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❍ 23 / 02 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *अपनी चलन और पढाई का सच्चा सच्चा समाचार बाप को दिया ?*
➢➢ *अपनी और सर्व की जीवन हीरे जैसा बनाने की सेवा की ?*
➢➢ *समझदार बन सब कुछ स्वर्ग के लिए ट्रान्सफर किया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *दाता बन अखूट खजानों का दान किया ?*
➢➢ *दृढ़ता की शक्ति से असम्भव को भी संभव बनाया ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
➢➢ *आज बाकी दिनों के मुकाबले एक घंटा अतिरिक्त °योग + मनसा सेवा° की ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - बाबा को जानी जाननहार भल कहते है परन्तु हर एक को अपना समाचार जरूर देना है,समाचार देंगे तो सावधानी मिलेगी"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... मीठा बाबा भले ही हर बात को जानने वाला है पर बच्चों को ईमानदारी से हर बात का समाचार अवश्य देना है... बताने से ईश्वर पिता की मदद और सावधानी मिलेगी... वरना वह भूल अमिट हो जायेगी... *अभी यादो में खुदको निखारने के मौसम में* खुबसूरत और साफ दिल बन चलो....
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अपने दिल की हर बात मीठे बाबा आपको सुनाकर हल्की और निश्चिन्त होती जा रही हूँ... *आपकी यादो में मै आत्मा हर विकार से मुक्त होती जा रही हूँ.*.. हर विघ्न से परे होकर त्रिनेत्री बनती जा रही हूँ...
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्ची दिल पर साहिब सदा राजी है... तो ऐसी सच्ची दिल से ईश्वर पिता के दिल को जीतने वाले, दिल तख्त धारी बन मुस्कराओ... *मीठे बाबा को दिल की हर बात बताओ* और सलाह लेकर श्रीमत प्रमाण हर कदम को उठाओ... ऐसी दैवीय चलन वाली अदा दिखाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी श्रीमत पर हर कर्म को करती जा रही हूँ... *मीठे बाबा आपकी यादो में निर्मल होती जा रही हूँ.*.. हर कर्म का पोतामेल आपको देकर सदा की निश्चिन्त होती जा रही हूँ... और सच्चा मनमीत बनाकर हर बात बताती जा रही हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... इस देह की दुनिया में और देह के प्रभाव में आकर अपने सत्य स्वरूप को सदा का भूल चले हो... मिटटी में खेलते खेलते विकारो से लथपथ हो चले हो... अब अपने हर कर्म को मीठे बाबा को बताओ और *देहभान की मिटटी से स्वयं को छुड़ाओ.*.. श्रीमत पर हर कदम उठाकर अपने खुबसूरत वजूद को पाओ...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी महकती यादो में... विकर्मो से परे होकर श्रेष्ठ कर्मो से जीवन को महान बनाती जा रही हूँ... *मीठे बाबा आपका हाथ पकड़कर मै आत्मा निश्चिन्त होकर* जीवन पथ पर देवताई सुंदरता को पाती जा रही हूँ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा विश्व सेवाधारी हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस *सृष्टि चक्र पर रुहानी यात्रा* करने के लिए निकली थी... परम पिता ने सर्व गुण सम्पन्न, 16 कलाओं से सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी अवस्था में मुझ आत्मा को इस सृष्टि पर भेजा था... मैं आत्मा यात्रा करते-करते थक गई... मुझ आत्मा के सभी गुण, कलाएं खत्म हो गई... देहभान में आकर अपने असली स्वरुप को भूल विकारों के वश हो गई...
