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 25 / 12 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *स्नेह की रस्सी से बापदादा को अपने साथ बांधे रखा ?*

 

➢➢ *होलीहंस बन अलोकिक ख़ुशी की रूहानी डांस की ?*

 

➢➢ *जिस भी गुण का अनुभव कम है, उस पर अटेंशन दे अनुभवी मूर्त बनने का पुरुषार्थ किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *स्व स्वरुप और सेवा स्वरुप दोनों साथ साथ अनुभव किये ?*

 

➢➢ *दृढ़ता से विश्व परिवर्तन की जिम्मेवारी का ताज धारण किये रखा ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  *"विश्वपरिवर्तन की जिम्मेदारी - संगमयुगी ब्राह्मणों पर"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... बापदादा आज चैतन्य दीपको से मिलन मना रहे है... *हर एक दीपक अपनी रौशनी से विश्व के अंधकार को दूर करने वाला चैतन्य दीपक है.*.. अपनी इस खुबसूरत जिम्मेदारी के ताज को सदा पहने रहो... विश्व की आत्माये अंधकार के सागर में समायी सी... बेसब्री से आपकी बाट निहार रही है... उनके जीवन का अँधेरा दूर करो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में प्रकाश पुंज बन चली हूँ... *सबके दुखो को दूर करने वाली दीपक बन जगमगा रही हूँ.*.. सबके दामन में सुखो के फूल खिला रही हूँ... और विश्व परिवर्तन की जिम्मेदारी का ताज पहन मुस्करा रही हूँ...

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... कितने महान भाग्यशाली ब्रह्मा कुमार हो... आपके स्नेह के आकर्षण में बाबा अव्यक्त होते हुए भी....मधुबन में साकार रूप चरित्र की अनुभूति सदा कराते है... *कितने बड़े स्नेह के जादूगर हो*... ऐसी विशेषता भरी खुबसूरत मणि हो कि स्नेह के बन्धन में बापदादा को बांध लिया है...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा खुबसूरत भाग्य की धनी हूँ... भगवान मेरी बाँहों में आ गया है... मेरे स्नेह की डोरी में खिंच कर सदा साथ रह मुस्करा रहा है... वाह बच्चे वाह के गीत गा रहा है... *आपके प्यार में मै आत्मा खुबसूरत चैतन्य दीपक बन चली हूँ*

 

❉   मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... बापदादा होलिहंसो का ख़ुशी भरा डांस देख देख मन्त्रमुग्ध है... *मनमनाभव के महामन्त्र के वरदानी बन मुस्करा रहे हो.*... ईश्वर पिता की सारी दौलत को बाँहों में भरने वाले खबसूरत सौदागर भी हो और जादूगर भी हो... सदा इस अलौकिक नशे में रहो और ज्ञान सूर्य बन चमको...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा *आपको पाकर किस कदर गुणो और शक्तियो की जादूगर सी बन गयी हूँ.*.. जीवन कितना मीठा प्यारा और खुशनुमा इस प्यार की जादूगरी से हो चला है... मै आत्मा अपनी ज्ञान सूर्य बन अपनी रूहानियत से सबके दिल रोशन कर रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा शांत स्वरूप होकर इस साकार देह और साकारी दुनिया से न्यारी होती हुई *परमधाम में ज्ञान सूर्य के सामने* बैठ जाती हूँ... ज्ञान सूर्य शिव बाबा से निकलती किरणों से मुझ आत्मा की जन्मों-जन्मों की खाद बाहर निकलती जा रहीं हैं... ज्ञान सूर्य की किरणों के तेज से सारे पुराने स्वभाव संस्कार भस्म होते जा रहें हैं...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा के मन के अन्दर का सारा मैल और सारी नकारात्मकता ख़त्म होती जा रहीं हैं... अब ज्ञान सूर्य की किरणें मुझ आत्मा के शरीर के सभी आर्गन्स पर पड़ रहीं हैं... मुझ आत्मा के शरीर का हर अंग ज्ञान सूर्य की किरणों में नहाकर पवित्र बनते जा रहें हैं... अब मुझ आत्मा का *मन और शरीर भी सम्पूर्ण पवित्र* हो गये हैं...

 

