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❍ 20 / 09 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ कोई भी कार्य श्रीमत के विरूद्ध तो नहीं किया ?
➢➢ बुधीयोग नयी दुनिया से लगाए रखा ?
➢➢ ज्ञान को धारण कर दोस्स्रों को धारण कराया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ स्थूल कार्य करते भी मनसा द्वारा विश्व परिवर्तन की सेवा की ?
➢➢ योधा बनने की बजाये निरंतर योगी बनकर रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ √ज्ञान का तीसरा नेत्र√ खुला रख तपस्वी बनकर रहे ?
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➳ _ ➳ http://www.bkdrluhar-murli.com/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/20.09.16-VisheshPurusharth.htm
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम अपनी तकदीर नई दुनिया के लिए बना रहे हो यह तुम्हारा राजयोग है ही नई दुनिया के लिए"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे... इस पुरानी दुनिया में अपनी बिगड़ी सी तकदीर को जीने के गहरे अनुभवी हो... अब अपनी तकदीर नई सुंदर सुखो से भरी दुनिया के लिए बना रहे हो... यह राजयोग है ही सुन्दरतम दुनिया के लिए... राजयोग की परिणीति ही अथाह सुख और आनन्द है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा मै आत्मा कितनी भाग्यशाली हूँ कि स्वयं भगवान मुझे राजयोग सिखा कर निखार रहा है... मेरा जीवन उज्ज्वल बना फूलो सा महका रहा है... राजयोग सिखाकर अपनी मखमली गोद में बिठा रहा है... कैसे शुक्रिया करूँ प्यारे बाबा का...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... इस धरा पर जब फूल बन खिले थे तो सुगन्ध से परिपूर्ण थे... पर देह के भान ने उस खुशबु को रहने न दिया... अब विश्व पिता फिर से वही भाग्य जगाने आया है... बच्चों की तकदीर बदलने राजयोग सिखाने आया है... सुखो की दुनिया में महकते फूल खिलाने आया है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे बाबा से मिलकर अपनी खोयी हुई वही चमक... वही सुनहरी रंगत... वही सतयुगी अदा को पा रही हूँ... सुनहरा भाग्य बाबा से पा रही हूँ... और नई दुनिया को अपने नाम लिखवा रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... इस देह की दुनिया में देह समझकर जीने लगे और खिलते हुए भाग्य को कुम्हला से बेठे...मिटटी के नातो में ऐसे खोये की भाग्य को दुखो की लकीर बना बेठे... अब प्यारा बाबा फिर से उन्ही सुखो में बसाने आया है... राजयोग सिखाकर सोया सा भाग्य फिर जगाने आया है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में अपनी तकदीर को फूल सा खिला रही हूँ... नई दुनिया में अथाह सुखो से भरा जीवन अपने नाम लिखवा रही हूँ,.. फिर से महासोभाग्यशाली बन रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )
❉ "ड्रिल - पढ़ाई अच्छी रीति पढ़कर ऊंच तकदीर बनाना"
➳ _ ➳ कोटों में कोई व कोई मे भी कोई मैं पदमापदम भाग्यशाली आत्मा हूं... जिसके दर्शन पाने को मनुष्य न जाने कहां कहां भटकते है... वो भगवान स्वयं इस पतित दुनिया में मुझ आत्मा को पढ़ाने आते हैं... ऊंच ते ऊंच जो सारी सृष्टि के रचयिता है वो स्वयं मेरे सुप्रीम पिता है... सुप्रीम टीचर है... सुप्रीम सतगुरु हैं... प्यारे शिव बाबा अपनी बच्ची की उंगुली पकड़ कर चलना सीखा रहे हैं... मैं आत्मा बस प्यारे बाबा की श्रेष्ठ मत पर ही चल रही हूं... मुझ आत्मा को पढ़ाकर पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बना रहे हैं... कांटो से निकाल गुल गुल बना रहे हैं... कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बना रहे हैं... ये रुहानी पढ़ाई वंडरफुल पढ़ाई है... इस पढ़ाई को पढ़ मैं आत्मा अविनाशी कमाई जमा कर रही हूं... स्वयं भगवान पढ़ाकर आप समान भगवान भगवती बना रहे हैं... मुझ आत्मा को विश्व की बादशाही लायक बना रहे है... मैं आत्मा इस रुहानी पढ़ाई को अच्छी रीति पढ़कर अपनी ऊंच तकदीर बनाने का पुरुषार्थ कर रही हूं... वाह रे मेरा भाग्य वाह...!! जो स्वयं भगवान स्वर्ग की राजाई न लेकर मुझ आत्मा को इस लायक बना रहे हैं... मैं आत्मा दिव्य गुणों को धारण कर रही हूं... मैं आत्मा सुख के सागर की संतान मास्टर सुख का सागर हूं... मैं आत्मा मनसा वाचा कर्मणा किसी को दुख नही देती हूं... मैं मीठे बाबा की मीठी बच्ची हूं...
