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 09 / 03 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *स्वदर्शन चक्रधारी बनकर रहे ?*

 

➢➢ *रहमदिल बन भटकने वालो को घर का रास्ता बताया ?*

 

➢➢ *सदा बिजी रह हर कदम में पद्मों की कमाई जमा की ?*

 

➢➢ *अपनी सेवा को बाप के आगे अर्पण कर सफलता का अनुभव किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *बाप का बच्चों से इतना प्यार है जो अमृतवेले से ही बच्चों की पालना करते हैं । दिन का आरम्भ ही कितना श्रेष्ठ होता है! स्वयं भगवान मिलन मनाने के लिये बुलाते हैं, रुहरिहान करते हैं, शक्तियां भरते हैं!* बाप की मोहब्बत के गीत आपको उठाते हैं । कितना स्नेह से बुलाते हैं, उठाते हैं - मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे, आओ.... । तो *इस प्यार की पालना का प्रैक्टिकल स्वरूप है ' सहज योगी जीवन' ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ"*

 

  सदा अपने को विश्व-कल्याणकारी बाप के बच्चे विश्व- कल्याणकारी आत्मायें समझते हो? अर्थात् सर्व खजानों से भरपूर। *जब अपने पास खजाने सम्पन्न होंगे तब दूसरों को देंगे ना! तो सदा सर्व खजानों से भरपूर आत्माएँ बालक सो मालिक हैं!* ऐसा अनुभव करते हो?

 

  *बाप कहा माना बालक सो मालिक हो गया। यही स्मृति विश्व-कल्याणकारी स्वत: बना देती है। और यही स्मृति सदा खुशी में उड़ाती है। यही ब्रह्मण जीवन है।*

 

  *सम्पन्न रहना, खुशी में उड़ना और सदा बाप के ख]जानों के अधिकार के नशे में रहना। ऐसे श्रेष्ठ ब्रह्मण आत्मायें हो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  तो शक्तियों का खजाना कितना जमा है? जो समय पर कार्य में लगाते हैं, वह जमा होता है। चेक करते जा रहे हो कि मेरा खाता क्या है? क्योंकि *बापदादा को सभी बच्चों से अति प्यार है, बापदादा ही चाहते हैं कि सभी बच्चों का जमा का खाता भरपूर हो।*

 

✧  धारणा में भी भरपूर, धारणा की निशानी है - हर कर्म गुण सम्पन्न होगा। *जिस समय जिस गुण की आवश्यकता है वह गुण चेहरे, चलन में इमर्ज दिखाई दे।*

 

✧  अगर कोई भी गुण की कमी है, मानो सरलता के गुण की कर्म के समय आवश्यकता है, मधुरता की आवश्यकता है, चाहे बोल में, चाहे कर्म में अगर सरलता, मधुरता के बजाए थोडा भी आवेश या थकावट के कारण बोल मधुर नहीं है, चेहरा मधुर नहीं है, सीरियस है तो गुण सम्पन्न तो नही

कहेंगे ना। *कैसे भी सरकमस्टान्स हो लेकिन मेरा जो गुण है, वह मेरा गुण इमर्ज होना चाहिए।* अभी शार्ट में सुना रहे हैं।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *जैसे कुछ समय आप एक-दो को याद दिलाते थे - शिव बाबा याद है ? वैसे जब देखते हो कोई व्यक्त भाव में ज्यादा है तो उनको बिना कहे अपना अव्यक्ति शान्त रूप ऐसा धारण करो जो वह भी इशारे से समझ जायें तो फिर वातावरण कुछ अव्यक्त रहेगा।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सच्चे बाप के साथ सच्चा होकर पद्मों की कमाई जमा करना"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा अपनी चेतना सरोवर के तट पर बैठकर चिंतन करती हूँ... अभी इस सरोवर में शांति की लहरें उठ रही हैं... पहले इसी चेतना सरोवर में कितने ही प्रश्नों की लहरें उठती थी और मैं आत्मा उनका जवाब ना मिलने के कारण परेशान, दुखी हो जाती थी...* मेरे बाबा ने आकर सारे प्रश्नों के जवाब देकर मेरे मन के सरोवर में कमल खिला दिया... अब मैं आत्मा एकांत में शांत मन से मीठे बाबा को शुक्रिया करने पहुँच जाती हूँ वतन में...        

