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 06 / 03 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *"किसी भी कारण से किसी के पैर खिसकने न पाए" - यह ध्यान रखा ?*

 

➢➢ *सब प्रश्नों को छोड़ बाप और वर्से को याद किया ?*

 

➢➢ *फॉलो फादर कर नंबरवार विश्व के राज्य का तख़्त लेने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *सेवा का फल और बल प्राप्त कर स्वयं को शक्तिशाली अनुभव किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  यह परमात्म प्यार की डोर दूर-दूर से खींच कर ले आती है। *यह ऐसा सुखदाई प्यार है जो इस प्यार में एक सेकण्ड भी खो जाओ तो अनेक दु:ख भूल जायेंगे और सदा के लिए सुख के झूले में झूलने लगेंगे।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं बाप के समीप रत्न हूँ"*

 

  सदा अपने को बाप के समीप रत्न समझते हो? जितना दूर रहते, देश से दूर भले हो लेकिन दिल से नजदीक हो। ऐसे अनुभव होता है ना। *जो सदा याद में रहते हैं, याद समीप अनुभव कराती है। सहज योगी हो ना। जब बाबा कहा तो 'बाबा' शब्द ही सहज योगी बना देता है। 'बाबा' शब्द जादू का शब्द है। जादू की चीज बिना मेहनत के प्राप्ति कराती है।*

 

  *आप सभी को जो भी चाहिए - सुख चाहिए, शान्ति चाहिए, शक्ति चाहिए जो भी चाहिए 'बाबा' शब्द कहेंगे तो सब मिल जायेगा। ऐसा अनुभव है!* बापदादा भी, बिछुड़े हुए बच्चे जो फिर से आकर मिले हैं, ऐसे बच्चों को देख खुश होते हैं। ज्यादा खुशी किसको? आपको है या बाप को?

 

  बापदादा सदा हर बच्चे की विशेषता सिमरण करते हैं। कितने लकी हो। अनुभव करते हो कि बाप हमको याद करते हैं? *सभी अपनी-अपनी विशेषता में विशेष आत्मा हो। यह विशेषता तो सभी की है - जो दूर देश में होते, दूसरे धर्म में जाकर फिर भी बाप को पहचान लिया। तो इस विशेष संस्कार से विशेष आत्मा हो गये।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *एकाग्रता की शक्ति विशेष संस्कार भस्म करने में आवश्यक है।* जिस स्वरूप में एकाग्र होने चाहो, जितना समय एकाग्र होने चाहो, ऐसी एकाग्रता संकल्प किया और भस्म। इसको कहा जाता है योग अग्नि। नाम-निशान समाप्त मारने में फिर भी लाश तो रहता है ना!

 

✧  *भस्म होने के बाद नाम निशान खत्मा तो इस वर्ष योग को पॉवरफुल स्टेज में लाओ।* जिस स्वरूप में रहने चाहो मास्टर सर्वशक्तिवान, ऑर्डर करो। समाप्त करने की शक्ति आपके ऑर्डर नहीं माने, यह हो नहीं सकता। मालिक हो, मास्टर कहलाते हो ना! तो मास्टर ऑर्डर करे और शक्ति हाजिर नहीं हो तो क्या वह मास्टर है?

 

