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 13 / 11 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *कभी भी संशयबुधी बन पढाई छोड़ी तो नहीं ?*

 

➢➢ *श्रीमत में अपना कल्याण समझ चलते रहे ?*

 

➢➢ *सर्व प्रति शुभ कल्याण की भावना रख बेहद के सेवाधारी बनकर रहे ?*

 

➢➢ *ज्ञान रुपी बाणों को बुधी रुपी तरकश में भरकर माया को ललकारने वाले महावीर योधे बनकर रहे ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए सदा याद रहे कि ‘‘समस्याओ को दूर भगाना है सम्पूर्णता को समीप लाना है।’’* इसके लिए किसी भी ईश्वरीय मर्यादा में बेपरवाह नहीं बनना, आसुरी मर्यादा वा माया से बेपरवाह बनना। *समस्या का सामना करना तो समस्या समाप्त हो जायेगी।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं करावनहार बाप द्वारा कार्य करने वाली निमित्त हूँ"*

 

  *सदा बुद्धि में यह स्मृति रहती है ना कि बाप करावनहार करा रहा है, हम निमित्त हैं। निमित्त बन करने वाले सदा हल्के रहते हैं क्योंकि जिम्मेवार करावनहार बाप है।*

 

  *जब 'मैं करता हूँ' - यह स्मृति रहती है तो भारी हो जाते और बाप करा रहा है - तो हल्के रहते।*

 

  *मैं निमित्त् हूँ, कराने वाला करा रहा, चलाने वाला चला रहा है - इसको कहते बेफिकर बादशाह। तो करावनहार करा रहा है। इसी विधि से सदा आगे बढ़ते रहो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  सारे दिन में 25-30 बार तो जरूर कहते होंगे। बोलते नहीं हो तो सोचते तो होंगे- 'मैं यह करूंगी, मुझे करना है|’ प्लैन भी बनाते हो तो सोचते हो ना। तो इतने बार का अभ्यास, आत्मा स्वरूप की स्मृति क्या बना देगी? निराकारी। *निराकारी बन, आकारी फरिश्ता बन कार्य किया और फिर निराकारी!*

 

✧  *कर्म सम्बन्ध के स्वरूप से सम्बन्ध में आओ, सम्बन्ध को बन्धन में नहीं लाओ।* देह-अभिमान में आना अर्थात कर्म-बन्धन में आना। देह सम्बन्ध में आना अर्थात कर्म-सम्बन्ध में आना। दोनों में अन्तर है। देह का आधार लेना और देह के वश होना - दोनों में अन्तर है।

 

✧  *फरिश्ता वा निराकारी आत्मा देह का आधार लेकर देह के बन्धन में नहीं आयेगी, सम्बन्ध रखेगी लेकिन बन्धन में नहीं आयेगी।* तो बापदादा फिर इसी वर्ष रिजल्ट देखेंगे कि निरहंकारी, आकारी फरिश्ते और निराकारी स्थिति में - लक्ष्य और लक्षण कितने समान हुए?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  बचपन रूप भी और सम्पूर्ण रूप भी। बस यह बन कर फिर यह बनेंगे। यह स्मृति रहती है। भविष्य की रूप-रेखा भी जैसे सम्पूर्ण देखने में आती है। *जितना-जितना फ़रिश्ते लाइफ के नज़दीक होंगे उतना-उतना राजपद को भी सामने देखेंगे। दोनों ही सामने। आजकल कई ऐसे होते हैं जिनको अपने पास्ट की पूरी स्मृति रहती है। तो यह भविष्य भी ऐसे ही स्मृति में रहे- यह बनना है। वह भविष्य के संस्कार इमर्ज होते रहेंगे। मर्ज नहीं इमर्ज होंगे। अच्छा।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- रात में बैठ बाप को याद करना"*

 

_ ➳  *अपनी शीतल चांदनी के आँचल से आंगन को ढककर आसमान में चांद मुस्कुरा रहा है... अमृतवेले के इस रूहानी समय में मैं आत्मा घर के आंगन में... धीमें-धीमें चलती हवाओं के साथ... शीतल चांदनी का आंनद लेती हुई मीठे बाबा को याद करती हूँ...* आसमान से ज्ञान सूर्य बाबा नीचे उतरकर मेरे सामने आ जाते हैं... ज्ञान सूर्य बाबा को देख चाँद भी खुशियों में झूम रहा है... फिर बाबा मुझे आंगन में लगे झूले में बिठाकर... ज्ञान के झूले में झुलाते हैं...

