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   05 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपनी °बुधी की लाइन° को सदा क्लियर रखा ?

 

‖✓‖ एक बाप की याद में रह °स्वयं को स्वच्छ° बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ बाप की °हर डायरेक्शन को अमल° में लाये ?

 

‖✓‖ स्वयं को °कोडी से हीरे° जैसा बनाने का पुरुषार्थ किया ?

 

‖✓‖ इस पुराने घर से °बेहद का वैराग्य° रखा ?

 

‖✓‖ "इस पुराने कब्रिस्तान पर हम °परिस्तान बनायेंगे°" - यह नशा रहा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °एकरस स्थिति° द्वारा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति की ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ अपने °संकल्प, बोल और कर्म° द्वारा अनेको का परिवर्तन किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा सर्व आकर्षणों से मुक्त हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   एकरस स्थिति द्वारा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करने वाली मैं सर्व आकर्षणों से मुक्त आत्मा हूँ ।

 

 ❉   देह और देह के सम्बंधों की आकर्षण से मुक्त हो कर मैं सर्व सम्बंधों की अनुभूति परमात्मा बाप से करते हुए असीम आनन्द की प्राप्ति में मगन रहती हूँ ।

 

 ❉   इन्द्रियों का आकर्षण भी मुझे अपनी और आकर्षित नही करता इसलिए इन्द्रियजीत बन मैं सदा एकरस स्थिति में स्थित रहती हूँ ।

 

 ❉   कर्मेंद्रियजीत बन अपनी इच्छानुसार हर कर्मेन्द्रिय को चलाने वाली मैं स्व - राज्य अधिकारी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   सर्व आकर्षणों से मन, बुद्धि को मुक्त कर, एक ठिकाने पर लगा कर मैं हर प्रकार की हलचल को समाप्त करती जाती हूँ ।

 

 ❉   परमात्म प्यार और स्नेह का बल मुझे कर्मो के आकर्षण और बन्धनों से परे ले जाता है और हर परिस्थिति में अचल अडोल बना देता है ।

 

 ❉   मन  वा तन की भटकन से मुक्त हो कर  मन व बुद्धि को स्थिर कर मैं केवल एक बाप की याद में समाई रहती हूँ ।

 

 ❉   इस देह की दुनिया और देह के सभी पदार्थो से मोह हटा कर नष्टोमोहा बन मैं बाप के दिलतख्त पर विराजमान रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम इस कब्रिस्तान को परिस्तान बना रहे हो, इसलिए तुम्हारा इस पुरानी दुनिया, कब्रिस्तान से पूरा - पूरा वैराग्य चाहिए"

 

 ❉   कब्रिस्तान कहा जाता है उस स्थान को जहाँ आत्मा के शरीर छोड़ने के बाद जड़ शरीर को जला दिया जाता है ।

 

 ❉   आज तो पूरी दुनिया ही कब्रिस्तान बन गई है क्योकि हर समय यहां अकाले मृत्यु होती रहती हैं । इस लिए इस दुनिया में दुःख ही दुःख है ।

 

 ❉   सुख होता ही है परिस्तान में क्योकि वहां अकाले मृत्यु होती नही । सभी सुखी, शांत और सम्पन्न होते हैं ।

 

 ❉   इसी कब्रिस्तान को परिस्तान बनाने के लिए ही संगम युग पर परमपिता परमात्मा बाप आते हैं और हम बच्चों को श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत देते हैं ।

 

 ❉   परमात्मा बाप की श्रेष्ठ मत पर चल कर हम इस कब्रिस्तान को परिस्तान बनाने में बाप के सहयोगी बनते हैं ।

 

 ❉   किन्तु इसके लिए जरूरी है इस पुरानी दुनिया कब्रिस्तान से पूरा - पूरा वैराग्य । क्योकि जब तक बेहद के वैरागी नही बनते तब तक इस कब्रिस्तान से दिल हटा कर नई दुनिया से दिल नही लगा सकते ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप के हर डायरेक्शन पर चलकर स्वयं को कौडी से हीरे जैसा बनाना है । एक बाप की याद में रह स्वयं के वस्त्रों को स्वच्छ बनाना है ।

 

  ❉   लौकिक में भी बच्चा बाप की हर आज्ञा का पालन करते हुए चलता है तो हमेशा सफलता प्राप्त कर ऊ़च पद पाता है । हमें तो बेहद का बाप मिला है तो हमें सम्पूर्ण रीति श्रीमत का पालन कर 21जन्मों के लिए वर्से का अधिकारी बनना है ।

 

