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 17 / 05 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ तन मन धन से रूहानी सेवा में मददगार बनकर रहे ?

 

➢➢ आत्माओं को अल्फ का परिचय दे वर्से का धिकारी बनाया ?

 

➢➢ आत्मा का आत्मा से मोह निकाल एक बाप से लगन लगाई ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ हर संकल्प बाप के आगे अर्पण कर कमजोरियों को दूर किया ?

 

➢➢ श्रीमत के इशारे प्रमाण सेकंड में न्यारे और प्यारे बनने का अनुभव किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ सेवा के प्रति अवतरित होने वाले अवतार बनकर रहे ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं आत्मा सदा स्वतन्त्र हूँ ।

 

✺ आज का योगाभ्यास / दृढ़ संकल्प :-

 

_ ➳  आराम से शांतचित्त होकर बैठें और चिंतन करें... मैं चिंतामुक्त, परन्तु सचेत आत्मा हूँ... मैं उस ज्योतिर्बिंदु परमात्मा की सन्तान हूँ...

 

_ ➳  मुझ आत्मा को भी उन जैसा प्रकाशमय बनना है... और हर कार्य करते हुए हलके रहना है... मुझे सीखना है कि मुझे इस दुनिया का कुछ भी दिखाई न दें इस पुरानी दुनिया का...

 

_ ➳  कुछ भी मेरी बुद्धि में न रहे... मुझे खुली आँखें रखकर भी, सब कुछ देखते हुए भी व्यर्थ नहीं सोचना है... मुझे यह याद रखना है कि जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वह सब खत्म होने वाला है...

 

_ ➳  मेरे संकल्प सच्चे प्यार से भर जाएँ... मेरे संकल्प मेरा श्वास सब कुछ परमात्मा पर समर्पित है... अब मैं सच्चे प्यार के स्त्रोत परमात्मा से जुड़ गयी हूँ...

 

_ ➳  मैं पवित्र निःस्वार्थ प्यार से भरपूर होती जा रहीं हूँ... मैं आत्मा अपनी सारी ज़िम्मेवारी बाप को दे स्वतंत्रता का अनुभव कर रहीं हूँ... मैं आत्मा अपना हर संकल्प बाप को अर्पित कर अपनी सर्व कमजोरियों को दूर कर रही हूँ ...

 

_ ➳  इसलिए मैं आत्मा आज यह दृढ़ संकल्प लेती हूँ कि मैं आत्मा इस अधिकारी स्वरुप में अब स्तिथ रहूंगी कि मैं बाप की और बाप मेरा... मैं हर सेकेण्ड यह चेक करुँगी कि मैं बाप समान सर्व शक्तियों की अधिकारी मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ...

 

_ ➳  इन्हीं संकल्पों के साथ मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि मैं आत्मा अधीनता से ऑटोमैटिक निकल कर स्वतंत्र बन रहीं हूँ ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चों - इस ड्रामा के अंदर विनाश की भारी नुध है तुम्हे विनाश के पहले कर्मातीत बनना है"

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों यह खेल अब पूरा होने का वक्त करीब खड़ा है... यह ड्रामा खूबसूरती और विनाश दोनों को समाये हुए है... अब वक्त आने से पहले तैयार हो चलो... कर्मातीत स्तिथि ही लक्ष्य है और इसे वक्त रहते पा लेना है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे मीठे से बच्चों मिटटी के भान आकर जो अंदर की खूबसूरती को मटमैला कर चले हो तो उन विकृतियों का विनाश अवश्यम्भावी है... समय रहते सम्पूर्ण स्तिथि को पाना ही सदा की विजय दिलाएगा...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे बच्चों सुख दुःख का सुंदर खेल यह ड्रामा स्वयं में समाये हुए है... अब इस विकृत दुनिया का अंत करीब है और खूबसूरत दुनिया का आना नजदीक है... इसलिए कर्मातीत स्तिथि को परम् लक्ष्य बनाना है...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चों यह बिगड़ी और बदसूरत दुनिया मेने अपने लाडलो के लिए कभी न बनाई... और मेरे बच्चे तो ज्यादा दिन इस दुखधाम में रहेंगे भी नही... अब बदलाव सामने खड़ा है और आप बच्चों को कर्मातीत बन दिखाना है...

