━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 20 / 01 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *ब्राह्मण जीवन का फाउंडेशन पवित्रता पर विशेष अटेंशन रहा ?*
➢➢ *किसी व्यक्ति की और प्रभावित तो नहीं हुए ?*
➢➢ *ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रखने वाले ब्रह्माचारी बनकर रहे ?*
➢➢ *"कम खर्च बाला नशीन" बनकर रहे ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *बुद्धि की एकाग्रता से परखने की शक्ति आयेगी। इसके लिए व्यर्थ वा अशुद्ध संकल्पों की हलचल से परे एक में सर्व रस लेने वाली एकरस स्थिति चाहिए।* अगर अनेक रसों में बुद्धि और स्थिति डगमग होती है तो परखने की शक्ति कम हो जाती है और न परखने के कारण माया अपना ग्राहक बना देती है। यह माया है, यह भी पहचान नहीं सकते। यह रांग है, यह भी जान नहीं सकते।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं सदा रूहानी नशे में रहने वाला सच्चा रूहानी गुलाब हूँ"*
〰✧ सदा रूहानी नशे में रहने वाले सच्चे रूहानी गुलाब हो ना? जैसे रूहे गुलाब का नाम बहुत मशहूर है वैसे आप सभी आत्मायें रूहानी गुलाब हो। *रूहानी गुलाब अर्थात् चारों ओर रूहानियत की खुशबू फैलाने वाले।* ऐसे अपने को रूहानी गुलाब समझते हो?
〰✧ *सदा रूह को देखते और रूहों के मालिक के साथ रूह-रूहान करते यही रूहानी गुलाब की विशेषता है। सदा शरीर को देखते रूह अर्थात् आत्मा को देखने का पाठ पक्का है ना!* इसी रूह को देखने के अभ्यासी रूहानी गुलाब हो गये।
〰✧ *बाप के बगीचे के विशेष पुष्प हो क्योंकि सबसे नम्बरवन रूहानी गुलाब हो। सदा एक की याद में रहने वाले अर्थात् एक नम्बर में आना है, यही सदा लक्ष्य रखो।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ ब्रह्मा बाप से तो प्यार है ना! तब तो ब्रह्माकुमारी वा ब्रह्माकुमार कहलते हो ना! *जब चैलेन्ज करते हो कि सेकण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा ले लो तो अभी सेकण्ड में अपने को मुक्त करने का अटेन्शन।*
〰✧ अभी समय को समीप लाओ। *आपके सम्पूर्णता की समीपता, श्रेष्ठ समय को समीप लायेगी।* मालिक होना, राजा हो ना। स्वराज्य अधिकारी हो?
तो ऑर्डर करो। राजा तो ऑर्डर करता है ना! *यह नहीं करना है, यह करना है। बस ऑर्डर करो।*
〰✧ *अभी-अभी देखो मन को, क्योंकि मन है मुख्यमन्त्री।* तो हे राजा, अपने मन मन्त्री को सेकण्ड में ऑर्डर कर अशरीरी, विदेही स्थिति में स्थित कर सकते हो? *करो ऑर्डर एक सेकण्ड में* (बापदादा ने 5 मिनट ड़िल कराई) अच्छा।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *अव्यक्त स्थिति की परख आप सभी के जीवन में क्या होगी, वह मालूम है? उनके हर कर्म में एक तो अलौकिकता और दूसरा हर कर्म करते कर्मेन्द्रियों से अतीन्द्रिय सुख की महसूसता आएगी।* उनके नयन-चैन, उनकी चलन अतीन्द्रिय सुख में हर वक्त रहेगी।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- ब्राह्मण जीवन का फाउंडेशन-पवित्रता"*
➳ _ ➳ *मैं ब्राह्मण आत्मा इस शरीर रूपी मंदिर की देवता, इस मंदिर के गर्भगृह भृकुटी में निवास करती हूँ... मैं आत्मा अपने भृकुटी सिहांसन पर बैठ स्वयं का निरीक्षण करती हूँ... मैं चमकती हुई शुद्ध मणि हूँ... मैं एक श्रेष्ठ और दिव्य आत्मा हूँ...* पूज्य आत्मा हूँ... सर्वगुण सम्पन्न, 16 कलाओं से सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी पवित्र आत्मा हूँ... मैं ब्राह्मण आत्मा मुझे अपने निज स्वरुप और निज गुणों की स्मृति दिलाने वाले ज्ञान के सागर, पवित्रता के सागर के पास उड़ चलती हूँ...
