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❍ 24 / 11 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *हर बात में कल्याण समझ सदा निश्चिंत रहे ?*
➢➢ *पढाई में गफलत तो नहीं की ?*
➢➢ *कोई भी भूल का बाप का नाम बदनाम तो नहीं किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *समस्याओं को चढ़ती कला का साधन अनुभव कर सदा संतुष्ट रहे ?*
➢➢ *स्व स्थिति में रह सर्व परिस्थितियों को पार किया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - शिव बाबा का बनकर कोई भी भूल नही करना, भूल कर बाप का नाम बदनाम कर देंगे"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... प्यारा बाबा बड़ी उम्मीदों से फूल बच्चों को देख रहा... अब ईश्वर पिता का हाथ छुड़ा फिर विकारो का हाथ न थामना... भूल से भी यह भूल न करना... प्यारे बाबा की लाज रखना... और दिव्य गुणो की धारणा से बाबा का नाम रौशन कर सदा का मुस्कराना....
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा आपके प्यार की आपके दुलार की ममता की रोम रोम से ऋणी हूँ... मीठे बाबा आपने मेरे दुखो भरे कलुषित जीवन को सुखो का पर्याय बनाया है... मुझे फूलो सा खिलाया है... ईश्वरीय प्यार को पाकर निहाल हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... हर साँस संकल्प समय को यादो से भर चलो... ईश्वरीय यादो में इस कदर महक उठो की हर दिल इस खुशबु से सुवासित हो उठे... आपकी चमक से पिता के आने की आहट गूंजे... ऐसा रूहानियत भरा महकता जीवन हो... अपने हर कर्म को ईश्वरीय यादो से भरकर सुकर्म बनाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा मीठे बाबा की यादो में अतीन्द्रिय सुख में झूल रही हूँ... हर कर्म बाबा की मीठी मीठी यादो में डूबी हो कर रही हूँ... सदा श्रीमत को पलको में लिए जीवन को श्रंगार रही हूँ... अपने श्रेष्ठ कर्मो से प्यारे बाबा की झलक पूरे जहान को दिखा रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब जो ईश्वर पिता ने बाँहों में भरकर असीम प्यार किया है ज्ञान खजानो को लुटाकर मालामाल किया है... ईश्वरीय जागीर नाम कर बादशाह बनाया है तो श्रीमत को कभी न छोडो... भूल कर भी कोई भूल न करो और ऐसे निस्वार्थ प्रेम को बदनाम न करो... हर कदम अपनी सम्भाल करो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार का दिव्य गुणो का अथाह ज्ञान रत्नों का कैसे शुक्रिया करूँ... आपने प्यारे बाबा दुखो से उबार कर मुझे फूलो के गलीचे पर चला दिया है... सारी खुशियो की फुलवारी मेरे दिल आँगन में सजा दी है... ऐसे मीठे बाबा का किन शब्दों में धन्यवाद मै करूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा शक्तिशाली हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा ब्राह्मण बनने के बाद भी, माया के तूफान आते ही गिरती कला का अनुभव करने लगती हूँ... समस्या रुपी पहाड़ को देखकर क्यों, क्या के क्वेस्चन्स में उलझ जाती हूँ... बाबा की याद को किनारा कर परिस्थितियों के वश होती जा रहीं हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा शांति से बैठकर अपनी चेकिंग करती हूँ... कभी चढ़ती कभी गिरती कला के कारण को ढूँढती हूँ... मैं आत्मा समस्याएँ आते ही बाबा को साइड कर सारा बोझ स्वयं पर ले लेती हूँ... और निराश हो जाती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाबा के दिये ज्ञान का मंथन करती हूँ... मैं आत्मा ज्ञान सागर की संतान मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ... प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान से भरपूर कर दिया... ज्ञान, गुण, शक्तियों, सारे खजानों की चाबी मुझ आत्मा को दे दी हैं... वही मुझ आत्मा के सुप्रीम बाप, सुप्रीम टीचर, सुप्रीम गुरु भी हैं... जब स्वयं सर्व शक्तिमान मेरे साथ है तो डरने की क्या बात है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अब सदा संतुष्ट रहने के लिये अभ्यास करती हूँ... स्व के, बाबा के, ड्रामा के पाठ को पक्का करती हूँ... जो भी होता है वो ड्रामा अनुसार बिल्कुल एक्युरेट है... कल्प कल्प वही हो रहा है... अब हर समस्या मुझ आत्मा को जानी पहचानी अनुभव होती है... अब मैं आत्मा कारण को निवारण में बदल देती हूँ ...
