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 23 / 03 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *सबको एक बाप की महिमा सुनायी ?*

 

➢➢ *बीती सो बीती कर पहले स्वयं को सुधारा ?*

 

➢➢ *अपने संकल्पों को शुद्ध, ज्ञान स्वरुप और शक्ति स्वरुप बनाया ?*

 

➢➢ *दृष्टि में सबके प्रति रहम व शुभ भावना रही ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *एक तरफ बेहद का वैराग्य हो, दूसरी तरफ बाप के समान बाप के लव में लवलीन रहो,* एक सेकेण्ड और एक संकल्प भी इस लवलीन अवस्था से नीचे नहीं आओ । *ऐसे लवलीन बच्चों का संगठन ही बाप को प्रत्यक्ष करेगा ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं बेफिकर बादशाह हूँ"*

 

  सभी बेफिकर बादशाह हो ना? अभी भी बादशाह और अनेक जन्म भी बादशाह! *जो अभी बेफिकर बादशाह नहीं बनते तो भविष्य के भी बादशाह नहीं बनते। अभी की बादशाही जन्म-जन्म की बादशाही के अधिकारी बना देती है।* कोई फिकर रहता है? चलते-चलते कोई भी सरकमस्टांस होते,पेपर आते तो फिकर तो नहीं होता? क्योंकि जब सब कुछ बाप के हवाले कर दिया तो फिकर किस बात का।

 

  *जब मेरा-पन होता है तब फिकर होता। जब बाप के हवाले कर दिया तो बाप जाने और बाप का काम जाने! स्वयं बेफिकर बादशाह। याद की मौज में रहो और सेवा करते रहो। याद में रह सेवा करो इसी में ही मौज है। मौजों के युग की मौजें मनाते रहो।* यह मौज सतयुग में भी नहीं होगी। यह ईश्वरीय मौजें हैं। वह देवताई मौजें होंगी। ईश्वरीय मौजों का समय अभी है। इसलिए मौज मनाओ, मूँझो नहीं जहाँ मूँझ है वहाँ मौज नहीं।

 

  किसी भी बात में मूँझना नहीं, क्या होगा, कैसे होगा! यह तो नहीं होगा.....यह है मूँझना। जो होता है वह अच्छा और कल्याणकारी होता है इसलिए मौज में रहो। *सदा यही टाइटल याद रखो कि हम बेफिकर बादशाह हैं। तो पुरूषार्थ की रफ्तार तीव्र हो जायेगी। मौज करो, मौज में रहो, कोई भी बात को सोचे नहीं, बाप सोचने वाले बैठा है, आप असोच बन जाओ।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  मानो अभी आप याद में बैठते हो, कैसे भी विघ्नों की अवस्था में बैठते हो, कैसे भी परिस्थितियाँ सामने होते हुए भी बैठते हो - लेकिन एक सेकण्ड में सोचा और अशरीरी हो जायें। वैसे तो एक सेकण्ड में अशरीरी होना बहुत सहज है। *लेकिन जिस समय कोई बात सामने हो, कोई सर्वीस के बहुत झंझट सामने है, सोचना और करना साथ - साथ चले*। सोचने के बाद पुरुषार्थ न करना पडे।

 

✧  अभी तो आप सोचते हो तब उस अवस्था में स्थित होते हो, *लेकिन ऐसा जो होगा उसका सोचना और स्थित होना साथ में होगा*, सोच और स्थिति में फर्क नहीं होगा।  सोचा और हुआ।

 

✧  ऐसे जो अभ्यासी होंगे वही सर्वीस करने का पान का बीडा उठा सकेंगे। ऐसे कोई निमित्त है लेकिन बहुत थोडे। मैजोरिटी नहीं है, मैनारिटी हैं। उन्हों के ऊपर यहाँ ही फूल बरसायेंगे। *ऐसे जो ' पास विद आँनर ' होंगे, उन्हीं के ऊपर जो द्वापर के भक्त हैं वह अन्त में इस साकर रूप म़े फूलों की वर्षा करेंगे*।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  समर्थ आत्मा समझ इस शरीर को देख रही हो? साक्षी अवस्था की स्थिति में स्थित होने से शक्ति मिलती है। जैसे कोई कमजोर होता है तो उनको शक्ति भरने के लिए ग्लूकोज़ चढ़ाते हैं। *तो जब अपने को शरीर से परे अशरीरी आत्मा समझते हैं तो यह साक्षीपन की अवस्था शक्ति भरने का काम करती है। और जितना समय साक्षी अवस्था की स्थिति रहती है उतना ही बाप साथी भी याद रहता है अर्थात् साथ रहता है। तो साथ भी है और साक्षी भी है। एक साक्षीपन की शक्ति, दूसरा बाप के साथी बनने की खुशी की खुराक। तो बताओ फिर क्या बन जायेंगी? निरोगी।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- शांति के सागर बाप को प्यार से याद करते रहना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा एकांत में बैठ चिंतन करती हुई स्व की गहराइयों में उतरती जाती हूँ... मैं ज्योतिबिन्दु स्वरूप आत्मा भृकुटि के सिंहासन पर चमकती हुई मणि हूँ... इस देह में अवतरित होकर अपना पार्ट बजाने वाली स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ... *मैं आत्मा और गहरे उतरती जाती हूँ... अंतर्मुखी होकर गहरी शांति का अनुभव करती हुई शांति के सागर प्यारे बाबा के पास पहुंच जाती हूँ...*

