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 11 / 09 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ एकांतवासी बन एकाग्रता की शक्ति को बढाया ?

 

➢➢ समय प्रमाण परिवर्तित होने की बजाये सवा के श्रेष्ठ संकल्प से स्वयं को परिवर्तित किया ?

 

➢➢ सेवाकेंद्र और प्रवृति के स्थान को शांतिकुंड बनाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ शांत स्वरुप में स्थित रहे और सर्व आत्माओं को शांति का अनुभव करवाया ?

 

➢➢ परखने की शक्ति माया के रॉयल ईश्वरीय रूप को परखा ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

 ➢➢  "परखने और निर्णय शक्ति का आधार - साइलेन्स की शक्ति"

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे आप आत्माओ का अनादि स्वरूप है शांत है... जितना अपने स्वरूप में स्तिथ हो चलेंगे एकाग्र होंगे... यह एकाग्रता परखने और निर्णय शक्ति को बढ़ा देगी... साइलेन्स शक्ति के जादू को अनुभव करो... और इस  शक्ति से सदा का जादू कर दिखाओ... और विघ्न विनाशक बन मुस्कराओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा संग मीठी यादो में डूब अपने अनादि सुंदर शांत स्वरूप में स्तिथ होकर सारी शक्तियो को स्वयं में भर रही हूँ... मै आत्मा सभी स्तिथियों में शांत हल्की होकर पार्ट बजा रही हूँ...

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे शांति की शक्ति के धनी बन प्रयोगी बनो... यह शक्ति जादूगरी है... सारे कार्य सिद्ध हो चलेंगे... रेत में हरियाली सा जादू हो चलेगा... कम समय में महान कार्य हो चलेंगे... क्रोध की ज्वाला को शांत करने वाली इस अनोखी शक्ति के जादूगर से बन चलो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा साइलेन्स की शक्ति की प्रयोगी बन मुस्करा रही हूँ... सब जगह हर कार्य में विजेता हो चली हूँ... महानता चहुँ ओर बिखर चली है... मै आत्मा हर बात को परख और सही निर्णय करती जा रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... सदा एवररेडी का पाठ पक्का कर समेटने की शक्ति को बढ़ा चलो... सदा श्रेष्ठ स्तिथि और सर्व शक्तियो के अलंकार को धारण कर चलो... सदा महावीर मायाजीत प्रकृतिजीत बन चलो...समय की पहचान से समर्थ आत्मा और ज्ञान की धारणा से ज्ञानी आत्मा की झलक दिखाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा बाबा के मिलने से महावीर बन मुस्करा रही हूँ... खुशियो में उड़ती ही जा रही हूँ... समय साँस संकल्प को प्यारे बाबा पर लुटाती जा रही हूँ... समर्थ ज्ञानी आत्मा बन अचानक एवररेडी का पाठ पक्का कर... विजेता होती जा रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )

 

❉   "ड्रिल - अनादि लक्षण की स्मृति द्वारा सर्व समस्याओं का हल करना"

 

➳ _ ➳  स्वयं को भृकुटी के मध्य चमकता हुआ दिव्य सितारा महसूस करें अपने आप को... अब मैं आत्मा अपने अन्दर की इस शांति की शक्ति को महसूस कर रही हूँ... मैं आत्मा शांत स्वरूप हूँ... शांति ही मुझ आत्मा की नेचुरल नेचर है... शांति ही मुझ आत्मा का संस्कार है... मुझ आत्मा का स्वदेश भी स्वीट साइलेन्स होम है... मैं आत्मा वाणी से परे की अवस्था निर्वाण स्थिति का अनुभव कर रही हूँ... स्वयं बाबा ने मुझ आत्मा को इस संगमयुग की महान वेला में आकर मुझ आत्मा को मेरे अनादि लक्षण - ("शांत स्वरूप रहना और स्व को शांति देना") की स्मृति दिलाई है... मैं आत्मा अपने इस अनादि लक्षण को स्मृति में रख विश्व की सर्व समस्याओं को समाप्त कर सबको शांति की अनुभूति करा रही हूँ... उन्हें साइलेनस होम की याद दिला रही हूँ... उनका शांति के सागर बाबा से मिलन करा रही हूँ... पूरे विश्व में शांति स्थापित हो रही है... पुरी दुनिया पीस हाउस बनती जा रही है... चारों ओर हाहाकार से जयजयकार हो रही है...

 

❉   "ड्रिल - शांति की शक्ति"

 

➳ _ ➳  सभी संकल्पों से किनारा कर टिक जाएं अपने स्वरूप में अपने स्वधर्म में चले जाये बिल्कुल डीप सांइलेनस में... सिर्फ अपने अन्दर की इस डीप साइलेनस को अनुभव करें... मैं आत्मा शांति की शक्ति को महसूस कर रही हूँ... जितना मैं आत्मा इस शांति की शक्ति की गहराई मे जा रही हूँ... आटोमैटिकली ये महान शक्ति मुझ आत्मा के संकल्प, बोल, कर्म में आ गयी है.... मैं आत्मा स्वयं को मास्टर शांति देवा की स्टेज पर अनुभव कर रही हूँ... जहाँ भी अब मैं आत्मा जाती हूं वो सेवा स्थान शांति कुंड बन जाता है... ये शांति कुंड अनेक आत्माओं को शांति की अनुभूति की तरफ आकर्षित कर रहे है... वे आकर्षित होकर स्वयं इन सेवा स्थानों पर आ रहे है... मैं आत्मा मास्टर शांति देवा की एक दृष्टि उन आत्माओं को शांति की शक्ति की अनुभूति करा रही हूँ... उन्हे उनके असली घर की समृति दिला रही हूँ... इसी शक्ति द्वारा मैं आत्मा बाबा से उनका मिलन करवा रही हूँ...

