━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 10 / 11 / 17  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*5=25)

 

➢➢ *हर एक्ट श्रीमत पर की ?*

 

➢➢ *याद में बैठने समय कोई मित्र सम्बन्धी खान पान याद तो नहीं आया ?*

 

➢➢ *याद का चार्ट रखा ?*

 

➢➢ *अपनी सर्व जिम्मेवारियों का बोझ बाप को दे स्वयं को हल्का किया ?*

 

➢➢ *संतुष्टता को अपने जीवन का श्रृंगार बनाया ?*

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *तपस्वी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  *सम्पूर्ण फरिश्ता वा अव्यक्त फरिश्ता की डिग्री लेने के लिए सर्व गुणों में फुल बनो।* नालेजफुल के साथ-साथ फेथफुल, पावरफुल, सक्सेसफुल बनो। *अभी नाजुक समय में नाजों से चलना छोड़ विकर्मो और व्यर्थ कर्मो को अपने विकराल रुप (शक्ति रुप) से समाप्त करो।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 2 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाये ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के महावाक्य*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  सभी एक सेकण्ड में अशरीरी स्थिति का अनुभव कर सकते हो? या टाइम लगेगा? आप राजयोगी हो, राजयोगी का अर्थ क्या है? राजा हो ना। तो शरीर आपका क्या है? कर्मचारी है ना! तो सेकण्ड में अशरीरी क्यों नहीं हो सकते? ऑर्डर करो - अभी शरीर-भान में नहीं आना है, तो नहीं मानेगा शरीर? राजयोगी अर्थात मास्टर सर्वशक्तिवान *कर्मबंधन को भी नहीं तोड सकते तो मास्टर सर्वशक्तिवान कैसे कहला सकते?*

 

✧  कहते तो यही हो ना कि हम मास्टर सर्वशक्तिवान हैं तो इसी अभ्यास को बढ़ाते चलो। *राजयोगी अर्थात राजा बन इन कर्मेन्द्रियों को अपने ऑर्डर में चलाने वाले।* क्योंकि अगर ऐसा अभ्यास नहीं होगा तो लास्ट टाइम पास विद ऑनर कैसे बनेंगे! धक्के से पास होना है या पास विद ऑनर' बनना है? जैसे शरीर में आना सहज है, सेकण्ड भी नहीं लगता है।

 

✧  क्योंकि बहुत समय का अभ्यास है। ऐसे शरीर से परे होने का भी अभ्यास चाहिए और बहुत समय का अभ्यास चाहिए। लक्ष्य श्रेष्ठ है तो लक्ष्य के प्रमाण पुरुषार्थ भी श्रेष्ठ करना है। *सारे दिन में यह बार-बार प्रेक्टिस करो - अभी-अभी शरीर में हैं, अभी-अभी शरीर से न्यारे अशरीरी है।* लास्ट सो फास्ट और फर्स्ट आने के लिए फास्ट पुरुषार्थ करना पडे।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:- 15)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  बाप को याद कर, नालेज को धारण कर दूसरों की सेवा करना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा पहाड़ी पर बैठकर मधुबन की हसीन वादियों को निहारते हुए आनंद ले रही हूँ... प्यारे बाबा भी मेरे सामने आकर बैठ जाते हैं... मैं आत्मा इन हसीन वादियों को छोड़ प्यारे बापदादा का हसीन चेहरा मंत्रमुग्ध होकर देखने लगती हूँ... *बाबा के रूहानी नैनों से, मस्तक से ज्ञान, गुण, शक्तियों की किरणें निकलकर मुझ पर पड़ रही हैं... मैं आत्मा बाबा की याद में खोते हुए त्रिकालदर्शी, नालेजफुल बनकर बाबा के ज्ञान को धारण कर रही हूँ...*

 

   प्यारे जादूगर बाबा ईश्वरीय ज्ञान का जादू चलाते हुए कहते हैं:- "मेरे लाडले बच्चे... बाप समान होकर वो जादूगर बनते हो की मात्र योग बल से दुखो को अथाह सुखो में बदल देते हो... *हर संकल्प साँस को यादो में और रूहानी सेवा में लगा कर विश्व को खुशियो की जन्नत बना देते हो..."*

 

