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❍ 09 / 01 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *बुधी में स्वदर्शन चक्र का ज्ञान रख राहू के ग्रहण से मुक्त हुए ?*
➢➢ *श्रेष्ठ कर्म और योगबल से विकर्मों का खाता चुक्तु कर विकर्माजीत बनकर रहे ?*
➢➢ *साधना और साधन के बैलेंस द्वारा अपनी उन्नति की ?*
➢➢ *बाप समान शक्तिशाली बन "अगर मगर" के चक्कर से न्यारे बनकर रहे ?*
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❂ *योगी जीवन प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की शिक्षाएं* ✰
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〰✧ *अशरीरी बनने के लिए समेटने की शक्ति बहुत आवश्यक है।* अपने देह-अभिमान के संकल्प को, देह के दुनिया की परिस्थितियों के संकल्प को समेटना है। शरीर और शरीर के सर्व सम्पर्क की वस्तुओं को, अपनी आवश्यकताओं के साधनों की प्राप्ति के संकल्प को भी समेटना है। *घर जाने के संकल्प के सिवाय अन्य किसी संकल्प का विस्तार न हो-बस यही संकल्प हो कि अब अपने घर गया कि गया।* अनुभव करो कि मैं आत्मा इस आकाश तत्व से भी पार उड़ती हुई जा रही हूँ, इसके लिये अब से अकाल तख्तनशीन होने का अभ्यास बढ़ाओ।
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∫∫ 2 ∫∫ योगी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *आज दिन भर इन शिक्षाओं को अमल में लाकर योगी जीवन का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं महावीर आत्मा हूँ"*
〰✧ सभी अपने को महावीर समझते हो ना? *महावीर अर्थात् सदा शस्त्रधारी। शक्तियों को वा पाण्डवों को सदा वाहन में दिखाते हैं और शस्त्र भी दिखाते हैं।*
〰✧ शस्त्र अर्थात् अलंकार। तो वाहनधारी भी और अलंकारधारी भी। *वाहन है - श्रेष्ठ स्थिति और अलंकार हैं - सर्वशक्तियाँ। ऐसे वाहनधारी और अलंकारधारी ही साक्षात्कारमूर्त बन सकते हैं।*
〰✧ *तो साक्षात बन सब को बाप का साक्षात्कार कराना यह है महावीर बच्चों का कर्तव्य।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *स्वयं को इस स्वमान में स्थित कर अव्यक्त बापदादा से ऊपर दिए गए महावाक्यों पर आधारित रूह रिहान की ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ संस्कार के ऊपर भी कन्ट्रोल होना चाहिए। जब चाहो, जैसे चाहो - जब यह अभ्यास पक्का होगा तब समझो पास विद ऑनर होंगे। तो *बनना लक्ष्मी-नारायण है, तो राज्य कन्ट्रोल करने के पहले स्व-राज्य अधिकारी तो बनो तब राज्य अधिकारी बनेंगे।*
〰✧ इसका भी साधन यही है कि खजाने जमा करो। समझा। अच्छा - इस वायुमण्डल में, मधुबन में बैठे हो। *मधुबन का वायुमण्डल पॉवरफुल है, इस वायुमण्डल में इस समय मन को कन्ट्रोल कर सकते हो?*
〰✧ चाहे मिनट में करो, चाहे सेकण्ड में करो लेकिन कर सकते हो? *ऑर्डर दो मन को, बस आत्मा परमधाम निवासी बन जाओ।* देखो मन ऑर्डर मानता है या नहीं मानता है? (बापदादा ने ड़िल कराई) अच्छा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *आज इन महावाक्यों पर आधारित विशेष योग अभ्यास किया ?*
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∫∫ 5 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- निराकार बाप से पढकर राजाओं का राजा बनने की तकदीर बनाना"*
➳ _ ➳ *‘तकदीर जगाकर आई हूँ, मैं एक नई दुनिया बसाकर आई हूँ...’ मैं आत्मा सेण्टर में बैठकर ये मुरली गीत सुनते हुए प्यारे बाबा की यादों में खो जाती हूँ...* मैं आत्मा रोज रूहानी स्कूल में रूहानी गॉडली स्टूडेंट बनकर रूहानी शिक्षक से रूहानी पढाई पढने आती हूँ... *मुझे राजाओं का राजा बनाने के लिए मीठे बाबा परमधाम से आकर सुप्रीम शिक्षक बन रोज पढ़ाते हैं...* मैं आत्मा प्यारे बाबा का आह्वान करती हूँ... और उनकी मीठी मीठी रूहानी शिक्षाओं को अपने बुद्धि रूपी झोली में धारण करती हूँ...
