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❍ 23 / 03 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अपने °अनादी और आदि गुणों° को स्मृति में रह उन्हें स्वरुप में लाये ?
‖✓‖ °रूप बसंत° बन मुख से सदैव ज्ञान रतन ही निकाले ?
‖✗‖ मुख से पत्थर निकाल °डिससर्विस° तो नहीं की ?
‖✓‖ किसी भी नयी आत्मा से मिलने पर उसे °बाप की पहचान दी° ?
‖✓‖ जो °सर्विसऐबुल° हैं, उनका ही संग किया ?
‖✗‖ जो °उल्टी सुलटी बातें° सुनाये, उसका संग तो नहीं किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °कमजोरियों को फुल स्टॉप° देकर अपने संपन्न स्वरुप को प्रख्यात किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ एक दुसरे पर चारों पिचकारियों(°ख़ुशी, प्राप्तियां, शक्तियां, ज्ञान°) का रंग डाला ?
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http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/23.03.16-VisheshPurusharth.htm
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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम रूप बसन्त हो तुम्हारे मुख से सदा रत्न ही निकलने चाहिए,जब भी कोई आये तो उसे बाप की पहचान दो"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों रूप हो बसन्त हो ज्ञान योग से सजे खिले बसन्त हो... अपनी खुशनुमा स्तिथि से ज्ञानसुधा छ्लकाओ... मेरे बिछड़े पुत्रो को मेरा परिचय दे पूण्य को पाओ....
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो ज्ञान सागर से जो मिले हो रत्नों से जो यूँ सजे हो... अब ओरो को भी यूँ ही सजाओ ज्ञान की कस्तूरी को महकाओ... मेरे और भी बच्चों को मुझ पिता से मिलवाओ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों मुझ बागवान के ज्ञान रत्नों की खुशबु से महके फूल हो... यह सुगन्ध सदा देकर अंतर्मन सुवासित कर दो... सारे जहान को सराबोर कर दो... और मेरे भटके खोये बच्चे ढूंढ ले आओ...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चो जो रत्नों से भर बादल हो तो सदा ही बरसो... ज्ञान बादल बन सबके तन मन शीतलता से सिक्त करो... मेरे बच्चों को मुझसे मिलन कराओ... सदा सुखदायी बाप का पता दे जाओ....
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों... मुझ भगवान ने अपने सारे गुण और शक्तियो से तुम्हे भरपूर किया है... यह खजाने लुटा के... जरा बढ़ाओ... दुखो से थको को राहत और प्यासों की प्यास तो बुझाओ...ज्ञान पिपासा शांत करो... और नए खोये बच्चों को मेरे समीप लाओ...दुआओ से भर जाओ
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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢ जो रुप बसंत है, सर्विसएबुल हैं उनका ही संग करना है, जो उल्टी-पुल्टी बातें सुनाये उनका संग नहीं करना है ।
❉ जो बच्चे ज्ञान से भरपूर होते है व याद का जौहर होता है ऐसे बच्चे कहीं भी जाए अपना ज्ञान सुनाए बिना रह नही सकते व भ्रमरी की तरह ज्ञान की भूं-भूं कर आप समान बनाने की सेवा करते हैं ऐसे रुप बसंत बच्चों का संग करना है ।
❉ जो ज्ञान व योग के बल से भरपूर होते हैं तो उन्हें रुहानी सेवा का उमंग उत्साह होता है व वे दूसरों को भी हमेशा आगे बढ़ाते है व बाप के दिल पर राज करते हैं ऐसे बच्चों का संग करना है ।
❉ जैसे सूरजमुखी का फूल जिधर सूरज जाता उधर ही घूम जाता है ऐसे ही हमारा मन भी ज्ञान सूर्य बाप की तरफ लगा रहे ताकि हम उनकी मत के सिवा किसी और मत पर न चले ।
❉ अभी तक तो देहधारियों के कहे अनुसार चलते रहे व विकारों मे गिरते चले गए । एक दूसरे को मुख से पत्थर मारते रहे । इसलिए उल्टा सुल्टा बोलने वालों का संग नही करना है। कहा भी गया है - संग तारे कुसंग बोरे ।
