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 23 / 11 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *वाणी से जो सुना, उस पर मथन किया ?*

 

➢➢ *चलन बहुत रॉयल रखी ?*

 

➢➢ *बहुतों को आप समान बनाने की जवाबदारी समझ सर्विस पर तत्पर रहे ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *सेकंड में देह रुपी चोले से न्यारा बन कर्मभोग पर विजय प्राप्त की ?*

 

➢➢ *निर्माणचित बन सर्व का मान प्राप्त किया ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *"एक बाप दूसरा न कोई" - इस स्थिति का अनुभव किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे -  संगमयुग पर तम्हे बाप द्वारा अच्छी बुद्धि और श्रेष्ठ मत मिलती है जिससे तुम ब्राह्मण से देवता बन जाते हो"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने खूबसूरत भाग्य के नशे में डूब जाओ... कितना सुंदर भाग्य है कि विकारो से मलिन बुद्धि... ईश्वरीय बुद्धि बन मुस्कराती है... पिता की श्रीमत का हाथ थाम मखमली जीवन जीते हो... और संगम के सुहावने पलों को जीते हुए देवता डबलताजधारी बन सजते हो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा मीठे बाबा की श्रीमत से फूलो में मुस्करा रही हूँ... वरदानी संगम पर ईश्वरीय हाथो में पल रही हूँ... प्यारे बाबा की यादो में भीगने का असीम सुख ले रही हूँ... और देवताई सुख अपने नाम लिखवा रही हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता की पसन्द चुने हुए से फूल हो... ज्ञान रत्नों से दमकते हुए और दिव्य गुणो से सजते हुए ईश्वरीय सन्तान हो... जो पिता के पास है वह सब तुम बच्चों पर दिल खोल लुटाया है... श्रेष्ठ बुद्धि पाकर ब्राह्मण से देवता रूप में सजकर खुशियो में खिलखिलाते हो... और असीम सुख की दुनिया में फूलो सा जीवन पाते हो...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा महान भाग्यशाली हूँ ईश्वर पिता को सम्मुख पाकर अपने भाग्य पर कुर्बान हूँ... हर पल श्रीमत का हाथ थामे हर कर्म को श्रेष्ठता से सजा रही हूँ... हर साँस में बाबा को बसाकर आनंद के सागर में डूबी हुई हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... पिता के प्यार और श्रीमत के साये तले सारे दुःख दूर हो चले है... अब ब्राह्मण बन मुस्करा रहे हो... जनमो के दुखो को अब भूल चले हो और देवता बनने के नशे से भरपूर हो चले हो... क्या थे और संगम पर क्या बन चले हो... ज्ञान और योग के पंख लिए दुखो की धरा छोड़ आनन्द के आसमाँ में उड़ चले हो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार की दौलत से लबालब हो चली हूँ... शानदार भाग्य ने ब्राह्मण बनाया है और भविष्य में देवता सा सजा देगा... यह अहसास रोम रोम को पुलकित कर रहा... प्यारी सी बुद्धि और मीठा सा मन पाकर मै आत्मा आप पर बलिहार हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा सर्व शक्ति सम्पन्न हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अजर, अमर, अविनाशी हूँ... निराकारी शिव बाबा की संतान हूँ... परमधाम निवासी हूँ... मैं आत्मा भी बाप समान निराकारी हूँ... मैं आत्मा इस साकारी दुनिया में अशरीरी आयीं थी... कई जन्मों से देह रुपी वस्त्र धारण कर अपना पार्ट बजा रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  कई जन्मों से अलग अलग देह रुपी चोला धारण करते करते मैं आत्मा अपना असली स्वरूप भूल गई थी... यह वस्त्र, दुनिया की वा माया की आकर्षण में टाइट हो गया है... जिससे मैं आत्मा कर्मेंद्रियों के अधीन होते चली गई...

 

➳ _ ➳  अब ये सृष्टि चक्र का अंतिम समय है... मुझ आत्मा का वापस घर जाने का समय नजदीक आ रहा है... मुझ आत्मा को सर्व शक्तियों से सम्पन्न बन अष्ट रतन बनना है... इसके लिये मैं आत्मा देह रुपी चोले से सहज न्यारे बनने का अभ्यास कर रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सहजयोगी बनने के लिये अपने शरीर के प्रति समर्थ संकल्प कर रहीं हूँ... अपने कर्मेँद्रियों को सहयोगी बना रहीं हूँ... शुभ भावनाओं के वाईब्रेशनस भेज रहीं हूँ... मैं आत्मा इस अंतिम शरीर की वाह वाही कर रहीं हूँ...  जिसने प्यारे बाबा से मिलाने के निमित्त बनाया... इस पुराने शरीर द्वारा जन्म जन्म का वर्सा ले रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मुझ आत्मा के सभी कर्मेंद्रिया सहयोगी बन गई हैं... अब कर्मेँद्रियां कर्मभोग के वश अपनी तरफ़ आकर्षित नहीं करती हैं... मन, बुद्धि को जब चाहे, जहाँ चाहे स्थित कर सकती हूँ... मैं आत्मा सहज ही शरीर से डिटैच होकर अशरीरी अवस्था का अनुभव कर रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  अब शरीर में दर्द भी हो रहा हो तो मैं आत्मा साक्षी होकर कर्मेँद्रियों से भोगती हूँ... मुझ आत्मा के कर्मभोग चूक्तू हो रहे हैं यही स्मृति में रख सदा खुशी में रहती हूँ... अब मैं आत्मा सेकेंड में देह रुपी चोले से न्यारा बन कर्मभोग पर विजय प्राप्त करने वाली सर्व शक्ति सम्पन्न बन गई हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- निर्माणता की विशेषता द्वारा सर्व का मान प्राप्त करना"*

