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 27 / 11 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *देह अहंकार के बश मियाँ मिठू तो नहीं बने ?*

 

➢➢ *ड्रामा पर मज़बूत रहे ?*

 

➢➢ *वायदों की स्मृति द्वारा फायदा उठाया ?*

 

➢➢ *स्वयं को ऐसा दिव्य आइना बनाया जिसमे बाप ही दिखाई दे ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *मन की एकाग्रता ही एकरस स्थिति का अनुभव करायेगी।* एकाग्रता की शक्ति द्वारा अव्यक्त फरिश्ता स्थिति का सहज अनुभव कर सकोगे। *एकाग्रता अर्थात् मन को जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो उतना समय एकाग्र कर लो। मन वश में हो।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ"*

 

  सदा ही अपने को 'शक्तिशाली' आत्मायें हैं - इस अनुभूति में रहो। शक्तिशाली आत्माओंके आगे चाहे माया के विघ्न हों, चाहे व्यक्ति द्वारा वा प्रकृति द्वारा विघ्न आयें लेकिन अपना प्रभाव नहीं डाल सकते हैं। तो ऐसे मास्टर सर्वशक्तिवान बने हो या कमजोर हो? अगर एक भी शक्ति की कमी होगी तो हार हो सकती है। समय पर छोटा-सा शस्त्र भी अगर किसके पास नहीं है तो नुकसान हो जाता है। *एक भी शक्ति कम होगी तो समय पर धोखा मिल सकता है। इसलिए मास्टर सर्वशक्तिवान हैं - शक्तिवान नहीं, यही टाइटल याद रखना। सदा खुशहाल रहना और औरों को भी खुशहाल बनाना। कभी भी मुरझाना नहीं। तन भी खुश, मन भी खुश और धन भी खुशी से कमाने वाले और खुशी से कार्य में लगाने वाले।*

 

  जहाँ खुशी है वहां एक सौ भी हजारों के समान होता है, खुशहाली आ जाती है। और जहाँ खुशी नहीं वहाँ एक लाख भी एक रुपया है। तो तन-मन-धन से खुशहाल रहने वाले हैं। दाल-रोटी भी - 36 प्रकार का भोजन अनुभव हो। *तो यही वरदान याद रखना कि हम सदा खुशहाल रहने वाले हैं। मुरझाना काम माया के साथियों का है और खुशहाल रहना काम बाप के बच्चों का है। अपने को गरीब कभी नहीं समझना। सबसे साहूकार हम हैं। दुनिया में साहूकार देखना हो तो आपको देखें।* क्योंकि सच्चा धन आपके पास है। विनाशी धन तो आज है, कल नहीं होगा। लेकिन अविनाशी धन आपके पास है। तो सबसे साहूकार आप हो। चाहे सूखी रोटी भी खाते हो, तो भी साहूकार हो क्योंकि खुशी की खुराक सूखी रोटी में भरी हुई है। उसके आगे और कोई खुराक नहीं। सबसे अच्छी खुराक खाने वाले, सुख की रोटी खाने वाले आप लोग हो।

 

  *इसलिए सदा खुशहाल हो। कभी यह नहीं सोचना कि अगर साहूकार होते तो यह करते! साहूकार होते तो आते ही नहीं, वंचित रह जाते। तो ऐसे खुशहाल रहना जो आपको खुशहाल देख और भी खुशहाल हो जाएँ।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  भारत के चारों तरफ से पहुँचे हैं। सब तरफ से आये हैं या कोई रह गया है? सभी जोन आ गये हैं। तो जैसे आने में एवररेडी होकर पहुँच गये, ऐसे ही *अगर बापदादा ऑर्डर करे कि अभी एक सेकण्ड में वापस घर जाने की तैयारी करो तो कर सकते हो?*

 

✧  कि याद आयेगा टेलीफोन कर दें कि हम जा रहे हैं, प्रवृत्ति वाले याद करेंगे? ऐसी प्रैक्टिस करो - *एक सेकण्ड में आत्मा शरीर से परे होने के लिये एवररेडी बन जाये।* क्योंकि सबका वायदा है - साथ चलेंगे। वायदा है, कि नहीं?

