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❍ 28 / 11 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)
➢➢ *माया के तूफानों में कभी मुरझाये तो नहीं ?*
➢➢ *"हमको निराकार बाप पढाते हैं" - इसी नशे में रहे ?*
➢➢ *इस झूठी दुनिया से कोई भी कामना तो नहीं रखी ?*
➢➢ *डबल लाइट स्थिति द्वारा उडती कला का अनुभव किया ?*
➢➢ *स्नेह के चुम्बक बन ग्लानी करने वालों को भी समीप लाये ?*
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❂ *तपस्वी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ *हम ब्राह्मण सो फरिश्ता हैं, यह कम्बाइन्ड रुप की अनुभूति विश्व के आगे साक्षात्कार मूर्त बनायेगी।* ब्राह्मण सो फरिश्ता इस स्मृति द्वारा चलते फिरते अपने को व्यक्त शरीर, व्यक्त देश में पार्ट बजाते हुए भी ब्रह्मा बाप के साथी अव्यक्त वतन के फरिश्ते, अव्यक्त रुपधारी अनुभव करेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ *अशरीरी का अर्थ है कि शरीर की कोई भी आकर्षण आत्मा को अपने तरफ आकर्षित नहीं करे।* चाहे जिन्दा भी हैं, लेकिन जैसे जीते जी मरजीवा। वैसे आप सबका अपना शरीर तो है ही नहीं। मेरा शरीर कहेंगे या बाप की अमानत है?
〰✧ जब है ही बाप की अमानत तो अशरीरी बनना क्या मुश्किल है? मुश्किल है या सहज है? (सहज है) कहने में तो सहज है। *युद्ध नहीं करनी पडे कि नहीं, मैं आत्मा हूँ, मैं आत्मा हूँ...।* युद्ध में ही एक सेकण्ड पूरा हो जायेगा तो कहाँ पहुँचेंगे!
〰✧ बाप ने कहा और किया। अगर जरा भी सोचा - ऐसा नहीं वैसा, अभी तो थोडा टाइम चाहिए, इतना अभ्यास तो हुआ नहीं है, हो जायेगा, सोचा और गया। कहाँ गया? त्रेता में गया। *हाँ जी किया तो ब्रह्मा बाप के साथी बनेंगे।* अच्छा।
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- इस रूद्र ज्ञान यज्ञ की कदर करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा शांति स्तम्भ के सामने बैठ बाबा को याद करती हुई अपने ब्राह्मण आत्मा होने पर गर्व महसूस कर रही हूँ... प्यारे बाबा ने रूद्र ज्ञान यज्ञ रचकर मुझे अपना सहयोगी बनाया है...* कितनी भाग्यशाली हूँ जो सर्व शक्तिवान परमात्मा की राईट हैण्ड हूँ... शांति स्तम्भ से शांति की किरणें निकल कर मुझ पर पड़ रही हैं... मैं आत्मा गहन शांति का अनुभव कर रही हूँ... शांति स्तम्भ से शांति के सागर बाबा दोनों हाथों को फैलाए मुझे अपनी गोद में बिठा लेते हैं और प्यार करते हुए शिक्षाएं देते हैं...
❉ *प्यारे बाबा मुझे रूद्र ज्ञान यज्ञ का रक्षक बनाकर इसकी कमान मेरे हाथों में सौंपते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता द्वारा रचे गये यज्ञ की दिल जान से सम्भाल व् सेवा करो... इस यज्ञ की सम्भाल करना हर ब्राह्मण बच्चे का परम् कर्तव्य है... यही ईश्वरीय यज्ञ सच्चे सुखो से दामन भर कर जीवन मुक्त स्थिति को दिलाएगा... *जीवन को खुशियो की बहार से सजाने वाला यही यज्ञ है...* तो कितनी न इसकी सम्भाल करो...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बेहद बाबा के बेहद यज्ञ की रक्षक बन बेहद ख़ुशी का अनुभव करती हुई कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा हद के यज्ञ में अपनी खुशियो का ठिकाना ढूंढ रही थी पर कभी पा न सकी... आपने प्यारे बाबा मुझे अपने बेहद के यज्ञ का ब्राह्मण बनाकर... सदा का भाग्य जगा दिया है... *मनचाहा फल देने वाला यज्ञ और भगवान ही मेरा हो गया है...* सुखो की जन्नत अब मेरी हो गई है...”