✧  तो बापदादा ने देखा कि पुराने संस्कार का कुछ न कुछ अंश अभी भी रहा हुआ है और वह अंश बीच-बीच में वंश भी पैदा कर देता है, जो कर्म तक भी काम हो जाता है। युद्ध करनी पडती है। तो बापदादा बच्चों का समय प्रमाण युद्ध का स्वरूप भाता नहीं है। *बापदादा हर बच्चे को मालिक के रूप में देखने चाहता है।* ऑर्डर करो जी हजूर।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *ऐसे ट्रान्सपेरेंट हो जाओ जो अपकी शरीर के अन्दर जो आत्मा विराजमान है वह स्पष्ट सभी को दिखाई दे। आपका आत्मिक स्वरूप उन्हों को अपने आत्मिक स्वरूप का साक्षात्कार कराए।* इसको ही कहते हैं अव्यक्ती व आत्मिक स्थिति का अनुभव करना ।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप समान रहमदिल बन हर एक को जीयदान देना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा बगीचे में झूले पर बैठी झूलते हुए फूलों पर बैठी तितली को देख रही हूं... फूलों के कानों में कुछ कहती तितली एक फूल से दूसरे फूल पर इधर से उधर उड़ रही है... कोयल अपनी मधुर आवाज़ में सुरीला सरगम सुना रही है... *मैं आत्मा भी अपने मीठे बाबा से मीठी मीठी बातें करने, अपने दिल के जज्बातों को बयान करने बगीचे में बाबा का आह्वान करती हूँ... बापदादा झूले पर आकर बैठ मेरे कानों में मधुर ज्ञान की सरगम सुनाते हैं...*

   

  *प्यारे बाबा शांति की किरणों से मुझे शांति का दूत बनाकर सारे विश्व को शांति का दान करने की शिक्षा देते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... इस दुनिया में रहतेकर्म करते दिल से सदा ईश्वर पिता को याद करो... यह यादे ही सर्व सुखो की प्राप्ति का सच्चा आधार है... *जितना जितना यादो में दिल से खोये रहोगे... सुख और शांति की किरणे स्वतः ही चहुँ ओर बिखरती रहेंगी... और ऐसा ही आप समान ईश्वरीय दीवाना सबको बनाओ..."*

 

_ ➳  *अम्बर के सारे तारे आँचल में समेटकर सारे विश्व के सितारों को जगमग करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में खो कर सच्चे प्रेम के स्त्रोत में बह रही हूँ... सारे नाते आपसे जोड़कर हर रिश्ते का सच्चा सुख पा रही हूँ... *यादो की गहराई में डूबकर प्रेम सुख शांति से पूरे विश्व को भर कर आप समान बना रही हूँ..."*

 

  *मीठे बाबा अपनी यादों की तरगों में डुबोकर सच्ची खुशियों के गहनों से मेरा श्रृंगार करते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता की यादो में दिल की गहराइयो से डूब जाओ... और खुद गहरे आनन्द की अनुभूतियों को प्राप्त कर... पूरे विश्व को भी इन तरंगो से लबालब कर दो... *शांति की लहरो से विश्व धरा को शीतल कर दो... आप समान बनाकरहर दिल को सच्चे सुखो का अनुभव कराओ..."*

 

_ ➳  *बाप समान रहमदिल बन दुखी, तडपती आत्माओं को जीयदान देते हुए सुख की अनुभूति कर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा हर पल आपकी यादो में खोकरअपने भाग्य को आलिशान बना रही हूँ... *सच्चे प्रेम में भीगी पावन प्रेम तरंगे... विश्व पर बरसाने वाली प्रेम बदली बन गई हूँ... और सबको इस सच्चे प्रेम के अहसासो में भिगो कर आप समान बना रही हूँ..."*

 

  *प्यारे बाबा मीठी रूहानी सुगंध से मुझ रूहानी गुलाब को महकाकर अपने गुलिस्तां की फूल बनाते कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे...  इन प्यारी सी यादो में अथाह सुख छिपा है... सब कुछ इन यादो में ही समाया है... इसलिए हर कर्म करतेमन के भीतरी तार् ईश्वर पिता से जोड़कर... *सच्चे प्रेम को जी लो... और शांति से ओतप्रोत प्रेम लहरियों को पूरे विश्व पर फैला दो... आप समान मीठा,प्यारा और ईश्वरीय दिलवाला बनाने की सेवा करो..."*

 

