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❍ 10 / 03 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *रूहानी यात्रा पर ततपर रह आत्मा और शरीर दोनों को फूल समान बनाया ?*
➢➢ *"हम डायरेक्ट इश्वर की मत पर भारत को श्रेष्ठ बनाने की सेवा के निमित हैं" - इस स्मृति में रहे ?*
➢➢ *स्वमान के साथ निर्माण बन सबको मान दिया ?*
➢➢ *बापदादा के स्नेह की दुआओं में पलते उड़ते चले ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *जिससे प्यार होता है, उसको जो अच्छा लगता है वही किया जाता है । तो बाप को बच्चों का अपसेट होना अच्छा नहीं लगता,* इसलिए कभी भी यह नहीं कहो कि क्या करें, बात ही ऐसी थी इसलिए अपसेट हो गये *अगर बात अपसेट की आती भी है तो आप अपसेट स्थिति में नहीं आओ ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बाप के सदा साथ रहने वाला सिकीलधा बच्चा हूँ"*
〰✧ सिकीलधे बच्चे सदा ही बाप से मिले हुए हैं। सदा बाप साथ है, यह अनुभव सदा रहता है ना? *अगर बाप के साथ से थोड़ा भी किनारा किया तो माया की आंख बड़ी तेज है। वह देख लेती है यह थोड़ा-सा किनारे हुआ है तो अपना बना लेती है। इसलिए किनारे कभी भी नहीं होना। सदा साथ।*
〰✧ *जब बापदादा स्वयं सदा साथ रहने की आफर कर रहे हैं तो साथ लेना चाहिए ना! ऐसे साथ सारे कल्प में कभी नहीं मिलेगा, जो बाप आकर कहे मेरे साथ रहो। ऐसे भाग्य सतयुग में भी नहीं होगा। सतयुग में भी आत्माओंके संग रहेंगे।* सारे कल्प में बाप का साथ कितना समय मिलता है? बहुत थोड़ा समय है ना। तो थोड़े समय में इतना बड़ा भाग्य मिले तो सदा रहना चाहिए ना।
〰✧ बापदादा सदा परिपक्व स्थिति में स्थित रहने वाले बच्चों को देख रहे हैं। कितने प्यारे-प्यारे बच्चे बापदादा के सामने हैं। एक-एक बच्चे बहुत लवली है। *बापदादा ने इतने प्यार से सभी को कहाँकहाँ से चुनकर इक्क्ठा किया है। ऐसे चुने हुए बच्चे सदा ही पक्के होंगे, कच्चे नहीं हो सकते।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ बापदादा ने अभी बाप के बजाए टीचर का रूप धारण किया है। होमवर्क दिया है ना? कौन होमवर्क देता है? टीचरा लास्ट में है सतगुरू का पार्टी तो अपने आप से पूछो सम्पन्न और सम्पूर्ण स्टेज कहाँ तक बनी है? *क्या आवाज से परे वा आवाज में आना, दोनों ही समान हैं?*
〰✧ जैसे आवाज में आना जब चाहे सहज है, ऐसे ही आवाज से परे हो जाना जब चाहे, जैसे चाहे वैस हैं? *सेकण्ड में आवाज में आ सकते हैं, सेकण्ड में आवाज से परे हो जाएँ - इतनी प्रैक्टिस हैं?* जैसे शरीर द्वारा जब चाहो, जहाँ चाहो वहाँ आ-जा सकते होना। ऐसे मन-बुद्धि द्वारा जब चाहो, जहाँ चाहो वहाँ आ-जा सकते हो?
〰✧ क्योंकि *अन्त में पास माक्र्स उसको मिलेगी जो सेकण्ड में जो चाहे, जैसा चाहे, जो ऑर्डर करना चाहे उसमें सफल हो जाए।* साइन्स वाले भी यही प्रयत्न कर रहे हैं, सहज भी हो और कम समय में भी हो। तो ऐसी स्थिति है? क्या मिनटों तक आये हैं, सेकण्ड तक आये हैं, कहाँ तक पहुँचे हैं?
