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❍ 06 / 01 / 17 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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✺ शिवभगवानुवाच :-
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सच्ची दिल का दे दिया तो धरमराजपुरी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 2*5=10)
➢➢ *ज्ञान का सिमरन कर आपार ख़ुशी में रहे ?*
➢➢ *अनेक प्रकार के तूफानों में रहते स्वयं को स्थेरियम बनाया ?*
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∫∫ 2 ∫∫ विशेष अभ्यास (Marks:3*10=30)
➢➢ *यथार्थ चार्ट द्वारा हर सब्जेक्ट में सम्पूरण पास मार्क्स लेने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *"छोटी छोटी बातों में दिल न भर जाए" - इसका ध्यान रखा ?*
➢➢ *बुधी की स्मृति व दृष्टि से आत्मिक स्वरुप ही देखा ?*
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∫∫ 3 ∫∫ विशेष पुरुषार्थ (Marks: 10)
( इस रविवार की अव्यक्त मुरली से... )
➢➢ *चाहे कुछ भी जाए लेकिन अलोकिकता को तो नहीं जाने दिया ?*
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
➢➢ *"मीठे बच्चे - यह दादा है वन्डरफुल पोस्ट आफिस, इनके द्वारा ही तुम्हे शिवबाबा के डायरेक्शन मिलते है"*
❉ प्यारा बाबा कहे - मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता जब धरा पर उतर आये तो शरीरधारी बच्चों से ब्रह्मा तन का आधार लेकर ही मिल पाये... *इस भगीरथ तन से ही ईश्वर पिता बच्चों को दिल की बात बेठ सुनाये*... अमूल्य ज्ञान खजानो की खानो और सच्चे प्यार की बरसात में यूँ शिवबाबा रूहो को सुवासित कर जाये...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा साकारी तन में बेठी भला कैसे जान पाती कि आप ही मेरे सच्चे पिता परमात्मा शिव बाबा है... मै आत्मा तो जो घर से निकली सब भूल चली... *आपने प्यारे बाबा आकर सारी यादे ताजा की है.*..
❉ मीठा बाबा कहे - मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता ने जिस तन को आधार बनाकर विश्व में बच्चों को पुकारा... वह दादा बड़ा वन्डरफुल पोस्ट आफिस है... *विश्व पिता दिल के जज्बात और बच्चों के लिए अथाह सुख खजानो के राज* इसी पोस्ट आफिस से देते है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - मेरे प्राणप्रिय बाबा... आप बापदादा का प्यार पाकर मै आत्मा धन्य धन्य हो चली हूँ... *अलौकिक पिता और पारलौकिक पिता को पा मालामाल हो गयी हूँ.*.. ब्रह्मा मां के आँचल और शिव पिता की छाँव तले मै आत्मा सदा की निश्चिन्त हो गयी हूँ...
❉ मेरा बाबा कहे - प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *आप बच्चों को मीठे सुखो में खिलते देखना ही पिता की आस है.*.. अपना धाम छोड़ ब्रह्मा तन को चुन लिया है... ताकि अपने बिछड़े फूलो को फिर से गुणो और सुखो की खुशबु से से खिलखिलाता हुआ देख सकूँ... पिता को बच्चे और बच्चों का सुख ही सबसे प्यारा है...
➳ _ ➳ आत्मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा कितनी भाग्यशाली हूँ... कभी दुखो में अनाथ सी भटक रही थी... आज सुंदर भाग्य ने मां पिता को दिला कर सनाथ कर दिया है... और *प्यारे बाबा ने ब्रह्मा मुख से अपने सारे खजानो का पता मेरे हाथो में दे दिया है.*..
