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❍ 30 / 01 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °सर्विस° का सबूत दिया ?
‖✓‖ °बेहद के बाप की याद° पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ देह-भान को छोड़ बाप को अपना °सच्चा सच्चा समाचार° दिया ?
‖✓‖ "मैं °शरीर से न्यारी आत्मा° हूँ" - यह अभ्यास बार बार किया ?
‖✓‖ "जीते जी इस °शरीर में रहते जैसे मुर्दा°" - इस स्थिति का अभ्यास किया ?
‖✓‖ "इच्छाएं परछाई के समान हैं" - यह स्मृति में रख °इच्छाओं को पीठ° दिखाई ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °करन-करावनहार° की स्मृति द्वारा सहजयोग का अनुभव किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °बिंदु° बन बिंदु बाप को याद कर बीती को बिंदु लगाया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सफलतामूर्त आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ करन - करावनहार बाप की स्मृति द्वारा सहजयोग का अनुभव करने वाली मैं सफलतामूर्त आत्मा हूँ ।
❉ मुझे कार्य के निमित बनाने वाला बैकबोन मेरा बाबा है, इस स्मृति द्वारा मैं हर कर्म में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ करन - करावनहार सर्व समर्थ बाप के सहयोग से,निमित बन मैं हर कार्य को सहज रीति सम्पन्न करती जाती हूँ ।
❉ परमात्मा बाप की याद में रह हर कर्म करने से मैं सहज योग की अनुभूति करते हुए आनन्द में मगन रहती हूँ ।
❉ बाप के हाथ में अपना हाथ दे, सब कुछ बाप को सौंप मैं स्वयं को हर प्रकार से सुरक्षित अनुभव करती हूँ ।
❉ बाप दादा से सफलतामूर्त का वरदान प्राप्त कर मैं बाप दादा की प्रत्यक्षता के कार्य में सहयोगी बनने वाली विशेष आत्मा हूँ ।
❉ निरव्यर्थ संकल्प और निर्विकल्प स्थिति द्वारा मैं हर कार्य में सहज ही सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ बड़ी से बड़ी समस्या भी मेरी स्थिति को डगमग नही कर सकती । समाधान स्वरूप बन मैं हर समस्या का समाधान सहज ही कर लेती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बेहद के बाप को याद करना - यह है गुप्त बात, याद से याद मिलती है, जो याद नही करते उन्हें बाप भी कैसे याद करे"
❉ कहा जाता है याद से याद मिलती है अर्थात कोई हमे तभी याद करता है जब हम भी उसे दिल से याद करते हैं ।
❉ और याद उसे किया जाता है जिससे हमारा स्नेह होता है या जिससे कुछ प्राप्ति होती है ।
❉ जैसे लौकिक सम्बन्धी एक दो को याद करते रहते हैं ऐसे आत्मा भी परमात्मा को याद करती हैं ।
❉ क्योकि आत्मा का सच्चा स्नेह तो अपने पिता परमात्मा के साथ ही है । परमात्मा की याद से ही आत्मा को सच्चे आनन्द की प्राप्ति होती है ।
❉ और वह बेहद का बाप अभी डायरेक्ट हमारे सन्मुख आये हुए है हम आत्माओं को पावन बना कर पावन दुनिया में ले जाने के लिए ।
❉ इस लिए हमे बेहद के बाप को याद करना है - यह है गुप्त बात । जितना हम बाप को याद करेंगे, बाप भी हमे उतनी कशिश करेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ सर्विस का सबूत देना है ।देहभान को छोड़ अपना सच्चा-सच्चा समाचार देना है ।
❉ जैसे ऊंच ते ऊंच बाप कितना निरहंकारी है व अपने को ओबीडियंट सर्वेंट कहता है व हमेशा अपने बच्चों की सर्विस के लिए तत्पर रहता है तो ऐसे हमें भी हमेशा रुहानी सर्विस के लिए तत्पर रहना है ।
❉ जैसे राजा का बेटा होता है तो उसके चाल चलन से ही रायल्टी झलकती है तो हम बेहद बाप के बच्चे है तो हमारे हर कर्म , चाल चलन में रुहानियत झलके । योगबल व पवित्रता के बल से दूसरी आत्माओं में कशिश हो कि ये कोई विशेष आत्मा ही है ।
❉ कोई दुखी अशांत आत्मा हमारे दो मीठे बोल से ही सुख का अनुभव करे व उसे शांति मिले ऐसी पावरफुल वायब्रेशनस देकर अपनी सर्विस का सबूत देना है ।
❉ देहभान को छोडकर अपना सच्चा सच्चा समाचार देना है कि मैं आत्मा इस शरीर रुपी वस्त्र को धारण कर अपना पार्ट बजा रही हूं । हम सब आत्माओं का पिता एक ही है परमपिता परमात्मा सदाशिव ।
❉ ये शरीर तो विनाशी है व मिट्टी में ही मिल जाना है । आत्मा में जो संस्कार है वही साथ जाने है । इसीलिए बाप को याद कर आत्मा पर लगी कट को व विकर्मों का विनाश करना है । याद की यात्रा की ही सच्ची कमाई है जो साथ जानी है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ करन करावनहार की स्मृति द्वारा सहजयोग का अनुभव करने वाले सफलतामूर्त होते है... क्यों और कैसे ?
