━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

   29 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ बेहद का °वैरागी और निर्मोही° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ दिल से °एक बाप की महिमा° की ?

 

‖✓‖ चेहरे और चलन से °दिव्यता° झलकती रही ?

 

‖✓‖ पढाई और दैवी करैक्टरस का °रजिस्टर° रखा ?

 

‖✓‖ श्रीमत पर चल अपनी °बुधी सालिम(अच्छी)° रखी ?

 

‖✗‖ कोई भी °बीमारी° सर्जन से छिपाई तो नहीं ?

──────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ अपनी मूरत से °बाप और शिक्षक के चेहरे° को प्रतक्ष्य किया ?

──────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ अपने °भाग्य की स्मृति° में रह स्वयं को महान अनुभव किया ?

──────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-25)

 

➢➢ श्रीमत पर चल अपनी बुद्धि सालिम(अच्छी) रखनी हैं । कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है ।

 

  ❉   लौकिक में जब बच्चा मां बाप व टीचर की बात को ध्यान से सुनकर समझकर उस पर चलता है तो हमेशा अच्छे रास्ते पर चलता है व अच्छा ही सोचता है । ऐसे हमें तो बेहद का बाप मिला है तो श्रेष्ठ मत पर चलकर श्रेष्ठाचारी बनना है व श्रेष्ठ चिंतन करना है ।

 

  ❉   कहा भी गया है जैसा सोचोगे वैसा बन जाओगे । इस संगमयुग पर हमें ऊंच ते ऊंच बेहद का बाप मिला है तो हमें ऊंच बाप की श्रीमत पर चल अपनी बुद्धि अच्छी रखनी है व बाप समान ही बनना है ।

 

  ❉   देहभान में आकर ही विकारों में गिरते गए । अब बाप ने हमें अपने असली स्वरुप की पहचान दी है । अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना है व देहभान में आकर कोई अवज्ञा नहीं करनी है ।

 

  ❉   काम धंधा करते रहे व बस बुद्धि में बाबा की ही याद हो, बाप की महिमा हो । बुद्धियोग बाप से ही जुडा रहे व खाली न रहें कुछ न कुछ ज्ञान चिंतन चलता रहे । बुद्धि को बिजी रख माया के वार से बचे रहना है ।

 

  ❉   ऊ़च ते ऊंच बाप अपने बच्चों को हमेशा अपने से ऊंचा देखना चाहता है व अपने से ऊंची सीट पर बैठाता है तो हम बच्चों को भी हमेशा बाप की श्रीमत पर चल अपनी बुद्धि श्रेष्ठ रखनी है ।

 

  ❉    हमें बाप का फरमानबरदार बच्चा बनना है । श्रीमत पर चल बाबा जो ज्ञान रत्न देते है उसे धारण करना है । एक एक रत्न बेशुमार कीमती है । श्रीमत में मनमत मिक्स कर अवज्ञा नही करनी वरना सौ गुणा सजा खानी पड़ेंगी ।

──────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-25)

 

➢➢ अपनी मूर्त से बाप और शिक्षक की सूरत को प्रयत्क्ष करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   बाप की श्रीमत पर चलते हुए मनसा वाचा कर्मणा पवित्रता को धारण करते हैं तो प्योरिटी की लाइट व माइट से अपनी मूर्त से बाप और शिक्षक की सूरत को प्रयत्क्ष करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं ।

 

  ❉   जब ये स्मृति रहती है कि मैं जो हूं व जिसका हूं इसी असली स्वरुप के निश्चय और कल्प कल्प की विजयी की स्मृति से सदा नशे में रहते हैं तो अपनी मूर्त से बाप को प्रयत्क्ष करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं ।

 

  ❉   एक बाप की याद में इतना मगन रहें कि कैसी भी परिस्थिति आए तो बस बाप की छत्रछाया में स्वयं को अनुभव करते सहज ही उसे पार कर अनुभवीमूर्त रहें तो अपनी मूर्त से बाप की व शिक्षक की प्रयत्क्षता स्वतः होगी।

 

  ❉   सर्व सम्बंध एक बाप से रख, अपनी डोर बाप को सौंप व अपने को बस निमित्त समझ बेफिकर बादशाह होते हैं व हमेशा प्रसन्नचित्त रहते हैं व दूसरे हमें हर मोड पर खुश देखकर पूछते हैं कि आप ऐसे हमेशा शातं व खुश कैसे रहते हो तो ऐसे बाप को प्रयत्क्ष कर अनुभवीमूर्त होते हैं ।

 

  ❉   बाप अपने बच्चों को रोज वंडरफुल व गुप्त ज्ञान देते हैं । हम बच्चें बाप का फरमानबरदार बन दिव्य गुणों को व बाप की शिक्षाओं को अच्छे से धारण करते हैं । कहा भी गया है फादर सोज सन , सन शोज फादर तो हम भी अपनी मूर्त से बाप और शिक्षक की सूरत को प्रयत्क्ष कर अनुभवीमूर्त होते हैं ।

 

  ❉    हम सुख दाता के बच्चें हैं तो दुःख की लहर कैसे आ सकती है व मास्टर सुख सागर हैं । सर्वशक्तिवान के बच्चे मास्टर सर्वशक्तिवान हैं । जब अपने को हमेशा इसी ऊंची पोजीशन में व ऊंचे स्वमान में रहते हैं तो अपनी मूर्त से बाप और ऊंचे ज्ञान से शिक्षक की सूरत को प्रयत्क्ष करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━