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 25 / 09 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ संशय के रॉयल रूप से दूर रहे ?

 

➢➢ बाप के लाडले बन नाज़ुक तो नहीं बने ?

 

➢➢ राज्य में आने के लिए नहीं बाकि राज्य पाने के लिए पुरुषार्थ किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ अपना फ़रिश्ता स्वरुप और देव पद स्वरुप दोनों ही सदा स्पष्ट स्मृति में रहे ?

 

➢➢ आत्माओं को अव्यक्त स्थिति का अनुभव करवाया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  "सम्पूर्णता के समीपता की निशानी"

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे आज मीठा बाबा दिल के अरमान सुना रहा... हर बच्चा विशेष आत्मा बन विश्व की मालिक सज चले... हर बच्चे की विशेष शक्तियो से सम्पन्न अलौकिक दुनिया हो... हर बच्चा लाइटमाइट हॉउस बन अखूट खजानो से सुसज्जित हो... यह मीठे बाबा की दिली ख्वाहिश है...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा के मीठे अरमानो को दिल में समाती जा रही हूँ...  मै विशेष सितारा आत्मा अथाह खजानो से सम्पन्न बन सुखो की दुनिया में मुस्करा रही हूँ... प्यारे बाबा की ख्वाहिशो को पूरा करने में तीव्रता से जुट चली हूँ...

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे नम्बरवन बन चलो... आप बच्चों के सम्पूर्ण स्वरूप रूहानी झलक और फलक से सजे है...इस सम्पूर्ण स्टेज और फ़रिश्ता स्वरूप को सदा स्म्रति में भर चलो... सम्पूर्णता के समीप आने की निशानी को अनुभूतियों में भर चलो... सदा फ़रिश्ता बन इस जहान से उड़ चलो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा मीठे बाबा की मीठी यादो में अपने खूबसूरत स्वरूप का अनुभव करती जा रही हूँ... और देव स्वरूप फ़रिश्ता स्वरूप के नशे से भर उठी हूँ... अव्यक्त रूप की अनुभूति में खो रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... व्यर्थ संकल्पों से मुक्त होकर निश्चय बुद्धि बन सदा उमंगो के पंख लगाकर खुशियो के संसार में उड़ते ही रहो... सहनशक्ति के कवच को धारण कर.. मजबूत बन सबको प्रेरणा दे चलो... सदा दिलखुश अवस्था में झूमते रहो... सदा खुशियो भरा उत्सव मनाकर सब समस्याओ से मुक्त बनो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में खुशियो का फ़रिश्ता बन चली हूँ... स्वयं उड़कर सबको उमंग उत्साह के पंखो से उड़ाती जा रही हूँ... सम्पूर्ण बन महकती जा रही हूँ... और मीठे बाबा के अरमानो को पूरा कर चली हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )

 

❉   "ड्रिल - विश्व के राज्याधिकारी बनने का पुरुषार्थ करना"

