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❍ 26 / 02 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अपने हाथ में लॉ तो नहीं उठाया ?*
➢➢ *नष्टोमोहा बनकर रहे ?*
➢➢ *परमार्थ के आधार पर व्यवहार को सहज बनाया ?*
➢➢ *मधुरता का गुण धारण कर महानता का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ कोई भी स्थूल कार्य करते हुए मन्सा द्वारा वायब्रेशन्स फैलाने की सेवा करो। *जैसे कोई बिजनेसमेन है तो स्वपन में भी अपना बिजनेस देखता है, ऐसे आपका काम है-विश्व-कल्याण करना। यही आपका आक्यूपेशन है, इस आक्यूपेशन को स्मृति में रख सदा सेवा में बिजी रहो।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बेगमपुर का बादशाह हूँ"*
〰✧ सभी बेगमपुर के बादशाह, गमों से परे सुख के संसार का अनुभवी समझते हुए चलते हो? पहले दु:ख के संसार के अनुभवी थे, अभी दु:ख के संसार से निकल सुख के संसार के अनुभवी बन गये। *अभी एक सुख का मंत्र मिलने से, दु:ख समाप्त हो गया। सुखदाता की सुख स्वरूप आत्माएँ हैं, सुख के सागर बाप के बच्चे हैं, यही मंत्र मिला है।*
〰✧ *जब मन बाप की तरफ लग गया तो दु:ख कहां से आया! जब मन को बाप के सिवाए और कहाँ लगाते हो तब मन का दु:ख होता। 'मन्मनाभव' हैं तो दु:ख नहीं हो सकता।* तो मन बाप की तरफ है या और कहाँ हैं? उल्टे रास्ते पर लगता है, तब दु:ख होता है। जब सीधा रास्ता है तो उल्टे पर क्यों जाते हो?
〰✧ जिस रास्ते पर जाने की मना है उस रास्ते पर कोई जाए तो गवर्मेन्ट भी दण्ड डालेगी ना। जब रास्ता बन्द कर दिया तो क्यों जाते हो? *जब तन भी तेरा, मन भी तेरा, धन भी तेरा, मेरा है ही नहीं तो दु:ख कहाँ से आया। तेरा है तो दु:ख नहीं। मेरा है तो दु:ख है। तेरा-तेरा करते तेरा हो गया।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *एक सेकण्ड में मन के मालिक बन मन को ऑर्डर कर सकते हो?* कर सकते हो? *मन को एकाग्र कर सकते हो? फुलस्टॉप लगा सकते हो कि लगायेंगे फुलस्टॉप और लग जायेगा क्वेचन मार्क?* क्यों, क्या, कैसे, यह क्या, वह क्या, आश्चर्य की मात्रा भी नहीं।
〰✧ *फुलस्टॉप सेकण्ड में प्बाइंट बन जाओ। और कोई मेहनत नहीं है, एक शब्द सिर्फ अभ्यास में लाओ 'प्बाइंट'।* प्बाइंट स्वरूप बनना है, वेस्ट को प्बाइंट लगानी है और महावाक्य जो सुनते हो उस प्बाइंट पर मनन करना है, और कोई भी तकलीफ नहीं है। प्बाइंट याद रखो, प्बाइंट लगाओ, प्बाइंट बन जाओ।
〰✧ यह अभ्यास सारे दिन में बीच-बीच में करो, कितने भी बिजी हो लेकिन यह ट्रायल करो एक सेकण्ड में प्बाइंट बन सकते हो? एक सेकण्ड में प्बाइंट लगा सकते हो? *जब यह अभ्यास बार-बार का होगा तब ही आने वाले अंतिम समय में फुल प्वाइंटस ले सकेंगे। पास विद ऑनर बन जायेंगे। यही परमात्म पढाई है, यही परमात्म पालना है।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *बिन्दु रूप में अगर ज्यादा नहीं टिक सकते तो इसके पीछे समय न गंवाओ।* बिन्दी रूप में तब टिक सकेंगे जब पहले शुद्ध संकल्प का अभ्यास होगा। अशुद्ध संकल्पों को शुद्ध संकल्पों से हटाओ। *जैसे कोई एक्सीडेन्ट होने वाला होता है। ब्रेक नहीं लगती तो मोड़ना होता है। बिन्दी रूप है ब्रेक। अगर वह नहीं लगता तो व्यर्थ संकल्पों से बुद्धि को मोड़कर शुद्ध संकल्पों में लगाओ।