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   11 / 03 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ सर्विसएबुल का °रीगार्ड° रखा ?

 

‖✓‖ °आप समान ब्राह्मण° बनाने की सेवा की ?

 

‖✓‖ बहुत बहुत °रहमदिल° बन अपना और सर्व का कल्याण किया ?

 

‖✓‖ जो वाणी द्वारा नहीं बदलते, उन्हें °शुभ वाइब्रेशन° द्वारा बदलने का पुरुषार्थ किया ?

 

‖✓‖ याद में रहकर °दूसरों को याद का अभ्यास° कराया ?

 

‖✗‖ देहअभिमान में आकर °डिससर्विस° तो नहीं की ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ सहनशीलता के गुण द्वारा °कठोर संस्कार को भी शीतल° बनाया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ स्वयं को चेक किया की आज मुझ में °कितनी परसेंटेज में परिवर्तन° हुआ ?

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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - याद में रहकर दुसरो को याद का अभ्यास कराओ,योग कराने वाले का बुद्धियोग इधर उधर भटकना नही चाहिए"

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे यादो के सागर में डूब कर यादो के जिक्र की बात ही कुछ और है... अनुभव के रस की मिठास ही कुछ और है... यादो में डूबे ही गर नही तो जिक्र क्या कर पाओगे... ईश्वरीय प्रेम के समन्दर में भीगे ही गर नही तो शब्दों में उस प्रेम को कहाँ से लाओगे... बुद्धि से गहरे तार ही न जोड़े तो प्रेम के परिंदे बन कैसे चहचहाओगे...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे बच्चों जिस ईश्वरीय प्रेम से मेने लबालब किया है उसे जरा छ्लकाओ... जो यादो के गहरे सुख को तुमने चखा है उसे जरा ओरो को भी चखाओ... ईश्वरीय प्रतिनिधि से तुम जरा ईश्वरीय अदा दिखाओ... याद के नशे में झूम जरा ओरो को भी मदमस्त बनाओ... प्रेम प्याला भरकर जरा छ्लकाओ...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - आत्मन बच्चों यादो के मोहक से मधुर रस को पिया ही नही...  तो अनुभूति में अहसासो को न ला पाओगे... मै प्रेम का सागर सारा प्रेम लुटाने आया हूँ... स्वयं को इस प्यार में एकाग्रचित हो भरपूर करो... मुझ में खो जाओ...  समा जाओ... और ईश्वरीय यादो में रोम रोम को सिक्त करो... इस प्यार को परवान चढ़ने दो...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे लाडलो...  बिना याद के गहरे अहसासो के...  अपने पिता की याद के लिए कैसे प्रेरित करोगे भला... मै महपिता जो जीवन में उतर आया हूँ उसको दिल की गहराइयो से चाहोगे...  तब तो दीवाने कहलाओगे... बिना प्रेम में डूबे तो सूखे ही रह जाओगे... फिर कैसे महकोगे और रूहानी खुशबु को  महकाओगे...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे बच्चों ईश्वरीय प्रेम को ही तो तुम जनमो तरसे हो... आज उस प्रेम के सागर में गहरे उतरो जरा... तो यह प्रेम तरंगे सबको प्रेममय कर जाएँगी...  ये बुद्धि अब और कही न उलझा...  यह भटकन तुझे वापस उन अंधेरी राहो में भटकायेंगी... मेरी यादो में एकरस स्तिथि ही तेरे जहाँ को सुख भरी खूबसूरती से भर जायेगी...

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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ देह-अभिमान में आकर डिससर्विस नहीं करनी है । सदा पुण्य का काम करना है । आप समान ब्राह्मण बनाने की सर्विस करनी है ।

 

  ❉   अपने को आत्मा समझ आत्मा के पिता परमात्मा को याद करना है । हमें बेहद का बाप मिला है व बाप की श्रेष्ठ मत पर चलना है । श्रीमत में मनमत या परमत मिक्स कर डिससर्विस नहीं करनी है ।

 

  ❉   जब बाप के बन गए व बाप नें हमें अपना बना लिया तो देहभान में आकर विकारों में नहीं गिरना । कोई गल्ती होने पर बाप से नहीं छिपानी सब सच सच बताना है । देही-अभिमानी बन सच्ची सर्विस करनी है ।

 

  ❉   देह-अभिमान में आकर किसी की कमी कमजोरी को नही देखना । हर आत्मा के प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखते हुए आगे बढ़ाना है ।

 

