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 01 / 03 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *एक बाप से दिल का सच्चा लव रखा ?*

 

➢➢ *अपनी बढाई तो नहीं दिखाई ?*

 

➢➢ *सदा श्रेष्ठ कर्म द्वारा सफलता का फल प्राप्त किया ?*

 

➢➢ *अपनी दिल बड़ी रखी ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *परमात्म प्यार में ऐसे समाये रहो जो कभी हद का प्रभाव अपनी ओर आकर्षित न कर सके।* सदा बेहद की प्राप्तियों में मगन रहो जिससे रूहानियत की खुशबू वातावरण में फैल जाए।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं सफलता का सितारा हूँ"*

 

  सदा सफलता के चमकते हुए सितारे हैं, यह स्मृति रहती है? *आज भी इस आकाश के सितारों को सब कितने प्यार से देखते हैं क्योंकि रोशनी देते हैं, चमकते हैं इसलिए प्यारे लगते हैं। तो आप भी चमकते हुए सितारे सफलता के हो।*

 

  *सफलता को सभी पसन्द करते हैं, कोई प्रार्थना भी करते हैं तो कहते - यह कार्य सफल हो। सफलता सब मांगते हैं और आप स्वयं सफलता के सितारे बन गये।*

 

  आपके जड़ चित्र भी सफलता का वरदान अभी तक देते हैं, तो कितने महान हो, कितने ऊँच हो, इसी नशे और निश्चय में रहो। *सफलता के पीछे भागने वाले नहीं लेकिन मास्टर सर्वशक्तिवान अर्थात् सफलता स्वरूप। सफलता आपके पीछे-पीछे स्वत: आयेगी।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *अभी एक मिनट ऐसा पॉवरफुल सर्वशक्तियों सम्पन्न विश्व की आत्माओं को किरणें दो जो चारों ओर आपके शक्तियों का वायब्रेशन विश्व में फैल जाये।* (बापदादा ने ड़िल कराई) अच्छा।

 

✧  आज चारों ओर के सम्पूर्ण समान बच्चों को देख रहे हैं। समान बच्चे ही बाप के दिल में समाये हुए हैं। *समान बच्चों की विशेषता है - वह सदा निर्विघ्न, निर्विकल्प, निर्मान और निर्मल होंगे। ऐसी आत्मायें सदा स्वतंत्र होती है, किसी भी प्रकार के हद के बन्धन में बंधयमान नहीं होती।* तो अपने आप से पूछो ऐसी बेहद की स्वतंत्र आत्मा बने हैं। *सबसे पहली स्वतंत्रा है देहभान से स्वतन्त्र।* जब चाहे तब देह का आधार ले, जब चाहे देह से नयारे हो जाए। देह की आकर्षण में नहीं आये।

 

✧  दूसरी बात - *स्वतन्त्र आत्मा कोई भी पुराने स्वभाव और संस्कार के बन्धन में नहीं होगी।* पुराने स्वभाव और संस्कार से मुक्त होगी। साथ-साथ किसी भी देहधारी आत्मा के सम्बन्ध-सम्पर्क में अकर्षित नहीं होगी। सम्बन्ध-सम्पर्क में आते न्यारे और प्यारे होंगे। *तो अपने को चेक करो - कोई भी छोटी-सी कर्मन्द्रिय बन्धन तो नहीं बांधती?*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *जैसे और स्थूल वस्तुओं को जब चाहो तब लो और जब चाहो तब छोड़ सकते हैं ना। वैसे इस देह के भान को जब चाहें तब छोड़ देही अभिमानी बन जायें - यह प्रैक्टिस इतनी सरल हैं, जितनी कोई स्थूल वस्तु की सहज होती है?* रचयिता जब चाहे रचना का आधर ले जब चाहे तब रचना के आधार को छोड़ दे ऐसे रचयिता बने हो? जब चाहें तब न्यारे, जब चाहें तब प्यारे बन जायें।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- याद में रहने की वंडरफुल यात्रा करना”*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा मीठे बाबा की यादों के विमान में बैठ पहुँच जाती हूँ मधुबन में...* मधुबन की मधुर प्राकृतिक सौन्दर्य को देख मन्त्रमुग्ध होती हुई सैर कर रही हूँ... *यहाँ के पहाड़, बगीचे, पेड़, जमीन, आसमान, हवा, एक-एक फूल मीठे बाबा की महिमा के गीत गा रहे हैं... भाव विभोर होकर मैं आत्मा भी बाबा का गुणगान करती हुई बाबा की कुटिया में पहुँच जाती हूँ...* मीठी मीठी रूह रिहान करने...

