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❍ 17 / 04 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
‖✓‖ °शांति स्तम्भ° के चारों और चक्कर लगाया ?
‖✓‖ °बाप को स्वीकार° करवाए बिना कोई भी वस्तु स्वीकार तो नहीं की ?
‖✓‖ स्वयं की तीनो कालों (आदि, मध्य, अंत) की °महानता° स्मृति में रही ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
‖✓‖ °अहम भाव से मुक्त° रह लवलीन अवस्था का अनुभव किया ?
‖✓‖ स्वयं के प्रति व औरों के प्रति °वहम से मुक्त° रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
‖✓‖ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?
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http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/17.04.16-VisheshPurusharth.htm
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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "ज्ञान मार्ग की यादगार भक्तिमार्ग"
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो मुझ पिता के साथ जो लम्हे जिन खूबसूरत रंगो में जीते हो... भक्ति में वही रस्मे बन लोगो के दिलो पर छपती है... आप बच्चों ने जो पिता संग डोर बांध खुशियो को अपने अधीन किया वही अमिट यादगारें बन जाती है....
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों... अपने प्यारे पिता को जानकर जिस भाव में खुद को भिगोते हो वही भक्त दोहराएंगे... जिस प्रेम के रंग में रंगीन हो झूमते हो खुशियो में नाचते हो... भक्त पांव उठा उस ख़ुशी को ही व्यक्त करते है...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे आपके मेरे साथ के जीये पल अमर है ज्ञान के जीवन की यह खुशियां यह दौलत यह लगन यह निश्चय सदा अमर है...आप जीकर इसे सदा के भावो से भरते हो...भक्त इसी को दोहरा कर उन्ही अहसासो में डुबते है...
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों... आप ही इस पूरे विश्व के आधारमूर्त हो... आप ही के नक्शे कदमो पर दुनिया चलती है...आपकी ही यादो को सिमरती है...आप ही को सहारती है...ईश्वरीय प्रेम में डूबी आपकी ही हर् अदा को भक्त आत्माए सिमर सिमर सुख पाती है...तो सोचो जरा किस भाग्य से भरे हो...
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों स्वयं को निमित्त मात्र समझ बढे चलो ईश्वरीय कारोबार की सच्ची सेवा करते चलो... अपना खूबसूरत भाग्य बनाते चलो...उड़ते और उड़ाते चलो... आपको भाग्य से भर देने के ये मीठे पल है वरना ईश्वरीय कारोबार को भला कौन रोक सका है...सेवा करो या न करो सब हुआ ही पड़ा है...
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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢ अहम भाव और वहम भाव से मुक्त रह सदा रहम भाव रखना है ।
❉ जब ऊंच ते ऊंच बाप अपने को वर्ल्ड सर्वेंट कहते है तो हमें भी बाप समान बनना है व अपने को तन मन धन से बाप को अर्पण कर पुराने स्वभाव संस्कारों को चेंज कर सेवा करते अहम भाव और वहम भाव से मुक्त कर सदा बाप समान रहमदिल बनना है ।
❉ बस ये स्मृति में रखना है कि मैं कौन व मेरा कौन तो अहम भाव से मुक्त रहते है व ये वहम भी नही रहता कि मैंने किया है । करनकरावनहार की स्मृति रहती है व हर संकल्प, बोल व कर्म बाप के लिए रखते हुए अहम भाव व वहम भाव से मुक्त रह रहमदिल बनना है ।
❉ जब अहम भाव होता है तो मैं मैं की बीमारी होती है कि मैंने किया, मैं ही कर सकती हूं या मैं ही करुंगी । तो उसे करने में स्वार्थ की भावना होती है और ये भी वहम हो जाता है कि मैं ही ये अच्छा कर सकती हूं , ये तो कर ही नही सकता । अहम भाव व वहम भाव है तो वो कभी रहमदिल हो ही नही सकता ।
❉ हर कार्य करते निमित भाव रखना है । स्व के प्रति भी व्यर्थ संकंल्प नही ऱखना क्योकि व्यर्थ ही संशय लाता है इन दोनो से मुक्त रह रहम दिल बनना है ।
❉ देह अभिमान में रहेगे तो अहम आ जायेगा और हर कर्म करते संशय में बंधे रहेंगे । इसलिए आत्म-अभिमानी बन मैंपन से मुक्त हो निश्चय बुद्धि बन रहम दिल बनना है ।
