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❍ 02 / 06 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ ईश्वरीय बचपन को भूल ×मुरझाये× तो नहीं ?
➢➢ इन आँखों से जो कुछ दिखाई देता है, उसे √देखते हुए भी नहीं देखा√ ?
➢➢ ×देहधारियों को याद× कर रोये तो नहीं ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ हर √कर्म रुपी बीज√ को फलदायक बनाया ?
➢➢ √मनमनाभव√ की स्थिति में रह अलोकिक सुख व मनरस स्थिति का अनुभव किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा योग्य शिक्षक हूँ ।
✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-
➳ _ ➳ आराम से योगयुक्त स्तिथि में बैठ जाएँ... आज हम आत्माएं अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करेंगीं... मैं पुरुषोत्तम संगमयुगी सच्चा सच्चा ब्रह्मा मुखवंशावली ब्राहमण हूँ... त्रिनेत्री... त्रिकालदर्शी...
➳ _ ➳ मैं स्वदर्शनचक्रधारी ब्राहमण हूँ... कुलभूषण वरदानी मूर्तविजयी रत्न हूँ... मुझ आत्मा को स्वयं भगवान ने चुना है... मेरे जैसा भाग्यवान और कोई नहीं है... मैं परमात्म पालना में पलने वाली आत्मा हूँ... मैं पूज्य और पूर्वज हूँ...
➳ _ ➳ मैं मास्टरसर्वशक्तिवान विजयी रतन हूँ... मैं सर्वखज़ानों, वरदानों और छत्रछाया में पलने वाली आत्मा हूँ... परमात्मा का मीठा, प्यारा, रूहानी, लाडला, सफल, संम्पन, सम्पूर्ण भरपूरविजयी बच्चा हूँ... मैं अपने हर कर्म रूपी बीज को फलदायक बनाने वाली योग्य शिक्षक हूँ...
➳ _ ➳ योग्य शिक्षक उसे कहा जाता है- जो स्वयं शिक्षा स्वरुप हो क्योंकि शिक्षा देने का सबसे सहज साधन है स्वरुप द्वारा शिक्षा देना... इसलिए मैं आत्मा आज अपने प्यारे बाबा के समश यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं स्वयं शिक्षा स्वरुप बनूँगी...
➳ _ ➳ यह दृढ़ संकल्प लेते ही मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ की मेरा हर कदम अन्य आत्माओं को शिक्षा दे रहा है... मेरा हर बोल वाक्य नहीं लेकिन महावाक्य स्वरुप बन रहें हैं... मेरा कोई भी कर्म निष्फल नहीं हो रहा है... मैं आत्मा योग्य शिक्षक बन अपना हर संकल्प आत्माओं को नई सृष्टि का अधिकारी बना रहीं हूँ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने के लिए सदा इसी स्म्रति में रहो कि हम किसके बच्चे है, अगर बाप को भूले तो सुख गुम हो जायेगा"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे सच्चे पिता को जो भूले तो सुखो से दूर हो चले... अतीन्द्रिय सुख की सुखद अनुभूति के लिए सच्चे पिता को याद करो... अपने शानदार भाग्य को सराहो... कि स्वयं ईश्वर ने आकर चुना है... इस खूबसूरत याद को भूले तो सुख गुम हो जायेगा...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे सदा इसी खूबसूरत मीठे नशे में रहो की हम किस महा पिता के बच्चे है... तो सुखो के आनन्द के झूले में झूलते ही रहेंगे... यह विस्मर्ति ही सारे दुखो की जड़ है... यह सारे सुख छीन लेगी... इसलिए मीठे पिता के साथ अपने मीठे सम्बन्ध् को न भूलो...
❉ प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे कितना प्यारा भाग्य है की विश्व पिता पिता बन जीवन में सजा है... इस सुख से बड़ा कोई सुख नही इससे बड़ी कोई और ख़ुशी नहो... यह भूलना ही दुखो की भरी कालिमा को जीवन में ले आयेगी...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे अतीन्द्रिय सुख से जीवन छलक रहा है क्योकि ईश्वरीय बच्चे बन ईश्वरीय गोद में आ बेठे हो... यह नशा सारी खुशियो को दिल में भर लाएगा और इसकी विस्मर्ति ही सारे दुःखमय पलो से जीवन भर देगी...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चे ऐसा भाग्य तो विरलों का ही कहलायेगा की ईश्वर पुत्र बन चले हो... स्वयं ईश्वर ने अपना वारिस चुना है आप ईश्वरीय पसन्द हो... यह कितनी प्यारी जादूगरी है... इसे सदा यादो में बसाओ सारे सुख इसी याद में समाये हुए है...
