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❍ 11 / 02 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *इस पुरानी दुनिया से उपराम रहे ?*
➢➢ *स्वच्छ बुधी बन ज्ञान धारण कर फिर दूसरों को धारण कराया ?*
➢➢ *बाप समान रहमदिल बन आत्माओं को आसुरी मत से छुड़ाने की सेवा की ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *प्रतक्ष्यता और प्रतिज्ञा के बैलेंस द्वारा सर्व को बाप की ब्लेसिंग प्राप्त कराई ?*
➢➢ *लवलीन स्थिति का अनुभव कर स्मृति विस्मृति का युद्ध समाप्त किया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *"मेरी विशेषता नहीं, बाप द्वारा मिली हुई विशेषता है" - सदा यह स्मृति रही ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - पढ़ाई में गफलत मत करो,अविनाशी ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरते रहो,विनाशी धन के पीछे इस कमाई को छोड़ना नही"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... यह ईश्वरीय पढ़ाई यह *ज्ञान धन ही सच्चे सुखो का आधार है*... इस पढ़ाई में जीजान से जुट जाओ अपने हर संकल्प समय साँस को ज्ञान और योग से रंग दो... यही ज्ञान रत्नों की सच्ची कमाई ही सतयुगी सुनहरे सुखो को दामन में सजाएगी...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से मालामाल होकर विश्व की मालिक बन रही हूँ... सच्चे बाबा के सच्चे ज्ञान ने मुझे सच्चे धन से लबालब कर दिया है... और मै आत्मा हर पल इन रत्नों से खेल रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस धरा के विनाशी धन के पीछे समय व्यर्थ न गंवाओ... *ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से स्वयं को धनवान् बनाओ*... यह धन 21 जनमो के अथाह सुखो से जीवन को खुशनुमा बनाएगा... और विश्व की बादशाही से नवाजेगा... मीठे स्वर्ग की असीम खुशियां कदमो में बिखरायेगा...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा *अविनाशी धन को पाने वाली महान भाग्यवान बन चली हूँ.*.. प्यारे बाबा आपने अपनी सारी दौलत को मेरे नाम लिख दिया है और मै आत्मा इन खजानो को बाँहों में भरकर स्वर्ग की धरती पर मुस्करा रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... धरती के मटमैले नातो और विनाशी धन में अपनी ऊर्जा को अधिक न खपाओ... *सच्चे सुखो से सजाने वाले अविनाशी रत्नों को* खजानो को... जितना चाहो अपने नाम कर चलो... यह ईश्वरीय अमीरी ही 21 जनमो तक सुख पहुंचाएगी विनाशी धन की माया तो समय और सांसो को ठग जायेगी...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा विनाशी धन को सब कुछ समझ किस कदर खपती जा रही थी... *आपने प्यारे बाबा ज्ञान रत्नों भरी अमीरी से मेरा जीवन संवार दिया है*... मुझे कितना सुख कितना आराम दिया है... आपके प्यार की बाँहों में, मै आत्मा मालामाल होती जा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा विजयी रत्न हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा सर्व गुणों के सागर की संतान हूँ... सर्व शक्तियों के *वरदाता की संतान मास्टर वरदाता* हूँ... मैं आत्मा इस देह और दुनिया से न्यारी होती जा रही हूँ... मैं आत्मा सूक्ष्म लोक में बापदादा के सम्मुख बैठ जाती हूँ... चारों ओर सफेद चमकता हुआ प्रकाश है...
➳ _ ➳ बापदादा मुझ आत्मा का आहवान कर रहे हैं... प्यारे बापदादा मुझ आत्मा को पवित्रता की शक्तियों की किरणों में नहला रहे हैं... बापदादा मुझ आत्मा को फरिश्तों की सुंदर सफेद पोशाक पहना रहे हैं... ज्ञान, गुण, शक्तियों के मोतियों से सजा रहे हैं... मुझ फरिश्ते के सिर पर *पवित्रता का सुंदर ताज* पहना रहे हैं...
➳ _ ➳ प्यारे बापदादा मुझ आत्मा के सिर पर अपना वरदानी हाथ रख रहे हैं... मुझ आत्मा को वरदानों से भरपूर कर रहे हैं... अपनी दृष्टि से मुझ आत्मा को निहाल कर रहे हैं... मैं फरिश्ता बापदादा के प्यार में समाती जा रही हूँ... मैं फरिश्ता बापदादा की गोद में *अतिंद्रिय सुख की अनुभूति* कर रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा बापदादा से रूह-रिहान करती हूँ... प्यारे बाबा आपने मुझ आत्मा को सत्य ज्ञान दिया... कि मैं कौन हूँ और मेरा कौन है... मैं आपकी *ईश्वरीय संतान चैतन्य आनंद स्वरूप* हूँ... स्वयं एक शक्ति हूँ... आपने इस सृष्टि चक्र के बारे में स्पष्ट ज्ञान देकर मुझ आत्मा को त्रिकालदर्शी बना दिया...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सर्वगुणों, शक्तियों को अपने में *धारण कर धारणास्वरूप बनती* जा रही हूँ... प्यारे बाबा आपने जो सत्य ज्ञान मुझ आत्मा को दिया... अब मुझ आत्मा का कर्तव्य है... सर्व को इस ज्ञान का परिचय देना... प्यारे बाबा अभी भी सब लोग आपके एक साक्षात्कार के लिए भटक रहे हैं... आपको ढूँढ़ रहे हैं...
