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 03 / 09 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना के आधार से "पहले आप" का पार्ट बजाया ?*

 

➢➢ *अपने अनादी संस्कारों को अपनी ओरिजिनल नेचर बनाने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *आशिक बन अपने माशूक को याद किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *सदा माशूक समान संपन्न और सदा चमकीले स्वरुप में अर्थात सम्पूरण स्वरुप में स्थित रहे ?*

 

➢➢ *अभी अभी निराकारी, अभी अभी अव्यक्त फ़रिश्ता, अभी अभी साकारी कर्मयोगी होने की रूहानी एक्सरसाइज की ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  *कर्मयोगी स्थिति अति प्यारी और न्यारी है।* इससे कोई कितना भी बडा कार्य हो लेकिन ऐसे लगेगा जैसे *काम नहीं कर रहे हैं लेकिन खेल कर रहे हैं।* चाहे कितना भी मेहनत का, सखा खेल हो, फिर भी खेल में मजा आयेगा ना।

 

✧  जब मल्लयुद्ध करते हैं तो कितनी मेहनत करते हैं। लेकिन जब *खेल समझकर करते हैं तो हँसतेहँसते करते हैं।* मेहनत नहीं लगती, मनोरंजन लगता है।

 

✧  तो कर्मयोगी के लिए कैसा भी कार्य हो लेकिन मनोरंजन है, *संकल्प में भी मुश्किल का अनुभव नहीं होगा।* तो कर्मयोगी ग्रुप अपने कर्म से अनेकों के कर्म श्रेष्ठ बनाने वाले, इसी में बिजी रही। कर्म और याद कम्बाइन्ड, अलग हो नहीं सकते।

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

 

➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  सच्चे आशिक की निशानी"*

 

_ ➳  बहुत ही खुबसूरत ऊँची पहाड़ी पर खड़ी मै आत्मा... चाँद की शीतल चाँदनी का आनन्द लेते हुए मीठे बाबा की प्यारी यादो में खो जाती हूँ... कि *प्यारे बाबा ने जीवन में आकर मुझे कितना ऊँचा उठाया है.*.. मुझे क्या से क्या बना दिया है... गुणो और शक्तियो में सम्पन्न बनाकर, मन की ऊँची अवस्था में लाकर... शीतल स्वरूप की चाँदनी में रख... *मुझे कितना खुबसूरत आशिक बना दिया है..*. मीठे बाबा को अपनी भावनाये सुनाने मै आत्मा... सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा की बाँहों में चली जाती हूँ...

 

   प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को सच्चे प्यार में डुबोते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... रूहानी माशूक बाबा आज अपने आशिको से मिलने आये है... *गुणो और शक्तियो के सागर कण्ठे पर... ऊँची स्थिति की पहाड़ी पर, और सदा शीतल स्वरूप की चांदनी में... दिल का गीत सुन रहे है.*..निरन्तर याद और यह रूहानी आशिक माशूक का सम्बन्ध् को सदा यादो में बसाये रखो..."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के प्यार में रोम रोम से डूबकर कहती हूँ :-"मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा भगवान को माशूक रूप में पाकर... इस कदर प्यार में बावरी हो जाउंगी... यह तो मेने कभी सोचा भी न था बाबा... *आपने तो जीवन में आकर, सच्चे प्रेम की बहार खिलाई है... मन तो जेसे प्यार की खुशबु में रोम रोम से भीगा भीगा सा है.*.."

 

   प्यारे बाबा मुझ आत्मा को गुणो और शक्तियो के खजाने से सम्पन्न बनाते हुए कहते है :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... माशूक बाबा तो सागर है... इसलिए सागर से जितना चाहे उतना अथाह लेकर नम्बरवन बनो... *सदा मेरा बाबा में दिल की गहराइयो से खोये रहो... मेरा मेरा कह और जगह फेरे न लगाओ..*. जेसे माशूक प्यारा है, सजा संवरा है, ऐसे ही गुणो और शक्तियो से सजे संवरे चमकीली ड्रेस में माशूक संग... समान बन मुस्कराओ

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा के रूहानी प्यार को मन बुद्धि में समाकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे दुलारे बाबा... *आपने अपनी आशिकी के रंग में... मुझ आत्मा को रंगकर, कितना खुबसूरत और प्यारा बना दिया है.*.. काली दागो वाली ड्रेस की जगह... चमकीली सुंदर फ़रिश्ता ड्रेस पहनाकर अपना आशिक सजाया है... वाह कितना प्यारा यह मेरा भाग्य है..."

