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❍ 20 / 02 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सर्व खजानों की अधिकारी आत्मा हूँ ।
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∫∫ 2 ∫∫ गुण / धारणा पर अटेंशन (Marks:-10)
➢➢ निरंतर याद द्वारा अविनाशी कमाई जमा करना
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∫∫ 3 ∫∫ बाबा से संबंध का अनुभव(Marks:-10)
➢➢ बाप
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∫∫ 4 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 7*5=35)
‖✓‖ °बाप का आदर° किया ?
‖✓‖ °याद का सच्चा सच्चा चार्ट° रखा ?
‖✓‖ शिवबाबा जो श्रीमत देते हैं.. उसमें °अटूट निश्चय° रखकर चले ?
‖✓‖ कोई भी विघन आये तो यह स्मृति में रहा :- "°रीस्पोंसिब्ल शिव बाबा है°" ?
‖✓‖ "°ऊंचे ते ऊंचे आसामी° इस पतित दुनिया में हमारा मेहमान बनकर आया है" - यह नशा चड़ा रहा ?
‖✓‖ °तीनो लोकों का राज़° सबको ख़ुशी से समझाया ?
‖✗‖ °विनाशी देह° को न देखने का अभ्यास किया ?
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✺ अव्यक्त बापदादा (16/02/2015) :-
➳ _ ➳ ओम शान्ति। सभी बच्चों को चाहे सम्मुख हैं, चाहे किसी भी स्थान पर हैं लेकिन चारों ओर के बच्चों को आज के दिन की मुबारक हो,मुबारक हो, मुबारक हो। यह मुबारक का दिन बड़ा प्यारा है और ड्रामा में आप बच्चों के स्पेशल प्यार की निशानी बाप और बच्चों का सम्मुख साकार में मिलन हो रहा है इसलिए पहले तो जो सामने बैठे हैं उन्हों से मिलन और मुबारक हो, मुबारक हो। यह दिन विशेष इस स्थापना के कार्य का विशेष दिन है जो बच्चों ने बाप को जाना, बाप ने बच्चों को जाना। बाप कहते मेरे बच्चे और बच्चे कहते हैं मेरे बाबा। एक-एक आगे या पीछे बैठे हुए बच्चों को बापदादा आज के दिन की सम्मुख मिलन मेले की मुबारक दे रहे हैं।
∫∫ 5 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-15)
➢➢ बापदादा से मुबारक स्वीकार की ? बाप को जाने की ख़ुशी रही ? दिल से मेरा बाबा निकलता रहा ?
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∫∫ 6 ∫∫ ज्ञान मंथन (सार) (Marks:-5)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाप तुम्हारा मेहमान बनकर आया है तो तुम्हे आदर करना है, जैसे प्रेम से बुलाया है ऐसे आदर भी करना है, निरादर न हो"
❉ मेहमान अर्थात अपना धाम छोड़ पराये देश में आने वाला।जैसे हम आत्माएं अपने घर परमधाम से इस सृष्टि पर पार्ट बजाने के लिए आई हैं।इसलिए इस सृष्टि पर मेहमान हैं।
❉ वास्तव में सबसे बड़े मेहमान (बड़ी महिमा वाले)तो पतित पावन परम पिता परमात्मा शिव बाबा हैं।जिन्हें हम आधा कल्प से याद करते आएं हैं।
❉ क्योकि विकारों में गिरते-2 पतित बन गए हैं और दुखी हो कर परमात्मा को पुकारते आये है।
❉ अब वही परम पिता परमात्मा बाप हमारे प्रेम से बुलाने पर , हमे दुखों से छुड़ाने के लिए इस पतित दुनिया में मेहमान बन कर आएं हैं।
❉ तो हमे ऐसे बाप का पूरा आदर करना है।बाप की श्रीमत पर पूरा चलना है।ताकि बाप का निरादर ना हो।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (मुख्य धारणा) (Marks:-5)
➢➢ शिवबाबा जो श्रीमत देते हैं उसमें अटूट निश्चय रखकर चलना है, कोई भी विघ्न आये तो घबराना नहीं है, रेसपान्सिबुल शिव बाबा हैं, इसलिए संशय न आए।
