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❍ 14 / 03 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *आज्ञाकारी, वफादार और सपूत बन बाप से पूरा वर्सा लिया ?*
➢➢ *श्रीमत पर श्रेष्ठ कर्म कर सची कमाई जमा की ?*
➢➢ *"मेरा बाबा" इस संकल्प द्वारा हर कदम में मदद का अनुभव किया ?*
➢➢ *सदा बाप की लाइट माईट के अन्दर रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *जिस समय जिस सम्बन्ध की आवश्यकता हो, उसी सम्बन्ध से भगवान को अपना बना लो।* दिल से कहो मेरा बाबा, और बाबा कहे मेरे बच्चे, इसी स्नेह के सागर में समा जाओ । *यह स्नेह छत्रछाया का काम करता है, इसके अन्दर माया आ नहीं सकती ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं संगमयुगी श्रेष्ठ सच्चा ब्राह्मण हूँ"*
〰✧ 2. सदा अपने को संगमयुगी श्रेष्ठ ब्रह्मण आत्मायें अनुभव करते हो? *सच्चे ब्राह्मण अर्थात् सदा सत्य बाप का परिचय देने वाले। ब्राह्मणों का काम है कथा करना, तुम कथा नहीं करते लेकिन सत्य परिचय सुनाते हो। ऐसे सत्य बाप का सत्य परिचय देने वाले, ब्राह्मण आत्मायें हैं, यही नशा रहे। ब्राह्मण देवताओंसे भी श्रेष्ठ हैं।*
〰✧ *इसलिए ब्राह्मणों का स्थान चोटी पर दिखाते हैं। चोटी वाले ब्राह्मण अर्थात् ऊँची स्थिति में रहने वाले। ऊँचा रहने से नीचे सब छोटे होंगे। कोई भी बात बड़ी नहीं लगेगी।* ऊपर बैठकर नीचे की चीज देखो तो छोटी लगेगी। कभी कोई समस्या बड़ी लगती तो उसका कारण नीचे बैठकर देखते हो। ऊपर से देखो तो मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
〰✧ *तो सदा याद रखना -चोटी वाले ब्राह्मण हैं, इसमें बड़ी समस्या भी सेकण्ड में छोटी हो जायेगी। समस्या से घबराने वाले नहीं लेकिन पार करने वाले समस्या का समाधान करने वाले।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *यह पहली - पहली बात है जो कि तुम सभी को बताते हो कि - मैं आत्मा हूँ, न कि शरीर*। जब आत्मा होकर बिठाते हो तभी उनको फिर शरीर भूलता है। अगर आत्मा होकर नहीं बिठाते, तो क्या फिर देह सहित देह के संबन्ध भूल जाते! जब उनको बुलाते हो, तो क्या अपने शरीर से न्यारे होकर, जो न्यारा बाप है उनकी याद में नहीं बैठ सकते हो?
