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 23 / 04 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

‖✓‖ °स्पिरिचुअल लाइट हाउस° बन आत्माओं को मुक्ति जीवन मुक्ति का रास्ता बताया ?

 

‖✓‖ °याद में ही भोजन° बनाया और खाया ?

 

‖✓‖ °बाप के हर डायरेक्शन° पर चलकर अपनी उन्नति की ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

‖✓‖ अपनी श्रेष्ठ धारणाओ प्रति °त्याग में भाग्य° का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ सर्व शक्तियों को अपने आर्डर में रख °मास्टर सर्वशक्तिमान° की सीट पर सेट रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °अहम भाव से मुक्त° रह लवलीन अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सच्ची त्यागी आत्मा हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

➳ _ ➳  शांतचित्त होकर स्वयं को देखें... अपनी आंतरिक मौलिक सुंदरता पर ध्यान आकर्षित करेंगे आज... मैं आत्मा शांत स्वरुप हूँ... शान्ति में मुझे अपने सुन्दर, पवित्र और ओर प्रेम स्वरुप का आभास होता है... अपनी पवित्रता को देख मुझे खुदसे प्यार होने लगता है... मैं खुद का सम्मान करने लगती हूँ... मैं एक पवित्र आत्मा हूँ... निर्मल - विमल हूँ... मैं आत्मा अपने अनादि स्वरुप में ही पवित्र थी... सम्पूर्ण पवित्रता ही मुझ ब्राह्मण आत्मा की श्रेष्ठ धारणा है... मैं आत्मा पवित्रता के सागर के समक्ष आज यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि यदि मुझे किसी भी प्रकार की परिस्थिति में अपनी इस धारणा के प्रति कुछ भी त्याग करना पड़े, सहन करना पड़े, सामना करना पड़े तो मैं ख़ुशी - ख़ुशी करुँगी... मैं आत्मा " प्राण जाए पर धर्म न जाए" इस गायन की सीट पर सफलतापूर्वक सेट रहूंगी... इस धारणा में किये किसी भी प्रकार के त्याग को त्याग न समझकर अपने श्रेष्ठ भाग्य का अनुभव करुँगी... यह दृढ़ संकल्प कर मैं आत्मा सच्चे त्यागी और सच्चे ब्राह्मण बनने का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम बाप की याद में सदा एक्यूरेट रहो तो तुम्हारा चेहरा सदा चमकता खुशनुमा रहेगा"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों मुझसे बेपनाह मुहोब्बत करो... मेरी यादो में डूब जाओ मुझसे जिगरी नाता जोड़ो... मुझसे ही प्यार करो तो खुशियां तो जेसे चेहरे पर नूर बन दमकेंगी... सदा चेहरा खिलता गुलाब बन महकेगा....

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे प्यारे बच्चों मुहोब्बत का पर्याय ही सिर्फ मै हूँ सच्चे प्रेम को मुझमे ही खो कर पा सकते हो... आत्मा मुझसे ही प्रेम से भरपूर होकर तृप्त होगी... यह प्रेम की प्यास कही और न बुझेगी...और मेरे प्रेम से निखर निखर उठोगे... खुशनुमा बन चमकते फिरोगे

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों मुझसे दूर होकर किस कदर दुःख पाया है...झूठे रिश्तो को चाह कर अपना रंगरूप ही गवाया है...आओ मेरे सच्चे प्रेम की बाहों में खो जाओ... तो खुबसुरती रोम रोम से झलक उठेगी... चेहरे की रंगत सबको मेरे सच्चे इश्क की खबर दे जायेगी...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों मेरे प्रेम को न पाकर मुरझा से गए हो... फूल से खूबसूरत बच्चे काले कांटे से बन पड़े हो... आओ जरा मेरे प्रेम भरे आगोश में समाओ जरा... नस नस में यह प्रेम खुशबु बन समा जायेगा... यह खुशनुमा चमकता चेहरा मेरे रूहानी प्रेम का प्रतीक बन इतरायेगा...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - बरसो से सच्चे प्रेम के भूखे मेरे बच्चे झूठे नातो में बातो में खुद को ही खो चले... मेरी यादो के बिना दुखो के सूखे तपते से रेगिस्तान में झुलस से गए हो... आ जाओ अब मेरे पास..  खो जाओ मेरे मखमली यादो के साये में... मै पिता सच्चे प्रेम में खिला दूंगा... महका दूंगा...  चमका दूंगा...  और देवता सा सजा दूंगा...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप के हर डायरेक्शन पर चलकर अपनी उन्नति करनी है । एक बाप से सच्ची-सच्ची प्रीत रखनी है ।

