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 13 / 09 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *कर्मेन्द्रियों से कोई भी रोंग कर्म तो नहीं किया ?*

 

➢➢ *"कोई भी संकल्प विकल्प का रूप न ले ले" - यह ध्यान रखा ?*

 

➢➢ *"अब वापिस घर चलना है" - यह स्मृति रही ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *साइलेंस की शक्ति से बुराई को अच्छाई में परिवर्तित किया ?*

 

➢➢ *सहनशीलता का गुण धारण कर कठोर संस्कारों को भी शीतल बनाया ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  तो *राजा का ऑर्डर उसी घडी उसी प्रकार से मानना - यह है राज्य-अधिकारी की निशानी।* ऐसे नहीं कि तीन-चार मिनट के अभ्यास के बाद मन माने या एकाग्रता के बजाए हलचल के बाद एकाग बने, इसको क्या कहेंगे?

 

✧   अधिकारी कहेंगे? तो ऐसी चेकिंग करो। क्योंकि पहले से ही सुनाया है कि *अंतिम समय की अंतिम रिजल्ट का समय एक सेकण्ड का क्वेचन एक ही होगा।*

 

✧  इन सूक्ष्म शक्तियों के अधिकारी बनने का अभ्यास अगर नहीं होगा अर्थात *आपका मन राजा का ऑर्डर एक घडी के बजाए तीनचार घडियों में मानता है तो राज्य अधिकारी कहलायेंगे वा एक सेकण्ड के अंतिम पेपर में पास होगे?* कितने माक्र्स मिलेंगे?

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

 

➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  बाप द्वारा मिले राइट पथ पर चलना,कोई भी विकर्म न करना"*

 

➳ _ ➳  सूर्योदय के समय सूर्य से आती किरणों को निहारते हुए मै आत्मा.... अपने ज्ञान सूर्य बाबा की यादो में खो जाती हूँ कि... *मीठे बाबा के ज्ञान प्रकाश ने... जीवन को दिव्य गुणो से सजाकर... कितना चमकदार और आत्मिक ओज से भर दिया है.*.. मुझ आत्मा के देह भान के विकर्मो को, अपनी यादो की किरणों में भस्म कर.... मुझे आप समान तेजस्वी बना दिया है... *अपनी शक्तियो की सारी दौलत को, मेरे कदमो में बिखेर दिया है.*.. मुझे मा ज्ञान सूर्य सजा दिया है,..

 

❉   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को श्रीमत के हाथो में सुरक्षित करते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *सत्य पिता से सत्य ज्ञान को पाकर, सच्ची राहो के पथिक बनो.*.. सदा श्रीमत का हाथ पकड़कर, निश्चिन्त होकर, इस जीवन पथ पर यादो की छत्रछाया में आगे बढ़ो... मीठे बाबा के साथ के खुबसूरत समय में, अब कोई भी विकर्म न करे..."

 

➳ _ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा से ईश्वरीय मत पाकर खुशनुमा जीवन की मालिक बनकर कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा *आपकी यादो में और ज्ञान रत्नों की दौलत में कितनी सुखी हो गयी हूँ.*.. विकर्मो की कालिमा से छूटकर पवित्रता से सज संवर रही हूँ... आप सच्चे साथी को साथ, रख हर कर्म को श्रेष्ठ बनाती जा रही हूँ..."

 

❉   प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को देह के दलदल से बाहर निकालते हुए कहा :-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस देह की दुनिया और देहभान ने आपके वास्तविक वजूद को ही धूमिल कर दिया है... विकर्मो के जाल में फंसाकर, सत्य से कोसो दूर कर दिया है... *अब जो मीठा बाबा जीवन में खुशियो की बहार लाया है... तो सत्य की राहो पर सदा चलते रहो.*.. एक पल के लिए भी मीठे बाबा की श्रीमत का हाथ कभी न छोडो..."

 

➳ _ ➳  मै आत्मा श्रीमत की बाँहों में महफूज होकर मुस्कराती हुई मीठे बाबा से कहती हूँ :-"मेरे सच्चे सहारे बाबा... आप जीवन में न थे तो... जीवन दुखो की गठरी सा, अंतर्मन को बोझिल किये हुए था... *मीठे बाबा आप आये, तो जीवन में आनन्द की बहारे आ गयी.*.. मै आत्मा अच्छे कर्मो से रूबरू हुई हूँ, और विकर्मो से बेमुख हुई हूँ..."

