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 30 / 11 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *आप समान बनाने की सेवा की ?*

 

➢➢ *और संग तोड़ एक बाप से जोड़ा ?*

 

➢➢ *डबल अहिंसक बन साइलेंस में बैठ अपनी राजाई स्थापन करने का पुरुषार्थ किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *रूहानियत की खुशबू के आधार पर सर्व को परमात्म सन्देश दिया ?*

 

➢➢ *अपने पास शुद्ध व श्रेष्ठ संकल्प इमर्ज रखे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *निर्बल को बल देने वाले महाबलवान बनकर रहे ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे -  मै तुम बच्चों के लिए हथेली पर बहिश्त लाया हूँ तुम मुझे याद करो तो स्वर्ग की बादशाही मिल जायेगी"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने खिलते हुए फूल बच्चों को पिता भला दुखो में तड़फता कैसे देख पाया... बाप भला बिना बच्चों के सुख के कैसे सुख और चैन पाये... मीठा बाबा हथेली पर स्वर्ग सौगात ले आया है...बादशाह बनाने आया है... ऐसे सुखदायी सच्चे पिता की यादो में खो जाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा प्यारे प्यारे पिता की यादो में सुखो से महकते हुए स्वर्ग को पा रही हूँ... कभी सोचा भी न था कि विश्व की मालिक बनूंगी और आज अपने शानदार भाग्य पर मुस्करा रही हूँ... मीठे बाबा की यादो में तपते कदमो तले फूलो की छुअन आ चली है...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह के मटमैले रिश्तो को याद करके दुखी होकर कितना थक चले हो... अब ईश्वर पिता की यादो में सदा का आराम पाकर इस कदर खो जाओ... ईश्वर पिता की सारी जागीर बाँहों में भरकर सुखो के स्वर्ग में खिलखिलाओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा ईश्वर पिता से ज्ञान रत्नों को पाकर सारे सत्य को जान चली हूँ... दुखो के दलदल से निकल सुखो के स्वर्ग में कदम बढ़ा चली हूँ... मीठे बाबा के प्यार में खोकर अपनी देवताई गरिमा को पाती जा रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... जिन बन्धनों को सत्य समझ अपने कीमती समय साँस संकल्पों को पानी सा बहा रहे वह ठग जायेंगे खोखला और खाली तन्हा सा बनायेगे... इन सांसो और संकल्पों को ईश्वरीय प्रेम में लुटा दो... अपने निश्छल प्रेम को ईश्वर पिता पर अर्पण कर चलो जो सच्चे सुखो का आधार बन खुशियो को लाएगा...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार की छाँव तले सुखो की अधिकारी बन रही हूँ... मीठी मीठी यादो में जन्नत अपने नाम लिखवा रही हूँ... और पूरे विश्व धरा पर फूलो सा मुस्कराने वाली शहजादी बन रही हूँ....

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा पहले मायावी कांटों के जंगल में थी... बिना खुशबू के मुरझाई हुई फूल थी... विकारों के कांटों से घिरी हुई थी... मुझ आत्मा को बेहद के माली ने हद के कांटों के जंगल से निकाला... बेहद के संगमयुगी रुहानी बगीचे में लाकर ज्ञान जल छिड़ककर सुगंधित फूल बना दिया...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा अपनी रुहानियत की खुशबू  बरकरार रखने से सिर्फ बेहद के माली को ही देखती हूँ... मैं आत्मा रुहानियत की सर्व गुणों, शक्तियों रुपी सुगंध को स्वयं में धारण कर रहीं हूँ... मुझ आत्मा रुपी फूल के सब विकार रुपी काँटे टूट कर गिरते जा रहें हैं...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा रुहानी बाबा के रुहानी बगीचे की रुहानी खुशबूदार फूल बन गई हूँ... अपनी खुशबू दूर दूर तक फैला रहीं हूँ... इस रुहानियत की खुशबू से चारों ओर के वायुमंडल को महका रहीं हूँ... प्रकृति भी तमोप्रधान से सतोप्रधान बनती जा रही है...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा विश्व की सभी मुरझाई हुई आत्माओं पर ज्ञान जल छिड़क रहीं हूँ... रुहानियत की शक्ति से बेहद के बाप का परिचय वा संदेश दे रहीं हूँ... मैं आत्मा अनेक तड़पती हुई आत्माओं को ज्ञान जल की अंचली दे रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  सभी मुरझाई हुई दुखी आत्माएँ स्वतः मेरी ओर आकर्षित हो रहीं हैं... मैं आत्मा सबमें रुहानियत की खुशबू भर रहीं हूँ... अब मैं आत्मा रुहानियत की खुशबू के आधार पर सर्व को परमात्म संदेश देने वाली विश्व कल्याणकारी आत्मा बन गई हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अपने पास शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्प इमर्ज रख  व्यर्थ को मर्ज  करना"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सम्पूर्ण शुद्ध और पवित्र हूँ... मेरी मन बुद्धि एकदम स्वच्छ और पावन हैं... मेरे मन में सदैव शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्पों की रचना होती हैं... मैं शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्पों की धनी आत्मा हूँ...  हर परिस्थिति में मैं आत्मा श्रेष्ठ और समर्थ संकल्पों को ही इमर्ज करती हूँ...

