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 19 / 12 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ श्रीमत पर चलकर श्रेष्ठ गुणवान बनने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

➢➢ याद की यात्रा से बुधी को सोने का बर्तन बनाया ?

 

➢➢ शरीर की व्याधियों के चिंतन से मुक्त हो ज्ञान चिंतन में मगन रहे ?

 

➢➢ स्नेह की शक्ति से समस्या रुपी पहाड़ को पानी जैसा हल्का बनाया ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  जैसे कपड़े सिलाई करने का साधन धागा होता है, वैसे ही भविष्य सम्बन्ध जोड़ने का साधन है आत्मिक स्नेह रुपी धागा। जोड़ने का समय और स्थान यह है। लेकिन यह ईश्वरीय स्नेह वा आत्मिक स्नेह तब जुड़ सकता है जब अनेक देहधारियों से स्वार्थ का स्नेह समाप्त हो जाता है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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✺   "मैं साक्षी स्थिति द्वारा श्रेष्ठ पार्ट बजाने वाली आत्मा हूँ"

 

✧  सभी सदा साक्षी स्थिति में स्थित हो हर पार्ट बजाते हो? साक्षीपन की स्टेज कायम रहती है? कभी साक्षी के बजाए पार्ट बजाते-बजाते पार्ट में साक्षीपन की स्टेज को भूल तो नहीं जाते। जो साक्षी होगा वह कभी भी किसी पार्ट में चलायमान नहीं होगा। न्यारा होगा, प्यारा भी होगा। अच्छे में अच्छा, बुरे में बुरा ऐसे नहीं होगा।

 

✧  साक्षी अर्थात् सदा हर कार्य करते हुए कल्याण की वृति में रहने वाले। जो कुछ हो रहा है उसमें कल्याण भरा हुआ है। अगर कोई माया का विघ्न भी आता तो उसमें भी लाभ उठाकर, शिक्षा लेकर आगे बढ़ेगें रुकेगे नहीं।

 

✧  ऐसे हो? सीट पर बैठकर खेल देखते हो। साक्षीपन है सीट। इस सीट पर  बैठकर ड्रामा देखो तो बहुत मजा आयेगा। सदा अपने को साक्षी की सीट पर सेट रखो, फिर वाह ड्रामा वाह। यही गीत गाते  रहेंगे!

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  जैसे मन को जहाँ जिस स्थिति में स्थित करना चाहो वहाँ सेकण्ड में स्थित हो जाओ। ऐसे नहीं ज्यादा टाइम नहीं लगा, 5 सेकण्ड लग गये, 2 सेकण्ड लग गये। ऑर्डर में तो नहीं हुआ, कन्ट्रोल में तो नहीं रहा।

 

✧  कैसी भी परिस्थिति हो, हलचल हो लेकिन हलचल में अचल हो जाओ। ऐसे कन्ट्रोलिंग पॉवर है? या सोचते-सोचते अशरीरी हो जाऊँ, अशरीरी हो जाऊँ, उसमें ही टाइम चला जायेगा? कई बच्चे बहुत भिन्न-भिन्न पोज बदलते रहते, बाप देखते रहते।

 

