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    12 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ सच्चा सच्चा °पैगम्बर और मैसेंजर° बन आत्माओं को शांतिधाम और सुखधाम का रास्ता बताया ?

‖✓‖ °नब्ज़° देखकर सेवा की ?

‖✓‖ स्वयं को °अकालमूर्त° आत्मा समझा ?

‖✓‖ इस °ड्रामा° को यथार्त रीति समझने का अभ्यास किया ?

‖✓‖ लोकिक ज़िम्मेवारियों को डायरेक्शन प्रमाण °खेल° की रीति से हंसकर खेला ?

‖✓‖ °करन करावनहार° की स्मृति से भान और अभिमान को समाप्त किया ?

‖✓‖ "°जिम्मेवार बाप है°.. मैं निमित हूँ" - यह स्मृति रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

‖✓‖ माया के बन्धनों से सदा °निर्बन्धन° स्थिति का अनुभव किया ?

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अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-

➳ _ ➳  जैसे आप लोग उमंग उल्हास से प्रोग्राम बनाते,सन्देश देते रहे हैं ऐसे ही और हिम्मत रख आगे से आगे बढ़ते रहो। उल्हना नहीं रह जाए कि आपने हमे चांस नहीं दिया है। सेवा का चांस बढ़ाते जाओ। इतनी बड़ी वर्ल्ड है कोई का भी उल्हना नहीं रह जाए। चारों ओर की सेवा बढ़ाते हुए आगे बढ़ते चलो। अच्छा। 

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

‖✓‖ उमंग उल्हास से प्रोग्राम बनाते °सन्देश° देते रहे और हिम्मत रख आगे से आगे बढ़ते रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)

 

➢➢ मैं आत्मा सदैव योगयुक्त, बंधनमुक्त हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं आत्मा ज़िम्मेवारियों के बंधन से, माया के बंधन से, मन के बन्धनों से सदैव मुक्त हूँ।

 ❉   मैं अपने हर लोकिक कार्य भी डायरेक्शन प्रमाण खेल समझकर करती हूँ। इसलिए कोई भी बात कभी मुझे थकाती नहीं है।

 ❉   मैं आत्मा क्यों, क्या के प्रश्नों से दूर हूँ, मेरा जिम्मेवार बाबा है, मैं आत्मा सिर्फ निमित्त मात्र अपना पार्ट बजा रही हूँ।

 ❉   योगयुक्त हो कर हर कर्म करने से मुझे बाबा से हर पल आत्मिक शक्ति प्राप्त होती रहती है।

 ❉   यह आत्मिक शक्ति मुझे सहज ही बन्धनमुक्त बना कर मेरे हर कार्य को सहज कर देती है।

 ❉   योगयुक्त स्तिथि में मुझ से निकलने वाले वाइब्रेशन अन्य आत्माओं को भी सुख और शान्ति की अनुभूति करवाते हैं।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - जिन्होंने शुरू से भक्ति की है, 84 जन्म लिए हैं, वह तुम्हारे ज्ञान को बड़ी रूचि से सुनेगे, इशारे से समझ जायेंगे"

 

 ❉   कहावत है दान हमेशा पात्र को देख कर देना चाहिए ताकि दान का दुरूपयोग ना हो।

 ❉   यही बात ज्ञान के सम्बन्ध में लागू होती है।इसलिए बाबा कहते है ज्ञान उन्हें सुनाओ जो सुनने के इच्छुक हो।

 ❉   सुनने के इच्छुक वही होंगे जो देवी-देवता घराने के होंगें।और कोई की बुद्धि में यह बातें आयेगी ही नही।

 ❉   जिन्होंने शुरू से भक्ति की है, 84 जन्म लिए है, उन्हें ज्ञान की सब बातें जच जायेंगी।वह किसी भी बात में मूँझेंगे नही।

 ❉   केवल वे ही ज्ञान को रूचि से सुनेंगे और इशारे से समझ जायेंगे।इसलिए तुम्हे नब्ज देख कर सेवा करनी है।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ इस ड्रामा को यथार्थ रीति समझ माया के बंधनों से मुक्त होना है।

 

 ❉   इस सृष्टि में ड्रामा के आदि मध्य अंत के ज्ञान को अच्छी रीति समझने से क्यूँ, क्या और क्यों में नहीं उलझते

 ❉   तीन बिंदुओं को हमेशा याद रखना है-आत्मा बिंदु, बाबा बिंदु और ड्रामा बिंदु। जब ये सदैव स्मृति में रहते है तो व्यर्थ में नहीं उलझते व माया के बंधनों से मुक्त रहते हैं।

 ❉   कोईँ भी परिस्थिति आई तो नथिंग न्यू का पाठ पक्का रखना है। ऐसा तो 5000 वर्ष पहले भी हुआ है व विजय तो हुई के हुई पड़ी है।

 ❉  जब ड्रामा पर निश्चय का फ़ाउंडेशन पक्का है तो माया भाग जाती है।

 ❉   बेहद के नाटक में एक्ट करते हुए सारे नाटक को साक्षी होकर देखना है इसमें मूंझना नहीं है। जहाँ संशय हुआ मतलब बाप की याद नहीं वहीं माया आई।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ माया के बन्धनों से सदा निर्बन्धन रहने वाले योगयुक्त, बंधनमुक्त स्थिति का अनुभव कर सकते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   उनकी बुद्धि कही फसी नहीं रहती रहती, एक बाप दूसरा न कोई।

 ❉   वह सदेव लाइट रहते है, चलते फिरते सहजयोगी होंगे।

 ❉   क्युकी उनकी बुद्धि शुद्ध होगी ज्ञान की धारणा व योग अच्छा होगा।

 ❉   सदेव स्वयं को मरजीवा समझ पुराने बन्धनों से मुक्त समझना चाहिए।

 ❉   उनकी बुद्धि की लाइन बाप के साथ क्लियर होगी सदेव फ़रिश्ता समान बाप को याद में उड़ते रहेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ करनकरावन हार की स्मृति से भान और अभिमान को समाप्त करो...कैसे ?

 

 ❉   स्वयं को  निमित समझ हर कर्म करन करावन हार की स्मृति में करने से इच्छा मात्रम अविद्या बन जायेंगे जिससे भान और अपमान समाप्त हो जाएगा।

 ❉   करनकरावन हार की स्मृति कर्म करते भी कर्म से न्यारा रख, भान और अपमान से मुक्त कर देगी।

 ❉   करनकरावन हार की स्मृति सर्व चिंताओं से मुक्त कर भान और अपमान से न्यारा बना देगी।

 ❉   करनकरावन हार की स्मृति भारीपन से मुक्त कर हल्का रखेगी और हल्का पन भान और अपमान को समाप्त कर देगा।

 ❉   करनकरावन हार की स्मृति आत्मा में बल भर कर आत्मा को बलशाली बना देगी और भान और अपमान की फीलिंग को समाप्त कर देगी।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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