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 13 / 01 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 2*5=10)

 

➢➢ *श्रीमत पर अपना एक एक पैसा सफल कर भविष्य के लिए जमा किया ?*

 

➢➢ *कोई भी आसुरी कार्य तो नहीं किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:3*10=30)

 

➢➢ *माया की बड़ी बात को भी छोटा बनाकर पार किया ?*

 

➢➢ *वरदाता को अपना सच्चा साथी बना वरदानो से स्वयं की झोली भरी ?*

 

➢➢ *योग की ज्वाला प्रज्जवलित कर कलयुगी संस्कारों को जलाकर भस्म करने का पुरुषार्थ किया ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *शक्ति के रूप में पवित्र प्रेम और पालना द्वारा द्वारा आत्माओं की श्रेष्ठ पालना की ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - संगम पर तुम्हे बेहद का बाप मिला है, तुम आपस में भाई बहन हो, तुम्हे बाप से वर्सा लेना है"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... जिस ईश्वर पिता की झलक को कभी बेचैन थे प्यासे थे कन्दराओं में खोज रहे थे और न पाकर मायूस थे.... वह मीठा बाबा संगम पर सामने है...  *बाहें फैलाये ह्रदय में लेने को आतुर है.*.. अब शरीर के दायरे से निकल अपने अविनाशी और बेहद के नशे में खो जाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा विनाशी देह के नशे में अपनी ओजस्वी तेजस्वी छविे के नशे को ही भूल चली थी... *आपने प्यारे बाबा मुझे मेरा अविनाशी अस्तित्व याद दिलाया है.*.. अपनी अथाह शक्तियो से मेरे दुर्बल मन को शक्तिशाली बनाकर मुझे ओज तेज से पुनः भर दिया है...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... बेहद के पिता की सन्तान हो तो आपस में सभी भाई बहन के पवित्र सम्बन्ध् में सजे हो... अपनी व्रति दृष्टि और कृति में सदा इस पवित्र भाव को समाये रहो... *यह निर्मल पवित्रता खुबसूरत देवताई सौंदर्य का पर्याय बन.*.. जीवन को सुखो की जन्नत में ले जायेगी...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा को पाकर... विकारो में कुम्हलाये अपने वजूद को पवित्रता की खुशबु से पुनर्जीवित सा कर रही हूँ... विश्व मेरा परिवार है इस भाव से ओतप्रोत... *मै आत्मा पूरे विश्व में सच्चे भाईचारे की खुशबु फैला रही हूँ*..

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अपने खुबसूरत भाग्य के नशे में गहरे खो जाओ... भाग्य ने भगवान से मिलाया है *उसका अथाह खजाना सहज ही दामन में सजाया है.*.. तो ईश्वरीय अमीरी को रोम रोम में भर लो... भातृत्व की भावनाओ से विश्व में विश्व पिता का गुंजन करो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपकी यादो में मालामाल हो चली हूँ.*.. 21 जनमो का खुबसूरत जीवन अपने भाग्य में लिखवाकर सोभाग्यशाली हो गयी हूँ... विकारो के दलदल से निकल प्यारे और पवित्र जीवन को जीने वाली सोनपरी बन चली हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा निश्चय बुद्धि विजयी हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा कल्प-कल्प की विजयी आत्मा हूँ... इस पुरुषोत्तम संगम युग में *परमात्म पालना पाने वाली श्रेष्ठ आत्मा* हूँ... सर्वशक्तिवान भगवान को पाकर मुझ आत्मा की जन्मों-जन्मों की खोज समाप्त हो गई... सत्य ज्ञान को पाकर मुझ आत्मा को अपने जीवन का अंतिम लक्ष्य मिल गया...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा को सम्पूर्ण बन अपने घर शांतिधाम वापस जाना है... इस ब्राह्मण जीवन में पदमों की कमाई जमा कर *सुखधाम में विश्व का मालिक बनना* है... मैं आत्मा अपने लक्ष्य को पाने के लिए पुरुषार्थ कर रहीं हूँ... लक्ष्य तक पहुँचने के मार्ग में माया छोटे, बड़े कई विघ्न डालती है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा माया पर विजय पाने *स्व-स्थिति में स्थित होने का अभ्यास* करती हूँ... मैं आत्मा चमकता हुआ ज्योतिबिंदु हूँ... मैं इस देह की मालिक हूँ... स्व-राज्य अधिकारी हूँ... मैं आत्मा अपने भृकुटि सिंहासन से बाहर निकल प्रकाश के शरीर में प्रवेश करती हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा प्रकाश के शरीर में बैठकर सूक्ष्म वतन प्यारे बापदादा के सम्मुख पहुँच जाती हूँ... प्यारे बापदादा मुझ आत्मा को दृष्टि दे रहें हैं... बापदादा की दृष्टि से शीतल किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रहीं हैं... मैं आत्मा बापदादा की गोदी में बैठ जाती हूँ... बापदादा मुझ आत्मा को वरदानों से भरपूर कर रहें हैं... अब मैं आत्मा *विघ्न विनाशक बन गई* हूँ... मास्टर सर्व शक्तिवान बन गई हूँ...

