━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 25 / 03 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *बेहद के स्मृति स्वरुप में स्थित रहे ?*
➢➢ *स्वयं को सर्व अथॉरिटी वाली श्रेष्ठ आत्मा अनुभव किया ?*
➢➢ *इस नए ज्ञान को प्रतक्ष्य करने की सेवा की ?*
➢➢ *ज्ञान और प्यार दोनों को अपना आधार बनाकर निर्विघन स्थिति का अनुभव किया ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *जो सदा बाप की याद में लवलीन रह मैं-पन की त्याग-वृत्ति में रहते हैं उन्हों से ही बाप दिखाई देता है ।* आप बच्चे नॉलेज के आधार से बाप की याद में समा जाते हो तो यह समाना ही लवलीन स्थिति हैं, *जब लव में लीन हो जाते हो अर्थात् लगन में मग्न हो जाते हो तब बाप के समान बन जाते हो ।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं याद की शक्ति द्वारा पदमों की कमाई जमा करने वाली आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा हर कदम में याद की शक्ति द्वारा पदमों की कमाई जमा करते हुए आगे बढ़ रहे हो ना? हर कदम में पदम भरे हुए हैं-यह चेक करते रहते हो? याद का कदम भरपूर है। बिना याद के कदम भरपूर नहीं, कमाई नहीं तो हर कदम में कमाई जमा करने वाले कमाऊ बच्चे हो ना! कमाने वाले कमाऊ बच्चे होते। एक हैं सिर्फ खाया पिया और उड़ाया और एक हैं कमाई जमा करने वाले। आप कौन से बच्चे हैं? वहाँ बच्चा कमाता है अपने लिए भी और बाप के लिए भी। यहाँ बाप को तो चाहिए नहीं। अपने लिए ही कमाते। *सदा हर कदम में जमा करने वाले, कमाई करने वाले बच्चे हैं, यह चेक करो। क्योंकि समय नाजुक होता जा रहा है। तो जितनी कमाई जमा होगी उतना आराम से श्रेष्ठ प्रालब्ध का अनुभव करते रहेंगे।*
〰✧ भविष्य में तो प्राप्ति है ही। तो इस कमाई की प्राप्ति अभी संगम पर भी होगी और भविष्य में भी होगी। तो सभी कमाने वाले हो या कमाया और खाया! जैसे बाप वैसे बच्चे। जैसे बाप सम्पन्न है, सम्पूर्ण है वैसे बच्चे भी सदा सम्पन्न रहने वाले। सभी बहादुर हो ना? डरने वाले तो नहीं हो? डरे तो नहीं? थोड़ा-सा डर की मात्रा संकल्प मात्र भी आई या नहीं? यह नथिंग न्यु है ना। कितने बार यह हुआ है, अनेक बार रिपीट हो चुका है। अभी हो रहा है इसलिए घबराने की बात नहीं। *शक्तियाँ भी निर्भय हैं ना। शक्तियाँ सदा विजयी सदा निर्भय। जब बाप की छत्रछाया के नीचे रहने वाले हैं तो निर्भय ही होंगे। जब अपने को अकेला समझते हो तो भय होता। छत्रछाया के अन्दर भय नहीं होता। सदा निर्भय।*