❉ "ड्रिल - निरंतर योगी स्थिति का अनुभव"
➳ _ ➳ मैं शक्तिशाली आत्मा, ज्योति बिंदु, इस देह का संचालन करने वाली शक्ति। अज्ञानता की गहरी नींद में सोई हुई मैं आत्मा यह भूल चुकी थी कि मैं ही वह अनादि चैतन्य शक्ति हुँ। स्वयं को देह समझ बहुत कमजोर अनुभव कर रही थी। मुझ आत्मा के जीवन में आने वाली छोटी से छोटी परिस्थिति में भी, मैं आत्मा परेशान होती थी, बहुत युद्ध करना पडता था। लेकिन अब बाबा का साथ पाकर मैं आत्मा निर्भिक बन गई हुँ। अब मुझ आत्मा को सदैव योग युक्त रहकर स्वयं को सम्पूर्णतया पवित्र ओर शक्तिशाली बनाना हैं। मैं आत्मा बाबा के साथ योग लगाकर, सदैव सुखी व स्वयं को लाइट व माइट से सम्पन्न पाती हुँ। अब कैसी प्रकार की परिस्थिति मुझ आत्मा के समक्ष आये पंरतु मुझ आत्मा को वह विचलित नही करती। बाबा ने मुझ आत्मा को इतना शक्तिशाली बना दिया हैं। इन परिस्थितियों को पार करती हुई मैं आत्मा, सहज योग युक्त हुँ। मेरे प्यारे बाबा का सानिध्य पाकर मुझ आत्मा को अब युद्ध नही करना पडता, मैं आत्मा सहज योगी हुँ।
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- मैं विश्व-परिवर्तन करने वाली ज़िम्मेवार आत्मा हूँ ।"
➳ _ ➳ मैं आत्मा मास्टर विधाता के साथ मास्टर वरदाता बन रही हूँ... वरदाता बन मैं आत्मा बाबा से शक्तियां ले रही हूँ जिससे सर्व आत्माओं में बल भरता जा रहा है... मैं बाबा द्वारा निमित्त आत्मा रहमदिल बन अन्य आत्माओं में बल भरती जा रहीं हूँ...
➳ _ ➳ बाबा ! आपकी चाहना रखने वाली कई इच्छुक आत्माएं हैं जिनमें हिम्मत की कमी है, मैं आत्मा ऐसी कमज़ोर आत्माओं को अपनी श्रेष्ठ मनसा द्वारा हिम्मतवान बना रहीं हूँ... बाबा द्वारा निमित्त आत्मा बनी मैं आत्मा अपनी शुभ भावना का एक्सट्रा बल उन आत्माओं को देती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं अलबेलेपन को समाप्त कर अपने एक-एक सेकेंड को अमूल्य समझने वाली आत्मा हूँ... प्यारे बाबा !मैं आत्मा अपने हर संकल्प को आपके प्रति कुर्बान कर विश्व-कल्याण के कार्य वा जड़-चैतन्य को परिवर्तन करने के कार्य में निमित्त बनने वाली ज़िम्मेवार आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्म विश्व की स्टेज पर विराजमान हो पूर्ण ज़िम्मेवारी से विश्व-कल्याण की सेवा अर्थ निमित्त होने की सीट पर सेट हो रहीं हूँ... मैं आत्मा विश्व-परिवर्तन करने की हर ज़िम्मेवारी को दिलसे निभाने वाली ज़िम्मेवार आत्मा हूँ ।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ स्थूल कार्य करते भी मनसा द्वारा विश्व परिवर्तन की सेवा करने वाली जिम्मेदार आत्मा होती है... क्यों और कैसे?
