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❍ 12 / 02 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ किसी देहधारी को याद न कर °एक बाप को याद° किया ?
‖✓‖ °फूलों का बगीचा° स्थापन करने की सेवा की ?
‖✓‖ "बाप आये हैं हमें °रावण राज्य से लिबरेट° कर सद्गति देने" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ °रूहानी ज्ञान° जो बाप से सुना है, वही सबको सुनाया ?
‖✓‖ नॉलेजफुल बन °व्यर्थ प्रश्नों को स्वाहा° कर अपना समय बचाया ?
‖✗‖ कोई भी °बुरा कर्म° तो नहीं किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °बापदादा के कर्तव्य° को अपना निशाना बनाये रखा ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ सदा अपने को °मेहमान° समझकर रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं मास्टर मर्यादा पुरुषोत्तम आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ बापदादा के कर्तव्य को अपना निशाना बनाने वाली मैं मास्टर मर्यादा पुरुषोत्तम आत्मा हूँ ।
❉ " अपनी घोट तो नशा चढ़े " इस बात को सदा स्मृति में रख अपनी कमाई पर विशेष अटेंशन दे कर मैं जमा का खाता बढ़ाती जाती हूँ ।
❉ दूसरे के नशे को निशाना बनाने के बजाए बाप दादा के गुण और कर्तव्य को निशाना बना कर मैं बाप समान बनने का पुरुषार्थ कर रही हूँ ।
❉ बापदादा की शिक्षाओं को धारण कर मैं बापदादा के साथ अधर्म विनाश और सतधर्म की स्थापना के कर्तव्य में मददगार बन रही हूँ ।
❉ कंट्रोलिंग पॉवर द्वारा स्वराज्य अधिकारी बन, मैं भविष्य विश्व महाराजन बनने वाली पदमापदम सौभाग्यशाली आत्मा हूँ ।
❉ अपने ब्राह्मण कुल की नियम और मर्यादाओं का पालन कर मैं अपने भाग्य को श्रेष्ठ बना रही हूँ ।
❉ परमात्म स्नेह से मिलने वाली ख़ुशी, अतीन्द्रिय सुख व हल्केपन का प्रत्यक्ष फल हर दिन खा कर मैं अपने जीवन को आनन्दित करती जाती हूँ ।
❉ समस्यामुक्त बन सम्पूर्णता को समीप लाने वाली मैं मायाजीत, जगतजीत आत्मा हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हे रावण राज्य से लिबरेट कर सद्गति देने, नर्कवासियों को स्वर्गवासी बनाने"
❉ आज पूरी दुनिया पांच विकारों रूपी रावण की ज़ंजीरों में जकड़ी हुई है । इसलिए दुखी और अशांत है ।
❉ यही भारत जब स्वर्ग था तो विकारों का नाम - निशान नही था । सभी सम्पूर्ण पावन देवी देवता थे ।
❉ किन्तु द्वापर से यही देवी देवता वाम मार्ग में गिरने से पतित बन गए । तो यही भारत जो स्वर्ग था विकारों की प्रवेशता होने से नर्क बन गया ।
❉ हमे इस रावण राज्य से लिबरेट कर सद्गति देने अर्थात स्वर्ग का मालिक बनाने के लिय ही परम पिता परमात्मा बाप आये है ।
❉ और हम नर्कवासियों को स्वर्गवासी बनाने के लिए ही राज योग सिखला रहे हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ कांटे से फूल बन फूलों का बगीचा (सतयुग) स्थापन करने की सेवा करनी है । कोई भी बुरा कर्म नहीं करना है ।
❉ कांटो को कोई पसंद नही करता सब फूलों को चाहते हैं इसलिये इस कांटों भरी दुनिया में अपने को फूलों की तरह सेफ रखना है । जब स्वयं फूलों की तरह खुशबूदार बनेंगे तभी दूसरों को आप समान बना पाऐंगे ।
❉ इस विकारों भरी दुनिया में स्वयं बाप अपने बच्चों को कांटे से फूल बनाकर , पतित से पावन बनाकर मनुष्य से देवता बनाने की पढ़ाई पढ़ाते हैं तो हमें भी अच्छी रीति पढ़कर पढ़ाना है व सतयुग की स्थापना करने की सेवा करनी है ।
❉ इस अंतिम जन्म में मनसा वाचा कर्मणा पवित्र जरुर बनना है क्योंकि पवित्र बने बगैर तो नयी दुनिया में जा नही सकते । इसलिए रावण की दुनिया से अपने को छुडाकर व मृत्युलोक की बातों को भुलाकर बाप जो राजाई देने आए हैं उसे याद रख उसकी स्थापना के कार्य में निमित्त बनना है ।
❉ बस एक बाप की याद में रहकर ही आत्मा पर लगी कट उतरती है व आत्मा पावन बनती है , दिव्य गुणों का श्रृंगार करती है तभी तो फूलों का बगीचा बनाने की स्थापना की सेवा करते है ।
❉ कर्म विकर्म अकर्म की गुह्य गति को जानकर बाप की श्रेष्ठ मत पर चलते हुए श्रेष्ठ कर्म करने हैं क्योंकि यही सच्ची कमाई है जो साथ जायेगी । जैसा कर्म हम करेंगे दूसरे भी देख वैसे करेंगे ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ बापदादा कर्त्तव्य को अपना निशाना बनाने वाले मास्टर मर्यादा पुरुषोत्तम होते हैं....क्यों और कैसे ?
