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 14 / 02 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *इया मायापूरी को बुधी से भूलाने का अभ्यास किया ?*

 

➢➢ *विजय माला अमें आने के लिए अथक हो सर्विस की ?*

 

➢➢ *परवाने बन एक शमा के पीछे फ़िदा हुए ?*

 

➢➢ *बाबा के मिलन की और सर्व प्राप्तियों की मौज में रहे ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *अपनी शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना, श्रेष्ठ वृति, श्रेष्ठ वायब्रेशन द्वारा किसी भी स्थान पर रहते हुए मन्सा द्वारा अनेक आत्माओं की सेवा कर सकते हो। इसकी विधि है - लाइट हाउस, माइट हाउस बनना।* इसमें स्थूल साधन, चान्स वा समय की प्राब्लम नहीं है। सिर्फ लाइट-माइट से सम्पन्न बनने की आवश्यकता है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं सर्वशक्तिवान बाप के साथ हूँ"*

 

✧  हर कदम में सर्वशक्तिवान बाप का साथ है, ऐसा अनुभव करते हो? *जहाँ सर्वशक्तिवान बाप है वहाँ सर्व प्राप्तियाँ स्वत: होंगी। जैसे बीज है तो झाड़ समाया हुआ है। ऐसे सर्वशक्तिवान बाप का साथ है तो सदा मालामाल, सदा तृप्त, सदा सम्पन्न होंगे। कभी किसी बात में कमजोर नहीं होंगे। कभी कोई कम्पलेन्ट नहीं करेंगे। सदा कम्पलीट।*

 

  *क्या करें, कैसे करें...यह कम्पलेन्ट नहीं। साथ हैं तो सदा विजयी हैं। किनारा कर देते तो बहुत लम्बी लाइन है। एक क्यों, क्यू बना देती है। तो कभी क्यों की क्यू न लगे।* भक्तों की, प्रजा की क्यू भले लगे लेकिन क्यों की क्यू नहीं लगानी है।

 

  ऐसे सदा साथ रहने वाले चलेंगे भी साथ। सदा साथ हैं, साथ रहेंगे और साथ चलेंगे यही पक्का वायदा है ना! बहुत काल की कमी अन्त में धोखा दे देगी। अगर कोई भी कमी की रस्सी रह जायेगी तो उड़ नहीं सकेंगे*तो सब रस्सियों को चेक करो। बस बुलावा आये, समय की सीटी बजे और चल पड़ें। हिम्मते बच्चे मददे बाप! जहाँ बाप की मदद है वहाँ कोई मुश्किल कार्य नहीं। हुआ ही पड़ा है।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  *क्या भी हो, सारे दिन में साक्षीपन की स्टेज का, करावनहार की स्टेज का, अशरीरी-पन की स्टेज का अनुभव बार-बार करो, तब अन्त मते फरिश्ता सो देवता निश्चित है।* बाप समान बनना है तो बाप निराकार और फरिश्ता है, ब्रह्माबाप समान बनना अर्थात फरिश्ता स्टेज में रहना। जैसे फरिश्ता रूप साकार रूप में देखा, बात सुनते, बात करते, कारोबार करते अनुभव किया कि जैसे बाप शरीर में होते न्यारे हैं।

 

✧  *कार्य को छोडकर अशरीरी बनना, यह तो थोडा समय हो सकता है लेकिन कार्य करते, समय निकाल अशरीरी, पॉवरफुल स्टेज का अनुभव करते रहो।* आप सब फरिश्ते हो, बाप द्वारा इस ब्राह्मण जीवन का आधार सन्देश लेने के लिए साकार में कार्य कर रहे हो।

 

