━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 01 / 02 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *इस पुरानी दुनिया से बेहद का सन्यास किया ?*
➢➢ *पुरुषार्थ कर आँखों को सिविल बनाया ?*
➢➢ *शुभ संकल्प के यंत्र द्वारा साइलेंस की शक्ति का प्रयोग किया ?*
➢➢ *कुल दीपक बन अपने स्मृति की ज्योति से ब्राह्मण कुल का नाम रोशन किया ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ जैसे वर्तमान समय के प्रमाण शरीर के लिए सर्व बीमारियों का इलाज एक्सरसाइज सिखाते हैं, तो इस समय आत्मा को शक्तिशाली बनाने के लिए यह रुहानी एक्सरसाइज का अभ्यास चाहिए। *चारों ओर कितना भी हलचल का वातावरण हो, आवाज में रहते आवाज से परे स्थिति का अभ्यास, अशान्ति के बीच शान्त रहने का अभ्यास बहुतकाल का चाहिए।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं व्यर्थ को समाप्त करने वाला समर्थ हूँ"*
〰✧ सदा अपने को मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा समझते हो? *सर्वशक्तिवान अर्थात् समर्थ। जो समर्थ होगा वह व्यर्थ के किचड़े को समाप्त कर देगा। मास्टर सर्वशक्तिवान अर्थात् व्यर्थ का नाम निशान नहीं। सदा यह लक्ष्य रखो कि - 'मैं व्यर्थ को समाप्त करने वाला समर्थ हूँ'।*
〰✧ जैसे सूर्य का काम है किचड़े को भस्म करना। अंधकार को मिटाना, रोशनी देना। तो इसी रीति *मास्टर ज्ञान सूर्य अर्थात् - व्यर्थ किचड़े को समाप्त करने वाले अर्थात् अंधकार को मिटाने वाले। मास्टर सर्वशक्तिवान व्यर्थ के प्रभाव में कभी नहीं आयेगा।* अगर प्रभाव में आ जाते तो कमजोर हुए। बाप सर्वशक्तिवान और बच्चे कमजोर! यह सुनना भी अच्छा नहीं लगता।
〰✧ *कुछ भी हो - लेकिन सदा स्मृति रहे - 'मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ'। ऐसा नहीं समझो कि मैं अकेला क्या कर सकता हूँ.. एक भी अनेकों को बदल सकता है। तो स्वयं भी शक्तिशाली बनो और औरों को भी बनाओ।* जब एक छोटा-सा दीपक अंधकार को मिटा सकता है तो आप क्या नहीं कर सकते! तो सदा वातावरण को बदलने का लक्ष्य रखो। विश्व परिवर्तक बनने के पहले सेवाकेन्द्र के वातावरण को परिवर्तन कर पावरफुल वायुमण्डल बनाओ।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ अच्छा। अभी खेल में खेल देखा। *अभी बापदादा कहते हैं साक्षी होकर खेल देखा, इन्जाय किया, अभी एक सेकण्ड में एकदम देह से न्यारे पॉवरफुल आत्मिक रूप में स्थित हो सकते हो?* फुलस्टॉप। (बापदादा ने बहुत पॉवरफुल ड्रिल कराई)
〰✧ अच्छा - यही अभ्यास हर समय बीच-बीच में करना चाहिए। अभी-अभी कार्य में आये, अभी-अभी कार्य से न्यारे, साकारी सो निराकारी स्थिति में स्थित हो जाएं। *ऐसे ही यह भी एक अनुभव देखा, कोई समस्या भी आती है तो ऐसे ही एक सेकण्ड में साक्षी दृष्टा बन, समस्या को एक साइडसीन समझ, तूफान को एक तोहफा समझ उसको पार करो।*
