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 27 / 03 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *किसी भी सम्बन्ध में मोह तो नहीं लटकाया ?*

 

➢➢ *अन्दर की सच्चाई सफाई से निर्बन्धन बनने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *मीठी जुबान और युक्तियुक्त बोल से सेवा की ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *बाप द्वारा मिले हुए वरदानो को समय पर कार्य में लगाया ?*

 

➢➢ *नेचुरल अटेंशन से टेंशन को समाप्त किया ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *पुरुषार्थ में नवीनता और रमणीकता का अनुभव किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - एक बाप से सच्चा सच्चा लव रखो, उनकी मत पर चलो तो बाकी सब मित्र सम्बन्धियो आदिे से ममत्व निकल जाएगा"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अब देह के मटमैले रिश्तो में स्वयं को मैला न करो... आत्मा के भान में रह आत्मिक अनुभूतियों का आनंद लो... *श्रीमत के साये में फूलो सा जीवन संवार चलो.*.. विनाशी सम्बन्धो से निकलकर अविनाशी आत्मा के नशे में खो जाओ... ईश्वरीय साथ के अमूल्य पलों में खुद को कहीं भी न उलझाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा *सच्चे प्यार को पाकर प्रेम दीवानी हो गयी हूँ.*.. प्यारे बाबा सच्चे प्यार की बून्द को तरसती मै आत्मा... आज सागर को पाकर तृप्त हो गयी हूँ... आपके साथ और श्रीमत के हाथ को पकड़कर असीम खुशियो से भर गयी हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्ची प्रीत सच्चे माशूक संग रखकर प्रेम के पर्याय बन सदा के खुशनुमा हो जाओ... *श्रीमत को रोम रोम में बसाकर देह के बन्धनों से मुक्त हो चलो.*.. संगम के सुनहरे पलों को ईश्वर पिता की यादो में समाकर असीम खुशियो से भरे भाग्य को पा चलो...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा देह के बन्धनों में कितनी उलझी सी थी...आपने प्यारे बाबा मुझे उलझनों से निकाल श्रीमत पर सदा का सुखी बनाया है... *मेरा जीवन फूलो जैसा हल्का और खुशनुमा बनाया है.*.. मै आत्मा इन मीठी यादो में खोकर अतीन्द्रिय सुख पा चली हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... इस झूठ की दुनिया में सच्चे प्यार की बून्द की आस भी  छलावा है... इसलिए प्यार के सागर में, प्रेम की अनन्त गहराइयो में डूब चलो... और अतृप्त मन की प्यास बुझाओ... और प्रेम अमृत में अमरता को पाकर अथाह सुखो में मुस्कराओ... *सच्चे प्रियतम से जुड़कर प्रेम तरंगो से भर जाओ.*..

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मुझ आत्मा को देह के रिश्तो में सच्चा प्यार कभी न मिला... हर रिश्ते ने ठगा और खोखला किया... अब आपकी यादो की छत्रछाया में कितनी शीतल, कितनी सुखी और प्रेममय हो गयी हूँ... *देह के सारे भ्रम से निकल अपने और पिता के स्वरूप पर मन्त्रमुग्ध हो गयी हूँ.*..

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∫∫ 5 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:-10)

( आज की मुरली की धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- आज की मुरली से बाबा की 4 निमनलिखित शिक्षाओं की धारणा के लिए विशेष योग अभ्यास*"

          ❶   *नष्टोमोहा स्थिति*

          ❷   *हिसाब किताब चुक्तू करना*

          ❸   *युक्तियुक्त बोल*

          ❹   *अच्छे नंबर से पास होना*

 

➳ _ ➳  अपने फरिश्ता लाइट के स्वरूप में मैं आत्मा सूक्ष्म वतन में हूँ । ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में शिव बाबा चमक रहें हैं । बापदादा से शांति और शक्ति की किरणें निकल कर मुझ फरिश्ते पर पड़ रही हैं । मैं फरिश्ता सर्व गुणों से सम्पन्न होता जा रहा हूँ । बाबा अपना वरदानी मूर्त हाथ मेरे सिर पर रख कर मुझे वरदानों से भरपूर कर रहें हैं । *बाबा की शक्तिशाली दृष्टि मुझमें एक अलौकिक रूहानी नशे का संचार कर रही हैं* । मैं फरिश्ता असीम रूहानी आनन्द का अनुभव कर रहा हूँ ।

 

