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❍ 26 / 01 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °चलते फिरते याद° का अभ्यास किया ?
‖✓‖ बाप को अपना °सच्चा सच्चा पोतामैल° बताया ?
‖✓‖ °कदम कदम श्रीमत° पर चल अपने ऊपर आपेही कृपा की ?
‖✓‖ ज्ञान का फाउंडेशन °"पवित्रता"° पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ °ट्रस्टी° होकर रहे ?
‖✗‖ माया पहलावाल से °डरे° तो नहीं ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ अपनी बुधी रुपी नेत्र को °क्लियर और केयरफुल° रखा ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सदा कंबाइंड अर्थात सदा साथ रहने वाले निरंतर योगी, सदा सहयोगी बन उडती कला में उड़ते ब्रह्मा बाप समान °संपन्नता और सम्पूरंता° का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं मास्टर नॉलेजफुल, पावरफुल आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ अपने बुद्धि रूपी नेत्र को क्लीयर और केयरफुल रखने वाली मैं नॉलेजफुल, पावरफुल आत्मा हूँ ।
❉ बुद्धि रूपी नेत्र को क्लीयर रख कर, इनएडवांस माया द्वारा आने वाले पेपर्स को परखकर मैं माया के वार से स्वयं को बचा कर पास विद ऑनर बनने का पुरुषार्थ कर रही हूँ ।
❉ अपने तीव्र पुरुषार्थ से बाप दादा की एक्स्ट्रा मदद प्राप्त कर, हर कार्य में सफलता प्राप्त कर, मैं सफलतामूर्त आत्मा बन रही हूँ ।
❉ साइलेन्स की शक्ति से मैं आने वाली परिस्थिति को पहले से ही जान कर उस पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती हूँ ।
❉ मास्टर नॉलेजफुल, पावरफुल बन मैं हर घटना को घटित होने से पहले ही परख कर उससे स्वयं को बचा लेती हूँ ।
❉ मुझे स्वयं को सम्पन्न बना कर सबके सामने सैम्पुल बनना है, इस लक्ष्य को सामने रख, अपने हर कर्म से सबको प्रेरणा दे, उन्हें आप समान बनाती जाती हूँ ।
❉ अपने शक्ति स्वरुप में स्थित हो कर मैं आत्मा संगठन की सर्व आत्माओं को शक्ति स्वरुप बना रही हूँ और उनमे योग का बल भर रही हूँ ।
❉ बापदादा से सहयोग ले स्वयं आगे बढ़, मैं औरो को सहयोग दे आगे बढ़ा रही हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - कदम - कदम बाप की श्रीमत पर चलते रहो, एक बाप से ही सुनो तो माया का वार नही होगा"
❉ आज सभी मनुष्य मनमत और परमत पर चलने के कारण माया के जाल में बुरी तरह फंसे पड़े हैं ।
❉ क्योकि रावण का राज्य हैं और रावण राज्य में सभी के संस्कार आसुरी अर्थात विकारी हैं ।
❉ इन्ही आसुरी संस्कारों के कारण माया ने सबको अपने वश में किया हुआ है इसलिए आज पूरी दुनिया दुःखी और अशांत हैं । सभी एक दो को दुःख देते रहते हैं ।
❉ इन सभी दुःखो से छूटने का केवल एक ही उपाय है और वह है केवल एक परमात्मा बाप की मत पर चलना क्योकि सिवाए एक बाप के और कोई श्रेष्ठ मत दे नही सकता ।
❉ अभी वही परम पिता परमात्मा बाप आ कर हम बच्चों को श्रेष्ठ मत दे रहे हैं और समझा रहें हैं कि कदम - कदम श्रीमत पर चलो, एक बाप से ही सुनो तो माया का वार नही होगा ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ बाप को अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल बताना है । ट्रस्टी होकर रहना है ।
❉ इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर हमें सच्चा-सच्चा बेहद का बाप मिला है व जो हमें पतित से पावन बनाकर नयी दुनिया का मालिक बना रहा है तो ऐसे ऊंच ते ऊंच बाप के साथ हमेशा सच्चा ही रहना है ।
❉ लौकिक में भी बाप व टीचर को कोई गल्ती होने पर सच सच बता देने पर माफ कर देते हैं तो हमें बेहद का बाप मिला है । अगर कोई गल्ती हो तो सब सच-सच बता देना है छुपाना नही है ।
❉ " सच्चे दिल पर साहिब राजी"- कहा भी गया है । जैसे कोई बच्चा भोला होता है व सब मां बाप को बताता है तो मां बाप उसे कितना प्यार करते हैं । ऐसे ही हमें बेहद के बाप के साथ भोला बच्चा बनकर सारे दिन का सच्चा सच्चा पोतामेल बताकर बाप के दिल पर राज करना है ।
❉ ड्रामा कल्याणकारी है व सबका अपना अपना पार्ट है व एक्यूरेट है । करन करावनहार तो बाप है । हम तो बस निमित्त हैं बस मेरे द्वारा कोई करा रहा है व इसलिए सब बाप को सौंपकर निश्चिंत रहना है ।
❉ जब अपने को ट्रस्टी समझ कर रहते है तो कर्तापन का व भोक्तापन का भाव भी नही रहता बस करनकरावनहार शिव बाबा है यही भाव रखना है । बेफिकर बादशाह की तरह रहना हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपने बुद्धि रूपी नेत्र को क्लियर और केयरफुल रखने वाले मास्टर नॉलेजफुल, पॉवरफुल अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?
