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❍ 06 / 07 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ √आत्म अभिमानी√ बनकर इन कानो द्वारा अमरकथा सुनी ?
➢➢ बाप समान √नॉलेजफुल ब्लिसफुल√ बनकर रहे ?
➢➢ √सोमरस√ पीया और पिलाया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ सर्व द्वारा √संतुष्टता का सर्टिफिकेट√ प्राप्त किया ?
➢➢ √रहम दिल√ बन सेवा द्वारा निराश और थकी हुई आत्माओ को सहारा दिया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ मुरली सुनने के पश्चात उसका अच्छे से √मनन√ किया ?
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➳ _ ➳ http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/06.07.16-VisheshPurusharth.htm
✺ PDF Format:-
➳ _ ➳ http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/06.07.16-VisheshPurusharth.pdf
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम इस ड्रामा के आदि मध्य अंत को जानते हो, तुम्हे बाप द्वारा ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है इसलिए तुम हो आस्तिक"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे किस कदर खूबसूरत प्यारा सा भाग्य लिए हो... कि पिता से सारे खजाने लेकर मा ज्ञानसागर बन चले हो... सृष्टि के राजो को जानकर मीठे नशे में भर चले हो... और आशिक बन माशूक की यादो में खो चले हो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सारे राजो को जानकर मा त्रिलोकीनाथ हो चली हूँ... सब कुछ जानकर मै आत्मा सच्ची ख़ुशी से भर सच्ची आशिक पिता माशूक की हो चली हूँ...
❉ प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे हदो को जानने वाले बच्चे ज्ञान के तीसरे नेत्र से बेहद के राजदार बन पड़े हो.... अपने खूबसूरत सत्य स्वरूप से भविष्य की खूबसूरती को बाँहो में भर चले हो... सदा के बुद्धिवान हो चले हो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा देहभान के जंजालों में फसी पड़ी थी... आपने ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर सदा का रौशन किया है... मै आत्मा सृष्टि के सारे राजो को जानकर खुशनुमा बन चली हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चे ईश्वरीय पिता का मिलना... उसके साये में बेठना और सारे भेद जान लेना... खुद के सत्य स्वरूप को जान मन्त्रमुग्ध हो जाना... कितनी मीठी प्यारी जादूगरी है... और यही सच्ची आशिकी है जो माशूक से है... कि बच्चे आशिकी में खुद को निखार चले है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा इस मीठी खूबसूरत जादूगरी से भर कर अपने भाग्य पर इठला रही हूँ.... अपनी माशूक पिता से हुई आशिकी पर मुझे नाज है... कि ईश्वर मेरा माशूक है...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )
❉ "ड्रिल - आत्म-अभिमानी बनकर अमरकथा सुनना"
➳ _ ➳ देह व देहभान से परे मैं आत्मिक स्वरुप में हूं... मैं आत्मा शुद्ध स्वरुप हूं... मैं आत्मा अपनी कर्मेन्द्रियों की मालिक हूं... मैं आत्मा सच्ची सच्ची पार्वती हूं... मेरे मीठे बाबा मुझ आत्मा को रोज सच्ची अमरकथा सुना रहे है... मैं आत्मिक स्वरुप में बैठ रोज अमरज्ञान अमरकथा सुनने से शुद्ध पवित्र होती जा रही हूं... मुझ आत्मा के विकार दग्ध होते जा रहे है... मैं आत्मा ज्ञानसागर बाप की संतान मा. ज्ञानसागर हूं... मेरे प्यारे बाबा मुझ आत्मा को ज्ञान रत्नों से भरपूर कर रहे हैं... परमात्म ज्ञान से स्वयं में खजाने भर मैं आत्मा ओरों को ज्ञान धन का दान दे रही हूं... मैं आत्मा मास्टर विश्वकल्याणकारी हूं... लाइट माइट की किरणें फैला आप समान बनाने की सेवा करती हूं...
