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❍ 18 / 11 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ वाह्यात बातों को छोड़ हुललास में रहे ?
➢➢ अपने खयालात आलिशान रखे ?
➢➢ ज्ञान संपन्न दाता बन सर्व आत्माओं के प्रति शुभ चिन्तक बने ?
➢➢ विश्व परिवर्तन के कार्य के निमित बने ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ संघठित रूप में शक्तिशाली वायुमण्डल बनाने की जिम्मेवारी समझकर रहना। जब देखो कि कोई व्यक्त भाव में ज्यादा है तो उनको बिना कहे अपना ऐसा अव्यक्ति शान्त रूप धारण कर लो जो वह इशारे से समझकर शान्त हो जाए, इससे वातावरण अव्यक्त बन जायेगा।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं परिवर्तन शक्ति द्वारा सबसे दुआयें लेने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"
〰✧ सदा परिवर्तन शक्ति को यथार्थ रीति से कार्य में लगाने वाली श्रेष्ठ आत्मा हो ना। इसी परिवर्तन शक्ति से सर्व की दुआयें लेने के पात्र बन जाते। जैसे घोर अन्धकार जब होता है, उस समय कोई रोशनी दिखा दे तो अन्धकार वालों के दिल से दुआयें निकलती हैं ना।
〰✧ ऐसे जो यथार्थ परिवर्तन शक्ति को कार्य में लगाते हैं, उनको अनेक आत्माओं द्वारा दुआयें प्राप्त होती हैं और सबकी दुआयें आत्मा को सहज आगे बढ़ा देती हैं। ऐसे, दुआयें लेने का कार्य करने वाली आत्मा हूँ - यह सदा स्मृति में रखो तो जो भी कार्य करेंगे, वह दुआयें लेने वाला करेंगे। दुआयें मिलती ही हैं श्रेष्ठ कार्य करने से।
〰✧ तो सदा यह स्मृति रहे कि 'सबसे दुआयें लेने वाली आत्मा हूँ'- यही स्मृति श्रेष्ठ बनने का साधन है, यही स्मृति अनेकों के कल्याण के निमित्त बन जाती हैं। तो याद रखना कि परिवर्तन शक्ति द्वारा सर्व की दुआयें लेने वाली आत्मा हूँ।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ एक बल, एक भरोसा - ऐसी श्रेष्ठ आत्मा हैं, ऐसे अनुभव करते हो? एक बल, एक भरोसा है या अनेक बल, अनेक भरोसे हैं? एक बल कौन-सा है? साइलेन्स का बल, योग का बल। आज साइन्स की शक्ति का प्रभाव है लेकिन वह भी निकली कहाँ से? शान्ति की शक्ति से निकली ना?
〰✧ एक बाप में भरोसा अर्थात निश्चय होने से यह साइलेन्स का बल, योग का बल स्वतः ही अनुभव होता है तो साइलेन्स की शक्ति वाले हैं, योग बल वाले हैं - यह स्मृति रहती है? शान्ति की शक्ति सर्व श्रेष्ठ शक्ति है। क्योंकि और सभी शक्तियाँ कहाँ से निकलती हैं? शान्ति की शक्ति से ना!
〰✧ तो शान्ति की शक्ति द्वारा जो चाहो वह कर सकते हो। असम्भव को भी सम्भव कर सकते हो। जो दुनिया वाले आज असम्भव कहते हैं आपके लिए वह सम्भव है ना! तो सम्भव होने के कारण सहज लगता है। मेहनत नहीं लगती।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ अभी तो बापदादा साथ चलने के लिए सूक्ष्मवतन में अपना कर्तव्य कर रहे हैं लेकिन यह भी कब तक? जाना तो अपने ही घर में है ना? इसलिए अभी जल्दी-जल्दी अपने को ऊपर की स्थिति में स्थित करने का प्रयत्न करो। साथ चलना, साथ रहना और फिर साथ में राज्य करना है ना? साथ कैसे होगा? समान बनने से। समान नहीं बनेंगे तो साथ कैसे होगा? अभी साथ उड़ना है, साथ रहना है- यह स्मृति रखो तब अपने को जल्दी समान बना सकेंगे। नहीं तो कुछ दूर पड़ जायेंगे। वायदा भी है ना कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ ही राज्य करेंगे!