 

❉   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सत्य और असत्य की समझ देकर बेहद का समझदार बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... *मीठे बाबा संग सदा सच की खुबसूरत राहो पर चलते रहो... और ईश्वरीय दौलत, अथाह खजानो को अपनी बाँहों में भरकर मुस्कराते रहो.*.. मीठे बाबा को पा लिया, सब कुछ पा लिया सदा इस नशे में झूमते रहो... जो बाबा ने सिखलाया है... उन्ही श्रेष्ठ कर्मो और दिव्य गुणो की धारणा से, जीवन को शानदार बनाओ..."

 

➳ _ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के प्यार में अतीन्द्रिय सुख पाते हुए कहती हूँ :-"मेरे दिल के आराम बाबा... *आपने मुझ आत्मा का कितना प्यारा और शानदार भाग्य सजाया है... कि परमधाम से धरा पर आकर, मुझे काँटों से फूलो जैसा महका रहे हो.*.. अपनी पालना देकर, मुझे मनुष्य से देवता बना रहे हो... सुखो के फूल मेरे जीवन में खिला रहे हो..."मीठे बाबा को दिल की गहराइयो से शुक्रिया कर मै आत्मा... साकार वतन में लौट आयी...

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- कोई भी संकल्प विकल्प का रूप ना ले ले, इसका ध्यान रखना*"

 

➳ _ ➳  अपने मन बुद्धि को मैं एकाग्र करके बैठती हूँ और चेक करती हूँ अपने मन मे चल रहे संकल्पो की गति को, उनके प्रकार को और उनके अंदर समाये भाव को। *अपने मन मे चल रहे एक - एक संकल्प पर ध्यान केंद्रित करते हुए अब मैं देख रही हूँ कि किस प्रकार के संकल्प मेरे मन मे चल रहे हैं!* समर्थ चल रहे हैं! व्यर्थ हैं! पॉजिटिव हैं या नेगेटिव है! *जैसे - जैसे मैं इन संकल्पो के ऊपर अटेंशन दे रही हूँ मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ कि मेरे मन मे चलने वाले संकल्पो की गति अब धीमी हो रही है*। मन बुद्धि एकाग्र हो रहे हैं। यह एकाग्रता मुझे मेरे वास्तविक स्वरूप में स्थित कर रही है।

 

➳ _ ➳  मन बुद्धि को पूरी तरह एकाग्र करके अब मैं ज्ञान के दिव्य चक्षु से अपने सत्य स्वरुप को देख रही हूँ। मेरा चमकता हुआ दिव्य ज्योति बिंदु स्वरूप मुझे स्पष्ट दिखाई दे रहा है। *देह और आत्मा दोनों को मैं अलग - अलग देख रही हूँ। यह विंभिन्नता मुझे मेरे अंदर समाये गुणों और शक्तियों का सहज अनुभव करवा रही है*। अपने सत्य स्वरूप में टिक कर अब मैं अपने अंदर समाहित गुणों का अनुभव करके असीम आनन्दमयी स्थिति में स्थित हो रही हूँ। सप्त गुणों से निखरा मेरा यह सुंदर स्वरूप मुझे गहन शांति का अनुभव करवा रहा है। *हर गुण का गहराई तक अनुभव मुझे न्यारा और प्यारा बना रहा है*।

 

➳ _ ➳  देह और देह की दुनिया से न्यारी होकर अब मैं चमकती हुई दीपशिखा इस देह रूपी मन्दिर को छोड़ ऊपर आकाश की ओर जा रही हूँ। स्वयं को मैं एकदम हल्का अनुभव कर रही हूँ। *इस हल्के पन में समाये आनन्द का अनुभव करके मैं आनन्द विभोर हो रही हूँ*। और भी तीव्र गति से अब मैं ऊपर की और उड़ते हुए अपने स्वीट साइलेन्स होम में पहुंच गई हूँ जहां हर तरफ शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन फैले हुए है। *ये शक्तिशाली वायब्रेशन मुझे छू रहें हैं और अथाह शांति की अनुभूति करवा रहें हैं*।

 

➳ _ ➳  शांति की गहन अनुभूति करते - करते अब मैं शांति के सागर अपने शिव पिता की ओर बढ़ रही हूँ और उनकी अनन्त शक्तियों की छत्रछाया के नीचे जा कर बैठ गई हूँ। धीरे धीरे सर्वशक्तियों की ये किरणें मेरे ऊपर पड़ रही हैं। इनका प्रवाह निरन्तर बढ़ रहा है। *ऐसा लग रहा है जैसे मैं सर्वशक्तियों के झरने के नीचे खड़ी हूँ और सर्वशक्तियों के शीतल जल में स्नान कर रही हूँ*। ये शीतल बूंदें मुझ आत्मा पर पड़ कर मुझे गहन शीतलता का अनुभव करवा रही हैं। विकारो की अग्नि में जलने के कारण मैं आत्मा जो काली हो गई थी अब ज्ञान की शीतल किरणों में नहा कर गोरी हो रही हूँ।

