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 15 / 04 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *रूहानी नशे में रह ख़ुशी ख़ुशी से सहन किया ?*

 

➢➢ *मेरे को तेरे में परिवर्तित कर बोझमुक्त स्थिति का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *सदा अपने को बाप का राईट हैण्ड समझा ?*

 

➢➢ *अपने लोकिक घर को सेवाकेंद्र समझा ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *आगे चलकर अनेक प्रकार की परिस्थितियाँ आयेंगी उन्हें पार करने के लिए बहुत पावरफुल स्थिति चाहिए, अगर योगयुक्त होंगे तो जैसा समय वैसा तरीका टच होगा। अगर समय प्रमाण युक्ति नहीं आती हैं तो समझना चाहिए योगबल नहीं हैं।योगबल वाली आत्मा को आने वाली परिस्थिति का पहले से ही पता होगा* इसलिए वह योगयुक्त स्थिति में रह हर परिस्थिति को सहज पार कर लेंगे।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं डबल लाइट आत्मा हूँ"*

 

✧  *सेवा में निमित्त बनना यह भी श्रेष्ठ भाग्य है - इस भाग्य को सदा आगे बढ़ाने के लिए विशेष स्वयं को डबल लाइट समझो। किसी भी प्रकार का बोझ खुशी की अनुभूति सदा नहीं करायेगा।*

 

  *जितना अपने को डबल लाइट अनुभव करेंगे उतना भाग्य पद्मगुणा बढ़ता जायेगा। बापदादा डबल लाइट रहने वाले बच्चों के हर कार्य में मददगार हैं।*

 

  जितना सेवा में निमित्त बनने का भाग्य मिलता है उतना डबल लाइट स्थिति से उड़ती कला में उड़ने के विशेष अनुभवी बन सकते हो। *डबल लाइट स्थिति में रहने से सदा खुशी में नाचते रहेंगे और खुशी के महादानी बन खुशी की खान बढ़ाते रहेंगे।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  सभी जिस स्थिती में अभी बैठे हैं, उसको कौन - सी स्थिती कहेंगे? व्यक्त में अव्यक्त स्थिती है? *बापदादा से मुलाकात करते समय बिन्दु रुप की स्थिती में रह सकते हो?* बिन्दु रुप की स्थिती विशेष किस समय बनती है? जब एकान्त में बैठते हो तब या चलते - फिरते भी हो सकती है?

 

✧  *अन्तिम पुरुषार्थ याद का ही है।* इसलिए याद का स्टेज वा अनुभव को भी बुद्धी में स्पष्ट समझना आवश्यक है।

बिन्दुरुप की स्थिती क्या है और अव्यक्त स्थिति क्या है, दोनों का अनुभव क्या क्या है? क्यों कि नाम दो कहते है तो दोनों के अनुभव में भी अन्तर होगा।

 

✧  चलते फिरते बिन्दुरुप कि स्थिती इस समय कम भी नहीं लेकिन ना के बारबर ही कहें। इसका भी अभ्यास करना चाहिए। जैसे जब कोई ऐसा दिन होता है तो सारे चलते -फिरते हुए ट्रैफिक को भी रोक कर तीन मिनिट साइलेन्स की प्रैक्टिस करते हैं। सारे चलते हुए कार्य को स्टाँप कर लेते हैं। *आप भी कोई कार्य करते हो वा बात करते हो तो बीच - बीच में यह संकल्पों की प्रैक्टिस करना चाहिए*।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  देह का भान है तो क्या बाप याद है? बाप के समीप सम्बन्ध का अनुभव होता है जब देहभान का त्याग करते हो तो। *देहभान का त्याग करने से ही देही-अभिमानी बनने से पहली प्राप्ति क्या होती है? यही ना की निरन्तर बाप की स्मृति में रहते हो अर्थात् हर सेकण्ड के त्याग से हर सेकण्ड के लिए बाप के सर्वसम्बन्ध का, सर्वशक्तियों का अपने साथ अनुभव करते हो। तो यह सबसे बड़ा भाग्य नहीं? यह भविष्य में नहीं मिलेगा।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- साक्षी दृष्टा बनना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को वरदानी तपस्या भूमि मधुबन पांडव भवन में... बाबा की कुटिया में बैठे हुए... *मैं आत्मा बाबा के चित्र को निहारते हुए विचित्र बाबा की यादों की हवाओं में बहने लगती हूँ... और अनुभव कर रही हूँ जैसे मीठे बाबा सर्व शक्तियों और वरदानों की रिमझिम वर्षा कर रहे है...* और मैं आत्मा इस अतिइन्द्रिय सुख की वर्षा में भीग रही हूँ... तभी बापदादा मेरे समक्ष आ जाते है... और मुझ डबल लाइट फरिश्ते का हाथ पकड़ झूले पर बिठा... मुझ से मीठी-मीठी रूहरिहान करने लगते है...

