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 12 / 07 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *बाप की जो राय मिलती है, उसी पर चले ?*

 

➢➢ *सबको बाप का सत्य परिचय डे पतित से पावन बनाने का श्रेष्ठ कर्तव्य किया ?*

 

➢➢ *पवित्रता की राखी बाँध पवित्र दुनिया के मालिकपने का वर्सा लिया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *ज्ञान तो लाइट और माईट के रूप में समय पर कार्य में लगा ज्ञानी तू आत्मा बनकर रहे ?*

 

➢➢ *जीरो बाप के साथ कंबाइंड हो हीरो पार्ट बजाया ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *स्वयं को विशेष आत्मा समझा ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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➳ _ ➳  वर्तमान समय सर्व की एक ही पुकार कौन-सी है, वह जानते हो? धर्मिक नेताओं, राजनेताओं और सर्वश्रेष्ठ साइन्स वा और साथ-साथ आम जनता की एक ही पुकार है कि अब जल्दी में कुछ बदलना चाहिए। *सर्व क्षेत्र की आत्मायें अब अपने को फेल अनुभव करने लगी हैं। अब कोई सुप्रीम पॉवर चाहिए।* सबकी चाहना का दीपक वा इस आवश्यकता को महसूस करने के संकल्प का दीपक जग चुका है। अब उसको और तेज करने के लिए आप सर्व आत्माओं के संकल्प घृत चाहिए जिससे सर्व की पुकार के ऊपर उपकार कर सकी। (आज दो-चार बार बीच-बीच में बिजली जाती रहती थी) देखो यह लाइट भी शिक्षा दे रही है। *जैसे लाइट एक सेकण्ड में आती और चली जाती है, ऐसे ही आप भी एक सेकण्ड में पुकार वालों के पास उपकारी बन पहुँच जाओ।* ऐसा अभ्यास आने और जाने का हो। अभी-अभी पुकार सुनी और अभी-अभी पहुँचे। अब सर्व की पुकार मेहनत से छूट सहज प्राप्ति करने की है। साइन्स वाले भी बहुत मेहनत कर थक गए हैं। धर्मिक आत्मायें भी साधना करके थक गई है। राजनैतिक लोग अनेक दल-बदलुओं के चक्र से थक गये हैं। और आम जनता समस्याओं से थक गई है। *अब सबकी थकावट उतारने वाला कौन?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  सदा ख़ुशी में रह, स्वर्ग की बादशाही के नशे में रहना"*

 

_ ➳  मीठे बाबा की यादो में खोयी... मै आत्मा अपनी खुशियो के खजाने को गिनने में मशगूल हूँ... और अपनी ईश्वरीय अमीरी को देख देख मुस्करा रही हूँ... कितना प्यारा अनोखी खुशियो से भरा जीवन मीठे बाबा ने सौगात सा दे दिया है... तभी मीठे बाबा पलक झपकते ही वहाँ उपस्थित होकर... मुझे खुशहाल देख जेसे, नयनों से कह रहे... *बच्चों की खुशियो में ही मुझ पिता की खुशियां समायी है.*..

 

   मीठे बाबा आज खुशियो की बरसात मेरे मन आँगन में बिखराते हुए बोले :- " मीठे प्यारे फूल बच्चे... अब दुःख के दिन खत्म हो चले है... *अब अथाह खुशियो भरे मीठे दिन आ चले है..*. अब ईश्वर पिता जीवन में आ गया है... चारो ओर खुशियो की बरसात है... इस नशे में सदा डूबे रहो कि सुख शांति प्रेम के मीठे पल आये की आये..."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के रूप में भगवान को सम्मुख देख देख पुलकित हूँ और कह रही हूँ :- "मीठे मीठे बाबा... *ऐसा प्यारा ईश्वरीय साथ भरा जीवन तो कल्पनाओ में भी कभी न था..*. आज आपको पाने की ख़ुशी से छलक रहा मन... जीवन की सच्चाई है... और मीठे सुख मुझे अपनी बाँहों में पुकार रहे है..."

