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 07 / 06 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ अपना दैवी स्वभाव बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

➢➢ ड्रामा के आदि मध्य अंत के राज़ को बुधी में रख हर्षित रहे ?

 

➢➢ सब कुछ नयी दुनिया के लिए ट्रान्सफर किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ अपने स्वरुप द्वारा भक्तों को लाइट के क्राउन का साक्षातकार करवाया ?

 

➢➢ सदा बापदादा की छत्रछाया के अन्दर रह विघन विनाशक बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ आज दिन भर बाबा के गीत गाते रहे ?

 

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➳ _ ➳  http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/07.06.16-VisheshPurusharth.pdf

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा इष्ट देव हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  मैं ज्योतिर्बिंदु आत्मा हूँ... मैं लाइट हूँ... मैं माइट हूँ... मैं अपने स्वरुप में पवित्र हूँ... शुद्ध हूँ... निर्मल हूँ... मैं परमधाम में अखण्ड ज्योति तत्व में, निर्विकार हूँ... निर्विकल्प हूँ... कर्मातीत हूँ... मैं ज्वाला स्वरुप हूँ... मैं लाइट - माइट स्वरूप हूँ...

 

_ ➳  मुझ ज्योतिस्वरूप आत्मा से पवित्रता के प्रकमम्पन्न चारों ओर वातावरण में फ़ैल रहें हैं... मीठे बाबा आप परम पावन हैं... आप मुझ आत्मा को पवित्रता का वरदान देने वाले हैं...

 

_ ➳  जब से मैं आत्मा आपकी बच्ची बनी हूँ, जबसे मैंने पवित्रता की प्रतिज्ञा की है तो रिटर्न में मुझ आत्मा को लाइट का ताज प्राप्त हो गया है... इस लाइट के ताज के आगे रत्न जड़ित ताज कुछ भी नहीं है...

 

_ ➳  मैं आत्मा अब अपने प्यारे शिवबाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं अपने संकल्प, बोल और कर्म में प्यूरिटी को धारण करती जाउंगी...

 

_ ➳  यह संकल्प लेते ही मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि यह लाइट के क्राउन का मुझ आत्मा को साक्षात्कार हो वह स्पष्ट होता जा रहा है... और मैं आत्मा इष्ट देव के रूप में भक्तों के आगे प्रत्यक्ष होती जा रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम महान सोभाग्यशाली हो क्योकि तुम्हें भगवान वह पढ़ाई पढ़ाते है जो किसी ऋषि मुनि ने भी नही पढ़ी"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे कितने महान हो सोभाग्यशाली हो कि भगवान उतर आया धरती पर तुम बच्चों कि पढ़ाई के लिए... यह खूबसूरत भाग्य दिनरात तपस्या में लींन ऋषि मुनियो का भी नही... कितना मीठा प्यारा शानदार भाग्य आप बच्चे लिए हुए हो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे स्वयं ईश्वर पिता आप बच्चे के भाग्य का गुणगान कर रहा कि भगवान आया धरा पर शिक्षक बन पढ़ाने के लिए... सारे ज्ञान से भरे खजाने लुटाने के लिए... इस भाग्य की सराहना ईश्वर भी करे और कहे वाह बच्चे वाह...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे आपके शानदार भाग्य ने ईश्वर पिता को टीचर रूप में आसमाँ छोड़ जमीन पर बुला डाला... ईश्वर स्वयं बेठ पढ़ा रहा... देवता बना सजा रहा यह पढ़ाई तपस्यारत ऋषि मुनियो ने भी नही पायी जबकि सारी सांसे ईश्वर पिता की पुकार में लुटाई...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे भगवान शिक्षक बन देवताई पढ़ाई पढ़ा रहा अपने इस महान भाग्य के नशे में भर जाओ... ज्ञान रत्नों से देवताई खूबसूरत जीवन दिला रहा... खुशियो से भरी सतयुगी दुनिया लायक बना रहा... ऐसी सुंदर तकदीर तो तपस्वियों की भी नही...

