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❍ 21 / 11 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)
➢➢ *"हर एक पार्टधारी का पार्ट अपना अपना है" - यह स्मृति रही ?*
➢➢ *साक्षी हो हर एक पार्टधारी का पार्ट देखा ?*
➢➢ *पवित्रता की धारणा पर विशेष अटेंशन रहा ?*
➢➢ *मास्टर सर्वशक्तिवान की स्मृति द्वारा सर्व हलचलों को मर्ज किया ?*
➢➢ *नाज़ुक परिस्थितियों में घबराने की बजाये उनसे पाठ पढकर स्वयम को परिपक्व बनाया ?*
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❂ *तपस्वी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ *कोई भी कर्म करते सदैव यही स्मृति रहे कि हर कर्म में बापदादा मेरे साथ भी है और हमारे इस अलौकिक जीवन का हाथ उनके हाथ में है अर्थात् जीवन उनके हवाले है। फिर जिम्मेवारी उनकी हो जाती है।* सभी बोझ बाप के ऊपर रख अपने को हल्का कर दो तो कर्मयोगी फरिश्ता बन जायेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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〰✧ (बापदादा ने ड्रिल कराई) *एवररेडी हो?* अभी-अभी बापदादा कहें *सब इकट्ठे चलो तो चल पडेगे?* कि सोचेंगे कि फोन करें, टेलीग्राम करें कि हम जा रहे हैं? टेलीफोन के ऊपर लाइन नहीं लगेगी? आपके घर वाले सोचेंगे कहाँ गये फिर?
〰✧ *सेकण्ड में आत्मा चल पडी* - है तो अच्छा ना कि याद आयेगा कि अभी तो एक सबजेक्ट में कमजोर हूँ? अच्छा, यह याद आयेगा कि चीजों को सिर्फ ठिकाने लगाकर आऊँ? सिर्फ इतल्ला करके आऊँ कि हम जा रहे हैं?
〰✧ यह सोच थोड-थोडा चलेगा? नहीं। सभी बंधन मुक्त बनेंगे। *अभी से चेक करो कि कोई सोन का, चांदी का धागा तो नहीं है?* लोहा मोटा होता है तो दिखाई देता है लेकिन ये सोना और चांदी आकर्षित कर लेता है।
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- इस अनादि खेल में हर एक पार्टधारी का पार्ट अपना-अपना है"*
➳ _ ➳ मधुबन पाड़व भवन की बगियाँ में झूले पर बैठी मैं आत्मा मीठे रंगीले बाबा की रंगीली यादों में खो जाती हूँ... कि *कैसे-कैसे रंगों से उसने मेरे बेरंग जीवन को रंगों से सजा कर खुबसूरत बनाया है... कितना उसने मुझे अपने बेपनाह प्यार से नवाजा है... किस कदर उसने बेपनाह प्यार मुझ पर लुटाया है...* कितना शानदार श्रेष्ठ मुझ आत्मा का भाग्य बनाया है... तभी अचानक रंगीले बाबा झुले पर रूबरू हो ज्ञान के रंग से मुझ आत्मा को रंगने लगते है
❉ *बेहद के महानायक मीठे बाबा ज्ञान की गोली देते हुए मुझ आत्मा से बोले :-* "मीठे लाडले बच्चे मेरे... ड्रामा का यह राज इस संगम पर आकर बाबा ने तुम्हें है समझाया... *इस ड्रामा के एक-एक पन्ने में है कल्याण समाया... इस ड्रामा में हर आत्मा का अपना-अपना पार्ट है* यह गुह्य राज तुम बच्चों को है बताया इस राज को अब तुम प्रैक्टिकल जीवन में लाओ और इसका स्वरूप बन जाओ इसे बुद्धि में बिठाओ..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बाबा से मिली इस ज्ञान की गोली को खाते हुए कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे ओ लाडले बाबा मेरे इस राज को जान कितना सुकुन मुझ आत्मा ने है पाया... *इस खेल में हर पार्टधारी का पार्ट एक दुसरे से जुदा है वाह बाबा इस राज ने मुझे बड़ा निश्चित बनाया है... इस राज को मुझ आत्मा ने बुद्धि में बिठाया है"*
