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❍ 03 / 08 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *बहुतों के कल्याण के निमित बने ?*
➢➢ *स्वयं को रिफ्रेश करने की युक्तियाँ निकाली ?*
➢➢ *कोई कडवा शब्द बोले तो अनसुना कर दिया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *अपने चेहरे और चलन से रूहानी रॉयल्टी का अनुभव करवाया ?*
➢➢ *सदा परमात्म पालना के अन्दर रह भाग्यवान स्थिति का अनुभव किया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *आत्माओं को अनुभवी मूर्त बनाया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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➳ _ ➳ बापदादा सभी बच्चों को सम्पन्न स्वरूप बनाने के लिए रोज-रोज भिन्न-भिन्न प्रकार से प्वाइंटस बताते रहते हैं। *सभी प्वाइंटस का सार है, सभी को सार में समाए बिन्दु बन जाओ।* यह अभ्यास निरंतर रहता है? कोई भी कर्म करते हुए यह स्मृति रहती है कि - *‘मैं ज्योति बिन्दु इन कर्मेन्द्रियों द्वारा यह कर्म कराने वाला हूँ।'* यह पहला पाठ स्वरूप में लाया है? आदि भी यही है और अंत में भी इसी स्वरूप में स्थित हो जाना है। तो सेकण्ड का ज्ञान, सेकण्ड के ज्ञान स्वरूप बने हो? विस्तार को समाने के लिए एक सेकण्ड का अभ्यास है। जितना विस्तार में आना सहज है उतना ही सार स्वरूप में आना सहज अनुभव होता है? सार स्वरूप में स्थित हो फिर विस्तार में आना यह बात भूल तो नहीं जाते हो? सार स्वरूप में स्थित हो विस्तार में आने से कोई भी प्रकार के विस्तार की आकर्षण नहीं होगी। *विस्तार को देखते, सुनते, वर्णन करते ऐसे अनुभव करेंगे जैसे एक खेल कर रहे हैं। ऐसा अभ्यास सदा कायम रहे। *इसको ही ‘सहज याद' कहा जाता है।*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- लाइट हाऊस बनकर, मुक्ति जीवनमुक्ति का रास्ता बताना"*
➳ _ ➳ आज मीठे बाबा पर बेहद प्यार उमड़ रहा है... रग रग मीठे बाबा के उपकारों में भीगी हुई है... भगवान को, उसके अमूल्य खजानो को, पाने की ख़ुशी मन से निरन्तर छलक रही है... कैसे मुझ आत्मा ने... भगवान को यूँ पा लिया... और उसके ज्ञान धन की वारिस बनकर, अपनी खोयी चमक से पुनः जगमगाने लगी हूँ... यही जज्बात दिल में लिए... अपने मीठे बाबा का रोम रोम से शुक्रिया करने... मै आत्मा मीठे बाबा के कमरे में पहुंचती हूँ...
❉ मीठे बाबा मुझ आत्मा को प्यार की तरंगो से भरते हुए कहते है :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वरीय यादो में लाइट हाऊस बनकर सबके जीवन को खुशियो से रौशन करो... मुक्ति जीवनमुक्ति का रास्ता बताकर, हर दिल को दुखो से मुक्ति दिलाने वाले मा सुखदाता बनो... *जो सुख, जो खजाने, आप बच्चों ने पाये है वह सुख पूरी दुनिया में भी बांटो.*.."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के महावाक्य को अपने दामन में समेटकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... *आपको पाकर तो मुझ आत्मा ने सारा जहान पा लिया है.*.. ज्ञान धन की दौलत ने जीवन को सच्ची खुशियो की खनक से भर दिया है... यही खुशियां मै आत्मा हर दिल पर उंडेल रही हूँ... सबको मीठे बाबा से मिलवा रही हूँ..."
