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 29 / 10 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *शांति की शक्ति द्वारा कर्मबंधन को मीठे सम्बन्ध में बदला ?*

 

➢➢ *शांति की शक्ति से कर्मभोग पर विजय प्राप्त की ?*

 

➢➢ *शांति की शक्ति का केंद्र प्रतक्ष्य किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *साइलेंस की शक्ति की प्रयोगशाळा चेक की कि कहाँ तक प्रयोग कर सकते हैं ?*

 

➢➢ *आत्माओं को शांति का अनुभव करवाया ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  *राजा ऑर्डर करे - यह काम नहीं होना है।* तो प्रजा क्या करेगी? *मानना पडेगा ना।* आजकल तो राजा ही नहीं है, प्रजा का प्रजा पर राज्य है। इसलिए कोई किसका मानता ही नहीं है। लेकिन आप लोग तो राजयोगी हो ना।

 

✧  आपके यहाँ प्रजा का प्रजा पर राज्य नहीं है ना राजा का राज्य है ना तो बाप कहते हैं - हे राजे! आपके कन्ट्रोल में आपकी प्रजा है? *या कभी कन्ट्रोल से बाहर हो जाती है?*

 

✧   रोज राज्य दरबार लगाते हो?' *रोज रात्रि को राज्य दरबार लगाओ।* अपने राज्य कारोबारी कर्मेन्द्रियों' से हालचाल पूछो। जैसे राजा राज्य दरबार लगाता है ना तो आप अपनी राज्य दरबार लगाते हो? या भूल जाते हो, सो जाते हो? राज्य दरबार लगाने में कितना टाइम लगता है?

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

 

➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  शांति की शक्ति*"

 

➳ _ ➳  प्रकर्ति का खुशनुमा मौसम और कलकल करते हुए झरने... की मदमाती आवाज का आनन्द लेते हुए सोच रही हूँ... कि प्यारे बाबा से मिलकर... आज जब मुझ आत्मा को अपने स्वधर्म शांति का पता चला है... तो भीतरी की गहरी शांति मुझे सहज ही साक्षी भाव में ले आती है... और मै आत्मा द्रष्टा बनकर, बाहर की अशांत आवाजो को सहज ही सुन पा रही हूँ... और *शांति के अपार सागर से... शांतमय लहरे, हर दिल पर उछाल कर उन्हें भी सहज ही आप समान शांति दूत बना रही हूँ.*.. मेरा शांत मन, शांत तरंगो को निरन्तर इस वायुमण्डल में प्रवाहित कर रहा है... मीठे बाबा ने मेरी सुप्त शक्तियो को जगाकर... मुझे विश्व कल्याणकारी बना दिया है.. *मेरा जीवन ऐसा जादूगरी वाला प्यारा और अनोखा तो भगवान ही कर सकता था... और भगवान ने ही आकर मेरा कायाकल्प किया है.*..अपने प्यारे पिता के उपकारों में भीगी, दिल से आभार करने मै आत्मा... तपस्या धाम में पहुंचती हूँ...

 

❉   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी सारी सुप्त शक्तियो से जाग्रत करते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... दुखो में तपते हुए विश्व को, अपनी शांति की शक्ति का अनुभव कराकर... शन्ति की शीतल तरंगो से तन मन को सुवासित करो... *सदा शुभ संकल्प के यन्त्र को यूज करके... सिद्धि स्वरूप को प्रत्यक्ष करने वाले शांति के अवतार बनो... इसी शक्ति की बदौलत, तन, मन की भोगना सूली से कांटा बन जायेगी.*.. और आप बाप का प्यारा और न्यारा बनकर, सदा डबल लाइट बन दमकेंगे...

 

➳ _ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा की श्रीमत को पाकर ख़ुशी में झूमते हुए कहती हूँ :-"मीठे प्यारे बाबा मेरे... *यह जीवन इतना प्यारा और खुबसूरत बनाकर, आपने मुझे खुशियो की महारानी बना दिया है.*.. आपकी श्रीमत को पाकर मै आत्मा आंतरिक पुरुषार्थ में सबसे आगे बढ़ती जा रही हूँ... सब जगह शांति की शक्ति की प्रयोगी बन रही हूँ... और शांति की अवतार बनकर, हर दिल को चन्दन सी शीतलता देती जा रही हूँ..."

 

❉   प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने सम्पूर्ण खजानो का मालिक बनाकर कहा ;-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... शांति की शक्ति का प्र्योग करके शांति की शक्ति के केंद्र को प्रत्यक्ष करो... साइलेन्स शक्ति की अदभुत जादु दिखाकर, विश्व परिवर्तन के महान कार्य मे मीठे बाबा के सहयोगी बनो... *ईश्वरीय प्यार में, ख़ुशी का देवता बनकर, खुशियो में, उमंगो में, झूमते ही रहो... दूसरो को भी इन सच्ची खुशियो का पता देने वाले, सदा खुश देवता बन मुस्कराओ.*..."

