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❍ 17 / 11 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *कोई भी पाप कर्म तो नहीं की ?*
➢➢ *कदम कदम पर बाप की राय ली ?*
➢➢ *बाप समान दुःख हर्ता सुख कर्ता बनकर रहे ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *पुण्य का खाता जमा किया और कराया ?*
➢➢ *संगठन के महत्व को जान संगठन में सेफ्टी का अनुभव किया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - अंदर बाहर साफ बनो कोई भी गन्दी आदत अब तुम्हारे में नही होनी चाहिये"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अब जो ईश्वर पुत्र बने हो ईश्वरीय गोद में पले हो तो यह नशा सदा स्म्रति में बना रहे कि कौन हो... और किसके हो... अपने हर कर्म से ईश्वर पिता की झलक जमाने को दिखाओ... अब विकारो से परे ईश्वरीय अदाओ वाला जीवन हो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा आपके मीठे साये में पलकर आप समान होती जा रही हूँ... हर बुराई गन्दगी से दूर दिव्य गुणो को अपनाती जा रही हूँ... बाबा जेसी सच्ची बनती जा रही हूँ... और अपने सत्य स्वरूप में स्तिथ होती जा रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सत्यता और पवित्रता से भरा खूबसूरत सा जीवन जीकर अपने हर कदम में रूहानी झलक दिखाओ... विकारो की दुर्गन्ध से परे सतयुगी गुणो की खुशबु से महकता प्यारा जीवन जीओ... देवताओ जैसी दिव्यता लिए सच्चा और पारदर्शी जीवन अपनाकर ईश्वर पिता के दिल पर छा जाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा बुराइयो से भरे मेले कुचैले जीवन की दुर्गन्ध से निकल ईश्वरीय गोद में सच्चा जीवन जी रही हूँ... अपने सच्चे और खूबसूरत जीवन से ईश्वर पिता की सत्यता को झलका रही हूँ... और इन्ही खूबसूरत तरंगो से पूरा विश्व महका रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर द्वारा चुने फूलो का दामन सदा सच्चाई और सफाई की खुशबु से भरा हो... अब जो विश्व पिता का हाथ थामा है तो पारस बन मुस्कराना है... सारे विकारो को त्याग निर्मल स्वच्छ जीवन अपनाकर... ईश्वरीय दिव्यता का दीवाना हर दिल को बनाना है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में... आपके प्यारे के मखमली से साये में हर बुराई से मुक्त होकर गुणो में मुस्करा रही हूँ.... भीतर की सारी गन्दगी को धोकर बाबा से पवित्रता को ग्रहण करती जा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा मास्टर शिक्षक हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा नर से नारायण बनने के लिये रुहानी पढ़ाई पढ़ रहीं हूँ... स्वयं परमपिता परमात्मा रोज सुप्रीम शिक्षक बन मुझ आत्मा को पढ़ाते हैं... मैं आत्मा गॉडली स्टूडेंट बन रुहानी पढ़ाई पढ़ती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस पढ़ाई से पत्थर बुद्धि से पारसबुद्धि बन रहीं हूँ... कौड़ी से हीरे तुल्य बन रहीं हूँ... मैं आत्मा इसी रुहानी नशे में रहती हूँ कि अविनाशी बाप से अविनाशी पढाई पढ़ 21 जन्मों के लिये अविनाशी पद प्राप्त करूँगी...
