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 19 / 09 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *बुधी बल से मन रुपी तूफानी घोड़े को वश में किया ?*

 

➢➢ *शिव को बालक बनाकर उनकी पालना की ?*

 

➢➢ *"छोडो तो छूटो" - इस पाठ द्वारा नंबर वन लेने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *संकल्पों में एक बाबा को रख मनसा को सदा शक्तिशाली बनाया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *अन्त समय में प्रकृति के पांचों ही तत्व अच्छी तरह से हिलाने की कोशिश करेंगे, परन्तु विदेही अवस्था की अभ्यासी आत्मा बिल्कुल ऐसा अचल-अडोल पास विद आनर होगी जो सब बातें पास हो जायेंगी* लेकिन वह ब्रह्मा बाप के समान पास विद आनर का सबूत देगी।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं प्यूरिटी की रोयल्टी में रहने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ"*

 

✧  सभी ब्राह्मण जीवन की विशेषता वा फाउन्डेशन को जानते हो? क्या है? (प्यूरिटी) यह पक्का है कि प्यूरिटी ही फाउन्डेशन है? तो सभी पक्के ब्राह्मण हैं ना! प्यूरिटी की रोयल्टी ब्राह्मण जीवन की विशेषता है। जैसे कोई रोंयल फैमिली का बच्चा होगा तो उसके चेहरे से चलन से मालूम पड़ता है कि यह कोई रॉयल कुल का है। *ऐसे ब्राह्मण जीवन की परख प्यूरिटी की झलक से ही होती है। और चेहरे वा चलन से प्यूरिटी की झलक तब दिखाई देगी जब सदा संकल्प में भी प्यूरिटी हो। संकल्प में भी अपवित्रता का नाम निशान न हो।* तो ऐसे है या कभी संकल्प में थोड़ा सा प्रभाव पड़ता है?

 

  *क्योंकि पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य व्रत नहीं। लेकिन प्यूरिटी अर्थात् किसी भी विकार अर्थात् अशुद्धि का प्रभाव न हो। तो फाउन्डेशन पक्का है या कभी कभी क्रोध को छुट्टी दे देते हो? बाल बच्चा आ जाता या अंश और वंश सब खत्म।* क्या समझते हो? माताओं में मोह आता है? बॉडी कान्सेसनेस की अटैचमेंट है? कोई विकार का अंश मात्र भी नहीं। क्योंकि बड़ों से तो मोह वा लगाव जल्दी निकल जाता है, लेकिन छोटों-छोटों से थोड़ा ज्यादा होता है।

 

  जैसे लौकिक संबंध में भी बच्चों से इतना प्यार नहीं होगा जितना पोत्रों और धोत्रों से होता है। ऐसे विकारों के भी ग्रेट चिल्ड्रेन से प्यार तो नहीं है? फाउन्डेशन प्यूरिटी है इसलिए इस फाडन्डेशन के ऊपर सदा ही अटेन्शन रहे। सबका लक्ष्य बहुत अच्छा है। तो जैसे लक्ष्य है वैसे ही लक्षण स्वयं को भी अनुभव हों और दूसरों को भी अनुभव हो। क्योंकि अनेक अपवित्र आत्माओंके बीच में आप पवित्र आत्मायें बहुत थोड़े हो। तो थोड़ी सी पवित्र आत्माओंको अपवित्रता को खत्म करना है। तो कितनी पावर चाहिए! तो सदा चेक करो कि अपवित्रता का अंश मात्र भी न हो। क्योंकि पके जड़ चित्रों का भी सदा ही निर्विकारी कहकर गायन करते हैं। यह किसकी महिमा करते हैं? आपकी है या भारतवासियों की है? तो प्रैक्टिकल चेतन में बने हैं तब तो महिमा हो रही है। यह पक्का निश्चय है ना कि यह हम ही हैं! *तो ब्राह्मण अर्थात् प्यूरिटी की रोयल्टी में रहने वाले। प्यूरिटी ब्राह्मण जीवन की विशेषता है। हिम्मत रखकर आगे बढ़ रहे हो और और भी आगे से आगे बढ़ना ही है।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *समाने की शक्ति है ना या विस्तार करने की शक्ति ज्यादा है?* कई ऐसे कहते हैं ना - कि जब याद में बैठते हैं तो और-और संकल्प बहुत चलते हैं, इसको क्या कहेंगे? समाने की शक्ति कम और विस्तार करने की शक्ति ज्यादा। लेकिन *दोनों शक्ति चाहिए।*

