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   02 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ स्वयं को बहुत बहुत °स्वीट° बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ "हम °मोस्ट स्वीटेस्ट झाड का कलम° लगा रहे हैं" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ याद की यात्रा में तत्पर रह °विकर्म विनाश° करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °ज्ञान घृत और योग की बत्ती° ठीक रख ख़ुशी का दीपक जगता रहा ?

 

‖✓‖ अपनी बुधी की °रूहानी डोर° एक बाप के साथ बांधे रखी ?

 

‖✓‖ एक की ही °श्रीमत° पर चले ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ स्वयं के °संकल्पों की उलझन° अथवा सजाओ से भी परे रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °ड्रामा° शब्द के आधार से पत्थर को तोड़ने की बजाये उन्हें हाई जम्प देकर पार किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं पास विद ऑनर आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   स्वयं के संकल्पों की उलझन अथवा सजाओं से भी परे रहने वाली मैं पास विद ऑनर आत्मा हूँ ।

 

 ❉   वाणी, कर्म, सम्बन्ध - संपर्क में निर्संकल्प स्थिति द्वारा मैं पुरुषार्थ में तीव्रता हासिल करती जाती हूँ ।

 

 ❉   संकल्प शक्ति, निर्णय शक्ति और संस्कार की शक्ति तीनो मुझ आत्मा के आर्डर प्रमाण कार्य करती हैं ।

 

 ❉   एकांत में बाप दादा के प्यार भरे संकल्पों को कैच कर, मैं सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों का अनुभव कर रही हूँ ।

 

 ❉   अविनाशी प्राप्तियों से सम्पन्न, सदा अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध को सामने रखते हुए मैं आत्मा सदैव चढ़ती कला का अनुभव करती रहती हूँ ।

 

 ❉   मैं परमात्म वर्से की अधिकारी आत्मा हूँ और अपने परम पिता परमात्मा बाप से श्रेष्ठ भाग्य का वर्सा प्राप्त कर रही हूँ ।

 

 ❉   स्वयं भाग्य विधाता बाप मुझे बेहद का राज्य तख़्त पाने का गोल्डन चाँस दे रहें हैं ।

 

 ❉   अपने तीव्र पुरुषार्थ से मैं भविष्य गोल्डन दुनिया में ऊँच से ऊँच पद प्राप्त कर पास विद ऑनर बनने वाली पदमा पदम सौभाग्यशाली आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुमने अपनी जीवन डोर एक बाप से बांधी है, तुम्हारा कनेक्शन एक से है, एक से ही तोड़ निभाना है"

 

 ❉   जैसे कन्या की जब शादी होती है तो वह अपनी जीवन डोर अपने पति के साथ बांधती है ।

 

 ❉   समझती है कि जीवन भर उसका ही साथी हो कर रहना है । उनको ही परवरिश करनी है ।

 

 ❉   वो सब तो है हद के विनाशी बन्धन जो इस विनाशी शरीर के साथ जुड़े हैं और शरीर के विनाश होते ही समाप्त हो जाते हैं ।

 

 ❉   वास्तव में हम आत्माओं की जीवन डोर तो पतियों के पति अविनाशी शिव साजन के साथ जुड़ी हुई है जिसके साथ हमारे सर्व सम्बन्ध है ।

 

 ❉   वह परम पिता परमात्मा शिव बाबा अभी संगम युग में साकार में आये हुए हैं । उनके साथ ही हमने अपने जीवन की डोर बाँधी है । हमारा कनेक्शन एक से ही है और एक से ही तोड़ निभाना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ हम मोस्ट स्वीटेस्ट झाड़ का कलम लगा रहे हैं इसलिए पहले स्वयं को बहुत-बहुत स्वीट बनाना है । याद की यात्रा में तत्पर रह विकर्म विनाश करने हैं ।

 

  ❉   इस सृष्टि रुपी झाड़ का बीजरुप बाबा हैं जो हमे सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान दे रहे हैं व हमें निमित्त बनाकर स्वीटेस्ट झाड का कलम लगा रहे हैं ।

 

  ❉   जैसे छायादार व फलदार पेड़ होता है वो सब को छाया देता है चाहे कोई उसे पत्थर मारता है । ऐसे हमें भी कोई कैसा व्यवहार करे तो भी हमें हमेशा सबके साथ बहुत स्वीट रहना है ।

 

