━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 25 / 11 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *सच्चे बाप से सच्चे रहे ?*

 

➢➢ *भारत को पावन बनाने की सर्विस की ?*

 

➢➢ *किसी भी बात में संशय तो नहीं उठाया ?*

────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *संकल्प के इशारे से सारी कारोबार चलाई ?*

 

➢➢ *इस दुख्धाम से किनारा कर के रहे ?*

────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *अच्छे अच्छे लक्ष्य के संकल्प लिए ?*

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे -  स्वीट फादर और स्वीट राजधानी को याद करेंगे तो बहुत बहुत स्वीट बन जायेंगे"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... फूल बनाने वाले प्यारे पिता की यादो में डूब चलो मीठे बाबा को हर साँस के तार में पिरो दो... ईश्वरीय यादो से प्राप्त सतयुगी सुखो को याद करो तो... मीठे संस्कारो से सज जायेंगे... और मीठे बाबा समान मीठे हो जायेंगे... हर लम्हा मिठास लुटाने वाले बन जायेंगे...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा अपने मीठे बाबा की बाँहों में झूल रही हूँ... यादो में डूबी अतीन्द्रिय सुख में खोयी हूँ... मीठे बाबा की यादो में प्रेम की नदिया बन चली हूँ... ईश्वरीय प्रेम की लहरे पूरे विश्व में फेला रही हूँ... अपने मीठे सुखो की यादो में मुस्करा रही हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता जो धरा पर उतर आया है तो उसकी यादो में डूब अथाह खजानो को लूटकर मालामाल हो चलो... यादो में दिव्य गुणो और शक्तियो से सजकर देवताई श्रंगार कर चलो... यह यादे मीठेपन से खिला देंगी और पवित्रता से संवार कर विश्व का मालिक सा सजायेंगी...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा देहधारियों की यादो में कितनी कड़वी हो चली थी... दुखो में कितनी कलुषित हो चली थी... अब आपकी मीठी मीठी यादो में कितनी प्यारी मीठी और खुशनुमा होती जा रही हूँ... अपने सुखमय संसार को यादकर ख़ुशी से पुलकित होती जा रही हूँ....

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब अपने दुखो के सारे बोझ मीठे पिता को सौंप हल्के मीठे होकर मुस्कराओ... पिता के प्यार में खो जाओ... अपने सत्य स्वरूप के नशे में इतराओ... और अथाह सुखो की राजधानी को यादकर प्रेम और मीठेपन से महक उठो... और पूरे विश्व को इन मीठी तरंगो से भर दो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा की यादो में डूबकर कितनी मीठी प्यारी सतोगुणी होकर खिलखिला रही हूँ... प्यारे बाबा ने अपनी खुशनुमा यादो में मुझे कितना मीठा खुबसूरत बना दिया है... पवित्रता से महकाकर बेशकीमती बना दिया है...

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा लाइट की ताजधारी हूँ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा स्वदर्शन चक्र फिरा रहीं हूँ... मैं ही वो पूर्वज आत्मा हूँ... ताजधारी, तख्तधारी आत्मा हूँ... देव आत्मा हूँ... प्रकृतिजीत, जगतजीत आत्मा हूँ... मैं ही वो हीरो पार्टधारी आत्मा हूँ... जिसने 84 जन्मों का विशेष पार्ट बजाया...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा ने 21 जन्मों तक सुख, समृध्दि से सम्पन्न देवता जीवन व्यतीत किया... द्वापर से मैं आत्मा अनेक प्रकार के कर्मबंधनों के बोझ से दब गई हूँ... मोटी बुद्धि की हो गई हूँ... बिना ताज के हो गई हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा अपने अंतिम जनम में हूँ... यहाँ चारों ओर हलचल है... मुझ आत्मा को आवाज से परे संकल्पों की शक्ति को बढाना है... साइलेंस की शक्ति को जमा करना है... मुझ आत्मा को वापस अपने पिता के घर शांतिधाम जाना है... जहाँ चारों ओर साइलेंस है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अंतर्मुखी होकर शांतिधाम में अपने पिता शांति के सागर के सम्मुख बैठी हूँ... शांतिधाम की शांति को अनुभव कर रहीं हूँ... शांति के सागर की किरणों से मुझ आत्मा की सारी हलचल, व्यर्थ संकल्पों का बोझ ख़त्म होते जा रहा है...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा लाइट हो गई हूँ... अब मैं आत्मा अपने संकल्पों पर विजय प्राप्त कर ली हूँ... अब मुझ आत्मा के मन में वही संकल्प उठता है जो होने वाला है... आवाज से परे समर्थ संकल्पों से ही सारे कार्य करती हूँ... अब मैं आत्मा संकल्प के इशारों से सारी राज़धानी चलाने वाली सदा लाइट की ताजधारी बन गई हूँ...