❉ प्यारे बाबा मुझ आत्मा को सुखो भरे स्वर्ग की जागीर देते हुए कहते है :- "मीठे लाडले बच्चे... देह की दुनिया में फंसे दिलो को सच्चे सुखो की राहो पर ले आओ... आप समान सुखी बनाकर सुख की लहरे पूरे विश्व में फैलाओ... *भटके दिलो को अँधेरे से निकालकर, प्रकाश की उजली राहो पर चलाओ*... सबको जीवनमुक्ति की जागीर प्यारे बाबा से दिलाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने बाबा को विश्वकल्याण का वादा देते हुए कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... आपकी यादो में खुशियो का फ़रिश्ता बनकर उड़ रही हूँ... *मेरी इस रूहानी चमक और पवित्र उजली छवि का हर दिल दीवाना हो रहा है..*. और मै आत्मा पूरे विश्व में ज्ञान की मशाल लिए... सबको सुखो भरा सच्चा रास्ता दिखा रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा मुझे विश्व कल्याण की भावना से ओतप्रोत देख कहते है :- "ईश्वर पिता ने आपको चुनकर आपकी राहो में खुशियो भरे फूल खिलाये है... *यह सुख भरी बहार आप सबके मन आँगन में खिलाओ*... दारुण पुकारते दिलो को सच्ची आथत्त दे आओ... मुक्ति जीवनमुक्ति का रास्ता दिखाकर... सुख भरा सवेरे से, उन्हें भी आप समान महा भाग्यवान बनाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के वरदानों से भरपूर होकर कहती हूँ :- "मीठे दुलारे बाबा मेरे... आपकी मीठी प्यारी यादो मै आत्मा... खुशियो की परी बनकर मुक्त गगन में उड़ रही हूँ... *लाइट हाउस बनकर सबको ज्ञान और योग की मीठी राहो को दिखाकर, जनमो की भटकन से छुड़ा रही हूँ..*. सबके जीवन को खुशियो से भरकर पुण्यो की दौलत बढ़ा रही हूँ..."ऐसी मीठी रुहरिहानं अपने प्यारे बाबा से कर... मै आत्मा इस धरा पर उतर आयी...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप का व पढ़ाई का कदर रखना और बहुतों के कल्याण के निमित बनना*"
➳ _ ➳ स्वयं भगवान से पढ़ने का सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य प्राप्त करने वाली मैं पदमापदम सौभाग्य शाली आत्मा हूँ इस बात को स्मृति में लाते ही ईश्वरीय नशे से मैं आत्मा भरपूर हो जाती हूँ। और अपने लक्ष्य को सामने रख उसे पाने के लिए अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप में स्थित हो कर ईश्वरीय पढ़ाई में लग जाती हूँ। *अपने परम शिक्षक शिव बाबा द्वारा पढ़ाये ईश्वरीय महावाक्यों पर गहराई से मन्थन करते हुए उन्हें अपने जीवन मे धारण कर अपने जीवन को हीरे तुल्य बनाने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा कर अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर अपने परम शिक्षक शिव बाबा से पढ़ने के लिए सूक्ष्म वतन में पहुंच जाती हूँ और यहां पहुंच कर उनका आह्वान करती हूँ*।
➳ _ ➳ सेकेंड में मेरे मीठे बाबा मुझे पढ़ाने के लिए परमधाम से सूक्ष्मवतन में पहुंच जाते है और ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में आ कर विराजमान हो जाते हैं। *बाबा मेरे सम्मुख आ कर बैठ जाते हैं और अपनी मीठी दृष्टि से मुझे भरपूर करते हुए कहते हैं, चलो बच्चे:- "आज पढ़ाई के साथ साथ पिकनिक करते हैं"। यह कहकर बाबा मेरा हाथ थामे मुझे आबू की पहाड़ियों पर ले आते हैं*। यहां पहुंच कर बाबा एक एक करके अपने सभी रूहानी विद्यार्थियों को इमर्ज करते हैं। देखते ही देखते सभी रूहानी विद्यार्थी वहां उपस्थित हो जाते हैं। सामने संदली पर परम शिक्षक के रूप में बापदादा बैठ जाते हैं और उनके सामने सभी गॉडली स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए बैठ जाते हैं।