 

✧  बाप चला जाये और हम देखते रहें! नहीं, *साथ रहेंगे, साथ चलेंगे। तो चलने के लिये तैयारी भी चाहिए ना।* कोई गोल्डन, सिल्वर, कॉपर की सूक्ष्म रस्सियाँ तो नहीं हैं, जो आप उडने की कोशिश करो और रस्सी आपको नीचे ले आये? तो चेक करो और अभ्यास करो कि सेकण्ड में अशरीरी बन सकते हैं?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *अपने कमज़ोर संकल्प गिराने का कारण बन जाते हैं। इसलिए एक संकल्प भी व्यर्थ न जाये।* क्योंकि संकल्पों के मूल्य का भी अभी मालूम पड़ा है। *अगर संकल्प, वाचा, कर्मणा- तीनों अलौकिक होंगे तो फिर अपने को इस लोक के निवासी नहीं समझेंगे।* समझेंगे कि इस पृथ्वी पर पाँव नहीं हैं अर्थात् बुद्धि का लगाव इस दुनिया में नहीं है। *बुद्धि रूपी पाँव देह रूपी धरती से ऊँचा है। यह खुशी की निशानी है।* जितना-जितना देह के भान की तरफ से बुद्धि ऊपर होगी उतना वह अपने को फ़रिश्ता महसूस करेगा। *हर कर्तव्य करते बाप की याद में उड़ते रहेंगे तो उस अभ्यास का अनुभव होगा। स्थिति ऐसी हो जैसे कि उड़ रहे हैं। अच्छा।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप समान मुरलीधर बनना"*

 

_ ➳  *मुरली की तान पर थिरकता ये मधुबन सारा... मैं दीवानी मुरली की, मुरली मेरे प्राणों का सहारा*... अन्तर्मन के पट खुले ये पहेली अब समझ में आई है... *मुरली की खातिर भक्ति में जिन गोपियो ने सुधबुध बिसराई, वो मुरली और वो गोपियाँ मैने आज खुद में ही पाई है*...  क्षुद्र जन्म से ये श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ ब्राह्मण जन्म, खुदा जब खुद हर रोज प्रेमपाति भेज रहा है... किस कदर मन के मैल धुल गये है वो सम्मुख बैठ देख रहा है और *मेरे सम्मुख बैठे है बापदादा... और मैं मंन्त्रमुग्ध सी बस सुन रही हूँ और समाँ रही हूँ श्रेष्ठ पद का आधार एक एक महावाक्य को ...बडी तल्लीनता के साथ*...

 

  *श्रेष्ठ पद की प्राप्ति का ज्ञान और रुहानी पालना से भरपूर करने वाले बापदादा मुझ आत्मा से बोले:-* "मेरी चक्रधारी बच्ची... *ये प्रेम पाँति सर्वश्रेष्ठ पद का आधार है... एक एक महावाक्य में प्राप्तियों की लम्बी कतार है... एक एक महावाक्य अन्तर में समाँ लो... मनन चिन्तन से उसे धारणा अपनी बना लो*... क्या विधि की सिद्धि का ये राज आपको मालूम है... *पदमापदम भाग्यशाली बन गये हो आप क्या ये नशा सदा रहता है...?"*

 

_ ➳  *ईश्वरीय मस्ती में मस्त मै देही विदेही बाप से बोली:-* "मीठे बाबा... *सदा एकव्रता बन तीनो लोको की सैर कराती है ये मुरली, सूक्ष्म वतन में कभी तो कभी देवताई झलक दिखाती है ये मुरली*... आपके संग संग फरिश्ता बन उड जाती हूँ मैं... जमाने भर की खुशियाँ मुट्ठी मे समेट लाती हूँ... संगम पर ये ऊँच ते ऊँच ब्राह्मण जन्म पाया है... *मुझ सा भाग्य किसका होगा... मुझे स्वराज्य अधिकारी बनना यही पर सिखलाया है...*"

 

