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 06 / 12 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢  *इस पतित दुनिया से दिल हटाया ?*

 

➢➢  *स्वदर्शन चक्रधारी बनकर रहे ?*

 

➢➢  *स्वदर्शन चक्र के टाइटल की स्मृति द्वारा परदर्शन मुक्त रहे ?*

 

➢➢  *वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव किया और कराया ?*

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         ❂ *योगी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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〰✧  आत्मा शब्द स्मृति में आने से ही रुहानियत के साथ शुभ-भावना भी आ जाती है। पवित्र दृष्टि हो जाती है। *चाहे भल कोई गाली भी दे रहा हो लेकिन यह स्मृति रहे कि यह आत्मा तमोगुणी पार्ट बजा रही है तो उससे नफरत नहीं करेंगे, उसके प्रति भी शुभ भावना बनी रहेगी।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢  *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ"*

 

  बाप-दादा बच्चों को पहला-पहला टाइटिल देते हैं 'स्वदर्शन चक्रधारी'। बाप-दादा द्वारा मिला हुआ टाइटिल स्मृति में रहता है? *जितना-जितना स्वदर्शन चक्रधारी बनेंगे उतना मायाजीत बनेंगे।* तो स्वदर्शन चक्र चलाते रहते हो? स्वदर्शन चक्र चलाते-चलाते कब स्व के बजाय पर-दर्शन चक्र तो नहीं चल जाता? 

 

✧  स्वदर्शन चक्रधारी बनने वाले स्व-राज्य और विश्व राज्य के अधिकारी बन जाते हैं। स्वराज्य अधिकारी अभी बने हो? *जो अभी स्वराज्य अधिकारी बनते वही भविष्य राज्य अधिकारी बन सकते हैं।* राज्य अधिकारी बनने के लिए कन्ट्रोलिंग पावर चाहिए।

 

✧  *जब जिस कर्म इन्द्रिय द्वारा जो कर्म कराने चाहें वह करा सकते, इसको कहा जाता है 'अधिकारी'।* ऐसी कन्ट्रोलिंग पावर है? कभी आंखे वह मुख धोखा तो नहीं देते। जब कन्ट्रोलिंग पावर होती है तो कोई भी कर्मेन्द्रिय कभी संकल्प रूप में भी धोखा नहीं दे सकती।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢  *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  सेवा में बहुत अच्छा लगे हुए हो लेकिन लक्ष्य क्या है? सेवाधारी बनने का वा कर्मातीत बनने का? कि दोनों साथ-साथ बनेंगे? ये अभ्यास पक्का है? *अभी-अभी थोडे समय के लिए यह अभ्यास कर सकते हो?* 

 

✧  अलग हो सकते हो? या ऐसे अटैच हो गये हो जो डिटैच होने में टाइम चाहिए? कितने टाइम में अलग हो सकते हो? मिनट चाहिए, एक मिनट चाहिए वा एक सेकण्ड चाहिए? एक सेकण्ड में हो सकते हो? *पाण्डव एक सेकण्ड में एकदम अलग हो सकते हो?*

 

✧  *आत्मा अलग मालिक और कर्मेन्द्रियाँ कर्मचारी अलग, यह अभ्यास जब चाहो तब होना चाहिए।* अच्छा, अभी-अभी एक सेकण्ड में न्यारे और बाप के प्यारे बन जाओ। पॉवरफुल अभ्यास करो बस, मैं हूँ ही न्यारी।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢  *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप को और चक्र को याद कर एवर निरोगी बनना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा बाह्य जगत में चक्कर लगा रहे अपने मन-बुद्धि को अंतर्जगत में लेकर जाती हूँ...* अंतर्जगत का चक्कर लगाते भृकुटी सिंहासन पर बैठ जाती हूँ... मैं आत्मा स्मृतियों की सीट पर बैठकर स्वदर्शन चक्र फिराते हुए पहुँच जाती हूँ हिस्ट्री हाल में... *प्यारे बाबा संदली पर विराजमान होकर सुप्रीम शिक्षक के रूप में मुझे एवर निरोगी बनने का पाठ पढ़ाते हैं...*

 

  *प्यारे बाबा तन के क्लेश मिटाकर एवर निरोगी बनने का राज बताते हुए कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... जिसे पाने की चाहत में दर दर भटक रहे थे, वह जब सम्मुख है तो उस पिता की याद में गहरे डूब जाओ... *यह यादे ही सच्चे सुखो से दामन छलकायेगी...* जीवन को निरोगी बनाकर, अनन्त खुशियो की बहारे खिलाएंगी... इन मीठी यादो में सदा के खो जाओ...

