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   28 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ अपनी चेकिंग की की °बुधी का भोजन "संकल्प"° बाप समाने रहे ?

 

‖✓‖ अपनी चेकिंग की की °मुख का भोजन "बोल"° बाप समाने रहे ?

 

‖✓‖ अपनी चेकिंग की की °हाथों का, पांवों का भोजन "कर्म" बाप समाने रहे ?

 

‖✓‖ अपने °भाग्य की स्मृति° में रह स्वयं को महान अनुभव किया ?

 

‖✓‖ पुरानी दुनिया के वातावरण के प्रभाव से दूर सदा °ऊंची पहाड़ी की स्टेज° पर स्थित रहे ?

 

‖✓‖ अथक होने के साथ साथ सदा °एकरस स्थिति° बनी रही ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ याद के मन्त्र द्वारा संकल्प और कर्म में °अविनाशी सिद्धि° प्राप्त करने पर विशेष अटेंशन रहा ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ अपने भाग्य की स्मृति में रह स्वयं को महान अनुभव करना है ।

 

  ❉   दुनिया वाले भगवान के क्षण भर के दर्शन के लिए कहां कहां तीर्थ यात्रा करते भटकते रहते व प्राप्त कुछ भी नही हुआ । और हमें स्वयं भगवान ने कोटो में कोई और कोई मे भी कोई मे से चुनकर अपना बच्चा बनाया । अपने श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति से अपने को सदा महान अनुभव करना है ।

 

  ❉   जैसे किसी बड़े डाक्टर से एपाऐंटमेंट लेनी होती है तो कितनी इंतजार करनी होती है व कितनी फीस देनी पड़ती है और ऊंच ते ऊंच बाप अमृतवेले रोज स्वयं मिलने आते व अपने बच्चों से ही खास मिलने का समय होता कोई एपाऐंटमेंट नही लेनी पडती । कितना महान भाग्य है !!

 

  ❉   जिस सुख शांति को पाने के लिये तपस्वी घर बाहर छोड़ जंगलों मे भटकते है व पूरा जीवन लगा देते हैं और हमें सुख शांति के सागर ने सुख शांति का रास्ता बताकर सुख शांति से भरपूर कर भाग्यवान बना दिया । यह स्मृति में रख सदा अपने को महान समझना है ।

 

  ❉   स्वयं भगवान रोज दूरदेश से आकर सुप्रीम टीचर बन पढ़ाने आते हैं और अनमोल अखूट खजानों से भरपूर करते हैं व ज्ञान रत्नों से हमारा श्रृंगार करते हैं । कितना ऊंच भाग्य पाया है । यह स्मृति में रख ज्ञान रत्न धारण कर महान बनना व बनाना है ।

 

  ❉   स्वयं भगवान सुप्रीम सदगुरु बन इस तमोप्रधान दुनिया में आकर पवित्रता का पाठ पढ़ाते , गति सदगति का रास्ता बताते । पावन बनाकर अपने साथ पावन दुनिया में ले जाकर 21जन्मों के लिए वर्सा दिलाते । ऐसे ऊंच भाग्य की स्मृति से स्वयं को महान अनुभव करना है ।

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∫∫ 5 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-20)

 

➢➢ याद के महामंत्र द्वारा संकल्प और कर्म में अविनाशी सिद्धि प्राप्त करने वाले सिद्धि स्वरुप होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जैसे लौकिक में कोई एक काम रोज बार बार करते हैं तो उस काम को आंख बंद करके करते हुए भी सफल होते हैं तो हमारी एक बाप से भी लगन ऐसी होनी चाहिये । भल हाथ से कर्म करते रहें व बुद्धियोग एक बाप से ही जुडा हो । 'बाबा ' मंत्र से ही हर संकल्प व कर्म में सिद्धि प्राप्त कर सिद्धि स्वरुप हो जाते हैं ।

 

  ❉   बाबा ने अपने बच्चों को एक जादूमंत्र दिया है " मनमनाभव "। इसी मंत्र द्वारा हर संकल्प और कर्म में अविनाशी सिद्धि प्राप्त करते सिद्धि स्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   बहुकाल का याद का बल व योगबल इतना जमा हो कि बस बाबा कहा व हजार भुजाओं वाला सर्वशक्तिमान बाप की छत्रछाया का अनुभव करते हुए हर मुश्किल में सहज सफलता प्राप्त कर सिद्धिस्वरुप होते हैं ।

 

  ❉   जब याद इतनी पावरफुल  होती है व बाप से इतनी लगन होती है तो जो संकल्प करते हैं या कर्म करते हैं तो संकल्प शक्ति से अविनाशी सिद्धि प्राप्त करते हैं व सिद्धिस्वरुप बनते हैं ।

 

  ❉   हम सर्वशक्तिवान बाप के बच्चे हैं हमें वाणी से या अन्य यंत्र मंत्र की आवश्यकता नहीं है । सर्व के प्रति आत्मिक दृष्टि रखते शुद्ध संकल्पों से सर्व का कल्याण करने वाले सिद्धिस्वरुप होते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ एक्शन कानसेस के बजाए सोल कानसेस बनो... क्यों ?

 

 ❉   एक्शन कानसेस के बजाए सोल कानसेस बन जब हर कर्म करेंगे तो ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन आत्मा को मिलता रहेगा और मनमनाभव की स्थिति आत्मा को लाइट स्थिति का अनुभव करवाती रहेगी ।

 

 ❉   एक्शन कानसेस के बजाए सोल कानसेस स्थिति में स्थित होने से हर कर्म करते मन ही मन ज्ञान का चिंतन चलता रहेगा जिससे बाप की याद बनी रहेगी और हर कर्म योग युक्त और युक्तियुक्त होगा ।

 

 ❉   आत्म स्थिति में स्थित हो कर हर कर्म करने से आत्मा को ईश्वरीय बल मिलता रहेगा । जो मन बुद्धि को व्यर्थ से मुक्त कर हर संकल्प, वाणी और कर्म को बलशाली बना कर उसे रूहानियत से भरपूर कर देगा ।

 

 ❉   सोल कानसेस बन जब हर कर्म करेंगे तो हर कर्म करते निमित पन का भाव बुद्धि में रहेगा जिससे करन करावन हार बाप की स्मृति बनी रहेगी और हर कर्म में योग का अनुभव कर्म को सहज और श्रेष्ठ बना देगा ।

 

 ❉   जितना आत्म अभिमानी स्थिति में स्थित रहने का अभ्यास होगा उतना सभी बातों से सहज ही किनारा होता जायेगा और हर कर्म करते स्वयं को कर्म के प्रभाव से मुक्त अनुभव करेंगे और यह अनुभव आत्मा को शक्तिशाली बनाकर आत्मिक उन्नति में सहायक बन जायेगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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