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❍ 28 / 12 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *मनमनाभाव के छू मन्त्र से इस दुनिया को स्वर्ग बनाने की सेवा की ?*
➢➢ *स्थूल सेवा के साथ साथ रूहानी सेवा भी की ?*
➢➢ *परखने व निर्णय करने की शक्ति द्वारा सेवा में सफलता प्राप्त की ?*
➢➢ *ज्ञान योग की लाइट से संपन्न बन किसी भी परिस्थिति को सेकंड में पार किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *अशरीरी बनना अर्थात् आवाज से परे हो जाना। शरीर है तो आवाज है। शरीर से परे हो जाओ तो साइलेंस।* एक सेकेण्ड में सर्विस के संकल्प में आये और एक सेकेण्ड में संकल्प से परे स्वरूप में स्थित हो जायें। *कार्य प्रति शारीरिक भान में आये फिर सेकेण्ड में अशरीरी हो जायें, जब यह ड्रिल पक्की होगी तब सभी परिस्थितियों का सामना कर सकोगे।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं सृष्टि ड्रामा के अन्दर हीरो पार्टधारी हूँ"*
〰✧ सदा अपने को इस सृष्टि ड्रामा के अन्दर हीरो पार्टधारी समझकर चलते हो? *जो हीरो पार्टधारी होते हैं उनको हर कदम पर अपने ऊपर अटेन्शन रहता है, उनका हर कदम ऐसा उठता है जो सदा वाह-वाह करें, वन्समोर करें।* अगर हीरो पार्टधारी का कोई भी एक कदम नीचे ऊपर हो जाता है तो वह हीरो नहीं कहला सकता। तो आप सभी डबल हीरो हो।
〰✧ हीरो विशेष पार्टधारी भी हो और हीरों जैसा जीवन बनाने वाले भी। तो ऐसा अपना स्वमान अनुभव करते हो? एक है जानना और दूसरा है जानकर चलना। तो जानते हो वा जानकर चलते हो? *तो सदा अपने हीरो पार्ट को देख हर्षित रहो, वाह ड्रामा और वाह मेरा पार्ट। अगर जरा भी साधारण कर्म हुआ तो हीरो नहीं कहला सकते।*
〰✧ *जैसे बाप हीरो पार्टधारी है तो उनका हर कर्म गाया और पूजा जाता है, ऐसे बाप के साथ जो सहयोगी आत्मायें हैं उन्हों का भी हीरो पार्ट होने के कारण हर कर्म गायन और पूजन योग्य हो जाता है।* तो इतना नशा है या भूल जाता है? आधाकल्प तो भूले, अभी भी भूलना है क्या? अब तो याद स्वरूप बन जाओ। स्वरूप बनने के बाद कभी भूल नहीं सकते।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *अभी अगर आपको कहें कि 108 ऐसे नाम बताओ जो वेस्ट और निगेटिव से मुक्त हों, तो आप लोग माला बना सकती हैं।* सिर्फ 108 कह रहे हैं।
〰✧ 99 तक तो 16000 चाहिए। 9 लाख तो बन जायेंगे, उसकी कोई बडी बात नहीं है। पहले तो 108 तैयार हो जाएँ (सभा से) *आप सोचते हो हम 108 में आयेंगे?*
〰✧ अभी जो कुछ हो उसे निकाल लेना, और दादी को कहना कि हम एवररेडी है। *हाँ अपना-अपना नाम देवें, आफर करो - हम 108 में है फिर वैरीफाय करेंगे।* सबसे अच्छा तो अपना नाम आपे ही देवें। (दादियों के साथ)
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *फ़रिश्ते अर्थात् सफेद वस्त्रधारी और सफेद लाइटधारी* आगे चल समय और आत्माओं की इच्छा की आवश्यकता अनुसार डबल रूप के सेवा की आवश्यकता होगी। एक ब्रह्माकुमार-कुमारी स्वरूप अर्थात् साकारी स्वरूप की, दूसरी सूक्ष्म आकारी फ़रिश्ते स्वरूप की। जैसे ब्रह्मा बाप की दोनों ही सेवायें देखी। साकार रूप की भी, और फ़रिश्ते रूप की भी। *साकार रूप की सेवा से अव्यक्त रूप के सेवा की स्पीड तेज़ है।