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 29 / 09 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *भारत को सिरताज बनाने की सेवा की ?*

 

➢➢ *उल्टे संकल्पों में मुरझाये तो नहीं ?*

 

➢➢ *संपर्क में आने वाली आत्माओं को सदा सुख की अनुभूति कराई ?*

 

➢➢ *एक बाप को अपना संसार बना अविनाशी प्राप्तियां की ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  कर्मातीत का अर्थ यह नहीं है कि कर्म से अतीत हो जाओ। *कर्म से न्यारे नहीं, कर्म के बन्धन में फँसने से न्यारे-इसको कहते हैं कर्मातीत।* कर्मयोग की स्थिति कर्मातीत स्थिति का अनुभव कराती है। *यह कर्मयोगी स्थिति अति प्यारी और न्यारी स्थिति है, इससे कोई कितना भी बड़ा कार्य, मेहनत का हो लेकिन ऐसे लगेगा जैसे काम नहीं कर रहे हैं लेकिन खेल कर रहे हैं|*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं पदमों की कमाई जमा करने वाली अखुट खजानों का मालिक हूँ"*

 

  *हर कदम में पद्मों की कमाई जमा करने वाले, अखुट खजाने के मालिक बन गये। ऐसे खुशी का अनुभव करते हो! क्योंकि आजकल की दुनिया है ही - 'धोखेबाज'। धोखेबाज दुनिया से किनारा कर लिया।*

 

✧  *धोखे वाली दुनिया से लगाव तो नहीं! सेवा अर्थ कनेक्शन दुसरी बात है लेकिन मन का लगाव नहीं होना चाहिए। तो सदा अपने को तुच्छ नहीं, साधारण नहीं लेकिन श्रेष्ठ आत्मा हैं, सदा बाप के प्यारे हैं, इस नशे में रहो।*

 

✧  *जैसा बाप वैसे बच्चा - कदम पर कदम रखते अर्थात् फालो करते चलो तो बाप समान बन जायेंगे। समान बनना अर्थात् सम्पन्न बनना। ब्राह्मण जीवन का यही तो कार्य है।*  

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *ब्राह्मण बने, बाप के वर्से के अधिकारी बने, गॉडली स्टूडेन्ट बने, ज्ञानी तू आत्मा बने, विश्व सेवाधारी बने* - यह भाग्य तो पा लिया लेकिन अब पास विद ऑनर होने के लिए कर्मातीत स्थिति के समीप जाने के लिए ब्रह्मा बाप समान न्यारे अशरीरी बनने के अभ्यास पर विशेष अटेन्शन।

 

✧  जैसे ब्रह्मा बाप ने साकार जीवन में कर्मातीत होने के पहले न्यारे और प्यारेरहने के अभ्यास का प्रत्यक्ष अनुभव कराया। जो सभी बच्चे अनुभव सुनाते हो - सुनते हुए न्यारे, कार्य करते हुए न्यारे, बोलते हुए न्यारे रहते थे। सेवा को वा कोई कर्म को छोडा नहीं लेकिन न्यारे हो लास्ट दिन भी बच्चों की सेवा समाप्त की। *न्यारा-पन हर कर्म मे सफलता सहज अनुभव कराता है।* करके देखो।

 

✧  एक घण्टा किसको समझाने की भी मेहनत करके देखो और उसके अन्तर में *15 मिनट में सुनाते हुए, बोलते हुए न्यारे-पन की स्थिति में स्थित होके दूसरी आत्मा को भी न्यारे-पन की स्थिति का वायवेशन देकर देखो।* जो 15 मिनट में सफलता होगी वह एक घण्टे में नहीं होगी। यही प्रैक्टिस ब्रह्मा बाप ने करके दिखाई। तो समझा क्या करना है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧ *जो बापदादा कहते हैं, चाहते हैं सेकण्ड में अशरीरी हो जायें - उसका फाउण्डेशन यह बेहद की वैराग्य वृत्ति है, नहीं तो कितनी भी कोशिश करेंगे लेकिन सेकण्ड में नहीं हो सकेंगे। युद्ध में ही चले जायेंगे और जहाँ वैराग्य है तो ये वैराग्य है योग्य धरनी, उसमें जो भी डालो उसका फल फौरन निकलता।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- सर्वगुणों में सम्पन्न बनना "

