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❍ 04 / 12 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *"हम आत्माएं अनादिकाल, आदिकाल, मध्यकाल और अंतकाल में हाईएस्ट और श्रेष्ठ हैं" - यह नशा रहा ?*
➢➢ *ज्ञान सागर के तले में जाकर नए नए अनुभव के रतन चुन कर आये ?*
➢➢ *मन की कंट्रोलिंग पॉवर से मनोबल को बढाया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *संकल्प के आधार पर बोल, कर्म, दृष्टि और वृत्ति को कण्ट्रोल किया ?*
➢➢ *शुभ भावना और शुभ कामना से संकल्प शक्ति का जमा का खाता बढाया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ *आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"संकल्प शक्ति के महत्व को जान इसे बढ़ाओ और प्र्योग में लाओ"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने महानतम श्रेष्ठ भाग्य के नशे से भर जाओ... कितना खुबसूरत भाग्य पाया है यह जरा स्मर्तियो में लाओ... सुंदर देवता बन अथाह सुखो को जीते हो... मध्यकाल में पूजे जाते हो... और अंतकाल में ईश्वर को पिता शिक्षक और सतगुरु रूप में पाते हो... इन मधुर यादो में खो जाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा किस कदर भाग्य की धनी हूँ... चारो युगों में सुंदर भाग्य को पाने वालो और अथाह सुखो में मुस्कराने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ... प्यारे बाबा को पाकर अतीन्द्रिय सुखो के झूले में झूल रही हूँ...
❉ प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता से पायी असीम खुशियो को मन बुद्धि में दोहराओ... सदा खुश एकरस अविनाशी ख़ुशी हो... चेहरा खिला गुलाब सा रूहानी हो... श्रेष्ठ संकल्पों का जो खजाना प्राप्त है उसे निरन्तर प्र्योग में लाओ... मन के मौन से ज्ञान सागर की गहराई में जाकर रत्नों के अनुभवी बनो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा आपकी यादो से पायी असीम खुशियो में मुस्करा रही हूँ... सुख और आनन्द के झूलो में झूल रही हूँ... और संकल्पों के खजाने को पाकर पूरे विश्व का कल्याण कर रही हूँ... शुभभावना की तरंगे चारो और फेला रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... एकाग्रता की शक्ति और एकरस अवस्था से संकल्प शक्ति के जादू को जीवन में उतारो... हर पल संकल्प शक्ति पर अटेंशन दो... संकल्पों से बेहद की सेवा को कर बापदादा को प्रत्यक्ष करो... और मीठा मुस्कराता स्वर्ग धरा पर लाओ.... विघ्नो से मुक्त हो शक्ति सम्पन्न बन चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपसे पाये संकल्पों के जादू को पूरे विश्व में फैलाकर सुखो के फूल खिला रही हूँ... शुभ भावना और शुभ कामना की लहर चला... मीठे बाबा के धरा पर उतर आने की हर दिल को दस्तक दे रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा सदा शक्ति सम्पन्न हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा संसार रुपी विष सागर में फँसी हुई थी... विकारों रुपी विष को धारण कर तमोगुणी बन गई थी... ज्ञान के सागर बाबा ने आकर मुझ आत्मा को विषय सागर से निकाल ज्ञान के सागर के किनारे ला दिया...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सागर के कन्ठे पर रहने वाली होलीहंस बन गई हूँ... अब मैं आत्मा सदा ज्ञान सागर के तले में जाकर सिर्फ मोती चुगती हूँ... सदा रत्नों को ही ग्रहण करती हूँ... कंकड़ को नहीं देखती हूँ... अब मैं आत्मा सदा ज्ञान सागर बाप की याद में रहती हूँ... प्रेम, सुख, शांति, आनंद, पवित्रता जैसे मोती रुपी गुणों, शक्तियों को धारण करती हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सदा इसी अविनाशी नशे में रहती हूँ... कि मैं सारे कल्प में हाइएस्ट आत्मा हूँ... आदि, मध्य, अंत तीनों कालों में श्रेष्ठ आत्मा हूँ... मैं आत्मा अपने सभी स्वरूपों की स्मृति में रहती हूँ... ज्ञान रत्नों, मोतियों के अलंकारों से सदा सुसज्जित रहती हूँ... अब मैं आत्मा सर्व शक्तियों से सम्पन्न बन गई हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सर्व विघ्नों से, कमजोरियों से, पुराने संस्कारों से स्वतः मुक्त होते जा रही हूँ... अब मुझ आत्मा को कोई भी तमोगुणी संकल्प वा संस्कार टच नहीं कर सकते हैं... अब मैं आत्मा पुरानी दुनिया अथवा दुनिया की कोई भी वस्तु और व्यक्तियों से सहज ही किनारा कर रही हूँ... अब मैं आत्मा पुराने संस्कारों वा विघ्नों से मुक्ति प्राप्त करने वाली सदा शक्ति सम्पन्न बन गई हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल - ब्लैसिंग प्राप्त करने का साधन है- हर कर्म में बैलेन्स रखना*
