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❍ 07 / 01 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ सबके °दुःख हरकर सुख° दिया ?
‖✓‖ संकल्प के एक कदम से बाप के °सहयोग के हज़ार कदम° प्राप्त किये ?
‖✓‖ °फूल अर्थात पवित्र° बनने पर पूरा अटेंशन दिया ?
‖✓‖ स्वीट बाप को याद कर °सतोप्रधान देवता° बनने पर पूरा अटेंशन दिया ?
‖✓‖ °अविनाशी चीज़° से प्यार रखा ?
‖✓‖ °देह का भान मिटाने° का पुरुषार्थ किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °स्व स्थिति° द्वारा सर्व परिस्थितियों को पार किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ कितना भी कोई सुंदर सोने का पिंजड़ा हो... उसमें न फंस, सदा °स्वतंत्र , बंधनमुक्त° बन अव्यक्त वतन की सैर की ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं निराकारी, अलंकारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ स्व - स्थिति द्वारा सर्व परिस्थितियों को पार करने वाली मैं निराकारी, अलंकारी आत्मा हूँ ।
❉ अपने अलंकारी स्वरूप की स्मृति में स्थित रह कर मैं देह - अहंकार से सहज ही मुक्त होती जाती थी
❉ मेरी निराकारी और अलंकारी स्थिति मुझे मनमनाभव की स्थिति में स्थित कर सर्व परिस्थितियों से सहज ही उपराम कर देती है ।
❉ अपनी स्व स्थिति द्वारा मैं अपने पुराने स्वभाव संस्कारों को सहजता से परिवर्तित करती जाती हूँ ।
❉ स्व में आत्मा का भाव देखने से भाव - स्वभाव की सभी बातें मेरे अंदर से स्वत: समाप्त होती जाती हैं ।
❉ सर्व शक्तियों के सागर शिव पिता परमात्मा की संतान, मैं आत्मा सदा शक्ति स्वरूप हूँ ।
❉ अपने शक्ति सम्पन स्वरूप की स्मृति से सर्व शक्तियों को इमर्ज कर मैं उचित समय पर उचित शक्ति के प्रयोग से सफलतामूर्त आत्मा बनती जाती हूँ ।
❉ लौकिक को आलौकिक में परिवर्तन कर सर्व कमजोरियों से मुक्त होने वाली मैं मास्टर सर्वशक्तिमान् आत्मा हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - अपने स्वीट बाप को याद करो तो तुम सतोप्रधान देवता बन जायेंगे, सारा मदार याद की यात्रा पर है"
❉ अपने मूल स्वरूप में आत्मा सम्पूर्ण पावन सतोप्रधान है और जब इस सृष्टि पर शरीर धारण कर पार्ट बजाने आती है तो सतोप्रधान अवस्था में ही आती है ।
❉ लेकिन अनेक जन्म पार्ट बजाते बजाते और विकारो में गिरते गिरते आत्मा सम्पूर्ण पतित तमोप्रधान बन जाती है ।
❉ आत्मा को तमोप्रधान से फिर सतोप्रधान बनाने और वापिस अपने घर परमधाम ले जाने के लिए ही पतित पावन बाप आते हैं और आ कर राजयोग सिखलाते है ।
❉ पतित पावन परम पिता परमात्मा बाप की याद से ही आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट उतर सकती है और आत्मा सम्पूर्ण पावन बन सकती है ।
❉ इसलिए बाप कहते हैं अपनी सतोप्रधान तकदीर बनाने के लिए याद में रहने का खूब पुरुषार्थ करो ।
❉ क्योकि सारा मदार याद की यात्रा पर है । स्वयं को आत्मा निश्चय कर अपने स्वीट बाप को याद करेंगे तो सतोप्रधान देवता बन जायेंगे ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ इस विनाशी शरीर में आत्मा ही मोस्ट वैल्यूबल है, वही अमर अविनाशी है । इसलिए अविनाशी चीज से प्यार रखना है ।
❉ बाप भी अविनाशी है इस लिए बाप के साथ प्यार बढ़ाना है। बाकी दुनिया में शरीर के सब सम्बन्ध विनाशी है।
❉ ज्ञान सागर परमात्मा शिव का ज्ञान भी अविनाशी है। शास्ट्रोबक ज्ञान विनाशी है। उनका ज्ञान इस विनाशी शरीर के साथ खत्म नही होता।
❉ परमात्मा बाप द्वारा दिया वर्सा भी अविनाशी है। 21 जन्म तक चलेगा। जबकि शरीर के बाप का वर्सा शरीर के साथ खत्म हो जायेगा।
❉ यह ड्रामा भी अविनाशी है यह कभी खत्म नही होता इस लिए आत्मा से प्यार के साथ ड्रामा के राज को भी समझना है और वाह वाह के गीत गाने है।
❉ आत्मा सतोप्रधान है तो शरीर भी सतोप्रधान है। इस लिए आत्मा को सतोप्रधान बनाने में ज्यादा ख्यालात चलानी है।
❉ जब सोने में अलॉय खत्म हो जायेगी तो गहना भी प्योर ही मिलेगा इस लिए अब इस वक़्त आत्मा को ही पहचानना है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ निराकारी, अलंकारी स्व स्थिति द्वारा सर्व परिस्थितियों को पार कर लेते है... क्यों और कैसे ?
