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❍ 29 / 04 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
‖✓‖ ज्ञान में °मियाँ मिठू° बनकर तो नहीं रहे ?
‖✓‖ °एकरस अवस्था° बनाने का अभ्यास किया ?
‖✓‖ याद की °गुप्त मेहनत° की ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
‖✓‖ °सोचने और करने° के अन्तर को मिटाया ?
‖✓‖ आज °अनुभूति की गिफ्ट° प्रापत की ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ °धर्म और कर्म° के सम्बन्ध को जोड़े रखा ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा विश्व परिवर्तक हूँ ।
✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-
➳ _ ➳ यह सृष्टि एक विशाल नाटक है... मैं आत्मा इस नाटक में श्रेष्ठ अभिनेता हूँ... एक्टर हूँ... इस नाटक में अनेक एक्टर्स हैं... जो अपनी - अपनी भूमिका अदा कर रहें हैं... यह नाटक विविधताओं से भरा है और रहस्मय है... इस अदभुत नाटक के निर्देशक कल्याणकारी हैं... संसार नाटक से मन को हटाकर मैं आत्मा अपने निज धाम... आवाज़ की दुनिया से दूर शान्तिधाम में... शांतस्वरूप स्तिथि में स्तिथ हूँ... मन की आँखों से मैं परमधाम में ज्योति बिंदु आत्मा को देख रही हूँ... वह शांति के सागर हैं... मैं आत्मा उनकी संतान अपने परमपिता के संग दिव्य शांति का अनुभव कर रहीं हूँ... अब मैं आत्मा अपना हर कार्य शांति पूर्वक कर रहीं हूँ... मैं स्थापना के कार्य में निमित्त बन रहीं हूँ... मैं आत्मा आज अपने परम प्यारे बाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं अपने संस्कार, स्वभाव, बोल व सम्पर्क को व्यर्थ नहीं करुँगी... अपनी सोच और क्रिया की मशीनरी को तेज़ करुँगी... स्वयं में परिवर्तन करके मैं आत्मा विश्व परिवर्तक बनने का अनुभव कर रहीं हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चों - बाप समान लवली बनने के लिए अपने को आत्मा बिन्दु समझ बिन्दु बाप को याद करो"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों अपने मीठेपन को जो खो चले हो वह स्वरूप में स्तिथ हो तो पुन यादो में उभर आएगा... पिता के साये में बिन्दु बन सिमट जाओ तो पिता के सारे खजाने खुद बखुद बाँहो में भर जायेंगे...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे प्यारे बच्चों बहुत विस्तार में खुद को बहुत खाली किया अब बिन्दु बन सार में आ जाओ... मुझ पिता के साथ बेठो तो मेरे संग में मीठे बन निखर जाओगे.. यह जमीन यह आसमाँ सुखमय हो जायेगा...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों आत्मिक स्म्रति ही जादू कर पाएगी तुम बच्चों को वही रंगत वही खुशियां दे जायेगी... बाप के समान बना दौलत दिला जायेगी... मीठा सा प्यारा सा बना सदा का सजा धजा जायेगी...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों अब इस शरीर के भान को भूलो और सच्चे आत्मिक स्वरूप में आ जाओ... शरीर के भान ने जीवन को कलुषित किया है... आत्मिक भाव हो फिर से मीठा बनाएगा... बिन्दु बन बिन्दु बाप को याद करो तो बाप के जेसे मीठे बन पड़ेंगे...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चो इस मिटटी के भान ने मटमैला किया है सुनहरे रूप को काला कर बदसूरत किया है... अब बिन्दु की यादो में खो जाओ बिन्दु बन प्रेम के सागर में लहराओ तो वहो मिठास से भरपूर हो गुणवान शक्तिवान बन पड़ेंगे...
