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 25 / 12 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अपनी और दूसरों की उन्नति के लिए युक्तियाँ निकाली ?*

 

➢➢ *कड़े हिसाब किताब को योगबल से चुक्तु किया ?*

 

➢➢ *कम्पैनियन के साथ सदा मनोरंजन का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *बाप की श्रीमत प्रमाण जी हाज़िर कर सर्व शक्तियों का अधिकार प्राप्त किया ?*

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         ❂ *योगी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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✧  *पहला पाठ आत्मिक स्मृति का पक्का करो। आत्मा इन कर्मेन्द्रियों द्वारा कर्म कर रही है। तो अन्य आत्माओं का भी कर्म देखते हुए यह स्मृति रहेगी कि यह भी आत्मा कर्म कर रही है।* ऐसे अलौकिक दृष्टि, जिसको देखो आत्मा रूप में देखो। *इससे हर एक कर्मेन्द्रिय सतोप्रधान स्वच्छ हो जायेगी।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं निश्चयबुद्धि विजयन्ति आत्मा हूँ"*

 

✧  निश्चयबुद्धि विजयन्ती हो ना! निश्चय में कभी डगमग तो नहीं होते हो? अचल, अडोल, महावीर हो ना? महावीर की विशेषता क्या है? *सदा अचल अडोल, संकल्प वा स्वन में भी व्यर्थ संकल्प न आए इसको कहा जाता है अचल, अडोल  महावीर। तो ऐसे हो ना? जो कुछ होता है-उसमें कल्याण भरा हुआ है।* जिसको अभी नहीं जानते लेकिन आगे चल करके जानते जायेंगे।

 

✧  कोई भी बात एक काल की दृष्टि से नहीं देखो, त्रिकालदर्शी हो करके देखो। अब यह क्यों? अब यह क्या? *ऐसे  नहीं, त्रिकालदर्शी होकर देखने से सदा यही संकल्प रहेगा कि जो हो रहा है उसमें कल्याण है।* ऐसे ही त्रिकालदर्शी होकर चलते  हो ना? सेवा के आधारमूर्त जितने मजबूत होंगे उतनी सेवा की बिल्डिंग भी मजबूत होगी।

 

✧  *जो बाबा बोले वह करते चलो, फिर बाबा जाने बाबा का काम जाने। जैसे बाबा वैसे चलो तो उसमें कल्याण भरा हुआ है।* बाबा कहे ऐसे चलो, ऐसे रहो-जी हाज़िर, ऐसे क्यों? नहीं। जी हाजिर। समझा-जी हजूर वा जी हाजिर। तो सदा उड़ती कला में जाते रहेंगे। रूकेगे नहीं, उड़ते रहेंगे  क्योंकि हल्के हो जायेंगे ना।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  (ड्रिल बहुत अच्छी लग रही थी) यह रोज हर एक को करनी चाहिए। ऐसे नहीं हम बिजी है। बीच में समय प्रति समय एक सेकण्ड चाहे कोई बैठा भी हो, बात भी कर रहा हो, लेकिन एक सेकण्ड उनको भी ड़िल करा सकते हैं और स्वयं भी अभ्यास कर सकते हैं। कोई मुश्किल नहीं है। *दो-चार सेकण्ड भी निकालना चाहिए इससे बहुत मदद मिलगी।*

 

✧   नहीं तो क्या होता है, सारा दिन बुद्धि चलती रहती है ना, तो विदेही बनने में टाइम लग जाता है और बीच-बीच में अभ्यास होगा तो जब चाहे उसी समय हो जायेंगे क्योंकि अंत में सब अचानक होना है। तो *अचानक के पेपर में यह विदेही-पन का अभ्यास वहुत आवश्यक है।*

 

✧  ऐसे नहीं बात पूरी हो जाए और विदेही बनने का पुरुषार्थ की करते रहें। तो सूर्यवंशी तो नहीं हुए ना! इसलिए *जितना जो बिजी है, उतना ही उसको बीच-बीच में यह अभ्यास करना जरूरी है।* फिर सेवा में जो कभी-कभी थकावट होती है, कभी कुछ-न-कुछ आपस में हलचल हो जाती है, वह नहीं होगा। अभ्यासी होंगे ना।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप की याद से अपने विकर्म विनाश करना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा सजनी अपने साजन से मिलन मनाने सुन्दर से बगीचे में पहुँच जाती हूँ... मैं आत्मा सजनी इस दुनिया में सजधज कर पार्ट बजा रही थी... सुख, समृद्धि से भरपूर आनंदमय, सुखमय स्वर्णिम जीवन जी रही थी... फिर माया रावण ने मुझे अपनी कैद में जकड़ लिया और अपने अधीन बनाकर मुझ आत्मा से कई विकर्म कराए... *मेरे शिव साजन ने आकर मुझ आत्मा सजनी को रावण की कैद से छुड़ाकर...  फिर से सतयुगी स्वर्णिम दुनिया में ले जाने के लिए शिक्षा और श्रीमत दे रहे हैं...* 