 

_ ➳  *मैं आत्मा सिमर सिमर सुख पाती हुई बाबा की यादों में डूबकर कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा भगवान को जगह जगह खोज रही थी... आज भाग्य की बलिहारी से *पिता शिक्षक और सतगुरु के रूप में पाकर धन्य धन्य हो गयी हूँ...* मीठे बाबा... मेरा भटकना अब छूट गया है और मै आत्मा सदा की सुखी हो गयी हूँ...

 

   *मीठे बाबा पारलौकिक सुखों की लहरों से जीवन को सुखमय बनाते हुए कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय यादो में देवताई सुख समाये है... इन यादो से ही जनमो के विकर्मो से मुक्ति है... इसलिए *ईश्वर पिता की याद को हर साँस में पिरो दो...* दिल की धड़कन की तरहा याद को दिल में समालो और सच्चे सुख निरोगी काया को पाकर सदा का मुस्कराओ...

 

_ ➳  *मैं आत्मा मीठे बाबा के मीठे प्यार के समंदर में डूबकर कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपको जड़ चेतन व्यक्तियो में खोज कर, कितनी बेहाल हो गयी थी... आपने आकर मुझे आवाज दी, और अपने से मिलवाया... *मीठे बाबा... मै आत्मा रोम रोम से आपकी शुक्रगुजार हूँ...* प्यारे बाबा... अब तो हर पल आपकी यादो के नशे में मदमस्त हूँ...

 

   *मेरे बाबा काँटों रूपी दुखों को निकाल मुझ पर रंग बिरंगी फूलों की बरसात करते हुए कहते हैं:–* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *एक पिता की यादो में खोकर अपने भाग्य को देवताओ सा खुबसूरत और दिव्य बनाओ...* यह मीठी यादे ही तन मन को सदा का स्वस्थ बनाएगी... जीवन के सब दुःख दूर हो जायेंगे और आप बच्चे खुशनुमा फूल से सुखो में खिल जायेंगे...

 

_ ➳  *मैं आत्मा अपने तन मन को बाबा की यादों के दिव्य सुगंध से महकाते हुए कहती हूँ:–* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा दुखो के दलदल में फंसकर तन मन से रुग्ण हो गयी थी... आपने प्यारे बाबा मुझे सदा का सुखी बनाया है... *मेरे थके कदमो तले अपने प्यार का मखमल बिछाया है...* सच्चे प्यार में मिले सुकून और शीतलता ने जीवन की तपिश को हर लिया है...

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- इस पतित दुनिया से दिल हटा देना है*"

 

_ ➳  अपने दिल मे दिलाराम शिव बाबा की मीठी याद को समाये मैं मन ही मन विचार करती हूँ कि *आज दिन तक देह और देह की इस झूठी दुनिया, देह के झूठे सम्बन्धो को दिल मे बसा कर सिवाय दर्द के और कुछ नही पाया किन्तु जब से दिलाराम बाबा को दिल मे बसाया है तब से दिल को असीम सुकून और चैन मिला है*। ऐसा सुकून और चैन जिसे पाकर अब और कुछ पाने की इच्छा ही शेष नही रही। तो जब हर इच्छा से अविद्या हो चुकी तो फिर इस पतित दुनिया से दिल क्यों लगाना!

 

_ ➳  मन ही मन स्वयं से बातें करती मैं स्वयं से ही प्रतिज्ञा करती हूँ कि अब सिवाय एक दिलाराम बाप के इस दिल में और किसी की याद कभी नही आयेगी। *इस पतित दुनिया से दिल हटाकर अब सर्व सम्बन्धो का सुख मुझे केवल अपने दिलाराम बाबा से लेना है और इन नश्वर सम्बन्धों से पूरी तरह ममत्व मिटाये नष्टोमोहा बनना है* ताकि हम ब्राह्मणों का अंत का जो पेपर है नष्टोमोहा स्मृतिलब्धा का उसमे मैं पास विद ऑनर हो सकूँ।

 

