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❍ 06 / 02 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °देही अभिमानी° रहने की मेहनत की ?
‖✓‖ याद की यात्रा में रह सर्व प्रकार की °ग्रहचारी को मिटाया° ?
‖✓‖ ज्ञान का °विचार सागर मंथन° किया ?
‖✓‖ "हम °ईश्वरीय सम्प्रदाय° के हैं... हमें ज्ञान सूर्य बाप मिला है" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ हर संकल्प, वाणी और कर्म में °रूहानियत° को धारण किये रखा ?
‖✓‖ भारत को स्वर्ग बनाने के लिए °श्रीमत पर भारत की सेवा° की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ समाने की शक्ति द्वारा °एकमत का वातावरण° बनाया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ अपने अनुभवों के आधार से अनेकों को °अनुभवी° बनाया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं दृष्टान्त रूप आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ समाने की शक्ति द्वारा एकमत का वातावरण बनाने वाली मैं दृष्टान्त रूप आत्मा हूँ ।
❉ संगठन में रहते लक्ष्य और लक्षण को समान बना कर मैं सदा सर्व शक्तियों से सम्पन्न रहती हूँ ।
❉ एक ही लग्न और एकरस स्थिति में स्थित हो कर मैं सर्व आत्माओं को एकता के सूत्र में पिरो कर रखती हूँ
❉ सभी विभिन्नताओं को समाप्त कर एकमत का वातावरण बना कर मैं सबको साथ ले कर चलते हुए हर कार्य में विजय प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो, मैं सभी आत्माओं में उमंग उत्साह भर, उन्हें आगे बढ़ाती जाती हूँ ।
❉ मैं आत्मा सदा शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना स्वरुप बन सबको रास्ता दिखाती हूँ ।
❉ मुझ शक्ति सम्पन्न आत्मा से संगठन की सर्व आत्माओं को श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति व सर्वशक्तियों की प्राप्ति होती है ।
❉ अपने शक्ति स्वरुप में स्थित हो कर मैं सर्व आत्माओं को शक्ति स्वरुप बना रही हूँ और उनमे योग का बल भर रही हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम ईश्वरीय सम्प्रदाय हो, तुम्हे ज्ञान सूर्य बाप मिला है, अभी तुम जागे हो तो दूसरों को भी जगाओ"
❉ पूरे 63 जन्मों से हम आत्माए अज्ञान निद्रा में सोई हुई थी क्योकि वस्तवकिता का ज्ञान ही नही था ।
❉ स्वयं को, अपने पिता परमात्मा को और अपने घर को भूल गहन अज्ञान अन्धकार में भटकने के कारण अपरमअपार दुखी हो गए थे ।
❉ किन्तु अब संगम युग पर ज्ञान सूर्य परम पिता परमात्मा बाप ने स्वयं आ कर अज्ञान अंधकार में भटकती हम आत्माओं को रास्ता दिखाया है ।
❉ ज्ञान सूर्य बाप ने हम आत्माओं को ज्ञान का तीसरा नेत्र अर्थात सत्य वास्तविक ज्ञान दे कर अज्ञान निद्रा से जगा कर सुखी होने का रास्ता दिखा दिया है ।
❉ अब हम ईश्वरीय सम्प्रदाय के बने है तो हमारा भी यह फर्ज बनता है कि जैसे ज्ञान सूर्य बाप ने आ कर हमे जगाया है वैसे हम भी औरों को जगाएं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सर्विस में उन्नति करने वा सर्विस में ऊंच पद पाने के लिए देही-अभिमानी रहने की मेहनत करनी है।
❉ अपने को आत्मा समझना है देह नहीं, यही पहला पाठ पक्का करना है व देही-अभिमानी बनना है । जब अपने को आत्मा समझते है तो परमात्मा की याद स्वतः ही आती है ।
❉ जब आत्मा भाई-भाई की दृष्टि रहती है व आत्मिक स्थिति रहती है तो दृष्टि वृत्ति शुद्ध रहती है । बाबा की याद बनी रहती है तो धारणा भी अच्छी होती है ।
❉ बाप की याद में रहने से विकर्म विनाश होते हैं व बुद्धि की लाइन क्लीयर होती जाती है । याद में रहते हैं तो खुशी बनी रहती है व सर्विस के लिए उमंग उत्साह होता है ।
❉ अभी हम ईश्वरीय सम्प्रदाय के बने है तो हमें ऊंच ते ऊंच बाप की श्रीमत पर चलना है । बस एक बाप की याद की यात्रा में रहना है ।
❉ ये पुरानी दुनिया का विनाश होना ही है व इसलिए अपने पुराने स्वभाव, संस्कार व विकारों को स्वाहा करना है व ये शरीर विनाशी है । आत्मा ही अविनाशी है व अविनाशी बाप को ही याद करना है ।
❉ मनमनाभव के जादू मंत्र से देही अभिमानी रहने की मेहनत करनी है व सदा बाप की याद में रहकर रुहानी सर्विस कर ऊंच पद पाना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ समाने की शक्ति द्वारा एकमत का वातावरण बनाने वाले दृष्टान्त रूप होते... क्यों और कैसे ?
