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 22 / 10 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *"मैं बाप समान समीप रतन बन सपूत बच्चा होने का सबूत दूं" - सदा इसी उमंग उत्साह में रहे ?*

 

➢➢ *"हम ही थे, हम ही हैं और हम ही रहेंगे" - यह स्लोगन सदा मस्तक में स्मृति रुप में रहा ?*

 

➢➢ *"होना ही है" - इसी हिम्मत से बाप की मदद के पात्र बनकर रहे ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *"मुझे बाप समान सर्व गुणों, सर्व शक्तियों, सर्व खजानों से संपन्न होना ही है" - सदा इसी उमंग में रहे ?*

 

➢➢ *"बापदादा ने मुझे ढून्ढ लिया है" - सदा इसी उत्साह में रहे ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  चाहे अपना पार्ट भी कोई चल रहा हो लेकिन अशरीरी बन आत्मा साक्षी हो अपने शरीर का पार्ट भी देखें। मैं आत्मा न्यारी हूँ, शरीर से यह पार्ट करा रही हूँ। *यही न्यारे-पन की अवस्था अंत में विजयी या पास विद ऑनर का सर्टिफिकेट देंगी।* सभी पास विद ऑनर होने वाले हो?

 

✧  मजबूरी से पास होने वाले नहीं। कभी टीचर को भी एक-दो मार्क देकर पास करना पडता है। ऐसे पास होने वाले नहीं हैं। *खुशी-खुशी से अपने शक्ति से पास विद ऑनर होने वाले। ऐसे हो ना?* जब टाइटल भी डबल विदेशी है तो माक्र्स भी डबल लेंगे ना!

 

✧  भारतवासियों को क्या नशा है? भारतवासियों को फिर अपना नशा है। भारत में ही बाप आते हैं। लन्दन में तो नहीं आते ना। (आ तो सकते हैं) अभी तक ड्रामा में पार्ट दिखाई नहीं दे रहा है। *ड्रामा की भावी कभी भगवान भी नहीं टाल सकता।* ड्रामा को अथार्टी मिली हुई है। अच्छा। (पार्टियों के साथ)

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

 

➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  सदा उमंग उत्साह में रहने की युक्तियाँ"*

 

_ ➳  मीठे बाबा की कुटिया में बेठी मै आत्मा... प्यारे बाबा का रोम रोम से शुक्रिया करते हुए सोचती हूँ... कि देह की दुनिया, और दुखो के कंटीले, पथरीले रास्तो पर.... जो मै आत्मा उदास, थकी और लहूलुहान थी... प्यारे बाबा ने अपनी बाँहों का सहारा देकर... *मुझे उस दुबन से बाहर निकाला है... और अपने प्यार और गुणो से सजाकर ,मुझे असीम उमंगो से भर दिया है.*.. अब मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार की छाँव में... दुखो की तपन से निकल गयी हूँ और सुख भरी छत्रछाया में आ गयी हूँ... *अब जीवन मीठे बाबा के साथ, खुशियो में चहक रहा है... हल्का और सुखो से महक रहा है.*.. यही सच्ची खुशियां मीठे बाबा से पाकर मै आत्मा... पूरे विश्व में बिखेर रही हूँ...

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने प्यार में आनन्द की चरमसीमा पर पहुंचाते हुए कहा:-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... उमंग उत्साह सर्व के उड़ती कला का आधार है...तो *सदा मीठे बाबा से प्राप्त सर्व खजानो, शक्तियो, और गुणो के नशे रहना... वाह मेरा खुबसूरत भाग्य वाह... सदा इस नशे में आनन्दित रहना.*.. हम थे, हम ही है, और हम ही बनेगे... यह स्म्रति रग रग में समा कर...सदा ईश्वरीय प्रेम में डूबे रहो..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा से शक्तियाँ पाकर उमंगो में उल्लासित होकर कहती हूँ :-"मीठे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपको यादो में अपने सत्य वजूद को पाकर पुलकित हूँ... और यादो में विकर्मो की कालिमा से छूटकर... खुबसूरत देवता बन रही हूँ...इस ख़ुशी में रोम रोम से डूबी हुई हूँ... *मेरा भाग्य कितना प्यारा है कि मै आत्मा, आपके हाथो में यूँ पलकर दिव्यता से श्रंगारित हो रही हूँ.*.."