 

 ❉   मेरा लाडला बाबा कहे - प्यारे बच्चे कितना मीठा प्यार महान भाग्य है की ईश्वरीय पढ़ाई से जीवन सुखो की खान बन जाता है... भाग्य विधाता ईश्वर टीचर बन जीवन सवांरने में जुट जाता है ऐसा भाग्य किसी और का कहाँ जो आप बच्चे का है... इस नशे में खुद को डुबाओ और ख़ुशी से मुस्कराओ...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ स्वराज्य लेने के लिए इस बेहद यज्ञ में जीते जी अपना तन-मन-धन स्वाहा करना है । सब कुछ नई दुनिया के लिए ट्रांसफर कर लेना है ।

 

  ❉   बाबा ने आकर हमें ये सृष्टि चक्र के आदि मध्य अंत का ज्ञान दिया व बताया कि हम ही पहले सूर्यवंशी राजा थे व अब शूद्र वंशी बने है । अब हमें फिर से सूर्यवंशी बनना है व अपना स्वराज्य लेना है । इसलिए हमें अच्छी रीति पढ़ाई पढ़नी है व धारण करनी है ।

 

  ❉   ये पुरानी दुनिया तो विनाशी है व नेचुरल कैलेमिटीज आदि में सब स्वाहा हो जाना है । बाप हम बच्चों को अपने साथ वापिस ले जाने के लिए आए है तो हमें पवित्र बनना है व स्वराज्य पाने के लिए पढ़कर मनुष्य से देवता बनना है व दैवीय गुण धारण करने हैं ।

 

  ❉   जब ये पुरानी दुनिया पुराना शरीर सब स्वाहा हो जाना है तो इनसे मोह नही रखना । अपना सब कुछ यज्ञ के प्रति समर्पण कर व अपनी हड्डी दधीचि ऋषि मिसल सफल करनी है । वैसे लौकिक में भी कोई छोटा सा लक्ष्य होता है उसे पाने के लिए दिन रात मेहनत करते है फिर हमें तो स्वर्ग की बादशाही लेनी है व विश्व का मालिक बनना है तो इस बेहद के यज्ञ में अपना तन मन धन सब अर्पण करना है ।

 

  ❉   हमें मनसा वाचा कर्मणा पवित्र रहना है व जा ते जी मरना है यानि ये नही कि शरीर से मर जाना है । इसी दुनिया में रहते सब कर्म करते देह के धर्म सम्बंध से तोड निभानी है  उनमे फंसना नही है ।

 

  ❉   जैसे नई जगह जाना होता है तो हम पहले से तैयारी करते हैं ऐसे हमें नई दुनिया में जाना है तो पुराने स्वभाव संस्कार यही स्वाहा करने है व अच्छे कर्म व अच्छे संस्कार भर जमा करने है व यही जितना ज्यादा हो सके बस एक बाप की याद में रहना है । यही हमारी असली कमाई है जो साथ जानी है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने स्वरुप द्वारा भक्तों को लाइट के क्राउन का साक्षात्कार कराने वाले इष्ट देव होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे ये स्मृति में रखते कि हम पवित्रता के सागर बाप के बच्चे मास्टर पवित्रता के सागर हैं व हमने बाप से प्रतिज्ञा की है कि हम पवित्र ही रहेंगे तो उनके हर कर्म, बोल  और संकल्प में पवित्रता होती है व अपनी रुहानियत से व पवित्रता को धारण करने से लाइट के क्राउन का साक्षात्कार कराने वाले इष्ट देव होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे सदा समर्थ स्मृति सदा अपना सम्पूर्ण स्वरुप का चित्र सामने रखते हैं जिसमें सर्व गुण सर्व शक्तियां समाई हुई हो तो ऐसे बच्चे अपने स्वरूप द्वारा भक्तों को लाइट का क्राउन का साक्षात्कार कराने वाले  इष्ट देव होते है ।

  ❉   जो प्रवृति में रह कमल पुष्प समान न्यारे और प्यारे रहते हैं व अपना हर कर्म अपने को ट्रस्टी समझ कर अथार्त डबल लाइट हो कर करते हैं । वे सदा अपने स्वरूप द्वारा भक्तों को लाइट का क्राउन का साक्षाकार करने वाले इष्टदेव होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे नम्बरवन परवाने हैं उनको स्वयं का अर्थात् इस देह- भान का, दिन-रात का, भूख और प्यास का, अपने सुख के साधनों का, आराम का, किसी भी बात का आधार नहीं। वे सब प्रकार की देह की स्मृति से खोये हुए अर्थात् निरन्तर शमा के लव में लवलीन रहते हैं। जैसे शमा ज्योति-स्वरुप है, लाइट माइट रुप है, वैसे शमा के समान स्वयं भी लाइट-माइट रुप बन जाते हैं और भक्तों को लाइट का क्राउन का साक्षात्कार कराने वाले इष्ट देव होते है ।

 

