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❍ 16 / 10 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अगर किसी ने °पवित्र° बनने में विघन डाला तो उसकी परवाह तो नहीं की ?
‖✓‖ ब्रह्मचर्य, योग तथा °दिव्य गुणों की धारणा° पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ अपने को चेक किया की क्या मुझे °बेहद का वैराग्य° रहता है ?
‖✓‖ बाप जो °श्रेष्ठ कर्म° सिखला रहे हैं, वही कर्म किये ?
‖✓‖ पहले स्वयं °निर्विकारी° बनने पर अटेंशन दे... फिर दूसरो को कहा ?
‖✓‖ "हम 21 जन्म के लिए °बेहद बाबा के वारिस° बने हुए हैं" - सदा इसी नशे व ख़ुशी में रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ रूहानियत के प्रभाव द्वारा °फ़रिश्तेपन का मेक अप° कर सर्व के स्नेही बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ डबल लाइट अर्थात् आत्मिक स्वरुप में स्थित होने से हल्कापन स्वत: हो जाता है। ऐसे डबल लाइट को ही फरिश्ता कहा जाता है। डबल लाइट अर्थात् सदा उड़ती कला का अनुभव करने वाले।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °आत्मिक स्वरुप° में स्थित रह हल्केपन का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सर्व की स्नेही आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ रूहानियत के प्रभाव द्वारा फ़रिश्ते पन का मेकप करने वाली मैं सर्व की स्नेही आत्मा हूँ ।
❉ बापदादा के संग का रंग मेरे चेहरे पर रूहानियत और नयनो में दिव्यता की झलक स्पष्ट दिखा रहा है ।
❉ रूहानियत का यह श्रृंगार मुझे फ़रिश्ते पन का अनुभव कराता है ।
❉ फ़रिश्ते पन के मेकप से सजी मैं दिव्य मूर्ति बन सबकी मनोकामनाओं को पूर्ण कर रही हूँ ।
❉ रूहानी मेकप से सजा मेरा यह रूप सबको आकर्षित कर रहा है जिससे मैं आकर्षणमूर्त और सर्व की स्नेही आत्मा बनती जा रही हूँ ।
❉ सर्व आत्माओं को सच्चा स्नेह और सहयोग देने वाली मैं सर्व की सहयोगी आत्मा हूँ ।
❉ परमात्म स्नेह की छत्र छाया में अतिन्द्रिय सुख द्वारा मैं अपने जीवन को आनन्दित करती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - श्रीमत पर भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करनी है, पहले स्वयं निर्विकारी बनना है फिर दूसरों को कहना है"
❉ भारत जो स्वर्ग था, जहां देवी - देवता निवास करते थे । सुख, शन्ति, सम्पन्नता भरपूर थी ।
❉ आज वही भारत विकारों में गिरने के कारण नर्क बन गया है, जहां सिवाए दुःख और अशांति के और कुछ नही रहा ।
❉ इसी भारत को फिर से स्वर्ग बनाने के लिए अभी संगम युग पर परम पिता परमात्मा शिव बाबा आये हैं और हमे श्रेष्ठाचारी बनने की श्रेष्ठ मत दे रहें हैं ।
❉ तो हमारा फर्ज बनता है कि हम भी परम पिता परमात्मा बाप के मददगार बने, उनकी श्रीमत पर चल भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करें ।
❉ और इसके लिए जरूरी है पहले स्वयं निर्विकारी बनें फिर दूसरों को कहें । क्योकि जब तक खुद निर्विकारी नही बनेगे कोई को दृढ़ता के साथ कह नही सकेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सदा इसी नशे वा ख़ुशी में रहना है कि हम 21 जन्मों के लिए बेहद बाबा के वारिस बने हैं, जिनके वारिस बने हैं उनको याद भी करना है और पवित्र भी ज़रूर बनना है ।
❉ कभी सपने मेंँ भी नहीं सोचा था किँ घर बैठे स्वयं भगवान मुझे अपना बना लेंगे व जब भगवान के बच्चे बन गए व वो मुझ आत्मा के परमपिता परमात्मा हैं । जो बाप का वही बच्चे का हो ही गया व हम बाबा के वारिस बन गए ।
❉ कलयुगी दुनिया की हालत ऐसी है कि बिल्कुल ग़रीब । एक दूसरे से हर चीज़ छीनने को तैयार हैं व रौरव नर्क है ये कलयुगी दुनिया । इस रौरव नर्क से निकाल बाबा अपने ब्राह्मण बच्चों को स्वर्ग का मालिक बनाते हैं जहाँ सोने के महल होंगे व महलों में हीरे जवाहरात होंगे तो ये नशा व खुशी चेहरे व चलन में झलकनी चाहिए ।
❉ बेहद बाप से बेहद का वर्सा मिलता है व स्वयं बाप टीचर बनकर हमें पढ़ाते हैं व 21 जन्मों के लिए राजाई पद देते हैं तो कितनी खुशी व नशा होना चाहिए !
