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❍ 24 / 07 / 15 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ सम्बन्ध-सम्पर्क और स्थिति में °लाइट° रहे ?
‖✓‖ °सच्ची कमाई° के लिए समय निकला ?
‖✓‖ याद के बल से कर्मेन्द्रियों के °धोखे से छूटे° ?
‖✓‖ °अपनी जांच° की कि आंखें धोखा तो नहीं देती हैं ?
‖✓‖ बुरी आदतों को निकालने के लिए °अपने आपको खूब फटकार° लगायी ?
‖✗‖ कोई भी °विकर्म° तो नहीं किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °मन्सा-वाचा और कर्मणा की पवित्रता° में सम्पूर्ण मार्क्स लेने वाले नम्बरवन आज्ञाकारी बनकर रहे ?
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✺ आज की अव्यक्त पालना :-
➳ _ ➳ साधनों को आधार नहीं बनाओ लेकिन साधना के आधार से साधनों को कार्य में लगाओ। यदि साधना की स्थिति में रह साधनों को कार्य में नहीं लगाते, कोई-न-कोई आधार को अपनी उन्नति का आधार बना देते हो तो जब वह आधार हिलता है, तो उमंग-उत्साह भी हिल जाता है। वैसे आधार लेना कोई बुरी चीज़ नहीं है लेकिन आधार को फाउण्डेशन नहीं बनाओ।
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °साधना के आधार° से साधनों को कार्य में लगाया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मै नम्बरवन आज्ञाकारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ मनसा – वाचा और कर्मणा की पवित्रता में सम्पूर्ण मार्क्स लेने वाली मैं नम्बरवन अधिकारी आत्मा हूँ ।
❉ शुद्ध और श्रेष्ठ चिन्तन द्वारा मैं संकल्प में भी अपवित्रता के अंश को समाप्त करती जाती हूँ ।
❉ सदा अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित रह, मैं सभी को आत्मा भाई भाई की दृष्टि से देखती हूँ ।
❉ मेरे मुख से निकले हर वचन में सत्यता और मधुरता स्वत: ही सबका मन मोह लेती है ।
❉ कर्म में भी सदा नम्र, संतुष्ट और हर्षितमुख बन मैं सबको संतुष्टता से भरपूर कर देती हूँ ।
❉ मैं पदमापदम सौभाग्यशाली आत्मा हूँ जो स्वयं भगवान मेरा गुणगान करते हैं ।
❉ अपने हर कर्म द्वारा बाप के कर्तव्य को सिद्ध करने वाली मैं बाप के सबसे समीप रत्न हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ “मीठे बच्चे – ऊंच बनना है तो अपना पोतामेल रोज देखो, कोई भी कर्मेन्द्रिय धोखा ना दे, आँखे बहुत धोखेबाज है इनसे संभाल करो”
❉ पोतामेल रखा जाता है नफा और नुक्सान देखने के लिए ।
❉ जैसे व्यापारी लोग रोज रात को अपना पोतामेल निकालते हैं कि आज दिन भर में क्या नुक्सान हुआ और क्या फायदा हुआ ।
❉ उसी तरह से हम भी रूहानी व्यापारी है, हम भी अपने इस व्यापार को ऊँचा उठाना है ।
❉ ऊंच बनने के लिए जरूरी है कि हम रोज अपना पोतामेल देखें कि दिन भर कितना समय बाबा को याद किया ।
❉ चेक करें कि किसी कर्मेन्द्रिय ने धोखा तो नही दिया ? इन आँखों ने कुछ गलत तो नही देखा क्योकि आँखे बहुत धोखेबाज हैं, इसलिए इन से अपनी संभाल करनी बहुत जरूरी है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ इस सच्ची कमाई के लिए समय निकालना है, पीछे आते भी पुरूषार्थ से मेकप कर लेना है ।
❉ अमृतवेले का समय वरदानी समय है इस समय में ब्राह्मण बच्चे बाबा से जो प्राप्त करना चाहें कर सकते हैं व अपनी झोलियाँ भर सकते हैं तो हमें अलबेलापन नहीं करना ।
❉ संगमयुग पर ही बाप ने आकर हमें सत का परिचय दिया व कल्याणकारी समय में अपने को आत्मा समझ परम आत्मा को याद कर सच्ची कमाई करनी है व इस समय में जितनी कमाई जमा करना चाहे कर सकते हैं ।
