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❍ 11 / 01 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अशरीरी बनने का अभ्यास किया ?*
➢➢ *बहुत बहुत पीसफुल बनकर रहे ?*
➢➢ *अटूट याद द्वारा सर्व समस्याओं का हल किया ?*
➢➢ *मनन शक्ति के अनुभवी बन ज्ञान धन को बढाया ?*
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❂ *योगी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ *कितना भी कार्य की चारों ओर की खींचतान हो, बुद्धि सेवा के कार्य में अति बिजी हो - ऐसे टाइम पर अशरीरी बनने का अभ्यास करके देखो। यथार्थ सेवा का कभी बन्धन होता ही नहीं क्योंकि योग युक्त, युक्तियुक्त सेवाधारी सदा सेवा करते भी उपराम रहते हैं।* ऐसे नहीं कि सेवा ज्यादा है इसलिए अशरीरी नहीं बन सकते। *याद रखो मेरी सेवा नहीं बाप ने दी है तो निर्बन्धन रहेंगे।* ‘ट्रस्टी हूँ, बन्धन मुक्त हूँ’ ऐसी प्रैक्टिस करो। अति के समय अन्त की स्टेज, कर्मातीत अवस्था का अभ्यास करो।
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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाली विशेष आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा हर कदम में पदमों की कमाई जमा करने का साधन है। *हर कदम में अपने को विशेष आत्मा समझो, तो जैसी स्मृति होगी वैसी स्थिति स्वत: हो जायेगी। कर्म भी विशेष हो जायेंगे। तो सदा यह स्मृति रहे कि मैं विशेष आत्मा हूँ क्योंकि आप ने अपना बना लिया।* इससे बड़ी विशेषता और क्या हो सकती है?
〰✧ *भगवान के बच्चे बन जाना, यह सबसे बड़ी विशेषता है। सदा इसी स्मृति में रहना अर्थात् पदमों की कमाई जमा करना। किसके बने और क्या बने हैं यह भी याद रखो ते कमाई होती रहेगी।*
〰✧ *विश्व के आत्माओंकी निगाह आपके ऊपर है, इतनी ऊंचे ते ऊंची आत्माएं हो, तो सदा हर पार्ट बजाने, उठते, बैठते, चलते इस स्मुति मे रहो कि हम स्टेज पर पार्ट बजा रहे हैं। यह ब्राह्मण जीवन है ही आदि से अन्त तक स्टेज के ऊपर पार्ट बजाने वाले।* जब सदा यह स्मृति रहेगी कि मैं बेहद विश्व की स्टेज पर हूँ तो स्वत: हर कर्म के ऊपर अटेन्शन रहेगा। इतना अटेन्शन रखकर कर्म करेंगे तो कमाई जमा होती रहेगी।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ मनोबल की बडी महिमा है। यह रिद्धि-सिद्धि वाले भी मनोबल द्वारा अल्पकाल के चमत्कार दिखाते हैं। आप तो विधिपूर्वक रिद्धि-सिद्धि नहीं, विधिपूर्वक कल्याण के चमत्कार दिखायेंगे जो वरदान हो जायेंगे, आत्माओं के लिए यह संकल्प शक्ति का प्रयोग वरदान सिद्ध हो जायेगा। तो *पहले यह चेक करो कि मन को कन्ट्रोल करने की कन्ट्रोलिंग पॉवर है?*
〰✧ सेकण्ड में जैसे साइन्स की शक्ति, स्विच के आधार से, स्विच ऑन करो, स्विच ऑफ करो - ऐसे सेकण्ड में मन को जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो, उतना कन्ट्रोल कर सकते हैं? बहुत अच्छे-अच्छे स्वयं प्रति भी और सेवा प्रति भी सिद्धि रूप दिखाई देंगे। *लेकिन बापदादा देखते हैं कि संकल्प शक्ति के जमा का खाता अभी साधारण अटेन्शन है।*
〰✧ जितना होना चाहिए उतना नहीं है। संकल्प के आधार पर बोल और कर्म ऑटोमेटिक चलते हैं। अलग-अलग मेहनत करने की जरूरत ही नहीं है, आज बोल को कन्ट्रोल करो, आज दृष्टि को अटेन्शन में लाओ, मेहनत करो, आज वृत्ति को अटेन्शन से चेज करो। *अगर संकल्प शक्ति पॉवरफुल हो तो यह सब स्वतः ही कन्ट्रोल में आ जाते हैं।* मेहनत से बच जायेंगे। तो संकल्प शक्ति का महत्व जाने।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- हम बाप के एडाप्टेड बच्चे आपस में भाई-बहन हैं"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मधुबन डायमंड हाल में सभी फरिश्तों के बीच बैठी हूँ... अपने सभी भाई-बहनों के साथ बाबा मिलन की घड़ियों का इन्तजार करती...* कितनी भाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो की इतनी बड़ी ईश्वरीय फैमिली मिली है... मेरे शिव बाबा ने मुझे एडाप्ट करके अपना बनाया है... *बेहद के बाबा ने अपना बनाकर बेहद का अलौकिक परिवार गिफ्ट में दिया है...* इन्तजार की घड़ियों को ख़तम करते हुए अव्यक्त बापदादा दादी के तन में आकर मुझे मीठी प्यारी शिक्षाएं और समझानी देते हैं...