❉ "ड्रिल - बाप समान नॉलेजफुल, ब्लिसफुल स्थिति का अनुभव करना"
➳ _ ➳ मुझ आत्मा के परमपिता परमात्मा बाप सृष्टि के आदि मध्य अंत के ज्ञाता है... त्रिकालदर्शी है... त्रिनेत्री है... सर्वज्ञ है... मुझ आत्मा को तीनों कालों का ज्ञान देकर मुझ आत्मा को त्रिकालदर्शी बना दिया है... ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर त्रिनेत्री बना दिया है... बाप से निकलती नॉलेज की किरणों से मैं आत्मसात हो गई हूं... बाप समान मास्टर नालेजफुल स्थिति का अनुभव कर रही हूं... प्यारे बाबा से निकलती आनन्द की किरणों से भरपूर हो गई हूं... बाप समान ब्लिसफुल स्थिति का अनुभव कर रही हूं... प्यारे बाबा मुझ आत्मा को रोज ज्ञान अमृत पिलाते हैं... मैं आत्मा ज्ञान अमृत पीकर दूसरी आत्माओं को भी पिलाती हूं...
❉ "ड्रिल - रहमदिल बन निराश और थकी हुई आत्माओं की मनसा सेवा करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा विश्वकल्याणकारी हूं... रहमदिल आत्मा हूं... मैं आत्मा परमात्म शक्तियों से भरपूर होकर हर आत्मा के प्रति कल्याण की भावना रखती हूं... मुझ आत्मा में बापदादा द्वारा प्रदान की हुई अनमोल सर्व शक्तियाँ समाहित हैं... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... सभी आत्माऐं मेरे रुहानी भाई हैं... बाबा से शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा में समा रही हैं... ये किरणें मुझ आत्मा से निकल निराश और थकी हुई आत्माओं में समाती जा रही हैं... उन आत्माओं की कमी कमजोरी भस्म होती जा रही है... उनका मनोबल बढ़ रहा है... वो आत्माऐं अपने अंदर आशा की किरण अनुभव कर रही हैं... स्वयं को शक्तिशाली अनुभव कर रही हैं...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- मैं सन्तुष्टमणि आत्मा हूँ ।"
➳ _ ➳ मैं आत्मा ज्योतिस्वरूप हूँ... आनन्द स्वरूप हूँ... सर्व प्राप्तियों के दाता की संतान हूँ... बाबा ने मुझ आत्मा को अतीन्द्रिय सुख से मालामाल कर दिया है... इस अलौकिक परिवार को पाकर मैं आत्मा सन्तुष्ट हो गयीं हूँ... पुरषार्थ करने की जो शक्ति मुझे आप द्वारा प्राप्त हुई है प्यारे बाबा, मैं अपने उस पुरषार्थ द्वारा सन्तुष्ट हो गयी हूँ...
➳ _ ➳ आपने मुझ आत्मा को सृष्टि के आदि मध्य अन्त का ज्ञान देकर सुजाग कर दिया है... मैं आत्मा खुशियों का सितारा हूँ... भाग्य का तारा हूँ... मेरे चारों और खुशियाँ ही खुशिया है...
➳ _ ➳ मौज ही मौज है... मैं आत्मा आनन्द के सागर में लहरा रही हूँ... मैं आत्मा सर्वप्राप्ति स्वरूप हूँ... मैं सन्तुष्टता का सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाली सन्तुष्टमणि आत्मा हूँ... मैं आनन्द के सागर की संतान आनन्द स्वरूप हूँ...
➳ _ ➳ बाबा आपने मेरा जीवन अलौकिक खुशियों से भरपूर कर दिया... बाबा मैं आत्मा इस अलौकिक जन्म में आपको पाकर सन्तुष्ट आत्मा बनने का अलौकिक अनुभव कर रहीं हूँ... आह ! कितना सुंदर ब्राह्मण परिवार दिया है मुझे आपने...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सर्विस में बाप द्वारा निमित्त बनकर संतुष्ट होने का अनुभव कर रहीं हूँ... मैं आत्मा स्वयं की सन्तुष्टि का अनुभव करके यह अलौकिक अनुभव अन्य आत्माओं को भी करवा रहीं हूँ...
