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❍ 18 / 12 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *बाप से कृपा आदि तो नहीं मांगी ?*
➢➢ *सदा मीठे बोल बोले ?*
➢➢ *सुख स्वरुप बन सबको सुख दिया ?*
➢➢ *हर्षित और गंभीर बनने के बैलेंस को धारण कर एकरस स्थिति में स्थित रहे ?*
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❂ *योगी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ आत्मिक प्यार से जितना एक दो के स्नेही सहयोगी बनते हो उतना ही माया के विघ्न हटाने में भी सहयोग मिलता है। *सहयोग देना अर्थात् सहयोग लेना। तो परिवार में आत्मिक स्नेह देना है और माया पर विजय पाने का सहयोग लेना है। यह लेन-देन का हिसाब है।*
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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं साक्षी स्थिति द्वारा श्रेष्ठ पार्ट बजाने वाली आत्मा हूँ"*
〰✧ सभी सदा साक्षी स्थिति में स्थित हो हर पार्ट बजाते हो? साक्षीपन की स्टेज कायम रहती है? कभी साक्षी के बजाए पार्ट बजाते-बजाते पार्ट में साक्षीपन की स्टेज को भूल तो नहीं जाते। *जो साक्षी होगा वह कभी भी किसी पार्ट में चलायमान नहीं होगा। न्यारा होगा, प्यारा भी होगा। अच्छे में अच्छा, बुरे में बुरा ऐसे नहीं होगा।*
〰✧ साक्षी अर्थात् सदा हर कार्य करते हुए कल्याण की वृति में रहने वाले। जो कुछ हो रहा है उसमें कल्याण भरा हुआ है। *अगर कोई माया का विघ्न भी आता तो उसमें भी लाभ उठाकर, शिक्षा लेकर आगे बढ़ेगें रुकेगे नहीं।*
〰✧ ऐसे हो? सीट पर बैठकर खेल देखते हो। साक्षीपन है सीट। इस सीट पर बैठकर ड्रामा देखो तो बहुत मजा आयेगा। *सदा अपने को साक्षी की सीट पर सेट रखो, फिर वाह ड्रामा वाह। यही गीत गाते रहेंगे!*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ मनोरंजन के रूप से मनाना वह अलग चीज है। वह तो संगमयुग है मौजों का युग, इसलिए मनोरंजन की रीति से भी मनाते हो और मनाओ, खूब मनाओ। लेकिन *परमात्म रंग में रंग जाना अर्थात बाप समान बन जाना।*
〰✧ यह है रंग में रंग जाना। जैसे बाप अशरीरी है, अव्यक्त है वैसे अशरीरी-पन का अनुभव करना वा अव्यक्त फरिश्ते-पन का अनुभव करना - यह है रंग में रंग जाना। *कर्म करो लेकिन अव्यक्त फरिश्ता बन के काम करो।*
〰✧ *अशरीरी-पन की स्थिति का जब चाहो तब अनुभव करो।* ऐसे मन और बुद्धि आपके कन्ट्रोल में हो। ऑर्डर करो - अशरीरी बन जाओ। ऑर्डर किया और हुआ। फरिश्ते बन जाये।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बेहद के बाप से ऊँची पढाई पढना"*
➳ _ ➳ *मैं रूहानी गॉडली स्टूडेंट रूहानी शिक्षक से रूहानी पढाई पढने रूहानी स्कूल सेंटर पहुँच जाती हूँ...* प्यारे बाबा का प्यार से आह्वान करती हूँ... मीठे बाबा अपने रंग-बिरंगी ज्ञान-योग की किरणों को फैलाते हुए मेरे सम्मुख आ जाते हैं और प्यार से मुझे रूहानी पढाई पढ़ाकर रूहानी शिक्षाएं देते हैं...
