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 31 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ सपूत बच्चा बन श्रीमत पर चलते रहे ?

 

➢➢ याद के बल से तमोप्रधान के संस्कार चेंज करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

➢➢ ज्ञान रत्नों का दान करते रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ अपने अव्यक्त शांत स्वरुप द्वारा वातावरण को अव्यक्त बनाया ?

 

➢➢ सम्पूरण सत्यता के आधार पर पवित्रता को धारण करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ सब रस्सियों को तोड़ सुख के सागर में लहराते रहे ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं साक्षातकार मूर्त आत्मा हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  भृकुटि सिन्हांसन पर विराजमान मैं चमकता हुआ सितारा स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ... मैं पदमापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ... मैं आत्मा अब इस साकार लोक में अपने स्वीट साइलेंस घर जा रहीं हूँ...

 

_ ➳  मैं  मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा परमधाम में सर्वशक्तिवान, ऑलमाइटी अथॉरिटी के सम्मुख हूँ... बाबा से सर्वशक्तियों की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... इन किरणों के प्रभाव से मेरे विकर्मों की कालिमा धुलती जा रही है... और मैं आत्मा शुद्ध व स्वच्छ बनती जा रहीं हूँ...

 

_ ➳  मैं एक डीप साइलेंस का अनुभव कर रहीं हूँ... एक दम शांत... यही मेरा अव्यक्त स्वरुप है... मैं आत्मा आज अपने सतगुरु शिव बाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि जैसे मैं आत्मा सेवाओं के और अन्य प्रोग्राम बनाती हूँ उसी प्रकार 

_ ➳  मैं सवेरे से रात तक याद की यात्रा में कैसे और कब रहेंगे, यह भी प्रोग्राम बनाउंगी और बीच - बीच में दो तीन मिनट के लिए संकल्पों की ट्रैफिक को स्टॉप करने का पूरा अभ्यास करुँगी...

 

_ ➳  जब भी कोई व्यक्त भाव में ज़्यादा दिखाई देगा , तो उनको बिना कहे मैं आत्मा अपना अव्यक्ति शांत स्वरुप ऐसा धारण करुँगी की जो वह आत्मा भी इशारे से ही समझ  जायेगी...

 

_ ➳  इन्हीं दृढ़ संकल्पों के साथ मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि इस अभ्यास से वातावरण अव्यक्त रहने लगा है... अनोखापन दिखाई दे रहा है और मैं आत्मा साक्षात्कार करवाने वाली साक्षात् मूर्त बन गयी हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - रावण ने तुम्हे बहुत पीड़ित किया है, अभी तुम भक्तो का रक्षक भगवान आया है तुम्हारी पीड़ा हरने"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे विकारो में फस कर मेरे फूल समान बच्चे मुरझा चले है... अब भक्ति का फल देने स्वयं पिता चला आया है... अब सच्चे ज्ञान से सच्चे पिता की याद से अपने सत्य स्वरूप को जान सारे दुखो का अंत निश्चित है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे रावण ने बुरा हाल किया है खूबसूरत से बच्चों को दुखो से भर बेहाल किया है... अब विश्व पिता ने दारुण पुकार बच्चों की सुन धरती की और रुख किया है... भक्ति का फल देने स्वयं भगवान आ चूका है...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे रावण के चंगुल में फस कर दुःख निराशा से भर गए हो... अब बच्चों को सुख शांति का खजाना देने भगवान धरती पर उतर आया है... अपने बच्चों को सुखी बनाने आनन्द और खुशियो से भरने दुखो से सदा का छुड़ाने पिता आ चला है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे रावण के संग से विकारी बन अपने सुनहरे रूप को खो चुके हो... मेरे देवताई सुंदर खुशनुमा से बच्चे दुखो में लिप्त हो चुके हो... अब सारी पीड़ा को हरने भगवान आ चुका है... सारे दुःख दूर होने का समय आपकी बाँहो में है...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चे रावण ने कितना पीड़ित किया है दुःख दर्द जनमो का देकर थका कर खाली किया है... कितना अथाह दुःख मेरे बच्चों ने भोगा है... कि मुझ भगवान को आना पड़ा... अपने भक्तो की सदा की रक्षा करने...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप से राजाई का वर्सा लेने के लिए सदा सपूत बच्चा बन श्रीमत पर चलना है । सच्चे बाप से सच्चा रहना है ।

  

