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❍ 14 / 04 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
‖✓‖ बाप से °सीधा और सच्चा° होकर चले ?
‖✓‖ सर्व का °कल्याण° किया ?
‖✓‖ कर्म करते हुए भी °8 घंटा याद° में रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
‖✓‖ °अमृतवेले के महत्व° को समझकर यथार्थ रीति यूज़ किया ?
‖✓‖ अपने °शक्तियों के खजाने° से शक्तिहीन परवश आत्मा को शक्तिशाली बनाया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
‖✓‖ आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?
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http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/14.04.16-VisheshPurusharth.htm
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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - अभी तुम ऐसी दुनिया के मालिक बनते हो जहाँ कोई हद नही, योगबल से सारे विश्व की रजाई लेना यह भी वन्डर है"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों हदो के दायरों में उलझे दुखो में भटके हुए... मेरी यादो के साये में आकर बेपनाह सुखो से भरे बेहद के मालिक बनते हो... मुझ पिता के साये में आकर पूरे विश्व में रजाई से चमकते हो यह भी वन्डर है...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो.. बहुत जी लिए इन छोटी सी हदो में आओ मेरी बाहों में समा कर बेहद के सिरताज बनो... पूरा विश्व में हाथो में सजा आप बच्चों के लिए उपहार सा लाया हूँ... आपने मुझे याद भर किया तो मेने विश्व का महाराजा बना सजा दिया...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों मै विश्व का पिता अपने बच्चों को विश्व का मालिक बना देता हूँ...सारी हदो से पार बेहद की दुनिया महकाता हूँ... यह वन्डर ही मेरे ईश्वरीय प्यार का प्रतिफल है... ऐसा प्यार का प्रमाण कोई और दे न सके...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों मीठी याद से पूरे विश्व को अपनी बाँहो में भरना किस कदर खूबसूरत करिश्मा है... हदो से निकल बेहद के संसार का कदमो में आना कितनी खूबसूरत जादूगरी है...
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे बच्चों सब बातो ने आपको हदो में फसाया और बेहद से दूर किया...आज मै जीवन में आकर बेहद की जन्नत हथेली पे सजा लाया हूँ....मेरी मीठी यादो से बेहद सुखो के मालिक बन जाते हो यह करिश्मा नही तो और क्या है...
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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢ बाप से सीधा और सच्चा होकर चलना है । कल्याणकारी बाप के बच्चे हैं इसलिए सर्व का कल्याण करना है ।
❉ लौकिक में जैसे जो बच्चे माँ-बाप से बिल्कुल सच्चा व सीधा रहते हैं व हर बात बिल्कुल स्पष्ट बता देते हैं तो माँ-बाप गल्ती होने पर भी उसे प्यार से समझा देते हैं व हमेशा अपनी आंखों का तारा समझते हैं । फिर हमें तो बेहद का बाप मिला है जो हमें बेहद का प्यार देता है ऐसे बाप से सीधा व सच्चा होकर रहना है ।
❉ कहा भी गया है सच्चे दिल पर साहिब राजी । जिसका स्वभाव सरल होता है व सहजता से अपनी हर बात सच्चाई और सफाई से बाप से कहते हैं तो वो बाप के दिल पर राज करते हैं ।
❉ लौकिक में गीत भी है तुझे सूरज कहूं या चंदा , तुझे दीप कहूं या तारा । मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा । ऐसे ही हमें बेहद के बाप का सच्चा व सपूत बच्चा बन बाप का नाम बाला करना है ।
❉ कल्याणकारी बाप के बच्चे हम मास्टर विश्व कल्याणकारी हैं व जब बाप ने स्वयं हमें विश्व कल्याण के कार्य के निमित्त चुना है तो हमें हमेशा सर्व के प्रति कल्याण की भावना रखनी है व कल्याण करना है ।
❉ जब बेहद का बाप अपने बच्चों का हमेशा कल्याण करता है तो हमें भी बाप समान बनना है । अपकारी पर भी उपकार करते, अपशब्द बोलने वालों को भी फूलों की माला पहनाते, क्रोधी के साथ भी प्यार के दो शब्द बोल सबके प्रति कल्याण की भावना रखनी है ।
❉ हमें बेहद के बाप ने अपने वर्से का अधिकारी , गुणों का, शक्तियों का मालिक बनाकर सर्व खजानों से भरपूर किया है व हम दाता के बच्चे मास्टर दाता हैं तो हमें भी सबको कुछ न कुछ देना ही हैं व कल्याण करना है ।
