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 01 / 12 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *स्वयं को वनवाह में समझा ?*

 

➢➢ *सादगी में रहते हुए चलन बहुत रॉयल रखी ?*

 

➢➢ *संजीवनी बूटी से मायाजीत बनकर रहे ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *एक सेकंड के द्रिड संकल्प से स्वयं का व विश्व का परिवर्तन करने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *पर-अधीन न हो स्वराज्य अधिकारी बनकर रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे -  तुम अभी 21 जनमो के लिए विश्व के मालिक बनते हो अभी तुम्हारे पर बृहस्पति की अविनाशी दशा है"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता धरती पर अपने बच्चों के लिए स्वर्ग सौगात ले उतर आया है... मीठे बाबा के आने से विकारो के राहु से मुक्त होकर सुखो के बृहस्पति में मुस्कराते हो... और 21 जनमो का शानदार सुखदायी भाग्य पाकर सदा का खिल जाते हो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा कभी सुख की एक बून्द की प्यासी थी... आज ईश्वर पिता को पाकर सुखो की जन्नत को पा चली हूँ... काली सी विकारी छाया से मुक्त होकर... दमकता सौंदर्य पाकर 21 जनमो का राज्य भाग्य पा रही हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता की यादो में सदा के लिए विकारो की गन्दगी से निकल उज्ज्वल धवल हो जाते हो... सच्चे गुरु ईश्वर को पाकर गुरु की महादशा के अथाह सुखो में आ जाते हो... और बृहस्पति के अविनाशी सुखकारी वेभवो को पाकर देवता बन खिल जाते हो...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मुझ आत्मा का भाग्य कितना महकता हुआ सा है... विकारो के राहु से ग्रसित मै आत्मा उच्चतम बृहस्पति को पा चली हूँ... भाग्य ने मुझे प्यारा बाबा दिला दिया और अनन्त सुख दामन में सजाकर 21 जनमो का जीवन खुशियो से भर दिया है...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... जब विश्व पिता धरा पर आये तो अनमोल खजानो की सौगात हथेली पर सजाये ले आये... और अपने फूल बच्चों को सुखो की महक से भर जाए... ऐसे प्यारे पिता की यादो में रोम रोम को भिगो दो... जो सुखो के अम्बार सा बृहस्पति 21 जनमो के लिए जीवन में दे जाता है और सदा की खुशियो की बहार खिला जाता है...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा से अथाह खजानो को पा रही हूँ... मीठे बाबा की यादो में सारे सुख अपने भाग्य में सजा रही हूँ... विश्व की मालिक बनने के शानदार भाग्य को पाकर मीठा मीठा सदा का मुस्करा रही हूँ....

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा रुहानी जादूगर हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा कई जन्मों से देह रुपी वस्त्र को बदलते बदलते थक गई थी... सृष्टि चक्र की सीढियां उतरते उतरते मैं आत्मा शक्तिहीन हो गई थी... मैं आत्मा परेशान होकर इधर उधर भटक रही थी... दुखी, अशांत होकर रो रही थी...

 

➳ _ ➳  एक दिन विश्व के सबसे बड़े जादूगर बाबा ने आकर मुझ आत्मा को अपनी गोदी में बिठाया... प्यार, दुलार देकर बाबा बोले चलो बच्ची मैं तुम्हें जादू सिखाता हूँ... और ज्ञान की जादुई छडी घुमाकर तीन बिंदियों का मंत्र सिखाकर रुहानी जादूगर बना दिया...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा दुखी, परेशान नहीं होती हूँ... प्यारे जादूगर बाबा द्वारा सिखाये जादू को यूज़ करती हूँ... मैं आत्मा हूँ इस मंत्र की स्मृति से एक सेकण्ड में देह रुपी चोले को छोड़कर आत्मिक स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ... परमात्म मंत्र की स्मृति से एक प्यारे बाबा की याद में बैठती हूँ... प्यारे बाबा की याद से ज्ञान, गुण, शक्तियों को धारण कर मैं आत्मा शक्तिशाली बनती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  ड्रामा के मंत्र को यूज़ कर मैं आत्मा दुख, परेशानी, अशांति फैलाने वाली सभी परिस्थितियों को फुल स्टॉप लगा रही हूँ... मैं आत्मा अपने सभी कमी-कमजोरियों को ख़त्म करते जा रही हूँ... दृढ़ संकल्पों की शक्ति को बढ़ा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं रुहानी जादूगर अपनी रुहानियत की शक्ति से सारे विश्व को परिवर्तन में लाने वाली हूँ... कंगाल को डबल ताजधारी बना रही हूँ... मैं आत्मा विश्व को बदलने के लिए स्वयं को विश्व के आधार मूर्त, उद्धार मूर्त समझकर विश्व परिवर्तन के कार्य में सदा तत्पर रहती हूँ... अब मैं आत्मा एक सेकण्ड के दृढ़ संकल्प से स्वयं का वा विश्व का परिवर्तन करने वाली रुहानी जादूगर बन गई हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- स्वराज अधिकारी बन कभी भी पर-अधीन नहीं होना"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा भृकुटि सिंहासन पर विराजमान... स्वराज्य अधिकारी हूँ...  अपनी सभी कर्मेन्द्रियों की मालिक ... सर्व को अपने आर्डर प्रमाण चलाती हूँ... मैं आत्मा राजा और सभी स्थूल और सूक्ष्म इन्द्रियाँ मेरे कर्मचारी हैं...

