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 01 / 12 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)

 

➢➢ *परिवार वालों की भी सेवा की ?*

 

➢➢ *ऊंचे ज्ञान का सिमरन कर ख़ुशी से झोली भरी ?*

 

➢➢ *अपना बुधीयोग ऊपर लटकाया ?*

 

➢➢ *ज्ञान, गुण और शक्तियों से संपन्न बन दान किया ?*

 

➢➢ *सिर्फ एक बाप से प्रभावित हुए ?*

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         ❂ *तपस्वी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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〰✧  *अब ऐसे ट्रान्सपेरेंट (पारदर्शी) हो जाओ जो आपके शरीर के अन्दर आत्मा विराजमान है, वह स्पष्ट सभी को दिखाई दे। आपका आत्मिक स्वरूप उन्हों को अपने आत्मिक स्वरूप का साक्षात्कार कराये,* इसको ही कहते हैं अव्यक्त वा आत्मिक स्थिति का अनुभव कराना।

 

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  *तो रोज चेक करो, समाचार पूछो - हे मन मन्त्री, तुमने क्या किया?* कहाँ धोखा तो नहीं दिया? कहाँ अन्दर ही अन्दर ग्रुप बना देवे और आपको राजा की बजाय गुलाम बना दे! तो ऐसा न हो!

 

✧  देखो, *ब्रह्माबाप आदि में रोज ये दरबार लगाते थे* जिसमें सभी सहयोगी साथियों से समाचार पूछते, ये रोज की ब्रह्माबाप की आदि की दिनचर्या है। सुना है ना? तो ब्रह्माबाप ने भी मेहनत की है ना!

 

✧  *अटेन्शन रखा तब स्वराज्य अधिकारी सी विश्व के राज्य अधिकारी बने।* शिव बाप तो है ही निराकार लेकिन ब्रह्माबाप ने तो आपके समान सारी जीवन पुरुषार्थ से प्रालब्ध प्राप्त की। तो *ब्रह्माबाप को फालो करो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप भल सम्मुख हैं लेकिन याद शांतिधाम घर में करना है"*

 

➳ _ ➳  सम्मुख साकार मिलन की वो सुखद सी स्मृतियाँ, *जब सामने बैठ जाते वो आकर, और वो समय का उडनछू हो जाना, भर- भर कर छल-छलाता रहा, प्रेम मधु का पैमाना* इन्हीं मुलाकातों में, बातों बातों में, परिवर्तन का महामन्त्र बखूबी पढा दिया शिव प्रियतम ने मुझ आत्मा को, और स्वपरिवर्तन से विश्व परिवर्तन के महामन्त्र को बडी ही सहजता से आत्मसात् कर बैठी मैं आत्मा ... बदलता ऋतु चक्र, *वो दिन-रात का परिवर्तन, मायूस सी पतझर कही, कही पर वसन्त का नर्तन*, और इसी सब से शिव प्रियतम ने सहज ही इशारा कर दिया कि... *बच्चे बाप भल सम्मुख है लेकिन याद शान्ति धाम घर में ही करना है*... शान्तिधाम घर में याद करने के पीछे विकर्म विनाश के साथ और भी क्या क्या रहस्य है, इन पर गहराई से मनन करती मैं आत्मा पहुँच गयी हूँ सुक्ष्म वतन में... सुनहरें बादलों की बन्दनवार से सजा सूक्ष्म वतन... और सुनहरे कमल पर आसीन बापदादा... प्रवेश करते ही मैं आत्मा भी सुनहरे रंग में रंग गयी हूँ...

 

❉   *गहरी जिज्ञासा से भरी मेरी निश्छल सी आँखों को देखकर जानीजाननहार शिवबाबा बोले :-* "मीठी बच्ची... ड्रामा का गहन राज बुद्धि में समाकर दिव्य बुद्धि बनी हो आप, ड्रामा में बन्धायमान बाप के पार्ट को भी बखूबी जाना है *आप बच्ची ने, साकार सम्मुख मिलन की पालना का मीठा एहसास पाया है आपने, अब यही पालना, स्नेह से वंचित हर आत्मा को भी देनी है,* क्या इतना भरपूर किया है खुद को आपने... ?"