➳ _ ➳  बाबा अपने हाथ में मेरा हाथ ले कर बड़े प्यार से मुझे देखते हैं और समझाते हुए कहते हैं - बच्चे इस बात को सदा स्मृति में रखो कि इस सृष्टि पर आप केवल पार्ट बजाने के लिए आये हो । *ये देह और इस देह से जुड़े सभी सम्बन्ध केवल हिसाब - किताब चुकतू करने के लिए हैं* । सभी यहां अपना अपना पार्ट बजा रहें हैं । इसलिए इन सम्बन्धों में फंस कर या इनसे मोह रख कर अपने लक्ष्य को मत भूलना । इस देह और देह के सम्बन्धों में मोह ही विकर्मों का कारण है ।

 

➳ _ ➳  इसलिए अब इन सभी नश्वर सम्बन्धों से मोह निकाल नष्टोमोहा बनना है । *देह और देह के इन सम्बन्धियो के बीच रहते हुए भी कमल पुष्प समान रहना है* । इनसे तोड़ निभाते हुए बुद्धि का योग केवल मेरे साथ लगाना है और योग अग्नि से 63 जन्मो के विकर्मों के सभी हिसाब - किताब को चुकतू करना है । बाबा बड़े प्यार से मुझे समझा रहे हैं । *मैं बाबा से कहती हूँ - बाबा मेरे सर्व सम्बन्ध केवल आपके साथ हैं* । मैं अपना हर रिश्ता पूरी सच्चाई और सफाई से आपके साथ निभाते हुए इस देह की दुनिया में रहते हुए भी निर्बन्धन रहूंगी ।

 

➳ _ ➳  गृहस्थ व्यवहार में रहते इस बात को सदैव स्मृति में रखूंगी कि *ये सम्बन्धी भी निराकार शिव बाबा की अजर - अमर संतानें हैं* इसलिए इनके सम्पर्क में रहते भी न्यारी और प्यारी बन कर रहूंगी । बाबा मैं आपसे वायदा करती हूँ कि आपकी याद से अपने अंदर बल भरकर अपने योगयुक्त और युक्तियुक्त बोल से, *अपनी शक्तिशाली मनसा वृति से और अपने श्रेष्ठ कर्मो से मैं अनेकों आत्माओं को आप समान बनाऊँगी* । सृष्टि परिवर्तन के इस महान कार्य में आपकी मददगार बनूँगी ।

 

➳ _ ➳  बाबा आपकी शिक्षाओं को मैं अच्छी रीति धारणा में लाऊंगी । हर कर्म करने से पहले ये चेक करुँगी कि वो आपकी श्रीमत अनुसार है या नही । *आपकी श्रीमत पर पूरा चलते हुए इस ईश्वरीय पढ़ाई को मैं अच्छी रीति पढूंगी* और इस पढ़ाई में अच्छी रीति पास हो कर ऊंच पद की अधिकारी अवश्य बनूगी । बाबा मेरी बात सुन कर मुस्कुराते हुए अपना वरदानी मूर्त हाथ मेरे सिर पर रख देते हैं और मुझे वरदानों से भरपूर कर देते हैं । " सदा विजयी भव "  " सदा सफलतामूर्त भव " कहते हुए बाबा मुझ से विदाई लेते हैं ।

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-   मैं आत्मा वरदानी मूर्त हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा रूहानी यात्रा कर रही हूँ... मैं आत्मा रूपी डायमंड इस डायमंड युग में...  *मधुबन के डायमंड हॉल में सुप्रीम डायमंड से मिलन मना रही हूँ...* मैं आत्मा पदमापदम भाग्यशाली हूँ... जन्मों-जन्मों से जिस भगवान को ढूंढ रही थी... मैं आत्मा उस भगवान से साकार में मिलन मना रही हूँ... प्यारे बापदादा दृष्टि देते हुए मुझ आत्मा को वरदानों से भर रहे हैं...        

 

➳ _ ➳  प्यारे बाबा मुझ आत्मा को  *निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी होने का वरदान* देते हैं... बाबा की दृष्टि से मैं आत्मा अशरीरी बनती जा रही हूँ... मैं आत्मा प्यारे बाबा के साथ सूक्ष्मवतन, मूलवतन की सैर कर परम आनंद की अनुभूति करती जा रही हूँ... इस साकारी दुनिया से न्यारी और बाबा की प्यारी बनती जा रही हूँ... मुझ आत्मा के सारे विकारसारा अहंकार खत्म होता जा रहा है... मैं आत्मा निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी स्थिति का अनुभव करती जा रहीं हूँ...