〰✧ शक्तियों की विजय सदा गाई हुई है। सभी विजयी शेर हो ना! शिव शक्तियों की, पाण्डवों की विजय नहीं होगी तो किसकी होगी! पाण्डव और शक्तियाँ कल्प-कल्प के विजयी हैं। बच्चों से बाप का स्नेह है ना। बाप के स्नेही बच्चों को याद में रहने वाले बच्चों को कुछ भी हो नहीं सकता। याद की कमजोरी होगी तो थोड़ा सा सेक आ भी सकता है। *याद की छत्रछाया है तो कुछ भी हो नहीं सकता। बापदादा किसी न किसी साधन से बचा देते हैं। जब भक्त आत्माओंका भी सहारा है तो बच्चों का सहारा सदा ही है।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ सभी कहाँ बैठे हो और क्या देख रहे हो? अव्यक्त स्थिती में स्थित हो अव्यक्त रूप को देख रहे हो वा व्यक्त में अव्यक्त को देखने का प्रयत्न करते हो? इस दुनिया में आवाज है। अव्यक्त दुनिया में आवाज नहीं है। इसलिए बाप सभी बच्चों को आवाज से परे ले जाने की ड्रिल सिखला रहे है। *एक सेकण्ड में आवाज में आना एक सेकण्ड में आवाज से परे हो जाना ऐसा अभ्यास इस वर्तमान समय में बहुत आवश्यक है*।
〰✧ वह समय भी आयेगा। *जैसे - जैसे अव्यक्त स्थिती में स्थित होते जायेंगे वैसे - वैसे नयनों के इशारों से किसके मन के भाव को जान जायेंगे*। कोई से बोलने वा सुनने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसा समय अब आने वाला है। जैसे बापदादा के सामने जब आते हो तो बिना सुनाये हुए भी आप सभी के मन के संकल्प , मन के भावों को जान लेते हैं। वैसे ही आप बच्चों को भी यही अन्तिम कोर्स पढना है।
〰✧ जैसे मुख की भाषा कही जाती है वैसे ही फिर रूहों कि रूहानी होती है। जिसे रूह - रूहान कहते हैं। तो रूह भी रूह से बात करते है। लेकिन कैसे? क्या रूहों की बातें मुख से होती हैं? जैसे - जैसे रुहानी स्थिति में स्थित होते जायेंगे वैसे - वैसे रूह रूह की बात को ऐसे ही सहज और और स्पष्ट जान लेंगे। जैसे इस दुनिया में मुख द्वारा वर्णन करने से एक - दो के भाव को जानते हो। तो इसके लिए किस बात की धारणा की आवश्यकता है? *विशेष इस बात की आवश्यकता है जो सदैव बुद्धी की लाइन क्लियर हो*।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *आत्मिक स्तिथि में अपने को स्तिथ रखना, यह है अपनी सर्विस। पहले यह चेक करो कि अपनी सर्विस भी चल रही है? अपनी सर्विस नहीं होती तो दूसरों की सर्विस में सफलता नहीं होगी।* इसलिए जैसे दूसरों को सुनाते हो ना कि बाप की याद अर्थात् अपनी याद व अपनी याद अर्थात् बाप की याद। इस रीति से दूसरों की सर्विस अर्थात् अपनी सर्विस। *यह भी स्मृति में रखना।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- नये ज्ञान और ज्ञान दाता को अथॉरिटी से प्रत्यक्ष करना"*
➳ _ ➳ *डायमंड हॉल में बेहद परिवार के साथ मैं आत्मा अपने बेहद बाबा के साथ अव्यक्त मिलन बना रही हूँ...* दादी के तन में ब्रह्मा बाबा और शिव बाबा विराजमान है... बापदादा हम सभी को दृष्टि दे रहे हैं... दृष्टि लेते-लेते मैं आत्मा अभिभूत हो रही हूँ... जैसे कि बापदादा मुझे अपने पास आने का इशारा कर रहे है... *मैं फरिश्ता मीठे बाबा के बिल्कुल सामने जाकर बैठ जाता हूँ...* बाबा के नैनों से असीम प्यार बरस रहा है... बाबा वरदानों से मुझे निहाल कर रहे हैं... मेरे कान बापदादा के मीठे मीठे बोल सुनने के लिए लालायित हो रहे हैं...
