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 22 / 04 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

‖✓‖ इस °पुरानी देह और दुनिया° को बुधी से भूले रहे ?

 

‖✓‖ °नॉलेज का सिमरण° कर दिमाग को भरपूर रखा ?

 

‖✗‖ किसी प्रकार का °घुटका° तो नहीं खाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

‖✓‖ °संगमयुग के श्रेष्ठ चित्र° को सामने रख भविष्य का दर्शन करते रहे ?

 

‖✓‖ °कर्म और योग° के बैलेंस से परमात्म ब्लेसिंग के अधिकारी बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °शांति स्तम्भ° के चारों और चक्कर लगाया ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा त्रिकालदर्शी हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा परमपिता परमात्मा की सन्तान हूँ... मैं ज्योतिर्बिंदु हूँ... मेरे पिता परमात्मा दिव्य ज्योति - बिंदु स्वरुप हैं... रूप में बिंदु... गुणों में सिंधु हैं... सागर हैं... विश्वकल्याणकारी हैं... शिव पिता मेरे, ज्ञान के सागर हैं... शांति के सागर हैं... आनंद के सागर हैं... प्रेम के सागर हैं... पवित्रता के सागर हैं... सर्वशक्तिमान हैं... मैं आत्मा शांतिधाम, ज्योति के देश में अपने परमप्रिय शिवपित के संग सर्व गुणों का अनुभव कर रहीं हूँ... शिवबाबा आप मेरे परम शिक्षक हैं... आपने मुझे ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर त्रिनेत्री बना दिया है... तीनों कालों का वह ज्ञान, जो बड़े - बड़े फिलॉसफर, बड़े - बड़े वैज्ञानिक, बड़े ते बड़ा शास्त्रज्ञ - वेदज्ञानी के पास भी नहीं हैं, आपने मुझ आत्मा को कितनी साधारण रीती से सर्व ज्ञान देकर मास्टर त्रिकालदर्शी, मास्टर त्रिनेत्री, मास्टर त्रिलोकीनाथ बना  दिया है.... मैं आत्मा त्रिकालदर्शी बन वर्तमान और भविष्य के श्रेस्ठ चित्र को देखते हुए सर्व प्राप्तियों का अनुभव कर रहीं हूँ... वाह मेरा भाग्य वाह... मुझ आत्मा को मीठे बाबा ने डबल ताजधरी, डबल तख्तधारी और सर्वाधिकारी मूर्त बना दिया है... मैं आज यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं ब्राह्मण आत्मा संगमयुग के श्रेष्ठ चित्र को सामने रखकर भविष्य के गोल्डन स्पून की अधिकारी बनूँगी... अर्थात यहाँ इस संगमयुग में अपने प्यारे बापदादा की गोदी में अतिनिद्रय सुख के झूले में झूलते हुए भविष्य के सोने, हीरे के झूले में झूलने की अधिकारी बनूँगी... यह दृढ़ संकल्प कर मुझ आत्मा का जीवन हीरे तुल्य बन गया है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - ज्ञान सागर बाप आये है - तुम बच्चों के सम्मुख ज्ञान डांस करने,तुम होशियार सर्विसेबल बनो तो ज्ञान की डांस भी अच्छी हो"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों मै ज्ञान सागर पिता नई नई पॉइंट सुना ज्ञान डांस से आप बच्चों को मदमस्त करता हूँ...जो कोई बता न सके सिखा न सके वह अदभुत से राज खोलता हूँ... उन राजो को दिल में भर कर होशियार समझदार बनो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो मुझ ज्ञानसागर पिता के और आपके मिलने पर ही ज्ञान डांस सा होता है...मै अपने बच्चों पर सारा ज्ञान खजाना न्यौछावर करता हूँ... इसे अपने संकल्पों में समाओ तो औरो के सम्मुख भी यही ज्ञान डांस ही छलके...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों मै पिता जब बिछड़े बच्चों से मिलन करता हूँ ख़ुशी में आकर ज्ञान डांस में झूमता हूँ...आप बच्चों को अनेक खजानो से आबाद करता हूँ...इन खजानो से भरपूर हो आप होशियार बन इसी ज्ञान डांस की छवि सबको दिखलाते हो...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों इतनी दूर परमधाम से उतर कर मै पिता क्या लकड़ी की मुरली बजाऊंगा...की बच्चों का भला ही न हो मै तो ज्ञान देकर अपने बच्चों का जीवन रत्नों से चमकाउंगा... जीवन फूलो सा खिला जाऊंगा...यही ज्ञान डांस तुम बच्चों को सबको कर दिखाना है...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों ईश्वर पिता बन जब धरती पर आये तो बच्चों को अथाह खजाने दे दामन सुखो से खिला जाय...नए राजो से विश्व का मालिक बना मीठी सौगात दे जाय...सदा खुशियो में झूमे ऐसा डांस सिखा जाय... आपको भी सबको यही अदभुत डांस कर रोनक लानी है

