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❍ 24 / 08 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *बाप की शिक्षाओं को अमल में लाये ?*
➢➢ *रूहानी पंडा बन आत्माओं को सच्ची यात्रा कराई ?*
➢➢ *हीरे जैसा बनने और बनाने का पुरुषार्थ किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *साक्षीपन के अचल आसन पर विराजमान रहे ?*
➢➢ *मन बुधी को एक बाप में एकाग्र किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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➳ _ ➳ आज सभी मिलन मनाने के एक ही शुद्ध संकल्प में स्थित हो ना। *एक ही समय, एक ही संकल्प - यह एकाग्रता की शक्ति अति श्रेष्ठ है।* यह संगठन की एक संकल्प की एकाग्रता की शक्ति जो चाहे वह कर सकती है। *जहाँ एकाग्रता की शक्ति है वहाँ सर्व शक्तियाँ साथ हैं।* इसलिए एकाग्रता ही सहज सफलता की चावी हैं। *एक श्रेष्ठ आत्मा के एकाग्रता की शक्ति भी कमाल कर दिखा सकती है तो जहाँ अनेक श्रेष्ठ आत्माओं के एकाग्रता की शक्ति संगठन रूप में है वह क्या नहीं कर सकते।* जहाँ एकाग्रता होगी वहाँ श्रेष्ठता और स्पष्टता स्वत: होगी। किसी भी नवीनता की इन्वेन्शन के लिए एकाग्रता की आवश्यकता है। चाहे लौकिक दुनिया की इन्वेन्शन हो, चाहे आध्यात्मिक इन्वेन्शन हो। *एकाग्रता अर्थात एक ही संकल्प में टिक जाना।* एक ही लगन में मगन हो जाना। *एकाग्रता अनेक तरफ का भटकाना सहज ही छुडा देती है।* जितना समय एकाग्रता की स्थिति में स्थित होंगे उतना समय देह और देह की दुनिया सहज भूली हुई होगी। क्योंकि उस समय के लिए संसार ही वह होता है, जिसमें ही मगन होते। *ऐसे एकाग्रता की शक्ति के अनुभवी हो?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)
➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- यह संगम हीरे समान है, यहाँ कौड़ी से हीरे जैसा बनना"*
➳ _ ➳ आँगन में कौड़ी खेलते बच्चों को देख मै आत्मा... मुस्कराती हूँ... और मुझे भी कौड़ी से हीरे जैसा बनाने वाले... मीठे बाबा की यादो में डूब जाती हूँ... अपने प्यारे बाबा से मीठी मीठी बाते करने... मीठे वतन में पहुंचती हूँ... प्यारे बाबा रत्नागर को देख ख़ुशी से खिल जाती हूँ... और मीठे बाबा के प्यार में डूबकर... अपनी ओज भरी चमक, मीठे बाबा को दिखा दिखाकर लुभाती हूँ... *देखो मीठे बाबा... मै आत्मा आपके साये में कितनी प्यारी, चमकदार और हीरे जेसी अमूल्य हो गयी हूँ.*.."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने महान भाग्य का नशा दिलाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *ईश्वर पिता धरती पर अपने फूल बच्चों के लिए अमूल्य खजानो और शक्तियो को हथेली पर सजा कर आये है.*.. इस वरदानी समय पर कौड़ी से हीरो जैसा सज जाते हो... और यादो की अमीरी से, देवताई सुखो की बहारो भरा जीवन सहज ही पाते हो...
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के ज्ञान खजाने से स्वयं को लबालब करते हुए कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... आपको पाकर तो मुझ आत्मा ने जहान पा लिया है... देह और दुखो की दुनिया में कितनी निस्तेज और मायूस थी... *आपने आत्मा सितारा बताकर मुझे नूरानी बना दिया है... फर्श उठाकर अर्श पर सजा दिया है*.."
