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   15 / 03 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ बाप समान °दुःख हर्ता सुख कर्ता° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ बाप समान °मास्टर ज्ञान सागर° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °योग अग्नि° से विकर्मों की खाद को भस्म करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ "अब यह अंतिम जन्म है... °वानप्रस्थ अवस्था° है" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ 5000 वर्ष की °84 जन्म° की यात्रा स्मृति में रही ?

 

‖✓‖ "°सत्य° समय प्रमाण स्वयं सिद्ध होता है" - यह स्मृति रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °ईश्वरीय कुल° की स्मृति द्वारा माया का सामना किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °यज्ञ सेवा° कर उसके प्रतक्ष्य फल का अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप को ज्ञानी तू आत्मा बच्चे ही प्रिय है इसलिए बाप समान मास्टर ज्ञान सागर बनो"

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों ज्ञानसागर बने बच्चे ही तो मुझ पिता के दिल पर राज करेंगे... मेरे समान छवि लिए खुद में मेरी झलक लिए हुए...  बच्चों पर ही मै फ़िदा हूँ...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे बच्चों ज्ञानी तू आत्मा बच्चे मुझे अति प्रिय है... वही मेरे दिल के दुलारे है... मेरी उम्मीदों के सितारे है... पिता समान ज्ञान का सागर छलकाने वाले ज्ञान खुशबु से जहाँ को महकाने वाले...बच्चे ही मेरे दुलारे है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों जिस ज्ञान सुधा को आपने पिया है उसे ओरो को भी चखाओ... जिस खजाने से आप भरे हो ओरो को भी अधिकारी बनाओ... मेरे वारिस बने हो तो उस नशे में जरा आओ...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे लाडलो इन ज्ञान के कीमती रत्नों को बरसाने वाले बच्चे मेरी आँखों के तारे से है... जो दुसरो के दुखो को ज्ञान दे सुखो में बदल दे ऐसे बच्चे ही मुझे अति प्यारे से है....

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों मेरे नक्शे कदम पर चल सबके जीवन में ज्ञान छलकाने वाले...  सबके जीवन को खूबसूरती में बदलने वाले ही मेरे दिल पर राज करते है...

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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ योग अग्नि से विकर्मों की खाद को भस्म कर पावन बनना है । अब वानप्रस्थ अवस्था है इसलिए वापिस घर जाने के लिए सम्पूर्ण सतो प्रधान बनना है ।

 

  ❉   सोने को शुद्ध करने के लिए उसे आग में तपाकर उसकी अलॉय निकालते हैं ऐसे पावन बनने के लिए अपने को योग भट्टी में तपाकर अपने विकर्मों की खाद को भस्म करना है व पावन बनना है ।

 

  ❉   बर्तन पर लगी कट उतारने के लिए उसे रगड रगड कर साफ करते हैं तो वह चमक जाता है ऐसे ही अपने को देह न समझ देही समझना है व घोट घोटकर ये पाठ पक्का करना है । यही पाठ पक्का करने से आत्मा की लाइट चमकेगी व अपने परमपिता की याद स्वतः ही आयेगी ।

 

  ❉   लौकिक में भी वानप्रस्थ अवस्था होती है तो अपने लिए गृहस्थ परिवार में समय निकाल मंत्र जाप करते हैं और कहते अब हमारी अवस्था परमात्मा को याद  करने की है । ऐसे ही हम आत्माओं का ये लास्ट जन्म वानप्रस्थ अवस्था है व अब हमें घर जाना है और पावन जरुर बनना है ।

 

  ❉   बाबा भी मुरली में समझाते कि अब तुम्हारी वानप्रस्थ अवस्था है व मुझे याद करो और पावन बनो। बाबा की श्रीमत का सम्पूर्ण रीति पालन करना है व अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद कर अपने को योगाग्नि में तपाकर विकर्मों का विनाश कर पावन जरुर बनना है ।

 

