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 12 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ आत्म अभिमानी और परमात्म अभिमानी बनकर रहे ?

 

➢➢ इस क़यामत के समय में बाप से कुछ भी ×छिपाया× तो नहीं ?

 

➢➢ अविनाशी सर्जन से राय लेते रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ आश्चर्यजनक दृश्य देखते हुए पहाड़ को राई बनाया ?

 

➢➢ परिस्थितियों में आकर्षित होने की बजाये उन्हें साक्षी होकर खेल के रूप में देखा ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा साक्षीदृष्टा हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

➳ _ ➳  योगयुक्त स्तिथि में बैठकर विशेष स्वमान की सीट पर सेट होंगे आज... मैं विनाश लीला के समय मास्टर विश्व - कल्याणकारी की स्टेज पर स्तिथ हो सेवा का पार्ट बजाने वाली साक्षी दृष्टा आत्मा हूँ... विनाश हो रहा है... कहीं ब्लास्ट, कहीं भू संखलन, कहीं बाढ़, तो कहीं मारकाट मची हुई है, हर तरफ मौत के नज़ारे है... चारो ओर भय, घबराहट, रोने पीटने की चीत्कार लगी पड़ी है... कहीं से भी कोई सैलवैशन नज़र नही आ रही है... ऐसे में प्रभु के परवाने फरिश्ता रूप में विचरण कर रहें हैं और हर तरफ शांति की, शीतलता वा शक्ति सम्पन्न किरणें बिखेर रहें हैं... इस विनाशकारी वातावरण में प्रभु परवानों के सिवाए कहीं से भी राहत की किरण नज़र नहीं आती है... प्रभु के परवानों को भी सम्पन्न बनने में अनेक नए - नए वा आश्चर्यजनक दृश्य सामने आते हैं, जैसे की अनेक बार देखी हुई सीन फिर से देख रहें हैं... ऐसे में मैं ब्राह्मण आत्मा आज अपने प्रभु के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि वह सभी दृश्य आते ही मैं साक्षी दृष्टा के स्तिथि की सीट पर बैठकर उन सभी दृश्यों को देखकर मज़े से निर्णय लूँगी... मैं आत्मा राजयुक्त, योगयुक्त बन वायुमण्डल को डबल लाइट बनाकर रखूंगी... इन्हीं संकल्पों के साथ मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि पहाड़ समान पेपर भी राई के समान बन गये हैं... मैं ब्राह्मण आत्मा स्वयं सम्पन्न बनकर अन्य आत्माओं को भी मुक्ति, जीवन - मुक्ति की राह दिखाने का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चों - इस पुरानी दुनिया वा देहधारियों से कभी दिल न लगाना,  दिल लगाई तो नसीब फूट जायेंगे"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों इस पुरानी दुनिया से जो दिल लगा बेठे तो अपना बुरा हाल कर बेठे... बाप समान सारे गुणो को खो चले और बदसूरती को दामन में भर चले... अब अपने दिल को मुझ एक पिता में लगाओ वरना यह बदसूरती और गहराएगी और तकदीर को सदा का काला बना जायेगी...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे से बच्चों अब इस मिटटी में हाथ न डालो वरना और ही मटमैले हो जाओगे... पिता जो आया है खूबसूरत बनाने तो उसके प्यार में खो जाओ... इस दुखभरी दुनिया से अब और दिल न लगाओ... यह जनमो का नसीब खोटा कर ठग सी जायेगी...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों इस दुनिया के झूठे रिश्ते नातो से दिल लगाकर क्या से क्या हो चले... किस सुनहरे रंगरूप से भरे थे कितने बदरंग हो चले... अब और न दिल लगाओ इस देह से देहधारियों से... सिर्फ मेरे में सांसो को खपाओ तो भाग्य से भरपूर हो जायेंगे...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों मुझ पिता ने धरती पर खजानो से सम्प्पन बन उतारा था... देवताई ताज देकर सजाया था... देह से दिल लगा सब तो खो चले... थके से टूटे निराश हो चले... अब यह गलती और न दोहराओ न अपने खूबसूरत भाग्य को फिर से न लकीर लगाओ...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चो अब दुःख भरे सारे नातो से उपराम बनो मिटटी के भान से जरा ऊपर उठो... मेरे स्नेह की छत्रछाया में खूबसूरत फ़रिश्ते बन उड़ो... मुझसे दिल लगाओ और मेरी यादो में ही सदा विचरण करो...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ इस पुरानी दुनिया में रहते पुरुषार्थ कर सर्वगुण सम्पन्न जरुर बनना है । इस पुराने शरीर वा पुरानी दुनिया से दिल नहीं लगानी है । नसीबदार बनना है ।

