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   06 / 03 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ °आपार अलोकिक ख़ुश° का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ °सहज ब्राह्मण जीवन° का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ मन और बुधी की शक्तिशाली अवस्था बनाए हुए स्वयं को °अचल अडोल अवस्थ° में स्थित रखा ?

 

‖✓‖ संकल्प के खजाने के प्रति °एकानामी° के अवतार बनकर रहे ?

 

‖✓‖ ब्रह्मा समान हर संकल्प, बोल और कर्म में °पवित्रता का व्रत° धारण किये रखा ?

 

‖✓‖ स्वयं को चेक किया की आज मुझ में °कितनी परसेंटेज में परिवर्तन° हुआ ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ योगयुक्त स्थिति द्वारा सूक्षम व कड़े बन्धनों को क्रॉस क°बंधनमुक्त अवस्था° का अनुभव किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?

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∫∫ 4 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-25)

 

➢➢ अपार अलौकिक ख़ुशी का अनुभव करना है ।

 

  ❉   कोई छोटी सी प्राप्ति होती है तो बहुत खुशी मिलती है और चेहरे से झलकती है ,देखने वाले पूछते हैं कि क्या मिला है जो आज इतने खुश हो । हमें तो ऊं ते ऊंच भगवान स्वयं मिल गए तो हमें अपार आलौकिक खुशी में रहना है ।

 

  ❉   ऊंच ते ऊंच भगवान मिला जिसकी महिमा अपरम्पार है व भक्ति से ही करते आयें हैं । वो स्वयं भगवान अपने बच्चों की महिमा करते हैं वाह सिकीलधे बच्चे वाह! वाह लाडले बच्चे वाह! वाह मीठे बच्चे वाह! विश्व की कितनी करोडों आत्माओं मे से हमें चुना ।कितने भाग्यशाली हैं! अपार आलौकिक खुशी में रहना है ।

 

  ❉   लौकिक पिता से अल्पकाल का वर्सा लेकर खुशी में रहते हैं कि ये भी है मेरे पास ये भी ....। हमें तो बेहद का बाप मिला व बेहद के वर्से के मालिक बन गए । आलौकिक बाप से सुख, शांति, प्रेम,.....से भरपूर होकर अपार आलौकिक खुशी का अनुभव करना है ।

 

  ❉   बेहद का बाप स्वयं सुप्रीम टीचर बन हमें ईश्वरीय आलौकिक पढ़ाई से ज्ञान रत्नों से हमारी झोली भरते हैं जो एक एक रत्न बेशुमार कीमती है व हमें मालामाल बनाते हैं । हम बाबा के बच्चे रिजेस्ट इन दा वर्ल्ड है । तो हमें अपार खुशी का अनुभव करना है ।

 

  ❉  बाबा अपने बच्चों से इतना प्यार करते हैं कहते हैं कि बच्चे, तुम मेरे सिरताज हो , मेरे गले का हार हो, तुम बच्चों को मैं पलकों पर बिठाकर ले जाऊंगा , तुम मेरे नूरे रत्न हो मेरे घर का श्रृंगार हो , इतना प्यार करता !! लौकिक में भी कभी किसी ने इतना प्यार नही दिया । ऐसे बेहद बाप के प्यार को पाकर आलौकिक खुशी में रहना है ।

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∫∫ 5 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-25)

 

➢➢ योगयुकत स्थिति द्वारा सूक्ष्म व कड़े बधनों को क्रास करने वाले बंधनमुक्त होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो योगयुक्त स्थिति में रहने वाले देह और देहधारियों की बातें याद रखने की बजाय अपने को आत्मा समझ निराकार बाप से ही सम्बंध जोड़ते हैं व किसी भी बंधन में नहीं आते । योगबल से सूक्ष्म वा कडे बंधनों को क्रास करते हैं ।

 

  ❉   योगयुक्त स्थिति में रहने वाले कभी भी श्रीमत का उल्लंघन नहीं करते । कभी परमत या मनमत नहीं चलाते तो किसी बंधन में भी नहीं आते । क्योंकि श्रीमत रुपी हाथ सदा साथ है तो हर सूक्ष्म व कडे बंधन को सहज ही क्रास कर बंधन मुक्त होते हैं ।

 

  ❉   योगयुक्त स्थिति में होने से प्रभुचिंतन में होते हैं व चिंतन और संकल्प भी शक्तिशाली होने से अपने को शक्ति के कार्ब में अनुभव कर बंधनों को क्रास करने वाले बंधनमुक्त होते हैं ।

 

  ❉   योगयुक्त स्थिति इतनी पावरफुल हो कि योग माना योग। योग में केवल आत्मा और परमात्मा के बारें में ही संकल्प हो व बस 'मैं और मेरा बाबा' ऐसी नियंत्रण शक्ति गहरी हो तो योगबल से सूक्ष्म व कडे बंधनों को क्रास कर बंधनमुक्त होते हैं ।

 

  ❉   योगयुक्त स्थिति में रहते हुए जब व्यर्थ या कमजोर संकल्पों से परे हो व मान अपमान यश अपयश ऐसे सूक्ष्म बंधनों से मुक्त हो तो ये बंधनमुक्त अवस्था है ।

 

  ❉    जब  सेवा करते हुए या कुछ भी करते हुए निमित्त भाव हो व यही रहे कि ये तो बाबा की सेवा है ,जो हमसे सेवा ले, जब तक चाहे ले । करनकरावनहार बस बाबा ही है । कोई मैंपन न हो । बहुकाल का याद का व योग का बल हो तो ऐसे सूक्ष्म व कडे संस्कार क्रास कर बंधन मुक्त होते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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