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   17 / 03 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ देह अभिमान का दान कर °आत्म अभिमानी और परमात्म अभिमानी° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ "°पढाई से राजाई° मिलती है" - इसी स्थायी नशे में रहे ?

 

‖✓‖ ज्ञान धन का °दान° किया ?

 

‖✓‖ नाज़ुकपन के संकल्पों को समाप्त कर °शक्तिशाली संकल्प° रच डबल लाइट अवस्था का अनुभव किया ?

 

‖✓‖ सबसे °मीठा° बोले ?

 

‖✗‖ ऐसी कोई बात तो नहीं की जिससे °बाप की निंदा° हो ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

 

‖✓‖ समय पर हर °गुण व शक्ति को यूज़° किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °प्यूरिटी की ब्यूट° में जरा भी महीन दाग तो नहीं आने दिया ?

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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम इस समय बाप की सेवा में मददगार बने हो इसलिए तुम्हारा सिमरन होता है गायन नही क्योकि शरीर अपवित्र है"

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चो.... जब मै भगवान इस धरा पर उतरा मेरे नन्हे फूलो ने सतयुगी संसार बनाने में कन्धे से कन्धा मिलाया... और दुनिया की यादे गवाह बनी...  इस ईश्वरीय प्रेम की... और यादो की माला में नामो का सिमरन कर हर्षित होती रही....

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे बच्चे इस जहान की सुनहरी यादो में तो सदा समाये है... शरीर की अपवित्रता से मात्र पूजन में चूके है.... वरना ये ईश्वरीय सुपुत्र हर दिल को जीते है...

 

 ❉   मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों आप वो सोभाग्य से भरपूर बच्चे हो जो महा पिता के सहयोगी हो.... जिनके साथ को ईश्वर भी तरसा है... उन्हें दुनिया भला क्यों न सिमरे... मेरी उम्मीदों को पूरा कर... फूलो की बगिया बनाने वाले बच्चो...  यह दुनिया भी आपकी ही मुरीद है...

 

 ❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे लाडलो आप नन्हे बहादुर के नन्हे हाथ...  और तूफानी इरादे ही मेरी सतयुगी दुनिया के ख्वाब को हकीकत बनाते है.... और यह दुनिया यादो में इसी बहादुरी के गीत गाती सिमरती है... बस शरीर की अपवित्रता मात्र ही पूजन में आड़े आती है....

 

 ❉   मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों  आप वो नन्हे जादूगर हो...  जो महा जादूगर के साथी बने सतयुगी खूबसूरत बगिया को महकाते हो.... इस जादू की मुरीद बनी...  यह दुनिया हर पल सिमर सुख पाये... और शरीर बने जब कंचन काया...  तो सिमरन पूजन में ढल जाय...

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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)

 

➢➢ जो ज्ञान धन मिलता है, उसका दान करना है , पढ़ाई से राजाई मिलती है इस नशे में स्थाई रहना है ।

 

  ❉   बाबा हमें संगमयुग पर अनमोल अखूट ज्ञान धन देते हैं उसे स्वयं में धारण कर दूसरों को बांटते रहना है । जितना बांटते हैं उतना ही  बढ़ता है । क्योंकि देना ही लेना है ।

 

  ❉   ज्ञान रत्न जो बाबा देते हैं वे बेशुमार कीमती हैं व उन्हें ऐसे अपने पास लॉकर में बंद करके नही रखना । 21 जन्मों के लिए अविनाशी कमाई है जो बांटने से कभी खत्म नही होती ।

 

  ❉   जैसे भ्रमरी भूं-भूं कर कीडे को आप समान बना देती है ऐसे ही हम ज्ञान सागर के बच्चे मास्टर ज्ञान सागर हैं हमें भी ज्ञान की भूं भूं करते रहना है व औरों को भी जगाना है ।

 

  ❉   ये रुहानी पढ़ाई स्वयं भगवान पढ़ाते हैं व इस पढ़ाई को पढ़कर हम मनुष्य से देवता बनते हैं व 21 जन्मों के लिए राजाई मिलती है । कितने पदमापदम भाग्यशाली हैं हम !

 

  ❉   लौकिक पढ़ाई से तो अल्पकाल की कमाई होती है व बेहद की रुहानी पढ़ाई जिससे स्वयं भगवान हमें अपने से ऊंची सीट पर बिठाते है व खुद स्वर्ग की राजाई न लेकर  अपने बच्चों को देते हैं तो इसके लिए हमें पुरुषार्थ करना है और स्थाई खुशी में रहना है ।

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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)

 

➢➢ समय पर हर गुण व शक्ति को यूज करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं... क्यों और कैसे ?