❉ निराकारी स्थिति में रहने से देह अभिमान निकल जाता है, जब आत्मिक दृष्टि वृत्ति होती है तो कोई विकर्म नहीं होता, विकर्म होते ही है देह अभिमान में आने से। परिस्थितियाँ हमारे ही हिसाब किताब चुक्त कराने के लिए आती है।
❉ अलंकारी अर्थात अपने सर्व अलंकारो से, अपनी सर्व शक्तियों से सदा सजे हुए रहना। भक्ति में भी सभी देवी देवताओ को अलंकारो से सजे हुए दिखाते है, अलग अलग अलंकर अलग अलग शक्तियों की निशानी है, शक्ति स्वरुप रहने से परिस्थितियों पर विजय सहज प्राप्त हो जाती है।
❉ निराकारी व अलंकारी स्थिति ही में रहने वाले मनमनाभव और मध्याजीभव है। उनकी स्थिति इतनी श्रेष्ठ होती है की वह फरिश्तो समान ऊचा उड़ते रहते है और परिस्थियाँ निचे रह जाती है।
❉ जब स्व स्थिति उची होती है तो बाते छोटी छोटी लगने लगती है, स्व का भाव जितना पक्का होगा उतना अचल अडोल स्थिति होगी बात बात में हलचल में नहीं आएंगे लाइट और माइट रहेंगे।
❉ "स्व स्थिति ही हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त करने का आधार है", चाहे जो बात हो जाये अपनी स्थिति ख़राब नहीं होनी चाहिए, जब श्रेष्ठ स्थिति रहेगी तो एकाग्र मन से हर समस्या का समाधान नीकाल सकते है।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ संकल्प का एक कदम आपका तो सहयोग के हजार कदम बाप के... क्यों और कैसे ?
❉ संकल्प का एक कदम जब हम बढ़ाएंगे तो करनकरावनहार बाप की छत्रछाया के नीचे स्वयं को सुरक्षित अनुभव करेंगे और बाप के सहयोग के हजार कदम हर मुश्किल को सहज कर देंगे ।
❉ जब हर संकल्प और हर बात प्रभु अर्पण कर देंगे तो कदम - कदम पर परमात्म मदद का अनुभव हर मुश्किल को सहज बना देगा ।
❉ संकल्प से भी जब स्वयं को बाप पर समर्पित कर देंगे और सर्व सम्बंधों का सुख बाप से ही लेंगे तो हर सम्बन्ध निभाने के लिए बाप स्वयं हजार कदम से हमारी ओर आयेंगे और हमे हर मुश्किल से छुड़ा कर जीवन को सहज बना देंगे ।
❉ सदा हल्केपन द्वारा, हर मुश्किल को सहज अनुभव कर उड़ती कला में वही रह सकेंगे जो संकल्प का एक कदम बढ़ा कर बाप की मदद के हजार कदमो का अनुभव कर निश्चिन्त रहेंगें ।
❉ बुद्धि की लाइन जितनी क्लियर होगी, हर मुश्किल उतनी ही सहज अनुभव होगी और यह तब होगा जब हर संकल्प प्रभू अर्पण कर व्यर्थ संकल्पों से मुक्त रहेंगे और परमात्म सहयोग का अनुभव करते रहेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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