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 20 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ बाप से प्राप्त ज्ञान अमृत को पिया और पिलाया ?

 

➢➢ बाप की हर बात मानी ?

 

➢➢ पूरा निश्चयबुधी बनकर रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ पावरफुल ब्रेक द्वारा वरदानी रूप से सेवा की ?

 

➢➢ समय, संकल्प और बोल की इकॉनामी कर बाबा की मदद को कैच किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ "अपने को आत्मा समझो और आत्मा समझ कर बाप को याद करो" - बापदादा की इस नंबर वन श्रीमत का अच्छे से पालन किया ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा लाइट हॉउस माइट हॉउस हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  योगयुक्त स्तिथि में बैठ जाएँ... देखें अपने भाग्य को... मेरे जैसा भाग्यवान और कोई नहीं है क्योंकि मैं परमात्म पालना में पलने वाली आत्मा हूँ... मैं पूज्य और पूर्वज हूँ... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... मैं विजयी रतन हूँ... मैं सर्वखजानों, वरदानों और छत्रछाया में पलने वाली आत्मा हूँ...

 

_ ➳  मैं आत्मा परमात्मा का मीठा, प्यारा, रूहानी, लाडला, सफलसंम्पन, सम्पूर्ण और भरपूर विजयी बच्चा हूँ... मैं आत्मा प्रकाश के चमकीले शरीर में विराजमान हूँ... मेरे अंग - अंग से प्रकाश फैल रहा है... मैं सम्पूर्णतया मुक्त हूँ... परम पवित्र हूँ... अनाशक्त हूँ... उपराम हूँ...

 

_ ➳  मैं कमल आसन पर विराजमान हूँ... मैं हर कदम पर फरमान पर चलकर माया को कुर्बान करने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ... मैं पॉवेरफुल ब्रेक द्वारा वरदानी रूप से सेवा करने वाली लाइट और माइट हाउस आत्मा हूँ...

 

_ ➳  मैं आत्मा आज अपने भोले बाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं आत्मा वरदानी रूप में सेवा हेतु पहले स्वयं में शुद्ध संकल्पों को जगाकर अन्य संकल्पों को सेकेण्ड में कन्ट्रोल करने का विशेष अभ्यास करुँगी...

 

_ ➳  मैं आत्मा सारा दिन शुद्ध संकल्पों के सागर में लहराती रहूंगी और जिस समय चाहे शुद्ध संकल्पों के सागर के तले में जाकर साइलेंस स्वरूप बन जाउंगी...

 

_ ➳  इस पुरषार्थ के लिए मुझ आत्मा की विशेष अटेंशन रहेगी कि मेरी ब्रेक पॉवेरफुल हो, संकल्पों पर पूरा कन्ट्रोल हो और बुद्धि व संस्कार पर पूरा अधिकार हो...

 

_ ➳  इन्हीं पॉवेरफुल संकल्पों के साथ मैं आत्मा लाइट हाउस - माइट हाउस की अवस्था में स्तिथ रहकर वरदानी सेवा करने का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चों - बाप द्वारा तुम्हे जो सष्ट्रि के आदि मध्य अंत की नालेज मिलती है, उसे तुम बुद्धि में रखते हो तो,  इसलिए तुम हो स्वदर्शन चक्रधारी"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों ईश्वर बाबा दूर था तो सत्य से किस कदर दूर थे बाबा करीब आया तो सत्य जानकारी को हथेली पर ले घूमने लगे... जो देवताओ को भी खबर नही वह सत्य जानने वाले खूबसूरत भाग्य से भरे ईश्वरीय बच्चे हो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों मेरे सिवाय सच से भर सच को कोई और तो बता ही न सके... सत्य पिता को उतर कर धरती पर आना पड़े... अब आप बच्चे सारे जहान के जानकार हो... पिता की तरह मा ज्ञानसागर बन चले हो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों सच्चे स्वदर्शन चक्रधारी तो तुम्ही बच्चे हो... देवताओ की तो मात्र सजावट है पर स्वदर्शन का कोई ज्ञान ही नही है... आप ब्राह्मण ही महान भाग्यशाली हो जो सारे भेद जान पाते हो...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों दिखने में मेरे ब्राह्मण बच्चे कितने साधारण पर ज्ञान में किस कदर असाधारण बन चले है... किस कदर विशाल बुद्धि हो चले हो सब कुछ बुद्धि में समा कर सच्चे स्वदर्शन चक्रधारी बन आदि मध्य अंत को जान चले हो...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चो ईश्वर बाबा की पसन्द हो कितना मीठा सा प्यारा भाग्य है कि ईश्वरीय ज्ञान को स्वयं खुदा से समझते हो... अपने को जान संसार के रहस्यों को जान जाते हो... और सारी दुनिया को कदमो तले रख शान से मुस्कराते हो....

