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 18 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ पिछाड़ी की दर्दनाक सीन से व दुखों से छूटने के लिए बाप की श्रीमत पर चलते रहे ?

 

➢➢ श्रीमत पर आप समान बनाने की सेवा की ?

 

➢➢ सर्विस में बाप का राईट हैण्ड बनकर रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ निश्चय के आधार पर सदा एकरस अचल स्थिति में स्थित रहे ?

 

➢➢ हर कार्य में स्वतः सहयोगी बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ "हम ही कल्प-कल्प के अधिकारी आत्मायें हैं" - सदा यह नशा रहा ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं निश्चिन्त आत्मा हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  एकांत में बैठें और मनन करें... मैं सर्वशक्तिवान पिता शिव की सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... मैं विघ्न - विनाशक हूँ... मुझमें बापदादा द्वारा प्रदान की हुई अनमोल सर्वशक्तियां समाहित है...

 

_ ➳  यह परमात्म शक्तियॉं सदैव छत्रछाया बनकर मेरे साथ रहती हैं... मेरा विघ्न - विनाशक स्वरुप सहज ही मुझे सभी विघ्नों से पार करा देता है...

 

_ ➳  मैं अपने अनादि स्वरुप में स्वयं को सहज ही स्तिथ कर इस साकारी दुनिया के आसुरी सम्प्रदाय द्वारा रची हुई विकट ते विकट परिस्थिति को भी अति सरलता से पार कर लेती हूँ...

 

_ ➳  मैं सदा ऑलमाइटी अथॉरिटी सर्वशक्तिमान शिवपिता की छत्रछाया में पलने वाला बापदादा का अतिप्रिय सिकिलिधा बच्चा हूँ... मैं सदा रहम और कल्याण की दृष्टि से विश्व की सेवा करने वाली अर्थात विश्व को सम्पन्न व सुखी बनाने वाली विश्व परिवर्तक आत्मा हूँ...

 

_ ➳  मैं सदा निश्चिन्त रहने वाली निश्चय बुद्धि आत्मा हूँ... मैं आत्मा आज अपने प्यारे बाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं कल्याणकारी बाप का हाथ पकड़ कर अकल्याण को भी कलयाण मैं बदलने में समर्थ आत्मा बनूँगी...

 

_ ➳  मैं आत्मा किसी भी बात में डगमगाऊंगी नहीं, सदा अचल रहूंगी, कुछ भी सोचूंगी नहीं, क्या क्यों में कभी नहीं जाउंगी, त्रिकालदर्शी बन कर रहूंगी...

 

_ ➳  इन्हीं दृढ़ संकल्पों के साथ मैं आत्मा निश्चिंत स्तिथि का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चों - निश्चयबुद्धि बन बाप की हर आज्ञा पर चलते रहो आज्ञा पर चलने से ही श्रेष्ट बनेगे"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों श्रीमत का दामन पकड़ आनन्द में सदा झूलते रहो... सारी चिंताए अब पिता कि आप तो हल्के बन उड़ते ही रहो... श्रीमत की लकीर से बाहर न निकलो तो जीवन श्रेष्ट खुशनुमा बना पड़ा है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे से बच्चों अब तक कितना भटके हो हर रिश्ते पर यकीन किया और धोखा खाया...अब सच्चे पिता की श्रीमत के साये में रहो...यह जीवन सुख का पर्याय बन जाएगा...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों मुझ सच्चे पिता पर भरोसा रखो और झूठ के जंजालों से बुद्धि को बाहर निकालो... परमत ने तो गिरा कर बेहाल किया... खुद से दूर सच्चे पिता से दूर किया... अब सच को पहचानो और सच्चे दिल से अनुसरण कर जीवन सुखमय बनाओ...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों न उलझो न उलझाओ खुद भी सुलझो और सबको सुलझाओ... सच्चे पिता की आज्ञा पर आँख बन्द किये चलो... तो सीधे फूलो के बगीचो में जाकर रुकोगे... जीवन खिलता फूल सा सुगन्धित हो चलेगा...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चो किस कदर पिता ने सुंदर सजा कर घर से धरती पर खेलने बच्चों को भेजा था... सच्ची श्रीमत पर चलते चलते रावण के चंगुल में फस पड़े हो और सारी सुंदरता को खो चले हो... अब बिगड़े भाग्य को जरा फिर सवारो और ईश्वरीय मत को गले लगाओ...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ पिछाड़ी की दर्दनाक सीन वा दुःखों से छूटने के लिए अभी से बाप की श्रीमत पर चलना है । आप समान बनाने की सेवा श्रीमत पर करनी है ।

