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 11 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ पढाई के आधार पर अपनी ऊंची तकदीर बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

➢➢ हाथों से काम करते एक बाप की याद में रहे ?

 

➢➢ ×उल्टी बात× न सुनी, न सुनाई ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ सदा पश्चाताप से परे प्राप्ति स्वरुप स्थिति का अनुभव किया ?

 

➢➢ सुखदायी बाप के सुखदाई बच्चे बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ स्वयं के विधि विधाता, सिद्धि-दाता स्वरुप में स्थित रहे ?

 

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➳ _ ➳  http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/11.05.16-VisheshPurusharth.pdf

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं सद् - बुद्धिवान आत्मा हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

➳ _ ➳  देखें अपने ज्योति स्वरुप को बापदादा से रूह रिहान करते हुए... मैं एक अविनाशी बाप की याद में सदा मग्न रहने वाली एक बिंदु स्वरुप आत्मा हूँ... मैं एक बल एक भरोसे से दृढ़ निश्चय का व्रत धारण करने वाली दृढ़ संकल्पधारी आत्मा हूँ.... मैं एक का ही गुणगान करने वाली सदैव गुणग्राही आत्मा हूँ... मैं एक की ही गोद में खेलने वाली, एक से ही स्नेह रखने वाली स्नेही आत्मा हूँ... मैं कमज़ोरियों को फुलस्टॉप देकर अपने सम्पन्न स्वरुप को प्रख्यात करने वाली साक्षात्कारमूर्त आत्मा हूँ... मैं अधिकारी पन की स्तिथि द्वारा एक बाप को अपना साथी बनाने वाली विजयी आत्मा हूँ... मेरा एक ही साथी है... निराकार बाबा... मैं एक के स्नेह का रसपान करने वाली एकरस आत्मा हूँ... मैं एक की ही श्रीमत पर चलने वाली, श्रीमत का पालन करने वाली आज्ञाकारी आत्मा हूँ... मैं एक बाप को अपनी जीवन नैया देकर मैं पन को मिटा देने वाली, श्रीमत में अपनी मनमत मिक्स नहीं करने वाली, सदा पश्चाताप से परे रह प्राप्ति स्वरूप स्तिथि का अनुभव करने वाली, सद् - बुद्धिवान आत्मा हूँ... मैं आत्मा आज अपने प्यारे बाबा के समक्ष यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं तूफानों को सदा तोहफा समझ, स्वभाव - संस्कार की टकरार को आगे बढ़ने का आधार समझ, सदा बाप को साक्षी बनाते हुए, साक्षी हो हर पार्ट देखने में समर्थ आत्मा बनूँगी... इन्हीं संकल्पों के साथ मैं आत्मा हर्षित अवस्था का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चों - तुम बाप के पास आये हो अपनी ऊँच तकदीर बनाने, जितना श्रीमत पर चलेंगे उतना ऊँच तकदीर बनेगी"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों इतना दुःख भोग कर जो मेरे साये में चले आये हो तो पिता तो श्रीमत से जीवन खिलायेगा... यह श्रीमत ही जादू की छड़ी है जो सारे खोये सुख कदमो में बिछाए... आतुर सी खड़ी है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे से बच्चों पिता तो बच्चों के जीवन को सदा खूबसूरत ही बनाएगा... वह दुखो में तो कलेजे के टुकड़ो को देख ही न पायेगा... तो चला आया हूँ मै फिर से बच्चों की ऊँची तकदीर बनाने और हाथ में श्रीमत की जादूगरी लिए हुए...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों जितना ईश्वरीय मत को जीवन में उतारोगे जीवन सुखो से भरपूर पाओगे... न कोई दुःख न कोई चिंता ऐसी खूबसूरत किस्मत को पा जाओगे... ऊँची तकदीर से सज जाओगे जो श्रीमत को दिल से लगाओगे...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों दुसरो की राय पर बहुत चल चुके... जीवन भर रो चुके भटक चुके... अब ईश्वर पिता ने आकर जो अपनाया है और उसकी श्रीमत ने जीवन को सुखो की खुशबु से खिलाया है... ऊँच तकदीर से जीवन सदा का महकाया है...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चो दुखो से थककर बहुत कष्टो को भोगकर पिता के पास आये हो... जीवन को उजला बन चमकाने तो श्रीमत पर अमल करो... बस इस पर निश्चिन्त हो दीवानो की तरह चलते चलो आपकी सारी जवाबदारी पिता की है...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ हाथों से काम करते - एक बाप की याद में रहना है । कोई भी उल्टी बात न सुननी है , न सुनानी है ।

