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 30 / 04 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

‖✓‖ चित्रों को सामने रख °बाप और वर्से° को याद किया ?

 

‖✓‖ °कल्प पहले की स्मृति° से अपनी अवस्था को जमाया ?

 

‖✓‖ °माया की बॉक्सिंग° से हारे तो नहीं ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

‖✓‖ °सर्व खाते और रिश्ते° एक बाप से रखे ?

 

‖✓‖ अपनी °विशेषताओं को प्रयोग° में ला हर कदम में प्रगति का अनुभव किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ बापदादा के कमरे में जाकर अपने °मन का सर्टिफिकेट° प्राप्त किया ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा डबल लाइट फरिश्ता हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

➳ _ ➳  देखें अपने ज्योति स्वरुप को बापदादा से रूह रिहान करते हुए... मैं एक अविनाशी बाप की याद में सदा मग्न रहने वाली एक बिंदु स्वरुप आत्मा हूँ... मैं एक बल एक भरोसे से दृढ़ निश्चय का व्रत धारण करने वाली दृढ़ संकल्पधारी आत्मा हूँ... मैं एक की ही श्रीमत पर चलने वाली, श्रीमत का पालन करने वाली आज्ञाकारी आत्मा हूँ... मैं एक का ही गुणगान करने वाली सदैव गुणग्राही आत्मा हूँ... मैं एक की ही गोद में खेलने वाली, एक से ही स्नेह रखने वाली स्नेही आत्मा हूँ... मैं कमज़ोरियों को फुलस्टॉप देकर अपने सम्पन्न स्वरुप को प्रख्यात करने वाली साक्षात्कारमूर्त आत्मा हूँ... मैं अधिकारी पन की स्तिथि द्वारा एक बाप को अपना साथी बनाने वाली विजयी आत्मा हूँ... मेरा एक ही साथी है... निराकार बाबा... मैं एक के स्नेह का रसपान करने वाली एकरस आत्मा हूँ... मैं सर्व खाते और रिश्ते एक बाप से रखने वाली डबल लाइट फरिश्ता हूँ... मैं आत्मा आज यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं इस मिट्टी समान देह के भान से एकदम परे रहूंगी... बाप के दिए हुए इस तन के साथ मुझ आत्मा का कोई रिश्ता नहीं रहेगा अर्थात यह तन भी मैंने एक बाप को सौंप दिया है... अब मेरे सब हिसाब - किताब, सब लेन - देन केवल एक बाप से ही होंगे बाकि सब पिछले खाते और रिश्ते मुझ आत्मा के खत्म हो गए हैं... इन्हीं संकल्पों के साथ मैं आत्मा डबल लाइट फरिश्ता स्तिथि का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चों - पतित जगत से नाता तोड़ एक बाप से बुद्धियोग लगाओ तो माया से हार नही हो सकती"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों इस दुनिया से दिल लगा अपना हाल बेहाल किया है... ये मृग मरीचिका से रिश्तो ने नातो ने दुखो के मायाजाल में लपेट तुम्हारी सुनहरी चमक को धूमिल किया है... अब मुझ पावन पिता की सुख भरी बाँहो में समाओ तो माया ओझल हो चलेगी

