━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 13 / 04 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

‖✓‖ बाप द्वारा जो °सुख-शांति-पवित्रता° का वक्खर मिला हैं, वह सबको दिया ?

 

‖✓‖ देवताओं जैसा °मीठा° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ जो बापदादा से °प्रतिज्ञा° की है, उसे सदा याद रखा ?

────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

‖✓‖ °सर्व खजानों° को विश्व कल्याण प्रति यूज़ किया ?

 

‖✓‖ °एक की लगन में सदा मगन° रह निर्विघन अवस्था का अनुभव किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °दैवी परिवार को रीगार्ड° दे दैवी परिवार से संतुष्टता का सर्टिफिकेट लिया ?

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

To Read Vishesh Purusharth In Detail, Press The Following Link:-

 

http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/13.04.16-VisheshPurusharth.htm

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप की यह वन्डरफुल हट्टी(दुकान) है जिस पर सब वेरायटी सामान मिलता है उस हट्टी के तुम मालिक हो"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों मेरी सारी सम्पति के खजाने आप बच्चों के है... मै सारे गुणो सुखो का सागर हूँ... और सागर पिता ही पूरा आप बच्चों का है... तो किस कदर भाग्य से भरपूर हो कितनी वन्डरफुल गुणो शक्तियो से सजी यह दुकान आप मालिको की है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो.. मुझ सागर पिता से मिलकर आप बच्चे भी सागर हो चले... मेरी खूबसूरत मिल्कियत के वारिस हो चले... मेरी सारी दुकानों के मालिक हो चले... इस निराली सी दुकान में सब कुछ प्राप्त है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों मेरे सिवाय सुखो का मालिक कोई और आप बच्चों को बना ही न सके... जो पिता लुटाए वह कोई और लुटा ही न सके.... पिता के खजाने पर मालिक बन बेठे हो... आश्चर्य से भरपूर यह मीठे प्यार की जादूगरी सी है...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों मै सारे सुखो को गुणो को शक्तियो को आप बच्चों पर न्यौछावर करने आया हूँ... आपको अपना वारिस बना कारुन खजाने नाम करने आया हूँ... सब कुछ बच्चों को थमा कर भरपूर करने आया हूँ...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों ईश्वर आप बच्चों का मुरीद है...  सब कुछ लुटा देने को आतुर है... वन्डरफुल सी बाप की हट्टी है की सब कुछ यही प्राप्त है... और बच्चे ही मालिक है... जिनके भाग्य को देख पिता बेपनाह ख़ुशी में मुस्कराता है...

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ बाप द्वारा जो सुख- शांति-पवित्रता का बक्खर मिला है,वह सबको देना है । पहले विकारों का दान दे पवित्र बनना है फिर अविनाशी ज्ञानधन दान करना है ।

 

  ❉   एक बेहद का बाप ही है जिसके पास सब कुछ मिलता है वैरायटी सामान । बेहद का बाप ज्ञान का सागर , सुख का सागर, शांति का सागर.....। ये सब कोई दूसरा न दे सका । हम उसके बच्चे मास्टर ज्ञान का सागर, मास्टर सुख का सागर....हैं तो हमें भी सब को देना है ।

 

  ❉   हम दाता के बच्चे मास्टर दाता हैं । बाप ही संगमयुग पर हमें सुख-शांति-पवित्रता सब कुछ देने आये हैं । हमें पढ़ाकर अनमोल अखूट खजानों से भरपूर करते हैं व स्वर्ग का वर्सा देने आए हैं तो हमें बस एक बाप की याद में रह वर्सा पाने का पुरुषार्थ करना है ।

 

  ❉   अपने को देह न समझ देही समझ देही अभिमानी बनना है व परमात्मा बाप को याद करना है । याद के बल से विकारों की कट उतारनी है व आत्मा को पावन बनाना है ।

 

  ❉   बाप ने जो हमें असली स्वरुप की पहचान दी है व मैं कौन हूं मेरा कौन है ,84 के चक्र का, स.ष्टि के आदि मध्य अंत का जो अविनाशी ज्ञान धन दिया है ये अविनाशी ज्ञान धन का दान देते रहना है ।

 

  ❉   पवित्र बनने के अपने पांचो विकारों का दान देना है । बाप  कहते रहते है कि अपना सब कुछ मुझे दे दो तो हमें अपने पुराने स्वभाव संस्कारों व विकारों को दान दे देना है पुराना छोड़ेंगे तभी तो नया धारण कर पायेंगे । अविनाशी ज्ञान धन ठहराने के लिए बुद्धि की लाइन को क्लीयर करना है ।

 

  ❉    अभी तक पुकारते आए हे पतित पावन आओ व हमें दुःखों से छुड़ाओ व पावन बनाओ । जब आप आओगे तो हम आप पर बलिहारी जायेंगे व सिवाय तेरे किसी को याद नही करेंगे । तो अब स्वयं बाप आए हैं तो हमें सिर्फ बाप की याद में रहना है व पावन बनना है ।

