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 06 / 08 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *परीक्षा में साथी और साक्षीपन की स्थिति बनी रही  ?*

 

➢➢ *बड़ी बात को छोटा बनाया ?*

 

➢➢ *फुल स्टॉप लगा भविष्य के लिए फुल स्टॉक जमा किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *अपने जीवन को प्रेरणादायक बनाया ?*

 

➢➢ *परीक्षाओ में पास विद ऑनर हुए ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *बहुत काल का चढ़ती कला का अनुभव किया ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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➳ _ ➳  ‘बापदादा, सदा हर कदम में, हर संकल्प में उडती कला वाले बच्चों को देख रहे हैं। सेकण्ड में अशरीरी भव का वरदान मिला और सेकण्ड में उडा।' *अशरीरी अर्थात ऊँचा उडना। शरीर भान में आना अर्थात पिंजडे का पंछी बनना।* इस समय सभी बच्चे अशरीरी भव के वरदानी, उडते पंछी बन गये हो। यह संगठन स्वतन्त्र आत्मायें अर्थात उडते पंछियों का है। सभी स्वतन्त्र हो ना? ऑर्डर मिले अपने स्वीट होम में चले जाओ तो कितने समय में जा सकते हो? सेकण्ड में जा सकते हो ना। *आर्डर मिले, अपने मास्टर सर्वशक्तिवान की स्टेज द्वारा, अपनी सर्वशक्तियों की किरणों द्वारा अंधकार में रोशनी लाओ, ज्ञान सूर्य बन, अंधकार को मिटा लो,* तो सेकण्ड में यह बेहद की सेवा कर सकते हो? ऐसे मास्टर ज्ञान सूर्य बने हो?

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  विशेष जीवन कहानी बनाने का आधार - सदा चढ़ती कला"*

 

_ ➳  मीठे बाबा की यादो में डूबी मै आत्मा... कुटिया में हाले दिल सुनाने के लिए पहुंचती हूँ... मीठे बाबा भी बस मेरे ही इंतजार में बेठे है... अपना समय और संकल्प मुझ पर लुटा रहे है... और मै आत्मा भगवान को सम्मुख पाकर भाव विभोर हूँ... और मीठे बाबा से कह रही हूँ कि... बाबा आपने जीवन को ज्ञान रत्नों से सजाकर कितना मीठा, प्यारा और अनोखा कर दिया है... मै आत्मा *आपका असीम प्यार पाकर, इस विश्व धरा पर महाभाग्यवान बन मुस्करा रही हूँ.*..

 

   मीठे बाबा मुझ आत्मा के जीवन को ऊँचे आयामो से सजाते हुए बोले :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *ईश्वरीय यादो में सर्व प्राप्तियों से भरपूर होकर, सदा उन्नति की ओर अग्रसर हो जाओ.*.. उतरने चढ़ने के खेल में... सदा के अधिकार को न गंवाओ... साक्षी व् साथी पन की स्म्रति से... फूल पास होने वाले महा भाग्यवान बन जाओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा महान जीवन के गुर सीखकर कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी प्यारी यादो में सदा उन्नति को पा रही हूँ... *शक्तियो की मालिक बनकर, सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बन कर सुखो में मुस्करा रही हूँ.*.. व्यर्थ को समाप्त कर सदा समर्थ चिंतन में खोयी हुई हूँ...

 

   प्यारे बाबा मुझ आत्मा को चढ़ती कला में जाने के राज समझाते हुए कहते है :- "मीठे लाडले बच्चे... *अपने जीवन की कहानी को विशेषताओ से सम्पन्न बनाकर... इतना खुबसूरत बनाओ कि हर दिल प्रेरणा को प्राप्त करे.*.. व्यर्थ से परे होकर, फुल स्टॉप लगाकर... सदा उन्नति की राहो पर बढ़ते चलो... विशेषताओ के मोती चुगने वाले होलिहंस बन मुस्कराओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के ज्ञान धन से सम्पन्न बनकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा... स्वयं को मात्र देह समझ कर उतरती कला में चलती चली जा रही थी... अंधेरो में भटक रही थी... *कि आपने अपना हाथ देकर, मेरा भाग्य जगा दिया, और मुझे चढ़ती कला में जाने का सारा राज समझा दिया..*. मै आत्मा सदा आपकी उपकारी हूँ बाबा..."

