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❍ 07 / 07 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 3*5=15)
➢➢ *सबसे मोह निकाल सर्विस लायक बनकर रहे ?*
➢➢ *दुसरे की निंदा कर एक दो की दिल खराब तो नहीं की ?*
➢➢ *बाप समान रहमदिल बनकर रहे ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:2*10=20)
➢➢ *मास्टर दाता बन खुशियों का खजाना बाँट सर्व की दुआओं के पात्र बनकर रहे ?*
➢➢ *संगम की प्राप्तियों को याद रखा ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 15)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *हर कर्म से पहले चेक किया की क्या यह बाप का कार्य है ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के महावाक्य* ✰
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➳ _ ➳ *संकल्प किया और स्थित हुआ - इसी को कहा जाता है बाप समान सम्पूर्ण अवस्था, कर्मातीत अंतिम स्टेज।* तो अपने आप से पूछो - अन्तिम स्टेज के कितना समीप पहुँचे हो? *जितना संपूर्ण अवस्था के नजदीक होंगे अर्थात् बाप के नजदीक होंगे उसी अनुसार भविष्य प्रालब्ध में भी राज्य अधिकारी होंगे।* साथ-साथ आदि भक्त जीवन में भी समीप सम्बन्ध में होंगे। पूज्य अथवा पूजारी दोनों जीवन में साकार बाप के समीप होंगे अर्थात आदि आत्मा के सारे कल्प में सम्बन्ध वा सम्पर्क में रहेंगे। *हीरो पार्टधारी आत्मा के साथ-साथ आप आत्माओं का भी भिन्न नाम-रूप से विशेष पार्ट होगा।* अब के सम्पूर्ण स्थिति के नज़दीक से अर्थात बापदादा की समीपता के आधार से सारे कल्प की समीपता का आधार है इसलिए *जितना चाहो उतना अपनी कल्प की प्रालब्ध बनाओ।* समीपता का आधार श्रेष्ठता है।
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- पतितो को पावन बनाकर बाप की दिल पर चढ़ना"*
➳ _ ➳ मै चमकती सितारा आत्मा मीठे बाबा को एक प्यारा सा नगमा *हमने तुझको प्यार किया है जितना, कौन करेगा इतना* सुना रही हूँ... कि नगमा सुनते सुनते मीठे बाबा ने मुझे मधुबन घर के डायमण्ड हाल में बुला लिया... हाल में पहुंच कर दादी गुलजार के तन में बापदादा को मुस्कराते देखती हूँ... दृष्टि से दृष्टि का मिलन हुआ और मै आत्मा परमात्मा के प्रेम नयनों में खो गयी... प्रेम वर्षा में आत्म परमात्म दिल भीग गए... और ज्ञान के इंद्रधनुष ने छटा बिखेरी...
❉ मीठे बाबा मुझे मेरे उज्ज्वल भविष्य की सुगम राह बताते हुए बोले :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... जिन खुशियो भरी राहो पर चलकर आपने अपने जीवन को खुबसूरत और प्यारा बनाया है... उन्ही खुशियो से पूरे विश्व को भी महकाओ... और *सहज ही मीठे बाबा के दिल में मणि सा सजकर मुस्कराओ*... मीठे बाबा की तरहा हर दिल को पावनता से सजाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने प्यारे बाबा, को असीम प्यार मुझ आत्मा पर बरसाते देख बोली :- "मेरे दुलारे बाबा... आपने बहुमूल्य ज्ञान रत्नों से सजाकर मुझे कितना धनवान् बनाया है... *इन ज्ञान रत्नों की खनक को पूरे विश्व में गूंजा रही हूँ.*.. सबको पावनता का खुबसूरत रास्ता दिखाने वाली महान भाग्य से सज गयी हूँ..."
