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❍ 29 / 01 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 2*5=10)
➢➢ *साक्षातकारमूर्त स्थिति का अनुभव किया ?*
➢➢ *सदा क्लियर और केयरफुल रहे ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:3*10=30)
➢➢ *"मेरा बाबा" - मेरा, मेरा कह स्वयं को अधिकारी आत्मा अनुभव किया ?*
➢➢ *बाबा से अविनाशी फ्रेंडशिप का सम्बन्ध अनुभव किया ?*
➢➢ *एक स्थान पर बैठकर अपने तपस्वी स्वरुप द्वारा बाप सामान बेहद की सेवा की ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 10)
➢➢ *आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मेरा बाबा आ गया" - यह आवाज बुलन्द करने के लिये चारो ओर फ़रिश्ते रूप में छा जाओ"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... सच्चा सच्चा फ्रेंड गॉड जो इस धरा पर उतर आया है,उससे अविनाशी प्रीत का नाता जोड़ चलो... *प्रेम के अटूट सम्बन्ध् से रोम रोम को भर चलो.*... मेरा बाबा से सदा की अधिकारी आत्मा बन मुस्कराओ... और सच्चे दोस्त की खुबसूरत यादो में खो जाओ....
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा कितनी महान भाग्यशाली हूँ की खुदा को दोस्त रूप में पा लिया है, जीवन कितना प्यारा और खुबसूरत हो चला है,.. *चारो और खुशियां ही खुशियां बिखरी सी है.*.. ऐसा मीठा प्यारा सच्चा दोस्त पाकर मै आत्मा अपने भाग्य पर निहाल हूँ...
❉ प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... कल्प कल्प के निश्चित फ़रिश्ते हो इस मीठे नशे में डूब चलो... *मेरा बाबा आ गया* की गूंज हर दिल को सुनाने वाले फ़रिश्ते बनकर मुस्कराओ... सदा क्लियर और केयरफुल रहकर, खुशनुमा हो, सारे बोझ बाबा को सुपुर्द कर खिलखिलाओ....
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा किस कदर भाग्य की धनी हूँ... भगवान को जीवन में, इस कदर दिल के करीब पाने वाली फ़रिश्ता आत्मा हूँ... सबको मीठा अनहद नाद *मेरा बाबा आ गया*सुनाने वाली. उमंगो के पंख लिए सदा मुस्कराने वाली मै फ़रिश्ता बन चली हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... कितने खुशनसीब हो की भाग्यविधाता भगवान ने अपना बना लिया... इस खुबसूरत भाग्य को दूसरो को बाँट कर जितना चाहे बढ़ाते चलो... *निर्विघ्न और एकरस स्थिति बनाकर एकाग्रता के ऊँचे शिखर को छु लो*... अपने खुशनसीब भाग्य पर मुस्कराओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सच्ची ख़ुशी से भरपूर अपने भाग्य को देखकर निहाल हूँ... कभी सोचा भी न था कि *भगवान भाग्यविधाता यूँ साथी बन* जीवन में सदा का साथ निभायेगा... इतना प्यारा नसीब पाकर सदा की खुशनसीब हो चली हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा खुशनसीब हूँ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा विशेष हूँ... महान हूँ... जो स्वयं परमात्मा ने इस घोर अंधियारे से निकाल सोजरे में लाकर नया जीवन दिया है... करोड़ों मे चुनकर अपना बनाया है... अपनी गोद में बिठाया है... अज्ञानता से निकाल ज्ञान की रोशनी दी है... ज्ञान रुपी तीसरा नेत्र व दिव्य दृष्टि रुपी अनमोल गिफ्ट दी है...
➳ _ ➳ दुनिया वाले जहाँ दर दर भटक रहे है भगवान के एक क्षण के दर्शन पाने को... वहाँ मुझ आत्मा के हरपल के साथी स्वयं भगवान हैं... रोज स्वयं स्पेशल अमृतवेले मुझ आत्मा से मिलने आते हैं... वरदानों से मेरी झोली भरते है... हर सम्बंध की रसना मुझ आत्मा को मिलती है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा कर्मों की गुह्य गति का राज को जान गई हूँ... सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान मुझ आत्मा को मिल गया है... मैं आत्मा इष्ट देव हूँ... पूर्वज हूँ... मुझ आत्मा को स्वयं प्यारे बाबा ने विश्व कल्याण के व नई दुनिया के स्थापन के कार्य के लिए चुना है... मैं आत्मा बाबा की मददगार बनती हूँ... वाह रें मैं आत्मा वाह...