 

   मीठे बाबा मुझ आत्मा को आप समान बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... *सदा माशूक समान हल्के बनो तो ही संग उड़ साथ जा सकेंगे.*.. यादो में रह व्यर्थ के सारे बोझों के भारीपन को समाप्त करो... अभी अभी निराकारी, अभी अव्यक्त फ़रिश्ता, अभी कर्मयोगी,अभी सेवाधारी, यह अभ्यास निरन्तर बढ़ाओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में खुबसूरत आशिक बनी मुस्कराती हुई कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा देहभान में कितनी काली और दागो से भर गयी थी... *आपने मीठे बाबा मुझे अपने प्यार में कितना सुंदर चमकीला बना दिया है.*.. और हाथ पकड़ कर संग ले चलने को सजा दिया है..." मीठे बाबा से अथाह प्यार पाकर, यूँ सज संवर कर मै आत्मा... अपने स्थूल वतन में आ गयी...

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अभी - अभी निराकारी, अभी - अभी अव्यक्त फरिश्ता, अभी - अभी साकारी कर्मयोगी होने की रूहानी एक्सरसाइज करना*"

 

_ ➳  अपने आश्रम के बाबा रूम में, अशरीरी स्थिति में स्थित हो कर अपने प्यारे मीठे शिव बाबा की मीठी याद में खो कर गहन आनन्द की अनुभूति करने के बाद मैं बाबा रूम में लगे बाबा के ट्रांस लाइट के चित्र को निहार रही हूँ। उस चित्र को देखते देखते *मैं अनुभव करती हूँ जैसे साकार ब्रह्मा बाबा मेरे सामने बैठे हैं और देखते देखते उनके तन में शिव बाबा की पधरामणि होती है*। शिव बाबा ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में आ कर विराजमान हो जाते हैं और बाबा रूम में चारों और बहुत ही शक्तिशाली वायब्रेशन फैल जाते हैं। मेरे सामने बैठे बापदादा अपनी मीठी दृष्टि से मुझे निहाल कर रहें हैं। *मेरी आँखें एकटक उन्हें ही देख रही हैं। उनकी लाइट माइट मुझे शक्तिशाली बना रही है*।

 

_ ➳  तभी बाबा की अव्यक्त आवाज मेरे कानों में स्पष्ट सुनाई देती है। ऐसा लगता है जैसे *बाबा कह रहे हैं, बच्चे:- अभी - अभी निराकारी, अभी अभी अव्यक्त फरिश्ता, अभी अभी सकारी कर्मयोगी होने की रूहानी एक्सरसाइज करो*। बाबा की इस अव्यक्त आवाज को सुनते ही मैं एक दम अपने निराकारी स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ और एक चमकता हुआ सितारा बन, साकारी देह से बाहर आ जाती हूँ और चल पड़ती हूँ अपनी रूहानी यात्रा पर।

 

_ ➳  देह और देह के सर्व बंधनों से मैं जैसे मुक्त हो चुकी हूँ। पांच तत्वों की बनी देह रूपी प्रकृति का कोई भी आकर्षण मुझे आकर्षित नहीं कर रहा और ना ही स्थूल प्रकृति की हलचल का कोई प्रभाव मुझ पर पड़ रहा है। *मैं उन्मुक्त अवस्था मे बस ऊपर की और उड़ती जा रही हूं। आवाज की दुनिया को पार कर, सूक्ष्म वतन से होते हुए मैं पहुंच जाती हूँ आत्माओं की निराकारी दुनिया में अपने महाज्योति शिव पिता परमात्मा के पास*। उनसे निकल रही शक्तियों और गुणों की अनन्त किरणे जैसे ही मुझ आत्मा पर पड़ती हैं असीम आनन्द से मैं आत्मा भरपूर होने लगती हूँ। अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हुए मैं आत्मा प्रेम के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के प्यार की गहराई में समा जाती हूं ।