* कभी-कभी ऐसा मौका होता है जब बचाव के लिए ब्रेक नहीं लगाई जाती है, मोड़ना होता है। *कोशिश करो कि सारा दिन शुद्ध संकल्पों के सिवाय कोई व्यर्थ संकल्प न चले। जब यह सब्जेक्ट पास करेंगे तो फिर बिन्दी रूप की स्थिति सहज रहेगी।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- इस पुरानी दुनिया में आश न रख, नष्टोमोहा बन बाप को याद करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा रूपी चिड़िया इस संसार रूपी चिड़ियाघर में कैद थी... इसी चिड़ियाघर को अपना सबकुछ समझ बैठी थी...* चिड़ियाघर में बैठ आसमान को निहारती मुझ चिड़िया को आसमान से उतरता एक ज्योतिपुंज दिखाई दिया... उस प्रकाश की ज्योति से मेरे जीवन की ज्योति जग गई... मेरा भाग्य ही बदल गया... *उसने आकर ज्ञान, योग के पंखों से मुझे सजाकर खुले आसमान में उड़ना सिखा दिया... अब मैं आत्मा रूपी चिड़िया संसार रुपी चिड़ियाघर से आजाद होकर ऊपर उड़ते हुए अपने बाबा के पास पहुंच जाती हूँ...*
❉ *नई दुनिया के ख्वाबों को सजाकर पुरानी दुनिया की बातों को भूलने की समझानी देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे बच्चे... अब यह दुःख भरा सफर पूरा हुआ अब दुःख की बाते भूल जाओ... *अब खूबसूरत दुनिया में चलने के दिन आ गए है... बस पावन हो घर चलना और फिर सुखो में उतरना है... इन दुखो से अब कोई नाता नही... खुशियो भरा जहान सामने खड़ा है..."*
➳ _ ➳ *इस पुरानी विनाशी दुनिया को भूल नष्टोमोहा बन एक मीठे बाबा की यादों में डूबकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा... आपकी मीठी यादो में बैठकर सारे कष्टो को ही भूल रही हूँ... *मीठे याद के झरने में सारी कड़वी यादो को बहा रही हूँ.... और नयी दुनिया को यादो में भर रही हूँ..."*
❉ *मेरी तकदीर की तस्वीर को सतयुगी सुखों के बहारों में सजाते हुए मेरे प्यारे मनमीत बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे.... कितने खूबसूरत खिले फूलो से घर से निकले थे... चलते चलते दुखो के धाम में फस गए... मीठा बाबा अपने फूलो की दशा देख धरा पर ही आ गया है... *अब ये दर्द भरी दास्ताँ को सदा का भूलो... और उन सच्चे सुखो को याद करो...”*
➳ _ ➳ *प्रभु प्यार की किरणों में अपने सारे गमों को भूलकर प्रभु का शुक्रिया करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मुझ आत्मा की वेदनाएं और दर्द भरा जीवन ही मेरी हकीकत हो गए थे... आपने आकर मुझे मेरे सत्य का अहसास दिया है... *देह की मिटटी से मै आत्मा अब निकल गई हूँ... सब कुछ भुला कर सुन्दरतम यादो सुखो में खोती जा रही हूँ...”*
❉ *बड़े प्यार से अपनी पलकों में बिठाकर मेरे जीवन में खुशहाली बिखेरते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे बच्चे... सारे भोगे गए कष्टो को काले दुख भरे सायो को स्वप्न की तरहा विस्मृत कर दो... *खुशियो और सुखो से भरी दुनिया पर आप बच्चों का अधिकार है... अब यहाँ और रहना नही... मीठा बाबा दुखो से निकाल हाथ पकड़ कर सुखो के महलो में बिठाने आ गया है...”*
➳ _ ➳ *अपने जीवन के पलों को प्यारे बाबा की यादों के बाहों में सफल करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा गमो से निकल गयी हूँ.... आपकी सुखद यादो में सुखी हो गयी हूँ... *पुरानी बाते नाते और दुखो के भम्र से मुक्त हो गयी हूँ... और नई खूबसूरत दुनिया के ख्वाबो में डूब गई हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अपने हाथ मे लॉ नही उठाना है*"
