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❍ 17 / 07 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *माया के तूफानों से डरे तो नहीं ?*
➢➢ *याद का चार्ट रखा ?*
➢➢ *"हम अन-नोन(गुप्त) लेकिन वैरी वेलनोन(प्रख्यात) वारियर्स हैं" - यह रूहानी नशा रहा ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *अपनी श्रेष्ठ दृष्टि, वृत्ति, कृत्ति से सेवा कर निरंतर सेवाधारी बनकर रहे ?*
➢➢ *साक्षीपन की स्थिति के तख़्त पर स्थित रहे ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *बाप के साथ एक धक के साथ दिल का सौदा कर बाप की सम्पूरण प्रॉपर्टी के अधिकारी बनकर रहे ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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➳ _ ➳ बहुत चुने हुए थोडे से बाप के डायरेक्शन प्रमाण सेकण्ड में उडकर सूक्ष्मवतन या मूलवतन में पहुँचे। जैसे बाप प्रवेश होते हैं और चले जाते हैं, तो जैेसे परमात्मा प्रवेश होने योग्य हैं वैसे मरजीवा जन्मधारी ब्राह्मण आत्मायें अर्थात महान आत्मायें भी प्रवेश होने योग्य हैं। *जब चाहो कर्मयोगी बनो, जब चाहो परमधाम निवासी योगी बनो, जब चाहो सूक्ष्मवतन वासी योगी बनो।* स्वतन्त्र हो। तीनों लोकों के मालिक हो। *इस समय त्रिलोकीनाथ हो। तो नाथ अपने स्थान पर जब चाहें तब जा सकते हैं।*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अननोन वारियर्स बन माया दुश्मन पर जीत पाना"*
➳ _ ➳ यादो के खुशनुमा मौसम में घूमती हुई... मै आत्मा अपने मीठे भाग्य के बारे में सोच रही हूँ... कैसे, मेरा साधारण सा जीवन आज असाधारण हो गया है... मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को प्यारा सा होली हंस बना दिया है... *ज्ञान मनन, ज्ञान जल में तैरना, और उड़ना सिखा कर जादू सा कर दिया है.*. और अचानक मीठे बाबा की चिर परिचित मधुर वाणी, मीठे बच्चे... सुनती हूँ... और ज्ञान सागर को अपने सम्मुख पाकर पुलकित हो उठती हूँ...
❉ मीठे बाबा मेरा स्वर्ग धरा पर आशियाना बनाने हेतु बोले ;- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... देवताई राज्य भाग्य पाने के लिए डबल अहिंसक बनना है... ईश्वरीय यादो में गहरे डूबकर माया पर जीत पानी है... *दिव्य गुणो और शक्तियो से स्वयं की महानता को पुनः जगाओ.*.. विकारो के दुश्मन पर विजय पाकर देवत्व से भर जाओ... सम्पूर्ण निर्विकारी बनकर विश्व धरा पर शान से मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा के सारे प्यार को अपने दामन में समेटकर बोली ;- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... आज भाग्य ने मुझे आपके नैनो का नूर बना दिया है... *आपकी यादो के सहारे मै आत्मा सम्पूर्ण प्रकर्ति की मालिक बन रही हूँ..*. मेरा अंग अंग पवित्रता की किरणों से छलक रहा है...और मै आत्मा माया दुश्मन पर सदा की विजयी होती जा रही हूँ...."
