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   06 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ इस पतित पुरानी दुनिया से °बेहद का वैराग्य° रहा ?

 

‖✓‖ "जो कर्म मैं करूंगा... °मुझे देख सब करेंगे°" - यह बुधी में रहा ?

 

‖✓‖ "कब" की बजाये "°अब करना है°" शब्द का उपयोग किया ?

 

‖✓‖ °कदम कदम श्रीमत° पर चले ?

 

‖✓‖ °आँखों° की बहुत संभाल की ?

 

‖✗‖ बुधी में °झरमुई झगमुई (परचिन्तन)° की बातें तो नहीं रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ बार बार हार खाने की बजाये °बलिहार° जाने का पुरुषार्थ किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ कर्मेन्द्रियों के मालिक बन °जो चाहो.. जैसा चाहो... जितना समय जिस स्थिति में रहना चाहो..° उतना समय उस स्थिति का अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं मास्टर सर्वशक्तिमान विजयी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   एक बाप पर बलिहार जाने वाली मैं मास्टर सर्वशक्तिमान विजयी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   स्वयं को सदा विजयी रत्न समझ कर हर संकल्प और कर्म करने से मैं हर कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लेती हूँ ।

 

 ❉   अपने हर संकल्प, बोल और कर्म को विशेष बना कर मैं स्व परिवर्तन द्वारा विश्व का परिवर्तन करने वाली स्व परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक आत्मा हूँ ।

 

 ❉   स्व स्थिति पावरफुल होने के कारण कभी भी कोई भी परिस्थिति मुझ पर हावी नही होती ।

 

 ❉   किसी भी परिस्थिति में हार खाने के बजाए एक बाप पर बलिहार हो कर मैं हर परिस्थिति को अपने अधीन कर लेती हूँ ।

 

 ❉   अपने सम्पूर्ण स्वरूप को धारण करने की दृढ प्रतिज्ञा ही मेरी सफलता का आधार बन मुझे विजयी रत्न बना देती है ।

 

 ❉   अपनी दिव्य बुद्धि द्वारा मैं व्यर्थ संकल्पों रूपी बाणों को कमजोर बना कर उन पर जीत प्राप्त करती हूँ ।

 

 ❉   शुद्ध संकल्पों की शक्ति मुझे माया के तूफानों में भी डबल लाइट स्थिति द्वारा सहज ही मेहनत मुक्त, जीवन मुक्त स्तिथि का अनुभव कराती है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - कदम - कदम श्रीमत पर चलो, नही तो माया देवाला निकाल देगी, यह आँखे बहुत धोखा देती हैं, इनकी बहुत - बहुत संभाल करो"

 

 ❉   आज हर मनुष्य मनमत और परमत पर चलने के कारण माया के जाल में बुरी तरह फंसे पड़े हैं ।

 

 ❉   क्योकि रावण का राज्य हैं और रावण राज्य में सभी के संस्कार आसुरी अर्थात विकारी हैं ।

 

 ❉   इन्ही आसुरी संस्कारों के कारण माया ने सबको अपने वश में किया हुआ है इसलिए आज पूरी दुनिया दुःखी और अशांत हैं । सभी एक दो को दुःख देते रहते हैं ।

 

 ❉   इन सभी दुःखो से छूटने का केवल एक ही उपाय है और वह है केवल एक परमात्मा बाप की मत पर चलना क्योकि सिवाए एक बाप के और कोई श्रेष्ठ मत दे नही सकता ।

 

 ❉   अभी वही परम पिता परमात्मा बाप आ कर हम बच्चों को श्रेष्ठ मत दे रहे हैं और समझा रहें हैं कि कदम - कदम श्रीमत पर चलो ।

 

 ❉   श्रीमत पर नही चलेंगे तो माया देवाला निकाल देगी । माया से बचने के लिए आँखों की सम्भाल करो क्योकि आँखे बहुत धोखा देती हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ अपने ऊपर बहुत कंट्रोल रखना है । श्रीमत में कभी बेपरवाह नहीं बनना । बहुत-बहुत समझदार रहना है, कभी कोई कायदे का उल्लंघन न हो ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है । बाप की याद से ही पावन बनते हैं । जब आत्मिक स्थिति में रहते हैं तो दृष्टि भी आत्मिक रहती है व कर्मेन्द्रियों पर कंट्रोल रहता है व कोई विकर्म नही होता ।

 

  ❉   अभी तक तो मनमत पर चलते हुए विकारों में गिरते गए व तमोप्रधान हो गए । अब संगमयुग पर पतित ते पावन बाप ने हमें अपना बच्चा बनाया तोहमें बाप की श्रीमत पर चल श्रेष्ठ कर्म करने हैं ।