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- हद की बातों में अपना टाइम वेस्ट नही करना"
➳ _ ➳ मधुबन घर में डायमण्ड हॉल में अपने प्यारे बाबा को निहारती हुई मै आत्मा...
कभी अपने महान भाग्य को, कभी इस ईश्वरीय मिलन के खुबसूरत समय को... देख रही
हूँ... कि जीवन में अनगिनत दुखो की भोगना यूँ पीछे गुजर गयी... और मै आत्मा इस
खुबसूरत समय पर भगवान के सम्मुख आ गयी... इस सुनहरे वक्त ने मुझे ईश्वर से
मिलाकर... मेरा भविष्य सुनहरे अक्षरो में लिख दिया है... आज सतयुग मेरे कदमो की
आहट लेने को आतुर है... सुख मेरी बाट जोह रहे है.. खुशियां मेरा रास्ता निहार
रही है... अमीरी मुझे बाँहों में भर लेने को दीवानी है... सारे दुःख गायब हो
गए है और अथाह सुख मेरी नजरो में प्रत्यक्ष हो रहे है... और कह रहे है... मीठे
बाबा की यादो में गहरे डूब जाओ... ती हम सजीव बन आपकी सेवाओ में हाजिर है... वाह...
कितना प्यारा यह, मीठे बाबा के साथ भरा समय है...
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अमूल्य ज्ञान मणियो से सजाकर कहा :- "मीठे प्यारे
फूल बच्चे... ईश्वरीय ज्ञान रत्नों को पाकर, यादो में सच्ची कमाई करने वाले
महान भाग्यशाली बनो... संगम के वरदानी समय के हर पल को यादो में सफलकर सच्ची
कमाई से भरपूर बनो... ईश्वर के साथ भरा यह मीठा समय... अब व्यर्थ बातो में नही
गंवाओ... मीठे बाबा से सारी दौलत खजाने लेकर... सदा की अमीरी से सज जाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में सारी जागीर की मालिक बनकर कहती हूँ :-
"मीठे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी छत्रछाया में सुखी और अमीर जीवन को
पाती जा रही हूँ... आपको पाकर अब मै आत्मा किसी भी व्यर्थ में स्वयं को उलझाती
नही हूँ... बल्कि हर क्षण यादो में खोकर, अपने सारे विकर्मो से मुक्त होती जा
रही हूँ... यादो की कमाई करके विश्व की अमीरी को पाती जा रही हूँ ..."
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को समय का महत्व समझाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे
लाडले बच्चे... यही वह कीमती पल है, जिसमे मीठे बाबा को याद करके... अथाह
सम्पत्ति और सुख भरा भविष्य अपनी तकदीर में सजा सकते हो... इस सुनहरे समय को
साधारण रीति या व्यर्थ में न बिताओ... हर पल याद का निरन्तर अभ्यास कर... स्वयं
का महान भाग्य स्वयं लिखो... सच्ची कमाई के पीछे दीवाने होकर जुट जाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की श्रीमत को दिल में गहरे उतार कर कहती हूँ :- "मीठे
प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा देह की और दुखो की दुनिया में जो घिरी तो... अपनी
सारी खुशियां गुण और दौलत ही गंवा बेठी... अब आपने आकर मुझे पुनः दौलतमंद और
खुशहाल बनने का सारा राज बता दिया है... मै आत्मा हर साँस आपकी यादो में डूबकर,
सच्ची दौलत को अपनी बाँहों में बटोरती जा रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सर्वगुणों और शक्तियो से भरपूर करते हुए कहा :-
"मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... इस पुरानी दुनिया की विनाशी दौलत के पीछे बहुत
खपे हो... अब मीठे बाबा से 21 जनमो की अमीरी लेकर विश्व के बादशाह बनो... एक
एक पल कमाई से भरपूर हो, मन बुद्धि को मीठे बाबा की याद में पूरा झोंक दो...
