09 / 01 / 15  की  मुरली  से  चार्ट 

  TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

➢➢ मैं तृप्त आत्मा हूँ ।

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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)

➢➢ दातापन की भावना द्वारा इच्छा मातरम अविध्या की स्थिति का अनुभव

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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)

➢➢ सतगुरु

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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)  

‖✓‖ आज पूरा दिन अधिक से अधिक समय °योगयुक्त° रहे ?

‖✓‖ °अविनाशी ज्ञान रत्नों° की दूकान निकाल सेवा की ?

‖✓‖ आत्माओं को °बाप का परिचय° दिया ?

‖✗‖ कोई विकर्म करके °बाप से छिपाया° तो नहीं ?

‖✗‖ किसी के °नाम रूप° में तो नहीं फंसे ?

‖✗‖ °व्यर्थ संकल्पों° के वश तो नहीं हुए ?

‖✗‖ °बुधी रुपी पाँव पृथ्वी पर° तो नहीं रहा ?

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अव्यक्त बापदादा (25/12/2014) :-

➳ _ ➳  और बापदादा जानते हैं कि फाइनल पेपर अचानक होना है, सरकमस्टांश भी ऐसे ही होंगे इसलिए अपनी चेकिंग को भी चेक करो कि जैसे बापदादा चाहता है, वर्णन भी करता है, उसी प्रमाण मेरी भी चेकिग है? सुनते तो रहते ही हो, तो बापदादा क्या चाहते हैं? कम से कम रात को सोने के पहले हर दिन की चेकिंग आवश्यक है क्योंकि कामकाज में थक जाते हैं ना, तो टाइम देते हैं, दिल में आता है लेकिन थकावट अपने तरफ खीच लेती है । तो बापदादा समय को देख कर फिर भी अटेन्शन दिलाते रहते हैं । अटेन्शन देने में कभी भी अलबेले नहीं बनना ।

∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

➢➢ रात ओ सोने से पहले दिन की चेकिंग की ? थकावट अपनी तरफ खींच तो नहीं पायी ? अटेंशन देने में अलबेले तो नहीं हुए ?

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-10)

➢➢ दातापन की भावना कैसे इच्छा मात्रम अविद्या बना देती है ?

 ❉   देना ही लेना है ।

 ❉   दातापन की भावना से सम्पन्नता का अनुभव होता है ।

 ❉   दातापन की भावना हमें हद से परे ले जाकर बेहद की अवस्था में टिका देती है ।

 ❉   दातापन की भावना से सर्व से न्यारे और प्यारे बना देती है।

 ❉   दाता का भंडारा सदेव भरपूर होता है,कभी मांगने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

 ❉   दाता को सर्व की दुवाये मिलती है जिससे वह स्वयं खुश और सुखी अनुभव करते है।

 ❉   दाता के मन में एक परमात्मा की याद रहती है,स्वयं को करनहार समझ कार्य करते है।

 ❉   "दे दान तो छुटे ग्रहण,तुरंत दान महापुण्य है" यह सदेव याद रहता है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-10)

➢➢ व्यर्थ संकल्प हमारी बुद्धि और स्थिति को कैसे कमजोर बना देते है ?

 ❉   व्यर्थ से बुद्धि में नेगेटिविटी बढ़ती है जिससे एकाग्रता कम हो जाती है।

 ❉   व्यर्थ संकल्प तीव्र गति से चलते है जिससे हमारी बुद्धि में थकावट और सुस्ती आ जाती है और स्थिति कमजोर हो जाती है।

 ❉   व्यर्थ संकल्प अल्बेलेपन को बड़ा देते है जिससे माया  चान्स लेकर बुद्धि को कमजोर बना देती है।

 ❉   व्यर्थ से देह अभिमान बढ़ता है जिससे बुद्धि में किचडा भरने लगता है और कमजोर स्थिति हो जाती है।

 ❉   व्यर्थ से निर्णय शक्ति कम हो जाती है जिससे आत्मविश्वास घटता है और स्थिति कमजोर हो जाती है।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले होमवर्क के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

ॐ शांति