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❍ 25 / 04 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
‖✓‖ °कर्म-अकर्म-विकर्म° की गति को ध्यान में रख सदा श्रेष्ठ कर्म किये ?
‖✓‖ बाप से जो अविनाशी ज्ञान का धन मिलता है, वह °दान° किया ?
‖✓‖ °लगन° से बाप को याद कर विघनो को समाप्त किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
‖✓‖ एक साथ तीनो रूपों (°मन, वाणी और कर्म°) से सेवा की ?
‖✓‖ अपनी शक्ति से °बुरे को भी अच्छे में° बदला ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ अपने भिन्न भिन्न °टाइटल्स° की स्मृति में रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा मास्टर त्रिमूर्ति हूँ ।
✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-
➳ _ ➳ मैं आत्मा चलती हूँ अपने वतन की ओर... इस देह को छोड़, प्रकृति के इन पांच तत्वों से दूर... देह की दुनिया, देह के आकर्षण से भी परे... इस पुरे मांडवे को रोशिनी देते सूर्य, चाँद, तारागणों से भी पार एक अलौकिक वतन में... जहाँ प्रकाश ही प्रकाश है... एक ऐसी सफ़ेद प्रकाश की दुनिया में... जहाँ मेरा सम्पूर्ण प्रकाशमय शरीर अपनी सम्पूर्णता को धारण किये हुए विद्यमान है... एक ऐसा सूक्ष्म लोक जिसमें सूक्ष्म फरिश्ता रूप धारण किये देवतागण ही प्रवेश कर सकते हैं... वह लोक जहाँ ब्रह्मा बाबा अपने सम्पूर्ण, सम्पन्न, सफ़ेद प्रकाश के फरिश्ता स्वरुप में आज भी हम बच्चों के सम्पूर्ण होने की प्रतीक्षा कर रहें हैं... मैं आत्मा पहुँचती हूँ इस पवित्र लोक में... ब्रह्मा बाबा फरिश्ता रूप में मेरे सामने हैं, उनके मस्तक में शिव बाबा चमकते हुए स्पष्ट नज़र आ रहें हैं... बाबा ने मुझ आत्मा के हर संकल्प को नयनों से पढ़ लिया है... कैसा अनोखा मिलन है यह... मैं आत्मा कितनी भाग्यवान हूँ... मैं उनसे नयनों द्वारा मुलाक़ात कर रहीं हूँ... बापदादा के प्रेम - वत्सल नयन मुझे निहार रहें हैं... मुझमें शक्ति भर रहें हैं... मैं बाबा से हर सम्बन्ध का अनुभव कर रहीं हूँ... वही मेरे बाप हैं, मेरे शिक्षक हैं और मेरे सद्गुरु भी हैं... आज मैं आत्मा बापदादा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि ब्रह्मबाबा की तरह मैं उनकी बच्ची भी हर सेकण्ड मन, वाणी और कर्म तीनों द्वारा साथ - साथ सर्विस करुँगी... यह संकल्प कर मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि मैं सदा ही सेवा में तत्पर हो विश्व का कल्याण करने में निमित्त बन रहीं हूँ... मैं अपने त्रिमूर्ति बाप की सन्तान मास्टर त्रिमूर्ति अवस्था का अनुभव कर रहीं हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - भोलानाथ मोस्ट बिलवेड बाप तुम्हारे सम्मुख बेठे है, तुम प्यार से याद करो तो लगन बढ़ती जायेगी विघ्न खत्म हो जायेंगे"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों जिसे पाने को जनमो बिलख रहे थे वह पिता सम्मुख आकर बेठा है अब उसके गहरे प्रेम में खो जाओ... तो यह नाता गहरे नातो में बदल उठेगा और जीवन विघ्नो से मुक्त सुखो की खूबसूरती से खिल उठेगा...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे प्यारे बच्चों जब मै भगवान ही जीवन में उतर आया सामने आ गया तो अब भटकना फिर केसा... गमो की धारा में बहना फिर केसा... सिर्फ मुझे याद करो सिर्फ मेरी यादो में खो जाओ... तो जीवन आनंद से भरपूर बन खुशियो का कंवल बन जायेगा...