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 26 / 09 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ जो पढाई में होशियार हैं, उनका संग किया ?

 

➢➢ ज्ञान की नयी नयी बातों को अच्छी रीति समझा व समझाया ?

 

➢➢ "हम स्वदर्शन चक्रधारी हैं" - इसी ख़ुशी में रहे ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ भोलेपन के साथ आल माइटी अथॉरिटी बन माया का सामना किया ?

 

➢➢ दिल में याद का झंडा लहरा प्रतक्ष्यता का झंडा लहराया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢  शक्ति स्वरुप का पार्ट प्रतक्ष्य में दिखाया ?

 

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➳ _ ➳  http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/26.09.16-VisheshPurusharth.pdf

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  "मीठे बच्चे - अपनों से बड़ो का रिगार्ड रखना यह भी दैवी गुण है. जो होशियार अच्छा समझाने वाले है उनको फॉलो करना है...

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे... सबके गुणो को अपनाना... एक दूसरे की विशेषताओ की ग्रहण करना ही होली हँसो की निशानी है... अपने से बड़ो का रिगार्ड रखना भी देवी गुण है... इसलिए सदा एक दूसरे के गुणो पर नजर रखो... और अपने में समाहित कर निखरते चलो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा मै आत्मा हर आत्मा भाई के गुणो की पारखी बनकर स्वयं में भरती जा रही हूँ... और दैवी गुणो से दमकती जा रही हूँ... हर काबिलियत को आत्मसात कर प्रतिपल निखरती जा रही हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... ब्राह्मण परिवार ईश्वर द्वारा चुने रत्नों का परिवार है इसमे हर आत्मा गुणवान है... तो उनका सम्मान ईश्वर की पसन्द का सम्मान करना है... पिता के बच्चों का रिगार्ड रखना पिता के रिगार्ड के समतुल्य है... तो एक दूसरे का सदा रिगार्ड रखो....

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... आपने इतना सुंदर गुणवान परिवार मुझे उपहार सा दिया है... मेरे चारो ओर गुणो की बगिया महक रही है... और मै आत्मा इन गुणो की कस्तूरी पर मोहित होकर स्वयं में भर रही हूँ... मीठे बाबा के चुने कोहिनुरो के गुणो की दमक दिल की डिब्बी में भर रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... सबकी अच्छाइयों को स्वयं में भर चलो... गुणो की खान बन अपनी आभा को जहान में बिखेरते रहो... किस महान पिता के चुने बच्चे हो उस गरिमा से विश्व को महकाते चलो... सम्मान देकर सबके गुणो की माला चुनते रहो... और फूलो सा महकते रहो... सुंदर दैवीय परिवार हो यह छटा जहान में बिखेरते रहो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै गुणो का हंस हूँ... आपकी मीठी शिक्षाओ ने मुझे प्यारा हंस बना दिया है... बाहर भीतर उजला कर दमका दिया है... गुणो के मोती को चुगती जा रही हूँ... और दैवीय गुणो से लबालब होती जा रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )

 

❉   "ड्रिल - ज्ञान की समझ से स्वदर्शन चक्रधारी के नशे में रहना"

 

➳   मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ... ज्ञान के सागर शिव बाबा के सम्मुख बैठी हूँ... मैं आत्मा बाबा से भरपूर दृष्टि ले रही हूं... ज्ञानसागर बाप से निरंतर निकलती ज्ञान की किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रही है... अज्ञानता रुपी अंधियारा मिटता जा रहा है... प्यारे शिवबाबा सुप्रीम शिक्षक बन मुझ आत्मा को इस पतित दुनिया में आकर पढ़ा रहे हैं... मैं आत्मा पदमापदम भाग्यशाली हूं... मैं आत्मा गॉडली स्टूडेंट हूं... मुझ आत्मा को ज्ञान धन के अनमोल अखूट खजानों से भरपूर कर रहे हैं... मुझ आत्मा को सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान दे रहे हैं... मुझ आत्मा को मेरी चौरासी जन्मों की कहानी सुना दी है... अब मुझ आत्मा को इन अनमोल शिक्षाओं को धारण कर सब को यह ज्ञान सुनाना है... सम्पर्क सम्बंध में आने वाली हर आत्मा को बाप का परिचय देना है... सच्चे परमपिता से मिलने का रास्ता बताकर कल्याण करना है... हम ने ही चौरासी जन्म लिए है... हम ही पहले पूज्य थे... फिर पुजारी बने हैं... इस ज्ञान की समझ से बाबा की याद में रहकर अब फिर पूज्य बन रही हूं... यह ज्ञान का तीसरा नेत्र अब मिला है तो मैं स्व का दर्शन कर  आत्मा स्वदर्शन चक्रधारी बन रही हूँ...

