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❍ 06 / 07 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *अपनी बुधी को नॉलेज से सदा फुल रखा ?*
➢➢ *पढाई पर पूरा ध्यान दे अपने ऊपर आपेही कृपा की ?*
➢➢ *दुखियों को सुखधाम का मालिक बनाने की सेवा की ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *कम्पैनियन को कंबाइंड रूप में अनुभव कर स्मृति स्वरुप बनकर रहे ?*
➢➢ *द्रिड संकल्प की बेल्ट बाँध सीट से अपसेट तो नहीं हुए ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *अपने श्रेष्ठ भाग्य के नशे में रहे ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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➳ _ ➳ *सदा अपनी स्मृति की समर्थी से अपने तीनों स्थान और तीनों स्थिति, निराकारी आकारी और साकारी तीनों स्थिति में सहज ही स्थित हो सकते हो?* जैसे आदि स्थिति साकार स्वरुप में सहज ही स्थित रहते हो ऐसे अनादि निराकारि स्थिति इतनी ही सहज अनुभव होती है? अभी-अभी आदि स्मृति की समर्थी द्वारा दोनों स्थिति में समानता अनुभव हो - ऐसे अनुभव करते हो? जैसे साकार स्वरूप अपना अनुभव होता है, स्थित होना नैचुरल अनुभव करते हो - ऐसे *अपने अनादि निराकारी स्वरूप में, जो सदा एक अविनाशी है उस सदा एक अविनाशी स्वरूप में स्थित होना भी नैचुरल हो।*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- रूहानी पण्डे से सत्य तीर्थ कर राजाई और घर को याद करो"*
➳ _ ➳ मधुबन घर के आँगन में मीठे बाबा के कमरे से निकलकर... मै आत्मा तपस्या धाम की ओर बढ़ती हूँ... और वहाँ पहुंचकर मीठे बाबा की यादो में खुद को भूल जाती हूँ... नजरे उठाकर जो देखती हूँ तो बाबा भी कमरे में मौजूद मुस्करा रहे है... और *मुझे प्रेम सुख शांति की गहन अनुभूतियों में ले चलने के लिए अपना हाथ थमा रहे है.*.. मीठे बाबा अपने मखमली हाथो में मेरी ऊँगली पकड़ कर कह रहे...तू जहाँ जहाँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा....
❉ प्यारे बाबा मुझ आत्मा के सुखो की खातिर यूँ धरती पर उतरकर कहने लगे :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... आत्मा के सच्चे तीर्थ हे शांति धाम और सुखधाम... ईश्वर पिता की यादो में अपने सच्चे तीर्थो को पाओ... जनमो की ठोकरे के बाद जो विश्व पिता मिला है... *उसके प्यार की गहराइयो में डूब कर राजाई और घर को याद करो.*.."
➳ _ ➳ मै आत्मा ईश्वर पिता के प्यार को पाकर खुशियो की चरमसीमा पर हूँ और कह रही हूँ :- "प्राणप्रिय बाबा मेरे... देह की मिटटी में लथपथ मै आत्मा पत्थरो में आपको खोज रही थी... आज भाग्य ने आप भगवान से मिलाकर मुझे हर भटकन से छुड़ा दिया है... मेरा *जीवन सच्ची खुशियो से सजाकर सदा का खुशनसीब बना दिया है.*..
❉ प्यारे बाबा मेरे प्रेम भावो को देख देख मुस्करा रहे है... और ज्ञान रत्नों को मेरी झोली में डालते हुए कह रहे है :- "प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय यादो में सच्चे सुख समाये है... सच्ची यात्रा कराने वाला रूहानी पण्डा विश्व पिता सम्मुख है... उसकी यादो में रहकर, अपने घर और राजाई को याद करो... *जहाँ सुखो भरा संसार आपका इंतजार कर रहा.*.."
