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 08 / 10 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ अपने याद के चार्ट पर पूरी नज़र रखी ?

 

➢➢ वाणी से परे जाने का पुरुषार्थ किया ?

 

➢➢ सदा सर्व प्राप्तियों से भरपूर रहे ?

 

➢➢ हर खजाने का जमा खाता भरपूर किया ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  कर्म करते तन का भी हल्कापन, मन की स्थिति में भी हल्कापन। कर्म की रिजल्ट मन को खींच न ले। जितना ही कार्य बढ़ता जाये उतना ही हल्कापन भी बढ़ता जाये। कर्म अपनी तरफ आकर्षित नहीं करे लेकिन मालिक होकर कर्म कराने वाला करा रहा है और करने वाले निमित्त बनकर कर रहे हैं- यह अभ्यास बढ़ाओ तो सम्पन्न कर्मातीत सहज ही बन जायेंगे।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं एकरस रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"

 

  सभी सदा एकरस स्थिति में स्थित रहने वाली श्रेष्ठ आत्मायें हो ना। अनुभवी आत्मायें बन गई ना। सब दुनिया के रस अनुभव कर लिये। अब इस ईश्वरीय रस का अनुभव किया, तो वह रस क्या लगते है? फीके लगते हैं ना। जब है ही एक रस मीठा तो एक ही तरफ अटेन्शन जायेगा ना।

 

  एक तरफ मन लग ही जाता है, मेहनत नहीं लगती है। बाप का स्नेह, बाप की मदद, बाप का साथ, बाप द्वारा सर्व प्राप्तियां सहज बना देती है। हरेक इसी अनुभव से आगे बढ़ रहे हो, यह देख बाप भी हर्षित होते हैं।|

 

  जितना भी देश में दूर स्थान पर हो, उतना ही दिल में नजदीक हो। बापदादा सेकेण्ड में सभी बच्चों को आह्वान कर इमर्ज कर लेते हैं, भल वह कितना भी दूर हो। आपको भी अनुभव होता है ना - बाप अमृतवेले कैसे मिलन मनाते हैं!

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  अपने आपको सफलता के सितारे हैं - ऐसे अनुभव करते हो? जहाँ सर्व शक्तियाँ हैं, वहाँ सफलता जन्म-सिद्ध अधिकार है। कोई भी कार्य करते हो, चाहे शरीर निर्वाह अर्थ, चाहे ईश्वरीय सेवा अर्थ, कार्य में कार्य करने के पहले यह निश्चय रखो।

 

✧   निश्चय रखना अच्छी बात है लेकिन प्रैक्टिकल अनुभवी आत्मा बन निश्चय और नशे में रहो'। सर्वशक्तियाँ इस ब्राह्मण जीवन में सफलता के सहज साधन हैं। सर्व शक्तियों के मालिक हो इसलिए किसी भी शक्ति को जिस समय ऑर्डर करो, उस समय हाजिर हो।

जैसे कोई सेवाधारी होते हैं, सेवाधारी को जिस समय ऑर्डर करते हैं तो सेवा के लिए तैयार होता हैं। ऐसे सर्व शक्तियाँ आपके ऑर्डर में हो।

 

