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 17 / 09 / 16  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ सम्पूरण सतोप्रधान बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

➢➢ सेवा से अनेक आत्माओं की आशीर्वाद प्राप्त की ?

 

➢➢ त्राहि त्राहि होने से पहले बाप से पूरा वर्सा लेने का पुरुषार्थ किया ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ निर्बल आत्माओं में शक्तियों का फ़ोर्स भरा ?

 

➢➢ साक्षी होकर हर खेल देख सेफ्टी और मज़े का अनुभव किया ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ बहाना, कहलाना और मुरझाना - यह 3 बातें छोड़ने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  "मीठे बच्चे - अब यह रावण राज्य पुरानी दुनिया खत्म हो नई दुनिया आ रही है इसलिए श्रीमत पर चल पवित्र बनो तो श्रेष्ठ देवी देवता बनेगे"

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बच्चे... अब यह विकारो से भरी दुनिया खत्म होने वाली है और दिव्य गुणो के महक वाली सतयुगी दुनिया आने वाली है... तो ईश्वर पिता की श्रीमत को जीवन का आधार बना लो... यही श्रीमत और पवित्रता देवी देवता के रूप में श्रंगारित कर सुखो के संसार में ले चलेगी...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा मै आत्मा इस पुरानी विकारी दुनिया से मन बुद्धि को निकाल श्रीमत का हाथ पकड़ सतयुगी दुनिया की और बढ़ती चली जा रही हूँ... दिव्य गुणो से सजती जा रही हूँ... प्यारे बाबा संग निखरती जा रही हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... इस दुःख भरी दुनिया से उपराम होकर मेरी महकती यादो में खो जाओ... श्रीमत का हाथ सदा पकड़े रहो... तो काँटों से महकते फूल बन खिल उठेंगे... ईश्वर पिता का साथ सुखो के जन्नत में ले चलेगा... जहाँ देवता बन मुस्करायेंगे...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे बाबा से सारे गुण और शक्तियो से भरकर भरपूर हो चली हूँ... इस मिटटी के नातो से निकल कर अपने सत्य स्वरूप के नशे में खो चली हूँ... और श्रेष्ठ कर्म से खिलती जा रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... जिस दुनिया सा इतना दिल लगाकर दुखी हुए... खाली हो चले... अब उसका अंत आया की आया... अब समय साँस संकल्पों को मीठे बाबा की यादो और श्रीमत के पालन में लगाओ... तो यह पवित्र जीवन सुख और शांति से खिल उठेगा... घर आँगन सुखो से लहलहायेगा...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी श्रीमत से खूबसूरत होती जा रही हूँ... मन बुद्धि को इस संसार से उपराम बनाती जा रही हूँ... मीठे बाबा आपने जो सुंदर कर्म सिखाये है... पवित्रता का दामन थाम सुन्दरतम होती जा रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की धारणा और स्लोगन पर आधारित... )

 

❉   "ड्रिल - बाप की मत पर सतोप्रधान बन विष्णु माला में आना"

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अजर अमर अविनाशी हूं... मुझ आत्मा का अनादि आदि स्वरुप पवित्र था... मैं ज्योति के देश के रहने वाली थी... अपने पवित्र स्वरुप में थी... देह की दुनिया से परे परम पवित्र सम्पूर्ण स्टेज में अपने घर में थी... धीरे धीरे सतोप्रधान से तमोप्रधान हो गई... देहभान में आने से अपने असली स्वरुप को भूल गई... इस संगमयुग पर स्वयं भगवान ने मुझे अपना बनाकर मुझे ये नया जीवन दिया है... मैं आत्मा पदमापदम भाग्यशाली हूं... प्यारे शिव पिता ने मुझ आत्मा को अज्ञानता के घोर अंधियारे से निकाल ज्ञान रुपी तीसरा नेत्र दिया है... मैं आत्मा प्यारे शिव पिता की याद में रह विकर्मो का विनाश कर रही हूं... एक बाप की ही श्रीमत पर चल रही हूं... एक प्यारे बाबा की याद में ही रह हर कर्म करती हूं... प्यारे शिव पिता हमें अपना गंवाया हुआ राज्य वापिस दिलाने आए हैं... अपने साथ घर वापिस ले जाने आए हैं... इसलिए मैं आत्मा बस एक बाप की याद में रह पावन बनने का पुरुषार्थ कर रही हूं... मैं आत्मा पास विद ऑनर आने के लिए स्व उन्नति के लिए चारों सब्जेक्ट पर अटेंशन दे रही हूं... ज्ञान और योग के पंख से उडना सीख धारणामूर्त बनती जा रही हूं... मैं आत्मा स्वयं को निमित्त सेवाधारी समझ रुहानी सेवा कर रही हूं... मैं एक बाप की याद में रह बाप के दिल पर राज कर रही हूं... बाप की दिलतख्तनशीं बन बाप के गले का हार बन रही हूं... मैं मनमत और परमत को कोई महत्व नही देती क्योंकि मुझे श्रेष्ठ मत मिली जिस को धारण कर मैं सतगुणी बनती जा रही हूँ... इन्ही गुणों से ही मैं सतयुग में जा सकूँगी  और विष्णु की माला का मोती बनूँगी...