❉ *मीठा बाबा यज्ञ रूपी कामधेनु मुझे सौगात में देकर मेरी सभी इच्छाओं को पूरी करते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... यह यज्ञ पूरे विश्व को सतयुगी स्वर्ग बनाने वाला है... हर बच्चे का जीवन दिव्य गुणो और शक्तियो से सजाने वाला... देह के विकारो से आत्मा को मुक्त कराकर... खुबसूरत जीवन मुक्ति को दिलवाने वाला प्यारा निराला यज्ञ है... इस यज्ञ की रक्षा में सदा त्तपर रहो... *ईश्वर पिता द्वारा रचित यह यज्ञ सर्व मनोकामनाओ को पूरा करने वाला है...*"
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा की मीठी मीठी बातों को धारण करते हुए कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्राणों से इस मीठे प्यारे निराले यज्ञ की रक्षा कर रही हूँ... सच्चे पिता का सच्चा यज्ञ ही... *विश्व आत्माओ की बेनूर सी जिंदगी को खुशियो के फूलो में और सुखो के स्वर्ग में बदल रहा है*... यह बात हर दिल को सुना रही हूँ...”
❉ *मेरे बाबा अनंत खुशियों और सुखों से मेरी झोली भर अनंत खजानों का मालिक बनाते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... देह की दुनिया में और देहधारियों के साथ हद के यज्ञ से सच्चे सुखो से सदा महरूम ही रहे... *अब मीठे बाबा ने जो बेहद का यज्ञ रचा है उसमे सम्पूर्ण सुखो को पा लो...* इस सच्चे ईश्वर पिता के यज्ञ की प्राणों से सदा रक्षा करो... यही यज्ञ ईश्वरीय जादूगरी का, असीम सुख और खुशियो से जीवन को भरपूर करने वाला है...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा भारत को स्वर्ग बनाने की जिम्मेवारी लेकर हर्षाते हुए मन से कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय प्यार को सहज ही पाने वाली अति भाग्यशाली हूँ... *प्यारे बाबा आपने अथाह खजानो से मेरा जीवन सजाकर मुझे राजरानी बना रहे हो...* कभी दर दर मै भटकती थी, आज ईश्वर पिता के यज्ञ की रक्षक बन मुस्करा रही हूँ...”
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- माया के तूफानों में कभी मुरझाना नही है*"
➳ _ ➳ "सर्व शक्तियों को समय पर कार्य मे लगाने वाली मास्टर सर्वशक्तिवान आत्माओं के सामने माया के तूफान तोहफा बन जाते हैं" *बाबा के इन महावाक्यों को स्मृति में ला कर मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट हो कर सर्वशक्तियों का आह्वान करने और स्वयं को सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बनाने के लिये मैं सर्वशक्तिवान शिव बाबा की याद में मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ*। अशरीरी बन बाबा की याद में बैठते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे शिव बाबा अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो कर मेरे सामने आ गए हैं
➳ _ ➳ बाबा की लाइट, माइट जैसे - जैसे मुझ आत्मा पर पड़ रही है वैसे - वैसे मैं अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होती जा रही हूँ। *अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं अनुभव कर रही हूँ कि जैसे बाबा मुझे अपनी और खींच रहें हैं और मैं डबल लाइट फ़रिशता बन स्वत: ही ऊपर की ओर उड़ रहा हूँ*। सूर्य, चांद, तारागणों से पार अन्तरिक्ष को भी पार करता हुआ उससे भी ऊपर मैं पहुंच गया फ़रिशतो की आकारी दुनिया सूक्ष्म लोक में।
