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 10 / 12 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *विचार सागर मंथन कर बेहद की सर्विस का सबूत दिया ?*

 

➢➢ *पुरानी देह और पुरानी दुनिया को बुधी से भूलते गए ?*

 

➢➢ *कर्म करते शक्तिशाली स्टेज पर स्थित हो रूहानी पर्सनालिटी का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *सही राह पर चलने वाले तथा सबको राह दिखाने वाले सच्चे सच्चे लाइट हाउस बनकर रहे ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *किसी भी विघ्न से मुक्त होने की युक्ति है - सेकण्ड में स्वयं का स्वरूप अर्थात् आत्मिक ज्योति स्वरूप स्मृति में आ जाए और कर्म में निमित्त भाव का स्वरूप -* इस डबल लाइट स्वरूप में स्थित हो जाओ तो सेकण्ड में हाई जम्प दे देंगे। कोई भी विघ्न आगे बढ़ने में रूकावट नहीं डाल सकेगा।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *" मैं परमात्मा द्वारा चुनी हुई श्रेष्ठ आत्मा हूँ "*

 

✧  सभी अपने को इस विश्व के अन्दर सर्व आत्माओंमें से चुनी हुई श्रेष्ठ आत्मा समझते हो? यह समझते हो कि स्वंय बाप ने हमें अपना बनाया है? *बाप ने विश्व के अन्दर से कितनी थोड़ी आत्माओंको चुना। और उनमें से हम श्रेष्ठ आत्मायें हैं।* यह संकल्प करते ही क्या अनुभव होगा? अतीन्द्रिय सुख की प्राप्ति होगी। ऐसे अनुभव करते हो? अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति होती है वा सुना है? प्रैक्टिकल का अनुभव है वा सिर्फ नालेज है? क्योंकि ज्ञान अर्थात् समझ। समझ का अर्थ ही है - 'अनुभव में लाना'।

 

✧  सुनना, सुनाना अलग चीज है, अनुभव करना और चीज है। यह श्रेष्ठ ज्ञान है अनुभवी बनने का। द्वापर से अनेक प्रकार ज्ञान सुने और सुनाये। जो आधाकल्प किया वह अभी भी किया तो क्या बड़ी बात! *यह नई जीवन, नया युग, नई दुनिया के लिए नया ज्ञान, तो इसकी नवीनता ही तब है जब अनुभव में लाओ।*

 

✧  एक एक शब्द, आत्मा, परमात्मा, चक्र कोई भी ज्ञान का शब्द अनुभव में आये। रियलाइजेशन हो। *आत्मा हूँ यह अनुभूति हो, परमात्मा का अनुभव हो, इसको कहा जाता है - 'नवीनता'।* नया दिन, नई रात, नया परिवार सब कुछ नया ऐसे अनुभव होता है? भक्ति का फल अभी ज्ञान मिल रहा है तो ऐसे ज्ञान के अनुभवी बनो अर्थात् स्वरूप में लाओ।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  कई बच्चे कहते हैं - बहुत सेवा की है ना तो थक गये हैं, माथा भारी हो गया है। तो माथा भारी नहीं होगा। और ही *करावनहार' बाप बहुत अच्छा मसाज करेगा। और माथा और ही फ्रेश हो जायेगा।* थकावट नहीं होगी, एनर्जी एक्सट्रा आयेगी।

 

 

✧  *जब साइन्स की दवाइयों से शरीर में एनर्जी आ सकती है, तो क्या बाप की याद से वा आत्मा में एनर्जी नहीं आ सकती?* और आत्मा में एनर्जी आई तो शरीर में प्रभाव आटोमेटिकली पडता है। अनुभवी भी हो, कभी-कभी तो अनुभव होता है।

 

✧  फिर चलते-चलते लाइन बदली हो जाती है और पता नहीं पडता है। जब कोई उदासी, थकावट या माथा भारी होता है ना फिर होश आता है, क्या हुआ? क्यों हुआ? लेकिन *सिर्फ एक शब्द करनहार' और करावनहार' याद करो, मुश्किल है या सहज है? बोलो हाँ जी।* अच्छा।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  जो बाप के रिश्ते से प्राप्ति होती है वह उसी सेकेण्ड में स्मृति में नहीं आती है, भूल जाते हैं। इसलिए कोई का आधार ले लेते हैं। प्राप्ति कोई कम है क्या? *मुश्किल के समय बाप का सहारा लेना चाहिए, न कि किसी आत्मा का सहारा लेना चाहिए। लेकिन उस समय वह प्राप्ति भूल जाती है। कमज़ोर होते हैं। जैसे डूबते हुए को तिनका मिल जाता है तो उसका सहारा ले लेते हैं।* उस समय परेशानी के कारण जो तिनका सामने आता है उनका सहारा ले लेते हैं, *लेकिन उससे बेसहारे हो जायेंगे- यह स्मृति में नहीं रहता।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सर्विस की वृद्धि के नए-नए तरीके निकालना"*