* यह तो जानते हो, अनुभवी हो ना? अब अव्यक्त ब्रह्मा बाप अव्यक्त रूपधारी बन अर्थात् फ़रिश्ता रूप बन बच्चों को अव्यक्त फ़रिश्ते स्वरूप की स्टेज में खींच रहे हैं। फॉलो फादर करना तो आता है ना! ऐसे तो नहीं सोचते हम भी शरीर छोड़ अव्यक्त बन जावें। इसमें फॉलो नहीं करना। ब्रह्मा बाप फ़रिश्ता बना ही इसलिए कि अव्यक्त रूप का एग्जैम्पुल देख फॉलो सहज कर सको। *साकार रूप में न होते हुए भी फ़रिश्ते रूप से साकार रूप समान ही साक्षात्कार कराते हैं ना।* विशेष विदेशियों को अनुभव है। मधुबन में साकार ब्रह्मा की अनुभूति करते हो ना! कमरे में जा करके रूह-रूहान करते हो ना! चित्र दिखाई देता है या चैतन्य दिखाई देता है? अनुभव होता है तब तो जिगर से कहते ही ब्रह्मा बाबा। आप सबका ब्रह्मा बाबा है या पहले वाले बच्चों का ब्रह्मा बाबा है? अनुभव से कहते हो वा नालेज के आधार से कहते हो? अनुभव है?
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सर्विस करने का उमंग रखना, कभी थकना नहीं है”*
➳ _ ➳ *समुन्दर के किनारे बैठ मैं आत्मा लहरों को देखते हुए अंतर्मन की गहराईयों में पहुँच जाती हूँ... और विचार करती हूँ की मेरे परमप्रिय परमपिता परमात्मा परमधाम से आकर ज्ञान का सागर बन मुझ पर ज्ञान वर्षा कर मेरी अज्ञानता को दूर कर रहे हैं...* एक बूंद प्यासी को प्यार का, आनंद का सागर बन प्यार बरसा रहे हैं... सुख, शांति का सागर बन मेरे जीवन की दुःख, अशांति को दूर कर रहे हैं... पवित्रता के सागर बन पतित से पावन बना रहे हैं... शक्तियों का सागर बन शक्तियों से सम्पन्न बना रहे हैं... *विचार करते करते सर्व गुणों, शक्तियों के सागर में डुबकी लगाने पहुँच जाती हूँ उस महासागर के पास...*
❉ *प्यारे बाबा ज्ञान की शंख ध्वनि कर आप समान बनाने की सर्विस करने की शिक्षा देते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... यादो के गहरे बादल बनकर फिर बरसना है... ईश्वरीय प्यार के प्याले को खुद पीकर फिर दूसरो को भी इस नशे में डुबोना है... *प्यारे बाबा से दिलोजान से प्यार करते हुए सबपर प्यार का रंग चढ़ाना है... और ईश्वरीय प्रेम की दीवानगी में अथक बनकर सबको ऐसा दीवाना बनाना है...”*
➳ _ ➳ *मेरे जीवन के सहारे मेरे मनमीत बाबा के हर बात को कर्म में लाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा जो कभी प्रेम की बून्द को तरसती थी आज प्यार के सागर को पाकर प्रेम की बदली हो गई हूँ... हर दिल पर प्रेम वर्षा कर रही हूँ... *मै अथक बदली हूँ और सबको खुशियो के फूल खिलाने वाली आप समान बदली बना रही हूँ...”*
❉ *मीठे बाबा अपनी मीठी मीठी शीतल किरणों से जीवन को अथाह खुशियों से भरते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय यादो की खुशबु से स्वयं महककर सबका जीवन महकाओ... इन सच्ची खुशियों का पता हर दिल को दे आओ... *मीठी यादो में खुद को भरपूर कर इन खजानो से सबके दामन भी भर आओ... पूरे विश्व के थके दुखी बच्चों को सुखो की राह दिखा आओ...”*
➳ _ ➳ *प्यार की बरसात कर प्यासे दिलों को सुख, शांति के सुमन से महकाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा इन मीठी खुशियो में खिलकर सबके दिलो को खिला रही हूँ... प्यारा बाबा सदा के दुःख दूर करने धरा पर आ गया है...ईश्वरीय नशे में डूबी मै आत्मा... यह मीठी दस्तक हर दिल पर देती जा रही हूँ...”