 

❉   "ड्रिल - नॉलेज और अनुभव की डबल अथारिटी द्वारा रमता योगी की स्थिति अनुभव करना"

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा ईश्वरीय संतान हूं... चैतन्य लाइट माइट हाऊस हूं... मैं अविनाशी पिता की परमात्मा शिव की अजर अमर संतान निराकारी आत्मा हूं... मैं आत्मा मन बुद्धि की मालिक हूं... ये सब भूली हुई विस्मृतियों की प्यारे बाबा ने स्मृति दिलाई है... इस संगमयुग के अलौकिक जन्म में ही परमात्मा शिव बाबा सृष्टि के आदि मध्य अंत की नॉलेज दे रहे है... मैं ईश्वरीय संतान होने से अपने पिता की सर्व शक्तियों, सर्व खजानों की मालिक बनती जा रही हूं... प्यारे परमपिता शिव बाबा ही मेरा संसार है... वे ही मेरे माता-पिता, टीचर, सतगुरु, बंधु, सखा है... मुझे अपना बनाकर सर्व सम्बंधों से अपनाकर अविनाशी खुशी प्रदान कर दी है... अब मुझ आत्मा का विनाशी दैहिक रिश्तों से कोईलगाव नही है... मैं आत्मा अपनी सब जिम्मेवारी प्यारे बाबा को देकर हल्का महसूस कर रही हूं... प्यारे बाबा से सर्वशक्तियों से भरपूर होकर मैं आत्मा पवित्रता के बल से सदैव बाबा का साथ अनुभव करती हूं... सदैव निश्चिंत बेफिकर रहती हूं... मेरे श्वांस श्वांस में बस बाबा ही समाए है... मैं मस्त फकीर हूं... जैसे बाबा चलावे, खिलावे, बिठावे... स्वयं सर्वशक्तिमान हजार भुजाओं वालामेरे साथ है तो मैं क्यूं चिंता करुं... मैं नॉलेज और अनुभव की अथारिटी से रसता योगी की स्थिति अनुभव कर रही हूं...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- मैं ज्ञानी तू आत्मा हूँ ।"

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा ज्योतिर्बिंदु हूँ... मुझ आत्मा को अपने असली स्वरुप की पहचान परमपिता परमात्मा ने दे दी है... इस संगमयुग पर प्यारे शिव बाबा ने अपना बच्चा बनाकर मुझ आत्मा को घोर अंधियारे से निकाल ज्ञान का तीसरा नेत्र दे दिया है... मुझ आत्मा को कर्मो की गुह्यी गति का ज्ञान मिल गया है...

 

 ➳ _ ➳  मैं आत्मा अपना हरपल बाबा की याद में सफल करने लगीं हूँ... मैं आत्मा परमात्मा के ज्ञान की गुह्यता को जानकर उसका स्वरुप बनने वाली ज्ञानी तू आत्मा होने का परिचय देती हूँ... मैं आत्मा स्वयं को चमकता हुआ सितारा देखती हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं सदा अशरीरीपन अवस्था का अभ्यास करने वाली योगयुक्त आत्मा हूँ... मैं अपने को आत्मा समझ बाप को याद करने वाली आत्मा अभिमानी आत्मा हूँ... मैं परमात्मा को जानकर सम्पूर्ण श्रीमत पर चलकर उसका स्वरुप बनने वाली ज्ञानी तू आत्मा होने की सीट पर सेट हो रहीं हूँ ।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  ज्ञान की गुह्य बातों को सुनकर उन्हें स्वरूप में लाने वाले ज्ञानी तू आत्मा होते हैं...  क्यों और कैसे?

 

❉   ज्ञान की गुह्य बातों को सुन कर उन्हें स्वरूप में लाने वाले ज्ञानी तू आत्मा होते हैं क्योंकि ज्ञानी तू आत्मायें हर बात की गहराई से उसके स्वरूप का अनुभव करती है। जैसे सुनना अच्छा लगता हैतो उसके साथ साथ समाना भी अच्छा लगना चाहिये।

 

❉   इसलिये!  जैसे सुनना अच्छा लगता है, गुह्य भी लगता है। उसी प्रकार सुनने के साथ साथ समाना अर्थात उसका स्वरूप बनना भी अच्छा लगना चाहिये तथा इस बात का हमें अभ्यास भी होना चाहिए क्योंकि  अभ्यास करते रहने से जड़मति भीसुजान बन जाता है। अंग्रेजी में भी कहते हैं न कि...  practice make a mans parfact.

