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❍ 01 / 07 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ बाप समान √ओबीडीयंट√ बनकर रहे ?
➢➢ कभी भी किसी बात में अपना ×अहंकार× तो नहीं दिखाया ?
➢➢ √बाप, टीचर और सतगुरु√ के कंट्रास्ट को समझ निश्चयबुधी बन श्रीमत पर चलते रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ अपने प्रति व सर्व आत्माओं के प्रति √लॉ फुल√ बनकर रहे ?
➢➢ कर्म करते कर्म के √अच्छे व बुरे प्रभाव से मुक्त√ रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ √"अप्राप्त नहीं कोई वस्तु हम ब्राह्मणों के खज़ाने में!"√ - मन में यही अविनाशी गीत बजता रहा ?
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➳ _ ➳ http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/01.07.16-VisheshPurusharth.htm
✺ PDF Format:-
➳ _ ➳ http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/01.07.16-VisheshPurusharth.pdf
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ "मीठे बच्चे - बाप जैसा निरहंकारी निष्कामी सेवाधारी कोई नही, सारे विश्व की बादशाही बच्चों को देकर खुद वानप्रस्थ में बैठ जाते है"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे मेरे सिवाय इस कदर सच्चा प्यार कोई न करेगा... सारे सुख हथेली पर रख कोई न लाएगा... सच्चा पिता ही यह दौलत खुले हाथो से भर भर कर लुटाता है... और बच्चों को सदा का सुख देकर खुद खाली सा वानप्रस्थ को चुनता है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... झूठे रिश्तो मै आत्मा उलझ गयी थी... आपने सच्चे प्यार से मुझे सवारा है... आपके खूबसूरत प्यार और खजानो को पाकर मै आत्मा खूबसूरत हो चली हूँ...
❉ प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे धरती का हर रिश्ता किसी चाहत में ही स्वार्थ भरा प्यार करेगा... मेरे जैसा सिर्फ तुम्हारे सुखो के पीछे यूँ कोई न खपेगा... मै विश्व पिता बच्चों के सुख और खुशियो के पीछे सेवाधारी बना हूँ... सब कुछ बच्चों को देने की चाह में खपा सा हूँ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मेरे सुखो के लिए खुशियो के लिए आप बाबा सेवाधारी हो चले हो... सच्चे पिता के निष्कामी प्यार ने बेहद का सुख आनन्द मुझ आत्मा को दिया है... कि मेरी खुशियो में ही खपे हो...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चे इस सच्चे निष्कामी निरहंकारी प्यार की जी भर कर कद्र करो... यह प्यार जन्नतो का सुख आँचल में दे जाएगा... प्यारा पिता विश्व की बादशाही सारे खजाने बच्चों को लुटाने आया है... सब बच्चे जीभर कर ले ले और पिता पूरा खाली हो चले तो पिता को आराम आये...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... किसी ने ऐसा प्यार मुझ आत्मा को कभी न दिया... स्वार्थ से भरे प्यार देख लिया... आप विश्व के सारे सुख मुझ आत्मा पर लुटा रहे... और मै आत्मा इस निस्वार्थ ईश्वरीय प्रेम में अभिभूत हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )
❉ "ड्रिल - निराकारी और निरहंकारी स्थिति का अनुभव करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने परमपिता परमात्मा के सम्मुख बैठी हूं... मीठे प्यारे बाबा हम बच्चों को सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान दे रहे हैं... तमोप्रधान से सतोप्रधान बना रहे है... ऊंच ते ऊंच बाप कहते हैं... आई एम योर ओबीडिएंट फादर... मैं आत्मा भी अपने सर्वोच्च बाप की श्रीमत पर चल ओबीडिएंट बन रही हूं... मैं आत्मा हर कर्म निमित्त भाव रखते कर रही हूं... मुझ आत्मा का अहंकार समाप्त होता जा रहा है... मीठे प्यारे बाबा साधारण तन का आधार लेकर मुझ आत्मा को पढ़ा रहे है... कितने साधारण है... निराकार है... बाबा कहते हैं आई एम ओबीडिएंट सर्वेंट... कितने निरहंकारी है प्यारे मीठे बाबा... मैं आत्मा भी बाप समान निराकारी निरहंकारी बनती जा रही हूं...
