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 13 / 12 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *पूरा पूरा नष्टोमोहा बनकर रहे ?*

 

➢➢ *आँख खोलकर बाप को याद करने का अभ्यास किया ?*

 

➢➢ *बाप की छत्रछाया के नीचे रह माया की छाया से बचकर रहे ?*

 

➢➢ *मुरली से प्यार रख मास्टर मुरलीधर बनकर रहे ?*

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         ❂ *योगी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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〰✧  *सदा बेहद की आत्मिक दृष्टि, भाई-भाई के सम्बन्ध की वृत्ति से किसी भी आत्मा के प्रति शुभ भावना रखने का फल जरूर प्राप्त होता है इसलिए पुरूषार्थ से थको नहीं, दिलशिकस्त भी नहीं बनो।* निश्चयबुद्धि हो, मेरेपन के सम्बन्ध से न्यारे हो शान्ति और शक्ति का सहयोग आत्माओं को देते रहो।

 

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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं सफलतामूर्त आत्मा हूँ"*

 

✧  *सदा सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है इतना नशा रहता है? सफलता होगी या नहीं होगी यह क्वेशचन ही नहीं। सफलता मूर्त हैं ऐसे नशा रहता है? मास्टर शिक्षक हो ना।* जैसे बाप शिक्षक की क्वालीफिकेशन है, वैसे मास्टर शिक्षक की भी होगी ना। बाप समान बने हो ना? (हाँ) यह हाँ-हाँ के गीत अच्छा गाती हैं। इससे सिद्ध है कि यह बाप के गुण सभी को सुनाकर डाँस करती कराती हैं।

 

✧  *कुमारियों को देख करके बापदादा बहुत खुश होती हैं। क्योंकि कुमार और कुमारियाँ, त्याग कर तपस्वी आकर बने हैं।* बच्चों के त्याग की हिम्मत देख, तपस्या का उमंग देख बापदादा खुश होते हैं। बाप की महिमा तो भक्त करते हैं लेकिन बच्चों की महिमा बाप करते हैं। कितने जन्म आपने माला सिमरण की? अभी बाप रिर्टन में बच्चों की माला सिमरण करते हैं। आप लोग देखते हो किस समय बाप माला सिमरण करते हैं? (अमृतबेले) तो जिस समय बाप माला सिमरण करते उस समय आप सो तो नहीं जाते हो? शक्तियाँ तो सोने वालो को जागने वाली है। खुद कैसे सोयेंगी?

 

✧  रिजल्ट श्रेष्ठ स्मृति और ईश्वरीय स्वमान 76 अच्छी है। सर्टीफिकेट मिलना भी लक है। आस्ट्रेलिया वालों को अच्छा सार्टीफिकेट मिल रहा है। *अपनी फुलवाड़ी को निश्चय और हिम्मत के जल से सींचते रहने से वृद्धि को पाते रहेंगे। वृद्धि होती रहेगी।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  (बापदादा ने ड़िल कराई) मन के मालिक हो ना! तो सेकण्ड में स्टॉप, तो स्टॉप हो जाए। ऐसा नहीं आप कहो स्टॉप और मन चलता रहे, इससे सिद्ध है कि मालिक-पन की शक्ति कम है। *अगर मालिक शक्तिशाली है तो मालिक के डायरेक्शन बिना मन एक संकल्प भी नहीं कर सकता।*

स्टॉप, तो स्टॉप। चलो, तो चले।

 

✧   जहाँ चलाने चाहो वहाँ चले। ऐसे नहीं कि मन को बहुत समय की व्यर्थ तरफ चलने की आदत है, तो आप चलाओ शुद्ध संकल्प की तरफ और मन जाये व्यर्थ की तरफ तो यह मालिक को मालिक-पन में चलाना नहीं आता। यह अभ्यास करो। *चेक करो स्टॉप कहने से, स्टॉप होता है?*

 