 

  *नींद को जीतकर रात को जागकर ज्ञान चिंतन करने की समझानी देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... जनमो की भटकन के बाद जो ईश्वर पिता मिला है, तो उसके प्यार में और अथाह ज्ञान रत्नों की प्राप्ति के आनंद में खो जाओ... *प्यार भरी यादो में इस कदर खो जाओ की आखों से नींद भी ओझल हो जाए... इतनी दौलत से भर कर सदा की खुशियो मे मुस्कराओ..."*

 

_ ➳  *मोस्ट बिलेवड बाप को अपने यादों की कोठरी में बंद कर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा ईश्वरीय यादो में खोयी खोयी सी सारी सुधबुध भूली हुई हूँ... *मन की अंखियो में आपको बसाकर नींद भी काफूर हो गई है... पल पल आपकी यादो में झूम रही हूँ... और ज्ञान रत्नों से प्रतिपल खेल रही हूँ..."*

 

  *निद्रा जीत भव, देही अभिमानी भव का वरदान देते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... सच्चे प्यार की गहराइयो में रोम रोम से भीग जाओ... *खुशियो के खजानो को बाँहों में भरकर, सारे विश्व पर विजय पताका लहराओ... सच्चे ज्ञान की खनक से सदा गुंजन करो... और रात को जागकर प्रियतम की यादो में स्वयं को डुबो दो..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा ज्ञान मंथन कर अपने हर स्वांस को सफल करते हुए कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मैं आत्मा आपको पाकर अनन्त खुशियो के आसमान में उड़ रही हूँ... आपको पाकर सब कुछ मैंने सहज ही पा लिया है...* जीवन खुशियो, उमंगो और ईश्वरीय नशे से भर गया है... रत्नों की खाने ही मेरी हो गई है..."

 

  *ज्ञान गंगा में डुबोकर मुझे पावन बनाते हुए ज्ञान सागर मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... सदा यादो में खोये हुए खुबसूरत जीवन के मालिक बन, विश्व धरा का राज्य पाओ... ज्ञान रत्नों की झनकार से जीवन मूल्यों का पर्याय बनकर, ईश्वरीय अदा की झलक जमाने को दिखाओ... *रात को जागकर, अपनी श्रेष्ठ कमाई में खो जाओ... और खुशहाली की दस्तक जीवन में लाओ..."*

 

_ ➳  *ज्ञान सूर्य की किरणों में ज्ञान सितारा बन अपने सत्य स्वरूप में चमकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सच्चे रत्नों को पाकर कौड़ी से हीरे तुल्य हो गई हूँ... मीठे बाबा... *आपकी प्यारी सी यादो में खो रही हूँ... और रातो को जागकर दीवानो सी, यादो की खुमारी में, अतुलनीय दौलत से आबाद हो रही हूँ..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  श्रीमत में अपना कल्याण समझ चलते रहना है*

 

_ ➳  मन बुद्धि का कनेक्शन अपने शिव पिता के साथ जुड़ते ही इस नश्वर भौतिक जगत से कनेक्शन टूटने लगता है और मन मगन हो जाता है प्रभु प्यार में। *मन को सुकून देने वाली मीठे बाबा की मीठी याद में मैं जैसे खो जाती हूँ और प्रभु यादों की डोली में बैठ उड़ कर पहुँच जाती हूँ उस खूबसूरत लाल प्रकाश की दुनिया में जहाँ मेरे मीठे बाबा रहते हैं*। देह, देह की दुनिया से बहुत दूर आत्माओं की इस निराकारी दुनिया में निराकार अपने शिव पिता को अनन्त प्रकाश के एक ज्योतिपुंज के रूप में मैं देख रही हूँ। मन को तृप्ति प्रदान करने वाला उनका अति मनमोहक प्रकाशमय स्वरूप मुझे अपनी ओर खींच रहा है। उनके आकर्षण में बंधी मैं आत्मा एक चमकती हुई ज्योति अब धीरे धीरे उस महाज्योति के पास जा रही हूँ।

 

