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❍ 10 / 10 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *लोभ के वश कोई भी चीज़ छिपाकर अपने पास तो नहीं रखी ?*
➢➢ *बाप के फरमान पर चलते रहे ?*
➢➢ *मम्मा बाबा को पूरा फॉलो किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *सत्यता की हिम्मत से विश्वास का पात्र बनकर रहे ?*
➢➢ *शांति व पवित्रता के खजाने से स्वयं को भरपूर किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ आज बापदादा अपने सर्व स्वराज्य अधिकारी बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं क्योंकि *स्वराज्य अधिकारी ही अनेक जन्म विश्व-राज्य अधिकारी बनते हैं।* तो आज डबल विदेशी बच्चों से बापदादा स्वराज्य का समाचार पूछ रहे हैं।
〰✧ हर एक राज्य अधिकारी का राज्य अच्छी तरह से चल रहा है? आपके राज्य चलाने वाले साथी, सहयोगी साथी सदा समय पर यथार्थ रीति से सहयोग दे रहे हैं कि बीच-बीच में कभी धोखा भी देते हैं? जितने भी सहयोगी कर्मचारी कर्मेन्द्रियाँ, चाहे स्थूल हैं, चाहे सूक्ष्म हैं, *सभी आपके ऑर्डर में हैं? जिसको जिस समय जो ऑर्डर करो उसी समय उसी विधि से आपके मददगार बनते हैं?*
〰✧ रोज अपनी राज्य दरबार लगाते हो? राज्य कारोबारी सभी 100 प्रतिशत आज्ञाकारी, वफादार, एवररेडी हैं? क्या हालचाल है? अच्छा है व बहुत अच्छा है व बहुत, बहुत अच्छा है? *राज्य दरबार अच्छी तरह से सदा सफलता पूर्वक होती है वा कभी-कभी कोई सहयोगी कर्मचारी हलचल तो नहीं करते है?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)
➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- कर्मयोगी बन, हर कर्म में बाप को याद करना"*
➳ _ ➳ मीठे बाबा से देवताई लक्ष्य को पाकर,मै आत्मा... जीवन को मूल्यों से सजाने,गुणो और शक्तियो से भरने के लिए... मीठे बाबा की कुटिया में पहुंचती हूँ... प्यारे बाबा अपने वरदानों की बारिश में मुझे भिगो देते है...मै आत्मा इस मीठे चिंतन में डूब जाती हूँ कि... बिना बाबा के यह जीवन कितना सूना और खाली था... *आज प्यारे बाबा ने ज्ञान और याद की झनकार से जीवन को खुशियो से तरंगित कर दिया है..*. मै आत्मा हर साँस, हर कर्म में प्यारे बाबा को याद करती हुई, अपने मीठे भाग्य पर हर्षित होकर, मीठे नगमे गुनगुनाती हुई...हर कर्म में मीठे बाबा को साथी बनाकर... कर्म के हर प्रभाव से मुक्त हो गयी हूँ...
❉ मोठे बाबा ने मुझ आत्मा को सच्चे प्यार की तरंगो में डुबोते हुए कहा :-" मीठे प्यारे फूल बच्चे... मीठे बाबा की प्यारी यादो में रहकर हर कर्म को करो... यादो में हर पल डूबकर, कर्म को करेंगे तो स्वतः ही विकर्मो से बचे रहेंगे... *इसलिए हर साँस और संकल्प से यादो के तारो को जोड़कर, कर्मयोगी बनकर मुस्कराओ..*. यह यादे ही दुखो से मुक्त कराकर, खुशियो भरे स्वर्ग में पहुंचाएंगी..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा से सच्चा प्यार पाकर, खुशियो में झूमते हुए कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपके बिना देह की मिटटी में लथपथ हो गयी थी... और दुखो से घिर गयी थी... *आज आपका हाथ और साथ पाकर पुण्यो से मेरा दामन भर गया है.*.. सदा ईश्वरीय यादो में खोयी हुई मै आत्मा... कर्म योगी बनकर मुस्करा रही हूँ...
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी अथाह सम्पत्ति का मालिक बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता ने जो यादो का और ज्ञान का खजाना बाँहों में भरा है... *उनकी मीठी यादो में गहरे डूबकर, सदा ईश्वरीय प्यार को और शक्तियो को महसूस करो... और विकर्मो की कालिमा से परे रहो.*.. यह यादे ही सच्चा सहारा बनकर, इस विकारी दुनिया से बेदाग बनाकर, सच्ची खुशियो ले जाएँगी...."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा की बाँहों में झूलते हुए कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा अपने मीठे भाग्य पर कुर्बान हूँ... जिसने मुझे यूँ भगवान से मिलवाकर... मेरा दामन अनन्त सुखो से खिलाया है... *विकारी जीवन की कालिख से छुड़वाकर... मेरे मन बुद्धि को सोने सा दमकाया है, और पावनता से मुझे महकाया है.*.."
