━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 16 / 04 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
‖✓‖ °पावन° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ °ड्रामा° की नॉलेज को बुधी में रख दुखों से मुक्त अवस्था का अनुभव किया ?
‖✓‖ धन माल व °साहूकारी का नशा छोड़° देही अभिमानी बनकर रहे ?
────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
‖✓‖ स्वयं के °आराम का भी त्याग° कर सेवा की ?
‖✓‖ हर समय °स्टडी पर अटेंशन° रखा ? बाप और पढाई से समान प्यार रहा ?
────────────────────────
∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ संकल्प, बोल और कर्म °श्रीमत की लकीर° के अन्दर रख मन पसंद बनकर रहे ?
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
To Read Vishesh Purusharth In Detail, Press The Following Link:-
http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/16.04.16-VisheshPurusharth.htm
────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारा स्वधर्म शांति है सच्ची शांति शान्तिधाम में मिल सकती है यह बात सबको सुनानी है"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों स्वधर्म शांति होते हुए भी बहुत अशांति को जी लिया... दुखो के काले तुफानो को झेल लिया... अब सच्ची शांति तो शांति के सागर पिता के साये में परमधाम में ही मिलेगी सबको सुनाओ जरा...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो.. शांति के लिए किस कदर भटकते रहे... जगह जगह ढूंढते ही रहे... स्वधर्म शांत है फिर भी बाहर खोजते ही रहे... आओ परमधाम की शांत्ति में डूब जाओ... खुद भी सुनो और ओरो को भी सुनाओ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों किसी ने कभी न बताया जो सच्चे पिता ने आकर समझाया... की स्वधर्म शांति है और बाहर कही कुछ है ही नही... सच्ची शांति से परमधाम सजा है... आकर स्वयं भी जिओ और ओरो को भी बताओ जरा...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों परमधाम के रहने वाले सच्ची शांति को जीने वाले खुद को ही भूल चले हो...भीतर खजाना छुपा है निसे बाहर यूँ खोज रहे हो... आओ परमधाम की शांतमय दुनिया में और खो जाओ शांति की चरमसीमा में...
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे बच्चे शांतिमय खुशबु से भरे शांत स्वधर्म वाले शांति स्वरूप हो... जो खुद के वजूद को भूल भटक पड़े हो... परमधाम में चलकर उस परम् शांति का रसपान करो... और सबको भी सुनाओ...
────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢ बाप से जीवनमुक्ति का वर्सा पाने के लिए पावन जरुर बनना है । ड्रामा की नॉलेज को बुद्धि में रख दुःखधाम में रहते भी दुःखों से मुक्त रहना है ।
❉ बाप कहते हैं कि मैं आया ही हूं तुम्हें वर्सा देने व घर वापिस ले जाने । तो बाप से जीवनमुक्ति का वर्सा पाने के लिए पुरुषार्थ करना है व बस एक बाप की याद में रहना है ।
❉ लौकिक बाप से तो हद का वर्सा मिलता है व बेहद के बाप से बेहद का वर्सा मिलता है । बाप ही सदगति दाता हैं व सिवाय बाप के जीवनमुक्ति का वर्सा कोई ओर दे ही नही सकता । नयी सतोप्रधान दुनिया में जाने के लिए पावन जरुर बनना है ।
❉ जब स्वयं बाप ही कहते हैं कि बच्चे इस अंतिम जन्म में पवित्र जरुर बनना है तो हमें भी बेहद के बाप की श्रीमत पर चलते हुए इस अंतिम जन्म पावन जरुर बनना है ।
❉ बेहद के बाप ने हमें ड्रामा की नॉलेज देकर नॉलेजफुल बनाया है तो उसे बुद्धि में रखते हुए इस दुःखधाम में रहते हुए भी जो हो रहा है अच्छा ही हो रहा है व इसी में कल्याण समाया है । हर परिस्थिति से सीख लेते हुए खुशी से आगे बढ़ना है ।
❉ थोड़ा समय हमने दुःख पाए । अब तो बाप हमें दुःखधाम से सुखधाम में ले जाने के लिए आए हैं व सारे विश्व का मालिक बनाते हैं । दुःखधाम में रहते सुखधाम को याद कर दुःखों से मुक्त होना है ।
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ स्वयं के आराम का भी त्याग कर सेवा करने वाले सदा सन्तुष्ट, सदा हर्षित होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ जिनका हर संकल्प, बोल, कर्म, सम्बंध बस बाप के लिए होता है व हांजी का पाठ पक्का होता है तो ऐसे बच्चे किसी भी प्रकार की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं व दिन रात या अपने आराम की नही सोचते । सेवा करते सदा संतुष्ट व सदा हर्षित रहते हैं ।
