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 02 / 07 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)

 

➢➢ *आत्माओं को शांति का अनुभव करवाया ?*

 

➢➢ *हर कर्म से पहले चेक किया की क्या यह बाप का कार्य है ?*

 

➢➢ *"बाबा हम आपके, और आप हमारे" - यह पक्का सौदा किया ?*

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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)

 

➢➢ *अपने श्रेष्ठ भाग्य के नशे में रहे ?*

 

➢➢ *सच्ची दिल से दिलाराम को अपना बनाया ?*

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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )

 

➢➢ *दिव्य बुधी के यंत्र द्वारा खुद को चेक किया की मेरा नंबर कौन सा है ?*

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

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➳ _ ➳  अशरीरी बनना इतना ही सहज होना चाहिए। जैसे स्थूल वस्त्र उतार देते हैं वैसे यह देह अभिमान के वस्त्र सेकंड में उतारने हैं। जब चाहे धारण करें, जब चाहे न्यारे हो जाएं। लेकिन यह अभ्यास तब होगा जब किसी भी प्रकार का बंधन नहीं होगा। *अगर मन्सा संकल्प का भी बंधन है तो डिटैच हो नहीं सकेंगे।* जैसे कोई तंग कपड़ा होता है तो सहज और जल्दी नहीं उतार सकते हो। इस प्रकार मन्सा, वाचा, कर्मणा सम्बन्ध में अगर अटैचमेंट है लगाव  है तो डिटैच नहीं हो सकेंगे। ऐसा अभ्यास सहज कर सकते हो। जैसा संकल्प किया, वैसा स्वरूप हो जाए। संकल्प के साथ-साथ स्वरूप बन जाते हो या संकल्प के बाद टाइम लगता है स्वरूप बनने में? संकल्प किया और अशरीरी हो जाओ। *संकल्प किया मास्टर प्रेम के सागर की स्थिति में स्थित हो जाओ और वह स्वरुप हो जाए।* ऐसी प्रैक्टिस हैं? अब इसी प्रैक्टिस को बढ़ाओ। इसी प्रैक्टिस के आधार पर स्कॉलरशिप ले लेंगे।

 

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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  संगमयुगी स्वराज्य दरबार ही सर्वश्रेष्ठ दरबार"*

 

_ ➳  मै ओजस्वी आत्मा चमकती हुई मणि... मीठे बाबा की गहरी यादो में खोयी हुई... शांतिवन में मीठे बाबा के कमरे में बेठी हुई हूँ... और *बाबा भी पल भर में जेसे मेरी यादो में खिचते हुए वहाँ उपस्थित हो गए.*.. और गहरी प्रेम दृष्टि से मुझ आत्मा को गुणो और शक्तियो से भरने लगे... मै आत्मा बाबा की सारी शक्तियो की स्वयं में समाती हुई देख रही हूँ... और अपना तेजस्वी रूप देख देख पुलकित हो रही हूँ...

 

   मीठे बाबा मुझ आत्मा को श्रेष्ठ राज्याधिकारी के रूप में देखते हुए बोले :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *संगमयुगी स्वराज्य दरबार सबसे खुबसूरत दरबार है.*.. यह दरबार जन्म जन्मातर की दरबार की फाउंडेशन है.. इसलिए दिव्य बुद्धि के यन्त्र द्वारा अपना स्थान छैक करो... मा त्रिकालदर्शी बनकर तीनो कालो की नालेज के आधार पर इस दिव्य बुद्धि के यन्त्र को यूज करो..."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा की ज्ञान मणियो को दिल में समाती हुई बोली :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... *आपने जीवन में आकर खुबसूरत नये आयाम दिए है.*.. दुखभरी उदासी से छुड़ाकर मुझे सदा की मुस्कान से सजाया है... शरीर की पराधीन सी मुझ आत्मा को मुक्त कराकर.. स्वराज्य अधिकारी सा सजा मेरे भाग्य में चार चाँद लगा दिए है..."

