━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 02 / 04 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपने हर बोल, कर्म और दृष्टि से हर आत्मा को °शांति, शक्ति व ख़ुशी° का अनुभव करवाया ?

 

‖✓‖ आत्माओं को °बाप की याद° दिलाई ?

 

‖✓‖ आत्माओं को °बाप का परिचय° दिया ?

 

‖✓‖ "हम सबकी सद्गति करने वाला बाप हमें °भक्ति का फल° देने आया है" - यह निश्चय रहा ?

 

‖✓‖ एक बाप से °सच्चा लव° रखा ?

 

‖✓‖ कदम कदम °एक की ही श्रीमत° पर चले ?

────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ समझदार बन तीन प्रकार की सेवा(°मनसा-वाचा-कर्मणा°) साथ साथ की ?

────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °इष्ट देव की स्मृति° में रह आत्माओं की पुकार सुनी ?

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

To Read Vishesh Purusharth In Detail, Press The Following Link:-

 

http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/02.04.16-VisheshPurusharth.htm

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप जो है जैसा है तुम बच्चों में भी नम्बरवार पहचानते है अगर सब पहचान ले तो बहुत भीड़ मच जाय"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे बच्चों मुझ पिता को मेरा हर बच्चा न जान सके... जो मुझे जानते है वह भी भाग्य अनुसार ही जान पाते है... जिनके तकदीर में यह सुख नही वह भला कैसे आये... सब आये तो खेल ही बिगड़ जाय... और भीड़ का घमासान ही मच जाय

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो... तकदीर वाले बच्चे ही मुझ पिता को जाने... मै ज्ञानसागर हूँ गुणो और शक्तियो का दाता हूँ... यह हर दिल न मान पाये... मै पिता तो सबको खबर करवाऊँ पर् भाग्यहीन तो मेरे पास आना ही न चाहे...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों खुशकिस्मत बच्चे ही अपनी किस्मत को खिलाये और मुझे समझ पाये... बाकि तो बदकिस्मती का ताज पहन सुखो के प्यासे ही रह जाय... मुझ भगवान को भीड़ की तो जरूरत ही नही दिलवाले ही मुझे पहचाने... 

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन इस निराले ज्ञान पर निश्चय होना सबका नसीब नही... मुझे समझ ज्ञान को आत्मसात करना सबका बूता नही... यह अनोखा ज्ञान अनोखा पिता सबकी बुद्धि में न समाय वरना यहां तो भीड़ ही छा जाय...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - भगवान को पाना और उसके ज्ञान को समाना जिगर वालो का काम है... सब बच्चों की ऐसी खूबसूरत किस्मत हो यह तो सम्भव ही नही... वरना यहां चन्द बच्चे न होते भीड़ से भरा जमघट लगा होता... ऐसा निराला निराकार भगवान हर किसी को तो समझ ही न आये...

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ रोज पुण्य का काम अवश्य करना है ।सबसे बड़ा पुण्य है सबको बाप का परिचय देना । बाप को यद करना और सबको बाप की याद दिलाना ।

 

  ❉   इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर बाप ने हमें सच्ची-सच्ची गीता सुनाई । अपने असली स्वरुप की पहचान कराई । कर्म अकर्म विकर्म की गुह्य गति का ज्ञान दिया । सच्चे ज्ञान रत्नों को अच्छी रीति धारण करना है व अब कोई पाप कर्म नही करना है ।

 

  ❉   अभी तक तो मंदिरों में दान देना , देहधारी गुरूओं को दान देना पुण्य समझते रहे लेकिन उन सब से अल्पकाल का सुख मिला । अभी असली स्वरुप की पहचान मिलने पर अविनाशी बाप को ही याद करना है व अविनाशी कमाई करनी है ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना है व दूसरों को भी याद दिलाना है । दूसरों को याद दिलाने पर स्वयं भी याद करेंगे । एक बाप ही सर्व का सदगति दाता है ।

 

  ❉   अज्ञानी आत्माओं को असली बाप का परिचय देना व बाप से मिलने का रास्ता बताकर उनका कल्याण करना ही असली पुण्य का काम है । जैसे हमें बाप से सुख शांति प्रेम का वर्सा मिला ऐसे इन सब आत्माओं को भी मिले ।

 

  ❉   जैसे ही दुःखी अशांत असहाय आत्माओं को बाप से मिलाकर उन्हें सुख शांति प्रेम आनन्द की अनुभूति होती है उनसे मिलने वाली दुआओं से पुण्य का खाता बढ़ाना है ।

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ समझदार बन तीन प्रकार की सेवा साथ-साथ करने वाले सफलतामूर्त होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   अभी तक तो हम नासमझ थे देह व देह के सम्बंधों में रह देहधारियों की स्वार्थ भाव से सेवा करते रहे । अभी सत का संग मिलने पर दिव्य बुद्धि व दिव्य ज्ञान मिलने पर समझदार बन गए हैं । आत्मिक भाव व आत्मिक दृष्टि रखने से सर्व के प्रति कल्याण की भावना रख सेवा करते सफलतामूर्त होते हैं ।

