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 21 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ अशरीरी बनने का अभ्यास किया ?

 

➢➢ किसी को ×दुःख× तो नहीं दिया ? किसी को ×नाराज़× तो नहीं किया ?

 

➢➢ किसी भी ×उल्टी सुलटी बात× पर विश्वास तो नहीं किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ अपने सहयोग से निर्बल आत्माओं को वर्से का अधिकारी बनाया ?

 

➢➢ अपने परिवर्तन द्वारा संपर्क, बोल और सम्बन्ध में सफलता प्राप्त की ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ "वाह रे मेरा भाग्य! वाह मेरा बाबा! वाह ड्रामा वाह!" - यही गीत गाते रहे ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं वरदानी मूर्त आत्मा हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  योगयुक्त स्तिथि में बैठ आज अपने प्रेम प्यारे बाबा से शांति की किरणों का आह्वान कर स्थूल में दूर रहने वाली आत्माओं को सम्मुख का अनुभव करा परिवर्तित करेंगे...

 

_ ➳  मैं पवित्रता का फरिश्ता आकाश मार्ग में विचरण करता हुआ समस्त विश्व का भ्रमण कर रहा हूँ... आधुनिकता के इस युग में आध्यात्मिकता पूर्णतया लुप्त हो गयी है... हर ओर पापाचार, भ्रष्टाचार, विकारी साम्राज्य अपनी चरम सीमा पर है...

 

_ ➳  मनुष्यात्माओं से निकलती अपवित्रता, कुसंस्कारों, विकर्मों की बदबू समस्त विश्व में व्याप्त हो रही है... ऐसे में मुझ फ़रिश्ते को परमपित्ता परमात्मा शिव ने अपनी संकल्प शक्ति द्वारा विश्व में निर्बल आत्माओं को बाप के समीप लाने की आज्ञा दी है...

 

_ ➳  आज के युग में मेजोरिटी आत्माओं में शुभ इच्छा उतपन्न हो रही है कि आध्यात्मिक शक्ति जो कुछ कर सकती है वह और कोई नहीं कर सकता... लेकिन आध्यात्मिकता की ओर चलने के लिए वह अपने को हिम्मतहीन समझते हैं...

 

_ ➳  ऐसे में मैं आत्मा आज बाबा के समक्ष ये दृढ़ संकल्प लेती हूँ के मैं उन आत्माओं को अपनी शक्ति से हिम्मत की टांग दूंगी... यह संकल्प करते ही मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ की वह निर्बल आत्माएं स्वयं बाप के समीप चलकर आ रहीं हैं... और वह वर्से की अधिकारी मूर्त आत्मा बन रहीं हैं ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चों - जेसे बाबा प्यार का सागर है उनके जैसा प्यार कोई कर नही सकता, ऐसे ही तुम बच्चे बाप समान बनो किसी को रंज(नाराज)मत करो"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों प्यार का सागर जीवन में आ चला सारे प्यार के सागर को तुम बच्चों पर लुटा चला... अब प्यार की मीठी बदली बन बरस जाओ सबको प्रेम से सिक्त कर राहत पहुँचाओ... सबके दुखी मन को प्रेम सुधा से तृप्त कर आओ...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों प्यार के सागर से प्यार पाकर भी प्यार के बादल न बने तो प्यार के सागर की तौहीन है मेरे बच्चे बन किसी की सुकून न दे सके तो पिता का सर झुकाना है... सच्चे प्यार को सिवाय तुम्हारे तो कोई न जान सके न लुटा सके... सागर से मिलन तो खुशनसीब बच्चों का है इन प्रेम तरंगो से जहान गूंजा दो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों कितना भटके हो सच्चे प्यार की झलक को पर सिवाय बाबा के तो कोई कर न सके... अब पिता से प्रेम पाकर पूरे विश्व में प्रेम दरिया बहाओ... किसने तुम्हे प्यार किया हैचाहा है यह दुनिया को भी बता आओ...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों प्यार के सागर मीठे पिता ने किस कदर आप बच्चों पर सच्चा प्यार बरसाया है... अपना धाम छोड़ कर प्यार लिए तो डेरा यही जमाया है... उन सुखद अनुभूतियों को संसार में लुटाओ प्रेम के परिंदे बन चहचाहो... स्वयं में प्रेमपिता को छवि दिखाओ...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चो इस समूचे विश्व को प्रेम सुधा से भिगो आओ... दुखो से तपती धरा को शीतलता से सुवासित कर आओ... मुझसे सच्चे प्रेम के भर चले पैमाने को छ्लकाओ... और अपने खजाने से खुशियां बाँट विश्व को हंसी से भरपूर का आओ...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सिर्फ आशीर्वाद पर नहीं चलना है । स्वयं को पवित्र बनाना है । बाप को हर कदम पर फालो करना है , किसी को दुःख नहीं देना है ।