 

  *सच्ची कमाई के मार्ग को ज्ञान से रोशन करते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... स्वयं भगवान टीचर बनकर पढ़ा रहा है... तो देवताई संस्कारो को भरकरश्रेष्ठतम जीवन के अधिकारी बन जाओ... *पुरानी दुनिया के विकारी ख्यालातों को छोड़कर... सोने जैसा दमकता श्रेष्ठ जीवन अपनाओ... सुंदर संस्कारो को अपनाकर जीवन सुखो के फूलो में खिलाओ...”*

 

_ ➳  *श्रीमत का हाथ थाम हर कदम में पद्मों की कमाई जमा करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा सच्ची शिक्षाओ को धारण कर.. सच्चाई से छलकता हुआ जीवन जीने वाली महान आत्मा बन गई हूँ...* खुबसूरत ख्यालो वाली खुबसूरत आत्मा बनकर आपकी बाँहों में मुस्करा रही हूँ... जीवन कितना प्यारा और सुंदर हो गया है...

 

  *मीठे बाबा स्नेह प्यार की तरंगों में डुबोकर मेरे भाग्य के सितारे को चमकाते हुए कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्ची कमाई करने के सुन्दरतम दिनों में सुंदर भाग्य की कहानी लिख लो... विकारो के ख्यालातों से इस मीठे भाग्य को दाग न लगाओ... *ईश्वर पिता की खुशनुमा यादो में जीवन इस कदर गुणो से महका दो... की धर्मराज का कोई डर न रहे...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा झूठी माया की झूठी मत को छोड़ मीठे बाबा की मीठी मत पर चलते हुए कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा सच की कमाई से मालामाल होती जा रही हूँ... आपका हाथ पकड़ कर ज्ञान और योग सेमै आत्मा देवताई स्वभाव पाती जा रही हूँ...* मीठे और सच्चे दिल को पाकर बापदादा के दिलतख्त पर मुस्करा रही हूँ...

 

  *ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से मालामाल कर पदमपति बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... मीठा बाबा अपना धाम छोड़कर... धरा पर उतर,शिक्षक बन सुख और खुशियो भरी दुनिया का अधिकारी बना रहा है... तो *हर साँस से सच्ची कमाई कर सदा के धनवान् हो जाओ... रोम रोम से सच्चाई को छलकाने वाले ईश्वरपुत्र बनकर ईश्वरीय अदा जहान में दिखाओ...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा देह के मटमैले आवरण को निकाल आत्मिक स्वरुप में मणि समान चमकती हुई कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके मीठे प्यार की बाँहों में जीकर... दुखो के दुनिया में अपनाये हर विकार से मुक्त होती जा रही हूँ... *सच्चाई भरा निर्मल और पवित्र जीवन जीने वाली... सच्ची सच्ची ब्राह्मण बन मुस्करा रही हूँ...”*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- रहमदिल बनकर भटकने वालो को घर का रास्ता बताना है*"

 

_ ➳  एकांत में बैठी अपने ब्राह्मण जीवन की अमूल्य प्राप्तियों के बारे में विचार करते हुए, दया के सागर अपने प्यारे परम पिता परमात्मा का मैं दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ जिन्होंने मुझे मेरे घर का रास्ता बता कर भटकने से बचा लिया। *जिस भगवान को पाने के लिए मैं कहाँ - कहाँ नही भटक रही थी, किस - किस से उनका पता नही पूछ रही थी, किन्तु कोई भी मुझे उनका पता नही बता पाया*। मेरे उस भगवान बाप ने स्वयं आ कर न केवल मुझे मेरा और अपना परिचय ही दिया बल्कि अपने उस घर का भी पता बता दिया जहां अथाह शांति का अखुट भण्डार है।

 

_ ➳  जिस शान्ति की तलाश में मैं भटक रही थी, अपने उस शान्ति धाम घर में जाने का रास्ता बता कर, उस गहन शान्ति का अनुभव करवाकर मेरे पिता परमात्मा ने सदा के लिए मेरी उस भटकन को समाप्त कर दिया। *दिल से अपने प्यारे भगवान का कोटि - कोटि धन्यवाद करती हुई मैं मन ही मन प्रतिज्ञा करती हूँ कि जैसे दया के सागर मेरे बाबा ने मुझे भटकने से छुड़ाया है ऐसे ही मुझे भी उनके समान रहमदिल बनकर भटकने वाले अपने आत्मा भाइयो को घर का रास्ता बता कर उन्हें दर - दर की ठोकरें खाने से बचाना है*।

 

