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❍ 20 / 11 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *श्रीमत पर पूरा अटेंशन देकर अपना और दूसरों का कल्याण किया ?*
➢➢ *याद व सेवा का चार्ट रखा ?*
➢➢ *सच्ची दिल से साहेब को राज़ी किया ?*
➢➢ *बाप के लव में सदा लीन रह अनेक प्रकार के दुःख और धोखे से स्वयं को बचाया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *चाहे कोई भी साधारण कर्म भी कर रहे हो तो भी बीच - बीच में अव्यक्त स्थिति बनाने का अटेन्शन रहे।कोई भी कार्य करो तो सदैव बापदादा को अपना साथी समझकर डबल फोर्स से कार्य करो तो स्मृति बहुत सहज रहेगी।* स्थूल कारोबार का प्रोग्राम बनाते बुद्धि का प्रोग्राम भी सेट कर लो तो समय की बचत हो जायेगी।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं संतुष्ट आत्मा हूँ"*
〰✧ *'सदा अपने को सर्वशक्तिमान बाप की शक्तिशाली आत्मा हूँ' - ऐसा अनुभव करते हो?*
〰✧ *शक्तिशाली आत्मा सदा स्वयं भी सन्तुष्ट रहती है और दूसरों को भी सन्तुष्ट करती है। ऐसे शक्तिशाली हो?*
〰✧ *सन्तुष्टता ही महानता है। शक्तिशाली आत्मा अर्थात् सन्तुष्टता के खजाने से भरपूर आत्मा। इसी स्मृति से सदा आके बढ़ते चलो। यही खजाना सर्व को भरपूर करने वाला है।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ अच्छा, प्रवृत्ति को सम्भालने का बंधन है? ट्रस्टी होकर सम्भालते हो? *अगर ट्रस्टी हैं तो निर्बन्धन और गृहस्थी हैं तो बंधन है।* गृहस्थी माना बोझ और बोझ वाला कभी उड नहीं सकता। तो सब बोझ बाप को दे दिया या सिर्फ थोडा एक-दो पोत्रा रख दिया है?
〰✧ *पाण्डवों ने थोडा-थोडा जेबखर्च रख दिया है?* थोडा-थोडा रोब रख दिया, क्रोध रख दिया, यह जेबखर्च है? मेरे को तेरा कर दिया? किया है या थोडा-थोडा मेरा है? ठगी करते हैं ना मेरा सो मेरा और तेरा भी मेरा। ऐसी ठगी तो नहीं करते? आधाकल्प तो बहुत ठगत रहे ना कहना तेरा और मानना मेरा तो ठगी की ना।
〰✧ अभी ठगत नहीं लेकिन बच्चे बन गये। उडती कला कितनी प्यारी है, सेकण्ड में जहाँ चाहो वहाँ पहुँच जाओ। *उडती कला वाले सेकण्ड में अपने स्वीट होम में पहुँच सकते हैं।* इसको कहा जाता है योगबल, शान्ति की शक्ति। (पार्टियों के साथ)
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जैसे कहावत है ना कि मानसरोवर में नहाने से परियाँ बन जाते थे। इस ग्रुप को भी भट्ठी रूपी ज्ञानमानसरोवर में नहाकर फ़रिश्ता बन कर निकलना है। *जब फ़रिश्ता बन गया तो फ़रिश्ते अर्थात् प्रकाशमय काया। इस देह की स्मृति से भी परे। उनके पाँव अर्थात् बुद्धि इस पाँच तत्व के आकर्षण से ऊँची अर्थात् परे होती है।* ऐसे फ़रिश्तों को माया व कोई भी मायावी टच नहीं कर सकेंगे। तो ऐसे बन कर जाना जो न कोई मायावी मनुष्य, न माया टच कर सके।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
*✺ "ड्रिल :- याद रूपी दवाई से स्वयं को एवर निरोगी बनाना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्रभु प्रेम की शीतल चांदनी में शीतलता का अनुभव करती, उनकी यादों में खोई हुई हूँ... जन्म-जन्मान्तर के पुराने-स्वभाव संस्कारों को योग अग्नि से भस्म कर रही हूँ... नए दैवीय गुणों की धारणा कर दिव्य गुणधारी बन रही हूँ...* प्यारे बाबा की प्यारी यादों से देह के भान से मुक्त होकर आत्मिक सौंदर्य के नशे से भर रही हूँ... प्यारे वरदानी बाबा मेरे सामने बैठ मुझे वरदानों से भरपूर करते हुए अपने वरदानी बोलों से भरपूर करते हैं...
