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 18 / 12 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *"सर्व संगम युगी प्राप्तियों का आधार है:- पवित्रता" - यह स्मृति रही ?*

 

➢➢ *पवित्र संकल्प, पवित्र दृष्टि, पवित्र कर्म, पवित्र सम्बन्ध संपर्क अपनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?*

 

➢➢ *स्वधर्म, स्वदेश, स्वराज्य और स्व का यादगार स्मृति में रहा ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *बापदादा से सहजयोगी भव और पवित्र भव वरदान स्वीकार किया ?*

 

➢➢ *बाप और आप युगल रूप में स्थित रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  *"संगमयुगी ब्राह्मण जीवन में पवित्रता का महत्व"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... संगमयुग पर *विश्वपिता के हाथो पवित्रता की चुनरी ओढ़ श्रेष्ठ भाग्य को बाँहों में लिए सच्ची सुहागिन आत्माये हो.*.. सहजयोगी और पवित्रता के वरदानों से सजेधजे हीरे हो... सदा पवित्रता की झलक और फलक लिए मुहोब्बत के झूले में झूलते ही रहो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा कितने मीठे से भाग्य की मल्लिका हूँ... कभी अपवित्रता की बदबू में धँसी सी... *आज पवित्रता के कमल सी खिली हुई ईश्वर पिता की बाँहों में दिल तख्त पर सजी हुई हूँ.*.. अपने ही पवित्र रूप पर मोहित हो चली हूँ...

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... *ब्राह्मण जीवन की विशेषता नवीनता ही पवित्रता है.*.. सदा अपने इस खुबसूरत स्वरूप के नशे में झूमते ही रहो... स्वरूप पवित्र स्वधर्म पवित्र स्वदेश पवित्र को सदा स्म्रति में सजाये रखो... सदा मा सर्वशक्तिवान के नशे में रह व्रति से वायुमण्डल को गुलाब सा रूहानी बनाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा *मीठे बाबा संग पवित्रता के श्रंगार से कितनी प्यारी खुबसूरत हो गयी हूँ.*.. बाबा से मिली पवित्रता ने मुझे सफलता के शिखर पर सजा दिया है... मै आत्मा प्यारे बाबा की यादो में देवतुल्य बनकर मुस्करा रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... सदा गुण और शक्तियो के अनुभवी हो विजयी बन मुस्कराओ... *अथाह खजानो के मालिक मा सागर हो इस नशे को यादो में ले आओ*... हर पल कमाई में बिजी रहने वाले सहज मायाजीत बन चलो... प्यारे ते प्यारे बाबा को यादो में बसा कर मनन शक्ति से मायाप्रूफ विघ्नप्रूफ हो ख़ुशी के खजाने को संग ले उड़ो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा *आपको पाकर किस कदर गुणो और शक्तियो की जादूगर सी बन गयी हूँ.*.. जीवन कितना मीठा प्यारा सरल और खुशनुमा इस प्यार की जादूगरी से हो चला है... मै आत्मा मायाजीत होकर खुशियो से भर उठी हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा मायाप्रूफ, विघ्नप्रूफ  हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा गोपी बन प्यारे बाबा के सामने बैठी हूँ... अपने *मुरलीधर के प्रेम में लवलीन* होकर बैठती हूँ... मुझ आत्मा के मुरलीघर बाप जब मुरली सुनाते हैं... तो मैं आत्मा देह की सुध-बुध खोकर विदेही बन जाती हूँ... रुहानी नशे में मस्त हो जाती हूँ... मैं आत्मा सदा खुशी के झूले में झूलते रहती हूँ...

 

➳ _ ➳  *ज्ञान मुरली मुझ आत्मा का भोजन* है... मैं आत्मा कई जन्मों से सिर्फ शरीर को भोजन खिला रही थी... जिससे मुझ आत्मा की सारी शक्तियां ख़तम हो गई थी... मैं आत्मा कमजोर हो गई थी... अब मुरलीधर बाबा रोज मुझ आत्मा को मुरली सुनाकर शक्तिशाली बना रहें हैं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा *ज्ञान के हर एक प्वाइंट का मनन* करती हूँ... जैसे शरीर की शक्ति के लिए पाचन शक्ति वा हजम करने की शक्ति आवश्यक होती है... वैसे ही आत्मा को शक्तिशाली बनाने के लिए मैं आत्मा मनन शक्ति का प्रयोग करती हूँ... मैं आत्मा विचार सागर मंथन करती हूँ... धारण करती हूँ... सर्व गुण, शक्तियों का स्वरूप बनते जा रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा मनन शक्ति द्वारा धारणा स्वरूप बन अनुभवीमूर्त बनते जा रहीं हूँ... सर्व सिद्धियों को प्राप्त करते जा रहीं हूँ... मैं आत्मा सदा  *मनमनाभव के मंत्र को याद* रखती हूँ... मैं आत्मा सदा अपने बाबा के ही साथ रहती हूँ... बाप के साथ को देख माया भी किनारा कर लेती है... मैं आत्मा सहज मायाजीत बन रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा अनुभव स्वरूप बन गई हूँ... मैं आत्मा अनुभवों का कवच पहन सदा शक्तिशाली बन गई हूँ... मायाप्रूफ, विघ्नप्रूफ बन गई हूँ... मैं आत्मा अब कभी भी धोखा नहीं खा सकती हूँ... किसी की सुनी सुनाई बातों में विचलित नहीं होती हूँ... मैं आत्मा अनुभवी बन सदा सम्पन्न रहती हूँ... अब मैं आत्मा मनन शक्ति द्वारा हर प्वाइंट की अनुभवी बनने वाली सदा *शक्तिशाली मायाप्रूफ, विघ्नप्रूफ* बन गई हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल -  ख़ुशी के खजाने द्वारा सर्व खजानों की प्राप्ति*"

