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❍ 25 / 05 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ अपना √सच्चा सच्चा पोतामैल√ रखा ?
➢➢ ऐसा कोई कर्म तो नहीं किया जिससे बाप का ×नाम बदनाम× हो ?
➢➢ ज़रा भी ×कुदृष्टि× तो नहीं रखी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ ब्राह्मण जीवन की √नीति और रीति√ प्रमाण चले ?
➢➢ अपने हर नए संकल्प से √नयी दुनिया√ की नयी झलक का साक्षात्कार करवाया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ √मेले में रह√ अनेक झमेलों की समाप्ति का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा व्यर्थ संकल्प मुक्त हूँ ।
✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-
➳ _ ➳ शांतचित्त हो बैठ जाएं... हर बात से न्यारे और प्यारे बनकर यह चिंतन करें... मैं पदमापदम भाग्यशाली ब्राह्मण आत्मा हूँ... मैं अपने इस रथ द्वारा हर कर्म करती हूँ...
➳ _ ➳ मैं ब्राह्मण आत्मा कमल आसन पर विराजमान रह सहज वा निरंतर योगी बनकर रहती हूँ... मैं सदा लाइट रहते हुए किसी भी प्रकार का बोझ अर्थात बंधन से मुक्त रहती हूँ... मैं आत्मा अपने मन के संकल्पों का बोझ, संस्कारों का बोझ, दुनिया की विनाशी चीज़ों के आकर्षण का बोझ, लौकिक संबंधों की ममता का बोझ, इन सभी बोझ को ख़त्म कर कमल आसन पर विराजमान निरंतर योगी अवस्था का अनुभव करने वाली सहज योगी आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ बुद्धि की प्रवृति शुद्ध संकल्प करना है... वाणी की प्रवृति बाप द्वारा जो सुना वह सुनाना है... कर्म की प्रवृति कर्मयोगी बन हर कर्म करना है...
➳ _ ➳ इसलिए मैं आत्मा आज अपने भोले बाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं ब्राह्मण जीवन की नीति और रीती प्रमाण चलते हुए सदा श्रीमत की आज्ञाओं को स्मृति में रखकर
➳ _ ➳ सारा दिन शुद्ध प्रवृति में अपने को बिज़ी रखूंगी... यह संकल्प लेते ही मैं भाग्यशाली ब्राह्मण आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि मैं व्यर्थ संकल्प रूपी रावण के वार से निवृति प्राप्त कर रहीं हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - अपने आपसे पुछो की मै कर्मेंद्रियजीत बना हूँ, कोई भी कर्मेन्द्रिय मुझे धोखा तो नही देती है!"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे स्वयं से पुछो जरा की ईश्वर बाबा ने जो सिखाया है उसे मेने जीवन में कितना उतारा है... क्या वाकई मेरा मेरी कर्म इंद्रियों पर मेरा अधिकार है... मै किसी भरम में तो नही जी रहा चैक करो...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे ज्ञान रत्नों से दामन तो सजा लिया पर उसे दिल में उतारा है की नही... जीवन में अपनाया है की नही यह चैक करो... कर्मेन्द्रियों ने कितना अनुसरण किया है और कितना स्वरूप में लाया है...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे पिता ने तो ज्ञान खजाना लुटा दिया... आपने कितना लूटा है और धारण कर जीवन सवारा है यह देखना जरूरी है... कि इंद्रियों पर नियंत्रण हुआ है या नही कही खुद ही खुद को धोखा तो नही दे रहे...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे इस ज्ञान की अनोखी अदा ही यही है कि स्वयं पर ही तो नजर रखनी है... खुद को ही देखना और परखना है अपने ही कर्मेन्द्रियों का राजा बन कर मुस्कराना है... तो देखो जरा राजाई बनी हुई है की नही...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चे.ज्ञान रत्नों को जीवन में भर चलो और खूबसूरत मीठे जीवन का आनन्द लो... गहराई से स्वयं को देखो कि मेरा मुझ पर कितना कण्ट्रोल है कही मै धोखा तो नही खा रहा... ज्ञान का स्वरूप बन गया हूँ की नही...
