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   16 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ आत्माओं को °आप समान° बनाने की सेवा कर आशीर्वाद प्राप्त की ?

 

‖✓‖ बाबा को °खुदा दोस्त° के सम्बन्ध से अनुभव किया ?

 

‖✓‖ किसी भी देहधारी को याद न कर °सिर्फ एक बाप को याद° किया ?

 

‖✓‖ हर कदम °बाप की मत° पर चले ?

 

‖✓‖ बाप के समान °दुःख हर्ता सुख कर्ता° बनकर रहे ?

 

‖✗‖ °व्यर्थ बोल° से आत्माओं को डिस्टर्ब तो नहीं किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °नॉलेज की लाइट° द्वारा पुरुषार्थ के मार्ग को सहज और स्पष्ट किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ मस्तक में सदा °परमात्म पालना, परमात्म पढाई और परमात्म प्राप्तियों° की तीन लकीरें चमकती रही ?

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ मनुष्य से देवता बनने की यह पढ़ाई सदा पढ़ते रहना है । सबको आप समान बनाने की सेवा करके आशीर्वाद प्राप्त करना है ।

 

  ❉   इस संगमयुग पर स्वयं बाप सुप्रीम टीचर बन इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाने आते है व पढ़ाकर हमें पतित से पावन , कौड़ी से हीरे तुल्य , पत्थर बुद्धि से पारस बुद्धि , मनुष्य से देवता बना रहे हैं । तो कितने भाग्यशाली है हम !!

 

  ❉   ये रुहानी पढ़ाई बहुत वंडरफुल है इसे बच्चे,बड़े, बूढ़े सब एक साथ पढ़ते हैं व सब के लिए एक ही पढ़ाई है जिसे पढ़कर हम देवी देवता बनते है तो इसे कभी मिस नही करनी है व् रोज पढ़ते रहना है।

 

  ❉   जैसे बाप निरहंकारी बन हर समय बच्चों की सेवा के लिए एवररेडी रहते हैं व हमें आप समान बनाने की सेवा करते हैं तो हमें भी ये रुहानी सेवाकर दूसरों को बाप व् आप समान बनाना है ।

 

  ❉   दुःखी अशांत आत्माओं को बाप का परिचय देकर व बाप से मिलने का रास्ता बताकर उनका कल्याण करना है व रहमदिल बन हमेशा दूसरों की सेवा कर दुआओं का पात्र बनना है ।

 

  ❉   लौकिक में भी जब हम किसी जरुरतमंद की समय पर मदद करते हैं तो कितना आशीर्वाद प्राप्त करते है । फिर अब तो हम बेहद बाप के बच्चे हैं व बेहद बाप से बेहद का सच्चा ज्ञान लेकर दूसरों को ये ज्ञान धन बांटते रहना है व देना ही लेना है । जितना बांटते हैं उससे ही अधिक दुआओं से प्राप्त करते है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-20)

 

➢➢ नॉलेज की लाइट द्वारा पुरुषार्थ के मार्ग को सहज और स्पष्ट करने वाले फरिशता स्वरुप होते हैं...क्यों और कैसे ?

 

  ❉   नॉलेज की लाइट द्वारा पुरुषार्थ के मार्ग में कोई भी बड़ी से बड़ी बात आ जाए बस "बाबा" कहा और पहाड़ जैसी बात रुई समान समझ उसे सहज पार कर हल्के रहते हैं । जैसे कोई शक्ति चला रही है व हर कर्म में मदद की महसूसता कर फरिशता रुप में नजर आते है ।

 

  ❉   मनसा के लिए मनन शक्ति और वाचा कर्मणा के लिए सहनशक्ति को धारण करने से मन से जो शब्द बोलेंगे वह साधारण नही होंगे , जो कर्म करेंगे वह उसके प्रमाण ही करेंगे । लाइट और माइट से फरिश्तेपन की स्थिति स्पष्ट दिखाई देगी ।

 

  ❉   नॉलेजफुल होने से क्या, क्यूं में मूंझते नहीं है । हर बात सहजता से करते हल्के रहते हैं । हद की स्थिति से निकल बेहद में रह सर्व के प्रति कल्याण की भावना रखते हुए फरिश्ता स्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   बाबा जो ज्ञान देते श्रीमत प्रमाण उस ज्ञान का मनन करने से उसकी धारणा अच्छी रीति हो जाती है । जिस बात को धारण करते हैं तो वो शक्ति बन जाती है और कार्य में सहजता हो जाती है ।

 

  ❉   जब नॉलेज के द्वारा कोई बोझ नही रखते तो हमेशा हर परिस्थिति से उपराम फरिश्ता स्वरुप बन कर रहते हैं । जैसे ब्रह्मा बाबा नॉलेज की लाइट द्वारा तीव्र पुरुषार्थी बन हर कार्य को सहजता से करते चले गए ।

 

  ❉   नॉलेज द्वारा अनासक्त और उपराम रह कर हर एक को स्नेह और रिगार्ड देकर चलने वाले सहज पुरुषार्थी ही फ़रिश्ता स्वरूप होते है ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ व्यर्थ बोलना अर्थात अनेकों को डिस्टर्ब करना... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   व्यर्थ बोलने वाला शांतपूर्ण वातावरण में अशांति के वायब्रेशन्स फैला कर शांत चित आत्माओं को भी हलचल में ले आता है और अनेकों को डिस्टर्ब करने का कारण बन जाता है ।

 

 ❉   व्यर्थ बोल बोलने वाले सदैव असन्तुष्ट रहते हैं । इसलिए हर बात के लिए शिकायते ही करते रहते हैं और अपनी व्यर्थ की शिकायतों से दूसरों को भी डिस्टर्ब करते रहते हैं ।

 

 ❉   व्यर्थ बोल बोलने वाले स्वयं भी संगम युग के समय के अनमोल खजाने को व्यर्थ गंवाते रहते हैं तथा व्यर्थ बातों से दूसरों का भी समय वेस्ट कर उन्हें डिस्टर्ब करते रहते हैं ।

 

 ❉   व्यर्थ बातों में अपना समय गवाने वाले कभी भी श्रेष्ठ और समर्थ चिंतन नही कर पाते और अपने व्यर्थ संकल्पों से नेगेटिव एनर्जी उत्तपन्न कर औरों को भी नेगेटिव एनर्जी पहुंचा कर उन्हें डिस्टर्ब करते रहते है ।

 

 ❉   व्यर्थ बोल आत्मा की शक्ति को क्षीण कर देते हैं । आत्मिक बल ना होने के कारण मनुष्य स्वयं को कमजोर और दुखी अनुभव करता है तथा अपने आस - पास के वातावरण को भी दुखी और अशान्त बना कर अनेक आत्माओं को डिस्टर्ब करता है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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