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❍ 19 / 09 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *बाप की आज्ञाओं का उल्लंघन तो नहीं किया ?*
➢➢ *मुरली जरूर पड़ी व सुनी ?*
➢➢ *याद में रह विकर्मों का बोझ समाप्त किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *शुभ भावना और श्रेष्ठ भाव द्वारा सर्व के प्रिय बनकर रहे ?*
➢➢ *कर्म में योग का अनुभव कर कर्मयोगी बनकर रहे ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ *समाने की शक्ति है ना या विस्तार करने की शक्ति ज्यादा है?* कई ऐसे कहते हैं ना - कि जब याद में बैठते हैं तो और-और संकल्प बहुत चलते हैं, इसको क्या कहेंगे? समाने की शक्ति कम और विस्तार करने की शक्ति ज्यादा। लेकिन *दोनों शक्ति चाहिए।*
〰✧ *जब चाहे, जैसे चाहे,* विस्तार में आने चाहे विस्तार में आयें और समेटना चाहे तो समाने की शक्ति *सेकण्ड में यूज कर सकें, इसको कहते हैं - 'मास्टर सर्वशक्तिवान'।* तो इतनी शक्ति है या ऑर्डर करो समेटने की शक्ति को और काम करे विस्तार करने की शक्ति! स्टॉप कहा और स्टॉप हो जाए।
〰✧ फुल ब्रेक लगे, ढीली ब्रेक नहीं। अगर ब्रेक ढीली होती है तो लगाते हैं यहाँ और लगेगी कहाँ? तो ब्रेक पॉवरफुल हो। कन्ट्रोलिंग पॉवर हो। चेक करो - कितने समय के बाद ब्रेक लगता है? 5 मिनट के बाद या 10 मिनट के बाद। फल *स्टॉप तो सेकण्ड में लगना चाहिए* ना! अगर सेकण्ड के सिवाए *ज्यादा समय लग जाता है तो समाने की शक्ति कमजोर है।*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)
➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- एक दिन भी पढ़ाई मिस नही करना,पढ़ लिखकर, नवाब बनना*"
➳ _ ➳ ईश्वर शिक्षक के जीवन में आने से... खुशियो में खिले,अपने जीवन में, दिव्य गुणो की सुगन्ध का, आनन्द लेते हुए मै आत्मा... सोचती हूँ कि, देहभान की डाली पर बेठी हुई मै आत्मा... अहंकार और विकारो की मूर्खता से भरी हुई... कैसे अपनी सांसो की डाली को, कालिदास जैसा काट रही थी... कि प्यारे बाबा ने मुझे आसमाँ से निहार कर... *मेरे कल्याण के लिए धरती पर पग धरे... अपनी अमूल्य शिक्षाओ को देकर, मुझे महान बनाया... ज्ञान सरस्वती को मेरे मन बुद्धि रुपी मुख में बिठाया.*.. और मुझे दिव्यता और पवित्रता से सजाकर, कितना प्यारा और महान बना दिया है... *कभी अपनी ही जड़ो को काटने वाली मै आत्मा... आज सृस्टि कल्प व्रक्ष की जड़ो में तपस्या में लीन हूँ.*.. और मेरा भविष्य नवाबो सा सजा धजा है... यही मीठी गुफ्तगू प्यारे बाबा को सुनाने मै आत्मा... मीठे बाबा के कमरे में पहुंचती हूँ...
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी सारी ज्ञान सम्पत्ति को देते हुए कहा :-" मीठे प्यारे फूल बच्चे... *ईश्वर पिता को टीचर रूप में पाने वाले, और उनकी सारी ज्ञान सम्पदा से सजने वाले, महान भाग्यशाली हो.*.. अपने इस महान भाग्य के नशे में सदा झूलते ही रहो... एक दिन भी यह अमूल्य पढ़ाई मिस न करो... यह पढ़ाई ही सारे सच्चे सुखो का आधार है... यह सच्ची पढ़ाई ही सतयुग में नवाब पद दिलायेगी..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा से सतयुगी नवाब सजते हुए कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा देह के भान में कितनी गरीब, कितनी मायूस थी,.. सदा खुशियो को तरसती, दूसरो में खोजती रही... *आपने प्यारे बाबा मुझे ज्ञान धन से मालामाल कर, राजरानी सा सजाया है... मेरे ही भीतर ख़ुशी का अनवरत झरना दिखाया है.*.. मै आत्मा अब आपके मीठे प्यार में सतोगुणी बनकर... सतयुगी नवाब बन रही हूँ...
