━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 31 / 03 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *अपने भविष्य का ख़याल रख पुण्य कर्म किये ?*

 

➢➢ *देह अभिमान के कारण आये भूतों की निकालने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *ज्ञान से अपना श्रृंगार कर सच्चा सपूत बनकर रहे ?*

────────────────────────

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *ब्रह्मा बाप के प्यार का प्रैक्टिकल सबूत दिया ?*

 

➢➢ *संकल्प में भी दुःख की लहर तो नहीं आई ?*

────────────────────────

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *चलन और चेहरे द्वारा सेवा की ?*

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢ *"मीठे बच्चे - बेहद के बाप से सदा सुख का वर्सा लेना है, तो जो भी खामियां है, उन्हें निकाल दो, पढ़ाई अच्छी रीति पढ़ो और पढ़ाओ"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... खुबसूरत देवताई सुखो का आधार ही यह ईश्वरीय पढ़ाई है... जिन देवताओ की महिमा करते अघाते नही थे, वेसा ही जीवन पाने के मीठे पल सम्मुख है... *अपने भीतर के कालेपन को ईश्वरीय यादो में भस्म कर चलो.*.. और देवताओ सी सुंदरता और सुखो को जीने के अधिकारी बन कर शान से मुस्कराओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में देह की मिटटी से मुक्त हो रही हूँ... अपने अप्रतिम सौंदर्य को पुनः पाकर ओजस्वी हो रही हूँ... प्यारे बाबा आपने मुझे चुनकर, अपनी गोद में बिठाकर मेरा कायाकल्प कर दिया है... *गुणो के सच्चे सोंदर्य से मुझे श्रंगारित किया है.*..

 

❉   मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... बेहद के पिता की अथाह धन दौलत को पाने वाले महान भाग्यशाली बन चलो... और 21 जनमो तक बेफिक्र बादशाह बन मुस्कराओ... *ईश्वर पिता के अतुल खजानो को, ज्ञान रत्नों को बाँहों में भर कर अनन्त सुखो में मौज मनाओ.*.. ज्ञान रत्नों के भंडारी बनकर यह दौलत औरो पर भी लुटाओ...

 

 ➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा धरती पर सुख की बून्द को तरसती, आज ईश्वर पिता की अतुलनीय धन सम्पदा की अधिकारी हो गयी हूँ... *मनुष्य बन जो मैली हो चली थी देवता बन खुबसूरत हो रही हूँ.*.. प्यारे बाबा आपके प्यार की जादूगरी में ज्ञानपरी बन गयी हूँ...

 

❉   मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *ज्ञान रत्नों से लबालब होकर विश्व धरा पर देवताई सुखो में खिलखिलाओ.*.. अपने भीतर की सारी कमियो को निकाल निर्मलता से सज जाओ...मीठे बाबा से गुण और शक्तियो के खजाने पाकर स्वर्ग का राज पाओ... यह देवता बनने की खूबसूरत पढ़ाई हर दिल को भी पढ़ाओ...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा...  में आत्मा ईश्वर पिता की सारी सम्पत्ति को पाने वाली और ज्ञान रत्नों की धारणा से खुशनुमा और महकता जीवन जीने वाली महा भाग्यवान हूँ... *यही सच्ची और मीठी ख़ुशी सबको बाँट कर सुखो के फूल खिला रही हूँ.*..

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:-10)

( आज की मुरली की धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- आज की मुरली से बाबा की 4 निमनलिखित शिक्षाओं की धारणा के लिए विशेष योग अभ्यास*"

          ❶   *कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म नही करना*

          ❷   *पुण्य कार्य करना*

          ❸   *भूतों को निकाल देना*

          ❹   *ज्ञान से अपना श्रृंगार कर सपूत बच्चा बनना*

 