✧  सोचते हैं अशरीरी बनें फिर सोचते हैं अशरीरी माना आत्मा रूप में स्थित होना, हाँ, मैं हूँ तो आत्मा, शरीर तो हूँ ही नहीं, आत्मा ही हूँ। मैं आई ही आत्मा थी, बनना भी आत्मा है। अभी इस सोच में अशरीरी हुए या अशरीरी बनने में युद्ध की?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧  बापदादा सदा हर्षित, सदा हद के आकर्षणों से परे अव्यक्त फ़रिश्तों को देख रहे हैं। यह फ़रिश्तों की सभा है। हर फ़रिश्ते के चारों ओर लाइट का क्राउन कितना स्पष्ट दिखाई देता है अर्थात् हर फ़रिश्ता लाइट-हाउस और माइट-हाउस कहाँ तक बना है- यह आज बापदादा देख रहे हैं। जैसे भविष्य स्वर्ग की दुनिया में सब देवता कहलायेंगे वैसे वर्तमान समय संगम पर फ़रिश्ते समान सब बनते हैं लेकिन नम्बरवार। जैसे वहाँ हर एक अपनी स्तिथि प्रमाण सतोप्रधान होते हैं वैसे यहाँ भी हर पुरुषार्थी फ़रिश्तेपन की स्टेज को प्राप्त ज़रूर करते हैं। तो आज बापदादा हर एक की रिजल्ट को देख रहे थे। क्योंकि अब अन्तिम रियलाइजेशन कोर्स चल रहा है। रियलाइजेशन कोर्स में हर एक अपने आपको कहाँ तक रियलाइज कर रहे हैं? तो रिजल्ट में दो विशेष बातें देखीं। वह कौन सी? हर एक किस पोजिशन तक पहुँचे हैं? ऑपोजिशन ज़्यादा है अथवा पोजिशन की स्टेज ज्यादा हैं? दूसरा -  पुरानी देह और पुरानी दुनिया से स्मृति को कहाँ तक ट्रॉन्सफर किया है? साथ-साथ ट्रान्सफर के आधार पर ट्रांसपेरेंट कहा तक बने हैं? चारों ही सब्जेक्टस में कहाँ तक प्रैक्टिकल स्वरूप बने हैं? बापदादा के तीनों स्वरूप- साकार, आकार और निराकार द्वारा ली हुई पालना और पढ़ाई का रिटर्न कहाँ तक किया है? आदि से अब तक जो बापदादा से वायदे किये हैं उन सब वायदों को निभाने का स्वरूप कहाँ तक है? फ़रिश्तेपन की लास्ट स्टेज की निशनी है- सदा शुभ चिन्तक और सदा निश्चिन्त। ऐसे बने हो? रियलाइजेशन कोर्स में स्वयं को रियलाइज करो और अब अन्तिम थोड़े-से पुरुषार्थ के समय में स्वयं में सर्व शक्तियों को प्रत्यक्ष करो।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- पतित से पावन बनने की पढाई पढ़ना और पढ़ाना"

➳ _ ➳ रोज की तरह अमृतवेले के समय सोई हुई मुझ आत्मा को जगाकर वरदानों से भरपूर करने शिवपिता आ जाते हैं... मैं आत्मा गुड मॉर्निंग कह बाबा की गोदी में बैठ जाती हूँ... बाबा मुझे अपनी गोद में उठाकर ले चलते हैं मधुबन हिस्ट्री हाल में... जहाँ मेरे प्राण प्यारे बाबा टीचर बन ऊँचे ते ऊँची शिक्षाओं से मुझे 21 जन्मों के लिए उंच पद दे रहे हैं... मैं आत्मा गॉडली स्टूडेंट बन बापदादा के सम्मुख बैठ जाती हूँ ऊँची पढाई पढने...

❉ रूहानी पढाई का महत्व समझाकर अविनाशी सुख का वर्सा देते हुए सुप्रीम शिक्षक मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... खुबसूरत देवताई सुखो का आधार ही यह ईश्वरीय पढ़ाई है... जिन देवताओ की महिमा करते अघाते नही थे, वैसा ही जीवन पाने के मीठे पल सम्मुख है... अपने भीतर के कालेपन को ईश्वरीय यादो में भस्म कर दो... और देवताओ सी सुंदरता और सुखो को जीने के अधिकारी बन कर शान से मुस्कराओ...”

➳ _ ➳ अपने अन्दर की खामियों को निकाल अच्छी रीति पढाई पढकर धारण करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में देह की मिटटी से मुक्त हो रही हूँ... अपने अप्रतिम सौंदर्य को पुनः पाकर ओजस्वी हो रही हूँ... प्यारे बाबा आपने मुझे चुनकर, अपनी गोद में बिठाकर मेरा कायाकल्प कर दिया है... गुणो के सच्चे सोंदर्य से मुझे श्रुंगारित किया है...”

