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   24 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ नॉलेज की पॉइंट्स के अनुभवी स्वरुप बन °नॉलेजफुल स्टेज° पर स्थित रहे ?

 

‖✓‖ इष्ट देव की स्मृति में रह अपने °भक्तों की पुकार° सुनी ?

 

‖✓‖ विश्व के उद्धारमूर्त की स्मृति में रह °सर्व प्रकार के धर्म की आत्माओं का उद्धार° किया ?

 

‖✓‖ विश्व कल्याणकारी की स्मृति से °विज्ञानी आत्माओं का कल्याण° किया ?

 

‖✓‖ दाता के स्वरुप की स्मृति से देश और विदेश के °राज्य अधिकारियों को रहम की दृष्टि° दी ?

 

‖✓‖ लाइट हाउस बन चारों और की °आम पब्लिक का कल्याण° किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °नए जीवन की स्मृति° से कर्मेन्द्रियों पर विजय प्राप्त की ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ आवाज़ से परे रह अपनी श्रेष्ठ शक्तिशाली स्थिति द्वारा °सर्व व्यक्त आकर्षणों से परे°, न्यारे और प्यारे बनकर रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं मरजीवा आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   नये जीवन की स्मृति से कर्मेन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने वाली मैं मरजीवा आत्मा हूँ ।

 

 ❉   पुराने शूद्र जीवन से मर कर नये ब्राह्मण जीवन में जन्म ले कर मैं अपने जीवन को श्रेष्ठ बना रही हूँ ।

 

 ❉   नए दैवी संस्कारो को इमर्ज कर, मैं पुराने आसुरी संस्कार, स्वभाव और स्मृतियों को मर्ज करती जा रही हूँ ।

 

 ❉   इस पुरानी विनाशी दुनिया और दुनियावी पदार्थो से मैं सम्पूर्ण नष्टोमोहा बनती जा रही हूँ ।

 

 ❉   मैं पन को समाप्त कर, सबसे नष्टोमोहा बन मैं प्रवृति में रहते भी निवृत हो सबसे न्यारी और बाप की प्यारी बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   सर्व संबंधो का सुख एक बाप से अनुभव कर मैं सर्व सुखों की अधिकारी बनती जा रही हूँ ।

 

 ❉   बापदादा के स्नेह स्वरूप को सामने रख, एक बाप की लग्न में मगन हो कर, मैं सर्व दुनियावी सम्बन्धो से उपराम होती जाती हूँ ।

 

 ❉   परमात्म प्यार और स्नेह का बल मुझे कर्मो के आकर्षण और बन्धनों से परे ले जाता है और हर परिस्थिति में अचल अडोल बना देता है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "स्वदर्शन चक्रधारी तथा चक्रवर्ती ही विश्व - कल्याणकारी"

 

 ❉   स्वदर्शन चक्रधारी तथा चक्रवर्ती वही बन सकते हैं जो सदा नॉलेजफुल स्टेज का अनुभव करते हों ।

 

 ❉   नॉलेजफुल स्टेज अर्थात त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री, दूरांदेशी, वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी, सर्वगुण और प्राप्ति सम्पन्न खजाने के मालिकपन की ऊँची स्टेज  ।

 

 ❉   इस ऊँची स्टेज पर स्थित हो कर, नॉलेज के हर एक प्वाइंट के अनुभवी बन विश्व की सर्व आत्माओं का कल्याण करने वाले ही विश्व कल्याणकारी हैं ।

 

 ❉   इसलिए इस ऊँची स्टेज पर स्थित हो कर सब प्रकार की आत्माओं को देखो । भक्त आत्माओं की पुकार सुनो, धार्मिक लोगो का उद्धार करो, विज्ञानी आत्माओं को मेहनत से मुक्त करो ।

 

 ❉   रोज विश्व का चक्कर लगाओ और इन सर्व आत्माओं का कल्याण करो तब कहेंगे स्वदर्शन चक्रधारी तथा चक्रवर्ती विश्वकल्याणकारी आत्मा ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ नॉलेज की पॉइंट्स के अनुभवी स्वरुप बन नॉलेजफूल स्टेज पर स्थित रहना है ।

 

  ❉   हर ज्ञान रत्न का गहराई से मनन कर उसे प्रैक्टिकल धारणा में लाना है फिर उस अनुभव के आधार से हम नोलेजफुल बन जायेगे माना मनसा , वाचा ,कर्मणा  ज्ञान युक्त होंगे ।

 

  ❉   ज्ञान की मनन करते हुए उसी एक की लग्न में मगन हो बाबा में खो कर सेकंड में स्वरूप बनने का जो अतीन्द्रिय अनुभव है वह अनुभवी मूर्त बनना है। और मन की गहराई से निश्चय बुद्धि बनना है।

 