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों इतना भोला इतना मीठा इतना प्यारा पिता तुम्हारा हो चला... अपना धाम छोड़ यहां डेरा डाल चला तो उसके प्यार को अपने दिल अपनी बाँहो में समा लो... और खुशनुमा जिंदगी पर अपना नाम खुदा लो...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों किस कदर खूबसूरत भाग्य के मालिक हो की भोला सा बाप फ़िदा हो गया और सम्मुख आकर हाल सुन रहा सुना रहा... अब सारे सम्बन्धो का सुख एक बाप से लो जरा उसी को चाहो प्यार करो दिल में बसालो तो जीवन फूलो की बगिया बन खिलेगा
❉ मेरा बाबा कहे - मै भोला सा पिता भला अपने ही जिगर के टुकड़ो का दुःख तो देख न पाऊ तो सामने ही आके बेठ सा जाऊ... अब प्रेम के सन् सच्चे पलो में डूब से जाओ की ये यादे जिंदगी में सुखो की प्रेम की आनन्द की खुशियो की जन्नत बन जाय... और विघ्न से मुक्त खिला सा समां बन जाय
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ यह समय बहुत नाजुक है इसलिए कोई भी उल्टा कर्म नहीं करना है । कर्म-अकर्म, विकर्म की गति को ध्यान में रख सदा श्रेष्ठ कर्म करना है ।
❉ इस घोर कलयुग में संसार की हालत ऐसी हो गई है कि बस दुःख ही दुःख है व तमोप्रधानता है । मनुष्य का जीवन कौड़ी तुल्य हो गया है । हम ब्राह्मण बच्चों को स्वयं भगवान ने इस संगमयुग पर अपना बनाया है व अंतिम जन्म है व समय भी बहुत कम है । हमें अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है व विकारों पर जीत पाकर कर्मेन्द्रियजीत बननाहै ।
❉ संगमयुग कल्याणकारी युग है । अपने स्वरुप में स्थित होकर कोई भी कर्म करते यही स्मृति रखनी है कि मैं तो बस परमपिता का ही हूं । यह सब उनका ही है । ये स्मृति में रख कर्म करने है । संगमयुग पर परमपिता का बनने के बाद बाप को भूल उल्टे कर्म करने पर उसकी सजा सौ गुणा मिलेगी ।
❉ कर्म मनुष्य का दर्पण है , कर्म से ही मनुष्य पहचाना जाता है । कर्म श्रेष्ठ हो तो प्रालब्ध भी श्रेष्ठ मिलती है और कर्म भ्रष्ट हो तो प्रालब्ध भी दु:ख का होता है । बाबा ने कल्याणकारी संगमयुग पर हमें कर्मो की गुह्य गति बताई है व संगमयुग पर ही हमें श्रेष्ठ कर्म की प्रालब्ध
❉ अभी तो दुनिया वालों के लिए कलयुग है व रावण राज्य है । विकारों में घिरे होने के कारण देह अभिमानी है व स्वयं को आत्मा न समझ पंच मौलिक शरीर माने हुए है और परमात्मा से प्रीत के बजाय कर्मेन्द्रियों के विषयो के आकर्षण से बंधा हुआ है तो विकर्म ही करते हैं । हमें तो बाबा ने कर्म अकर्म विकर्म
❉ सतयुग और त्रेतायुग में आत्मा सतोप्रधान होती है व आत्माभिमानी स्थिति होती है और इन दोनों युगों में सृष्टि में पवित्रता ,सुख शांति रूप प्रारब्ध प्राप्त करती है व कर्म शुभ , भोग्य कर्म होते है तो उनके कर्म ही अकर्म होते है ।
❉ कलयुग के अंत और सतयुग के आरम्भ के संधिकाल में संगमयुग पर बाबा ने इतना गुह्य ज्ञान दिया कि कब कर्म विकर्म और अकर्म होते है तो ये जानने के बाद कोई विकर्म नही करना है बाबा की याद में रहकर श्रेष्ठ कर्म करने है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ एक साथ तीनों रुपों से सेवा करने वाले मास्टर त्रिमूर्ति होते है... क्यों और कैसे ?