✧  जितना-जितना मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट होंगे उतना सर्वशक्तियाँ सदा ऑर्डर में रहेंगी। थोडा भी स्मृति की सीट से नीचे आते हैं तो शक्तियाँ ऑर्डर नहीं मानेंगी। सर्वेन्ट भी होते है तो कोई ओबीडियेन्ट होते हैं, कोई थोडा नीचे-ऊपर करने वाले होते हैं। तो आपके आगे सर्व शक्तियाँ कैसे हैं? ओबिडियेन्ट हैं या थोडी देर के बाद पहुँचती है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ जिस बात में कमजोर होंगे, उसी रूप में जान बूझकर भी माया लास्ट पेपर लेगी। इसलिए विदेही बनने का अभ्यास बहुत ज़रूरी है। कोई भी रूप की माया आये, समझ तो है ही। एक सेकण्ड में विदेही बन जायेंगे तो माया का प्रभाव नहीं पड़ेगा। जैसे कोई मरा हुआ व्यक्ति हो, उसके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ना विदेही माना देह से न्यारा हो गया तो देह के साथ ही स्वभाव, संस्कार, कमजोरियाँ सब देह के साथ हैं, और देह से न्यारा हो गया तो सबसे न्यारा हो गया। इसलिए यह ड्रिल बहुत सहयोग देगी, इसमें कण्ट्रोलिंग पावर चाहिए। मन को कण्ट्रोल कर सकें, बुद्धि को एकाग्र कर सकें। नहीं तो आदत होगी तो परेशान होते रहेंगे। पहले एकाग्र करें तब ही विदेही बनें।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :-  सच्चे बाप के साथ सच्चे बनना"
 
➳ _ ➳  मै आत्मा सच की रौशनी में जगमगाती हुई... अपने शानदार भाग्य पर मुस्कराती हुई... सत्य पिता के साये में सत्य से रौशन हुए चमकते,उज्ज्वल, धवल जीवन को निहार रही हूँ... प्यारे बाबा पर अपने दिल समन्दर को उंडेलने, मै आत्मा सूक्ष्म शरीर में उड़ चलती हूँ वतन की ओर... मुझे अपने दिल के पास आता देख बापदादा भी पुलकित है और बाँहों में समाने को आतुर मेरी बाट ले रहे है... मै आत्मा सत्यपिता की बाँहों में समाकर अतीन्द्रिय सुख की अनुभूतियों से सराबोर हो रही हूँ...
 
❉   मीठे बाबा मुझ भाग्यवान आत्मा को... अपनी बाँहों में भरकर... मेरे कानो में अपनी मधुर रश्मियाँ बिखरते हुए कहते है:- “जहान के नूर बच्चे... सत्य पिता की ऊँगली पकड़ सत्य राहो पर सदा के निश्चिन्त होकर, सतयुगी दुनिया के हकदार बनो... सत्यता के नशे में रह ब्रह्माण्ड को बाँहों में भरो... यही सत्यता की चमक देवताई चमक से सदा का नूरानी बनाएगी...”
 
➳ _ ➳  प्यारे बाबा की प्यार भरी समझाइश पाकर मै आत्मा अपने सत्य प्रकाश से आलोकित जीवन को देख मुस्करा उठती हूँ:- “प्यारे बाबा... आपके बिना सत्य से कितना विमुख सी थी... असत्य को हर पल जीती हुई दुखो के दलदल में लिप्त थी... मीठे बाबा कब सोचा था मैंने कि सच्चाई मेरे रोम रोम में समाकर जीवन में यूँ चार चाँद सजाएगी.."
 
❉   प्यारे से लाडले मेरे बाबा मुझ पर अनन्त प्रेममयी किरणे बिखेर रहे और कह् रहे:-  “रूहे गुलाब बच्चे... सच की ताकत से भरकर विश्व धरा पर शान से अपना अधिकार ले लो... मीठे बाबा को जो अपने दिल का हमराज बनाया है तो हर पल हर बात में राजदार करो... मनमीत को हालेदिल बयाँ करो... सच्चाई से ईश्वर पिता का दिल यूँ चुटकियो में जीत लो..."
 
➳ _ ➳  मीठे बाबा को अपने सम्मुख बैठ यूँ प्यार से समझाते हुए देख देख मै आत्मा ख़ुशी में चहक रही हूँ:- “और प्यारे बाबा से कह रही... और सच्चे दिलबर बाबा श्रीमत की जादूगरी से, जीवन सत्य की खनक से भर दिया है... मेरा हर कर्म सत्य की झनकार लिए ब्रह्माण्ड में गूंज रहा है... ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से आपने मेरा जीवन... सत्य और श्रेष्ठ कर्मो से सजाकर मुझे देवताओ सा खुबसूरत बना दिया है..."
 
