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❍ 07 / 10 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अन्धकार में भटकने वाली आत्माओं को ज्ञान की रौशनी दी ?*
➢➢ *विजयी बन बाप से मेडल्स प्राप्त किये ?*
➢➢ *नवीनता का विशेष कार्य किया ?*
➢➢ *निमित बन हर कर्म कर प्रतक्ष्य फल प्राप्त किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ कर्मातीत अर्थात् कर्म के किसी भी बंधन के स्पर्श से न्यारे। ऐसा ही अनुभव बढ़ता रहे। *कोई भी कार्य स्पर्श न करे और करने के बाद जो रिजल्ट निकलती है उसका भी स्पर्श न हो, बिल्कुल ही न्यारापन अनुभव होता रहे। जैसे कि दूसरे कोई ने कराया और मैंने किया।* निमित्त बनने में भी न्यारापन अनुभव हो। *जो कुछ बीता, फुलस्टाप लगाकर न्यारे बन जाओ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं सदा हर्षित रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*
〰✧ अपने को सदा हर्षित रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा अनुभव करते हो? *हर्षितमुख, हर्षितचित। इसकी यादगार आपके यादगार चित्रों में भी दिखाते हैं। कोई भी देवी या देवता की मूर्ति बनायेंगे तो उसमें चेहरा जो दिखाते हैं, वह सदा हर्षित दिखाते हैं।*
〰✧ अगर कोई सीरीयस (गम्भीर) चेहरा होगा तो देवता का चित्र नहीं मानेंगे। *तो हर्षितमुख रहने का इस समय का गुण आपके यादगार चित्रों में भी है। हर्षितमुख अर्थात् सदा सर्वप्राप्तियों से भरपूर। जो भरपूर होता है वही हर्षित रह सकता है। अगर कोई भी अप्राप्ति होगी तो हर्षित नहीं रहेंगे।* कितनी भी हर्षित रहने की कोशिश करें, बाहर से हंसेंगे लेकिन दिल से नहीं।
〰✧ कोई बाहर से हंसते हैं तो मालूम पड़ जाता है-यह दिखावे का हँसना है, सच्च नहीं। *तो आप सब दिल से सदा मुस्काराते रहो। कभी चेहरे पर दु:ख की लहर न आये। किसी भी परिस्थिति में दु:ख की लहर नहीं आनी चाहिए क्योंकि दु:ख की दुनिया छोड़ दी, संगम की दुनिया में आ गये।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ आप विदेश से आते हो तो बापदादा भी विदेश से आते हैं। *सबसे दूर-से-दूर से आते हैं लेकिन आते सेकण्ड में हैं।*
〰✧ आप सभी भी सेकण्ड में उडती कला का अनुभव करते हो? सेकण्ड में उड सकते हो? *इतने डबल लाइट हो, संकल्प किया और पहुँच गये।*
〰✧ *परमधाम कहा और पहुँचे, ऐसी प्रैक्टिस है?* कहाँ अटक तो नहीं जाते हो? कभी कोई बादल तंग तो नहीं करते हैं, केयरफुल भी हो और क्लियर भी, ऐसे है ना! (पार्टियों के साथ)
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ ड्रिल बहुत अच्छी लग रही थी। यह रोज़ हर एक को करनी चाहिए। ऐसे नहीं हम बिजी हैं। *बीच में समय प्रति समय एक सेकण्ड चाहे कोई बैठा भी हो, बात भी कर रहा हो, लेकिन एक सेकण्ड उनको भी ड़िल करा सकते हैं और स्वयं भी अभ्यास कर सकते हैं। कोई मुश्किल नहीं है। दो-चार सेकण्ड भी निकालना चाहिए इससे बहुत मदद मिलेगी। नहीं तो क्या होता है, सारा दिन बुद्धि चलती रहती है ना तो विदेही बनने में टाइम लग जाता है और बीच बीच में अभ्यास होगा तो जब चाहें उसी समय हो जायेंगे क्योंकि अन्त में सब अचानक होना है।