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❍ 23 / 01 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °गंभीरता° का गुण धारण करने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ सदा °राज़ी ख़ुशी° रहे ?
‖✓‖ बाप की श्रीमत का °रीगार्ड° रखा ?
‖✓‖ पढाई से अपने ऊपर °राजाई का ताज° रखने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ श्रीमत पर °भारत को स्वर्ग° बनाने की सेवा की ?
‖✓‖ "°पाना था... सो पा लिया°" - यह नशा रहा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ दाता बन °हर सेकंड हर संकल्प में दान° दिया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ हर °गुण व शक्ति का स्वरुप° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं उदारचित, महादानी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ दाता बन हर सेकण्ड, हर संकल्प में दान देने वाली मैं उदारचित, महादानी आत्मा हूँ ।
❉ हद के नाम, मान और शान की इच्छा से मुक्त, निष्काम भाव से मैं सर्व का कल्याण कर रही हूँ ।
❉ गुप्त और सच्ची सेवाधारी बन विश्व कल्याण के कार्य में मैं सहज ही सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ अपने रहम की वृति और सर्व के प्रति शुभ भावना, शुभकामना रखते हुए मैं हर प्रकार की आत्मा के व्यवहार को सहज ही परिवर्तन कर देती हूँ ।
❉ मास्टर रचता बन, समेटने की शक्ति द्वारा मैं सेकण्ड में सर्व संकल्पों को समेट कर एक संकल्प में स्थित होती जाती हूँ ।
❉ स्व परिवर्तन के द्वारा विश्व का परिवर्तन करने वाली मैं विश्व की आधारमूर्त आत्मा हूँ ।
❉ मैं महादानी बन गरीब बेसहारा आत्माओं को सर्व शक्तियो और सर्व खजानो का दान कर सम्पन्न बनाती जाती हूँ ।
❉ ज्ञान, शक्तियों और गुणों के रूहानी खजाने को मैं स्वाभाविक रीति से सर्व आत्माओं पर लुटाती रहती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाप की श्रीमत का रिगार्ड रखना माना मुरली कभी भी मिस नही करना, हर आज्ञा का पालन करना"
❉ आज तक मनमत और परमत पर चल दुखी ही होते रहे । क्योकि इस रावण राज्य में सभी की आसुरी मत ही है ।
❉ श्रेष्ठ मत सिवाय एक परम पिता पत्मात्मा बाप के और कोई की हो ही नही सकती क्योकि श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ केवल परमात्मा बाप ही हैं ।
❉ यह श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत पूरे कल्प में केवल एक ही बार अर्थात संगम युग पर मिलती है जब परम पिता परमात्मा बाप स्वयं आते हैं ।
❉ अभी वही संगम युग चल रहा है जब परमात्मा बाप आ कर हमे मुरली के माध्यम से श्रीमत अर्थात श्रेष्ठ मत दे रहें हैं ।
❉ इसलिए हमारा फर्ज है कि बाप की श्रीमत का रिगार्ड रखें और बाप की श्रीमत का रिगार्ड रखना माना मुरली कभी भी मिस नही करना, बाप की हर आज्ञा का पालन करना ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सदा राजी खुशी रहने के लिए बाप की याद में रहना है । पढ़ाई से अपने ऊपर राजाई का ताज रखना है ।
❉ जब परमात्मा ने हमें अपना बना लिया व हम ईश्वरीय सम्प्रदाय के हो गए । ऊंच ते ऊंच बेहद का बाप मिल गया फिर ईश्वर के बच्चों को किस बात की फिकर । बेफिकर बादशाह बन गए । तो बस एक बाप की याद में ही रहना है ।
❉ दुखी पतित दुनिया को व झूठे सम्बंधों को याद कर हमेशा दुख ही मिला तो अब बस अविनाशी बाप को याद कर सदा खुश रहना है । स्वर्ग की बादशाही देने वाला बाप मिला है जो हमें इतना लायक बनाता है ।
❉ जब बाप को भूलते हैं तभी माया दासी बना देती है व उदास हो जाते हैं । इसलिए निरंतर अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को याद करना है ।
❉ बाप स्वयं सुप्रीम टीचर बन इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाकर पावन बनाने आते हैं व मनुष्य से देवता बनाते हैं । जितना अच्छी रीति पढ़ेंगे व याद में रहने का पुरुषार्थ करेंगे उतना ही ऊंचा पद पायेंगे ।
❉ जब बाप स्वयं हमें स्वर्ग की राजाई का ताज न लेकर अपने बच्चों को अपने से ऊंचे पद पर बैठाते हैं तो इस रुहानी पढ़ाई को खुशी खुशी रोज पढ़ना और पढ़ाना है ।
❉ लौकिक में भी जो बच्चा मन से व खुशी से पढ़ाई पढ़ता है उसे पद भी ऊंचा मिलता है व बाप को भी वही अच्छा लगता है । ऐसे आलौकिक पढ़ाई को अपना लक्ष्य आगे रख पढ़नी है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ दाता बन हर सेकंड, हर संकल्प में दान देने वाले उदारचित, महादानी कहलाते है... क्यों और कैसे ?