  ❉   बाप से अच्छी रीति पढ़कर पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि स्वयं को कौडी तुल्य से हीरे जैसा बनाना है । बाप से  रोज अनमोल ज्ञान रत्नों से भरपूर  होकर  हमें अखूट खजानों से हमारी झोली भरकर पद्मापदमपति बनना है ।

 

  ❉   63 जन्म देहभान में रहते विकारों में घिरकर पतित हो गए व स्वयं को भूल गए , अपने धर्म स्वरुप सब कुछ भूल गए । तो बाप ने ही हमें अपने असली स्वरुप का ज्ञान दिया व कहा -मामेकम याद करो तो पावन बन जाओगे ।

 

  ❉   जैसे सोने को शुद्ध बनाने के लिए उसको तपाकर उसकी एलाय निकाली जाती है ऐसे ही आत्मा को स्वच्छ बनाने के लिए उस पर लगी कट को उतारने के लिए एक बाप की याद से ही पावन बनाना है ।

 

  ❉   मनमनाभव के जादू मंत्र से ही आत्मा और शरीर रुपी वस्त्र स्वच्छ होता है व फिर शरीर भी सतोप्रधान मिलता है ।

 

  ❉    कहा भी जाता है - मूत पलीती कपड धोए....। बाप कहते है मुझे धोबी भी कहते हैं । मैं सब आत्माओं को आकर साफ करता हूं फिर शरीर भी शुद्ध मिलेगा । बाप को याद करने से ही आत्मा शुद्ध व पावन बन जायेगी ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ एकरस स्थिति द्वारा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करने वाले सर्व आकर्षणों से मुक्त हो जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   गाया जाता है "अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप गोपियो से पूछो", यह वह सुख है तो स्वर्ग में भी नहीं मिल सकता। जब परमात्मा स्वयं इस धरा पर आये तब ही हम अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति कर सकते है।

 

 ❉   जिनकी सदा एकरस स्थिति होगी, जो सदा अंगद समान अचल अडोल है वही अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति कर सकता है।  क्योंकि लम्बे समय के एकाग्र मन और स्थिर बुद्धि होगी तभी हम सर्वोच्च स्थिति में स्थित होकर अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति कर सकेंगे।

 

 ❉   परमात्म सुख के आगे दुनिया का हर सुख फिखा है, क्योंकि दुनिया के जो भी सुख है वह शरीर के अल्पकाल के सुख है काग विष्टा समान है और परमात्म सुख आत्मा को तृप्त कर देते है, आत्मिक सुख, शांति, शक्ति, प्रेम, आनंद की अनुभूति कराने वाला है।

 

 ❉   सारे कल्प में अतीन्द्रिय सुख सिर्फ अभी संगम के समय ही अनुभव किया जा सकता है, क्योंकि यही वह समय है जब परमात्मा इस धरा पर अवतरित हुए है और हमें सत्य मार्ग तथा सत्य ज्ञान दे रहे है।

 

 ❉   जब इच्छा थी पार ब्रह्म वाले को पाने की उसे ही पा लिया तो और पाने को कुछ बाकि नहीं रहा।  भगवान सुख का सागर, प्रेम का सागर, आनंद का सागर है जिसने सागर में डुबकी लगाई हो उसे यह कीचड़ में पैर रखना अच्छा नहीं लगेगा।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अपने बुद्धि की लाइन सदा क्लीयर रखो तो एक दो के मन के भावों को जान लेंगे... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जितना बुद्धि की लाइन को क्लीयर रख मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहेंगे उतनी रियलाइजेशन पॉवर बढ़ती जायेगी जिससे स्वयं को रियलाइज करने के साथ साथ औरों के मन के भावों को जानना भी सरल हो जायेगा ।

 

 ❉   बुद्धि की लाइन जितनी क्लीयर होगी आत्मा उतनी ही समर्थी स्वरूप बनती जायेगी जिससे औरों के मन के भावो को जानना सरल हो जायेगा ।

 

 ❉   मन ही मन बुद्धि का योग जब बाप के साथ लगा रहेगा तो बुद्धि की लाइन क्लीयर होती जायेगी और बुद्धि दिव्य और विशाल बनती जायेगी जिससे औरों के मन के भावों को जानना सहज हो जायेगा ।

 

 ❉   बुद्धि की लाइन को जब क्लीयर रखेंगे तो साधना द्वारा ज्ञान, योग और धारणा को अपना कर सिद्धि स्वरूप बनते जायेंगे और अपनी सिद्धि से औरों के मन के भाव आसानी से जान जाएंगे ।

 

 ❉   बुद्धि की लाइन जितनी क्लीयर होगी उतना व्यर्थ से मुक्त रहेगे और समर्थ तथा शुद्ध चिंतन द्वारा औरो के मन के भावों को सहजता से जान जाएंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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