━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 27 / 09 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ द्वैत भावना समाप्त कर सबका रीगार्ड रखा ?
➢➢ अविनाशी कमाई में बिजी रहे ?
➢➢ याद का चार्ट रखा ?
────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ अपनी पावरफुल वृत्ति द्वारा पतिती वायुमंडल को परिवर्तित किया ?
➢➢ धरनी में परमात्म पहचान का बीज डाला ?
────────────────────────
∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ √श्वांसों श्वांस स्मृति√ में रहे ?
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
To Read Vishesh Purusharth In Detail, Press The Following Link:-
✺ HTML Format:-
➳ _ ➳ http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/27.09.16-VisheshPurusharth.htm
✺ PDF Format:-
➳ _ ➳ http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/27.09.16-VisheshPurusharth.pdf
────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम सेन्सिबल बने हो तो अपनी कमाई का बहुत बहुत शौक रहना चाहिए, धंधे आदि से भी समय निकालकर बाप को याद करो तो कमाई होती रहेगी"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे... ईश्वरीय गोद में खिले फूल हो... और अब समझ आ चली है तो सांसो को यादो में खोकर पूरा फायदा उठाओ.... जिस अमीरी से प्यारा बाबा भरने आया है... उसे सांसो के रहते अपनी यादो में भर चलो... अपने अमीर बनने के लक्ष्य को यादो से पूरा करो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा मै आत्मा अब सत्य स्वरूप को जान गयी हूँ... और सतयुगी अमीरी को बाँहों में भरने को आतुर हूँ... मीठी यादो में खो गयी हूँ... और अपनी कमाई को प्रतिपल बढ़ाती ही जा रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... हर पल हर घड़ी बाबा के प्यार में डूब जाओ... कमाई का नशा कभी न उतरे ऐसी खुमारी से भर जाओ... भगवान खजाने लुटाने आया है तो उसे यादो से लूट कर मालामाल हो जाओ... और सतयुगी सुखो के फूलो में विचरण कर अमीरी को जी चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा कितनी भाग्यशाली हूँ कि प्यारा बाबा मुझे अमीर बनाने परमधाम छोड़ धरती पर डेरा डाल चला... मेरे लिए यादो की मीठी सौगात ले आया... बाँहों में अथाह खजाने ले बलिहारी हो चला... ऐसे मीठे प्यारे बाबा को मै कितना न याद करूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... विश्व पिता के बच्चे बने हो तो पूरे विश्व को बाँहों में समाओ... खजानो की खानो पर खड़े हो तो यूँ खाली न रहो... हर पल मीठी यादो में खोकर महान भाग्यशाली बन जाओ... अपने लक्ष्य पर दृढता से नजर रखकर अपनी कमाई कर चलो... भगवान से सारे खजाने ले लो और सदा के अमीर बन चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में हर साँस को पिरोकर कमाई कर अमीर हो चली हूँ... धरती आसमाँ सब अपने नाम कर चली हूँ... ज्ञानपरी बन उड़ चली हूँ... और मीठे बाबा से सारे खजाने लेकर मालामाल हो चली हूँ....
────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )
❉ "ड्रिल - एक बाप की याद में रह अविनाशी कमाई करना"
➳ _ ➳ आज का मनुष्य इस भागदौड़ की जिंदगी में ये भूल गया कि वह किस प्रयोजन के लिए भाग रहा है... अभी तक अज्ञानता के कारण कमाना खाना और सो जाना बस यही जिंदगी का लक्ष्य था... अपनी सुख शांति के लिए ही बस धन कमाने की ओड़ में ही लगा हुई थी... इस विनाशी धन को ही बस जिंदगी का आधार समझती रही... इस संगमयुग पर स्वयं परमपिता परमात्मा ने मुझे कोटो में से कोई मे से ढूंढ़ निकाला... मुझे अपना बच्चा बनाया... जिस सत्य की खोज में सुख शांति पाने के लिए न जाने कहां कहां भटकती रही... उस सत्य का परिचय स्वयं प्यारे परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने दिया... अब मुझ आत्मा को स्मृति आ गई है... कि प्यारे परमपिता परमात्मा ही मुझ आत्मा के सच्चे सच्चे परमपिता है... साथी है... सतगुरु है... मुझ आत्मा के सर्व सम्बंध बस प्यारे बाबा से हैं... ये देह व देह के सर्व सम्बंध विनाशी है... झूठे है... सब कब्रदाखिल हो जाने है... इसलिए मैं आत्मा विनाशी देह के सम्बंधों से लगावमुक्त हो रही हूं... बस एक प्यारे बाबा की याद में ही रहती हूं... प्यारे बाबा को याद करके ही मुझ आत्मा की कट उतरती जा रही है... मैं जीते जी बुद्धि से सर्व विनाशी सम्बंधों को भुला चुकी हूं... एक प्यारे बाबा की याद में रह अविनाशी कमाई जमा कर रही हूं... मैं आत्मा एक बाबा की याद से अपने विकर्मों का विनाश कर रही हूं... मैं आत्मा शरीर निर्वाह अर्थ ही धन कमाती हूं... और इस शरीर से कर्म करती हूं... मैं अपने को आत्मा समझ इन कर्मेन्द्रियों से कर्म करवाती हूं... मैं आत्मा समझदार बन बस एक बाबा को याद कर अविनाशी कमाई कर रही हूं... मैं आत्मा हर कर्म करते बाबा की याद में रह याद का चार्ट बढ़ाने का पुरुषार्थ कर रही हूं...
