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❍ 28 / 06 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अपने आप पर रहम किया ?*
➢➢ *किसी से भी नफरत या घृणा तो नहीं की ?*
➢➢ *प्रवृत्ति में रहते भी समर्पित हो सेवा की धुन में रहे ?*
➢➢ *कम से कम समय में संकल्पों को मोड़ने और ब्रेक लगाने का अभ्यास किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *ज्वाला स्वरूप याद के लिए मन और बुद्धि दोनों को एक तो पावरफुल ब्रेक चाहिए और मोड़ने की भी शक्ति चाहिए।* इससे बुद्धि की शक्ति वा कोई भी एनर्जी वेस्ट ना होकर जमा होती जायेगी। *जितनी जमा होगी उतना ही परखने की, निर्णय करने की शक्ति बढ़ेगी। इसके लिए अब संकल्पों का बिस्तर बन्द करते चलो अर्थात् समेटने की शक्ति धारण करो।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं संगमयुगी हीरे तुल्य श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*
〰✧ सभी अपने को संगमयुगी हीरे तुल्य श्रेष्ठ आत्मा समझते हो? *क्योंकि संगम पर इस समय हीरे तुल्य हो, सतयुग में सोने तुल्य बनेंगे। लेकिन इस समय सारे चक्र के अन्दर श्रेष्ठ आत्मा का पार्ट बजा रहे हो। तो हीरे समान जीवन अर्थात् इतनी अमूल्य जीवन बनी है? सबसे बड़ी मूल्यवान जीवन संगमयुग की है।*
〰✧ तो ऐसी स्मृति रहती है कि इतने श्रेष्ठ हैं? क्योंकि जैसी स्मृति होगी वैसी स्थिति होगी। अगर स्मृति श्रेष्ठ है तो स्थिति साधारण नहीं हो सकती। अगर स्थिति साधारण है तो स्मृति भी साधारण है। *तो सदा सर्वश्रेष्ठ मूल्यवान जीवन अनुभव करने वाली आत्मा हूँ-यह स्मृति में इमर्ज रहे। ऐसे नहीं कि मैं हूँ ही, मालूम है कि हम हीरे तुल्य हैं।* लेकिन स्मृति में इमर्ज रूप में रहता है और उसी स्मृति से, उसी स्थिति से हर कार्य करते हो?
〰✧ क्योंकि हीरे तुल्य जीवन वा हीरे तुल्य स्थिति वाले का हर कर्म हीरे तुल्य होगा अर्थात् मूल्यवान होगा, ऊंचे ते ऊंचा होगा। तो हर कर्म ऐसे ऊंचा रहता है या कभी ऊंचा, कभी साधारण? क्योंकि सदा हीरे तुल्य हो। हीरा तो हीरा ही होता है, वह कभी सोना वा चांदी नहीं बनता। *तो हर कर्म करते हुए चेक करो कि-हीरे तुल्य स्थिति है, चलते-चलते साधारणता तो नहीं आ गई? क्योंकि 63 जन्म का अभ्यास है साधारण रहने का। तो पिछला संस्कार कभी खींच लेता है। कमजोर को कोई खींच लेगा, बहादुर को कोई खींच नहीं सकता। बहादुर उसको भी चरणों में झुका देगा। तो कभी भी साधारण स्थिति नहीं हो।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ आज बापदादा रूहानी ड्रिल करा रहे थे। *एक सेकण्ड में संगठित रूप में एक ही वृत्ति द्वारा, वायब्रेशन द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तन कर सकते हैं।*
〰✧ नम्बरवार हरेक इन्डीविजुवल अपने-अपने पुरुषार्थ प्रमाण, महारथी अपने वायब्रेशन द्वारा वायुमण्डल को परविर्तन करते रहते हैं। लेकिन *विश्व परिवर्तन में सम्पूर्ण कार्य की समाप्ति में संगठित रूप की एक ही वृति और वायब्रेशन चाहिए।*
