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 21 / 01 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 2*5=10)

 

➢➢ *बाप का रीगार्ड रखा ?*

 

➢➢ *बाप ने जो ज्ञान का कलश माताओं को दिया है, इसलिए उन्हें आगे रखा ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:3*10=30)

 

➢➢ *सर्व शक्तियों को आर्डर प्रमाण चलाया ?*

 

➢➢ *सिंपल बन अनेक आत्माओं के लिए सैंपल बने ?*

 

➢➢ *हर सेकंड, हर श्वास बाप और आप कंबाइंड होकर रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *बापदादा से स्नेह और शक्ति दोनों का समान रूप से अनुभव किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा कैसे बनते है, दोनों एक दो की नाभि से कब निकलते है, यह राज सिद्ध कर समझाओ"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... जिस सत्य ज्ञान को पाकर सत्य से चमके हो... *सच्चाई की उस चमक से दुनिया में छाया अज्ञान का अँधेरा दूर करो*... ब्रह्मा की नाभि से विष्णु कैसे निकलेंगे... यह राज बताकर सच्चे ज्ञान से भक्ति के भ्रम दूर करो... और उनकी अंधेरो से भरी राहो को आप समान उजला करो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... में आत्मा आपके बिना असत्य की गलियो में दर दर भटकी हुई थी, आपने आकर मेरे जीवन को सत्य का नूर दिया... *अब मै आत्मा आपसे पाये इस प्रकाश से हर दिल को रौशन कर रही हूँ.*.. ब्रह्मा से विष्णु कैसे बने, यह राज सारे जहान को बता रही हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... आप भाग्यशाली बच्चों ने ईश्वर पिता को जाना है, और *सच्चे ज्ञान से सृस्टि के हर राज को जानकर त्रिकालदर्शी बन गए हो*... तो सत्यता की अथॉरिटी बन ब्रह्मा की नाभि से विष्णु कैसे निकलते है यह अदभुत राज विश्व को सुनाओ... ईश्वर पिता के महान कर्तव्य की खबर सुनाओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे पाये सत्य ज्ञान का राज सबको सुना रही हूँ... *84 जनमो की कहानी बताकर ब्रह्मा और विष्णु की सच्चाई* दिल खोल कर बयान कर रही हूँ... और सबकी आँखों पर पड़ा अंधकार का पर्दा हटाकर सत्य का सूर्य दिखा रही हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... भक्ति के किस्से कहानियो ने सत्य से कोसो दूर करकिस कदर सत्य से महरूम किया है... और दुखो का इतिहास रचा.... अब सत्य पिता के सत्य ज्ञान को ईश्वर के प्रतिनिधि बन, हर दिल को बताओ, *ब्रह्मा के पर्याय विष्णु का खुबसूरत राज सुना आओ.*...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपसे मिलन से पूर्व किस कदर भटकी थी और कहानियो में सत्य को खोज रही थी... आपने *मुझ आत्मा को सत्यप्रकाश से दमकाया है* और जीवन कितना सुनहरा और खबसूरत बनाया है... यही सुनहरापन, यही खूबसूरती, मै आत्मा सबके देकर जनमो की प्यास से तृप्त कर रही हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा मास्टर रचयिता हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा इस देह को छोड़कर *सूक्ष्म वतन में बापदादा के सम्मुख* बैठ जाती हूँ... चारों ओर अति सुंदर सफेद प्रकाश फैला हुआ है... ऊपर बहुत सारे सफेद बादल चमक रहें हैं... बापदादा मुझ आत्मा का हाथ पकड़कर एक-एक बादल के नीचे बिठा रहें हैं... मुझ आत्मा पर सर्व शक्तियों के बादलों से वर्षा कर रहें हैं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा पवित्रता के बादलों के नीचे बैठी हूँ... पवित्रता के बादलों से वर्षा हो रही है... मुझ आत्मा की सारी अपवित्रता बाहर निकलती जा रही है... मैं आत्मा *पवित्रता की शक्ति को धारण* कर रही हूँ... फिर बापदादा मुझ आत्मा पर स्नेह के बादलों की वर्षा कर रहें हैं... देह, देह की दुनिया के आकर्षणों से मैं आत्मा मुक्त होती जा रही हूँ... परमात्मा के अविनाशी स्नेह की शक्तियों से भरपूर होती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा *रुहानियत की शक्ति को धारण* कर रही हूँ... मुझ आत्मा की सारी साधारणता ख़त्म होती जा रही है... सारी कमी, कमजोरियां, आलस्य, अलबेलापन ख़त्म होकर अलौकिक शक्तियों से सम्पन्न बनती जा रही हूँ... साइलेन्स की शक्ति, सत्यता की शक्ति, दृढ़ता की शक्ति को धारण कर मैं आत्मा आत्मिक स्थिति में स्थित हो रही हूँ...