 

   *याद में रह अपने विकर्मो की प्रायश्चित्त कर विकर्माजीत बनने की शिक्षा देते हुए मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की मीठी सी यादो में सदा के मीठे प्यारे बनकर, सतयुगी दुनिया में फूलो सा मुस्कराओ... *इन यादो में जनमो की विकर्मो को खत्म कर,सदा के निर्मल पवित्र होकर दिव्यता से भर जाओ...* ईश्वरीय यादे ही सारे पापो से मुक्त कराकर,सच्चे सौंदर्य से भरकर, देवता रूप में सजायेंगी..."

 

_ ➳  *बाबा की यादों के मधुर सरगम से हर गम को दूर कर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा देह की यादो में जो दुखो के पहाड़ो से घिर गई थी... *आपकी प्यारी सी यादो में हर गम से मुक्त होकर, हल्की खुशनुमा होती जा रही हूँ...* विकारो की कालिख से छूटकर,उज्ज्वल दमकती मै आत्मा, पुनः पुण्यो से सजती जा रही हूँ..."

 

   *मीठे बाबा अपने रूहानी रूप से मेरे मन को खुशियों के सागर में डुबोते हुए कहते हैं :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... देह धारियों की यादो में किस कदर खाली होकर निस्तेज हो गए... अब ईश्वर पिता के सच्चे प्रेम में देवताई गुणो और शक्तियो से सजकर विश्व के मालिक बन खुशियो में खिलखिलाओ... *अनन्त सुखो को बाँहों में भरने वाले महान भाग्यशाली बन मुस्कराओ...* मीठी यादो में सारे विकर्मो से मुक्त होकर, देवताई अदाओ से सज जाओ..."

 

_ ➳  *दिल में बरसते स्नेह के सावन से मन के आँगन को महकाती हुई मैं आत्मा कहती हूँ :-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता को पाने वाली,और उनकी गोद में बैठकर विकर्मो से छूटने वाली,देवताई भाग्य को सहज ही पा रही हूँ... *प्यारे बाबा... आप अपनी मीठी यादो में मुझ आत्मा की सारी मैल को साफकर, सोने जैसा दमका रहे हो और विकर्माजीत सा सजा रहे हो..."*

 

   *मेरे ख्वाबों को पूरा कर सुख की किरणों से दुखों को भस्म करते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वरीय यादे ही सारे दुखो से छुड़ाकर, सच्चे सुखो का अधिकारी बनाएगी... इन यादो में हर साँस को पिरो दो... मीठे बाबा संग प्यार करके, असीम सुखो को बाँहों में भर लो... *विश्व पिता से सब कुछ इन यादो की बदौलत ले लो... प्यार में पिता लुटने आया है बेपनाह प्यार करके, उसकी सारी जागीर हथिया लो..."*

 

_ ➳  *दिलाराम बाबा की सुहानी यादों की लगन में स्वर्गिक सुखों का आनंद लेती मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा ईश्वर पिता को प्रियतम सा पाऊँगी... उनकी प्यारी सी यादो में देवताई सुंदरता से भर जाउंगी...* सारी कालिमा से छूटकर सुखो के स्वर्ग में आउंगी... ऐसा तो बाबा कभी ख्वाबो में भी न सोचा था मैंने... आपने यादो के जादू में सब कुछ मुझ पर लुटा दिया है... और मुझे शिव दिलरुबा बना दिया है..."

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- कड़े हिसाब किताब को योगबल से चुकतू करना*"

 

_ ➳  देह भान में आ कर, जन्मजन्मांतर से किये हुए विकर्म जो कड़े हिसाब - किताब के रूप में जीवन मे आते रहते हैं उन हिसाब - किताब को चुकतू करने का केवल एक ही उपाय है योगबल। *बाबा की याद ही वो योग अग्नि है जो विकर्मों को विनाश कर सभी हिसाब - किताब को चुकतू कर सकती है*। इसलिए अपने अब के जीवन मे किये हुए और पिछले 63 जन्मों के किये हुए विकर्मों को भस्म करने के लिए मैं अशरीरी स्थिति में स्थित हो कर अपने शिव पिता की याद में अपने मन बुद्धि को स्थिर कर लेती हूँ।

 

