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 10 / 11 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *दैवी स्वभाव धारण करने पर विशेष अटेंशन रहा ?*

 

➢➢ *पवित्र बनने का विशेष पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *माया के तूफ़ान आते भी कर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म तो नहीं किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *निरंतर बाप के साथ की अनुभूति द्वारा हर सेकंड हर संकल्प में सहयोगी बनकर रहे ?*

 

➢➢ *समस्या स्वरुप बनने की बजाये समस्या को मिटाने वाले समाधान स्वरुप बनकर रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे -  तुम यहाँ अपनी राजाई तकदीर बनाने आये हो जितना याद में रहेंगे पढ़ाई पर ध्यान देंगे उतना तकदीर श्रेष्ठ बनती जायेगी"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की यादे ही खूबसूरत श्रेष्ठतम जीवन का सच्चा सच्चा आधार है... पिता ही सच्चा सहारा है और जनमो के दुखो से सदा का सुखी बनाने वाला जादूगर है... उसके प्यार के साये तले श्रेष्ठ तकदीर सजा लो... ज्ञान रत्नों से दामन जगमगा लो... और सदा सुखो के फूलो भरे बगीचे में मौज मनाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा ईश्वर पिता को शिक्षक रूप में पाकर ज्ञान रत्नों की खान से सुखो भरी सुंदर तकदीर  दामन में सजा अतीन्द्रिय आनंद में डूबी हूँ... ईश्वर पिता से पा रही अपनी राजाई की यादो में पुलकित हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह के विनाशी बन्धनों ने सुंदर तकदीर को दुखो का जंगल बना उलझा दिया... अब ईश्वरीय यादो से उलझे जीवन को मखमली रेशम सा सुलझाओ... ज्ञान रत्नों से हर पल खेलते हुए बुद्धि को अथाह खजानो से लबालब करो... और वही देवताई जगमगाता सौंदर्य पाकर मुस्कराओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा ने कभी ख्वाबो में भी न सोचा था कि दुखो से मुक्त हो पाऊँगी... आपने प्यारे बाबा कितना मीठा खिला जीवन बना दिया है... ज्ञान का अथाह खजाना देकर मुझे रोमांचित कर दिया है... अपनी मीठी यादो की खुशबु से सुवासित कर दिया है...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के पास सुखो भरी तकदीर जगाने ही तो आये हो... जो प्राप्त नही था जीवन में वही सुख शांति पाने ईश्वरीय बाँहों में खिलने मुस्कराने महकने आये हो... तो हर साँस संकल्प को मीठी यादो में... खूबसूरत निराली सत्य पढ़ाई में झोंक दो... मीठे बाबा की यादो में तकदीर को खिला दो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा की यादो से अपनी राजाई को पाने वाली सुखदायी स्वर्ग की अधिकारी बनती जा रही हूँ... अपने उजले चमकीले स्वरूप में जगमगाती हुई... ईश्वरीय ज्ञान से छलकती हुई प्रतिपल देवताई सौंदर्य से निखरती जा रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा सहजयोगी हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं ज्योति स्वरूप आत्मा हूँ... देह मेरा वस्त्र है... मै चेतन सितारा हूँ... परमधाम के वासी परमपिता शिव की अविनाशी संतान हूँ... मै आत्मा दैहिक सम्बन्धों, दैहिक पदार्थों की स्मृति से न्यारे होते हुए अपने प्यारे बाबा की याद में बैठी हूँ... परमधाम में बिंदु बन बिंदु बाप को निहार रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का मन, बुद्धि परमात्मा शिव के वश होते जा रहे हैं... परमात्मा के ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप, आनन्द स्वरूप, शांति स्वरूप, पवित्र स्वरूप का रसास्वादन कर रहीं हूँ... देह की सुध-बुध को भूल प्रभु प्यार का तन्मयता से अनुभव कर रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा परमात्मा के दिव्य शक्ति रुपी किरणों के झरने के नीचे बैठी हूँ... सभी बीती बातों, कल की चिंताओं, फिक्र, जिम्मेवारियों से अपने को मुक्त होता हुआ अनुभव कर रहीं हूँ... दिव्य ईश्वरीय गुणों, शक्तियों से भरपूर होती जा रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा सदा बाप के साथ का अनुभव कर रहीं हूँ... मुझ आत्मा को दूसरी कोई भी स्मृति अपने तरफ़ आकर्षित नहीं कर सकती है... मैं आत्मा सहज और स्वतः योगी बनते जा रहीं हूँ... जैसे शरीर और आत्मा का जब तक पार्ट है तब तक अलग नहीं हो पाती है... ऐसे बाप की याद बुद्धि से अलग न हो इसका अटेन्शन रख हर कर्म कर रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा योगी बन हर सेकेंड, हर संकल्प, हर वचन, हर कर्म में सहयोगी बन रहीं हूँ... मुझ आत्मा के संकल्प शक्तिशाली बनते जा रहे हैं... एक बाप से ही सर्व सम्बन्धों के रस के नशे में रहकर प्रवृति में आकर कर्म कर रहीं हूँ... अब मैं आत्मा निरंतर बाप के साथ की अनुभूति द्वारा हर सेकेंड, हर संकल्प में सहयोगी बनने वाली  सहजयोगी हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- समाधान स्वरूप आत्मा बनना*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... सर्व शक्तियों की मालिक... मैं विघ्न विनाशक गणेश हूँ... कोई भी विघ्न... कोई भी समस्या... मुझ आत्मा के सामने टिक नहीं सकती... 