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा भृकुटि के अकाल तख्त पर विराजमान हूं... अति सूक्ष्म हूं... इस देह से न्यारी और प्यारी इस देह को चलाने वाली सर्व कर्मेन्द्रियों की अधिकारी आत्मा हूं... सर्व कर्मेन्द्रियां मेरे आदेशानुसार कर्म करती हैं... मैं आत्मा राजा हूं व ये मेरी कर्मचारी हैं... मैं स्वराज्य अधिकारी हूं... स्वचिंतन द्वारा मैं अपनी कर्मेन्द्रियों पर अटेंशन रखती हूं... अपनी कर्मेन्द्रियों की कचहरी लगाती हूं... मैं आत्मा मनसा वाचा कर्मणा सर्व के प्रति रहम भाव रखती हूं... मैं विश्व कल्याणकारी पिता की संतान मास्टर विश्वकल्याणकारी हूं... सर्व के प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखती हूं... सर्व के प्रति आत्मिक भाव रख मैं आत्मा किसी को दुःख नही देती हूं...  मैं आत्मा बस प्यारे बाबा की श्रीमत पर चल रही हूं... बाबा की श्रीमत का सम्पूर्ण रीति पालन कर राजाई पद पाने का पुरुषार्थ कर रही हूं... मैं आत्मा सर्व की सहयोगी हूं... मैं आत्मा हर कर्म एक बाबा की याद में रह करती हूं... अपने को सदैव बाबा की छत्रछाया में अनुभव कर रही हूं... बाबा का ज्ञान प्यार स्नेह मुझ आत्मा में शक्तिभर मुझे चला रहा है... मैं आत्मा ईश्वरीय पढ़ाई पढ़कर विश्व की बादशाही लायक बनती जा रही हूं... मैं आत्मा अपने हर कर्म पर अटेंशन रखती हूं... बाबा से मिली शक्तियों व सर्व गुणों से भरपूर होकर अपने पुराने स्वभाव संस्कारों को छोड़ दैवीय गुण धारण करती जा रही हूं... मैं आत्मा परचिंतन और परदर्शन से मुक्त रहती हूं... मुझ आत्मा को स्वराज अधिकारी बनकर ही विश्व राज्याधिकारी बनना है... मैं आत्मा भविष्य राजाई पद पाने के लिए विश्वराज्य अधिकारी बनने के लिए पुरुषार्थ कर रही हूं...

 

❉   ड्रिल --  परिस्थितियों में घबराने के बजाय उनसे शिक्षा लेकर अपनी स्वस्थिति को और शक्तिशाली बनाना।

 

➳ _ ➳  बाहरी सभी बातों से स्वयं को अलग करते हुए अपने आप को देखे। मैं आत्मा चमकता हुआ सितारा भृकुटि के मध्य विराजमान हूँ। सर्व शक्तिमान की संतान मैं पॉइन्ट ऑफ़ एनर्जी, बहुत सूक्ष्म शक्ति पुंज हूँ।

       अब भृकुटि से निकल मैं आत्मा अपने फरिस्ते स्वरुप को धारण करती हूँ और पहुँच जाती हूँ सूक्ष्म वतन अपने प्यारे प्यारे बापदादा के पास। बापदादा भी मेरा आह्वान कर रहे है। मैं उनके सामने जाती हूँ। बापदादा मुझे बड़े प्यार से दृष्टि दे रहे है। और मैं फरिस्ता उनके प्यार से निहाल होती जा रही हूँ।

      बापदादा से रूह-रिहान करती हूँ। बाबा परिस्थितियां बहुत हैरान करती है। बापदादा बड़े प्यार से मुझ फरिस्ते को गले लगाते है और अपनी सारी शक्तियों की किरणें मुझे देते हुए समझाते है - बच्ची परिस्थतियां तो साइड सीन की तरह है, आती है और चली जाती है इनसे घबराना नही है। अपनी स्थिति को अचल अडोल रखना है। स्वस्थिति जितनी मजबूत होगी परिस्थियां उतनी छोटी नज़र आएंगी। परिस्थितियां तो बहुत कुछ सिखलाने आती है। उनसे घबराने के बजाय अपनी शक्तिशाली स्वस्थिति से उसका सामना करना है। और अचल अडोल बनना है। बाबा की बाते मैं बहुत ध्यान से सुनती जा रही हूँ और महसूस कर रही हूँ जैसे मैं बहुत शक्तियों से भर गई हूँ। अपने को बहुत शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। परिस्थियां मुझे अब बहुत छोटी नज़र आ रही है और मैं बहुत खुश हो रही हूँ। मैं बाबा का बहुत शुक्रिया करती हूँ। शुक्रिया मेरे मीठे बाबा शुक्रिया।

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- मैं विघ्न जीत आत्मा हूँ ।"

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा रूहानी ड्रिल के अभ्यास द्वारा फाइनल पेपर में पास होने वाली शक्तिसम्पन्न आत्मा हूँ... मैं आत्मा हर रोज रूहानी एक्सरसाइज द्वारा बलशाली बनती जाती हूँ... मैं शिवपिता द्वारा प्राप्त की गयी सर्व शक्तियों को स्वयं में समाकर उन्हें सही समय पर यूज़ करती जाती हूँ...