 

   मीठे बाबा मुझ आत्मा को उन्नति से सजे श्रेष्ठ जीवन को समझाते हुए कहते है :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... *जीवन के सार को जीवन में लाकर, वरदानी मूर्त बन मुस्कराओ.*.. अपनी श्रेष्ठ स्थिति से सबको निर्विघ्न बनाने का सहयोग देकर....मीठे बापदादा के स्नेह का रिटर्न देने वाले... बाप समान और सम्पन्न बन जाओ... अनुभवी मूर्त बन सबको अनुभूतियों में लाओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा की असीम दौलत को पाकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... अपनी गोद में बिठाकर, अपनी मीठी पालना देकर, आपने मुझे कितना प्यारा और श्रेष्ठ बना दिया है... *मूल्यों को जीने वाली मै आत्मा वरदानी मूर्त बनकर विश्व धरा पर मुस्करा रही हूँ.*.. और अपनी चलन से ईश्वरीय अदा दिखा रही हूँ..."मीठे बाबा से सारे खजाने अपनी झोली में भरकर मै आत्मा साकार सृष्टि में लौट आयी...

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- परीक्षाओं में साथी और साक्षिपन की स्थिति से बड़ी बात को छोटा बना पास विद ऑनर होना*"

 

 _ ➳  अपने भगवान साथी को अपने साथ ले कर मैं एक विशाल समुन्द्र के किनारे बैठी, समुन्द्र की लहरों से उठने वाली ठण्डी हवाओं का आनन्द ले रही हूं। अपने आस पास चारों ओर के लुभावने दृश्य देख रही हूं। *तभी समुन्द्र के किनारे खड़ी नौका को देख उस नौका में बैठ समुन्द्र की लहरों को और पास से देखने का ख्याल मन मे आता है*। मैं समुन्द्र के किनारे से उठ कर उस नौका के पास जाती हूँ और उस नौका में बैठ उसे चलाते हुए समुन्द्र के अंदर पहुंच जाती हूँ। नौका चलाते - चलाते मैं किनारे से बहुत दूर समुन्द्र के बीचों बीच पहुंच जाती हूँ और बीच मे ही नौका को रोक कर अब समुन्द्र के उस खूबसूरत नजारे का आनन्द लेने लगती हूँ।

 

 _ ➳  एकाएक मुझे ऐसा महसूस होता है जैसे लहरों का वेग बढ़ने लगा है। देखते ही देखते समुन्द्र में बहुत तेज लहरें उठने लगती हैं। एक भयंकर तूफान आने लगता है। मैं जल्दी से जल्दी किनारे तक पहुंचने का प्रयास करती हूं लेकिन घबराहट के कारण मैं नौका को ठीक से चला नही पाती और अपने खुदा दोस्त, अपने भगवान साथी को याद करती हूं। *तभी मुझे महसूस होता है कि मैं अकेली नही हूँ मेरा साथी, मेरा भगवान मेरे साथ है*। मन मे यह संकल्प आते ही अपने खुदा दोस्त को मैं अपने साथ बैठा हुआ अनुभव करती हूं। *देखते ही देखते मेरे खुदा दोस्त उस नौका को संभाल लेते हैं और उस भयंकर तूफान से मुझे बड़े आराम से बाहर निकल कर ले आते हैं*।

 

 _ ➳  इस दृश्य को देख कर मन ही मन मैं विचार करती हूं कि जीवन मे आने वाली छोटी बड़ी परिस्थियां रूपी परीक्षाएं ही तो जीवन मे आने वाले तूफान है और *इन तूफानों से बाहर निकालने की शक्ति अगर किसी मे है तो केवल भगवान में हैं और वही भगवान इस समय स्वयं आ कर हर सम्बन्ध निभाने की ऑफर कर रहा है*। तो ऐसे भगवान साथी का साथ होते हुए कोई भी परिस्थिति रूपी तूफान मुझे कैसे हिला सकता है। *स्वयं सर्वशक्तिवान भगवान मेरा साथी है, इस बात को स्मृति में लाते ही मन मे खुशी की लहरें उठने लगती हैं* और उमंग उत्साह से भरपूर हो कर अपने भगवान साथी से मिलने के लिए मैं अशरीरी आत्मा बन पहुंच जाती हूँ परमधाम।

 

 _ ➳  अब मैं देख रही हूं स्वयं को सुख, शांति, प्रेम, पवित्रता के सागर अपने शिव साथी के पास। उनके सानिध्य में आ कर मुझे ऐसा आभास हो रहा है जैसे उनसे आ रही *सर्वशक्तियों की मीठी मीठी लहरों में मैं डुबकी लगा रही हूं*। बाबा से आ रही सर्वशक्तियां झरने की फुहारों की तरह मुझ पर निरन्तर बरस रही है और मुझे असीम सुख, शांति का अनुभव करा रही हैं। *बाबा की शक्तिशाली किरणे मुझ में बल भर कर मुझे शक्तिशाली बना रही हैं*। स्वयं को सर्वशक्तिसम्पन्न बना कर अब मैं वापिस लौट रही हूं और अपने साकारी शरीर मे विराजमान हो कर अपने खुदा दोस्त को हर समय अपने साथ अनुभव कर रही हूं।

 

