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 24 / 12 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *माया की चकरी में तो नहीं आये ?*

 

➢➢ *ठू मच आशाएं तो नहीं रखी ?*

 

➢➢ *अपने ब्राह्मण धर्म को बढाने की सेवा की ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *एवररेडी बन हर परिस्थति रुपी पेपर में फुल पास हुए ?*

 

➢➢ *समय पर सर्व शक्तियों को कार्य में लगा मास्टर सर्वशक्तिवान बनकर रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *स्वधर्म, स्वदेश, स्वराज्य और स्व का यादगार स्मृति में रहा ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - दान में दी हुई चीज कभी वापस नही लेना वापिस लेंगे तो आशीर्वाद के बदले श्राप मिल जायेगा"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... जनमो से विकारो में जीते आये हो और श्रापित होते आये हो... *अब ईश्वर पिता सम्मुख है तो गुणो और शक्तियो से भरपूर हो चलो*... विकारो को दान कर उनको फिर से जीवन में ले आना ईश्वरीय बच्चों को शोभा न देगा... दिया हुआ दान कभी वापस लिया नही जाता...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा बहुत दारुण दुखो में जी आई हूँ... *अब आपकी यादो में सुख आनन्द भरी हो रही हूँ.*.. पुराना विकारी जीवन छोड़ सत्यता से महकता जीवन पाकर... मै आत्मा आपकी रोम रोम से ऋणी हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... जिन विकारो को छोड़ दिया है उन्हें फिर से ना अपनाओ यदि यह भूल करेंगे तो दुखो के गहरे सागर में फिर से खुद को डुबोयेंगे... इसलिए *अब सच्चे पिता के साये में सच्चाई भरा जीवन जीना सीख लो*... सुंदर संस्कारो को अपने दामन में सजा लो...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा कलुषित करने वाले... मेरे वजूद को गिराकर मुझे दुखी करने वाले सारे संस्कारो से मीठे बाबा की यादो में मुक्ति पा चली हूँ... और *मीठा प्यारा शानदार जीवन पाकर निहाल हो चली हूँ.*.. मीठे बाबा के आशीर्वादों से भर चली हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता की मीठी गोद में देवताई संस्कारो को सजा लो... और *देह के भान से निकल आत्मिक सुंदरता से परिपूर्ण हो चलो.*.. ईश्वर पिता के साथ धर्मराज भी है यह स्म्रति में सदा समाये रहो... और भूलकर भी विकारो की ओर फिर रुख न करो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा संग सुंदर देवता स्वरूप को पा रही हूँ... हर विकार से दूर...  उजले और सुखो से भरे आलिशान जीवन की हकदार होती जा रही हूँ... *धर्मराज की सजाओ से परे और मीठे बाबा के दिल तख्त पर झूमती जा रही हूँ.*..

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा एवरहैपी हूँ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व शक्तिवान बाप की संतान मास्टर सर्व शक्तिवान हूँ... मैं आत्मा ज्ञान, शांति, प्रेम, सुख, आनंद, पवित्रता के सागर की संतान हूँ... मैं आत्मा इस देह, देह की दुनिया से परे होकर एक बाप की याद में टिक जाती हूँ... *कर्म बंधनों से न्यारी और बाप की प्यारी* हो जाती हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व शक्तिवान की किरणों से सभी कर्मेंद्रियों और कर्म बंधनों से मुक्त होती जा रहीं हूँ... सर्व प्रकार के जन्मों-जन्मों के बोझ को बाबा को सौंप कर हल्की होती जा रही हूँ... बाप की छत्र-छाया के कवच से *मायाजीत, प्रकृतिजीत* बनती जा रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सदा बाबा के साथ से हर कदम में साक्षीपन की स्थिति का अनुभव करती हूँ... *"बाबा" शब्द के अविनाशी आधार* से सदा उड़ती कला में ही रहती हूँ... हर परिस्थिति रुपी पहाड़ को राई समान छोटा बना देती हूँ... विघ्न विनाशक बन हलचल को समाप्त कर देती हूँ... वायुमंडल को परिवर्तित कर शक्तिशाली बना देती हूँ... अब मैं स्मृति स्वरूप समर्थ आत्मा बनकर एवररेडी बन रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा कोई भी परिस्थिति रुपी पेपर वा प्राकृतिक आपदा द्वारा आया हुआ पेपर वा कोई भी शारीरिक कर्मभोग रुपी पेपर आ जायें... इन सब प्रकार के पेपर्स में फुल पास होने वाली एवररेडी बन गई हूँ... जैसे समय किसी के लिए रुकता नहीं... ऐसे कभी कोई भी रुकावट मुझ आत्मा को रोक नहीं सकती हैं... अब मैं आत्मा माया के सूक्ष्म व स्थूल विघ्न एक सेकेंड में समाप्त कर देती हूँ...अब मैं आत्मा एवररेडी बन हर परिस्थिति रुपी पेपर में फुल पास होने वाली *एवरहैपी बन गई* हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल -  मास्टर सर्वशक्तिवान अथार्त् सर्व शक्तियों से सम्पन्न"*

