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❍ 30 / 07 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ √मात-पिता√ को पूरा पूरा फॉलो किया ?
➢➢ √एकाग्र√ हो पढाई पडी ?
➢➢ याद का √सच्चा सच्चा चार्ट√ रखा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ स्वार्थ शब्द के अर्थ को जान सदा √एकरस स्थिति√ में स्थित रहे ?
➢➢ √फ़रिश्ता रूप√ में स्थित रह विघनो के प्रभाव से मुक्त रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ स्वयं को अलोकिक संबंधो के ×सोने के पिंजरे× में तो नहीं बाँधा ?
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✺ HTML Format:-
➳ _ ➳ http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/30.07.16-VisheshPurusharth.htm
✺ PDF Format:-
➳ _ ➳ http://www.bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Pdf-Vishesh%20Purusharth/30.07.16-VisheshPurusharth.pdf
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हारी बिगड़ी को सुधारने वाला अर्थात तकदीर बनाने वाला एक बाप है जो तुम्हे नालेज देकर तकदीरवान बनाते है"
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे मुझ पिता के सिवाय दुःख भरी दुनिया से छुड़ा न सके... सुख भरे जीवन जो दुखो के पहाड़ बन चले है... मेरे सिवाय परिवर्तन हो न सके... मेरे सोने से फूल बच्चों की बिगड़ी तकदीर को मै ही संवार सकता है... अपनी सारी शक्तिया ज्ञान देकर मै ही भाग्यवान बना सकता हूँ कोई और नही...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा मै आत्मा... आप संग ज्ञानवान बन रही हूँ... अपने बिगड़ी सी किस्मत को हीरो से सजा रही हूँ... ज्ञान रत्नों से चमकती जा रही हूँ... और भाग्यवान आत्मा बनती जा रही हूँ...
❉ प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे.... कितने सुखो और आनंद खुशियो से भरपूर दुनिया के रहवासी थे... और किस विकारो के दलदल में फस कर धस से गए हो.... मुझ विश्व पिता से बच्चों की यह दशा देखी न जाय... बच्चों की तकदीर जगाने चला आया हूँ...ज्ञान रत्नों का खजाना लिए उतर आया हूँ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा मुझ आत्मा ने तो दुखो को ही जीवन का अटल सत्य मान लिया था... आपने आकर भाग्य की लकीर ही बदल दी... सुंदर जीवन का आधार दे दिया... सारे रत्न भरे खजाने मेरे हाथो में देकर सुखो से मेरा श्रंगार कर दिया...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे बच्चे... जब सब ही खेल में उतर चले तो बाहर तो सिवाय ईश्वर पिता के कोई निकाल न सके... इन दर्दो से परमपिता ही उबार सके... वही खूबसूरत सुख दामन में वही सजा सके.... फूलो भरा महकता सतयुग वही तो बना सके... सारे विश्व को सम्पन्नता की दौलत से आबाद कर दे...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा खुशनुमा भाग्य को पाकर निखरती जा रही हूँ... अपनी काली हो चली तकदीर को सुनहरा सजाती जा रही हूँ... आपके दिए ज्ञान धन से विश्व की मालिक बन सुंदर तकदीर पाती जा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )
❉ "ड्रिल - मात-पिता को पूरा-पूरा फॉलो करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा संगमयुगी ब्राह्मण हूं... इस संगमयुग पर मुझ आत्मा का ये नया जन्म सारे कल्प के सर्व जन्मों का आधार है... प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को रौरव नर्क की दुनिया से निकालकर अपना बनाया है... प्यारे बाबा आप ही मुझ आत्मा के परमपिता हो... मुझ आत्मा की प्यारी माँ हो... सुप्रीम शिक्षक हो... मुझ आत्मा के सर्व सम्बंध सिर्फ और सिर्फ आप से हैं... सुप्रीम शिक्षक बन पढ़ाकर ज्ञान रत्नों से मेरी झोली भरते हो... मुझ आत्मा को सर्व खजानों से भरपूर कर दिया है... मैं अत्मा प्यारे बाबा को दिल से याद करती हूं... याद में मगन रहती हूं... प्यारे शिव बाबा मुझ आत्मा को स्वर्ग की बादशाही देने आये हैं... मैं आत्मा दृढ़ संकल्प करती हूं कि मैं आत्मा अपने मात-पिता को पूरा-पूरा फॉलो करुंगी और मैं आत्मा स्वर्ग में ऊंच पद पाऊंगी... मैं आत्मा बाप समान बनने का पुरुषार्थ करती हूं... मुझ आत्मा को ये शरीर सेवार्थ मिला है... बाबा ने मुझे इस धरा पर सेवा के लिए भेजा है... मैं आत्मा सेवा के लिए सदैव तत्पर रहती हूं... मैं आत्मा एकाग्रचित हूं... और एकाग्रचित्त होकर पढ़ाई पढ़ती हूं...