❉   प्यारे बाबा मुझे अपनी अनन्त शक्तियो से भरपूर कर रहे और कह रहे:- “बच्चे... सत्यता के सूर्य बनकर इस धरा पर अपनी किरणे इस कदर फैलाओ कि... हर दिल इन किरणों के प्रकाश में आने को मचल उठे... सच्चे पिता के साथ रोम रोम से सच्चे होकर रहो.. ईश्वरीय यादो में बीते यह सुनहरे पल.... सच्ची दिल पर साहिब को राजी कर जायेंगे... ईश्वर पिता से स्वर्ग राज्य तिलक दिलाएंगे..."
 
➳ _ ➳  मनमीत बाबा की प्रेम अल्फाज सुनकर मै आत्मा खुशियो के आसमाँ में उड़ने लगी... और बाबा से कहा:- “मीठे बाबा... मेरे तन मन धन सब आपको सौंप दिया है... मेरा सब कुछ आपका और आपके सारे खजाने मेरे है... बस आप मेरा हाथ और साथ कभी न छोड़ना... आपके साये में, मै आत्मा सच का सूरज बन दमक रही हूँ...” ऐसी मीठी रुहरिहान को दिल में समाये, मै आत्मा अपने स्थूल जगत की ओर रुख करती हूँ..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- इस क़यामत के समय मे वाणी से परे जाने का पुरुषार्थ करना है"

➳ _ ➳  अपनी लाइट की सूक्ष्म आकारी देह में मैं फ़रिश्ता इस नश्वर दुनिया के रंगीन नज़ारो को देखता हुआ सारे विश्व का चक्कर लगा रहा हूँ और विचार कर रहा हूँ कि माया के भभके को देख, इससे आकर्षित होकर इसके जाल में फंसे मनुष्य बेचारे इस बात से कितने अंजान है कि सत्य भासने वाली देह की यह झूठी दुनिया, झूठे सम्बन्ध, क्षण भंगुर सुख प्रदान करने वाले मायावी साधन ये सब समाप्त होने वाले हैं क्योंकि इस नश्वर संसार का अब अंत निश्चित है। इस संसार की हालत आज उस मरणासन व्यक्ति के समान है जो मृत्यु की शैया पर लेटा जीवन की अंतिम सांसे ले रहा है और ऐसे कयामत के समय में जबकि खुदा स्वयं आकर देहभान की कब्र से आत्माओं को निकाल रहा है तो ऐसे समय में देह रूपी कब्रों से मोह रखना सदा के लिए कब्रदाखिल हो, अपनी ही दुर्गति करना है।

➳ _ ➳  मन ही मन यह विचार करता, सारे विश्व का चक्कर लगा कर, मैं फ़रिश्ता देह की झूठी दुनिया से हर रिश्ता तोड़, अब सूक्ष्म वतन की ओर चल पड़ता हूँ अपने प्यारे बापदादा के पास। सेकण्ड में 5 तत्वों की साकारी दुनिया को पार कर मैं पहुँच जाता हूँ फरिश्तो की खूबसूरत आकारी दुनिया में जहां स्थूल देह का कोई बन्धन नही। देख रहा हूँ मैं अपने सामने अपने सम्पूर्ण फ़रिश्ता स्वरुप में ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में विराजमान शिव बाबा को। बाबा के मस्तक से बहुत तेज दिव्य  प्रकाश निकल रहा है और उनके अंग - अंग से शांति और शक्तियों की किरणें निकल कर पूरे सूक्ष्म वतन में फ़ैल रही हैं। रंग - बिरंगी किरणों से प्रकाशित सूक्ष्म वतन का यह नजारा मन को असीम आनन्द की अनुभूति करवा रहा है।

