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 30 / 03 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ स्वयं से, सेवा से और सर्व से °संतुष्टता का सर्टिफिकेट° लिया ?

 

‖✓‖ हर एक के °निश्चित पार्ट° को जान सदा निश्चिंत रहे ?

 

‖✓‖ "°बनी बनायी बन रही°" - यह स्मृति में रख ड्रामा पर अडोल रहे ?

 

‖✓‖ °याद के बल से खाद निकाल° स्वयं को कोडी से हीरे जैसा बनाने का पुरुषार्थ किया ?

 

‖✓‖ बाप से °पूरा पूरा वर्सा° लेने का पुरुषार्थ किया ?

 

‖✓‖ °मीठे झाड़ के सैपलिंग° में चलने के लिए लायक बनने पर विशेष अटेंशन दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ देह अभिमान के °मैं पन की सम्पूरण आहुति° डाल धारणा स्वरुप बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °लक्ष्य और लक्षण° समान रहे ?

 

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To Read Vishesh Purusharth In Detail, Press The Following Link:-

 

http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/30.03.16-VisheshPurusharth.htm

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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - पूण्य आत्मा बनना है तो एक बाप को याद करो याद से ही खाद निकलेगी आत्मा पावन बन जायेगी"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों देह और देह के रिश्तों को याद करके खुद का क्या हाल किया है... कैसे उजले दमकते घर से चले थे और कहाँ आ फसे हो... मेले से काले से खाली से बन पड़े हो... अपने पिता के साये में आओ तो वही निखर जाओगे...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो मुझसे जो बिछड़े हो तो किन राहो में भटके हो... लक्ष्यहीन बने घूम रहे... मेरी यादो की बाँहो में समा जाओ...  तो उसी देवताई गरिमा को पाओगे और पावन बन सदा को खिल जाओगे...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों स्वयं को भूल माया के जाल में काले बन पड़े हो... जो चमकते थे देवताई ताज से... आज रावण के काँटों में उलझे हो... मेरे प्यार में खुद को समाओ तो ये याद वही पावनता कदमो में भर जायेगी...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों... मेरे सिवाय इन दुखो से कोई न छुड़ाएगा... कोई भी जीवन को न सवारेगा हर रिश्ता ठग और ही गिराएगा... मेरी यादे ही पावन बना जीवन में मधुमास खिलाएंगी...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे बच्चों... गर जीवन फूलो सा महकाना है...सुखो को सदा का अपनाना है... दमकती राजाई में जाना है... तो मुझ में खो जाओ... अपनी साँस संकल्प समय मुझमे में समाहित कर पावनता को दामन में सजा लो...

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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ हर एक के निश्चिंत पार्ट को जानकर सदा निश्चिंत रहना है । बनी बनाई बन रही....ड्रामा पर अडोल रहना है ।

 

  ❉   ड्रामा कल्याणकारी है । हरेक का पार्ट एक्यूरेट है व हीरोपार्टधारी है । बस सीट पर सेट होकर वैरायटी ड्रामा की स्मृति रखते हुए हरेक के पार्ट को देखकर सदा हर्षित रहना है ।

 

  ❉   ड्रामा हुबहू रिपीट हो रहा है व इसमें न तो एक सेकेंड पहले कुछ हो सकता है न बाद में । पूरे 5000 वर्ष पहले भी ऐसा हुआ व 5000 वर्ष बाद भी ऐसे ही होगा ।

 

  ❉   जो हुआ वो भी अच्छा हुआ , जो हो रहा वह भी अच्छा ही हो रहा है व जो होगा वो भी अच्छा ही होगा । कल्प पहले भी ऐसा हुआ व नथिंग न्यू । ड्रामा पर निश्चय रखना है ।

 

  ❉   क्यूं, क्या, कैसे में नहीं मूंझना है बस बिंदी लगानी है । जैसे ड्रामा में तूफान बाढ़ सब देखकर विचलित नही होते ऐसे ही ये भी ड्रामा है जो भी परिस्थिति आई तो उसे खेल समझ पार करना है व ड्रामा के ज्ञान को याद रखते हुए अचल अडोल रहना है ।

 

  ❉   ये कल्याणकारी संगमयुग है व ब्राह्मणों का अकल्याण हो नही सकता जब करनकरावनहार बाबा साथ है । यही निश्चय रख बेफिकर बादशाह बन ड्रामा के हर सीन को देखते हुए वाह ड्रामा वाह याद रख खुश रहना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ देह-अभिमान के मैं पन की सम्पूर्ण आहुति डालने वाले धारणा स्वरुप होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जब संकल्प और स्वप्न में भी देह-अभिमान का मैं पन न हो, अनादि स्वरुप की स्मृति हो । जादुई चाबी बाबा सदा साथ रहे तब सच्चे ब्राह्मण धारणा स्वरुप हो जाते हैं ।