_ ➳  अपने भगवान बाप की सहयोगी बन उनके इस कार्य को सम्पन्न करना ही मेरे इस ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य और कर्तव्य है। इस लक्ष्य को पाने और *इस कर्तव्य को पूरा करने का संकल्प लेकर मैं घर से निकलती हूँ और एक पार्क में पहुँचती हूँ जहाँ लोगों की बहुत भीड़ है*। यहाँ पहुँच कर अपने प्यारे पिता परमात्मा का मैं आह्वान करती हूँ और स्वयं को अपने प्यारे बाबा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करते हुए वहां उपस्थित सभी मनुष्य आत्माओं को परमात्म सन्देश देने का कर्तव्य पूरा कर, परमात्म याद में मगन हो कर बैठ जाती हूँ।

 

_ ➳  मन बुद्धि का कनेक्शन अपने प्यारे पिता के साथ जुड़ते ही उनकी शक्तियों का तेज प्रवाह मेरे ऊपर होने लगता है और मेरे चारों तरफ शक्तियों का एक बहुत ही सुंदर औरा निर्मित होने लगता है। *मैं देख रही हूँ मेरे चारों और शक्तियों का एक सुंदर आभामंडल निर्मित होकर दूर - दूर तक फैलता जा रहा है। शक्तियों के वायब्रेशन वहां उपस्थित सभी आत्माओं तक पहुंच कर उन्हें आनन्द से भरपूर कर रहें हैं*। सर्वशक्तियों के दिव्य कार्ब के साथ मैं आत्मा अब धीरे - धीरे ऊपर की ओर उड़ रही हूँ। *मैं अनुभव कर रही हूँ जैसे मेरे चारों और निर्मित दिव्य कार्ब वहाँ उपस्थित सभी मनुष्य आत्माओं को आकर्षित कर उन्हें ऊपर खींच रहा है और सभी निराकारी आत्मायें बन मेरे साथ ऊपर अपने निजधाम, शिव पिता के पास जा रही हैं*।

 

_ ➳  मच्छरों सदृश चमकती हुई मणियों का झुंड, अपने प्यारे पिता की सर्वशक्तियों की छत्रछाया के नीचे असीम आनन्द और सुख की अनुभूति करता हुआ साकार लोक को पार कर, सूक्ष्म वतन से होता हुआ पहुँच गया अपने घर परमधाम। *सामने महाज्योति

शिव पिता परमात्मा और उनके सामने उपस्थित असंख्य चमकते हुए सितारे बहुत ही शोभायमान लग रहे हैं। अपने सभी आत्मा भाइयों को अपने घर पहुँच कर अपने पिता परमात्मा से मंगल मिलन मनाते देख मैं बहुत हर्षित हो रही हूँ*। बिंदु बाप अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में अपने सभी बिंदु बच्चों को समाकर उन पर अपने असीम स्नेह की वर्षा कर रहें हैं।

 

_ ➳  अपने पिता परमात्मा का असीम दुलार पाकर और सर्वशक्तियों से भरपूर होकर, *अपने पिता परमात्मा से बिछुड़ने की जन्म - जन्म की प्यास बुझाकर, तृप्त होकर अब सभी आत्माये वापिस लौट रही है और साकारी दुनिया मे आ कर फिर से अपने साकारी तन में प्रवेश कर रही हैं*। मैं भी वापिस अपने साकारी तन में प्रवेश कर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्तिथ हो जाती हूँ। अपने पिता परमात्मा से मिलन मनाने का सुख सभी के चेहरे से स्पष्ट दिखाई दे रहा हैं। *सभी के चेहरों की दिव्य मुस्कराहट बयां कर रही है कि "पाना था सो पा लिया अब और बाकी क्या रहा"*।

 