 

➳ _ ➳  ख़ुशी एक ऐसा खजाना है जो अनेक आत्माओं को माला माल बना देता है। *ख़ुशी के खजाने की आज सभी आत्माओं को आवश्यकता है ख़ुशी जैसी खुराक नही, ख़ुशी सर्व खजानों की चाबी है* ख़ुशी का खजाना जितना बाटेंगे उतना बढेगा।

 

➳ _ ➳  मैं खुशनसीब आत्मा हूँ... ख़ुशी का खजाना मुझ आत्मा के चेहरे और चलन से दिखाई दे रहा है...  *मैं आत्मा अपने बाबा को पाकर... अविनाशी बाप की देन... ख़ुशी के खजानें को पाकर धन्य हो गई*... मुझ आत्मा को अपने इस खजानें की बहुत सम्भाल करनी है... मुझ आत्मा को अपने इस खजाने को कायम रखना है...

 

➳ _ ➳  *बाबा ने चुन-चुन करके लाखों करोड़ों आत्माओं में से...मुझ आत्मा को अपना बनाया है*... बाबा ने पुरुषार्थ करा मुझ आत्मा का हाथ अपने हाथों में ले लिया... हमें ख़ुशी दे रहें है... ख़ुशी ही मुझ आत्मा को मजबूत बना रही है... बाबा मिल गया सब कुछ मिल गया...

 

➳ _ ➳  *बाबा ने मुझ आत्मा को अपना बना सर्व खजानों से सम्पन्न कर दिया*... दिन-रात मैं आत्मा ख़ुशी की खुराक खाने से... सदा तन्दरूस्त... सदा हेल्दी... कभी भी अपने को कमजोर अनुभव नही करती... ख़ुशी मन की खुराक है... जो मुझ आत्मा को सदा शक्तिशाली अनुभव कराती है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अपनी स्थिति को भी शक्तिशाली... और अचल-अडोल अनुभव करती हूँ... *मुझ आत्मा को मन की ख़ुशी के साथ... सर्व खजानों की भी प्राप्ति हो रही है*... बाबा मेरा हो गया... यह अविनाशी खजाना जन्मों-जन्मों के लिए सदैव मेरा हो गया...

 

➳ _ ➳ मुझ आत्मा को संगमयुग में खुशियों की खान मिली है... सदा बुद्धि में स्मृति रहती है... मैं आत्मा ख़ुशी के खजाने की मालिक हो गई हूँ... भाग्यविधाता मेरा हो गया... उसके सर्व खजानें मुझ आत्मा को प्राप्त हो रहें है... ऐसा खजाना पुरुषोतम युग पर ही प्राप्त हो सकता है... *मैं आत्मा इस खजाने को पाकर अपने को रिचेस्ट इन डी वर्ल्ड अनुभव कर रही हूँ*...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *मनन शक्ति द्वारा हर प्वाइंट के अनुभवी बनने वाले सदा शक्तिशाली मायाप्रूफ, विघ्नप्रूफ होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   मनन शक्ति द्वारा हर प्वाइंट के अनुभवी बनने वाले सदा शक्तिशाली मायाप्रूफ, विघ्नप्रूफ होते हैं क्योंकि... जैसे शरीर की शक्ति के लिये पाचन शक्ति वा हजम करने की शक्ति की आवश्यकता है। ऐसे ही *आत्मा को शक्तिशाली बनाने* के लिये मनन शक्ति की आवश्यकता होती है।

 

❉   इसलिये!  अपनी मनन शक्ति के अभ्यास द्वारा जो ज्ञान हम बाबा की मुरलियों के माध्यम से रोज़ सुनते हैं। उस ज्ञान का नित्य ही मनन चिन्तन करके विचार सागर मंथन करने का अभ्यास करना है तथा *मनन शक्ति द्वारा अनुभव स्वरूप* हो जाना है।यही सबसे बड़ी से बड़ी शक्ति है।

 

❉   ऐसे अनुभवी कभी भी कहीं भी धोखा नहीं खा सकते हैं तथा *सुनी सुनाई बातों में वे, कभी विचलित* भी नहीं हो सकते हैं। अतः हमें अपनी मनन करने की शक्ति को बढ़ाना है। जितनाजितना ज्ञान के प्वाइंट्स पर हम विचार सागर मंथन करेंगे, उतना ज्यादा ज्ञान की गहराई में हम गहरे उतरते जायेंगे।

