━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 10 / 07 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *अशुद्धता को छोड़ शुद्ध अहंकार में रहे ?*
➢➢ *आपार ख़ुशी में रहे ?*
➢➢ *बापदादा समान निरहंकारी बनकर रहे ?*
────────────────────────
∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *एक की याद में मन को एकाग्र कर मनमनाभव होकर रहे ?*
➢➢ *हिम्मत का कदम आगे बड़ा बाप की हज़ार गुना मदद के पात्र बने ?*
────────────────────────
∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *सतयुगी वर्से की स्मृति रही ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
➳ _ ➳ *कर्म कर रहे हैं लेकिन एक ही समय पर कर्म और मन्सा दोनों सेवा का बैलेन्स हो।* जैसे शुरू-शुरू में यह अभ्यास कराया था कर्म भल वहुत साधारण हो लेकिन स्थिति ऐसी महान हो जो साधारण काम होते हुए भी साक्षात्कार मूर्त दिखाई दें - कोई भी स्थूल कार्य धोवीघाट या सफाई आदि का कर रहे हैं, भण्डारे का कार्य कर रहे हैं लेकिन स्थिति ऐसी महन हो - *ऐसा भी समय प्रैक्टिकल में आवेगा जो देखने वाले यही वर्णन करेंगे कि इतनी महान आत्मायें फरिश्ता रूप और कार्य क्या कर रही है।* कार्य साधारण और स्थिति अति श्रेष्ठ। जैसे सतयुगी शहजादियों की आत्मायें जब आती थी तो वह भविष्य के रूप प्रैक्टिकल में देखते हुए आश्चर्य खाती थी ना कि इतने बड़े महाराजे और कार्य क्या कर रहे हैं। विश्व महाराजा और भोजन बना रहे हैं। वैसे ही आने वाली आत्मायें यह वर्णन करेंगी कि हमारे इतने श्रेष्ठ पूज्य ईष्ट देव और यह कार्य कर रहे हैं। चलते-फिरते ईष्ट देव या देवी का साक्षात्कार स्पष्ट दिखाई दे। *अन्त में पूज्य स्वरूप प्रत्यक्ष देखने लगेंगे फरिश्ता रूप प्रत्यक्ष दिखाई देने लगेगा।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- विकर्मो का सन्यास कर कोई भी पाप कर्म नही करना"*
➳ _ ➳ ईश्वरीय यादो में प्यारे से हो गए अपने मन... और बुद्धि से बाते करती हुई मै आत्मा... अपने खुबसूरत भाग्य के नशे में डूबी हुई सोच रही हूँ... *संगम के वरदानी समय में कैसे मुझ आत्मा ने भगवान को साक्षात् पा लिया है.*.. आज बाबा की गोद में पल रही हूँ कि... देखती हूँ मुस्कराते हुए... मीठे बाबा मेरे सम्मुख खड़े बड़े ही स्नेह से निहार रहे... और अपनी बाहें फैलाकर मुझे पुकार रहे है...
❉ मीठे बाबा मुझ आत्मा को ज्ञान और योग के बाँहों में भरते हुए बोले :- " मीठे प्यारे फूल बच्चे... संगम के वरदानी समय पर हर साँस और संकल्प को शिप पिता की यादो में लगा कर... दुखो के जंजालों से मुक्त हो जाओ... *ईश्वर पिता सम्मुख होने के खुबसूरत समय पर कोई भी पाप कर्म कर.पुनः विकर्मो का खाता नही बनाओ.*.. दिल से मीठे बाबा को याद करो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा बड़े ही दिल से बाबा के महावचन सुनकर कहने लगी :- " मीठे प्यारे बाबा मेरे... *आपने यूँ अचानक से जीवन में आकर जीवन को पुण्यो की बहार बना दिया है.*.. इसके पहले तो सच्चे पुण्य को मै आत्मा जानती तक न थी... अब आपके साथ भरे यह मीठे पल मै आत्मा सदा आपकी यादो में ही बिताउंगी... यह दिलबर को दिल से मेरा वादा है..."
