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❍ 07 / 09 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *मुख से व कर्मेन्द्रियों से कोई पाप कर्म तो नहीं किया ?*
➢➢ *रजिस्टर सदा ठीक रहा ?*
➢➢ *सर्विस में कभी थके तो नहीं ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *अपनी सूक्षम चेकिंग द्वारा पापों का बोझ समाप्त करने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *बहानेबाज़ी को मर्ज कर बेहद की वैराग्य वृति को इमर्ज किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ बाह्यमुखता में आना सहज है लेकिन *अन्तर्मुखी का अभ्यास अभी समय प्रमाण बहुत चाहिए।*
कई बच्चे कहते हैं - एकान्तवासी बनने का समय नहीं मिलता, अन्तर्मुखी स्थिति का अनुभव करने का समय नहीं मिलता क्योंकि सेवा की प्रवृत्ति, वाणी के शक्ति की प्रवृत्ति बहुत बढ़ गई है।
〰✧ लेकिन इसके लिए कोई इकट्ठा आधा वा एक घण्टा निकालने की आवश्यकता नहीं है। *सेवा की प्रवृति में रहते भी बीच-बीच मे इतना समय मिल सकता है* जो एकान्तवासी बनने का अनुभव करो। एकान्तवासी अर्थात कोई भी एक शक्तिशाली स्थिति में स्थित होना चाहे बीजरूप स्थिति में स्थित हो जाओ, चाहे लाइटहाउस, माइट-हाउस स्थिति में स्थित हो जाओ अर्थात *विश्व को लाइट-माइट देने वाले* - इस अनुभूति में स्थित हो जाओ।
〰✧ *चाहे फरिश्ते-पन की स्थिति द्वारा औरों को भी अव्यक्त स्थित का अनुभव कराओ।* एक सेकण्ड वा एक मिनट अगर इस स्थिति में एकाग्र हो स्थित हो जाओ तो *यह एक मिनट की स्थिति स्वयं आपको और औरों को भी वहुत लाभ दे सकती है।* सिर्फ इसकी प्रैक्टिस चाहिए।
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)
➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- कौड़ी से हीरे जैसा बनने के लिए, बाप को याद करना*"
➳ _ ➳ मीठे बाबा के कमरे में बेठी हुई मै आत्मा... अपने प्यारे बाबा को बड़ी ही प्यार से निहार रही हूँ... कि बाबा ने अपने सच्चे प्यार की चमक से... *मेरे दुखो में हो गए, धुंधले जीवन को, कितना प्यारा और चमकदार बना दिया है..*. आज मीठे बाबा के प्यार में... मेरा हर संकल्प दिव्यता से सजा हुआ... पूरे विश्व में दिव्य तरंगो को बिखेर रहा है... मै आत्मा *कितनी तेजस्वी मणि बनकर, गुणो से दमक रही हूँ.*.. भगवान को पिता, टीचर, और सतगुरु रूप में पाने वाली मै कितने महान भाग्य से सजी हुई हूँ... और यूँ यादो में डूबी मै आत्मा... मीठे बाबा के गले लग जाती हूँ...
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान वर्षा में भिगोते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *इस वरदानी संगम में मीठे बाबा का प्यारा साथ आपके भाग्य ने दिलाया है..*. इसलिए श्रीमत के साये में पावन बनकर, सतयुगी दुनिया में हीरो बनकर मुस्कराओ... इस वरदानी संगम में हर पल हर साँस मीठे बाबा की गहरी यादो में डूब जाओ... और असीम सुखो से भर जाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा को पाकर खुशियो में खिलकर कहती हूँ :-"मीठे प्यारे लाडले बाबा... *मै आत्मा तो सदा आपके दीदारो की ही प्यासी थी... कब सोचा था कि यूँ भगवान बैठ तराशेगा और मुझे हीरे जैसा चमकाएगा.*.. प्यारे बाबा आपकी श्रीमत की छत्रछाया में मै आत्मा दिव्य और पूज्य बनती जा रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सतयुगी दुनिया का मालिक बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *ईश्वर पिता के सच्चे प्यार की तरंगो में, गुणो और शक्तियो की खान बनकर... मीठे सुखो से अपना दामन भरो.*.. इस कीमती समय पर तीव्र पुरुषार्थी बनकर... सब कुछ प्यारे बाबा का अपने नाम करा लो... मीठे बाबा की यादो में सदा खोकर, हर पल को सफल करलो...."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के सारे खजाने और रत्न अपनी झोली में समेटकर कहती हूँ :-"मेरे प्यारे प्यारे बाबा... *देह के भान में आकर, विकारो से भर चली मुझ आत्मा धूल को उठाकर, आपने अपने मस्तक पर सजा लिया है..*. मुझे अपने कन्धों पर बिठाकर मेरा प्यारा भाग्य जगा दिया है... मै आत्मा आपके प्यार की शक्ति में हीरे जेसी जगमगा रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी फूलो सी गोद में बिठाकर मुझे शक्तिशाली बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... मीठे बाबा के इस प्यारे साथ का हाथ पाकर, अपनी खोयी चमक और तेज से फिर से सज जाओ... विकारो से परे हो, दिव्यता भरे जीवन से, अपने आत्मिक गुणो में शान से मुस्कराओ... *सबको प्रेम और सुख की तरंगो से भरकर, इस विश्व धरा को मीठे सुखो की बगिया बनाओ..*.
