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   17 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °कारण को निवारण° में परिवर्तित किया ?

 

‖✓‖ माया को °मुरली° के आगे सरेंडर किया ?

 

‖✓‖ °अशरीरी° बनने का अभ्यास किया ?

 

‖✗‖ °मन° ने अपनी मनमत तो नहीं चलाई ?

 

‖✗‖ °बुधी° ने निर्णय शक्ति की हलचल तो नहीं की ?

 

‖✗‖ °संस्कारों° ने मुझ आत्मा को बन्दर का नाच तो नहीं नचाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °निमितपन° की स्मृति द्वारा अपने हर संकल्प पर अटेंशन रखा ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ आज दिन भर "°पा लिया°" इस ख़ुशी की चमक चेहरे पर दिखाई दी ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं निवारण स्वरूप आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   निमितपन की स्मृति द्वारा अपने हर संकल्प पर अटेंशन रखने वाली मैं निवारण स्वरूप आत्मा हूँ ।

 

 ❉   जो कर्म मैं करूँगी मुझे देख और करेंगे इस बात को स्मृति में रख मैं हर कर्म को श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनाती जाती हूँ ।

 

 ❉   बाप दादा से सफलतामूर्त का वरदान प्राप्त कर  मैं बाप दादा की प्रत्यक्षता के कार्य में सहयोगी बनने वाली विशेष आत्मा हूँ ।

 

 ❉   निरव्यर्थ संकल्प और निर्विकल्प स्थिति द्वारा मैं हर कार्य में सहज ही सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   बड़ी से बड़ी समस्या भी मेरी स्थिति को डगमग नही कर सकती । निवारण स्वरूप बन मैं हर समस्या का समाधान सहज ही कर लेती हूँ ।

 

 ❉   संगम युग पर मिले समय और श्वांसों के अनमोल खजाने को प्रभु प्रेम में मगन हो कर, सेवा में लगा कर सफल करती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं महावीर आत्मा बन, जीवन की सभी चुनौतियों को स्वीकार कर, अपनी शक्ति से उन्हें हरा कर अपनी दासी बना लेती हूँ ।

 

 ❉   स्वस्थिति में स्थित रह हर परिस्थिति को अपने वश में कर मैं सभी बातो से उपराम होती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "वर्तमान राज्य - अधिकारी ही भविष्य राज्य - अधिकारी"

 

 ❉   वर्तमान, भविष्य का दर्पण होता है । इसलिए कोई भी अपने वर्तमान के दर्पण द्वारा अपने भविष्य को स्पष्ट देख सकता है ।

 

 ❉   वर्तमान राज्य - अधिकारी और भविष्य राज्य - अधिकारी बनने के लिए सदा यह चेक करो कि मेरे में रूलिंग पॉवर कहां तक है ।

 

 ❉   संकल्प शक्ति, बुद्धि और संस्कारो के ऊपर कहां तक मेरा अधिकार है । जिसका इन तीनो शक्तियों पर सम्पूर्ण अधिकार होता है वही यथार्थ रीति राज्य कर सकता है ।

 

 ❉   यह त्रिमूर्ति शक्तियां विशेष कार्यकर्ता हैं  इसलिए सदा अपनी शक्ति के आधार पर इन्हें सहयोगी बन कर चलाओ ।

 

 ❉   जितना इन शक्तियों पर रूलिंग पॉवर होगी और जितना ये शक्तिया हमारी इच्छानुसार कार्य करेंगी । कारण को निवारण में बदलना सहज हो जायेगा ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ त्रिमूर्ति रचना(मन, बुधी और संस्कार) को अपने कण्ट्रोल में रखना है ।

 

  ❉   मन के ऊपर, बुद्धि के ऊपर, संस्कारो के ऊपर आत्मा का राज्याधिकारी राजा की तरह अधिकार है । आत्मा तीनों की रचयिता हो व त्रिमूर्ति पर कंट्रोल रखना है।

 

  ❉   जैसे राजा स्वयं कोई कर्म नहीं करता , अलग-अलग करने वाले राज्य कारोबारी होते हैं । ऐसे ही आत्मा भी करावनहार है करनहार तो ये विशेष त्रिमूर्ति शक्तियां है । इन पर रुलिंग पॉवर रख कर्मेन्द्रियों को सही रास्ते पर चलाना है ।

 

  ❉   जब दिल दिमाग सब दिलाराम बाप को दे दिया तो मेरा तो कुछ रहा ही नही सब बाप का हो गया । बुद्धि भी, मन भी, संस्कार भी और हर कर्म करते बस फॉलो फादर करना है ।