 

_ ➳  *मैं आत्मा एकांत में बैठ मन की आँखों से प्यारे बाबा को निहारती हुई बाबा की यादों में खोई हुई हूँ... मन के तार बाबा से जुड़ते ही मैं आत्मा ऊपर की ओर खींची चली जा रही हूँ... और सुप्रीम चुम्बक बाबा से चिपक जाती हूँ...* सुप्रीम रूहानी चुम्बक से चिपकते ही मुझ आत्मा के अवगुणों रूपी लौह तत्व भी रूहानी चुम्बक बन जाते हैं... सारे अवगुण ख़त्म हो सच्चाई और पवित्रता का गुण धारण कर रही हूँ...

 

  *प्यारे बाबा पवित्र दैवीय गुणों से मुझ आत्मा को भरपूर करते हुए कहते है:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता के साथ और प्यार के यह अनमोल पल व्यर्थ में न गंवाओ... *ईश्वर पिता की मीठी यादो में देवतायी सौंदर्य, सच्चाई और पवित्रता के गुणो से भरपूर हो जाओ... हर पल को यादो और सेवाओं में सफल कर श्रेष्ठतम भाग्य के अधिकारी बन मुस्कराओ...* संगम के अमूल्य पलो में खुबसूरत भाग्य की तकदीर बना लो..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा गुणों के सागर में डुबकी लगाते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा संगम के बहुमूल्य समय को पाकर ईश्वरीय यादो में... हर पल देवताई श्रृंगार से सज रही हूँ... *प्यारे बाबा... आपकी यादो में अपना खुबसूरत भाग्य सजा रही हूँ... अथाह अमीरी और सुखो का रंग अपनी किस्मत की तस्वीर में भर रही हूँ..."*

 

  *मीठे बाबा संगमयुग के अमूल्य क्षणों का राज बतलाते हुए कहते है:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *मीठे बाबा से अतुलनीय खजानो को बाँहों में भरकर 21 जनमो तक सदा सुखो में मुस्कराने का आधार यही वरदानी संगम के खुबसूरत पल है...* दिव्य गुणी और शक्तियो से सम्पन्न बनकर... खुशियो में झूमने का राज इन्ही पलो की ईश्वरीय यादो में समाया है... इस समय को बेपनाह मुहोब्बत में डुबो दो... और स्वयं को सजा लो..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा गुणों की खान, खजानों की मालिक बनकर ख़ुशी से कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मैं आत्मा आपको पाकर धन्य धन्य हो गयी हूँ... आपकी सारी दौलत को स्वयं में समाकर मालामाल हो रही हूँ...* मीठे बाबा... मेरी हर साँस इस अमूल्य कमाई में जुटी है... मै आत्मा पुरानी दुनिया को भूल हर पल सुखो के स्वर्ग में विचरण कर रही हूँ..."

 

  *प्यारे बाबा रूहानी पुष्पों की वर्षा करते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *संगम के सुहावने समय को ईश्वरीय यादो में भिगोकर... अपने महानतम भाग्य की खुबसूरत तस्वीर सजा लो... सुखो, खुशियो और प्रेम के फूलो से अनोखे भाग्य को महका दो...* मीठे बाबा के प्यार भरी बाँहों में सदा मुस्कराते रहो... पुरानी दुनिया की मिटटी में अब मलिन न बनो... सिर्फ यादो की बहारो में खोये रहो..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा पत्थर रूपी अवगुणों को निकाल पारस रूपी पवित्रता को धारण कर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपकी यादो में कौड़ी से हीरे जैसी सज संवर रही हूँ... कभी खाली थकी निस्तेज सी मै आत्मा... आज पुनः अपने तेजस्वी स्वरूप को पाकर चमकती मणि हो गई हूँ...* व्यर्थ से परे होकर हर पल मीठी यादो में खोयी... देवताओ सी सुंदर बन रही हूँ..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- पूजनीय बनने के लिए बाप के साथ भारत को सिरताज बनाने की सेवा करनी है*"

 

