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   26 / 06 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अनतर्मुखी बन °अपने आप से बातें° की ?

 

‖✓‖ "°एक बल, एक भरोसा°" - इस पाठ को पक्का किया ?

 

‖✓‖ सुदामा मिसल जो कुछ है... °भोलेनाथ बाप के हवाले° किया ?

 

‖✓‖ पवित्र के हाथ का °शुद्ध भोजन° खाया ?

 

‖✓‖ °देवताओं जैसी चलन° रही ?

 

‖✗‖ पढाई के लिए कोई °बहाना° तो नहीं दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ मनुष्य आत्माओं को तीनो कालो का दर्शन करा °दिव्य दर्पण° बनकर रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  संगमयुग की विशेष शक्ति साइलेन्स की शक्ति है। संगमयुगी आत्माओं का लक्ष्य भी है कि अब स्वीट साइलेन्स होम में जाना है। शान्त स्वरूप रहना और सर्व को शान्ति देना-यही संगमयुगी आत्माओं का मुख्य लक्षण है। वर्तमान समय विश्व में इसी शक्ति की आवश्यकता है, इसको ही योगबल कहा जाता है।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °शान्त स्वरूप° रहे और सर्व को शान्ति की अनुभूति कराई ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं दिव्य दर्पण हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   हर मनुष्य आत्मा को उसके तीनो कालों का दर्शन कराने वाला मैं दिव्य दर्पण हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा विश्व की सर्व आत्माओं को तीनो कालों का अनुभव करवाकर उनके अनेक जन्मों की प्यास बुझाती जाती हूँ ।

 

 ❉   सारे विश्व की आत्माओ को बाप दादा से मिले सर्व खजानो और सर्व शक्तियों का दान करने वाली मैं महादानी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   सर्व आत्माओं की मुक्ति, जीवनमुक्ति में जाने की आस को मैं पूर्ण करने वाली हूँ ।

 

 ❉   मैं सर्व आत्माओं को बाप का बच्चा बना कर उन्हें भी बाप से वर्सा पाने का अधिकारी बनाने वाली हूँ ।

 

 ❉   साइलेन्स की शक्ति द्वारा सूक्ष्म वतन और तीनो लोको का अनुभव कर, औरों को कराने वाली मैं पदमा पदम सौभायशाली आत्मा हूँ ।

 

 ❉   सुनाने की बजाए मैं सर्व आत्माओं को सर्व शक्तियों, सर्व सम्बंधों का प्रत्यक्ष अनुभव करा कर उन्हें चढ़ती कला में ले जाने वाली हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - अपना कल्याण करना है तो हर प्रकार की परहेज करो, फूल बनने के लिए पवित्र के हाथ का शुद्ध भोजन खाओ"

 

 ❉   शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जो भोजन हम ग्रहण करते हैं वह हमारे मन पर बहुत प्रभाव डालता है । इसलिए कहा जाता है " जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन"।

 

 ❉   तामसिक और अशुद्ध भोजन जहां विकारों को उत्तपन्न कर, हमारे चिंतन को दूषित करता हैं ।

 

 ❉   वही सात्विक, शुद्ध और बाबा की याद में बना हुआ भोजन हमे विकारों से दूर रखता है और हमारे चिंतन को भी श्रेष्ठ बनाता है ।

 

 ❉   इसलिये बाबा कहते कि अपना कल्याण करना है तो हर प्रकार की परहेज करो ।

 

 ❉   क्योकि अभी हम फूल अर्थात मनुष्य से देवता बनने का पुरुषार्थ कर रहे हैं इसलिए हमे अपनी बहुत संभाल करनी है ।

 

 ❉   किसी पतित के हाथ से बना हुआ अशुद्ध भोजन हमे नही खाना है । हमे तो पवित्र हाथो से बाबा की याद में बना हुआ शुद्ध सात्विक भोजन ही खाना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ अपना भविष्य 21 जन्मों के लिए ऊँचा बनाना है तो सुदामे मिसल जो कुछ है भेलानाथ बाप के हवाले कर दो ।

 

 ❉   बाप हमें बेहद के ख़ज़ाने देते हैं व वर्से का अधिकारी बनाते हैं । जो कुछ अभी हमारे पास है वो सब विनाशी है फिर उसे बाप को देने में कंजूसी क्यूँ करते हैं ?