❉ यह हमारा ब्राह्मण परिवार बहुत बड़ा परिवार है, एक पिता परमात्मा के हम सब बच्चे है तो आपस में बहुत मिल जुल के क्षीरखंड होकर रहना है। भगवान के बच्चे है यह सदा याद रहे।
❉ जितना बड़ा परिवार उतनी वैरायटी स्वभाव संस्कार वाली आत्माए भी है। सबकी अच्छाइयों अर्थात गुणों को देखते व अपनाते चलो तथा बुराई व अवगुण को समाते चलो। बाबा कहते बच्चे "गाली देने वाले को भी गले लगाना है।"
❉ सदा यही याद रहे की यह मेरा ही भाई बहन है, इसका अवगुण मेरा अवगुण है, इसकी कमी मेरी कमी है तो सदा स्वयं के साथ साथ दुसरो को भी आगे बढ़ाते चलो। ब्रह्मा बाबा समान अपकरियो पर भी उपकारी बनो।
❉ एकमत होने के लिए आत्मिक दृष्टि वृत्ति बहुत जरुरी है। सबके प्रति आत्मिक प्रेम तथा बड़ा दिल रखने से ही हम संगठन को मजबूत बना सकते है। हम भी मास्टर सागर है तो हमें भी सागर समान सब समाना है। समाना ही समान बनना है।
❉ कभी कभी हम संगठन में समाने की जगह सामना कर लेते है और माया से सामना करने की जगह उस कमजोरी को अपने में समा लेते है, तो कहा सामना करना है और कहा समाना है इसमें बुद्धि बहुत क्लियर चाहिए।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ हर संकल्प, वाणी और कर्म में रूहानियत धारण करो तब सर्विस में रौनक आयेगी... कैसे ?
❉ स्वयं को आत्मा समझ जब हर कर्म करेंगे तो ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन आत्मा को मिलता रहेगा और मनमनाभव की स्थिति हर संकल्प, वाणी और कर्म को रूहानियत से भरपूर कर सेवा में सफलतामूर्त बना देगी ।
❉ जितना शुद्ध संकल्पो का खजाना जमा होगा, चिंतन श्रेष्ठ होगा उतनी मन की स्थिति शक्तिशाली बनती जायेगी जिससे हर संकल्प, वाणी और कर्म में रूहानियत आती जायेगी जो सर्विस में रौनक ले आएगी ।
❉ मन को प्रभु चिंतन में जितना व्यस्त रखेंगे उतना परमात्म शक्तियां आत्मा को मिलती रहेंगी जिससे हर संकल्प, वाणी और कर्म में रूहानियत का प्रभाव स्वत: दिखाई देने लगेगा जो सर्विस को भी प्रभावशाली बना देगा ।
❉ जब संगम युग की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों की स्मृति में रहेंगे तो अपार नशे में रह स्वयं को ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न अनुभव करेंगे और ख़ुशी की यह झलक रूहानियत के रूप में हमारे हर संकल्प, वाणी और कर्म से झलकेगी जो सर्विस में भी रौनक ले आएगी ।
❉ कर्मयोगी बन हर कर्म करने से आत्मा को ईश्वरीय बल मिलता रहेगा । जो मन बुद्धि को व्यर्थ से मुक्त कर हर संकल्प, वाणी और कर्म को बलशाली बना कर उसे रूहानियत से भरपूर कर देगा और सर्विस को सफल बना देगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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