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 26 / 03 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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शिवभगवानुवाच :-

➳ _ ➳  रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *"बाबा" शब्द में नयापन अनुभव हुआ ?*

 

➢➢ *चलन और चेहरे द्वारा सेवा की ?*

 

➢➢ *एकांतवासी स्थिति का अनुभव किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *पुरुषार्थ में नवीनता और रमणीकता का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *किसी भी एक गुण की अनुभूति की गहराई में गए ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

 

➢➢ *आज की अव्यक्त मुरली का बहुत अच्छे से °मनन और रीवाइज° किया ?*

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

➢➢  *बापदादा द्वारा देश विदेश का समाचार"*

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... आज बापदादा ने विश्व को जी भर के निहारा तो पाया कि भारतवासी साधनो में मदमस्त और विदेश सच्चे पिता के दीदार को व्याकुल है... *भारतवासी घर आये श्रेष्ठ मेहमान* को पहचानने में अक्षम है... और विदेश की आत्माये पलक पावड़े बिछाये स्वागत को आतुर है...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मै आत्मा कितना समय व्यर्थ बातो में, साधनो में फंसकर गवाती रही.*.. और ईश्वर पिता से दूर रही... भक्ति में दर दर खोजती रही पर रूहानियत से अनजान रही... अनेक आकर्षणों में उलझी सांसो को पानी सा बहाती रही... आज प्यारे बाबा आपको पाकर सार्थक हो चली हूँ...

 

❉   प्यारा बाबा कहे - मीठे प्यारे फूल बच्चे... स्वयं चिल्लाना छोड़ सबको ख़ुशी ख़ुशी से चलाओ... *सदा उमंगो के पंखो से स्वयं उड़कर, औरो को भी प्राप्तियों की खुशियो की अनुभूति कराओ.*... परखने की शक्ति रुपी नेत्र का दान करने वाले महादानी बन मुस्कराओ... सबको सन्तुष्टता का वरदान देने वाली वरदानी आत्मा बन चलो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में अनन्त शक्तियो से सजती जा रही हूँ... सदा ही उमंगो से भरी, पुलकित सी, सबको उत्साह के पंखो से, खुशियो के आसमाँ में उड़ाती जा रही हूँ... मीठे बाबा *आपसे पाया असीम स्नेह, हर दिल पर लुटाकर, स्नेहमयी आत्मा बन गयी हूँ.*..

 

❉   मेरा बाबा कहे - मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *सर्वप्राप्तियो की झलक अपने चेहरे से सदा छ्लकाओ*... हर रोज नई अनुभूतियों से नूरानी हो चलो... अपने हर गुण का गहरा अनुभव करो और नवीनता के रंग में रंगीले रहो... नित नये प्र्योग कर ज्ञान और योग का लुत्फ़ उठाओ... और निश्चय और रूहानी नशे में रहकर सदा के संपत्तिवान और सर्वश्रेष्ठ हो चलो...

 

➳ _ ➳  आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा श्रेष्ट तकदीर से सजकर मालामाल हो गयी हूँ... मीठे बाबा आपकी सम्पत्ति की अधिकारी होकर मै आत्मा कितनी धनी दौलतमंद हो गयी हूँ... *यह जमी आसमाँ बाँहों में समेटे, विश्व की मालिक बनी, अथाह खुशियो में इठला रही हूँ..*.

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-   मैं आत्मा सर्वश्रेष्ठ, सम्पतिवान हूँ ।"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा हाईएस्ट एवं रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड हूँ... स्वयं सर्वशक्तिमान परमात्मा के हाथों मुझ आत्मा का अलौकिक ब्राह्मण जन्म हुआ... अलौकिक जन्म लेते ही मुझ आत्मा ने अपने परमपिता परमात्मा परपरमात्मा के सर्व खजानों पर अधिकार पा लिया... ऊँचे ते ऊँचे परमात्मा ने मुझ आत्मा को सर्वश्रेष्ठ *अविनाशी ज्ञान देकर अविनाशी वर्से का अधिकारी* बना दिया...

