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❍ 24 / 08 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ जितना समय मिले °एकांत° में रहे ?
‖✓‖ धंधा आदि करते अभ्यास किया - "°मैं आत्मा हूँ°" ?
‖✓‖ बाप समान बहुत बहुत °स्वीट° बनकर रहे ?
‖✓‖ "हमारा °रीस्पोंसीबल स्वयं बाप° है" - इस स्मृति में रहकर कोई चिंता तो नहीं की ?
‖✓‖ बाप के हर फरमान पर स्वयं को कुर्बान कर °सच्चे परवाने° बनकर रहे ?
‖✓‖ अनेकों का °कल्याण° किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ साइलेंस की शक्ति द्वारा सेकंड में °मुक्ति और जीवन मुक्ति° का अनुभव करवाया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ विशेष याद की यात्रा को पॉवरफुल बनाओ, ज्ञान-स्वरुप के अनुभवी बनो। आप श्रेष्ठ आत्माओं की शुभ वृत्ति व कल्याण की वृत्ति और शक्तिशाली वातावरण अनेक तड़पती हुई, भटकती हुई, पुकार करने वाली आत्माओं को आनन्द, शान्ति और शक्ति की अनुभूति करायेगी।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ विशेष °याद की यात्रा° को पॉवरफुल बनाया, ज्ञान-स्वरुप के अनुभवी बने ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं विशेष आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ साइलेन्स की शक्ति द्वारा सर्व आत्माओं को सेकण्ड में मुक्ति, जीवनमुक्ति का अनुभव कराने वाली मैं विशेष आत्मा हूँ ।
❉ प्रभु प्रेम की लग्न में मगन हो कर, अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति द्वारा मैं सर्व आत्माओं को अतीन्द्रिय सुख का अनुभव कराती हूँ ।
❉ बेहद विश्व की सर्व आत्माओं को इमर्ज कर अपने शुभ संकल्पों और श्रेष्ठ वाइब्रेशन्स द्वारा मैं सर्व आत्माओं का कल्याण करती रहती हूँ ।
❉ ईश्वरीय रॉयल्टी से चमकती हुई, अपनी दिव्यता की झलक से सबको सुख और शान्ति की अनुभूति कराती हूँ ।
❉ मैं आत्मा विश्व की सर्व आत्माओं को तीनो कालों का अनुभव करवाकर उनके अनेक जन्मों की प्यास बुझाती जाती हूँ ।
❉ सारे विश्व की आत्माओ को बाप दादा से मिले सर्व खजानो और सर्व शक्तियों का दान करने वाली मैं महादानी आत्मा हूँ ।
❉ मैं सर्व आत्माओं को बाप का बच्चा बना कर उन्हें भी बाप से वर्सा पाने का अधिकारी बनाने वाली हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - जितना समय मिले एकांत में जाकर याद की यात्रा करो, जब तुम मंजिल पर पहुँच जायेंगे तब यह यात्रा पूरी हो जायेगी"
❉ जैसे मनुष्य जब किसी यात्रा पर पैदल जाते हैं तो तब तक चलते रहते हैं जब तक मंजिल पर पहुँच नही जाते ।
❉ इसी तरह से हमारी भी यह याद की यात्रा है जिस पर हमे तब तक चलते रहना है जब तक मंजिल पर नही पहुँच जाते ।
❉ हमारी मंजिल है मुक्ति, जीवनमुक्ति का वर्सा प्राप्त करना ।
❉ इस मंजिल तक पहुँचने के लिए जरूरी है, जितना समय मिले, एकांत में बैठ याद की यात्रा करें ।
❉ जब हम मंजिल पर पहुँच जायेंगे अर्थात मुक्ति, जीवनमुक्ति का वर्सा प्राप्त कर लेंगे, तब यह यात्रा पूरी हो जायेगी ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बाप समान बहुत-बहुत स्वीट बनना है । अनेकों का कल्याण करना है ।
❉ जैसे चीनी को देखते ही लगता है कि ये मीठी है ऐसे 'बाबा' बोलते ही सुख मिलता है व मन में खुशी होती है व हम उस मीठे बाप के बच्चे हैं तो हमें भी बाप समान मीठा बनना है ।
❉ बाप को याद करने से आत्मा मीठी होती है । जितना बाप की याद में ज़्यादा रहते हैं तो ज़्यादा ख़ुशी होती है व बाप समान मीठे होते जाते हैं ।
