━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

   03 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °ज्ञान धन व स्थूल धन° को सेवा प्रति कार्य में लगाया ?

 

‖✓‖ °मन के मौन° से नयी नयी इन्वेंशन निकाली ?

 

‖✓‖ बुधी की °वैरायटी एक्सरसाइज° कर हल्केपन का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ हर °सेकंड° को और हर °संकल्प° को स्वयं के प्रति और दूसरों के प्रति पद्मों के मूल्यों के सामान यूज़ किया ?

 

‖✗‖ °सड़ी हुई बीती हुई बातें° जो न सोचने की हैं... उनके बारे में सोचा तो नहीं ?

 

‖✗‖ दूसरी आत्माओं की °कमियों को बुधी द्वारा स्वीकार° तो नहीं किया ?

──────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ तड़फती हुई भिखारी, °प्यासी आत्माओं की प्यास° भुजाई ?

──────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ "°मैं ट्रस्टी हूँ°... यह तन, यह मन, यह धन सब परमात्मा का है" - इस स्मृति से डबल लाइट फ़रिश्ता बनकर रहे ?

──────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सर्व खजानों से सम्पन्न आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   तड़फती हुई भिखारी,प्यासी आत्माओं की प्यास बुझाने वाली मैं सर्व खज़ानों से सम्पन्न आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं महादानी बन गरीब बेसहारा आत्माओं को सर्व शक्तियो और सर्व खजानो का दान कर सम्पन्न बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   ज्ञान, शक्तियों और गुणों के रूहानी खजाने को मैं स्वाभाविक रीति से सर्व आत्माओं पर लुटाती रहती हूँ ।

 

 ❉   मैं निर्बल, दिलशिकस्त, असमर्थ आत्माओं को एक्स्ट्रा बल देने वाली रूहानी रहमदिल आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मैं हताश और निराश आत्माओं के मन में आशा का दीपक जलाने वाला चैतन्य दीपक हूँ ।

 

 ❉   सर्व आत्माओं को सच्चा स्नेह और सहयोग देने वाली मैं सहयोगी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने नम्र और सहयोगी व्यवहार से सबको सदा संतुष्ट करने वाली मैं सबके स्नेह की पात्र आत्मा बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   दाता पन की सीट पर सेट हो कर सर्व आत्माओं को रहम की अंजली देकर उन्हें सर्व समस्याओं से मुक्त करती जाती हूँ ।

──────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "अब वेस्ट और वेट को समाप्त करो"

 

 ❉   बापदादा द्वारा सब ब्राह्मण बच्चों को एक जैसी श्रीमत मिलते हुए भी पुरुषार्थ में सभी नम्बरवार है ।

 

 ❉   इस अन्तर के दो मुख्य कारण बापदादा ने देखे - एक तो वेस्ट अर्थात व्यर्थ गंवाना और दूसरा वेट अर्थात वज़न ज्यादा ।

 

 ❉   जैसे खाने पर कण्ट्रोल ना होने से शरीर का वेट बढ़ जाता है उसी प्रकार दूसरों के अवगुणों को बुद्धि द्वारा धारण करने से आत्मा पर विकर्मो का बोझ चढ़ जाता है ।

 

 ❉   जैसे मूल्यवान वस्तु को उचित तरीके से अगर यूज़ ना किया जाये तो वो वेस्ट चली जाती है इसी प्रकार संगमयुग पर बापदादा द्वारा मिले सर्व खजानो को जब स्वयं के प्रति वा सेवा के प्रति कार्य में नही लगाते तो वह वेस्ट चले जाते हैं ।

 

 ❉   यही दोनों कारण पुरुषार्थ की रफ़्तार को तीव्र नही होने देते और इसी कारण नम्बरवार बन जाते हैं । इसलिए इन दोनों बातों को समाप्त करो तो फर्स्ट डिवीज़न के आ जायेंगे ।

──────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बुधी की वैरायटी एक्सरसाइज कर हल्केपन का अनुभव करना है ।

 

  ❉   जैसे शरीर को हल्का रखने के लिए तरह तरह की एक्सरसाइज करते हैं तो तन मन से स्वस्थ रहता है । ऐसे ही बुद्धि को स्वस्थ रखने के लिए बुद्धि की एक्सरसाइज करते रहना है कभी स्थूल वतन से सूक्ष्म वतन , सूक्ष्म वतन से परमधाम ।

 

