━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 04 / 03 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *सभी भक्ति रुपी सीताओं को रावण की कैद से छुड़ाने की सेवा की ?*
➢➢ *बाप और वर्से को याद किया ?*
➢➢ *विचार सागर मथन कर सेवा की नयी नयी युक्तियाँ निकाली ?*
────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *लगाव के सूक्षम धागों को समाप्त कर उडती कला में उड़ते रहे ?*
➢➢ *मनसा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान कर महादानी बनकर रहे ?*
────────────────────────
∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *बाबा के साथ मनोरंजन किया ?*
────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - तुम्हे भक्ति की रोचक बातो के बजाय, रूहानी बाते सबको सुनानी है, रावण राज्य से मुक्त कराने की सेवा करनी है"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... *सच्चे पिता के सत्य ज्ञान की सच्ची झनकार हर दिल को सुनाओ*... और आप समान खुबसूरत जीवन के अधिकारी बनाओ... जो खुशियां जो खजाने की दौलत, आप बच्चों ने पायी है... वो पूरे विश्व में लुटाओ और सबको आप समान महान भाग्यशाली बनाओ... सत्य ज्ञान की ऐसी लहर फैलाओ....
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा सबके दुखो को दूर करने वाली मा दुखहर्ता बनकर मुस्करा रही हूँ... *सारा विश्व खुशियो की बहार बनकर मुस्कराये* और धरा स्वर्ग सी सज जाये... यह शुभ भावना लिए हर दिल आत्मा को निहार रही हूँ... और रूहानी ज्ञान से सबको मालामाल बना रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... भक्ति की रोचक बातो से कभी दुःख का निवारण सम्भव नही है... इसलिए इस विस्तार को छोड़, सच्चे सार सत्य ज्ञान से हर मन बुद्धि को सुख पहुँचाओ... *विकारो से जलते हुए मनो को, सच्चे ज्ञान की शीतलता से सदा का सुकून दिलवाओ.*.. आप समान बनाकर दिव्य गुणो और शक्तियो से हर दिल का श्रंगार कर चलो...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा रूहानी रंगत को पाकर जो निखरी हूँ... तो इस धरा के हर मन को भी इसी रंग में रंग रही हूँ... सबका जीवन खुशियो से खिला रही हूँ... प्यारे बाबा आपका पता देकर *हर बिछड़े दिल को प्यारे बाबा से मिला रही हूँ.*.. और यूँ पुण्यो सें अपना दामन सजा रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... दुखो की दुपहरी में तपते हुए दिलो को ईश्वर पिता के धरा पर आने की सुख भरी खबर सुनाकर... सदा का सुख आनन्द दे आओ... *रूहानी ज्ञान सुनाकर रूहो को सदा का आराम दे आओ.*.. प्यारा बाबा बच्चों की सुध लेने आ चला... दुखो का रावण अब ठहर न सकेगा... यह खुशखबरी हर रुह को सुना आओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा खुशियो की खबर हर दिल तक पहुंचा रही हूँ... सच्चे ज्ञान की गुंजन करने वाली *ज्ञान बुलबुल बनकर विश्व धरा पर इठला रही हूँ.*.. व्यर्थ से परे समर्थ से भर चली हूँ.... और ईश्वरीय ज्ञान से सबका जीवन खुशनुमा बना रही हूँ...
────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा सम्पूर्ण फरिश्ता हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं एक अवतरित आत्मा हूँ... मुझ आत्मा का *दिव्य अलोकिक जन्म* हुआ है... मैं दिव्य ब्राह्मण आत्मा सदा इसी स्मृति में रहती हूँ... मैं आत्मा इस पुरानी देह से न्यारी होकर अपने निज स्वरुप में स्थित हो जाती हूँ... मै आत्मा इस पुरानी दुनिया से ऊपर उडती हुई सूक्ष्म वतन में पहुँच जाती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा प्यारे बापदादा की गोद में बैठ जाती हूँ... प्यारे बापदादा अपना वरदानी हाथ मुझ आत्मा के सर पर रखते हैं... बाबा के हाथों से दिव्य वरदानों से भरी किरणें मुझ आत्मा पर पड़ती जा रही हैं...मैं आत्मा सर्व वरदानों, खजानों से भरपूर होती जा रही हूँ... मैं आत्मा *एक बाबा के मुहब्बत में समाती* जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा एक बाबा के साथ सर्व संबंधो में बंधती जा रही हूँ... मैं आत्मा हद के सर्व बन्धनों से मुक्त होती जा रही हूँ... बेहद के बाबा की बनती जा रही हूँ... *बेहद के मेरेपन की स्मृति* में रह मैं आत्मा हद के मैं पन से मुक्त होती जा रही हूँ... मुझ आत्मा के मन में अब 'मेरा बाबा' समाया हुआ है...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा का हद के लगाव का सूक्ष्म और मोटा धागा अंश सहित टूटता जा रहा है... अब मुझ आत्मा का पुरानी दुनिया से कोई रिश्ता नहीं है... अब मैं आत्मा सदा ऊँची स्थिति में रह कर्म करने नीचे आती हूँ... अब मैं आत्मा लगाव के सूक्ष्म धागों को समाप्त कर स्वयं को उड़ती कला में उड़ने वाली *सम्पूर्ण फरिश्ता स्थिति का अनुभव* कर रही हूँ...