➳ _ ➳  सफेद प्रकाश का आकारी शरीर धारण किये ब्रह्मा बाबा और ब्रह्मा बाबा की भृकुटी में विराजमान मेरे परम पिता परमात्मा शिव बाबा वतन में मुझे बुला रहें हैं  । *बापदादा के संकल्प मुझ तक पहुँचते ही मैं नन्हा फरिश्ता बन अपनी साकारी देह को छोड़ उड़ चलता हूँ वतन की ओर* । सामने बापदादा बाहें पसारे खड़े मेरा ही इंतजार कर रहें हैं । मुझे देखते ही बाबा मुझे अपनी गोद में उठा लेते हैं । बड़े प्यार से बाबा अपना हाथ मेरे सिर पर फेर रहें हैं ।

 

➳ _ ➳  बाबा के हाथों का मीठा - मीठा स्पर्श मुझे बाबा के अपने प्रति अगाध प्रेम का स्पष्ट अनुभव करवा रहा है । मैं बाबा के नयनो में अपने लिए असीम स्नेह देख कर गद गद हो रहा हूँ । *बाबा से मीठी मीठी रूह रिहान करते हुए मैं बाबा से कहता हूँ - बाबा, मैंने कभी स्वप्न में भी नही सोचा था कि मैं आपसे ऐसे मिलन मनाऊंगा* । देह अभिमान में आ कर मैं तो आपको भूल ही गया था । आपका ये असीम प्यार, आपकी ये मीठी मीठी समझानी ये सब कुछ मेरे जीवन से दूर चले गए थे ।

 

➳ _ ➳  यहां तक कि अपनी वास्तवकिता को भी मैं भूल गया था । आपने आ कर मुझे ढूंढा । मुझे मेरा वास्तविक परिचय दे कर आपने मुझे अपना सिकीलधा बच्चा बनाया । *मेरे प्यारे बाबा आपने मुझे जीवन को जीने का एक नया नज़रिया सिखाया । बाबा मुझ नन्हे फरिश्ते की इन बातों को सुन मन्द - मन्द मुस्कुरा देते हैं* और मुझे मीठी मीठी समझानी देते हुए कहते हैं - मेरे मीठे लाडले बच्चे, 63 जन्म देह अभिमान में आने के कारण आपने कर्मेन्द्रियों से जाने अनजाने जो भी विकर्म किये अब उन्हें योग बल से चुकतू करना है ।

 

➳ _ ➳  इस बात का पूरा ध्यान रखना है कि अब कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म ना हो । ऐसी कोई भी चलन नही चलनी जिससे किसी के मन से आपके लिए बद दुआ निकले । *आपकी चलन ऐसी होनी चाहिए जो अनेकों का कल्याण हो और उनके दिल से आपके लिए केवल दुआयें निकलें* । मेरे बच्चे - इस बात को सदा स्मृति में रखना कि ब्राह्मण जीवन में दुआयें पुरुषार्थ में लिफ्ट का काम करती हैं । आपकी भविष्य प्रालब्ध को ऊंच बनाती है । इसलिए अपने भविष्य का ख्याल रख सदैव पुण्य कर्म करने है । ज्ञान रत्नों से अपना श्रृंगार करना है ।

 

➳ _ ➳  बाबा की समझानी सुन मैं अपना सिर हिलाते हुए बाबा से कहता हूँ - जी बाबा आपकी हर श्रीमत को मैं अपने जीवन में धारण कर आपका सपूत बच्चा बनूँगा । *बाबा मुस्कुराते हुए अब अपनी शक्तिशाली किरणों का प्रवाह मुझ पर डाल रहें हैं । बाबा की शक्तिशाली किरणों से मेरे पुराने विकारी संस्कारों का शुद्धिकरण होने लगा हैं* । देह अभिमान के कारण जो विकारों रूपी भूत मुझ में प्रवेश कर गये थे वो अब भाग रहें हैं । मन में सुंदर विचार जागृत हो रहें हैं । शुद्ध और स्वच्छ हो कर अब मैं आत्मा पुनः नीचे धरती पर लौट आती हूँ और फिर से अपने साकारी तन में प्रवेश कर जाती हूँ ।

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-   मैं आत्मा सपूत और समान हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अपने इस  *अलौकिक ब्राह्मण जन्म के नशे में उड चलती हूँ...* सूक्ष्मवतन प्यारे बाबा के पास... प्यारे बापदादा की गोदी में समा जाती हूँ... प्यारे बाबा का मखमली कोमल स्पर्श पाते ही... मैं आत्मा बिल्कुल हल्की होती जा रही हूँ... सर्व बन्धनों से मुक्त होती जा रही हूँ...            