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल - दुःख की लहरों से बचाव अर्थात दुखधाम से किनारा"*

 

➳ _ ➳  अभी दुःख बहुत बढ़ रहा है, बढ़ता रहेगा। बाबा ने इस दुखों की दुनिया में मुझे अपना बना दुखों से छुड़ा दिया, बाबा ने किचडे से निकाल अपनी गोद में बिठा लिया। मेरा इस पुरानी दुनिया से, पुराने संस्कारों, पुराने सम्बन्धों सेकोई नाता नही। अब सदा यही स्मृति रहती है मेरा तो 'एक शिव बाबा दूसरा न कोई' सर्व सम्बन्ध, सर्व प्राप्तियां एक बाप से। तो दुःख की लहर आ नही सकती।

 

➳ _ ➳  मैं परमात्म पालना में पलने वाली आत्मा हूँ... परमात्म पालना सारे कल्प में एक बार मिलती है... मैं कल्प पहले वाली भाग्यवान् आत्मा हूँ... ड्रामा में मुझ आत्मा का ऐसा भाग्य नुंधा हुआ है... एक ही बाप... मुझ आत्मा को सर्व प्राप्तियां कराने वाला भी... पढ़ाने वाला भी और पालना करने वाला भी है...

 

➳ _ ➳  बाबा मुझ आत्मा को दुःख की दुनिया से निकाल कर... सुख की दुनिया में ले आए है... बाबा मुझ आत्मा को कहाँ से कहाँ खिंच कर ले आए... मैं आत्मा बाबा की गोद में बैठ... अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूल रही हूँ... मैं अपने को बहुत हल्का अनुभव कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  बाबा का बनते ही मुझ आत्मा को स्मृति आई... मैं आत्म अभिमानी हूँ... मुझ आत्मा को परमात्म बाप के स्नेह का नशा चढ़ने लगता है... और दिल से यही निकलता है 'मेरा मीठा बाबा'... मेरा बाबा कहते ही मैं आत्मा मानो कौडी से बादशाह बन गई... ऐसा अनुभव होने लगा है... इस पुरानी दुनिया से अब दिल उठ गया है...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा को बाबा ने सर्व खजानों से... मालामाल कर दिया... भाग्यविधाता अखूट खजाने के दाता ने मुझ आत्मा को अपना बना लिया... वो मेरा हो गया... मैं उसकी हो गई... एक बाप ही दाता पन का प्यार देने वाला है...

 

➳ _ ➳  पुरानी दुनिया जिसने कखपति बना दिया... सभी दुःख और धोखा देने वाले... स्वार्थ के सम्बन्ध... पुराने दुनिया के स्वभाव संस्कारों ने पंजरे के पंछी बना दिया... मैं आत्मा एक बाबा की याद में रह ऐसी दुःख की दुनिया से किनारा कर रही हूँ... पुरानी दुनिया से बेहद की वैराग्य वृति ही... मुझ आत्मा को परमात्म प्यार की अनुभुति करा रही है...परमात्म-प्यार पाकर मैं आत्मा दुःख की लहरों से दूर हो गई हूँ...

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *संकल्पों के इशारों से सारी कारोबार चलाने वाले सदा लाइट के ताजधारी होते हैं... क्यों और कैसे?*

 

❉   जो बच्चे लाइट रहते हैं उनका संकल्प वा समय कभी व्यर्थ नही जाता। वो अपना सारा बोझ बाप को देकर निश्चिंत व हल्के रहते हैं क्यूंकि वो अपने को इस धरा पर मेहमान व ट्रस्टी समझते है। यही स्मृति में रखते है कि सब जिम्मेवारी बाप की है जैसे चलावें जहाँ बिठावे इसलिए हल्के रह उडता पंछी रहते हैं।

 

❉   एक बाप की याद में रहने से संकल्पों में श्रेष्ठता होती है व संकल्पों में सिद्धि स्वरुप बन जाते है। सदा बाप का साथ व साथ होने से सर्वशक्ति सम्पन्न अनुभव कर लाइट रहते हैं । क्यूं, क्या, कैसे कोई संकल्प ही नही उठता। वही संकल्प उठता है जो होने वाला होता है। जैसे बोलने से बात को स्पष्ट करते हैं वैसे ही संकल्पों से सारी कारोबार चलती है और लाइट रहते हैं।

 

❉  जिन बच्चों का बुद्धियोग बस एक बाप से होता है व सर्व सम्बंधों की रसना भी बाप से ही होती है तो अपनी पावरफुल याद रुपी तार से संकल्प रुपी स्विच ऑन करते ही तीनों लोक तक शक्ति से कनेक्शन कर सकते हैं और साइलेंस की शक्ति के बल से सकंल्प से जहां जितनी देर टिकना चाहे टिके रहते है और सदा लाइट के ताजधारी होते हैं।