_ ➳  *अपने सभी आत्मा भाइयों को घर का रास्ता बताने और उन्हें सदा के लिए भटकने से छुड़ाने के अपने कर्तव्य को पूरा कर, अब मैं वापिस शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करने के लिए अपने कर्मक्षेत्र पर लौट आती हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं सदा बिजी रह हर कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाली मायाजीत आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं अपनी सेवा को बाप के आगे अर्पण कर सफल होने वाली सफलतामूर्त आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *बाप और बच्चों का एक दिवस जन्म यही वण्डर है।* तो आज आप सभी सालिग्राम बच्चे बाप को मुबारक देने आये हो वा बाप से मुबारक लेने आये हो? देने भी आये हो, लेने भी आये हो। साथ-साथ की निशानी है कि *आप बच्चों का और बाप का आपस में बहुत-बहुत-बहुत स्नेह है। इसलिए जन्म भी साथ-साथ है और रहते भी सारा जन्म कम्बाइण्ड अर्थात् साथ हैं।* इतना प्यार देखा है! अगर आक्युपेशन भी है तो *बाप और बच्चों का एक ही विश्व परिवर्तन करने का आक्युपेशन है* और वायदा क्या है? कि *परमधाम, स्वीट होम में भी साथ-साथ चलेंगे* या आगे पीछे चलेंगे? साथ-साथ चलना है ना! तो ऐसा स्नेह आपका और बाप का है। *न बाप अकेला कुछ कर सकता, न बच्चे अकेले कुछ कर सकते।* कर सकते हो? सिवाए बाप के कुछ कर सकते हो! और बाप भी कुछ नहीं कर सकता। इसीलिए ब्रह्मा बाप का आधार लिया आप ब्राह्मणों को रचने के लिए। *सिवाए ब्राह्मणों के बाप भी कुछ नहीं कर सकते। इसलिए इस अलौकिक अवतरण के जन्म दिवस पर बाप बच्चों को और बच्चे बाप को पदमापदम बार मुबारक दे रहे हैं। आप बाप को दे रहे हैं, बाप आपको दे रहे हैं।*

 

✺   *ड्रिल :-  "बाप के साथ सदा कम्बाइण्ड रहने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *शिवरात्रि के इस महान अलौकिक अवतरण जन्म दिवस पर मैं आत्मा सुबह आँख खुलते ही अपने मीठे लाडले बाबा को, फरिश्ता स्वरूप में अपने सामने पाती हूँ...* मैं आत्मा मीठे बाबा को गुड मोर्निंग विश करती हूँ... *बाबा मुस्कुरा कर मुझ आत्मा को रिस्पोन्ड करते है...* कमरे में चारों ओर लाइट ही लाइट है... और रंग-बिरंगे लाइट के फूलों से पूरा कमरा सज गया है... *बाबा मुझ आत्मा को शक्तिशाली दृष्टि दे रहे है...* मीठे बाबा की आंखों से सफेद रंग की शक्तिशाली पवित्र किरणें निकल मुझ आत्मा पर पड़ रही है... जैसे-जैसे ये किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... मैं आत्मा देह भान से न्यारी होती जा रही हूँ... *मुझ आत्मा का स्वरूप परिवर्तित होकर चमकीला फरिश्ता स्वरूप बनता जा रहा है...* मैं नन्हा फरिश्ता बिना देरी किए, जल्दी से जाकर अपने लाडले बाबा के गले लग जाता हूँ...

 

 ➳ _ ➳  *बाबा भी मुझ नन्हे लाडले बच्चे को अपनी बाहों में समा लेते है... और अब मैं मीठा फरिश्ता मीठे बाबा को इस अलौकिक जन्म दिवस पर पदमापदम मुबारक देता हूँ...* और सामने टेबल पर रखे फूल बाबा को भेट करता हूँ... और अपने हाथों से बाबा के लिए बनाया कार्ड बाबा को भेट करता हूँ... *मीठे बाबा बड़े ही प्यार से इसे स्वीकार करते हुए बड़ी ही मीठी दृष्टि से मुझे देखते है... बाबा की इस मीठी दृष्टि से मुझ आत्मा के नयन सजल हो जाते है...* बाबा मुझ आत्मा को भी पदमापदम गुणा मुबारक दे रहे है... और रंग-बिरंगे फूलों की बारिश कर रहे है... इन फूलों की बारिश में, मैं फरिश्ता भीग रहा हूँ... *मैं फरिश्ता बाबा के हाथों में हाथ ले डांस कर रहा हूँ...* तभी बाबा सामने देखते है बाबा के देखते ही वहाँ एक बड़ा सा फूलों से सजा झूला आ जाता है...