❉ *ज्ञान की किरणों की रिमझिम बारिश करते हुए मीठे बाबा मुझ आत्मा से कहते है :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे मेरे *बेहद बाबा की दृष्टि से तुम भी इस ड्रामा पर नजर फिराओ...* हर एक के अनादि पार्ट को जान अब तुम निश्चित अचल बन जाओ.."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा की हर बात को दिल में समाते हुए कहती हूँ :-* "मीठे ज्ञान सागर बाबा मेरे... आपकी पनाहों में बैठ मैं आत्मा इस सृष्टि ड्रामा को आपकी नजर से देख रही हूँ... और *हर के अनादि अविनाशी पार्ट को समझ निश्चित अवस्था में टिक गयी हूँ..."*
❉ *सर्व शक्तियों को मुझ आत्मा में भरते हुए मीठे बाबा मुझ आत्मा से कहते है :-* "मेरे प्यारे राजदुलारे बच्चे... *सबके अविनाशी, अनादि पार्ट को जान... साक्षी हो आगे बढ़ते जाओ... नथिग न्यू के पाठ को प्रैक्टिकल में लाओ...* बनी बनाई बन बन रही है इस राज को जान अब सदा हर्षाओ हर सीन को देख वाह ड्रामा वाह के गीत गाओ..."
➳ _ ➳ *इस बेहद ड्रामा के राज को जान नशे से मैं आत्मा कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे-प्यारे बाबा मेरे... कितना सुंदर और शानदार रूप से आपने इस आनादि खेल के राज को है समझाया... *हर आत्मा का अपना-अपना पार्ट है इस राज को जान साक्षी भाव मुझ आत्मा में आया है... बेहद दृष्टि से देख रही इस ड्रामा को मैं आत्मा इसकी हर सीन में कल्याण समाया है...* आपकी सुंदर सरल समझानी ने मुझे नथिग न्यू का पाठ है पक्का कराया... इस गुह्य राज को जान और मान मुझ आत्मा का है मन हर्षाया..."
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- आत्मा को सच्चा सोना ( कंचन ) बनाने के लिये इस अंतिम जन्म में पवित्र बन बाप को याद करना*"
➳ _ ➳ जब मैं आत्मा अपने अनादि सतोप्रधान स्वरूप में थी तो मेरा स्वरूप एक दम कंचन जैसा था, यह विचार मन मे आते ही *मेरी आँखों के सामने मेरा अति उज्ज्वल सोने के समान चमकता हुआ स्वरूप स्पष्ट दिखाई देने लगता है और मैं आत्मा मंत्रमुग्ध हो कर अपने अति सुंदर सितारे के समान चमकते हुए अपने स्वरूप को मन बुद्धि रूपी नेत्रो से निहारते - निहारते अपनी निराकारी चमकते सितारों की दुनिया परमधाम पहुँच जाती हूँ*।
➳ _ ➳ अब मैं देख रही हूँ स्वयं को अपने संपूर्ण निर्विकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में पवित्रता के सागर, एवरप्योर अपने शिव पिता के सामने अपनी निराकारी, निर्विकारी दुनिया परमधाम में। *सच्चे सोने के समान चमकता मेरा दिव्य ज्योतिर्मय स्वरूप अति सुंदर मन को लुभाने वाला है*। चमकते सितारे की भांति सर्व गुणों और सर्वशक्तियों की किरणे मुझ चैतन्य सितारे से निकलती हुई अति शोभायमान लग रही हैं।
➳ _ ➳ अपनी अनन्त किरणो की छटा बिखेरता हुआ सम्पूर्ण सतोप्रधान अवस्था में *मैं चमकता सितारा अब अपने शिव पिता से अलग हो कर परमधाम से नीचे आ जाता हूँ और अति सुंदर कंचन जैसी काया में प्रवेश कर, सम्पूर्ण देवताई स्वरूप में एक दैवी दुनिया मे प्रवेश करता हूँ* जहां सभी कन्चन जैसी काया वाले दैवी गुणों से सम्पन्न, सम्पूर्ण पवित्र मनुष्य है। देवी - देवताओं की यह सम्पूर्ण निर्विकारी पवित्र दुनिया अपरमअपार सुखों से भरपूर है।
➳ _ ➳ सुख, शान्ति, सम्पन्नता से परिपूर्ण इस दैवी दुनिया मे अपार सुख भोगने के बाद, देह के भान में आ जाने से मेरा दैवी स्वरूप अति साधारण मनुष्य स्वरूप में परिवर्तित हो जाता है। *श्रेष्ठ कर्म की बजाए साधारण कर्म करते - करते और ही गिरती कला में आ जाने से मेरा परम पूज्य पवित्र स्वरूप पतित हो जाता है*। मेरे सम्पूर्ण पतित तमोप्रधान स्वरूप को फिर से सम्पूर्ण पवित्र सतोप्रधान बनाने के लिए ही पतित पावन शिव पिता परमात्मा संगम युग पर आते हैं तथा राजयोग द्वारा मुझ आत्मा को फिर से सच्चा सोना बना कर वापिस अपने घर परमधाम ले जाते हैं।