❉ राजयोग के गुह्य राज समझाकर राज सिंहासन की अधिकारी बनाते हुए अति मीठे ते मीठे बाबा कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... बेहद के पिता की अथाह धन दौलत को पाने वाले महान भाग्यशाली बन जाओ... और 21 जनमो तक बेफिक्र बादशाह बन मुस्कराओ... ईश्वर पिता के अतुल खजानो को, ज्ञान रत्नों को बाँहों में भर कर अनन्त सुखो में मौज मनाओ... ज्ञान रत्नों के भंडारी बनकर यह दौलत औरो पर भी लुटाओ...”

➳ _ ➳ ज्ञान कोयल बन ज्ञान सरगम से सबके दिलों में मिठास घोलते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा धरती पर सुख की बून्द को तरसती, आज ईश्वर पिता की अतुलनीय धन सम्पदा की अधिकारी हो गयी हूँ... मनुष्य बन जो मैली हो गई थी देवता बन खुबसूरत हो रही हूँ... प्यारे बाबा आपके प्यार की जादूगरी में ज्ञानपरी बन गयी हूँ...”

❉ ज्ञान ज्योति जगाकर जीवनमुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हुए मेरे ज्ञान सागर बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ज्ञान रत्नों से लबालब होकर विश्व धरा पर देवताई सुखो में खिलखिलाओ... अपने भीतर की सारी कमियो को निकाल निर्मलता से सज जाओ... मीठे बाबा से गुण और शक्तियो के खजाने पाकर स्वर्ग का राज पाओ... यह देवता बनने की खूबसूरत पढ़ाई हर दिल को भी पढ़ाओ...”

➳ _ ➳ बहुमूल्य पढाई से पद्मापद्म भाग्यशाली बन सुखों की नगरी में उड़ते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मैं आत्मा ईश्वर पिता की सारी सम्पत्ति को पाने वाली और ज्ञान रत्नों की धारणा से खुशनुमा और महकता जीवन जीने वाली महा भाग्यवान हूँ... यही सच्ची और मीठी ख़ुशी सबको बाँट कर सुखो के फूल खिला रही हूँ...”

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- याद की यात्रा से बुद्धि को सोने का बर्तन बनाना है"

➳ _ ➳ आज के इस तमोप्रधान माहौल में तमोप्रधान बन चुकी हर चीज को और इस तमोप्रधान दुनिया को फिर से सतोप्रधान बनाने के लिए ही भगवान इस धरा पर आयें है और इस श्रेष्ठ कर्तव्य को सम्पन्न करने के लिए तथा सभी आत्माओं की बुद्धि को स्वच्छ, सतोप्रधान बनाने के लिए परमपिता परमात्मा स्वयं परमशिक्षक बन जीवन को परिवर्तन करने वाली पढ़ाई हर रोज हमे पढ़ा रहें हैं। तो कितनी महान सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो गॉडली स्टूडेंट बन भगवान से पढ़ रही हूँ। मन ही मन अपने भाग्य की सराहना करते, मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ कि अपने परमशिक्षक भगवान बाप द्वारा मिलने वाले ज्ञान को अच्छी रीति बुद्धि में धारण कर, अपनी बुद्धि को सतोप्रधान बनाने का मैं पूरा पुरुषार्थ करूँगी।