 

❉   मैं आत्मा निराकर हूँ। जिस प्रकार हम बार बार इस बात को सुनते हैं कि मैं आत्मा निराकार हूँ। तो इस वाक्य को केवल सुनना ही नहीं हैलेकिन!  हमें इस वाक्य को अपने अनुभव में उतारना है। अर्थात!  हमें अपने निराकारी स्वरूप में स्थित हो कर, उस स्वरूप का अनुभवी मूर्त बनना है।

 

❉   क्योंकि हमारे पास जैसी भी पॉइंट्स हैहमें वैसा ही अनुभव भी करना है। अनुभव करने से हम उस स्वरूप में निरन्तर स्थित हो सकेंगे तथा निरन्तर निराकारी अवस्था में सहज ही रह सकेंगे और फिर निरन्तरता का अभ्यास हमें सहज ही आत्मअभिमानी बना देगा।

 

❉   इस प्रकार से हमारा शुद्ध संकल्पों का खाता भी जमा होता जायेगा और हमारी बुद्धि भी श्रेष्ठ कार्य में बिजी रहेगी तो!  व्यर्थ संकल्पों से हमारा सहज ही किनारा हो जायेगा। इसलिये हमें ज्ञान की गुह्य बातों को सुनकर तथा उन बातों का स्वरूप बन कर अनुभवी बनना है। अनुभवीमूर्त बनने वाले  ही स्वाभाविक तौर से ज्ञानी तू आत्मा कहलाते हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  नॉलेज एवं अनुभव की डबल अथॉरिटी वाले ही मस्त फकीर रमता योगी है... क्यों और कैसे ?

 

❉   जो ज्ञान की प्वाइंट्स को सुनने सुनाने के साथ - साथ उन्हें अपने अंदर समा लेते हैं अर्थात ज्ञान की हर प्वाइंट को धारणा में ला कर धारणामूर्त बन जाते हैं तो धारणाओं की रॉयल्टी उनके चेहरे और चलन से सर्व आत्माओं को स्पष्ट दिखाई देती है । नॉलेज और अनुभव की यह डबल अथॉरिटी उन्हें ऐसा मस्त रमता योगी बना देती है कि सर्व आत्माएं सहज ही उनकी और आकर्षित होने लगती है ।

 

❉   मस्त फकीर रमता योगी वह होता है जो अपनी ही मस्ती में ऐसा खो जाता है कि उसे कोई सुध - बुध ही नही रहती । जैसे शमा पर परवाना फ़िदा हो जाता है और उसकी लौ में ही जल कर अपने प्राण दे देता है ऐसे ही ज्ञान को अनुभव में लाने वाले अनुभवीमूर्त बन परमात्म प्रेम के नए नए अनुभवो का रस प्राप्त करते हैं और रोज नए नए अनुभवों का रस पी कर मस्त फकीर रमता योगी बन जाते हैं ।

 

❉   भक्ति मार्ग में गाते हैं कि " चढ़े तो चाखे प्रेम रस, गिरे तो चकना चूर " अर्थात जो परमात्मा का हाथ पकड़ कर ऊपर चढ़ता है वह परमात्म प्रेम रूपी अमृत को चख कर अमर हो जाता है । वही ज्ञान अमृत परमात्मा बाप हर रोज मुरली के माध्यम से हम बच्चों को पिलाते हैं । जो इस ज्ञान अमृत को रोज पीते हैं औए ज्ञान की खुमारी में डूबे रहते हैं वे ज्ञान का स्वरूप बन, ज्ञान और अनुभव की डबल अथॉरिटी वाले मस्त फकीर रमता योगी बन जाते हैं ।

 

❉   बाबा का बच्चा बनते ही बाबा ज्ञान के अखुट खजानों से हर बच्चे को भरपूर कर देते हैं किन्तु जो बच्चे ज्ञान के इन खजानो को स्वयं जीवन में धारण कर फिर औरों पर भी ज्ञान के खजाने लुटाते हैं वे ज्ञान के साथ साथ अनुभव की भी अथॉरिटी प्राप्त कर लेते हैं ।ज्ञान और अनुभव की डबल अथॉरिटी से वे ऐसे मस्त फकीर रमता योगी बन जाते हैं कि उनका योगी स्वरूप अनेको को बाबा का साक्षात्कार कराने के निमित बन जाता है ।

 

❉   जैसे किसी को स्थूल धन की प्राप्ति होती है तो उसकी ख़ुशी उसके चेहरे से स्पष्ट दिखाई देती है जो अन्य लोगो को भी स्पष्ट अनुभव कराती है कि उसे कुछ मिला है भले वह धन विनाशी है । लेकिन हमे तो परमात्मा बाप से अविनाशी ज्ञान रत्न मिलें है । जो इन ज्ञान रत्नों को जितना ज्यादा अपने जीवन में धारण करते हैं उतना प्राप्ति का नशा और ख़ुशी उनके जीवन में सहज ही दिखाई देती है । जो उन्हें मस्त फकीर रमता योगी बना देती है ।

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⊙_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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