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 26 / 08 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *बाप की याद में रह पवित्र, शुद्ध भोजन खाया ?*

 

➢➢ *मम्मा बाबा को फॉलो किया ?*

 

➢➢ *सवेरे सवेरे उठ स्वीट बाप को और स्वीट राजधानी को याद किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *कंबाइंड स्वरुप की स्मृति द्वारा कंबाइंड सेवा की ?*

 

➢➢ *हद की इच्छाओं की अविध्या रही ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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➳ _ ➳  आप सभी अभी भी अपने को बहुत बिजी समझते हो लेकिन अभी फिर भी बहुत फ्री हो। *आगे चल और बिजी होते जायेंगे।* इसलिए ऐसे भिन-भिन्न प्रकार के स्व-अभ्यास, स्वसाधना अभी कर सकते हो। *चलते-फिरते स्व प्रति जितना भी समय मिले अभ्यास में सफल करते जाओ।* दिन-प्रतिदिन वातावरण प्रमाण एमर्जेन्सी केसेज ज्यादा आयेंगे। अभी तो आराम से दवाई कर रहे हो। *फिर तो एमर्जन्सी केसेज में समय और शक्तियाँ थोडे समय में ज्यादा केसेज करने पडेगे।* जब चैलेन्ज करते है कि अविनाशी निरोगी बनने की एक ही विश्व की हास्पिटल है तो चारों ओर के रोगी कहाँ जायेंगे? एमर्जेन्सी केसेज की लाइन होगी। उस समय क्या करेंगे? *अमरभव का वरदान तो देंगे ना।* स्व अभ्यास के आक्सीजन द्वारा साहस का शवांस देना पडेगा *होपलेस केस अर्थात चारों ओर के दिल शिकस्त के केसेज ज्यादा आयेंगे।* ऐसी होपलेस आत्माओं को साहस दिलाना यही श्वांस भरना है। *तो फटाफट आक्सीजन देना पडेगा।* उस स्व-अभ्यास के आधार पर ऐसी आत्माओं को शक्तिशाली बना सकेंगे! इसलिए *फुर्सत नहीं है, यह नहीं कहो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

 

➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  इस कड़वी दुनिया से निकल, बहुत बहुत स्वीट बनना"*

 

_ ➳  प्यार के सागर मीठे बाबा के प्यार में खोयी हुई मै आत्मा... *मीठे बाबा के प्यार और मीठेपन में फूलो जैसा खिले अपने जीवन को देखती हूँ.*.. यही जीवन बिना मेरे बाबा के कितना बेनूर और बेसुरा था... प्यारे बाबा ने जीवन में आकर कितनी रौनक, कितनी खुशियां, कितनी मिठास भर दी है... कि मै आत्मा जहाँ भी जाती हूँ... *मेरे नूर से मेरे मीठे बाबा की झलक दिखाई देती है.*.. मेरी खुशियां, मेरा मीठापन देख, जहान मेरे बाबा पर फ़िदा हो जाता है... इसी मीठे चिंतन में खोयी हुई मै आत्मा... तपस्या धाम में मीठे बाबा के पास पहुंचती हूँ...

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को गुणो और शक्तियो से दिव्य बनाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... विकारो से भरा जीवन जीते जीते जो दुखो में इतने कड़वे हो गए हो... *प्यारा बाबा अपनी फूलो सी गोद में बिठाकर आप समान मीठा और प्यारा बनाने आया है.*.. मीठे बाबा की मीठी यादो में दिव्यता की मिठास से भरकर मुस्कराओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा अपने मीठे बाबा से सारी मिठास स्वयं में भरकर कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... आपने जीवन में आकर मिठास भरी बहार खिलाई है... सच्ची मुस्कान से मुझ आत्मा को सजाया है... *दिव्य गुण और पवित्रता की खुशियां देकर... मुझे सदा का मीठा और प्यारा प्यारा बनाया है.*.."

 

   प्यारे बाबा मुझ आत्मा को अपनी शक्तियो और ज्ञान रत्नों से सजाते हुए कहते है :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह के अंधेरो में, जो दुखो के भूतो से घिर गए थे... अब मीठे बाबा की यादो का हाथ पकड़कर सुख के उजालो में आ जाओ... *अपने सत्य स्वरूप के नशे में आकर...मीठे बाबा की मीठी गोद में सदा का सुख और आराम पाओ.*..सच्ची मिठास के पर्याय बन जाओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा की अमूल्य शिक्षाओ को अपने बुद्धि पात्र में समाते हुए कहती हूँ :- "मीठे दुलारे बाबा मेरे... आपको पाकर जीवन कितना मीठा प्यारा हो गया है... मै आत्मा दिव्यगुण धारी बनकर सबको खुशियां बाँट रही हूँ... आपसे पायी सुखो की मिठास हर दिल पर लुटा रही हूँ... *सबको दुखो के कड़वेपन से छुड़ाकर, सुखो का मीठापन आपसे दिलवा रही हूँ.*.."

