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 01 / 01 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अपना याद का चार्ट रखा ?*

 

➢➢ *आईने में अपना मुह देखा ?*

 

➢➢ *ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रख हद को बेहद में समाया ?*

 

➢➢ *अपने ख्यालों को आलिशान बना छोटी छोटी बातों में टाइम वेस्ट तो नहीं किया ?*

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         ❂ *योगी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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✧  *जैसे कोई कमजोर होता है तो उनको शक्ति भरने के लिए ग्लूकोज चढ़ाते हैं, ऐसे जब अपने को शरीर से परे अशरीरी आत्मा समझते हो तो यह साक्षीपन की अवस्था शक्ति भरने का काम करती हैं* और जितना समय साक्षी अवस्था की स्थिति रहती है उतना ही बाप साथी भी याद रहता है अर्थात् साथ रहता है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं हर कदम में चढ़ती कला का अनुभव करने वाली विशेष आत्मा हूँ"*

 

✧  सदा चढ़ती कला में जा रहे हो? *हर कदम में चढ़ती कला के अनुभवी। संकल्प, बोल, कर्म सम्पर्क और सम्बन्ध सबमें सदा चढ़ती कला। क्योंकि समय ही है चढ़ती कला का और कोई भी युग चढ़ती कला का नहीं है।*

 

✧  *संगमयुग ही चढ़ती कला का युग है, तो जैसा समय वैसा ही अनुभव होना चाहिए। जो सेकण्ड बीता उसके आगे का सेकण्ड आया, तो चढ़ती कला।*

 

  ऐसे नहीं दो मास पहले जैसे थे वैसे ही अभी हो। हर समय परिवर्तन। लेकिन परिवर्तन भी चढ़ती कला का। *किसी भी बात में रुकने वाले नहीं। चढ़ती कला वाले रुकते नहीं हैं, वे सदा औरों को भी चढ़ती कला में ले जाते हैं।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  ऑर्डर करो, जैसे हाथ को ऊपर उठाना चाहो तो उठा लेते हो। क्रेक नहीं है तो उठा लेते हो ना! ऐसे मन, यह सूक्ष्म शक्ति कन्ट्रोल में आनी है। लाना ही है। *ऑर्डर करो - स्टॉप तो स्टॉप हो जाए।*

 

✧  सेवा का सोची, सेवा में लग जाए। परमधाम में चलो, तो परमधाम में चला जाये। सूक्ष्मवतन में चलो, सेकण्ड में चला जाए। जो सोचो वह ऑर्डर में हो। अभी इस शक्ति को बढाओ। *छोटे-छोटे संस्कारों में, युद्ध में समय नहीं गंवाओ,* आज इस संस्कार को भगाया, कल उसको भगाया।

 

✧  *कन्ट्रोलिंग पॉवर धारण करो तो अलग-अलग संस्कार पर टाइम नहीं लगाना पडेगा।* नहीं सोचना है, नहीं करना है, नहीं बोलना है। स्टॉप। तो स्टॉप हो जाए। यह है कर्मातीत अवस्था तक पहुँचने की विधि।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सबकुछ भूल एक बाप से सुन एक बाप को याद करना"*

 

_ ➳  मैं खुशनसीब पद्मापदम तकदीरवान आत्मा हूँ... जो मुझे परमात्मा की गोद मिली... डायरेक्ट परमात्म पालना, शिक्षा और श्रीमत मिल रही है... मेरे पिता ने इस दुनिया के मेले में भटकती हुई मुझ आत्मा का हाथ थामा... सत्य ज्ञान देकर मुझे लक्ष्य तक पहुँचने के लिए रोज गाइड करते हैं... *जन्म जन्मान्तर से जो कुछ पढ़ा, सुना वो सबकुछ भूल मैं आत्मा एक प्यारे बाबा से ही सुनने, एक बाबा से योग लगाने, एक बाबा का बनने उड़ चलती हूँ मीठे वतन मीठे बाबा के पास...*   