❉ "ड्रिल - परमात्म पहचान का बीज डालने से प्रत्यक्षता"
➳ _ ➳ मैं आत्मा रूहानी सेवाधारी हूं... मैं विशेष आत्मा परमात्मा को इस धरनी पर प्रत्यक्ष करने के निमित्त हूँ... हर सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाली आत्मा के धरनी में परमात्मा की पहचान का बीज डालती जाती हूँ... मेरे द्वारा अनेको आत्माओं के धरनी में परमात्म पहचान के बीज डाले गए हैं... अब धीरे-धीरे ये बीज से परमात्म प्रेम के अंकुश फूटने लगे हैं... सभी आत्मायें परमात्मा की ओर खिंचाव महसूस कर रही है... उनके दिलों ने सत्य को स्वीकार कर लिया हैं... अब चारों और परमात्म प्रत्यक्षता की फसल लहराने लगी हैं... सब ने परमात्मा को जान लिया है और मान लिया है... मुझ महान आत्मा ने परमात्म पहचान के जितने भी बीज डाले थे... वो सब सुंदर फसल के रूप में तैयार हो गए... मेरे द्वारा परमात्मा की प्रत्यक्षता हो गई हैं... सब तरफ परमात्मा की प्रत्यक्षता के नगाड़े बज रहे है... मुझ आत्मा की मेहनत रंग लाई... कल्प-कल्प के लिए मुझ आत्मा का सुनहरा भाग्य बन गया हैं...
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- मैं मास्टर पतित पावनी आत्मा हूँ ।"
➳ _ ➳ मैं आत्मा पतित पावन परमात्मा की संतान मास्टर पतित पावनी हूँ... मैं मास्टर पतित पावनी आत्मा बाप का सच्चा और पक्का बच्चा हूँ... मैं आत्मा खुदाई खिदमतगार उपर से उतरा हुआ अवतार हूँ... मैं आत्मा बहती हुई भरपूर ज्ञानगंगा हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा ज्ञान का लक्की सितारा हूँ... मैं आत्मा मनसा-वाचा-कर्मणा तीनो रूपों से सेवा करने वाली विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ... मैं आत्मा हर बुराई को अच्छे में बदलने वाली, हर विकारी वातावरण को बदलने वाली सर्वोत्तम ब्रह्मामुख वंशावली ब्राहमण कुल भूषण आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपनी पॉवरफुल वृत्ति द्वारा पतितों को पावन बंनाने की सेवा करने वाली, अपवित्र व कमज़ोरी का वायुमण्डल मिटाने वाली बाबा की नूरे रत्न कोटों में कोई कोई में भी कोई विशेष आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सारे भारत को पावन बनाने की सेवा में खडीं हूँ... विकारी वायुमण्डल में भी स्वयं की वृति को निर्विकारी रखने वाली मैं मास्टर पतित पावनी आत्मा होने की सीट पर सदा के लिए सेट होने का अनुभव कर रहीं हूँ ।
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ अपनी पावरफुल वृति द्वारा पतित वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाले मास्टर पतित-पावनी होते हैं... क्यों और कैसे?