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जब तख्त नशीन होता है तो तख्त पर उपस्थित होने से राज कारोबार उसके आर्डर से चलते है अगर तख्त छोडते हैं तो वही कारोबारी उसकी आर्डर में नहीं चलेंगे । *तो ऐसे आप जब ताज तख्त छोड देते हो तो आपके ही आर्डर में नही चलेंगे । जब अकाल तख्त नशीन होते हो तो यही कर्मेन्द्रियां जी हजूर करेंगी।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- भगवान् आया है सभी भक्तों को भक्ति का फल देने"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा मधुबन बाबा की कुटिया में बैठे बाबा को निहारती हुई सोचती हूँ... जिस भगवान् को पाने के लिए मैं ना जाने कहाँ-कहाँ भटक रही थी... भक्ति के कितने आडम्बरों में फसी थी... आज वो मेरे सम्मुख बैठा है... *मैं भगवान को ढूँढ रही थी... और भगवान् ने स्वयं मुझे ढूंढकर अपना वारिस बना लिया... अपनी सारी प्रॉपर्टी का हकदार बना दिया... मुझे मेरी भक्ति का फल ज्ञान देकर मेरे भाग्य का पिटारा खोल दिया...*
❉ *देवी-देवता कुल की स्मृति दिलाकर पुजारी से पूज्य बनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... अभी कल ही की तो बात है मीठे सुखो में खेलपाल करते देवता तुम्ही तो थे... उन सुखद स्मृतियों को पुनः ताजा करो... *ईश्वर पिता आये है पुजारी से फिर से वही खुबसूरत देवता सजाने... तो विश्व पिता के सच्चे प्यार में अपने सुनहरे भाग्य की मीठी याद में झूम जाओ...”*
➳ _ ➳ *मन दर्पण में स्वयं के मीठे स्वरुप को गुण, शक्तियों से सजाती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार में देवताओ सी सज संवर रही हूँ... *भक्ति का फल मुझे भगवान मिल गया है... ईश्वर पिता के सारे खजाने जागीरे अब मेरे है...* मै भाग्यशाली आत्मा पुनः देवता घराने में आने वाली हूँ... यह ख़ुशी हर पल मुझे रोमांचित कर रही है...”
❉ *भटकते बच्चों की भटकन को समाप्त कर अपनी मीठी गोदी के झूले में झुलाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... जिस मीठे पिता को दर दर खोज रहे थे... गुफाओ और तपस्याओ में ढूंढ रहे थे, *वह भक्ति का फल मीठा स्वर्ग हथेली पर लेकर धरा पर उतर आया है...* विकारो में धूमिल बच्चों को देवताई श्रंगार से सुनहरा सजा रहे है... अब पूजा नही, पूजनीय बनना है... अपने सुंदर कुल में जाना है...”
➳ _ ➳ *ज्ञान के उजाले में अपने सपनों को साकार होते हुए देख ख़ुशी से मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा देह की संगति में असुर कुल की हो गयी थी... *प्यारे बाबा आपने मेरा अविनाशी दमकता स्वरूप दिखाकर मुझे देवी भाग्य दिलाया है...* मै महान खुशनसीब आत्मा देवता बन स्वर्ग धरा परअनन्त सुखो की अधिकारी बन रही हूँ... वाह मेरा खुबसूरत भाग्य...”
