंशन देने के लिए श्रीमत पर अति चलना आवश्यक है । श्रीमत पर चले बिना किसी भी सब्जेक्ट में पास नहीं हो सकते और अगर पास ही नहीं होंगे तो अंलकार भी धारण नहीं सकेंगे ।
❉ बाबा ने हमें ज्ञान देकर 63 जन्मों की अज्ञानता से बाहर निकाला है व हमें ज्ञान मिला कि 'मैं कौन हूँ ' । जब इस ज्ञान को अच्छी रीति धारण कर स्वयँ को भरपूर करेंगे तभी ज्ञान का शंख बजा पायेंगे ।
❉ ज्ञान को यथार्थ जानकर ही ज्ञान की गहराई में जाते है व जैसे जैसे गहराई में जाते है तो धारण कर पाते है व गद्दा रूपी अंलकार से विकारों पर विजय पाते हैं । तभी सामना करने की शक्ति अर्थात सहनशील बन कर्मों से बापदादा का परिचय दे सकते है ।
❉ जब हर कार्य बाबा की याद में करते हैं तो बाबा से जुड़े रहते है व बाबा का साथ का अनुभव होता है । विकारों से जीतने पर देह के सर्व सम्बंधों से परे रहते हुए हमें कमल पुष्प समान न्यारा और प्यारा रहना है । क्योंकि पवित्र बने बग़ैर बाबा सेवा भी स्वीकार नहीं करेंगे ।
❉ बाबा ने तीनों लोकों का ज्ञान दिया व मुझे स्वयं का परिचय दिया । तो स्वयं को जानते हुए, स्वयं की चेकिंग करते हुए , स्वयं में परिवर्तन करना ही स्वदर्शन चक्र फिराना है व चारों सब्जेक्ट पर अटेंशन देते हुए स्वदर्शन चक्रधारी बनना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ संगठन रूपी किले को मजबूत बनाने के लिए सर्व के स्नेही, संतुष्ट आत्मा का गुण होना आवश्यक है... क्यों और कैसे ?
❉ यह ब्राह्मण परिवार भी है तो ईश्वरिय परिवार भी है, हमें संगठन में बहुत प्यार से क्षीरखंड होकर रहना है, सबके साथ स्नेह सहयोग की भावना रख हर बात में संतुष्ट रहना चाहिए।
❉ संगठन में एक दुसरे से रिस करने की जगह रेस करना है, एक दो को शुभ भावना द्वारा आगे बढ़ाना है। दुसरो को बढ़ाना ही बढ़ना है, बड़ी दादीजी कहती थी- give respect take respect, give love take love।, निमित्त, निर्मल, निर्माण" यह बड़ी दादीजी की अनमोल शिक्षाए थी।
❉ किला तब मजबूत होगा जब सब एकमत होकर रहेंगे, आपसी प्रेम, एकरस स्थिति के लिए स्वयं भी सदेव संतुष्ट रहना है और सबको संतुष्ट करना है। आपस में लड़ना-झगड़ना, रूठना, धमचक्र मचाना बाबा कहते यह सब बचपन के नाज नखरे अब समाप्त करो दुश्मन माया सामने खड़ी है।
❉ ब्रह्मा बाबा की अन्तिन3 अनमोल शिक्षाए थी - "निराकारी, निरहंकारी, निर्विकारी"। यही हम सब बच्चो को फॉलो करते रहना है, यही हमारे किले को मजबूत बनाये रखने की नीव है।
❉ संगठन की शक्ति द्वारा हम बड़े से बड़े विघ्न को पार कर सकते है, संगठन में वो बल है जो इम्पॉसिबल को भी पॉसिबल बना सकती है, कैसी भी परिस्थिति हो परन्तु जहाँ संगठन की शक्ति है वहाँ सफलता हुई ही पड़ी है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ जब हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त हो तब कहेंगे पवित्र आत्मा... क्यों और कैसे ?
❉ जब हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त होगा तो पुराने आसुरी संस्कारों पर सहज ही विजय प्राप्त कर नए दैवी संस्कारों को धारण कर पवित्र आत्मा बन सकेंगे ।
❉ अपने यथार्थ स्वरूप में टिक कर और युक्तियुक्त हो कर किया हर कर्म बाप की याद से पावन होता जाएगा ।
❉ हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त होगा तो योग का बल जमा होता रहेगा और आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट उतरती रहेगी, जिससे आत्मा पावन बनती जायेगी ।
❉ यथार्थ और युक्तियुक्त हो कर किया हुआ हर कर्म सुकर्म बनता जायेगा और सुकर्म योग बल से आत्मा को पवित्र बनाते जायेंगे ।
❉ जब हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त होगा तो निरन्तर योगी और सहजयोगी स्थिति द्वारा आत्मा स्वत: पावन बनती जायेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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