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❍ 05 / 03 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °संगदोष° से अपनी बहुत बहुत संभाल की ?
‖✓‖ अहंकार का त्याग कर अपनी °पढाई में मस्त° रहे ?
‖✓‖ "°बाबा आपका जो हुकुम°" - यह भावना मन में रही ?
‖✓‖ माया को दोष न दे अपनी °कमियों की जांच° कर उन्हें निकाला ?
‖✗‖ "करने के बाद सोचना" - ऐसे °पश्चाताप° का अनुभव तो नहीं हुआ ?
‖✗‖ °दूसरों से सेवा° तो नहीं ली ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ अपने °श्रेष्ठ व्यवहार° द्वारा सर्व आत्माओं को सुख दिया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ अथक होने के साथ साथ सदा °एकरस स्थिति° बनी रही ?
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∫∫ 4 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-25)
➢➢ बाप टीचर सतगुरु द्वारा जो शिक्षायें मिलती हैं उन पर चलना है । माया को दोष न देकर अपनी कमियों की जांच कर उन्हें निकालना है ।
❉ लौकिक में जब बच्चा बाप टीचर सतगुरु तीनों की शिक्षाओं पर चलता हैं तो उसे हमेशा सफलता मिलती है । हमें तो बेहद का एक बाप मिला है जो हमारा बाप भी है, सुप्रीम टीचर , सुप्रीम सदगुरु भी है कितना वंडरफुल है ! हमें उनकी शिक्षाओं पर ही चलना है ।
❉ हमें ऊंच ते ऊंच बाप मिला है व श्रेष्ठ मत देकर हमारी पालना कर हमें श्रेष्ठाचारी बना रहे हैं तो हमें भी सपूत आज्ञाकारी बच्चा बन बाप की शिक्षाओं पर चलना है ।
❉ लौकिक में टीचर से पढ़ते है तो उस शिक्षा से सर्टिफिकेट लेकर अल्पकाल की कमाई करते हैं । बेहद के टीचर की शिक्षाओं पर चलने से अविनाशी कमाई व 21 जन्मों की बादशाही मिलती है इसलिए सुप्रीम टीचर की शिक्षाओं पर चल अविनाशी कमाई करनी है ।
❉ लौकिक सतगुरु एक मंत्र देते है जिससे अल्पकाल की सुख शांति मिलती है । सुप्रीम सतगुरु ही हमें मुक्ति जीवनमुक्ति का रास्ता दिखाकर सदगति करते हैं तो ऐसे सुप्रीम सतगुरु की शिक्षाओं पर हमें चलना है ।
❉ बाप की श्रीमत पर चलते हुए स्व पर अटेंशन देना है परचिंतन नही करना । ऐसे कभी नही कहना कि माया भुला देती है या माया करने नही देती बस बाबा की याद में रहते हुए स्वराज्याधिकारी बनना हैं व अपनी कमियों को दूर करना है ।
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∫∫ 5 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-25)
➢➢ अपने श्रेष्ठ व्यवहार द्वारा सर्व आत्माओं को सुख देने वाली महान आत्मा होते हैं ... क्यों और कैसे ?
❉ जैसे फलदायक वृक्ष अपनी शीतलता की छाया में मनुष्य को शीतलता का अनुभव कराता है । ऐसे ही परमात्म प्राप्ति से सम्पन्न रुहानी प्रसन्नता वाली आत्मा दूसरों को तन मन की शांति की अनुभूति कराकर सुख देने वाली महान आत्मा होती है ।
❉ जब स्वयं भगवान मिल गया तो इसी खूशी वा नशे में रहते हैं कि जो पाना था सो पा लिया । परमात्म प्यार पाकर स्वयं भी भरपूर रहते हैं व दूसरों को भी करते हैं । बेहद बाप के बच्चा बनते ही बाप के वर्से के अधिकारी बनते है इसलिए सर्व आत्मा को कुछ न कुछ देने की भावना रखने वाले महान आत्मा होते हैं ।
❉ जो महान आत्मा होती हैं उनके हर व्यवहार से सर्व आत्माओं को सुख मिलता है । वह सुख देते हैं व सुख लेते हैं । जिससे वह आत्मा दुआओं का पात्र बनती है ।
❉ जो महान आत्मा होती है वह मनसा वाचा कर्मणा पवित्र होती है । हर आत्मा के प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखती है । हर आत्मा के प्रति आत्मिक दृष्टि होने से अपने श्रेष्ठ व्यवहार से सर्व के प्रति कल्याण की भावना होती है ।
❉ एक बाप से ही अटूट प्रेम होने से हर आत्मा के प्रति रूहानी स्नेह होता है व सर्व को सहयोग देकर आगे बढ़ाने की भावना होती है ।ऐसे अपने श्रेष्ठ व्यवहार से सर्व आत्माओं को सुख देकर महान आत्मा होते हैं ।
❉ अपने श्रेष्ठ व्यवहार से सदा एकरस स्थिति में रहते हैं वो किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं करते । सदा श्रेष्ठ मत पर चलते हैं व दूसरों को भी चलाते हैं व महान बन जाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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