❉ मीठे बाबा ने मुझे गुणो और शक्तियो की अमीरी का बादशाह बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... सदा यादो की खुशबु में डूबे हुए, विकर्मो की बदबू से उपराम रहो... हर कर्म को यादो के तारो में पिरोकर करो... तो ईश्वरीय याद मायावी प्रभाव से सहज ही सुरक्षित करेगी... *मीठे बाबा की यादे ही सच्चा सुरक्षा कवच बनकर, देह की धूल से बचाएगी.*.. सच्चे प्रेम, शांति, और सुख भरी दुनिया का मालिक बनाएगी...'
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा के प्यार में खुशियो ले आसमाँ में उड़ते हुए कहती हूँ :-"मीठे प्यारे दुलारे बाबा... *आपने जीवन में आकर, जीवन को खुशियो के शिखर पर पहुंचाया है... जीवन को सच्चाई की खनक से भरकर, मुझे विश्व में सबसे ऊँचा उठाया है.*.. सच्चे प्यार को देकर मेरी जनमो की प्यास को बुझाया है... मै आत्मा रोम रोम से आपकी यादो में खोयी हुई हूँ..."मीठे बाबा को अपने दिल की दास्ताँ सुनाकर मै आत्मा अपनी देह में लौट आयी..."
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाबा जो खिलाये, जो पहनाये, एक शिव बाबा के भण्डारे से ही लेना है*"
➳ _ ➳ स्वयं भगवान की पालना में पलने वाली मैं खुशनसीब आत्मा एकांत में बैठ विचार करती हूँ कि कभी ख्वाबों, ख्यालों में भी नही सोचा था कि जिस भगवान के केवल दर्शन मात्र की प्यासी थी मेरी आँखें। *वो भगवान मेरे नयनों में आ कर बस जायेगा*। बाप बन स्वयं मेरी पालना करेगा। टीचर बन मुझे पढ़ायेगा और सतगुरु बन मुझे सत्य मार्ग दिखायेगा। *ऐसे भगवान बाप, टीचर, सतगुरु पर मुझे कितना ना बलिहार जाना चाहिए जिसने आकर मेरे मुरझाये हुए जीवन को हरा - भरा कर दिया*।
➳ _ ➳ सम्पूर्ण सृष्टि को चलाने वाले, ऑल माइटी अथॉरिटी भगवान बाप के भंडारे से मेरी पालना हो रही है। यह स्मृति ही मुझे एक अलौकिक नशे से भरपूर कर देती है और एक रूहानी मस्ती मुझ आत्मा पर सहज ही चढ़ने लगती है। *इस रूहानी मस्ती में खोई अब मैं स्वयं को मधुबन के पांडव भवन में एक छोटी सी बच्ची के रूप में देख रही हूँ*। कभी ब्रह्मा बाबा अपनी गोद मे बिठा कर मुझे टोली खिला रहें हैं, कभी मम्मा मुझे अपने हाथों से नहला - धुला कर तैयार कर रही है, सुन्दर - सुंदर कपड़े पहना रही है। मम्मा, बाबा की उंगली पकड़ कर मैं चलना सीख रही हूँ। *बड़े लाड़ - प्यार से मम्मा, बाबा मेरी पालना कर रहें हैं*।
➳ _ ➳ इस अति सुन्दर दृश्य को देख मन खुशी से सरोबार हो उठता है और मन ही मन मैं अपने भाग्य की सराहना करती हूँ कि *"वाह मेरा भाग्य वाह" जो आज भी बाबा अव्यक्त हो कर मुझे ऐसी पालना दे रहे हैं जिससे आज भी साकार पालना की ही भासना आती है*। अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य का गुणगान करती हुई अब मैं आत्मा अव्यक्त स्थिति में स्थित हो कर, साकारी देह को छोड़ अव्यक्त वतन में अपने अव्यक्त बापदादा से मिलन मनाने चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ एक अति सुंदर लाइट की फ़रिशता ड्रेस धारण किये, चहुँ और *अपनी श्वेत रश्मियां फैलाते हुए मैं फ़रिशता अपने लाइट माइट स्वरूप में ऊपर की और उड़ रहा हूँ*। कुछ ही क्षणों में मैं भू - लोक को पार कर, आकाश मार्ग से होता हुआ पहुंच जाता हूँ अव्यक्त वतन में अव्यक्त बापदादा के सामने। मैं देख रहा हूँ मेरे सामने मम्मा बाबा बैठे हैं। मुझे देखते ही बाबा इशारे से मुझे अपने पास बुलाते हैं।