 

❉   ड्रिल - सेवा कर दुआओं का अधिकारी बनना"

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा पदमापदम भाग्यशाली हूं... जो स्वयं परमात्मा ने मुझे विश्व परिवर्तन के कार्य के निमित्त चुना... अपने कार्य के लिए मददगार समझा... वाह मेरा भाग्य वाह... !! जो मैं आत्मा ईश्वर के कार्य में सहयोगी बनी... मैं आत्मा परमपिता परमात्मा के सम्मुख हूं... परमपिता परमात्मा से सर्वशक्तियों की किरणें मुझ आत्मा पर फाउंटेन की तरह मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... मैं आत्मा इन सर्वशक्तियों की किरणें पूरे विश्व में फैला रही हूं... जो भी दुखी अशांत आत्माऐं है व जिस आत्मा को जो शक्ति चाहिए उस शक्ति से भरपूर होती जा रही है... वो सब आत्माऐं दूर बैठे भी सुख शांति प्रेम का अनुभव कर रही हैं... वो दिल से बहुत ही दुआऐं दे रही हैं... ज्ञानसूर्य शिव पिता से ज्ञान की किरणें लेकर चारों ओर ज्ञान की किरणें फैला रही हूं... बाबा का परिचय दे रही हूं... लाइट माइट की किरणें लेकर चारों ओर से अज्ञानता का अंधकार दूर कर ज्ञान की रोशनी फैला रही हूं... सम्बंध सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को बाबा का परिचय दूकर उनका कल्याण कर रही हूं... प्यारे शिव पिता से निस्वार्थ अनकंडीशनल प्यार पाकर मैं आत्मा भी सर्व के प्रति प्यार सहयोग देना सीख गई हूं... आत्मिक भाव होने से सर्व के प्रति रुहानी प्यार रहता है... ये मुझ आत्मा का अंतिम जन्म है... महाविनाश सामने खड़ा है... मैं आत्मा बस एक प्यारे बाबा की याद में रहती हूं... इस अंतिम जन्म में एक बाप की याद में रह अविनाशी कमाई कर रही हूं... मैं आत्मा बाप से पूरा पूरा वर्सा लेने के लिए पुरुषार्थ कर रही हूं...

 

❉   "ड्रिल - साक्षी हो सेफ रहना"

 

➳ _ ➳  योगयुक्त स्थिति में बैठकर विशेष स्वमान की सीट पर सेट होंगे आज... मैं विनाश लीला के समय मास्टर विश्व - कल्याणकारी की स्टेज पर स्थित हो सेवा का पार्ट बजाने वाली साक्षी दृष्टा आत्मा हूँ... विनाश हो रहा है... कहीं ब्लास्ट, कहीं भूसं्खलन, कहीं बाढ़, तो कहीं मारकाट मची हुई है, हर तरफ मौत के नज़ारे है... चारो ओर भय, घबराहट, रोने – पीटने की चीत्कार लगी पड़ी है... ऐसे में मैं आत्मा प्रभु परवाना फरिश्ता रूप में विचरण कर रही हूं... और हर तरफ शांति की, शीतलता वा शक्ति सम्पन्न किरणें बिखेर रही हूं... जो भी सीन सामने आ रहे हैं वो कोई नए नही हैं... मुझ फरिश्ते ने अनेकों बार देखे हुए हैं...  मैं फरिश्ता प्रभु परवाना उन दृश्यों को साक्षी दृष्टा स्थिति में स्थित होकर देख मजे से देख रही हूं... जो हो रहा है उसमें आनन्द लेते हुए मस्त रह आगे बढ़ रही हूं... परमात्म प्यार व परमात्म छत्रछाया में रहने से रास्तें में आने वाली परिस्थितियों को साइड सीन  समझ आगे बढ़ पार करती जा रही हूं... मैं आत्मा राजयुक्त, योगयुक्त बन वायुमण्डल को डबल लाइट बनाकर रखूंगी... इन्हीं संकल्पों के साथ मैं आत्मा यह अनुभव कर रहीं हूँ कि पहाड़ समान पेपर भी राई के समान बन गये हैं... मैं आत्मा साक्षी भाव रखते हुए सदा सेफ रह मजे से आगे बढ़ती जा रही हूं...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- मैं आत्मा ज्ञान- दाता सो वरदाता हूँ ।"

