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   10 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ लोक मर्यादा की परवाह न कर °जो सोचा वह किया° ?

 

‖✓‖ अपने °तीन स्वरुप° (वर्तमान फ़रिश्ता रूप, भविष्य देवता रूप और मध्य पूज्य रूप) की स्मृति बनी रही ?

 

‖✓‖ सदा बाप द्वारा मिले हुए °खजानों से खेलते रहे° ?

 

‖✓‖ °बाबा शब्द° याद कर और करवा निर्विघन स्थिति का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ वैभवों से, वस्तुओं से, अल्पकाल के सुखों से किनारा कर सहज ही "°एक बाप दूसरा न कोई°" की स्थिति का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ अपने को °मास्टर गति सद्गति दाता° समझ गति और सद्गति का प्रसाद भक्तों को बांटा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °संपूरण समर्पण° की विधि द्वारा अपनेपन का अधिकार समाप्त किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ डबल जिम्मेवारी होते भी डबल लाइट रहने के लिए स्वयं को °ट्रस्टी° समझकर चले ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं बाप समान बनने वाली समान साथी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   सम्पूर्ण समर्पण की विधि द्वारा अपने पन का अधिकार समाप्त कर बाप समान बनने वाली मैं समान साथी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ में राज्य करेंगे - इस वायदे को निभाने के लिए मैं बाप समान सम्पूर्ण बनने का पुरुषार्थ कर रही हूँ ।

 

 ❉   सम्पूर्ण समर्पण की भावना द्वारा सब कुछ बाप पर समर्पित कर मैं स्वयं पर अपने व अन्य के अधिकार समाप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   सदा बाप के साथ रहने और साथ उड़ने के लिए जल्दी - जल्दी बाप समान बनने  के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने पुरुषार्थ की गति को तीव्र करती जाती हूँ ।

 

 ❉   भोले भंडारी बाप के सर्व खजानो की मालिक बन मैं बाप से सर्व अधिकार प्राप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   बापदादा के स्नेह स्वरूप को सामने रख, एक बाप की लग्न में मगन हो कर, मैं सर्व दुनियावी सम्बन्धो से उपराम होती जाती हूँ ।

 

 ❉   मैं पन को समाप्त कर, सबसे नष्टोमोहा बन मैं प्रवृति में रहते भी निवृत हो सबसे न्यारी और बाप की प्यारी बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   पुराने संस्कारों का अग्नि संस्कार करने वाली मैं सच्ची मरजीवा आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "विदेशी बच्चों के साथ अव्यक्त बाप - दादा की मुलाकात"

 

 ❉   आज बापदादा विशेष विदेशियों से मिलने आये हैं और विदेशियों की विशेषता का वर्णन कर रहें हैं ।

 

 ❉   डबल विदेशी बच्चों को ड्रामा अनुसार विशेष लिफ्ट मिली हुई है । जिसके आधार पर वह लास्ट सो फ़ास्ट अच्छे जा रहें हैं ।

 

 ❉   विदेशियों का अल्पकाल के साधनो से, वैभवों से, वस्तुओं से जी भर चुका है इसलिए एक तरफ से किनारा सहज हो चुका है ।

 

 ❉   जिसकी आवश्यकता थी वह सहारा मिल गया इसलिए सहज ही एक बाप दूसरा ना कोई इस स्थिति का अनुभव कर रहे हैं ।

 

 ❉   दूसरी विशेषता विदेशियों के स्वभाव - संस्कार में यह भरा हुआ है कि जो सोचा वह किया । एक धक से छोड़ा और छूटा । इसलिये भारतवासियों से ज्यादा परुषार्थ में सहज और तीव्र जाते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ अपने को मास्टर गति सदगति दाता समझ गति और सदगति का प्रसाद भक्तों को बांटना है ।

 

  ❉   द्वापर से हम भक्ति मार्ग पर चलते मुक्ति के लिए भटक रहे थे लेकिन ज्ञानसागर बाप ने हमें कोटों में कोई मे से भी कोई को अपना बनाया और अपने ज्ञान अमृत से गति सदगति का ज्ञान दिया है ऐसे ही हमें मास्टर गति सदगति दाता बन भक्तों को गति सदगति का प्रसाद बांटना है ।

 

  ❉   आज हर आत्मा सुख, शांति, पवित्रता, शानशौकत के लिए भटक रही है ।कहीं वैभव है तो शांति नहीं सुख नहीं। शांति के सागर से शांति की सकाश लेकर अशांत आत्माओं को शांति का प्रसाद बांटना हैं ।

 

