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 20 / 12 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *आत्माओं में अविनाशी बीज बोने की सेवा की ?*

 

➢➢ *क्रोध को छोड़ बहुत बहुत प्यारा बनने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *सेर्विसेबुल का रीगार्ड रखा ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *सत्यता की महानता द्वारा सदा ख़ुशी के झूले में झूलते रहे ?*

 

➢➢ *सर्व शक्तियों की लाइट सदा साथ रख माया को समीप तो नहीं आने दिया ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *बाप और आप युगल रूप में स्थित रहे ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - क्रोध भी बहुत बड़ा कांटा है इससे बहुतो को दुःख मिलता है इसलिए इस कांटे को निकाल सच्चे सच्चे फूल बनो"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अब दुखदायी कांटे क्रोध को छोड़ मीठे बाबा संग मधुरता के पर्याय बनो... और *अपने दिव्य गुणो की खुशबु से सबके जीवन में खुशियो के फूल खिलाओ*... सारे विश्व को अपनी ईश्वरीय दिव्यता पवित्रता का मुरीद बना आओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा आप संग मिलकर तो पारस हो चली हूँ... *हर दिल आत्मा को आपसे पाये मीठे प्यार और गुणो की झलक दिखा रही हूँ.*.. कौन मुझे मिला है और किसने इतना खुबसूरत फूल मुझे बनाया है... यह खुशबु पूरे जहान में फैला रही हूँ....

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... महान भाग्य को पाकर ईश्वर पुत्र जो बन चले हो तो बाप समान स्वरूप की अदा सारे विश्व में दिखाओ... *सबको प्रेम वर्षा से सिंचित कर रूहानियत के फूल खिला आओ*... ईश्वरीय छत्रछाया में विकारो से मुक्त होकर सुंदर देवताई स्वरूप से सज जाओ... प्यार के मोती सबके दामन में सजा आओ....

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में तो क्रोध के जहरीले कांटे से मीठा महकता प्यार का फूल बन चली हूँ... *हर दिल को दुखो से दूर कर ईश्वरीय प्यार से सींचने वाली ज्ञान गंगा बन मुस्करा रही हूँ.*.. रूहानी गुलाब बन चारो ओर खुशबु फैला रही हूँ....

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *विश्व पिता के प्यार भरी छाँव में रूखेपन को छोड़ रूहानियत से भर चलो.*.. मीठे पिता की यादो के सुनहरे संग में स्वयं को निखार कर अपने निखरे स्वरूप की झलक से सबके दुःख दूर करने वाले दुखहर्ता बन चलो... सच्चे सच्चे फूल बन मुस्कराओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा जो कभी मिठास क्या होता है... सच्चा प्रेम क्या होता है जानती ही न थी... आज ईश्वरीय यादो कितना प्यारा मीठा महकता फूल बन मुस्करा रही हूँ... *सुख का पर्याय बन पूरे विश्व में सुख की लहर फैला रही हूँ.*..

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा अथॉरिटी स्वरूप हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा कई जन्मों से इस दुनिया के विष सागर में फँसी हुई थी... देह, देह के सम्बन्ध, पदार्थ, विनाशी आकर्षणों की मायावी नाव में बैठी थी... मैं आत्मा अपने मंजिल की खोज में इस मायावी नाव में बैठकर इधर-उधर भटकती रही... अब *परमपिता परमात्मा स्वयं खिवैया बनकर* आयें हैं... झूठी मायावी नाव से उठाकर मुझ आत्मा को सत्य की नाव में बिठाया है...

 