❉ *प्यारे बाबा अपनी दृष्टि से निहाल कर मेरा अलौकिक श्रृंगार करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय राहो में पवित्रता से सजधज कर देवताई श्रृंगार को पाकर... अनन्त सुखो के मालिक बन इस विश्व धरा पर मुस्कराओ... *ईश्वर पिता की सन्तान आपस में सब भाई भाई हो... इस भाव में गहरे डूबकर पावनता की छटा बिखेर... धरा पर स्वर्ग लाने में सहयोगी बन जाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पवित्रता के सागर से पवित्र किरणों को लेकर चारों ओर फैलाते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में दिव्य गुणो की धारणा और पवित्रता की ओढनी पहन कर निखर उठी हूँ... *मै आत्मा विश्व धरा को पवित्र तरंगो से आच्छादित कर रही हूँ... शरीर के भान से परे होकर आत्मिक स्नेह की धारा बहा रही हूँ..."*
❉ *बुझी हुई ज्योति को जगाकर आत्मदर्शन कराकर मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... अपने खुबसूरत सत्य स्वरूप को स्मृति में रखकर, सच्चे प्रेम की लहरियां पूरे विश्व की हवाओ में फैला दो... आत्मा भाई भाई और *ब्राह्मण भाई बहन के सुंदर नातो से पवित्रता की खुशबु चारो ओर फैलाओ... विकारो से परे आत्मिक भावो से भरे सम्बन्धो से, विश्व को सजा दो..."*
➳ _ ➳ *स्वदर्शन कर अपने सत्य स्वरुप के स्वमान में टिकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा देह के मटमैले पन से निकल अब आत्मिक भाव् से भर गयी हूँ... अपने अविनाशी सत्य स्वरूप को जान, विकारो को सहज ही त्याग रही हूँ... *सम्पूर्ण पवित्रता को अपनाकर पवित्र तरंगे बिखरने वाली सूर्य रश्मि हो गयी हूँ..."*
❉ *मेरे अंतर के नैनों को खोल अमृत रस पान कराते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... अपनी दृष्टि वृत्ति और कृति को पावनता के रंग से सराबोर करो... दिव्यता और पवित्रता को विश्व धरा पर छ्लकाओ... *विकारो की कालिमा से निकल खुबसूरत दिव्यता को बाँहों में भरकर मुस्कराओ... आत्मिक सच्चे प्यार की सुगन्ध से विश्व धरा महकाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्रभु मिलन कर परमानन्द को पाकर प्यारे बाबा से कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सबके मस्तक में आत्मा मणि को निहार रही हूँ... और सच्चा सम्मान देकर गुणो और शक्तियो से भरपूर हो रही हूँ... *मनसा वाचा कर्मणा पावनता से सजधज कर मै आत्मा हर दिल पर यह दौलत लुटा रही हूँ..."*
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बुद्धि को सालिम बनाने के लिए देह में रहते, देह के बंधन से न्यारा रहना है*"
➳ _ ➳ देह में रहते, देह के बन्धन से मैं आत्मा स्वयं को जैसे ही न्यारा करती हूँ वैसे ही अपने वास्तविक स्वरूप का मैं गहराई से अनुभव करने लगती हूँ। *मेरा वास्तविक ज्योति बिंदु स्वरूप कितना प्यारा है! यह विचार करते ही मेरा मन और बुद्धि अपने इस अति प्यारे स्वरूप को निहारने में मग्न हो जाते हैं*। एक चमकते हुए चैतन्य सितारे के रूप में मैं स्वयं को मस्तक के बीचों बीच चमकते हुए देख रही हूँ। एक अद्धभुत दिव्य आभा लिए मेरा यह स्वरूप सर्व गुणों और सर्व शक्तियों से सम्पन्न है। *मुझ आत्मा में निहित ये सर्व गुण और सर्वशक्तियाँ रंग बिरंगी किरणों के रूप में मुझ चैतन्य सितारे से निकल कर चारों और फैल रही हैं*।
