━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 19 / 12 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *ज्ञान योग से आत्माओं की मदद की ?*
➢➢ *किसी भी चीज़ में बुधी की राग तो नहीं रखी ?*
➢➢ *दिव्य बुधी द्वारा त्रिकालदर्शी स्थिति का अनुभव किया ?*
➢➢ *रूहानी नशे द्वारा बेफिक्र स्थिति में स्थित रहे ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *योगी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *जैसे कपड़े सिलाई करने का साधन धागा होता है, वैसे ही भविष्य सम्बन्ध जोड़ने का साधन है आत्मिक स्नेह रुपी धागा।* जोड़ने का समय और स्थान यह है। *लेकिन यह ईश्वरीय स्नेह वा आत्मिक स्नेह तब जुड़ सकता है जब अनेक देहधारियों से स्वार्थ का स्नेह समाप्त हो जाता है।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं रूहानी सेवाधारी हूँ"*
〰✧ सदा अपने को रूहानी सेवाधारी समझते हो? उठते-बैठते चलते फिरते सेवाधारी को सदा सेवा का ही ख्याल रहता और यह सेवा ऐसी सहज है जो मन्सा, वाचा और कर्मणा किसी से भी कर सकते हो। अगर कोई बीमार भी है, बिस्तर पर भी है तो भी सेवा कर सकते हैं। अगर शरीर ठीक नहीं भी है तो बुद्धि तो ठीक है ना। मन्सा सेवा बुद्धि द्वारा ही होती है ऐसे सदा सेवा का उमंग उत्साह व सेवा की लगन रहती है? *क्योंकि जितनी सेवा करेंगे उतना यह प्रकृति भी आपकी जन्म-जन्म सेवा करती रहेगी। प्रकृति दासी बन जायेगी। अभी प्रकृति दु:ख का कारण बन जाती है फिर यही प्रकृति सेवाधारी बन जायेगी।*
〰✧ सेवा करना अर्थात् मेवा लेना। यह सेवा करना नहीं है लेकिन सर्व प्राप्ति करना है। अभी-अभी सेवा की अभी-अभी खुशियों का भण्डारा भरपूर हुआ। *एक आत्मा की भी सेवा करेंगे तो कितना दिन उसकी खुशी का प्रभाव रहता है क्योकि वह आत्मा जन्म-जन्म के लिए दु:ख से छूट गई। जन्म-जन्म का भविष्य बनाया तो आपको भी उसकी खुशी होगी। ऐसे सभी का अनेक जन्म सुधारने वाले, मास्टर भाग्य विधाता हो।* क्योकि उनका भाग्य बदलने के निमित बन जाते हो ना। गिरती कला के बदले चढ़ती कला का भाग्य हो जाता।
〰✧ सेवा करना अर्थात् खुशी का मेवा खाना, यह ताजा फल है। डॉक्टर भी कमजोर को कहते हैं ताजा फल खाओ। यहाँ ताजा फल खाओ तो आत्मा शक्तिशाली बन जायेगी। *सदा सेवा की हिम्मत रखने वाले, विश्व परिवर्तन करने की हिम्मत रखने वाले, अपने को फर्स्ट लाने की हिम्मत रखने वाले, ऐसे सदा हिम्मत रख औरों को भी निर्बल से बलवान बनाओ।* बापदादा हिम्मत रखने वाले बच्चों को सदा मुबारक देते हैं।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *जैसे मन को जहाँ जिस स्थिति में स्थित करना चाहो वहाँ सेकण्ड में स्थित हो जाओ।* ऐसे नहीं ज्यादा टाइम नहीं लगा, 5 सेकण्ड लग गये, 2 सेकण्ड लग गये। ऑर्डर में तो नहीं हुआ, कन्ट्रोल में तो नहीं रहा।
