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   26 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ चलते फिरते °फ़रिश्ता स्वरुप° में स्थित रहे ?

 

‖✓‖ °आप सामान° बनाने की सेवा की ?

 

‖✓‖ °कमाई° का बहुत बहुत शौंक रहा ?

 

‖✗‖ अपनी °कमियों को छिपा° अपने से ठगी तो नहीं की ?

 

‖✗‖ कोई भी काम °कायदे के विरुद्ध° तो नहीं किये ?

 

‖✗‖ किसी भी बात का °उल्टा नशा° तो नहीं चड़ा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ सदा अपने पवित्र स्वरुप में स्थित रहे °गुण रुपी मोती° चुगे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ सेवा में किसी भी संस्कार व संकल्प का विघन न ला °निर्विघन सेवाधारी° बनकर रहे ?

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ अपनी ऊंची तकदीर बनाने के लिए कोई भी काम कायदे के विरुद्ध नही करना है । पढ़ाई का शौक रखना है ।

 

  ❉   ऊंच ते ऊंच बाप हमें श्रेष्ठ मत देते हैं तो हमें बाप की श्रीमत पर चलते श्रेष्ठाचारी बन ऊंच तकदीर बनानी है ।

 

  ❉   लौकिक में भी जब हम अपनी मर्यादाओं व कायदे में चलते हैं तो सफलता प्राप्त होती है । इस संगमयुग पर स्वयं भगवान ने हमें अपना बच्चा बनाया है इससे श्रेष्ठ व ऊंच भाग्य भला किसका हो सकता है !! तो हमें बाप की याद में रहते हुए कर्म करने हैं ।

 

  ❉   जब स्वयं भगवान हमें पढ़ाकर अपने से ऊंची सीट पर बैठाते हैं व स्वर्ग का मालिक बनाने आये हैं तो हमें बाप का आज्ञाकारी व फरमानबरदार बन कायदे अनुसार कर्म करना है ।

 

  ❉   ये रुहानी पढ़ाई संगमयुग में बस एक बार ही स्वयं बाप सुप्रीम टीचर बन पढ़ाने आते हैं तो हमें इसे अच्छी रीति धारण करना है व ज्ञाध धन को बांटते भी रहना है ।

 

  ❉   ये पढ़ाई कभी मिस नहीं करनी है । ये रुहानी पढ़ाई बेस्ट है ,वंडरफुल है । इस पढ़ाई से ही हमें पूरी सृष्टि के आदि मध्य और अंत का ज्ञान मिलता है व पढ़कर ही हम मनुष्य से देवता बनना हैं ।

 

  ❉   लौकिक में भी बच्चा पढाई में जितनी मेहनत करता है व स्कालरशिप प्राप्त कर ऊंच तकदीर बनाता है फिर हमें तो बेहद का बाप पढ़ाता है तो हम जितनी सर्विस करते है व आप समान बनाकर  ऊंची तकदीर बनानी है  ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-20)

 

➢➢ सदा अपने पवित्र स्वरुप में स्थित गुण रुपी मोती चुगने वाले होली हंस होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे बाप की श्रीमत को धारण कर सदा पवित्र स्वरुप में रहते वही उनकी शक्ति बन जाती है, उसी शक्ति के कारण होली हंस बन किसी के भी अवगुण रुपी कंकड को नही चुगते गुण रुपी मोती ही चुगते हैं ।

 

  ❉   निश्चयबुद्धि बन मनसा वाचा कर्मणा कोई भी अपवित्रता धारण नहीं करनी है । जब हर संकल्प कर्म निमित्त बन करते तो पवित्र स्वरुप स्थिति बनी रहती है और दिव्य गुणों को धारण कर होली हंस होते हैं ।

 

  ❉   हम पवित्रता के सागर के बच्चे मास्टर पवित्रता के सागर हैं । हम ब्राह्मणों का मूल आधार ही पवित्रता है । इसलिये बस गुण रुपी मोती ही चुनने हैं ।

 

  ❉   गृहस्थ परिवार में रहते अपनी पवित्रता कमल पुष्प समान रखने वाले सदा होली हंस होते हैं । जैसे कमल कीचड में रहते हुए न्यारा व प्यारा रहता है ऐसे हमें भी पवित्रता कायम रखनी है ।

 

  ❉   पवित्र स्वरुप में रहने से देही अभिमानी स्थिति होती है व एक बाप की याद में ही रहते हैं । पवित्रता की लाइट से मस्तक द्वारा शुद्ध आत्मा और सतोप्लधान आत्मा दिखाई देती है । शुद्ध व श्रेष्ठ वृत्ति व वायब्रेशनस द्वारा परिवर्तित कर देती है ।

 

  ❉    सदा अपने पवित्र स्वरुप में स्थित आत्मा का एक एक बोल वैल्यूएबल होता है वे दुःख देने वाले या साधारण नही होते । कभी किसी की कमजोरी या अवगुण की तरफ आंख नही जाती । पारस के संग लोहा भी पारस हो जाए ऐसे होली हंस होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ चलते - फिरते फरिश्ता स्वरूप में रहना - यही ब्रह्मा बाप की दिल - पसन्द गिफ्ट है... क्यों ?

 

 ❉   जितना चलते - फिरते फरिश्ता स्वरूप में रहने का अभ्यास होगा उतना हल्के हो कर उड़ते रहेंगे और बापदादा के साथ कम्बाइंड रह सारे विश्व की आत्माओं का कल्याण कर सकेंगे ।

 

 ❉   व्यक्त में रहते जितना अव्यक्त स्थिति में स्थित रहने का अभ्यास पक्का होता जायेगा उतना चलते - फिरते फ़रिश्ता बन अव्यक्त मिलन मनाते रहेंगे और बापदादा से टचिंग ले अनेको का उद्धार कर सकेंगे ।

 

 ❉   एकरस कर्मातीत स्थिति को पाने का एकमात्र उपाय है अव्यक्त अर्थात फ़रिश्ता स्थिति में स्थित रहने का निरन्तर अभ्यास । जैसे जैसे अव्यक्त स्थिति में स्थित होते जायेंगे कर्मो के बंधन से मुक्त होते जाएंगे ।

 

 ❉   जितना फ़रिश्ता स्थिति में स्थित रहने का अभ्यास पक्का होगा उतना ही अपनी लाइट और माइट स्थिति से अनेको आत्माओं को सुख शांति का अनुभव करवा सकेंगे ।

 

 ❉   चलते - फिरते फरिश्ता स्वरूप में रहने का अभ्यास ही अंत में बाप दादा की प्रत्यक्षता का मुख्य आधार बनेगा । इसलिए जितना फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित रहेंगे उतना अनेको को बाप का साक्षात्कार करवा सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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