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❍ 06 / 11 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *नींद को जीतने वाला बन सवेरे सवेरे उठ बाप को याद किया ?*
➢➢ *जो सुनते हैं, उस पर विचार सागर मंथन किया ?*
➢➢ *सदा सेफ्टी की लकीर के अन्दर परमात्म छत्रछाया का अनुभव किया ?*
➢➢ *दिव्य गुणों के सर्व अलंकारों से सजे सजाये रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *अव्यक्त स्थिति में रहने के लिए बाप की श्रीमत है बच्चे, ‘‘सोचो कम, कर्तव्य अधिक करो।’*’ सर्व उलझनों को समाप्त कर उज्जवल बनो। पुरानी बातों अथवा पुराने संस्कारों रुपी अस्थियों को सम्पूर्ण स्थिति के सागर में समा दो। *पुरानी बातें ऐसे भूल जाएं जैसे पुराने जन्म की बातें भूल जाती हैं।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं निमित्त सेवाधारी हूँ"*
〰✧ अपने को बेहद के निमित्त सेवाधारी समझते हो? *बेहद के सेवाधारी अर्थात् किसी भी मैं-पन के व मेरे पन की हद में आने वाले नहीं। बेहद में न मैं है, न मेरा है।*
〰✧ *सब बाप का है, मैं भी बाप का तो सेवा भी बाप की। इसको कहते हैं -बेहद सेवा। ऐसे बेहद के सेवाधारी हो याद हद में आ जाते हो?*
〰✧ *बेहद के सेवाधारी बेहद का राज्य प्राhत करते हैं। सदा बेहद बाप, बेहद सेवा और बेहद राज्य-भाग्य - यही स्मृति में रखो तो बेहद की खुशी रहेगी। हद में खुशी गायब हो जाती है, बेहद में सदा खुशी रहेगी।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ सभी अपने को सदा मायाजीत, प्रकृतिजीत अनुभव करते हो? *जितना-जितना सर्व शक्तियों को अपने ऑर्डर पर रखेंगे और समय पर कार्य में लायेंगे तो सहज मायाजीत हो जायेंगे।*
〰✧ अगर सर्व शक्तियाँ अपने कन्ट्रोल में नहीं हैं तो कहाँ न कहाँ हार खानी पडेगी। *मास्टर सर्वशक्तिवान अर्थात कन्ट्रोलिंग पॉवर हो।* जिस समय, जिस शक्ति को आह्वान करें वो हाजिर हो जाए, सहयोगी बने।
〰✧ ऐसे ऑर्डर में हैं? सर्व शक्तियाँ ऑर्डर में हैं या आगे-पीछे होती हैं? *ऑर्डर करो अभी और आये घण्टे के बाद तो उसको मास्टर सर्वशक्तिवान कहेंगे?*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *हर दिन का अलग-अलग अपने प्रति स्लोगन भी सामने रख सकते हो। जैसे यह स्लोगन है कि 'जो कर्म मैं करूंगा मुझे देख और करेंगे'।* इस रीति दूसरे दिन फिर दूसरा स्लोगन सामने रखो। जैसे बापदादा ने सुनाया कि 'सफलता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’। यह भी सुनाया था कि ‘मिटेंगे लेकिन हटेंगे नहीं'। *इसी प्रकार हर रोज़ का कोई न कोई स्लोगन सामने रखो और उस स्लोगन को प्रेक्टिकल में लाओ। फिर देखो अव्यक्त स्थिति कितनी जल्दी हो जाती है!*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- ज्ञान-योग की रेस करना"*
➳ _ ➳ खुबसूरत प्रकृति के सानिध्य में बैठी हुई मै आत्मा... मीठे बाबा की यादो में डूबी हुई... अपने महान भाग्य को याद कर रही हूँ... कि अचानक चलते चलते भगवान ही मेरे जीवन में उतर आया... और यह साधारण गरीब और दुखी जीवन... *यकायक ईश्वरीय अमीरी से खनकने लगा... और मेरी अमीरी की गूंज पूरे विश्व में गुंजायमान हो गयी..*. ऐसे मीठे भाग्य को तो कल्पनाओ में भी कभी न देखा... और आज ऐसे मीठे, ज्ञान धन की दौलत से खनकते... जीवन की मालिक बनकर मुस्करा रही हूँ... *ऐसे प्यारे भाग्य को सजाकर... मेरे हाथो में सौंपने वाले मीठे बाबा को... प्यार करने* वतन में उड़ चलती हूँ...
