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❍ 13 / 01 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °कर्मातीथ अवस्था° में जाने का पूरा पूरा पुरुषार्थ किया ?
‖✓‖ °बाप का प्यार° पाने के लिए सेवा की ?
‖✓‖ जो दूसरों को सुनाते हैं... वह °स्वयं धारण° किया ?
‖✓‖ अपनी °ऊंची वृति° से प्रवृति की परिस्थितियों को चेंज किया ?
‖✓‖ °दैवीगुण धारण° कर अपनी चलन सुधारने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✗‖ कभी भी °छुई-मुई° तो नहीं बने ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °बापदादा के साथ° द्वारा माया को दूर से ही मूर्छित किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ आज्ञाकारी बन °बापदादा के आज्ञा रुपी कदम पर कदम° रख परमात्म दुआओं का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं मायाजीत, जगतजीत आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ बापदादा के साथ द्वारा माया को दूर से ही मूर्छित करने वाली मैं मायाजीत , जगतजीत आत्मा हूँ ।
❉ बाप को साथी बना कर सदा अपने साथ रखने से मैं हर परिस्थिति को सहज ही पार कर लेती हूँ ।
❉ हर कार्य बाप के साथ करने से माया मुझे कभी भी डिस्टर्ब नही करती ।
❉ अपनी निर्णय शक्ति द्वारा मैं सेकण्ड में माया के रॉयल रूप को पहचान, माया को झट से अपनी दासी बना लेती हूँ ।
❉ बाप के साथ की शक्ति मुझमे बल भर कर मुझे हर तूफान का सामना करने की हिम्मत प्रदान करती है ।
❉ बाप की लग्न में मगन रहने के कारण मैं सब बातों से उपराम हो जाती हूँ ।
❉ अपनी परिवर्तन शक्ति से मैं प्रकर्ति को भी परिवर्तन करने की हिम्मत रखती हूँ । प्रकृति के पांचो तत्व मेरे ऑर्डर प्रमाण कार्य करते हैं ।
❉ इस शरीर रूपी प्रकृति पर भी मेरा पूरा कण्ट्रोल है, इसलिए जब चाहे एक सेकण्ड में अशरीरी भव के डायरेक्शन को सहज और स्वत: कार्य में लगा सकती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - ब्रह्मा बाबा शिव बाबा का रथ है, दोनों का इकट्ठा पार्ट चलता है, इसमें जरा भी संशय नही आना चाहिए"
❉ जैसे हम आत्माये परमधाम से इस धरा पर अवतरित होती है और शरीर का आधार ले कर कर्म करती हैं ।
❉ ठीक उसी प्रकार परमपिता परमात्मा बाप को भी मनुष्य तन का आधार ले कर हम आत्माओं के कल्याण्यार्थ इस पतित विकारी दुनिया में आना पड़ता है ।
❉ क्योकि परमपिता परमात्मा शिव निराकार हैं और हम आत्माएं साकार शरीर में हैं इसलिए परमात्मा बाप को भी हम आत्माओं को ज्ञान देने के लिए ब्रह्मा बाबा का शरीर रूपी रथ लेना पड़ता है ।
❉ लेकिन कई बच्चे इस बात में मूँझते हैं और संशय बुद्धि बन जाते हैं ।
❉ इसलिए बाप समझाते हैं कि ब्रह्मा बाबा शिव बाबा का रथ है, दोनों का इक्कठा पार्ट चलता है, इसमें जरा भी संशय नही आना चाहिए ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बाप का प्यार पाने के लिए सेवा करनी है, लेकिन जो दूसरों को सुनाते, वह स्वयं धारण करना है ।
❉ लौकिक में भी कहा जाता है - कर सेवा पा मेवा । फिर ये तो बेहद का बाप है हमारा । एक का पदम गुणा देता है । सच्ची सेवा करने वाले को ही बाप नयनों पर बैठाते हैं ।
