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❍ 02 / 08 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ "मैं °आनंद स्वरुप° हूँ" - यह स्मृति धारण कर मस्तक की चिंदी लगायी रखी ?
‖✓‖ मुख द्वारा अर्थात गले में °आनंद दिलाने की बातें° कर गले की माला पहने रखी ?
‖✓‖ हाथों द्वारा अर्थात °कर्म में आनंद स्वरुप° की स्थिति में रह हाथों के कंगन पहने रखे ?
‖✓‖ कानो द्वारा °आनंद स्वरुप बनने की बातें सुन° कानो का श्रृंगार किये रखा ?
‖✓‖ पांवों द्वारा °आनंद स्वरुप बनाने की सेवा° का पांवो का श्रृंगार किये रखा ?
‖✓‖ °भिन्न भिन्न टाइटल्स की स्थिति रुपी ड्रेस° पहने रखी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सुनने के साथ-साथ °स्वरूप बन° मन के मनोरंजन द्वारा सदा शक्तिशाली स्थिति का अनुभव किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ पावरफुल योग अर्थात् लगन की अग्नि, ज्वाला रूप की याद ही भ्रष्टाचार, अत्याचार की अग्नि को समाप्त करेगी और सर्व आत्माओं को सहयोग देगी। इससे ही बेहद की वैराग्य वृत्ति प्रज्वलित होगी। याद की अग्नि एक तरफ उस अग्नि को समाप्त करेगी दूसरी तरफ आत्माओं को परमात्म सन्देश की, शीतल स्वरूप की अनुभूति करोयगी। इससे ही आत्मायें पापों की आग से मुक्त हो सकेगी।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ पावरफुल योग अर्थात् लगन की अग्नि, °ज्वाला रूप की याद° का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सुनने के साथ साथ स्वरूप बन मन के मनोरंजन द्वारा शक्ति स्वरूप बनने वाली मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
❉ शक्ति सम्पन्न बन स्वयं में उमग उत्साह के संकल्पों द्वारा मैं अन्य आत्माओं को भी उमग उत्साह से भरपूर कर देती हूँ ।
❉ ज्ञान, शक्तियों और गुणों के रूहानी खजाने को स्वाभाविक रीति से मैं सर्व आत्माओं पर लुटाती रहती हूँ ।
❉ महावीर आत्मा बन जीवन की सभी चुनौतियो को सवीकार कर अपनी शक्ति से उन्हें हरा कर अपनी दासी बना लेती हूँ ।
❉ सुनाने की बजाए मैं सर्व आत्माओ को सर्व शक्तियों, सर्व सम्बन्धों का प्रत्यक्ष अनुभव करा कर उन्हें चढ़ती कला में ले जाने वाली हूँ ।
❉ सर्वशक्तिवान बाप के साथ का अनुभव प्रकृति के पांचो तत्वों और पांचो विकारों को मेरा सहयोगी बना देता है ।
❉ सर्वशक्तियों की अथॉरिटी से सिद्धि स्वरूप बन मैं हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ “आलौकिक ड्रेस और आलौकिक श्रृंगार”
❉ जैसे लौकिक में सभी को भिन्न भिन्न प्रकार की ड्रेस पहनना और श्रृंगार करना अच्छा लगता है ।
❉ इसी प्रकार ब्राह्मण कुल की श्रेष्ठ आत्माओं को भी बाप दादा द्वारा सारे दिन के लिए भिन्न भिन्न प्रकार की आलौकिक ड्रेस और आलौकिक श्रृंगार मिले हुए हैं ।
❉ भिन्न भिन्न टाइटिल की स्थिति रूपी ड्रेस और भिन्न भिन्न गुणों के श्रृंगार के सेट द्वारा बाप ने हम ब्राह्मण बच्चो को सजाया है ।
❉ जैसी ड्रेस वैसा श्रृंगार का सेट पहन कर सजे सजाये सीट पर सदा सेट रहो ।
❉ जब श्रेष्ठ टाईटलस की ड्रेस पहनेगे और गुणों का श्रृंगार करेंगे तो सेवाधारी सदा अधीन रहेंगे ।
❉ इसलिए अब दृढ संकल्प से टाईटलस की ड्रेस को टाइट करो तथा वैराइटी श्रृंगार का लाभ उठाओ ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ जैसा समय वैसी ड्रैस और वैसा ही श्रृंगार करना है ।
❉ बाबा ने हमें सारे दिन के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की ड्रैस व श्रृंगार , साथ-साथ बैठने के स्थान व आसन कितने श्रेष्ठ दिये हैं ! तो जैसा समय वैसी ड्रेस और श्रृंगार करना है ।