 

✧  *जब चाहे, जैसे चाहे,* विस्तार में आने चाहे विस्तार में आयें और समेटना चाहे तो समाने की शक्ति *सेकण्ड में यूज कर सकें, इसको कहते हैं - 'मास्टर सर्वशक्तिवान'।* तो इतनी शक्ति है या ऑर्डर करो समेटने की शक्ति को और काम करे विस्तार करने की शक्ति! स्टॉप कहा और स्टॉप हो जाए।

 

✧  फुल ब्रेक लगे, ढीली ब्रेक नहीं। अगर ब्रेक ढीली होती है तो लगाते हैं यहाँ और लगेगी कहाँ? तो ब्रेक पॉवरफुल हो। कन्ट्रोलिंग पॉवर हो। चेक करो - कितने समय के बाद ब्रेक लगता है? 5 मिनट के बाद या 10 मिनट के बाद। फल *स्टॉप तो सेकण्ड में लगना चाहिए* ना! अगर सेकण्ड के सिवाए *ज्यादा समय लग जाता है तो समाने की शक्ति कमजोर है।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧ औरों को ज्ञान देते हो ना - 'मैं' शब्द ही उड़ाने वाला है, मै शब्द ही नीचे लाने वाला। *'मैं' कहने से ओरीजिनल निराकार स्वरूप याद आ जाये। ये नैचुरल हो जाये तो यह पहला पाठ सहज है ना। तो इसी को चेक करो, आदत डालो - मैं सोचा और निराकारी स्वरूप स्मृति में आ जाये।* कितनी बार मैं शब्द कहते हो। मैंने यह कहा, मैं यह करूंगी, मैं यह सोचती हूँ. .। *अनेक बार 'मैं' शब्द यूज़ करते हो। तो सहज विधि यह है निराकारी व आकारी बनने की। जब भी मैं शब्द यूज़ करो फौरन अपना निराकारी ओरीजिनल स्वरूप सामने आये।* यह मुश्किल है व सहज है। *फिर तो लक्ष्य और लक्षण समान हुआ ही पड़ा है।* क्योंकि मैं शब्द ही देह-अहंकार मे लाता है और अगर मैं निराकारी आत्मा हूँ ये स्मृति में लायेंगे तो यह मैं शब्द ही देह-भान से परे ले जायेगा।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- ज्ञान धन का दान देना"*

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा डायमण्ड हॉल में बैठी हूँ... मेरे सामने दादी के तन में अव्यक्त बापदादा विराजमान हैं... *पूरे हॉल में बस मैं और मेरा बाबा... बाबा की लगन में मैं फरिश्ता बड़े स्नेह से बापदादा को निहार रहा हूँ...*  उनसे दृष्टि ले रहा हूँ...  बापदादा की ने अपना प्यार भरा हाथ मेरे सिर पर फिरा रहे हैं... बापदादा की दृष्टि और हाथ रखने से मेरे जन्म जन्म के विकर्म दग्ध हो गए हैं... मैं फरिश्ता बिल्कुल हल्का... डबल लाइट हो गया हूँ... *मेरे कान अव्यक्त बापदादा की मीठी आवाज... उनकी प्यार भरी शिक्षाएं सुनने को लालायित हो रहे हैं...*

 

❉  *ज्ञान की शीतल तरंगों में मुझ आत्मा को डुबोते हुए ज्ञान सागर बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे प्यारे बच्चे... कलयुगी दु:ख तपन, कष्टों की दलदल से बाबा निकालने के लिए आये हैं और नवीन सतयुगी संपूर्ण सुखों की दुनिया की रचना करते हैं... जहां तुम अपार सुख पाते हो... *बाबा तुम्हें नॉलेज देकर नयी दुनिया के लायक बना रहे हैं... ज्ञान की इन पॉइंट्स का मन ही मन मनन चिंतन करते रहो... व दूसरों को भी यह ज्ञान सुनाते रहो..."*

 

