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❍ 13 / 01 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *सदा प्यारा के सागर में लवलीन रहे ?*
➢➢ *अनुभव की अथॉरिटी से सदा हर कार्य में सफलता प्राप्त की ?*
➢➢ *कर्मबंधन मुक्त कमातीत विदेही स्थिति का अनुभव किया ?*
➢➢ *अपना लाइट का फ़रिश्ता स्वरुप और भविष्य रूप दोनों दिखाई दिए ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *कोई भी कार्य करते व पार्ट बजाते सागर समान ऊपर से भले हलचल दिखाई दे लेकिन अन्दर की स्थिति नथिंग न्यु की हो।* रचयिता और रचना के अन्त को जानने वाले त्रिकालदर्शी आराम से शान्ति की स्टेज पर ऐसे स्थित हो जाएं जो कोई भी कर्मेन्द्रियों की हलचल आन्तरिक स्टेज को हिला न सके।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"अनेक बार के विजयी हैं - इस स्मृति द्वारा विघ्न विनाशक बनने वाली निश्चयबुद्धि आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को बाप के समीप आत्मा समझते हो? समीप आत्माओंकी निशानी क्या होती है? सदा बाप के समान। *जो बाप के गुण वह बच्चों के गुण। जो बाप का कर्तव्य वह सदा बच्चों का कर्तव्य। हर संकल्प और कर्म में बाप समान, इसको कहते हैं समीप आत्मा। जो समीप स्थिति वाले हैं वे सदा विघ्न विनाशक होंगे।*
〰✧ *किसी भी प्रकार के विघ्न के वशीभूत नहीं होंगे। अगर विघ्न के वशीभूत हो गये तो विघ्न-विनाशक नहीं कह सकते। किसी भी प्रकार के विघ्न को पार करने वाला इसको कहा जाता है विघ्न विनाशक।* तो कभी किसी भी प्रकार के विघ्न को देखकर घबराते तो नहीं हो? क्या और कैसे का क्वेश्चन तो नहीं उठता है?
〰✧ *अनेक बार के विजयी हैं...यह स्मृति रहे तो विघ्न विनाशक हो जायेंगे। अनेक बार की हुई बात रिपीट कर रहे हो, ऐसे सहजयोगी। इस निश्चय में रहने वाली विघ्न विनाशक आत्मां स्वत: और सहजयोगी होंगी।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ बापदादा ने पहले भी कहा है कि जैसे अभी यह पक्का हो गया है कि मैं ब्रह्माकुमारी/ब्रह्माकुमार हूँ चलते-फिरते - सोचते - हम ब्रह्माकुमारी हैं, हम ब्रह्माकुमार ब्राह्मण आत्मा हैं। ऐसे *अभी यह नेचुरल स्मृति और नेचर बनाओ कि ‘मैं फरिश्ता हूँ।”*
〰✧ *अमृतवेले उठते ही यह पक्का करो कि मैं फरिश्ता परमात्म श्रीमत पर नीचे इस साकार तन में आया हूँ,* सभी को सन्देश देने के लिए वा श्रेष्ठ कर्म करने के लिए कार्य पूरा हुआ और अपने शान्ति की स्थिति में स्थित हो जाओ।
〰✧ ऊँची स्थिति में
चले जाओ। एक-दो को भी फरिश्ते स्वरूप में देखो। *आपकी वृत्ति दूसरे को भी धीरे-धीरे फरिश्ता बनादेगी। आपकी दृष्टि दूसरे पर भी प्रभाव डालेगी।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *साइलेंस पॉवर प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जो कहा
वह किया। संकल्प और कर्म में अन्तर नहीं होता। क्योंकि *संकल्प भी जीवन का
अनमोल खजाना है।* जैसे स्थुल खजाने को व्यर्थ नहीं करते हो वैसे शिव शक्तियाँ
जिनकी मूर्त में दोनों गुण प्रत्यक्ष रूप में हैं उन्हों का एक भी संकल्प
व्यर्थ नहीं होता। *एक एक संकल्प से स्वयं का और सर्व का कल्याण होता है।* एक
सेकेण्ड में, एक संकल्प से भी कल्याण कर सकते हैं। इसलिए शक्तियों को कल्याणी
कहते हैं।
〰✧ जैसे बापदादा कल्याणकारी है वैसे बच्चों का भी कल्याणकारी नाम प्रसिद्ध है।
अब तो इतना हिसाब देखना पड़े। *हमारे कितने सेकेण्ड में, कितने संकल्प सफल हुए,
कितने असफल हुए।* जैसे आजकल साइंस ने बहुत उन्नति की है जो एक स्थान पर बैठे
हुए अपने अखों द्वारा एक सेकेण्ड में विनाश कर सकते हैं। तो क्या शक्तियों का
यह साइलेन्स बल कहाँ भी बैठे एक सेकेण्ड में काम नहीं कर सकता?
