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   19 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ ग्रेट ग्रेट ग्रैंड फादर °प्रजापिता ब्रह्मा के ऑक्यूपेशन° को अच्छी तरह से समझा ?

 

‖✓‖ बाप पर पूरा पूरा °बलिहार° जाने का पुरषार्थ किया ?

 

‖✓‖ अन्दर से °जिगरी ख़ुशी° में रहे ?

 

‖✓‖ समस्या स्वरुप न बन °समाधान स्वरुप° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °ज्ञान को धारण° कर बुधीवान बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✗‖ कोई भी °पाप कर्म° बाप से छिपाया तो नहीं ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ स्वयं को °सेवाधारी° समझ झुकने और सर्व को झुकाने वाले बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ देह और देह के संबंधो के साथ साथ अपनी बुधी और संस्कारों से °उपराम° रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं निमित और नम्रचित आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   स्वयं को सेवाधारी समझकर झुकने और सर्व को झुकाने वाली मैं निमित और नम्रचित आत्मा हूँ ।

 

 ❉   अपने हर संकल्प वा हर कर्म को बाप के आगे अर्पण कर मैं करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में निमित बन हर कार्य सहज रीति से सम्पन्न करती जाती हूँ ।

 

 ❉   निमित पन की स्मृति द्वारा, करनकरावन हार बाप की मदद से मैं सर्व कर्मबंधनो से मुक्त होती जाती हूँ ।

 

 ❉   कदम कदम पर बाप से डायरेक्शन ले स्वतन्त्र होकर, बिना किसी फल की इच्छा के मैं हर कर्म करती जाती हूँ ।

 

 ❉   संस्कारों में, संकल्पो में स्वयं को झुका कर मैं सबके दिल को सहज ही जीत लेती हूँ ।

 

 ❉   रोब दिखाने की बजाए, झुक कर अर्थात नम्रचित बन कर मैं सबका सहयोग प्राप्त कर हर कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न करती जाती हूँ ।

 

 ❉   सर्व आत्माओं को दिल से सच्चा स्नेह देने वाली, सर्व के प्रति शुभ कामना रखने वाली मैं आत्मा दिलाराम बाप के दिल रूपी तख़्त पर सदा विराजमान रहती हूँ ।

 

 ❉   अपने नम्र और सहयोगी व्यवहार से सबको सदा संतुष्ट करने वाली मैं सबके स्नेह की पात्र आत्मा बनती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर अर्थात सर्व धर्म पिताओं का भी आदि पिता है प्रजापिता ब्रह्मा, जिसके आक्यूपेशन को तुम बच्चे ही जानते हो"

 

 ❉   शास्त्रो में भी यह गायन है कि ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की स्थापना, विष्णु द्वारा पालना और शंकर द्वारा विनाश होता है ।

 

 ❉   इसलिए चित्रों में भी सूक्षम वतन में ब्रह्मा - विष्णु - शंकर  इन तीन देवताओं को दिखाते हैं ।

 

 ❉   किन्तु वास्तव में प्रजापिता ब्रह्मा कौन है ? यह ब्रह्मा कैसे बनते हैं ? इनकी बायोग्राफी क्या है यह कोई भी नही जानते ।

 

 ❉   केवल हम ब्राह्मण बच्चे ही जानते हैं कि परमपिता परमात्मा नई सृष्टि की स्थापना करने के लिए जिस तन का आधार लेते हैं उसे ही प्रजापिता ब्रह्मा नाम देते हैं ।

 

 ❉   और उसी ब्रह्मा मुख द्वारा गीता का सच्चा ज्ञान सुना कर हम बच्चों को एडॉप्ट करते हैं । इसलिए ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर अर्थात सर्व धर्म पिताओं का भी आदि पिता यह ब्रह्मा है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ सच्चे बाप के साथ सदा सच्चा रहना है । बाप पर पूरा बलिहार जाना है ।

 

  ❉   अभी तक तो अज्ञानता के कारण देह अभिमान मे विषय वैतरणी नदी में गोते खाते रहे । इस समय संगमयुग में सत का संग मिलने पर सच्चे बाप के साथ सच्चा सच्चा रहना है ।

 