 

➳ _ ➳  *रोम रोम में आभार समायें, वरदानी दृष्टि से भरपूर करने वाले मीठे बाबा को स्नेह से निहारती मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे मीठे बाबा... प्यार के सागर को मन की गागर में समाँ लिया है मुझ आत्मा ने अब स्नेह की बदरी बन बरस रही हूँ इस मरूभूमि पर... *देखिए बाबा,  लहरा उठी है ये मरूभूमि! काँटो का ये जंगल खुशनुमा गुलाबों में बदल रहा है*... आप का वरदानी हाथ करामात दिखा रहा है..." 

 

❉   *गुलाबों के उपवन से चुनकर संग लाये कुछ गुलाबों की ओर मीठी दृष्टि डालकर मेरे मीठे बाबा मुझ आत्मा से बोले:-* "मेरी रूहे गुलाब बच्ची... अब बिन्दु बाप से, बिन्दु बन अपने घर परमधाम में मिलन मना कर्मातीत अवस्था को पाओं, *ड्रामा में पल पल बदलते मेरे भी अभिनय को निश्चय से देखों और साकार के सफर की निराकार सी मंजिल को पाओं*... तेजी से घूमते क्र के साथ स्वदर्शन चक्र घुमाओं..."

 

➳ _ ➳  *फरिश्ता रूप से बिन्दु रूप में सिमटते शिवबाबा को देखकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे बिन्दु बाबा... *तीनो बिन्दुओं का राज बखूबी समझा है मैने, समय का इशारा और शान्ति धाम की वो बीजरूप स्थिति सब का गहरा अनुभव पा मालामाल हो गयी हूँ मैं आत्मा*, शान्ति धाम में वो आपकी किरणों से खेलना, खेल खेल में जन्मों के विकर्मों का स्वाह कर देना, उन अनुभवों के खजाने से मालामाल हुई हूँ मैं आत्मा... उस खजाने से मैं सबको मालामाल कर रही हूँ..."

 

❉  *गहरे विश्वास और निश्चिन्तता से भरी बाबा की आँखें मुझ आत्मा से कह रही है:-* "मीठी बच्ची... *साकार सम्मुख मिलन की सीमाओं से परे हर वक्त मिलन मनाने की सौगात है ये अव्यक्त मिलन*... जब चाहों तब शान्तिधाम में आ जाओं और बापदादा से शक्तियां और वरदानों की सौगात पा जाओं... निश्चय के फलक पर विराजमान रह, बाप समान दूसरों को प्रत्यक्ष कर स्वयं साक्षी हो जाओ..."

 

➳ _ ➳  *शान्ति धाम की असीम शान्ति की कशिश को महसूस करती मैं आत्मा ब्रह्मा बाबा की भृकुटी में ही शिवबाबा को प्रत्यक्ष निहारती हुई कहती हूँ:-* "मीठे बाबा... *हर पल करवट बदलता ये ड्रामा, और ड्रामा में पल- पल बदलता आपका अभिनय... स्वयं को बदलने की ही सीख दे रहा है,* और ड्रामा का सार मैने पा लिया है मेरे मीठे बाबा... *बिन्दु बन बिन्दु बाप को याद करने मैं चली अपने वतन, शान्ति धाम*... और बाबा मुस्कुरा रहें है, मेरी सार बुद्धि को देखकर, कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति को गहराई से महसूस करती, मैं आत्मा उड चली शान्ति धाम की ओर..."

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सुहावने संगम युग पर जीते जी पारलौकिक बाप का बनना है*"

 

➳ _ ➳  जिस पारलौकिक भगवान बाप की एक झलक पाने के लिए अनेक जप, तप, यज्ञ, पूजा पाठ आदि किए। शरीर को कष्ट दे कर भी पैदल लम्बी - लम्बी यात्रायें की। मन्दिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों में जा कर माथे टेक कर टिप्पड़ घिसाये किन्तु फिर भी हर पल उससे दूर रहे। *वो पारलौकिक भगवान बाप अब संगमयुग पर अपने बच्चों से मिलन मनाने, उनकी हर आश पूरी करने के लिए उनके सम्मुख आया है। तो ऐसे सुहावने संगमयुग पर जीते जी उस पारलौकिक बाप का बन कर उस हर वायदे को पूरा करना है जो भक्ति में कहते आये कि जब आप आयेंगे तो हम आप पर बलिहार जायेंगे*।

