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   07 / 03 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ हृदय को °शुद्ध पवित्र° बनाने पर विशेष अटेंशन दिया ?

 

‖✓‖ °ईश्वरीय परिवार° से सच्चा लव रखा ?

 

‖✓‖ "°एक बाप दूसरा न कोई°" - इस गारंटी में पक्की रहे ?

 

‖✓‖ पूरा °वफादार फरमानबरदार° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ कोई भी भूल होने पर °बाप से क्षमा° ली ?

 

‖✗‖ सत्य के साथ °असत्य को मिक्स° कर ख़ुशी को गायब तो नहीं होने दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ सतोप्रधान स्थिति में स्थित रह °सदा सुख शांन्ति° की अनुभूति की ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ संकल्प के खजाने के प्रति °एकानामी के अवतार° बनकर रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - ऊँच पद पाना है तो सच्चे बाप संग सच्चे रहो कोई भी भूल हो तो बाप से क्षमा ले लो अपनी मत पर नही चलो"

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - बच्चे असत्य ने कितना बुरा हाल किया है... अब सम्भल जरा... सारी भूलो को... मै माफ़ कर श्रेष्ट भाग्य... ऊँच पद दिलाऊंगा... अपने पिता की श्रेष्ट मत पर चल... खोयी जागीर को पुनः पा ले...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - आत्मन बच्चे... आसुरी मत ने मेरे देवतुल्य बच्चों को झूठ पर चला बेहाल किया है... अब और न भटको... मै क्षमा का सागर सारी नादानियों को माफ़ कर दूंगा... श्रीमत का साथ वही देवताई ताज दिलाएगा...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरी श्रीमत तुम बच्चों को सोने जैसा चमकता बनाएगी... सच के राही बनो... गलतियो को न दुहराने का वादा कर सुंदर जीवन के अधिकारी बनो...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - यह क्षमा... यह स्वीकारोक्ति... तुम्हे निर्मल बनाएगी और सुख के सागर में लहरायेगी... अब सत्य को अपना कर अपना जीवन श्रेष्ट बनाओ... मै पिता हूँ सब माफ़ कर दूंगा... सच्चे दिल से गलती स्वीकार करो और आगे बढ़ो...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - बच्चों मै क्षमा का सागर... अपने भूले बच्चों को श्रीमत रुपी... साथ से कुंदन बनाने आया हूँ... अब असत्य का दामन छोडो... और श्रेष्ट भाग्य... ऊँच पद से जीवन गुल गुल बना लो...

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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ सच्चाई से बाप की सर्विस में लग जाना है । पूरा वफादार , फरमानबरदार बनना है।ईश्वरीय परिवार से सच्चा लव रखना है ।

 

  ❉   बाप स्वयं निरहंकारी होकर बच्चों की सेवा में हमेशा तत्पर रहता है तो हमें भी बाप से सच्चा- सच्चा बन सर्विस में लग जाना है । जैसे बाप अपने बच्चों को आप समान बनाने की सेवा करता है ऐसे हमें भी आप समान बनाने की सेवा करनी है ।

 

  ❉   बाप स्वयं टीचर बन हमें पढ़ाकर पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि बना रहा है व नॉलेजफुल बना रहे हैं तो उस पढ़ाई को पढ़कर उसे अच्छे से धारण कर प्रेक्टिकल स्वरुप से सेवा करनी है व औरों को पढ़ाकर उनका कल्याण करना है ।

 

  ❉   हमें बेहद के बाप की सुबह से शाम तक मर्यादाओं पर चलते हुए श्रीमत को सरमाथे रख उन की सम्पूर्ण पालना करते हुए पूरा वफादार , फरमानबरदार बनना है ।

 

  ❉   हर आत्मा के प्रति आत्मिक भाव रखते हुए कि ये भी मेरे मीठे बाबा का मीठा बच्चा है व ऐसे सब के साथ मीठा व सच्चा लव रखना है ।

 