 ❉   जब स्वयं भगवान ने पतित दुनिया से निकाल कर अपना बच्चा बनाया व निस्वार्थ प्यार दिया । मुझे नया जीवन दिया तो मुझे भी बाप से राजाई का वर्सा लेने के लिए सदा सपूत बच्चा बनकर बाप की श्रीमत पर ही चलना है ।

 

 ❉   ऊँचे ते ऊँचे बाप की श्रीमत का सम्पूर्ण रीति से पालन करना है। बाबा की श्रीमत हमको क्या से क्या बनाती है ! स्वर्ग का मालिक !! तो हमें भी बाप की शिक्षाओं पर चल बाप से राजाई का पूरा वर्सा लेना है ।

 

 ❉   सबसे पहले तो अपने को आत्मा समझ हर पल बाप की याद में रहना है व बाप स्वयं सुप्रीम टीचर बन हमें इस पतित दुनिया में दूरदेश से पढ़ाने आते है व पढ़ाकर ही हमें विश्व का मालिक बनाते है । तो हमें ये वंडरफुल, ऊंच ते ऊंच रुहानी पढ़ाई सपूत बच्चा बन अच्छी रीति पढ़नी है व धारण करनी है ।

 

  ❉   अब इस संगमयुग पर हमें सच्चे बाप का संग मिला है तो हमें सच्चे बाप के साथ बिल्कुल सच्चा रहना है । हर कर्म करते बाप को सब सच बताना है कोई गल्ती होने पर छिपाना नही है ।

 

  ❉   लौकिक में भी जो बच्चे माँ बाप से अपना सब कुछ सच्चा सच्चा बताते हैं तो माँ बाप भी उन्हें अपने दिल पर रखते हैं व बहुत प्यार देते है उसकी हर बात पर उसका ध्यान रखते हैं । हमें तो बेहद का बाप मिला है इसलिए जो बच्चे अपना सब साफ और स्पष्ट बाबा को बताते हैं तो दिलतख्तनशीं होते हैं । इसलिए कहा भी गया है सच्चे दिल पर साहिब राजी ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने अव्यक्त शान्त स्वरुप द्वारा वातावरण को अव्यक्त बनाने वाले साक्षात मूर्त होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे बार बार अशरीरी स्टेज का, साक्षीपन की स्टेज का, करकरावनहार की स्टेज का बार बार अभ्यास करते तो चाहे कितनी भी बाहरी आपदायें आती तो अपने शरीर से न्यारे होने व बाप का प्यारा होने से अपने व्यक्त शांत स्वरुप से वातावरण को अव्यक्त बनाने वाले साक्षात मूर्त होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे बाप से सच्ची प्रीत रखते व बस एक की लगनमें मगन रहते व बाप से हुई प्राप्तियों से सम्पन्न रहते वो शुभ चिंतन, ज्ञान चिंतन द्वारा नेगेटिव को पोजीटिव में बदल अपने अव्यक्त शांत स्वरुप द्वारा वातावरण को बदल साक्षातमूर्त होते हैं ।

 

  ❉   जो सारा दिन अपना हर संकल्प, बोल और कर्म बाप की याद और सेवा में लगाते हैं व हर कदम श्रीमत प्रमाण होता है तो वह स्वयं सदा संतुष्टमणि होते है । अंतर्मुखी रह साइलेंस की शक्ति को जमाकर अपने अव्यक्त शांत स्वरुप से दुखी व असहाय आत्माओं को सुख व शक्ति की वायब्रेशनस देकर उन्हें शक्तिशाली अनुभव कराकर वातावरण को अव्यक्त बनाकर साक्षात मूर्त होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे अपनी श्रेष्ठ वृत्ति वा श्रेष्ठ दृष्टि द्वारा आत्माओं की सेवा करते हैं व आत्माओं को बाप से जोड़ने की सेवा करते है । लाइट माइट की किरणें फैलाते हुए ये अनुभव करवाते है कि ये कोई आध्यात्मिक शक्ति ही है जो इतना बड़ा परिवर्तन हो रहा है ऐसे अपने अव्यक्त शांत स्वरुप द्वारा अव्यक्त वातावरण बनाने वाले साक्षात मूर्त होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे फॉलो फादर कर हर कार्य करते है और अपने को शान्ति के सागर के बच्चे समझते हैं । स्व के धर्म में रहते विश्व में शांति स्थापन करने का कार्य करते हैं । अशान्ति की दुनिया ही छूट गई शान्ति देवा बन गए । यहाँ व्यक्त में रहते भी अव्यक्त शान्त रूप की भासना देते जिसने आधा कल्प अपने से अशान्ति को दूर कर दिया वे वातावरण को भी अव्यक्त बनाने वाल् साक्षात मूर्त होते हैं ।

