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   17 / 10 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °योग रुपी कवच° पहन माया रुपी दुश्मन के वार से बचे रहे ?

 

‖✓‖ भिन्न-भिन्न युक्तियाँ सामने रख °याद की यात्रा° पर रहे ?

 

‖✓‖ "हम इस °वेशायालय को शिवालय° बनाएं" - दिल में बस यही चाहना रही ?

 

‖✓‖ "यह दुःख की °पुरानी दुनिया ख़तम° हुई की हुई" - यह बुधी में रहा ?

 

‖✓‖ °अनादी अविनाशी ड्रामा° के वंडरफुल राज़ को समझने का अभ्यास किया ?

 

‖✓‖ बाबा से अपना सब कुछ °एक्सचेंज° किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ सदा °ख़ुशी व मौज की स्थिति° में रह कंबाइंड स्वरुप के अनुभवी रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  डबल जिम्मेवारी होते भी डबल लाइट रहो। डबल लाइट रहने से लौकिक जिम्मेवारी कभी थकायेगी नहीं क्योंकि ट्रस्टी हो। ट्रस्टी को क्या थकावट। अपनी गृहस्थी, अपनी प्रवृत्ति समझेंगे तो बोझ है। अपना है ही नहीं तो बोझ किस बात का। बिल्कुल न्यारे और प्यारे, बालक सो मालिक।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °ट्रस्टी भाव° से डबल जिम्मेवारी होते भी डबल लाइट रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं अनुभवी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   सदा ख़ुशी व मौज में रहने वाली मैं कम्बाइंड स्वरूप की अनुभवी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   बाप के हाथ में अपना हाथ दे, सब कुछ बाप को सौंप मैं स्वयं को हर प्रकार से सुरक्षित अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   कम्बाइंड स्वरूप की स्मृति मुझे माया के हर वार से बचा कर रखती है ।

 

 ❉   बाप के साथ के अनुभव से ख़ुशी में चलते, मौज मनाते मैं उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो उड़ती रहती हूँ ।

 

 ❉   सर्व गुणों के अनुभव द्वारा मैं सदा आनन्द के सागर में लहराती रहती हूँ ।

 

 ❉   अपने अनुभवीमूर्त स्वरूप में स्थित हो, मैं अपने सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को आनंद, प्रेम, सुख और शान्ति की अनुभूति करवाती हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा सदा बाप से सर्व संबंधो की अनुभूति व प्राप्ति में मगन रह, पुरानी दुनिया के वातावरण से सहज ही उपराम रहती हूँ ।

 

 ❉   बाप के साथ के सर्व सम्बन्धो की अनुभूति मुझे विनाशी दुनिया के दुःख व धोखा देने वाले सभी सम्बन्धो से बचा कर रखती है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - भिन्न - भिन्न युक्तियां सामने रख याद की यात्रा पर रहो, इस पुरानी दुनिया को भूल अपने स्वीट होम और नई दुनिया को याद करो"

 

 ❉   आत्मा जो कि विकारों में गिरने से पतित बन गई है, उसे पावन बनाने का एक ही उपाय है और वह उपाय है परम पिता परमात्मा बाप की याद ।

 

 ❉   परमपिता परमात्मा बाप की याद से ही आत्मा पर चड़ी 63 जन्मों के विकारो की कट उतरेगी और आत्मा सम्पूर्ण पावन बन वापिस अपने घर जा सकेगी ।

 

 ❉   क्योंकि आत्मा जब इस सृष्टि रंगमंच पर पार्ट बजाने के लिए आती है तो सम्पूर्ण पावन अवस्था में आती है और वापिस भी आत्मा को सम्पूर्ण पावन बन कर ही जाना है ।

 

 ❉   इसलिए पतित पावन परम पिता परमात्मा बाप समझाते हैं कि भिन्न - भिन्न युक्तियां सामने रख याद की

 यात्रा पर रहो ।

 

 ❉   यह दुनिया अब विनाश होनी है इसलिए बुद्धि से अब इस पुरानी दुनिया को भूल अपने असली घर परमधाम और नई दुनिया को याद करो ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बुद्धि में रहे अब हमारे लिए नईस्थापना हो रही है , यह दु:ख की पुरानी दुनिया खत्म हुई कि हुई ।

 

 ❉   जैसे कोई पुराना मकान होता है और नया बनाते हैं तो यही लगा रहता है कि अभी नये मकान में जायेंगे तो ऐसे ही पुरानी दु:ख की दुनिया कब्रदाखिल होनी ही है तो बुद्धि में नयी की ही याद रहे ।

 