❉ प्यारे बाबा मुझे अपनी बाँहों के आगोश में लेते हुए वरदानी से भरते हुए बोले :- " मीठे सिकीलधे बच्चे... *बाप समान विश्व कल्याणकारी बनकर, पूरे विश्व को खुबसूरत पावन दुनिया सा सजाओ.*.. सब जगह सुख शांति और प्रेम की अविरल धारा बहे... ऐसा दिलकश मौसम बनाओ... हर दिल सुख और प्रेम से भरा हो, ऐसी पावन दुनिया इस धरती पर बसाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने प्यारे बाबा को मुझ आत्मा की ओर इतनी उम्मीदों से देखते हुए बोली :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा *आप समान बनकर पूरे विश्व का कल्याण कर रही हूँ.*.. सबको पतित से पावन बनाकर,आपसे विश्व का मालिकाना हक दिलवा रही हूँ... और आपकी आँखों का सितारा बनकर मुस्करा रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा सम्मुख बेठे मेरे जनमो के बिछड़ेपन की प्यास बुझाते हुए बोले :- " लाडले प्यारे मेरे बच्चे... सबके दामन को सच्चे सुखो से भरने वाले मा सुख सागर बनकर, ईश्वरीय दिल पर राज करो... *पूरे विश्व को विकारो से मुक्त कर पावनता के सुखो से भरपूर करो.*.. दिन रात यही धंधा कर, मीठे बाबा के नयनों में नूर बनकर इठलाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा भगवान पिता को रत्नों को दौलत से मुझ आत्मा को मालामाल करते देख असीम प्यार से भर उठी और बोली :- "मीठे प्यारे मेरे बाबा... आपने अथाह ज्ञान दौलत से मुझ आत्मा को इतना भरपूर कर दिया है... कि यह गागर हर दिल पर छलकती है... *सब सुखी हो जाएँ पूरा विश्व पावन धरा बन... खुशियो की किलकारियों से भर जाएँ यही दिल की चाहत है..*." ऐसी मीठी रुहरिहानं कर,मीठे बाबा परमधाम और मै आत्मा अपने खेल जगत में आ गयी...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- कौड़ी से हीरे जैसा बनने का पुरुषार्थ करना*"
➳ _ ➳ इस नश्वर दुनिया की नश्वर बातों में उलझा मेरा यह जीवन जो कौड़ी तुल्य बन गया था उसे मेरे सत्य सदा शिव परमात्मा बाप ने आ कर सत के संग द्वारा हीरे तुल्य बनाने का जो रास्ता दिखाया उस रास्ते पर चल *अपने कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बनाने का तीव्र पुरुषार्थ करने का दृढ़ संकल्प करके, अपने दिलाराम बाबा की याद में मैं अशरीरी हो कर बैठ जाती हूँ* और अशरीरीपन की इस अवस्था मे देह से न्यारी हो कर मैं आत्मा परमात्म प्यार के पंख लगा कर उड़ चलती हूँ अपने दिलाराम परमात्मा बाप के पास।
➳ _ ➳ परमात्म प्यार की पालकी में सवार मैं आत्मा इस दुनिया के नजारो को देखती जा रही हूं। मैं देख रही हूं कैसे दुनिया के लोग विनाशी चीजो को पाने की होड़ में अपने जीवन को व्यर्थ गंवा रहें हैं। *केवल खाना, पीना और सोना इसी को जीवन का सच समझ कर अनमोल श्वासों की पूंजी को कौड़ियो के भाव नष्ट कर रहें हैं*। इस बात से भी अनजान है कि सत्य परमात्मा बाप सत का संग करा कर हमारे जीवन को हीरे तुल्य बनाने आये हुए है। यह विचार करते करते मैं जा रही हूं और मन ही मन अपने शिव पिता को धन्यवाद देती जा रही हूं जिन्होंने मुझे श्वांसों के इस अनमोल खजाने को सफल करने का सत्य रास्ता दिखा दिया।
➳ _ ➳ अब मुझे केवल इस सत्य की राह पर आगे बढ़ते जाना है। श्वांसों श्वांस अपने बाबा की याद में रह श्वांसों की इस अनमोल पूंजी को सफल करना है। *मेरा यह ब्राह्मण जीवन मेरे दिलाराम बाबा की अमानत है इसलिए मनमत या परमत पर चल मुझे इस अमानत में अब खयानत नही डालनी* बल्कि हर कदम श्रीमत पर चल ईश्वरीय याद में रह, ईश्वरीय सेवा में अपने संकल्प, समय और श्वांसों को लगा कर अपने कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बना कर सफल करना है। *स्वयं से यह बातें करते करते मैं पांचो तत्वों को पार कर, पहुंच जाती हूँ फरिश्तों के उस आलौकिक दिव्य वतन में जहां मैं अपने दिलाराम बाबा के साथ बैठ कर मीठी मीठी रूहरिहान कर सकती हूं*।