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे प्यारे बच्चों हमेशा सुखो के अधिकारी हो पर पतित दुनिया में खुद के वजूद को खो चले हो... अब प्रीत की रीत मुझ पिता संग निभाओ तो जीवन समस्याओ से परेशानियो से मुक्त हो खुशनुमा हो जायेगा...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों मुझे भूल चले तो पतित ही हो चले... शहजादे से बच्चे होकर अपना रंगरूप ही खो चले... अब फिर से सारे बिखरेपन को समेट मेरी यादो में डूब जाओ... तो मेरे साये में सुख भरी छाँव में माया आ न सकेगी...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों अब इस जगत से दिल न लगाओ न अपनी बुद्धि इस दुनिया से लगाओ... यह दुनिया यह बाते सांसो को घुन जैसा खत्म कर देंगी... मुझमे सांसो को समाओ तो फलीभूत होंगी... मेरा हाथ पकड़ लो तो सवर जाओगे मेरी जवाबदारी में निखर जाओगे...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चो किस कदर सुखो के मालिक थे चलते चलते कहाँ आ पहुंचे हो... कि सुखो को हथेली पर रख मुझे भी यहाँ उतर आना पड़ा... अब संकल्पों सांसो मुझ पर लुटा दो और हथेली पर सजा स्वर्ग अपनी बाँहो में भर लो... अब और न भटको सुखी हो जाओ...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ माया की बाक्सिंग से कभी भी हार न हो - इसका ध्यान रखना है । कल्प पहले की स्मृति से अपनी अवस्था जमानी है ।

 

  ❉   माया क्या है हमारे अपने विकार व माया का वार कब होता है जब हम देहभान में आ जाते हैं , अपने को भूल जाते हैं कि मैं कौन हूं व मेरा कौन है । संगमयुग पर सत् का  संग मिलने पर दिव्य ज्ञान मिलने पर याद रखना है । अपने को आत्मा समझ परमपिता परमात्मा की याद में रहना है ।

 

  ❉   माया तो विघ्न डालेगी ही व विघ्नों का काम ही आना है । हमें विघ्नों से घबराना नही है व हार मानकर बैठना नहीं है । हमारा हाथ सर्वशक्तिमान बाप ने पकड़ा है । तो जिसका साथी है भगवान उसे क्या रोक सके आंधी और तूफान ।

 

  ❉   जब याद में रहते हैं कि स्वयं सर्वशक्तिमान मेरा साथी है । हर कदम पर मेरे साथ है व हजार भुजाओं वाले बाप की छत्रछाया में हूं तो माया तो कागज के शेर जैसी है व माया मनसा में कुछ न कुछ तूफान लाती है । हमें सब एक बाप को याद करना है व माया की बाक्सिंग से हार नहीं खानी है ।

 

  ❉   कल्प पहले भी हमें सर्वशक्तिमान बाप मिला व हर कल्प मिलेंगे । कल्प पहलें भी विश्व की बादशाही ली व कल्प कल्प के विजयी रत्न है व जीत तो हमारी हुई के हुई । ऐसी स्मृति में रह अपनी अवस्था को जमाना है ।

 

  ❉   जैसे कल्प पहले चला था व अब भी ऐसे ही चल रहा है । कल्प पहले भी ऐसे ही हम सब मिले थे व कल्प कल्प मिलते रहेंगे । कुछ होता है तो ऐसे कह खुश होते कि कल्प पहले भी ऐसे हुआ था व हमारी ही जीत हुई थी तो खुश हो जाते है । ऐसे अपनी अवस्था अच्छी रखनी है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सर्व खाते और रिश्ते एक बाप से रखने वाले डबल लाइट फरिश्ता होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो इस स्थूल देह में रहते कर्मेन्द्रियों से कार्य कराते हैं व बुद्धि रुपी पांव पृथ्वी पर नहीं धरते और हर कर्म करते न्यारे और प्यारे रहते हैं । अपने सर्व सम्बंध सिर्फ एक बाप से रखते तो हमेशा हल्के अनुभव करते व डबल लाइट फरिशता होते हैं ।

 

  ❉   सर्व खाते और रिश्ते बस एक बाप से रखते तो बाप समान ही रहमदिल होते व सर्व के प्रति कल्याण की भावना, अपनेपन की भावना व आत्मिक भावना होती । किसी भी बाहरी दुनिया में आकर्षण नही होता न ही सूक्ष्म बंधन होता । अपना सब बाप को सौंप व अपने को ट्रस्टी समझ डबल लाइट फरिश्ता होते हैं ।

 

