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❍ 27 / 11 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *बापदादा से अशरीरी भव का वरदान स्वीकार किया ?*
➢➢ *मास्टर ज्ञान सूर्य स्थिति का अनुभव किया ?*
➢➢ *स्व परिवर्तन और विश्व परिवर्तन की गति को चेक किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *निर्बल को बल देने वाले महाबलवान बनकर रहे ?*
➢➢ *"हम कल्प कल्प के विजयी थे, विजयी है, और सदा विजयी रहेंगे" - यह स्मृति रही ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ *आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"निर्बल को बल देने वाले महान बलवान बनो"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... शरीर के भान रुपी पिंजरे से मुक्त होकर अशरीरी के अभ्यास से उड़ता पंछी बन चलो... मा ज्ञान सूर्य बन सर्वशक्तियों की किरणों से सबके जीवन के दुखो रुपी अंधकार को दूर करो... उमंग उत्साह के पंख लिए हर कर्म में नवीनता की सिद्धि को पा चलो... सदा वन और विन को यादो में भर चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा शरीर के भान में आकर तो बिना पंख सी धरती पर दुखो में रेंग रही थी... मीठे बाबा आपने उमंगो के पंख देकर मेरा असली वजूद मुझे लौटाया... और मै आत्मा पिता से पायी यह सुख और आनन्द की दौलत सब पर लुटा रही हूँ... पूरे विश्व से दुखो का नामोनिशान मिटा रही हूँ...
❉ प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... सदा डबलताजधारी बन मुस्कराओ... प्योरिटी के कंगन के साथ सदा उमंगो में रहना और उमंगो की तरंगे पूरे जहान में फैलाना यह विशेष कंगन पहन कर झूम उठो... महा बलवान बन हर निर्बल आत्मा को सहारा देकर निर्बलता हटाओ का विशेष नारा प्रेक्टिकल में कर दिखाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा आपसे पायी अथाह खुशियो की रौनक पूरे विश्व में लहरा रही हूँ... सबको दिली सहारा देकर आगे बढ़ा रही हूँ... हर दिल आत्मा को दिव्य गुणो और शक्तियो से सजा रही हूँ... मीठे बाबा की यादो में मालामाल होकर सबका भाग्य जगा रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... कितना महान भाग्य है कि ईश्वर पिता के दिल तख्त पर बेठे हो... कोटो में कोई विशेष आत्माये हो... सदा बाप के सहयोगी हो चले हो... पिंजरे की मैना से उड़ने वाले तोते बन मुस्करा रहे हो... इस मीठे नशे में डूब जाओ... और हर प्यासी भटकी आत्मा को शांति और ठिकाना देने वाले पुण्य आत्मा बन मुस्कराओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपने मीठे भाग्य के नशे में झूम रही हूँ... और ऐसा ही शानदार भाग्य हर आत्मा का बनाने में जुट गयी हूँ... सब आत्माओ की प्यास बुझा रही हूँ... उनके भाग्य में भी बाबा के खजानो को लिखवा रही हूँ... सबका जीवन सुखो से संवार रही हूँ....
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा शक्ति स्वरूप हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा पार्वती अपने शिव साजन को जन्मों से ढूँढ़ रहीं थी... कितने पूजा, पाठ, व्रत, उपवास, की थी... एक दर्शन मात्र के लिये मंदिरों, पहाडों, तीर्थों में भटक रहीं थी... कितनी साधनायें, तपस्या की थी...
➳ _ ➳ अब मेरे शिव साजन ने आकर मुझ आत्मा पार्वती को अपना बनाकर सच्ची सच्ची अमरकथा सुनाई... मुझ आत्मा का भटकन समाप्त कर त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री बना दिया... मुझ पार्वती को ज्ञान, गुण शक्तियों से भरकर शिव-शक्ति बना दिया...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा पार्वती सिर्फ एक शिव साजन की याद में रहती हूँ... एक की लगन में मगन रहती हूँ... अब मैं आत्मा शिव साजन की शक्ति रुपी किरणों में नहाकर शक्ति स्वरूप बन गई हूँ... सदा शिव के साथ कंबाइंड रह शिव-शक्ति बन गई हूँ...