_ ➳  इसी प्रतिज्ञा के साथ अपने निराकारी ज्योतिबिन्दु स्वरुप में स्थित हो कर, दिल को आराम देने वाली *अपने दिलाराम बाबा की मीठी याद में मैं अपने मन बुद्धि को एकाग्र करके बैठ जाती हूँ और सेकेंड में देह के बन्धन से न्यारी हो कर भृकुटि सिहांसन को छोड़ मैं दिव्य ज्योतिबिन्दु आत्मा अब देह से बाहर आ जाती हूँ*। अपनी नश्वर देह और आस - पास की हर वस्तु को साक्षी हो कर देखते हुए अब मैं उन सबसे किनारा कर अपने शिव पिता से मिलन मनाने ऊपर की ओर जा रही हूँ। अपने दिलाराम बाबा की मीठी याद रूपी स्नेह की डोर को थामे मैं निरन्तर ऊपर उड़ती जा रही हूँ।

 

_ ➳  पांचो तत्वों को पार कर, सूक्ष्म लोक से परें, आत्माओं की उस प्रकाशमयी निराकारी दुनिया मे मैं प्रवेश करती हूँ जहां मेरे दिलाराम शिव बाबा रहते हैं। *मन बुद्धि के नेत्रों से अपने शिव पिता को अपने अति समीप पाकर मैं मन ही मन हर्षित हो रही हूँ। प्रेम के सागर मेरे शिव पिता के स्नेह की मीठी मीठी लहरें उड़ - उड़ कर मेरे पास आ रही हैं*।  अपने शिव पिता के स्नेह की शीतल फुहारों के नीचे मैं असीम आनन्द की अनुभूति कर रही हूँ। अपनी असीम शक्तियाँ मुझमें प्रवाहित कर बाबा मुझे आप समान शक्तिशाली बना रहे हैं। स्वयं को मैं सर्वशक्तियों से सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ।

 

_ ➳  सर्वशक्तियों से भरपूर हो कर सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बन अब मैं आत्मा वापिस लौट रही हूँ। परमधाम से नीचे वापिस साकारी लोक में आकर अब मैं अपने शरीर रूपी रथ पर फिर से विराजमान हो गई हूँ। मेरे शिव पिता परमात्मा के असीम स्नेह की मीठी अनुभूति अब मुझे इस पतित दुनिया से उपराम कर रही है। *दिलाराम बाबा के निःस्वार्थ प्रेम के अनुभव ने मेरी दृष्टि, वृति को बदल दिया है। इस पतित दुनिया से दिल हटाकर, दिल मे निरन्तर दिलाराम बाबा की मीठी याद को समा कर एक असीम आनन्दमयी सुखदाई स्थिति का अनुभव अब मैं हर पल कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं स्वदर्शन चक्र के टाइटल की स्मृति द्वारा परदर्शन मुक्त्त बनने वाली मायाजीत आत्मा हूँ ।*

 

➢➢  इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव करके और कराकर बचपन के खेल को समाप्त करने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢  इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  आप लोग सभी नये वर्ष में सिर्फ कार्ड देकर हैपी न्यु इयर नहीं करना लेकिन कार्ड के साथ हर एक आत्मा को दिल से रिगार्ड देना... *रिगार्ड का कार्ड देना और एक-दो को सौगात में छोटा-मोटी कोई भी चीजें तो देते ही होवह भी भले दो लेकिन उसके साथ-साथ दुआयें देना और दुआयें लेना...* कोई नहीं भी दे तो आप लेना... अपने वायब्रेशन से उसकी बद-दुआ को भी दुआ में बदल लेना... तो *रिगार्ड देना और दुआयें देना और लेना - यह है नये वर्ष की गिफ्ट...* शुभ भावना द्वारा आप दुआ ले लेना... अच्छा।   

 

✺   *ड्रिल :-  "रिगार्ड का कार्ड देकर दुआयें देने और दुआयें लेने का अनुभव"*

 

_ ➳  अपना लाइट का सूक्ष्म आकारी फ़रिशता स्वरूप धारण कर, अपने खुदा दोस्त, *अपने शिव साथी से अपने मन की बात कहने के लिए मैं अपने साकारी शरीर रूपी घर से बाहर निकलती हूँ और पहुंच जाती हूँ अपने शिव साथी के पास अव्यक्त वतन में...* यहां पहुंच कर मैं अपने खुदा दोस्त का आह्वान करती हूं जो पलक झपकते ही अपना धाम छोड़ कर, इस अव्यक्त वतन में पहुंच जाते हैं और आकर अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो जाते हैं...

