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❍ 03 / 04 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ माया का रूप देख घबराने की बजाये °बाप के हाथ में हाथ° दिया ?
‖✓‖ "क्यों हुआ, क्या हुआ ?" - यह सब न सोच °कनेक्शन° को ठीक रखा ?
‖✓‖ सेकंड में °विस्तार को सार° में समाने का अभ्यास किया ?
‖✓‖ "°मेरा बाबा°" - आज दिन भर इन्ही दो शब्दों की स्मृति में मगन रहे ?
‖✓‖ सदा °कंबाइंड रूप° में रह बाबा से सर्व संबंधों का अनुभव किया ?
‖✓‖ अपने °स्वरुप को पावरफुल° बना योग की पावरफुल स्टेज का अनुभव किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
‖✓‖ °एक बल एक भरोसे° के आधार पर मंजिल को समीप अनुभव किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?
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http://bkdrluhar.org/00-Murli/00-Hindi/Htm-Vishesh%20Purusharth/03.04.16-VisheshPurusharth.htm
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∫∫ 4 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "ज्ञान का सार - मै और मेरा बाबा"
❉ मीठा बाबा कहे - मेरे लाडलो जो ज्ञान मुझ सागर बाप ने दिया है उसे सदा यादो में बसाओ... न खुद को भूलो न मुझे भुलाओ... यह यादे ही सच्चा सार है जिसमे सब समाया है...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों अपने दिल सदा बाबा को समाना ही सारे राजो को जानना है... बाबा दिल में बसा है तो सब कुछ सरल हुआ पड़ा है... यह भूले तो ही सारी भूलें हुई है... सच्चे पिता और स्वयं के वजूद को सदा याद रखना है
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे बच्चों इस परमात्म ज्ञान का सार ही मै और मेरा बाबा है... बाबा की स्म्रति और अपने ज्योतिबिंदु की स्म्रति ही राज है... यह यादो में सच्चा रिश्ता बसा है तो जीवन सरल खुशनुमा हुआ ही पड़ा है...
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे आत्मन बच्चे सब भूल बस बाबा और मै आत्मा की सुनहरी याद ही सच्चा आधार है खूबसूरत सुनहरी जिंदगी का.... इसे रोम रोम में समाओ तो माया तो हारी हुई सदा बेचारी है...
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चों... आपने देह के सारे रिश्तों को जीकर जीवन का हाल देख तो लिया...अब मेरे सच्चे प्यार में खो जाओ... मेरे साथ और अपने स्वरूप की याद ही जीवन को खुशियो से खिला सुख से भर जायेगी...
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∫∫ 5 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢
सेकेंड में विस्तार को सार में समाने का अभ्यास करना है ।
❉ कोई भी परिस्थिति आई या बात हुई तो उसके क्यूं , क्या , कैसे में नही जाना । बस उसका समाधान या निवारण करना है व बीती को बिंदी लगा देनी है । कल्प पहले भी ऐसा हुआ नथिंग न्यू । बस बिंदी लगाकर समाने का अभ्यास करना है ।
❉ जैसे गाड़ी चलाते हैं व ट्रैफिक होता है तो हमें एकदम ब्रेक लगाकर रोकना पड़ता है । ऐसे ही जब भी हलचल में आए व व्यर्थ संकल्प चलते रहेंगे तो उनमें उलझते चले जायेंगे और बाहरी दुनिया में फंसते चले जायेंगे । बाबा ने हमें ज्ञान रुपी पावरफुल ब्रेक दी है उसे यूज कर सेकेंड मे विस्तार को सार में समेटने का अभ्यास करना है ।
❉ क्योंकि अंतिम समय यही सेकेंड का फुलस्टाप व विस्तार को सार में समेटने का अभ्यास ही पास विद ऑनर का सर्टिफिकेट दिलायेगा इसलिए ये अभ्यास स्वयं ही करते रहना है व बिल्कुल न्यारे होकर कर्म के सम्बंध में आना है बंधन में नही ।
❉ जब मैं और मेरा बाबा ये दो शब्द भूल जाते हैं तभी देहभान में आकर किसी छोटी सी बात को भी बड़ा बना देते हैं । इसलिए बिंदु बन बिंदु बाप को याद रखना है व सुबह अमृतवेले ही तीनों बिंदुओं का तिलक लगाना है ।
❉ जैसे कोई भी आंकड़े में पहले बिंदी यानि जीरो लगाते जाते है तो वो संख्या बढ़ती जाती है पर उसका कोई महत्व नही होता व न ही संख्या का मान बदलता है ऐसे ही कोई बात होने पर उसे तभी बिंदु लगाने पर विस्तार में नही जाना बस सार में ही समाने का अभ्यास करना है ।
❉ नॉलेजफुल की लाइट और माइट से माया के हर विघ्न को हटाते हुए मास्टर सर्वशक्तिमान की सीट पर बैठ विस्तार को सार में समाने का अभ्यास करना है ।
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∫∫ 6 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ एक बल एक भरोसे के आधार पर मंजिल को समीप अनुभव करने वाले हिम्मतवान होते हैं... क्यों और कैसे?
