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 19 / 03 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *स्व - पुरुषार्थ के साथ सम्बन्ध संपर्क में रहने वाली आत्माओं से दुआएं प्राप्त की ?*

 

➢➢ *बीती सो बीती करने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *मेहनत मुक्त बन जीवनमुक्त अवस्था का अनुभव किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *सरल चित, सरल वाणी, सरल वृत्ति और सरल दृष्टि रख होलीहंस बनकर रहे ?*

 

➢➢ *निर्माण बनने के साथ निर्मान भी बनकर रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  *"निर्माण और निर्मान के बेलेन्स से दुआओ का खाता जमा करो"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने प्यारे होलिहंसो को देख बाप दादा मुस्करा रहे है... जितने स्वच्छ उतने साफ़दिल... हर बात में सरल और एक समान... सरल चित्त, सरल वाणी, सरल व्रति और सरल दृष्टि... ऐसे होलिहंस *सदा बापदादा के दिल तख्त नशीन रहते है* और अति प्यारे लगते है...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके सच्चे प्यार के रंग में रंगकर होली हंस बन मुस्करा रही हूँ... *प्यारे बाबा आपने मुझे सरलता और समानता से सजाया है.*.. दिव्य गुणो से सजाकर दिल तख्त पर बिठा, मेरा भाग्य महानता से भर दिया है...

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... *निर्माण और निर्मान की विशेषता को स्वयं में धारण कर* ईश्वर दिल पर छा जाओ... जितना सेवा में आगे बढ़ो, उतनी ही व्रति, दृष्टि, बोल में निर्माणता छलकती रहे... इस बेलेन्स को सदा बनाकर... सबकी ब्लेसिंग लेने वाले, महान भाग्यशाली पुण्य आत्मा मुस्कराओ....

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा से पाया प्यार हर दिल पर दिल खोल कर लुटा रही हूँ... और ईश्वरीय छवि दिखाकर हर दिल जीत रही हूँ... सबकी दुआए पाने वाली भाग्यवान बन चली हूँ... और *निर्मानता की पर्याय बनकर मुस्करा रही हूँ.*..

 

❉   मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *दिल में दिलाराम बाबा को समालो तो*... माया का कोई भी रंग रंगहीन सा है... ऐसी सच्ची होली मनाकर, मेहनत मुक्त जीवनमुक्त हो सदा के मुस्कराओ... मनसा को व्यर्थ से मुक्त कर... सदा दिव्य गुणो से, शक्तियो से, ज्ञान के रंग में रंगकर सच्ची सच्ची होली मनाओ....

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा होली बनकर दिव्यता से सज चली हूँ... ज्ञान गुण शक्तियो के रंग से रंगकर... देवताई मुस्कान को पा रही हूँ... सारी फिकराते प्यारे बाबा को सौंप कर...  *बेफिक्र बादशाह बन अमरता के वरदान में मुस्करा रही हूँ.*..

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-   मैं आत्मा परमात्म प्यारी हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अमृतवेले उठकर मन-बुद्धि को एकाग्र करती हूँ... *आत्म-स्मृति का तिलक लगाकर मैं आत्मा उड़ चलती* हूँ... सूक्ष्म वतन में प्यारे बापदादा के सामने बैठ जाती हूँ... बापदादा की दृष्टी से, मस्तक से चमकती हुई तेजस्वी किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं... इन किरणों से ओम शांति की ध्वनि निकलकर मुझ आत्मा पर पड़ती जा रही हैं...    

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा *ओम शांति की ध्वनि किरणों को अपने अन्दर गहराई से समाती* जा रही हूँ... इन किरणों में मुझ आत्मा के क्यों-क्या के क्वेश्चन समाप्त होते जा रहे हैं... जन्मों-जन्मों की दुःख, अशांति, उदासी के संस्कार मिटते जा रहे हैं...  ईर्ष्या, द्वेष, जलन, सारे विकार खत्म होते जा रहे हैं... मैं आत्मा बिल्कुल शांत होती जा रही हूँ...  

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा का सारा बोझ, सारी चिंताए मिटती जा रही हैं... मैं आत्मा *तन, मन, धन से बाबा को समर्पित होती जा रही* हूँ... अब न कोई बोझ... न चिंता... बहुत ही हल्कापन का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा एक बाबा के प्यारे में समाती जा रही हूँ... देह सहित देह के संबंधो से न्यारी होती जा रही हूँ... परमात्म प्यारी बनती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा बाबा की याद में हर कार्य करती जा रही हूँ... मैं आत्मा सब कुछ बाबा को सौंप कर बेफिक्र होती जा रही हूँ... मैं आत्मा अपने दिलाराम के दिल तख्त पर बैठकर अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा कैसी भी हलचल की परिस्थिति में भी अटल और अचल रहती हूँ... अब मैं आत्मा सदा परमात्म प्यार के नशे में ही रहती हूँ... अब मैं आत्मा *परमात्म प्यारी बन सब फिकरातें बाप को देकर बेफिक्र स्थिति* का अनुभव करती जा रही हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल - ड्रामा पर अटल निश्चयी बन हर प्रकार की हलचल को समाप्त करने का अनुभवी होना"* 

 

➳ _ ➳  संगमयुग में बाबा ने ड्रामा का राज हम बच्चों को बता... हमें मरकर कैसे जीना है, वो सीखा दिया... *बीती बातों का चिंतन छोड़ आगे बढ़ना सीखा दिया*...ड्रामा का ज्ञान मुझ आत्मा को अन्दर ही अन्दर... सूक्ष्म समझदार... और त्रिकालदर्शी बनाता जा रहा है...    