  *अव्यक्त वतनवासी बाप मुझ साक्षात्कार मूर्त आत्मा से बोले:-* "मीठी बच्ची... *जैसे पाँच तत्वों के शरीर में बिन्दु बन रहती हो... वैसे ही अब लाइट के कार्ब में रहों... फरिश्ता बन धरा पर सेवार्थ कदम रखों ...* कारोबार पूरा कर फिर उपराम हो जाओ... अपने लाइट रूप से सबको साक्षात्कार कराओं... मुरली का स्वरूप बन विधि की सिद्धि सबको सिखाओं... *ज्वाला स्वरूप बन योग अग्नि से हर आत्मा को विकारों के बंधन से मुक्त कराओं"...*

 

_ ➳  *स्वविकारों पर पैनी नजर रख उन्हें समाप्त करने वाली मैं मायाजीत आत्मा भोलेनाथ बाबा से बोली:-* "मेरे बाबा...  *विकारों से अशान्त आत्माओं पर मैं फरिश्ता शान्ति की बदली  बरसा रही हूँ... ज्ञान के खजानों से भरने सबको ज्ञान मुरली का वर्सा दिला रही हूँ*... लास्ट सो फास्ट जाने का तरीका श्रीमत पर ही सबको बता रही हूँ... बेफ्रिक बादशाह बनाया मुझे मुरली ने कैसे... अनुभव अपना मैं सबको बता रही हूँ..."

 

  *सच्चे सच्चे सेवाधारी बाप मुझ ज्ञानमूर्त आत्मा से बोले:-* "मेरी बच्ची... *अज्ञान और भक्ति के घने बीहड में काठ की मुरली और मुरली धर को अभी भी जो आत्माए खोज रही है उनको सदगुरू की सच्ची-सच्ची ज्ञान मुरली का रसपान कराओं*... मुरली से श्रेष्ठपद की प्राप्ति का अनुभव कराओं... मुरली को समालेना और स्वरूप बन जाने की विधि सिखाओं... अब अन्तिम समय का अन्तिम पुरूषार्थ और मायाजीत का अनुभव कराओं"...

 

_ ➳  *सर्व खजानों से सम्पन्न धारणामूर्त मैं आत्मा बापदादा से बोली:-* "प्यारे बाबा... *मै तो निमित्त मात्र हूँ बाबा... ये ज्ञान मुरली ही सब करा रही है... महापरिवर्तन की वेला का आधार ये मुरली ही बनी है बाबा... जो पल मे तीनो लोको का भ्रमण करा देती है*... फरिश्ता बनाकर मुझे पल में दुआओं का कारोबार कराती है... मूढ पतित आत्माओं को पावन बना रही है... मेरे दैवी रूप का दीदार कराती है... प्रभु मिलन को बेताब आत्माओं को आपसे मिला देती है... *और कहते कहते मैं बीजरूप बन समाँ गयी हूँ मै बापदादा की गोद में..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- दिल से सच्चा रहना है*"

 

_ ➳  अपने सच्चे साहेब की मीठी यादों में खोई असीम आनन्द का मैं अनुभव कर रही हूँ और मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के गीत गा रही हूँ और विचार कर रही हूँ कि इस दुनिया मे मुझ से अधिक सौभाग्यशाली भला कौन हो सकता है जिसे उस सच्चे साहेब ने अपना बना लिया जिसे सारी दुनिया ढूंढ़ रही है। *वो साधु सन्यासी, वो बड़े - बड़े महा मण्डलेश्वर, वो तपस्वी जो आज भी उसका दीदार पाने के लिए कठोर तप कर रहें हैं, अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड कर रहें है, अपने शरीर को कष्ट पहुंचा रहें हैं लेकिन उस सच्चे साहेब के दर्शन तो दूर उसकी एक झलक भी नही पा सकते और मैं पदमापदम सौभाग्यशाली आत्मा जिसे उस साहेब ने अपने दिल रूपी तख्त पर बिठा लिया*। दिन की शुरुआत से लेकर रात के सोने तक मेरा साहेब मेरे साथ रहता है, मेरा हर कार्य सम्पन्न करता है, यहाँ तक कि मेरे सोचने का काम भी वो करता है।

 

