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❍ 27 / 04 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
‖✓‖ निश्चय के बल से अपनी अवस्था को °अडोल° बनाया ?
‖✓‖ सर्विस में °हड्डिया° दी ?
‖✓‖ "हमारा °रेस्पोंसिबल बाप° है" - यह स्मृति में रख फिकर से दूर रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
‖✓‖ स्नेह के रीटर्न में °समानता° का अनुभव किया ?
‖✓‖ सदा °संतुष्ट और खुश° रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ अनेकों की °सेवा अर्थ झुक° स्वयं की महानता का परिचय दिया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सर्व शक्ति सम्पन्न आत्मा हूँ ।
✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-
➳ _ ➳ आराम से बैठ जाएं... इस देह और देह के सभी बन्धनों को भूल जाएं... कोई भी बात यदि मन मेँ पकड़कर रखी है तो उसे भी जाने दें... समस्त बन्धनों से मुक्त एक बाप की याद में बैठेंगे आज... देखें अपने आप को... मैं एक आत्मा हूँ... इस शरीर को चलाने वाली चैतन्य शक्ति हूँ... मैं सदा इस आत्मिक स्मृति में रहने वाली बापदादा की लाडली डबल ताजधारी ब्राह्मण आत्मा हूँ... मेरा मस्तक अनादि अविनाशी स्वरुप की स्मृति से चमक रहा है... मेरा ये दिव्य स्वरुप मुझे सहज ही शिव पिता की याद में स्तिथ कर रहा है... बाबा से निरंतर सर्वशक्तियों की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... और मुझ आत्मा को मास्टर सर्वशक्तिवान की पावरफुल स्थिति का अनुभव करवा रही हैं... मैं आत्मा आज यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं अपने सर्वशक्तिमान बाबा की स्मृति में सदा ही स्नेहयुक्त तथा योगयुक्त रह बाबा को ही अपना साथी बना लूंगी... मैं यह अनुभव कर रहीं हूँ कि बाप को अपना साथी बनाकर मैं आत्मा सर्व शक्तियों से सम्पन्न हो विजय बन रहीं हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चों - बाप दूर देश से आये है, तुम बच्चों के लिए नया राज्य स्थापन करने, तुम अभी स्वर्ग के लायक बन रहे हो"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों कितनी दूर से दिल के टुकड़ो के लिए दौड़ा चला आया हूँ... हथेली पर वही खूबसूरत स्वर्ग सजा लाया हूँ... तुम वही मेरे खूबसूरत लाल उस प्यारी दुनिया के लायक बन रहे हो... अपनी उसी सुनहरी रंगत को खुद में भर रहे हो...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे प्यारे बच्चों कितना दूर मै रहता हूँ पर तुम बच्चों के सुखो की चाहतो में खिच दौड़ा चला आता हूँ... मेरे बच्चों की जीवन में सुख नही शांति नही तो मुझे कहाँ आराम भला... वही प्यारी सी दुनिया में बच्चों को बसाने आया हूँ... उस खूबसूरत दुनिया के तौर तरीके सिखा लायक बना रहा...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों घर से जब चले थे कितनी सुंदर दुनिया में बसे थे अब चलते चलते कहाँ दुखो में भटक पड़े हो... मुझ पिता से जिगर के टुकड़ो का यह हाल तो देखा ही न जाय... यह कसक मुझे धरती पर ले आये... अब मै फिर से सुंदर दुनिया बना रहा और बच्चों को वहाँ के हुनर सिखा रहा...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों अपने धाम को छोड़ यहां डेरा डाल चला हूँ अपने प्यारे से फूलो को मुरझायी जिंदगी जीते तो देख ही न पाया हूँ... सुखो से भरपूर स्वर्ग बच्चों के लिए बसाने आया हूँ... गुणो से श्रंगार कर लायक बना सजा सवार उस प्यारी दुनिया का वासी बना रहा...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चों मेने ही तुम बच्चों को खोजा है मै ही तो भागा चला आया हूँ... बच्चों के दुखी होने की चिंता में मै भगवान भी जेसे चिंतातुर हो चला हूँ... अब जब तक खूबसूरत दुनिया हाथो में न दे जाऊ तब तक चैन ही जेसे न पाऊ... बच्चे लायक बन सुखी हो तो मुझ पिता को सुकून आये...