➳ _ ➳  इस अति सुन्दर नजारे का आनन्द लेता हुआ मैं फरिश्ता अब बापदादा के पास पहुँचता हूँ और उनके सामने जाकर बैठ जाता हूँ। अति स्नेह भरी, शक्तिशाली दृष्टि से बापदादा मुझे भरपूर कर रहें हैं और मेरे मस्तक पर अपने रुई समान कोमल हाथों से हल्का मीठा सा स्पर्श कर रहें हैं। ऐसा महसूस हो रहा है जैसे बाबा मुझे स्पर्श करके अपनी सर्वशक्तियाँ मुझे प्रदान कर रहें हैं। कितना दिव्य और अलौकिक अनुभव है। बापदादा के प्यार की शीतल छाया में असीम सुख और आनन्द का मैं अनुभव कर रहा हूँ। अपनावरदानीमूर्त हाथ मेरे सिर पर रख कर बापदादा मुझे वरदानों से भरपूर कर रहे हैं। हर प्रकार की सिद्धि से बाबा मुझे सम्पन्न बना रहे हैं।

➳ _ ➳  बाबा की सर्वशक्तियाँ मेरे चारो तरफ सेफ्टी का एक ऐसा किला बना रही हैं जो इस कयामत के समय मे देह और देह की झूठी दुनिया के हर आकर्षण से मुझे सुरक्षित रखेगा। अपने प्यारे बापदादा की सर्वशक्तियों के सुरक्षा कवच को धारण कर मैं फ़रिश्ता अब सूक्ष्म लोक से नीचे आ जाता हूँ। फिर से सारे विश्व का चक्कर लगाकर अपने सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ अपने साकारी तन में मैं प्रवेश करता हूँ। दैहिक दुनिया, दैहिक सम्बन्धों के बीच रहते हुए, अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित मैं आत्मा अब इस बात को सदैव स्मृति में रखती हूँ कि अब सबकी कयामत का समय है, यह पुरानी दुनिया अब जल्दी ही समाप्त होने वाली है इसलिए अब इससे अतिशीघ्र बुद्धियोग तोड़ना है।

➳ _ ➳  यह स्मृति मुझे देह और देह की दुनिया से उपराम बनाती जा रही है। देह और देह के सम्बन्धियों के बीच रहते, उनसे तोड़ निभाते, बुद्धि का योग अपने शिव पिता के साथ जोड़, उनके प्यार से मैं स्वयं को सदा भरपूर करती रहती हूँ। मेरे प्यारे पिता का यह अविनाशी सच्चा प्यार ही मुझे इस दुनिया से नष्टोमोहा बना कर, इस पुरानी दुनिया को बुद्धि से भूलने का बल दे रहा है। इस सृष्टि रंगमंच पर पार्ट बजाते हुए, हर सम्बन्ध का सुख अपने प्यारे बाबा से लेते हुए, देह और देह के झूठे सम्बन्धों से मैं सहज ही उपराम होती जा रही हूँ। बिंदु बन, बिंदु बाप के साथ सर्व सम्बन्धो के अनुभवों का आनन्द अब मैं हर समय लेते हुए देह की दुनिया से बुद्धियोग तोड़ने और इस कयामत के समय में "अंत मति सो गति" पाने का तीव्र पुरुषार्थ पूरी दृढ़ता के साथ कर रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं सदा सर्व प्राप्तियों से भरपूर रहने वाली हर्षितमुख, हर्षितचित आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं हर खजाने का जमा खाता भरपूर करके पास विद ऑनर बनने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. अनुभवी होजब कोई अच्छा कर्म करते हो तो कर्म का फल उसी समय प्रत्यक्ष रूप में खुशीशक्ति और सफलता के कारण डबल लाइट रहते हो क्योंकि याद रहता है बाप के साथ से कर्म किया। और अगर अभी कोई विकर्म होता है तो उसका पश्चाताप बहुत लम्बा है। वैसे अभी विकर्म तो कोई होना नहीं चाहिएवह तो टाइम अभी बीत गया, लेकिन अभी कोई व्यर्थ संकल्प वा व्यर्थ कर्म, व्यर्थ बोलव्यर्थ संबंध-सम्पर्क भी न हो। क्योंकि व्यर्थ संबंध-सम्पर्क भी बहुत धोखा देता है। जैसा संग वैसा रंग लग जाता है। कई बच्चे बड़े चतुर हैं कहते हैं हम तो संग नहीं करतेलेकिन वह मेरे को नहीं छोड़तेमैं नहीं करतीवह नहीं छोड़ते। तो क्या किनारा करना नहीं आताअगर कोई बुरी चीज दे तो आप लेते क्यों हो! लेने वाला नहीं लेगा तो देने वाला क्या करेगा? इसीलिए व्यर्थ सम्बन्ध और सम्पर्क भी एकाउण्ट खाली कर देता है।

