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 14 / 06 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ ईश्वर का बच्चा बनकर ज़रा भी उनके फरमान की ×अवज्ञा× तो नहीं की ?

 

➢➢ ट्रस्टी बनकर अपने गृहस्थ व्यवहार को संभाला ?

 

➢➢ राईट और रांग को समझकर माया से खबरदार रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ सत्संग द्वारा रूहानी रंग लगाया ?

 

➢➢ अपने मीठे बोल और उमंग उत्साह के सहयोग से दिलशिकस्त को शक्तिवान बनाया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ ‘‘कब कर लेंगे'' - यह शब्द बोलने की बजाये ‘‘अभी-अभी'' जैसे शब्द का उपयोग किया ?

 

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➳ _ ➳  http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/14.06.16-VisheshPurusharth.pdf

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा सदा हर्षित और डबल लाइट हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

➳ _ ➳  आराम से योगयुक्त स्तिथि में बैठ जाएँ... आज अपने बाबा को पूरे प्यार से याद करना है... मैं एक अविनाशी बाप की याद में मगन रहने वाली एक बिंदु आत्मा हूँ... मैं एक की ही श्रीमत पर चलने वाली, श्रीमत का पालन करने वाली आज्ञाकारी आत्मा हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं एक के ही रस का रसपान करने वाली एकरस आत्मा हूँ... मैं एक का ही गुणगान करने वाली गुणग्राही आत्मा हूँ... मैं एक के ही साथ सर्व सम्बन्ध निभाने वाली वफादार आत्मा हूँ... मैं एक ही इश्वरिये परिवार के एक लक्ष्य - एक लक्षण को आधार बनाने वाली आत्मा हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं एक ही याद में रहकर जन्म - जन्म के विकर्मों को भस्म करने वाली विघ्न - विनाशक आत्मा हूँ...मैं एक बाप को ही अपना सच्चा साथी बनाने वाली सदा संग के रूहानी रंग में रहने वाली आत्मा हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा आज अपने परम सतगुरु परमप्यारे शिवबाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं सदा बुध्दि द्वारा सत् बाप, सत् शिक्षक और सतगुरु के संग में ही रहूंगी... यही सत्संग है... यह श्रेष्ठ संकल्प लेते ही मैं आत्मा यह दिव्य अनुभव कर रहीं हूँ कि मैं सदा हर्षित और डबल लाइट रह रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा को किसी भी प्रकार का बोझ अनुभव नहीं हो रहा है... मैं यह विशेष अनुभव कर रहीं हूँ कि मैं आत्मा भरपूर हूँ... खुशियों की खान मेरे साथ है... जो भी बाप का है वह सब अब मुझ आत्मा का बन गया है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप की आशीर्वाद लेनी है तो सर्विसेबिल सपूत बन सबको सुख दो, किसी को दुःख न दो"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे मै ईश्वर महा पिता धरती आकर आप बच्चे को सदा का सुख देने आया हूँ... यही गुण स्वयं में भर सबको सुख दो और सपूत का सबूत देकर पिता का दिल जीतो... सबको सुख देकर खुशियो का दुआओ का सुखो का नाता बनाओ दुखो का नही...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे ईश्वर पिता.के दिए सुखो को दुनिया में छ्लकाओ... सच्चे सर्विसेबिल बन सच्ची सेवा करो... किसी के भी दुःख का कारण न बनो... सबके जीवन खुशियो से ज्ञान रत्नों से खूबसूरत बनाओ... और पिता का भरपूर प्यार पाओ...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे सुखदाता पिता के सुखदायी बच्चे किसी को दुःख तो दे न सके... अब खुशियो के फूल खिलाओ सच्चे ज्ञान से दामन हीरो से भर आओ... सबके जीवन से दुखो का नामोनिशान मिटाओ... ऐसा सुंदर सबूत देकर पिता को स्वयं पर नाज कराओ...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे पिता के सुखदायी नक्शेकदम पर चल सबको आनंद सुखो से भरपूर कर पिता की आशीर्वाद पाओ... सपूत बन सुख का दरिया बहाओ... दुखो को दूर करने वाले सच्चे सच्चे मसीहा बन मुस्कराओ...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - महा पिता ने जीवन में आकर जीवन को सुखो का मधुमास बना दिया... यही कार्य तुम बच्चे भी कर दिखाओ... सबको दुखो से राहत देकर खुशियां और सुख लुटाओ... सच्चे शुद्ध ज्ञान से सबका जीवन महकाओ.... और पिता के दिल में बस जाओ...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ ईश्वर का बच्चा बनकर जरा भी उनके फरमान की अवज्ञा नही करनी है । इन कर्मेन्द्रियों से कोई भी कुकर्म नही करना है ।

