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   30 / 09 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सदा °मनमनाभव° की स्थिति में स्थित रहे ?

 

‖✓‖ "हम श्रीमत पर अपनी °सतयुगी राजधानी° स्थापित कर रहे हैं" - सदा यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ सत बाप, सत टीचर और सतगुरु के साथ °सच्चे° रहे ?

 

‖✗‖ आपस में व बाप से °रूठे° तो नहीं ?

 

‖✗‖ °बाप का सामना° तो नहीं किया ?

 

‖✗‖ °पुरानी दुनिया° से , पुरानी देह से दिल तो नहीं लगाई ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ अपने फ़रिश्ते स्वरुप द्वारा आत्माओं को °वरसे का अधिकार° दिलाया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  आप क्षमा के सागर के बच्चे हो तो परवश आत्माओं को क्षमा दे दो। अपनी शुभ वृत्ति से ऐसा वायुमण्डल बनाओ जो कोई भी आपके सामने आये वह कुछ न कुछ स्नेह ले, सहयोग ले, क्षमा का अनुभव करे, हिम्मत का उमंग-उत्साह का अनुभव करे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °क्षमा के सागर के बच्च° की स्मृति में रह परवश आत्माओं को क्षमा दी ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आकर्षण - मूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   अपने फ़रिश्ते स्वरूप द्वारा सर्व आत्माओं को वर्से का अधिकार दिलाने वाली मैं आकर्षण मूर्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   फरिश्ता स्वरूप की चमकीली ड्रेस धारण कर मैं दूर - दूर की आत्माओं को अपनी तरफ आकर्षित कर रही हूँ ।

 

 ❉   विकारों में फंसी आत्माओं को भिखारीपन से छुड़ाए वर्से का अधिकारी बना रही हूँ ।

 

 ❉   ज्ञान मूर्त, याद मूर्त और सर्व दिव्य मूर्त बन, उड़ती कला के अभ्यास द्वारा सर्व आत्माओं को उड़ती कला का अनुभव करवा रही हूँ ।

 

 ❉   विधाता, वरदाता पन की सीट पर सेट हो कर मैं सर्व आत्माओं को अपने फरिश्ता सो देवता स्वरूप का साक्षात्कार करवा रही हूँ ।

 

 ❉   साइलेन्स के बल से मैं साइंस पर भी विजय प्राप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   सभी बोझ बाप को दे कर, फरिश्ता स्वरूप् में स्थित हो मैं हल्केपन की अनुभूति में सदा उड़ती रहती हूँ ।

 

 ❉   सभी बातों में इजी रह, मैं देह अभिमान की टाइटनेस को समाप्त कर, सदा उपराम स्थिति में स्थित रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - सदा यही स्मृति रहे कि हम श्रीमत पर अपनी सतयुगी राजधानी स्थापन कर रहें हैं, तो अपार ख़ुशी रहेगी"

 

 ❉   आज सारी दुनिया में सिवाए दुःख,अशांति के और कुछ भी दिखाई नही देता ।

 

 ❉   एक भी मनुष्य ऐसा नही जो सम्पूर्ण रूप से सुखी हो, क्योकि है ही दुःख धाम रावण का राज्य, जहां सभी एक दो को दुःख ही देते रहते हैं ।

 

 ❉   सम्पूर्ण सुखो से भरपूर दुनिया तो राम राज्य में ही हो सकती है जिसे स्वयं राम अर्थात परम पिता परमात्मा बाप स्थापन करते हैं ।

 

 ❉   अब उसी राम राज्य अर्थात सतयुगी दुनिया की स्थापना करने के लिए ही अभी संगम युग पर परम पिता परमात्मा बाप आये हैं ।

 

 ❉   इसलिए इस बात को स्मृति में रख सदा इसी ख़ुशी में रहो कि परम पिता परमात्मा बाप की श्रीमत पर चल हम सतयुगी राजधानी स्थापन कर रहें हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सत बाप, सत टीचर और सतगुरू के साथ सच्चा रहना है ।

 

 ❉   अज्ञान के घोर अंधेरे से निकाल सत बाप ने हमें ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर हमें अपने असली स्वरूप की पहचान दी । अब हमें सत का संग मिला है व बाप की श्रीमत पर चल बाप के साथ सच्चा रहना है ।

 

 ❉   बाप की पहलीँ श्रीमत यही है कि अपने को आत्मा समझो व बाप के याद करो तो अब दुनियावी बातों को छोड़ बस एक बाप को ही याद करना है ।

