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❍ 09 / 03 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ इस रुद्र °यज्ञ का बहुत बहुत रिस्पेक्ट° रखा ?
‖✓‖ यज्ञ का °वातावरण बहुत शुद्ध पावरफुल° बनाने में सहयोगी बनकर रहे ?
‖✓‖ शुभचिंतन द्वारा °नेगेटिव को पॉजिटिव° में परिवर्तित किया ?
‖✓‖ "°दिल साफ़ तो मुराद हासिल°" - यह स्मृति में रहा ?
‖✗‖ अपने पास कुछ भी °छिपाकर° तो नहीं रखा ?
‖✗‖ एक भी कोडी °व्यर्थ° तो नहीं गंवाई ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ सदा °एकरस स्थिति° के तख़्त पर विराजमान रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ °आपार अलोकिक ख़ुशी° का अनुभव किया ?
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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - शिवबाबा के इस रचे यज्ञ की तुम्हे बहुत बहुत सम्भाल करनी है,यह हे ही बेहद का यज्ञ स्वराज्य पाने के लिए"
❉ मीठा बाबा कहे - आत्मन बच्चे इस रूद्र ज्ञान यज्ञ से ही तुम बच्चों का जीवन श्रेष्ट बनता है... इस यज्ञ की बदौलत ही तुम अपना स्वराज्य पाकर सोने सा दमकता जीवन पाते हो... यही तुम्हे कालिमा से धोकर उजला कर महकाता हे... ऐसे यज्ञ की सम्भाल दिल जिगर से करो...
❉ प्यारा बाबा कहे - बच्चों इस यज्ञ से ही आप बच्चे काँटों से खूबसूरत... महकते... खिले फूल बनते हो... हीरे तुल्य बन देवताई गुणो से भरपूर बनते हो... यही यज्ञ तो आत्मा के खूबसूरत से सौंदर्य को निखारता है... इस कदर प्राप्तियों वाले इस यज्ञ की सम्भाल जी जान से करो...
❉ मीठा बाबा कहे - आत्मन बच्चों आपकी दयनीय और कलुषित सी छवि को... ईश्वरीय बच्चे की देवताई छवि में बदलने को ही तो... मुझ ईश्वर ने सारे समय साँस संकल्प से यह यज्ञ रचा है... आप भी सारे समय संकल्पों से इस बेशकीमती यज्ञ की सम्भाल करो... यही दुर्गति से सदगति को दामन में लाएगा... जीवन को मधुमास बना खिलायेगा... 21 जनमो का दमकता सौंदर्य इस यज्ञ पर ही टिका है...
❉ प्यारा बाबा कहे - यह यज्ञ ही तो बेहद की राजाई दिलाएगा... यही यज्ञ धूमिल छवि को उजला और चमकता बनाएगा... जो कोयले से हीरा बना दे... जो कौड़ी से बेशकीमती बना दे... उस मीठे प्यारे यज्ञ की सम्भाल करना परम् जिम्मेदारी है...
❉ मेरा बाबा कहे - आपके अप्रतिम सौंदर्य को गुणो को शक्तियो को जाग्रत करने के लिए... उस खोयी सी अलौकिक ख़ुशी को कदमो में लाकर... जीवन गुणो से महकाने के लिए ही तो... मुझ ईश्वर ने यह यज्ञ आपके लिए रचा है... जो आपको ईश्वरीय खजानो से भर अधिकारी और प्रकर्ति को दासी कर दे... ऐसे जादू भरे यज्ञ की दिलोजान से सम्भाल करनी है...
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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢ अपने पास कुछ भी छिपाकर नही रखना है । दिल साफ तो मुराद हासिल । इस यज्ञ की कौडी-कौडी अमूल्य है इसलिए एक कौडी भी व्यर्थ नही गंवानी है ।
❉ बाबा कहते हैं जो कुछ भी है सब मुझे दे दो । इतना अच्छा सौदागर कहीं देखा है जो हमारे विकारों को लेकर अपने गुणों व शक्तियों से भरपूर करता है ।
❉ जो भी कमी कमजोरी है सब बाबा को बतानी है कोई भी अपने पास नहीं रखनी क्योंकि अंश से ही वंश बन जाता है । जो भी है सब सच सच बाबा को बताना है ।
❉ दिल में हमेशा सच्चाई व सफाई रखनी है । जो दिल से सच्चे होते है व सब कुछ बाबा से बताते है जैसे भोला बच्चा अपनी मां को हर बात बताता है ऐसे हमें भी बाबा का भोला व सच्चा बच्चा बनना है । दिल साफ व सच्चा होता है तो हमेशा जीत होती है ।
❉ बाबा हमें पत्थर तुल्य से हीरा तुल्य बनाते हैं व इस यज्ञ का व इस संगमयुग का एक एक क्षण अनमोल है इसे व्यर्थ नहीं गंवाना है । एक क्षण एक साल के बराबर है ।
❉ यज्ञ का एक एक रत्न अनमोल है व यज्ञ के कणे कणे से ही मोहर बनती है व हम पदमापदमपति बनते है । इसलिए इसकी बहुत सम्भाल करनी है व ज्ञान अर्जन कर हमेशा दूसरों को बांटकर यज्ञ की वृद्धि करनी है ।
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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ सदा एकरस स्थिति के तख्त पर विराजमान रहने वाले बापदादा के दिलतख्तनशीं होते हैं...क्यों और कैसे ?
