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❍ 07 / 02 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ अपने में चेक किया की °बाप समान° कहाँ तक बने हो ?
‖✓‖ बातों को देखने के बजाये °बाप को देख° मुश्किल को भी सहज अनुभव किया ?
‖✓‖ अपनी °बुधी को बिजी° रखने का प्रोग्राम बनाया ?
‖✓‖ अपने कार्य की श्रेष्ठता और मूल्य को जान °महान आत्मा° के स्वमान में स्थित रहे ?
‖✓‖ सदा अपने को °मेहमान° समझकर रहे ?
‖✓‖ °संस्कार मिलाने° की डांस की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सबको °रीगार्ड° देते हुए अपना रिकॉर्ड ठीक रखा ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सर्व की स्नेही आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सबको रिगार्ड देते हुए अपना रिकार्ड ठीक रखने वाली मैं सर्व की स्नेही आत्मा हूँ ।
❉ हर बात में ' पहले आप ' का पाठ पक्का कर सबको सम्मान दे कर मैं सर्व की सम्माननीय बनती जाती हूँ ।
❉ ईश्वरीय प्राप्तियों से सम्पन्न सदा तृप्त रहने वाली और सबको तृप्त करने वाली मैं तक़दीरवान आत्मा हूँ ।
❉ अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली हर आत्मा को मैं बाप के स्नेह का अनुभव करवा कर, सबकी स्नेही बनती जा रही हूँ ।
❉ अपने स्नेही स्वरूप द्वारा मैं सर्व आत्माओं को परमात्म स्नेह की पालना का अनुभव करा कर उन्हें उमंग उत्साह से भरपूर करती जाती हूँ ।
❉ अपने शुभ और श्रेष्ठ संकल्पों तथा पॉवरफुल मनसा द्वारा मैं चढ़ती कला में रह, अन्य आत्माओं को भी चढ़ती कला का अनुभव कराती हूँ ।
❉ मैं बाप से मिले सर्व खजानो को स्व के प्रति और सर्व आत्माओं के प्रति यूज़ करने वाली महादानी आत्मा हूँ ।
❉ अभिमान और अपमान की महसूसता से परे, निर्मान और निर्माण के बैलेंस द्वारा मैं सर्व की दुयाएं प्राप्त कर निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मुश्किल को सहज करने की युक्ति - सदा बाप को देखो"
❉ भक्ति मार्ग में भी जब भक्त के सामने कोई समस्या आती है तो उसका हल करने के लिए या तो भगवान को या अपने इष्ट देव को पुकारते हैं ।
❉ तो औरों की मुश्किल को सहज बनाने वाले हम भविष्य के होवन हार देवी - देवता क्यों किसी भी कार्य में मुश्किल का अनुभव करते हैं ?
❉ इसका कारण है - बाप को भूल जाते हैं । बाप को देखने की बजाए बातों को देखने लग जाते हैं ।
❉ बाप को किनारे कर देते हैं इसलिए दिलशिकस्त होते हैं और जितना समस्यायों से निकलने की कोशिश करते उतना और फंसते जाते हैं ।
❉ इसलिए यदि विस्तार की बातों से किनारा कर सदा बाप को देखेंगे तो सहजयोगी बन जायेंगे जिससे हर मुश्किल सहज हो जायेगी ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ अपने में चेक करना है की बाप समान कहाँ तक तक बने हैं ?