❉ राजा का बेटा होता है तो उसे नशा होता है हद की राजाई के वारिस का फिर हमें तो बेहद का बाप 21 जन्मों का वारिस बनाते है कितनी खुशी होनी चाहिए !
❉ जिस बेहद के बाप के वारिस बने है तो उसको याद भी करना है । याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे व पवित्र बनेंगे । पतित पावन बाप ने अपनी गोद में बिठाया तो पावन गोद में बैठ हमेशा पावन बनकर रहना है व डबल सिरताजधारी बनना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ रूहानियत के प्रभाव द्वारा फरिश्ते पन का मेकप करने वाले सर्व के स्नेही होते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा हम आत्माओ को ज्ञान, गुण, शक्तियों के रोज़ श्रृंगार करते है। यही है आत्मा का सच्चा श्रृंगार जो सरे कल्प में एक ही बार बाप अभी संगमयुग पर कर रहे है।
❉ बाप इस एक जन्म में ही आत्माओ का इतना सुन्दर श्रृंगार करते जो 21 जन्मो के लिए वह कभी बदसूरत नहीं बनती, साथ ही शरीर भी इतना खुबसूरत मिलता है जो कभी आर्टिफीसियल मेकअप की जरुरत ही नहीं पड़ती।
❉ जितना आत्मा अभिमानी स्थिति में स्थित रहेंगे, जितना एक बाप की याद से विकार्मो को विनाश करेंगे, जितना ज्ञान योग का बल जमा किया होगा उतनी रूहानियत चेहरे व चलन में आती जाएगी।
❉ रूहानियत जितनी होगी उतनी ही आत्मा लाइट माइट होगी और आत्माओ को हमारे द्वारा फरिश्तो जैसा अनुभव होगा और आत्माये स्वतः ही हमारी और आकर्षित होंगी, एक रूहानी आकर्षण होगा।
❉ जिस आत्मा ने जितना याद द्वारा प्यूरिटी जमा की होगी उतना ही उसका रूहानी श्रृंगार सदा कायम रहेगा, उतनी ही उसकी प्यूरिटी की पर्सनालिटी होगी जिसका प्रभाव सब पर पड़ेगा और वह न्यारी और सबकी प्यारी स्नेही होगी।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ ब्रह्मचर्य, योग तथा दिव्यगुणो की धारणा ही वास्तविक पुरुषार्थ है... कैसे ?
❉ ब्रह्मचर्य, योग तथा दिव्य गुणों की धारणा होगी तो ही आत्मा में योग का बल जमा होगा और ज्ञान तलवार में जौहर आएगा ।
❉ स्वयं उड़ती कला में रह, औरों को उड़ती कला का अनुभव तभी करवा सकेंगे जब ब्रह्मचर्य, योग और दिव्य गुणों की धारणा होगी ।
❉ पवित्रता और योग का बल तथा दिव्य गुणों की धारणा ही आत्मा को लाइट और माइट बनाएगी जिससे लाइट हॉउस बन सबके जीवन से अज्ञान अंधकार को दूर कर सकेंगे ।
❉ सबके प्रति शुभभावना, शुभकामना रखते हुए प्रेम गंगा बन सबको प्रेम की शीतलता से शीतल करने वाले सच्चे तपस्वी तभी बन पायेगे जब आत्मा पावन, योगयुक्त और दैवी गुणों से भरपूर होगी ।
❉ ब्रह्मचर्य, योग तथा दिव्य गुणों की धारणा से जब आत्मा पर चड़ी विकारों की खाद को निकाल रीयल डायमंड बनेंगे तभी अपने वायब्रेशन की चमक विश्व में फैला सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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