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❍ 22 / 11 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ संगठन में मनसा संकल्पों द्वारा शान्त स्वरुप की स्टेज द्वारा °शांति की किरणें° चारों और फैलाई ?
‖✓‖ °लाइट हाउस° की स्थिति में स्थित रहे ?
‖✓‖ सदा अपने आप को °बाप की छत्रछाया° के नीचे समझा ?
‖✓‖ "°बाबा हमारे लिए आया है°" - अपने इसी भाग्य का सिमरण कर सदा हर्षित रहे ?
‖✓‖ °स्वदर्शन चक्रधारी° बनकर रहे ?
‖✓‖ °साक्षिपन° की सीट पर सेट रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °सहनशक्ति° द्वारा अविनाशी और मधुर फल प्राप्त किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अन्त समय में प्रकृति के पांचों ही तत्व अच्छी तरह से हिलाने की कोशिश करेंगे, परन्तु विदेही अवस्था की अभ्यासी आत्मा बिल्कुल ऐसा अचल-अडोल पास विद आनर होगी जो सब बातें पास हो जायेंगी लेकिन वह ब्रह्मा बाप के समान पास विद आनर का सबूत देगी।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °विदेही अवस्था° के अभ्यासी से सब बातों में पास हुए ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सर्व की स्नेही आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सहनशक्ति द्वारा अविनाशी और मधुर फल प्राप्त करने वाली मैं सर्व की स्नेही आत्मा हूँ ।
❉ अपनी सहनशक्ति द्वारा मैं विरोधी आत्मा के दिल को भी सहज ही जीत लेती हूँ ।
❉ मैंने सहन किया, दूसरा भी कुछ करे, इस भावना को अपने दिल से निकाल मैं स्व - परिवर्तन पर बल देती हूँ ।
❉ रहम दिल बन सर्व के प्रति रहम की भावना रखते हुए, मैं सर्व की कमजोरियों को स्वयं में समा लेती हूँ ।
❉ सर्व आत्माओं को सच्चा स्नेह और सहयोग देने वाली मैं सर्व की सहयोगी आत्मा हूँ ।
❉ परमात्म स्नेह की छत्र छाया में अतिन्द्रिय सुख द्वारा मैं अपने जीवन को अविनाशी आनन्द से भरपूर करती जाती हूँ ।
❉ अपने अनुभवीमूर्त स्वरूप में स्थित हो, मैं अपने सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को आनंद, प्रेम, सुख और शान्ति की अनुभूति करवाती हूँ ।
❉ अपने शुभ और श्रेष्ठ संकल्पों तथा पॉवरफुल मनसा द्वारा मैं चढ़ती कला में रह, अन्य आत्माओं को भी चढ़ती कला का अनुभव कराती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "शान्ति स्वरूप के चुम्बक बन चारों और शांति की किरणे फैलाओ"
❉ वर्तमान समय विश्व की मैजारिटी आत्माओं को सबसे ज्यादा आवश्यकता है - सच्ची शान्ति की ।
❉ क्योकि दिनों - दिन अशांति के अनेक कारण बढ़ते जा रहें हैं । और सभी आत्मायें सच्ची शान्ति की तलाश में भटक रही हैं ।
❉ अगर हमारी स्थिति पावरफुल नही होगी तो वायुमण्डल में फैले अशांति के वायब्रेशन्स हमारी स्थिति को प्रभावित करेंगे । फलस्वरूप तनाव का अनुभव बढ़ेगा ।
❉ इसलिए बाप का फरमान है कि वर्तमान समय प्रमाण अपने " मास्टर शान्ति के सागर" स्वरूप को इमर्ज कर मनसा संकल्पों द्वारा चारों और शान्ति की किरणे फैलाओ ।
❉ ऐसा पॉवरफुल स्वरूप बनाओ जो अशांत आत्मायें अनुभव करें कि आप थोड़ी सी आत्मायें ही उन्हें शान्ति का दान देने वाले मास्टर शांति के सागर हो ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ संगठन की शक्ति के आधार पर भिन्न भिन्न प्रकार के विघ्न सहज ही समाप्त हो जाते है ।
❉ हम सर्व शक्तिवान बाप के बच्चे हैं बाबा हमें स्नेह और सहयोग से आगे बढाते है जहाँ स्नेह और सहयोग होता है वहाँ शक्ति होती है शक्ति स्वरूप के पास माया या विघ्न आ नही सकतेऔर बाबा के तख्तनशीन बच्चे बने रहेगें ।
