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❍ 05 / 07 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ तीन स्मृतियों ( °स्वयं, बाप और ड्रामा° ) का तिलक लगाये रखा ?
‖✓‖ काम विकार को °शुभ कामना° में परिवर्तित किया ?
‖✓‖ क्रोध विकार को °रूहानी जोश° में परिवर्तित किया ?
‖✓‖ लोभ विकार को °इच्छा मात्रम अविध्या° में परिवर्तित किया ?
‖✓‖ मोह विकार को °स्नेह° के स्वरुप में परिवर्तित किया ?
‖✓‖ अहंकार विकार (देह अभिमान) को °स्व अभिमान° में परिवर्तित किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °मनन शक्ति° द्वारा बुधी को शक्तिशाली बनाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ तपस्वी की तपस्या सिर्फ बैठने के समय नहीं, तपस्या अर्थात् लगन, चलते-फिरते भोजन करते भी लगन लगी रहे। एक की याद में, एक के साथ में भोजन स्वीकार करना-यह भी तपस्या हुई।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ चलते-फिरते भोजन करते भी °लगन° लगी रही ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मननशक्ति द्वारा बुद्धि को शक्तिशाली बनाने वाली मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ ।
❉ रोज अमृतवेले अपने एक एक टाइटल को स्मृति में ला कर मैं स्मृति स्वरूप बनती जाती हूँ ।
❉ अपने शक्ति स्वरुप में स्थित हो कर मैं आत्मा निर्बल आत्माओं में बल भरती जाती हूँ ।
❉ अपने विश्ववरदानी स्वरूप से विश्वकल्याणकारी बाप के साथ कम्बाइंड रूप बन मैं मनसा संकल्प वा वृति द्वारा शुद्ध वायब्रेशन की खुशबू पूरे विश्व में फैलाती हूँ ।
❉ मनन शक्ति द्वारा अपनी बुद्धि को दिव्य बना कर मैं माया को दूर से ही पहचान कर माया से अपना बचाव कर लेती हूँ ।
❉ अपनी दिव्य बुद्धि द्वारा मैं व्यर्थ संकल्पों रूपी बाणों को कमजोर बना कर उन पर जीत प्राप्त करती हूँ ।
❉ शुद्ध संकल्पों की शक्ति मुझे माया के तूफानों में भी डबल लाइट स्थिति द्वारा सहज ही मेहनत मुक्त, जीवन मुक्त स्तिथि का अनुभव कराती है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "राजयोगी अर्थात त्रिस्मृति स्वरूप"
❉ त्रिस्मृति स्वरूप अर्थात सदैव तीन स्मृतियों के तिलक की स्मृति में रहना ।
❉ नॉलेजफुल बाप द्वारा हर ब्राह्मण बच्चे को तीन स्मृतियों का तीन बिंदियों के रूप में तिलक मिला हुआ है ।
❉ यह तीन स्मृतियाँ है - 1) स्वयं की स्मृति 2) बाप की स्मृति 3) ड्रामा की स्मृति ।
❉ इन तीन स्मृतियों की तीन बिंदियों में ही सारे ज्ञान का विस्तार समाया हुआ है ।
❉ जो ब्राह्मण बच्चे सदा इस त्रिस्मृति स्वरूप में रहते हैं अर्थात तीन स्मृतियों का तिलक सदा अपने मस्तक पर लगाये रखते हैं वही भविष्य तिलकधारी बनते हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ माया के पाँच रूपों को पाँच दासियों के रूप में परिवर्तित करना है ।
❉ तीनों स्मृतियों का-स्वयं की स्मृति , बाप की स्मृति , ड्रामा के नालेज की स्मृति का तीन बिंदी के रूप में तिलक लगाओ ।
❉ नालेज के वृक्ष की ये तीन स्मृतियों को करने वाले स्मृति भव: के वरदानी बन जाते है । जिसके आधार पर मायाजीत जगजीत बन जाते हैं व जिसके चलते माया के पाँच रूप दासी स्वरूप बन जाते हैं ।
❉ माया अविनाशी को विनाशी बना न लें इसके लिए राजयोगी को निरंतर अविनाशी तिलकधारी बनना है, रोज़ अमृतवेले इस त्रि-स्मृति के तिलक को चेक करते रहो तो माया उसे हटाने की हिम्मत नहीं कर सकती ।
❉ अविनाशी तिलकधारी होने से काम रूप में वार करने वाला कामना रूप में विश्व सेवाधारी रूप बन जायेगा ।
क्रोध विकार रूहानी जोश व रूहानी ख़ुमारी के रूप में परिवर्तित हो जायेगा ।
❉ अविनाशी तिलकधारी व तीनों स्मृतियों से पाँचों विकारों को परिवर्तन शक्ति को यूज करने से सहयोगी स्वरूप बन जायेंगे व सदा दासी बन सलाम करते रहेंगे ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ मास्टर सर्वशक्तिमान बनने के लिए मनन शक्ति द्वारा बुद्धि को शक्तिशाली बनाना है... क्यों और कैसे ?
❉ मन और बुद्धि आत्मा की सूक्ष्म शक्तिया है, जब हम मनन करते है तो हमारे मन को शुद्ध भोजन मिलता है और हमारी बुद्धि रिफाइन होती जाती है, ज्ञान हमारी बुद्धि में बेठता जाता है।
❉ सुबह सुबह उठते ही हम हमारे मन बुद्धि को जो संकल्प दे देते है वह सारा दिन उसी के चिंतन में व्यस्त हो जाती है और बाप के सत्य ज्ञान द्वारा शक्ति भरती जाती है।
❉ जितना जितना हमारी बुद्धि ज्ञान का मनन करती है उतना ही मन बाप की याद में मग्न रहता है और बाप की याद से हम शक्तिशाली बनते जाते है।
❉ "शेरनी का दूध सोने के बर्तन में ही ठहर सकता है", अर्थात बाप का जो ज्ञान है उसे बुद्धि में रखने के लिए हमें हमारी बुद्धि को बाप की याद से शुद्ध करना होगा।
❉ जैसे स्थूल भोजन कर के उसको पचाने से शरीर को शक्ति मिलती है वैसे ही ज्ञान सुन बुद्धि द्वारा उसको मनन करने से आत्मा को शक्ति प्राप्त होती है।
❉ मनन करने से हमारा बाप से कनेक्शन क्लियर होता जाता है, निश्चय पक्का होता जाता है, मन बुद्धि को शुद्ध संकल्प मिलते है, व्यर्थ से बची रहती है इसलिए सारा दिन ज्ञान मंथन चलता ही रहे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ आज्ञाकारी बच्चे ही दुआयों के पात्र हैं, दुआयों का प्रभाव दिल को सदा संतुष्ट रखता है... कैसे ?
❉ दुआये लिफ्ट का काम करती है और पुरुषार्थ की गति को तीव्र कर देती हैं ।
❉ दुआये मन बुद्धि को शांत बना कर एकाग्रता की शक्ति को बढ़ा देती हैं ।
❉ दुआये जमा का खाता बढ़ाती हैं और मन को हर्षित कर देती है ।
❉ दुआये आत्मा को हल्का रखती हैं और उसे सहज ही उड़ती कला में ले जाती हैं ।
❉ दुआये कर्म भोग को चुक्तू करने में मदद करती हैं और भोग की वेदना को हल्का कर देती हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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