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप जो स्वर्ग में जाने लायक बना रहे हैं , उनकी हर बात माननी है , पूरा निश्चयबुद्धि बनना है ।

 

  ❉   अभी तक तो रौरव नर्क की दुनिया में पड़े थे व अब इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर स्वयं भगवान ने कोटों मे कोऊं मे से चुनकर अपना बनाया है । असली स्वरुप की हम सब आत्माऐं है व सब आत्माओं का परमपिता परमात्मा शिव है  जो सर्वोच्च है । ये ज्ञान कोई दूसरा न दे सका । हमें अपने परमपिता की हर बात माननी है ।

 

  ❉   सिवाय बाप के ये रुहानी ज्ञान का इंजेक्शन कोई नही लगा सका । बाप ही कहतें हैं कि देह-अभिमान को छोड़ देही-अभिमानी बनो और बाप को याद करो । याद से ही विकर्म विनाश होंगे व आत्मा पावन बनेगी ।

 

  ❉   बाप को ही याद करना है वही ऊंच ते ऊंच है , सदा पावन है व सर्व का सदगति दाता है । जो बाप श्रीमत देते है हमें उसका सम्पूर्ण रीति से पालन करना है अपनी मनमत नहीं मिक्स करनी है । बाप की श्रेष्ठ मत पर चल श्रेष्ठाचारी बनना है ।

 

  ❉   बाप स्वयं सुप्रीम टीचर बन दूरदेश से पतितों की दुनिया में आते हैं व हमें पढ़ाकर पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बनाते है , कौडी तुल्य से हीरे तुल्य बनाते हैं । इस समय सारी दुनिया नर्कवासी है , फिर स्वर्गवासी कैसे बनती है । ये बाप ही समझाते हैं व स्वर्ग लायक बनाते है ।

 

  ❉   जैसे डाक्टरी की पढ़ाई करते हैं तो डाक्टर बनते है व बैरिस्टर की पढ़ाई करते है तो बैरिस्टर ही बनते हैं । ऐसे हमें स्वयं रोज भगवान पढ़ाने आते है तो आप समान भगवान भगवती ही बनाते है । ये पूरा निश्चय रख पढ़ाई पढ़नी है और निश्चयी बुद्धि बनना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ पावरफुल ब्रेक द्वारा वरदानी रुप से सेवा करने वाले लाइट माइट हाऊस होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   वरदानी रुप से सेवा करने वाले शुद्ध संकल्पों का स्टाक जमा करते हैं व अन्य संकल्पों को सेकेंड़ में कंट्रोल कर स्वराज्याधिकारी होते है इसलिए लाइट और माइट से भरपूर होते हैं ।

 

  ❉   जो सदा शुद्ध संकल्पों में लहराते रहते हैं व जिस समय चाहे शुद्ध संकल्पों के सागर के तले में जाकर साइलेंस की शक्ति जमा करते है व दुःखी अशांत आत्माओं को सुख शांति की पावरफुल वायब्रेशनस देकर वरदानी रुप में सेवा करने वाले लाइट माइट हाऊस होते हैं ।

 

  ❉   जिनके संकल्प , बोल , सेवा , सम्बंध सम्पर्क सबमें ब्रह्मा बाप समान होते व यही धुन रहती कि सम्पन्न बनना ही है बाप समान बनना ही है व दूसरों को भी आप समान बनाना है तो वो पावरफुल ब्रेक द्वारा वरदानी सेवा करने वाले लाइट माइट हाऊस होते हैं ।

 

  ❉   जो मनसा द्वारा अनुभव कराना , वाणी द्वारा ज्ञान के खजाने का परिचय कराना और चलन वा चेहरे द्वारा सम्पूर्ण योगी जीवन के प्रेक्टिकल रुप का अनुभव कराना , तीनो सेवा एक साथ करते है तो अपने संकल्पों पर सेकेंड में कंट्रोल कर वरदानी रुप से सेवा करते लाइट माइट हाऊस होते हैं ।

