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 12 / 07 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ तन-मन-धन सब समर्पण कर ट्रस्टी होकर रहे ?

 

➢➢ विकर्माजीत बनने का पुरुषार्थ किया ?

 

➢➢ निरंतर याद में रहने का पुरुषार्थ किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ अलोकिक खेल और खिलोनो से खेलते हुए सदा शक्तिशाली बनकर रहे ?

 

➢➢ कोई भी ×संसार समाचार× सुना या सुनाया तो नहीं ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ सदा अपने को इस सृष्टि ड्रामा के अन्दर हीरो पार्टधार समझकर चले ?

 

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➳ _ ➳  http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/12.07.16-VisheshPurusharth.pdf

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  "मीठे बच्चे - तुम बाप के पास आये हो अपनी जीवन हीरे समान बनाने, बाप की याद से ही ऐसी जीवन बनेगी"

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे दर दर भटक कर थक कर शक्तिहीन हो चले हो... अपनी सारी चमक को खोकर निस्तेज हो चले हो... मीठा बाबा वही अमूल्य छवि बनाने आया है... वही सुंदरता वही अनोखापन भर कर जीवन फूलो सा खिलाने आया है... उसकी मीठी यादो में डूब जाओ जरा...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै निस्तेज सी आत्मा...  आपकी सुनहरी यादो के प्रकाश में मूल्यों की रौशनी से भरती जा रही हूँ... अपनी खुशनुमा और सदा की खुशहाल स्तिथि को पाकर अमूल्य होती जा रही हूँ....

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे आपने इंसानो को कितना प्यार किया और खुद को खाली और धूमिल ही किया... अब प्यारे बाबा को प्यार करके देखो... उसे जरा बाँहो में भर कर ख़ुशी में मचलकर देखो... यह जीवन हीरे सा अमूल्य न बन जाय तो फिर कहना....

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा रिश्तो में नातो में भटक कर खुद की चमक खो चली थी... अब आपकी मीठी यादो में वही श्रंगार वही सुंदरता को पाती जा रही हूँ... जीवन को मूल्यवान बनाती जा रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चे मेरी मीठी यादो के साये में सुख और शांति भरी छाँव में ही जीवन कीमती हो पायेगा... ये यादे ही जीवन को सुंदरता से सजायेंगी... ईश्वरीय यादो को गहरा करो... जी भरकर बाबा को प्यार करो... और फिर इस सुंदर महकते जीवन में सुखमय रंगो की बहार देखो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके सुखभरे साये तले बेठ निखरती जा रही हूँ... आपकी मीठी यादो में अलौकिकता से भरती जा रही हूँ.... सच्चे सुखो को पाकर अमूल्य होती जा रही हूँ... आपकी यादो ने बाबा कमाल कर दिया है...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )

 

❉   "ड्रिल - सम्पूर्ण समर्पण"

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा ने परमात्मा को बहुत  पुकारा... जप तप किए... इस संगमयुग पर मेरे प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपना बनाया... मुझ आत्मा को सुप्रीम शिक्षक बन पढ़ाते हैं... मुझ आत्मा को पढ़ाकर पतित से पावन बनाते हैं... विश्व का राजाई पद दे रहे हैं... मै आत्मा पुरानी विनाशी सम्बंधों को भूल बस एक प्यारे बाबा को याद करती हूं... मैं आत्मा बाप की श्रीमत पर चलती हूं... मुझ आत्मा आशिक को एक बेहद का माशूक मिला है... बस रुहानी आशिक बन रुहानी माशूक पर ही बलिहारी जाती हूं... मैं आत्मा तन मन धन सब प्यारे बाबा को समर्पण करती हूं... मुझ आत्मा को शरीर सेवार्थ मिला है... मैं आत्मा ट्रस्टी हूँ... निमित मात्र हूँ... मैं आत्मा योगबल से अपने विकर्म विनाश करती हूं... मैं आत्मा अपनी कर्मेन्द्रियों की स्वराज्याधिकारी बन विकर्माजीत अवस्था का अनुभव कर रही हूं...

 

❉   "ड्रिल :- काँटों से फूल बनना"

 

➳ _ ➳  सीधे होकर बैठ जाए खुद को आत्मा निश्चय करे... मैं आत्मा अपने परमपिता परमात्मा शिव बाबा की याद में हूं... प्यारे बाबा की याद से मुझ आत्मा के विकर्म विनाश हो रहे है... मुझ आत्मा की चमक बढ़ रही है... मुझ आत्मा के सातों गुण इमर्ज हो गए है... मीठे बाबा की याद से मैं कांटो से फूल बन गयी हूँ... बाप की मधुर शिक्षाओं से मुझ आत्मा ने दैवीय गुणो को धारण किया है... सदा हर्षित रहती हूँ... मुझ आत्मा में ना किसी के प्रति ईर्ष्या है ना द्वेष... रूहानियत से भरपूर  मुझ आत्मा को अब नई सतयुगी दुनिया में जाना है जो सुंदर बगीचा है... उस फूलों की दुनिया में इस कांटो की दुनिया की कोई चीज़ नही जा सकती... इसलिए मैं बाबा की निरन्तर याद में रह रूहे गुलाब खुशबूदार फूल बन फूलों की दुनिया का अधिकारी बन रही हूँ...

