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❍ 15 / 09 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °बैज° सदा लगाकर रखा ?
‖✓‖ सर्व के प्रति °शुभ चिंतन° और शुभ कामना रखी ?
‖✓‖ स्वयं को सारी दुनिया के °सच्चे सच्चे मित्र° समझ कर चले ?
‖✓‖ बाप का पूरा पूरा °मददगार° बनकर रहे ?
‖✗‖ °विघन रूप° तो नहीं बने ?
‖✗‖ कोई ने कम जास्ती बोला तो उसको °भूलने° का पुरुषार्थ किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °सच्चे साफ़ दिल° के आधार से नंबर वन लेने वाले दिलाराम पसंद बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ वर्तमान समय विश्व की आत्मायें बिल्कुल ही शक्तिहीन, दु:खी अशान्त हैं, वह चिल्ला रही हैं, पुकार रही हैं, कुछ घड़ियों के लिए सुख दे दो, शान्ति दे दो, हिम्मत दे दो, बाप बच्चा के दु:ख परेशानी देख नहीं सकते, आप पूज्य आत्माएं भी अपने रहमदिल दाता स्वरूप में स्थित हो, ऐसी आत्माओं को विशेष सकाश दो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ रहमदिल दाता स्वरूप में स्थित हो आत्माओं को विशेष सकाश दी ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं दिलाराम पसन्द आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सच्चे साफ दिल के आधार से नम्बरवन लेने वाली मैं दिलाराम बाप की दिलपसंद आत्मा हूँ ।
❉ सच्चाई और सफाई से सब कुछ बाप को सच सच बता कर मैं सदा बाप के दिल रूपी तख़्त पर विराजमान रहती हूँ ।
❉ साफ और सपष्ट बुद्धि से मैं दिलाराम बाप की और सर्व की दुआये प्राप्त कर निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।
❉ सर्व आत्माओं को सच्चा स्नेह और सहयोग देने वाली मैं सर्व की सहयोगी आत्मा हूँ ।
❉ अपने नम्र और सहयोगी व्यवहार से सबको संतुष्ट कर, मैं सबके स्नेह की पात्र आत्मा बनती जाती हूँ ।
❉ बाप के श्रेष्ठ संग का रंग मुझे सर्व प्रकार के संग के रंग से मुक्त रखता है ।
❉ बाप के गुणों को स्वयं में धारण कर, सुखदायी बन मैं सर्व आत्माओं को सुख की अनुभूति करवा कर, बाप की अत्यंत स्नेही आत्मा बनती जाती हूँ ।
❉ स्नेही मूर्त बन मैं सर्व आत्माओं को परमात्म स्नेह के द्वारा स्नेह के सूत्र में बांधती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम सारी दुनिया के सच्चे - सच्चे मित्र हो, तुम्हारी किसी से भी शत्रुता नही होनी चाहिए"
❉ आज की इस पतित विकारी दुनिया में सभी मनुष्य एक दूसरे के शत्रु बने हुए हैं ।
❉ क्योकि सभी रावण की मत पर चल रहे हैं ।
❉ देहभान में आकर, विकारों के वशीभूत हो, सब एक दो को दुःख ही देते रहते हैं ।
❉ किन्तु हम ब्राह्मण बच्चों को परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने हमारा यथार्थ परिचय दे कर समझाया है कि हम सभी आत्मा आपस में भाई भाई हैं ।
❉ इसलिए हम सारी दुनिया के सच्चे - सच्चे मित्र हैं, हमारी किसी से भी शत्रुता नही होनी चाहिए ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ कभी आपस में रूठकर सर्विस में धोखा नहीं देना है । विघ्न रूप नहीं बनना है । बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है ।
❉ बाबा हमेशा कहते है क्षीरखंड रहो तो आपस में हमें मीठा बनकर रहना है । अगर आपस में कोई बात हो भी गई तो उसे वहीं छोड़ देना है व उसकी चिंतन नहीं करना है ।
