━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 16 / 03 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ बुधी को °मैं और मेरेपन° से मुक्त रखा ?
‖✓‖ °सच्ची सैलवेशन आर्मी° बन आत्माओं को पाप की दुनिया से पुण्य की दुनिया में चलने का रास्ता बताया ?
‖✓‖ सच्चा सच्चा पांडव बन आत्माओं को °रूहानी यात्रा° करवायी ?
‖✓‖ याद में रहकर °स्कोलरशिप° लेने के अधिकारी बनकर रहे ?
‖✓‖ °विद रिसपेक्ट पास° होने का पुरुषार्थ किया ?
‖✗‖ किसी भी प्रकार की °हिंसा° तो नहीं की ?
──────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सदा °अतीन्द्रिय सुख° की अनुभूति करते रहे ?
──────────────────────────
∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ ‘‘मैं हूँ ही °ओरीजनल पवित्र आत्मा°'' - आज दिन भर बार बार स्वयं को इस संकल्प में स्थित किया ?
──────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - सच्चे सेलवेशन आर्मी बन सबको इस पाप की दुनिया से पूण्य की दुनिया में ले चलना है, सबके डूबे हुए बेड़ो को पार लगाना है"
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों आपके कन्धों पर ईश्वरीय जवाबदारी है... सबका उद्धार करना है पाप में फसे अपने ही भाई बहिनो को सतयुगी बनाना है... दुःख की दुनिया से निकाल सुख से जीवन खिलाना है...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे होनहार हिम्मत वान आप बच्चे इस दुःख की दुनिया में सुख का बसन्त खिलाने में मुझ बागवान को हाथ बटाते हो... दुखो में फसे मेरे बच्चों को निकालने में मेरे मददगार सेनिक हो...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों इस कलुषित सी दुखी दुनिया को सुखो भरी छाव बनाना है... दुखो की खाई में गिरे ओरो को भी निकाल खिलता खूबसूरत फूल बनाना है...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे लाडलो मै भगवान होकर आपको बड़ी उम्मीदों से देख रहा... दुखी दुनिया को सुखो के स्वंर्णिम संसार ढालने में आपकी मदद ले रहा... मेरे इस सपने को अपनी आँखों में समाओ जरा... मेरे और भी बच्चों को दुखो से मुक्त कराओ जरा...
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों जब मुझसे ही न देखा जाय तो आप बच्चों को इस दुःख की दुनिया में फिर कैसे चैन आये... दुखो भरी पुकार को दिल से महसूस करो.... चलो मेरे शेरो... सबको अपना हाथ थमा सुख भरी मखमली दुनिया में ले चलो...
──────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢ विद रिसपेक्ट पास होने के लिए सजाओं से छूटने का पुरुषार्थ करना है । याद की यात्रा में रहने से ही स्कालरशिप लेने के अधिकारी बनेंगे ।
❉ अभी तक कई तरह की यात्राएं करते आए । अब हमें बस रुहानी यात्रा करनी है व याद की यात्रा । संगमयुग पर बेहद का बाप मिला है । बाप को भूल जाते हैं तभी देहभान में आकर विकर्म कर बैठते हैं । इसलिए अब कोई ऐसा कर्म नहीं करना जो सजाएं खानी पड़े ।
❉ देही-अभिमानी बनना है । अविनाशी बाप से अच्छी रीति पढ़कर अविनाशी कमाई करनी है व 21 जन्मों के लिए राजाई पद पाना है ।
❉ औकिक में भी बच्चे को अच्छे से पास होने के लिए हर सब्जेक्ट पर ध्यान देना होता है व हर सब्जेक्ट में अच्छे मार्क्स लेने होते हैं । ऐसे ही हमें रुहानी पढ़ाई में विद रिस्पेक्ट पास होने के लिए चारों सब्जेक्ट पर पूरा ध्यान देना है ।
❉ याद पारे मिसल खिसक जाती है इसी में मेहनत है । बस बिंदु बन बिंदु बाप को याद करना है । जितना ज्यादा याद करते हैं उतना ही पावन बनते जाते हैं व ऊंच पद प्राप्त करते हैं । बाप को याद करते हैं तो घर की याद स्वतः ही आती है ।
❉ लौकिक में बच्चे को पता होता है कि ये स्कालरशिप लेने के बाद ऊंच पद प्राप्त होगा तो उसके लिए दिन रात मेहनत करता है ऐसे ही बाप कहते हैं कि मामेकम याद करो व पावन बन 21 जन्मों के लिए विश्व के मालिक बनोगे तो हमें याद की यात्रा में रह स्कालरशिप लेकर अधिकारी बनना है ।
──────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करने वाले अटल अखंड स्वराज्य अधिकारी होते हैं... क्यों और कैसे ?
