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   24 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °स्वस्थिति शक्तिशाली° बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °बिंदु बन बिंदु को याद° करने पर विशेष अटेंशन दिया ?

 

‖✓‖ "हम इस यूनिवर्सिटी में आये हैं, पुरानी दुनिया से मरकर °नयी दुनिया में जाने°" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ "हम °गोडली स्टूडेंट° हैं" - यह सदैव स्मृति में रहा ?

 

‖✓‖ भिन्न भिन्न पॉइंट्स पर °विचार सागर मंथन° किया ?

 

‖✓‖ °पतितों को पावन° बनाने का धंधा किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ ईश्वरीय अथॉरिटी द्वारा °संकल्प व बुधी को आर्डर प्रमाण° चलाया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °सच्ची सीतायें° बन लकीर के अन्दर रहे ?

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ जीते जी शरीर का भान भूलकर बाप को याद करना है ।

 

  ❉   63 जन्मों तक अज्ञानता के घोर अंधयारे में रह बस इस नश्वर शरीर को संवारने में लगे रहे व इस शरीर में रह शरीरधारियों से सम्बंध रखते दुःख ही पाए । अब सत का ज्ञान मिलने पर इस विनाशी शरीर को भूल बस अपने को आत्मा समझ परम आत्मा बाप को याद करना है ।

 

  ❉   ये दुनिया कब्रदाखिल होनी ही है व ये शरीर मिट्टी में ही मिल जाना है इसलिए इससे मोह नही रखना । बस अविनाशी बाप को याद करना है ।

 

  ❉   एक बाप की याद की यात्रा में रहने से ही अविनाशी सच्ची कमाई है जो आत्मा के साथ जायेगी इसलिए जीते जी इस शरीर को भूल बस बाप को याद करना है ।

 

  ❉   एक बाप की याद में रहने से ही विकर्म विनाश होते हैं व पुराने स्वभाव संस्कारों को छोड़ अपने बुद्धिरुपी बर्तन को साफ रखना है तभी बाप की याद ठहरेगी ।

 

  ❉   जैसे मां बाप बच्चे को नीचे नहीं खेलने देते कि मिट्टी लग जायेगी व पांव गंदे हो जायेंगे । ऐसे बआप भी कहते हैं कि अब मै तुम्हें स्वर्ग का वर्सा देने के लिए आया हूं तो देहभान की मिट्टी में नही खेलना । बस सदा बाप की गोद में रहना है  व बाप की ही याद में रहना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-20)

 

➢➢ ईश्वरीय अर्थारिटी द्वारा संकल्प वा बुद्धि को आर्डर प्रमाण चलाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान होते हैं...क्यों और कैसे ?

 

  ❉   ईश्वरीय श्रीमत अनुसार चलते हुए जो संकल्प आया व बुद्धि को आर्डर दे वहीं लगाया व वही कर्म किया वही मास्टर सर्व शक्तिवान होते हैं ।

 

  ❉   अपने को सम्पूर्ण रुप से ईश्वर के प्रति समर्पण करते हुए सब कुछ तेरा है व हर कर्म तेरे लिए है व हर संकल्प सर्वशक्तिवान के प्रति होता है तो वह ईश्वरीय अर्थारिटी द्वारा बुद्धि को आर्डर प्रमाण चलाने वाले मास्टर सर्व शक्तिवान होते हैं ।

 

  ❉   जब हमारा हर संकल्प ईश्वरीय कार्य के प्रति होता है व मन बुद्धि भी उसी प्रमाण चलते हैं तो स्वराज्याधिकारी होते हैं । कर्मेन्द्रियों को जीत जगतजीत होते हैं व सर्वशक्तिवान की हजारों भुजाओं का अनुभव करते हुए हर कर्म करते मास्टर सर्वशक्तिवान होते हैं ।

 

  ❉   सर्वशक्तिवान बाप के बच्चे हैं तो मास्टर सर्वशक्तिवान हुए । जिस समय जिस शक्ति की जरुरत है उसे यूज करते हुए बुद्धि को आर्डर प्रमाण चलाते हैं ।

 

  ❉   जैसे वाणी में आना सहज है वैसे वाणी से परे जाना भी इतना सहज हो इस अभ्यास को सहज और निरंतर बनाते मास्टर सर्वशक्तिवान होते हैं ।

 

  ❉    कितनी भी पहाड़ जैसी परिस्थिति आये पर एक बाप की निरंतर यादबल से व ज्ञान को प्रेक्टिकल रुप से यूज कर उनसे अनुभवीमूर्त बनकर खेल समझ पार करके मास्टर सर्व शक्तिवान होते है ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ स्वस्थिति शक्तिशाली हो तो परिस्थिति उसके आगे कुछ भी नही है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   शक्तिशाली स्व स्थिति में स्थित व्यक्ति हर परिस्थिति में सदा राज़ी रहते हैं और सर्व आकर्षणों से मुक्त रह, सहजयोगी बन हर परिस्थिति को खेल अनुभव कर उसका आनन्द लेते रहते हैं ।  इसलिए अपनी शक्तिशाली स्व - स्थिति के आगे परिस्थितियां उन्हें कुछ भी दिखाई नही देती ।

 

 ❉   स्व स्थिति में स्थित व्यक्ति की बुद्धि का योग निरन्तर एक बाप के साथ जुटा रहता है । योगयुक्त हो हर कर्म करने से माया के तूफान भी उसके सामने तोहफा बन जाते हैं और विपरीत परिस्थितियो में भी हल्के पन के अनुभव द्वारा उसे हर परिस्थिति पर विजय दिला देते हैं ।

 

 ❉   जो व्यक्ति अपनी शक्तिशाली स्व स्थिति में स्थित रहते हैं वे समर्थ चिंतन में बिज़ी रहते है इसलिए मन बुद्धि से सदा लाइट रहते हैं और सर्व शक्ति सम्पन्न बन अपनी शक्तियों के बल से परिस्थितियों को अपने आगे कुछ भी ना समझते हुए हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर लेते हैं ।

 

 ❉   शक्तिशाली स्व स्थिति में स्थित रहने वाला व्यक्ति सदा श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहता है और स्वमान में स्थित रहने से हर परिस्तिथि उसे रुई के समान हल्की प्रतीत होती है जो उसे उड़ती कला का अनुभवी बना देती है जिससे उसे अपने आगे वह परिस्थिति कुछ भी नजऱ नही आती ।

 

 ❉   शक्तिशाली स्व स्थिति में स्थित व्यक्ति स्वयं को परमात्म छत्रछाया के अंदर सदा सुरक्षित अनुभव करता है और स्वयं को सदा श्रेष्ठ संकल्पो में बिज़ी रखता है । श्रेष्ठ संकल्प उसकी स्व स्थिति को और भी मजबूत बना कर, उसे परिस्तिथियों पर विजय दिलाने में सहायता करते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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