❉ *इस वरदानी संगमयुग में अपनी शुभ शिक्षाओं से बेमिसाल करते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... *संगमयुग पर विश्वपिता के हाथो पवित्रता की चुनरी ओढ़ श्रेष्ठ भाग्य को बाँहों में लिए सच्ची सुहागिन आत्माये हो...* सहजयोगी और पवित्रता के वरदानों से सजेधजे हीरे हो... *सदा पवित्रता की झलक और फलक लिए मुहोब्बत के झूले में झूलते ही रहो...”*
➳ _ ➳ *सद्गुणों का श्रृंगार कर पवित्रता की खुशबू से महकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा कितने मीठे से भाग्य की मल्लिका हूँ... कभी अपवित्रता की बदबू में धँसी सी... *आज पवित्रता के कमल सी खिली हुई ईश्वर पिता की बाँहों में दिल तख्त पर सजी हुई हूँ... अपने ही पवित्र रूप पर मोहित हो रही हूँ...”*
❉ *दिव्यगुणों के गुलदस्ते से मेरे जीवन को महकाकर प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे... *ब्राह्मण जीवन की विशेषता नवीनता ही पवित्रता है..*. सदा अपने इस खुबसूरत स्वरूप के नशे में झूमते ही रहो... *स्वरूप पवित्र स्वधर्म पवित्र स्वदेश पवित्र को सदा स्मृति में सजाये रखो...* सदा मा सर्वशक्तिवान के नशे में रह वृत्ति से वायुमण्डल को गुलाब सा रूहानी बनाओ...”
➳ _ ➳ *स्मृति, वृत्ति और दृष्टि की पवित्रता से अपने जीवन का श्रृंगार कर मैं ब्राह्मण आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा मीठे बाबा संग पवित्रता के श्रृंगार से कितनी प्यारी खुबसूरत हो गयी हूँ...* बाबा से मिली पवित्रता ने मुझे सफलता के शिखर पर सजा दिया है... मै आत्मा प्यारे बाबा की यादो में देवतुल्य बनकर मुस्करा रही हूँ...”
❉ *खुशियों की सौगात देकर ब्राह्मण से देवता बनाते हुए पवित्रता के सागर मेरे बाबा कहते हैं:-* “मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... सदा गुण और शक्तियो के अनुभवी हो विजयी बन मुस्कराओ... *अथाह खजानो के मालिक मा सागर हो इस नशे को यादो में ले आओ*... हर पल कमाई में बिजी रहने वाले सहज मायाजीत बन जाओ... प्यारे ते प्यारे बाबा को यादो में बसा कर मनन शक्ति से मायाप्रूफ विघ्नप्रूफ हो ख़ुशी के खजाने को संग ले उड़ो...”
➳ _ ➳ *मीठे बाबा से सारे खजानों को लूटकर अपनी झोली रत्नों से भरकर अतीन्द्रिय सुखों में झूमती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपको पाकर किस कदर गुणो और शक्तियो की जादूगर सी बन गयी हूँ...* जीवन कितना मीठा प्यारा सरल और खुशनुमा इस प्यार की जादूगरी से हो गया है... मै आत्मा मायाजीत होकर खुशियो से भर उठी हूँ...”