❉ लौकिक में भी माता पिता अपने बच्चों को लायक व होनहार बच्चों के संग रहने के लिए कहते तो हमें भी बाप की श्रीमत पर चल ज्ञानी और योगी आत्माओं का संग करना है अज्ञानी का नहीं ।
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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ कमजोरियों को फुलस्टाप देकर अपने सम्पन्न स्वरुप को प्रख्यात करने वाले साक्षात्कारमूर्त होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ जो अपनी कमजोरियों को फुलस्टाप लगाकर अपने दृढ़ संकल्प से पुराने स्वभाव संस्कारों को छोड़कर दिव्यगुण धारण करते हैं तो बुद्धि भी सतोप्रधान होती तो साक्षात जैसे देवी हो ऐसा व्यवहार करते हैं । वे अपने सम्पन्न स्वरुप से साक्षात्कारमूर्त होते हैं ।
❉ जैसे साईंस के साधनों से दूर की वस्तु को भी समीप अनुभव करते हैं । ऐसे ही अपने को सर्वशक्तिमान की छत्रछाया में महसूस करते अपनी कमजोरियों को फुलस्टाप लगाकर सदा मास्टर सर्वशक्तिमान, मास्टर ज्ञानसागर सम्पन्न स्वरुप बनकर आत्माओं को रुहानियत भरी दिव्य दृष्टि देकर साक्षात्कारमूर्त होते हैं ।
❉ अपनी सर्व कमजोरियों को सच्चे दिल से बाप को देकर व अपने को ट्रस्टी समझकर व विशेष आत्मा समझ आगे बढ़ते हैं । कोटों मे कोई , कोई मे भी कोई आत्माएं निमित्त बनती हैं और उसमे भी हमारा पार्ट है, हमारा नाम है । ऐसे रुहानी नशे को ऊंचा रखते व अपने सम्पन्न स्वरुप को प्रख्यात करने वाले साक्षात्कार मूर्त होते हैं ।
❉ जैसे लौकिक में माँ-बाप अपने बच्चों की कमी कमजोरी को छुपाकर सदा खुश रखते व उमंग उत्साह मे रखते । ऐसे ही बाबा भी रोज कहते कि अपनी सारी कमी कमजोरियां मुझे दे दो व बीती को बिंदी लगा बिंदी बन बिंदी को याद करो । ऐसी श्रेष्ठ स्थिति हो जो रुहानी नयन , रुहानी मूर्त से दिव्य दर्पण बन जाए ।
❉ जब स्वयं का व दूसरों का आदि अनादि स्वरुप देखते है व रीयल को रियलाइज करते हैं व लाल चश्मा लगाकर देखते व बार बार स्मृति में रहते तो कमजोरियां स्वतः ही भाग जाती व अपने सम्पन्न स्वरुप को प्रख्यात करने वाले साक्षात्कारमूर्त होते हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपने अनादि और आदि गुणों को स्मृति में रख उन्हें स्वरूप में लाओ... क्यों और कैसे ?
❉ अपने अनादि और आदि गुणों को स्मृति में रख जितना उनका स्वरूप बनते जायेंगे उतना अपने ओरिजनल पवित्र स्वरूप में स्थित होते जायेंगे और अपनी प्यूरिटी की महानता की चमक सारे विश्व में फैला सकेंगे ।
❉ जितना अपने अनादि और आदि गुणों को स्मृति में रख उनका स्वरूप बन कर रहेंगे उतना नयनो में रूहानियत की चमक स्पष्ट दिखाई देगी और हर एक को रूहानी नज़र से देखने का अभ्यास पक्का होता जायेगा और सबके प्रति रूहानी प्रेम बढ़ता जायेगा ।
❉ अपने अनादि और आदि गुणो को स्मृति में रख उसका स्वरूप बनने से पुराने स्वभाव - संस्कारों को परिवर्तन करने की मेहनत नही करनी पड़ेगी । अनादि और आदि स्वरूप के संस्कार जैसे जैसे इमर्ज होते जायेंगे पुराने आसुरी संस्कार स्वत: समाप्त होते जायेंगे ।
❉ स्वयं को अपने अनादि और आदि स्वरूप की स्मृति में जितना स्थित रखेंगे उतना अपने तथा औरों के रीयल स्वरूप को देखना और उसे रियलाइज करना सहज हो जायेगा । जितना रीयल को रियलाइज करते जायेंगे उतना संगठन का स्वरूप विश्व के आगे प्रत्यक्ष होता जायेगा ।
❉ अपने अनादि और आदि गुणों को धारण कर जितना उनका स्वरूप बनते जायेंगे उतना कर्म दिव्य और आलौकिक बनते जायेंगे और अपनी लाइट और माइट की चमक से सारे विश्व की आत्माओं को अज्ञान अन्धकार से निकाल ज्ञान सोझरे में ला सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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