 

➳ _ ➳  फिर मैं आत्मा तपस्या धाम में प्यारे बाबा के सामने बैठ जाती हूँ... बाबा मुझ आत्मा को सहजयोगी, निरंतर योगी भव का वरदान देते हैं... मुझ आत्मा की एकाग्रता की शक्ति बढती जा रही है... मुझ आत्मा का मैं, मेरापन का संस्कार मिटता जा रहा है... मैं आत्मा *मैं बाबा की, बाबा मेराइसी स्वमान में स्थित* होती जा रही हूँ... मैं आत्मा सहजयोगी, निरंतर योगी बनती जा रही हूँ... 

 

➳ _ ➳  फिर मैं आत्मा बाबा के कमरे में बाबा के सामने बैठ जाती हूँ... सर्व शक्तिमान बाबा के रुहानी नैनों से  निकलती दिव्य शक्तिशाली किरणों से... मैं आत्मा स्वयं को भरपूर करती जा रही हूँ... मुझ आत्मा की सभी कमी-कमजोरियां, आलस्य, अलबेलापन खत्म होता जा रहा है... मैं आत्मा *मास्टर सर्व शक्तिमान की स्थिति में स्थित* होती जा रही हूँ... मैं आत्मा बाप समान बनती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  फिर मैं आत्मा बाबा की कुटिया में बाबा से रुहरिहान कर... अपने सारे बोझ बाबा को समर्पित कर... बोझमुक्त होकर बालक सो मालिक स्थिति का अनुभव करती जा रही हूँ... फिर हिस्ट्रीहाल में आते ही सुप्रीम टीचर ज्ञान रत्नों से मुझ आत्मा की झोली भरते जा रहे हैं... ज्ञानसूर्य की किरणों से मुझ आत्मा का  सारा व्यर्थ भस्म होता जा रहा है... मैं आत्मा *मास्टर ज्ञान सूर्य के वरदान में स्थित होकर* पूरे विश्व को ज्ञान की रोशनी प्रदान करती जा रही हूँ...     

 

➳ _ ➳ फिर मैं आत्मा शांति स्तम्भ में शांति के सागर से शांति की किरणों से भरपूर होती जा रही हूँ... मास्टर शांति के सागर के वरदान में स्थित होकर... पूरे विश्व में शांति की किरणें फैलाती जा रही हूं... मास्टर पवित्रता का सागर बन पवित्रता की किरणें चारों ओर फैलाती जा रही हूँ... मैं आत्मा नालेजफुल, पावरफुल, लवफुल बन सिद्धि स्वरुप बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा सर्व वरदानों की स्मृति में रहकर वरदानों का स्वरुप बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा बाप द्वारा मिले हुए वरदानों को समय पर कार्य में लगाकर *फलीभूत बनाने वाली वरदानी मूर्त अवस्था का अनुभव* कर रही हूँ...

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अटेन्शन नेचरल रख टेंशन खत्म अनुभव करना"*

 

➳ _ ➳  भृकुटि के मध्य में चमकती हुई मैं एक चैतन्य ज्योतिपुंज आत्मा हूँ...ज्योतिबिंदु स्वरुप हूँ... *मैं आत्मा अमृतवेले ही तीनों बिंदियों का (मैं बिंदी, बाबा बिंदी, ड्रामा बिंदी) तिलक लगाकर अपने आत्मिक स्वरुप में टिक जाती हूँ*... बिंदु बन बिंदु बाप को याद कर रही हूँ... प्यारे बाबा की याद से मुझ आत्मा में बल भरता जा रहा है... मैं मीठे बाबा का बच्चा बाबा के गुणों तथा शक्तियों को धारण करता जा रहा हूँ... निरंतर अपने आत्मिक स्वरुप पर अटेंशन रखने से मुझ आत्मा का जीवन हर्षमय बन गया है... सन्तुष्टता... सरलता की धारणा सहज ही हो गई है...

 

➳ _ ➳  सभी सम्बन्धों का प्यार एक बाबा से अनुभव करते हुए देह के बंधनों से मुक्त हो गई हूँ... प्रभु प्राप्ति से सब प्राप्ति हो गई... निश्चिंत हो गई... *ज्ञान मुरली सुनने से मुझ आत्मा की बुद्धि स्थिर हो गई है... बुद्धि रूपी नेत्र खुल गए हैं...* एक बाबा से पावरफुल योग से संकल्प शांत होते जा रहे हैं... बस बाबा हैं और मैं बाबा की स्नेही आत्मा... हर समस्या का समाधान पाकर मैं आत्मा निश्चिंत हो गई हूँ...