❉ "कराने वाला करा रहा है, करनहार हम किये जा रहे" कराने वाला बाप हम बच्चो द्वारा करा रहा है इसलिए हमें निश्चयबुद्धि द्वारा निश्चिंत होकर अपने कर्म करते जाना है।
❉ यदी यह याद रहे की किसका कार्य कर रहे है, किसने हमें यह कार्य दिया है तो जिसका कार्य कर रहे है वह कभी भूलता नहीं है।उसकी स्मृति बुद्धि में सहज बनी ही रहती है। बाप ने दिया है याद रहेगा तो बाप से सहजयोग लगा रहेगा।
❉ यह सहज राजयोगी जीवन ही सफलता प्राप्त करने का मार्ग है, बाबा भी हमें सहज राजयोग ही सिखाने आये है। कोई भी कार्य करते बस कराने वाला बाप याद रहे तो उस कार्य की भी सफलता निश्चित हो जाती है।
❉ "मै निमित्त सेवाधारी हु" यह सदा याद रहे। वह "हुकुमी हुक्म चला रहा है" हमें सिर्फ हा जी का पाठ बजाते हुए कर्म करते जाना है। इससे कोई भी कर्म में बोझ अनुभव नहीं होगा, हलके रहकर हर कर्म करेंगे।
❉ जब स्वयं सर्व शक्तिमान बाप हमारे साथ है, हमका उनके द्वारा दी हुई सेवा कर रहे है यह भान रहता है तो हर कर्म बहुत कुशलता से करते है, हमारा हर कर्म एक कला बन जाता है, यही संस्कार हमें यहाँ से अपने में भरकर जाना है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ इच्छायें परछाई के समान हैं आप पीठ कर दो तो पीछे - पीछे आयेंगी... कैसे ?
❉ निरन्तर योगी, सहजयोगी स्थिति द्वारा जब सर्व आकर्षणों से मुक्त होते जायेंगे तो हद की सभी इच्छाएं समाप्त होती जायेंगी और जब सभी इच्छाओ से पीठ कर लेंगे तो इच्छायें परछाई के समान पीछे - पीछे आयेंगी ।
❉ माया और प्रकृति की आकर्षण से जब दूर रहेंगे तो इच्छा मात्रम अविद्या बन, सन्तुष्टता की अनुभूति करते रहेंगे और सन्तुष्टता का अनुभव सदैव हर्षित रखेगा जिससे सभी इच्छाओं से पीठ होती जायेगी ।
❉ जो हर परिस्थिति में सदा राज़ी रहते हैं वे सर्व आकर्षणों से मुक्त रह, सहजयोगी जीवन का आनन्द लेते हुए हद की सभी इच्छायों से पीठ कर लेते हैं इसलिए उन्हें इच्छाओं के पीछे नही भागना पड़ता बल्कि इच्छायें परछाई के समान उनके पीछे - पीछे आती हैं ।
❉ जब संगम युग की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों की स्मृति में रहेंगे तो सिद्धि स्वरूप बन जायेंगे और हद की सभी प्राप्तियों की इच्छाओं से पीठ कर लेंगे जिससे इच्छायें परछाई बन पीछे - पीछे आयेंगी ।
❉ निर्मलता और निर्माणता का गुण आत्मा को इच्छा मात्रम अविद्या बना कर, सदा तृप्त रखता है । और तृप्त आत्मा सब प्रकार की इच्छाओ को त्याग उनसे पीठ कर लेती है इसलिए इच्छायें परछाई के समान अपने आप उसके पीछे आती हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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