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रखने वाले ब्रह्माचारी*"
➳ _ ➳ अपने प्यारे ब्रह्मा बाप के मधुबन घर में, बाबा के कमरे में बैठी मैं देख रही हूँ अपने सामने लगे बाबा के ट्रांसलाइट के चित्र को जिसे देखते ही अनुभव होता है *जैसे बाबा साक्षात सामने बैठे हैं अपने हर नये बच्चे को भी वैसी ही साकार पालना का अहसास दिलाने के लिए जैसी साकार पालना हमारी वरिष्ठ दादियों ने साकार बाबा से ली है*। बाबा के उस चित्र को बड़े प्यार से निहारते हुए मैं अनुभव कर रही हूँ जैसे बाबा अपने नयनों में अथाह स्नेह को समाये एकटक मुझे देख रहें हैं। *बाबा के नयनों में अपने लिए समाये असीम स्नेह के साथ, अपने सहयोगी राइट हैंड के रूप में मुझे देखने की उनकी आश को भी उनके नयनों में मैं स्पष्ट पड़ रही हूँ*।
➳ _ ➳ मन ही मन बाबा की इस आश को पूरा करने की मैं स्वयं से और बाबा से प्रतिज्ञा करते ही अनुभव करती हूँ जैसे बाबा मेरे हर संकल्प को पड़ रहे हैं और मन्द - मन्द मुस्करा भी रहें हैं। *एक अलौकिक दिव्य मुस्कराहट के साथ बाबा के वरदानी हाथ को मैं अपने सिर के ऊपर अनुभव कर रही हूँ*। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा "विजयी भव" का वरदान देकर मेरी इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल मेरे अंदर भर रहें हैं। शक्तियों की रंग बिरंगी सुनहरी किरणो को बाबा के वरदानी हस्तों से निकल कर अपने अंदर समाते हुए मैं महसूस कर रही हूँ। *सर्वशक्तियों की किरणों की मीठी फुहारें मेरे मस्तक को स्पर्श करके सीधी मुझ आत्मा में प्रवाहित होकर मुझे बलशाली बना रही हैं*।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे आप समान बनाने के लिए बाबा अपनी शक्तियों का समस्त बल मुझमें भर रहें हैं। एक विशेष दिव्य शक्ति मैं अपने अंदर अनुभव कर रही हूँ। यह शक्ति मुझे बहुत ही लाइट और माइट स्थिति में स्थित कर रही है। *अपने साकार तन को मैं लाइट के शरीर मे परिवर्तित होते देख रही हूँ। सफेद लाइट के फरिश्ता स्वरूप में मैं स्थित हो चुकी हूँ और अपने इस डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप में मैं धरनी के आकर्षण से स्वयं को न्यारा होते हुए महसूस कर रही हूँ*। मेरे अंग - अंग से श्वेत रश्मियां निकल कर चारों और फैल रही हैं और इन रश्मियों को फैलाता हुआ अब मैं फरिश्ता धीरे - धीरे ऊपर आकाश की ओर उड़ रहा हूँ।
➳ _ ➳ सदा ब्रह्मा बाप के स्नेह में समाकर, उनका सहयोगी बनने का संकल्प लिए हुए अब मैं आकाश को पार कर, उससे ऊपर उनके अव्यक्त वतन की ओर बढ़ रहा हूँ। *देख रहा हूँ मैं सामने अपने अव्यक्त ब्रह्मा बाप के अव्यक्त वतन के खूबसूरत अव्यक्त नज़ारो को। सामने अपने सम्पूर्ण फरिश्ता स्वरूप में ब्रह्मा बाबा अपने सहयोगी बच्चो का स्वागत करने के लिए अपनी बाहों को फैलाकर खड़े है*। बाबा के मस्तक से निकल रही स्नेह की धारायें पूरे वतन में फैल रही हैं और इनसे निकलने वाले स्नेह के वायब्रेशन्स आत्मा को छूकर उसे असीम स्नेह देकर अव्यक्त में भी साकार पालना का अनुभव करवा रहें हैं। *स्नेह के उस रूहानी वायुमण्डल में आकर असीम स्नेह पाकर मैं फरिश्ता स्वयं को तृप्त अनुभव कर रहा हूँ*।
➳ _ ➳ बाबा के पास जाकर, बाबा की बाहों में समाकर उनके प्यार की गहराई में खोकर, उनके स्नेह का रिटर्न देने के लिए मैं फरिश्ता अब वापिस साकारी दुनिया मे आ रहा हूँ। *साकार सृष्टि पर अपने साकारी तन में प्रवेश कर, अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, ब्रह्मा बाप की सहयोगी बन कर, परमात्म कार्य को सम्पन्न करने और ब्रह्मा बाप समान सम्पूर्णता को पाने का पुरुषार्थ अब मैं कर रही हूँ*। नव सृष्टि की स्थापना के कार्य में निमित बन, ब्रह्मा बाप के साथ कदम से कदम मिला कर चलने के लिए मैं कदम - कदम पर उन्हें फॉलो कर रही हूँ। *उनके एक - एक कर्म को कॉपी करते हुए मैं स्वयं को अमूल्य बना कर, अपने श्रेष्ठ कर्म द्वारा औरों के जीवन को अमूल्य बनाने का लक्ष्य रख उनकी अमूल्य पालना का रिटर्न उनकी सहयोगी बन कर दे रही हूँ*।,