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी सारी जागीरे, दौलत मुझे सुपुर्द करते हुए कहा :-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... मीठे बाबा से ज्ञान रत्नों की सारी सम्पत्ति को लेकर... 21 जनमो तक स्वर्ग का राज्य भाग्य पाओ... *सदा गॉडली स्टूडेंट बनकर, ज्ञान रत्नों संग रमण करते रहो... यही ज्ञान रत्न, असीम सुखो में बदलकर, विश्व का मालिक सजायेंगे.*.. परमधाम से ईश्वर, शिक्षक बनकर,पढ़ाने आया है तो... यह पढ़ाई एक दिन भी मिस नही करनी है..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा से अतुलनीय धन को दिल में समेटते हुए कहती हूँ :-"मीठे प्यारे बाबा... आपने मुझ आत्मा के जीवन को... सदा के लिए सुखो में आबाद किया है... दिव्य गुणो शक्तियो और पवित्रता से सजाकर, मुझे देवताई रूप दिया है... मै आत्मा दुखो की गरीबी से निकलकर... सुखो की अमीरी से भर रही हूँ... *मुझे देवता बनाने वाली, बेशकीमती पढ़ाई को एक दिन भी मिस नही करती हूँ.*.."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी सारी खानों और खजानो का मालिक बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... ईश्वर पिता अपनी सारी दौलत, अमीरी,अथाह खजाने सब आप बच्चों के लिये ही लाया है... सारी खानों पर अपना अधिकार जमा लो... सारे सुख अपनी बाँहों में सजा लो... *भगवान से सब कुछ प्राप्त कर... देवताओ की खुबसूरत दुनिया में नवाब बनकर मुस्कराओ*..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के इस कदर उपकारों में अभिभूत होकर कहती हूँ :-"मेरे प्यारे दुलारे बाबा... मै आत्मा ईश्वर टीचर से पढ़ने वाली महान भाग्यशाली गॉडली स्टूडेंट हूँ... हर पल, हर साँस, ज्ञान रत्नों से खेलकर सदा के लिए अमीर बन रही हूँ... *ईश्वरीय शिक्षाओ ने मेरे जीवन को खुबसूरत आयाम दिए है... श्रीमत ने जीवन को खुशहाल और सुखी बनाया है... और पवित्रता ने मेरा खोया गौरव पुनः दिलवाया हे.*.."मीठे बाबा से कभी पढ़ाई मिस नही करने का वादा करके मै आत्मा साकारी तन में आ गयी...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- जब तक जीना है - ज्ञान अमृत पीते रहना है*"
➳ _ ➳ ज्ञान अमृत पिला कर, अमर बनाने वाले अपने अमरनाथ शिव बाबा को याद करते - करते मैं अनुभव करती हूँ कि मेरे अमरनाथ बाबा जैसे वतन में खड़े मुझे बुला रहें हैं। मेरे शिव बाबा की याद संकल्प के रूप में मुझ तक पहुंच रही है। *अपने मीठे बाबा के संकल्पो को कैच कर, मैं सेंकड में अपना लाइट का फ़रिशता स्वरूप धारण करती हूँ और बिना एक क्षण भी व्यर्थ गंवाये, इस साकारी देह से निकल कर ऊपर आकाश की और चल पड़ती हूँ*। चारों और अपनी श्वेत आभा बिखेरता हुआ मैं फ़रिशता वतन की ओर उड़ता जा रहा हूँ।
➳ _ ➳ साकार लोक को पार कर, सूर्य, चाँद, तारा गणों के विशाल समूह को पार करके अब मैं पहुँच गया उस अव्यक्त वतन में जहां बापदादा अव्यक्त इशारों से मुझे बुला रहे हैं। *अब मैं स्वयं को बापदादा के सामने देख रहा हूँ। बापदादा के लाइट माइट स्वरूप से निकल रही लाइट और माइट पूरे सूक्ष्म वतन को एक दिव्य अलौकिक प्रकाश से प्रकाशित कर रही हूँ*। बापदादा इशारे से मुझे अपने पास बुला रहें हैं।
➳ _ ➳ बाहें पसारे बापदादा का ममतामयी स्वरूप मुझे उनकी बाहों में समाने के लिए व्याकुल कर रहा है। मैं दौड़ कर उनके पास पहुंचता हूँ और जा कर उनकी बाहों में समा जाता हूँ। *उनका प्रेम और वात्सलय पा कर मेरा अंतर्मन जैसे खिल उठा है*। उनकी करुणा वरदानों के रूप में निरन्तर मुझ पर बरस रही है।