  ❉   पुराना दे नया ले ऐसे धंधा करने वाले भी पुराना लेकर नया बर्तन दे जाते हैं । ऐसे ही हमें बेहद के सौदागर को पुराने संस्कार देकर नए दैवीय संस्कार भरकर सतोप्रधान बनना है व घर वापिस जाना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ ईश्वरीय कुल की स्मृति द्वारा माया का सामना करने वाले सदा समर्थ स्वरुप होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो ईश्वरीय कुल की स्मृति में रहते वो  अपने ईश्वरीय मर्यादाओं का उल्लंघन नही करते व सच्चाई सफाई से बाप को सब बताते तो बाप भी अपने ऐसे बच्चों को दिल से याद करता व वो भी बाप के दिल पर राज करते । तो ऐसे ईश्वरीय सम्प्रदाय के बच्चे माया का सामना कर समर्थ स्वरुप होते है ।

 

  ❉   ईश्वरीय कुल की स्मृति मे रहने वाले सदा श्रीमत रुपी हाथ पकड़े रखते व याद की यात्रा में बिजी रहने से बल जमा करके माया रुपी विघ्नों का डटकर सामना करते । लोक कल्याण के लिए सब न्यौछावर कर समर्थ स्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   ईश्वरीय कुल की स्मृति रखने वाले कभी परचिंतन नहीं करते व अलवेलेपन से दूर रहते । अपने सत्य स्वरुप में रहने से देही अभिमानी होकर माया रुपी विकारों से मायाजीत होकर समर्थ स्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   जब यह नशा रहता है कि मैं तो ईश्वरीय कुल का हूं व हर सेकेंड, हर संकल्प , हर कार्य ईश्वरीय सेवा के लिए है तो परमात्मा की  छत्रछाया में अपने को सेफ समझ कमजोरियों को समाप्त करते हैं व ईश्वरीय स्मृति में रहते समर्थ स्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   जैसे राजा के बेटे को अपने बाप के पद का नशा होता है तो उसकी सूरत व सीरत से ही झलकता है कि किसी रॉयल परिवार से है । जैसी स्मृति वैसा स्वरुप स्वतः ही हो जाता है । हमें तो बेहद का बाप मिला व रुहानी परिवार मिला इसकी स्मृति में रहकर माया का सामना करने वाले समर्थ स्वरुप होते हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सत्य समय प्रमाण स्वयं सिद्ध होता है उसे सिद्ध करने की आवश्यकता नही... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जहां सत्यता है वहां आल माइटी अथॉरिटी सत्य परम पिता परमात्मा का सहयोग सदा साथ है इसलिए उसके आगे असत्य टिक नही सकता भले असत्य की आड़ में सत्य कुछ समय के लिए छिप जाये लेकिन समय आने पर वह स्वत: ही सिद्ध होता है उसे सिद्ध करने की आवश्यकता नही पड़ती ।

 

 ❉   कहा भी जाता है साच को आंच नही । क्योकि सत्यता स्वयं अपने आप में एक बहुत बड़ी शक्ति है और जब वह शक्ति प्रत्यक्ष होती है तो असत्य उसके आगे स्वत: ही निर्बल पड़ जाता है लेकिन सत्य की यह शक्ति समय आने पर स्वत: प्रत्यक्ष होती है उसे सिद्ध करने के लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नही ।

 

 ❉   झूठ को सच साबित करने के लिए कितने झूठ बोलने पड़ते हैं किन्तु सच एक ही होता है और हमेशा एक ही रहता है उसे साबित करने के लिए बातों का सहारा नही लेना पड़ता । सत्य बिना कुछ कहे सही समय आने पर स्वयं ही सामने आ जाता है । उसे सिद्ध करने के लिए किसी प्रमाण की जरूरत नही पड़ती ।

 

 ❉   सच की राह पर चलने वाला व्यक्ति सदैव निडर और निर्भय रहता है और अपनी हर बात को पूरी अथॉरिटी के साथ बयां करता है और यही अथॉरिटी समय आने पर उसे स्वत: ही सत्य सिद्ध करती है । स्वयं को सत्य साबित करने के लिए उसे प्रमाण की आवश्यकता नही पड़ती ।

 

 ❉   सच की बेड़ी कभी डूब नही सकती इसलिए सत्यता का गुण व्यक्ति को साहस और दृढ़ निश्चय से हर कार्य को करने के लिए प्रेरित करता है और यह प्रेरणा उसे हर परिस्थिति में दृढ़ता के साथ सच्चाई पर अड़िग रखती है और सही समय आने पर सत्यता स्वयं ही सबके सामने प्रत्यक्ष हो जाती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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