 

➳ _ ➳  किसी भी प्रकार के हलचल के वातावरण में, किसी भी प्रकार के विघ्न आने पर मैं आत्मा अपनी इन जमा की हुई शक्तियों द्वारा सर्व प्रकार की हलचल से, सर्व प्रकार के विघ्नों से सहज ही पार होती जाती हूँ...

 

➳ _ ➳  श्रेष्ठ संकल्पों के सहयोग द्वारा सर्व आत्माओं में शक्ति भरकर मैं आत्मा सर्व आत्माओं को शक्ति सम्पन्न बनाती जा रही हूँ... सर्व शक्तियों के सागर शिव पिता की संतान, मैं आत्मा सदा शक्ति स्वरूप हूँ... अपने शक्ति स्वरुप में स्थित रहकर मैं आत्मा निर्बल आत्माओं में बल भरकर निरन्तर अविनाशी ख़ुशी का अनुभव कर रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं ख़ुशी और शक्ति के बल द्वारा सहज ही विघ्नों को पार करने का अनुभव कर रहीं हूँ... मुझ आत्मा के चेहरे से बांटने की ख़ुशी के साथ-साथ सदैव शक्ति सम्पन्न रहने की ख़ुशी भी निरंतर दिखाई देने लगी है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा ख़ुशी के साथ-साथ शक्ति को धारण कर विघ्नों पर सहज ही विजय प्राप्त करने वाली विघ्न-जीत आत्मा होने की सीट पर दृढ़ता से सेट होने का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  ख़ुशी के साथ शक्ति को धारण कर विघ्नों को पार करने वाले विघ्न जीत होते हैं...  क्यों और कैसे?

 

❉   ख़ुशी के साथ शक्ति को धारण कर विघ्नों को पार करने वाले विघ्न जीत होते हैं, क्योंकि जो बच्चे जमा करना जानते हैं वह शक्तिशाली बनते हैं। यदि अभी - अभी कमाया और अभी - अभी बांटा, और स्वयं में समाया नहीं तो!  वे शक्तिहीन हो जाते हैं।

 

❉   इसलिये!  पहले स्वयं को सर्व शक्तियों व सर्व खज़ानों  से भरपूर बनाओ। स्वयं को सर्व शक्तियों से भरपूर या सम्पन्न बनायेंगे, तभी तो हम मास्टर सर्व शक्तिवान बन पायेंगे और तभी हम अन्य आत्माओं की सेवा भी कर सकेंगे। अतः सर्व प्रथम हमको स्वयं को सर्व समर्थ बनाना है।

 

❉   हमें ऐसा कदापि नहीं करना है कि... अभी - अभी कमाया और अभी - अभी ही खर्च कर दिया अर्थात! सर्व को बाँट दिया। स्वयं में समाया नहीं। यदि स्वयं में समाये बिना ही अपनी कमाई को यूँ ही बाँट देंगे, तो!  सिर्फ बाँटने व दान करने की ख़ुशी ही रहेगी, बाकी स्वयं में ताकत तो कुछ रहती नहीं है। इसलिये!  बाँटने से पहले खुद को शक्ति स्वरूप बनाना है।

 

❉   क्योंकि ख़ुशी के साथ - साथ शक्ति स्वरूप होंगे, तो! हम सहज ही विघ्नों को पार करके विघ्न जीत बन जायेंगें। फिर कोई भी विघ्न, हमारी पुरुषार्थ के प्रति लगन को डिस्टर्ब नहीं कर सकेंगे। इसलिये!  सदा हमारे चेहरे से ख़ुशी की झलक दिखाई देनी चाहिये।