❉ जैसी स्थिति है उसी के अनुसार स्वमान की सीट पर रहना है व वैसा ही श्रृंगार करना है । जैसे मैं आनन्द स्वरूप हू मुख द्वारा आनन्द दिलाने की बातें हों । कर्म में आनन्द स्वरूप की स्थिति हो - ये हाथों के कंगन हो ।
❉ बाबा को फखुर है कि हर एक बच्चा राजा बच्चा है, स्वराज्य अधिकारी है तो उसी स्वरूप में रहना है । ऐसी आत्मा लाइट के स्वरूपधारी व चमकीली लाइट की ड्रैस व सफलता के सितारे की मूर्त में रहना है ।
❉ संगमयुग जो कल्याणकारी युग है व बाबा ने हमें शक्तियों व गुणों से नवाज़ा है व पढ़ाकर नयी दुनिया के लिए विश्व का मालिक बना रहे हैं तो हमें भी पुरानी ड्रैस को छोड अमूल्य ड्रैस को पहनना है व जिन दिव्य गुणों से श्रृंगार को बरक़रार रखना है बिगाड़ना नहीं है ।
❉ ऊंच ते ऊंच बाप परमात्मा के बच्चे हैं तो श्रेष्ठ आत्मायें हुई । श्रेष्ठ आत्माओं की ड्रैस भी श्रेष्ठ चाहिए व इस समय अमृतवेले से ही श्रेष्ठ टाइटल्स की ड्रैस पहन, गुणों व श्रृंगार धारण करेंगे तो भविष्य में सतयुग में विश्व महाराजा व विश्व महारानी की राजाई की ड्रैस व श्रृंगार करेंगे ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सदा शक्तिशाली आत्मा सुनने के साथ-साथ स्वरुप बन मन के मनोरंजन अनुभव करती है... क्यों और कैसे ?
❉ सदा शक्तिशाली स्थिति के लिए अनुभव मूर्त बनना बहुत आवश्यक है, जो हमारे अनुभव होते है वह हम कभी नहीं भूलते तथा वही हमें आगे आगे बढ़ते रहने के प्रेरणा स्त्रोत बनते है।
❉ अनुभवी आत्मा किसी को भी अथॉरिटी से समझा सकती है, अनुभव ही अथॉरिटी का आधार है, जिसने एक परमात्म प्रेम, सुख, शांति की अनुभूति करली वह उसे कभी भूल नहीं सकता।
❉ भक्ति में हम बहुत सुनते आये है, कनरस लेते आये परन्तु अब परमात्मा शिव हमें ज्ञान रत्नों से सजा रहे है। बापदादा ने जो ज्ञान रत्न हम बच्चो को दिए है हमें अब सिर्फ सुनना नहीं है अपितु उनका स्वरुप बनकर दिखाना है, बाबा की शुभ भावना है की मेरे बच्चे मेरे समान शक्तिशाली बन जाये।
❉ बाबा कहते बच्चे- "ज्ञान स्वरुप, योगी स्वरुप बनो" सदा ज्ञान में भिन्न भिन्न युक्तियो द्वारा पुरुषार्थ करो, संगमयुग रूहानी मौजो का समय है, परमात्मा के साथ में हर पल मनोरंजन अनुभव होगा।
❉ अपने 5 स्वरुपो का अभ्यास करते रहो, अभ्यास करते करते प्रेक्टिकल में वैसा बन जायेंगे। वाही आत्मा शक्तिशाली है जिसमे परमात्म ज्ञान सुनने के साथ साथ धारण करने का भी बल हो और वही आत्मा सदा मन का मनोरंजन अर्थात व्यर्थ की चिंता छोड़ मन को शुभ चिंतन में बीजी रख सकती है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ श्रेष्ठ कर्म का ज्ञान ही श्रेष्ठ तकदीर की लकीर खींचने की कलम है... कैसे ?
❉ श्रेष्ठ कर्मो का ज्ञान आत्मा को बुरे कर्मो से छुड़ा कर श्रेष्ठ कर्मो की ओर प्रवृत कर देता है और श्रेष्ठ कर्म श्रेष्ठ तकदीर की लकीर खींचने की कलम बन जाते हैं ।
❉ श्रेष्ठ कर्मो का ज्ञान बुद्धि को व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर शुभ और श्रेष्ठ चिन्तन में बिज़ी कर तक़दीर को ऊँचा बना देता है ।
❉ श्रेष्ठ कर्मो का ज्ञान ही वह सत्य ज्ञान है जो मन को शांत और चित को शीतल कर देता है और साधना में लगा कर भाग्य के सितारे को चमका देता है ।
❉ श्रेष्ठ कर्म स्व स्थिति को पावरफुल बनाते हैं और स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन के कार्य में सहयोगी बन श्रेष्ठ तकदीर की लकीर खींचने की कलम प्रदान करते हैं ।
❉ श्रेष्ठ कर्मो के ज्ञान से हम अपने संकल्प, समय, श्वांस और सम्पति सबको सफल कर ऊंच तकदीर के मालिक बन जाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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