 

➳ _ ➳  मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा... बाह्य कोई भी आकर्षण से परे हूँ... कोई भी बाह्य आकर्षणों के मैं अधीन नहीं हूँ...  मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा कभी भी पर-अधीन नहीं हो सकती...

 

➳ _ ➳  मैं मास्टर सर्व शक्तिमान आत्मा... अपनी कंट्रोलिंग और रूलिंग पॉवेर द्वारा... सर्व इन्द्रियो पर राज्य करती हूँ... शिवबाबा से शक्तियाँ प्राप्त कर... सर्व आकर्षणों,सर्व इच्छाओं, सर्व तृष्णाओं को अपने अधीन रखती हूँ... 

 

➳ _ ➳  मैं स्वराज्य अधिकारी सर्व बन्धनों से मुक्त हूँ... सर्व बन्धन चाहे वो अपने संस्कार स्वभाव का बन्धन हो चाहे कोई भी विनाशी सम्बंधों या वस्तु वैभव का बन्धन हो... सर्व बन्धनों को तोड़ कर... मैं आत्मा एकदम मुक्त हूँ... जीवन में होते हुए भी सम्पूर्ण मुक्त अवस्था में हूँ... जीवन मुक्ति का अनुभव मुझे अभी ही हो रहा हैं... शिवबाबा के साथ और हाथ ने मुझे सर्व बन्धनों से मुक्त कर दिया है... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान स्वराज्य अधिकारी आत्मा कभी भी पर-अधीन नहीं हो सकती...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *एक सेकण्ड के दृढ़ संकल्प से स्वयं का वा विश्व का परिवर्तन करने वाले रूहानी जादूगर होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   एक सेकण्ड के दृढ़ संकल्प से स्वयं का वा विश्व का परिवर्तन करने वाले रूहानी जादूगर होते हैं क्योंकि...  जैसे जादूगर थोड़े समय में बहुत विचित्र खेल दिखाते हैंवैसे ही हम रूहानी जादूगर भी अपनी रूहानियत की शक्ति से सारे विश्व को परिवर्तन में लाने वाले रूहानी जादूगर हैं।

 

❉   हम रुहानी जादुगर भी अपनी रूहानियत की जादूगरी से सारे विश्व की आत्माओं को जो कि अभी कंगाल बन चुकी हैंसोने के महलों से कलयुगी रावण राज्य के काँटों से भरे जंगलों की भूल भुलैया में खो चुकी हैंउनको वहाँ से निकाल कर डबल ताजधारी बनाते हैं।

 

❉   हम रूहानी जादूगरों की रूहानियत की शक्ति अति असीम है। हम भी थोड़े समय में ही बहुत विचित्र खेल दिखाते हैं और अपने शुद्ध वायब्रेशन्स को पूरे विश्व में फैला कर मनसा सकाश के आधार से सेकेण्डों में परिवर्तित कर देते हैं। तभी तो! बाबा ने हमें रूहानी जादूगर की संज्ञा दी है।

 

❉   हम रूहानी जादूगर स्वयं को बदलने के लिये सिर्फ एक सेकण्ड का दृढ़ संकल्प धारण करते हैं कि...  मैं आत्मा हूँ और विश्व को बदलने के लिये स्वयं को विश्व के आधार मूर्त उद्धार मूर्त समझ कर विश्व परिवर्तन के कार्य में सदा ही तत्पर रहते हैं। यही तत्परतायही संकल्पहमें सब से बडा अर्थात बड़े से भी बड़ा रूहानी जादूगर बना देती है।

