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   13 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ इस बेहद नाटक में °हीरो पार्ट° बजाया ?

 

‖✓‖ "हम सब आत्माएं °एक्टर्स° हैं, एक का पार्ट न मिले दुसरे से" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ सवेरे सवेरे उठकर °अपने आप से बातें° की ?

 

‖✓‖ "मैं आत्मा इस शरीर की °कर्मेन्द्रियों से अलग° हूँ" - यह अभ्यास किया ?

 

‖✓‖ सदा °श्रीमत° पर चलते रहे ?

 

‖✓‖ किसी भी परिस्थिति में ब्राह्मण जीवन का श्वास °"ख़ुशी"° तो नहीं गयी ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ कैचिंग पॉवर द्वारा अपने °असली संस्कारों को कैच° कर उनका स्वरुप बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °संस्कार मिलाने° की डांस की ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   कैचिंग पावर द्वारा अपने असली संस्कारों को कैच कर उनका स्वरूप बनने वाली मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।

 

 ❉   साइलेन्स की शक्ति से अपने दैवी संस्कारों को इमर्ज कर मैं सदैव अपने दैवी स्वरूप की स्मृति में स्थित रहती हूँ ।

 

 ❉   स्वयं में सर्व अनुभवों को प्रत्यक्ष कर मैं बाप दादा की प्रत्यक्षता में मददगार बनने वाली हूँ ।

 

 ❉   दृढ़ता की शक्ति द्वारा संकल्पों को सिद्ध करने वाली मैं सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने श्रेष्ठ स्वमान, श्रेष्ठ स्मृति और श्रेष्ठ जीवन के समर्थी स्वरुप द्वारा श्रेष्ठ पार्टधारी आत्मा बन मैं सदा श्रेष्ठता का खेल करती हूँ ।

 

 ❉   मास्टर रचियता की सीट पर सेट हो कर अपनी परिवर्तन शक्ति से मैं प्रकर्ति को भी परिवर्तन करने की हिम्मत रखती हूँ ।

 

 ❉   विश्व महाराजन की पदवी प्राप्त करने वाली मैं सर्व शक्तियों के स्टॉक से सम्पन्न आत्मा हूँ ।

 

 ❉   शुद्ध संकल्पों में स्थित रह कर शुद्ध संकल्पों की शक्ति द्वारा मैं हर विघ्न को पार करने में सफल हो जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - संगम पर तुम्हे नई और निराली नॉलेज मिलती है, तुम जानते हो हम सब आत्मायें एक्टर्स हैं, एक का पार्ट ना मिले दूसरे से"

 

 ❉   जैसे पर्दे पर कोई नाटक या ड्रामा होता है तो उसमे अनेक एक्टर्स होते हैं और हर एक्टर का पार्ट एक दूसरे से अलग होता है ।

 

 ❉   यह सृष्टि भी ठीक वैसे ही एक बेहद का ड्रामा है और हम सब आत्मायें इस सृष्टि रंगमंच पर पार्ट बजाने वाले एक्टर्स हैं ।

 

 ❉   असुल में हम सब आत्मायें परम् पिता परमात्मा शिव बाबा की संतान है और निराकारी दुनिया अर्थात परमधाम की रहने वाली है ।

 

 ❉   इस सृष्टि रूपी ड्रामा में शरीर धारण कर पार्ट बजाने के लिए आई हैं । यह नई और निराली नॉलेज अभी संगम युग पर परम पिता परमात्मा बाप ने आ कर हमे दी है ।

 

 ❉   इस लिए अब हमारे मन में किसी भी आत्मा के लिए कोई प्रश्न नही उठना चाहिए क्योकि हम जान गए हैं कि हम सब आत्मायें एक्टर्स हैं, सबका पार्ट अलग है, एक का पार्ट भी दूसरे से नही मिल सकता ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ आत्माभिमानी बन इस बेहद नाटक में हीरो पार्ट बजाना है ।

 

  ❉   आत्मिक भाव व आत्मिक दृष्टि में रहते हैं तो रुहानी प्यार संस्कार ही देहभान को समाप्त कर देता है व चलते फिरते यही  अभ्यास रहता है कि मैं देह नही आत्मा हूं व बस मुझे तो इस बेहद के नाटक में हीरो पार्ट बजाना है ।

 

  ❉   किसी के गुण विशेषता से लगाव नहीं रखना ये भी सूक्ष्म अभिमान है । बस अपने आरीजिनल स्वरुप में रहना है व मुझे तो इस रंगमंच पर नाटक की तरह पार्ट बजाकर वापिस घर जाना है ।

 

  ❉   हमेशा अपने को निराकारी देश के निवासी समझ निराकार स्थिति में रहना है । शरीर में रहते निराकारी आत्मिक रुप व आत्मा के गुणों को धारण करते हुए निमित्त भाव से कर्म करना है । सृष्टि चक्र में ये ड्रामा हुबहू रिपीट हो रहा है ।