❉ अपनी पावरफुल वृति द्वारा पतित वायुमण्डल को भी परिवर्तन करने वाले मास्टर पतित - पावनी होते हैं। क्योंकि... उनके सामने कैसा भी वायुमण्डल हो, लेकिन! उनकी स्वयं की शक्तिशाली वृत्ति वायुमण्डल को बदल देती है। क्योंकि वायुमण्डल को बदलने की पॉवर उन पतित-पावनी आत्माओं की वृति में होती ही है।
❉ क्योंकि वायुमण्डल को बदलने की पॉवर उन की दृस्ति और वृति में विद्यमान रहती है। उनके सामने कैसा भी विकारी वायुमण्डल होता हो, लेकिन! उनकी स्वयं की वृति तो निर्विकारी है न। इसलिये! स्वयं की निर्विकारी अवस्था कैसा भी पतित वायुमण्डल क्यों न हो, उसको परिवर्तित कर देता है।
❉ क्योंकि जो पतितों को पावन बनाने वाले होते हैं, वो पतित वायुमण्डल के वशीभूत नहीं हो सकते हैं। इसलिये! वे मास्टर पतित - पावनी बन कर पतित को पावन बनाने का कार्य करते हैं। उनकी दृस्टि और वृति में अपार शक्ति का स्रोत होता है।
❉ मास्टर पतित पावन कमजोरी के वायुमण्डल को मिटा देते हैं। वे कमजोरी के अपवित्रता के वायुमण्डल को मिटा कर, संपूर्ण वातावरण को शक्तिशाली व पवित्र बना देते हैं। इसलिये! कैसा भी वायुमण्डल होता हो, वे स्वयं की शक्तिशाली अवस्था के द्वारा स्वयं की स्थिति के अनुकुल बना लेते हैं।
❉ पतितों को पावन बनाने वाले स्वराज्य अधिकारी होते हैं। उनका स्वयं की स्थूल व सूक्ष्म कर्मेंद्रियों... यथा मन बुद्धि संस्कारों व आँख नाक कान हाथ पैर त्वचा आदि! पर सम्पूर्ण प्रभुत्व रहता है। इसलिये! हमें कभी भी कमजोरी और अपवित्रता का वर्णन नहीं करना है तथा उसका वर्णन करके अनुचित वायुमण्डल का निर्माण नहीं करना है। क्योंकि! कमजोर व पतित वायुमण्डल का वर्णन करना भी एक प्रकार से पाप ही होता है।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ अब धरनी में परमात्म पहचान का बीज डालो तो प्रत्यक्षता होगी... क्यों और कैसे ?
❉ जैसे धरती में जब कोई बीज बोया जाता है और जब वह बीज अंकुरित हो कर फूटता है तो वृक्ष का निर्माण कर देता है और उस वृक्ष पर लगा फल सबको प्रत्यक्ष दिखाई देता है । ठीक इसी प्रकार जब सबके हृदय रूपी धरनी में परमात्म पहचान का बीज डालेंगे और सबको परमात्मा का परिचय दे कर परमात्म पालना रूपी स्वादिष्ट फल सबको चखायेंगे तो परमात्म पहचान का यह बीज ही परमात्मा का प्रत्यक्षता करायेगा ।
❉ स्वयं की और अपने पिता परमात्मा की सही पहचान ना होने के कारण परमात्मा को पाने के लिए कितने धक्के खाये । अनेक जप - तप किये । तीर्थो पर गए । किन्तु अब परमपिता परमात्मा बाप ने स्वयं आ कर हमे हमारा और अपना वास्तविक परिचय दिया है । और परमात्म प्राप्ति का सहज उपाय बता दिया है । तो जितना यह उपाय औरों को बतायेंगे अर्थात उनके हृदय रूपी धरनी में परमात्म पहचान का बीज डालेंगे उतनी ही जल्दी परमात्मा का प्रत्यक्षता होगी ।
❉ परमात्मा को खुदा कहते हैं और खुदा का अर्थ है खुद आ कर अपनी पहचान देने वाला । और जब तक वह खुदा खुद ना आये तब तक उसकी सही पहचान मिल ना सके । वही खुदा अब इस समय संगम युग पर मानव तन का आधार ले कर आया हुआ है और सबको अपनी पहचान बता रहा है । उस खुदा बाप के हम बच्चे उसके मददगार बन जितना सबके हृदय रूपी धरनी में परमात्म प्रेम का बीज डालेंगे अर्थात सबको परमात्मा की पहचान करवाएंगे उतनी जल्दी परमात्मा की प्रत्यक्षता होगी ।
❉ अब मेजोरिटी मनुष्य इस बात को स्वीकार करने लगें हैं कि ब्रह्माकुमारीज संस्था कोई साधारण संस्था नही है और ब्रह्माकुमारियों द्वारा मिलने वाला ज्ञान कोई साधारण ज्ञान नही है । किन्तु इस ज्ञान को अच्छा समझने वाले जब इस बात को स्वीकार कर लेंगे कि यह ज्ञान किसी देहधारी गुरु द्वारा नही बल्कि स्वयं परम पिता परमात्मा द्वारा दिया जाने वाला सत्य अविनाशी ज्ञान है । तो यह परमात्म पहचान का बीज जब धरनी में डल जायेगा तो बाप की प्रत्यक्षता हो जायेगी ।
❉ जैसे धरती में जब बीज डाला जाता है तो बीज डालने के बाद उसकी पूरी सम्भाल की जाती है । उसे समय पर पानी देना, वायु और धूप का उचित प्रबन्ध करना और बीज के फलीभूत होने पर उसकी कीड़े मकौड़ों अथवा जन्तुओं से रक्षा करना । इसी प्रकार मनुष्यों के हृदय रूपी धरनी में परमात्म बीज डालने के बाद उन्हें जब ज्ञान और योग के पानी से सींचेगे तो बीज सहज ही फलीभूत होने लगेगा जिससे स्वत: ही भगवान प्रत्यक्ष हो जायेंगे ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━