❉ प्यारे बाबा मुझ आत्मा को अपने नेह की धारा में भिगोते हुए कहते है :- "मीठे लाडले प्यारे बच्चे... अपने प्यारे से भाग्य को सदा स्मर्तियो में रख खुशियो में मुस्कराओ... ईश्वर पिता का साथ मिल गया... भगवान स्वयं गोद में बिठाकर पढ़ा रहा... सतगुरु बनकर सदगति दे रहा... *एक पिता को पाकर सब कुछ पा किया है... निकृष्ट जीवन से श्रेष्ठतम देवताई भाग्य पा रहे हो*..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा की अमीरी को अपनी बाँहों में भरकर मुस्कराते हुए कहती हूँ :- "मेरे सच्चे साथी बाबा... आपने आकर मेरा सच्चा साथ निभाया है... दुखो के दलदल से मुझे हाथ देकर सुखो के फूलो पर बिठाया है... *सच्चे स्नेह की धारा में मेरे कालेपन को धोकर... मुझे निर्मल, धवल बनाया है.*.. मुझे गुणवान बनाकर हीरे जैसा चमकाया है..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को काँटों से फूल बनाते हुए कहा :- " मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... भगवान के धरती पर उतर आने का पूरा फायदा उठाओ... ईश्वरीय सम्पत्ति को अपना अधिकार बनाकर, सदा की अमीरी से भर जाओ... *ईश्वर पिता के साये में गुणवान, शक्तिवान बनकर, हीरे जैसा भाग्य सजा लो..*. और सतयुगी दुनिया में अथाह सुख लुटने कीे सुंदर तकदीर को पाओ...
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने दुलारे बाबा को दिल से शुक्रिया करते हुए कहती हूँ :- "मनमीत बाबा मेरे... विकारो के संग में, मै आत्मा जो कौड़ी तुल्य हो गयी थी... *आपने उस कौड़ी को अपने गले से लगाकर, हीरे में बदल दिया है.*.. मै आत्मा आपके प्यार की रौशनी में, कितनी प्यारी चमकदार बन गयी हूँ... अपनी खोयी चमक को पुनः पाकर निखर गयी हूँ..."मुझे हीरे सा सजाने वाले खुबसूरत बनाने वाले रत्नागर बाबा... को दिल से धन्यवाद देकर मै आत्मा.. स्थूल वतन में आ गयी...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- रूहानी पण्डा बन सबको सच्ची यात्रा पर ले जाना*"
➳ _ ➳ "रूहानी पण्डा बन सबको सच्ची यात्रा करानी है" अपने शिव पिता परमात्मा के इस फरमान का पालन करने हेतू, मैं पहले स्वयं को भरपूर करने के लिए चल पड़ती हूँ सच्ची रूहानी यात्रा पर। *मन बुद्धि की इस सच्ची यात्रा पर आगे बढ़ने के लिए सबसे पहले मैं स्वयं को अशरीरी स्थिति में स्थित करती हूं* और अपने परम प्रिय परमपिता परमात्मा शिव बाबा की याद में बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ मेरे संकल्प मात्र से ही मेरे दिलाराम बाबा की अनन्त किरणे परमधाम से सीधे मुझ आत्मा पर पड़ने लगती हैं। *इन शक्तिशाली किरणों का औरा मुझे अपनी ओर खींचने लगता है। और इन शक्तिशाली किरणों के आकर्षण में आकर्षित हो कर मैं आत्मा अपने जगमग करते ज्योतिर्मय स्वरूप को धारण कर चल पड़ती हूँ* साकारी दुनिया को छोड़ दिव्य प्रकाश से प्रकाशित उस निराकारी दुनिया में जो मेरा वास्तविक घर है। मेरे पिता परमात्मा का घर है।
➳ _ ➳ सेकण्ड में मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ अपने घर मुक्तिधाम में। यहां मैं परम मुक्ति का अनुभव कर रही हूँ। मैं आत्मा शांति धाम में शांति के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के सम्मुख गहन शान्ति का अनुभव कर रही हूँ। *मेरे शिव पिता परमात्मा से सतरंगी किरणे निकल कर मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं और मैं स्वयं को सातों गुणों से सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ*। शिव बाबा से अनन्त शक्तियां निकल कर मुझ में समाती जा रही हैं। मैं अतीन्द्रिय सुखमय स्थिति का अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ इस सच्ची रूहानी यात्रा पर चल कर, स्वयं को भरपूर करने के बाद मैं आत्मा वापिस लौट आती हूँ अपने साकारी ब्राह्मण तन में और भृकुटि पर विराजमान हो जाती हूँ। *अब मैं रूहानी पण्डा बन सबको सच्ची यात्रा कराने के लिए एक ऐसे विशाल स्थान पर पहुचं जाती हूँ जहां लोगों की बहुत भीड़ है*। अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर मैं इस खुले स्थान पर बैठ जाती हूँ। और अपने मन बुद्धि की तार को अपने शिव पिता के साथ जोड़ लेती हूं। *बाबा के साथ कनेक्शन जुड़ते ही बाबा की सर्वशक्तियाँ मुझ फ़रिश्ते में समाहित होने लगती हैं और श्वेत रश्मियो के रूप में मुझ फ़रिश्ते से निकल कर चारों और फैलने लगती हैं*।