 

 ❉   बाप हमें पढ़ाकर 21 जन्मों कि लिए विश्व का मालिक बनाते हैं । हम अपने पुराने स्वभाव संस्कारों के पकड़ कर रखते हैं व बुद्धि की लाइन क््लीयर न होने के कारण बाप को भूल जाते हैं तो हमें सब भूल कर एक बाप की याद में रहना है ।

 

 ❉   जो कुछ भी है एक बाप को अर्पण कर दो । जैसे सुदामा के पास अंत में एक ही चावल था ते उसने उसमें से आधा अपने सखा के लिए निकाला व श्री कृष्ण ने अपने राज्य का आधा भाग 21 जन्मों के लिए सुदामा के दे दिया ।

 

 ❉   अपना सबकुछ भोलेनाथ बाप को अर्पित कर हल्के रहते संगमयुग में उच्च भाग्य बनाने के समय अपना सुबकुछ ट्रान्सफर कर भविष्य की रजाई के लिए जमा करना है।

 

 ❉   केवल ट्रस्टी बन अपना तन मन धन सब परमात्मा को  अर्पण करते भविष्य के लिए हेल्थी और वेल्थी बनना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ हर मनुष्य आत्मा को अपने तीनो कालो का दर्शन कराने वाले दिव्य दर्पण बनना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हम बाप की चुनी हुए महान आत्माये है, बापदादा ने हम बच्चो को निमित्त बनाया है सभी मनुष्य आत्माओ का कल्याण करने के लिए।

 

 ❉   जितना जितना बुद्धि को सदेव स्वच्छ अर्थात एक की याद में बुद्धि को अर्पण रखेंगे तो आप चैतन्य दर्पण बन जायेंगे।जो भी सामने आएंगे वह अपना साक्षात्कार व अपने स्वरुप को सहज अनुभव करते जायेंगे।

 

 ❉   हमारे मस्तक पर तीनो रेखाए (विजय की, बिंदी, बाप के साथ कनेक्शन क्लियर) क्लियर दिखाई दे, तब ही साक्षात्कारमूर्त बन सकते है व अपने कर्तव्य को सफल कर सकते है।

 

 ❉   हमारे चेहरे, नैन व हमारे समीप आने से कोई भी आत्मा को इतने पावरफुल वाइब्रेशन मिले की वह अपने अंतर मन को जान सके, वह अपने आदि मध्य अंत को पहचान सके।

 

 ❉   हम लोग नॉलेज व याद की सर्चलाइट है अर्थात मार्ग दिखाने वाले है। हमें हमारे मन दर्पण को इतना साफ़ स्वच्छ रखना है जो हम दिव्य दर्पण बन जाये।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ एक बल एक भरोसा - इस पाठ को सदा पक्का रखो तो बीच भँवर से निकल जायेंगे... कैसे ?

 

 ❉   जहां एक बल एक भरोसा होता है वहां परमात्म मदद का अनुभव स्वत: होता है और परमात्मा मदद हमे हर परिस्थिति के भँवर से सहज ही निकाल लेती है ।

 

 ❉   एक बाप पर सम्पूर्ण निश्चय आत्मा में परमात्मा शक्तियां भर कर आत्मा को शक्तिशाली बना देता है जिससे आत्मा निर्विघ्न बन हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर लेती है ।

 

 ❉   एक बल एक भरोसा - यह पाठ हमे परिस्थितियों के भँवर से निकाल, सर्व प्रकार की चिंताओं से मुक्त कर बेफिक्र बादशाह बना देता है ।

 

 ❉   बाबा पर सम्पूर्ण निश्चय कर उनकी याद में उठाया गया हर कदम उमंग और उत्साह से भरपूर होता है, जो मेहनत से मुक्त कर कार्य को सहज कर देता है ।

 

 ❉   जहां एक बल एक भरोसा हैं, वहां दृढ निश्चय होने के कारण मुश्किल से मुश्किल बात भी सरल हो जाती है और परिस्थितियो के भँवर से निकलना सहज हो जाता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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