 

   *प्यारे बाबा अपनी मखमली गोदी के सिंहासन में मुझे बिठाते हुए कहते हैं:-* मेरे लाडले बच्चे... इस दुनिया में जो जाना पढ़ा उसने किस कदर उलझा दिया... सत्य से दूर कर भ्रम के करीब किया... *इसलिए सत्य स्वरूप को बताने के लिए ईश्वर पिता को उतर आना पडा अब जो पढा है उसे भूल जाओ... और सत्य बाप से सत्य ज्ञान सुन सच्ची मीठी यादो में खो जाओ...”*

 

_ ➳  *प्यारे बाबा के आँखों से निकलते नूर को अपने साँसों में समाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सत्य पिता सत्य ज्ञान पाकर सदा की रौशन हो गयी हूँ... *सारी उलझनों से निकल सदा की सुलझ गयी हूँ... और प्यारे बाबा की यादो में ज्ञान परी बन गयी हूँ...”*

 

   *प्यारे मुरलीधर बाबा मुरली की मधुर मीठी तान सुनाते हुए कहते हैं:-* मीठे प्यारे फूल बच्चे... संसार के असत्य ज्ञान ने पिता से दूर किया और सर्व व्यापी कहकर बुद्धि को अंधेरो में ओझल सा किया... अब ज्ञान का सागर सत्य ज्ञान को छलकाने आया है... *चारो ओर विश्व को अज्ञान नींद से जगाने आया है... उस पिता के सुंदर सत्य को अपनाओ और अपने अधकचरे ज्ञान को सदा का भूल जाओ...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा ज्ञान चक्षुओं को खोलकर त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी बन कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा सारे भ्रमो से निकल गई हूँ... सत्य के सूरज से दमक उठी हूँ...* आदि मध्य अंत के खूबसूरत राजो को जानकर मुस्करा उठी हूँ... ईश्वरीय ज्ञान को पाकर भाग्यशाली बन सुखो की स्वामिन् हो गई हूँ...

 

   *ज्ञान रत्नों से मेरी बुद्धि रूपी झोली को भरते हुए मेरे रत्नाकर बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के सिवाय आप बच्चों के सच्ची जीवन कहानी कोई बता ही न सके... ईश्वर पिता ही धरती पर आकर सत्य राह दिखलाये... *इसलिए अब सारे पढ़े को बुद्धि से निकाल खाली करो... और ईश्वरीय रत्नों को भर कर रत्नों की खान बनो...”*

 

_ ➳  *अपने जीवन रूपी आँचल को परमात्म हीरे, मोतियों से खूबसूरत बनाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा दुनियावी बातो को भूल कर ईश्वरीय ज्ञान से बुद्धि को सदा का सुंदर बना रही हूँ...* ईश्वरीय ज्ञान से दमकती जा रही हूँ... और रत्नों के खजानो से भरपूर होकर सुखो की अधिकारी बन रही हूँ...

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- तीव्र पुरुषार्थ के लिए याद का चार्ट जरूर रखना है*"

 

_ ➳  अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप की स्मृति में स्थित हो कर अपने परमशिक्षक शिव पिता को याद करते ही मुझे अनुभव होता है जैसे शिव बाबा परमधाम से नीचे सूक्ष्म लोक में प्रवेश कर, अपने रथ का आधार लेकर मेरे सामने उपस्थित हो गए हैं और अपने मधुर महावाक्य उच्चारण कर रहें हैं। *गॉडली स्टूडेंट बन आत्मिक स्मृति में स्थित होकर अपने परमशिक्षक द्वारा मिलने वाले ज्ञान के एक - एक अमूल्य रत्न को मैं अपनी बुद्धि में धारण करते हुए मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करती हूँ कि कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान शिक्षक बन मुझे पढ़ाने के लिए आये हैं*।

 

