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 18 / 11 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *"अभी हम ब्राह्मण सो देवता बन रहे हैं" - सदा इसी स्मृति में रहे ?*

 

➢➢ *ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरकर दान की ?*

 

➢➢ *माया के तूफानों से डरे तो नहीं ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *पावरफुल दर्पण द्वारा सभी को स्वयं का साक्षातकार करवाया ?*

 

➢➢ *शिक्षाओं को स्वरुप में ला ज्ञान स्वरुप, प्रेम स्वरुप आत्मा बनकर रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *बापदादा से किये गए वायदों को कर्म में लाये ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे -  तुम्हे मनसा वाचा कर्मणा एक्यूरेट बनना है क्योकि तुम देवताओ से भी ऊँच ब्राह्मण चोटी हो"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने खूबसूरत भाग्य के नशे में झूम जाओ... किस कदर ईश्वर बागबान के द्वारा फूलो से पल रहे हो... ईश्वर पिता ने कितना खूबसूरत जीवन दिया है सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण बनाकर दिल में बिठाया है... तो मनसा वाचा कर्मणा पवित्रता की खुशबु से महक उठो... और एक्यूरेट बनो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा ईश्वरीय नाजो में पल रही हूँ प्यारा ब्राह्मण जीवन पाकर अपने भाग्य पर फ़िदा हूँ... मनसा वाचा और कर्म को ईश्वरीय मत पर पवित्रता से सजा रही हूँ... और प्यारे बाबा मुझे यूँ खिला गुलाब सा देख मुस्करा रहे है...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पुत्र ब्राह्मण बनना बड़ी जिम्मेदारी है... हर कदम हर अदा ईश्वरीय झलक को दिखाये ऐसी रूहानी चलन हो... हर मन वचन और कर्म ईश्वरीय यादो में महके हो... यह ब्राह्मण जीवन देवताओ से भी सर्वश्रेष्ठ है... क्योकि ईश्वर पिता और ब्राह्मण सम्मुख है...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा मीठे बाबा की यादो में सम्पूर्ण पवित्र बनती जा रही हूँ... यादो में रह श्रेष्ठता को अपनाकर सुंदर संस्कारो को स्वयं में भरती जा रही हूँ... और प्यारे बाबा की श्रीमत को गहराई से धारणाओं में लाकर प्रतिपल निखरती जा रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... जब तक ईश्वर पिता का हाथ थामा न था... विकारो भरा जीवन जीकर शक्तिहीन हो चले अब प्यारा बाबा जो जीवन में आ चला है तो बाप समान बन मुस्कराना है... कौन हो किसके हो यह नशा सांसो में भरकर सम्पूर्ण पवित्रता से जीवन को दिव्य गुणो का पर्याय बनाना है...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार के साये में मनसा वाचा कर्मणा एक्यूरेट बनती जा रही हूँ... मीठे बाबा की श्रीमत पर सुंदर देवताओ सी सज रही हूँ... हर कर्म दिव्य होता जा रहा है... और गुणो शक्तियो और पवित्रता से दिव्य संस्कारो को पा रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा साक्षात्कारमूर्त हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का पुरुषोत्तम संगमयुग में दिव्य जन्म हुआ है... परमपिता परमात्मा ने मुझ आत्मा को गोद लेकर अपना बच्चा बनाया है... मेरे प्राण प्यारे बाबा ने कलियुगी मायावी गोद  से निकाल मुझ आत्मा को अपनी गोद में बिठाया है... मुझ आत्मा के दिव्य जन्म के उपलक्ष्य में प्यारे  बाबा ने कई सौगातें दी है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा ज्ञान दर्पण में अपना असली स्वरूप देख रहीं हूँ... मुझ आत्मा को ये दिव्य ज्ञान दर्पण मेरे प्यारे बाबा ने गिफ्ट किया है... मैं आत्मा बहुत ही सुंदर हूँ... मुझ आत्मा का कितना दिव्य स्वरूप है... मैं आत्मा सितारे मिसल चमक रहीं हूँ... कितनी प्यारी लग रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व खजानों की मालिक हूँ... ज्ञान, प्रेम, सुख, शांति, आनँद, शक्ति, पवित्रता मुझ आत्मा के असली गुण हैं... मुझ आत्मा का स्वरूप अद्वितीय है... अविनाशी है... मैं आत्मा स्वयं में खो गई हूँ... अपने इस दिव्य स्वरूप में स्थित हो गई हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अपने सभी गुणों की गहराई में जा रही हूँ... हर गुण का अनुभव कर उसका स्वरूप बनते जा रहीं हूँ... मैं आत्मा दिव्यगुणधारी बन रहीं हूँ... अब मैं आत्मा अपने इसी निराकारी स्वरूप की स्मृति में स्थित होकर साकार में कर्म कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा ऐसा पावरफुल दर्पण बन गई हूँ... जो सभी को स्वयं का साक्षात्कार करा रहीं हूँ... जो भी देहधारी मुझ आत्मा के सामने आता है वो देह को भूल अपने देही रुप में स्थित हो जाता है... मैं आत्मा पावरफुल दर्पण द्वारा सभी को स्वयं का साक्षात्कार कराने वाली साक्षात्कारमूर्त बन गई हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल - शिक्षाओं को धारण कर ज्ञान स्वरूप और प्रेम स्वरूप बनना"*

