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❍ 26 / 10 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *जीते जी बाप पर बलि चढ़ कर रहे ?*
➢➢ *जगदम्बा समान सर्व की मनोकामनाएं पूरण करने वाले बनकर रहे ?*
➢➢ *हर बात में कल्याण समझकर अचल, अडोल, महावीर बनकर रहे ?*
➢➢ *श्रीमत के इशारे प्रमाण सेकंड में न्यारे और प्यारे होने का अभ्यास किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *अन्त:वाहक स्थिति अर्थात् कर्मबन्धन मुक्त कर्मातीत स्थिति का वाहन अर्थात् अन्तिम वाहन, जिस द्वारा ही सेकण्ड में साथ में उड़ेंगे।* इसके लिए सर्व हदों से पार बेहद स्वरूप में, बेहद के सेवाधारी, सर्व हदों के ऊपर विजय प्राप्त करने वाले विजयी रत्न बनो तब ही अन्तिम कर्मातीत स्वरूप के अनुभवी स्वरूप बनेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ"*
〰✧ स्वयं को स्वराज्य अधिकारी, राजयोगी श्रेष्ठ आत्मायें अनुभव करते हो? स्वराज्य मिला है वा मिलना है? स्वराज्य अधिकारी अर्थात् राजयोगी आत्मा सदा ही स्वराज्य की अधिकारी होने के कारण शक्तिशाली है। राजा अर्थात् शक्तिशाली। अगर राजा हो और निर्बल हो, तो शक्तिहीन को राजा कौन मानेगा? प्रजा उनके ऊपर और ही राज्य करेगी। *तो स्वराज्य अधिकारी अर्थात् सदा शक्तिशाली आत्मा ही कर्मेन्द्रियों पर अर्थात् अपने कर्मचारियों के ऊपर राज्य कर सकती है, जैसे चाहे चला सकती है। नहीं तो प्रजा, राजा को चलायेगी। प्रजा, राजा को चलाये तो प्रजा ही राजा हो गई ना।*
〰✧ नियम प्रमाण राजा, प्रजा को चलाता है। अगर प्रजा का राज्य है तो राजा नहीं कहेंगे, प्रजा का प्रजा पर राज्य कहेंगे। किन्तु बाप आकर राजयोगी बनाता है, प्रजा का प्रजा पर राज्य नहीं सिखाता है। तो सभी राज्य अधिकारी हो ना? कभी अधीन, कभी अधिकारी - ऐसे तो नहीं? *सदा अधिकारी, एक भी कर्मेन्द्रिय धोखा न दे। इसको कहते हैं - 'राजयोगी वा राज्य अधिकारी'। तो सदा इस स्वमान में स्थित रहो कि हम अधिकारी हैं, अधीन होने वाले नहीं! यह है ईश्वरीय नशा।* यह नशा सदा रहता है या कभी-कभी? कभी है, कभी नहीं - ऐसा न हो।
〰✧ क्योंकि अभी के संस्कार अनेक जन्म चलेंगे। अगर अभी के संस्कार सदा के नहीं हैं, कभी-कभी के हैं, तो अनेक जन्म में भी कभी-कभी राज्य अधिकारी बनेंगे। सदा राज्य अधिकारी अर्थात् रॉयल फैमिली के नजदीक रहने वाले। तो संस्कार भरने का समय अभी है, जैसा भरेंगे वैसा चलता रहेगा। तो अटेन्शन किस समय देना होता? जब रिकार्ड भरते वा टेप भरते हैं। तो अटेन्शन भरने के समय देते हैं। *चलने के समय तो चलता ही रहेगा लेकिन भरने के समय जैसा भरेंगे वैसे चलता रहेगा। तो भरने का समय अभी है। अभी नहीं तो कभी नहीं। फिर अटेन्शन देना चाहो तो भी नहीं दे सकेगे क्योंकि भरने का समय समाप्त हो जायेगा। फिर जो भरा वह चलता रहेगा।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि कई बच्चे परखने में बहुत होशियार होते हैं। कोई भी गलती होती है, जो नीति प्रमाण नहीं है, तो समझते हैं कि यह नहीं करना चाहिए, यह सत्य नहीं है, यथार्थ नहीं है, अयथार्थ है, व्यर्थ है। *लेकिन समझते हुए फिर भी करते रहते या कर लेते।*
