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❍ 11 / 02 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)
‖✓‖ °पुराने संस्कारों से वैराग्य° रख सेवा व सम्बन्ध संपर्क में विघनो से दूर रहे ?
‖✓‖ आत्माओं को °पारलोकिक बाप का परिचय° देते हुए पावन बनने की युक्ति बतलाई ?
‖✓‖ "याद के बल से ही हम °विकर्माजीत° बनेंगे" - यह अटेंशन रहा ?
‖✗‖ विघनो में °याद की यात्रा भूले° तो नहीं ?
‖✗‖ "यह बना बनाया ड्रामा है" - यह स्मृति में रख °विघनो से घबराए° तो नहीं ?
‖✗‖ "अभी °टाइम पडा है°, पीछे पुरुषार्थ कर लेंगे" - ऐसा तो नहीं सोचा ?
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)
‖✓‖ °करावनहार की स्मृति° से सेवा में सदा निर्माण का कार्य किया ?
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
‖✓‖ अपने कार्य की श्रेष्ठता और मूल्य को जान °महान आत्मा° के स्वमान में स्थित रहे ?
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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
➢➢ मैं आत्मा कर्मयोगी हूँ ।
✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-
❉ करावनहार की स्मृति से सेवा में सदा निर्माण का कार्य करने वाली मैं कर्मयोगी आत्मा हूँ ।
❉ व्यवहार और योग दोनों का बैलेंस रख हर कर्म करने से मैं हर कर्म को श्रेष्ठ बनाती जाती हूँ ।
❉ मैं आत्मा इस शरीर की मालिक हूँ इस स्मृति से कर्मेन्द्रियों को वश में कर मैं कर्मेंद्रियजीत बन रही हूँ ।
❉ करनकरावन हार बाप की स्मृति में रह स्वयं को निमित समझ हर कर्म करने से मैं सेवा में निर्माण बनती जाती हूँ ।
❉ हर कर्म को प्रभु अर्पण कर मैं ईश्वरीय सेवा में सहज ही सफलता प्राप्त करती जाती हूँ ।
❉ करनकरावन हार बाप की छत्रछाया में रह कर हर कर्म करने से मैं सदा विजयी और निर्विघ्न रहती हूँ ।
❉ जीवन में आने वाली हर परिस्तिथि को मैं योगबल और पवित्रता के बल से सहज पार कर लेती हूँ ।
❉ सब चिंताएं बाप को देकर मैं माया जीत, कर्मेन्द्रिय जीत और प्रकृति जीत बनती जाती हूं ।
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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ "मीठे बच्चे - तुम्हे याद में रहने का पुरुषार्थ जरूर करना है, क्योंकि याद के बल से ही तुम विकर्माजीत बनेंगे"
❉ भारत जब पारसपुरी था तो पवित्रता - सुख - शान्ति सब थी क्योकि सभी पावन देवी देवता थे ।
❉ वहां देह का कोई भान नही था । सम्पूर्ण निर्विकारी राज्य था इसलिए कोई विकर्म भी नही होते थे ।
❉ आत्मा द्वारा किये हुए कर्म, विकर्म होते ही तब है जब वह विकारों के वशीभूत हो कर किये जाते हैं ।
❉ और सतयुग में विकार होते नही इसलिए वहां कोई भी विकर्म होता नही ।
❉ किन्तु अभी तो रावण राज्य है और विकारों के वश होने के कारण आत्मा से कोई ना कोई विकर्म होते ही रहते हैं ।
❉ केवल परम पिता परमात्मा बाप की याद से ही यह विकर्म विनाश हो सकते हैं और आत्मा विकर्माजीत बन सकती है इसलिए बाप समझाते हैं कि तुम्हे याद में रहने का पुरुषार्थ जरूर करना है ।
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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)
➢➢ यह बना बनाया ड्रामा है इसलिए विघ्नों से घबराना नहीं हैं । विघ्नों में याद की यात्रा को भूल नही जाना है ।
❉ यह बना बनाया ड्रामा है व पूरे 5000 वर्ष बाद हुबहू रिपीट होता है । न तो एक सेकेंड पहले कुछ हो सकता है न बाद में । ड्रामा कल्याणकारी है व हर बात में कल्याण है ।
❉ जो हो रहा है वो भी अच्छा है व जो होगा वो भी अच्छा ही होगा । इसलिए विघ्नों से घबराना नहीं है । विघ्न तो हमें अनुभवी बनाने आते हैं । नथिंग न्यु हमेशा याद रखना है ।
❉ जब बाप हमेशा साथ हैं तो कभी भी अकल्याण तो हो ही नही सकता । सदा अपने को हजार भुजाओं वाले बाप की छत्रछाया में अनुभव कर विघ्न को खेल समझते हुए पार करना है । ये तो 5000वर्ष पहले भी हुआ व तब भी विजयी हुए और अब भी विजयी होंगे ।
❉ परिस्थिति आने पर अपनी स्थिति खराब नही करनी है । क्योंकि परिस्थिति तो बाहर से है आयी है चली जाएगी व स्थिति तो मेरी अपनी है । बस एक बाप की याद में रहना है ।जिसका साथी है भगवान उसका रास्ता क्या रोक सके आंधी और तूफान ।
❉ इस संगमयुग पर हमें कल्याणकारी बाप मिला है तो सदा कल्याण ही करता है । बाप को विश्व कल्याणकारी कहते हैं तो हम विश्व कल्याणकारी हुए । विश्व का कल्याण करने वाले हैं तो अकल्याण तो हो ही नही सकता ।
❉ समय को और वर्से को याद रखना है । हर विघ्न को बाप की याद में रहते हुए सहज पार लेते हैं । जब बाप को भूल जाते हैं व स्वयं ही अकेले करने लगते हैं तो विघ्न पार करने मुश्किल लगते हैं ।
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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ करनकरावनहार की स्मृति से सेवा में सदा निर्माण का कार्य करने वाले कर्मयोगी होते हैं..क्यों और कैसे ??
