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❍ 05 / 12 / 16 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *किसी भी भूत के वशीभूत हो कमाई में घाटा तो नहीं डाला ?*
➢➢ *आत्माओं को बाप का परिचय दिया ?*
➢➢ *निर्भय होकर रहे ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *विस्तार को सार में समाकर अपनी श्रेष्ठ स्थिति बनायी ?*
➢➢ *अपनी वृत्ति को पॉवरफुल बना सेवा में वृधी की ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ *आज पूरा दिन बार बार बापदादा का आह्वान किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - सच्चे बाप के साथ सदा सच्चे रहो सच न बताने से पाप वर्द्धि को पाते रहेंगे"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... भाग्य ने जो सच्चे बाप का हाथ हाथो में दिलाया है उस *सच्चे पिता की श्रीमत को जीवन में उतार* कर जीवन सुखो से भर चलो... अब झूठ के चंगुल से जो निकल चले हो तो फिर से उस दलदल की ओर रुख न करो... अपने जीवन में गुणो की खुशबु से सच्चे पिता की महक जमाने को दिखा चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा अब झूठ की राहो से मुख मोड़ *सच्चे पिता संग सत्यता को बाँहों में भर मुस्करा रही हूँ.*.. दिव्य गुणो की धारणा से मीठे बाबा की झलक को सारे जहान में फेला रही हूँ... सच भरी सुनहरी राहो पर चलकर सतयुगी सुखो की अधिकारी बन रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... अब सच की डगर पर मीठे बाबा की ऊँगली थामे अथाह सुखो को अपने दामन में सजाकर मुस्करा चलो... *सदा सच्चे पिता के साथ सच्चे रहो*... गर कोई भूल हो जाये तो सच्चे पिता के सम्मुख दिल से स्वीकार करो... पाप कर्मो से दूर होकर सच्चे पिता के नक्शे कदम पर कदम बढ़ाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... आपने जो *सुनहरे सत्य से मुझ आत्मा को महकाया* है जीवन कितना प्यारा और खिला हुआ सा है... अपने सत्य स्वरूप के नशे में मै आत्मा खो चली हूँ... और यह मीठा नशा इन हवाओ में भी महका रही हूँ....
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अपने *दमकते सत्य स्वरूप और सत्य पिता संग हर साँस संकल्प* को यादो में पिरो चलो... हर कदम पर अपना ख्याल रखो... श्रीमत की मर्यादा में रहकर जीवन को अथाह सुखो का अधिकारी बनाओ.... वरदानी समय पर ईश्वर पिता से सच्चे होकर अनन्त खुशियो को पाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा झूठ की गलियो में भटकी अपने नूर को धुंधला कर चली थी... आज प्यारे बाबा के चमकते साये में तेजस्वी हो चली हूँ... *हर पल सत्य बाबा से वफादार होकर* दिव्य गुणो को स्वयं में भरती जा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा लाइट माइट हाउस हूँ ।"*
➳ _ ➳ संगमयुग के ब्राह्मण जीवन की विशेषता है- सार रूप में स्थित होकर सदा *सर्व प्राप्तियों के अविनाशी नशे* में स्थित रहना... सदा सुख शांति के, खुशी के, ज्ञान के, आनंद के झूले में झूलना...