✧  *फरिश्ता अर्थात देह में रहते देह से न्यारा और यह एक्जैबुल ब्रह्मा बाप को देखा है, असम्भव नहीं है।* देखा अनुभव किया। जो भी निमित हैं, चाहे अभी विस्तार ज्यादा है लेकिन जितनी ब्रह्मा बाप की नई नॉलेज, नई जीवन, नई दुनिया बनाने की जिम्मेवारी थी, उतनी अभी किसकी भी नहीं है। *तो सबका लक्ष्य है ब्रह्मा बाप समान बनना अर्थात फरिश्ता बनना।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  ऐसी आत्मायें जरूर कोई पावरफुल होंगी जिनका बहुत समय से अशरीरी बनाने का अभ्यास होगा वह एक सेकण्ड में अशरीरी हो जायेंगे। मानो अभी आप याद में बैठते हो, कैसी भी विघ्नों की अवस्था में बैठते हो, कैसी भी परिस्थितियां सामने होते हुए भी बैठते हो - लेकिन एक सेकण्ड में सोचा और अशरीरी हो जायें। *वैसे तो एक सेकण्ड में अशरीरी होना बहुत सहज है। लेकिन जिस समय कोई बात सामने हो, कोई सर्विस के बहुत झंझट सामने हो - परंतु  प्रैक्टिस ऐसी होनी चाइये जो एक सेकंड, सेकण्ड भी बहुत है, सोचना और करना साथ-साथ चले। सोचने के बाद पुरुषार्थ न करना पड़े।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- श्री श्री की श्रेष्ठ मत पर चल नर से नारायण बनना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन की प्राप्तियों के नशे में बाबा के गीत गुन गुना रही हूँ... कितना ही सुन्दर भाग्य मैंने पाया है... मीठे बाबा ने मुझे कलियुगी विकारों की दलदल से निकाल संगमयुग के सुहावने पलों में संजो दिया है...* पांच विकारों के पिंजरे से निकाल उड़ता पंछी बना दिया है... मैं आत्मा अपने दिल के इन्ही जज्बातों को बयान करने उड़ चलती हूँ बाबा की कुटिया में...   

 

   *बाबा की श्रीमत पर चल उंचा भाग्य बना नर से नारायण बनने की श्रीमत देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... *ईश्वर पिता की श्रीमत संग खुशियो से सजे, खुबसूरत जीवन के मालिक बनो... श्रीमत के सहारे दुखो के दलदल से बाहर निकल, सुखो की बहारो में मीठा मुस्कराओ...* रावण की मत से दूर रहकर, सुखो से छलकते जीवन को गले लगाओ...ईश्वरीय राहो में सदा के सुखी बन अपने भाग्य पर इठलाओ..."

 

_ ➳  *अपने जीवन की गाडी को श्रीमत की पटरी पर चलाते हुए खुशियों का एहसास करते मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा *आपके प्यार और श्रीमत को पाकर कितनी सुखी और निश्चिन्त हो गयी हूँ...* विकारी जीवन से मुक्त होकर पवित्रता से छलक उठी हूँ... ईश्वरीय सानिध्य और श्रीमत के साये में पावनता से सज कर निखर गयी हूँ..."

 

   *श्रीमत से श्रृंगार कर अपने बगीचे में खिलखिलाता फूल बनाकर मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... सच्चे प्यार की बाँहों में फूलो जैसा खिल जाओ... सच्चे पिता की श्रीमत पर चलकर सतयुगी सुनहरे सुखो को दामन में सजाओ... *अब विकारो से परे रहकर, महानतम भाग्य के नशे में खो जाओ... यादो की खुमारी और ज्ञान रत्नों की खनक से जीवन सदा का खूबसुरत बनाओ..."*

 

_ ➳  *श्री श्री की श्रेष्ठ मत पर चल देवताई गुणों से सज-धज कर मनमीत बाबा से मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा इतना प्यारा सा भाग्य पाकर तो निहाल हो गयी हूँ... मनुष्य मत और विकारो से दूर रहकर, सच्चे सुखो का आलिंगन कर रही हूँ... *श्रीमत का हाथ पकड़ कर आलिशान सुखो की धरा को बाँहों में भरने को आतुर हो रही हूँ..."*

 

   *अपने प्रेम के आगोश में डुबोकर वरदानों की बारिश करते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता की मत पर चलेंगे तो विश्व का मालिक बन अनन्त सुखो में झूमेंगे... इसलिए *सदा श्रीमत को थामे ईश्वर पिता की गोद में फूलो सा महकते रहो... रावण की मत ने दुखो के भँवर में उलझाकर गहरे डुबोया है...* अब श्रीमत की ऊँगली को सदा पकड़े, सदा खुशनुमा पवित्र और सुखी हो कर खुशियो में झूम जाओ..."

