━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 20 / 02 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *कोई डिबेट करता है तो उसे बड़ों तरफ रेफ़र किया ?*

 

➢➢ *"चेरिटी बिगिनस ऐट होम" - यह स्मृति में रख परिवार का कल्याण किया ?*

 

➢➢ *गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र बनकर रहे ?*

────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *ब्राह्मण जीवन में कम खर्च बालानशीन बनकर रहे ?*

 

➢➢ *बाप और सेवा से सच्चा प्यार रख परिवार का प्यार प्राप्त किया ?*

────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *ज्ञान, योग और गुणों की धारणा पर अटेंशन दे स्वयं के रंग, रूप और खुशबू को निखारा ?*

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - अपने दिल रुपी दर्पण में देखो कि मेरे अंदर कोई भूत तो नही है, भूतो को निकलने का प्रयत्न करते रहो"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ज्ञान का तीसरा नेत्र पाकर जो त्रिनेत्री से सजे हो... गहराई से अपना चिंतन कर भीतर छुपे भूतो को, ज्ञान सूर्य के तेज से नामोनिशान मिटा दो... देह के प्रभाव में आकर जो तेज खो चले हो... *यादो की प्रचण्ड अग्नि में तेजस्वी बन चलो.*.. विकारो के भूतो को भगाने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहो... और ईश्वरीय यादो और प्यार में निष्कलंक जीवन को पाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय यादो में हर विकार से मुक्त होकर प्यारा और खुबसूरत जीवन पाती जा रही हूँ... *मन बुद्धि के आइने में मैआत्मा दिव्य गुणो से सजती जा रही हूँ.*.. मीठी यादो में गुणवान बन खिलती जा रही हूँ...

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... मीठे बाबा की यादो में इस कदर खो जाओ की अंश मात्र भी विकारो का शेष न रहे... जीवन कमल समान इस कदर खूबसूरती से खिल उठे कि... *पवित्रता की अदा पर हर दिल दीवाना हो जाये*... ऐसी पवित्रता की खुशबु सारे जहान में बिखेर सुवासित करो...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी प्यारी यादो दिव्य प्रतिमा सी सजकर हर दिल को ईश्वरीय जादू से भरती जा रही हूँ... मीठे बाबा ने मुझे गुणवान चरित्रवान खुबसूरत बनाया है... *यह सन्देश हवाओ में फैलाती जा रही हूँ.*..

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अपनी असली सुंदरता के निखार में हर पल जुटे रहो... देवताई श्रंगार से सजे विश्व का मन मोहते रहो... अपनी रूहानियत की खुशबु से सबको रूहानी पिता का पता दे चलो... स्वयं को *इतना पवित्र निर्मल और देवताओ सा प्यारा बनाओ.*

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके साये में आप समान बनती जा रही हूँ... यादो का पहरा लगाकर हर भूत को भगाती जा रही हूँ... और *निर्मल पवित्र बनकर दिव्य गुणो की धारणा से*... बाप दादा के दिल तख्त पर सजती जा रही हूँ...

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा अलौकिकता सम्पन्न हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं अलौकिक ब्राह्मण आत्मा हूँ... प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अडॉप्ट कर दिव्य अलौकिक जन्म दिया है... मैं आत्मा सदा अपने इस *श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में रहती* हूँ... सर्व प्राप्तियों के नशे में रहती हूँ... मैं आत्मा इस अलौकिक जन्म में पुरुषार्थ कर सर्व खजानों की मालिक बन रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा इस देह और दुनिया के विस्तार को समेटते हुए... *सर्व कर्म बंधनों, सर्व आकर्षणों से मुक्त* होती हुई ऊपर की ओर जा रही हूँ... मैं आत्मा अपने दिव्य, पारलौकिक घर पहुंच जाती हूँ... मैं आत्मा परमात्मा को अपने सम्मुख महसूस कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा प्यारे बाबा से निकलती हुई रंग-बिरंगी किरणों को अपने अंदर समाती जा रही हूँ... मैं आत्मा *सर्व गुणों, शक्तियों से स्वयं को भरपूर* करती जा रही हूँ...  मुझ आत्मा के व्यर्थ संकल्प, सारा व्यर्थ का किचडा खत्म होता जा रहा है... मैं आत्मा सर्व प्राप्ति सम्पन्नता का अनुभव कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा इस अलौकिक *ब्राह्मण जीवन के विशेष स्लोगन "कम खर्च बालानशीन"* की स्मृति में रह हर कार्य करती हूँ... मैं आत्मा कम खर्च में शानदार प्राप्तियों की अधिकारी बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा कम समय में काम ज्यादा... कम बोल में स्पष्टीकरण ज्यादा... कम परंतु शक्तिशाली संकल्पों से... अच्छे से अच्छे रिज़ल्ट प्राप्त कर सफल होती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा सर्व खजाने कम खर्च कर अपने भण्डारे भरपूर करती जा रही हूँ... मैं आत्मा अपने समय, स्वांस, संकल्पों के खजानों की बचत कर रही हूँ... मैं आत्मा वेस्ट को खत्म कर बेस्ट जमा करती जा रही हूँ...  अब मैं आत्मा ब्राह्मण जीवन में कम खर्च बालानशीन करने वाली *अलौकिकता सम्पन्न स्थिति का अनुभव* कर रही हूँ...

