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❍ 15 / 11 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *उल्टी सुलटी बातें एक कान से सुन दुसरे कान से निकाली ?*
➢➢ *कोई भी आसुरी स्वभाव है तो उसे छोड़ने पर विशेष अटेंशन रहा ?*
➢➢ *बाप ने जो ज्ञान घास खिलाई, उसे उगारते रहे ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *लाइट हाउस की स्थिति द्वारा पाप कर्मों को समाप्त किया ?*
➢➢ *हर दृश्य को साक्षी हो देख सदा हर्षित रहे ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ *आज दिन भर बार बार बापदादा का आह्वान किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - ज्ञान धन का दान करने के लिए विचार सागर मन्थन करो दान का शौक रखो तो मन्थन चलता रहे"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय खजानो को बाँहों में भरकर मुस्कराने वाले महान भाग्यवान धनवान् हो... यह दौलत जितना लुटाओगे अमीरी को अपने इर्दगिर्द सदा ही छलकता पाओगे.. इस ज्ञान धन की खान की झलक हर दिल को दिखाओ... सबके जीवन में यह ईश्वरीय बहार खिला आओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा ईश्वर पिता की गोद में आकर मालामाल हो चली हूँ... कभी दीन हीन और गरीब सी आत्मा आज दौलतमंद हो चली हूँ...और आप समान सबको धनवान् भाग्यवान बनाकर सुखो के फूल बिखेर रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... यह ज्ञान धन ही जादूगरी है जो सुखो की खान में बदल जायेगी... दिलो ही दिल में इसे गिनते रहो... और अथाह खजानो को हर दिल पर लुटाओ... इस अविनाशी ज्ञान धन से सबके जीवन में खुशियो को खिलाओ... सबके दिल आँगन में आनन्द की फिजां महका आओ
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा ईश्वरीय ज्ञान धन से सबकी झोली भरकर अथाह सुखो का मालिक बना रही हूँ... मीठे बाबा से पाये अमूल्य खजाने का मालिक हर दिल को बना रही हूँ... मा ज्ञान सूर्य होकर औरो को भी प्रकाशित कर रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... वरदानी संगम पर ईश्वर पिता से पाये अमूल्य रत्नों को... विचार सागर मन्थन से गहराई से दिल में समाओ... और यह ज्ञान की महक सबके दिलो तक पहुँचाओ... यह ज्ञान दान महान पुण्य सा प्रतिफल देकर मालामाल करेगा...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी फूलो सी गोद में पाये रत्नों को दान कर सबके भाग्य को जगा रही हूँ... फूलो भरी राह पर हर दिल को चला रही हूँ... जनमो के देह समझ थके पाँवो को सुख भरी मरहम लगा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं पुण्य आत्मा हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा कई जन्मों से अज्ञानता के अँधेरे में जी रही थी... माया रुपी अमावस के अंधकार में काली होती जा रहीं थी... माया मुझ आत्मा से कई पाप कर्म करा रही थी... विकारों में धकेल रहीं थी... मैं आत्मा कलियुगी पाताल में धंसते चले जा रहीं थी...
➳ _ ➳ एक दिन आसमान से एक प्रकाश पुंज आया... ज्ञान रुपी लाइट की किरणों से अंधकार को दूर कर दिया... अमावस की रात ख़त्म होकर ज्ञान की रोशनी फैल गयी... परमात्मा ने मुझ आत्मा को कलियुगी पाताल से निकालकर श्रेष्ठ संगमयुग में लाकर अपना बना लिया...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा एक बाप की याद में रहकर अपने पाप कर्मों को मिटा रहीं हूँ... परमात्म लाइट पाकर मैं आत्मा जगमग हो रहीं हूँ... सुप्रीम लाइट हाउस से कनेक्शन जोड़कर मैं आत्मा भी लाइट हाउस बन गयी हूँ...