❉ *अपनी स्नेह सिक्त वाणी से जीवन में मिठास घोलते हुए बाबा कहते हैं:-* "मेरे प्यारे सिकीलधे बच्चे... बाबा तुम्हें जो सुहानी नॉलेज दे रहे हैं वह शास्त्रों आदि के ज्ञान से बिल्कुल भिन्न है... यह नई नालेज नई दुनिया का आधार है... *बाप की पहले महिमा है उसे ज्ञान का सागर कहते हैं... तो क्या उस नये ज्ञान को दुनिया के आगे प्रत्यक्ष किया है... जब तक यह नया ज्ञान ही प्रत्यक्ष नहीं होता है... तो ज्ञान दाता बाप प्रत्यक्ष कैसे होगा...*"
➳ _ ➳ *बाबा की कही गई बातों पर गहराई से मनन करती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे सतगुरु बाबा... आप हमें यह नया ज्ञान देकर हमें भी आप समान मास्टर ज्ञान सागर बना रहे हो... अब हम बच्चे भी ज्ञान गंगा बन ज्ञान जल से पूरे विश्व को हरा भरा बना रहे हैं... सारे विश्व में ज्ञान की प्रत्यक्षता द्वारा ज्ञान दाता बाप की प्रत्यक्षता के निमित्त बन रहे हैं... कि *यह ऊँच ते ऊँच ज्ञान एक ज्ञान सागर बाप द्वारा ही दिया गया है... वह एक ही ज्ञान दाता है... इसे हम इस नए ज्ञान द्वारा अथॉरिटी से सिद्ध कर रहे हैं...*"
❉ *हम बच्चो के लिए बहिश्त, नई दुनिया की रचना करने वाले मीठे बाबा कहते हैं:-* "मेरे लाडले नयनों के नूर बच्चे... मैं तुम्हारे लिए जिस *नई दुनिया की स्थापना* करता हूँ... उसकी धरनी तो बन गई है, वह आगे भी बनती रहेगी... लेकिन *उसका फाउंडेशन, उसका बीज है यह नया ज्ञान*... दुनिया में आत्माएं रूहानी स्नेह का तो अनुभव कर रही है... उन्हें अब साथ-साथ *ज्ञान की अथॉरिटी का भी अनुभव कराओ... कि यह नया ज्ञान है, सत्य ज्ञान है... जो बातें कही नहीं गई वे यहाँ सुन रहे हैं... यह अथॉरिटी से सिद्ध करो..."*
➳ _ ➳ *बाबा से मिलने वाले वर्से की खुशी में पुलकित होती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे मीठे मीठे बाबा... मैं आत्मा आपसे मिलने वाले ज्ञान का स्वरुप बनती जा रही हूँ... *इस ज्ञान को, आपके संदेश को पूरी अथॉरिटी के साथ दुनिया की आत्माओं तक पहुंचा रही हूँ... ज्ञान की अथॉरिटी से ऑलमाइटी अथॉरिटी को प्रत्यक्ष कर रही हूँ...* इस ज्ञान द्वारा आत्माएं ज्ञानदाता बाप के सहारे का अनुभव कर रही है... और हद के बंधनों से मुक्त होती जा रही हैं..."
❉ *कदम कदम पर राह दिखाने वाले रूहानी गाइड बाबा कहते हैं:-* "मेरे प्यारे बच्चे... मधुबन वरदान भूमि से थोड़े से भर के नहीं जाना... यहाँ ज्ञान सागर में डुबकियाँ लगानी है... ज्ञान बादल बन पूरे विश्व में ज्ञान वर्षा करनी है... *नये ज्ञान को सिद्ध करना है... साथ ही यह ज्ञान देने वाला कौन है* यह भी ज्ञान की अथॉरिटी से ही सिद्ध होगा... अब नई दुनिया के लिए नया ज्ञान चारों और फैलाओ... तभी *चारों और आवाज निकलेगा... धूम मचेगी... अखबारों में आएगा कि यह बी.के. नया ज्ञान सुनाती है... तभी ज्ञानदाता बाप की प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजेगा..."*
➳ _ ➳ *बाबा की हर आशा पर खरा उतरती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे मन की मीत मीठे बाबा... मैं आत्मा आपके हर डायरेक्शन का पालन कर रही हूँ... *रूहानी स्नेह के साथ-साथ सभी आत्माओं पर ज्ञान जल की शीतल वर्षा कर रही हूँ... इस नए और सत्य ज्ञान को सर्व आत्माओं तक पहुँचा रही हूँ...* और ज्ञान दाता बाप की... *ऑलमाइटी बाप की प्रत्यक्षता के निमित्त बनती जा रही हूँ...* हर एक के दिल में ज्ञान सागर बाप की महिमा की गीत बज रहे हैं... बाबा की प्रत्यक्षता हो रही है... नयी सतयुगी सृष्टि की पुनः स्थापना हो रही है..."
