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❍ 06 / 12 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *पढाई अची तरह पडी ?*
➢➢ *कोई भी बुरा काम तो नही किया ?*
➢➢ *देवताओं को जो चीज़ स्वीकार कराते हैं, वही खाई ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *रीगार्ड देने का रिकॉर्ड ठीक रख ख़ुशी का महादान किया ?*
➢➢ *हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझकर एवर रेडी बनकर रहे ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *ज्ञान सागर के तले में जाकर नए नए अनुभव के रतन चुन कर आये ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - संगम युग पुरषोत्तम युग है यहाँ की पढ़ाई से तुम 21 जनमो के लिए उत्तम ते उत्तम पुरुष बन सकते हो"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की बाँहो में झूलने वाला खुबसूरत समय जो हाथ आया है तो इस वरदानी युग में पिता से अथाह खजाने लूट चलो... 21 जनमो के मीठे सुखो से अपना दामन सजा चलो... *ईश्वरीय पढ़ाई से उत्तम पुरुष बन विश्व धरा के मालिक* हो मुस्करा उठो....
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा अपने महान भाग्य को देख देख निहाल हो चली हूँ... मेरा मीठा भाग्य मुझे *ईश्वर पिता की फूलो सी गोद लिए वरदानी संगम* पर ले आया है... ईश्वरीय पढ़ाई से मै आत्मा मालामाल होती जा रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस महान मीठे समय का भरपूर फायदा उठाओ... *ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से जीवन में खुशियो की फुलवारी* सी लगाओ... जिस ईश्वर को दर दर खोजते थे कभी... आज सम्मुख पाकर ज्ञान खजाने से भरपूर हो चलो... और 21 जनमो के सुखो की तकदीर बनाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा संग ज्ञान और योग के पंख लिए असीम आनन्द में खो गयी हूँ... ईश्वर पिता के सारे खजाने को बुद्धि तिजोरी में भरकर और *दिव्य गुणो की धारणा से उत्तम पुरुष* आत्मा सी सज रही हूँ....
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *मीठे बाबा के साथ का संगम कितना मीठा प्यारा और सुहावना है*.. सत्य के बिना असत्य गलियो किस कदर भटके हुए थे... आज पिता की गोद में बेठे फूल से खिल रहे हो... ईश्वरीय मिलन के इन मीठे पलों की सुनहरी यादो को रोम रोम में प्रवाहित कर देवता से सज जाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा की गोद में ईश्वरीय पढ़ाई पढ़कर श्रेष्ठ भाग्य को पा रही हूँ... इस *वरदानी संगम युग में ईश्वर को शिक्षक रूप* में पाकर अपने मीठे से भाग्य पर बलिहार हूँ... और प्यारा सा देवताई भाग्य सजा रही हूँ....
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं खुशी का महादान करने वाली पुण्य आत्मा हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा ऊंच ते ऊंच परमपिता परमात्मा की संतान हूँ... जो अपना पवित्र धाम छोड़कर इस पतित दुनिया में आयें हैं... मेरे पिता बाप, शिक्षक, सतगुरु का पार्ट निभाते हैं... मेरे बाबा इतने ऊँचे होकर भी रोज बच्चों को *याद-प्यार और नमस्ते कर रिगार्ड* देते हैं...