❉ *अपनी कमाल जादूगरी से मेरे सारे जीवन को खुशहाल करते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... साधारण देह में छुपे हुए चमकीली मणि हो... मनुष्य मात्र नही देवता कुल के देव हो... अपने इस मीठे भाग्य के नशे में झूम जाओ... *और ईश्वरीय यादो में, अपने उसी वर्से को, अथाह खजानो को पाकर मीठे सुखो को लूटो... सारे सम्बन्ध् मीठे बाबा से जोड़कर उसके प्रेम में भीग जाओ...”*
➳ _ ➳ *बाबा की मीठी दृष्टि से निहाल होकर तहे दिल से धन्यवाद करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मुझ आत्मा ने तो कभी ऐसे ख़्वाब भी न संजोये थे कि... प्यारा पिता यूँ अचानक गोद में उठा लेगा... *देह के मटमैले पन को धोकर मुझे देवता बना देगा... सारे सम्बन्धो का सुख देकर मुझे भरपूर कर देगा... मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा हर रोम से शुक्रगुजार हूँ...*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- डायरेक्ट ईश्वर की मत पर चल भारत को श्रेष्ठ औऱ मानव मात्र को दैवी गुणधारी बनाना*"
➳ _ ➳ जिस स्वर्णिम दुनिया की स्थापना करने के लिए भगवान इस धरा पर आये हैं वो दुनिया कितनी खूबसूरत होगी, *यह विचार करते - करते उस श्रेष्ठ भारत की तस्वीर आंखों के सामने उभर आती है जिसके लिए इतिहास में भी गायन है "जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा"*। अपने आने वाले उसी श्रेष्ठ भारत की सुंदर तस्वीर को मन बुद्धि के दिव्य नेत्र से मैं देख रही हूँ, वो भारत जिसमे हर मनुष्य दैवी गुण धारी होगा। सुख, शान्ति, सम्पन्नता से भरपूर होगा। *लेकिन भारत को ऐसा बनाने का सपना तभी सच होगा जब ईश्वरीय मत पर चल, भारत को श्रेष्ठ और मानव मात्र को दैवी गुणधारी बनाने का श्रेष्ठ संकल्प हर ब्राह्मण बच्चे का होगा*।
➳ _ ➳ इन्ही श्रेष्ठ विचारों के साथ, श्रेष्ठ भारत का स्वप्न देखती मैं बाबा को वचन देती हूँ कि डायरेक्ट उनकी मत पर चल भारत को श्रेष्ठ और मानव मात्र को दैवी गुणधारी बनाने के उनके ईश्वरीय कार्य मे मैं तन - मन - धन हर प्रकार से सहयोगी अवश्य बनूँगी। *सबको परमात्म परिचय देने और उन्हें आप समान बनाने की नई - नई युक्तियाँ सोचते हुए, स्वयं को परमात्म बल से भरपूर करने के लिए अपने प्यारे प्रभू की याद में मैं बैठ, अपने मन और बुद्धि को अपने मस्तक के बीच भृकुटि पर एकाग्र कर, अपने प्वाइंट ऑफ लाइट स्वरूप में स्थित होती हूँ* और आत्म पँछी बन एक पल में ही देह रूपी वृक्ष की डाली को छोड़, एक ऊँची उड़ान भर कर, आत्म पंछियों की उस झिलमिलाती दुनिया में पहुंच जाती हूँ। जहाँ अनन्त परमात्म शक्तियाँ, अखुट खजाने हैं।
➳ _ ➳ परमपिता परमात्मा के इस दिव्य लोक में जहाँ परमात्मा रहते हैं इस दिव्य धाम में चारों ओर फैली अथाह शान्ति मन को एक ऐसी तृप्ति का अनुभव करवा रही है जैसे आत्मा को जो चाहिए था वो मिल गया हो। *वो कम्प्लीट सैटिस्फैक्शन पाकर मुझ आत्मा को अथाह सुकून की अनुभूति हो रही है। यह अनुभूति मुझे सम्पूर्णता की स्थिति में स्थित कर रही है*। अपनी अनादि, सम्पूर्ण निरसंकल्प अवस्था में, एकटक अपने पिता परमात्मा को निहारते हुए मैं धीरे - धीरे उनके समीप जा रही हूँ। *अथाह शक्तियों के पुंज उस महाज्योति अपने पिता परमात्मा से निकल रही शक्तियां मुझे ऐसे दिखाई दे रही है जैसे किसी ऊँचे पहाड़ की चोटी से पानी का झरना अपने फुल फोर्स के साथ नीचे गिर रहा हो*।
➳ _ ➳ अपने शिव पिता से आ रही सर्वशक्तियों की रंग बिरंगी किरणो के अति सुंदर, मनमोहक झरने के नीचे आकर, अब मैं सर्वशक्तियों की शीतल फुहारों का आनन्द ले रही हूँ। *एक - एक किरण को निहारते, असीम आनन्द का अनुभव करते, इन रिम - झिम फ़ुहारों के झरने के नीचे स्नान करके मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरे ऊपर चढ़ी विकारों की मैल धीरे - धीरे उतर रही है और मेरा स्वरूप बहुत ही तेजोमय होता जा रहा है*। अपने इस अति तेजोमय स्वरूप को और अपने पिता परमात्मा के अनन्त प्रकाशमय स्वरूप को मैं मन्त्र मुग्ध होकर निहार रही हूँ और साथ - साथ परमात्म शक्तियों का बल स्वयं में भरकर शक्तिशाली भी बन रही हूँ।
