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❍ 24 / 06 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °स्वमान° में स्थित रह अनेक प्रकार के अभिमान को समाप्त किया ?
‖✓‖ परमात्मा की महिमा और °परमात्मा के कर्तव्य° को समझने का पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ °मेन पॉवर हाउस° से कनेक्शन ठीक रहा ?
‖✓‖ °कर्मों को पवित्र° बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ अपने °संस्कार देवताई° बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✗‖ इस दुःख की दुनिया में कोई °तमन्ना° तो नहीं रखी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ यज्ञ सेवा द्वारा सर्व प्राप्तियों का प्रसाद प्राप्त कर °आलराउंडर सेवाधारी° बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ जैसे साइन्स का बल अन्धकार के ऊपर विजय प्राप्त कर रोशनी कर देता है। ऐसे योगबल सदा के लिये माया पर विजयी बनाता है। स्वयं में भी उन्हें माया हार नहीं खिला सकती। स्वप्न में भी कमजोरी नहीं आ सकती। योगबल से प्रकृति के तत्व भी परिवर्तन हो जाते हैं।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °योगबल° से माया पर विजयी बनकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आलराउंड सेवाधारी हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ यज्ञ सेवा द्वारा सर्व प्राप्तियों का प्रसाद प्राप्त करने वाली मैं आलराउंड सेवाधारी आत्मा हूँ ।
❉ मैं संतुष्टमणि बन स्वयं संतुष्ट रह सर्व आत्माओ को निष्काम सेवा द्वारा संतुष्ट करती जाती हूँ ।
❉ ज्ञान और योग के बैलेंस द्वारा मैं सहज ही सर्व प्रकार के विघ्नों को पार कर हर कार्य में सफलतामूर्त बनती जाती हूँ ।
❉ सदैव एक बाप की लगन में मगन रह मैं बाप को प्रतक्ष्य करती हूँ ।
❉ मैं आत्मा सदैव महानता और सत्यता की सीट पर बैठकर नम्रता और सत्यता की अथॉरिटी के बैलेंस से बाप का परिचय देती हूँ ।
❉ परमात्म छत्रछाया के अंदर मैं सदैव परमात्म शक्ति से भरपूर रहती हूँ ।
❉ इसी परमात्म शक्ति द्वारा मैं आलराउंड सेवा धारी आत्मा बन सर्व आत्माओं को रुहानियत की शक्ति से भरपूर कर देती हूँ ।
❉ मुझ आत्मा के बोल सदैव स्पष्ट, मधुर और स्नेह से भरपूर रहते हैं ।
❉ स्वभाव-संस्कारों में मिलनसार बन, मैं सर्व आत्माओं को परमात्म प्यार का सन्देश देती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे अब इस दुःख की दुनिया में कोई भी तमन्ना नही रखनी है, सुख की दुनिया में चलने के लिए अपने संस्कार देवताई बनाने हैं"
❉ कोई भी वस्तु जब काफी पुरानी हो जाती है तो महत्व हीन हो जाती है । क्योकि वो हमारे किसी काम की नही रहती ।
❉ ठीक यही हालत आज इस पुरानी दुनिया और इस पुराने शरीर की है ।
❉ अनेक जन्म ले विकारों में गिरते गिरते आत्मा इतनी पतित, तमोप्रधान और दुखदाई बन गई है कि रहने लायक रही ही नही ।
❉ इस पतित दुखधाम को पावन सुखधाम बनाने के लिए ही अब इस समय संगम युग पर परम पिता परमात्मा शिव बाबा आये हैं ।
❉ इसलिए अब हमे इस दुःख की दुनिया में कोई तमन्ना नही रखनी है ।
❉ हमे तो अब सुख की दुनिया में चलने के लिए अपने आसुरी संस्कारो को बदल कर दैवी संस्कार धारण करने है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ परमात्मा की महिमा और परमात्मा के कर्त्तव्य को समझना है ।
