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 18 / 06 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ सिर्फ ज्ञान सुनने सुनाने वाली आत्मा न बन ज्ञानी तू आत्मा बनकर रहे ?

 

➢➢ दूसरी सब बातों से ×ममत्व× मिटाने पर अटेंशन दिया ?

 

➢➢ देहि अभिमानी बन कम्पलीट सरेंडर होने पर विशेष अटेंशन रहा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ समय और संकल्प सहित अपने सर्व खजानों को विल किया ?

 

➢➢ सरलता और सहनशीलता का गुण धारण कर एक दो के स्नेही बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ सदा शस्त्रधारी बन महादानी, वरदानी बनकर रहे ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा मोहजीत हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  मैं आत्मा परमपिता परमात्मा की सन्तान हूँ... मैं ज्योतिर्बिंदु हूँ... मेरे पिता परमात्मा दिव्य ज्योति - बिंदु स्वरुप हैं... रूप में बिंदु... गुणों में सिंधु हैं... सागर हैं... विश्वकल्याणकारी हैं... शिव पिता मेरे, ज्ञान के सागर हैं... शांति के सागर हैं... आनंद के सागर हैं...

 

_ ➳  प्रेम के सागर हैं... पवित्रता के सागर हैं... सर्वशक्तिमान हैं... मैं आत्मा शांतिधाम, ज्योति के देश में अपने परमप्रिय शिवपित के संग सर्व गुणों का अनुभव कर रहीं हूँ... शिवबाबा आप मेरे परम शिक्षक हैं...

 

_ ➳  मैं आत्मा आपकी सन्तान आपके रूहानी अलौकिक प्यार में लीन हूँ... मैं आत्मा आज बापदादा की भुजाओं में समा रहीं हूँ और अनुभव कर रहीं हूँ अतीन्द्रिय सुख का... इस अतिनिद्रय सुख के नशे से मैं आत्मा मोहजीत बन रहीं हूँ...

 

_ ➳  मैं आत्मा बाप को अपना वारिस बनाकर सब कुछ विल कर रहीं हूँ, जैसे बच्चे को सब कुछ विल किया जाता है... जैसे साकार बाप ने पूरा ही अपने को विल किया वैसे ही मैं आत्मा आज यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं अपनी स्मृति, समय और संकल्पों के खज़ाने को बाप को विल कर दूंगी अर्थात श्रीमत प्रमाण सेवाओं में लगाउंगी...

 

_ ➳ इन्हीं श्रेष्ठ संकल्पों के साथ मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि बाप को अपना वारिस बनाते ही मुझ आत्मा में विल पॉवर आ गयी है... इस विल पॉवर से मोह स्वतः ही नष्ट हो गया है... और मैं आत्मा मोहजीत और बन्धनमुक्त बन गयीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - बाप के साथ उड़ने के लिए कम्प्लीट प्योर बनो, सम्पूर्ण सरेन्डर हो जाओ, यह देह मेरी नही - बिलकुल अशरीरी बन जाओ"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे इस मिटटी के भान में आकर विकारो में लिप्त हो चले तो उड़ने की शक्ति भी खो चले... अब इस देह को भी भूलो अशरीरीपन की सत्यता को स्मर्तियो में भर दो... तभी उड़ने के पंख पाओगे और पिता के साथ उड़ पाओगे...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे प्यारे बच्चे शरीर के भान ने गिराया और कलुषित किया है... अशरीरी अवस्था को गहरा करो तो सम्पूर्ण पवित्रता से भर जाओगे... सब कुछ पिता को सौप दो... हल्के होकर ख़ुशी आनन्द में गोते लगाओ... और पिता के साथ के खुबसूरत साथी बन उड़ पाओगे...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे इन पराये से मटमैले से देह के सम्बन्धो को जी कर देख लिया... खाली और शक्तिहीन होकर भी देख लिया... अब इस मायाजाल से पिता के सहारे से खुद को निकालो... सब कुछ उस सच्चे रिश्ते को सौप दो और हल्के अशरीरी हो जाओ...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे पिता के साथ का साथी होना कितना मीठा भाग्य है... इसके लिए इस शरीर से निकल अपनी असली खूबसूरती अशरीरी में आ जाओ... सब समर्पित कर निश्चिन्त हो उड़ने के पंख लिए... अपनी खूबसूरत ऊंचाइयों को पाओ...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - यह देह भी पिता की अमानत बना दो... ये सांसे ये संकल्प ये जीवन सब पिता को अर्पण कर दो... सारी जिम्मेदारी महा पिता को दे अपने अशरीरी पन के नशे में खो जाओ... और शान से पिता का हाथ पकड़ उड़ चलो...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप का बनकर दूसरी सब बातों से ममत्व मिटा देना है । यह देह भी मेरी नहीं । पूरा देही-अभिमानी बन कम्पलीट सरेंडर होना है ।