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे बच्चो अब तो समय अपना अंतिम दाँव दिखाने को आतुर हो चला है... दुःख के विनाशकारी मंजर करीब आ चले है... इन मजरों के आने के पहले अपनी सम्पूर्णता को पा कर्मातीत बन चलो... वरना पछताओगे और समय को हाथ से गवाओगे...

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप समान मोहजीत बनना है । आत्मा का आत्मा से जो मोह हो गया है उसे निकाल एक बाप से लगन लगानी है ।

 

  ❉   मैं आत्मा हूं ये पाठ पक्का करना है । जो भी सगे सम्बंधी है सभी आत्मायें अपना पार्ट बजाती हैं व सभी देह रुपी वस्त्र पहन अपने पार्ट को बजाकर अब अपने घर वापिस जाना है । सब सम्बंध विनाशी है इसलिए इनसे कोई मोह नही रखना ।

 

  ❉   जैसे बाबा ब्रह्मा बाबा के शरीर का लोन लेकर पार्ट बजाने आते हैं व बच्चों की सेवा कर चले जाते हैं ।  ऐसे हमें भी अपने को मेहमान या ट्रस्टी समझ अपना पार्ट बजाना है व बाप समान मोहजीत बनना है । सम्बंधों में तोड़ निभानी है जो जिम्मेवारी है बस उसे पूरा करना है उसमें फंसना नही है ।

 

  ❉   अभी तक भक्ति में गाते आए कि सब संग तोड़ , तुम संग जोड़ेंगे तो अब स्वयं परमपिता परमात्मा आएं है तो औरों से बुद्धि से नाता तोड़ बस बुद्धियोग एक बाप संग ही लगाना है । आत्मा का आत्मा से मोह नही लगाना ।

 

  ❉  जैसे पुराना कपड़ा हो जाता है तो उससे मोह छोड़ देते है ऐसे ही ये शरीर भी जन्म लेते लेते अंतिम चरण पर है व वानप्रस्थ अवस्था में हैं इससे मोह नही रखना । ये शरीर तो छोड़ना ही है । बस बाप को याद करना है ।

 

  ❉   जैसे ये भाई या ये बहन बहुत अच्छी क्लास कराती है उसी से ही मुरली सुननी है ये भी सूक्ष्म में आत्मा का आत्मा से मोह हैं उसे निकालना है कि भगवान सुना रहे हैं बहन या भाई तो निमित्त है । बस एक बाप की लगन में मगन रहना है ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ हर संकल्प बाप के आगे अर्पण कर कमजोरियों को दूर करने वाले सदा स्वतन्त्र होते हैं.... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जब हर संकल्प बाप को अर्पण कर देते हैं व बस यही संकल्प रखते हैं कि मैं बाबा की बाबा मेरा तो अधिकारी स्वरुप में स्थित होने से कमजोरियों को दूर कर स्तन्त्र होते हैं ।

 

  ❉   जो भी कमी कमजोरियां हो बस बाप को सौंप देते व यही स्मृति में रखते कि मैं तो सर्वशक्तिमान बाप का बच्चा हूं व सर्व शक्तियां मेरे अधीन है जिस शक्ति को जब चाहे यूज कर सकता हूं तो सर्व कमजोरियों को दूर करने वाले स्वतंत्र होते हैं माया के अधीन नही होते ।

 

  ❉   जो हूँ जैसा हूँ आपका हूँ ऐसा निमित भाव रख कर्म करते हैं । अपना हर संकल्प , कर्म और बोल बाप के लिए होता है तो बाप भी उनके त्याग के आगे उनकी कमजोरियों को न देख उनके सहयोगी बन कमजोरियों को दूर कर स्वतंत्र होते हैं ।

 

  ❉   लौकिक में भी जो बच्चे अपने मन की बात को अपने माता पिता से नही छुपाते तो उनकी कमी कमजोरी दूर हो जाती है ऐसे ही हर संकल्प बाप के सामने रखने वाले अपनी कमजोरी को दूर करने वाले स्वतन्त्र करते हैं ।