 

➳ _ ➳  वो भगवान बाप जिसके दर्शन मात्र की ये अंखिया प्यासी थी वो ऐसे अति साधारण वेश में अपने बच्चों के सम्मुख आकर बाप बन उनकी पालना करेगा, टीचर बन स्वयं उन्हें पढ़ायेगा और सतगुरु बन उनकी जीवन नैया को पार लगाएगा यह तो कभी स्वप्न में भी नही सोचा था। *स्वयं से बातें करती अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की उन मधुर स्मृतियों में मैं खो जाती हूँ जब पहली बार परमात्म पालना, परमात्म प्रेम का अनुभव किया था और मन ने कहा था कि यही है जिसकी तलाश में मैं जन्म - जन्म से भटक रही थी*। यही है वो शान्ति, सुख, प्रेम और आनन्द का सागर मेरा पारलौकिक बाप जो मेरे जीवन को खुशहाल करने आ गया है।

 

➳ _ ➳  अपने पारलौकिक बाप से किये हुए उस पहले मधुर मिलन की स्मृति मन मे एक रूहानी नशे का संचार कर रही है और मन उनसे मिलने की लगन में मग्न हो कर उनके पास जाने के लिए बेकाबू हो रहा है। *ऐसा लग रहा है जैसे मेरे पारलौकिक शिव पिता भी प्रीत की रीत निभाने के लिए परमधाम से नीचे मेरे पास आ रहें हैं। फिजाओं में उनके आने की आहट मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ*। उनकी सर्वशक्तियों की किरणों को अपने चारों और फैलता हुआ मैं देख रही हूँ। उनकी सर्वशक्तियों रूपी किरणो की शीतल छाया मुझे उनकी उपस्थिति का अनुभव करवा रही है।

 

➳ _ ➳  अपने पास अपने शिव पिता को पाकर मैं आत्मा दिव्य अलौकिक रूहानी मस्ती में डूबी अब उनकी किरणो रूपी बाहों में समा कर उनके साथ जा रही हूँ। *अपनी किरणों के बाहों के झूले में झुलाते मेरे पारलौकिक बाबा मुझ पर अपना असीम स्नेह लुटाते, इस दुखदाई दुनिया के हर दुख से दूर शान्ति की दुनिया अपने घर शान्तिधाम में ले कर जा रहें हैं*। प्रकृति के पाँच तत्वों से निर्मित स्थूल जगत को पार कर, अंतरिक्ष से परें, सूक्ष्म लोक से भी ऊपर अपने परमधाम घर मे मैं आत्मा बाबा के साथ पहुंच गई हूँ।

 

➳ _ ➳  वाणी से परे इस निर्वाणधाम घर मे फैली अथाह शान्ति मन को गहन शान्ति की अनुभूति करवा रही है। *शान्ति की अति शीतल लहरे, शान्ति के सागर मेरे पारलौकिक शिव पिता से बार - बार मेरी ओर आ रही हैं और मुझे गहन शांन्तमयी स्थिति में स्थित कर रही हैं*। अपने शिव पिता से आ रही सर्वगुणों की सतरंगी किरणो के झरने के नीचे बैठी मैं आत्मा उन्हें स्वयं में भर कर सर्वगुण सम्पन्न बन रही हूँ। *अपनी सर्वशक्तियों, सर्व खजानों से बाबा मेरी बुद्धि रूपी झोली को भरकर मुझे दुनिया की सबसे धनवान आत्मा बना रहे हैं*।

 

