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 31 / 12 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *व्यर्थ संकल्पों को पानी की लकीर के समान पार कर पास विद ऑनर बने ?*

 

➢➢ *सर्व आत्माओं को शुभ भावना शुभ कामना की अलोकिक गिफ्ट दी ?*

 

➢➢ *पुरानी बातों, पुराने संस्कारों का दशहरा मनाया ?*

 

➢➢ *"बाबा" शब्द की "डायमंड चाबी" को संभाल कर रखा ?*

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         ❂ *योगी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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✧  एक सेकेण्ड में चोले से अलग तभी हो सकोगें जब किसी भी संस्कारों की टाइटनेस नहीं होगी। *जैसे कोई भी चीज अगर चिपकी हुई होती है तो उनको खोलना मुश्किल होता है। हल्के होने से सहज ही अलग हो जाते हैं। वैसे ही अगर अपने संस्कारों में जरा भी इजीपन नहीं होगा तो फिर अशरीरीपन का अनुभव कर नहीं सकोगें इसलिए इजी और एलर्ट रहो।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं रूहानी नशे में स्थित रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*

 

  सदा रुहानी नशे में स्थित रहते हो? *रुहानी नशा अर्थात् आत्म अभिमानी बनना। सदा चलते-फिरते आत्मा को देखना यही है रुहानी नशा। रुहानी नशे में सदा सर्व प्राप्ति का अनुभव सहज ही होगा।* जैसे स्थूल नशे वाले भी अपने को प्राप्तिवान समझते हैं, वैसे यह रुहानी नशे में रहने वाले सर्व प्राप्ति स्वरुप बन जाते हैं। इस नशे में रहने से सर्व प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं।

 

✧  दु:ख और अशान्ति को विदाई हो जाती है। जब सदाकाल के लिए सुखदाता के, शान्तिदाता के बच्चे बन गये तो दुख अशान्ति को विदाई हो गई ना। अशान्ति का नामनिशान भी नहीं। *शान्ति के सागर के बच्चे अशान्त कैसे हो सकते। रुहानी नशा अर्थात् दुख और अशान्ति की समाप्ति।* उसकी विदाई का समारोह मना दिया? क्योंकि दुख अशान्ति की उत्पत्ति होती है अपवित्रता से। जहाँ अपवित्रता नहीं वहाँ दुख अशान्ति कहाँ से आई।

 

  *पतित पावन बाप के बच्चे मास्टर पतित पावन हो गये। जो औरों को पतित से पावन बनाने वाले हैं वह स्वयं भी तो पावन होंगे ना। जो पावन पवित्र आत्मायें हैं उनके पास सुख और शान्ति स्वत: ही है। तो पावन आत्मायें, श्रेष्ठ आत्मायें विशेष आत्मायें हो। विश्व में महान् आत्मायें हों क्योंकि बाप के बन गये। सबसे बड़े ते बड़ी महानता है पावन बनना।* इसलिए आज भी इसी महानता के आगे सिर झुकाते हैं। वह जड़ चित्र किसके हैं? अभी मन्दिर में जायेंगे तो क्या समझेंगे? किसकी पूजा हो रही है? स्मृति में आता है-कि यह हमारे ही जड़ चित्र हैं। ऐसे अपने को महान् आत्मा समझकर चलो। ऐसे दिव्य दर्पण बनो जिसमें अनेक आत्माओंको अपनी असली सूरत दिखाई दे।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  आज बापदादा ने देखा कि वर्तमान समय के अनुसार *अपने ऊपर, हर कर्मेन्द्रियों के ऊपर अर्थात स्वयं के प्रति जो कन्ट्रोलिंग पॉवर होनी चाहिए वह कम है, वह और ज्यादा चाहिए।* बापदादा बच्चों की रूहरिहान सुन मुस्करा रहे थे, बच्चे कहते हैं कि पॉवरफुल याद के चार घण्टे होते नहीं है।

 

✧  बापदादा ने आठ घण्टे से 4 घण्टा किया और बच्चे कहते हैं दो घण्टा ठीक है। तो बताओ कन्ट्रोलिंग पॉवर हुई? और *अभी से अगर यह अभ्यास नहीं होगा तो समय पर पास विद ऑनर, राज्य अधिकारी कैसे बन सकेंगे!* बनना तो है ना? बच्चे हँसते हैं।

