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❍ 27 / 12 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *"सच्ची कमाई में माया किसी प्रकार से घाटा न डाले" - यह संभाल की ?*
➢➢ *कर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म तो नहीं किया ?*
➢➢ *योग की धुप में आंसूओं को सुखाकर रोना प्रूफ बनकर रहे ?*
➢➢ *साक्षी रहकर पार्ट बजाने का भ्यास कर टेंशन से परे अटेंशन की स्थिति का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *आत्मिक स्थिति में रहने से चेहरा कभी गम्भीर नहीं दिखाई देगा। गम्भीर बनना अच्छा है लेकिन टूमच गम्भीर नहीं। चेहरा सदा मुस्कराता रहे।* जैसे आपके जड़ चित्रों को अगर सीरियस दिखाते हैं तो कहते हो आर्टिस्ट ठीक नहीं है। *ऐसे आप अगर सीरियस रहते हो तो कहेंगे इसको जीने का आर्ट नहीं आता।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं कोटो में कोई आत्मा हूँ"*
〰✧ अपने को सदा विश्व के अन्दर कोटों में कोई, कोई में भी कोई, ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें समझते हो? ऐसे अनुभव होता है कि यह हमारा ही गायन है? एक होता है ज्ञान के आधार पर जानना, दूसरा होता है किसी का अनुभव सुनकर उस आधार पर मानना और तीसरा होता है स्वयं अनुभव करके महसूस करना।
〰✧ तो ऐसे महसूस होता है कि हम कल्प पहले वाली कोटों में से कोई, कोई में से कोई श्रेष्ठ आत्मायें हैं? ऐसी आत्माओंकी निशानी क्या होगी? ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें सदा बाप शमा के पीछे परवान बन फिदा होने वाली होंगी।
〰✧ चक्र लगाने वाली नहीं। आए चक्र लगाया, थोड़ी सी प्राप्ति की, ऐसे नहीं। लेकिन फिदा होना अर्थात् मर जाना-ऐसे जल मरने वाले परवाने हो ना? *जलना ही बाप का बनना है। जो जलता है वही बनता है। जलना अर्थात् परिवर्तन होना।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ विदेही माना देह से न्यारा हो गया तो देह के साथ ही स्वभाव, संस्कार, कमजोरियाँ सब देह के साथ हैं, और *देह से न्यारा हो गया, तो सबसे न्यारा हो गया।* इसलिए यह ड्रिल बहुत सहयोग देगी, इसमें कन्ट्रलिंग पॉवर चाहिए।
〰✧ मन को कन्ट्रोल कर सकें, बुद्धि को एकाग्र कर सकें। नहीं तो आदत होगी तो परेशान होते रहेंगे। *पहले एकाग्र करें, तब ही विदेही बने।* अच्छा। आप लोगों का तो 14 वर्ष किया हुआ है ना! (बाबा ने संस्कार डाल दिया है) फाउण्डेशन पक्का है। आप लोगों की तो 14 वर्ष में नेचर बन गई।
〰✧ *सेवा में कितने भी बिजी रही लेकिन कोई बहाना नहीं चलेगा कि हमको समय नहीं था।* क्योंकि बापदादा को अभी जल्दी-जल्दी 108 और 16,000 तो तैयार करने हैं। नहीं तो काम कैसे चलेगा। साथी तो चाहिए ना। तो 108 फिर 16,000, फिर 9 लाख।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *फ़रिश्ते अर्थात् साकार बाप को फ़ालो करने वाले।*जैसे भाग्य में आने को आगे करते हो, वैसे त्याग में ‘पहले मैं”। *जब त्याग में हरेक ब्राह्मण-आत्मा 'पहले मैं” कहेगा तो भाग्य की माला सबके गले में पड़ जायेगी।* आपके सम्पूर्ण स्वरूप सफलता की माला लेकर आप पुरुषार्थियों को गले में डालने के लिए नज़दीक आ रहे हैं। अन्तर को मिटा दो। *हम सो फ़रिश्ता का मन्त्र पक्का कर लो तो साइन्स का यन्त्र अपना काम शुरू करे और हम सो फ़रिश्ते से हम सो देवता बन नई दुनिया में अवतरित होंगे।* ऐसे साकार बाप को फ़ालो करो। साकार को फ़ालो करना तो सहज है ना? *तो सम्पूर्ण फ़रिश्ता अर्थात् साकार बाप को फालो करना।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाबा फिर से राजयोग सिखलाकर राजाओं का राजा बनाते हैं"*