〰✧ तो इसको क्या कहेंगे? कौन-सी पॉवर की कमी है? *कन्ट्रोलिंग पॉवर नहीं।* जैसे आजकल कार चलाते हैं, देख भी रहे हैं कि एक्सीडेन्ट होने की सम्भावना है, ब्रेक लगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन ब्रेक लगे ही नहीं तो जरूर एक्सीडेन्ट होगा ना।
〰✧ ब्रेक है लेकिन पॉवरफुल नहीं है और यहाँ के बजाए वहाँ लग गई, तो भी क्या होगा? इतना समय तो परवश होगा ना चाहते हुए भी कर नहीं पाते। *ब्रेक लगा नहीं सकते या ब्रेक पॉवरफुल न होने के कारण ठीक लग नहीं सकती। तो यह चेक करो।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ आप ग्रेट-ग्रेट-ग्रैण्ड फादर के बच्चे हैं, आपके ही सभी बिरादरी हैं, शाखायें हैं, परिवार है, आप ही भक्तों के इष्टदेव हो, यह नशा है कि हम ही इष्टदेव हैं? तो भक्त चिल्ला रहे हैं, आप सुन रहे हो! *वह पुकार रहे हैं- हे इष्ट देव, आप सिर्फ सुन रहे हो, रेसपाण्ड नहीं करते हो उन्हों को? तो बापदादा कहते हैं हे भक्तों के इष्ट देव अभी पुकार सुनो, रेसपाण्ड दो, सिर्फ सुनो नहीं। तो क्या रेसपाण्ड देगे? परिवर्तन का वायुमण्डल बनाओ।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- श्रीमत पर चल तकदीर ऊँची बनाना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मधुबन की पहाड़ी पर बैठ प्रकृति के नजारों को देखती हूँ... पहाड़ों के बीच से उगते हुए सूरज की लालिमा ने अपना सुनहरा आँचल फैलाकर पहाड़ों को और ही खूबसूरत बना दिया है...* ठंडी-ठंडी हवाओं के झोंकें मधुर संगीत सुना रही हैं... इस मधुर पावन धरती की गाथा गा रही है... मैं आत्मा हद की दुनिया से दूर बेहद के इस घर में बेहद बाबा को याद करती हूँ... तुरंत ही मीठे प्यारे बाबा मेरे सम्मुख हाजिर होकर अपने प्यार की खुशबू मुझ पर बरसाते हैं...
❉ *ऊँगली पकडकर श्रीमत की राह पर चलाकर श्रेष्ठ बनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे बच्चे... अब यह विकारो से भरी दुनिया खत्म होने वाली है और दिव्य गुणो के महक वाली सतयुगी दुनिया आने वाली है... तो ईश्वर पिता की श्रीमत को जीवन का आधार बना लो... *यही श्रीमत और पवित्रता देवी देवता के रूप में श्रृंगारित कर सुखो के संसार में ले चलेगी...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने जीवन रूपी गाड़ी को श्रीमत रूपी पटरी पर चलाते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा इस पुरानी विकारी दुनिया से मन बुद्धि को निकाल श्रीमत का हाथ पकड़ सतयुगी दुनिया की और बढ़ती चली जा रही हूँ...* दिव्य गुणो से सजती जा रही हूँ... प्यारे बाबा संग निखरती जा रही हूँ...”
❉ *मीठा बाबा स्वर्ग सुखों से जीवन को आबाद कर खुशियों की शहजादी बनाते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे... इस दुःख भरी दुनिया से उपराम होकर मेरी महकती यादो में खो जाओ... *श्रीमत का हाथ सदा पकड़े रहो... तो काँटों से महकते फूल बन खिल उठेंगे... ईश्वर पिता का साथ सुखो के जन्नत में ले चलेगा...* जहाँ देवता बन मुस्करायेंगे...”