❉ कहा भी गया है सच्चे दिल पर साहिब राजी । जो सच्चे दिल से बाबा की हर सेवा को करता है व हांजी का पाठ पक्का होता है वो बाप के दिल पर राज करता है ।
❉ बाप का प्यार पाने के लिए स्थूल सेवा के साथ मनसा सेवा भी करनी है । मनसा से श्रेष्ठ संकल्पों द्वारा ही सर्व का कल्याण करना है ।
❉ बाप जो सुनाते हैं पहले श्रीमत प्रमाण स्वयं धारण करना है । पहले स्वयं स्वरुप में लाना है तभी दूसरों को सुनाना है । तीर भी तभी लगेगा जब ज्ञान तलवार में जौहर होगा ।
❉ जैसा कर्म हम करेंगे हमें देख ही दूसरे वैसा करेंगे । इसलिए हमारे लक्ष्य के लक्षण प्रेक्टिकल स्वरुप में अपने स्वभाव संस्कार में दिखाने हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बाप दादा के साथ द्वारा माया को दूर से ही मुर्छित करने वाले मायाजीत, जगतजीत कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ बापदादा जिनके साथ है उनकी विजय सदा निश्चित है, हुई ही पड़ी है। सफलता उनके गले का हार बन जाता है, वह कभी हार नहीं खाते क्युकी वह बाप पर बलिहार जाते है, उनका हर कर्म बाबा की याद में होता है।
❉ सर्व शक्तिमान बाप के साथ होने से हम आत्माये भी मास्टर सर्व शक्तिमान बन जाती है, और माया में इतनी हिम्मत कहाँ जो सर्व शक्तिमान व मास्टर सर्व शक्तिमान के आगे टिक सके।
❉ बाबा की याद में बीजी रहने से माया जब देखती है की यहाँ तो हमारी खातिरी नहीं होती, इनको कोई फर्क नहीं पड़ता तो निराश होकर वापस चली जाती है। इसके लिए सदा एक बाप का साथ हो, एक की लगन में मग्न हो कोई और दिखाई ही न दे।
❉ दिखाते है हनुमान लक्ष्मण के लिए हिमालय से संजीवनी बूटी लाये। ऐसे ही परमात्मा हम माया से मुर्छित आत्माओ के लिए ज्ञान की संजीवनी बूटी लाये है, ज्ञान द्वारा बाबा ने हमें सुजाक कर दिया है।
❉ बाबा ने इतना शक्तिशाली बना दिया, इतनी समझदारी दे दी की अब दूर से देख कर माया को परख जाये की यह माया है और पहचान कर दूर से ही मुर्छित करदे, अटेंशन देकर अपनी सेफ्टी करले।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपनी ऊंची वृति से प्रवृति की परिस्थितियों को चेंज करो... कैसे ?
❉ अपनी वृति को श्रेष्ठ बना लेंगे तो समाधान स्वरूप बन प्रवृति में आने वाली सभी समस्याओ का समाधान सहज कर सकेंगे और प्रवृति की परिस्थितियों को चेंज कर सकेंगे ।
❉ वृति ऊँची होगी तो सर्वशक्तियों को अथॉरिटी से यूज़ कर सकेंगे और उचित समय पर उचित शक्ति के प्रयोग से प्रवृति में आने वाली परिस्थितियों पर नियंत्रण कर प्रवृति को श्रेष्ठ बना सकेंगे ।
❉ प्रवृति की परिस्थितियों को चेंज करने का मुख्य आधार है हर संकल्प, बोल और कर्म का शक्तिशाली और श्रेष्ठ होना और यह तभी होगा जब वृति श्रेष्ठ होगी ।
❉ प्रवृति में रहने वालों के स्वभाव संस्कारों में जितनी समानता होगी उतना प्रवृति में आने वाली परिस्थितियों को चेंज करना सहज होगा और स्वभाव संस्कारों की रास मिलाने के लिए जरूरी है संकल्पों और वृति का श्रेष्ठ होना ।
❉ वृति श्रेष्ठ होगी तो मैं और मेरापन समाप्त हो जायेगा और निमित पन का भाव हर कर्म को श्रेष्ठ बना कर प्रवृति की सभी समस्यायों को समाप्त कर देगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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