 

➳ _ ➳  ड्रामा की नॉलेज से मैं आत्मा सृष्टि के आदि मध्य अंत के राज को जान गई हूं... हरेक आत्मा का अपना-अपना पार्ट है... किसी का किसी से न मिले... सब दिन एक समान नही हो सकते... ड्रामा हूबहू रिपीट होता है... *ड्रामा के राज को जान मैं आत्मा निश्चय बुद्धि बनती जा रही हूँ*...

 

➳ _ ➳  ड्रामा की हर बात को समझ... मैं आत्मा एक्यूरेट बनती जा रही हूँ... जो हो रहा है, मैं आत्मा उसे बदल तो नही सकती... इसलिए मैं आत्मा हर आत्मा के प्रति सदा शुभ भावना रखती हूँ... *ड्रामानुसार मुझ आत्मा की स्थिति बहुत ऊँची बनती जा रही है... बीती को 'बीती सो बीती' कर... आगे बढ़ती जा रही हूँ*...

 

➳ _ ➳  ड्रामा कल्याणकारी है, अकल्याण तो हो नही सकता... *ड्रामा में जो हुआ अच्छा हुआ... जो हो रहा है, वह भी अच्छा... जो होने वाला है, वह और भी अच्छा*... भाग्यशाली हूँ मैं आत्मा... जिसे पुरुषार्थ करने का चांस मिला... बाबा ने मुझ आत्मा को न्यारा और प्यारा बना... ऊँच पार्ट बजाने की पॉवर देते जा रहें है...

 

➳ _ ➳  *कल्याणकारी बाप का साथ और हाथ की स्मृति...मुझ आत्मा को परिस्थितयों और विघ्नों को... सेकण्ड में हाई जम्प देकर पार करवाती जा रही है*... मैं आत्मा ड्रामा के हर सीन को साक्षी होकर देखती जा रही हूँ... कल्प पहले जो हुआ था वही हो रहा है...

 

➳ _ ➳  *मैं कल्प-कल्प की विजयी आत्मा हूँ... त्रिकालदर्शी की स्टेज पर रहने से... मैं आत्मा निश्चय बुद्धि बनती जा रही हूँ*... मुझ आत्मा ने कल्प-कल्प यह पार्ट बजाया है... नथिंग न्यू... मुझ आत्मा के मन में सदा एक ही गीत चलता रहता है... 'वाह ड्रामा वाह'... वाह बाबा वाह... वाह मैं आत्मा वाह...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *सब फिकरात बाप को दे कर बेफिक्र स्थिति का अनुभव करने वाले परमात्म प्यारे होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   हाँ जी ये बिलकुल सत्य है कि सब फिकरात बाप को दे कर बेफिक्र स्थिति का अनुभव करने वाले परमात्मा के प्यारे होते हैं क्योंकि...  जो बच्चे! परमात्मा के प्यारे होते हैं, *वह सदा ही बाप के दिल तख़्त पर विराजमान रहते हैं।* अर्थात!  वे सदा ही बाप के दिल पर राज करते हैं तथा वे सदा ही दिलतख्तनशीन कहलाते हैं।

 

❉   अतः अब किसी की भी हिम्मत नहीं हैजो उनको दिलाराम बाप के दिलतख़्त से अलग कर सके। सोचें!  है कोई में इतनी हिम्मत! नहीं न!  इसलिये! ही *वे बच्चे दुनिया के सामने फकुर से कहते हैं कि हम परमात्म प्यारे बन गये हैं।* तभी तो वे बाबा के प्रेम में बेफिक्र हो कर बेफिक्र बादशाह बन कर इस दुनिया में विचरण करते हैं।

 

❉   क्योंकि परमात्म प्रेम हम सब को ही सभी फिकरातों से फारिग कर देता हैं। अतः हमें सदा ही *अपने सभी फिकरातों को परमात्मा पिता को समर्पित कर देना है।* क्योंकि अपने सभी बोझ परमात्मा के अर्पण कर देने से अर्थात! बाबा को सौंप देने से, हम हल्के हो कर प्रसन्ता से उड़ने लगते हैं।

 