➳ _ ➳ अब प्यारे बाबा मुझ आत्मा को घर वापस ले जाने आए हैं... बाबा ने मुझ आत्मा को *ज्ञान अमृत पिलाकर स्मृति दिलाई*... मैं आत्मा अपने प्यारे पिता को पहचान कर बहुत खुश हूँ... अब मैं आत्मा सदा अपने प्यारे बाबा के साथ रहती हूँ... सदा उनकी याद में ही रहती हूँ... प्यारे बाबा फिर से मुझ आत्मा में सर्व गुण, शक्तियों को भर रहे हैं...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा को वरदाता बाप ने *अखूट और अखंड खजानों की चाबी* देकर मालिक बना दिया... मैं आत्मा फिर से ज्ञान, गुण, शक्तियों से सम्पन्न बन शक्तिशाली बन रही हूँ... अब मैं आत्मा मास्टर वरदाता बन रही हूँ... महादानी बन रही हूँ... अब मुझ आत्मा के लेवता के संस्कार खत्म होते जा रहे हैं... मैं आत्मा सर्व को दान करने वाली देवता बन रही हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा *सदा विश्व कल्याण की स्टेज* पर स्थित रहती हूँ... सदा बेहद की सेवा के लिए तत्पर रहती हूँ... अब मैं आत्मा मनसा, वाचा, कर्मणा निःस्वार्थ सेवा करती जा रही हूँ... जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हैं मैं आत्मा सिर्फ देते जा रही हूँ... मैं आत्मा बाबा द्वारा मिलें अखूट खजानों को कार्य में लगाकर सफल करती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा समय का खजाना, श्रेष्ठ संकल्पों का खजाना औरों के प्रति लगाकर... सेवा का प्रत्यक्षफल खा रही हूँ... मैं आत्मा दुखी, अशांत आत्माओं को निःस्वार्थ प्रेम, सुख, शांति, आनंद की अनुभूति करा रही हूँ... अब मैं आत्मा दाता बन अखूट खजानों का दान करने वाली *महादानी सो विश्व सेवाधारी* स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- दृढ़ता की शक्ति से असम्भव को भी सम्भव करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... सर्वशक्तिमान की शक्तियां सदैव मेरे साथ हैं... मैं दृढ़ निश्चयी आत्मा हूँ... जो एक बार सोच लिया वो करती ही हूँ... *मेरे पास असीम दृढ़ता की शक्ति है...* इस दृढ़ता की शक्ति से मेरे लिए कोई भी कार्य अब असम्भव नहीं हैं...
➳ _ ➳ कोई भी कार्य हो, कुछ भी मुझे करना हो... दृढ़ता की शक्ति से मैं आत्मा सब कुछ कर सकती हूँ... मेरे लिये कुछ भी मुश्किल नहीं... दृढ़ता की शक्ति से मेरे लिए सब कुछ आसान हो गया है... *दृढ़ता की शक्ति से मैं आत्मा नामुमकिन को भी मुमकिन में परिवर्तित कर देती हूँ...* मैं सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ दृढ़ता की शक्ति ने मुझे महान आत्मा बना दिया है... ऊंच ते ऊंच कार्य करने के समर्थ बना दिया हैं... *मैं दृढ़ता शक्ति द्वारा अपने कठोर से कठोर संस्कारो को परिवर्तित कर... मायाजीत विजय रत्न आत्मा बन गई हूँ...* मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा... विश्व परिवर्तन के महान कार्य करने की निमित्त आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ दृढ़ता की शक्ति से मेरी दिनचर्या एक्यूरेट बाबा की श्रीमत अनुसार चलती हैं... दृढ़ता की शक्ति द्वारा मैं ब्राह्मण जीवन की हर मर्यादा पूरी शिद्दत से फॉलो करती हूँ... *दृढ़ता की शक्ति ही मेरी पहचान हैं... दृढ़ता की शक्ति ही महान कर्म का आधार हैं...* दृढ़ता की शक्ति से ही मैं आत्मा इस विश्व की ऊंच ते ऊंच आत्मा बन... अन्य आत्माओं की प्रेर्णस्त्रोत बन गई हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *दाता बन अखुट खज़ानो का दान करने वाले महादानी सो विश्व सेवाधारी होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ दाता बनना अर्थात आपके पास *जो भी स्थूल तथा सूक्ष्म प्राप्तियाँ हैं, उसे उदारता के साथ माना खुले मन के साथ बाँटिये* क्योंकि देने वाला सदा भरपूर रहता है । सूक्ष्म प्राप्तियाँ अर्थात सुख शांति ख़ुशी पवित्रता का ख़ज़ाना और स्थूल प्राप्तियाँ अर्थात देह की उसे के लिए वस्तु वैभव आदी । इसके लिए सदा स्वमान की सीट पर सेट रहे और श्रेष्ठ स्मृति में रहे की मैं कौन हुँ ? और किसकी हुँ ? तो यह नशा सदैव सूक्ष्म प्राप्तियों से भरपूर रहेगा ।
❉ जैसे की हम जानते है की *देना वास्तव में लेना होता है* क्योंकि जब भी ज्ञान से पहले हम किसी को कोई मदद करते थे तो ना चाहते हुए भी हमको वो सब वापिस मिलता ही था जो हम देते है , अब तक क्रोध दिया तो वही लौट कर मिला, इसी तरह अब हमको बहुत सक्षम में चेकिंग करनी होगी की जो भी हमको आज मिल रहा है वह हमने ही उस आत्मा को कभी दिया है तभी हमको मिल रहा है, ये समझना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि आज दिन तक हमको लगता मेरे साथ ऐसा क्यूँ हो रहा है?