❉ अपने को आत्मा समझ बाप को याद करते हैं तो विकर्म विनाश होते हैं व सतोप्रधान बनते जाते हैं । बुद्धि की लाइन क्लीन व क्लीयर होती जाती है तो याद भी ठहरती है । फिर बाप समान स्वीट स्वीट होते जाते हैं ।
❉ इस कल्याणकारी संगमयुग पर हमें सत का संग मिला है व "जैसा संग वैसा रंग " तो फिर रंग चढ़ना चाहिए । बेहद का बाप स्वीटेस्ट है तो बेहद बाप के बच्चों को भी स्वीट बनना है ।
❉ बेहद के बाप से बेहद का सुख पाकर हमेशा मधुर बोल ही बोलने है व हमारे दो मधुर बोल दूसरी आत्मा में परिवर्तन ला सकते हैं ।
❉ बाप जो श्रीमत देते हैं उस पर सम्पूर्ण रीति से चलना है । ज्ञान को अच्छी रीति धारण कर अपना कल्याण करना है । बाप का परिचय देकर व ज्ञान धन को दूसरों में बाँट कर अन्य आत्माओं का कल्याण करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ साइलेंस की शक्ति द्वारा सेकंड में मुक्ति और जीवनमुक्ति का अनुभव करने वाली विशेष आत्माये बनना है... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा ने हमें बता दिया है की बच्चे अचानक सबकुछ होना है। एक सेकंड का पेपर होगा। इसलिए हमें एवररेडी रहना है।
❉ जितना हम साइलेंस की शक्ति जमा करेंगे उतना ही अपनी कर्मेन्द्रिय अथवा मन बुद्धि पर कन्ट्रोल आता जायेगा और हम जब चाहे जहाँ चाहे एक सेकंड में टिक सकते है।
❉ पुरुषोत्तम संगमयुग हीरे तुल्य युग है। पुरे कल्प में सिर्फ यही एक समय है जब हम परमात्म पालना, अतीन्द्रिय सुख, आनन्द यहाँ तक मुक्ति और जीवनमुक्ति की अनुभूति कर सकते है, क्युकी मुक्ति अर्थात परमधाम में तो हमें महसूसता होती है नहीं है और जीवनमुक्ति अर्थात सतयुग में हम रॉयल बुद्धू होते है।
❉ जितना स्वयं आत्म अभिमानी स्थिति में टिकेंगे और बाप को याद करेंगे साइलेंस की शक्ति हममे जमा होगी, साइलेंस में एकाग्रचित होकर अंतर्मुखता की गुफा में बैठकर बार बार मुक्ति और जीवनमुक्ति को अनुभव करना है। जब हमारी लम्बे समय की प्रेक्टिस होगी तभी अंत समय में एक सेकंड में मुक्ति-जिवनमुक्ति में जा सकेंगे।
❉ गाया भी जाता है " सेकंड में जीवनमुक्ति"। एक सेकंड में स्वयं को जाना स्वधर्म में टिके और परमात्मा पर निश्चय हुआ और जीवनमुक्ति के अधिकारी बन गए। एसी आत्माये ही विशेष आत्मा है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बाप के हर फरमान पर स्वयं को कुर्बान करने वाले सच्चे परवाने बनो... क्यों और कैसे ?
❉ स्वयं को बाप पर कुर्बान करने वाले सच्चे परवाने वही बन सकते हैं जो बाप समान सर्व के प्रति नम्र, उदार और करुणामय बन, बाप के फरमान पर चलते हैं ।
❉ बेहद के वैरागी बन सर्व आकर्षणों से जो मुक्त रहते हैं, वही हर कदम बाप की श्रीमत पर चल, स्वयं को बाप पर कुर्बान करने वाले सच्चे परवाने बनते हैं ।
❉ बाप के हर कार्य में सहयोगी और समय पर बाप के मददगार बनने वाले ही बाप पर कुर्बान जाने वाले सच्चे परवाने बन, बाप के प्रति अपने प्यार का सच्चा सबूत दे सकते हैं ।
❉ सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रहने वाले ही हद के मान, शान और सम्मान से मुक्त हो, बाप के फ़रमान पर चल, स्वयं को बाप पर न्योछावर कर, सच्चे परवाने बनते हैं ।
❉ सच्चे परवाने बन, बाप के फरमान पर स्वयं को वही कुर्बान कर सकतें हैं जो स्वयं को ट्रस्टी समझ, करनकरावनहार बाप की याद में रह हर कर्म करते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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