_ ➳  देह और देह की दुनिया से सम्बन्ध रखने वाले हर संकल्प, विकल्प, हर विचार से अपने मन बुद्धि को हटा कर मैं अपना सम्पूर्ण ध्यान केवल अपने स्वरूप पर और अपने शिव पिता पर एकाग्र करती हूँ। *मन बुद्धि से अब मैं स्पष्ट देख रही हूँ अपने दिव्य ज्योति बिंदु स्वरूप को और अपने महाज्योति शिव पिता के स्वरूप को जो मेरे ही समान बिंदु है किंतु गुणों में सिंधु हैं*। एक चैतन्य सितारे के समान अपने जगमग करते स्वरूप को और सर्वशक्तियों, सर्व गुणों के सागर अपने शिव पिता के अनन्त तेजोमय स्वरूप को मैं देख रही हूँ।

 

_ ➳  विकारों की कट ने मुझ आत्मा को आयरन एजेड बना दिया है इसलिए *अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की ज्वालास्वरूप किरणों से अपने ऊपर चढ़ी विकारों की कट को जला कर, योग अग्नि में अपने पापों को भस्म कर, स्वयं को गोल्डन एजेड बनाने के लिए अब मैं ज्योति बिंदु आत्मा अपने शरीर की कुटिया से बाहर निकलती हूँ* और अपने शिव पिता के पास ले जाने वाली एक ऐसी रूहानी यात्रा पर चल पड़ती हूँ जो मन की असीम आनन्द देने वाली है। देह और देह के हर बन्धन से मुक्त इस अति सुखमय आंतरिक यात्रा पर मैं आत्मा चलती जा रही हूँ।

 

_ ➳  इस रूहानी यात्रा पर निरन्तर आगे बढ़ती अब मैं चमकती ज्योति प्रकृति के पांचों तत्वों को पार कर जाती हूँ और आकाश से ऊपर फरिश्तों की दुनिया को पार कर पहुँच जाती हूँ अपने शिव पिता परमात्मा के पास उनके घर परमधाम। *चैतन्य सितारों की इस जगमग करती दुनिया में मैं मास्टर बीज रूप आत्मा अब अपने बीज रूप शिव पिता परमात्मा के सम्मुख हूँ*। बिंदु का बिंदु से मिलन हो रहा है। एक बहुत ही खूबसूरत दिव्य आलौकिक नजारा मैं मन बुद्धि रूपी नेत्रों से देख रही हूँ।

 

_ ➳  चारों ओर लाल सुनहरी प्रकाश ही प्रकाश है। बिंदु बाप से आ रही सर्वशक्तियों की ज्वलंत किरणे निरन्तर मुझ बिंदु आत्मा पर पड़ रही हैं। *मुझ आत्मा के ऊपर चढ़ी विकारों की कट इस योग अग्नि में जल कर भस्म हो रही है*। आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट जैसे - जैसे योग अग्नि में जल रही है वैसे - वैसे विकर्मों का बोझ उतरने से मैं आत्मा हल्की और चमकदार बनती जा रही हूँ। विकर्मों को भस्म करके, हल्की और चमकदार बन कर मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ।

 

_ ➳  अपनी साकार देह रूपी कुटिया में फिर से वापिस आ कर भृकुटि पर विराजमान हो कर अब मैं फिर से इस सृष्टि रंग मंच पर अपना पार्ट बजा रही हूँ। *कर्मयोगी बन हर कर्म बाबा की याद में रह कर करते और कर्म करके सेकण्ड में देह से उपराम, बीज स्वरूप में स्थित हो कर अपने बीज रूप शिव पिता परमात्मा के पास जा कर, स्वयं में योग का बल निरन्तर जमा कर, जीवन मे आने वाले हर कड़े से कड़े हिसाब - किताब को भी अब मैं योगबल से बिल्कुल सहज रीति चुकतू कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं कम्पेनियन के साथ द्वारा सदा मनोरंजन का अनुभव करने वाली कंबाइंड रूपधारी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं बाप की श्रीमत प्रमाण जी हाज़िर करते रहने से सर्वशक्तियों का अधिकार प्राप्त करने वाली मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बस खुश रहनाकभी भी मूड आफ नहीं करना। सदा एकरस खुशनुम: चेहरा हो। जो भी देखे उसे रूहानी खुशी की अनुभूति हो। यह सेवा का साधन है।  *चेहरे पर रूहानी खुशी हो, साधारण खुशी नहींरूहानी खुशी। फेस चेंज नहीं हो। जैसे एकरस स्थितिवैसे ही एकरस चेहरा हो।* हो सकता हैएकरस मूड होहो सकता है या होना ही हैहोगा ना अभीकभी भी कोई भी अचानक आपका फोटो निकाले तो और कोई फोटो नहीं आवेरूहानी मुस्कराहट का फोटो हो। *चाहे कामकाज भी कर रहे होसर्विस का बहुत टेन्शन हो लेकिन चेहरे पर खुशी हो। फिर आपको ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी। एक घण्टा बोलने के बजाए अगर आपका रूहानी मुस्कान का चेहरा होगा तो वह एक घण्टे के बोलने की सेवा एक सेकण्ड में करेगा क्योंकि प्रत्यक्ष को प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होती है।* जो भी मिलेजैसा भी मिले, गाली देने वाला मिले, इनसल्ट करने वाला मिले, इज्जत न रखने वाला मिले, मान-शान न देने वाला मिले, लेकिन आपका एकरस चेहरा, रूहानी मुस्कान। हो सकता है? कुमार हो सकता हैपाण्डव हो सकता है? और पुरुषार्थ से बच जायेंगे। मेहनत नहीं लगेगी। मुझे रूहानी मुस्कान ही मुस्कराना है। कुछ भी हो जाएमुझे अपनी मुस्कान छोड़नी नहीं हैहो सकता हैसोच रहे हैं? (करके दिखायेंगे) बहुत अच्छामुबारक हो!

