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 06 / 02 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *कदम कदम बाप की राय पर चले ?*

 

➢➢ *"जहां बिठाए... जहां खिलाये" - एस आज्ञाकारी होकर रहे ?*

 

➢➢ *"हम ईश्वरीय औलाद हैं" - यह स्मृति रही ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *कर्म और योग के बैलेंस द्वारा सर्व की ब्लेसिंग प्राप्त की ?*

 

➢➢ *सदा खुश रहे और खुशियों का खजाना बांटते रहे ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *किसी आत्मा के प्रति विशेष झुकाव न रख स्नेह के रॉयल रूप से दूर रहे ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - तुम्हे सदा अतीन्द्रिय सुख में रहना है, कभी भी रोना नही है क्योकि तुम्हे अभी ऊँच ते ऊँच बाप मिला है"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... जिस ईश्वर पिता के दीवाने से    होकर दीदार मात्र को दर दर घूम रहे थे... वह ईश्वर पिता अथाह सम्पत्ति और खजानो सहित जीवन में मौजूद है... अपनी यादो को इस सच्ची ख़ुशी से प्रतिपल छ्लकाओ... किसकी गोद में बैठ फूलो से खिल रहे और देवताई स्वरूप में ढल रहे... *इन मीठी यादो से मन आँगन को पुलकित करो.*..

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अब सच्चे प्यार और साथ को पाकर सदा की सुखी हो गयी हूँ... कभी इंद्रियों और दैहिक रिश्तो के पीछे भागने वाली... आज मै ईश्वरीय आनन्द को जी रही हूँ... ख़ुशी के मोती आँखों में सजाकर *ईश्वर पिता को अपलक निहार रही हूँ..*.

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता की यादो भरा खुबसूरत वरदानी समय अभी हाथो में है... *इस सच्चे सुख को लुटने वाले बन चलो.*.. देवताओ को भी यह सुख नसीब नही है जो भाग्य ने आपकी झोली में भरपूर सजाया है... यादो में इस मीठे सुख को जीने वाले महा भाग्यवान बनो...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय यादो में अतीन्द्रिय सुख को पाकर खुशियो से महक उठी हूँ... जिसे पाने की चाहत थी वह प्यारा बाबा मुझे सहज ही मिल गया है... *जीवन कमल सा पवित्र हो सदा का खिल उठा है*... मै आत्मा सच्चे प्रेम से भरपूर हो चली हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... परमधाम में रहने वाला खुबसूरत माशूक धरा पर आकर प्यार सागर लुटाने आया है... इस प्यार सागर में *खुशियो की लहरो में मन बुद्धि को सदा लहराते रहो*... अब दूर दूर तक दुःख का नामोनिशान नही... आँखों में पानी नही...ईश्वरीय प्रेम का प्याला और ख़ुशी स्नेह के मोती से छलछलाती पलके हो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सदा सुख को तरसती मात्र देहधारी से चमकती *मणि बनकर ईश्वरीय दिल की धड़कन हो चली हूँ.*.. प्यारा बाबा अपने प्यार भरे साये में मुझे सुख की प्रेम भरी लोरी सुना रहा... और मै आत्मा ईश्वरीय प्रेम से छलकते, अनायास ही दमक उठे, अपने भाग्य पर कुर्बान हूँ...

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा सफलतामूर्त हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा पंच तत्वों की दुनिया से परे निराकारी दुनिया में आ जाती हूँ... मैं आत्मा ज्ञान इन्द्र के सामने बैठ जाती हूँ... ज्ञान इन्द मुझ आत्मा पर ज्ञान वर्षा कर रहे हैं... मुझ आत्मा पर *इन्द्रधनुषी रंगो की वर्षा* हो रही है... ज्ञान, प्रेम, सुख, शांति, आनंद, पवित्रता, शक्तियों की सतरंगी किरणों से मैं आत्मा ज्ञान परी बन रही हूँ...

 

➳ _ ➳  ज्ञान वर्षा से मुझ आत्मा का सारा व्यर्थ का किचडा बाहर बहते जा रहा है... मैं आत्मा अपने *मन-बुद्धि में सतज्ञान भर रही* हूँ... सदविवेक भर रही हूँ... ईश्वरीय ज्ञान भर रही हूँ... मुझ आत्मा की बुद्धि दिव्यता से सम्पन्न हो रही है... मैं आत्मा श्रेष्ठ स्मृतियों से स्मृति स्वरूप बनती जा रही हूँ... 