 

 _ ➳  2. बापदादा को बच्चों के भिन्न-भिन्न खेल देख हँसी भी आती हैरहम भी आता है और बापदादा उस समय टच करता हैयह भी अनुभव करते हैं। नहीं करना चाहिएश्रीमत नहीं हैयह बाबा समान बनना नहीं हैटच भी होता है लेकिन अलबेलापन सुला देता है। इसलिए अभी स्व के प्रति ज्यादा खजाने खर्च नहीं करो। जमा भले करो लेकिन खर्च नहीं करो। सेवा भले करोव्यर्थ खर्च नहीं करो। बहुत जमा करना है ना!

 

✺   ड्रिल :-  "व्यर्थ संकल्प वा व्यर्थ कर्म, व्यर्थ बोल, व्यर्थ संबंध-सम्पर्क से किनारा करना"

 

 _ ➳  व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करती मैं आत्मा... बैठी हूँ... बाबा के कमरे में... मन के तार एक बाप से जुड़ते ही... पहुँच जाती हूँ... एक ऊँची पहाड़ी की चोटी पर...शांत... खुशनुमा... वातावरण... ठंडे ठंडे पवन के झोंको के बीच बैठी मैं आत्मा... देख रही हूँ... बापदादा के अलौकिक... दिव्य रूप... का आगमन... इस पावन धरती पर... प्रकृति भी बापदादा के स्वागत में सुगन्धित फूलों की बौछार कर रही हैं... मैं दौड़ कर बाबा के गले लग जाती हूँ... बापदादा अपना रूहानी हाथ मेरे मस्तक पर रखते हैं और मुझ आत्मा को अपनी शक्तियों से भर रहे हैं... 63 जन्मों की थकान... 63 जन्मों के विकार... पल भर में दूर हो जाते हैं...

 

 _ ➳  बापदादा के साथ मैं आत्मा... पहुँच जाती हूँ... मधुबन... जहां हज़ारों आत्मायें... बाबा को मिलने... बाबा की एक नजर से निहाल होने आयें हैं... मैं आत्मा फ़रिश्ता स्वरुप में डायमंड हॉल में भव्य अलौकिक नजारे को साक्षी होकर देख रही हूँ... ब्रह्मा बाबा के साथ खड़ी मैं आत्मा... देख रही हूँ... एक दिव्य परम पवित्र ज्योति का अवतरण... सभी आत्माओं की झोली... प्यार का सागर... प्यार से भर रहा है... अखूट खजाने से सबको मालामाल कर रहा है... सभी आत्मायें... धन्यता से भरपूर हो गई हैं... बापदादा के एक एक बोल को अपने मन बुद्धि में सुनहरे अक्षरों से अंकित करती सभी आत्मायें... अलौकिक मिलन को अपनी स्मृति में छुपाकर अपने साथ लौकिक जीवन में लेकर जाते हैं...

