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❍ 17 / 12 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *बाप से सदा सच्चे रहे ?*
➢➢ *युद्ध के मैदान में माया के विकल्पों से डरे तो नहीं ?*
➢➢ *अपना सच्चा चार्ट रखा ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *डबल लाइट अवस्था का अनुभव किया ?*
➢➢ *बड़ा दिल रख असंभव कार्य को भी संभव बनाया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ *स्वयं को तीन बिंदी का तिलक लगाया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - सच्चे बाप के साथ सच्चे बनो अगर सच नही बतलाते हो तो पाप वर्द्धि को पाते जाते है"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अब तक असत्य से भरा जीवन जीकर मलिन होते रहे... *अब परमसत्य सम्मुख है तो जीवन को सत्यता के प्रकाश से भर दो*... सत्यता को बाँहों में भरकर सुखो के अधिकारी बनो... सत्य पिता के साये में हर अवगुण को धो चलो... और विश्व के मालिक बन मुस्कराओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा आपकी मीठी प्यारी यादो में सत्य का सूर्य बन दमक रही हूँ... *विकारो की कालिमा से दूर सत्य के प्रकाश से ओतप्रोत हो निखर उठी हूँ.*.. हर बात मीठे बाबा संग बयान कर रही हूँ और राजदार बाबा को बता हल्की हो मुस्करा उठी हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... अब दिव्य गुणो से दमकता प्यारा जीवन जियो... मीठे प्यारे दिव्य सस्कारों से दामन सजाओ... जिन पापो ने जीवन को गहरे दुखो का मंजर बना दिया... अब प्यारे बाबा के साये में उन्हें फिर न दोहराओ... *सच्चाई से छलकता और खुशियो से महकता सच्चा सच्चा जीवन जियो.*..
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा *आपके संग में कितनी पुण्य आत्मा सी बनती जा रही हूँ..*. विकारो से परे कितना प्यारा मीठा और खुबसूरत जीवन जीती जा रही हूँ... हर कदम पर श्रीमत को अपनाती हुई खुशियो में खिलती जा रही हूँ....
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *सदा सच्चाई के पर्याय बन मुस्कराओ*.. हर अवगुण को दिल से निकाल ईश्वर पिता की मीठी यादो से दिल को भर दो... इन मीठी यादो में सच्चे हीरे से दमक उठेंगे... मीठे सुखो से और अथाह सम्रद्धि से सजा हुआ प्यारा सा जीवन हो चलेगा... देवता बन विश्व धरा पर मुस्करायेंगे...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में मीठे से ज्ञान को पाकर अपने सतोगुणी रंग में रंगती जा रही हूँ... *विकारो की धूल मेरे वजूद से हटती जा रही है.*.. और में पुण्य आत्मा बनकर देवताई श्रंगार से सजती जा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा कर्मयोगी हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा *स्वयं को चार्ज करने साइलेन्स में* बैठी हूँ... सुप्रीम पावर से कनेक्शन जोड़ने की कोशिश कर रहीं हूँ... थोड़ी देर कनेक्ट होती हूँ... फिर कनेक्शन टूट जाता है... बीच-बीच में शाट- सर्किट हो जाता है... बार-बार कनेक्शन टूट जाता है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा शांति से अपना वायरिंग चेक करती हूँ... मुझ आत्मा के वायर बहुतों के साथ कनेक्ट हैं... इसीलिए *सुप्रीम पावर से डाइरेक्ट कनेक्शन* नहीं हो पा रहा है... मुझ आत्मा का एक वायर देह के साथ जुड़ा है... जिससे मैं आत्मा देहभान में आ जाती हूँ...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा का दूसरा वायर देह के सम्बन्धों के साथ जुड़ा है... जिनके कारण मैं आत्मा कर्मबंधनों के जाल में उलझते चले गई थी... विनाशी चीजों के आकर्षण का वायर जिससे मैं आत्मा देह के पदार्थों, विनाशी धन के आकर्षण में पड़ गई... *सबसे खतरनाक देह अभिमान* का वायर जिससे मैं आत्मा नाम, मान, शान में फंस गई...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा *ज्ञान की कैंची से* उन सभी वायरों को काट देती हूँ... डिस-कनेक्ट कर देती हूँ... जो सुप्रीम पावर से डाइरेक्ट कनेक्शन में रुकावट बन रहें थे... देह, देह के सम्बन्ध, पदार्थ सब विनाशी हैं... इन सबसे जुड़े रहने के कारण ही मैं आत्मा दुखी, अशांत होकर शक्तिहीन हो गई थी...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सुप्रीम पावर से डाइरेक्ट कनेक्शन जोड़ती हूँ... अब मैं आत्मा माइट पाकर डबल लाइट बन गई हूँ... अब मैं आत्मा आत्मिक स्थिति में रह हर कर्म करती हूँ... स्वयं को ट्रस्टी, निमित्त समझ कर्म करती हूँ... मैं आत्मा अब *एक सेकण्ड में कर्मातीत, एक सेकण्ड में कर्मयोगी* बन जाती हूँ... अब मैं आत्मा डबल लाइट बन कर्मातीत अवस्था का अनुभव करने वाली कर्मयोगी बन गई हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल - दिल बड़ी रख हर असम्भव कार्य को संम्भव करना*।