 

➳ _ ➳  गहन शांन्त चित स्थिति में स्थित हो कर अब मैं आत्मा वापिस देह और देह की दुनिया मे अपना पार्ट बजाने के लिए प्रस्थान करती हूँ। अपनी साकारी देह में अब मैं फिर से भृकुटि पर आ कर विराजमान हो गई हूँ। *अपनी उसी शांतचित स्थिति में स्थित हो कर अब मैं अपनी हर एक्ट एक्यूरेट तरीके से कर रही हूँ*। मेरी शांतचित स्थिति अब मुझे हर प्रकार के संकल्प, विकल्प से मुक्त कर रही है।

 

➳ _ ➳  हर आत्मा के पार्ट को साक्षी हो कर देखना अब मेरी नेचर बन गया है। *किसी के भी पार्ट को देख अब ऐसा कोई भी संकल्प मेरे मन मे उतपन्न नही होता जो विकल्प का रूप धारण कर मेरी स्थिति को खराब करे*। क्या, क्यों, कब और कैसे जैसे सभी प्रश्नों की क्यू से मैं मुक्त हो कर, सेकेंड में फुल स्टॉप लगाने के अभ्यास द्वारा, सदा प्रसन्न रहने वाली प्रसन्नचित आत्मा बन गई हूँ।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺  *"ड्रिल :-  मैं आत्मा साइलेन्स की शक्ति से बुराई को अच्छाई में बदलती हूँ ।”*

 

➳ _ ➳  साइंस की शक्ति से भी उत्तम साइलेंस की शक्ति हैजैसे साइन्स के साधन से खराब माल को भी परिवर्तन कर अच्छी चीज़ बना देते हैंऐसे मैं विश्व परिवर्तक आत्मा *साइलेन्स की शक्ति से बुरी बात वा बुरे संबंध को बुराई से अच्छाई में परिवर्तन कर देती हूँऐसे शुभ भावना सम्पन्न बन जाती हूँजो मेरे श्रेष्ठ संकल्प से अन्य आत्मायें भी बुराई को बदल अच्छाई धारण कर लेंती हैं*बाबा ने मुझे नॉलेजफुल तो बनाया है… *नॉलेजफुल के हिसाब से राइट रांग को जानना अलग बात है लेकिन स्वयं में बुराई को बुराई के रूप में धारण करना गलत है इसलिए मैं आत्मा बुराई को देखते, जानते भी उसे अच्छाई में बदल देती हूँ*...

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सहनशीलता का गुण धारण कर कठोर संस्कार भी शीतल होते अनुभव करना"*

 

➳  मैं महान आत्मा हूँ... पदमापदम भाग्यशाली आत्मा हूं... अपने भाग्य की महिमा का गुणगान करती बाबा की याद में मग्न हो जाती हूँ... *स्वयं भगवान मुझ आत्मा को ज्ञान खजानों से भरपूर कर दिव्य गुणों की माला पहना रहे हैं*... मैं आत्मा बाबा की शिक्षाओं पर चलती अपने में धारण कर रही हूँ... कोई भी परिस्थिति आने पर हलचल में नहीं आती हूँ... क्यूं, क्या, कैसे के क्वेश्चन छोड़ अपना हिसाब किताब समझ सहज पार करती जा रही हूँ... *सहनशीलता का कवच पहन व ड्रामा का पाठ पक्का करती जा रही हूँ*... बाबा का स्लोगन मुझ आत्मा की स्मृति में रहता है... *सहनशील ही शहंशाह बनेगा*... सहनशीलता का गुण धारण कर मैं आत्मा मा. सर्वशक्तिमान बन अपने पुराने कड़े संस्कारों को स्वाहा करती जा रही हूँ... मैं आत्मा साइलेंस में रह शीतलता का अनुभव कर रही हूँ...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *वर्तमान समय आप बच्चों की विश्व को इस सेवा की आवश्यकता है जो चेहरे सेनयनों सेदो शब्द से हर आत्मा के दु:ख को दूर कर खुशी दे दो।* आपको देखते ही खुश हो जाएं। इसलिए खुशनुमा चेहरा या खुशनुमा मूर्त सदा रहे क्योंकि मन की खुशी सूरत से स्पष्ट दिखाई देती है। कितना भी कोई भटकता हुआ, परेशानदु:ख की लहर में आयेखुशी में रहना असम्भव भी समझते हों लेकिन आपके सामने आते ही आपकी मूर्तआपकी वृत्ति, आपकी दृष्टि आत्मा को परिवर्तन कर ले।

