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❍ 19 / 12 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *शुभ कार्य में देरी तो नहीं की ?*
➢➢ *अपने को लायक बनाकर अपने पैरों पर खड़ा होने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *कोई भी व्यर्थ खयालात तो नहीं किये ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *दिल में सदा एक राम को बसाकर सच्ची सेवा की ?*
➢➢ *जैसे आत्मा और शरीर कंबाइंड है, ऐसे आप बाप के साथ कंबाइंड रहे ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *पवित्र संकल्प, पवित्र दृष्टि, पवित्र कर्म, पवित्र सम्बन्ध संपर्क अपनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - सदा सुखी रहो जितना याद करेंगे उतना सुख मिलेगा यही बाप तुम बच्चों को आशीर्वाद देते है"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की मीठी यादो में अथाह सुखो के खजाने समाये है... जितना यादो में स्वयं को गहरे डुबोयेंगे उतने सुखो को अपनी तकदीर में सजायेंगे... *मीठी यादो में यूँ बच्चों का फूलो सा खिलना और अनन्त सुखो में मुस्कराना* यही पिता की दिली तमन्ना और सच्चा आशीर्वाद है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा भगवान को पिता शिक्षक और सतगुरु रूप में पाने वाली खुबसूरत से भाग्य से सजी हूँ... भगवान से यूँ सम्मुख आशीर्वाद पा रही हूँ... उसकी *यादो में खोकर अथाह सुखो को अपने दामन में सहज ही सजा रही हूँ.*..
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह और देहधारियों की यादो से दारुण दुखो को गले लगाकर कितने बेहाल हुए... *अब विश्व पिता के फूलो भरे साये में फिर से खुशनुमा खिल उठो*... मीठे बाबा की मीठी सी यादो में सदा सुखी रहो और मुस्कराते रहो खुशियो की बहारो में सदा खिलखिलाते ही रहो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी महकती यादो में कितनी प्यारी और *खुशियो की फुलवारी सी खिल उठी हूँ.*.. ईश्वरीय यादो में जीवन कितना प्यारा हो चला है... मै आत्मा कितनी सुखी और दिव्य गुणो की मूरत बन चली हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *ईश्वर पिता यूँ सम्मुख है उसकी यादो में डूबकर जितने चाहो उतनी दौलत खजाने अपनी बाँहों में भर चलो.*.. ईश्वर पिता की यादो में सारे सुख सारी खुशियां... पूरे विश्व पर राज्य सब कुछ अपने नाम करवा लो... मीठे बाबा की सारी जागीर लेकर सदा के सुखी हो जाओ....
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा *आपकी प्यारी सी यादो में कितनी पवित्र और दिव्यता से भरी दमकती मणि बन मुस्करा रही हूँ.*.. संसार के सारे सुख मेरे आँचल में सितारे से सज गए है... मीठे बाबा की गोद में मै आत्मा कितनी सुखदायी बन मुस्करा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा मायाजीत, विजयी हूँ ।"*
➳ _ ➳ प्यारे शिव बाबा ने आकर मुझ आत्मा को बल, बुद्धि, ज्ञान देकर महावीर बना दिया... मैं आत्मा महावीर हूँ... हनुमान हूँ... मुझ हनुमान के दिल में सदा एक राम बसता है... बाप के सिवाए और कोई भी मुझ आत्मा के दिल में नहीं है... मैं आत्मा देह को भी भूल सदा एक शिवबाबा के ही याद में रहती हूँ... मैं आत्मा *सदा एक की लगन में ही मगन* रहती हूँ...
➳ _ ➳ मैं महावीर आत्मा एक बाप की याद से सर्व गुणों से भरपूर हो रहीं हूँ... अष्ट शक्तियों, सर्व सिद्धियों को प्राप्त कर रहीं हूँ... मैं महावीर आत्मा *ज्ञान गुणों की मास्टर सागर* बन गई हूँ... प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा के जन्मों-जन्मों के सारे बंधनों से छुटकारा दिला दिया है... सारे संकट, दुख, पीडा को हर लिए हैं...