➳ _ ➳ अब मैं देख रहा हूँ स्वयं को सूक्ष्म वतन में। मेरे सामने अव्यक्त बापदादा अष्ट शक्तियों के अलग - अलग स्वरूप में मुझे दिखाई दे रहें हैं। *अष्ट शक्तियों को मुझ में समाहित कर मुझे सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बनाने के लिए अब बापदादा एक - एक शक्ति से भरपूर अपनी शक्तिशाली किरणे मुझ फ़रिश्ते में प्रवाहित कर रहें हैं*।
➳ _ ➳ अपना सम्पूर्ण ध्यान इस नश्वर दुनिया से समेट कर मैं अपना संसार केवल एक शिव बाबा को बना सकूँ इसके लिए समेटने की शक्तिशाली किरणों से बाबा मुझे भरपूर कर रहें हैं। *अपनी सहनशक्ति से हर बात को सहन करते हुए हिम्मतवान बन हर परिस्थिति को मैं सहजता से पार कर सकूँ इसके लिए बाबा अब सहनशक्ति से भरपूर किरणे मुझ में प्रवाहित कर रहें हैं*।
➳ _ ➳ जैसे बापदादा सभी बच्चों की सभी बातों को स्वयं में समा लेते हैं। वैसे समाने की शक्ति से भरपूर किरणे मुझ में समाहित कर बाबा मुझमे हर बात को स्वयं में समाने का बल भर रहें हैं। *अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परख कर हर प्रकार के धोखे से मैं स्वयं को बचा सकूँ इसके लिए बाबा परखने की शक्ति से भरपूर किरणो से मुझे सम्पन्न बना रहे हैं*। माया के अति सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप को पहचान कर उचित समय पर मैं उचित निर्णय ले सकूँ इसके लिए बाबा निर्णय करने की शक्ति से सपन्न किरणे अब मुझमे भर रहें हैं।
➳ _ ➳ विपरीत परिस्थिति में घबराने के बजाए उसका डटकर सामना करने के लिए बाबा अब सामना करने की शक्ति से मुझे भरपूर कर रहें हैं। *एक दो को सहयोग दे, संगठन को निर्विघ्न चलाने के लिए बाबा सहयोग की शक्ति से भरपूर किरणे मुझ में प्रवाहित कर मुझे सहयोगी आत्मा बना रहें हैं*। देह और देह के सम्बन्धो के विस्तार को समेट कर सबको आत्मिक स्वरूप में देखने का पाठ पक्का हो इसके लिए विस्तार को सार में समाने की शक्ति बाबा मुझे दे रहें है।
➳ _ ➳ अपने आठ स्वरूपों से अष्ट शक्तियों को मेरे अंदर भरकर बाबा ने मुझे अष्ट शक्तियों से सम्पन्न कर दिया हैं। *देह अभिमान में आने के कारण मुझ आत्मा में निहित अष्ट शक्तियाँ जो मर्ज हो गई थी वो आठों शक्तियाँ अब इमर्ज हो गई हैं*। बापदादा के आठों स्वरूपों से अष्टशक्तियों को स्वयं में भरपूर करके अब मैं सर्व शक्ति सम्पन्न स्वरूप बन कर वापिस साकारी दुनिया मे लौट आती हूँ।
➳ _ ➳ *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सदा सेट रहते हुए, माया के तूफानों में मुरझाने के बजाए अब मैं समय और परिस्थिति के अनुसार उचित शक्ति का प्रयोग करके सहज ही माया के हर वार का सामना कर, माया पर विजय प्राप्त कर रही हूँ*।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं डबल लाइट स्थिति द्वारा उड़ती कला का अनुभव करने वाली सर्व आकर्षण मुक्त्त आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं स्नेह का चुम्बक बनकर ग्लानि करने वाले को भी समीप लाकर स्नेह के पुष्पों की वर्षा करवाने वाली स्नेही आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. *वैज्ञानिकों को बहुत अच्छा अनुभव है। जैसे साइंस दिनप्रतिदिन अति सूक्ष्म, महीन होती जाती है।