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❍ 08 / 02 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ "°गरीब निवाज बाबा° भारत को गरीब से साहूकार बनाने आया है" - यह ख़ुशी रही ?
‖✓‖ अब °नयी दुनिया° को याद कर सदा ख़ुशी में रहे ?
‖✓‖ °ड्रामा° के आदि मध्य अंत का ज्ञान बुधी में रहा ?
‖✓‖ "अभी यह °चढ़ती कला का समय° है" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ एक °सतोप्रधान° बनने की चिंता रखी ?
‖✓‖ °साधन° यूज़ करते उनके प्रभाव से न्यारे और बाप के प्यारे बनकर रहे ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ हर बात में °सार को ग्रहण° कर आलराउंड बनकर रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ अपनी °बुधी को बिजी° रखने का प्रोग्राम बनाया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं सरल पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ हर बात में सार को ग्रहण कर आलराउंड बनने वाली मैं सरल पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।
❉ अपने हर बोल, हर कर्म को सार में समा कर मैं अपने पुरुषार्थ को तीव्र बनाती जाती हूँ ।
❉ सब बातों में आलराउंड बन मैं हर कार्य में सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ हिम्मतवान बन, उत्साह से हर कार्य को करते मैं निरन्तर आगे बढ़ती जाती हूँ ।
❉ पुरुषार्थ में सरलता को अपना कर, सरलचित बन मैं औरों को भी सरलचित बना देती हूँ ।
❉ इच्छा की बजाए अच्छा शब्द याद रख, भविष्य कमाई जमा करने के लिए मैं अपने पुरुषार्थ की गति को तीव्र करती जाती हूँ ।
❉ सदा फ्लोलेस बनने का पुरुषार्थ करते हुए, हर बात में सफलता प्राप्त करने वाली मैं सफलतामूर्त आत्मा हूँ ।
❉ शुभ और श्रेष्ठ चिंतन में मन बुद्धि को लगा कर मैं समय और शक्ति को व्यर्थ होने से बचा लेती हूँ और जमा का खाता बढ़ाती जाती हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - अभी यह चढ़ती कला का समय है, भारत गरीब से साहूकार बनता है, तुम बाप से सतयुगी बादशाही का वर्सा ले लो"
❉ भारत जब स्वर्ग था तो सोने की चिड़िया था अर्थात सुख, शांति और सम्पन्नता से भरपूर था । क्योकि सतोप्रधान दुनिया थी ।
❉ किन्तु अब वही भारत सतोप्रधान से तमोप्रधान बनने के कारण बिल्कुल ही गरीब बन गया है ।
❉ इस गरीब भारत को फिर से साहूकार बनाने के लिए ही गरीब - निवाज परम पिता परमात्मा शिव बाबा आये हैं ।
❉ पूरे कल्प में केवल एक ही बार संगम युग पर परम पिता परमात्मा बाप आते हैं और आ कर तमोप्रधान दुनिया को सतोप्रधान बनाते हैं ।
❉ इसलिए संगम युग का यह समय मोस्ट वेल्युबुल है क्योकि यह चढ़ती कला का समय है । इसी समय भारत गरीब से साहूकार बनता है और हम बाप से सतयुगी बादशाही का वर्सा लेते हैं ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ गरीब निवाज बाबा भारत को गरीब से साहूकार बनाने आया है, उनका पूरा-पूरा मददगार बनना है ।
❉ भारत पहले स्वर्ग था , पवित्र था, धनवान था , अभी कंगाल हो गया क्योंकि घोर कलयुग है विकारों मे आकर पतित होकर नीचे गिरता गया । अब संगमयुग पर गरीब निवाज बाबा हमें साहूकार बनाने आया है पतित से पावन बनाने आया है तो हमें बाप की श्रीमत पर चलना है ।
❉ बाबा रोज हमें स्वयं सुप्रीम टीचर बन पढ़ाकर अनमोल अखूट खजानों से हमारी झोली भर मालामाल कर रहे हैं जो एक एक रत्न बेशुमार कीमती है तो हमें अपनी बुद्धि रुपी झोली में अच्छी रीति धारण करना है ।
❉ अपने पुराने स्वभाव संस्कारों को स्वाहा करना है व बुद्धि की लाइन क्लीयर रखनी है तभी नये अनमोल खजानों से भरपूर होंगे । उस ज्ञान धन को दूसरो को दान कर बाप का पूरा पूरा मददगार बनना है ।
❉ बाप कहते हैं कि मामेकम याद करो व याद से ही विकर्म विनाश होगे । पावन बन पावन दुनिया के मालिक बनोगे तो बाप की श्रीमत पर चल इस अंतिम जन्म पावन जरुर बनना है व बाप से 21 जन्म का वर्सा लेकर साहूकार बनना है ।
❉ हम आत्मायें ही 84 जन्म लेती हैं व बाप ही आकर सृष्टि के आदि मध्य अंत की नॉलेज देते है । भारत ही साहूकार था व अब गरीब बना है । ड्रामा बना बनाया है व बाप को भी आना पड़ता है हुबहू रिपीट होता है । बाप ही हमें फिर से स्वर्ग का मालिक बना रहे हैं तो ये सब ज्ञान हमें दूसरो को बांट बाप का पूरा मददगार बनना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ हर बात में सार को ग्रहण कर आलराउण्ड बनने वाले सरल पुरुषार्थी होते हैं ...क्यों और कैसे ?