〰✧ अब सब बच्चे अपने को आत्मा समझ बैठो। सामने किसको देखें? आत्माओं के बाप को। इस स्थिति में रहने से व्यक्त से न्यारे होकर अव्यक्त स्थिति में रह सकेंगे। *'मैं आत्मा बिन्दु रुप हूँ' - क्या यह याद नहीं आता है*? बिन्दि रुप होकर बैठना नहीं आता? ऐसे ही अभ्यास को बढाते जाओगे तो एक सेकण्ड तो क्या, कितनी ही घण्टे इसी अवस्था में स्थित होकर इस अवस्था का रस ले सकते हो। इसी अवस्था में स्थित रहने से फिर बोलने कि जरूरत ही नहीं रहेगी।
〰✧ बिन्दु होकर बैठना कोई जड अवस्था नहीं है। जैसे बीज में सारा पेड़ समाया हुआ है, वैसे ही मुझ आत्मा में बाप की याद समायी हुई है। ऐसे होकर बैठने से सब रसनायें आयेगी और साथ भी यह नशा होगा कि - 'हम किसके सामने बैठे हैँ। बाप हमको भी अपने साथ कहाँ ले जा रहे है।' बाप तुम बच्चों को अकेला नहीं छोडता है। जो बाप का और तुम बच्चों का घर है, वहाँ पर साथ में ही लेकर जायेंगे। सब इकट्ठे चलने ही है। *आत्मा समझकर फिर शरीर में आकर कर्म भी करना है, परंतु कर्म करते हुए भी न्यारा और प्यारा होकरल रहना है*। बाप भी तुम बच्चों को देखते हैँ। देखते हुए भी बाबा न्यारा और प्यारा है ना। अच्छा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जो बन्धन मुक्त की स्थिति सुनाई कि शरीर में रहते हुए सिर्फ निमित ईश्वरीय कर्तव्य के लिए आधार लिया हुआ है। अधीनता नहीं निमत आधार लिया है। *जो निमित आधार शरीर को समझेंगे वह कभी भी अधीन नहीं बनेंगे। निमित आधार मूर्त ही सर्व आत्मओं के आधार मूर्त बन सकते हैं। जो स्वयं ही अधीन है वह उद्धार क्या करेंगे।* इसलिए सर्विस की सफलता इतनी है जितनी अधीनता से परे हरेक हैं।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- रूहानी सोशल वर्कर बन अपना तन-मन-धन सफल करना"*
➳ _ ➳ *जाना है हमें अपने परमधाम जहाँ देह ना है ना देह का ज्ञान... जाना है हमें अपने परमधाम...* इस गीत को सुनते ही मैं आत्मा टिक जाती हूँ अपने सत्य स्वरूप में... अपने सत्य स्वरुप में टिककर मैं आत्मा इस देह को छोड़कर अब ऊपर की ओर जा रही हूँ... *मैं चमकती हुई ज्योति आकाश मंडल को पार करती हुए जा रही हूं... अपने घर परमधाम... गोल्डन प्रकाश से प्रकाशित, संपूर्ण शांति से भरपूर यह मेरा घर है...* मेरे सामने है सुख के दाता, आनंद के सागर मेरे मीठे प्यारे बाबा ... उनके सानिध्य में, मैं असीम सुख और शांति का अनुभव कर रही हूं... उनसे निकल रहे शक्तिशाली प्रकंपन मुझे असीम आनंद से भरपूर कर रहे हैं... उन से आ रही सर्व शक्तियों की किरणे मुझे शक्तिशाली बना रही हैं... *मेरे प्यारे बाबा के प्रेम की शीतल छाया मुझे अतींद्रिय सुखमय स्थिति का अनुभव करवा रही है...* मैं आत्मा एक शिव पिता की लगन में मगन हो जाती हूँ...
❉ *बाबा मुझ आत्मा को विश्व कल्याण की भावनाओं से ओत-प्रोत करते हुए कहते है :-* लाडले विश्व कल्याणकारी बच्चे मेरे... ईश्वर पिता ने आकर है आपके जीवन को अथाह सुख-शांति से है सजाया... सर्व प्राप्तियों से है आपको सम्पन्न बनाया... बन रूहानी सोशल वर्कर तुम इस सुख-शांति को पूरी दुनिया मे फैलाओं... *हर आत्मा को सुखों की अमीरी से भर आओ...*
