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 01 / 10 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *कंबाइंड स्वरुप का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *सदकाल के लिए ख़ुशी, नशे और अनुभूति का प्रसाद पाया ?*

 

➢➢ *मास्टर शिक्षक बन दिल व जान, सिक व प्रेम से दिन रात सेवा की ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *समीप सम्बन्ध और सर्व प्राप्ति के कारण सदा सहजयोग का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *सदा अथक बन, उमंग उत्साह और तीव्र गति से सहयोगी बनकर रहे ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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✧  *मास्टर सर्वशक्तिवान को कोई रोक नहीं सकता।* जहाँ सर्व शक्तियाँ हैं वहाँ कौन रोकेगा! कोई भी शक्ति की कमी होती है तो समय पर धोखा मिल सकता है।

 

✧  मानो सहनशक्ति आप में हैं लेकिन निर्णय करने की शक्ति कमजोर है, तो जब ऐसी कोई परिस्थिति आयेगी जिसमें निर्णय करना हो, उस समय नुकसान हो जायेगा, होती एक ही घडी निर्णय करने की है - हाँ या ना, लेकिन उसका परिणाम कितना बडा होता है तो *सब शक्तियाँ अपने पास चेक करो, ऐस नहीं ठीक है, चल रहे हैं, योग तो लगा रहे हैं।*

 

✧  *लेकिन योग से जो प्राप्तियाँ हैं - वह सब हैं?* या थोडे में खुश हो गये कि बाप तो अपना हो गया। बाप तो अपना है लेकिन प्रापर्टी (वसा) भी अपनी है ना या सिर्फ बाप को पा लिया - ठीक है? वर्से के मालिक बनना है ना?

 

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:-15)

 

➢➢ *अव्यक्त बापदादा के ऊपर दिए गए महावाक्यों पर एकांत में अच्छे से मनन कर इन महावाक्यों पर आधारित योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  सहजयोगी और प्रयोगी की व्याख्या"*

 

_ ➳  मधुबन के शांति स्तम्भ पर बेठी हुई मै आत्मा असीम शांति में खोयी हुई हूँ... मीठे बाबा ने जीवन में आकर सच्ची शांति... की दौलत से जीवन को छलकाया है... स्वयं को देह समझ शांति की कण मात्र... अनुभूति की प्यासी मै आत्मा... दिल के बाहर ही इसे खोजती रही... और *अचानक मीठे बाबा ने जीवन में आकर... दिल की गहराई में छिपे समन्दर से मुलाकात करवाकर... मुझे शांति से मालामाल कर दिया है.*.. और आज मै आत्मा हर प्रयासहर प्रयोग से मुक्त होकर... सहजयोगी बनकर, मीठे बाबा के दिल में बस गयी हूँ..."

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सहजयोगी बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *सदा सहजयोगी कि, मै हूँ ही...बनकर मीठे बाबा के स्नेह में खोये रहो.*.. सहजयोगी बनकर, सर्वप्राप्तियो के अधिकारी बनकर, शक्तिशाली स्थिति में सदा स्थित रहो... सिर्फ प्रयोग करने वाले, प्रयोगी नही बनो... बल्कि सदाकाल के सहजयोगी बनकर.. स्वयं को साक्षी होकर इस बेहद के खेल को मीठे बाबा की तरह देखो... और सदा ईश्वरीय प्यार की तरंगो से छलकते रहो..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में निरन्तर खोयी हुई मीठे बाबा से कहती हूँ :-"मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपके प्यार की छत्रछाया में आप समान बनती जा रही हूँ... *सदा उमंगो के शिखर पर, आपकी यादो के नशे में झूम रही हूँ..*. आनन्द की एकरस अवस्था में हूँ... प्रयोगों की मेहनत से मुक्त, सदा अधिकारी सहजयोगी हूँ...

