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   18 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपने अन्दर की खामी को °सच्ची दिल° से बाप को सुनाया ?

 

‖✓‖ सुबह सुबह उठकर बड़े उल्लास से बाबा को °गुड मोर्निंग° कहा ?

 

‖✓‖ "हमारे जैसा °खुशनसीब° दुनिया में और कोई नहीं" - यह नशा रहा ?

 

‖✓‖ "हमारा यह °अंतिम जन्म बहुत वैल्युएबल° है" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ एक सेकंड में शरीर से परे °अशरीरी स्थिति° में स्थित होने का अभ्यास किया ?'

 

‖✓‖ °मनसा-वाचा-कर्मणा° खूब सर्विस की ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °कल्याण की भावना° द्वारा आत्माओं के संस्कार को परिवर्तित किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ अपने °ब्राह्मण स्वरुप और देवता स्वरुप° दोनों को सामने रखते हुए नशे और ख़ुशी में रह संपन्न स्थिति का अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं निश्चय बुद्धि आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   कल्याण की भावना द्वारा हर आत्मा के संस्कारों को परिवर्तन करने वाली मैं निश्चयबुद्धि आत्मा हूँ

 

 ❉   हर प्रकार के स्वभाव संस्कार वाली आत्माओं के साथ संस्कार मिलन की रास द्वारा मैं रीयल गोल्ड बन स्वयं को मोल्ड कर लेती हूँ ।

 

 ❉   मेरे सम्बन्ध संपर्क में आने वाली आत्मा अपने स्वभाव संस्कार द्वारा मुझे कितना भी डगमग करने की कोशिश करे लेकिन सबकी बातों को समा कर मैं अचल अडोल स्थिति में स्थित रहती हूँ ।

 

 ❉   हर आत्मा के प्रति शुभ भावना और शुभकामना रखते हुए मैं सर्व का कल्याण करती जाती हूँ ।

 

 ❉   स्वयं भगवान मेरा मददगार है।उसकी हजार भुजाएं के नीचे मैं स्वयं को सुरक्षित अनुभव कर आगे बढ़ती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा सदा हलचल के सीन में भी कल्याण का अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   सदा निश्चयबुधी विजयी स्थिति का अनुभव कर मैं विकराल समस्या को भी शीतल अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में निश्चय बुद्धि बन विजय का तिलक लगाये मैं निरन्तर सफलतामूर्त बनती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - यह मनुष्य तन बहुत - बहुत वैल्युबुल है, जबकि तुम बाप के बच्चे बने हो तो तुम्हे इस समय अपना एक भी श्वांस व्यर्थ नही गंवाना चाहिए"

 

 ❉   शास्त्रों में जो गायन हैं कि मानव जन्म बहुत ही दुर्लभ है वह वास्तव में संगमयुगी ब्राह्मण जीवन का गायन है ।

 

 ❉   पूरे कल्प में केवल संगम युग पर ही यह सर्वश्रेष्ठ जीवन मिलता है जबकि परम पिता परमात्मा स्वयं आ कर हमे शूद्र से ब्राह्मण और ब्राह्मण से देवता बनाते हैं ।

 

 ❉   यह वह समय हैं जब हम परम पिता परमात्मा बाप की श्रेष्ठ मत पर चल कर कल्प - कल्प की 21 जन्मों के लिए अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाते हैं ।

 

 ❉   अब वही संगम युग चल रहा है जब परम पिता परमात्मा बाप आये हुए है और हमे श्रेष्ठ मत दे कर श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बना रहे हैं ।

 

 ❉   इसलिए हमारा यह मनुष्य जन्म बहुत वैल्युबुल है, जबकि हम परमात्मा बाप के बने हैं इसलिए इस समय हमे अपना एक भी श्वांस व्यर्थ नही गंवाना चाहिए ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ एक सेकेंड में शरीर से परे अशरीरी स्थिति में स्थित होने का अभ्यास करना है ।

 

  ❉   जैसे बापदादा हर के मस्तक के बीच चमकती हुई मणि को देखते हैं, शरीर को नही । ऐसे हमें भी सभी के मस्तक की मणि को देखते हुए सहज अशरीरी स्थिति में स्थित होने का अभ्यास करना है ।

 

  ❉   एक सेकेंड में आवाज में, एक सेकेंड में आवाज से परे ऐसी ड्रिल कर अशरीरी स्थिति में स्थित होने का अभ्यास करना है व इसी ड्रिल से सर्व परिस्थितियों का सामना कर सकेंगे ।

 