✧  या कुछ चलकर फिर स्टॉप होता है? अगर गाडी में ब्रेक लगानी हो लेकिन कुछ समय चलकर फिर ब्रेक लगे, तो वह गाडी काम की है? ड्राइव करने वाला योग्य है कि एक्सीडेन्ट करने वाला है? *ब्रेक, तो फौरन सेकण्ड मे ब्रेक लगनी चाहिए।* यही अभ्यास कर्मातीत अवस्था के समीप लायेगा। संकल्प करने के कर्म में भी फुल पास।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- आँखें खोलकर खाते-पीते, चलते-फिरते बाप की याद में रहना"*

 

_ ➳  मैं फरिश्ता पंच तत्वों के बने इस शरीर से बाहर निकल... इस पंच तत्वों की दुनिया से भी ऊपर उड़ते हुए... सफेद प्रकाश का सूक्ष्म शरीर धारण कर... सफ़ेद प्रकाश की दुनिया में पहुँच जाती हूँ... इस साकारी देह और दुनिया से अलग हो कर मैं स्वयं को बहुत ही हल्का और निर्बन्धन अनुभव कर रही हूँ... *श्वेत बादलों के सिंहासन पर बैठ श्वेत चमकीली प्रकाश की काया में दिव्य लाइट फैलाते हुए प्यारे बाबा मुझे अपने पास बुलाते हैं...*

 

   *अपने दिव्य लाइट माइट से रूहानी गुलशन को महकाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की यादो में डूबकर हर कर्म को ईश्वरीय यादो की खुशबु से महकाओ... *यह यादे ही सच्चे सतयुगी सुखो का आधार है...* याद को सांसो में समाकर नर से नारायण बन... सतयुगी धरा पर शान से मुस्कराओ... हर पल मीठे बाबा की याद की खुमारी में खोये रहो..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा मनमनाभव महामन्त्र की वरदानी बन चलते फिरते एक बाबा की याद में रह कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपकी मीठी यादो में कर्मयोगी फ़रिश्ता बन गई हूँ... आपकी यादे मेरे प्राण बन गयी है... *सांसो साँस आपको याद करके मै आत्मा देवताई रंग रूप में ढल रही हूँ...* और असीम सुखो की अधिकारी बन रही हूँ..."

 

   *मीठे बाबा अपने यादों के रंग में मुझे गहरे रंगते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *चलते फिरते उठते बैठते हर कर्म में ईश्वरीय यादो के नशे में झूमते रहो...* मीठे बाबा की यादो में सर्वगुण सम्पन्न हो, देवताई खूबसूरती को सहज ही पायेंगे... अब जो ईश्वर पिता आपके सुखो की खातिर... जो धरा पर उतर आया है तो, सिवाय पिता के किसी को भी याद न करो..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा प्रभु मिलन की मस्तियों में झूमती हुई कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मैं आत्मा ईश्वर पिता को यादो में बसाये कितने खुबसूरत दिल वाली हो गई हूँ...* मनुष्य के पीछे भटकने वाला यह दिल... आज प्यारे बाबा को धड़कन सा समाये धड़क रहा है... और सतयुगी सुखो को सहज ही रच रहा है..."

 

   *प्यारे बाबा दिव्य गुण, शक्तियों से मेरे जीवन को ज्योतिर्मय करते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *जितना जितना कर्मो में यादो का रंग भरकर... दिलकश बनायेगे, उतना ही श्रेष्ठ कर्मो का फल, सुखो का स्वर्ग पायेंगे...* दिव्य गुणो और शक्तियो से सजधज कर सुख शांति और आनंद से भरा... खुशियो की रौनक से खिला, खुबसूरत और खुशनुमा जीवन पायेंगे..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा प्रेम रस में भीगकर प्रभु का गुणगान करती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मैं आत्मा अपने कर्मो को आपकी यादो में भिगोकर खुशबूदार कर रही हूँ...* साधारण मनुष्य से प्यारा सा दिव्य रूप पाकर... महाभाग्यवान बन मुस्करा रही हूँ... प्यारे बाबा आपकी यादे ही अब जीवन का पर्याय है... इन यादो में मै कितनी सुखी हो गयी हूँ..."