_ ➳  रामराज्य शब्द स्मृति में आते ही एक ऐसी दैवी दुनिया का चित्र आंखों के आगे उभर आता है जो सुखमय दुनिया मेरे प्रभु राम, मेरे परम प्रिय परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने हम बच्चों के लिये बनाई थी। जिसमे अपरमअपार सुख था, शांति थी, समृद्धि थी। *एक ऐसी दुनिया जहाँ सब मिल जुल कर बड़े प्यार से रहते थे। किसी के मन मे किसी के प्रति कोई ईर्ष्या - द्वेष कोई छल - कपट नही था*। उसी दैवी दुनिया अर्थात उस रामराज्य के बारे में विचार करते - करते मैं मन बुद्धि से पहुंच जाती हूँ उसी दैवी दुनिया में।

 

_ ➳  स्वर्ण धागों से बनी हीरे जड़ित अति शोभनीय ड्रेस पहने एक राजकुमारी के रूप में मैं स्वयं को प्रकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण उस देव भूमि, उस रामराज्य में देख रही हूँ जहां हरे भरे पेड़ पौधे, टालियों पर चहचहाते रंग-बिरंगे खूबसूरत पक्षी, *वातावरण में गूंजती कोयल की मधुर आवाज, फूलों पर इठलाती रंग बिरंगी तितलियां, बागों में नाचते सुंदर मोर, कल-कल करते सुगंधित मीठे जल के झरने, रस भरे फलों से लदे वृक्ष, सतरंगी छटा बिखेरती सूर्य की किरणे मन को आनन्द विभोर कर रही हैं*।

 

_ ➳  प्रकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस देव भूमि पर सोलह कला सम्पूर्ण, मर्यादा पुरुषोत्तम देवी-देवताओ को विचरण करते, पुष्पक विमानों मे बैठ उन्हें विहार करते मैं देख रही हूं। *लक्ष्मी नारायण की इस पुरी में राजा, प्रजा सभी असीम सुख, शान्ति और सम्पन्नता से भरपूर हैं*। चारों ओर ख़ुशी का माहौल हैं। दुख, अशांति का यहां नाम निशान भी दिखाई नही देता। ऐसे देवलोक के रमणीक नजारों को देख मैं मंत्रमुग्घ हो रही हूँ।

 

_ ➳  मन बुद्धि से इस दैवी दुनिया की यात्रा कर मैं असीम आनन्द से भरपूर हो गई हूं। अपने देवताई स्वरूप का भरपूर आनन्द लेने के बाद अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होती हूँ और विचार करती हूँ कि यही भारत जब रामराज्य था तो कितना समृद्ध था। *किन्तु विकारों रूपी रावण की प्रवेशता ने इस समृद्ध भारत को कितना दुखी और कंगाल बना दिया और अब जबकि मेरे प्रभु राम इस रावण राज्य को फिर से रामराज्य बनाने के लिए आये हैं तो मुझे भी इस रामराज्य की स्थापना में अपने प्रभु राम का सहयोगी बन भारत को रामराज्य बनाने की सेवा में लग जाना चाहिए*।

 

_ ➳  इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर विश्व ग्लोब पर आ जाता हूँ। विश्व की सर्व आत्मायें मेरे सम्मुख हैं। *अब मैं उन्हें उनके वास्तविक स्वरूप से परिचित करवा रहा हूँ। संकल्पो के माध्यम से उन्हें बता रहा हूँ कि आपका वास्तविक स्वरूप बहुत आकर्षक है, बहुत ही प्यारा है*। आप सभी बीजरूप निराकार परम पिता परमात्मा शिव की अजर, अमर, अविनाशी सन्ताने हो।

 

_ ➳  देह के भान में आकर आप कुरूप बन गये हो। आपका देवताई स्वरूप संपूर्ण सतोप्रधान, सर्वगुण सम्पन्न था। विकारों रूपी रावण की प्रवेशता ने आपका सुख और पवित्रता का वर्सा छीन कर आपको दुखी बना दिया है। *सो हे आत्मन - अब जागो! अज्ञान रूपी निद्रा का त्याग कर परमात्मा शिव द्वारा दिए इस सत्य ज्ञान को स्वीकार कर उसे अपने जीवन में धारण करो*। ये सत्य ज्ञान ही आपके जीवन को फिर से श्रेष्ठ बनायेगा और भारत फिर से रामराज्य बन जायेगा।