_ ➳  अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य और अपने साहेब से होने वाली प्राप्तियों की स्मृति मेरे अंदर एक रूहानी नशे का संचार करने लगती है। एक रूहानी मस्ती जैसे - जैसे मुझ आत्मा पर छाने लगती है वैसे - वैसे देह भान रूपी दीवार गिरने लगती है और अपने सत्य स्वरूप में मैं स्थित होने लगती हूँ। *और इस सत्य स्वरूप में स्थित होते ही देह के सम्बंध, देह की दुनिया, देह से जुड़े वैभव सब पीछे छूटते हुए दिखाई देने लगते है, सारे सम्बन्ध केवल उस एक मेरे सच्चे साहेब के साथ जुड़ जाते हैं और अपने उस सच्चे साहेब से मिलने के लिए मैं देह की झूठी दुनिया से किनारा कर अपनी उस पारलौकिक निराकारी दुनिया की ओर चल पड़ती हूँ जो मेरे दिलाराम बाबा का धाम है*। ज्ञान और योग के सुंदर पंख लगाए मैं आत्मा सजनी उड़ती जा रही हूँ अपने साजन के पास उनके निराकारी वतन की ओर।

 

_ ➳  पांचों तत्वों की साकारी दुनिया को पार कर, आकारी दुनिया से होती हुई मैं पहुँच गई हूँ अपनी निराकारी दुनिया ब्रह्मलोक में और मन बुद्धि के दिव्य चक्षु से अपने इस निर्वाणधाम घर को देख रही हूँ। चारों और फैला लाल प्रकाश मन को गहन आनन्द का अनुभव करवा रहा है। *इस प्रकाश में समाये सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के वायब्रेशन्स चारों और फैल कर, औंस की मीठी - मीठी फुहारों की तरह मेरे ऊपर बरसते हुए मुझे गहन शीतलता की अनुभूति करवा रहें हैं। इन शीतल फ़ुहारों का आनन्द लेती, मैं चमकती हुई ज्योति अपने इस अंतहीन परमधाम घर की सैर कर रही हूँ*। देह और देह की दुनिया के हर संकल्प विकल्प से मुक्त एक बहुत ही प्यारी निरसंकल्प स्थिति में स्थित होकर अपने इस शान्तिधाम घर की सैर करने का यह अनुभव बहुत ही निराला और आनन्दमयी है। इस अनोखी आनन्दमयी यात्रा का सुख लेते हुए अब मैं जा रही हूँ अपने निराकार सच्चे साहिब अपने शिव पिता के पास।

 

_ ➳  सूर्य के समान अनन्त प्रकाशमय मेरे प्यारे बाबा ज्योतिपुंज के रूप में अपनी सर्वशक्तियो की किरणों रूपी बाहों को फैलाये मेरे सामने खड़े हैं। धीरे - धीरे बाबा के समीप जाकर मैं जैसे ही बाबा की किरणों रूपी बाहों में समाती हूँ वैसे ही बाबा अपनी किरणों रूपी बाहों को समेटने लगते हैं और बाबा की किरणों रूपी बाहों में सिमट कर मैं आत्मा बाबा के बिल्कुल समीप पहुँच जाती हूँ। *स्वयं को मैं बाबा के इतना समीप देख रही हूँ कि मुझे ऐसा लग रहा है जैसे बाबा और मैं एक हो गए है। बाबा में मैं पूरी तरह समाकर जैसे बाबा का ही रूप बन गई हूँ। स्वयं को मैं बहुत ही एनर्जेटिक महसूस कर रही हूँ*। बाबा की किरणों रूपी बाहें धीरे - धीरे फिर से फैलने लगी है और मैं बाबा की किरणों रूपी बाहों से निकल कर अब बाबा के सामने बैठ गई हूँ और उनकी सर्वशक्तियो की किरणों की छत्रछाया के नीचे बैठ स्वयं को उनकी सर्वशक्तियो से भरपूर कर रही हूँ *रंग बिरंगी किरणों के रूप में बाबा के सर्वगुण और सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर समाते जा रहें हैं*।

 