❉ जब स्वयं भगवान हमें आकर पढ़ाते हैं व इस कल्याणकारी समय में भी पढ़ाई नहीं की तो फिर कब करेंगे ? अगर "अब नहीं तो कभी नहीं"।
❉ बाबा ज्ञान रत्नों से हमारी झोली भरते हैं व एक एक रत्न लाखों का है व एक रत्न भी रोज धारण किया तो एक साल में ही कितनी कमाई कर ली ! तो ऐसी कमाई के लिए समय तो निकालना ही चाहिए ।
❉ लौकिक कमाई करते है तो दिन रात उस कमाई के लिए बिजी रहते है व उससे तो अल्पकाल का सुख मिलता है । इस सच्ची व अविनाशी कमाई से 21 जन्मों के लिए राजाई पद मिलता हैं तो इसके लिए पुरूषार्थ तो करना ही है ।
❉ बाबा हमेशा कहते है लास्ट सो फ़ास्ट । जो लास्ट में आयेंहै तो ख़ूब पुरूषार्थ करेंगे । बाबा की याद में रह कर विकर्म विनाश कर पीछे आते भी आगे जा सकते हैं जैसे कोई ट्रेन लेट हो जाती है तो मेकप कर समय पर पहुँच जाती है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ नंबरवन आज्ञाकारी वह है जो मन्सा-वाचा और कर्मणा की पवित्रता में सम्पूर्ण मार्क्स लेने वाले हो... क्यों और कैसे ?
❉ पवित्रता का अर्थ सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं है, पवित्रता अर्थात संकल्प, बोल, कर्म यहाँ तक की स्वप्न में भी कोई अपवित्र या किसी को दुःख देने के विचार न आये। पास विथ ऑनर वही होंगे जो सम्पूर्ण पवित्र हो।
❉ भगवान की पहली आज्ञा या श्रीमत ही है पवित्रता, ज्ञान की नवीनता ही पवित्रता की है, दुनिया ही पवित्र स्थापन होनी है, जिसमे संकल्प, वाणी, कर्म सभी की पवित्रता हो वही नयी दुनिया में जा सकेंगे।
❉ पवित्रता का सागर, पवित्र दुनिया में ले जाने के लिए आये है, तो अगर पवित्र दुनिया में जाना है व उच्च पद पाना है तो इस एक जन्म में बाप की आज्ञा पर सम्पूर्ण अर्थात मनसा, वाचा, कर्मणा तीनो में पवित्र बनना पड़े।
❉ सपूत बच्चा वह जो बाप ने कहा और बच्चो ने किया, देरी न हो, श्रीमत में मनमत मिक्स न हो, एक सेकंड में श्रीमत पर चल पड़े तब फुल मार्क्स ले सकेंगे।
❉ अगर मनसा, वाचा, कर्मणा यदि किसी में भी कमी रह गयी, सम्पूर्ण मार्क्स नहीं ले पाए तो फुल पास डिस्टिंक्शन में नहीं आ सकेंगे। हमें फॉलो फादर करना है, बाप समान बन बाप के साथ शांतिधाम और सुखधाम में जाना है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सम्बन्ध – संपर्क और स्थिति में लाइट बनो, दिनचर्या में नही... कैसे ?
❉ हर कर्म करते निरंतर बाप की याद में रहेंगे तो हलकेपन के अनुभव द्वारा हर सम्बन्ध – संपर्क और स्थिति में लाइट रहेंगे और दिनचर्या में थकावट से मुक्त रहेंगे ।
❉ सम्बन्ध – संपर्क और स्थिति में हल्केपन का अनुभव तभी होगा जब मैं और मेरे पन का भाव समाप्त कर स्वयं को निमित समझ हर कर्म करेंगे ।
❉ व्यर्थ चिन्तन आत्मा को लाइट नही बनने देता, इसलिए व्यर्थ को समाप्त कर चिन्तन को शुभ और श्रेष्ठ बना लें तो हर सम्बन्ध – संपर्क और स्थिति में लाइट रहेंगे ।
❉ प्रश्नचित बनाने की बजाए प्रसन्नचित बनेगे तो प्रश्नों की क्यू के बोझ से मुक्त रहेंगे और फ़रिश्ता बन हर स्थिति में सदा लाइट बन उड़ते रहेंगे ।
❉ बुद्धि की लाइन जितनी क्लियर होगी उतनी परमात्म मदद मिलती रहेगी जो हर सम्बन्ध – संपर्क और स्थिति में लाइट रखेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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