_ ➳  मैं आत्मा बाबा के ज्ञानामृत का अमृत पान करते हुए कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा मै आत्मा रूहानी सेवाधारी बन गई हूँ... *आपकी मीठी यादो में डूबकर गुणवान शक्तिवान हो गई हूँ.... और दुखो भरी दुनिया को सुखो में बदल पाने में सक्षम हो गई हूँ..."*

 

   प्यारे बाबा नवीन उत्साह और उमंग की लहरों को फैलाते हुए कहते हैं:- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... यादो की बरसात में भीगकर सुनहरे देवताई स्वरूप में सज जाते हो... अनन्त खुशियां सुख बाँहो में भर पाते हो... *पूरी दुनिया की कायापलट कर सुखो की सुगन्ध से महकाते हो... और सेवा में जुटकर सबके तन मन हर्षित कर आते हो..."*

 

 ➳ _ ➳  मैं आत्मा श्वांसो श्वांस बाबा की यादों में डुबोते हुए कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा समय रहते अपनी सांसो को पिता की यादो में भर पायी... यह कितनी बड़ी जागीर है जो मेरे पुण्यो से मिली है...* और यही जागीर पूरे विश्व की झोली में डालने को आतुर हूँ..."

 

   मेरे बाबा अपने संग के रंग में मुझे रंगते हुए कहते हैं:- "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे अपने जैसा सुंदर जीवन विश्व के सारे बच्चों का भी बनाओ... उनके घर आँगन भी खुशियो संग खिलाओ... *सबके तपते हुए मनो को राहत दे आओ.... इस दुःख भरी दुनिया को सुखो का हँसता मुस्कराता स्वर्ग बनाओ..."*

 

_ ➳  मैं आत्मा चारों ओर खुशहाली फैलाते हुए कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सबके चेहरों को सुंदर मुस्कान से खिला कर खुशनुमा बना रही हूँ... *सच्चे सुखो का रास्ता हर दिल को बता रही हूँ... पूरा विश्व महक रहा है ऐसी रूहानी सेवा की लहर फैला रही हूँ..."*

 

────────────────────────

 

∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- याद में बैठने समय कोई भी मित्र सम्बन्धी, खान - पान आदि याद ना आये, इसका अटेंशन रखना है*"

 

_ ➳  देह, देह के सम्बन्धो और सभी दुनियावी बातों से अपने मन बुद्धि को हटा कर, केवल अपने शिव बाबा की याद में बैठ मैं अपने मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ अपने शिव पिता परमात्मा पर। *ज्ञान के दिव्य चक्षुओं से मैं देख रही हूँ अपने शिव पिता परमात्मा को उनके निराकारी घर शांति धाम, निर्वाण धाम में*। साकारी दुनिया मे होते हुए भी मेरी बुद्धि की तार परमधाम में मेरे शिव पिता के साथ जुड़ी हुई है। *मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ उस परमधाम घर से आती सर्वशक्तियों को जो मेरे शिव पिता से सीधी मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं और मुझे विदेही स्थिति में स्थित कर रही हैं*।

 

_ ➳  विनाशी देह और देह की दुनिया का कोई भी संकल्प अब मेरे मन में उतपन्न नही हो रहा, मुझे केवल मेरा निराकारी घर शांति धाम और शान्तिधाम में विराजमान मेरे शिव पिता ही दिखाई दे रहें है। *सर्वशक्तियों की रंग बिरंगी किरणे चारों और बिखेरता हुआ उनका सुन्दर सलोना स्वरूप मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा है*। ऐसा लग रहा है जैसे अपनी सर्वशक्तियों की किरणे रूपी बाहें फैला कर वो मुझे अपने पास बुला रहें हैं। *अपने शिव पिता की किरणों रूपी बाहों के झूले में बैठ अब मैं आत्मा सजनी अपने शिव पिया के पास निर्वाण धाम जा रही हूँ*। बाबा की बाहों में झूलते, गहन आनन्द की अनुभूति करते, धीरे - धीरे मैं साकार लोक को पार कर जाती हूँ।

 