❉ "ड्रिल - याद का सच्चा चार्ट रखना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाबा के रुम में हूं... प्यारे बाबा के सम्मुख बैठी हूं व एकटक निहार रही हूं... प्यारे बाबा प्यार से कहते हैं बोलो मेरी लाड़ली बच्ची... दिलेहाल बयां करो बच्ची... मैं बाबा को दिल की सच्चाई सफाई से हर छोटे से छोटे कर्म के बारे में बताती हूं... पहले तो अज्ञानता में रहकर झूठी दुनिया में रह झूठ सच बोलती रही... मुझ आत्मा को प्यारे बाबा से दिव्य बुद्धि और दिव्य ज्ञान मिला है... अब मैं आत्मा प्यारे बाबा से सच्चा सच्चा याद का चार्ट देती हूं... बाबा अपने सच्चे बच्चे को ही दिल पर राज कराते है... मैं आत्मा जान गई हूं कि ये झूठी दुनिया है... विनाशी दुनिया है... सब कब्रदाखिल ही होना है... देह व देह कू सम्बंध भी विनाशी हैं... मैं ये शरीर नही आत्मा हूं... चैतन्य शक्ति हूं... अति सूक्ष्म हूं... भृकुटि के बीच चमकता सितारा हूं... हम सब आत्माओं का पिता एक है सदाशिव परमपिता परमात्मा... अपने को आत्मा समझ एक बाप को ही याद करती हूं... मैं आत्मा देह व देह के सम्बंधों को बुद्धि से भूल चुकी हूं... मै आत्मा देहधारियों के लगाव से मुक्त हो गई हूं...
❉ "ड्रिल - फरिश्ता रूप में स्थित हो विघ्नों के प्रभाव से मुक्त अवस्था का अनुभव करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा उड़ता पंछी हूं... मुझ आत्मा का देह का देह और देहधारियों से मन का लगाव नही है... मैं आत्मा तो बस प्यारे बाबा की बन गई हूं... प्यारे बाबा का बनने से 63 जन्मों का बोझ समाप्त हो गया है... अपने आत्मिक स्वरुप में स्थित होने से मैं आत्मा स्वतः ही हल्कापन महसूस करती हूं... मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में रहती हूं... वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य! मुझ आत्मा के पाँव खुशी से नीचे धरनी पर नही रहते... मैं आत्मा डबल लाइट फरिश्ता अनुभव करती हूं... मैं आत्मा सदैव अपने को कमल पुष्प समान न्यारा और बाप का प्यारा अनुभव करती हूं... मैं आत्मा चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, समस्या हो उस समस्या के अधीन नही होती... मैं आत्मा सब बाबा को सौंप सदा हल्की रहती हूं... मैं आत्मा अपने फरिश्ता स्वरुप में रह विघ्नों के प्रभाव से मुक्त स्थिति का अनुभव करती हूं...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- मैं सहज पुरषार्थी आत्मा हूँ ।"
➳ _ ➳ योगयुक्त स्तिथि में बैठ श्रेष्ठ स्वमानों में स्वयं को स्तिथ करें... मैं आत्मा सार में स्थित बिंदी रूप हूँ... मैं कर्मेन्द्रियों का राजा हूँ... मुझ आत्मा का नाम है मास्टर सर्वशक्तिमान... मुझ महावीर का रूप है अस्त्र - शस्त्रधारी शक्तिरूप...
