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 09 / 06 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ जो बाप की महिमा है, उस महिमा को स्वयं में लाने का पुरुषार्थ किया ?

 

➢➢ पारलोकिक बाप से पवित्रता का वर्सा लेने का पुरुषार्थ किया ?

 

➢➢ श्रीमत पर अपने ही तन-मन-धन से एक आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना में सहयोग दिया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ अटूट कनेक्शन द्वारा करंट का अनुभव किया ?

 

➢➢ अच्छे बुरे कर्म करने वालों के प्रभाव के बंधन से मुक्त रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा सदा मायाजीत, विजयी हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  आराम से बैठें और अपने विचारों को चेतनापूर्वक निर्मित करने का प्रयास करें... अपने आप को देखें... और विचार करें... मैं एक शक्तिशाली आत्मा हूँ... अपने विचारों की निर्माणकर्ता हूँ...

 

_ ➳  मैं ही सभी संकल्पों की रचयिता हूँ... मेरे पास चुनाव की स्वतन्त्रता है... मुझ आत्मा के आस - पास चाहे कुछ भी हो जाए मैं चुनती हूँ स्थिरता को... चाहे कोई कुछ भी कहे मैं पसन्द करती हूँ स्थिरता को...

 

_ ➳  और जैसे ही मैं आत्मा स्थिर बनी रहती हूँ परिस्तिथियां परिवर्तित होने लगती है... कोई भी विपरीत परिस्थिति अब मेरे मन पर प्रभाव नहीं डाल सकती है...

 

_ ➳  अपनी हर प्रतिक्रिया मैं तय करती हूँ क्योंकि मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ... मैं अटूट कनेक्शन द्वारा करेंट का अनुभव करने वाली सदा मायाजीत विजयी आत्मा हूँ... जैसे बिजली की शक्ति ऐसा करेंट लगाती है जो मनुष्य दूर जाकर गिरता है, शॉक लग जाता है...

 

_ ➳  ऐसे ही ईश्वरीय शक्ति माया को दूर फैंक देती है... इसलिए आज मैं आत्मा अपने सद्गुरु प्यारे शिव पिता के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं ईश्वरीय शक्तियों द्वारा अपने पिता से ऐसा रूहानी कनेक्शन जोड़ूंगी, ऐसा करेंट अपने अंदर पैदा करुँगी, जो माया को दूर फैंक देगा...

 

_ ➳  मैं आत्मा चलते फिरते हर सेकंड बाप के साथ कनेक्शन जोड़े रखूंगी... ऐसा अटूट कनेक्शन जोड़ते ही मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ की ईश्वरीय करेंट आता है और मैं आत्मा मायाजीत और विजयी बन जाती हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - इस दुनिया में निष्काम सेवा सिर्फ एक बाप ही करता है बाकि तुम जो भी कर्म करते हो उसका फल अवश्य मिलता है"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे ईश्वर पिता जेसी नेक नीयत किसी के पास नही... ऐसा निष्कामी सच्चा पिता आपके भाग्य में है जो सच्ची सेवा करता है... बाकि संसार में सभी को अपने कर्मो का फल अवश्य ही मिलता है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे इस कदर खूबसूरत निष्कामी पिता सिवाय बाप के कोई और नहो... जो सेवा के कर्म के सारे फलो से ही रहित है... आप सभी कर्म के फल को अवश्यम्भावी पाते हो... सबसे खूबसूरत कार्य को करके भी मै कोई फल नही पाता...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चे मुझ ईश्वर पिता का कारोबार अनोखा और खूबसूरत से भरा है मै सबसे बड़ा निष्कामी हूँ सच्चा सेवाधारी हूँ और आप बच्चे की सेवा में बिना किसी प्राप्ति के उपस्तिथ हूँ...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे बिना किसी चाहत के प्रतिफल के मै आप बच्चे की सच्ची सेवा करता हूँ... इस पुरानी पतित दुनिया को आप बच्चे के लिए खूबसूरत सोने में तब्दील करता हूँ... सब बच्चे के लिए कर प्राप्ति के ख्याल तक से परे रहता हूँ... जबकि आप कर्म का फल पाते हो...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - अपने बच्चे के लिए पूरी दुनिया को नई बनाता हूँ स्वर्ग हथेली पर रख बच्चों को दे आता हूँ सारे गुण और शक्तियो के खजाने दिल खोल लुटाता हूँ.... चाहतो से परे सब कुछ बच्चों को सौप आता हूँ... और आप बच्चे अपने हर कर्म के फल की प्राप्ति को सदा पाते है...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप समान महिमा योग्य बनना है । पारलौकिक बाप से पवित्रता का वर्सा लेना है ।