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने सारे खजानो को मुझे सौंपते हुए कहा :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की बाँहों में समाकर... जो ज्ञान धन की दौलत से भरपूर हो गए हो... तो *यह खजाने, यह अमीरी, हर दिल पर बिखेर कर... सबका दामन सच्ची खुशियो से सजाने वाले... खुशियो के सौदागर बनकर मुस्कराओ... अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करने की रेस की बदौलत... असीम आनन्द और सुख को अपने दिल में सजा हुआ सहज ही पाओ...*
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में दीवानी हैकर कहती हूँ:- “मीठे मीठे बाबा... आपने मुझ आत्मा को अपने प्यार की बाँहों में भरकर, विश्व की बादशाही से सजा दिया है... कब सोचा था कि मेरी गरीबी यूँ ईश्वरीय अमीरी में बदल जायेगी... और मै आत्मा *यह धन बाँटने वाली... महा धनवान् बन इस धरा पर इठलाउंगी.*.."
❉ प्यारे बाबा ने मुझे अपने प्यार और पालना में पत्थर से पारस सा चमकाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर धन की बरसात करने वाले, सबको सुखो की मुस्कान सजाने वाले,... इस धरा पर खुशियो की बहार लाने वाले... *मा भगवान बन, सबको अविनाशी रत्नों रुपी धन बांटते चलो... और इस रेस में एक से बढ़कर एक... ऐसा कमाल दिखाओ..*."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा की अमूल्य शिक्षाओ को जीवन में उतारते हुए कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा.... मै आत्मा अपने समान सुंदर तकदीर हर आत्मा की बना रही हूँ... *ईश्वरीय ज्ञान रत्नों की दौलत देकर... सबकी दुखो भरी गरीबी, सदा की खत्म करवा रही हूँ..*. अपने बिछड़े पिता से हर आत्मा को मिलवाकर... पुण्यो का खाता बढ़ाती जा रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझे ज्ञान धन से आबाद कर ज्ञान परी बनाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... हर दिल को ईश्वरीय धन से सम्पन्न बनाकर... सारे जहान को सच्चे आनंद से भरने वाले... सच्चे रहनुमा बन मुस्कराओ... सबके जीवन में सुख के फूल खिलाओ... *ईश्वरीय ज्ञान की झनकार सुना कर... सुख, शांति, प्रेम की तरंगे पूरे विश्व में फैलाओ.*.."
➳ _ ➳ मै आत्मा ईश्वरीय प्यार में गहरे डूबकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा... आपसे पायी खुशियां सबके दिन आँगन में सजाकर मै आत्मा... कितने महान भाग्य से सजती जा रही हूँ... *सच्चे ज्ञान की खशबू और गुणो की धारणा से हर दिल को अपने पिता से मिलवाने का महान सौभाग्य प्राप्त कर रही हूँ.*.."मीठे बाबा से प्यार भरी रुहरिहानं कर मै आत्मा... अपने स्थूल तन में लौट आयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- ज्ञान योग में रेस करके बाप के गले का हार बन जाना है*"
➳ _ ➳ मधुबन के आंगन में बैठी, अपने पिताश्री ब्रह्मा बाबा की अव्यक्त पालना के झूले में झूलती, मन बुद्धि से मैं उन दृश्यों को देख रही हूँ जो हमारी वरिष्ठ दादियां अपने अनुभवों में अक्सर सुनाती रहती हैं। *उन अनुभवों की स्मृति मुझे भी उसी साकार पालना का अनुभव करवा रही है। साकार पालना केे ये अनुभव मुझे मन ही मन आनन्दित कर रहें हैं। उन खूबसूरत अनुभवों का सुखद अहसास मुझे मेरे सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति दिला रहा है*। अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर मैं नाज कर रही हूँ कि अव्यक्त होकर बाबा आज भी उसी साकार पालना का अनुभव कैसे अपने हर बच्चे को करवा रहें हैं! और कैसे उसे अपने पुरुषार्थ में आगे बढ़ने की लिफ्ट दे रहें हैं! *और शायद यही कारण है कि नई आने वाली आत्मायें अपने तीव्र पुरुषार्थ से लास्ट सो फ़ास्ट और फ़ास्ट सो फर्स्ट के स्लोगन को चरितार्थ कर रही हैं*।