➳ _ ➳ *गुलाबी ठण्ड से अठखेलियाँ करती इन्द्रधनुषी सूरज की किरणों से सजी सुहावनी सुबह में मैं आत्मा पार्क में बैठ योगा कर रही हूँ...* अनुलोम विलोम करती मैं आत्मा सांसो को अन्दर बाहर छोडते हुए एकाग्रता का अनुभव कर रही हूँ... एक एक श्वांस पर ध्यान देती मैं आत्मा धीरे-धीरे इस देह से अलग होती जा रही हूँ... *सांसों के तार तार में प्रभु प्यार को पिरोकर मैं आत्मा अपने प्यारे प्रभु के पास पहुँच जाती हूँ वतन में...*
❉ *दिल में फूलों सा सजाकर अपने दिल का राजा बनाकर प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने फूलो को यूँ कुम्हलाते देख बागबान बाबा को भला कैसे चैन आये... *अपने फूलो की चिंता में आसमानी बागबान धरा पर दौड़ा चला आये... बच्चों को गोद में ले ज्ञान योग से सींच फिर से राजाओ का महाराजा गुलाब सा महकाएँ...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा से राजयोग सीखकर नई दुनिया के लिए नई तकदीर बनाकर कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा संग यादो में रहकर खुशनुमा फूल बन विश्व धरा पर महक रही हूँ... *कभी निराश थकी और दुखी मै आत्मा आज ईश्वर पिता से राजयोग सीख़ कर अपना खोया स्वराज्य फिर से पाकर सदा की मुस्करा उठी हूँ...”*
❉ *ज्ञानयोग से श्रृंगार कर प्यार का सरगम छेड़कर मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता ज्ञानयोग की जादूगरी से अपने बच्चों को विश्व का मालिक सजाते है... यह अदभुत कार्य सिवाय विश्वपिता के कोई मनुष्यमात्र कर ही न सके... *महान पिता यह महान कार्य कर मनुष्य से देवताई रूप में ढाल स्वर्णिम युग में सजाते है...”*
➳ _ ➳ *युगों युगों की जो चाहत थी उस मंजर का दीदार पाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै भगवान को पाने वाली और उसके सानिध्य में बैठकर राजयोग सीखने वाली महान आत्मा हूँ... *मेरा बाबा अपना धाम छोड़ मेरे उज्ज्वल भविष्य को बना रहा... मुझे देह के मटमैले आवरण से निकाल सुंदर मणि सा फिर से दमका रहा है...”*
❉ *टूटे दिल के तार जोडकर हर घडी सांसो को यादों का उपहार बनाकर मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता की यादो में स्वराज्य अधिकारी बन विश्व महाराजन बन जाओ... *मीठे बाबा के साये में सारे गुण और शक्तियो को स्वयं में भरपूर कर मुस्कराओ... सारे खजाने अपने नाम कर मालामाल हो जाओ... खुबसूरत भाग्य को अपनी तकदीर में सजा दो...”*
➳ _ ➳ *काँटों के भंवर से निकल अपने साहिल को सामने पाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा किस कदर भाग्य की धनी हूँ... *भगवान बैठ राजयोग सिखा रहा... मेरे सुखो की चिंता में परमधाम छोड़ धरती पर आ गया है... अपने प्यार की छाँव देकर सारे विकारो की तपन से महफूज कर पूरे विश्व की राजाई का हुनर सिखा रहा है...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सच्ची कमाई में माया किसी प्रकार का घाटा ना डाले - यह सम्भाल करनी है*"
