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❍ 28 / 06 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °सम्पूरंता की आँख° सदा खुली रही ?
‖✓‖ अपने महत्व व कर्तव्य को जान सदा °जागती ज्योत° बनकर रहे ?
‖✓‖ °समेटने की शक्ति° के आधार से सेकंड में सर्व संकल्पों को समाकर एक संकल्प में सेकंड में स्थित होने का अभ्यास किया ?
‖✓‖ प्रकृतिपति बन °प्रकृति को शांत° किया ?
‖✓‖ "अभी-अभी साकारी, अभी-अभी आकारी, अभी-अभी निराकारी" - इन °तीनो स्टेजेस° में स्थित होने का अभ्यास किया ?
‖✓‖ °भक्ति स्थान को ज्ञान स्थान° बनाने का अपना विशेष कर्तव्य निभाया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °नॉलेजफुल स्थिति° द्वारा परिस्थितियों को पार किया ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ परमार्थ मार्ग में विघ्न-विनाशक बनने के लिए योगयुक्त बनकर साइलेन्स की शक्ति द्वारा परखने और निर्णय करने की शक्ति को अपनाओ। यदि माया के भिन्न-भिन्न रूपों को परख नहीं सकेंगे तो उसे भगा भी नहीं सकेंगे क्योंकि परमार्थी बच्चों के सामने माया रॉयल ईश्वरीय रूप रच करके आती हैं जिसको परखने के लिए एकाग्रता की शक्ति चाहिए। एकाग्रता की शक्ति साइलेन्स की शक्ति से ही प्राप्त होती है।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ योगयुक्त बनकर साइलेन्स की शक्ति से विघन-विनाशक बनकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं अंगद समान अचल अडोल आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ नॉलेजफुल स्थिति द्वारा परिस्थितियों को पार करने वाली मैं अंगद समान अचल अडोल आत्मा हूँ ।
❉ इस रावण राज्य की कोई भी परिस्थिति वा व्यक्ति जरा संकल्प रूप में भी मुझे हिला नही सकते।
❉ माया के तुफानो और किसी भी प्रकार की परस्थितियों रूपी पेपर में भी मैं कभी कन्फ्यूज नही होती ।
❉ योग अग्नि द्वारा माया के हर रूप को जला कर भस्म करती जाती हूँ ।
❉ हर परिस्थिति को गुडलक समझ, अपने निश्चय के फाउंडेशन की मजबूती द्वारा मैं सेकण्ड में हाई जम्प दे उस परिस्थिति को पार कर लेती हूँ ।
❉ मैं महावीर आत्मा बन, जीवन की सभी चुनौतियों को स्वीकार कर, अपनी शक्ति से उन्हें हरा कर अपनी दासी बना लेती हूँ ।
❉ जैसे पानी के ऊपर लकीर कभी ठहर नही सकती, ऐसे ही मुझ मास्टर सागर के ऊपर कोई परिस्थिति कभी भी वार नही कर सकती ।
❉ स्वस्थिति में स्थित रह हर परिस्थिति को अपने वश में कर मैं सभी बातो से उपराम होती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "जहान को रोशन करने वालों की महफ़िल"
❉ जहान को रोशन करने वाले अर्थात जहान के नूर जिनकी स्थिति पर पूरा जहान टिका हुआ है ।
❉ क्योकि जहान के नूर जब अपनी श्रेष्ठ स्थिति में स्थित होते हैं तो सारा जहान भी सुखमय हो जाता है और जब अपनी श्रेष्ठ स्थिति से नीचे आ जाते हैं तो जहान भी असार नज़र आता है ।
❉ तो ऐसे जहान के नूर हम ब्राह्मण आत्माएं इस विश्व की आधारमूर्त आत्माएं हैं ।
❉ हम जहान के नूरो पर ही इस सृष्टि का परिवर्तन निर्भर है । हमारी सम्पूर्णता की आँख खुलते ही इस सृष्टि का परिवर्तन होना है ।
❉ इसलिए अब से अपने महत्व को, अपने कर्तव्य को जान सदा जागती ज्योति बन कर रहें तो सेकण्ड में स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन कर सकेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सदा सम्पूर्णता की आँख खुली रहे ।