 

➳ _ ➳   अब माया की कितनी भी बड़ी बात सामने आ जाए मैं आत्मा उससे बडी बन जाती हूँ... और माया मुझ आत्मा से छोटी हो जाती है... पहाड़ जैसी परिस्थिति को भी राई बना देती हूँ... अब मैं आत्मा सदा स्व-स्थिति में स्थित रहकर बड़ी से बड़ी परिस्थिति पर भी सहज ही विजय पा रहीं हूँ... अब मैं आत्मा माया की बड़ी बात को भी छोटी बनाकर पार करने वाली *निश्चय बुद्धि विजयी बन गई* हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल -  वरदाता को अपना सच्चा साथी बना  वरदानों से झोली भरना"*

 

➳ _ ➳  वरदाता बाप ने हमें वरदानी बनाया है। यह संगम वरदानों से झोली भरने का है। ब्राह्मण बच्चों को ही डायरेक्ट वरदान लेने का सौभाग्य है, *वरदाता बाप ही हमारा सच्चा साथी है वरदाता हमारा हो गया, हम उसके हो गये तो हमारी झोली वरदानों से भर गई।*

 

➳ _ ➳  मैं संगम युग की श्रेष्ठ भाग्यशाली ब्राह्मण आत्मा हूँ... भगवान ही भाग्य में मिल गया... विधाता, *वरदाता बाप मेरा हो गया... वरदाता बाप ने मुझ आत्मा को वरदानी बना दिया*...

 

➳ _ ➳  यह संगमयुग वरदानों से झोली भरने का समय है... अमृतवेला वरदान प्राप्त करने का समय है...मैं आत्मा अपने को वरदानों से भरपूर अनुभव कर रही हूँ... *मुझ आत्मा का कंपलीट कनेक्शन बाबा के साथ जुड़ा हुआ है*...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा बाबा से पूरा-पूरा अधिकार लेती जा रही हूँ... बाबा मुझ आत्मा में... अपनी *सर्व शक्तियों को वरदानों के रूप में भरते जा रहे है*... बाबा मुझ आत्मा की झोली सर्व प्राप्तियों के खजानों से भरपूर कर रहें है... मैं आत्मा बाबा द्वारा प्राप्त वरदानों का स्वरूप बनती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  *मैं आत्मा एक बाबा की याद में रह व्यर्थ संकल्पों से अपनी झोली खाली नही कर रही हूं*.. व्यर्थ संकल्प मुझ आत्मा की शक्ति को वेस्ट करते है... मैं आत्मा  अपनी चेकिंग करती हूं... वरदान मिलने के समय... मुझ आत्मा की झोली में व्यर्थ रूपी छेद तो नही वरना मिलने वाले वरदान मिल नही पाएंगे...

 

➳ _ ➳  अमृतवेले बाबा मुझ आत्मा को जो वरदानों से भरपूर करते है... मैं आत्मा उन वरदानों को दूसरों को भी प्राप्त कराती जा रही हूँ... मैं आत्मा रूहानी नशे का अनुभव करती जा रही हूँ... *मैं आत्मा वरदाता की वरदानी हूँ*...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *माया की बड़ी बात को भी छोटी बना कर पार करने वाले निश्चयबुद्धि विजयी होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   माया की बड़ी बात को भी छोटी बना कर पार करने वाले निश्चयबुद्धि विजयी होते हैं क्योंकि...  *कोई भी बड़ी बात को छोटा बनाना या छोटी बात को बड़ा बनाना* अपने ही हाथ में होता है और किसी-किसी का तो स्वभाव भी ऐसा ही होता हैजो छोटी बात को बड़ी बना देते हैं और कोई बड़ी बात को भी छोटा बना देते हैं।

 

❉   हमें माया की बड़ी बात को भी छोटा बना देना है। हमें किसी भी बात के विस्तार में कभी भी नहीं जाना है बल्कि!  उस बात को हमेशा के लिये छोटा बना करउसे पार कर जाना है। तभी तो निश्चय बुद्धि विजयन्ती बनेंगे। *हमें निश्चय बुद्धि बन कर सदा ही विजयी बनना* है क्योंकि कोई भी बड़ी बात को छोटा व छोटी बात को बड़ा करना हमारे ही हाथ में होता है।

 

❉   तो माया की कितनी भी बड़ी बात हमारे सामने क्यों न आ जाये लेकिन!  हमें उस बात से बड़ा बन जाना है। बात से बडा बन जाने के कारणवह बात हमारे सामने छोटी हो जायेगी। *हमें अपनी स्व स्थिति में स्थित हो जाना* है। स्व स्थिति में स्थित हो जाना... मीन्स... स्वयं की सर्वोच्च स्थिति में स्थित हो जाना।