➳ _ ➳ सभी गॉडली स्टूडेंटस भगवान के मुख से उच्चरित मीठे मधुर महावाक्यों को पूरी तन्मयता के साथ सुन रहें हैं। सबकी निगाहें एकटक बापदादा के ऊपर टिकी हैं। एक एक स्टूडेंट को बाबा बड़े प्यार से अपने पास बुला कर हर बात समझा रहें हैं। *ऐसा लग रहा है जैसे बाबा एक एक बच्चे का ज्ञान रत्नों से श्रृंगार कर रहें हैं। सभी बच्चे ज्ञान सागर बाप से अखुट ज्ञान पा कर मास्टर नॉलेजफुल बन रहे हैं*। सबको ज्ञान रत्नों से भरपूर करके अब बाबा सभी विद्यार्थियों को होम वर्क दे रहें है कि इस पढ़ाई का कदर रखने के लिए अब इसे अच्छी रीति धारण कर बहुतों के कल्याण के निमित बनो।
➳ _ ➳ सभी गॉडली स्टूडेंट्स ईश्वरीय पढ़ाई पढ़ कर अब ईश्वरीय सेवा अर्थ अपने अपने कार्य क्षेत्र पर लौट आते हैं। बाबा द्वारा मिले होम वर्क को पूरा करने के लिए अपने परमशिक्षक शिव बाबा द्वारा पढ़ाये ईश्वरीय महावाक्यों को अपने जीवन मे धारण कर, ज्ञान स्वरूप बन अब मैं बहुतों का कल्याण करने चल पड़ती हूँ। *कभी अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को ईश्वरीय सन्देश दे कर उन्हें भी ईश्वरीय राह पर चल अपने जीवन को हीरे तुल्य बनाने का सत्य मार्ग दिखा रही हूं तो कभी अपने फ़रिशता स्वरूप में स्थित हो कर शंख ध्वनि कर, विश्व की सर्व आत्माओं को ईश्वरीय पालना का अनुभव करवा रही हूं*।
➳ _ ➳ मेरे मुख से निकले वरदानी बोल अनेकों आत्माओं को मुक्ति जीवन मुक्ति का रास्ता दिखा रहें हैं। ज्ञान के अस्त्रों - शस्त्रों से मुझे सुसज्जित करके मेरे ज्ञान सागर शिव बाबा ने अनेकों आत्माओं की काया - कल्पतरु करने के मुझे निमित बना दिया है। *ईश्वरीय प्राप्तियों से परिपूर्ण मेरा जीवन मनुष्यों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन रहा है। अपने परम पिता, परम शिक्षक शिव बाबा का और उनसे मिलने वाले सत्य ज्ञान/ईश्वरीय पढ़ाई का बहुत बहुत कदर करते हुए उसे अपने जीवन मे धारण कर सबको आत्म ज्ञान दे कर अब मैं सबके जीवन को समर्थ बना रही हूँ*।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा अपने चेहरे और चलन से रूहानी रायल्टी का अनुभव कराती हूँ।"*
➳ _ ➳ *नालेज के दर्पण में स्वयं को निहारती मैं आत्मा अपनी पवित्र स्वरुप की चमक को देख रही हूँ...* मुझ पवित्र आत्मा के स्वरूप से रूहानी रायल्टी की झलक दिखाई दे रही है... साधारण चेहरा, साधारण चलन बिल्कुल नहीं है... *मैं आत्मा अपने चेहरे और चलन से रूहानी रायल्टी का अनुभव कराती हूँ...* रूहानी रायल्टी का फाउण्डेशन सम्पूर्ण पवित्रता है... सम्पूर्ण प्योरिटी ही रायल्टी है... मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्रता को धारण किए रहती हूँ... संकल्प व् स्वप्न में भी अपवित्रता का अंश मात्र भी नहीं है... मुझ आत्मा के रूहानी व्यवहार से सदा पवित्रता, अलौकिकता, रूहानियत झलकती रहती है... *मेरी दृष्टि, वृत्ति, वायब्रेशन्स, संबंध-सम्पर्क में आने वालों को अलौकिकता का अनुभव कराते हैं...* मेरे रूहानी व्यवहार का प्रभाव मुझे स्वतः प्रत्यक्ष करता है...
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सदा परमात्म पालना में पलने से स्वयं को भाग्यवान अनुभव करना"*
➳ _ ➳ मैं इस संगमयुग पर परमात्म पालना में पलने वाली ईश्वरीय संतान हूँ... मीठे बाबा की मीठी सिकीलधी बच्ची हूँ... अपने बाप से पूरा-पूरा वर्सा अधिकार लेने वाली आत्मा हूँ... कल्प-कल्प की अधिकारी आत्मा हूँ... *मैं कर्मेन्द्रियों से कर्म कराने वाली करावनहार आत्मा मालिक हूँ...* एक बाप की याद में रहने वाली बालक हूँ... अपने परमपिता परमात्मा के सर्व खजानों, गुणों, शक्तियों की अधिकारी हूँ... मैं आत्मा बस *एक की लगन में मगन हूँ बस मैं और मेरा बाबा...* परमात्म पालना में रहने से मैं भाग्यवान आत्मा बन गई हूँ... मेरे जैसा भाग्य किसी का नहीं... भगवान की गोद में पलने वाली मैं सौभाग्यशाली आत्मा हूँ... अपनी सभी चिंताओं से मुक्त हो... सदा परमात्म छाया में चलती हूँ...