➳ _ ➳ परमपिता परमात्मा पतित-पावन, ज्ञान का सागर है... वो मुझ आत्मा को *अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान* करने आयें हैं... मैं आत्मा रचना के आदि, मध्य, अंत का वंडरफुल नालेज पाकर नालेजफुल बन गई हूँ... त्रिकालदर्शी बन गई हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सर्वशक्तिमान बाबा की याद में बैठती हूँ... बाबा की प्रेम, सुख, शांति, आनंद की किरणों से स्वयं को भरपूर करती हूँ... मैं आत्मा सदा आत्मिक स्वरूप में स्थित रहती हूँ... मैं आत्मा देह को न देख सबके *मस्तक की मणि को ही देखती* हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सिर्फ फालो फादर करती हूँ... मैं आत्मा भी बाप समान छोटों को, बडों को सबको रिगार्ड देती हूँ... मैं आत्मा रिगार्ड देने का रिकार्ड रख रही हूँ... रिगार्ड देने से स्वतः ही मुझ आत्मा को रिगार्ड मिल जाता है... *रिगार्ड देना ही रिगार्ड लेना* है... मैं आत्मा सबको रिगार्ड देकर खुश कर रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा खुशी का दान कर बड़े से बड़ा पुण्य का काम रही हूँ... रुहानी सेवा कर रही हूँ... मैं आत्मा जितना सर्व को खुशी का दान करती हूँ... मुझ आत्मा को 100 गुना रिटर्न मिल जाता है... जो भी हम दूसरों को देते हैं, वही हमें वापस मिलता है... अब मैं आत्मा रिगार्ड देने का रिकार्ड ठीक रख *खुशी का महादान करने वाली* पुण्य आत्मा बन गई हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझकर एवररेडी रहना"*
➳ _ ➳ मैं कितनी भाग्यवान आत्मा हूँ... जिसे अपना सबकुछ सफल करने का चांस मिला है... मुझे इस पुरषोत्तम संगम युग का बहुमूल्य *एक-एक पल सफल करना हैं...* संगम युग का एक-एक पल बहुमूल्य है...
➳ _ ➳ हर पल बाबा की याद में सफल करना हैं... एक- एक सेकण्ड में पद्मो की कमाई समाई हुई हैं... संगम का ये बहुमूल्य समय मुझ आत्मा को *परमात्मा द्वारा मिली बेशकीमती सौगात हैं...* इसे यु ही वेस्ट नहीं कर सकती... हर पल को अंतिम श्रण समझ हमेशा तत्पर रहना हैं...
➳ _ ➳ सोचा और किया बस... विश्व परिवर्तन के लिए संकल्प और यथार्थ में एक पल भी न व्यर्थ जाये... और ये तभी सम्भव होगा जब मैं आत्मा हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझ चलूँगी... क्योंकि वक्त बहुत कम हैं और मंजिल लम्बी हैं... *पुरषार्थ में बहुत तेज कदम बढ़ाने होंगे...*
➳ _ ➳ जब मैं आत्मा हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझूँगी तब सदैव एवररेडी रहूँगी... *बाबा ने कहा और मुझ आत्मा ने किया...* सोचने में भी वक्त न जाये... इस तरह ही अब पुरषार्थ की रफ़्तार रखनी होगी... समय बहुत नाजुक हैं... मुझे एक चांस मिला हैं... वक्त से आगे निकलने का... मैं विजय रत्न आत्मा हूँ... मुझे समय से आगे निकलना ही होगा...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *रिगार्ड देने का रिकार्ड ठीक रख, ख़ुशी का महादान करने वाले पुण्य आत्मा होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ रिगार्ड देने का रिकार्ड ठीक रख, ख़ुशी का महादान करने वाले पुण्य आत्मा होते हैं क्योंकि... वर्तमान समय चारों ओर रिगार्ड देने का रिकार्ड ठीक करने की आवश्यकता है। यही रिकार्ड फिर चारों ओर बजेगा। *रिगार्ड देना और रिकार्ड लेना,* अभी इसी काम पर अटेन्शन देने का समय है।
❉ छोटे को भी रिगार्ड दो, बड़े को भी रिगार्ड दो। यह रिगार्ड का रिकार्ड अभी निकलना चाहिये। रिकॉर्ड निकलेगा तभी *सब ओर आवाज़ फैलेगी।* आवाज़ फैलने से सब का ध्यान इस तरफ आएगा। सब का ध्यान इस तरफ आने से सब एक दूसरे को ख़ुशी ख़ुशी दिल से रिगार्ड देंगे।
❉ बाबा ने कहा है *ख़ुशी जैसी कोई खुराक नहीं।* ख़ुशी की खुराक खाते रहो और एक दो को रिगार्ड देते रहो। रिगार्ड सब को देना है। छोटों को भी रिगार्ड देना है और बड़ों को भी रिगार्ड देना है। कभी ये नहीं सोचना है कि ये तो हमसे छोटे हैं।
❉ इनको रिगार्ड देने की क्या आवश्यकता है। इसीलिये! सब की *जागरूकता के लिए रिगार्ड का रिकॉर्ड* अभी ही निकलना चाहिये। अभी ही निकलेगा तभी रिगार्ड देने का कार्य प्रचलन में आ सकेगा। इसी से खुशियों का दान भी हो हो जायेगा।
❉ तब ही तो! खुशी का दान करने वाले महादानी पुण्य आत्मा बनेंगे। किसी को रिगार्ड दे कर खुश कर देना ही– ये *बड़े ते बड़ा पुण्य का काम* है। यही सेवा भी है। अतः हमें सर्व आत्माओं को रिगार्ड दे कर, अपने पुण्य के खाते को बढ़ाना है और बढ़ा कर जमा भी करना है।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझ कर चलो तो एवररेडी रहेंगे... क्यों और कैसे* ?