 

❉   "ड्रिल - हद की बातों से उपराम"

 

➳ _ ➳ मैं आत्मा देह से न्यारी हूँ... देह में रहते हुए सदा बाप की ही याद में खोई रहती हूँ... मीठे बाबा को परमधाम में एक टक निहार रही हूँ... बाबा की शांति की किरणे मुझ आत्मा में समा रही है... परमधाम में असीम शांति है पवित्रता है... मुझ आत्मा को परमसुख की अनुभूति हो रही है...  मैं आत्मा अब हद की बातों से उपराम रहती हूँ... इस विनाशी संसार की बाते सुनना और सुनाना अब समय के खजाने को नष्ट करना है... अपने अंदर किचड़ा जमा करने तुल्य है... मुझ आत्मा को परम पवित्र शुद्ध स्थिति का अनुभव कर रही हूं...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- मैं अचल अडोल आत्मा हूँ ।"

 

➳ _ ➳  आराम से बैठ जाएँ और हल्का छोड़ दे अपने शरीर को... ऊँच संकल्पों का निर्माण करें अब... मैं कर्मेन्द्रियों का राजा हूँ... मेेरा नाम है मास्टर सर्वशक्तिमान... मुझ महावीर का रूप है अस्त्र - शस्त्रधारी शक्तिरूप...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा गुणों में सहनशीलता का देवता हूँ ... मैं आत्मा समाने में सम्पन्न हूँ... विस्तार को संकीर्ण कर सार में स्थित बिंदी रूप हूँ... मैं आत्मा सब कुछ समेट कर उपराम और साक्षी द्रष्टा हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं अवगुणों को समाने वाली सहनशीलता को धारण कर नबरवन लेने वाली आत्मा हूँ... मैं हर परिस्थियों का, हर मुश्किलों का सामना करने में महीन हूँ... मैं आत्मा हर मुश्किल को सहज कर परिवर्तन करने वाली करता धर्ता धर्म का प्रतिक हूँ...

 

➳ _ ➳  मेरे प्यारे बाबा ने मुझ भाग्यशाली आत्मा को यह अलौकिक जन्म दिया है... इस अलौकिक जन्म में माया का आना भी मुझ आत्मा के लिए खेल समान है... जैसे शारीरिक शक्ति के लिए खेल कराया जाता है, ऐसे ही अलौकिक युग में मैं आत्मा परिस्तिथियों को अपना खिलौना समझकर उनसे खेलने का अनुभव करती हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा रोज़ अमृतवेले साक्षी बन स्वयं का सर्व शक्तियों से श्रृंगार कर अपना सब कुछ प्यारे बाबा पर बलिहार कर देती हूँ... मैं आत्मा माया के वार से डरती या घबराती नहीं हूँ... यह शक्तिशाली संकल्पों को करते ही मैं आत्मा अचल-अडोल अवस्था का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  अलौकिक खेल और खिलोनो से खेलते हुए सदा शक्तिशाली बनने वाले ही अचल अडोल रहते हैं... क्यों और कैसे ?

 

❉   जैसे लौकिक में कोई खेल खेलते खेलते उसमें निखर जाते हैं वैसे ही ब्राह्मण जीवन में कोई अगर परिस्थिति माया के रूप में भी आए तो उसे खेल समझ खेलने से और स्वयं को उस परिस्थिति से अलग कर खेलने से अर्थात स्वयं को आत्मा अनुभव करेंगे तो परिस्थिति को स्वयं से अलग कर पाएंगे और फिर अचल अडोल बन पार कर सकते।

 

❉   अगर माया ब्राह्मण जीवन में आ रही और हम अगर शक्तिशाली स्थिति में स्थित रह उसे पार कर रहे तो समझना चाहिए हम अलौकिक जीवन में आगे बढ़ रहे। माया हमारे ही स्वभाव संस्कार के रूप में आती है। और अगर हम अचल अडोल बन उसे पार करेंगे तो यानि स्वयं के स्वभाव संस्कार पर विजय पाना और विजयी होने की निशानी है आत्मा के मूल संस्कार इमर्ज होना ।

 

❉   बाबा कहते माया पेपर टाइगर के समान है अर्थात माया कुछ और नहीं हमारे ही संकल्पों द्वारा रचा हुआ पेपर टाइगर है। उससे डरना और घबराना नहीं है। बाप कहते अगर सर्व संकल्प ही बाप पर बलिहार कर दिए अर्थात हर संकल्प में बाप की याद और श्रीमत प्रमाण हो हमारे संकल्प भी शक्तिशाली बन माया के वार से समय पर स्वयं को बचा पाएंगें।

 