 

 _ ➳  मैं आत्मा... बापदादा के साथ सभी ब्राह्मण आत्मायें जो बाबा मिलन प्रत्यक्ष मनाकर आये थे... उनकी बाबा मिलन के बाद की स्थिति का अवलोकन करने चल पड़ती हूँ... बापदादा मेरा हाथ थाम कर ले चलते हैं मुझे सभी ब्राह्मण आत्माओं के लौकिक घर पर... सुख... शांति... पवित्रता से सजा हुआ वातावरण... अलौकिक प्यार और अलौकिक पवित्रता के पालने में झूलते बच्चे... श्रीमत पर बलिहार जाते पवित्र गृहस्थ जीवन... मन ख़ुशी में झूम उठा जब देखा बाबा का झंडा हर ब्राह्मण आत्मा के घर पर लहरा रहा हैं... बापदादा की श्रीमत "व्यर्थ संकल्प वा व्यर्थ कर्मव्यर्थ बोलव्यर्थ संबंध-सम्पर्क से किनारा करना" को फॉलो कर हर ब्राह्मण आत्मायें अपने पुरुषार्थ को हाई जम्प दे रहे हैं... ब्राह्मण होने का प्रत्यक्ष सबूत हर सपूत बच्चा दे रहा हैं...

 

 _ ➳  बहुत सी ऐसी ब्राह्मण आत्माओं को भी देखा जो अलबेले थे... पुरुषार्थ के प्रति सजग नहीं थे... अपने ब्राह्मण संस्कारों को... व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ कर्मव्यर्थ बोल, व्यर्थ संबंध-सम्पर्क में उलझें हुए थे... संगमयुग की अनमोल घड़ियों को व्यर्थ गवां रहे थे... पुरुषार्थ से प्रालब्ध तक के रूहानी सफर को अलबेलेपन के संस्कारों द्वारा कांटों का जंगल बना रहे थे... व्यर्थ संकल्प... व्यर्थ कर्म... व्यर्थ बोल और व्यर्थ सम्बन्ध-संपर्क से किनारा नहीं कर पा रहे थे... बापदादा अपनी शक्तियों रूपी रंग बिरंगी किरणों को सभी अलबेली ब्राह्मण आत्माओं पर फैलाने लगें... अपनी ज्ञान रूपी अनंत किरणों को सभी पर न्यौछावर कर रहे हैं...

 

 _ ➳  सभी ब्राह्मण आत्मायें अपने अलबेले संस्कारों का त्याग कर... पुरुषार्थ की उड़ती कला के भागीदार बन गये हैं... चढ़ती कला के हक़दार बन गये हैं... बाबा की श्रीमत को सुनहरे अक्षरों से मन बुद्धि में अंकित कर फॉलो कर रहे हैं... उतरती कला से चढ़ती कला में परिवर्तन कर अपने कुल का उद्धार कर रहे हैं... बापदादा का झंडा लहरा कर आने सपूत बच्चे होने का सबूत दे रहे हैं... मैं आत्मा बापदादा के साथ यह परिवर्तन का दिव्य नजारा देख भाव विभोर हो जाती हूँ... अब तो घर घर में बापदादा का झंडा लहराता हुआ दिखाई दे रहा हैं... सभी आत्मायें बापदादा की बन चुकी हैं... व्यर्थ संकल्प... व्यर्थ बोल... व्यर्थ कर्म और व्यर्थ सम्बन्ध-संपर्क से मुक्त हो कर अपने बुद्धि को सिर्फ एक बाप में लगा रहे हैं... और मैं आत्मा... बापदादा का हाथ अपने हाथों में रख... "व्यर्थ संकल्प... व्यर्थ बोल... व्यर्थ कर्म और व्यर्थ सम्बन्ध-संपर्क से किनारा करने का संकल्प करती हूँ... और संगमयुग की अनमोल घड़ियों को व्यर्थ न गवां कर समर्थ घड़ियों में परिवर्तित कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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