यादो में ही पुराने सारे विकर्म भस्म होंगे और सुखो भरा खुबसूरत जीवन आपके हाथो
में होगा... इसलिए निरन्तर याद में खोये रहो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा को मुझ आत्मा के सुख के लिए इस कदर आतुर देख कहती
हूँ :- "मीठे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा कितनी महान हूँ, और कितनी भाग्यशाली
हूँ... कि भगवान बेठ मुझे यूँ अमीर बना रहा है... और मुझे विश्व का मालिकाना हक
दिलवा रहा है... मै आत्मा इतनी अमीर बनूंगी, यह तो कभी ख्यालो में भी न था... आज
आपकी सच्ची यादो में यह जीवन की खुबसूरत हकीकत बन रही है... और मै आत्मा हर
साँस से यादो की कमाई कर, अमीर और अमीर होती जा रही हूँ..."प्यारे बाबा से यूँ
मीठी रुहरिहानं कर मै आत्मा... अपने कर्मक्षेत्र पर लौट आयी....
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- सदा फखुर (नशा) रहे कि हम श्रीमत पर अपना परिस्तान स्थापन कर रहें हैं"
➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के नशे में बैठी, अपने मीठे बाबा के प्रेम की लगन
में मगन मैं उनकी मीठी यादों में रमण करती हुई अनुभव करती हूँ कि जैसे मेरे
शिव पिता अपने साकार रथ पर विराजमान हो कर, अपनी बाहें पसारे मुझे बुला रहें
हैं और कह रहे हैं:- "आओ मेरे डबल सिरताज बच्चे, मेरे पास आओ"। अव्यक्त बापदादा
के ये अव्यक्त महावाक्य जैसे ही मेरे कानों में सुनाई पढ़ते हैं मैं अपनी
अव्यक्त स्थिति में स्थित हो जाती हूँ और सूक्ष्म आकारी देह धारण कर, अपने
साकारी तन से बाहर निकल कर, बापदादा के पास उनके अव्यक्त वतन की ओर चल पड़ती
हूँ।
➳ _ ➳ अपनी लाइट की सूक्ष्म आकारी देह को धारण किये मैं फ़रिशता साकार लोक में
भ्रमण करता हुआ, आकाश को पार करके पहुँच जाता हूँ सूक्ष्म आकारी फरिश्तों की उस
अति सुंदर मनोहारी दुनिया में जहां बापदादा बाहें पसारे मेरा इंतजार कर रहें
हैं। बापदादा के सामने पहुँच कर, मैं बिना कोई विलम्ब किये उनकी बाहों में समा
जाता हूँ। अपने बाबा की ममतामयी बाहों के झूले में झूलते हुए मैं असीम आनन्द
से विभोर हो रहा हूँ। बाबा का प्रेम और वात्सलय बाबा के हाथों के स्पर्श से
मैं स्पष्ट अनुभव कर रहा हूँ।ऐसे निस्वार्थ प्रेम को पा कर मेरी आँखों से खुशी
के आँसू छलक रहें हैं। बाबा मेरे आंसू पोंछते हुए बड़ी मीठी दृष्टि से मुझे देख
रहें हैं।
➳ _ ➳ बाबा की मीठी दृष्टि से, बाबा की सर्वशक्तियाँ मुझ फ़रिश्ते में समा रही
हैं। मैं स्वयं को परमात्म बल से भरपूर होता हुआ अनुभव कर रहा हूँ। बापदादा के
प्यार की शीतल छाया में मैं फरिश्ता असीम सुख और आनन्द का अनुभव कर रहा हूँ।
बापदादा अपना वरदानीमूर्त हाथ मेरे सिर पर रख कर मुझे वरदानों से भरपूर कर रहे
हैं। हर प्रकार की सिद्धि से बाबा मुझे सम्पन्न बना रहे हैं। सर्व सिद्धियों,
शक्तियों और वरदानों से मुझे भरपूर करके अब बाबा मुझे भविष्य नई दुनिया का
साक्षात्कार करवा रहें हैं।
➳ _ ➳ ज्ञान के दिव्य चक्षु से मैं देख रहा हूँ, बाबा मेरा हाथ पकड़ कर मुझे आने
वाली नई सतयुगी दुनिया मे ले जा रहें हैं और बड़े स्नेह से मुझे कह रहे हैं देखो,
बच्चे:- इस नई दुनिया के आप मालिक हो" अब मैं स्वयं को विश्व महाराजन के रूप
में देख रहा हूँ। सारे विश्व पर मैं राज्य कर रहा हूँ। मेरे राज्य में डबल ताज
पहने देवी देवता विचरण कर रहें हैं। राजा हो या प्रजा सभी असीम सुख, शान्ति और
सम्पन्नता से भरपूर हैं। चारों ओर ख़ुशी की शहनाइयाँ बज रही हैं। प्राकृतिक
सौंदर्य भी अवर्णनीय है। रमणीकता से भरपूर सतयुगी नई दुनिया के इन नजारों को
देख मैं मंत्रमुग्घ हो रहा हूँ।