❉   परिस्थितियां आती ही हैं हमें ऊँचा उठाने और अगर परिस्थिति को खेल समझ खेलेंगे तो कभी मन बुद्धि से थकान नहीं होगी । खेल समझ खेलने से कभी परिस्थिति के प्रभाव में नहीं आएँगे जिस वजह से अचल अडोल रह परिस्थिति को पार कर लेंगे।

 

❉   माया सूक्ष्म अति सूक्ष्म रीती से भी आत्मा में किसी भी पल प्रवेश कर सकती तो स्वयं की संभाल करने के लिए बाबा कहते अमृतवेले स्वयं में बाप से सर्व शक्तियां ले स्वयं को साक्षी दृष्टा स्थिति में स्थित करने से माया  को अचल अडोल बन पार कर सकेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢ कोई भी संसार समाचार सुनना, सुनाना - यह भी स्वयं में किचड़ा जमा करना है... क्यों और कैसे ?

 

❉   यह संसार असार है जिसमे कोई सार नही । तो ऐसे असार संसार की सभी बातें भी सारहीन है जिनका चिंतन करना भी व्यर्थ है और सुनना, सुनाना भी व्यर्थ है । जितना मन बुद्धि को इन बातों में उलझा कर रखेंगे उतना मन बुद्धि में व्यर्थ जमा होता जायेगा जो मन बुद्धि को क्लीन एंड क्लीयर नही रहने देगा और जब तक मन बुद्धि क्लीन एंड क्लीयर नही होगी बाबा की याद ठहर नही सकती इसलिए संसार का कोई भी समाचार सुनना और सुनाना स्वयं में किचड़ा जमा करना ही है ।

 

❉   इस नश्वर संसार में हर कोई दुखी और अशांत हैं इसलिए हर कोई दुःख से चिल्ला रहा है । कोई भूख से चिल्ला रहे हैं, कोई मन की शांति पाने के लिए चिल्ला रहे हैं और कोई पारिवारिक समस्यायों से दुखी हो कर चिल्ला रहे हैं । जगह जगह यही समाचार सुनाई देते है । इन समाचारों को सुनने और सुनाने से ही वायुमण्डल में नकारात्मकता बढ़ती जाती है । इसलिए इन व्यर्थ के समाचारों का किचड़ा बुद्धि में जमा करने के बजाए एकांत वासी बन मन बुद्धि को जितना एक बाप की याद में लगाएं रखेंगें उतना स्वयं भी इनके प्रभाव से बचे रहेंगे तथा औरों को भी बचा सकेंगे ।

 

❉   पूरे 63 जन्म देह भान में आ कर कोई ना कोई विकर्म करते ही आये इसलिए आत्मा पर 63 जन्मों के विकारों का किचड़ा पहले से ही चढ़ा हुआ है और किसी भी किचड़े को समाप्त करने का उपाय है उसे अग्नि में जलाना । इसी प्रकार आत्मा पर चढ़ा विकारों का किचड़ा भी केवल योग अग्नि से ही भस्म हो सकता है । क्योकि सिवाय बाप की याद के और कोई उपाय नही है आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट को उतारने का । इसलिए अगर मन बुद्धि को बाप की याद में लगाने के बजाए कोई भी संसार समाचार सुनने और सुनाने में लगाते हैं तो यह भी स्वयं में  किचड़ा जमा करना ही है ।

 

❉   बाबा की श्रीमत है किसी के व्यर्थ समाचार को सुनकर इन्ट्रेस्ट बढ़ाने के बजाए फुलस्टाप लगाओ । लेकिन कई ब्राह्मण बच्चे चलते-चलते श्रीमत के साथ आत्माओं की परमत मिक्स कर देते हैं । जब कोई ब्राह्मण संसार का समाचार सुनाता है तो उसे बहुत इन्ट्रेस्ट से सुनते हैं। कर कुछ नहीं सकते और सुन लेते हैं तो वह समाचार बुद्धि में चला जाता, फिर टाइम वेस्ट होता इसलिए बाबा कहते कोई भी संसार समाचार सुनना, सुनाना - यह भी स्वयं में किचड़ा जमा करना है । इसलिए बाबा की आज्ञा है सुनते हुए भी नहीं सुनो ।

 

❉   संसार समाचार सुनने और सुनाने वाले हमेशा बातों को सार में समाने के बजाए विस्तार में चले जाते हैं जिससे उनकी बुद्धि सदा भटकती रहती हैं और वे एकाग्रचित नही हो पाते । एकाग्रता की कमी के कारण वे किसी भी भी चीज पर ध्यान केंद्रित नही कर पाते और इसलिए किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त नही कर पाते । स्वयं को कमजोर अनुभव करने के कारण वे माया से जल्दी ही हार खा लेते हैं इसलिए छोटी छोटी परिस्थितियों में भी वे दिलशिकिस्त हो जाते हैं । इसलिये बाबा कहते कि संसार समाचार सुनना और  सुनाना भी स्वयं में किचड़ा जमा करना है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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