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❍ 15 / 11 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)
➢➢ *याद में रहकर भोजन खाने का अभ्यास किया ?*
➢➢ *मात-पिता की तरह सेवा की ?*
➢➢ *अपने बड़ों का रीगार्ड रखा ?*
➢➢ *सर्वशक्तिवान के साथ की स्मृति द्वारा सदा सफलता का अनुभव किया ?*
➢➢ *हाँ जी करते सहयोग का हाथ बढ़ाते सबकी दुआएं प्राप्त की ?*
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❂ *तपस्वी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ *किसी भी प्रकार का विघ्न बुद्धि को सताता हो तो योग के प्रयोग द्वारा पहले उस विघ्न को समाप्त करो।* मन-बुद्धि में जरा भी डिस्टरबेन्स न हो। *अव्यक्त स्थिति में स्थित होने का ऐसा अभ्यास हो जो रूह, रूह की बात को या किसी के भी मन के भावों को सहज ही जान जाये।*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ *सभी आवाज से परे रहना सहज अनुभव करते हो वा आवाज में आना सहज अनुभव करते हो?* सहज क्या है? आवाज में आना या आवाज से परे होना? आवाज से परे होना अर्थात अशरीरी स्थिति का अनुभव होना। तो शरीर के भान में आना जितना सहज है, उतना ही अशरीरी होना भी सहज है कि मेहनत करनी पडती है?
〰✧ सेकण्ड में आवाज में तो आ जाते हो लेकिन सेकण्ड में कितना भी आवाज में हो, चाहे स्वयं हो या वायुमण्डल आवाज का हो लेकिन सेकण्ड में फुलस्टॉप लगा सकते हो कि कॉमा लगेगी, फुलस्टॉप नहीं? इसको कहा जाता है फरिश्ता वा *अव्यक्त स्थिति की अनुभूति में रहना, व्यक्त भाव से सेकण्ड में परे हो जाना।*
〰✧ *इसके लिए ये नियम रखा हुआ है कि सारे दिन में ट्रैफिक ब्रेक का अभ्यास करो।* ये क्यों करते हो? कि ऐसा अभ्यास पक्का हो जाये जो चारों ओर कितना भी आवाज का वातावरण हो लेकिन एकदम ब्रेक लग जाये।
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- पढाई अच्छी रीति पढ़कर सर्विस कर औरों को भी लायक बनाना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा स्कूल के पार्क में खेल रहे बच्चों को देख रही हूँ... कोई फ़ुटबाल खेल रहे... कोई झूला झूल रहे, कोई फिसल पट्टी पर फिसल-फिसल कर मजे ले रहे हैं...* कुछ बच्चे एक दूसरे से खाना बांटकर मजे से खा रहे हैं... मंत्रमुग्ध होती मैं इनको देख रही... जैसे ही इंटरवेल खत्म होने की घंटी बजी, सभी बच्चे दौड़ते हुए अपने अपने क्लास में चले जाते हैं और पढाई शुरू करते हैं... *इनको पढ़ते हुए देख मुझे भी अपनी पढाई याद आती है... मैं आत्मा सबकुछ भूल इस दुनियावी खेल में मग्न हो गई थी... अब प्यारे बाबा सुप्रीम शिक्षक बनकर मुझे पढ़ा रहे हैं... मैं आत्मा सेण्टर जाकर सुप्रीम शिक्षक के सामने बैठ जाती हूँ...*
❉ *प्यारे सुप्रीम शिक्षक गुड मॉर्निंग करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता के साये में फूल से जो खिल उठे हो... दुखो के गहरे दलदल से निकल जो गुलाब बन महक उठे हो... तो यह महक हर दिल तक पहुँचाओ... *सारे विश्व को दुखो से मुक्ति की सच्ची राह दिखाओ... स्वयं जो प्रकाशित हो गए हो तो औरो के भी जीवन में सुखो का प्रकाश कर आओ... यह पढ़ाई इस अंतिम जन्म के लिए ही है इसलिए अच्छी रीति पढ़ो और पढ़ाओ"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा भी बाबा को गुड मॉर्निंग कर रिगार्ड देते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ज्ञानसागर बाबा से ज्ञान रत्नों को पाकर ज्ञानपरी बन गई हूँ... दुखो के जंजालों से सदा की आजाद उड़ता पंछी बन चहक रही हूँ... *और अब अच्छी रीति पढ़कर टीचर बन औरो के जीवन को भी खुशनुमा बना रही हूँ..."*