 

❉   "ड्रिल - याद का झण्डा लहराने से प्रत्यक्षता का झण्डा लहराना"

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा परमात्मा को इस धरा पर प्रत्यक्ष करने के निमित्त हूं... जितना-जितना मैं आत्मा, परमात्मा की याद में खोई हुई रहती हूं... उतना मेरे चेहरे, चाल-चलन में परमात्मा शिव बाबा समाये हुए रहते... जितना मैं आत्मा अपने दिल में शिव बाबा की याद का झण्डा लहराती रहती हूँ... उतना मेरे द्वारा परमात्म प्रत्यक्षता का झण्डा स्वतः ही लहराता रहता... शिव बाबा की याद द्वारा मेरे नस-नस में उनका प्रेम, शक्तियाँ, गुण लहू के समान दौड़ने लगते, मेरे चेहरे पर पवित्रता की चमक, मेरे व्यवहार में परमात्म प्रेम की लालिमा छाई रहती... जहाँ-जहाँ मैं आत्मा जाती... परमात्मा की गहन याद द्वारा... परमात्मा की प्रत्यक्षता का झण्डा फहराती रहती ... 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- मैं शक्ति स्वरुप आत्मा हूँ ।"

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व से गुण ग्रहण करने वाली गुणग्राहक हूँ... मैं आत्मा स्व उपकारी  और विश्व उपकारी हूँ... मैं आत्मा बाप समान उदार और  परोपकारी हूँ... मैं आत्मा निश्चय बुद्धि निश्चित विजयी सो निश्चिन्त हूँ... मैं आत्मा सभी को रोने बचाने वाली हर्षितमुख हूँ... 

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व से संतुष्ट रहनेवाली और सर्व को संतुष्ट करने वाली संतुष्टमणि हूँ... मैं आत्मा न्यारा और प्यारा कमल का पुष्प हूँ... मैं आत्मा समाने में सम्पन हूँ... गुणों में सहनशीलता का देवता हूँ... मैं आत्मा सहन करने की शक्ति द्वारा सफलता की मंजिल को पार कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मुझ महावीर का रूप है अस्त्र-शस्त्रधारी शक्तिरूप... मैं आत्मा निर्णय करने में और परखने में बाप समान हूँ... मैं आत्मा भोलेपन के साथ-साथ शक्तिस्वरूप बन हर परिस्थियों का, माया के हर गोले का सामना बापसमान कर रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि माया सामना करने के बजाय मुझ आत्मा के सामने नमस्कार करने लगी है... मैं आत्मा भोलेनाथ और ऑलमाइटी अथॉरिटी बाबा की संतान मास्टर भोलेनाथ के साथ-साथ मास्टर ऑलमाइटी अथॉरिटी होने की सीट पर सेट होने का निरंतर अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  भोलेपन के साथ ऑलमाइटी अथॉरिटी बन माया का सामना करने वाले शक्ति स्वरूप होते हैं...  क्यों और कैसे?

 

❉   भोलेपन के साथ ऑलमाइटी अथॉरिटी बन माया का सामना करने वाले शक्ति स्वरूप होते हैं क्योंकि...  कभी-कभी भोलापन बहुत भारी नुकसान कर देता है। लेकिन! हमें ऐसा भोलानाथ भी नहीं बनना है, जो किसी भी बात का सामना हम नहीं कर सकें।

 

❉   हमें सरल तो बनना है, लेकिन!  सरलता के साथ बेवकूफ कभी भी नहीं बनना है। क्योंकि सरलता कभी- कभी भोलेपन में परिवर्तित हो जाती है, जिसका चालक व चापलूस लोग अक्सर हमारा फायदा उठा लेते हैं। इसलिये! हमें सरलता को तो अपनाना है लेकिन!  सामने वाले की मनसा को भी समझना है।

 

❉   कभी भी भोलेपन में अपना नुकसान नहीं कर लेना चाहिये। सरलता के साथ - साथ धैर्यता का होना भी अति आवश्यक है। बाबा ने हम बच्चों को अष्ट शक्तियाँ प्रदान की हैं। हमें उन शक्तियों को समय पर यूज़ करना आना चाहिए। हमें हर परिस्थिति का सामना करना भी आना चाहिये।