➳ _ ➳ मैं आत्मा प्यारे बाबा की अनमोल शिक्षाओं को ग्रहण कर दिव्यता, शांति, शक्ति, आनन्द रुपी खजानों को प्राप्त कर रहीं हूँ... मैं आत्मा इस ज्ञान का मनन मंथन करती हूँ... दृढ़ता से ज्ञान के एक एक पोइंट को धारण कर रहीं हूँ... श्रेष्ठ संकल्पों, श्रेष्ठ कर्मों द्वारा अपना पुण्य का खाता जमा कर रहीं हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा ज्ञानसागर बाप से ज्ञान रुपी अनमोल खजानें प्राप्त कर मास्टर शिक्षक बन रहीं हूँ... मैं आत्मा अपने को निमित्त समझ औरों को भी आप समान बनाने की सेवा कर रहीं हूँ... मैं आत्मा मास्टर शिक्षक बन सबको ज्ञान धन का दान कर रहीं हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा इसी विशेष स्मृति में रहती हूँ कि मैं पुण्य आत्मा हूँ... पुण्य का खाता जमा करना और कराना इसी विशेष सेवा को कर रहीं हूँ... अब मैं पुण्य आत्मा संकल्प मात्र में भी पाप नहीं कर सकती... बाप समान सदा पुण्य का खाता जमा करने और कराने वाली मास्टर शिक्षक हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- संग़ठन के महत्व को जान संग़ठन में ही स्वतः की सेफ्टी का अनुभव करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने अलौकिक परिवार को देखती हूँ... इस परिवार के स्नेह और सहयोग को प्राप्त करने वाली... मैं सौभाग्यशाली आत्मा हूँ... शिवबाबा की हम सब सन्तान एक परिवार के... आत्मा भाई-भाई हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सदैव अपने सुंदर अलौकिक परिवार में... अपने मजबूत संग़ठन में स्वयं को सदा ही सेफ़ महसूस करती हूँ... मैं आत्मा एकजुट हो कोई भी कार्य करने की शक्ति को समझती हूँ... अनेकता में एकता लिए हुए... संग़ठन की शक्ति द्वारा... असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाता हैं...
➳ _ ➳ इस अलौकिक संग़ठन में... मैं आत्मा स्वयं को सदा ही महफूज समझती हूँ... सदा ही स्वयं को इस मजबूत संग़ठन की छत्रछाया में... सुरक्षित महसूस करती हूँ... कोई भी बात हो... कोई भी परेशानी हो... अलौकिक परिवार के स्नेह और सहयोग से... पल भर में समाधान मिल जाता हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने अलौकिक संग़ठन की मजबूती के लिए... हर सम्भव प्रयास करती हूँ... सहनशीलता की ड्रेस पहन... हर आत्मा से संस्कारों का रास कर... संग़ठन की हर ईंट... हर आत्मा को... स्नेह की सीमेंट से जोड़े रखती हूँ... इससे हमारे संग़ठन की इमारत को कोई हिला भी नहीं सकता... मैं आत्मा इस संग़ठन के महत्व को समझ... इस संग़ठन में ही स्वयं को सेफ़ महसूस करती हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *सदा पुण्य का खाता जमा करने और कराने वाले मास्टर शिक्षक होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ सदा पुण्य का खाता जमा करने और कराने वाले मास्टर शिक्षक होते हैं क्योंकि... हम शिक्षक हैं। मास्टर शिक्षक कहलाने से अपने आप स्वतः से ही ये बात याद आ जाती है कि... हमें ऐसा किसने बनाया है। बनाने वाले की याद स्वतः से आने पर मैं स्वयं निमित्त हूँ, ये भाव मन में विशेष रूप से आ जाता है।
❉ मास्टर शिक्षक के मन में स्वतः ही ये भाव उत्पन्न होता है कि... हमें इतना खूबसूरत किसने बनाया है। अपने को ऐसा गुणवान बनाने वाले के प्रति उनके मन में आदर की भावना स्वतः ही जागृत हो जाती है और वह पुण्यवान आत्मा बन जाती है तथा पुण्य कर्म करती है।
❉ ये स्मृति स्वतः ही मन में आ जाती है, और मन में विशेष स्मृति ये ही बनी रहती है कि... मैं एक पुण्य आत्मा हूँ, तथा पुण्य का खाता जमा करना और अन्यों से जमा करवाना, यही एक विशेष सेवा है जो कि हमें विशेष तौर पर करनी है। सभी सेवाओं को करते हुए, हमें पुण्यवान आत्मा बनना है।
❉ पाप कर्मों के बारे में कभी भी सोचना विचारना नहीं है। हमें गलत सोच विचार कर के, अपने भाग्य को बिगाड़ना नहीं है, तथा हमें अपने पुण्य के खाते को सदा ही जमा करने पर विशेष ध्यान देना है। हमें बाप समान महान बनना है। जैसे बाबा शिक्षक बन कर, सर्व को मास्टर शिक्षक बना रहे हैं, वैसे ही हमें भी सर्व की सेवा करनी है।
❉ पुण्यवान आत्माओं के मन में एक परसेन्ट भी पाप के विचार नहीं आ सकते हैं। वह तो सदा ही पुण्यशाली कर्म करते हैं। स्वपन में भी अपुण्य का विचार उनके जेहन में नहीं आ सकता है। मास्टर शिक्षक माना सदा पुण्य का खाता जमा करना और कराना वो भी प्यारे बाप के समान।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *संगठन के महत्व के जानने वाले संगठन में ही स्वयं की सेफ्टी का अनुभव करते हैं... क्यों और कैसे* ?
