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   08 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ साधनों को °कमल पुष्प° बनकर यूज़ किया ?

 

‖✓‖ °शांतिधाम और सुखधाम° को याद किया ?

 

‖✓‖ "सारे कल्प का यह है °सर्वोत्तम कल्याणकारी संगमयुग°" - यह स्मृति रही ?

 

‖✓‖ अपनी झोली °ज्ञान रत्नों° से भरी ?

 

‖✓‖ किसी भी बात के विस्तार में न जाकर °देही अभिमानी° बनने की मेहनत की ?

 

‖✗‖ °संशय° में आकर कोई प्रशन तो नहीं उठाया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ प्रालब्ध की इच्छा को त्याग °अच्छा पुरुषार्थ° करने पर विशष अटेंशन रहा ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ "अभी अभी निराकारी... अभी अभी अव्यक्त फ़रिश्ता... अभी अभी साकारी कर्मयोगी" - बार बार यह °रूहानी एक्सरसाइज° की ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं श्रेष्ठ पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   प्रालब्ध की इच्छा को त्याग अच्छा पुरुषार्थ करने वाली मैं श्रेष्ठ पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   इच्छा की बजाए अच्छा शब्द याद रख, भविष्य कमाई जमा करने के लिए मैं अपने पुरुषार्थ की गति को तीव्र करती जाती हूँ ।

 

 ❉   सदा फ्लोलेस बनने का पुरुषार्थ करते हुए, हर बात में सफलता प्राप्त करने वाली मैं सफलतामूर्त आत्मा बनती जाती हूँ ।

 

 ❉   शुभ और श्रेष्ठ चिंतन में मन बुद्धि को लगा कर मैं समय और शक्ति को व्यर्थ होने से बचा लेती हूँ और जमा का खाता बढ़ाती जाती हूँ ।

 

 ❉   बाप को कापी कर बाप समान बनने का पूरा अटेंशन देते हुए मैं निरंतर आगे बढ़ती जाती हूँ ।

 

 ❉   अपनी बुद्धि ना चला कर, बाप को फालो कर मैं हर मुश्किल परिस्थिति को आसान बना लेती हूँ ।

 

 ❉   अपने तीव्र पुरुषार्थ के आधार पर मै स्वयं को हर शक्ति से संपन्न बना रही हूँ ।

 

 ❉   ऊँचे ते ऊँचे बाप को प्रत्यक्ष करने वाली मैं शुभ और श्रेष्ठ कर्मधारी आत्मा हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - सारे कल्प का यह है सर्वोत्तम कल्याणकारी संगमयुग, इसमें तुम बच्चे याद की सैक्रीन से सतोप्रधान बनते हो"

 

 ❉   सारे कल्प में सबसे कल्याणकारी युग संगम युग है क्योकि यह वह समय है जब सभी मनुष्य मात्र उत्तम बनते हैं ।

 

 ❉   इसलिए इस युग को कल्याणकारी पुरुषोत्तम संगम युग कहा जाता है ।

 

 ❉   सारे कल्प जिस परमात्मा बाप को हम पुकारते है, उस परमात्मा बाप से पूरे कल्प में केवल इसी समय डायरेक्ट मिलन होता है ।

 

 ❉   यह वह समय है जब परम पिता परमात्मा बाप स्वयं आ कर हमे अपना और हमारा यथार्थ परिचय दे कर याद की यथार्थ युक्ति समझाते हैं ।

 

 ❉   और उस युक्ति पर चल कर, परमात्मा बाप की याद की सैक्रीन से हम सतोप्रधान बन सतोप्रधान दुनिया के मालिक बन जाते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ जब तक जीना है ज्ञान अमृत पीना है । अपनी झोली ज्ञान रत्नों से भरनी है । संशय में आकर कोई प्रश्न नहीं उठाने ।

 

  ❉   जीने के लिए स्थूल शरीर के लिए भोजन ,जल, वायु की आवश्यकता होती है ऐसे ही आत्मा को भी सात्विक भोजन की जरुरत होती है और वो भोजनहै ज्ञान ।

 

  ❉   जैसे शरीर को शरीर को पोष्टिक भोजन न मिलने से शरीर स्वस्थ नही रहता ऐसे आत्मा को ज्ञान अमृत न मिलने से आत्मा विकारी होने लगती है । इसलिए जब तक जीना है आत्मा को ज्ञान अमृत पिलाते रहना है ।