 

  ❉   ये स्मृति में रखना है कि हम कौन है व कौन हमारा साथ निभा रहा है !! स्वयं ऊंच ते ऊंच बाप जो सारी सृष्टि का मालिक है वो मेरा बन गया व मैं उसकी बन गई और स्वयं भगवान ने मुझे लाखों करोड़ो मे से चुनकर अपना बनाया तो ऐसे ऊंच बाप की आज्ञा सर माथे ।

 

  ❉   जिस भगवान को पाने के लिए दुनिया पता नही कहां कहां भटकती है व उस भगवान ने अपना बनाया और मैं ईश्वरीय कुल की संतान हूं । ईश्वरीय श्रीमत पर चलने से ही पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बनना है व श्रेष्ठाचारी बनना है । जो फरमान बाबा देते है उसकी अवज्ञा नही करनी है ।

 

  ❉   परमपिता परमात्मा ही सुप्रीम बाप है सुप्रीम टीचर है और सुप्रीम सदगुरु है, सर्वोच्च है, सर्वज्ञ है । ऐसे ऊंच बाप की आज्ञा पर नही चलते तो डिससर्विस होती है व सजाऐं खानी पड़ती है इसलिए बाप की आज्ञा पर ही चलना है । कोई ऐसा कर्म नही करना जिससे बाप की निंदा हो । कहा भी गया है सतगुरु का निंदक ठोर न पाए ।

 

  ❉   बाप बार बार पहला पाठ ही पक्का कराते हैं कि अपने को आत्मा समझो व बाप को याद करो । हम सब आत्माऐं एक ही परमपिता की संतान है व आत्मा-आत्मा भाई भाई है ऐसा आत्मिक भाव रखना है ।

 

  ❉   अपनी कर्मेन्द्रियों की बड़ी सम्भाल रखनी है क्योंकि ये बहुत धोखा देती है । देखते हुए भी नहीं देखना , सुनते हुए भी नही सुनना । आत्मिक दृष्टि रखनी है । बाबा का बनने के बाद भी अगर कुकर्म किए तो सौ गुणा सजा खानी पडेगी । इसलिए स्व पर बहुत अटेंशन रखना है ।

 

  ❉   प्यार के सागर बाप के बच्चे मास्टर प्यार का सागर हैं । सबके साथ प्रेम से रहना है मीठा बोलना है । क्षीरखंड होकर रहना है । अपकारी पर भी उपकार करना है । सबके साथ प्यार के मीठे शब्द बोलकर सुख शांति अनुभव करानी है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सतसंग द्वारा रुहानी रंग लगाने वाले सदा हर्षित और डबल लाइट होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जिन बच्चों का हर संकल्प, कर्म, बोल बस बाप के लिए होता है व बाप ही संसार है तो वो हमेशा बेफिकर बादशाह होते हैं व हाइएस्ट अथॉरिटी बाप ही मेरा हो गया व जो पाना था सो पा लिया तो सत बाप का संग करते रुहानी नशे में रहते सदा हर्षित और डबल लाइट होते हैं ।

 

  ❉   जिन बच्चों को हमेशा ये स्मृति में रहता है कि सुप्रीम बा, सुप्रीम टीचर, सुप्रीम सतगुरु का मुझे संग मिला व कितनी बड़ी लाटरी व सौभाग्य मिला और बाप की श्रीमत रुपी हाथ व साथ हमेशा अनुभव करते व रुहानी रंग लगाते हर्षित और डबल लाइट होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे बाप को दिल का साथी बना लेते हैं उन्हें संग का रुहानी रंग सदा लगा रहता है । सत् बाप का संग करना ही सतसंग है । जो सदा इसी सतसंग मे रहते हैं व अपना सारा बोझ बाप को देकर हल्के रहते है वो सदा हर्षित और डबल लाइट रहते हैं ।

 

  ❉   जो सदा बाप के स्नेह में और सहयोग में रहते अपना हर कर्म सत कर्म समझ के करते हैं और सदा यह स्मृति रखते कि मुझे सत का संग मिला ऊँच ते ऊँच बाप की छत्रछाया मिली तो सदा सतसंग द्वारा रुहानी रंग लगाने वाले सदा हर्षित व डबल लाइट रहते हैं ।