 

➳ _ ➳  स्वयं को ट्रस्टी मानते हुए... सब कुछ प्रभु को अर्पण करते हुए... मैं आत्मा साक्षी होकर ड्रामा में पार्ट बजा रही हूँ... अतीन्द्रिय सुख और प्रभु मिलन के आनन्द में... डबल लाइट की स्थिति को अनुभव कर रही हूँ... *सदा स्मृति स्वरूप... साक्षीभाव से निरंतर अटेंशन रखने में बहुत मदद मिल रही है...*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा साक्षीदृष्टा... देहभान से न्यारी... देह की दुनिया के सब संकल्पों को समेटकर *बाबा की याद में हर कर्म बड़ी कुशलता से करती जा रही हूँ...* अपने सदव्यहार से अपनी तथा दूसरों की हर चिंता को दूर करते हुए आनन्दित अनुभव कर रही हूँ... स्वयं अपने को लाइट रूप में अनुभव करके... बाबा की श्रीमत पर चलने से मै आत्मा बाबा की प्यारी हो गई हूँ... न्यारी हो गई हूँ...

 

➳ _  ➳  अशरीरीपन के रूहानी नशे का...  आनन्दमयी जीवन का उपहार प्राप्त कर लिया है... *सदा स्मृति स्वरूप... सदा समर्थ स्वरूप ने हद की हर टेन्शन को खत्म कर अटेन्शन में परिवर्तित कर दिया है...* मैं योग-युक्त आत्मा निराकारी आत्मिक स्थिति से... निरंतर अपना तथा संपर्क में आने वाली हर आत्मा का... जीवन निर्विघ्न और टेंशन फ्री बना रही हूँ...

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *बाप द्वारा मिले हुए वरदानों को समय पर कार्य में लगाकर फलीभूत बनाने वाले वरदानी मूर्त होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

 ❉  बाबा हमको डेली मुरली में अनेक वरदान देते है और हर मुरली में एक मुकरर वरदान अवश्य होता है जो बाबा बेहद में अपने हर एक बच्चे को देते है जिससे *आत्मा में बाबा के वरदानों से स्नेह मिला उससे आत्मा उमंग में आ जाए और जब आत्मा उस वरदान को यूज़ करती है तब उसमें शक्ति आ जाती है*। यह बहुत अनोखा रहस्य है अगर किसी को समझ आए तो बाबा कहते उनसे बड़ा तक़दीरवान कोई ओर नही।

 

 ❉  अब बात यहाँ आती बाबा कहते मुरली सुनते समय या पड़ते समय तो कहते बहुत अच्छा लेकिन जब उसको यूज़ करने का समय होता है तो वह काम में नही आती क्यूँ ?? इसका एक ही कारण है भगवान की दी हुई वरदान की विस्मृति होना, भूल जाना मैं कौन ? यही से वह आत्मा नम्बरवार की लिस्ट में आना शुरू कर देती है, इसके लिए सहज उपाय है *डेली मुरली में से केवल एक गुण अपनाना, उसपर अटेन्शन रखना... जिससे आप उस वरदान के अधिकारी बनते जाएँगे।*

 

 ❉  जैसे ब्रह्मा बाप को सदा ही एक नशा रहता था की वह भविष्य फ़र्स्ट प्रिन्स बनने वाले है, उससे क्या हुआ जब जब उनको यह स्मृति आती थी वह उसकी तरह ऐक्ट करने लगते , अपने गुणों से ऐसा चरित्र का शो किया जो आज जड़ चित्रों में भी गायन योग्य बन हुए। सिर्फ़ सतयुग में नही बल्कि कलयुग के अंत तक वह नम्बर वन कैसे बनने उसका एक एक संकल्प बाबा ने क्लीन क्लीर बताया। तभी शिवबाबा भी कहते फ़ॉलो फादर। *जैसी स्मृति वैसी दृष्टि ऐसी सृष्टि*।

 

 ❉  इसलिए हर एक आत्मा को फ़ालो फादर कर हर एक वरदान को इमपलीमेंट करके अवश्य देखना है और उसके लिए बेस यही रहेगा *'स्वयं को आत्मा समझें' जैसे ही आत्मा समझकर, बाबा के दिए हुए वरदान की स्मृति आती हम उसका स्वरूप बनने लगते* और जैसे ही वरदान को यूज़ करना आ जाता तब वह वरदान हमको वरदानीमूर्त बना देता...फिर संकल्प किया और कार्य हुआ। इसके लिए बहुत काल का अभ्यास चाहिए।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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