  ❉   हम स्वीटेस्ट बाप के बच्चे हैं । स्वीटेस्ट बाप बच्चों की कितनी भी गल्ती होने पर हमेशा कितना स्वीट रहता है ! मीठे बच्चे कहकर बुलाता है ! तो हमें भी स्वयं को बहुत बहुत मीठा बनाना है ।

 

  ❉   जैसे सोने को शुद्ध बनाने के लिए उसका एलाय निकाली जाती है ऐसे ही आत्मा पर लगी जंग एक बाप की याद की यात्रा पर रहने से ही निकलती है । याद में रहने से ही विकर्म विनाश होते हैं ।

 

  ❉   भक्ति में पुकारते आये कि पतित पावन आओ व हमने ही  इनविटेशन दिया तो अब बेहद का बाप आया है । उसी एक की याद में रह योगग्नि से अपने 63 जन्मों के विकर्म विनाश करने हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्वयं के संकल्पों की उलझन और अथवा सजाओ से भी परे रहने वाले पास विथ ऑनर बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हमारे श्रेष्ठ संकल्पों द्वारा ही सृष्टि का परिवर्तन होना है। हमारे संकल्प जैसे होंगे वैसे ही हमारे कर्म भी होंगे, क्योंकि कोई भी बात पहले संकल्प में आती है फिर कर्म में आती है तो पहली सीडी संकल्प पर ही चेकिंग करनी है।

 

 ❉   बाबा ने हमें बहुत अच्छी दिव्य बुद्धि, तीनो कालो का ज्ञान दिया है, हम आत्माओ को जन्मते ही सर्व शक्तिया वरदान में प्राप्त हुई है। इसलिए हमें परखने और निर्णय करने की बहुत अच्छी शक्ति मिली हुई है इसलिए कोई भी बात में उलझन न हो, बाबा की याद से बुद्धि सही निर्णय लेंगी।

 

 ❉   अब हम भगवान के बच्चे बने है तो हमें संकल्प मात्र भी कोई बुरे विचार नहीं आने चाहिए, संकल्प द्वारा भी कोई सूक्ष्म विकार न हो तब बनेंगे पास विथ ऑनर।

 

 ❉   पास विथ ऑनर बनना है तो यहाँ ही फूल पास होना होगा। पास विथ ऑनर वही हो सकेंगे जिन्होंने बाप की याद द्वारा स्वयं को सम्पूर्ण पवित्र बनाया होगा और कर्मातीत अवस्था बनाई होगी।

 

 ❉   जिनकी बुद्धि की लाइन क्लियर हो, जो स्वराज्य अधिकारी हो, योगबल से स्वयं को सम्पूर्ण पावन बनाया हो, जो बाप समान बने और अनेको बनाया हो वही पास विथ ऑनर बन सकते है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ज्ञान घृत और योग की बत्ती ठीक हो तो ख़ुशी का दीपक जगता रहेगा... कैसे ?

 

 ❉   ज्ञान घृत और योग आत्मा में बल भर कर आत्मा को शक्तिशाली बना देते हैं जिसके सामने हर परिस्थिति शक्तिहीन हो जाती है इसलिए ख़ुशी का दीपक सदा जगता रहता है ।

 

 ❉   ज्ञान और योग से आत्मा उपराम अवस्था को प्राप्त कर अचल और अडोल स्थिति के अनुभव द्वारा सहज ही माया के फ़ोर्स से मुक्त हो जाती है और ख़ुशी के खजाने से सदा भरपूर रहती है ।

 

 ❉   ज्ञान और योग वृति और वायुमण्डल को पॉवरफुल बना देते हैं और पावरफुल वायुमण्डल आत्मा को अविनाशी सुख और शांति की अनुभूति करा कर सदा खुशहाल रखता है ।

 

 ❉   ज्ञान घृत और योग मन बुद्धि को व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर एकाग्र और शांतचित बना देता है जिससे आत्मा शांत स्वरूप और एकाग्रचित बन सदा प्रसन्नचित रहती है ।

 

 ❉   मन - बुद्धि और संस्कारों पर सम्पूर्ण राज्य करने वाले राजा तभी बन सकेंगे जब आत्मा में ज्ञान घृत और योग का बल होगा । क्योकि योग का बल ही आत्मा को कर्मेंद्रियजीत बना कर स्वराज्य अधिकारी बना सकता है और स्वराज्य अधिकारी आत्मा ही सदैव ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न रह सकती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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