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 09 / 10 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अपना पुराना बैग बेगेज 21 जन्मो के लिए ट्रान्सफर किया ?*

 

➢➢ *गरीबो को ज्ञान दान दिया ?*

 

➢➢ *सर्व खजानों की सम्पन्नता द्वारा सम्पूरणता का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *दिव्य बुधी द्वारा सर्व सिद्धियों को प्राप्त करने का पुरुषार्थ किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *कर्मातीत बनने के लिए चेक करो कहाँ तक कर्मों के बन्धन से न्यारे बने हैं?* लौकिक और अलौकिक, कर्म और सम्बन्ध दोनों में स्वार्थ भाव से मुक्त कहॉ तक बने हैं?

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ"*

 

〰✧  अपने को श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा समझते हो? सदा हर कदम में आगे बढ़ते जा रहे हो? *क्योंकि जब बाप के बन गये तो पूरा अधिकार प्राप्त करना बच्चों का पहला कर्तव्य है। सम्पन्न बनना अर्थात् सम्पूर्ण अधिकार प्राप्त करना।* ऐसे स्वयं को सम्पन्न अनुभव करते हो?

 

  जब भाग्यविधाता भाग्य बांट रहे हैं, तो पूरा भाग्य लेना चाहिए ना। तो थोड़े में राजी होने वाले हो या पूरा लेने वाले हो? *बच्चे अर्थात् पूरा अधिकार लेने वाले। हम कल्प-कल्प के अधिकारी है - यह स्मृति सदा समर्थ बनाते हुए आगे बढ़ाती रहेगी। यह नई बात नहीं क रहे हो, यह प्राप्त हुआ अधिकार फिर से प्राप्त कर रहे हो।* नई बात नहीं है। कई बार मिले हैं और अनेक बार आगे भी मिलते रहेंगे।

 

  आदि, मध्य, अन्त तीनों कालों को जानने वाले हैं - यह नशा सदा रहता है? *जो भी प्राप्ति हो रही है वह सदा है, अविनाशी है - यह निश्चय और नशा हो तो इसी आधार से उड़ती कला में उड़ते रहेंगे।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  जैसे इन स्थूल कर्मेन्द्रियों को, जिस समय, जैसा ऑर्डर करते हो, उस समय वो ऑर्डर से चलती है। ऐसे ही *ये सूक्ष्म शक्तियाँ भी आपके ऑर्डर पर चलने वाली हो।*

 

✧  चेक करो कि सारे दिन में सर्व शक्तियाँ ऑडर में रही? क्योंकि *जब ये सर्वशक्तियाँ अभी से आपके ऑर्डर पर होंगी तब ही अंत में भी आप सफलता को प्राप्त कर सकेंगे।*

 

✧  इसके लिए बहुत काल का अभ्यास चाहिए। तो इस नये वर्ष में ऑर्डर पर चलाने का विशेष अभ्यास करना। क्योंकि विश्व का राज्य प्राप्त करना है ना। *'विश्व राज्य-अधिकारी बनने के पहले स्वराज्य अधिकारी बनो।”* (पार्टियों के साथ)

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧ विदेही, साक्षी बन सोचो लेकिन सोचा, प्लैन बनाया और सेकण्ड में प्लेन स्थिति बनाते चलो। *अभी आवश्यकता स्थिति की है। यह विदेही स्थिति परिस्थिति को बहुत सहज पार कर लेगी। जैसे बादल आये, चले गये और विदेही, अचल अडोल हो खेल देख रहे हैं। अभी लास्ट समय की सोचते हो लेकिन लास्ट स्थिति की सोचो।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺  *"ड्रिल :- सबसे अपना बुद्धियोग तोड़ एक बाप को याद करना"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा देहदेह के संबंधो केदेह की दुनियावस्तुवैभवों के जाल में फसी हुई थी... दुनियावी संबंधों के ताने-बाने में उलझ कर इधर-उधर भटक रही थी... इन जीवन बन्धनों में बंधी मैं आत्मा छटपटा रही थी... कोटो में से मेरी पुकार सुनकर मेरे सच्चे पिता ने ज्ञान-योग की कैंची से मुझ आत्मा के बन्धनों की रस्सियों को काटकर मुझे इस जाल से आजाद कराया...* गुण-शक्तियों का बल देकर आजाद पंछी की तरह मुझे उड़ना सिखाया... मैं आत्मा इस देह रूपी वस्त्र को छोडकर प्रकाश का वस्त्र धारण कर... उड़ चलती हूँ प्रकाश की दुनिया में... जहाँ बापदादा बैठे मेरा इन्जार कर रहे हैं... 