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने मीठे बाबा के मुझ आत्मा पर किये उपकारों का हर पल शुक्रिया करते हुए कहती हूँ :-"मेरे सच्चे साथी बाबा... *आपने मेरा भाग्य कितना प्यारा बना दिया है... मुझे अपने प्यार में कौड़ी से हीरे जैसा बना दिया है..*. मै आत्मा हर साँस से आपकी मीठी, प्यारी यादो में खोयी हुई हूँ... और दिव्य गुण और शक्तियो को पाकर सम्पूर्ण पावनता से निखर गयी हूँ..."मीठे बाबा के प्यार में पावन बनकर मै आत्मा... अपने साकारी वतन में आ गयी...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- घर घर में रुहानी हॉस्पिटल खोल सबको याद की दवाई देना*"
➳ _ ➳ अपने मन बुद्धि को सभी बाहरी बातों से डिटैच कर, मन मे चल रहे संकल्पो पर ध्यान केंद्रित करते हुए, धीरे धीरे उन संकल्पो को नियंत्रित कर, अपनी आंखों को हल्के - हल्के बन्द कर मैं एकदम रिलैक्स हो कर बैठ जाती हूँ। इसी शांतमय स्थिति में कुछ देर बैठे - बैठे अनेक प्रकार के दृश्य मेरी आँखों के सामने आने लगते हैं। *मैं देख रही हूँ सारी दुनिया के मनुष्यों को जिनके चेहरों पर खुशी की एक झलक भी दिखाई नही दे रही। ऐसा लग रहा है जैसे सारी दुनिया अंदर ही अंदर गहन पीड़ा का अनुभव कर रही है*। अब मैं देख रही हूँ उन सभी मनुष्यों के मस्तक पर विराजमान उनकी आत्मा को जो विकारों के चंगुल में फंस कर बीमार हो गई है इसलिए मनुष्य मुस्कराना ही भूल गए हैं।
➳ _ ➳ अपने आत्मा भाईयों की यह दुर्दशा देख कर मुझे बाबा के महावाक्य स्मृति में आने लगते है। ऐसे लगता है जैसे बाबा निर्देश दे रहें हैं, *बच्चे:- "रूहानी सर्जन बन बीमार रूहों का ईलाज करो"। आज हर आत्मा 5 विकारों की बीमारी से पीड़ित हैं इसलिए सभी मानसिक रोगी बन गए है। उन रोगी आत्माओं को निरोगी बनाने के लिए घर - घर मे रूहानी हॉस्पिटल खोल सबको याद की दवाई दे कर उन्हें तन्दरुस्त बनाने की सेवा करो*। अपने उन आत्मा भाइयों को याद की दवाई खिला कर स्वस्थ बनाने के लिए अब मैं स्वयं को परमात्म बल से भरपूर करने के लिए अशरीरी स्थिति में स्थित होती हूँ और सेकण्ड में साकारी देह से बाहर निकल कर ऊपर की ओर चल पड़ती हूँ। आकाश के पार, सूक्ष्म वतन के भी पार अब मैं स्वयं को परमधाम में अपने मीठे प्यारे शिव बाबा के सानिध्य में स्पष्ट देख रही हूं।
➳ _ ➳ बाबा अपनी सर्वशक्तियों से मुझे भरपूर कर रहे है। *ऐसा लग रहा है जैसे अपनी समस्त ऊर्जा का भंडार बाबा मेरे अंदर समाहित कर रहे हैं ताकि संपूर्ण ऊर्जावान बन मैं विश्व की समस्त आत्माओं को, जो विकारों की अग्नि में जलने के कारण आज रोगी बन गई है, उन्हें परमात्म याद की दवाई दे कर, उन्हें बलशाली बना कर उन विकारों से मुक्त होने का बल उनमें भर सकूँ*। परमात्म शक्तियों से स्वयं को भरपूर कर, ऊर्जावान बन अब मैं परमधाम से नीचे आ रही हूँ। सूक्ष्म वतन में पहुंच कर, अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण कर अब मैं बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर साकार लोक में आ जाती हूँ।