_ ➳  अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर नाज करती, अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा को उनके लाइट माइट स्वरूप में देखते - देखते मैं अनुभव करती हूँ कि बाबा की लाइट माइट मुझे सहज ही लाइट माइट स्वरूप में स्थित कर रही है। *एक सुंदर दिव्य अलौकिक अनुभूति करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता के लाइट माइट स्वरूप के सम्मुख अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होकर उनके अति मनमोहक मधुर महावाक्यों को सुनना, मेरे अंदर असीम आनन्द का संचार कर रहा है*। मेरा रोम - रोम बाबा के एक - एक महावाक्य को ग्रहण कर रहा है।

 

_ ➳  अपने प्यारे बाबा के मधुर महावाक्यों का आनन्द लेती अब मैं विचार करती हूँ कि *जब स्वयं भगवान मुझे पढ़ाने के लिए अपना घर परमधाम छोड़ कर यहाँ आये हैं तो ऐसे भगवान शिक्षक द्वारा पढ़ाई जाने वाली इस बेहद की पढ़ाई का मुझे कितना कद्र होना चाहिए*! यही विचार कर, स्वयं से मैं प्रोमिस करती हूँ कि अपने परमशिक्षक शिव परम पिता परमात्मा द्वारा मिलने वाले इन अमूल्य ज्ञान रत्नों को मुझे अपनी बुद्धि में अच्छी रीति धारण करना है और साथ ही साथ अपने पुरुषार्थ को तीव्र करने के लिए याद के सब्जेक्ट पर पूरा अटेंशन देने के लिए याद का चार्ट जरूर रखना है।

 

_ ➳  मन ही मन स्वयं से यह प्रोमिस कर मैं जैसे ही बापदादा की ओर देखती हूँ ऐसा अनुभव होता है जैसे बाबा मेरे हर संकल्प को पढ़ कर उस संकल्प को पूरा करने का बल मुझे दे रहें हैं। *सूक्ष्म रूप में बाबा से मिलने वाला बल बाबा की लाइट माइट के रुप में मेरे ऊपर प्रवाहित होकर मेरे अंदर असीम ऊर्जा का संचार कर रहा है*। स्वयं को मैं बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा की लाइट माइट ने मुझे सहज पुरुषार्थी बना दिया है और हर प्रकार की मेहनत से मुक्त कर दिया है।

 

_ ➳  अब मैं हर समय अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरुप को स्मृति में रखते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा द्वारा दिए जा रहे अविनाशी ज्ञान रत्नों को धारण कर, तीव्र पुरुषार्थ के लिए याद का एक्यूरेट चार्ट रख, अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ। *याद का एक्यूरेट चार्ट रखने से अपने पुरुषार्थ में तीव्रता का अनुभव अब मैं स्पष्ट कर रही हूँ। याद के बल से सहज पुरुषार्थी बन भविष्य 21 जन्मों की श्रेष्ठ प्रालब्ध पाने का तीव्र पुरुषार्थ मैं बिल्कुल सहज रीति कर रही हूँ*। सर्वसम्बधों के रुप में बाबा को हर घड़ी अपने साथ अनुभव करते, कभी साकारी, कभी आकारी और कभी निराकारी स्वरुप में बाबा से हर पल मिलन मनाने का सुख मैं प्राप्त कर रही हूँ।

 