➳ _ ➳ बड़ा दिल अथार्त् बेफ़िक्र बादशाह। किसी भी बात का कोई फ़िक्र नही *जब सर्वशक्तिमान बाप साथ है तो कैसा फ़िक्र*, बाबा ही जाने। स्वयं भगवान साथी बन गया है तो विघ्नों को पार करना सहज है। हम मास्टर सर्वशक्तिमान बच्चे है बाप का साथ है, तो असम्भव कार्य भी स्म्भव हो जाता है
➳ _ ➳ मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ... मैं बेफिक्र बादशाह की स्थिति में स्थित रहने वाली आत्मा हूँ... सदा निश्चिंत बुद्धि आत्मा हूँ... *मुझ आत्मा का साथी स्वयं भगवान है*... तो क्या चिंता... फिर कैसा घबराना... कैसा मूंझना...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बेफिक्र बादशाह बन अचल-अडोल स्थिति में स्थित रहती हूँ*... कैसी भी परीक्षाएं आए... तूफान आएं मैं आत्मा निश्चिंत हो सब कुछ बाप को सौंप... सर्व बोझों से मुक्त रहती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सब कुछ बाबा को अर्पण कर... बेफिक्र बादशाह होने का अनुभव करने लगती हूँ... *मेरा कुछ नही सब तेरा है*... जब सब कुछ बाबा को दे दिया... तो फ़िक्र किस बात की... बाबा जाने, बाबा का काम जाने... मैं आत्मा निश्चिंत हो गई...
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाबा को सब सौंप... निश्चिंतबुद्धि हो जाती हूँ... मैं आत्मा अनुभव करती हूँ... *बड़ा दिल कर सब कुछ बाबा को सौंपने से असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाता है*... कैसे भी सरकमस्टांसेस हो... ख़ुशी सदा अनुभव होती है...
➳ _ ➳ कैसा भी वायुमण्डल हो... उसे देखकर मैं आत्मा अपने कर्म में... अपने कर्म के प्रति कभी दुविधा में नही आती हूँ... सदैव अपने को सफलतामूर्त अनुभव करती हूँ... *बाप का साथ हर कार्य को सरल और सम्भव बना देता है*...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *डबल लाइट बन कर्मातीत अवस्था का अनुभव करने वाले कर्मयोगी होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ डबल लाइट बन कर्मातीत अवस्था का अनुभव करने वाले कर्मयोगी होते हैं क्योंकि... *जैसे कर्म में आना स्वभाविक* हो गया है वैसे कर्मातीत होना भी स्वभाविक हो जाये। इसके लिये हमें डबल लाइट स्थिति में स्थित रहना है अर्थात! हल्का व लाइट स्वरूप बनना।
❉ डबल लाइट मीन्स सभी बोझों से हल्का रहना तथा प्रकाश स्वरूप बन कर अपने स्वरूप का अनुभव करना व *अन्य आत्माओं को करवाना है। जैसे कर्म में आना* हमारे लिये कितना आसान होता है, वैसे ही कर्म से विलग होना भी आसान होना चाहिये न, अर्थात! कर्मातीत अवस्था में स्थित होना।
❉ कर्मातीत अवस्था मीन्स *कर्म के बन्धन से मुक्त* अवस्था का होना। किसी भी प्रकार का कर्म हो, चाहे पुण्य कर्म हो या फिर चाहे साधारण कर्म हो। हमें दोनों ही प्रकार के कर्म बन्धनों से अतीत होना है। इसलिये! हमें कर्ता के भाव को समाप्त करना है। यही कर्मातीत अवस्था कहलाती है।
❉ अतः हमें डबल लाइट रहने के लिये कर्म करते हुए भी स्वयं को ट्रस्टी समझना है और आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करते रहना है। *जितना हम कर्म करते हुए स्वयं को ट्रस्टी समझेंगे* और अशरीरी बनने का अभ्यास करेंगे, उतनी ही हमारी आत्मिक स्थिति मजबूत होती जायेंगी।
❉ अतः इन दोनों बातों पर ही, हमें अधिक से अधिक अटेन्शन रखना है। अटेन्शन रखने से सेकण्ड में कर्मातीत अवस्था व सेकण्ड में कर्मयोगी बन जायेंगे। अतः निमित्त मात्र बनने के लिये हमें कर्मयोगी बनना है, क्योंकि... *कर्मयोगी बनने पर ही कर्मातीत* अवस्था का अनुभव हम कर सकेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *जिनकी दिल बड़ी है उनके लिए असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं... क्यों और कैसे* ?