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∫∫ 5 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मैं आत्मा आज्ञाकारी हूँ ।"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा बेहद के स्कूल में, बेहद के बाप से, *बेहद का मालिक बनने के लिए, बेहद की पढ़ाई* पढ़ रहीं हूँ... पुराने कलियुगी क्लास से नये सतयुगी क्लास में जाने के लिए... मैं आत्मा चारों सब्जेक्ट्स में सम्पूर्ण पास मार्क्स लाने के लिए पुरुषार्थ कर रहीं हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सुप्रीम शिक्षक द्वारा पढ़ायें पाठ को स्मृति में रख रिवाइज़ करती हूँ... रचता और रचना के ज्ञान का मनन करती हूँ... मैं आत्मा अनादि और आदि स्वरूप को स्मृति में रखती हूँ... *ब्राह्मण सो फरिश्ता, फरिश्ता सो देवता* के पाठ का मनन करती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा योग के सब्जेक्ट में फुल मार्क्स लेने एक बाबा की याद में बैठती हूँ... मैं पहला आत्मा का पाठ पक्का कर *आत्मिक स्वरूप में स्थित* रहने का अभ्यास करती हूँ... मैं आत्मा फरिश्ता रूप धर कभी सूक्ष्म वतन में बापदादा से मिलन मनाती हूँ... मैं आत्मा कभी बिंदु रूप धर मूलवतन में बिंदु बाबा के सामने बैठ जाती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा *दिव्य गुणों की धारणा* करती हूँ... मैं आत्मा दिव्यगुणधारी बन सर्व शक्तियों, खजानों से सम्पन्न बन रहीं हूँ... मैं आत्मा सेवा के सब्जेक्ट में भी फुल मार्क्स लाने सदा विश्व कल्याण की स्टेज पर स्थित रहती हूँ... निमित्त सेवाधारी की स्मृति द्वारा सेवा में सफलता प्राप्त कर रहीं हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अब *हर सब्जेक्ट का यथार्थ चार्ट* रखती हूँ... मैं आत्मा विधिपूर्वक चार्ट द्वारा हर सब्जेक्ट में प्रगति और परिवर्तन का अनुभव कर रहीं हूँ... प्रकृति, व्यक्ति अथवा माया द्वारा आई परिस्थितियों के पेपर्स में भी अब मैं आत्मा घबराती नहीं हूँ... संकल्प में भी हलचल में नहीं आती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा स्व-स्थिति की शक्ति द्वारा हर परिस्थिति के प्रभाव को समाप्त कर रहीं हूँ... परिस्थितियाँ अब मुझ आत्मा के लिए मनोरंजन की सीन हैं... मैं आत्मा नष्टमोहा स्मृति स्वरूप बन रहीं हूँ... अब मैं आत्मा यथार्थ चार्ट द्वारा हर सब्जेक्ट में *संपूर्ण पास मार्क्स लेने वाली आज्ञाकारी* बन गई हूँ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल - छोटी-छोटी बातों में दिलशिकस्त न हो"*
➳ _ ➳ ब्राह्मणों को सदैव इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि बुद्धि पर किसी प्रकार की टेंशन न हो। किसी के प्रति ब्राह्मणों के संकल्प-विकल्प न चले, *वैर-विरोध के जो भी संकल्प चलते हैं यही स्थिति के लिए विघ्न है।* इसलिए अपनी स्थिति को बहुत मीठा बनाना है, बुद्धि बाबा में लगी रहे न कि छोटी-छोटी बातों में फंसी रहे।
➳ _ ➳ मैं सच्ची-सच्ची ब्राह्मण आत्मा हूँ... मुझ आत्मा के संस्कार परिवर्तन का समय हैं... ब्राह्मणों में ही संस्कारों का वर्णन होता है... इसलिए मुझ आत्मा का संस्कारों में... छोटी-छोटी बातों में दिल भर जाता है... *परन्तु मुझे सच्चा-सच्चा ब्राह्मण बनना है*... मैं आत्मा बाबा की ही याद में समाई आत्मा हूँ*...