 

➳ _ ➳  प्यारे बाबा मुझ आत्मा को लाड और प्यार से लाडले बनाये पालना करते हैं... प्यारे बाबा मुझ लाडली को अपनी गोदी में लोरी गाकर सुलाते हैं... मेरे लाडले जागो कह कर बड़े प्यार से मुझ आत्मा को अमृतवेले जगाते हैं... प्राण प्यारे बाबा रोज मुझ आत्मा को अपने साथ अलग-अलग जगहों पर रूहानी सैर पर ले जाते हैं... सदा प्यार के, *ख़ुशी के, सुख के, आनंद के, बाबा की गोदी के झूलों में* झुलाते रहते हैं...      

 

➳ _ ➳  मुझ गॉडली स्टूडेंट को शिक्षक बन पढ़ाते हैं... सृष्टि के आदि, मध्य, अंत का ज्ञान देकर नालेजफुल बनाते जा रहे हैं... मैं आत्मा सुध-बुध खोकर प्यारे बाबा की मुरली की तान में खो जाती हूँ... बाबा सतगुरु बन मनमनाभव का महामंत्र देकर मुक्ति, जीवन-मुक्ति का वर्सा देते हैं... प्यारे बाबा खुदा दोस्त बन सदा मुझ आत्मा की हर पल मदद करते रहते हैं... मैं आत्मा *एक बाबा से सर्व संबंधो का अनुभव* करती जा रही हूँ...           

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा कर्मों की गुह्य गति को जानकर एक बाबा से ही सर्व सम्बन्ध निभाते जा रही हूँ... मुझ आत्मा का इस देह से, देह की दुनिया से, देहधारियों से लगाव मिटता जा रहा है... मैं आत्मा प्यारे बाबा से *दिव्य गुणों, शक्तियों, सर्व खजानों, वरदानों से भरपूर होती जा रही* हूँ... मैं आत्मा स्मृति स्वरुप बन निश्चय बुद्धि बनती जा रही हूँ...         

 

➳ _ ➳ स्वयं भाग्यविधाता ने भाग्य लिखने की कलम मुझ आत्मा को दे दी है... मैं आत्मा बाबा की श्रीमत पर चलकर अपने भाग्य की लम्बी लकीर खींचते जा रही हूँ... अब मैं आत्मा सदा रूहानी फखुर मैं रहती हूँ... अब मैं आत्मा बेहद के सम्पूर्ण अधिकार के निश्चय और रूहानी नशे में रहने वाली *सर्वश्रेष्ठ, सम्पतिवान अवस्था का अनुभव* कर रही हूँ...

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल -  सदा अलर्ट रह अलबेलापन को समाप्त करने का अनुभव करना "*

 

➳ _ ➳  मैं देव कुल की महान आत्मा हूँ... भविष्य में  ऊँच पद पाने वाली आत्मा हूँ... *बाप के कदमों पर कदम रखने वाली आत्मा हूँ*... जिस प्रकार बाबा पुरुषार्थ में सदा अलर्ट रहे... मुझ आत्मा को भी अपने पुरुषार्थ में रहना है... जो करना है अभी ही करना है...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा अनुभव करने लगी हूँ... समय समीप आता जा रहा है... अभी समय व्यर्थ नही गंवाना है... *अभी समय अलबेलेपन का नही है... विस्तार को समेटने का समय है*... मुझ आत्मा को नेगेटिव बातों में न जा... अपने पुरुषार्थ की स्पीड को बढ़ाते जाना है... 

