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 15 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15) ×

 

➢➢ "हम ही कल्प-कल्प के अधिकारी आत्मायें हैं" - सदा यह नशा रहा ?

 

➢➢ "अपने को आत्मा समझो और आत्मा समझ कर बाप को याद करो" - बापदादा की इस नंबर वन श्रीमत का अच्छे से पालन किया ?

 

➢➢ "वाह रे मेरा भाग्य! वाह मेरा बाबा! वाह ड्रामा वाह!" - यही गीत गाते रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ नम्बरवन खुशबूदार रूहे-गुलाब बनकर रहे ?

 

➢➢ सेवा के प्रति अवतरित होने वाले अवतार बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं मास्टर लिबरेटर हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

➳ _ ➳  मैं पवित्रता का फरिश्ता आकाश मार्ग में विचरण करता हुआ समस्त विश्व का भ्रमण कर रहा हूँ... आधुनिकता के इस युग में आध्यात्मिकता पूर्णतया लुप्त हो गयी है... हर ओर पापाचार, भ्रष्टाचार, विकारी साम्राज्य अपनी चरम सीमा पर है... मनुष्यात्माओं से निकलती अपवित्रता, कुसंस्कारों, विकर्मों की बदबू समस्त विश्व में व्याप्त हो रही है... आजकल के वातावरण में हर आत्मा किसी न किसी बात के बन्धन वश है... कोई तन के दुःख के वशीभूत है, कोई सम्बन्ध के, कोई इच्छाओं के, कोई अपने दुखदाई संस्कार स्वभाव के, कोई प्रभू प्राप्ति न मिलने के कारण, पुकारने चिल्लाने के दुःख के वशीभूत है... ऐसे में मुझ फ़रिश्ते को परमपित्ता परमात्मा शिव ने विश्व में पवित्रता, सुख-शांति की किरणे फैलाने के लिए इस पृथ्वीलोक पर सेवार्थ जाने की आज्ञा दी है... मैं आत्मा आज अपने परमप्यारे शिव पिता के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि दुःख और अशांति के वश जो आत्माएं अपने को लिबरेट करना चाहती हैं, उनके दुखमय जीवन से उन्हें लिबरेट करने के लिए मैं आत्मा अपने स्व - स्वरुप और स्वदेश के स्वमान में स्तिथ रहकर, रहमदिल बन मास्टर लिबरेटर की सीट पर सेट रहूंगी ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "रूहे गुलाब की विशेषता"

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो ईश्वर पिता होगा तो बच्चे भी वही खुशबु लिए रूहे गुलाब होंगे... वही गुलाबी अदा... वही गुलाबी रूहानी नयन... वही गुलाबी गुणो की खुशबु समाये हुए ही होंगे... जिन्हें देख मै पिता भी फ़िदा हो जाऊंगा...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों सदा रूहानी गुलाबो से खुशबु को फैलाओ... सबको अपने साथ से महकाओ... बेसहारो का सहारा बन उन्हें भी अपने साथ से खिलाओ... देवताई संस्कारो की रास से इस धरा को स्वर्ग की खुशबु से सजाओ...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे सदा अपने खूबसूरत भाग्य के नशे की खुमारी में रहो... सदा गाओ सदा मुस्कराओ खुशियो में झूम जाओ...ईश्वर बाबा बन मिला है धरती आसमान अपनी खुशबु से सराबोर कर चलो... और खुशनुमा प्यारी जिंदगी का भरपूर आनन्द उठाओ...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों.सदा अपनी खूबसूरत सी आत्मिक स्म्रति में डूबे रहो... प्यारे बाबा की श्रीमत का हाथ पकड़ निश्चिन्त हो उड़ते रहो... हीरो से सजे से हीरो बन इतराते रहो... ईश्वरीय जादू भरे प्रेम में खोये रहो...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों रूहानी गुलाब से मेरे बच्चे हो...सदा रूह के भान में रहो... रूह हो रूह से बात करो... सबको महकाओ... सबको खिलाओ... सबकी झोली मुरादों से खुशियो से भर आओ... देवता हो देवताई अदा दिखा रूहानी लहर चलाओ...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सेवा के प्रति अवतरित होने वाले अवतार बनकर रहना है ।

