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 11 / 06 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ बाप पर पूरा पूरा बलिहार जाने का पुरुषार्थ किया ?

 

➢➢ ×मनमत व परमत× का त्याग किया ?

 

➢➢ सवेरे सवेरे उठकर याद में बैठ कमाई की ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ ईश्वरीय भाग्य में लाइट का क्राउन प्राप्त करने का पुरुषार्थ किया ?

 

➢➢ अपनी रूहानी स्थिति में स्थित रह मनसा महादानी बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ मास्टर ज्ञान सूर्य के स्वरुप में सेवा के उमंग उत्साह की किरणें फैलाई ?

 

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➳ _ ➳  http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/11.06.16-VisheshPurusharth.pdf

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा सर्व प्राप्ति स्वरूप हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  अन्तर्चक्षु से स्वयं को देखो... भृकुटि के मध्य... मैं एक अविनाशी ज्योति हूँ... दिव्य शक्ति हूँ... सदा शाश्वत हूँ... मैं आत्मा इस शरीर रूपी मन्दिर में , मूर्ति हूँ... धीरे - धीरे स्वयं को महसूस करें...

 

_ ➳  मैं इस शरीर से भिन्न एक चैतन्य शक्ति हूँ... आँखों द्वारा देखने वाली... मुख द्वारा बोलने वाली... कानों द्वारा सुनने वाली... मैं अति सूक्ष्म बिंदु अपने निजधाम में रहती हूँ... एक दम शांत... निर्संकल्प... परम पवित्र...

 

_ ➳  सर्व बंधनों से मुक्त... कर्मातीत... सर्व शक्तिओं से सुसज्जित मैं आत्मा सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करने वाली अटल अखण्ड स्वराज्य अधिकारी हूँ... इस दुनिया में भाग्य की निशानी राजाई होती है और राजाई की निशानी ताज होता है...

 

_ ➳  ऐसे में ईश्वरीय भाग्य की निशानी लाइट का क्राउन है... और इस क्राउन की प्राप्ति का आधार प्यूरिटी है...

 

_ ➳  इसलिए आज मैं आत्मा अपने परमपित्ता परमात्मा शिवपिता के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं सम्पूर्ण पवित्र बन, हर कमी को दूर करुंगी...

 

_ ➳  क्योंकि अगर कोई भी कमी है तो लाइट का क्राउन स्पष्ट दिखाई नहीं देगा... यह संकल्प लेते ही मैं आत्मा लाइट के ताजधारी होने के साथ - साथ सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न होने का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - इस समय तुम बाप के ऊपर बलिहार जाओगे तो 21 जनमो के लिए तुम सदा सुखी हो जायेंगे"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे विष्व पिता धरती पर आप बच्चे के लिए उतर आया प्यार में बलिहार हो चला... वही प्रीत की रीत निभाओ... मीठे पिता पर बलिहार जाओ... हर साँस में उसकी मीठी याद को भर आओ... यह मीठे पिता पर बलिहार सुखो का अम्बार कदमो में सजा देगी...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे इस समय विश्व पिता के साये में हो... उनका वरदानी हाथ सदा साथ है... ऐसे मीठे पिता पर बलिहार हो जाओ... कुर्बान हो जाओ... यह एक जन्म की बलिहारी 21जनमो का सच्चा सुख झोली में ले आएगी...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे देह के रिश्तो पर मिट कर देख लिया खप कर खाली होकर तो देख लिया... अब सच्चे साथ को जीकर तो देखो पिता पर एक जनम मिटकर तो देखो... 21 जनमो का सुख यह एक जनम ले आएगा और सदा का स्वर्ग दे जाएगा...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे कोई भी रिश्ता सदा का सुख देता नही सिवाय ईश्वर पिता के... कोई भी निस्वार्थ प्यार देगा नही सिवाय महा पिता के... यही वह सच्चा खूबसूरत रिश्ता तुम्हारे प्यार का मोल 21 जनमो की खूबसूरत बादशाही के रूप में लौटाएगा...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चे पिता के मीठे प्यार की तुलना धरती का कोई रिश्ता सम्बन्ध् वस्तु कर न सके... ऐसा गहरा सच्चा प्यार कोई दे न सके कि बच्चे एक जनम भर याद करे बलिहार जाए और मीठा पिता इस एक जनम के प्यार को 21 जनमो के मीठे खूबसूरत जीवन के रूप में बदल बच्चे के हथेली पर उपहार में रख जाय...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सवेरे-सवेरे उठकर याद में बैठ कमाई करनी है । सृष्टि को स्वर्ग बनाने की सर्विस कम से कम आठ घण्टा जरुर करनी है ।