_ ➳  ऐसा लग रहा है जैसे मेरे मन और बुद्धि की तार उस महाज्योति के साथ जुड़ी हुई है और उस तार में बिजली के तार की भांति एक तेज करेन्ट निकल रहा है जो मेरे शिव पिता से सीधा मुझ बिंदु आत्मा के साथ कनेक्ट हो रहा है और अपनी सारी शक्तियों का प्रवाह मेरे अंदर प्रवाहित करता जा रहा है। *ये सर्व शक्तियाँ मुझ आत्मा में समाकर मेरे अंदर अनन्त शक्ति का संचार कर रही है और मुझे शक्तिशाली बनाने के साथ - साथ ये शक्तियाँ मुझे छू कर अनन्त फ़ुहारों के रूप में चारों और फैल रही हैं और मेरे ऊपर बरस कर मुझे गहन शीतलता का अनुभव करवा रही हैं*। ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे शक्तियों का कोई सतरँगी फव्वारा मेरे ऊपर चल रहा है और अपनी मीठी - मीठी, हल्की - हल्की फ़ुहारों से मेरे अन्तर्मन की सारी मैल को धोकर साफ कर रहा है।

 

_ ➳  एक बहुत ही प्यारी लाइट माइट स्थिति का मैं अनुभव कर रही हूँ। हर बोझ, हर बन्धन से मुक्त यह लाइट स्थिति मुझे परम आनन्द प्रदान कर रही है। अतीन्द्रीय सुख के सुखदाई झूले में मैं आत्मा झूल रही हूँ। *परम आनन्द की गहन अनुभूति करते - करते अब मैं बिंदु आत्मा सम्पूर्ण समर्पण भाव से अपने महाज्योति शिव पिता की किरणों रूपी बाहों में समाकर उनके और भी समीप पहुँच गई हूँ। समर्पणता के उस अंतिम छोर पर मैं स्वयं को देख रही हूँ जहाँ दोनों बिंदु एक दिखाई दे रहे हैं*। यह अवस्था मुझे बाबा के समान सम्पूर्ण स्थिति का अनुभव करवा रही है। अपनी इस सम्पूर्ण स्थिति में मैं स्वयं को सर्व गुणों और सर्वशक्तियों के मास्टर सागर के रूप में देख रही हूँ। अपने इस सम्पूर्ण स्वरूप के साथ मैं आत्मा परमधाम से नीचे आकर सूक्ष्म वतन में प्रवेश कर जाती हूँ।

 

_ ➳  दिव्य प्रकाश की काया वाले फरिश्तो के इस अव्यक्त वतन में अपने सम्पूर्ण फ़रिश्ता स्वरूप को धारण कर, अव्यक्त बापदादा के सामने मैं उपस्थित होती हूँ और अपने अव्यक्त स्वरूप में स्थित होकर, बाहें पसारे खड़े अव्यक्त बापदादा की बाहों में समाकर, उनके प्रेम से स्वयं को भरपूर करके उनके सम्मुख बैठ जाती हूँ। *अपनी मीठी दृष्टि और मधुर मुस्कान के साथ बाबा मुझे निहारते हुए अपनी लाइट और माइट मुझ फ़रिश्ते में प्रवाहित करते जा रहें हैं*। बाबा की शक्तिशाली दृष्टि मेरे अंदर एक अनोखी शक्ति का संचार कर रही है और मुझे बाबा की श्रीमत पर चलने और उनके हर फरमान का पालन करने की प्रेरणा दे रही है।

 

_ ➳  बाबा से दृष्टि लेते हुए मैं मन ही मन सदा बाबा की श्रीमत पर चलने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ और अपने निराकारी बिंदु स्वरूप में स्थित होकर अब उस प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए वापिस अपनी कर्मभूमि पर लौट आती हूँ। *कर्म करने के लिए जो शरीर रूपी रथ मुझ आत्मा को मिला हुआ है उस शरीर रूपी रथ पर पुनः विराजमान होकर मैं आत्मा अब फिर से सृष्टि रंगमंच पर अपना पार्ट बजा रही हूँ*। शरीर का आधार लेकर हर कर्म करते हुए अब बुद्धि का कनेक्शन केवल अपने शिव पिता के साथ  निरन्तर जोड़ कर, उनकी जो श्रीमत मिलती है उसे राइट समझ उस पर चलने का पूरा पुरुषार्थ अब मैं कर रही हूँ और अपने प्यारे पिता के साथ अपने सँगमयुगी ब्राह्मण जीवन का भरपूर आनन्द ले रही हूँ।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं सर्व प्रति शुभ कल्याण की भावना रख परिवर्तन करने वाली बेहद सेवाधारी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं ज्ञानरूपी बाणों को बुद्धि रूपी तरकश में भरकर माया को ललकार कर महावीर योद्धा बनने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बाप सेवा के बिना रहता हैयाद के बिना भी नहीं रहता। *जितना बाप याद में रहता उतना आप मेहनत से रहते हैं। रहते हैं लेकिन मेहनत सेअटेन्शन से।* और बाप के लिए है ही क्यापरम आत्मा के लिए हैं ही आत्मायें। नम्बरवार आत्मायें तो हैं ही। सिवाए बच्चों की याद के बाप रह ही नहीं सकता।

