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❍ 25 / 03 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✗‖ कोई भी °पुराना सम्बन्धी याद° तो नहीं आया ?
‖✓‖ आपस में बहुत बहुत °रूहानी स्नेह° में रहे ?
‖✓‖ °एक्यूरेट और आलराउंडर° बनकर रहे ?
‖✓‖ हर °संकल्प में पुण्य और बोल में दुआएं° जमा करते चले ?
‖✓‖ °मनसा-वाचा-कर्मणा° सेवा की ?
‖✗‖ °ईश्वरीय सर्विस° में बाधा तो नहीं डाली ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सदा °बाप के सम्मुख° रह ख़ुशी का अनुभव किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ °संगमयुग, मूलवतन और स्वर्ग° तीनो की बेगमपुर स्थिति का अनुभव किया ?
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http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/25.03.16-VisheshPurusharth.htm
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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे आपस में बहुत बहुत रूहानी स्नेह से रहना है,कभी भी मतभेद में नही आना है"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों प्यार के सागर से जो अब मिले हो तो प्रेम के प्रतीक बन लहराओ... बहुत मतभेदों में जीकर दुर्गति को पाये हो अब ईश्वरीय साथ का थोडा समय आत्मिक रूप की खूबसूरती के साथ जीकर तो दिखाओ...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो प्यार में रह कर प्यार के सागर का पता बताना है... फूल बन महकना है... स्नेह में सबको डुबोना है... ये दूरियां छोड़ मीठी नजदीकियां अपनानी है....
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों जिस मिठास से मुझ पिता ने आपको भरपूर किया है उसे अपने रिश्तों में छ्लकाओ... किस मीठे बाप के बच्चे हो अपनी चलनी से जहान को बताओ...रूहानी प्रेम के पर्याय बन प्रेम सुधा को बरसाओ....
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चो आपकी चलन पिता का जिक्र हवाओ में भर दे वो खूबसूरती अपने रिश्तों में दिखाओ... आपके कदम पिता की झलक लिए हो... ऐसे रूहानी स्नेह के पैमाने बरसाओ...
❉ मेरा बाबा कहे - पूछे दुनिया की किस मीठे बाप के लाल हो... जो सदा ही ख़ुशी में लालम लाल हो... किस प्रेम के सागर से निकली मीठी नदिया हो.... इस कदर रूहानी मिठास आपस में लिए हुए की हर कोई दांतो तले ऊँगली दबाये और फुसफुसाए...हमे भी ऐसा ही मीठा बनना है...
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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢ बापदादा की दिल पर चढ़ने के लिए मनसा-वाचा-कर्मणा सेवा करनी है । एक्यूरेट और आलराउण्डर बनना है ।
❉ बापदादा रोज ज्ञान रत्नों के अखूट खजानों से झोली भरते हैं । उन्हें स्वयं में धारण कर ज्ञान रत्नों का दान करना हैं । लौकिक में कहते भी हैं कि दे दान तो छूटे ग्रहण । जो सर्विस में तत्पर रहते हैं वही बापदादा के दिल पर राज करते हैं ।
❉ जैसे साईंस के साधनों से दूर बैठे व्यक्ति से बात करके समीपता का अनुभव करते हैं । ऐसे ही दुःखी अशांत आत्माओं को देखते ही लगता है जैसे बाप ने हमें दुःखी पतित दुनिया से निकाल हमारा कल्याण किया है हमें भी इनका बाप से मिलाकर कल्याण करना है ।
❉ जिन बच्चों का बाप से सच्चा सच्चा लव होता है व दिल में सच्चाई सफाई होती है तो उनका हर कर्म संकल्प बाप के लिए होता है तो वे बाप के दिलतख्तनशीं होते हैं ।
❉ लौकिक में भी कोई बच्चा तन मन धन से बाप की सेवा के लिए हमेशा हाजिर रहता है तो माँ बाप की आँखों का तारा होता है । हमें तो बेहद का बाप मिला है व हमें बाप की श्रीमत पर चलते हुए बाप के दिल पर राज करने के लिए मनसा-वाचा-कर्मणा सेवा करनी है व ईश्वरीय सेवा मिलना बहुत लाटरी है ।