* ऐसे आप साइलेन्स और साइंस - दोनों के अनुभवी हो। तो *अपने हमजिन्स को साइलेन्स का महत्व सुनाओ। उनका भी कल्याण करो।* कल्याण करना आता है ना? साइलेन्स भी एक विज्ञान है, *साइलेन्स का विज्ञान क्या है, उसकी इन्हों को पहचान दो। साइलेन्स के विज्ञान से क्या-क्या होता है,* यह जानने से साइंस भी ज्यादा रिफाइन कर सकेंगे क्योंकि हमारी नई दुनिया में भी विज्ञान तो काम में आयेगा ना! लेकिन रिफाइन रूप में होगा। अभी के विज्ञान की इन्वेन्शन में फायदा भी है, नुकसान भी है। लेकिन नई दुनिया में रिफाइन विज्ञान होने के कारण नुकसान का नाम-निशान नहीं होगा। तो *ऐसे जो बड़े-बड़े वैज्ञानिक हैं उन्हों को साइलेन्स का ज्ञान दो। तो फिर अपनी नई दुनिया में रिफाइन विज्ञान का कार्य करने में मददगार बनेंगे।*
➳ _ ➳ 2. *ऐसे इन्जीनियर्स को तैयार करो। चलो पूरा ज्ञान नहीं लेवें, रेग्युलर नहीं बनें लेकिन बाप को तो पहचानें*। कई ऐसी आत्मायें हैं जो रेग्युलर नहीं बनती हैं लेकिन *निश्चय और खुशी में रहती हैं। सम्बन्ध में सहयोगी रहती हैं। ऐसी आत्मायें भी तैयार करो।*
✺ *ड्रिल :- "साइलेन्स के विज्ञान का अनुभव"*
➳ _ ➳ *बाबा के अव्यक्त महावाक्यों को मैं आत्मा मानस पटल पर लाते हुए इन पर विचार कर रही हूँ... बाबा के द्वारा उच्चारे गये शब्द "साइलेंस का अनुभव कराओं, अपने हमजिन्स का कल्याण करों"...* ये शब्द बार-बार मुझ आत्मा के कानों में गूंज रहे है... *मैं आत्मा भी अन्तरमुखता की गुफा में प्रवेश कर साइलेंस विज्ञान के अद्भुत प्रयोग में लग जाती हूँ...* सभी संकल्पों को एक सेकंड में स्टॉप कर... मैं आत्मा चेतना को भृकुटि के मध्य एकाग्र करती हूँ... और *मन बुद्धि रूपी विमान में बैठ राकेट से भी ज्यादा तेज गति से उड़कर पँहुच जाती हूँ अपने साइलेंस होम में...* चारों ओर एक गहन सन्नाटा है... गहन शांति है और मैं आत्मा स्थित हूँ अपने स्वधर्म में... सामने शांति के सागर ज्योतिमय शिव बाबा, उनसे निकलती सर्व शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा में समा रही है... एक-एक शक्ति की बहुत गहराई से अनुभव कर रही हूँ मैं आत्मा... स्वयं को मैं आत्मा बेहद शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... *गहन शांति की शक्ति का अनुभव मैं आत्मा स्वयं में कर रही हूँ... लग रहा है शांतिधाम की समस्त शांति मुझ आत्मा में समा गई हो... महसूस कर रही हूँ मैं आत्मा स्वयं में इस साइलेंस बल को इस याद के बल को...* अब मैं आत्मा इस साइलेंस बल को स्वयं में भर चलती हूँ इस विश्व गलोब के ऊपर...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को विश्व गलोब के ऊपर, देख रही हूँ इस साकार लोक को जहाँ साइंस के साधनों की धूम मची है... किस प्रकार *साइंस तेजी से प्रगति की राह पर है... और किस प्रकार हर मनुष्य आत्माएँ साइंस द्वारा निर्मित साधनों की प्राप्ति में लगी हुई है... और इन स्थूल साधनों में सुख-शांति तलाश रही है...