 

  *मीठे बाबा मुझ आत्मा को बेहद की स्थिति में स्थित करते हुए कहते है :-* "मीठे-मीठे राजदुलारे बच्चे मेरे... सदा उड़ती कला, एकरस स्थिति के लिए साक्षी दृष्टा बन जाओ... सबकुछ तेरा, मेरा कुछ नहीं यह फीलिंग सम्पूर्ण रूप से अपने अन्दर बढ़ाओ... *हद की भाव और भावनाओं से ऊपर उठ बाप समान साक्षी दृष्टा बन जाओ..."*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा बेहद की स्थिति में स्थित होते हुए कहती हूँ :-* "प्यारे-प्यारे दिल के सच्चे सहारे बाबा मेरे... सुनकर आपकी ये गहरी समझानी फूली ना समा रही हूँ... *ये साक्षी शब्द में ही जैसे सार समाया है... इस साक्षीपन ने मुझे न्यारा और प्यारा बनाया है...* सबकुछ तेरा, मेरा कुछ नहीं इस स्थिति में सहज स्थित हो उड़ता पंछी बनती जा रही हूँ... बेहद की मुक्त श्रेष्ठ भावनाओं से भरती जा रही हूँ..."

 

  *लाडले बाबा मुझ आत्मा को साक्षी स्थिति में स्थित करते हुए कहते है :-* "लाडले प्यारे ओ मीठे बच्चे मेरे... तेरेपन का भाव आपको सहज हर परिस्थिति से पार लगा देगा... *अब गहरे से जरा अटेंशन देकर साक्षी दृष्टा की स्थिति बनाओ... ये साक्षीभाव ही संकल्पो की बचत करा आपके पुरूषार्थ को कई गुना बढ़ा देगा...* आपको सहज मंजिल पर पहुंचा देगा..."

 

 _ ➳  *मैं आत्मा साक्षीपन की स्थिति में स्थित होकर कहती हूँ :-* "मीठे-मीठे प्यारे रंगीले बाबा मेरे... तेरा-तेरा करते हर बात से ऊपर उठ निश्चित और अचल बनती जा रही हूँ... हर विघ्न को खेल की तरह पार कर तीव्र गति से आगे बढ़ती जा रही हूँ... इस प्रकार *मैं और मेरे के भावों से ऊपर उठ साक्षी दृष्टा की तपस्या करती जा रही हूँ..."*

 

  *प्यारे मीठे बाबा मुझ आत्मा को सम्पूर्ण साक्षी भव का वरदान देते हुए कहते है :-* "प्यारे प्यारे सिकीलधे बच्चे मेरे... हद की जंजीरो से निकल बेहद के आसमा में पंख फैलाओं... *बाप समान साक्षी दृष्टा बन इस खेल का आंनद उठाओं... संकल्पों सहित होकर बाप पर अर्पित हर तरह से न्यारे हो जाओ...* इस साक्षीपन की तपस्या को कर निरन्तर उड़ता पंछी बन जाओ..."

 

 _ ➳  *मैं आत्मा साक्षी भव के वरदान का स्वरूप बनकर कहती हूँ :-* "मीठे प्राण प्यारे बाबा मेरे... प्रथम और अन्तिम साक्षीपन के पुरूषार्थ का सहज स्वरूप बनती जा रही हूँ... *साक्षीपन की स्थिति से डबल हीरों पार्टधारी बन बेहद आसमा में पंख फैला रही हूँ...* सर्व संकल्पो सहित होकर बाप पर अर्पित इस देह और देह की दुनिया से सहज न्यारा बन इस खेल का आंनद उठा रही हूँ... साक्षीपन की इस गहरे पुरूषार्थ से अब मंजिल को बेहद नजदीक पा रही हूँ..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- रूहानी नशे में रह ख़ुशी ख़ुशी से सहन करना*"

 

 _ ➳  अपने संगमयुगी ब्राह्मण जीवन की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों के बारे में चिंतन करते ही मन खुशी से झूम उठता है और *मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के गीत गाती मैं अपने जीवन में आने वाली उन अनेक परिस्थितियों के बारे में विचार करती हूँ जिन्हें अपने प्यारे बाबा की मदद से मैंने सहज ही पार कर लिया*। बस मेरे को जब तेरे में परिवर्तन किया तो बाबा ने कैसे हर परिस्थिति रूपी तूफान को तोहफा बना दिया!