❉ *यादों से मेरे जीवन को अमर बनाते हुए प्यारे मीठे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे बच्चे... सच्चे प्यारे पिता की यादो में इस कदर कमाई है.... अमीरी है कि सारे सुख कदमो में बिखरे बिखरे से है... *और यही यादे सुंदर जीवन तंदुरुस्ती सुंदर काया का भी जरिया बन महकती है... और अमरता को पाकर सदा का मुस्कराते हो...”*
➳ _ ➳ *प्यारे बाबा के यादों के सहारे सच्ची खुशियों को पाकर मैं खुशनसीब आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *आपने यादो भर से... सदा का अमीर सदा का तन्दुरुस्त सदा का अमर बना दिया है...* आपकी मीठी यादो में और खूबसूरत सुखधाम की स्मृति में खोकर मै आत्मा क्या से क्या हो गई हूँ...”
❉ *प्यारे बाबा अपनी नज़रों से मेरी जन्मों-जन्मों की तकदीर सजाते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे.... *यादें कितना सुंदर फूलो भरा मखमली सा अहसास है कि यादों की पंखुड़ियों पर चलते चलते महा धनी बन सज जाते हो...* खूबसूरत जीवन को पाते हो... सारे भयों से मुक्त हो सदा के अमर बन सुखधाम में इठलाते हो...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा की यादों से अपने जीवन को बसंत बहार बनाकर कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... अपने मीठे बाबा की सुखभरी याद और सुंदर सुखधाम से जीवन मधुमास हो गया है... *नश्वर समझ कर जी रही थी... आज अमरता के वरदानों से सज रही हूँ... सुंदर तन सुंदर मन से निखर उठी हूँ...”*
❉ *अपने प्रेम तरंगो से मुझे तरंगित करते हुए मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... देह के रिश्तो की यादों ने खाली और शक्तिहीन किया... अब सच्चा पिता सच्चे सुखो को सच्ची अमीरी को अमरत्व को उपहार सा ले आया है... *विश्व पिता सुनहरे सुखो को दामन में भर बच्चों पर लुटाने आया है... उसकी मीठी प्यारी यादो में खो जाओ... यह यादे अनोखा कमाल कर जीवन सुनहरा कर देंगी...”*
➳ _ ➳ *मेरे भाग्य को धन्य-धन्य करने वाले बाबा का धन्यवाद करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा दीन हीन सी... मृत्यु के भय से भयभीत सी... गरीब जीवन को अटल सत्य मान गई थी... *आपने आकर मुझे बाँहो में भर लिया... मुझे इतना प्यार कर अमर कर दिया... मै आपकी मीठी यादो में खोयी खोयी सी हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- याद वा सेवा का चार्ट जरूर रखना है*"
➳ _ ➳ अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप की स्मृति में स्थित हो कर अपने परमशिक्षक शिव पिता को याद करते ही मुझे अनुभव होता है जैसे शिव बाबा परमधाम से नीचे सूक्ष्म लोक में प्रवेश कर, अपने रथ का आधार लेकर मेरे सामने उपस्थित हो गए हैं और अपने मधुर महावाक्य उच्चारण कर रहें हैं। *गॉडली स्टूडेंट बन आत्मिक स्मृति में स्थित होकर अपने परमशिक्षक द्वारा मिलने वाले ज्ञान के एक - एक अमूल्य रत्न को मैं अपनी बुद्धि में धारण करते हुए मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करती हूँ कि कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान शिक्षक बन मुझे पढ़ाने के लिए आये हैं*।
➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर नाज करती, अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा को उनके लाइट माइट स्वरूप में देखते - देखते मैं अनुभव करती हूँ कि बाबा की लाइट माइट मुझे सहज ही लाइट माइट स्वरूप में स्थित कर रही है। *एक सुंदर दिव्य अलौकिक अनुभूति करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता के लाइट माइट स्वरूप के सम्मुख अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होकर उनके अति मनमोहक मधुर महावाक्यों को सुनना, मेरे अंदर असीम आनन्द का संचार कर रहा है*। मेरा रोम - रोम बाबा के एक - एक महावाक्य को ग्रहण कर रहा है।