❉ प्यारे बाबा मुझे स्नेह के आँचल में समाते हुए बोले :- " मेरे सिकीलधे लाडले बच्चे... जनमो की बिछुड़न के बाद अपने पिता से पुनः मिले हो... तो *उनकी श्रेष्ठ मत पर चलकर इस मिलन को अमूल्य बना दो.*.. परमात्म मिलन् के सुंदर समय पर अब विकर्मो का सन्यास कर जीवन को पुण्यो से सजा दो... और देवताओ सा सुंदर जीवन सहज ही पा लो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा भगवान पिता को अपने जीवन को यूँ खुबसूरत सजाते देख बोली :- " मेरे प्यारे मीठे बाबा... मै आत्मा *आपकी फूलो सी गोंद में बेठकर गुणो की खुशबु से भरती जा रही हूँ.*.. मीठे बाबा... मुझ आत्मा को जिन सच्ची पुण्यो की राहो का... आपने राही बनाया है, उसपर आप चलकर सबको यह पुण्यो का खुबसूरत रास्ता बताती जा रही हूँ..."
❉ ज्ञान सागर बाबा मुझ आत्मा के कल्याण अर्थ कहने लगे :- "मीठे मीठे बच्चे... देह की दुनियावी आकर्षण में उलझकर ही तो जीवन दुखो का पहाड़ बन गया है... अब ईश्वरीय यादो में रह इस आकर्षण से मुक्त होकर... सुख, शांति और प्रेम से भरपूर जीवन का आनन्द लो... मीठे *बाबा से अनन्त शक्तियाँ लेकर... विकारो से परे रह, पुण्यो से दामन भर लो.*.."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने मीठे बाबा को बड़े ही प्यार से निहारते हुए कह रही हूँ :- "प्यारे *बाबा आपके बिना यह जीवन कितना बेनूर और सूना सूना सा था..*. श्रीमत के बिना कितना उजड़ा सा था... आपने आकर ज्ञान की खनक और योग की रौनक से इसे कितना प्यारा बना दिया है... पाप की ढेरी पर बेठी मुझ आत्मा को उठाकर पुण्यो के सिहांसन पर बिठा दिया है..." इन प्यार भरी बातो से स्वयं को तृप्त कर मै आत्मा अपने कर्म क्षेत्र पर आ गयी...
────────────────────────
∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अशुद्धता को छोड़, शुद्ध अहंकार में रह, बापदादा समान निरहंकारी बनना*"
➳ _ ➳ निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी इन तीन शब्दों के आधार पर ही ब्रह्माबाबा ने पुरुषार्थ कर सम्पूर्णता को प्राप्त किया। *सृष्टि के रचयिता, ऑल माइटी अथॉरिटी भगवान भी निरहंकारी बन हम बच्चों की सेवा के लिए पतित तन, पतित दुनिया मे आये*। तो ऐसे बापदादा समान निरहंकारी बन सम्पूर्णता के लक्ष्य को पाने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन के शुद्ध नशे में रह, *बापदादा समान निरहंकारी बनने का लक्ष्य रख मैं अव्यक्त फ़रिशता बन मधुबन के पांडव भवन में पहुंच जाता हूँ और हिस्ट्री हाल में लगे चित्रों को निहारने लगता हूँ* जिनमे ब्रह्मा बाबा के श्रेष्ठ कर्मो की गाथा सहज ही परिलक्षित होती है।
➳ _ ➳ हर चित्र को मैं बड़ी गहराई से देख रहा हूँ और हर चित्र में बाबा के निरहंकारी होने के गुण की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही है। बाबा के हर कर्म के यादगार चित्रों को देखते देखते साकार ब्रह्मा बाबा के एक कर्म का दृश्य मेरी आँखों के सामने स्पष्ट दिखाई देने लगता है। मैं देख रहा हूँ कि *यज्ञ वत्सों के साथ ब्रह्मा भोजन के लिए सब्जी काटने के स्थूल कार्य में बाबा जुटे हुए हैं*। सभी कह रहे हैं, बाबा:- यह कार्य हम बच्चों का है। आपके वृद्ध हाथ हैं। आपको कार्य करते देख हमारे मन को कुछ होता है। यह कार्य हमें करने दीजिए।