* लेकिन फिर भी ना उन्हें सच्ची खुशी मिल रही है... और ना ही सच्ची शांति बल्कि साइंस ही उन्हें विनाश की ओर ले जा रही है... हर आत्मा सच्ची खुशी, सच्ची शांति को तलाश रही है... भटक रही है... उनका दुख, अंशाति, दर्द बढ़ ही रहा है... *मैं आत्मा फरिशता ड्रेस धारण कर आवाहन करता हूँ... एडवांस पार्टी की सभी आत्माओं का,* आवाहन करते ही सभी एडवांस पार्टी की आत्माएँ मुझ आत्मा के चारो तरफ घेरा बना कर खडी हो जाती है... *अपने फरिशता ड्रेस में... और हम सभी मिलकर एक दूसरे का हाथ पकड़कर विश्व गलोब पर बैठ जाते है... और ऊपर शिव बाबा से निरंतर शक्तिशाली किरणें हमारे ऊपर पड़ रही है... और हमसे ये पवित्रता, सुख, शांति की किरणें इस पूरे विश्व में फैल रही है... ये किरणें इस विश्व की हर आत्मा को मिल रही है... हर आत्मा सुख, शांति, शक्ति की अनुभूति कर रही है...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा देख रही हूँ... *इस विश्व में जहाँ-जहाँ भी दुख-अशांति है... साइंस के साधन जहाँ फेल हो गये है... वहाँ-वहाँ बाबा के बच्चे जो इस विश्व में सेवा अर्थ भिन्न-भिन्न स्थानों पर है... वह साइलेंस बल द्वारा इन विकट समस्याओं को हल कर रहे है...* और हम फरिशते भी उनके साथ सकाश दे रहे है... *जहाँ साइंस काम नहीं कर रही वहाँ अब ये साइलेंस कार्य कर रही है... साइंस पर साइलेंस की विजय हो रही है...* ये देख कर बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी प्रभावित हो रहे है... वो भी अनुभव कर रहे है... कोई दिव्य अलौकिक शक्ति के द्वारा यह कार्य हो रहा है... मैं फरिशता, एडवांस पार्टी के फरिशतो के साथ इन वैज्ञानिकों की आत्माओं और इन्जीनियर्स को भी सकाश दे रही हूँ... *साइलेंस की शक्ति इनको अनुभव हो रही है... और ये आत्माएँ भी साइलेंस की साइंस को जानने में लग गई है... इस साइलेंस विज्ञान को साइंस में यूज करने के कार्य में जुट गई है... इन्हें भी अनुभव हो रहा है... जैसे इनको ये कार्य करने की कहीं से प्रेरणा मिल रही है...* वे एक अलौकिक शक्ति का अनुभव कर रहे है... और *इसी शांति की शक्ति से आकर्षित होकर ये आत्माएँ निमित्त आत्माओं द्वारा मधुबन घर में पहुंच गयी है...*
➳ _ ➳ ये सभी वैज्ञानिक और इंजीनियर यहां पहुंच कर दिव्यता और अलौकिकता का अनुभव कर रही है... *यहाँ हर ब्राह्मण आत्मा साइलेंस से भरपूर है... और उनका ये साइलेंस विज्ञान इन सभी आत्माओं को आकर्षित कर रहा है...* उनमें इस शक्ति को जानने की उत्सुकता बढ रही है... साइलेंस विज्ञान से बना यहाँ का अलौकिक वातावरण, यहाँ की गहन शांति इन्हें प्रभावित कर रही है... *ये आत्माएँ भी इस शक्ति-शांति को फील कर रही है... इन आत्माओं ने साइंस और साइलेन्स का फर्क देखा अनुभव किया* हर ब्राह्मण आत्मा से मिलने पर शांति और खुशी का अनुभव कर रही है... *एक-एक आत्मा साइलेंस के इस विज्ञान की इनवेंशन का अनुभव कर रही है... इस सभी आत्माओं को शिव पिता का परिचय मिल रहा है... इनका भी कल्याण हो रहा है... इनको बाबा का नई दुनिया बनाने का पलैन समझ आ गया है* और अब ये आत्माएं भी हमारी सम्पूर्ण सहयोगी बन गयी है... *अब ये आत्माएँ भी साइलेंस विज्ञान को समझ रही है... और एक लगन के साथ साइलेंस विज्ञान को यूज कर साइंस के साधनों को रिफाइन करने में जुट गयी है... सभी बड़े-बड़े इन्जीनियर्स भी निश्चय और खुशी के साथ मददगार बन साइंस के साधनों को रिफाइन करने में तीव्र गति से लग गये है...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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