〰✧ *कैसी भी परिस्थिति हो, हलचल हो लेकिन हलचल में अचल हो जाओ।* ऐसे कन्ट्रोलिंग पॉवर है? या सोचते-सोचते अशरीरी हो जाऊँ, अशरीरी हो जाऊँ, उसमें ही टाइम चला जायेगा? कई बच्चे बहुत भिन्न-भिन्न पोज बदलते रहते, बाप देखते रहते।
〰✧ सोचते हैं अशरीरी बनें फिर सोचते हैं अशरीरी माना आत्मा रूप में स्थित होना, हाँ, मैं हूँ तो आत्मा, शरीर तो हूँ ही नहीं, आत्मा ही हूँ। मैं आई ही आत्मा थी, बनना भी आत्मा है। *अभी इस सोच में अशरीरी हुए या अशरीरी बनने में युद्ध की?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- किसी देहधारी को याद ना कर एक बाप को याद करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा मधुबन की पहाड़ी पर बैठ चारों ओर की सुन्दरता को निहार रही हूँ... बर्फ की चादर ओढ़ी पहाड़ियां चांदी की परत जैसी चमक रही हैं... सूरज की किरणें ठंडी ठंडी हवाओं के साथ खेल रही हैं... मैं आत्मा इन पहाड़ियों को देख विचार करती हूँ की मैं आत्मा इस देह, और देहधारियों के चक्रव्यूह में कई जन्मों से फंसी हुई थी... *मेरा प्यारा बाबा मुझे दुखों की पहाड़ियों से निकाल अपनी मखमली गोदी में बिठा दिया है... और मधुबन सा मेरा जीवन संवार दिया है... मैं आत्मा प्यारे बाबा का आह्वान करती हूँ...* मीठे बाबा पहाड़ी पर बैठ मुझसे मीठी मीठी रूह-रिहान करते हैं...
❉ *किसी भी देहधारी के नाम रूप में ना फंसने की समझानी देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने खुबसूरत मणि स्वरूप में स्थित होकर मीठे बाबा संग यादो में झूल जाओ... और अतीन्द्रिय सुख का आनन्द लो... अब इस मिटटी के मटमैले आवरण के आकर्षण में नही फंसो... *अशरीरी बनकर पिता को याद करो तो सदा के आयुष्मान निरोगी और सर्व सुखो से भरपूर हो जाओगे..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अशरीरी बनकर एक बाप की याद में डूबकर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपकी यादो में देह के भान से मुक्त होकर चमकती मणि सी खिल उठी हूँ... *प्यारे बाबा आपने मेरा जीवन अनन्त खुशियो से सजीला कर दिया है*... मै आत्मा अपने दमकते रूप को पाकर सदा के सुखो से सज संवर गयी हूँ..."
❉ *ज्ञान के सागर ऑलमाइटी अथॉरिटी बेहद बाबा बेहद स्वर्ग का वर्सा देते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... अब इस देह की दुनिया से निकल, अपने आत्मिक अप्रतिम सौंदर्य को यादो में भर लो... अनन्त गुणो और शक्तियो से सम्पन्न प्यारी आत्मा हो, इस नशे से हर रग को भर लो... *ईश्वर पिता की यादो में देह के मटमैले आवरण को त्याग दो... और आत्मिक खूबसूरती को पाकर प्रेम सुख शांति की दुनिया को बाँहों में भरो..."*
➳ _ ➳ *प्यारे बाबा की वाणी की वीणा से शक्तियों को भरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा आपकी प्यारी सी गोद में किस कदर फूलो सी महक उठी हूँ...* देह समझ जो खजाने खोई थी.... आत्मा के भान में आकर सब कुछ पुनः पा रही हूँ... हर दुःख से मुक्त होकर, सदा की सुखदायी और निरोगी बनकर मुस्करा रही हूँ..."