 

  ❉   जिनकी बुद्धि की लाइन क्लीयर रहती है व एक बाप से ही कनेक्शन जुड़ा रहता है और व विचार सागर मंथन में बिजी रहते हैं । वे ज्ञानसागर बाप के बच्चे मास्टर ज्ञान सागर बन नालेजफुल होने से सेकेंड में पावरफुल ब्रेक लगाकर व्यर्थ को समर्थ में बदल वरदानी रुप से सेवा करते लाइट माइट हाऊस होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ संकल्प, समय और बोल की इकॉनामी करो तो बाबा की मदद को कैच कर सकेंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   संकल्प, समय और बोल की इकॉनामी करने वा जमा का खाता बढ़ाने का सबसे सहज साधन है - बिन्दी लगाना । मैं बिन्दी, बाप भी बिन्दी और ड्रामा में भी बीती को बिन्दी लगाना । तो जितना इन तीन बिंदियों की स्मृति का तिलक मस्तक पर लगा कर रखेंगे उतना क्या, क्यों और कैसे की क्यू से बचे रहेंगे जिससे बुद्धि की लाइन भी सदा क्लीयर रहेगी और बाबा की मदद को सेकण्ड में कैच कर सकेंगे ।

 

 ❉   संगम युग की मुख्य सौगात है सर्व खजाने जो ब्राह्मण बनते ही बाबा अपने हर बच्चे को उपहार में देते हैं । ज्ञान का खज़ाना, शक्तियों का खज़ाना, गुणों का खज़ाना, संकल्प का खज़ाना , समय का खजाना ये सब खजाने हर ब्राह्मण बच्चे को जन्म सिद्ध अधिकार के रूप में प्राप्त होते हैं ।  जितना इन सर्व खजानो को सफल करेंगे उतना बाबा की मदद को कैच कर सकेंगे किन्तु वह तभी होगा जब समय, संकल्प और बोल की इकॉनामी करेंगे अर्थात इन्हें व्यर्थ नही जाने देंगे ।

 

 ❉   द्वापर युग से व्यर्थ सुनने, देखने और फिर सोचने की आदत न चाहते भी आकर्षित कर लेती है और इसी कारण समय का खज़ाना वेस्ट के खाते में चला जाता है । वेस्ट से बचने के लिए जरूरी है हर एक घण्टे के अन्दर यह चेकिंग करना कि जो भी बोल बोला, हर बोल में आत्मिक भाव और शुभ भावना है ? जितना इस बात पर घड़ी घड़ी अटेंशन देंगे उतना संकल्प, समय और बोल की इकॉनामी कर सकेंगे और बाबा की मदद को कैच कर सकेंगे ।

 

 ❉   संगमयुग के समय की विशेषता है कि तीनों रूप की प्राप्ति है । एक-वर्से के रूप में, दूसरा - पढ़ाई को सोर्स ऑफ इनकम कहते हैं तो पढ़ाई की प्राप्ति के आधार से और तीसरा है वरदान के रूप में । वर्सा भी है, इनकम भी है और वरदान भी है । प्राप्ति बहुत भारी है, बहुत बड़ी है । इस प्राप्ति को करने का आधार ही है हर संकल्प, समय और बोल की इकॉनामी । जितना संकल्प, समय और बोल की बचत कर जमा का खाता बढ़ायेंगे उतना बाप की मदद से सर्व प्राप्ति सम्पन्न सहज ही बन जायेंगे ।

 

 ❉   अगर संकल्प व्यर्थ हुआ तो कर्म और बोल भी व्यर्थ होंगे क्योकि फाउण्डेशन है संकल्प । तो सबसे पहले जरूरी है अपने संकल्पों के ऊपर कन्ट्रोलिंग पॉवर रखना । तो जितना कन्ट्रोलिंग पॉवर द्वारा संकल्पों की बचत करेंगे व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तित करना सहज हो जाएगा और जितना समर्थ चिंतन में बुद्धि को बिज़ी रखेंगें बुद्धि एकाग्र रहेगी जिससे समय पर बाप की मदद को कैच कर सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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