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 21 / 06 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ ड्रामा की हर सीन साक्षी होकर देखी ?

 

➢➢ तन-मन-धन बाप की सर्विस में सफल किया ?

 

➢➢ बाप को पूरा समाचार दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी की सीट पर सेट रहे ?

 

➢➢ मैं की बजाये बाबा-बाबा कहते रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ मुक्त और जीवनमुक्त अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा सहज और सदा की कर्मयोगी हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

➳ _ ➳ एकांत में बैठें और मनन करें... मैं सर्वशक्तिवान पिता शिव की सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... मैं मास्टर ऑलमाइटी अथॉरिटी हूँ... मुझमें बापदादा द्वारा प्रदान की हुई अनमोल सर्वशक्तियां समाहित है...

 

➳ _ ➳ यह परमात्म शक्तियॉं सदैव छत्रछाया बनकर मेरे साथ रहती हैं... मेरा विघ्न - विनाशक स्वरुप सहज ही मुझे सभी विघ्नों से पार करा देता है... मैं अपने अनादि स्वरुप में स्वयं को सहज ही स्तिथ कर इस साकारी दुनिया के आसुरी सम्प्रदाय द्वारा रची हुई विकट ते विकट परिस्थिति को भी अति सरलता से पार कर लेती हूँ...

 

➳ _ ➳ मैं सदा ऑलमाइटी अथॉरिटी सर्वशक्तिमान शिवपिता की छत्रछाया में पलने वाला बापदादा का अतिप्रिय सिकिलिधा बच्चा हूँ... मैं सदा इस श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहने वाली सहज और कर्मयोगी आत्मा हूँ...

 

➳ _ ➳  जैसे किसी मशीनरी को सेट किया जाता है तो एक बार सेट करने से फिर ऑटोमेटिकली चलती रहती है... इसी रीती मैं आत्मा भी अपने परमपिता परमात्मा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं आत्मा मास्टर ऑलमाइटी अथॉरिटी की स्टेज पर स्वयं को एक बार सम्पूर्ण रूप से सेट करुँगी...

 

➳ _ ➳  यह श्रेष्ठ संकल्प मुझे स्वतः ही कमी कमज़ोरियों से पार ले जा रहा है... मुझ आत्मा के मुखारविंद से कभी भी कमज़ोरी के शब्द नहीं निकल रहें हैं... मेरा हर संकल्प, शब्द वा कर्म उसी सेटिंग प्रमाण आटोमेटिक चलने लगा है...

 

➳ _ ➳  यह दिव्य सेटिंग मुझ भाग्यशाली आत्मा को सहज और सदा के लिए कर्मयोगी बना रही है... मैं आत्मा निरन्तर निर्विकल्प समाधि में रहने लगीं हूँ... मैं आत्मा अब सहजयोगी बन गयीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - शिवबाबा और ब्रह्माबाबा दोनों की मत मशहूर है, तुम दोनों की मत पर चलकर अपना कल्याण करना है"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे जीवन में पिता और माता दोनों का अभूतपूर्व महत्व है... शिव पिता निराकार की श्रीमत और ब्रह्माबाबा की माँ सरीखी मत मिलकर जीवन को गुणो और शक्तियो की खान बनाती है... दोनों की मते ही खूबसूरत जीवन का आधार बनाएगी... तो दोनों के कद्रदान बनो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे प्यारे बच्चे शिव पिता श्रीमत से सुखमय दुनिया का निवासी बनाते है... वही ब्रह्मा बाबा उन राहो पर चलकर सबका चलना आसान बनाते है... दोनों मतो का सम्मान कर अपने जीवन की 21 जनमो की खूबसूरती में जुट जाना है...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे संगमयुग में शिवबाबा और ब्रह्माबाबा एक दूसरे के पूरक है पर्याय से है... शिवपिता की श्रीमत पर कदम बढ़ाकर ब्रह्माबाबा आदर्श बन प्रस्तुत है... जो शिवबाबा ने बताया वह ब्रह्माबाबा ने सरलकर समझाया... दोनों से अपना कल्याण करो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे शिवबाबा के कथनो को सुनकर जीवन में धारण कर ब्रह्मा बाबा महान बन चले... यह सारे जहाँ में मशहूर है... तुम बच्चे कितने सोभाग्यशाली हो कि दोनों का प्यार पाये हो... दोनों पिताओ की मत पर अमल कर अपना कल्याण करो...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चे भगवान धरती पर उतरा तो ब्रह्माबाबा ने श्रीमत को आत्मसात कर बच्चों को इन खूबसूरत राहो पर हाथ पकड़ चलना सिखाया... ईश्वर की मत को जीवन में जीकर ब्रह्मा बाबा सर्वश्रेष्ठ बने... शिव पिता की श्रीमत और ब्रह्मा बाबा की मत पर चलकर तुम बच्चे सुखो से भरपूर जीवन को बाँहो में भर चलो...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप इन्श्योरेन्स मैगनेट है, इसलिए तन-मन-धन बाप की सर्विस में सफल कर अपना भविष्य बनाना है । बाप से पूरा-पूरा कनेक्शन रखना है ।