 _ ➳  अब मेरे जीवन मे आने वाली परिस्थितियां रूपी परीक्षाएं मुझे हलचल में लाने का भी प्रयास नही कर सकती क्योकि स्वयं सर्वशक्तिवान भगवान मेरा साथी बन सदा मेरे साथ रहता है। *उनकी हजारों भुजाओं की छत्रछाया मेरे चारों ओर सेफ्टी का किला बन कर मुझे सुरक्षित रखती है*। अपने जीवन मे घटने वाली बड़ी से बड़ी घटना को भी मैं अब साक्षीपन की सीट पर सेट हो कर देखते हुए, अपने भगवान साथी के साथ स्मृति से सहज ही छोटा बना लेती हूं। *अब तो बुद्धि में सदा एक ही बात रहती है "जिसका साथी है भगवान, उसे क्या रोकेगा आंधी और तूफान" और यह स्मृति मुझे हर बड़ी बात को छोटा बना कर पास विद ऑनर बना रही है*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  मैं आत्मा पुराने संसार और संस्कारों की आकर्षण से जीते जी मरने वाली हूँ।* 

 

➳ _ ➳  पुराने संसार... पुराने संस्कार को योग अग्नि रूपी यज्ञ में स्वाहा करती... *एक आँख में शान्तिधाम और दूसरे आँख में सुखधाम को देखती मैं आत्मा... योगबल रूपी अग्नि चिता में अपने पुराने संस्कारो को अग्नि दाह दे रही हूँ...* दैहिक आकर्षण से परे... जीते जी मर कर एक बाप की सदा हो चुकी हूँ... सतयुग की स्वराज्य अधिकारी मैं आत्मा... संगमयुग में अपने पुराने संस्कारों को परिवर्तन कर मरजीवा बन गयी हूँ... *संकल्प और स्वप्न में भी देवताई सद्गुणों का आह्वान करती हूँ...* दैहिक संसार और दैहिक संस्कारों से मुक्त बन... उड़ती कला का सौभाग्य प्राप्त कर रही हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- याद और सेवा में सदा बिजी रह सबसे लकी होने का अनुभव"*

 

➳ _ ➳  मैं चैतन्य शक्ति... पांच तत्वों के बने इस शरीरी में... भृकुटि के बीचों बीच चमकता हुआ लकी सितारा... अकाल तख्त पर विराजमान हूँ... *मैं आत्मा सदा बाप की याद में रह... स्वयं को सेवा में बिजी रखने वाली आत्मा हूँ*... बाबा की याद में उठाया हर कदम... मुझ आत्मा को पदमों की कमाई करा रहा है... *सारे कल्प में ऐसा श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त हो नही सकता*... हम डायरेक्ट भगवान की रचना है... ब्राह्मण जीवन का आधार ही सेवा है... ब्राह्मण जीवन का श्वांस सेवा है... *मैं भगवान की श्रेष्ठ रचना... यह नशा और खुशी... मुझ आत्मा को सबसे लकी होने का अनुभव करा रही है*... मैं सदा सेवा करने वाली सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ... मैं बाप की याद में रह... मनसा, वाचा, कर्मणा द्वारा सेवा करती जा रही हूँ... *मुझ आत्मा को मिले सेवा का चांस ही... मुझे श्रेष्ठ सेवा का भाग्य अनुभव कराता है*..

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )

 

✺ अव्यक्त बापदादा :-

➳ _ ➳  हर एक बच्चा निश्चय और फलक से कहते हैं कि *मेरा बाबा मेरे साथ है।*

➳ _ ➳  कोई भी पूछे परमात्मा कहाँ हैतो क्या कहेंगेमेरे साथ है। *फलक से कहेंगे कि अब तो बाप भी मेरे बिना रह नहीं सकता। तो इतने समीपसाथी बन गये हो।* आप भी एक सेकण्ड भी बाप के बिना नहीं रह सकते हो।

➳ _ ➳  बापदादा बच्चों का यह खेल भी देखते रहते हैं कि *बच्चे एक तरफ कह रहे हैं मेरा बाबामेरा बाबा और दूसरे तरफ किनारा भी कर लेते हैं।*

➳ _ ➳  बाप को देखने की दृष्टि बन्द हो जाती है और माया को देखने की दृष्टि खुल जाती है। तो *आंख मिचौनी खेल कभी-कभी खेलते होबाप फिर भी बच्चों के ऊपर रहमदिल बन माया से किसी भी ढंग से किनारा करा लेता है। वो बेहोश करती और बाप होश में लाता है कि तुम मेरे हो। बन्द आंख याद के जादू से खोल देते हैं।*