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल रखना है । बाप के डायरेक्शन पर चलना है ।
❉ इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर हमें सत्य बाप का संग मिला है इसलिए सच्चे बाप के संग बिल्कुल सच्चा -सच्चा रहना है । सारे दिन का सच्चा पोतामेल रखना है व सत् बाप को बताना है । कोई गल्ती हो जाने पर सच ही बताना है । बताने पर हमारी गल्ती भी बाप माफ करते हैं व सही राह भी दिखाते हैं ।
❉ लौकिक में भी जो बच्चा अपने माँ-बाप को अपना सब सच सच बताते है तो माँ-बाप उसे अपने दिल पर रखते है । कहा भी गया है - सच्चे दिल पर साहिब राजी । जो अपना सब सच्चा पोतामेल बेहद के बाप को देते व दिल में सच्चाई सफाई होती तो बाप अपने ऐसे बच्चों को दिल पर रखते ।
❉ इस संगमयुग पर ही स्वयं परमपिता परमात्मा बाप ने हमें अपना बनाया व हमें अपने असली स्वरुप की पहचान दी , अपने सच्चे सच्चे बाप से मिलाया व सारी विस्मृतियों को जागृत किया । सारी सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान दिया । ऐसे ऊंच ते ऊंच बाप जो सर्वज्ञ है , की डायेक्शन पर ही हमें चलना है ।
❉ आदिकाल में देहभान नहीं था तो सर्वगुण और सर्वशक्तियों की भरपूरता थी लेकिन जैसे -जैसे देहभान में आते गए तो गुण व शक्तियाँ कम होती गई व सतोप्रधान से तमोप्रधान होते गए । इस समय संगमयुग पर परमपिता का साथ मिला व श्रीमत पर चलकर दैवीय गुणों को धारण कर देवता बनेंगें ।
❉ आदिकाल में देहभान नहीं था तो सर्वगुण और सर्वशक्तियों की भरपूरता थी लेकिन जैसे -जैसे देहभान में आते गए तो गुण व शक्तियाँ कम होती गई व सतोप्रधान से तमोप्रधान होते गए । इस समय संगमयुग पर परमपिता का साथ मिला व बाप की श्रीमत पर चलना है व श्रेष्ठाचारी बनना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ ब्राह्मण जीवन की नीति और रीति प्रमाण सदा चलने वाले व्यर्थ मुक्त होते हैं.... क्यों और कैसे ?
❉ इस संगमयुग में ब्राह्मण जीवन में जो बच्चे बहुत ही सहज से सहज बात याद रखते हैं कि मैं बिंदु हूं और बाप भी बिंदु है व बिंदु के साथ साथ सिंधु है तो एक बिंदु को याद रखने और उस एक में ही सारा ज्ञान आ जाता है व देहभान से परे रहते हैं तो बस यही नीति प्रमाण चलने वाले व्यर्थ मुक्त होते हैं ।
❉ जिन बच्चों की मनसा, वाचा , कर्मणा और संकल्पों में पवित्रता होती है तो हर कर्म श्रीमत प्रमाण होता है तो वो ब्राह्मण जीवन की नीति और रीति प्रमाण चल व्यर्थ से मुक्त होते हैं । बोल में रुहानियत होती है व सर्व के प्रति शुभ भावना शुभ कामना होती है ।
❉ ब्राह्मण यानि ब्रह्मा के आचरण पर चलने वाले । जो बच्चे ब्रह्मा बाप के हर कर्म रुपी कदम पर कदम रख चलते हैं व हर कर्म करते यही सोचते कि क्या ब्रह्मा बाबा होते तो ऐसा करते व हर बोल ब्रह्मा बाबा जैसा होता सब के प्रति रहमदिल तो ऐसे ब्राह्मण जीवन की नीति और रीति प्रमाण चलने वाले व्यर्थ मुक्त होते हैं ।
❉ जो ब्राह्मण जीवन की नीति, रीति प्रमाण चलते हुए सदा श्रीमत प्रमाण चलते हैं व सुबह से रात तक की मर्यादाओं को स्मृति में रखते है और सारा दिन शुद्ध व श्रेष्ठ संकल्प रख ज्ञान मनन चिंतन में बिजी रहते हैं तो माया बिल्ली भी बिजी देख भाग जाती है व व्यर्थ संकल्पों से मुक्त होते हैं ।
❉ ब्राह्मण जीवन की नीति रीति प्रमाण अपने को देहभान से परे रखते हैं व एक की ही याद में मगन रहते हैं व बाप का श्रीमत रुपी हाथ व साथ पकड़े रहते हैं । कर्मयोगी बन हर कर्म करते हैं , जो बाप से सुना वही दूसरों को बांटते ऐसे बिजी रहते हैं तो व्यर्थ से मुक्त होते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपने हर नये संकल्प से, नई दुनिया की नई झलक का साक्षात्कार कराओ... क्यों और कैसे ?