➳ _ ➳ अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के साथ के मधुर अनुभवों का आनन्द लेते - लेते मैं उन अनुभवों के मधुर एहसास को अपने अन्दर गहराई तक समाने के लिए अपनी पलकों को हल्के से बन्द कर लेती हूँ और गहन सुकून में डूब जाती हूँ। *मन को मिलने वाले इस अथाह सुकून का अनुभव करते - करते एक दृश्य मेरी आँखों के सामने उभरता है। मैं देख रही हूँ अपने सामने अव्यक्त ब्रह्मा बाबा को अपने सम्पूर्ण स्वरूप में जिनकी भृकुटि में शिवबाबा विराजमान हैं*। श्वेत प्रकाश की सूक्ष्म काया जिसमे से अनन्त प्रकाश निकल रहा है और उस प्रकाश से निकल रही रश्मियाँ चारों और फैल रही हैं। अपनी श्वेत रश्मियो को फैलाते हुए बाबा मेरी ओर बढ़ रहे हैं और मेरे सामने आकर रुक गए हैं।
➳ _ ➳ अब मैं बाबा को अपने अति समीप देख रही हूँ। एकाएक मेरी नज़र बाबा के गले में सजे हार पर जाती है। मैं देख रही हूँ चमकती हुई चैतन्य मणियों की एक बहुत ही सुंदर माला बाबा के गले मे सुशोभित हो रही हैं। *दीपराज बाबा के दिल रूपी तख्त पर राज करने वाले चैतन्य दीपक बाबा के गले का हार बन कर हर पल बाबा के नयनों में समाये हुए हैं*। उन चैतन्य दीपकों के उस हार को देखते - देखते मैं जैसे ही बाबा की ओर देखती हूँ बाबा की गुह्य मुस्कराहट में छुपी उस आश को अनुभव करती हूँ जो बाबा चाहते हैं कि उनका हर एक बच्चा उनके गले का हार बने।
➳ _ ➳ बाबा के मन की आश को जान, बाबा के गले मे सजे उस हार का मणका बनने का लक्ष्य लेकर मैं अपने पुरुषार्थ को तीव्र करने की स्वयं से जैसे ही दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ, मैं स्पष्ट अनुभव करती हूँ जैसे बाबा अपनी समस्त ब्लैसिंग मुझे दे रहें हैं। *परमात्म शक्तियों के रूप में मिलने वाली परमात्म ब्लेसिंग मेरे अन्दर एक बल भर रही हैं। अपनी लाइट माइट मुझ में प्रवाहित कर, बाबा मुझे आप समान शक्तिशाली बना रहे हैं*। बाबा की लाइट माइट पाकर मैं स्वयं को उनके समान अनुभव कर रही हूँ। *डबल लाइट बन, अपनी सम्पूर्ण सतोप्रधान अवस्था को पाने के लिए, बुद्धि की दौड़ लगाकर, अब मैं विकर्म विनाश करने के लिए अपनी उस निराकारी दुनिया मे जा रही हूँ जहाँ पतित पावन मेरे शिव पिता रहते हैं*।
➳ _ ➳ अपनी निराकारी मास्टर बीज रूप अवस्था में अब मैं स्वयं को परमधाम में अपने बीज रूप शिव पिता के सम्मुख देख रही हूँ। अपने ऊपर चढ़े 63 जन्मो के विकर्मो को विनाश करने के लिए अब मैं ज्ञानसूर्य अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की किरणों की छत्रछाया के नीचे जा कर बैठ जाती हूँ और बाबा से आ रही सर्वशक्तियों को अपने अंदर समाने लगती हूँ। *मैं देख रही हूँ धीरे - धीरे इन सर्वशक्तियों का फोर्स बढ़ रहा है। और ये शक्तियाँ ज्वाला स्वरूप धारण करती जा रही हैं। इन ज्वाला स्वरूप किरणो के मुझ आत्मा पर पड़ने से मेरे जन्म - जन्म के पाप भस्म हो रहें हैं*। विकर्मो की कट जैेसे - जैसे मुझ आत्मा के ऊपर से उतर रही है वैसे - वैसे मैं आत्मा सच्चे सोने के समान शुद्ध और चमकदार बन रही हूँ।