〰✧ कहाँ जाने की अथवा उन्हों को आने की भी आवश्यकता नहीं। *अपने शुद्ध संकल्पों
द्वारा आत्माओं को खींचकर सामने लायेगा।* जाकर मेहनत करने की आवश्यकता नहीं। अब
ऐसे भी प्रभाव देखेंगे। *जैसे साकार में कहते रहते थे कि ऐसा तीर लगाओ जो तीर
सहित आप के सामने पक्षी आ जाये।* अब यह होगा अपनी विलपावर से।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- प्रभु प्यार - ब्राहमण जीवन का आधार"*
➳ _ ➳ *प्रेम के सागर से बिछुडी मैं स्नेह की एक नन्हीं सी बूँद... स्वार्थ के इस सूखे और कंटीले रेगिस्तान में अपने वजूद को बचानें की कोशिशों में जिस राह चली, वो राहें ही मेरे लिए लिए दलदली होती चली*... प्यार के नाम पर स्वार्थ को पाया और स्वार्थ ही अपनाया... मगर अब लौट चली इन राहों से, जब निस्वार्थ प्यार का तोहफा लेकर वो मेरे प्रेम सागर मेरे दर पर आया... *कल्प कल्प का स्नेह बरसाता वो प्रेम का सागर बैठा है मेरे सामने... और चातक के समान प्यासी मैं आत्मा उस स्नेह की बूँद-बूँद को निरन्तर पिये जा रही हूँ*...
❉ *नयनों से अविरल स्नेह बरसाते स्नेह के सागर बाप मुझ लवलीन आत्मा से बोलें:-* "स्नेह सरिता मेरी मीठी बच्ची... *जन्म-जन्म की पुकार का प्रत्यक्ष फल ये परमात्म प्यार अब आपने पाया है... ब्राह्मण जीवन के आधार परमात्म प्यार से तीनो मंजिलों को पार किया...* इस प्रेम में डूबकर क्या देहभान की विस्मृति हुई है? सर्वसबंधो का रस एक बाप में पाया है? और दुनियावी आकर्षणों से छुटकारा पाया... ?*"
➳ _ ➳ *निस्वार्थ प्रेम से भरपूर हो कर दैहिक सम्बन्धों के मोहपाश से मुक्त मैं आत्मा रूहानी स्नेह सागर से बोली:-* "मीठे बाबा... *आपके अनोखे स्नेह ने सब कुछ सहज ही भूलाया है... त्याग करना नही पडा... स्वतः ही त्याग कराया है, चत्तियाँ लगी ये अन्तिम जन्म की जर्जर काया, क्या मोल रह गया इसका...* बदले में मैं इसके जब ये चमचमाता फरिश्ता रूप पाया... सबंध संस्कार दैवी हो रहे... जीवन में दिव्यता को पाया..."
❉ *ईश्वरीय मर्यादाओं का कंगन बाँध कर हर बंधन से छुडाने वाले मुक्तिदाता बाप मुझ आत्मा से बोले:-*" सर्व सम्बन्धों का सुख मुझ बाप से पाने वाली मेरी मीठी बच्ची... निस्वार्थ प्रेम के लिए तरसती संसार की आत्माओं को भी अब *परमात्म स्नेह का अनुभव कराओं*... सदा ही स्नेह माँगने वालो की कतार में खडे इन स्नेह के प्यासों पर परमात्म स्नेह का मीठा झरना बन बरस जाओं... *दैहिक संबन्धों में बूँद बूँद स्नेह तलाशते इन प्यासों को परमात्म संबन्धों का अनुभव कराओं...*"
➳ _ ➳ *एक बाप दूसरा न कोई इस स्मृति से सब कुछ विस्मृत करने वाली मैं आत्मा दिलाराम बाप से बोली:-. "मीठे बाबा... आपकी स्मृति से सर्व समर्थियाँ पायी है मैने... स्नेह सागर को स्वयं में समाँकर अब उसी के रूप में ढलती जा रही हूँ... *परमात्म स्नेह का ये झरना मेरे स्वरूप से बेहद में बरस रहा है... प्रकृति भी परमात्म प्रेम से भरपूर हो गयी है... इस कल्प वृक्ष का तना भी भरपूर हुआ, पत्ता पत्ता प्रभु प्रेम से हरष रहा है...*"
❉ *अव्यक्त रूप में बेहद के सेवाधारी विश्व कल्याणी बाप मुझ आत्मा से बोलें:- "समर्थ संकल्पों के द्वारा व्यर्थ का खाता समाप्त करने वाली मेरी होली हंस बच्ची!... अब ये प्यार शान्ति सुख की किरणें बेहद में फैलाओं*... अपने अन्तिम स्थिति के अन्तःवाहक स्वरूप से अब सबको उडती कला का अनुभव कराओं... *नाजुक समय की नाजुकता को पहचानों और एक एक सेकेन्ड का अभ्यास बढाओं... अपने शक्ति स्वरूप से शक्तिमान का दीदार कराओं...*"