❉ करकरावनहार सर्व समर्थ बाप के सहयोग से अपने को सदा निमित्त समझ परमात्म बाप की याद में रहकर हर कर्म करते कर्मयोगी होते हैं ।
❉ हर कर्म, सेवा करते हुए बुद्धियोग बस बाप से जुडा रहे व ये भाव रहे कि करनकरावनहार तो बाबा ही है व हमारी तो बस उंगुली लगी हुई है तो निर्मान से करते हुए कर्मयोगी होते हैं ।
❉ ये शरीर तो अमानत है व ये अमानत भी ईश्वरीय सेवार्थ है व अपने को ट्रस्टी समझ करन करावनहार की याद में सेवा करते हुए कर्मयोगी होते है ।
❉ सिर्फ कर्म करने वाले कर्मयोगी नही होते । कर्म और योग दोनो का बैलेंस हो । ये भी नही कि कोई सेवा हो तो ये कहें कि हम तो अभी योग ही करेंगे ।
❉ शरीर निर्वाह के लिए भल काम धंधा करो लेकिन काम धंधा करते हुए आत्मा का निर्वाह नही भूलना । आत्मा की खुराक है परमात्मा की याद । सेवाओं में निमित्त मात्र का मंत्र भूलना नही तो सेवा में निर्मान ही निर्माण रहता है ।
❉ मुझ आत्मा को सेवा के निमित्त बनाने वाला बैकबोन मेरा बाबा है । कराने वाला करा रहा है करनहार हम किये जा रहे बस ऐसे सदा निमित्त समझ करने वाले कर्मयोगी होते हैं ।
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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)
➢➢ सेवा व सम्बन्ध - सम्पर्क में विघ्न पड़ने का कारण है पुराने संस्कार, उन संस्कारों से वैराग्य हो... कैसे ?
❉ रूप बसन्त बन जब स्वयं को ईश्वरीय सेवा में ऑफ़र करेंगे तो ज्ञान और योग का बल पुराने स्वभाव - संस्कारों से वैराग्य दिला देगा जिससे सेवा व सम्बन्ध सम्पर्क में विघ्न रूप बनने वाले पुराने संस्कार स्वत: ही समाप्त हो जायेंगे ।
❉ जितना अपने दिव्य आलौकिक स्वरूप की स्मृति में रहेंगे उतना दैवी संस्कारों की धारणा होने से पुराने संस्कार मर्ज होते जायेंगे । पुराने संस्कार मर्ज होने से सेवा व सम्बन्ध सम्पर्क में पड़ने वाला विघ्न भी समाप्त हो जायेगा ।
❉ श्रेष्ठ स्वमानधारी बन जब स्वमान की सीट पर सेट रहेंगे तो पुराने स्वभाव संस्कारों को बदलना सहज हो जायगा जिससे पुराने स्वभाव संस्कार सेवा व सम्बन्ध संपर्क में विघ्न नही डालेंगे ।
❉ शक्ति स्वरूप बन जब शक्तियों का आहवाहन करते रहेंगे तो सर्व शक्तियों के सहयोग से पुराने स्वभाव संस्कारों पर विजय पाना सरल हो जाएगा और पुराने स्वभाव संस्कारों से वैराग्य सेवा व सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाले विघ्नों को समाप्त कर देगा ।
❉ मनमत और परमत को छोड़ जब हर संकल्प, बोल और कर्म श्रीमत प्रमाण होगा तो बाप की एक्स्ट्रा मदद पुराने स्वभाव संस्कारों से मुक्ति दिलाने में मददगार बन जायेगी जिससे पुराने स्वभाव संस्कार सेवा व सम्बन्ध संपर्क में कोई बाधा उत्तपन्न नही करेंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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