➳ _ ➳ मै आत्मा ईश्वर पिता को अपने प्यार में रूहानी पण्डा बना देखकर... अपनी खुशनसीबी पर बलिहार हूँ और कह रही हूँ :- "ओ मीठे मीठे बाबा मेरे... मेरे जनमो की भटकन देख, मेरे जख्मी पेरो की तपिश मिटाने आप धरती पर आ गए हो... मुझे विस्तार से सार में ले जाकर सदा का सुखी बना रहे हो... *मेरे कदमो में सुखो के फूल बिछा रहे हो.*.."
❉ मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपनी शक्तियो से वरदानों से सजाते हुए कह रहे :- " सिकीलधे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता के बिना... चहुँ ओर बिखरी अपनी बुद्धि को अब समेटकर, यादो के तारो में पिरो दो... *ईश्वर संग सच्चे तीर्थ करने वाले महान भाग्यशाली बनो..*. अपने मीठे घर और सुखमय संसार को याद करो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा पल भर में अपने मीठे घर और सुखधाम में पहुंचने के मीठे भाग्य को देख बाबा से कह रही हूँ :- "प्यारे मीठे बाबा... आपने सच्ची श्रीमत देकर मुझे कितना सुखी, कितना हल्का, प्यारा और निश्चिन्त बना दिया है... मै आत्मा आपकी यादो के साये में बैठकर... *अपने मीठे घर, और खुशियो भरे स्वर्ग की सैर कर आती हूँ..*..अपने दिल के जज्बात मीठे बाबा को सुनाकर, मै आत्मा अपने कर्म संसार में आ गयी..."
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *ड्रिल :- "बाप से आशीर्वाद व कृपा मांगने के बजाय पढ़ाई पर ध्यान दे अपने ऊपर आपे ही कृपा व आशीर्वाद करनी*"
➳ _ ➳ अपने परम शिक्षक, मोस्ट बिलवेड शिव बाबा की याद मे मन बुद्धि को एकाग्र करके मैं अशरीरी स्थिति में स्थित होकर जैसे ही बैठती हूं। वैसे ही मेरे परम शिक्षक, मीठे शिव बाबा का प्यार उनकी अनंत शक्तियों की किरणों के रूप में परमधाम से सीधा मुझ आत्मा पर बरसने लगता है। *उनकी मीठी याद मुझे सहज ही असीम आनंद से भरपूर करने लगती है। और गहन आनंद की अनुभूति में समाई हुई मैं आत्मा लाइट का सूक्ष्म आकारी शरीर धारण कर अपने परम शिक्षक से मिलन मनाने के लिए चल पड़ती हूं*। मन बुद्धि की इस रूहानी यात्रा पर चलते चलते इस भौतिक संसार के सभी दृश्यों को मैं आत्मा देखती जा रही हूं।
➳ _ ➳ मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों में लोगों की भीड़ लगी है। स्वयं को तकलीफ दे कर गर्मी, सर्दी, बरसात सब कुछ सहन करके लोग नंगे पांव तीर्थो पर जा रहें हैं। भगवान की महिमा गाते, जयकारे लगाते इतनी ऊंची चढ़ाई चढ़ कर पहाड़ो पर जा रहें हैं और वहां पहुंच कर हाथ जोड़कर भगवान के जड़ चित्रों के आगे प्रार्थना कर रहे हैं कि हे प्रभु हम पर कृपा और आशीर्वाद करो। हमें सुख शांति का दान दो। *भक्तिमार्ग के इन सभी कर्म कांडो को मैं देखती जा रही हूं और मन ही मन विचार करती हूं कि बेचारे कितने घोर अंधियारे में पड़े है ये लोग*। इस बात से यह कितने अंजान हैं कि खुद को तकलीफ देकर, इतनी लंबी-लंबी जिस्मानी यात्राएं करके यह परमात्मा की कृपा व आशीर्वाद कभी नहीं पा सकते। क्योकि *परमात्मा कभी किसी पर कृपा व आशीर्वाद नही करते वह तो रास्ता बताते है स्वयं पर स्वयं ही कृपा व आशीर्वाद करने का*।