➳ _ ➳ *फालो फादर कर मनसा सेवा से कमजोरों में बल भरने वाली मैं आत्मा स्नेह सागर बापदादा से बोली:-*" मीठे बाबा... आपके निस्वार्थ प्रेम ने मँगतों से देने वालों की कतार में खडा किया है... रोम रोम आपके स्नेह में डूबा है, *जो निस्वार्थ स्नेह आपसे पाया है अब औरों पर लुटा रही हूँ... इस असीम स्नेह का कण कण मैं आप समान मनसा सेवा से चुका रही हूँ*... स्नेह के अविरल झरने अब दोनो ओर से ही झर झर बह रहे है,.. और *मैं आत्मा इस बहते स्नेह के दरिया में फिर से डूबी जा रही हूँ*...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- कर्मबंधन मुक्त कर्मातीत विदेही स्थिति का अनुभव करना*"
➳ _ ➳ जैसे ब्रह्मा बाबा ने सम्पूर्ण समर्पण भाव और अपनी लाइट माइट स्थिति द्वारा कर्मातीत बन, सम्पूर्ण अवस्था को प्राप्त किया। ऐसे ही फॉलो फादर कर, कर्म से अतीत हो कर, सम्पूर्णता को पाना हर ब्राह्मण आत्मा का लक्ष्य है। *इस लक्ष्य को पाने की मन ही मन स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा करते हुए, अपने मन बुद्धि को एकाग्रचित करके मैं अपने सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ अपनी स्थूल देह से बाहर निकलती हूँ* और सेकण्ड में मन बुद्धि की लिफ्ट पर सवार होकर, अव्यक्त वतन में पहुंच जाती हूँ और अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के सामने जा कर बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ बाबा के इस अव्यक्त स्वरूप में भी बाबा के साकार स्वरूप की झलक स्पष्ट दिखाई पड़ रही है जो बाबा की साकार पालना का अनुभव करवा रही है। *इस अनुभव को करते - करते मैं खो जाती हूँ साकार मिलन की खूबसूरत यादों में और मन बुद्धि से पहुँच जाती हूँ साकार ब्रह्मा बाबा की कर्मभूमि मधुबन में जहाँ की पावन धरनी पर बाबा के हर कर्म का यादगार है*। कर्म करते हुए भी कर्म के हर प्रकार के प्रभाव से निर्लिप्त न्यारी और प्यारी अवस्था मे ब्रह्मा बाबा सदैव स्थित रहे, इस बात का स्पष्ट अनुभव हिस्ट्री हाल में लगे साकार ब्रह्मा बाबा के हर चित्र को देख कर स्वत: और सहज ही होता है।
➳ _ ➳ अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी तन में मैं हिस्ट्री हाल में हूँ और वहाँ दीवार पर लगे एक - एक चित्र को बड़े ध्यान से देख रही हूँ। *हर चित्र ब्रह्मा बाबा के कर्म की गाथा सुना रहा है और साथ ही साथ कर्मातीत अवस्था को पाने के बाबा के पुरुषार्थ को भी परिलक्षित कर रहा है*। ब्रह्मा बाप समान कर्मातीत बनने का ही पुरुषार्थ अब मुझे करना है, यह दॄढ संकल्प करते ही मैं स्पष्ट अनुभव करती हूँ कि जैसे अव्यक्त बापदादा मेरे सम्मुख आ गए हैं और आ कर अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख दिया है। *अपने वरदानी हस्तों से बाबा मुझे "कर्म करते भी कर्म के प्रभाव से सदा मुक्त रहने" का वरदान दे रहें हैं*। मस्तक पर विजय का तिलक लगा रहें हैं।