❉ *सद्ज्ञान देकर जीवन को ज्योतिर्मय कर रूहानी दौलत से सम्पन्न बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *रूहानी सर्विस के साथ साथ स्वयं की खूबसूरत स्थिति का हर पल ख्याल करो... गहरी यादो से भरी स्थिति ही सच्ची सर्विस का आधार है...* अपने पुरुषार्थ को बढ़ाते हुए औरो के मददगार बनो... यादो से भरे गहरे बादल ही आत्माओ को सुख की अनुभूति देकर सच्चे पिता का परिचय देने में सक्षम होंगे...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पंछी बन बाबा की मधुर मीठी तान सबको सुनाकर सच्चे प्रेम के एहसासों में डुबोते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपसे ज्ञान और योग के पंख पाकर अनन्त खुशियो के आसमान में ऊँची उड़ान भर रही हूँ... *गुणो और शक्तियो के खजाने से भरपूर होकर सबको खुशियो का पता दिए चली जा रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- स्थूल सेवा के साथ - साथ रूहानी सेवा भी करनी है*"
➳ _ ➳ कर्मयोगी बन कर्म करते भी कर्म के प्रभाव से मुक्त, एकरस मगन अवस्था में मैं स्थित हूँ। हाथों से कर्म करते बुद्धि का योग अपने शिव पिता परमात्मा के साथ जोड़, उनसे मीठी - मीठी रूह - रिहान करते मैं सहजता से हर कार्य कर रही हूँ। *साथ ही साथ अपने भाग्य की भी सराहना कर रही हूँ कि कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जिसे चलते - फिरते, उठते - बैठते, खाते - पीते, सोते - जागते हर कर्म करते हर समय भगवान का साथ मिलता है*।
➳ _ ➳ अपनी सर्वशक्तियों रूपी किरणों की छत्रछाया मेरे भगवान साथी निरन्तर मेरे ऊपर बनाये रखते हैं और अपनी शक्तियों का संचार निरन्तर मुझ आत्मा में करते हुए, मुझे हर कर्म में हल्के पन का अनुभव करवाते रहते हैं। *जब भगवान मेरा साथी बन हर कर्म में मेरा साथ निभाते हैं तो मुझे भी अपने भगवान साथी के कार्य मे मददगार अवश्य बनना है*। घर का काम करते भी समय निकाल रूहानी सेवा अवश्य करनी है, मन ही मन यह विचार करती, जल्दी से अपने सभी कार्य निबटा कर, मैं अपने मीठे बाबा की मीठी याद में बैठ जाती हूँ। *अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित अब मैं स्वयं को देह से बिल्कुल न्यारा अनुभव कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ भृकुटि के मध्य प्रज्ज्वलित एक दिव्य ज्योति को मैं मन बुद्धि रूपी नेत्रों से स्पष्ट देख रही हूँ । ऐसा लग रहा है जैसे एक चमकती हुई दीपशिखा, एक सितारा जगमग करता हुआ भृकुटि के मध्य भाग से बाहर की ओर आ रहा है। *ये दीपशिखा, ये चैतन्य सितारा मैं आत्मा हूँ जिसमे से एक शांन्त और सुखद प्रकाश निकल रहा है*। यह शांत और सुखद प्रकाश अब धीरे - धीरे मेरी भृकुटि से निकल चारों ओर पूरे कक्ष में फ़ैलता जा रहा है। मैं इस प्रकाश को अपने चारों और महसूस कर रही हूँ जो मुझे गहन शांति से भरपूर कर रहा है। *शांति और सुख से भरपूर इस अवस्था में मेरी सर्व कर्मेन्द्रियां शांत और शीतल होती जा रही हैं। मेरे विचार शांत हो रहे हैं*।
➳ _ ➳ मन बुद्धि की तार जुड़ रही है शिव परम पिता परमात्मा के साथ। कितनी सुखद है उनकी याद जो मेरे चित को चैन दे रही है । एक दिव्य आलौकिक आनन्द की अनुभूति करवा रही है। *इस देह और देह की दुनिया से दूर मुझे शांति की दुनिया मेरे स्वीट साइलेन्स होम में ले जा रही है*। देख रही हूं अब मैं स्वयं को आत्माओं की निराकारी दुनिया अपने स्वीट साइलेन्स होम में। मेरे सामने शांति के सागर मेरे शिव पिता परमात्मा है जिनके सानिध्य में मैं आत्मा असीम शांति का अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ गहन शांति की अनुभूति मुझे मेरे शिव पिता के ओर समीप ले कर जा रही है। धीरे - धीरे मैं चैतन्य सितारा, मैं आत्मा अपने शिव पिता के पास पहुंच कर उनके साथ कम्बाइंड हो जाती हूँ। *अपने असीम प्यार से, अपनी सर्वशक्तियों से वो मुझे फुल चार्ज कर देते हैं*। उनके निस्वार्थ, निर्मल और निश्छल प्यार से भरपूर हो कर तथा उनकी सर्वशक्तियों से स्वयं में शक्ति भर कर मैं लौट आती हूँ फिर से साकारी दुनिया, साकारी देह में अपना पार्ट बजाने के लिए।
➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित अब मैं इस साकारी दुनिया मे, प्रवृति में रहते, स्वयं को देह से जुड़े सम्बन्धियों की सेवा अर्थ निमित समझते, सदैव ट्रस्टी बन कर रहती हूँ। *"मैं रूहानी सोशल वर्कर हूँ" इस बात को सदैव स्मृति में रख, घर के काम - काज करते भी समय निकाल रूहानी सेवा में सदा तत्पर रहती हूँ*। अपने शिव पिता परमात्मा द्वारा रचे इस अविनाशी रुद्र ज्ञान यज्ञ की सम्भाल करने के लिए ही मुझे यह ब्राह्मण जीवन मिला है, बुद्धि में इस बात को अच्छी रीति धारण कर, लौकिक और अलौकिक मे बैलेंस रख, ईश्वरीय सेवा में अपने समय को सफल करते हुए अब मैं अपना सर्वश्रेष्ठ भाग्य सहज ही बना रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं परखने वा निर्णय करने की शक्त्ति द्वारा सेवा में सफलता प्राप्त करने वाली सफलतामूर्त आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं ज्ञान योग की लाइट माइट से संपन्न बनकर किसी भी परिस्थिति को सेकंड में पार कर लेने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. जब माया को चैलेन्ज किया तो *यह समस्यायें, यह बातें, यह हलचल माया के ही तो रायल रूप हैं। माया और तो कोई रूप में आयेगी नहीं। इन रूपों में ही मायाजीत बनना है।* बात नहीं बदलेगी, सेन्टर नहीं बदलेगा, स्थान नहीं बदलेगा, आत्मायें नहीं बदलेगी, हमें बदलना है। आपका स्लोगन तो सबको बहुत अच्छा लगता है - बदलके दिखाना है, बदला नहीं लेना है, बदलना है। यह तो पुराना स्लोगन है। *नये-नये रूप, रायल रूप बनके माया और भी आने वाली है, घबराओ नहीं। बापदादा अण्डरलाइन कर रहा है - माया ऐसे, ऐसे रूप में आनी है, आ रही है।* जो महसूस ही नहीं करेंगे कि यह माया है, कहेंगे नहीं दादी, आप समझती नहीं हो, यह माया नहीं है। यह तो सच्ची बात है। और भी रायल रूप में आने वाली है, डरो मत। क्यों? देखो, कोई दुश्मन चाहे हार खाता है, चाहे जीत होती है, जो भी उनके पास छोटे मोटे शस्त्र अस्त्र होंगे, यूज करेगा या नहीं करेगा? करेगा ना? तो *माया की भी अन्त होनी है लेकिन जितना अन्त समीप आ रहा है, उतना वह नये-नये रूप से अपने अस्त्र शस्त्र यूज कर रही है, करेगी भी। फिर आपके पाँव में झुकेगी। पहले आपको झुकाने की कोशिश करेगी, फिर खुद झुक जायेगी।*
➳ _ ➳ 2. *अपने में सिर्फ दृढ़ता लाओ, थोड़ी सी बात में संकल्प को ढीला नहीं कर दो। कोई इन्सल्ट करे, कोई घृणा करे, कोई अपमान करे, निंदा करे, कभी भी कोई दुःख दे लेकिन आपकी शुभ भावना मिट नहीं जाए। आप चैलेन्ज करते हो कि हम माया को, प्रकृति को परिवर्तन करने वाले विश्व-परिवर्तक हैं,* अपना आक्यूपेशन तो याद है ना? विश्व-परिवर्तक तो हो ना! अगर कोई अपने संस्कार के वश आपको दुःख भी दे, चोट लगाये, हिलाये, तो क्या आप दुःख की बात को सुख में परिवर्तन नहीं कर सकते हो? इन्सल्ट को सहन नहीं कर सकते हो? गाली को गुलाब नहीं बना सकते हो? समस्या को बाप समान बनने के संकल्प में परिवर्तन नहीं कर सकते हो?