➳ _ ➳ परम शिक्षक बन कर परमात्मा स्वयं आ कर जो पढ़ाई पढ़ाते हैं उस पढ़ाई को अच्छी रीति पढ़ने वाले स्वयं ही स्वयं पर आशीर्वाद व कृपा कर लेते हैं। *यह विचार मन मे आते ही अब मैं फ़रिशता अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप में स्थित हो जाता हूँ और गॉडली स्टूडेंट बन अब मैं चल पड़ती हूँ उस ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर जहां पर मेरे परम शिक्षक, मेरे मीठे शिव बाबा परमधाम से हर रोज मुझे पढ़ाने आते हैं*। स्वयं भगवान आ कर मुझे वो अविनाशी पढ़ाई पढ़ाते हैं जिस पढ़ाई को पढ़ कर मैं भविष्य विश्व महारानी बनूँगी, यह विचार मन मे आते ही एक दिव्य आलौकिक नशे से मैं भरपूर हो जाती हूँ और अपने परम शिक्षक को याद करते करते मैं पहुंच जाती हूँ अपने ईश्वरीय विश्वविद्यालय में और क्लासरूम में जा कर बाबा की याद में बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ देखते ही देखते मेरे परम शिक्षक, मेरे मीठे प्यारे शिव बाबा अपने निर्धारित रथ ब्रह्मा बाबा के आकारी तन में विराजमान हो कर वहां उपस्थित होते हैं। *सामने संदली पर बैठे अपने परम शिक्षक बापदादा की उपस्थिति को अब मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूं*। उनके शक्तिशाली वायब्रेशन से पूरे क्लास रूम में जैसे एक रूहानी खुशबू छा गई है। एक दिव्य आलौकिक वायुमण्डल बन गया है। ब्राह्मण स्वरूप में स्थित सभी गॉडली स्टूडेंट्स अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर फ़रिश्ते बन गए है। *ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी फ़रिश्तों की सभा मे बैठी हूं*।
➳ _ ➳ मीठे बच्चे कहकर सभी ब्राह्मण बच्चो को सम्बोधित करते हुए बापदादा मधुर महावाक्य उच्चारण करते हैं और साथ साथ सभी को अपनी मीठी दृष्टि से निहाल करने लगते हैं। *आत्मिक स्मृति में स्थित हो कर, बाबा की शक्तिशाली दृष्टि से स्वयं को भरपूर करते करते मैं बाबा के मधुर महावाक्यों को बड़े प्रेम से सुन रही हूं*। स्वयं भगवान से पढ़ने का सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य मुझे अंदर ही अंदर रोमांचित कर रहा है। और मैं मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के बारे में सोच कर आनन्दित हो रही हूं कि कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जिसे भगवान से पढ़ने का सुनहरी मौका मिला। *अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर इठलाती हुई अब मैं आत्मिक स्मृति में स्थित हो कर पूरी तन्मयता से अपनी ईश्वरीय पढ़ाई में लग जाती हूँ*।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा कम्पेनियन को कम्बाइन्ड रूप में अनुभव करती हूँ।"*
➳ _ ➳ *मुझ आत्मा का ब्राह्मण जीवन... बहुत प्यारा... मनोरंजक है... क्योंकि मुझ आत्मा ने बाप को अपना कम्पैनियन बनाया है... और मैं आत्मा कम्पैनियन को सदा कम्बाइन्ड रूप में अनुभव करती हूँ...* अलग हो ही नहीं सकती... किसकी ताकत नहीं जो मुझ कम्बाइन्ड रूप को अलग कर सके... मैं आत्मा कम्बाइन्ड रूप का अनुभव बढ़ाते जाती हूँ... और ऐसा अनुभव बार-बार स्मृति में लाते-लाते मैं आत्मा स्मृति स्वरूप बन गई हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- दृढ़ संकल्प के बेल्ट को बाँधे रख सीट से अपसेट न होने का अनुभव करना "*
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाबा से सर्व शक्तियों का अनुभव कर रही हूँ... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ... *दृढ़ता की शक्ति से सदा अपनी सीट पर सेट रहती हूँ...* सीट पर सदा सेट रहने से मैं मायाजीत बन गई हूँ... माया या कोई भी परिस्थिति मुझ पर प्रहार नहीं कर पाती है... *मेरा हर संकल्प श्रेष्ठ और फौलाद के समान दृढ़ हैं...*मेरे दृढ़ संकल्प ही मुझ आत्मा को सहज सफलता दिलाते है...