 

   प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा अखूट खजानो की मालिक बनाते हुए कहा :-"सदा सेवा की लगन में मगन रहकर... स्वयं को प्राप्त शक्तियो को...सर्व आत्माओ को प्राप्ति कराने वाले बनकर... ईश्वर पिता के दिल तख्त पर मुस्कराओ...सदा अधिकारी बालक सो मालिक बनकर... मीठे बाबा का विशेष स्नेह प्राप्त कर... सदा के सम्पन्न बन जाओ... *भाग्य विधाता द्वारा जो भाग्य मिला है, उसे हर दिल को बाँट कर... उनका भाग्य भी आप समान बना आओ.*..

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा से पाये वरदानों से सजधज कर कहती हूँ :-"प्यारे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा *आपको पाकर, आपकी स्नेहिल बाँहों में आकर, कितने मीठे भाग्य की पा गयी हूँ.*.. और यह सच्ची खुशिया, यह शक्तियो, और गुणो का खजाना... हर दिल को बाँट कर, सबका जीवन... *मेरे जैसा खुशियो से महकता हुआ सजा रही हूँ.*.." सबको प्यारे बाबा से मिलवा रही हूँ..."

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने प्यार में बेफिक्र बादशाह बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... ईश्वर पिता के प्यार भरी छत्रछाया में रहकर... एक बल एक भरोसे से निश्चिन्त होकर... मीठे बाबा के सारे खजानो पर अपना अधिकार जमालो... *हजार भुजाओ वाले, साथी को सदा साथ रख कर... विजय पथ पर आगे बढे चलो.*.. और सदा सेवाओ में सहयोग का पानी देकर... विश्व का कल्याण करने वाली महान आत्मा बन... बापदादा के दिल तख्त पर मुस्कराओ...."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के साये में अपने भाग्य की सुंदरता में चार चाँद लगाते हुए कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपको पाकर, देह की सारी उलझनों से निकल, सदा के लिए निश्चिन्त हो गयी हूँ... *भगवान हर पल, हर कदम पर मेरा साथी बनकर, साथ चल रहा है... मै आत्मा जीवन के पथ पर अकेली नही, बल्कि आप संग असीम खुशियो में उड़ रही हूँ.*..."मीठे प्यारे बाबा से असीम खुशियां अपने दामन में सजाकर मै आत्मा... अपने कर्मक्षेत्र पर लौट आयी..."

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- "होना ही है" - इसी हिम्मत से बाप की मदद के पात्र बनकर रहना*"

 

 _ ➳  "हिम्मते बच्चे मददे बाप" इस बात को स्मृति में लाते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे बाबा की मदद मिलते ही मैं मास्टर सर्वशक्तिवान बन गई हूँ और सर्व शक्तियों से सम्पन्न बन कर हर परिस्थिति को सहजता से पार करने की मेरे अंदर ताकत भर गई है। *अपने शिव पिता को मैं अपने सिर के ऊपर हजार भुजाओं की छत्रछाया के साथ अनुभव कर रही हूँ*। मेरे शिव पिता की किरणों रूपी हजारों बाहों की छत्रछाया का मेरे सिर पर होने का अनुभव ही मेरे अंदर असीम बल भर रहा है। मैं स्वयं को बहुत ही ऊर्जावान अनुभव कर रही हूँ। *मेरी स्व - स्थिति इतनी शक्तिशाली बन गई है कि कोई भी परिस्थिति मेरी स्व - स्थिति के आगे नही ठहर सकती*।

 