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान देकर देकर महादानी बनना"*
➳ _ ➳ सर्वशक्तिवान... सर्व गुणों के दाता... परम पिता की सन्तान मैं आत्मा मा. सर्वशक्तिमान हूँ... मुझ भाग्यशाली आत्मा को स्वयं *भाग्यविधाता ने... शक्तियों और गुणों का दान देने का*... कितना सुंदर और महत्वपूर्ण पार्ट बजाने के लिए दिया है... मैं आत्मा दाता की सन्तान... मास्टर दाता बन... मनसा... वाचा तथा कर्मणा विश्व की सेवा कर रही हूँ...
➳ _ ➳ अपने *मीठे प्यारे बाबा को सदा साथ लिए श्रीमत पर चलते* हुए मैं आत्मा... सर्वशक्तियो व गुणों का भण्डार हो गयी हूँ... मैं आत्मा मा. दाता बन मनसा द्वारा शक्तियो व कर्म द्वारा गुणों को दान करते सुख शांति की वायब्रेशनस फैलाते ... निराश... उदास और शक्तिहीन आत्माओं की पीड़ाओं को दूर करती जा रही हूँ... उमंग-उत्साह से भरपूर करती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं स्मृति स्वरूप आत्मा दूसरी आत्माओं को आत्मिक दृष्टि से देखते हुये उन्हें प्यार व सम्मान देते हुये... रहमदिल बनते हुये... उनमें भी नम्रता व प्रेम भाव भरती जा रही हूँ... वह भी न्यारी होकर प्यारी व स्नेहयुक्त हो रहीं हैं... *सन्तुष्टता और सरलता के डबल लाइट* आसन पर उड़ने को तैयार हैं...
➳ _ ➳ शांति की शक्ति शिवशक्तियों से पाकर दूसरी आत्मायें बुद्धि की स्थिरता अनुभव कर रहीं हैं... निर्णय शक्ति बढ़ती जा रही हैं... *सर्वशक्तिदाता के बच्चों को... ड्रामा में बखूबी अपना पार्ट* निभाते देख... समेटने व समाने की शक्ति धारणा में ला रही हैं... वह भी शक्तिशाली बन अपना पार्ट अच्छे से बजाने लगीं हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा *मास्टर दाता बन गुण तथा शक्तियाँ* सेवा में लगा रही हूँ... मुझ आत्मा के सदव्यवहार को देख... और आत्माओं के भी संस्कार परिवर्तित होते जा रहे हैं... दुःखों के दलदल से निकल सुख और शांति अनुभव कर रही हैं... निराश व शक्तिहीन आत्मायें शक्तिशाली और बाबा की प्यारी बनती जा रही हैं...
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *लगाव के सूक्ष्म धागों को समाप्त कर उड़ती कला में उड़ने वाले सम्पूर्ण फरिश्ता होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ लगाव के सूक्ष्म धागों को समाप्त कर उड़ती कला में उड़ने वाले सम्पूर्ण फरिश्ता होते हैं क्योंकि... *फरिश्ता अर्थात! जिसका पुरानी दुनिया से कोई रिश्ता नहीं है।* फरिश्तों का देह और देह के सम्बन्धों व पदार्थों से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। वे तो उन्मुक्त व स्वतन्त्र होते हैं। यही स्वतंत्रता हमें निर्बन्धन बनाती है।
❉ इसलिये! हमें सूक्ष्म रीती से चेक करना है कि हमारा मन किसी वस्तु विशेष या किसी व्यक्ति विशेष की ओर आकर्षित तो नहीं होता है या *अंश मात्र भी कोई धागा अपनी तरफ आकर्षित तो नहीं करता है।* क्योंकि... यदि कोई चीज हमें अच्छी लगती है तो वह हमें अपनी ओर आकर्षित जरूर करती है।
❉ अतः जब कोई चीज हमें अच्छी लगती है तो हमारा सारा ध्यान उस ओर आकर्षित हो जाता है। तभी तो इस विषय में कई लोग कहते हैं कि... *हमारी इच्छा तो नहीं है लेकिन! ये हमें अच्छा लगता है। तो! अच्छा लगना ही इच्छा है।* यदि हमारे मन में किसी वस्तु के या किसी व्यक्ति के प्रति अच्छे का भाव है तो निश्चित जानिए ये इच्छा ही है।
❉ अतः ये इच्छा हमें अच्छा बनने नहीं देगी और न ही हमारे मन में इच्छा मात्रं अविद्या का भाव भरने देगी। इसलिये! हमें अपने मन की सूक्ष्मता से चेकिंग करते रहना है, *जिससे लगाव के सूक्ष्म ते अति सूक्ष्म धागों को भी समाप्त कर सकें और उड़ती कला का दिव्य आनन्द भी उठा सकें।* क्योंकि... उड़ती कला हमें हमारी मंजिल तक पहुँचने में सहायक सिद्ध होगी।
❉ अतः अब हमें अति सूक्ष्म धागों को भी अच्छे से पहचान कर उनको समाप्त करना है। अब हमें ये बात अच्छे से समझ में आ चुकी है कि... *इच्छा है मोटा धागा और अच्छा है सूक्ष्म धागा,* इसलिये! अब हमें दोनों ही प्रकार के धागों को समाप्त करके सम्पूर्ण फरिश्ता बनना है। तभी उड़ती कला के सम्पूर्ण फ़रिश्ते कहलायेंगे।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *मनसा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान देना ही महादानी बनना है... क्यों और कैसे* ?