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ आज बापदादा अपने राज्य दरबार वासी साथियों को देख रहे थे। सभी यहाँ पहुँच गये हैं। आज की सभा में विशेष स्नेही आत्मायें ज्यादा हैं तो स्नेही आत्माओं को बापदादा भी स्नेह के रिटर्न में स्नेह देने के लिए स्नेह ही दरबार में पहुँच गये हैं। मिलन मेला मनाने के उमंग उत्साह वाली आत्मायें हैं। *बापदादा भी मिलन मनाने के लिए बच्चों के उत्साह भरे उत्सव में पहुँच गये हैं। यह भी स्नेह के सागर और नदियों का मेला है*। तो मेला मनाना अर्थात् उत्सव मनाना। आज बापदादा भी मेले के उत्सव में आये हैं।
➳ _ ➳ बापदादा मेला मनाने वाले, स्नेह पाने के भाग्यशाली आत्माओं को देख हर्षित हो रहे हैं कि सारे इतने विशाल विश्व में अथाह संख्या के बीच कैसी-कैसी आत्माओं ने मिलन का भाग्य ले लिया! *विश्व के आगे ना उम्मीदवार आत्माओं ने अपनी सर्व उम्मीदें पूर्ण करने का भाग्य ले लिया*। और जो विश्व के आगे नामीग्रामी उम्मीदवार आत्मायें हैं वह सोचती और खोजती रह गई। *खोजना करते-करते खोज में ही खो गये*। और *आप स्नेही आत्माओं ने स्नेह के आधार पर पा लिया*। तो श्रेष्ठ कौन हुआ?
✺ *"ड्रिल :- अपने श्रेष्ठ भाग्य के नशे में रहना*"
➳ _ ➳ *आकाश में पल-पल रूप बदलते बादलों के घूँघट से झाँकता पूनम का चाँद... और बिखरी हुई चाँदनी से पूरी तरह पारदर्शी हो चुके बादल... ठीक ऐसे ही इस नश्वर देह के भीतर अपनी आभा बिखेरती चन्द्रमा रूपी मणि के समान मैं आत्मा... शीतलता पावनता और प्रेम की किरणे फैलाती हुई देह को इन्द्रधनुषी आभा से भरपूर कर रही हूँ...* मेरा प्रकाश और दिव्यता बढती जा रही है... और बढते-बढते पहुँच गयी है उस स्तर पर जहाँ से देह रूपी बदली अपना घूँघट हटा लेने को मजबूर हो गयी है... देहभान से मुक्त मैं आत्मा मन बुद्धि के पंखों से उडती जा रही हूँ परम धाम की ओर... सब कुछ पीछे छोडती हुई... स्थूल और सूक्ष्म की टाल टालियाँ, तेरा मेरा, ऊँचा, नीचा की अट्टालिकाए और क्या, कब, क्यूँ, कहाँ जैसे शिखरों की घेरावलियाँ... *मैं आत्मा आज स्नेह निमन्त्रण देने जा रही हूँ अपने शिव प्रियतम को... बस एक ही संकल्प लिए, भेज रहे है स्नेह निमन्त्रण प्रियतम तुम्हें बुलाने को... हे मानस के राजहंस! तुम भूल न जाना आने को*...