 

➳ _ ➳  मैं इस सृष्टि पर अवतरित एक भाग्यशाली आत्मा हूँ... मैं आत्मा बाबा से दिव्य दृष्टि ले रही हूँ... इस दिव्य दृष्टि से मेरी आत्मा सतोगुणी बनती जा रही है... मैं आत्मा अपनी इस सतोगुणी दृष्टि से  इस सृष्टि को बदलती जा रही हूँ... मैं आत्मा अपनी इस शक्ति सम्पन्न दृष्टि द्वारा निर्बल आत्माओं में शक्तियों का फोर्स भरती जा रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  मेरी इस दृष्टि द्वारा समस्त अशांत आत्माओं की दृष्टि तथा वृति बदलती जा रही है... सभी आत्माएं तमोप्रधान तथा राजोप्रधान से सतोप्रधान बनती जा रही हैं... इस दृष्टि से अनेक आत्माएं अपने भाग्य व भविष्य का साक्षात्कार करती जा रहीं हैं... 

 

➳ _ ➳  बाबा आपने जो दिव्य दृष्टि मुझे दी है उससे अनेक आत्माएं निहाल होती जा रही है... मैं विशेष आत्मा बाबा द्वारा प्रदान की गयी विशेष शक्तियों का एक्स्ट्रा फोर्स अपने में भरकर निर्बल आत्माओं को हाई जम्प करवाने में निमित्त बन रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  सभी आत्माएं मन से हलकी होती जा रहीं है... रचता का प्रभाव रचना पर भी पड़ता है इसलिए मैं आत्मा ज्ञान-दाता के साथ-साथ शक्तियों की वरदाता बनकर अपनी रचना को सर्व शक्तियों से सजाकर वरदानी मूर्त आत्मा होने का अनुभव कर रहीं हूँ ।

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  निर्बल आत्माओं में शक्तियों का फोर्स भरने वाले ज्ञान दाता सो वरदाता होते हैं... क्यों और कैसे?

 

❉   निर्बल आत्माओं में शक्तियों का फोर्स भरने वाले ज्ञान दाता सो वरदाता होते हैं क्योंकि वर्तमान समय निर्बल आत्माओं में इतनी शक्ति नहीं है, जो वे आत्मायें अपने पुरुषार्थ में जम्प दे कर आगे जा सके, उन आत्माओं को एक्सट्रा फ़ोर्स की आवश्यकता है।

 

❉   इसलिये बाबा ने हम सभी विशेष आत्माओं को ये जिम्मेवारी दी है कि अपने स्वयं में परमात्म विशेष शक्तियाँ भर कर, उन्हें हाई जम्प दिलवाना है। जिस से हमारे निर्बल आत्मा भाई भी हम सब के साथ मिल कर विशेष सेवायें दे सकें और अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकें।

 

❉   हमें अपने व सर्व के कल्याण हेतु बाबा से वायदा करना है। बाबा हम आपसे प्रतिज्ञा करते हैं कि... आप को  अपने हर कर्म को करते हुए सदा साथ रखेंगे तथा आपकी याद द्वारा अपने सभी पूर्व संचित व आगे होने वाले सभी विकर्मो का विनाश करेंगे।

 

❉   बाबा आपको हर पल हर क्षण याद करके पूरा का पूरा वर्सा जरूर लेना है तथा अन्य आत्माओं को भी निर्बल से सबल बना कर अर्थात उन सभी आत्माओं में ईश्वरीय विशेष शक्तियों का फोर्स भर कर भविष्य में देवत्व व राज पद रुपी वर्सा प्राप्त कर लेने का अधिकारी बनाना है।