➳ _ ➳  *बाबा के मीठे बोल सुनकर गदगद होती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणेश्वर मीठे बाबा... आप का हम बच्चों से कितना प्यार है जो आप हमें हमारे कष्टों से छुड़ाने के लिए कितनी मेहनत करते हैं... *आप हमें रूहानी ज्ञान रत्न देते हैं... बाबा मैं आपकी शिक्षाओं का स्वरुप बनती जा रही हूँ...  ज्ञान की हर पॉइंट पर मनन कर रही हूँ... तथा यह ज्ञान सभी तक पहुंचा रही हूँ..."*

 

❉  *ज्ञान रुपी स्वाति नक्षत्र की बूंदें बरसाकर मुझे बहुमूल्य मोती बनाने वाले बाबा कहते हैं:-* "मीठे मीठे फूल बच्चे... बाबा जो तुम्हें ज्ञान देते हैं... जो तुम्हे समझानी देते हैं... उसे तुम औरो को समझाने की सर्विस करते रहो... *ज्ञान धन का दान करते रहो... इससे तुम्हे अपार खुशी रहेगी... सर्व की आशीर्वाद मिलेगी और बाबा की याद भी भूलेगी नहीं... निरंतर एक की लगन में मगन रहेंगे..."*

 

➳ _ ➳  *ज्ञान सागर के ज्ञान को सर्वत्र फैलाती हुई ज्ञान गंगा रूपी मैं आत्मा कहती हूँ:-* "नयनों के नूर मीठे बाबा... आपके स्नेह और उपकारों को याद करते-करते मेरी आंखें नम हो जाती है... बाबा आपके इन ज्ञान रत्नों का मैं सभी आत्मा सभी को दान कर रही हूँ... अपार खुशी का अनुभव कर रही हूँ... इस *सर्विस में बिजी रहने से व्यर्थ से किनारा हो गया है... और मैं आत्मा निरंतर एक की ही याद में मगन होकर झूम रही हूँ..."*

 

❉  *ज्ञान रत्नों से मुझे मालामाल बनाने वाले रत्नागर बाबा कहते हैं:-* "मेरे प्यारे प्यारे बच्चे... ज्ञान दिए धन न खुटे... इस ज्ञान धन की विशेषता है... जितना दान करोगे, उतना बढ़ता ही जाएगा... साथ ही खुशी का पारा भी चढ़ता जाएगा... *औरों की आशीर्वाद तुम्हारे सिर पर होगी... वे कहेंगे ऐसे पण्डे पर हम बलिहार जाएं... जिसने हमें स्वर्ग का रास्ता बताया... ज्ञान दान से तुम्हें सर्व की दुआयें और स्नेह मिलता रहेगा..."*

 

➳ _ ➳  *ज्ञान रूपी सच्चे मोती को चुगने वाली मैं हँसबुद्धि आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे दिलाराम मीठे बाबा... *मैं आत्मा आपके संदेश को विश्व में सभी आत्माओं तक पहुंचाने की सेवा कर रही हूँ... ज्ञान दान से यह ज्ञान धन बढ़ता ही जा रहा है...* और मैं आत्मा खुशी के झूले में झूल रही हूँ... *सर्व आत्माओं की मुझे दुआयें, स्नेह और सहयोग मिल रहा है...* सभी के दिलों में एक बाप की प्रत्यक्षता हो रही है... शुक्रिया बाबा, शुक्रिया..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- शिव बाबा पर पूरा बलि  चढ़ना है*"

 

_ ➳  साकार में सर्व प्राप्ति के साधन होते हुए भी ब्रह्मा बाबा ने जिस उपराम वृति से अपना तन - मन - धन ईश्वरीय यज्ञ में स्वाहा कर दिया और परमात्मा की जन्म भूमि भारत की सेवा के लिए स्वयं को बलि चढ़ा दिया ऐसे *भारत की सेवा के लिए ब्रह्मा बाप के समान पूरा - पूरा बलि चढ़ने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा कर, ब्रह्मा बाप समान बनने का संकल्प मन मे लेकर, मैं अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित होकर अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा से मिलने उनके अव्यक्त वतन की ओर चल पड़ती हूँ*।

 