 

_ ➳  स्वयं को पूरी तरह तृप्त और शक्तियों से भरपूर करके अब मैं आत्मा सूक्ष्म वतन में आ जाती हूँ और अपने फरिश्ता स्वरूप को धारण कर पहुँच जाती हूँ बापदादा के सम्मुख। *बापदादा की शक्तिशाली दृष्टि मुझ फ़रिश्ते में असीम ऊर्जा का संचार कर रही हैं। सिर पर बाबा के हाथों का हल्का - हल्का स्पर्श मुझे परमात्म शक्तियों से भरपूर कर रहा है*। परमात्म शक्तियों से भरपूर हो कर अब मैं फ़रिशता सूक्ष्म लोक से नीचे आ रहा हूँ। मुझ फरिश्ते से निकल रही श्वेत रश्मियां पूरे विश्व मे चारों ओर फैल रही हैं।

 

_ ➳  अपनी लाइट माइट फैलाता हुआ मैं फ़रिश्ता साकारी दुनिया मे प्रवेश करता हूँ और अपने साकारी शरीर मे प्रवेश कर जाता हूँ। *अब मैं अपने साकारी तन में विराजमान होकर साकारी कर्मयोगी स्वरूप में स्थित हूँ*। हर कर्म करते स्वयं को अपने प्यारे मीठे शिव बाबा के साथ कम्बाइंड अनुभव कर रही हूँ। बाबा की छत्रछाया हर पल मुझे अपने ऊपर अनुभव हो रही है जो हर कर्म करते मुझे स्मृति स्वरूप बना रही है। एक पल के लिए भी अब मैं उनसे अलग नही हूँ। *चलते - फिरते, खाते - पीते हर कर्म करते वो मुझे अपने साथ अनुभव हो रहें हैं और उनके साथ का यह अनुभव मुझे कर्मयोगी बनाये, हर कर्म के बन्धन से मुक्त कर रहा है*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  मैं आत्मा दिल की तपस्या द्वारा संतुष्टता का सर्टिफिकेट प्राप्त करती हूँ ।* 

 

 _ ➳  *दिल की तपस्या में नम्बर वन मैं आत्मा... सभी को सच्चे दिल से ख़ुशी... प्यार... दुआ बाटती रहती हूँ...* दुआओं के खजानों को सब पर लुटाती मैं आत्मा... निमित्त भाव और शुभ भाव रूपी किरणों की बारिश पूरे ब्रह्माण्ड में कर रही हूँ... संतुष्टता का सर्टिफिकेट प्राप्त कर मैं आत्मा... *सर्व की दुआओं की अधिकारी बन गईं हूँ...* संगमयुग में एक बापदादा की श्रीमत *"दुआए लो दुआए दो"* को पूरी तरह से फॉलो कर रही हूँ... मंसा... वाचा... कर्मणा... श्रीमत पर चल... ख़ुशी... सुख... बाटती रहती हूँ... *सब की दुआओं की अधिकारी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा बन गई हूँ...* बापदादा की दिलतख्तनशीन बन मैं आत्मा... *बाप समान बनती जा रही हूँ...*

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  समय को अमूल्य समझकर सफल कर, समय पर धोखा न खाने का अनुभव"*

 