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ निश्चय के बल से अपनी अवस्था को अडोल बनाना है । जो श्रीमत मिली है, उसमें कल्याण समाया हुआ है, क्योंकि रेसपान्सिबुल बाप है ।
❉ जिसके दर्शन पाने को अहां कहां भटक रहे थे वो भगवान स्वयं मुझे घर बैठे मिल गए व मुझे अपना बना लिया और पूरी सृष्टि के मालिक परमपिता परमात्मा मेरे हो गए । हमें अपने असली स्वरुप की सत्य पहचान दी कि मैं कौन और मेरा कौन ये जान निश्चयबुद्धि बनना है ।
❉ जब स्वयं भगवान मेरा साथी है तो मेरा कोई अकल्याण हो नही सकता । क्योंकि लौकिक में भी पिता अपने बच्चे के लिए कुछ गल्त कर नही सकता तो हमें तो बेहद का पिता मिला है । इसलिए किसी भी परिस्तिथि आने पर हिम्मत हार अपनी स्थिति खराब नही करनी व अचल अडोल रखनी है ।
❉ सौंप दो सब उस प्यारे परमपिता परमात्मा बाप को व सब जिम्मेवारी बाप की है । हमारा तो कुछ भी नही सब उसी बाप का है तो जो भी होगा बाप ने अपने आप सम्भालना है । हमें तो बस एक बाप की याद में रहना है व अपना कनेक्शन सिर्फ व सिर्फ बाप से ही रखना है ।
❉ कहा भी गया है निश्चय बुद्धि विजयन्ति संशय बुद्धि विनशयन्ति । जो निश्चयबुद्धि होता है उसकी जीत होती है व जिसका साथी हो भगवान उसे क्या रोक सके आंधी और तूफान । बस निश्चय रख बाबा को साथ रख हमेशा आगे बढ़ना है व अपनी अवस्था अचल अडोल रखनी है ।
❉ ऊंच ते ऊंच बेहद का बाप मिला है व बेहद का बाप समझानी देते है तो जरुर सत्य ही होगा क्योंकि सत्य बाप हैं । बस उसका श्रीमत रुपी हाथ पकड़ हमेशा आगे बढ़ना है व बाप की श्रेष्ठ मत में कल्याण ही कल्याण है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ स्नेह के रिटर्न में समानता का अनुभव करने वाले सर्वशक्ति सम्पन्न होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ जिन बच्चों को ये नशा व खुशी रहती कि बाप को जान लिया, पा लिया इससे बड़ा भाग्य तो कोई हो नही सकता व घर बैठे ही प्यार का सागर बाप मिल गया वो बाप के स्नेह में समाये रहते तो बाप भी अपने ऐसे बच्चों की स्नेह की रस्सी से बंध जाता । बाप का हमेशा साथ अनुभव करते सर्वशक्ति सम्पन्न होते हैं ।
❉ जो बाप के स्नेह में समाये रहते हैं व उन्हें स्नेह के रेसपांस में बाप समान बनने का वरदान प्राप्त हो जाता है । वो सदा स्नेहयुक्त और योगयुक्त रहते हैं तो वह सर्वशक्तियों से सम्पन्न स्वतः बन जाते हैं ।
❉ जो बच्चे सर्वशक्ति सम्पन्न होते हैं उन्हें ये नशा रहता है कि सर्वशक्तिमान बाप हमारा साथी है व सर्वशक्तियां सदा साथ हैं तो वह कभी किसी बात से नही घबराते हैं व सदा बाप का साथ अनुभव होने से स्नेह में समाये रहते हैं ।
❉ स्नेह के रिटर्न में बाप भी अपने बच्चों को अपने दिलतख्त पर बैठाता है व जब मेरा बाबा कहा तो मेरा बाबा कहने वाले बच्चे का एक भी अधिकार कम नही हो सकता । बस हर संकल्प, कर्म ,बोल बाप समान होता है तो सर्व शक्ति सम्पन्न होते हैं ।
❉ जो बच्चे सर्वप्राप्ति सम्पन्न होते है तो वो हमेशा बाप से हुई प्राप्तियों को सदा स्मृति में रख खुशी व नशे में रहते है और हर खजानें से भरपूर होते है और बाप के स्नेह में समाये रहते है और दूसरों को भी स्नेह देकर भरपूर करते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ पुरुषार्थी जीवन में जो सदा संतुष्ट और खुश रहने वाले हैं वही खुशनसीब हैं... क्यों और कैसे ?
❉ जैसे कोई अच्छा कर्म किया जाता है तो स्वत: उसकी अंदर से खुशी रहती है । बुरा काम किया जाता है तो जरूर अंदर से मन खाता है । इसी तरह पुरुषार्थी जीवन में सदा संतुष्टता का और खुशी का अनुभव वही कर सकते हैं । जिनका हर कदम श्रीमत की लकीर के अंदर होता है । श्रीमत की लकीर उन्हें सदैव हल्का रखती है ।
❉ जिनका हर संकल्प, बोल और कर्म बाप की याद और सेवा में लगा रहता है वे कभी भी माया से हार नहीं खा सकते । क्योंकि याद और सेवा का डबल लॉक उन्हें माया से सदा सेफ रखता है और सदा सेफ रहने वाले सदा खुश और संतुष्ट रहते हैं । और उनकी खुशनसीबी की झलक उनके चेहरे से सदैव दिखाई देती है ।
❉ पुरुषार्थी जीवन में सदा संतुष्ट और खुश रहने वाले खुशनसीब वही बन सकते हैं जो सदा एकाग्रचित रहते हैं । मनमत पर नहीं चलते और परमत के प्रभाव में नहीं आते । वे सदैव अपने श्रेष्ठ भाग्य के नशे व खुशी में रहते हैं । इसलिए पुरुषार्थ में कभी थकावट का अनुभव ना करते हुए, उमंग उत्साह के पंखों पर सवार हो उड़ते रहते हैं ।
❉ पुरुषार्थ में सफलता का मुख्य आधार है सच्चाई और सफाई । कहा भी जाता है " सच्चे दिल पर साहिब राजी " । इसलिए जो सदैव अंदर - बाहर से बाप के साथ सच्चे रहते हैं । वे कदम - कदम पर बाप की मदद का अनुभव करते हुए पुरुषार्थ में तीव्रता हासिल करते जाते हैं । पुरुषार्थ में सफलता उन्हें सदा संतुष्टता और खुशी से भरपूर कर देती है ।
❉ जो हर बात प्रभु अर्पण कर स्वयं को लाइट रखते हैं और एक दो के साथ लाइट रहते हैं । किसी की भी बात चित पर नहीं रखते । किसी से कोई ईर्ष्या द्वेष की भावना नहीं रखते । सबके साथ स्नेह युक्त रहते हैं । वे सदा स्वयं भी संतुष्ट और खुश रहते हैं तथा औरों को भी संतुष्ट और खुश रखते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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