 

  प्यारे बाबा दैहिक बन्धनों में भटकते हुए मेरे मन-बुद्धि को अपने स्नेह के सम्बन्ध में बांधते हुए कहते हैं:– “मेरे मीठे फूल बच्चे... अब देह के मटमैले रिश्तो में स्वयं को मैला न करो... आत्मा के भान में रह आत्मिक अनुभूतियों का आनंद लो... श्रीमत के साये में फूलो सा जीवन संवार चलो... *विनाशी सम्बन्धो से निकलकर अविनाशी आत्मा के नशे में खो जाओ... एक बाप से बुद्धियोग लगाकर सब बंधन समाप्त करो... ईश्वरीय साथ के अमूल्य पलों में खुद को कहीं भी न उलझाओ...”*

 

 _ ➳  मैं आत्मा बापदादा की बाँहों में समाकर बाबा के लाड-प्यार में खुश होती हुई कहती हूँ:– “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा सच्चे प्यार को पाकर प्रेम दीवानी हो गयी हूँ... प्यारे बाबा... सच्चे प्यार की बून्द को तरसती मै आत्मा... आज सागर को पाकर तृप्त हो गयी हूँ...* आपके साथ और श्रीमत के हाथ को पकड़कर असीम खुशियो से भर गयी हूँ...

 

 मीठे बाबा अपनी मीठी-मीठी दुआओं से मेरा दामन सजाते हुए कहते हूँ:– “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्ची प्रीत सच्चे माशूक संग रखकर प्रेम के पर्याय बन सदा के खुशनुमा हो जाओ... श्रीमत को रोम रोम में बसाकर देह के बन्धनों से मुक्त हो जाओ... *संगम के सुनहरे पलों को ईश्वर पिता की यादो में समाकर असीम खुशियो से भरे भाग्य को पा लो...”*

 

 _ ➳  मैं आत्मा विनाशी बन्धनों से मुक्त होकर बाबा के अविनाशी स्नेह के झूले में झूलती हुई कहती हूँ:- मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा देह के बन्धनों में कितनी उलझी सी थी... आपने प्यारे बाबा मुझे उलझनों से निकाल श्रीमत पर सदा का सुखी बनाया है... *मेरा जीवन फूलो जैसा हल्का और खुशनुमा बनाया है... मै आत्मा इन मीठी यादो में खोकर अतीन्द्रिय सुख पा रही हूँ...”*

 

  मेरे बाबा हद के दुखों से छुड़ाकर बेहद के सुख की दुनिया में ले जाते हुए कहते हैं:– “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *इस झूठ की दुनिया में सच्चे प्यार की बून्द की आस भी छलावा है... इसलिए प्यार के सागर मेंप्रेम की अनन्त गहराइयो में डूब जाओ... और अतृप्त मन की प्यास बुझाओ...* और प्रेम अमृत में अमरता को पाकर अथाह सुखो में मुस्कराओ... सच्चे प्रियतम से जुड़कर प्रेम तरंगो से भर जाओ...

 

 _ ➳  मैं आत्मा प्यारे बाबा के पारलौकिक प्रेम के सागर की गहराइयों में डूबती हुई कहती हूँ:- हाँ मेरे मीठे बाबा... मुझ आत्मा को देह के रिश्तो में सच्चा प्यार कभी न मिला... हर रिश्ते ने ठगा और खोखला किया... *अब आपकी यादो की छत्रछाया में कितनी शीतलकितनी सुखी और प्रेममय हो गयी हूँ... देह के सारे भ्रम से निकल अपने और पिता के स्वरूप पर मन्त्रमुग्ध हो गयी हूँ...”*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- निश्चयबुद्धि बन पढ़ाई पढ़नी है*"