➳ _ ➳ *मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा विश्व कल्याण की भावना से सम्पन्न होकर कहती हूँ :-* मेरे दिल के सहारे सच्चे मनमीत बाबा मेरे... कितना ऊँचा कितना शानदार है आपने मुझ आत्मा का भाग्य बनाया... सच्ची सुख -शांति से है इस जीवन को सजाया... *बन अब मैं आत्मा रूहानी सोशल वर्कर सुखों की अमीरी से हर आत्मा को सजा रही हूँ... विश्व सेवाधारी बन पूरी दुनिया को सुख-शांति-पवित्रता से सम्पन्न बना रही हूँ...*
❉ *बाबा मुझ आत्मा को सर्व आत्माओं के कल्याण का रूहानी अहसास देकर कहते है :-* मीठे सच्चे सेवाधारी बच्चे मेरे... *पवित्रता की धरोहर से जीवन को श्रेष्ठ बनाकर क्या से क्या बन रहे हो... यह प्राप्ति औरों को भी कराओं...* सबके जीवन को आप समान खुशियों से महकाओं... सफल कर अपना तन-मन-धन तुम... इस दुनिया को सुख-शांति पवित्रता से सम्पन्न बनाओ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा विश्व कल्याण के मीठे रूहानी अहसासों से भरकर कहती हूँ :-* मीठे-मीठे रत्नागर बाबा मेरे... पवित्रता ही सुख-शांति का आधार है... इस सत्य से सबको रूबरू करा रही हूँ... सबके जीवन को आप समान खुशियों से महका रही हूँ... *सफल कर अपना तन-मन-धन सबकों ईश्वरीय सुखों से सम्पन्न बना रही हूँ...*
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को जिम्मेवारी का ताज पहनाकर कहते है :-* मीठे लाडले दिलतख्तनशीन बच्चे मेरे... *लगाकर अपना तन-मन-धन इस रूहानी सच्ची सेवा में अपना और दूसरों का भाग्य उज्जवल बनाओं...* अपने आत्मा भाईयों का तुम सोया भाग्य जगाओं... पवित्रता के फूलों से उनके जीवन को महकाओं... रूहानी सोशल वर्कर बन अब ये कमाल बच्चे कर दिखलाओं...
➳ _ ➳ *मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा जिम्मेवारी का ताज पहन कर कहती हूँ :-* मीठे प्यारे जादूगर बाबा मेरे... तन-मन-धन इस ईश्वरीय सेवा में लगा कर अपना और दूसरों का भाग्य चमका रही हूँ... देकर सबको ईश्वरीय पैगाम... सुखमय जीवन की सच्ची राह दिखा रही हूँ... *पवित्रता के फूलों से उनके जीवन को महका रही हूँ... इस प्रकार सच्ची सुख शांति पवित्रता से दुनिया को सम्पन्न बना रही हूँ...*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सम्पूर्ण निर्विकारी बन सच्चा ब्राह्मण बनना है*"
➳ _ ➳ कितनी पदमा पदम सौभाग्यशाली हूँ मैं ब्राह्मण आत्मा जिसे स्वयं भगवान ने ब्रह्मा मुख कमल द्वारा रचा है, *मन ही मन स्वयं से यह बातें करती, अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करते हुए, मैं अपने तीनो कालों औऱ आदि से लेकर अंत तक के अपने 84 जन्मों के सर्वश्रेष्ठ पार्ट के बारे में जैसे ही विचार करती हूँ उन 84 जन्मो में मुझ आत्मा द्वारा बजाए अलग - अलग पार्ट अलग - अलग स्वरुप में मेरी आँखों के सामने एक सिनेमा की भांति स्पष्ट होने लगते हैं*। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने एक बहुत बड़ी स्क्रीन है जिस पर मैं अपने पास्ट, प्रेजेंट और भविष्य को देख रही हूँ। 84 जन्मो में अपने अलग -अलग स्वरूप में बजाए हर पार्ट में मैं अपना सम्पूर्ण निर्विकारी स्वरूप देख रही हूँ।