 

✧  आज बापदादा ने बच्चों की बातें बहुत सुनी हैं। बापदादा को हँसाते भी है, कहते हैं ट्रैफिक कन्ट्रोल 3 मिनट नहीं होता, शरीर का कन्ट्रोल हो जाता है। खडे हो जाते है, नाम है मन के कन्ट्रोल का लेकिन मन का कन्ट्रोल कभी होता, कभी नहीं भी होता। कारण क्या है? *कन्ट्रोलिंग पॉवर की कमी। इसे अभी और बढ़ाना है।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बापदादा की सर्व अलौकिक फ्रेंड्स को बधाई"*

 

_ ➳      *मैं फरिश्ता पंख लगाकर उड़ता हुआ मधुबन डायमंड हाल पहुंच जाता हूँ... जहाँ नए साल के आगमन और पुराने साल की विदाई का जश्न मनाया जा रहा है...* रंग बिरंगे फूलों, जगमगाते हुए लाइट्स से सजा हुआ डायमंड हॉल डायमंड की तरह चमक रहा है... प्यारे बापदादा अपने पधरामणि से हॉल की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ाते हुए बधाई और विदाई का समारोह आरम्भ करते हैं...

 

   *प्यारे बापदादा सबको नए साल की मुबारक देते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने खुबसूरत भाग्य के नशे में खो जाओ... वरदानी संगमयुग में ईश्वर पिता द्वारा चुनी विशेष आत्माये हो... *अपनी अलौकिकता अपनी रूहानियत और मा सर्वशक्तिवान के नशे में गहरे डूब जाओ...*  स्वयं को बधाई दो... और अपनी कमजोरियों को विदाई देकर विश्व धरा पर मुस्कराओ..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा बापदादा और सर्व अलौकिक परिवार को नए जन्म और नए साल की बधाई देते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा स्वयं को कितना निकृष्ट समझ निराश जीवन जीती जा रही थी... प्यारे बाबा आपने जो मेरा हाथ थामा तो *मै आत्मा कितनी गुणवान भाग्यवान और देवतुल्य हो गई हूँ... मेरे अलौकिक जनम ने जीवन कितना श्रेष्ठ और प्यारा बना दिया है..."*

 

   *प्यारे बापदादा स्नेह प्यार की सौगातों से भरपूर करते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *सदा शुभभावना से भरे दिल से सबको स्नेहिल हाथो से आगे बढ़ाते रहो... कमी कमजोरियों को न देख विशेषताओ के पारखी बन बेहद परिवार के स्नेह में खो जाओ...* रावण के अंश वंश को समाप्त कर सदा के नष्टोमोहा हो जाओ... न्यारे बन प्रयोग करने में प्यारे बनो..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा अपनी अलौकिकता की चमक से अलौकिक परिवार को महकाते हुए कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा आपकी बेपनाह मोहब्बत में अति मीठी प्यारी हो गई हूँ... सारा विश्व मेरा परिवार है और बेहद दिल लिए मुस्करा रही हूँ...* सबका भला हो सब सुख पाये के भाव से, ओतप्रोत मै आत्मा सबकी विशेषता को निहार आत्मसात कर रही हूँ..."

 

   *मेरे बाबा अपने यादों के साये में नव जीवन का उपहार बांटते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... सदा एक बाप में ही सारा संसार देख फॉलो फादर कर... सदा की एकरस अवस्था का अनुभव करो... सदा अचल अडोल स्थिति में रहकर अतीन्द्रिय सुख को अनुभव करो... *अपने मीठे भाग्य के गुण गाओ... सर्व प्राप्तियों की खान को बाँहों में लिए सदा मीठे मुस्कराओ..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा बापदादा से मिले सर्व सौगातों को बटोरकर बाबा का तहे दिल से शुक्रिया कर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा सच्ची ख़ुशी से भरपूर अपने भाग्य को देखकर निहाल हूँ...* कभी सोचा भी न था कि यूँ गुणो और शक्तियो की मालिक बन मुस्कराऊंगी और सर्व प्राप्तियों की खान मेरे कदमो में होगी... *मीठे बाबा मै आत्मा रोम रोम से आपकी ऋणी हूँ..."*