➳ _ ➳ मैं स्पष्ट देख रही हूं कि मेरे अंग - अंग से श्वेत रश्मियाँ निकल रही हैं। मेरे चारों ओर प्रकाश का एक शक्तिशाली औरा बनता जा रहा है। मेरे सिर के चारों ओर सफेद प्रकाश का एक बहुत सुंदर चमकदार क्राउन दिखाई दे रहा है। *ज्ञान और योग के चमकदार पंख मुझ फरिश्ते की सुंदरता को औऱ अधिक निखार रहे हैं। सम्पूर्ण फरिश्ता स्वरूप धारण किये, परमपिता का संदेशवाहक बन अब मैं वहां उपस्थित सभी आत्माओं को परमात्मा के इस धरा पर अवतरित होने का संदेश दे रहा हूँ*। आत्मा और परमात्मा का वास्तविक परिचय पा कर अब वहां उपस्थित सभी आत्मायें मेरे साथ रूहानी ड्रिल करते हुए मन बुद्धि की सच्ची यात्रा पर चल पड़ी हैं।
➳ _ ➳ मैं फ़रिशता देख रहा हूँ रूहानी ड्रिल करते - करते सभी आत्मायें शरीर के भान से मुक्त हो गई हैं और ज्योति बिंदु आत्मा बन सच्ची रूहानी यात्रा पर चल कर अपने शिव पिता परमात्मा के पास परमधाम जा रही है। *अपने शिव पिता परमात्मा के सानिध्य में गहन सुख शांति का अनुभव करके और सर्वशक्तियो से भरपूर हो कर सभी आत्मायें वापिस लौट रही हैं* और अपने साकारी तन में आ कर विराजमान हो गई हैं।
➳ _ ➳ इस सच्ची रूहानी यात्रा पर चल कर, परमात्मा से मिलने की यथार्थ विधि जान कर सभी आत्माओं के चेहरे प्रसन्नता से खिल उठे हैं और अब सभी आत्मायें निरन्तर इस सच्ची यात्रा का भरपूर आनन्द ले कर स्वयं को तृप्त कर रही हैं।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा साक्षीपन के अचल आसन पर सदा विराजमान रहती हूँ।*
➳ _ ➳ यह बेहद की पढ़ाई जितनी बड़ी है, प्राप्तियां भी उतनी ही बड़ी हैं... फ़ाइनल एक्जाम भी बड़े आएंगे... जिनमें से एक पेपर प्रकृति द्वारा होगा... प्रकृति चाहे हलचल करे या अपना सुंदर खेल दिखाए... मैं प्रकृतिपति आत्मा दोनों में साक्षी होकर खेल देखती हूँ... खेल देखने में मुझे मजा आता है, घबराती नहीं हूँ... *मैं आत्मा तपस्या द्वारा साक्षीपन की स्थिति के अचल आसन पर विराजमान रहने का अभ्यास करती हूँ... जिससे प्रकृति की वा व्यक्तियों की कोई भी बातें मुझे हिला नहीं सकती*... प्रकृति और माया के पाँच पांच खिलाड़ी अपना खेल कर रहे हैं... मैं आत्मा *साक्षी होकर उनके खेल को देखती हुई अचल, अडोल प्रकृतिजीत आत्मा होने का अनुभव कर रही हूँ*...
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मन बुद्धि को एक बाप में एकाग्र कर पूज्य आत्मा बनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने मन और बुद्धि को एक बाप पर एकाग्र करती हूँ... *मेरा बाबा ऐसे दिल में बसा है की मुझे उठते बैठते बस एक बाप की याद रहती हैं...* मेरे तो एक शिवबाबा दूसरा न कोय... तुम संग खाऊ, तुन संग बैठु, तुम संग ही हर कर्म करू... बाबा तुम ही तो मेरे संसार हो... मैं आत्मा बाबा को याद करते करते सतोप्रधान बन रही हूँ... *बाबा की ज्वालामुखी एकाग्र याद द्वारा मेरे सभी विकर्म विनाश हो रहे है...* मैं शुद्ध पावन आत्मा बनती जा रही हूँ... मैं पावन आत्मा ही पूज्य आत्मा बनती हूँ... मेरी मन्दिरों में पूजा हो रही है... *बाबा मुझे मन्दिर लायक बनाते हैं... एक बाप की याद से मैं पूज्यनीय आत्मा बन गई हूँ...* मैं दाता की सन्तान महादानी हूँ... मैं मन्दिर में विराजमान चैतन्य मूर्त... हर आत्मा को सुख शांति की वर्षा कर रही हूँ...