〰✧ अभ्यास है ना? आगे चलकर तो ऐसे अभ्यास की बहुत आवश्यकता पडेगी। फुलस्टॉप क्वेचन मार्क नहीं, यह क्यों हुआ, यह कैसे हुआ? *हो गया। फुलस्टॉप और अपने फुल शक्तिशाली स्टेज पर स्थित हो जाओ। समस्या नीचे रह जायेगी, आप ऊँची स्टेज से समस्या को साइडसीन देखते रहेंगे।* अच्छा।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *अब सब बच्चे अपने को आत्मा समझ कर बैठो। सामने किसको देखें? आत्माओं के बाप को।* इस स्थिति में रहने से व्यक्त से न्यारे होकर अव्यक्त स्थिति में रह सकेंगे। मैं आत्मा बिन्दु रूप हूँ - क्या यह याद नहीं आता है? बिन्दी रूप होकर बैठना नहीं आता? ऐसे ही अभ्यास को बढ़ाते जाओगे तो एक सेकण्ड तो क्या, कितने ही घण्टे इसी अवस्था में स्थित होकर इस अवस्था का रस ले सकते हो। *बिन्दु होकर बैठना कोई जड़ अवस्था नहीं है। जैसे बीज में सारा पेड़ समाया हुआ है, वैसे ही मुझ आत्मा में बाप की याद समाई हुई है। ऐसे होकर बैठने से सब रसनायें आयेंगी और साथ ही यह भी नशा होगा कि - ‘हम किसके सामने बैठे हैं।'*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- मनुष्य से देवता, नर से नारायण बनने की यूनिवर्सिटी-इस निश्चय में रहना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा गॉडली स्टूडेंट बन सेंटर में बाबा के सम्मुख बैठ बाबा की यादों में मग्न हो जाती हूँ... धीमे-धीमे प्यारे बाबा के मधुर गीत बज रहे हैं... लाल प्रकाश से भरा पूरा हाल परमधाम नज़र आ रहा है... सभी आत्माएं चमकते हुए लाल बिंदु लग रहे हैं... *मनुष्य से देवता, नर से नारायण बनने की यह यूनिवर्सिटी है जिसमें मुझे कोटों में से चुनकर स्वयं परमात्मा ने एडमिशन करवाया है... अपना बच्चा, अपना स्टूडेंट, अपना वारिस बनाया है... प्यारे बाबा का आह्वान करते ही दीदी के मस्तक में विराजमान होकर मीठे बाबा मीठी मुरली सुनाते हैं...*
❉ *नर से नारायण बनने की सच्ची सच्ची नालेज सुनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे बच्चे... इस झूठ की दुनिया में झूठ को ही सत्य समझ जीते आये... अब सत्य पिता सचखण्ड की स्थापना करने आये है... *अपने सत्य दमकते स्वरूप को भूल साधारण मनुष्य होकर दुखो में लिप्त हो गए बच्चों को... मीठा बाबा नारायण बनाकर विश्व का मालिक बनाने आया है...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पत्थर से पारस, मनुष्य से देवता बनने की पढाई को धारण करते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा भगवान से बैठ सारे सत्य को समझ रही हूँ... *कैसे साधारण नर से नारायण बन सकती हूँ... यह गुह्य रहस्य बुद्धि में भर रही... ईश्वर पिता मुझे गोद में बिठा पढ़ा रहा... और मेरा सदा का नारायणी भाग्य जगा रहा है...”*
❉ *लक्ष्य तक पहुँचने के लिए सत्य की राह पर ऊँगली पकड़कर चलाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे... जब सब मनुष्य मात्र झूठ को सत्य समझ जी रहे तो सत्य फिर कौन बताये... सत्य परमात्मा के सिवाय तो भूलो को... फिर कौन राह दिखाये... *तो वही सत्य कथा प्यारा बाबा सुना रहा और कांटे हो गए बच्चों को फूलो सा फिर खिला रहा...”*
➳ _ ➳ *अपने भाग्य पर नाज करती अविनाशी खुशियों में लहराते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा मीठे बाबा से महान भाग्य प्राप्त कर रही हूँ... सचखण्ड की मालिक बन रही हूँ... मनुष्य से देवताई रूप में दमक रही हूँ... और सुखो की बगिया में खुशियो संग झूल रही हूँ...* कितना प्यारा मेरा भाग्य है...”