➳ _ ➳ बापदादा के आनन्दमयी प्रेम के रस में मैं फ़रिशता डूबता जा रहा हूँ। इस आनन्दमयी स्थिति में एक बहुत ही खूबसूरत दृश्य मेरी आँखों के सामने बार - बार आ रहा है। *मैं देख रहा हूँ मेरे सामने एक बहुत ही सुंदर अति लुभावना सरोवर है और उस सरोवर में हंसो का बहुत सुंदर जौड़ा बैठा है*। हंसो की उस खूबसूरत जौड़ी पर मम्मा बाबा विराजमान है।
➳ _ ➳ मम्मा के हाथ मे एक कलश है । मैं मम्मा बाबा के इस अति सुंदर मनोहारी स्वरूप को निहार रहा हूँ। जैसे ही मम्मा की नज़र मुझ पर पड़ती है, मम्मा बड़े प्यार से मुझे अपने पास बुलाती है। *मैं फ़रिशता धीरे धीरे मम्मा के पास पहुँचता हूँ और उत्सुकता से उस कलश की ओर देखता हूँ। देखते ही देखते उस कलश में से ज्ञान की दिव्य अमृत धारा निकल कर अपने आप मेरे मुख में जाने लगती है*। ज्ञान अमृत पीकर अब मैं स्वयं को बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रहा हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे मेरी सारी प्यास बुझ चुकी है और मैं तृप्त हो चुका हूँ। तृप्त हो कर जैसे ही मैं उस सरोवर से बाहर निकलता हूँ, स्वयं को वापिस बापदादा की ममतामयी गोद मे पाता हूँ।
➳ _ ➳ बापदादा की ममतामयी गोद का सुख ले कर अब मैं बापदादा के सामने आ कर बैठ जाता हूँ। *बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख देते हैं और मुझे "ज्ञान के अखुट खजाने से सदा सम्पन्न भव" का वरदान देते हैं*। ज्ञान के अखुट खजाने से भरपूर हो कर अब मैं फ़रिशता बापदादा से विदाई लेता हूँ और वापिस साकार लोक की ओर प्रस्थान करता हूँ।
➳ _ ➳ अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ मैं फिर से अपने साकारी शरीर में प्रवेश कर, भृकुटि पर विराजमान हो जाती हूँ, इस दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ कि *मुरली के माध्यम से बाबा जो ज्ञान अमृत मुझे हर रोज पिलाने आते है, उस ज्ञान अमृत को मैं जब तक जिऊंगी तब तक पीती रहूँगी*।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा शुभ भावना और श्रेष्ठ भाव द्वारा सर्व की प्रिय बन विजय माला में पिरोती हूँ।”*
➳ _ ➳ कलियुग के अंत के भी अंत समय… सभी हिसाब किताब चुक्तु होने का समय है, परीक्षाओं का समय है... *कोई किसी भी भाव से बोले वा चले लेकिन मैं आत्मा सदा हर एक के प्रति शुभ भाव, श्रेष्ठ भाव धारण करती हूँ… इसमें विजयी बनने वाली मैं आत्मा माला में पिरोने के अधिकारी हूँ... क्योंकि सर्व के प्रिय बनने का साधन ही है सम्बन्ध-सम्पर्क में हर एक के प्रति श्रेष्ठ भाव धारण करना*... ऐसे श्रेष्ठ भाव वाली मैं आत्मा सदा सभी को सुख लेती हूँ और सुख देती हूँ… *यह भी सेवा है तथा शुभ भावना मन्सा सेवा का श्रेष्ठ साधन है… ऐसी सेवा करने वाली मैं सेवाधारी आत्मा विजयी माला की मणका बन रही हूँ*…
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- कर्म में योग का अनुभव कर कर्मयोगी बनना"*
➳ मैं दिव्य बुद्धि से भृकुटि में चमकती मणि को देख रही हूँ... *मैं आत्मा जादुई गोल्डन चाबी 'मेरा बाबा' सदैव साथ रखती हूँ...* जिससे मैं आत्मा मेहनत से मुक्त हो हर कदम पर सफलतामूर्त बनें यही हूँ... लौकिक सेवाओं को करते हुए भी अलौकिकता का अनुभव करती हूँ... मैं आत्मा कोई भी *कर्म करने से पहले बाबा का आह्वान करती हूँ बाबा आओ... जैसे करवाना है करवाओ बाबा... बाबा आपकी सेवा है...* मैं आत्मा सदैव अपने को बाबा की छत्रछाया में अनुभव करती हूँ... मैं आत्मा स्वमान की सीट पर सेट रह बाबा की समीपता को अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा कर्म करते एक बाप की याद में रहने से कर्मयोगी स्थिति का अनुभव करती हूँ...