❉ जैसा बाप वैसे बच्चे ऐसा लौकिक में भी कहा जाता है । हमारा बाप सर्व शक्तिवान है तो हमें माया से घबराना नही बल्कि साबित करना है हम मा०सर्व शक्तिवान है ।
❉ जैसे बाप बिन्दू ऐसे ही हर बात को बिन्दू लगाते हो ऐसा चैक करना है बीज रूपको छोड़ वृक्ष को हाथ में नही उठाना ।
❉ निश्चय बुद्धि बन हर कार्य में कल्याण समझना है दिल शिकस्त नही बनना चैक करना है यह गुण है
❉ चैक करना है कि बाप की शक्ति और गुण कितने परसेन्ट अपने में है ।
❉ जैसे बाबा अपने को बिजी रखते परस्थिति में ध्यान नही देते एक की ही याद मेंरहते ऐसे फॉलो फादर कर अपने को चैक करना है ।
❉ मन बुद्धि को योगयुक्त स्थिति में एकाग्र कर योगाग्नि से भस्म करते बाप समान बनना है।
❉ कोई भी ज़मेले में न जाते बाप द्वारा अविनाशी ख़ुशी का अखूट और अविनाशी खजाना मिला है उसकी निरंतर ख़ुशी की अनुभूति कर बाप समान no.1 बनना है
❉ निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी यह अवस्था हर कर्म में कहाँ तक है इस अटेंशन में रहना है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सबको रिगार्ड देते हुए अपना रिकॉर्ड ठीक रखने वाले सर्व के स्नेही बन जाते है... क्यों और कैसे ?
❉ जो हम दुसरो को देंगे वही लौटकर हमारे पास वापस आएगा। इसलिए अगर हमें सबसे रिगार्ड चाहिए तो पहले हमें सबको रिगार्ड देना होगा। इसलिए बाबा ने कहा "देना ही लेना है।"
❉ सबको रिगार्ड देने वाले का रिकॉर्ड सदा अच्छा रहता है क्योंकि एक गुणवान व्यक्ति ही सबको रिगार्ड दे सकता है और जिसके पास गुण है वही सबसे धनी है, उसको भी समाज में सबसे ज्यादा आदर और सम्मान प्राप्त होता है।
❉ बड़ो को रिगार्ड देना और छोटो को प्यार। बड़ा वही है जिसका दिल बड़ा हो, जिसकी सोच बड़ी हो, जो सबको साथ लेकर चले, जो स्वयं से भी दुसरो को आगे रखे जैसे हमारे ब्रह्मा बाबा थे।
❉ सबको रिगार्ड देना है, सम्मान देना है। जितना हम यहाँ झुकेंगे उतना है सबको झुक सकेंगे। प्रेम पूर्वक व्यवहार से हम सबके स्नेही बनते है और सर्व का सहयोग सहज मिलता है।
❉ सर्वशक्तिमान, ऑलमाइटी बाप भी हम बच्चों का कितना रिगार्ड रखते है, सदा हमें आप बच्चे कहकर बुलाते, रोज़ भगवान हमें नमस्ते करते है। तो हम तो आत्माए है हमें भी सबका कितना रिगार्ड रखना चाहिए, यही हमारा रिकॉर्ड ठीक रखेगा और हम सबके स्नेही बन सकेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बापदादा की मिली हुई शिक्षाये समय पर याद आना ही तीव्र पुरुषार्थ है... कैसे ?
❉ समय पर जब बापदादा द्वारा मिली शिक्षाओं को अनुभव में लायेंगे तो हर परिस्थिति में स्वयं को निर्विघ्न अनुभव करेंगे और यह निर्विघ्न स्थिति पुरुषार्थ को तीव्र करने में सहायक बन जायेगी ।
❉ बाप दादा द्वारा मिली शिक्षाओं को जब समय पर याद रखेंगे तो हर कर्म करते कर्म के प्रभाव से मुक्त रह सर्व कमजोरियों पर सहज ही विजय प्राप्त कर पुरुषार्थ को तीव्र बना सकेंगे ।
❉ समय पर बापदादा द्वारा दी हुई शिक्षाओं की स्मृति आत्मा को सिद्धि स्वरूप बना देगी और सिद्धि स्वरूप आत्मा के हर संकल्प में सफलता समाई होने के कारण पुरुषार्थ में तीव्रता स्वत: आती जायेगी ।
❉ बापदादा की शिक्षाये समय पर याद आने से हर परिस्थिति में परमात्म मदद का अनुभव होगा जो हर परिस्थिति को सहज बना देगा और पुरुषार्थ को तीव्र कर देगा ।
❉ समय पर बापदादा की शिक्षाओं की स्मृति आत्मा को समाधान स्वरूप बना कर हर समस्या से मुक्त कर देगी जिससे आत्मा हल्केपन का अनुभव करते हुए पुरुषार्थ में तीव्रता प्राप्त करती जायेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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