 

   प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी प्रेम रश्मियों में डुबोते हुए कहते है :-"मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सहजयोगी बनकर मीठे बाबा के दिलतख्त पर बैठने वाले... खुबसूरत भाग्य के मालिक बन मुस्कराओ... *मन की पोजीशन को यादो भरा बनाकर, निरन्तर याद के अहसासो में खोने वाले सहजयोगी बनो..*. ईश्वरीय प्यार में डूबे हुए त्यागी बन... अनेको का भाग्य बनाने के निमित्त बनो... ऐसे मीठे बाबा के स्नेह में चात्रक बनकर खो जाओ..."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा का असीम प्यार, मुझ आत्मा को अतीन्द्रिय सुख में डुबोते देख कहती हूँ :-"मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा देह के बन्धनों में मन को किस कदर उलझाये.. दुखो के जंगल में भटक रही थी... *मीठे बाबा आपने मेरे भटके मन को अपनी यादो का स्थायी ठिकाना देकर सुमन कर दिया है.*. मै आत्मा अपने प्यारे मन के साथ, निरन्तर आपकी यादो के मौसम में भीग रही हूँ..."

 

   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी यादो में देह से न्यारा और अपना प्यारा बनाते हुए कहा :-"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... सदाकाल की ख़ुशी, नशा और अनुभूति में खोये हुए महा भाग्यवान हो... सदा ईश्वरीय यादो के प्रतीक स्म्रति स्वरूप हो.. *सदा इन सच्ची खुशियो में नाचने वाले मा सुख स्वरूप बनकर विश्व धरा पर इठलाओ.*.. सुख सागर की यादो में डूबे, हर दिल को सुख की तरंगो से अभिभूत करो..."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा से सारे खजानो को लेकर अपनी झोली को भरपूर करते हुए कहती हूँ :-"सच्चे साथी मीठे बाबा... मै आत्मा *आपकी यादो में अपने सच्चे अस्तित्व को जानकर, असीम खुशियो में मदमस्त हूँ.*.. आपकी यादो ने जीवन को कितने खुबसूरत अहसासो से सजा दिया है... सदा खुशियो संग, हर दिल के लिए अथाह प्रेम लिए, मै आत्मा खुशियो की परी बनकर खिल उठी हूँ..."प्यारे बाबा को अपने दिल की बयानगी कर... मै आत्मा कर्मक्षेत्र पर लौट आयी...

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- कंबाइंड स्वरुप का अनुभव करना*"

 

_ ➳  मधुबन के हिस्ट्री हाल में बैठी मैं साकार मिलन की यादों को ताजा कर रही हूँ और अपने सामने बापदादा के कम्बाइंड स्वरूप को देख विचार कर रही हूँ कि जैसे ब्रह्मा बाबा और शिवबाबा कम्बाइंड हैं उन्हें कोई अलग नही कर सकता। *इसी तरह से भगवान बाप और हम ब्राह्मण आत्मायें भी कम्बाइंड हैं*। पूरे कल्प में केवल संगमयुग का यह थोड़ा सा ही समय मिलता है जब स्वयं भगवान आ कर हर कर्म में कम्पैनियन बन कम्बाइंड स्वरूप का अनुभव कराते हैं। *कोटो में कोई और कोई में भी कोई बहुत थोड़ी आत्मायें होती है जिन्हें भगवान का साथ मिलता है और वो कोटो में कोई, कोई में कोई मैं विशेष आत्मा हूँ*।

 

_ ➳  इसलिए पूरा संगमयुग अब मुझे भगवान बाप को अपना साथी बना कर, कम्बाइंड स्वरूप की स्मृति में रह, परमात्म प्यार और परमात्म पालना का आनन्द लेते हुए स्वयं को परमात्म प्राप्तियों से भरपूर करना है। *स्वयं से बातें करते - करते मैं अनुभव करती हूँ जैसे बापदादा अपना हाथ आगे बढ़ा कर, मेरा कम्पैनियन बन, सदा मेरे अंग - संग रहने का मुझे ऑफर कर रहें हैं*। बाबा की ऑफर को स्वीकार कर मैं अपना हाथ बापदादा के हाथ मे जैसे ही देती हूँ स्वयं को एकदम लाइट अनुभव करती हूँ। *ऐसा लगता है जैसे मेरे मन के सभी बोझ बाबा ने ले कर मुझे एकदम लाइट माइट बना दिया है*।