❉ प्यारे बाबा मुझे रूहानी नशे से भरते हुए बोले :- " मीठे लाडले बच्चे... आप बच्चों की दृढता के आगे कुछ भी असम्भव नही है... *बस एक कदम हिम्मत का बढ़ाओ... तो हजार कदमो से मीठे बाबा की मदद सदा हाजिर है.*.. अपनी मीठी स्मर्तियो को जगाकर माया का सफाया करने वाले बनों... और पवित्रता की बहार से सम्पूर्ण विश्व को महका दो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने मीठे बाबा को मुझ आत्मा में जोश और जूनून जगाते देख बोली ;- "मीठे मीठे बाबा मेरे... *आपकी सच्ची यादो में मुझ आत्मा का देह भान छूटता जा रहा है..* मै आत्मा सारे विकारो से मुक्त हो रही हूँ... मुझ आत्मा की सारी समस्याएं, मन का भारीपन सब समाप्त होता जा रहा है.. पवित्रता से सजधज कर मै आत्मा स्वर्ग की मालिक बन रही हूँ..."
❉ मीठे प्यारे बाबा मुझ आत्मा पर अपनी सारी ममता दुलार बरसाते हुए बोले :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... अपने जीवन को सुखो का पर्याय बना लो... *भगवान जो भाग्य सजाने आया है, उसका भरपूर फायदा उठाओ.*.. सब कुछ लेकर अमीरी में मुस्कराओ... यादो में सदा की खूबसूरती से सज जाओ...और सम्पूर्ण निर्विकारी बन, अननोन वारियर्स होकर विजयश्री को गले से लगाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने प्यारे से आराध्य को मुझ पर यूँ कुर्बान होते देख कहती हूँ :- " मेरे प्राणप्रिय बाबा... *आपको पा लेने की इतनी बड़ी ख़ुशी ने जीवन को पूर्णता से भर दिया है..*. अपने आपको न जानने वाली, अपने ही मन की मोहताज, कभी मै आत्मा... आज आपके प्यार तले माया दुश्मन पर भारी पड़ रही हूँ... और विजय मेरे कदमो में बिखरी है..."यूँ बाबा के सम्मुख अपने भाग्य का गुणगान करते मै आत्मा अपनी भृकुटि में आ गयी...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सदा इस रूहानी नशे में रहना कि हम अन - नोन ( गुप्त ) लेकिन वेरी वेल नोन ( प्रख्यात ) वारियरर्स हैं*"
➳ _ ➳ दुनिया की भीड़ से अलग, प्रकृति के सुंदर नजारों का आनन्द लेने के लिये मन बुद्धि के विमान पर बैठ मैं स्वयं को एक खूबसूरत पहाड़ी पर ले जाती हूँ। अपने स्वधर्म में स्थित हो कर *अपने प्यारे प्रभु को याद करते हुए मैं इस एकांत और शांत स्थान पर बैठ गहन आनन्द का अनुभव कर रही हूँ और सोच रही हूं कि प्रकृति का यह नज़ारा कितना सुंदर है किंतु जब यही प्रकृति विकराल रूप धारण करती है तो सब कुछ तबाह कर देती है*। यह विचार करते ही प्रकृति के विकराल रूप का एक दृश्य मेरी आँखों के सामने उभर आता हूं। मैं देख रही हूं एक बहुत भयानक अर्थक्वेक का नज़ारा। बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स गिर रही हैं, लोग चीखते, चिल्लाते अपनी जान बचाने के लिए भाग रहें हैं।
➳ _ ➳ तूफान थमने के बाद लोग अपने सम्बन्धियों को खोज रहें हैं। लोगों को बचाने के लिए आर्मी आ चुकी हैं और आर्मी के सैनिक मकानों के नीचे दबे लोगों को निकाल कर उन्हें बचाने का प्रयास कर रहें हैं। इस दृश्य को देखते हुए मैं विचार करती हूं कि प्राकृतिक आपदाओं में फंसे लोगों की जानें भले ये आर्मी के सैनिक बचा लेंगे। *किन्तु आज जो सारी दुनिया का बेड़ा डूबा हुआ है उसे ये कैसे सेल्वेज करेंगे! विकारों के भयंकर तूफान से आज हर मनुष्य जूझ रहा है उन्हें उस तूफान से निकाल कर अगर कोई सेल्वेज कर सकता है तो वो है स्वयं भगवान*। वही भगवान इस समय आ कर गुप्त रीति अपना यह कार्य सम्पन्न कर रहें हैं और उनके इस कर्तव्य में उनका मददगार बनने वाली चन्द आत्मायें कितनी पदमापदम सौभाग्यशाली हैं।