❉ *राजाई तकदीर बनाने ज्ञान योग से श्रृंगार करते हुए मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की यादे ही खूबसूरत श्रेष्ठतम जीवन का सच्चा सच्चा आधार है... *पिता ही सच्चा सहारा है और जनमो के दुखो से सदा का सुखी बनाने वाला जादूगर है... उसके प्यार के साये तले श्रेष्ठ तकदीर सजा लो...* ज्ञान रत्नों से दामन जगमगा लो... और सदा सुखो के फूलो भरे बगीचे में मौज मनाओ...”
➳ _ ➳ *नई दुनिया में राजाओं का राजा बनने शिव पिता से सत्य ज्ञान पाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता को शिक्षक रूप में पाकर ज्ञान रत्नों की खान से सुखो भरी सुंदर तकदीर दामन में सजा अतीन्द्रिय आनंद में डूबी हूँ... *ईश्वर पिता से पा रही अपनी राजाई की यादो में पुलकित हूँ...”*
❉ *ज्ञान चंद्रमा बन ज्ञान का प्रकाश फैलाकर ऊँची तकदीर बनाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह के विनाशी बन्धनों ने सुंदर तकदीर को दुखो का जंगल बना उलझा दिया... अब ईश्वरीय यादो से उलझे जीवन को मखमली रेशम सा सुलझाओ... *ज्ञान रत्नों से हर पल खेलते हुए बुद्धि को अथाह खजानो से लबालब करो... और वही देवताई जगमगाता सौंदर्य पाकर मुस्कराओ...”*
➳ _ ➳ *जीवन में सबकुछ पाकर पाना था सो पा लिया के गीत गाती सागर सी लहराती मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ने कभी ख्वाबो में भी न सोचा था कि दुखो से मुक्त हो पाऊँगी... आपने प्यारे बाबा कितना मीठा खिला जीवन बना दिया है... *ज्ञान का अथाह खजाना देकर मुझे रोमांचित कर दिया है... अपनी मीठी यादो की खुशबु से सुवासित कर दिया है...”*
❉ *मन भावन मनमीत मेरा बाबा मेरे जीवन आंगन में खुशियों के मोती बरसाते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के पास सुखो भरी तकदीर जगाने ही तो आये हो... जो प्राप्त नही था जीवन में वही सुख शांति पाने ईश्वरीय बाँहों में खिलने मुस्कराने महकने आये हो... *तो हर साँस संकल्प को मीठी यादो में... खूबसूरत निराली सत्य पढ़ाई में झोंक दो... मीठे बाबा की यादो में तकदीर को खिला दो...”*
➳ _ ➳ *मन में बाबा को बसाकर उनके कदमों में कदम रख पद्मों की कमाई करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा मीठे बाबा की यादो से अपनी राजाई को पाने वाली सुखदायी स्वर्ग की अधिकारी बनती जा रही हूँ...* अपने उजले चमकीले स्वरूप में जगमगाती हुई... ईश्वरीय ज्ञान से छलकती हुई प्रतिपल देवताई सौंदर्य से निखरती जा रही हूँ...”