❉ *मीठा बाबा अवतरित होकर मेरा भाग्य बनाते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... मीठा बाबा धरती पर उतरकर शिक्षक बनकर पढ़ा रहा... *विकारो के काँटों से निकाल दिव्यता का फूल बनाकर सुनहरे सुखो में खिला रहा है... तो इस बहुमूल्य पढ़ाई में माया रावण के हर विघ्नो से सावधान होकर... सच्चे स्टूडेंट बनकर अपना हर पल ख्याल रखो...”*
➳ _ ➳ *ईश्वर को हर कदम में अपने साथ पाकर उनकी गोद में सुख पाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:–* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता से ज्ञान रत्नों को पाकर देवताओ सी धनवान्, निर्मल और पवित्र बनती जा रही हूँ... *प्यारे बाबा आपने मुझे अपनी मखमली गोद में बिठाया है, और खूबसूरती से सजाया है... रत्नों से मालामाल बना दिया है...”*
❉ *प्यारे बाबा मायावी विघ्नों से सावधान करते हुए इस ऊँची पढाई का महत्व समझाते हुए कहते हैं:-* “मेरे प्यारे बच्चे... *यह पढ़ाई असाधारण है जो मनुष्य से देवताओ सा दिव्य सहज ही बना देती है...* इस सच्ची खुशियो को दिलाने वाली पढ़ाई के रोम रोम से कद्रदान बनो... माया के हर वार की दूर से ही पहचान शक्तिशाली बनकर हरा दो... *हर साँस, संकल्प में याद और पढ़ाई समायी हो ऐसा जुनूनी बन जाओ...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा हीरे जैसा भाग्य पाकर अपने जीवन की बागडोर प्यारे बाबा के हाथों में सौंपकर कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे अमूल्य खजानो को ज्ञान रत्नों को पाने वाली महान भाग्यवान मणि हूँ... कभी सोचा भी न था कि... *यूँ भगवान सुध लेगा और मुझे बैठ पढ़ायेगा, निखारेगा...* कितना प्यारा मीठा यह भाग्य मीठे दिन ले आया है...”
❉ *मेरे बाबा इस अमूल्य ज्ञान से मेरे जीवन की नैया को पार लगाते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के साथ के इन कीमती पलो में... यादो से और ज्ञान रत्नों से बेशुमार दौलत को बाँहों में भरकर, सदा का खुशियो में मुस्कराओ... *यह पढ़ाई ही खुशियो का सच्चा आधार है... इसमे हर साँस को डुबो दो... और विघ्नो से परे रहकर, हर पल इस कीमती पढ़ाई में जुट जाओ...*”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बेहद के बाप से सर्व खजानों की चाबी इस ऊँची पढाई को पाकर कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय पढ़ाई से असीम दौलत को पाने वाली जादूगरी को स्वयं में भर रही हूँ... *मै ज्ञान बुलबुल बनकर खुशियो की बगिया में चहक रही हूँ... हर दिल को सच्ची पढ़ाई का गीत सुनाकर माया रावण को रफादफा कर रही हूँ...”*
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ज्ञान और योगबल जमा करना*"
➳ _ ➳ एकांत में बैठ प्रभू चिन्तन करते हुए मैं अंतिम समय के बारे में विचार करती हूँ कि अन्त के समय जब सारी दुनिया मे हाहाकार हो रही होगी उस समय केवल वो चन्द आत्मायें उस हाहाकार में भी एकरस, अचल और अडोल होंगी जिन्होंने लम्बे समय से ज्ञान की धारणा और योग का बल जमा किया होगा। *बाबा के अव्यक्त इशारे बार - बार समय की समीपता का संकेत दे रहें हैं। तो बाबा के उन अव्यक्त इशारों को देखते हुए मैं स्वयं से ही सवाल करती हूँ कि क्या मैने अपने अंदर इतना योगबल जमा कर लिया कि अंत के समय, हलचल की परिस्थिति भी मेरी स्थिति को हिला ना सके*!