❉   तथा फरिश्तों के समान डबल लाइट बन कर चढ़ती कला में चले जाते हैं। तभी तो हम फखुर से कहते हैं कि हम परमात्मा के प्यारे बच्चे हैं। *इसी फकुर में रहने के कारण ही हम सभी फिकरातों से फारिग हो जाते हैं।* अतः हम बच्चे सदा ही बाबा के प्रेम में मगन रहते हुए, हमेशा मस्त मौला तथा बेफिक्र रहते हैं।

 

❉   इसलिये!  हम कभी भी गलती से भी ये शब्द नहीं कह सकते हैं कि *आज मेरा मन नहीं लग रहा है। मेरा मन आज बहुत उदास है, क्योंकि इस प्रकार के बोल ही व्यर्थ के बोल होते हैं।* अतः जहाँ मेरा शब्द आ गया, वहाँ सब व्यर्थ भी आ गया। अर्थात!  मेरा कहना माना मुश्किल में पड़ना होता है। इसलिये!  हमें सभी मुश्किलों से बचने के लिये, मेरे को तेरे में बदलना है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *किसी भी प्रकार की हलचल को समाप्त करने का साधन है - ड्रामा पर अटल निश्चय... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जैसे हद का कोई नाटक या ड्रामा देखने जाते हैं तो उसमे चल रहे हर सीन को एन्जॉय करते हैं क्योकि जानते हैं कि यह सब काल्पनिक है । इसी तरह यह *सृष्टि भी एक बेहद का ड्रामा है जिसमे सभी आत्माए ड्रामा अनुसार अपना अपना पार्ट प्ले कर रही हैं* । सभी का पार्ट बिलकुल एक्यूरेट है । इसलिए इस बेहद ड्रामा पर अटल निश्चय रख जो दूसरों के पार्ट को देख प्रश्न उठाने के बजाए उसे साक्षी हो कर देखते हैं वे एकरस स्थिति में स्थित रहते हुए हर प्रकार की हलचल से स्वयं को मुक्त कर लेते हैं ।

 

❉   जैसे भगवान हमेशा साक्षी रहते हैं क्यों कि वो तीनो कालों को जानने वाले हैं इसलिए ना अच्छे कर्म करने वालों की वाहवाही करते हैं और ना बुरा कर्म करने वालों की निंदा करते हैं । वो तो केवल अच्छे और बुरे की पहचान बताते हैं । इसी प्रकार जो *त्रिकालदर्शी बन ड्रामा पर अटल निश्चय रखते हैं वे दूसरों के अच्छे या बुरे व्यवाहर को देख विचलित नही होते* बल्कि साक्षी पन की सीट पर सेट होकर जीवन के हर खेल को देखते हैं इसलिए वे किसी भी प्रकार की हलचल में नही आते ।

 

❉   एक अच्छा और कामयाब खिलाड़ी वही होता है *जो खेल को हार और जीत के पैमाने से नही आँकता । उसे इस बात की चिंता नही रहती कि खेल में उसकी हार होगी या जीत* । वो तो खेल में केवल मनोरंजन का अनुभव करता है । इसी प्रकार जो इस बात पर अटल निश्चय रखते हैं कि यह जीवन भी एक खेल अर्थात ड्रामा है । वे जीवन में आने वाली चुनौतियों को हार या जीत के रूप में स्वीकार करने के बजाए उनको भी हस कर सहज भाव से पार करते हैं और किसी भी हलचल से सहज ही मुक्त हो जाते हैं ।

 

❉   बच्चों को खेलना इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि उन्हें खेलने में मज़ा आता है । ठीक इसी प्रकार *जो ड्रामा पर अटल निश्चय रखते हुए इस सृष्टि रूपी रंगमंच को भी मनोरंजन का खेल समझ कर खेल खेल में हंसते गाते अपना पार्ट प्ले करते हैं* तथा औरों के पार्ट को भी साक्षी हो कर देखते हैं । उनके लिए यह खेल दुःखदाई और पीड़ा देने के बजाए सुखदायी और आनन्द का अनुभव कराने वाला बन जाता है । इसलिए वे हर सीन में भी मज़े का अनुभव करते हुए हर प्रकार की हलचल से स्वयं को बचा लेते हैं ।

 

❉   एक मूवी या ड्रामा में जो मुख्य हीरो होता है उसका ध्यान केवल अपने पार्ट पर ही रहता है कि वह कैसे अपने पार्ट को अच्छे से अच्छा बजाए ताकि सभी उसके अभिनय को देख उसकी वाहवाही करें । वो दूसरों के पार्ट को साक्षी हो कर देखता है इसलिए अपने पार्ट को पूरी एकाग्रता के साथ प्ले करते हुए सबके दिल जीत लेता है । इसी प्रकार *जीवन के इस विशाल नाटक में जो स्वयं को हीरो पार्टधारी समझ अपने पार्ट पर ध्यान देते हैं और सबके पार्ट को साक्षी हो कर देखते हैं* वो हर प्रकार की हलचल से बचे रहते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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