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   20 / 01 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °गुप्त याद की यात्रा° पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ बेहद सेवा में दधिची ऋषि की तरह अपनी °हड्डी हड्डी स्वाहा° करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

‖✓‖ सदा कल्याणकारी बाप का °साथ और हाथ° अनुभव किया ?

 

‖✓‖ अंतिम °विनाश की सीन° देखने के लिए स्वयं को तैयार किया ?

 

‖✓‖ दिन में बार बार °मुक्तिधाम की यात्रा° की ?

 

‖✗‖ कभी °माया के परवश° तो नहीं हुए ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ बापदादा को अपना °साथी° समझकर डबल फ़ोर्स से कार्य किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ ब्रह्मा बाप समान निरंतर °साक्षीपन की सीट° पर स्थित रह अपनी रूहानी शान में रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सहजयोगी आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   बापदादा को अपना साथी समझ कर डबल फ़ोर्स से कार्य करने वाली मैं सहजयोगी आत्मा हूँ ।

 

 ❉   बापदादा को सदा अपना साथी बनाने से सहज याद की यात्रा पर चलते हुए मैं हल्केपन का अनुभव करती हूँ ।

 

 ❉   बापदादा का पावरफुल संग मुझे कार्य करने की एक्स्ट्रा एनर्जी प्रदान करता है जिससे हर कार्य सहज ही सम्पन्न हो जाता है ।

 

 ❉   मैं आत्मा अपने सच्चे साथी के संग में सहज ही सर्व से न्यारी और प्यारी बनकर रहती हूँ ।

 

 ❉   मुझ आत्मा का किसी भी तरफ लगाव व झुकाव नहीं रहता इसलिए सदा मायाजीत बनकर रहती हूँ ।

 

 ❉   भले कैसी भी परिस्तिथि हो लेकिन सहज योगी बन बाप की मदद से मैं हर परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती हूँ।

 

 ❉   मैं आत्मा सदा सर्व संबंधो की अनुभूति व प्राप्ति में मगन रहती हूँ जिससे पुरानी दुनिया के वातावरण से सहज ही उपराम रहती हूँ ।

 

 ❉   निरन्तर योगी बन मैं बाप की छत्र छाया को निरन्तर अपने ऊपर अनुभव कर सदा अतेंद्रिय सुख के झूले में झूलती रहती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारी याद की यात्रा बिल्कुल ही गुप्त है, तुम बच्चे अभी मुक्तिधाम में जाने की यात्रा कर रहे हो"

 

 ❉   भगवान को पाने के लिए मनुष्य अनेक प्रकार की तीर्थ यात्राओं पर जाते हैं । किन्तु परमात्मा कौन हैं, कहाँ रहते हैं, क्या आ कर करते हैं यह यथार्थ ज्ञान ना होने के कारण दर - दर की ठोकरें ही खाते रहते हैं ।

 

 ❉   क्योकि जब तक परमात्मा स्वयं आ कर अपना यथार्थ परिचय ना दे तब तक कोई भी मनुष्य यह जान ना सके कि परमात्मा को पाने की यथार्थ विधि क्या है ।

 

 ❉   इसी कारण आज दिन तक परमात्मा को याद तो सभी करते आये किन्तु उनकी यथार्थ पहचान ना होने के कारण उन्हें यथार्थ रीति याद भी नही कर पाये ।

 

 ❉   किन्तु अब संगम युग पर परमात्मा ने स्वयं आ कर अपनी और हमारी यथार्थ पहचान हमे दे कर याद की यथार्थ विधि बताई है ।

 

 ❉   हमारी यह याद की यात्रा बिल्कुल ही गुप्त है क्योकि कोई भी इस बात को नहीं जानते कि हम अभी मुक्ति धाम जाने की यात्रा कर रहें हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ अव्यक्त वतनवासी फरिश्ता बनने के लिए बेहद  सेवा में दधीचि ऋषि की तरह अपनी हड्डी हड्डी स्वाहा करनी है ।

 

  ❉   ये शरीर विनाशी है व मिट्टी में ही मिल जाना है तो क्यूं ना जितना ज्यादा से ज्यादा इसे बेहद की सेवा में लगाकर सफल करें व बस एक बाप की याद में ही रहकर व्यक्त मे रहते हुए याद से फरिश्ता बन जायेंगे ।

 

