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❍ 04 / 03 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अपने °सत्य स्वरुप की स्मृति° से सत्यता की शक्ति का अनुभव किया ?
‖✓‖ देही अभिमानी बन °अविनाशी ब्लॉटिंग पेपर बाप° को याद करते रहे ?
‖✓‖ °सबको बाप की याद° दिलाई ?
‖✓‖ ऐसी °मीठी अवस्था° बनी रही जो सबका कल्याण होता रहे ?
‖✗‖ किसी की °दिल को दुखी° तो नहीं किया ?
‖✗‖ किसी देहधारी के °नाम रूप° में तो नहीं फंसे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °विधाता के साथ वरदाता° बन सर्व आत्माओं में बल भर रहमदिल आत्मा बनकर रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ अपनी चेकिंग की की °हाथों का, पांवों का भोजन "कर्म" बाप समाने रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-25)
➢➢ पापों का दाग मिटाने के लिए देही-अभिमानी बन अविनाशी ब्लाटिंग पेपर बाप को याद करना है । ऐसी मीठी अवस्था बनानी है जो सबका कल्याण हो ।
❉ अभी तक अपने शरीर को ही सब कुछ समझ बस उसे संवारने में ही लगे रहे व देहधारियों से ही लगाव रख मोह में फंसते चले गए । देहभान में रह विकारों में ही गिरते गए व पाप आत्मा बन गए ।
❉ जैसे कहीं तेल गिरता हैं तो ब्लोटिंग पेपर उस पर रखने से सारा चूस लेता है । ऐसे ही पतितों को पावन करने वाला एक ही शिव बाबा ब्लोटिंग पेपर है ।
❉ सिर्फ एक बाप को याद करना है । एक बाप की याद ही अविनाशी ब्लोटिंग पेपर है जिससे आत्मा पावन बन जाती है । पापों का दाग शरीर पर नहीं आत्मा पर ही लगता है व शरीर की चोट लगने से आत्मा को ही दुःख फील होता है ।
❉ देहभान को छोड़ देही-अभिमानी बनना है । बस बिंदु बन बिंदु बाप को याद करना है । याद से ही विकर्म विनाश होते है । बाप कहते हैं मामेकम याद करो तो तुम्हारे में खाद पड़ी है खत्म हो जायेगी ।
❉ एक बाप को ही याद करना है औरों को भी यह रास्ता बताना है। जितना औरों को समझायेंगे तो हमारा भी कल्याण होगा । बाप को याद करने से पुण्य आत्मा बन जायेंगे ।
❉ जितना याद की यात्रा में रहेंगे उतना खुशी का पारा चढ़ेगा । अपनी अवस्था ऐसी बनानी है कि शक्ल से ही मालूम पड़ जाये व सब कहें कि इनका चेहरा ही खुशनुमः देवताओं जैसा है ।
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∫∫ 5 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-25)
➢➢ विधाता के साथ-साथ वरदाता बन आत्मा को बल भरने वाले रहमदिल होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ यदि कोई आत्मा अपने कमजोर संस्कार के कारण या दृढ़ता की कमी के कारण चाहना होते हुए भी प्राप्ति नही कर पा रही तो ऐसी आत्माओं के लिए ज्ञान दाता बनने के साथ अपनी शुभ भावना से बल भर रहमदिल होते हैं ।
❉ जब हर संकल्प, हर कर्म बाप के लिए होता है व जो वचन बाप से किया उसे पूरा करते हैं तो विधाता के साथ-साथ वरदानीमूर्त बन सर्व आत्माओं में बल भरने वाले रहमदिल होते हैं ।
❉ जो व्यक्ति धन दौलत से सम्पन्न होता है वह अपने बच्चों का भाग्य बनाने भी सहायक होता है औरों को भी सहयोगी होता है लोग उसे रहम दिल की संज्ञा देते हैं । ऐसे बेहद के बाप से सर्व खजानों से सम्पन्न हो कर सर्व को आप समान बनाने वाले व कल्याण की भावना रखने वाले रहम दिल होते है
❉ भगवान के बच्चें मास्टर भगवान हैं तो जैसे बड़ी पोजीशन वाला नाम हैं तो ऐक्टिविटी भी उसी प्रमाण हो । जो बाप ने किया वो हमें भी करना है व समय के वरदान से विधाता के साथ वरदाता बन अन्य आत्माओं में बल भर रहमदिल होते हैं ।
❉ जब एक बाप के लव में ही लवलीन रहते हैं व सिवाय बाप के कुछ और दिखाई नहीं देता व बुद्धि को एक ठिकाना मिल जाता है तो स्टेज पावरफुल बन जाती है । सर्व प्राप्तियों के अनुभवीमूर्त बन जाते हैं तो मास्टर दाता बन अन्य आत्माओं मे बल भर रहमदिल होते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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