➳ _ ➳ बाप की ब्लैसिंग स्वतः ही प्राप्त होती रहे, इसके लिए हर समय, हर कर्म में बैलेन्स रखना। बैलेन्स रखने के लिए हर समय अपने कर्म-योग का बैलेन्स चेक करना है। कर्म अलग नही, कर्म और योग साथ-साथ हैं। कर्म में योग नही तो ,कर्म में मेहनत भी ज्यादा, समय भी ज्यादा और सफलता भी कम।
➳ _ ➳ मैं आत्मा विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ... मैं बापदादा की छत्रछाया में पलने वाली आत्मा हूँ... मैं हर समय, हर कर्म बाबा की याद में करने वाली आत्मा हूँ... बाबा की याद में किया हर कर्म, हर सेवा में बाबा की ब्लैसिंग अनुभव करती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा चाहे स्थूल कर्म करूँ... चाहे अलौकिक करूँ... बाबा की याद में ही करती हूँ... जिस कारण सफलता सहज प्राप्त होती है... बैलंस के कारण ब्लैसिंग भी प्राप्त होती है... कर्म के बैलेन्स से मुझ आत्मा की निर्णय शक्ति भी बढ़ती जा रही है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा निश्चय बुद्धि बनती जा रही हूँ... मुझ आत्मा में क्या, क्यों के सभी प्रश्न समाप्त होते जा रहें है... मुझ आत्मा को यह निश्चय होता जा रहा है... जो हो रहा है उसमें सबका कल्याण समाया हुआ है... क्योंकि कल्याणकारी युग है... कल्याणकारी बाप है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा भी विश्वकल्याणकारी हूँ... प्यारे बाबा का साथ होने से किसी भी परिस्थिति में मेरा अकल्याण हो नही सकता... बाहर से चाहे कितनी भी कोई हलचल दिखाई दे...कितने भी पेपर आए... मैं आत्मा घबराती नही हूँ... दिन-प्रति दिन मुश्किलें तो बढ़नी ही है... परन्तु इसमें भी कोई गुप्त कल्याण समाया है...
➳ _ ➳ हर कर्म में बैलेन्स मुझ आत्मा को बाप की विशेष मदद का अनुभव कराती है... असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाता है... सहज हो जाता है... हर कदम में सफलता प्राप्त होने लगती है... सर्व आत्माओं की ब्लैसिंग प्राप्त करने वाली... मैं आत्मा प्राप्तिस्वरूप बनती जा रही हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *पुराने संस्कारों वा विघ्नों से मुक्ति प्राप्त करने वाले सदा शक्ति सम्पन होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ पुराने संस्कारों वा विघ्नों से मुक्ति प्राप्त करने वाले सदा शक्ति सम्पन होते हैं क्योंकि... अगर हम किसी भी प्रकार के विघ्नों से, कमजोरियों से या पुराने संस्कारों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो हम को ईश्वरीय शक्तियों को धारण करना जरुरी है। अर्थात! ब्राह्मण जीवन में रहते हुए अपने अलंकारी स्वरूप को सदा याद करते रहना है।
❉ अपने अलंकारी स्वरूप को याद करना मीन्स अपने को विष्णु स्वरूप में देखना। शंख चक्र गदा व पदम् ये सभी हमारे ब्राह्मण जीवन के अलंकार हैं, लेकिन! वो अलंकार अभी ब्राह्मणों को दिखा नहीं सकते है, इसलिये! भक्ति मार्ग में चतुर्भुजधारी विष्णु स्वरूप को दिखा दिए हैं।
❉ उनको ये नहीं मालूम है कि... अगर इन अलंकारों के अर्थ के अनुसार हम अपना ब्राह्मण जीवन संगमयुग पर जियेंगे, अर्थात! अपने जीवन में इनको धारण करेंगे तो हम देवत्व को प्राप्त कर लेंगें और सतयुगी दुनिया के मालिक बन जायेंगें। देव स्वरूप की प्राप्ति के लिये हमें पुरुषार्थ तो करना ही है।
❉ जो आत्मायें स्वयं को अलंकारों से सदा सजे सजाये रखती हैं, वह भविष्य में विष्णु वंशी बन जाती हैं, लेकिन! अभी पहले वैष्णव बनते हैं। उनको कोई भी तमोगुणी संकल्प वा संस्कार टच नहीं कर सकता है। वह सदा सतोगुणी विचार व संकल्पों की ही रचना करते हैं, तथा उनका जीवन जीने का ढंग भी सात्विकता से भरपूर होता है।
❉ अतः वे इस पुरानी दुनिया से, अथवा पुरानी दुनिया की कोई भी वस्तु और व्यक्ति से सहज ही किनारा कर लेते हैं। इसलिये उन्हें कारण से अर्थात! कारणे अकारणे कोई भी टच नहीं कर सकता। वह सदा अपने अलंकारी स्वरूप में स्थित हो कर रहते हैं। तभी तो! भविष्य में विष्णुवंशी बन जाते हैं।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *हर समय हर कर्म में बैलेन्स रखना ही सर्व की ब्लैसिंग प्राप्त करने का साधन है... क्यों और कैसे* ?