_ ➳  प्रकृति के पांचों तत्वों से दूर, सूक्ष्म लोक को पार कर अब मैं पहुँच गई हूँ अपनी मंजिल, अपने घर निर्वाण धाम में अपने शिव पिता के पास। *वाणी से परें अपने इस शान्तिधाम घर मे पहुंचते ही मैं अथाह शांति का अनुभव कर रही हूँ। अपने शिव पिता परमात्मा को अपने बिल्कुल सामने देख रही हूँ*। इतने समीप से उन्हें देखने और उन्हें महसूस करने का अनुभव बहुत ही सुंदर और निराला है। ऐसा लग रहा है जैसे सुख, शांति, आनन्द की मीठी - मीठी लहरें बार - बार मुझे छू रही हैं और मुझे असीम सुख, शांति और आनन्द से भरपूर कर रही हैं। *सुख, शांति और आनन्द का यह निराला अनुभव मुझे मेरे शिव पिता के और समीप ले कर जा रहा है*।

 

_ ➳  मैं आत्मा धीरे - धीरे आगे बढ़ते हुए अब उनके बिल्कुल पास पहुँच गई हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा और मैं एक हो गए हैं। *महाज्योति शिव बाबा के साथ टच मैं ज्योति बिंदु आत्मा उनके सानिध्य में गहन सुख की अनुभूति कर रही हूँ। उनसे निकल रही शक्तियों की शीतल फुहारें मेरे मन को तृप्त कर रही हैं*। मेरे शिव पिता का पावन प्यार उनकी अनन्त किरणों के रूप में मुझ पर बरस रहा है। प्यार के सागर अपने प्यारे मीठे बाबा के प्यार में मैं आत्मा गहराई तक समाती जा रही हूं। ऐसे निस्वार्थ प्यार को पा कर मैं धन्य  - धन्य हो गई हूँ। *मेरे ऊपर बरसता हुआ बाबा का अथाह प्यार मुझे अतीन्द्रिय सुख के झूले में झुला रहा है*।

 

_ ➳  अतीन्द्रिय सुख की अनुभति के साथ - साथ  बाबा से आ रही शक्तिशाली किरणे अब योग अग्नि बन कर मुझ आत्मा द्वारा किए हुए जन्म जन्मांतर के विकर्मों को दग्ध कर रही हैं। विकारों की कट जैसे-जैसे मुझ आत्मा के ऊपर से उतरती जा रही है मैं स्वयं को बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूँ। मेरा स्वरूप चमकदार बनता जा रहा है। विकारों की कट उतरने से मैं आत्मा रीयल गोल्ड बन गई हूँ। हल्की होकर रीयल गोल्ड बनकर मैं आत्मा अब वापिस साकारी दुनिया की ओर आ रही हूँ। अपनी अद्भुत छटा चारों ओर बिखेरती हुई मैं वापिस देह और देह की पुरानी दुनिया में पहुँच कर, अपने साकारी तन में प्रवेश कर भृकुटि सिंहासन पर विराजमान हो जाती हूँ।

 

_ ➳  अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्वयं को देख रही हूँ। *मेरा यह ब्राह्मण जीवन केवल मेरे शिव पिता परमात्मा की देन है, इसलिए उनकी याद में बैठने समय कोई भी मित्र सम्बन्धी, खान - पान आदि याद ना आये, इसका विशेष अटेंशन रखते हुए अपने इस ब्राह्मण जीवन को अब मैं श्वांसों श्वांस केवल अपने शिव बाबा की याद में रह कर सफल कर रही हूँ*।

 

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं अपनी सब जिम्मेवारियों का बोझ बाप को दे स्वयं हल्का रहने वाली निम्मित और निर्माण आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को स्वमान में स्थित करने का विशेष योग अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ स्मृतियाँ (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं संतुष्टता से जीवन का श्रृंगार करने वाली संतुष्टमणी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ स्मृतियों में टिकाये रखने का विशेष योग अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  आज सर्व श्रेष्ठ भाग्य विधातासर्व शक्तियों के दाता बापदादा चारों ओर के सर्व बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। चाहे मधुबन में सम्मुख में हैंचाहे देश विदेश में याद में सुन रहे हैंदेख रहे हैंजहाँ भी बैठे हैं लेकिन दिल से सम्मुख हैं। उन सब बच्चों को देख बापदादा हर्षित हो रहे हैं। आप सभी भी हर्षित हो रहे हो ना! *बच्चे भी हर्षित और बापदादा भी हर्षित । और यही दिल का सदा का सच्चा हर्ष सारी दुनिया के दु:खों को दूर करने वाला है। यह दिल का हर्ष आत्माओं को बाप का अनुभव कराने वाला है क्योंकि बाप भी सदा सर्व आत्माओं के प्रति सेवाधारी है और आप सब बच्चे बाप के साथ सेवा साथी हैं।* साथी हैं ना! बाप के साथी और विश्व के दु:खों को परिवर्तन कर सदा खुश रहने का साधन देने की सेवा में सदा उपस्थित रहते हो। सदा सेवाधारी हो। *सेवा सिर्फ चार घण्टा, छ: घण्टा करने वाले नहीं हो। हर सेकण्ड सेवा की स्टेज पर पार्ट बजाने वाले परमात्म-साथी हो।*