 

_ ➳  मीठे बाबा ने जब से मेरा हाथ पकड़ा हैं, मुझे अपना बनाया हैं... *जीवन फूलो से महकने लगा है... चलते फिरते बस यही विचार रहता हैं कि कैसे मै ज्ञान रत्नों का अलग अलग तरह से विचार सागर मंथन करू...* जन्मो से प्यासी आत्मा को बाबा का हाथ और साथ मिलेगा... ये तो स्वप्नों में भी सोचा ना था... *आज मीठे बाबा को पाकर मैं आत्मा अमीर बन गईं हूँ सही मायने में... बाबा की प्रत्यक्षता की सर्विस की नई नई युक्तियाँ मन मे सजाकर... मैं आत्मा उड़ चली सूक्ष्म वतन बाबा को सब बताने... हाले दिल सुनाने* ...

 

  *मेरे प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को विचार सागर मंथन के गहरे राज बताते हुए कहा:-* "मीठे सिकीलधे बच्चे... *मुझ बाप का संग बहुत वरदानी हैं... इसको हर हाल मे सफल बनाना है... चलते फ़िरते हर कर्म में बाप को याद रख, सर्विस की नई नई युक्तियाँ निकालनी हैं...* समर्थ चितंन से बाप को, बाप की याद को सफल बनाना है... सच्ची कमाई से देवताई अमीरी को पाना हैं..."

 

_ ➳  *मै आत्मा बाबा को पूरे हक से, अधिकार से कहती हूं :-* "मेरे प्यारे मीठे बाबा... *आपने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर, मुझे ज्ञानरत्नो से भरपूर किया हैं* ... नए नए सर्विस की युक्तिओ से नवाजा हैं... इस सच्ची कमाई को ग्रहण कर मैं पूरे विश्व मे बाँट रही हूं... सभी आत्माओ की रूहानी सर्विस कर रही हूँ..."

 

  *परमपिता ने मुझे स्वर्ग के सुखों को याद दिलाते हुए कहा:-* "मेरे प्यारे, नैनो के तारे बच्चे... *किस्मत ने अति उत्तम दिन दिखाया हैं... स्वयम भगवान को हर सम्बन्ध में मिलवाया हैं... तो अब सच्ची कमाई करो* ... चलते फिरते बस एक बाबा की याद... दूसरा न कोई... सार्थक कर लो ये जीवन, हर सांस मे पिरो लो बाबा का प्यार... इतनी सर्विस की युक्तियाँ निकालो की... 21जन्मो के लिए भरपूर हो जाओ..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा बाबा की वसीयत, वर्सा की हकदार बनते हुए बाबा को कहती हूं :-* "प्राणों से भी प्यारे मेरे बाबा... *मै आपकी याद में सदा खोई हुई... प्यार के झूले में झूलती हुई, हर क्षण बस आपको याद कर आनन्दित हो रही हूँ* ... हर पल अन्य आत्माओ को भी आप से जुड़ने की नई नई युक्तियाँ बता कर... खुद को भाग्यशाली बना रही हूँ..."

 

  *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को बड़े प्यार से निहारते हुए कहा:-* "मीठे मीठे बच्चे... इस संगम की मौज में, बाबा की सर्विस से... *धनवान बन जाओ... एक पल भी बाबा की याद ना छोड़ो... सच्ची कमाई करो और कराओ... यादों की कमाई से देवताओ की तरह सम्पन्न बन जाओ* ... भरपूर होकर 21 जन्मो तक मौज मनाओ... हर कर्म करते हुए बुद्धि योग मुझ बाप संग लगाओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा बाबा से सम्पूर्ण ज्ञान खजाने बटोरते हुए, सारे विश्व की मालिक बन कहती हूं:-* प्यारे बाबा... "हमेशा से आपने मुझ आत्मा को महारानी का ताज पहनाया हैं... *मुझ आत्मा को चलते फिरते, रूहानी सर्विस करने के निमित्त बनाया हैं* ... कर्म करते आप को याद रखने की शक्ति दी हैं... इस तरह रूह रिहान कर मै आत्मा वापिस अपने लौकिक वतन आ जाती हूं..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  पुरानी देह पुरानी दुनिया को बुद्धि से भूलते जाना है*

 