 

  ❉   इस पुरानी दुनिया का विनाश होना ही है व चारों ओर खूनी नाहक सीन होने हैं तो उन सब को देखने के लिए नष्टोमोहा बनना है व इस दुनिया से मोह नही रखना ।

 

  ❉   अपनें को आत्मा समझ बस परमात्मा बाप की याद में रह कर बल जमा करना है व बाप की श्रीमत पर चलते हुए अशरीरी स्थिति का अभ्यास करना है तभी पिछाड़ी की दर्दनाक सीन देखकर हलचल में नहीं आयेंगे ।

 

  ❉   जितना याद में रहेंगे उतना इस विनाशी दुनिया में आकर्षण नही रहेगा व आत्मा मे लगी कट उतरती जायेगी । आत्मा सतोप्रधान हो जायेगी । आत्मिक स्थिति में रहने से देहभान नही होगा व श्रीमत पर चलते हुए दर्दनाक सीन व दुःखों से स्थिति हलचल में नही आयेगी ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में भी कहते है कि बाप की आज्ञा का पालन करोगे व उसी अनुसार चलोगे तो दुःख नही पाओगे क्योंकि बाप कभी अपने बच्चे को गलत सलाह नही देते । हमें तो बेहद का बाप मिला है अभी से श्रीमत पर चलने से आने वाले दुःखों से छूट जायेंगे ।

 

  ❉   जैसे बाप ने हमें ज्ञान का प्रकाश देकर दुःखों से छुड़ाया व अंधकारमय रौरव नर्क से निकाला ऐसे हमें भी दुःखी अशांत आत्माओं को बाप का परिचय देकर उन्हें रास्ता बताना व कल्याण करना है ।

 

  ❉   लौकिक बाप को दुःख होने पर भी वो पारलौकिक बाप को भगवान को ही याद करते हैं व वही सच्चा साथी है ऐसे बताकर बाप की श्रीमत पर चलते हुए आप समान बनाने की सेवा करनी है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ निश्चय के आधार पर सदा एकरस अचल स्थिति में स्थित रहने वाले निश्चिंत होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो निश्चयी बुद्धि होते हैं वो क्यूं , क्या और कैसे में नही जाते व कितनी बड़ी परिस्थिति ही भल क्यूं न आ जाए कभी घबराते नही हैं उसे आगे बढ़ने का जरिया समझ अचल अडोल रहते हैं ।

 

  ❉   जो निश्चयी बुद्धि होते है कि सर्वशक्तिमान भगवान हमारा साथी है व हमेशा सब उसे सौंप निश्चिंत रहते हैं । सब जिम्मेवारी बाप की है व वो हमारे साथ है । आलमाइटी अर्थोरिटी का साथ होने से सदा एकरस अचल स्थिति में निश्चिंत रहते हैं ।

 

  ❉   त्रिकालदर्शी बाप के बच्चे मास्टर त्रिकालदर्शी होने से निश्चिंत रहते है । जब कल्याणकारी बाप का हाथ पकड़ा है तो ऐसे बच्चों का अकल्याण हो नही सकता । हर अकल्याण में भी कल्याण ही निहित होता है ऐसे स्मृति में रख एकरस अचल स्थिति रख निश्चिंत रहते हैं ।

 

  ❉   कहा भी गया है - निश्चयीबुद्धि विजयन्ति व संशयबुद्धि विनशयन्ति । जो निश्चयबुद्धि होता है तो उसकी जीत ही होती है कितनी भी परिस्थितियां भल आ जाए उन्हें कोई हिला नही सकता क्योंकि उन्हें सत्य बाप पर निश्चय होता है व अंगद समान अचल अडोल स्थिति में स्थित रह निश्चिंत होते हैं ।

