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 09 / 04 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

‖✓‖ सारा दिन °सर्विस के ही खयालात° चलते रहे ?

 

‖✓‖ टाइम वेस्ट न कर संगम का °हर पल सफल° किया ?

 

‖✓‖ °बाजोली° को याद कर अथाह ख़ुशी में रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

‖✓‖ °हर कदम फरमान पर° चलकर माया को कुर्बान कराया ?

 

‖✓‖ °स्वयं के परिवर्तन° से अन्य आत्माओं का परिवर्तन किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ माया का रूप देख घबराने की बजाये °बाप के हाथ में हाथ° दिया ?

 

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To Read Vishesh Purusharth In Detail, Press The Following Link:-

 

http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/09.04.16-VisheshPurusharth.htm

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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम देह अभिमान का द्वार बन्द कर दो तो माया के तूफान आना बन्द हो जायेंगे"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे बच्चों देह के अभिमान ने तुम्हे गर्त में पहुंचाया है... तुम्हारे फूलो से सुगन्धित जीवन को बदतर और बदसूरत बनाया है... अब इस दरवाजे को ही सदा के लिए बन्द कर दो.. तो सारे तूफान बन्द होंगे...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो.. मिटटी के अभिमान ने जीवन को मटमैला कर दिया... हीरे से चमकती आत्मा इस मिटटी में छुप सी गयी... अब इस मिटटी का मोह त्यागो... तो जीवन फिर फूलो सा खिल उठेगा...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों देह में फसकर सुंदर सी आत्मा किस कदर बदसूरत हो चली है... इस अभिमान का अब त्याग करो तो जीवन परेशानी की आंधियो से सदा के लिए मुक्त हो जायेगा...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों चमकते सितारे से उजले बच्चे देह के अभिमान में काले हो चले है... इसी ने तो सुखो से दूर कर बेहाल किया है... इसका त्याग करो तो जीवन माया के तुफानो से मुक्त बन जायेगा...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों जिस देहाभिमान की बुराई ने जीवन ही बुराइयो की खान बना डाला... दुःख और दर्द से हर पल उदास किया है... अब इसका दर सदा का बन्द करो.. और माया से बच जीवन खुशबूदार बनाओ...

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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ अपने आप से प्रण करना है कि हम अपना टाइम वेस्ट नहीं करेंगे । संगम का हर पल सफल करेंगे । स्कारलरशिप लेकर ही रहेंगे ।

 

  ❉   अभी तक तो अज्ञानता के कारण देह व देह के सम्बंधों में ही फंसे रहे । अभी संगमयुग पर सत का संग मिला है । अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना है । पुराने विनाशी सम्बंधों को याद कर टाइम वेस्ट नही करना है ।

 

  ❉   संगमयुग में ही भगवान हमें पढ़ाते हैं व सारी सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देते है तो हमें अच्छी रीति से ज्ञान को धारण करना है । इस पढ़ाई को पढ़कर ही हम मनुष्य से देवता बनते हैं । विश्व का मालिक बनते हैं तो हमें पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है ।

 

  ❉   संगमयुग पर स्वयं भगवान ने हम बच्चों को अपने भाग्य लिखने की कलम दी है कि जितना पुरुषार्थ कर अपना ऊंच पद प्राप्त कर सकते हो व संगमयुग पर ही हम एक का पदमगुणा फल प्राप्त कर सकते हैं तो हमें अपना हर संकल्प हर कर्म श्रेष्ठ बनाना है व सफल करना है ।

 

  ❉   अपने आप से प्रण करना है कि बाबा हम एक क्षण भी वेस्ट नहीं करेंगे । देह के सर्व विनाशी सम्बंधों को भुलाकर अविनाशी बाप से ही सर्व सम्बंध रखने हैं व एक बाप को ही याद करना है व अपना तन मन धन सब समर्पण कर सफल करना है ।

 

  ❉   संगमयुग के महत्व को समझते हुए व अपना ऊंच पद पाने के लिए चारों सब्जेक्ट पर पूरा अटेंशन देना है । चारों सब्जेक्ट में ही पास विद ऑनर में आना ही है ,स्कालरशिप लेकर ही रहेंगे ऐसा प्रण करना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ हर कदम फरमान पर चलकर माया को कुर्बान कराने वाले सहजयोगी होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे हर कदम बेहद के बाप के फरमान पर चलते हैं वो बच्चे बाप के दिल पर राज करते हैं व बाप भी अपने ऐसे बच्चों पर सब कुर्बान करते हैं व उनके आगे विश्व भी कुर्बान हो जाती है , साथ-साथ माया भी कुर्बान हो जाती है व वो सहजयोगी होते हैं ।