➳ _ ➳ *रावण की दुनिया से निकल एक राम की यादों में महकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे बाबा से सारे गुण और शक्तियो से भरकर भरपूर हो गई हूँ... *इस मिटटी के नातो से निकल कर अपने सत्य स्वरूप के नशे में खो गई हूँ... और श्रेष्ठ कर्म से खिलती जा रही हूँ...”*
❉ *श्रीमत के झूले में झुलाकर दिव्यता से महकाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... जिस दुनिया सा इतना दिल लगाकर दुखी हुए... खाली हो गए... अब उसका अंत आया की आया... *अब समय साँस संकल्पों को मीठे बाबा की यादो और श्रीमत के पालन में लगाओ... तो यह पवित्र जीवन सुख और शांति से खिल उठेगा... घर आँगन सुखो से लहलहायेगा...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सुन्दर परी बनकर पवित्रता की खुशबू चारों ओर फैलाते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी श्रीमत से खूबसूरत होती जा रही हूँ... मन बुद्धि को इस संसार से उपराम बनाती जा रही हूँ... *मीठे बाबा आपने जो सुंदर कर्म सिखाये है... पवित्रता का दामन थाम सुन्दरतम होती जा रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- आप समान बनाने की सेवा करनी है*"
➳ _ ➳ लाइट की सूक्ष्म आकारी देह को धारण कर मैं फ़रिशता अपनी साकारी देह से बाहर निकलता हूँ और दुनिया के नज़ारो को देखने चल पड़ता हूँ। सड़क पर लोगों की भीड़ के बीच मैं चल रहा हूँ। कोई मुझे नही देख पा रहा लेकिन मैं सबको देख रहा हूँ। *हर व्यक्ति का चेहरा मैं देख भी रहा हूँ और उनके चेहरे के हाव - भाव भी पड़ रहा हूँ। हर व्यक्ति एक अजीब सी कशमकश में उलझा हुआ दिखाई दे रहा है*। दुनिया की अन्धी दौड़ में सब भाग रहें है लेकिन जाना कहाँ है, मंजिल कहाँ हैं, किसी को नही पता। चेहरे पर उदासी और दुख की रेखाये लिए सब अपना जीवन जी रहें हैं।
➳ _ ➳ किसी के चेहरे पर खुशी की कोई झलक दिखाई नही दे रही। कोई हंसता हुआ अगर दिखाई भी दे रहा है तो ऐसा लग रहा है जैसे झूठी हंसी हंस रहा है। *लोगों के ऐसे उदास चेहरे देख मन मे विचार आता है कि ये सब मेरे आत्मा भाई ही तो है*। जैसे मेरे मीठे बाबा ने आ कर मेरे जीवन को खुशियों से भरपूर कर दिया है ऐसे ही मेरा भी ये फर्ज बनता है कि अपने इन आत्मा भाईयों को आप समान बना कर मैं इन्हें भी सच्ची खुशी पाने का सहज मार्ग दिखा कर इनके जीवन मे भी खुशियां ले आऊँ। *इसी दृढ़ संकल्प के साथ अब मैं तीव्र उड़ान भरते हुए आकाश को पार कर पहुँच जाता हूँ अपने अति परम प्रिय, खुशियों के वरदाता बापदादा के पास उनके अव्यक्त वतन में*।
