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 14 / 01 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *समीप सम्बन्ध के आधार पर बापदादा के स्नेह का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *अधिकारीपन का निश्चय और नशा रहा ?*

 

➢➢ *बापदादा से सेकंड में सौदा किया ?*

 

➢➢ *क्वांटिटी को क्वालिटी में परिवर्तित किया ?*

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         ❂ *योगी जीवन प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं*

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✧  *जब आत्मिक शक्ति वाली, सेमी प्योर आत्मायें अपनी साधना द्वारा आत्माओं का आह्वान कर सकती हैं,* अल्पकाल के साधनों द्वारा दूर बैठी हुई आत्माओं को चमत्कार दिखाकर अपनी तरफ आकर्षित कर सकती हैं, *तो परमात्म शक्ति अर्थात् सर्व श्रेष्ठ शक्ति क्या नहीं कर सकती परन्तु इसके लिए विशेष एकाग्रता का अभ्यास चाहिए।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं सदा बाप की याद के छत्रछाया के अन्दर रहने वाली सर्व विघ्नों से मुक्त आत्मा हूँ"*

 

  सदा बाप की याद के छत्रछाया के अन्दर रहते हो? ऐसे अनुभव करते हो कि सदा बाप की छत्रछाया हमारे ऊपर है? *जैसे कल्प पहले के यादगार में देखा है कि पहाड़ी को छत्रछाया बना दिया। तो सारे कलियुगी समस्याओं के पहाड़ को बाप की याद द्वारा समस्या नहीं लेकिन छत्रछाया बना दिया? ऐसे समस्याओं का समाधान करने वाले मास्टर सर्वशक्तिवान हो? किसी भी प्रकार की समस्या स्वयं को कमजोर तो नहीं बनाती है? विघ्न विनाशक हो? लगन के आधार पर विघ्न क्या अनुभव होता है?

 

  *एक खिलौने जैसे खिलोने से खेलते है,घबराते नहीं है, खुशी होते है। ऐसे किसी भी प्रकार के विघ्न, एक खेल के समान खिलौने लगते हैं। इसको कहा जाता है मास्टर सर्वशक्तिवान तो सर्वशक्तियाँ अपने जीवन का एक श्रृंगार बन गयी है?*

 

  संगमयुगी ब्रह्मणों का श्रृंगार ही है- 'सर्वशक्तियाँ'। तो सर्वशक्तियो से श्रृंगारी हुई सजी सजाई मूर्त। अभी गुणों और शक्तियों से सजे हुए और भविष्य में स्थूल गहनों से सजे हुए। लेकिन अब का श्रृंगार सारे कल्प से श्रेष्ठ है। 16 श्रृंगार, 16कला सम्पन्न। तो अभी से संस्कार डालने हैं ना। तो ऐसी सजी सजाई मूर्त हो ना।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  यह पक्का है कि हम फरिश्ते हैं? ‘फरिश्ता भव' का वरदान सभी को मिला हुआ है? *एक सेकण्ड में फरिश्ता अर्थात डबल लाइट बन सकते हो?* एक सेकण्ड में, मिनट में नहीं, 10 सेकण्ड में नहीं, एक सेकण्ड में सोचा और बना, ऐसा अभ्यास है? अच्छा जो एक सेकण्ड में बन सकते हैं, दो सेकण्ड नहीं, एक सेकण्ड में बन सकते हैं, वह एक हाथ की ताली बजाओ।

 

✧  बन सकते हैं? ऐसे ही नहीं हाथ उठाना। डबल फारेनर नहीं उठा रहे हैं। टाइम लगता है क्या? अच्छा जो समझते हैं कि थोडा टाइम लगता है, एक सेकण्ड में नहीं, थोडा टाइम लगता है, वह हाथ उठाओ। (बहुतों ने हाथ उठाया) अच्छा है, लेकिन *लास्ट घडी का पेपर एक सेकण्ड में आना है, फिर क्या करेंगे?*

 