〰✧ थोडी-सी महान आत्माओं के वा तीव्र पुरुषार्थी महारथी बच्चों की वृत्ति व वायब्रशन्स द्वारा कहीं-कहीं सफलता होती भी रहती है लेकिन *अभी अंत में सर्व ब्राह्मण आत्माओं की एक ही वृति की अंगुली चाहिए। एक ही संकल्प की अंगुली चाहिए तब ही बेहद का विश्व परिवर्तन होगा।* वर्तमान समय विशेष अभ्यास इसी बात का चाहिए।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *जो बच्चे बाप की याद में रहने वाले हैं, वह विनाश में विनाश नहीं होंगे लेकिन स्वेच्छा से शरीर छोड़ेंगे,* न कि विनाश के सरकमस्टान्सेज़ के बीच में छोड़ेंगे। *इसके लिए एक बुद्धि की लाइन क्लियर हो और दूसरा अशरीरी बनने का अभ्यास बहुत हो।* कोई भी बात हो तो आप अशरीरी हो जाओ। अपने आप शरीर छोड़ने का जब संकल्प होगा तो संकल्प किया और चले जायेंगे। इसके लिए बहुत समय से प्रैक्टिस चाहिए। *जो बहुत समय के स्नेही और सहयोगी रहते हैं।उनको अन्त में मदद ज़रूर मिलती है। ऐसे अनुभव करेंगे जैसे स्थूल वस्त्र उतार रहे हैं। ऐसे ही शरीर छोड़ देंगे।* सारा दिन में चलते-चलते बीच-बीच में अशरीरी बनने का अभ्यास ज़रूर करो। *जैसे ट्रैफिक कण्ट्रोल का रिकार्ड बजता है तो वैसे वहाँ कार्य में रहते भी बीच-बीच में अपना प्रोग्राम आपे ही सेट करो तो लिंक जुटा रहेगा। इससे अभ्यास होता जाएगा।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- किसी से नफरत ना कर, रहमदिल बनना"*
➳ _ ➳ *अपने दुःख भरे अतीत की तुलना में, सुंदर सजीले वर्तमान को देख... जब स्वयं निराकार भगवान ने कोटो में कोई और कोई में भी कोई... मुझ आत्मा को... अपना बना...* मेरे जीवन को सुन्दर... रंग-बिरंगे रंगों से श्रृंगारित कर दिया... प्यारे बाबा ने पवित्रता के रंग में रंगकर, मुझ आत्मा को शिखर पर सजा दिया... *ज्ञान और योग के पानी से निरन्तर गुणों... और शक्तियों की पंखुड़ियों से खिली मैं आत्मा... समस्त विश्व को अपनी रूहानियत की खुशबू से सराबोर कर रही हूँ...*
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को मेरे महान भाग्य के नशे में डुबाते हुए कहा :-* "मेरे प्यारे फूल बच्चे... स्वयं भगवान ने परमधाम से आकर, आप महान बच्चों को अपनी आँखों का तारा बनाया है... दुःख भरी जिंदगी से बाहर निकाल, सुख भरी गोद में बिठाया है... *आप बच्चे निराकार और साकार पिता की अनूठी पालना में पलने वाले पद्मापद्म सौभाग्यशाली बच्चे हो... सदा इसी नशे में रहना... क्योंकि ऐसा प्यारा भाग्य तो देवताओं का भी नहीं है..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ईश्वरीय पालना में सजे संवरे अपने महान भाग्य को देख पुलकित होते हुए कहती हूँ :-* "मीठे मीठे प्यारे बाबा... मुझ आत्मा ने... आप... स्वंय भाग्यविधाता बाप को पा लिया, इससे अच्छी बात और क्या होगी... *आपने मेरे कौड़ी जैसे जीवन को, हीरे जैसा... बेशकीमती बना दिया है... मैं आत्मा असीम सुखों की अनुभूतियों से भर गई हूँ... अलौकिक और पारलौकिक पिता को पाने वाली... मैं आत्मा देवताओं से भी ज्यादा भाग्यशाली हूँ..."*
❉ *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को विश्व कल्याण की भावनाओं से सजाते हुए कहा :-* "मीठे लाडले बच्चे... *आप बच्चे बाप के मददगार हो... तुम पहले अपने पर रहम करो... फिर सभी आत्माओं के... विकारों रूपी गन्दगी को निकालने की सेवा करो... प्यारे पिता को पाकर, जो सच्चे अहसासों को आपने जिया है... उनकी अनुभूति हर दिल को कराओ... सबके जीवन में आप समान खुशियों की बहारों को सजाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा से अमूल्य ज्ञान रत्नों को पाकर समस्त विश्व में इस ज्ञान धन की दौलत लुटाकर कहती हूँ :-* "मेरे प्यारे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपसे पायी इस अथाह ज्ञान सम्पदा की अपनी बाँहो में भरकर, हर दिल को आपकी ओर आकर्षित कर रही हूँ... *मैं आत्मा... आपकी श्रीमत पर चल... आप सच्चे साथी को साथ रख... हर आत्मा के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना... रहम की भावना रख, उनके प्रति सुख, शांति, प्रेम की किरणें फैला रही हूँ...*
