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   27 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ "हम बाप के पास आये हैं... अपनी °सोयी हुई तकदीर जगाने°" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ सुनी सुनाई बातों को छोड़ °एक बाप की श्रीमत° पर चले ?

 

‖✓‖ °मोह्जीत° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °फ़रिश्ता स्थिति° में स्थित रह परिस्थितियों में बाप की छत्रछाया का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ °सुख का देवता° बन सबको सुख दिया ?

 

‖✓‖ सर्व विकारों का सन्यास कर °राजऋषि° बनकर रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ संगदोष से दूर रह °बाप की समीपता° का भाग्य प्राप्त किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ सभी राज्य कारोबारी °लॉ एंड आर्डर° में रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ पढ़ाई ही सच्ची खुराक है । सदगति के लिए सुनी सुनाई बातों को छोड़ श्रीमत पर चलना है ।

 

  ❉   जैसे शरीर के लिए भोजन जरुरी है उसीप्रकार आत्मा के लिए ये पढ़ाई (ज्ञान) जरुरी है व सच्ची खुराक है ।

 

  ❉   पढ़ाई से हमें पूरी सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान मिलता है व कैसे 84 जन्म लिए । किस प्रकार हम पहले देवता थे व स्वयं को भूल नीचे गिरते गिरते ये अवस्था हो गई । अब ये ज्ञान स्वयं परमात्मा देते हैं । इसे अच्छी रीति धारण करना है ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में अच्छे से पढ़ते हैं तो ऊंच पद पाते हैं फिर ये तो बेहद की पढ़ाई है जो पढ़ाई कर रहे हैं उस ज्ञान को सही समय पर यूज करना है । इस रुहानी पढ़ाई से अविनाशी कमाई होती है व 21 जन्मों के लिए वर्सा प्राप्त करते हैं ।

 

  ❉   बाप इस संगमयुग पर अपने बच्चों को दुःख की दुनिया से छुडाने व पतित से पावन बनाने आते हैं व सर्व की सदगति करते हैं तो हमे बेहद के बाप की श्रीमत पर चलना हैं ।

 

  ❉   अभी तक पुरानी सुनी सुनायी बातों , लौकिक में पढ़े हुए शास्त्रों पर विश्वास करते आए । अब मन बुद्धि को खआली, साफ रख बाबा जो कहते हैं उसे अच्छे से धारण करना है । अपना कुछ मिक्स नही करना , श्रीमत पर ही चलना है ।

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∫∫ 5 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-20)

 

➢➢ संगदोष से दूर रह सदा बाप की समीपता का भाग्य प्राप्त करने वाले पास विद आनर होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   कोई भी संगदोष से दूर रहना है । माया के रुप में आकर्षण के रुप में सम्बंधों से बहुत पेपर आयेंगे लेकिन आकर्षित नही होना । बस बाप के साथ कम्बाइंड रहते हर पेपर को पास करते पास विद आनर होते हैं ।

 

  ❉   जिनके हर संकल्प कर्म बाप के लिए होता है व दिल में सच्चाई सफाई होती है वो बाप के दिलतख्तनशीं होते है व माया के वार से दूर रह सदा बाप की समीपता का भाग्य प्राप्त कर पास विद आनर होते हैं ।

 

  ❉   जैसे लडकी की शादी होती है तो उसकी डोर पति के साथ बांधते है ऐसे हमने अपनी डोर बाबा के संग बांधी हैं व बाबा ने ही हमको सम्भाला हैं । कभी किसी बात पर शक न हो बस बुद्धियोग बाप के संग लगा रहे, अचल अडोल स्थिति रहे व सम्पूर्ण समर्पण हो । ऐसे सदा बाप की समीपता होने से पास विद आनर होते हैं ।

 

  ❉   अभी तक तो देहभान में रहे व भक्ति में पुकारते भी आए तो कभी भगवान नही मिले । अब संगमयुग पर स्वयं परमात्मा ने हाथ पकड़ा व अपना बनाया तो संगदोष से दूर रह सदा बाप की श्रीमत पर चलते हुए बाप की समीपता का भाग्य प्राप्त करने वाले पास विद आनर होते हैं ।

 

  ❉   संगदोष से दूर रह सर्व सम्बंध सिर्फ एक बाप से निभाने हैं कि ' मेरा तो शिव बाबा दूसरा न कोई '। जैसे आशिक माशूक दूर होते हुए भी समीपता का अनुभव करते हैं व याद में खोए रहते हैं । ऐसे हमभी बस एक बाप की लगन में मगन हो व ऐसे हमारे चेहरे व नयनों से बाप की प्रयत्क्षता हो । ऐसा श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त करने वाले पास विद आनर होते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ आप फ़रिश्ता बनो तो परिस्थितियों में बाप स्वयं आपकी छत्रछाया बन जायेंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   कोई भी परिस्थिति आने पर बापदादा की मदद का अनुभव तभी कर पाएंगे जब बापदादा की टचिंग होगी और बाप दादा की टचिंग तभी कैच कर पाएंगे जब अव्यक्त स्थिति में स्थित होंगे ।

 

 ❉   जितना फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित रहेंगे उतना पुरानी दुनिया से लगाव समाप्त होता जायेगा और स्वयं को निरन्तर बापदादा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करते रहेंगे और हर परिस्थिति में बापदादा की मदद का अनुभव करते रहेंगे ।

 

 ❉   फ़रिश्ता बनेगे तो सेकेण्ड में शरीर रूपी वस्त्रों के बोझ को उतार हल्के और न्यारे हो बापदादा से अव्यक्त मिलन मनाते रहेंगे इसलिए कोई भी परिस्थिति आने पर बापदादा स्वयं छत्रछाया बन सेकेण्ड में उस परिस्थिति से पार कर देंगे ।

 

 ❉   फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित रहने का अनुभव ही सर्व बन्धनों से मुक्त करेगा और जितना सर्वबन्धनो से मुक्त होंगे उतना ही योगयुक्त होंगे और जितना योगयुक्त स्थित में स्थित होंगे उतना स्वयं को बापदादा की छत्रछाया के नीचे हर परिस्थिति में सेफ अनुभव करेंगे ।

 

 ❉   फ़रिश्ता स्थिति का अनुभव आत्मा को उस अविनाशी सम्बन्ध से जोड़ देता है जिसके आगे हर परिस्थिति स्वत: ही छोटी हो जाती है और बाप दादा की छत्रछाया सेकेण्ड में उस परिस्थिति से मुक्त कर देती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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