 

_ ➳  *बाबा की यादों के आँचल में समाकर खुशियों के आँगन में झूमते नाचते मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा ईश्वरीय मत पर चलकर असीम खुशियो और सुख का स्त्रोत बन गई हूँ...* खुबसूरत देवता बन सदा की इज्जत पा रही हूँ... ईश्वरीय राहो में मुस्कराता खुबसूरत खुशहाल जीवन पाकर... जनमो के दुःख और विकारो से मुक्त हो गयी हूँ..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- विजयमाला में आने के लिए अथक हो सर्विस करनी है*"

 

_ ➳  अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण किये मैं फ़रिश्ता अपने शिव पिता की आज्ञानुसार, ईश्वरीय सेवा अर्थ सारे विश्व मे भ्रमण कर रहा हूँ। *भगवान की तलाश में भटक रही भक्त आत्मायें जो कि मन्दिरो में देवी देवताओं के जड़ चित्रों के सामने खड़ी होकर भगवान को पाने के लिए आराधना कर रही हैं*। केवल उनके एक दर्शन मात्र के लिए तरस रही हैं। उन भक्त आत्माओं को परमात्मा के अवतरण का संदेश देने की सूक्ष्म सेवा करने के लिए मैं फ़रिश्ता अब एक मंदिर के ऊपर पहुँचता हूँ। *मंदिर में भक्त आत्माओं द्वारा की जाने वाली अनेक गतिविधियों को मैं फ़रिश्ता देख रहा हूँ*।

 

_ ➳  हाथ मे माला सिमरण करती भक्त आत्माओं को देख मैं फ़रिश्ता *अपने सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन के बारे में विचार करता हूँ कि इस समय संगमयुग पर, परमात्मा की श्रेष्ठ मत पर चल कर, हम ब्राह्मण बच्चो द्वारा किया हुआ हर कर्म कैसे भक्ति में पूजन और गायन योग्य बन जाता है*! ब्राह्मणों के श्रेष्ठ कर्म का यादगार माला के रूप में आज भी भक्तो द्वारा अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए सिमरण किया जा रहा है।

 

_ ➳  यही विचार करते - करते अब मैं फ़रिश्ता ईश्वरीय सेवा के अपने कर्तव्य को स्मृति में लाकर, *मन बुद्धि का कनेक्शन अपने पिता परमात्मा के साथ जोड़, मनसा साकाश द्वारा उन आत्माओं को परमात्म परिचय देकर और उन्हें परमात्मा प्रेम का अनुभव करवा कर, दूसरे स्थान की सेवा करने अर्थ अब उस स्थान को छोड़ ऊपर की ओर उड़ चलता हूँ*। सारे विश्व की आत्माओं को अपनी श्रेष्ठ मनसा वृति द्वारा परमात्म सन्देश देता हुआ मैं फ़रिश्ता ऊपर आकाश की ओर उड़ता जा रहा हूँ।

 

_ ➳  सूर्य, चांद, तारागणों से परे समस्त सौरमण्डल को पार कर अब मैं फ़रिश्ता श्वेत प्रकाश से प्रकाशित फ़रिशतो की एक बहुत ही प्यारी दुनिया में प्रवेश करता हूँ। अपने सम्पूर्ण फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के इस अव्यक्त वतन में, चारों और चमकते श्वेत सूक्ष्म आकारी फ़रिशतो के बीच अब मैं स्वयं को देख रहा हूँ। *सामने अव्यक्त ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में विराजमान शिव बाबा। प्रकाश की अनन्त धारायें ब्रह्मा बाबा की भृकुटि से निकल रही हैं जो बारिश की बूंदों के समान मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही हैं और मुझे शक्तिशाली बना रही हैं*। बापदादा की समस्त शक्तियों को मैं स्वयं में समाता हुआ अनुभव कर रहा हूँ।

 