❉ जब संगठन की शक्ति से जब एक ही संकल्प से कि सफलता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है कार्य करते हैं तो राकेट की गति से भी तीव्र संकल्पों की गति होने से सहज ही सफलता मिलती है व विघ्न समाप्त हो जाते हैं ।
❉ हर कर्म करते बाप के साथ भिन्न -भिन्न सम्बन्ध रखते हुए संगठन की शक्ति से भिन्न भिन्न विघ्न भी समाप्त करते रहेगें |
❉ किसी कमजोर आत्मा को संगठन की शक्ति से शक्तिशाली वायब्रेशनस देकर उसे आगे बढ़ाने मे सहयोग देकर व विघ्नों को सहज पार कर पेपर में पास करा सकते हैं ।
❉ संगठन की शक्ति से दूर बैठी अशांत आत्माओं को शांति की वायब्रेशनस देकर व शांतिदूत बनकर उन आत्माओं को शांति का अनुभव करा सकते हैं व शांति की शक्ति से सहनशील हो हर विघ्न सहज ही समाप्त कर लेते हैं ।
❉ संगठन में रास मिला कर चलने से कई पुराने संस्कार जो पुरुषार्थ में विघ्न रूप होते है वे संगठन की शक्ति से शुभ भावना द्वारा और कल्याण की वृतियों का प्रभाव स्वयं पर पढ़ता है । जिससेविघ्न सहज समाप्त हो जाते है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सहनशक्ति द्वारा अविनाशी और मधुर फल प्राप्त करने वाले सर्व के स्नेही होते है... क्यों और कैसे ?
❉ सहनशीलता बहुत बड़ी शक्ति है, यदि सहन शक्ति है तो बाकि सब शक्तिया भी सहज धारण होती जाती है। यज्ञ के आदि और अंतिम समय में इसी शक्ति की बहुत परीक्षाए आयेंगी।
❉ चाहे कोई हमें कुछ भी कहे पर हमें उसके प्रति गलत भावना या बोल नहीं निकलना है। यह रावण का राज्य है इसमें बहुत कुछ सहन करना पड़ता है, सब कुछ हस्ते हुए करना है।
❉ जितना सहन करते है उतना सबके दिलो पर राज्य करते है। कोई भी बात हो तो एक सेकंड में अपनी शक्ति का आव्हान कर उसे सहन कर जाओ अर्थात उसे ड्रामा की भावी समझ स्वीकार करलो।
❉ अल्पकाल के लिए लगता है की में इतना सहन करता हु, पर जैसे बाबा कहते है त्याग का भी त्याग करो, अर्थात कभी यह भी न सोचो की मैंने यह इतना इतना त्याग किया। तो उसका बहुत बड़ा भाग्य मिलता है।
❉ सभी की कमी कमजोरियों को न देखते हुए सिर्फ उनके गुण देखना है, अपने शक्तिशाली स्वरुप द्वारा सबका कल्याण करना है, निर्दोष व बिचारे है यह समझ उनपर भी रहम करना है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ जो बीत चुका उसको भूल जाओ, बीती बातों से शिक्षा ले कर आगे के लिए सदा सावधान रहो... कैसे ?
❉ हर आत्मा अपना पार्ट एक्यूरेट बजा रही है इस बात को जब सदा स्मृति में रखेंगे तो बीती बातों को सहज ही भुला सकेंगे और बीती बातों से शिक्षा ले कर आगे बढ़ सकेंगे ।
❉ हर बात में कल्याण समाया है यह स्मृति बीती को बीती करने में सहायक बन जायेगी और बीती बातों से शिक्षा ले कर आगे बढ़ना सरल हो जायेगा ।
❉ मास्टर त्रिकालदर्शी की सीट पर जब सदा सेट रहेंगे तो भूत, भविष्य और वर्तमान तीनो सुखद अनुभव होंगे जिससे बीती बातों को भूलकर उनसे शिक्षा ले कर आगे बढ़ना सहज हो जायेगा ।
❉ ड्रामा के हर सीन को जब साक्षी हो कर देखेंगे तो बीती बातों को याद कर अपनी स्थिति खराब करने की बजाय उन बातों से सीख ले कर आगे बढ़ सकेंगे ।
❉ योग बल से अपनी स्थिति को अचल अडोल बना लेंगे तो पास्ट की कोई भी बात हमारी स्थिति को प्रभावित नही कर सकेगी जिससे बीती बातों को भूलना सहज हो जायेगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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