  ❉   कहा भी गया है - 'सच्चे दिल पर साहिब राजी '। जिनका बाप से सच्चा सच्चा स्नेह होता है वो हमेशा सर्विस के लिए तत्पर रहते हैं । बाप को पूरे दिन का सच्चा सच्चा चार्ट देते हैं तो बाप भी अपने ऐसे बच्चों को याद करते हैं वो बच्चे भी बाप के दिल पर राज करते है ।

 

  ❉   ऊंच ते ऊंच बाप हमें श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत देते है तो हमें भी श्रीमत पर सम्पूर्ण रीति चलना है । अगर कोई गल्ती हो भी जाए तो सच सच बाप को बताना है। सच बता देने पर बाप आधी गल्ती माफ कर देते हैं । बाप से कोई गल्ती छुपानी नही है । छुपाने पर उसकी सजा 100गुना मिलती है ।

 

  ❉   भक्ति में पुकारते आये व कहते आये कि आप आओगे तो बलिहार जायेंगे । अब तो स्वयं भगवान ने हमें अपना बना लिया व सत  ज्ञान देकर स्वयं  टीचर बन हमें पढ़ाकर नयी दुनिया का मालिक बना रहे हैं । ऐसेबाप पर हमें पूरा पूरा बलिहार जाना है ।

 

  ❉    सच्ची सच्ची गीता सुनाने वाले सतयुगी दुनिया में ले जाने वाले बाप पर बलिहार जाना है क्योकि सत की नाव हिलेगी डुलेगी डुबेगी नही ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्वयं को सेवाधारी समझकर झुकने और सबको झुकाने वाले निमित्त और नम्रचित्त होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   करन करावनहार बाप है, हम निमित्त सेवाधारी है। सेवाधारी अर्थात सेवा के लिए एवररेडी। जहा बाबा बोले, जो बोले, जैसा कहे हर बात में हर सेवा में हा जी का पार्ट बजाने वाले इसमें देह अभिमान नहीं आना चाहिए की हम तो यह सेवा नहीं कर सकते।

 

 ❉   यज्ञ की छोटी से छोटी सेवा करने वाला भी ऊचा जा सकता है, सेवा बड़ी छोटी नहीं होती सेवा करने की भावना जैसी होगी वैसा भाग्य बनेगा, भगवान भावना का भाडा देता है।

 

 ❉   बड़ी दादाजी कहते थे "निमित्त निर्माण और नम्रचित्त बनो" यही गुण है जो हमें सेवा के सब्जेक्ट में बहुत आगे तक ले जा सकते है। सबको देना ही लेना है।

 

 ❉   हम सेवाधारी है तो बहुत निरहंकारी होकर रहना है। जीतना हम अभी यहाँ सबके आगे झुक झुक कर अर्थात निरहंकारी होकर सेवा करेंगे उतना ही आत्माये भक्ति के समय हमारे आगे झुकेंगी।

 

 ❉   आज चाहे आत्माये कितना भी हमारा अपमान करे, कुछ कुछ कहे करे परन्तु हमारी भावना उनके प्रति कम नहीं होनी चाहिए, क्युकी वह सब अनजान निर्दोष है। वही आत्माये आगे जाकर हमारे सामने सर झुकायेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अब समस्या स्वरूप नही, समाधान स्वरूप बनो... कैसे ?

 

 ❉   संगम युग की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों को सदा स्मृति में रखेंगे तो हद की सभी इच्छायें समाप्त होती जायेगी और समाधान स्वरूप बन सहज ही हर समस्या से मुक्त हो जायेंगे ।

 

 ❉   जब इच्छा मात्रम अविद्या बन हर कर्म करेंगें तो हर कर्म करते कर्म के प्रभाव से मुक्त रह समाधान स्वरूप बन सर्व समस्यायों पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेंगे ।

 

 ❉   अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रह कर जब हर कर्म करेंगे तो हद की सभी इच्छाएं समाप्त हो जायेंगी और समाधान स्वरूप बन सभी समस्याओं से मुक्त हो जायेंगे ।

 

 ❉   सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन जब सब कुछ बाप को अर्पण कर देंगे । तो समस्या प्रूफ रहेंगे और हर कारण को सहज ही निवारण में परिवर्तित कर सकेंगे ।

 

 ❉   सदा साक्षिदृष्टा की सीट पर सेट रहेंगे तो हर बात में कल्याण दिखाई देगा जो समाधान स्वरूप बना कर अशुभ वृति को भी शुभ बना देगा और सभी समस्यायों से मुक्त कर देगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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