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❍ 02 / 03 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अच्छी रीति पड़ °दूसरों को पढाया° ?
‖✓‖ पवित्रता का प्रैक्टिकल स्वरुप °सत्यता अर्थात दिव्यता° को प्रतक्ष्य किया ?
‖✓‖ °चुप° रहकर बाप को याद करते रहे ?
‖✓‖ °एक बाप की श्रीमत° पर चलते रहे ?
‖✗‖ किसी देहधारी के °नाम रूप° में तो नहीं फंसे ?
‖✗‖ "ड्रामा में होगा तो कर लेंगे" - ऐसे बोल बोलकर °कर्म सन्यास° तो नहीं लिया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ अपनी °सतोगुणी दृष्टि° द्वारा अन्य आत्माओं की दृष्टि, वृत्ति को परिवर्तित किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ अपनी चेकिंग की की °बुधी का भोजन "संकल्प"° बाप समाने रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-25)
➢➢ भविष्य 21 जन्मों के लिए अच्छी रीति पढ़ना और पढ़ाना हैं । पढ़ने और पढ़ाने से ही नाम बाला होगा ।
❉ इस संगमयुग पर स्वयं परमात्मा अपने बच्चों के लिए पतित दुनिया में पावन बनाने आते हैं व सुप्रीम टीचर बनकर हमें पढ़ाते हैं । पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बनाते हैं तो हमें इस रुहानी पढ़ाई को अच्छी रीति स्वयं पढ़ना है व पढ़ाना है ।
❉ ये पढ़ाई बहुत ऊंची है व ऊंचा पद देने वाली है । इस पढ़ाई से ही हमें भविष्य में 21 जन्मों के लिए राजाई पद प्राप्त करते हैं व अविनाशी कमाई करते हैं । ऐसी ऊंच पढ़ाई को रोज पढ़ना है व ज्ञान धन बांटते रहना है ।
❉ बाप रोज अविनाशी अनमोल अखूट खजानों से हमें भरपूर करते हैं व एक एक रत्न बेशुमार कीमती है । उसे धारण करने के लिए बुद्धि रुपी बर्तन को साफ रखना है व अपनी चेकिंग करनी है कि झोली में कोई छेद तो नही है ।
❉ जितना ज्ञान रुपी धन बांटते हैं उतना ही बढ़ता है । जैसे लॉकर में धन रख दें तो बढ़ता नही उतना ही रहता है व कोई चीज जिसे यूज न करें तो पडे पडे जंग लग जाता है ।इसलिए पढ़ाई को पढ़ना ही है व पढ़ाना भी है ।
❉ जैसे लौकिक में जो बच्चा अच्छे से पढ़ता है व उसे समय पर यूज करता है तो वह जीवन में आगे बढ़ता है व अपने मां-बाप का नाम रोशन करता है । ऐसे हमें ऊंच ते ऊंच बाप पढ़ाते हैं तो हमें अपने बाप का नाम बाला करना है व बाप को प्रयत्क्षय करना है ।
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∫∫ 5 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-25)
➢➢ अपने सतोगुणी दृष्टि द्वारा अन्य आत्माओं की दृष्टि, वृत्ति का परिवर्तन करने वाले साक्षात्कारमूर्त होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ सतोगुणी दृष्टि वाली आत्मा पहले स्व परिवर्तन करती है उनको देख अन्य आत्माएं भी अपने में परिवर्तन करने लगती हैं और वह अन्य के लिए साक्षात्कार मूर्त होते हैं ।
❉ सतोगुणी आत्मा सदा आत्मिक दृष्टि रखती हैं क्योंकि देहभान में आने से कभी सतोगुणी नहीं बन सकते , न ही कोई प्राप्ति हो सकती है । वह क्यूं, क्या , कैसे में नहीं मूंझते । सदा निश्चयबुद्धि बन हर कर्म करते हैं व इससे अन्य आत्माओं का निश्चय पक्का हो जाता और वो साक्षात मूर्त बन जाते ।
❉ जब सर्व सम्बंध एक बाप से होते हैं व बस बाप की याद में रहते हैं तो सर्वशक्तिवान बाप से लाइट और माइट से भरपूर होकर अन्य आत्माओं की दृष्टि व वृत्ति का परिवर्तन कर साक्षात्कारमूर्त होते हैं ।
❉ एक बाप की याद से व योगबल से अपने विकर्मों को विनाश कर मनसा वाचा कर्मणा पवित्रता धारण करते हैं तो रुहानियत से अन्य आत्माओं को कशिश होती हैं व ऐसा अनुभव करते हैं कि जैसे ये साक्षात देवी ही है ।
❉ कहा भी जाता है जैसे दृष्टि वैसी वृत्ति, जैसी वृत्ति वैसी कृत्ति, जैसी कृत्ति वैसी सृष्टि । तो हमारी ऐसी सतोगुणी हो जो कैसी भी आत्मा हमारे सम्पर्क में आए उस आत्मा की दृष्टि और वृत्ति का परिवर्तन हो जाए ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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