❉ जैसे बेहद का बाप बड़े दिल वाला है । सबकी अच्छी बुरी बातों को समा लेता है । बच्चों की बुराइयों व कमी कमजोरियों को दिल में ना रख उन्हें माफ़ कर देता है । ऐसे ही *बाप समान बड़े दिल वाले बन जो सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं की बुराइयों वा कमजोरियों* को नजरअंदाज करने की विशेषता स्वयं में धारण कर लेते हैं । और हर आत्मा के वास्तविक स्वरूप और गुणों को ध्यान में रख उन्हें उनकी महानता की स्मृति दिलाते हैं उनके लिए असम्भवः कार्य भी सम्भव हो जाते हैं ।
❉ जिनकी दिल बड़ी होती है उनके व्यवहार में सरलता स्वत: ही आ जाती है और *सरलता का गुण मनुष्य को नम्रचित बनाता है* । नम्रता को अपने जीवन धारण करने वाले अपने सरल और नम्र स्वभाव के कारण हर प्रकार की परिस्थिति और हर प्रकार के स्वभाव संस्कार वाली आत्मा के साथ स्वयं को समायोजित करने की योग्यता विकसित कर लेते हैं । *स्वयं को एडजेस्ट करने में उन्हें समय व्यर्थ नही गंवाना पड़ता* बल्कि समय और परिस्थिति अनुसार वे स्वयं को मोल्ड कर हर असम्भव कार्य को भी सम्भव बना लेते हैं ।
❉ जिनका हृदय विशाल और दिल बड़ा होता है उनके हृदय में सर्व आत्माओं के प्रति दया और रहम का भाव सदा इमर्ज रहता है । इसलिए वे रहमदिल विश्व कल्याणकारी आत्मा बन *कमजोर आत्मा को भी उसकी महिमा की स्मृति दिला कर महान बना देते हैं* । अपने रहमदिल की शक्ति से वे कमजोर आत्माओं के अवगुणों व कमजोरियों को धारण नही करते बल्कि अपने शक्ति सम्पन्न स्वरूप से उनको भी उनके अवगुणों की विस्मृति करा कर समर्थ आत्मा बना कर असम्भव कार्य को भी सम्भव कर देते हैं ।
❉ जिनकी दिल बड़ी होती है वे उदारचित्त होते हैं । उनके सरल स्वभाव और उदारता की विशेषता से उनके जीवन में सच्चाई और सफाई स्पष्ट दिखाई देती है । *व्यवहार में सच्चाई और स्वभाव में सफाई उन्हें परमात्मा के दिल रूपी तख़्त पर सदा विराजमान रखती है* । इसलिए वे कदम कदम पर परमात्मा बाप की मदद का अनुभव करते रहते हैं और परमात्म छत्रछाया में स्वयं को सदा सेफ अनुभव करते हुए, परमात्म शक्तियों से भरपूर हो कर असम्भव कार्य को भी सम्भव कर लेते हैं ।
❉ एक किसान पूरी हिम्मत, उत्साह और दृढ़ता के साथ जब एक बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की ठान लेता है तो उसकी मेहनत कलराठी जमीन को भी हरा - भरा बना देती है । इसी प्रकार जो *विशाल हृदय बन पुराने स्वभाव - संस्कारों के वश हुई आत्माओं को उनके पुराने स्वभाव संस्कारों* से मुक्ति दिलाने का दृढ़ संकल्प कर लेते हैं तो वे उन्हें उन संस्कारों से मुक्ति दिला कर और उन्हें चढ़ती कला में ला कर असम्भव कार्य को भी सम्भव कर दिखाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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