✧  *अचानक आना है और सेकण्ड का आना है।* हाथ उठाया, कोई हर्जा नहीं। महसूस किया, यह भी बहुत अच्छा। परंतु *यह अभ्यास करना ही है। करना ही पडेगा, नहीं, करना ही है।* यह अभ्यास बहुत-बहुत-बहुत आवश्यक है। चलो फिर भी बापदादा कुछ टाइम देते हैं। कितना टाइम चाहिए? दो हजार तक चाहिए।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- संगमयुग का प्रभु फल खाकर सर्व प्राप्तियों का अनुभव"*

 

_ ➳  मधुबन तपस्या धाम में बैठी मैं तपस्वी मूर्त आत्मा एक की लगन में मगन इस नशवर संसार की सर्व स्मृतियों से विस्मृत *गहन याद की एकरस अवस्था में स्थित हूँ...* प्यारे बाबा की रंग-बिरंगी किरणों का एक पावरफुल कवच मुझ आत्मा के चारों ओर बना है... *इन किरणों से मुझ आत्मा के सारे विकर्म जलकर भस्म हो रहे है... मैं मुक्त अवस्था का अनुभव कर रही हूँ...* मैं आत्मा बाबा के बेहद नजदीक अवस्था का अनुभव कर रही हूँ... ज्ञान सागर पिता ज्ञान प्रकाश मुझ आत्मा पर डाल रहे है...

 

_ ➳  *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी मीठी यादों के तारों में पिरोते हुए कहा :-* "मीठे-मीठे लाडले बच्चे मेरे... संगम की इस महान बेला में भगवान पिता बनकर, आप बच्चों के लिए इस धरा पर है आया... अपनी सारी जागीर आपको ही तो है देने आया... *सुखों की अमीरी में, सदा की खुशियों से झोली है भरने आया... सर्व प्राप्तियों की आपके लिए है बहार लाया...* सर्व प्राप्ति स्वरूप आप बच्चों बनाने है बाबा आया..."

 

  *याद की मस्ती में मस्त होकर मैं आत्मा कहती हूँ :-* "मीठे लाडले प्यारे बाबा मेरे... आपने संगम की इस महान बेला मे आकर कितना ना मुझे भाग्यशाली बनाया है... इस संगम पर आकर आपने इस जीवन को कौड़ी से हीरे तुल्य है बनाया... *सर्व प्राप्तियों की ये बहार देख कितना ना मेरा मन है हर्षाया..."*

 

_ ➳  *सुख के सागर बाबा सुखों की अमीरी से भरते हुए कहते है :-* "मीठे सिकीलधे बच्चे मेरे... *संगमयुग की इस डायमंड बेला में खाकर अब तुम प्रभु फल... सर्व प्राप्तियों का अनुभव पाओ...* होकर सर्व प्राप्तियां सम्पन्न सदा के लिए खिल-खिल जाओं... ईशवरीय प्राप्तियों से अपने जीवन में चार चाँद लगाओं..."

 

  *सुख स्वरूप बनकर मैं आत्मा कहती हूँ :-* "मीठे चाँद बाबा मेरे... संगमयुग की इस महान डायमंड बेला में होकर सर्व प्राप्तियां सम्पन्न सदा के लिए खिलखिला रही हूँ... *एक-एक प्राप्ति की स्मृति से जीवन को उज्जवल बना रही हूँ...* देख कर इतनी ढेर प्राप्तियां अपने भाग्य पर इतरा रही हूँ... मुस्कुरा कर खुशी के गीत गा रही हूँ..."

 

_ ➳  *ज्ञान की किरणों से ओत-प्रोत करते हुए  ज्ञान सागर बाबा कहते है :-* "मीठे-मीठे प्यारे राजदुलारे बच्चे मेरे... ईश्वर पिता के साथ यह वरदानी संगमयुग का समय बेहद कीमती है... अब इसे कहीं भी व्यर्थ ना गवाओं... *खाकर सर्व प्राप्तियों का फल... सर्व प्राप्तियों का स्वरूप बन औरों को भी सर्व प्राप्तियां समपन्न बनाओ...* संगमयुग के महत्व को जान और पहचान, संगमयुग की महान प्राप्तियो से अब अपने जीवन को महान बनाओ..."