 

   प्यारे बाबा मुझे अपनी बाँहों में दुलारते हुए ज्ञान धारा को बहाते हुए बोले :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... जो देवताई सुख कल्पनाओ से परे थे... *ईश्वर पिता उन सुख भरे खजानो को आप बच्चों की राहो में फूलो सा बिखराया है.*.. इस ख़ुशी में सदा झूमते रहो... अपने मीठे सुखो की यादो में खोये रहो..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा के वरदानों की छत्रछाया में स्वयं को भरपूर करते हुए बोली :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... दुखो के जंगल में सुख की एक बून्द को तरसती... *मै आत्मा आज स्वर्ग की बादशाही पा रही हूँ..*. कितना प्यारा मीठा और खुबसूरत भाग्य है... मै आत्मा आपके सारे खजानो की मालिक बन गयी हूँ..."

 

   मीठे बाबा रूहानी दृष्टि देते हुए और ज्ञान रत्नों से मुझे श्रंगारते हुए बोले :- "मीठे लाडले फूल बच्चे... ईश्वरीय श्रीमत पर चलकर जो सुखो की दौलत पायी है... उसके नशे में खोये रहो... संगम की यही खुशियां देवताई सुखो में बदल कर जीवन को खुशियो से महकायेंगी... *इन मीठे पलो के सुख को यादो में चिर स्थायी बनाओ.*.."

 

_ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा को अपनी मुस्कराहट से जवाब देते हुए कहती हूँ :- "मीठे बाबा सच्चे ज्ञान को पाकर सारी भटकन से छूट गयी हूँ और *आपकी छत्रछाया में गुणवान शक्तिवान बनकर सच्ची खुशियो में खिलखिला रही हूँ..*. देवताई सुखो भरा स्वर्ग अपनी तकदीर में लिखवा रही हूँ..." अपनी खुशियो की चर्चा मीठे बाबा से कर मै आत्मा कार्य पर लौट आयी..." इन मीठी ईश्वरीय यादो को दिल में समेट कर मै आत्मा अपने जगत मे आ गयी...

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सबको बाप का सत्य परिचय दे, पतित से पावन बनाने का श्रेष्ठ कर्तव्य करना*"

 

_ ➳  सच की दुनिया सचखण्ड स्थापन करने वाले सत्य परमात्मा बाप इस धरा पर अवतरित हो चुके हैं, इस सत्यता से विश्व की करोड़ो आत्मायें आज भी अनजान है इसलिए अज्ञान अंधकार में भटक कर, भगवान को पाने के लिए व्यर्थ के कर्मकांडो में उलझ कर अपने कीमती समय को बर्बाद कर रही हैं। *अज्ञान अंधकार में भटक रही इन आत्माओं को परमात्मा का सत्य परिचय दे कर उन्हें सत्य परमात्मा बाप से मिलाने का दिव्य कर्तव्य करने के लिए स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने ईश्वरीय सेवा अर्थ मुझे इस धरा पर भेजा है*। इस बात को स्मृति में ला कर, लाइट का सूक्ष्म आकारी शरीर धारण कर मैं फ़रिशता पांच तत्वों से बनी अपनी साकारी देह से बाहर निकलता हूँ और सबको परमात्मा का सत्य परिचय देने के लिए चल पड़ता हूँ।

 

_ ➳  चलते चलते बाबा के महावाक्य स्मृति में आते हैं:- "मंदिरों में जा कर सेवा करो, जो देवी देवताओं के भक्त हैं उन्हें जा कर समझाओ"। बाबा के इस फरमान का पालन करने के लिए अब मैं फ़रिशता चल पड़ता हूँ एक मन्दिर की ओर। मन्दिर के दरवाजे पर खड़ा हो कर मैं मन्दिर के अंदर का दृश्य स्पष्ट देख रहा हूँ। *शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए भक्तों की भीड़ जुटी हुई है*। एक एक करके शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद, मन्दिर में स्थापित देवी देवताओं की मूर्तियों के आगे मस्तक झुका कर भक्त नमन कर रहें हैं। *देवताओं के जड़ चित्रों के सामने खड़े हो कर उनसे सुख, शांति, सम्पति मांग रहें हैं*।