 

_ ➳  अपना ये लाइट माइट स्वरूप मुझे बहुत ही प्यारा लग रहा है। अपने लाइट माइट स्वरूप में बापदादा का हाथ थामे अब मैं सारी दुनिया की सैर कर रही हूँ। नये - नये लुभावने दृश्य देख मैं मन ही मन आनन्दित हो रही हूँ। *बाबा के साथ खेल रही हूँ, गा रही हूँ, नाच रही हूँ। प्रकृति के खूबसूरत नज़ारो का आनन्द ले रही हूँ। बापदादा के साथ सारे विश्व मे भ्रमण करते, आनन्द लेते अब मैं पहुंच गई सूक्ष्म लोक*। बापदादा मुझे अपने पास बिठा कर अब अति स्नेह भरी, शक्तिशाली दृष्टि से मुझे भरपूर कर रहें हैं।

 

_ ➳  मेरे प्यारे प्रभु मुझे प्रकाश की लहरों में नहला कर शक्तिशाली बना रहे हैं। बाबा से प्रकाश की अनन्त धाराएं निकल कर मुझ पर पड़ रही हैं। मेरे मस्तक पर मीठा सा स्पर्श करके अपनी सर्वशक्तियाँ बाबा मुझे प्रदान कर रहें हैं। उनके प्यार की शीतल छाया में मैं असीम सुख और आनन्द का अनुभव कर रही हूँ। *बापदादा अपना वरदानीमूर्त हाथ मेरे सिर पर रख कर मुझे वरदानों से भरपूर कर रहे हैं*। हर प्रकार की सिद्धि से बाबा मुझे सम्पन्न बना रहे हैं।

 

_ ➳  सिद्धिस्वरूप बन कर अपने लाइट के आकारी शरीर को सूक्ष्म लोक में छोड़ अब मैं अपने निराकार स्वरूप में अपने परमधाम घर की और जा रही हूँ। *यहां पहुंच कर अपने निराकार ज्योति बिंदु शिव पिता के साथ मैं आत्मा बिंदु अब कम्बाइंड हो कर बैठ जाती हूँ और बाबा की सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर करने लगती हूँ*। बाबा के सर्वगुणों और सर्वशक्तियों को स्वयं में समाकर मैं स्वयं को बाप समान अनुभव कर रही हूँ।

 

_ ➳  भरपूर हो कर वापिस साकारी दुनिया मे अपने साकारी तन में विराजमान हो कर, बाबा को अपना सच्चा कम्पैनियन बना कर अब मैं इस साकार सृष्टि पर रहते हर कर्म कर रही हूँ। *कभी निराकार स्वरूप में तो कभी फ़रिशता स्वरूप में कम्बाइंड स्वरूप के अनुभव द्वारा हर परिस्थिति को सहजता से पार करते, बेफिक्र बादशाह बन, मैं बापदादा के साथ अपने ब्राह्मण जीवन का भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  मैं आत्मा सर्व खजाने को विधिपूर्वक जमा कर सम्पूर्णता की सिद्धि प्राप्त करती हूँ ।*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा... बापदादा के हाथों... सम्पूर्णता का विजयी तिलक का सौभाग्य प्राप्त करने वाली सौभाग्यशाली आत्मा हूँ...* कलियुग के अंधकारों में गंवाये खजानों को संगमयुग के सुनहरे पलो में जमा कर रही हूँ...  *पूर्वज आत्मा की स्तुति स्वरूप मैं आत्मा बापदादा से प्राप्त सर्व शक्तियों को...* सर्व खजानों को... स्व के प्रति और औरों के प्रति... सफल कर रही हूँ... 63 जन्मों के विकारो को संगमयुग में योग अग्नि में यथार्थ रीति स्वाहा कर मैं आत्मा... *देवताई गुणों का स्टॉक जमा कर रही हूँ...* सतयुगी देवताई गुणों का आह्वान करती मैं आत्मा... गुणवंती बन गई हूँ... *शुभ चिंतन के संकल्पों द्वारा मैं आत्मा... सतयुगी ख़ज़ाने की अधिकारी संगम पर बन रही हूँ...*

