━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

   18 / 03 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °बाप समान कल्याणकारी° बन अपना और सर्व का कल्याण किया ?

 

‖✓‖ °व्यर्थ संकल्प व विकल्प से किनारा° कर आत्मिक स्थिति में स्थित रहे ?

 

‖✓‖ नॉलेज में बहुत बहुत °होशियार° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ °बेहद की नॉलेज° को बुधी में रख आपार ख़ुशी में रहे ?

 

‖✓‖ अपना °बैग बेगेज सब ट्रान्सफर° किया ?

 

‖✓‖ इस °छी छी दुनिया से छुटकारा° पाने की युक्ति रची ?

──────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ °साइलेंस की शक्ति° द्वारा सेकंड में हर समस्या को हल किया ?

──────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ मधुबन जैसी °सहज योगी स्थिति° का अनुभव किया ?

──────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - जेसे बाप का पार्ट है सर्व का कल्याण करना, ऐसे ही बाप समान कल्याणकारी बनो अपना और सर्व का कल्याण करो"

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो.आप ईश्वरीय पुत्रो को करुणामयी पुकार सुनाई नही देती... ईश्वरीय पुत्र तो निष्ठुर हो नही सकता... बाबा पिता जेसे सबको दिल का सुकून देना है...सबके अंतर्मन को शीतलता से भिगोना है...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे बच्चे सबको फूलो सी राहत दो...  तपते मनो को शीतल छाया दो... मुरझाये जीवन को खिला महकाओ.... खुद को ही न केवल पर पूरे विश्व को खुशियो से भर आओ...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों अपने प्यारे बच्चों की तकलीफ मै पिता तो देख ही न पाया और इस धरा पर् दौड़ा चला आया... ऐसे आप बच्चे भी पुकार सुनो.... पिता के कार्य को अपनाओ और विश्व का कल्याण कर इसे महकते फूलो की बगिया बनाओ...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे लाडलो आपकी नजरो में तो पूरा विश्व समाया है.... जब तक खुशहाल न हो धरती तब तक फिर कैसे आपको यूँ चैन आया है.... सुखदेव हो सुखो को बरसाओ... सबके जीवन में सुनहरा खिलता बसन्त खिलाओ...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों तुम बच्चों के सुखो के पीछे तो मेने अपना चैन गवाया है.... और दिव्य गुणो से आपका जीवन दमकाया है...   अब मेरे और भी बिछड़े बच्चों को ढूंढ लाओ जरा...उनके जीवन को भी अपने समान श्रेष्ट बना मुझ पिता को सारे बच्चों के सुखो का अहसास कराओ जरा...

──────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ भविष्य 21 जन्मों के राज्य भाग्य का अधिकार लेने के लिए अपना बैग बेगेज सब ट्रांसफर कर देना है ।

 

  ❉   इस कलयुगी दुनिया में हर कोई दूसरे सब छीनने को तैयार है व हम भाग्यशाली बच्चे जिन्हें स्वयं भगवान पावन बनाकर 21 जन्मों के लिए राज्य भाग्य देने आया है तो हमें पुराने संस्कारों को बाबा को देकर नये दैवीय संस्कार भरने हैं ।

 

  ❉   जैसे नए घर में जाना होता है तो पुराना सामान वहीं छोड देते हैं । हमें तो बेहद का बाप भविष्य के लिए राजाई पद देने आए हैं व विश्व का मालिक बनाने आए हैं तो हमें ज्ञान धन के अखूट खजानों से मालामाल होकर अपना बैग बेगेज सब ट्रांसफर कर देना है ।

 

  ❉   जैसे कहीं बाहर जाना होता है तो कई दिन पहले से तैयारी शुरु कर देते हैं व पुराना छोड़ नया सामान लाते हैं उसी प्रकार हमें पुरानी दुनिया छोड़कर नयी दुनिया में जाना है तो नयी दुनिया में जाने के लिए याद की यात्रा में रहकर अविनाशी कमाई से बैग भरकर भविष्य के लिए ट्रांसफर करनी है ।

 

  ❉   पुराना शरीर पुरानी दुनिया सब कब्रदाखिल होना ही है तो इससे लगाव क्यूं रखना । तन मन धन सब कुछ अर्पण कर यज्ञ सेवा में लगाकर सफल करना है । जितना अभी लगायेंगे उसका कई गुणा भविष्य में प्रालब्ध प्राप्त होगा ।

 

  ❉  लौकिक में भले अभी कितने भी करोड़पति है पर सभी कौडी मिसल है । संगमयुग पर बाप स्वयं टीचर बन पढ़ाकर हमें कौड़ी तुल्य से हीरा तुल्य बना रहे हैं । तो हमे  अनमोल खजानों से बुद्धि रुपी बैग बैगेज को भविष्य के लिए भरपूर करना है ।

