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❍ 09 / 09 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *बाप जो सुनाते हैं, उसे बहुत प्यार से आत्म अभिमानी होकर सुना ?*
➢➢ *एक बाप को सच्चा दोस्त बनाया ?*
➢➢ *"मैं आत्मा भाई भाई हूँ" - यह अभ्यास किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *होलीहंस बन व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तित किया ?*
➢➢ *बेहद की वैराग्य वृत्ति से साधना के बीज को प्रतक्ष्य किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ जैसे साकार ब्रह्मा बाप को देखा, सम्पूर्णता की समीपता की निशानी - *सेवा में रहते, समाचार सुनते-सुनते एकान्तवासी बन जाते थे। यह अनुभव किया ना।* एक घण्टे के समाचार को भी 5 मिनट में सार समझ बच्चों को भी खुश किया और अपनी अन्तर्मुखी, एकान्तवासी स्थिति का भी अनुभव कराया।
〰✧ *सम्पूर्णता की निशानी - अन्तर्मुखी, एकान्तवासी स्थिति चलते-फिरते, सुनते, करते अनुभव किया।* तो फालो फादर नहीं कर सकते हो? व्रह्मा वाप से ज्यादा जिम्मेवारी और किसको है क्या? व्रह्मा वाप ने कभी नहीं कहा कि मैं वहुत विजी हूँ। लेकिन बच्चों के आगे एग्जाम्पल बने। ऐसे अभी समय प्रमाण इस अभ्यास की आवश्यकता है।
〰✧ सब सेवा के साधन होते हुए भी साइलेन्स की शक्ति के सेवा की आवश्यकता होगी क्योंकि *साइलेन्स की शक्ति अनुभूति कराने की शक्ति है।* वाणी की शक्ति का तीर वहुत करके दिमाग तक पहुँचता है और अनुभूति का तीर दिल तक पहुँचता है। तो *समय प्रमाण एक सेकण्ड में अनुभूति करा लो* - यही पुकार होगी। सुनने-सुनाने के थके हुए आयेंगे।
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)
➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप समान पतितो को पावन बनाना, व्यर्थ में समय बर्बाद न करना"*
➳ _ ➳ मन्दिरो से आती भक्ति की झंकार और गीतों की आवाजो को सुन मै आत्मा... *अपने ईश्वरीय प्यार में सुलझे और चमकते हुए जीवन को देख मुस्कराती हूँ..*. मीठे बाबा के सच्चे प्यार ने किस कदर मुझ आत्मा का रंग रूप बदल दिया है... देह के भान में, मै आत्मा कितनी काली मैली हो गयी थी... मीठे बाबा ने अपने प्यार में, मेरा मन कितना प्यारा और मेरी बुद्धि कितनी दिव्य बना दी है... *कितना प्यारा जादु मुझ पर भगवान ने किया है.*..इसी मीठे आत्मचिंतन में खोयी... मीठे जादूगर का शुक्रिया करने मै आत्मा...सूक्ष्मवतन में बाबा की पास उड़ चली हूँ...
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को संगम की अमूल्य घड़ियों में ज्ञान रत्नों से सम्पन्न बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *संगम के वरदानी लम्हों में, ईश्वरीय यादो से भरपूर होकर, जनमो का भाग्य खुबसूरत और प्यारा बना दो.*.. मीठे बाबा के साथ हर पल रहकर, इन मीठे पलों और यादो को सदा का अमर कर दो... अब कहीं भी स्वयं को न उलझाओ... सांसो साँस मीठे बाबा को याद कर, स्वर्ग का राज्य भाग्य पा लो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के अथाह प्यार की तरंगो में डूबकर कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपके मिलन की जनमो से प्यासी थी... *मेरे खुबसूरत भाग्य ने मुझे आपसे मिलवाकर, अनन्त सुखो से मेरा दामन सजा दिया है.*.. प्यारे पिता से सुखो का वर्सा पाकर, मै आत्मा मालामाल हो गयी हूँ... हर व्यर्थ से परे, सदा के लिए समर्थ हो गयी हूँ..."