 

  *ज्ञान के रंग में रंग कर मैं आत्मा कहती हूँ :-* "मीठे दिलाराम बाबा मेरे... संगम की इन बेशकीमती घड़ियों को आपकी याद से सफल बना रही हूँ... हर पल सर्व प्राप्ति सम्पन्न होने का अनुभव करती जा रही हूँ... *खाकर सर्व प्राप्तियों का प्रभु फल, सर्व प्राप्ति स्वरूप बन सबको आप समान सर्व प्राप्ति स्वरूप बना रही हूँ...* सही मायनों में संगमयुग के महत्व को जान और पहचान संगमयुग की सर्व प्राप्तियो से अपने जीवन को महान बना रही हूँ..."

 

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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बापदादा से सेकंड में सौदा करना​*"

 

_ ➳  जैसे ब्रह्मा बाबा ने सेकेंड में सौदा किया और सम्पूर्ण समर्पण भाव से भगवान पर कुर्बान हो गए। *अपना तन - मन - धन सब कुछ भगवान द्वारा रचे ईश्वरीय रुद्र ज्ञान यज्ञ में स्वाहा कर नम्बर वन पद के अधिकारी बन गए* ऐसे बापदादा से सेकण्ड में सौदा करने की प्रतिज्ञा करते हुए मैं उन प्राप्तियों को याद करती हूँ जो मेरे प्यारे बाबा ने मेरे जीवन में आकर मुझे दी हैं।

 

_ ➳  अपने संगमयुगी ब्राह्मण जीवन की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों को स्मृति में लाकर मैं अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करते हुए विचार करती हूँ कि *कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जिसे भगवान के साथ सौदा करने का गोल्डन चांस मिला है जिसमे कोई घाटा नही केवल कमाई ही कमाई है वो भी एक जन्म के लिए नही बल्कि जन्म जन्मांतर के लिए*। तो ऐसे भगवान बाप के साथ सेकण्ड में सौदा कर मुझे उन पर कितना ना बलिहार जाना चाहिये!

 

_ ➳  मन ही मन स्वयं से बातें करती अपने प्यारे बापदादा के साथ सेकेंड में सौदा करने और अविनाशी ज्ञान रत्नों का व्यापार करने के लिए अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ मैं अपनी साकारी देह से बाहर निकलती हूँ और अपने फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित होकर बापदादा के अव्यक्त वतन की ओर चल पड़ती हूँ। *मैं फ़रिश्ता लाइट के कार्ब में, अपनी श्वेत रश्मियां चारों ओर फैलाता हुआ तीव्र गति से ऊपर आकाश की ओर जा रहा हूँ*। पाँच तत्वों से बनी साकार दुनिया को पार कर, आकाश और तारामण्डल को भी पार कर, उससे और ऊपर मैं फ़रिश्ता प्रकाश की दुनिया में प्रवेश करता हूँ।

 

_ ➳  सफेद प्रकाश से प्रकाशित फ़रिशतों की यह आकारी दुनिया बापदादा का अव्यक्त वतन है जहाँ ब्रह्मा बाबा आज भी अव्यक्त फ़रिश्ता बन अपने हर ब्राह्मण बच्चे की पालना कर रहें हैं। *बापदादा के इस अव्यक्त वतन में प्रवेश कर अब मैं फ़रिश्ता बापदादा के पास पहुँचता हूँ*। बापदादा अपनी बाहें पसारे मेरा स्वागत करते हैं और अपनी बाहों में मुझे समा लेते हैं। अपने असीम स्नेह और प्यार से बाबा मुझे भरपूर कर देते हैं और अपने पास बिठा कर, मीठी दृष्टि देते हुए बाबा अपनी सर्वशक्तियों से मुझे शक्तिशाली बना देते हैं। *अपना प्यार और दुलार देकर, अपनी शक्तियों से मुझे बलशाली बना कर, अब बापदादा मुझे मधुबन की पावन धरनी पर ले आते हैं*।