➳ _ ➳ बापदादा के साथ साकारी दुनिया का भ्रमण करते हुए अब मैं फ़रिशता बाबा से आ रही सर्वशक्तियों को स्वयं में भर कर इन शक्तियों को पूरी दुनिया मे फैला रहा हूँ। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार की अग्नि में जल रही आत्माओं पर ये शक्तियां शीतल फुहारों के रूप में बरस रही हैं। इन शीतल फुहारों के उन पर पड़ने से विकारों की अग्नि बुझ रही है और उन्हें शीतलता का अनुभव करवा रही है। *शांति का अनुभव करके वो आत्मायें तृप्त हो रही हैं। शीतलता की अनुभूति करवाने के साथ - साथ अब मैं फ़रिशता उन आत्माओं को परमात्म याद की दवाई दे कर उन्हें सदा के लिए विकारों के चंगुल से छूटने का उपाय बता रहा हूँ*।
➳ _ ➳ परमात्म याद की दवाई खा कर सभी निरोगी आत्मायें अब स्वस्थ हो रही हैं। उनके चेहरों की मुस्कराहट वापिस लौट आई है। हर आत्मा का चेहरा रूहानियत से चमकने लगा है। *इस ईश्वरीय ज्ञान के महत्व को अब हर आत्मा स्वीकार कर रही है। घर - घर मे रूहानी हॉस्पिटल खुल रहें हैं। याद की दवाई खा कर सभी आत्मायें बलशाली बन अब अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली आत्माओं को भी अपने रूहानी हॉस्पिटल में दाखिल कर उन्हें भी हर रोज परमात्म याद की दवाई खिलाकर एवर हेल्दी बना रही हैं*।
➳ _ ➳ घर घर मे रूहानी हॉस्पिटल खोलने के बाबा के फरमान का पालन कर अब मैं अपने फ़रिशता स्वरूप से ब्राह्मण स्वरूप में लौट आती हूँ । *मैं देख रही हूँ कि अब हर मनुष्य आत्मा जो विकारों के कारण रोगी बन गई थी, चमक हीन हो गई थी वो अब याद की दवाई खा कर फिर से निरोगी, चमकदार बन रही है*।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा अपनी सूक्ष्म सेटिंग द्वारा बापू के बोझ को समाप्त करती हूं।”*
➳ _ ➳ कर्म, अकर्म, विकर्म को जानने वाली मैं नॉलेजफुल आत्मा… अपनी पुण्य की खातों को बड़ी चतुराई से जमा कर रही हूं… मुझ आत्मा के अंदर इसका नालेज है… बाबा ने बताया कि यदि मैं आत्मा *असत्य वा व्यर्थ बातों को देखती, सुनती हूँ… समाने से बजाए फैलाती हूं… तो यह पाप का अंश है*… पाप के खाते में जमा होता है… *यह छोटे-छोटे पाप मुझ आत्मा के उड़ती कला के अनुभव को समाप्त कर देते हैं… ऐसी समाचार सुनने वालों पर… और सुनाने वालों पर भी उससे ज्यादा पाप चढ़ता है*… मैं आत्मा अपनी चेकिंग करती हूं… और ऐसी पाप के बोझ को समाप्त कर रही हूं… *इसी से मैं आत्मा बाप समान संपन्न बन सकूंगी*…
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बहानेबाज़ी को मर्ज कर बेहद की वृत्ति को इमर्ज करने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं विश्वकल्याणकारी आत्मा हूँ... विश्व परिवर्तन की जिम्मेवारी मुझ आत्मा को भगवान ने सौपी हैं... मैं निमित्त हूँ नई दुनिया लाने की... *मैं पूर्वज आत्मा हूँ... पूरी सृष्टि की आधारमूर्त और उद्धारमूर्त आत्मा हूँ...* जब मुझ आत्मा पर इतनी बड़ी जिम्मेवारी स्वयं भगवान ने मुझे दी हैं... तो मैं आत्मा ईश्वरीय सेवा में बहाना कैसे कर सकती हूँ... बहानेबाजी को मर्ज कर मैं आत्मा बेहद की वृत्ति को इमर्ज करती हूँ... *हर कर्म में तत्पर हूँ... सदा हाँ जी के पाठ को पक्का कर... सेवा के गोल्डन चांस को यूज़ कर अपना सुनहरा भाग्य बना रही हूँ...* सदा हर बात में हाँ जी करने से मुझे बाबा और ही सेवा के मौके प्रदान करते है... मैं बेहद बाप समान बेहद विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ...