➳ _ ➳ योग अग्नि में अपने विकर्मो को दग्ध कर, सर्वशक्तियों से सम्पन्न हो कर मैं आत्मा अब कर्म करने के लिए वापिस साकार सृष्टि पर लौटती हूँ। *अपने साकार शरीर रूपी रथ में, भृकुटि के अकालतख्त पर विराजमान होकर, शरीर निर्वाह अर्थ, कर्मेन्द्रियों से हर कर्म करने के साथ - साथ, बुद्धि की दौड़ लगा कर, बाबा के गले का हार बनने का तीव्र पुरुषार्थ भी अब मैं निरन्तर कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सदा सेफ्टी की लकीर के अन्दर परमात्म छत्रछाया का अनुभव करने वाली मायाजीत आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं दिव्य गुणों के सर्व अलंकारों से सजे सजाए रहकर अहंकार आने नहीं देने वाली संपन्न आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. एक दिन में कितना भी बड़े ते बड़ा मल्टी-मल्टी मिल्युनर हो लेकिन आप जैसा रिचेस्ट हो नहीं सकता। इतना रिचेस्ट बनने का साधन क्या है? बहुत छोटा सा साधन है। *लोग रिचेस्ट बनने के लिए कितनी मेहनत करते हैं और आप कितना सहज मालामाल बनते जाते हो। जानते हो ना साधन! सिर्फ छोटी सी बिन्दी लगानी है बस। बिन्दी लगाई, कमाई हुई। आत्मा भी बिन्दी, बाप भी बिन्दी और ड्रामा फुलस्टाप लगाना, वह भी बिन्दी है।* तो बिन्दी आत्मा को याद किया, कमाई बढ़ गई। वैसे लौकिक में भी देखो, बिन्दी से ही संख्या बढ़ती है। एक के आगे बिन्दी लगाओ तो क्या हो जाता? 10, दो बिन्दी लगाओ, तीन बिन्दी लगाओ, चार बिन्दी लगाओ, बढ़ता जाता है। तो आपका साधन कितना सहज है! 'मैं आत्मा हूँ' - यह स्मृति की बिन्दी लगाना अर्थात् खजाना जमा होना। फिर 'बाप' बिन्दी लगाओ और खजाना जमा। कर्म में, सम्बन्ध-सम्पर्क में ड्रामा का फुलस्टाप लगाओ, बीती को फुलस्टाप लगाया और खजाना बढ़ जाता। तो बताओ सारे दिन में कितने बार बिन्दी लगाते हो? और बिन्दी लगाना कितना सहज है! मुश्किल है क्या? बिन्दी खिसक जाती है क्या?बापदादा ने कमाई का साधन सिर्फ यही सिखाया है कि बिन्दी लगाते जाओ,
➳ _ ➳ 2. सबसे सहज बिन्दी लगाना है। कोई इस आंखों से ब्लाइन्ड भी हो, वह भी अगर कागज पर पेन्सिल रखेगा तो बिन्दी लग जाती है और *आप तो त्रिनेत्री हो, इसलिए इन तीन बिन्दियों को सदा यूज करो।* क्वेश्चन मार्क कितना टेढ़ा है, लिखकर देखो, टेढ़ा है ना?और बिन्दी कितनी सहज है। *इसलिए बापदादा भिन्न-भिन्न रूप से बच्चों को समान बनाने की विधि सुनाते रहते हैं। विधि है ही बिन्दी। और कोई विधि नहीं है। अगर विदेही बनते हो तो भी विधि है - बिन्दी बनना। अशरीरी बनते हो, कर्मातीत बनते हो, सबकी विधि बिन्दी है।*
✺ *ड्रिल :- "बिन्दी लगाकर सहज खजाने जमा करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मधुबन की मधुर स्मृतियों को स्मृति में रख पहुँच जाती हूँ पांडव भवन में... जहाँ का वातावरण एकदम, शांत है...* इस शांत वातावरण में मैं आत्मा कुछ देर के लिए बाबा की कुटिया में चली जाती हूँ... वहाँ बैठ मैं आत्मा मीठी-मीठी रूहानी खुशबू का अनुभव करती हूँ... फिर, कुछ देर के लिए मैं आत्मा बाबा के कमरे में चली जाती हूँ... बाबा के नैनो से निकलती हुई शांति की दिव्य किरणों में मैं आत्मा समा जाती हूँ... अब मैं आत्मा धीरे-धीरे... आ जाती हूँ हिस्ट्री हॉल में, जहाँ हर चित्र मुझ आत्मा से कुछ कह रहा है... कैसे मुझ आत्मा ने पूरे 84 जन्म लिए... मैं आत्मा पूरे चक्र को अपने सामने फिरता हुआ अनुभव करती हूँ... *और... अब, अंत में मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ शांति स्तम्भ... जहाँ, सफेद प्रकाश के बीच से प्यारे बापदादा मुस्कुराते हुए मुझ आत्मा को दिखाई दे रहे है...*