 

_ ➳  बापदादा के साथ इस तीर्थ स्थल की मैं सैर कर रहा हूँ और अनुभव कर रहा हूँ यहाँ की एक - एक चीज ब्रह्मा बाबा की समर्पणता का अहसास दिला रही है। *इस पावन धरनी के शक्तिशाली वायब्रेशन ब्रह्मा बाबा की कुर्बानी और उनके कठोर तप और बल की गाथा सुनाते हुए सहज ही अनुभव हो रहे हैं*। ये शक्तिशाली वायब्रेशन मुझमें असीम शक्ति का संचार कर, भगवान के साथ सेकेंड में सौदा करने वाले अपने प्यारे ब्रह्मा बाप को फ़ॉलो कर उनके समान बनने की प्रेरणा दे रहें हैं।

 

_ ➳  बापदादा के साथ इस पावन भूमि की सैर करते - करते मन ही मन मैं बापदादा के साथ सेकण्ड में सौदा करने की प्रतिज्ञा करता हूँ। मेरा हर संकल्प बापदादा तक पहुँच रहा है। *मैं अनुभव कर रहा हूँ बापदादा मुस्कराते हुए मेरे हर संकल्प रूपी बीज को शक्तिशाली बनाने के लिए अपना बल दे रहें हैं*। इस संकल्प को दृढ़ता के साथ पूरा करने के लिए अब मैं फ़रिश्ता बापदादा से विदाई लेकर अपने ब्राह्मण स्वरूप में लौट आता हूँ।

 

_ ➳  *अपने ब्राह्मण स्वरूप में रहते अब मैं हर कदम फॉलो फादर करते हुए ब्रह्मा बाप समान सेकण्ड में सौदा करने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए सम्पूर्ण समर्पण भाव को अपने ब्राह्मण जीवन मे धारण कर तन - मन - धन सब कुछ ईश्वरीय यज्ञ में सफल कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं मेरे को तेरे में परिवर्तन कर सदा हल्का रहने वाली डबल लाइट फरिश्ता हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं बाप के ऊपर बलिहार जाने का हार  पहनकर माया से हार नहीं खाने वाली  शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. *इस समय आप हर एक को, आत्माओं प्रति रहमदिल और दाता बन कुछ न कुछ देना ही हैचाहे मन्सा सेवा द्वारा दो, चाहे शुभ भावना से दोश्रेष्ठ सकाश देने की वृत्ति से दोचाहे आध्यात्मिक शक्ति सम्पन्न बोल से दोचाहे अपने स्नेह सम्पन्न सम्बन्ध-सम्पर्क से दो लेकिन कोई भी आत्मा वंचित नहीं रहे।* दाता बनोरहमदिल बनो। चिल्ला रहे हैं। बाप के आगे अपनी-अपनी भाषा में चिल्ला रहे हैं - शान्ति दोस्नेह दोदिल का प्यार दो, सुख की किरणें दिखाओ। तो बाप कैसे देंगेआप बच्चों द्वारा ही देंगे ना! *बाप के आप सभी राइट हैण्ड हो। कोई को कुछ भी देना होता है तो हैण्ड द्वारा ही देते हैं ना! तो आप सभी बाप के राइट हैण्ड हो ना!*

 

 _ ➳  2. तो अभी बाप राइट हैण्डस द्वारा आत्माओं को सुख-शान्ति की अंचली तो दिलायेंगे ना! बिचारों को अंचली भी नहीं देंगे तो कितने तड़पेंगे। *अभी सभी हद की बातों से ऊँचे हो जाओ। हद की बातों मेंहद के संस्कारों में समय नहीं गँवाओ।*   