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- रुकावटों को पार कर परमात्म प्यार का अनुभव"*

 

_ ➳ मैं परमात्म स्नेह में पलने वाली आत्मा हूँ... *परमात्म प्यार मुझ आत्मा को कल्प में एक बार संगम युग में ही प्राप्त होता है*... कितनी भाग्यशाली हूँ मैं आत्मा... जिसे रोज स्वयं भगवान अपना धाम छोड़ मिलने आते है... कदम-कदम पर बाबा मुझ आत्मा को... श्रेष्ठ संकल्पों की पूँजी दे मुझे महान बनने का सौभाग्य प्राप्त कराते है... *परमात्म प्यार पाकर मैं आत्मा अनेक बन्धनों से मुक्त होती जा रही हूँ*... बाबा अपनी सहस्त्र शक्तियाँ मुझ आत्मा को देते जा रहे है... तो *कोई भी विघ्न व रुकावट मुझ आत्मा को रोक नही सकती*... सर्वशक्तिवान मेरा हो गया... *कोई भी रुकावट मेरा कुछ भी बिगाड़ नही सकती है... मैं बाबा की कितनी लक्की, भाग्यशाली आत्मा हूँ*... बाबा की लाइट और माइट... मुझ आत्मा को सदा सेफ्टी का अनुभव करा रही है... *सारी रुकावटों को पार करती हुई... मैं आत्मा अपने पुरुषार्थ में तीव्रता से आगे बढ़ती जा रही हूँ*...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *अमृतवेले से लेकर जब उठते हो तो परमात्म प्यार में लवलीन होके उठते हो। परमात्म प्यार उठाता है।* दिनचर्या की आदि परमात्म प्यार होता है। प्यार नहीं होता तो उठ नहीं सकते। प्यार ही आपके समय की घण्टी है। प्यार की घण्टी आपको उठाती है। सारे दिन में परमात्म साथ हर कार्य कराता है। *कितना बड़ा भाग्य है जो स्वयं बाप अपना परमधाम छोड़कर आपको शिक्षा देने के लिए आते हैं।* ऐसे कभी सुना कि भगवान रोज अपने धाम को छोड़ पढ़ाने के लिए आते हैं! *आत्मायें चाहे कितना भी दूर-दूर से आयें, परमधाम से दूर और कोई देश नहीं है।*

 

 _ ➳  2. *परमधाम ऊंचे ते ऊंचा धाम है। ऊंचे ते ऊंचे धाम से ऊंचे ते ऊंचे भगवानऊंचे ते ऊंचे बच्चों को पढ़ाने आते हैं।*

 

 _ ➳  3. सतगुरू के रूप में हर कार्य के लिए श्रीमत भी देते और साथ भी देते हैं। सिर्फ मत नहीं देते हैंसाथ भी देते हैं।

 

 _ ➳  4. *अगर सुनते हो तो परमात्म टीचर सेअगर खाते भी हो तो बापदादा के साथ खाते हो।* अकेले खाते हो तो आपकी गलती है। बाप तो कहते हैं मेरे साथ खाओ। आप बच्चों का भी वायदा है - साथ रहेंगे, साथ खायेंगेसाथ पियेंगेसाथ सोयेंगे और साथ चलेंगे..... सोना भी अकेले नहीं है। अकेले सोते हैं तो बुरे स्वप्न वा बुरे ख्यालात स्वप्न में भी आते हैं। लेकिन बाप का इतना प्यार है जो सदा कहते हैं मेरे साथ सोओ, अकेले नहीं सोओ। तो उठते हो तो भी साथ, सोते हो तो भी साथखाते हो तो भी साथ, चलते हो तो भी साथ।

 