❉ *मीठे बाबा मीठी शिक्षाओं से मुझे भरपूर करते हुए कहते है:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... यह ईश्वरीय पढ़ाई ही सारे सच्चे सुखो का आधार है... इस अंतिम जन्म में अनेक जनमो के विकर्मो से मुक्त होने की जादुई छड़ी सी है... *जीवन को गजब का खुबसूरत बनाने वाली इस पढ़ाई में जी जान से जुट जाओ... और स्वयं महक कर औरो को भी महकाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ईश्वरीय पढ़ाई के महत्व को जान कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे बाबा को टीचर रूप में पाकर अति सौभाग्यशाली बन ज्ञान रत्नों के खजाने को प्रतिपल लूट रही हूँ... *और ज्ञान की बुलबुल बन कर यह मनभावन ईश्वरीय गीत हर दिल को सुना कर मन्त्रमुग्ध कर रही हूँ..."*
❉ *मेरे सुप्रीम शिक्षक बाबा ज्ञान रत्नों की वर्षा करते हुए कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब दुखो के दिन पूरे हो गए... अब ईश्वरीय यादो में महकने और खिलने के सुनहरे दिन आये है... मीठा बाबा सबको शिक्षक बन पढ़ा रहा... *सुन्दरतम देवता रूप में सजाकर सुख शांति और आनन्द के सागर में लहरा रहा... सुखो के सारे राज समझा रहा... तो इस ईश्वरीय पढ़ाई में खो जाओ औरो को भी यह मार्ग दिखाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा से अनमोल शिक्षाओं को पाकर आनन्दित होती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अब देह और दुखो की दुनिया से आजाद होकर ईश्वरीय यादो में डूब रही हूँ... *ईश्वरीय पढ़ाई में मगन होकर अपने खुबसूरत भाग्य का निर्माण कर रही हूँ... ज्ञान रत्नों से जीवन संवार रही हूँ...* और ज्ञान की बुलबुल बन टिकलु टिकलु का गीत सबके दिल आँगन में गा रही हूँ..."
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप के डायरेक्शन को अमल में लाना*"
➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में लाते ही एक अद्भुत रूहानी नशे और फखुर से मैं आत्मा भर जाती हूँ और मन ही मन अपने दिलाराम बाबा का दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ जिनके डायरेक्शन पर चल कर अपने भाग्य को सर्वश्रेष्ठ बनाने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ। *स्वयं भाग्यविधाता भगवान बाप ने भाग्य लिखने की कलम ही मेरे हाथ मे दे दी जिससे मैं जैसा चाहे वैसा अपना भाग्य लिख सकती हूँ*। स्वयं भाग्यविधाता बाप मेरा हो गया इस स्मृति से मेरा रोम - रोम प्रफुलित हो रहा है। खुशी में रोमांच खड़े हो रहें हैं और मैं आत्मा अलौकिक नशे से भरपूर हो कर स्वयं को एकदम लाइट अनुभव कर रही हूँ। मेरी यह लाइट स्थिति मुझे इस देह से न्यारा कर रही है।
➳ _ ➳ ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे मैं आत्मा इस देह से संकल्प मात्र भी अटैच नही हूँ। इस देह और देह की दुनिया से मेरा कोई नाता ही नही। *मेरे सभी सम्बन्ध केवल मेरे दिलाराम बाबा के साथ हैं जो हर पल मेरे साथ हैं*। उनकी डायरेक्शन पर चल, शरीर निर्वाह अर्थ हर कर्म करते भी मैं शरीर के भान से जैसे बिल्कुल मुक्त हूँ। *कितनी न्यारी और प्यारी है यह स्थिति जो मुझे हर बन्धन से मुक्त एक दम हल्के पन की अनुभूति करवा रही है। हल्की हो कर मैं आत्मा उड़ रही हूँ*।
➳ _ ➳ देह से न्यारे हो कर उड़ने का यह सुख कितना निराला है यह अनुभव करते, मन ही मन खुशी के गीत गाती अपने दिलाराम बाबा से मिलने की लगन में मग्न मैं उनकी ओर तीव्र गति से बढ़ती जा रही हूँ। *आजाद पँछी की भांति खुले आकाश में विचरण करती मैं आकाश से परें, फरिश्तो की दुनिया को भी पार कर लाल प्रकाश से प्रकाशित अपने शिव पिता के धाम, चमकती हूई मणियों की अति सुंदर दुनिया मे प्रवेश करती हूँ*। चमकती हुई मणियों के प्रकाश से प्रकाशित इस सुंदर दुनिया में मैं स्वयं को बेदाग हीरे के समान चमकता हुआ देख रही हूँ। मुझ चैतन्य हीरे से रंग बिरंगी किरणे निकल रही हैं।
