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   10 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ प्यार से °एक बाप° को याद किया ?

 

‖✓‖ ख़ुशी में रहने के लिए °याद की मेहनत° की ?

 

‖✓‖ "बाबा हमें °सदा सुखी° बनाने आये हैं" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ °कमजोरियों के अंश° को भी समाप्त करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ ऊंचा मर्तबा पाने के लिए °पडायी पर पूरा पूरा ध्यान° दिया ?

 

‖✗‖ "°तकदीर° में जो होगा, वह मिल जाएगा" - ऐसे बोल तो नहीं बोले ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ साधनों को यूज़ करते °साधना° को अपना आधार बनाया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ बातों को देखने के बजाये °बाप को देख° मुश्किल को भी सहज अनुभव किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   साधनों को यूज़ करते हुए साधना को अपना आधार बनाने वाली मैं सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ ।

 

 ❉   पुरानी दुनिया के कोई भी आकर्षणमय दृश्य मुझे अपनी ओर आकर्षित नही कर सकते ।

 

 ❉   अल्पकाल के सुख के साधन यूज़ करते वा देखते हुए भी मैं साधनो पर निर्भर नही रहती ।

 

 ❉   विनाशी साधनो की निर्भरता को छोड़ साधना द्वारा अपनी स्थिति को पावरफुल बनाने के पुरुषार्थ में मैं सदा तत्पर रहती हूँ ।

 

 ❉   साधन निमित मात्र हैं और साधना निर्माण का आधार है इस बात को स्मृति में रख साधना करते हुए मैं सिद्धि स्वरूप बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   ज्ञान के मुख्य पॉइंट्स के अभ्यास द्वारा और योग की विशेषता द्वारा तपस्वीमूर्त बन मैं ज्ञान और योग की गहन अनुभूतियों में खोती जाती हूँ ।

 

 ❉   बाबा से मिले ज्ञान और योग के पंखो द्वारा मैं पुरानी दुनिया व देह के सम्बंधियों के बंधनो से मुक्त होती जा रही हूँ ।

 

 ❉   याद के अनुभवों में डूब कर, सेवा करते हुए मैं सहज ही सेवा में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम मुझे याद करो और प्यार करो क्योंकि मैं ही तुम्हे सदा सुखी बनाने आया हूँ"

 

 ❉   पूरे 63 जन्म देह - अभिमान में रहने के कारण देह और देह के सम्बन्धियो को ही याद करते आये और उनसे ही प्यार करते आये ।

 

 ❉   किन्तु अविनाशी और स्थाई सुख की प्राप्ति कभी भी नही कर पाये क्योकि विनाशी देह और देह के सम्बंधियों से मिलने वाला सुख भी विनाशी ही था ।

 

 ❉   आत्मा को स्थायी और अविनाशी सुख तो केवल परमात्मा बाप से ही मिल सकता है क्योकि आत्मा का स्थाई और अविनाशी सम्बन्ध तो अपने पिता परमात्मा से ही है ।

 

 ❉   अभी वही परम पिता परमात्मा बाप ब्रह्मा तन का आधार ले कर हम आत्माओं के सन्मुख आये हुए है ।

 

 ❉   और हम आत्माओं को कह रहे हैं कि तुम मुझे याद करो और प्यार करो क्योकि मैं तुम्हे सदा सुखी बनाने आया हूँ ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ ऊंचा मर्तबा पाने के लिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है । ऐसे नही जो तकदीर मे होगा, गफलत छोड़ पूरा वर्से का अधिकारी बनना है ।

 

  ❉   ऊंच ते ऊंच सुप्रीम बाप स्वयं सुप्रीम टीचर बन इस पतित दुनिया में आकर हमें पढ़ाकर अपने से ऊंची सीट पर बिठाते हैं तो हमें भी ऊंच मर्तबा पाने के लिए पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है ।

 

  ❉   'हम कितने भाग्यवान है जो स्वयं भगवान पढ़ाते हैं ,अगम अगोचर कहते जिसको  वो मेरे सामने आते है'। जब स्वयं भगवान पढ़ाते हैं तो आप समान ही भगवान भगवती बनाते हैं तो इस ऊंच पढ़ाई पर पूरा पूरा अटेंशन देना है ।

 

  ❉   लौकिक में भी बच्चे का लक्ष्य होता है कि अच्छे से पढ़ाई करके ऊंच पद.पाना है या डाक्टर बनना है तो कैसे दिन रात मेहनत करता है व अपनी सुध बुध खोकर पढ़ाई में मगन रहता है तो हमें तो स्वयं भगवान पढ़ाते हैं व अविनाशी कमाई कर ऊंच पद पाते है तो पढ़ाई पर पूरा पूरा ध्यान देना है ।