➳ _ ➳ मैं आत्मा पहुँच गयी हूँ परमधाम में असंख्य फुलझडियों के बीच... शान्ति की रश्मियाँ प्रवाहित करती, ये फुलझडियाँ शिव बिन्दु के असीम स्नेह सागर में समाई हुई है... दो पल के लिए उस स्नेह को स्वयं में समाती हुई... और *संकल्पों से ही साकार मिलन का निमन्त्रण देती हुई, मैं उन्हें छूकर वापस लौट आयी हूँ डायमंड हाँल में*...
➳ _ ➳ डायंमड हाॅल, जिसमें बापदादा के इन्तजार में असंख्य फरिश्तें पलके बिछाए हुए है इस महामिलन के लिए... *संगम पर सागर और नदियों का मेला और मेले में भविष्य राज्यधिकारी स्नेही आत्माएं फरिश्ता रूप में*... हर किसी का स्नेह में डूबा संकल्प... *सखि! जब उतरें आज धरा पर वो तो, मैं अखियों में उतार लूँगी, गिराकर परदे पलकों के उनको न जाने दूँगी*...
➳ _ ➳ और तभी साकारी रथ में बापदादा की पधरामणि... अद्भुत नज़ारा है ये सदी का, गहन नीरवता... मगर... *मीठी-सी सरगम है, मौन भी गुनगुना रहा है*... *मेरा बाबा का गीत धडकनों को भा रहा है... दर-दर भटके है जिसकी एक झलक पाने को... सदियों की तलाश, सदियों की भटकन को एक नया आयाम मिल गया है, सौभाग्य बरसा है इस कदर मेहरबाँ होकर अब रहमतों का सिलसिला सा चल गया है*...
➳ _ ➳ *मैं अति श्रेष्ठ भाग्यशाली आत्मा अपने भाग्य का गीत गाती हुई मगन अवस्था में*... स्टेज से बाप दादा एक-एक आत्मा को दृष्टि देते हुए... और मुझ पर आते ही उनकी नजरों का ठहर जाना... जमाने भर का स्नेह, वात्सल्य, प्रेम सभी कुछ तो उडेल कर रख दिया है आज उन्होनें... दो नैनों से स्नेह की ऐसी धारा फूटी है कि सम्पूर्ण डायमंड हाॅल स्नेह सागर से भरपूर हो रहा है स्नेह का दरिया मानो उफन रहा है... सारे जग के पालन हार को स्टेज पर भोग स्वीकार कराया जा रहा है... अभोक्ता बाबा आज बच्चों के हाथों भोग स्वीकार रहा है...
➳ _ ➳ एक दृश्य मंच पर है और दूसरा मेरी आँखों के सामने... *मेरे बाबा चलकर आ गए है मेरे करीब और मुझे खिलाकर, मेरे हाथों से भोग स्वीकार कर रहे है मेले में भी हम दोनो अकेले है... मेरे बाबा सिर्फ मेरे साथ है*... मुझे स्वराज्य अधिकारी का तिलक दे रहे है... (मंच पर से बाबा के जाने की सूचना)... *मगर मैने तो पलके बन्द कर कैद कर लिया है उनको सदा सदा के लिए*... *मै जाने न दूँगी अब कैद हुए हो पलको में ठाकुर*... जाकर तो दिखाओं इस दिल और धडकन से दूर... और मैं मगन हूँ, अपने श्रेष्ठ भाग्य के नशे में... ये नशा शाश्वत नशा है... दिल यही अनहद धुन गुनगुना रहा है... *जो चढती उतरती है मस्ती, वो हकीकत में मस्ती नही है, जिन नजरों में तुम हो बसते, वो नजर फिर तरसती नही है*... और मैं संगम पर सदा परमात्म मिलन मनाती हुई *अपने श्रेष्ठ भाग्य के नशे में चूर आत्मा अपनी देह में वापस लौट आयी हूँ*... ओम शान्ति...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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