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ डबल विदेशी या भारत वाले अगर परसेन्टेज के बिना फुल पास हो गये तो ब्रह्मा बाबा पता है क्या करेगा? (शाबास देंगे) बस, सिर्फ शाबास दे देगा! और क्या करेगा? *रोज आपको अमृतवेले अपनी बाहों में समा लेगा।आपको महसूसता होगी कि ब्रह्मा बाबा की बाहों में, अतीन्द्रिय सुख में झूल रहे हैं। बड़ी-बड़ी भाकी मिलेगी। ब्रह्मा बाबा का बच्चों के साथ बहुत प्यार है ना तो अमृतवेले भाकी मिलेगी* और सारा दिन क्या मिलेगा? जैसे चित्रों में दिखाते हैं ना, कि जब तूफान आया, पानी बढ़ गया तो सांप छत्रछाया बन गया। उन्हों ने तो श्रीकष्ण के लिए स्थूल बात दिखा दी है लेकिन वास्तव में ये है रुहानी बात।
➳ _ ➳ *तो जो फरिश्ता बनेगा उसके सामने अगर कोई भी परिस्थिति आई या कोई भी विघ्न आया तो बाप स्वयं आपकी छत्रछाया बन जायेंगे।* करके देखो। क्योंकि ऐसे ही बापदादा नहीं कहते हैं। पार्टीशन के समय बाबा की छत्रछाया *आप लोगों ने १४ वर्ष में योग तपस्या की तो विघ्न कितने आये लेकिन आपको कुछ हुआ? तो बापदादा छत्रछाया बना* ना, कितनी बड़ी-बड़ी बातें हुई। सारी दुनिया, मुखी, नेतायें, गुरु लोग सब एन्टी हो गये, एक ब्रह्माकुमारियाँ अटल रही, प्रैक्टिकल में बेगरी लाइफ भी देखी, तपस्या के समय भिन्न-भिन्न विघ्न भी देखे। बन्दूक भी आई तो तलवारें भी आई, सब आया लेकिन छत्रछाया रही ना। कोई नुकसान हुआ?
➳ _ ➳ जब पाकिस्तान हुआ तो लोग हंगामें में डरकर सब छोड़कर भाग गये। और आपका टेनिस कोर्ट सामान से भर गया। क्योंकि जो अच्छी चीज लगती थी, वो छोड़ें कैसे, उससे प्यार होता है ना, तो जो सिन्धी लोग उस समय एन्टी थे वो गाली भी देते थे और सामान भी दिया। जो बढ़िया- बढ़िया चीजें थी वो हाथ जोड़कर देकर गये कि आप ही यूज करो। तो दुनिया वालों के लिए हंगामा था और ब्रह्माकुमारियों के लिए पांच रूपये में सब्जियों की सारी बैलगाड़ी थी। पांच रुपये में सब्जियाँ। आप कितने मजे से सब्जियाँ खाते थे। तो दुनिया वाले डरते थे और आप लोग नाचते थे। *तो प्रैक्टिकल में देखा कि ब्रह्मा बाप, दादा - दोनों ही छत्रछाया बन कितना सेफ्टी से स्थापना का कार्य किया।*
✺ *ड्रिल :- "फरिश्ता बन बाबा की छत्रछाया का अनुभव करना"*
➳ _ ➳ अमृतवेला की महान वेला में, मैं महान आत्मा भृकुटी सिहांसन पर जगमगा रही हूँ... *मैं आत्मा साकार देह में होते भी अपने निराकारी स्वरूप का सहज और स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ...* अपने इस निराकारी स्वरूप की और गहराई में मैं आत्मा जाती हूँ... कितना सुंदर और न्यारा मुझ आत्मा का ये स्वरूप है... कितना भव्य और तेजोमय यह स्वरूप है... मैं निराकारी आत्मा इन आँखों द्वारा सामने दीवार पर लगे बाबा के चित्र को देख रही हूँ... जिसमें मीठू बाबा अपने फरिश्ता स्वरूप में बाहें फैलाएं खड़े हैं... धीरे-धीरे उस चित्र से *सफेद रंग की लाइट मुझ आत्मा की तरफ आती हुई प्रतीत हो रही है...* ये सफेद लाइट मुझ आत्मा पर पड़ रही है... ऐसा लग रहा है जैसे सफेद रंग की अलौकिक लाइट की वर्षा मेरे ऊपर हो रही है... और जैसे-जैसे मुझ आत्मा पर ये सफेद लाइट पड़ रही है *मैं आत्मा लाइट और माइट से भरपूर होती जा रही हूँ...*
➳ _ ➳ देखते ही देखते *मुझ आत्मा से लाइट पूरे कमरे में फैल गई हैं... ऐसा लग रहा है जैसे मैं आत्मा सूक्ष्म वतन में हूँ...* तभी फरिश्तों के बादशाह ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटी में विराजमान शिव बाबा चित्र से बाहर निकलते प्रतीत होते हैं... *बाबा का ये रूप बड़ा ही मनमोहक और अलौकिक है...* बाबा का ऐसा बेहद चमकीला स्वरूप देखकर मैं आत्मा खुशी से भर गई हूँ... *अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूल रही हूँ...* और बस एकटक बाबा को देखे जा रही हूँ... तभी मुझ आत्मा के कान में मधुर शब्द गुजते है... मीठे बच्चे, मेरे लाडले बच्चे... देखो तो लाडले बच्चे बाबा आपके लिए कुछ लाया है... ये मीठे मिश्री की तरह शब्द बाबा के मुख से सुन मैं आत्मा उठ कर जल्दी से जाकर अपने बाबा से लिपट जाती हूँ...