❉ जब बाप स्वयं हमेशा बच्चों की सेवा के लिए ऐवररेडी रहते तो बच्चे भी अपने को भाग्यशाली समझते कि स्वयं बाप ने हमें सेवा लायक समझा व अपने को निमित्त समझ अपना सब बाबा को अर्पण कर सेवा कर सदा संतुष्ट , सदा हर्षित रहते हैं ।
❉ सच्चे सेवाधारी स्वयं के रात-दिन के आराम को भी त्यागकर सेवा करके ही आराम महसूस करते हैं व बिना सेवा के उन्हें अधूरा सा लगता है व जैसे जीवन कुछ रुक सा गया हो । ऐसे सेवाधारी स्वयं भी उमंग-उत्साह में रहते व दूसरों को भी उमंग-उत्साह से आगे बढ़ाते और सदा संतुष्ट , सदा हर्षित रहते हैं ।
❉ लौकिक में भी जिससे दिल से प्यार होता है उसके कुछ भी करने को हमेशा तैयार रहते है व कुछ उनके लिए करने पर खुशी होती है । हमें तो सच्चा-सच्चा माशूक मिला है व हम आशिक उस पर फिदा है तो जो अपने सच्चे माशूक की सेवा के लिए स्वयं के आराम का त्याग कर सेवा के लिए सच्चे दिल से रेडी रहते हैं व निमित्त भाव से करते हैं वो सदा संतुष्ट, सदा हर्षित रहते हैं ।
❉ जो बच्चे सदा बेफिकर बादशाह रहते है व सब बाप को सौंप निश्चिंत रहते है कि बाप जैसे चलावे, जो खिलावे, जहां बिठावें, जो करावे ... करनकरावनहार तो बाबा है हमारी तो बस उंगुली लग नाम होना है । कराना तो बाबा ने ही है । इसलिए आराम का त्याग कर सदा याद में रह सेवा कर संतुष्टमणि होते है व रुहानी सेवा कर सदा हर्षित रहते हैं ।
❉ जो ज्ञाननिष्ठ बच्चे होते हैं व सदा श्रीमत का सम्पूर्ण रीति पालन कर दिन रात याद में रहते सेवा करते हैं । ऐसे श्रेष्ठ चरित्रवान सेवाधारी कामधेनु बन सर्व की मनोकामनायें पूर्ण करते हैं ऐसे सेवाधारी सदा हर्षित और संतुष्ट रहते हैं ।
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ ज्ञान स्वरूप बनना है तो हर समय स्टडी पर अटेंशन रखो, बाप और पढ़ाई से समान प्यार हो... क्यों और कैसे ?
❉ जब हर समय स्टडी पर अटेंशन होगा, बाप और पढ़ाई से समान प्यार होगा तभी ज्ञान स्वरूप बन स्वरूप द्वारा शिक्षा दे सकेंगे । केवल बोल से नहीं जब अपने कर्म से स्वरूप बन दूसरों को शिक्षा देंगे, तो वह कर्म अनेकों को श्रेष्ठ बनाने के निमित्त बन, अनेकों आत्माओं का कल्याण करेगा । जैसे किसी को कितना भी समझाएं कि तुम आत्मा हो, वह समझेगा नहीं । लेकिन जब स्वयं उस स्वरूप में स्थित होकर उसे समझायेंगे तो उसका प्रभाव अवश्य फलदाई होगा ।
❉ जब बाप और पढ़ाई से समान प्यार होगा तो केवल दिमाग से नहीं दिल से पड़ेंगे । स्वयं भगवान टीचर बन मुझे पढ़ा रहे हैं, इस बात को समृति में रख सदा अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के नशे में रहेंगे । तो यह स्मृति हमें ज्ञान स्वरूप बना देगी । और मास्टर ज्ञानसूर्य बन अनेकों आत्माओं के जीवन में ज्ञान का प्रकाश कर, उन्हें अज्ञान अंधकार से बाहर निकाल, उन का कल्याण कर सकेंगे ।
❉ हर समय स्टडी पर अटेंशन देते हुए जब बाप और पढ़ाई से समान प्यार होगा तो अंदर में प्राप्ति का नशा सदैव बढ़ता रहेगा । परमात्मा बाप से हमें अनमोल ज्ञान रत्नों का खजाना मिल रहा है । यह भान सब प्रकार के अभिमान को समाप्त कर देगा । और हमारे हर कर्म को श्रेष्ठ बना देगा । जो स्वरूप से दिखाई देगा और ज्ञान स्वरूप बन जब अनेकों आत्माओं को ज्ञान सुनाएंगे तो उसका प्रभाव स्पष्ट देख सकेंगे ।
❉ हमारे अंदर के संस्कार हमारे स्वभाव से स्पष्ट दिखाई देते हैं । स्वभाव में चेंज आता है तो स्पष्ट नजर आता है कि संस्कार अभी बदल गया है । इसलिए जितना बाप और पढ़ाई से प्यार करेंगे, हर समय स्टडी पर अटेंशन रखेंगे तो उसे धारणा में लाकर अपने पुराने स्वभाव संस्कारों में परिवर्तन कर सकेंगे । यह परिवर्तन ही हमें ज्ञान स्वरूप बना देगा । ज्ञान स्वरूप बन जब अनेकों आत्माओं को शिक्षा देंगे तो अनेकों के स्वभाव संस्कार परिवर्तन कर सकेंगे ।
❉ बाप से, पढ़ाई से असीम स्नेह रखते हुए जब पढ़ाई पर हर समय अटेंशन देंगे तो ज्ञान अमृत से बुद्धि रूपी बर्तन स्वच्छ होता जाएगा । और ज्ञान की धारणा का प्रत्यक्ष प्रभाव चेहरे और चलन से स्पष्ट दिखाई देगा । और ज्ञान स्वरूप बनकर जब स्वच्छ व शीतल बुद्धि से अन्य आत्माओं पर ज्ञान की वर्षा करेंगे । तो यह ज्ञान वर्षा अनेको आत्माओं की बुद्धि को स्वच्छ बनाकर उनके जीवन में परिवर्तन ले आएगी ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━