 

   *शांति के सागर मेरे प्यारे बाबा शांति की किरणों से सराबोर करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे...* स्वयं को देह समझ शांति के लिए बहुत बाहर भटक चुके हो... अब अपने सच्चे वजूद के नशे में गहरे डूब जाओ... और भीतर मौजूद शांति का गहरा आनंद लो... शांति का खजाना भीतर सदा साथ है, स्वधर्म है, बस परधर्म छोड़ अपने स्वधर्म में खो जाओ..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा गले मे शांति का हार पहन स्वधर्म में टिकती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपसे पाये ज्ञान के तीसरे नेत्र से, स्वयं के खजानो को देखने वाली नजर को पाकर निहाल हो गयी हूँ... *प्यारे बाबा मै शांति की बून्द भर को भी प्यासी थी... आपने तो मेरे भीतर समन्दर का पता दे दिया और मुझे सदा के लिए तृप्त कर दिया है..."*

 

   *मीठे बाबा दुख, अशांति की दुनिया से निकाल शांति के समंदर में डुबोते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... जब घर से निकले थे कितने गुणवान और शक्तियो से श्रंगारित थे... आत्मिक भान से परे, देह होने के अहसास ने सारे प्राप्त खजानो से वंचित कर दिया... *अब अपने आत्मिक स्वरूप की स्मृतियों में हर साँस को भिगो दो... और असीम शांति की तरंगो से स्वयं और पूरे विश्व को तरंगित कर दो..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर अतीन्द्रिय सुख, शांति की अनुभूति में डूबकर कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा शांति के सागर से मिलकर गुणो के सौंदर्य से खिल उठी हूँ... प्यारे बाबा आपने मुझे मेरी खोयी खुशियां लौटाकर, मुझे मालामाल कर दिया है...* हर भटकन से मुक्त कराकर गुणो के वैभव से पुनः सजा दिया है... और अथाह शांति के स्त्रोत को भीतर जगा दिया है..."

 

   *प्यारे बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख सर्व ख़ज़ानों के वरदानों की बरसात करते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... अपने दमकते हुए मणि स्वरूप की खुमारी में डूब जाओ... और सुख शांति से लबालब हो जाओ... *ईश्वर पिता से पाये गुणो और शक्तियो के खजानो का जीवन में भरपूर आनन्द लूटते हुए... सतयुगी दुनिया के सुखो को बाँहों में भरो... सच्ची शांति जो भीतर निहित है उससे जीवन को सजा लो..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा शांति कुंड बन शांति की किरणों से सारे विश्व को चमकाते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आत्मिक गुणो से सजधज कर अप्रतिम सौंदर्य से निखर उठी हूँ... *मीठे बाबा आपकी यादो में पवित्र बन, सुख और शांति के अखूट खजानो को पा रही हूँ... आपकी प्यारी यादो में मैंने अपना खोया रंगरूप पुनः पा लिया है... सारे खजाने मेरी बाँहों में मुस्करा उठे है..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- याद की यात्रा का सच्चा चार्ट रखना है*"

 

_ ➳  अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप की स्मृति में स्थित हो कर अपने परमशिक्षक शिव पिता को याद करते ही मुझे अनुभव होता है जैसे शिव बाबा परमधाम से नीचे सूक्ष्म लोक में प्रवेश कर, अपने रथ का आधार लेकर मेरे सामने उपस्थित हो गए हैं और अपने मधुर महावाक्य उच्चारण कर रहें हैं। *गॉडली स्टूडेंट बन आत्मिक स्मृति में स्थित होकर अपने परमशिक्षक द्वारा मिलने वाले ज्ञान के एक - एक अमूल्य रत्न को मैं अपनी बुद्धि में धारण करते हुए मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करती हूँ कि कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान शिक्षक बन मुझे पढ़ाने के लिए आये हैं*।