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सत्यता की शक्त्ति द्वारा सदा खुशी में नाचने वाली शक्तिशाली महान आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं व्यस्त मन बुद्धि को सेकंड में स्टॉप कर लेने का सर्वश्रेष्ठ अभ्यास करने वाली बिंदु स्वरूप आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *खुश रहो, ज्यादा गम्भीर नहीं रहो खुश रहो, कभी-कभी कोई बच्चों का चेहरा बड़ा सोच-विचार में, थोड़ा ज्यादा गम्भीर दिखाई देता हैं*। खुश रहो, नाचो-गाओ, *आपकी ब्राह्मण जीवन है ही खुशी में नाचने की और अपने भाग्य और भगवान के गीत गाने की*। तो नाचने-गाने वाले जो होते हैं ना वह ऐसा गम्भीर होके नाचे तो कहेंगे नाचना नहीं आता। *गम्भीरता अच्छी है लेकिन टू-मच गम्भीरता, थोडा-सा सोच-विचार का लगता है।*
✺ *ड्रिल :- "ब्राह्मण जीवन में सदा खुश रहने का अनुभव"*
➳ _ ➳ आनन्द स्वरूप मैं आत्मा... *आनन्द के झरने के नीचे*... प्रकाश धारा बरसाता, यह झरना... और इसकी एक एक बूँद को स्वयं में समाती जा रही हूँ मै... रोम रोम खुशियों की तरंगो से भरपूर हो रहा है... भृकुटि रूपी तख्त पर स्थित मैं आत्मा... अंग-अंग में खुशियों का संचार करती हुई... आसपास के वातावरण को खुशनुमा बना रही हूँ... और खुशियों का केन्द्र बिन्दु मेरी सुखद स्मृतियाँ जो कल्प के बाद मुझ आत्मा में इमर्ज हुई है... *मै सुखसागर की सन्तान मास्टर सुख स्वरूप हूँ*...
➳ _ ➳ मैं सुख स्वरूप... आनन्द स्वरूप आत्मा अपने स्वमान में स्थित होकर बैठ गयी हूँ बापदादा के चित्र के सामने... पल पल खुशी से भरपूर करती उनकी मोहक मुस्कान... *संगम पर खुले खुशियों के खजाने*... और मेरी हर खुशी में साथी बन मेरे संग नाचते गाते बापदादा... *साकारी आकारी और निराकारी मिलन... मिलन की गहरी अनुभूतियाँ*... मिलन के क्षणों का गहराई से चिन्तन करती हुई मैं आत्मा, देह से अलग होती हुई फरिश्ता रूप में जा रही हूँ... बापदादा के सम्मुख...
➳ _ ➳ बापदादा के हाथों में महकते फूलों का गुलदस्ता... उन फूलों की जादुई खुशबू एक रूहानी सी मादकता से भरपूर कर रही है मुझे... *आँखों के सामने अद्भुत दृश्य साकार हो रहा है*... साथियों संग नाचते खुशियाँ मनाते बालकृष्ण और उनकी मुरली की धुन पर थिरकती मैं गोपिका... बेहद हल्कापन पैरों की थिरकन में... *उमंगो का पारावार हर पल अब जीवन में*... महकतें फूलों की बगिया... और हर फूल खिलने की प्रेरणा दे रहा है अनवरत...
➳ _ ➳ और बालकृष्ण को देख रही हूँ अब बापदादा के रूप में... मेरा हाथ थामें उड चलें सागर की ओर... *सागर के किनारें सागर की गम्भीरता को अनायास निहार रहा हूँ मैं*... अपार रत्नों को अन्तर में समेटें... चिर शान्त ये लहरें जीवन हीनता का आभास करा रही है... दमघोटने वाली नीरवता, उदासी... बापदादा की तरफ देख रहा हूँ मैं... आँखों में सवाल समाये... और बापदादा समझ गये है मेरा अभिप्राय... *सागर की तरफ मुट्ठी बन्द कर कुछ उछाल रहे है वो*...और देखते ही देखते लहरों में लौटता जीवन... उछलती, मचलती, *खुशियों से नाचती ये लहरें वातावरण में खुशियों का सृजन करती हुई*..
➳ _ ➳ *खुशियों की खुराक खाता और बाँटता मैं फरिश्ता उड चला अब परम धाम की ओर*...स्वयं को खुशियों से भरपूर करने के लिए... अनन्त प्रकाश पुंज में आहिस्ता आहिस्ता समाता हुआ... *स्वयं को भरपूर कर रहा हूँ मैं शाश्वत खुशी से*... और अब लौट आया हूँ अपनी देह में... देह में रहने का एक नया उद्देश्य लेकर... *खुश रहना, खुशियाँ बाँटना*... और *खुशनुमा दुनिया का सृजन करना*...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━