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❍ 10 / 05 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ √रूहानी यात्रा√ की और कराई ?
➢➢ काल पर विजय प्राप्त करने के लिए √बाप की शिक्षा√ को ध्यान में रखा ?
➢➢ अपने को √रूह समझ√ रूहों को ज्ञान दिया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ √सेकंड में संकल्पों को स्टॉप√ कर अपने फाउंडेशन को मज़बूत बनाया ?
➢➢ अपने √सुख शांति के वाइब्रेशन√ से लोगों को सुख चैन की अनुभूति करायी ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ "बाबा" शब्द में ✓जादू✓ का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं पास विद ऑनर आत्मा हूँ ।
✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-
➳ _ ➳ अपने मन को शुद्ध संकल्पों में स्तिथ कर योगयुक्त स्तिथि में बैठ जाएँ... परिस्तिथों से और लोगोँ से अपना ध्यान हठाते हुए, अपने मन को देखतें हैं... मेरी सोच सारा दिन क्या चलती है... प्रत्येक संकल्प को मैं आत्मा निर्मित्त कर रहीं हूँ... और सब मैं समझ गयी हूँ... कि यह मेरी रचना है... आज दिन तक जो दर्द, जो धोखा, जो तकलीफ मैंने पकड़ कर रखी थी, वो मैंने खुद चुनी थी पकड़कर रखने के लिए... आज मैं आत्मा अपने आप को मुक्त करती हूँ उस दर्द से... मैं आज अपने सद्गुरु प्यारे शिवबाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं अपने आपको शुद्ध संकल्पों में स्तिथ कर बाहर की हलचल में भी एक सेकेण्ड में संकल्पों को स्टॉप कर समेटने का पूरा अभ्यास करुँगी... भूख, प्यास, सर्दी, गर्मी सब कुछ होते हुए भी मैं आत्मा अपने संस्कारों को प्रकट न करके समेटने की शक्ति द्वारा स्टॉप लगा दूंगी... मुझ आत्मा को इस बात का पूरा निश्चय है की कोई भी पेपर परिपक्व बनाने के लिए, फाउंडेशन को मज़बूत करने के लिए आते हैं, इसलिए मैं आत्मा उस स्तिथि में भी घबराउंगी नहीं... और इस अभ्यास के निरन्तर प्रयोग से मैं आत्मा पास विद ऑनर बनकर दिखाऊँगी...
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चों - कालो का काल बाबा आया हुआ है तुम्हे काल पर जीत प्राप्त कराने,मनमनाभव के मन्त्र से ही तुम काल पर जीत पाएंगे"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों महाकाल बाबा आ चला अपने बच्चों को आप समान बनाने... अब मेरे बच्चे किसी काल से न डरेंगे बल्कि मुस्करायेंगे... मेरी यादे उन्हें काल के भय से मुक्त करा विजयी बनाएंगी...
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे से बच्चों मेरी यादो में खो जाओगे तो यह यादे जीवन निडर बनाएंगी... न कोई चिंता होगी न दुःख... बल्कि जीवन खुशनुमा मधुमास बन खिल जायेगा... मेरी यादो का प्रतिफल ही जन्नत है...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों मै पिता जो धरा पर उतर आया हूँ बच्चों को दिलेर बनाने ही तो आया हूँ... मुझे अपनी सांसो में समाओगे तो काल पर सदा की विजय पाओगे... मै कालो का काल ही पिता हो चला तो बच्चों को फिर भय केसा...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों मनमनाभव मन्त्र जादू सा भरा है मेरी यादे सारे सुखो का पर्याय है... सारी खुशियां इन यादो में समायी है... मै कालो का काल आप बच्चों के लिए तो दौड़ा आया हूँ... अपना धाम छोड़ यहाँ डेरा डाल चूका हूँ... आपकी खुशियो के ही खातिर...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चो रावण के संग ने किस कदर बुरा हाल किया है दुखो में पटक कर बेहाल किया है... अब सच्चे बाप के प्यार में खो जाओ... अपने जीवन को खूबसूरती से सजाओ... काल पर जीत पाकर विजय को गले लगाओ...
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ रुहानी यात्रा करनी और करानी है । स्वयं को सतोप्रधान बनाने के लिए एक बाप को याद करना है । आत्म-अभिमानी बनने का पुरुषार्थ करना है ।
❉ अभी तक तो रावण राज्य में देह अभिमान में फंस पतित होते गए । इस मर्यादा पुरुषोत्तम संगमयुग पर ही सुप्रीम रुह ने ही हमें रुह का ज्ञान दिया और रुहानी यात्रा करनी सिखाई । ऐसे हमें भी रुहानी यात्रा करनी और करानी है ।
❉ जैसे ज्ञानसागर बाप ने हमें देह अभिमान से देही अभिमानी बनने की और रुहानी ज्ञान देकर रुहानी यात्रा करने की नॉलेज दी है ऐसे हमें भी मास्टर ज्ञान सागर बन अन्य आत्माओं को रुहानी यात्रा करने की नॉलेज देनी है ।
❉ आत्मा पर 63 जन्मों की कट चढ़ी हुई है व विकारों में जाने से तमोप्रधान हो गई । अब बस एक बाप की याद में रहने से विकर्मों का विनाश करना है । याद से ही आत्मा की खाद निकालनी हैं व आत्मा की लाइट को तेज कर सतोप्रधान बनना है ।
❉ मैं देह नही देही हूं ये पाठ पक्का करना है । इस शरीर में रहते हुए इससे न्यारा व प्यारा रहते आत्मा के सातों गुणों को धारण कर कर्म करते सतोप्रधान बनना है ।
❉ 63 जन्मों तक अज्ञानता के घोर अंधयारे में रह बस इस नश्वर शरीर को संवारने में लगे रहे व इस शरीर में रह शरीरधारियों से सम्बंध रखते दुःख ही पाए । अब सत का ज्ञान मिलने पर इस विनाशी शरीर को भूल बस अपने को आत्मा समझ परम आत्मा बाप को याद करना है ।
❉ शरीर पर नजर जाने से विघ्न आते है, इसलिए भ्रकुटी मे देखना है । आत्मिक दृष्टि व आत्मिक भाव रखना है ।आत्मा समझ , आत्मा से बात करनी है । आत्माभिमानी बनने का पूरा - पूरा पुरुषार्थ करना है ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सेकेंड में संकल्पों पर स्टॉप कर अपने फाउंडेशन को मजबूत बनाने वाले पास विद ऑनर होते हैं... क्यों और कैसे?