 

✺   *ड्रिल :-  "बाप का राइट हैण्ड रहमदिल बनना"*

 

 _ ➳  ज्ञान सूर्य बाबा की संतान मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ... *बाबा के दिये ज्ञान को बुद्धि में बिठा कर मैं आत्मा उसका मनन चिन्तन कर रही हूँ...* इस दुनिया के कोलाहल से दूर शान्त स्थान पर जाकर मैं आत्मा बैठ गयी हूँ... स्वयं को देह से न्यारा कर आत्मिक स्वरूप में स्थित करती हूँ... कर्मेन्द्रियों से भी न्यारी हो रही हूँ और एक दम हल्कापन महसूस कर रही हूँ... अपने शांत स्वरूप में मैं आत्मा स्वयं को देख रही हूँ

 

 _ ➳  अपनी इस शांत अवस्था में मैं आत्मा कुछ आवाज़ें सुनती हूँ... पहले ये आवाज़ें थोड़ी धीमी हैं फिर धीरे धीरे ये आवाज़ें तेज़ होने लगती हैं... ये समस्त आवाज़ें मैं अब सुन पा रही हूँ... *ये विश्व की उन सभी आत्माओ की आवाज़े हैं जो दुखी और परेशान हैं... अपने कष्टों से मुक्त होने के लिए ये आत्मायें चीख रही हैं, चिल्ला रही हैं...* कुछ आत्मायें शरीर के रोग से भयंकर दर्द में हैं तो कुछ आत्मायें मानसिक कष्ट में हैं... कोई संबंधों में धोखा मिलने से दुखी हैं... किसी के अपने प्रिय जन ने शरीर छोड़ा है...

 

 _ ➳  इस तरह असंख्य आत्मायें अपने अपने दुखों से दुखी हो इन समस्त कष्टों से मुक्ति पाने को चीख पुकार कर रही हैं... *मैं आत्मा इन सबकी ये करुण पुकार सुनकर अपने प्यारे बाबा को याद करती हूँ और बाबा की शक्तिशाली किरणों को स्वयं में भरती हूँ...* बाबा की किरणें मुझमे समा गयी हैं... अब ये किरणें मुझसे निकल कर उन समस्त आत्माओ तक पहुच रही हैं... और वो आत्मायें जो अभी तक चीख पुकार कर रही थीं वो ये वाइब्रेशन को कैच कर रही हैं...

 

 _ ➳  मैं आत्मा पॉवरफुल सकाश इन सभी आत्माओ को दे रही हूँ... *सभी दुखी और अशांत आत्मायें मुझ आत्मा से सकाश को प्राप्त कर अपने दुखों को भूल रही हैं...* उनके कष्ट कम हो रहे हैं और ये समस्त आत्मायें आश्चर्य से सोच रही हैं कि ये शांति और शक्तियों की किरणें उन्हें कहाँ से मिल रही हैं... आत्मायें स्वतः ही सहज रूप से मेरी ओर आकर्षित हो रही हैं... और मैं आत्मा उन सभी को  निरंतर शक्तिशाली वाइब्रेशन देकर उनके सारे कष्टों से उन्हें मुक्त करती जा रही हूँ...

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने पिता परमात्मा की संतान उनकी हर श्रीमत का पालन करते हुए विश्व परिवर्तन के कार्य में उनकी सहयोगी बन रही हूँ... ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रख कर मैं आत्मा उनको फॉलो करते हुए आगे बढ़ रही हूँ... हर आत्मा को सुख और शांति की किरणें दे उनके दुखों को दूर कर रही हूँ... *मनसा वाचा कर्मणा सेवा करते हुए बाबा का राइट हैंड बन मैं आत्मा सेवा कर रही हूँ...* हद के संस्कारों और हद की बातों से ऊपर उठ कर मैं आत्मा रहमदिल बन सर्व को सुख शांति की किरणें देकर उनके दुखों को कम करने में उन्हें मदद कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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