❉ हम दाता के बच्चे मास्टर दाता है, हमारा काम ही है सबको देना। हम पूर्वज आत्माये है, इष्ट देव देवियाँ है तो अपना हाथ सदा देने का हो, सुख, शांति, पवित्रता, गुण, शक्तियाँ कुछ भी देते चलो।
❉ चाहे मनसा, वाचा, कर्मणा कैसे भी सभी को कुछ न कुछ दान देते चलो। जो भी हमारे सम्बन्ध संपर्क में आये वह कुछ न कुछ लेकर ही जाये, अनुभव करके जाये। खाली हाथ कोई नहीं जाये
❉ हमें देवता बनना है, देवता अर्थात ही सबको देने वाले, यहाँ बाप से सब कुछ प्राप्त कर यही सबको देना है। अब किसी से कुछ लेने की इच्छा नहीं रखना है सबको सिर्फ देते जाना है क्युकी हम देवता बनने वाले है न की लेवता।
❉ आज भी आत्माये हमारे जड़ मूर्तियों व चित्रों के आगे कुछ न कुछ मांगते रहते है, और हमने जरुर अभी सबको इतना दान किया होगा जो हमारी जड़ मूर्तियों व चित्रों द्वारा आज तक भी आत्माये कुछ न कुछ प्राप्तियाँ कर रही है।
❉ हमारे पास बाप ने सभी भंडारे खोल दिए है, सबको झोली भरपूर कर दी है तो अब हमें सबके प्रति कल्याणकारी बनकर सबको देते जाना है जितना देंगे उतना और ही बढ़ता जायेगा।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ हर सबजेक्ट में फुल मार्क्स जमा करनी है तो गम्भीरता का गुण धारण करो... क्यों ?
❉ गम्भीरता की विशेषता आत्मा को गुणों और शक्तियों का अनुभवी बना कर सिद्धि स्वरूप बना देती है और सिद्धि स्वरूप आत्मा हर सब्जेक्ट में फुल मार्क्स जमा करने की अधिकारी बन जाती है ।
❉ गम्भीरता का गुण आत्मा को वानप्रस्थ स्थिति का अनुभवी बनाता है और वानप्रस्थ स्तिथि में स्थित आत्मा सब बातों से किनारा कर चारों सब्जेक्ट में फुल मार्क्स जमा करने के पुरुषार्थ में सदा तत्पर रहती है ।
❉ गम्भीरता का गुण आत्मा को अंतर्मुखी बनाता है और अंतर्मुखता की सीट पर सेट रहने वाला सदा व्यर्थ चिंतन से मुक्त रहता है और मन बुद्धि को समर्थ चिंतन में बिज़ी रख आत्मिक शक्ति और एनर्जी जमा करते हुए हर सब्जेक्ट में फुल मार्क्स लाने के पुरुषार्थ में लग जाता है ।
❉ गम्भीरता की विशेषता व्यक्ति को सरल चित बनाती हैं और सरल चित आत्मा पूरी सच्चाई और सफाई से स्वयं को बाप के आगे समर्पित कर हर सब्जेक्ट में फुल मार्क्स लेने के लिए तीव्र पुरुषार्थ में लग जाती है ।
❉ गम्भीरता का गुण आत्मा को निर्मल और निर्माण बनाता है और यह निर्मलता और निर्माणता आत्मा को इच्छा मात्रम अविद्या बना कर, सदा तृप्त रखती है । हद की इच्छाओं से मुक्त हो कर आत्मा हर सब्जेक्ट में फुल मार्क्स लेने के प्रयास में तत्पर रहती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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