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा बापदादा का वरदानी हाथ अपने सिर के ऊपर अनुभव करती जा रही हूँ... बापदादा से सर्व गुण, शक्तियों की किरणों का मुझ आत्मा में संचार होता जा रहा है... मैं आत्मा इन गुणों, शक्तियों को स्वयं में ग्रहण करती जा रही हूँ...  *ब्रह्मा बाप की विशेषताएं मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं...*  

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा ब्रह्मा बाबा समान निश्चय बुद्धि बनती जा रही हूँ... अब मुझ आत्मा का स्व पर, बाबा पर और ड्रामा पर अटल निश्चय होता जा रहा है... अब मैं आत्मा  *ब्रह्मा बाप समान “एक बलएक भरोसा”...*इसी आधार पर अचल-अडोल बनती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  बाबा की दृष्टि से निकलती तेजस्वी किरणों से... मुझ आत्मा की दृष्टि भी ब्रह्मा बाबा समान आत्मिक दृष्टि होती जा रही है... अब मैं आत्मा सबको आत्मिक दृष्टि से देखने का अभ्यास करती जा रही हूँ... करावनहार बाप हैमैं निमित्त करनहार हूँ... इसी स्मृति से मैं आत्मा भी ब्रहमा बाप समान... *डबल लाइट बेफिक्र बादशाह बनती जा रही* हूँ...

 

➳ _ ➳  ब्रह्मा बाबा नॉलेजफुल होकर हर कर्म निश्चय के आधार पर कर सफलतामूर्त बन गए... प्यारे ब्रह्मा बाबा नथिंग न्यू की स्मृति से आपोजिशन होते भी सदा अपनी पोजीशन पर सेट रहकर... वातावरण को पावरफुल बनाने के निमित्त बने... प्यारे बाबा की इस विशेषता को ग्रहण करती जा रही हूँ... *मैं आत्मा फॉलो फादर करती जा रही* हूँ...

    

➳ _ ➳  अब मैं आत्मा हर संकल्प, बोल और कर्म में फालो फादर करती जा रही हूँ... और मायाजीत, कर्मेंद्रियजीतप्रकृतिजीत बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा हर कदम में फालो फादर करती हुई... बाप को प्रत्यक्ष करने के निमित्त बनती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा ब्रह्मा बाप के प्यार का प्रैक्टिकल सबूत देने वाली *सपूत और समान बनने की अवस्था का अनुभव* कर रही हूँ...

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल - संकल्प में भी दुःख की लहर न आए ऐसी खुशनसीब आत्मा का अनुभव करना"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा उड़ चलती हूँ सूक्ष्म वतन की और... मन बुद्धि को एकाग्र कर आत्मिक स्थिति का तिलक लगा...बाप दादा के सामने बैठ जाती हूँ... बाबा अपने वरदानी मूर्त हाथ मेरे सिर पर रख कर... *मुझे वरदानों से भरपूर कर रहें है... अपनी दृष्टि से निहाल कर रहें है*... बाबा मुझ आत्मा के सारे बोझ उतार... मुझे हल्का बना रहें है...

 

➳ _ ➳  बाबा मुझसे कहते हैं-- " चिंता मत करो... मैं हूँ न"... मैं आत्मा बाबा को जवाब देती हूँ... जी बाबा, आज मैं अपने सभी दुःख... *सभी चिंताएं आपको अर्पित करती हूँ... बाबा मुझ आत्मा के सारे दुःख दूर करते जा रहे हैं*... ऐसा मुझ आत्मा को अनुभव हो रहा है... 