➳ _ ➳ सारी दुनिया के डूबे हुए बेड़े को पार लगाने वाले परमपिता परमात्मा शिव बाबा की रूहानी सेलवेशन आर्मीे का मैं वो रूहानी सैनिक हैं जिसे सारी दुनिया को सेलवेज करने के सर्वश्रेष्ठ कार्य मे भगवान ने अपना सहयोगी बनाया है। *दुनिया वालों की नजर में गुप्त होते हुए भी भगवान को नजरों में मैं बहुत विशेष हैं। यह विचार मन मे आते ही एक रूहानी नशे से मैं आत्मा भरपूर हो जाती हूँ और रूहानी योद्धा बन चल पड़ती हूँ अपने रूहानी मिशन पर*। शिवशक्ति बन माया रावण के साथ गुप्त रीति युद्ध करते हुए, विश्व की सर्व आत्माओं को माया रावण की कैद से छुड़ाने का दृढ़ संकल्प ले मैं अपने प्यारे प्रभु का आह्वान करती हूं और सेकण्ड में अपने शिव पिता को अपने सम्मुख पाती हूँ।
➳ _ ➳ अब अपने फ़रिशता स्वरूप को धारण कर सर्वशक्तिवान निराकार शिव बाबा की छत्रछाया में मैं फ़रिशता चल पड़ता हूँ और विश्व के ग्लोब पर आ कर बैठ जाता हूँ। मेरे सिर के बिल्कुल ऊपर शिव बाबा आ कर विराजमान हो जाते हैं। *बाबा से अब सर्वशक्तियाँ फुल फोर्स से मुझ फ़रिश्ते में समा रही हैं। इन शक्तियों को बाबा से ले कर मैं सारे विश्व मे फैला रहा हूँ*। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार की अग्नि में जल रही आत्माओं पर ये शक्तियां शीतल फुहारों के रूप में बरस रही हैं। इन शीतल फुहारों के उन पर पड़ने से विकारों की अग्नि बुझ रही है और उन्हें शीतलता का अनुभव करवा रही है। *शांति का अनुभव करके वो आत्मायें तृप्त हो रही हैं*।
➳ _ ➳ अब मैं फ़रिशता उन आत्माओं को परमात्म परिचय दे कर विकारों के चंगुल से छूटने का उपाय बता रहा हूँ जिसे सुनकर अब सर्व आत्मायें परमात्म बल स्वयं में भर कर रूहानी योद्धा बन विकारों से लड़ते हुए उन पर जीत प्राप्त कर रही हैं। *अपने आज के रूहानी मिशन को पूरा कर अब मैं अपने निराकार स्वरूप में स्थित हो कर, अपने प्यारे बाबा की छत्रछाया में उनके साथ अपने स्वीट साइलेन्स होम में पहुंच जाती हूँ*। बीज रूप स्थिति में स्थित हो कर बीज रूप परमात्मा के साथ अतीन्द्रीय सुख का गहन अनुभव करने के बाद और स्वयं को उनकी सर्वशक्तियों से भरपूर कर लेने के बाद अब मैं आत्मा शक्तियों का पुंज बन अपनी साकारी देह में लौट आती हूँ
➳ _ ➳ साकारी दुनिया मे साकारी तन में भृकुटि पर विराजमान हो कर *अब मैं सदा इसी रूहानी नशे में स्थित रहती हूं कि मैं रूहानी योद्धा गुप्त होते हुए भी भगवान की नजरों में प्रत्यक्ष हूँ*और भगवान की रूहानी मिशन में भगवान की मददगार हूँ।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा अपनी श्रेष्ठ दृष्टि, वृत्ति, कृति से सेवा करती हूँ।"*