 

  ❉   पुराने स्वभाव संस्कार रुपी सृष्टि को जब हम इस महायज्ञ में स्वाहा करेंगे तब इस पुरानी सृष्टि की आहुति पडेगी तो जैसे यज्ञ रचने के निमित्त बने हो । ऐसे अपने हर कर्म करते करन करावनहार बाबा है । बाबा की श्रीमत पर चलते धारणा स्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   जो यह समझते कि देहभान भी मिट्टी है व देह के साथ कोई रिश्ता नही । बाप का दिया तन भी बाप को भी दे दिया तो दी हुई वस्तु से रिश्ता खत्म । बस एक बाप से ही सर्व सम्बंध रख मैं पन की आहुति डालने वाले धारणा स्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   मैं शरीर नही आत्मा हूं बस यही संकल्प में दृढ़ता रखते है और ज्ञान योग के पंख मजबूत रखते हुए किसी प्रकार के देह-अभिमान के मैं पन को स्वाहा कर देते हैं व अपने असली स्वरुप में स्थित रहते वही धारणा स्वरुप होते है ।

 

  ❉   जैसे गुरू नानक देव जी ने 13 के आकंडे को पढ अपने जीवन की दिशा ही बदल दी और मैपन को  एक सैकेण्ड में तेरे में बदल दिया ऐसे बाप की श्री मत पर चल मैं पन को पूर्ण आहुति देने वाले धारणा स्वरुप होते है।

 

  ❉   जो बच्चे ज्ञान का मनन चिंतन करते रहते है व गहराई में जाते है तो अपने असली स्वरुप में रहते हुए एक बाप की याद में रहते है । जितना बाप की याद में रहते है तो देह-अभिमान के मैं पन को स्वाह कर ज्ञान को  प्रेक्टिकल स्वरुप मे धारण कर धारणा स्वरुप होते हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्वयं से, सेवा से और सर्व से सन्तुष्टता का सर्टीफिकेट लेना ही सिद्धि स्वरूप बनना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   आज आत्माओं से स्नेह समाप्त हो, साधनो से प्यार बढ़ता जा रहा है , स्नेह की अप्राप्ति के कारण आज कोई भी आत्मा संतुष्ट नही है । इसलिए जितना सच्चा और रूहानी स्नेह देकर सर्व आत्माओं को तृप्त करेंगे उतना स्वयं से, सेवा से तथा सर्व से सन्तुष्टता का सर्टिफिकेट ले सिद्धि स्वरूप आत्मा बन सकेंगे ।

 

 ❉   संकल्प, वाणी और स्वरूप तीनो जितने होलिएस्ट और हाईएस्ट बनते जायेंगे उतना अपनी पवित्रता की दृष्टि - वृति से सर्व आत्माओं के सामने अपने पवित्र पूज्य स्वरूप में प्रकट हो, सिद्धि स्वरूप् बन सर्व आत्माओं की मनोकामनाओ को पूर्ण कर, स्वयं से, सेवा से और सर्व से सन्तुष्टता का सर्टीफिकेट ले पाएंगे ।

 

 ❉   जितना अपने संकल्पों रूपी बीज में बीजरूप बाप की सर्वशक्तियों का बल भरते जायेंगे उतना एकरस स्थिति में स्थित होते जायेंगे और अपनी एकरस स्थिति द्वारा अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को भी अनेक प्रकार की हलचल से मुक्त कर एकरस स्तिथि का अनुभव करवा कर उन्हें संतुष्ट कर पायेंगे और सन्तुष्टता का सर्टीफिकेट ले सिद्धि स्वरूप आत्मा बन जायेंगे ।

 

 ❉   सिद्धि की विधि का आधार है श्रेष्ठ वृति । जितनी विधि यथार्थ होगी उतनी वृति श्रेष्ठ होगी और जितनी वृति श्रेष्ठ होगी उतनी सर्व आत्माओं के प्रति भावनाएं भी श्रेष्ठ होंगी और हर आत्मा के प्रति कल्याण की, स्नेह की तथा सहयोग की भावनाये स्वयं के साथ साथ सर्व आत्माओ को संतुष्ट रखेंगी और यही सन्तुष्टता का सर्टीफ़िकेट ही आत्मा को सिद्धि स्वरूप बनाएगा ।

 

 ❉   कम खर्च बाला नशीन बन जितना सर्व शक्तियों के खजाने को स्वयं प्रति और सर्व आत्माओं के प्रति यूज़ करेंगे उतना समय और संकल्पों को व्यर्थ जाने से बचा पाएंगे और सिद्धि स्वरूप आत्मा बन समय और संकल्प सफल कर पायेंगे और सहज ही स्वयं से, सेवा से और सर्व से सन्तुष्टता का सर्टिफिकेट प्राप्त कर पायेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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