➳ _ ➳ अपने प्यारे बाबा के मधुर महावाक्यों का आनन्द लेती अब मैं विचार करती हूँ कि *जब स्वयं भगवान मुझे पढ़ाने के लिए अपना घर परमधाम छोड़ कर यहाँ आये हैं तो ऐसे भगवान शिक्षक द्वारा पढ़ाई जाने वाली इस बेहद की पढ़ाई का मुझे कितना कद्र होना चाहिए*! यही विचार कर, स्वयं से मैं प्रोमिस करती हूँ कि अपने परमशिक्षक शिव परम पिता परमात्मा द्वारा मिलने वाले इन अमूल्य ज्ञान रत्नों को मुझे अपनी बुद्धि में अच्छी रीति धारण करना है और साथ ही साथ अपने पुरुषार्थ को तीव्र करने के लिए याद के सब्जेक्ट पर पूरा अटेंशन देने के लिए याद का चार्ट जरूर रखना है।
➳ _ ➳ मन ही मन स्वयं से यह प्रोमिस कर मैं जैसे ही बापदादा की ओर देखती हूँ ऐसा अनुभव होता है जैसे बाबा मेरे हर संकल्प को पढ़ कर उस संकल्प को पूरा करने का बल मुझे दे रहें हैं। *सूक्ष्म रूप में बाबा से मिलने वाला बल बाबा की लाइट माइट के रुप में मेरे ऊपर प्रवाहित होकर मेरे अंदर असीम ऊर्जा का संचार कर रहा है*। स्वयं को मैं बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा की लाइट माइट ने मुझे सहज पुरुषार्थी बना दिया है और हर प्रकार की मेहनत से मुक्त कर दिया है।
➳ _ ➳ अब मैं हर समय अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरुप को स्मृति में रखते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा द्वारा दिए जा रहे अविनाशी ज्ञान रत्नों को धारण कर, तीव्र पुरुषार्थ के लिए याद का एक्यूरेट चार्ट रख, अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ। *याद का एक्यूरेट चार्ट रखने से अपने पुरुषार्थ में तीव्रता का अनुभव अब मैं स्पष्ट कर रही हूँ। याद के बल से सहज पुरुषार्थी बन भविष्य 21 जन्मों की श्रेष्ठ प्रालब्ध पाने का तीव्र पुरुषार्थ मैं बिल्कुल सहज रीति कर रही हूँ*। सर्वसम्बधों के रुप में बाबा को हर घड़ी अपने साथ अनुभव करते, कभी साकारी, कभी आकारी और कभी निराकारी स्वरुप में बाबा से हर पल मिलन मनाने का सुख मैं प्राप्त कर रही हूँ।
➳ _ ➳ *"स्टूडेंट लाइफ इस दी बेस्ट लाइफ" इस स्लोगन का अनुभव अपनी इस ईश्वरीय स्टूडेंट लाइफ में हर समय करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता की शिक्षाओं को अपने जीवन मे धारण कर, तीव्र पुरुषार्थी बन अपनी स्टूडेंट लाइफ का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सच्ची दिल से साहब को राजी करने वाली राजयुक्त, युक्तियुक्त, योगयुक्त आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं बाप के लव में सदा लीन रहकर अनेक प्रकार के दुख और धोखे से बचे रहने वाली सहज योगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *कभी नाराज नहीं होना - न अपने ऊपर, न कोई आत्मा के ऊपर। खुश रहना।* ऐसे तो नहीं सेन्टर पर जाकर खुशी का खजाना एक मास जमा रहेगा फिर धीरे-धीरे खत्म हो जायेगा? खत्म तो नहीं होगा ना? सदा साथ रखना। अच्छा - तन-मन-धन बाप को दे दिया है ना? अच्छा, दिल भी दे दी है? दिल बाप को दी है? *अगर दिल दे दी है तो बाप जैसे डायरेक्शन दे वैसे चलो,* आपके पास दिल-आपके लिए नहीं है। तो बताओ जिसने दिल, दिलाराम को दे दी वह कभी किसी भी आत्माओं से दिल लगायेगा? नहीं लगायेगा ना! तो *किसी से भी दिल लगी की बातें, बोल-चाल, दृष्टि वा वृत्ति से तो नहीं करेंगे?* या थोड़ी दिल दी है थोड़ी और से लगाने के लिए रखी है? दिल दे दी है? तो दिल नहीं लगाना। *बाप की अमानत, दिलाराम को दिल दे दी।* दिल लगी की कहानियां बहुत आती हैं।