 

➳ _ ➳  शिवबाबा पढ़ाते है सदा यही स्मृति में रहे, बाबा सुनाते है हमको सुनना है। बाबा जो रोज समझानी देते, शिक्षाएं देते उन पर विचार सागर मन्थन करना है। बाबा द्वारा जो वरदान और स्वमान मिलते उनका स्वरूप बनना है, बाबा के समान विश्वकल्याण कारी बनना है। सब बातों में मास्टर बनना है।

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा गॉडली स्टूडेंट हूँ... बाप टीचर बन रोज पढ़ाने आते है... मैं आत्मा मुरली सुनते-सुनते ऐसा अनुभव करती हूँ... जैसे दर्पण के सामने बैठी हूँ... मैं आत्मा भविष्य में देवता बनने वाली आत्मा हूँ... संगम पर बाबा से दिव्यगुणों की प्राप्ति कर... मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई पढ़ रही हूँ...

 

➳ _ ➳  बाबा हमारा कितना कल्याणकारी है... बाबा मुझ आत्मा को भी मास्टर बना रहा है... मैं आत्मा बाबा से हुई प्राप्तियों की लिस्ट निकालती हूँ... तो ख़ुशी का पारा चढ़ने लगता है... मैं आत्मा कितनी भाग्यवान् हूँ... जो बाबा सवेरे-सवेरे मुझ आत्मा को ज्ञान रूप भोजन खिलाते भी है... और भोजन खिलाने योग्य भी बनाता है...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा में बाबा प्रेम की शक्ति भर रहे है... मैं आत्मा बाबा से ज्ञान की लेन-देन कर अपना भाग्य बना रही हूँ... प्यार एक बहुत बड़ा खजाना है... बाबा के प्यार से ही मैं आत्मा ज्ञान को धारण कर पा रही हूँ... बाबा की शिक्षाएं मुझ आत्मा को श्रेष्ठ बना रही हैं... यह शिक्षाएं सारे चक्र में मुझ आत्मा को काम आने वाली है...

 

➳ _ ➳  बाबा ने मुझ आत्मा की बुराई नही देखी... बुराईंयां थी लेकिन बाबा ने मिटा दी... इसलिये बाबा प्यारा लगता है... बाबा ने अपना संग देकर रंग लगा दिया... बाबा से मैं आत्मा घडी-घड़ी मीठी-मीठी बातें कर... खुद को हल्का अनुभव करती हूँ... मैं आत्मा बाबा से सदा सच्चा होने का वचन देती हूँ...

 

➳ _ ➳  बाबा जो ज्ञान सुनाते... उसे सुन मैं आत्मा उसी स्वरूप में स्थित होती जा रही हूँ... बाबा द्वारा दिए वरदानों में स्थित होती जा रही हूँ... बाबा से भरपूर हो मैं आत्मा बाबा के इस ज्ञान को अन्दर तक समाती जा रही हूँ... मैं आत्मा बुद्धि योग से सदा बाबा के संग रहूँ... सबसे बड़ा गुणों का भण्डार बाबा ही है... मैं आत्मा अपने ओरिजीनल स्वरूप... प्रेम स्वरूप का अनुभव करने लगी हूँ...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *पॉवरफुल दर्पण द्वारा सभी को स्वयं का साक्षात्कार कराने वाले साक्षात्कारमूर्त होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   पावरफुल दर्पण द्वारा सभी को स्वयं का साक्षात्कार कराने वाले साक्षात्कारमूर्त होते हैं क्योंकि...  जैसे दर्पण के आगे जो भी जाता है उसे स्वयं का साक्षात्कार हो जाता है। लेकिन अगर दर्पण पावरफुल नहीं हो तो रियल रूप की बजाये और ही कोई अन्य रूप दिखाई देता है।

 

❉   जैसे की कोई होगा तो पतला और दिखाई देगा मोटा। तभी तो बाबासदा मुरलियों में हमें कहते रहते हैं कि... अपना मुखड़ा देखले प्राणी...  अपने दिल दर्पण में। अपने से पूछना है कि...   क्या लक्ष्मी को वरने लायक बने हो? नारद का भी मिसाल बताते हैं न। उनको भी तो लक्ष्मी को वरने की इच्छा थी। लक्ष्मी को वरने के लिये उनको भी नारायण के स्वरूप की आवश्यकता पड़ी थी।

 

❉   अर्थात!  हमें स्वयं को इतना खूबसूरत बना लेना है कि कभी दर्पण में देखना भी पड़े तो वास्तविकता की झलक ही दिखाई दे। मीन्स...  अपने रियल स्वरूप को ही हम देखें। हम वास्तविकता में हैं कौन? पहले कैसे थे? अब ऐसे कैसे बन गए इतना खूबसूरत हमें किसने बनाया था? आदि आदि... प्रश्नों पर विचार करना चाहिये।