 

➳ _ ➳  *मास्टर सर्वशक्तिवान की स्मृति शक्तियों को इमर्ज करती है। जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता होगी उस समय इस स्मृति से कार्य में लगा सकते हो*। जिस समय जो करना चाहें वैसे कर सकते हैं। बाप ने सर्व शक्तियों का खजाना वर्से में दे दिया। 

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व शक्तियों से सम्पन्न मास्टर सर्व शक्तिवान आत्मा हूँ... मैं आत्मा बाप द्वारा दिए... सर्व खजानों को साथ रखने वाली आत्मा हूँ... बाप ने मुझ आत्मा को अविनाशी शक्तियां दी हैं... जो मेरी हो गई है... क्योंकि *बाप स्वयं मेरा हो गया...* कोई भी मुझ से छीन नही सकता...

 

➳ _ ➳  बाबा ने मुझ आत्मा को जो सर्व शक्तियों का वर्सा खजाने के रूप में दिया है... वह कभी भी समाप्त होने वाला नही है... जितना बाटेंगे उतना ही बढ़ता जाता है... मैं सदा के लिए *वर्से की अधिकारी आत्मा* बन गई हूँ*...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सदा अपनी चैकिंग करती हूँ... बाबा ने जो शक्तियां मुझ आत्मा को दी हैं... क्या? मैंने उन शक्तियों को धारण किया है... और *समय प्रमाण उन शक्तियों को काम* में लाती हूँ... यदि समय पर काम में नही ला सकी तो... इसका यही अर्थ निकलता है कि उस शक्ति की कमी है...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा के पास सर्व शक्तियां भरपूर होंगी... तभी समय आने पर जिस शक्ति की आवयश्कता है... उस शक्ति को यूज़ कर सकूँगी... *यदि एक भी शक्ति कम हुई तो सर्व शक्तिवान नही बन सकूँगी*...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा को सूर्यवंशी में आने के लिए सर्व शक्तियों को धारण करना होगा... एक भी शक्ति कम नही... यदि कम हुई तो... मैं आत्मा सर्वशक्तिवान आत्मा नही कहला सकूँगी... *जब प्रैक्टिकल में शक्तियां काम में... मैं आत्मा लाऊँ, तब कहेंगे मैं मास्टर सर्व शक्तिवान आत्मा हूँ*...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *एवररेडी बन हर परिस्थिति रुपी पेपर में फुल पास होने वाले एवेरहैप्पी होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   एवररेडी बन के हर परिस्थिति रुपी पेपर में फुलपास होने वाले एवेरहैप्पी होते हैं क्योंकि...  जो एवररेडी हैं उन्हों का प्रैक्टिकल स्वरूप एवेरहैप्पी होगा। किसी भी प्रकार की *परिस्थिति, प्राकृतिक आपदा या कोई भी शारीरिक कर्म भोग* रुपी पेपर हमारे समक्ष आ जाये, तो!  हमें इन सभी पेपर्स में फुल पास होना है।

 

❉   एवररेडी बनने के लिये सभी परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करनी है। हर परिस्थिति का बहादुरी से सामना करके उस पर विजयी बनना है। जो *विजयी स्वरूप होते हैं उनका प्रैक्टिकल स्वरूप एवेरहैप्पी* होता है। वे सदा अपने जीवन में आने वाली परिस्थितियों में अचल व अडोल रहते हैं।

 

❉   इसी प्रकार से प्राकृतिक आपदा व शारीरिक कर्म भोग रुपी पेपर भी हमारे सामने आते हैं। हमें उन पेपरस में भी एवेरहैप्पी रहना हैतथा बाबा को याद करते हुए उन *पेपर्स में स्थिर, अचल व अडोल* रहना है। इन सब पेपर्स में हमें फुलपास होना है। वो भी 100 परसेन्ट फुलमर्क्स में।

 

