❍ 11 / 01 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विशेष पार्टधारी आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ श्रेष्ठता के आधार पर समीपता
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ साजन
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ सदा आत्मा और परमात्मा के °कंबाइंड रूप° का अनुभव किया ?
‖✓‖ °एक बल एक भरोसे° पर अचल और अटल रहे ?
‖✓‖ बाबा के साथ °अमर सम्बन्ध° का अनुभव किया ?
‖✓‖ संगमयुग के °अलोकिक जीवन की विशेषताओं° का अनुभव किया ?
‖✓‖ संगम युग की श्रेष्ठ प्राप्ति °अतीन्द्रिय सुख° में झूलते रहे ?
‖✓‖ "°अप्राप्त नहीं कोई वस्तु° इस ब्राह्मण जीवन में" - यह अनुभव किया ?
‖✓‖ °बेहद के वैरागी° बनकर रहे ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (25/12/2014) :-
➳ _ ➳ किसी भी प्रकार का, चाहे किसी भी सबजेक्ट में अटेन्शन पूरा हो । ऐसे नहीं सोचे यह तो थोडा बहुत चल जायेगा, कभी एक नम्बर की कमी से भी बहुत नुकसान हो जाता है इसलिए बापदादा एक बच्चे को भी साधारण पुरुषार्थ में भी देखना नहीं चाहते हैं । यह संगठन तो बीच-बीच में होता हैं यह अच्छा है, संगठन को देख के बापदादा से मिलने से उमंग में आ जाते हैं लेकिन यह उमंग आगे भी चलता रहे, उसमें थोडी छोटी- मोटी बाते पुरुषार्थ खत्म नहीं करती, थोड़ा सा ढीला करती हैं । तो बापदादा खुश होते हैं कि फिर भी बीच में कोई न कोई प्रोग्राम ज्यादा से ज्यादा मिलने का रखते हैं, सम्मुख मिलने से उमंग और उत्साह बढता है, यह तो बापदादा भी देख रहे हैं ।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ छोटी मोटी बातों ने पुरुषार्थ को ढीला या ख़तम तो नहीं किया ? पुरुषार्थ में उमंग उत्साह रहा ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)
➢➢ श्रेष्ठता के आधार पर समीपता द्वारा कल्प की श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने वाले बच्चो की क्या निशानिया होती है ?
❉ ऐसे बच्चों की आदि से अंत तक पवित्रता कभी खंडित नहीं होती ।
❉ हमेशा दातापन की सीट पर सेट रहते हैं ।
❉ निस्वार्थ और निष्काम भावना से यज्ञ में अथक होकर सहयोग देते हैं ।
❉ हर श्रीमत का अंगद समान पालन करते है।
❉ बापदादा के दिल तक्थनशीन होंगे,हर बात में हा जी का पाठ पक्का बजायेंगे।
❉ निश्चय बुद्धि बन,एक बल एक भरोसा के आधार से आगे बढ़ते रहेंगे।
❉ बाप समान बनने का लक्ष्य होगा और उसी प्रमाण लक्षण प्रत्यक्ष दिखाई देंगे।
❉ जो यहाँ बाप से सर्व संबंधो का अनुभव करते है,वही सारे कल्प किसी न किसी सम्बन्ध से साथ रहेंगे।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)
➢➢ संकल्प व्यर्थ है तो दूसरे सब खज़ाने भी व्यर्थ ही जाते है। क्यों और कैसे ?
❉ संगम पर ख़ुशी का खज़ाना जो मिलता है व्यर्थ संकल्पों से उदासी आ जाने से व्यर्थ हो जाता है।
❉ ब्राह्मणों को बापदादा द्वारा मिले हुए वरदानों का खज़ाना व्यर्थ संकल्पों के कारन समय प्रमाण यूज़ न होने कारण व्यर्थ हो जाता है।
❉ शान्ति का खज़ाना जिससे सर्व समर्थ बनते है व्यर्थ संकल्पों से व्यर्थ हो जाता है क्योंकि मन में सदा हलचल रहती है।
❉ व्यर्थ संकल्पों से मन की पवित्रता ख़त्म हो जाती है और दुआयों के ख़ज़ाने व्यर्थ हो जाते है।
❉ व्यर्थ संकल्पों से ज्ञान मनन खत्म हो जाता है जिससे अनमोल रत्नों का खज़ाना व्यर्थ हो जाता है जो बापदादा रोज मुरली के रूप में देते है।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