 

 _ ➳  यह विचार करते ही मन से अपने भगवान साथी के लिए कोटि - कोटि धन्यवाद निकलता है और मन ही मन अपने भगवान बाप से मैं प्रोमिस करती हूँ कि *मेरे को तेरे में परिवर्तन कर, जीवन मे आने वाले हर हिसाब - किताब को चाहे वो शरीर की बीमारी के कर्मभोग के रूप में हो या लौकिक सम्बन्धों की तरफ से हो लेकिन सदा रूहानी नशे में रह खुशी - खुशी सहन करते हुए मैं साक्षी दृष्टा बन हर हिसाब - किताब को सहज भाव से चुकतू करूँगी*। अपने प्यारे बाबा से यह प्रोमिस करते ही मैं महसूस करती हूँ जैसे मेरे सारे बोझ बाबा ने अपने ऊपर ले लिए हैं और मैं बिल्कुल हल्की हो गई हूँ। यह हल्कापन मुझे मेरे वास्तविक स्वरूप में स्थित होने में सहज ही मदद कर रहा है।

 

 _ ➳  अपने मन को हर संकल्प, विकल्प से मुक्त कर अब मैं आत्मिक स्मृति में स्थित हो चुकी हूँ और अपने आप को देह से बिल्कुल न्यारी एक प्वाइंट ऑफ लाइट के रूप में भृकुटि के अकालतख्त पर चमकता हुआ देख रही हूँ। *अपने इस स्वरूप में मुझे मेरे मस्तक से शक्तियों की किरणों के प्रकम्पन चारों ओर फैलते हुए स्पष्ट अनुभव हो रहें हैं जो धीरे - धीरे तीव्र होते हुए चारों ओर वायुमण्डल में फैल कर मेरे आस पास के वातावरण को दिव्य और अलौकिक बना रहे हैं*। मेरे चारों और शक्तियों का एक सुन्दर औरा निर्मित हो रहा है जिसके अंदर मैं आत्मा असीम सुख, शांति का अनुभव करके आनन्दित हो रही हूँ।

 

 _ ➳  अपने अंदर समाई शक्तियों और गुणों का अनुभव करते - करते मैं आत्मा अब अपने चारों और निर्मित प्रकाश के कार्ब को धारण कर, भृकुटि सिहांसन को छोड़ ऊपर आकाश की और जा रही हूँ। *अपनी सर्वशक्तियों को चारों और बिखेरती हुई मैं ज्योति बिंदु आत्मा आकाश को पार कर, सूक्ष्म वतन से होती हुई पहुँच गई अपने घर परमधाम*। देख रही हूँ अब मैं स्वयं को परमधाम में अपने निराकार शिव बाबा के सम्मुख जो अनन्त शक्तियों के पुंज के रूप में मेरे सामने विराजमान है। अपने शिव पिता के साथ अपने इस परमधाम घर मे मैं देख रही हूँ चारों और चमकते चैतन्य सितारे अपने आत्मा भाइयों को।

 

 _ ➳  अपना सम्पूर्ण ध्यान अपने शिव पिता पर एकाग्र कर, मन बुद्धि रूपी नेत्रों से उनसे निकल रहे प्रकाश की एक - एक किरण को निहारते हए मैं असीम आनन्द का अनुभव कर रही हूँ। *धीरे - धीरे उन्हें निहारते हुए मैं आत्मा उनके समीप जाकर उनकी सर्वशक्तियों की किरणों की छत्रछाया के नीचे

जाकर बैठ जाती हूँ। बाबा की सर्वशक्तियाँ अब अनन्त किरणों के रूप में मुझ आत्मा के ऊपर पड़ रही हैं और मुझे गहन शीतलता की अनुभूति करवा रही हैं*। एक दिव्य अलौकिक आनन्द और अथाह सुख का मैं अनुभव कर रही हूँ। अतीन्द्रिय सुख के झूले में मैं झूल रही हूँ। बाबा की सर्वशक्तियाँ मुझमे निरन्तर प्रवाहित होकर मेरे अंदर असीम बल भर रही हैं।

 

