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❍ 26 / 11 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *किसी भी चीज़ का लोभ तो नहीं रखा ?*
➢➢ *ज्ञान योग से स्वयं को सजाया ?*
➢➢ *रात्री सोने से पहले बाप और वर्से को याद किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *विनाश के समय पेपर में पास होने की तैयारी की ?*
➢➢ *उमंग उत्साह के पंख लगा हर कार्य में सहज सफलता प्राप्त की ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *अपने फ़रिश्ता स्वरुप और देवता स्वरुप का स्पष्ट अनुभव किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - भारत सभी का तीर्थ स्थान है इसलिए सब धर्म वालो को भारत तीर्थ की महिमा सुनाओ सबको सन्देश दो"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... भारत ही प्यारा अनोखा देश है जहाँ भगवान धरा पर आते है... इसलिए यह देश महान तीर्थ है और सब तीर्थो में श्रेष्ठ है.. सारे धर्मो में यह आवाज गूंजा दो... ईश्वर पिता आ चला है भारतभूमि पर यह आहट पूरे विश्व में गूंजा दो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा कितनी भाग्यशाली आत्मा हूँ जो भगवान की धरा पर हूँ... ईश्वरीय महान तीर्थ पर जन्म लेकर मै धन्य धन्य हूँ... मीठे बाबा से अमूल्य खजाने प्राप्त करने वाली महान सोभाग्यशाली आत्मा हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... भारत पावन देश जिसमे परमात्मा स्वयं आते है और जनमो के दुखो से छुड़ाकर पूरे विश्व के बच्चों को सतयुगी सुखो की दुनिया में... सुख भरा राज्य भाग्य दिलाते है... यह अदभुत सत्य संसार की हर आत्मा को बताओ... इस महान भारत तीर्थ का परिचय देकर उनका भी भाग्य बनाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा ज्ञान बुलबुल बन पूरे विश्व की हवाओ में यह मधुर संगीत फेला रही हूँ... भगवान भारत भूमि पर आकर अनमोल खजाने लुटा रहा... सुखो की खान हथेली पर सजा कर... जनमो के दुखो से उबारने हम सबके बीच आ चला है...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... जिस धरती पर आकर ईश्वर ने पांव धरे है... बच्चों के बीच बेठ भगवान हँसा मुस्कराया और हाले दिल सुनाया है... वही धरा तो पावन भारत है और पूरे विश्व का तीर्थ है... मेरे हर लाल को यह खबर सुनाओ... पिता भारत की धरती पर हर कल्प में आता है और अभी आया हुआ है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मेरे जैसा मीठा भाग्य सबका बना रही हूँ... सबको खजानो का पता देकर आप समान मालामाल बना रही हूँ... मीठे बाबा की मीठी मीठी यादो में अनन्त आनन्द लेकर सबको इस आनन्द में डुबकी लगवा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा आकारी लाइट रुपधारी हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा परमपिता परमात्मा से रुहानी नालेज पाकर नालेजफुल बन गई हूँ... परमात्मा के इस अविनाशी रुद्र ज्ञान यज्ञ में ये पुरानी दुनिया स्वाहा हो जायेगी... मुझ आत्मा को सभी पेपर्स में पास विद आनर होना होगा...
➳ _ ➳ विनाश के समय पेपर में पास होने वा सर्व परिस्थितयों का सामना करने के लिये मुझ आत्मा को एवररेडी बनना होगा... लास्ट पेपर में फर्स्ट नंबर से पास होने के लिये मैं आत्मा एक सेकेंड में न्यारे होने का अभी से अभ्यास कर रहीं हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा एकाग्रचित्त होकर बैठ जाती हूँ... पैरों पर ध्यान देकर ऑर्डर देती हूँ... रिलेक्स हो जाओ... घुटनों को ऑर्डर देती हूँ... रिलेक्स हो जाओ... पेट, कमर, पीठ, हाथ, आँख, कान, सिर सब अंगो को रिलेक्स होने का ऑर्डर देती हूँ... शरीर के सभी आंतरिक अंग हृदय, फेफडे, किडनी, सारे सिस्टम्स, मस्तिष्क सब रिलेक्स होते जा रहें हैं...