➳ _ ➳ मैं आत्मा कई जन्मों से देहभान के कारण विस्तार में आ गई थी... देह के नाम, मान, शान के विस्तार में... देह के सम्बन्धों, देह के पदार्थों के विस्तार में... भक्ति के, विकारों के विस्तार में... *समेटने व समाने की शक्ति* की कमी के कारण जन्म-जन्मांतर से मुझ आत्मा की बुद्धि का विस्तार में भटकने का संस्कार पक्का हो गया है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सभी प्रकार के विस्तार को सार रूप में लाने के लिए समाने की शक्ति का अभ्यास करती हूँ... मैं आत्मा इस देह, देह के पदार्थों, देह के सम्बन्धों, देह की दुनिया से न्यारी होती हुई *बिंदु रूप में स्थित* हो जाती हूँ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बिंदु, मेरा बाबा भी बिंदु*... एक बाबा बिंदु में ही सारा संसार समाया हुआ है... मैं आत्मा एक प्यारे बाबा से ही सर्व सम्बन्धों के सुख का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा सर्व शक्तियों से भरपूर होकर बाप समान स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा *बाप समान लाइट, माइट हाउस* बन गई हूँ... अब मैं आत्मा क्यों, क्या के विस्तार में नही जाती हूँ... मैं आत्मा अब किसी भी बात के विस्तार में जाकर समय और शक्तियां व्यर्थ नहीं करती हूँ... मैं आत्मा किसी भी बात के विस्तार को एक सेकण्ड में सार में समा देती हूँ... परिवर्तित कर देती हूँ... अब मैं आत्मा अपनी श्रेष्ठ स्थिति बनाने वाली बाप समान लाइट, माइट हाउस हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अपनी वृत्ति को पावरफुल बनाकर सेवा में वृद्धि पाना"*
➳ _ ➳ मैं सदा समर्थ संकल्पों की रचना करने वाली आत्मा हूँ... मेरे *एक-एक संकल्प की शक्ति पूरे विश्व में फैलती हैं...* एक-एक श्रेष्ठ संकल्पों के मोती से मेरी वृत्ति की माला अत्यंत श्रेष्ठ और पॉवरफुल बन गई हैं...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा की वृत्ति द्वारा वातावरण शुद्ध और शक्तिशाली बनता जाता हैं... मेरी सामने कैसी भी संस्कार स्वभाव वाली आत्मा आये... *मेरी वृत्ति द्वारा हर आत्मा शांति का अनुभव कर...* पवित्र और शुद्ध होती जाती हैं...
➳ _ ➳ वसुन्धरे कूटम्बकेय की भावना से ओत-प्रोत... *मैं आत्मा रूहानी सेवाधारी हूँ...* अपनी श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा रूहों की सेवा करना, यही मेरा परम् कर्तव्य हैं... मुझ आत्मा की शुद्ध एनर्जी फील्ड... तमोप्रधानता को समाप्त कर... पुरे वातावरण को साफ कर सतोप्रधान बना रही हैं...
➳ _ ➳ मेरे मीठे प्यारे शिवबाबा मेरे द्वारा विश्व कल्याण का महान कार्य करवा रहे हैं... शिव बाबा की याद में खोई हुई मैं आत्मा... उनसे स्वयं को सर्व गुणों और शक्तियों से भरपूर कर मैं आत्मा... जहाँ-जहाँ अपना कदम रखती हूँ... *मेरी पॉवेरफुल वृत्ति द्वारा स्वतः ही सेवा होती रहती हैं...*
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *विस्तार को सार में समाकर अपनी श्रेष्ठ स्थिति बनाने वाले बाप समान लाइट माइट हाउस होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ विस्तार को सार में समाकर अपनी श्रेष्ठ स्थिति बनाने वाले बाप समान लाइट माइट हाउस होते हैं क्योंकि... बाप समान लाइट व माइट हाउस बनने के लिये अगर हम कोई भी बात को देखते वा सुनते हैं, तो! हम *उसके सार को समा कर परिवर्तित* करने का अभ्यास करते हैं।
❉ उस बात के विस्तार में न जा कर उसके सार में समाते हैं और उसके *सार को जान कर एक सेकण्ड में समा* देने का वा परिवर्तन करने का अभ्यास करते हैं। क्यों, क्या के विस्तार में नहीं जाते हैं क्योंकि... बात के विस्तार में जाने से बातें सुलझती नहीं हैं, बल्कि! और ही उलझ जाती हैं।
❉ इसलिये! किसी भी बात के विस्तार में जाने से समय और शक्तियाँ व्यर्थ में जाती हैं। अपनी शक्तियों को व्यर्थ में जाने से बचाने के लिये *हमें सार तत्व को ही अपनाना* है। कहा भी जाता है कि... जिस प्रकार हँसा, मोती मोती चुगता है, और कंकड़ कंकड़ छोड़ देता है। उसी प्रकार हमें भी सार सार को रख कर थोथा उडा देना है।
❉ इस प्रकार से चलने से हमारे कीमती समय की बचत भी होती है और *सर्व शक्तियों की हिफाजत* भी हो जाती है। तो हमको विस्तार को समा कर सार में स्थित होने का अभ्यास करना है। ऐसा करने से सेवाओं में भी वृद्धि होगी तथा अन्य आत्माओं का कल्याण भी कर सकेंगे।
❉ अतः हमें सर्व बातों के विस्तार को सार में समा कर *अपनी श्रेष्ठ स्थिति का परिचय भी देना है,* तथा इससे अन्य आत्माओं को भी एक सेकण्ड में सार के स्वरूप में समाने के ज्ञान का सार भी अनुभव करा सकेंगे। ऐसा करने से हम बाप समान लाइट माइट हाउस बन जायेंगे।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *अपनी वृति को पावरफुल बनाओ तो सेवा में वृद्धि स्वत: होगी... क्यों और कैसे* ?