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने मीठे प्यार में अति मीठा और प्यारा बनाते हुए कहा :-" मीठे सिकीलधे बच्चे... *ईश्वर पिता परमधाम से खुशियो की, सुखो की, गुणो की, और शक्तियो की अनन्त सौगाते. आप फूल बच्चों के लिए लाया है.*.. इन खुशियो में मीठे सुखो में फूलो जैसा मुस्कराओ... मीठे बाबा की मीठी महकती यादो में सच्चे प्यार से भरपूर हो जाओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के प्यार तरंगो में प्रेम स्वरूप बनकर कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा दुखो के दलदल में, अपने निज स्वरूप को ही खो गयी थी... कितनी कड़वी और विकारी हो गयी थी... आपने प्यारे बाबा मुझे मा प्यार का सागर बना दिया है... *अपना सारा मीठापन मेरे अंतर्मन में उंडेल दिया है, मै आत्मा प्यार का समीर बनकर, विश्व धरा पर बह रही हूँ..*.प्यारे बाबा से सारा प्यार अपने मन आँचल में भरकर मै आत्मा साकार वतन में आ गयी...

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मम्मा, बाबा को फॉलो कर पवित्र बनने का पुरुषार्थ करना*"

 

_ ➳  जिस समर्पण भाव से मम्मा, बाबा ने पुरुषार्थ कर सम्पूर्णता को पाया, वैसे ही सम्पूर्णता को पाने का लक्ष्य रख, मैं मम्मा बाबा की शिक्षाओं को अपने जीवन मे धारण करने की मन ही मन स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ और इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल स्वयं में भरने के लिए मैं अपना लाइट का आकारी फ़रिशता स्वरूप धारण करती हूँ और अपनी साकारी देह को छोड़ सूक्ष्म लोक की ओर चल पड़ती हूँ। *ऐसा लग रहा है जैसे आज मम्मा, बाबा दोनों ही वतन में मेरा इंतजार कर रहें हैं। उनकी याद मुझे ऊपर की और खींच रही है और मैं तेजी से उड़ता हुआ अति शीघ्र पांच तत्वों की बनी इस साकारी दुनिया को पार कर जाता हूँ*।

 

_ ➳  सूर्य, चांद, तारागणों से भी परे अब मैं स्वयं को देख रहा हूँ लाइट के उस घर मे जहां चारो और चांदनी सा सफेद प्रकाश फैला हुआ है। अब मेरी निगाहें मम्मा, बाबा को ढूंढ रही हैं। *मैं चारों ओर नजर घुमा कर देख रहा हूँ तभी कानों में मम्मा, बाबा की आवाज आती है:- आओ बच्चे, यहाँ आओ*। देखते ही देखते सामने मम्मा बाबा एक झूले पर झूला झूलते हुए नज़र आते हैं। मैं दौड़ कर मम्मा बाबा के पास पहुंच जाता हूँ। मम्मा बाबा मुझे अपनी बाहों में भर लेते हैं। उनका असीम स्नेह मुझ पर बरसने लगता है। *प्यार भरी दृष्टि देते हुए मम्मा बाबा मुझे भी उसी झूले पर बीच मे बिठा लेते हैं*।

 

_ ➳  अब मम्मा बाबा दोनों अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर, मुझे आप समान बनने का वरदान दे रहे हैं और मेरे मस्तक पर विजय का तिलक लगा कर अपनी लाइट और माइट मुझ में प्रवाहित कर रहे हैं, ताकि तीव्र पुरुषार्थ कर, उनके समान सम्पूर्ण बनने के लक्ष्य को मैं अति शीघ्र प्राप्त कर सकूँ। *मम्मा बाबा से विजय का तिलक ले कर और उनकी दुआओं से अपनी झोली भर कर अब मैं स्वयं को परमात्म बल से भरपूर करने और सम्पूर्ण पावन बनाने के लिए अपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में स्थित हो कर सूक्ष्म लोक से ऊपर परमधाम की ओर चल पड़ती हूँ*।

 