 _ ➳  अपनी इसी शक्तिशाली स्व - स्थिति में स्थित अब मैं अनुभव करती हूँ कि मेरे सर्वशक्तिवान शिव पिता की किरणों रूपी बाहों ने जैसे मुझे  उठा लिया है और अपनी बाहों के झूले में मुझे झुलाते हुए अपने साथ ले जा रहें हैं। मन, बुद्धि के पंखों पर सवार मैं स्वयं को इस देह से एकदम न्यारा अनुभव कर रही हूँ। *जैसे मक्खन में से बाल आसानी से बाहर आ जाता है, ऐसे ही अपनी शक्तिशाली स्व स्थिति में स्थित मैं आत्मा भी इस देह से निकल कर अब ऊपर की ओर उड़ रही हूँ*। अपने शिव पिता की शक्तियों की सतरंगी किरणों रूपी बाहों के झूले में गहन आनन्द लेते - लेते, उन्हें निहारते - निहारते, मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की महिमा के गीत गाते - गाते मैं पांच तत्वों की बनी इस साकारी दुनिया को पार कर सफेद प्रकाश से प्रकाशित अति सुंदर फरिश्तों की दुनिया में प्रवेश करती हूँ।

 

 _ ➳  फरिश्तों की इस अति सुंदर मनभावनी दुनिया में पहुंच कर, मेरे शिव पिता अपनी किरणों रूपी बाहों के झूले से मुझे नीचे उतार कर, अपने आकारी रथ, अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि पर जा कर विराजमान हो जाते हैं। अपना एक हाथ बाबा सामने करते हैं। *देखते ही देखते एक लाइट का सूक्ष्म फ़रिशता बाबा की हथेली पर प्रकट हो जाता है। बाबा अपना वरदानी हाथ उस फ़रिश्ते के मस्तक पर रख कर, उसमें अपनी सर्वशक्तियाँ प्रवाहित करने लगते हैं*। बाबा की सर्वशक्तियाँ जैसे - जैसे उस फ़रिश्ते में समाती जाती है, उस फ़रिश्ते के अंग - अंग से रंग बिरंगी शक्तियों की धाराएं निकलने लगती है और चारों और फैलती चली जाती है। मन बुद्धि रूपी नेत्रों से मैं आत्मा इस खूबसूरत दृश्य को देख रही हूँ।

 

 _ ➳  बाबा उस फ़रिश्ते को अपनी हथेली से नीचे उतारते हैं। मैं देखती हूँ कि बाबा की हथेली से उतर कर अब वो फ़रिशता अपनी सतरंगी किरणों को फैलाता हुआ मेरी ओर आ रहा है जैसे - जैसे वो फ़रिशता मेरी ओर बढ़ रहा है उस फ़रिश्ते में मुझे मेरा ही स्वरूप दिखाई दे रहा है। वो फ़रिशता मेरे पास आ कर रुक जाता है और मैं आत्मा उस फ़रिशते में प्रवेश कर जाती हूँ। *अपनी चमकीली फ़रिशता ड्रेस में अब मैं स्वयं को मन्त्रमुग्ध हो कर देख रही हूँ। मुझ फ़रिश्ते से निकल रही रंग बिरंगी रश्मियां मेरे स्वरूप को बहुत ही आकर्षक बना रही हैं*। मैं फ़रिशता अब बापदादा के पास जा रहा हूँ। बाबा की बाहों में समाकर, बाबा का असीम स्नेह पाकर मैं फ़रिशता अब बाबा के सामने बैठ जाता हूँ।

 

 _ ➳  बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं और मुझे सदा विजयी भव का वरदान देते हुए कहतें हैं:- "सदा हिम्मत से बाप की मदद के पात्र बन माया पर विजय बनो"। *वरदान दे कर बाबा अपनी सम्पूर्ण लाइट और माइट मेरे अंदर प्रवाहित कर मुझे अपनी सर्वशक्तियों से भरपूर कर देते हैं*। बाबा से वरदान और लाइट माइट ले कर, अपने सम्पूर्ण शक्तिशाली फ़रिशता स्वरूप के साथ मैं फ़रिशता साकारी दुनिया वापिस लौट आता हूँ और अपने फ़रिशता स्वरूप के साथ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाता हूँ। *मेरे शक्तिशाली फ़रिशता स्वरूप के प्रभाव से अब मेरा ब्राह्मण स्वरूप भी शक्तिशाली बन गया है*।

 