 

  *ज्ञान प्रकाश के मार्ग में वन्डरफुल रूहानी यात्रा कराते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... *मीठे बाबा के साथ का यह वरदानी युग कितना प्यारा है जिसमे पिता की याद भर से ही आप बच्चे 21 जनमो के लिए सुखो भरे आलिशान जीवन और निरोगी स्वस्थ काया के हकदार बन जाते हो...* ईशवरीय यादो में हर विकार से परे निष्कलंक जीवन पाते हो...

 

_ ➳  *मैं आत्मा मीठे बाबा की मीठी यादों के समन्दर में डूबकर दिव्यता से सजते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा देहभान में आकर स्वयं को शरीर समझ कितनी गरीब रोगी मोहताज हो गयी थी... आपने मुझे रोगों से मुक्तकर खुशनुमा जीवन की स्वामिन् बना दिया है... *मै आत्मा सुख समृद्धि और स्वस्थता की पर्याय बनती जा रही हूँ...”*

 

  *मीठे बाबा कलियुगी अंधियारी रात से निकाल संगम के नाव में बिठाकर सतयुगी भोर में ले जाते हुए कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... एक जन्म ईश्वर पिता के हाथो में देते हो और 21 जनमो तक अथाह सुख बाँहों में भर लेते हो... *कितने वन्डरफुल रूहानी यात्री हो... ईश्वर पिता की यादो से सारे सुख अपने नाम लिखवाते हो... और सतयुगी धरती पर सुंदर तन मन धन से मुस्कराते हो...”*

 

_ ➳  *बागबान पिता की यादों की कैंची से काँटों को निकाल खूबसूरत रूहानी फूल बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा मात्र देह नही खुबसूरत मणि हूँ और सदा रूहानी यात्रा पर हूँ... यह खुबसूरत लक्ष्य जीवन का पाकर तो धन्य धन्य हो गयी हूँ...* मीठे बाबा आपकी मीठी यादो में मै आत्मा रूहानियत से भरकर कितनी प्यारी और मीठी हो गयी हूँ...

 

  *अपने रूहानी संग के रंग में रंगते हुए रूहानी सुगंध से मुझे सुवासित कर मेरे जादूगर बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता संग रूहानी बन यादो की यात्रा पर हो... *कितनी प्यारी और वन्डरफुल जादूगरी है कि यह यात्रा सतयुगी सुनहरे सुखो के द्वार पर पूरी होती है...* यादो की यह यात्रा जन्नत में सुखो के फूलो भरा खुबसूरत जीवन दे जाती है...

 

_ ➳  *मैं आत्मा प्यारे बाबा की यादों के सरगम में खुशनुमा सतयुगी बहारों के गीत गुनगुनाती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा वन्डरफुल बाबा को पाकर वन्डरफुल रूहानी यात्री बन गई हूँ... मीठे बाबा की गहरी यादो में हर पल खोयी खोयी सी...* मै आत्मा सारे खजानो को अपनी झोली में समेट कर सबसे धनी हो मुस्करा रही हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- एक बाप की सदा महिमा करनी है*"

 

_ ➳  अपने प्यारे मीठे भगवान बाप की महिमा करते, एकांत में बैठ मैं विचार करती हूँ कि वो भगवान जिसकी महिमा में शास्त्र भरे पड़े हैं। बड़े - बड़े साधू सन्यासी, महा मण्डलेश्वर जिसका गुणगान करते नही थकते उस भगवान को आज तक यथार्थ रीति वो भी नही पहचान सके। *किन्तु कितनी पदमा

पदम सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान ने आकर मुझे दिव्य बुद्धि का वो नेत्र दिया जो मैं भगवान को यथार्थ रीति जान गई*। सर्व सम्बन्धों से उसे अपना बना कर हर सम्बन्ध का सुख मैने अपने उस भगवान से पा लिया। *लोगों ने तो उसे सूर्य से भी अधिक तेजोमय कह कर असहनीय बताया किन्तु सूर्य से तेजोमय, अखण्ड प्रकाशमय उस भगवान का तेज तो अथाह शान्ति और शीतलता देने वाला है, ये मैने कितनी सहज रीति जाना और अनुभव किया*।

 