 

 ➳ _ ➳  बाबा मुझ फरिश्ते का हाथ पकड़ झूले पर बैठ जाते है... *बाबा मुझ आत्मा को टोली खिला रहे है... मुझ आत्मा के नयन सजल हो रहे है...* मैं श्रेष्ठ भाग्य को देख-देख हर्षा रही हूँ, गीत गा रही हूँ... *वाह ऐसा वण्डरफुल जन्म मैं आत्मा अभी ही इस संगम पर मनाती हूँ... बाबा के साथ के अनुभवों से सजी ये जीवन कितना सुहाना है...* मैं फरिश्ता एकदम से बाबा से लिपट जाता हूँ... और मन ही मन बाबा से कहता हूं... *बाबा आप हमेशा मेरे साथ ऐसे ही रहना... बाबा बिन कहें मेरे दिल की आवाज सुन लेते है...* और मुझे बड़ी मीठी दृष्टि देते हुए मुझ फरिश्ते के दोनों हाथ अपने हाथ में ले लेते है... *मैं फरिश्ता बाबा की सागर जैसी आँखों में जब देखता हूँ...* तो अनुभव कर रहा हूँ... जैसे बाबा की बिन कहे भी बाबा इन सागर जैसी आँखों से ही कह रहे हो... *"आप बच्चों का और बाप का आपस में बहुत-बहुत-बहुत स्नेह है... इसलिए जन्म भी साथ-साथ है और रहते भी सारा जन्म कम्बाइंड अर्थात साथ है... स्वीट होम में भी साथ-साथ चलेंगे"...*

 

 _ ➳  उस नि:शब्द के ये शब्द सुन मैं फरिश्ता खुशी से भर गया हूँ... और *अब बाबा मुझ फरिश्तें के सिर पर अपना हाथ रख मुझे वरदान दे रहे है... "कम्बाइंड स्वरूप भव बच्चे", विजयी भव बच्चे...* मैं फरिश्ता अन्तर्मन से बाबा द्वारा दिए वरदानों को स्वीकार करता हूँ... बाबा सर्व शक्तियों से मेरा श्रृंगार कर रहे है... *मैं फरिश्ता बेहद शक्तिशाली स्थिति का अनुभव कर रहा हूँ... सर्व शक्तियों और वरदानों से भरपूर मैं फरिश्ता अब अपनी दिनचर्या की शुरुआत करता हूँ...* मैं फरिश्ता हर कर्म करते हुए बाबा के साथ का अनुभव कर रहा हूँ... बाबा की छत्रछाया को निरंतर अनुभव कर रहा हूँ...

 

 _ ➳  *मैं फरिश्ता चलते हुए महसूस कर रहा हूँ... जैसे बाबा मेरे हाथों में हाथ लिए मेरे साथ चल रहे है...* हर सेवा करते बाबा के साथ की अनुभूति मैं फरिश्ता कर रहा हूँ... मन खुशी में गा रहा है... *तुम तो यही कहीं बाबा मेरे आस-पास हो... आते नजर नहीं पर मेरे साथ-साथ हो... तुम तो यही-कही बाबा...* बाबा के हर पल के साथ से, मैं आत्मा उड़ती कला और निरंतर सहजयोगी अवस्था का अनुभव कर रही हूं... *उठते-बैठते, चलते-फिरते, खाते-पीते हर पल बाबा का हाथ और साथ का अनुभव मैं आत्मा निरंतर कर रही हूँ... और अपने भाग्य की स्मृति में झूम रही हूँ...* वाह मुझ आत्मा का भाग्य जो हर पल, स्वयं भगवान का हाथ और साथ मिला है...

 

 ➳ _ ➳  *कैसा अद्भुत और वण्डर मुझ आत्मा का यह नया जन्म हुआ है... कितना महान और श्रेष्ठ ये जीवन है... जिसका हर पल उसके साथ से सजा है... मैं आत्मा अपने इस कम्बाइंड स्वरूप के नशे में झूम रही हूँ... मैं आत्मा शिवशक्ति हूँ...* बाबा के द्वारा दिया वरदान प्रत्यक्ष हो रहा है... वाह मुझ ब्राह्मण आत्मा का भाग्य वाह... *मैं आत्मा बाबा के हर पल का साथ पाकर खुशी-खुशी से तीव्र गति से आगे बढ़ रही हूँ...* और अन्य आत्माओं को भी आगे बढ़ा रही हूँ... *अपने इस कम्बाइंड स्वरूप से हर कार्य में सहज सफलता प्राप्त कर रही हूँ...* इस प्रकार सर्व का कल्याण करते हुए हर पल मैं आत्मा खुशियों के गीत गाते आगे बढ़ रही हूँ... *मेरे संग-संग चलते है बाबा... मेरे संग-संग चलते है बाबा... जैसे गंगन मे चाँद, चलता है... चलता है उनकी किरणों की छाया मे दिल हर पल रहता है... शुक्रिया करनकरावनहार मीठे बाबा शुक्रिया...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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