➳ _ ➳ बापदादा मेरे आने का आश्रय समझ प्रसन्नचित मुद्रा में, अपनी बाहें फैला कर मेरा स्वागत करते हुए मुझे अपनी बाहों में भर लेते हैं। *अपना असीम स्नेह और प्यार मुझ पर लुटा कर, बाबा खुशी के अथाह खजाने से मेरी झोली भरते हुए मुझे "सदा खुशी में रह, सबको आप समान बनाने" का वरदान देते हुए, अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख देते हैं*। खुशी के खजाने और वरदान ले कर अब मैं फ़रिशता वापिस साकारी दुनिया मे लौट आता हूँ। बापदादा का आह्वान कर, कम्बाइन्ड स्वरूप में अब मैं फ़रिशता सारे विश्व का चक्कर लगा रहा हूँ। *बाबा की सर्वशक्तियाँ मुझ फ़रिश्ते में समा रही हैं और श्वेत रश्मियो के रूप में मुझ फ़रिश्ते से निकल कर सारे विश्व में चारों और फैल रही हैं*।
➳ _ ➳ मेरे चारों ओर प्रकाश का एक शक्तिशाली औरा बनता जा रहा है। इस औरे से निकल रहे शक्तिशाली वायब्रेशन सबको सुख, शांति की अनुभूति करवा रहें हैं। *डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप धारण किये, परमपिता परमात्मा का संदेशवाहक बन, सूक्ष्म रीति मैं सारे विश्व की आत्माओं को परमात्मा के इस धरा पर अवतरित होने का संदेश दे रहा हूँ*। परमात्म सन्देश पा कर सभी आत्माओं के चेहरे एक दिव्य अलौकिक मुस्कान से खिल उठे हैं। सबके चेहरे पर खुशी की झलक मैं स्पष्ट देख रहा हूँ। विश्व की सर्व आत्माओं को सच्ची खुशी की अनुभूति करवा कर अब मैं फ़रिशता अपने साकारी तन में प्रवेश करता हूँ।
➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को आप समान बना कर, असीम खुशी का अनुभव करते हुए, उन्हें भी सच्ची खुशी का अनुभव करवा रही हूँ। मेरे मुख से निकले वरदानी बोल उनके दुखी जीवन को सुखमय बना रहे हैं। *खुशी के खजाने से मुझे सम्पन्न करके, खुशियों के सागर मेरे शिव पिता परमात्मा ने सबकी झोली खुशियों से भरने के मुझे निमित बना कर मुझे सर्व की दुआयों की पात्र आत्मा बना दिया है*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं हर बात में कल्याण समझ कर अचल, अडोल, महावीर बनने वाली त्रिकालदर्शी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं श्रीमत के इशारे प्रमाण सेकंड में न्यारा और प्यारा बन जाने वाली तपस्वी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ ब्राह्मणों का काम क्या है? योग लगाना भी क्या है? मेहनत है क्या? योग का अर्थ ही है आत्मा और परमात्मा का मिलन। तो *मिलन में क्या होता है? खुशी में नाचते हैं। बाप की महिमा के मीठे-मीठे गीत दिल आटोमेटिक गाती है। ब्राह्मणों का काम ही यह है, गाते रहो और नाचते रहो।* यह मुश्किल है? नाचना गाना मुश्किल है? नहीं है ना। जिसको मुश्किल लगता है वह हाथ उठाओ। आजकल तो नाचने गाने की सीजन है, तो आपको भी क्या करना है? नाचो, गाओ। सहज है ना? सहज है तो काँध तो हिलाओ। मुश्किल तो नहीं है ना?