➳ _ ➳ मेरे बिल्कुल सामने महाज्योति मेरे शिव पिता परमात्मा अपनी अनन्त शक्तियों की किरणों को चारों और फैलाते हुए अति शोभायमान लग रहे हैं। *उनसे आ रही सर्वशक्तियों की किरणें मुझ चैतन्य हीरे के ऊपर पड़ कर मेरी चमक को करोड़ों गुणा बढ़ा रही है*। बाबा की सर्वशक्तियों को स्वयं में समाकर, लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर मैं मास्टर बीजरूप स्थिति का अनुभव कर रही हूँ। अपने प्यारे शिव पिता परमात्मा के सानिध्य में मैं स्वयं को धन्य - धन्य अनुभव कर रही हूँ। *वाह मैं आत्मा, वाह मेरे बाबा, जो मुझे अपनी सर्वशक्तियों से भरपूर कर रहे हैं*।
➳ _ ➳ बीजरूप स्थिति में स्थित हो कर, बाबा के सानिध्य में गहन अतीन्द्रीय सुख की अनुभूति करने के बाद मैं लौट आती हूँ वापिस साकारी दुनिया में। *अपने शिव पिता के असीम प्यार और उनके प्यार में समा कर की हुई अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति को अपने साथ लिए मैं अपने साकारी तन में प्रवेश कर जाती हूँ*। बाबा का प्यार और अतीन्द्रिय सुख का कभी ना भूलने वाला अनुभव देह और देह की दुनिया मे रहते हुए भी अब मुझे उस दुनिया से न्यारा और बाप का प्यारा बना रहा है।
➳ _ ➳ *बाबा की हर डायरेक्शन को अमल में ला कर अपने कर्मो को श्रेष्ठ बनाकर, बाबा की याद से सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बन कर अब मैं अपने श्रेष्ठ कर्मो द्वारा अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को भी श्रेष्ठता का अनुभव करवा रही हूँ*।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सर्वशक्तिमान के साथ की स्मृति द्वारा सफलता का अनुभव करने वाली कंबाइंड रूपधारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं हाँ जी का पार्ट बजाकर सब की दुआयें लेने वाली सहयोगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. यह सब साधन आप बच्चों की सेवा के सहयोग के लिए निकले हैं। *ब्रह्मा बाप जब समाचार सुनते हैं - यह ई-मेल है, ये यह है, तो खुश होते हैं कि वाह बच्चे, वाह!* इतना सहज साधन ब्रह्मा बाप को भी साकार में नहीं मिला लेकिन बच्चों के पास हैं। खुश होते हैं। *सिर्फ सेवा का साधन समझकर यूज करना। सेवा के लिए साधन है क्योंकि विश्व-कल्याण करना है तो यह भी साधन सहयोग देते हैं। साधनों के वश नहीं होना।* लेकिन साधन को सेवा में यूज करना। यह बीच का समय है जिसमें साधन मिले हैं। आदि में भी कोई इतने साधन नहीं थे और अन्त में भी नहीं रहेंगे। यह अभी के लिए हैं। सेवा बढ़ाने के लिए हैं। लेकिन यह साधन हैं, साधना करने वाले आप हो। *साधन के पीछे साधना कम नहीं हो।* बाकी बापदादा खुश होते हैं। बच्चों की सीन भी देखते हैं। फटाफट काम कर रहे हैं। बापदादा आपके आफिस का भी चक्कर लगाते हैं। कैसे काम कर रहे हैं। बहुत बिजी रहते हैं ना! अच्छी तरह से आफिस चलती है ना! *जैसे एक सेकण्ड में साधन यूज करते हो ऐसे ही बीच-बीच में कुछ समय साधना के लिए भी निकालो। सेकण्ड भी निकालो।*
➳ _ ➳ *अभी साधन पर हाथ है और अभी अभी एक सेकण्ड साधना, बीच-बीच में अभ्यास करो।* जैसे साधनों में जितनी प्रैक्टिस करते हो तो आटोमेटिक चलता रहता है ना। ऐसे एक सेकण्ड में साधना का भी अभ्यास हो। ऐसे नहीं टाइम नहीं मिला, सारा दिन बहुत बिजी रहे। बापदादा यह बात नहीं मानते हैं। *क्या एक घण्टा साधन को अपनाया, उसके बीच में क्या 5-6 सेकण्ड नहीं निकाल सकते? ऐसा कोई बिजी है जो 5 मिनट भी नहीं निकाल सके, 5 सेकण्ड भी नहीं निकाल सके।* ऐसा कोई है? निकाल सकते हैं तो निकालो। बापदादा जब सुनते हैं आज बहुत बिजी हैं, बहुत बिजी कह करके शक्ल भी बिजी कर देते हैं। बापदादा मानते नहीं हैं। जो चाहे वह कर सकते हो। अटेन्शन कम है। *जैसे वह अटेन्शन रखते हो ना - 10 मिनट में यह लेटर पूरा करना है, इसीलिए बिजी होते हो ना - टाइम के कारण।* ऐसे ही सोचो 10 मिनट में यह काम करना है, वह भी तो टाइम-टेबल बनाते हो ना। इसमें एक दो मिनट पहले से ही एड कर दो। *8 मिनट लगना है, 6 मिनट नहीं, 8 मिनट लगना है तो 2 मिनट साधना में लगाओ।* यह हो सकता है?