➳ _ ➳ बाबा के वरदानी हस्तों से निकल रही सर्वशक्तियों को मैं स्वयं में समाता हुआ स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। *अपनी लाइट और माइट से बाबा मुझे भरपूर कर रहें हैं, मुझे बलशाली बना रहे हैं ताकि आत्म बल से सदा भरपूर रहते हुए मैं अति शीघ्र कर्मातीत बनने का तीव्र पुरुषार्थ सहज रीति कर सकूँ*। बापदादा से लाइट माइट और वरदान ले कर अब मैं अपने निराकार स्वरूप में स्थित हो कर, स्वयं को और अधिक परमात्म बल से भरपूर करने के लिए अव्यक्त वतन को छोड़ आत्माओं की निराकारी दुनिया परमधाम घर की ओर चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ अब मैं स्वयं को निराकार महाज्योति अपने प्यारे परम पिता परमात्मा शिव बाबा के सम्मुख देख रही हूँ। उनसे निकल रही अनन्त शक्तियों को स्वयं में समा कर मैं स्वयं को शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। उनकी किरणों की शीतल छाया मुझे गहन शांति का अनुभव करवा रही हैं। उनके सामने बैठ कर उनसे आ रही सातों गुणों की सतरंगी किरणों और सर्वशक्तियों से मैं स्वयं को भरपूर कर रही हूँ। कुछ देर बीज रूप अवस्था में स्थित हो कर अपने बीज रूप परमात्मा के साथ कम्बाइंड हो कर अतिन्द्रिय सुख लेने के बाद और सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर करने के बाद मैं आ जाती हूँ परमधाम से नीचे वापिस साकारी दुनिया में।
➳ _ ➳ पाँच तत्वों की साकारी दुनिया मे, अपने साकार तन में विराजमान हो कर अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित रहते हुए, हर कर्म में ब्रह्मा बाप को फॉलो कर रही हूँ। *बाबा की लाइट माइट से स्वयं को सदा भरपूर करते हुए योग बल से अपने पुराने कर्म बन्धनों को काटने और कर्मातीत बनने का तीव्र पुरुषार्थ अब मैं निरन्तर कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं व्यक्त में रहते अव्यक्त फरिश्ता बनकर सेवा करके विश्व कल्याण का कार्य तीव्र गति से संपन्न करने वाली तीव्र पुरुषार्थी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं पवित्रता को आदि अनादि विशेष गुण के रूप में सहज अपनाने वाली पूज्य आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *सदा समय अनुसार अपने मन, बुद्धि को स्वप्न तक भी सदा शुभ और शुद्ध रखो।* कई बच्चे रूहरूहान में कहते हैं - बापदादा तो शक्तियाँ देता है लेकिन समय पर शक्ति यूज नहीं होती। *बापदादा विशेष सब बच्चों के साथी होने के सम्बन्ध से विशेष ऐसे समय पर एक्सट्रा मदद देते हैं, क्यों? बाप जिम्मेवार है बच्चों को सम्पन्न बनाए साथ ले जाने के लिए।* तो बाप अपनी जिम्मेवारी विशेष ऐसे समय पर निभाते हैं लेकिन कभी-कभी बच्चों के मन की कैचिंग पावर का स्विच आफ होता है, तो बाप क्या करें? बाप तो फिर भी स्विच आन करने की, खोलने की कोशिश करते हैं लेकिन टाइम लग जाता है। इसलिए जब फिर स्विच आन हो जाता है तो कहते हैं - करना तो नहीं चाहिए था, लेकिन हो गया। *तो सदा अपने मन की कैचिंग पावर,जिसको आप कहते हैं टचिंग, उस टचिंग व कैचिंग पावर का स्विच आन रखो।* माया कोशिश करती है आफ करने की, सेकण्ड में आफ करके चली जाती है, इसीलिए जैसा समय नाजुक होता जायेगा, अभी होना है और। डरते तो नहीं हो ना?
✺ *ड्रिल :- "मन की कैचिंग पावर का स्विच आन रख परिस्थितियों के समय बापदादा की एक्सट्रा मदद का अनुभव"*
➳ _ ➳ *देख रहा हूँ मैं नन्हा फरिशता स्वयं को बापदादा के साथ हाथों में हाथ लिए सांयकाल में छत पर घूमते हुए...* मैं नन्हा फरिशता बड़े ही फलक से अपने बापदादा के साथ चल रहा हूँ... तभी बाबा मुझ फरिशते को गोद में उठा लेते है... और सामने झूले पर बिठा देते है... *और मुझ फरिशते को झूला झूला रहे है... तभी मुझ आत्मा के मन में एक प्रश्न रूपी लहर आती है... बापदादा तो शक्तियाँ देता है लेकिन समय पर शक्ति यूज नहीं होती...* बाबा बिना कहें ही मुझ आत्मा के मन की बात समझ जाते है... और मुझे सामने देखने का इशारा करते है...