 _ ➳  "एक बल एक भरोसा" इस आधार पर अब मैं ब्राह्मण आत्मा "हिम्मते बच्चे मददे बाप" का अनुभव करते हुए सदा उमंग उत्साह के पंखों पर सवार हो कर उड़ती रहती हूँ। *विधाता और वरदाता बाप के सम्बन्ध से "बालक सो मालिक बन सर्व खजानों से सदा सम्पन्न रह अपरमअपार खुशी की अनुभूति करती रहती हूँ*। "हम ही थे, हम ही हैं और हम ही रहेंगे" इस स्लोगन की स्मृति का तिलक सदा अपने मस्तक पर लगा कर मैं सदैव अपने "स्मृति सो समर्थी" स्वरूप द्वारा सर्व आत्माओं को भी हिम्मतवान बना कर उन्हें भी सदा "हिम्मते बच्चे मददे बाप" की प्रेरणा देती रहती हूँ।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺  *"ड्रिल :-  मैं आत्मा यथार्थ विधि द्वारा व्यर्थ को समाप्त कर नम्बरवन लेती हूँ।”*

 

_ ➳  ज्ञान सूर्य प्रकट हुआ हैउनका ज्ञान मुझ आत्मा के लिए उजियारा हैरोशनी से अंधकार स्वत: खत्म हो जाता हैऐसे मैं आत्मा *समय, संकल्प, श्वास को सफल करती हूंइससे व्यर्थ स्वत: समाप्त हो जाता हैक्योंकि सफल करने का अर्थ है श्रेष्ठ तरफ लगाना…  श्रेष्ठ तरफ लगाने वाले व्यर्थ पर मैं आत्मा विन करती हूंनम्बरवन ले लेती हूँ*मुझे व्यर्थ को स्टाप करने की सिद्धि प्राप्त हैयही परमात्म सिद्धि हैवह रिद्धि सिद्धि वाले अल्पकाल का चमत्कार दिखाते हैंऔर मैं आत्मा *यथार्थ विधि द्वारापरमात्म सिद्धि को प्राप्त करती हूं…*

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  अपकारी पर उपकार करने वाली ज्ञानी तू आत्मा होने का अनुभव"*

 

_ ➳  मैं ज्ञानी तू आत्मा हूँ... *सदा बाबा के समीप और स्नेह* का अनुभव करने वाली आत्मा हूँ... मैं *परमात्म पालना में पलने वाली शक्तिशाली आत्मा बनती जा रही हूँ*... सर्व आकर्षणों से मुक्त मैं आत्मा बनती जा रही हूँ... क्यों, क्या, कैसे के प्रश्नों से मुक्त ज्ञानी तू आत्मा का अनुभव कर रही हूँ... *परमात्म स्नेह मुझ आत्मा में सर्वशक्तियों को भर रहा है*... बापदादा के स्नेह की दुआएं... मुझ आत्मा को आगे बढ़ाती जा रही है... सर्व आत्माओं प्रति कल्याण की भावना बढ़ती जा रही है... *कल्याणकारी भावना कैसी भी अपकारी आत्मा को उपकारी बना रही है*... सर्व के प्रति कल्याणकारी भावना... निष्काम सेवा की भावना मुझ आत्मा को ज्ञानी तू आत्मा का अनुभव करा रही है...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा ने यह भी देखा है कि *कोई-कोई बच्चे छोटी सी बात का विस्तार बहुत करते हैंइसमें क्या होता हैजो ज्यादा बोलता है ना तो जैसे वृक्ष का विस्तार होता है उसमें बीज छिप जाता है*वह ऐसे समझते हैं कि हम समझाने के लिए विस्तार कर रहे हैंलेकिन *विस्तार में जो बात आप समझाने चाहते हैं ना उसका सार छिप जाता है और बोलवाणी की भी एनर्जी होती है। जो वेस्ट बोल होते हैं तो वाणी की एनर्जी कम हो जाती है। ज्यादा बोलने वाले के दिमाग की एनर्जी भी कम हो जाती है। शार्ट और स्वीट यह दोनों शब्द याद रखो*। और कोई सुनाता है ना तो उसको तो कह देते हैं कि मेरे को इतना सुनने का टाइम नहीं है। लेकिन जब खुद सुनाते हैं तो टाइम भूल जाता है। इसलिए *अपने खजानों का स्टाक जमा करो। संकल्प का खजाना जमा करोबोल का खजाना जमा करोशक्तियों का खजाना जमा करोसमय का खजाना जमा करोगुणों का खजाना जमा करो*।