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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ फुलस्टॉप द्वारा श्रेष्ठ स्थिति रुपी मैडल प्राप्त करने वाले महावीर होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ जब ड्रामा की नॉलेज से नॉलेजफुल होकर लाइट व माइट स्थिति होती है तो बीती को जल्दी ही फुलस्टाप लगाकर अपनी स्थिति श्रेष्ठ रखते हैं व पेपर को पास कर मैडल प्राप्त करने वाले महावीर होते हैं ।
❉ जब सुबह उठते ही अमृतवेले मैं बिंदु, बाबा बिंदु, ड्रामा बिंदु ये तीनों बिंदुओं का तिलक लगाते हैं तो स्मृति स्वरुप रह परिस्थिति आने पर सहज ही बिंदु बन बिंदु बाप को याद करते सहज ही बिंदु लगाकर अंगद समान श्रेष्ठ स्थिति रुपी मैडल प्राप्त करने वाले महावीर होते हैं ।
❉ ड्रामानुसार श्रेष्ठ स्थिति का मैडल प्राप्त कर वही महावीर होते है जो हर आत्मा का पार्ट साक्षी होकर देखते हैं व फुलस्टाप की मात्रा सहज लगा देते हैं । इसलिए कोई भी समस्या रुपी दीवार उन्हें रोक नहीं सकती ।
❉ ड्रामा कल्याणकारी है व हर बात में कल्याण समाया है । हरेक का पार्ट एक्यूरेट है । इसलिए हर परिस्थिति को साइड सीन समझ पार करते हुए आगे बढ़ना है व क्यूं, कैसे , क्यों में नही मूंझना । परिस्थिति तो बाहर से आई है व स्थिति मेरी अपनी है । अपनी स्थिति को श्रेष्ठ रख विजयी बन मैडल प्राप्त कर महावीर होते हैं ।
❉ जो बच्चे अपनी स्थिति अचल अडोल रख महावीर होते हैं वो हर आत्मा के प्रति कल्याण की भावना रखते है व हरेक के निश्चित पार्ट को जान सदा निश्चिंत रहते हैं । जल्दी ही फुलस्टाप लगाकर अपनी श्रेष्ठ स्थिति का मैडल पाते हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ हर परिस्थिति रूपी पहाड़ को पार कर अपनी मंजिल को प्राप्त करने वाले उड़ता पंछी बनो... कैसे ?
❉ रूप बसंत बन ज्ञान की गुह्य प्वाइंट्स जब बुद्धि में धारण करेंगे और योग बल से आत्मा को स्वच्छ पावन बनाएंगे तो फरिश्ता बन सदा हल्के रहेंगे । स्थिति ऐसी अचल अडोल बनती जाएगी जो किसी भी परिस्थिति के आते ही सेकण्ड में मन रूपी पंछी ऊंची उड़ान भर, उस परिस्थिति रुपी पहाड़ को सहज ही पार कर अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेगा ।
❉ हर बात में कल्याण समाया है और सर्वशक्तिवान बाप हर पल मेरे साथ है यह स्मृति बुद्धि को क्लीन और क्लीयर रखेगी और कोई भी सूक्ष्म बात चित पर कोई भी प्रभाव नहीं डालेगी । मन बुद्धि जब हल्के रहेंगे तो मंजिल स्पष्ट दिखाई देगी और हर रास्ता क्लीयर दिखाई देगा । जिससे उड़ता पंछी बन हर परिस्थिति रूपी पहाड़ को पार कर सहज ही मंजिल पर पहुंच जाएंगे ।
❉ स्व स्थिति में रहने से परिस्थितियां अपने आप बदल जाती हैं । जितना स्व स्थिति में स्थित रहेंगे उसी अनुसार हमारे वृति, बोल और कर्म में परिवर्तन आता जाएगा । वृति, बोल और कर्म में जैसे - जैसे श्रेष्ठता आती जाएगी , परिस्थितियां छोटी होती जायेंगी और उड़ता पंछी बन हर परिस्थिति रूपी पहाड़ को पार कर अपनी मंजिल पर पहुंचना सरल हो जाएगा ।
❉ वाणी से परे जाने का अभ्यास जैसे-जैसे पक्का होता जाएगा और पांच तत्वों से पार जाने के अभ्यासी जब बनते जाएंगे तो अलौकिक दिव्य शक्तियां आत्मा में भरती जाएंगी और परिस्थिति आते ही सेकंड में आत्मा वाणी से परे जाकर पांच तत्वों के इस शरीर से न्यारी होकर उड़ता पंछी बन परिस्थितियों के पहाड़ को पार कर अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगी ।
❉ भगवान मेरा साथी है, सिवाय इस ख्याल के और कोई ख्याल बुद्धि में ना आए तो यह निश्चय का बल जीवन में आने वाले हर आंधी और तूफान पर, हर परिस्थिति पर विजय दिला देगा क्योंकि निश्चय से प्रीत बुद्धि होती है और प्रीत बुद्धि सदैव विजयंती रहते हैं । इसलिए निश्चय जितना मजबूत होगा उतना ही परिस्थिति रूपी पहाड़ को पार कर मंजिल पर पहुंचना स्वत: ही सहज हो जायेगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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