_ ➳  हर संकल्प, विकल्प से मुक्त, सम्पूर्ण एकाग्र चित अवस्था में स्थित होकर अपने तपस्वी स्वरूप का मैं आह्वान करती हूँ। सेकण्ड में मेरा तपस्वी स्वरूप मेरी आँखों के सामने प्रत्यक्ष हो जाता है। *देख रही हूँ अब मैं अपने उस स्वरूप को जो अपने प्यारे प्रभु की याद में मग्न है। नश्वर संसार की किसी भी बात से उसका कोई तैलूक नही। एक रस अवस्था। बुद्धि का योग केवल एक के साथ। सर्व सम्बन्ध केवल उस एक के साथ*। इंद्रियों के क्षण भंगुर सुख को छोड़, अतीन्द्रीय सुख के झूले में झूलती आत्मा अपने प्यारे पिता के प्रेम की लगन में ऐसे मग्न हो चुकी है कि सिवाए परमात्म प्रेम के उसे और कुछ भी दिखाई नही दे रहा। *कितनी न्यारी और प्यारी अवस्था है यह! कितना सुख समाया है प्रभु प्रेम में मग्न इस अवस्था में*।

 

_ ➳  अपने इस अति सुख और आनन्दमयी तपस्वी स्वरूप में सदा स्थित रहने के लिए मुझे अपनी अवस्था को ऐसा एकाग्र चित बनाना है जो बुद्धि योग सदा एक बाप के साथ लगा रहे। पुराने घर, पुरानी दुनिया मे बुद्धि कभी ना जाये। *मन मे यह दृढ़ संकल्प करके, मैं फिर से अपनी बुद्धि को एकाग्र करती हूँ और अपने निराकारी सत्य स्वरुप पर अपने ध्यान को केंद्रित कर लेती हूँ*। देख रही हूँ अब मैं अपने सर्व गुणों और सर्व शक्तियों से सम्पन्न अपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप को जो एक प्वाइंट ऑफ लाइट, एक अति सूक्ष्म सितारे के रुप में भृकुटि पर चमक रहा है। सर्व गुणों, सर्वशक्तियों की किरणे मुझ आत्मा से निकल कर धीरे - धीरे चारों और फैल कर मेरे आस - पास के वायुमण्डल को शान्त और सुखमय बना रही है। *गहन शान्ति की स्थिति में मैं सहज ही स्थित होती जा रही हूँ*।

 

_ ➳  अपने मन और बुद्धि को अपने इस सत्य स्वरूप पर पूरी तरह एकाग्र करके, अपने स्वरूप की सुखद अनुभूति करते - करते अब मैं अपने मन बुद्धि को अपने शिव पिता के स्वरुप पर एकाग्र करती हूँ। *बिल्कुल मेरे ही समान एक चमकता हुआ स्टार मेरी आँखों के सामने मुझे स्पष्ट दिखाई दे रहा है। अपने पिता को अपने ही समान पाकर एक गहन सुकून का अनुभव कर रही हूँ मैं*। कभी मैं अपने आप को देख रही हूँ और कभी अपने प्यारे पिता को निहार रही हूँ। प्रकाश की अनन्त किरणे बिखेरता हुआ उनका ये सुन्दर स्वरूप मुझे अपनी ओर खींच रहा है। *ऐसा लग रहा है जैसे अपनी सर्वशक्तियों की किरणो रूपी बाहों को फैलाये बाबा मुझे अपने साथ चलने के लिए बुला रहें हैं*।

 

_ ➳  अपने प्यारे पिता की किरणों रूपी बाहों में समा कर इस नश्वर देह और देह की दुनिया को भूल अब मैं उनके साथ उनकी निराकारी दुनिया मे जा रही हूँ। *अपनी बाहों के झूले में झुलाते हुए बाबा मुझे इस छी - छी विकारी दुनिया से दूर, अपनी निर्विकारी दुनिया मे ले जा रहें हैं। पांच तत्वों की साकारी दुनिया को पार कर, सूक्ष्म लोक से भी पार अपने शिव पिता के साथ मैं पहुंच गई हूँ अपने निर्वाणधाम घर में*। संकल्पों -  विकल्पों की हर प्रकार की हलचल से मुक्त, वाणी से परे अपने इस निर्वाणधाम घर में शांति के सागर अपने शिव पिता के सामने मैं गहन शांति का अनुभव कर रही हूँ। *मन बुद्धि रूपी नेत्रों से मैं अपलक शक्तियों के सागर अपने शिव पिता को निहारते हुए, उनसे अनेक जन्मों के बिछड़ने की सारी प्यास बुझा रही हूँ। उनके प्रेम से, उनकी शक्तियों से मैं स्वयं को भरपूर कर रही हूँ*।