❉ दान पुण्य का महत्व कितना है ये तो हम भक्ति मार्ग में भी देखते आये । भक्ति मार्ग में ईश्वर अर्थ दान करना, गरीबों की मदद करना ये सब तो द्वापर युग से करते आये और एक जन्म के लिए इस दान पुण्य का फल भी प्राप्त किया । किन्तु अब *संगम युग पर स्वयं भगवान ने आ कर सच्चा दान पुण्य करना सिखाया* जिसकी प्रालब्ध केवल एक जन्म के लिए नही बल्कि जन्म जन्मान्तर के लिए मिलती है और वह सच्चा दान पुण्य है मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान । यही सबसे बड़ा महादान है ।
❉ भक्ति में कहते है कि " दे दान तो छूटे ग्रहण" किन्तु कौन सा दान देना है और कौन से ग्रहण से छूटना है यह कोई नही जानता । *परम पिता परमात्मा बाप ने आ कर बताया कि आज हर आत्मा पर पांच विकारों का ग्रहण लगा हुआ है* जिसके कारण आज सभी दुखी और अशांत है । पांच विकारों रूपी इस ग्रहण से आत्मा को छुड़ाने का उपाय है इन विकारों को परमात्मा बाप पर समर्पित कर दुखी और अशांत आत्मायों को अपनी मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान कर उन्हें भी पांच विकारों के ग्रहण से मुक्ति दिलाना । यही महादान है ।
❉ जैसे प्यासे मनुष्य की प्यास केवल पानी ही बुझा सकता है । उसके सामने खाने की चाहे कितनी ही स्वादिष्ठ चीजें क्यों ना रखी हो किन्तु वह चीजें उसकी प्यास नही बुझा सकती । इस लिए *उसी चीज का दान देने में फायदा है जिस की व्यक्ति को आवश्यकता है* । आज के समय में सभी मनुष्य आत्माएं सच्ची शांति और सुख की तलाश में भटक रही हैं । और सच्चे सुख और शांति का अनुभव उन्हें तभी होगा जब मास्टर दाता बन हम ब्राह्मण आत्मायें अपनी शक्ति शाली मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान देंगें ।
❉ आज के इस भौतिक जगत में सभी भौतिक सुख सुविधाओं से सम्पन्न होते हुए भी मनुष्य संतुष्ट नही है । इसलिए जीवन की इस भाग दौड़ में निरन्तर भाग रहा है । ऐसे समय पर *सुख, शांति की तलाश में भाग रहे सभी मनुष्यों को संतुष्ट करने का उपाय है उन्हें अपना आत्मिक बल देकर बलशाली बनाना* । क्योकि उनमे वो ताकत नही जो स्वयं में आत्मिक बल भर सकें और शक्तिशाली स्थिति का अनुभव कर सकें । इसलिए बाबा कहते कि ऐसी आत्माओं को मन्सा द्वारा शक्ति का और कर्म द्वारा गुणों का दान दे कर उन्हें तृप्त करो । यही महादान है ।
❉ देवी देवताओं के जड़ चित्रों के आगे आज भी भक्त जा कर असीम सुख और शांति का अनुभव करते हैं । ये जड़ चित्र बोलते नही है फिर भी भक्त आत्माओं को प्राप्ति होती है तभी तो जाते हैं । *उनकी दिव्यता के वायब्रेशन से और दिव्य नयनो की दृष्टि से भक्त लोग वायब्रेशन लेते हैं* । वह जड़ चित्र और कोई के नही हम चैतन्य देवी देवताओं के ही हैं । अपने उसी चैतन्य देवी देवता स्वरूप में स्थित हो कर हमे मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान देना है जो सबसे बड़ा महादान है ।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━