 

  ❉   अभी तक झूठे देह व देह के रिश्तों से निभाते अपना अस्तित्व खो बैठे व पतित बन गये । अभी पुरुषोत्तम संगमयुग पर स्वयं बाप ने अपना परिचय दिया व अपना बनाया तो सब झूठे रिश्तों को छोड़ बस एक बाप को याद करना है ।

 

  ❉   बाप से ही सर्व सम्बंधों की रसना लेनी है । विनाशी सम्बंधों में फंसना नही है व नए कर्मबंधन नही बनाने है । बस एक अविनाशी बाप की याद में रहना है ।

 

  ❉   ये शरीर भी मेरा अपना नही है व अमानत है । बस सेवार्थ मिला है । जब अपना तन-मन-धन सब बाबा को अर्पण कर दिया तो दी हुई चीज कभी वापिस नही लेते हैं । जो अपना नही है उसे अपना कहना या सोचना भी ख्यानत है ।

 

  ❉   ये पुराना शरीर व पुरानी दुनिया तो मिट्टी में मिल जाना है व इसलिए इससे मोह नही रखना । मोह रखेंगे तो छूटने पर बहुत दुख होगा । इसलिए जो चीज अपनी है ही नही उससे मोह नही रखना । बस सच्चे बाप के लव में लीन रहना है ।

 

  ❉   ये देह नही देही है । अपने को आत्मा समझ परमपिता परमात्मा को याद कर आत्मा के सातों गुणों को धारण कर कर्म करते आत्माभिमानी बनना है । कोई भी देहधारी में अपनी रग नही फंसानी है । अपने को पुरानी जंजीरों से मुक्त कर पूरा पूरा ही सरेंडर कर देना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ समय और संकल्प सहित सर्व खजानों को विल करने वाले मोहजीत होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे ये स्मृति में रखते कि जो भी मिला हुआ है सब बाबा की देन है व मेरे को तेरे में परिवर्तित करते है । समय , संकल्प सब खजानें बाबा से ही मिले है व सब कुछ बाबा को ही समर्पण है । मैं तो बस पार्ट बजाने आया हूं निमित्त हूं । तो ऐसे सब बंधनों से मुक्त मोहजीत होते हैं ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में बच्चे को सब कुछ विल कर दिया जाता है , ऐसे जो बच्चे बेहद के बाप को अपना वारिस बनाकर सब कुछ विल कर देते तो विल पॉवर आ जाती है  व विल पॉवर से मोह स्वतः ही नष्ट हो जाता है ।

 

  ❉   जैसे ब्रह्मा बाप ने एक झटके में ही अपना सब कुछ विल कर दिया ऐसे ही जो बच्चे अपना सब कुछ समय और संकल्पों का खजाना श्रीमत प्रमाण सेवाओं में लगाते तो वह मोहजीत व बंधनमुक्त बन जाते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे संगमयुग के श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति रखते कि पूरे कल्प में एक बार ही ये सौभाग्य मिलता कि बापदादा द्वारा हर बच्चे को महान आत्मा बनने का वर्सा मिलता व समय के महत्व को जानकर हर संकल्प, हर कर्म, हर बोल को महान बनाते खुशियो के खजाने, शक्तियों के खजाने से भरपूर कर व उन्हें विल करते मोहजीत होते हैं ।