➳ _ ➳ सुख के सागर, अपने दिलाराम मीठे प्यारे बाबा का आह्वान कर, उनके साथ प्रकृति के अद्भुत सुन्दर नजारों का आनन्द लेती हुई, एक ऊँची पहाड़ी पर बैठी अपने प्यारे बाबा के साथ मैं मीठी - मीठी रूह रिहान कर रही हूँ। *अपने मन की बातें संकल्पो के माध्यम से मैं अपने दिलाराम बाबा से कह रही हूँ। बाबा आपको पा कर मेरा यह जीवन धन्य - धन्य हो गया। आपने मेरे जीवन को कौड़ी से हीरे तुल्य बना दिया। जीवन में ऐसे सच्चे और निस्वार्थ प्रेम की अनुभूति मैंने आज तक नही की थी जो मैं अब कर रही हूँ*। आपने हर दुख से मुझे लिबरेट कर अपरमअपार सुख से मेरे जीवन को भरपूर कर दिया।
➳ _ ➳ अब मेरा यह जीवन केवल आपके लिए है। और आपके इस निस्वार्थ प्रेम का रिटर्न मैं अवश्य दूँगी। मन ही मन मैं बाबा से प्रतिज्ञा करती हूँ और अनुभव करती हूँ जैसे *बाबा के संकल्प मुझे मेरी मीठी रूह रिहान का जवाब देते हुए कह रहें हैं कि उनके समान मास्टर सुख का सागर बन सबके जीवन को सुखों से भरपूर करना ही उनके प्रेम का रिटर्न है*। अपने प्यारे बाबा से उनके हर फरमान का पालन करने का उन्हें प्रॉमिस करके, अब मैं अपने निराकारी स्वरूप में स्थित होती हूँ। प्रकृति के मनोहर दृश्य, शांत वातावरण और अपने शांत स्वरूप में स्थित होकर गहन शांति का असीम आनन्द लेते हुए *मैं अनुभव करती हूँ कि मुझ आत्मा से रंग बिरंगी दिव्य किरणे निकल रही हैं जो मेरे पूरे शरीर में फ़ैल रही हैं*।
➳ _ ➳ इन किरणों की दिव्यता से मेरा साकारी शरीर लाइट का बन गया है और ऊपर की ओर उड़ने लगा है। लाइट की दिव्य आकारी देह धारण कर मैं आत्मा अब दूर बहुत दूर उड़ती जा रही हूँ। पांचो तत्वों से पार, आकाश से पार मैं पहुँच जाती हूँ सूक्ष्म वतन। *बापदादा की दिव्य किरणे इस सूक्ष्म वतन में चारों ओर फैली हुई हैं। देह और देह की दुनिया से अलग, सफेद प्रकाश से प्रकाशित यह दुनिया बहुत ही न्यारी और प्यारी है*। स्वयं को मैं इस अव्यक्त वतन में बापदादा के सम्मुख देख रही हूँ। बाबा मुझे दृष्टि दे रहें हैं। बाबा के नयनो से अथाह स्नेह की धाराएं बह रही हैं जो मुझ फ़रिश्ते में समाती जा रही हैं।
➳ _ ➳ अपना वरदानी हाथ बाबा मेरे सिर पर रख कर मुझे वरदानों से भरपूर कर रहें हैं। बाबा के वरदानी हस्तों से गुणों और शक्तियों की किरणें निकल - निकल कर मुझ फ़रिश्ते में समा रही हैं। *"सदा लवफुल और लॉ फुल" रहने का वरदान दे कर बाबा मेरे मस्तक पर विजय का तिलक लगा रहें हैं। बाबा से वरदान लेकर उस वरदान को फलीभूत करने और सबके जीवन को सुखी बनाने का बल स्वयं में भरने के लिए अब मैं अपने बिंदु स्वरूप में स्थित होकर सुख के सागर अपने बिंदु बाप से सुख की अनन्त किरणे स्वयं में भरने के लिए उनके पास उनके धाम जा रही हूँ*।
➳ _ ➳ परमधाम में अपने सुख सागर बाबा के पास पहुँच कर, उनके सानिध्य में बैठ उनसे आ रही सुख की शक्तिशाली किरणो को मैं स्वयं में समाहित कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे सुख के विशाल झरने के नीचे मैं खड़ी हूँ। स्वयं को अथाह सुख से भरपूर करके, सबको सुख देने के लिए अब मैं वापिस साकार लोक की ओर प्रस्थान करती हूँ। *अपने साकार शरीर रूपी रथ पर विराजमान हो कर, अब मैं बाबा के फरमान पर चलने का पूरा पुरुषार्थ कर रही हूँ। लवफुल और लॉ फुल बन अपने हाथ मे लॉ ना उठाते हुए मैं हर आत्मा के पार्ट को साक्षी होकर देखते हुए, सबके प्रति शुभभावना, शुभकामना रखते हुए सबके जीवन