 

  ❉   अपनी आत्मिक दृष्टि रखनी हैं व इन आंखों की बहुत सम्भाल रखनी है क्योंकि ये ही बहुत धोखा देती हैं ।

 

  ❉   लौकिक में भी कायदे अनुसार काम नहीं करते तो नुकसान ही होता है व लौकिक बाप से सजा भी मिलती है । फिर हमें तो बेहद का बाप मिला है तो श्रीमत पर चल ऊंच पद पाना है । श्रीमत पर न चले व बेपरवाह बने तो पद भ्रष्ट हो जायेगा ।

 

  ❉   अमृतवेले से रात तक की जो मर्यादायें है उन का अच्छी रीति पालन करना है । देहभान की मिट्टी से नही खेलना है । अब बाप से ही बुद्धियोग लगाना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ बार-बार हार खाने की वजाए बलिहार जाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान विजयी बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   बलिहार जाना अर्थात अपना सब कुछ बली चढ़ा देना, अपना सब जब एक बाप को दे दिया तो अपना कुछ रहा ही नहीं फिर उसका अपने अनुसार उपयोग नहीं कर सकते तो गलती भी नही होगी।

 

 ❉   मनमत जहाँ होती है वहाँ हार होती है क्युकी हमारी पत्थर बुद्धि है, परन्तु अपना सब कुछ बाप पर बलिहार कर श्रीमत अनुसार कर्म करने से वह कर्म सफल हो जाता है।

 

 ❉   बाप पर बलिहार जायेंगे तो हर कर्म की जिम्मेदारी बाप की हो जाएगी, बाप पर सम्पूर्ण निश्चय रखने से विजय निश्चित होती है। सब कुछ बाप को सोपकर निमित्त बनकर कर्म में लाना है।

 

 ❉   "निश्चय बुद्धि विजयंती" सम्पूर्ण निश्चय से बाप पर पूरा पूरा बलिहार जाना है, तो माया से कभी हार नहीं होगी। सदा विजयी भव का वरदानी बनने के लिए  सदा श्रेष्ठ स्वमान में स्थित रहे।

 

 ❉   यहाँ सदा के विजयी बनेंगे तभी विजयी माला का मणका बन पाएंगे, यदि अभी बार-बार हार खाते रहेंगे तो सरे कल्प में हार ही होती रहेगी, रजाई में पद भी कम मिलेगा और भक्ति में भी पूज्य की जगह पुजारी बनेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ " कब " शब्द कमजोरी सिद्ध करता है इसलिए " कब " करेंगे नही, अब करना है... क्यों ?

 

 ❉   " कब " शब्द की बजाए अब करना है जब यह लक्ष्य रखेंगे तो यह लक्ष्य हर कमजोरी को समाप्त कर हर कार्य में सफलता दिला कर सहज ही सफलतामूर्त आत्मा बना देगा  ।

 

 ❉   महान आत्मा वही है जिसके हर कर्म में सर्व आत्माओं का कल्याण समाया हो और कल्याणकारी आत्मा वही बन सकते है जो " कब " शब्द रूपी कमजोरी को समाप्त कर अब करना है का लक्ष्य रख निरन्तर आगे बढ़ते रहते हैं ।

 

 ❉   " कब " शब्द मन बुद्धि को साधारण और व्यर्थ संकल्पों में उलझा देता है जिसके कारण आत्मा संगम युग के बहुमूल्य खजानो और प्राप्तियों से वंचित रह जाती है ।  इसलिए संगम युग के अनमोल खजानो की प्राप्ति आत्मा तभी कर सकेगी जब " कब " शब्द की बजाए अब करना है का लक्ष्य होगा ।

 

 ❉   लास्ट सो फ़ास्ट आने के लिए स्व स्थिति का मजबूत होना बहुत आवश्यक है और स्व स्थिति तभी पावरफुल होगी जब " कब " शब्द रूपी कमजोरी को समाप्त कर अब करना है का लक्ष्य रखते हुए आत्मा उड़ती कला का अनुभव करेगी ।

 

 ❉   कब शब्द निर्णय शक्ति को प्रभावित करता है व्यर्थ के खाते को बढ़ा देता है जिससे आत्मा में निर्बलता आती है । इसलिए कब शब्द की बजाए अब करना है का लक्ष्य रखेंगे तो व्यर्थ का खाता समाप्त होता जायेगा और जमा का खाता बढ़ने से आत्मा में बल जमा होता जायेगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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