  ❉   अभी तक तो लौकिक में ही अपना तन मन धन लगाते रहे व हमेशा दुखी अशांत ही रहे । अब हमें बेहद का बाप बेहद का वर्सा देने आयें है तो हमें अपनी हड्डी हड्डी यज्ञ सेवा मे लगाकर स्वाहा करनी है ।

 

  ❉   जब स्वयं बाप ने हमें अपना बना लिया व हम उसके हो गये तो हमें हद के रिश्तों से परे रह फरिश्ता बनना है । जब सब हदें पार कर ली तो सेवा भी हद से पार बेहद की होनी चाहिए ।

 

  ❉   जैसे ब्रह्मा बाबा ने अपनी हद की सीमाएं एक झटके में पार कर बेहद की सेवा में अपना तन मन धन समर्पण कर दिया व जब तक व्यक्त रहे तब तक अपनी हड्डी हड्डी लगाते रहे तो हमें भी फॉलो फादर करना है ।

 

  ❉   ब्रह्मा बाप समान देह का भान भूल कर हर  समय, हर परिस्थिति में  विश्व परिवर्तन की जिम्मेवारी के लिए तैयार रह तपस्या करनी है

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ बापदादा को अपना साथी समझकर डबल फाॅर्स से कार्य करने वाले सहजयोगी बन जाते है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सर्वशक्तिमान बाप के साथ द्वारा हम आत्माये भी चार्ज हो जाती है, फुल चार्ज होकर कोई भी कर्म करते है तो वह कर्म की सिद्धि निश्चित है।

 

 ❉   बाप जैसे रेल गाड़ी का इंजन है और हम सब उसके डब्बे, इंजन के साथ जुड़े रहने से हम आत्माये बहुत लम्बा सफ़र सहज ही पार कर सकते है वो भी बिना रूकावट, थकावट व मेहनत के।

 

 ❉   बाबा सदा हमारी साथी है, वह सदा साथ निभाता है इसलिए हर कर्म से पहले 2 मिनिट के लिए बाबा का आव्हान करले की "मीठे बाबा प्यारे बाबा आ जाओ" बाप के साथ से हर कर्म सहज हो जायेगा कोई कठिनाई या गलती नहीं होगी।

 

 ❉   "जिसका साथी हो भगवान उसको क्या रोकेगी आंधी और तूफ़ान", बाप के साथ से बाप की छत्र छाया के निचे स्वयं को बहुत सेफ अनुभव करेंगे। निश्चिंत रहकर कर्म करेंगे तो एकाग्रता बढ़ेगी जिससे वह कर्म बहुत सुन्दर निखर कर आयेगा और सफलतामूर्त बन जायेंगे।

 

 ❉   कोई भी कर्म यदि एक सिंगल इंजन से करे तो मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है, और वाही कार्य यदि दो इंजन से करे तो बहुत जल्दी, बहुत अच्छा और बहुत सहज तरीके से समाप्त हो जायेगा  ऐसे ही बाबा के साथ कंबाइन होकर कर्म करो।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ महारथी वह है जो कभी माया के प्रभाव में परवश ना हो... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   जो अपनी कर्मेन्द्रियों को वश में कर कंट्रोलिंग और रूलिंग पॉवर द्वारा स्व - स्थिति को पावरफुल बना लेते हैं वह महारथी बन माया के प्रभाव से सदैव मुक्त रहते हैं ।

 

 ❉   जो अधिकारी पन की स्मृति में रह कर्म करते हैं वे महारथी बन सर्व शक्तियों की प्राप्ति का अनुभव करते हुए माया के हर तूफान से बचे रहते हैं ।

 

 ❉   बाप दादा द्वारा मिले सर्व खजानो और सर्व शक्तियों की अथॉरिटी की स्मृति और नशे में रहने वाले हर परिस्थिति पर सहज ही विजय प्राप्त कर माया को वश में कर लेते हैं ।

 

 ❉   स्वयं को बापदादा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करते हुए, मन बुद्धि को ईश्वरीय सेवा में बिज़ी रखने वाले महारथी बन माया के रॉयल रूप को पहचान कर उस पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेते हैं ।

 

 ❉  जो स्वयं को सदा बालक सो मालिक की सीट पर सेट रखते हैं वे महारथी आत्मा बन बालक और मालिकपन के बैलेंस द्वारा मायाजीत बन माया पर विजय प्राप्त कर लेते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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