 

➳ _ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा के असीम प्यार को पाकर,खुशियो की चरमसीमा पर पहुंच कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा इस कदर खुशियो की मल्लिका बनकर मुस्कराऊंगी... और सबको खुशियां बाँटने वाली परी बनकर इठलाऊँगी... यह भला मेने कब सोचा था... *आपने जीवन में आकर, कितना प्यारा जादु कर दिया है...मेरी खुशियां और रूहानियत देखकर, हर दिल चात्रक हो पूछता है...कौन मिल गया है... और मै आत्मा प्यारे बाबा से मिला देती हूँ.*.."

 

❉   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने श्रेष्ठ भाग्य के मीठे अनुभवो में भिगोते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे.... भगवान को साथी बनाकर, साथ चलने वाले महान भाग्यवान हो... नथिंग न्यू के पाठ को पक्का करके... विघ्नो को खिलौना समझ उड़ाते चलो... *अपना राज्य बस...आया की आया... इन खुशियो में नाचो गाओ... मीठे बाबा के प्यार में समाना, यानि समान बन गये... तो इस मीठे नशे की खुमारी में सदा झूमते रहो.*.."

 

➳ _ ➳  मै आत्मा सच्चे प्यार की तरंगो में अभिभूत होकर मीठे बाबा से कहती हूँ :-"मीठे प्यारे दुलारे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार के साये तले प्रेम की प्रतिमूर्ति बनकर मुस्करा उठी हूँ... जब भगवान ही मेरे साथ है तो विघ्न में मेरी सदा की जीत निश्चित है... *आपका हाथ पकड़कर, मै आत्मा... बेफिक्र बादशाह बनकर, खुशियो के आसमाँ में उड़ रही हूँ.*.."प्यारे बाबा से मीठी प्यारी रुहरिहानं करके मै आत्मा... इस कर्मक्षेत्र पर लौट आयी....

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- शांति की शक्ति द्वारा कर्मबंधन को मीठे सम्बन्ध में बदलना*"

 

➳ _ ➳  अपने कमरे में एकांत में बैठी मैं अपने शांन्त स्वधर्म में स्थित हो कर, शांति के सागर अपने शिव पिता के साथ अपनी बुद्धि का कनेक्शन जोड़ कर गहन शांति की अनुभूति कर रही हूँ। *ऐसा लग रहा है जैसे शांति के सागर मेरे शिव पिता अपना धाम छोड़ कर मेरे कक्ष में आ कर मेरे सिर के बिल्कुल ऊपर विराजमान हो गए है*। मेरे शिव पिता की छत्रछाया का अहसास मुझे अपने ऊपर स्पष्ट अनुभव हो रहा है। बाबा शांति की अनन्त किरणों को मेरे ऊपर पूरे वेग से प्रवाहित कर रहें हैं। *शान्ति की शक्ति मेरे अंदर भरती जा रही है। मेरा पूरा कमरा शांति की शक्तिशाली किरणों से भर गया है*।

 

➳ _ ➳  ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे पूरा कक्ष एक "विशाल शांति कुंड" बन गया है जिसकी ज्वाला शांति की शक्तिशाली किरणों के रूप के चारों और फैल कर अब कक्ष से बाहर जा रही है और आस - पास के वातावरण को भी शांत बना रही है। *शांति के शक्तिशाली प्रकम्पन अब उस कमरे से होते हुए पूरे घर में फैल गए है और पूरे घर से होते हुए बाहर वायुमण्डल में फैलते जा रहें हैं*। मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ कि शांति की शक्ति जैसे - जैसे मेरे अंदर भरती जा रही है वैसे - वैसे हर समस्या का समाधान अपने आप होता जा रहा है।

 

➳ _ ➳  शांति की शक्ति के प्रयोग से बीमारी के रूप में आने वाला हर कर्मभोग भी अब मुझे सूली से कांटा अनुभव हो रहा है। *मन के ऊपर, कर्म के ऊपर, सम्बन्ध - सम्पर्क के ऊपर शांति की शक्ति का प्रयोग करके उनमें होने वाले परिवर्तन को मैं स्पष्ट देख रही हूँ*। शांति की शक्ति के विशेष यंत्र " शुभ संकल्प " द्वारा हर कर्मबन्धन अब कर्म सम्बन्ध में बदल रहा है। *अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी आत्माओं के व्यवहार में आये सुखद परिवर्तन को मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ*।

 