➳ _ ➳ अपने परमशिक्षक शिव बाबा द्वारा मिलने वाले ज्ञान के अखुट खजानों को बुद्धि में धारण कर बुद्धि को स्वच्छ और पावन बनाने के लिए अब मैं अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ और अपने बाबा द्वारा मुरली के माध्यम से हर रोज मिलने वाले मधुर महावाक्यों पर विचार सागर मंथन करने बैठ जाती हूँ। एकांत में बैठ मुरली की गुह्य प्वाइंट्स पर विचार सागर मन्थन करते हुए मैं महसूस करती हूँ कि जितना इस पढ़ाई पर मैं मन्थन कर रही हूँ मेरी बुद्धि उतनी ही खुल रही है और इस पढ़ाई को जीवन मे धारण करना बिल्कुल सहज लगने लगा है। नर से नारायण और नारी से लक्ष्मी बनाने वाली ये पढ़ाई ही परिवर्तन का आधार है जिसे मैं अपने जीवन मे स्पष्ट महसूस कर रही हूँ। जैसे - जैसे इस पढ़ाई को मैं अपने जीवन मे धारण करती जा रही हूँ वैसे - वैसे मेरी बुद्धि सतोप्रधान बनती जा रही है।

➳ _ ➳ इस ईश्वरीय पढ़ाई से अपने जीवन मे आये परिवर्तन के बारे में विचार कर मन ही मन हर्षित होते हुए अपने परमशिक्षक शिव बाबा का मैं दिल से कोटि - कोटि शुक्रिया अदा करती हूँ और उनकी मीठी याद में खो जाती हूँ जो मुझे सेकण्ड में अशरीरी स्थिति में स्थित कर देती है और मन बुद्धि के विमान पर बिठा कर मुझे मधुबन की उस पावन धरनी पर ले जाती है जहाँ भगवान स्वयं परमशिक्षक बन साकार में बच्चों को आकर ईश्वरीय पढ़ाई पढ़ाते हैं।

➳ _ ➳ देख रही हूँ मैं स्वयं को अपने गॉडली स्टूडेंट ब्राह्मण स्वरूप में डायमंड हाल में, जहाँ भगवान अपने साकार रथ पर विराजमान होकर मधुर महावाक्य उच्चारण कर रहें हैं। एकटक अपने परमशिक्षक भगवान बाप को निहारते हुए उनके मुख कमल से निकलने वाले अनमोल ज्ञान को सुनकर उसे बुद्धि में धारण करके मैं वापिस लौट आती हूँ और इस पढ़ाई से अपनी बुद्धि को सतोप्रधान बनाने वाले अपने परमशिक्षक निराकार शिव बाबा से उनके ही समान बन उनसे मिलने मनाने की इच्छा से अब अपने मन और बुद्धि को सब बातों से हटाकर मन बुद्धि को पूरी तरह एकाग्र कर लेती हूँ। एकाग्रता की शक्ति धीरे - धीरे देह भान से मुक्त कर, मेरे निराकारी सत्य स्वरूप में मुझे स्थित कर देती है और अपने सत्य स्वरूप में स्थित होते ही स्वयं को मैं देह से पूरी तरह अलग विदेही आत्मा महसूस करने लगती हूँ।

➳ _ ➳ देह के भान से मुक्त होकर अपने प्वाइंट ऑफ लाइट स्वरूप में स्थित होकर मैं बड़ी आसानी से अपने शरीर रूपी रथ को छोड़ उससे बाहर आ जाती हूँ और हर बन्धन से मुक्त एक अद्भुत हल्केपन का अनुभव करते हुए, देह और देह की दुनिया से किनारा कर ऊपर आकाश की ओर उड़ जाती हूँ। मन बुद्धि से दुनिया के खूबसूरत नजारो को देखती, अपनी यात्रा पर चलते हुए, मैं आकाश को पार कर, उससे ऊपर सूक्ष्म वतन से परें आत्माओं की उस खूबसूरत निराकारी दुनिया मे प्रवेश करती हूँ जहाँ मेरे शिव पिता रहते हैं।