➳ _ ➳ तो कुमार याद रखना, ऐसे तो प्रवृत्ति वाले भी याद रखना। लेकिन आज कुमारों का दिन है ना। तो बापदादा यह अटेन्शन दिलाते हैं कभी ऐसी रिपोर्ट नहीं आवे। *हमारी दिल है ही नहीं, बाप को दे दी।* तो दिल कैसे लगेगी! *जरा भी अगर किसकी दृष्टि, वृत्ति 'विघ्न-विनाशक' कमजोर हो तो कमजोर दिल को यहाँ से ही मजबूत करके जाना।* इसमें हाँ जी है! या वहाँ जाकर कहेंगे कि सरकमस्टांश ही ऐसे थे? कुछ भी हो जाए। जब बापदादा से वचन कर लिया, कितनी भी मुश्किल आवे लेकिन वचन को नहीं छोड़ना। बाप के आगे वचन करना, वचन लेना... इस बात को भी याद रखना। कोई आत्मा के आगे वचन नहीं कर रहे हो, परमात्मा के आगे दे कभी भी मिटाना नहीं। जन्म की प्रतिज्ञा कभी भी भूलना नहीं। अभी सभी एक मिनट के लिए अपने दिल से, वैसे दिल तो आपकी नहीं है, बाप को दे दी है फिर भी *दिल में एक मिनट वचन करो कि- 'सदा विघ्न-विनाशक, आज्ञाकारी रहेंगे'।* (ड्रिल)
✺ *ड्रिल :- "दिलाराम बाप को दिल देने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *अमृतवेले ‘मीठे, लाडले बच्चे’- ये मधुर साज सुनते ही मैं आत्मा उठकर बैठ जाती हूँ...* सामने प्राण प्यारे बाबा मुस्कुराते हुए खड़े हैं... मैं आत्मा झट से बाबा के गले लग जाती हूँ... मैं आत्मा ‘मेरा बाबा’ कहते हुए बाबा की गोदी में बैठ जाती हूँ... बाबा की मखमली रुई जैसे गोदी में अतीन्द्रिय सुख का अनुभव हो रहा है... *बाबा के स्पर्श से मैं आत्मा इस शरीर को भूल रही हूँ...* और बाबा की यादों में खोकर मैं आत्मा भी रुई जैसे हलकी हो रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा हलकी होकर प्यारे बाबा के साथ उडती हुई अपने घर पहुँच जाती हूँ... *बाबा से निकलती दिव्य तेजस्वी किरणों को स्वयं में ग्रहण कर रही हूँ...* मैं आत्मा अलौकिकता को धारण कर अलौकिक बन रही हूँ... अब मैं आत्मा सदा बाबा के साथ-साथ रहती हूँ... *मैं आत्मा सदा अविनाशी बाबा के अविनाशी प्रेम में एकरस रहती हूँ...*
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सदा बेहद के नशे में रहती हूँ... *मुझ आत्मा का हद का नशा पूरी तरह से बाहर निकल रहा है...* मुझ आत्मा ने अपना दिल अपने दिलाराम बाबा को दे दिया है... *अब मैं आत्मा किसी भी हद के बन्धनों में नहीं पड़ती हूँ... मैं आत्मा एक बाबा से सर्व सम्बन्ध निभाती हुई अविनाशी बन्धन में बंध गई हूँ...*
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा किसी भी अन्य आत्मा से... दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती... *क्योंकि मुझ आत्मा का दिल तो मेरे दिलाराम बाबा की अमानत है...* किसी से भी दिल लगी की बातें, बोल-चाल, दृष्टि वा वृत्ति से भी नहीं करती... मेरे दिल में यही गीत सदा बजता रहता है... *मेरा तो एक बाबा दूसरा ना कोई...* मैं आत्मा बाबा द्वारा दी हुई शिक्षाओं को अपनी बुद्धि में धारण करती हूँ... *अब कभी, न अपने ऊपर नाराज होती हूँ... और न ही किसी अन्य आत्मा के ऊपर...* सदा खुश रहने की खुराक प्यारे बाबा से जो मुझ आत्मा को मिल गई है...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने मीठे बाबा से की हुई प्रतिज्ञा को हमेशा याद रखती हूँ...* बाबा की याद से मेरी दृष्टि, वृत्ति सब पावन बनती जा रही है... बाबा से लाइट-माइट की किरणें मुझ आत्मा पर निरन्तर पड़ रही है... *बाबा को दिया हुआ वचन दिल से निभाते हुए मैं आत्मा विघ्न विनाशक और आज्ञाकारी बनती हूँ... मैं आत्मा सदा बाबा के द्वारा दी हुई डाइरेक्शन पर चलती हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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