❉ *प्यारे बाबा रूहानी यादों के रंगों से मेरे जीवन को उज्जवल बनाते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *ईश्वरीय साथ का यह प्यारा और अमूल्य समय किसी देहधारी की यादो में न खपाओ... हर बन्धन से मुक्त होकर, ईश्वरीय नशे में गहरे डूब जाओ...* और मीठे बाबा की यादो में खोकर, विश्व की बादशाही, अथाह सुखो की दौलत और खुबसूरत निरोगी स्वस्थ जीवन पाओ..."
➳ _ ➳ *प्यारे बाबा की यादों से जिन्दगी को हसीन बनाते हुए मैं आत्मा खुशियों में लहराते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपने आपको जानकर, अपने मीठे बाबा को जानकर, सुखो की, खुशियो की, जादूगर हो गई हूँ... *प्यारे बाबा... आपने तो सारे ब्रह्माण्ड की खुशियो से मुझे सजा दिया है... सब कुछ मेरे कदमो तले बिखेर दिया है... मुझे सत्य का पता देकर, सुखो की खान का मालिक बना दिया है...."*
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- किसी भी चीज में बुद्धि की रग नही रखनी*"
➳ _ ➳ अपना लाइट का सूक्ष्म आकारी शरीर धारण किये मैं फ़रिशता एक ऊंचे स्थान पर बैठ, सारे विश्व में हो रही गतिविधियों को देख रहा हूँ और विचार करता हूँ कि सारी दुनिया के सभी मनुष्यों की बुद्धि की रग आज विभिन्न प्रकार की चीजों में उलझी हुई है। *साइंस के नए - नए साधनों की खोज ने मनुष्यों की बुद्धि को इतना विशाल तो बना दिया है किन्तु इस विशालता में उसने अपनी ही पहचान को कहीं खो दिया है और शायद इसलिए भौतिक सुख सुविधाएं होते हुए भी आज मनुष्य दुखी है*।
➳ _ ➳ अगर प्रत्येक मनुष्य आज अपने वास्तविक स्वरूप को और अपने पिता परमात्मा को जान कर, *अपनी बुद्धि की रग को सांसारिक चीजों से निकाल कुछ क्षणों के लिए भी स्वयं पर और अपने पिता परमात्मा की याद में एकाग्र करना सीख जाएं तो यह एकाग्रता उसे वो सुख और शान्ति का अनुभव करवा सकती है* जो उसे भौतिक वस्तुएँ कभी नही करवा सकती।
➳ _ ➳ कितने खुशनसीब है वो ब्राह्मण बच्चे जिन्होंने स्वयं को और भगवान को जान कर, अपनी बुद्धि की रग को केवल एक परमात्मा के साथ जोड़ना सीख लिया है। *मन ही मन यह विचार करता मैं फ़रिशता अब उस स्थान से उड़ कर मधुबन के शान्ति स्तम्भ पर पहुँचता हूँ* और देखता हूँ कि हजारों ब्राह्मण बच्चे अपनी बुद्धि को अपने शिव पिता पर एकाग्र कर गहन शान्ति की अनुभूति में खोए हुए हैं।
➳ _ ➳ अपने फ़रिशता स्वरूप को अपने ब्राह्मण स्वरूप में मर्ज कर मैं भी उन हजारों ब्राह्मण आत्माओं के बीच मे जा कर बैठ जाती हूँ और *अपनी बुद्धि की रग हर चीज से निकाल कर जैसे ही स्वयं पर और अपने शिव पिता पर एकाग्र करती हूँ वैसे ही एक गहन शांन्तमय स्थिति में मैं स्वत: ही स्थित होती चली जाती हूँ* और इसी गहन शान्ति की स्थिति में अपने ब्राह्मण तन से निकल कर मैं आत्मा अशरीरी बन ऊपर अपने शिव पिता के पास परमधाम की और चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ इस परमधाम