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  बाप और सेवा से प्यार तो सर्व से मिलता स्वतः प्यार"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा *सर्वशक्तिवान... त्रिलोकीनाथ... सर्व आत्माओं के परमपिता परमात्मा शिवबाबा* की सन्तान ज्योतिबिन्दु  हूँ... ब्रह्मलोक से बहुत ही आनंदमयी... प्रेममयी प्रकाश और शक्ति उतर रहे हैं और मुझ आत्मा के माध्यम द्वारा प्यार... शांति... आनंद बरसा रहे हैं

 

➳ _ ➳  शिवबाबा... आपने मुझे अपना बना लिया... कितनी सौभाग्यशाली मैं आत्मा अपने बाबा के प्यार से भरती ही जा रही हूँ... *इस संगमयुग में भगवान ही अपना साथी हो गया...* बाबा के साथ सर्व सम्बंधों के रस से भरपूर होती मैं आत्मा अपने को... समेटने... समाने... सहनशीलता... की शक्ति से भरपूर कर रही हूँ

 

➳ _ ➳  यह विश्व मेरे लिये सेवा स्थान है... यह सेवा मेरी नहीं... बाबा ने दी है... मैं तो ट्रस्टी हूँ... *बाबा की दी हुई सेवा से भी मुझे अटूट प्यार है...* हर सेवा करते हुये भी मुझे डबल लाइट रहना है... मैं आत्मा दाता का बच्चा मास्टर दाता बनकर परिवार की हर आत्मा को आत्मिक दृष्टि से देखती हुई प्यार और सम्मान देती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  *परिवार में कमल पुष्प समान रहकर सभी संबंधियों की संभाल करनी है...* विनाशी संबंधों के मोहजाल में नही फंसना है... स्वयं को ट्रस्टी मानते हुये... सब कुछ प्रभु को अर्पण करते हुये... मै आत्मा साक्षी होकर से ड्रामा में पार्ट बजा रही हूँ... कहीं भी कोई घृणा या ईर्ष्या भाव है तो बड़ी ही सरलता से रहमदिल बने उसे प्रेम भाव में परिवर्तित कर रही हूँ...

 

➳ _ ➳  बाबा के प्यार में मग्न... डूबी हुई... प्यार भरी मैं आत्मा... *श्रीमत पर चलकर... बाबा की प्यारी हो गयी* हूँ... प्यार और सम्मान परिवार में सभी सदस्यों पर बरसाती हुई परिवार की प्यारी सहज ही होती जा रही हूँ...

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *ब्राह्मण जीवन में कम ख़र्च बालानशीन करने वाले अलौकिकता सम्पन्न होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

 ❉  कम ख़र्च बालानशीन अर्थात *स्थूल या सूक्ष्म इंकम जो कार्य करने के लिए कमायी की है* उस इंकम को इस तरह यूज़ किया जाए जिससे ख़र्चा भी कम हो और कार्य भी सम्पूर्ण रीति सम्पन्न हो । सूक्ष्म कमायी अर्थात आत्मा को गुण ज्ञान और शक्तियों से सम्पन्न बनाना, बापदादा की याद से... स्थूल कमायी अर्थात जो आर्थिक सुख सुविधा देता देह को । दोनो ही कमायी पहले करनी होती है तभी आत्मा उसे ख़र्च कर सकती है ।

 

 ❉  अब आत्मा को हमेशा पावरफुल स्टेज में बनाये रखने के लिए उसके शक्तियों का बैंक बैलेंस भी भरा रहना चाहिए। और उसके लिए हमे क्या *बचत करनी होगी आत्मा की पॉवर की*। तो ये समझना होगा आत्मा की पॉवर एक्स्ट्रा कहा पे खर्च हो रही है, तो इसकी चेकिंग करेंगे तो दिन भर में हमारे *व्यर्थ संकल्प वा व्यर्थ बोल में* सबसे ज्यादा आत्मा की एनर्जी की वेस्टिज होती है। तो दिन भर में हमे इस बात का धयान रखना है कब कहा कितना बोलना है कही एक्स्ट्रा में ही तो एनर्जी वेस्ट तो नहीं करते इसकी चेकिंग करते रहना है, उस्सी प्रकार संकल्पो की भी चेकिंग करते रहना है बुद्धि में जो संकल्प दिन भर चलते है वो कही व्यर्थ तो नहीं लीक हो रही है ।

 

 ❉  इसके लिए बाबा ने मुरली में बहुत बार हम बच्चों को अटेन्शन खिंचवाया है की बच्चे *ज्ञान रत्न का दान पात्र देखकर या नब्ज़ देखकर* ही करो क्योंकि एक एक ज्ञान रत्न बहुत बहुत वैल्यूएबल है । क्योंकि बाबा को पता है की यह अविनाशी ज्ञान रत्न बहुत कमायी कराने वाले है जिससे आत्मा मनुष्य से देवता बन जाती है इसलिए बाबा हमको कमायी के साथ साथ ख़र्चा करना भी सिखाते जिससे भविष्य 21जन्मो के लिए हम आत्माओं का बैंक बैलेन्स भरपूर रहे ।