❉ "ड्रिल - बाप से सर्व सम्बंध रख निश्चयीबुद्धि बनना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने परमपिता से सर्व गुणों से भरपूर हो सर्वगुण सम्पन्न बनती जा रही हूं... जो बाप के गुण वही मेरे गुण... मैं आत्मा अपने सुप्रीम टीचर के सम्मुख गॉडली स्टूडेंट बन पढ़रही हूं... इस रुहानी पढ़ाई से 21 जन्मों का वर्सा ले रही हूं... विश्व का मालिक बन रही हूं... मैं आत्मा सुप्रीम सदगुरु से जीवनमुक्ति का वर्सा ले रही हूं... एक बाप ही सुखकर्ता दुखहर्त्ता है... कितना मीठा... कितना प्यारा बाप है... मैं आत्मा निश्चयीबुद्धि बन बस एक बाप की श्रीमत पर चल रही हूं... मुझ आत्मा को पूरे कल्प में एक बार ही परमपिता परमात्मा मिले हैं... बस एक बाप की याद में रह रुहानी यात्रा कर रही हूं...
❉ "ड्रिल - कर्मातीत अवस्था का अनुभव करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा हर कर्म एक बाप की याद में रह कर रही हूं... मैं आत्मा हर कर्म निमित्त रखते हुए व सेवा समझ कर रही हूं... मैं आत्मा कर्म करते हुए उसके मिलने वाले परिणाम को बस बाबा को सौंपती जा रही हूं... मैं आत्मा कर्म के प्रभाव से न्यारी होकर कर्म कर रही हूं... मान शान या अच्छा बुरा इन सब से परे होती जा रही हूं... मैं आत्मा अपनी कर्मातीत अवस्था का व कर्म से न्यारी और प्यारी अवस्था का अनुभव कर रही हूं...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- "मैं आत्मा लॉ मेकर सो न्यू वर्ल्ड मेकर आत्मा हूँ ।"
➳ _ ➳ मैं आत्मा ज्योति स्वरुप हूँ... लाईट और माइट का पुंज हूँ... एक दिव्य सितारा हूँ... मेरे चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है... दिव्य अलौकिक प्रकाश है... मैं लाइट के कार्ब में विराजमान हूँ... बाबा आपने मुझ आत्मा को ईश्वरीय शक्तियों का अधिकारी बनाते हुए मुझे अनुपम प्राप्तियां करवाई हैं...
➳ _ ➳ मीठे बाबा मैं आत्मा इन शक्तियों का स्वरुप बन इस विश्व की सर्व आत्माओं को शक्ति का अनुभव करा रहीं हूँ... मैं आत्मा शक्तियों का पुंज हूँ... आप ने मुझे शक्तियों से सम्पन्न बनाकर सर्व समर्थ बना दिया है... आपने मुझ आत्मा को सर्व ईश्वरीय खज़ानों से भरपूर कर दिया है... मैं सम्पन्न हूँ... भरपूर हूँ... विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ मैं स्वयं के प्रति लॉ फुल बनने वाली आत्मा हूँ... मैं आत्मा अपने हर सवेरे से लेकर रात तक अपने हर कर्म में लॉ को दृढ़ता से फॉलो करने वाली फार्मानबर्दार आत्मा हूँ... मैं आत्मा सदा लॉ के अनुसार ही कार्य करती हूँ... चाहे वह मनसा संकल्प हो, वाणी द्वारा हो, कर्म द्वारा हो, सम्पर्क द्वारा हो वा एक दो को सहयोग देना हो वा सेवा हो, मैं आत्मा इन समस्त कार्यों को लॉ के अनुसार करने में विशेष अटेंशन देती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा स्वयं लॉ बनाकर उन पर दृढ़ता से आगे बढ़ती हूँ... तथा विश्व की अन्य आत्माओं को भी लॉ फुल बनाने में सदा त्तपर रहती हूँ... विश्व में शांति के प्रकम्पन फैलाने के लिए लॉ फुल बनना बहुत आवश्यक है... मैं आत्मा स्वयं लॉ मेकर बनकर पीस मेकर बनने का अलौकिक अनुभव कर रहीं हूँ...