 _ ➳  *अगर दफ्तर में जाते होबिजनेस करते हो तो भी बिजनेस के आप ट्रस्टी हो लेकिन मालिक बाप है।* दफ्तर में जाते हो तो आप जानते हो कि हमारा डायरेक्टर, बास बापदादा हैयह निमित्त मात्र हैउनके डायरेक्शन से काम करते हैं। कभी उदास हो जाते हो तो बाप फ्रेन्ड बनकर बहलाते हैं। फ्रेन्ड भी बन जाता है। *कभी प्रेम में रोते होआंसू आते हैं तो बाप पोछने के लिए भी आते हैं और आपके आंसू दिल के डिब्बी में मोती समान समा देते हैं।* अगर कभी-कभी नटखट होके रूठ भी जाते होरूसते भी हो बहुत मीठा-मीठा। लेकिन बाप रूठे हुए को भी मनाने आते हैं। बच्चे कोई बात नहींआगे बढ़ो। जो कुछ हुआ बीत गयाभूल जाओ, बीती सो बीती करोऐसे मनाते भी हैं। *तो हर दिनचर्या किसके साथ हैबापदादा के साथ।*

 

✺   *ड्रिल :-  "सारे दिन में बापदादा के साथ का अनुभव करना"*

 

 _ ➳  *परमात्मा जो मुझ आत्मा जैसा ही है... हम आत्माओं के परमपिता...* जो प्यार का सागर है... शांति का सागर है... सुख का सागर है... गुणों का भंडार है... हमसे कितना प्यार करता है.... अनकंडीशनल प्यार... *परमपिता जो सारे दिन हर सम्बन्धों में साथ रहते हैं... सदा साथ निभाते हैं...*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा कितनी भाग्यवान हूँ जो अमृतवेले परमात्म प्यार में लवलीन हो उठती हूँ...* वो परमात्म प्यार की ही घंटी है जो मुझ आत्मा को जगा देता है... कल्प-कल्प की भाग्यवान आत्मा जिसकी दिनचर्या का आदी स्वयं परमात्मा के प्यार से शुरू होता है... वाह रे मैं... *मैं आत्मा बापदादा का साथ  सर्व सम्बन्धों में अनुभव करती हूँ...* टीचर रूप में ऊंचे ते ऊंचे बाप... ऊंचे ते ऊंचे बच्चों को पढ़ाने दूर देश से आते हैं...

 

 _ ➳  *जब मैं आत्मा कर्म क्षेत्र पर आती हूँ... तो सद्गुरु बाबा से मिली श्रीमत रूपी लगाम थाम लेती हूँ... ट्रस्टी बन जाती हूँ...* कभी जो डगमग हो जाऊं तो वह झट साथ देने के लिए खड़ा रहता है... *बाबा से जन्मों जन्म वायदा करते आयी हूँ... कि बाबा जब आयेंगे... साथ रहेंगे, साथ खायेंगेसाथ पियेंगेसाथ सोयेंगे और साथ चलेंगे...*

 

 _ ➳  *मीठे बाबा माँ के रूप में असीम प्यार देते हैं... निस्वार्थ प्रेम... जब चाहूँ शिव माँ की गोद में आ जाती हूँ...* और सुकून पाती हूँ... मुझ आत्मा के पिता रूप में पालना देते रहते हैं... सुख, शान्ति, पवित्रता, शक्ति, ज्ञान का वर्षा देते हैं... पिता रूप में साथ पाकर किसी बात की फिकर नहीं, कोई डर नहीं...

 

 _ ➳  जो मैं आत्मा कभी उदास हो जाऊँ...  जो कभी प्रेम में आँसू आ जाये... तो खुदा दोस्त बन बहलाते हो... *साजन रूप में, साथी बन मेरे आँसू दिल की डिब्बी में मोती समान समा देते हो...* रुठ जाऊँ तो तुम्हें बहुत मीठा लगता है और मनाने आ जाते हो... मेरे पास बैठ समझानी देते हो जो बीता भूल जाओ... बीती को बीती कर दो... आज को देखो... आने वाले सुनहरे भविष्य को देखो... मैं आत्मा मुस्कुरा देती हूँ... कितना अहोभाग्य मेरा जो परमात्मा स्वयं हर सम्बन्ध में सारे दिन साथ देता है... दैहिक सम्बन्ध तो विनाशी होता है... लेकिन बापदादा से सम्बन्ध तो अविनाशी है... *वाह रे मैं आत्मा... वाह बाबा वाह... ओम् शान्ति।*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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