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सर्व आत्माओं को शुभ भावना, शुभ कामना की अलौकिक गिफ्ट देना*"

 

_ ➳  जैसे ही मैं अपने मन बुद्धि को एकाग्र कर, बाबा की याद में स्थिर करती हूँ ऐसा अनुभव होता है जैसे वतन में बैठे बापदादा मुझे सहज ही अपनी और खींच रहें हैं और देखते ही देखते अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ मैं आत्मा अपनी साकारी देह से बाहर आ जाती हूँ और अपनी लाइट माइट चारों और फैलाती हुई अपने फरिश्ता स्वरूप में स्थित हो कर ऊपर की और उड़ने लगती हूँ। *बापदादा की लाइट माइट मुझ फ़रिश्ते को अपनी और खींचते हुए सेकेंड में मुझे साकारी दुनिया से दूर आकाश के पार, उससे भी परें फरिश्तो की एक अद्भुत सुंदर दुनिया में ले आती है*।

 

_ ➳  सफेद प्रकाश की यह दुनिया जहाँ हर आत्मा अपने सम्पूर्ण फरिश्ता स्वरूप को धारण कर फरिश्तो की इस अति सुंदर नगरी में विचरण करते हुए, इस दुनिया के दिव्य अलौकिक नज़ारों का आनन्द ले रही है। *अपने सम्पूर्ण फरिश्ता स्वरूप में यहां उपस्थित वरिष्ठ दादियों, मम्मा, बाबा और वरिष्ठ भाई, बहनो को मैं फरिश्ता देख रहा हूँ। सामने अव्यक्त बापदादा अपनी अनन्त लाइट माइट चारों और फैलाते हुए विशेष रूप से शोभायेमान हो रहें हैं*। बाबा की नजर अब मुझ फ़रिश्ते के ऊपर है। बाबा अपनी बाहों को फैलाये मुझे अपने पास बुलाते हैं। मैं फ़रिश्ता अब बाबा के पास पहुंचता हूँ। बाबा अपनी बाहों में मुझे समा लेते हैं और अपने असीम स्नेह से मुझे भरपूर कर देते हैं।

 

_ ➳  अपने पास बिठाकर अब बाबा मुस्कारते हुए मेरा हाथ अपने हाथ मे लेते हैं और अपनी सर्वशक्तियाँ मुझ में समाहित करने लगते हैं। *मैं स्पष्ट अनुभव कर रहा हूँ एक तेज करंट के रूप में बाबा की सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर समाहित हो रही हैं। एक असीम ऊर्जा का संचार मेरे भीतर हो रहा है और मैं स्वयं को बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रहा हूँ*। अपनी समस्त शक्तियों से मुझे शक्तिशाली बना कर अब बाबा अपने हाथ मे एक बहुत सुंदर गिफ्ट ले कर मेरे हाथ पर रख देते हैं और मुझ से कहते हैं:- *"मेरे बच्चे, यह शुभभावना, शुभकामना की गिफ्ट है जिसे आपको अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को देना है"*

 

_ ➳  इस अति सुंदर अनूठे गिफ्ट का बॉक्स मेरे हाथ मे देकर बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख देते हैं। *शुभभावना, शुभकामना की गिफ्ट का स्टॉक सदा भरपूर रहे इसके लिए बाबा अपने वरदानी हस्तों को ऊपर उठाकर सर्व खजानों को मुझ पर लुटाते हुए अपने सर्वगुणों, सर्वशक्तियों और सर्वखजानो से मुझे सम्पन्न कर देते हैं*। मैं देख रहा हूँ बापदादा के साथ - साथ  वहां उपस्थित एडवांस पार्टी की आत्मायें, मम्मा, वरिष्ठ दादियां और मेरे सभी वरिष्ठ भाई बहन भी अपनी समस्त ब्लेसिंग की गिफ्ट मुझे दे रहें हैं। *उन सभी की दुआयों से मैं स्वयं में एक्स्ट्रा एनर्जी का अनुभव कर रहा हैं ये दुआएँ मेरे लिए लिफ्ट का काम कर रही हैं*।