 

_ ➳  यह दृश्य देख मैं मन्दिर के अंदर पहुंचता हूँ और अपने पूज्य स्वरूप में स्थित हो, अपने मन बुद्धि की तार को परमधाम में रहने वाले अपने शिव पिता परमात्मा के साथ जोड़ कर उनका आह्वान करता हूँ। *सेकेंड में सुख, शांति के सागर मेरे शिव पिता परमात्मा अपनी सर्वशक्तियाँ बिखेरते हुए परमधाम से नीचे आ जाते हैं और मुझे अपनी छत्रछाया में ले लेते हैं*। उनकी उपस्थिति और उनकी छत्रछाया को मैं अपने ऊपर स्पष्ट अनुभव कर रहा हूं। सर्वशक्तियों की शक्तिशाली किरणे अब बाबा निरन्तर मुझ में प्रवाहित कर रहें हैं और इन सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन मुझ से निकल कर पूरे मंदिर में और मन्दिर से निकल कर दूर दूर तक चारों ओर फैलने लगे हैं।

 

_ ➳  मन्दिर का वातावरण रूहानियत की खुशबू से महक उठा है। रूहानियत की खुशबू वातावरण में फैल कर दूर दूर तक लोगो को आकर्षित कर रही हैं। दूर दूर से लोग भागते हुए मन्दिर की ओर आ रहें हैं। *मन्दिर में भक्तों की भीड़ निरन्तर बढ़ती जा रही है। मैं स्पष्ट देख रहा हूं कि मन्दिर में फैले सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन मन्दिर में उपस्थित सभी भक्त आत्माओं को गहन सुख और शांति का अनुभव करवा रहें हैं*। सभी रूहानी मस्ती में जैसे झूम रहें हैं, आनन्दित हो रहें हैं।

 

_ ➳  अब मैं वहां उपस्थित सभी भक्त आत्माओं को उनका और परमात्मा का वास्तविक परिचय देकर, पतित से पावन बनने का उपाय बता कर उन्हें अपने जीवन को शांत और सुखमय बनाने का सच्चा रास्ता बता रहा हूं। *जीवन मे सच्चे सुख और शांति को पाने का सहज और सत्य रास्ता जानकर अब  सभी भक्त आत्माएं प्रसन्नचित्त मुद्रा में दिखाई दे रही है*। मन्दिर में उपस्थित सभी भक्त आत्माओं को सुख, शांति का अनुभव करवा कर उन्हें भटकने से सदा के लिए छूटने का सत्य मार्ग दिखा कर अब मैं फिर से अपने फरिश्ता स्वरुप में स्थित हो कर मन्दिर से बाहर आ जाता हूँ और एक ऊंची उड़ान भर पहुंच जाता हूँ फरिश्तों की दुनिया में अव्यक्त बापदादा के पास।

 

_ ➳  लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर धारण किये हुए फरिश्तों की इस दुनिया मे पहुंच, बापदादा से सर्वशक्तियाँ और वरदान ले कर *अब मैं फ़रिशता बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर विश्व ग्लोब पर स्थित हो जाता हूँ और बाबा से पवित्रता की किरणें ले कर विश्व की सर्व आत्माओं को और प्रकति के पांचों तत्वों को पावन बनाने की सेवा में लग जाता हूँ*।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मैं आत्मा ज्ञान को लाइट और माइट के रूप से समय पर कार्य में लगाती हूँ।"*

 

 _ ➳  *मैं ज्ञानी तू आत्मा हूँ... ज्ञान अर्थात् नॉलेज... नॉलेज इज़ लाइट, माइट*... मुझ आत्मा को लाइट अर्थात् रोशनी है... कि ये रांग है... ये राइट है... ये अंधकार है... ये प्रकाश है... ये व्यर्थ है... ये समर्थ है... ज्ञान सूर्य बाबा ने ज्ञान के प्रकाश से मुझ आत्मा का अज्ञानता का अंधकार दूर कर दिया है... मुझ आत्मा के जीवन को रोशनी से भर दिया है... मैं लाइट और माइट से सम्पन्न आत्मा हूँ... अब मैं कभी भी अंधकार में नहीं रह सकती... *मैं ज्ञानी तू आत्मा कभी भी... रांग कर्मो के... संकल्पों के वा स्वभाव-संस्कार के वशीभूत नहीं हो सकती*... मैं आत्मा ज्ञान को लाइट और माइट के रूप से... सदा समय पर कार्य में लगाती हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- हीरो पार्ट बजाने के लिए जीरो बाप के साथ कम्बाइंड होकर रहने का अनुभव करना "* 