➳ _ ➳ इस खूबसूरत दृश्य का आनन्द लेने के बाद मैं जैसे ही अपने ब्राह्मण स्वरूप
में स्थित होती हूँ। स्वयं को एक दिव्य अलौकिक नशे से भरपूर अनुभव करती हूँ और
अब मैं सदा इसी रूहानी नशे में रहते हुए कि मैं ब्रह्माण्ड और विश्व की मालिक
बन रही हूँ, निरन्तर अपने पुरुषार्थ को आगे बढ़ा रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺
मैं ज्ञान सम्पन्न आत्मा हूँ।
✺ मैं आत्मा सर्व आत्माओं के प्रति शुभचिंतक हूँ।
✺ मैं श्रेष्ठ सेवाधारी आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺
मैं आत्मा विश्व परिवर्तन के कार्य में निमित्त हूँ ।
✺ मैं विश्व राज्य अधिकारी आत्मा हूँ ।
✺ मैं विश्व परिवर्तक आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ वह प्रकृति का खेल तो देख लिया। लेकिन बापदादा पूछते हैं कि आप लोगों ने सिर्फ प्रकृति का खेल देखा या अपने उड़ती कला के खेल में बिजी रहे? या सिर्फ समाचार सुनते रहे? समाचार तो सब सुनना भी पड़ता है, परन्तु जितना समाचार सुनने में इन्ट्रेस्ट रहता है उतना अपनी उड़ती कला की बाजी में रहने का इन्ट्रेस्ट रहा? कई बच्चे गुप्त योगी भी हैं, ऐसे गुप्त योगी बच्चों को बापदादा की मदद भी बहुत मिली है और ऐसे बच्चे स्वयं भी अचल, साक्षी रहे और वायुमण्डल में भी समय पर सहयोग दिया। जैसे स्थूल सहयोग देने वाले, चाहे गवर्मेन्ट, चाहे आस-पास के लोग सहयोग देने के लिए तैयार हो जाते हैं,
➳ _ ➳ ऐसे ब्राह्मण आत्माओं ने भी अपना सहयोग - शक्ति, शान्ति देने का, सुख देने का जो ईश्वरीय श्रेष्ठ कार्य है, वह किया? जैसे वह गवर्मेन्ट ने यह किया, फलाने देश ने यह किया... फौरन ही अनाउन्समेंट करने लग जाते हैं, तो बापदादा पूछते हैं - आप ब्राह्मणों ने भी अपना यह कार्य किया? आपको भी अलर्ट होना चाहिए। स्थूल सहयोग देना यह भी आवश्यक होता है, इसमें बापदादा मना नहीं करते लेकिन जो ब्राह्मण आत्माओं का विशेष कार्य है, जो और कोई सहयोग नहीं दे सकता ऐसा सहयोग अलर्ट होके आपने दिया? देना है ना! या सिर्फ उन्हों को वस्त्र चाहिए, अनाज चाहिए? लेकिन पहले तो मन में शान्ति चाहिए, सामना करने की शक्ति चाहिए। तो स्थूल के साथ सूक्ष्म सहयोग ब्राह्मण ही दे सकते हैं और कोई नहीं दे सकता है। तो यह कुछ भी नहीं है, यह तो रिहर्सल है। रीयल तो आने वाला है। उसकी रिहर्सल आपको भी बाप या समय करा रहा है।
✺ ड्रिल :- "प्राकृतिक हलचल के समय स्थूल के साथ सूक्ष्म शक्तियों के सहयोग देने का अनुभव"
➳ _ ➳ भृकुटि की गुफा में बैठी मैं महातेजस्वी, परम पवित्र अति तेजोमय स्वराज अधिकारी आत्मा हूँ... तपस्वियों में अति श्रेष्ठ तपस्वी मैं आत्मा हूँ... देख रही और महसूस कर रही हूँ... मैं आत्मा अपने इस महान तेजस्वी स्वरूप को बहुत गहराई से... कितना तेजस्वी मुझ आत्मा का यह स्वरूप है... जैसे प्रकाश की एक तेजोमय दिव्य किरण हो... देख रही हूँ मैं आत्मा स्वयं को त्याग और तपस्या की अति श्रेष्ठ पवित्र भूमि मधुबन घर में, शांतिवन बाबा के कमरे में बैठे हूए... संध्या का यह समय है... अपने निराकारी तेजोमय स्वरूप में स्थित मैं तेजोमय आत्मा गहराई से अपने स्वरूप का अनुभव करते हुए एक शिव पिता की याद में स्थित हो जाती हूँ... देख रही हूं बाबा से अनंत शक्तियों की अविरल धाराएं मुझ पर गिर रही है... मैं आत्मा वरदानों और शक्तियों से भरपूर होती जा रही हूँ... अनुभव हो रहा है जैसे इस देह में होते भी इसमें नहीं हूँ... देह भान से मैं आत्मा ऊपर उठ चुकी हूँ... एक शक्तिशाली स्थिति का अनुभव मैं आत्मा कर रही हूँ... और मुझ से ये शकितयों की किरणें चारों ओर फैल रही है...