 

 _ ➳  परमात्म शक्तियों से भरपूर हो कर, अतीन्द्रिय सुखमय स्थिति का गहन अनुभव करके अब मैं वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ और आकर अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित हो गई हूँ। परमात्म प्रेम का सुखदाई अनुभव, साकारी देह में रहते हुए भी अब मुझे देह और देह से जुड़े बन्धनों से मुक्त कर रहा है। *किसी भी देहधारी के झूठे प्यार का आकर्षण अब मुझे आकर्षित नही कर रहा। सर्व सम्बन्धों का सच्चा रूहानी प्यार अपने मीठे बाबा से निरन्तर प्राप्त करने से, पुराने घर, पुरानी दुनिया से मेरा बुद्धियोग टूट कर, केवल एक बाबा के साथ जुट रहा है जो मेरी अवस्था को एकाग्रचित बना कर मुझे हर पल परमात्म प्यार और परमात्मा पालना का सुख प्रदान कर रहा है*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं कर्म करते शक्तिशाली स्टेज पर स्थित हो रूहानी पर्सनालिटी का अनुभव कराने वाली कर्मयोगी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं सही राह पर चलने वाला तथा सवको सही राह दिखाने वाला सच्चा सच्चा लाइट हाउस हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा ने पहले भी कहा है कि जैसे अभी यह पक्का हो गया है कि मैं ब्रह्माकुमारी/ब्रह्माकुमार हूँ। चलते फिरते- सोचते - हम ब्रह्माकुमारी हैंहम ब्रह्माकुमार ब्राह्मण आत्मा हैं। ऐसे *अभी यह नेचुरल स्मृति और नेचर बनाओ कि 'मैं फरिश्ता हूँ'। अमृतवेले उठते ही यह पक्का करो कि मैं फरिश्ता परमात्म-श्रीमत पर नीचे इस साकार तन में आया हूँसभी को सन्देश देने के लिए वा श्रेष्ठ कर्म करने के लिए।* कार्य पूरा हुआ और अपने शान्ति की स्थिति में स्थित हो जाओ। ऊंची स्थिति में चले जाओ। *एक दो को भी फरिश्ते स्वरूप में देखो। आपकी वृत्ति दूसरे को भी धीरे- धीरे फरिश्ता बना देगी। आपकी दृष्टि दूसरे पर भी प्रभाव डालेगी।*

 

 _ ➳  *उमंग-उल्लास है तो सफलता है ही* क्यों नहीं हो सकता है! आखिर तो समय आयेगा जो सब साधन आपकी तरफ से यूज होंगे। आफर करेंगे आपको। आफर करेंगे कुछ दोकुछ दो। मदद लो। *अभी आप लोगों को कहना पड़ता है - सहयोगी बनो, फिर वह कहेंगे हमारे को सहयोगी बनाओ। सिर्फ यह बात पक्की रखना। फरिश्ता, फरिश्ताफरिश्ता! फिर देखो आपका काम कितना जल्दी होता है।* पीछे पड़ना नहीं पड़ेगा लेकिन परछाई के समान वह आपेही पीछे आयेंगे। बस सिर्फ आपकी अवस्थाओं के रुकने से रूका हुआ है। *एवररेडी बन जाओ तो सिर्फ स्विच दबाने की देरी हैबस। अच्छा कर रहे हैं और करेंगे।*

 

✺   *ड्रिल :-  " 'मैं फरिश्ता हूँ' - यह नेचरल स्मृति और नेचर बनाना"*

 

 _ ➳  *सलोनी सी चाँदनी सुबह में छत पर बैठी मैं आत्मा अपने चंदा बाबा की यादों में  मगन हूँ...* बाबा से बड़ी मीठी प्यारी-प्यारी बातें कर रही हूँ... ऐसा लग रहा है जैसे इस धरती ने चमकीले तारों की चादर ओढ़ रखी हो... और *मेरे चँदा बाबा से शीतल-शीतल किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... अतिइन्द्रिय सुख के झूले में, मैं आत्मा झूल रही हूँ...* चँदा बाबा से एक-एक किरण मुझ आत्मा में समा रही है... मैं आत्मा बेहद भरपूर और शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... *उस एक में समाया हुआ अनुभव कर रही हूँ...* तभी एक बहुत बड़ा सोने-हीरों से जड़ा एक दरवाजा मुझ आत्मा के सामने आता है... *जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है, फरिशतों की दुनिया...*

 

