━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 13 / 03 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ ‘‘मैं हूँ ही ओरीजनल °पवित्र आत्मा°'' - आज दिन भर बार बार स्वयं को इस संकल्प में स्थित किया ?
‖✓‖ आत्मिक बाम्ब के साथ साथ आत्माओं को °परमात्म बाम्ब° भी लगाया ?
‖✓‖ यज्ञ सेवा कर उसके °प्रतक्ष्य फल° का अनुभव किया ?
‖✓‖ मधुबन जैसी °सहज योगी° स्थिति का अनुभव किया ?
‖✓‖ °फर्स्ट प्राइज° के अधिकारी बनकर रहे ?
‖✗‖ प्यूरिटी की ब्यूटी में जरा भी °महीन दाग° तो नहीं आने दिया ?
──────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ हर कर्म करते °कमल आसन° पर विराजमान रहे ?
──────────────────────────
∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?
──────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ फर्स्ट या एयरकंडीशन में जाने का सहज साधन
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे प्यारे बच्चों आप ही महकते चमकते फूलो से सतयुगी बगीचे का वजूद है... आप ईश्वरीय बच्चे ही मुझ ईश्वर की शान हो... अपने उसी पवित्र स्वरूप को अपनी यादो में सदा के लिए भर दो जरा... तो ये जीवन भो और 21 जन्म भी सुखो के आनन्द से भर जायेंगे...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों अब अपनी नजरो से धुंध सदा के हटा दो... ईश्वरीय चश्मे को जरा अपनी नजरो पर चढ़ा लो... तो सदा अपने और दुसरो के अनादि आदि स्वरूप को देख पाओगे... जीवन सुख भरा एयरकंडीशन सा आनन्द से भरा पाओगे...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों तुमने अपने प्यारे पिता को पहचाना है तो अपनी शक्तियो से विस्मर्त न हो... परमात्म महामिलन की मुस्कान अपने होठो पे सदा की सजा लो... रूहानियत की चमक से नयनों को भर दो... हर गुण और शक्ति से अपने आँचल को भर... फर्स्ट नम्बर में नाम अंकित करो...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे देवताई बच्चे अपवित्रता क्या होती है भला... क्या जाने यह तो रावण के मित्र ही पहचाने... रीयल को रियलाइज कर स्वयं पर मुझे भी नाज कराने वाले... वही देवताई पवित्रता को छलकाने वाले... मेरे जादूगर बच्चे आप ही तो हो....
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे बच्चों खूबसूरत पवित्र देवता आप ही हो... फूल लाईट के ताजधारी आप ही हो... रूहानी प्रेम से भरे एक बाप में सारा संसार समाये आप ही हो... मै ईश्वर स्वयं आपका गुणगान कर रहा... अपने बच्चों को बड़े अरमानो से निहार रहा... जागो जरा... अपने नकली आवरण को त्याग असली स्वरूप को अपनालो जरा... तो जीवन सुखो की खान हुआ कदमो में बिखरा ही पड़ा है...
──────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢ प्यूरिटी की ब्यूटी में जरा भी महीन दाग नहीं आने देना है ।
❉ मनुष्य की बाहरी सुंदरता में कोई छोटा सा दाग होता है तो वह उसकी सुंदरता को खराब करता है । हम पवित्रता के सागर के बच्चे हैं व मास्टर पवित्रता के सागर हैं । इसलिए प्यूरिटी की ब्यूटी में कोई दाग नही लगाना ।
❉ हमें मनसा वाचा कर्मणा व संकल्पों मे भी पवित्रता रखनी है । अगर किसी के प्रति कोई थोड़ा सा गल्त संकल्प आया तो भी सम्पूर्ण प्यूरिटी नही है । संकल्प में भी अपवित्रता आते ही हमारे चलन में आती है इसलिए हमें अपने संकल्प श्रेष्ठ व पवित्र रखने है ।
❉ बाबा ने सबसे पहला पाठ यही पढ़ाया कि अपने को आत्मा समझो । आत्मा आत्मा भाई भाई की दृष्टि रखने से ही पवित्रता आती है । शरीर को न देखकर रुह देखने की रुहानी नजर रख प्यूरिटी की ब्यूटी को बनाये रखना है ।