_ ➳  अपनी शक्तियों का बल मुझ फ़रिश्ते में भरकर अब बाबा अपना वरदानी हाथ ऊपर उठाते हैं। बाबा के एक हाथ को मैं अपने सिर के ऊपर अनुभव कर रहा हूँ और बाबा के दूसरे हाथ में मैं एक माला देख रहा हूँ। *बाबा उस माला के ऊपर जैसे ही दृष्टि डालते है माला के हर मणके में एक अलग ब्राह्मण आत्मा का दिव्य आभा से दमकता हुआ चेहरा दिखाई देने लगता है*। उस माला में स्वयं को तलाश करती मेरी निगाहों को देख बाबा बड़ी गुह्य मुस्कराहट के साथ, उस विजयमाला में आने का पुरुषार्थ करने का मुझे संकेत देते हैं।

 

_ ➳  बाबा के अव्यक्त इशारे को समझ, बाबा से वरदान लेकर, विजयमाला में आने के अपने लक्ष्य को पूरा करने का पुरुषार्थ करने के लिये अब मैं अपने पुरुषार्थी ब्राह्मण स्वरूप में लौट आती हूँ। *"विजयमाला में आने के लिए अथक हो सर्विस करनी है" बाबा के इस फरमान को सदैव स्मृति में रख अब मैं हर समय ऑन गॉडली सर्विस पर तत्पर रहती हूँ। ईश्वरीय यज्ञ में मिली हर सेवा को अथक हो कर करते हुए अपने इस लक्षय को पाने का पुरुषार्थ अब मैं पूरी लग्न से कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं एक शमा के पीछे परवाने बन फ़िदा होने वाली कोटो में कोई श्रेष्ठ आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं बाबा के मिलन की और सर्वप्राप्तियों की मौज में रहकर संगमयुग की विशेषता को अनुभव करने वाली विशेष आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  ड्रामा अनुसार हर ब्राह्मण आत्मा को कोई न कोई विशेषता प्राप्त है... ऐसा कोई नहीं है जिसमें कोई विशेषता नहीं हो... तो अपनी विशेषता को सदा स्मृति में रखो और उसको सेवा में लगाओ... हरेक की विशेषता, उड़ती कला की बहुत तीव्र विधि बन जायेगी... सेवा में लगना, अभिमान में नहीं आना क्योंकि संगम पर हर विशेषता ड्रामा अनुसार परमात्म देन हे... परमात्म देन में अभिमान नहीं आयेगा... *जैसे प्रसाद होता है ना उसको कोई अपना नहीं कहेगा कि मेरा प्रसाद है, प्रभु प्रसाद है... ये विशेषतायें भी प्रभु प्रसाद हैं... प्रसाद सिर्फ अपने प्रति नहीं यूज किया जाता है, बाँटा जाता है...* बाँटते हो, महादानी हो, वरदानी भी हो... पाण्डव भी वरदानी है, महादानी है, शक्तियाँ भी महादानी हैं? एक घण्टे के महादानी नहीं, खुला भण्डार... इसीलिए बाप को भोला भण्डारी कहते हैं, खुला भण्डार है ना, आत्माओं को अंचली देते जाओ, कितनी बड़ी लाइन हैं भिखारियों की... और आपके पास कितना भरपूर भण्डार है? अखुट भण्डार है, खुटने वाला है क्या? बाँटने में एकानामी तो नहीं करते? इसमें फ्रॉख दिली से बाँटो... *व्यर्थ गँवाने में एकानामी करो लेकिन बाँटने में खुली दिल से बाँटो...*

 

✺   *ड्रिल :-  "अपनी विशेषता को सदा स्मृति में रख, उसको सेवा में लगाने का अनुभव"*

 

 _ ➳  ब्राह्मण बनते ही, परमात्म वर्से के रूप में प्राप्त हुई अपनी विशेषताओं को स्मृति में लाकर मैं स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ कि इस परमात्म देन अर्थात अपनी विशेषता को, अपने परमपिता परमात्मा शिव बाबा की श्रेष्ठ  मत पर चल, ईश्वरीय सेवा में लगा कर बाबा के स्नेह का रिटर्न मुझे अवश्य देना है... *विशेषताओं की जो गिफ्ट बाबा ने मुझे दी है, निमित बन उस गिफ्ट को अनेको आत्माओं के कल्याणार्थ यूज़ करके, उनकी दुआओं की लिफ्ट प्राप्त कर विश्व कल्याण के कार्य मे बाबा का मददगार बनना ही मेरे ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य है...*