 

 _ ➳  आज मन की खुशी के लिए कितना खर्चा करते हैंकितने मनोरंजन के नये-नये साधन बनाते हैं। *वह हैं अल्पकाल के साधन और आपकी है सदाकाल की सच्ची साधना।* तो साधना उन आत्माओं को परिवर्तन कर ले। *हाय-हाय ले आवें और वाह-वाह लेकर जाये। वाह कमाल है - परमात्म आत्माओं की! तो यह सेवा करो।* समय प्रति समय जितना अल्पकाल के साधनों से परेशान होते जायेंगेऐसे समय पर आपकी खुशी उन्हों को सहारा बन जायेगी क्योंकि आप हैं ही खुशनसीब। 

 

✺   *ड्रिल :-  "सच्ची खुशी बाँटने की सेवा का अनुभव"*

 

 _ ➳  रात्रि को पूरे दिन का चार्ट देकर मैं आत्मा... अपना स्थूल शरीर बिस्तर पर छोड़कर *सूक्ष्म वतन में चली जाती हूँ... मीठी ब्रह्मा मां की स्नेह भरी गोदी में सो जाती हूँ... ब्रह्म मुहूर्त के सुनहरे समय में... मीठी माँ अपना प्यार भरा हाथ मेरे सिर पर फिराते हुए... मुझे मीठी वाणी से मीठे बच्चे, लाडले बच्चे कह कर जगा रही है...* मीठी माँ गुणों और वरदानों से मुझ आत्मा को सजा रही है...

 

 _ ➳  पूरी तरह चार्ज होकर... *अपनी सम्पन्न और भरपूर अवस्था में मैं आत्मा... अपने स्थूल शरीर में प्रवेश करती हूँ... मैं स्वयं को ईश्वरीय खजानों से भरपूर देख रही हूँ...* साक्षी होकर मैं देखती हूँ कि... आज संसार में चारों तरफ कितना दुःख, अशांति है... आत्मायें कष्टों और पीड़ाओं से कराह रही हैं... आत्माएं भिखारी की भांति तलाश रही हैं... कि उनके अंधकारमय जीवन में... कहीं से खुशी की हल्की सी रोशनी नज़र आ जाये...

 

 _ ➳  मैं आत्मा खुशियों के सागर पिता की संतान हूँ... *मैं खुशी के खजाने की मालिक हूँ... मैं आत्मा खुशी के खजाने से भरपूर हूँ... लबालब हूँ... मैं आत्मा अपने मुस्कुराते चेहरे से, नयनों से, बोल से सर्व को यह खजाना बांटती जा रही हूँ...* खुशियों के फव्वारे बाबा के नीचे स्थित मैं आत्मा... सर्व आत्माओं पर खुशी का खजाना बरसा रही हूँ...

 

 _ ➳  आत्माओं के कष्ट दूर हो रहे हैं... वे सच्ची खुशी प्राप्त कर स्वयं को धन्य धन्य महसूस रही हैं... *मुझ फरिश्ते के वरदानी बोल, मधुर बोल आत्माओं को कष्टों से मुक्त करते जा रहे हैं... उनके जीवन में मिठास घोल रहे हैं...* बाबा मुझे यह सबसे श्रेष्ठ सेवा कराने के निमित्त बना रहे हैं...

 

 _ ➳  मैं आत्मा यह सच्ची सेवा कर रही हूँ... सर्व को खुशी का खजाना बांटती जा रही हूँ... आत्मायें, जो कि मनोरंजन के साधन आदि पर कितना खर्चा करके अल्पकाल की खुशी की तलाश कर रही हैं... लेकिन फिर भी उनको खुशी नहीं मिल पा रही है... वे *दुःखी, अशांत आत्मायें परमपिता परमात्मा से प्राप्त सच्ची खुशी को प्राप्त कर वाह-वाह कर रही हैं... उन के जीवन की बगिया इस सच्ची खुशी के शीतल जल से लहलहा गयी हैं... सभी के दिलों में परमात्म प्रत्यक्षता हो रही है... चारों ओर वाह बाबा, वाह बाबा के मधुर बोल गूंज रहे हैं...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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