➳ _ ➳ अब सारे शरीर की, मन की हलचल समाप्त हो गई है... पूरा शरीर शांत हो गया है... गहरी शांति की अनुभूति कर रहीं हूँ... मैं आत्मा अब अपने भृकुटी सिंहासन पर विराजमान हो गई हूँ... अब मुझ आत्मा का देह भान ख़त्म होता जा रहा है... अब मैं आत्मा शरीर का आधार छोड़ न्यारी हो गई हूँ... अशरीरी अवस्था का अनुभव कर रहीं हूँ... लाइट का शरीर धारण कर ली हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सुप्रीम लाइट हाउस से कनेक्शन जोड़कर चलता फिरता लाइट हाउस बन गई हूँ... एक सेकेंड में पार्ट बजाने शरीर धारण करती हूँ... और एक सेकेंड में न्यारी हो जाती हूँ... अब मैं आत्मा लाइट का श्रृंगार कर सबको अपने लाइट के रुप का अनुभव कराती हूँ... मैं आत्मा विनाश के समय पेपर में पास होने वाली आकारी लाइट रुपधारी बन गई हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल - उमंग उत्साह के पंखों से दुःख की लहरों से दूर रहना"*
➳ _ ➳ उमंग-उत्साह ये उड़ने के पंख है। उमंग-उत्साह कभी थकने नही देता। उमंग-उत्साह सदा बना रहे इसके किए कभी भी अलबेलापन और आलस्य न आए। हम जिम्मेवार आत्माएँ है। ब्राह्मण माना जिम्मेवारी, विश्व कल्याण की जिम्मेवारी ली है। हर कार्य बहुत उमंग-उत्साह से करना है, उमंग-उत्साह वाले सदैव अपने चेहरे और चलन से औरों को भी उमंग दिलाते है।
➳ _ ➳ मैं आत्मा उमंग-उत्साह के पंख लगाए सदा मौज में रहने वाली आत्मा हूँ... मैं समर्थ आत्मा हूँ... मैं आत्मा अपनी स्थिति द्वारा...वायुमण्डल को भी परिवर्तन करने वाली आत्मा हूँ... कभी कोई कैसी भी परिस्थिति आ जाए... कैसा भी पेपर आ जाए... परन्तु अपने उमंग-उत्साह के पंखों को सदा मजबूत रखती हूँ...
➳ _ ➳ बाबा ने मुझ आत्मा को अपना बना अधिकारी बना दिया... मैं एक अधिकारी आत्मा हूँ... मैं आत्मा अथक हूँ... सदा अथक... कभी भी न थकने वाली आत्मा हूँ... उमंग-उत्साह वाले कभी भी थकते नही... सदा ख़ुशी में झूमने वाली आत्मा हूँ... स्वयं भगवान मेरा साथी है इस नशे व खुशी से मै आत्मा हमेशा मन का डाँस करते उमंग उत्साह से स्वयं को दुःख की दुनिया से दूर अनुभव करती हूँ...
➳ _ ➳ उमंग-उत्साह के पंख... मुझ आत्मा को तीव्रगति से उड़ने में मददगार होते है... मैं अनेकों आत्माओं को उड़ाने की जिम्मेवार आत्मा हूँ... विश्व कल्याण की जिम्मेवारी मुझ आत्मा पर है... मैं ही कल्प-कल्प की उमंग-उत्साह में रहने वाली आत्मा हूँ... यह स्मृति ही मुझ आत्मा को आगे बढ़ाती है... और हर कार्य में सफलता दिलाती है...
➳ _ ➳ मैं सदा आगे बढ़ने वाली आत्मा हूँ... यदि संगम युग पर मैं आत्मा उमंग-उत्साह में नही रहती तो... सारे कल्प में नही रह सकती... अभी नही तो कभी नही... मुझ आत्मा को जो यह ब्राह्मण जीवन मिला वही उमंग-उत्साह का जीवन है... जो मिला है उसे सबमें बाटना है... बस पाना था सो पा लिया...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *विनाश के समय पेपर में पास होने वाले आकारी लाइट रुपधारी होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ जो बच्चे आकारी लाइट रुपधारी होते हैं वो विनाश के समय पेपर में पास होने के लिए सर्व परिस्थितियों का सामना कर अचल अडोल व एकरस रहते हैं व सदैव एक बल एक भरोसा के आधार पर दृढ़निश्चयी होकर आगे बढ़ते है और बेफिकर निश्चिंत होते है। कोई भी परिस्थिति उन्हे हिला नही सकती।
❉ जो बच्चे चलते फिरते लाइट हाउस बन जायेंगे तो उनका आकारी शरीर दिखाई नही देगा जैसे ब्रह्मा बाबा का लास्ट में आकारी शरीर नही दिखाई देता था व फरिश्ता नजर आते थे। ऐसे जो बस पार्ट बजाने के लिए शरीर में आते है व बाकि समय अव्यक्त स्थिति में रहते हैं । ऐसी आत्माऐं विनाश के समय पेपर में पास होने वाले आकारी लाइट रुपधारी होते हैं।