❉ किसी दूसरे के गुण वा विशेषता से प्रभावित न होकर बापदादा के गुण शक्तियों वा कर्त्तव्यों को देखकर वैसा बनने का लक्ष्य रखते हैं तो बाप समान बन मास्टर मर्यादा पुरुषोत्तम होते हैं ।
❉ संगमयुग पर ब्रह्मा बाप के ब्रह्मामुखवंशावली बच्चे बने हैं तो सम्पूर्ण रीति श्रीमत की पालना करते हुए पुरुषों मे उत्तम ते उत्तम बनते है । फॉलो फादर करते हुए मास्टर मर्यादा पुरुषोत्तम बनते हैं ।
❉ कहा जाता है- "अपनी घोट तो नशा चढे"। जितना हम बापदादा से प्राप्तियां हुई उनको व अपने श्रेष्ठ भाग्य को बार बार याद करते हैं तो नशा चढ़ता है । उनके कर्त्तव्यों को याद करते हुए ये नशा रहता है कि बाप समान मास्टर मर्यादा पुरुषोत्तम बनना है ।
❉ अधर्म का विनाश कर दैवी दुनिया की स्थापना के कार्य में बापदादा का मददगार बनना है । अधर्म के विनाश का कार्य करने वाले अधर्म का कार्य या मर्यादा से परे का कार्य नही करते वही मास्टर मर्यादा पुरुषोत्तम होते हैं ।
❉ बच्चों का जन्म होता ही हैं बाप की उम्मीदें पूरी करने के लिए। बस हिम्मत का एक कदम हमारा हजार कदम बाबा के । बापदादा के कर्त्तव्यों को निशाना बना आशावादी बन आगे बढ़ना है व ऐसे मास्टर मर्यादा पुरुषोत्तम बनते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ नॉलेजफुल बन व्यर्थ के प्रश्नों को स्वाहा कर दो तो समय बच जायेगा... क्यों और कैसे ?
❉ नॉलेजफुल की सीट समस्या स्वरूप बनने की बजाए समाधान स्वरूप बना देगी जिससे सभी व्यर्थ के प्रश्न स्वाहा हो जायेंगे और क्या, क्यों की क्यू से बाहर निकल कर समय को व्यर्थ जाने से बचा सकेंगे ।
❉ नॉलेजफुल की स्मृति आत्मा को त्रिकालदर्शी बना देगी और त्रिकाल दर्शी बन जब तीन स्मृतियों का तिलक मस्तक पर लगाएं रखेंगे तो हर बात में कल्याण का अनुभव करेंगे और व्यर्थ के प्रश्नो को स्वाहा कर समय को व्यर्थ जाने से बचा सकेंगे ।
❉ जब स्वयं को नॉलेजफुल की सीट पर सेट रखेंगे तो मन बुद्धि श्रेष्ठ और समर्थ चिंतन में बिज़ी रहेगी जिससे स्व स्थिति स्वत:ही शक्तिशाली बनती जायेगी और विस्तार को सार में समाना सरल हो जाएगा और समय व्यर्थ जाने से बच जायेगा ।
❉ नॉलेजफुल बन जब ज्ञान के सिमरण में स्वयं को बिजी रखेंगे तो व्यर्थ संकल्पों के प्रभाव से मुक्त रहेंगे और व्यर्थ प्रश्नो को स्वाहा कर समय को व्यर्थ जाने से बचा सकेंगे जिससे परमात्म मौज का अनुभव करते हुए सदैव हर्षित रहेगें ।
❉ जितना स्वयं को नॉलेजफुल की सीट पर सेट रखेंगे उतना मन बुद्धि को शांत और एकाग्रचित स्थिति में स्थित रखने का अभ्यास बढ़ता जायेगा जिससे हर बात बड़ी लगने की बजाए छोटी अनुभव होगी और व्यर्थ के प्रश्न स्वत: ही समाप्त होने लगेंगे जिससे समय भी व्यर्थ नही जायेगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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