 

  ❉  आशीर्वाद तो इतने जन्म लेते आए हमेशा सबके आगे हाथ फैलाकर भिखारी बने रहे । अब तो सर्वशकतिमान बाप ने अपना बच्चा बनाया है व बच्चा बनते ही बेहद के बाप के वर्से के अधिकारी हो तो आशीर्वाद पर नहीं चलना है ।

 

  ❉   बाबा ने ही इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर अपना बनाकर दिव्य बुद्धि रुपी गिफ्ट दिया व सच्ची सच्ची गीता सुनाकर अमरपुरी का मालिक बनाते है व बताते है कि सर्व का सदगति दाता मैं ही हूं व पतित से पावन बनाता हूं ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा बाप को याद करना है । याद से ही विकर्म विनाश होंगे व आत्मा की खाद निकलेगी । याद की यात्रा में रह पावन बनना है क्योंकि पावन बने बगैर बाप के साथ नही जा सकते इसलिए अंतिम जन्म पवित्र जरुर बनना है ।

 

  ❉   हर कर्म , बोल पर अटेंशन रखनी है कि क्या ये मेरे कर्म बाप समान है व मेरे बोल बाप समान है । हर अदम बाप की श्रीमत पर चलते हुए फालो फादर कर बाप समान बनना है ।

 

  ❉   हमें आपस में क्षीरखंड होकर रहना है जैसे दूध में चीनी मिलाते है तो दूध मीठा हो जाता है पर चीनी दिखाई नही देती उसमें मिक्स हो जाती है । ऐसे हमें आपस में बहुत मीठा रहना है किसी से ईर्ष्या नही करनी है ।

 

  ❉    हम सुख सागर के बच्चे मास्टर सुख सागर है तो हमें सबको सुख ही देना है । कोई ऐसा कर्म नही करना या बोल नही बोलने जिससे किसी को दुःख पहुंचे व बाप की निन्दा हो ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने सहयोग से निर्बल आत्माओं को वर्से का अधिकारी बनाने वाले वरदानी मूर्त होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो वरदानी मूर्त होते हैं वो स्वयं की शक्तियों , स्वयं के गुण द्वारा , स्वयं के ज्ञान खजानों द्वारा निर्बल आत्माओं को हिम्मत , शक्ति और खुशी का खजाना देकर अपने सहयोग से शक्तिशाली बना देते है । स्वयं भी पावन बनते व दूसरों को भी पावन बनाते हैं ।

 

  ❉  स्वयं  सर्वशक्तिमान बाप साथी बन गया व हमेशा साथ रख विजयी अनुभव करते हैं तो साथी को साथ रख सहयोग की शक्ति से निर्बल आत्माओं में बल भरकर एक बल एक भरोसे के आधार पर आगे बढ़ाते हैं और बाप से मिलाकर वर्से का अधिकारी बनाते हैं ।

 

  ❉   अपने सम्पर्क में आने वाली कमजोर आत्माओं को बार बाप के सामने ईमर्ज कर संकल्प लाते हैं व वो संकल्प उन तक पहुंच जाते है व वरदानीमूर्त बन सहयोग से कमजोर आत्माओं को वर्से का अधिकारी बनाते हैं ।

 

  ❉   जो स्वयं बाप से मिले सर्व खजानों व सर्व गुणों , सर्व शक्तियों से सम्पन्न होते है तो कमजोर , निर्बल व दुःखी आत्माओं को देखते ही रहम आता है व उन्हें सच्चे बाप से मिलाकर वर्से का अधिकारी बनाकर वरदानी मूर्त होते हैं ।

