━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 05 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ "अभी हम ईश्वरीय गोद में हैं" - यह स्मृति रही ?

 

➢➢ अपना सब कुछ डायरेक्ट ईश्वर अर्थ अर्पण कर सफल किया ?

 

➢➢ इस अमूल्य जीवन को रूहानी सेवा में लगाया ?

────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ सदा अपने रॉयल कुल की स्मृति द्वारा ऊंची स्टेज पर रहे ?

 

➢➢ अपने हर्शितमुख द्वारा प्यूरिटी की रॉयल्टी का अनुभव करवाया ?

────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

To Read Vishesh Purusharth In Detail, Press The Following Link:-

 

✺ HTML Format:-

➳ _ ➳  http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/05.05.16-VisheshPurusharth.htm

 

✺ PDF Format:-
➳ _ ➳  http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/05.05.16-VisheshPurusharth.pdf

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा गुणमूर्त हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

➳ _ ➳  आराम से योगयुक्त स्तिथि में बैठ जाएं... इस देह और देह के सभी बन्धनों को भूल जाएं... कोई भी बात यदि मन मेँ पकड़कर रखी है तो उसे भी जाने दें... समस्त बन्धनों से मुक्त एक बाप की याद में बैठेंगे आज... देखें अपने आप को... मैं एक आत्मा हूँ... इस शरीर को चलाने वाली चैतन्य शक्ति हूँ... मैं सदा इस आत्मिक स्मृति में रहने वाली बापदादा की लाडली डबल ताजधारी ब्राह्मण आत्मा हूँ... मेरा मस्तक अनादि अविनाशी स्वरुप की स्मृति से चमक रहा है... मेरा यह रॉयल स्वरुप मुझे सहज ही शिव पिता की याद में स्तिथ कर रहा है... मैं आत्मा सदैव अपने गुणमूर्त को देखने वाली, सदैव ऊँची स्टेज पर रहने वाली, ऊंच से ऊंच बाप की रॉयल फैमिली की सदस्य हूँ... मैं आज अपने परमप्यारे बाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं रॉयल कुल की सन्तान कभी भी देह रुपी मिट्टी पर पाँव नहीं रखूंगी... इस मिट्टी से मैं सदा दूर रहूंगी... अपनी कमियों को देखकर बार - बार सोचने के बजाए उन्हें खत्म करती जाउंगी... यह संकल्प कर मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि मैं गुणमूर्त बनती जा रहीं हूँ ।

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चों - तुम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हो तुम्हे बाप द्वारा ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है,तुम अभी ईश्वरीय गोद में हो"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों तुम बच्चे कितने खूबसूरत भाग्य से भरे हो की ईश्वरीय गोद में पल रहे हो दुनिया ईश्वर को जान न सके और आप ब्रह्मा मुख वंशावली बन गोद में पल रहे हो... और ज्ञान के तीसरे नेत्र को पा त्रिनेत्री बन चले हो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे से बच्चों ईश्वर पिता ने आकर आप बच्चों को दुखो के दलदल से निकाल फूलो सी गोद में ले लिया है... ज्ञान से हर बात को जानने वाले बुद्धिवान तुम ही बनते हो... लोग करुणा से पुकार कर रहे पर सम्मुख जान न पाये और आप सारी जन्नत अपने नाम करा चले हो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों ब्रह्मा वत्स बन कितने सुखी हो चले हो...  ईश्वरीय गोद के साये में पल ख़ुशी और आनन्द के संस्कार बना रहे हो... सारे गुण और शक्तिया खुद में समाहित कर रहे हो... बाबा ने गोद में जो उठा लिया है...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों सारा संसार तो भटक रहा फिर भी प्राप्ति से कोसो दूर रहा... तुम्हे तो मेने ही चुन लिया अपना वारिस तय किया...  अपनी मखमली गोद आपके हवाले की और ज्ञान के रत्नों से दामन सजा दिया...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चों आपके सुंदर भाग्य के जलवो के तो क्या कहने...शुद्र से ब्राह्मण बन चले... धरती से उठ ईश्वरीय गोद में खिल उठे...  परमात्म ज्ञान में चहकने लगे... आनन्द और ख़ुशी से ठुमकने लगे... आप जैसा शानदार भाग्य किसी का नही...

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ अपनी इस अमूल्य जीवन को रुहानी सेवा में लगाना है । खास भारत, आम सारी दुनिया की सेवा करनी है ।

 

  ❉   अभी तक तो अज्ञानता वश रावण राज्य में थे । इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर स्वयं भगवान ने अपना बनाया है व अनमोल व भाग्यशाली जीवन है तो इस का हर क्षण रुहानी सेवा में सफल करना है ।

 

  ❉   ये जीवन वरदानी जीवन है व पूरे कल्प में एक बार ही मिलता है । इस समय ही रुहानी सेवा कर हम अपना जितना चाहे भाग्य बना सकते है व स्वयं परमात्मा ने भाग्य लिखने की कलम हमारे हाथ में दी है । तो हमें अपना तन मन धन से रुहानी सेवा करनी है ।

 

  ❉   लौकिक में जो दान पुण्य करते है उससे अल्पकाल का सुख मिलता है व संगमयुग जो रुहानी सेवा करते है उससे 21 जन्मों के लिए प्राप्ति होती है । इसलिए इस अमूल्य जीवन को रुहानी सेवा में लगा सफल करना है ।

 

  ❉   अभी हम ईश्वरीय संतान है व हमारा ये अंतिम जन्म बहुत अमूल्य है व भगवान खास भारत में आते है व सुप्रीम टीचर बन हमको राजयोग सिखाते हैं व कौड़ी तुल्य जीवन से हीरे तुल्य बनाते है तो हमें रुहानी सोशल वर्कर बन सेवा करनी है ।