 

❉   अतः स्व स्थिति में स्थित रहने से बड़ी परिस्थिति भी छोटी लगेगी और उस बड़ी परिस्थिति पर विजय पाना सहज हो जायेगा क्योंकि...  हम ही कल्प कल्प के विजयी रत्न हैं, और *हमने ही कल्प कल्प में विजय* प्राप्त की हैतथा अब भी हमारी जीत निश्चित है।

 

❉   ये बात हमें समय समय पर याद आती रहनी चाहिये कि हम ही कल्प-कल्प के विजयी आत्मा हैं। मैने ही कल्प कल्प विजय पाई है। इस प्रकार के शुभ विचार हमारे मन में आते रहेंगे तो *इस निश्चयबुद्धि से परिपूर्ण विचारों से हम निश्चित ही विजयी* बन जायेंगे, क्योंकि... निश्चयबुद्धि सदा ही विजयन्ती होते हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *वरदाता को अपना सच्चा साथी बना लो तो वरदानों से झोली भर जाएगी... क्यों और कैसे* ?

 

❉   वरदाता बाप पूरे कल्प में केवल एक ही बार आते हैं जिसे संगम युग कहा जाता है । अब वही संगम युग चल रहा है जब कि बाप आये हुए हैं और आ कर वरदानो से हमारी झोली भर रहे हैं । *पूरे कल्प में फिर यह झोली भरने का गोल्डन चांस कभी नही मिले गा* । केवल अभी समय है जब जितना चाहे उतना झोलियां भर ले । क्योकि संगम का यह समय विशेष वरदानीमूर्त समय है इसलिए इस समय यदि वरदाता बाप को अपना साथी बना कर सदा साथ रखेंगे तो सदा वरदानो से झोली भरी रहेगी ।

 

❉   आज तक भक्त बन कर भगवान की पूजा करते आये, साधना करते आये, अनेक मंत्रो का जाप भी किया और मंदिरों में जा कर माथा भी टेका किन्तु प्राप्ति कुछ नही हुई । अब वही भगवान बाप जिसकी भक्त बन पूजा करते आये उसने आ कर *भक्त की बजाए अपना बच्चा बना लिया, सर्व सम्बन्धो का सुख देने का वायदा किया* तो ऐसे भगवान बाप को यदि सदा अपना साथी बना कर अपने साथ रखें तो सदा वरदानों से झोली भरी रहेगी और सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जायेंगे ।

 

❉   लौकिक में भी दोस्ती का सम्बन्ध विशेष माना जाता है । देखा जाता है कि बच्चे अपने मन की जो बाते अपने माता पिता को नही बता सकते अपने साथियों को बताते हैं । तो हम भी *यदि भगवान बाप को अपना सच्चा साथी बना ले तो वह कदम कदम पर साथी बन साथ निभायेगा* । लौकिक साथी तो विपरीत समय आने पर साथ छोड़ भी देंगे किन्तु वो सच्चा साथी बन हर समय हमारे अंग संग रहेगा । कभी भी अकेलेपन का अनुभव नही होने देगा । सदा वरदानो से हमारी झोली भरता रहेगा ।

 

❉   इस विनाशी दुनिया में सभी सम्बन्ध झूठे और विनाशी हैं जो केवल स्वार्थ की नींव पर टिके हैं इसलिए *देह और देह से जुड़ा हर सम्बन्ध केवल दुःख देने वाला है* । केवल भगवान बाप ही हैं जिनका स्नेह निस्वार्थ और निष्काम है । क्योंकि वो दाता हैं जो केवल देते हैं कभी कुछ लेने की इच्छा नही रखते । इसलिए देह और देह के संबधो में ममत्व रखने के बजाए यदि वरदाता बाप को अपना सच्चा साथी बना कर सदा अपने साथ रखें तो सदा वरदानो से झोली भरी रहेगी । और अपार सुख मिलते रहेंगे ।

 

❉   हर मनुष्य चाहता है कि उसका कोई साथी हो जिसके साथ वो हर बात शेयर कर सके । उसे अपने सुख दुख की सभी बातें बता सके । उससे सलाह ले सकें । किन्तु आज सभी की आत्मा रूपी बैटरी डिस्चार्ज हो चुकी है इसलिए कोई भी ऐसा नही है जो किसी के दुखों को दूर कर उसे सुख दे सके । उसे सही रास्ता दिखा सके । *केवल एक भगवान बाप ही हैं जो दुःख हर्ता सुख कर्ता हैं* । सबको रास्ता दिखाने वाले हैं । तो ऐसे वरदाता बाप को यदि साथी बना कर सदा अपने साथ रखें तो सदा सुख का अनुभव करते रहेंगे और वरदानो से झोली भरी रहेगी ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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