➳ _ ➳  परमात्मा ने मझधार में डूब रही मुझ आत्मा को किनारे पर लाकर डूबने से बचाया है... प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को असली मंजिल का ज्ञान दिया... मुझ आत्मा को जन्म का असली लक्ष्य समझाया... मुझ आत्मा में असत्य की अज्ञानता को दूर कर *सत्यता की ज्योति जगाई* है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अब सिर्फ एक सत्य बाप को ही देखती हूँ... बाप से ही सुनती हूँ... प्यारे बाबा के कदमों से क़दम मिलाकर सदा उनको ही फालो करती हूँ... मैं आत्मा *आलमाइटी अथॉरिटी से ज्ञान पाकर* ज्ञान की अथॉरिटी स्वरूप बन गई हूँ... एक बाप से ही योग लगाकर योगबल की अथॉरिटी स्वरूप बन गई हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा श्रेष्ठ धारणाओं का पालन कर धारणा की अथॉरिटी स्वरूप बन गई हूँ... मैं आत्मा विश्व परिवर्तन के कार्य में बाबा की राइट हेंड बनकर सेवाधारी की अथॉरिटी स्वरूप बन गई हूँ... अब मैं आत्मा ज्ञान, गुण, शक्तियों, बाबा के सर्व खजानों की अधिकारी बनकर *सत्यता की अथॉरिटी स्वरूप* बन गई हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा सदा सत्यता की महानता से खुशी के झूले में झूलती रहती हूँ... मैं आत्मा सदा सत्य की नाव में ही बैठती हूँ... जो हिलेगी लेकिन कभी डूब नहीं सकती है... मुझ आत्मा को कोई भी कितना भी हिलाने की कोशिश करें... अब मैं आत्मा हिलती नहीं हूँ... *सदा अतीन्द्रिय सुख के झूले में* बाप के साथ झूलती रहती हूँ... अब मैं आत्मा सत्यता की महानता द्वारा सदा खुशी के झूले में झूलने वाली अथॉरिटी स्वरूप बन गई हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  सर्व शक्तियों की लाइट को सदा साथ रख माया को समीप नहीं आने देना"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा चैतन्य शक्ति... भृकुटि सिहांसन पर विराजमान... मैं सर्वशक्तिमान की सन्तान... *मास्टर सर्व शक्तिमान आत्मा हूँ...*  मैं आत्मा स्वयं को सर्वशक्तिमान परमात्मा शिव बाबा के समक्ष परमधाम में देखती हूँ...  शिव बाबा से अति तेजोमय शक्तिशाली किरणें निकल, मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं... मैं आत्मा शिवबाबा से स्वयं में सर्व शक्तियाँ भरती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा... मुझ से निरन्तर सर्वशक्तियों का प्रवाह हो रहा हैं... मेरे से निकल कर शक्तियों का एक कवच मेरे चारों तरफ बन रहा हैं... मैं आत्मा इस कवच में सम्पूर्ण सुरक्षित हूँ... बाहर का कोई आकर्षण, तमोगुणि ऊर्जा, माया का कोई भी रूप मुझ आत्मा को टच भी नहीं कर सकता... *माया मेरे समीप भी नहीं आ सकती...*

 

➳ _ ➳  सर्व शक्तियों की लाईट में... मैं आत्मा सदा सेफ़ हूँ... *मेरी शक्तियों के आगे माया भी मुझे सलाम करती हैं...* मेरे सामने नतमस्तक होती हैं...  मैं आत्मा अपनी शक्तियों की लाईट सर्वत्र फैलाते हुए... सर्व वातावरण का तमोगुणी अंधकार दूर कर रही हूँ... 

 

➳ _ ➳  मेरी शक्तियाँ मेरी सर्व कमजोरियों को जला कर खाक कर रही हैं...  मैं सर्व शक्तियों से सुसज्जित... इस जगत में पूज्यनीय मूर्त हूँ... मेरी शक्तियों द्वारा पूरे विश्व का कल्याण हो रहा हैं... माया को दूर कर मैं आत्मा *मायाजीत,जगतजीत बन गई हूँ...*

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *सत्यता की महानता द्वारा सदा ख़ुशी के झूले में झूलने वाले अथॉरिटी स्वरूप होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   सत्यता की महानता द्वारा सदा ख़ुशी के झूले में झूलने वाले अथॉरिटी स्वरूप होते हैं क्योंकि... *सत्यता की अथॉरिटी स्वरूप बच्चों का गायन हैसच तो बिठो नच।*

कहते हैं न सत्य की नाव हिलेगी - डुलेगी,  लेकिन!  डूबेगी नहीं। सत्य को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती है।

 

❉   सत्य की राह पर चलने वाला मनुष्य सदा प्रसन्नचित रहता है। सत्य तो स्वयं सिद्ध है। वह अपनी सच्चाई स्वयं देता है। सत्य की राह भले ही कठिन क्यों न हो पर *सत्य की राह पर चलने वाला व्यक्ति महान होता है,*  इसलिये!  वह खुशियों के झूले में सदा झूलता रहता है तथा अथॉरिटी स्वरूप भी बन जाता हैं।

 

❉   सत्यता की महानता *मनुष्य को उन्नति के शिखर पर ले जाती है।* उन के चेहरे से सत्यता की झलक स्वतः ही दिखाई देती है। सत्यता की अथॉरिटी स्वरूप बच्चों का सारी दुनिया ही गायन करती है, और वे खुशियों को प्राप्त करते हुए नाचते, गाते व गुनगुनाते रहते हैं तथा सदा ही सत्यता के नशे में मगन रहते हैं।