➳ _ ➳ अब मैं महावीर आत्मा सूक्ष्म रूप धरके फरिश्ता बन जाती हूँ... सेकेंड में तीनों लोकों का सैर करती हूँ... मैं आत्मा शक्ति रूप धर *माया रूपी लंका को जलाती* हूँ... मुझ आत्मा ने माया के सम्पूर्ण राज्य को जलाकर भस्म कर दिया है... अब कोई भी माया रूपी भूत मुझ आत्मा के निकट नहीं आ सकते हैं... मैं आत्मा भीम रूप धर विकार रूपी असुरों का संहार करती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सच्चा सेवाधारी बन लोक कल्याण रूपी कार्य करती हूँ... अब मैं आत्मा *सदा सेवाधारी की स्टेज पर स्थित* रहती हूँ... -मैं महावीर आत्मा शिव बाबा द्वारा दिए ज्ञान रूपी संजीवनी देकर सभी मूर्छित आत्माओ को जगा रहीं हूँ... सबको माया के अधिकार को ख़त्म करने का रास्ता बता रहीं हूँ... माया के चंगुल से छुड़ा रहीं हूँ... अब मैं आत्मा मायाजीत, जगत जीत बन गई हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाबा का साथ होने से हर दुर्गम कामों को सहज बना देती हूँ... मैं आत्मा महावीर बन पहाड़ जैसी विकट परिस्थितियों को राई समान छोटा बना देती हूँ... प्यारे शिवबाबा से सफलतामूर्त भव का वरदान पाकर सदा विजय का तिलक लगाती हूँ... अब मैं आत्मा दिल में सदा एक राम को बसाकर सच्ची सेवा करने वाली *मायाजीत, विजयी बन गई* हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- जैसे आत्मा और शरीर कम्बाइंड है ऐसे बाप के साथ कम्बाइंड रहना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा परमपिता परमात्मा की सन्तान... *परमात्मा के साथ मुझ आत्मा का अमिट सम्बन्ध हैं...* वो सदैव मेरे साथ हैं... हर सम्बन्ध का सुख उनसे प्राप्त हैं... हम दोनों कम्बाइंड स्वरूप में हैं...
➳ _ ➳ जहाँ मैं आत्मा, वहाँ मेरा बाबा... जैसे शरीर के साथ आत्मा सदा कम्बाइंड है... वैसे मैं बाप के साथ सदा कम्बाइंड हूँ... जैसे ज्योति के साथ प्रकाश, चाँद के साथ चाँदनी सदा हैं... वैसे *मैं आत्मा भी बाप के साथ सदा हैं...*
➳ _ ➳ बाबा मेरे स्वांसों में बसते हैं... इस ब्राह्मण जीवन की एक-एक स्वाँस, एक-एक संकल्प में बाबा पिरोये हुये हैं... उनके बिना ब्राह्मण जीवन ही नहीं... उनसे ही मैं हूँ... वहीं मेरी सच्ची पहचान हैं... *मेरे चेहरे-चलन में वहीं नजर आते हैं...*
➳ _ ➳ बाबा मेरे जीवन रूपी नय्या के खिवय्या हैं... वो मेरे जीवन नय्या की पतवार लिए मुझे सुनहरे भविष्य की ओर ले जा रहे हैं... *उनके साथ मैं सदा निश्चिन्त हूँ...* पग-पग मेरे साथ वो चलते हैं... माया के तूफानों से बचाते हुए... हर परिस्थिति से सेफली मुझे निकालते हुए... मंजिल की ओर ले चले हैं... अहो भाग्य मेरा जो स्वयं भगवान मेरा साथी बना हैं... मुझे अपने भाग्य पर नाज़ हैं...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *दिल में सदा एक राम को बसा कर सच्ची सेवा करने वाले मायाजीत होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ दिल में सदा एक राम को बसा कर सच्ची सेवा करने वाले मायाजीत, विजयी होते हैं क्योंकि... हनुमान जी की *विशेषतायें दिखाते है कि... वह सेवाधारी थे।* वह महावीर थे, इसलिये! वह खुद नहीं जले थे, लेकिन! उन्होंने अपनी पूंछ की आग द्वारा रावण की सारी लंका को जला दिया था।
❉ उसी प्रकार यहाँ भी जो सच्चे सेवाधारी हैं, वे भी अपने सामने माया, अर्थात! विकारों रुपी आग के इस जंजाल को समाप्त कर देते हैं क्योंकि... *इन विकारों रुपी, विकारों की आग ने,* आज के समय प्रमाण, लगभग सभी मनुष्य मात्र को अपने वशीभूत किया हुआ है।
❉ अब बाबा ने सच्चे सेवाधारियों की तुलना हनुमान के चरित्र से की है। उन्होंने कहा है कि... *सच्चा सेवाधारी महावीर होता है।* वह हनुमान के समान माया रुपी रावण की लंका को भस्म कर देने वाला होता है। चाहे दूसरे लोग कितना भी उनको कष्ट पहुँचाने की कोशिश करें, पर वह उन कष्टों में स्वयं नहीं जलते हैं।
❉ इसलिये! जो सदा सच्चे सेवाधारी होते हैं, वो खुद नहीं जलते हैं, बल्कि... *अपनी जली हुई पूंछ द्वारा लंका को जला कर खाक* कर देते हैं। वह तो सदा के लिये... माया के अधिकार को ही खत्म कर देते हैं क्योंकि... वह महावीर जो होते हैं। वह ही माया की चुनोतियों को समाप्त कर सकते हैं।
❉ जो सच्चे सेवाधारी नहीं हैं *वे कभी भी माया के राज्य को जला नहीं सकेंगे* क्योंकि हनुमान के दिल में सदा एक राम ही बसता था, इसलिये! हमारे भी दिल में एक बाप के सिवाय और कोई नहीं होना चाहिये। यहाँ तक कि अपनी देह की स्मृति भी नहीं हो, तब हम भी मायाजीत व विजयी बन जायेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *जैसे आत्मा और शरीर कम्बाइन्ड है वैसे आप बाप के साथ कम्बाइन्ड रहो... क्यों और कैसे* ?