  ❉   लौकिक में भी जो बच्चा मात पिता के साथ सच्चा सच्चा वफादार व फरमानबरदार होता है उसे ही माता पिता अपने खजानों की चाबी देते हैं । ऐसे ही हमें सच्चाई व सफाई से ज्ञान रत्नों को बांटने की सेवा कर ईश्वरीय परिवार का लवलीन बच्चा बनना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ सतोप्रधान स्थिति में स्थित रह सदा सुख शांति की अनुभूति करने वाले डबल अहिंसक होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जब देहभान से परे होते हैं व देही- अभिमानी स्थिति में होते हैं तो ऐसी आत्मा अपने सभी गुणों से सम्पन्न होती है तो आत्मा अपने सभी गुणों से सम्पन्न होती है सतोप्रधान स्थिति में स्थित रह सदा सुख शांति की अनुभूति कर डबल अहिंसक होती है ।

 

  ❉   जो श्रीमत का सम्पूर्ण रीति से पालन करते हैं व सत का संग करते हुए सत्य की जीवन नैया पर सवार होते सदा सुख शांति की अनुभूति करते डबल अहिंसक होते हैं ।

 

  ❉   सतोप्रधान स्थिति में रहते वाले दुःख की दुनिया में रहते हुए भी मनसा वाचा कर्मणा किसी को दुःख नही देते । सदा सुख की अनुभूति करते और कराते हैं ।

 

  ❉   जब आत्मा को सतोप्रधान बनाने के लिए ज्ञान योग का इंजेक्शन लगाते रहते हैं व बुद्धि का कनेक्शन एक बाप से ही जुडा रहता है तो सुख शांति का अनुभव कर डबल अहिंसक होते हैं ।

 

  ❉   जब श्रेष्ठ चिंतन , श्रेष्ठ संकल्प व सिर्फ एक बाप से ही सर्व सम्बंध रखते हैं व याद की यात्रा से आत्मा को पावन बनाते हैं तो आत्मा सतोप्रधान होती जाती है । ऐसी स्थिति में रहकर सुख शांति की अनुभूति करने वाले डबल अहिंसक होते हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सत्य के साथ असत्य मिक्स होते ही ख़ुशी गायब हो जाती है... क्यों ?

 

 ❉   सत्य की हमेशा जीत होती है किन्तु सत्य के साथ जब असत्य मिक्स हो जाता है तो कदम - कदम पर मिलने वाली हार व्यक्ति को दिलशिक्स्त बना देती है जिससे उसकी ख़ुशी गायब हो जाती है ।

 

 ❉   जहां सत्य है वहां परमात्म मदद से हर कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न होता है ।  लेकिन सत्य के साथ जब असत्य मिक्स हो जाता है तो परमात्म मदद ना मिलने से हर कार्य में असफलता का मुंह देखना पड़ता है और असफलता ख़ुशी को गायब कर देती है ।

 

 ❉   सदा ख़ुशी का अनुभव वही कर सकता है जो संतुष्ट है और संतुष्ट वही रह सकता है जो सदा सच की राह पर बिना रुके निरन्तर चलता रहता है । किन्तु सत्य के साथ असत्य मिक्स हो जाने से व्यक्ति सदा असन्तुष्ट रहता है और असन्तुष्टता व्यक्ति की ख़ुशी छीन लेती है ।

 

 ❉   सत्यता व्यवाहर में सरलता लाती है और मनुष्य को नम्र बनाती है और नम्र व्यवहार सहज ही सर्व का दुयाओं का पात्र बना कर ख़ुशी से भरपूर कर देता है । किन्तु सत्य के साथ असत्य मिक्स हो जाने से व्यक्ति सरल चित नही बन पाता और ख़ुशी से वंचित रह जाता है ।

 

 ❉   सत्य को किसी प्रमाण की आवश्यकता नही होती किन्तु सत्य में असत्य मिक्स होने से झूठ को सच साबित करने के लिए अनेको प्रमाण देने पड़ते हैं और यह प्रमाण एकत्रित करने में ही व्यक्ति अपनी सारी ख़ुशी गंवा देता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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