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    03 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ कीड़ो पर °ज्ञान की भू-भू° कर आप समान बनाने की सेवा की ?

 

‖✓‖ "आत्मा कैसे °चक्र में भिन्न भिन्न वर्णों° में आती है" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ °याद से साथ° का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ सर्व को आत्मिक प्यार की अनुभूति कराते हुए °न्यारे और प्यारे° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ जीते जी °देह अभिमान से गलने° का अभ्यास किया ?

 

‖✗‖ पुरानी जुत्ती में ज़रा भी °ममत्व° तो नहीं रखा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ परिस्थितियों को °गुड लक° समझ अपने निश्चय के फाउंडेशन को मजबूत किया ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  अभ्यास की प्रयोगशाला में बैठ, योग का प्रयोग करो तो एक बाप का सहारा और माया के अनेक प्रकार के विघ्नों का किनारा अनुभव करेंगे। अभी ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, शक्तियों के सागर में ऊपर-ऊपर की लहरों में लहराते हो इसलिए अल्पकाल की रिफ्रेशमेंट अनुभव करते हो। लेकिन अब सागर के तले में जाओ तो अनेक प्रकार के विचित्र अनुभव कर रत्न प्राप्त करेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ अभ्यास की °प्रयोगशाल° में बैठ, योग का प्रयोग किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं अचल अडोल आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   जीवन में आने वाली किसी भी परिस्थिति में कभी भी विचलित ना होने वाली मैं अचल अडोल आत्मा हूँ ।

 

 ❉   हर परिस्थिति को गुडलक समझ, अपने निश्चय के फाउंडेशन की मजबूती द्वारा मैं सेकण्ड में हाई जम्प दे उस परिस्थिति को पार कर लेती हूँ ।

 

 ❉   मैं अंगद समान मजबूत बन हर पेपर को सहजता से पास करती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं महावीर आत्मा बन, जीवन की सभी चुनौतियों को स्वीकार कर, अपनी शक्ति से उन्हें हरा कर अपनी दासी बना लेती हूँ ।

 

 ❉   जैसे पानी के ऊपर लकीर कभी ठहर नही सकती, ऐसे ही मुझ मास्टर सागर के ऊपर कोई परिस्थिति कभी भी वार नही कर सकती ।

 

 ❉   स्वस्थिति में स्थित रह हर परिस्थिति को अपने वश में कर मैं सभी बातो से उपराम होती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - याद में रहो तो दूर होते हुए भी साथ में हो, याद से साथ का भी अनुभव होता है और विकर्म भी विनाश होते हैं"

 

 ❉   लौकिक में भी जिन्हें हम दिल से याद करते हैं वो हमेशा हमे अपने अपने साथ महसूस होते हैं ।

 

 ❉   ठीक इसी प्रकार यदि हम परम पिता परमात्मा बाप की याद में रहें तो दूर होते हुए भी वो हमेशा हमे अपने साथ अनुभव होंगे ।

 

 ❉   आत्मा पर जो 63 जन्मों के विकारों की कट चड़ी हुई है , वह परम पिता परमात्मा बाप की याद से ही उतर सकती है ।

 

 ❉   इसलिए परमात्मा बाप की याद में रहने से एक तो वह सर्व सम्बन्धो से हमे हमेशा अपने साथ दिखाई देंगे ।

 

 ❉   दूसरा उनकी याद में रहने से विकर्म विनाश होंगे और आत्मा पावन बनती जायेगी ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा - ज्ञान मंथन(Marks:-10)

 

➢➢ सच्चा ब्राह्मण बन कीड़ों पर ज्ञान की भूं-भूं कर उन्हें आप समान ब्राह्मण बनाना है।

 

 ❉   जिस प्रकार भ्रमरी किसी भी कीड़े को अपने घर में लाकर भूं-भूं करके आप समान बना देती है उसी प्रकार तुम ब्राह्मण बच्चे को भी अपने ज्ञान की भूं-भूं कर उन्हें आप समान बनाना है।

 

 ❉   अपनी चलन राॅयल रखनी है। देवता बनने के लिए सच्चा ब्राह्मण बनना आवश्यक है क्योंकि हमारी चलन देख दूसरे भी वैसा करेंगे।

 

 ❉   जैसे बाप ज्ञान का सागर है व अपने बच्चों को रोज़ ज्ञान रत्नों से सजाकर ज्ञान ज्ञान स्वरूप बनाते है , आप समान बनाते हैं तो हमें भी सच्चा ब्राह्मण बन कर अच्छी रीति पढ़ाई करके ज्ञान को धारण कर दूसरों को आप समान बनाना है।

 

 ❉   ज्ञान के सागर परमपिता ने हमें सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देकर दूरांदेशी व त्रिकालदर्शी बना दिया है व हम बच्चे ही जानते है कि आत्मा कैसे सारे चक्र में भिन्न-भिन्न वर्णों में आईँ है ?

 

 ❉   जितना अपने ऊंच ते ऊंच बाप की याद में रहते हैं उतना ख़ुशी का पारा चढ़ा रहता है। जितना याद का जौहर होता है तो ज्ञान का तीर सुनने वाले को झट से लगता है व बाबा की टचिंग होती है व बाबा का खिचांव अनुभव होता है।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ परिस्थितियों को गुडलक समझ अपने निश्चय के फाउंडेशन को मजबूत बनाने वाले अचल अडोल बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   परिस्थितिया उन्ही के पास आती है जो कुछ पढाई किया हो और अब नेक्स्ट क्लास में जाने वाला हो।

 

 ❉   माया महावीर के साथ महावीर बनकर लडती है, जितनी बड़ी परिस्थिति आये समझना चाहिए हम उतने ही महावीर है।

 

 ❉   जब हम परमात्मा के साथ द्वारा परिस्थिति पर विजय प्राप्त करते है तब हम अनुभवी आत्मा बनते जाते है जो हम कभी नहीं भूल सकते।

 

 ❉   परिस्थितिया हमारे लिए गुड लक है क्युकी इनके आने पर हम परमात्मा को डबल याद करते है, यदि दुःख न हो तो सुख का भी आभास न हो।

 

 ❉   परिस्थितिया तो अंतिम समय तक आनी ही है, हिम्मत कर इनको पार करते जाने से एक दिन अपनी मंजिल पर पहुच जायेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सर्व को आत्मिक प्यार की अनुभूति कराते हुए सदा न्यारे और प्यारे बनो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   आत्मिक स्मृति में रह, सबको आत्मिक प्यार की अनुभूति कराने वाले सहज ही परमात्म प्यार के अनुभवी बन सर्व से न्यारे और बाप के प्यारे बन जाते हैं ।

 

 ❉   सबको आत्मिक प्यार की अनुभूति कराने वाले सदैव गुणग्राही बन सदा न्यारे और प्यारे रहते है ।

 

 ❉   आत्म अभिमानी बन सबके प्रति आत्मिक दृष्टि और आत्मिक प्यार रखने वाले सहज ही नष्टोमोहा बन जाते है ।

 

 ❉   सर्व के प्रति आत्मिक प्यार की अनुभूति देह और देह की दुनिया से उपराम कर सर्व से न्यारा और बाप का प्यारा बना देती है ।

 

 ❉   आत्मिक प्यार आत्मा को हद से दूर बेहद में ले जाता है और बेहद की दृष्टि, वृति से आत्मा न्यारी और प्यारी बन जाती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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