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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ अमृतवेले के महत्व को समझकर यथार्थ रीति यूज करने वाले सदा शक्ति सम्पन्न होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ अमृतवेले है दिन का आदि । इसी समय को पावरफुल बनाते तो सारा दिन ही मदद मिलती है । अमृतवेले बाप से शक्ति भर शक्तिस्वरुप हो जाते हैं तो सारा दिन प्राप्त शक्ति के आधार पर सब कार्य सहज हो जाते ।
❉ अमृतवेला सहज प्राप्तियों का समय होता है । इस समय बाप से वरदान के रुप में जो प्राप्ति करना चाहे कर सकते हैं । क्योंकि इस समय वरदाता व भाग्यविधाता बाप भोले भगवान के रुप में होते हैं जो तकदीर की रेखा खींचवाना चाहें खिंचवा सकते हैं । बस हमें उस समय यथार्थ याद में रह यथार्थ रीति यूज करने वाले शक्ति सम्पन्न होते हैं ।
❉ अमृतवेले आंख खुलते ही बाप को गुडमार्निंग करते ही सिवाय बाप के और कोई दिखाई न दे और बाप से मिलन मनाते ही 'समान भव' का वरदान मिलता है । पहला संकल्प ही समर्थ होता तो सारा दिन समर्थ होकर सदा शक्ति सम्पन्न होते हैं ।
❉ अमृतवेला स्पेशल हम ब्राह्मण बच्चों के लिए होता है । इस समय हम विशेष बच्चों को सर्वशक्तियों का, विशेष अनुभवों के वरदानों का , मेहनत कम और प्राप्ति अधिक होने का समय है । उसे यथार्थ रीति यूज कर स्मृति स्वरुप बन सदा शक्ति सम्पन्न होते हैं ।
❉ अमृतवेला सतोप्रधान समय है । उस समय शक्तिशाली बाप के स्नेह से जो शुभ संकल्प करते है उसका प्रभाव सारा दिन पर पड़ता है इसलिए याद की शक्ति से सर्व सम्बंधों का सुख अनुभव करते यथार्थ रीति यूज करते शक्ति सम्पन्न होते हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपने शक्तियों के खजाने से शक्तिहीन, परवश आत्मा को शक्तिशाली बनाओ... कैसे ?
❉ सर्व शक्तियों का वर्सा इतना शक्तिशाली है जो कोई भी समस्या सामने ठहर नहीं सकती । किंतु सर्वशक्तियों को इमर्ज रूप में समृति में रख, समय पर तभी कार्य में लगा सकेंगे । जब बुद्धि की लाइन क्लीयर होगी । क्योंकि जितनी बुद्धि की लाइन क्लीयर और क्लीन होगी । उतना निर्णय शक्ति तीव्र होने के कारण जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता होगी वह कार्य में लगा सकेंगे । और शक्तिहीन, परवश आत्माओं को शक्तिशाली बना सकेंगे ।
❉ बुद्धि का संबंध जब एक बाप से जुड़ा हुआ होगा तो संबंध से सर्व शक्तियों का वर्सा अधिकार के रूप में सहज ही प्राप्त हो जाएगा । और जब अपने अधिकारी पन की सदैव समृति में रहेंगे । तो सहज ही सर्व शक्तियों की प्राप्ति का अनुभव करते रहेंगे और शक्तियों के खजाने से संपन्न बन शक्तिहीन, परवश आत्माओं को शक्तिशाली बना सकेंगे ।
❉ अपने अलंकारी स्वरूप की स्मृति में रह जब समर्थी स्वरूप बनेंगे तो स्वयं को सदा अलंकारों से सजा हुआ अनुभव करेंगे । और अलंकारी मूर्त स्वरुप में स्थित होकर अपनी शक्ति रूपी भुजाओं को मजबूत बनाकर, शक्तियों के खजाने से शक्तिहीन और परवश आत्माओं को सर्व शक्तियों का सहयोग देकर शक्तिशाली बना सकेंगे ।
❉ बाप द्वारा जो सर्व शक्तियों की, सर्व नॉलेज की, स्व पर राज्य करने की अथॉरिटी मिली है । उस नॉलेज की अथॉरिटी से जब पावरफुल स्वरूप की स्टेज पर स्थित रहेंगे । तो सर्व प्राप्त हुई शक्तियों की अथॉरिटी माया जीत और प्रकृति जीत बना देगी । जिससे जैसी शक्ति को जिस समय यूज करना चाहेंगे उसे यूज कर सकेंगे और निर्बल आत्माओं को शक्तिशाली बना सकेंगे ।
❉ जैसे कोई बड़ा ऑफिसर व राजा जब स्वमान की सीट पर स्थित होता है तो दूसरे भी उसे सम्मान देते हैं । अगर वह स्वयं सीट पर नहीं तो उसका ऑर्डर कोई नहीं मानेगा । इसी प्रकार जब हम भी अपने श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट होंगे तो सर्व शक्तियां सेवा में सदा हाज़िर रहेंगी । और मालिक बन, शक्तियों को ऑर्डर दे, निर्बल आत्माओं को शक्तियों से संपन्न बना सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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