 

➳ _ ➳  समेटने की शक्ति को धारण कर विस्तार को सार में समेट कर एवररेडी बन रही हूँ... सिकोड़ने और फैलाने की शक्ति को धारण कर मैं आत्मा कर्मेंद्रियो के ऊपर राज्य करने वाली बेफिक्र बादशाह बनती जा रही हूँ... मैं आत्मा *सहन शक्ति, समाने की शक्ति, सहयोग की शक्ति, परखने की शक्ति* को धारण कर सबके गुणों को धारण कर दुआओं का खाता बढा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  निर्णय शक्ति, सामना करने की शक्ति को धारण कर मैं आत्मा माया के तूफानों में भी उचित निर्णय लेकर अचल अडोल रहती हूँ... अब मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान की अथॉरिटी से सर्वशक्तियों को ऑर्डर प्रमाण चला रही हूँ... अब हर शक्ति मुझ आत्मा के सामने जी-हाजिर वा जी मास्टर हजूर कर रही हैं... अब मैं आत्मा सर्व शक्तियों को ऑर्डर प्रमाण चलाने वाली *शक्ति स्वरूप मास्टर रचयिता* बन गई हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल -  सिम्पल रह अनेक आत्माओं के लिए सैम्पल बन सेवा करना"*

 

➳ _ ➳  हम सब जिम्मेवार आत्मायें हैं, जिम्मेवार माना सिम्पल रहना, सच्चा रहना। जैसे बाबा ने कर के दिखाया, हमें भी करके दिखाना है *आज आत्मायें सैम्पल देखना चाहती है, प्रत्यक्ष रूप में देखना चाहते हैं,* वाचा से तो सेवा करनी ही है, साथ-साथ मनसा और कर्म द्वारा शुभ-भावना, शुभ-कामना द्वारा सकाश फैलाने की सेवा करनी है।

 

➳ _ ➳  मैं एक जिम्मेवार आत्मा हूँ... मैं साधारण रूप में महानता का अनुभव कराने वाली आत्मा हूँ... मैं आत्मा रूहानी रॉयल्टी में रहने वाली आत्मा हूँ... *मुझ आत्मा की दृष्टि, वृत्ति, बोल और चलन एक समान है*... मैं आत्मा मनसा द्वारा दूर बैठी आत्माओं तक वायब्रेशन फैलाने की सेवा कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सदा हर्षितमुख हूँ... मैं बापदादा की अति स्नेही आत्मा हूँ... *मैं आत्मा सर्व आकर्षणों से मुक्त होती जा रही हूँ*... न्यारी और सर्व की प्यारी बनती जा रही हूँ... मुझ आत्मा की बुद्धि हर खजानों से भरपूर होती जा रही हूँ... 

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का बोलना, देखना, चलना, खाना-पीना, उठना-बैठना हर कर्म में सभ्यता... सत्यता समाई हुई है... *नयनों में सदा बाबा की याद ही समाई हुई है*... नयनों से प्राप्तियों का अनुभव होता जा रहा है... मुझ आत्मा की सर्व आत्माओं के प्रति शुभ-भावना... शुभ-कामना है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा हर कर्म श्रेष्ठ स्मृति में रहकर करती जा रही हूँ... मैं संगमयुगी महान आत्मा हूँ... *मुझ आत्मा के मुख से कभी व्यर्थ व साधारण बोल नही निकलते*... मुझ आत्मा के हर बोल युक्तियुक्त होते जा रहें है... मुझ आत्मा के शुभ वायब्रेशन... अज्ञानी आत्माएं अनुभव करने लगी है...

 

➳ _ ➳  *मुझ आत्मा के श्रेष्ठ भाग्य की अनुभूति... सामने आने वाली आत्माओ को प्रत्यक्ष रूप में दिखाई देने लगी है*... वह आत्माएं भी अनुभव करने लगी है... कि यह इस दुनिया के नही है...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *सर्व शक्तियों को आर्डर प्रमाण चलाने वाले शक्ति स्वरूप मास्टर रचयिता होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   सर्व शक्तियों को आर्डर प्रमाण चलाने वाले शक्ति स्वरूप मास्टर रचयिता होते हैं क्योंकि...  जो बच्चे मास्टर सर्वशक्तिमान की अथॉरिटी से शक्तियों को आर्डर प्रमाण चलाते हैंतो हर *शक्ति रचना के रूप में मास्टर रचयिता के सामने आती* है। अभी अभी आर्डर किया और अभी अभी शक्ति हाजिर हो जाती है।

 

❉   हम बच्चे!  बाबा से प्राप्त की हुई सर्व शक्तियों के अधिकारी बच्चे हैं। हमें उन प्राप्त की हुई शक्तियों को अपने कार्य में लगाना होता है। हमें उन शक्तियों को अपने आर्डर के प्रमाण चलाना होता है। जब हम उन *शक्तियों को अपने आर्डर के प्रमाण चलाएंगे तब हम भी शक्ति स्वरूप मास्टर रचयिता* होंगे।

 

