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❍ 02 / 07 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °बंधनमुक्त° बन सेवा की ?
‖✓‖ अपने °हमजीन्स की सेवा° की ?
‖✓‖ "°हम सो देवता° बनने वाले है" - इसी नारायणी नशे में रहे ?
‖✓‖ °ज्ञान योग में तीखे° बन मात-पिता सामान किंग ऑफ़ फ्लावर बनकर रहे ?
‖✗‖ °बातों का पर्दा° आप के और बाप के बीच में तो नहीं आने दिया ?
‖✗‖ किसी में ज़रा भी °मोह° तो नहीं रहा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ बाप की छत्रछाया के नीचे नाज़ुक परिस्थितियों में भी कमल पुष्प समान °न्यारे और प्यारे° बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ अब अपने ईश्वरीय ब्राह्मणपन के, सर्वस्व त्यागी की पोजीशन में स्थित रहो। हद की पोजीशन कि मैं सबसे ज्यादा सर्विसएबुल हूँ, प्लैनिंग-बुद्धि हूँ, इनवैन्टर हूँ, धन का सहयोगी हूँ, दिन-रात तन लगाने वाला हार्ड-वर्कर हूँ या इन्चार्ज हूँ. इस प्रकार के हद के नाम, मान और शान के उल्टे पोजीशन को छोड़ अब त्यागी और तपस्वीमूर्त बनो।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ हद के नाम, मान और शान के उल्टे पोजीशन को छोड़ °त्यागी और तपस्वीमूर्त° बनकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं कमल पुष्प समान न्यारी और प्यारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मैं बाप की छत्रछाया के नीचे नाजुक परिस्थितियों में भी कमल पुष्प समान रहने वाली न्यारी और प्यारी आत्मा हूँ ।
❉ जैसे कमल का फूल कीचड़ में रहते हुए भी कीचड़ से अलग न्यारा और प्यारा रहता है वैसे ही मैं आत्मा प्रवृति में रहते हुए पर - वृत्त अर्थात सर्व से न्यारी और बाप की प्यारी बन कर रहती हूँ ।
❉ इस नश्वर संसार की किसी भी चीज में मुझे कोई आकर्षण और कोई आसक्ति नही है ।
❉ एक बाप के रस के सिवाए इस दुनिया के सभी रस मुझे नीरस लगते हैं।
❉ बाप को याद करते ही सेकेण्ड में बाप के साथ का अनुभव करने वाली मैं बाप की दिलतख्तनशीन आत्मा हूँ ।
❉ कैसी भी नाजुक परिस्थिति हो, बाप के साथ का अनुभव मुझे हर परिस्थिति में सेफ रखता है ।
❉ मैं हर बात का फैंसला ईश्वरीय मर्यादाओं की लकीर के अंदर रह कर करती हूँ । इसलिए बाप की मदद का अनुभव सहज ही प्राप्त होता रहता है ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - इस शरीर की वैल्यू तब है जब इसमें आत्मा प्रवेश करे, लेकिन सजावट शरीर की होती, आत्मा की नही"
❉ सजावट उसकी की जाती है जिसका कोई रूप, रंग या आकार होता है ।
❉ शरीर का ही रूप, रंग और आकार होता है इसलिये शरीर की सजावट की जाती है ।
❉ आत्मा तो छोटी सी बिंदु है, इसलिए आत्मा की कोई सजावट नही होती ।
❉ लेकिन यह छोटी सी बिंदु इतनी वैल्युबुल है कि इसके बिना शरीर का कोई अस्तित्व ही नही है ।
❉ शरीर की वैल्यु ही तब है जब आत्मा शरीर में प्रवेश हो, आत्मा बगैर शरीर कोई काम का नही ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ अभी हम बाप द्वारा बर्थ पाउण्ड बने हैं, हम सो देवता बनने वाले है, इसी नारायणी नशे में रहना है, बंधन मुक्त बन सेवा करनी है ।
❉ अभी तक हम घोर अँधियारे में अज्ञानता की राह पर थे पर अब संगमयुग पर बाबा ने कोटों में से कोई व कोई में से भी कोई चुन कर हमें अपना बनाकर ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर देही अभिमानी बनना सिखाया है ।
❉ शरीर तो विनाशी है क्योंकि ये शरीर तो कोई काम नहीं आता इसलिए ये शरीर वर्थ नाट ए पैनी है । बाप ही आकर सच्चे अमूल्य रत्नों से श्रृंगार कर वर्थ पाउण्ड बनाता है ।
❉ बाप ही आकर स्वयं टीचर बनकर पढ़ाते है । पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बनाते हैं। कौड़ी तुल्य जीवन से हीरे तुल्य जीवन बनाते हैं।
❉ कल्याणकारी संगमयुग पर बाप ही हमें मनुष्य से ब्राह्मण , ब्राह्मण से देवता, नर से नारायण बनाते हैं और विश्व का मालिक बनाते है । तो ये नारायणी नशा चढ़ा रहना चाहिए ।
❉ देह-अभिमान में आकर बाप को भूल जाते हैं व विकारों में गिर जाते हैं । इसलिए देही-अभिमानी बन सिर्फ़ बाप और वर्से को याद कर बंधन मुक्त बन रूहानी सेवा करनी है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ नाजुक परिस्थितियों में भी बाप की छत्रछाया के नीचे हम कमल पुष्प समान न्यारे और प्यारे रह सकते है... क्यों और कैसे ?