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∫∫ 6 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बुद्धि में स्वदर्शन चक्र का ज्ञान रख राहू के ग्रहण से मुक्त होना है*"
➳ _ ➳ सारे विश्व का भ्रमण करने की इच्छा से, अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ मैं फ़रिश्ता अपनी साकारी देह से बाहर निकलता हूँ और चल पड़ता हूँ भू - लोक की सैर करने। *उड़ते - उड़ते मैं फ़रिश्ता आकाश को पार कर अंतरिक्ष में पहुँचता हूँ जहाँ अनेक ग्रह, उपग्रह, नक्षत्र आदि दिखाई दे रहें हैं। इन ग्रहों में, पृथ्वी ग्रह पर पड़ रही राहू की दशा को मैं फ़रिश्ता देख रहा हूँ* और विचार करता हूँ कि आज पृथ्वी लोक पर रहने वाला हर मनुष्य राहू के ग्रहण से ग्रस्त होने के कारण कितना दुखी और अशांत हैं। किंतु कितनी सौभाग्यशाली हैं वो ब्राह्मण आत्माये जिन्होंने भगवान को पहचान लिया और राहू के ग्रहण से मुक्त हो कर वृक्षपति बाप की छत्रछाया में आ गए।
➳ _ ➳ यही विचार करते - करते अब मैं अंतरिक्ष को पार कर जाता हूँ और उससे ऊपर पहुँच जाता हूँ फरिश्तो की आकारी दुनिया में। यहाँ मैं देख रहा हूँ अपने ही समान अनेक लाइट के सूक्ष्म शरीरधारी फरिश्तो को जो अपनी श्वेत रश्मियां फैलाते हुए इधर - उधर उड़ रहें हैं। *सामने बापदादा अपने लाइट माइट स्वरूप में विराजमान हो कर अपनी लाइट माइट से अपने हर फ़रिश्ता बच्चे को सकाश दे कर अपनी शक्तियों से उन्हें भरपूर कर रहें हैं*। बापदादा की लाइट माइट सभी फरिश्तो से निकलने वाली लाइट को कई गुणा बढ़ा रही है। बापदादा के पास जा कर अब मैं फ़रिश्ता स्वयं को उनकी लाइट माइट से भरपूर कर रहा हूँ।
➳ _ ➳ बापदादा अपनी मीठी दृष्टि से मुझे निहारते हुए अपनी दृष्टि से अपनी शक्तियों का बल मेरे अंदर भर कर मुझे शक्तिशाली बना रहें हैं। एक बहुत ही सुन्दर दृश्य मुझे बाबा के नयनों में दिखाई दे रहा है। *बाबा के नयनों में कभी मुझे मेरा ब्राह्मण स्वरूप, कभी फ़रिश्ता स्वरूप और कभी स्वदर्शन चक्र हाथ मे धारण किये विष्णु चतुर्भुज का स्वरूप दिखाई दे रहा है*। मेरा विष्णु चतुर्भुज स्वरूप मुझे याद दिला रहा है कि स्वदर्शन चक्र का ज्ञान ही मुझे राहू के ग्रहण से मुक्त कर सकता है इसलिए अपने ब्राह्मण स्वरूप में रहते, राहू के ग्रहण से मुक्त रहने के लिये अब मुझे सदा स्वदर्शन चक्र का ज्ञान बुद्धि में रख, स्वदर्शन चक्र फिराते रहना है।
➳ _ ➳ बाबा के नयनों में अपने इन स्वरूपों को देख, बाबा के अव्यक्त इशारे को समझ अब मैं फ़रिश्ता बापदादा से मिल कर, उनसे शक्तियाँ ले कर वापिस साकारी दुनिया में लौट आता हूँ। *सूक्ष्म वतन से नीचे, फिर से अंतरिक्ष को पार कर, आकाश से नीचे पृथ्वी लोक पर मैं फ़रिश्ता पहुँच कर, फिर से इस साकार पृथ्वी पर, अपना पार्ट बजाने के लिए पाँच तत्वों के बने अपने स्थूल शरीर में प्रवेश करता हूँ*। अपने ब्राह्मण स्वरूप में अब मैं स्थित हूँ।
➳ _ ➳ अपने स्वदर्शन चक्रधारी विष्णु स्वरूप को स्मृति में रख, अपनी इस ऐम ऑब्जेक्ट को पाने के लिए अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में रहते स्वदर्शन चक्र का ज्ञान बुद्धि में सदा रखते हुए स्वयं के 84 जन्मो का दर्शन करते हुए, इस स्वदर्शन चक्र द्वारा माया का गला काट, राहू के ग्रहण से सहज ही मुक्त रहती हूँ। *कभी अपने अनादि स्वरूप में स्थित हो कर परमधाम में अपनी सम्पूर्ण सतोप्रधान अवस्था का अनुभव करना और फिर उसी सतोप्रधान स्वरूप में सतोप्रधान दुनिया मे आ कर अपने आदि स्वरूप में स्थित हो कर स्वर्ग के अपरमअपार सुखों का अनुभव करना*।