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- आंख खोल कर बाप को याद करने का अभ्यास करना है*"

 

 _ ➳  आबू की सुंदर पहाड़ी पर बसे मधुबन घर मे पीस पार्क में बैठी मैं प्रकृति के खूबसूरत नज़ारो का आनन्द ले रही हूँ और सोच रही हूँ कि *कितनी भाग्यवान हूँ मैं आत्मा जो भगवान की इस अवतरण भूमि पर आकर भगवान को साकार देखने का, उनसे मीठी - मीठी रूह रिहान करने का, उनसे सम्मुख मिलन मनाने का सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है*। भक्ति में भक्त घण्टों अपनी आंखें बंद कर समाधि लगा कर भगवान को याद करते हैं लेकिन इस बात से कितने अनजान है कि आँखों को बंद करके प्रभु दर्शन नही हो सकते।

 

 _ ➳  परमात्मा के सुंदर स्वरूप का रसपान करने के लिए आंखों को बंद करने की आवश्यकता नही बल्कि आंखों को खोल कर, मनबुद्धि के दिव्य चक्षु से उसे निहारने में जो आनन्द है वो अवर्णनीय है। *यही विचार करते - करते अपने प्यारे मीठे बाबा का सुंदर स्वरूप मेरी आँखों के सामने उभर आता है और मैं अनुभव करती हूँ कि अव्यक्त ब्रह्मा बाबा मेरे बिल्कुल सामने आ कर उपस्थित हो गए हैं* और देखते ही देखते परमधाम से सर्वशक्तिवान निराकार भगवान अपनी सर्वशक्तियों को बिखेरते हुए ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में आ कर विराजमान हो जाते हैं।

 

 _ ➳  ज्ञान के दिव्य चक्षु और अपनी खुली आँखों से परमात्म मिलन के इस खूबसूरत नजारे को मैं देख रही हूँ। अपनी नजरों को एकटक बापदादा पर टिकाकर मैं भगवान के इस अति सुंदर, अद्भुत स्वरूप को निहारते हुए असीम आनन्द का अनुभव कर रही हूँ। *भगवान को अपने सम्मुख देखने का यह अनुभव मन को अथाह सुख से भरपूर कर रहा है*। बापदादा की शक्तिशाली मीठी दृष्टि मेरे अंदर शक्तियों का संचार कर रही है। बापदादा के मुख से उच्चरित मधुर महावाक्य मेरे रोम - रोम में समाकर मुझे रोमांचित कर रहें हैं।

 

 _ ➳  साकार परमात्म मिलन के इस अनमोल सुंदर दृश्य को अपने नयनों में समाकर अब मैं अपने निराकार भगवान से निराकार स्वरूप में मिलन मनाने के लिए अपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में स्थित हो कर अपने मन बुद्धि को अपने परमधाम घर पर एकाग्र करती हूँ। *मन बुद्धि का कनेक्शन परमधाम में अपने शिव पिता के साथ जोड़ अब मैं आत्मा मन बुद्धि के विमान पर बैठ उड़ चलती हूँ अपने स्वीट साइलेन्स होम परमधाम की ओर*। चन्द सेकण्डों की रूहानी यात्रा करके मैं पहुँच जाती हूँ अपने शिव पिता के पास उनके निजधाम में।

 

 _ ➳  अथाह शान्ति से भरपूर इस शान्तिधाम घर में निराकार बीज स्वरूप में स्थित होकर, अपने बीज रूप शिव पिता परमात्मा के साथ मैं मंगल मिलन मना रही हूँ। *उनसे निकल रहे सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के प्रकाश की एक - एक किरण को निहारते हुए मैं असीम आनन्द का अनुभव कर रही हूँ*। उनसे आ रही सर्वशक्तियाँ अनन्त किरणों के रूप में मुझ आत्मा के ऊपर पड़ कर मुझे गहन शीतलता की अनुभूति करवा रही हैं। एक अद्भुत दिव्य अलौकिक आनन्द और अथाह सुख का मैं अनुभव कर रही हूँ। अतीन्द्रिय सुख के झूले में मैं झूल रही हूँ।