 

 _ ➳  मैं आत्मा महान हूँ... इस सृष्टि रंगमंच पर हीरो पार्टधारी आत्मा हूँ... *मुझे जीरो से हीरो बनाने वाले बाप के साथ सदा कम्बाइंड हूँ...* मेरे बाबा बिंदु हैं, जीरो हैं... बाबा ही मेरा संसार हैं... हर कर्म में बाबा मेरे साथ हैं...  जैसे चीनी पानी में घुलकर, पानी को मीठा बना देती... ऐसे बाबा मेरे दिल में समाये हुए है... और मेरा दिल मिश्री जैसा मीठा हो गया है... मीठा बाबा सदा ही साथ है... मैं इस विश्व में सुख शांति स्थापन करने के निमित्त आत्मा हूँ... *इस सृष्टि से माया रावण का नामो निशान मिटाने वाली हीरो पार्टधारी आत्मा हूँ...*

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

_ ➳  ‘‘आज बापदादा सर्व स्नेही और मिलन की भावना वाली श्रेष्ठ आत्माओं को देख रहे हैं। बच्चों की मिलन भावना का प्रत्यक्षफल बापदादा को भी इस समय देना ही है। भक्ति की भावना का फल डायरेक्ट सम्मुख मिलन का नहीं मिलता। लेकिन एक बार परिचय अर्थात् ज्ञान के आधार पर बाप और बच्चे का सम्बन्ध जुटातो ऐसे *ज्ञान स्वरूप बच्चों को अधिकार के आधार पर शुभ भावनाज्ञान स्वरूप भावनासम्बन्ध के आधार पर मिलन भावना का फल सम्मुख बाप को देना ही पड़ता है*। तो आज ऐसे ज्ञानवान मिलन की भावना स्वरूप आत्माओं से मिलने के लिए बापदादा बच्चों के बीच आये हुए हैं।

 

_ ➳  *कई ब्राह्मण आत्मायें शक्ति स्वरूप बनमहावीर बन सदा विजयी आत्मा बनने में वा इतनी हिम्मत रखने में स्वयं को कमजोर भी समझती हैं लेकिन एक विशेषता के कारण विशेष आत्माओं की लिस्ट में आ गई हैं*। कौन-सी विशेषता?  *सिर्फ बाप अच्छा लगता है*श्रेष्ठ जीवन अच्छा लगता है। ब्राह्मण परिवार का संगठननि:स्वार्थ स्नेह- मन को आकर्षित करता है। बस यही विशेषता है कि *बाबा मिलापरिवार मिलापवित्र ठिकाना मिलाजीवन को श्रेष्ठ बनाने का सहज सहारा मिल गया*। *इसी आधार पर मिलन की भावना में स्नेह के सहारे में चलते जा रहे हैं*।

 

✺   *"ड्रिल :- स्वयं को विशेष आत्मा समझना।"*

 

_ ➳  शुभभावनाओं की शाखाओं पर झूलता, स्नेह वात्सल्य के पलनों में पलता, मैं आत्मपंछी, मन बुद्धि की सुन्दर मणियों समान चमचमाती आँखों से इस देह रूपी पिंजरें को साक्षी भाव से देख रहा हूँ... *पाँच तत्वों से बना ये देह रूपी पिंजरा... इसमे रहने का लम्बा अभ्यास और इसकी छदम् स्वर्ण मयी आभा मुझे लुभाती है, मगर दूर क्षितिज से आती और मेरे कानो में गुनगुनाती मीठी- सी मनुहार भी मुझे बुलाती है*... मिलन की भावना में स्नेह के सहारें, उमंग उत्साह के पंखो से चले आओं मेरे पास... मानों कोई पुकार रहा है... *आ जाओ लाडलों अब अव्यक्त है इशारें इन्तज़ार कर रहे है बाबा बाहें पसारे*...