➳ _ ➳ अब मैं शक्तिशाली आत्मा बन गई हूँ... समस्याएँ अब मुझ आत्मा के लिये चढ़ती कला का साधन बन गई हैं... अब मैं आत्मा समस्याओं को सहज ही पार कर लेती हूँ... हर परिस्थिति में बाबा के साथ का अनुभव कर सदा खुश रहती हूँ... अब मैं आत्मा समस्याओं को चढ़ती कला का साधन अनुभव कर सदा सन्तुष्ट रहने वाली शक्तिशाली बन गई हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- स्व-स्थिति में स्थित रहकर सर्व परिस्थितियों को पार करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा भृकुटि सिंहासन पर बैठ सर्व परिस्थितियों पर राज्य करती हूँ... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ... सर्व शक्तियों की मालिक... मैं विघ्न विनाशक गणेश हूँ... कोई भी विघ्न... कोई भी समस्या... मुझ आत्मा के सामने टिक नहीं सकती...
➳ _ ➳ अपनी मजबूत स्व स्थिति द्वारा मैं आत्मा सर्व परिस्थितयों पर सहज ही विजय प्राप्त करती हूँ... परिस्थितयां मेरे लिए खिलौना मात्र हैं... मैं परिस्थितियों से बहुत ऊपर हूँ... स्वयं की शक्तियों द्वारा हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त करती हूँ... कोई भी परिस्थिति का रूख मैं स्वयं की शक्तिशाली स्थिति से मोड़ देती हूँ...
➳ _ ➳ परिस्थितियां आती है और जाती है... मैं अचल-अडोल रह उन्हें आते-जाते देखती रहती हूँ... ये परिस्थितियां मेरे लिए साइड सीन ही हैं... परिस्थितियों को पार करना मुझ आत्मा के लिए खेल हैं... जिसे मैं अपनी स्व स्थिति द्वारा खेलती रहती हूँ... और उन पर विजय प्राप्त करती रहती हूँ...
➳ _ ➳ मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ... हर परिस्थिती को जीत कर मैं आत्मा अनुभवी बनती जा रही हूँ... मेरे अनुभव ही मुझे श्रेष्ठ बना रहे हैं... शिवबाबा का प्यार और शिक्षायें मुझे हर परिस्थिति को पार करने में मदद करते हैं... मेरी स्व स्थिति की सीट पर बैठ मैं आत्मा श्रेष्ठ बन गई हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *समस्याओं को चढ़ती कला का साधन अनुभव कर सदा संतुष्ट रहने वाले शक्तिशाली होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ जो शक्तिशाली आत्मा होती है वो हर समस्या को सहज ही पार कर लेती है क्योंकि वो आत्मा अपने को सर्वशक्तिमान परमपिता की छत्रछाया में अनुभव करती है। जब सर्वशक्तिमान परमपिता साथ है तो कोई समस्या उससे पावरफुल नही है व समस्या में भी अपनी स्थिति पावरफुल रख सदा संतुष्ट रहती है।
❉ कोई समस्या आती है तो वो कुछ न कुछ सीखाने के लिए आती है । उससे ही हमें पता चलता है कि हम पेपर में पास हुए या नही । इसलिए अपने को मास्टर सर्वशक्तिमान की सीट पर सेट रखकर उसे सहज पार करते हुए चढ़ती कला का अनुभव करते हुए जो संतुष्ट रहते है वही शक्तिशाली होते हैं।
❉ जो बच्चे ड्रामा के राज को भली भांति समझ जाते है तो वो जो हो रहा है अच्छा ही हो रहा है व जो होगा अच्छा ही होगा । इस पाठ को पक्का कर हर समस्या में भी उसका सहज निवारण स्वरुप बन संतुष्ट रहते हैं और समस्या को चढ़ती कला का साधन अनुभव कर शक्तिशाली होते हैं।
❉ जो बच्चे शक्तिशाली होते है वो हमेशा ये स्मृति में रखते हैं कि परिस्थिति तो बाहरी है व स्थिति हमारी अपनी है । इसलिए परिस्थिति को स्थिति पर हावी नही होने देते व समस्या तो आई है चली जाएगी। बस एक प्यारे शिव बाबा की याद में रहने से बुद्धि की लाइन क्लीयर रखते है और बुद्धियोग बस बाबा से जोडे रखते है तो वो समस्याओं में भी अपने को शक्तिशाली अनुभव करते संतुष्ट रहते हैं।
❉ जिस आत्मा का हर कर्म, बोल, संकल्प बाबा के लिए होता है व प्यारे बाबा से मिले हर खजानों, गुणों, शक्तियों से सम्पन्न होती है तो वो आत्मा शक्तिशाली होने से सदा संतुष्ट रहती है और कोई भी समस्या या परिस्थिति आने पर उसे आगे बढ़ने का साधन समझ सहज पार करती हैऔर चढ़ती कला का अनुभव करती है। समस्याओं को नथिंग न्यू समझ सहज ही निवारण कर आगे बढते हुए शक्तिशाली होती है।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *स्व - स्थिति में स्थित रहकर सर्व परिस्थितियों को पार करना ही श्रेष्ठता है... क्यों और कैसे* ?