_ ➳  अब मैं देख रही हूं स्वयं को पवित्रता के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के सामने परमधाम में। जिनसे आ रही पवित्रता की सफेद रंग की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है, और मुझे पावन बना रही हैं। *मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूं कि बाबा से आ रही किरणे योग अग्नि बन कर मुझ आत्मा द्वारा किए हुए जन्म जन्मांतर के विकर्मों को दग्ध कर रही हैं*। विकारों की कट जैसे-जैसे मुझ आत्मा के ऊपर से उतरती जा रही है मैं स्वयं को बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूं। मेरा स्वरूप चमकदार बनता जा रहा है। मैं रीयल गोल्ड बनती जा रही हूं। *हल्की होकर रीयल गोल्ड बनकर मैं आत्मा अब वापिस साकारी दुनिया की ओर आ रही हूं*। अपनी अद्भुत छटा चारों ओर बिखेरती हुई मैं पहुंच जाती हूं वापिस देह और देह की पुरानी दुनिया में और अपने साकारी तन में प्रवेश कर भृकुटि सिंहासन पर विराजमान हो जाती हूं।

 

_ ➳  अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्वयं को देख रही हूं। अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित होते ही मुझे मेरे कर्तव्य का अनुभव होने लगता है कि अपने इस ब्राह्मण जीवन मे अब मुझे मम्मा, बाबा के समान अवश्य बनना है। इस लिए अब *मैं हर कर्म में फ़ॉलो मदर, फॉलो फादर कर रही हूँ। जैसे मम्मा, बाबा ने सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन, शिव बाबा की श्रीमत पर चल पावन बनने का पुरुषार्थ किया ऐसे ही मैं आत्मा भी फॉलो मदर, फॉलो फादर करते हुए घर गृहस्थ में रहते पवित्र बनने का पुरुषार्थ कर रही हूँ*। मम्मा, बाबा के समान सम्पूर्ण पवित्र बनने का लक्ष्य सदा स्मृति में रखते हुए अब मैं मनसा, वाचा, कर्मणा सम्पूर्ण पवित्रता को अपने जीवन में धारण कर अपना जीवन बाप समान बना रही हूँ।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  मैं आत्मा कम्बाइन्ड़ स्वरुप की स्मृति द्वारा कम्बाइन्ड़ सेवा करती हूँ।*

 

 _ ➳  *हर पल... सदा साथ साथ... एक बाप को प्रत्यक्ष महसूस करती मैं आत्मा... स्व सेवा और सर्व की सेवा को स्वरुप में लाती हूँ...* हर पल बाबा को देखती... बाबा से बातें करती... सेवा के प्रति समर्थ बन गई हूँ... मन बुद्धि के तार को बाबा से हर घड़ी जोड़ती मैं आत्मा... बाबा की शक्तियों रूपी किरणों को स्वयं भी धारण कर रही हूँ और सर्व आत्माओं को भी धारण करवा रही हूँ... *मन की तार बापदादा से जुड़े रहने से शक्तियों की किरणों की वर्षा स्वतः होती रहती हैं... भूली जग सारा जब बैठी एक बाप की याद में... कार्य मेरा भी बाप ने किया जब खो गई बाप की यादों में...* स्व सेवा और विश्व सेवा के अलौकिक कार्य में अलौकिक सफलता प्राप्त करती रहती हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- हद की इच्छाओं की अविद्या रख महान सम्पत्तिवान बनने का अनुभव"*

 

_ ➳  मैं हद की नाम, मान और शान की इच्छाओं की... अविद्या रखने वाली महान आत्मा हूँ... *संगमयुगी श्रेष्ठ आत्मा हूँ*... स्वयं बाप द्वारा मिले इस अलौकिक ब्राह्मण जीवन को प्राप्त करने वाली सौभाग्यशाली आत्मा हूँ... *बाप द्वारा मिले इस जीवन को पाकर... मैं आत्मा धन्य-धन्य हो गई*... बाप की प्यारी और न्यारी बन गई... मैं आत्मा पुरुषोत्तम बनती जा रही हूं... और *कोई भी इच्छा नही रही*... दिल हरपल यही गीत गाता है... पाना था सो पा लिया... अब कुछ बाकी नही रहा... स्वयं भगवान ने मुझ आत्मा को अपना दिलतख्तनशीं बना दिया... सबसे बड़े ते बड़ी शान... अपना बना लिया *परम आत्मा का मान मिल गया*... यह बेहद का मान, शान प्राप्त कर...  मैं आत्मा स्वयं को महान सम्पत्तिवान अनुभव कर रही हूँ... यह *अविनाशी सम्पति को पाकर मैं आत्मा पदमा-पदम् पति अनुभव कर रही हूँ*... ऐसा खजाना इस पुरुषोत्तम संगमयुग में ही... मैं आत्मा प्राप्त कर रही हूँ...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  दो प्रकार से 'बाबाशब्द कहने वाले हैं। एक है दिल से 'बाबाकहने वाले और दूसरे हैं नालेज के दिमाग से कहने वाले। *जो दिल से 'बाबाकहते हैं उनको सदा सहज दिल में बाबा द्वारा प्रत्यक्ष प्राप्ति खुशी और शक्ति मिलती है और जो सिर्फ दिमाग अच्छा होने के कारण नालेज के प्रमाण 'बाबा-बाबाशब्द कहते हैं उन्हों को उस समय बोलने में अपने को भी खुशी होती और सुनने वालों को भी उस समय तक खुशी होती, अच्छा लगता लेकिन सदाकाल के लिए दिल में खुशी और शक्ति दोनों होवो सदा नहीं रहतीकभी रहती,* कभी नहीं, क्यों?दिल से 'बाबानहीं कहा।  