❉ जो बापदादा के दिलतख्तनशीं होते हैं उनका बाप से सच्चा सच्चा लव होता है व दिल से सच्चे व वफादार होते हैं । जब बाप को साथ रखकर हर कर्म करते हैं तो जवाबदारी भी बाप की होती है इसलिए कोई चिंता नहीं करते हमेशा निश्चिंत रहने से एकरस स्थिति होती है ।
❉ तन मन धन व सम्पूर्ण रुप से अपने को बाप को समर्पण कर देते है व यही भाव होता है कि जैसे बाप चलावें जो सेवा दे जब करावें तभी करेंगे तो ऐसे सदा एकरस स्थिति के तख्त पर विराजमान रहने वाले बापदादा के दिलतख्तनशीं होते हैं ।
❉ सदा एकरस स्थिति के तख्त पर विराजमान रहने वाले कभी श्रीमत का उल्लंघन कर मनमत पर नहीं चलते । ऐसे श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत का पालन करने वाले दिलतख्तनशीं होते हैं ।
❉ स्वयं को भृकुटि तख्त पर चमकती मणि देखने वाले ही परमपिता को देख पाते हैं औरों की भी मस्तकमणि को देख पाते हैं । आत्मा -आत्मा भाई की दृष्टि रखते एकरस स्थिति बनी रहती है वही फिर बाप की दिलतख्तनशीं बनते हैं ।
❉ जैसे कोई चंचल बच्चा एक अपनी सीट पर न बैठ स्थान स्थान पर घूमता रहता है ऐसे जो अपनी स्वमान की सीट पर सैट नही होते तो उनकी स्थिति एक रस नही होती जिसकी एक रस स्थिति नही होती तो वो बाप दिल तख्तनशीन कैसे बन सकते ।
❉ जब आत्मा अपने परमपिता से ही अविनाशी सम्बंध जोड लेती है व हर परिस्थिति में बापदादा की छत्रछाया में स्वयं को अनुभव करती है तो एकरस स्थिति के तख्त पर विराजमान होकर बापदादा की दिलतख्तनशीं होती है ।
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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ शुभचिंतन द्वारा नेगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करो... क्यों और कैसे ?
❉ शुभचिंतक बन जब सर्व आत्माओं के प्रति शुभभावना और शुभकामना रखेंगे तो अपने शुभ और श्रेष्ठ संकल्पों से अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली सर्व आत्माओं के व्यर्थ और नकारात्मक चिंतन को भी सकारात्मक बना सकेंगे ।
❉ ड्रामा के राज़ को जब सदा स्मृति में रखेंगे तो हर आत्मा निर्दोष दिखाई देगी और सर्व आत्माओं के प्रति रहम और कल्याण की भावना तथा सर्व के प्रति शुभचिंतक वृति सहज ही नेगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तित कर देगी ।
❉ जब बाप समान बनने का लक्ष्य रखेंगे तो स्वयं को विश्व कल्याणकारी की स्टेज पर अनुभव करते हुए सर्व आत्माओं के प्रति कल्याणकारी और श्रेष्ठ वृति से अपने चारों और फैली नेगेटिविटी को समाप्त कर उसे पॉजिटिव में परिवर्तित कर सकेंगे ।
❉ आदिकाल अर्थात अमृतवेले जब मन बुद्धि को श्रेष्ठ संकल्पों की खुराक देंगे तो सारा दिन स्वत: ही शुभ चिंतन में व्यतीत होगा और आत्मा से स्वत: ही शुभ और श्रेष्ठ वायब्रेशन निकलते रहेंगे जो चारों और के नेगेटिव वातावरण को भी पॉज़िटिव बना देंगे ।
❉ स्वयं को जब व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर लेंगे तो मन बुद्धि सहज ही शुभ और श्रेष्ठ चिंतन में लगी रहेगी और जितना मन बुद्धि समर्थ चिंतन में बिज़ी रहेगी उतना शुभ चिंतक की स्टेज पर निरन्तर स्थित रहने के अभ्यासी बनते जायेंगे और यह अभ्यास हर प्रकार की नेगेटिविटी को पॉजिटिव में परिवर्तित कर देगा ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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