  ❉   सडी हुई व पुरानी बातों को बुद्धि द्वारा स्वीकार कर लेते हैं तो अवगुण कमियों को धारण कर लेते हैं तो आत्मिक एक्सरसाइज योग अभ्यास द्वारा अभी अभी आकारी फरिश्ता व आकारी वतनवासी ऐसी एक्सरसाइज कर हल्केपन का अनुभव करना है ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में कभी थकावट होने पर  अपने को फ्रेश करने के लिए कोई घूमने का प्रोग्राम बनाते है तो ऐसे ही बुद्धि को व्यर्थ चलने लगे तो बुद्धि से चार धाम की यात्रा कर अपना कनेक्शन बाप से जोड हल्का अनुभव करना है ।

 

  ❉   बुद्धि से आत्मिक एक्सरसाइज अभी अभी साकारी अभी अभी आकारी अभी अभी निराकारी एक्सरसाइज कर सदा बाप की छत्रछाया का अनुभव कर हल्के रहना है ।

 

  ❉   नेगेटिव को पॉजिटिव में करने के लिए बुद्धि की आत्मिक एक्सरसाइज़ कर अपनी भावनाओ को शुभ और बेहद की बनानी है।

बुद्धि की आत्मिक एक्सर्साइज कर अपनी चाल चलन सुधार पवित्रता को धारण कर बाप समान बनना है

 

  ❉    बुद्धि की आत्मिक एक्सरसाइज से ब्राह्मण सो देवता बन सेवा करअपने श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में सदा रहना है ।

──────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ तड़पती हुई भिखारी, प्यासी आत्माओ की प्यास बुझाने के लिए सर्व खजानों से संपन्न बनना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जब हम सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनेंगे तभी तो अन्य आत्माओ को कुछ दे सकेंगे, स्वयं ही भरपूर नहीं होंगे तो दुसरो को कैसे दे सकेंगे। सागर बाप के समान हमें भी सर्व प्राप्तियो में मास्टर सागर बनना है।

 

 ❉   अंत के समय हम आत्माओ के पास बहुत लम्बी लम्बी क्यू लगने लगने वाली, एक सेकंड में अनेक आत्माओ का हमें कल्याण करना होगा, किसी को भी इन्तेजार में खड़ा नहीं रख सकते, एक सेकंड में ही उनकी सब मनोकामनाए पूर्ण करनी होगी तो उसके लिए स्वयं को अभी से ही तैयार करना है।

 

 ❉   हम आधारमूर्त और उद्धारमूर्त आत्माये है, हम ही अनेक आत्माओ को मुक्ति जीवन मुक्ति का वर्सा दिलाने के निमित्त है। इसलिए पहले स्वयं को भरपूर बनाना है फिर दुसरो को दे सकेंगे।

 

 ❉   आज की दुनिया में आत्माये प्रेम, सुख, शान्ति की भिखारी हो गयी है, बहुत भटक रही है परन्तु कही से भी सच्ची प्राप्ति नहीं हो रही है, सब आशा लगाये हमारी तरफ देख रहे है, हमें उन सभी आत्माओ की सर्व आशाओ को पूर्ण करना है।

 

 ❉   चाहे मनसा, चाहे वाचा, चाहे कर्मणा, कैसे भी करके जिस आत्मा को जिस चीज़ की आवश्यकता हो उसको परख कर उसी उस प्राप्ति की अनुभूति करानी है, उसके लिए पहले बाप की याद द्वारा स्वयं को संपन्न बनाना पड़े।

──────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कल्याण की भावना रख शिक्षा दो तो शिक्षायें दिल से लगेंगी... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जब कल्याण की भावना रख शिक्षा देंगे तो अपने नम्र व्यवहार द्वारा स्वयं भी संतुष्ट रहेंगे तथा औरो को भी संतुष्ट कर सकेंगे जिससे दी हुई शिक्षा का असर दिल तक लगेगा ।

 

 ❉   जब सर्व के प्रति मन में शुभभावना शुभकामना होगी तो परमात्मा बाप की मदद कदम - कदम पर मिलती रहेगी जिससे मुख से निकला हर शब्द सुनने वाली आत्मा के दिल पर लगेगा ।

 

 ❉   सर्व के प्रति कल्याणकारी वृति  व्यवाहर में सरलता, नम्रता और सहनशीलता लाती है और दी हुई शिक्षा को प्रभावशाली बना कर दूसरों के दिल पर छाप छोड़ जाती है ।

 

 ❉   कल्याण की भावना से जब किसी को शिक्षा देते है तो हमारे पॉजिटिव वायब्रेशन्स दूसरी आत्माओं के नेगेटिव संकल्पो को भी पॉजिटिव बना देते हैं जिससे दी हुई शिक्षा दिल की गहराई तक पहुँचती है ।

 

 ❉   सर्व के प्रति कल्याण की भावना संकल्प बोल और चिंतन को समर्थ बना देगी और समर्थ बोल सर्व आत्माओं को सहज ही आकर्षित करेंगे जिससे दी हुई शिक्षा उनके दिल को छू जायेगी ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━