 

  ❉   भक्ति मार्ग मे भी जो दान पुण्य करते आए उसका फल भी दूसरे जन्म में अल्पकाल का सुख बाबा देते आये हैं । जैसा कर्म करते हैं वैसा फल तो पाना ही है । माया उल्टा काम कराती है तो दुःख पाते हैं ।

 

  ❉   जैसे बाबा कहते है कि मैं सच्चा ट्रस्टी हूं खुद कुछ नही लेता सब बच्चों को ही देता हूं । ऐसे ही हमें भी ट्रस्टी समझ हर कर्म करना है व जितनी कमाई करेंगे वो इंश्योर है व हमारे साथ जानी है । 

 

  ❉   तन-मन-धन सब इस यज्ञ में सफल करना है । जितना तन से सफल करेंगें उतना अगलें 21जन्म के लिए निरोगी काया प्राप्त करेंगे । मन से सफल करेंगें तो उतना खुशी प्राप्त करेंगे और धन से सफल करेंगे तो 21 जन्म के लिए धनवान बनेंगे ।

 

  ❉   ये तन मन धन सब विनाशी है व सब स्वाहा होना है । इसलिए जितना ज्यादा हो सके इसे सेवा में लगा सफल करना है । दधीचि ऋषि मिसल अपनी हड्डी हड्डी सेवा में लगानी है । अभी इस अनमोल हीरे जैसे जन्म में सेवा में लगा 21 जन्मों केलिए भाग्य बनाना है ।

 

  ❉   किसी भी देहधारी को याद नही करना है । बस एक बाप से ही सच्ची प्रीत रखनी है । हाथों से काम करते हुए अपना बुद्धियोग एक बाप से ही जोड़े रखना है । बाप से ही पूरा कनेक्शन रख बाप से पूरा वर्सा लेना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी की सीट पर सेट रहने वाले सहज और सदा के कर्मयोगी होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी की सीट पर सेट रहने वाले सदा इसी स्मृति में रहते है कि आलमाइटी अथॉरिटी मेरा बाप है व उन्हें अपने बाप के पद का नशा होता कि सर्वशक्तिमान मेरा बाप है व मा. आलमाइटी अथॉरिटी की सीट पर सेट रहने से व स्वमान में रहने से मेहनत नही करती पड़ती व सब कार्य सहज हो जाते हैं और कर्मयोगी होते हैं ।

 

  ❉   मास्टर आलमाइटी बच्चे स्मृति स्वरुप व कम्बांइड़ स्वरुप में रहने से अर्थाटी से व बेफिकर होकर रहते है । करनकरावनहार तो बाप है व सब जिम्मेवारी बाप को सौंप कर निश्चिंत होते हैं । आलमाइटी के बच्चे होने से मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी की सीट पर सेट होकर सहज और सदा के कर्मयोगी होते हैं ।

 

  ❉   जैसे किसी मशीनरी को सेट किया जाता है तो वो एकबार सेट करने पर अपने आप चलती रहती है । इसीप्रकार जो बच्चे अपने को एकबार मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी की सीट पर सेट कर लेते है तो उनके कमजोरी के शब्द नही निकलते और हर संकल्प, शब्द, वा कर्म आटोमेटिक चलते रहते हैं । यही सेटिंग उन्हे सहज और सदा के लिए कर्मयोगी बना देती है ।

 