 ❉   यह पुरानी दु:ख की दुनिया दु:खधाम को भूल नयी दुनिया सुखधाम को व अपने स्वीट होम में ही जाना है ये स्मृति में रखना है ।

 

 ❉   बाबा कहते हैं बच्चों आपको नयी दुनिया की स्थापना करनी है सतयुग लाना है तो पहले यह समझ ले कि यह आज्ञा किसकी है । शिवबाबा हमारे परमपिता ,परम शिक्षक , परम सतगुरू कह रहे हैं । ईश्वरीय कार्य होना ही है व हुआ ही पड़ा है ।

 

 ❉   इस संगमयुग पर जब सुख की सागर बाप हमारा हो गया तो हम बच्चों के लिए तो ये दु:ख की पुरानी दुनिया खत्म हुई के हुई । पुरानी का विनाश होगा व पुरानी चीज़ छोड़ेंगे तो नयी के मालिक बनेंगे । बाप हमें पतित से पावन बनाकर नयी की स्थापना का कार्य करवा कहे हैं ।

 

 ❉   जैसे लौकिक में पुराने सामान को एक तरफ़ करके छोड़ते जाते हैं व नये को सम्भाल कर रखते हैं उसी प्रकार पुराने संस्कार छोड़कर नये संस्कार दैवीय गुण भरते जाना है तभी तो देवी देवता बन नयी की स्थापना करेंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सदा ख़ुशी व मौज की स्थिति में रहने वाले कम्बाइंड स्वरुप के अनुभवी बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बाबा प्रेम का सागर, आनंद से सागर, सुख का सागर है। उनके साथ कंबाइंड स्वरुप में रहने से आत्मा स्वयं को भरपूर अनुभव करती है, अतीन्द्रिय सुख की प्राप्ति होती है।

 

 ❉   एक बाप जिसने बाप के साथ का अनुभव कर लिया वो उस अनुभव को जीवन भर नहीं भूल सकता, उसको वह सुख शांति जीवन में पहले कभी कही नहीं मिली होगी।

 

 ❉   संगमयुग है ही रूहानी मौजो का युग, बाप के संग बच्चो की बेफिक्र रहते है , स्वयं को सेफ समझते है, बाप की छत्र छाया है ही सेफ्टी का साधन जिसके अन्दर कोई वार नहीं कर सकता।

 

 ❉   कोई भी कर्म करते दिल से बाप को साथ रखो, सम्बन्ध से बाप के साथ का अनुभव करो की वह मेरे साथ ही है। तुमसे बेठु, तुमसे खेलु, तुमसे खाऊ, तुम संग चलु, हर कर्म करते बाप के साथ का अनुभव करो तो बहुत ख़ुशी होगी और मौज में रहेंगे कभी थकान का अनुभव नहीं होगा।

 

 ❉   एक बाप का संग ही सदा ख़ुशी देने वाला है, बाबा के हाथो में अपना हाथ देकर चलने से सदा उमंग उत्साह के पंख लगाये उड़ते रहेंगे।सारे कल्प में सिर्फ यह संगम का ही समय है जब जितना चाहो बाप के साथ कंबाइंड स्वरुप का अनुभव कर सकते है, इस समय का पूरा फायदा उठा लो।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ योग रूपी कवच पहनकर रखो तो माया रूपी दुश्मन का वार नही होगा... क्यों और कैसे ?

 

 ❉  योग रूपी कवच आत्मा में बल भर कर आत्मा को शक्तिशाली बना देता हैं जिसके सामने माया शक्तिहीन हो जाती है और आत्मा माया रूपी दुश्मन के वार से बच जाती है ।

 

 ❉  योग रूपी कवच धारण करने से आत्मा उपराम अवस्था को प्राप्त कर अचल और अडोल स्थिति के अनुभव द्वारा सहज ही माया रूपी दुश्मन के वार से बच जाती है ।

 

 ❉  योग का बल वृति और वायुमण्डल को पॉवरफुल बना देते हैं जिसके आगे माया का फ़ोर्स स्वत: ही समाप्त हो जाता है ।

और माया रूपी दुश्मन डर कर भाग जाता है ।

 

 ❉   योग का कवच आत्मा को गुणों और शक्तियों का अनुभवी बना देता है जिससे सर्व शक्तियां समय प्रमाण हाजिर हो कर माया रूपी दुश्मन को हरा देती हैं ।

 

 ❉  योग के बल से आत्मा सिद्धि स्वरूप बन जाती है और सिद्धि स्वरूप आत्मा माया रूपी दुश्मन के आने से पहले ही उसे पहचान कर उसके वार से स्वयं को बचा लेती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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