 

  ❉   यही कहते भी है ' मैं बाबा की बाबा मेरा' ।कर्म करते भी यही कहते हैं कि बाबा की सेवा है । फिर ये चेकिंग करनी हैं जब सब बाबा का है तो उसमें मेरा मिक्स तो नही हो रहा । कहीं से भी मैं माया रुपी खिड़की खुली नहीं रखनी ।

 

  ❉   जैसे कोई कमजोरी आती है तो यही कहते मेरा विचार यह कहता या मेरा संस्कार यह कहता । यदि यह स्मृति रहे जो बाप के संस्कार वही मेरे संस्कार तो कोई कमजोरी आ नहीं सकती और मन बुद्धि और संस्कारों पर पूरा कंट्रोल रहेगा ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ निमित्तपन की स्मृति द्वारा अपने हर संकल्प पर अटेंशन रखने वाले निवारण स्वरुप होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बाबा ने हमें यह मरजीवा जन्म दिया और इस जीवन में जो कुछ भी प्राप्त हुआ है वह सब बाबा का दिया हुआ है मेरा कुछ नहीं है इसलिए जो भी है उसे निमित्त बनकर संभाले और उपयोग करे।

 

 ❉   हमें अपने हर संकल्प पर अटेंशन रखना है, हमारे संकल्प बहुत वैल्युएबल है। जैसा हम संकल्प करते है वैसा ही हमारा कर्म होता है और कर्म अनुसार संस्कार बनते है इसलिए संकल्पों पर बहुत ध्यान देना है।

 

 ❉   हम निमित्त है नयी सृष्टि की रचना के, हमें बाबा ने अपना मददगार बनाया है। तो बाबा को आगे रख करन करावनहार की स्मृति बाप को याद रख हर कर्म करना है।

 

 ❉   इस विश्व नाटक में हम हीरो पार्टधारी आत्माये है, सारे विश्व की आत्माये हमें देख रही है और हमें कॉपी करती है। इसलिए हमेशा अपने पर अटेंशन रहे की जैसकर्म हम करेंगे हमें देख और करेंगे।

 

 ❉   जैसा संकल्प वकर्म हम करते है उसके वाइब्रेशन सारे विश्व में फैलते है, हम नयी दिनिया बनाने और बाप को प्रत्यक्ष करने के निमित्त है तो हमारे संकल्प और कर्म भी ऐसे ही हो जिससे हमें देखकर सबको बाप की अनुभूति हो।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ज्ञानी तू आत्मा वह है जिसमे अपने गुण वा विशेषताओं का भी अभिमान न हो... कैसे ?

 

 ❉   अपने गुण वा विशेषताओं का अभिमान ना करने वाले हद के मान, शान और सम्मान की इच्छाओं से सदा मुक्त रहते हैं तथा ज्ञानी तू आत्मा बन ज्ञान और योग को ढाल बना कर निरन्तर आगे बढ़ते रहते है ।

 

 ❉   ज्ञानी तू आत्मायें सदा स्वमान की सीट पर सेट रहती हैं । जिससे उनमें प्रेम, नम्रता , हर्षितमुखता, जैसे दैवी गुण स्वत: आते जाते हैं और आसुरी गुण जैसे क्रोध, अपमान, अभिमान आदि समाप्त होते जाते हैं ।

 

 ❉   ज्ञानी तू योगी आत्मा में निर्माणताऔर निर्मानता का गुण होता है और निर्मान भाव आत्मा को इच्छा मात्रम अविद्या बना देता है जिससे उसमे अभिमान, अपमान जैसी बाते स्वत: समाप्त हो जाती हैं ।

 

 ❉   सच्चाई और सफाई से, सरल चित बन जो स्वयं को बाप के आगे समर्पण कर देते हैं वह ज्ञानी तू योगी आत्मा बन  अपने गुण वा विशेषताओं को परमात्मा की अमानत समझ निमित बन उन्हें यूज़ करते हैं इसलिए हर प्रकार के अभिमान से मुक्त रहते हैं ।

 

 ❉   ज्ञानी तू आत्मा वह है जो अपना हर संकल्प, समय, श्वांस और सम्पति ईश्वरीय कार्य अर्थ सफल करते हैं और अपने गुण वा विशेषताओं का अभिमान ना करते हुए सेवा में सदा जी हाजिर कर अपने प्यार को साबित करते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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