➳ _ ➳ अब माया शेर बनकर आये तो मैं शिव-शक्ति बन माया रुपी शेर पर सवारी करती हूँ... अब मैं आत्मा सदा अपने शक्ति स्वरूप से सर्वशक्तिमान शिव का साक्षात्कार करा रहीं हूँ... मैं आत्मा विश्व कल्याण की स्टेज पर स्थित होकर अपने शक्ति रुप का अनुभव करा रहीं हूँ... अब मैं आत्मा अपनी श्रेष्ठता द्वारा नवीनता का झंडा लहराने वाली शक्ति स्वरूप हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल - मनसा और कर्मणा द्वारा गुण शक्तियों का महादान"*
➳ _ ➳ वर्तमान समय विश्व की दुखी व् अशांत आत्माओं को मंसा सकाश द्वारा शक्तिशाली किरणें दे, दुःख अशांति से मुक्त करने की सेवा करनी है। गुणों से भरे अपने प्रैक्टिकल जीवन अर्थात अपने श्रेष्ठ कर्मो, गुणों से सम्पुल बन अन्य आत्माओं को गुणों का सहयोग व् दान देना ही महादान है।
➳ _ ➳ मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ... मैं मास्टर ज्ञान सूर्य आत्मा हूँ... मुझ आत्मा से शक्ति की... शान्ति की किरणें निकल-निकल कर चारों और फैल रही है... मैं आत्मा ज्ञान सूर्य बाप से शक्तिशाली किरणों को अपने में भर-भर कर... विश्व की दुःखी, अशांत आत्माओं में भरती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ विश्व की ऐसी अनेक आत्माएँ... जो खुद को शक्तिहीन, गुणहीन समझने लगी है... मैं आत्मा ऐसी कमज़ोर आत्माओं में बाबा से किरणें ले उन कमजोर आत्माओं में भर रही हूँ... वह कमजोर आत्माएँ अपने को शक्तिशाली अनुभव करने लगी है... उन आत्माओं में भी उमंग-उत्साह और हिम्मत आती जा रहा है...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा के इस विशेष गुण को देख... विश्व की कमजोर आत्माएँ भी प्रेरित हो रही है... वह भी बाबा का बनना चाहती है... मैं आत्मा विश्व की आत्माओं को बाबा का परिचय दे उन्हें भी बाबा का बना रही हूँ... विश्व की आत्माएँ अपने पिता को पाकर... बहुत ही ख़ुशी का अनुभव करने लगी है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा मनसा और कर्म द्वारा चारों और शुभ-भावना और शुभ-कामना के वाइब्रेशन फेला रही हूँ... श्रेष्ठ कर्म करती मैं आत्मा अज्ञानी आत्माओं को गुणों का दान करती जा रही हूँ... सभी आत्माएँ अपने को गुणवान अनुभव करने लगी है... मुझ आत्मा की यह सेवा देख... बाबा भी मुझ आत्मा से खुश हो... मुझे महादानी होने का वरदान दे रहें हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा दाता की बच्ची मास्टर दाता हूँ... मुझ आत्मा को बस देना ही देना है... मैं आत्मा बाबा से सर्वशक्तियों से सम्पन्न हो मनसा द्वारा शक्तियों का दान दे रही हूँ... मैं आत्मा अपने सूरत और सीरत से गुणों का दान कर महादानी बनने का पुरुषार्थ करती जा रही हू...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *अपनी श्रेष्ठता द्वारा नवीनता का झण्डा लहराने वाले शक्ति स्वरुप होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ जो बच्चे शक्ति स्वरुप होते हैं वो सदैव अपने सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा की समीपता का अनुभव करते हैं और समय प्रमाण शक्ति रुप का अनुभव दूसरों को कराते हैं। प्यारे बाबा को प्रयत्क्ष करने के लिए रात दिन सेवाओं द्वारा बाप का नाम बाला कर झंडा लहराते हैं।
❉ जो बच्चे शक्ति स्वरुप होते है उनके हर कर्म, बोल, संकल्पों में श्रेष्ठता होती है। *एक बाप दूसरा न कोई* हर संकल्प बस बाबा के लिए होता है। अपने सीरत और रुहानियत से दूसरों क़ो स्वतः ही आकर्षित करते हैं। अपनी श्रेष्ठता द्वारा बाप का परिचय देकर झंडा लहराने वाले होते हैं।
❉ मैं पदमापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ । रिचेस्ट हूँ, हाइऐस्ट अथॉरिटी की संतान हूं। इसी नशे में रहते हैं कि स्वयं भगवान मुझे रोज ज्ञान रत्नों से नवाजते है। एक बाप की याद में रहने से उनके हर कर्म में श्रेष्ठता होती है। वो सदा सर्विस के नए नए आयाम ढ़ूंढ़ नवीनता लाकर झंड़ा लहराकर शक्तिस्वरुप होते हैं।
❉ जिन्हें ये नशा व खुशी होती हैं कि स्वयं भगवान ने हमें विश्व परिवर्तन की इतनी बड़ी जिम्मेवारी का ताज दिया है तो वो हर कदम पर ऊंच ते ऊंच बाप की श्रेष्ठ मत पर चलने से अपनी वृत्ति और कृति में श्रेष्ठता लाते है। पुरुषार्थ मे नवीनता लाकर सिम्पल रह दूसरों के लिए सेम्पल बन शक्ति स्वरुप होते हैं।
❉ जो सदा फॉलो फादर कर हर कर्म करते हैं और बाप के लव में लवलीन रहते हैं तो उनका हर कर्म श्रेष्ठ होता है और रुहानी सेवाधारी बन स्नेह और सहयोग से सबको सेवाओं में आगे बढ़ाते हैं व जिससे उनके चेहरे और चलन से ही नवीनता झलकती है और शक्ति स्वरुप रहते हैं।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान देना ही महादान है... क्यों और कैसे* ?
