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   07 / 12 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ "जब बाप आयेंगे तो हम °वारी जायेंगे°" - अपना यह वायदा स्मृति में रहा ?

 

‖✓‖ ऐसे °सपूत° बनकर रहे जो बाबा अप के गीत गाये ?

 

‖✓‖ सिर्फ °एक बाप की श्रीमत° पर चले ?

 

‖✓‖ °दैवी गुण° धारण करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °खान पान चलन° सब रॉयल रखी ?

 

‖✓‖ एक-दो को याद तो नहीं किया ? पर एक दो को °रीगार्ड° जरूर दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °परमात्म याद की गोद° में समाये रहे ?

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आज की अव्यक्त पालना :-

 

➳ _ ➳  बहुतकाल अचल-अडोल, निर्विघ्न, निर्बन्धन, निर्विकल्प, निर-विकर्म अर्थात् निराकारी निर्विकारी और निरहंकारी-स्थिति में रहो तब कर्मातीत बन सकेंगे।

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °निराकारी निर्विकारी और निरहंकार° स्थिति में स्थित रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   परमात्म याद की गोद में समाने वाली मैं संगमयुगी श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ ।

 

 ❉   भाग्यविधाता परमपिता परमात्मा बाप की श्रेष्ठ मत पर चल कर मैं अपना श्रेष्ठ भाग्य बना रही हूँ ।

 

 ❉   परम पिता परमात्मा बाप के लव में लवलीन हो कर मैं अतीन्द्रिय सुख के झूले में सदा झूलती रहती हूँ ।

 

 ❉   कभी ख़ुशी, कभी आनन्द, कभी ज्ञान, कभी शान्ति और कभी परमात्म गोदी के झूले में झूलते हुए मैं असीम आनन्द की प्राप्ति में मगन रहती हूँ ।

 

 ❉   परमात्म गोद में समा कर सेकेण्ड में मैं अनेक जन्मों के दुःख - दर्द भूल जाती हूँ ।

 

 ❉   करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में निश्चय बुद्धि बन विजय का तिलक लगाये मैं निरन्तर सफलतामूर्त बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   स्वयं भगवान मेरा मददगार है । उसकी हजार भुजाएं के नीचे मैं स्वयं को सुरक्षित अनुभव कर आगे बढ़ती जाती हूँ ।

 

 ❉   वाइसलेस की शक्ति द्वारा सूक्ष्म वतन और तीनो लोको का अनुभव करने वाली मैं पदमा पदम सौभायशाली आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारा वायदा है कि जब आप आयेंगे तो हम वारी जायेंगे, अब बाप आये हैं - तुम्हे वायदा याद दिलाने"

 

 ❉   जिस परम पिता परमात्मा बाप को पाने के लिए हम जन्म - जन्मांतर पूजा - पाठ, भक्ति करते आये ।

 

 ❉   तीर्थ स्थानों पर जा कर माथे झुकाये और जिसकी एक झलक पाने के लिए दर - दर की ठोकरें खाते आये ।

 

 ❉   हम सभी आत्माओं के वही परम पिता परमात्मा बाप हमारी पुकार सुन कर अभी संगम युग पर आये हैं ।

 

 ❉   और आ कर हमे हमारा वायदा याद दिला रहे हैं जो भक्ति मार्ग में हमने किया था ।

 

 ❉   कि जब आप आयेंगे तो हम आप पर वारी जायेंगे । केवल आपको ही अपना बनाएंगे और आपके ही बनेंगे ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ एक-दो को याद नहीं करना है, लेकिन रिगार्ड जरुर देना है । पावन बनने का पुरुषार्थ करना और कराना है ।

 

  ❉   बाप कहते हैं कि एक दो को याद नही व् अपने देह को भी नही बस एक बाप को ही याद करना है लेकिन रिगार्ड तो सब को देना है ।

 