 

➳ _ ➳   शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्पों का स्टॉक मुझ आत्मा में सदा भरपूर रहता हैं...  सदा ही शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्प ही मुझ से इमर्ज होते रहते हैं... लगातार समर्थ श्रेष्ठ संकल्पों की रचना से मेरा औरा/आभा मण्डल अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र हो गया हैं... मेरे श्रेष्ठ संकल्पों की खुशबू चारों ओर फ़ैल रही हैं... मेरे शुद्ध संकल्पों की खुशबू से अन्य आत्माओं में भी श्रेष्ठ संकल्पों की रचना हो रही हैं... 

 

➳ _ ➳  शिवबाबा ने ज्ञान रत्नों से मेरे संकल्पों को सजाया हैं... बाबा के दिए हुए ज्ञान रत्नों को मनन करने से... मेरे मन में सदा श्रेष्ठ और शुद्ध संकल्प इमर्ज होते है... इससें व्यर्थ स्वतः ही मर्ज हो गए हैं... मैं आत्मा व्यर्थ संकल्पों से पूर्ण मुक्त हो कर अत्यंत शक्तिशाली हो गई हूँ...

 

➳ _ ➳  व्यर्थ से मुक्त होने से मेरी एकाग्रता शक्ति बढ़ गई हैं... मैं शक्तिशाली आत्मा जब चाहे, जो चाहे वो संकल्प क्रिएट कर सकती हूँ... मैं आत्मा शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्पों को सदा इमर्ज रखती हूँ...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *रुहानियत की खुशबू के आधार पर सर्व को परमात्म सन्देश देने वाले विश्व कल्याणकारी होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   जो बच्चे अपने को वैल्यूबल रतन समझते है व कोटो में कोई व कोई में से भी कोई हम है। जिसके दर्शन पाने को दुनिया वाले तड़प रहे है उसने मुझे अपना बना लिया तो उन्हें सच्चे सच्चे बाप को पाकर नशा व खुशी रहती है। उनका मन सदा खुशी में नाचता रहता है। ऐसे ऊंच ते ऊंच बाप की श्रीमत पर चलकर अपने रुहानी स्नेह से सर्व को आकर्षित करते है और सर्व के प्रति कल्याण की भावना रख परमात्म संदेश देने वाले विश्व कल्याणकारी होते हैं।

 

❉   बाप को जान लिया पा लिया इससे बड़ा भाग्य तो कोई का होता नही। बस एक बाप दूसरा न कोई एक की लगन में मगन रहते है व बहुकाल की याद के बल से बाप से समीपता अनुभव करते है। मनसा वाचा कर्मणा व संकल्पों में पवित्रता होने से अपनी सूरत और सीरत से स्वतः ही सेवा करते है और दूसरी आत्माओं में कशिश होती है। बाबा से लाइट माइट लेते सर्व को परमात्म संदेश देने वाले विश्व कल्याणकारी होते हैं।

 

❉   जो बच्चे अपने को पदमापदम भाग्यशाली समझते है कि स्वयं भगवान ने हमें अपने विश्व परिवर्तन के कार्य के निमित्त चुना व जिम्मेवारी का ताज पहनाया। जब बाप दिन रात हम बच्चों की सेवा के लिए हाजिर रहता है तो मुझ आत्मा का जैसे कल्याण किया ऐसे मुझ आत्मा को भी दुखी भटकती हुई सर्व आत्माओं को परमात्म संदेश देकर व बाप से मिलने का रास्ता बताकर कल्याण करना है । ऐसे बच्चेअपनी रुहानियत की खुशबू से सर्व को संदेश देने वाले विश्व कल्याणकारी होते हैं।

 

❉   जैसे गुलाब कांटों के बीच में रहता है पर फिर भी अपनी खुशबू फैलाता है। ऐसे ही जो बच्चे दुनिया वालों के हिसाब से तो इस कलयुगी दुनिया में रहते है। जो अपने सच्चे परमपिता को जान यथार्थ रुप से याद करते है और अपने को इस दुनिया से न्यारा और प्यारा रखते सच्चा आशिक बन एक माशूक की याद में रहते है तो अपनी रुहानियत से सर्व को मैं कौन और मेरा कौन का रुहानी ज्ञान देकर विश्व कल्याणकारी होते हैं।