 

_ ➳  अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर नाज करती, अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा को उनके लाइट माइट स्वरूप में देखते - देखते मैं अनुभव करती हूँ कि बाबा की लाइट माइट मुझे सहज ही लाइट माइट स्वरूप में स्थित कर रही है। *एक सुंदर दिव्य अलौकिक अनुभूति करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता के लाइट माइट स्वरूप के सम्मुख अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होकर उनके अति मनमोहक मधुर महावाक्यों को सुनना, मेरे अंदर असीम आनन्द का संचार कर रहा है*। मेरा रोम - रोम बाबा के एक - एक महावाक्य को ग्रहण कर रहा है।

 

_ ➳  अपने प्यारे बाबा के मधुर महावाक्यों का आनन्द लेती अब मैं विचार करती हूँ कि *जब स्वयं भगवान मुझे पढ़ाने के लिए अपना घर परमधाम छोड़ कर यहाँ आये हैं तो ऐसे भगवान शिक्षक द्वारा पढ़ाई जाने वाली इस बेहद की पढ़ाई का मुझे कितना कद्र होना चाहिए*! यही विचार कर, स्वयं से मैं प्रोमिस करती हूँ कि अपने परमशिक्षक शिव परम पिता परमात्मा द्वारा मिलने वाले इन अमूल्य ज्ञान रत्नों को मुझे अपनी बुद्धि में अच्छी रीति धारण करना है और साथ ही साथ अपने पुरुषार्थ को तीव्र करने के लिए याद के सब्जेक्ट पर पूरा अटेंशन देने के लिए याद का चार्ट जरूर रखना है।

 

_ ➳  मन ही मन स्वयं से यह प्रोमिस कर मैं जैसे ही बापदादा की ओर देखती हूँ ऐसा अनुभव होता है जैसे बाबा मेरे हर संकल्प को पढ़ कर उस संकल्प को पूरा करने का बल मुझे दे रहें हैं। *सूक्ष्म रूप में बाबा से मिलने वाला बल बाबा की लाइट माइट के रुप में मेरे ऊपर प्रवाहित होकर मेरे अंदर असीम ऊर्जा का संचार कर रहा है*। स्वयं को मैं बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा की लाइट माइट ने मुझे सहज पुरुषार्थी बना दिया है और हर प्रकार की मेहनत से मुक्त कर दिया है।

 

 ➳ _ ➳  अब मैं हर समय अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरुप को स्मृति में रखते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा द्वारा दिए जा रहे अविनाशी ज्ञान रत्नों को धारण कर, तीव्र पुरुषार्थ के लिए याद का एक्यूरेट चार्ट रख, अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ। *याद का एक्यूरेट चार्ट रखने से अपने पुरुषार्थ में तीव्रता का अनुभव अब मैं स्पष्ट कर रही हूँ। याद के बल से सहज पुरुषार्थी बन भविष्य 21 जन्मों की श्रेष्ठ प्रालब्ध पाने का तीव्र पुरुषार्थ मैं बिल्कुल सहज रीति कर रही हूँ*। सर्वसम्बधों के रुप में बाबा को हर घड़ी अपने साथ अनुभव करते, कभी साकारी, कभी आकारी और कभी निराकारी स्वरुप में बाबा से हर पल मिलन मनाने का सुख मैं प्राप्त कर रही हूँ।

 

