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    01 / 04 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपने °वाइब्रेशन की चमक° विश्व में फैलाई ?

‖✓‖ कोई भी सर्कमस्टांश में... या माया के महावीर रूप सामने आने पर भी... °धारणाओ का मजबूती से पालन° किया ?

‖✓‖ सदा अपने श्रेष्ठ स्वमान, श्रेष्ठ स्मृति और श्रेष्ठ जीवन के समर्थी स्वरुप द्वारा श्रेष्ठ पार्टधारी बन °श्रेष्ठता का खेल° किया ?

‖✓‖ मौत सामने है... इसलिए बाप की श्रीमत पर चलकर °पावन° बनने पर पूरा अटेंशन रहा ?

‖✗‖ °देह अभिमान° में आकर आवाज़ से बात तो नहीं की ?

‖✗‖ सारे दिन की दिनचर्या में कोई °पाप कर्म° तो नहीं हुआ ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

‖✓‖ सम्पूरण आहूति द्वारा °परिवर्तन समारोह का आह्वान° किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

➳ _ ➳  जैसे मोटेपन को मिटाने का साधन है खान-पान की परहेज और एक्सरसाइज । वैसे यहाँ भी बुद्धि द्वारा बार-बार अशरीरीपन की एक्सरसाइज करो और बुद्धि का भोजन संकल्प है उनकी परहेज रखो, तो मन लाइट एकरस और शक्तिशाली बन जायेगा ।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

‖✓‖ बार बार °अशरीरीपन की एक्सरसाइज° की ? °संकल्प रुपी भोजन° की परहेज रखी ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं द्रिड संकल्पधारी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   स्व स्तिथि में स्तिथ रह, सर्व प्रकार के विघ्नों पर जीत पाने वाली, मैं दृढ संकल्पधारी आत्मा हूँ ।

 ❉   दृढ़ता की पेटी बाँध, उमंग उत्साह से भरपूर हो कर मैं आत्मा निरन्तर सफलता की सीढ़िया चढ़ती जाती हूँ ।

 ❉   कोई भी सर्कमस्टांश आ जाए... माया के महावीर रूप सामने आ जाएँ ... लेकिन मैं आत्मा सदैव अपनी धारणाओ का मजबूती से पालन करती हूँ ।

 ❉   मैं आत्मा संकल्प द्वारा त्याग की हुई वस्तुएं संकल्प में भी स्वीकार नहीं करती... मुझ आत्मा के कमजोरियों के खेल सब समाप्त हो गए हैं ।

 ❉   मैं आत्मा सदा अपने श्रेष्ठ स्वमान, श्रेष्ठ स्मृति और श्रेष्ठ जीवन के समर्थी स्वरुप द्वारा श्रेष्ठ पार्टधारी बन श्रेष्ठता का खेल करती हूँ ।

 ❉   मैं आत्मा अपनी सम्पूरण आहूति के दृढ संकल्प से परिवर्तन समारोह का आह्वान कर रही हूँ ।

 ❉   मेरे संकल्पों की दृढ़ता वृति को पावरफुल बना रही है जिससे शुभ और श्रेष्ठ वायब्रेशन वायुमण्डल में फ़ैल कर पावरफुल वायुमण्डल का निर्माण कर रहें हैं ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम पुरुषोत्तम संगमयुगी ब्राह्मण अभी ईश्वर की गोद में आये हो, तुम्हे मनुष्य से देवता बनना है तो दैवी गुण भी चाहिए"

 

 ❉   सभी वर्णों में ब्राह्मण वर्ण को ऊँच माना जाता है । लौकिक में भी हर शुभ कार्य ब्राह्मणों के हाथ से सम्पन कराया जाता है ।

 ❉   वास्तव में सच्चे ब्राह्मण तो हम है, जिन्हें स्वयं परम पिता परमात्मा इस समय संगम युग पर आ कर प्रजा पिता ब्रह्मा द्वारा एडॉप्ट कर शुद्र से ब्राह्मण बनाते हैं ।

 ❉   तो सोचो कितने पदमा पदम भाग्यशाली है हम बच्चे जो पुरुषोत्तम संगम युगी ब्राह्मण बन, ईश्वरीय गोद में पल रहें हैं ।

 ❉   स्वयं भगवान आ कर हमे मनुष्य से देवता बना रहे हैं ।

 ❉   इसलिए हमे भगवान की मत पर चल अपने अंदर से आसुरी गुणों को निकाल , दैवी गुण धारण करने हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा)(Marks:-10)