 

❉   इसके लिए हमें ज्ञान दाता के साथ साथ शक्तियों के वरदाता भी बनना है क्योंकि रचयिता का प्रभाव रचना पर जरूर पड़ता है, इसलिये!  हमें वरदानीमूर्त बन कर अपनी रचना को सर्व शक्तियों का वरदान देना है क्योंकि अभी इसी सर्विस की सब से ज्यादा आवश्यकता है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  साक्षी होकर हर खेल देखो तो सेफ भी रहेंगे और मज़ा भी आयेगा... क्यों और कैसे ?

 

❉   जैसे हद का कोई नाटक या ड्रामा देखने जाते हैं तो उसमे चल रहे हर सीन को एन्जॉय करते हैं क्योकि जानते हैं कि यह सब काल्पनिक है । इसी तरह यह सृष्टि भी एक बेहद का ड्रामा है जिसमे सभी आत्माए ड्रामा अनुसार अपना अपना पार्ट प्ले कर रही हैं । सभी का पार्ट बिलकुल एक्यूरेट है । इसलिए किसी के पार्ट को देख प्रश्न उठाने के बजाए यदि उसे साक्षी हो कर देखेंगे तो सेफ भी रहेंगे और मनोरंजन का भी अनुभव करेंगे ।

 

❉   बच्चों को खेलना इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि उन्हें खेलने में मज़ा आता है । ठीक इसी प्रकार इस सृष्टि रूपी रंगमंच को भी जो मनोरंजन का खेल समझ कर खेल खेल में हंसते गाते अपना पार्ट प्ले करते हैं तथा औरों के पार्ट को भी साक्षी हो कर देखते हैं तो उनके लिए यह खेल दुःखदाई और पीड़ा देने के बजाए सुखदायी और आनन्द का अनुभव कराने वाला बन जाता है । इसलिए वे हर बात से सेफ भी रहते हैं और हर सीन में मज़े का भी अनुभव करते हैं ।

 

❉   जैसे भगवान हमेशा साक्षी रहते हैं क्यों

कि वो तीनो कालों को जानने वाले हैं इसलिए ना अच्छा काम करने वाले की वाहवाही करते हैं और ना बुरा काम करने वालों की निंदा करते हैं वो तो केवल अच्छे और बुरे की पहचान बताते हैं । इसी प्रकार जो दूसरों के अच्छे या बुरे व्यवाहर को देख विचलित नही होते बल्कि साक्षी पन की सीट पर सेट होकर जीवन के हर खेल को देखते हैं वे हर प्रकार के मतभेद से भी बच जाते हैं और जीवन के खेल का आनन्द भी उठाते हैं ।

 

❉   एक मूवी या ड्रामा में जो मुख्य हीरो होता है उसका ध्यान केवल अपने पार्ट पर ही रहता है कि वह कैसे अपने पार्ट को अच्छे से अच्छा बजाए ताकि सभी उसके अभिनय को देख वाहवाही करें । वो दूसरों के पार्ट को साक्षी हो कर देखता है इसलिए अपने अभिनय को करते हुए उसमे मनोरंजन का अनुभव करता है इसी प्रकार जीवन के इस विशाल नाटक में जो स्वयं को हीरो पार्टधारी समझ अपने पार्ट पर ध्यान देते हैं और सबके पार्ट को साक्षी हो कर देखते हैं वही जीवन के इस खेल का मज़ा लेते हैं ।

 

❉   एक अच्छा और कामयाब खिलाड़ी वही होता है जो खेल को हार और जीत के पैमाने से नही आँकता । उसे इस बात की चिंता नही रहती कि खेल में उसकी हार होगी या जीत । वो तो खेल में केवल और केवल मनोरंजन का अनुभव करता है । इसी प्रकार जो जीवन को भी एक खेल समझते हैं और जीवन में आने वाली चुनौतियों को हार या जीत के रूप में स्वीकार करने की बजाए उनको भी हंस कर सहज भाव से पार करते हैं वो साक्षी हो कर जीवन के हर खेल को देखते हुए उसमे भी ख़ुशी का अनुभव करते हैं ।

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⊙_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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