  ❉   फुल माना सम्पूर्ण ज्ञान के लिए अपने अनादि और अदि स्वरूप को इमर्ज कर ज्ञान की गहराई में स्थित होना है। जिससे आदि मध्य अंत के इस ड्रामा का ज्ञान की नोलेज में फूल हो जाना है।

 

  ❉   नॉलेजकी हर पॉइंटस मनन शक्ति द्वारा स्वयं की शक्ति बन जाती है जैसे मैं आत्मा हूँ यही मनन करते रहे तो वो स्वरूप बन जाता है और जो स्वरूप बनता है वही अनुभव बन जाता है । नॉलेज के पॉइंटस के अनुभवी माया प्रूफ विघ्नप्रूफ सदा अंगद के समान रहता है

 

  ❉   हम ज्ञानसागर ,सर्वशक्तिवान के बच्चे मास्टर सर्वशक्तिवान मास्टर नॉलेजफुल हैं । जिस समय जिस शक्ति की आवयकता हो नॉलेज से यूज करें ये सोचना या कहना न पडे कि ये नही करना चाहिए था । बस हर कर्मेन्द्रिय आर्डर पर चले ऐसी नॉलेजफुल स्टेज पर स्थित रहना है ।

 

   हर समय हर कर्म करते त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट होकर चाहे स्वयं द्वारा चाहे ओरों द्वारा चाहे प्रकृति द्वारा किसी भी परिस्थिति में स्व की स्थिति शक्तिशाली रख नॉलेज की पॉइंट्स के अनुभवी स्वरुप बन नॉलेजफूल स्टेज पर स्थित रहना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ नए जीवन की स्मृति से कर्मेन्द्रियो पर विजय प्राप्त करने वाले मरजीवा बनना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हमारा यह अंतिम मरजीवा जन्म है, लोकीक जन्म की आयु तो हम सबकी पूरी हो चुकी है अब यह अलोकिक जन्म नया जन्म हुआ है तो पुरानी सब बाते भूल जानी है।

 

 ❉   जैसे हम आत्माये नया जन्म लेने के बाद पुराने जन्म के सभी सम्बन्धी, कार्य व्यवहार, स्थान, देश, शरीर सबकुछ भूल जाते है ऐसे ही यह नए अलोकिक जन्म के बाद पुराने लोकीक जन्म की सब बाते भूलनी है।

 

 ❉   हमारे नए जन्म की स्मृति रहेगी तो पुराने स्वाभाव, संस्कार, मित्र, सम्बन्धी, सब कुछ भूलना आसान होता जायेगा। बुद्धि इन सब बातो से डीटेच होती जाएगी।

 

 ❉   जितना नए जन्म की स्मृति रहेगी उतना ही बाबा की भी याद रहेगी जिससे पुराना खाता नष्ट होता जायेगा और नये जन्म के गुण, शक्तियाँ, संस्कार भरते जायेंगे।

 

 ❉   हमें यह पक्का अभ्यास हो की हम आत्मा है इन कर्मेन्द्रियो की मालिक, यह सब हमारी कर्मचारी है तो विजय बन जायेंगे, हमें स्व राज्य अधिकारी बनकर रहना होगा, अपनी कर्मेन्द्रियो की रोज़ चेकिंग और अटेंशन रखना होगा जैसे ब्रह्मा बाबा रोज़ रातको कर्मेन्द्रियो की कचेहरी लगाते थे।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अमृतवेले दिल में परमात्म स्नेह को समा लो तो और कोई स्नेह आकर्षित नही कर सकता... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   अमृतवेले दिल में परमात्म स्नेह को समा लेंगे तो सारा दिन बाप के श्रेष्ठ संग का रंग आत्मा पर लगा रहेगा जिससे और कोई स्नेह अपनी तरफ आकर्षित नही कर पायेगा ।

 

 ❉   अमृतेवेले परमात्म स्नेह से प्राप्त होने वाली अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति आत्मा को सदा अविनाशी सुख का अनुभव कराती रहेगी जिससे देह, देह के सबंधो, पदार्थो के प्रति स्वत: ही अनासक्त होते जायेंगे ।

 

 ❉   अमृतवेले बाप दादा से प्राप्त सर्व शक्तियां, गुण और खजाने आत्मा को संतुष्टमणि बना देंगे जिससे आत्मा सहज ही हर दुनियावी आकर्षणो के बन्धन से मुक्त होती जायेगी ।

 

 ❉   अमृतवेले दिल में परमात्म स्नेह को समा लेंगे तो परमात्म पालना का अनुभव सारा दिन होता रहेगा जिससे बुद्धि का योग निरन्तर एक बाप के साथ लगा रहेगा और बुद्धि किसी और तरफ आकर्षित नही होगी ।

 

 ❉   अमृतवेले परमात्म स्नेह से स्वयं को भरपूर कर लेंगे तो मास्टर स्नेह के सागर बन सर्व आत्माओं पर सच्चा आत्मिक स्नेह और प्यार लुटाते रहेंगे जिससे हद के स्नेह से आकर्षण निकल जाएगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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