 

  ❉   बाबा कहते है हमें सहज योगी बनना है कोई घर बार छोड़ संयास नही करना वो तो हठ योग हुआ । हमें गृहस्थ में रहते हुए देह व देह के सम्बंधो को निभाते हुए बस एक बाप की यादमें रहना है ।

 

  ❉   भल काम धंधा करते रहो पर बुद्धि का योग बस एक बाप से जुड़ाना है व सर्व सम्बंध बस बाप से ही निभाने हैं तभी सब संग तोड़ बस एक संग निभाना है व एक सच्चे माशूक की याद में रहना है ।

 

  ❉   कहा भी गया है - हथ कार डे दिल यार डे । हाथों से भल काम करते रहो पर दिल से बस एक बाप को याद करते रहना है । गुप्त याद की यात्रा की यात्रा में रहना है ।

 

  ❉   अपनी कर्मेन्द्रियों की बड़ी सम्भाल करनी है । इन कानों से कोई उल्टी या बुरी बात नही सुननी । कोई बुराई सुनी भी तो उसे अंदर नही लेना । जिस एक कान से सुनी उसी से बाहर निकाल देनी है दूसरे तक भी नही ले जानी वरना कुछ न कुछ अंश अंदर रह जाएगा ।

 

  ❉   हमें न उल्टी बात सुननी है न ही सुनानी है । इन कानों से सिर्फ ज्ञान अमृत ही सुनना है । बाप सृष्टि के आदि मध्य अंत का जो ज्ञान देते हैं वही सुनना और सुनाना है ।

 

  ❉    हाथों से काम करते हुए ज्यादा से ज्यादा समय बाप की याद में रहना है उतनी समय कमाई ही कमाई है व यही कमाई साथ जानी है । जितना याद में रहेंगे उतना बाप के समीप आते जायेंगे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सदा पश्चाताप से परे , प्राप्ति स्वरुप स्थिति का अनुभव करने वाले सद्- बुद्धिवान होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जो बच्चे अपने जीवन की नैया खिवैया बाप को सौंपकर स्टीमर पर बैठ निश्चिंत होते है व खिवैया स्वयं बाप है । किसी बात की फिकर नही करते व निश्चयबुद्धि बन सर्व प्राप्तियों को अनुभव करते सद्- बुद्धिवान होते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे ऊंच ते ऊंच बाप की श्रीमत पर चलते है व श्रीमत में मनमत मिक्स नही करते तो सदा पश्चाताप से परे प्राप्ति स्वरुप स्थिति का अनुभव करते हैं और सद्-बुद्धिवान होते है ।

 

  ❉   जो बच्चे सद्-बुद्धिवान होते है वो कैसी भी परिस्थिति आए उसे बाप की और से तोहफा समझ उससे सीखते हुए व अनुभवीमूर्त बन बाप को साथी बना सहज ही आगे बढ़ते हैं ।

 

  ❉   जो बच्चे अपने को बस मेहमान समझते और निमित्त समझ सेवा करते  करनकरावनहार की याद में रहते हैं व सर्व प्राप्ति सम्पन्न होते हैं व किसी बात की चिंता या पश्चाताप नही करते वो बुद्धिमान होते हैं ।

 