➳ _ ➳ अपनी पूज्य से पुजारी, सपूर्ण सतोप्रधान से सम्पूर्ण तमोप्रधान स्वरूप की सम्पूर्ण प्रक्रिया को मन बुद्धि रूपी नेत्रो से देखते - देखते *मैं आत्मा अब स्वयं को सच्चा सोना बनाने के लिए इस अंतिम जन्म में पवित्र बन पतित पावन अपने शिव पिता की याद से आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट को उतारने के लिए अशरीरी स्थिति के अभ्यास द्वारा अपने निराकारी स्वरूप में स्थित होती हूँ* और अपना सम्पूर्ण ध्यान भृकुटि पर एकाग्र करके नष्टोमोहा बन, देह से न्यारी हो कर एक ऊंची उड़ान भर कर सेकेण्ड में अपने शिव पिता के पास उनके धाम पहुँच जाती हूँ।
➳ _ ➳ इस सम्पूर्ण सतोप्रधान निराकारी, निर्विकारी दुनिया में पहुँच कर अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों रूपी किरणो की छत्रछाया में जा कर मैं बैठ जाती हूँ। *बाबा से आ रही सर्वशक्तियों की ज्वलंत किरणे फुल फोर्स के साथ मुझ आत्मा पर पड़ रही है*। मुझ आत्मा के ऊपर चढ़ा हुआ विकारों का किचड़ा इन ज्वलंत शक्तिशाली किरणों के पड़ने से भस्म हो रहा है। आत्मा में पड़ी खाद जैसे - जैसे योग अग्नि में जल रही है वैसे - वैसे मैं आत्मा हल्की और सच्चे सोने के समान चमकदार बनती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ हल्की और चमकदार बन कर मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ। अपनी साकारी देह में विराजमान हो कर, कर्मयोगी बन हर कर्म करते बाबा की याद से मैं स्वयं को पावन बना रही हूँ। *मनसा,वाचा कर्मणा सपूर्ण पवित्रता को जीवन में धारण कर, अपने इस अंतिम जन्म में बाबा की याद से सम्पूर्ण सतोप्रधान बनने का पुरुषार्थ अब मैं निरन्तर कर रही हूँ*।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं मास्टर सर्वशक्तिमान की स्मृति द्वारा सर्व हलचलों को मर्ज करने वाली अचल अडोल आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं नाजुक परिस्थितियों में घबराने के बजाए उनसे पाठ पढ़ने वाली परिपक्व आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा का *हर एक बच्चे से बहुत-बहुत-बहुत प्यार है।* ऐसे नहीं समझें कि हमारे से बापदादा का प्यार कम है। *आप चाहे भूल भी जाओ लेकिन बाप निरन्तर हर बच्चे की माला जपते रहते हैं।* क्योंकि बापदादा को हर बच्चे की विशेषता सदा सामने रहती है। कोई भी बच्चा विशेष न हो, यह नहीं है। *हर बच्चा विशेष है|* बाप कभी एक बच्चे को भी भूलता नहीं है, तो *सभी अपने को विशेष आत्मा हैं और विशेष कार्य के लिए निमित्त हैं,* ऐसे समझ के आगे बढ़ते चलो।
✺ *ड्रिल :- "विशेष आत्मा होने का अनुभव"*
➳ _ ➳ आज मैं आत्मा बाबा कि याद में खोई हुई हूँ... मुझ आत्मा को *परमात्म प्यार की सौगात मिली हैं...* वाह मेरा भाग्य कि परमात्मा भगवान को *मुझ आत्मा से बहुत बहुत प्यार हैं...* मैं कितनी भाग्यशाली आत्मा हूँ जिसको सारी दुनिया में सबसे विशेष भगवान का प्यार मिला हैं... वाह मेरा भाग्य वाह... ये प्यार कोटो में कोई और कोई में भी कोई को प्राप्त होता हैं... भगवान ने मुझ लकी आत्मा को *अपने प्यार के लिए चुना हैं…* उसकी सर्वशक्तियां, सर्व ख़जाने मुझ आत्मा के पास हैं...