➳ _ ➳ मैं आत्मा गुणों में सहन शीलता की देवी हूँ... मैं आत्मा समाने में सम्पन्न हूँ... सब कुछ समेट कर उपराम और साक्षी द्रष्टा हूँ... मैं आत्मा अवगुणों को समाने वाली, सहनशीलता को धारण कर नबरवन लेनेवाली आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा एकता, एकाग्रता और दृढ़ता से सफलता की शिखर पर पहुँचने वाली... अपनी कर्मेन्द्रियों के ऊपर रुल करने वाली स्वराज्य अधिकारी हूँ...मैं आत्मा लगाव से परे रहने वाली न्यारी और बाप की प्यारी आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ मैं कर्मेन्द्रियों की राजा आत्मा स्वार्थ के शब्द में स्तिथ अर्थात स्व के रथ को स्वाहा करने वाली स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ... आजकल एक दो में जो लगाव है वह स्नेह नहीं लेकिन स्वार्थ से है...
➳ _ ➳ मैं शक्तिस्वरूप आत्मा इस स्वार्थ शब्द के अर्थ को जान कर सदा एकरस स्तिथि में स्तिथ रह एक की ही बन गयी हूँ... मैं आत्मा न्यारेपन का अनुभव कर सहज पुरषार्थी आत्मा होने का अनुभव कर रहीं हूँ ।
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ स्वार्थ शब्द के अर्थ को जान सदा एक रस स्थिति में स्थित होने वाले सहज पुरुषार्थी होते हैं... क्यों और कैसे?
❉ स्वार्थ शब्द के अर्थ को जान सदा एक रस स्थिति में स्थित होने वाले सहज पुरुषार्थी होते हैं क्योंकि आज कल जो एक दो में लगाव है वो स्नेह से नहीं स्वार्थ से है। आज के समय में अधिकतर स्वार्थ के वशीभूत हो कर ही आपस में स्नेह रखते हैं।
❉ स्वार्थ के पूरा होते ही स्नेह भी खत्म हो जाता था। अभी स्वार्थ के कारण ही लगाव है और लगाव के कारण ही न्यारे और प्यारे नहीं बन पाते हैं। इसलिये स्वार्थ शब्द के अर्थ में स्थित हो जाना है।
❉ स्व प्लस रथ बराबर, स्वयं का रथ। अर्थात! पहले स्व के रथ को स्वाहा करना है। जब स्वयं के रथ को स्वाहा कर देंगे, तब स्वार्थ भी स्वाहा हो जायेगा। जब स्वार्थ गया। तो न्यारे अपने आप बन जायेंगे। इस एक शब्द के अर्थ को जानने से सदा एक के और एकरस बन जाते हैं। इसको ही सहज पुरुषार्थ कहते हैं।
❉ जब हम अपना हर कार्य निःस्वार्थ भाव से करेंगे, तो वह कार्य अविनाशी कार्य बन जायेगा। तथा हम सभी कर्म बन्धनों से मुक्त भी बन जायेंगे। इस प्रकार से जब हमारे मन में एक दूसरे के प्रीति निःस्वार्थ की भावना उत्पन्न होने लगती है। तब हमारा हर कर्म अलौकिक कर्म बन जाता है।
❉ वह कर्म हम को हमारे कर्म बन्धनों से भी मुक्त बनाता है और एक दो में जो आपस का लगाव होता हैं, वह लगाव भी निःस्वार्थ स्नेह में परिवर्तित हो जाता है और हम सर्व के प्यारे और सर्व से न्यारे बन जाते हैं। इस प्रकार एक शब्द को जान कर हम सदा एक के और एकरस बन जायेंगे। यही है सहज पुरुषार्थ।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ फ़रिश्ता रूप में रहने से कोई भी विघ्न अपना प्रभाव डाल नही सकता... क्यों और कैसे ?