❉   इसलिये हमें स्वयं को मास्टर सर्वशक्तिमान की अथॉरिटी स्वरूप स्थिति में स्थित कर लेना है तथा प्राप्त हुई सर्व शक्तियों को अपने ऑर्डर के प्रमाण चलाना भी है। तब हर *शक्ति रचना के रूप मेंहम मास्टर रचयिता के सामने प्रत्यक्ष हो कर, सर्व कार्य सिद्ध करेगी।* तब उस समय हमारी क्षमता ऐसी होगी कि... इधर ऑर्डर किया और उधर तुरन्त वह शक्ति हाजिर हो जाती है।

 

❉   अतः हमें बाबा की बताई हुई श्रीमत का सच्चे मन से पालन करना है। उनकी अर्थात! बाबा की हर बात में हाँजी का पाठ पक्का करना है। जो बच्चे अपने हजूर के सामने जी-हाजिर हैं या *उनकी आज्ञा पर चलते हैं तोउन बच्चों के सामने ये सम्पूर्ण कायनात भी, जी-हाजिर ही है।* अतः हमें अपने बाप की हर आज्ञा में सदा ही जी-हाजिर रहना है।

 

❉   तो जो हज़ूर अर्थात बाप के हर कदम की श्रीमत पर हर समय " जी-हाजिर "  वा हर आज्ञा में " जी-हाजिर " करते हैं। तो!  *जी-हाजिर करने वालों के आगे हर शक्ति भी जी-हाजिर वा जी मास्टर हज़ूर* करती है। ऐसे आर्डर प्रमाण शक्तियों को कार्य में लगाने वालों को ही मास्टर रचयिता कहेंगे।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *सिम्पल बन अनेक आत्माओं के लिए सैम्पल बनना - यह भी बहुत बड़ी सेवा है... क्यों और कैसे* ?

 

❉   सिम्पल अर्थात साधारणता । साधारणता में ही महानता है । कई बार साधारण सी दिखने वाली चीज भी अपनी स्वच्छता के कारण दूसरों के आकर्षण का केंद्र बन जाती है और ना चाहते हुए भी सब उसकी और खिंचे चले आते हैं । इसी प्रकार *संकल्प में, सम्बन्ध में, व्यवहार में और रहन - सहन में जो सिम्पल और स्वच्छ रहते हैं* वे रूहानी सेवा करते हुए सैम्पल बन सर्व आत्माओं को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं ।

 

❉   केवल पहनावा सिम्पल होने से कोई सैम्पल नही बन जाता । जो सभी बातों में सिम्पल बनते हैं वही दूसरों के लिए सैम्पल बनते हैं । *जैसे ब्रह्मा बाप सब बातों में सिम्पल रहते हुए सर्व आत्माओं के आगे सैम्पल बने* । उनके साधारण से प्रतीत होने वाले कर्तव्यों में भी अलौकिकता की ऐसी छाप दिखाई देती थी जो दूसरों को भी आलौकिकता से भरपूर कर देती थी । ऐसे फॉलो फादर कर सिम्पल रह कर सैम्पल बनने वाले ही सच्चे सेवाधारी है ।

 

❉   जो सदा इस श्रेष्ठ स्वमान की स्मृति में रहते हैं कि मैं पूर्वज आत्मा हूँ और सारे विश्व का कल्याण करने के निमित्त हूँ तो उनकी हर एक्ट साधारण होते हुए भी रॉयल्टी से स्वत: भरपूर हो जाती हैं । क्योंकि वे सदा इस बात को स्मृति में रखते हैं कि *जैसे विश्व बेहद का है, बाप बेहद का है, वैसे ही विश्व की बेहद आत्मायें हमारी हर एक्ट को कॉपी करने वाली है* । इसलिए बेहद की स्थिति में स्थित हो कर हर एक्ट को साधारण रीति करते हुए भी वे सर्व के लिए सैम्पल बन जाते हैं ।

 

❉   जैसे गाँधी जी दिखने में बिलकुल साधारण थे । किन्तु उनकी साधारणता में भी विशेषता छुपी हुई थी । इसलिए उनके सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाला हर व्यक्ति उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नही रहता था । *उनकी साधारणता में छुपी विशेषता ने ही उन्हें राष्ट्र पिता बना दिया* । यह तो हद की बात है किंतु हम ब्राह्मण बच्चे बेहद विश्व पर राज्य करने वाले है इसलिए साधारण रह कर अपने सर्व श्रेष्ठ कर्मो से विश्व की सर्व आत्माओं के आगे सैम्पल बनना है । यही सबसे बड़ी सेवा है ।

 

❉   अपनी हर एक्टिविटी से, कार्य व्यवहार से हर व्यक्ति सहज ही दूसरों को आकर्षित करता है । सिम्पल रहना भी एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति को आकर्षण मूर्त बनाता हैं । इसलिए बाबा समझानी देते हैं कि आकर्षण मूर्त बनने के लिए सिम्पल बनो । क्योकि *जो साधारण, सिम्पल होते हैं उसके तरफ न चाहते हुए भी सभी को स्नेह और सहयोग देने की शुभ भावना होती है* । इसलिए सर्व स्नेही और सर्व सहयोगी बनने के लिए सिम्पल बनना बहुत आवश्यक है तभी सैम्पल बन विश्व सेवाधारी बन सकेंगे ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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