➳ _ ➳ इसी के साथ - साथ बाबा के महावाक्य स्मृति में आते हैं कि:- *"आगे चल कर आप मास्टर सर्वशक्तिवान आत्माओं के पास सब भिखारी बन कर आयेंगे। तो जब स्टॉक होगा तब तो देंगे ना! दान वही दे सकता जिसके पास अपने से ज्यादा हो। अगर अपने ही जितना होगा तो दान क्या करेगें "*। बाबा के इन महावाक्यों के स्मृति में आते ही मैं स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ कि इस संगमयुग पर अब मुझे अपने एक - एक सेकण्ड पर अटेंशन देते हुए अपने अंदर इतना योगबल जमा करना है कि अंत समय स्वयं के साथ - साथ मैं औरों का भी कल्याण कर सकूँ और बाबा के विश्व परिवर्तन के कार्य मे बाबा की मददगार बन बाबा का नाम बाला कर सकूँ।
➳ _ ➳ इसी दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ स्वयं को बलशाली बनाने के लिए अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर, सर्वशक्तिवान अपने शिव पिता परमात्मा को मैं याद करती हूँ और अपने मन बुद्धि को पूर्ण रूप से अपने मीठे प्यारे बाबा पर एकाग्र करती हूँ। *इस एकाग्रचित अवस्था मे मैं बाबा को अपने अति समीप अनुभव करती हूँ और इस समीपता का अनुभव करते - करते अपनी नश्वर देह का त्याग कर मैं चल पड़ती हूँ अपने प्राणेश्वर बाबा के पास, उनके प्यार की शीतल छाया में बैठ स्वयं को तृप्त करने के लिए*। अपने शिव पिता परमात्मा के निराकारी धाम की ओर मैं निरन्तर बढ़ती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ साकारी दुनिया को पार कर, सूक्ष्म लोक से परें अब मैं देख रही हूँ स्वयं को अपने स्वीट साइलेन्स होम में अपने शिव पिता परमात्मा के सम्मुख। मेरे दिलाराम बाबा की समीपता मुझे परमआनन्द का अनुभव करवा रही है। *सर्वशक्तियों की अनन्त किरणे बिखेरता उनका सुंदर सलोना स्वरूप मन को जैसे तृप्त कर रहा है*। उनसे निकल रही शक्तियों की रंग बिरंगी किरणे बहते हुए झरने के समान मुझ पर पड़ रही है और मन को गहन शीतलता दे रही है। *गहन शांति के गहरे अनुभवों में मैं डूब रही हूँ और बाबा से आ रही सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ भरपूर हो कर अब मैं वापिस साकार सृष्टि पर लौट कर, कर्म करने के लिए फ़िर से अपने पांच तत्वों के बने भौतिक शरीर मे प्रवेश करती हूँ। अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हूँ और हर घड़ी बाबा को अपने समीप अनुभव कर रही हूँ। अब मेरे हर श्वांस में केवल मेरे दिलराम बाबा की याद बसी है। *मेरा रोम - रोम उनकी याद से पुलकित हो रहा है। मेरे मनबुद्धि की तार अब निरन्तर उनके साथ ही जुड़ी हुई है। मैं हर पल उनके लव में लीन होकर संगमयुग के एक - एक पल को उनकी याद में सफल करते हुए, अंतिम समय के लिए, अपने अंदर ज्ञान और योगबल जमा कर रही हूँ*।
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सुख स्वरूप बन सब को सुख देने वाली मास्टर सुखदाता आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं हर्षित और गम्भीर बनने के बैलेन्स को धारण कर एकरस स्थिति में स्थित रहने वाली एकरस आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *अब बापदादा मन्सा शक्ति द्वारा सेवा को शक्तिशाली बनाने चाहते हैं।* वाणी द्वारा सेवा चलती रही है, चलती रहेगी, लेकिन इसमें समय लगता है। *समय कम है, सेवा अभी भी बहुत है।* रिजल्ट आप सबने सुनाई। अभी तक 108 की माला भी निकाल नहीं सकते। 16 हजार, 9 लाख - यह तो बहुत दूर हो गये। इसके लिए फास्ट विधि चाहिए। *पहले अपनी मन्सा को श्रेष्ठ, स्वच्छ बनाओ, एक सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं जाये।* अभी तक मैजारिटी के वेस्ट संकल्प की परसेन्टेज रही हुई है। *अशुद्ध नहीं लेकिन वेस्ट हैं इसलिए मन्सा सेवा फास्ट गति से नहीं हो सकती।* अभी होली मनाना अर्थात् *मन्सा को व्यर्थ से भी होली बनाना।*