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ एक बाप की याद में ही कमाई है इसलिए देहधारियों को याद कर रोना नहीं है । बाप और वर्से को याद कर विश्व की बादशाही लेनी है ।
❉ लौकिक में तो जो कमाई करते हैं उससे अल्पकाल के सुख व खुशी मिलती है । अभी तक तो बस इसी कमाई को करने में ही अपना सारा समय गंवा दिया व इसी को ही अपना सब समझते रहे व लगे रहे । भल कितना भी धन जोड़ा किसी ने व कितना ही अमीर क्यूं न हो ये विनाशी धन कोई साथ नही ले जा सका सब यही रह गया ।
❉ अब विनाशी कमाई में अपना सारा समय नही लगाना बस जितना जरुरी है उतना ही समय लगाना है । इस संगमयुग पर हम अपने सच्चे बाप को जान गए हैं व मोस्ट बिलवेड बाप है । अपने को आत्मा समझ परमात्मा बाप को याद करना है व अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करनी है ।
❉ बाप को याद करने से ही विकर्म विनाश करने हैं व आत्मा पर लगी खाद उतारनी है । आत्मा पावन व मीठी हो जायेगी । अविनाशी बाप को याद कर अविनाशी कमाई करनी है । यही सच्ची कमाई हैं जो साथ जानी है । बस अपना बुद्धियोग बाप से ही जोड़े रखना है ।
❉ ये देह व देहधारियों से कोई मोह नही रखना । ये तो सब कब्रदाखिल होने ही है व विनाशी है । ये देह भी बस एक वस्त्र की तरह है जैसे वस्त्र पुराना होता है तो उसे छोड़ देते है ऐसे ही ये शरीर भी पुराना हो गया इसे छोड नया धारण करना है । यहां तो इस सृष्टि रुपी रंगमंच पर सब अपना अपना पार्ट बजाने आए है व फिर चले जाना है । इसलिए उन्हें याद कर रोना नही है ।
❉ बस सर्व सम्बंध एक बाप से ही रखने हैं - मेरा तो बस शिव बाबा दूसरा न कोई । जैसे लौकिक में बच्चा बाप के वर्से का अधिकारी होता है ऐसे ही सर्वशक्तिमान बाप के बनते ही बाप के वर्से के अधिकारी बनते हैं और बाप स्वयं हमें पढ़ाकर 21 जन्मों के लिए विश्व की बादशाही देते है व मालिक बनाते है । ऐसे ऊंच ते ऊंच बाप को व वर्से को याद कर विश्व का मालिक बनना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ हर कर्म रुपी बीज को फलदायक बनाने वाले योग्य शिक्षक होते हैं.... क्यों और कैसे ?