* तो अचानक के पेपर में यह विदेही पन का अभ्यास बहुत आवश्यक है। ऐसे नहीं बात पूरी हो जाये और विदेही बनने का पुरुषार्थ ही करते रहें। तो सूर्यवंशी तो नहीं हुए ना। इसलिए जितना जो बिजी है, उतना ही उसको बीच-बीच में यह अभ्यास करना ज़रूरी है। फिर सेवा में जो कभी-कभी थकावट होतीे, कभी कुछ-न-कुछ आपस में हलचल हो जाती है, वह नहीं होगा। अभ्यासी होंगे ना। एक सेकण्ड में न्यारे होने का अभ्यास होगा, तो कोई भी बात हुई एक सेकण्ड में अपने अभ्यास से इन बातों से दूर हो जायेंगे। *सोचा और हुआ। युद्ध नहीं करनी पड़े। युद्ध के संस्कार, मेहनत के संस्कार सूर्यवंशी बनने नहीं देंगे। लास्ट घड़ी भी युद्ध में ही जायेगी, अगर विदेही बनने का सेकण्ड में अभ्यास नहीं है तो।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सेवाधारी बनना"*
➳ _ ➳ इन भारत की वादियों में खुशबू से भरी वायु का वेग, मधुर संगीत सा प्रतीत हो रहा हैं, मुझ आत्मा को... अपने सातो रंगों का जैसे साक्षात्कार हो गया हैं... *मेरे रूहानी पिता ने जैसे मेरे रूहानी सोशल वर्कर के संस्कार को प्रत्यक्ष कर दिया है*... सारे विकार न जाने कहाँ भस्म हो गए... और मैं आत्मा खुद को एक रूहानी सोशल वर्कर के रूप मे इस भारत भूमि पर स्वर्ग स्थापन करता देख रही हूँ... *अब मैं आत्मा अपने पिता से रूह रिहान करने सूक्ष्म वतन पहुंचती हूँ...*
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को देखकर मुस्कुराते हुए कहा:-* "मीठे सर्व गुणों से सम्पन्न प्यारे बच्चे... *शिव बाबा ने धरा पर आकर, आप बच्चों को एक एक कर बड़े प्यार से चुना हैं, ताकि तुम इस पवित्र भूमि भारत को फिर से स्वर्ग बना सको...* इस कार्य में परमपिता तुम्हारे साथ है... तुम्हें योग्य बन, ये कार्य बड़ी परिपक्वता से करना है... मुस्कुराते हुए रूहानी सोशल वर्कर बन इस धरा पर स्वर्ग स्थापन करना है..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने मीठे बाबा के ज्ञान को दिल मे बड़े प्यार से धारण करते हुए कहती हूँ:-* "मेरे मीठे मीठे बाबा... *मै आत्मा कितनी भाग्यशाली हूँ... कि स्वयम भगवान ने मुझे चुना हैं... सारे विकर्मो को दग्ध कर मुझे मेरे पिता ने... इस भारत खंड को, एक रूहानी सोशल वर्कर बन... स्वर्ग बनाने का कार्य सौंपा हैं*... मैं आत्मा... रूहानियत से सराबोर होकर बाबा का कार्य करने का प्लान बाबा से मिलकर बना रही हूँ..."
❉ *प्यारे बाबा मुझे रूहानियत से भरपूर कर अपने प्यार में डुबोते हुए मुझ आत्मा से कहता हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे… *इस संगम युग में... इस वरदानी समय में... पिता के साथ मिलकर... दिव्यता औऱ पवित्रता से भरपूर होकर... सोशल वर्कर बनकर... इस भारत को स्वर्ग बनाने के निमित्त बनकर... तुम पूज्य बन रहे हो...* तुम इस सृष्टि का उद्धार कर रहे हो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने भाग्य पर इतराती हुई कहती हूं:-* "मीठे बाबा... *मैं आत्मा तो स्वयम को भूली हुए थी, आपने संगम पर आ कर मुझे चुना*... मेरी रूहानी सोशल वर्कर की काबलियत को निखारा... मुझे दिव्यता का दान दिया, मुझ को अपनी छत्रछाया मे रखकर... इस भारत को स्वर्ग बनाने का कार्य दिया... *मेरा खोया हुआ स्वरूप लौटाया... मेरा खोया हुआ गौरव वापिस दिला कर मुझे पूज्य बना दिया..."*