 

❉   जिस प्रकार सत्य की नाव को कोई डुबा नहीं सकता है। उसी प्रकार हम भी हैं। हमें भी कोई कितना भी हिलाने की कोशिश करे लेकिन!  *हम सत्यता की महानता से और ही खुशी में झूलेंगे,* क्योंकि!  वह हमको नहीं हिलाते हैं। लेकिन!  वह तो झूले को हिलाते हैं। इसको हिलाना नहीं कहेंगे। बल्कि!  ये तो झूलाना है।

 

❉    इसलिये!  हम उनको धन्यवाद देते हैं कि आप झुलाते जाओ और हम बाबा के साथ झूलते रहें अर्थात!  *आनंन्द के झूलों में अतीन्द्रिय सुख का अनुभव* करते रहें। तभी तो कहा है कि सत्यता की महानता द्वारा सदा खुशियों के झूले में झूलने वाले अथॉरिटी स्वरूप होते हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *सर्व शक्तियों की लाइट सदा साथ रहे तो माया समीप आ नहीं सकती... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे बीज भरपूर होता है । वैसे ज्ञान, गुण, शक्तियों से भरपूर आत्मा सदा अपने आपको सर्व प्राप्तियों से संपन्न अनुभव करती है । सर्व शक्तियों से संपन्न होने के कारण मास्टर ऑल माइटी अथॉरिटी बन जैसा समय, जैसी परिस्थिति हो वैसी शक्ति का प्रयोग करके उस परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती है । ऐसी *अनुभवी अथॉरिटी वाली आत्मा सर्वशक्तियों की लाइट को सदा अपने साथ रखती है* । इसलिए माया कभी भी उसके समीप नहीं आ सकती ।

 

❉   इस अलौकिक ब्राह्मण जीवन में तन की शक्ति, मन की शक्ति, धन की शक्ति और संबंध की शक्ति की प्राप्ति *वरदान के रुप में और वर्से के रुप में हर ब्राह्मण बच्चे को परमात्मा बाप द्वारा प्राप्त होती है* । जो इन सर्वशक्तियों की लाइट को हर समय अपने साथ रखते हैं । वे किसी भी परिस्थिति में कभी भी हार नहीं खा सकते । क्योकि सर्वशक्तियों की लाइट उनकी स्व स्थिति को इतना शक्तिशाली बना देती है कि माया भी उनके पास नही आ सकती ।

 

❉   अव्यक्त बापदादा के महावाक्य हैं कि - सर्व शक्तियों का वर्सा इतना शक्तिशाली है जो कोई भी समस्या आपके आगे ठहर नहीं सकती । इसलिए जो सर्वशक्तियों को इमर्ज रूप में सदा समृति में रखते हैं । और समय पर कार्य में लगाते हैं । *उनकी बुद्धि की लाइन हमेशा क्लीन और क्लियर रहती है* । निर्णय शक्ति तीव्र होने के कारण जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता होती है वह उसे कार्य में लगाकर समस्या मुक्त बन जाते हैं । और माया के हर तूफान का सामना करना उनके लिए आसान हो जाता है ।

 

❉   अगर सदा बुद्धि का संबंध एक ही बाप से लगा हुआ है । तो संबंध से सर्वशक्तियों का वर्सा अधिकार के रुप में अवश्य प्राप्त होता है । और जो अधिकारी समझकर हर कर्म करते हैं । उन्हें कभी संकल्प में भी मांगने की इच्छा नहीं रहती । *अधिकारीपन की समृति में रहने के कारण वे स्वत: ही सर्वशक्तियों की प्राप्ति का अनुभव करते रहते हैं* । सर्वशक्तियों की लाइट सदा उनके साथ होने के कारण वे माया के ऊपर भी विजय पाने के अधिकारी बन जाते हैं ।

 

❉   स्मृति से ही समर्थी आती है । इसलिए जो सदा इस स्मृति में रहते हैं कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं । तो वे सहज ही समर्थ स्वरुप आत्मा बन जाते हैं । वे केवल चिंतन और वर्णन नहीं करते लेकिन मास्टर सर्वशक्तिवान का स्वरूप बन जाते हैं । इसलिए *सर्व शक्तियों की लाइट सदा उनके साथ होने के कारण उनका हर कदम और हर कर्म स्वत: ही शक्तिशाली होता है* । समर्थी स्वरूप और सदा शक्तिशाली स्थिति होने के कारण माया भी उनके समीप नही आती ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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