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   22 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ आत्माओं को °पारसबुधी बनाने की सेवा° की ?

 

‖✓‖ °पुरुषार्थ में सच्चाई° से बापदादा की एक्स्ट्रा मदद का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ °काम महाशत्रु पर जीत° पाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ °इच्छा मातरम् अविध्या° बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✗‖ °डर्टी दुनिया से दिल° तो नहीं लगायी ?

 

‖✗‖ किसी को °दुःख° तो नहीं दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °बाप के हाथ और साथ की स्मृति° से मुश्किल को सहज बनाया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ ब्रह्मा बाप समान बोल चाल, चहरे और चलन से सदा °रॉयल्टी° दिखाई दी ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं बेफिक्र वा निश्चिन्त आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   बाप के हाथ और साथ की स्मृति से मुश्किल को सहज बनाने वाली मैं बेफिक्र वा निश्चिन्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   हर कर्म बापदादा की छत्रछाया के नीचे करते हुए मैं सब प्रकार की चिन्ताओं से मुक्त रहती हूँ ।

 

 ❉   अपने इस अलौकिक जीवन को बापदादा के हवाले कर मैं सर्व जिम्मेवारियों से मुक्त हो गई हूँ ।

 

 ❉   सारे बोझ बाप के ऊपर रख मैं स्वयं को एकदम हल्का अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   सदा बाप को अपना साथी बना कर मैं बेफिक्र बादशाह बन उड़ती कला का अनुभव करती रहती हूँ ।

 

 ❉   मैं आत्मा निमित्त हूं, इस स्मृति से करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में हर कर्म करते मै एकदम हल्की रहती हूं ।

 

 ❉   बस बाप और मैं, तीसरा ना कोई - यह अनुभूति मुझे सहज ही बेफिक्र बादशाह बना देती है ।

 

 ❉   सब चिंताएं बाप को देखकर मैं माया जीत, प्रकृति जीत बनती जाती हूं

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे पावन दुनिया में चलना है इसलिए काम महाशत्रु पर जीत पानी है, कामजीत, जगतजीत बनना है"

 

 ❉   सतयुग में जब सभी पावन देवी देवता होते हैं तो अपरमअपार सुखों से भरपूर होते हैं, दुःख का नाम निशान नही होता ।

 

 ❉   किन्तु जब वही पावन देवी - देवता वाम मार्ग में आते हैं और विकारों में गिरने से पतित बनते हैं तो सुख, शांति और सम्पन्नता भी समाप्त हो जाती है ।

 

 ❉   आज सारी दुनिया में सभी मनुष्य मात्र विकारों में गिर पतित बन गए हैं इसलिए सभी अपरमअपार दुखो से पीड़ित हैं ।

 

 ❉   इस पतित विकारी दुनिया को फिर से पावन सतोप्रधान दुनिया बनाने के लिए ही अभी संगम युग पर पतित पावन परम पिता परमात्मा बाप आये हैं ।

 

 ❉   और आ कर हमे समझानी दे रहे हैं कि तुम्हे पावन दुनिया में चलना है इसलिए काम महाशत्रु पर जीत पानी है, कामजीत, जगतजीत बनना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ पवित्रता का पूरा-पूरा सबूत देना है । सबसे ऊंचा करेक्टर ही पवित्रता है ।

 

  ❉   बाबा एक ही महामंत्र देते है- "मनमनाभव"। याद करने से ही पावन बनेंगे । जितना याद में रहेंगे आत्मा पर लगी कट उतरती जायेगी । दैवीय गुणों की धारणा भी होती जायेगी ।

 

  ❉   संयासी लोग कहते है कि स्त्री पुरुष एक साथ पवित्र नहीं रह सकते । परमात्म शक्ति व योगबल से गृहस्थ परिवार में रहते हुए हमें कमल पुष्प समान न्याराऔर प्यारा रहना है ।

 

  ❉   इस समय संगमयुग पर हमें भगवान पढ़ाते हैं व पतित से पावन बनाते हैं । पवित्र रहने से ही 21 जन्मों के लिए स्वर्ग का मालिक बनेंगे । वह है ही पवित्र दुनिया व वहां विकार हो ही नही सकते तो हम इस अंतिम जन्म मे पवित्र क्यूं न बने जब हमें सतयुग की बादशाही मिलती है ।