 

  ❉   जैसे कोई शरीर से कमजोर होता है तो साइंस के साधन से उसे चलाने में , सुनने में बलवान बना देते हैं । ऐसे ज्ञान सागर बाप के बच्चे मास्टर ज्ञान सागर बाप से मिले अनमोल अखूट खजानों से अपने सच्चे परमपिता परमात्मा का परिचय दे वर्से का अधिकारी बनाने वाले वरदानी मूर्त होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने परिवर्तन द्वारा सम्पर्क, बोल और सम्बन्ध में सफलता प्राप्त करने वाले ही  सफलतामूर्त हैं... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   अपने परिवर्तन द्वारा सम्पर्क, बोल और सम्बन्ध में सफलता प्राप्त करने वाली सफलतामूर्त आत्मा तब बन पायेंगे जब आदि समय अर्थात अमृतवेले से परिवर्तन शक्ति को कार्य में लगायेंगे । क्योकि आदि समय का आदि परिवर्तन संकल्प, सारे दिन की दिनचर्या का आधार है । आदिकाल का एक समर्थ संकल्प, एक श्रेष्ठ संकल्प, एक श्रेष्ठ बोल, श्रेष्ठ कर्म का आधार बन जायेगा जो सफलतामूर्त आत्मा बना देगा ।

 

 ❉   जैसा समय, जैसी परिस्थिति और जिस प्रकार की आत्मा सामने हो, वैसे ही अपने को मोल्ड करने वाले, रियल गोल्ड जब बनेगें और अपने कड़े स्वभाव संस्कार को भी आसानी से परिवर्तन कर, नॉलेज फुल और ब्लीस फुल बन समय प्रमाण, व सेवा-प्रमाण जब औरो के कल्याण प्रति स्वयं का परिवर्तन करेंगे तभी सम्पर्क, बोल और सम्बन्ध में सफलता प्राप्त करने वाली सफलतामूर्त आत्मा बन सकेंगे ।

 

 ❉   किसी भी प्रकार की सेवा चाहे प्रवृत्ति की, चाहे व्यवहार की, चाहे ईश्वरीय सेवा हो लेकिन सेवा करते जब श्रीमत के आधार पर, मरजीवा जन्म की स्मृति से निमित बन सेवा करेंगे । कर्मबन्धन ना समझ सेवा का सम्बन्ध समझ कर चलेंगे तो बन्धन में तंग नही होंगे बल्कि रहमदिल बन विश्व कल्याणकारी स्थिति में स्थित हो स्वयं के परिवर्तन द्वारा सम्पर्क में आने वाली अनेको आत्माओं का परिवर्तन कर सफलतामूर्त आत्मा बन सकेंगे ।

 

 ❉   हर कर्म, सम्बंध, और सम्पर्क में जितने निर्मान बनेगे और अपनी निर्मानता को स्वमान समझ जितना स्वमान की सीट पर सेट रहेंगे उतना निर्मानचित की विशेषता से सर्व के सम्माननीय बन सहज ही सर्व का मान प्राप्त कर सकेंगे और नॉलेज की शक्ति से हर विघ्न को पार कर अपनी निर्मानता से स्वयं के परिवर्तन द्वारा सम्पर्क, बोल और सम्बन्ध में सफलता प्राप्त करने वाले विजयी रत्न बन सकेंगे ।

 

 ❉   अनेक प्रकार के व्यक्तियों के सम्पर्क में आते हुए जब व्यक्त भाव के बजाए आत्मिक भाव धारण करेंगे और वस्तुओं वा वैभवों के प्रति अनासक्त भाव धारण करेगें । हर लौकिक चीज़ को देख, लौकिक बातों को सुन, लौकिक दृश्य को देख, उन्हें अलौकिक में परिवर्तन करेंगे और ज्ञान स्वरुप हो हर बात से ज्ञान उठायेंगे तो सहज ही स्व परिवर्तन द्वारा सम्पर्क, बोल और सम्बन्ध में सफलता प्राप्त कर सकेंगे और सिद्धि स्वरूप् बन सर्व का कल्याण कर सकेंगें ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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