 

_ ➳  बापदादा से शुभभावना, शुभकामना के गोल्डन गिफ्ट का स्टॉक स्वयं में भर कर और अपने अलौकिक ब्राह्मण परिवार की दुआयें ले कर अब मैं फ़रिश्ता इस अलौकिक गिफ्ट को सबको देने के लिए वापिस साकारी दुनिया में आ जाता हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को यह शुभभावना, शुभकामना की गिफ्ट दे रही हूँ*। किसी के भी अवगुणों को ना देखते हुए केवल विशेषताओ और गुणों की ही लेन - देन मैं अब कर रही हूँ। *चाहे कोई कैसी भी भावना या कामना से मेरे पास आता है किंतु मैं अपने शुभभावना और शुभकामना के स्टॉक को भरपूर रख सबको शुभभावना से देखते हुए शुभभावना, शुभकामना की अलौकिक गिफ्ट ही सबको दे रही हूँ*।

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं वाणी के साथ वृति द्वारा रूहानी वाइब्रेशन फैलाने की सेवा करने वाली डबल सेवाधारी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं फरियाद के बजाए याद में रहकर सर्व अधिकार प्राप्त करने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳ *अभी तक कई बच्चों को खिलौनों से खेलना बहुत अच्छा लगता है। छोटी-छोटी बातों के खिलौने से खेलनाछोटी बात को अपनानायह समय गँवाते हैं। यह साइडसीन्स हैं। भिन्न-भिन्न संस्कार की बातें वा चलन यह सम्पूर्ण मंजिल के बीच में साइडसीन्स हैं।* इसमें रुकना अर्थात् सोचनाप्रभाव में आना, समय गँवानारुचि से सुनना, सुनानावायुमण्डल बनाना... यह है रुकनाइससे सम्पूर्णता की मंजिल से दूर हो जाते हैं। मेहनत बहुतचाहना बहुत, 'बाप समान बनना ही है', शुभ संकल्पशुभ इच्छा है लेकिन मेहनत करते भी रूकावट आ जाती है। दो कान हैंदो आँखें हैंमुख है तो देखने में भी आतासुनने में भी आता, बोलने में भी आतालेकिन बाप का बहुत पुराना स्लोगन सदा याद रखो - ' *देखते हुए नहीं देखोसुनते हुए नहीं सुनोसुनते हुए नहीं सोचो, सुनते हुए अन्दर नहीं समाओ, फैलाओ नहीं'।* 

 

 _ ➳  यह पुराना स्लोगन याद रखना जरूरी है क्योंकि दिन-प्रितदिन जो भी सभी के जैसे पुराने शरीर के हिसाब चुक्तू हो रहे हैं,  *ऐसे ही पुराने संस्कार भी, पुरानी बीमारियाँ भी सबकी निकलके खत्म होनी हैइसीलिए घबराओ नहीं कि अभी तो पता नहीं और ही बातें बढ़ रही हैं, पहले तो थी नहीं। जो नहीं थी, वह भी अभी निकल रही हैं, निकलनी हैं।*

 

 _ ➳  *आपके समाने की शक्तिसहन करने की शक्ति, समेटने की शक्तिनिर्णय करने की शक्ति का पेपर है।* क्या 10 साल पहले वाले पेपर आयेंगे क्या? बी.ए. के क्लास का पेपर, एम.ए. के क्लास में आयेगा क्या? इसलिए घबराओ नहींक्या हो रहा है। यह हो रहा है, यह हो रहा है... खेल देखो। पेपर तो पास हो जाओपास-विद-आनर हो जाओ। *बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि पास होने का सबसे सहज साधन है, बापदादा के पास रहोजो आपका काम का नजारा नहीं हैउसको पास होने दोपास रहोपास करोपास हो जाओ।* 

 

✺   *ड्रिल :-  "बापदादा के पास रहकर साइड़-सीन्स को पास होते देख पास-विद-आनर होने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *सवेरे-सवेरे मै आत्मा एकांत में एक बगीचे में बैठ जाती हूँ... ठंडी-ठंडी शुद्ध हवा चल रही है... चिड़ियाँ चहचहा रही है... फूलो की सौंधी-सौंधी खुशबू वातावरण को सुगन्धित कर रही है...* ऐसे वातावरण में मै आत्मा सामने पेड़ पर एक चिड़िया के घोंसले को देखती हूँ... चिड़िया के बच्चे उड़ने की कोशिश करते है लेकिन उड़ नही पा रहे है... वे फिर प्रयास करते थोड़ा उड़ते और फिर गिर जाते... कुछ देर के बाद वे पंख फैलाये खुले आसमान में चहचहाते उड़ने लगते है...