❉ एक बल एक भरोसे पर चलने वाले दृढ़निश्चयी व निश्चिंत होते है व हमेशा यही अनुभव करते कि बस हुआ के हुआ व अपनी मंजिल को समीप अनुभव कर हिम्मतवान होकर आगे बढ़ते हैं ।
❉ एक बल एक भरोसा होने से हमेशा हौंसले बुलंद होते है व उनको अपनी मंजिल करीब ही दिखती है । जो भी परिस्थितियां आती है उन्हें रास्ते के साइड सीन समझ पार करते हिम्मतवान होते हैं ।
❉ जिसका साथी है भगवान उसे क्या रोक सके आंधी और तूफान । ऐसे निश्चयबुद्धि बच्चे सर्वशक्तिमान की छत्रछाया में रहते साथीपन का अनुभव करते है । जिसके साथ स्वयं भगवान है तो उसके लिए मंजिल क्या दूर ! बस अपने लक्ष्य प्राप्त कर हिम्मतवान होते हैं ।
❉ अपना तन मन धन सब एक बाप को सौंप कर स्वयं को ट्रस्टी समझते और बेफिकर बादशाह रहते है व बस एक बाप की याद में लवलीन रहते तो सहज ही सभी कार्य हो जाते । एक बल एक भरोसे से मंजिल को समीप अनुभव करने वाले हिम्मतवान होते हैं ।
❉ मैं ईश्वरीय कुल का हूँ निर्विघ्न हूँ विजयी रत्न हूं मेरा कभी अकल्याण हो ही नही सकता ऐसी स्मृति रखने वाले मंजिल को समीप पाते है औरू हिम्मतवान होते है
❉ जो विजय का तिलक सदा लगाकर रखते वो कभी थकते नहीं व रुकते नहीं अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते रहते हैं । कितने भी तूफान आए जादुई चाबी सदा साथ रखते व बस ' मेरा बाबा ' कहा और तूफान पार किया । ऐसे अचल अडोल होकर अपनी मंजिल को पाने वाले हिम्मतवान होते हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ विश्व कल्याणकारी वह है जो प्रकृति सहित हर आत्मा के प्रति शुभ भावना रखते हैं... कैसे ?
❉ जितना आवाज से परे शांत स्वरूप स्थिति में स्थित रह अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करते रहेंगे उतना अतीन्द्रिय सुखमय स्थिति द्वारा अनेक आत्माओं को अपनी शुभ भावनायों और शुभकामनाओ के द्वारा सुख, शांति का अनुभव करवा सकेंगे तथा विश्व कल्याणकारी बन प्रकृति को भी परिवर्तन कर सकेंगे ।
❉ कम खर्च बाला नशीन बन जब सर्व खजानों को यूज़ करेंगे तो हर कर्म में, संकल्प और बोल में तथा सम्बन्ध व सम्पर्क में बैलेंस आता जायेगा और हर बोल, कर्म, संकल्प, सम्बन्ध वा सम्पर्क साधारण की बजाए आलौकिक बनता जायेगा । यह अलौकिकता ही आत्मा को विश्व कल्याणकारी की सीट पर सेट कर, प्रकृति सहित हर आत्मा के प्रति शुभ भाव से भरपूर कर देगी ।
❉ जब बाप समान सम्पन्न बन, मास्टर सागर बनेगे तो संकल्प में भी किसी आत्मा के प्रति अकल्याण का भाव नही आएगा । किसी का कोई भी अवगुण देखते हुए सेकण्ड में उस अवगुण को गुण में बदल सकेंगे और विश्व कल्याणकारी बन हर आत्मा के प्रति शुभ भाव रखते हुए प्रकृति को भी परिवर्तन कर सकेंगे ।
❉ विस्तार को सार में समा कर जब एक की याद और एकरस अवस्था में स्थित रहेंगे, एक की मत पर चल एक के ही कर्तव्य में मददगार बनेंगे तो बाप समान सुख कर्ता दुःख हर्ता बन हर आत्मा के प्रति शुभ भाव रखते हुए हर एक का कल्याण कर सकेंगे और अपने शुभ और श्रेष्ठ वायब्रेशन द्वारा प्रकृति को भी परिवर्तित कर सकेंगे ।
❉ पुराने स्वभाव - संस्कारो तथा सर्व कमजोरियों को सदाकाल के लिए जब विदाई देंगे तभी निमित और निर्मान भाव धारण कर सकेंगे तथा हद की वृति को बेहद में बदल सकेंगे । जब बेहद की दृष्टि वृति होगी तभी सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रख सकेंगे और विश्व कल्याणकारी बन सर्व का कल्याण कर सकेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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