❉ किसी भी दुःख का मूल कारण एक ही शब्द है - भूलना अर्थात विस्मृति । भूलने के कारण ही अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा होती है । कोई भी परिस्थिति दुखदाई तभी अनुभव होती है जब अपनी ऊँची श्रेष्ठ स्थिति को भूल स्वयं को साधारण शक्तिहीन आत्मा समझने लगते हैं । इसलिए जितना अपनी श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहेंगे उतना स्मृति से समर्थी आती जायेगी और समर्थ आत्मा बन सर्व परिस्थितियों को सहज ही पार कर सकेंगे । यही श्रेष्ठता है ।
❉ कहा जाता है कि जैसी स्मृति होती है वैसी स्थिति होती है और जैसी स्थिति होती है वैसे ही कर्म होते हैं । स्थिति अगर कमजोर है तो कर्म में भी कमजोरी आ जाती है । तो श्रेष्ठ कर्म का आधार है श्रेष्ठ स्थिति । जो सदा अपनी श्रेष्ठ और ऊँची स्व स्थिति की सीट पर विराजमान रहते हैं वे कभी भी परिस्थितियों से घबराते नही । बल्कि अपने श्रेष्ठ और ऊँचे कर्म द्वारा हर परिस्थिति रूपी पहाड़ को पार कर लेते हैं ।
❉ जैसे कोई भी आक्यूपेशन वाले जब अपनी सीट पर सेट होते हैं तो वह आक्यूपेशन के गुण, कर्तव्य ऑटोमेटिक इमर्ज होते हैं । ठीक इसी प्रकार जब हम भी अपने श्रेष्ठ आदि और अनादि स्वरूप की सीट पर सदा सेट रहेंगे तो हर गुण, हर शक्ति और हर प्रकार का नशा स्वत: ही इमर्ज रहेगा और यही नशा और निश्चय कोई भी परिस्थिति आने पर उस परिस्थिति में घबराने के बजाय स्व स्थिति की सीट पर सेट कर परिस्थिति से पार ले जायेगा ।
❉ स्व स्थिति में वही स्थित रहते हैं जो साक्षीपन की सीट पर सदा सेट रहते हैं । साक्षीपन की सीट पर स्थित आत्मा की मुख्य विशेषता यह होती है कि उसके सामने कोई भी परिस्थिति आये लेकिन सदा समर्थ होने के कारण वह हर परिस्थिति को खेल अनुभव करती है । किसी भी परिस्थिति में घबराने के बजाए शक्तिशाली स्व स्थिति के ऊँचे आसन पर विराजमान हो कर वह उन्हें रास्ते के साइड सीन समझ कर पार करते हुए मनोरंजन का अनुभव करती है ।
❉ स्व स्थिति में स्थित हो कर जब हर कर्म करेंगे तो अपनी ऑथोरिटीज को, प्राप्त हुई सर्व शक्तियों, सर्व खजानों और वरदानों को अच्छी तरह से यूज़ कर पायेंगे । क्योकि स्व स्थिति की पोजीशन माया के हर विघ्न से परे निर्विघ्न स्थिति में स्थित कर देगी और निर्विघ्न आत्मा के हर कदम में सफलता समाई होती है । इसलिए हर परिस्थिति, हर समस्या उसके सामने आते ही सेकण्ड में समाप्त हो जाती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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