 

✺   *ड्रिल :-  "दिल से 'बाबा' कहना"*

 

 _ ➳  *भक्ति मार्ग की अठखेलियां चारों तरफ सजी हुई सुंदर सुंदर मनमोहक झांकियां और अद्भुत शोभनीय वस्त्र धारण किए हुए मनमोहक बालक बालिका बड़े ही रायल्टी से बैठकर शोभा यात्रा निकालने में मगन है...* मैं भी घर के बाहर निकलकर इस मनमोहक दृश्य को देख रही हूं... और देखती हूं कि एक सुंदर सी बालिका राधे के वस्त्र पहने देवी की भाँति खड़ी हुई है... और उनके पास ही कृष्ण रूप धारण किए हुए हाथों में मुरली सजाए हुए एक सुंदर बालक खड़ा है... उस बालक को मैं बहुत ही गहराई से देखती हूं... और देखते देखते मुझे अनुभव होता है कि वह बालक मानो मुरली बजा रहा है... और उसकी मुरली की तान पर सभी गोप गोपियां झूम रही हो... और साथ में मैं भी इस दृश्य में इतना डूबी जा रही हूं कि मैं भी झूमने लगती हूँ...

 

 _ ➳  कुछ देर झूमते झूमते मैं आत्मा अपनी मन बुद्धि में मुरली की तान समाए हुए... अपने प्यारे बाबा को गहनों से सजे हुए और हाथों में मुरली बजाए हुए अनुभव करती हूँ... *मुझे प्रतीत होता है मानो मेरे बाबा कृष्ण रूप धारण किए मेरे सामने विराजमान है... और मुरली बजा कर मुझे अपनी और आकर्षित कर रहे हैं... जैसे ही मुरली की तान मेरे कानों में पहुंचती है... मुझे अति आनंदित अवस्था का अनुभव होता है...* और इस आनंद से भरे हुए अपने मन को सूक्ष्म रुप देकर पहुंच जाती हूं परमधाम... जहां हजारों रंग बिखेरते हुए मेरे मीठे बाबा मेरा इंतजार कर रहे हैं और मैं बाबा की मस्त किरणों में झूलती जा रही हूं...  

 

 _ ➳  जैसे-जैसे मैं किरणों रूपी झूलों में झूलती हूं... मेरा यह झूला तीव्र गति को प्राप्त होता है... और उसी तीव्रता के कारण मैं पहुंच जाती हूं अपने शिवबाबा के बिल्कुल पास... और मुझे आभास होता है... कि मानो बाबा मुझे कह रहे हो मेरे मीठे बच्चे... *जब जब तुम अपने दिल से मुझे याद करोगे तो हमेशा ही मुझे अपने करीब अनुभव कर पाओगे... परन्तु अगर सिर्फ जुबान से बाबा शब्द कहोगे तो मुझे अपने पास सदाकाल के लिए अनुभव नहीं कर पाओगे...* बाबा की ये बातें सुनकर मैं चिंतन करती हूं कि जब दिल से बाबा कहने से इतनी प्राप्तियां और सुख घनेरे मिलते है तो मैं इस क्यों ना करूँ...

 

 _ ➳  और बाबा से मीठी-मीठी बातें करके मैं आत्मा... अपने मन बुद्धि को बाबा शब्दों में समेटते हुए... अपने प्यारे बाबा के साथ आकर... एक चमकते हुए सितारे पर बैठ जाती हूँ... और अपने प्यारे बाबा की किरणों रूपी झूले में झूल कर अपनी सौभाग्यशाली स्थिति में डूब जाती हूं... और मैं आत्मा अब धीरे-धीरे अपने इस स्थूल देह में आकर विराजमान हो जाती हूँ... जैसे ही मैं अपने स्थूल शरीर में प्रवेश करती हूं... तो मुझे अपने मन में और बुद्धि में सिर्फ और सिर्फ मेरे बाबा का ही नाम अनुभव होता है... मुझे अनुभव होता है... कि मेरे बाबा मेरे साथ है... और *बाबा की शक्तियां और सर्व खजाने मुझ आत्मा में समा रहे हैं... अब मैं हर पल हर घड़ी सिर्फ और सिर्फ अपने दिल में बाबा का रूप और बाबा का नाम स्मृति में रखती हूं... और हमेशा अपने आप को बाबा के करीब अनुभव करती हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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