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अपने को बाबा की छत्रछाया के नीचे अनुभव कर रही हूँ... बाबा से आती पवित्रता की... शांति की... प्रेम की किरणें... मुझ आत्मा को सम्पन्न बनाती जा रही हैं... *मैं आत्मा कितनी खुशनसीब हूँ... जिसे परमात्म गोद मिली है*.. वाह!! मैं भाग्यशाली आत्मा वाह!!... भगवान मेरा साथी हो गया... मुझे ख़ुशी का खजाना दे दिया...

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा द्वारा किया हर कर्म... मुझ आत्मा के चेहरे से ख़ुशी की अनुभूति करा रहा है...दिल बार-बार यही कह रहा है...पाना था सो पा लिया...अब क्या बाकि रहा... *बाबा ने मेरी झोली खुशियों से भर दी... ख़ुशी सदा के लिए मेरी हो  गई*...सर्व खजानों से भरपूर होती जा रही हूँ मैं आत्मा... 

 

➳ _ ➳  जीवन में कोई भी परिस्थिति...कोई भी विघ्न आ जाएं बाबा...मैं आत्मा अपनी खुशी को गायब नही होने दूंगी... यह मेरा वादा है बाबा आपसे... बाबा ने मुझ आत्मा को ख़ुशी की खुराक दे... मन और बुद्धि को शक्तिशाली बना रहें हैं... *संकल्प में भी मैं आत्मा दुःख को अनुभव नही करती*... क्योंकि आप सदा मेरे साथ हैं बाबा...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा बाबा से कह उठतीं हूँ... बाबा कैसे करूँ में शुक्रिया आपका... *आपने मुझ कमज़ोर आत्मा को अचल-अडोल बना दिया*... कोई भी बोझ अब अनुभव नही होता... सब कुछ कितना सहज कर दिया... आपने मेरे मीठे बाबा... वाह!! बाबा वाह!!..

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *ब्रह्मा बाप के प्यार का प्रैक्टिकल सबूत देने वाले सपूत और समान होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   ब्रह्मा बाप के प्यार का प्रैक्टिकल सबूत देने वाले सपूत और समान होते हैं क्योंकि... यदि हम कहते हैं कि हमारा ब्रह्मा बाप से प्यार हैतो हमारे प्यार की निशानी है,  *जिससे बाप का प्यार रहा हुआ हैहमें भी उस से प्यार होना चाहिये।* तभी तो हमारा सच्चा प्यार प्रत्यक्ष  हो सकेगा।

 

❉   अतः हम जो भी कर्म करें, कर्म से पहले, बोल से पहले संकल्प से पहले हमें यह चैक करना है कि *यह ब्रह्मा बाप को प्रिय है या नहीं,* क्योंकि ब्रह्मा बाप की सदा यही विशेषता विशेष रही हुई है कि जो सोचा है वही किया है और जो कहा है वही किया है।

 

❉   इसलिये!  अपना कोई भी कर्म करने से पहले यह बात अपने मन में अच्छे से निश्चित कर लेनी चाहिये कि हमारे बाप को क्या पसन्द है? *उनको जो भी कार्य पसन्द हैहमें भी वही कार्य या बात करनी चाहिये।* हमें सदा यही ख्याल होना चाहिए कि... जो तुझ को हो! पसन्द, वही बात करेंगे।

 

❉   इसीलिये! अगर हमारे सामने किसी भी प्रकार की आपोजीशन ही क्यों न होफिर भी हम सदा अपनी पोजीशन में ही स्थित रहेंगे अर्थात्!  *अपोजीशन होते हुए भी सदा अपनी पोजिशन पर ही सेट रहेंगे।* इसी को प्यार का सबूत देना कहते हैं।

 

❉   प्यार का सबूत देना अर्थात्!  फॉलो फादर करना। मीन्स...  फॉलो फादर कर सपूत और समान बनना है। अतः तभी तो कहा है कि...  *ब्रह्मा बाप के प्यार का  प्रैक्टिकल सबूत देने वाले ही सपूत और समान होते हैं।* समान होना ही प्यार का सबूत देना है।

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━