➳ _ ➳ तभी एकाएक कुछ दृश्य मुझ आत्मा के सामने आते है... कुछ आवाजें कानों में गुंजने लगती है... हमें बचाओं... कोई तो हमारी मदद करों... और एक दर्दनाक दृश्य मुझ आत्मा के सामने उभरता है... भूकम्प, बाढ, चक्रवात के कारण कुछ जगह पर भारी नुकसान हुआ है... लोग यहाँ वहाँ भाग रहे है... अपने परिजनों को ढूंढ रहे है... खून से लथपथ लाशें यहाँ वहाँ गिरी है... सबकी आँखों में दर्द है... लोग यहाँ-वहाँ भाग रहे है... और तभी कुछ लोग उनकी मदद के लिए आ रहे है... तभी ये दृश्य गायब हो जाता हैं... और ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे बाबा कह रहे हो बच्चे इन आत्माओं को स्थूल के साथ सुक्ष्म शक्तियों का भी सहयोग दो... इनकों शांति दो... मैं आत्मा बिना देरी किए अपनी सूक्ष्म लाइट की ड्रेस धारण कर, अपना श्रेष्ठ ईश्वरीय कार्य (सुख, शांति देने ) करने उस स्थान पर पहुंच जाता हूँ... देख रहा हूँ... चारों तरफ यही समाचार फैला हुआ हैं... और अन्य जगह से लोग यहाँ मदद देने के लिए आ रही है... गवर्नमेंट भी स्थूल सहयोग अनाज कपड़ा, दवाएं पहुंचा रही है... आपदा ग्रसित आत्माओं को स्थूल साधनों द्वारा मदद मिल रही है...
➳ _ ➳ लेकिन फिर भी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रसित आत्माओं की आखों में आँसू और दर्द है... बेचैनी है... अन्दर से बेहद अशांत है... उनकी नजरें ये दर्दनाक मंजर देखकर काँप उठी है... लेकिन मैं आत्मा ये प्रकृति का खेल साक्षी होकर देख रही हूँ... एक अचल अवस्था में... और अब मैं श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा अनुभव कर रहा हूँ स्वयं को बाबा की छत्रछाया के नीचे, बाबा से निकलती सुख, शांति की किरणें मुझ फरिशते पर पड़ रही है और मुझ आत्मा से ये सुख, शांति की किरणें इन सभी आपदा से ग्रसित आत्माओं पर और प्रकृति को जा रही है... मेरे साथ और भी ब्राह्मण आत्माएं फरिशता ड्रेस धारण कर इन सभी आत्माओं को शांति की किरणों द्वारा सहयोग दे रही है... जैसे-जैसे ये किरणें इन आत्माओं पर पड़ रही है... इन आत्माओं का मन शांत हो रहा है... इनके अन्दर सामना करने की शक्ति आ गई है... ये आत्माएँ मजबूत बन रही है... इनकी सारी हलचल समाप्त हो गई है... अब ये आत्माएँ दर्द से बाहर निकल गई है... और मानसिक तौर पर मजबूत हो गई है... और अब प्रकृति की हलचल भी समाप्त हो गई है... चारों तरफ शांति हो गई है... आपदा से ग्रसित आत्माएँ भी हल्का अनुभव कर रही है... स्थूल के साथ अब इन आत्माओं को सूक्ष्म में भी सहयोग मिल रहा है...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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