❉ सदा सम्पूर्णता की आँख खुली रहे इसके लिए सबसे पहले गुणमूर्त बनना होगा क्योंकि सर्वगुण सम्पन्न बने बिना सम्पूर्णँ बन नहीं सकते ।
❉ श्रीमत पर चल हर गुण को धारण करना हैं । जैसे जैसे गुण धारण करते जायेंगे उतना ही विकारों से दूर होते जायेंगे व सम्पूर्णता की ओर बढ़ते जायेंगे ।
❉ प्रकृति की हलचल को श्रीमत की आर्डर में रखते हुए विश्व परिवर्तक बनना सीँखाती है ।
❉ विघ्न आने से पहले ही निर्विघ्न रहने की अवस्था का अनुभव कराती है । दिल से सदा निर्विघ्न रहने का संस्कार सिखाती है ।
❉ ब्राह्मण जीवन जीने की कला सिखाती है । टेंशन की बजाय अटेंशन से रहना सिखाती है ।
❉ अपने महत्व को जान , कर्त्तव्य को जान सदा जागती जोत बनकर रहने से एक सेकेंड में स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन कर सकते हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ नॉलेजफुल स्थिति द्वारा परिस्थितियों को पार करने वाले अंगद समान अचल-अडोल होते है... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा ने हम बच्चो को ड्रामा के आदि, मध्य, अंत की नॉलेज दी है अब हम बच्चो को समझ आई है की यह ड्रामा बहुत एक्यूरेट व कल्याणकारी बना हुआ है इसलिए हमारी स्थिति डग-मग नहीं होनी चाहिए।
❉ हम आत्माये अब जान गयी है की कुछ भी नया नहीं हो रहा, "नोथिंग न्यू" जो कल्प पहले हमने देखा था और विजय प्राप्त की थी वही अभी भी फिर से रिपीट हो रहा है तो इस बार भी हमारी विजय निश्चित होगी ही।
❉ हम बच्चो का पिता, साथी कोन है? "सर्व शक्तिमान भगवान" हमारा बाप है, वह हमारे साथ है हर पल हमारे ऊपर उनकी छत्र-छाया है, तो यह परिस्थितिया तो जैसे की कागज का शेर है, रुई का पहाड़ है, कहा जाता है "जाको राखे साईं मार सके न कोई"।
❉ बाबा ने हमें ज्ञान दिया है की बच्चे जो कुछ हो रहा है हमारे ही पूर्व जन्मो के कर्मो का फल है और अभी इस जन्म में ही हमें अपने सारे हिसाब किताब क्लियर करना है तो ख़ुशी ख़ुशी सब चुकत कर अपना खाता क्लियर करना है।
❉ परिस्थितिया है इस जीवन यात्रा की साइड की सीन सिनरिया वह तो आयेंगी ही पर हमें उन्हें देख रुक नहीं जाना है। परिस्थिति आई है तो चली भी जाएगी कोई परमानेंट नहीं आती है और जब भी आती है तो कुछ अच्छा ही पाठ पड़ाती है, तो पाठ पढ़लो और आगे बड जाओ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ शुद्ध संकल्प का खजाना जमा हो तो व्यर्थ संकल्पों में समय नही जायेगा... क्यों और कैसे ?
❉ शुद्ध संकल्पों का खजाना जमा होगा तो बुद्धि कहीं बाहर नही भटकेगी जिससे व्यर्थ संकल्पो में समय वेस्ट होने से बच जायेगा ।
❉ शुद्ध संकल्प निगेटिव को पॉजिटिव में बदल कर चिंतन को समर्थ और श्रेष्ठ बना देते हैं जिससे व्यर्थ संकल्पों के जाल से बच जाते हैं ।
❉ बाबा से टचिंग लेने के लिए जरूरी है मन बुद्धि की लाइन क्लियर होना । लेकिन मन बुद्धि की लाइन तभी क्लियर होगी जब शुद्ध संकल्पों का खजाना जमा होगा ।
❉ जितना शुद्ध संकल्प का खजाना जमा होगा, चिंतन श्रेष्ठ होगा उतनी ही चेहरे पर रूहानियत की झलक सपष्ट दिखाई देगी और व्यर्थ से मुक्त रहेंगे ।
❉ शुद्ध संकल्प मन बुद्धि को शांत और एकाग्रचित बना देंगे जिससे मन बुद्धि व्यर्थ चिंतन की बजाए समर्थ चिंतन में बिज़ी रहेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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