 

➳ _ ➳  *मैं आत्मा स्वयं को बदलने का दृढ़ संकल्प ले... स्वयं को बदलने का लक्ष्य धारण करती जा रही हूँ*... समय से पहले मुझ आत्मा को स्वयं में परिवर्तन लाना है... कोई बदले या न बदले... मुझे खुद को बदलना है... मैं आत्मा स्वयं को साक्षीपन की स्टेज पर स्थित अनुभव करती जा रही हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा हर कार्य को अलर्ट हो करती जा रही हूँ... मैं आत्मा श्रेष्ठ कर्म करती जा रही हूँ... मैं जिम्मेवार आत्मा बनती जा रही हूँ... जैसा कर्म मैं करूँगी... मुझे देख और  करेंगे... *मेरा अपने संकल्पो, मन, बुद्धि, संस्कारों और कर्मो पर... अटेंशन रूपी पहरा लगा हुआ है*... जिससे मुझ आत्मा का सोचना, बोलना और करना एक समान बनता जा रहा है...

 

➳ _ ➳  सदा उमंग उत्साह में रहने वाली आत्मा बनती जा रही हूँ... *मैं आत्मा अपना एक-एक सेकंड... एक-एक श्वांस सेवा में सफल करती जा रही हूँ*... मैं आत्मा अलबेलापन समाप्त कर... पुरुषार्थ में तीव्रता लाती जा रही हूँ...  

 

➳ _ ➳  मुझ आत्मा की बुद्धि में सदा यही स्मृति रहती है... *मैं बेहद की स्टेज पर पार्ट प्ले कर रही हूँ... सभी आत्माओं की दृष्टि मुझ पर है*... सभी मेरे पार्ट को देख रहें है... यह स्मृति मुझ आत्मा को अलर्ट बनाती जा रही है... मुझ आत्मा का अलबेलापन समाप्त होता जा रहा है...

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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

➢➢  *बेहद के सम्पूर्ण अधिकार के निश्चय और रूहानी नशे में रहने वाले सर्वश्रेष्ठ सम्पत्तिवान होते हैं...  क्यों और कैसे?*

 

❉   बेहद के सम्पूर्ण अधिकार के निश्चय और रूहानी नशे में रहने वाले सर्वश्रेष्ठ सम्पत्तिवान होते हैं क्योंकि...  वर्तमान समय में हम बाबा के बच्चे ही ऐसे सर्वश्रेष्ठ सम्पूर्ण अधिकारी बनते हैं, *जो स्वयं की कर्म इंद्रियों को अपने अधिकार में चलाते हैं।*

 

❉   वे स्वयं की मन बुद्धि व सर्व कर्म इन्द्रियों के अधिकारी तो होते ही हैं, और *साथ ही साथ ऑलमाइटी अथॉरिटी के ऊपर भी अपना सम्पूर्ण अधिकार रखते हैं।* अतः वे ही बेहद के सम्पूर्ण अधिकार के निश्चय और रूहानी नशे में रहने वाले सर्वश्रेष्ठ सम्पत्तिवान होते हैं।

 

❉   वे सारे विश्व के स्वामी तथा सारे विश्व की आत्माओं के पालनहार हैं। वे उन पर अपना सम्पूर्ण अधिकार रखते हैं,  *जो सम्पूर्ण विश्व के पिता हैं। वे संपूर्ण विश्व के पिता से ही अपने सर्व सम्बन्धों का रस भी लेते हैं।* अर्थात्!  उन्होंने हद के रिश्तों से अपने मन की आसक्ति को निकाल दिया है।

 

❉   अतः अब उनके सर्व रिश्ते बेहद के परिवार से ही होते हैं। वे बेहद के वैरागी होते हैं। उन से ही अर्थात्!  बेहद से ही वे अपने आत्मिक सम्बन्ध रखते हैं।  तभ तो *वे आत्म व परमात्म अधिकारी बच्चे सर्व सम्बन्धों का और सर्व सम्पत्ति का अधिकार प्राप्त कर लेते हैं।* क्योंकि...  इस समय ही बाप द्वारा सर्वश्रेष्ठ सम्पत्ति भव का वरदान जो उनको मिलता है।

 

❉   हमारे पास बाप द्वारा प्राप्त सर्वगुणों की, सर्व शक्तियों की और श्रेष्ठ ज्ञान की अविनाशी सम्पत्ति हैजो कभी भी नष्ट नहीं होती। इसी लिये तो!  *हमारे जैसा सम्पत्तिवान और कोई नहीं है। तभी तो!  हम अति भाग्यवान आत्मायें हैं* और हम ही मास्टर सर्वशक्तिवान भी हैं। हमारे पास सर्वशक्तिवान परमात्मा पिता की सर्व शक्तियाँ जो हैं। अतः हम ही सब से ज्यादा धनवान और सम्पत्तिवान हैं। हमारा इस संसार में कोई भी सामी नही है।

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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

➢➢  *सदा अलर्ट रहो तो अलबेलापन समाप्त हो जायेगा... क्यों और कैसे* ?

