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❍ 09 / 02 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °वैराग्य जैसी योग्य धरनी° तैयार करने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ बुधी में स्थायी °एक बाप° की ही याद रही ?
‖✓‖ अपनों से °बड़ों का बहुत रीगार्ड° रख उनसे सीखा ?
‖✓‖ °ज्ञान के खजाने° से अपनी झोली भरी ?
‖✓‖ °ज्ञान खुद धारण° कर औरों को कराया ?
‖✓‖ रूहानी सेवा में अपनी °हड्डी हड्डी स्वाहा° की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सर्व के दिलों के राज को जान °सर्व को राज़ी° किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ अपने में चेक किया की °बाप समान° कहाँ तक बने हो ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सदा विजयी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सर्व के दिलों के राज़ को जान सर्व को राज़ी करने वाली मैं सदा विजयी आत्मा हूँ ।
❉ अंतर्मुखता में रहते हुए अतीन्द्रिय सुख व हल्केपन के प्रत्यक्ष फल द्वारा मैं अपने जीवन को आनन्दमय बनाती जा रही हूँ ।
❉ एकांत में बाप दादा के प्यार भरे संकल्पों को कैच कर, मैं सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों का अनुभव कर रही हूँ ।
❉ साइलेन्स की शक्ति द्वारा मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ ।
❉ याद और सेवा के पंखो द्वारा विश्व गगन में उड़ान भरते हुए मैं आत्मा प्रेम, पवित्रता और ज्ञान की ऊंचाइयों को प्राप्त कर रही हूँ ।
❉ अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रह एक बाप की लग्न में मगन हो कर मैं इस संसार से उपराम होती जाती हूँ ।
❉ परमात्म ज्ञान और गुणों की प्रैक्टिकल धारणा कर मैं सबको उनका प्रैक्टिकल अनुभव करा कर सबके जीवन को खुशियों से भर देती हूँ ।
❉ अपनी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित हो कर मैं अशांत और दुखी आत्माओं को सेकण्ड में शांति की अनुभूति कराती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बुद्धि में स्थाई एक बाप की याद रहे तो यह भी अहो सौभाग्य है"
❉ अपने वास्तविक आत्मिक स्वरूप को भूलने के कारण आत्मा कर्मेन्द्रियों के वश हो विनाशी देह और देह की दुनिया में लिप्त हो गई ।
❉ इसलिए अपने पिता परमात्मा को भी भूल गई जिसके कारण दुखी और अशांत हो गई और इसलिए नश्वर दुनिया के नश्वर पदार्थो, सम्बन्धो में सुख तलाश करने लगी ।
❉ यह भी भूल गई कि आत्मा को सच्चा सुख और शांति इन विनाशी साधनो से नही बल्कि अपने पिता परमात्मा बाप की याद से ही मिल सकता है ।
❉ किन्तु 63 जन्मों से देह और देह के पदार्थो में लिप्त होने के कारण मन बुद्धि में परमात्मा बाप की याद ठहरती नही ।
❉ बुद्धि कहाँ न कहाँ दौड़ती रहती है । मित्र सम्बन्धी आदि याद आते रहते हैं । इसलिए बाप कहते हैं कि बुद्धि में स्थाई एक बाप की याद रहे यह भी अहो सौभाग्य है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सदा रुहानी सेवा में तत्पर रहना है ।ज्ञान धन दान करके खुशी में नाचना है ।
❉ जैसे बेहद का बाप अपने बच्चों की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहता है ऐसे ही हम बच्चों को भी रुहानी सेवा में तत्पर रहना है ।
❉ अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है । हर कर्म करते हुए बस एक बाप की याद में रहना है । जब याद होगी तभी धारणा होगी । रुहानी सर्विस के लिए तत्पर रह अपनी हड्डी हड्डी दधीचि त्ऋर्षि मिसल सफल करनी है ।
❉ जैसे लौकिक में कोई प्रोग्राम होता है तो अपना सब कुछ भूल उसकी तैयारी में लग जाते है व जिस्मानी सेवा करते खुशी से नाचते रहते हैं ऐसे बाप जो अमूल्य अखूट खजाने हमें देते है तो हमें भी ईश्वरीय नशे में रह ओरों को दे खुशी में नाचना है ।
❉ ये रुहानी सर्विस मिलना बहुत बड़ा सौभाग्य है व इस संगमयुग पर बाप ने स्वयं हममें कोई विशेषता देख इस नयी दुनिया की स्थापना के निमित्त बनाया है तो हमें इस रुहानी सेवा के लिए तत्पर रहना है ।
❉ स्प्रीचुअल बाप ही आकर स्प्रीचुअल नॉलेज देते हैं व ये सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान कोई दूसरा दे न सके । बाप से ज्ञान धन की झोली भर हमें भी बाप का सहयोगी बन इस ज्ञान धन को बांटना है व रुहानी सर्विस कर खुशी में नाचना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्व के दिलों के राज को जान सर्व को राजी करने वाले सदा विजयी होते हैं ...क्यों और कैसे ?