_ ➳  वो सुख का सागर, प्रेम का सागर, आनन्द का सागर, दया का सागर, सर्व गुणों, सर्वशक्तियों का सागर सब पर अपना असीम प्यार और स्नेह लुटाकर सबको तृप्त करने वाला है। *अपने अति मीठे अति प्यारे भगवान बाप की यथार्थ महिमा का गुणगान करती मैं दिल की गहराईयों से अपने दिलाराम बाबा का शुक्रिया अदा करती हूँ जो उन्होंने स्वयं आकर मुझे मेरा और अपना यथार्थ परिचय देकर उस सत्यता का बोध करवा दिया जिस सत्यता से आज तक बड़े - बड़े शास्त्रवादी भी परिचित नही हो पाए*।

 

_ ➳  मन ही मन अपने प्यारे बाबा की महिमा करती मैं प्रेम के सागर अपने उस भगवान बाप के मीठे प्रेम की गहराई में समा जाती हूँ और दिल को सुकून देने वाली उनकी अति मीठी याद में खो जाती हूँ। *उनकी मीठी याद मुझे सेकण्ड में देह के भान से मुक्त कर उनके समान विदेही बना देती है। देह रूपी पिंजड़ा टूटते ही उस पिंजड़े में कैद आत्मा पँछी उड़ने के लिए अपने पंख फड़फड़ाने लगता है* और ज्ञान, योग के खूबसूरत पँख लगाए मैं आत्मा चल पड़ती हूँ अपने दिलाराम भगवान बाप से मंगल मिलन मनाने।

 

_ ➳  देह के भान से मुक्त अपने वास्तविक स्वरूप में स्थित होकर, अपने भगवान बाप के समान बन उनसे मिलन मनाने का सुखद अनुभव मुझे अति शीघ्र उनके पास पहुंचने के लिए जैसे बेकरार कर रहा है। *मैं जल्दी से जल्दी अपने प्यारे बाबा के पास पहुँच उनकी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में समाकर जन्मजन्मांतर की उनसे बिछड़ने की प्यास बुझा लेना चाहती हूँ इसलिए तीव्र उड़ान भरकर मैं सेकण्ड में आकाश को पार कर, सूक्ष्म वतन से होती हुई पहुँच जाती हूँ उस दिव्य प्रकाशमय दुनिया में जहां मेरे भगवान बाप रहते हैं*।

 

_ ➳  उस अनन्त प्रकाशमय ज्योति के देश मे अखण्ड ज्योतिर्मय अपने भगवान बाप को मैं अपने बिल्कुल सामने देख रही हूँ। उनकी एक - एक किरण मन को अथाह सुख और शांति दे रही है। *निरसंकल्प होकर एकटक अपने प्यारे बाबा को मैं निहारती ही जा रही हूँ। शांति के सागर मेरे शिव पिता से निकल रहे शान्ति के शक्तिशाली वायब्रेशन मुझे अथाह शान्ति की अनुभूति करवाकर कम्प्लीट सेटिस्फेक्शन का अनुभव करवा रहें हैं*। "पाना था सो पा लिया" बस यही अनहद नाद मेरे अंदर बज रहा है।

 

_ ➳  इस अनहद नाद को सुनते, अपने भगवान बाप को निहारते, अथाह सुख शांति का अनुभव करते - करते मैं धीरे - धीरे उनके पास जा रही हूँ। *जैसे स्थूल सागर के तले में जाकर बहुमूल्य सीप, मोती आदि मिलते हैं ऐसे सर्वगुणों, सर्वशक्तियों के सागर अपने प्यारे बाबा की सर्वशक्तियों रूपी किरणों को मैं गहराई तक स्पर्श करती जा रही हूँ और उनके समस्त गुणों, समस्त शक्तियों को अपने अंदर भरती जा रही हूँ*। हर गुण, हर शक्ति से सम्पन्न मेरा यह स्वरूप मुझे बहुत ही न्यारे और प्यारेपन का अनुभव करवा रहा है।

 