➳ _ ➳  व्यक्तिगत रूप से स्वयं पर शांति के सफ़लतापूर्ण प्रयोग के साथ - साथ विश्व की सर्व आत्माओं का मुझे कल्याण करना है। इसी संकल्प के साथ अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण करती हूँ और बापदादा के पास सूक्ष्म वतन में पहुंच जाती हूँ। *बापदादा के सम्मुख जा कर, उनसे शांति की असीम शक्ति स्वयं में भर कर "शांति का अवतार" बन कर मै फ़रिश्ता विश्व ग्लोब पर जा कर बैठ जाता हूँ*। बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर सारे विश्व में शांति की शक्तिशाली किरणे फैला कर, विश्व की सभी दुखी और अशांत आत्माओं को सुख, शांति की अनुभूति करवाकर मैं फ़रिशता अब वापिस साकारी दुनिया की ओर प्रस्थान करता हूँ।

 

➳ _ ➳  अपने सूक्ष्म फ़रिशता स्वरूप के साथ अपने साकारी तन में मैं प्रवेश कर जाता हूँ। *अब मैं ब्राह्मण सो फ़रिशता आत्मा शांति के सागर अपने शिव पिता के साथ कनेक्शन जोड़ कर, शान्ति की शक्ति से स्वयं को सदा भरपूर रखती हूँ और शान्ति की अवतार बन अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी अशांत आत्माओं को सेकण्ड में शान्ति का अनुभव करवाकर उन्हें सन्तुष्ट कर देती हूँ*। मेरे चारों और शांति की किरणों का शक्तिशाली औरा निर्मित होने से मेरा कक्ष जैसे कि "शान्ति यज्ञ कुंड" बन गया है जिससे आकर्षित हो कर चारों ओर की अशांत आत्मायें शान्ति पाने के लिए खिंची चली आती है और सभी की यह महसूसता होती है कि सच्ची शान्ति का अनुभव केवल यहां से ही हो सकता है।

 

➳ _ ➳  *शांति दूत बन शान्ति की शक्ति के प्रयोग से अब मैं स्व - परिवर्तन के साथ - साथ विश्व परिवर्तन का कार्य भी, अपने शिव पिता की मदद से सफलतापूर्वक सम्पन्न कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  मैं आत्मा सम्पूर्णता की स्थिति द्वारा प्रकृति को ऑर्डर करती हूँ ।*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा... मनसा... वाचा... कर्मणा... सम्पूर्णता की स्थिति को महसूस कर रही हूँ...* मन... बुद्धि... संस्कार रूपी बगीचे को... बाबा की श्रीमत रूपी प्यार भरी वर्षा से गुल गुल बना रही हूँ... *विश्व परिवर्तक मैं आत्मा... संगमयुग में बापदादा के नक्शे कदम पर चल  रही हूँ...* मन बुद्धि को एक बाबा की ही यादो में सफल कर मैं आत्मा *संगमयुग में सतयुग की नींव लगा रही हूँ...* प्रकृति के पांचो तत्व... अग्नि... जल... वायु... आकाश... धरती को अपनी सतोप्रधान स्थिति से... पवित्र... शांत बना रही हूँ... *प्रकृति के पांचो तत्व मुझ आत्मा के रूहानी दोस्त बन गए हैं...* मुझ आत्मा से निकलते हर संकल्प रूपी बोल को *प्रत्यक्ष करने प्यार के बंधन में बंध गए हैं...*

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- भगवान की स्मृति दिला, सबका भाग्य बना, अपने श्रेष्ठ भाग्य होने का अनुभव"*

 