➳ _ ➳ अपने इस शान्तिधाम, निर्वाणधाम घर मे आकर, गहन शांति की अनुभूति करते हुए इस अंतहीन ब्रह्मांड में विचरण करते - करते मैं पहुँच गई हूँ अपने प्यारे पिता के समीप जो अपनी सर्वशक्तियो की किरणों रूपी बाहों को फैलाये मेरा आह्वान कर रहें हैं। अपने पिता परमात्मा के प्रेम की प्यासी मैं आत्मा स्वयं को तृप्त करने के लिए अपने पिता के पास पहुँच कर उनकी किरणों रूपी बाहों में समा जाती हूँ। अपनी किरणों रूपी बाहों में मुझे भरकर मेरे मीठे दिलाराम बाबा अपना असीम स्नेह मुझ पर लुटा रहें हैं। अपने अंदर निहित गुणों और शक्तियों को जिन्हें मैं देह भान में आकर भूल गई थी, उन्हें बाबा अपने गुणों और सर्वशक्तियों की अनन्त धाराओं के रूप में मुझ पर बरसाते हुए पुनः जागृत कर रहे हैं।

➳ _ ➳ अपनी खोई हुई शक्तियों को पुनः प्राप्त कर मैं आत्मा बहुत ही शक्तिशाली स्थिति का अनुभव करवा रही हैं। सर्वगुण और सर्वशक्तिसम्पन्न बनकर मैं वापिस साकारी दुनिया में लौट आई हूँ। अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, अपने परमशिक्षक शिव बाबा द्वारा मुरली के माध्यम से हर रोज पढ़ाई जाने वाली पढ़ाई को अच्छी रीति पढ़कर, और अच्छी रीति धारण करके अपने बुद्धि रूपी बर्तन को मैं धीरे - धीरे साफ, स्वच्छ और सतोप्रधान बनाती जा रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं शरीर की व्याधियों के चिंतन से मुक्त्त आत्मा हूँ।
✺   मैं ज्ञान चिंतन व स्वचिंतन करने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं शुभचिंतक आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ मैं आत्मा स्नेह की शक्ति को समय पर कार्य में लाती हूँ ।
✺ मैं आत्मा समस्या रूपी पहाड़ को पानी जैसा हल्का बनाती हूँ ।
✺ मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  आप लोगों ने देखा होगा कि होली में भिन्न-भिन्न रंगों के,सूखे रंगथालियां भरकर रखते हैं। तो वतन में भी जैसे सूखा रंग होता है ना - ऐसे बहुत महीन चमकते हुए हीरे थे लेकिन बोझ वाले नहीं थेजैसे रंग को हाथ में उठाओ तो हल्का होता है ना! ऐसे भिन्न-भिन्न रंग के हीरों की थालियां भरी हुई थी। तो जब सब आ गयेतो वतन में स्वरूप कौन सा होता हैजानते होलाइट का ही होता है ना! देखा है ना! तो लाइट की प्रकाशमय काया तो पहले ही चमकती रहती है। तो बापदादा ने सभी को अपने संगमयुगी शरीर में इमर्ज किया। जब संगमयुगी शरीर में इमर्ज हुए तो एक दो में बहुत मिलन मनाने लगे। एडवांस पार्टी के जन्म की बातें भूल गये और संगम की बातें इमर्ज हो गई। तो आप समझते हो कि संगमयुग की बातें जब एक दो में करते हैं तो कितनी खुशी में आ जाते हैं। बहुत खुशी में एक दो से लेन-देन कर रहे थे। बापदादा ने भी देखा - यह बड़े मौज में आ गये हैं तो मिलने दो इन्हों को। आपस में अपने जीवन की बहुत सी कहानियां एक दो को सुना रहे थे, बाबा ने ऐसा कहाबाबा ने ऐसे मेरे से प्यार कियाशिक्षा दी। बाबा ऐसे कहता हैबाबा-बाबाबाबा-बाबा ही था।

 