➳ _ ➳ सबसे पहले मैं देख रही हूँ अपने आपको अपने वास्तविक अनादि निराकार स्वरूप में अपने घर परमधाम में अपने निराकार शिव पिता परमात्मा के पास। *झिलमिल करती आत्माओं की इस निराकारी खूबसूरत दुनिया में, एक चमकता हुआ सितारा मैं आत्मा सच्चे सोने के समान अपनी आभा चारों और बिखेरती हुई, सातों गुणों और अष्ट शक्तियों के अनन्त प्रकाश से प्रदीप्तमय हूँ*। अपने इस सम्पूर्ण निर्विकारी अनन्त ज्योतिर्मय स्वरूप को देख मैं गहन आनन्द का अनुभव कर रहती हूँ। मेरा यह सम्पूर्ण सतोप्रधान स्वरूप मुझे मेरे अंदर निहित गुणों और शक्तियों की महसूसता करवाकर, असीम सुख की अनुभूति करवा रहा है।
➳ _ ➳ अपने इस वास्तविक अनादि स्वरूप का सुखमय अनुभव करके, अब मैं अपना अगला सम्पूर्ण निर्विकारी देवताई स्वरूप देख रही हूँ। *अपने शिव पिता द्वारा बनाई, प्रकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण एक खूबसूरत स्वर्णिम दुनिया में मैं स्वयं को 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम स्वदर्शन चक्रधारी विष्णु के रूप में देख रही हूँ*। मेरा यह स्वरूप मुझे मेरे विश्व महाराजन स्वरूप की स्मृति दिलाकर गहन खुशी का अनुभव करवा रहा है। इस स्वरूप में अपने मुख मण्डल पर फैली दिव्य आभा और सम्पूर्ण पवित्रता के तेज को देख मैं मन ही मन हर्षित हो रही हूँ।
➳ _ ➳ अपने इस डबल ताजधारी सम्पूर्ण निर्विकारी स्वरूप को देख आनन्दविभोर होकर अब मैं अपने परम पवित्र पूज्य स्वरूप को देख रही हूँ। *अष्ट भुजाधारी दुर्गा के रूप में मंदिर में प्रतिस्थापित प्रतिमा मुझे मेरे पूज्य स्वरूप की स्मृति दिला रही हूँ। देख रही हूँ मैं अपने सामने लम्बी - लम्बी कतारों में खड़े अपने भक्तों को जो केवल मेरे एक दर्शन के प्यासे हैं*। अपनी मनोकामना पूर्ण करवाने के लिए घण्टों भूखे प्यासे लाइनों में खड़े तपस्या कर रहें हैं। मुख पर दिव्य मुस्कराहट और नयनों में दया भाव लिए मैं अपना वरदानी हाथ ऊपर उठाए उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण कर रही हूँ।
➳ _ ➳ बड़े श्रद्धा भाव के साथ अपने मस्तक को झुका कर अपनी वन्दना करते, अपने भक्तों की आश को पूर्ण करते, अपने इस परम पूज्य स्वरूप को आनन्दमग्न होकर देखते हुए *अब मैं फिर से अपने ब्राह्मण स्वरूप की स्मृति में लौटती हूँ और अपने प्यारे शिव पिता द्वारा मिली उन अविनाशी प्राप्तियों को याद करती हूँ जो ब्राह्मण बनते ही मेरे मीठे प्यारे बाबा ने मुझे गिफ्ट के रूप में दी हैं। उन्हें याद कर, अपने भाग्य पर मैं नाज करती हूँ कि कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा, जिस भगवान की महिमा के दुनिया गीत गाती हैं वो स्वयं मेरे सामने आकर मेरे गीत गाता है*। बाप बन मेरी पालना करता है, टीचर बन हर रोज मुझे पढ़ाने आता है और सतगुरु बन मुझे श्रेष्ठ कर्म करना सिखलाता है।
➳ _ ➳ ऐसे अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के गीत गाते हुए अब मैं कर्मयोगी बन अपने कार्य मे लग जाती हूँ। किन्तु कर्म करते - करते भी अब मैं इन अखुट प्राप्तियों औऱ अपने प्यारे प्रभु से मिलने वाले निस्वार्थ औऱ निष्काम प्यार को सदा स्मृति में रखते हुए, तथा *अपने तीनों कालों में बजाने वाले अपने सर्वश्रेष्ठ सम्पूर्ण निर्विकारी पार्ट को मन बुद्धि से सदा अपने सामने इमर्ज रखते हुए, सम्पूर्ण निर्विकारी बन सच्चा ब्राह्मण बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मनसा, वाचा, कर्मणा