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❍ 14 / 01 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ देवताओं के चित्रों को सामने देखते हुए °दैवी गुण° धारण करने पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ "बाप की श्रीमत से हम °मनुष्य से देवता° बनते हैं" - यह स्मृति में रहा ?
‖✓‖ "इस °नॉलेज° से बढकर और कोई नॉलेज नहीं हो सकती" - इसी नशे में रहे ?
‖✓‖ °गुप्त ज्ञान का सिमरण° कर हर्षित रहे ?
‖✓‖ °ख़ुशी की खुराक° से सदा बेफिक्र डबल लाइट स्थिति का अनुभव किया ?
‖✗‖ साधनों में °बेहद की वैराग्य वृति की साधना° मर्ज तो नहीं होने दी ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °कंबाइंड रूप की सेवा° द्वारा आत्माओं को समीप सम्बन्ध में लाये ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ कर्मयोगी बन हर कार्य को कुशलता और सफलतापूर्वक करते हुए °चिंतामुक्त स्थिति° का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं कम्बाइन्ड रूपधारी आत्मा हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ कम्बाइन्ड रूप की सेवा द्वारा आत्माओं को समीप सम्बन्ध में लाने वाली मैं कम्बाइन्ड रूपधारी आत्मा हूँ ।
❉ आवाज से परे स्थिति में स्थित हो कर फिर आवाज में आना - ऐसे कम्बाइन्ड रूप की सेवा द्वारा मैं अनेक वारिस आत्माएं बनाती जाती हूँ ।
❉ हम सो फरिश्ता मन्त्र को पक्का कर मैं साकार और आकार के अंतर को समाप्त करती जाती हूँ ।
❉ मैं सेकण्ड में जब चाहे साकारी शरीर छोड़ आकारी फ़रिश्ता ड्रेस पहन और निराकार बिंदु स्वरूप में बाप से सहज मिलन मनाती हूँ ।
❉ सभी बातों में इजी रह, मैं देह अभिमान की टाइटनेस को समाप्त कर, सदा उपराम स्थिति में स्थित रहती हूँ ।
❉ सम्पूर्णता की रोशनी द्वारा अज्ञान का पर्दा हटाने वाली मैं आत्मा सर्च लाइट हूँ ।
❉ लाइट हाउस बन मैं सारे विश्व की आत्माओं को अज्ञान अन्धकार से निकलने का रास्ता बता रही हूँ ।
❉ सारे विश्व को हलचल से बचा कर, स्वर्णिम संसार बनाने वाली मैं आत्मा इस धरती का चेतन्य सितारा हूँ ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - बाप की श्रीमत से तुम मनुष्य से देवता बनते हो, इसलिए उनकी श्रीमत का शास्त्र है सर्व शास्त्र शिरोमणी श्रीमद् भगवत गीता"
❉ सभी शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ शास्त्र शिरोमणी भगवत गीता को माना गया है । इस लिए गीता को रिलीजस बुक कहा जाता है ।
❉ क्योकि यह शास्त्र स्वयं परम पिता परमात्मा की श्रीमत का शास्त्र है जो संगम युग पर स्वयं परमात्मा बाप ब्रह्मा तन में अवतरित हो कर देते हैं ।
❉ गाया भी जाता है कि श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत है उंच ते उंच भगवान की । वही भगवान संगम युग पर आ कर ब्रह्मा मुख द्वारा हमे सच्ची गीता का ज्ञान सुनाते हैं ।
❉ इस ज्ञान को सुन कर और परमात्मा बाप की श्रेष्ठ मत पर चल कर हम मनुष्य से देवता बन जाते हैं ।
❉ जिसका गायन फिर भक्ति मार्ग में होता है और मनुष्य समझते हैं कि गीता कृष्ण ने गाई ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ गुप्त ज्ञान का सिमरण कर हर्षित रहना है । देवताओं के चित्रों को सामने देखते, उन्हें नमन वंदन करने के बजाए उन जैसा बनने के लिए दैवीगुण धारण करने हैं
❉ इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर हम ब्राह्मण बच्चे ही जानते है कि स्वयं भगवान इस धरा पर अवतरित हो चुके हैं व हमें अपने असली स्वरुप की पहचान दी है । सच्ची सच्ची गीता सुना रहे हैं तो इस गुप्त ज्ञान को अच्छी रीति धारण कर हर्षित रहना है ।