 ➳ _ ➳  पाँच तत्वों की बनी साकारी दुनिया को पार कर, सूर्य, चांद, तारागणों से भी पार सफेद प्रकाश की उस दुनिया में मैं पहुँचती हूँ जहाँ ब्रह्मा बाबा अव्यक्त फ़रिश्ता स्वरूप में आज भी अपने बच्चों की पालना करने के लिए ठहरें हुए हैं। *उस अव्यक्त वतन में पहुंचते ही अपने सामने मैं अव्यक्त ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में विराजमान अपने प्राणप्रिय शिव बाबा को देख रही हूँ*। बाबा को देखते ही साकार पालना की स्मृतियाँ मन में ताजा हो उठती हैं और मन अपने प्यारे बाबा की ममतामयी गोद का सुख पाने के लिए मचलने लगता है।

 

_ ➳  मन में यह संकल्प आते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे मेरा आकारी शरीर और भी सूक्ष्म हो गया है और मैं एक नन्हा सा फ़रिश्ता बन गया हूँ। *बाबा अपनी गोद मे मुझे बिठा कर बड़े प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेर रहें हैं। अपने हाथों से मुझे टोली खिला रहें हैं*। मेरे साथ मीठी - मीठी रूह रिहान कर रहें हैं। बाबा के हाथों का मीठा - मीठा स्पर्श और उनकी ममतामयी गोद में बैठने का सुख अनुभव करके मैं मन ही मन अपने भाग्य पर गर्व महसूस कर रही हूँ जो अव्यक्त रूप में आज भी बाबा मुझे साकार पालना का अनुभव करवा रहें हैं।

 

_ ➳  साकार पालना के खूबसूरत अनुभव में खोई अब मैं महसूस करती हूँ जैसे साकार ब्रह्मा बाबा द्वारा किया हुआ हर कर्म मेरी आँखों के सामने अनेक दृश्यों के रूप में उभर कर मेरे सामने आ रहा है। *मैं देख रही हूँ साकार ब्रह्मा बाबा के उस महान तपस्वी वैरागी स्वरूप को कि कैसे सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि बन ब्रह्मा बाबा ने अपना तन - मन - धन ईश्वरीय यज्ञ में समर्पित कर दिया*। तन के लिए बाबा के मुख से सदा यही बोल निकला कि मेरा शरीर नही है, शिव बाबा का रथ है। मन मे सिवाए एक शिव बाबा के दूसरा कोई नही और धन के लिए भी बाबा के मन मे कभी यह संकल्प नही आया कि यज्ञ में मेरा धन लग रहा है। मुख से सदा एक ही शब्द निकला कि शिव बाबा का भंडारा है।

 

_ ➳  अपना तन - मन - धन बाबा ने ईश्वरीय सेवा में लगा कर यहां तक कि अपना समय, संकल्प, श्वांस सब कुछ भारत की सेवा के लिए बलि चढ़ा दिया। *बाबा के एक एक कर्म का चरित्र चित्र के रूप में देख कर मैं मन ही मन अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के प्रति आभार व्यक्त करती हूँ और उनके समान बनने का जैसे ही दृढ़ संकल्प करते हुए बाबा की ओर देखती हूँ मैं अनुभव करती हूँ जैसे बापदादा बड़े प्यार से मुझे निहार रहें हैं*। मेरे सिर पर अपना वरदानी हाथ रख कर मुझे ब्रह्मा बाप समान बनने का वरदान दे रहें हैं।

 

_ ➳  बापदादा से वरदान लेकर, अव्यक्त में भी साकार पालना का अनुभव करके अब मैं अपने सूक्ष्म आकारी फ़रिश्ता स्वरुप में ही वापिस साकारी दुनिया मे आकर अपने साकारी शरीर मे प्रवेश करती हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं ब्रह्मा बाप समान निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी इन तीन विशेषताओं को अपने ब्राह्मण जीवन मे धारण कर, भारत की सेवा के लिए पूरा - पूरा बलि चढ़ने का पुरुषार्थ कर रही हूँ*। अपने तन - मन - धन को ईश्वरीय सेवा में सफल कर, ब्रह्मा बाप समान सम्पूर्णता के लक्ष्य को पाने की ओर अब मैं निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं "छोड़ो तो छूटो" इस पाठ द्वारा नम्बर वन लेने वाली उड़ता पंछी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं संकल्पों में एक बाबा को रखकर मन्सा को सदा शक्तिशाली बनाने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  आपकी हिम्मत और बाप की मदद। हिम्मत कम नहीं करना फिर देखो बाप की मदद मिलती है या नहीं। *सभी को अनुभव भी है कि हिम्मत रखने से बाप की मदद समय पर मिलती है और मिलनी ही हैगैरन्टी है। हिम्मत आपकी मदद बाप की।* तो संकल्प क्या हुआचेहरे देख रहे हैं - हिम्मत है या नहीं है! *हिम्मत वाले तो हो, क्योंकि अगर हिम्मत नहीं होती तो बाप के बनते नहीं। बन गये - इससे सिद्ध होता है कि हिम्मत है।* सिर्फ छोटी सी बात करते हो कि समय पर हिम्मत को थोड़ा सा भूल जाते हो। जब कुछ हो जाता है ना तो पीछे हिम्मत वा मदद याद आती है। *समय पर सब शक्तियां, समय प्रमाण यूज करना इसको कहा जाता है ज्ञानी तू आत्मायोगी तू आत्मा।*   