 

  ❉   हर संकल्प , हर बोल और हर कर्म फॉलो फादर करने वाले अपनी हर कमी कमजोरी को दूूर कर  सदा स्वतन्त्र होते है

 

  हर संकल्प बाप को अर्पण माना बाप के साथ हर कर्म करते सदा साथ का अनुभव और जहा बाप का साथ हो वहा हर बंधन व् कमज़ोरी से मुक्त हो सदा स्वतंत्र रहते है

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ श्रीमत के इशारे प्रमाण सेकण्ड में न्यारे और प्यारे बन जाना ही तपस्वी आत्मा की निशानी है... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   श्रीमत के प्रमाण अनुसार सेकण्ड में न्यारे और प्यारे वही बनते हैं जो स्वयं को ज्ञान - योग की लाइट माइट से सदा सम्पन्न रखते हैं । किसी भी परिस्थिति को सेकण्ड में पास करने वाली जो योगी आत्मा होती है जिन्हें योग लगाना नही पड़ता लेकिन सदा कम्बाइन्ड अर्थात् साथ रहने वाले निरन्तर योगी, सदा सहयोगी आत्मा बन जो सदा उड़ती कला में रह सम्पन्नता और सम्पूर्णता का अनुभव करते हैं वही तपस्वी आत्मा कहलाती है ।

 

 ❉   जो तन - मन - धनसम्बन्ध सभी का त्याग कर मेरा को तेरा में परिवर्तन कर देते हैं और तेरा कह कर सारा बोझ बाप को दे स्वयं हल्के रहते हैं और निरन्तर एक बाप की याद में रह हर कर्म निमितपन की स्मृति में करते हैं । वे सेकण्ड में श्री मत प्रमाण अनुसार सर्व से न्यारे और बाप के प्यारे बन जाते है । और इसी त्याग से तपस्वी आत्मा बन वे भाग्य के अधिकारी बन जाते हैं ।

 

 ❉   जो सदा परमात्म रंग में रंगे रहते हैं वो सेकण्ड में श्रीमत प्रमाण न्यारे और प्यारे बन जाते हैं क्योकि परमात्म रंग में रंग जाना अर्थात् बाप समान बन जाना । जैसे बाप अशरीरी हैअव्यक्त है वैसे अशरीरी पन का अनुभव करना वा अव्यक्त फरिश्ते पन का अनुभव करना - यह है रंग में रंग जाना । ऐसे जो मन और बुद्धि को अपने कन्ट्रोल में रखते हैं कि मन को जहाँ जिस स्थिति में स्थित करने चाहें वहाँ सेकण्ड में स्थित हो जाए । ऐसी आत्मा को ही तपस्वी आत्मा कहते हैं ।

 

 ❉   संगमयुग पर जब बाप सेवाधारी बन करके आते हैं तो छत्रछाया के रूप में बच्चों की सदा सेवा करते हैं । याद करते ही सेकण्ड में साथ का अनुभव होता है । यह याद की छत्रछाया कैसी भी नाज़ुक परिस्थितियों में कमल पुष्प के समान न्यारा और प्यारा बना देती है । मेहनत नहीं लगती । तो जो सदा स्वयं को बाप की छत्रछाया के नीचे अनुभव करते हैं वे श्रीमत के प्रमाण सेकण्ड में न्यारे और प्यारे बन तपस्वी आत्मा बन जाते हैं ।

 

 ❉   जैसे ब्रह्मा बाप ने साकार जीवन में कर्मातीत होने के पहले न्यारे और प्यारे रहने के अभ्यास का प्रत्यक्ष अनुभव कराया । सेवा वा कोई कर्म छोड़ा नहीं लेकिन न्यारे होकर सेवा की और हर कर्म में सफलता का सहज अनुभव किया । ऐसे ब्रह्मा बाप समान बन जो डबल लाइट स्थिति में स्थित हो कर सेवा के विस्तार में जाते भी सार की स्थिति में स्थित रहते हैं वे तपस्वी आत्मा बन सेकण्ड में श्रीमत प्रमाण न्यारे और प्यारे बन जाते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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