_ ➳  इसी न्यारे और प्यारेपन के साथ, सर्वगुण, सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बन कर, अब मैं वापिस अपने साकार लोक में लौट रही हूँ । अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर सबको भगवान बाप का यथार्थ परिचय देने के लिए अब मैं अपने मुख से सदैव अपने भगवान बाप की यथार्थ महिमा सबको सुनाती रहती हूँ। *उनकी महिमा करते - करते, उनके प्रेम की गहराई में खोकर, परमात्म स्नेह का यथार्थ अनुभव मैं सहज ही सबको करवाते हुए बस एक ही गीत गाती रहती हूँ।"कितना मीठा, कितना प्यारा शिव भोला भगवान"*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं सदा यथार्थ श्रेष्ठ कर्म द्वारा सफलता का फल प्राप्त करने वाली ज्ञानी तू योगी आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं दिल बड़ी करके भण्डारे सदा भरपूर रखने वाली संतुष्ट आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *भटकती हुई आत्मायें, प्यासी आत्मायें, अशान्त आत्मायें, ऐसी आत्माओं को अंचली तो दे दो।* फिर भी आपके भाई-बहनें हैं। तो अपने भाईयों के ऊपर, अपनी बहनों के ऊपर रहम आता है ना! देखो, *आजकल परमात्मा अपने को आपदा के समय याद करते लेकिन शक्तियों को, देवताओं में भी गणेश है, हनुमान है और भी देवताअों को ज्यादा याद करते हैं, तो वह कौन है? आप ही हो ना!* आपको रोज याद करते हैं। पुकार रहे हैं - हे कृपालु, दयालु रहम करो, कृपा करो। जरा-सी एक सुख-शान्ति की बूँद दे दो। आप द्वारा एक बूँद की प्यासी हैं। तो दुःखियों का, प्यासी आत्माओं का आवाज हे शक्तियाँ, हे देव नहीं पहुँच रहा है! पहुँच रहा है ना? बापदादा जब पुकार सुनते हैं तो शक्तियों को और देवों को याद करते हैं।

 

 _ ➳  2. *उन्हों को भी कुछ समय दो। एक बूँद से भी प्यास तो बुझाओ, प्यासे के लिए एक बूँद भी बहुत महत्त्व वाली होती है।*

 

✺   *ड्रिल :-  "प्यासी, अशान्त आत्माओं को सुख-शान्ति की अंचली देने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *मधुबन की बगिया में झूले पर बैठी मैं लगन में मगन आत्मा शिव बाबा की यादों में मगन हूँ...* बाबा की शीतल किरणों के फूल मुझ आत्मा पर बरस रहे है... *अतिन्द्रिय सुख के झूले में, मैं आत्मा झूल रही हूँ... मीठे बाबा के असीम प्यार का अनुभव कर रही हूँ...* गुणों, शक्तियों और वरदानों की बारिश बाबा मुझ आत्मा पर कर रहे है... मैं आत्मा इस परमात्म बारिश में भीगकर भरपूर हो रही हूँ... और अतिइन्द्रिय सुख के झूले में झूल रही हूँ... उड़ रही हूँ... *आत्मा के सातों गुणों का अनुभव कर रही हूँ...* तभी अचानक कुछ आवाजें मुझ आत्मा को सुनाई देतीं है... *हे माँ कृपा करो, सुख दो शांति दो दया करो रहम करो माँ... मैं आत्मा और ध्यान से इन आवाजों को सुनती हूँ...* तभी कुछ और आवाजें आती है... हे शांति देवा, हे बुद्धि बल दाता रहम करो... *हे संकट मोचन हमारे संकट हरो राह दिखाओं सुख दो शांति दो... दुखी-अंशात आत्माओं की आवाज सुनकर मैं आत्मा अपने ईष्ट देव स्वरूप को इमर्ज करती हूँ...* और मैं आत्मा चलती हूँ बाबा संग उन स्थानों की ओर जहाँ से, ये अशांत दुखी आत्माएँ पुकार रही है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को ऊँची चोटी पर स्थित भव्य विशाल मन्दिर में... *मैं अष्ट भुजाधारी माँ दुर्गा हूँ... असुर संहारिणी हूँ पाप नाशिनी हूँ... जग उध्दारक हूँ...* लाखों भक्तों की लाइनें लगी... भक्त आत्माएँ पुकार रही है... *हे जगत जननी माँ... हे पाप नाशिनी... कष्ट हारिणी माँ शांति दो... सुख दो माँ... इन आत्माओं के नयन दो पल की शांति और खुशी के लिए तरस रहे है...* ये दुखियारी आत्माएँ पुकार रही है... हे माँ कृपा करो... रहम करो... *मैं आत्मा अपने वरदानी स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ... मुझ आत्मा के नयनों से शांति और पवित्रता की किरणें निकल सभी अशांत दुखी आत्माओं पर पड़ रही है...* सभी आत्माएँ सुख और शांति की अनुभूति कर रही है... उनके सभी कष्ट-पीड़ाएँ समाप्त हो रही है... *मुझ माँ दुर्गा के वरदानी हस्त से शक्तियों की किरणें निकल इन सभी आत्माओं पर पड़ रही है... ये सभी आत्माएँ मजबूत बन रही है... इनका उमंग-उत्साह बढ रहा है... इनका मन शांत हो रहा है...* सभी आत्माओं की मनोकामनाएँ पूर्ण हो रही है...