❉ *मेरे मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सोशल रूहानी सर्विस देखकर...भारत भूमि को स्वर्ग बनाने के कार्य में अपना सहयोगी बनाते हुए कहा:-* "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... इस रूहानियत के कार्य में... *तुम ब्राह्मण बच्चे ही... इस धरा पर स्वर्ग लाने का कार्य कर सकते हो...* फिर आप ही रूहे गुलाब बन कर... दिव्यता व पवित्रता की दौलत का भरपूर भंडार बन कर, इस स्थापित किये गए स्वर्ग का राज्ये पाते हो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा बाबा के मुख से अपने लिए इतने उच्च महवाक्य सुनकर भावविभोर होकर दिल की गहराई से बाबा से कहती हूं:-* "मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा कांटो से फूल बन गईं आपकी गोद मे बैठकर... *आपने जो शक्तिओ, वरदानों से मुझ आत्मा को सवारा हैं... तभी तो मैं आत्मा इस धरती पर स्वर्ग स्थापना की निमित बन पा रही हूँ*... औऱ आपसे प्राप्त सभी देवताई सुखों का अधिकार प्राप्त कर रही हूँ... मीठे बाबा से बेहद की रुहानियत, प्यार, समझ लेकर... मैं आत्मा वापिस इस कर्म क्षेत्र पर आकर... भारत को स्वर्ग बनाने के कार्य मे पूरी लगन से जुट जाती हूं..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अन्धकार में भटकने वाली आत्माओं को ज्ञान की रोशनी देना*"
➳ _ ➳ एकांत में बैठी अपने ब्राह्मण जीवन की अमूल्य प्राप्तियों के बारे में विचार करते हुए, दया के सागर अपने प्यारे परम पिता परमात्मा का मैं दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ जिन्होंने मुझे मेरे घर का रास्ता बता कर भटकने से बचा लिया। *जिस भगवान को पाने के लिए मैं कहाँ - कहाँ नही भटक रही थी, किस - किस से उनका पता नही पूछ रही थी, किन्तु कोई भी मुझे उनका पता नही बता पाया*। मेरे उस भगवान बाप ने स्वयं आ कर न केवल मुझे मेरा और अपना परिचय ही दिया बल्कि अपने उस घर का भी पता बता दिया जहां अथाह शांति का अखुट भण्डार है।
➳ _ ➳ जिस शान्ति की तलाश में मैं भटक रही थी, अपने उस शान्ति धाम घर में जाने का रास्ता बता कर, उस गहन शान्ति का अनुभव करवाकर मेरे पिता परमात्मा ने सदा के लिए मेरी उस भटकन को समाप्त कर दिया। *दिल से अपने प्यारे भगवान का कोटि - कोटि धन्यवाद करती हुई मैं मन ही मन प्रतिज्ञा करती हूँ कि जैसे दया के सागर मेरे बाबा ने मुझे भटकने से छुड़ाया है ऐसे ही मुझे भी उनके समान रहमदिल बनकर भटकने वाले अपने आत्मा भाइयो को घर का रास्ता बता कर उन्हें दर - दर की ठोकरें खाने से बचाना है*।
➳ _ ➳ अपने भगवान बाप की सहयोगी बन उनके इस कार्य को सम्पन्न करना ही मेरे इस ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य और कर्तव्य है। इस लक्ष्य को पाने और *इस कर्तव्य को पूरा करने का संकल्प लेकर मैं घर से निकलती हूँ और एक पार्क में पहुँचती हूँ जहाँ लोगों की बहुत भीड़ है*। यहाँ पहुँच कर अपने प्यारे पिता परमात्मा का मैं आह्वान करती हूँ और स्वयं को अपने प्यारे बाबा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करते हुए वहां उपस्थित सभी मनुष्य आत्माओं को परमात्म सन्देश देने का कर्तव्य पूरा कर, परमात्म याद में मगन हो कर बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ मन बुद्धि का कनेक्शन अपने प्यारे पिता के साथ जुड़ते ही उनकी शक्तियों का तेज प्रवाह मेरे ऊपर होने लगता है और मेरे चारों तरफ शक्तियों का एक बहुत ही सुंदर औरा निर्मित होने लगता है। *मैं देख रही हूँ मेरे चारों और शक्तियों का एक सुंदर आभामंडल निर्मित होकर दूर - दूर तक फैलता जा रहा है। शक्तियों के वायब्रेशन वहां उपस्थित सभी आत्माओं तक पहुंच कर उन्हें आनन्द से भरपूर कर रहें हैं*। सर्वशक्तियों के दिव्य कार्ब के साथ मैं आत्मा अब धीरे - धीरे ऊपर की ओर उड़ रही हूँ। *मैं अनुभव कर रही हूँ जैसे मेरे चारों और निर्मित दिव्य कार्ब वहाँ उपस्थित सभी मनुष्य आत्माओं को आकर्षित कर उन्हें ऊपर खींच रहा है और सभी निराकारी आत्मायें बन मेरे साथ ऊपर अपने निजधाम, शिव पिता के पास जा रही हैं*।