➳ _ ➳ यज्ञ वत्सों की बात सुन कर ब्रह्मा बाबा कहते हैं:-" मैं भी शिव बाबा का बच्चा हूं। हमारा तो कर्म योग है। यदि हम स्थूल कार्य न करें तो यह कर्म योग कैसे सिद्ध होगा! *बच्चों, यज्ञ की सेवा सर्वोत्तम सेवा है। इसके लिए तो दधीचि ऋषि की तरह हड्डिया देनी हैं*। हमारा यह अलौकिक जन्म ही सेवा के लिए है। स्वयं शिव बाबा कहते हैं कि:- "मैं आत्माओं की सेवा पर उपस्थित हुआ हूँ"। तो हम बच्चों को भी तो सेवाधारी बनना है। *हर प्रकार का कार्य करते हुए भी शिव बाबा की याद में रहने का अभ्यास करना है ताकि स्थिति एकरस और योग निरंतर हो जाए*। इस प्रकार की युक्तियां देकर बाबा अपनी बात मनवा रहे हैं।
➳ _ ➳ इस दृश्य को देखते देखते बाबा के प्रति और स्नेह उमड़ने लगता है और मैं फ़रिशता चल पड़ता हूँ बापदादा से मिलने उस अव्यक्त वतन में जहां ब्रह्मा बाबा अव्यक्त हो कर आज भी हम बच्चों की सेवा कर रहें हैं, अव्यक्त पालना में भी साकार पालना का अनुभव करवा रहे हैं। *बच्चों के इंतजार में बाहें पसारे खड़े ब्रह्मा बाबा के चेहरे की गुह्य मुस्कुराहट दूर से ही अपनी तरफ आकर्षित कर रही है*। बिना एक पल भी व्यर्थ गंवाए मैं दौड़कर बाबा की बाहों में समा जाता हूँ और बाबा का असीम स्नेह मुझ पर बरसने लगता है। मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बाबा का दुलार करना मुझे अंदर तक रोमांचित कर देता है।
➳ _ ➳ अब बाबा मुझे अपने पास बिठाकर अपनी मीठी दृष्टि से मुझे भरपूर कर रहे हैं। अपने हाथों में मेरा हाथ लेकर अपनी सर्व शक्तियां मुझ में प्रवाहित कर रहे हैं और साथ-साथ मुझे आप समान निरहंकारी बनने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। *बापदादा से मधुर मिलन मनाकर, विकर्म विनाश करने और आत्मा के ऊपर चड़ी हुई विकारों की अशुद्धता को मिटाने के लिए अब मैं आपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरुप में स्थित होकर चल पड़ती हूं परमधाम अपने ज्ञानसूर्य परम पिता परमात्मा शिव बाबा के पास*।
➳ _ ➳ परमधाम में अपनी निराकारी बीज रूप अवस्था मे अपने बीज रूप परम पिता परमात्मा शिव बाबा के सामने अब मैं उपस्थित हूँ। उनसे निकलती अनन्त सर्वशक्तियों की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं। *धीरे धीरे ये किरणे ज्वाला स्वरूप धारण करती जा रही है और इन ज्वाला स्वरुप किरणों के मुझ आत्मा पर पड़ने से आत्मा के ऊपर चढ़ी सारी अशुद्धता खत्म होती जा रही है और मैं आत्मा एकदम हल्की, शुद्ध होती जा रही हूँ*। मेरा स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली व चमकदार बनता जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे प्यारे शिव बाबा ने मुझे शुद्ध बना कर सर्वशक्तियों को समाने की ताकत दे दी हो।
➳ _ ➳ बाबा से आ रही सर्वशक्तियों को स्वयं में समा कर, परमात्म शक्तियों से स्वयं को भरपूर कर, शुद्ध रीयल गोल्ड बन कर अब मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूं। *अपने साकारी तन में प्रवेश कर अब मैं अपने श्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन के शुद्ध अहंकार में रह, बापदादा समान निरहंकारी बन अपने तन - मन - धन को ईश्वरीय सेवा में सफल कर रही हूं*।
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा सदैव एक की याद में मन को एकाग्र कर मनमनाभव रहती हूँ।"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सदैव इस बात को स्मृति में रखती हूँ कि हर समय मुझे एवररेडी रहना है...* एवररेडी अर्थात् सम्पूर्ण... सम्पूर्ण बनने के लिए एक बाप दूसरा न कोई- यह तैयारी करती हूँ... *मैं आत्मा मनमनाभव के मन्त्र से मन को सदा एक की याद में एकाग्र करती हूँ... सदा एकरस अवस्था का अनुभव करती हूँ... एक बाबा की याद की शक्ति से मैं आत्मा अपने सभी विकारों, कमी-कमजोरियों से मुक्त हो रही हूँ...* और सर्व शक्तियों से सम्पन्न बन सम्पूर्ण बन रही हूँ... किसी भी पुराने स्वभाव-संस्कारों के वश नहीं होती हूँ... अब परिस्थितियां मुझ पर हावी नहीं होती हैं... किसी भी समय कोई भी परिस्थिति आ जाए लेकिन अब मैं आत्मा एवररेडी रहती हूँ... कल भी विनाश हो जाए तो भी मैं आत्मा तैयार हूँ... *मैं आत्मा एवररेडी होकर सेवा करती हूँ जिससे सेवा में भी सर्व का सहयोग मिलता है और कदम-कदम पर सफलता भी मिलती रहती है...*