 

   मीठे बाबा मुझ आत्मा के शानदार भाग्य पर मुस्करा रहे है और कह रहे है :- "यह स्नेह सागर और नदियो का प्यार भरा मिलन है.. कितना प्यारा भाग्य आप बच्चों का है कि पूरे विश्व में अथाह संख्या होते हुए भी आपने मिलन का भाग्य पाया है... *भोले भक्त कण कण में ढूंढते ही रह गए और भोले के बच्चों ने भोले को ही पा लिया.*.. सच्ची दिल वालो ने दिलाराम को पा लिया और दिल में समा लिया..."

 

_ ➳  ईश्वर पिता के हाथो में सजते संवरते अपने भाग्य को देखकर मै आत्मा बाबा की दीवानी होकर कहने लगी :- " प्यारे लाडले बाबा मेरे... आपके मिलन को आपके दरस को मै आत्मा जनमो कितना भटकी हूँ... अब जीवन में आकर आपने मुझ बेचैन दिल आत्मा को... सदा का आराम दिया है... पता है ना मीठे बाबा आपके बिना वो दिन कितने उजड़े और सूने थे... *आपने आकर खुशियो के घुँघरूँ मेरे पेरो में बांध दिए है.*.."

 

  प्यारे बाबा बहुमूल्य रत्नों को मेरी झोली में बरसाते हुए बोले मीठे लाडले बच्चे :- "याद और सेवा में बेलेन्स को रखकर सदा वर्द्धि को पाते रहो... होलिहंस बनकर सदा विशेषताओ के मोती ही चुगते रहो... सदा फॉलो फादर कर बापदादा के दिल तख्त पर छाये रहो... *शिव शक्ति कम्बाइंड इस विशेषता से सदा सजे रहकर सफलताओ के आसमाँ को छु लो..*."

 

_ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा को अपनी बाँहों में भरकर प्यार करते हुए कह उठी :- "मेरे दिल के चैन बाबा... आपकी प्यारी श्रीमत ने मुझे हर बुराई से परे कर होलिहंस रूप में निखारा है... मै आत्मा व्यर्थ से निकल समर्थता को पा चली हूँ... *आपकी यादो में शिव शक्ति बनकर शक्तियो से भरपूर हो गयी हूँ.*.. और जहाँ भी कदम रखती हूँ सफलता कदमो को चूमती है... ऐसी मीठी रुहरिहानं कर मै आत्मा अपने कार्य क्षेत्र पर आ गयी..."

 

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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अपने श्रेष्ठ भाग्य के नशे में रहना*"

 

_ ➳  अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में ला कर मैं अपने संगमयुगी ब्राह्मण जीवन के बारे में विचार कर रही हूं कि *कितनी पदमा पदम सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान ने आ कर ब्राह्मण जीवन रूपी अनमोल तोहफा मुझे दे कर मेरे कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बना दिया*। कोटो में कोई, कोई में भी कोई का जो गायन है वो मेरे लिए ही तो है। मैं ही तो हूँ वो कोटो में कोई और कोई में भी कोई वो भाग्यशाली आत्मा जिसे स्वयं भगवान ने चुना है। बड़े बड़े महा मण्डलेशवर, साधू सन्यासी भगवान की महिमा के गीत तो गाते आये लेकिन आज तक उसे पहचान नही पाए।

 

_ ➳  जिस भगवान की महिमा के गीत दुनिया गाती है वो भगवान रोज मेरे सम्मुख आकर मेरी महिमा के गीत गाता है। रोज मुझे स्मृति दिलाता है कि मैं महान आत्मा हूँ। मैं विशेष आत्मा हूँ। मैं इस दुनिया की पूर्वज आत्मा हूँ। *अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के बारे में विचार करते करते मैं अपने मीठे प्यारे बाबा की मधुर याद में एकाग्र हो कर जैसे ही बैठती हूँ ऐसा अनुभव होता है जैसे अपने लाइट माइट स्वरूप में बाबा मेरे सम्मुख आ कर खड़े हो गए हैं*।