❉ जैसे आत्मा को कर्म करने के लिए शरीर का आधार चाहिए । इसी प्रकार शरीर रूपी रथ का अस्तित्व भी केवल तब तक है जब तक इसे चलाने वाली रथी आत्मा इसमें विराजमान है । *अर्थात आत्मा और शरीर दोनों एक दूसरे के पूरक है* । तो जैसे आत्मा और शरीर एक दूसरे के साथ कम्बाइन्ड है ठीक इसी प्रकार आत्मा के सर्व सम्बन्ध भी केवल एक परमात्मा के साथ है । जितना इस बात को स्मृति में रख परमात्मा बाप के साथ कम्बाइन्ड रहेंगे उतना परमात्म छत्रछाया में स्वयं को सेफ अनुभव करेंगे ।
❉ जैसे आत्मा और शरीर दोनों का साथ है जब तक इस सृष्टि पर पार्ट है तब तक अलग नहीं हो सकते । ऐसे ही शिव और शक्ति अर्थात आत्मा और परमात्मा का भी इतना ही गहरा सम्बन्ध है । तो जो सदा बाप के साथ कम्बाइन्ड हो कर चलते हैं, *सदा शिवमई शक्ति के कम्बाइन्ड स्वरूप में स्थित रहते हैं उनकी लगन में माया विध्न डाल नहीं सकती* । वे सदा साथीपन का और साक्षी स्टेज का अनुभव करते हैं । चलते फिरते हर कर्म करते उन्हें सदा ऐसे अनुभव होता है जैसे कोई साकार में साथ हो ।
❉ जैसे शरीर और आत्मा दोनों कम्बाइन्ड हो कर कर्म कर रहे हैं ऐसे जो निरन्तर बाप के साथ कम्बाइन्ड हो कर सदा अपने कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति में स्थित रहते हैं वे कर्मयोगी बन हर कर्म करते सदा न्यारे और प्यारे रहते हैं । वे किसी भी कर्म को करते हुए बोझ का अनुभव नही करते बल्कि *सदा हल्केपन का अनुभव करते हुए लाइट और माइट स्थिति में स्थित रहते हैं* । अपने लाइट और माइट स्वरूप द्वारा वे स्वयं के साथ साथ अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को भी लाइट माइट स्थिति का अनुभव करवाते रहते हैं ।
❉ पूरे कल्प में केवल एक संगमयुग ही है जब परमात्म पालना का श्रेष्ठ सौभाग्य प्राप्त होता है । और उसमे भी कोटो में कोई और कोई में भी कोई वो सौभाग्यशाली आत्माएं हैं जो संगम युग पर परमात्मा को पहचानती है और सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन उस परमात्म पालना का अनुभव करती है । *तो ऐसी सौभाग्यशाली आत्मायें जो सदा बाप के साथ ऐसे कम्बाइन्ड हो कर चलती है तो उनके हर कर्म से परमात्म झलक स्पष्ट दिखाई देती है* जो औरों को भी परमात्म पालना का अनुभव करवाकर उन्हें भी परमात्म प्रेम से भरपूर कर देती है ।
❉ संगम युग पर बाप और बच्चे के कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति हाईएस्ट अथॉरिटी की स्थिति का आधार है । क्योकि कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति समर्थी लाती है । और *समर्थी स्वरूप आत्मा किसी भी प्रकार के माया के विघ्नों को कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति से* सामना करने की अथॉरिटी स्वयं में ऑटोमेटिकली अनुभव करती है । चाहे स्वयं कमजोर आत्मा भी हो लेकिन सर्वशक्तिवान के संग वा स्मृति से स्वयं को शक्तिशाली अनुभव करती है । इसलिए मायाजीत बन माया के हर वार का सामना सहजता से कर लेती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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