❉   जिस प्रकार से समय किसी के लिये भी व किसी से भी रुकता नहीं है, उसी प्रकार से कभी भी कोई भी रूकावट हम को रोक नहीं सकती हैतथा *माया के सूक्ष्म व स्थूल विघ्न एक सेकण्ड में ही समाप्त* हो जायें, ऐसा अभ्यासी हमें बनना है। तब ही हम एवेरहैप्पी रह सकेंगे।

 

❉   इस प्रकार से हम एवररेडी बन कर हर परिस्थिति रुपी पेपर में फुलपास होने वाले एवेरहैप्पी हैं। हमारा प्रैक्टिकल स्वरूप भी एवेरहैप्पी है। कोई भी परिस्थिति व अन्य तरीकों से यानि की *दैहिक दैविक भौतिक तीनों प्रकार के पेपर्स* में फुलपास होने वाले को ही एवररेडी कहेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *समय पर सर्वशक्तियों को कार्य में लगाना अर्थात मास्टर सर्वशक्तिमान बनना... क्यों और कैसे* ?

 

❉   समय पर सर्वशक्तियों को कार्य में वही लगा सकते हैं । जो सर्वशक्तियों को अपने आर्डर में रखते हैं । और सर्वशक्तियों को अपने आर्डर में रखने की सहज विधि है *चलते-फिरते याद की शक्ति और सेवा की शक्ति देने में स्वयं को बिजी रखना* । जितना सर्वशक्तिमान बाप की याद में रह निर्बल आत्माओं को सर्वशक्तियों द्वारा शक्ति प्रदान करते रहेंगे । उतना सर्वशक्तियां ऑर्डर में रहेंगी और समय प्रमाण जिस शक्ति की आवश्यकता होगी उसी शक्ति का प्रयोग करने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान बन जाएंगे ।

 

❉   जैसे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है । उसी प्रकार आत्मा को शक्तिशाली बनाने का भोजन है मुरली । *जो भी शक्तियां चाहिए उन सबसे संपन्न रोज का भोजन मुरली है* । जो रोज इस शक्तिशाली भोजन को ग्रहण करते हैं । वह कभी भी कमजोर नहीं पड़ सकते । माया उन्हें कभी भी हरा नहीं सकती । सर्वशक्तियों से संपन्न मास्टर सर्वशक्तिमान बन वे सर्व शक्तियों को जब चाहे समय और परिस्थिति अनुसार काम में ला कर माया पर विजय प्राप्त कर लेते हैं ।

 

❉   देह और देह के सम्बन्धो में आसक्ति आत्मा को शक्तिहीन बनाती है । क्योंकि यह आसक्ति माया की प्रवेशता का कारण बनती है । और *माया की बार-बार प्रवेशता आत्मा को शक्तिशाली बनने नहीं देती* । इसलिए जो जितना देह और देह की दुनिया से अनासक्त होकर रहते हैं । वे सर्व संबंधों का सुख केवल एक सर्वशक्तिमान बाप से लेते हुए स्वयं को सर्वशक्तियों से सम्पन्न बना लेते हैं और मास्टर सर्वशक्तिमान बन उचित समय पर उचित शक्ति को कार्य में लगा कर सफलतामूर्त आत्मा बन जाते हैं ।

 

❉   बुद्धि का कनेक्शन अगर निरंतर सर्व

शक्तिमान बाप के साथ जुड़ा हुआ है तो संबंध से सर्वशक्तियों का वर्सा अधिकार के रूप में स्वत: प्राप्त होता है । और जो *सर्व शक्तियों के वर्से के अधिकारी बन सदा अधिकारीपन की स्मृति में रहते हैं* वे कभी भी किसी के भी अधीन नही होते । मास्टर सर्वशक्तिमान बन वे सही समय पर सर्वशक्तियों को कार्य में लगा कर पुराने संस्कारों पर, माया पर भी सहज ही विजय पाने के अधिकारी बन जाते हैं ।

 

❉   मास्टर सर्वशक्तिमान बन सर्वशक्तियों को अपने आर्डर में रख समय पर सर्वशक्तियों को वही यूज़ कर सकते हैं । जो चिंतन और वर्णन के साथ साथ उसका स्वरूप बनते हैं । क्योंकि स्वरूप बनना अर्थात समर्थ बनना और *जो सदा स्मृति स्वरुप रहते हैं वही समर्थी स्वरूप बन हर कार्य में सिद्धि प्राप्त कर लेते हैं* । समर्थी स्वरूप आत्मा की मुख्य निशानी ही यही है कि वह सर्वशक्तियों को सदा आपने आर्डर में रखती हैं इसलिए उनका हर कर्म स्वत: ही शक्तिशाली होता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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