➳ _ ➳ बाबा के पास पहुंचते ही मैं देखता हूँ मेरा स्वरूप अति सूक्ष्म हो गया है। एक नन्हे बच्चे की तरह मैं बाबा की गोदी में जा कर बैठ जाता हूँ। *अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर बाबा अपनी सारी शक्तियां मेरे अंदर भरते जा रहें हैं*। बाबा की ममतामयी गोदी में मैं अवर्णनीय सुख की अनुभूति कर रहा हूँ। बाबा की गोदी में बैठे - बैठे ही मम्मा अपने हाथों से मुझे मीठी टोली खिला रही हैं।
➳ _ ➳ *मम्मा बाबा की अव्यक्त पालना ले कर, शक्तियों से भरपूर हो कर अब मैं फ़रिशता इस अव्यक्त वतन से वापिस साकारी दुनिया की और प्रस्थान करता हूँ*। फिर से आकाश मार्ग से होता हुआ वापस भू - लोक में प्रवेश करता हूँ और अपने सूक्ष्म लाइट के शरीर के साथ अपने साकारी तन में आ कर विराजमान हो जाता हूँ।
➳ _ ➳ अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर सदा इस नशे में रहती हूँ कि मैं ईश्वरीय पालना में पल रही हूँ। *अपने ईश्वर बाप से मैं यह दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ कि जो बाबा खिलायें वही खाना है, जो बाबा पहनाएं वही पहनना है, जो लेना है केवल शिव बाबा के भण्डारे से ही लेना है*। इसी प्रतिज्ञा को दृढ़ता के साथ पालन करते हुए अपने शिव बाबा की पालना में पलते हुए मैं अपने इस ईश्वरीय ब्राह्मण जीवन का भरपूर आनन्द ले रही हूँ।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा सत्यता की हिम्मत से विश्वास का पात्र बनती हूँ ।*
➳ _ ➳ *बाप और परिवार के दिल के प्यार की अधिकारी मैं आत्मा... दिल और दिमाग से ऑनेस्ट बन... सत्यता के पथ पर चल रही हूँ...* बापदादा के स्नेह और विश्वास की पात्र मैं आत्मा... सत्यता के मार्ग की पथिक बन गई हूँ... *सत्यता की सिद्धि स्वरूप...* बापदादा और ब्राह्मण परिवार की विश्वासपात्र बन गईं हूँ... हिम्मत रूपी बून्द से सत्यता का गागर भरती जा रही हूँ... *कल्पवृक्ष के बीजरूप में स्थित... पूरे ब्रह्मांड में सत्यता की किरणों को फैला रही हूँ...* कांटो रूपी कलियुग में... हिम्मत और सत्यता रूपी फूलों की बागवान बन गईं हूँ... *हिम्मत का एक कदम मेरा देख... बापदादा हजार कदम मेरी ओर बढ़ाकर बाहे फैलाकर आते हुए देख रही हूँ...*
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- शांति व पवित्रता का खजाना प्राप्त कर सबसे अधिक धनवान होने का अनुभव करना"*
➳ _ ➳ भृकुटी के मध्य में चमकती हुई... मैं एक चैतन्य ज्योतिपुंज आत्मा हूँ... *स्वीट साइलेंस होम में रहने वाली... शांति स्वरूप... पवित्र आत्मा हूँ...* यह शांतिपूर्ण अस्तित्व... अत्यंत सुखदायक... आनंददायक है... मेरे शिवबाबा मुझ पर शांति और पवित्रता की किरणें बरसाकर... मुझे देवताई सौंदर्य से संपन्न बना रहे हैं... *शांति व पवित्रता रुपी अनमोल रत्नों को... जीवन में धारण करके...* मैं आत्मा धन्य हो गई हूँ... *ईश्वरीय खज़ानों से भरपूर होकर... सदा की सुखी व धनवान होते हुए अनुभव कर रही हूँ...* निरंतर योगी रहते हुए सर्व संगमयुगी प्राप्तियों का आनंद उठा रही हूँ... शांति व पवित्रता से संपन्न होकर मैं आत्मा... *अपने बाबा के साथ... इन अविनाशी अनमोल रत्नों को... सृष्टि पर बरसा रही हूँ...* इन खज़ानों को बरसाते हुए... स्वयं को और भी जगमगाता हुआ अनुभव कर रही हूँ...