➳ _ ➳ *ब्राह्मण जन्म लेते ही प्यारे बाबा ने विश्व कल्याण की सेवा का ताज मुझ आत्मा के सिर पर सजा दिया है... जैसे यह शरीर श्वांस के बिना नहीं रह सकता ऐसे मुझ ब्राह्मण जीवन का श्वास है सेवा...* जैसे श्वांस न चलने पर मूर्छित हो जाते हैं, ऐसे अगर ब्राह्मण आत्मा सेवा में बिजी नहीं तो मूर्छित हो जाती है... *इसलिए हर समय मैं आत्मा अपनी श्रेष्ठ दृष्टि से, वृत्ति से, कृति से हर सेकेण्ड श्वासों श्वास सेवा करती रहती हूँ... सेवा की जो लाटरी मिली है, उसे सदा कार्य में लगाती हूँ...* मन, वाणी और कर्म से सेवा करती हूँ... मैं आत्मा फुल मार्क्स लेने के लिए सब प्रकार की सेवा करती हूँ... मैं आत्मा सदैव आत्मिक दृष्टि रखती हूँ... सबको दिव्य नेत्रों से आत्मा ही देखती हूँ... किसी के भी देह को नहीं देखती हूँ... श्रेष्ठ, दृढ और पवित्र संकल्पों से श्रेष्ठ कर्म करती हूँ... कभी भी व्यर्थ व् साधारण संकल्प भी नहीं करती हूँ... *मैं आत्मा निरन्तर सेवाधारी बन विश्व परिवर्तन के कार्य में सहयोग करती हूँ...*
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- साक्षीपन की स्थिति के तख्त पर बैठकर यथार्थ निर्णय के तख्त का अनुभव करना"*
➳ _ ➳ *देहभान से न्यारी मैं आत्मा... साक्षीदृष्टा बन... इस संसार को देख रही हूँ...* संसार की सभी बातों के विस्तार को समेटकर... सब से छुट्टी लेकर... अपने प्राणप्रिय शिवबाबा की याद में बैठ गई हूँ... *साक्षीपन की सीट पर बैठकर... परिस्थितियों के खेल को देख रही हूँ...* एकाग्रता... अचल अडोल अवस्था से... ड्रामा का हर पार्ट बहुत ही कुशलता से निभा रही हूँ... हर कर्म करते हुए डबल लाइट अवस्था का अनुभव हो रहा है... सर्वप्राप्तियाँ तो एक बाबा से ही हो रही हैं... हर दुःख से... वेदना से परे जाना कितना सहज हो गया है... साक्षीभाव में... *एकाग्रता से... यथार्थ निर्णय करने की शक्ति का अनुभव कर रही हूँ...* हर निर्णय यथार्थता से करती हुई मैं आत्मा... हर परिस्थिति पर विजय प्राप्त करती जा रही हूँ... सभी की सहयोगी व स्नेही बनती जा रही हूँ...
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *तो खुला चांस होते भी बाप नम्बरवार नहीं देते लेकिन स्वयं को नम्बरवार बना देते हैं।* बाप का दिलतख्त इतना बेहद का बड़ा है जो सारे विश्व की आत्माएं भी समा सकती हैं इतना विराट स्वरूप है लेकिन बैठने की हिम्मत रखने वाले कितने बनते हैं! क्योंकि दिलतख्तनशीन बनने के लिए दिल का सौदा करना पड़ता है। इसलिए *बाप का नाम ‘दिलवाला' पड़ा है। तो दिल लेता भी है, दिल देता भी है।*
➳ _ ➳ जब सौदा होने लगता है तो चतुराई बहुत करते हैं। पूरा सौदा नहीं करते, थोड़ा रख लेते हैं फिर क्या कहते? धीरे-धीरे करके देते जायेंगे। किश्तों में सौदा करना पसन्द करते हैं। *एक धक से सौदा करने वाले, एक के होने कारण सदा एकरस रहते हैं।* और सबमें नम्बर एक बन जाते हैं। बाकी जो थोड़ा-थोड़ा करके सौदा करते हैं - एक के बजाए दो नाव में पाँव रखने वाले, सदा कोई न कोई उलझन की हलचल में, एकरस नहीं बन सकते हैं। इसलिए *सौदा करना है तो सेकण्ड में करो। दिल के टुकड़े-टुकड़े नहीं करो।* आज अपने से दिल हटाकर बाप से लगाई, एक टुकड़ा दिया अर्थात् एक किश्त दी। फिर कल सम्बन्धियों से दिल हटाकर बाप को दी, दूसरी किश्त दी, दूसरा टुकड़ा दिया, इससे क्या होगा?