 

 ❉   लौकिक में जैसे बाप के साथ सच्चा सच्चा रहते हैं तो वह खुश होत् हैं व सब कुछँ खुशी ख़ुशी अपने बच्चों को सब देते हैं तो अब हमें तो बेहद का बाप मिला है हमें बेहद के बाप के साथ सच्चा सच्चा होकर रहना हैं व कोईँ गल्ती होने पर सब बताना है बताने से बाप हमारी आधी गल्ती माफ़ कर देते हैं । बेहद के बाप से हमें बेहद की ख़ुशी मिलती है ।

 

 ❉   शिव बाबा हमारे सत बाप होकर पालना करते है व सत टीचर भी है जो हमारे लिए इस पतित दुनिया में आकर हमें पढाकर अनमोल रत्नों से हमारी झोलियाँ भरते हैं व ये हमारी 21 जन्मों के लिए अविनाशी कमाई है । तो ऐसे सुप्रीम टीचर के साथ हमें सच्चा होकर रहना है ।

 

 ❉   लौकिक में कभी कोईँ बाप टीचर व सतगुरू तीनों पार्ट एक साथ निभा सकता है  नहीं । बाबा हमारे सत बाप, सत टीचर व सतगुरू तीनों सम्बंध निभाते हैं । अपने बच्चों को सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देकर मुक्ति जीवन मुक्ति का रास्ता बताते हैं । सर्व का सदगति दाता है । सत बाप सत टीचर सतगुरू के साथ सदा सच्चा रहना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने फ़रिश्ते स्वरुप द्वारा सर्व को वर्से का अधिकार दिलाने वाले आकर्षण-मूर्त होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हमें दैवी गुण धारण करने है जिससे हम ब्राह्मणों को देख सभी को फ़रिश्ते स्वरुप का अनुभव हो। हमारे से उन्हें शुद्ध वाइब्रेशन दूर दूर तक आत्माओ को फील हो।

 

 ❉   हमें देख कर ही सबको यह संकल्प आये की हमें भी इनके जैसा बनना है, अपना जीवन सफल करना है।आत्मा ज्ञान, गुण, शक्तियों को जितना धारण करेंगी उतनी उसकी चमक बढती जाएगी।

 

 ❉   अंतिम समय में हम आत्माये निमित्त बनेंगी अनेक आत्माओ को सुख शांति की अनुभूति करवाने के और उन्हें मुक्ति जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाने की।

 

 ❉   जैसे ब्रह्मा बाबा के साकार होते भी सबको उनसे फ़रिश्ते समान अनुभूति होती थी, उनके पवित्र औरे में बहुत आकर्षण होता था जो कोई भी खीचा चला जाता था। ऐसे ही ब्रह्मा बाप समान हमें भी बनना है।

 

 ❉   सदेव लाइट माइट हाउस बनकर रहना है। हमारी रौशनी आत्माओ को रास्ता दिखाने का कार्य करे।सभी आत्माये अपने सत्य पिता को पाकर सच्चे वर्से के अधिकारी बन जाये।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ औरों के मन के भावों को जानने के लिए सदा मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जितना मनमनाभव की स्थिति में रहेंगे रियलाइजेशन पॉवर बढ़ती जायेगी जिससे स्वयं को रियलाइज करने के साथ साथ औरों के मन के भावों को जानना भी सरल हो जायेगा ।

 

 ❉   मनमनाभव की स्थिति समर्थी स्वरूप बना देगी जिससे आत्मा औरों के मन के भावो को जानने में भी समर्थ हो जायेगी ।

 

 ❉   मन ही मन बुद्धि का योग जब बाप के साथ लगा रहेगा तो बुद्धि दिव्य और विशाल होती जायेगी और विशाल बुद्धि वाला औरों के मन के भावों को सहज ही जान जायेगा ।

 

 ❉   जितना मनमनाभव रहेंगे, उतना व्यर्थ से मुक्त रहेगे और समर्थ तथा शुद्ध चिंतन द्वारा औरो के मन के भावों को सहजता से जान जाएंगे ।

 

 ❉   मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहेंगे तो साधना द्वारा ज्ञान, योग और धारणा को अपना कर सिद्धि स्वरूप बनते जायेंगे और अपनी सिद्धि से औरों के मन के भाव आसानी से जान जाएंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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