 

_ ➳  विश्व की सर्व आत्माओं को रामराज्य में चलने का संदेश दे कर, अपने फ़रिशता स्वरूप को छोड़ अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर भारत को रामराज्य बनाने की सेवा में अपना सब कुछ सफल कर रहा हूँ। *श्वांसों - श्वांस अपने शिव पिता परमात्मा की याद में रह कर, मनसा, वाचा, कर्मणा सम्पूर्ण पवित्र बन, पवित्रता का सहयोग दे कर, अपने शिव पिता परमात्मा के साथ भारत को पावन बनाने के कार्य मे उनका मददगार बन रहा हूँ*। जिस सत्य ज्ञान को पाकर मेरे जीवन में इतना सुखद परिवर्तन आ गया उस सत्य ज्ञान को सारे विश्व की सर्व आत्माओं तक पहुंचा कर उनके जीवन में भी सुखदाई परिवर्तन लाने के निमित्त बन, उन्हें भी रामराज्य लाने और उसमें राज्य करने के लिए उन्हें प्रेरित कर रहा हूँ।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को सदा सुख की अनुभूति कराने वाली मास्टर सुखदाता आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं एक बाप को अपना संसार बनाकर अविनाशी प्राप्तियाँ प्राप्त करने वाली एकरस आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. स्नेह ऐसी शक्ति है जो सब कुछ भुला देती है। न देह याद आतीन देह की दुनिया याद आती। स्नेह मेहनत से छुड़ा देता है। *जहाँ मोहब्बत होती है वहाँ मेहनत नहीं होती है। स्नेह सदा सहज बापदादा का हाथ अपने ऊपर अनुभव कराता है*। स्नेह छत्रछाया बन मायाजीत बना देता है। कितनी भी बड़ी समस्या रूपी पहाड़ होस्नेह पहाड़ को भी पानी जैसा हल्का बना देता है।

 

 _ ➳  2. *बाबाबाबा और बाबा.... एक ही याद में लवलीन रहे*। तो बापदादा कहते हैं और कोई पुरुषार्थ नहीं करोस्नेह के सागर में समा जाओ।

 

 _ ➳  3. *समाये रहोतो स्नेह की शक्ति सबसे सहज मुक्त कर देगी*।

 

 _ ➳  4. स्नेह सहज ही समान बना देगा क्योंकि *जिसके साथ स्नेह है उस जैसा बननायह मुश्किल नहीं होता है*। 

 

✺   *ड्रिल :-  "स्नेह के सागर में समा, स्नेह की शक्ति का अनुभव"*

 

 _ ➳  आराम की मुद्रा में, एकांत में बैठ, अपनी पलके मूंदे, मैं अपने जीवन में घटित होने वाली घटनाओं और रोज़मर्रा की परिस्थितियों के बारे में विचार कर रही हूँ। *तभी मुझे अनुभव होता है कि जैसे मैं एक रास्ते पर बड़े आराम से चलते हुए कहीं जा रही हूँ और अचानक चलते चलते मेरे सामने एक पहाड़ आ जाता है और आगे जाने का रास्ता बंद हो जाता है*। इसलिए जैसे ही मैं वापिस पीछे मुड़ती हूँ तो देख कर हैरान रह जाती हूँ कि पीछे भी एक बहुत ऊंचा पहाड़ है। मेरे दाएं ओर बायें तरफ के भी दोनों रास्ते बंद है। चारों तरफ से बाहर निकलने का अब कोई रास्ता मुझे दिखाई नही दे रहा। *घबरा कर बाहर निकलने के लिए मैं ज़ोर - ज़ोर से चिल्ला रही हूं किन्तु वहां मेरी आवाज़ सुनने वाला कोई भी नही*।

 

 _ ➳  जब कहीं से कोई मदद मिलने की आश नही रह जाती तो मुख से स्वत: ही निकलने लगता है, हे भगवान मुझे बचाओ। भगवान को पुकारते - पुकारते अपने घुटनों में सिर रख कर मैं रो रही हूं। *तभी जैसे कानों में एक मधुर आवाज सुनाई देती है,बच्चे:- "मैं हूँ ना"। इस आवाज के साथ - साथ बहुत तेज प्रकाश मेरे चारों तरफ फैल जाता है*। और वो प्रकाश अपनी किरणों रूपी बाहों में मुझे उठा कर उस पहाड़ को पार करवा देता है।