 

  ❉   सत एक पारस के समान है जैसे पारस लोहे को भी छूता तो सोना बना देता है । ऐसे सत के संग से आहार व्यवहार सम्बन्घ संस्कार सब परिवर्तन करने वाले रूहानी रंग लगा सदा हर्षित और डबल लाइट रहते है ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने मीठे बोल और उमंग उत्साह के सहयोग से दिलशिक्सत को शक्तिवान बनाओ... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जितना बापदादा के साथ कम्बाइंड स्वरूप की स्थिति में स्थित रहेंगे उतना अपना आदि और अनादि स्वरूप स्मृति में रहेगा जो अलंकारीमूर्त बना देगा । अलंकारीमूर्त बन सदा अपने को दिव्य गुणों से सजा हुआ तथा सर्व शक्ति सम्पन्न अनुभव करेंगे । जितनी दिव्य गुणों की धारणा होगी, मुख से निकला हर बोल उतना ही रूहानियत से भरपूर होगा जो दिलशिक्सत आत्माओं को भी उमंग उत्साह से भरपूर कर उनमे शक्ति का संचार कर उन्हें शक्तिवान बना देगा ।

 

 ❉   जितना अधिकारीपन के निश्चय और नशे में रहेंगे उतना स्वयं को परमात्म प्राप्तियों से सम्पन्न, सर्व प्राप्ति स्वरूप अनुभव करेंगे । जैसे फलदायक पेड़ सदा अपनी शीतलता की छाया से हर मनुष्य को शीतलता का अनुभव करवाता ही है । इसी प्रकार सर्व प्राप्ति सम्पन्न आत्मा भी अपनी प्राप्तियों की अनुभूति सर्व आत्माओं को सदैव करवाती रहेगी । उसके मुख से निकले बोल मिठास से भरपूर होंगे जो दिलशिक्सत आत्माओं को भी सुख का अनुभव करा कर उन्हें भी उमंग उत्साह से भरपूर कर शक्तिवान बना देंगे ।

 

 ❉   जितना आवाज़ से परे शांत स्वरूप स्थिति में स्थित रहने के अभ्यासी होंगे उतना साइलेन्स का बल हर बोल और कर्म को युक्तियुक्त और मीठा बना देगा जो दूसरों को सहज ही कशिश करेगा । ऐसी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित आत्मा सदा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलती रहेगी और अपनी पावरफुल अतीन्द्रिय सुखमय स्थिति द्वारा दुखी और अशांत आत्माओं को सुख शान्ति का तथा दिलशिकस्त आत्माओं को उमंग उत्साह के सहयोग से शक्तिशाली स्थिति का अनुभव सहज ही करवाती रहेगी ।

 

 ❉   जो हर बात प्रभु अर्पण कर स्वयं को हर परिस्थिति में सदा डबल लाइट रखते हैं और सर्व के साथ लाइट रहते हैं । किसी भी बात का बोझ अपने मन पर नही रखते । सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं के साथ सदा स्नेहपूर्ण व्यवाहर करते हैं तथा मन में  किसी के प्रति ईर्ष्या द्वेष की कोई भावना नही रखते वे सदा स्वयं भी सर्व से संतुष्ट और खुश रहते हैं तथा औरों को भी संतुष्ट और खुश रखते हैं इसलिए अपने मीठे बोल और उमंग उत्साह के सहयोग से दिलशिक्स्त आत्माओं को भी शक्तिवान बना देते हैं ।

 

 ❉   अपने मीठे बोल और उमंग उत्साह के सहयोग से दिलशिक्सत आत्माओं को शक्तिवान वही बना सकेंगे जो अपनी शक्तिशाली स्व स्थिति में स्थित होंगे । क्योकि स्व स्थिति में स्थित आत्मा के मुख से जो भी बोल निकलेंगें वे सदा समर्थ होंगे और जिनके बोल समर्थ होंगे उनके व्यवहार में नम्रता स्पष्ट दिखाई देगी जो लोगो को सहज ही अपनी और आकर्षित करेगी तथा दिलशिक्स्त आत्माओं को भी आत्मिक प्रेम और आत्मीयता की अनुभूति करवा कर, उन्हें उमंग उत्साह से भरपूर कर शक्तिशाली बना देगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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