❉ बुद्धि के नेत्र सदा खुले हुए रहे, बाबा ने हमें दिव्या बुद्धि रूपी जो तीसरा नेत्र दिया है उसे सदा क्लियर रखे, अपनी त्रिकालदर्शी की सीट पर सदा सेट रहे।
❉ नॉलेजफुल बनकर सदा स्वयं पर अटेंशन रहे, अटेंशन रूपी पहरेदार सदा चोकस रहे, अपना लक्ष्य क्लियर दिखाई दे और उस अनुसार कर्म भी केयरफूली करना है।
❉ बाबा ने ज्ञान का तीसरा नेत्र दिया है, तीनो लोको, तीनो कालो का पूरा नॉलेज हम बच्चो को बाबा ने दिया है,इसलिए सदा त्रिकालदर्शी होकर ही हर कर्म करना है।
❉ बाबा नइ हम बच्चो की बुद्धि का ताला खोल दिया है, हमें दिव्य बुद्धि का वरदान दिया है, जितना दिव्य बुद्धि की लाइन क्लियर होगी उतना ही हर बात का पहले से अनुभव होने लगेगा, बाबा की भी टचिंग को केच कर पाएंगे।
❉ बुद्धि का नेत्र क्लियर होगा तो भविष्य भी क्लियर देख सकेंगे, साइलेंस की शक्ति द्वारा हर परीक्षा पर विजय प्राप्त कर सकते है। नॉलेज सदा बुद्धि में चलती रहे, अलंकारो से सजे हुए रहे तो विजय निश्चित है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ पवित्रता ही नवीनता है और यही ज्ञान का फाउंडेशन है... कैसे ?
❉ पवित्रता का बल जितना अपने अंदर जमा करते जायेंगे उतना व्यर्थ से दूर होते जायेंगे तथा शुद्ध और समर्थ चिंतन द्वारा ज्ञान स्वरूप बनते जायेंगे ।
❉ पवित्रता की शक्ति विकारों की अग्नि को शांत कर आत्मा को शीतल बना देगी और शीतलता का अहसास मन बुद्धि को भी शांत और शीतल बना कर आत्मा को ज्ञान से भरपूर कर देगा ।
❉ स्वराज्य अधिकारी बन जब कर्मेन्द्रियों को वश में कर लेंगे तो पवित्रता की शक्ति से संकल्पों में शुद्धता आती जायेगी और ज्ञान स्वरूप बनते जायेगे ।
❉ जितना योग का बल अपने अंदर जमा करते जाएंगे उतने समर्थ बनते जायेंगे और पुराने स्वभाव - संस्कार व कर्म पर सहज ही विजय प्राप्त कर ज्ञानस्वरूप बनते जाएंगे ।
❉ अपने समय, संकल्प और श्वांसों को तभी सफल कर पाएंगे जब संकल्पो को शुद्ध, ज्ञान स्वरूप बना कर सर्व कमजोरियों को समाप्त कर माया पर जीत पायेंगे और मायाजीत तभी बन सकेंगे जब पवित्रता का बल अपने अंदर जमा करेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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