 

  ❉   इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर परमपिता परमात्मा  बाप ने स्वयं हमें अपना बनाया है । हमें दुःखों के अंधेरे से निकाल सत्य का रास्ता दिखाकर सुखों से भरपूर किया है । हम सब आत्माओं का पिता एक ही सदा शिव परमात्मा हे । आत्मा और परमात्मा का अविनाशी रिश्ता है । इसलिए बस अविनाशी बाप से ही प्रीत रखनी है ।

 

  ❉   इस संगमयुग पर हमें परमपिता परमात्मा का संग मिला है । ऊंच ते ऊंच बाप ही हमें श्रेष्ठ मत देते है व श्रेष्ठाचारी बनाते हैं । बाप की श्रेष्ठ मत पर चलकर हमें अपनी उन्नति करनी है ।

 

  ❉   बाप डायरेक्शन देते हैं कि अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है व याद से ही विकर्म विनाश होंगे व आत्मा पर लगी कट उतरती जायेगी । पतित से पावन बनाने के लिए ही बाप आयें है । बाप की याद में रह वर्सा पाने का पुरुषार्थ करना है ।

 

  ❉   हमें सच्चा-सच्चा बाप मिला है जो हमें सच्चा मार्ग बताते हैं । आधा कल्प के लिए सचखंड का मालिक बनाते हैं तो हमें देह व देह के सर्व सम्बंधों को भूल बस एक बाप से ही सच्ची प्रीत रखनी है ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में पिता की हर डायरेक्शन पर चलते हुए सफलता प्राप्त करते है और ऊंच पद पाते हैं । हमें तो बेहद का बाप मिला है । बाप का श्रीमत रुपी हाथ व साथ हमेशा अपने साथ रखते हुए अपनी उन्नति करनी है । सर्व सम्बंध बस बाप से रखने है तो कहीं आकर्षण नही जायेगा व बाप से ही सच्ची प्रीत रखनी है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपनी श्रेष्ठ धारणाओं प्रति त्याग के भाग्य का अनुभव करने वाले सच्चे त्यागी होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   किसी भी प्रकार की परिस्थिति में अपनी धारणाओं के प्रति कुछ भी सहन करना पड़े, सामना करना पड़े तो खुशी से करते हैं । इसमें त्याग को त्याग न समझ भाग्य समझने वाले सच्चे त्यागी होते हैं ।

 

  ❉   हम ब्राह्मण बच्चों की श्रेष्ठ धारणा सम्पूर्ण पवित्रता है । गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए कमल पुष्प समान न्यारे और प्यारे रहने के लिए बहुत अपनी श्रेष्ठ धारणा पर अटल रहते है व गायन भी है"प्राण जाए पर धर्म न जाए ।" इसके लिए सब सहन करते त्याग में अपना भाग्य का अनुभव करते सच्चे त्यागी होते हैं ।

 

  ❉   अपने बाप से विशेष स्नेह होता है तो बाप की श्रीमत पर चलते हुए धारणा स्वरुप होते है व बाप से हुई प्राप्तियों से धारणाओं के प्रति जो भी त्याग करते है उसमें भी अपने श्रेष्ठ भाग्य का अनुभव करते है और सच्चे त्यागी हैते हैं ।