_ ➳ *"स्टूडेंट लाइफ इज़ दी बेस्ट लाइफ" इस स्लोगन का अनुभव अपनी इस ईश्वरीय स्टूडेंट लाइफ में हर समय करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता की शिक्षाओं को अपने जीवन मे धारण कर, तीव्र पुरुषार्थी बन अपनी स्टूडेंट लाइफ का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रख हद को बेहद में समाने वाली बेहद की बादशाह हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं अपने ख्यालात आलीशान बनाकर छोटी-छोटी बातों में टाइम वेस्ट नहीं करने वाली समर्थ आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. दादियों का एक संकल्प बापदादा के पास पहुँचा है। *दादियाँ चाहती हैं कि अभी बापदादा साक्षात्कार की चाबी खोलेयह इन्हों का संकल्प हैं।* आप सब भी चाहते होबापदादा चाबी खोलेंगे या आप निमित्त बनेंगे? अच्छा, बापदादा चाबी खोले, ठीक है। बापदादा हाँ जी करते हैं, (ताली बजा दी) पहले पूरा सुनो। बापदादा को चाबी खोलने में क्या देरी हैलेकिन करायेगा किस द्वाराप्रत्यक्ष किसको करना हैबच्चों को या बाप कोबाप को भी बच्चों द्वारा करना है क्योंकि *अगर ज्योतिबिन्दु का साक्षात्कार भी हो जाए तो कई तो बिचारे..., बिचारे हैं ना! तो समझेंगे ही नहीं कि यह क्या है।* अन्त में शक्तियाँ और पाण्डव बच्चों द्वारा बाप प्रत्यक्ष होना है।

 

 _ ➳  2. तो *ब्रह्मा बाप को फालो करो।* अशरीरीबिन्दी आटोमेटिकली हो जायेंगे।

 

 _ ➳  3. आप भी *एक रूहानी रोबट की स्थिति तैयार करो।* जिसको कहेंगे रूहानी कर्मयोगीफरिश्ता कर्मयोगी। पहले आप तैयार हो जाना।

 

 _ ➳  4. बापदादा ऐसे रूहानी चलते-फिरते कर्मयोगी फरिश्ते देखने चाहते हैं। *अमृतवेले उठोबापदादा से मिलन मनाओरूह-रूहान करोवरदान लो।* जो करना है वह करो। लेकिन बापदादा से रोज अमृतवेले 'कर्मयोगी फरिश्ता भवका वरदान लेके फिर कामकाज में जाओ।

 

 _ ➳  5. इस स्थिति की धरनी तैयार करो तो बापदादा साक्षात बाप बच्चों द्वारा साक्षात्कार अवश्य करायेगा। *'साक्षात् बाप और साक्षात्कार' - यह दो शब्द याद रखना।* बस हैं ही फरिश्ते। सेवा भी करते हैं, ऊपर की स्टेज से फरिश्ते आये, सन्देश दिया फिर ऊपर चले गये अर्थात् ऊँची स्मृति में चले गये। 

 

✺   *ड्रिल :-  "बापदादा से रोज अमृतवेले 'कर्मयोगी फरिश्ता भव' का वरदान लेने का अनुभव"*

 

 _ ➳  हमारी मीठी मीठी दादियों के मन में विश्व कल्याण के कितने श्रेष्ठ संकल्प है... दादियों ने बापदादा को प्रत्यक्ष करने के लिए अपना सब कुछ समर्पित किया है... विश्व की सर्व आत्माओ के लिए दादियों का संकल्प है की *बापदादा साक्षात्कार की चाबी खोले...* बापदादा को तो साक्षात्कार की चाबी खोलने में कोई देरी नहीं लगती... लेकिन *वो साक्षात्कार भी हम बच्चों के द्वारा ही करायेंगे... बाप को बच्चों के द्वारा ही प्रत्यक्ष होना है...* क्योंकि बाप तो निराकार ज्योतिबिन्दु है... अगर ज्योतिबिन्दु का साक्षात्कार भी हो जाए तो कई तो बिचारे समझेंगे ही नहीं कि यह क्या है... तो अंत में शक्तियाँ और पाण्डव बच्चों द्वारा बाप प्रत्यक्ष होना है...