 

✺   *ड्रिल :-  "समय प्रमाण सर्व शक्तियों को यूज कर ज्ञानी तू आत्मा, योगी तू आत्मा बनने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा निर्भीक हूँ... मैं आत्मा शिवशक्ति दुर्गा हूँ... मैं आत्मा अष्ट शक्तिधारी दुर्गा हूँ...* मैं आत्मा इस साकारी तन से निकल कर... फरिश्ता रूप में स्थित होकर... उड़ कर पहुँच जाती हूँ फरिश्तों की दुनिया में... जहाँ चारों तरफ आदि रतन... एडवांस पार्टी के सारे फरिश्ते खड़े हैं... मैं छोटा सा फरिश्ता उनके बीच में खड़ा हूँ... सारे फरिश्ते मुझ आत्मा पर... अपनी शक्तिशाली वरदानी किरणें प्रवाहित कर रहे हैं... जिसमें मैं नहा रही हूँ... और सर्व शक्तियों से भरपूर हो रही हूँ... अब मैं फरिश्ता इन शक्तियों के साथ... वापस साकारी दुनिया में आ रही हूँ...

 

 _ ➳  मैं इस साकारी दुनिया में... फरिश्ता रूप में विचरण कर रही हूँ... बाबा से प्राप्त सर्व शक्तियों और सारे ज्ञान को... स्व और विश्व कल्याण अर्थ उपयोग कर रही हूँ... *समय प्रमाण सर्व शक्तियों को यूज कर ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बन गयी हूँ...* मैं आत्मा बाबा के दिए हुए ज्ञान को... आत्मसात कर हर परिस्थिति पर... हर विघ्न पर... *ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बनकर... विजय प्राप्त करती हूँ...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा जब भी माया के जाल में फंस जाती हूँ... और माया रुस्तम होकर... परिस्थिति के रूप में सामने आकर खड़ी हो जाती है... तब मुझे बाबा के महावाक्‍य याद आ जाते हैं... *हिम्मते बच्चें तो मददे बाप... और मैं आत्मा माया पर विजय प्राप्त कर... पहाड़ जैसी समस्या को भी रूई बना कर उड़ा देती हूँ... बाबा ने कहा है बच्चे ज्ञान को धारण करना... माना समय प्रमाण उसको यूज करना...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा जब से सर्वशक्तिमान बाबा की संतान बनी हूँ... तब से ही मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान बन गयी हूँ... क्योंकि शेर का बच्चा शेर होता है... बाबा ने कहा है *बच्चे हिम्मत का एक कदम आपका... तो हजार कदम बाप के... तुम महावीर हो... ये विघ्न तुम्हें महावीर बनाने आये हैं*... अब जब भी कोई विघ्न आते हैं... मैं आत्मा बाबा के इन महावाक्‍य को याद कर... *अचल - अडोल बन जाती हूँ...* अब मैं आत्मा बाबा के कहे शब्द हमेशा याद रखती हूँ... और कैसी भी परिस्थिति हो... कैसा भी विघ्न हो... बाबा के दिए हुए ज्ञान को समय के अनुसार ही यूज करती हूँ... ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बन कर कर पार करती हूँ... *कभी भी अब मुझ आत्मा को ज्ञान की... विस्मृति नहीं होती है...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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