❉ स्थूल कार्य करते भी मनसा द्वारा विश्व परिवर्तन की सेवा करने वाली जिम्मेदार आत्मा होती है क्योंकि कोई भी स्थूल कार्य करते हुए हमें सदा इस बात की स्मृति रहनी चाहिए कि हम विश्व की स्टेज पर विश्व कल्याण की सेवा अर्थ निमित्त आत्मायें हैं।
❉ जब स्वयं को सेवा के निमित्त समझ कर दिनचर्या का कोई भी कार्य चाहे लौकिक हो या फिर चाहे अलौकिक हों, उन सभी कार्यों को निःस्वार्थ भाव से ही करना है क्योंकि निःस्वार्थ भाव से किये गये सभी कार्य अलौकिक और अविनाशी हो जाते हैं।
❉ तब वह कार्य हम आत्माओं को बन्धन में नहीं बाँधते है, क्योंकि परमात्म निमित्त किया गया कोई भी कार्य बन्धन कारक नहीं होता है। वह सेवा ही है। वह कार्य सेवा इसलिये है क्योकि उस कार्य का फल भी प्रभु अर्पण होता है। इसलिये स्थूल कार्य करते भी मनसा द्वारा सेवा के निमित्त आत्मा होती है।
❉ मैं आत्मा विश्व सेवार्थ निमित्त हूँ। मुझे अपनी श्रेष्ठ मनसा द्वारा विश्वपरिवर्तन के कार्य की बहुत बड़ी जिम्मेवारी मिली हुई है। इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाना है तथा इस स्मृति को सदा ही अपनी जेहन में बरकरार रखना है। इस बात को कभी भी भूलना नहीं है।
❉ क्योंकि इस स्मृति से सभी प्रकार के अलबेलेपन समाप्त हो जायेंगे और समय भी व्यर्थ जाने से बच जायेगा। हम अपने एक - एक सेकण्ड को अमूल्य समझते हुए लोक कल्याण के वा जड़ - चैतन्य को परिवर्तन करने के कार्य में सफल करते रहेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ अभी योद्धा बनने के बजाए निरन्तर योगी बनो... क्यों और कैसे ?
❉ समय की रफ़्तार को देखते हुए अगर स्वयं के पुरुषार्थ की रफ़्तार तेज नही की तो पीछे रह जायेंगे और फिर बहुत पछताना पड़ेगा । अगर अभी भी योद्धा बन माया के साथ युद्ध में ही समय को व्यर्थ गंवाते रहे तो समय हाथ से निकल जायेगा । इसलिए बाबा चेतावनी देते हैं कि समय के महत्व को जान अब योद्धा बनने के बजाय निरन्तर योगी बनो तभी मायाजीत जगतजीत बन सकेंगे ।
❉ योद्धा के हाथ में सदैव धनुष बाण दिखाते हैं जो चंद्रवंशी की निशानी है । इसलिए जो अंत समय तक योद्धा ही बन कर रहेंगे अर्थात अंत तक माया रावण के साथ जिनकी युद्ध चलती रहेगी वो सूर्यवंशी राजा का पद कभी भी नही पा सकेंगे । इसलिए बाबा समझाते हैं कि योद्धा बनने के बजाए अब निरन्तर योगी बनो और योग बल से माया रावण पर विजय प्राप्त कर विजय का झंडा लहराओ तभी विश्व महाराजन बन सकेंगे ।
❉ माया रावण के साथ युद्ध तब चलती है जब बाबा का हाथ और साथ छोड़ देते हैं । इसलिए जितना स्वयं को बाबा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करेंगे और निरन्तर योगी सहज योगी बन बाबा की याद में रहेंगे तो माया से युद्ध स्वत: ही समाप्त हो जायेगी । योद्धा पन के संस्कार मिटते जायेंगे और नए दैवी संस्कार धीरे धीरे इमर्ज होते जायेंगे जो हमे भविष्य उंच दैवी पद का अधिकारी बना देंगे ।
❉ अंतिम पेपर में पास विद ऑनर वही बन सकेंगे जिन्हें लम्बे काल का अभ्यास होगा । जिनकी अंत समय तक माया के साथ युद्ध चलती रहेगी वो योद्धा पन के संस्कार ही अपने साथ ले कर जायेंगे और उसी अनुसार भविष्य पद प्राप्त करेंगे । किन्तु जिन्हें लम्बे काल का निरन्तर योगी बनने का अभ्यास होगा वो सेकण्ड में बाबा की याद में अंत मति सो गति को पा लेंगे । इसलिए बाबा समझाते है कि अब योद्धा बनने के बजाए निरन्तर योगी बनो ।
❉ लौकिक पढाई में भी जो बच्चे अच्छी रीति पढाई नही पढ़ते उनके मन में हमेशा यही द्वन्द रहता है कि पता नही वो पास भी हो सकेंगे या नही । इसी प्रकार इस ईश्वरीय पढाई को भी जो सही रीति नही पढ़ते और बाबा की श्रीमत अनुसार नही चलते वे योद्धा ही बने रहते हैं और लास्ट तक युद्ध ही करते रहते हैं । परन्तु जो पढाई को अच्छी रीति पढ़ते और निरन्तर योगी बन सदा बाबा की याद में रहते हैं उनकी माया रावण के साथ युद्ध स्वत: ही समाप्त हो जाती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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