❉ *दुःख की धरती बदलकर सुख की स्वर्णिम नगरी स्थापित करते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... सच्चा पिता तो सत्य सुखो से भरा सचखण्ड ही बनाये... यह दुःख धाम तो विकारो की माया ही बसाये... पिता तो अपने बच्चों को मीठे महकते सुखो की नगरी में ही बिठाये... *सारे विश्व का राज्य बच्चों के कदमो में ले आये और नारायण बनाकर विश्व धरा पर शान से चमकाए... तो वही मीठी सत्य नालेज बाबा बैठ सुना रहा है...”*
➳ _ ➳ *परमात्म ज्ञान पाकर गुण, शक्तियों और अनुभवों के खजानों से सजकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सच्चे पिता से सत्य जानकारी लेकर सोने सी निखरती जा रही हूँ... *मीठा बाबा मुझे नारायण सा सजा रहा... यह नालेज मै मन बुद्धि में ग्रहण करती जा रही हूँ... और अपने सत्य स्वरूप को जीती जा रही हूँ...”*
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते रूहानी यात्रा पर रहना है*"
➳ _ ➳ अपने रूहानी पिता द्वारा सिखाई रूहानी यात्रा पर चलने के लिए मैं स्वयं को आत्मिक स्मृति में स्थित करती हूँ और रूह बन चल पड़ती हूँ अपने रूहानी बाप के पास उनकी सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर करने के लिये। *अपने रूहानी शिव पिता के अनन्त प्रकाशमय स्वरूप को अपने सामने लाकर, मन बुद्धि रूपी नेत्रों से उनके अनुपम स्वरूप को निहारती, उनके प्रेम के रंग में रंगी मैं आत्मा जल्दी से जल्दी उनके पास पहुँच जाना चाहती हूँ* और जाकर उनके प्रेम की गहराई में डूब जाना चाहती हूँ। मेरे रूहानी पिता का प्यार मुझे अपनी ओर खींच रहा है और मैं अति तीव्र गति से ऊपर की ओर उड़ती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ सांसारिक दुनिया की हर वस्तु के आकर्षण से मुक्त, एक की लगन में मग्न, एक असीम आनन्दमयी स्थिति में स्थित मैं आत्मा *अब ऊपर की और उड़ते हुए आकाश को पार करती हूँ और उससे भी ऊपर अंतरिक्ष से परें सूक्ष्म लोक को भी पार कर उससे और ऊपर, अपनी मंजिल अर्थात अपने रूहानी शिव पिता की निराकारी दुनिया मे प्रवेश कर अपनी रूहानी यात्रा को समाप्त करती हूँ*। लाल प्रकाश से प्रकाशित, चैतन्य सितारों की जगमग से सजी, रूहों की इस निराकारी दुनिया स्वीट साइलेन्स होम में पहुँच कर मैं आत्मा एक गहन मीठी शांति का अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ अपने रूहानी बाप से रूहानी मिलन मनाकर मैं आत्मा असीम तृप्ति का अनुभव कर रही हूँ। बड़े प्यार से अपने पिता के अति सुंदर मनमोहक स्वरूप को निहारते हुए मैं धीरे - धीरे उनके समीप जा रही हूँ। *स्वयं को मैं अब अपने पिता की सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों के आगोश में समाया हुआ अनुभव कर रही हूँ*। ऐसा लग रहा है जैसे मैं बाबा में समाकर बाबा का ही रूप बन गई हूँ। यह समीपता मेरे अंदर मेरे रूहानी पिता की सर्वशक्तियों का बल भरकर मुझे असीम शक्तिशाली बना रही है। *स्वयं को मैं सर्वशक्तियों का एक शक्तिशाली पुंज अनुभव कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ अपनी रूहानी यात्रा का प्रतिफल अथाह शक्ति और असीम आनन्द के रूप में प्राप्त कर अब *मैं इस रूहानी यात्रा का मुख वापिस साकारी दुनिया की और मोड़ती हूँ और शक्तिशाली रूह बन, शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करने के लिए वापिस अपने साकार शरीर मे लौट आती हूँ*। किन्तु अपने रूहानी पिता के साथ मनाये रूहानी मिलन का सुखद अहसास अब भी मुझे उसी सुखमय स्थिति की अनुभूति करवा रहा है। *बाबा के निस्वार्थ प्रेम और स्नेह का माधुर्य मुझे बाबा की शिक्षाओं को जीवन मे धारण करने की शक्ति दे रहा है*।
➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण जीवन में हर कदम श्रीमत प्रमाण चलते हुए, बुद्धि से सम्पूर्ण समर्पण भाव को धारण कर, कर्मेन्द्रियों से हर कर्म करते बुद्धि को अब मैं केवल अपने शिव पिता पर ही एकाग्र रखती हूँ। *साकार सृष्टि पर, ड्रामा अनुसार अपना पार्ट बजाते, शरीर निर्वाह अर्थ हर कर्म करते, साकारी सो आकारी सो निराकारी इन तीन स्वरूपो की ड्रिल हर समय करते हुए, अब मैं मन को अथाह सुख और शांति का अनुभव करवाने वाली मन बुद्धि की इसी रूहानी यात्रा पर ही सदैव रहती हूँ*।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं शुभ संकल्प के यन्त्र द्वारा साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करने वाली सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं कुलदीपक बन अपने स्मृति की ज्योति से ब्राह्मण कुल का नाम रोशन करने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ कई बच्चे समझते हैं बापदादा से तो सम्बन्ध है ही। परिवार में हुआ नहीं हुआ, क्या बात है, (क्या हर्जा है) बीज से तो है ही। लेकिन *आपको विश्व का राज्य करना है ना! तो राज्य में सम्बन्ध में आना ही होगा। इसीलिए सम्बन्ध संपर्क में आना ही है लेकिन सम्बन्ध-सम्पर्क में यथार्थ खजाना मिलता है दुआयें।* बिना सम्बन्ध-सम्पर्क के आपके पास दुआओं का खजाना जमा नहीं होगा। माँ-बाप की दुआयें तो हैं, लेकिन *सम्बन्ध-सम्पर्क में भी दुआयें लेनी हैं। अगर दुआयें नहीं मिलती, फीलिंग नहीं आती तो समझो सम्बन्ध-सम्पर्क में कोई कमी है।* यथार्थ रीत अगर सम्बन्ध-सम्पर्क है तो दुआओं की अनुभूति होनी चाहिए। और दुआओं की अनुभूति क्या होगी? अनुभवी तो हो ना! अगर सेवा से दुआयें मिलती हैं तो दुआयें मिलने का अनुभव यही होगा जो स्वयं भी सम्बन्ध में आते, कार्य करते डबल लाइट (हल्का) होगा, बोझ नहीं महसूस करेगा और *जिनकी सेवा की, सम्बन्ध-सम्पर्क में आये वह भी डबल लाइट फील करेगा। अनुभव करेगा कि यह सम्बन्ध में सदा हल्का अर्थात् इजी हैं, भारी नहीं रहेगा।* सम्बन्ध में आऊँ, नहीं आऊँ... लेकिन दुआयें मिलने के कारण दोनों तरफ नियम प्रमाण, ऐसा इजी भी नहीं - जैसे कहावत है, ज्यादा मीठे पर चींटियाँ बहुत आती हैं। तो इतना इजी भी नहीं, *लेकिन डबल लाइट रहेगा।*
✺ *ड्रिल :- "यथार्थ सम्बन्ध-सम्पर्क का अनुभव"*