✺ *ड्रिल :- "दृढ़ता से माया के बहुरूपों को परिवर्तन कर बाप समान बनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा इस स्थूल शरीर को छोड़ अशरीरी बन उड़ चलती हूँ अपने प्यारे घर... शान्तिधाम... मैं आत्मा शान्तिधाम की गहन शांति को गहराई से अनुभव कर रही हूँ...* मैं आत्मा बीजरूप स्थिति में बीजरूप बाबा के समीप बैठ जाती हूँ... *बाबा से निकलती किरणों से मैं आत्मा अपनी अपवित्रता के संकल्पों... अपनी कमी कमजोरियों के संकल्पों... माया के विभिन्न स्वरूपो को बीज सहित उखाड़ कर समाप्त कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपनी चैकिंग करती हूँ कि कहीं मैं आत्मा दूसरे को बदलने की कोशिश तो नहीं कर रही... मुझे तो स्वयं को परिवर्तन करना है... मैं आत्मा अपनी चेकिंग करती हूँ कि... माया नये नये रूप... रॉयल रूप बनाकर कैसे मेरे आगे पीछे चक्कर लगाती है... *मैं आत्मा अपने हर संकल्प... हर कर्म पर अटेंशन देने लगती हूँ... मैं आत्मा याद और सेवा का डबल लॉक लगाकर बुद्धि को पहरेदार बनाकर सावधान करती हूँ... कि माया किसी भी चोर गेट से अंदर न आ सके...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा दृढ़ता की चाबी का इस्तेमाल कर हर संकल्प पर अटेंशन दे रही हूँ... *कोई इन्सल्ट करे... कोई घृणा करे... कोई निंदा करे... लेकिन मुझ आत्मा पर इन बातो का कोई असर न पड़े...* कैसी भी परिस्थिति मुझ आत्मा के सामने आये भी तो मैं अचल अडोल बन हर परिस्थिति में महावीर की तरह... अंगद की तरह अटल रहती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा हर कदम बाबा की श्रीमत को फॉलो कर रही हूँ... *मैं आत्मा परखने की शक्ति को यूज़ कर माया से हार नहीं खाती हूँ...* मैं आत्मा सदैव सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं के प्रति बाप समान शुभ भावना और शुभ कामना रख... निमित्त भाव से सेवा कर रही हूँ... *मैं रूहानी रूहे गुलाब बन चारों ओर बाप समान अपनी खुशबू फैला रही हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा माया की छाया से मुक्त हो चुकी हूँ... और सदा बाबा की छत्रछाया का अनुभव करती हूँ... *मैं आत्मा माया के सभी बहुरूपों पर विजय प्राप्त कर बाप समान होने का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा सदा बाबा की छत्रछाया का अनुभव करती हूँ...* किसी भी समस्या को बाप समान बनने के संकल्प में परिवर्तन कर सदा उमंग उत्साह और खुशी के झूले में झूलती हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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