➳ _ ➳ "मैं महावीर आत्मा हूँ" इस श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर बैठ अपने शक्तिशाली स्वरूप में स्थित होकर, सर्वशक्तिवान अपने प्रभु राम की याद में बैठते ही *मैं अनुभव करती हूँ जैसे मेरे प्रभु राम, मेरे शिव पिता परमात्मा माया की बेहोशी से मुझे बचाने के लिए, ज्ञान योग की संजीवनी बूटी देने के लिए मुझे अपने पास बुला रहें हैं*। परमधाम से मेरे शिव पिता की सर्वशक्तियों की अनन्त किरणें मेरे ऊपर पड़ कर चुम्बक के समान मुझे अपनी और खींच रही हैं। देह का आकर्षण समाप्त हो रहा है और मैं स्वयं को इस देह से एकदम न्यारा अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे बाबा की सर्वशक्तियों की किरणों की चुम्बकीय शक्ति ने मुझे अपनी और खींच लिया है और मैं आत्मा उन किरणों के साथ चिपक कर देह से बाहर निकल आई हूँ। देह के बन्धन से मुक्त इस अवस्था में मैं स्वयं को बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूँ। हल्केपन का यह अहसास मुझे असीम आनन्द की अनुभूति करवा रहा है। *हर संकल्प, विकल्प से मुक्त स्वयं को मैं बिल्कुल शून्य अनुभव कर रही हूँ।अपनी इस न्यारी और प्यारी निर्बन्धन शून्य अवस्था का आनन्द लेते - लेते अब मैं अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों को थामे ऊपर आकाश की और जा रही हूँ*।
➳ _ ➳ अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की किरणों रूपी गोद मे मैं ऐसा अनुभव कर रही हूँ जैसे एक नवजात शिशु अपनी माँ की ममतामई गोद मे अपने आपको एक दम सुरक्षित अनुभव करता है। *इसी सुखद अनुभूति के साथ अपने शिव पिता के स्नेह की छत्रछाया को अपने ऊपर अनुभव करते अब मैं आकाश को पार कर जाती हूँ* और उससे ऊपर की रूहानी यात्रा पर निरन्तर आगे बढ़ते हुए सूक्ष्म वतन से होती हुई उस परलोक में पहुँच जाती हूँ जहाँ मेरे शिव पिता रहते हैं।
➳ _ ➳ निराकारी आत्माओ की इस दुनिया में प्रवेश करते ही *मैं देखती हूँ लाल प्रकाश की इस अदभुत दुनिया में अनन्त टिमटिमाते चैतन्य सितारे और उन सितारों के बीच विराजमान महाज्योति शिव पिता परमात्मा एक ज्योतिपुंज के रूप में अति शोभायेमान लग रहे हैं*। उनसे निकल रही सर्वशक्तियों की सहस्त्रो धारायें सभी टिमटिमाते चैतन्य सितारों के ऊपर पड़ कर उनकी चमक को करोड़ो गुणा बढ़ा रही हैं।
➳ _ ➳ इस अति सुन्दर नज़ारे को देखते हुए अब मैं चमकता सितारा, मैं जगमग करती ज्योति धीरे - धीरे अपने शिव पिता के पास जा कर उनके साथ अटैच हो कर उनकी सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर कर रही हूँ और योग की अग्नि में अपने ऊपर चढ़ी विकारों की कट को जला कर भस्म कर रही हूँ। *विकर्मों को भस्म कर, शक्तिशाली बन कर अब मैं आत्मा परमधाम से नीचे आ जाती हूँ और फरिश्तो की आकारी दुनिया में प्रवेश कर जाती हूँ*। अपनी चमकीली फ़रिश्ता ड्रेस को धारण कर मैं बापदादा के पास पहुंचती हूँ। अपनी बाहों में समाकर अपना असीम स्नेह मुझ पर लुटाते हुए बापदादा मुझे अपने पास बिठा लेते हैं।
➳ _ ➳ अब बाबा मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर, अपनी सर्वशक्तियों के रूप में, माया की बेहोशी से स्वयं को बचाने के लिए ज्ञान और योग की संजीवनी बूटी मुझे देते हैं। *इस संजीवनी बूटी को लेकर, फिर से अपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में स्थित हो कर मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे लौटती हूँ और अपने संगमयुगी ब्राह्मण चोले को धारण कर, माया के साथ युद्ध करने के लिए कर्मभूमि रूपी युद्ध स्थल पर पहुंच जाती हूँ*।
