━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 16 / 01 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °न्यारे° बनने का पुरुषार्थ कर स्वतः ही प्यारे बनकर रहे ?
‖✓‖ दिन रात °बुधी में ज्ञान° घूमता रहा ?
‖✓‖ °चैतन्य लाइट हाउस° बनकर रहे ?
‖✓‖ °सबको सुख° दे देवताओं जैसी चलन रही ?
‖✗‖ °क्रोध° में आकर एक दो को आँख तो नहीं दिखाई ?
‖✗‖ कभी भी °मिथ्या अहंकार° में तो नहीं आये ?
──────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °सर्वशक्तिमान के साथ° की स्मृति द्वारा समस्याओं को दूर भगाया ?
──────────────────────────
∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °दिल्तख्तनशीन° बनकर सदा निर्भय और निश्चिंत रहे ?
──────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं परमात्म स्नेही आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ सर्वशक्तिमान बाप के साथ की स्मृति द्वारा समस्यायों को दूर भगाने वाली मैं परमात्म स्नेही आत्मा हूँ ।
❉ बाप के स्नेह की छत्रछाया मुझे हर समस्या से उपराम कर देती है ।
❉ सर्वशक्तिमान बाप का साथ होने के कारण मेरे सामने कोई भी समस्या कभी भी ठहर नही सकती ।
❉ समस्यायों का बर्थ कण्ट्रोल कर मैं उमंग उत्साह से उड़ती रहती हूँ ।
❉ समस्यामुक्त बन सम्पूर्णता को समीप लाने वाली मैं मायाजीत, जगतजीत आत्मा हूँ ।
❉ बापदादा के संग का रंग मेरे चेहरे पर रूहानियत और नयनो में दिव्यता की झलक स्पष्ट दिखा रहा है ।
❉ सर्व आत्माओं को सच्चा स्नेह और सहयोग देने वाली मैं सर्व की सहयोगी आत्मा हूँ ।
❉ परमात्म स्नेह की छत्र छाया में अतिन्द्रिय सुख द्वारा मैं अपने जीवन को आनन्दित करती जाती हूँ ।
──────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - कभी भी मिथ्या अहंकार में नही आओ, इस रथ का भी पूरा - पूरा रिगार्ड रखो"
❉ ब्रह्मा बाबा के तन में शिव बाबा आते हैं और आ कर हमे ज्ञान सुनाते हैं, इस बात पर अनेक मनुष्य मूँझते हैं ।
❉ इसलिए सोचते हैं कि हमे तो डायरेक्ट बाप से कनेक्शन रखना है, ब्रह्मा बाबा से नही ।
❉ लेकिन शिव बाबा कहते हैं - खबरदार रहना है । बाप कितनी अच्छी रीति समझाते हैं ।
❉ कभी भी मिथ्या अहंकार नही आना चाहिए । इस रथ का भी रिगार्ड रखना है । क्योकि बाप इस रथ के द्वारा ही तो ज्ञान सुनाते हैं ।
❉ बाप समझाते हैं माया ऐसी है जो मिथ्या अहंकार में लाती है इसलिए बहुत खबरदारी रखते रहो ।
──────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ आपस में बहुत प्यार से चलना है । कभी भी क्रोध में आकर एक-दो को आंख नहीं दिखानी है । बाप की अवज्ञा नहीं करनी है ।
❉ जैसे बाबा अपने बच्चों में कभी भी कोई अवगुण नहीं देखते थे व हमेशा प्यार से मीठे मीठे सिकीलधे बच्चे कहते है व प्यार देते हैं ऐसे हमें भी किसी के अवगुण चित पर न धरते हुए आपस में सब के साथ बहुत प्यार से चलना है ।
❉ हम प्यार के सागर , सुख के सागर के बच्चे मास्टर प्यार के सागर , मास्टर सुख के सागर हैं । हमें सबको प्यार सुख देना है । जैसे दूध और चीनी मिलाने पर एक हो जाते हैं ऐसे ही हमें सबके साथ मिलकर रहना है ।
❉ देही-अभिमानी बनना है । बाप की श्रीमत पर चलना है । बाप हमें पढ़ाकर मनुष्य से देवता बना रहे हैं व एम आब्जेक्ट को सामने रख अच्छी रीति पढ़ना है व धारण करनी है । किसी भी बात पर बाप की अवज्ञा नहीं करनी है ।
❉ देह-अभिमान सबसे बड़ा विकार है । देह-अभिमान में आकर ही फीलिंग्स में आ जाते हैं व एक दूसरे पर क्रोध करते हैं । इसलिए अपने को आत्मा समझ आत्मा से ही बात करनी है ।
❉ क्यूं, क्या, कैसे में नही आना है । साक्षी होकर ड्रामा के हर सीन को देखना है । ड्रामा कल्याणकारी है । एक दूसरे को हमेशा शुभ भावना देते हुए आगे बढ़ाना है ।
──────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सर्वशक्तिमान के साथ की स्मृति द्वारा समस्याओ को दूर भगाने वाले स्वयं को परमात्म स्नेही अनुभव करते है... क्यों और कैसे ?