➳ _ ➳ जैसे ही मैं वतन में पहुंच कर अपना सूक्ष्म आकारी शरीर धारण करती हूं मेरे दिलाराम मीठे शिव बाबा भी परमधाम से नीचे वतन में आ जाते हैं और आ कर अपने आकारी रथ पर विराजमान हो जाते हैं। *मुझे देखते ही मेरे दिलाराम बाबा मुस्कराते हुए अपनी बाहें फैला लेते हैं और मैं फ़रिशता दौड़ कर उनकी बाहों में समा जाता हूँ*।
➳ _ ➳ इस अलौकिक मिलन के असीम सुख की अनुभूति में आत्म विभोर हो कर मैं अपने दिल की भावनाओ को अपने दिलाराम बाबा के सामने अभिव्यक्त कर रही हूं:- *"हे मेरे प्राणेश्वर बाबा अब आप ही मेरा संसार हो, आप ही मेरे सर्वस्व हो। मेरे जीवन को सुखमय बनाने वाले आप ही मेरे दिल के सच्चे सच्चे मीत हो। अज्ञान अंधकार में भटक कर मैने तो अपने जीवन को कौड़ी तुल्य बना लिया था किंतु आपने आ कर मुझे हीरे जैसा बेदाग बना दिया। आपकी याद अब मेरी श्वांसों में बस गई है"।*
➳ _ ➳ अपने मन के भावों को व्यक्त करते करते मैं अपने दिलाराम बाबा के प्यार की गहराई में खो जाती हूँ और उनसे आ रही प्रेम की किरणों से स्वयं को भरपूर करने लगती हूं। अपने *दिलाराम बाबा के प्यार की अनमोल यादों को दिल मे सँजोये अब मैं जागती ज्योत बन लौट रही हूं वापिस अपने साकारी तन में और सच्ची सच्ची मीरा बन हर श्वांस में अपने गिरधर गोपाल अपने दिलाराम बाबा की याद को समाये अपने जीवन को हीरे तुल्य बना रही हूं*। मन मे अब यही धुन निरन्तर बज रही है "मेरे तो शिवबाबा एक, दूसरा ना कोई"।
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∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा मास्टर दाता बन खुशियों का खजाना बांटती हूँ।*"
➳ _ ➳ मैं सतयुगी ब्राह्मण आत्मा खुशियों का खजाना बांटने वाली खुशनसीब आत्मा हूँ... *बापदादा की शिक्षाओ की अधिकारी मैं आत्मा... अपने दातापन के अधिकार को यथार्थ रीति स्वरुप में ला रही हूँ...* सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा के प्रति शुभ भावना के मोतियों को लुटाते जा रही हूँ... *दाता की बच्ची मैं आत्मा मास्टर दाता बन... बाबादादा से आती हुई सर्व शक्तियों रूपी किरणों को पूरे ब्रह्माण्ड में सुखरूप फैलाती जा रही हूँ...* अपने आप को बापदादा की किरणों से भरपूर कर सभी को खुशियों के ख़ज़ाने से मालामाल कर रही हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ / संकल्प (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- संगम की प्राप्तियों को स्मृति में रख दुःख व परेशानी से मुक्त अनुभव करना"*
➳ _ ➳ मैं विशेष आत्मा हूँ... सन्तुष्टता के दाता की संतान मैं आत्मा संतुष्टमणि हूँ... बाबा ने मुझ आत्मा को सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देकर नॉलेजफुल बना दिया है... ड्रामा का ज्ञान धारण कर क्यूं, क्या, कैसे से मुक्त हो गई हूँ... ज्ञान रत्नों से, सर्व शक्तियों से प्यारे बाबा मुझ आत्मा को सजा रहे है... संगम की इस अनमोल घड़ियों में... सब रत्नों का भंडार स्वयं मीठा बाबा मिल गया... *बाबा मेरा हो गया और मैं बाबा की*...बाबा ने मुझ आत्मा को चैतन्य हीरा बना दिया... सब परेशानियों से, दुखों से छुड़ा... *मुझ आत्मा को उड़ता पंछी बना दिया है*... बाबा ने महानता की सीट पर बिठा दिया है... छोटी-छोटी बातें भी आती है... परन्तु *मैं आत्मा किसकी सन्तान हूँ... यह स्मृति मुझ आत्मा को महान बनाती जा रही है*... मैं तो सागर के रत्नों की खान हूँ... बाबा सागर है, मैं भी सागर बनती जा रही हूँ...