  ❉   डबल लाइट फरिश्ता अर्थात देहभान से परे रहना व जिसका देह के साथ कोई रिश्ता नही । अपना तन मन धन सब बाबा को अर्पण । जब सब बाबा को दे दिया तो दी हुई चीज से रिश्ता खत्म । सब हिसाब किताब लेन देन बाबा से । सब पिछले खाते और रिश्ते खत्म । ऐसे सम्पूर्ण बेगर ही डबल लाइट फरिश्ता होते हैं ।

 

  ❉   जो सर्व खाते और सर्व रिश्ते एक सर्वशक्तिमान बाप से रखते हैं तो उन्हें किसी भी कार्य में मेहनत नही लगती । किसी भी बड़ी से बड़ी परिस्थिति में चाहे तन की हो, चाहे अपने वा दूसरों के संस्कारो के आधार पर हो उसे सहज ही पार कर उडता पंछी फरिश्ता बन डबल लाइट होते हैं ।

 

  ❉   जब सर्व खाते और रिश्ते एक बाप से ही होते तो सदैव अपने को बापदादा की छत्रछाया में अनुभव करते । बाप संग चलना, बाप संग बैठना, बाप संग ही खाना.... । तो बाप-दादा सदा साथ हैं । कम्बाइड रुप की समृति से कभी घबराते नहीं हैं । अपना सारा बोझ बाप को दे हल्के हो डबल लाइट फरिश्ता होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपनी विशेषताओं को प्रयोग में लाओ तो हर कदम में प्राप्ति का अनुभव करेंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जब पुराने संस्कार और स्वभाव दृढ़ संकल्प रूपी आहूती से समाप्त करेंगे । दूसरों की कमजोरी की नकल नहीं करेंगे और अवगुण धारण करने वाली बुद्धि का नाश कर दिव्य गुण धारण करने वाली सतोप्रधान बुद्धि धारण करेंगे तो अपनी विशेषताओं को प्रयोग में ला कर हर कदम में प्राप्ति का अनुभव सहज ही कर सकेंगे ।

 

 ❉   बाबा की श्रीमत है सी नो इविल, हीयर नो इविल और थिंक नो इविल । तो जब श्रीमत का पालन करते हुए मन बुद्धि को समर्थ चिंतन में व्यस्त रखेंगे तो अपनी विशेषताएं स्पष्ट रुप से अनुभव कर सकेंगे और उन विशेषताओं को जब प्रयोग में लायेंगे तो हर कदम में प्राप्ति का अनुभव सहज ही कर सकेंगे ।

 

 ❉   अपने आदि और अनादि स्वरूप को जब समृति में रखेंगे तो पुरानी कमी कमजोरियां सब समाप्त होती जाएंगी । और नए दैवी संस्कार इमर्ज होते जाएंगे । दैवी संस्कारों से संपन्न होकर जब अपने विशेषताओं को प्रयोग में लाएंगे तो सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन हर कदम में प्राप्ति का अनुभव सहज कर सकेंगें ।

 

 ❉   अपनी विशेषताओं को प्रयोग में ला कर हर कदम में प्राप्ति का अनुभव तभी कर पाएंगे जब होली हंस बनेंगे और अवगुणों का त्याग कर सब की विशेषताओं को स्वयं में धारण करेंगे । तथा किसी के भी अवगुणों का प्रभाव अपने चित पर नहीं आने देंगे और विशेष आत्मा बन विशेषताओं का ही आदान प्रदान करेंगे ।

 

 ❉   जैसे लौकिक जन्म में स्थूल सम्पत्ति बर्थ राइट होती है ठीक इसी प्रकार ब्राह्मण जन्म में दिव्य गुण, ईश्वरीय सुख भी बर्थ राइट है । जो सदा अपने इस बर्थ राइट के नशे में रहते हैं । दिव्य गुण और विशेषतायें उनमे स्वत: आने लगती हैं और जब वे अपनी विशेषताओं को प्रयोग में लाते हैं तो उन्हें हर कदम में प्राप्ति का अनुभव सहज ही होता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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