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 24 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ किसी भी ×देहधारी× को याद तो नहीं किया ?

 

➢➢ माया के विकल्पों से ×घबराए× तो नहीं ?

 

➢➢ बाप को अपना सच्चा सच्चा समाचार दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ याद और सेवा का डबल लॉक लगाया ?

 

➢➢ "बाबा" शब्द की डायमंड चाबी साथ रख सर्व खजानों की अनुभूति की ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ सदा ख़ुशी के खजाने से खेलते रहे ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा सदा सेफ, खुश और संतुष्ट हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  मैं आत्मा उड़ता पंछी हूँ... मैं सर्व सम्बंधों से मुक्त हूँ... देह के बन्धन से भी मुक्त... दैहिक आकर्षणों से आज़ाद... मुझे सोने की जंजीरे भी बाँध नहीं सकती... मैं सारे संसार से न्यारा हूँ... और प्यारे बाबा की प्यारी सन्तान हूँ... मुझे सारे संसार में प्यारे बाबा ने एक शुभ सन्देश देकर भेजा है...

 

_ ➳  मैं सारे संसार की भटकती हुई आत्माओं के लिए अपने प्यारे वतन का सन्देश लेकर आई हूँ... वाह बाबा ! शिवबाबा ! ब्रह्मा बाबा ! हम लाडले बच्चों का वतन में इंतज़ार कर रहें हैं... ओहो ! इस सारे संसार की हालत देखकर स्वयं बाबा के दिल में भी सर्व आत्माओं के प्रति रहम और करुणा का भाव आ रहा है...

 

_ ➳  हर आत्मा अंदर से अशांत और भयभीत है... हर आत्मा की आँखें पलभर की शांति और सच्ची ख़ुशी को तलाश रही है... ऐसे में बाबा ने मुझ आत्मा को ऐसी कमज़ोर और परवश आत्माओं को हिम्मत और उमंग - उत्साह के पंख देकर बन्धनमुक्त बनाने के लिए भेजा है...

 

_ ➳  मैं आत्मा आज यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं सारा दिन अपना संकल्प, बोल और कर्म बाप की याद और सेवा में लगाउंगी... मेरा हर संकल्प बाप की याद में होगा...

 

_ ➳  मैं अपने बोल द्वारा बाप का दिया हुआ खज़ाना दूसरों को दूँगी... और मैं अपने कर्म द्वारा बाप के चरित्रों को सिद्ध करुँगी... मैं आत्मा याद और सेवा में अपने को बिज़ी रखकर डबल लॉक होने का अनुभव कर रहीं हूँ...

 

_ ➳  डबल लॉक लगाते ही मैं आत्मा अपने को माया के वार से सेफ अनुभव कर रहीं हूँ... अब माया कहीं से भी आ नहीं सकती... मैं इस स्मृति से पक्का लॉक लगाते ही सदा सेफ, सदा ख़ुश और सदा सन्तुष्ट रहने का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - इसी रूहानी नशे में रहो,  की हम ईश्वरीय फेमिली के है हम अपनी गुप्त देवी राजधानी स्थापन कर रहे है"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे आप बच्चों का भाग्य कितना प्यारा है... ईश्वर पिता ने चुनकर परिवार बनाया है... इस मीठे नशे में खो जाओ... की हम चुपके चुपके स्वयं को श्रीमत पर कितना प्यारा और गुणवान बना रहे... और देवी राजधानी के स्थापना में सहयोगी बन रहे है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे ईश्वर पिता का मिलना और उसके प्यार भरे नशे में डूब जाना कितनी खूबसूरत सी जादूगरी है... साधारण रूप से रह गुप्त होकर कितनी प्यारी दुनिया की नीव रख रहे हो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे ईश्वर आप पर फ़िदा हो चला आप को चुन कर ईश्वरीय परिवार का अंग बनाना कितना शानदार यह भाग्य है... इस नशे में डूब जाओ और स्वर्णिम संसार को अपनी यादो में भर आओ...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे ईश्वरीय रूहानी नशे को हर पल जीने वाले आप भाग्य से भरे खुशनसीब बच्चे हो... आप ही खूबसूरत भाग्यशाली हो जो देवी राजधानी का निर्माण कर अपना भविष्य सुनहरा बनाते हो...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चे.जिस पिता को दर दर खोज रहे थे उसने चुनकर के परिवार में सजा दिया यह नशा अपने दिल दिमाग में भर आओ... गुप्त राजधानी स्थापन कर देवता बन सज रहे हो यह कितनी प्यारी सी जादूगरी है...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ माया के विकल्पों से घबराना नहीं है, विजयी बनना है ।