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∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ सेवाधारियों को सदा सफलता स्वरूप रहने के लिए बाप समान बनना है। *एक ही शब्द याद रहे - फालो फादर। जो भी कर्म करते हो - चेक करो कि यह बाप का कार्य है? अगर बाप का है तो मेरा भी है, बाप का नहीं तो मेरा भी नहीं। यह चेकिंग की कसौटी सदा साथ रहे।* तो फालो फादर करने वाले अर्थात् -जो बाप का संकल्प वही मेरा संकल्प, जो बाप का बोल वही मेरा। इससे क्या होगा? जैसे बाप सदा सफलता स्वरूप है वैसे स्वयं भी सदा सफलता स्वरूप हो जायेंगे। तो बाप के कदम पर कदम रखते चलो। कोई चलता रहे उसके पीछेपीछे जाओ तो सहज ही पहुँच जायेंगे ना। तो फालो फादर करने वाले मेहनत से छूट जायेंगे और सदा सहज प्राप्ति की अनुभूति होती रहेगी।
✺ *"ड्रिल :- हर कर्म से पहले चेक करना कि क्या यह बाप का कार्य है।*"
➳ _ ➳ कलियुग की इस त्राहिमाम अवस्था में भगवान को पुकारती मैं आत्मा पहुँच गयी... ब्रह्माकुमारी के सेंटर पर... *जहाँ सच्चा सच्चा गीता का भगवान मिला... सच्चा सच्चा गीता ज्ञान मिला... स्वयं का... बाप का परिचय मिला... मैं कौन... मेरा कौन... का जवाब मिला... औऱ मैं बन गयी संगमयुगी ब्राह्मण आत्मा...* अपने प्रालब्ध के सतयुगी भाग्य को जान... अपने पुरुषार्थ को उड़ती कला में स्थिर कर के मैं आत्मा... एक चमकता हुआ दिव्य सितारा... बैठी हूँ सिर्फ एक की ही याद में... भृकुटी सिंहासन पर... और मन के तार एक बाप से जुड़ते ही मन बुद्धि रूपी पुष्पक विमान में बैठ पहुँच जाती हूँ बापदादा के पास...
➳ _ ➳ अखूट शांति ही शांति हैं जहाँ... पवित्रता का साम्राज्य छाया हैं जहाँ वह निज धाम... निज घर... में पहुँचते ही... *शांति की पराकाष्ठा का अनुभव कर रही हूँ... सुनहरे प्रकाश की दुनिया... पवित्र... सतोप्रधान आत्माओं की दुनिया में अपने आप को भी पवित्र... सतोप्रधान अवस्था में देख रही हूँ...* परमपिता परमात्मा से आती हुई शक्तियों रूपी किरणों को अपने में धारण करती जा रही हूँ... बाप समान बनती जा रही हूँ... बापदादा की उंगली पकड़ कर मैं आत्मा झूमती हुई जा रही हूँ हर एक सेंटर पर... बापदादा के साथ मैं आत्मा भी सभी सेंटर के नज़ारे देख रही हूँ...
➳ _ ➳ कोई सेंटर निर्विघ्न चल रहे हैं... तो कोई सेंटर पर सेवा ही सेवा का आनंदित माहौल छाया हुआ हैं... कोई सेंटर में योग भट्टी में सभी आत्माओं के विकारों को दहन होता हुआ और बाप समान बनने के पुरुषार्थ में जुडी आत्माओं को देख रही हूँ... बापदादा के रूहानी नैनो से निकलती किरणों की बौछारें सर्व सेंटर में समां रही हैं... और साथ साथ *बापदादा की दिव्य आकाशवाणी सुनाई दे रही हैं " बच्चे बाप समान बनो... अपनी सूक्ष्म चेकिंग करो कि क्या मेरा हर कार्य बाप समान हैं ? क्या मेरा हर बोल... संकल्प... में बाप की प्रत्यक्षता हो रही हैं ?"* बाबा की दिव्य और मधुर वाणी सभी सेंटर की आत्माओं... गहराई से धारण करती जा रही हैं...
➳ _ ➳ *बापदादा के सुनहरे बोल "फालो फादर करने वाले अर्थात् - जो बाप का संकल्प वही मेरा संकल्प, जो बाप का बोल वही मेरा।" हर एक सेंटर पर गूंज रहा हैं... और सभी ब्राह्मण आत्माएंं अपने आप में बापदादा की प्रत्यक्षता करने के लिए दैवीय संस्कार का आह्वान कर रहे हैं...* और मैं आत्मा इस अलौकिक दिव्य नज़ारे को साक्षी बन देख कर बापदादा की सर्व शक्तियों को अपने में धारण कर बापदादा का हाथ पकड़ कर कहती हूँ "बाबा आज से मेरा भी हर बोल... संकल्प और कर्म आप समान होगा..." और बापदादा के हाथों से मेरे हाथों में समाती हुई शक्तियों को महसूस करती मैं आत्मा मन बुद्धि से पहुँच जाती हूँ अपने स्थूल शरीर में... अब तो हर बोल... संकल्प... और कर्म को सूक्ष्म चेकिंग रूपी अग्नि परीक्षा से पास विद ऑनर में आने का सर्टिफिकेट लेने का पुरुषार्थ कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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