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 10 / 04 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

‖✓‖ °सच्चाई° से बाप को जीता ?

 

‖✓‖ °एकरस अवस्था° का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ °सब बोझ बाप को° दे स्वयं को निमित समझ हर कार्य किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

‖✓‖ °दैवी परिवार को रीगार्ड° दे दैवी परिवार से संतुष्टता का सर्टिफिकेट लिया ?

 

‖✓‖ संकल्प, बोल और कर्म °श्रीमत की लकीर° के अन्दर रख मन पसंद बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

‖✓‖ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?

 

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To Read Vishesh Purusharth In Detail, Press The Following Link:-

 

http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/10.04.16-VisheshPurusharth.htm

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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "बाप पसन्द, लोक पसन्द, मन पसन्द कैसे बने"

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो आप बच्चों का हर कदम इन तीनो की खूबसूरती को समाया ही हो... सदा ज्ञान और योग के पंखो से ऊँची उड़ाने भरते रहे... बाबा के दिल पर परिवार के दिल पर और स्वयं की दिल पर सदा खुशियां बिखरते रहे...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों... ईश्वरीय बच्चों हो तो बाप परिवार और आप तीनो के दिल पर राज करना है... सदा खुशनुमा बन उड़ते रहना है... सबकी झोली को खुशियो से भरना है... रिगार्ड दे और लेकर सबको राजी करना है...सबकी सुंदर पसन्द आपको बनना है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों भाग्य जब इस कदर खूबसूरत है की भगवान मिल गया तो दिलशिकस्त् फिर क्यों होना... अपने इसी नशे में डूब जाओ... स्वयं को निमित्त समझ हल्के परिंदे बन उड़ते ही रहो...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे खुशियो में नाचो और गाओ फ़रिश्ते बन सदा मुस्कराओ... कोई भी बोझ अब न उठाओ... सदा श्रीमत का हाथ पकड़ बिंदास रह बादशाह बनो... देवी परिवार की दुआओ में मुस्कराते ही रहो...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों... सत्यता को थामे हुए...हल्केपन को जीते हुए... श्रीमत को समाये हुए... सुंदर स्वमानो के सीट पर रहते हुए... बाप के साये में बेफिक्र होते हुए... सबको खुशियो भरे उपहार बांटते रहो... सबकी पसन्द बन हीरो बन चमकते रहो...

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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ बाप समान अवस्था का अनुभव करना है ।

 

  ❉   ऊंच ते ऊंच बाप कितना निरहंकारी है ! स्वयं को वर्ल्ड सर्वेंट कह बच्चों की सेवा में हमेशा तत्पर रहता है । ऐसे हमें भी निरहंकारी बन आप समान बनाने की सेवा कर बाप समान अवस्था का अनुभव अरना है ।

 

  ❉   जैसे बाप शरीर को न देख रुहों को देखते हैं व सब रुहों को एक जैसा ज्ञान देते हैं । ऐसे हमें भी दूसरों के शरीर न देखते हुए रुह देख सबको एक जैसा ज्ञान देना है व आत्मिक दृष्टि रखते हुए सबको बाप का परिचय देना है ।

 

  ❉   बाबा ने बहुत अच्छा स्लोगन दिया है - बदला न लो बदल करके दिखाओ । कई बच्चे बदला लेने में होशियार हो जाते हैं व बदलने में ढ़ीले हो जाते है । हम ब्राह्मण बच्चों को ये स्लोगन स्मृति में रखते हुए बाप समान अवस्था का अनुभव करना है ।

 

  ❉   किसी के प्रति व अपने ब्राह्मण परिवार में भी क्रोधी, लोभी ... कैसी भी आत्मा हो तो उनके लिए अपने मन में घृणा पैदा कर अपनी अवस्था खराब नहीं करते ।  मास्टर सर्वशक्तिमान बन शक्ति की वायब्रेशनस उन्हें बाप समान निर्विकारी बनाने की सेवा कर बाप समान अवस्था का अनुभव करना है ।

 

  ❉   बाबा तुम सा बनना ही है ये गीत सुनकर मन में यही संकल्प आए कि बाबा हमें तुमसा बनना ही है । बनेंगे , सोचेंगे, देखेंगे ऐसा नही सोचना । दृढ़ता और सफलता की चाबी बाप ने हमें दी हुई है । उसे हमेशा अपने साथ रख बाप समान अवस्था का अनुभव करना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ सदा स्वमान में रह निर्माण स्थिति द्वारा सर्व को सम्मान देने वाले माननीय, पूजनीय होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे स्वमान में रहते हैं तो निर्मान होते हैं और सर्व द्वारा स्वतः ही मान मिलता है । मान मांगने से नही मिलता लेकिन सम्मान देने से, स्वमान में स्थित होने से, मान का त्याग करने से सर्व के माननीय और पूजनीय होते हैं ।