 

  ❉   जब अपने श्रेष्ठ स्वमान में रहते हुए फरमान पर चलते हैं तो जन्मजन्मांतर की मुश्किलें सहज समाप्त हो जाती हैं व माया भी भाग जाती है और सहजयोगी होते हैं ।

 

  ❉   जिससे दिल का स्नेह होता है तो उसकी आज्ञा सिर माथे व उसके कुछ भी करना पडे खुशी से व सहज ही करते है । ऐसे हमारा बेहद के बाप से दिल का स्नेह होता है तो हमेशा ऐवररेडी रह फरमानबरदार बन रहते तो माया पर जीत पाकर  मायाजीत व सहजयोगी होते हैं ।

 

  ❉   जो हर कदम श्रीमत पर चलते व बाप की हजार भुजाओं की छत्रछाया में रहते हैं तो ऐसे आज्ञाकारी फरमानदार बच्चें किसी बाहरी आकर्षण में या माया से वार नहीं खातेव सहजयोगी होते हैं ।

 

  ❉   जो सहज ही अपने स्वमान रूपी आसन पर विराजमान रहते सदा बालक सो मालिक की स्मृति रहते हर फरमानबरदारी निभाते है व माया को भी कुर्बान कर सहजयोगी होते हैं ।

 

  ❉    हर फरमान पर चलते सदा अपना लक्ष्य ऊँचा रखते कि 16 कला सम्पूर्ण बनना ही है सच्चे सच्चे सदगुरु का शिष्य बनना ही है तो उन पर माया भी कुर्बान हो जाती और वह सहज योगी बन जाते ।

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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ स्वयं के परिवर्तन से अन्य आत्माओं का परिवर्तन करना ही जीयदान देना है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जैसे बाप निराकार सो साकार रुप में पार्ट बजाते हैं । उसी प्रकार हम भी निराकार सो साकार रुप में पार्ट बजा रहे हैं । इस बात को जब सदा समृति में रखेंगे कि यह साकार सृष्टि, साकार शरीर एक स्टेज है और सब आत्माएं पार्टधारी हैं । इसलिए मुझे केवल अपने पार्ट पर अटेंशन देना है और अपने एक्यूरेट पार्ट द्वारा अन्य आत्माओं को परिवर्तन कर उन्हें जीयदान देना है । तो स्वपरिवर्तन से विश्व परिवर्तन सहज ही कर सकेंगे ।

 

 ❉   मैं विशेष हीरो पार्टधारी आत्मा हूं । इस बात को सदा समृति में रख, जब सोच और कर्म में समानता लाकर पुराने स्वभाव संस्कारों को चेक करसेकंड में चेंज करने की प्रतिज्ञा कर बाप समान बनेंगे । तो स्वयं का परिवर्तन अनेक आत्माओं का परिवर्तन कर, विश्व परिवर्तन का आधार बन अनेक आत्माओं को जीयदान प्रदान करेगा ।

 

 ❉   अपने सतोप्रधान पार्ट में अर्थात अपनी श्रेष्ठ स्थिति में जब स्थित रहेंगे तो तमोगुणी आत्माओं के संग के रंग के प्रभाव से बचे रहेंगे । और बाप के श्रेष्ठ संग का रंग सभी कमी कमजोरियों को समाप्त कर स्वयं में ऐसा परिवर्तन ले आएगा । जिसे देखकर अन्य आत्माओं में स्वत: परिवर्तित होने लगेगा ।

 

 ❉   जितना गुणग्राही बनेंगे उतना दूसरों की कमी कमजोरियों को देखने के बजाए उनमें गुण देखेंगे और एक दो को गुणों का दान देते रहेंगे । जिससे किसी के अवगुण चित पर नहीं आएंगे । स्वयं की कमी कमजोरियां समाप्त होती जाएंगी । और स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन की दिशा को बल मिलेगा ।

 

 ❉   अपनी ऊँची अवस्था पर स्थित होकर जब इस बेहद ड्रामा को देखेंगे तो अपने सहित औरों का भी पार्ट एक खेल अनुभव होगा । और क्या, क्यों, कैसे की क़्यू में उलझने की बजाय मनोरंजन का अनुभव करते रहेंगे तथा दूसरों को बदलने का विचार त्याग स्वयं के परिवर्तन द्वारा सहज ही अन्य आत्माओं को परिवर्तन कर सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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