❉ जो भी बात देखते सुनते है व उसके सार को समझकर आसानी से कर लेते हैं तो ऐसे सरल पुरुषार्थी हर कर्म में आलराउण्डर बन जाते हैं ।
❉ जो सरल पुरुषार्थी होते हैं वो हर बात के विस्तार में न जाते केवल सार को ही ग्रहण कर पुरुषार्थ करते और अलबेलेपन से उनकी हिम्मत कभी कम नही होती क्योंकि हर कर्म में बाबा को साथ रखते हैं ।
❉ क्योंकि बुद्धि की लाइन क्लीयर होती है व कनेक्शन बाप से जुडा रहता है तो अपने को निमित्त समझ कैसी भी सेवा हो हर सेवा करते हुए आलराउण्ड बन सरल पुरुषार्थी होते हैं।
❉ जो सरल पुरुषार्थी होते हैं वह स्वयं भी सरलचित्त होते हैं व साफ सच्चे दिल के होते हैं , दूसरों को भी सरलचित्त बनाते हैं । मन की सरलता ही बाप को भी उसकी ओर खींचती है व बाप के स्वरुप का अनुभव भी स्पष्ट होता है ।
❉ सरलचित्त होने से पुरुषार्थ को भी सरलता व सहजता से करते हैं । हर बात में सार को समझ हर सेवा को सरलता से करते हुए आलराउण्ड होते हैं व उनमे कोई कमी नही होती ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ साधन यूज़ करते उनके प्रभाव से न्यारे और बाप के प्यारे बनो... क्यों और कैसे ?
❉ इच्छा मात्रम अविद्या बन जब हद की सभी इच्छाओं से किनारा कर लेंगे तो साधनो की निर्भरता समाप्त हो जायेगी और साधन यूज़ करते भी उसके प्रभाव से न्यारे और बाप के प्यारे बन जायेंगे ।
❉ साधनो पर निर्भर रहने की बजाए जब साधना से अपनी स्थिति को पावरफुल बना कर उड़ती कला का अनुभव करते रहेंगे तो साधन यूज़ करते भी उसके लगाव से मुक्त रहेंगे और जितना साधनो से न्यारे होते जायेगे उतने बाप के प्यारे बनते जायेंगे ।
❉ जितना स्वयं को इस विनाशी देह और देह की दुनिया से उपराम रखेगे उतना ही उपराम वृति होने के कारण साधनो में भी बेहद की वैराग्य वृति स्वत: आती जायेगी जो आत्मा को साधनो के प्रभाव से न्यारा और बाप का प्यारा बना देगी ।
❉ आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित रहने का अभ्यास जितना पक्का
होता जायेगा उतना प्रकृतिजीत बन साधनो पर निर्भर रहने की बजाए साधना करते हुए साधनो से न्यारे और बाप के प्यारे बनते जाएंगे ।
❉ स्वराज्य अधिकारी की सीट पर जब सदा सेट रहेंगे तो कर्मेन्द्रियजीत बन विनाशी क्षणिक सुख प्रदान करने वाले साधनो के प्रति आकर्षित होने की बजाए बाप के स्नेह के अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति में मगन रहेंगे । अतीन्द्रिय सुख की यह अनुभूति साधनो से न्यारा बना कर बाप का प्यारा बना देगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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