 

 _ ➳  *अपने निराकार भगवान के साथ निराकार स्वरूप में मिलन मना कर, उनकी सर्व शक्तियों को स्वयं में भरकर असीम ऊर्जावान बन कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया में लौट रही हूँ*। अपने साकारी तन में विराजमान हो कर, अपने शिव पिता की याद को सदा अपने हृदय में बसाये अब मैं सदा स्मृति स्वरूप बन कर रहती हूँ। *आँखों को खोल कर बाबा को याद करते हुए, मन बुद्धि से साकार और निराकार मिलन के सुन्दर दृश्य देखते हुए अपने भगवान बाप से जब चाहे तब मिलन मनाने का सुख अब मैं निरन्तर प्राप्त करती रहती हूँ*।

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं बाप की छत्रछाया के नीचे रह माया की छाया से बचने वाली सदा खुश और बेफिक्र आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं मुरली से प्यार करने वाली मास्टर मुरलीधर आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. डबल फारेनर्स के फेवरेट दो शब्द कौन से हैं? (कम्पैनियन और कम्पनी) यह दोनों पसन्द हैं। अगर पसन्द हैं तो एक हाथ उठाओ। भारत वालों को पसन्द हैं? *कम्पैनियन भी जरूरी है और कम्पनी भी जरूरी है। कम्पनी बिना भी नहीं रह सकते और कम्पैनियन बिना भी नहीं रह सकते।* तो आप सबको क्या मिला है? कम्पैनियन मिला हैबोलो हाँ जी या ना जी? (हाँ जी) कम्पनी मिली है? (हाँ जी) ऐसी कम्पनी और ऐसा कम्पैनियन सारे कल्प में मिला था? कल्प पहले मिला थाऐसा कम्पैनियन जो कभी भी किनारा नहीं करताकितना भी नटखट हो जाओ लेकिन वह फिर भी सहारा ही बनता है। और जो आपके दिल की प्राप्तियां हैंवह सर्व प्राप्तियां पूर्ण करता है।

 

 _ ➳  2. तो बापदादा सभी बच्चों को यही रिवाइज करा रहे हैं कि सदा बाप के कम्पनी में रहो। बाप ने सर्व सम्बन्धों का अनुभव कराया है। कहते भी हो कि बाप ही सर्व सम्बन्धी है। *जब सर्व सम्बन्धी है तो जैसा समय वैसे सम्बन्ध को कार्य में क्यों नहीं लगाते! और यही सर्व सम्बन्ध का समय प्रति समय अनुभव करते रहो तो कम्पैनियन भी होगा, कम्पनी भी होगी। और कोई साथियों के तरफ मन और बुद्धि जा नहीं सकती। बापदादा आफर कर रहे हैं - जब सर्व सम्बन्ध आफर कर रहे हैं तो सर्व सम्बन्धों का सुख लो। सम्बन्धों को कार्य में लगाओ।* बापदादा जब देखते हैं - कोई- कोई बच्चे कोई-कोई समय अपने को अकेला वा थोड़ा सा नीरस अनुभव करते हैं तो बापदादा को रहम आता है कि ऐसी श्रेष्ठ कम्पनी होते, कम्पनी को कार्य में क्यों नहीं लगातेफिर क्या कहते? *व्हाई-व्हाई बापदादा ने कहा व्हाई नहीं कहो, जब यह शब्द आता है, व्हाई निगेटिव है और पाजिटिव है 'फ्लाई', तो व्हाई-व्हाई कभी नहीं करनाफ्लाई याद रखो। बाप को साथ साथी बनाए फ्लाई करो तो बड़ा मजा आयेगा।* वह कम्पनी और कम्पैनियन दोनों रूप से सारा दिन कार्य में लाओ। ऐसा कम्पैनियन फिर मिलेगा? बापदादा इतने तक कहते हैं - अगर आप दिमाग से वा शरीर से दोनों प्रकार से थक भी जाओ तो कम्पैनियन आपकी दोनों प्रकार से मालिश करने के लिए भी तैयार है। मनोरंजन कराने लिए भी एवररेडी हैं। फिर हद के मनोरंजन की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। ऐसा यूज करना आता है वा समझते हो बड़े से बड़ा बाबा हैटीचर हैसतगुरू है...लेकिन सर्व सम्बन्ध हैं। 