❉ जो बच्चे कोई बड़ी से बडी़ परिस्थिति आने पर भी नही घबराते व बेफिकर निश्चिंत रहते है । उससे सीखते हुए आगे ही बढ़ते है व क्यूं , क्या में न जाकर बस फुलस्टाप लगाते है वही पास विद ऑनर होते हैं ।
❉ जैसे कछुआ अपने को स्थिति के अनुसार समेट लेता है ऐसे ही जो बच्चे बाहरी हलचल होने पर भी अपनी स्थिति खराब नही करते व अंगद समान अचल अडोल रहते हैं वो अपने संकल्पों को सेकेंड मे समेट लेते हैं वही पास विद ऑनर होते हैं ।
❉ जो बच्चें मैं बिंदु, बाबा बिंदु और ड्रामा बिंदु के ज्ञान को प्रेक्टिकल में धारण करते है व कोई भी पेपर आने पर व्यर्थ संकल्प नही चलाते सहज ही बिंदु लगाकर समेट कर अपने फाउडेशन को मजबूत रख आगे बढ़ते हैं व पास विद ऑनर होते हैं ।
❉ जो संगमयुग के अनमोल समय के महत्व को समझते है व समय संकल्प रुपी खजानों की एकानोमी करते है वो सेकेंड में संकल्पो को स्टॉप लगाकर अपना फाउडेशन मजबूत रख पास विद ऑनर होते हैं ।
❉ जिनका हर संकल्प, बोल ,कर्म बस बाबा के लिए होता है व बाबा ही संसार होता है तो उनका हर संकल्प ही श्रेष्ठ होता है । वो समय का महत्व समझते हुए कोई व्यर्थ संकल्प नही करते । सर्व के प्रति शुभ कामना शुभ भावना रखते पास विद ऑनर होते हैं ।
❉ जिन बच्चो को ये नशा रहता कि हम आलमाइटी अर्थोरिटी के बच्चे हैं व हर सेकेंड और हर संकल्प में सर्व अधिकार अर्थारिटी हमें बाप से मिली हैं तो वो छोटी छोटी बातों में या व्यर्थ सोचने और बोलने में संकल्पो को वेस्ट नही करते हैं व जल्दी ही फुलस्टाप लगाकर पास विद ऑनर होते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ अपने सुख शांति के वायब्रेशन से लोगों को सुख चैन की अनुभूति कराना ही सच्ची सेवा है... क्यों और कैसे ?
❉ जैसे एयर कंडीशन में सर्दी व गर्मी का अनुभव करते हैं कि सचमुच गर्मी से ठंडी हवा में आ गए हैं । ठंडी से गर्मी में आ गए हैं । ऐसे अपने चेहरे और चलन द्वारा, संकल्प शक्ति द्वारा जब सुख शांति के वायब्रेशन से दुखी और अशांत लोगों को सुखचैन की अनुभूति करवाएंगे तभी सच्चे सेवाधारी बन सकेंगे ।
❉ स्वयं प्रति शांति व शक्ति का अनुभव करना कोई बड़ी बात नहीं है । लेकिन सच्चे सेवाधारी वही कहला सकते हैं जो अपने याद की शक्ति द्वारा अपने सुख और शांति के वायब्रेशन से ऐसा पावरफुल वायुमंडल बनाएं जो दुखी और अशांत आत्माएं सहज ही सुख शांति की अनुभूति कर सकें ।
❉ जैसे स्विच ऑन करते ही सेकंड में अंधकार भाग जाता है, ऐसे ही " बाबा " कहना अर्थात अंधकार या दुःख, अशांति, उलझन, उदासी और टेंशन सब की सेकंड में समाप्ति हो जाती है । जो इस " बाबा " शब्द के मंत्र को विधि पूर्वक समय पर कार्य में लगाते हैं वे सेकंड में अपने सुख शांति के वायब्रेशन से लोगों को सुख चैन की अनुभूति करवा सकते हैं ।
❉ जैसे फलदायक वृक्ष अपनी शीतलता की छाया से हर मनुष्य को शीतलता का अनुभव कराता है । ऐसे जो स्वयं को परमात्म प्राप्तियों से संपन्न, सर्व प्राप्ति स्वरूप अनुभव करते हैं वे अपनी प्राप्तियों की छाया से अपने सुख शांति के वायब्रेशन से सब को सुख शांति का अनुभव करवाते रहते हैं ।
❉ जितना आवाज से परे की शांत स्वरूप स्थिति में स्थित रहेंगे । उतना सदा अतींद्रिय सुख की अनुभूति करते रहेंगे और अपनी पावरफुल अतीन्द्रिय सुखमय स्थिति द्वारा अनेक दुखी और अशांत आत्माओं को अपने पावरफुल शक्तिशाली वायब्रेशन द्वारा सुख शांति का अनुभव करवा सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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