➳ _ ➳ जहाँ लाइट होती है वहाँ कोई भी पाप कर्म नहीं होता है... जहाँ पाप होता है वहाँ बाप की याद नहीं होती है... इसलिये मैं आत्मा सदा लाइट हाउस स्थिति में रहती हूँ... अब मुझ आत्मा से माया कोई पाप कर्म नहीं करा सकती है...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा दृढ़ संकल्प करती हूँ कि मैं पुण्य आत्मा हूँ... पाप मेरे सामने आ नहीं सकता... मैं आत्मा अब स्वप्न व संकल्प में भी पाप को नहीं आने देती हूँ... सदा श्रेष्ठ संकल्पों, स्वमानों में रहकर श्रेष्ठ भाग्य बना रहीं हूँ... मैं आत्मा लाइट हाउस की स्थिति द्वारा पाप कर्मों को समाप्त करने वाली पुण्य आत्मा बन गई हूँ ।
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- हर दृश्य को साक्षी होकर देखना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस सृष्टि रंगमंच पर... इस बेहद के ड्रामा में... अमूल्य पार्ट प्ले करने वाली एक महान एक्टर हूँ... मैं आत्मा इस शरीर को धारण कर... अपना पार्ट प्ले कर रही हूँ... ये शरीर मेरा एक कॉस्च्युम है... मैं आत्मा इस शरीर रूपी कॉस्च्युम द्वारा... भिन्न-भिन्न रोल अदा करती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा साक्षी दृष्टा हो... अपने पार्ट को देखती हूँ... अपने हर रोल को साक्षी हो प्ले करती... शिव बाबा के साथ कम्बाइंड हो... हर सीन को देखती हूँ... सम्बन्ध और सम्पर्क की हर आत्मा से व्यवहार करते... स्वयं के और अन्य आत्माओं के पार्ट देखती हूँ...
➳ _ ➳ मैं साक्षी दृष्टा बन अपने पार्ट को इंजॉय करती हूँ... त्रिकालदर्शी बन बहुत ही समझ से... श्रीमत अनुसार अपने पार्ट को, हर रोल में, हर सीन में... स्वयं को बहुत ही श्रेष्ठ एक्ट करते... सदा हर्षित रहती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सदा खुश रहने वाली... सदा हर्षित मुख... ड्रामा के राज को जान... साक्षी हो सबके पार्ट को देखती हूँ... कोई भी परिस्थिति हो... कोई भी समस्या हो... उसमें से बाहर निकलकर... डीटेच हो, साक्षी हो... उसका हल तुरन्त ही ढूंढ लेती हूँ... मेरे साक्षी दृष्टा होने से कोई भी बात मुझे टच भी नहीं करती... मान-अपमान, निंदा-स्तुति, सबको साक्षी हो एन्जॉय कर... सदा ही हर्षित रहती हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *लाइट हाउस की स्थिति द्वारा पाप कर्मों को समाप्त करने वाले पुण्य आत्मा होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ लाइट हाउस की स्थिति द्वारा पाप कर्मों को समाप्त करने वाले पुण्य आत्मा होते है क्योंकि... जहाँ लाइट होती है वहाँ कोई भी पाप का कर्म नहीं होता है। तो! सदा लाइट हाउस स्थिति में रहने से माया कोई पाप कर्म नहीं करवा सकती, तब हम सदा के लिये, पुण्य आत्मा बन जाते हैं।
❉ वास्तव में अगर देखा जाये, तो! अधिकतर सारे पाप कर्म रात के अँधेरे में ही होते हैं। इसीलिये! ही तो बाबा ने हम बच्चों को बताया है कि... रात्रि 10 बजे से सुबह 2 बजे तक का टाइम आसुरी प्रवृतियों के लिए निर्धारित है। इसीलिये! हम इस समय को निद्रा देवी की गोद में सो कर अर्थात! बाबा की गोद में सो जाते हैं, और सुबह उठकर 2 से 5 बजे तक अमृतवेला करते हैं।
❉ ऐसा करने से हम सदा के लिये पुण्य आत्मा बन जायेंगे, क्योंकि जो पुण्य आत्मायें होती हैं, वो स्वपन में व संकल्प में भी कोई पाप कर्म नहीं कर सकती हैं। स्थूल में तो कर्म करने की बात ही कुछ अलग है। अतः हमें सदा ही पुण्य आत्मा बन कर रहना है।
❉ पुण्य आत्मा बन कर, अपनी लाइट हाउस की स्थिति को इमर्ज़ करके सर्व आत्माओं के पाप कर्मों को स्वयं के पुण्यों के प्रताप के प्रकाश द्वारा समाप्त करने वाली आत्मा बनना है और लाइट हाउस बन कर सारे जहान को रौशन करना है। सर्व आत्माओं के दुखों को हरण करना है।
❉ कहते हैं जहाँ पाप होता है, वहाँ पर बाप नहीं होता है अर्थात! जहाँ पाप होता है वहाँ बाप की याद नहीं होती है। इसलिये! आज ही दृढ़ संकल्प करना हैं कि मैं पुण्य आत्मा हूँ, तभी तो मेरे सामने कोई भी किसी भी प्रकार का पाप आ नहीं सकता है। अतः स्वप्न वा संकल्प में भी पाप को आने नहीं देना है।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *जो हर दृश्य को साक्षी हो कर देखते हैं वही सदा हर्षित रहते हैं... क्यों और कैसे* ?