  ❉   जो बच्चे अपने को मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी की सीट पर सेट रखते हैं वो हमेशा अपने को हजार भुजाओं की छत्रछाया में अनुभव करते है व श्रीमत रुपी हाथ पकड़ कर चलते हैं तो शक्तियां सहज ही आर्डर प्रमाण चलती है व उनके हर कार्य समय प्रमाण सहज होते है और सदा कर्मयोगी होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी की सीट पर सेट रहते हैं वो अपनी सूक्ष्म शक्तियों कोऔर कर्मेन्द्रियों को यथार्थ रीति चलाते स्वराज्याधिकारी होते हैं व बापदादा को हमेशा साथी रख बापदादा से  प्राप्त हुई शक्तियों व खजानों को आटोमैटिक यूज कर सहज और सदा कर्मयोगी होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ मैं के बजाए बाबा बाबा कहना - यही याद का प्रूफ है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   मैं पन को समाप्त कर मुख से जब बार बार बाबा बाबा कहते रहेंगे तो बाबा की शिक्षाएं धारणा में आकर स्वरुप बनती जाएंगी । जिससे कदम - कदम पर परमात्म साथ का अनुभव करते हुए आत्मा स्वयं को परमात्म शक्तियों से सम्पन्न अनुभव करने लगेगी  परमात्म बल जैसे जैसे आत्मा में भरता जाएगा । चेहरे पर रूहानियत की चमक परमात्म याद का प्रूफ बन सर्व आत्माओं को अपनी तरफ आकर्षित करने लगेगी और उन्हें भी रूहानियत से भरपूर कर देगी ।

 

 ❉   मैं की बजाए मुख से जब बाबा बाबा कहते रहेंगे तो स्वयं को कभी भी अकेला अनुभव नही करेंगे बल्कि हर कर्म करते बाबा को अपने साथ अनुभव करेंगे । जिससे कभी भी किसी भी कार्य में कोई भी मुश्किल नहीं आयेगी । क्योकि अगर कोई बात हो भी जाएगी तो बाबा शब्द याद करने और कराने से बाबा की मदद से सहज ही निर्विघ्न हो जायेंगे । बाबा - बाबा का महामन्त्र सदा स्मृति में रखेंगें तो सदा स्वयं को बाप की छत्रछाया के नीचे अनुभव करेंगे तथा औरों को भी याद का प्रूफ़ अपने खुशनुमा चेहरे और चलन से अनुभव करवा सकेंगे ।

 

 ❉   मुख से जब बार बार मैं की बजाए बाबा बाबा कहते रहेंगे तो हर संकल्प में बाबा से होने वाली सर्व प्राप्तियां और बाबा से मिले सर्व ख़जाने स्मृति में रहेंगे । स्वयं को सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न अनुभव करते हुए जब औरों के सम्पर्क में आएंगे तो बाबा की याद का प्रूफ अपने हर संकल्प और बोल द्वारा सहज ही सबको अनुभव करवा सकेंगे तथा अपने हर कर्म द्वारा बाप के चरित्र को स्पष्ट कर सकेंगे । बाबा से मिले सर्व खजाने सर्व आत्माओं को दे कर उनका भी कल्याण कर सकेंगे ।

 

 ❉   मैं की बजाए जितना बाबा बाबा कहेंगे उतना बाबा से समीपता का अनुभव बाबा के साथ सर्व सम्बन्धो का स्मृति स्वरूप बना देगा । सर्व सम्बंधों का सुख केवल एक बाप से प्राप्त करते हुए जब सर्व सम्बंधों का स्वरूप बन कर रहेंगे तो स्वयं को सदा दिव्य गुणों के श्रृंगार से सजा हुआ अनुभव करेंगे । श्रृंगारीमूर्त बन जब अन्य आत्माओं के सम्मुख आएंगे तो याद का प्रूफ परमात्म स्नेह के रूप में स्पष्ट दिखाई देगा जो उन्हें भी परमात्म स्नेही बना देगा ।

 

 ❉   मैं की बजाए मुख से जब बार बार बाबा बाबा कहते रहेंगे तो बाबा की याद और सेवा के सिवाय और कुछ नजर नही आएगा । हर संकल्प सेवा प्रति होगा और चलते फिरते हर कर्म करते बुद्धि सेवा की नई नई युक्तियां खोजने में व्यस्त रहेगी । सेवा में जब ऐसे तन - मन - धन और जन सब कुछ समर्पित कर देंगे तो याद का प्रूफ इस समर्पणता में स्पष्ट दिखाई देगा । यह समर्पण भाव अनेको आत्माओं को आप समान बनाने के निमित बन जायेगा और उन्हें भी सर्व प्राप्तियों का अधिकारी बना देगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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