❉ बाबा ने हम बच्चों को स्मृति दिलाई है कि हम कर्मयोगी है । कर्म से छूट नही सकते । किन्तु कर्म और योग के बैलेन्स द्वारा हर कर्म को श्रेष्ठ बना सकते हैं । इसलिए कर्म करते हुए बुद्धि का योग निरन्तर एक परमात्मा बाप के साथ जब लगा रहेगा तो परमात्म प्रेम हमारे हर कर्म में परिलक्षित होगा जो अन्य आत्माओं को भी परमात्म प्रेम और पालना का अनुभव करवाता रहेगा । हर समय हर कर्म में यह बैलेन्स सहज ही सर्व की ब्लैसिंग प्राप्त करने का साधन बन जायेगा ।
❉ जीवन में बैलेन्स का होना कितना जरूरी है इस बात को सभी स्वीकार करते हैं । इस लिए जीवन के हर क्षेत्र में हम देखते भी है कि बैलेन्स बना कर चलने वाले सफलतामूर्त बन हर क्षेत्र में सहज ही सफलता प्राप्त कर लेते है । जैसे स्टूडेंट लाइफ में भी वही स्टूडेंट सफलता को प्राप्त करते हैं जो पढ़ाई और बाकि गतिविधियों में बैलेन्स बना कर चलते हैं । ठीक इसी प्रकार जब हम भी कर्म और योग का बैलेंस बना कर हर कर्म करेंगे तो परमात्म ब्लैसिंग के साथ साथ सर्व की ब्लैसिंग प्राप्त कर सकेंगे ।
❉ हर समय हर कर्म में बैलेन्स कार्य को तो सफल बनाता ही है किंतु साथ ही साथ कार्य को करते हुए सन्तुष्टता का भी अनुभव करवाता है । यह भी फैक्ट है कि एक संतुष्ट व्यक्ति ही औरों को सन्तुष्ट कर सकता है । इसलिए जो हर समय हर कर्म में बैलेन्स बना कर चलते हैं वे स्वयं भी सदा सन्तुष्ट रहते हैं तथा अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली अन्य आत्माओं को भी संतुष्ट रखते हुए एक दूसरे के सहयोग से निरन्तर आगे बढ़ते रहते हैं । ऐसे संतुष्ट व्यक्ति ही सर्व की ब्लैसिंग के अधिकारी बनते है ।
❉ एक छोटा बच्चा भी जब चलना सीखता है तो पहले पहले किसी वस्तु का सहारा ले कर खड़ा होता है । बैलेन्स ना बना पाने के कारण वह कई बार गिरता है । किंतु जैसे जैसे वह बैलेन्स रखना सीख जाता है वैसे वैसे वह बिना किसी वस्तु को पकड़े आसानी से चलना और दौड़ना शुरू कर देता है । इसी प्रकार जीवन के हर क्षेत्र में जो हर समय हर संकल्प में बैलेन्स रखना जानते हैं उन्हें कभी भी हार का मुख नही देखना पड़ता । जीवन के हर क्षेत्र में वे विजय प्राप्त करने वाले विजयी रत्न बन सर्व की दुआएं प्राप्त कर आगे बढ़ते रहते हैं ।
❉ जो हर संकल्प, हर कर्म में बैलेन्स रखना जानते हैं वे कोई भी परिस्थिति आने पर प्रश्नचित बन प्रश्नों का जाल नही बुनते बल्कि सेकण्ड में फुल स्टॉप लगा कर समस्या का समाधान ढूंढ लेते हैं । उनकी सन्तुलन रखने की क्षमता उनके अंदर एकाग्रता की शक्ति विकसित करती है । और अपनी एकाग्रता की शक्ति से वे हर कारण को निवारण में बदल लेते हैं । समाधान स्वरूप होने के कारण वे दूसरों की समस्याओं को भी सुलझाने के निमित्त बन जाते हैं । इसलिए उन्हें सर्व की दुआएं स्वत: ही प्राप्त होती रहती हैं जो उन्हें निरन्तर आगे बढाती हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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