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *बापदादा ने पहले भी इशारा दिया है कि समय का परिवर्तन आप विश्व परिवर्तक आत्माओं के लिए इन्तजार कर रहा है।* प्रकृति आप प्रकृतिपति आत्माओं का विजय का हार लेके आवाह्न कर रही है। *समय विजय का घण्टा बजाने के लिए आप भविष्य राज्य अधिकारी आत्माओं को देख रहे हैं कि कब घण्टा बजायें, भक्त आत्मायें वह दिन सदा याद कर रही हैं कि कब हमारे पूज्य देव आत्मायें हमारे ऊपर प्रसन्न हो हमें मुक्ति का वरदान देंगी!* दु:खी आत्मायें पुकार रही हैं कि कब दु:ख हर्ता सुख कर्ता आत्मायें प्रत्यक्ष होंगी! इसलिए यह सब आपके लिए इन्तजार वा आवाह्न कर रहे हैं।
➳ _ ➳ इसलिए हे रहमदिल, विश्व कल्याणकारी आत्मायें अभी इन्हों के इन्तजार को समाप्त करो। *आपके लिए सब रुके हैं। आप सब मुक्त हो जाओ तो सर्व आत्मायें, प्रकृति, भगत मुक्त हो जाएं।* तो मुक्त बनो, मुक्ति का दान देने वाले मास्टर दाता बनो। अभी विश्व परिवर्तन की जिम्मेवारी के ताजधारी आत्मायें बनो। जिम्मेवार हो ना! बाप के साथ मददगार हो। क्या आपको रहम नहीं आता, दिल में दु:ख के विलाप महसूस नहीं होते। *हे विश्व परिवर्तक आत्मायें अभी अपने जिम्मेवारी की ताजपोशी मनाओ।*
✺ *ड्रिल :- "विश्व परिवर्तक आत्मा बन अपने जिम्मेवारी की ताजपोशी मनाना"*
➳ _ ➳ *बाबा के महावाक्य सुनते-सुनते... अचानक कानों में घंटे की आवाज गूँजने लगती है...* और मैं आत्मा बिल्कुल अशरीरी हो जाती हूँ... एक तेज प्रकाश मेरी ओर आता हुआ मुझे उड़ा ले जाता है संगम रुपी घड़ी के ऊपर... जहाँ से मैं समय को देख रही हूँ जो समाप्ति की ओर है...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता विश्व ग्लोब के ऊपर आ जाती हूँ... हर तरह के नजारे देख रही हूँ... कि कैसे भगत, दुःखी आत्मायें हम पूज्य देव के प्रसन्न होने का इंतज़ार कर रही है... प्रकृति हम प्रकृतिपति आत्माओं का इंतजार कर रही है... समय विजय का घंटा बजाने अपने भविष्य राज्याधिकारी आत्माओं का इंतजार कर रहा है... *सभी दुखी आत्मायें विश्व कल्याणकारी, दुःख हर्ता, सुख करता का आह्वान कर रही हैं...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा इन दृश्य को देखते हुए अपने स्वीट होम शांतिधाम आ जाती हूँ... परमात्मा शिव बाबा के समीप... बाबा से आती हुई शक्तियों की किरणें, पवित्रता की किरणें हर बन्धन से मुक्त करती जा रही हैं... *सूक्ष्म बन्धन लगाव के, मोह, दैहिक... इन सब से मुक्त होती जा रही हूँ... बिल्कुल ही न्यारी अवस्था... एक बाप दूसरा न कोई...* शिव बाबा जो रहमदिल है, दाता है, विश्व कल्याणकारी है... मैं आत्मा भी बाप समान बनती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा विश्व परिवर्तक का ताज पहन रही हूँ... ताजपोशी मना रही हूँ... ये ज़िम्मेवारी का ताज है जो बापदादा ने हम निम्मित आत्माओं को दिया है...* संगम युग जब बाप और बच्चों का महामिलन होता है... विश्व परिवर्तन का समय, बाप के साथ मददगार बन मुक्ति का दान देते जाना दुःख से विलाप करती हुई आत्माओं को... रहमदिल बन, विश्व कल्याणकारी... इष्टदेवी, शक्ति रूप में वरदानी मूर्त हूँ... *जिम्मेवारी की ताज पहन प्रत्यक्ष होती जा रही हूँ... ओम् शान्ति...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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