❉ *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा में शुभ संकल्पों के संस्कारों को पक्का कराते हुए कहा :-*"मेरे मीठे मीठे अथक सेवाधारी बच्चे... *हर आत्मा के प्रति सदा शुभ भावना रख... मास्टर रहम का सागर बन... अपना बनाओ... किसी भी आत्मा के प्रति नफरत की भावना नहीं रखो... बल्कि उनके भी सोये भाग्य को जगाकर, खुशियों के दामन से सजाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने मीठे प्यारे बाबा के प्यार पर दिल से न्योछावर होकर कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा... आपने शुभ संकल्पों और शुभ भावना का जादू मुझे सिखाकर, मेरा जीवन कितना निराला और अनोखा कर दिया है... *मैं आत्मा शुभ भावना से भरकर, प्यारे और मीठे जीवन को सहज ही पा गयी हूँ... आपसे पाये असीम प्यार की तरंगे... पूरे विश्व पर बिखेरने वाली विश्व कल्याणकारी बन गयी हूँ... मीठे बाबा को दिल की गहराइयों से शुक्रिया कर मैं आत्मा... साकार वतन में लौट आयी..."*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप समान प्यार का सागर बनना है*
➳ _ ➳ प्यार के सागर अपने प्यारे पिता के प्यार के मीठे मधुर एहसास के बारे में विचार करते ही एक सिहरन सी पूरे शरीर मे दौड़ जाती है और मन व्याकुल हो उठता है फिर से उसी प्यार को पाने के लिए। *जैसे ही मन में बाबा के निःस्वार्थ, निष्काम प्यार को पाने का संकल्प मन मे आता है मैं महसूस करती हूँ जैसे प्यार के सागर मेरे बाबा मेरे हर संकल्प को पूरा करने और अपने स्नेह की मीठी फुहारे मेरे ऊपर बरसाने के लिए मेरे पास आ रहें हैं*। हवाओ में भी जैसे एक विचित्र रूहानी खुशबू फैल गई है जो उनके आने का मुझे पैगाम दे रही है। अपनी अनन्त शक्तियों की किरणों के रूप में मेरे प्यार के सागर बाबा अपने प्यार की शीतल फुहारे मुझ पर बरसाते हुए परमधाम से उतरकर धीरे - धीरे नीचे आ रहें हैं।
➳ _ ➳ मैं महसूस कर रही हूँ जैसे कि शक्तियों का एक तेजोमय पुंज आकाश से नीचे आकर, अब सीधा मेरे सिर के ऊपर स्थित हो गया है और अपने स्नेह की अनन्त किरणे मेरे ऊपर बिखेर रहा है। *बारिश की हल्की - हल्की बूंदों की तरह अपने ऊपर पड़ती अपने स्नेह के सागर पिता के स्नेह की किरणों के वायब्रेशन्स को मैं महसूस कर रही हूँ और उनके स्नेह में डूबती जा रही हूँ*।प्यार का सागर अपना असीम प्यार मुझ पर लुटाता जा रहा है और उस प्यार के मधुर एहसास में मैं गहराई तक समाती जा रही हूँ। देह और देह की दुनिया से जुड़े सम्बन्ध जैसे कहीं पीछे छूट रहें हैं और सारे सम्बन्ध उस एक के साथ जुड़ते जा रहें हैं। *हर सम्बन्ध का अविनाशी सुख अपने प्यारे पिता के प्यार में खोकर मैं ले रही हूँ। उनके लव में लीन यह लवलीन स्थिति मुझे उनके समान स्थिति में स्थित करती जा रही है*।