❉ सर्व शक्तिमान बाप हमारे साथ है तो फिकरात किस बात की, जब बाप सदा बच्चो के साथ है तो हमें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
❉ जिसका साथी हो भगवान उसको क्या रोकेगा आंधी और तूफान, चाहे कितने ही तूफ़ान आ जाये पर बाप की छत्र छाया के अन्दर हम सदा सेफ है।
❉ इश्वर अपने साथ है डरने की क्या बात है, हमारी सफलता हुई पड़ी है, जब विजय निश्चित है तो बिच के साइड सिन देखकर क्या घबराना।
❉ सच की नैया हिलेगी डुलेगी पर डूबेगी कभी नहीं। चाहे कितनी भी बाते आये परन्तु सहन करते जाना है, हमारी नैया का खिवैया सर्व शक्तिमान बाप है तो कितनी भी हलचल हो पर डूब कभी नहीं सकती।
❉ सदा अपनी श्रेष्ठ स्वमान और बाप के साथ की स्मृति रहे तो समस्याए दूर से भाग जाएँगी, समस्या स्वरुप नहीं अब समाधान स्वरुप बनना है, बातो को ज्यादा लम्बा खीचने की जगह तुरंत समाप्त करो।
──────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ प्यारे बनने का पुरुषार्थ नही, न्यारे बनने का पुरुषार्थ करो तो प्यारे स्वत: बन जायेंगे... कैसे ?
❉ सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रहेंगे तो सर्व आकर्षणों से मुक्त होते जायेंगे जिससे किसी के भी संग का रंग आत्मा पर कोई प्रभाव नही डाल सकेगा और सहज ही सर्व से न्यारे और बाप के प्यारे बन जायेंगे ।
❉ नष्टोमोहा बन जब सेवा में बिज़ी रहेंगे, दूसरी बातों को देखते हुए भी नही देखेंगे तो पुरुषार्थ में रमणीकता और न्यारे पन का अनुभव करते हुए सहज ही बाप के प्यारे बन जायेंगे ।
❉ जब स्वयं को ट्रस्टी समझ हर कर्म करेंगें और विदेही बन विदेही बाप को याद करेंगें तो मेरेपन की हद की भावनाएं समाप्त हो एक " मेरे बाबा " में समा जाएंगी जो सर्व से न्यारा और बाप का प्यारा बना देंगी ।
❉ सदा स्वयं को भाग्यविधाता बाप की छत्रछाया के अंदर सुरक्षित अनुभव करते हुए जब सर्व आत्माओं के प्रति शुभभावना शुभकामना रखेंगे तो सर्व के प्रति आत्मिक भाव सर्व से न्यारा बना कर बाप का प्यारा बना देगा ।
❉ जितना आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित रहेंगे उतना देह और देह की दुनिया से वैराग्य आता जायेगा और बेहद की वैराग्य वृति आत्मा को निरन्तर योगी, सहजयोगी स्थिति द्वारा सर्व आकर्षणों से मुक्त कर सर्व से न्यारा और बाप का प्यारा बना देगी ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━