➳ _ ➳ *बाप की प्रॉपर्टी के अधिकार के भी टुकड़े के हकदार बनेंगे।* प्राप्ति के अनुभव में सर्व अनुभूतियों के अनुभव को पा नहीं सकेंगे। थोड़ा-थोड़ा अनुभव किया इससे सदा सम्पन्न, सदा सन्तुष्ट नहीं होंगे। *इसलिए कई बच्चे अब तक भी ऐसे ही वर्णन करते हैं कि जितना, जैसा होना चाहिए वह इतना नहीं है।* कोई कहते पूरा अनुभव नहीं होता, थोड़ा होता है। और कोई कहते - होता है लेकिन सदा नहीं होता। क्योंकि पूरा फुल सौदा नहीं किया तो अनुभव भी फुल नहीं होता है। *एक साथ सौदे का संकल्प नहीं किया। कभी-कभी करके करते हैं तो अनुभव भी कभी-कभी होता है। सदा नहीं होता।*
➳ _ ➳ *वैसे तो सौदा है कितना श्रेष्ठ प्राप्ति वाला। भटकी हुई दिल देना और दिलाराम बाप के दिलतख्त पर आराम से अधिकार पाना।* फिर भी सौदा करने की हिम्मत नहीं। जानते भी हैं, कहते भी हैं लेकिन फिर भी हिम्मतहीन भाग्य पा नहीं सकते। है तो सस्ता सौदा ना, या मुश्किल लगता है? कहने में सब कहते कि सस्ता है। जब करने लगते हैं तो मुश्किल बना देते हैं। वास्तव में तो देना, देना नहीं है। *लोहा दे करके हीरा लेना, तो यह देना हुआ वा लेना हुआ?* तो लेने की भी हिम्मत नहीं है क्या? *इसलिए कहा कि बेहद का बाप देता सबको एक जैसा है लेकिन लेने वाले खुला चांस होते भी नम्बरवार बन जाते हैं।*
✺ *ड्रिल :- "बाप के साथ एक धक के साथ दिल का सौदा कर बाप की सम्पूर्ण प्रॉपर्टी के अधिकारी बनना"*
➳ _ ➳ *स्व के स्वार्थ से परे मैं आत्मा... गहरी आत्म चिंतन में बैठी देख रही हूँ भक्ति मार्ग की भक्त शिरोमणि मीरा को...* असीम सौन्दर्य की मालिक... पवित्रता की देवी... शांत... शीतल... मधुर... स्वररागिनी की साम्राज्ञी... हाथों में श्रीकृष्ण की मूर्त... हर्षोल्लास में घूमती... अपने श्रीकृष्ण में ही सर्वस्व देखती मीरा... अनन्य भक्ति... अतुल्य... निःस्वार्थ प्यार केवल एक श्रीकृष्ण के प्रति... ऐसीे भक्ति... ऐसीे पवित्र प्यार के फूलों के खुशबू से भरी... मीरा... *अपना सर्वस्व समर्पण सिर्फ और सिर्फ श्रीकृष्ण को कर दिया... ऐसी भक्ति की हक़दार मीरा जो जहर भी श्रीकृष्ण के प्यार में पी गयी...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने आप से पूछ रही हूँ... क्या मेरी भक्ति ऐसी हैं ? निःस्वार्थ, अतुल्य... क्या मैं मंसा... वाचा... कर्मणा... सम्पूर्ण समर्पण सिर्फ और सिर्फ एक बाप को कर पाई हूँ ? *क्या मैं इस संगमयुग पर मीरा बन पाई हूँ ? मीरा के जैसे जहर का प्याला क्या मैं इस संगमयुग में बाप के नाम पे पी लूंगी?* क्या इतना विश्वास... इतनी श्रद्धा मुझ आत्मा को शिवबाबा पर हैं... क्या निश्चय बुद्धि विजयन्ती बन पाई हूँ ? *दिलवाला बाप दिल देता भी हैं तो दिल लेता भी हैं... क्या मैं दिल दे पाई हूँ...* इस सवाल ने मेरे दिल की गहराईओ में उतरकर मन के तार को झंझोड़ कर रख दिया...