_ ➳  *सबको सच्चे खजानों का पता देकर मीठी मुस्कान से हर दिल को सजाती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा सबको ईश्वरीय खजानो से भरपूर कर आप समान भाग्यशाली महा धनवान् बनाती जा रही हूँ...* मीठे बाबा आपकी यादो की खुमारी में रोम रोम से डूबी हुई हूँ... और सारे विश्व को शांति के प्रकम्पन्न से भर रही हूँ..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- मुरझाये हुए को सुरजीत बनाना है*"

 

_ ➳  आबू की पहाड़ियों पर, प्रकृति के खूबसूरत नजारो का भरपूर आनन्द लेने की मन मे जैसे ही इच्छा जागृत होती है। *वैसे ही अपने लाइट के फ़रिश्ता स्वरूप को धारण कर, मन बुद्धि के विमान पर सवार होकर मैं पहुँच जाती हूँ उस पावन तीर्थ पर, जहाँ आत्मा, परमात्मा का यथार्थ मिलन होता है*। साकार में भगवान अपने बच्चों के सम्मुख आकर उनसे मिलन मनाते हैं, अपना प्यार बरसा कर उन्हें तृप्त कर देते हैं। *जन्म - जन्म की प्यासी आत्मायें यहां आकर, परमात्म प्रेम के झूले में झूलते हुए, अपने हर गम को जैसे भूल जाती हैं*।

 

_ ➳  परमात्मा की इस अवतरण भूमि, इस पावन तीर्थ पर भ्रमण करके, इसकी फिजाओं में बसी परमात्म प्यार की खुशबू को स्वयं में भरकर, *परमात्म प्रेम के अनुभव का भरपूर आनन्द लेकर मैं पीस पार्क में आती हूँ और प्यार के इस मधुर एहसास को अपने अंदर गहराई तक समाने के लिए थोड़ी देर के लिए अपनी पलको को मूंद कर एकांत में बैठ जाती हूँ*। परमात्म पालना के सुखद एहसास का आनन्द लेते - लेते मेरी बंद आंखों के सामने अनेक चेहरे बार - बार उभरने लगते हैं। एक तरफ खुशी से खिले ब्राह्मणों के चहरे और दूसरी दुनिया वालों के मुरझाये हुए चेहरे।

 

_ ➳  इस दृश्य को देख सारी दुनिया के सभी मनुष्य मात्र जो परम पिता परमात्मा की संतान मेरे ही आत्मा भाई हैं, किन्तु परमात्मा को ना जानने के कारण माया के मुरीद बन गए हैं। *अपने उन आत्मा भाइयो की ऐसी दुर्दशा और उनके मुरझाये हुए चेहरे देख मन में उनके प्रति रहम की भावना जागृत होती है और ऐसे मुरझाये हुए अपने आत्मा भाइयों को सुरजीत करने की मन ही मन मैं दृढ़ प्रतिज्ञा कर, अपने अति मीठे प्यारे बाबा को याद करती हूँ जिन्होंने आकर मुझे माया का मुरीद बनने से छुड़ा कर जीयदान दिया है*। अपने भगवान बाप के इस उपकार का रिटर्न अब मुझे अपने उन सभी आत्मा भाइयो को सुरजीत करके देना है जो मुरझाये हुए हैं।

 

_ ➳  इसी दृढ़ संकल्प के साथ योग का बल स्वयं में भरने के लिए, ताकि मुरझाये हुए अपने आत्मा भाइयों पर ज्ञान की शीतल छींटे डाल कर उन्हें सुरजीत कर सकूं, अब मैं स्वयं को अशरीरी स्थिति में स्थित कर, अपने निराकार सर्वशक्तिवान मीठे बाबा की मीठी याद में बैठ जाती हूँ। *मन बुद्धि जैसे ही एकाग्र होते हैं, बाबा सहज ही मुझे अपनी ओर खींच लेते हैं और मैं सेकण्ड में स्वयं को उनके पास उनके घर परमधाम में पाती हूँ*। अपने शिव पिता के इस शांतिधाम घर में गहन शान्ति का अनुभव कर, स्वयं को बलशाली बनाने के लिए अब मैं सर्वशक्तिवान शिव बाबा की सर्वशक्तियों की छत्रछाया के नीचे जा कर बैठ जाती हूँ।