➳ _ ➳  मैं कितनी तकदीरवान आत्मा हूँ... मैं *विशेष भाग्यवान आत्मा* हूँ... मैं आत्मा भगवान को ढूँढ रही थी... पर स्वयं भगवान ने मुझ आत्मा को ढूंढा... मैं आत्मा कहाँ अंधकार में छोटी सी रोशनी के लए भटक रही थी... पर ज्ञान सूर्य बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान की रोशनी से भरकर मास्टर ज्ञान सूर्य बना दिया...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा *मास्टर ज्ञान सूर्य बन चमक रहीं* हूँ... अपना प्रकाश चारों ओर फैला रहीं हूँ... अब मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य बन... पवित्रता के सागर में... शांति की शीतल चाँदनी में... शक्तियों के झूले में... प्रेम, सुख, आनंद का अनुभव कर रहीं हूँ... मैं आत्मा सबको अपनी ज्ञान रोशनी से भरपूर कर अज्ञानता के अंधकार को दूर कर रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मुझ आत्मा की *वृत्ति अलौकिक और रूहानियत* से भरपूर हो गई है... मुझ आत्मा की न्यारे और प्यारे पन की स्थिति स्वतः अनेक आत्माओं को आकर्षित कर रहीं हैं... अब मैं आत्मा वरदानी बन अपनी अलौकिक शक्तियों का दान कर रहीं हूँ... अब मैं आत्मा अपनी अलौकिक रुहानी वृत्ति द्वारा सर्व आत्माओं पर अपना प्रभाव डालने वाली मास्टर ज्ञान सूर्य बन गई हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल -  सदा स्वमान की सीट पर सेट हो सर्व शक्तियों को आडर्र प्रमाण चलाना"*

 

➳ _ ➳  *स्वमान की सीट जो बाप-दादा ने संगमयुग पर दी हुई है सदा उस सीट सेट रहने से ही सर्व शक्तियां आर्डर पर काम करती है*।सदा अपनी सीट पर रहें। स्वमान में स्थित रहने वाला सदा निर्मान रहता है। अभिमान नही निर्मान।

 

➳ _ ➳  मैं पदमापद्म भाग्यशाली आत्मा हूँ... मैं सर्वशक्तिवान बाप की सन्तान हूँ... मेरा सम्बन्ध सर्वशक्तिवान के साथ है... सर्वशक्तिवान बाप मेरा हो गया है... मैं आत्मा इतने जन्म विस्मृति में रही... परन्तु अब *मुझ आत्मा को स्मृति स्वरूप बनना है*...

 

➳ _ ➳  मैं सभी से *श्रेष्ठ सूर्यवंशी आत्मा* हूँ... माया मुझ आत्मा पर वार नही कर सकती... क्योंकि सर्वशक्तिवान बाप मेरा हो गया... बाप की सर्व शक्तियां मेरी हो गई हैं... मैं अधिकारी आत्मा हूँ... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा के संकल्प करने से ही स्थिति बन जाती है... मैं आत्मा अनुभव करने लगी हूँ कि... मुझ में *बाप की सर्व शक्तियाँ समाती* जा रही हैं...  मैं आत्मा अन्य आत्माओं को भी... जो अपने को कमज़ोर... और निर्बल अनुभव करती हैं... अपनी शक्तियों के सहयोग से उन्हें भी शक्तिशाली बना रही हूँ...

 

➳ _ ➳  स्वमान में स्थित होने से मुझ आत्मा में अभिमान बिलकुल समाप्त होता जा रहा हैं... मैं आत्मा स्वयं को बाप के समीप समझने लगी हूँ... *समीप अर्थात् समान* अनुभव करने लगी हूँ... मैं आत्मा अनुभव करने लगी हूँ कि बाबा की सर्व शक्तियां मुझ में आती जा रही हैं*...

 

➳ _ ➳  मैं विजयी आत्मा बनती जा रही हूँ... मैं कल्प-कल्प की अधिकारी आत्मा हूँ... मुझ आत्मा के हर बोल में बाप की याद समाई हुई है... हर कर्म में बाप जैसा चरित्र समाया हुआ है... मुझ आत्मा के *मुख में भी बाप... स्मृति में भी बाप और कर्म में भी बाप* के चरित्र के होने से ही अपने को शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *अपनी अलौकिक कहानी वृति द्वारा सर्वात्माओं पर अपना प्रभाव डालने वाले मास्टर ज्ञान सूर्य होते हैं... क्यों और कैसे?*

 

❉   अपनी अलौकिक कहानी वृत्ति द्वारा सर्व आत्माओं पर अपना प्रभाव डालने वाले मास्टर ज्ञान सूर्य होते हैं क्योंकि जैसे कोई आकर्षण करने वाली *चीज़ अपने आस - पास वालों को अपनी तरफ आकर्षित* करती हैतब उस ओर सभी आत्माओं का अटेन्शन अनायास ही चला जाता है।

 

❉   वैसे ही जब हमारी वृत्ति भी अलौकिकता व रूहानियत से भरपूर होती है तब हमारा प्रभाव भी अनेक आत्माओं पर स्वतः ही पड़ता है। *उसके लिये हमें तानिक भी श्रम करने की आवश्यकता* नहीं होती है तथा हमारी  अलौकिक व रूहानी वृति द्वारा अन्य आत्माओं को अपने प्रभाव से प्रभावित भी करती है।

 

❉   जो अपनी *अलौकिक कहानी वृत्ति द्वारा सर्व आत्माओं पर अपना प्रभाव* डालने वाले मास्टर ज्ञान सूर्य बन जाते हैंतथा अपने ज्ञान का प्रकाश सारे संसार में फैलाते हैं। जैसे सूर्य अपनी ऊर्जा व प्रकाश से सारे संसार को प्रकाश व शक्ति प्रदान करता हैं उसी प्रकार हम भी मास्टर ज्ञान सूर्य हैं।