➳ _ ➳ इस खेल के अन्दर अनेकानेक संस्कार वाली आत्माएँ है... मैं आत्मा साक्षी भाव रखते इसे खेल समझ देखती हूँ... हरेक आत्मा अपना हिसाब-किताब चुक्तू कर रही है... मैं आत्मा अनुभव करने लगी हूँ... यह अब विदाई का समय है... *यह बातें भी विदाई लेने आई है*... नमस्कार करने आती है...
➳ _ ➳ सभी आत्माएँ मेरे परम् मित्र है... *मैं आत्मा उन्हें योग की वृति का दान दे रही हूँ*... सब मेरे बाबा के बच्चे है... जब बाबा उन्हें कुछ नही कहता... तो मैं आत्मा क्यों कहूँ... मुझ आत्मा को किसी भी बात में... अपनी बुद्धि को संकल्पों-विकल्प रूपी तूफानों में नही लाना है...
➳ _ ➳ मुझ आत्मा को अपनी बुद्धि की सम्भाल करनी है... बुद्धि को इधर-उधर की बातों में जाने नही देना... मैं आत्मा बाबा की मुरली के पॉइंट्स... बुद्धि में रख... उस पर मनन कर... *सब व्यर्थ से मुक्त होती जा रही हूँ*... व्यर्थ के चिंतन समाप्त होते जा रहें है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सागर बाप की सन्तान हूँ... मुझ आत्मा में सब बातें समाती जा रहीं है... हम सभी एक गुच्छे के हैं... मैं आत्मा बाबा से शक्तिशाली किरणें ले... विश्व की आत्माओं को दे रही हूँ... मैं आत्मा यही आशा करती हूँ... *सभी आत्माओं की अवस्था अच्छी बन जाए*... मैं आत्मा अपने को बाबा के समीप अनुभव करती जा रही हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ *यथार्थ चार्ट द्वारा हर सब्जेक्ट में सम्पूर्ण पास मार्क्स लेने वाले आज्ञाकारी होते हैं... क्यों और कैसे?*
❉ यथार्थ चार्ट द्वारा हर सब्जेक्ट में सम्पूर्ण पास मार्क्स लेने वाले आज्ञाकारी होते हैं क्योंकि... यथार्थ चार्ट का अर्थ है *हर सब्जेक्ट में प्रगति और परिवर्तन का अनुभव* करना। सदा अपने पुरुषार्थ में आगे ही आगे बढ़ते जाना, अर्थात अपनी आत्मा के उद्धार के लिये परमात्म श्रीमत पर चलना।
❉ क्योंकि *ब्राह्मण जीवन में प्रकृति, व्यक्ति अथवा माया द्वारा परिस्थिरियाँ* तो आनी ही है। मनुष्य के जीवन में सदा तीन प्रकार के ताप आते हैं और उसको परेशान करते हैं... वे ताप हैं- दैविक, देहिक भौतिक ताप। इन के प्रभाव से मनुष्य दुःख व सुख को प्राप्त करता है।
❉ अतः हम ब्राह्मणों को अपने जीवन में पुरुषार्थ के चार्ट का यथार्थ रीति पालन करके, *प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ते जाना* है, तथा स्वयं के पुरुषार्थ में यथार्थ प्रगति होने का व यथार्थ रीती परिवर्तन होने का अनुभव भी करना है। अपने प्रत्येक सब्जेक्ट में उन्नति की प्राप्ति कर नम्बर वन मार्क्स लेने का पुरुषार्थ करना है।
❉ इसलिये! हमें अपने ब्राह्मण जीवन में आने वाली प्रत्येक परिस्थिति के प्रभाव को , अपनी स्व स्थिति की शक्ति के प्रभाव से, समाप्त करके परिवर्तित कर देना है। *परिस्तितियों के आने से घबराना नहीं है, बल्कि! उनको मनोरंजन* का सीन समझना है।
❉ क्योंकि... ऐसे विधिपूर्वक चार्ट द्वारा वृद्धि का अनुभव करने वाले बच्चों को ही सम्पूर्ण फुल मार्क्स मिलती है और यथार्थ चार्ट द्वारा *हर सब्जेक्ट में फुल सम्पूर्ण मार्क्स लेने वाले आज्ञाकारी* बन जाते हैं तथा हर सब्जेक्ट में प्रगति और परिवर्तन का अनुभव करते हैं।
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∫∫ 8 ∫∫ ज्ञान मंथन (Marks:-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ *छोटी - छोटी बातों में दिल न भर जाए - इसका ध्यान रखो । शक के शिकारी नहीं बनो... क्यों और कैसे* ?