➳ _ ➳ अपने पिता परमात्मा के साथ दिव्य मंगल मिलन मना कर और परमात्म बल स्वयं में भरकर अब मैं आत्मा परमात्म कर्तव्य में सहयोगी बन, उस कर्तव्य को पूरा करने के लिए वापिस साकारी दुनिया की ओर लौट आती हूँ। *अपने साकारी तन में मैं आत्मा आकर फिर से अपने अकाल तख्त पर बैठ जाती हूँ* और अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, भारत को श्रेष्ठ और मानव मात्र को दैवी गुणधारी बनाने की परमात्म सेवा में सहयोग देने के लिए मैं डायरेक्ट ईश्वर की मत पर चल कर, अपने संकल्प, बोल और कर्म को श्रेष्ठ और दिव्य बना कर सबको आप समान बनाने के पुरुषार्थ में लग जाती हूँ।
➳ _ ➳ *हर घर मंदिर बन जाये, और हर मानव देव बन जाये इसी शुभ - भावना और शुभ - कामना के साथ, अपने साकारी और आकारी दोनों स्वरूपो द्वारा, सबको परमात्म ज्ञान देकर मैं भारत को श्रेष्ठ और सबको दैवी गुणधारी बनाने की सेवा अब निरन्तर कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं स्वमान के साथ निर्माण बन सबको मान देने वाली पूजनीय आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं बापदादा के स्नेह की दुआओं में पलती, उड़ती रहने वाली श्रेष्ठ पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ संकल्प करते हो लेकिन बाद में क्या होता है? संकल्प कमजोर क्यों हो जाते हैं? जब चाहते भी हो क्योंकि बाप से प्यार बहुत है, बाप भी जानते हैं कि बापदादा से सभी बच्चों का दिल से प्यार है और प्यार में सभी हाथ उठाते हैं कि 100 परसेन्ट तो क्या लेकिन 100 परसेन्ट से भी ज्यादा प्यार है और बाप भी मानते हैं प्यार में सब पास हैं। लेकिन क्या है? लेकिन है कि नहीं है? लेकिन आता है कि नहीं आता है? पाण्डव, बीच-बीच में लेकिन आ जाता है? ना नहीं करते हैं, तो हाँ है। *बापदादा ने मैजारिटी बच्चों की एक बात नोट की है, प्रतिज्ञा कमजोर होने का कारण एक ही है, एक ही शब्द है। सोचो, वह एक शब्द क्या है? टीचर्स बोलो एक शब्द क्या है? पाण्डव बोलो एक शब्द क्या है? याद तो आ गया ना! एक शब्द है - 'मैं'।* अभिमान के रूप में भी 'मैं' आता है और कमजोर करने में भी 'मैं' आता है। मैंने जो कहा, मैंने जो किया, मैंने जो समझा, वही राइट है। वही होना चाहिए। यह अभिमान का 'मैं'।
➳ _ ➳ *मैं जब पूरा नहीं होता है तो फिर दिलशिकस्त में भी आता है, मैं कर नहीं सकता, चल नहीं सकता, बहुत मुश्किल है। एक बाडीकान्सेसनेस का 'मैं' बदल जाए, 'मैं' स्वमान भी याद दिलाता है और 'मैं' देह-अभिमान में भी लाता है।* 'मैं' दिलशिकस्त भी करता है और 'मैं' दिलखुश भी करता है और अभिमान की निशानी जानते हो क्या होती है? कभी भी किसी में भी अगर बाडीकान्सेस का अभिमान का अंश मात्र भी है, उसकी निशानी क्या होगी? वह अपना अपमान सहन नहीं कर सकेगा। *अभिमान अपमान सहन नहीं करायेगा।* जरा भी कहेगा ना - यह ठीक नहीं है, थोड़ा निर्माण बन जाओ, तो अपमान लगेगा, यह अभिमान की निशानी है।
✺ *ड्रिल :- "प्रतिज्ञा कमजोर होने का निवारण- अभिमान के 'मैं' का त्याग करना"*
➳ _ ➳ आज सवेरे-सवेरे मै आत्मा बाबा को याद करते हुए अमरुद के बगीचे में चली जाती हूँ... यहाँ टहलते हुए मै आत्मा प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेते हुए, मन ही मन बाबा के गीत गुनगुनाती चलती जा रही हूँ... *घूमते-घूमते मुझ आत्मा के कदम अचानक एक घने वृक्ष के पास आकर रुक जाते है... उस वृक्ष पर चिड़िया का घोसला है... चिड़िया के बच्चो की चहचहाहट वातावरण में फैल रही है...* चिड़िया बच्चो के मोह को त्याग उन्हें घोसले में छोड़ खुले नीले आसमान में पंख फैलाये उड़ जाती है...