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ इस पुरानी देह और दुनिया को बुद्धि से भूल बाप को और घर को याद करना है । सदा इसी खुशी में रहना है कि अभी हमारे सुख के दिन आये कि आये।

 

  ❉   इस पुरानी देह और दुनिया को बिल्कुल भूल जाना है क्योंकि इसका विनाश होना ही है व ये कब्रदाखिल होनी है । देह व देह के सम्बंध किसी ने साथ नही देना व न ही कुछ साथ ले जाना है फिर इनसे मोह क्यूं । बस सिर्फ एक बाप को याद करना है ।

 

  ❉   अभी तक तो अंधियारे में थे व विषय वैतरणी नदी में व विकारों से घिरे हुए थे , रावण की दुनिया में थे इस संगमयुग पर बाप ने हमें ज्ञान का तीसरा नेत्र व दिव्य बुद्धि देकर अंधेरे से सुझारे में लाये है व आत्मा की डिम लाइट को ज्ञान घृत से जगाया है तो हमें पुरानी दुनिया को भूल बाप को व अपने घर को याद करना है ।

 

  ❉   जब बाप को याद करते है तो घर की याद स्वतः ही आती है । बाप कहते है कि मैं आया ही हूं अपने बच्चों को घर वापिस ले जाने व नयी दुनिया में ले जाने तो घर वापिस जाने के लिए पावन जरुर बनना है क्योंकि पावन बने बगैर जा नही सकते ।

 

  ❉   ये हमारा अंतिम जन्म है व फिर नयी दुनिया व नये घर में जायेंगे ।नयी दुनिया सतोप्रधान दुनिया है व हम नयी दुनिया में विश्व का मालिक बनेंगे वहां सुख ही सुख होंगे व निरोगी काया होगी । बस खुशी में रहना है कि सुख के दिन आये कि आये ।

 

  ❉   जैसे नये घर में जाना होता है तो खुशी होती है व कि नये घर में जायेंगे व पुरानी चीजों को छोडते जाते हैं । इसलिए पुरानी दुनिया दुःखधाम को भूल सुखधाम को याद करना है व बाप को याद करना है । बाप मिला सब कुछ मिला व सुख के दिन आये इसी खुशी में रहना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ संगमयुग के श्रेष्ठ चित्र को सामने रख भविष्य का दर्शन करने वाले त्रिकालदर्शी होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   भविष्य के पहले सर्वप्राप्तियों का अनुभव हम संगमयुगी ब्राह्मण ही करते हैं । अभी संगमयुग पर बाबा का बनते ही डबल ताज, तख्त, तिलकधारी, सर्व अधिकारी मूर्त बनते है। भविष्य में 21 जन्मों के लिए बादशाही प्राप्त करते है । ऐसे संगमयुग में अभी के श्रेष्ठ चित्र को सामने रख भविष्य का दर्शन करने वाले त्रिकालदर्शी होते हैं ।

 

  ❉    अभी संगमयुग पर बाबा का बनने से कौडी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बन जाता है व भविष्य में तो गोल्डन स्पून होगा । वहां पर सोने हीरे के झूले में झूलेंगे यहां संगमयुग पर तो बापदादा की गोदी में अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हैं । तो ऐसे त्रिकालदर्शी बन वर्तमान और भविष्य के श्रेष्ठ चित्र को देखते सर्व प्राप्तियों का अनुभव करते हैं ।