❉ मम्मा का स्लोगन था " हर घड़ी अंतिम घड़ी " । इसी स्लोगन को अपने जीवन का आधार बना कर हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझते हुए *मम्मा ने अपने पुरुषार्थ को तीव्र बनाया* । उनकी इसी विशेषता के कारण वो ज्ञान में ऐसी तीखी गई कि नम्बर वन स्थान ले लिया । ऐसे ही अगर हम भी मम्मा की शिक्षाओं को जीवन में धारण करें और हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझ कर चलें तो एवररेडी रहेंगे ।
❉ मेजोरिटी ब्राह्मणों के जीवन में पुरुषार्थ में तीव्रता ना आने का मुख्य कारण है आलस्य और अलबेलापन जो माया का रॉयल रूप धारण कर सामने आता है । " *कर लेंगे ", " हो जायेगा " , " अभी कौन से बाकि सम्पन्न बन गए हैं* " इन संकल्पो के रूप में माया चोर गेट से अंदर आती है और हरा कर चली जाती है । इस लिए बाबा कहते हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझ कर चलो तो माया के वार से बचे रहेंगे और एवररेडी रहेंगे ।
❉ युद्ध के मैदान में वही वीर सैनिक विजय प्राप्त करते हैं जो चौकन्ने रहते हैं और हर वार का सामना करने के लिए एवररेडी रहते हैं । ज़रा सा भी ध्यान हटा तो शत्रु हमला कर सकता है । इसी प्रकार *हम ब्राह्मण भी इस समय युद्ध के मैदान में हैं* । माया रावण के साथ हमारी युद्ध है । इस माया रावण पर जीत हम तभी पा सकते हैं जब कदम कदम पर सावधानी रखते हुए आगे बढ़ते रहेंगे । इसके लिए जरूरी है हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझ कर चलते हुए एवररेडी रहना ।
❉ कहा जाता है कि " अंत मति सो गति " अर्थात अंतिम समय जिस अवस्था में व्यक्ति शरीर छोड़ता है वैसी ही उसकी गति होती है और वह अंतिम समय कब किसका आ जाये यह किसी को पता नही । *अपने अंतिम समय अर्थात अपनी मौत को जो सदा स्मृति में रखते हैं* वे हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझते हुए एवररेडी रहते हैं और निरन्तर एक बाप की याद में श्वांसों श्वांस सफल करते हुए ऊंच गति को पा लेते हैं ।
❉ जो संगम युग की महान प्रप्तियों और ब्राह्मण जीवन की उपलब्धियों को सदैव स्मृति में रखते हैं वे कभी भी अपना समय व्यर्थ नही गंवाते । उनके मन और मस्तिष्क में केवल एक ही बात छाई रहती है " *कि अब नही तो कब नही* " इसी बात को अपनी बुद्धि में धारण कर वे हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझ एवररेडी रहते हैं और अपने संकल्प, बोल और समय को बाबा की याद में सफल करते हुए सफलतामूर्त आत्मा बन जाते हैं ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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