➳ _ ➳ कुरुक्षेत्र के इस मैदान अर्थात इस कर्मभूमि में आकर हर कर्म करते, *कदम - कदम पर माया के साथ युद्ध करते अब मैं हर समय अपने सर्वशक्तिवान शिव पिता से मिली ज्ञान योग की संजीवनी बूटी से स्वयं को माया की बेहोशी से बचाते हुए महावीर बन माया के हर वार का सामना कर, माया जीत बन रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं योग की धूप में आंसुओ की टंकी को सुखाकर रोना प्रूफ बनने वाली सुख स्वरूप आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं साक्षी रहकर पार्ट बजाने का अभ्यास करके टेंशन से परे स्वतः अटेंशन में रहने वाली अशरीरी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *मालिक हो ना, राजा हो ना! स्वराज्य अधिकारी हो? तो आर्डर करो।* राजा तो आर्डर करता है ना! यह नही करना है, यह करना है। बस आर्डर करो। अभी-अभी देखो मन को, क्योंकि मन है मुख्य मन्त्री। तो *हे राजा, अपने मन मन्त्री को सेकण्ड में आर्डर कर अशरीरी, विदेही स्थिति में स्थित कर सकते हो? करो आर्डर एक सेकण्ड में। (बापदादा ने 5 मिनट ड्रिल कराई)* अच्छा।
✺ *ड्रिल :- "अशरीरी, विदेही स्थिति में स्थित होने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा शांति स्तंभ के सामने बैठ योग तपस्या कर रही हूँ... यहां बैठते ही दिव्य शांति और रूहानियत का अनुभव हो रहा है... यहां के शक्तिशाली प्रकम्पन सहज ही देह से न्यारा, अव्यक्त स्थिति में स्थित कर रहे हैं... *मैं आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप में स्थित हूँ... इस दिव्य भूमि पर बैठते ही ब्रह्मा बाबा के चरित्र... एक-एक करके कैमरे के चित्रों की भांति... मेरे मानस पटल पर उभरने लगे हैं*...
➳ _ ➳ शांति स्तंभ की पावन धरनी पर बैठ... मैं आत्मा स्वयं को बहुत शक्तिशाली, रूहानियत से भरपूर देख रही हूँ... *अब मुझ आत्मा का हर कदम ब्रह्मा बाप के समान हो रहा है... मैं हर संकल्प, बोल और कर्म में ब्रह्मा बाबा को फॉलो कर रही हूँ*... ब्रह्मा बाबा ने किस तरह से... आत्मिक स्थिति का अभ्यास किया... 'मैं आत्मा हूँ...', 'मैं आत्मा हूँ...' की धुन लगा दी थी... इसी प्रकार मैं आत्मा भी आत्मा का पाठ स्वयं को पक्का करा रही हूँ...
➳ _ ➳ ब्रह्मा बाबा डायरी में लिख-लिख कर अभ्यास करते थे... 'यशोदा आत्मा है...' 'यशोदा आत्मा है...' इसी प्रकार मैं आत्मा भी आत्मिक दृष्टि का अभ्यास कर रही हूँ... मेरे नैनों में, मेरे हर संकल्प में... सर्व के प्रति प्रेम, रूहानियत समाई हुई है... *मैं आत्मा देह, देह के सम्बन्धों से न्यारी होती जा रही हूँ... हर प्रकार के लगाव और आसक्तियों से परे... अपने आत्मिक स्वरुप में असीम सुख का रस पान कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ ब्रह्मा बाबा रोज रात को कर्मेंद्रियों का दरबार लगाते थे... आत्मा राजा बन मन मंत्री को आर्डर देते थे... ऐसे ही मैं आत्मा अपनी शक्तिशाली मालिकपन की स्थिति में स्थित हूँ... *मैं आत्मा इस देह की, कर्मेंद्रियों की, मन-बुद्धि-संस्कारों की राजा हूँ... मालिक हूँ... मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ... राजा बन सभी कर्मेंद्रियों को श्रीमत के आर्डर प्रमाण चला रही हूँ...*
➳ _ ➳ मन मेरा सबसे अच्छा मित्र है... मैं आत्मा राजा बन मन मंत्री को... आर्डर कर रही हूँ... मन तथा सभी कर्मेन्द्रियाँ मुझ स्वराज्य अधिकारी आत्मा के... डायरेक्शन को फॉलो कर रही हैं... *मैं आत्मा अपनी शक्तिशाली स्थिति में स्थित हूँ... जब चाहूँ, जैसे चाहूँ, जितना समय चाहूँ... उसी स्थिति में स्वयं को स्थित कर सकती हूँ... मेरा मन सुमन बन गया है... मैं अशरीरी, विदेही आत्मा हूँ... अपनी इस निराकार स्थिति के... सुंदर, दिव्य अनुभवों में समाई हुई हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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