➳ _ ➳  बाबा के साथ अटैच हो कर उनसे आ रही लाइट, माइट से मैं स्वयं को भरपूर कर रही हूं। उनसे आ रही सर्वशक्तियाँ मुझमे असीम बल भर कर मुझे शक्तिशाली बना रही है। *मैं डबल लाइट बनती जा रही हूँ। कोई बोझ, कोई बंधन नही। बिल्कुल उन्मुक्त और निर्बन्धन स्थिति में मैं स्थित हूँ*। गहन सुखमय स्थिति की अनुभूति अपने शिव पिता परमात्मा के सानिध्य में मैं कर रही हूं। बाबा की लाइट माइट से भरपूर हो कर डबल लाइट बन कर अब मैं वापिस लौट रही हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित हो कर, इस सुहावने संगमयुग पर जीते जी पारलौकिक बाप का बन कर, सदा अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करते हुए अपने संगमयुगी ब्राह्मण जीवन का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं ज्ञान, गुण और शक्तियों से सम्पन्न बन दान करने वाली महादानी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं एक बाप से ही प्रभावित होकर और किसी भी आत्मा के प्रभाव में न आने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *श्रेष्ठ शुद्ध संकल्प में इतनी ताकत है जो आपके कैचिंग पावरवायब्रेशन कैच करने की पावरबहुत बढ़ सकती है।* यह वायरलेसयह टेलीफोन.... जैसे यह साइंस का साधन कार्य करता है वैसे यह शुद्ध संकल्प का खजानाऐसा ही कार्य करेगा जो लण्डन में बैठे हुए *कोई भी आत्मा का वायब्रेशन आपको ऐसे ही स्पष्ट कैच होगा* जैसे यह वायरलेस या टेलीफोन, टी.वी. यह जो भी साधन हैं.... कितने साधन निकल गये हैं, इससे भी स्पष्ट आपकी कैचिंगपावर, एकाग्रता की शक्ति से बढ़ेगी। यह आधार तो खत्म होने ही हैं। यह सब साधन किस आधार पर हैं? *लाइट के आधार पर। जो भी सुख के साधन हैं मैजारिटी लाइट के आधार पर हैं।*  तो क्या आपकी आध्यात्मिक लाइट, आत्म लाइट यह कार्य नहीं कर सकती! जो चाहो वायब्रेशन नजदीक केदूर के कैच कर सकेंगे। अभी क्या है, *एकाग्रता की शक्ति मन-बुद्धि दोनों ही एकाग्र हो तब कैचिंग पावर होगी। बहुत अनुभव करेंगे। संकल्प किया - नि:स्वार्थ, स्वच्छस्पष्ट वह बहुत क्विक अनुभव करायेगा।*  साइलेन्स की शक्ति के आगे यह साइन्स झुकेगी। अभी भी समझते जाते हैं कि साइंस में भी कोई मिसिंग हैं जो भरनी चाहिए।

 

 _ ➳  इसलिए बापदादा फिर से अन्डरलाइन करा रहा है कि *अन्तिम स्टेजअन्तिम सेवा - यह संकल्प शक्ति बहुत फास्ट सेवा करायेगी। इसीलिए संकल्प शक्ति के ऊपर और अटेन्शन दो।* बचाओ, जमा करो। बहुत काम में आयेगी। प्रयोगी इस संकल्प की शक्ति से बनेंगे। साइंस का महत्व क्यों है? प्रयोग में आती है तब सब समझते हैं हाँ साइंस अच्छा काम करती है। तो *साइलेन्स की पावर का प्रयोग करने के लिए एकाग्रता की शक्ति चाहिए और एकाग्रता का मूल आधार है - मन की कन्ट्रोलिंग पावर, जिससे मनोबल बढ़ता है।* मनोबल की बड़ी महिमा हैयह रिद्धि-सिद्धि  वाले भी मनोबल द्वारा अल्पकाल के चमत्कार दिखाते हैं। आप तो विधि पूर्वक, रिधि सिद्धि नहींविधि पूर्वक कल्याण के चमत्कार दिखायेंगे जो वरदान हो जायेंगे, आत्माओं के लिए यह संकल्प शक्ति का प्रयोग वरदान सिद्ध हो जायेगा।

 

 _ ➳  2. *अगर संकल्प शक्ति पावरफुल है तो यह सब स्वत: ही कन्ट्रोल में आ जाते हैं। मेहनत से बच जायेंगे। तो संकल्प शक्ति का महत्व जानो।*

 