❉ अपने हर नये संकल्प से नयी दुनिया की नई झलक का साक्षात्कार कराने वाले साक्षात्कार मूर्त तब बन सकेंगें जब स्वयं को सम्पन्न बनाकर विश्व का कल्याण करने का दृढ संकल्प ले अपने अन्दर रही हुई कमजोरियों को सदाकाल के लिए विदाई देंगे और यह तभी कर सकेंगे जब हर रोज अमृतवेले इसे स्मृति द्वारा समर्थ बनाएंगे । और इस प्रकार जब समर्थी स्वरूप के साथ सेवा में भी समर्थ स्वरूप बनेंगे तो नई दुनिया को समीप लाने के सुहावने संकल्प को सहज ही सिद्ध कर पाएंगे ।
❉ संकल्पों की इकानॉमी द्वारा जब मन बुद्धि को एक ही पावरफुल स्थिति में स्थित कर लेंगे और स्वयं की क्यू जब समाप्त हो जायेगी । क्यों, क्या,
की भाषा चेन्ज हो कर जब सर्व प्रति संकल्प से, वाणी से वरदानी मूर्त बन जायेंगे और वरदानों की वर्षा के भाषण जिन्हें भी सुनाएंगे जब वे अनुभव करेंगे कि भाषण नहीं लेकिन वरदानों के पुष्पों की वर्षा हो रही है तब अपने हर नये संकल्प से, नई दुनिया की नई झलक का साक्षात्कार करा सकेंगे ।
❉ जैसे स्टेज पर आने वाले के ऊपर सभी की नज़र आटोमेटिकली जाती है ऐसे रूहानी सोशल वर्कर बन सदा स्मृति में, समर्थ स्वरूप में विजय का झण्डा ले कर जब विश्व की स्टेज पर आयेंगे तो विश्व की आत्माएं - ऐसे हीरो पार्टधारियों को देख नज़र से निहाल हो जाएंगी । ऐसे वरदानी मूर्त बन सत्यता की अथॉरिटी से जब श्रेष्ठ संकल्पों की रचना करेंगे तो अपने हर नये संकल्प से, नई दुनिया की नई झलक का साक्षात्कार विश्व को करवा सकेंगे ।
❉ जब सदा मुख पर वा संकल्प में बापदादा की निरन्तर माला के समान स्मृति हो । सबकी एक ही धुन हो बाप-दादा । संकल्प, कर्म और वाणी में यही अखण्ड धुन हो । जैसे भक्ति में अखण्ड धुनी जगाते हैं । वैसे यह अखण्ड धुन हो, यही अजपाजाप हो तो और सब बातें स्वत: ही समाप्त हो जायेंगी तथा व्यर्थ से स्वत: ही किनारा हो जायेगा । संकल्प इतने समर्थ और श्रेष्ठ हो जायेंगे कि हमारे हर नये संकल्प से लोगो को नई दुनिया की नई झलक का साक्षात्कार स्वत: होने लगेगा ।
❉ जैसे जब कोई चीज़ बनाते हैं और जब वह बन कर तैयार हो जाती है तो किनारा छोड़ देती है । इसी प्रकार जब सम्पन्न स्टेज के नजदीक आते जायेंगे तो सर्व से किनारा होता जाएगा और जब सब बन्धनों से सब तरफ से वृत्ति द्वारा किनारा हो जायेगा तो संकल्प सिद्धि प्राप्त होती जायेगी और अपने हर शक्तिशाली संकल्प द्वारा अनेको आत्माओं को नई दुनिया की नई झलक का साक्षात्कार करवा सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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