 

 _ ➳  उन्हें उड़ता देख मै आत्मा स्वयं के अंतर्मन से पूछती हूँ- क्या मुझ आत्मा की स्थिति इस चिड़िया के बच्चो की तरह तो नही है???... अंतर्मन की गहराई से *मै आत्मा पंछी, स्वयं को दुनिया रुपी घोसले में कैद पाती हूँ... जहाँ व्यर्थ बाते, व्यर्थ चिंतन, व्यर्थ संकल्पो तथा माया रुपी पाँच विकारो ने मुझ आत्मा के पंख काट दिए थे... जिसके कारण मैं आत्मा स्वयं को बंधन में बंधा हुआ अनुभव करती थी...*

 

 _ ➳  अपनी इस स्थिति का अनुभव करते ही मै आत्मा प्यारे बाबा का आह्वान करती हूँ... *मीठे प्यारे बाबा मुझ आत्मा की पुकार सुनकर परमधाम से धरती पर अवतरित हो जाते है... ज्योति बिंदु स्वरुप बाबा से निकलती हुई तेजोमय किरणे मुझ आत्मा पर फाउन्टेन की तरह पड़ रही है...* इन किरणों में समाती मै आत्मा स्वयं को शरीर से अलग भृकुटि के बीच चमकता हुआ सितारा अनुभव करती हूँ... मुझ आत्मा से व्यर्थ बाते, व्यर्थ चिन्तन, व्यर्थ संकल्प काले धुँए की तरह निकलते जा रहा है...

 

 _ ➳  सर्वशक्तिवान बाप से निकलती किरणों से मुझ आत्मा में समाने की शक्ति, सहन करने की शक्ति, समेटने की शक्ति, निर्णय लेने की शक्ति जागृत हो रही है... *इन परिवर्तन शक्तियों द्वारा मुझ आत्मा में स्वरुप परिवर्तन, संस्कार परिवर्तन और संकल्प परिवर्तन होता जा रहा है...* अब हर दिन हर समय मै आत्मा बाबा के साथ का अनुभव करती हूँ... मैं आत्मा व्यर्थ बाते, व्यर्थ नजारा जो काम का नही है उसमें समय नही गवाती... अब मैं आत्मा बाबा के महावाक्य को स्मृति में रख- *देखते हुए नहीं देखोसुनते हुए नहीं सुनोसुनते हुए नहीं सोचो, सुनते हुए अन्दर नहीं समाओ, फैलाओ नहीं'...* इस रूहानी यात्रा पर चलती जा रही हूँ... अब हर परिस्थिति को पेपर समझ मै आत्मा ज्ञान वा योग द्वारा एकाग्रचित हो अपने मंजिल की ओर निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूँ...

 

 _ ➳  *अब मैं आत्मा सदा बुद्धि में यह याद रखती हूँ कि मै आत्मा रूहानी यात्रा पर हूँ... हर आत्मा रूहानी यात्रा पर है... कुछ भी नया नही हो रहा है, नथिंग इस न्यू... अब घर(परमधाम) वापिस जाना है... मै साधारण नही विशेष आत्मा हूँ...* सर्वशक्तिवान बाप मुझ आत्मा के साथ है... वह ज्ञान रत्नों से मुझ आत्मा का श्रृंगार कर रहा है... इन ज्ञान रत्नों को बुद्धि में धारण कर मुझ आत्मा को इस रूहानी यात्रा में रुकना नही है... *बाबा के पास का अनुभव करते, पवित्रता को धारण कर हर परिस्थिति को पास करते हुए पास-विद-आनर बन पवित्र दुनिया में चल ऊँच पद पाना है... अभी नही तो कभी नही...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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