✺ *ड्रिल :- "साधन और साधना का बैलेन्स रखना"*
➳ _ ➳ इस संगम युग की सुहानी बेला में... एकान्त में बैठी हुई मैं आत्मा... अपनी शांत स्वरूप स्थिति का आनंद ले रही हूँ... *मैं शांत... घर शांत... शांत वातावरण... मेरा बाबा शांति का सागर...* मेरे बाबा ऊपर से मुझ पर शांति और स्नेह की किरणें बरसा रहे हैं... मुझे बहुत ही प्रेम से अपने पास बुला रहे हैं... मैं आत्मा अपने फरिश्ता स्वरूप में स्थित हो जाता हूँ... अपने बाबा से दिव्य मिलन मनाने के लिए उड़ जाता हूँ...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता स्वरूप आत्मा... फरिश्तों की दुनिया में... ब्रह्मा बाबा के सम्मुख पहुँच जाता हूँ... स्नेह भरी दृष्टि और दिव्य मुस्कान के साथ... बाबा मेरा स्वागत करते हैं... शिवबाबा भी परमधाम से आकर... उनकी भृकुटि पर विराजमान हो जाते हैं... बापदादा अपने वरदानी हस्त मेरे सिर पर रखते हैं... वरदानों के शक्तियों भरे फव्वारे से... मुझे भिगोकर सराबोर कर देते हैं... *साधन तथा साधना का बैलेंस रखते हुए बाबा से सफलता स्वरूप भव का वरदान प्राप्त कर...* मैं फरिश्ता अपने कर्म क्षेत्र में आ जाता हूं
➳ _ ➳ मैं आत्मा पांच तत्वों की इस देह में प्रवेश कर... साधनों को देख निश्चय कर रही हूँ... यह साधन तो विश्व कल्याण करने के लिए सेवा अर्थ हैं... सेवाओं को आगे बढ़ाने के लिए हैं... *सेवा करते करते भी अपनी साररूपी बीजस्वरूप की स्थिति की अनुभूति कर रही हूँ... औरों को भी सार स्वरूप की अनुभूति करा रही हूँ...* आदि-अंत में तो यह साधन होंगे नहीं... मैं आत्मा अभी के समय में... यह सेवा अर्थ साधन पुरुषार्थ को तीव्र करने के लिए यूज़ कर रही हूँ...
➳ _ ➳ अलौकिक सेवाओं में बिजी रहकर... मैं आत्मा व्यर्थ को पूर्ण रूप से त्याग कर... समर्थ आत्मा बन रही हूँ... हर सेकंड... हर संकल्प... हर बोल को सफल बनाकर... सफलतामूर्त बन रही हूँ... ज्ञान के अनमोल रत्नों को धारण कर... धारणा स्वरूप बन रही हूँ... *एक पल सेवार्थ साधन... दूसरे ही पल साधना का उत्तम अभ्यास स्वतः ही हो रहा है...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा ऑफिस में भी हर कर्म करते हुए... स्वस्थिति को चेक कर रही हूँ... मुझे ज्ञात है... बापदादा मेरे ऑफिस का भी चक्कर लगाते हैं... मैं आत्मा विश्व कल्याणकारी सेवाओं के लिए साधनों को यूज़ कर रही हूँ... अलौकिक सेवा करते-करते... ईश्वरीय पढ़ाई में भी मग्न हो जाती हूँ... *साधन तथा साधना का बैलेन्स रखते हुए... पुरुषार्थ में तीव्रता लाकर... मैं आत्मा साधना स्वरूप बन गई हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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