_ ➳  सर्वगुणों और सर्वशक्तियों से सम्पन्न होकर अब मैं फिर से साकार सृष्टि रूपी कर्मभूमि पर कर्म करने के लिए लौट रही हूँ। अपने साकारी ब्राह्मण तन में भृकुटि की कुटिया पर विराजमान होकर अब मैं फिर से इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर अपना पार्ट बजा रही हूँ। *पार्ट बजाते हुए हर पल अपने सच्चे साहिब को अपने दिल मे बसाये, उनके साथ अंदर बाहर सदा सच्चे रहते हुए, अपने साहिब के दिल रूपी तख्त पर मैं राज कर रही हूँ। चलते फिरते हर कर्म करते उन्हें पल - पल का सच्चा समाचार सुना कर, उनसे राय लेकर मैं हर कार्य मे सहज ही सफलता प्राप्त करती जा रही हूँ*। सच्चे दिल से अपने सच्चे साहिब को सदा राजी रखने के लिए मैं इस बात पर पूरा अटेंशन दे रही हूँ कि अनजाने में भी मुझ से ऐसा कोई कर्म ना हो जिसके लिए मुझे अपने साहेब के सामने शर्मिन्दा होना पड़े।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं वायदों की स्मृति द्वारा फायदा उठाने वाली सदा बाप के ब्लेसिंग की पात्र आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं स्वयं को ऐसा दिव्य आइना बनाने वाली सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ जिसमें बाप ही दिखाई दे ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बिजनेस वाले हाथ उठाओ। बिजनेस वाले क्या सोचते हैं?खास आपको चांस मिला है। *बिजनेस वालों को बाप से भी बिजनेस कराओ।* सिर्फ खुद किया वह तो अच्छा किया लेकिन औरों को भी बाप से बिजनेस कराओ क्योंकि आजकल सर्व बिजनेसमैन टेन्शन में बहुत हैं। बिजनेस समय अनुसार नीचे जा रहा है। इसलिए जितना भी पैसा हैपैसे के साथ चिंता है-क्या होगा! तो *उन्हों को चिंता से हटाए अविनाशी खजाने का महत्व सुनाओ।* तो जितने भी बिजनेसमैन आये हैं चाहे छोटा बिजनेस हैचाहे बड़ा है। लेकिन *अपने हमजिन्स कार्य करने वालों को खुशी का रास्ता बताओ।* जो भी आप बिजनेसमैन आये हैं उन्हों को चिंता हैक्या होगाकैसे होगाचिंता हैचिंता नहीं है तो हाथ उठाओ। कल कुछ हो जाये तोबेफिकर बादशाह हैं?बिजनेसमैन बेफिक्र बादशाह हैंथोड़ों ने हाथ उठाया? जिसको थोड़ा-थोड़ा फिकर है वह हाथ उठा सकते हो या शर्म आयेगा?बापदादा ने टाइटल ही दिया है - *बेफिक्र बादशाह, बेगमपुर के बादशाह।*

 

 _ ➳  तो जब भी कोई ऐसी बात आये, आयेगी तो जरूर *लेकिन आप बेगमपुर में चले जाना।* बेगमपुर में बैठ जाना तो बादशाह भी हो जायेंगे और बेगमपुर में भी हो जायेंगे। आपने ही आह्वान किया है कि *पुरानी दुनिया जाये और नई दुनिया आये,* तो जायेगी कैसेनीचे ऊपर होगी तब तो जायेगी। *कुछ भी हो जाए आपको बेफिक्र बनना ही है।* आपने ही आह्वान किया हैपुरानी दुनिया खत्म हो। तो पुरानी दुनिया में पुराने मकान में क्या होता है? कभी क्या टूटता हैकभी क्या गिरता हैतो यह तो होगा ही। नथिंगन्यु। *ब्रह्मा बाप का यही हर बात में शब्द था - 'नथिंगन्यु'।* होना ही हैहो रहा है और हम बेफिक्र बादशाह। ऐसे बेफिक्र हो? बेफिक्र होंगे तो देवाला भी बच जायेगा और फिक्र में होंगेनिर्णय ठीक नहीं होगा तो एक दिन में क्या से क्या बन जाते हैं। यह तो जानते ही हो। बेफिक्र होंगे, *निर्णय अच्छा होगा* तो बच जाेंगे।