को सुखमय बनाने का कर्तव्य पूरी लगन के साथ पूरा कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं परमार्थ के आधार पर व्यवहार को सहज बनाने वाली भाग्यवान आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं जीवन में मधुरता का गुण धारण करने वाली महान आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा सेवा समाचार भी सुनते हैं, सेवा में आजकल भिन्न-भिन्न कोर्स कराते हो, लेकिन अभी एक कोर्स रह गया है। वह है हर आत्मा में जो शक्ति चाहिए, वह फोर्स का कोर्स कराना। *शक्ति भरने का कोर्स, वाणी द्वारा सुनाने का कोर्स नहीं, वाणी के साथ-साथ शक्ति भरने का कोर्स भी हो।* जिससे अच्छा-अच्छा कहें नहीं लेकिन अच्छा बन जाएं। यह वर्णन करें कि आज मुझे शक्ति की अंचली मिली। अंचली भी अनुभव हो तो उन आत्माओं के लिए बहुत है। *कोर्स कराओ लेकिन पहले अपने को कराके फिर कहो।*
✺ *ड्रिल :- "फोर्स का कोर्स कराने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं अशरीरी आत्मा अपने भृकुटि सिंहासन त्याग अपने पिता परमात्मा संग मिलन मनाने मूलवतन की ओर जा रही हूं... प्रकाश स्वरूप में स्थित होकर दिव्य बुद्धि से मैं आत्मा लाल ही लाल प्रकाश की दुनिया में अपने घर परमधाम पहुंच गई हूं... मैं आत्मा मीठे शिवबाबा के समक्ष जाकर बैठ जाती हूं... *मीठे बाबा की मीठी दृष्टि से मैं आत्मा निहाल हो रही हूं...* मैं आत्मा बाबा की मीठी किरणों की बरसात में भीग रही हूं...
➳ _ ➳ सफेद प्रकाश की उजली किरणों को अपने अंदर समाकर मैं आत्मा और उज्ज्वल से उज्ज्वलतम हो रही हूं... *सर्व गुणों व सर्व शक्तियों से भरे प्रकाश ऊर्जा की बरसात से सारी शक्तियां सारे गुण मुझ आत्मा में फ़ोर्स के साथ भर रहे है...* मैं आत्मा सम्पूर्ण हो रही हूं... भरपूर हो रही हूं... सर्व शक्तियों एवं सर्व गुणों से सम्पन्न होकर शक्तिवान बन रही हूं...
➳ _ ➳ मीठे बाबा की ज्ञान की किरणों से मुझ आत्मा के अज्ञानता के अंधकार मिट रहे है... *मैं आत्मा ज्ञान सागर के ज्ञान तरंगों को धारण करने और धारण कराने योग्य बन रही हूं...* मुझ आत्मा के संकल्प, बोल, कर्म उज्ज्वल प्रकाशमय हो रहे है... *पुराने संस्कार पुराने देह के साथ मिटते हुए अनुभव कर रही हूं...* आत्मा सहजरूप से नए योग्यताओं को धारण कर रही है ...
➳ _ ➳ सर्व शक्तियों का दान सर्व गुणों का दान करने का वायदा कर मीठे बाबा से विदाई ले रही हूं... *मीठे बाबा मुझ आत्मा के मस्तक पर विजय का तिलक लगा कर्म क्षेत्र में विजयी भव का वरदान दे रहे है...* अब मैं आत्मा मीठे बाबा से विदाई ले अपने स्थूल वतन की ओर लौट रही हूं... विश्व गोले की ओर बढ़ रही हूं...
➳ _ ➳ मैं उज्ज्वल सितारा सभी आत्माओं को ज्ञान प्रकाश का दान कर रही हूं... विश्व की सभी आत्माएं अनायास ही आत्म अनुभूति में लीन होते हुए दिखाई दे रहे है... सभी के मस्तक पर आत्म ज्योति जगी हुई है... *सभी आत्माएं ज्ञान प्रकाश धारण कर सहजता से अंधकार मुक्त हो रहे है... सभी की आंतरिक कालिमा मिट रही है...* सभी आत्माओं को आत्मा होने का ज्ञान सहज भाव से महसूस हो रहा है... सभी आत्मानुभूति की सुख सागर में डुबकी लगाकर आत्म चिंतन में विभोर हो रहे है... तृप्त हो रहे है... *अविनाशी प्राप्ति कर सन्तुष्ट हो रहे है...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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