 

❉   मम्मा का स्लोगन था " हर घड़ी अंतिम घड़ी " । इसी स्लोगन को अपने जीवन का आधार बना कर हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझते हुए मम्मा ने अपने पुरुषार्थ को तीव्र बनाया । उनकी इसी विशेषता के कारण वो ज्ञान में ऐसी तीखी गई कि नम्बर वन स्थान ले लिया । ऐसे ही *अगर हम भी मम्मा की शिक्षाओं को जीवन में धारण करें और हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझ कर चलें तो सदा अलर्ट रहेंगे* और अलबेलापन स्वत: ही समाप्त हो जायेगा ।

 

❉   मेजोरिटी ब्राह्मणों के जीवन में पुरुषार्थ में तीव्रता ना आने का मुख्य कारण है आलस्य और अलबेलापन जो माया का रॉयल रूप धारण कर सामने आता है । *" कर लेंगे ", " हो जायेगा " , " अभी कौन से बाकि सम्पन्न बन गए हैं " इन संकल्पो के रूप में माया चोर गेट से अंदर आती है* और हरा कर चली जाती है जिससे पुरुषार्थ रुक जाता है ।इस लिए बाबा कहते सदा अलर्ट रहो तो आलस्य और अलबेलापन समाप्त हो जायेगा और माया के वार से बचे रहेंगे ।

 

❉   युद्ध के मैदान में वही वीर सैनिक विजय प्राप्त करते हैं जो चौकन्ने रहते हैं और हर वार का सामना करने के लिए एवररेडी रहते हैं । ज़रा सा भी ध्यान हटा तो शत्रु हमला कर सकता है । इसी प्रकार *हम ब्राह्मण भी इस समय युद्ध के मैदान में हैं । माया रावण के साथ हमारी युद्ध है* । इस माया रावण पर जीत हम तभी पा सकते हैं जब कदम कदम पर सावधानी रखते हुए आगे बढ़ते रहेंगे । इसके लिए जरूरी है सदा अलर्ट रहना और आलस्य, अलबेलेपन से मुक्त रहना ।

 

❉   गाया हुआ है कि " अंत मति सो गति " अर्थात अंतिम समय जिस अवस्था में व्यक्ति शरीर छोड़ता है वैसी ही उसकी गति होती है और वह अंतिम समय कब किसका आ जाये यह किसी को पता नही । अपने अंतिम समय अर्थात *अपनी मौत को जो सदा स्मृति में रखते हैं वे हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझते हुए सदा अलर्ट और एवररेडी रहते हैं* तथा अलबेलेपन को छोड़ निरन्तर एक बाप की याद में श्वांसों श्वांस सफल करते हुए ऊंच गति को पा लेते हैं ।

 

❉   जो संगम युग की महान प्रप्तियों और ब्राह्मण जीवन की उपलब्धियों को सदैव स्मृति में रखते हैं वे कभी भी अपना समय व्यर्थ नही गंवाते । उनके मन और मस्तिष्क में केवल एक ही बात छाई रहती है *" कि अब नही तो कब नही " इसी बात को अपनी बुद्धि में धारण कर वे हर समय अलर्ट रहते हैं* । समय के महत्व को सदा स्मृति में रखते हुए वे अलबेलेपन से सदैव मुक्त रहते हैं और अपने संकल्प, बोल और समय को बाबा की याद में सफल करते हुए सफलतामूर्त आत्मा बन जाते हैं ।

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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