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   03 / 02 / 16  की  मुरली  से  चार्ट   

        TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks:- 6*5=30)

 

‖✓‖ इस पुरानी दुनिया से °लंगर° उठा रहा ?

 

‖✓‖ °कर्मयोगी° बन हर कार्य किया ?

 

‖✓‖ सर्व की झोली °ज्ञान रत्नों° से भरी ?

 

‖✓‖ °सरलता° का गुण धारण कर याद को सरल बनाया ?

 

‖✓‖ बाप से जो राय मिलती है, उस पर पूरा पूरा चल °फरमानबरदार° बनकर रहे ?

 

‖✓‖ अपनी °ब्राह्मण जाती° का नशा रहा ?

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-10)

 

‖✓‖ °ताज और तिलक° को धारण कर बापदादा के मददगार बनकर रहे ?

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

‖✓‖ °'आप और बाप'° की स्मृति से सहज राजयोगी बनकर रहे ?

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∫∫ 4 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

 

➢➢ मैं बापदादा की दिलतख्तनशीन आत्मा हूँ ।

 

 ✺ श्रेष्ठ संकल्प / कर्मयोग / योगाभ्यास :-

 

 ❉   ताज और तिलक को धारण कर बापदादा की मददगार बनने वाली मैं बापदादा की दिलतख्तनशीन आत्मा हूँ ।

 

 ❉   मेरे मस्तक से सदैव अविनाशी आत्मा की स्थिति का तिलक दूर से ही चमकता हुआ नज़र आता है ।

 

 ❉   सर्व आत्माओ के प्रति कल्याण की शुभ भावना मेरे नयनो से स्पष्ट दिखाई देती है ।

 

 ❉   अपने हर संकल्प, वचन और कर्म को बाप समान बना कर मैं बापदादा के दिल रूपी तख्त पर सदा विराजमान रहती हूँ ।

 

 ❉   अपने दिल रूपी तख़्त पर बिठा कर बाबा ने मुझे सब प्रकार की मेहनत से मुक्त कर दिया है ।

 

 ❉   बाप दादा के दिल रूपी तख़्त पर विराजमान हो कर मैं अखुट प्राप्तियों से सम्पन्न हो गई हूँ ।

 

 ❉   सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनने से मैं निरन्तर बाप की याद के झूले में झूलती रहती हूँ और अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति में मगन रहती हूँ ।

 

 ❉   विश्व कल्याण और अपने दिल रूपी तख्त का ताज मुझे पहना कर बाबा ने मुझे विशेष ताजधारी आत्मा बना दिया है ।

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∫∫ 5 ∫∫ सार - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ "मीठे बच्चे - तुम ब्राह्मण सो देवता बनते हो, तुम्ही भारत को स्वर्ग बनाते हो, तो तुम्हे अपनी ब्राह्मण जाति का नशा चाहिए"

 

 ❉   देवता उन्हें कहा जाता है जो दैवी गुणों से सम्पन्न, सम्पूर्ण निर्विकारी,16 कला सम्पूर्ण होते हैं ।

 

 ❉   भक्ति मार्ग में भक्त लोग मन्दिरों में जा कर देवी देवताओं के जड़ चित्रों के आगे ही माथा टेकते हैं और उनकी पूजा करते हैं ।

 

 ❉   वास्तव में वे पूज्य देवी देवता कोई और नही हम ब्राह्मण बच्चे हैं जो संगम युग पर श्रेष्ठ पुरुषार्थ कर ब्राह्मण सो देवता बनते हैं ।

 

 ❉   संगम युग पर परम पिता परमात्मा शिव बाबा आकर स्वर्ग की स्थापना करते हैं और हम ब्राह्मण बच्चों को राजयोग सिखला कर ज्ञान और योग की धारणा से हमे स्वर्ग का मालिक बनाते हैं ।

 

 ❉   तो हमे इस बात का कितना नशा रहना चाहिए कि हम ब्राह्मण सो देवता बनते हैं और परम पिता परमात्मा बाप के स्वर्ग स्थापना के कार्य में मददगार बन भारत को स्वर्ग बनाते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ मुख्य धारणा-ज्ञान मंथन(Marks-10)

 

➢➢ बाप से जो राय मिलती है उस पर पूरा-पूरा फरमानबरदार बनना है । कर्मयोगी बन हर कार्य करना है ।

 

  ❉   बाप से सबसे पहली राय मिलती है कि अपने को आत्मा समझो , देह नही । तो ये पाठ पक्का करना है व अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है ।

 

  ❉   बाप सुप्रीम टीचर बन इस पतित दुनिया में हमें पढ़ाने के लिए आते है तो हमें अच्छी रीति इस ऊंच ते ऊंच रुहानी पढ़ाई को पढ़कर धारण करना है । बाप की श्रीमत का सम्पूर्ण रीति से पालन करना है ।