 

  ❉  जो बच्चे बाप के स्नेह से भरपूर होकर, बाप समान रहमदिल बन, दुःखी अशांत तडपती हुई आत्माओं पर कल्याण की भावना से व याद के बल से अव्यक्त शांत स्वरुप से दृष्टि वा वायब्रेशनस से वा अपने शुभ संकल्प से वातावरण को परिवर्तन कर देते हैं । अपने स्नेह से बापदादा को भी अपनी डोर में बांधने वाले अव्यक्त को भी आप समान व्यक्त में लाने वाले साक्षात मूर्त होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सम्पूर्ण सत्यता ही पवित्रता का आधार है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   पवित्रता का अर्थ ही हैं हर संकल्प, बोल और कर्म में अपवित्रता का अंश मात्र भी ना हो अर्थात मन, वचन और कर्म में संपूर्ण पवित्रता । पवित्रता का आधार है सम्पूर्ण सत्यता और सम्पूर्ण सत्यता का अर्थ है जीवन में सच्चाई और सफाई । सच्चाई का अर्थ है जो भी वाणी से दूसरों को बोले पहले उसे स्वयं कर्म में लाएं और सफाई का अर्थ है किसी भी पुराने स्वभाव संस्कार का अंश मात्र प्रभाव भी चित पर दिखाई ना दे । जब ऐसे सम्पूर्ण सत्यता को जीवन में धारण करेंगे तो पवित्रता का स्वरूप सहज ही बन जायेंगे ।

 

 ❉   जैसे दर्पण में हर चीज बिलकुल वैसी ही साफ और स्पष्ट दिखाई देती है जैसी कि वह होती है । इसलिए कहा भी जाता है कि दर्पण कभी झूठ नही बोलता । इसी प्रकार जिनका मन दर्पण के समान साफ और स्वच्छ होता है । सत्यता की झलक उनके चेहरे की दिव्यता और नयनो की रूहानी चमक में स्वत: रिफ्लेक्ट होती है । यही सत्यता पवित्रता का आधार बन उनमें पवित्रता का बल जमा कर उन्हें पूज्य बना देती है ।

 

 ❉   सम्पूर्ण सत्यता आती है अपने सत्य स्वरूप को निरन्तर स्मृति में रखने से । जितना अपना सत्य स्वरूप " मैं आत्मा हूँ " स्मृति में रहेगा तो जो भी संकल्प करेंगे, मुख से जो भी बोल बोलेंगे तथा शरीर का आधार ले कर जो भी कर्म करेंगे वह उस सत्य स्वरूप में स्थित हो कर करेंगे और सत्य स्वरूप में स्थित हो कर किया हुआ हर कर्म सत्यता से भरपूर सर्वश्रेष्ठ होगा । जो पवित्रता का आधार बन आत्मा को उज्ज्वल बना देगा ।

 

 ❉  जो नियमो और मर्यादायों का पालन करते हुए संयमित जीवन जीते हैं । जिनका हर बोल और कर्म सच की नींव पर टिका होता है । जिनके चाल चलन से सत्यता की सभ्यता की झलक सबको स्पष्ट दिखाई देती है ऐसे जो सम्पूर्ण सत्यता को अपने जीवन में धारण कर सत्य बाप के साथ सदा सत्य रहते हैं । अंदर बाहर एक समान रहते हैं । उनमे पवित्रता का बल स्वत: जमा होता जाता है ।

 

 ❉   जैसे बाप, जो है, जैसा है वैसे बच्चों के आगे प्रत्यक्ष है ठीक उसी तरह जो बच्चे सम्पूर्ण सत्यता के साथ स्वयं को बाप के आगे प्रत्यक्ष करते हैं वे सहज ही उड़ती कला का अनुभव करते हैं । और उड़ती कला का अनुभव उन्हें हर प्रकार के बोझ से मुक्त रखता है और हर प्रकार के बोझ से मुक्त आत्मा लाइट माइट स्थिति में सदा स्थित रह कर अपनी साधना और तपस्या द्वारा पवित्रता का बल स्वयं में जमा करती जाती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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