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- नए ज्ञान को और ज्ञानदाता को प्रतक्ष्य करना*"
➳ _ ➳ ज्ञान दाता परम पिता परमात्मा ने आकर जो सत्य ज्ञान हम ब्राह्मणों को देकर अज्ञान अंधकार में भटकने से जैसे हमे छुड़ाया है ऐसे ही *अज्ञान अंधकार में भटक रहे अपने सभी आत्मा भाइयों को यह ज्ञान देना और ज्ञानदाता बाप को प्रत्यक्ष करना ना केवल हर ब्राह्मण आत्मा का कर्तव्य ही है बल्कि ज्ञानदाता अपने प्यारे पिता परमात्मा के प्रति उनके स्नेह का रिटर्न भी है*। यही कर्तव्य अब मुझे करना है। परम पिता परमात्मा द्वारा रचे इस रुद्र ज्ञान यज्ञ में दधीचि ऋषि मिसल हड्डी - हड्डी स्वाहा कर, तन - मन - धन से इस ईश्वरीय सेवा में लग जाना है।
➳ _ ➳ स्वयं से यह दॄढ प्रतिज्ञा कर, मन ही मन विचार सागर मन्थन कर, मैं सेवा की नई - नई युक्तियाँ सोचते - सोचते मन बुद्धि से पहुँच जाती हूँ उस वरदान भूमि पर जहाँ बाबा के निमित बने हुए, श्रेष्ठ, सिकीलधे बच्चे अपने भगवान बाप को प्रत्यक्ष करने के लिए सेवा के नए - नए प्लैन्स बनाने के लिए मीटिंग करते रहते हैं। *मधुबन की उस पावन धरनी पर बैठी, मन में ज्ञानदाता अपने प्यारे बाबा को प्रत्क्षय करने का संकल्प लिए, अपने प्यारे बाबा की याद में बैठे - बैठे मैं अनुभव करती हूँ जैसे बाबा वतन में बैठ मुझे याद कर रहें हैं*। अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण कर मैं चल पड़ती हूँ अपने प्यारे बापदादा के पास उनके अव्यक्त वतन की ओर।
➳ _ ➳ आबू की खूबसूरत पहाड़ियों को क्रॉस कर, आकाश से होता हुआ मैं फरिश्ता, अव्यक्त वतन में प्रवेश करता हूँ। *सफेद प्रकाश से प्रकाशित फरिश्तो की इस खूबसूरत दुनिया में पहुँच कर मैं देखता हूँ बापदादा के सामने उनके सभी निमित बने हुए सिकीलधे यज्ञ रक्षक ब्राह्मण बच्चे उपस्तिथ है*। फरिश्तो की जैसे एक बहुत सुन्दर सभा लगी हुई है। सभी को बापदादा सेवा के प्लैन्स की बधाई दे रहें हैं और साथ ही साथ आने वाले समय प्रमाण सेवा में कौन सी एडिशन करनी है, यह भी समझा रहें हैं। बापदादा अपने सभी विश्व कल्याणकारी *ब्राह्मण सो फ़रिश्ता बच्चों को इस नयें ज्ञान को जल्दी से जल्दी सारे विश्व के आगे प्रत्यक्ष करने का फरमान दे रहें हैं। क्योंकि जब तक यह प्रत्यक्ष नही होता कि " यह ज्ञान नयां है " तब तक ज्ञानदाता बाप की प्रत्यक्षता कैसे हो सकती है*!