 

  ❉   बाप कहते है कि गृहस्थ परिवार में रहते हुए न्यारा व प्यारा रहना है तो हमें इस अंतिम जन्म में पवित्र रहकर 21जन्मों की बादशाही प्राप्त कर बाप का फरमानबरदार बनना है ।

 

  ❉   बाप से राय मिलती है कि यात्राएं तो अनेक प्रकार की है पर हमारी एक ही न्यारी यात्रा है वो है एक बाप की ही याद की यात्रा । बाप की याद में रहते हुए हर कर्म करना है ।

 

  ❉   जितना हो सके हथ कार डे दिल यार डे- आधा कल्प हम आशिक सच्चे सच्चे माशूक को याद करते आए तो अब चाहे हाथों से धंधा आदि करते रहे पर दिल उस सच्चे माशूक के साथ लगा रहे व याद बनी रहे ।

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∫∫ 7 ∫∫ वरदान - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ ताज और तिलक को धारण कर बापदादा के मददगार बनने वाले दिलतख्तनशीन अनुभव करते है... क्यों और कैसे?

 

 ❉   हमें बाबा ने तीन तख्त दिए है, पहला बापदादा का दिल तख्त, दूसरा भृकुटि का अकालतख्त और तीसरा भविष्य विश्व महाराजा का तख्त। इनमे सबसे बड़ा है बापदादा का दिलतख्त वो वही प्राप्त करते है जो बाबा के मददगार बनते है।

 

 ❉   विजय का तिलक बाबा ने हम बच्चों के मस्तक पर सदा के लिए लगा दिया है, हमें विजयी भव का वरदान स्वयं भगवान ने दे दिया है तो हमारी विजय निश्चित होनी ही है।

 

 ❉   यहाँ के एक जन्म के बाबा के मददगार बच्चे पदमा पदम भाग्य शाली होते है, आधा कल्प हम भगवान से मांगते आये है, सिर्फ अब यह संगम का थोडा सा समय हैजब हम भगवान के साथी मददगार बन सकते है।

 

 ❉   हमें सदैव अपने ताज और तिलक के शुद्ध नशे में रहना चाहिए, बाबा हमें क्या बनाने आये है यह सदा याद रहे, अपनी रूहानी नशे में रहना और बाप का मददगार बनना यही बापदादा के दिल पर राज करने का उपाय है।

 

 ❉   बाबा के दिल पर सदा सेवाधारी बच्चे राज करते है। बाबा को वह बच्चे अति प्रिय है जो सृष्टि परिवर्तन और बाप को प्रत्यक्ष करने के कार्य में दिन रात बीजी रहते है। अहो हमारा भाग्य जो हम भगवान के काम आ सके।

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∫∫ 8 ∫∫ स्लोगन - ज्ञान मंथन (Marks:-10)

 

➢➢ सरल याद के लिए सरलता का गुण धारण करो, संस्कारों को सरल बनाओ... क्यों और कैसे ?

 

 ❉   सरलता का गुण व्यवहार में दिव्यता और अलौकिकता लाता है और दिव्य बुद्धि आत्मा सच्चाई और सफाई को धारण कर सरलचित्त बन एक बाप की याद से स्वभाव - संस्कार को भी सरल बना लेती है ।

 

 ❉   सरलता का गुण परमात्मा बाप के दिल रूपी तख्त पर चढ़ने का सहज साधन है । जो सच्चाई और सफाई से, सरल चित बन स्वयं को बाप के आगे समर्पित कर देते हैं । ऐसे बच्चे ही परमात्म मदद का अनुभव कर स्वभाव - संस्कारों को सरल बना कर सफलता मूर्त बन जाते हैं ।

 

 ❉   व्यवहार में सरलता का गुण आत्मा को गुणमूर्त बनाता है जिससे व्यक्ति सच का मार्ग अपना कर, सद्गुणों की धारणा कर स्वभाव - संस्कारों को सरल बना कर अपने जीवन को उज्ज्वल बना लेता है ।

 

 ❉   सरलता और सादगी से जीवन जीने वाला मनुष्य अपने जीवन में सच्चाई और सफाई को धारण कर  अपनी रॉयलिटी से पुराने स्वभाव - संस्कारों को भी सरल बना कर हर समस्या का समाधान कर उस पर विजय प्राप्त कर लेता है ।

 

 ❉   सरलता का गुण क्या -  क्यों की क्यू को समाप्त कर विस्तार को सार में समाने का अनुभवी बना देता है जिससे आत्मा चढ़ती कला के अनुभव द्वारा सरल याद से स्वभाव - संस्कारो को सरल बना कर सम्पूर्णता की और बढ़ने लगती है ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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