 

  ❉   आदि से अंत तक का ज्ञान जो बापदादा सुनाते हैं वो पहली बार नही सुना अनगिनत बार कल्प कल्प सुना है । बेहद के बाप की श्रीमत पर चलते हुए आत्मभिमानि बन श्रेष्ठ पार्ट बजाना है ।

 

  ❉.  अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना है जितना याद में रहते है आत्मा के विकार निकलते जाते है व आत्मा शुद्ध व पावन होती जाती है । आत्माभिमानी होकर अपना पार्ट बजाना है । हरेक का अपना अपना एक्यूरेट पार्ट है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कैचिंग पॉवर द्वारा अपने असली संस्कारों को कैच कर उनका स्वरुप बनने वाले शक्तिशाली होते हैं... क्यों और कैसे ??

 

  ❉   साइलेंस की शक्ति से ही हम अपने असली स्वरुप शांत स्वरुप को पहचान एकाग्र रह सकते हैं व अपने आदि दैवी संस्कारों को कैच कर उसका स्वरुप बनते है व शक्तिशाली होते हैं ।

 

  ❉   जब बापदादा से निरंतर क्लीयर कनेक्शन होता है तो कैचिंग पॉवर भी अच्छी होती है व दूर बैठी दुःखी अशांत आत्माओं के संकल्पों को कैच कर मनसा शक्ति द्वारा वायब्रेशनस देकर शक्तिशाली होते हैं ।

 

  ❉   जैसे वैज्ञानिक बहुत पहले के साउण्ड को कैच करते है तो ऐसे ही कैचिंग पॉवर द्वारा जितना अपने अपने असली संस्कारों को कैच कर उसका स्वरुप बनते जायेंगे । अपनी स्मृति को श्रेष्ठ और स्पष्ट बनाकर शक्तिशाली होते हैं ।

 

  ❉   कैचिंग पॉवर द्वारा ही हम समीप आने वाली आत्माओं के मन के संकल्पों को कैच कर सकते हैं कि उनकी वृत्ति दृष्टि क्या है । कुछ आत्मायें ऐसी भी आयेंगी जो अंदर एक व बाहर दूसरी होंगी, परीक्षा के लिए आयेंगी तो परख कर उनका सामना कर शक्तिशाली होते हैं ।

 

  ❉   कैचिंग पॉवर अच्छी होती है तो बुद्धि एकाग्रचित्त होने से आत्मा के असली संस्कारों को कैचकर उनके स्वरुप में रहते है व आत्मिक स्नेह के कारण परिवार द्वारा दुआयें मिलती रहती हैं व शक्तिशाली होते हैं ।

 

  ❉    कैचिंग पावर की दिव्यता से पुराने संस्कार व पुरानी दुनिया और अपने देह सहित सबका ममत्व खत्म कर इनसे परे रहते रूहानियत व् दिव्यता की उस स्टेज पर स्थित हो जाते है जहां से किसी की कही सुनी बातो से परे योगी जीवन की योगयुक्त स्थिति में शक्तिशाली  हो जाते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ब्राह्मण जीवन का श्वांस ख़ुशी है, शरीर भल चला जाए लेकिन ख़ुशी न जाए... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   संगमयुग पर बापदादा द्वारा मिले ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न बन जितना सबको ख़ुशी का दान देंगे उतना परमात्म पालना में पलते हुए परमात्म प्यार के अधिकारी बन अतीन्द्रिय सुख के झूले में सदैव झूलते रहेंगे ।

 

 ❉   गायन भी है ख़ुशी जैसी कोई खुराक नही इसलिए स्वयं ख़ुशी से सदा भरपूर रह जब सर्व आत्माओं पर खुशियां लुटायेंगे तो सर्व आत्माओं के स्नेह के पात्र बन और ही ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न बनते जायेंगे ।

 

 ❉   दुखी और अशांत आत्माओं को थोड़ी सी शान्ति और ख़ुशी की अंचली ही उनकी दुआयों का पात्र बना देगी । और दुयायें लिफ्ट का काम करते हुए आत्मा को चढ़ती कला का अनुभवी बना देंगी ।

 

 ❉   संगम युग परमात्म मौज और मिलन मनाने का युग है और कदम कदम पर परमात्म मदद का अनुभव करते हुए मौज में तभी रह सकेंगे जब स्वयं ख़ुशी की खुराक खाते हुए औरो को खुशियों से भरपूर करेंगे ।

 

 ❉   ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न बन जब दूसरों पर खुशियाँ लुटायेंगे तो स्वयं को सदा सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न अनुभव करेंगे और यह अनुभव आत्मा को इच्छा मात्रम अविद्या बना देगा और आत्मा सदा उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो उड़ती रहेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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