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❍ 22 / 11 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *कोई भी काम कायदे के विरूद्ध तो नहीं किया ?*
➢➢ *बहुत बहुत निरहंकारी निर्मोही बनकर रहे ?*
➢➢ *सर्विस का शौंक रख हुल्लास में रहे ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *मनमत, परमत को समाप्त कर श्रीमत पर पद्मों की कमाई जमा की ?*
➢➢ *मन में सर्व के कल्याण की भावना रख विश्व कल्याणकारी आत्मा बनकर रहे ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *कोई भी परिस्थिति आये, बात आये, एकरस स्थिति का अनुभव किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - विचार सागर मन्थन कर सर्विस की भिन्न भिन्न युक्तियाँ निकालो जिससे सबको बाप का परिचय मिल जाय"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की गोद में फूल सा खिलने का जो सुख पाया है उस सुख को दूसरो के दामन में भी सजाओ... दुखो में तड़फ रहे पुकार रहे हताश और निराश हो चले भाई आत्माओ को सुख और शांति की राह दिखाओ... सच्चे पिता से मिलाकर उनको भी खजानो से भरपूर कर चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा आपसे अथाह खुशियो को पाकर सबको इस खान का मालिक बना रही हूँ... पूरा विश्व खुशियो से गूंज उठे ऐसी परमात्म लहर फैला रही हूँ... प्यारे बाबा से हर दिल का मिलन करवा रही हूँ... और आप समान भाग्य सजा रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... आप समान सबके दुखो को दूर करो... आनन्द प्रेम शांति से हर मन को भरपूर करो... सबको उजले सत्य स्वरूप के भान का अहसास दिलाओ... प्यारा बाबा आ चला है यह दस्तक हर दिल पर दे आओ... सब बिछड़े बच्चों को सच्चे पिता से मिलवाओ और दुआओ का खजाना पाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा आपसे पाये प्यार दुलार और ज्ञान रत्नों को हर दिल को बाटने वाली दाता बन चली हूँ... सबको देह से अलग सच्ची मणि आत्मा के नशे से भर रही हूँ... प्यारे बाबा का परिचय देकर उनके दुखो से मुरझाये चेहरे को सुखो से खिला रही हूँ
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब ईश्वरीय प्रतिनिधि बन सबके जीवन को खुशियो से भर दो... विचार सागर कर नई योजनाये बनाओ... और ईश्वरीय पैगाम हर आत्मा तक पहुँचाओ... सबकी जनमो की पीड़ा को दूर कर ख़ुशी उल्लास उमंगो से जीवन सजा आओ... पिता धरा पर उतर आया है... पुकारते बच्चों को जरा यह खबर सुना आओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपसे पायी अनन्त खुशियो की चमक सबको दिखा रही हूँ... प्यारा बाबा खुशियो की खान ले आया है खजानो को लुटाने चला आया है... यह आहट हर दिल पर करती जा रही हूँ... भर लो अपनी झोलियाँ यह आवाज सबको सुना रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा पदमापदम भाग्यशाली हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा आज तक मनमत व परमत पर चलकर अपसेट होती रहती थी... देह अभिमान के वश होकर नाम, मान, शान के चक्रव्यूह में पड गई थी... दूसरों को देखना, दूसरों को सुनना इसी को आदत बनाकर रखी थी... दूसरों से प्रभावित होकर दिखावटी आकर्षणों में पड़कर दुखी होते जा रहीं थी...
➳ _ ➳ ज्ञान के सागर बाबा इस धरती पर आकर मुझ आत्मा को विकारो की दुबन से निकाला... कोटो में कोई कोई मे से भी कोई में से चुनकर अपना बनाया... अपनी गोदी में बिठाया... राज़योग सिखाया... सृष्टि के आदि, मध्य,अंत का ज्ञान दिया... त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी बना दिया... श्रेष्ठ श्रीमत देकर मुझ आत्मा को श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा बना दिया...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा श्रीमत के पहिये लगाकर अपने पुरुषार्थ के रफ्तार को तेज कर रहीं हूँ... श्रीमत के आधार पर हर कदम रख रहीं हूँ... हर संकल्प, हर श्वांस में बाबा की श्रीमत का पालन कर रहीं हूँ... अपनी स्थिति को डगमग नहीं होने देती हूँ...