 

  ❉   सवेरे-सवेरे का वेला वरदानी समय होता है जब स्वयं परमपिता परमात्मा अपने बच्चों से स्पेशल मिलन मनाते आते हैं व वरदानों से झोली भरते है । इसलिए सवेरे उठकर प्यार से बाप से मीठी मीठी बाते करनी है व याद में बैठ कमाई करनी है ।

 

  ❉   सुबह का समय सहज का समय है व वरदान के रुप में जो प्राप्ति करना चाहे कर सकते हैं क्योंकि स्वयं वरदाता और भाग्यविधाता बाप अपने बच्चों के लिए खुले भंडारे रखते है । बस अपनी पावरफुल याद से बुद्धि की लाइन को क्लीयर रखते हुए सवेरे सवेरे कमाई जमा करनी है ।

 

  ❉   जैसे अपने फोन की बैटरी को सुबह चार्ज कर लेते हैं तो सारा दिन आराम से काम लेते है । सवेरे सवेरे समय भी सतोप्रधान होता है तो ऐसे में सवेरे अपनी पावरफुल याद से बाप से मिलन मनाकर सर्व शक्तियों के खजाने से भरपूर कर अपनी आत्मा रुपी बैटरी को चार्ज कर लेना है । एक बाप की याद करने में ही सच्ची सच्ची कमाई है ।

 

  ❉   इस संगमयुग पर स्वयं परमपिता परमात्मा ने कोटो में से कोई , कोई में से भी कोई में चुनकर हमें अपना बनाया व इस विश्व परिवर्तन के कार्य के निमित्त चुना तो हमें अपने बाप के इस कार्य में ज्यादा से ज्यादा सर्विस कर मददगार बनना है ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में कोई प्रोग्राम होता है तो हम कैसे दिन रात उस को सफल बनाने के लिए लगे रहते है व ये तो बेहद का कार्य है । जब बाप ने बच्चों को जिम्मेवारी दी है तो हम बच्चों को बाप की श्रीमत पर चलते हुए अपनी जिम्मेवारी को सम्भालते हुए सृष्टि पर स्वर्ग लाने के लिए दिन रात सर्विस में लगे रहना है व कम से कम आठ घंटे सर्विस जरुर करनी है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ईश्वरीय भाग्य में लाइट का क्राउन प्राप्त करने वाले सर्व प्राप्ति स्वरुप होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे इस संगमयुग पर स्वयं को पदमापद्म भाग्यशाली समझते है कि हमें भगवान मिला व जो पाना था सो पा लिया और एक परमात्मा बाप से सच्चा स्नेह रखते व हर बात सच्चाई सफाई से बताकर पवित्र रहते तो बाप भी ऐसे बच्चों पर बलिहारी जाते व वो ईश्वरीय भाग्य में लाइट का क्राउन प्राप्त करने वाले सर्व प्राप्ति स्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   जो संगमयुग के महत्व को समझते कि हमें इतना बड़ा सौभाग्य मिला व स्वयं भगवान ने हमें अपना बनाया और बाबा का बच्चा बनते ही वर्से के अधिकारी हो गए । यही अनमोल व हीरे जैसा जन्म है जितने खजानों का संग्रह करना चाहे कर सकते है व ये ईश्वरीय भाग्य अभी मिला है । 'अभी नही तो कभी नही'- ये स्मृति मे रख पुरुषार्थ कर भाग्य बनाते ऐसे बच्चे ईश्वरीय भाग्य से सर्वप्राप्ति स्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   दुनिया में भाग्य की निशानी राजाई होती है और राजाई की निशानी ताज होता है । ऐसे ईश्वरीय भाग्य की निशानी लाइट का क्राउन है और इस क्राउन की प्राप्ति का आधार पवित्रता है । सम्पूर्ण पवित्र आत्मायें लाइट के ताजधारी होने के साथ साथ सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न होते हैं ।

 

  ❉   संगमयुग पर ही ईश्वरीय भाग्य की लाटरी मिलती है जब सच्चे बाप का व स्वयं के असली स्वरुप का परिचय मिलता । परमात्म बाप और परमात्म बच्चों का मधुर मिलन होता है व सबसे बड़ा खजाना ज्ञान धन मिलता है व परमात्म शक्ति से ही प्यूरिटी को धारण करते है । पवित्रता से ही सर्वशक्तियों व सर्वप्राप्ति स्वरुप बनते है ।