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे देह से मेरा कोई सम्बन्ध नही। अपने स्वरूप में पूरी तरह डूब कर केवल दो सितारों की उपस्थिति को ही मैं अनुभव कर रही हूँ। एक अति सूक्ष्म चैतन्य स्टार के रुप में मैं स्वयं को देख रही हूँ और अपने सामने स्थित सुपर स्टार के रूप में अपने पिता को देख रही हूँ। *इन दोनों स्टार्स में ही जैसे सारी दुनिया समा गई है। अपने प्यार की अनन्त किरणों की वर्षा मुझ पर करते, प्यार के सागर मेरे सुपर स्टार शिव बाबा चुम्बक की तरह मुझे खींच कर अब अपने साथ ऊपर ले जा रहें हैं*। बाबा की सर्वशक्तियों की मैग्नेटिक पॉवर, नश्वर संसार की हर चीज से किनारा करवाकर मुझे खींचती हुई अब आकाश को पार कर, सूक्ष्म लोक से ऊपर मेरे स्वीट साइलेन्स होम में मुझे ले आई है। *अपने घर मे आकर मैं आत्मा शांति की गहन स्थिति का अनुभव कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ इस शांतिधाम घर मे चारों और फैले शांति के वायब्रेशन्स मुझे गहन शांति की अनुभूति करवाकर एक अनोखी शक्ति का संचार मेरे अन्दर कर रहें हैं। *साइलेन्स का बल अपने अंदर भरकर अब मैं सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के सागर अपने प्यारे पिता के पास आकर बैठ गई हूँ और बड़े प्यार से उन्हें निहार रही हूँ*। मैं महसूस कर रही हूँ जैसे बाबा भी बड़े प्यार से मुझे निहार रहें हैं और अपना प्यार शीतल लहरों के रूप में धीरे - धीरे मुझ तक पहुँचा रहें हैं। बाबा के अथाह प्यार की शीतल लहरों की शीतलता मन को गहन सुख प्रदान कर रही है। धीरे - धीरे ये लहरे बढ़ रही हैं और मुझे अपने अंदर समाती जा रही हैं।
➳ _ ➳ प्यार के सागर मेरे पिता के प्यार की लहरों का प्रवाह मुझे बहा कर अपने बिल्कुल समीप ले आया है। जहाँ पहुँच कर ऐसा लग रहा है जैसे प्यार का कोई सतरंगी झरना मेरे ऊपर बरस रहा है और उस झरने के नीचे खड़ी होकर मैं स्नान करके प्यार के सागर अपने पिता के समान बनती जा रही हूँ। *नफरत, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा के पुराने स्वभाव संस्कार जैसे प्यार के सागर की गहराई में डूब गए हैं और उसके स्थान पर सबको प्रेम देने, सहयोग देने के संस्कार जैसे इमर्ज हो गए हैं*। स्वयं को मैं बाप समान प्यार का सागर अनुभव कर रही हूँ। अपने प्यारे पिता के साथ स्नेह मिलन मनाकर, उनके समान बन कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया में लौट आती हूँ और अपने साकार तन में फिर से भृकुटि के अकालतख्त पर आकर विराजमान हो जाती हूँ।
➳ _ ➳ *प्यार के सागर अपने पिता से प्राप्त किये हुए प्यार का मधुर एहसास मेरी शक्ति बनकर अब मुझे भी बाप समान प्यार का सागर बन सबको सच्चा रूहानी प्यार देने के लिए प्रेरित करता रहता है इसलिए अपने प्यारे पिता के प्यार से स्वयं को हरपल भरपूर रखते हुए अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को आत्मिक स्नेह देकर उन्हें तृप्त करती रहती हूँ*
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं प्रवृति में रहते भी समर्पित हो सेवा की धुन में रहने वाली बापदादा की दिलतख्तनशींन आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं कम से कम समय में संकल्पों को मोड़ने और ब्रेक लगाने की युक्ति सीख कर बुद्धि की शक्ति को व्यर्थ नहीं गंवाने वाली समर्थ आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ जब कोई विध्न आता है, तो विघ्न आते हुए यह भूल जाते हो कि *बापदादा ने पहले से ही यह नॉलेज दे दी है कि लगन की परीक्षा में यह सब आयेंगे ही।* जब पहले से ही मालूम है कि विघ्न आने ही हैं, फिर घबराने की क्या जरूरत?