❉ इस कल्याणकारी पुरुषोत्तम संगमयुग का जिन बच्चों का नशा होता है व खुशी होती है कि हमें स्वयं भगवान मिला व बाप से सच्चा स्नेह होता है तो वो बच्चे अपना तन मन धन तीनों रुपों से इस रुहानी सेवा में लगाते है व अपनी हड्डी हड्डी यज्ञ सेवा में सफल करते है । ऐसे बच्चे मास्टर त्रिमूर्ति होते है ।
❉ जैसे बाप सदा तीनों स्वरुपों में सेवा करते हैं बाप, शिक्षक और सदगुरु । ऐसे जो बच्चे हर सेकेंड़ मनसा, वाचा और कर्म तीनों द्वारा साथ साथ सेवा करते हैं मास्टर त्रिमूर्ति होते हैं ।
❉ जो बच्चे मास्टर त्रिमूर्ति होते हैं हर सेकेंड़ सेवा में उपस्थित रहते हैं व हांजी का पार्ट पक्का होता है और विश्व कल्याणकारी होते हैं । क्योंकि इतने बड़े विश्व की सेवा एक ही समय पर तीनों रुपो से सेवा करेंगे तभी सेवा का कार्य समाप्त होगा ।
❉ जो बच्चे एक बाप की लगन में मगन होते हैं तो उनका हर सेकेंड़ हर संकल्प बोल व कर्म बाप के लिए होता है और अपनी दृष्टि, वृत्ति और कृत्ति तीनों से सेवा करते है । वो मास्टर त्रिमूर्ति होते हैं ।
❉ जो बच्चे मास्टर त्रिमूर्ति होते हैं इस पुरुषोत्तम संगमयुग के महत्व को समझते हुए व ये अंतिम समय है समय का खजाना, ज्ञान का खजाना, संकल्प, बोल , दिव्य गुणों में सर्वगुणों का खजाना इन सर्व खजानों की एकानॉमी करते एक बाप के साथ का अनुभव करते तीनों रुपों से एक साथ सेवा करने वाले मास्टर त्रिमूर्ति होते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ ऊँच ब्राह्मण वह है जो अपनी शक्ति से बुरे को अच्छे में बदल दे... क्यों और कैसे ?
❉ सच्चाई और पवित्रता की शक्ति सच्चे ब्राह्मणों का गहना है । एक सच्चे ब्राह्मण के हर कर्म में सच्चाई और संकल्प में पवित्रता का बल समाया होता है । यह दोनों बल उसे निरसंकल्प, निश्चय बुद्धि, निश्चिंत और शक्तिशाली बनाते हैं । और अपनी शक्ति के बल से वे बुराई को अच्छाई में बदल कर सर्व का कल्याण करते चले जाते हैं ।
❉ भक्ति में भी जो भावना रखते हैं भगवान उनकी भावना का फल उन्हें अवश्य देते हैं । यहां तो सर्वशक्तिवान भगवान सर्व संबंधों का सुख दे रहा है । तो जो सच्चे ब्राह्मण होते हैं वे सर्व संबंधों का सुख सर्वशक्तिवान बाप से लेते हुए स्वयं को सर्व शक्तियों से संपन्न बनाकर, अपनी शक्तियों के प्रयोग से बुराई को भी अच्छाई में बदल देते हैं ।
❉ ऊंचे और सच्चे ब्राह्मणों का कोई भी कर्म स्व - इच्छा अनुसार नहीं होता । उनका हर कर्म श्रीमत की लकीर के अंदर होता है । अपने श्रेष्ठ कर्मों के बल से वे अपने स्थिति को शक्तिशाली बना कर अपनी शक्ति से बुरे को भी अच्छे में बदलकर सर्व के शुभचिंतक बन जाते हैं ।
❉ श्रेष्ठ ब्राह्मण के हर संकल्प, बोल और कर्म में शुद्धता होती है । उनका खान-पान भी शुद्ध होता है । अशुद्धि का अंश मात्र भी उनमें नहीं होता । यह शुद्धता ही उन्हें योगी और पवित्र बनाती है । अपनी पवित्रता और अपनी शक्तियों के बल से वे बुराई को भी अच्छाई में बदल देते हैं ।
❉ सच्चा ब्राह्मण जो होता है वह सदा सच्चाई और सफाई से अपना हर कर्तव्य पूरा करता है । और यही सच्चाई और सफाई उसे सत्कर्म करने का बल प्रदान करती है । अपने सत्कर्मो के बल से अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए वे बुराई को भी अच्छाई में बदल लेते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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