❉ देने के लिए *रहमदिल बने* अपने प्रति रहमदिल बनकर अपनी पुरानी भूलों और ग़लतियों को भूल जाए । दूसरों को भी दिल से क्षमा कर दें। क्षमा करने से दिल स्वच्छ हो जाता है , दुआए मिलती हैं और पिता परमात्मा की क्षमा के भी हम पात्र बन जाते है । इस दुनिया में भी *प्रकृति अपने कर्मों से सिखा रही है जो सिर्फ़ सर्व आत्माओं को निस्वार्थ भाव से दे ही रही है ।*
❉ बाबा ने कहाँ सबसे बड़ा ख़ज़ाना है 'ख़ुशी की खुराक' जो केवल संगम पर बाबा ही आके आत्मा को तृप्त करते है । *समय और शक्तियों के सदुपयोग से ख़ुशी का ख़ज़ाना प्राप्त होता है*। ख़ुशी, बड़ी से बड़ी बात को छोटा और भारी बात को हल्काकर देती है । ख़ुशी का ख़ज़ाना बाँटना महान पुण्य कार्य है । जिससे आत्मा स्वतः ही अपने चेहरे चलन से विश्वसेवाधारी के निमित बन जाती है । ख़ुशी जैसी खुराक नही, यह आत्मा तथा शरीर दोनो को पुष्ट करती है ।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *जिसके पास दृढ़ता की शक्ति है उसके लिए असम्भव भी सम्भव हो जाता है... क्यों और कैसे* ?
❉ कोई भी कार्य कितना भी मुश्किल से मुश्किल क्यों ना हो किन्तु दृढ़ता से उस कार्य करने का संकल्प भी कार्य में सफलतामूर्त बना देता है । *क्योकि दृढ़ता की शक्ति आत्म विश्वास को जागृत करती है* और आत्म विश्वास की भावना जब व्यक्ति के अंदर जागृत हो जाती है तो मुश्किल से मुश्किल कार्य भी सहज लगने लगता है । इसलिये जितना दृढ़ता की शक्ति को स्वयं में धारण करेंगे उतना ही सफलता गले का हार बन जायेगी ।
❉ परीक्षा में असफल होने वाला विद्यार्थी भी जब दृढ़ता के साथ अपनी पढ़ाई में लग जाता है तो वह भी सफल हो जाता है । हमारी भी यह ईश्वरीय पढ़ाई है । इस पढ़ाई में भी *वही पास विद ऑनर बन सकते हैं और जो दृढ़ता के साथ पढ़ाई को अच्छी रीति पढ़ते हैं* और दृढ़ता के साथ ही ज्ञान के हर प्वाइंट को अपने जीवन में धारण करते हैं । अर्थात दृढ़ता की शक्ति को जीवन में धारण कर जो धारणामूर्त बनते हैं, सफलता उनके ही गले का हार बनती है ।
❉ दृढ़ता की शक्ति संकल्प, बोल और कर्म के व्यर्थपन को समाप्त कर, उन्हें सहज ही समर्थ बना देती है । स्मर्थपन जैसे जैसे आता जाता है कमजोरिया समाप्त होती जाती है । क्योकि *दृढ़ता की शक्ति एकाग्रता की शक्ति को जागृत करती है* और एकाग्र स्थिति में स्थित रहने वाला मन बुद्धि की लाइन क्लीयर होने के कारण हर परिस्थिति को परख कर निर्णय लेता है । इस लिए *जीवन की किसी भी परीक्षा में वह कभी भी असफल नही होता* ।
❉ जैसे साइंस वाले शस्त्र से शस्त्र को खत्म कर देते है, एक विमान से दूसरे विमान को गिरा देते हैं । इसी प्रकार हम भी अपने शुद्ध और पवित्र वायब्रेशन से अशुद्ध और व्यर्थ वायब्रेशन को, शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्पों से व्यर्थ संकल्पों को तथा *अपने अनादि और आदि संस्कारों से कमजोर आसुरी संस्कारों को सहज ही समाप्त कर सकते हैं* किन्तु यह तभी कर सकते हैं जब दृढ़ता की शक्ति स्वयं में धारण करेंगे क्योकि दृढ़ता से कमजोर संस्कारों को समाप्त करने का जब लक्ष्य रखेंगे तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी ।
❉ जैसे कछुए और खरगोश की कहानी में दिखाते हैं कि कछुए ने हिम्मत नही हारी । *वह दृढ़ता से धीरे धीरे अपना रास्ता तय करता रहा और अंत में खरगोश से पहले अपनी मंजिल पर पहुँच गया* और जीत हासिल कर ली । यह कहानी भी हमे यही शिक्षा देती है कि जीवन में चाहे कैसी भी विपरीत परिस्थितयां क्यों ना आये किन्तु जो दृढ़ता की शक्ति को धारण कर परिस्थितियों से पलायन करने के बजाए उनका डट कर सामना करते हैं सफलता उनके गले का हार बन जाती है ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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