 

  ❉   जैसे बाप अपने बच्चों की सेवा करने के लिए, बच्चों के प्रति कर्तव्य को निभाने अवतरित होते हैं ऐसे हर आत्मा को स्वयं को सेवाधारी समझ बाप की सेवा में मददगार बन सेवा के प्रति अवतरित होने वाले अवतार बनकर रहना है ।

 

  ❉   मैं इस देह में अवतरित आत्मा हूं व स्वयं बाबा ने मुझे सेवा के निमित्त चुना है इस देह द्वारा सेवा करते हुए यही स्मृति रखनी है कि मैं आत्मा इन कर्मेन्द्रियों द्वारा सेवा कर रही हूं । करनकरावनहार तो बाबा है व अपने को सेवा के प्रति अवतरित होने वाले अवतार बनकर रहना है ।

 

  ❉   जैसे बाप ब्रह्मा बाप द्वारा शरीर का लोन लेकर ड्रामानुसार सृष्टि पर आते हैं व सेवा कराते हैं । ऐसे ही अपने को निर्बंधन अवतरित आत्मा समझ व निमित्त समझ कर्म करना है । सेवा के प्रति अवतार मतलब जब भी सेवा हो तब उसी समय जी हाजिर ना संकल्प ना विकल्प बस हांजी का पार्ट निभाते ऐवररेडी रहते हैं ।

 

  ❉   देह में रहते देह से न्यारा मेहमान समझ अवतरित आत्मा समझना है जिसे स्वयं परमपिता परमात्मा ने ईश्वरीय सेवार्थ भेजा है । स्वयं को सेवा के प्रति अवतार समझ सदा मास्टर सर्वशक्तिमान की सीट पर स्थित अपनी शक्तियों को सेवा के प्रति ही यूज़ करना है ।

 

  ❉    सिर्फ सेवा के प्रति अवतार बनेंगे तो विघ्नों को पल में खत्म कम समय में अधिक सफलता मिलेगी जिससे बाप का नाम बाला होगा और बाबा जल्दी प्रत्यक्ष होगा ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने स्व-स्वरुप और स्वदेश के स्वमान में स्थित रहने वाले लिबरेटर होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे अपने असली स्व-स्वरुप और स्वदेश के स्वमान में रहते हैं तो वो हमेशा सुख सागर , शांति के सागर... बाप के साथ सुख, शांति... की लहरों में लहराते रहते है व दूसरों को भी सुख, शांति, प्रेम.... की लहरों मे लहरवाने वाले व उन्हें दुःख, अशांति .. से दूर करने वाले लिबरेटर होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे अपने स्व- स्वरुप में और स्वदेश के नशे में रहते है सदा अपने को बाप के साथ पार्ट बजाने वाली महान आत्मा श्रेष्ठ आत्मा समझते है व अपनी शुभ भावना शुभ कामना से किसी आत्मा को अपने श्रेष्ठ संकल्पों से परिवर्तन कर भगवान के समीप लाकर हिम्मतहीन से हिम्मतवान बना लिबरेटर होते हैं ।

 

  ❉   जो अपने स्व- सवरुप और स्वदेश की स्मृति में रहते है वो अपने को हमेशा बापदादा की हजार भुजाओं की छत्रछाया में अनुभव करते हैं व बाप से कनेक्शन जुड़ा होने से शक्तिशाली ओरा होता है तो समीप आने वाली आत्मा कुछ क्षण बैठने पर ही सकून अनुभव करती है व शांति का अनुभव करती है । ऐसे बच्चे लिबरेटर होते हैं ।

 