➳ _ ➳ कभी अपने पूज्य स्वरूप में स्थित होकर अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करना और कभी अपने ब्राह्मण जीवन के सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य को स्मृति में ला कर, संगमयुग की प्राप्तियों में खो जाना। परमात्म प्यार और पालना के सुखद अहसास में डूब जाना और कभी अपने फ़रिश्ता स्वरूप को धारण कर, सारे विश्व की आत्माओं की सेवा करना। *अपने इन पांचो स्वरूपों को बार - बार स्मृति में लाकर, बुद्धि से इस स्वदर्शन चक्र को फिराते, राहू के ग्रहण से अब मैं सदा मुक्त रह कर, अपने वृक्षपति बाबा की छत्रछाया में अपार सुख का अनुभव सहज ही कर रही हूँ*।
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∫∫ 7 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं साधना और साधन के बैलेन्स द्वारा अपनी उन्नति करने वाली ब्लैसिंग की अधिकारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks-10)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं बाप समान शक्तिशाली बनकर 'अगर मगर' के चक्कर से न्यारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ औरों के सेवा की बहुत-बहुत बहुत-बहुत आवश्यकता है। यह तो कुछ भी नही है, बहुत नाजुक समय आना ही है। ऐसे समय पर *आप उड़ती कला द्वारा फरिशता बन चारों ओर चक्कर लगाते, जिसको शान्ति चाहिए, जिसको खुशी चाहिए, जिसको सन्तुष्टता चाहिए, फरिशते रूप मे साकाश देने का चक्कर लगायेंगे* और वह अनुभव करेंगे। जैसे अभी अनुभव करते है ना, पानी मिल गया बहुत प्यास मिटी। खाना मिल गया, टेन्ट मिल गया, सहारा मिल गया। ऐसे अनुभव करेंगे शांति मिल गई फरिशतों द्वारा। शक्ति मिल गई। खुशी मिल गई। *ऐसे अन्तःवाहक अर्थात् अन्तिम स्थिति, पावरफुल स्थिति आपका अन्तिम वाहन बनेगा। और चारों ओर चक्कर लगाते सबको शक्तियाँ देंगे। साधन देंगे।* अपना रूप सामने आता है । *इमर्ज करो। कितने फरिस्ते चक्कर लगा रहे है! सकाश दे रहे है,* तब कहेंगे जो आप एक गीत बजाते हो ना - *शक्तियां आ गई... शक्तियों द्वारा ही सर्वशक्तिवान स्वतः ही सिद्ध हो जायेगा। सुना।*
✺ *ड्रिल :- "अपने अन्तः वाहक शरीर द्वारा सेवा का अनुभव"*
➳ _ ➳ देख रही हूँ मैं आत्मा स्वयं को एक बड़ी सी ऊंची पहाड़ी पर प्रकृति के सानिध्य में बैठे हुए... चारों तरफ एक गहन शांति है... कोई आवाज नहीं... *अब मैं आत्मा चलती हूँ अन्तर यात्रा की ओर... समस्त चेतना को भृकुटि के मध्य केन्द्रित करती हूँ...* केवल अपने इस ज्योतिमय स्वरूप को देख रही हूँ *मैं आत्मा, महसूस कर रही हूँ अपने इस प्रकाशमय स्वरूप को बहुत गहराई से...* जितना गहराई से मैं आत्मा अपने इस स्वरूप को अनुभव करती जा रही हूँ उतना ही *मुझ आत्मा की आंतरिक शक्तियाँ जागृत हो रही है... मुझ आत्मा का प्रकाश बढ़ रहा है...* देख रही हूँ मैं आत्मा अपने इस जगमगाते शक्तिशाली स्वरूप को... तभी मुझ आत्मा की मन रूपी स्लेट पर बाबा के द्वारा कहे महावाक्य उभरने लगते है...
➳ _ ➳ *अन्त:वाहक अर्थात अन्तिम स्थिति, पावरफुल स्थिति आपका अन्तिम वाहन बनेगा । इमर्ज करो अपना यह स्वरूप इमर्ज करो* यह शब्द जैसे कानों में गुंजने लगते है... *मैं आत्मा ड्रामा की रिल को फारवर्ड करती हूँ... और अब मैं आत्मा पहुंच चुकी हूँ, ड्रामा के उस अन्तिम चरण में जहाँ चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है... बेहद दर्दनाक सीन सामने आ रहे हैं... आत्माएँ चिल्ला रही है... रो रही है...* दु:खों के पहाड़ उनके जीवन पर गिर पड़े है... *प्रकृति भी अपना विकराल रूप दिखा रही है... चारों तरफ प्रकृति का प्रकोप है... ना कोई साधन कार्य कर रहे है... ना ही विनाशी धन काम आ रहा है...* एक पल की शांति, खुशी की प्यासी आत्माएँ भटक रही है...