 

 _ ➳  अमृतवेला में मैं सदा रूहानी खुश्बु से महकती हुई बापदादा की दिलतख्तनशीन ब्राह्मण आत्मा.. *अपने फरिश्ताई ड्रेस में...* अपने सेवा स्थान से उड चलती हू अपने प्यारे मधुबन *पांडव भवन की ओर...* रास्ते में पेड़ पहाडियों को निहारते हुए... जो भी आत्मा सामने दिखे... उन्हे शांति की शक्ति से भरपूर करते हुए *पहुंची बापदादा के कमरे में...* वहाँ मुझे आते देख बापदादा मुस्कुराएं और *मुझे अपनी मीठी दृष्टि से निहाल करने लगे...* बापदादा के नयनो से प्रेम की किरणें मुझ पर बरस रही है... मैं परमात्म प्रेम से तृप्त अनुभव कर रही हूँ... *बापदादा के इस रूहानी मिलन में वो परमानंद का अनुभव* हो रहा है जो आजतक कभी नहीं हुआ...

 

 _ ➳  उनसे रूह-रूहान करते हुए मैं स्वयं को पद्मापद्म भाग्यशाली महसूस कर रही हूँ... बापदादा अपना प्रेम से भरपूर हाथ मेरे मस्तक पर रखते हुए मुझे *कर्मयोगी फरिश्ता भव का वरदान दे रहे* है... बापदादा का यह वरदान पाकर मैं आत्मा धन्य हो गई... बापदादा से विदाई लेकर वापस लौटती हूँ... लेकिन अब मेरी स्थिति पहले से अधिक श्रेष्ठ है... *मेरा हर कर्म ब्रह्मा बाप समान है...* चलना-फिरना, बोलना, हंसना, उठना-बैठना... हर कर्म में मैं आत्मा ब्रह्माबाप को फाॅलो कर रही हूँ... मैं *अशरीरी स्थिति की अनुभूति में मग्न* हूँ... इस श्रेष्ठ स्मृति में ही हर कर्म हो रहा है... *आटोमेटिकली बिन्दी अवस्था...*

 

 _ ➳  कर्म करते हुए भी कर्मो से एकदम न्यारी प्यारी अवस्था... एक ऐसी स्थिति है जो मैं स्वयं को *रूहानी रोबट अनुभव* कर रही हूँ... मैं रूहानी *कर्मयोगी फरिश्ता उडता जा रहा हूँ... मैं इस ही स्मृति में उडता जा रहा हू* कि मैं बाबा का रूहानी रोबट हूँ... सूक्ष्मवतन से नीचे उतर कर... सेवा करते हुए सबको बापदादा का परिचय बोल से और चाल चलन से देते हुए... फिर से ऊपर चलते हुए मुझे निकलती हुई लाइट माइट की किरणें पूरे ग्लोब पर पड रही हैं... आत्माएं मुझे देखकर धन्य-धन्य अनुभव कर रही है... सारी आत्माएं मुझसे निकलती लाइट माइट अनुभव कर रही हैं... उन लाइट और माइट से *सारी ब्राह्मण आत्माएं भी कर्मयोगी फरिश्ता बन गई है...*

 

 _ ➳  विश्व की सारी ब्राह्मण आत्मायें ग्लोब के आसपास चक्र लगा रही है... सबसे निकलती लाइट माइट अंधो की लाठी बन चुकी है... हर *एक ब्राह्मण आत्मा ब्रह्मा बाप समान संपूर्ण सम्पन्न और कर्मातीत स्थिति के लिए पुरूषार्थ कर रहा है...* हर एक ब्राह्मण में बापदादा का साक्षात्कार सारी धरती की आत्माओ को हो रहा है... *चारों ओर साक्षात्कार की धूम मची है...* सबको अनुभव हो रहा है कि कोई फरिश्ते आए... और साक्षात्कार करा कर भगवान का सन्देश दिया और चले गए... अन्त में शक्तियाँ और पाण्डव बच्चों द्वारा बाप प्रत्यक्ष हुए... दादियों का संकल्प भी पूरा हुआ... सभी के मन से यही आवाज निकल रहा है वाह बाबा वाह... और बाप भी कह रहे है वाह बच्चें वाह...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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