  ❉   हर आत्मा इस समय किसी न किसी बंधन वश है , किसी को तन के दुख का बंधन, तो किसी को परिवार का, किसी को दुखदाई संस्कारों का ...तो हर आत्मा अपने को दुख अशांति से लिबरेट करना चाहती है तो इसके लिए जो अपने स्वरुप में रहता है कि मैं कौन हूं व मेरा कौन हैं व मुझे कहां जाना है ये स्मृति में रखते है तो स्वयं भी लिबरेट रहते है व दूसरों को भी लिबरेट करते हैं ।

 

  ❉   जो अपने स्व-स्वरुप में रहते है व अपने स्वधर्म में टिके रहते है और अपने घर की स्मृति रहती है तो दूसरों के प्रति भी आत्मिक दृष्टि व आत्मिक भाव होता है । बाप समान रहमदिल होते है तो सब के प्रति रहम भाव होने से सर्व के प्रति सहयोगी होने से भयभीत आत्माओं, नाउम्मीद आत्माओं में खुशी,उमंग उत्साह भर व उम्मीद पैदा कर लिबरेटर होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सदा अचल अडोल रहने के लिए एकरस स्थिति के आसन पर विराजमान रहो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   एक रस स्थिति के आसन पर वही विराजमान हो सकते हैं जो साक्षी हो ड्रामा की हर सीन को देखते हैं । अगर सदा ड्रामा की स्मृति रहे तो कभी भी मुरझा नहीं सकते क्योकि ड्रामा की ढाल को अच्छी तरह से कार्य में लाने से सदा खुश रहेंगे, मुरझायेंगे नही और ख़ुशी में रहने वाला सदा शक्तिशाली होगा, कोई भी परिस्थिति हो हलचल में नही आएगा, अचल अडोल रहेगा ।

 

 ❉   एकरस स्थिति अर्थात् एक के ही रस में रहना और कोई भी रस अपनी तरफ़ खींचे नहीं और एक के रस में मगन वही रह सकते हैं जो सर्व सम्बन्धों का सुख एक बाप से लेते हैं । चलते, फिरते, उठते, बैठते केवल बाबा की ही स्मृति में समाये रहते हैं । यही एकरस स्थिति उन्हें अचल अडोल बना देती है जिसके आगे माया भी उनकी दासी बन जाती है ।

 

 ❉   जैसे ब्रह्मा बाप सदा निश्चयबुद्धि होने के कारण बेफिक्र बादशाह की स्थिति में रहेकिसी भी बात में क्वेश्चन मार्क का टेढ़ा रास्ता लेने के बजाए कल्याण की बिन्दी लगाईएक बल एक भरोसा इसी आधार पर अचल-अडोलएकरस स्थिति बनाईऐसे जो फॉलो फादर करते हैं वे सदा एकरस स्थिति के आसन पर विराजमान रहते हुए अचल अडोल बन जाते हैं इसलिये उनके आगे हर परिस्थिति छोटी हो जाती है ।

 

 ❉   जो नथिंगन्यू की स्मृति से अचल-अडोल बनकिसी भी दृश्य को देखकर हिलने के बजाए वातावरण को पावरफुल बनाने के निमित्त बनते हैं और जीवन में आने वाले विघ्नों को

साइडसीन समझ अपनी एकरस स्थिति में स्थित हो कर उन्हें पार करते जाते हैं वे सफलतामूर्त बन हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते चले जाते हैं ।

 

 ❉   जो सदा इस निश्चय में रहते हैं कि बाप हमारा रक्षक है, कल्याणकारी हैकिसी भी बात में हमारा अकल्याण हो नहीं सकता और सदा इसी उमंग में रहते हैं कि हमारी कभी हार नही हो सकती और जिन्हें यह नशा रहता है कि विजय हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है वो सदा बेफिक्र बादशाह बन एकरस स्थिति के आसन पर विराजमान हो कर सदा अचल अडोल रहते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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