 

  ❉   जो बच्चे ये स्मृति रखते कि मैं तो ईवरीय कुल का हूं व भगवान का बच्चा हूं । जैसे मेरे परमपिता पिता निराकार हैं व ज्योति बिंदु है ऐसे मैं भी आत्मा हूं निराकार हूं व बिंदु स्वरुप हूं । मैं आत्मा अपनी कर्मेन्द्रियों का मालिक हूं व स्वराजयाधिकारी हूं तो परमात्म शक्ति से कर्मेन्द्रियों पर जीत पाकर मायाजीत जगतजीत होते है व पवित्र बन ईश्वरीय भाग्य से लाइट का क्राउन प्राप्त कर सर्व प्राप्ति स्वरुप होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपनी रूहानी स्थिति में स्थित रहने वाले ही मनसा महादानी हैं... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   अपनी रूहानी स्थिति में स्थित रहने वाली आत्मा की दृष्टि और वृति सदा रूहानियत से भरपूर होगी अपनी रूहानियत भरी दिव्य दृष्टि से वह जिसे भी देखेगी उसके शरीर को ना देख आत्मा को ही देखेगी । देह और देह की दुनिया के भान से मुक्त, मस्तक पर विराजमान दिव्य ज्योति बिंदु आत्मा देखने से उनके प्रति उठने वाले संकल्प भी शुद्ध और श्रेष्ठ होंगे । मनसा महादानी बन अपने श्रेष्ठ संकल्पों से वह सर्व आत्माओं का कल्याण करती रहेगी ।

 

 ❉   अपनी रूहानी स्थिति में स्थित रहने वाली आत्मा विशेष पार्टधारी होती है । अपने हर कर्म के ऊपर विशेष अटेंशन रहने के कारण वह जो भी कर्म करेगी वह श्रेष्ठ होगा क्योकि रूहानी स्थिति में स्थित रहने वाली आत्मा हर कर्म देही - अभिमानी स्थिति में स्थित हो कर करेगी । मनसा, वाचा, कर्मणा हर संकल्प शुभ और श्रेष्ठ होने के कारण मनसा महादानी बन वह स्वयं भी सदा संतुष्ट रहेगी और सर्व आत्माओ को भी सन्तुष्टता का अनुभव करवाती रहेगी ।

 

 ❉   अपनी रूहानी स्थिति में स्थित रहने वाली आत्मा में निरन्तर एक बाप की याद समाई हुई होगी । जैसे बीज में सारे वृक्ष का सार समाया होता है ऐसे बिंदु आत्मा में बिंदु बाप की याद निरन्तर समाई हुई होने के कारण वह सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति में मगन रहेगी । मनसा महादानी बन अपनी अतीन्द्रिय सुख मय स्थिति द्वारा वह सुख और शांति की किरणे सर्व आत्माओं पर फैला कर उन्हें सुख, प्रेम, आनन्द और शांति का अनुभव कराती रहेगी ।

 

 ❉   जो सदा अपनी रूहानी स्थिति में स्थित रहते हैं उन्हें संकल्प और स्वप्न में भी सिवाए एक दिलाराम बाप के और कोई की याद नही रहती । उन पर सदा बाप के संग का रूहानी रंग लगा रहता है । वे सदा बाप को साथी बना कर अपने साथ रखते हैं । पल पल बाप के साथ के अनुभव से वे स्वयं को सदा सम्पन्न और भरपूर तपस्वी अनुभव करते हैं और अपने सम्पन्न स्वरूप् में स्थित हो कर वे मनसा महादानी बन अपनी शक्तिशाली मनसा द्वारा सर्व आत्माओ को बाप के साथ का अनुभव कराते रहते हैं ।

 

 ❉   सदा अपनी रूहानी स्थिति में स्थित रहने वाली आत्मा कमल पुष्प समान स्थिति का अनुभव करते हुए सर्व से न्यारी और बाप की प्यारी बन, देह और देह की दुनिया के आकर्षण से परे सदा उपराम अवस्था में रहते हुए मन बुद्धि से केवल अपने स्वीट होम और स्वीट बाप की याद में मगन रहती है । बुद्धि योग निरन्तर बाप के साथ जुड़ा होने के कारण मनसा, वाचा, कर्मणा वह जो भी संकल्प करती है वह सर्व आत्माओं के प्रति शुभ चिंतक वृति से भरपूर होता है । इस प्रकार मनसा महादानी बन अपने शुभ संकल्पों से वह अनेको आत्माओं का कल्याण करती रहती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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