 

  ❉   जैसे बाप शांति का सागर, सुख का सागर, प्रेम का सागर.... हैं व हमे भी हमेशा सब को सुख, शांति, प्रेम देना है । सबके साथ मीठा रहना है, मिलकर रहना है, कोई अपशब्द भी कहे तो भी मीठा बोलना है । बाप के हर कदम पर चलते हुए सन शोज फादर फादर शोज सन को सत्य सिद्ध करना है ।

 

  ❉   जैसे बाप बच्चों की सर्विस के लिए ऐवररेडी रहता हैं ऐसे हमें भी दिन रात बाप के कार्य मे मददगार बनना है व हांजी का पाठ पक्का रखना है । कभी एसे नही कहना कि समय नहीं है । जो बाप का होता है बच्चे उसी के अधिकारी होते हैं ऐसे जो बाप के गुण, शक्तियां है वही अपने में धारण कर बाप समान महिमा योग्य बनना है ।

 

  ❉   जैसे ज्ञानसागर बाप हमें रोज ज्ञान के अनमोल अखूट खजानों से भरपूर करते है व नॉलेजफुल बनाते हैं ऐसे हमें स्वयं में अच्छी रीति धारण कर दूसरों को ज्ञान खजाने बांटते रहना है क्योंकि देना ही लेना होता है । जितना हम ज्ञान बांटते हैं उतना ही बढ़ता है व सुख का रास्ता बता दुआओं का पात्र बनते हैं ।

 

  ❉   जैसे लौकिक बाप से हद का व धन का ही वर्सा मिलता है । पारलौकिक बाप ही एवर प्यूर है व बाप ही आकर अपने बच्चों को पावन बनाता है । पारलौकिक बाप की याद में रह विकारों की कट निकालनी है व पारलौकिक बाप से पवित्रता का वर्सा लेना है ।

 

  ❉   पारलौकिक बाप ही अपने बच्चों को पतित व दुःखी देखकर अपने साथ वापिस ले जाने आया है व अपने घर पावन बने बगैर तो जा नही सकते । इसलिए जितना ज्यादा हो सके याद की यात्रा में रहना है । सर्व सम्बंध बस एक बाप से ही रखने है । याद से ही पावन बन पारलौकिक बाप से पूरा वर्सा लेना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ अटूट कनेक्शन द्वारा करेन्ट का अनुभव करने वाले सदा मायाजीत, विजयी होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जिन बच्चों को ये नशा रहता है कि मैं कौन हूं व मेरा कौन है व मुझे इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर कौन मिला है व मैं कितना भाग्यशाली हूं!! वो सदा बाप की याद में रहते हैं व स्वयं को बाहरी आकर्षणों से मुक्त कर अपना कनेक्शन बस एक बाप से ही जोड़ते हैं और बाप की याद से माया पर जीत पाकर मायाजीत, विजयी होते हैं ।

 

  ❉   जैसे लौकिक में भी किसी से स्नेह होता है तो भल कितनी दूर होते है लगातार उनकी याद होने से व स्नेह होने से कनेक्शन बना रहता है व टेलीपेथी से उसे अनुभव भी करते है । ऐसे जिन बच्चों का बाप से अटूट स्नेह  होता है तो सदा याद में रहते है व अटूट कनेक्शन द्वारा करेंट का अनुभव कर मायाजीत होते है और हर परिस्थिति में विजयी होते है ।

 

  ❉   जैसे बिजली की शक्ति ऐसा करेंट लगाती है जो मनुष्य दूर जा गिरता है, शॉक आ जाता है । ऐसे जिन बच्चों का बाप से कनेक्शन जुड़ा होता है तो वो ईश्वरीय शक्ति के करेंट से माया को दूर फेंक देते हैं । चलते फिरते हर सेकेंड़ बाप के साथ कनेक्शन जुटा होता है तो मायाजीत और विजयी होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चो सर्व सम्बंधों की रसना एक बाप से रखते हैं व 'एक बाप दूसरा न कोई ' । हर संकल्प, बोल व कर्म बाप के लिए होता हैं व नयनों में बस बाप ही समाया होता है । बाप की याद के झूले में झूलते रहते हैं व अपनी याद रुपी का तार का कनेक्शन बाप से जुड़ा रहता है तो शक्तियों व खजानों से अपने को सम्पन्न अनुभव करते है और मायाजीत जगतजीत होते हैं ।