 

 _ ➳  स्वयं भगवान से पढ़ने का सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य प्राप्त करने वाली मैं पदमापदम सौभाग्य शाली आत्मा हूँ इस बात को स्मृति में लाते ही  ईश्वरीय नशे से मैं आत्मा भरपूर हो जाती हूँ। और अपने लक्ष्य को सामने रख उसे पाने के लिए अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप में स्थित हो कर ईश्वरीय पढ़ाई में लग जाती हूँ। *अपने परम शिक्षक शिव बाबा द्वारा पढ़ाये ईश्वरीय महावाक्यों पर गहराई से मन्थन करते हुए उन्हें अपने जीवन मे धारण कर अपने जीवन को हीरे तुल्य बनाने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा कर अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर अपने परम शिक्षक शिव बाबा से पढ़ने के लिए सूक्ष्म वतन में पहुंच जाती हूँ और यहां पहुंच कर उनका आह्वान करती हूँ*।

 

 _ ➳  सेकेंड में मेरे मीठे बाबा मुझे पढ़ाने के लिए परमधाम से सूक्ष्मवतन में पहुंच जाते है और ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में आ कर विराजमान हो जाते हैं। *बाबा मेरे सम्मुख आ कर बैठ जाते हैं और अपनी मीठी दृष्टि से मुझे भरपूर करते हुए कहते हैं चलो बच्चे आज पढ़ाई के साथ साथ पिकनिक करते हैं। यह कहकर बाबा मेरा हाथ थामे मुझे आबू की पहाड़ियों पर ले आते हैं*। यहां पहुंच कर बाबा एक एक करके अपने सभी रूहानी विद्यार्थियों को इमर्ज करते हैं। देखते ही देखते सभी रूहानी विद्यार्थी वहां उपस्थित हो जाते हैं। सामने संदली पर परम शिक्षक के रूप में बापदादा बैठ जाते हैं और उनके सामने सभी गॉडली स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए बैठ जाते हैं।

 

 _ ➳  सभी गॉडली स्टूडेंटस भगवान के मुख से उच्चरित मीठे मधुर महावाक्यों को पूरी तन्मयता के साथ सुन रहें हैं। सबकी निगाहें एकटक बापदादा के ऊपर टिकी हैं। एक एक स्टूडेंट को बाबा बड़े प्यार से अपने पास बुला कर हर बात समझा रहें हैं। *ऐसा लग रहा है जैसे बाबा एक एक बच्चे का ज्ञान रत्नों से श्रृंगार कर रहें हैं। सभी बच्चे ज्ञान सागर बाप से अखुट ज्ञान पा कर मास्टर नॉलेजफुल बन रहे हैं*। सबको ज्ञान रत्नों से भरपूर करके अब बाबा सभी विद्यार्थियों को होम वर्क दे रहें है कि इस पढ़ाई का कदर रखने के लिए अब इसे अच्छी रीति धारण कर बहुतों के कल्याण के निमित बनो।

 

 _ ➳  सभी गॉडली स्टूडेंट्स ईश्वरीय पढ़ाई पढ़ कर अब ईश्वरीय सेवा अर्थ अपने अपने कार्य क्षेत्र पर लौट आते हैं। बाबा द्वारा मिले होम वर्क को पूरा करने के लिए अपने परमशिक्षक शिव बाबा द्वारा पढ़ाये ईश्वरीय महावाक्यों को अपने जीवन मे धारण कर, ज्ञान स्वरूप बन अब मैं बहुतों का कल्याण करने चल पड़ती हूँ। *कभी अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को ईश्वरीय सन्देश दे कर उन्हें भी ईश्वरीय राह पर चल अपने जीवन को हीरे तुल्य बनाने का सत्य मार्ग दिखा रही हूं तो कभी अपने फ़रिशता स्वरूप में स्थित हो कर शंख ध्वनि कर, विश्व की सर्व आत्माओं को ईश्वरीय पालना का अनुभव करवा रही हूं*।

 