❉ आज आत्मा शक्तिहीन होने के कारण छोटी छोटी बातें भी मनुष्य को बहुत प्रभावित करती हैं । और दिलशिकस्त होकर व्यक्ति छोटी - छोटी बातों पर ही रोने लगते है । छोटी - छोटी बातों में शक के शिकार हो जाते हैं । *परमात्मा की याद आत्मा को बलशाली बनाती है* । इसलिए जितना परमात्मा की याद में रहकर आत्मा शक्तिशाली बनती है उतना बातों के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करना आसान हो जाता है ।
❉ बातें बड़ी नहीं होती हम ही उन्हें सोच - सोच कर बड़ा बना देते हैं अर्थात व्यर्थ का चिंतन छोटी सी बात को भी खींचकर बड़ा कर देता है । शक का शिकारी बना देता है । जिसके कारण *छोटी-छोटी बातें भी दिल पर गहराई से असर करने लगती है* और व्यक्ति निराश हो जाते हैं । किन्तु जब स्वयं को व्यर्थ चिंतन से मुक्त कर समर्थ चिंतन में बिजी कर लेते हैं तो बातों का प्रभाव समाप्त हो जाता है क्योंकि समर्थ चिंतन व्यक्ति को समर्थ बनाता है ।
❉ देह और देह के संबंधों में आकर्षण लगाव झुकाव और टकराव का कारण बनता है । क्योकि लगाव और झुकाव के कारण व्यक्ति एक दूसरे से ऐसी आशाएं रख लेते हैं जिन्हें पूरा करना व्यक्ति के लिए सम्भव नही होता क्योंकि *हर आत्मा के स्वभाव संस्कार एक दूसरे से भिन्न है* । आशाएं पूरी ना होने के कारण यही लगाव और झुकाव टकराव में बदल जाता है । इसलिए जितना देह और देह के संबंधों से अनासक्त रहेंगे उतना बातों के प्रभाव से भी मुक्त रहेंगे ।
❉ ड्रामा का राज और साक्षी पन का भाव जीवन को जीने की एक नई कला सिखाता है । इसलिए जो इस बात को सदा स्मृति में रखते हैं कि यह सृष्टि बेहद का एक ड्रामा है और हम सभी इसमें पार्ट प्ले करने वाले एक्टर्स हैं । *सभी का पार्ट फिक्स है और सभी अपना पार्ट एक्यूरेट बजा आ रहे हैं* इसलिए गलत कोई भी नहीं है । जब यह बात सदा बुद्धि में रहेगी तो छोटी - छोटी बातों का प्रभाव समाप्त हो जायेगा और शक के शिकारी बनने से बच जाएंगे ।
❉ स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन गाया हुआ है । इसलिए जब दूसरे को बदलने का लक्ष्य छोड़ स्वयं को बदलने का लक्ष्य रखेंगे और इस भाषा को बदली करेंगे कि दूसरा दे तो मैं दूँ, दूसरा बदले तो मैं बदलूं । इसके बजाए *मास्टर दाता बन जब केवल देने का भाव रखेंगे* और यही सोचेंगे कि मुझे केवल देना है बदले में किसी से कुछ भी लेने की उम्मीद नही रखनी हैं । तो यह चिंतन हर छोटी और बड़ी बात के प्रभाव से मुक्त रखेगा जिससे छोटी छोटी बातों में दिलशिकस्त होने से बच जाएंगे ।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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