 

_ ➳  बाबा अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर मुझे श्रेष्ठ स्वमानों की स्मृति दिलाते हुए मुझ से कह रहें हैं - मेरे मीठे बच्चे, तुम साधारण नही हो। मैंने तुम्हे संसार की करोड़ो आत्माओं में से चुना है महान कार्य करने के लिए। इसलिये तुम बहुत महान हो। *अपनी सर्वशक्तियाँ, सर्व खजाने मैंने तुम्हे दे दिए हैं। इसलिए इस बात को स्वीकार करो कि तुम मास्टर सर्वशक्तिवान हो*। मंदिरों में तुम्हारी ही पूजा हो रही है। तुम इष्ट देवी हो। सबके विघ्नों को हरने वाले तुम ही विघ्न विनाशक गणेश हो। तुम पूर्वज हो। तुम विजय माला के मणके हो। तुम्हारी माला सिमर कर आज भी भक्त समस्यायों से मुक्त हो रहें हैं। तुम दुनिया की सभी आत्माओं को दुखो से छुड़ाने वाले फरिश्ते हो।

 

_ ➳  स्वयं भगवान के मुख से अपने लिए इतने श्रेष्ठ स्वमान पा कर एक अलौकिक रूहानी नशे से मैं ब्राह्मण आत्मा भरपूर होती जा रही हूं। *मुझे अनुभव हो रहा है जैसे एक जागती हुई ज्योति प्रकाश के शरीर में भृकुटि सिहांसन पर विराजमान हो कर चमक रही है जिसकी दिव्य आभा चारों और फैल रही है*। अपनी दिव्य आभा चारों और फैलाती हुई अपनी प्रकाश की सूक्ष्म काया के साथ मैं आत्मा अब साकारी देह से निकल कर अपने भाग्य विधाता भगवान बाप से मिलन मनाने चल पड़ती हूँ, इस साकारी दुनिया को छोड़ उस निराकारी दुनिया में जहां मेरे भाग्य के रचयिता मेरे बाबा रहते हैं।

 

_ ➳  सेकेंड में पांच तत्वों की बनी इस साकारी दुनिया को पार कर मैं पहुंच जाती हूँ अपने शिव पिता के पास। अब मैं देख रही हूँ स्वयं को अपने स्वीट साइलेन्स होम परमधाम में। *सामने ज्योति पुंज के रूप में मेरे भाग्य की रचना करने वाले मेरे मीठे शिव बाबा और उनके सामने मैं चमकती हुई ज्योति बिंदु आत्मा*। मन ही मन संकल्पो के द्वारा मैं अपने मीठे बाबा का आभार प्रकट कर रही हूं । मुझे नवजीवन देने वाले मेरे मीठे बाबा आपका निस्वार्थ असीम प्यार पा कर मेरा जीवन धन्य धन्य हो गया है। *इस जीवन में अब कुछ भी पाने की इच्छा शेष नही रही*। जो मैंने पाना था वो आपसे मैंने सब कुछ पा लिया है।

 

_ ➳  मेरे संकल्पो में छुपे प्रेम के अहसास को मेरे मीठे बाबा जान कर और समझ कर अब *अपना असीम प्रेम शक्तिशाली किरणों के रूप में निरन्तर मुझ पर बरसा रहे हैं* और उनके प्रेम की गहराई में मैं डूबती जा रही हूं।

 

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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  मैं आत्मा सदैव हद की इच्छाओं से मुक्त रहती हूँ।"* 

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा सदा स्वमान में स्थित रहती हूँ... मुझ आत्मा को कभी भी हद का मान प्राप्त करने की इच्छा नहीं होती है... क्योंकि एक स्वमान में सर्व हद की इच्छायें समा जाती हैंमांगने की आवश्यकता नहीं रहती... हद की इच्छायें कभी भी पूर्ण नहीं होती हैंएक हद की इच्छा अनेक इच्छाओं को उत्पन्न करती है... *स्वमान में रहने से मुझ आत्मा की सर्व इच्छायें सहज ही सम्पन्न हो रही हैं... इसलिए मैं आत्मा अप्राप्ति वा हद की इच्छाओं की अविद्या रख स्वमानधारी बन, सर्व प्राप्ति स्वरूप बन रही हूँ...*