──────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ साइलेंस की शक्ति द्वारा सेकेण्ड में हर समस्या का हल करने वाले एकांतवासी होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   साइलेन्स अर्थात शांत स्वरुप आत्मा एकांतवासी होने के कारण एकाग्र रहती है । एकाग्रता के कारण विशेष शांति की शक्ति सदा प्राप्त होती है वअपने मूल स्वरुप में स्थित होकर हर समस्या का हल एक सेकेण्ड में कर एकांतवासी होती है ।

 

  ❉   कहा भी जाता है - साइलेंस इज गोल्ड । साइलेंस की शक्ति से बाह्यमुखता को छोड़ अंतर्मुखी व एकाग्रता से होने से बाप से क्लीयर कनेक्शन होने से सेकेण्ड में हर समस्या का हल करने वाले एकांतवासी होते हैं ।

 

  ❉   जैसी स्मृति वैसी स्थिति । जो सदा बाप की स्मृति में रह समर्थ स्थिति में रहते हैं उन्हें किसी भी समस्या का हल ढूंढने में मेहनत नही करनी पड़ती बल्कि अपनी साइलेंस की शक्ति से अंतर्मुखी रह हल ढ़ूढ़ लेते है

 

  ❉   साइलेंस की शक्ति एक ऐसा खजाना है जिससे दुनिया की कोई भी सिद्धि को संकल्प द्वारा प्राप्त कर सकते हैं , क्रोध अग्नि को शीतल कर सकते हैं तो शांति के सागर के बच्चे मास्टर शांति सागर बन किसी भी समस्या का हल एक सेकेण्ड में कर एकांतवासी होते हैं ।

 

  ❉   जैसे साइंस वाले कोई इनवेंशन करते हैं तो कई कई दिन अंडरग्राउंड होकर एकाग्रता से व साइलेंस मे रहकर सफलता प्राप्त करते हैं । हमें भी जब भी समय मिले देह की दुनिया से परे देहभान न रहकर आवाज से परे साइलेंस में रहने का अभ्यास करना है । इससे ही हर समस्या का हल एक सेकेण्ड में कर सकते हैं ।

──────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ व्यर्थ संकल्प वा विकल्प से किनारा कर आत्मिक स्थिति में रहना ही योगयुक्त बनना है... कैसे ?

 

 ❉   व्यर्थ संकल्प वा विकल्प से किनारा कर आत्मिक स्थिति में स्थित रहने के लिए जरूरी है स्वयं को सदा नॉलेजफुल की सीट पर सेट रखना । क्योंकि जितना स्वयं को नॉलेजफुल की सीट पर सेट रखेंगे उतना मन बुद्धि को शांत और एकाग्रचित स्थिति में स्थित रखने का अभ्यास बढ़ता जायेगा और जितना मन एकाग्र होगा उतना योगयुक्त स्थिति में रहना सहज होगा ।

 

 ❉   जितना स्वयं को ईश्वरीय सेवा और शुभ चिंतन में बिज़ी रखेंगे उतना व्यर्थ संकल्पों के प्रभाव से स्वयं को मुक्त रख सकेंगे और जितना व्यर्थ से मुक्त रहेंगे उतना मन बुद्धि स्वच्छ और निर्मल होती जायेगी जिससे आत्मिक स्थिति में स्थित रहना सहज और सरल प्रतीत होगा और स्वत: ही योगयुक्त स्थिति बनी रहेगी ।

 

 ❉   देह और देह की दुनिया के प्रति आसक्ति मन बुद्धि को व्यर्थ में उलझाती है । इसलिए जितना देह और देह की दुनिया के प्रति अनासक्त रहेंगे उतना आत्मिक स्मृति में रहने और सर्व को आत्मिक दृष्टि से देखने का अभ्यास पक्का होता जायेगा । आत्मिक स्मृति में रहने का अभ्यास ही आत्मिक स्थिति बनाने और योगयुक्त रहने में मदद करेगा ।

 

 ❉   व्यर्थ संकल्प वा विकल्प तब उत्तपन्न होते हैं जब मन बुद्धि एकाग्र नही रहते । और एकाग्रता आती है साइलेन्स में रहने से । जितना साइलेन्स का बल आत्मा में भरता जाता है उतनी आत्मा शक्तिशाली बनती जाती है और आत्मा की शक्तिशाली स्थिति व्यर्थ को समर्थ में बदल कर  उसे योगयुक्त स्थिति में स्थित कर देती है ।

 

 ❉   कर्मेन्द्रियों के अधीन हो कर सांसारिक वस्तुओं के प्रति आकर्षण और उन्हें पाने की इच्छा चिंतन को दूषित करती है और बुद्धि को व्यर्थ संकल्प वा विकल्प में उलझाये रखती है जिससे स्थिति एकरस नही रह पाती इसलिए जितना स्वयं को सांसरिक आकर्षणों से उपराम रखेंगे उतना व्यर्थ संकल्प वा विकल्प से सहज ही किनारा होता जायेगा और आत्मिक स्मृति द्वारा स्थिति योगयुक्त बनती जायेगी ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━