 

_ ➳  सप्तरंगों की इन्द्रधनुषी आभा से झिलमिलाती नन्हीं मणि के समान मैं आत्मा, उमंग उत्साह के पंखों से उडती जा रही हूँ परमधाम की ओर... और एक रूप होकर शिव पिता की गोद में समाँ गयी हूँ... *वो स्नेहमयी गोद, उनका वो दुलार, शुभ संकल्पों की माला बनकर सिज़रें की सभी रूहानी मणियों को शुभ भावों से भरपूर कर रहा है...* मैं आत्मा स्वयं को देर तक शान्ति प्रेम पवित्रता और शक्तियों से भरपूर करती जा रही हूँ...

 

_ ➳  *बारिश के बाद जैसे- भरपूर होकर बहता कोई झरना, झरने के नीचे भरपूर होकर झलकता कोई घट*... उसी तरह मेरे उर का घट भी छलक रहा है... छलछलाई उर में मधुशाला अंग अंग डूबा प्यार में, पाकर तेरी रहमते, खाक शेष इस संसार में... *ज्ञान स्वरूप बनकर, मैं अधिकारी बन, शुभभावना और सर्वसम्बन्धों का सुख पाती हुई, स्नेह मिलन का प्रत्यक्ष फल पा रही हूँ*... मिलन का ये सुख अनिर्वचनीय है... *न बता सकूँ न छुपा सकूँ कुछ-कुछ हालत मदहोशी की, अल्फ़ाज नहीं मिलते लबों को, और बोल रही है खामोशी भी...*

 

_ ➳  मैं आत्मा भरपूर होकर फरिश्ता रूप में बापदादा के संग विश्व सेवा पर... विश्व की सभी आत्माओं को मनसा सकाश दे रही हूँ... बापदादा के हाथों में मेरे दोनो हाथ... *मैं फरिश्ता महसूस कर रही हूँ उन हाथों की वरदानी शक्तियों को, जो मुझ फरिश्ते को शक्ति स्वरूप और महावीर बनने का वरदान दे रहे हैं*... बापदादा मुझे सदा विजयी बनने का तिलक लगा रहे हैं... *उनकी उँगलियों का वो स्नेहिल सा जादुई स्पर्श मैं देर तक अपनी भृकुटी पर महसूस कर रही हूँ... ये स्पर्श मुझे पल पल विशेष आत्मा होने का गहराई से एहसास करा रहा है* और मैं याद कर रही हूँ अपनी विशेषताओं को...

 

_ ➳  सिर्फ एक बाप को पहचाना है मैंने, सिर्फ एक बाप अच्छा लगता है... और इसी एक सम्बन्ध से सब सम्बन्ध पा लिए है... *देखूँ आँचल को मैं अपने, ये सौगातो से भरपूर है, बन गयी मैं विशेष आत्मा ये तेरी रहमतों का नूर है... ये निशदिन स्नेह की बरसाते और सुख रूहानी रिश्तों का, मंजिले कदमों तले और संग मिला फरिश्तों का*...

 

_ ➳  *बाबा मिला, परिवार मिला, जीवन को श्रेष्ठ बनाने का सहारा मिल गया*... पाना था जो पा लिया के नशे में चूर मैं आत्मपंछी लौट आयी हूँ फिर से उसी देह में... *अब ये देह मेरे लिए पिंजरा नही है... ये विशेष साधन है संगम पर विशेष कमाई का*... साक्षी भाव से देखती हुई मैं विशेष आत्मा बैठ गयी हूँ पंच तत्वो के इस विशेष रथ पर... अपनी विशेष सेवाओ के निमित्त... अपनी विशेषताओं के नशे में चूर... *क्योंकि इस संगम पर मेरा अब हर पल विशेष है*... ओम शान्ति...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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