❉ जब शिवबाबा की श्रीमत अनुसार कर्म करते है व कर्म करते हुए कोई विघ्न आ जाता है तो घबराना नहीं है। हमारा पिता परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान साथ है व करनकरावनहार है। हम तो ट्रस्टी है व निमित्त है तो बाबा अपने आप सम्भालेगा।
❉ विघ्न आने पर घबरा जाते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि हमने अपनी ज़िम्मेवारी अर्थात् अपने आप को शिवबाबा को अर्पण ही नहीं किया।
❉ जब अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा का श्रीमत रूपी हाथ सदा साथ रखकर कार्य करते है तो विघ्न भी सहज ही पार हो जाते हैं। जादू की चाबी ' बाबा ' शब्द को साथ रखो तो कभी विघ्नों के वश नहीं होंगे।
❉ जैसे बाबा कहते है कि विनाश तो होगा ही। तो कई बच्चे सोचते हैं कि होगा या नहीं होगा, होगा तो हमारा क्या होगा हमें उसकी चिंता नहीं करनी। बाबा ने हमें अपना बच्चा बनाया है तो बाबा रेसपाॅन्सिबुल है। हमें संशय नहीं लाना। बाबा अपने बच्चों को आख़िर तक दाल रोटी देगा।
❉ जैसे बस पहाड़ी पर चढ़ती है तो कभी ऊपर कभी नीचे आख़िर अपने स्थानपक पहुँच जाती है उसी प्रकार हमारे जीवन में स्थिति ऊपर नीचे होती रहती है तो घबराना नहीं है। बस मेरा तो "एक शिवबाबा दूसरा न कोई "। निश्चयबुद्धि बनना है।
" निश्चयात्मा विजयन्ति संशयात्मा विनश्यन्ति "।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (वरदान) (Marks:-5)
➢➢ निरंतर याद द्वारा अविनाशी कमाई जमा करने वाले ही सर्व खजानो के अधिकारी बन सकते है... क्यों और कैसे ?
❉ सर्व खजानों का अधिकारी बनने के लिए बहुत काल का पुरुषार्थ चाहिए।
❉ निरंतर बाप की याद से ही आत्मा पर चढ़ी खाद निकलेगी और सर्व खजानों के अधिकारी बन पाएंगे।
❉ निरंतर बाप की याद से हम कर्मतित अवस्था को प्राप्त कर सर्व खजानों के अधिकारी बनेंगे।
❉ निरंतर बाप की याद में लवलीन बच्चे ही बेहद के वैरागी बन बाप के वर्से के अधिकारी बन सकते है।
❉ निरंतर बाप की याद से आत्मा की बुझी ज्योत जगती है और आत्मा फिर से अपने ओरिजिनल संस्कार,गुण,शक्तियों से भरपूर हो जाती है
❉ एक परमात्मा की निरंतर याद ही हमें "अंत मति सो गति" तक ले जाएगी।
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∫∫ 9 ∫∫ ज्ञान मंथन (स्लोगन) (Marks:-5)
➢➢ स्नेह रूप का अनुभव तो सुनाते हो अब शक्ति रूप का अनुभव सुनाओ... क्यों ?
❉ वर्तमान समय प्रमाण स्नेह रूप के साथ शक्ति रूप का अनुभव बहुत जरूरी है क्योकि विश्व परिवर्तन का आधार शक्ति स्वरूप बनना ही है।
❉ निमित बनी हुई आत्माएं शक्ति स्वरूप होंगी तभी वायुमण्डल को शक्तिशाली बना सकेंगी।
❉ आने वाले समय प्रमाण मनसा सेवा की बहुत आवश्यकता है, लेकिन दूसरों को शक्ति तभी दे सकेंगे जब स्वयं शक्ति स्वरूप होंगे।
❉ अपनी वृति और श्रेष्ठ संकल्प द्वारा अनेक आत्माओं को पतिवर्तन करने के लिए स्नेह के साथ शक्ति स्वरूप होना बहुत जरूरी है।
❉ दूसरों के संस्कार परिवर्तन के लिए साधारण वाइब्रेशन्स से परिवर्तन होना मुश्किल है।वाइब्रेशन्स तभी शक्तिशाली होंगे जब स्वरूप शक्तिशाली होगा।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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