 _ ➳  अचानक ऐसा अनुभव होता है जैसे बाबा कह रहें हो अन्दर आओ मीठे बच्चे, ये सुन कर मैं आत्मा इस दरवाजें की तरफ आगें बढ़ती हूँ... और अचानक दरवाजा अपने आप खुल जाता है... *चारों तरफ सफेद रंग की लाइट ही लाइट है... सामने फरिशतों के बादशाह ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में शिव बाबा बड़े से रंग-बिरंगे फूलों से बने चमकीले रंग के झूले पर बैठे नजर आते है...* जैसे ही मैं आत्मा अन्दर जाने के लिए कदम बढ़ाती हूँ... उसी पल बाबा की दृष्टि भी मुझ आत्मा पर पड़ती है... जैसे ही बाबा की वरदानी दृष्टि मुझ आत्मा पर पड़ती है... *बाबा मुझ आत्मा को फरिशता भव का वरदान देते है... और बाबा की आँखों से सफेद रंग की लाइट मुझ आत्मा पर गिरने लगती है...* और धीरे-धीरे तत्वों से बना शरीर परिवर्तन होकर लाइट का बनता जा रहा है...

 

 _ ➳  देख रही हूँ मैं आत्मा इस परिवर्तन की प्रक्रिया को... अब मैं आत्मा देख रही हूँ अपने *इस फरिशता स्वरूप को कितना अलौकिक कितना प्यारा मुझ आत्मा का यह स्वरूप है...* कितना हल्कापन कितना आंनद महसूस हो रहा है... अब मैं फरिशता उड़ कर पहुंच जाता हूँ बाबा के पास... *बाबा मुझ फरिशते को गोद में ले लेते है... और मेरे सिर पर हाथ फेरते है... अनुभव कर रहा हूँ मैं फरिशता बाबा के इस वरदानी हाथ को अपने सिर के ऊपर,* बाबा मुझ फरिशते का हाथ पकड़ते है और मुझे इस फरिशतों की दुनिया की सैर कराने लग जाते है... *चारों तरफ लाइट की ड्रेस वाले फरिशते घूम रहे है... रंग-बिरंगे लाइट के फूल चारों ओर है...*

 

 _ ➳  वही लाइट की रंग-बिरंगी तितलियाँ फूलों पर मड़रा रही है... *तभी बाबा मुझे गोदी में उठा लाइट के झूले पर बिठा झूला झूलाते है... मेरे ऊपर रंग-बिरंगे लाइट के फूल रूपी शक्तियों की बारिश बाबा कर रहे है...* तभी एकदम से झूला रूक जाता है बाबा भी झूले पर आकर बैठते है... *और मुझ फरिशतें का हाथ हाथों में लेकर दृष्टि देते है... मैं आत्मा महसूस कर रही हूँ, बाबा के अव्यक्त शब्दों को जो बाबा इस वरदानी दृष्टि द्वारा कह रहे है... बच्चे जाओ अपने विश्व कल्याण के कर्तव्य को पूरा करो...* बाबा हर पल आपकी छत्रछाया बनकर साथ है... *मैं फरिशता भी बाबा की आज्ञा को सिर-माथे रख, बाबा से वरदानी दृष्टि लेकर साकारी दुनिया में अवतरित हो जाता हूँ श्रेष्ठ कर्म करने, परमात्म सन्देश देने...*

 

 _ ➳  देख रहा हूँ मैं लाइट का फरिशता स्वयं को इस साकारी दुनिया में, उमंग-उत्साह के साथ *मैं फरिशता सबको बाबा का सन्देश दे रहा हूँ... हर कर्म मैं फरिशता बाबा की याद में बड़े उमंग-उत्साह से कर रहा हूं...* हर कर्म श्रेष्ठ हो रहा है... हर कार्य में सफलता मिल रही है... *जो भी आत्माएँ सामने आ रही है सभी को फरिशता स्वरूप में देख रहा हूँ... मुझ फरिशते की वृति-दृष्टि से ये आत्माएँ भी परिवर्तन हो रही है... मुझ फरिशते की वृत्ति धीरे-धीरे इन्हें भी फरिशता बना रही है... मैं फरिशता अपनी इस फरिशता जीवन को नेचुरल अनुभव कर रहा हूँ...* इस प्रकार मैं फरिशता हूँ ये पाठ पक्का हो गया है... आत्माएँ स्वयं आफर कर रही है, आप हमें  सहयोगी बनाओं, ये साधन आप यूज करो... *मैं फरिशता अनुभव कर रहा हूँ... सर्व कार्य जल्दी समपन्न हो रहे है... हर कार्य में सहज सफलता मिल रही है... शुक्रिया मीठे बाबा शुक्रिया*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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