 

❉   जिस प्रकार हमारे चेहरे से ख़ुशी की झलक दिखाई देती हैउसी प्रकार से शक्ति की झलक भी हमारे चेहरे से दिखाई देनी चाहिये। जिसके चहरे से ये दोनों चीज़े... अर्थात!  ख़ुशी व शक्ति की झलक साथ - साथ दिखाई देती हैवही आत्मायें! विघ्नों को पार करने वाली विघ्न जीत आत्मायें!  कहलाती हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  परिस्थितियों में घबराने के बजाए उन्हें शिक्षक समझकर पाठ सीख लो... क्यों और कैसे ?

 

❉   जो ड्रामा के राज को सदा स्मृति में रखते हैं वे कोई भी घटना घटित होने या कोई भी विपरीत परिस्थिति आने पर विचलित नही होते बल्कि हर परिस्थिति या घटना को नथिंग न्यू समझ कर उसे सहजता से ऐसे पार कर लेते हैं जैसे कि कुछ हुआ ही नही । परिस्थितियों में घबराने के बजाए वे परिस्थिति को शिक्षक के रूप में देखते हैं और यही समझते हैं कि यह परिस्थिति उन्हें कोई नया पाठ पढ़ाने आई है ।

 

❉   जीवन में आने वाली हर परिस्थिति हमे कुछ ना कुछ सिखा कर जाती है और हमे जीवन में सफलता प्राप्ति का मन्त्र दे कर जाती है । जो इस बात को सदा स्मृति में रखते हैं वे कोई भी विघ्न या परिस्थिति आने पर घबराते नही है बल्कि उसे शिक्षक समझ कर उससे एक नयां पाठ सीख लेते है और यह नयां पाठ ही उन्हें जीवन में आगे आने वाली परेशानियों में भी अचल अडोल स्थिति में स्थित रहने की योग्यता प्रदान करता है ।

 

❉   जैसे रीयल गोल्ड जो होता है उसे किसी भी प्रकार से मोड़े वो वैसे ही मुड़ जाता है और पुनः उस स्थिति में वापिस भी लौट आता है । इसी प्रकार जो स्वयं को भी समय और परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित कर लेते हैं वे परिस्थितयो से घबरा कर अपनी स्थिति को खराब करने के बजाए उस परिस्थिति को शिक्षक समझ उससे पाठ  सीख कर अपने जीवन को भी रीयल गोल्ड जैसा चमकदार बना लेते हैं ।

 

❉   परिस्थितियों में घबराने के बजाए जो उन्हें शिक्षक समझ कर पाठ सीख लेते हैं वो जीवन में कभी भी हारते नही । विजय उनके गले का हार बन जाती है । जीवन के हर क्षेत्र में सफलता उनके पीछे पीछे स्वत: ही दौड़ी चली आती है । ऐसे परिस्थितयों से घबरा कर उनसे हार ना मानने वाले बच्चे परमात्मा के भी स्नेही बन जाते हैं और जो परमात्म स्नेही होते हैं उन्हें सर्व का स्नेह भी सहज ही प्राप्त हो जाता है ।

 

❉   जो इस बात को सदा स्मृति में रखते हैं कि यह संगम युग कल्याणकारी है, ड्रामा कल्याणकारी है वो किसी भी परिस्थिति के आने पर घबराते नही क्योकि उन्हें यह निश्चय रहता है कि स्वयं कल्याणकारी परम पिता परमात्मा बाप उनके साथ है इसलिए उनका अकल्याण कभी हो ही नही सकता । यह निश्चय ही उन्हें अचल अडोल बना देता है और वे उस परिस्थिति को भी शिक्षक समझ उससे नया पाठ सीख लेते हैं ।

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⊙_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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