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    02 / 02 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं अधिकारी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ हर कंडीशन में सेफ रहना

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ सतगुरु

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)   

‖✓‖ "भारत अब फिर से °स्वर्ग बन रहा है°" - आत्माओं को यह खुशखबरी सुनायी ?

‖✓‖ "हम तो °बहुत बड़े आदमी° हैं.. हमें बेहद का बाप लक्ष्मी नारायण बनाते हैं" - यह नशा रहा ?

‖✓‖ °लायक° बन सर्विस का सबूत दिया ?

‖✓‖ दुखदायी स्वभाव को छोड़ °सुखदायी° बनकर रहे ?

‖✓‖ ज्ञान की पराकाष्ठा से °बंधनमुक्त° बनकर रहे ?

‖✓‖ हर °समस्या को सेकंड में पार° करने का सर्टिफिकेट लिया ?

‖✗‖ कैसी भी परिस्थिति में °ख़ुशी तो नहीं गयी° ?

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अव्यक्त बापदादा (18/01/2015) :-

➳ _ ➳  यह आवाज कलकत्ता से चारों ओर फैला है कि कुछ हो रहा है लेकिन सोच रहे हैं, अन्दर-अन्दर समझ रहे हैं कुछ परिवर्तन दिखाई तो देता है लेकिन अभी जोर से धूम मचाके बोले परिवर्तन करने वाले हमारे साथी अब अपना कर्तव्य कर रहे हैं और आगे चलके यही कर्तव्य स्पष्ट हो जायेगा । लेकिन समझते हैं कुछ परिवर्तन हो रहा है । अभी पहले जैसे वह नहीं है कि होना मुश्किल है, कैसे होगा,क्या होगा, यह क्वेश्चन नहीं है । अभी समझते हैं हो रहा है लेकिन कहाँ कैसे कभी-कभी समझ में भी आता है लेकिन अभी स्पष्ट बुद्धि में यह नहीं आया है कि यहाँ आबू तरफ इशारा करें, आबू में यह कार्य हो रहा है ।

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ “आबू में परिवर्तन का कार्य हो रहा है”- आज यह सन्देश आत्माओं को सुनाया ? आत्माओं को आबू की महिमा सुनायी ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

➢➢ मीठे बच्चे - सबको यह खुशखबरी सुनाओ कि भारत अब फिर से स्वर्ग बन रहा है,हेवनली गॉड फादर आये हुए हैं

शिवभगवानुवाच:-

 ❉   मीठे बच्चे मैं इस धरा पर तुम  बच्चों को सभी दुखो से छुड़ाने के लिए आ गया हूँ।

 ❉   तुम्हे तो ख़ुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए के जिसे ढूंढने के लिए तुमने कितने धक्के खाये,उसने तुम्हे ढूंढ कर सभी धक्को से छुड़ा लिया।

 ❉   स्वर्ग स्थापन करने वाला तुम्हारा पिता अब  तुम्हारे लिए हथेली पर बहिश्त(स्वर्ग) ले कर आया है।

 ❉   तुम सबको यह खुश खबरी सुनाओ कि भारत अब फिर से स्वर्ग बनेगा।

 ❉   आओ तुम भी आ कर हेवनली गॉड फादर से स्वर्ग की बादशाही लो।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

➢➢ ज्ञान की पराकाष्ठा से बंधनमुक्त बनना है

 ❉   जैसे ही सबसे पहला ज्ञान मिला कि मैं कौन व मेरा कौन तो समझ आता है कि इतना समय इस दुनियावी बंधनों में गवाँ दिया

 ❉   ज्ञान की पराकाष्ठा से मन का भटकाव दूर हो जाता है व मेरापन खत्म हो जाता है ।

 ❉   जैसे जैसे ज्ञान की गहराई में जाते है तो समझ आता है कि सब आत्माओं का पिता एक ही है सदा शिव अर्थात सदा कल्याणकारी ।

 ❉   आत्मा-आत्मा भाई भाई का ज्ञान मिलने से सबके प्रति आत्मिक दृष्टि रहती है न देहभान खत्म हो जाता है ।

 ❉   ज्ञान की पराकाष्ठा से हर परिस्थिति को पुराने जन्म का हिसाब किताब समझ चुकतू करते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

➢➢ हर कंडीशन में सेफ रहने वाले ही एयर कंडीशन की टिकट के अधिकारी हैं ... क्यों और कैसे ?

 ❉   हर हर कंडीशन में सेफ रहने के लिए निरंतर स्वयं को बाप की छत्रछाया के नीचे अनुभव करें ।

 ❉   सदा इसी स्वमान में स्थित रहे :- "मैं विघ्न विनाशक आत्मा हूँ ।"

 ❉   हर परिस्थिति को पास विद ऑनर करने का सर्टिफिकेट ही हमें एयर कंडीशन को टिकट का अधिकारी बनाता है ।

 ❉   जो इस रूहानी नशे में रहते है कि -" मेरा तो एक शिव बाबा दूसरा न कोई " व बाबा पर अटल निश्चय होता है तो वही हर परिस्थिति में सेफ़ रह एयर कंडीशन की टिकट का अधिकारी है ।

 ❉   एयर कंडीशन की टिकट के अधिकारी वही हो सकता है जो सिर्फ़ यही एक संकल्प रखे कि अनादि आदि रीयल रूप पवित्र आत्मा हूँ ।

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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

➢➢ कैसी भी परिस्थिति हो .. परिस्थिति चाहे चली जाए लेकिन ख़ुशी नहीं जाए  ... क्यों और कैसे ?

 ❉   ख़ुशी तो ब्राह्मण जीवन का खजाना है ।

 ❉   भगवान् को पा लेने के बाद भी हम बच्चे अगर खुश नहीं रहेंगे तो आखिर कब रहेंगे ।

 ❉   स्वस्थिति यदि श्रेष्ठ है तो परिस्थितियाँ कुछ भी नहीं और स्वमान ही श्रेष्ठ स्थिति का आधार है ।

 ❉   इच्छा मात्रम अविद्या बनना ही खुशी के खजाने की चाबी है।  

 ❉   अपने दिल को विशाल बना लो तो ख़ुशी आपके कदम चूमेगी।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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