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )
✺ अव्यक्त
बापदादा :-
➳ _ ➳ *इसलिए
हर आत्मा को प्रत्यक्षफल स्वरूप बनाओ अर्थात् विशेष गुणों के,
शक्तियों के अनुभवी मूर्त बनाओ।* वृद्धि अच्छी है लेकिन सदा विघ्न-विनाशक,
शक्तिशाली आत्मा बनने की विधि सिखाने के लिए विशेष अटेन्शन दो। वृद्धि के
साथ-साथ विधि सिखाने का, सिद्धिस्वरूप
बनाने का भी विशेष अटेन्शन। *स्नेही सहयोगी तो यथाशक्ति बनने ही हैं लेकिन
शक्तिशाली आत्मा, जो
विघ्नों का, पुराने
संस्कारों का सामना कर महावीर बन जाए, इस
पर और विशेष अटेन्शन।* स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी ऐसे वारिस
क्वालिटी को बढ़ाओ। सेवाधारी बहुत बने हो, लेकिन
सर्व शक्तियों धारी ऐसी विशेषता सम्पन्न आत्माओं को विश्व की स्टेज पर लाओ।
➳ _ ➳ *इस
वर्ष- हरेक आत्मा प्रति विशेष अनुभवी मूर्त बन विशेष अनुभवों की खान बन, अनुभवी
मूर्त बनाने का महादान करो। जिससे हर आत्मा अनुभव के आधार पर ‘अंगद' समान
बन जाए।* चल रहे हैं, कर
रहे हैं, सुन
रहे हैं,-सुना
रहे हैं, नहीं।
लेकिन अनुभवों का खजाना पा लिया - ऐसे गीत गाते खुशी के झूले में झूलते रहें।
➳ _ ➳ इस
वर्ष- सेवा के उत्सवों के साथ उड़ती कला का उत्साह बढ़ता रहे। तो सेवा के उत्सव
के साथ-साथ उत्साह अविनाशी रहे, ऐसे
उत्सव भी मनाओ। समझा। *सदा उड़ती कला के उत्साह में रहना है और सर्व का उत्साह
बढ़ाना है।*
✺
*ड्रिल :- "आत्माओं को अनुभवी मूर्त बनाना"*
➳ _ ➳
अपने श्रेष्ठ भाग्य की स्मृतियों का सिमरन करती हुई मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ
सूक्ष्मवतन... अपने प्यारे मीठे बाबा के पास... बाबा मुझे अपनी गोद में बिठा कर
प्यार से गले लगाते हैं... *बाबा के कोमल स्पर्श से मुझ आत्मा में अलौकिक
शक्तियों का संचार हो रहा है...* मैं बाबा के प्यार में समाई हुई... अतीन्द्रिय
सुख का अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳
बाबा मुझे *"अनुभवी मूर्त भव"* का वरदान देते हुए कहते हैं... बच्ची... हर कदम
ब्रह्मा बाबा को फॉलो कर तीव्र पुरषार्थ करो... उनके जैसे निमित्त भाव... शुभ
भाव... निः स्वार्थ भाव रखने का अभ्यास करो... *मैं आत्मा मनमनाभव स्थिति में
स्थित हो... योग अग्नि में अपने विकारों... अपने विकर्मों को भस्म कर रही
हूँ...*
➳ _ ➳
सर्व गुणों और शक्तियों को धारण कर मैं आत्मा *धारणा स्वरूप... अनुभवी मूर्त...
बन रही हूँ...* मुझसे सतरंगी किरणें निकल कर सभी आत्माओं पर पड़ रही हैं... वे
सब भी इन शक्तिशाली किरणों को स्वयं में धारण करती जा रही हैं... *मेरे आचरण
को... चाल चलन... को देख कर बहुत सी ब्राह्मण आत्माएं... मेरी ओर आकर्षित हो
रही हैं...* वे भी गुणों और शक्तियों के अनुभवी मूर्त बन रही हैं... उनकी
शक्तिशाली स्थिति बनती जा रही है...
➳ _ ➳
सभी
आत्माएं बाबा के स्नेह में खोई हुई... अनुभवी आत्माएं बन गई हैं... क्योंकि
जहाँ स्नेह है वहाँ सब कुछ अनुभव करना सहज हो जाता है... *सभी स्नेही,
सहयोगी आत्माएं "पाना था सो पा लिया... अब कुछ नहीं चाहिये... " के गीत गाते
हुए ख़ुशी के झूले में झूल रही हैं...* फिर बाबा कहने लगे... बच्ची,
स्वराज्य अधिकारी बन विश्व राज्य अधिकारी... वारिस आत्माएं बनाओ... मैं बाबा से
कहती हूँ... जी बाबा... मैं स्वयं से कहती हूँ... अब मैं सच्ची सेवाधारी बन हर
आत्मा को अनुभवी मूर्त बनाऊँगी...
➳ _ ➳
मैं
आत्मा बाबा से वायदा करती हूँ... बाबा,
मेरे मीठे बाबा... *अनुभवी मूर्त बन हर आत्मा को सेवा के प्रत्यक्ष फल का अनुभव
कराऊँगी... सदा उमंग उत्साह के पंख लगाकर उड़ती कला में उड़ते हुए सर्व आत्माओं
के उत्साह को बढ़ाउंगी...* सदा लगन में मगन रह सभी आत्माओं को प्राप्ति का अनुभव
कराऊँगी...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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