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ आपकी हिम्मत और बाप की मदद। हिम्मत कम नहीं करना फिर देखो बाप की मदद मिलती है या नहीं। *सभी को अनुभव भी है कि हिम्मत रखने से बाप की मदद समय पर मिलती है और मिलनी ही है, गैरन्टी है। हिम्मत आपकी मदद बाप की।* तो संकल्प क्या हुआ? चेहरे देख रहे हैं - हिम्मत है या नहीं है! *हिम्मत वाले तो हो, क्योंकि अगर हिम्मत नहीं होती तो बाप के बनते नहीं। बन गये - इससे सिद्ध होता है कि हिम्मत है।* सिर्फ छोटी सी बात करते हो कि समय पर हिम्मत को थोड़ा सा भूल जाते हो। जब कुछ हो जाता है ना तो पीछे हिम्मत वा मदद याद आती है। *समय पर सब शक्तियां, समय प्रमाण यूज करना इसको कहा जाता है ज्ञानी तू आत्मा, योगी तू आत्मा।*
✺ *ड्रिल :- "समय प्रमाण सर्व शक्तियों को यूज कर ज्ञानी तू आत्मा, योगी तू आत्मा बनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा निर्भीक हूँ... मैं आत्मा शिवशक्ति दुर्गा हूँ... मैं आत्मा अष्ट शक्तिधारी दुर्गा हूँ...* मैं आत्मा इस साकारी तन से निकल कर... फरिश्ता रूप में स्थित होकर... उड़ कर पहुँच जाती हूँ फरिश्तों की दुनिया में... जहाँ चारों तरफ आदि रतन... एडवांस पार्टी के सारे फरिश्ते खड़े हैं... मैं छोटा सा फरिश्ता उनके बीच में खड़ा हूँ... सारे फरिश्ते मुझ आत्मा पर... अपनी शक्तिशाली वरदानी किरणें प्रवाहित कर रहे हैं... जिसमें मैं नहा रही हूँ... और सर्व शक्तियों से भरपूर हो रही हूँ... अब मैं फरिश्ता इन शक्तियों के साथ... वापस साकारी दुनिया में आ रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं इस साकारी दुनिया में... फरिश्ता रूप में विचरण कर रही हूँ... बाबा से प्राप्त सर्व शक्तियों और सारे ज्ञान को... स्व और विश्व कल्याण अर्थ उपयोग कर रही हूँ... *समय प्रमाण सर्व शक्तियों को यूज कर ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बन गयी हूँ...* मैं आत्मा बाबा के दिए हुए ज्ञान को... आत्मसात कर हर परिस्थिति पर... हर विघ्न पर... *ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बनकर... विजय प्राप्त करती हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा जब भी माया के जाल में फंस जाती हूँ... और माया रुस्तम होकर... परिस्थिति के रूप में सामने आकर खड़ी हो जाती है... तब मुझे बाबा के महावाक्य याद आ जाते हैं... *हिम्मते बच्चें तो मददे बाप... और मैं आत्मा माया पर विजय प्राप्त कर... पहाड़ जैसी समस्या को भी रूई बना कर उड़ा देती हूँ... बाबा ने कहा है बच्चे ज्ञान को धारण करना... माना समय प्रमाण उसको यूज करना...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा जब से सर्वशक्तिमान बाबा की संतान बनी हूँ... तब से ही मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान बन गयी हूँ... क्योंकि शेर का बच्चा शेर होता है... बाबा ने कहा है *बच्चे हिम्मत का एक कदम आपका... तो हजार कदम बाप के... तुम महावीर हो... ये विघ्न तुम्हें महावीर बनाने आये हैं*... अब जब भी कोई विघ्न आते हैं... मैं आत्मा बाबा के इन महावाक्य को याद कर... *अचल - अडोल बन जाती हूँ...* अब मैं आत्मा बाबा के कहे शब्द हमेशा याद रखती हूँ... और कैसी भी परिस्थिति हो... कैसा भी विघ्न हो... बाबा के दिए हुए ज्ञान को समय के अनुसार ही यूज करती हूँ... ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बन कर कर पार करती हूँ... *कभी भी अब मुझ आत्मा को ज्ञान की... विस्मृति नहीं होती है...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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