  ❉   बाप खुद कहते हैं कि पूरे कल्प में बस संगमयुग पर ही आते हैं और बच्चों को सच्चा सच्चा ज्ञान देते हैं कि अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो इस याद से ही विकर्म विनाश होंगे व पावन बनेंगे ।

 

  ❉   संगमयुग पर बाप स्वयं टीचर बन हमें सच्ची सत्यनारायण की कथा सुनाकर पावन बनाते हैं तो हमें भी बाप का परिचय देकर व सच्चा ज्ञान सुनाकर सबका कल्याण करना है ।

 

  ❉   जितना बाबा की याद मे रहेगे उतनी विकारों की जंक उतरती जायेगी व दैवीगुणों की धारणा होती जायेगी । इसलिए बाप की यथार्थ याद में रहकर पावन बनने का पुरूषार्थ करना है।

 

  ❉   इस पुरानी दुनिया में रहते देह के सर्व सम्बंध निभाते हुए सिर्फ व सिर्फ एक बाप की ही याद आए तो बुद्धि की लाइन क्लीयर होती जायेगी व पावन बनते जायेंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ परमात्म याद की गोद में समाने वाले संगमयुगी श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो आत्माये सदा बाप की याद और साथ रहती है वह विश्व की सबसे पद्मा पदम भाग्यशाली आत्मा है, क्युकी वह सदा जैसे बाप की गोद में ही पलती है।

 

 ❉   पुरुषोत्तम संगमयुग सबसे श्रेष्ठ युग है जब स्वयं परमात्मा हम बच्चो को अडॉप्ट करते है, बाप, टीचर, सतगुरु बन हमें उच्च बनाते है।

 

 ❉   परमात्मा की याद में आत्मा अतीन्द्रिय सुख, शान्ति, आनंद की अनुभूति करती है जो सारे कल्प में फिर कभी नहीं कर सकते।

 

 ❉   इस समय गुप्त रूप में आये परमात्मा को पहचानना और उनका बच्चा बनना यही सबसे बड़ा भाग्य है, जिसे दुनिया ढूंड रही है उसने हमें बनाया यह है पद्मापदम भाग्यशाली आत्माओ की निशानी।

 

 ❉   सारी दुनिया में जिस समय अज्ञान अंधकार की नींद में सोयी हुई है उस समय हम बच्चे परमात्मा की गोद में पल रहे है, यह संगम सबसे श्रेष्ठ डायमंड ऐजेड युग है जब स्वयं परमात्मा धरा पर आते है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ऐसा सपूत बनो जो बाबा आपके गीत गाये और आप बाबा के गीत गाओ... कैसे ?

 

 ❉  " एक बाप दूसरा ना कोई " ऐसी निरन्तर एक रस स्तिथि में रहने की अनुभूति ऐसा सपूत बना देगी जो आप बाबा के और बाबा आपके गीत गायेगा ।

 

 ❉   जब ट्रस्टी बन सब कुछ बाप पर कुर्बान कर देंगे तो दिलाराम बाप के दिल रूपी तख़्त पर  ऐसे विराजमान रहेंगे कि बाप सदा आपके गीत गाते रहेंगे ।

 

 ❉   बाप के हर कार्य में सहयोगी और समय पर बाप के मददगार बनने वाले ही बाप के प्रति अपने प्यार का सच्चा सबूत देते हैं और ऐसे बच्चों के ही गीत भगवान स्वयं गाते हैं ।

 

 ❉   जो अपना हर संकल्प, समय, श्वांस और सम्पति ईश्वरीय कार्य अर्थ सफल करते हैं और सेवा में सदा जी हाजिर कर अपने प्यार को साबित करते हैं वे बाप के और बाप उनके गाते हैं ।

 

 ❉   मान, शान की इच्छा से मुक्त और अभिमान से रहित हो कर जो निस्वार्थ भाव से सर्व के शुभ चिंतक बनते हैं ऐसे बच्चों पर बाप बलिहार जाते हैं और उनके भाग्य का स्वयं गुणगान करते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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