 

  ❉   इस पुरानी दुनिया में चलते-फिरते , उठते-बैठते, खाते-पीते बस एक बाप को याद करना है जो हमें बेहद का वर्सा देता है । याद से ही आत्मा पावन व मीठी बनानी है व दिव्य गुण धारण करने हैं । दिव्य गुण अभी धारण करेंगे तभी तो नयी सतोप्रधान दुनिया में जायेंगे ।

 

  ❉   इस पुरानी पतित दुनिया में ही आकर बाप ने हमें अपना बनाया है व इस रौरव नर्क से निकाल नया जन्म नया जीवन दिया है व 21 जन्मों के लिए वर्सा देते हैं तो हमें बाप की श्रीमत पर चलना है । पुरानी दुनिया में रहते कमल पुष्प समान न्यारा व प्यारा रहना है व पुरुषार्थ कर सर्वगुण सम्पन्न बनना है ।

 

  ❉   पुरानी दुनिया तो भंभोर हैं व एक दिन इस भंभोर को आग लग जानी है तो इसलिए पुरानी दुनिया व पुराने शरीर से दिल नही लगानी है । पुराने से मोह छोड़ेंगे तभी तो नयी दुनिया में जायेंगे ।

 

  ❉   जब बाप आये है हमें घर वापिस ले जाने व नयी दुनिया की राजाई देने तो हमें इतनी बड़ी प्राप्ति के लिए इस पुरानी दुनिया व पुराने शरीर से मोह छोड़कर अब देही- अभिमानी बनना है । इस पुरानी दुनिया व पुराने शरीर सेतो अल्पकाल का सुख मिलता है । हमें तो इसे भूल नयी दुनिया बाप को और वर्से को याद करना है ।

 

  ❉   इस पुरानी दुनिया व पुराने शरीर को भूल जाना है । स्वयं भगवान ने कोटों मे से कोई , कोई मे से चुनकर हमें अपना बनाया व बाप का बनते ही वर्से के अधिकारी बन गए । स्वयं हमें पढ़ाकर पतित से पावन बनाते व सर्वगुणसम्पन्न बनाते । देही- अभिमानी बन सब प्राप्तियों की स्मृति रखते हुए नसीबदार बनना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ आश्चर्यजनक दृश्य देखते हुए पहाड़ को राई बनाने वाले साक्षीदृष्टा होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे अपने को ड्रामा का हीरोपार्टधारी समझते है वो कोई भी आश्चर्जनक दृश्य को देख घबराते नही व यही समझते हैं कि कल्प पहले भी ऐसे ही हुआ । बड़ी से बड़ी परिस्थिति को राई बनाने वाले साक्षीदृष्टा होते हैं ।

 

  ❉   जो साक्षीदृष्टा होते हैं वो पहाड़ जैसी परिस्थिति आने पर रास्ते के साइड सीन समझ व अनुभवीमूर्त बन आगे बढ़ते हैं  जैसे ट्रेन में जाते हुए जो दृश्य देखते है उन्हें देखते आगे बढ़ते जाते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे साक्षीदृष्टा होते हैं वो क्यूं क्या व कैसे में न जाकर बस जल्दी से फुलस्टाप लगा आगे बढ़ते है । जो हो रहा है अच्छा ही हो रहा है व अच्छा ही होगा । हर परिस्थिति को राई समान छोटा व हलका कर बढ़ते हैं ।

 