  ❉   जब सभी संस्कारों से न्यारे हो जायेंगे तो फिर न्यारी अर्थात अशरीरी अवस्था सहज हो जायेगी व सब बातों में इजी रहने से सब कार्य भी इजी हो जायेंगे ।

 

  ❉   जैसे वस्त्र उतारना व पहनना सहज है , इसी रीति शरीर के भान में आना और शरीर के भान से निकलना यानि अशरीरी होने का अभ्यास करना है । ऐसा पुरुषार्थ कर मुख्य रत्नों में आना है ।

 

  ❉   जितना शरीर की स्मृति से परे अशरीरी स्थिति में रहने का अभ्यास करेंगे उतना व्यर्थ संकल्प , कर्म से छूटते जायेंगे ।

 

  ❉    जैसे इस दुनिया में मुख से वर्णन करने से एक दो के भाव को जान लेते हैं ऐसे ही मन के भावों को जानने के लिए बुद्धि का लाइन क्लीयर हो इसके लिए शरीर में रहते अशरीरी स्थिति में स्थित होने का अभ्यास करना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कल्याण की भावना द्वारा हर आत्मा के संस्कारो को परिवर्तन करने के लिए निश्चयबुद्धि होना आवश्यक है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   परमात्मा पर निश्चय, ड्रामा पर निश्चय और स्वयं पर निश्चय यह बहुत जरुरी है। अगर एक भी निश्चय में कमी होगी तो स्थिति हलचल की बनी रहेगी।

 

 ❉   हम सब आत्माये है, एक परमात्मा की संतान, सब आत्माये परमात्मा के बच्चे है, हम एक ही परिवार के सब भाई भाई है, सब आत्माओ को रोल मिला हुआ है जो वह बहुत अच्छे से बजा रही है। ऐसे अभ्यास करते रहे।

 

 ❉   हम कल्याणकारी बाप के बच्चे है, हमें बाप ने निमित्त बनाया है। हम पूर्वज आत्माये है, हमें सबका कल्याण करना है, अपकारीयो पर भी उपकार करना है, यह कर्तव्य कभी न भूले।

 

 ❉   हमारी सर्व के प्रति सदा शुभ भावना और शुभ कामना होनी चाहिए, सर्व के कल्याण में ही हमारा भी कल्याण समाया हुआ है। मनसा वाचा कर्मणा सर्व के  कल्याण अर्थ ही बीजी रहना है।

 

 ❉   परमात्मा आये है,सर्व आत्माओ का कल्याण करने सब को नयी दुनिया का वर्सा देने तो कैसी भी कड़े संस्कारो वाली आत्मा हो हमारी वृत्ति उसके प्रति सदा कल्याण की ही रहे, हमारी शुभ भावना से ही उसका परिवर्तन हो जायेगा।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ पवित्रता की शक्ति से अपने संकल्पों को शुद्ध, ज्ञान स्वरूप बना कर कमजोरियों को समाप्त करो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   पवित्रता का बल जितना अपने अंदर जमा करते जायेंगे उतना व्यर्थ से दूर होते जायेंगे तथा शुद्ध और समर्थ चिंतन द्वारा ज्ञान स्वरूप बन सर्व कमजोरियों से सहज ही मुक्त होते जायेंगे ।

 

 ❉   पवित्रता की शक्ति विकारों की अग्नि को शांत कर आत्मा को शीतल बना देगी और शीतलता का अहसास मन बुद्धि को भी शांत और शीतल बना कर सर्व कमजोरियों को समाप्त कर देगा ।

 

 ❉   स्वराज्य अधिकारी बन जब कर्मेन्द्रियों को वश में कर लेंगे तो संकल्पों में शुद्धता आती जायेगी और ज्ञान स्वरूप बनते जायेगे इससे सर्व कमजोरियां सहज ही समाप्त होती जाएगी किन्तु कर्मेंद्रियजीत तभी बनेंगे जब पवित्रता की शक्ति जमा होगी ।

 

 ❉   अपने समय, संकल्प और श्वांसों को तभी सफल कर पाएंगे जब संकल्पो को शुद्ध, ज्ञान स्वरूप बना कर सर्व कमजोरियों को समाप्त कर माया पर जीत पायेंगे और मायाजीत तभी बन सकेंगे जब पवित्रता का बल अपने अंदर जमा करेंगे ।

 

 ❉   जितना योग का बल अपने अंदर जमा करते जाएंगे उतने समर्थ बनते जायेंगे और पुराने स्वभाव - संस्कार व कर्म पर सहज ही विजय प्राप्त कर संकल्पो को शुद्ध, ज्ञानस्वरूप बना कर कमजोरियों को समाप्त कर सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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