  ❉   लौकिक में भी कमजोर मनुष्यों को चलाने के लिए धक्के और सहारे की जरुरत होती है ऐसे ही हमें भी भक्त आत्माओं को सर्वशक्तिमान बाप से सर्वशक्तियों की किरणें लेकर उन आत्माओं को बाप से मिलाकर कल्याण कर गति सदगति का प्रसाद देना है।

 

  ❉   जैसे भक्ति में मीरा ने कहा मेरे अवगुण चित न धरो । बाप ने भी हमारे अवगुणों को न देखते हमारे समपूर्ण को ही हमेशा देखा है । ऐसे हमें भी किसी के अवगुण चित पर नही रखने व ये भी मेरा आत्मा भाई है व हरेक को बाप से मिलवाकर गति सदगति का रस्ता दिखाना है ।

 

  ❉   हम अविनाशी ज्ञान सर्जन के बच्चे हैं । ज्ञान अंजन सतगुरु दिया.... । बाप आत्मा को ज्ञान इंजेक्शन लगाकर हमें भरपूर करते हैं तो जो भक्ति करतेहैं उन्हें ज्ञान का इंजेक्शन लगाकर गति सदगति का प्रसाद बांटना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सम्पूर्ण समर्पण की विधि द्वारा अपने पन का अधिकार समाप्त करने वाले समान साथी अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सम्पूर्ण समर्पण अर्थात अपना तन, मन, धन, समय, स्वास, संकल्प सब कुछ बाप को अर्पण कर देना। मन, बुद्धि, वाचा व कर्मो एक बाप के ही कार्य में सफल करना।

 

 ❉   जब अपना सब कुछ बाप को समर्पण कर दिया तो फिर अपना बचा ही क्या? बिंदी। यह देह भी अपना नहीं तो इस देह के सम्बन्ध, साधन कुछ भी अपना नहीं।

 

 ❉   जिस चीज को अर्पण कर दिया हो उसपर से अपना अधिकार समाप्त हो जाता है, वह जैसी पराई चीज़ है और हम बस निमित्त मात्र उसको सँभालते है और उपयोग में लाते है उसमे से मेरे पन का भान समाप्त हो जाता है।

 

 ❉   सम्पूर्ण समर्पण द्वारा ही हम सदा यह स्मृति में रहते है की बाप का दिया खाती हु, बाप का दिया पहनती हु, बाप का दिए घर में रहती हु, जो भी करती हु सब बाप की आज्ञा अनुसार तो जैसा बाप हमको बनाना चाहते है वैसे सहज बन जाते है।

 

 ❉   यहाँ जब सदा बाप को अपना साथी बनाएंगे, सदा बाप समान बनकर रहेंगे, यहाँ के सदा के साथी ही सारे कल्प में बाप के साथ रह सकेंगे, जो यहाँ बाप समान बना होगा वही बाप के साथ चल सकेंगे। इसलिए अपने देह के सब सम्बन्ध को छोड़ अब बाप समान बिंदी बनने का पुरुषार्थ करना है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने समय,श्वांस और संकल्प को सफल करना ही सफलता का आधार है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जितना अपने समय,श्वांस और संकल्प को सफल करेंगे उतना संगम युग के बहुमूल्य खजानो और प्राप्तियों से स्वयं को भरपूर अनुभव करेंगे और सफलतामूर्त आत्मा बन हर कार्य में सहज ही सफलता प्राप्त कर सकेंगे ।

 

 ❉   व्यर्थ संकल्प आत्मा को शक्तिहीन बना कर माया का दास बना देते हैं । इसलिए व्यर्थ संकल्पों के बहाव के फ़ोर्स को समाप्त करने के लिए जरूरी है अपने समय,श्वांस और संकल्प को सफल करना तभी सफलतामूर्त आत्मा बन सकते हैं ।

 

 ❉   अपने समय,श्वांस और संकल्प को सफल करने से स्वस्थिति पावरफुल बनती हैं और पावरफुल स्व स्थिति हर परिस्थिति पर विजय दिला कर सफलता प्राप्ति का आधार बन जाती है ।

 

 ❉   बुद्धि में बाप की याद तभी ठहरेगी जब हम अपने समय,श्वांस और संकल्प को सफल करेंगे और जितना इन्हें सफल करेंगे उतना आत्मा में बल भरता जायेगा जो हर परिस्थिति में सफलता दिलाएगा ।

 

 ❉   जितना मन बुद्धि को समर्थ चिंतन में बिज़ी रखेंगे उतना अपने समय, श्वांस और संकल्पों को सफल करते हुए परमात्म प्यार और पालना का अनुभव कर सकेंगे और परमात्म मदद से हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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