❉ प्यारे बाबा मुझ आत्मा को समय का महत्व समझाते हुए कहते है :-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *मीठे बाबा की मीठी यादो को दिल में इस कदर समा लो... कि किसी व्यर्थ के समय ही शेष न रहे.*.. हर संकल्प में मीठे बाबा की याद बसी हो... मन को ऐसे यादो का अभ्यासी बना दो... आप समान पतितो को पावनता की राहो पर चलाकर, उनका भी उद्धार कर, मीठे बाबा के मददगार बनो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा से ज्ञान अमृत को पीकर पुनःओजस्वी बनकर कहती हूँ :-"प्यारे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा देह के आकर्षण में उलझ कर, हर पल व्यर्थ में खोयी हुई थी... *आपने प्यारे बाबा मुझे संगम में आकर, कौड़ी से हीरे जैसा चमकाया है.*.. समर्थ विचारो से भरकर, मुझे कितना कीमती और प्यारा बनाया है.. मै आत्मा यही ख़ुशी हर दिल को बाँट रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपनी शक्तियो से सजाकर कहते है :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... आप समान सबको सुखी और पावन बनाओ... *हर मन को पवित्रता के रंग में रंगकर, इस विश्व धरा को देवताई सौंदर्य से खिला दो.*.. सबके दामन में सुख भरे फूल खिला कर, मुरझाये मनो को फिर से खुशियो से महका दो... मीठे बाबा को हर पल याद कर, सतयुगी सुखो का अधिकार पा लो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा के असीम प्यार को अपने दिल में भरकर कहती हूँ :-"मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा खुद को देह मानकर. कितने अंधेरो में जी रही थी... *आपने सदा के उजालो से मेरा जीवन रौशन किया है... मुझे मेरे सत्य स्वरूप का अहसास कराकर, कितना पावन बना दिया है.*.. यही सच्ची ख़ुशी मै आत्मा, हर दामन में सजा रही हूँ..."मीठे बाबा से यूँ मीठी रुहरिहान कर मै आत्मा... अपने साकार जगत में आ गयी...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- एक बाप को सच्चा दोस्त बनाना और आत्मा भाई-भाई का अभ्यास पक्का करना*"
➳ _ ➳ एक साथी, एक दोस्त के रूप में अपने प्यारे मीठे शिव बाबा को याद करते ही मैं उन्हें अपने करीब पाती हूँ। अपने लाइट माइट स्वरूप में वो मेरे सामने खड़े हैं। *अपनी बाहों को फैलाये वो मुझे अपने साथ चलने का ईशारा कर रहें हैं। अपनी लाइट माइट से मुझे भी आप समान बना कर वो मेरा हाथ थामे मुझे इस दुनिया से दूर ले जा रहें हैं*।
➳ _ ➳ अपने दोस्त का हाथ थामे मैं पूरी दुनिया की सैर कर रही हूँ और अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के बारे में सोच - सोच कर हर्षित हो रही हूँ। *जिस भगवान को लोग आज दिन तक तलाश कर रहें हैं, आज तक जिसकी एक झलक के लोग प्यासे हैं वो भगवान मेरा दोस्त बन मेरे साथ इस दुनिया की सैर कर रहा है*। "वाह मेरा भाग्य", "वाह मैं आत्मा" जो स्वयं भगवान मेरा साथी मेरा दोस्त बन गया।
➳ _ ➳ मन ही मन अपने भाग्य की सराहना करते, अपने सच्चे दोस्त के साथ मीठी मीठी रूह - रिहान करते मैं पहुंच गई सूक्ष्म वतन। *ऐसा लग रहा है जैसे पूरा वतन रंग बिरंगे फूंलो की खुशबू से महक रहा है। वतन के खूबसूरत नजारो को मैं देख रही हूँ*। इधर उधर उड़ते फरिश्तों के अंगों से निकलती श्वेत रश्मियां ऐसी लग रही है जैसे चारों और सफ़ेद प्रकाश के झरने फूट रहे हों। बापदादा की लाइट माइट से फ़रिशतो की चमक निरन्तर बढ़ती जा रही है। *पूरे वतन में सफेद चाँदनी की जैसे चादर बिछी हुई है। चारों और छिटकी चांदनी मन को अति सुखद अनुभूति करवा रही है*।
➳ _ ➳ एक खूबसूरत फूंलो की झालरों से सजे झूले पर अपने सच्चे दोस्त के साथ बैठ, अब मैं अपने मन की हर बात उन्हें बता रही हूँ। *मेरे अंदर के जज़्बात मेरे संकल्पो के माध्यम से मेरे मनमीत, मेरे साथी तक पहुंच रहें हैं*। अपने जीवन मे बिताये सभी सुखद और दुखद पलों को अपने भाव और भावनाओं द्वारा मैं अपने इस वफादार साथी के साथ बाँट रही हूँ।