 

➳ _ ➳  स्वयं को आत्मा निश्चय कर... स्वयं का व्यहार सम्बन्ध और सम्पर्क में आने वाली आत्माओं के साथ देखे... पूछे स्वयं से क्या मैं सर्व के साथ निर्माणचित होकर व्यवहार करती हूँ... क्या मैं सम्पर्क में आने वाली आत्माओं की भावनाओं को समझ...  व्यवहार करती हूँ... जिसे जो चाहिए, वो उसे उस समय देती हूँ...  निर्माणता माने अन्य आत्माओं को सुख देना... मान-सम्मान देना... कोई कैसे भी स्वभाव-संस्कार वाली आत्मा हो... मैं सदा ही उन्हें रहमदिल बन स्नेह देती हूँ...

 

➳ _ ➳  अब देखे स्वयं को सम्बन्ध - सम्पर्क वाली आत्माओं के साथ निर्माणता से व्यवहार करते हुए... मैं आत्मा निर्माणता की विशेषता को धारण कर... सर्व आत्माओं के साथ निर्मल रहती हूँ... सर्व को रूहानी स्नेह से भरती हूँ...  मुझ आत्मा को बस यही फुरना रहती की मेरे द्वारा सब को सुख मिले... मेरा निर्माणता का स्वभाव ही मुझे सर्व से मान दिलाता है... 

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का स्वभाव निर्मल और निर्माणचित्त हैं... मेरे संकल्पों में, मेरे बोल में, मेरे हर कर्म में निर्माणता हैं... मैं मास्टर रचेयता अपने एक एक संकल्प, बोल और कर्म से नई दुनिया की रचना, निर्माण कर रही हूँ...  मेरे निर्माणता का स्वभाव ही संगठन की मजबूती का आधार हैं... मैं निर्माणचित और सरल बन सर्व को जोड़े रखती हूँ... मेरे निर्माणता का स्वभाव द्वारा मैं सर्व से मान प्राप्त करती हूँ... निर्माणता ही महानता हैं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा के मन भावों को केच कर... जिसे जो चाहिए वो देती हूँ... मेरे इसी  निर्माणता की विशेषता द्वारा सर्व को सन्तुष्ट कर... सर्व से सन्तुष्टता का सर्टिफिकेट लेती हूँ...  इस निर्माणता की विशेषता को धारण कर मैं आत्मा महान आत्मा बन गई हूँ... मैं सर्व की प्यारी और न्यारी आत्मा हूँ... निर्माणता की विशेषता को अपने व्यवहार में यूज़ करने से मुझे भी प्रत्यक्ष ख़ुशी अनुभव हो रहा हैं... बापदादा भी मेरी निर्माणता से बहुत खुश होते हैं... मुझे बेहद ख़ुशी से भरपूर कर रहे हैं...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *सेकण्ड में देह रुपी चोले से न्यारा बन कर्मभोग पर विजय प्राप्त करने वाले सर्व शक्ति सम्पन्न होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   जब कर्मभोग होता है तो कर्मेन्द्रियां कर्मभोग के वश अपनी तरफ खींचती हैं और ध्यान बार बार शरीर पर ही जाता है । जो दुःख दर्द होता है वहीं पर ध्यान जाता है। पर जिन बच्चों का आत्मिक स्वरुप में रहने का अभ्यास होता है तो वो आत्म-अभिमानी बन कर्मयोग से कर्मभोग पर विजय प्राप्त करने वाले शक्ति सम्पन्न होते हैं।

 

❉   जो बच्चों देह में आने व देह से न्यारा होने की ड्रिल बार बार करते है तो देह रुपी चोले से न्यारा होने के अभ्यास से शरीर पर कोई कर्मभोग आने पर जल्दी से अपने को डिटैच कर लेते हैं और कर्मभोग पर विजय प्राप्त कर सर्वशक्ति सम्पन्न  होते हैं।

 