 _ ➳  मेरे मुख से निकले वरदानी बोल अनेकों आत्माओं को मुक्ति जीवन मुक्ति का रास्ता दिखा रहें हैं। ज्ञान के अस्त्रों - शस्त्रों से मुझे सुसज्जित करके मेरे ज्ञान सागर शिव बाबा ने अनेकों आत्माओं की काया - कल्पतरु करने के मुझे निमित बना दिया है। *ईश्वरीय प्राप्तियों से परिपूर्ण मेरा जीवन मनुष्यों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन रहा है। अपने परम पिता, परम शिक्षक शिव बाबा का और उनसे मिलने वाले सत्य ज्ञान/ईश्वरीय पढ़ाई का बहुत बहुत कदर करते हुए उसे अपने जीवन मे धारण कर सबको आत्म ज्ञान दे कर अब मैं सबके जीवन को समर्थ बना रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मै सर्व ख़ज़ानों की सम्पन्नता द्वारा सम्पूर्णता का अनुभव करने वाली प्राप्ति स्वरूप आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं दिव्य बुद्धि द्वारा सर्व सिद्धियों को प्राप्त करने वाली सिद्धी स्वरूप आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बाप के रूप में परमात्म पालना का अनुभव कर रहे हो। यह परमात्म पालना सारे कल्प में सिर्फ इस ब्राह्मण जन्म में आप बच्चों को प्राप्त होती हैजिस परमात्म पालना में आत्मा को सर्व प्राप्ति  स्वरूप का अनुभव होता है। *परमात्म प्यार सर्व संबंधों का अनुभव कराता है। परमात्म प्यार अपने देह भान को भी भुला देता, साथ-साथ अनेक स्वार्थ के प्यार को भी भुला देता है। ऐसे परमात्म प्यारपरमात्म पालना के अन्दर पलने वाली भाग्यवान आत्मायें हो।* कितना आप आत्माओं का भाग्य है जो स्वयं बाप अपने वतन को छोड़ आप गाडली स्टूडेन्टस को पढ़ाने आते हैं। ऐसा कोई टीचर देखा जो रोज सवेरे-सवेरे दूरदेश से पढ़ाने के लिए आवेऐसा टीचर कभी देखालेकिन आप बच्चों के लिए रोज बाप शिक्षक बन आपके पास पढ़ाने आते हैं और कितना सहज पढ़ाते हैं।

 

 _ ➳  *दो शब्दों की पढ़ाई है - आप और बाप, इन्हीं दो शब्दों में चक्कर कहोड्रामा कहो, कल्प वृक्ष कहो सारी नालेज समाई हुई है।* और पढ़ाई में तो कितना दिमाग पर बोझ पड़ता है और बाप की पढ़ाई से दिमाग हल्का बन जाता है। हल्के की निशानी है ऊंचा उड़ना। हल्की चीज स्वत: ही ऊंची होती है। तो इस पढ़ाई से मन-बुद्धि उड़ती कला का अनुभव करती है। तो दिमाग हल्का हुआ ना! तीनों लोकों की नालेज मिल जाती है। तो ऐसी पढ़ाई सारे कल्प में कोई ने पढ़ी है। कोई पढ़ाने वाला ऐसा मिला। तो भाग्य है ना!

 

 _ ➳  फिर सतगुरू द्वारा श्रीमत ऐसी मिलती है जो सदा के लिए क्या करूंकैसे चलूंऐसे करूं या नहीं करूंक्या होगा..... यह सब क्वेश्चन्स समाप्त हो जाते हैं। *क्या करूंकैसे करूं,ऐसे करूं या वैसे करूं... इन सब क्वेश्चन्स का एक शब्द में जवाब है - फालो फादर। साकार कर्म में ब्रह्मा बाप को फालो करोनिराकारी स्थिति में अशरीरी बनने में शिव बाप को फालो करो। दोनों बाप और दादा को फालो करना अर्थात् क्वेश्चन मार्क समाप्त होना वा श्रीमत पर चलना।*

 