❉ जो हो गया पास्ट व ड्रामा समझ आपस में रूठकर सर्विस नहीं छोड़नी है क्योंकि सर्विस तो बाबा की दी हुई है । सर्विस छोड़ना मतलब बाबा से रूठना ।
❉ अभी तक तो दुनियावी सेवा में लगे रहे व उससे क्या मिला बस अल्पकाल का सुख । ये तो ईश्वरीय सर्विस है व भाग्यशाली आत्माओं को ही मिलती है । माया के विघ्नों को पार कर रूहानी सेवा में सदा तत्पर रहना है ।
❉ बाप की श्रीमत अनुसार ही चलना है । अपनी मनमत पर चलकर हमें डिससर्विस नहीं करनी है । मर्यादा में रहकर हर कर्म करते हुए बाप की याद में करते हुए राइट हैंड बनना है ।
❉ सर्व का सदगति दाता एक निराकार बाप ही है । बाप को याद करने से ही विकर्म विनाश हो जायेंगे । दु:खधाम से छूट जायेंगे व स्वर्ग के मालिक बनेंगे । विनाश सामने है व अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो ऐसे ज्ञान सुनाकर उमंग उत्साह में रहना है व बाप का मददगार बनना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सच्चे साफ़ दिल के आधार से नंबरवन लेने वाले दिलाराम पसंद बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाप को वो बच्चे बेहद प्यारे है जो दिल के साफ़ है, जिनमे कोई छल, कपट, दिखावा आदि नहीं हो। जो बाप को अपना सच्चा सच्चा समाचार व पोतामेल देते हो।
❉ "साफ़ दिल तो मुराद हासिल" साफ़ दिल होता है तो मुराद हासिल होती है अर्थात निस्वार्थ भाव से शुभ भावना रख किसी के कल्याण के लिए यदि कोई मुराद रखे तो वह अवश्य पूरी होती है।
❉ बाबा रूहानी सर्जन भी है, हम आत्माओ की अनेक जन्मो के बीमारियों को ठीक करते है परन्तु वह तभी हो सकता है जब बाप को सच सच बताये, कोई भी बात बाबा से छुपाये नहीं, अपना रोज़ का पोतामेल बाबा को दे तब वह कोई राय दे सकते है।
❉ दिलाराम बाप को अपने सभी बच्चे बहुत प्रिय है पर जो दिल के सच्चे है, जो हर श्रीमत पर हा जी करते है, जो वादे के पक्के है की "धरत परिये पर धर्म न छुटे।"
❉ जो अन्दर बाहर से समान होंगे अर्थात जिनका सोचना बोलना और करना समान होगा वही बाप के समीप रह सकते है, वह परम पवित्र है तो उनके दिल में बसने वाले भी उनके समान होने चाहिए।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व के प्रति शुभ चिंतन और शुभ कामना रखना ही सच्चा परोपकार है... क्यों और कैसे ?
❉ अशांत आत्मा को शान्ति की अनुभूति करवाना ही सबसे बड़ा परोपकार है । और यह वही करवा सकता है जो शुभ चिंतन और सर्व के प्रति शुभ कामना रखने वाला हो ।
❉ सर्व के प्रति शुभचिंतन और शुभकामना रखने वाला भटकती हुई आत्माओं को सही रास्ता दिखा कर उन्हें तृप्त कर देता है ।
❉ अपने शुभ और श्रेष्ठ संकल्पों से आत्माओं के नकारात्मक विचारों को सकारात्मक बना कर उनके जीवन को नई दिशा प्रदान करना भी परोपकार है जिसके लिए शुभचिंतक होना बहुत जरूरी है ।
❉ शुभचिंतन और सर्व के प्रति शुभकामना आत्मा को गुण ग्राही बना देती है जिससे वह सर्व आत्माओं में गुणों को देख उनका सहयोगी बन उन्हें सहयोग दे निरन्तर आगे बढ़ाता है ।
❉ मास्टर क्षमा का सागर बन जो सर्व आत्माओं की कमी कमजोरियों को स्वयं में समा लेते हैं वही शुभचिंतन और सर्व के प्रति शुभकामना रख, सच्चे परोपकारी बन सकते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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