❉ जो बच्चे बाप का हाथ व साथ अपने साथ अनुभव करते हुए कर्मयोगी होते हैं वे अपनी कर्म शक्ति द्वारा शक्ति स्वरुप बन जिस शक्ति की जरुरत होती उसे यूज कर कर्मों में श्रेष्ठता लाते है व शक्ति स्वरुप बन जाते हैं व दूसरी आत्माओं के आगे कर्म की पहचान से उनके लिए योग्य शिक्षक होते हैं ।
❉ जैसे कोई बीज बोते है तो उसे समय समय पर सही पानी देते रहते हैं तो वो बीज फलदायक होता है । ऐसे ही जो बच्चे सुप्रीम टीचर की हर श्रीमत प्रमाण कर्म करते है व बाप की याद में करते हैं तो उनका हर कर्म श्रेष्ठ होता है व दूसरों के लिए प्रेरणादायक होता है । ऐसे बच्चे योग्य शिक्षक होते है ।
❉ जो योग्य शिक्षक होता है वो स्वयं शिक्षा स्वरुप होता है । वो जो शिक्षा देता है हर कदम पर स्वयं भी फॉलो करता है । उनका हर कर्म रुपी बीज फलदायक होता है । उनका हर बोल महावाक्य होता है व रीति प्रमाण व सुखदायक होता है ।
❉ जो बच्चे ये स्मृति में रखते कि हम ज्ञान सागर बाप के बच्चे हैं, सुप्रीम टीचर के बच्चे हैं । ज्ञान का हर प्वांट नॉलेज है , शस्त्र है व हमारा हर बोल कर्म बाप समान हो व श्रीमत प्रमाण ही चलते तो हर कर्म में श्रेष्ठता होती । बाप की हर शिक्षा को धारण कर प्रेक्टिकल स्वरुप बन सर्व आत्माओं के लिए योग्य शिक्षक होते हैं ।
❉ जैसे ब्रह्मा बाप ने हर कर्म करते आत्म अभिमानी बन कर हर कर्म बाबा को समर्पित किया । हर कर्म विश्व कल्याण के निमित बन कर किया और उनका हर कर्म चरित्र के रूप में गाया जाता है ऐसे हर कर्म रूपी बीज को सर्व के कल्याण में करने वाले योग्य शिक्षक होते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ मनमनाभव की स्थिति में रहो तो आलौकिक सुख व मनरस स्थिति का अनुभव करेंगे... क्यों और कैसे ?
❉ जिनके कानो में अनादि महामन्त्र " मनमनाभव " का स्वर गूंजता रहेगा, मन ही मन उनकी बुद्धि का योग निरन्तर एक बाप के साथ लगा रहेगा जिससे उनकी बुद्धि दिव्य और विशाल होती जायेगी और उनके द्वारा किये कर्म भी दिव्य और आलौकिक होते जायेंगे जो उन्हें आलौकिक सुखमय और मनरस स्थिति का अनुभव सहज ही करवाते रहेंगे ।
❉ जितना मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहेंगे उतनी रियलाइजेशन पॉवर बढ़ती जायेगी । जितना रियलाइज करने की योग्यता स्वयं में आती जायेगी उतना हर बात से लिबरेट होते जायेंगे क्योकि रियलाइजेशन का अंतिम स्वरूप् है ही लिबरेशन अर्थात सबसे मुक्त । तो जितना विनाशी अल्पकाल के सुखों का त्याग करते जायेंगे उतना आलौकिक सुख व मनरस स्थिति के अनुभवी बनते जायेंगे ।
❉ मनमनाभव की स्थिति आत्मा को स्मृति स्वरूप बना देती है । और स्मृति स्वरूप आत्मा समय व परिस्थिति अनुसार जिस स्वरूप की आवश्यकता होती है उसी स्वरूप को धारण कर समर्थी स्वरूप बन जाती है । समर्थी स्वरूप आत्मा का हर बोल और कर्म समर्थ होने के कारण उसे व्यर्थ चिंतन से सदा मुक्त रखता है जिससे आत्मा दिव्य आलौकिक सुख व मनरस स्थिति का अनुभव सहज ही करती रहती है ।
❉ जो सदा मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहते हैं वे ड्रामा की हर सीन को साक्षी हो कर देखते हैं और सदा अपनी रूहानी शान में रह अनेक विघ्नों के बीच भी अचल अडोल स्थिति का अनुभव करते हैं । कभी भी क्यों, क्या, कैसे के संकल्पों में अपना समय व्यर्थ नही गंवाते । सदा कल्याणकारी बाप का साथ और हाथ अपने ऊपर अनुभव करते हुए वे आलौकिक सुख और मनरस स्थिति में मगन रहते हैं ।
❉ मायाजीत बन माया के हर तूफान का सामना करना उनके लिए सहज हो जाता है जो सदा मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहते हैं । मायाजीत बन वे सेकण्ड में प्रकृतिजीत बन जाते हैं । कर्म करने के लिए शरीर रूपी प्रकृति का आधार लेते हैं लेकिन अधीन नही बनते । इसलिए जब चाहे कर्म करने के लिए शरीर का आधार लेते हैं और जब चाहे अशरीरी बन आलौकिक अतीन्द्रिय सुखमय व मनरस स्थिति में समा जाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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