❉   जो अपने स्वमान की सीट पर सेट रहते है कि मैं तो अवतरित आत्मा हूँ व इस धरा पर बस ये शरीर रुपी वस्त्र धारण कर पार्ट बजाने आई हूं तो वो इस देहभान रुपी मिट्टी के वस्त्र से मोह नही रखते। एक सेकेण्ड में देह से न्यारे बन कर्मभोग आने पर प्रभावित नही होते व मास्टर सर्वशक्तिमान की सीट पर बैठ सर्वशक्ति सम्पन्न होते हैं।

 

❉   जो बच्चे कोई कर्मभोग आने पर यही स्मृति में रखते हैं कि मैं तो आत्मा हूं अजर अमर अविनाशी हूँ। शरीर बीमार है आत्मा नहीं। आत्मा तो शक्तिशाली है इस देह रुपी चोले से न्यारे होकर कर्मभोग पर जल्दी ही न्यारे हो जाते हैं व आत्मा के परमपिता सर्वशक्तिवान का साथ होने से सर्वशक्ति सम्पन्न होते हैं।

 

❉   जैसे कोई गेस्ट आता है तो उसका स्वागत कर उसे होटल में रुम की चाबी देते हैं। ऐसे बाबा ने भी हर बच्चे की रिसेपशन में बच्चों को स्वयं की और खजानों की चाबी आने से ही दे दी। ऐसी *बाबा* जादू की चाबी से जिस शक्ति का आवाहन कर वह शक्ति स्वरुप बन सकते हैं। एक सेकेंड में इस जादू की चाबी द्वारा देह से न्यारा होकर कर्मभोग को कर्मयोग से परिवर्तन कर विजय प्राप्त कर सर्वशक्ति सम्पन्न होते हैं

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *सर्व का मान प्राप्त करने के लिए निर्माणचित बनो - निर्माणता महानता की निशानी है... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे एक गाड़ी में अनेक यात्री मिल कर यात्रा करते हैं और एक दूसरे का साथ निभाते हुए मंजिल तक पहुँच जाते हैं । उसी प्रकार जीवन की इस यात्रा में भी जो निर्माणता की विशेषता को धारण कर कर स्नेहपूर्वक अपना हर कर्तव्य निभाते हैं । सबको स्नेह, प्यार देते हुए सबके साथ समायोजित व्यवहार करते हैं वे किसी को भी नाराज नही करते बल्कि सर्व को मान देते हुए सर्व के सम्मान के अधिकारी बन जाते हैं । इसलिए वे ही महान कहलाते हैं ।

 

❉   निर्माणता का गुण सहनशील बनाता है और जो सहनशीलता को अपने जीवन में धारण कर लेते हैं उनका जीवन दूसरों के लिये भी एक आदर्श बन जाता है । जैसे महात्मा बुद्ध निर्माणता और सहनशीलता के गुण के कारण ही संसार के सामने एक आदर्श बन गए । उनकी शिक्षाओं को आज भी समाज याद करता है । इसलिये जीवन में सर्व का मान प्राप्त करने के लिए जरूरी है निर्माणता का गुण स्वयं में धारण करना तभी औरों को मान देकर उनका मान प्राप्त कर सकेंगे ।

 

❉   निर्माणता की विशेषता व्यक्ति को गुणग्राही बनाती है और गुणग्राही व्यक्ति कभी भी दूसरों के अवगुणों का चिंतन नही करता बल्कि सबमे गुण ही देखता है और उन गुणों को ही अपने जीवन में धारण करने का लक्ष्य रख आगे बढ़ता है । इसलिए वह स्वयं भी सदा सन्तुष्ट रहता है तथा औरों को भी सन्तुष्ट रखता है । सन्तुष्टमणि बन सर्व को सम्मान देते हुए वह सहज ही सर्व का मान प्राप्त करने वाला महान व्यक्ति बन जाता है ।

 

❉   निर्माणता का गुण व्यवहार को मधुर बनाता है । इसलिए अपने जीवन में जो निर्माणता का गुण धारण कर लेते हैं उनके मुख से कभी किसी भी आत्मा के दिल को दुखाने वाले कड़वे बोल नही निकलते । ज्ञान के मधुर बोल, दिव्य गुणों की मीठी मीठी बातें और परमात्मा के मधुर चरित्र सुनते तथा औरों को सुनाते हुए वे स्वयं भी आनन्दित रहते हैं तथा औरों को भी आनन्द से भरपूर करने वाली महान आत्मा बन जाते हैं ।

 

❉   निर्माणता व्यक्ति को नम्रता सिखाती है इसलिए निर्माणचित व्यक्ति सदैव सबके साथ नम्रतापूर्वक व्यवहार करते हैं क्योंकि उन्हें यह बात सदा स्मृति में रहती है कि सभी आत्मायें अपने संस्कारों के वश है इसलिए उनकी कमियों को देख कर वह उनसे घृणा नही करता बल्कि उन्हें भी संस्कारों के बंधन से निकालने के लिए उन्हें अपने स्नेह का सहारा देता है । उसका स्नेही व्यवहार ही उसे सर्व से मान दिलाने का आधार बन जाता है जो उसे महान बना देता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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