 

➳ _ ➳  समस्या को समाधान में परिवर्तन करने वाली मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ... कारण को निवारण में बदलने वाली समर्थ आत्मा हूँ... शिव बाबा के साथ और हाथ को सदा थामे रख... मैं आत्मा बड़ी से बड़ी पहाड़ जैसी मुश्किल को भी एकदम कंकड़ में परिवर्तन कर...  अत्यंत सहज रूप से उसका समाधान करती हूँ... 

 

➳ _ ➳  मैं समाधान स्वरूप आत्मा हूँ... मेरे संकल्प किसी भी समस्या के क्यों, क्या में न उलझ कर... सिर्फ और सिर्फ उसके समाधान हेतु ही चलते है... दुनिया में कोई भी ऐसी समस्या नहीं जो परमात्म शक्तियों के आगे टिक सके... सर्वशक्तिमान के साथ से मैं आत्मा समस्या प्रूफ बन गई हूँ... कोई भी समस्या का समाधान पहले बनता है, फिर समस्या बनती हैं... ऐसी कोई समस्या नहीं... जिसका कोई समाधान नहीं...

 

➳ _ ➳  मेरे शक्तिशाली स्वरूप से हर समस्या का समाधान... मुझे एकदम पारदर्शी स्पष्ट नजर आता हैं... समस्या में छुपे समाधान को मैं आत्मा सहज ही देख लेती हूँ...  समस्याएं मेरे सामने एक खेल के समान आती हैं... मुझ समाधान स्वरूप आत्मा को कोई समस्या टच भी नहीं करती... मेरी अचल अडोल अवस्था से सेकण्ड में कोई भी समस्या अपना दम तोड़ देती हैं... मेरे साथ शिव बाबा हैं... इसी नशे में चूर मैं आत्मा सदा समाधान स्वरूप हूँ... निश्चय बुद्धि हूँ...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *निरन्तर बाप के साथ की अनुभूति द्वारा हर सेकण्ड, हर संकल्प में सहयोगी बनने वाले सहजयोगी होते हैं... क्यों और कैसे?*

 

❉   निरन्तर बाप के साथ की अनुभूति द्वारा हर सेकण्ड हर संकल्प में सहयोगी बनने वाले सहजयोगी होते हैं क्योंकि...  जैसे शरीर और आत्मा का जब तक पार्ट है तब तक वह दोनों अलग नहीं हो सकते हैं। आत्मा का जब तक इस शरीर के साथ का पार्ट हैतब तक वह आत्मा उस शरीर से तनिक लेशमात्र भी अलग नहीं हो सकती है।

 

❉   उसी प्रकार बाप की याद भी हमारी बुद्धि से अलग नहीं हो पाती क्योंकि...   हमारे साथ सदा ही बाप का साथ और बाप की याद होती है। भले ही हम इस बात को भूल जाते हैं परन्तु!  बाप का साथ सदा हमारे साथ बना ही रहता है। लेकिन हम घडी घडी इस बात को भूल जाते हैं और इस बात से अनभिज्ञ रहते है।

 

❉   अतः बाप की याद के अलावा दूसरी कोई भी बात की स्मृति हमें अपनी ओर आकर्षित नहीं करनी चाहिये। जब कोई भी अन्य स्मृति के आकर्षण का प्रभाव हमारे मन और बुद्धि पर नहीं पड़ेगा तो!  ऐसी अवस्था को ही सहज योग कहा जाता है।

 

❉   बस केवल मैं और मेरा एक शिव बाबा अन्य दूसरा न कोई हो। हमें इस विनाशी परिवर्तन शील हद के संसार के विनाशी आकर्षणों को अपने मन पर कभी भी प्रभावित नहीं होने देना है और न ही स्वयं को उन आकर्षणों के वशीभूत होने देना है। हमें तो केवल और केवल एक बाप की याद को ही सहजता से अपने मन में बिठाना है।

 

❉   क्योंकि हमें सहजयोगी और स्वतः योगी जो बनना है। ऐसा योगी हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर वचन, हर कर्म में सहयोगी होता है। सहयोगी अर्थात!  जिसका एक संकल्प भी सहयोग के बिना न हो। ऐसे योगी और सहयोगी ही शक्तिशाली बन जाते हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *समस्या स्वरूप बनने के बजाए, समस्या को मिटाने वाले समाधान स्वरूप बनो... क्यों और कैसे* ?

