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❍ 18 / 02 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ हर आत्मा को कोई न कोई प्राप्ति कराने वाले °सत वचन° ही बोले ?
‖✓‖ "बाप आये हैं °अमृत वर्षा° कर साथ ले जाने" - यह स्मृति रही ?
‖✓‖ °कांटो को फूल° बनाने की सेवा की ?
‖✓‖ पूरा पूरा मददगार बन °बाप समान दुःख हर्ता° बनकर रहे ?
‖✓‖ विष्णु के गले की माला का दाना बनने के लिए °बाप की याद° पर विशेष अटेंशन रहा ?
‖✓‖ °पावन° बनने का पुरुषार्थ किया ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ सर्व शक्तियों की संपत्ति से संपन्न बन °दाता° बनकर रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ स्वयं को सदा °बापदादा की नयनो° में समाया हुआ अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-15)
➢➢ इस अंतिम जन्म में विष को त्याग अमृत पीना और पिलाना है । पावन बनना है ।
❉ इस संगमयुग पर स्वयं बाप हमें श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत देकर पत्थर बुद्धि से पारसबुद्धि बना रहे हैं व अपने साथ घर वापिस ले जाने आये हैं । पतित से पावन बना 21 जन्मों के लिए वर्सा देने आये हैं तो हमें अपने विकारों को छोड़ पावन बनना है ।
❉ इस देहभान की मिट्टी में अब नही खेलना । देहभान में रहकर ही नीचे गिरते आये हैं । इस अंतिम जन्म में बाप जो ज्ञान रत्नों का अखूट खजाना देते हैं व ज्ञान की वर्षा करते है उस ज्ञान धन को बांटते रहना है ।
❉ इस समय घोर कलयुग मे काम चिता पर बैठ काले हो गये हैं व सब कुछ तमोप्रधान है । बाप कहते है कि इस अंतिम जन्म में विकारों को छोड़ ज्ञान अमृत पीकर पावन बनना है व पावन बनाना है तभी तो नयी दुनिया के मालिक बनेंगे ।
❉ बुद्धिरुपी बर्तन से पुराने स्वभाव संस्कार छोड़ेंगे तभी बुद्धि की लाइन क्लीयर होगी व ज्ञान अमृत बुद्धि में ठहरेगा । बाप की याद भी बनी रहेगी । याद से ही पावन बनना है व दूसरों को भी पावन बनाना है । पावन बनने की युक्ति बनानी है ।
❉ पुरानी दुनिया तो कब्रिस्तान होनी ही है व कलयुगी सर्वसम्बंधों को बुद्धि से भूल पांच विकारों को छोड़ आत्मा को सतोप्रधान बनाना ही है ।
❉ इस अंतिम जन्म देह को आधार मानकर अलप काल के सुख को छोड़ ।ज्ञान अमृत पीकर अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करनी और करवानी है।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-20)
➢➢ सर्वशक्तियों की सम्पत्ति से सम्पन्न बन दाता बनने वाले विधाता, वरदाता होते हैं...क्यों और कैसे ?
❉ जब सर्वशक्तिमान बाप ने हमें अपना बना लिया व हम उसके बन गए तो सर्वशक्तिमान बाप के बच्चे मास्टर सर्वशक्तिमान हुए। सर्वशक्तियों के अखूट खजानों से भरपूर होकर हर आत्मा को शुभ भावना शुभ कामना देते हुए व गुणों का दान देते हुए विधाता वरदाता होते हैं ।
❉ सदा अपने को सर्वशक्तियों की सम्पत्ति से शिव शक्ति या अष्टभुजाधारी समझने से सदा एक साथीपन का अनुभव करते हैं तो सदा बेफिकर बादशाह व सर्वशक्तियों की प्राप्ति से सम्पन्न बन सदा देने वाले विधाता वरदाता होते हैं ।
❉ सर्वशक्तियों से सम्पन्न होने से स्वयं को मास्टर सर्वशक्तिमान समझ हर शक्ति को समय प्रमाण यूज करते हैं व जिस आत्मा को जो शक्ति चाहिए उस आत्मा को देकर कल्याण की भावना रखते हुए आगे बढ़ते हैं ।
❉ जो बच्चे सर्वशक्तियों के सम्पत्तिवान होते हैं वही सम्पन्न और सम्पूर्ण स्थिति की समीपता का अनुभव करते हैं उनमें कोई भक्ति के संस्कार , मांगने के संस्कार नही होते । वे विश्व की हर आत्मा को कुछ न कुछ दान या वरदान देने वाले होते हैं ।
❉ जो सर्वशक्तियों से सम्पन्न होते हैं उनमें हमेशा निमित्त भाव होता है व कल्याण की भावना होती है । अपने गुणों, शक्तियों से दूसरी आत्माओं को आगे बढ़ाने की भावना होती है । मनसा, वाचा,कर्मणा से ज्ञान धन दान या वरदान देने वाले होते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-15)
➢➢ हर आत्मा को कोई न कोई प्राप्ति कराने वाले वचन ही सत वचन है... क्यों और कैसे ?
❉ सत वचन अर्थात सत्य वचन और सत्य है ही केवल एक परम पिता परमात्मा । इसलिए मुख से निकले वे शब्द जो किसी आत्मा को सत्य परमात्मा से मिला कर उसे सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों से सम्पन्न कर दे, वे शब्द ही वास्तव में सत वचन है ।
❉ तड़पती हुई अशांत आत्माओं को मुख से प्रेम भरे दो शब्द बोल कर उन्हें शांति का अनुभव करवा कर शांति की शक्ति से भरपूर कर देना ही सत वचन हैं ।
❉ बाबा से मिले ज्ञान रत्नों के अखुट खजाने से भरपूर हो कर कर सर्व आत्माओं को उस ज्ञान धन के खजाने से तृप्त करने वाले वचन ही वास्तव में सत वचन है ।
❉ उत्साहहीन और निर्बल आत्माओं को शक्ति प्रदान करने वाले और उत्साह दिला कर उनमे उमंग उत्साह उत्तपन्न करने वाले वचन ही सत वचन है ।
❉ मुख से निकले वे वचन जो किसी आत्मा को दुःख देने वाले उसके पुराने स्वभाव - संस्कारों को बदल कर सुख देने वाले नए संस्कारों में परिवर्तित कर दे वे वचन ही सत वचन है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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