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *ब्राह्मण जीवन की मूड सदा चियरफुल और केयरफुल। मूड बदलना नहीं चाहिए।* फिर रायल रूप में कहते हैं आज मुझे बड़ी एकान्त चाहिए। क्यों चाहिए? क्योंकि सेवा वा परिवार से किनारा करना चाहते हैं, और कहते हैं शान्ति चाहिए, एकान्त चाहिए। आज मूड मेरा ऐसा है। तो मूड नहीं बदली करो। कारण कुछ भी हो, लेकिन आप कारण को निवारण करने वाले हो, कि कारण में आने वाले हो? निवारण करने वाले। ठेका क्या लिया है? *कान्ट्रैक्टर हो ना? तो क्या कान्ट्रैक्ट लिया है? कि प्रकृति की मूड भी चेंज करेंगे।* प्रकृति को भी चेंज करना है ना? *तो प्रकृति को परिवर्तन करने वाले अपने मूड को नहीं परिवर्तन कर सकते?*
➳ _ ➳ मूड चेंज होती है कि नहीं? कभी-कभी होती है? *फिर कहेंगे सागर के किनारे पर जाकर बैठते हैं, ज्ञान सागर नहीं, स्थूल सागर।* फारेनर्स ऐसे करते हैं ना? *या कहेंगे आज पता नहीं अकेला, अकेला लगता है। तो बाप का कम्बाइण्ड रूप कहाँ गया?* अलग कर दिया? कम्बाइण्ड से अकेले हो गये, क्या इसी को प्यार कहाँ जाता हैं? तो किसी भी प्रकार का मूड, एक होता है - मूड आफ, वह है बड़ी बात, लेकिन मूड परिवर्तन होना यह भी ठीक नहीं। मूड आफ वाले तो बहुत भिन्न-भिन्न प्रकार के खेल दिखाते हैं, बापदादा देखते हैं, बड़ों को बहुत खेल दिखाते हैं या अपने साथियों को बहुत खेल दिखाते हैं। ऐसा खेल नहीं करो। क्योंकि बापदादा का सभी बच्चों से प्यार है। बापदादा यह नहीं चाहता कि जो विशेष निमित्त हैं, वह बाप समान बन जाएं और बाकी बने या नहीं बनें, नहीं। *सबको समान बनाना ही है, यही बापदादा का प्यार है।*
✺ *ड्रिल :- "बाप के साथ कम्बाइण्ड रह सदा चियरफुल और केयरफुल रहने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा एक शांत स्थान पर प्रकृति के बीच बैठी हूँ... चारों ओर हरे भरे पेड़ दिखाई दे रहे हैं और यहां की शान्ति मुझ आत्मा में समा रही है... मैं आत्मा अब इस देह को छोड़कर अपने बापदादा के पास सूक्ष्म वतन में आकर ठहरी हूँ... *मेरे बापदादा बेहद प्यार भरी दृष्टि मुझे दे रहे हैं और मैं आत्मा अपने बाबा की शक्तिशाली किरणों से चमक उठी हूँ...*
➳ _ ➳ बाबा के सानिध्य में आकर मैं आत्मा एकदम चियरफुल हो गई हूं... बाबा की स्नेह भरी दृष्टि से ये समझ मुझ आत्मा में भर रही है कि मैं आत्मा हर परिस्थिति में चियरफुल हूँ... *मैं आत्मा चाहे सबके साथ हूँ चाहे अकेले हूँ मेरा मूड सदा खुशनुमा है...*
➳ _ ➳ मेरे मीठे बाबा आपने मुझे विश्व परिवर्तन की ज़िम्मेदारी सौंपी है... मुझे प्रकृति को भी श्रेष्ठ वाइब्रेशन दे उसे भी परिवर्तित करना है... इसके लिए मुझे सर्वप्रथम स्वयं को परिवर्तित करना है... बाबा आपकी ये शक्तिशाली किरणें मेरे पुराने स्वभाव संस्कार को भी परिवर्तित कर रही है... *मेरे स्थूल और सूक्ष्म पुराने संस्कार स्वभाव आपकी शीतल किरणों से भस्म हो रहे हैं...*
➳ _ ➳ मीठे बाबा आप अपना हज़ार भुजाओं वाला हाथ मेरे सिर पर रखते हैं और मैं आत्मा अब आपके साथ कंबाइंड रूप में हूँ... आपके साथ कंबाइंड हो मैं आत्मा अब बेहद शक्तिशाली हो गयी हूँ... *आपके साथ कंबाइंड रूप का अनुभव करते हुए मैं आत्मा अब हर परिस्थिति में चियरफुल हूँ... और सर्व आत्माओं के प्रति केयरफुल हूँ...* और मेरा मूड हर जगह हर समय चियरफुल है...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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