 _ ➳  असीम ऊर्जावान बन कर अब मैं  आत्मा वापिस साकारी दुनिया में लौट रही हूँ। अपने साकारी तन में अब मैं विराजमान हूँ। अपने शिव पिता द्वारा अपने अंदर जमा किया हुआ बल मेरे अंदर सहनशक्ति विकसित कर रहा है। *सहनशक्ति से मास्टर सर्वशक्तिवान बन जीवन मे आने वाले हर हिसाब - किताब को मैं हँसते - हँसते चुकतू कर रही हूँ*। तन - मन - धन और जन सब कुछ बाबा को सौंप, बाबा की अमानत समझ, साक्षी दृष्टा हो, बेहद की शुभभावना हर आत्मा के प्रति रखते हुए, निमित बनसेवा करते हुए संगमयुग की मौजों का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ। *मेरे को तेरे में बदल, रूहानी नशे में रह खुशी - खुशी सब सहन करते हुए अपने ब्राह्मण जीवन का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं त्याग और तपस्या के सहयोग से सेवा में सफलता प्राप्त करने वाली निरन्तर तपस्वी मूर्त आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं नम्रता और धैर्यता की शक्ति से क्रोधाग्नि को शान्त बनाने वाली शान्त आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

अव्यक्त बापदादा :-

 

_ ➳  *जब करना ही है, होना ही है तो इस बात पर विशेष अटेन्शन दो। जब आप ग्रेट-ग्रेट ग्रैण्ड फादर के बच्चे हैं, आपके ही सभी बिरादरी हैं, शाखायें हैं, परिवार है, आप ही भक्तों के इष्ट देव हो। यह नशा है कि हम ही इष्ट देव हैं?* तो भक्त चिल्ला रहे हैं, आप सुन रहे हो! वह पुकार रहे हैं - हे इष्ट देव, आप सिर्फ सुन रहे हो, उन्हों को रेसपाण्ड नहीं करते हो? *तो बापदादा कहते हैं हे भक्तों के इष्ट देव अभी पुकार सुनो, रेसपाण्ड दो, सिर्फ सुनो नहीं। क्या रेसपाण्ड देंगे? परिवर्तन का वायुमण्डल बनाओ।*

 

✺  *"ड्रिल :- स्वयं को इष्ट देव के स्वरुप में स्थित कर भक्तों की पुकार सुनना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा एक आँख में सुखधाम, दूसरी आँख में शांतिधाम की स्मृतियों को समाए हुए... सुख और शांति के सागर का आह्वान करती हूँ...* प्यारे बाबा मुझ आत्मा के सामने तुरंत हाजिर हो जाते हैं... मैं आत्मा सुख, शांति के सागर में समाकर... अतीन्द्रिय सुख और शांति का अनुभव कर रही हूँ... प्यारे बापदादा हाथ पकड मुस्कुराते हुए मुझ आत्मा को मंदिर में लेकर जाते हैं...

 

_ ➳  *मंदिर में मुझ आत्मा का ही पूज्य स्वरुप है... जिसके सामने सभी भक्त चिल्ला रहे हैं... पुकार रहे हैं...* मैं आत्मा देख रही हूँ कि दुखी, अशांत आत्माएं... सुख, शांति के लिए... एक बूंद प्यार के लिए तड़प रही हैं... कितनी भाग्यवान आत्मा हूँ मैं... जो मुझे सुख, शांति, प्यार का सागर ही मिल गया है... प्यारे बाबा मुझे स्मृति दिलाते हैं कि ये सब मुझ आत्मा के ही भाई हैं... सब एक ही बिरादरी एक ही परिवार हैं...

 

_ ➳  *बाबा द्वारा स्मृति पाकर मैं आत्मा इष्ट देव के स्वरुप में स्थित हो जाती हूँ...* ग्रेट-ग्रेट ग्रैण्ड फादर मुझ पर तेजस्वी किरणों की बौछारें कर रहे हैं... मैं आत्मा इन किरणों को ग्रहण कर रही हूँ... मुझसे होती हुई ये किरणें सभी भक्तों पर पड़ रही हैं... *मैं आत्मा रहमदिल भावना से तडपती आत्माओं की पुकार सुन... ज्ञान जल की अंचली देकर... उनकी प्यास बुझा रही हूँ...* मैं आत्मा बाबा के साथ भटकती आत्माओं को सत्य की राह दिखा रही हूँ...

 

_ ➳  *मैं आत्मा पूर्वज हूँ... इष्ट देव हूँ... विश्व परिवर्तन के कार्य के निमित्त हूँ... मास्टर वरदाता हूँ... बाप समान मास्टर कल्याणकारी हूँ... बापदादा की राईट हैण्ड हूँ...* इस स्मृति से मैं आत्मा सदा विश्व कल्याण के स्टेज पर स्थित रहती हूँ... मैं आत्मा चारों ओर सुख, शांति के वायब्रेशंस फैला रही हूँ... शुभ भावना-शुभ कामना द्वारा सबका कल्याण कर रही हूँ... मैं आत्मा चारों ओर के हलचल के वायुमंडल को शांत कर रही हूँ... *मैं आत्मा बाबा से मिले खजानों को सबको बांटकर... चारों ओर खुशहाली का वायुमंडल बना रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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