➳ _ ➳ बापदादा के फरमान अनुसार सभी ब्राह्मण बच्चे अब इसी एक संकल्प में स्थित हैं कि इस नयें ज्ञान को और ज्ञान दाता बाप को अब जल्दी से जल्दी प्रत्यक्ष करना है। इस संकल्प को सिद्ध करने के लिए बापदादा अपनी हजारों भुजाओं को फैला कर सभी फरिश्तो को "सफलतामूर्त भव" का वरदान दे रहें हैं। *बापदादा के हस्तों से वरदानी पुष्पों की वर्षा हो रही है। सभी बच्चे उमंग उत्साह में झूम रहें हैं। अपनी लाइट माइट से बापदादा सभी बच्चों में बल भर रहें हैं*। विजय का तिलक मस्तक पर लगाये, शक्तियों के अवतार बन कर अब सभी फ़रिश्ते इस ईश्वरीय कार्य को सम्पन्न करने के लिए विश्व ग्लोब पर बैठ, संकल्प शक्ति से मनसा सकाश द्वारा विश्व की सर्व आत्माओं को यह नयां ज्ञान और परमात्म अवतरण का सन्देश दे रहें हैं।
➳ _ ➳ इस बेहद की विहंग मार्ग की सेवा को करके अब सभी फ़रिश्ते साकार सृष्टि पर लौट रहे हैं। अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर सभी ब्राह्मण संगठित रूप में अब इस नये ज्ञान और ज्ञानदाता को प्रत्यक्ष करने का दृढ़ संकल्प लेकर इस ईश्वरीय सेवा में एकजुट होकर लग गए हैं। *सभी घर - घर जाकर ज्ञान की ऑथॉरिटी से इस बात को सिद्ध कर रहें हैं कि यह कोई साधारण ज्ञान नही है बल्कि स्वयं भगवान इस ज्ञान के ज्ञानदाता हैं और वे स्वयं सारी दुनिया को अज्ञान अंधकार से निकाल ज्ञान के सोझरे में ले जाने के लिए आये हैं*। अखबारों द्वारा, टेलीविजन द्वारा, मीडिया द्वारा घर - घर में इस नए ज्ञान का प्रचार हो रहा है। परमात्म मदद से सभी एक दो सहयोग देते, उमंग उत्साह से इस नये ज्ञान को और ज्ञानदाता भगवान को प्रत्यक्ष करने के महान कार्य को सम्पन्न कर रहें हैं।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं कमजोर संकल्पों की जाल को समाप्त कर परतन्त्रता के बंधन से मुक्त्त होने वाली स्वतन्त्र आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं नम्रता और निर्भयता को प्रैक्टिकल स्वरूप में धारण करने वाली ज्ञानी और योगी तू आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *स्वमान, अभिमान को खत्म कर देता है क्योंकि स्वमान है श्रेष्ठ अभिमान।* तो श्रेष्ठ अभिमान अशुद्ध भिन्न भिन्न देह-अभिमान को समाप्त कर देता है। जैसे सेकण्ड में लाइट का स्विच आन करने से अंधकार भाग जाता है, अंधकार को भगाया नहीं जाता है या अंधकार को निकालने की मेहनत नहीं करनी पड़ती है लेकिन स्विच आन किया अंधकार स्वतः ही समाप्त हो जाता है। ऐसे *स्वमान की स्मृति का स्विच आन करो तो भिन्न-भिन्न देह-अभिमान समाप्त करने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।* मेहनत तब तक करनी पड़ती है जब तक स्वमान के स्मृति स्वरूप नहीं बनते। बापदादा बच्चों का खेल देखते हैं - स्वमान को दिल में वर्णन करते हैं - 'मैं बापदादा का दिलतख्तनशीन हूँ', वर्णन भी कर रहे हैं, सोच भी रहे हैं लेकिन अनुभव की सीट पर सेट नहीं होते।
➳ _ ➳ *जो सोचते हैं वह अनुभव होना जरूरी है क्योंकि सबसे श्रेष्ठ अथारिटी अनुभव की अथारिटी है।* तो बापदादा देखते हैं - सुनते बहुत अच्छा हैं, सोचते भी बहुत अच्छा हैं लेकिन सुनना और सोचना अलग चीज है, *अनुभवी स्वरूप बनना - यही ब्राह्मण जीवन की श्रेष्ठ अथारिटी है।* यही भक्ति और ज्ञान में अन्तर है। भक्ति में भी सुनने की मस्ती में बहुत मस्त होते हैं। सोचते भी हैं लेकिन अनुभव नहीं कर पाते हैं। ज्ञान का अर्थ ही है, ज्ञानी तू आत्मा अर्थात् हर स्वमान के अनुभवी बनना। *अनुभवी स्वरूप रूहानी नशा चढ़ाता है।* अनुभव कभी भी जीवन में भूलता नहीं है, सुना हुआ, सोचा हुआ भूल सकता है लेकिन अनुभव की अथारिटी कभी कम नहीं होती है।
✺ *ड्रिल :- "हर स्वमान का अनुभवी बनना।"*
➳ _ ➳ भक्ति मार्ग में मन्नत के रूप में हज़ारों दीये मंदिर में जलाती मैं आत्मा... *ज्ञान मार्ग में... आत्मा में ज्ञान का दिया जलाती हूँ...* कलियुग में भगवान को पुकारती मैं आत्मा... मिट्टी के दीये द्वारा भगवान का आह्वान करती मैं आत्मा... *संगमयुग में स्वयं भगवान की छत्रछाया में ज्ञान रूपी दिये को जगमगाती हूँ...* अज्ञानता रूपी अंधकार को स्वमान की श्रीमत द्वारा ज्ञान के उजाले में बदलती हूँ...