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को बहुत बड़े मन्दिर में अपने वरदानी स्वरूप में... *मैं आत्मा बुद्धि-बल दाता सिद्धि विनायक गणेश हूँ... मैं आत्मा विघ्न-विनाशक हूँ... दुख हर्ता सुख कर्ता हूँ...* मैं वरदानी-महादानी आत्मा देख रही हूँ... भक्तों की भीड़ लगी है... वे पुकार रहे है *हे गणपति देवा दुख हरो... सुख दो ! शांति दो ! हमारे जीवन के विघ्नों को हरो मंगल मोरया...* हे देवा रहम करो... कृपा करो... मुझ वरदानी आत्मा की दृष्टि जैसे-जैसे इन, एक पल की शांति की प्यासी आत्माओं पर पड़ रही है *ये आत्माएँ असीम सुख और शांति का अनुभव कर रही है... मुझ विघ्न विनाशक गणेश के हाथों से शक्तिशाली किरणें इन आत्माओं पर पड़ रही है... इनके विघ्न नष्ट हो रहे है... इनका मनोबल बढ़ रहा है...* इनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो रही है... *सभी आत्माएँ खुश होकर जा रही है... भरपूर होकर जा रही है...*

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को बहुत बड़े भव्य सुन्दर मन्दिर में अपने वरदानी स्वरूप में... *मैं आत्मा महावीर पवन पुत्र हनुमान हूँ... मैं भव्य मन्दिर में विराजमान संकट मोचन हनुमान हूँ... भक्त आत्माओं की भीड़ लगी है...* डर, चिंता, भय के काले बादलों ने इन आत्माओं के जीवन में ग्रहण लगा दिया है... *अंशात और दुखी होकर वे आत्माएँ पुकार रही है... हे संकट मोचन, हे महावीर हमारा कल्याण करों, शांति दो...* इन दुखों के संकटों से हमें बाहर निकालों... हे महावीर कृपा करो... वे आरती गा रहे है... *जय जय हनुमान गोसाई कृपा करहु गुरु देव की नाई... मुझ संकट मोचन महावीर हनुमान के मस्तक और नयनों से शक्तियों की किरणें निकल कर सभी अशांत, दुखी, परेशान संकट मे घिरी आत्माओं पर पड़ रही है...* इनके कष्ट मिट रहे है... इनके संकट खत्म हो रहे है... *सभी आत्माएँ सुख-शांति की अनुभूति कर रही है... सभी आत्माओं का मनोबल बढ़ रहा है... सभी आत्माएँ खुश और सन्तुष्ट होकर जा रही है...*

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को अति सुन्दर विशाल मन्दिर में... *मैं आत्मा माँ सन्तोषी हूँ... सबको सन्तोष देने वाली, मैं मां सन्तोषी देख रही हूँ... भक्तों की भीड़ को जो नंगे पांव सीढीयाँ चढते हे माँ सन्तोषी, सुख दो माँ, शांति दो... जय माँ सन्तोषी कह पुकार रहे है...* वे एक पल की शांति और खुशी की अंचली मांग रहे है... कृपा करो हे जगत जननी कृपा करो... *कुछ आत्माएँ मन्दिर में आरती गा रही है... मैं तो आरती उतारु रे सन्तोषी माता की जय जय सन्तोषी माता जय जय माँ...* मुझ माँ सन्तोषी के नयनों से शीतल किरणें इन सभी आत्माओं पर पड़ रही है... *ये सभी आत्माएँ सुख और शांति की अनुभूति कर रही है...* मुझ सन्तोषी माँ के वरदानी हाथों से किरणें निकल इन आत्माओं पर पड़ रही है... सभी आत्माओं की मनोकामनाएं पूर्ण हो रही है... *इनका मन शांत हो गया है... सन्तोष से परिपूर्ण हो गया है... सभी आत्माएँ सन्तुष्ट होकर जा रही है... खुश होकर जा रही है... शुक्रिया मीठे बाबा शुक्रिया...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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