_ ➳  *"स्टूडेंट लाइफ इज़ दी बेस्ट लाइफ" इस स्लोगन का अनुभव अपनी इस ईश्वरीय स्टूडेंट लाइफ में हर समय करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता की शिक्षाओं को अपने जीवन मे धारण कर, तीव्र पुरुषार्थी बन अपनी स्टूडेंट लाइफ का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं अपनें संकल्पों को शुद्ध, ज्ञान स्वरूप और शक्ति स्वरूप बनाने वाली सम्पूर्ण पवित्र आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं दृष्टि में सबके प्रति रहम और शुभ भावना रखकर अभिमान वा अपमान के अंश से भी मुक्त होने वाली रहम दिल आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  जैसे ब्रह्मा बाप को देखा, वर्णन भी करते हो जैसे सम्पन्नता का समय समीप आता रहा तो क्या देखा? चलता फिरता फरिश्ता रूप, देहभान रहित। देह की फीलिंग आती थी? *सामने जाते रहे तो देह देखने आती थी या फरिश्ता रूप अनुभव होता था? कर्म करते भी, बातचीत करते भी, डायरेक्शन देते भी, उमंग-उत्साह बढ़ाते भी देह से न्यारा, सूक्ष्म प्रकाश रूप की अनुभूति की।* कहते हो ना कि ब्रह्मा बाबा बात करते-करते ऐसे लगता था जैसे बात कर भी रहा है लेकिन यहाँ नहीं है, देख रहा है लेकिन दृष्टि अलौकिक है, यह स्थूल दृष्टि नहीं है। *देह-भान से न्यारा, दूसरे को भी देह का भान नहीं आये, न्यारा रूप दिखाई दे, इसको कहा जाता है देह में रहते फरिश्ता स्वरूप। हर बात में, वृत्ति में, दृष्टि में, कर्म में न्यारपन अनुभव हो।* यह बोल रहा है लेकिन न्यारा-न्यारा, प्यारा-प्यारा लगता है। आत्मिक प्यारा। *ऐसे फरिश्तेपन की अनुभूति स्वयं भी करे और औरों को भी करायें क्योंकि बिना फरिश्ता बने देवता नहीं बन सकते हैं।* फरिश्ता सो देवता है। तो नम्बरवन ब्रह्मा की आत्मा ने प्रत्यक्ष साकार रूप में भी फरिश्ता जीवन का अनुभव कराया और फरिश्ता स्वरूप बन गया।

 

✺   *ड्रिल :-  "देह में रहते फरिश्ता स्वरूप का अनुभव करना"*

 

 _ ➳  *वाह!! मेरा सर्वश्रेष्ठ भाग्य... स्वयं भगवान बाप के रूप में हमारी कितनी श्रेष्ठ पालना कर रहें हैं... शिक्षक बन देवपद के लिये पढ़ाई पढ़ा रहें हैं... सद्गुरु बन वरदानों से भरपूर कर रहें हैं...* इतना श्रेष्ठ भाग्य... मैने तो कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि स्वयं भगवान मेरे ऊपर बलिहार जायेंगे...  

 

 _ ➳  मैं आत्मा चमकती हुई ज्योति प्रकाश की देह में विराजमान हूँ... मुझसे चारों ओर प्रकाश की दिव्य... तेजस्वी किरणें फैल रहीं हैं... मैं आत्मा स्वयं को बहुत हल्का महसूस कर रही हूँ... मन बिल्कुल हल्का... कोई बोझ नहीं... कोई कमी कमजोरी नहीं... बेफिक्र बादशाह... निश्चिन्त जीवन अनुभव कर रही हूँ... *सब बाबा को देकर... डबल लाइट बन संगमयुग के जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा इस देह में रहते हुए स्वयं को फरिश्ता स्थिति में देख रही हूँ...*

 

 _ ➳  *आहा!!! मेरा फरिश्ता स्वरूप...* सूक्ष्मवतन में बापदादा के सम्मुख... कभी उनकी गोद में... कभी साकार वतन में... देह में रह... कर्म करते हुए... *अव्यक्त स्थिति में... निरन्तर योगयुक्त... सभी के लिये कल्याण की भावना... शुभ भावना रख रही हूँ...* इर्ष्या... द्वेष... घृणा... नफरत... तेरे मेरे से परे हो गयी हूँ... *स्वयं भी आत्मिक स्थिति में रहती हूँ और दूसरों को भी आत्मा रूप में देखती हूँ...*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा फरिश्ता स्थिति में रह सारे संसार को सन्देश दे रही हूँ... श्रेष्ठ वायब्रेशन्स फैला रही हूँ...* मैं आत्मा सभी आत्माओं को ईश्वरीय सन्देश देती हुई मुक्ति जीवनमुक्ति का रास्ता दिखा रही हूँ... *मैं आत्मा इस देह में रहते सदा आत्मिक स्थिति में रहती हूँ...* 

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 _ ➳  *देह के भान से न्यारी मैं आत्मा... हर बात में... वृति में... दृष्टि में... कृति में न्यारी रहती हूँ...* फरिश्ता रूप धर कर एक मिनट में कभी परमधाम... कभी सूक्ष्मवतन... कभी स्थूल वतन में चक्कर लगाती रहती हूँ... *मैं आत्मा इस देह में रहते हुए बार बार अपने इस फरिश्ते रूप को... अपने इस दिव्य... तेजस्वी स्वरूप को देख रही हूँ... मैं फरिश्ता ग्लोब पर खड़े होकर सारे संसार को... सम्पूर्ण प्रकृति को पवित्रता के और शक्तियों के वायब्रेशन्स दे रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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