  ❉   जो बच्चे बाप से मिले सर्वगुणों, सर्व खजानों से सम्पन्न होकर अपने वरदानी स्वरुप में स्थित होकर निर्बल कमजोर आत्माओं को गुणों, शक्तियों, खजानों का दान देकर उनमें उमंग उत्साह भर व शांति अनुभव कराते है तो उन आत्माओं से यही दुआ निकलती कि ये तो देवता ही है । ऐसे अपने भक्तों को लाइट का क्राउन का साक्षात्कार कराने वाले इष्ट देव होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सदा बापदादा की छत्रछाया के अंदर रहो तो विघ्न - विनाशक बन जायेंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो सदा एक बापदादा की छत्रछाया के अंदर रहते हैं वो एक बाप के लव में लवलीन रहने के कारण सहज ही चारों ओर के वायब्रेशन से, वायुमण्डल से दूर रहते हैं । क्योंकि लीन रहना अर्थात् बाप समान शक्तिशाली सर्व बातों से सेफ रहना ।  लीन रहना अर्थात् समाया हुआ रहना और जो समाये हुए हैं वही मायाप्रूफ हैं । माया का कोई भी तूफान, कोई भी विघ्न उन्हें प्रभावित नही कर सकता क्योकि बाप की छत्रछाया उन्हें विघ्न विनाशक बना कर हर विघ्न से पार ले जाती है ।

 

 ❉   स्वयं को जब सदा बाप के याद की छत्रछाया के अन्दर अनुभव करेंगे अर्थात जितना - जितना याद में रहेंगे, उतना अनुभव करेंगे कि हम अकेले नहीं लेकिन बाप - दादा सदा साथ हैं । कोई भी समस्या सामने आयेगी तो अपने को कम्बाइन्ड अनुभव करेंगे, इसलिए घबरायेंगे नहीं । कम्बाइन्ड रूप की स्मृति से कोई भी मुश्किल कार्य सहज हो जायेगा । लौकिक में भी जैसे बच्चा बाप को सब बोझ दे कर हल्का रहता है । इसी तरह जब हम भी अपने सब बोझ बाप को दे देंगे तो कोई भी विघ्न स्थिति को प्रभावित नही करेगा बल्कि विघ्न विनाशक बन हर विघ्न को सहजता से पार कर लेंगे ।

 

 ❉   बापदादा की छत्रछाया के नीचे जब स्वयं को अनुभव करेंगे तो हर  परिस्थिति, हर विघ्न एक खेल अनुभव होगा । ऐसे लगेगा जैसे साक्षी होकर हद का ड्रामा देख रहे हैं । कैसी भी विकराल रूप से माया आयेगी लेकिन उससे घबराएंगे नही । जैसे शिकारी शिकार करता है, उसमें भी वार होता है, लेकिन शिकार समझने के कारण वह घबराता नहीं है, खुश होता है । ऐसे ही जब हम स्वयं को हर समय बापदादा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करेंगे तो विघ्न विनाशक बन माया के हर वार का सामना कर सकेंगे और हर विघ्न पर जीत पा सकेंगे ।

 

 ❉   जब स्वयं को सदा सर्वशक्तिमान बाप की छत्रछाया के नीचे अनुभव करेंगे तो सर्वशक्ति सम्पन्न बन जायेंगे और नॉलेजफुल बन सर्व शक्तियों को समय पर कार्य में लगा कर, माया के हर रूप को परख कर स्वयं को माया के हर वार से सेफ कर सकेंगे । बाप के हाथ और साथ का अनुभव करते हुए जब सदा कम्बाइन्ड स्वरूप में रहेंगे और अनुभव करेंगे कि बापदादा की दुआओं का हाथ मेरे मस्तक पर है तो विघ्न - विनाशक बन हर विघ्न का सामना करते हुए सदा निश्चिंत रहेंगे ।

 

 ❉   बापदादा की छत्रछाया के नीचे जब रहेंगे तो सारा दिन संकल्प, बोल और कर्म बाप की याद और सेवा में लगे रहेंगे ।  जब हर संकल्प में बाप की याद होगीबोल द्वारा बाप का दिया हुआ खजाना दूसरों को देने में बिज़ी रहेंगे और कर्म द्वारा बाप के चरित्रों को सिद्ध करते रहेंगे तो  याद और सेवा का डबल लॉक लग जायेगा जो ऐसा माया जीत बना देगा जिसके आगे फिर माया कभी आ नहीं सकेगी । इस स्मृति से जब पक्का लॉक लग जायेगा तो विघ्न विनाशक बन हर विघ्न से सदा सेफ , सदा खुश और सदा सन्तुष्ट रहेंगें ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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