घर मे पहुँच कर अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की किरणों की विशाल छत्रछाया के नीचे मैं जा कर बैठ जाती हूँ और अपने शिव पिता से आ रही सुख, शान्ति, प्रेम, आनन्द, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान की सतरंगी किरणों की शीतल फ़ुहारों की शीतलता से स्वयं को तृप्त करने लगती हूँ। *सातों गुणों की इन सतरंगी किरणो के मुझ आत्मा पर पड़ने से मुझ आत्मा में निहित गुण और शक्तियाँ इमर्ज हो रहें है और मैं आत्मा पुनः अपने सतोगुणी स्वरूप को प्राप्त कर रही हूँ*। बाबा से सर्व गुण, सर्व शक्तियाँ और सर्व खजाने स्वयं में भरकर अब मैं वापिस शान्ति स्तम्भ पर पहुँच कर फिर से अपने ब्राह्मण तन में विराजमान हो जाती हूँ।
➳ _ ➳ मन बुद्धि की यह अति सुंदर यात्रा करके अब मैं अपने कार्य स्थल पर लौट आती हूँ। इस कर्म भूमि पर कर्म करते अपनी बुद्धि का योग अपने शिव पिता के साथ जोड़ कर अब मैं हर कर्म करती हूँ। इस बात को अब मैं अच्छी रीति जान गई हूँ कि दुनियावी चीजों में बुद्धि को फंसा कर सिवाय दुःख अशांति के और कुछ प्राप्त नही हो सकता। *इसलिए अब इस अंतिम जन्म में अपनी बुद्धि की रग और किसी चीज में ना रखते हुए, बुद्धि को केवल एक बाबा की याद में एकाग्र रखते हुए अब मैं गहन सुख, शांति और आनन्द की स्थिति में सदैव स्थित रहती हूँ*।
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं दिव्य बुद्धि द्वारा त्रिकालदर्शी स्थिति का अनुभव करने वाली सफलतामूर्त आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं रूहानी फखुर(नशे) द्वारा बेफिक्र स्थिति में स्थित रहकर यथार्थ निर्णय देने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ आप लोगों ने देखा होगा कि होली में भिन्न-भिन्न रंगों के,सूखे रंग, थालियां भरकर रखते हैं। तो वतन में भी जैसे सूखा रंग होता है ना - ऐसे बहुत महीन चमकते हुए हीरे थे लेकिन बोझ वाले नहीं थे, जैसे रंग को हाथ में उठाओ तो हल्का होता है ना! ऐसे भिन्न-भिन्न रंग के हीरों की थालियां भरी हुई थी। तो जब सब आ गये, तो *वतन में स्वरूप कौन सा होता है, जानते हो? लाइट का ही होता है ना! देखा है ना! तो लाइट की प्रकाशमय काया तो पहले ही चमकती रहती है।* तो बापदादा ने सभी को अपने संगमयुगी शरीर में इमर्ज किया। जब संगमयुगी शरीर में इमर्ज हुए तो एक दो में बहुत मिलन मनाने लगे। एडवांस पार्टी के जन्म की बातें भूल गये और संगम की बातें इमर्ज हो गई। तो आप समझते हो कि *संगमयुग की बातें जब एक दो में करते हैं तो कितनी खुशी में आ जाते हैं।* बहुत खुशी में एक दो से लेन-देन कर रहे थे। बापदादा ने भी देखा - यह बड़े मौज में आ गये हैं तो मिलने दो इन्हों को। आपस में अपने जीवन की बहुत सी कहानियां एक दो को सुना रहे थे, *बाबा ने ऐसा कहा, बाबा ने ऐसे मेरे से प्यार किया, शिक्षा दी। बाबा ऐसे कहता है, बाबा-बाबा, बाबा-बाबा ही था।*