❉ जो सदैव अपने फ़रिश्ता स्वरूप की स्मृति में स्थित रहते हैं वे उड़ता पंछी बन बुद्धि रूपी विमान में बैठ तीनो लोकों की सैर करते रहते हैं और इस लोक के लगाव से परे रहते हैं । यह असार संसार हैं जिसमे कुछ भी सार नही इस बात को बुद्धि में धारण कर वे संकल्प और स्वप्न में भी इस असार संसार के आकर्षण में नही फंसते इसलिए संसार का कोई भी विघ्न उन पर अपना प्रभाव नही डाल सकता ।
❉ हम ब्राह्मण बच्चों की अंतिम स्टेज है ही फरिश्ता स्थिति । तो सदा अपना अन्तिम फरिश्ता स्वरूप स्मृति में रखने से जैसी स्मृति होगी वैसी स्थिति बन जाएगी। जितना-जितना इस अन्तिम मंज़िल के नज़दिक आते जाएंगे उतना सब तरफ से न्यारे और बाप के प्यारे बनते जाएंगे। जैसे जब कोई चीज़ बन कर तैयार हो जाती है तो किनारा छोड़ देती है । इसी प्रकार जितना सम्पन्न स्टेज के समीप आते जाएंगे उतना सर्व से किनारा होता जाएगा जिससे कोई भी विघ्न प्रभाव नही डाल सकेगा ।
❉ फरिश्ता अर्थात् एक के साथ सब रिश्ता । जब सब रिश्ते एक के साथ जुट जाते हैं और एक से ही सर्व सम्बन्धो का सुख प्राप्त होने लगता है तो भटकना स्वत: बन्द हो जाता है क्योकि ठिकाना मिल जाता है । इसलिए जब सब बन्धनों से सब तरफ से वृत्ति द्वारा किनारा कर लेंगे तो सब तरफ से लगाव झुकाव समाप्त होता जायेगा । जितना मन बुद्धि को सभी बातों से समेटते जायेगें, सभी विघ्न समाप्त होते जायेंगे और फ़रिश्ता स्वरूप की मंजिल समीप आती जायेगी ।
❉ फरिश्तेपन की लाइफ में लाइट और माइट दोनों ही स्पष्ट दिखाई देते हैं। लेकिन लाइट और माइट रूप बनने के लिए मनन करने और सहन करने की शक्ति चाहिए । मन्सा के लिए मननशक्ति और वाचा, कर्मणा के लिए सहनशक्ति जब धारण करेंगे और अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर फिर जो भी शब्द बोलेंगे या कर्म करेंगे उसमे सफलता अवश्य समाई होगी । क्योकि अगर यह दोनों शक्तियां हैं तो पुरूषार्थ का मार्ग सहज और स्पष्ट हो जायेगा और कोई भी विघ्न अपना प्रभाव नही डाल सकेगा ।
❉ निराकार वा साकार रूप से बुद्धि का संग वा रिश्ता जब एक बाप से पक्का हो जायेगा तो फरिश्ता बन जायेंगे। इसलिए जिनके सर्व सम्बन्ध वा सर्व रिश्ते एक बाप के साथ हैं वही सदा फरिश्ते हैं। जैसे गवर्मेन्ट रास्ते में बोर्ड लगा देती है कि यह रास्ता ब्लाक है तो उस बोर्ड को पढ़ कर कोई भी उस रास्ते की ओर नही जाता है । ऐसे जब सभी दुनियावी रास्ते ब्लाक (बन्द) कर देंगे तो बुद्धि का भटकना छूट जायेगा। बापदादा का भी यही फरमान है - कि पहले सब रास्ते बन्द करो, इससे सहज फरिश्ता बन हर विघ्न से दूर हो जायेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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