 

  ❉   जैसी मेहनत करते है वैसा ही पद पाते है । ऐसे ही हमें कर्म तो श्रेष्ठ करने ही है । ऐसे सोचकर बैठ नही जाना कि तकदीर में होगा तो मिल ही जायेगा ।

 

  ❉   संगमयुग का समय हम ब्राह्मण बच्चों के लिए वरदानी समय है इस समय हम जैसा पुरुषार्थ करेंगे उसकी प्रालब्ध पूरे कल्प प्राप्त होगी । बाप हमें इस समय अपना बच्चा बनाकर वर्से का अधिकारी बना रहे हैं तो हमें गफलत को छोड़ पूरे वर्से का अधिकारी बनना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ साधनों को यूज करते हुए साधना को अपना आधार बनाने वाले सिद्धि स्वरुप होते हैं ...क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो भी साधन होते है वो आज है जरुरी नही की कल भी मिलें इसलिए साधनों को आधार नहीं बनाना । साधना ही निर्माण का आधार है व साधना का बार बार अभ्यास करते ही सिद्धि स्वरुप बनते हैं ।

 

  ❉   कोई भी पुरानी दुनिया के आकर्षणमय दृश्य , अल्पकाल के सुख के साधन यूज करते हुए उनके वशीभूत नही होना है क्योंकि साधन के आधार पर साधना ऐसे है जैसेरेत के फाउण्डेशन पर बिल्डिंग । इसीलिए किसी विनाशी साधन के आधार पर अविनाशी साधना न हो ।

 

  ❉   साधनों को यूज करते हुए भी साधना में एकाग्रता हो व संकल्प रुपी बीज को दृढ़ निश्चय रुपी से पावरफुल बना लें तो जो सोचते है प्राप्त कर प्रयत्क्ष सिद्धि स्वरुप बन जाते हैं ।

 

  ❉   साधनों को जितना जरुरी हो उतना ही यूज करो संगमयुग हम बच्चों के लिए खास वरदानी समय है व बापदादा का हाथ व साथ सदा अनुभव करते हुए कम मेहनत कर साधना द्वारा दृढ़ संकल्प द्वारा असम्भव को सम्भव कर सिद्धि स्वरुप बनते हैं ।

 

  ❉   हमारा बाप से कनेक्शन ऐसा जुडा हो व योगाग्नि इतनी पावरफुल हो कि साधन हमारी साधना को प्रभावित न करें तो हर संकल्प पूरा करते सिद्धि स्वरुप बन जाते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ किसी भी कमजोरी का अंश है तो वंश पैदा हो जायेगा और परवश बना देगा... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   आत्मा में किसी भी कमजोरी का अंश अगर होगा तो मन बुद्धि शुद्ध और स्वच्छ नही बन पायेगी जिससे कोई ना कोई विकर्म होता रहेगा जो कमजोरी को समाप्त करने की बजाए उसके वंश को बढ़ाने के निमित बन जाएगा और आत्मा को परवश बना देगा ।

 

 ❉   पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारों का अंश भी अगर रह गया तो वह नए दैवी स्वभाव संस्कारों को इमर्ज नही होने देगा बल्कि आसुरी संस्कारों के वंश को बढ़ा देगा और आत्मा परवश हो कर आसुरी कर्म करती रहेगी ।

 

 ❉   आत्मा में किसी भी कमजोरी का अंश अगर होगा तो बुद्धि की लाइन क्लीयर नही हो पाएगी और सही समय पर सही टचिंग ना मिलने के कारण आत्मा शक्तिहीन हो जायेगी और कमजोरी के अंश को समाप्त करने की बजाय उसके वंश को बढ़ा कर मन बुद्धि को परवश कर देगी ।

 

 ❉   अगर आत्मा में किसी भी कमजोरी का अंश होगा तो वह कर्म में आता रहेगा और बार बार कर्म में आने से वह कमजोरी बढ़ती जायेगी और उसका पूरा वंश पैदा हो जायेगा जो आत्मा को परवश कर शक्तिशाली बनने नही देगा ।

 

 ❉   कोई भी कमजोरी का अंश मात्र भी अगर आत्मा में रह गया तो माया बार बार उस कमजोरी के रूप में अटैक करती रहेगी और उस कमजोरी का पूरा वंश बना देगी फलस्वरूप माया के परवश हो आत्मा हार खाती रहेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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