➳ _ ➳ सर्व गुण और सर्वशक्तियों की ये किरणे चारों ओर फैल कर मेरे आस - पास के वायुमंडल को अति शुद्ध और दिव्य बना रही हैं। *रूहानी मस्ती से भरपूर इस रूहानी वायुमण्डल में मैं आत्मा एक अति प्यारे अलौकिक सुख का अनुभव कर रही हूँ। यह अलौकिक सुख की अनुभूति मुझे मेरे शिव पिता की याद दिला रही है जिन्होंने आ कर मुझे मेरा और अपना सत्य परिचय दिया और मेरे सत्य स्वरूप का अनुभव करवाकर मुझे उस सच्ची शांति और सुख से भरपूर कर दिया* जिसे मैं देह, देह की दुनिया और देह से जुड़े सम्बन्धो में तलाश कर रही थी किन्तु उस सच्चे सुख, शांति और आनन्द से कोसों दूर थी।
➳ _ ➳ अपने प्यारे बाबा के असीम उपकारों को याद करते ही मन उनके प्रति अथाह प्यार और स्नेह से भर उठता है और उनसे मिलने के लिए मैं आत्मा नश्वर देह का त्याग कर चल पड़ती हूँ उनकी निराकारी दुनिया परमधाम की ओर। *लौकिक, अलौकिक हर प्रकार के बन्धन से मुक्त अपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में मैं आत्मा तीव्र गति से ऊपर आकाश की और उड़ती जा रही हूँ*। मन बुद्धि रूपी नेत्रों में अपने बिंदु बाप के अति सुन्दर स्वरूप को बसाये, उनके प्रेम की लग्न में मग्न मैं आत्मा आकाश और अंतरिक्ष को पार कर, फरिश्तो की आकारी दुनिया से परे, चमकते हुए चैतन्य सितारों की निराकारी दुनिया में प्रवेश करती हूँ और अपने बिंदु स्वरूप में बिंदु बाप के सामने जा कर बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ शक्तियों की अनन्त किरणे बिखेरता मेरे बिंदु बाप का अति सुंदर लुभावना स्वरूप मुझे अपनी ओर खींच रहा है। *मन बुद्धि रूपी नेत्रों से एकटक उन्हें निहारते हुए मैं उनके समीप पहुँच कर जैसे ही उन्हें टच करती हूँ उनकी अनन्त शक्तियों की किरणों को पूरे वेग के साथ स्वयं में समाता हुआ अनुभव करती हूँ*। ऐसा लग रहा है जैसे बिंदु बाप ने मुझ बिंदु बच्चे को अपनी सर्वशक्तियों रूपी किरणों की ममतामयी गोद में उठा लिया है और अपना असीम प्रेम और वात्सलय अपनी ममतामयी किरणों के रूप में मुझ पर बरसा रहें हैं। *बाबा का यह अथाह प्यार मुझमे असीम बल भर कर मुझे शक्तिशाली बना रहा है*।
➳ _ ➳ अपने बिंदु बाप के सानिध्य में मैं बिंदु आत्मा उनकी शीतल किरणों की छत्रछाया में गहन शीतलता की अनुभूति कर रही हूँ। *बिंदु आत्मा और बिंदु परमात्मा का यह मंगल मिलन चित को चैन और मन को आराम दे रहा है*। यह सुखद अनुभूति करके, अब मैं आत्मा वापिस अपने ब्राह्मण स्वरूप में लौट आती हूँ। देह में रहते अपने वास्तविक निराकार स्वरूप को सदा स्मृति में रखते हुए, अपने बाबा को सदैव अपने संग अनुभव करते हुए इस सृष्टि रूपी कर्म क्षेत्र पर अब मैं अपना पार्ट बजा रही हूँ।
➳ _ ➳ *देह अभिमान में आने के कारण बुद्धि जो अशुद्ध बन गई थी वो अपना वास्तविक परिचय पा कर अब शुद्ध और पवित्र बन रही है। देह में रहते, देह के बन्धन से सदा न्यारे रहने का अभ्यास अब मेरी बुद्धि को दिव्य और सालिम बना रहा है*
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा अटूट याद द्वारा सर्व समस्याओं का हल करने वाली उड़ता पंछी हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं मनन शक्ति की अनुभवी बनकर ज्ञान धन को बढ़ाने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ दिल मे झण्डा तो लहरा लिया है और कपडे का झण्डा भी लहरा लिया है जगह-जगह पर। *अभी प्रत्यक्षता का झण्डा जल्दी से जल्दी लहराना ही है। यही व्रत लो, दृढ़ प्रतिज्ञा का व्रत लो की जल्दी से जल्दी यह झण्डा नाम बाला का लहराना ही है।* अभी दुखी दुनिया को मुक्तिधाम मे जीवनमुक्ति धाम में भेजो। बहुत दुखी है ना तो रहम करो, अब दुख से छुडाओ। *जो बाप का वर्सा है - 'मुक्ति' का, वह सबको दिलाओ क्यों की परेशान बहुत हैं।* आप शान मे हो, वह परेशान हो। कभी भी मन्सा सेवा से अपने को अलग नही करना, सदा सेवा करते रहो। वायुमण्डल फैलाते रहो। *सुखदाता के बच्चे सुख का वायुमण्डल फैलाते चलो। यही मनाना है।*
