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   03 / 03 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °समय और संकल्प° के खजाने की बचत कर जमा का खाता बढाया ?

 

‖✓‖ °एक बाप की श्रीमत° पर चले ?

 

‖✓‖ गृहस्थ व्यवहार में रहते °कमल फूल समान पवित्र° बनकर रहे ?

 

‖✗‖ किसी के °नाम रूप° में तो नहीं फंसे ?

 

‖✗‖ ऐसा कोई °पाप कर्म° तो नहीं किया जिससे सजा खानी पड़े ?

 

‖✗‖ °किसी से सेवा° तो नहीं ली ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ सर्व खजानों से भरपूर बन अपने चेहरे द्वारा सेवा करने वाले °सच्चे सेवाधार° बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ अपनी चेकिंग की की °मुख का भोजन "बोल"° बाप समाने रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-25)

 

➢➢ बाप समान निरहंकारी बनना है । किसी से सेवा नहीं लेनी है । किसी को दुःख नही देना है ।

 

  ❉   स्वयं परमात्मा अपने बच्चों को दुःखी देखकर नर्क से निकालने स्वयं पतितों की दुनिया में आते हैं व पतित शरीर में आकर हमें पावन बनाते हैं । अपने बच्चों को सच्ची अमरनाथ की कथा सुनाकर अमरपुरी में जाने लायक बनाते हैं ।

 

  ❉   बाप स्वयं कहते हैं कि मैं तुम्हारा ओबीडियंट सर्वेंट हूं कितने निरहंकारी हैं! हमेशा अपने बच्चों की सर्विस के लिए रेडी रहते हैं । हमें भी ऐसे बाप समान हमेशा सेवा में रेडी रहते निरहंकारी बनना है ।

 

  ❉   देहभान में आकर किसी को भी दुःख नहीं देना है । सबके साथ प्यार से व मीठा रहना है । देही-अभिमानी बनना है व आत्मिक दृष्टि रखनी है ।

 

  ❉   कोई भी ऐसा कर्म नही करना  सजा खानी पडे । जब बाप को भूल जाते हैं तभी देहभान में आकर कोई न कोई विक्रम करते हैं। इसलिए अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता की याद में रहना है ।

 

  ❉   हम विधाता के बच्चे हैं व मास्टर दाता हैं । अब किसी से कृपा आशीर्वाद सेवा मांगनी नही हैं क्योंकि मांगने के संस्कार भिखारियों के हैं । हमें अपने ऊपर आप ही कृपा कर सेवा करनी हैं व राजतिलक लेना है ।

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∫∫ 5 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-25)

 

➢➢ सर्व खजानों से भरपूर बन अपने चेहरे द्वारा सेवा करने वाले सच्चे सेवाधारी होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे सर्वखजानों से सदा भरपूर होते हैं तो उनके नयनों या मस्तक द्वारा ईश्वरीय नशा दिखाई देता है व उनका चेहरा ही सेवा करता है जिससे रायल्टी झलकती है ।

 

  ❉   जब ज्ञान रत्नों को अच्छी रीति धारण करते हैं तो रुहानी सर्विस को निमित्त भाव से करते हुए आगे बढ़ते हैं और दूसरों को भी बढ़ाते रहते हैं । ऐसे सर्व खजानों से सम्पन्न होकर अविनाशी ज्ञान रत्नों को बांटते हुए सच्ची सेवा करते हैं ।

 

  ❉   जब सर्वशक्तिवान बाप के बच्चें मास्टर  सर्वशक्तिवान हैं व हमेशा ये नशा खुशी रोहती है कि मेरा साथी कौन है व कौन मुझे चला रहा है तो ये ईश्वरीय नशे से चेहरे द्वारा सेवा करने वाले सच्चे सेवाधारी होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे सर्वखजानों से सदा संपन रहते हैं वो हमेशा प्रसन्नचित्त, संतुष्टमणि और खुश रह खुशी के खजानें बांटते रहते है तो ऐसी आत्माओं के चेहरे से स्वतः ही सेवा होती है व सच्चे सेवाधारी होते हैं ।

 

  ❉   इस संगमयुग के महत्व को समझते हुए हर सेकेंड हर संकल्प बाप के लिए होता है तो प्यार के सागर सुख के सागर... के बच्चे होने से हमेशा मास्टर प्यार का सागर ....होते सबको स्नेह सुख देकर सेवा करते हैं और सच्चे सेवाधारी होते हैं ।

 

  ❉    संगमयुग पर वरदानी अमृतवेले परमात्मा से मिलन मनाकर वरदानों से अपनी झोली भरकर सर्व खजानों से भरपूर होकर विधाता के बच्चे मास्टर दाता बन अपने चेहरे द्वारा सेवाकर सदा कम्बाइंड स्वरुप में रहते हैं और सच्चे सेवाधारी होते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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