❉ नाजुक परिस्थिति में बाप की छत्रछाया हम बच्चो को हिम्मत और शक्ति प्रदान करती है। हमारा हौसला बना रहता है की हमारा पिता हमारे साथ है।
❉ कोई भी परिस्थिति को पार करने के लिए हमें सहन करने की व समाने की शक्ति की बहुत आवश्यकता होती है, वह हम तभी इमर्ज कर सकेंगे जब स्वयं को कमल पुष्प पर बाप की छत्र छाया के निचे अनुभव करे।
❉ बाबा की छत्र छाया के निचे न्यारे बन जाओ, सब कुछ बाप के उपर छोड़ दो, निश्चिंत हो जाओ, हमारा सर्व शक्तिमान बाबा बैठा है तो हमको फिकरात की क्या बात है।
❉ समस्याओ को प्रभु अर्पण करदे और स्वयं बाप की सेवा में लग जाये, वो जादूगर बाप हर पहाड़ को रुई और सूली को काटा बना देगा। एक कदम हिम्मत का बच्चो का और हजार कदम मदद के बाप के।
❉ कोई भी परेशानी या बात आये तो दिल से कहना "मेरा बाबा" तो बाप भी मदद करने के लिए बंधा हुआ है। जब माया देखती है की यह अपने पिता का छत्र छाया के अन्दर है तो वह भी सलाम कर के दूर से भाग जाती है।
❉ परिस्थिति आने पर जब हम सर्व शक्तिमान बाप की छत्र छाया के अन्दर रहते है तो माया का जो विकराल रूप भी हमें कजाक का शेर नजर आता है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बातों का पर्दा बीच में ना आने दो तो बाप के साथ का अनुभव होता रहेगा... क्यों और कैसे ?
❉ सब प्रकार की बातों से जब मुक्त रहेंगे तो सर्व प्रकार के आकर्षणों के बंधन से छूट जायेगे जिससे बाप के साथ का अनुभव सहज कर सकेंगे ।
❉ बातो का पर्दा जब बीच में नही आने देंगे तो केवल एक बाप के प्रभाव में ही रहेंगे और बाप के साथ का अनुभव करते हुए सर्व सम्बन्धो की अनुभूति एक बाप से ही करेंगे ।
❉ हद की सभी बातों के प्रभाव से जब स्वयं को अलग कर लेंगे तो इंद्रियजीत बन अतीन्द्रिय सुख की अनुभव में खोते जायेंगे
और कम्पैनियन बाप के साथ का अनुभव करते रहेंगे ।
❉ बातो के पर्दे को बीच में नही आने देंगे तो हद से निकल, बेहद में रहने के कारण बेहद परम पिता परमात्मा बाप के प्यार का अनुभव करते रहेंगे ।
❉ बातो के प्रभाव से मुक्त रहेंगे तो देह और देह के सर्व सम्बन्धो के लगाव से मुक्त हो कर परमात्म प्यार में खोये रहेंगे और परमात्म पालना का अनुभव करते रहेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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