 

_ ➳  बिंदु बन, अपने बिंदु बाप से सर्वगुण और सर्वशक्तियाँ स्वयं में भरकर पूरी तरह तृप्त होकर, बलशाली बन कर, मुरझाई हुई आत्माओं को सुरजीत बनानें की सेवा अर्थ अब मैं परमधाम से नीचे आ जाती हूँ। *सूक्ष्म लोक में पहुँच कर, अपनी लाइट की फ़रिश्ता ड्रेस पहन कर, बापदादा के साथ कम्बाइन्ड होकर अब मैं विश्व ग्लोब पर आ कर स्थित हो जाती हूँ और बापदादा से सर्वशक्तियाँ लेकर, ज्ञान की शीतल फ़ुहारों के रूप में, माया की मुरीद बनी सारे विश्व की आत्माओं पर बरसाने लगती हूँ*। मैं देख रही हूँ परमात्म प्यार के छींटे पड़ने से उन आत्माओं के मुरझाये हुए चेहरे फिर से खिल उठे हैं।

 

_ ➳  *विश्व की सर्व आत्माओं के ऊपर परमात्म प्रेम बरसा कर, बापदादा से विदाई ले, स्थूल सेवा करने के लिए अब मैं साकार सृष्टि पर आकर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ और अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी आत्माओं को जो माया रावण की कैद में होने के कारण मुरझाई हुई हैं उन्हें सच्चा परमात्म ज्ञान देकर, सुरजीत करने की सेवा में लग जाती हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं फॉलो फादर कर नाम्बरवार विश्व के राज्य का तख्त लेने वाली तख्तनशीन आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं सेवा का फल और बल प्राप्त करने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  ब्राह्मणों के दृढ़ संकल्प में बहुत शक्ति है... अगर ब्राह्मण दृढ़ संकल्प करें तो क्या नहीं हो सकता! सब हो जायेगा सिर्फ योग को ज्वाला रूप बनाओ... *योग ज्वाला रूप बन जायेगा तो ज्वाला के पीछे आत्मायें स्वतः ही आ जायेंगी क्योंकि ज्वाला (लाइट) मिलने से उन्हों को रास्ता दिखाई देगा...* अभी योग तो लगा रहे हैं लेकिन योग ज्वाला रूप होना है... सेवा का उमंग-उत्साह अच्छा बढ़ रहा है लेकिन योग में ज्वाला रूप अभी अण्डरलाइन करनी है... *आपकी दृष्टि में ऐसी झलक आ जाए तो दृष्टि से कोई न कोई अनुभूति का अनुभव करें...*

 

 

✺   *ड्रिल :-  "ब्राह्मणों के दृढ़ संकल्प की शक्ति का अनुभव"*

 

 _ ➳  शांति के सागर अपने शिव पिता की याद में बैठी मैं गहन शान्ति का आनन्द ले रही हूँ... और उसी गहन शान्ति की स्थिति में मैं अनुभव करती हूँ कि जैसे अनेकों आत्माओं की रोने, चिल्लाने की आवाज़ें मेरे कानों में सुनाई देने लगी है... उन आवाजों के साथ एक पीड़ादायक दृश्य मुझे दिखाई देता है... *मैं देख रही हूँ सारे विश्व की आत्मायें, प्रकृति से, वायुमण्डल से, अपने सम्बन्धियों से, अपने मन के कमजोर संस्कारों से, बीमारियों से पीड़ित हो कर तड़प रही हैं...* सुख शांति की एक अंचली की तलाश में भटक रही हैं, रो रही है, चिल्ला रही हैं...