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ सर्व खजानों को विश्व कल्याण के प्रति यूज करने वाले सिद्धि स्वरुप होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   बाप द्वारा मिले सर्व खजानों से भरपूर होकर उन्हें सर्व आत्माओं के प्रति लगाने वाली व उन्हें भी आप समान बनाने की सेवा करने वाली आत्माऐं सदा विश्वकल्याण कर सिद्धि स्वरुप होती हैं ।

 

  ❉   जो हर संकल्प, बोल, कर्म और समबंध-सम्पर्क में सर्व खजानों की इकॉनामी बन कम खर्च बाला नशीन बनते हैं और सर्व खजानों को स्वयं के और विश्व कल्याण के प्रति यूज करते है वह सिद्धिस्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   बाप से मिले सर्व खजानों से सम्पन्न होते है तो हर कदम पर समर्थ स्थिति का अनुभव करते हैं । सदा हर संकल्प में बाप का साथ व हाथ अनुभव करते हैं व चढ़ती कला का अनुभव करते हैं तो सर्व खजानों को हर आत्मा के प्रति शुभ भावना शुभ कामना रख यूज करते सिद्धिस्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   लोग आज भी अपने विघ्नो को दूर करने के लिए नव रत्नों की अंगूठी पहनते है । हमें तो बाप ने बेहद के खजानों से भरपूर किया है तो जो अपने सर्व खजाने सुख .... शान्ति ईश्वरीय यज्ञ और सर्व के कल्याण के लिए लगाते हैं सिद्धि स्वरूप होते हैं

 

  ❉   जैसे बाप कखपन देकर लखपन दे देते ऐसे फॉलो फादर करने वाले अपने सर्व खजाने विश्व कल्याण में लगाने वाले सिद्धि स्वरूप होते है

 

  ❉   मैं सर्व की सहयोगी आत्मा हूँ मुझे सर्व का सहयोग करते हुए मनसा वाचा कर्मणा सेवा करनी है । दुःखी और अशान्त आत्माओं को शान्ति और सुख की साकाश देनी है गुण ग्राही बन सबको आगे बढाना है मा० ज्ञानसूर्य बन अज्ञानता से आत्माओ को बाहर निकालना है ।  ऐसे विघ्न विनाश्क बन अपने सर्व खजाने विश्व कल्याण में लगाने वाले सिद्धि स्वरूप होते है ।

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ एक की लग्न में सदा मगन रहो तो निर्विघ्न बन जाएंगे... कैसे ?

 

 ❉   अपना बुद्धि रुपी हाथ जब परमात्मा के हाथ में दे देंगे तो समस्याओं रूपी परीक्षाओं के सागर में भी हमारी जीवन रूपी नैया डूबेगी नहीं । क्योंकि परमात्मा बाप स्वयं खिवैया बन हमारी जीवन रूपी नैया को पार ले जाएंगे । लेकिन यह जीवन रूपी नैया तभी पार होगी । जब निरंतर बाप की लगन में मगन रहेंगे । जब बुद्धि रूपी हाथ मजबूत होगा तभी निर्विघ्न बन हर विघ्न को समाप्त कर सकेंगे ।

 

 ❉   हर संकल्प, हर बात में जब न्यारे होते जाएंगे और बाबा की शिक्षाएं हमारे संस्कार में आकर स्वरुप बन जाएंगी । तो कदम - कदम पर परमात्मा बाप के साथ का अनुभव और साथ के अनुभव की शक्ति हमारे अंदर भरती जाएगी । जो कार्य व्यवहार में एवरेडी और इतना हल्का बना देगी कि निर्विघ्न बन आने वाले हर विघ्न को सहजता से पार कर एक बाप की लगन में मगन रह सकेंगे ।

 

 ❉   जब बाप समान अनासक्त वृति को धारण कर, नष्टो मोहा स्मृति स्वरूप बन जाएंगे । तो अंश मात्र भी कोई चिंता चित पर प्रभाव नहीं डालेगी । स्वयं को निमित्त समझ करनकरावन हार बाप की लगन में मग्न हो, हर कार्य में ईजी रहेंगे तो बाप के साथ का अनुभव निर्विघ्न बनाकर हर कार्य में सफलता मूर्त बना देगा ।

 

 ❉   जब दुनिया के विनाशी सहारे छोड़ एक अविनाशी परमात्मा बाप को सहारा बना लेंगें और सर्व संबंधों का सुख परमात्मा बाप से लेते रहेंगे । तो मन बुद्धि सांसारिक आकर्षणों से हटती जायेगी और बुद्धि की तार एक परमात्मा के साथ जुड़ती जायेगी । और बाप की लगन में मगन होकर बाप के सहयोग से हर विघ्न पर विजय प्राप्त कर निर्विघ्न बन जाएंगे ।

 

 ❉   जैसे बिजली की शक्ति ऐसा करेन्ट लगाती है जो मनुष्य नजदीक से दूर जाकर गिरता है । इसी प्रकार ईश्वरीय करेन्ट भी ऐसी शक्ति है । जो हर विघ्न को दूर कर देती है । लेकिन यह ईश्वरीय करेन्ट तभी मिलेगी जब कनेक्शन ठीक होगा । और कनेक्शन तभी ठीक होगा जब चलते फिरते निरंतर एक बाप की लगन में मगन रहेंगे ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━