 

❉   समस्याएं और कठिनाइयां मनुष्य जीवन का अभिन्न अंग है इसलिये जीवन में समस्याएं एवं कठिनाइयां आएं ही नही यह हो नही सकता । किन्तु जीवन में आने वाली हर समस्या या कठिनाई हमारे ऊपर क्या प्रभाव डालती है यह निर्भर करता है हमारी स्व स्थिति पर । हमारी स्व स्थिति जितनी अच्छी होगी उतना परिस्थिति छोटी नजर आएगी । और स्वस्थिति तभी अच्छी बनेगी जब परमात्म याद निरन्तर होगी । इसलिए जितना परमात्म याद से आत्मा को शक्ति

शाली बनाएंगे उतना ही समस्या स्वरूप बनने के बजाय समाधान स्वरूप बन हर समस्या से मुक्त हो सकेंगे ।

 

❉   जीवन में घटित होने वाली हर छोटी व बड़ी घटना, समस्या अथवा परिस्थिति हमे कुछ ना कुछ सिखाने के लिए आती है इसलिए समस्या आने पर उसे देख घबराने के बजाए हिम्मत और हौंसला रख उसका सामना कर उससे जीवन को बेहतर बनाने की सीख लेनी चाहिये जो इस चिंतन के साथ जीवन में आने वाली हर परिस्थिति को स्वीकार कर लेते हैं वो समस्या से घबरा कर उसमें फंसने के बजाए श्रेष्ठ चिंतन द्वारा जल्दी ही समस्या का समाधान ढूंढकर समस्या को मिटाने वाले समाधान स्वरूप बन जाते हैं ।

 

❉   एक बच्चा भी अगली क्लास में तभी जाता है जब वो पहले वाली क्लास के लिए निर्धारित परीक्षा को पास करता है । अगर परीक्षा ही ना हो तो वो अगली क्लास में कैसे जा सकता है । ठीक इसी प्रकार जीवन में आने वाली समस्याएं और परिस्थितियां भी एक तरह के पेपर हैं जो अगली क्लास में जाने के लिए जरूरी है । क्योकि ये पेपर ही हमारे भविष्य के पद का निर्धारण करने वाले हैं इसलिए हम ब्राह्मण बच्चो को भी जीवन में आने वाली समस्याओं से घबराना नही चाहिए बल्कि उसे आगे बढ़ने का साधन समझ, समाधान स्वरूप बन उसका समाधान कर आगे बढ़ना चाहिए ।

 

❉   जीवन में आने वाली वाली परिस्थितयां और समस्याएं तब बड़ी दिखाई देती है जब उन्हें अपनी व्यर्थ सोच से पहाड़ जैसी बड़ी बना देते हैं और उन परिस्थितियों रूपी पहाड़ को फिर उड़ कर क्रॉस करने के बजाए उन्हें तोड़ने लग जाते हैं । समस्या अथवा परिस्थिति आने पर क्या, क्यों और कैसे में उलझना ये है पहाड़ को तोड़ना और फुल स्टॉप लगा कर उस समस्या में उलझने के बजाए समाधान स्वरूप बन उसका समाधान निकाल उससे मुक्त जो जाना यह है समस्या रूपी पहाड़ को उड़ कर क्रॉस कर लेना ।

 

❉   ड्रामा का राज वो अचूक मन्त्र है जो सेकण्ड में हर समस्या से मुक्त कर देता है क्योकि जो ड्रामा के राज को सदा स्मृति में रखते हैं वे कोई भी घटना घटित होने या कोई भी विपरीत परिस्थिति अथवा समस्या आने पर विचलित नही होते बल्कि समाधान स्वरूप बन हर परिस्थिति या घटना को नथिंग न्यू समझ कर उसे सहजता से ऐसे पार कर लेते हैं जैसे कि कुछ हुआ ही नही । समस्यायों में घबराने के बजाए वे हर समस्या को शिक्षक के रूप में देखते हैं और यही समझते हैं कि यह समस्या उन्हें कोई नया पाठ पढ़ाने आई है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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