 _ ➳  3. आखिर आपके संकल्प की शक्ति इतनी महान हो जायेगी - जो सेवा में मुख द्वारा सन्देश देने में समय भी लगाते हो, सम्पत्ति भी लगाते होहलचल में भी आते होथकते भी हो..लेकिन श्रेष्ठ संकल्प की सेवा में यह सब बच जायेगा। बढ़ाओ। *इस संकल्प शक्ति को बढ़ाने से प्रत्यक्षता भी जल्दी होगी।*

 

✺   *ड्रिल :-  "निःस्वार्थ, स्पष्ट, स्वच्छ संकल्प शक्ति को बढ़ाने का अनुभव"*

 

 _ ➳  अमृतवेला आंख खुलते ही बाबा की गोद मे स्वयं को विराजित देख अनायास खुशी व सुकून को अनुभव कर मैं आत्मा अशरीरी, फरिश्ता स्वरूप में मीठे बाबा के संग मीठे परमधाम की ओर जा रही हूं... *सर्व शक्तिमान बाबा के स्पर्श से पुलकित मैं आत्मा बाबा के नज़र से निहाल हो रही हूं... बाबा शक्तियों के, गुणों के ख़ज़ाने से मुझ आत्मा को अंदर से भर रहे है...* मुझ आत्मा की आंतरिक कमी कमजोरियों को मिटाने की बाबा की कवायद देख मैं आत्मा सच्चे दिल से बाबा के प्रेम को महसूस कर रही हूं...

 

 _ ➳  मुझे मीठे बाबा की दृष्टि में वही बात दिख रही है कि अविनाशी आत्मा अपने सर्व शक्तियों को सम्पूर्ण विश्व की सेवा में प्रयोग करने की तैयारी का समय आ चुका है... *अब चारों ओर अपने संकल्प शक्ति का प्रयोग कर दुःख कष्ट से मुक्त करने का समय है...* मुझ आत्मा को बाबा की आज्ञा बुद्धि से स्पष्ट समझ आ रही है... जितना जितना *विनाश का समय करीब आ रहा है बाबा, संकल्प शक्ति द्वारा, शांति के वाइब्रेशन द्वारा आत्माओं की सेवा करने का आदेश दे रहे है...* मैं आत्मा मन बुद्धि की एकाग्रता से संकल्प शक्ति की तीव्रता को बढ़ा रही हूँ... मैं आत्मा अपने अविनाशी शक्तियों को और सूक्ष्म रीति प्रयोग करने की कला सीख रही हूं...

 

 _ ➳  मैं आत्मा स्वयं के फरिश्ता स्वरूप के कर्तव्यों को फिर से याद कर बाबा से विदाई ले वापिस लौट रही हूं... आज मन बुद्धि की एकाग्रता से आत्माओं के वाइब्रेशन कैच करने की आश लिए मैं फरिश्ता विश्व गोले पर विराजमान हो जाती हूं... फरिश्ता स्वरूप में बैठ मन बुद्धि को एकाग्र कर सुनने की कोशिश कर रही हूं... *कुछ ही सेकंड में इतना क्रंदन, आर्तनाद, शोर सुन मैं फरिश्ता एक पल के लिए स्तंभित हो बाबा को याद करने लगती हूं... बाबा इशारा देते है संकल्प की शक्ति का प्रयोग कर उन्हें शांति से भरपूर करना है...*

 

 _ ➳  बाबा का इशारा पाते ही मैं फरिश्ता *अपने समर्थ व शुभ संकल्पों की जादुई छड़ी हाथ मे उठाये विश्व गोले को सफेद प्रकाश से भरपूर करने गोले की परिक्रमा कर रही हूं...* शांति सुख प्रेम एवं शक्ति की ऊर्जा से ओतप्रोत सफेद प्रकाश से विश्व को भरपूर कर रही हूं... *अपने फरिश्ता स्वरूप में स्थित होकर मैं आत्माओं के अंतर्मन के रुदन कुछ शांत होते हुए देख रही हूं...* सभी को मीठे बाबा की मीठी शक्तिशाली सकाश से भरपूर होते देख रही हूं... थोड़ी ही देर में सभी के मुख पर शांति की प्रतिच्छवि देख खुद भी सुकून महसूस कर रही हूं...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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