➳ _ ➳ स्वयं प्यारे बाबा ने इस संगमयुग पर मुझ आत्मा को अपने भाग्य लिखने की कलम दे दी है... मैं आत्मा एक बाबा की याद में रह जैसा भाग्य बनाना चाहूं बना सकती हूँ... मैं आत्मा कितनी खुशनसीब हूँ... पदमापदम भाग्यशाली हूँ... मैं आत्मा एक बाबा की याद में रह अविनाशी कमाई कर रही हूँँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने सच्चे साथी को पाकर अपने श्रेष्ठ भाग्य के गीत गाती रहती हूँ... सदा खुशी के झूले में झूलती रहती हूँ... खुशी में गीत गाती रहती हूँ... कितनी खुशनसीब हूं बाबा जो तेरा प्यार मिला....
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल - एकाग्रता की शक्ति से निर्विघ्न और एकरस स्थिति का अनुभव करना*"
➳ _ ➳ *योगी जीवन के लिए सबसे जरूरी है-- एकाग्रता की शक्ति।* एकाग्रता के बिना हमारा योगी जीवन हो नही सकता। एकाग्रता का अर्थ, बुद्धि एक बाप के सिवाए और किसी में जाती नही, तो सहज ही एकरस स्थिति अनुभव होने लगती है। सदा एक बाप की याद में रहने वाले सदा निर्विघ्न होंगे।
➳ _ ➳ मैं सदा एक ही बाप की याद में रहने वाली... *सदा हर कदम में आगे बढ़ने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ*... मैं सदा मास्टर सर्वशक्तिवान की स्मृति में रहने वाली आत्मा हूँ... सदा अपने को एक ही बाप के... एक ही मत पर चलने वाली... एकरस स्थिति में स्थित रहने वाली आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ *मन, बुद्धि, संस्कार ये मुझ आत्मा की सूक्ष्म शक्तियां हैं*... मुझ आत्मा के कंट्रोल से चलती जा रही है... इन शक्तिओ पर मुझ आत्मा का पूरा अधिकार होता जा रहा है... मैं आत्मा एक की याद में टिकती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ एक की याद मुझ आत्मा को शक्तिशाली अनुभव करा रही है... *एकाग्रता की शक्ति... मुझ आत्मा को निर्विघ्न बनाती जा रही है*... मुझ आत्मा की बुद्धि में सदा यही चलता रहता है... मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा के सभी व्यर्थ संकल्प समाप्त होते जा रहे है... मैं निर्विघ् होने का अनुभव करती जा रही हूँ... मुझ आत्मा के पुरुषार्थ की स्पीड भी... तेज होती जा रही है... *मैं बेपरवाह बादशाह होने का अनुभव करती जा रही हूँ*...
➳ _ ➳ एकाग्रता की शक्ति द्वारा... मैं आत्मा एकरस और निर्विघ्न स्थिति का अनुभव करती जा रही हूँ... *एकाग्रता की शक्ति मुझ आत्मा को दूर होते हुए भी पास की अनुभूति करा रही है*...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *भाग्यविधाता बाप द्वारा मिले हुए भाग्य को बाँटने और बढ़ाने वाले खुशनसीब होते हैं...*
❉ भाग्यविधाता बाप द्वारा मिले हुए भाग्य को बाँटने और बढ़ाने वाले खुशनसीब होते हैं क्योंकि... *सबसे बड़ी खुशनसीबी यह है कि... भाग्यविधाता बाप ने हमें अपना बना लिया।* भगवान् ने अर्थात! सम्पूर्ण सृस्टि के, अर्थात! सम्पूर्ण विश्व के मालिक ने हमें अपना बच्चा जो बना लिया है।
❉ जिसकी एक झलक पाने के लिये दुनिया वाले तड़फते हैं कि... *भगवान् की एक सेकण्ड की भी नज़र पड जाये तो, अहो! भाग्य है* और वहीं, हम बच्चों! का भाग्य तो देखो!... हम बच्चे! बाबा की नयनों में सदा समायें हुए हैं। वाह! कितना बड़ा भाग्य है, ये! हम बाबा के बच्चों का।
❉ जिसे दुनिया वाले अभी तक मन्दिरों, मस्जिदों, चर्चों व गुरुद्वारों आदि जगहों में ढूँढ़ रहे हैं, उनको नहीं मिल रहा है। लेकिन! अब! *वही हमारा है। वो परम पिता परमात्मा! अब हमारा पिता है। हम उसकी गोदी में खेलते रहते हैं* तथा उसके, मीन्स... बाबा के नयनों के नूर बन कर, बाबा के नयनों में सदा के लिये समायें हुए हैं।
❉ इसको ही कहा जाता है खुशनसीबी। ये! पावन भाग्य ही, हमारा वर्सा है। *ये पावन व सर्व श्रेष्ठ भाग्य हमें सारे कल्प में अभी ही मिलता है।* इसलिये! तो! हमें अपने भाग्य को अभी से ही प्रतिदिन बढ़ाते जाना है। अभी नहीं तो कभी नहीं। क्योंकि... अभी ही समय है क्योंकि... संगम पर ही हम, सारे कल्प का भाग्य जमा कर सकते हैं।
❉ अगर हम अपने भाग्य को प्रतिदिन बढ़ाते रहेंगे, तो! सारे कल्प के लिये हम अपने भाग्य को जमा कर लेते हैं। सारे कल्प में ऐसा भाग्य अभी ही मिलता है, तो! हमें अपने भाग्य को बढ़ाते चलना है। *भाग्य बढ़ाने का हमारे पास साधन है... बाँटना। जितना हम औरों को बाँटेंगे* अर्थात! उनको भाग्यवान बनायेंगे, उतना ही हमारा भाग्य भी बढ़ता जायेगा।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *निर्विघ्न और एकरस स्थिति का अनुभव करना है तो एकाग्रता का अभ्यास बढ़ाओ... क्यों और कैसे* ?