 

➢➢ बाप का बनने के बाद कोई भी बुरा कर्म नहीं करना है। सज़ाओं सो बचने का पुरूषार्थ करना है।

 

 ❉   हम संगमयुगी ब्राह्मण है व शिव बाबा द्वारा पुरूषोत्तम बन रहे हैं। अगरये स्मृति सदा रहे तो कोई बुरी कर्म ही नहीं होगा व सज़ाएँ नहीं खानी पड़े।

 ❉   बाप हमें मनुष्य से देवता बनाने की इतनी ऊँची पढ़ाई पढ़ाते हैं और बाप का बनने के बाद कोईँ विकर्म करते हैं तो एक का 100 गुना पाप होता है।

 ❉  बाप की याद में रहेंगे तो श्रीमत पर चलेंगे व औरों को रास्ता बतायेंगे, रूहानी सर्विस करते रहेंगे तो श्रेष्ठ कर्म करेंगे तो सज़ाओं से बच जायेंगे।

 ❉   अपने को आत्मा न समझ देहभान में आ जाते है तो किसी न किसी को दुख देते है, विकर्म करते हैं तो फिर बाप धर्मराज बन सजायें देता है। इसलिए अपनी बहुत सम्भाल करनी है।

 ❉   लौकिक में भी लायक बच्चा कोई गल्त काम करता है तो माँ बाप उसे सज़ा देते हैं व बात नहीं करते तो हम तो भगवान के बच्चे मास्टर भगवान है कितनी ऊँची पोजिशन पर बिठाता है स्वयं हमारा बाप ! तो विकर्म करते हैं तो उसकी सजा धर्मराज बनकर देता है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

 

➢➢ सम्पूर्ण आहुति द्वारा परिवर्तन समारोह मनाने के लिए द्रढ़ संकल्पधारी होना आवश्यक है... क्यों और कैसे ???

 

 ❉   द्रढ संकल्प करने से हमारा स्वयं पर डबल अटेंशन रहेगा, कोई भी कर्म अलबेलेपन या आलस्य में आ कर नहीं करेंगे।

 ❉   द्रढ़ संकल्प सफलता की चाबी है, जब बाप पर द्रढ़ निश्चय हो तभी बाप पर स्वयं को सम्पूर्ण समर्पण कर सकते है।

 ❉   द्रढ़ संकल्प की अब हमे ईश्वरीय श्रीमत पर चलना ही है, हमें अंगद समान अचल अडोल बना देता है।

 ❉   द्रढ़ संकल्प जैसे एक प्रतिज्ञा है स्वयं से "धरत परिये पर धर्म न छोडिये", जीवन में चाहे कितनी ही परिस्थितिया आ जाये परन्तु बाप का हाथ और साथ नहीं छुटेगा।

 ❉    द्रढ़ संकल्पधारी के आगे माया टिक नहीं सकती, द्रढ़ संकल्प द्वारा माया पर विजय प्राप्त करना सहज हो जाता है, बार-बार माया जब हार खाती है तो फिर परीक्षा लेने नहीं, प्रणाम करने आती है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

 

➢➢ रीयल डायमंड बन कर अपने वायब्रेशन की चमक विश्व में फैलाओ... कैसे ?

 

 ❉   ज्ञान, योग, धारणा की साधना द्वारा जब सिद्धियां प्राप्त करेंगे तो रीयल डायमंड बन कर अपने वायब्रेशन की चमक सम्पूर्ण विश्व में फैला सकेंगें ।

 ❉   जब चिंतन को शुद्ध और श्रेष्ठ बनाएंगे तो रीयल डायमंड बन कर अपने वायब्रेशन की चमक सम्पूर्ण विश्व में फैला सकेंगें ।

 ❉   रीयल डायमंड बन कर अपने वायब्रेशन की चमक विश्व में तब फैला सकेंगें, जब हर कार्य दिव्यता और अलौकिकता से भरपूर होगा ।

 ❉   जब सब बुराइयों को निकाल फ़रिश्ते समान सूक्ष्म, शुद्ध और हल्के बनेंगे तो रीयल डायमंड बन अपने वायब्रेशन की चमक विश्व में फैला सकेंगे ।

 ❉   रीयल डायमंड बन कर अपने वायब्रेशन की चमक विश्व में तब फैला सकेंगें, जब सोच और व्यवहार में स्वच्छता और स्पष्टता की झलक दिखाई देगी ।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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