❉ जो स्वराज्याधिकारी होते है व अपनी आत्मिक स्वरुप में टिके रहते है और कर्मेन्द्रियों रुपी मंत्रियों को अपने आर्डर प्रमाण चलाते हैं। वो एक सेकेण्ड में शरीर रुपी चोला धारण करते हैं व एक सेकेण्ड में ही न्यारे हो जाने का अभ्यास करते है तो विनाश के समय की हलचल में भी अंगद समान अचल अडोल रहकर हर पेपर को पास करते आकारी लाइट रुपधारी होते हैं।
❉ जिन आत्माओं के पास अविनाशी ज्ञान धन रुपी नॉलेज होती है, पीस होती है व संकल्पों में प्यूरिटी होती है वो अपना समय और श्वांस बस एक बाप की याद में सफल करते हैं। वो आत्माऐं पीस, लव, प्यूरिटी से भरपूर टावर होती है तो विनाश के समय पेपर में पास होने वाले आकारी लाइट रुपधारी होते हैं।
❉ जैसे ब्रह्मा बाबा निमित बने तो मन-वाणी-कर्म से हमारे सामने आइने के रुप में हैं। ऐसे ही बाबा ऐसा पावरफुल आइना है उनसे दृष्टि लेते ही हम क्या से क्या बन जाते है व अपने को वरदानों से भरपूर अनुभव करते हैं। स्वयं में शक्ति भरकर सच्चाई सफाई से साकारी होते आकारी लाइट रुपधारी बन जाते हैं।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *उमंग - उत्साह के पंख सदा साथ हों तो हर कार्य में सफलता सहज मिलती है... क्यों और कैसे* ?
❉ लौकिक में भी हम देखते हैं कि जब कोई कार्य बेमन से किया जाता है अर्थात जब किसी कार्य को बिना उत्साह के केवल एक जिम्मेवारी समझ कर किया जाता है तो उस कार्य में मिलने वाली सफलता भी काफी कम होती है । लेकिन जब किसी कार्य को हिम्मत, दृढ़ निश्चय और पूरी लगन के साथ किया जाता है तो उस कार्य को करने के लिए जैसे उमंग उत्साह के पंख लग जाते हैं जिससे कार्य में सफलता सहज ही प्राप्त हो जाती है ।
❉ अक्सर देखा जाता है कि एक पढ़ने वाला स्टूडेंट भी उसी क्षेत्र में नम्बर वन पद प्राप्त करता है जिसमे उसकी रूचि होती है । और जहां रूचि होती है वहां लक्ष्य अथवा मंजिल को पाने का तीव्र जज़्बा भी होता है जो उसे अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करता है और उसे उमंग उत्साह से भरपूर रखता है । उमंग उत्साह के पंख लगा कर जो भी कार्य किया जाता है उस कार्य में सफलता प्राप्त ना हो ऐसा कभी हो नही सकता ।
❉ जैसे शरीर का रोग चाहे कितना ही बड़ा क्यों ना हो किन्तु मन में यदि जीने की तीव्र इच्छा है तो बड़ी से बड़ी बीमारी पर भी मनुष्य जीत पा लेता है किंतु अगर किसी की जीने की इच्छा ही समाप्त हो जाये तो शरीर में होने वाला एक छोटा सा रोग भी उसके लिए गम्भीर बीमारी बन जाता है । इसी प्रकार जीवन के हर क्षेत्र में उमंग उत्साह बहुत जरूरी है । क्योकि उमंग उत्साह के पंखों पर सवार आत्मा अपने सकारात्मक चिंतन से हर कार्य में सफलता प्राप्त कर लेती है ।
❉ मन में जब किसी कार्य को करने का उमंग उत्साह होता है तो उस कार्य को करने से जीवन में एक सन्तुष्टता का अनुभव होता है । और जो व्यक्ति अपने जीवन में सदा सन्तुष्ट रहते हैं उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति भी सदा स्थिर और एकरस रहती है । इसलिए किसी भी प्रकार की परिस्थिति में वे हलचल में आ कर दुःख का अनुभव नही करते बल्कि सन्तुष्टमणि बन हर परिस्थिति में संतुष्ट रहते है अपनी अचल अडोल स्थिति से हर कार्य में सफलता पा लेते हैं ।
❉ मनोवैज्ञनिकों का भी यह मानना है कि व्यर्थ और नकारात्मक विचार जीवन में निराशा की भावना पैदा करते हैं और निराश व्यक्ति कभी भी किसी कार्य में सफलता हासिल नही कर सकते क्योंकि निराशा की भावना उन्हें शक्तिहीन बना देती है । इसके विपरीत जो सकारात्मक विचार रखते हैं वे आशावान बन सदा स्वयं भी उमंग उत्साह में रहते हैं तथा औरों को भी उमंग उत्साह से भरपूर करते रहते हैं । उमंग उत्साह के पंखों पर सवार हो कर वे सफलतामूर्त आत्मा बन जाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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