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  हर परिस्थिति में स्वयं को मोल्ड कर रीयल गोल्ड जैसा अनुभव करना"* 

 

➳ _ ➳  *मैं आत्मा अमृतवेले ही तीन बिंदियों का तिलक लगाती हूँ - मैं बिंदी, बाबा बिंदी और ड्रामा बिंदी...* जो हो गया, जो हो रहा है, नथिंग न्यू... तो मैं आत्मा तीन बिंदियों का तिलक लगाने से अचल अडोल रहती हूँ... मैं आत्मा सदैव हजार भुजाओं वाले बापदादा की छत्रछाया में हूँ... *स्वयं भगवान मेरा साथी है... तो मुझ आत्मा का अकल्याण हो नही सकता*... मैं आत्मा हर पेपर को साइड सीन समझ सहज पार करती जा रही हूँ... मैं मा. सर्वशक्तिमान हूँ की स्वमान की सीट पर सेट रह हर परिस्थिति में अपने को मोल्ड कर उसे खेल समझ आगे बढ़ती जा रही हूँ... मैं आत्मा एक बाप की याद रुपी योगाग्नि में विकारों को भस्म कर शुद्ध सोना बनती जा रही हूँ...

 

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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )

 

✺ अव्यक्त बापदादा :-

 

➳ _ ➳  कोई शास्त्रार्थ करते शास्त्र में ही रह गये। कोई महात्मायें बन आत्मा और परमात्मा की छोटी सी भ्रान्ति में अपने भाग्य से रह गये। बच्चे बन बाप के अधिकार से वंचित रह गये। *बड़े-बड़े वैज्ञानिक खोजना करते उसी में खो गये। राजनीतिज्ञ योजनायें बनाते-बनाते रह गये। भोले भक्त कण-कण में ढूँढते ही रह गये। लेकिन पाया किन्हों ने? भोलेनाथ के भोले बच्चों ने।* बड़े दिमाग वालों ने नहीं पाया लेकिन सच्ची दिल वालों ने पाया। इसलिए कहावत है - सच्ची दिल पर साहब राजी।

 

➳ _ ➳  तो सभी सच्ची दिल से दिलतख्तनशीन बन सकते। सच्ची दिल से दिलाराम बाप को अपना बना सकते। दिलाराम बाप सच्ची दिल के सिवाए सेकण्ड भी याद के रूप में ठहर नहीं सकते। सच्ची दिल वाले की सर्वश्रेष्ठ संकल्प रूपी आशायें सहज सम्पन्न होती हैं। *सच्ची दिल वाले सदा बाप के साथ का साकार, आकार, निराकार तीनों रूपों में सदा साथ का अनुभव करते हैं।*

 

✺  *"ड्रिल :- सच्ची दिल से दिलाराम को अपना बनाना।”*

 

➳ _ ➳  *मैं आत्मा उद्यान में खडी सूरजमुखी के पुष्पों को देख रही हूँ... देखने में कितने आकर्षक लग रहे हैं... सारे उद्यान की शोभा बढ़ा रहे हैं...* सूरजमुखी पुष्प दिनभर सूर्य के चारों ओर घूमता रहता है... जिस दिशा में सूर्य होता हैसूरजमुखी का फूल उसी दिशा में अपना मुँह कर लेता है... सूरजमुखी के फूल सूर्यादय पर खिलते हैं, तथा सूर्यास्त के समय बन्द हो जाते हैं... जैसे सूर्य ही उनके लिए सबकुछ हो... *मैं आत्मा भी सूरजमुखी पुष्प बन परमधाम ज्ञान सूर्य बाबा के सम्मुख पहुँच जाती हूँ...* 