 

 _ ➳  इस दृश्य को देखते - देखते एकाएक जैसे कानों में बापदादा की अव्यक्त आवाज सुनाई देती है... उन दृश्य से जैसे ही मैं ध्यान हटाती हूँ अपने सामने बापदादा को देखती हूँ जो मुझे अपने साथ चलने का इशारा कर रहें हैं... बाबा अपना हाथ आगे बढ़ाते हैं... बाबा के हाथ मे मैं जैसे ही अपना हाथ रखती हूँ, मेरा ब्राह्मण स्वरूप लाइट के फ़रिशता स्वरूप में बदल जाता है और *बाबा का हाथ थामे मैं फ़रिशता बाबा के साथ चल पड़ता हूँ... बाबा के साथ चलते - चलते मैं वही सब दृश्य फिर से देख रहा हूँ... हर तरफ चीखते - चिल्लाते शांति की तलाश में भटकते मनुष्य दिखाई दे रहें हैं...*

 

 _ ➳  इन सभी दृश्यों को देखते - देखते बाबा मुझे एक ऐसे स्थान पर ले आते हैं जहां बहुत सारी ब्राह्मण आत्मायें पहले से ही उपस्थित हैं... मैं भी अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर उन सभी ब्राह्मण आत्माओं के पास जा कर बैठ जाती हूँ... *बाबा सभी ब्राह्मण बच्चों को सम्बोधित करते हुए फ़रमान करते हैं:- "सभी योग को ज्वाला स्वरूप बनाओ और शांति के एक ही संकल्प में स्थित हो जाओ"...* देखते ही देखते सभी शांति के एक ही दृढ़ संकल्प में स्थित हो जाते हैं और बाबा की याद में बैठ जाते हैं... सेकण्ड में शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन से पूरा स्थान भर जाता है... और धीरे - धीरे शांति के वो शक्तिशाली वायब्रेशन दूर - दूर तक फैल जाते हैं...

 

 _ ➳  अब मैं देख रही हूँ उन सभी तड़पती हुई अशांत आत्माओं को जो शांति के उन शक्तिशाली वायब्रेशन से आकर्षित हो कर,भाग - भाग कर उस स्थान पर आ कर एकत्रित हो रही हैं... *ऐसा लग रहा है जैसे ब्राह्मणों के दृढ़ संकल्प और जवालस्वरूप योग से यह स्थान एक विशाल शांति कुंड बन गया है और शांति की शक्ति चारों तरफ फैल कर सबको शान्ति का अनुभव करवा रही है...* बाबा की याद में बैठी सभी ब्राह्मण आत्मायें शांतिस्वरूप की चुम्बक बन सभी दुखी और अशांत आत्माओं को अपनी ओर खींच रही हैं... सबके मुख से यही निकल रहा है कि केवल यहां से ही शांति मिलेगी... शांति की अंचली पा कर अब सभी आत्मायें शांति की अनुभूति करके, प्रसन्न हो कर वापिस लौट रही हैं...

 

 _ ➳  बापदादा अब सभी ब्राह्मण आत्माओं को संकल्पो की दृढ़ता पर विशेष अटेंशन खिंचवाते हुए हर ब्राह्मण आत्मा को अपनी सर्वशक्तियों और वरदानों से भरपूर कर रहें हैं... सभी ब्राह्मण आत्मायें बापदादा से सर्वशक्तियाँ और वरदान ले कर अब अपने सेवा स्थलों पर वापिस लौट रहे हैं... मैं भी अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित अब वापिस अपने कर्मक्षेत्र पर लौट आती हूँ... इस बात को सदा स्मृति में रखते हुए कि *"ब्राह्मणों के दृढ़ संकल्प में बहुत शक्ति है" अब मैं अपने संकल्पो को शुभ और श्रेष्ठ बना कर, अपनी मनसा शक्ति से, वृति से अपने सम्बन्ध, सम्पर्क में आने वाली सभी दुखी और अशांत आत्माओं को शांति की अनुभूति करवा रही हूँ...* और साथ ही साथ योग को जवालस्वरूप बनाने का दृढ़ संकल्प कर अब मैं याद की यात्रा पर निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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