 

 ❉   जितना लक्ष्य ऊँचा होता है तो उतने ही कठिन पेपर पास करने होते हैं । माया के तूफ़ान तो आयेंगे ही पर हमें उनसे डरना नहीं है क्योंकि हम बाबा के बहादुर बच्चे हैं । 

 

 ❉   जिसका साथी है भगवान उसे क्या रोक सके आँधी और तूफान । हम उस सर्वशक्तिवान के बन गए व वो हमारा । परमपिता का हाथ व साथ है तो फिर माया के तूफ़ानों से डरना नहीं है, उन्हें पार करते विजयी बनना है ।

 

 ❉   माया के चाहे कितने तूफान आ जाए हमें डरना नहीं हैं महावीर बन सहज पार करने हैं क्योंकि हमारा हिम्मत का एक क़दम होता है तो बाप के हज़ार क़दम होते हैं व हमें हिम्मत दिलाकर बाबा हमें आगे बढ़ाते हैं ।

 

 ❉   हमेशा ये अनुभव करना है कि मैं हज़ार भुजाओं वाले सर्वशक्तिमान बाप की छत्रछाया में हूँ तो कैसी भी परिस्थिति आए माया के तूफ़ानों से डरेंगे नहीं महावीर बन उसे सहज ही पार करेंगें व विजयी बन अगली क्लास में जायेंगे ।

 

 ❉   लौकिक में जब भी किसी पर कोई दु:ख आता है तो वह पारलौकिक पिता को याद करता है व उसे भगवान की मदद से उसे पार कर लेता है फिर हमें तो सतबाप सदगुरू मिला है जो हमारी नैया को हर तूफ़ान से पार ले जाता है । इसलिए माया के तूफ़ानों को खेल समझ पार करना है व डरना नहीं हैं , विजयी बनना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ याद और सेवा के डबल लॉक द्वारा सेफ, सदा खुश और सदा सन्तुष्ट होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉  जो बच्चे अपना हर कर्म बाप की याद में करते और बोल द्वारा बाप का खजाना दूसरों को बांटते रहते हैं । ऐसे याद और सेवा मे सदा बिजी रह डबल लॉक लगाते तो फिर माया भी बिजी देख भाग जाती ऐसे वो बच्चे डबल लॉक द्वारा सदा सेफ, सदा खुश और सदा संतुष्ट होते हैं । 

 

  ❉   जिन बच्चों का हर संकल्प, हर बोल , हर कर्म बाप के लिए होता व नयनों में, दिल में हर बस बाबा ही बाबा होता व बाबा ही संसार होता तो ये असार संसार भूल जाता । बस एक बाबा शब्द की जादुई चाबी से गोदरेज का ताला खोल बाप से ही कनेक्शन जोड अपने को चार्ज रखते व सेवा में बिजी रखते हैं वो डबल लॉक द्वारा सदा सेफ, सदा खुश और सदा संतुष्ट रहते हैं ।

 

  ❉   जिन बच्चों को ये नशा होता कि हम कितने पदमापदम भाग्यशाली है जो बाप ने 700 करोड़ की आबादी में से ढूंढ़कर मुझे अपना बनाया व विश्व परिवर्तन के कार्य के निमित्त बनाया तो ऐसी स्मृति रख एक बाप की ही याद में रहकर हर कर्म करते है व दिन रात अपने को निमित्त समझ सेवा में बिजी रखते है व ये मेरे बाबा की सेवा है मुझे बाप को प्रयत्क्ष हीकरना है । ऐसे बच्चे याद और सेवा में रह सदा सेफ, सदा खुश और सदा संतुष्ट होते हैं ।

 

  ❉   जैसे लड़की की सगाई होती है तो अपने माशूक की याद में मगन रहती है व उसकी सेवा के लिए तत्पर रहती है ऐसे ही जो बच्चे अपनी स्मृति में ये रखते हैं कि हमारी भी अभी सच्चे माशूक शिव बाबा से सगाई हुई है व बस उनकी ही याद में मगन रहते है व मेरा तो बस शिव बाबा दूसरा न कोई और बाबा से सच्चा प्यार होता है व दिन रात सेवा के लिए एवररेडी रहते हैं तो माया भी वार नही करती । वो सदा सेफ, सदा खुश और सदा संतुष्ट रहते हैं ।