_ ➳  मैं श्रेष्ठ जीवन जीने वाली हर्षित आत्मा हूँ... *यह जीवन हीरे तुल्य है*... अलौकिक जीवन जो स्वयं भगवान द्वारा प्राप्त हुआ... *बाबा की स्मृति मुझ आत्मा को समर्थ और भाग्यवान बनाती जा रही है*...  मैं आत्मा भी अन्य आत्माओं को भगवान की स्मृति दिला... *उनका भी भाग्य बनाती जा रही हूँ*... वह आत्माएँ भी परमात्म छत्रछाया में स्वयं को... *सदा सेफ और रूहानी फखुर का अनुभव कराती जा रही है*... स्वयं भाग्यविधाता ने श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींच दी है... मस्तक पर भाग्य की लकीर को देख... *मैं आत्मा वाह!!!... मेरा ईश्वरीय भाग्य के गीत गा रही हूँ*... यह रूहानी नशा अन्य आत्माओ को भी... उनके श्रेष्ठ भाग्य होने का अनुभव करा रहा है...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *पवित्रता ही महानता है। पवित्रता ही योगी जीवन का आधार है।* कभी-कभी बच्चे अनुभव करते हैं कि अगर चलते-चलते मन्सा में भी अपवित्रता अर्थात् वेस्ट वा निगेटिव, परचिंतन के संकल्प चलते हैं तो कितना भी योग पावरफुल चाहते हैंलेकिन होता नहीं है क्योंकि जरा भी अंशमात्र संकल्प में भी किसी प्रकार की अपवित्रता है तो  *जहाँ अपवित्रता का अंश है वहाँ पवित्र बाप की याद जो है, जैसा है वैसे नहीं आ सकती।* जैसे दिन और रात इकट्ठा नहीं होता। इसीलिए बापदादा वर्तमान समय पवित्रता के ऊपर बार-बार अटेन्शन दिलाते हैं। *कुछ समय पहले बापदादा सिर्फ कर्म में अपवित्रता के लिए इशारा देते थे लेकिन अभी समय सम्पूर्णता के समीप आ रहा है इसलिए मन्सा में भी अपवित्रता का अंश धोखा दे देगा।* तो मन्सा, वाचा, कर्मणा, सम्बन्ध-सम्पर्क सबमें पवित्रता अति आवश्यक है। मन्सा को हल्का नहीं करना क्योंकि मन्सा बाहर से दिखाई नहीं देती है लेकिन मन्सा धोखा बहुत देती है। *ब्राह्मण जीवन का जो आन्तरिक वर्सा सदा सुख स्वरूपशान्त स्वरूपमन की सन्तुष्टता हैउसका अनुभव करने के लिए मन्सा की पवित्रता चाहिए।* 

 

✺   *ड्रिल :-  "ब्राह्मण जीवन में पवित्रता की महानता का अनुभव करना"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा पवित्र स्वरूप हूँ... जन्म-पुनर्जन्म में आते-आते अपने ही असली स्वरूप को भूल गयी थी...* सृष्टि नाटक के अन्त के भी अन्त समय बाप आकर हम आत्माओं को सूक्ष्म और स्थूल रीति से पवित्र बना रहे हैं... मैं आत्मा फरिशते रूप में एक झील किनारे आकर बैठ जाती हूँ... अपने ही  प्रतिबिंब को इस झील में देख रही हूँ...  कितने जन्मों से व्यर्थ संकल्पों का बोझ है... कर्मों में भी अपवित्रता... मन्सा में भी अपवित्रता, वेस्ट संकल्प, नेगेटिव संकल्पों का... परचिंतन के भी संकल्प चलते हैं... *अनुभव कर रही हूँ कि मन जो दिखता नहीं, जो सूक्ष्म है... वो कितना धोखा देती है...*

 

 _ ➳  मैं फरिश्ता मधुबन तपोभूमि आ जाती हूँ... और हिस्ट्री हॉल में सोफे पर बैठ जाती हूँ... महसूस कर रही हूँ यहां की पवित्र तरंगे... शांति की, सुख की... जन्म जन्मांतर के सारे बोझ से हल्की होती जा रही हूँ... एक दिव्य ज्योति जैसे कि विस्फोटित होती है... *रंग-बिरंगी किरणें चारों और फैलती हुई मुझ आत्मा में समाती जा रही है... मेरे अनादि गुणों को इमर्ज करती जा रही है...* मैं आत्मा दिव्य गुणों की स्वरूप बन गयी हूँ...

 

 _ ➳  *बाप स्मृति दिलाते हैं की पवित्रता से ही सुख, शान्ति की अनुभूति होती है...* पवित्रता मुझ आत्मा के ब्राह्मण जीवन का आधार है... मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्रता को अपने जीवन में अपना निरंतर बाबा की याद में रह स्मृति स्वरुप अवस्था का अनुभव कर रही हूँ... मन्सा में भी व्यर्थ संकल्प दग्ध हो रहे हैं... वाचा, कर्मणा से नेगेटिव, परचिन्तन करना समाप्त होते जा रहे है... *अटेंशन रूपी पहरा से किसी भी तरह की अंश मात्र अपवित्रता समाप्त होती जा रही है...*

 

 _ ➳  पवित्रता मुझ ब्राह्मण आत्मा का श्रृंगार है... संगमयुगी ब्राह्मण जीवन को श्रेष्ठ व महान बनाने वाला... सम्बन्ध-संपर्क में आने वाली हर ब्राह्मण आत्मा के प्रति भी पवित्र संकल्प होते जा रहे हैं... समय की संपूर्णता जैसे-जैसे समीप आती जा रही है... मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र होती जा रही हूँ... सम्पूर्ण पवित्रता ही मन की संतुष्टि दे रही है... पवित्रता की शक्ति से मन निश्छल, निर्मल हो गया है... *मैं आत्मा अपने ब्राह्मण जीवन में पवित्रता की महानता का अनुभव कर रही हूँ... ओम् शान्ति...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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