 

 _ ➳  तेज प्रकाश की चकाचौंध से मेरी बन्द आंखे अपने आप खुल जाती हैं। सामने लाइट माइट स्वरुप में बापदादा को देख कर मैं अचंभित हो कर बाबा की और देखती हूँ और मेरे मुख से निकलता है, "बाबा वो पहाड़"। *बाबा मुस्कराते हुए कहते हैं, बच्ची:- "वो पहाड़ नही थे"। वो तो जीवन में आने वाली छोटी - छोटी परिस्थितियां है, जिन्हें तुम सोच - सोच कर पहाड़ जैसा बना देते हो*।

 

 _ ➳  *आओ, मेरे बच्चे:- "अपनी लाइट माइट से मैं तुम्हे इतना शक्तिशाली बना देता हूँ कि जीवन में आने वाली ये परिस्थितियां पहाड़ से राई बन जाएंगी"। फिर तुम इन्हें जम्प देकर सेकेंड में पार कर जाओगे*। यह कहकर बाबा अपनी शक्तिशाली किरणों को जैसे ही मुझ पर प्रवाहित करते है। मेरा साकारी शरीर जैसे लुप्त हो जाता है। और बाबा मुझ आत्मा को अपने साथ ऊपर की ओर लेकर चल पड़ते हैं।

 

 _ ➳  लाइट की एक ऐसी दुनिया जहाँ चारों और चमकती हुई मणियां जगमग कर रही है। इस परमधाम घर में बाबा मुझे ले आते हैं। अब मैं बाबा के सम्मुख हूँ। बाबा के साथ अटैच हूँ और उनसे आ रही लाइट, माइट से स्वयं को भरपूर कर रही हूं। उनसे आ रही सर्वशक्तियाँ मुझमें असीम बल भर कर मुझे शक्तिशाली बना रही है। *मैं डबल लाइट बनती जा रही हूँ। कोई बोझ, कोई बंधन नही। बिल्कुल उन्मुक्त और निर्बन्धन स्थिति में मैं स्थित हूँ*। गहन सुखमय स्थिति की अनुभूति अपने शिव पिता परमात्मा के सानिध्य में मैं कर रही हूं। बाबा की लाइट माइट से भरपूर हो कर डबल लाइट बन कर अब मैं वापिस लौट रही हूं।

 

 _ ➳  अपनी साकारी देह में विराजमान होकर भी अब मैं निरन्तर आत्मिक स्मृति में रहते हुए अपने पिता परमात्मा के स्नेह में सदा समाई रहती हूं। अब मैं एक के स्नेह के रस का रसपान करने वाली एकरस आत्मा बन गई हूँ। *देह और देह की दुनिया को अब मैं भूल चुकी हूं। अपने शिव पिता की मोहब्बत के झूले में झूलते हुए हर प्रकार की मेहनत से अब मैं मुक्त हो गई हूं*। अपनी हजारों भुजाओं के साथ बाबा चलते, फिरते, उठते, बैठते हर कर्म करते मुझे अपने साथ प्रतीत होते हैं।

 

 _ ➳  अब कोई भी परिस्थिति मेरी स्व स्तिथि के आगे टिकती नही। क्योंकि बाबा की छत्रछाया हर परिस्थिति रूपी पहाड़ को पानी जैसा हल्का बना कर मुझे सहज ही उस परिस्थिति से बाहर निकाल लेती है। बाबा के प्रेम का रंग मुझ पर इतना गहरा चढ़ चुका है कि *सुबह आंख खोलते बाबा, दिन की शुरुआत करते बाबा, कर्मयोगी बन हर कर्म करते एक साथी बाबा, दिन समाप्त करते भी एक बाबा के लव में लीन रहने वाली लवलीन आत्मा बन गई हूं*। स्नेह के सागर में सदा समाये रहने के अनुभव ने मुझे याद की मेहनत से मुक्त कर सहजयोगी, स्वत:योगी और निरन्तर योगी बना दिया है।

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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