 

  ❉   जिनको ये नशा रहता कि हमारा साथी स्वयं भगवान है व अपने को हमेशा हजार भुजाओं वाले की छत्रछाया मे अनुभव करतेऔर हमेशा याद में रह सर्विस करते तो बाप भी स्वयं अपने ऐसे सर्विसऐबुल बच्चों को याद करतेहैं । जिसका साथी हे भगवान उसे क्या रोक सके आंधी और तूफान । ऐसे डबल लॉक द्वारा सदा खुश और सदा संतुष्ट रहते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ " बाबा " शब्द की डायमण्ड चाबी साथ हो तो सर्व खज़ानों की अनुभूति होती रहेगी... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   " बाबा " शब्द की डायमण्ड चाबी की - की चेन है - सदा सर्व सम्बन्धो से स्मृति स्वरूप रहना अर्थात सर्व सम्बंधों का सुख केवल एक बाप से प्राप्त करना ।  जब ऐसे सर्व सम्बंधों का स्वरूप बन कर रहेंगे तथा स्वयं को सदा दिव्य गुणों के श्रृंगार से सजा कर रखेंगे तो परमात्म स्नेही बन बाप से सर्व खजाने सौगात के रूप में सदा प्राप्त करते रहेंगे तथा औरों को भी सर्व खजानों की अनुभूति करवाते रहेंगे ।

 

 ❉   " बाबा " शब्द की डायमण्ड चाबी जब सदा साथ रखेंगे तो हर संकल्प में बाप और बाप से मिले सर्व ख़जाने स्मृति में रहेंगे जिससे अपने हर संकल्प और बोल द्वारा बाप के दिये हुए सर्व खजाने दूसरों को देते रहेंगे तथा अपने हर कर्म द्वारा बाप के चरित्र को स्पष्ट करते रहेंगे । ऐसे याद और सेवा में जितना स्वयं को बिजी रखेंगे तो डबल लॉक लग जायेगा जो माया के हर तूफान से सदा सेफ रखेगा ।

 

 ❉   जब सब प्रकार के सूक्ष्म धागे के बन्धनों को तोड़, किसी भी प्रकार के सम्बन्ध के लगाव झुकाव के प्रभाव से स्वयं को मुक्त कर मरजीवा बन पुरानी दुनिया से सब रिश्ते समाप्त कर, उड़ती कला में उड़नेवालेसम्पूर्ण फरिश्ते बनेंगे तो अपने हर संकल्प, बोल और कर्म को स्व प्रति तथा अन्य आत्माओं के प्रति सफल कर " बाबा " शब्द की डायमण्ड चाबी के द्वारा बाबा से मिले सर्व खजाने का अनुभव दूसरों को करवा सकेंगे ।

 

 ❉   बाप दादा द्वारा मिले सर्व खजानों को जमा करने की डायमण्ड चाबी है " बाबा " शब्द की स्मृति । यह डायमण्ड चाबी जब सदा साथ रहती है तो निमित और निर्मान भाव की स्मृति से हर एक आत्मा के प्रति नि:स्वार्थ शुभ भावना और शुभ स्नेह इमर्ज होने के कारण जमा का खाता बढ़ता जाता है जिससे सर्व खजानो को प्राप्त करना और उन्हें औरों को अनुभव कराना सहज हो जाता है ।

 

 ❉   " बाबा " शब्द की डायमण्ड चाबी ही बाबा से समीप के सम्बन्ध द्वारा सर्व प्राप्ति का अनुभव कराने का एक मात्र साधन है जो सदा यही अनुभव करते हैं कि मैं हूँ ही बाप का । वे सदा श्रेष्ठ उमंग - उत्साह और खुशी में एकरस रह, हर गुण वा शक्ति को अपना स्वरूप बना लेते हैं और सदा शक्तिशाली स्थिति में स्थित रह सर्व सिद्धि स्वरूप बन बाप द्वारा मिले सर्व खजानो की अनुभूति सर्व आत्माओं को कराते रहते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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