 

 ❉  जैसे ब्रह्माबाबा ने *ड्रामा की यथार्थ नॉलेज से संकल्पो की बचत* कि और दृढ़ निश्चय के आधार पर हर कार्य में सफलतामूर्त बन रहे इसी तरह बाबा हम बच्चों को यज्ञ में कैसे *समय, स्वाँस और शक्ति की बचत* करके आगे बढ़ना है इसका ज्ञान दे रहे है और यज्ञ में सब स्थूल चीज़ें ना बिलकुल ग़रीब जैसी हो और ना महल हो बस उतना हो जितने में आत्मा रह सके अर्थात *साधन में साधना ना हो*   इसका ख़याल रखना है तभी हमारा जीवन अलौकिक (असाधारण ) सम्पन्न होगा । *सिम्पल एंड सैम्पल* ॥

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢ *बाप और सेवा से सच्चा प्यार है तो परिवार का प्यार स्वत: मिलता है... क्यों और कैसे* ?

 

❉   जिन्हें बाप और सेवा से सच्चा प्यार है वे स्वयं को निमित समझ सेवा की हर जिम्मेवारी उठाते हैं । उन्हें सदैव यही स्मृति रहती है कि यह तन - मन - धन जो भी बाबा से मिला है यह सेवा अर्थ मिला है इसलिए ट्रस्टी बन इसे श्रीमत प्रमाण यूज़ कर सफल करना है । *स्वयं को ट्रस्टी समझ हर जिम्मेवारी उठाने से निर्माणता का गुण उनमे स्वत: ही आ जाता है* और यह निर्माणता का गुण उन्हें सर्व से न्यारा और बाप का प्यारा बना कर सम्पूर्ण ब्राह्मण परिवार का प्यारा बना देता है ।

 

❉   बाप और सेवा से सच्चा प्यार करने वाले सदैव अपने पूर्वज स्वरूप् की स्मृति में रहते हैं । उनकी बुद्धि में सदा यही रहता है कि सर्व आत्माओं का उद्धार करने की जिम्मेवारी स्वयं भगवान ने उन्हें दी है इसलिए उनका हर संकल्प, हर सेकण्ड सेवा प्रति ही चलता है । *पूर्वज पन की यही स्मृति उन्हें मनसा - वाचा - कर्मणा , सम्बन्ध - सम्पर्क तथा सभी बातों में उदार - चित और फ्राकदिल बना देती है*। योग युक्त हो सेवा की जिम्मेवारी संभालते वे सहज ही बाप के प्यारे और सर्व के स्नेही बन जाते हैं ।

 

❉   श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रहते हुए जो निष्काम सेवाधारी बन *सेवा की सारी जिम्मेवारी अपने कन्धों पर उठाते हैं वही बाप और सेवा से अपने सच्चे प्यार का सबूत देते है* । ऐसे सदा श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट रह कर सेवा करने वाले सच्चे सेवाधारी ब्राह्मण बच्चों को दूसरों से सम्मान पाने की  इच्छा नही रखनी पड़ती । सम्मान तो परछाई की भांति उनके पीछे चला आता है । अपनी परोपकारी भावना से सर्व का कल्याण करने की वृति के कारण उन्हें ब्राह्मण परिवार का प्यार स्वत: ही प्राप्त होता है ।

 

❉   बाप और सेवा से जिनका सच्चा प्यार है उसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, अपने स्नेहीमूर्त स्वरूप द्वारा अनेको को बाप का स्नेही बनाना । सिर्फ ज्ञान के स्नेही या श्रेष्ठ आत्माओं के स्नेही नहीं, लेकिन डायरेक्ट बाप के स्नेही । *आप अच्छे हो, ज्ञान अच्छा है, जीवन अच्छा है यहाँ तक नहीं, लेकिन बाप अच्छे - ते - अच्छा है यह अनुभव अनेको को कराना* । इसको कहा जाता है बाप के स्नेही बनाना । और जो ऐसे बाप के स्नेही बनते वा औरों को बनाते हैं वे बाप के प्यार के साथ साथ परिवार का प्यार भी सहज ही प्राप्त कर लेते हैं ।

 

❉   सदा " एक बल एक भरोसा " इस लग्न में मगन हो कर जो बेहद की सेवा में लगे रहते हैं वे हर जिम्मेवारी उठाते भी सदा हल्के रहते हैं । क्योकि *बाप का हाथ और साथ वे सदा अपने ऊपर अनुभव करते है । कदम कदम पर परमात्म मदद उन्हें हर जिम्मेवारी को उठाने का बल प्रदान करती है* और यही परमात्म बल उन्हें अनेको आत्माओं का कल्याण करने के निमित बना देता है । सर्व का कल्याण करने की यही जिम्मेवारी उन्हें सारे परिवार की दुआओं और उनके प्यार का अधिकारी बना देती है ।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━