✺ *ड्रिल :- "मन्सा शक्ति द्वारा सेवा को शक्तिशाली बनाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा खुले आसमान के नीचे बैठी... आत्मिक स्थिति का आनंद ले रही हूँ... यह शीतल हवा के साज़... पक्षियों के मधुर गीत... पेड़-पौधे व पत्तों के झूलने की आवाज़... सभी मुझे मेरे बाबा का संदेश सुना रहे हैं... *मेरे मन की लौ... महाज्योति... वरदाता... प्रभु पिता के साथ निरंतर लगी हुई है...* मेरे प्राणप्रिय मीठे बाबा मुझ आत्मा को... अपनी आंखों का नूर बनाते... दिलतख्तनशीन बनाते हैं... उनकी मीठी मीठी बातें सुनकर... उन्हें जीवन में धारण करती हुई... आनन्द से ड्रामा में पार्ट बजाती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ एक सेकण्ड में ही मैं शक्तिशाली आत्मा... ज्योतिबिंदु स्वरूप में परमधाम... अपने प्यारे शिवबाबा के सम्मुख पहुंच जाता हूँ... सर्व शक्तियों के स्रोत... मेरे बाबा मुझ पर सर्व शक्तियों की किरणें बरसा रहे हैं... मुझे सर्वशक्ति संपन्न बना रहे हैं... अब मन्सा शक्ति द्वारा... फरिश्तों की दुनिया में फरिश्ता स्वरुप में... बाप दादा के सम्मुख पहुंच गया हूँ... बापदादा अपने वरदानी हस्तों से... मुझ आत्मा को... *सर्व शक्तियों के सर्व खजाने सफल कर सफलतामूर्त भव... का वरदान दे रहे हैं...*
➳ _ ➳ बापदादा के साथ मैं फरिश्ता विश्व की सेवा कर रहा हूँ... डबल लाइट... शक्तिशाली स्थिति द्वारा... विश्व की आत्माओं को सकाश देता हुआ... उन्हें पीड़ाओ से मुक्त कर रहा हूँ... अब साकार वतन में उतर कर... भ्रकुटी अकाल तख्त पर विराजमान हो जाता हूँ... अब इस धरा पर मैं एक सामान्य व्यक्ति नहीं... विशेष आत्मा हूँ... *बेहद स्मृति द्वारा हद की बातों को समाप्त करने वाली... मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ...* चलते फिरते भी नेचुरल स्मृति है... आत्मिक स्थिति है... कहीं भी किसी में कोई आसक्ति नहीं है...
➳ _ ➳ मैं शक्ति स्वरुप... सदा सेवाओं में तत्पर हूँ... श्रेष्ठ संकल्पों का खज़ाना... संगमयुगी समय का खज़ाना... सर्व शक्तियों का खज़ाना... सर्व खजाने सफल कर रही हूँ... सेवाओं में सफलता मूर्त हूँ... मैं बाप समान सेवाधारी आत्मा... बुद्धि योग से... सदा एक बाप की प्यारी... सबसे न्यारी हूँ... *संकल्पों की वैल्यु... संगमयुगी समय की वैल्यु को समझकर... हर सेकंड को अमूल्य बना और बनाने की सेवा कर रही हूँ...* मन्सा शक्ति के द्वारा स्नेह और प्रेम से सेवा करते हुए... दुआओं का खज़ाना भी बढ़ाती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मुझ श्रेष्ठ आत्मा का... हर संकल्प... हर बोल... हर कर्म श्रेष्ठ है... अटैन्शन और चैकिंग की विधि द्वारा... व्यर्थ को पूर्ण रूप से समाप्त कर रही हूँ... सर्वशक्तियों की खान बन गई हूँ... देह की प्रवृति से पार हो कर... दिन रात सेवा में मग्न हूँ... कंपनी और कंपैनियन एक बाबा को ही बनाकर... समर्थ स्थिति में स्थित हूँ... मनसा... वाचा... चाल व चेहरा शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... *मैं शक्तिस्वरूप आत्मा... सेवाएं करती हुई... सहज ही सफलता का सितारा बनते हुए अनुभव कर रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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