➳ _ ➳ अपने इस सवालों के जवाब के लिए मन के तार को बिन्दुरूपी बाप की याद में उलझा देती हूँ... शरीर के भान से परे मैं आत्मा... पहुँचती हूँ अपने घर जहाँ मेरे पिता हैं... बाप के प्यार की अधिकारी मैं आत्मा... अपने आप को बाबा के स्नेहभरी किरणों से भरती जा रही हूँ... *बिंदु बन बिंदु रूपी बाप की समीपता का अनुभव कर रही हूँ... अपनी ज्योति को बाप की ज्योति से मिलता हुआ महसूस करती मैं आत्मा अपने फ़रिश्ते स्वरुप में परिवर्तित हो रही हूँ...* और बापदादा के साथ चल पड़ती हूँ... सभी सेंटर... सभी बाबा के बच्चों के घर पर पहुँच जाते हैं और देखते हैं वैरायटी बाबा के बच्चों को...
➳ _ ➳ कोई सुदामा है... कोई राधा हैं... कोई श्री गणेश, कोई हनुमान हैं तो कोई माँ अम्बा... माँ लक्ष्मी... माँ सरस्वती के रूप में हैं... *तो कोई कोई मीरा भी हैं... जो सम्पूर्ण समर्पित हैं...* गृहस्थी में रहकर कमल फूल समान कई बाबा के लाडले बच्चे हैं जो श्रीमत पर पूरा बलिहार जाते हैं... *कई बच्चे एक धक से सौदा करने वाले हैं...* एक के होने कारण सदा एकरस रहते हैं और सबमें नम्बर एक बन जाते हैं... और कोई-कोई बच्चे ऐसे भी हैं जो सब कुछ जानते भी हैं, कहते भी हैं *लेकिन फिर भी हिम्मतहीन भाग्य पा नहीं सकते... ऐसे बच्चे भी देखे जो किश्तों में सौदा करना पसन्द करते हैं...*
➳ _ ➳ और मैं आत्मा एक बात दिल की गहराईओं से जान गई कि *बेहद का बाप देता सबको एक जैसा है लेकिन लेने वाले खुला चांस होते भी नम्बरवार बन जाते हैं...* और मैं आत्मा अपने फ़रिश्ता स्वरुप में बापदादा से आती हुई सर्व शक्तियों को अपने में समेट कर... *निश्चय बुद्धि विजयन्ती का टीका बापदादा के हाथों से लगाकर...* अपने आप को सर्व दैहिक बंधनों से मुक्त कर... मन बुद्धि सिर्फ एक बाप में लगाये जा रही हूँ... सौगात रूपी शक्तियों को अपने में धारण कर मैं आत्मा मन बुद्धि से पहुँच जाती हूँ अपने स्थूल देह में... *मीरा बनकर संगमयुग का एक-एक क्षण सिर्फ और सिर्फ एक बाप की यादों में व्यतीत कर रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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