 

  ❉   बेहद का बाप हमें इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर ज्ञान के अखूट खजानों से रोज ज्ञानवान व धनवान बनाते हैं । उसे अच्छी रीति धारण करते हुए व बाप की श्रीमत पर चलते हुए फरमानदार व समझदार बच्चा बन निमित्त भाव से सेवा करते सफलतामूर्त होते हैं ।

 

  ❉   समझदार बन समय के महत्व को समझते मनसा-वाचा-कर्मणा तीनों सेवा साथ-साथ करते हैं । वाणी और कर्म के साथ मनसा शुभ संकल्प वा श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा सेवा करने वाले सफलतामूर्त होते हैं क्योंकि वाणी में शक्ति तभी आती है जब मनसा शक्तिशाली होती है ।

 

  ❉   बेहद के बाप का बच्चा बनते ही बाप की प्रापर्टी का वारिस बन जाते हैं व बाप रोज वरदानों से झोली भरते हैं । बाप कहते - आप बच्चों का सफलता जन्मसिद्ध अधिकार है तो हर कदम पर बाप की छत्रछाया अनुभव करते हुए सेवा करने वाले सफलतामूर्त होते हैं।

 

  ❉   जैसे कोई बीज फल तब देता है जब उसे पानी मिलता  है । ऐसे ही बाप को साथ रख निश्चयबुद्धि होकर कैसी भी आत्मा हो उसके प्रति कल्याण की भावना रखने से दृष्टि और वृत्ति दोनों को बदल सेवा करते सफलतामूर्त होते हैं ।

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने हर बोल, कर्म और दृष्टि से हर आत्मा को शान्ति, शक्ति व ख़ुशी का अनुभव कराना ही महान आत्माओं की महानता है... कैसे ?

 

 ❉   जितना अंतर्मुखता में रह, बुद्धि का योग बाप के साथ जोड़े रखेंगे उतना अंतर्मुखता द्वारा सूक्ष्म शक्ति की लीलाएं स्पष्ट अनुभव करेंगे । जैसे आत्माओं का आह्वाहन करना, उनसे रूह रिहान करना, उनका कनेक्शन बाप से जुड़वाना आदि रूहानी लीलाओं का अनुभव करते हुए अपने हर बोल, कर्म और दृष्टि से हर आत्मा को शान्ति, शक्ति व ख़ुशी का अनुभव करवा सकेंगे ।

 

 ❉   जितना ज्ञानी तू, योगी तू आत्मा बन कर रहेंगे उतना योग का बल आत्मा में जमा होता जायेगा और यह योग का बल हमारे हर बोल, कर्म और दृष्टि को रूहानियत से भरपूर कर देगा जिससे हमारे सम्बन्ध,सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को शांति, शक्ति वा ख़ुशी का अनुभव स्वत: होता रहेगा । यही महानता हमे महान बना देगी ।

 

 ❉   जब तक स्वयं इच्छा मात्रम अविद्या नही बनते तब तक सर्व आत्माओं की इच्छाओं को पूरा नही कर सकते क्योकि इच्छा मात्रम अविद्या अर्थात बीज रूप स्थिति । तो जब तक मास्टर बीज रूप नही बनते, बीज के बिना पत्तो को कुछ प्राप्ति नही करवा सकते । इस लिए इच्छा मात्रम अविद्या बन कर ही अपने हर बोल, कर्म और दृष्टि से हर आत्मा को शान्ति, शक्ति व ख़ुशी का अनुभव करवा कर महान आत्मा बन सकते हैं ।

 

 ❉   जैसे सूर्य एक स्थान पर होते हुए भी अपनी किरणों द्वारा चारों और का अन्धकार दूर करता है ठीक इसी प्रकार मास्टर ज्ञान सूर्य बन जब अपने जीवन को गुणों की धारणाओं से सम्पन्न बनाएंगे तो हमारे हर बोल, कर्म और दृष्टि से आत्माओं को शांति, शक्ति व ख़ुशी का अनुभव होने लगेगा और इसी महानता से हम महान आत्मा बन जायेंगे ।

 

 ❉   रूहे गुलाब बन जितना बाबा से सर्व शक्तियों, गुणों और खजानों की एसेंस आत्मा में भरते जायेंगे उतना इनकी खुशबू से स्वयं भी महकते रहेंगे तथा औरों को भी महकाते रहेंगे और हमारी रूहानियत की यह खुशबू ही हमारे सम्बन्ध - सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को हमारे हर बोल, कर्म और दृष्टि से शान्ति, शक्ति व ख़ुशी का अनुभव सहज ही करवाती रहेगी ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━