✺   *ड्रिल :-  "बाबा की मदद से माया से किनारे का अनुभव"*

➳ _ ➳  *नीले आसमान सी चुनरिया और सिंदूरी श्याम सी बिंदिया, पेड़ पत्तों की खनखनाहट है हाथों में और मुख पर सुर्ख हवाओं का पर्दा गिरा कर देखो यह प्रकृति कितनी मुस्कुरा रही है... दूर एक छोटे से टापू पर बैठ कर मैं आत्मा यह नजारा देख रही हूं...  और मुझे यह प्रकृति इस श्रृंगार में अति मनमोहक लग रही है...* यह दृश्य मुझे अति आनंदित अनुभव करा रहा है... और इसी आनंद की स्थिति में मैं और गहराई में चली जाती हूं... और पहुंच जाती हूं आबू पर्वत... जहां पर बाबा के बच्चे फरिश्ते की तरह निमित्त भाव से सेवा करते नजर आ रहे हैं... मैं उनको और उनके सेवाभाव को तथा उनकी बाबा से लगन को जानने के लिए उनके पास जाकर गहराई से उनके मनोभाव को जानने का प्रयास करती हूं...

➳ _ ➳  और जैसे ही मैं आत्मा उन फरिश्तों रूपी बाबा के बच्चों के पास जाती हूँ... तो मुझे यह ज्ञात होता है कि... उन सभी ब्राहमण आत्माओं के पास एक चाबी है... जिसका नाम है *मेरा बाबा और जिसके कारण वह आत्माएं हर बंद ताले को खोल सकती है... और अपने हर कार्य में सफल हो जाती है...* मैं उन आत्माओं से पूछती हूं... कि क्या यह चाबी आपके पुरुषार्थ में तुम्हारी मदद करती है... तो वह आत्माएं हमें कहती है... हमारे सामने चाहे कोई भी परिस्थिति आए... चाहे कितनी भी खुशी रहे इस मेरे बाबा रूपी चाबी को कभी नहीं भूलती... जिसके कारण हम आत्माएं फरिश्ते रूप में अपने आप को सहज ही अनुभव कर निमित्त सेवाधारी का पार्ट बजा पा रही हैं...

➳ _ ➳  फिर मैं उन फरिश्तों रूपी आत्माओं को इस स्थिति में देखकर मैं आत्मा पहुंच जाती हूं मन बुद्धि से उसी स्थान पर... जहां से मुझे यह प्रकृति अति मनमोहक लग रही है... और उसी टापू पर बैठकर मैं सोचने लगती हूँ... की बाबा मुझे रोज सच्चा ज्ञान दे रहे हैं, मुझे माया से जीतना सिखा रहे हैं... अपना घर शांति धाम छोड़ कर... *यहां कलियुगी दुनिया में आकर मुझे इस कलियुग की दुनिया से निकालकर सुखधाम ले जाने के लिए आए हैं... तो मेरा भी यह पूरा-पूरा कर्तव्य होना चाहिए... कि मेरे दिल में सिर्फ और सिर्फ मेरा प्यारा बाबा ही हो ना कि कोई और... अगर मैं हमेशा इन फरिश्तों की भांति अपने आप को देखना चाहती हूं... और सभी दुख दर्द से छुटकारा पाना चाहती हूं... तो मुझे भी इस मेरे बाबा रूपी चाबी का शत प्रतिशत उपयोग करना होगा...* मैं अपने आप से यह दृढ़ संकल्प करती हूं कि... आज से मेरे दिल में मेरे हर संकल्प में सिर्फ और सिर्फ मेरा प्यारा बाबा ही होगा...

➳ _ ➳  और जैसे ही मैं अपने आपसे यह वादा करती हूं... तो मैं अनुभव करती हूं... कि मैं इस सृष्टि की सबसे सौभाग्यशाली आत्मा हूं... क्योंकि मुझे स्वयं परमपिता सच्चा ज्ञान दे रहे हैं... और अपनी गोद में बिठाकर  मायावी दुनिया से मुझे बचा रहे हैं... और जैसे ही मुझे इस स्थिति का अपने अंदर पूर्ण आभास होता है... तो मैं देखती हूं की मेरे सामने स्वयं बापदादा खड़े होकर मुस्कुरा रहे हैं... बाबा का मुस्कुराता हुआ चेहरा देख मैं अपनी मुस्कान कभी रोक नहीं पाती और मैं बाबा से कहती हूं... मेरे मीठे बाबा मैं बार-बार आपका हाथ छोड़ कर माया के पास चली जाती हूं... और माया मुझे बेहोश कर देती है... परंतु मेरे मीठे बाबा इस मायावी बेहोशी से हर बार मेरे खिवैया बनकर... आप मुझे इस विषय सागर से निकाल ही लेते हो... और मैं कहती हूं... *बाबा आप हार नहीं मानते तो मैं भी आपकी बच्ची हूं... मैं भी हार नही मानूंगी... और हमेशा आपका नाम लेकर आपके नाम के सहारे से मैं इस विषय सागर से निकलकर किनारे पर आ जाऊंगी...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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