 

✺   *ड्रिल :-  "सदा रूहानी मुस्कान ही मुस्कराना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपनी साकारी देह से उपराम हो, स्वयं को मस्तक के बीचोंबीच एक चमकता हुआ सितारा देख रही हूँ... टिमटिमाता मैं नन्हा सा सितारा इस देह में चैतन्य शक्ति हूँ जो इस स्थूल देह को चलाती हूँ... *मैं चैतन्य शक्ति आत्मा इस देह को छोड़, इस साकारी दुनिया को भी पीछे छोड़ ऊपर की ओर उड़ जाती हूँ... और सूक्ष्म वतन में अपने बाबा के पास आकर बैठ जाती हूँ...*

 

 _ ➳  आज मैं आत्मा बाबा के सम्मुख बैठ कर अपने ब्राह्मण जीवन की प्राप्तियों को याद कर रही हूँ... जब से बाबा ने मुझे अपना बच्चा बनाया तब से मैं आत्मा अपने हर दुख को भूल खुशियों के झूले में झूल रही हूँ... हर पल मीठे बाबा की छत्रछाया में रह मैं आत्मा साक्षी हो कर हर सीन को देख रही हूँ... *कैसी भी परिस्थिति हो मैं आत्मा बाबा के ये महावाक्य याद रखती हूँ कि बच्चे सदा खुश रहना, कभी भी मूड ऑफ मत करना...* मैं आत्मा बाबा की इस बात को बुद्धि में बिठाकर सदा खुश रहती हूँ... कभी किसी बात से मेरा मूड थोड़ा ठीक नहीं भी होता तो बाबा ये महावाक्य मुझमें नया उमंग उत्साह भर देते हैं...

 

 _ ➳  मेरा खुशनुमा चेहरा अन्य आत्माओ के चेहरे पर भी ख़ुशी ले आता है... *ये साधारण ख़ुशी नहीं रूहानी ख़ुशी है जो मेरे बाबा से इस ब्राह्मण जीवन मे मुझे सौगात मिली है...* अपने चेहरे पर रूहानी मुस्कान के साथ मैं आत्मा बिना एक भी शब्द कहे सहज रूप से सभी के चेहरों पर भी मुस्कान ले आती हूँ... 

 

 _ ➳  बाबा ने हम बच्चों से कहा है कि कैसी भी परिस्थिति हो पर स्वस्थिति हमेशा एक रस हो... परिस्थिति ऊपर नीचे होने से स्वस्थिति ऊपर नीचे ना हो... मैं आत्मा बाबा का फरमानबरदार बच्चा बाबा की इस बात को मन में बिठा जीवन की हर उलझन को हँसते हँसते सुलझा रही हूँ... *कार्य व्यवहार में आते या लौकिक संबंधों को निभाते हुए कोई पेपर भी आता है तो भी मेरे चेहरे से रूहानी खुशी गायब नहीं होती... मैं आत्मा अपने चेहरे की खुशी और मुस्कान से सेवा करती हूँ... मेरी रूहानी मुस्कान देख अन्य आत्माएं भी अपने दुखों को भूल जाती हैं...*

 

 _ ➳  कितना प्यार दिया मेरे बाबा ने मुझे जो अब किसी संबंध से प्यार मिले न मिले तो भी मैं आत्मा सदा खुश हूँ... *कोई मान दे या ना दे, कोई इंसल्ट करे या अपमान करे तो भी मुझ आत्मा के चेहरे से रूहानी मुस्कान कभी गायब नहीं होती...* बाबा के प्यार में खोयी मैं आत्मा मेहनत से छूटती जा रही  हूँ... अब मुझे पुरूषार्थ में  मेहनत नहीं करनी पड़ती... मैं सहज पुरुषार्थी बनती जा रही हूँ... अपने बाबा का दिल से शुक्रिया कर रही हूँ और वापिस अपने मस्तक के मध्य आकर बैठ जाती हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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