 

  ❉   जैसे भोजन की शक्ति शरीर की शक्ति बन जाती है ऐसे ही ज्ञान की हरेक प्वाइंट मनन शक्ति द्वारा स्व की शक्ति बन जाती है । मनन द्वारा बाप का गुण शक्तियां खजाना सो मेरा खजाना - यह अपना अधिकार अपना खजाना अनुभव करने वाले समय पर यूज करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं ।

 

  ❉   ज्ञान सुनने और सुनाने वाले अनुभवीमूर्त नहीं बनते बल्कि सुनकर धारण करने वाले व उसी स्वरुप में अपने को स्थित करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं । अनुभवीमूर्त ही अपनी गुण व शक्ति को यूज करने वाले होते हैं ।

 

  ❉   ज्ञान धन से सदा झोली भरे होने से सदा ज्ञान का विचार सागर मंथन ही चलता रहता है  व ज्ञान की गहराई में जाने से बाबा का साथ सदा अनुभव कर समय पर जिस गुण व शक्ति की जरुरत हो उसे यूज करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं ।

  

  ❉   कितनी भी बड़ी पहाड़ जैसी परिस्थिति आई बस बाप से कनेक्शन जोड़ व याद की यात्रा के बल से समयानुसार गुण व शक्ति को यूज कर नथिंग न्यू का पाठ पक्का होने से हर परिस्थिति में प्रसन्नता का अनुभव करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं ।

 

  ❉   ब्राह्मण जीवन की विशेषता है अनुभव । सर्वशक्तिवान बाप से डायरेक्ट मास्टर सर्वशक्तिवान का टाइटल मिला है तो सर्वशक्तियां हमारी सेवाधारी हैं । समय प्रमाण गुण व शक्तियों से कभी शीतलता के रुप मे , तो कभी जलाने के रुप में , कभी शक्तियां दवाई के रुप में , कभी शक्तिशाली बनाने के लिए  यूज करने वाले अनुभवीमूर्त होते हैं ।

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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ नाज़ुकपन के संकल्पों को समाप्त कर शक्तिशाली संकल्प रचने वाले ही डबल लाइट रहते हैं... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   नाज़ुकपन के संकल्प मन बुद्धि को प्रश्नों की क़्यू में उलझा देते हैं और  प्रश्नो की क़्यू मन बुद्धि को भारी बना देती है । किन्तु नाज़ुकपन के संकल्पों को समाप्त कर जो शक्तिशाली संकल्प रचते हैं वे क्यों, क्या और कैसे में उलझने की बजाए सेकण्ड में फुल स्टॉप लगा कर डबल लाइट स्थिति में स्थित हो जाते हैं ।

 

 ❉   नाज़ुकपन के संकल्प माया का रॉयल रूप है इसलिए नाज़ुक संकल्प रचने वाले सदैव माया से हार खाते रहते हैं किन्तु माया के इस रॉयल रूप को पहचान कर जो इन व्यर्थ संकल्पों को समाप्त कर शक्तिशाली संकल्प रचते हैं वह मायाजीत बन सदा डबल लाइट स्थिति का अनुभव करते रहते हैं ।

 

 ❉   डबल लाइट स्थिति का अनुभव वही कर सकते हैं जो सदा अचल, अडोल और एकरस स्थिति में स्थित रहते हैं । और एकरस स्थिति में स्थित वही रह सकते हैं जिनके संकल्प शक्तिशाली और चिंतन समर्थ होता है । जिनके संकल्प नाज़ुक होते हैं वह छोटी - छोटी परिस्थितियों से भी हार खा लेते हैं इसलिए डबल लाइट स्थिति में स्थित नही रह पाते ।

 

 ❉   कमज़ोर संकल्प स्व - स्थिति को कमज़ोर बना कर उसे डबल लाइट स्थिति में स्थित नही रहने देते जबकि शक्तिशाली संकल्प आत्मा में बल भर कर स्व - स्थिति को शक्तिशाली बनाते हैं । जितनी स्व - स्थिति शक्तिशाली होगी परिस्थिति उसके आगे उतनी ही छोटी दिखाई देगी और अपनी स्व - स्थिति से परिस्थिति पर जीत पा कर मनुष्य सदैव हल्के पन का अनुभव करता रहेगा ।

 

 ❉   जिनकी मन बुद्धि नाज़ुक संकल्पों में उलझी रहती हैं उनका चिंतन हर बात के प्रति नेगेटिव रहता हैं और उनसे निकलने वाले नेगेटिव वायब्रेशन उन्हें डबल लाइट स्थिति का अनुभव नही होने देते किन्तु नाज़ुकपन के संकल्पों को समाप्त कर जो शक्तिशाली संकल्प रचते हैं उनसे निकलने वाले पॉजिटिव और शक्तिशाली वायब्रेशन उन्हें सदैव डबल लाइट स्थिति में स्तिथ रखते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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