 

✺   *ड्रिल :-  "दिल का सदा का सच्चा हर्ष अनुभव करना"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा रूपी सूरजमुखी फूल एकांत में बैठी हूँ... मैं मन और बुद्धि द्वारा एक बगीचे में पहुँचती हूँ... वाह! कितना सुंदर नज़ारा हैं... चारों तरफ हरियाली ही हरियाली हैं... पेड़, पौधें, पक्षी सभी मन को लुभा रहे हैं...* वहाँ सभी मनुष्यात्मायें रूपी फूलों के पास धन (जल), समय (श्वास) और मित्र-सम्बन्धी ( मिट्टी) सब हैं परंतु तब भी सब मुरझाये हुए और दुःखी हैं... क्योंकि बाबा रूपी सूरज की पवित्र किरणें उनपर नहीं पड़ी हैं...

 

_ ➳  सभी बाबा का इंतज़ार कर रहे कि कब वो आये और हमे किरणें दें... अचानक ऊपर आकाश से बाबा रूपी सूरज की तेज़ पवित्र किरणें मुझपर पड़ती हैं और मैं अपना मुख उनकी ओर कर लेती हूँ... *जहाँ-जहाँ बाबा की किरणें पड़ रही हैं, वहाँ-वहाँ मेरा मुख होता जा रहा हैं... मेरी शक्तियों रूपी पंखुड़ियाँ खुल चुकी हैं... मैं पवित्रता की किरणों से सच्चे हर्ष का अनुभव कर रही हूँ...* मैं आत्मा भी बाप समान हर्षित हो रही हूँ...

 

_ ➳  *मैं बाबा से किरणें लेकर उन मुरझाई हुई मनुष्यात्माओं पर न्यौछावर कर रही हूँ... हर एक आत्मा खिल उठी हैं...* जो आत्मायें काँटों से भरी हुई थी, एक ही परिवार में रहकर मुख फेर लेती थी, वह भी कोमल बन चुकी हैं... जो दुःखों के कारण रोते-रुलाते रहते थे वो आज बाबा की किरणों से बेहद हर्षित हो रहे है... अब किसी का भी चेहरा मुरझाया हुआ नहीं हैं...

 

 _ ➳  अब मैं हर सेकंड सेवा में बाबा की साथी हूँ... *मैं आत्मा अब सेवा के अलावा और कोई संकल्प नहीं चलाती हूँ... मेरी अब यही शुभ भावना रहती हैं कि सर्व आत्मायें भी बाबा के वर्से के अधिकारी बन जाए और इस रावण की दुनिया से छूट जाए...* मैं आत्मा अब कभी भी दुःखी होकर कोई भी डिस सर्विस नहीं करती हूँ... मैं सुख, शांति का अनुभव कर रही हूँ... मैं अपने पवित्र संकल्पों का प्रभाव सर्व आत्माओं तक पहुँचा रही हूँ...

 

 _ ➳  *मैं आत्मा अमृतवेले के समय उठते ही एक स्वमान का अभ्यास करती हूँ कि मैं हर्षितमुख आत्मा हूँ... याद की शक्ति द्वारा मैं उड़ता पंछी अनुभव कर रही हूँ और सर्व आत्माओं को भी अनुभव करा रही हूँ...* कोई भी हलचल हो जाए, मैं हमेशा उस हलचल से डिटैच होकर रहती हूँ... उसको ड्रामा समझकर भूल जाती हूँ... अब मैं कोई भी अपवित्र संकल्प नहीं करती जिससे मेरी खुशी चली जाए...

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━