➳ _ ➳ उन्हें कहीं से कोई आशा की किरण नजर नहीं आ रही है... *जहाँ-तहाँ आत्माएँ दर्द में चिल्ला रही है... इस दुनिया की अन्तिम सीन बेहद दर्दनाक है...* आत्माएँ तड़फ रही है... उनकी आँखों में दर्द-दु:ख साफ दिखाई दे रहा है... *इसी अन्तिम सीन में मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को... अपनी बेहद पावरफुल स्टेज को... अपनी इस अन्तिम स्थिति, कर्मातीत स्टेज को... यहाँ रहते भी साक्षी दृष्टा हर प्रकार से उपराम अवस्था का अनुभव मैं आत्मा कर रही हूँ...* देख रही हूँ मैं आत्मा अपने इस शक्ति स्वरूप को... जिसमें *संहारी और अलंकारी दोनों स्वरूप एक साथ इमर्ज रूप में है... देख रही हूँ अपने इस कम्बाइंड शिवशक्ति स्वरूप को... लाइट माइट सम्पन्न इस स्थिति को... अपनी इस फरिश्ता स्थिति को...* देख रही हूँ मैं आत्मा...
➳ _ ➳ अब मैं फरिश्ता एक सेकंड में अलग-अलग स्थान पर पँहुच कर सभी दु:खी अशांत आत्माओं को सुख-शांति और खुशी की सकाश दे रहा हूँ... *मैं फरिश्ता जिन्हें शांति चाहिए, उन्हें शांति दाता बन शांति दे रहा हूँ... जिन्हें खुशी चाहिए उन्हें खुशी दे रहा हूँ... जिन्हें सुख चाहिए उन्हें सुख की अनुभूति करा रहा हूँ...* मुझ फरिश्ते के साथ बाबा के सभी बच्चे अपने अन्त: वाहक शरीर द्वारा इस पूरे विश्व में जहाँ जिसे जिस चीज की आवश्यकता है उन्हें दे रही है... *हम सभी फरिश्ते मिलकर सुख, शांति की सकाश इस पूरे विश्व को दे रहे है... चारों ओर चक्कर लगा रहे है... सबको सकाश दे रहे है...* आत्माएँ शांति की अनुभूति कर रही है... सुख की अनुभूति कर रही है...
➳ _ ➳ हम फरिश्तों को देखकर बेसहारा आत्माएँ सहारे का अनुभव कर रही है... *हमें देख भक्त आत्माएँ भी अपने ईष्टों का साक्षात्कार कर सन्तुष्ट हो रही है...* जयजयकार कर रही है... और अब यह गायन प्रत्यक्ष हो रहा है... *शिव शक्तियाँ आ गई धरती पर शिव शक्तियाँ आ गई... घर-घर में होती है जिनकी पूजा... चेतन में वो देवियाँ आ गई... हम फरिश्तों से सबको अनेक साक्षात्कार हो रहे है... हम शिव शक्तियों द्वारा सर्वशक्तिवान प्रत्यक्ष हो रहा है...* हाहाकार से जय-जयकार हो रही है... हम एक-एक फरिश्ते द्वारा एक बाबा प्रत्यक्ष हो रहा है... *सभी आत्माएँ अपने सच्चे पिता, अपने प्यारे पिता को पहचान रही है... एक-एक आत्मा के मुख से निकल रहा है मेरा बाबा आ गया मेरा बाबा आ गया...* उन्हें अपने सत्य स्वरूप का साक्षात्कार हमारे द्वारा हो रहा है... उन्हें अब अपने घर का सही रास्ता मिल गया है... अपने सच्चे पिता और अपने असली घर का पता पाकर *सभी आत्माएँ खुश हो रही है... सच्ची शांति, सुख खुशी सच्चे प्यार की अनुभूति कर रही है... ओम शांति...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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