 

✺   *ड्रिल :-  "बाप को कम्पेनियन और कम्पनी दोनों रूप से यूज करने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा रूपी बच्ची मन-बुद्धि द्वारा एक सुंदर से घर में पहुँचती हूँ... वहाँ मैं अकेली हूँ ,उदास हूँ... वहाँ बहुत सन्नाटा हैं... अचानक से दरवाजा खुलते ही बाबा माँ के रूप में आते हैं और मैं तेज़ी से दौड़कर अपनी माँ के गले लग जाती हूँ...* ऐसा सुकून मैंने आज तक महसूस नहीं किया जैसा अब कर रही हूँ... फिर माँ मुझे बड़े प्यार से नहलाती हैं और सुन्दर-सुन्दर वस्त्र पहनाती हैं... प्यारे कोमल हाथों से मेरे बालों की मालिश करती हैं...

 

_ ➳  माँ मुझे अपने हाथों से खाना बनाकर मुझे खिलाती हैं... फिर हम मनोरंजन करते है... हम दोनों छुपन-छुपाई का खेल खेलते हैं... *माँ मुझे बड़े ही प्यार से मखमल चादर ओढ़कर अपने पास सुला लेतीं है और मैं उनकी बाहों से लिपटकर सो जाती हूँ... मुझे सपनों में भी माँ ही दिखाई दे रहीं हैं...*

 

_ ➳  *फिर वह मुझे बड़े प्यार से शांति और पवित्रता की किरणें न्यौछावर कर रहीं हैं... मैं सर्व खजानों का अनुभव कर रहीं हूँ... वह मेरी माँ ही नहीं बल्कि सतगुरु, बाप, भाई, बहन, सब कुछ हैं...* सतगुरु के रूप में वह मुझे सदगति देते हैं, बाप के रूप में वह मुझे सूक्ष्म और स्थूल चीज़े देते हैं, भाई के रूप में रक्षा करते हैं, बहन के रूप में सारी बातें मैं उनसे शेयर करती हूँ...

 

_ ➳  मेरा अकेलापन अब दूर हो चुका हैं... *बाबा मेरे सच्चे कम्पैनियन हैं... वह मुझे रोज़ कम्पनी देते हैं... अब कोई साथियों की तरफ मन और बुद्धि नहीं जाती हैं... अब मेरे मुख से व्हाई नाम का शब्द तक नहीं निकलता... अब पूरा दिन बाबा की गोदी में फ्लाई करती रहती हूँ...* झूमती ही रहती हूँ... बाबा के प्यार में ही खोई रहती हूँ... उन्हीं की कम्पनी का सहारा लेकर सारी बाते उनसे शेयर करती हूँ...

 

 _ ➳  अब मैं हद के मनोरंजन का सहारा नहीं लेती हूँ... बाबा के साथ ही खेलती हूँ... अगर हद के मनोरंजन में जाना भी पड़ जाए तो बाबा को साथी बनाकर ले जाती हूँ... *जब कभी मैं दिमाग व शरीर से थक जाऊँ तब वह मेरी दोनों प्रकार से मालिश करते है... मैं कितना भी नटखट हो जाऊँ परन्तु वह मेरा सहारा बनकर हर कदम में मेरा साथ देते हैं...* अब दुःख आते हुए भी दुःख की महसूसता नहीं होती हैं...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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