 

❉   क्योंकि सरलता के साथ - साथ समाने और सहन करने की शक्ति भी चाहिये। हमें बाप समान भोलेनाथ बनना है।  लेकिन!  साथ ही मास्टर सर्व शक्तिमान भी बनना है। इसलिये!  हमें सदा ही बाप समान मास्टर ऑलमाइटी ऑथोरिटी बन कर माया का सामना करना है।

 

❉   जिस प्रकार बाप भोलानाथ होने के साथ ऑलमाइटी ऑथोरिटी भी हैउसी प्रकार हम भी यदि भोलेपन के साथ - साथ शक्ति स्वरूप भी बनेंगे तो, हमें माया का गोला कभी नहीं लगेगा। तब माया हमारा सामना करने के बजाये, हमको नमस्कार करेगी। इसलिये हमें सदा बाप समान मास्टर ऑलमाइटी ऑथोरिटी बनना है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  अपने दिल में याद का झण्डा लहराओ तो प्रत्यक्षता का झण्डा लहरा जायेगा... क्यों और कैसे ?

 

❉   जितना कर्मयोगी बन चलते - फिरते हर कर्म करते दिलाराम बाप को याद करते रहेंगे उतना बाप समान बनते जायेंगे । बाप के गुण जैसे जैसे स्वयं मे धारण होने लगेंगे वैसे वैसे चेहरे और चलन से रूहानियत की झलक लोगों को स्वत: ही अपनी और आकर्षित करने लगेगी और उन्हें बाबा की समीपता का अनुभव सहज ही होने लगेगा । इस प्रकार जब सबके दिल में याद का झण्डा लहरायेगा तो प्रत्यक्षता का झण्डा भी लहरा जायेगा ।

 

❉   जितना सर्व सम्बन्धों से बाबा को अपना बनाते जायेगे देह और देह के सम्बन्धो से ममत्व स्वत: ही मिटता जायेगा और जितना देह, देह की दुनिया और देह के पदार्थो से न्यारे होते जायेंगे उतना बाबा के प्यारे बनते जायेंगे । यह न्यारा और प्यारा पन ही याद का प्रत्यक्ष प्रमाण बन जायेगा । और जब निरन्तर याद का झण्डा दिल में लहराता रहेगा तो प्रत्यक्षता का झण्डा भी जल्द ही लहरा उठेगा ।

 

❉   दिल में याद का झण्डा तभी लहरायेगा जब सिवाय एक बाप के और कोई की भी याद नही होगी और यह तभी होगा जब मरजीवा बन जीते जी इस दुनिया में मर जायेंगे । इस दुनिया में रहते हुए भी इस दुनिया से उपराम रहेंगे । बुद्धि की तार सिर्फ और सिर्फ अपने पिता परमात्मा से जुड़ी हुई होगी । और मन बुद्धि केवल अपने स्वीट साइलेन्स होम परमधाम में होगी । जब निरन्तर ऐसी अवस्था रहेगी तभी प्रत्यक्षता का झण्डा लहरा सकेगा ।

 

❉   जब इस बात को स्मृति में रखेंगे कि परमात्म पालना में पलने वाली  हम पदमापदम सौभाग्यशाली आत्माएं हैं । स्वयं परमपिता परमात्मा बाप टीचर बन हमे पढ़ाने आते हैं और यह ईश्वरीय पढ़ाई हमे भविष्य 21 जन्मों के लिए विश्व महाराजन बनाने वाली है । तो यह स्मृति आत्मा को रूहानी नशे से भरपूर कर देगी और इस रूहानी नशे से सबके दिल में याद का झण्डा लहरा उठेगा जिससे स्वत: ही प्रत्यक्षता का झण्डा लहरा  जायेगा ।

 

❉   ज्ञानी तू योगी आत्मा ही भगवान को प्रिय है इसलिये ज्ञानी तू योगी आत्मा बन जितना ज्ञान की गहराई में जायेंगे और योगयुक्त रहेंगे उतना धारणामूर्त बनते जायेंगे और हमारा बुद्धि रूपी नेत्र ज्ञान की दिव्यता से ऐसा दिव्य और आलौकिक बन जायेगा जो सहज ही दूसरों को प्रभावित करेगा और उनके हृदय को भी परमात्म प्रेम से भरपूर कर देगा । जब ऐसे सबके दिल में परमात्म याद का झण्डा लहराने लगेगा तो बाप की प्रत्यक्षता का झण्डा भी स्वत: ही लहरा जायेगा ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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