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   05 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ किसी ने दुःख देने वाली बातें की तो उसे °सुना अनसुना° किया ?

 

‖✓‖ °विचार सागर मंथन° कर ख़ुशी का पारा चड़ाये रखा ?

 

‖✓‖ सदा °रूहानी मौज° का अनुभव करते रहे ?

 

‖✓‖ "हम °स्वदर्शन चक्रधारी° हैं" - चलते फिरते यह याद रहा ?

 

‖✓‖ अच्छी तरह पड़कर अपने आप पर °आपेही कृपा° की ?

 

‖✓‖ आपस में °भाई बहन° का सच्चा प्यार रहा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ चलते फिरते °फ़रिश्ते स्वरुप° का साक्षातकार करवाया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  कर्मातीत बनने के लिए अशरीरी बनने का अभ्यास बढ़ाओ। शरीर का बंधन, कर्म का बंधन, व्यक्तियों का बंधन, वैभवों का बंधन, स्वभाव-संस्कारों का बंधन.... कोई भी बंधन अपने तरफ आकर्षित न करे। यह बंधन ही आत्मा को टाइट कर देता है। इसके लिए सदा निर्लिप्त अर्थात् न्यारे और अति प्यारे बनने का अभ्यास करो |

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ कोई भी °बंधन° अपनी तरफ आकर्षित तो नहीं कर पाया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं साक्षात्कारमूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   चलते - फिरते सबको अपने फ़रिश्ते स्वरूप का साक्षात्कार कराने वाली मैं साक्षात्कारमूर्त आत्मा हूँ

 

 ❉   मैं सेकण्ड में जब चाहे साकारी शरीर छोड़ आकारी फ़रिश्ता ड्रेस पहन और निराकार बिंदु स्वरूप में बाप से सहज मिलन मनाती हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा ज्ञान की गहराई में जा कर स्वयं को हर गुण के अनुभव रुपी रत्नों से संपन्न कर रही हूँ।

  

 ❉   अपने अनुभवीमूर्त स्वरूप में स्थित हो, मैं अपने सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को आनंद, प्रेम, सुख और शान्ति की अनुभूति करवाती हूँ ।

 

 ❉   साइलेन्स की शक्ति द्वारा सूक्ष्म वतन और तीनो लोको का अनुभव कर, औरों को कराने वाली मैं पदमा पदम सौभायशाली आत्मा हूँ ।

 

 ❉   सुनाने की बजाए मैं सर्व आत्माओं को सर्व शक्तियों, सर्व सम्बंधों का प्रत्यक्ष अनुभव करा कर उन्हें चढ़ती कला में ले जाने वाली हूँ ।

 

 ❉   रोज अमृतवेले अपने विश्ववरदानी स्वरूप से विश्वकल्याणकारी बाप के साथ कम्बाइंड रूप बन मनसा संकल्प वा वृति द्वारा शुद्ध वायब्रेशन की खुशबू पूरे विश्व में फैलाती हूँ ।

 

 ❉   अपने ज्वाला स्वरूप के साक्षात्कार द्वारा अनेक तड़फती हुई, भटकती हुई और पुकार करती हुई आत्माओं को आनन्द, शांति और शक्ति की अनुभूति कराती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - रोज विचार सागर मंथन करो तो ख़ुशी का पारा चढ़ेगा, चलते - फिरते याद रहे कि हम स्वदर्शन चक्रधारी हैं"

 

 ❉   भक्तिमार्ग में देवताओं को स्वदर्शन चक्र दिखाया है और ऐसी मान्यता है कि स्वदर्शन चक्र फिरा कर देवताओं ने असुरों का संहार किया ।

 

 ❉   किन्तु वास्तव में तो सच्चे सच्चे स्वदर्शन चक्रधारी हम ब्राह्मण बच्चे हैं ।

 

 ❉   जो स्वदर्शन चक्र फिरा कर माया दुश्मन पर विजय प्राप्त करते हैं । और भविष्य राज्य अधिकारी बन सारे विश्व पर राज्य करते हैं ।

 

 ❉   किन्तु स्व का दर्शन हम तभी कर सकेंगे जब चलते - फिरते सदा बुद्धि में रहेगा कि हम स्वदर्शन चक्रधारी हैं ।

 

 ❉   और यह स्मृति तभी रहेगी जब रोज विचार सागर मन्थन कर अपार ख़ुशी में रहेंगे ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ अपनी उन्नति के लिए पोतामेल रखना है , कोई दु:ख देने वाली बातें करता है तो सुनी-अनसुनी कर देना है ।

 

  ❉  जैसे बिजनेसमेन अपने रोज का हिसाब किताब लिखता है व चेक करता है कि कितना फायदा हुआ या घाटा तो हमें भी अपना रोज.का चार्ट लिखना है कि हम बाबा की याद में कितनी देर रहे । कुछ गल्त किया व कहां कहां घाटा हुआ तो अगले दिन के लिए सीख लेनी है कि ये गल्ती दोबारा नही करनी ।