➳ _ ➳ उन्हें भीं सन्तुष्टता से परिपूर्ण कर रहीं हूँ... मैं आत्मा आप द्वारा इस सेवा में निमित्त बनकर विजयी बनने का सुन्दर अनुभव कर रहीं हूँ... मैं आत्मा विजयमाला का मनका हूँ... मैं आत्मा सहनशक्ति व समाने की शक्ति को धारण कर सर्व द्वारा सन्तुष्टता का पासपोर्ट लेकर पास विद ऑनर बनने की सीट पर सेट हो गयीं हूँ ।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ पास विद आनर बनने के लिए सर्व द्वारा सन्तुष्टता का पासपोर्ट (सर्टिफिकेट) प्राप्त करने वाले सन्तुष्टमणि होते हैं.... क्यों और कैसे ?
❉ जो बच्चे कैसी भी संस्कारों वाली आत्मा, असंतुष्ट रहने वाली आत्मा सम्पर्क में आती है उन विशेष आत्माओं के प्रति स्नेह सहयोग की व रहमदिल की शुभ भावना रखते हैं और उन्हें संतुष्ट कर आगे बढ़ाते है । वो पास विद आनर बनने के लिए सर्व द्वारा संतुष्टता का सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले संतुष्टमणि होते है ।
❉ जो बच्चे अपने आपसे, अपने पुरुषार्थ वा सर्विस से, ब्राह्मण परिवार से सदा संतुष्ट रहते हैं उन्हे ही संतुष्टमणि कहते है व हर परिस्थिति में स्वयं को मोल्ड कर पास विद आनर बनने के लिए सर्व द्वारा संतुष्टता का पासपोर्ट प्राप्त करते है ।
❉ जो बच्चे सुबह उठते ही तीनों बिंदियों का तिलक लगाते हैं व सारा दिन स्मृति में रखते है । अपने आत्मिक स्वरुप में रहते है व आत्मा आत्मा भाई की दृष्टि रखते है तो स्वयं से व सर्व से संतुष्ट रहते है । परमात्मा शिव बाबा की याद में रहते श्रीमत प्रमाण चलते है तो बाबा भी ऐसे बच्चों को दिल पर राज कराते हैं । नथिंग न्यू व बनी बनाई बन रही है तो स्वयं से व सर्व से संतुष्ट रहते हैं । ऐसे पास विद आनर का सर्टिफिकेट लेने वाले संतुष्टमणि होते हैं ।
❉ जो संतुष्टमणि होते है उनमे दो विशेष शक्ति होती है धैर्य और सहनशक्ति । जब सर्वशक्तिमान बाबा साथ है तो कैसी भी परिस्थिति आती तो अपनी स्थिति अचल अडोल रहे । यह स्मृति रहे कि ड्रामा में हरेक का अपना अपना पार्ट है ऐसे स्वयं संतुष्ट रहते है और सर्व को संतुष्ट करते हैं । सर्व द्वारा पास विद आनर का सर्टिफिकेट लेते हैं ।
❉ जिन बच्चों का हर संकल्प, बोल ,कर्म बाप के लिए होता है व ज्ञान, योग, धारणा और सेवा चारो सब्जेक्ट में अव्वल रहते है तो हमेशा उमंग उत्साह से हर आत्मा को अपना सहयोग व स्नेह देकर आगे बढ़ाते है और दुआओं के पात्र बनते है । स्वयं से व सर्व से संतुष्टता का सर्टिफिकेट लेने वाले संतुष्टमणि होते है ।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ रहमदिल बन सेवा द्वारा निराश और थकी हुई आत्माओं को सहारा दो... क्यों और कैसे ?