 

  ❉   बाप स्वयं टीचर बन दूरदेश से हमें पढ़ाने आते हैं व ज्ञान रत्नों से झोली भरते हैं । ये ज्ञान रत्न अनमोल खजाने हैं व बेशुमार कीमती हैं । इन्हें अच्छी रीति धारण कर अपनी झोली भरनी है ।

 

  ❉   अपनी बुद्धि की लाइन कलीयर रखनी है व सिर्फ एक बाप को ही याद करना है । जैसे बिजली की तारों का कनेक्शन सही होता है तो लाइट आती है ऐसे ही सिर्फ बाप से कनेक्शन होगा तो ज्ञान रत्न धारण कर सकेंगे ।

 

  ❉   निश्चय बुद्धि विजयन्ति संशय बुद्धि विनशयन्ति । यदि धारणा जीवन में उतार लें तो जीवन में कभी हार नही होगी हमेशा सफलता को प्राप्त करेंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ प्रालब्ध की इच्छा को त्याग अच्छा पुरुषार्थ करने वाले श्रेष्ठ पुरुषार्थी होते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   इच्छाए हमें अच्छा बनने नहीं देती है, जितनी हद की इच्छाओ को कम करते जायेंगे उतना ही बेहद की वैराग्य वृत्ति आती जाएगी।

 

 ❉   सेवा का प्रत्यक्ष फल बापदादा द्वारा सब बच्चो को अवश्य प्राप्त होता है परन्तु हद की नाम मान की इच्छा रखना जैसे कच्चे फल को स्वीकार कर लेना है।

 

 ❉   जैसा पुरुषार्थ होगा उस अनुसार ही प्रालब्ध मिलेगी। पुरुषार्थ अच्छा होगा प्रालब्ध तो अच्छी मिल ही जायेगा। इसलिए हमेशा अपने पुरुषार्थ पर धयान देना है।

 

 ❉   अच्छे पुरुषार्थी बनना अर्थात फ्लोलेस होकर चलना, गंगा जैसे सदा आगे बढ़ते रहना, कभी ऊपर कभी निचे नहीं सदा एक समान एकरस अचल अडोल स्थिति।

 

 ❉   "मुझे अच्छा बनना है" सदा सिर्फ यही याद रहे, हमारे कर्मो अनुसार हमें सब प्राप्त आटोमेटिक हो ही जायेगा इसलिए प्रालब्ध के बारे में सोचने की जगह अपने कर्मो पर अटेंशन देना है।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ साधन कमल पुष्प बनकर यूज़ करो क्योकि ये आपके कर्मयोग का फल हैं...  क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जब कमल पुष्प समान न्यारे व प्यारे बन साधनो को यूज़ करेंगे तो साधन साधना में मददगार बन जायेंगे और कर्मयोगी बन उनका प्रयोग करते हुए सहज ही उनसे उपराम रहेंगे ।

 

 ❉   साधन कमल पुष्प बनकर यूज़ करेंगे तो साधनो पर निर्भर रहने की बजाए साधना से अपनी स्थिति को पावरफुल बना कर कर्मयोगी बन उड़ती कला का अनुभव करते रहेंगे ।

 

 ❉   जब कमल पुष्प बन साधनो को यूज़ करेंगे तो शरीर रूपी प्रकर्ति की अधीनता से मुक्त हो जायेंगे और कर्मेन्द्रियों के धोखे में आ कर विकर्म करने की बजाए कर्मयोगी बन श्रेष्ठ कर्मो में प्रवृत रहेंगे ।

 

 ❉   साधनो की निर्भरता आत्मा को विनाशी इन्द्रिय सुख में धकेल कर, उसे अविनाशी अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति से वंचित कर देती है किन्तु साधन जब कमल पुष्प बन कर यूज़ करते हैं तो कर्मयोगी बन अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहते हैं ।

 

 ❉   साधनो का दास बनने वाले सदा माया से हार खाते रहते हैं और विघ्नों में फंस, सदा दुखी होते रहते हैं किन्तु कमल पुष्प बन जब साधनो को यूज़ करते हैं तो कर्म में योग का अनुभव करते हुए मायाजीत बन जाते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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