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा *कर्म में योग और योग में कर्म*-ऐसी कर्म योगी स्थिति का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा श्रेष्ठ स्थिति से श्रेष्ठ वायुमंडल बना रही हूँ... मैं आत्मा श्रेष्ठ संकल्पों के वायब्रेशन चारों ओर फैला रही हूँ... मैं आत्मा ज्ञान परी बन सबको ज्ञान धन का दान कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सर्व को शुभ भावनाएँ, शुभ कामनाएं देती हूँ... जिससे मैं आत्मा सर्व की दुआओं की अधिकारी बनती जा रही हूँ... मैं आत्मा हर कर्म एक बाबा की याद में करती हूँ... सिर्फ एक बाबा से ही योग लगाती हूँ... मैं आत्मा कर्म और योग के बैलेन्स से हर कर्म में *बाप की ब्लैसिंग स्वतः प्राप्त* करती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा जिनके भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आती हूँ उनसे भी दुआयें प्राप्त करती जा रही हूँ... सब मुझ आत्मा के प्रति शुभ भावनाएँ रखते हैं... मैं आत्मा सबकी दुआओं के साथ सहयोग प्राप्त करती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा हर कर्म में सफलता प्राप्त करती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा कर्म और योग के बैलेन्स द्वारा सर्व की ब्लैसिंग प्राप्त करने वाली *सहज ही सफलतामूर्त अवस्था* का अनुभव कर रही हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सदा खुश रह और खुशियों का खजाना बांटते हुए, सच्ची सेवा करना"*

 

➳ _ ➳  ख़ुशी जैसी खुराक नहीं... बाबा ने बताया हैं... ख़ुशी की शक्ति से ना सिर्फ तन तंदुरस्त रहता है, अपितु मन और बुद्धि भी शक्तिशाली बनते हैं... *मुझ आत्मा को सदा खुश रहना है, चाहे जो हो जाये... यह वादा किया है, बाबा से...*

 

➳ _ ➳  वाह मेरा भाग्य वाह... यही गीत सदा गाते रहना हैं... मैं कितनी सौभाग्यशाली आत्मा हूँ... *जिस ईश्वर की एक नज़र के लिए हर आत्मा तरस रही हैं, मैं आत्मा उसके नैनों में समाई हूँ...* भगवान मिल गया, सब कुछ मिल गया... सभी ख़ुशी के खजाने मिल गये... भाग्य विधाता, वरदाता ही मेरा साथी बना हैं... मेरे जैसा खुशनसीब और कोई नहीं...

 

➳ _ ➳  सदा खुश रहकर, ख़ुशी के खजाने को बांटते रहना... यह सेवा मुझे निरन्तर करना हैं... *मेरे खुश रहने से, कई आत्माओं के दुःख समाप्त हो जाते हैं...* मुझे देख दुखी, अशांत आत्मायें, उमंग उत्साह से भर जाती हैं... और ख़ुशी के झूले में झूलने लगती हैं...

 

➳ _ ➳  किसी भी आत्मा को ख़ुशी की शक्ति देना... यही सच्ची-सच्ची सेवा हैं... और ये तभी सम्भव हैं, जब मैं आत्मा सदा खुश रहती हूँ... *सारे जतन कर मुझे अपनी ख़ुशी की सम्भाल करनी हैं...* मेरी ख़ुशी किसी भी हालत में गुम न होने पाये... तो अन्य आत्माओं की स्वतः ही सेवा हो जायेगी...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *कर्म और योग के बैलेन्स द्वारा सर्व की ब्लेसिंग प्राप्त करने वाले सहज सफलतामूर्त होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

 ❉  कर्म अर्थात जो भी हम आत्मा संकल्प मात्र सोचते है उसे जब किसी कर्मइंद्री के द्वारा प्रत्यक्ष रूप देने का सोचते.... योग अर्थात कनेक्शन, जैसे जब हम टीवी देखते तो आत्मा का योग टीवी के साथ लगा हुआ होता । इस प्रकार बाबा कहते कोई भी *कर्म करते बुद्धि का योग एक निराकार शिवबाबा से* लगा हुआ हो ।

 

 ❉  गीता में लिखा है *कर्म कर फल की इच्छा मत कर* ।पर आज के टाइम में हम फल की इच्छा पहले करते है और उसके हिसाब से फिर कितना कर्म करना है वो डिसाइड करते है तो कर्म करने का हमने आज के टाइम में डेफिनेशन ही चेंज कर दी है। जिस वजह से हम हर कर्म देह अभिमान में आके करते है और उसका फल भी फिर दुःख देने वाला होता या थोड़े समय का सुख होता है ।

 

 ❉  इसलिए बाबा बहुत बार मुरली में कहते *धर्म में टिक कर हर एक कर्म करो* जिससे पुराने खाते चूकतु होंगे, नए कर्म सुकर्म बनेंगे । अब मुझ आत्मा का स्वधर्म है ही शान्त, पवित्र, सुख... जब भी मैं आत्मा स्वधर्म में टिककर कर्म करूँगी तो उससे सर्व की ब्लेसिंज़ के साथ साथ सफलता भी अवश्य मिलेंगी ।