❉ जैसे बापदादा में निश्चय है ऐसे संगठन अर्थात ब्राह्मण परिवार में भी निश्चय होना बहुत जरूरी है । जब किसी चीज की पैकिंग की जाती है तो चारों ही तरफ से टाइट करते हैं ताकि पैकिंग अच्छे से हो जाये । इसी प्रकार बाप, नॉलेज, नॉलेज में भी विशेष ड्रामा और संगठन । ये चारों बाते अगर मजबूत नही हैं तो विघ्न आते हैं । इसलिए संगठन के महत्व को जान कर जो सबको साथ ले कर चलते हैं वो सेफ्टी का अनुभव करते हुए सहज ही सफलतामूर्त बन जाते हैं ।
❉ लौकिक में भी कोई कार्य तभी सफल होता है जब एकजुट हो कर सभी उस कार्य को करने में सहयोगी बनते है । सृष्टि स्थापना का यह कार्य भी परमपिता परमात्मा शिव बाबा हम ब्राह्मणों को निमित्त बना कर हमारे सहयोग से सम्पन्न करवा रहे है । इस कार्य को सफल करने के लिए जरूरी है एकमत होना । और एकमत तभी हो सकेंगे जब संगठन के महत्व को जान एक दूसरे के सहयोगी बन एक दो को आगे बढ़ाने का संकल्प करेंगें । इससे संगठन में सेफ्टी का अनुभव होगा और सफलतामूर्त बन जायेंगे ।
❉ मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । समाज में रहते हुए उसे कदम कदम पर दूसरों के सहारे और सहयोग की आवश्यकता पड़ती है । अकेले रह कर कोई भी कार्य करना संभव नही है । इसलिए समाज में संगठन का होना बहुत जरूरी है । संगठन में रह कर कार्य करने से कार्य की सफलता के चांसिस बहुत बढ़ जाते हैं क्योंकि एक तो एक दूसरे का सहयोग उमंग उत्साह जगाता है और दूसरा संगठन में रहते हुए सभी स्वयं को सुरक्षित अनुभव करते हैं । इसलिए जो संगठन के महत्व को जानते हैं वे संगठन में सेफ्टी के अनुभव द्वारा हर कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लेते हैं ।
❉ जैसे वैरायटी गुलदस्ता सबसे प्यारा लगता है । क्योंकि वैरायटी की सदा शोभा होती है, सुंदरता होती है इसलिए देखने वाला सहज ही उसकी और आकर्षित होता है । हम ब्राह्मणों का यह संगठन भी एक प्रकार का वैरायटी गुलदस्ता है जिसमे किस्म किस्म के स्वभाव संस्कार वाले वैरायटी फूल हैं । सबकी विशेषताएं और गुण अपने अपने हैं । इसलिए संगठन के महत्व को जान सबकी विशेषताओं और गुणों को स्मृति में रख एक दो से संस्कारों की रास मिलाते हुए संगठन को आगे बढ़ाना ही संगठन में सेफ्टी का अनुभव करना है ।
❉ ब्राह्मण परिवार की मुख्य विशेषता ही है - अनेक होते हुए भी एक । यह अनेकता में एकता ही अंत में बापदादा की प्रत्यक्षता का आधार बनेगी । इस लिए बाप दादा की चाहना है कि एकमत की इसी विशेषता को स्मृति में रख सभी ब्राह्मण आत्माएं संगठन को ऐसा प्रभावशाली बनायें कि उनसे निकले वायब्रेशन लोगो को स्पष्ट अनुभव करायें कि ये अनेक नही लेकिन एक है । क्योकि एकता का यही वायब्रेशन सारे विश्व में एक धर्म, एक राज्य की स्थापना करेगा । और यह तभी होगा जब सभी ब्राह्मण बच्चे संगठन के महत्व को जान संगठन में सेफ्टी का अनुभव करेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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