 

 _ ➳  *टचिंग होगी - अभी समय अनुसार यह करें या नहीं करें!* इसीलिए फिक्र माना बिजनेस भी गिरना और अपनी स्थिति भी गिरना। *तो सदैव यह याद रखो - बेफिक्र बादशाह हैं।* फिक्र की बात भी बदल जायेगी। *हिम्मत नहीं हारो, दिलशिकस्त कभी नहीं हो।* हिम्मत से बाप की मदद मिलती रहेगी। बाप मदद के लिए बंधा हुआ है लेकिन हिम्मतहीन का मददगार नहीं है। आप सोचेंगे कि बाप की मदद तो मिली नहीं, लेकिन पहले यह सोचो हिम्मत हैहिम्मत बच्चे की मदद बाप की। आधा शब्द नहीं पकड़ो, बाप की मदद तो चाहिए ना! लेकिन हिम्मत रखी? दिलशिकस्त न होकर हिम्मत रखते चलो तो *मदद गुप्त मिलती रहेगी।* तो बोलो कौन होबिजनेसमैन सभी बोलो कौन होबेफिक्र बादशाह होयह याद रखना। *हिम्मत कभी नहीं छोड़ना,* कुछ भी हो जाए मदद मिलेगी। लेकिन *आधा नहीं याद करना। पूरा याद रखना।*

 

✺   *ड्रिल :-  "बेफिकर बिजनेसमैन बनने का अनुभव"*

 

 _ ➳  आज बापदादा वतन में बैठें हुए मुझ आत्मा को रूहानी बिजनेसमैन बना रहे हैं... *मुझ आत्मा को ख़ास बाबा ने रूहानी बिजनेस करने का चांस दिया हैं...* रूहानी कमाई करने के साथ साथ सर्व गुण, सर्व ख़जाने, ईश्वरीय सुख़, ब्राह्मण जीवन और स्वर्ग में चलने का बिजनेस मै आत्मा बाबा के साथ कर रही हूँ... *मै आत्मा कौन हूँ कहां से आई हूँ...* सबकुछ जान चुकी हूँ... मै आत्मा परमपिता शिव परमात्मा को और उनके दिव्य कार्य को भी जान चुकी हूँ... अब मै आत्मा ये रूहानी बिजनेस और आत्माओं को भी बता रही हूँ... कि परमात्म खजानों का बिजनेस कैसे करे... आज के समय में सर्व आत्माएँ जिस्मानी बिजनेस और दूसरे कार्य में इतनी उलझी हुई हैं कि परमात्म्य सुख से वंचित हैं...पर *मै आत्मा इस संगम युग में परमात्म्य सुख और साथ का आनंद ले रही हूँ...*  

 

 _ ➳  इस अंतिम समय में जहाँ सबकुछ विनाश कि ओर अग्रसर हैं... सभी आत्माएं इतनी चिंता में डूबी हुई हैं... उन सभी आत्माओ को *मै आत्मा रूहानी बिजनेस कराकर उन्हें ख़ुशी का रास्ता बता रही हूँ... और सुख शांति की किरणें बाँट रही हूँ... मै आत्मा अपना सबकुछ एक बाप को सौप कर चिंता मुक्त एकदम बेफ़िक्र बादशाह बनती जा रही हूँ...* क्यूंकि मेरा पालनहार स्वयं परमपिता परमात्मा हैं... मुझ आत्मा को किसी भी प्रकार की कोई भी चिंता नहीं हैं... *भगवान बाप ने मुझ आत्मा को बेफ़्रिक बादशाह, बेगमपुर का बादशाह बनाया हैं...* इस स्वमान से मै आत्मा बेफ़िक्र बन गई हूँ...