➳ _ ➳ श्रीमत का पालन करने से मुझ आत्मा का देह अभिमान, पुराने स्वभाव संस्कार स्वतः मिटते जा रहें हैं... देह की दुनिया, सम्बन्ध, वस्तुओं के आकर्षण से डिटैच होती जा रहीं हूँ... दूसरा कुछ न देखती हूँ... न सुनती हूँ... अब मैं आत्मा सदा स्वमान में रहती हूँ... बस मैं और मेरा बाबा इसी रुहानी नशे में रहती हूँ... कोई तीसरा बीच में नहीं आ सकता...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा हर पल अटेन्शन रखती हूँ की श्रीमत में मनमत व परमत तो मिक्स नहीं हो रहा है... हर घड़ी चेक करती हूँ की एक क़दम भी श्रीमत के बिना न हो... अब मैं आत्मा मनमत, परमत को समाप्त कर श्रीमत पर पदमों की कमाई जमा करने वाली पदमापदम भाग्यशाली हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सर्व के प्रति कल्याण की भावना द्वारा, विश्व कल्याणकारी आत्मा बनना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा प्यार के सागर परमपिता शिव बाबा की सन्तान हूँ... बाप समान मैं आत्मा भी सर्व के साथ निर्पेक्षित, अनकंडिशनल, निश्छल प्रेम करती हूँ... बाप समान रहम दिल हूँ... दया और दातापन के भाव से भरपूर हूँ... सर्व के प्रति मुझ आत्मा में सिर्फ और सिर्फ कल्याण की भावना ही समाई हुई है... मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा के सामने कैसी भी संस्कार स्वभाव वाली आत्मा आये... सब पर मैं प्रेम लुटाकर उनको भरपूर करती हूँ... अपकारी पर भी उपकार करती हूँ... कहाँ भी रहूँ मुझे विश्व कल्याण का मेरा कर्तव्य सदा स्मृति में रहता हैं... विश्व कल्याण हेतु ही मैंने जन्म लिया हैं... विश्व कल्याण का ताज पहने हुए मैं आत्मा... विश्व कल्याण कर विश्व के परिवर्तन का ठेका मुझ आत्मा ने लिया है... और उसे मुझे सम्पन्न करना ही हैं...
➳ _ ➳ वसुन्धरे कूटम्बकेय की भावना से ओत-प्रोत... मैं आत्मा सर्व को आत्मा भाई-भाई की दृष्टी से देखती हूँ... परमात्मा की शक्तियाँ स्वयं में भरकर... सर्व आत्माओं को विकारों के बन्धन से मुक्त कर... मैं आत्मा सर्व पर निरन्तर सुख शांति की वर्षा करती हूँ... मेरी शुभ भावना और शुभ कामनाओं द्वारा सर्व आत्मायें दुःखो से मुक्त हो रही हैं...
➳ _ ➳ मेरे मीठे प्यारे शिवबाबा मेरे द्वारा विश्व कल्याण का महान कार्य करवा रहे हैं... मैं सर्व गुणों और शक्तियों से भरपूर आत्मा... जिसको जो भी गुण और शक्ति चाहिए, वो देती रहती हूँ... मन में बस सर्व का कल्याण करना... जो भी सामने आये उसे नजर से निहाल करना... उसको परमपिता से मिलाना... बस यही फुरना दिन-रात रहता हैं... मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा बाबा की राइट हैंड हूँ... बाबा की सहयोगी हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *मनमत, परमत को समाप्त कर श्रीमत कर पदमों की कमाई जमा करने वाले पदमापदम भाग्यशाली होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ जो बच्चे ये स्मृति रखते है कि मैं कौन हूँ व मेरा कौन है और कौन मुझे चला रहा है। कौन सा समय है तो अनमोल समय के महत्व को जान मनमत वा परमत को समाप्त कर हर कदम श्रीमत पर चलने वाले पदमापदम भाग्यशाली होते हैं।
❉ अभी तक मनमत व परमत पर चलते हुए ही हम सब की ये दशा हुई कि पतित बन गए। हमारे बार बार पुकारने पर व निमंत्रण देने पर ही आए हैं त़ो अब स्वयं भगवान इस धरा पर आए हैं। हमें भगवान की श्रेष्ठ मत पर ही चलना है व हर श्वांस बाबा की याद में सफल करना है। जो हर कदम बाप की श्रेष्ठ मत पर चलते है वही हर कदम में पदमों की कमाई जमा करते पदमापदम भाग्यशाली होते हैं।
❉ जिन बच्चों को ये खुशी व नशा रहता है कि स्वयं संगमयुग पर भगवान ने कोटों मे कोई व कोई मे से भी कोई हमें अपना बनाया है व अपना भाग्य लिखने की कलम स्वयः हमारे हाथ में दी है जितना चाहे भाग्य बना सकते है बस प्यारे बाबा की श्रीमत पर चलते हुए। इसलिए मनमत वा परमत को छोड बस श्रीमत पर चलते हुए पदमों की कमाई जमा करते पदमापदम भाग्यशाली होते हैं।
❉ जैसे राजा का बेटे को अपने बाप की पद पोजीशन का नशा होता है व अपने पिता की आज्ञानुसार ही चलता है व अपने को भाग्यशाली समझता है। ऐसे ही जिन बच्चों स्वयं को ये नशा रहता है फखुर रहता है कि पूरी सृष्टि को चलाने वाला हाइऐस्ट अथॉरिटी स्वयं मेरा है व अपनी ऊंच ते ऊंच व श्रेष्ठ मत देकर श्रेष्ठाचारी बना रहा है। उनका हर संकल्प बोल व कर्म श्रीमत अनुसार होता है व मनमत वा परमत मिक्स नही कर सकते व पदमो की कमाई जमाकर पदमापदम भाग्यशाली होते हैं।
❉ जैसे कोई बड़ा बिजनेसमैन होता है तो अपनी कमाई में बिजी व खुश रहता है और अपना लक्ष्य याद रखता है। ऐसे ही जो बच्चे अपने को पदमापदम भाग्यशाली समझते है व अपने लक्ष्य को, संगमयुग के महत्व को सदैव स्मृति में रखते है वो सदा बाप को साथ रखते हैं व मनमत वा परमत को किनारा कर हर कदम श्रीमत पर चलते मनमनाभव के मंत्र को याद करते पदमों की कमाई जमा करने वाले पदमापदम भाग्यशाली होते हैं।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *मन में सर्व के कल्याण की भावना बनी रहे - यही विश्व कल्याणकारी आत्मा का कर्तव्य है... क्यों और कैसे* ?