➳ _ ➳ मच्छरों सदृश चमकती हुई मणियों का झुंड, अपने प्यारे पिता की सर्वशक्तियों की छत्रछाया के नीचे असीम आनन्द और सुख की अनुभूति करता हुआ साकार लोक को पार कर, सूक्ष्म वतन से होता हुआ पहुँच गया अपने घर परमधाम। *सामने महाज्योति शिव पिता परमात्मा और उनके सामने उपस्थित असंख्य चमकते हुए सितारे बहुत ही शोभायमान लग रहे हैं। अपने सभी आत्मा भाइयों को अपने घर पहुँच कर अपने पिता परमात्मा से मंगल मिलन मनाते देख मैं बहुत हर्षित हो रही हूँ*। बिंदु बाप अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में अपने सभी बिंदु बच्चों को समाकर उन पर अपने असीम स्नेह की वर्षा कर रहें हैं।
➳ _ ➳ अपने पिता परमात्मा का असीम दुलार पाकर और सर्वशक्तियों से भरपूर होकर, *अपने पिता परमात्मा से बिछुड़ने की जन्म - जन्म की प्यास बुझाकर, तृप्त होकर अब सभी आत्माये वापिस लौट रही है और साकारी दुनिया मे आ कर फिर से अपने साकारी तन में प्रवेश कर रही हैं*। मैं भी वापिस अपने साकारी तन में प्रवेश कर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्तिथ हो जाती हूँ। अपने पिता परमात्मा से मिलन मनाने का सुख सभी के चेहरे से स्पष्ट दिखाई दे रहा हैं। *सभी के चेहरों की दिव्य मुस्कराहट बयां कर रही है कि "पाना था सो पा लिया अब और बाकी क्या रहा"*।
➳ _ ➳ *अपने सभी आत्मा भाइयों को घर का रास्ता बताने और उन्हें सदा के लिए भटकने से छुड़ाने के अपने कर्तव्य को पूरा कर, अब मैं वापिस शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करने के लिए अपने कर्मक्षेत्र पर लौट आती हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अपने हर कर्म द्वारा दिव्यता की अनुभूति कराने वाली दिव्य जीवनधारी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं दिल से सदा यही गाते रहने से कि पाना था सो पा लिया... चेहरा खुशनुमः बनाने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. *अभी समय के प्रमाण आप हर निमित्त बनी हुई, सदा याद और सेवा में रहने वाली आत्माओं को स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन का वायब्रेशन पावरफुल और तीव्रगति का बढ़ाना है।* चारों ओर मन का दु:ख और अशान्ति, मन की परेशानियां बहुत तीव्रगति से बढ़ रही हैं। *बापदादा को विश्व की आत्माओं के ऊपर रहम आता है। तो जितना तीव्रगति से दु:ख की लहर बढ़ रही है उतना ही आप सुख दाता के बच्चे अपने मन्सा शक्ति से, मन्सा सेवा व सकाश की सेवा से, वृत्ति से चारों ओर सुख की अंचली का अनुभव कराओ।* बाप को तो पुकारते ही हैं लेकिन आप पूज्य देव आत्माओं को भी किसी न किसी रूप से पुकारते रहते हैं। तो *हे देव आत्मायें, पूज्य आत्मायें अपने भक्त आत्माओं को सकाश दो।* साइन्स वाले भी सोचते हैं ऐसी इन्वेन्शन निकालें जो दु:ख समाप्त हो जाए, साधन सुख के साथ दु:ख भी देता है लेकिन दु:ख न हो, सिर्फ सुख की प्राप्ति हो उसका सोचते जरूर हैं। लेकिन स्वयं की आत्मा में अविनाशी सुख का अनुभव नहीं है तो दूसरों को कैसे दे सकते हैं। लेकिन आप सबके पास सुख का, शान्ति का, नि:स्वार्थ सच्चे प्यार का स्टाक जमा है।