  ❉   जिन बच्चों का बुद्धियोग बस बाप के साथ जुड़ा रहता है व बाप पर ही कुर्बान जाते हैं हर श्वास संकल्प में बस बाप ही होता है । तो बाप को भी अपने ऐसे कुर्बान जाने वाले बच्चों से बहुत प्यार होता है । वो सदा निश्चयी बुद्धि होने से पश्चाताप से परे व प्राप्ति स्वरुप स्थिति का अनुभव करने वाले सद् बुद्धिवान होते है ।

 

  ❉   जो सद् बुद्धिवान बच्चे होते है उन्हें बाप से होने वाली प्राप्तियों के आगे हद की प्राप्तियों व हद के आकर्षण वाले वैभव को छोड़ने में कोई पश्चाताप नही होता । बाप के बनते ही बेहद का वर्सा प्राप्त कर प्राप्ति स्वरुप का अनुभव करते हैं ।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ जो सुखदाता बाप के सुखदायी बच्चे हैं उनके पास दुःख की लहर आ नही सकती... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   दु:ख तब होता है जब शरीर के भान में आते हैं । अगर शरीर भान को भूलकर आत्मिक स्वरूप में रहते हैं तो सदा सुख ही सुख है । क्योकि जितना आत्मिक स्मृति में रहते हैं उतना  सुखदाता बाप की याद निरन्तर बनी रहती है और सर्व सुखों का अनुभव स्वत: ही होता रहता है । जीवन ऐसा सुखदायी- सुखमय बन जाता है कि दुःख की लहर भी समीप नही आ सकती ।

 

 ❉   जब सुख दाता बाप के बच्चे बन गए तो सुखदाता द्वारा सर्व सुखों का वर्सा स्वत: ही मिल गया । क्योकि बाप कहा और वर्सा मिला । तो सुख का वर्सा मिलना माना दुःखो से सहज ही किनारा हो जाना । जिसने दु:खधाम को छोड़ दिया वो स्वयं भी सुखी बन गए और सुखदाई बन औरों को भी सुख देने के निमित बन गए । ऐसे सुखदाता बाप के सुखदाई बच्चों के जीवन में दुःख की लहर कभी नही आ सकती ।

 

 ❉   सुखदाता बाप के सुखदायी बच्चों को सदैव यह नशा रहता है कि हम अविनाशी खज़ाने के मालिक हैं । जो बाप का खज़ाना ज्ञानसुख शान्ति,आनन्द है, वह सर्व गुण हमारे हैं ।  क्योकि बच्चा बाप की प्रॉपर्टी का स्वत: ही मालिक होता है । ऐसे स्वयं को अधिकारी समझने वाली आत्मा अपने अधिकार के नशे में सब बातों को भूल ऐसी सुख स्वरूप बन जाती है जिसके सामने दुःख की लहर कभी नही आ सकती ।

 

 ❉   सबसे श्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन गाया हुआ हैब्राह्मणों का नाम भी ऊँचा और काम भी ऊँचा और स्थिति भी ऊँची । जैसे ब्राह्मणों की महिमा ऊँची है वैसे अपने को सच्चे ब्राह्मण अर्थात् ऊँची स्थिति पर जो अनुभव करते हैं उनके कर्म और संकल्प ऑटोमेटिक ऊँचे बन जाते हैं और जब कर्म श्रेष्ठ बनते जाते हैं तो दुःख के बादल जीवन से छंटने लगते हैं और सुख की लहरें जीवन को सुखदायी बनाने लगती है ।

 

 ❉   जैसे राजा के बच्चेसोने-चांदी के खिलौने से खेलते हैं इसी प्रकार ज्ञान सागर के बच्चे सदा ज्ञान रत्नों से खेलते हैं और ज्ञान रत्नों से खेलने वाले बच्चों के जीवन में दु:ख-अशान्ति की लहर कभी आ नहीं सकती । क्योकि ज्ञान रत्न भी हैंतो नॉलेज भी और नॉलेज के आधार पर सदैव अनुभव करेंगे कि दु:ख - अशान्ति की जीवन कभी मेरी थी ही नहींदूसरे की जीवन थी । यही स्मृति उन्हें सुखदायी बना देगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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