➳ _ ➳ कलियुगी अंधकार को संगमयुगी दीये द्वारा सतयुग के उजाले में परिवर्तित होता देख रही हूँ... *खुद से बेखबर मैं आत्मा... ज्ञान रूपी दीये से अपने पूज्य देवताई स्वरुप को प्रत्यक्ष होता देख रही हूँ...* स्वमान की सीट पर सेट मैं आत्मा... देह अभिमान रूपीं पिंजरे से मुक्त उड़ता पंछी बन... अपने देवताई स्वरुप को प्रत्यक्ष कर रही हूँ... *स्वमान की अनुभवी... मेहनत मुक्त बन गई हूँ...*
➳ _ ➳ संगमयुग में देवताई गुणों का आह्वान कर... सतयुग के स्वराज्य अधिकारी के वर्से के अधिकारी बन गई हूँ... *स्वमान की स्मृति स्वरुप मैं आत्मा...* संगमयुग में स्वमान की सीट पर विराजमान होकर अपने सतयुगी वर्से को स्मृति स्वरुप बनती जा रही हूँ... प्रजापिता ईश्वरीय विश्व विद्यलाय रूहानी पाठशाला में... *स्वमान में स्थित रहना... स्वमान के स्मृति स्वरुप बनना... स्वमान के अनुभवी बनना* मुझ आत्मा को सिखा दिया हैं...
➳ _ ➳ सतयुगी स्वराज्य अधिकारी मैं आत्मा... संगमयुग में एक *शिवबाबा की ही श्रीमत का पालन करती...* उच्च स्वमान की सीट पर सेट हो गई हूँ... मिथ्या देहाभिमान से परे मैं आत्मा... स्वमान की नित्य स्मृति स्वरुप बन कर... अपने पुरुषार्थ को तीव्र पुरूषार्थी में परिवर्तित कर दिया हैं... *संगमयुग का गहना "स्वमान"* को सुनहरे अक्षरों में अपने मन बुद्धि में अंकित कर... शुभ भावना रूपी मोतियों की वर्षा पूरे ब्रह्माण्ड में मुझ आत्मा से हो रही हैं...
➳ _ ➳ संगमयुग में स्वमान की ही स्मृति स्वरुप बनना... मुझ आत्मा को हर कर्म बंधन से मुक्त कर रहा हैं... *अंधकार को उजाले में... निराशा को आशा में... कलियुग को सतयुग में परिवर्तित करने की बापदादा की श्रीमत "स्वमान में स्थित रहना" करवा रहा हैं...* संगमयुगी हर ब्राह्मण आत्मा श्रेष्ठ स्वमानधारी बन कर बापदादा के श्रीमत का पालन कर सतयुगी देवी देवता धर्म की स्थापना में सहयोगी बन रही हैं... *मैं आत्मा भी स्वमानधारी बन शिवबाबा के महायज्ञ को सफल कर रही हूँ...*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━