➳ _ ➳ कितने प्यार से मेरे मन की हर बात को मेरा यह सच्चा दोस्त सुन और समझ रहा है और अपनी मीठी दृष्टि में समाये असीम प्यार को मुझ पर लुटाते हुए हर बात के प्रभाव से मुझे मुक्त कर रहा है। *अपनी स्नेह भरी दृष्टि से मुझ में बल भर कर मुझे शक्तिशाली बना रहा है ताकि जीवन की हर परिस्थिति का मैं अचल अडोल बन कर सामना कर सकूँ*।
➳ _ ➳ अपने हाथ मे मेरा हाथ ले कर अपनी सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर समाहित करके मेरे साथी शिव बाबा ने मुझे भी आप समान मास्टर प्यार का सागर बना दिया है। *जिस आत्मिक दृष्टि से बाबा अपने हर बच्चे को देखते है वही आत्मिक दृष्टि मुझे प्रदान कर सबको आत्मा भाई - भाई की दृष्टि से देखने का मूल मंत्र मेरे सच्चे दोस्त शिव बाबा ने मुझे दे दिया है*। इस मूल मंत्र को ले कर, मास्टर प्यार का सागर बन अब मैं अपनी फ़रिशता ड्रेस को सूक्ष्म वतन में छोड़, निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ।
➳ _ ➳ अब मैं अपने साकारी शरीर मे भृकुटि पर विराजमान हो कर इस वर्ल्ड ड्रामा में हीरो पार्ट बजा रही हूँ। *सबको आत्मा भाई - भाई की दृष्टि से देखने के अभ्यास द्वारा अब हर एक के पार्ट को मैं साक्षी हो कर देख रही हूँ*। किसी के भी पार्ट को देख कर अब मेरे मन मे कोई प्रश्न नही उठ रहा। हर एक के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रख, सबको सच्चा रूहानी स्नेह देने से मैं सबके स्नेह की पात्र आत्मा बन गई हूँ।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा होलीहंस बन व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने वाली फीलिंग प्रूफ हूँ।*
➳ _ ➳ *होलिहंस मैं आत्मा... व्यर्थ बातों को... नेगेटिव संकल्पों को... व्यर्थ सम्बन्ध-संपर्क को समर्थ में परिवर्तन करती जा रही हूँ...* व्यर्थ सम्बन्ध-संपर्क को सकारात्मकता से भरपूर करती जा रही हूँ... *बापदादा के शीतल... पवित्र... किरणों को सभी सम्बन्ध-संपर्क में आने वालों पर फैला रही हूँ...* बापदादा की अखंड सुरक्षा कवच को महसूस करती मैं आत्मा... *व्यर्थ... नेगेटिव बातों को अपने से दूर रख उसके प्रभाव से मुक्त रहती हूँ...* पूर्वज आत्मा बन सभी को आशीर्वचनों से सुखद अनुभव कराती जा रही हूँ... नेगेटिविटी को पाजिटिविटी में बदलती जा रही हूँ... *मैं आत्मा अशांत और व्यर्थ संकल्पों पर शांत... शीतल... मधुर संकल्पों की विजय होती देख रही हूँ...*
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बेहद की वैराग्य वृत्ति द्वारा साधना के बीज को प्रत्यक्ष करने के साधन का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं ईश्वरीय सन्तान हूँ... सर्वशक्तिवान मेरा साथी है... तो समय अनुसार मुझ आत्मा की... *सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना बनती जा रही है*... मैं एक आत्मा हूँ... मुझ आत्मा को ईश्वरीय सन्तान की समझ मिली है... इस समझ ने मुझ आत्मा को एक स्थान पर बैठ... बाप समान बेहद की सेवा में बिजी रहना सीखा दिया... बेहद की सेवा मुझ आत्मा में बेहद की वैराग्य लाती जा रही है... मैं आत्मा कर्मेन्द्रियों को शांत करके... *सत्यता की शक्ति से शुद्ध बनती जा रही हूँ*... धरती पर होते हुए भी उपराम अवस्था बनती जा रही है... जिससे मैं आत्मा *विस्तार को समाप्त कर... सार स्वरूप में स्थित होती जा रही हूँ*... बेहद की वैराग्य वृति मुझ आत्मा की *साधना के बीज को प्रत्यक्ष करने का साधन बनती जा रही है*... शक्तिशाली वायुमंडल बनता जा रहा है... सफलता मूर्त आत्मा बनती जा रही हूँ...