➳ _ ➳ प्यारे बाबा अब मैं आत्मा दृढ़ता सम्पन्न प्रतिज्ञा करती हूँ कि मैं आत्मा चारों ओर आपकी प्रत्यक्षता का नगाडा बजाउंगी... सर्व को आपकी वर्सा का अधिकारी बनाऊंगी... मैं आत्मा दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ कि कैसी भी परिस्थिति में हार नहीं खाऊंगी... मैं आत्मा आपके गले का हार बनूंगी... अब मैं आत्मा *प्रत्यक्षता और प्रतिज्ञा के बैलेन्स द्वारा* सर्व को बाप की ब्लैसिंग प्राप्त कराने वाली विजयी रत्न बनने का पुरुषार्थ कर रही हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल - लवलीन स्थिति का अनुभव करना"*
➳ _ ➳ *मैं ऊंचे ते ऊंचे बाप के साथ पार्ट प्ले करने वाली आत्मा हूँ*... मुझ आत्मा का हर संकल्प... हर बोल विशेष है... साधारण नही... श्वांसों श्वांस स्मृति में रहने वाली आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाप के लव में लीन आत्मा हूँ... मैं आत्मा हर कार्य को लवलीन होकर करती जा रही हूँ... *मुझ आत्मा को बाप के सिवाय कोई और दिखाई नही दे रहा*... हर-पल बाप का साथ अनुभव करती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ बापदादा मुझ आत्मा को सदा... स्नेह और सहयोग की गोदी में बिठाकर... मंजिल पर ले जा रहे है... ऐसा अनुभव हो रहा है... *मुझ आत्मा की सभी मेहनत समाप्त होती जा रही है*... एक बाप की याद में रहने से हर कार्य सहज ही होते जा रहे हैं...
➳ _ ➳ *मुझ आत्मा को दुनियावी कोई भी आकर्षण... अपनी और आकर्षित नही कर सकता*... मैं आत्मा अपने सर्व सम्बन्ध बाप से अनुभव करती हूँ... बाबा मुझ आत्मा की हर मुश्किल को सहज करते जा रहे हैं...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा का हर श्वांस बाप की याद में ही गुजरता है... बाप की याद... *बाबा का प्यार मुझ आत्मा को शक्तिशाली बनाता जा रहा है*... बाप की स्मृति... मुझ आत्मा को अपने पिछले संस्कारों की विस्मृति से बचाती है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सदा स्मृति में समर्थ अनुभव करती जा रही हूँ... मैं आत्मा तो हूँ ही बाबा की... मुझ आत्मा का हर श्वांस स्मृति में रहने वाला है... विस्मृति हो नही सकती... *विस्मृति मुझ आत्मा को सम्पूर्ण बनने नही देगी*... इसलिये सदा बाप के लव में लीन रहने वाली आत्मा हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *प्रत्यक्षता और प्रतिज्ञा के बैलेन्स द्वारा सर्व को बाप की ब्लैसिंग प्राप्त कराने वाले विजयी रत्न होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ प्रत्यक्षता और प्रतिज्ञा के बैलेन्स द्वारा सर्व को बाप की ब्लैसिंग प्राप्त कराने वाले विजयी रत्न होते हैं क्योंकि... *हमें प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजाने के लिये दृढ़ता सम्पन्न प्रतिज्ञा करनी है।* जब तक हम नगाड़ा बजाने की दृढ़तापूर्वक प्रतिज्ञा नहीं करेंगे, तब तक प्रत्यक्षता का सम्भव होना भी हम से दूर दूर ही रहेगा।
❉ अतः हमें प्रत्यक्षता और प्रतिज्ञा का सदा ही बैलेन्स बना कर चलना है और बाप की ब्लेसिंग्स को प्राप्त करने वाले विजयी रत्न बनना है। *विजयी रत्न आत्मायें! स्वयं को व अपने प्रिय बापदादा को, प्रत्यक्ष करने के निमित्त बनती हैं।* वह सदा अपने हर कार्य में विजय प्राप्त करती हैं।
❉ *वैसे भी प्रतिज्ञा करना माना... जान की बाजी लगा देना होता है।* जान भले ही चली जाये, परन्तु हमारी प्रतिज्ञा नहीं जानी चाहिये। प्रतिज्ञा करना और उसको हर हाल में निभाना ही, हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है। हमारे रामायण महाभारत जैसे महान ग्रंथों में भी इस कथन को सिद्ध करने के लिये कई उद्धरण प्रस्तुत हैं।
❉ इस विषय में ये कहावत भी प्रचलित है कि... रघुकुल रीति सदा चली आई! प्राण जाये पर वचन न जाई!! वह लोग प्रतिज्ञा के आगे अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते थे। अतः *दृढ़ प्रतिज्ञा करने वाले बच्चे! कैसी भी परिस्तिति में हार नहीं खा सकते।* वह तो! बाबा के गले का हार होते हैं, अर्थात! वे विजयी रत्न बन जाते हैं। अतः हमें दृढ़ प्रतिज्ञ ही बनना है।
❉ इसलिये! जब हम इस प्रकार की दृढ़ प्रतिज्ञा करेंगे तब प्रत्यक्षता भी हमारे लिये सहज हो जाती है। प्रत्यक्षता और प्रतिज्ञा का श्रेष्ठतम बैलेन्स ही, अर्थात! *इन दोनों का बैलेन्स ही सर्व आत्माओं को, बापदादा द्वारा ब्लेसिंग्स प्राप्त करवाने का आधार है।* तभी तो कहा है कि... प्रत्यक्षता और प्रतिज्ञा के बैलेन्स द्वारा बाप की प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजाने वाले दृढ़ प्रतिज्ञ व विजयीरत्न होते हैं।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *लवलीन स्थिति का अनुभव करो तो स्मृति - विस्मृति के युद्ध में समय नहीं जायेगा... क्यों और कैसे* ?