 

 ❉  बाबा कहते ऐसा ना हो की कर्म करते हुए मुझसे योग टूट जाए ओर ऐसा भी ना हो की केवल योग में बैठे रहे.. ऐसी दोनो अवस्थाओं से राजा का पद नहीं मिलेगा , इसलिए बाबा कहते की *बैलेन्स लाइफ़ इस ईज़ी लाइफ़* काम के साथ साथ बाबा की याद भी हो इसके लिए बाबा कहते " हथ कार डे दिल यार डे " । (स्वधर्म + कर्म = श्रेष्ठ भाग्य)

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *सदा खुश रहना और खुशियों का खजाना बांटते रहना यही सच्ची सेवा है... क्यों और कैसे* ?

 

❉   " अप्राप्त नही कोई वस्तु ब्राह्मणों के खजाने में " यह गायन हम ब्राह्मण बच्चों के लिए ही है । *जो सदा इस बात को स्मृति में रखते हैं कि हम सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न दाता के बच्चे मास्टर दाता हैं* वे सर्व प्राप्तियों की अनुभूति करते हुए सदा सन्तुष्ट रहते हैं  । " पाना था सो पा लिया, अब और बाकि क्या रहा " इस गीत को गाते हुए वे सदा स्वयं भी ख़ुशी से भरपूर रहते हैं तथा सर्व आत्माओं को भी ख़ुशी का दान करने की सच्ची सेवा करते रहते हैं ।

 

❉   सबसे बड़े ते बड़ा खजाना है ही ख़ुशी का खजाना जिसे पाने के लिए लोग कहां - कहां नही भटक रहे किन्तु फिर भी इस खजाने से वंचित है । लेकिन हम ब्राह्मण बच्चे कितने खुशनसीब है जो *सवेरे आँख खुलते ही सृष्टि के रचयिता बाप से हमारा मिलन होता है* जो खुशियो के अखुट खजाने हम पर लुटाता है । ऐसे सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में रहने वाले ही ख़ुशी के खजाने से सम्पन्न बन सर्व आत्माओं को ख़ुशी का दान करने की सेवा करते रहते हैं । जो सबसे बड़ी और सच्ची सेवा है ।

 

❉   जैसे भक्ति में यह माना जाता है कि ईश्वर अर्थ धन या कोई भी वस्तु अगर दान की जाती है तो उसका पदम् गुणा अवश्य मिल जाता है । ऐसे बाप द्वारा मिली *सर्वशक्तियों, सर्व गुणों और सर्व खजानो को जो सदा कार्य में लगाने की सच्ची सेवा में मग्न रहते हैं* वे बालक सो मालिकपन की ख़ुशी में रहते हुए, ख़ुशी के खजाने से ऐसे सम्पन्न बन जाते हैं कि बाबा द्वारा मिली सर्व शक्तियों, गुणों और खजानो को स्व कल्याण और विश्व कल्याण के प्रति यूज़ करते हुए मालामाल बन जाते हैं ।

 

❉   ब्राह्मण बनते ही बाबा अपने हर बच्चे को अविनाशी अखुट खजानो से भरपूर कर देते हैं । बाबा द्वारा मिले इन अविनाशी अखुट खजानो को जो सदा स्मृति में रखते हैं और स्वयं को *सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न तृप्त आत्मा अनुभव करते हैं वे सदा इन प्राप्तियों के नशे में झूमते रहते हैं* । उनके नयनो में सदा बाप और बाप द्वारा मिला खजाना ही सामने रहता है जो उन्हें सदा ख़ुशी से भरपूर रखता है । इसलिए वे स्वयं भी सदा खुश रहते हैं तथा औरों को भी ख़ुशी का दान करते रहते हैं ।

 

❉   कहा जाता है कि ख़ुशी जैसी कोई खुराक नही । इसलिए ख़ुशी है तो सब कुछ है ख़ुशी नही तो कुछ भी नही । *ख़ुशी है बाप का खजाना । इसलिए बाबा कहते धंधेधोरी में अगर थोडा बहुत नुकसान हो भी जाये तो भी उदास नही होना* क्योंकि अखुट प्राप्तियों के आगे यह नुकसान कोई बड़ी बात नही । इन अखुट खजानो को जब भूलते हैं तब उदास होते हैं । किन्तु जो इन प्राप्तियों को सदा स्मृति में रखते हैं वे सदा खुश रहते हुए औरों को भी ख़ुशी का दान करने की सच्ची सेवा में लगे रहते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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