_ ➳  संगमयुग की मैं सौभाग्यशाली ब्राह्मण आत्मा हूँ... संगमयुग के यह वैल्युएबल दिन... जिसकी नॉलेज स्वयं भगवान ने दी... इन कीमती घड़ियों को व्यर्थ नही गंवाना है... *यह चढ़ती कला का समय है... कमाई करने का समय है*... मैं आत्मा *अपनी चैकिंग करती हूँ* छोटी-छोटी बातों में... मेरे संकल्प व्यर्थ तो नही जाते...  बाबा की नॉलेज को मैं आत्मा दिल की गहराइयों से धारण करती जा रही हूँ... बाबा की यह मीठी शिक्षाएं... *सीप में मोती की तरह अंदर धारण करती जा रही हूँ*... मैं आत्मा समय की वैल्यू को जान... *अपने अलबेलेपन को समाप्त कर*... सारी दुनिया को शांति की... पवित्रता की किरणों की वायब्रेशनस देती जा रही हूँ... *विश्व की आत्माओं से दुआएँ प्राप्त करती जा रही हूँ*...मैं आत्मा कितने ऊंच कार्य के निमित बनती जा रही हूँ... समय की वैल्यू को जान... *मैं आत्मा सही समय पर सही शक्ति को यूज कर धोखा नही खाती हूँ और समय के अनमोल खजानों को सफल कर सफलतामूर्त अनुभव करती जा रही हूँ*... और बार-बार दिल से यही निकलता है... शुक्रिया मेरे मीठे बाबा शुक्रिया जो आपने मेरा हाथ पकड़... *मुझ आत्मा की उन्नति के लिए कितनी गहराई की शिक्षाएँ दी*...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. आजकल दुनिया वाले तो स्पष्ट कहते हैं कि आजकल सच्चे लोगों का चलना ही मुश्किल हैझूठ बोलना ही पड़ेगा। लेकिन कई समय परकई परिस्थितियों में ब्राह्मण आत्मायें भी मुख से नहीं बोलती लेकिन अन्दर समझती हैं कि कहाँ-कहाँ चतुराई से तो चलना ही पड़ता है। उसको झूठ नहीं कहते लेकिन चतुराई कहते हैं। तो चतुराई क्या हैयह तो करना ही पड़ता है! तो वह स्पष्ट बोलते हैं और ब्राह्मण रायल भाषा में बोलते हैं। फिर कहते हैं मेरा भाव नहीं था,न भावना थी न भाव था लेकिन करना ही पड़ता हैचलना ही पड़ता है। लेकिन  ब्रह्मा बाप को देखासाकार है नानिराकार के लिए तो आप भी सोचते हो कि शिव बाप तो निराकार हैऊपर मजे में बैठा है, नीचे आवे तो पता पड़े क्या है! लेकिन ब्रह्मा बाप तो साकार स्वरूप में आप सबके साथ ही रहेस्टूडेन्ट भी रहे और सत्यता व पवित्रता के लिए कितनी आपोजीशन हुई तो चालाकी से चला! लोगों ने कितना राय दी कि आप सीधा ऐसे नहीं कहो कि पवित्र रहना ही हैयह कहो कि थोड़ा-थोड़ा रहो। लेकिन ब्रह्मा बाप घबराया? *सत्यता की शक्ति धारण करने में सहनशक्ति की भी आवश्यकता है। सहन करना पड़ता हैझुकना पड़ता हैहार माननी पड़ती है लेकिन वह हार नहीं हैउस समय के लिए हार लगती है लेकिन है सदा की विजय।*

 

 _ ➳  2. *सत्यता के पीछे अगर सहन भी करना पड़ता तो वह सहन नहीं है भल बाहर से लगता है कि हम सहन कर रहे हैं लेकिन आपके खाते में वह सहन शक्ति के रूप में जमा होता है।*

 

 _ ➳  3. बाहर से ऐसे समझेंगे कि हम बहुत अच्छे चलते हैं, हमको चलने की चतुराई आ गई हैलेकिन अगर अपना खाता देखेंगे तो जमा का खाता बहुत कम होगा। इसलिए चतुराई से नहीं चलो, एक दो को देखकर भी कॉपी करते हैंयह ऐसे चलती है ना तो इसका नाम बहुत अच्छा हो गया हैयह बहुत आगे हो गई है और हम सच्चे चलते हैं ना तो हम पीछे के पीछे ही रह गये। लेकिन वह पीछे रहना नहीं हैवह आगे बढ़ना है। *बाप के आगेआगे बढ़ते हो और दूसरों के आगे चाहे पीछे दिखाई भी दो लेकिन काम किससे है! बाप से या आत्माओं से? (बाप से) तो बाप के दिल में आगे बढ़ना अर्थात् सारे कल्प के प्रालब्ध में आगे बढ़ना। और *अगर यहाँ आगे बढ़ने में आत्माओं को कॉपी करते होतो उस समय के लिए आपका नाम होता हैशान मिलता है, भाषण करने वाली लिस्ट में आते होसेन्टर सम्भालने की लिस्ट में आते हो लेकिन सारे कल्प की प्रालब्ध नहीं बनती।* जिसको बापदादा कहते हैं मेहनत कीबीज डालावृक्ष बड़ा कियाफल भी निकला लेकिन कच्चा फल खा गयेहमेशा के लिए प्रालब्ध का फल खत्म हो जाता है। तो अल्पकाल के शानमाननाम के लिए कॉपी नहीं करो। यहाँ नाम नहीं है लेकिन बाप के दिल में नम्बर आगे नाम है।