 

  ❉   एक बाप दूसरा न कोई ऐसा निश्चय होता है व बाप पर निश्चय के आधार पर कोई परिस्थिति आने पर भी उसमें कल्याण ही देखते है कि ये पेपर उसकी  स्थिति को ऊंचा ले जाने के लिए आया है व उससे घबराने की बजाय बस एक की ही याद से अपनी स्थिति अचल एकरस रखते निश्चिंत रहते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ जो सदा स्नेही है वह हर कार्य में स्वत: सहयोगी बनते हैं... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो सदा सर्व सम्बन्धों से प्रीति की रीति प्रैक्टिकल में एक बाप से निभाते है । एक सम्बन्ध की भी प्रीति निभाने में कमी नहीं रखते । जो बाप से ऐसा अटूट स्नेह रखते हैं कि कितनी भी परिस्थितियाँ वा व्यक्ति उस स्नेह के धागे को तोड़ने की कोशिश करें लेकिन परिस्थितियों और व्यक्तियों की ऊंची दीवारों को भी पार कर सदा स्नेह के धागे को अटूट रखते है वे ही हर कार्य में स्वत: सहयोगी बनते हैं ।

 

 ❉   स्नेह का प्रत्यक्ष रिटर्न हैं अपने स्नेही मूर्त द्वारा अनेको को बाप का स्नेही बनाना । सिर्फ ज्ञान के स्नेही या श्रेष्ठ आत्माओं के स्नेही नहीं, लेकिन डायरेक्ट बाप के स्नेही । आप अच्छे हो, ज्ञान अच्छा है, जीवन अच्छा है यहाँ तक नहीं, लेकिन बाप अच्छे-से-अच्छा है यह अनुभव अनेको को कराना, इसको कहा जाता है बाप के स्नेही बनाना और जो ऐसे बाप के स्नेही बनते वा औरों को बनाते हैं वे हर कार्य में स्वत: सहयोगी बनते हैं ।

 

 ❉   जितना जो सभी को रिगार्ड देता है उतना ही अपने रिकार्ड को ठीक रख सकता है । दूसरों का रिगार्ड रखना अपने रिकार्ड को अच्छा बनाना है । रिगार्ड देना ही रिगार्ड लेना है । एक बार देना और अनेक बार लेने के हकदार बन जाना । ऐसे जो सभी को बड़ा समझकर रिगार्ड देते हैं वह सबके और बाप के भी स्नेही बन जाते हैं और जो जितना बाप के स्नेही बनते है उतने ही सहयोगी बन अपनी ऊंच प्रालब्ध बनाते हैं ।

 

 ❉   भक्ति में जो गोवर्धन पर्वत को उठाने का दृष्टान्त है जिसमे हर एक की अंगुली दिखाई है वास्तव में यह ब्राह्मणों के स्नेह और सहयोग का यादगार है । संगमयुग पर हम बच्चे ही बापदादा के स्नेही और सहयोगी बनते हैं तब यादगार बना है । और हर कार्य में स्वत: सहयोगी वही बनते हैं जो स्नेही मूर्त बन बाप के स्नेह में सदा समाये रहते हैं और सर्व आत्माओं को बाप के स्नेह का अनुभव करवाते रहते हैं ।

 

 ❉   स्नेही की निशानी है सहनशीलता । जिसके प्रति स्नेह होता है उसके प्रति सहन करना सहज होता है । जैसे लौकिक में बच्चे पर कोई मुसीबत आती है तो स्नेह के कारण माँ सब कुछ सहन करने के लिए तैयार हो जाती है । उसे अपने तन वा परिस्थितियों का भी फ़िक्र नही रहता । इसी प्रकार जो बाप के स्नेही होते हैं वे संगठन में भी एक दूसरे की हर बात को सहन करते हुए, एक दूसरे को स्नेह देते हुए एक दूसरे के सहयोग से सर्विस में सफलता प्राप्त कर लेते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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