 

  ❉   अपनी धारणाओं के लिए व सेवा के लिए सदा हाँ जी पार्ट निभाते सदा सेवा में सर्व खजाने लगाते है व अपने भाग्य के साथ दूसरों का भी बनाते है । अपने आराम का समय भी सेवा में लगाने वाले अपने को भाग्यवान समझते महा त्यागी होते है ।

 

  ❉   अपनी श्रेष्ठ धारणाओं के प्रति कुछ भी त्याग करना त्याग नही लगता । क्योंकि बाप से कनेक्शन जुडा रहने से अनुभूतियां इतनी पावरफुल होती है कि मन से यही निकलता है कि - कमाल है बाबा की । बस हर त्याग में भाग्य का अनुभव करते सच्चे त्यागी होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सर्व शक्तियों को अपने ऑर्डर में रखने वाले ही मास्टर सर्वशक्तिमान है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सर्व शक्तियों को अपने ऑर्डर में रख मास्टर सर्वशक्तिमान बनने की सहज विधि है चलते फिरते याद की शक्ति और सेवा की शक्ति देने में स्वयं को बिजी रखना । जितना सर्वशक्तिमान बाप की याद में रह निर्बल आत्माओं को सर्वशक्तियों द्वारा शक्ति प्रदान करते रहेंगे उतना सर्व शक्तियां ऑर्डर में रहेंगी और समय प्रमाण जिस शक्ति की आवश्यकता होगी वह शक्ति उपस्थित हो जाएगी ।

 

 ❉   मुरली वह शक्तिशाली भोजन है जो आत्मा को शक्ति प्रदान करता है । जो भी शक्तियां चाहिए उन सब से संपन्न रोज का भोजन मुरली है । जो रोज इस शक्तिशाली भोजन को ग्रहण करते हैं वे कभी कमजोर नहीं हो सकते । और  सर्वशक्तिमान बन सर्वशक्तियों को जब चाहे परिस्थिति व समय प्रमाण काम में ला सकते हैं ।

 

 ❉   देह के सम्बन्धो, देह के पदार्थों में आसक्ति माया की प्रवेशता का कारण बन जाती है । और माया की बार-बार प्रवेशता आत्मा को शक्तिहीन बना देती है । इसलिए शक्ति स्वरूप बनने के लिए आवश्यक है आसक्ति को अनासक्ति में परिवर्तन करना । क्योंकि जब आसक्ति खत्म हो जाती है तो शक्ति स्वरुप बन सर्व शक्तियों को अपने ऑर्डर में रखना सहज हो जाता है ।

 

 ❉   अगर सदा बुद्धि का कनेक्शन एक बाप से जुड़ा हुआ है तो संबंध से सर्व शक्तियों का वर्सा अधिकार के रुप में अवश्य प्राप्त होता है । तो अधिकारी कभी अधीन कैसे हो सकते हैं ? यह बात यदि सदा समृति में रखें कि हम अधीन नहीं अधिकारी हैं तो पुराने संस्कारों पर, माया पर सहज ही विजय पाने के अधिकारी बन जाएंगे और मास्टर सर्वशक्तिमान बन सर्व शक्तियों को ऑर्डर प्रमाण चला सकेंगे ।

 

 ❉   मास्टर सर्वशक्तिमान बन सर्वशक्तियों को अपने ऑर्डर में रख, जब जिस शक्ति को यूज़ करना चाहे वह तभी यूज़ कर सकेंगे जब चिंतन और वर्णन के साथ-साथ उसका स्वरूप बनेंगे । क्योंकि स्वरूप बनना अर्थात समर्थ बनना । और जो स्मृति स्वरूप सो समर्थी स्वरूप बनते हैं , उनका हर कदम, हर कर्म स्वत: ही शक्तिशाली होता है और वह जब चाहे तब सर्व शक्तियों का अपने ऑर्डर प्रमाण चला सकते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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