❉ सर्व आत्माओं के प्रति कल्याणकारी वृति रख सेवा करना ही सेवा का मुख्य फाउंडेशन है । अगर सेवा करते हुए मन में सर्व आत्माओं के प्रति शुभ चिंतक वृति नही है तो वह सेवा आत्माओं को प्रत्यक्ष फल की प्राप्ति कभी नही करवा सकती । रीति प्रमाण की हुई सेवा केवल हद का नाम और मान ही दिलवा सकती है । किंतु शुभ भावना और शुभ कामना के श्रेष्ठ संकल्प रखते हुए जो सर्व आत्माओं के कल्याणार्थ सेवा करते है वही विश्व कल्याणकारी आत्मा कहलाते हैं ।
❉ जैसे एक किसान अपनी मेहनत और लगन से बंजर जमीन को भी उपजाऊ बना देता है ठीक इसी तरह विश्व कल्याण की तीव्र भावना जिनके मन में होती है वे अपनी कल्याणकारी और शुभ चिंतक वृति से अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली कठोर से कठोर संस्कार वाली आत्मा के संस्कारों को भी बदल देते हैं । स्वभाव - संस्कारों के परवश हुई दुखी आत्मायों को परिवर्तित कर उन्हें सुख शांति का अनुभव करवाना ही विश्व कल्याणकारी आत्मा का कर्तव्य है ।
❉ जैसे धरनी में जब बीज बोया जाता है तो उसे बोने के बाद उसकी पूरी सम्भाल की जाती है । समय पर पानी देना, धूप की उचित व्यवस्था होना, उसे कीट पतंगों से बचा कर रखना आदि । यह साधन अपनाने के बाद ही उस बीज से सुंदर फसल तैयार होती है । ठीक इसी प्रकार विश्व कल्याणार्थ की हुई सेवा भी तभी फलीभूत होती है जब सेवा की श्रेष्ठ भावना के बीज को शुभभावना, शुभकामना के श्रेष्ठ संकल्पो का पानी देते रहें । यही विश्व कल्याणकारी आत्मा का कर्तव्य है ।
❉ किसी भी कार्य की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उस कार्य के पीछे भाव और भावना कैसी है । अगर मन में कोई छल कपट है, या ईर्ष्या वश कोई कार्य किया जाता है तो भले थोड़े समय के लिए उसमे सफलता मिल भी जाये लेकिन सदाकाल की सफलता की प्राप्ति कभी नही हो सकती । विश्व कल्याण के कार्य में भी भाव और भावना विशेष महत्व रखते हैं । सर्व आत्मायों के कल्याण की श्रेष्ठ भावना रख कर जब सेवा की जाती है तो वह सेवा सदा कल्याणकारी होती है ।
❉ विश्व कल्याणकारी आत्मा वही हो सकती है जिसके हर संकल्प और श्वांस में सर्व आत्माओं के कल्याण का भाव समाया हो । परम पिता परमात्मा की संतान हम संगमयुगी ब्राह्मण आत्माओं के शुभ और श्रेष्ठ संकल्पो में तो विशेष शक्ति है । हम ब्राह्मण आत्मायें ही विश्व की सर्व आत्मायों को प्रत्यक्ष फल की अनुभूति करवाने वाले है इसलिए हम ब्राह्मणों का मुख्य कर्तव्य है स्वयं को सदा विश्वकल्याणकारी की सीट पर सेट रखना और सर्व आत्माओं के प्रति शुभ एवं श्रेष्ठ संकल्पो की रचना करना ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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