➳ _ ➳ *ट्रैफिक कन्ट्रोल बजते ही मैं ज्योतिमय आत्मा एक सेकेंड में सभी संकल्पों को फुलस्टॉप लगा, टिक जाती हूँ ज्योति बिन्दु शिव पिता की याद में...* बाबा से आती सुख-शांति, पवित्रता की सतरंगी किरणें मुझ आत्मा में समा रही है... और मैं ज्योतिमय आत्मा इन किरणों को स्वयं में समाती जा रही हूँ... जैसे-जैसे मैं आत्मा इन किरणों को अपने अन्दर समाती जा रही हूँ... *मैं आत्मा शक्तिशाली बनती जा रही हूँ... मुझ आत्मा का प्रकाश बढ़ता जा रहा है... मैं आत्मा बहुत हल्का फील कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ अब मैं ज्योतिमय आत्मा बाबा के महावाक्यों पर चितंन करती हूँ... *"आपको विश्व का राज्य करना है ना ! तो राज्य में सम्बन्ध में आना ही होगा... इसलिए सम्बन्ध-सम्पर्क में आना ही है"...* बाबा के द्वारा कहें महावाक्यों पर गहराई से मैं ज्योतिमय आत्मा मनन कर रही हूँ... तभी अचानक सामने एक बहुत बड़ा स्वर्णिम दरवाजा दिखता है... और *वहाँ से आने वाली लाइट मुझ आत्मा पर पड़ती है... मैं आत्मा उठकर स्वर्णिम द्वार से अन्दर प्रवेश करती हूँ...* अन्दर चारों ओर स्वर्णिम दुनिया के बड़े-बड़े मनभावन चित्र लगे है... मैं आत्मा एक चित्र के नजदीक जाती हूँ... *जैसे ही एक चित्र के पास जाती हूँ... अचानक वो स्थिर चित्र 3 डी में कन्वर्ट हो जाता है... उसमें जो चित्र है वो जैसे सच में चलते हुए प्रतीत हो रहे है... इस चित्र में देवी-देवताएंँ खेलपाल कर रहे है...*
➳ _ ➳ जैसे ही मैं आत्मा दूसरे चित्र के पास जाती हूँ... ये चित्र भी 3 डी में कन्वर्ट हो जाता है... इस चित्र में *देवी-देवताएंँ मिलकर पुष्क विमानों में भ्रमण कर रहे है...* एक और चित्र के पास मैं आत्मा जाती हूँ... ये चित्र भी स्थिर से परिवर्तन हो चलने लग पड़ता है... इसमें देवताओं की सभा लगी हैं... एक दूसरे चित्र के पास मैं आत्मा जाती हूँ... *जहाँ मिलकर कुछ देवी-देवताएंँ रास कर रहें है... कुछ देवताएंँ मिलकर चित्रकला कर रहे है...* तभी अचानक ये सभी दृश्य मुझ आत्मा की आँखों के सामने से गायब हो जाते है... और मैं ज्योतिमय आत्मा उसी स्थान पर पहुंच जाती हूँ... जहाँ बैठ मैं आत्मा चिंतन कर रही थी...
➳ _ ➳ *तभी बाबा ज्ञान उजाला रुपी किरणें बरसाने लगते है... जैसे ही ये ज्ञान उजाला रुपी किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रही है... बाबा के द्वारा दिखाए इन चित्रों का राज मुझ आत्मा के सामने स्पष्ट हो रहा है...* मैं आत्मा समझ गयी हूँ... कि यही वो श्रेष्ठ ब्राह्मण परिवार है जिसकी *एक-एक आत्मा देवकुल की महान आत्मा है... और भविष्य में हम सब आत्माएँ एक साथ राज्य में आयेगें राज करेगें...* एक साथ खेलेंगे घूमेंगे... एकमत हो रहेंगे और वो संस्कार यहाँ ही भरने है... धारण करने है...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को सम्बन्ध-संपर्क में आते हुए... *मैं ज्योतिमय आत्मा जिन भी आत्माओं के संपर्क में आ रही हूँ... उन सभी आत्माओं प्रति मुझ आत्मा की दृष्टि श्रेष्ठ महान है... हरेक के प्रति दिल से रिगार्ड है...* मैं आत्मा हरेक में केवल विशेषता देखती हूँ... *मैं आत्मा जिस भी आत्मा के संपर्क में आ रही हूँ वे आत्माएँ हल्का फील कर रही है... उनको अपनेपन का अनुभव हो रहा है...* और मुझ आत्मा के प्रति उनके दिल से दुआएं निकल रही है... *मैं आत्मा सम्बन्ध-संपर्क में आते इजी रहते दुआओं का खजाना जमा कर हरदम डबल लाइट स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...* मैं आत्मा यथार्थ रीति सम्बन्ध-संपर्क में आते सदा हल्का और दुआओं से भरपूर अनुभव कर रही हूँ...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━