➳ _ ➳ 2. जमा की तो खुशी होती है लेकिन खर्च का हिसाब नहीं निकाला तो समय पर धोखा मिल जायेगा। जमा का खाता भी देखो लेकिन साथ-साथ अपने प्रति खर्च कितना किया। *दूसरे को कोई गुण दिया, शक्ति दी, ज्ञान का खजाना दिया वह खर्च नहीं है, वह जमा के खाते में जमा होता है लेकिन अपने प्रति समय प्रति समय खर्च किया तो खाता खाली हो जाता है।* इसीलिए अच्छे विशाल बुद्धि से चेकिंग करो।
✺ *ड्रिल :- "विश्व की आत्माओं को सुख की अंचली का अनुभव कराना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस साकारी शरीर में... भ्रकुटी के मध्य में विराजमान हूँ... *मैं आत्मा चमकता हुआ सितारा हूँ... उड़ चलता हूँ परमधाम की ओर... मेरे प्रेम के... शांति के... सुख के सागर परमपिता परमात्मा शिव बाबा के पास... उनसे शांति की... शक्ति की... प्रेम की... सुख की रंग - बिरंगी किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है...* और मैं आत्मा इन शक्तियों से भरपूर हो रही हूँ... मुझ आत्मा के चारों ओर एक शक्तिशाली... आभामंडल बन गया है... जिसका प्रभाव दूर - दूर तक फैल रहा है... अब मैं आत्मा वापस उड़ कर पहुँच जाती हूँ... विश्व ग्लोब पर...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सुख - शांति का फरिश्ता... विश्व के ग्लोब पे विराजमान हूँ... मुझ आत्मा से सुख - शांति और शक्ति की किरणें... निरंतर प्रवाहित हो रही है... *मुझ आत्मा के सम्मुख... विश्व की समस्त दुखी, अशांत और पीड़ित आत्माएँ विराजमान है... और मैं आत्मा इन सब आत्माओं को... सुख की अंचली का अनुभव करा रही हूँ...* सबके दुख दूर कर... सुख का अनुभव करवा रही हूँ... *रहम दिल बाप की... मैं मास्टर रहम दिल संतान... सबकी पीड़ा दूर कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ *अभी समय के प्रमाण मैं निमित्त बनी हुई आत्मा... सदा याद और सेवा में रहने वाली आत्मा... स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन करने के लिए... पावरफुल वायब्रेशन तीव्रगति से फैला रही हूँ...* मुझ आत्मा के इस वाइब्रेशन के संपर्क में... जो भी आत्मा आ रही है... वो स्वतः ही परिवर्तित हो रही है... और अपने परमपिता की ओर आकर्षित हो रही है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा बापदादा से प्राप्त सुख - शांति की शक्तियों को... सारे विश्व में फैला रही हूँ... *विश्व में तीव्रगति से फैल रही दु:ख की लहर को समाप्त करने के लिए... मैं आत्मा सुख दाता की संतान... अपनी मन्सा शक्ति से... मन्सा सेवा से... सकाश की सेवा से... और वृत्ति से चारों ओर सुख की अंचली का सब आत्माओं को अनुभव करा रही हूँ...* मैं पूज्य ईष्ट देवी अपने भक्तों को सुख शांति के वाइब्रेशन दे रही हूँ... उनको वरदानों से भरपूर कर उनका उद्धार कर रही हूँ...
➳ _ ➳ *साइन्स की इन्वेन्शन से निकले साधन... सुख के साथ दुख भी देते हैं... लेकिन मुझ आत्मा के पास परमात्मा से प्राप्त... सच्चा सुख का... शान्ति का... नि:स्वार्थ प्रेम का स्टॉक जमा है... जो सभी आत्माओं को सच्चा सुख और शांति का ही अनुभव करवा रहा है... मैं आत्मा इन जमा शक्तियों को... सर्व आत्माओं के कल्याण के लिए यूज कर रही हूँ... दूसरे को कोई गुण दिया... शक्ति दी... ज्ञान का खजाना दिया... वह खर्च नहीं है... वह जमा के खाते में जमा होता है... लेकिन अपने प्रति समय प्रति समय खर्च किया तो खाता खाली हो जाता है...* इसीलिए अब मैं आत्मा विशाल बुद्धि से चेकिंग कर... इन खजानों को... बापदादा के बताये अनुसार विश्व कल्याण अर्थ यूज करती हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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