❉ जैसे हमारे संकल्प होते हैं वैसी वृति होती है और जैसी वृति होती है वैसे ही वायब्रेशन वायुमण्डल में फैलते हैं । इस प्रकार वृति से ही वायुमण्डल बनता है अर्थात *वायुमण्डल का फाउंडेशन वृति है* । तो जितना वृति पावरफुल होगी उतने ही पावरफुल वायब्रेशन वायुमण्डल में फैलेंगे जो सहज ही सर्व आत्माओं को प्रभावित कर सकेंगे और सेवा में वृद्धि का आधार बन सकेंगे ।
❉ जैसे किसी भी झाड़ का मुख्य आधार बीज होता है । अगर बीज शक्तिशाली होता है तो झाड़ भी शक्तिशाली होता है । तो बीज है वृति और जितना वृति रूपी बीज शक्तिशाली होगा उतनी ही उससे सर्विस की वृद्वि होती जाएगी । *अगर वृति रूपी बीज कमजोर है* तो वायुमण्डल में रूहानियत वा सर्विस में वृद्धि कभी भी नही हो सकती । इसलिए सेवा में वृद्धि करनी है तो पहले वृति को पावरफुल बनाना होगा ।
❉ स्मृति बनती है संग से और *वृति बनती है वातावरण व वायुमण्डल से* । जैसे स्थूल धन कमाने वाले सारा दिन उसी संग में रहते हैं तो संग का प्रभाव स्मृति पर इतना पड़ता है कि उनको स्वप्न में भी वही स्मृति रहती है । ऐसे ही जब हम भी अमृतवेले से ले कर सारा दिन केवल एक श्रेष्ठ बाप के संग में रहेंगे तो स्मृति और वृति स्वत: ही श्रेष्ठ होगी और जितनी वृति श्रेष्ठ होगी उतनी ही सेवा में वृद्धि होगी ।
❉ तमोगुणी सृष्टि के बीच रहते हुए, वातावरण को परिवर्तन करना यही हम ब्राह्मणों का कर्तव्य है । जितना इस कर्तव्य को स्मृति में रखेंगे और *रचतापन की स्थिति में स्थित रहेंगे* उतना ही वृति को पावरफुल बना सकेंगे । और वृति जितनी पावरफुल होगी उतना ही रचना अर्थात वातावरण को अपने वश में रख सकेंगे । जैसा चाहेंगे वैसा वायुमण्डल जब निर्मित होगा तो सेवा में सहज ही वृद्धि को पा सकेंगे ।
❉ शक्तिशाली संकल्प, दृष्टि वा वृति की यह निशानी है कि वह शक्तिशाली होने के कारण किसी को भी परिवर्तन कर सकता है । क्योंकि *शक्तिशाली संकल्प श्रेष्ठ सृष्टि की रचना करते हैं* , शक्तिशाली वृति से वायु मण्डल परिवर्तन होता है और शक्तिशाली दृष्टि सर्व आत्माओं को सेकण्ड में अशरीरी आत्मस्वरूप का अनुभव करवा सकती है । इसलिए संकल्प, वृति और दृष्टि जितने पावरफुल होंगे सेवा में वृद्धि सहज होने लगेगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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