 

✺   *ड्रिल :-  "अपने खजानों का स्टाक जमा करना"*

 

 _ ➳  *ब्राह्मण कुल की दीपमाला का, मैं नन्हा सा दीप*... अपने अन्दर के तम से लडता हुआ और मुझमें तूफानों से जीतने का ज़ज्बा भरते शिव सूर्य... *स्वीट एन्ड शोर्ट की पल पल प्रेरणा देते*... विस्तार को सार में समाँ लेने की सीख देते और *धडकनों में बस गूँजने लगा है, एक ही गीत... शोर्ट एन्ड स्वीट मेरा बाबा*...

 

 _ ➳  मैं आत्मा बैठ गयी हूँ बापदादा की कुटिया में... बापदादा के ठीक सामने रखा महकतें फूलों का गुलदस्ता... मेरे मन को महका रहा है गहराई से... फूलों की सुन्दरता का सार इनकी खुशबू... और खुशबू का सार... रूहानी आनन्द जो मेरे रोम रोम में बह रहा है... और बापदादा की दिलकश सी मुस्कान को पढने की कोशिश करता हुआ मैं... *मेरी धडकनों का सार है ये... रूहानी निखार है ये... तरसे है कई पतझर जिसे, वो दिलकश बहार है ये*, बापदादा की भृकुटी से आती शिवसूर्य की किरणें मुझमें समाती हुई... और घट की तरह भरपूर होकर छलकता मैं... आकारी रूप में बापदादा के साथ उड चला एक अनोखी यात्रा पर...

 

 _ ➳  *मैं और बापदादा बादलों के विमान पर सवार*... सूर्य के करीब से गुजरता ये विमान सुनहरे रंग में रंगा हुआ... अचानक देख रहा हूँ बापदादा के हाथ में एक स्वर्ण और हीरों से जडी सुन्दर सुराही... बापदादा ने सुराही पर रखी रत्न जडित प्लेट को हटा दिया है... *सुराही के खुलते ही जगमगतें रत्नों का अम्बार लगता जा रहा है...* मानों रत्न उफ़न उफ़न कर बाहर आ रहे है... हैरानी से मैं देखे जा रहा हूँ एक एक कर उन सबको... *देखते ही देखते बडा सा ढेर लग गया है रत्नों का जमीन से आकाश तक... अब बापदादा एक महीन धागे में पिरों रहे है उन सबको... एक एक क्रिया बाबा मुझे दिखाकर कर रहे है... और देखते ही देखते वो सारा रत्नों का ढेर सिमट गया है एक धागें में...*

 

 ➳ _ ➳  *मनमनाभव का धागा*... और उस ढेर की जगह बस अब सुन्दर हार... बापदादा ने मुस्कुरातें हुए वो हार पहना दिया है मेरे गले में... *खजाने के विस्तार को सार में समेट दिया है बापदादा ने*... और ये खजानों का स्टाॅक अब मेरे अधिकार में... एक एक रत्न की बचत कैसे करनी है मुझे... मनमनाभव के सूत्र से सीख लिया है, मैने... *संकल्प का खजाना, बोल का खजाना, शक्तियों का खजाना, समय और गुणों का खजाना... और सारे खजानों से भरपूर मैं मालामाल आत्मा*... मनमनाभव के जादुई स्पर्श से सार में लाती और *समय संकल्प, बोल, गुण और शक्तियों की बचत करती हुई... अपनी स्थिति से ही परिस्थितियों को बदलती हुई*... वापस लौट आयी हूँ अपनी देह में... दीपमाला का दीपक बन अंधकार पर जीत पाती हुई... दुगुने आत्मविश्वास से...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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