❉ जिन बच्चों को नशा रहता है कि हम भगवान के बच्चे हैं व भगवान हमारा हो गया । अपना बुद्धियोग रुपी अपनी डोरी सदा परमात्मा से जोड़े रखते हैं तो ईश्वरीय नशे में रहने से अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करते हैं व अटल अखंड स्वराज्य अधिकारी होते हैं ।
❉ जो बच्चे संगमयुग पर परमात्म मिलन में अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति कर सदाकाल के लिए वर्सा प्राप्त करते हैं ऐसे वारिस के अधिकारी ही भविष्य में अटल अखंड स्वराज्य के अधिकारी होते हैं ।
❉ जिनका हर संकल्प, हर बोल बाप के लिए होता है व बाप संग बैठूं, बाप संग खाऊं, बाप संग चलूं .... व बाप को ही नजरों में समाए रखते हैं । ऐसे सच्चे आशिक माशूक की तरह रहने वाले अपने सच्चे माशूक से मिलन मनाकर सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करने वाले अटल अखंड स्वराज्य अधिकारी होते हैं ।
❉ मन बुद्धि पर अटेंशन रुपी पहरेदार रख कर्मेन्द्रियजीत होकर स्वराज्याधिकारी होते हैं व भृकुटि के अकालतख्त पर विराजमान होकर न्यारे व प्यारे रहते सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करते हैं ।
❉ अन्तर्मुखी रहते हुए एक बल एक भरोसा रखते हुए हमेशा आगे बढ़ते हैं व सदा बाप की छत्रछाया में अपनी विल पावर से एकरस स्थिति में रहते हुए अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति कर स्वराज्याधिकारी होते हैं ।
──────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ जहाँ मेरापन आता है वहाँ बुद्धि का फेरा हो जाता है इसलिए मैं और मेरेपन से मुक्त बनो... क्यों और कैसे ?
❉ जहां मैं और मेरेपन का भाव होगा वहां लगाव, झुकाव और टकराव अवश्य होगा और यह सभी बातें मन बुद्धि को भारी करती है और बुद्धि को फिरा कर उसे गलत दिशा में ले जाती हैं इसलिए जितना मैं और मेरेपन से मुक्त रहेंगे बुद्धि स्वच्छ और निर्मल रहेगी ।
❉ मैं और मेरापन आत्मा को कर्मेंद्रियजीत नही बनने देता और कर्मेन्द्रियों की चंचलता बुद्धि को फिरा कर उसे गलत कर्मो में प्रवृत कर देती हैं और कर्मेन्द्रियों के वश हो कर मनुष्य कोई ना कोई विकर्म करता ही रहता है । इसलिए जितना मैं और मेरेपन से मुक्त रहेंगे उतना कर्मेन्द्रियजीत बनते जायेंगे ।
❉ मैं और मेरापन चिंतन को शुद्ध और श्रेष्ठ नही बनने देता और बुद्धि को फिरा कर चिंतन को दूषित कर देता है जिससे व्यक्ति की दृष्टि, वृति बेहद की बनने की बजाए हदों में बन्ध जाती है और वह हद के मान, शान और सम्मान की इच्छा पूर्ति में ही लगा रहता है । इसलिए जितना मैं और मेरेपन की भावना से मुक्त रहेंगे उतनी दृष्टि, वृति बेहद की बनेगी ।
❉ मैं और मेरेपन में फंसा व्यक्ति कभी भी आत्म अभिमानी नही बन पाता और सदैव देह की दुनिया और देह के पदार्थो में लिप्त रहता है । देह और देह की दुनिया की आसक्ति उसकी बुद्धि को फिरा देती हैं और मन बुद्धि परमात्मा के साथ ना जुटने के कारण वह परमात्म स्नेह और प्यार से सदा वंचित रहता है । इसलिए जितना मैं और मेरेपन का भाव समाप्त होगा उतना परमात्म प्यार का अनुभव होगा ।
❉ मैं और मेरापन सोचने समझने की शक्ति को क्षीण कर देता है और बुद्धि को फिरा देता है । जिससे सही समय पर सही निर्णय करने की शक्ति व्यक्ति में नही आ पाती । और सही समय पर सही निर्णय ना ले पाने के कारण व्यक्ति सदैव दुखी रहता है । इसलिए स्वयं को जितना मैं और मेरेपन के भाव से मुक्त रखेंगे उतना मन बुद्धि की लाइन क्लीयर होने से सही निर्णय लेना सहज होगा ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━