 

❉   जैसे लौकिक में कोई साधन यूज करते हैं तो लाइट से ही चलती है और कनेक्शन भी सही जुड़ा हो तभी चलती है। ऐसे जब एक बाप के साथ कनेक्शन सही जुड़ा हुआ रहता है व बुद्धि की लाइन क्लीन व क्लीयर होती है तो अपने संकल्पों से दूर बैठे अशांत दुःखी आत्माओं को सुख शांति की वायब्रेशनस देकर संकल्पों से कारोबार चलाने वाले लाइट के ताजधारी होते हैं।

 

❉   जो आत्माऐं मनसा वाचा कर्मणा एक रस स्थिति रखते हैं और सर्व के प्रति कल्याणकारी वृति रखते है ऐसे देही अभिमानी ब्राह्मण संकल्पों रुपी श्रेष्ठ खजानों की शक्ति के इशारों से सारी कारोबार चलाने वाले सदा लाइट के ताजधारी होते है।

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *इस दुःखधाम से किनारा कर लो तो कभी दुःख की लहर आ नही सकती... क्यों और कैसे* ?

 

❉   आत्मा जिसका चिंतन करती है, उसकी छाप उसके अन्त: पटल पर छप जाती है, जो बाद में स्मृति के रूप में आती रहती है । जितनी छाप गहरी होगी स्मृति भी उतनी ही अधिक गहरी होगी । मनुष्य जितना गहराई से इस देह और देह की दुनिया को देखता है , उतना ही इन सबके प्रति उसका चिंतन गहरा होता है जो उसके दुःख का मूल कारण बनता है । क्योकि देह और देह की दुनिया के सभी सम्बन्ध दुःख देने वाले है । इसलिए जितना इस देह और देह की दुनिया के चिंतन से स्वयं को मुक्त रखेंगे, दुःख से बचे रहेंगे ।

 

❉   मन में दुःख की फीलिंग तब आती है जब दुःख देने वाली किसी बात की या किसी घटना की स्मृति आती है । इसलिए हर प्रकार के दुःख से स्वयं को मुक्त करने का सहज उपाय है दुखदायी स्मृतियों को अपने मन बुद्धि से सदा के किये डिलीट कर देना । और डिलीट करने का सहज उपाय है दुःख की स्मृति के स्थान पर सुख देने वाली बातों का चिंतन करना । इसलिए जितना स्वयं को श्रेष्ठ चिंतन मे बिजी रखेंगे इस दुखधाम से स्वत: ही किनारा होता जायेगा ।

 

❉   देह और देह की दुनिया के सभी सम्बन्ध केवल स्वार्थ की नींव पर टिके है और जहां स्वार्थ है वहां कभी भी सच्चे स्नेह और सुख की फीलिंग आ नही सकती । इसलिए आज दुनिया में सभी सम्बन्धो में केवल झूठा लगाव, झुकाव और टकराव ही दिखाई देता है जो सबसे बड़ा दुःख का कारण है । सुख के नाम पर सभी एक दो को दुःख ही देते रहते हैं । इन दुखो से बचने का केवल एक ही उपाय है और वह उपाय है इस दुःखधाम से किनारा कर केवल परमात्म स्नेह में समाए रहना ।

 

❉   देह अभिमान सबसे बड़ा विकार है जो जन्म जन्मान्तर से दुःख का कारण बनता आ रहा है । सतयुगी दुनिया में जहां देह का भान नही था वहां सुख, शांति सम्पन्नता से सब भरपूर थे किंतु जैसे ही रावण राज्य शुरू हुआ, देह के भान में आये तो विकारों के वशीभूत हो कर एक दो को दुःख ही देते आये । आज यह दुनिया पूरी तरह से दुःख

धाम बन गई हैं जहां सिवाय दुःख के और कुछ नही है । इस दुःख धाम से निकलने का उपाय है स्वयं को आत्मिक स्मृति में रखना और मन बुद्धि से इस दुखधाम से किनारा करना ।

 

❉   सुख, शांति, आनन्द, पवित्रता, प्रेम ये ही आत्मा के मूल गुण है इसलिए हर मनुष्य सुखी, शांत, आनन्द और प्रेम से रहना चाहता है । अशांति, दुःख और नफरत किसी को भी अच्छी नही लगती । अपने इन्ही वास्तविक गुणों को भूलने के कारण आत्मा दुखी, अशांत हो गई है अतः सभी एक दो को दुःख और अशांति ही दे रहे हैं । इसलिए अपने वास्तविक स्वरूप में टिक कर दूसरे को भी उसी स्वरूप में देखने का अभ्यास जैसे जैसे पक्का करते जायेंगे एक दो को दुःख देना बन्द होता जायेगा । और इस दुखधाम से किनारा हो जायेगा ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━