 

  ❉   ब्राह्मण जीवन की श्रेष्ठता पवित्रता है । हमें मनसा, वाचा, कर्मणा और संकल्पों में भी पवित्र रहना है क्योंकि वृत्ति से ही कृत्ति बनती है ।

 

  ❉   पवित्रता की शक्ति इतनी महान होती है जो अपनी पवित्र वृत्ति द्वारा व्यक्ति परिवर्तन कर सकती है व दूसरी आत्माओं में उसकी पवित्रता की वायब्रेशनस से कशिश होगी ।  ज्ञान तलवार में भी जौहर होगा व रुहानियत से भरपूर होगी ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ बाप के हाथ और साथ की स्मृति से मुश्किल को सहज करने वाले बेफिक्र व निश्चिंत रहते है...क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जहाँ बाप का साथ और हाथ हो वह कोई कार्य मुश्किल नहीं है, उस कार्य का सफल होना निश्चित है इसलिए बेफिक्र व निश्चिंत रहते है।

 

 ❉   बाबा सदा हमारे साथ है, यह स्मृति ही हममे असीम शक्ति और आत्म विश्वास भर जाती है, फिर हमें कोई भी कार्य मुश्किल अनुभव नहीं होता है, एक बल एक भरोसे के आधार से कुछ भी कर सकते है।

 

 ❉   कल्प पहले भी किया था और सफल हुए थे तो अभी भी सफलता हुई ही पड़ी है। अनेक बार विजय पाई है और इस बार भी हम ही विजय बनेंगे क्युकी हम पांडवो की तरफ स्वयं भगवान है।

 

 ❉   जहा भी मिश्किल आये बस दिल से कहना "मेरा बाबा" और बाबा हजार भुजाओ से अपने बच्चो की मदद करने के लिए हाजिर हो जाता है। यह बाप का वायदा है बच्चो से। और जिसके साथ हो भगवान उसको क्या रोकेगी आंधी और तूफ़ान।

 

 ❉   बाबा ने हमें आत्मा परमात्मा और ड्रामा का यथार्थ ज्ञान देकर हमें बेफिक्र बादशाह बना दिया है, कल की न चिंता है नाही काल की कोई फिकर है साथ है जब परमपिता तो निश्चय बुद्धि होने से निश्चित विजय है इसलिए निश्चिंत है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ पुरुषार्थ में सच्चाई हो तो बापदादा की एक्स्ट्रा मदद का अनुभव करते रहेंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   परमात्मा के दिल रूपी तख़्त पर  वही चढ़ते है जो सच्चाई और सफाई से, सरल चित बन स्वयं को बाप के आगे समर्पित कर देते हैं । इसलिए बाप दादा की एक्स्ट्रा मदद का अनुभव करते हुए समाधान स्वरूप बन हर समस्या को हल कर लेते हैं ।

 

 ❉   सत्यता की विशेषता आत्मा को दिव्य और अलौकिक बना कर पुरषार्थ को तीव्र बना देती है और तीव्र पुरुषार्थी सच्चाई और सफाई से एक बाप पर कुर्बान हो, बाप की एक्स्ट्रा मदद का अनुभव सहज करते हैं ।

 

 ❉   पुरुषार्थ में सच्चाई आत्मा को व्यर्थ से मुक्त कर जमा का खाता बढ़ा देती है जिससे बाप दादा की एक्स्ट्रा मदद का अनुभव करते हुए आत्मा उमंग उत्साह के पंखो पर सवार हो उड़ती रहती है ।

 

 ❉   पुरुषार्थ में सच्चाई और सफाई की विशेषता सब बुराइयों को निकाल आत्मा को शुद्ध और हल्का बना कर बुद्धि की लाइन को क्लियर कर देती है जिससे हर कदम पर बाप दादा की एक्स्ट्रा मदद का अनुभव सहज होता है ।

 

 ❉   सत्यता की विशेषता सोच और व्यवहार में स्वच्छ्ता व स्पष्टता ला कर चिंतन को शुद्ध बना देती है और शुभ और श्रेष्ठ चिंतन द्वारा आत्मा बापदादा की एक्सट्रा मदद का अनुभव निरन्तर करती रहती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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