 

  ❉   संगमयुग पर ही बाप आकर यह नॉलेज देते मैं कौन और मेरा कौन, कहाँ से आई और कहाँ जाना , कैसी थी कैसा बनना है । भगवान स्वयं सुप्रीम टीचर बन हमें पढ़ाकर भविष्य की बादशाही लायक बना रहे है भगवान भगवती बना रहे हैं । इसी श्री मत पर पुरुषार्थ करने वाले भविष्य का दर्शन करने वाले  त्रिकालदर्शी होते हैं ।

 

  ❉   संगमयुग पर ही डायरेक्ट परमात्मा से सर्व सम्बंध है व भविष्य में देव आत्माओं से सम्बंध होंगे । वहां पुष्पक विमान होंगे व एक ही लोक की सैर कर सकेंगे । अब बुद्धि रुपी विमान द्वारा तीनों लोकों की सैर कर सकते हैं । ऐसे संगमयुग के श्रेष्ठ चित्र को सामने रख भविष्य कआ दर्शन करने वाले त्रिकालदर्शी होते हैं ।

 

  ❉   संगमयुग पर बाप के साथ जिस रुप में चाहो खेल सकते हैं , सखा बनाकर, बंधु बनाकर, बच्चा बनाकर खेल सकते हो । ऐसा अविनाशी खिलौना तो कभी नही मिलेगा जो न टूटेगा, न फूटेगा । भविष्य में रतनों से खेलेंगे । तो त्रिकालदर्शी बन संगमयुग के श्रेष्ठ चित्र को सामने रख भविष्य दर्शन करते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ कर्म और योग का बैलेंस ही परमात्म ब्लैसिंग का अधिकारी बना देता है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   कर्मो की गुह्य गति को समृति में रख कर्मयोगी बन जब हर कर्म करेंगे तो हर कर्म करते भी कर्म के बंधन से मुक्त रहेंगे । योगबल से पहले रहे हुए कर्म बन्धनों को चुक्तू करते हुए नए कर्म बंधन ना बने इसके लिए श्रीमत प्रमाण हर कर्म बाप की याद में रह करते हुए परमात्म ब्लैसिंग के अधिकारी बन अपनी उंच तकदीर बनाते जाएंगे ।

 

 ❉   कर्म और योग का बैलेंस रख जब हर कर्म करेंगे तो कर्मो में श्रेष्ठता आती जाएगी और अपने श्रेष्ठ कर्मों द्वारा दूसरों के सामने एग्जाम्प्ल बन अपना भाग्य बनाने के साथ-साथ औरों का भाग्य बनाने के भी निमित बन परमात्म ब्लैसिंग के अधिकारी बन जाएंगे ।

 

 ❉   कर्म और योग का बैलेंस आत्मा को ट्रस्टीपन की स्मृति में स्थित रखेगा । स्वयं को ट्रस्टी समझ करनकरावन हार बाप की याद में रह जब हर कर्म करेंगे तो एक तो बाप की याद से विकर्म विनाश होंगे, दूसरा कर्म बंधन कटते जाएंगे और तीसरा अपने समय, संकल्प और श्वांसों को परमात्म याद में सफल करते हुए परमात्म ब्लैसिंग के अधिकारी बन जाएंगे ।

 

 ❉   कर्म में योग का बैलेंस पुराने स्वभाव संस्कारों को पुरुषार्थ में विघ्न रूप नहीं बनने देगा । क्योंकि योग की शक्ति पुराने स्वभाव संस्कारों के बोझ को खत्म कर देगी । और नयें दैवी संस्कारों की धारणा आत्मा को सहज ही परमात्म ब्लैसिंग का अधिकारी बना देगी ।

 

 ❉   कर्म और योग का बैलेंस सफलता मूर्त बना देगा क्योंकि याद का स्वरूप ही है -  सफलता । इसलिए हर कर्म करते, चलते - फिरते, उठते - बैठते बाप की याद में रहने से हर कर्म में सफलता प्राप्त करके, सदैव खुशी का, शक्तियों का अनुभव कर परमात्म ब्लैसिंग प्राप्त करते जायेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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