➳ _ ➳ मै आत्मा कुछ देर के लिए उस स्थान पर बैठ जाती हूँ... छोटे-छोटे चिड़िया के बच्चे चहचहाते हुए घोसले से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे है... वे निरतंर प्रयास करते जा रहे है... *उड़ना भी चाहते है, पर जिस डाली पर बैठे है उसे छोड़ भी नही रहे... कुछ देर के प्रयास के बाद उन बच्चो (चूजो) में से एक पंख फैलाये उड़ जाता है... उसे देख और बच्चे भी उमंग-उत्साह में आ जाते है और. कुछ देर बाद सभी बच्चे देह का भान त्याग, शक्ति के पंख लगाये नीले... आकाश में पंख फैलाये उड़ जाते है...* उन बच्चों को उड़ता देख मैं आत्मा प्रसन्नता का अनुभव करती हुई प्यारे बाबा की याद में एक शांत स्थान पर बैठ जाती हूँ...
➳ _ ➳ शांत स्थान पर बैठी मै आत्मा बाबा की याद में अपने अंतर्मन में एक चित्र देख रही थी... *मै आत्मा पंछी स्वयं को देह-अभिमान की जंजीरों में, संबंध-संपर्क की जंजीरों में, मोह की जंजीरों में, जिम्मेवारियों की जंजीरों में जकड़ा हुआ अनुभव कर रही थी... पुराने संस्कारों की जंजीरे इतनी कड़ी थी कि छूटते, छूटती नही थी... मै आत्मा बोझ तले दबी हुई अनुभव कर रही थी...*
➳ _ ➳ *मेरा बाबा* कहते ही प्यारे बाबा मुझ आत्मा के समक्ष मुस्कुराते हुए आ जाते है... बाबा के नैनो से निकलती दिव्य तेजोमय किरणे मुझ आत्मा में समाती जा रही है... *धीरे-धीरे मै आत्मा बाबा से निकलती हुई किरणों में समाती जा रही हूँ... इन किरणों के तेजोमय प्रभाव में देह अभिमान की... पुराने संस्कारो की, मोह की, सम्बन्ध-संपर्क की सभी जंजीरे पिघलती जा रही है... धीरे-धीरे मै आत्मा बोझ से मुक्त हो हल्की होती जा रही हूँ...*
➳ _ ➳ *मै आत्मा देहभान की जंजीरो से न्यारी हो प्यारे बाबा के साथ सूक्ष्मवतन को पार करती हुई अपने निराकारी स्वरुप में शिव बाबा के पास परमधाम पहुँच जाती हूँ...* सर्वशक्तिवान बाप से सर्व शक्तियाँ प्राप्त करती हुई मै आत्मा हिम्मत का पहला कदम बढ़ाते हुए प्रतिज्ञा करती हूँ कि *मै आत्मा देह अभिमान के मै को त्यागकर, स्वमान के मै में स्थित हो जाऊंगी... शिव बाबा से निकलती हुई किरणे मुझ आत्मा पर निरतंर बरस रही है... इन किरणों में समायी मै आत्मा अपनी सारी जिम्मेवारियां बाबा को दे एक दम हल्की हो, देह का भान त्याग पार्ट बजाने के लिए पुनः इस देह में आ जाती हूँ...* मै आत्मा बड़े प्यार से बाबा को अमरुद का भोग लगा, उड़ते पंछी की तरह हल्की हो, हर प्रतिज्ञा का पालन करती हुई बुद्धि से बाबा का हाथ पकड़ इस रूहानी यात्रा में निरंतर चलती जा रही हूँ... बस चलती जा रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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