➳ _ ➳ कुछ समय के बाद क्या हुआ? सबके संस्कारों का तो आपको पता है। तो सबसे रमणीक कौन थी इस ग्रुप में? (दीदी और चन्द्रमणी दादी) तो दीदी पहले उठी। चन्द्रमणी दादी का हाथ पकड़ा और रास शुरू कर दी। और दीदी जैसे यहाँ नशे में चली जाती थी ना,वैसे नशे में खूब रास किया। मम्मा को बीच में ठहराया और सर्किल लगाया, एक-दो-को आंख मिचौनी की, बहुत खेला और *बापदादा भी देख-देख बहुत मुस्करा रहे थे।* होली मनाने आये तो खेलें भी। कुछ समय के बाद *सभी बापदादा की बांहों में समा गये और सब एकदम लवलीन हो गये और उसके बाद फिर बापदादा ने सबके ऊपर भिन्न-भिन्न रंगों के जो हीरे थे, बहुत महीन थे, जैसे किसी चीज का चूरा होता है ना, ऐसे थे। लेकिन चमक बहुत थी तो बापदादा ने सबके ऊपर डाला।* तो चमकती हुई बाडी थी ना तो उसके ऊपर वह भिन्न-भिन्न रंग के हीरे पड़ने से बहुत सभी जैसे सज गये। लाल, पीला,हरा... जो सात रंग कहते हैं ना। तो सात ही रंग थे। तो बहुत *सभी ऐसे चमक गये जो सतयुग में भी ऐसी ड्रेस नहीं होगी।* सब मौज में तो थे ही। फिर एक दो को भी डालने लगे। रमणीक बहनें भी तो बहुत थी ना। बहुत-बहुत मौज मनाई।
➳ _ ➳ मौज के बाद क्या होता है? *बापदादा ने इन एडवान्स सबको भोग खिलाया,* आप तो कल भोग लगायेंगे ना लेकिन बापदादा ने मधुबन का, संगमयुग का भिन्न-भिन्न भोग सबको खिलाया और उसमें विशेष होली का भोग कौन-सा है? (गेवर-जलेबी)आप लोग गुलाब का फूल भी तलते हैं ना। तो *वैरायटी संगमयुग के ही भोग खिलाये। आपसे पहले भोग उन्होंने ले लिया है,* आपको कल मिलेगा। अच्छा। मतलब तो बहुत मनाया, नाचा, गाया। सभी ने मिलके वाह बाबा, मेरा बाबा, मीठा बाबा के गीत गाया। तो नाचा,गाया, खाया और लास्ट क्या होता है? बधाई और विदाई।
➳ _ ➳ तो आपने भी मनाया कि सिर्फ सुना? *लेकिन पहले अभी फरिश्ता बन प्रकाशमय काया वाले बन जाओ।* बन सकते हो या नहीं? मोटा शरीर है? नहीं। सेकण्ड में *चमकता हुआ डबल लाइट का स्वरूप बन जाओ।* बन सकते हो? बिल्कुल फरिश्ता! (बापदादा ने सभी को ड्रिल कराई) अभी *अपने ऊपर भिन्न-भिन्न रंगों के चमकते हुए हीरे सूक्ष्म शरीर पर डालो और सदा ऐसे दिव्य गुणों के रंग,शक्तियों के रंग, ज्ञान के रंग से स्वयं को रंगते रहो। और सबसे बड़ा रंग बापदादा के संग के रंग में सदा रंगे रहो। ऐसे अमर भव।*
✺ *ड्रिल :- "वतन में एडवान्स पार्टी की आत्माओं के संग होली मनाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *साकारी देह में भृकुटि के भव्य भाल पर विराजमान चैतन्य शक्ति मैं आत्मा हूँ... भृकुटि के भव्य भाल पर चमकती प्रकाश की यह ज्योतिमय तेजस्वी मणि मैं आत्मा हूँ...* मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को त्याग और तपस्या की महान पवित्र भूमि पाड़व भवन हिस्ट्री हाल में ज्ञान रत्नों से खेलते हुए... *ज्ञान के मोती चुगते हुए मनन की एक मगन अवस्था में मैं आत्मा स्थित हूँ...