 _ ➳  कुछ समय के बाद क्या हुआसबके संस्कारों का तो आपको पता है। तो सबसे रमणीक कौन थी इस ग्रुप में? (दीदी और चन्द्रमणी दादी) तो दीदी पहले उठी। चन्द्रमणी दादी का हाथ पकड़ा और रास शुरू कर दी। और दीदी जैसे यहाँ नशे में चली जाती थी ना,वैसे नशे में खूब रास किया। मम्मा को बीच में ठहराया और सर्किल लगायाएक-दो-को आंख मिचौनी कीबहुत खेला और बापदादा भी देख-देख बहुत मुस्करा रहे थे। होली मनाने आये तो खेलें भी। कुछ समय के बाद सभी बापदादा की बांहों में समा गये और सब एकदम लवलीन हो गये और उसके बाद फिर बापदादा ने सबके ऊपर भिन्न-भिन्न रंगों के जो हीरे थेबहुत महीन थेजैसे किसी चीज का चूरा होता है नाऐसे थे। लेकिन चमक बहुत थी तो बापदादा ने सबके ऊपर डाला। तो चमकती हुई बाडी थी ना तो उसके ऊपर वह भिन्न-भिन्न रंग के हीरे पड़ने से बहुत सभी जैसे सज गये। लालपीला,हरा... जो सात रंग कहते हैं ना। तो सात ही रंग थे। तो बहुत सभी ऐसे चमक गये जो सतयुग में भी ऐसी ड्रेस नहीं होगी। सब मौज में तो थे ही। फिर एक दो को भी डालने लगे। रमणीक बहनें भी तो बहुत थी ना। बहुत-बहुत मौज मनाई।

 

 _ ➳  मौज के बाद क्या होता है? बापदादा ने इन एडवान्स सबको भोग खिलायाआप तो कल भोग लगायेंगे ना लेकिन बापदादा ने मधुबन कासंगमयुग का भिन्न-भिन्न भोग सबको खिलाया और उसमें विशेष होली का भोग कौन-सा है? (गेवर-जलेबी)आप लोग गुलाब का फूल भी तलते हैं ना। तो वैरायटी संगमयुग के ही भोग खिलाये। आपसे पहले भोग उन्होंने ले लिया हैआपको कल मिलेगा। अच्छा। मतलब तो बहुत मनायानाचागाया। सभी ने मिलके वाह बाबामेरा बाबामीठा बाबा के गीत गाया। तो नाचा,गायाखाया और लास्ट क्या होता हैबधाई और विदाई।

 

 _ ➳  तो आपने भी मनाया कि सिर्फ सुना? लेकिन पहले अभी फरिश्ता बन प्रकाशमय काया वाले बन जाओ। बन सकते हो या नहींमोटा शरीर हैनहीं। सेकण्ड में चमकता हुआ डबल लाइट का स्वरूप बन जाओ। बन सकते होबिल्कुल फरिश्ता! (बापदादा ने सभी को ड्रिल कराई) अभी अपने ऊपर भिन्न-भिन्न रंगों के चमकते हुए हीरे सूक्ष्म शरीर पर डालो और सदा ऐसे दिव्य गुणों के रंग,शक्तियों के रंगज्ञान के रंग से स्वयं को रंगते रहो। और सबसे बड़ा रंग बापदादा के संग के रंग में सदा रंगे रहो। ऐसे अमर भव। 

 

✺   ड्रिल :-  "वतन में एडवान्स पार्टी की आत्माओं के संग होली मनाने का अनुभव"

 