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- हिम्मत के कदम आगे बढ़ाते हुए बाप की हजार गुणा मदद के पात्र बनते हुए अनुभव करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा संसार की सबसे बड़ी हस्ती... ऑलमाइटी ऑथोरिटी की संतान हूँ... *अपने प्यारे परम पिता... शिवबाबा के साथ रहने वाली खुदाई खिदमतगार हूँ... मेरी हिम्मत बनकर... मेरे बाबा सदा ही मेरे साथ हैं...* हर कदम श्रीमत अनुसार उठाते हुए... मैं आत्मा धन्य हो रही हूँ... परम प्रिय शिव बाबा की हजार गुना मदद की पात्र बन रही हूँ... अब मुझ आत्मा को किसी भी बात का भय नहीं रहा... *कोई भी परिस्थिति अब मुझे कमजोर नहीं बना सकती...* सर्वशक्तिवान शिवबाबा मेरे साथी हैं... मैं आत्मा अपने में अब सर्वशक्तियों का अनोखा अनुभव कर रही हूँ... *हिम्मतवान बनते ही बाबा की मदद स्वतः ही प्राप्त होती जा रही है...*
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ लेकिन फिर भी सम्बन्ध जोड़ने के कारण सम्बन्ध के आधार पर स्वर्ग का अधिकार वर्से में पा ही लेते हैं - क्योंकि ब्राह्मण सो देवता, इसी विधि के प्रमाण देवपद की प्राप्ति का अधिकार पा ही लेते हैं। *सतयुग को कहा ही जाता है - देवताओं का युग। चाहे राजा हो, चाहे प्रजा हो लेकिन धर्म देवता ही है - क्योंकि जब ऊँचे ते ऊँचे बाप ने बच्चा बनाया तो उँचे बाप के हर बच्चे को स्वर्ग के वर्से का अधिकार, देवता बनने का अधिकार, जन्म सिद्ध अधिकार में प्राप्त हो ही जाता है। ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी बनना अर्थात् स्वर्ग के वर्से के अधिकार की अविनाशी स्टैम्प लग जाना।* सारे विश्व से ऐसा अधिकार पाने वाली सर्व आत्माओं में से कोई आत्मायें ही निकलती हैं। इसलिए ब्रह्माकुमार-कुमारी बनना कोई साधारण बात नहीं समझना। ब्रह्माकुमार-कुमारी बनना ही विशेषता है और इसी विशेषता के कारण विशेष आत्माओं की लिस्ट में आ जाते हैं। इसलिए ब्रह्माकुमार-कुमारी बनना अर्थात् ब्राह्मण लोक के, ब्राह्मण संसार के,ब्राह्मण परिवार के बनना।
✺ *"ड्रिल :- सतयुगी वर्से की स्मृति में रहना।"*
➳ _ ➳ *मैं फरिश्ता प्रेम सागर की लहरों में लहराती हुई, खुशियों के झूले में झूलती हुई उमंग उत्साह के पंख लगाकर उड़ चलती हूँ और पहुंच जाती हूं इस धरती के स्वर्ग मधुबन पावन भूमि पर...* मधुबन की शांति और सुकून का अनुभव करती पूरे मधुबन का चक्कर लगा रही हूँ... मैं आत्मा सभी सांसारिक झमेलों से मुक्त होकर कल्प के सबसे बड़े मिलन मेले में आई हूँ... मधुबन के डायमंड हाल में पहुंच जाती हूँ... चारों ओर सफेद पोश फरिश्तों के बीच मैं फरिश्ता योगयुक्त अवस्था में बैठ जाती हूँ... अव्यक्त बापदादा आते ही अपनी मीठी दृष्टि देकर नजरों से निहाल करते हैं... *अव्यक्त बापदादा की पावन दृष्टि से मैं आत्मा अव्यक्त स्थिति में स्थित हो जाती हूँ... और स्टेज पर बाबा के सम्मुख पहुंच जाती हूँ...*
