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    18 / 03 / 15  की  मुरली  से  चार्ट   

         TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)

 

‖✓‖ °पढाई और बाप° से अटूट प्यार रहा ?

‖✓‖ °त्रिकालदर्शी° बन हर कर्म किया ?

‖✓‖ अपना बोल चाल बहुत °मीठा रॉयल° रखा ?

‖✓‖ °शीतल° बनकर रहे ?

‖✓‖ पिता स्नेही बनने के लिए बहुत बहुत °सुखदायी° बनकर रहे ?

‖✓‖ °निरहंकारी° बन सेवा की ?

‖✗‖ रूहानी सर्विस में °थके° तो नहीं ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

‖✓‖ °निमितपन की स्मृति° से माया का गेट बंद किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)

‖✓‖ बापदादा द्वारा चलायी गयी °15/03/2015 की अव्यक्त वाणी° से मिली प्रेरणा को जीवन में धारण करने की विधि और प्लान पर मंथन किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-15)

 

➢➢ मैं डबल लाइट आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 ❉   मैं आत्मा सदैव करनकरावनहार की स्मृति में निमित बन अपना पार्ट बजाती हूँ ।

 ❉   इसी स्मृति से मुझे सहज ही हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है ।

 ❉   बाबा की लाइट और माईट की किरणे बाबा से लेकर, विश्व की सर्व आत्माओं को सुख और शान्ति का अनुभव कराती हूँ ।

 ❉   लाइट हाउस बन सर्व आत्माओं को परम पिता परमात्मा से मिलने का रास्ता दिखाती हूँ ।

 ❉   अपनी लाइट और माइट की शक्ति द्वारा मैं प्रकृति को भी सुखदायक बना देती हूँ ।

 ❉   मैं आत्मा सदैव मैं पन से दूर रहने वाली मायाजीत नंबर वन आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - रूहानी सर्विस कर अपना और दूसरों का कल्याण करो, बाप से सच्ची दिल रखो तो बाप की दिल पर चढ़ जाएंगे"

 

 ❉   दुनिया में अनेको अनेक समाज सेवी संस्थाएं हैं, समाज सेवक हैं जो किसी ना किसी रूप में समाज की सेवा में तत्पर रहते हैं।

 ❉   किन्तु वो सब है जिस्मानी अर्थात स्थूल सेवाएं जो मनुष्य की अल्पकाल के लिए सहायता कर सकती हैं।

 ❉   सच्ची सच्ची सेवा तो है रूहानी सेवा,  जो विनाशी देह की नही बल्कि अविनाशी आत्मा की सेवा है।जो हम सभी रूहों के पिता परम पिता परमात्मा अर्थात रूहानी बाप स्वयं आ कर हमे सिखाते हैं।

 ❉   हमे भी अब यह रूहानी सर्विस कर स्वयं अपना और सर्व का कल्याण करना है।सद्गति दाता परम पिता परमात्मा का परिचय सबको दे सभी रूहों को बाप से मिलाना ही सच्ची रूहानी सेवा है।

 ❉   जितना हम बाप से सच्चे रह, रूहानी सर्विस कर औरों का कल्याण करेंगे उतना बाप के दिल पर चढ़ेंगे और बाप के दिलतख्त नशीन बन बाप के दिल पर राज करेंगे।

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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)

 

➢➢ पिता स्नेही बनने के लिए बहुत बहुत सुखदाई बनना है।

 

 ❉   जैसे किसी का प्यार पाना होता है तो पहले उसे दिल से अपना बनाना होता है व उसे बहुत प्यार करना होता है। उसकी हर बात को युक्तियुक्त तरीक़े से मानना होता है। तभी उसके स्नेही बनते है

 ❉   वो हमारा पिता है व हमें स्वयं टीचर बनकर पढ़ाने आता है तो हमें उस पढ़ाई को अच्छी रीति पढ़कर धारण करना है। वह अलग अलग सहज तरीक़ों से समझाता है तो हमें भी उसे अपना बनाने के लिए उसका स्नेही बनने के लिए उतना प्यार होना चाहिए जितना वो अपने बच्चों से करता है।

 ❉   अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को याद करते हुए श्रीमत की सम्पूर्ण पालना करते हुए सबके साथ मीठा बनकर बाप का स्नेही बनना है।

 ❉   जो बच्चा पढ़ाई व सेवा में अागे रहता है तो परिवार में सबसे स्वत: ही प्यार पाता है व हमेशा सबके साथ मीठा बनकर सबको सुख देता है। हरेक की नि:स्वार्थ सेवा करता है।

 ❉   जो बच्चा लौकिक में कक्षा में अच्छी तरह पढ़ता है व जो टीचर पढ़ाता है उससे भी आगे चलता है तो वो बच्चा टीचर को सबसे प्यारा होता है व टीचर को स्वत: ही स्नेही होता है। वह बच्चा मीठा होता है व अपने साथ औरों को भी समझाकर आगे बढ़ाता है तो हमें भी बाप का स्नेही बन अपनी चलन, सेवा से दूसरों का सुखदाई बनना है।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)

 

➢➢ निमित्तपन की स्मृति से माया के गेट बंद करने वाले ही डबल लाइट हाउस स्थिति का अनुभव कर सकते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   निमित्तपन की स्मृति से देह अभिमान नहीं आयेगा।

 ❉   जब हम स्वयं को निमित्त समझते है तो क्या होगा, कैसे होगा की टेंशन ख़त्म हो जाती है।

 ❉   निमित्तपन द्वारा हम "मै और मेरा" से मुक्त हो जाते है।

 ❉   निमित्तपन की स्मृति से हम डबल लाइट रहते है।

 ❉   निमित्तपन हमें सम्पूर्ण समर्पित होने में बहुत मदद करता है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)

 

➢➢ त्रिकालदर्शी बन कर हर कर्म करो तो सफलता सहज मिलती रहेगी... कैसे ?

 

 ❉   त्रिकालदर्शी बन हर कर्म करने से हर परिस्तिथि में अचल-अडोल रहेगे और सफलता सहज मिलती रहेगी।

 ❉   त्रिकालदर्शी बन हर कर्म करेंगे तो लाइट और माइट स्वरूप बन सहज ही सफलता मूर्त बन जाएंगे।

 ❉   त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट हो हर कर्म करने से सहज ही मायाजीत बन जाएंगे और हर कार्य में सफलता प्राप्त कर सकेंगे।

 ❉   त्रिकालदर्शी बन हर कर्म करने से लक्ष्य और प्रैक्टिकल स्वरूप समान हो जाएगा और सहज ही सफलता प्राप्त हो जायेगी।

 ❉   त्रिकालदर्शी बन हर कर्म करने से साक्षीपन की सीट पर सेट रहेंगे और हर कर्म युक्तियुक्त होगा जिससे सफलता निश्चित रूप से प्राप्त होगी।

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_  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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