➳ _ ➳ जान-बूझ कर सहज से हटकर मुश्किल में चले जाते हो। मुश्किल है नहीं, बहुत सहज है क्योंकि बाप जानते हैं कि आधाकल्प मुश्किल की जीवन व्यतीत की है इसलिए इस समय सहज है। मुश्किल वाला कोई है? कभी-कभी मुश्किल लगता है? जैसे कोई चलते- चलते रास्ता भूलकर और रास्ते में चला जाए तो मुश्किल लगेगा ना। ज्ञान का मार्ग मुश्किल नहीं है। ब्राह्मण जीवन मुश्किल नहीं है! *ब्राह्मण के बजाए क्षत्रिय बन जाते हो तो क्षत्रिय का काम ही होता है लड़ना, झगड़ना... वह तो मुश्किल ही होगा ना! युद्ध करना तो मुश्किल होता है, मौज मनाना सहज होता है।*
✺ *ड्रिल :- "ब्राह्मण जीवन में नाचते, गाते रह सहज मौज मनाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा *झील के किनारे बैठ सूर्योदय के सुंदर नजारे का आनंद ले रही हूँ*... पानी की कल-कल ध्वनि... समूचे वातावरण में गुंजायमान हो रही है... पक्षियों का कलरव सर्वत्र मधुर संगीत घोल रहा है... मैं आत्मा उगते हुए सूर्य को देख रही हूँ... उगते हुए सूर्य की अरुणिमा से जैसे प्रकृति भी सुनहरी लाल चादर ओढ़ी हुई प्रतीत हो रही है... *प्रकृति की इस सुंदर छवि को देख मेरा मन आनंद विभोर हो रहा है*...
➳ _ ➳ सहसा वह गीत याद आ जाता है- 'जिसकी रचना इतनी सुंदर वह कितना सुंदर होगा...' इस स्मृति मात्र से ही *मन दर्पण में प्यारे शिवबाबा का सुंदर सलोना रूप छा जाता है... अपने प्रियतम की इस मोहिनी मूरत को निहारते-निहारते... मैं अपने बाबा को अपने बिल्कुल समीप ही देख रही हूँ*... मीठे बाबा अपनी स्नेह भरी दृष्टि से मुझे भरपूर कर रहे हैं... मेरा मन ईश्वरीय प्यार के झरने में भीगता जा रहा है... मेरे रोम-रोम से 'मेरा मीठा बाबा, मेरा प्यारा बाबा' का अनहद नाद सा गूँज रहा है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा मीठे बाबा से मिलन मना कर अति आनंदित हो रही हूँ... *मुख से वाह वाह के ही बोल निकल रहे हैं... कितना सुंदर है मेरा यह ब्राह्मण जीवन... मैं आत्मा बाबा के स्नेह में, अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूल रही हूँ*... परमात्मा की मोहब्बत में लीन होकर मैं हर प्रकार की मेहनत से मुक्त हो रही हूँ... योग लगाना नहीं पड़ता, मेहनत करनी नहीं पड़ती मेरा मन, मिलन के असीम सुख का अनुभव करने के लिए... स्वत: ही बाबा की मधुर स्मृतियों में समाया रहता है...
➳ _ ➳ परमात्मा से मिलन मनाते हुए मन मयूर खुशी में नाच रहा है... इस स्नेह में डूबकर आत्मा बाबा की महिमा के मीठे-मीठे गीत गुनगुना रही है... मेरे मीठे बाबा ने मुझे हर मेहनत से छुड़ा दिया है... अब मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य के और प्यारे बाबा की महिमा के गीत गुनगुनाती रहती हूँ... और हर पल खुशी की रास मना रही हूँ... *मुझ अति भाग्यवान श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा का काम ही है सदा ख़ुशी में नाचना और गाते रहना... बाबा ने मेरा यह ब्राह्मण जीवन कैसे मौजों से, आनंद से, खुशियों से भर दिया है*...
➳ _ ➳ आधाकल्प मैं आत्मा भक्ति के विविध प्रपंचों में पड़ कर अनेक कष्ट भोगती रही... जैसे कोई पथिक रास्ता भटक जाता है तो उसे कितनी परेशानी होती है... बाबा ने मुझ ब्राह्मण आत्मा के सहज कर्तव्य, सहज धर्म की स्मृति दिलाई है... *अब मैं आत्मा इस सुंदर ब्राह्मण जीवन में क्षत्रिय समान युद्ध नहीं करती हूँ... मैं आत्मा बाबा के बताए सहज मार्ग पर चलते हुए स्वयं को एक के लव में लवलीन कर रही हूँ... सदा ख़ुशी में नाचते, गाते सहज मौज का अनुभव कर रही हूँ*... 'पाना था सो पा लिया' के सुंदर अनुभवों में मगन हो रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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