 

  ❉   कोई वेद शास्त्र या कोई गुरु हमें ये ज्ञान नही दे सके । सिर्फ सच्चा बाप ने ही हमें अपने असली स्वरुप की पहचान दी व सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान दिया । 5000 वर्ष बाद ही बाप आकर हमें ये सच्ची सच्ची गीता सुनाते हैं और हमें भी सब को आत्मा समझ ये सच्चा ज्ञान देकर सेवा करनी है ।

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सदा अपने रॉयल कुल की स्मृति द्वारा ऊंची स्टेज पर रहने वाले गुणमूर्त होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे सदा अपने रॉयल कुल की स्मृति होने से हर परिस्थिति, हर आत्मा के सम्बंध सम्पर्क में आते हुए संतुष्ट रहते हैं व हर कर्म ऊंचे व बेहद बाप की याद में करते हैं तो ऊंची स्थिति पर रहते है व सदा गुणमूर्त होते हैं ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में भी स्थूल रॉयल के बच्चे कुल की स्मृति होने से कभी छोटी छोटी बातों में या छोटी छोटी चीजों में अपनी बुद्धि वा समय नही देते , सुनते हुए नही सुनते । जो बच्चे ये स्मृति रखते हम रुहानी कुल की आत्माये हैं उनके मुख से कभी व्यर्थ बोल नही निकलते हमेशा युक्तियुक्त बोल ही निकलते हैं व हर आत्मा के प्रति रहमदिल होते है और गुणमूर्त होते है ।

 

  ❉   जो बच्चे रॉयल कुल के होते हैं वह कभी मिट्टी में पांव नही रखते व देहभान की मिट्टी से दूर रहते हैं । सबके प्रति आत्मिक भाव व आत्मिक दृष्टि रखते ऊंची स्टेज पर स्थित रहते है और सबमें गुण ही देखते गुणमूर्त होते है।

 

  ❉   जो बाप के गुण सो वो मेरे गुण ।  मैं सुख सागर, शक्ति सागर... की संतान हूं व सर्व आत्माओं को सुख, शांति, शक्ति... की वायब्रेशनस देनी है व किसी को भी  मनसा वाचा कर्मणा दुःख नही देना ऐसी स्मृति रखने वाले ऊंची स्थिति पर रहने वाले गुणमूर्त होते हैं ।

 

  ❉   ऊंच ते ऊंच बाप की संतान ऊंच ते ऊंच पढ़ाई वाली आत्मा हूं  जिसे रोज स्वयं भगवान पढ़ाने आते हैं और पतित से पावन बनाते हैं । श्रीमत प्रमाण चल अपनी चाल चलन रॉयल रखनी है । ऐसी स्मृति रख ऊंची स्टेज पर रहने वाले गुणमूर्त होते हैं ।

 

  ❉    मैं आत्मा ईश्वरीय कुल की संतान हूं । मुझे दैवीय गुण धारण करने है । मैं सर्व गुण सम्पन्न आत्मा हूं । ऐसी रॉयल कुल की  स्मृति द्वारा ऊंची स्टेज पर रहने वाले गुणमूर्त होते हैं ।

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने हर्षितमुख द्वारा प्यूरिटी की रॉयल्टी का अनुभव कराने वाला ही रॉयल है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   अपने हर्षित मुख द्वारा प्यूरिटी की रॉयल्टी का अनुभव वही करा सकते हैं जो दिव्य गुणों को धारण करते हैं और कमल आसनधारी बन कमल पुष्प समान न्यारे और बाप के प्यारे बनकर रहते हैं । बाप के लव में लीन होने के कारण रॉयल्टी की चमक उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देती है ।

 

 ❉   जैसे अलौकिक दुनिया में भाग्य की निशानी राज्य अर्थात राजाई होती है और राजाई की निशानी ताज होता है ऐसे ईश्वरीय भाग्य की निशानी है लाइट का क्राउन और इस क्राउन की प्राप्ति का आधार है प्यूरिटी । इसलिए संपूर्ण प्यूरिटी की धारणा करने वाले ही अपने हर्षितमुख द्वारा प्यूरिटी की रॉयल्टी का अनुभव कराने वाले रॉयल ताजधारी बनते हैं ।

 

 ❉   हम सब एक बाप की संतान आपस में रूहानी भाई हैं । इस अलौकिक दृष्टि की समृति रहने से लौकिक दृष्टि जिसके आधार पर विकारों की उत्पत्ति होती है वह बीज समाप्त हो जाता है । बीज समाप्त हो जाने से अनेक प्रकार के विस्तार रूपी विकारों का वृक्ष भी समाप्त हो जाता है । और प्यूरिटी की रॉयल्टी चेहरे से स्पष्ट दिखाई देने लगती है जो रॉयल बना देती है ।

 

 ❉   पतित पावन बाप की याद में रहने से आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट जब उतरने लगती है और योग अग्नि में तपकर आत्मा जब रीयल गोल्ड बन जाती है तो उसके चेहरे पर दिव्यता और अलौकिकता स्पष्ट दिखाई देने लगती है और उसका हर्षितमुख  सबको प्यूरिटी की रॉयल्टी का स्पष्ट अनुभव करवाता है ।

 

 ❉   ब्रह्मा बाप को फॉलो कर जो सच्चे ब्रह्माचारी बनते हैं । जिनका आचरण ब्रह्मा बाप समान बन जाता है और संकल्प में भी अपवित्रता का अंश जिनके आचरण में दिखाई नहीं देता । उनका चेहरा पवित्रता की चमक से सदा चमकता रहता है और उनका हर्षित मुख प्यूरिटी की रॉयल्टी का अनुभव सबको करवाता रहता है ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━