❉ अपने को बस निमित्त समझ जो भी सेवा मिले उसें करनकरावनहार की ही सेवा है ये समझ अपना भाग्य बनाना है । सेवा कोई छोटी बड़ी नही समझनी व हर सेवा में आलराउण्डर बनना है । हांजी का पाठ पक्का कर बाप के दिल पर राज करना है ।
❉ बाप की श्री मत पर चल ज्ञान, योग, सेवा और धारणा चारों में एक्यूरेट बन आलराउण्डर बनना है । भविष्य 21 जन्मों की राजाई पद पाने के लिए एक्यूरेट पुरुषार्थ करना है ।
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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ सदा बाप के सम्मुख रह खुशी का अनुभव करने वाले अथक और आलस्य रहित होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ किसी भी संस्कार या स्वभाव को परिवर्तन करने में दिलशिकस्त होते वे सदा बाप के सम्मुख रहते और खुशी का अनुभव करते हैं । उनके मन में दुःख की लहर नही आ सकती । इसलिए अथक और आलस्य रहित होते हैं ।
❉ दुनिया वाले तो भगवान के क्षणभर के दर्शन को तरसते हैं न जाने कहां कहां भटकते रहते हैं । वहीं ऊंच ते ऊंच भगवान नेहमें अपना बनाया है व हमारा साथी है। ऐसे बाप के सदा सम्मुख रह सदा खुशी का अनुभव करते है । अपने सब बोझ उसे सौंप बेफिकर बादशाह बन अथक और आलस्य रहित होते हैं ।
❉ जब करनकरावनहार साथी है हरपल उसके प्यार से भरपूर होकर हर कार्य को निमित्त भाव से करते हुए सदा खुशी में रहते है और किसी कार्य में उन्हें मेहनत नहीं लगती व आलस्य रहित होते हैं ।
❉ जो पाना था सो पा लिया अब क्या बाकि रह गया । सारी सृष्टि की पालना करने वाला मेरे सम्मुख है व सर्व सम्बंध मेरे उसी से है तो जो प्यारा होता है उसे याद नहीं करना पडता बस नयनों में समाया रहता है व सम्मुख है तो अलौकिक अपार खुशी रहती है ।
❉ सदा स्वयं को शक्तिशाली समझते हर संकल्प में सेवाऔर हर बोल में बाबा की याद हर कर्म बाप जैसा करने वाले अथक और आलस्य रहित होते है ।
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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सिद्धि स्वरूप बनने के लिए हर संकल्प में पुण्य और बोल में दुआयें जमा करते चलो... क्यों और कैसे ?
❉ यज्ञ सेवा में तन, मन, धन से स्वयं को समर्पित कर जितना परमात्म कार्य में मददगार बन अनेकों आत्माओं का कल्याण करेंगे उतना हर संकल्प में पुण्य और बोल में दुयायें जमा होती जायेंगी जो आत्मा को सिद्धि स्वरूप बना देंगी ।
❉ सर्व के शुभ चिंतक बन जब सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रखते हुए उन्हें परमात्म ज्ञान और परमात्म पालना का अनुभव करायेंगे तो उनके दिल से निकली दुआयें आत्मा को सिद्धि स्वरूप बना देंगी ।
❉ हर संकल्प में पुण्य और बोल में दुयायें तब जमा होंगी जब अपकारियों पर भी उपकार करने की भावना रख अपने शुभ और श्रेष्ठ वायब्रेशन से उनका भी कल्याण करेंगे और उनकी दुयायो के पात्र बनेंगे तभी सिद्धि स्वरूप आत्मा बन सकेंगे ।
❉ जब बुद्धि योग केवल एक सर्वशक्तिवान बाप के साथ होगा तो सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बन, स्वयं संतुष्ट रह सर्व आत्माओं को सहयोग और दिल का स्नेह दे कर उन्हें भी संतुष्ट कर पायेंगे जिससे हर संकल्प में पुण्य और बोल में दुयायें जमा होती जायेगी और आत्मा सिद्धि स्वरूप बनती जायेगी ।
❉ मास्टर क्षमा का सागर बन जो सर्व आत्माओं की कमी कमजोरियों को स्वयं में समा लेते हैं और गुण ग्राही बन उनके गुणों को पहचान उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं वे सहज ही हर संकल्प में पुण्य और बोल में दुयायें जमा कर सिद्धि स्वरूप आत्मा बन जाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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