❉ कलयुगी दुनिया वाले तो नहीं जानते है कि ज्ञान का सागर ऊंच ते ऊंच बाप भगवान स्वयं हमें श्रेष्ठ मत देते है व हमें स्वयं पतितों की दुनिया में आकर पढ़ाते हैं , विकारी मनुष्य से श्रेष्ठाचारी देवता बनाने आते हैं तो कितने भाग्यशाली है हम!! इन अनमोल गुप्त खजानों से भरपूर होकर सदैव खुशी व नशे में रहना है ।
❉ हम सब आत्माओं का पिता एक ही है परमपिता परमात्मा सदा शिव । बाप चैतन्य मनुष्य सृष्टि का बीज रुप है व प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा हमें सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान दे रहे हैं । बाप के सिवाय ये ज्ञान हमें कोई ओर दे ही नही सकता ।
❉ भक्ति मार्ग में जो देवी देवताओं के चित्रों के आगे हम वंदन करते थे अब ज्ञानमार्ग में इन चित्रों से हमें ज्ञान मिलता है कि हमें ऐसा बनना है व दैवीगुण धारण करने हैं । इस संगमयुग पर स्वयं परमात्मा हमें पढ़ाकर मनुष्य से देवता बना रहे हैं ।
❉ बाबा का गुप्त ज्ञान औरों को दे दुनिया वालो का यह भ्रम दूर करना है कि देवी देवता कहीं ऊपर नही रहते वो संगम पर ही बन रहे है जिन्हे ऊंच ते ऊंच भगवान बना रहे है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ कम्बाइंड रूप की सेवा द्वारा आत्माओ को समीप सम्बन्ध में लाने के लिए कम्बाइंड रूपधारी होकर रहना है... क्यों और कैसे ?
❉ बाबा के साथ सदा कम्बाइंड रहना अर्थात बुद्धि में सदा बाप की याद रहे, जो भी कर्म करे बाबा को साथ रख कर करे, एक बाप दूसरा न कोई यही याद रहे।
❉ शिव शक्ति पांडव सेना गया जाता है, शिव के साथ शक्तियाँ सदा कम्बाइंड है, यही स्मृति रहे की में शिव शक्ति हु तो बाबा की छत्र छाया के निचे रहेंगे।
❉ जितना बाप के साथ कम्बाइंड रहेंगे उतना हममें रूहानियत आती जाएगी सबको हमसे बाप की अनुभूति होगी, वह रूहानी आकर्षण में बाप की समीपता का अनुभव करेंगे।
❉ बाप के साथ कम्बाइंड होकर सेवा करने से आत्माओ को सुनने के साथ-साथ, उन्हें अनुभव भी बहुत अच्छा होगा। सुना हुआ कोई भूल सकता है परन्तु जिसने परमात्म स्नेह अनुभव कर लिया वह उसे कभी भूल नहीं सकता।
❉ बाबा के साथ कम्बाइंड होकर सेवा करने से बाबा बुद्धि को इतनी अच्छी अच्छी पॉइंट्स टचिंग कराते है जो पहले कभी सोची नहीं होगी, जैसे बाप स्वयं हमारे द्वारा अपने बच्चे का कल्याण कर रहे हो।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ साधनो में बेहद के वैराग्यवृति की साधना मर्ज होने ना दे... कैसे ?
❉ जब कमल पुष्प समान न्यारे व प्यारे बन साधनो को यूज़ करेंगे तो साधन साधना में मददगार बन जायेंगे और उपराम वृति होने के कारण साधनो में बेहद के वैराग्य वृति की साधना मर्ज नही होगी ।
❉ जब साधनो पर निर्भर रहने की बजाए साधना से अपनी स्थिति को पावरफुल बना कर कर्मयोगी बन उड़ती कला का अनुभव करते रहेंगे तो बेहद की वैराग्य वृति साधना को मर्ज नही होने देगी ।
❉ जितना आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित रहेंगे उतना शरीर रूपी प्रकर्ति की अधीनता से मुक्त हो जायेंगे और साधनो पर निर्भर रहने की बजाए साधना करते हुए बेहद के वैरागी बन श्रेष्ठ कर्मो में प्रवृत रहेंगे ।
❉ साधनो की निर्भरता आत्मा को विनाशी इन्द्रिय सुख में धकेल कर, उसे अविनाशी अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति से वंचित कर देती है । किन्तु साधन जब न्यारे और प्यारे बन कर यूज़ करते हैं तो बेहद की वैराग्य वृति को धारण कर अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहते हैं ।
❉ साधनो का दास बनने वाले सदा माया से हार खाते रहते हैं और विघ्नों में फंस, सदा दुखी होते रहते हैं किन्तु बेहद के वैरागी बन जब साधनो को यूज़ करते हैं तो साधना मर्ज नही होती और कर्म में योग का अनुभव करते हुए मायाजीत बन जाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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