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 07 / 04 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

‖✓‖ योगबल से °भोजन को दृष्टि दे° शुद्ध बनाकर स्वीकार किया ?

 

‖✓‖ °परमात्म नशे° में रह परम सुख, परम आनंद का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ परामात्मा हमें अब °अपने घर ले जायेंगे°" - यह स्मृति रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

‖✓‖ °ड्रामा की ढाल° को सामने रख खुशी की खुराक खाते रहे ?

 

‖✓‖ °परचिंतन और परदर्शन° की धूल से दूर रह सच्चे अमूल्य हीरे बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?

 

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http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/07.04.16-VisheshPurusharth.htm

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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप के पास जो वक्खर(सामान)है उसका पूरा अन्त तुम्हे मिला है, तुम उसे धारण करो और कराओ"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे बच्चों मुझ पिता ने सारी जागीर आप बच्चों पर लुटाई है... और खाली हो चला हूँ...इस खजाने को अपनी यादो में समाओ... और इसकी खुशबु से सारे जहाँ को भी सुगन्धित करो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो... कितने खूबसूरत भाग्य के मालिक हो...ईश्वर के सारे जज्बातों के जानकार हो... पूरा दिल समझ बेठे हो... अब इसे अपनी पूंजी बनाओ और इस अमीरी का अहसास ओरो को भी कराओ...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों मेने अपने अथाह साजो सामान को तुम्हे सौप दिया... सारे रत्न लुटा दिए तुम बच्चों पर... अब इसे यादो समाकर अमीरीपन की झलक दिखाओ...ओरो को भी इस जादू का मुरीद बनाओ....

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों मै ईश्वर पूरा बच्चों पर लूट गया...सारा का सारा पता ठिकाना दे दिया.... एक बून्द भी न शेष रखी...ऐसा कारवां रत्नों भरा लुटा दिया... इसे सम्भालो समाओ और दुनिया को दिखाओ...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों पिता तो पिता ही होता है... सब बच्चों पर बरसा कर ही चैन पाता है...लुटकर ही तो सुख आराम पाता है...की मेरे बच्चे सबसे अमीर हो जागीरदार हो...और सबको देकर दुआओ में भरपूर हो....

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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ परमपिता परमात्मा के हम बच्चे अथवा स्टूडेंट हैं, वह हमें अपने घर ले जायेंगे , इसी नशे में रह परम सुख, परम आनन्द का अनुभव करना है ।

 

  ❉   बाबा कहते है कि हम कल्प पहले भी मिले थे व बाप ही हम पतितों को 21 जन्मों के लिए पावन बनाते हैं और 21 जन्मों के लिए वर्सा देते हैं तो ये स्मृति में रखने से खुशी में रहना है व परम सुख परम आऩन्द अनुभव करना है ।

 

  ❉   हम गॉडली स्टूडेंट हैं व स्वयं परमपिता परमात्मा सुप्रीम टीचर बन हमें दूर देश से पढ़ाने आते हैं व हमें अखूट खजानों से भरपूर कर पावन बनाते हैं । इतनी ऊंच पढ़ाई तो और कोई पढ़ा न सके । इसी नशे में रह परम सुख , परम आनन्द का अनुभव करना है ।

 

  ❉   परमपिता परमात्मा के हम बच्चे हैं । परमात्मा ने 70 करोड़ की आबादी मे से स्वयं हमें चुना व हमें अपना बनाया । हम बच्चे नीचे खेलने आए व अपना घर ही भूल गए । अपने बच्चों को पतित से पावन बनाकर अपने साथ ले जायेंगे इसी खुशी व ऩशे में रहना है ।

 

  ❉   परमपिता परमात्मा के हम बच्चे है । अभी तक हम सब तो शोक वाटिका में थे व बाप हम सब की सदगति कर ले जायेंगे अशोक वाटिका में । शोक वाटिका व अशोक वाटिका के अंतर को और बाप को याद कर खुशी का व परम आनन्द का अनुभव करना है ।

 