 

 _ ➳  अपने ब्राह्मण जीवन के लक्ष्य को स्मृति में रख, अपनी विशेषताओं को सेवा में लगाकर, उसमे सफ़लतामूर्त बनने के लिए, अपने मीठे बापदादा से विजय का तिलक लेने के लिए मैं अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी स्वरूप को धारण करती हूँ और अपने साकारी शरीर से बाहर आ जाती हूँ... *अब मैं फ़रिशता अपनी श्वेत रश्मियों को चारों और फैलाता हुआ ऊपर आकाश की ओर बढ़ रहा हूँ... प्रकृति के सुंदर नजारों का आनन्द लेता, अपने प्यारे मीठे बापदादा से मिलने की लगन में मग्न मैं फ़रिशता अब आकाश को पार करता हुआ सूक्ष्म लोक में पहुँच गया हूँ...*

 

 _ ➳  बापदादा अपनी दोनों बाहों को पसारे मेरे ही इंतजार में खड़े मुझे अपने सामने दिखाई दे रहें हैं... बिना एक पल भी व्यर्थ गंवाये, मैं दौड़ कर बापदादा की बाहों में समा जाता हूँ... *बापदादा के असीम स्नेह और प्यार को मैं बापदादा की बाहों में स्पष्ट अनुभव कर रहा हूँ...* माँ समान बापदादा की ममतामयी गोद मे मैं बैठा हुआ हूँ... उनके ममतामयी आँचल का सुख मुझे अनेक दिव्य अलौकिक अनुभूतियां करवा रहा है... *बापदादा की स्नेह भरी दृष्टि मुझमे असीम स्नेह का संचार कर रही है... ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे स्नेह की धारा बाबा मुझमें प्रवाहित कर मुझे आप समान मास्टर स्नेह का सागर बना रहे हैं...*

 

 _ ➳  अपनी स्नेह भरी दृष्टि से मुझे भरपूर करके अब बापदादा मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बिलुकल सामने बिठा कर, *अपने हाथ मे विशेषताओं के अनेक प्रकार के मोती लेकर, एक - एक मोती मेरे हाथ पर रखते जा रहें हैं...* एक - एक मोती पर अपनी शक्तिशाली दृष्टि डाल कर बाबा उसमे परमात्म बल और परमात्म शक्तियां भर रहें हैं... *मेरे दोनों हाथ विशेषताओं के रंग बिरंगे मोतियों से भर गए हैं...* अब बाबा मेरे मस्तक पर विजय का तिलक लगा कर, अपना वरदानी हाथ मेरे मस्तक पर रख, मुझे "सदा विजयी भव", सदा "सफ़लतामूर्त भव" का वरदान दे रहें हैं...

 

 _ ➳  बापदादा के वरदानो और विशेषताओं से अपनी झोली भर कर अब मैं फ़रिशता, बापदादा से मिली विशेषताओं को ईश्वरीय सेवा में लगाने के लिए वापिस साकारी दुनिया मे लौट रहा हूँ... *अपने साकारी ब्राह्मण तन में अब मैं विराजमान हूँ और बाबा द्वारा मिली विशेषताओं को अनेकों आत्माओं के कल्याणार्थ सेवा में लगा रही हूँ...* अपनी हर विशेषता को परमात्म देन मानकर, मैं उड़ती कला के अनुभव द्वारा अनेकों आत्माओं को भी उड़ती कला का अनुभव करवा रही हूँ... अपनी विशेषताओं को प्रभु प्रसाद के रूप में स्वीकार कर, मैं इस प्रसाद को अपने सम्बन्ध, सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को बांट कर उन्हें भी आप समान विशेष बना रही हूँ...

 

 _ ➳  अखुट खजानों के दाता अपने शिव पिता परमात्मा के अखुट भंडारे से स्वयं को भरपूर कर अब मैं महादानी, वरदानी बन, फ्रॉख दिली से सर्व खजानों को सर्व आत्माओ पर लुटा रही हूँ और *अपनी विशेषताओं को सदा स्मृति में रख, उनको सेवा में लगा कर सर्व आत्माओं का कल्याण कर रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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