❉ जितना अंतर्मुखी बन साइलेन्स की शक्ति स्वयं में भरते जायेंगे उतनी एकाग्रता भी बढ़ती चली जायेगी । क्योकि *जितना साइलेन्स का बल आत्मा में जमा होगा उतना ही मन बुद्धि को कण्ट्रोल करना* और उन्हें अपने ऑर्डर प्रमाण चलाना अति सहज होगा । इससे मन बुद्धि को वश में करके जिस स्थिति में स्थित करना चाहेंगे उसी स्थिति में स्थित कर सकेंगे तथा निर्विघ्न और एकरस स्थिति का अनुभव सहज ही कर सकेंगे ।
❉ बाहरी दुनिया से किनारा कर जितना एकांत वासी बन एक के अंत में खोने के अभ्यासी बनते जायेंगे उतना मन बुद्धि *देह और देह की दुनिया के आकर्षणों से मुक्त हो कर सहज ही एकाग्र होती जायेगी* । जैसे जैसे मन बुद्धि बाहर की दुनिया से डिटैच होगी, मन बुद्धि का भटकना भी बन्द होता जायेगा । मनरस स्थिति में स्थित हो कर मन आंतरिक ख़ुशी से भरपूर होता जायेगा तथा निर्विघ्न और एकरस स्थिति का अनुभवी बनता जायेगा ।
❉ एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाने का मुख्य आधार है कंट्रोलिंग पॉवर । मन के ऊपर कंट्रोलिंग पॉवर जैसे जैसे बढ़ती जायेगी वैसे वैसे एकाग्रता की शक्ति भी बढ़ती जायेगी । *मन बुद्धि जितना एकाग्र होंगे उतना बाहरी हलचल से मन बुद्धि को निकाल कर इधर उधर भटकने से बचा सकेंगे* । मन बुद्धि का भटकना जब बन्द होता जायेगा तो योग की गहराई में जाना और निर्विघ्न तथा एकरस स्थिति का अनुभव करना सहज होने लगेगा ।
❉ महापरिवर्तन के इस समय की अंतिम घड़ियों में जो हंगामे होंगे उस समय की परिस्थितयों के बीच एकांत का अनुभव वही कर सकेंगे जिन्होंने लम्बे समय से अपने अंदर एकाग्रता की शक्ति जमा की होगी । क्योकि पुरुषार्थ द्वारा एकाग्र होना यह साधारण बात है किन्तु *एकाग्रता में स्थित हो जाना यह स्थिति इतनी शक्तिशाली है* जो ऐसी श्रेष्ठ स्थिति का एक संकल्प भी बाप समान स्थिति का अनुभव करवा कर निर्विघ्न तथा एकरस स्थिति में स्थित कर देगा ।
❉ वर्तमान समय चारों और दुःख अशांति का वातावरण है और हर आत्मा की बुद्धि इस असार संसार के दुःखमय वातावरण में भटक रही है । इसलिए वर्तमान समय विश्वकल्याण का सहज साधन *अपने श्रेष्ठ संकल्पों की एकाग्रता द्वारा सर्व आत्माओं की भटकती हुई बुद्धि को एकाग्र करना है* । सारे विश्व की सर्व आत्माओं की यह कामना तभी पूर्ण कर सकेंगे जब निर्विघ्न और एकरस स्थिति के अनुभवी होंगे और यह अवस्था तभी बन सकेगी जब स्वयं में एकाग्रता की शक्ति जमा होगी ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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