➳ _ ➳ परमात्मा ने मुझे अपना बना के *अपना सर्वस्व मुझे दिया हैं...* और उससे भी सबसे खास मुझ आत्मा को परमातम प्यार मिला हैं... सारी दुनिया तो विनाशी प्यार के पीछे दौड़ रही है पर मुझ *आत्मा को सच्चा सच्चा परमातम प्यार मिला हैं...* सारी दुनियाँ जिसे कण कण में ढूढ़ रही है वो स्वयं मुझे मिला हैं... मैं आत्मा अपने भाग्य के कितने ना गीत गाऊं... ये सच्चा सच्चा परमात्म प्यार सारे कल्प में एक ही बार मुझ आत्मा को मिला हैं... बाबा का *प्यार कभी भी कम नहीं होता* और भगवान का प्यार मुझ आत्मा के लिए बढता ही रहता हैं... बाबा हर समय मुझे याद करते रहते हैं कि *बच्चे देखो मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ...*
➳ _ ➳ बाबा मुझ आत्मा को निरंतर याद करते हैं और मैं आत्मा भी बाबा को निरंतर याद करती हूँ... वाह मुझ आत्मा का भाग्य जो *स्वयं भगवान मुझे याद करते हैं...* मैं आत्मा उनकी प्यार में पल रही हूँ... मैं आत्मा अपने परम पिता को भूल से भी नहीं भूल सकती हूँ... और उनकी *ममता और स्नेह में पल रही हूँ...* मैं आत्मा कितनी विशेष हूँ कि *परमात्मा मुझे याद करते हैं...* कोई ना कोई विशेषता परमात्मा ने मुझ आत्मा को दी हैं...
➳ _ ➳ तीनों लोको, *तीनों कालों का ज्ञान मुझ आत्मा में हैं... जो इस संगम पर मुझे मिला हैं... बाबा का हर बच्चा विशेष आत्मा हैं...* और बाबा ने अपने हर बच्चे कि विशेषताओ को अपने प्यार से और भी ज्यादा निखारा हैं... वाह बच्चे वाह जो परमात्मा भी उन्हें भूलता नहीं हैं... मैं आत्मा *परमात्म प्यार कि अधिकारी* बन गई हूँ... वाह मेरा भाग्य जो परमात्मा मेरे साथ हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा मन में *परमातम प्यार का अनुभव कर* रही हूँ... भगवान ने मुझ आत्मा को अपना कहा है... माँ की ममता और *पिता का स्नेह मुझ आत्मा को परम-पिता से मिल रहा है...* भगवान ने अपने कार्य में मुझ आत्मा को सहयोगी बनाया हैं... और मैं *आत्मा फॉलो फादर* करते हुए आगे बढती जा रही हूँ... मुझ आत्मा की *जन्मों कि प्यास बुझ गई* जो *परमात्मा का प्यार मुझे मिल गया*... वाह बाबा वाह... वाह मेरा भाग्य वाह...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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