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ धर्मराज की सजाओं से बचने के लिए याद की गुप्त मेहनत करनी है । पावन बनने का उपाय है अपने को आत्मा बिन्दी समझ बाप को याद करना है ।
❉ अभी तक तो अज्ञानता के कारण देहधारियों को याद करते रहे व स्वयं अपने को भूल गए व देहभान में आकर गिरते गए । अब संगमयुग पर सत्य बाप ने सत्य ज्ञान दिया व हमें अपने असली स्वरुप की पहचान दी । इसलिए अपने को देह नहीं देही समझ पहला पाठ पक्का करना है ।
❉ आत्मा पर 63 जन्मों के विकर्मों की परतें चढ़ी हुई हैं व आत्मा पर लगी कट को उतारने के लिए बस अपने को आत्मा समझ आत्मा के परमपिता परमात्मा बाप को याद करना है व हम सब आत्माओं का पिता एक ही है व उसकी याद में ही रहना है ।
❉ संगमयुग पर बाबा का बनने के बाद भी बाबा को याद नही किया अपने पिता को भूल कर विकर्म किया तो उसकी सौ गुणा सजा खानी पड़ेगी व बाबा ही धर्मराज बन सजाऐं देंगे और पद भी भ्रष्ट हो जायेगा । इसलिए सच्चे बाप को सच्चे दिल से याद करना है व याद की गुप्त मेहनत करनी है ।
❉ लौकिक बाप को भी कोई परिस्थिति आती है तो किस को याद करते हैं - पारलौकिक बाप को ही कि हे प्रभु आओ, मुझे इस परिस्थिति से बाहर निकालो । हमें तो स्वयं भगवान मिले हैं व अपना बनाया है तो ऐसे बेहद के बाप की याद में रहना है ।
❉ चलते-फिरते, उठते-बैठते, हाथों से भल कोई काम करते रहो बस बाबा को साथ रखते हुए बाबा को याद करते हुए काम करना है । अपने को आत्मा बिंदी समझ बाप को याद कर आत्मा को पावन बनाना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सोचने और करने के अंतर को मिटाने वाले स्व-परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ जो सोचा या संकल्प आया व बाबा ने टंचिग कराई और तभी कर दिया । ऐसी आत्मायें तीव्र पुरुषार्थी होती है व अनुशासित होती हैं । अंदर बाहर एक जैसी होती हैं व अनुशासित होने से सदा उमंग उत्साह से आगे बढ़ती स्व परिवर्तन कर विश्व परिवर्तक होती हैं ।
❉ जो आत्मायें सोचते और करते एक समय पर हैं व सोचने और करने में कोई अंतर नही रखते । जैसे कोई समस्या आई व उसका निवारण सोच कर तभी करते हैं । उसी के अनुसार अपना परिवर्तन कर लेते है वो स्व परिलर्तक सो विश्व परिवर्तक होते हैं ।
❉ जो संकल्प, बोल और कर्म यथार्थ नहीं व्यर्थ हैं उस व्यर्थ को तभी परिवर्तन करना है । संगमयुग के महत्व को समझते हुए जो सोचा तभी किया । अभी नही तो कभी नहीं । हर घड़ी अंतिम घड़ी है यही स्मृति में रख सोचने और करने के अंतर को मिटा स्व का परिवर्तन करते है और स्व परिवर्तक ही विश्व परिवर्तक होते हैं ।
❉ जो आत्मायें ये स्मृति में रखते हैं कि बाबा ने स्थापना के निमित्त चुना है व हमें बाप के इस कार्य में मददगार बन सोचने और करने के अंतर को मिटा अपना परिवर्तन कर एग्जापल बनना है व जो कर्म मैं करुंगा वह सब करेंगे । ऐसा स्मृति में रखने वाले स्व परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक होते हैं ।
❉ जो साक्षीदृष्टा बन हर पार्ट बजाते और मेरे को तेरे में परिवर्तन कर निमित्त समझ सेवा करते हैं । ऐसे सेवादारी बच्चे सोचने ओर करने में अन्तर न रख स्व परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक होते हैं
❉ जब स्वयं बाप ने मुझे विश्व परिवर्तन के कार्य के निमित्त समझा व अपना बनाया तो ये आत्मविश्वास रख जो आगे बढ़ते है व अपने सोचने और करने के अंतर को मिटा स्व परिवर्तन करते है वो विश्व परिवर्तक होते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सबसे लक्की वह है जिसने अपने जीवन में अनुभूति की गिफ्ट प्राप्त की है... क्यों और कैसे ?
❉ अपने जीवन में अनुभूति की गिफ्ट प्राप्त करने वाले सबसे लक्की स्टार वही बन सकते हैं जो ज्ञान को सुमिरण कर सदा हर्षित रहते हैं । अव्यक्त स्थिति का अनुभव करते हुए सदा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहते हैं । सर्व प्राप्तियों की अनुभूति करते हुए वे सदा सफलता के सितारे बन चमकते रहते हैं ।
❉ अनुभूति की गिफ्ट अपने जीवन में वही प्राप्त कर सकते हैं जो हर एक को शुभ भावना और शुभकामना की गिफ्ट सदा देते रहते हैं । गुण ग्राही बन सबको गुणों का दान देते और लेते रहते हैं । शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना की गिफ्ट का स्टॉक जिनका सदा भरपूर रहता है वही लक्की स्टार बन प्राप्तियों से संपन्न होकर सर्व अनुभूतियां करते रहते हैं ।
❉ जो एकांतवासी बन मन बुद्धि को सैकेंड में एक के अंत में एकाग्र करने के अभ्यासी बन जाते हैं उन्हें एकाग्रता की शक्ति स्वत: एक बाप दूसरा ना कोई की अनुभूति सदा करवाती रहती है । और यह अनुभूति उन्हें हर आत्मा के संबंध में, स्नेह और सम्मान का अनुभव कराते हुए लक्की स्टार बना देती है ।
❉ जो साधना में मगन रहकर सदा एक बाप के साथ रहते हैं । वह हर घड़ी हर संकल्प में नवीनता की अनुभूति करते रहते हैं । संगम युग में हर समय बाप, वर्से और वरदान के रुप में प्राप्ती करवाते रहते हैं । तो जो सदा बाप के साथ रहकर यह अनुभूति करते रहते हैं वही भाग्यशाली बन सदा अपने भाग्य का सितारा चमकाते रहते हैं ।
❉ जो सहजयोगी बन हर कर्म करते निरंतर एक बाप की लगन में मगन रहते हैं । वह सदा अपने श्रेष्ठ भाग्य की समृति में सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों की अनुभूति करते रहते हैं । और लक्की स्टार बन सबको अपनी अनुभूतियों का अनुभव कराते रहते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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