 

 _ ➳  एक दिन में भी बाप के वर्से के अधिकारी बन सकते हैं अगर बाप समझकर कनेक्शन जोड़ा तो एक दिन में भी वर्सा ले सकता है। ऐसे नहीं कि हाँ अच्छा है, कोई शक्ति हैसमझ में तो आता है...यह नहीं। *वर्से के अधिकारी बच्चे होते हैं। समझने वाले, देखने वाले नहीं। अगर एक दिन में भी दिल से बाप माना तो वर्से का अधिकारी बन सकता है।* 

 

✺   *ड्रिल :-  "दिल से बाप मानकर वर्से का अधिकारी बनना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा इस संगमयुग पर अपने पुराने जन्म की स्मृति को भूल अपने अलौकिक जन्म की अविनाशी प्राप्तियों को याद कर रही हूँ... इस देह के भान को भी भूल अपने प्यारे बाबा की छत्रछाया में स्वयं को देखती हूँ और उनकी शक्तिशाली किरणों को अपने में भर रही हूँ... *बाबा की शक्तियां जैसे जैसे मुझमें समाती जाती हैं मैं आत्मा अपनी कमजोरियों को छोड़ शक्तिशाली बनती जाती हूँ...*

 

 _ ➳  *मैं कितनी भाग्यशाली आत्मा हूँ जो स्वयं परमपिता परमात्मा मुझे याद करते हैं... सारी दुनिया उनको ढूंढ रही है और सर्वशक्तिमान बाप ने मुझे ढूंढ लिया और मेरी जन्म जन्मांतर की थकान मिटा दी है...* मैं उन्हें घड़ी घड़ी भूल भी जाती हूँ पर वो हर पल मुझे याद करते हैं... अपने कार्य व्यवहार में मुझे बाबा की याद भूल जाती है और याद करने में मेहनत भी लगती है पर अटेंशन देकर मैं बाबा की याद में रहती हूँ... पर मेरे बाबा हर समय मुझ आत्मा को याद करते हैं...

 

 _ ➳  बाबा हर कदम पर सहयोगी बनकर मेरे साथ चलते हैं... *जब भी मैं आत्मा बाबा को पुकारती हूँ बाबा आकर मेरी हर मुश्किल को सहज कर देते हैं...* मैं कर्मयोगी हूँ, सेवाधारी हूँ और सहज पुरुषार्थी हूँ... हम सभी बाबा के बच्चे बाबा को याद करते हैं उनसे अपना कनेक्शन जोड़कर उनसे सर्वशक्तियाँ प्राप्त करते हैं... और बाबा भी हम सभी आत्माओं को याद करते हैं...

 

 _ ➳  मुझ आत्मा को जिस दिन से बाबा ने अपना बच्चा बनाया उसी पल से मैं बाबा के वर्से की अधिकारी बन गई हूँ... *बाबा की सर्व शक्तियां अब मेरी भी शक्तियां हैं क्योंकि जो बाप की प्रॉपर्टी होती है उस पर बच्चे का पूरा हक होता है... मेरे बाबा ने भी मुझे अपना बच्चा बना कर अपना वारिस बना दिया है... मैं आत्मा पूरी तरह से बाप की हो चुकी हूँ बाप से कनेक्शन जोड़ कर सर्व शक्तियों का वर्सा उनसे प्राप्त करती हूँ...*

 

 _ ➳  मेरे बाबा मुझे उस पुरानी कलियुगी आसुरी दुनिया से निकाल कर इस नई संगमयुगी दुनिया में ले आये हैं... सारी समझ मुझ आत्मा में भर दी है और मैं आत्मा उस समझ से अपने नए जन्म में बाबा से पूरा वर्सा लेने के लिए पुरुषार्थ कर रही हूँ... लौकिक जन्म के जो संबंध हैं वो तो दुख ही देते आये हैं... *अपने पिता परमात्मा से जो मेरा अलौकिक संबंध जुड़ा है वो अविनाशी है और उसी अविनाशी संबंध से मैं आत्मा पूरी तरह अपने बाप की हो चुकी हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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