 

❉   हमारा भी प्रभाव अपने आस पास वालों पर निश्चित रूप से पड़ता है। हमारी अलौकिकता और रूहानियत वाली दृस्टि और वृति सर्व आत्माओं को अपनी ओर आकर्षित करके उनका ध्यान अपनी ओर खिंचवाती है। ऐसी *अलौकिक शक्ति को धारण करने वाली आत्मा* सूर्य के समान चमकती हुई दिखाई देती है।

 

❉   अतः जब हमारी अलौकिक व रूहानियत से भरी वृति होगी तभी तो हमारा प्रभाव अनेक आत्माओं पर स्वतः ही पड़ेगा क्योंकि *अलौकिक वृति अर्थात न्यारे और प्यारेपन की स्थिति* स्वतः अनेक आत्माओं को आकर्षित करती है। ऐसी अलौकिक शक्तिशाली आत्मा ही मास्टर ज्ञान सूर्य बन कर अपना प्रकाश चारों और फैलाती है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *सदा स्वमान की सीट पर स्थित रहो तो सर्वशक्तियां आपका आर्डर मानती रहेंगी... क्यों और कैसे* ?

 

❉   सर्वशक्तिवान बाप द्वारा जो सर्व शक्तियों की, सर्व नॉलेज की और स्व पर राज्य करने की अथॉरिटी मिली है । उस नॉलेज की अथॉरिटी को सदा स्मृति में रख जो पावरफुल स्वरूप की स्टेज पर सदा स्थित रहते हैं । सदा श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहते हैं । वे बाप द्वारा मिली सर्वशक्तियों की अथॉरिटी से ऐसे शक्ति सम्पन्न बन जाते हैं कि *सभी शक्तियां सहज ही उनके ऑर्डर प्रमाण चलने लगती है* । और वे समय प्रमाण सर्व शक्तियों का प्रयोग कर स्वयं अपने तथा अनेकों के कल्याण के निमित बन जाते हैं ।

 

❉   जैसे कोई बड़ा ऑफिसर व राजा जब अपने पद की ऊँची सीट पर स्थित होता है तो उसके नीचे काम करने वाले सभी अधिकारी  उसे सम्मान देते हैं । लेकिन जब वह उस सीट से नीचे उतर जाता है अर्थात उसका राजाई पद समाप्त हो जाता है तो कोई भी उसका ऑर्डर नहीं मानता । ठीक इसी प्रकार जो *श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सदा सेट रहते हैं तो सर्व शक्तियां उनकी सेवा में सदा हाज़िर रहती है* जिससे वे सर्वशक्तियों को अपने ऑर्डर प्रमाण चला कर स्वयं अपना तथा सर्व आत्माओं का कल्याण करते रहते हैं ।

 

❉   जो सदा श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट हो कर साधना में मग्न रहते हैं और साधना द्वारा आत्मा की तीन शक्तियों मन, बुद्धि और संस्कार को अपने कंट्रोल में कर, *कर्मेन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर, स्वराज्य अधिकारी बनते हैं* । वे मास्टर सर्वशक्तिवान बन सर्वशक्तियों को अपने ऑर्डर प्रमाण जब और जैसे प्रयोग करना चाहें, कर सकते हैं । मास्टर सर्वशक्तिवान बन सर्व शक्तियों की अथॉरिटी से वे माया को भी अपनी दासी बना लेते हैं और प्रकृतिपति बन प्रकृति पर भी जीत पा लेते हैं ।

 

❉   जैसे कोई भी आक्यूपेशन वाले जब अपनी सीट पर सेट होते हैं तो वह आक्यूपेशन के गुण, कर्तव्य ऑटोमेटिक इमर्ज होते हैं जो उसके पद के रुतबे को दूसरों के सामने प्रकट करते हैं । ठीक इसी प्रकार जब *हम भी अपने श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहेंगे तो हर गुण, हर शक्ति और हर प्रकार का नशा स्वत: ही इमर्ज रहेगा* और यही नशा और निश्चय कोई भी परिस्थिति आने पर उस परिस्थिति में घबराने के बजाय शक्ति स्वरूप बना कर सर्व शक्तियों की अथॉरिटी से सेकण्ड में उस परस्थिति से बाहर ले आएगा ।

 

❉   स्मृति से स्थिति निर्धारित होती है और स्थिति से कर्म निर्धारित होते हैं इसलिए कहा जाता है कि जैसी स्मृति होती है वैसी स्थिति होती है और जैसी स्थिति होती है वैसे ही कर्म होते हैं । स्थिति अगर कमजोर है तो कर्म में भी कमजोरी आ जाती है । तो *श्रेष्ठ कर्म का आधार है श्रेष्ठ स्थिति* । इसलिए जो सदा अपने श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहते हैं उनकी स्थिति सदा शक्तिशाली रहती है । और अपनी सर्वश्रेष्ठ शक्तिशाली स्व स्थिति से वे सर्वशक्तियों को जैसे चाहे अपने ऑर्डर प्रमाण चला सकते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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