❉ जैसे वाणी द्वारा आत्माओं को स्नेह के सहयोग की भावना का अनुभव कराते हैं ऐसे जब रहमदिल बन शुभभावना और स्नेह की भावना की स्थिति में स्वयं स्थित होंगे तो जैसी हमारी भावना होगी वैसी ही भावना अन्य आत्माओं में उतपन्न कर सकेंगे । हमारी रहम की वृति उनके अंदर स्नेह की भावना को प्रज्ज्वलित करेगी । जैसे दीपक, दीपक को जगा देता है ऐसे हमारी शक्तिशाली रहम की वृति और शुभ भावना निराश और थकी हुई आत्माओं को सहारे का अनुभव कराएगी ।
❉ रहमदिल बन अपनी शुभचिंतक वृति द्वारा कहां भी दूर बैठी आत्माओं को भी फल की प्राप्ति करवा सकते हैं । जैसे साइंस के साधन दूर बैठी आत्माओं से भी समीप का सम्बन्ध स्थापित कराने के निमित बन जाते हैं । साइंस के साधनो से सेकण्ड में अपनी आवाज़ या सन्देश किसी भी आत्मा तक पहुंचा देते हैं । इसी प्रकार साइलेन्स की शक्तिशाली शुभभावना भी दूर बैठी आत्माओं को फल दे सकती है और रहमदिल बन सर्व आत्माओं के प्रति किये गए शुभ संकल्प निराश और थकी हुई आत्माओं को सहारे का अनुभव करवा सकते हैं ।
❉ जैसे अभी भी कई बच्चे अनुभव करते हैं कि कई कार्यो में मेरी हिम्मत व योग्यता नही थी लेकिन बाप दादा की मदद से वह कार्य सहज ही सफल हो गया और विघ्न समाप्त हो गया । इसी प्रकार विश्व कल्याणकारी बन जब हम सर्व आत्माओं के प्रति रहम की वृति रखते हुए सूक्ष्म सेवा में तत्पर रहेंगे तो अपने श्रेष्ठ संकल्पों वा शुभभावना से निराश वा थकी हुई आत्माओं को विशेष सहयोग से शांति वा शक्ति का अनुभव करवा कर हिम्मत व उत्साह से भरपूर कर सकेंगे ।
❉ निश्चय बुद्धि हो कल्याण की भावना रखने से दृष्टि और वृति दोनों ही बदल जाते हैं । कैसा भी कोई क्रोधी आदमी सामना करने वाला हो, इंसल्ट करने वाला हो, गाली देने वाला हो लेकिन जब कल्याण की भावना रख उसके संपर्क में आते हैं तो रोब भी बदल कर रहम हो जाता है । और यह शुभ कल्याण की भावना उस आत्मा के संस्कारों को सहज ही परिवर्तन कर देती है । तो ऐसे ही रहमदिल बन जब थकी हुई और निराश आत्माओं के सम्पर्क में आयेंगे
तो अपने शक्ति स्वरूप से उन्हें भी शक्तिवान स्थिति का अनुभव करवा सकेंगे ।
❉ जैसे बड़े आदमी जो होते है वो कहीं भी जाते हैं तो खाली हाथ कभी नही जाते हैं । इसी तरह हम भी बड़े ते बड़े रहमदिल बाप के बड़े ते बड़े रहमदिल बच्चे हैं इसलिए कोई भी आत्मा सामने आये या किसी भी आत्मा से मिले तो उसे कुछ दिए बिना मिल नही सकते । सबसे बड़ी से बड़ी गिफ्ट है रहम भावना, शुभभावना की गिफ्ट । अगर इस गिफ्ट का स्टॉक आत्मा में सदा भरपूर रहे तो सेकण्ड में निराश और थकी हुई आत्माओं के सहारेदाता बन उन्हें सहारे का अनुभव करवा सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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