❉ परमात्मा सर्वशक्तिवान , जानीजाननहार, ज्ञान का सागर, प्यार का सागर,शांति का सागर...... हैं ।
❉ परमात्मा पतितों को पावन बनाने वाला, पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बनाने वाला, दु:खहर्ता , सुखकर्ता है।
❉ आत्मा को ज्ञान इंजेक्शन देकर निरोगी काया आधे कल्प के लिए हेल्थी व वेल्थी बनाना ।
❉ पूरे कल्प में संगमयुग में ही आकर विकारों में गिरे मनुष्य करेक्टर को श्रेष्ठ रूहानी करेक्टर बनाना
❉ परमात्मा स्वयं अवतरित होकर जो गीता ज्ञान देते हैं वही अमृत है और उसी से मनुष्य स्वर्ग में अमर पद पाता है ।
❉ परमात्मा इस समय ज्ञान रूपी नेत्र द्वारा मनुष्य को अपने असली स्वरूप की पहचान देकर व भुली हुई स्मृतियों को याद दिलाकर पवित्रता का ज्ञान सूर्य बनाना
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ आलराउंड सेवाधारी यज्ञ सेवा द्वारा सर्व प्राप्तियो का प्रसाद प्राप्त करते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा हम बच्चो को आलराउंडर बनाने आये है, हमें सेवा में हमेशा एवररेडी रहना चाहिए, जो सेवा करेगा वो मेवा खायेगा।
❉ हम आत्माओ ने सारे चक्र में आलराउंड पार्ट बजाय है तो उसके संस्कार हमें यहाँ से ही भर कर जाना होगा इस समय आलराउंड सेवाधारी बनकर हर सेवा की लिए तत्पर रहना होगा।
❉ हमें आलराउंडर बन हर सेवा क लिए तैयार रहना है,बाबा की हर सेवा में "हां जी" करना है, सदा सेवाधारी बनकर रहने से सेवा का प्रत्यक्षफल शांति, ख़ुशी, सुख, प्रेम, आनंद की अनुभूति अवश्य होती है।
❉ कोई सेवा बड़ी या छोटी तब लगती है जब हममे देह का या पद पोजीशन का अभिमान हो, यही देह अभिमान तोड़ने के लिए बाबा जो सेवा दे वो करन करावन हार बाप करवा रहा है, हुकुमी हुक्म चला रहा है इस ख़ुशी से करनी है।
❉ साकार बाबा कहते थे बच्ची "तुम्हे विश्व महारानी बनना है, और जुते सिलाई करने वाले मोची जितनी भी अक्ल नहीं" इस तरह बाबा हर प्रकार की सेवा करने का पाठ पक्का कराते थे जिससे देह अभिमान भी टूटे और हम दुसरो से कार्य तभी करवा सकेंगे जब स्वयं हमें वह आता होगा।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ स्वमान में स्थित रहो तो अनेक प्रकार के अभिमान स्वत: समाप्त हो जाएंगे... कैसे ?
❉ अभिमान की फीलिंग तब आती है जब हम देह के भान में आते हैं । स्वमान में रहने से देह का भान समाप्त हो जाएगा तो अभिमान की फीलिंग भी नही आयेगी ।
❉ स्वमान में रहने से आत्मा भाई भाई की दृष्टि पक्की होती जायेगी जिससे अभिमान की फीलिंग समाप्त होती जायेगी ।
❉ स्वमान में स्थित रहने से जो रूहानी नशा चड़ता है, वह आत्मा को मैं और मेरे पन की हदों से दूर बेहद में ले जाता है और हद की सभी बातो जैसे ईर्ष्या, द्वेष, अभिमान आदि की फीलिंग को समाप्त कर देता है ।
❉ स्वमान में रहने से बुद्धियोग देह और देह के सम्बन्धो से निकल एक बाप के साथ लगा रहेगा और बाप की याद अभिमान की फीलिंग को समाप्त कर देगी ।
❉ स्वमान में रहने से आत्मा में प्रेम, नम्रता , हर्षितमुखता, जैसे दैवी गुण स्वत: आते जाएंगे और आसुरी गुण जैसे क्रोध, अपमान, अभिमान आदि समाप्त होते जाएंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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