 

  ❉   अपनी गल्ती सच सच बाबा को लिख कर देने से मन का बोझ हल्का हो जाता है व व्यर्थ के खाते से भी बच जाते हैं । बाबा भी सच्चाई व सफाई के आधार पर आधी सजा माफ कर देते हैं ।

 

  ❉  रोज का पोतामेल देने से स्व उन्नति पर अटेंशन रहता है व पता चलता है कि हमने दिन में अपने कितने खजाने सफल किए व कितने व्यर्थ गंवाए । फिर उन्हें चेक करके चेंज कर अपना पुरुषार्थ बढ़ाना है । 

 

  ❉   किसी ने कोई अपशब्द या गल्त बात कही तो उसे सुनकर उसी कान से बाहर निकाल देनी है दूसरे कान तक भी नहीं ले जानी । अगर ले गए तो वह थोडी अंदर रह ही जायेगी व दु:ख देगी । इसलिए सुनकर वहीं छोड देनी है ।

 

  ❉   बाबा रोज कहते हैं कि देखकर भी नहीं देखना , सुनकर भी नहीं सुनना । अगर किसी ने गल्त कहा व दु:ख दिया तो हमारा कोई पिछला हिसाब किताब हैं । वह आत्मा कमजोर है व उसका ड्रामा में वैसा ही पार्ट है । उस आत्मा को शुभ भावना देकर व सुख की वायब्रेशनस देकर कल्याण करना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ चलते-फिरते फ़रिश्ते स्वरुप का साक्षात्कार कराने वाले साक्षात्कारमूर्त कहलाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हमारी चलन बहुत रॉयल होनी चाहिए जो हमें देख कोई भी यह अनुभव करे की यह साधारण मनुष्य नहीं, जरुर कोई दिव्य सत्ता है इनके साथ।

 

 ❉   बाबा का साक्षात्कार हम बच्चो द्वारा ही अनेको को होना है। हमारे लिए ही गायन है "जिसकी रचना इतनी सुन्दर वो कितना सुन्दर होगा।" बाप को प्रत्यक्ष करने का मदार हम बच्चो पर ही है।

 

 ❉   चलते फिरते एक बाप की याद सदा रहे। "में आत्मा भगवान् का बच्चा हु" यह स्मृति रहने से स्थिति डबल लाइट फ़रिश्ते समान रहेगी और एसी उच्च स्थिति में जो भी कर्म करेंगे वह श्रेष्ठ होंगे।

 

 ❉   जैसे फ़रिश्ते होते है, जो सबको सुख देते है। ऐसे हमारे कार्य व्यवहार में इतनी सरलता, निर्माणता सहनशीलता, कार्य कुशलता हो की सबको हमसे फरिश्तो जैसी भासना आये।

 

 ❉   बाबा का ज्ञान सिर्फ सुनना नहीं है परन्तु प्रेक्टिकल जीवन में उसकी धारणा करना है, जितना धारणा बढती जाएँगी उतना फ़रिश्ता समान स्थिति एकरस और डबल लाइट रहेगी।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सदा रूहानी मौज का अनुभव करते रहो तो कभी भी मूँझेगे नही... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   संगम युग की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों को सदा स्मृति में रखेंगे तो आत्मा रूहानी मौज का अनुभव करते हुए हर परिस्थिति में स्वयं को निर्विघ्न अनुभव करेगी और किसी भी परिस्थिति में कभी भी मूँझेगी नही ।

 

 ❉   रूहानी मौज के अनुभव का नशा आत्मा को कर्म बंधन से मुक्त स्थिति का अनुभव करवाएगा जिससे आत्मा हर कर्म करते भी कर्म के प्रभाव से मुक्त रहेगी और किसी भी बात में मूँझेगी नही ।

 

 ❉   अधिकारीपन की सीट पर जब सदा सेट रहेंगे और अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह कर जब हर कर्म करेंगे तो सब प्रकार की कमजोरियां स्वत: समाप्त हो जाएंगी ।

 

 ❉   रूहानी मौज का अनुभव आत्मा को सिद्धि स्वरूप बना देता है और सिद्धि स्वरूप आत्मा के हर संकल्प में सफलता समाई होती है जो सब प्रकार की कमजोरियों को समाप्त कर देती है और उसे किसी भी बात में मूँझने नही देती ।

 

 ❉   उपराम वृति द्वारा साक्षी और न्यारी स्तिथि में स्तिथ रह, अतेंद्रिय सुख के झूले में जब झूलते रहेंगे  तो मन सभी बातों से निकल परमात्म मौज में सदा आनन्दित रहेगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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