* तभी अचानक बाहर किसी के मोबाइल फ़ोन में रिंगटोन बजती है... *वो दिन कितने प्यारे थे जब बाबा साथ हमारे थे...* ये गीत सुनते ही मुझ आत्मा के नयन सजल हो जाते है... उठ कर मैं आत्मा इस हाल में लगे साकार बाबा के समय के चित्रों को देखने लग जाती हूँ... *एक-एक चित्र को बड़े ध्यान से देख रही हूं... अब भी वो गीत कानों में गूंज रहा है...* साकार बाबा किसी चित्र में बच्चों को टोली खिला रहा है... किसी चित्र में बाबा बच्चों के साथ ज्ञान चर्चा कर रहे हैं... एक चित्र में *बाबा बच्चों के साथ खेल रहे हैं...* इन चित्रों को देख आँखों से मोती बरसने लगते है... *एक-एक चित्र अद्वितीय है... अनमोल है...*
➳ _ ➳ इन्हें देख कर लग रहा है मानो मैं आत्मा इन पलों को जी रही हूं... *ये एक-एक चित्र खामोश होते भी बहुत कुछ कह रहा है... खामोश होते भी जैसे दिल को छू रहा है* और ये चित्र साकार दिनों की जैसे दिल में बहार ले आए हो जिस बहार में मैं आत्मा खिल उठी हूँ.... ध्यान से देख रही हूँ... *उन सभी महान आत्माओं को जिन्हें साकार पालना का सौभाग्य मिला... कितनी चमक कितना तेज है इन पवित्र आत्माओं के चेहरे पर...* तभी एक और चित्र सामने आता है जिसमें मम्मा के साथ और भी आत्माएं हैं... जो इस समय एडवांस पार्टी में जा चुके हैं... इस चित्र को देख लगता है *जैसे ये सभी मुझे देख मुस्कुरा रहे है और मुझे बुला रहे है... एक खींच सी मुझ आत्मा को हो रही हैं... मन ही मन बाबा से मीठी-मीठी बातें मैं आत्मा कर रही हूँ...* और साकार दिनों की ये अनमोल पल बार-बार हवा के झोंके की तरह मानस पटल पर आ रहे है...
➳ _ ➳ एक सैलाब सा जैसे यादों का दिल में आ गया हो... *तभी मैं आत्मा मम्मा के चित्र को देखते हुए कहती हूँ आप कहां चली गई हैं... उन महान एडवांस पार्टी की आत्माओं को भी कहती हूँ आप सब कहां हैं...* कल होली के पर्व पर आप सब साथ होते तो कितना अच्छा होता... हम मिलकर होली खेलते... और *मीठे बाबा के चित्र की तरफ देख बड़े प्यार से कहती हूं, बाबा काश मैं आपके साथ सब आत्माओं के साथ फिर से वैसे खेल पाती उन साकार पलों का अनुभव कर पाती...* और आंसूओं की धाराएं आंखों से बहने लगती है तभी अचानक *बाबा से बहुत पावरफुल करंट अनुभव होती है... और मैं आत्मा अनुभव कर रही हूँ... जैसे मुझे कोई ऊपर की तरफ खींच रहा हो...* एक अजीब सी खींच महसूस हो रही है... मैं आत्मा नश्वर देह के निकल सूक्ष्म शरीर के साथ ऊपर उड़ने लगती हूँ... देख रही हूँ मैं आत्मा स्वयं को ऊपर की ओर उड़ते हुए... *देह और देह की दुनिया से ऊपर चांद तारों से ऊपर बादलों के बीच से होते हुए ऊपर की तरफ जा रही हूं...*