 

➳ _ ➳  ज्ञान सूर्य बाबा से आती सुनहरी लाल प्रकाश की तेज रश्मियाँ मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं... मुझ आत्मा के जन्म-जन्मान्तर के विकर्म इन तेज रश्मियों में दग्ध हो रहे हैं... *देह रूपी तितली, देह के सम्बन्ध, देह के पदार्थ रूपी तितलियाँ मुझ आत्मा रूपी फूल को घेरे हुए थी, जिससे मैं आत्मा नीचे दबकर नीचे गिरती चली गई थी...* पुराना देह, देह के सम्बन्ध, देह के पदार्थ रूपी सभी तितलियाँ बाहर उड़ते जा रहे हैं... अब बची सिर्फ मैं बीजरूप आत्मा जो सब बोझों से मुक्त होकर सूरजमुखी पुष्प बन खिल रही हूँ... *मैं आत्मा सूरजमुखी पुष्प समान ज्ञान सूर्य को ही निहार रही हूँ...* ज्ञान सूर्य के सिवा सब कुछ भूल गई हूँ...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा ज्ञान सूर्य बाबा के साथ धीरे-धीरे निराकारी वतन से नीचे आती हूँ आकारी वतन में... जहाँ आकारी रूप में ब्रह्मा बाबा बैठे हुए हैं... निराकारी बाबा आकारी बाबा के मस्तक पर विराजमान होकर मुस्कुरा रहे हैं... *परमात्मा के इस अवतरण को प्रत्यक्ष देख मुझ आत्मा के नैनों से परमात्म प्रेम की अश्रुधारा बहने लगती है... भक्तिमार्ग में भोले भक्त कण-कण में ढूँढते ही रह गये... बड़े-बड़े वेदांती, शास्त्री भी शास्त्र में ही रह गये...* साधू, सन्यासी, महात्मा भी भगवान के असली स्वरूप को नहीं पहचान पाए... बड़े-बड़े वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ भी भगवान् को खोज नहीं पाये... किन्तु भोलेनाथ बाबा मिले भोले-भाले, सच्ची दिल वाले बच्चों को...     

 

➳ _ ➳  मैं कितनी ही भाग्यशाली आत्मा हूँ जो परमात्मा ने मुझे अपना बनाया... भक्तिमार्ग के आडम्बरों से बचा लिया, दर-दर भटकने से मुक्त कर दिया... मैं आत्मा अपने भाग्य पर नाज करती बाबा को ही एकटक देखती जा रही हूँ... *मुझ आत्मा के नैनों से निकली अश्रुधारा में मेरे दिल की सारी गंदगी बाहर निकल रही है... सारा मैल खत्म होकर मुझ आत्मा का दिल का कोना-कोना बिल्कुल साफ़ और स्वच्छ हो गया है... मैं आत्मा सच्ची दिल वाली बन गई हूँ...* जिसके दिल में सिर्फ और सिर्फ एक दिलाराम बाबा है...  

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा दिलाराम बाबा को अपने दिल में बिठाकर दिल भर-भर के मिलन मनाती रहती हूँ... मुझे अलग से बाबा को याद नहीं करना पड़ता क्योंकि बाबा सदैव मेरे दिल में ही रहते हैं... सहज याद से मुझ आत्मा के सभी सर्वश्रेष्ठ संकल्प सहज सम्पन्न हो रहे हैं... अमृतवेले से लेकर हर कर्म में बाबा मेरे साथ ही रहते हैं... हर पल मुझे साकार पालना का अनुभव कराते रहते हैं... मैं आत्मा हर कर्म बाबा की राय लेकर श्रीमत अनुसार कर रही हूँ... *मैं आत्मा साकार, आकारनिराकार तीनों रूपों में सदा बाबा के साथ का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा सच्ची दिल से दिलाराम बाप को अपना बनाकर बाबा की दिलतख्तनशीन बन गई हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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