 

_ ➳  अब मैं देख रही हूं अपने साथी, शिव बाबा को लाइट माइट स्वरुप में अपने बिल्कुल सामने... मुझे देख कर मुस्कराते हुए बापदादा मुझे अपने पास बुलाते हैं... *मुझे गले लगा कर, न्यू ईयर विश करते हैं और गिफ्ट के रूप में अपनी सर्वशक्तियों, सर्व गुणों और सर्व खजानों से मुझे भरपूर कर देते हैं...* अपने प्यारे मीठे शिव साथी से मीठी दृष्टि लेते हुए मन ही मन मैं अपने आप से सवाल करती हूं कि अपने भगवान साथी को मैं रिटर्न में न्यू ईयर की क्या गिफ्ट दूँ...! मेरे मन की बात मेरे साथी तुरन्त पढ़ लेते हैं... चेहरे पर गुह्य मुस्कराहट लाकर मेरे मीठे बाबा मुझे सामने देखने का इशारा करते हैं...

 

_ ➳  सामने एक बहुत ही सुंदर लिफ्ट को देख कर मैं प्रश्नचित निगाहों से अपने प्यारे मीठे खुदा दोस्त को देखती हूँ... *बाबा मुस्कराते हुए कहते हैं:- "ये न्यू ईयर का एक विशेष तोहफा है..." ये लिफ्ट साधारण लिफ्ट नही, ये दुआओं की लिफ्ट है*... यह कहकर बाबा मुझे उस लिफ्ट के अंदर ले जाते हैं... लिफ्ट में बैठते ही, स्मृति का स्विच ऑन करते ही मैं सेकेंड में तीनों लोकों की सैर करने लगती हूँ... *बाबा के मधुर महावाक्य सहज ही स्मृति में आने लगते हैं कि "ब्राह्मण जीवन मे दुआयें लिफ्ट का काम करती हैं जो पुरुषार्थ को तीव्र करती हैं..."*

 

_ ➳  इन महावाक्यों की स्मृति में खोई, अपने ख़ुदा दोस्त के साथ इस लिफ्ट में बैठी मैं पूरे वतन की सैर कर, आनन्दित हो रही हूं... तभी *बाबा की आवाज सुनाई देती है कि:- "इस लिफ्ट को पाने का साधन भी दुआओं की गिफ्ट है" अर्थात दुआयें देना और दुआयें लेना..." इसलिए नये वर्ष में सिर्फ कार्ड देकर हैपी न्यु इयर नहीं करना लेकिन कार्ड के साथ हर एक आत्मा को दिल से रिगार्ड देना... कोई नही दे तो भी आप देना... उनकी बद-दुआ को भी दुआ में बदल देना... शुभ भावना द्वारा आप दुआ ले लेना... अपने सभी आत्मा भाइयों को दुआओं की गिफ्ट देना, यही बाबा के लिए आपके गिफ्ट का रिटर्न है...*

 

_ ➳  बाबा को न्यू ईयर की गिफ्ट का रिटर्न देने के लिए अब मैं अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को बाबा के सामने वतन में इमर्ज करके, जाने अनजाने में हुई अपनी हर गलती के लिए उनसे माफी मांग रही हूँ... उनकी गलतियों के लिए भी अपने मन में उनके लिए कोई मैल ना रखते हुए उन्हें दिल से माफ कर रही हूँ... *बाबा से आ रही सर्वशक्तियां मुझ से निकल कर उन आत्माओ पर पड़ रही हैं और एक दूसरे के लिए मन में जो कड़वाहट थी वो धुल रही है... मन में अब किसी के लिए भी कोई बोझ कोई भारीपन नही है...*

 

_ ➳  परमात्म लाइट माइट से अब मैं भरपूर हो कर वापिस लौट रही हूँ... और अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ फिर से अपने साकारी शरीर रूपी घर में प्रवेश कर रही हूँ... *किसी भी आत्मा के लिए अब मेरे मन मे कोई द्वेष नही है*... अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को अब मैं स्नेह और रिगार्ड दे कर सहज ही उनकी दुआओं की पात्र बन रही हूँ... *इस संगमयुग पर "दुआयें देना और दुआयें लेना" यही मुझ ब्राह्मण आत्मा का कर्तव्य है...* इस बात को सदा स्मृति में रख, हर आत्मा के प्रति शुभभावना, शुभकामना रखते हुए अब मैं दुआओं की लिफ्ट पर बैठ सदा उड़ती कला का अनुभव कर रही हूं...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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