सम्पूर्ण पवित्र बनने का पुरुषार्थ अब मैं पूरी लगन के साथ कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं "मेरा बाबा" इस संकल्प द्वारा हर कदम में मदद का अनुभव करने वाली निश्चयबुद्धि आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं सदा बाप की लाइट माइट के अंदर रह माया को स्वयं के आगे ठहरने नहीं देने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *एक दो के सहयोगी बनो जो सभी मास्टर सर्वशक्तिवान बन आगे उड़ते चलें। दाता बनकर सहयोग दो।*बातें नहीं देखो, सहयोगी बनो। स्वमान में रहो और सम्मान देकर सहयोगी बनो क्योंकि *किसी भी आत्मा को अगर आप दिल से सम्मान देते हो, यह बहुत-बहुत बड़ा पुण्य है क्योंकि कमजोर आत्मा को उमंग-उत्साह में लाया तो कितना बड़ा पुण्य है!* गिरे हुए को गिराना नहीं है, गले लगाना है अर्थात् बाहर से गले नहीं लगाना, *गले लगाना अर्थात् बाप समान बनाना। सहयोग देना।*
✺ *ड्रिल :- "गिरे हुए को गिराना नहीं, गले लगाना"*
➳ _ ➳ मैं मास्टर सर्वशक्तिवान... सर्वशक्तिवान शिवबाबा से कंबाइंड हूँ... प्यारे बाबा से सर्वशक्तियों की किरणें निरन्तर मुझ आत्मा पर पड़ रहीं हैं... *मैं आत्मा पदमापदम सौभाग्यशाली... जो स्वयं भगवान मेरा हो गया... वाह मेरा भाग्य...बाबा ने मेरे सारे बोझ... चिंताएं... फिकरातों से मुक्त कर दिया... अब मुझे भी बाप समान बनकर सभी आत्माओं को सहयोग देकर... उन्हें आप समान बनाना है...*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मास्टर दाता के स्वमान में रह हरेक आत्मा के प्रति शुभ भावना... शुभ कामना रख रही हूँ... मैं आत्मा फॉलो फादर कर सभी आत्माओं को सम्मान की दृष्टि से देख रही हूँ...* जैसे ब्रह्मा बाबा ने अपकारियो पर भी उपकार किया... निंदा करने वालो को भी अपना मित्र समझा... उन्हें गले लगाया... वैसे ही *मैं आत्मा फॉलो फादर करती... सभी आत्माओं के प्रति सदभावना रख हर कर्म कर रहीं हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाप समान विश्व की सर्वआत्माओं के प्रति कल्याण की भावना रख रहीं हूँ... किसी भी आत्मा के प्रति भेदभाव नहीं रखती अपितु सर्व के प्रति आत्मिक दृष्टि रखती हूँ... *मैं आत्मा विश्वकल्याणकारी के स्वमान में स्थित हो... विशाल दिल रख... रहम की भावना से... सर्व आत्माओं के प्रति सुख... शांति... के वायब्रेशन्स फैला रही हूँ...*
➳ _ ➳ मैं मास्टर सर्वशक्तिवान... अपनी श्रेष्ठ वृति के वायब्रेशन्स द्वारा वायुमण्डल को ऐसा बनाती हूँ... *जो कोई भी मेरे सम्बन्ध सम्पर्क में आता है... वह खुद बखुद मेरी ओर आकर्षित होता है...* उन्हें मुझसे स्नेह... प्यार की भासना आती है... सहयोग... हिम्मत की अनुभूति होती है...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य को देख बहुत खुश हो रहीं हूँ... सदा सर्वशक्तिवान के स्वमान में रह... उमंग उत्साह के पंख लगा... हरेक को सहयोग देती हुई... सम्मान देती हुई... उड़ती कला में उड़ रही हूँ...* और सर्वशक्तिवान... शिवबाबा... भाग्यविधाता को दिल से शुक्रिया करती हुई... अपने भाग्य की सराहना कर रहीं हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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