✺ *ड्रिल :- "सुखदाता के बच्चे बन सुख का वायुमण्डल फैलाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने मीठे बाबा का हाथ पकड़े... उनसे मीठी-मीठी बातें करते हुए सैर कर रही हूँ... *मुझे तीर्थ यात्रा पर जाते हुए कुछ पदयात्री नजर आते हैं... जो कितना कष्ट, तकलीफें पाकर भी... भावना और प्रेम के वश पैदल चलते जा रहे हैं...* उनके हाथ में ध्वज/पताका है... मुंह से 'जय बाबा की' के जयकारे कर रहे हैं... उनके चेहरों पर अपने इष्टदेवों के प्रति कितना स्नेह है... जिस स्नेह और भक्ति भाव में भीगे हुए ये चलते जा रहे हैं...
➳ _ ➳ इनके हाथ में पताका देखकर मैं आत्मा याद करती हूँ शिवरात्रि को... जब *हम बाबा के बच्चे भी बाबा के अवतरण दिवस पर शिव ध्वज फहरा रहे हैं... हमारे दिलों में अपने प्यारे शिव साजन के स्नेह का झंडा लहरा रहा है.*.. हर ब्राह्मण आत्मा का दिल 'मेरा बाबा मेरा बाबा' के मधुर गीत गा रहा है... सबके दिलों में मीठे बाबा के प्यार की शहनाइयां गूंज रही हैं... सभी पर जैसे कि ईश्वरीय प्रेम का सुधा रस बरस रहा है... जिसे पीकर हर आत्मा रूपी चातक की प्यास बुझ रही है... और असीम तृप्ति मिल रही है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा रूपी सूरजमुखी अपने ज्ञान सूर्य बाबा को निहार रही हूँ... बाबा की किरणों का स्पर्श पाकर मन की एक एक कली खिल उठी है... खुशियों में झूम रही है... *मैं आत्मा अपने खेलते मुस्कुराते हुए चेहरे से बाबा को विश्व में प्रत्यक्ष कर रही हूँ... अपनी दिव्य रूहानी मुस्कान, अव्यक्त स्थिति से हर एक के दिल में परमात्म प्यार का झंडा लहरा रही हूँ*... विश्व की प्यासी, तड़पती अतृप्त, अशांत आत्माओं को प्यारे रूहानी पिता से मिलवाने के निमित्त बन रही हूँ...
➳ _ ➳ कष्टों, पीड़ाओं के थपेड़े खा खाकर दुःखी, निराश, अशांत आत्माएं... एक क्षण की शांति को पाने के लिए बेताब है... ये अपने पिता और घर को भूलकर कैसे भक्ति मार्ग में दर-दर भटक रही हैं... पर कोई भी ठिकाना नहीं पा रही हैं... *उन आत्माओं को मुझ आत्मा के द्वारा अपने वास्तविक घर का ठिकाना मिल रहा है... अपने रूहानी घर और रूहानी पिता का परिचय पाकर आत्माओं की उदासी, पीड़ाएँ समाप्त हो रही हैं*... सभी अपने रूहानी बाबा से मुक्ति और जीवन मुक्ति का वर्सा ले रही हैं... हर एक के दिल में, जुबां पर बाबा का नाम बाला हो रहा है...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सुख सागर पिता की संतान सुख स्वरूप आत्मा हूँ...* बाबा की छत्रछाया में हूँ... अपने बाबा से सर्व संबंधों का रसास्वादन कर रही हूँ... मैं आत्मा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूल रही हूँ... *ये सुख और आनंद के प्रकम्पन... मुझसे निकलकर चारों ओर फैल रहे हैं... चारों ओर का वायुमंडल चार्ज हो रहा है...* इस वायुमंडल में आने वाली हर आत्मा... सच्चे आत्मिक सुख का अनुभव कर रही है... मैं सुख सागर बाबा की किरणों के झऱने के नीचे स्थित होकर सर्वत्र सुखों की वर्षा कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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