➳ _ ➳ बापदादा चमकीली सफेद रोशनी से निकलते हुए मुझ आत्मा के सामने आ जाते है... बाबा के हाथो में जगमगाता हुआ एक गोला है... जो धीरे धीरे घूम रहा...है, *बाबा के मस्तक से वा नैनो से निकलती शक्तिशाली किरणे मुझ आत्मा में समाती जा रही है... मैं आत्मा इन किरणों में समा एकदम हल्का अनुभव करती हूँ और... प्यारे बाबा से कहती हूँ बाबा- अब घर ले चलो... इस आवाज़ की दुनिया से पार... ले चलो... बापदादा बोले:- बच्चे, मैं अपने साथ ले जाने के लिए ही आया हूँ... साथ जाने के लिए एवररेडी बनो... बिंदु रूप में स्थित हो जाओ...*
➳ _ ➳ *बापदादा के हाथो में जो गोला है, उस गोले पर मुझ आत्मा के कई जन्मों के हिसाब-किताब दिखाई दे रहे है...* मुझ आत्मा ने आत्म विस्मृति के कारण बहुत सी आत्माओ के साथ कई जन्मों में भिन्न-भिन्न पार्ट बजाते हुए भिन्न-भिन्न रूप में अपना कर्मो का हिसाब-किताब बना लिया है, जिसे अब मुझ आत्मा को इस अंतिम जन्म में चुक्तु कर अपने घर वापिस जा, नयी पावन दुनिया में आना है... *मैं आत्मा बाबा को निहारते हुए बाबा की याद में खो जाती हूँ... बाबा की याद की लगन की अग्नि में मुझ आत्मा के सारे व्यर्थ संकल्प, सारी व्यर्थ बाते, सारे पुराने हिसाब-किताब जलकर भस्म हो रहे है...* इस योग अग्नि में मुझ आत्मा के कई जन्मों के विकर्म दग्ध हो रहे हैं... मैं आत्मा सभी प्रकार के कर्मभोगों से मुक्त होती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ *अब सिर्फ बची मैं बीजरूप आत्मा जो कई जन्मों के कर्म-बंधनों के नीचे दबी पड़ी थी...* मैं बीज स्वरुप, बिंदु रूप आत्मा हीरे समान चमक रही हूँ... मैं जगमगाती आत्मा कितना हल्का महसूस कर रही हूँ... *मैं दिव्य सितारा, दिव्य ज्योति, दिव्य मणि, दिव्य प्रकाश का पुंज हूँ...* मुझ आत्मा का वास्तविक स्वरुप कितना ही सुन्दर है... *अब मैं आत्मा निराकार ज्योति बिंदु बाप को जान ड्रामा के हर सीन... को, हर परिस्थिति... को, बिंदी लगा हर दिन, हर समय निराकार ज्योति बिंदु परमात्मा शिव को याद करती* क्या..., क्यों..., कैसे... सभी प्रकार के क्वेश्चन्स से न्यारी हो अपने पुरुषार्थी जीवन में एक बाप की याद में रह हर बात में बिंदी लगा... अविनाशी कमाई जमा करते हुए निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूँ... यह अविनाशी कमाई मुझ आत्मा के साथ ही जायेगी...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा तीन बिंदी का तिलक लगा* बिंदु बाप के साथ उड़ चली अपने मूलवतन... अपने असली घर में, अपने असली पिता के सामने मैं आत्मा दिव्य, अलौकिक अनुभूतियाँ कर रही हूँ... अब मैं आत्मा *अपने निज गुणों को धारण कर अपने निज स्वरुप में स्थित हो इस देह में प्रवेश कर इस धरा पर विदेही बन अपना एक्यूरेट पार्ट बजा रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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