➳ _ ➳ विघ्नों के कारण का नहीं सोचो लेकिन बापदादा के यह महावाक्य याद रखो कि जितना आगे बढ़ेगे उतना माया भिन्न-भिन्न रूप से परीक्षा लेने के लिए आयेगी और यह *परीक्षा ही आगे बढ़ाने का साधन है* न कि गिराने का। *कारण सोचने के बजाए निवारण सोची, तो निर्विघ्न हो जायेंगे।* क्यों आया? नहीं, लेकिन यह तो आना ही है-इस स्मृति में रहो तो समर्थी स्वरूप हो जायेंगे।
✺ *"ड्रिल :- परीक्षा को आगे बढ़ाने का साधन अनुभव करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा देख रही हूँ चारों ओर दुनिया निराश, हताश, दुःखी है... कोई भी परिस्थिति आते ही घबराकर उसके कारण का निवारण न ढ़ूंढ़ एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे है... परमात्मा को ही नही छोड़ते उसे भी कोसने लगते हैं... कि मेरे साथ ही ऐसा क्यूं... भला बुरा कहने लगते है कि मैंने क्या बिगाड़ा आपका... मुझ आत्मा की खुशी व हिम्मत देखकर मुझसे पूछ रहे हैं आपको कौन मिला है *जो हर परिस्थिति में सदा खुश रहते हो*... मैं आत्मा मन ही मन उन्हें शुभ भावना शुभ कामना देती हूँ व कहती हूँ... *उठो जागो स्वयं परमपिता परमात्मा इस धरा पर अवतरित हो चुके है... आओ अपने सच्चे परमपिता परमात्मा को व स्वयं को जानो... सच्चे परमपिता परमात्मा से मिलन मनाओ*... सच्चे पिता का हाथ व साथ पाकर अपने जीवन की हर परीक्षा को खेल समझ व आगे बढ़ने का साधन अनुभव करो...
➳ _ ➳ मुझ ब्राह्मण आत्मा को स्वयं भगवान ने चुना है... प्यारे परमपिता परमात्मा ने सही राह दिखाई है... जिसका हाथ स्वयं ईश्वर ने पकड़ा है... ईश्वर ने सम्भाला है... मुझ आत्मा के जीवन की डोर स्वयं भगवान ने सम्भाली है... कोई भी परिस्थिति या पेपर आने पर स्वयं ही स्मृति आ जाती है कि मेरा साथी कौन है... *स्वयं भगवान मेरा साथी है तो मुझ आत्मा का अकल्याण तो है ही नही सकता*... इस ड्रामा के अंतिम सीन तक बाबा और मैं साथ साथ है... और साथ साथ ही रहेंगे... ज्ञानसागर मीठे बाबा ने नॉलेज देकर मुझ आत्मा को नॉलेजफुल बना दिया है... कि इस *लगन में विघ्न तो बहुत आऐंगे ही पर विघ्नों से घबराने की जरुरत नही है*... बस मैं आत्मा *एक बल एक भरोसा* से सदा आगे बढ़ती जा रही हूँ... हर पल हर कदम पर बाबा का साथ अनुभव कर रही हूं...
➳ _ ➳ *विजय मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है... ईश्वर मेरा साथी है*... हर परिस्थिति में हर पेपर में मैं आत्मा अनुभव करती हूं कि बाबा आप मेरे साथ खड़े हो... *बाबा से निरंतर आती शक्तिशाली किरणों का जाल मेरे चारों ओर है... ये निश्चय मुझ आत्मा को हर पेपर में आगे बढ़ाता है*... जैसे बच्चे का पेपर होता है तभी वो पास होकर अगली कक्षा में जाता है... ऐसे ही माया भी अलग अलग रुप में आती है पेपर लेती है... मैं आत्मा बापदादा की हजार भुजाओं की छत्रछाया में रह अपने पेपर में पास होती आगे बढ़ रही हूँ... और परीक्षाओं को परिस्थितियों को साइड सीन समझ और आगे बढ़ने का साधन अनुभव कर रही हूं... निश्चय का फाउंडेशन पक्का कर रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा स्वयं पर, बाबा पर, ड्रामा पर निश्चय रख हर परिस्थिति में कल्याण छिपा है ऐसा निश्चय रख आगे बढ़ती जा रही हूँ... *जितना आगे बढ़ेगे तो पेपर भी उतने ज्यादा आयेंगे*... मैं आत्मा बाबा के महावाक्यों को स्मृति में रख पेपर को आगे बढ़ने का साधन अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा पेपर आने को गुडलक समझ रही हूँ... *मैं आत्मा एक बाप की याद में रह अंगद समान अपनी स्थिति अचल अडोल रख हर पेपर को पार करती आगे बढ़ने का साधन अनुभव कर रही हूँ*...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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