  ❉   बाप हमें अखूट अनमोल खजानों से हमारी झोली भरते हैं । हमें इस ज्ञान धन को दूसरों को बांट बाप से मिलने का रास्ता बताकर उनका कल्याण करना है व आप समान बनाने की सेवा करनी है ।

 

  ❉   एक बाप की याद में ही रह अपनी बैटरी को चार्ज रखना है । जब बाप से कनेक्शन जुडा रहता है तो सर्व के प्रति कल्याण की भावना होती है व दुखी अशांत आत्माओं को सुख व शांति की वायब्रेशनस देकर सुख देकर दुआओं के पात्र बनना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ सहनशीलता के गुण द्वारा कठोर संस्कार को भी शीतल बनाने वाले संतुष्टमणि होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जैसे सागर की लहरों से ठोकर खाते-खाते एक पत्थर भी सालिग्राम बन जाता है इसी प्रकार ज्ञानसागर बाप के बच्चे ज्ञानवान बन कड़े संस्कार को शीतल कर संतुष्टमणि होते हैं ।

 

  ❉   कोई भी बड़ा पद प्राप्त करने के लिए बहुत विरोध आलोचना सहन करते हैं ऐसे 21 जन्मों की राजाई लेने के लिए पांच विकारों के कड़े संस्कार को सहनशीलता के गुण द्वारा शीतल बनाने वाले संतुष्टमणि होते हैं ।

 

  ❉   सहनशीलता के गुण वाला मनुष्य अपने गुण के द्वारा कठिन परिस्थिति में भी अपने चेहरे पर असंतुष्टता नही लाता बल्कि अपनी शीतलता से दूसरे को भी संतुष्ट करता है ।

 

  ❉   सहनशील व्यक्ति अपने सहनशीलता के गुण से स्वयं भी संतुष्ट रहता है व अपनी सूरत व सीरत से दूसरो को भी संतुष्ट करता है ।

 

  ❉   सहनशीलता के गुण होने से वह सरल स्वभाव के होते हैं व मन-वाणी और कर्म में सरल व सहनशील होने से कड़े संस्कार को शीतल बनाकर उनके सर्व कार्य श्रेष्ठ होते हैं व संतुष्टमणि होते हैं ।

 

  ❉   बाप से अटूट स्नेह होने से सर्व रुहानी परिवार के भी स्नेही होते हैं । जितना जिसके प्रति स्नेह होता है तो उसे स्नेह में सहन करने की शक्ति स्वतः ही आ जाती है । जैसे मां का बच्चे से स्नेह है, तो बच्चे के लिए मां सब कुछ सहन करती है । ऐसे ही बाप के प्रति स्नेह होने से सहनशक्ति के द्वारा कडे संस्कार को शीतल कर संतुष्टमणि होते हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ जो वाणी द्वारा नहीं बदलते, उन्हें शुभ वाइब्रेशन द्वारा बदल सकते हो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   हर आत्मा अपने स्वभाव - संस्कारों के वश है इसलिए आज किसी भी आत्मा को वाणी द्वारा समझा कर बदलना मुश्किल है किन्तु उनके प्रति शुभ और श्रेष्ठ वायब्रेशन्स द्वारा उन्हें सहज ही बदला जा सकता हैं ।

 

 ❉   वृति द्वारा वृति को बदलना सरल है इसलिए जो आत्माएं वाणी द्वारा नही बदलती उन्हें अपनी पावरफुल वृति द्वारा पावरफुल वायुमण्डल बना कर आसानी से बदला जा सकता है ।

 

 ❉   संकल्प शक्ति एक ऐसा शस्त्र है जो असम्भव को सम्भव में बदल सकती है । इसलिए जिन आत्माओं को मुख से समझा कर बदलना मुश्किल है उन्हें अपने पावरफुल संकल्पों की शक्ति से पावरफुल वायब्रेशन्स द्वारा सहजता से बदला जा सकता है ।

 

 ❉   शुभ और श्रेष्ठ वायब्रेशन्स किसी भी आत्मा के अंदर की नेगेटिविटी को पॉजिटिविटी में परिवर्तित कर देते हैं इसलिए वाणी द्वारा जिसे बदलना मुश्किल हो उसे शुभ चिंतक वृति द्वारा आसानी से बदला जा सकता है ।

 

 ❉   जो वाणी द्वारा नही बदलते उनके प्रति शुभ भावना, शुभकामना रखते हुए, उनके प्रति कल्याणकारी वृति के द्वारा कल्याणकारी संकल्प उन आत्माओं तक पहुंचा कर तथा शुभ और श्रेष्ठ वायब्रेशन्स द्वारा उन्हें परिवर्तित किया जा सकता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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