 _ ➳  साकारी देह में भृकुटि के भव्य भाल पर विराजमान चैतन्य शक्ति मैं आत्मा हूँ... भृकुटि के भव्य भाल पर चमकती प्रकाश की यह ज्योतिमय तेजस्वी मणि मैं आत्मा हूँ... मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को त्याग और तपस्या की महान पवित्र भूमि पाड़व भवन हिस्ट्री हाल में ज्ञान रत्नों से खेलते हुए... ज्ञान के मोती चुगते हुए मनन की एक मगन अवस्था में मैं आत्मा स्थित हूँ... तभी अचानक बाहर किसी के मोबाइल फ़ोन में रिंगटोन बजती है... वो दिन कितने प्यारे थे जब बाबा साथ हमारे थे... ये गीत सुनते ही मुझ आत्मा के नयन सजल हो जाते है... उठ कर मैं आत्मा इस हाल में लगे साकार बाबा के समय के चित्रों को देखने लग जाती हूँ... एक-एक चित्र को बड़े ध्यान से देख रही हूं... अब भी वो गीत कानों में गूंज रहा है... साकार बाबा किसी चित्र में बच्चों को टोली खिला रहा है... किसी चित्र में बाबा बच्चों के साथ ज्ञान चर्चा कर रहे हैं... एक चित्र में बाबा बच्चों के साथ खेल रहे हैं... इन चित्रों को देख आँखों से मोती बरसने लगते है... एक-एक चित्र अद्वितीय है... अनमोल है...

 

 ➳ _ ➳  इन्हें देख कर लग रहा है मानो मैं आत्मा इन पलों को जी रही हूं... ये एक-एक चित्र खामोश होते भी बहुत कुछ कह रहा है... खामोश होते भी जैसे दिल को छू रहा है और ये चित्र साकार दिनों की जैसे दिल में बहार ले आए हो जिस बहार में मैं आत्मा खिल उठी हूँ.... ध्यान से देख रही हूँ... उन सभी महान आत्माओं को जिन्हें साकार पालना का सौभाग्य मिला... कितनी चमक कितना तेज है इन पवित्र आत्माओं के चेहरे पर... तभी एक और चित्र सामने आता है जिसमें मम्मा के साथ और भी आत्माएं हैं... जो इस समय एडवांस पार्टी में जा चुके हैं... इस चित्र को देख लगता है जैसे ये सभी मुझे देख मुस्कुरा रहे है और मुझे बुला रहे है... एक खींच सी मुझ आत्मा को हो रही हैं... मन ही मन बाबा से मीठी-मीठी बातें मैं आत्मा कर रही हूँ... और साकार दिनों की ये अनमोल पल बार-बार हवा के झोंके की तरह मानस पटल पर आ रहे है...

 

 _ ➳  एक सैलाब सा जैसे यादों का दिल में आ गया हो... तभी मैं आत्मा मम्मा के चित्र को देखते हुए कहती हूँ आप कहां चली गई हैं... उन महान एडवांस पार्टी की आत्माओं को भी कहती हूँ आप सब कहां हैं... कल  होली के पर्व पर आप सब साथ होते तो कितना अच्छा होता... हम मिलकर होली खेलते... और मीठे बाबा के चित्र की तरफ देख बड़े प्यार से कहती हूं, बाबा काश मैं आपके साथ सब आत्माओं के साथ फिर से वैसे खेल पाती उन साकार पलों का अनुभव कर पाती... और आंसूओं की धाराएं आंखों से बहने लगती है तभी अचानक बाबा से बहुत पावरफुल करंट अनुभव होती है... और मैं आत्मा अनुभव कर रही हूँ... जैसे मुझे कोई ऊपर की तरफ खींच रहा हो... एक अजीब सी खींच महसूस हो रही है... मैं आत्मा नश्वर देह के निकल सूक्ष्म शरीर के साथ ऊपर उड़ने लगती हूँ... देख रही हूँ मैं आत्मा स्वयं को ऊपर की ओर उड़ते हुए... देह और देह की दुनिया से ऊपर चांद तारों से ऊपर बादलों के बीच से होते हुए ऊपर की तरफ जा रही हूं...