❉ जैसे परमात्मा विचित्र हैं, उनका कोई चित्र अर्थात देह नही । इसी तरह परमात्मा बाप की संतान हम आत्माए भी अपने मूल स्वरूप में विचित्र ही है । *इस चित्र अर्थात देह का आधार तो केवल पार्ट बजाने के लिए लिया है* । जब इस बात को भूल कर चित्र अर्थात देह को देखते हैं तो देह भान में फंस जाते हैं किन्तु स्वयं को जब निर्विकारी आत्मा अनुभव करते हैं और परमात्म प्यार में सदा खोये रहते हैं तो यह लवलीन स्थिति स्मृति - विस्मृति के युद्ध में समय को व्यर्थ जाने से बचा लेती है ।
❉ जैसे किसी भी चीज को छोड़ने के बजाए उसे धारण करना सहज होता है । ऐसे ही देह भान को, पुराने स्वभाव संस्कारों को छोड़ना कठिन लगता है । इसलिए बापदादा कहते हैं कि *छोड़ने की मेहनत नही करो लेकिन स्वमान में स्थित रहने का अटेंशन रखो* तो देह का भान स्वत: ही छूट जायेगा । इसलिए जो सदा स्वमान की सीट पर सेट रहते हैं वे देह भान से मुक्त होते चले जाते हैं और आत्मिक स्मृति में रह लवलीन स्थिति का अनुभव करते रहते हैं इसलिए स्मृति विस्मृति की युद्ध में फिर उनका समय व्यर्थ नही जाता ।
❉ जो इस बात को अच्छी रीति बुद्धि में धारण कर लेते हैं कि यह देह विनाशी है और इस देह में विराजमान जो चैतन्य सत्ता है वो अविनाशी है । और इस *देह का अस्तित्व केवल तब तक है जब तक वो अविनाशी सत्ता इस देह के अंदर विराजमान है* । इसलिए विनाशी देह को देखना और इससे ममत्व रखना स्वयं को ही ठगना है । यह स्मृति बेहद का वैरागी बना देती है इसलिये दुनियावी सम्बन्धो से प्रेम निकल कर केवल एक परमात्मा बाप से जुट जाता है और यह लवलीन स्थिति स्मृति - विस्मृति में व्यर्थ होने वाले समय को बचा लेती है ।
❉ मनुष्य का यह स्वभाव है कि जिसके साथ उसका गहरा सम्बन्ध या स्नेह होता है उसे याद करने की उसे मेहनत नही करनी पड़ती बल्कि याद स्वत: बनी रहती है । *बाबा की याद भी निरन्तर बनी रहे इसके लिए जरूरी है बाबा से जिगरी स्नेह होना* और यह स्नेह तभी उतपन्न होगा जब केवल एक बाबा को ही सर्व सम्बन्धो से अपना साथी बना लेंगे । इससे चलते - फिरते, उठते - बैठते हर कर्म करते मन बुद्धि में केवल एक बाबा की ही याद रहेगी और यह लवलीन स्थिति स्मृति - विस्मृति के युद्ध में समय को वेस्ट होने से बचा लेगी ।
❉ जिन सांसारिक सम्बन्धो में हम सदा सुख तलाश करते रहते हैं । जिनके प्यार में, जिनके मोह में फंस कर हम अच्छे बुरे कर्म करने से भी पीछे नही हटते । जब उन्ही कर्मो का फल सुख और दुःख के रूप में सामने आता है तो उस दुख के समय यही सम्बन्धी कहीं बहुत दूर खड़े नजर आते हैं । इसलिए जो इस बात को सदा स्मृति में रखते हैं कि *आत्मा का सिवाय परमात्मा के और कोई नही है* और इसी स्मृति में रहते सदा परमात्म प्यार में खोए रहते हैं उनका समय स्मृति - विस्मृति की युद्ध में कभी व्यर्थ नही जाता ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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