 _ ➳  *तो सदा अपने भाग्य की प्राप्तियों को सामने रखो। सिर्फ बुद्धि में मर्ज नहीं रखोइमर्ज करो। मर्ज रखने के संस्कार को बदलकर इमर्ज करो। अपनी प्राप्तियों की लिस्ट सदा बुद्धि में इमर्ज रखो।* जब प्राप्तियों की लिस्ट इमर्ज होगी तो किसी भी प्रकार का विघ्न वार नहीं करेगा। वह मर्ज हो जायेगा और प्राप्तियों इमर्ज रूप में रहेंगी।

 

✺   *ड्रिल :-  "परमात्म पालना में सर्व प्राप्ति स्वरूप का अनुभव करना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा मन और बुद्धि द्वारा कुम्भ के मेले में पहुँचती हूँ... मैं पाँच हज़ार वर्ष से अपने पिता से बिछड़ी हुई थी... दुःखी होने के कारण उदास थी... मैं आत्मा तरेसठ जन्मों से घोर अंधियारे में थी... तभी अचानक से सुगन्धित खुशबू महकने लगती है...* मैं पीछे मुड़कर देखती हूँ तो अपने खोये हुए पिता को कमल पुष्प में पाती हूँ... बहुत सालों बाद अपने पिता को देख रही हूँ... बाबा को देखकर पाँच हज़ार वर्ष पुरानी स्मृतियाँ याद आ रही हैं...

 

_ ➳  *मेले में चमकते हुए जुगनू रूपी परमात्म प्यार और ठंडे शर्बत रूपी श्रीमत के मुफ्त स्टॉल्स लगे हुए है... जो जितना चाहे उतना ले सकता हैं... बाबा मुझे उन स्टॉल्स तक ले गये और मुझे ढ़ेर सारा जुगनू रूपी प्यार और रंग बिरंगे शर्बत रूपी श्रीमत मुफ़्त में दिला दिये...* जैसे ही मैंने उन जुगनुओं को हाथ में लिया, उनमे से तेज़ चमकती हुई रोशनी मुझ आत्मा पर पड़ने लगी... उन ठंडे शर्बत रूपी श्रीमतों को पीने से मैं शीतल हो रही हूँ... मैं आत्मा बाबा की हर श्रीमत को आसानी से धारणा में ला रही हूँ... अब मैं क्या करूँ, कैसे चलूं के क्वेश्चन्स भूल चुकी हूँ...

 

_ ➳  मेरे बाबा मुझपर सोने जैसे रंग का फुव्वारा न्यौछावर कर रहे हैं... मैं उसमे नहा रही हूँ... *मुझ आत्मा से मैल रूपी देह भान निकल रहा हैं... जो अनेक आत्माओं से स्वार्थ का प्यार था वो भी छूट रहा हैं... मुझे बस बाबा ही दिखाई दे रहे हैं... मुझे बस अब यह ध्यान है कि मैं आत्मा हूँ और बाबा से मेरे सर्व संबंध हैं...* वह मेरे पिता, सतगुरु, टीचर, माँ, भाई, बहन सब कुछ हैं...

 

_ ➳  मैं एकदम हल्की होती जा रही हूँ... बाबा ने मुझपर दो पंख लगा दिए है... अब मैं जब चाहूं तब उड़ सकती हूँ... जब चाहूं बाबा की गोद मे बैठकर सारे क्वेश्चन मार्क को समाप्त कर सकती हूँ... *मैं बिंदू, बाबा बिंदू, ड्रामा भी बिंदू, इन तीनों की नॉलेज को अब मैं सिर्फ बुद्धि में नहीं रखती बल्कि प्रैक्टिकल स्वरूप में लाती हूँ...*

 

_ ➳  *मैं आत्मा परमात्म पालना में सर्व प्राप्तियों का अनुभव कर रही हूँ...  मैं अब जो भी साकार में कर्म करती हूँ तो सबसे पहले ब्रह्मा बाबा के कर्मो और उनके तीव्र पुरुषार्थ को सामने रखकर कर्म करती हूँ... निराकारी स्थिति में अशरीरी बनने में शिव बाबा को फॉलो करती हूँ...* अब कोई भी विघ्न आता है तो मैं अपने भाग्य की प्राप्तियों को सामने रख इमर्ज करती हूँ... अब सारे विघ्न आसानी से हल हो जाते है...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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