  ❉   नथिंग न्यू का पाठ पक्का होने से पहाड़ जैसी परिस्थिति को राई समान समझ आगे बढ़ते है व अपनी स्थिति अचल अडोल रखते है । यही समझते है कि कल्प पहले भी हुआ व विजयी बने तो अभी भी विजय हुई के हुई व साक्षीदृष्टा होते हैं ।

 

  ❉   सर्वशक्तिमान बाप के बच्चे मास्टर सर्वशक्तिमान है तो कोई परिस्थिति हमारे सामने कैसे ठहर सकती है । जिसका साथी हैं भगवान उसे क्या रोक सके आंधी और तूफान । ऐसे दृढ़ निश्चयी होते है व साक्षीदृष्टा होते है ।

 

  ❉   मैं बिंदु , बाबा बिंदु , ड्रामा बिंदु तीनों बिंदुओं का तिलक लगाए रखते हैं । ड्रामा कल्याणकारी है व हम ब्राह्मणों का अकल्याण हो नही सकता ये सदा स्मृति में रखते हैं तो हर पहाड़ जैसी परिस्थिति को राई समान बनाने वाले साक्षीदृष्टा होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ परिस्थितियों में आकर्षित होने के बजाय उन्हें साक्षी होकर खेल के रूप में देखो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   संगमयुगी जीवन है ही सन्तुष्ट जीवन क्योकि संगमयुग पर बापदादा की विशेष देन ही सन्तुष्टता है । तो जो सदा अपने संतुष्ट जीवन की शान में रहते हैं वे कभी परेशान नहीं हो सकते । कैसी भी हिलाने वाली परिस्थिति हो लेकिन परिस्थितियों में आकर्षित होने की बजाए वे साक्षी स्थिति में स्थित हो कर ऐसे अनुभव करते हैं जैसे कोई कठपुतली का खेल हो ।

 

 ❉   यह सृष्टि एक विशाल नाटक है जिसमें सभी आत्माएं शरीर धारण कर अपना अपना पार्ट बजा रही हैं । सभी का पार्ट एकदम एक्यूरेट है, इसलिए सभी निर्दोष हैं । जो इस समृति में स्थित होकर साक्षी पन की सीट पर सेट रहकर स्वयं अपनी और दूसरों की एक्ट को देखते हैं वह किसी भी परिस्थिति में आकर्षित ना होकर हर परिस्थिति को खेल अनुभव करते हैं ।

 

 ❉   इस सृष्टि नाटक का यह अनादि नियम है कि समय अनुसार हर चीज परिवर्तन होनी ही है क्योकि यह ड्रामा ही परिवर्तनशील हैं । तो परिवर्तनशीलता के इस नियम को जो सदा स्मृति में रख साक्षी रहते हैं वे परिस्थितियों में आकर्षित होने की बजाए सर्वशक्तियों के आधार से सेकेण्ड में हर परिस्थिति को परिवर्तित कर लेते हैं इसलिए उन्हें हर परिस्थिति एक खेल अनुभव होती है ।

 

 ❉   जो स्व - चिंतन में सदा बिजी रहते हैं और सर्व आत्माओं के प्रति शुभचिंतक वृत्ति रखते हैं । वे पर चिंतन से सदैव मुक्त रहते हैं और सदा साक्षी पन की सीट पर सेट रहकर हर घटना, हर परिस्थिति को देखते हैं । कोई भी परिस्थिति आने पर वे प्रश्नचित्त बनने की बजाए प्रसन्नचित बन हर परिस्थिति को खेल समझ मनोरंजन का अनुभव करते हैं और हर परिस्थिति में सदा हल्के रहते हैं ।

 

 ❉   जो सदा साक्षीपन की सीट पर सेट रहते हैं वही स्मृति स्वरूप' बनते हैं और स्मृति स्वरूप आत्मा के सामने कोई भी परिस्थिति आ जाए लेकिन समर्थ होने के कारण वह हर परिस्थिति को खेल अनुभव करती है । कभी घबराती नहीं । भल कितनी भी बड़ी परिस्थिति हो लेकिन समर्थ आत्मा उसे मंजिल पर पहुँचने के लिए रास्ते के साइड सीन समझ मनोरंजन का अनुभव करती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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