 

 _ ➳  मुझ आत्मा को कोई भी बात परेशान नहीं कर सकती हैं... क्यूंकि *मै आत्मा अब बेगमपुर की बादशाह बन गई हूँ...* क्यूंकि मुझ आत्मा को अब बाप के साथ साथ इस ड्रामा का भी नॉलेज हैं... मै आत्मा साक्षी होकर के सब देख रही हूँ... *मै आत्मा नई दुनिया में जानें के लिए समय का आह्वान कर रही हूँ...* क्यूंकि नई दुनिया में चिंता, दुःख का नामोनिशान नहीं हैं... कैसी भी परिस्थिति मुझ आत्मा के जीवन में आये मै आत्मा बेफ़्रिक रहतीं हूँ... क्यूंकि शिव पिता मेरे साथ हैं... और मै आत्मा ड्रामा में अटल हूँ... जो भी हो रहा है वो *हर कल्प रिपीट होता हैं... नथिंग न्यू...* मुझ आत्मा की बुद्धि बेफ़िक्र होने के कारण हर समय सही निर्णय ले रही हैं... सही निर्णय लेने के कारण मुझ आत्मा के साथ सदैव अच्छा और सही हो रहा हैं... *बाप ने मुझ आत्मा को निर्णय लेने की शक्ति से भरपूर किया हैं...*

 

 _ ➳  बेफ़्रिक बादशाह और बेफ़िक्र बुद्धि होने के कारण मुझ आत्मा को *सदैव बाप की मदद की टचिंग होती हैं...* बुद्धि की लाइन एकदम क्लियर हैं... और समय अनुसार क्या करना हैं... क्या नहीं करना हैं... ये टचिंग परमात्मा बाप से मुझ आत्मा को मिल रही हैं... बेफ़िक्र बादशाह होने के कारण मुझ आत्मा को हर कार्य और जिस्मानी बिज़नेस में भी सफ़लता मिल रही हैं... और मेरी स्व स्थिति भी बहुत अच्छी बन रही हैं... क्यूंकि *बेफ़िक्र बादशाह होने के कारण हर कार्य में सफ़लता पा रही हूँ...* मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह हूँ... ये मुझ आत्मा कि स्मृति में हैं... और आने वाली परिस्थितियों को भी मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह बनकर पार कर रही हूँ और उन्हें बदल भी रही हूँ... *मै आत्मा कभी भी हिम्मत नहीँ हारती हूँ...* और ना ही कभी दिलशिकस्त होती हूँ... क्यूंकि *परमात्मा बाप ने मुझे बेफ़िक्र बनाया हैं...* मैं हर ात में ख़ुश हूँ... मुझ आत्मा के साथ स्वयं भगवान हैं... मेरे हर क़दम के साथ बाप हैं... और उनकी मदद हैं... *हिम्मते बच्चे मददे बाप ये मुझ आत्मा का स्वमान हैं...* स्वयं भगवान मुझ आत्मा का मददगार बना हैं...

 

 _ ➳  *मै आत्मा कभी भी हिम्मत हीन नहीं होती हूँ...* क्यूंकि जहां मै आत्मा अपने स्वमान से नीचे उतरी, वहां मुझें *परमात्मा बाप की मदद और टचिंग नहीं होगीं...* हिम्मत हैं तो परमात्मा बाप का साथ हैं, उनकी मदद हैं... मै आत्मा अपने स्वमान के साथ सदा आगें बढती जा रहीं हूँ... हिम्मत रख बाप के क़दम पर क़दम रख आगे बढ़ रहीं हूँ... मै आत्मा पूरी तरह से बाप के साथ हूँ... और उनकी पूरी मदद मुझ आत्मा को मिल रही हैं... बाबा की गुप्त मदद से मै आत्मा हिम्मत रख हर परिस्थिति को पार कर रहीं हूँ... *मुझ आत्मा के साथ और भी आत्माएँ बेफ़िक्र बादशाह बनती जा रही हैं...* चारों ओर यहीं आवाज़ गूंज रही हैं... कि मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह हूँ... मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह हूँ... चाहे कुछ भी हो जाये, *मैं आत्मा हिम्मत कभी नही छोड़ती हूँ...* मै आत्मा हमेशा बाप के साथ हूँ... और उनकी मदद ले रही हूँ... *मै आत्मा बेफ़िक्र बनकर बेफ़िक्र बिज़नेसमैन बन चुकीं हूँ...* और बाप के साथ पूरा पूरा रूहानी बिज़नेस कर रहीं हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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