❉ संयासी लोग पवित्रता धारण करने के लिए हद का वैराग्य लेते है ।हमें तो बेहद के बाप की श्रीमत मिली है व योगबल से घर परिवार में रहते कमल पुष्प समान न्यारा व प्यारा रहना है । कोई ऐसा कर्म नहीं करना जो हमारी प्यूरिटी की ब्यूटी को जरा भी महीन दाग न आए ।
❉ जैसे शरीर की ब्यूटी में मस्तक, नयन, मुख आदि सब की चमक देखते हैं वैसे प्यूरिटी की ब्यूटी के लिए मस्तक में संकल्प की रेखायें, नयनों में आत्मिक दृष्टि, मुख पर महान बनने की खुशी, वाणी में महान बन महान बनाने की खुशी, सिर पर पवित्रता का ताज किसी में भी दाग नही लगाना है ।
──────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ हर कर्म करते हुए कमल आसन पर विराजमान रहने वाले सहज व निरंतर योगी होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ कमल पुष्प कीचड़ में होते हुए भी कीचड़ से न्यारा रहता है । ऐसे ही हम गृहस्थ परिवार में रहते हुए न्यारा और प्यारा बन कर्म करते देहभान से उपराम रह सहज योगी होते हैं ।
❉ जिनका कनेक्शन परमात्मा से जुड़ा रहता है तो उनका योग किसी और से लग नही सकता और न ही किसी बंधन में आ सकते हैं । सदा उपराम स्थिति में रह सदा निरंतर योगी होते है ।
❉ कमल आसन पर वही विराजमान हो सकते हैं जो हमेशा लाइट हो व हर बंधनों से मुक्त हो - मोह का बंधन, विनाशी दुनिया के आकर्षण का बंधन, लौकिक सम्बंधो के मोह का बंधन । जब बंधनों का बोझ खत्म हो जाएगा तभी कमल आसन पर विराजमान सहज व निरंतर योगी होंगे ।
❉ हर कर्म करते हुए मनसा वाचा व संकल्पों मे भी पवित्रता होती है तो कमल आसन पर विराजमान रहने वाले निरंतर योगी होते हैं ।
❉ हर कर्म करते यह सोचते कि मैं कौन हूं , किसका हूं व कौन मुझे चला रहा है व जो सेवा करावें जहां चलावें मैं तो बस निमित्त हूं किसी कर्म बंधन में नही आ सकता । देही अभिमानी रहने से उन्हें कोई भी विकार छू नही सकता । ऐसे अपनी स्थिति सदा उपराम रहते सदा योगी होते हैं ।
──────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सहनशीलता का गुण धारण कर लो तो असत्यता का सहारा नहीं लेना पड़ेगा... क्यों और कैसे ?
❉ सहशीलता स्वभाव को सरल बनाती है और सरल स्वभाव से बुद्धि विशाल और दूरांदेशी बन जाती है जिससे सत्यता के मार्ग पर चलता हुआ व्यक्ति हर कार्य में सहज ही सफलता प्राप्त करता जाता है और उसे असत्यता का सहारा नही लेना पड़ता ।
❉ सहनशीलता का गुण अंतर्मुखी बनाता है और अंतर्मुखता में रहने वाला व्यक्ति एकाग्रता की शक्ति द्वारा असत्य से किनारा कर सत्यता का सहारा ले कर हर विघ्न को सहजता से पार करता चला जाता है ।
❉ जो सहनशीलता का गुण धारण कर लेते हैं वे स्वयं भी सदा संतुष्ट रहते हैं तथा औरों को भी सदा संतुष्ट रखते हैं इसलिए उन्हें कभी भी असत्यता का सहारा नही लेना पड़ता । उनका सहनशील व्यवाहर ही उनकी हर बात को सत्य सिद्ध करता है ।
❉ सहनशीलता का गुण व्यक्ति को नम्रचित बनाता है और नम्रता व्यवाहर को दिव्य और आलौकिक बना कर उसे सदा सच पर कायम रहना सिखाती है इसलिए उसे असत्यता का सहारा नही लेना पड़ता ।
❉ सहनशीलता की शक्ति व्यक्ति को हर परिस्थिति में राज़ी रहना सिखाती हैं और हर परिस्थिति में सदा राजी रहने वाले अपनी समायोजन शक्ति, सत्यता की शक्ति और सहनशील व्यवहार के द्वारा सहज ही असत्यता से किनारा कर हर परिस्थिति में जीत हासिल कर लेते हैं ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━