❉ जितना अंतर्मुखता होती है उतना निर्मल चित्त व एकाग्रता की शक्ति से दिल के राज को जानकर उसे राजी कर सकते हैं । जो सब को राजी कर सकता है व खुश कर सकता है तो वो सदा विजयी होता है ।
❉ सच की नाव हिलती डुलती है पर कभी डूबती नही व सच्चे इंसान की हमेशा जीत होती है । सच्चा होने से मन में हमेशा शांति व सन्तुष्टता होती है व हमेशा परमात्म साथ का अनुभव करता है ।शांति व अंतर्मुखता होने से सर्व के दिलों पर राज कर राजी कर विजयी होता है ।
❉ किसी के मुख से बोल निकलते ही उसके भावों को जानकर सहयोगी बनता है व उन्हें राजी कर विजयी बनता है ।
❉ सच्चे दिल पर साहिब राजी- सच्चे व साफ दिल के बच्चों को बाप अपने दिल पर बिठाता है व स्वयं याद करता है तो ऐसे बाप के बच्चे भी दूसरी आत्माओं के संकल्पों को जान उन्हें राजी कर विजयी बनते हैं ।
❉ हर आत्मा के प्रति शुभ भावना व शुभ कामना रखते हुए उन्हें उमंग उत्साह से आगे बढ़ाते हुए हमेशा दुआओं के पात्र बनते हैं व सर्व के दिल पर राज करते हैं ।
❉ किसी भी आत्मा से कुछ भी प्राप्त होगा तो हमेशा उनका रिगार्ड करेंगे । अपने से बड़े हो या छोटे हो सब का रिगार्ड करते व स्नेह देते हुए सर्व को राजी कर विजयी होते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ वैराग्य ऐसी योग्य धरनी है जिसमे जो भी बीज डालेंगे वह फलीभूत अवश्य होगा... क्यों और कैसे ?
❉ बेहद की वैराग्य वृति आत्मा को निरन्तर योगी, सहजयोगी स्थिति का अनुभवी बना कर ऐसी धरनी तैयार कर देती है जिसमे जो भी बीज डालो वह अवश्य फलीभूत होता है ।
❉ बेहद की वैराग्य वृति आत्मा को हद के मान, शान और सम्मान की इच्छा से मुक्त और अभिमान से रहित बना देती है जिससे सेवा में निस्वार्थ भाव ऐसी योग्य धरनी का निर्माण कर देता है कि उसमे डाला हर बीज अवश्य फलीभूत होता है ।
❉ देह और देह की दुनिया से स्वयं को उपराम कर बेहद की वैराग्य वृति धारण करने वाली आत्मा सर्व आकर्षणों से मुक्त हो जाती है और उसकी एकरस स्थिति धरनी को ऐसा फलदायी बना देती है कि उसमे पड़ने वाला हर बीज सहज ही फलीभूत हो जाता है ।
❉ इस नश्वर संसार के प्रति अनासक्त वृति धारण करने वाली आत्मा बेहद की वैरागी बन सर्व सम्बन्धो की अनुभूति एक बाप से करते हुए परमात्म प्यार के रंग में रंगी ऐसी धरनी तैयार कर देती है जिसमे कोई भी आत्मा रूपी बीज फलीभूत हुए बिना रह नही सकता ।
❉ बेहद की वैराग्य वृति धारण करने वाली आत्मा की दृष्टि, वृति और कृति हद की ना रह कर बेहद की बन जाती है और बेहद की दृष्टि, वृति आत्मा को सर्व की शुभचिंतक बना कर ऐसी उपजाऊ धरनी तैयार कर देती है जिसमे डाला हर बीज फलदायी बन जाता है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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