 

❉   इसलिये!  ऐसा पावरफुल दर्पण बन कर, हमें सर्व को साक्षात्कारमूर्त बन कर, सर्व आत्माओं को उनका वास्तविक परिचय देने के निमित्त बनना है। जब हम ऐसा दिव्य दर्पण बन कर संसार के सामने प्रत्यक्ष होंगेतभी तो हम अन्त में बाबा की व स्वयं की प्रत्यक्षता की गूँज को सुन सकेंगे।

 

❉   इसलिये!  हमें ऐसा पावरफुल दिव्य दर्पण बन जाना है  जो सभी को स्वयं का साक्षात्कार करा सकें अर्थात!  हमारे सामने जो भी आयेउसे हमारे सामने आते ही अपना देहभान भूल जाये और वह अपने देही रूप में स्थित हो जाये। यही वास्तविक सर्विस है। इसी से अन्त में जय जयकार होगी।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *शिक्षाओं को स्वरूप में लाने वाले ही ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप आत्मा है... क्यों और कैसे* ?

 

❉   शिक्षाओं को धारणा में ला कर जो उसका स्वरूप बन जाते हैं उनके हर संकल्प, बोल और कर्म में शिक्षा का स्वरूप सबको प्रत्यक्ष दिखाई देता है । उन्हें मुख से बोल कर दूसरों को समझाने की जरूरत नही पड़ती बल्कि उनका चेहरा और चलन ही उनके ज्ञान और प्रेम स्वरूप होने का संकेत देता है । उनके चेहरे की रूहानियत ही दूसरों को ज्ञान देने और उन्हें प्रेम, सुख, शांति का अनुभव कराने का आधार बन जाती है ।

 

❉   ज्ञान की बातें तो शास्त्रों में भी भरी पड़ी है । किंतु आज तक ना तो कोई उनका यथार्थ अर्थ समझ पाया और ना ही उसे धारणा में ला कर उसका स्वरूप बन पाया । अब स्वयं परमात्मा बाप ने आ कर शास्त्रों में कही हर बात का अर्थ तर्क के साथ समझाया । सभी वेदों शास्त्रों का सार बाबा ने आ कर हमारे सामने रख दिया । जो ज्ञान की इन प्वाइंटस को मनन करके अपने जीवन में धारण करते हैं । वो बाबा की शिक्षाओं को स्वरूप में ला कर ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप आत्मा बन जाते हैं ।

 

❉   आने वाले समय प्रमाण ऐसी तड़पती हुई कमजोर आत्माएं हमारे सामने आएंगी जो ज्ञान सुनने, समझने की इच्छुक नही होंगी । ऐसी आत्माओं की इच्छा केवल कुछ क्षणों के लिए ही सुख और शांति को पाने की होगी । ऐसी अशांत और दुखी आत्माओं को सुख और शांति का अनुभव तभी करवा सकेंगे जब स्वयं सुख और शांति से सम्पन्न होंगे । और सम्पन्न तभी बनेंगे जब शिक्षाओं को स्वरूप में लाएंगे । शिक्षाएं जब स्वरूप में आएंगी तो ही ज्ञान स्वरूप और प्रेम स्वरूप आत्मा बन अनेकों का कल्याण कर पाएंगे ।

 

❉   ज्ञान को सुनना और सुनाना यह ज्ञानी आत्मा की निशानी है किंतु ज्ञान को धारणा में ला कर स्वरूप बन उसका अनुभव आत्माओं को कराना यह ज्ञानी तू योगी आत्मा की निशानी है । ज्ञानी

आत्मा विपरीत परिस्थितियों में डोल सकती है किंतु ज्ञानी तू योगी आत्मा अनुभवीमूर्त होने के कारण अपने अनुभव से समय पर शिक्षाओं को अमल में ला कर ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप आत्मा बन हर समस्या से स्वयं भी मुक्त हो जाती है और अपने धारणा मूर्त स्वरूप से अन्य आत्मायों का भी कल्याण कर देती है ।

 

❉   हमारे इस योगी जीवन का आधार ही है ज्ञान की गुह्यता में जा कर अपने बुद्धि रूपी नेत्रों को ज्ञान की दिव्यता से दिव्य और आलौकिक बनाना ।  क्योकि जितनी यह दिव्यता बढ़ती जायेगी उतना ही ज्ञान के अथॉरिटी स्वरूप सहज बनते जायेंगे और शिक्षाओं का स्वरूप स्वत: ही चेहरे और चलन से स्पष्ट दिखाई देने लगेगा । शिक्षाओं को स्वरूप में ला कर अनुभवी मूर्त बन जब अन्य आत्माओं के सम्पर्क में आयेंगे तो अपने ज्ञान और प्रेम स्वरूप से उनको भी परमात्म पालना का अनुभव करवा पायेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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