 

 ➳ _ ➳  स्पष्ट अनुभव हो रहा है जैसे मुझे कोई ऊपर की ओर खींच रहा हो... और अचानक मैं आत्मा रूक जाती हूँ... मैं आत्मा देख रही हूँ... बापदादा सभी एडवांस पार्टी की आत्माओ के साथ सामने खड़े है... और मुझे देख कर सभी मुस्कुरा रहे हैं... यह दृश्य देख कर मैं आत्मा खुशी में झूम उठती हूं... आँखें सजल हो जाती है... बाबा और सभी महान आत्माएँ मुझे अपने पास बुलाती है... मैं नन्हा फरिशता उड़कर सभी महान आत्माओं के पास पँहुच जाता हूँ... बापदादा सभी एडवांस पार्टी की आत्माओं के संगमयुगी शरीर को इमर्ज करते है... सभी आत्माएँ एक-दो से अपने-अपने बाबा के साथ के अनुभव सुनाने लग जाते है... बाबा ना ऐसा कहते थेबाबा ने ऐसे मेरे से प्यार किया, बाबा ने ऐसे शिक्षा दी... बस चारों ओर बाबा मेरा बाबा, मीठा बाबा यही गीत गूंज रहा हैं... चारों तरफ खुशी की लहर आ गई है... मैं आत्मा खुशी में झूम रही हूँ... मैं आत्मा जैसे साकार पलों को जी रही हूँ... वाह बाबा वाह के गीत मैं आत्मा गा रही हूँ... तभी सभी एक-दो का हाथ पकड़ रास करने लगते है... मम्मा मुझ आत्मा का हाथ पकड़ मुझे घुमाती है और बहुत मीठी दृष्टि देती है... फिर मैं आत्मा सबके साथ आंख मिचौली खेलती हूँ , झुला झूलती हूँ...

 

 _ ➳  बाबा चारों तरफ देखते हैं... बाबा के देखते ही रंग-बिरंगे हीरे के चूरे से भरे थाल आ जाते है... बाबा हमारें ऊपर वो चूरा डालते है... और हमें होली की बधाई देते है देख रही हूँ मैं आत्मा रंग-बिरंगे हीरों के चूरे से हम सबकी लाइट की ड्रेस अलग-अलग चमचमाते लाल, हरें, नीले, पीलें रंग के हीरों से सज जाती है... चमकते हुए फरिशता ड्रेस पर ये रंग-बिरंगे हीरो की चमक ने इसे अद्भुत बना दिया है... सतयुग में भी ऐसी ड्रेस नहीं पहनेगे जो बाबा ने हम सबको अभी पहनाई... फिर बाबा एक गोल्डन कलर की थाल सामने लाते हैं... जिसमें वैरायटी संगमयुगी भोग हैं... मीठे बापदादा एक-एक कर हम सबको अपने हाथ से भोग खिला रहे है... वाह बाबा वाह कितना श्रेष्ठ सौभाग्य है मुझ आत्मा का जो साकार पालना का अनुभव करने का चांस मिला... सभी वाह मेरा बाबा वाह के गीत गाते हुए मगन हो गये है गा रहे है नाच रहे है झूम रहे है... और एक दूसरे पर भी हीरों से बना चूरा डाल रहे है... तभी बाबा हम सबको अपनी बाहों में समा लेते है... एकदम लवलीन अवस्था बस मैं और मेरा बाबा... अब बाबा हम सभी को विदाई दे रहे है... ये अविस्मरणीय होली मना कर, इन अनमोल यादों को लिए फिर से मैं आत्मा साकारी दुनिया में वापिस आ जाती हूँ... मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को साकारी दुनिया में कर्म करते हुए... मैं आत्मा हर पल स्वयं को बापदादा के संग के रंग में रंगा हुआ अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा अमर भव के वरदान का प्रेक्टिकल स्वरूप बन गयी हूँ... मैं आत्मा सदा दिव्य गुणों के, दिव्य शक्तियों के, ज्ञान के रंग में रंग कर और जो भी आत्माएं सम्बन्ध-सम्पर्क में आ रही है उन आत्माओं को भी इसी रंग में रंग रही हूँ... वे आत्माएँ भी अब अमर भव का वरदान अनुभव कर रही हैं... शुक्रिया लाडले बाबा शुक्रिया....

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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