❉ दान पुण्य का महत्व कितना है ये तो हम भक्ति मार्ग में भी देखते आये । भक्ति मार्ग में ईश्वर अर्थ दान करना, गरीबों की मदद करना ये सब तो द्वापर युग से करते आये और एक जन्म के लिए इस दान पुण्य का फल भी प्राप्त किया । किन्तु अब संगम युग पर स्वयं भगवान ने आ कर सच्चा दान पुण्य करना सिखाया जिसकी प्रालब्ध केवल एक जन्म के लिए नही बल्कि जन्म जन्मान्तर के लिए मिलती है और वह सच्चा दान पुण्य है मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान । यही सबसे बड़ा महादान है ।
❉ भक्ति में कहते है कि " दे दान तो छूटे ग्रहण" किन्तु कौन सा दान देना है और कौन से ग्रहण से छूटना है यह कोई नही जानता । परम पिता परमात्मा बाप ने आ कर बताया कि आज हर आत्मा पर पांच विकारों का ग्रहण लगा हुआ है जिसके कारण आज सभी दुखी और अशांत है । पांच विकारों रूपी इस ग्रहण से आत्मा को छुड़ाने का उपाय है इन विकारों को परमात्मा बाप पर समर्पित कर दुखी और अशांत आत्मायों को अपनी मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान कर उन्हें भी पांच विकारों के ग्रहण से मुक्ति दिलाना । यही महादान है ।
❉ जैसे प्यासे मनुष्य की प्यास केवल पानी ही बुझा सकता है । उसके सामने खाने की चाहे कितनी ही स्वादिष्ठ चीजें क्यों ना रखी हो किन्तु वह चीजें उसकी प्यास नही बुझा सकती । इस लिए उसी चीज का दान देने में फायदा है जिस की व्यक्ति को आवश्यकता है । आज के समय में सभी मनुष्य आत्माएं सच्ची शांति और सुख की तलाश में भटक रही हैं । और सच्चे सुख और शांति का अनुभव उन्हें तभी होगा जब मास्टर दाता बन हम ब्राह्मण आत्मायें अपनी शक्ति शाली मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान देंगें ।
❉ आज के इस भौतिक जगत में सभी भौतिक सुख सुविधाओं से सम्पन्न होते हुए भी मनुष्य संतुष्ट नही है । इसलिए जीवन की इस भाग दौड़ में निरन्तर भाग रहा है । ऐसे समय पर सुख, शांति की तलाश में भाग रहे सभी मनुष्यों को संतुष्ट करने का उपाय है उन्हें अपना आत्मिक बल देकर बलशाली बनाना । क्योकि उनमे वो ताकत नही जो स्वयं में आत्मिक बल भर सकें और शक्तिशाली स्थिति का अनुभव कर सकें । इसलिए बाबा कहते कि ऐसी आत्माओं को मन्सा द्वारा शक्ति का और कर्म द्वारा गुणों का दान दे कर उन्हें तृप्त करो । यही महादान है ।
❉ देवी देवताओं के जड़ चित्रों के आगे आज भी भक्त जा कर असीम सुख और शांति का अनुभव करते हैं । ये जड़ चित्र बोलते नही है फिर भी भक्त आत्माओं को प्राप्ति होती है तभी तो जाते हैं । उनकी दिव्यता के वायब्रेशन से और दिव्य नयनो की दृष्टि से भक्त लोग वायब्रेशन लेते हैं । वह जड़ चित्र और कोई के नही हम चैतन्य देवी देवताओं के ही हैं । अपने उसी चैतन्य देवी देवता स्वरूप में स्थित हो कर हमे मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान देना है जो सबसे बड़ा महादान है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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