➳ _ ➳ मैं फरिशता सामने देखता हूँ... *कुछ यात्री एक पहाड़ी रास्ते से अपनी मंजिल की ओर प्रभु महिमा के गीत गाते खुशी से आगे बढ़ रहे है...* सबके हाथ में एक मशीन है... जिस पर लिखा है *मन-बुद्धि... और इसी मशीन पर एक बटन है जिसमें लिखा है अॉन, अॉफ* रास्ता बहुत संकरा है... सभी यात्री आगे बढ़ रहे है... रास्ते के साथ-साथ ही कई तरह के रंग-बिरंगे खेल चल रहें है... कई तरह की चमकीली दिखने वाली वस्तुएँ रास्ते के साईड में है... *कुछ यात्री बीच-बीच में चलते हुए इन साइड में चल रहे सीन को देखने में व्यस्त हो जाती है साथ में चल रहे रंग-बिरंगे खेलों को देखने में लग जाते है...*
➳ _ ➳ कुछ यात्री आगे बढ़ रहे है... *इसी बीच कुछ यात्री जो यहाँ वहाँ की साइड सीन में व्यस्त हो जाते है... उनके हाथ में जो मशीन है उसके बटन अॉफ हो जाता है...* और अचानक जिस रास्ते पर सभी यात्री चल रहे है उसमें ऊपर से बड़े-बड़े पत्थर आना शुरू हो जाते है... मैं आत्मा बड़े ध्यान से इस दृश्य को देख रही हूँ... तभी मैं आत्मा देखती हूँ... *ऊपर से बाबा सभी जो उस रास्ते पर चल रहे यात्री है... उनको सिगनल भेज रहे है... लेकिन कुछ यात्री जिनकी मन-बुद्धि रूपी मशीन अॉन है... वे उस सिगनल को कैच करते है... और हाई जम्प देकर उस पत्थर से आगे निकल जाते है...* लेकिन जिन यात्रियों की मशीन का बटन अॉफ था वो बाबा से मिल रहे सिगनल को कैच नहीं कर पा रहे है...
➳ _ ➳ तभी वो दृश्य मुझ आत्मा की आँखों के सामने से गायब हो जाता है... और बापदादा मुझ आत्मा के सामने आ जाते है... *बाबा मुझे दृष्टि दे रहे है... बाबा की दृष्टि से निकलती ज्ञान रूपी रोशनी मुझ आत्मा में समा रही है और इस दृश्य का राज मेरे सामने स्पष्ट होता जा रहा है...* बाबा मुझ आत्मा के सिर पर अपना वरदानी हाथ रखते है... बाबा के वरदानी हाथ से शक्तिशाली किरणें मुझ आत्मा में समा रही है... *मुझ आत्मा की बुद्धि दिव्य बनती जा रही है... मुझ आत्मा का मन रूपी दर्पण बिल्कुल स्वच्छ और शुद्ध बनता जा रहा है...* अब मैं आत्मा देख रही हूँ
➳ _ ➳ स्वयं को कर्म भूमि पर केवल एक बाबा की याद में भिन्न-भिन्न कर्म करते हुए... *मैं आत्मा देख रही हूँ... पत्थर रुपी कई तरह की परिस्थितियाँ मुझ आत्मा के जीवन में आ रही है लेकिन मुझ आत्मा की मन-बुद्धि की लाइन क्लियर होने के कारण मैं आत्मा सहज ही बाबा से मिली टचिंग को यूज कर रही हूँ... बापदादा की एकस्ट्रा मदद अनुभव कर रही हूँ...* और बडी सहजता से हाई जम्प देकर हर परिस्थिति रूपी पत्थर को पार कर रही हूँ... मैं आत्मा माया के रंग-बिरंगे खेल रूपी व्यर्थ से सदा मुक्त रह सदा स्वप्न तक भी अपनी मन-बुद्धि को शुद्ध और स्वच्छ रखती हूँ... और *निडर होकर समय रहते निर्विघ्न हो आगे बढ़ रही हूँ... और दूसरों को भी निर्विघ्न बना कर आगे बढा रही हूँ... शुक्रिया मीठे बाबा शुक्रिया*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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