 

  ❉   जिन बच्चों का हर संकल्प, हर बोल, हर कर्म बस बाबा के लिए होता वे अपने को देह व देह के सम्बंधों से अपने को न्यारा प्यारा रखते है । सर्व के प्रति शुभ कामना शुभ भावना रखते व सर्व के लिए कल्याणकारी की भावना रखते व दुआओं के पात्र बनते । वो इस संगमयुग पर प्राप्त हुए अपने सर्व खजाने विल कर मोहजीत बनते है ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ एक दो का स्नेही बनने के लिए सरलता और सहन शीलता का गुण धारण करो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सरलता और सहनशीलता का गुण आपस में लून पानी हो कर रहने की बजाए क्षीरखण्ड होकर रहना सिखाता है । और जो क्षीरखण्ड हो कर रहते हैं वे  एक दो को बदलने का विचार छोड़ स्वयं के परिवर्तन का लक्ष्य रखते हैं । स्व परिवर्तन पर बल देते हुए अपने स्नेह और प्यार से वे सहज ही एक दूसरे का दिल जीत लेते है और एकमत होकर एक दूसरे की विशेषताओं को देखते हुए एक दूसरे के सहयोग से हर कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लेते हैं ।

 

 ❉   सरलता और सहनशीलता का गुण जीवन में सच्चाई और सफाई लाता है और जिसके जीवन में सच्चाई और सफाई है , जो दिल वा दिमाग से सच्चे बाप के साथ हर बात में सदा सच्चे रहते हैं । वे बाप के गले का हार बन जाते हैं और अपनी सच्चाई के बल पर बाप के साथ साथ सर्व आत्माओं के भी विश्वास पात्र बन सबका स्नेह और सम्मान सहज ही प्राप्त करते चले जाते हैं ।

 

 ❉   जैसे कोई बिल्कुल साफ चीज होती है तो उसमें सब कुछ स्पष्ट दिखाई देता है । ऐसे ही जो सरलता और सहनशीलता का गुण अपने जीवन में धारण कर लेते है वे सबके स्नेही बन सब पर रूहानी स्नेह लुटाते रहते हैं । एक दो की भावना और भावों का सम्मान उनके स्नेहपूर्ण व्यवाहर से स्पष्ट दिखाई देता है । यह भाव और स्वभाव ही उन्हें परस्पर एक दूसरे के समीप ला कर सर्व का स्नेही बना देता है ।

 

 ❉  एक दो का स्नेह प्राप्त करने के लिए जरूरी है एक दूसरे का रिगार्ड रखना और एक दूसरे का रिगार्ड वही रख सकते हैं जिनमे सरलता और सहनशीलता का गुण होता है । एक ने कहा दूसरे ने माना, इस भावना से जब सब एक दूसरे को रिगार्ड देते हैं तो दूसरो द्वारा रिगार्ड प्राप्त करने के अधिकारी स्वत: बन जाते हैं । क्योकि रिगार्ड देना ही रिगार्ड लेना है और एक बार देना अर्थात अनेक बार लेने के हकदार बन जाना । ऐसे जो सभी को बड़ा समझकर रिगार्ड देते हैं वह सबके और बाप के भी स्नेही बन जाते हैं ।

 

 ❉   स्नेही की निशानी है ही सहनशीलता । जिसके प्रति स्नेह होता है उसके प्रति सहन करना सहज होता है । जैसे लौकिक में बच्चे पर कोई मुसीबत आती है तो स्नेह के कारण माँ सब कुछ सहन करने के लिए तैयार हो जाती है । उसे अपने तन वा परिस्थितियों का भी फ़िक्र नही रहता । इसी प्रकार जो एक दूसरे के स्नेही होते हैं वे एक दूसरे की हर बात को सहन करते हुए, सरलचित बन एक दूसरे को स्नेह देते हुए एक दूसरे के सहयोग से हर कार्य में सफलता प्राप्त कर लेते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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