❉ जैसे एक नाटक देखने वाला नाटक में हर सुख दुख की घटना को देखते हुए भी उसके प्रभाव से मुक्त रहता है । हर सीन में केवल मनोरंजन का अनुभव करता है । ऐसे ही जो इस बात को सदा स्मृति में रखते हैं कि यह सृष्टि भी एक विशाल नाटक है । इसलिए इसमें घटित होने वाली घटना अथवा सीन पूर्वनिर्धारित है जिसमे कोई भी फेर बदल नही हो सकती । इस बात को बुद्धि में रख वे हर दृश्य को साक्षी हो कर देखते हैं इसलिए सदा हर्षित रहते हैं ।
❉ एक अभिनयकर्ता अपना किरदार निभाते समय उसकी गहराई में ऐसे डूब जाता है कि दूसरों को वास्तविकता का आभास होता है किन्तु गहराई से अपना किरदार निभाते हुए भी अपने वास्तविक किरदार को अर्थात अपनी वास्तविक पहचान को वह नही भूलता इसलिए किरदार निभाने के बाद फिर से अपने वास्तविक स्वरूप में आ जाता है । ऐसे ही जो सदा स्वयं को अभिनय
कर्ता समझ कर इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर केवल अपना पार्ट प्ले करते हैं । वे हर दृश्य को साक्षी हो कर देखते हुए सदा हर्षित रहते हैं ।
❉ त्रिकालदर्शी बन तीनो कालों को जो सदा स्मृति में रख हर संकल्प और हर कर्म करते हैं वे कभी भी क्या, क्यों और कैसे की क्यू में उलझ कर किसी भी प्रकार की हलचल में नही आते बल्कि सेकण्ड में फुल स्टॉप लगा कर हर प्रकार की हलचल से स्वयं को मुक्त कर लेते हैं क्योंकि त्रिकालदर्शी पन की स्मृति उन्हें साक्षी दृष्टा की सीट पर सेट रखती है । इसलिए वे सभी के पार्ट को और ड्रामा के हर दृश्य को साक्षी हो कर देखते हैं और हर परिस्थिति में हर्षित रहते हैं ।
❉ परमपिता परमात्मा शिव बाबा आनन्द के सागर हैं क्योंकि वे साक्षी हैं । सृष्टि के उत्थान पतन के खेल को वे साक्षी बन देखते रहते हैं क्योंकि ज्ञान सागर में सृष्टि नाटक के आदि, मध्य और अंत का यथार्थ ज्ञान है । यही यथार्थ ज्ञान अब परमात्मा बाप हम बच्चों को आ कर दे रहे हैं । इस यथार्थ ज्ञान को यथार्थ रीति जो समझ जाते हैं वे सृष्टि नाटक को तथा अपने संकल्पो - विकल्पों को साक्षी हो कर देखने की योग्यता स्वयं में धारण कर लेते हैं इसलिए हर दृश्य को देखते हुए सदा हर्षित रहते हैं ।
❉ जो इस सृष्टि को एक खेल समझते हैं वे अपने जीवन में आने वाली परीक्षाओं और परिस्थितियों को खेल समझ कर हंसते हुए खेलते हैं, कभी भी परेशान नही होते । क्योकि उन्हें सदैव यही स्मृति रहती है कि यह खेल अथवा पार्ट नूंधा हुआ है । तो वैरायटी खेल में पार्ट ना हो यह कभी हो नही सकता । क्योकि इस खेल का नाम ही है वैरायटी ड्रामा । इसलिए ड्रामा के हर दृश्य को साक्षी हो कर देखते हुए वे एकरस रहते हैं और यह एकरस स्थिति उन्हें सदैव हर्षित रखती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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