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *साधन ही नहीं है और कहो, हमको तो वैराग्य है, तो कौन मानेगा? साधन हो और वैराग्य हो।* पहले के साधन और अभी के साधनों में कितना अन्तर है? साधना छिप गई है और साधन प्रत्यक्ष हो गये हैं। अच्छा है साधन बड़े दिल से यूज करो क्योंकि साधन आपके लिए ही हैं, लेकिन साधना को मर्ज नहीं करो। बैलेन्स पूरा होना चाहिए। जैसे दुनिया वालों को कहते हो कि कमल पुष्प समान बनो तो साधन होते हुए कमल पुष्प समान बनो। साधन बुरे नहीं हैं, साधन तो आपके कर्म का, योग का फल हैं। लेकिन वृत्ति की बात है। *ऐसे तो नहीं कि साधन के प्रवृत्ति में, साधनों के वश फंस तो नहीं जाते? कमल पुष्प समान न्यारे और बाप के प्यारे। यूज करते हुए उन्हों के प्रभाव में नहीं आये, न्यारे।* साधन, बेहद की वैराग्य वृत्ति को मर्ज नहीं करे। अभी विश्व अति में जा रही है तो अभी आवश्यकता है - सच्चे वैराग्य-वृत्ति की और वह वायुमण्डल बनाने वाले आप हो, पहले स्वयं में, फिर विश्व में।
✺ *ड्रिल :- "साधन और साधनों का बैलेन्स रखना"*
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता उड़ चली हूं... अपने प्यारे बाबा के पास... मेरे बाबा सिंहासन पर विराजमान है... उनकी नजर मुझ पर पड़ी और मेरी नजर उन पर हम दोनों एक दूसरे में समा गए हैं... *और मैं गहरी शांति का अनुभव कर रही हूं...* जैसे समुंदर में पानी है उसकी गहराई में समा जाते हैं... उसी तरह बाबा की यादों में समा गई हूं...
➳ _ ➳ बाबा मुझे कुछ कह रहे हैं... मैं बड़े प्यार से सुन रही हूं... मेरे मीठे प्यारे बच्चे-यह जो साधन है... आप को सहारा देने वाला है... आपकी मदद करने वाला है... *जब कभी आप उदास होते हो तो साधनों का उपयोग कर सकते हो... लेकिन मीठे प्यारे बच्चे साधन के सहारे कभी नहीं जीना...* जैसे बच्चा चलता है... उंगली पकड़कर उसे सहारा देते हैं... लेकिन जब वह अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है... तब उसका सहारा हट जाता है... ऐसे आप भी अपने पैरों पर खड़े होकर साधन के वश नहीं साधना के वश रहो... अपने मन की गहरी शांति के लिए किसी साधन को यूज़ करते हो... लेकिन आप तो शांत स्वरुप आत्मा हो... अपनी शक्तियों को इमर्ज करो और समय पर कार्य में लगाओ...
➳ _ ➳ जैसे आप कहते हो कमल पुष्प समान पवित्र बनो... जैसे कीचड़ में कमल होता है... लेकिन कीचड़ से उपराम रहता है... *आप भी बिना किसी साधन के इस भव सागर में कमल फूल समान पवित्र हो...* अब मैं समझ गई हूं... मुझे क्या करना है... साधनों का सहारा लेना है... लेकिन उस के सहारे नहीं जीना अपने साधन से कार्य करना है... मेरे प्राण प्यारे बाबा मुझे क्या-क्या सिखा रहे हो जो बाबा चाहे वही मैं कर रही हूं...
➳ _ ➳ बाबा मुझमें सर्व शक्तियां दे रहे हैं... और मैं सर्व शक्तियों को समाती जा रही हूं... मेरा एक रुप निखर गया है... मैं *संपूर्ण बाप समान बन गई हूं...* संपूर्ण फरिश्ता बन गई हूं... अब मैं धीरे-धीरे साकार वतन में आती हूं... और पवित्रता की किरणें पूरे वायुमंडल में फैला रही हूं... सारा वायुमंडल पवित्र शुद्ध बन गया है... *अब मैं सारे विश्व में बाबा की शक्तियों को फैला रही हूं...* इससे सारी विश्व की आत्माएं शांति अनुभव कर रही है... और सर्वात्मा बापदादा की तरफ आ रही है... समय प्रमाण इन आत्माओं को बापदादा की तरफ ले जाती हूं... बापदादा अपनी बाहों में समा लेते हैं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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