  ❉   जैसे डाक्टरी की पढ़ाई से डाक्टर बनते हैं ऐसे हम इस मृत्युलोक की पढ़ाई को खत्म कर अमरलोक जाने की इतनी ऊंची व वंडरफुल पढ़ाई भगवान से पढ़ते हैं तो मास्टर भगवान भगवती बनेंगे व बाप स्वयं हमें ले जाने आए हैं तो इस नशे व खुशी में रह परम आनन्द अनुभव करना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ ड्रामा की डाल को सामने रख खुशी की खुराक खाने वाले सदा शक्तिशाली होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो सुबह अमृतवेले ही तीनों बिंदु का तिलक लगा लेते है व स्मृति स्वरुप रहते हैं तो ड्रामा के राज को जानते हुए हर परिस्थिति में खुश रहते हैं व दृढ़ता से आगे बढ़ते हुए शक्तिशाली होते हैं ।

 

  ❉   बीती को बिंदी लगाकर उससे सीख लेते आगे बढ़ते हैं व ड्रामा कल्याणकारी है तो हम ब्राह्मणों का अकल्याण हो ही नहीं सकता । हर सीन में कल्याण समाया हुआ है, ऐसा समझ खुश रहते व खुशी ही शक्तिशाली बना देती है ।

 

  ❉   जो इस सृष्टि रूपी ड्रामा को साक्षी होकर देखते तथा यह स्मृति रखते नंथिग न्यू तो वो खुशी की खुराक खाते । कहते भी हैं- खुशी जैसी खुराक नहीं तो खुश रहने वाले शक्तिशाली होते है ।

 

  ❉   ड्रामा की ढाल को सामने ऱखने वाले कभी संश्य में नही आते एक रस स्थिति रखते हुए एक बाप पर ही निश्चय रखते हुए आगे बढते सदा खुशी में रहते और शक्तिशाली होते है ।

 

  ❉   हर कर्म करते हुए यही सोचते कि  करावनहार एक बाप ही है मैं निमित मात्र हूँ तो हर कार्य सहज ही हो जाते व बिना मेहनत खुशी में रहने वाले शक्तिशाली होते है ।

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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ परचिंतन और परदर्शन की धूल से दूर रहने वाले ही सच्चे अमूल्य हीरे हैं... कैसे ?

 

 ❉   परचिंतन और परदर्शन ईर्ष्या की भावना उत्पन्न करता है । और ईर्ष्या व्यक्ति को कभी भी श्रेष्ठ कर्म करने नहीं देती । इसलिए जो परचिंतन और परदर्शन से स्वयं को मुक्त रखते हैं । वे  अच्छे कर्मो और गुणों से अपने भाग्य को श्रेष्ठ बनाकर सच्चे अमूल्य हीरे बन जाते हैं ।

 

 ❉   जो परचिंतन और परदर्शन से मुक्त रहते हैं वे आध्यात्मिक उन्नति की ओर सहज ही अग्रसर होते जाते हैं । जिससे उनके अंदर के पुराने स्वभाव संस्कारों के दाग मिटते जाते हैं और आत्मा बेदाग चमकदार अमूल्य हीरा बनती जाती है ।

 

 ❉   परचिंतन और परदर्शन की धूल से स्वयं को दूर रखने वाले देह अभिमान को छोड़ आत्मिक स्थिति में स्थित रहते हैं । तथा औरो को भी आत्मिक दृष्टि से देखते हैं । आत्मिक दृष्टि होने के कारण वे सब में गुणों को देखते और गुणों को धारण करते हैं । जिससे आत्मा स्वच्छ निर्मल होती चली जाती है । और सच्चा अमूल्य हीरा बन जाती है ।

 

 ❉   परचिंतन और परदर्शन की धूल से जो आत्मा को जितना बचाकर रखते हैं उतना सर्व के शुभचिंतक बन वे सर्व के प्रति शुभभावना शुभकामना रखते हुए कल्याणकारी बन सबका कल्याण करते चले जाते है । परमात्म प्रेम और परमात्म शक्तियों से उनकी आत्मा में निखार आने लगता है । दिव्य गुण धारण होने लगते हैं जो आत्मा को सच्चा अमूल्य हीरा बना देते हैं ।

 

 ❉   परचिन्तन और परदर्शन पतन की जड़ है जो आत्मा को रसातल में ले जाती है । इसलिए जितना स्वयं को परचिन्तन और परदर्शन से मुक्त रखेंगे आत्मिक उन्नति होती जायेगी और याद की यात्रा पर निरन्तर आगे बढ़ते हुए परमात्म बल से आत्मा शक्तिशाली बनती जायेगी । जो विकारों की खाद को जला कर आत्मा को सच्चा अमूल्य हीरा बना देगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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