 

✺   *ड्रिल :-  "सत्यता की शक्ति से बाप के दिल में नम्बर आगे लेने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा एकांत आत्मिक स्थिति में अमृतवेले समय खुली हवा में छत पर बैठी हूँ...* हल्के हल्के टिमटिमाते तारों से, चिड़ियों की चहचाहट से, फूलों की खुशबू से, घास पर ठंडी ठंडी ओस की बूंदों से मेरा तन, मन आनंद से भर रहा है... मैं आकाश की ओर देखकर बाबा को बुलाती हूँ... ब्रह्मा बाबा की भृकुटी में विराजमान शिव बाबा सूक्ष्मवतन से नीचे आ रहे है... मम्मा, दादी, दीदीयाँ सभी ब्राह्मण सफेद ड्रेस में नीचे आ रहे हैं...

 

 _ ➳  बाबा के आते ही चिड़ियाँ, फूल, घास सब चहकने लगते है... फूलों की खुशबू जो धीमी-धीमी थी, वह हज़ारों गुणा बढ़ गयी हैं... *बाबा, मम्मा, दादी, दीदीयाँ मुझ आत्मा में वर्षा रूपी किरणे भर रहे है...* किरणों से मैं एकदम हल्कापन महसूस कर रही हूँ... मुझ आत्मा से पाँचो विकार मानो खत्म हो रहे है...

 

_ ➳  मुझ आत्मा में बाबा सत्यता की शक्ति को भर रहे हैं... *बाबा ने इतनी शक्तियाँ भर दी कि 63 जन्मों के झूठ बोलने का संस्कार एकदम नष्ट होते दिखाई दे रहे है... बाबा मुझे सच्चाई का वरदान दे रहे हैं...* बाबा शांति, पवित्रता, प्रेम, सुख, आनन्द, शक्ति और ज्ञान की किरणे भर रहे हैं... मुझ आत्मा में सागर से भी गहरी सत्यता की शक्ति बढ़ चुकी है... अब मैं आत्मा सच्ची-सच्ची ब्राह्मण आत्मा महसूस कर रही हूँ...

 

_ ➳  मेरा मन आनंद से भर चुका है... मैं अतिइंद्रिय सुख का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा अब सूक्ष्म चेकिंग कर दिनचर्या को देखती हूँ कि कही मैं झूठ का साथ तो नहीं दे रहीं हूँ... *मैं अलौकिक अनुभूतियों का अनुभव कर रही हूँ... मेरा मुख मेरा दास बन चुका है...* अब यह वही बोलता है जो मैं इसे आदेश देती हूँ... किसी भी अन्य आत्माओं के संस्कारों का प्रभाव मुझ पर नहीं पड़ रहा है...

 

_ ➳  अब मैं आत्मा कभी भी झूठ नहीं बोलती... ऐसी चतुराई नहीं दिखाती हूँ... अन्य आत्माओं को देख कॉपी नहीं करती हूँ... *ब्रह्मा बाबा की तरह सच्चाई के रास्ते पर चलती हूँ... सत्यता की शक्ति मुझे मज़बूत बना रही है...* बाबा की मैं लाडली बच्ची बन चुकी हूँ... प्यारे-प्यारे बाबा के दिल में मेरा नंबर सबसे पहले है... नाम, मान, शान मिले या न मिलें इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ रहा हैं... मेरा जमा का खाता अब बढ़ रहा है...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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