➳ _ ➳ स्पष्ट अनुभव हो रहा है जैसे मुझे कोई ऊपर की ओर खींच रहा हो... और अचानक मैं आत्मा रूक जाती हूँ... मैं आत्मा देख रही हूँ... *बापदादा सभी एडवांस पार्टी की आत्माओ के साथ सामने खड़े है... और मुझे देख कर सभी मुस्कुरा रहे हैं...* यह दृश्य देख कर मैं आत्मा खुशी में झूम उठती हूं... आँखें सजल हो जाती है... *बाबा और सभी महान आत्माएँ मुझे अपने पास बुलाती है...* मैं नन्हा फरिशता उड़कर सभी महान आत्माओं के पास पँहुच जाता हूँ... बापदादा सभी एडवांस पार्टी की आत्माओं के संगमयुगी शरीर को इमर्ज करते है... *सभी आत्माएँ एक-दो से अपने-अपने बाबा के साथ के अनुभव सुनाने लग जाते है... बाबा ना ऐसा कहते थे, बाबा ने ऐसे मेरे से प्यार किया, बाबा ने ऐसे शिक्षा दी... बस चारों ओर बाबा मेरा बाबा, मीठा बाबा यही गीत गूंज रहा हैं...* चारों तरफ खुशी की लहर आ गई है... मैं आत्मा खुशी में झूम रही हूँ... *मैं आत्मा जैसे साकार पलों को जी रही हूँ...* वाह बाबा वाह के गीत मैं आत्मा गा रही हूँ... तभी सभी एक-दो का हाथ पकड़ रास करने लगते है... *मम्मा मुझ आत्मा का हाथ पकड़ मुझे घुमाती है और बहुत मीठी दृष्टि देती है... फिर मैं आत्मा सबके साथ आंख मिचौली खेलती हूँ , झुला झूलती हूँ...*
➳ _ ➳ बाबा चारों तरफ देखते हैं... *बाबा के देखते ही रंग-बिरंगे हीरे के चूरे से भरे थाल आ जाते है... बाबा हमारें ऊपर वो चूरा डालते है...* और हमें होली की बधाई देते है देख रही हूँ मैं आत्मा रंग-बिरंगे हीरों के चूरे से हम सबकी लाइट की ड्रेस अलग-अलग चमचमाते लाल, हरें, नीले, पीलें रंग के हीरों से सज जाती है... *चमकते हुए फरिशता ड्रेस पर ये रंग-बिरंगे हीरो की चमक ने इसे अद्भुत बना दिया है... सतयुग में भी ऐसी ड्रेस नहीं पहनेगे जो बाबा ने हम सबको अभी पहनाई...* फिर बाबा एक गोल्डन कलर की थाल सामने लाते हैं... जिसमें वैरायटी संगमयुगी भोग हैं... *मीठे बापदादा एक-एक कर हम सबको अपने हाथ से भोग खिला रहे है... वाह बाबा वाह कितना श्रेष्ठ सौभाग्य है मुझ आत्मा का जो साकार पालना का अनुभव करने का चांस मिला...* सभी वाह मेरा बाबा वाह के गीत गाते हुए मगन हो गये है गा रहे है नाच रहे है झूम रहे है... और एक दूसरे पर भी हीरों से बना चूरा डाल रहे है... तभी *बाबा हम सबको अपनी बाहों में समा लेते है... एकदम लवलीन अवस्था बस मैं और मेरा बाबा...* अब बाबा हम सभी को विदाई दे रहे है... ये अविस्मरणीय होली मना कर, इन अनमोल यादों को लिए फिर से मैं आत्मा साकारी दुनिया में वापिस आ जाती हूँ... मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को साकारी दुनिया में कर्म करते हुए... *मैं आत्मा हर पल स्वयं को बापदादा के संग के रंग में रंगा हुआ अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा अमर भव के वरदान का प्रेक्टिकल स्वरूप बन गयी हूँ...* मैं आत्मा सदा दिव्य गुणों के, दिव्य शक्तियों के, ज्ञान के रंग में रंग कर और जो भी आत्माएं सम्बन्ध-सम्पर्क में आ रही है *उन आत्माओं को भी इसी रंग में रंग रही हूँ... वे आत्माएँ भी अब अमर भव का वरदान अनुभव कर रही हैं... शुक्रिया लाडले बाबा शुक्रिया....*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━