 

  ❉   जैसे बिजली की दो तारों के सही जुड़ने पर उसमें करेंट आता है । ऐसे ही जो बच्चे अपने को आत्मा बिंदी समझ आत्मा के पिता परमात्मा को बिंदी समझ यथार्थ रीति याद करते है तो सही कनेक्शन जोड करेंट का अनुभव करते हैं और अपने पर अटेंशन देकर माया पर जीत पाते हैं और विजयी होते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ तपस्वी वह है जो अच्छे बुरे कर्म करने वालों के प्रभाव के बन्धन से मुक्त है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   स्व स्थिति में स्थित होकर जब हर कर्म करेंगे तो सदा अपने आप को सर्वशक्तिमान बाप के साथ कम्बाइंड अनुभव करेंगे । सदा श्रीमत का हाथ, छत्रछाया के रूप में अपने ऊपर अनुभव करते हुए अपनी तपस्या के बल से प्राप्त हुई सर्व शक्तियों, सर्व खजानों और वरदानों को अच्छी तरह से यूज कर पाएंगे । सर्व शक्तियो की यह अथॉरिटी ही अच्छे बुरे कर्म करने वाली सब प्रकार की आत्माओं के प्रभाव के बंधन से मुक्त निर्बन्धन आत्मा बना देगी ।

 

 ❉   कर्म और योग का बैलेंस रखकर जब हर कर्म करेंगे तो कर्मो में श्रेष्ठता आती जाएगी । हर कर्म करते हुए भी कर्म के बंधन से मुक्त रहेंगे तथा तपस्या का बल स्वयं में जमा कर पहले रहे हुए कर्म बंधनों को सहज ही चुक्तू कर सकेंगे । इसके साथ साथ तपस्या का बल अच्छे बुरे कर्म करने वालो के प्रभाव से भी आत्मा को मुक्त रखेगा और किसी भी प्रकार के कर्म के प्रभाव के बन्धन से आत्मा सदैव बंधनमुक्त रहेगी ।

 

 ❉   जिनके संकल्प व स्वप्न में सिवाय दिलाराम बाप की याद के और किसी की याद नही रहती । ऐसी जो तपस्वीमूर्त आत्मा होती है जिन्हें बाप को याद करना नही पड़ता बल्कि याद स्वत:बनी रहती है ऐसी तपस्वी मूर्त आत्मा जो भी कर्म करती है उसके प्रभाव से वह सदा मुक्त रहती है । तपस्या का बल उसे केवल स्वयं द्वारा किये कर्म के प्रभाव से ही मुक्त नही रखता बल्कि अच्छे और बुरे कर्म करने वालों के प्रभाव के बन्धन से भी मुक्त रखता है ।

 

 ❉   जो मन बुद्धि से निरन्तर याद की साधना में व्यस्त रहते हैं वे अपनी तपस्या के बल से सर्वशक्तिमान बाप से सर्वशक्तियों के अखूट खजाने प्राप्त कर शक्तिशाली आत्मा बन जाते हैं । ऐसी तपस्वी मूर्त आत्मा कर्म करते भी कर्म के प्रभाव से मुक्त सदा ऐसी न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित रहती है जो अच्छे और बुरे कर्म करने वालों के किसी भी कर्म का प्रभाव उन पर नही पड़ता और वे स्वयं को सर्व कर्मो के बन्धन से मुक्त निर्बन्धन आत्मा अनुभव करते हैं ।

 

 ❉   जो सदा अधिकारीपन की सीट पर सेट रहते हैं और शक्तिशाली स्थिति में स्थित रहते हैं वे कभी भी किसी भी आत्मा के संकल्प, स्वभाव और संस्कार के अधीन नही हो सकते । वाह बाबा वाह, वाह मैं आत्मा वाह और वाह ड्रामा वाह के गीत गाते हुए वे निरन्तर एक बाप के लव में लीन रहते हैं और बाबा की याद में मगन रह कर सहजयोगी आत्मा बन अपनी तपस्या के बल से हर प्रकार के अच्छे बुरे कर्म करने वालों के प्रभाव के बन्धन से स्वयं को सदा मुक्त रखते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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