 

  ❉   सदा स्वमान में स्थित रहने वाली आत्मा किसी भी आत्मा के प्रति संकल्प मात्र में भी रौब नही होता । सबको मान देने वाले दाता होते हैं । स्वयं सम्पन्न होने के कारण रहमदिल होते है तो माननीय व पूजनीय होते हैं ।

 

  ❉   सदा स्वमान में रहने वाले सच्चे बाप की याद में रहते हैं व पारसनाथ बाप के संग से लोहे से पारस बन जाते हैं व जब बाप समान बन जाते हैं तो माननीय व पूजनीय हैते हैं ।

 

  ❉   अगर कोई पुरुषार्थी अपनी कमी कमजोरी के कारण अपनी अवस्था से नीचे आ जाता है व दिलशिकस्त है जाता है तो सदा स्वमान में स्थित रह निर्मान की भावना से उसे ऊपर उठाकर सहयोगी बनते हैं व माननीय व पूजनीय होते हैं ।

 

  ❉   सदा स्वमान में रहने वाले को किसी से मान लेने की आवश्यकता नही होती । वह स्वयं भी संतुस्ट रहते व दूसरों को भी संतुष्ट करते हैं । वह स्वयं में ही माननीय होते हैं इसलिए वह व्यवहार में आने वाली आत्माओं के लिए माननीय और पूजनीय होते हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ जाननहार के साथ करनहार बन असमर्थ आत्माओं को अनुभूति का प्रसाद बांटते चलो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जाननहार के साथ करनहार बन असमर्थ आत्माओं को अनुभूति का प्रसाद तभी बांट पायेंगे । जब एक तो हमारे कर्म में अलौकिकता होगी । और दूसरा हर कर्म से अतींद्रिय सुख की महसूसता सबको आएगी । तभी अशांत और दुखी आत्माओं को उस अतीन्द्रिय सुख का करवा सकेंगे । और यह तभी होगा जब निरंतर अव्यक्त स्थिति में स्थित रहने के अभ्यासी होंगे ।

 

 ❉   सर्व समर्थ बन असमर्थ आत्माओं को सर्व प्राप्तियों की अनुभूति तभी करवा सकेंगे जब स्नेह रुप के साथ शक्ति रुप बनेंगे । क्योंकि आने वाले समय प्रमाण संबंध संपर्क में अनेक निर्बल आत्मायें आएंगी । उस समय स्नेह रूप के साथ यदि शक्ति स्वरूप बनेंगे तभी सर्व शक्तियों के आधार से जाननहार के साथ करनहार बन उन्हें सर्व प्राप्ति करवा सकेंगे ।

 

 ❉   जितना कंबाइंड स्वरूप की स्थिति में स्थित रहेंगे । उतना अपना यादगार अलंकारी स्वरूप समृति में रहेगा और अलंकारीमूर्त बन सदा अपने को शक्तिशाली अनुभव करेंगे और तभी जाननहार के साथ करनहार बन असमर्थ आत्माओं को अनुभूति का प्रसाद बाँट सकेंगे ।

 

 ❉   ब्राह्मण आत्माओं के लास्ट का पुरुषार्थ ही है वृत्ति से वायुमंडल को पावरफुल बनाना । क्योंकि मैजोरिटी आत्माएं अपने पुरुषार्थ से आगे बढ़ने में असमर्थ हैं । ऐसी कमजोर और असमर्थ आत्माओं को अपनी वृति द्वारा बल दे कर तभी आगे बढ़ा सकेंगे । जब जाननहार के साथ करनहार बन अपनी वृति से वायुमंडल को परिवर्तन कर असमर्थ आत्माओं को समर्थता का अनुभव करवायेंगे ।

 

 ❉   जब मनसा, वाचा, कर्मणा तीनो पावरफुल होंगी तभी निराकारी स्थिति में स्थित रहेंगे और जितने निराकारी बनेंगे उतने ही निरहंकारी और निर्विकारी रह सकेंगे और सर्व प्राप्तियों के बल से जाननहार के साथ करनहार बन असमर्थ आत्माओं को अनुभूति का प्रसाद बांट सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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