➳ _ ➳ यही लॉ विश्व की समस्त आत्माओं को शांति, आनन्द, प्रेम, सुख और पवित्रता का अनुभव करवा रहा है... समस्त विश्व में शांति के प्रकम्पन्न फ़ैल गये हैं और एक न्यू वर्ल्ड का निर्माण हो रहा है ।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ अपने प्रति वा सर्व के प्रति लॉ फुल बनने वाले लॉ मेकर सो न्यू वर्ल्ड मेकर होते हैं.... क्यों और कैसे
❉ जो ये स्मृति में रखते कि इस संगमयुग पर आलमाइटी अथॉरिटी बाप ने हमें अपना बनाया व सत ज्ञान दिया अपनी असली पहचान दी । ऐसे ऊंच ते ऊंच बाप की श्रीमत पर चलते हुए मुझे अपने प्रति लॉफुल बनना है कोई अवज्ञा नही करनी । जैसा कर्म मैं करुंगा मुझे देख सब करेंगें । इसलिए अपने प्रति वा सर्व के प्रति लॉफुल बनते है व लॉ मेकर सो न्यू वर्ल्ड मेकर होते हैं ।
❉ जो बच्चे हर कदम बाबा की श्रीमत प्रमाण चलते है तो वो सुबह से रात तक की हर मर्यादा पर लॉफुल चलते है व लवफुल रहते है । कोई श्रीमत अनुसार नही चलता तो प्यार से सहयोग देकर व अपने साथ चलाते है । पहले स्व का परिवर्तन करते है तो दूसरे के लिए एग्जाम्पल बन सर्व का परिवर्तन करते है । वही लॉ मेकर सो न्यू वर्ल्ड मेकर होते है ।
❉ जो सवेरे से रात तक मनसा संकल्प में, वाणी में, कर्म में, सम्पर्क वा एक दो के सहयोग में वा सेवा में कहाँ भी लॉ में ब्रेक नही करते हैं व जो लॉ मेकर है वह लॉ ब्रेकर नहीं बन सकते । जो इस समय लॉ मेकर बनते हैं वही पीस मेकर , न्यू वर्ल्ड मेकर बन जाते हैं ।
❉ जो स्वराज्याधिकारी होते है तो अपनी कर्मेन्द्रियों का राजा बन स्व पर कंट्रोल करते नियमों पर ही चलते है तो अपने प्रति और सर्व के प्रति लॉफुल बनकर चलते हैं । स्व की उन्नति के साथ सर्व की उन्नति भी करते है व ऐसी सेवा करते स्व व सर्व के प्रति लॉफुल बन लॉ मेकर सो न्यू वर्ल्ड मेकर होते हैं ।
❉ जो बाबा को हर कदम पर साथ रख हर कर्म करते है व ईश्वरीय लॉ में रहते जीवन यात्रा करना ही आत्मा की खोयी हुई शक्तिया पाने का आधार समझते है । जब स्वयं प्राप्तियों से भरपूर होने लगते हैं तो और भी हमारे जीवन को देख आकर्षित होते है, उन्हें भी प्रतीत होता है कि यही श्रेष्ठ जीवन का आधार है, और नए संस्कारो से आत्माओं का श्रृंगार होता है जिससे अपने प्रति और सर्व के प्रति लॉफुल बन लॉ मेकर सो न्यू वर्ल्ड मेकर होते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ कर्म करते कर्म के अच्छे व बुरे प्रभाव में न आना ही कर्मातीत बनना है... क्यों और कैसे ?