 

❉   जिस प्रकार सागर की गहराई में उतरने से माणक मोती आदि रत्नों की प्राप्ति होती हैउसी प्रकार ज्ञान की गहराई में भी ज्ञान रत्नों की प्राप्ति होती है। ज्ञान रत्नों से विभूषित मनुष्य के चेहरे की आभा अलग से ही प्रतीत होती है। उनकी *सम्पन्नता व उनकी रॉयल्टी की छवि* दूर से ही दिखाई देती है। अतः अनुभवी सदा ही सम्पन्न रहते हैं।

 

❉   उनका अनुभव ईश्वरीय महा वाक्यों के समान होता है। जिस प्रकार बाबा के उच्चारे हुए महा वाक्यों की महिमा हैउसी प्रकार अपनी मनन शक्ति पर आधारित अनुभवी मूर्त व्यक्ति की भी महिमा का गायन है। उनकी माया के विघ्नों पर सदा जीत होती है तथा *वह सदा शक्तिशाली, मायाप्रूफ, विघ्नप्रूफ बन* जाते हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *ख़ुशी का खजाना सदा साथ रहे तो बाकी सब खजाने स्वत: आ जायेंगे... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे पवित्रता को सुख शांति की जननी माना जाता है और कहा जाता है कि जहां पवित्रता है वहां सुख, शांति, सम्पन्नता स्वत: ही आ जाते हैं । *इसी प्रकार परमपिता परमात्मा बाप द्वारा हमे जो अथाह खजाने मिले हैं* । वह भी स्वत : ही आ जाते हैं यदि खुशी का खजाना सदा साथ रहे । ब्राह्मण जीवन में जो खुशी के खजाने से संपन्न रहते हैं तथा सर्व को खुशियां बांटते हैं वे स्वयं भी सर्व प्राप्तियों से संपन्न रहते हैं तथा औरों को भी सर्वप्राप्ति संपन्न स्थिति का अनुभव करवाते हैं ।

 

❉   जैसे भक्ति में माना जाता है कि ईश्वर अर्थ धन या कोई भी वस्तु अगर दान की जाती है तो उसका पदम् गुणा फल अवश्य मिल जाता है । ऐसे ही संगम युग पर *परम पिता परमात्मा बाप द्वारा मिली सर्वशक्तियों, सर्व गुणों और सर्व खजानो को जो सदा कार्य में लगाते रहते हैं*, वे बालक सो मालिकपन की ख़ुशी में रहते हुए, ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न बन जाते हैं और जितना इस खजाने से स्वयं को भरपूर कर औरों को लुटाते हैं उतना बाकि सब खजानों से भी स्वत: ही सम्पन्न बनते चले जाते हैं ।

 

❉   कहा जाता है कि खुशी जैसी कोई खुराक नहीं । किंतु आज हर मनुष्य खुशी की खुराक से वंचित है इसलिए खुशी पाने के लिए कहां-कहां नहीं भटक रहा । लेकिन हम ब्राह्मण आत्माए कितनी खुशनसीब है, पदमापदम सौभाग्य शाली हैं जो सवेरे *आँख खुलते ही सृष्टि के रचयिता बाप से हमारा मिलन होता है* जो खुशियो के अखुट खजाने हम पर लुटाता है । तो जो सवेरे सवेरे बाप से ख़ुशी के अखुट खजाने को प्राप्त कर लेते हैं उनके पास बाकि सब खजाने स्वत: ही आ जाते हैं ।

 

❉   " अप्राप्त नही कोई वस्तु ब्राह्मणों के खजाने में " यह गायन हम ब्राह्मण बच्चों के लिए ही है । तो जो सदा यह बात स्मृति में रखते हैं कि *हम सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न, दाता के बच्चे मास्टर दाता हैं , बालक सो मालिक है* । वे सर्व प्राप्तियों की अनुभूति करते हुए सदा सन्तुष्ट रहते हैं । उनके मन में सदा यही गीत बजता रहता है कि " पाना था सो पा लिया, अब और बाकि क्या रहा " । इसी ख़ुशी में रहते हुए वे स्वयं को सदा ख़ुशी के खजाने से भरपूर अनुभव करते हैं इसलिये बाकि खजाने भी स्वत: उनके पास आ जाते हैं ।

 

❉   ब्राह्मण बनते ही बाबा अपने हर बच्चे को सर्व खजानो से सम्पन्न कर देते हैं । तो जो सदा बाप द्वारा मिले अविनाशी खजानो से स्वयं को भरपूर तृप्त आत्मा अनुभव करते हैं वे सदा नशे में झूमते रहते हैं । *उनके नयनो में  सदा बाप और बाप द्वारा मिला खजाना ही सामने रहता है जो उन्हें सदा ख़ुशी से भरपूर रखता है* । इसलिए वे स्वयं भी सदा खुश रहते हैं तथा औरों को भी ख़ुशी का दान करते रहते हैं । जितना वे ख़ुशी के इस खजाने को दूसरों पर लुटाते हैं उतना बाकि सब खजानों से भरपूर होते चले जाते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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