➳ _ ➳ अव्यक्त बापदादा से अव्यक्त मिलन मनाते हुए अतीन्द्रिय सुखों में खो जाती हूँ... *फिर बाबा मुझे दिव्य दर्पण सौगात में देते हैं... जैसे ही मैं आत्मा दिव्य दर्पण में देखती हूँ मुझे अपने तीनों काल स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं...* मैं आत्मा उत्सुकतावश अपना भविष्य देखती हूँ... *मैं फरिश्ता दिव्य दर्पण के रास्ते सतयुगी स्वर्णिम दुनिया में पहुँच जाती हूँ... जहाँ चारों ओर सोने, हीरों से सजे हुए भव्य जगमगाते हुए महल नजर आ रहे हैं... चारों ओर देवी-देवता नज़र आ रहे हैं...* जो आजकल के देवी देवताओं के चित्र हैं उनसे भी अत्यंत सुन्दर, सम्पन्न, दैवीय गुणों से भरपूर दिख रहे हैं... सभी आत्मिक स्वरुप में स्थित हैं... न कोई माया है, न अपवित्रता है, न कोई विकार हैं... प्रकृति भी सतोप्रधान है... यहाँ की प्रजा भी कितनी सम्पन्न और सुखी हैं...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता स्वयं को एक दिव्य अलौकिक शहजादी के रूप में महल में सोता हुआ देख रही हूँ... *सर्वगुण संपन्न, 16 कलाओं से सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी अवस्था में मैं अति तेजस्वी, दिव्य शहजादी के रूप में स्वयं को अनुभव कर रही हूँ...* अमृतवेले पंछियों की मधुर साज से उठ जाती हूँ... पंछी भिन्न-भिन्न सुन्दर आवाजों से मेरा मनोरंजन कर रहे हैं... नैचुरल पहाड़ों से क्रॉस करता हुआ झरना बह रहा है... सुगन्धित जडी-बूटियों वाले खुशबूदार झरने में नहाकर सुन्दर देवताई ड्रेस पहनती हूँ... सोने, हीरों के आभूषणों से दासियाँ मेरा श्रृंगार करती हैं... रत्नजडित ताज पहनकर मैं शहजादी देवताई परिवार के साथ वैरायटी प्रकार के स्वादिष्ट भोजन खाती हूँ... महल से बाहर निकलकर सुन्दर-सुन्दर फूलों और फलों से लदे हुए बगीचे में प्रवेश करती हूँ... एक फल तोड़कर उसका रस पीती हूँ... कितना मीठा, स्वादिष्ट और रसीला है... *रत्नजडित झूले में सखियों संग झूल रही हूँ... खेल-खेल में पढाई कर रही हूँ... सुन्दर चित्रकारी कर रही हूँ... रतन जडित नैचुरल साज बजाकर मधुर गायन कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ फिर मैं देवता पुष्पक विमान में बैठकर आसमान में सैर करती हूँ... *सैर करते-करते मैं फरिश्ता गोल्डन ऐज से फिर से डायमंड युग में डायमंड हाल में पहुँच जाती हूँ...* सामने बापदादा मुझे देख मुस्कुरा रहे हैं... बाबा मुझे वरदानों से भरपूर कर रहे हैं... चारों ओर ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी भाई-बहनें अपने पिता से मिलन मनाकर खुशियों में नाच रहे हैं... मैं अपने श्रेष्ठ अविनाशी भाग्य पर नाज कर रही हूँ... मुझ आत्मा के दिव्य चक्षु खुल गए हैं, मुझ आत्मा की बुद्धि का ताला खुल गया है... *मैं आत्मा ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी बनने की विशेषता को समझ गई हूँ... ब्रह्माकुमार-कुमारी बनना कोई साधारण बात नहीं है... कोटो में कोई कोई में भी कोई आत्मायें ही निकलती हैं...* ब्रह्माकुमार-कुमारी बनना अर्थात् स्वर्ग के वर्से के अधिकार की अविनाशी स्टैम्प लग जाना...
➳ _ ➳ *ब्राह्मण लोक की, ब्राह्मण संसार की, ब्राह्मण परिवार की बनकर स्वर्ग के वर्से के अधिकार की अविनाशी स्टैम्प लगाकर, मैं विशेष आत्माओं की लिस्ट में आ गई हूँ...* बाबा को शुक्रिया करती हूँ कितना ऊंचा भाग्य बना दिया है मेरा... बाबा ने अपना बच्चा बनाकर स्वर्ग के वर्से का अधिकार, देवता बनने का जन्म सिद्ध अधिकार दे दिया है... बाबा मिल गया सब कुछ मिल गया... अलौकिक परिवार मिल गया, खुशियों का खजाना मिल गया... मैं आत्मा *बाबा से दिव्य अनुभूतियों की सौगात लेकर वापस अपने अकालतख्त पर विराजमान हो जाती हूँ... और सदा सतयुगी वर्से की स्मृति में रहती हूँ...*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━