 

❉   जो सदा ये स्मृति रखते हैं कि हम दाता के बच्चे मास्टर दाता है व देना ही लेना है वो हमेशा मनसा से प्रकृति को तमोप्रधान से सतोप्रधान बनाने की सेवा में लगे रहते है और भल कितनी भी दूर बैठी आत्माऐं हो अपनी रुहानियत की शक्ति से जिस भी शक्ति की जरुरत हो वो बल भरकर तडपती हुई आत्माओं को देकर बाप का परिचय व संदेश देते हैं ऐसे बच्चे विश्व कल्याणकारी होते हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *अपने पास शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्प इमर्ज रखो तो व्यर्थ स्वत: मर्ज हो जायेंगे... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे स्नान के लिए कोई तालाब बना देते हैं तो उसमे सिर्फ स्नान का ही मजा आ सकता है । उस पानी में नाव का मज़ा नही ले सकते, उसमे रत्न नही मिल सकते । नाव का मजा लेना है और रत्न लेने हैं तो सागर की गहराई में जाना पड़ेगा । ठीक इसी प्रकार शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्प सदा इमर्ज तभी रहेंगे जब ज्ञान की गहराई में जा कर ज्ञान का मंथन करेंगे । जितना ज्ञान की गुह्यता में जायेंगे उतना शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्प इमर्ज रहने से व्यर्थ संकल्प मर्ज होते जायेंगे ।

 

❉   जितना हमारी बुद्धि की लगन बाबा से होगी, याद की हमे आकर्षण होगी उतना बाबा से जो लाइट मिलेगी वह सभी पुरानी बातों, पुराने संस्कारों को मिटाकर आत्मा को मीठा दिव्यगुण सम्पन्न बना देगी । आत्मा जैसे जैसे बाबा की याद से स्वीट बनती जायेगी व्यर्थ से किनारा होता जायेगा । आत्मा के निजी संस्कार इमर्ज होने लगेंगे जिससे चिंतन भी शुद्ध वा श्रेष्ठ होने लगेगा । जितना शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्प इमर्ज रहेंगे व्यर्थ संकल्प स्वत: मर्ज होते जायेंगे ।

 

❉   कहते भी हैं कि खाली मन शैतान का घर होता है । जितना मन को खाली रखेंगे उतना व्यर्थ संकल्प चलेंगे । इसलिए जितना मन को ईश्वरीय चिंतन और याद में बिज़ी कर लेंगे । उतना एक तो पावरफुल संकल्प आत्मा में बल भरेंगे जिससे स्थिति एकरस और अचल, अडोल बनेगी । और दूसरा सर्वशक्तिवान बाप की याद आत्मा को सर्वशक्ति सम्पन्न बना देगी और सर्वशक्ति सम्पन्न आत्मा के सामने माया कभी भी संकल्प, विकल्प के रूप में नही आयेगी क्योकि शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्प सदा इमर्ज रूप में होंगे ।

 

❉   एक नशेड़ी व्यक्ति भी नशे में इतना मस्त हो जाता है कि उसे दुनिया की कोई परवाह ही नही रहती । ठीक इसी प्रकार बाबा के प्रेम की मस्ती में जब मस्त रहेंगे तो ऐसी अव्यक्त स्थिति में स्थित हो जायेंगे कि व्यक्त की सभी बातों से स्वत: ही किनारा होने लगेगा । परमात्म प्रेम की मस्ती में मग्न होने के कारण अगर कोई कुछ कहेगा तो भी व्यर्थ संकल्प नही चलेंगे । क्योकि बाबा के प्रेम की अगन की लगन ऐसा समर्थ और श्रेष्ठ बना देगी जो व्यर्थ उसमे मर्ज हो जायेगा ।

 

❉   जितना हम एकाग्र अवस्था में रहकर बाबा की याद में रहेंगे उतना साइलेन्स पॉवर का अनुभव करेंगे । यह साइलेन्स की पावर अनेक जन्मो के विकर्मों को भी विनाश कर देगी और साथ ही साथ मन के संकल्प विकल्प भी इसमें मर्ज होते जायेंगे । एकाग्र चित स्थिति में जितना स्थित रहेंगे उतना संकल्प श्रेष्ठ और समर्थ होते जायेंगे । केवल उतने ही संकल्प चलेंगे जिनमें दूसरों के कल्याण का भाव समाया होगा । सेवा अर्थ केवल शुद्ध वा श्रेष्ठ संकल्प जब इमर्ज रहेंगे तो व्यर्थ स्वत: मर्ज हो जायेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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