➳ _ ➳ *बाबा मुझ आत्मा के सिर पर हाथ रखते हैं और मुझे दृष्टि देते हुए कह रहे हैं, फरिश्ता स्वरूप भव बच्चे !* बस बाबा के इतना कहते ही धीरे-धीरे मुझ आत्मा का हड्डी-मांस खून से बनी देह परिवर्तन होकर लाइट की होती जा रही है... अनुभव कर रही हूँ, मैं आत्मा... बाबा के हाथ से निकल रही बेहद शक्तिशाली किरणें सिर से होते हुए पूरे शरीर में फैल रही है और *साकारी देह परिवर्तन होकर लाइट की हो गई है...* मैं आत्मा देह भान से न्यारा अनुभव कर रही हूँ... बन्धनमुक्त और बेहद हल्का अनुभव कर रही हूँ... अब *मैं आत्मा बाप समान फरिश्ता बन गई हूँ...* मैं फरिश्ता बाबा से कहता हूँ बाबा ये गिफ्ट तो बहुत ही ज्यादा प्यारी हैं... और बाबा मुझ नन्हे फरिश्ते को अपनी गोद में उठा लेते हैं... और मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं... मेरे लाडले बच्चे अब सारा दिन आप इस बाबा की दी हुई गिफ्ट को अपने पास रखना... तो सारा दिन बाबा की छत्रछाया आप हर पल अनुभव करते रहोगे... हर पल आपको बाबा का साथ अनुभव होगा... मैं फरिश्ता बाबा की तरफ देखते हुए कहता हूँ... हाँ हाँ मेरे मीठे-मीठे बाबा सारा दिन आपकी इस दी हुई गिफ्ट को साथ रखुंगा...
➳ _ ➳ और मुस्कुराते हुए बाबा मेरे सिर हाथ फेरते हुए कहते हैं... शाबास *मीठे बच्चे विजयी भव...* इस प्रकार मैं फरिश्ता अपनी दिनचर्या की शुरुआत करता हूँ... और कर्मक्षेत्र में निकलता हूँ... मैं फरिश्ता देख रहा हूँ... कई प्रकार की लहरों रूपी परिस्थितियाँ, पहाड़ रुपी विघ्न सामने आ रहे हैं... लेकिन *बाबा की छत्रछाया से हर परिस्थिति को, विघ्न को मैं फरिश्ता सहज ही खेल की तरह पार कर रहा हूँ...* जैसे कोई भी मुसीबत आने पर माँ अपने बच्चे की ढाल बनकर खड़ी हो जाती है अपने बच्चे की छत्रछाया बन जाती हैं... और बच्चे को सेफ रखती है ठीक उसी प्रकार मेरे बाबा भी हर पल मुझ नन्हे फरिश्ते की छत्रछाया बनकर मुझे हर विघ्न परिस्थिति में सेफ रह सहज आगे बढा रहे हैं... मैं फरिश्ता हर पल योगयुक्त और बन्धनमुक्त अवस्था का अनुभव कर रहा हूँ... हर पल बाबा के साथ होने का स्पष्ट और सुखद अनुभव कर खुशी में गाते हँसते हुए आगे बढ रहा हूँ... *धूप में कभी छांव बनकर, लहरों में कभी नांव बनकर, जब लड़खड़ाएँ कदम, थामा है हाथ मेरे बाबा है साथ मेरे बाबा है साथ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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