 

❉   अतः हमें सदा ही स्वयं को विश्व के आधारमूर्त वा उद्धारमूर्त समझ कर चलना है तथा सारे विश्व के कल्याण हेतु विश्व के परिवर्तन के कार्य में सदा ही संलग्न रह कर तत्परता से इस पुनीत कार्य को करना है। इसीलिये ही तो!  सबसे बड़े ते बड़े रूहानी जादूगर हम ही हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *जो स्वराज्य अधिकारी आत्मायें हैं वे कभी पर - अधीन नही हो सकती... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे राजा को स्नेह वा सम्मान मांगना नही पड़ता बल्कि सभी स्वयं उसे स्नेह की सौगात ऑफर करते हैं । ठीक इसी प्रकार जो स्वयं पर राज्य करने वाली स्वराज्य अधिकारी आत्मायें होती हैं उन्हें कर्मेन्द्रियों को जोर जबरदस्ती करके वश में नही करना पड़ता बल्कि कर्मेन्द्रियां स्वय उनके ऑर्डर प्रमाण कार्य करती हैं । तो जिसका स्व पर राज्य होता है उसका सर्व पर राज्य स्वत: ही हो जाता है । वे कभी पर - अधीन नही हो सकते ।

 

❉   जैसे एक रूलर अपनी रूलिंग और कंट्रोलिंग पावर से सबको अपनी इच्छा अनुसार चलाने का बल रखता है इसी प्रकार जो स्वराज्य अधिकारी आत्मायें होती हैं वे भी अपनी रूलिंग और कंट्रोलिंग पावर द्वारा कर्मेन्द्रियों की मालिक बन उन्हें अपने कण्ट्रोल में रखते हुए अपनी इच्छा

अनुसार चलाती हैं और उन्हें उचित तरीके से कार्य में लगाती हैं । कर्मेन्द्रिय जीत होने के साथ साथ सर्व शक्तियों, सर्व गुणों और सर्व खजानों की अधिकारी होने के कारण वे कभी किसी के अधीन नही हो सकती ।

 

❉   माया का वार स्वराज्य की सीट से नीचे लाता है । इसलिए माया के वार से बचने का सहज उपाय है बाप के साथ का अनुभव सदा इमर्ज रहे । ऐसे नहीं कि बाप तो है ही मेरा, साथ है ही है। साथ का प्रैक्टिकल अनुभव इमर्ज हो। तो माया हार खा लेगी। क्योकि बाप है ही आल माईटी अथॉरिटी और आल माईटी अथॉरिटी के साथ कम्बाइंड रहना अर्थात सर्व शक्तियों की पॉवर इमर्ज रूप में सदा अनुभव करना । यही अनुभव स्वराज्य का मालिक बना कर माया के अधीन होने से बचा लेता है ।

 

❉   जैसे आजकल के राज्य में अलग ग्रुप बना कर पावर में आ जाते हैं और पहले वाले को हिलाने की कोशिश करते हैं । तो ये मन भी ऐसे ही करता है । पहले बुद्धि को अपना बना लेता है फिर मुख, कान सबको अपना बना लेता है । इसलिये अपने मन के राजा बन पहले चेक करो कि अंदर ही अंदर यह मन, बुद्धि रूपी मंत्री अपना राज्य तो स्थापन नही कर रहे । ऐसे मन मंत्री पर अटेंशन रख अपनी सर्व कर्मेन्द्रियों को जब अपने ऑर्डर प्रमाण चलाएंगे तो स्वराज्य अधिकारी बन दूसरों के अधीन होने से बच जायेंगे ।

 

❉   कर्मेन्द्रिय जीत बनने के साथ साथ मन, बुद्धि और संस्कार इन तीन सूक्ष्म शक्तियों पर भी विजय प्राप्त करना यही सबसे बड़ी प्राप्ति हैं । जिस समय जो संकल्प, जो संस्कार इमर्ज करना चाहें वही संकल्प, वही संस्कार सहज रूप से धारण हो सकें इसे कहते हैं राजऋषि । ऐसे संकल्प शक्ति को जो अपनी इच्छाअनुसार एकाग्र कर उसे कार्य में लगाते हैं वे दूसरों की अधीनता से बच जाते है । ऐसी पर - अधीनता से मुक्त आत्मायें ही स्वराज्य अधिकारी आत्मायें कहलाती हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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