❉ देह अभिमान में आ कर जो भी कर्म किये जाते हैं वे किसी ना किसी विकार के वशीभूत हो कर किये जाते हैं इसलिए वे विकर्म कहलाते हैं जिसका सुख व दुःख के रूप में अच्छा व बुरा फल आत्मा को भोगना पड़ता है किन्तु देह अभिमान को छोड़ जब आत्मिक स्मृति में रह कर कोई कर्म किया जाता है तो आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित हो कर किये हुए कर्म अकर्म बन जाते हैं जिनके अच्छे व बुरे प्रभाव से आत्मा मुक्त रहती है ।
❉ कर्मेन्द्रियों के अधीन हो कर किये हुए कर्म सदैव विकर्म ही बनते हैं जो दुःख का कारण बनते हैं किन्तु कर्मेन्द्रिय जीत बन जब कर्मेन्द्रियों द्वारा कोई भी कर्म किया जाता है तो वह कर्म मर्यादित और संयमित होता है । किन्तु कर्मेन्द्रिय जीत बन कोई भी कर्म हम तभी कर सकेंगे जब राजयोग द्वारा अपने तन और मन को संयमित कर लेंगे । तन और मन को सयंम में ला कर जब हम कोई भी कर्म करेंगे तो उसके अच्छे व बुरे प्रभाव में नही आयेंगे ।
❉ योगयुक्त स्थिति में स्थित हो कर मनुष्य जो कर्म करता है वह सभी सांसारिक रसों के आकर्षणों से ऊपर उठ कर प्रभु के प्रेम रस, आत्म रस और कर्मातीत स्थिति के परम रस में लवलीन हो कर करता है । इसलिए वह हर कर्म उपराम और अनासक्त हो कर करता है जिस कारण ना तो उसे परिस्थितियां प्रभावित करती है और ना ही कोई पदार्थ आकर्षित करते हैं और इसलिए कर्म करते भी वह कर्म के अच्छे व बुरे प्रभाव से स्वयं को मुक्त रखता हुए कर्मातीत स्थिति का अनुभव करता है ।
❉ जैसे हवाई जहाज को उड़ाने से पहले उसकी जाँच - पड़ताल की जाती है ताकि कोई दुर्घटना ना हो जाए । रेलगाड़ी के चलने से पहले भी मिस्त्री उसके हर पहिये को हथोड़े से बजा कर देखता है कि उससे टूटे हुए होने की आवाज़ तो नही आती । इसी प्रकार कोई भी कर्म करने से पहले अपनी स्थिति को चेक करके और स्व स्थिति में स्थित हो कर जब हम कर्म करते हैं तो मानसिक सन्तुलन बना रहता है जो कर्म के अच्छे व बुरे प्रभाव से आत्मा को मुक्त रखता है और कर्मातीत स्थिति का अनुभव करवाता है ।
❉ स्वयं को निमित और ट्रस्टी समझ करनकरावन हार बाबा की आज्ञा से जब हम कर्म करते हैं तो अर्पण बुद्धि हो कर कर्म करने से मन बुद्धि हल्के रहते हैं और निश्चिन्त अवस्था बनी रहती है । हर परिस्थिति में अपना कल्याण समझते हुए कर्म करते कर्म के अच्छे व बुरे प्रभाव में नही आते क्योकि कर्म को मान और शान का साधन समझने की बजाए उसे ईश्वर आज्ञा समझ कर करते हैं । इसलिए कर्म से अतीत अर्थात कर्म के फल से न्यारे और प्यारे हो कर हर कर्म करने से कर्मातीत अवस्था बन जाती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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