━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 21 / 08 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ आप समान बनाने की सेवा की ?
➢➢ किसी भी सेवा में देह अभिमान तो नहीं आया ?
➢➢ दिनचर्या के हर कर्म में यथार्थ और युक्तियुक्त चले ?
➢➢ सदा विजयी और एकरस स्थिति का अनुभव किया ?
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ सदा खुशी में झूलने वाले सर्व के विघ्न हर्ता वा सर्व की मुश्किल को सहज करने वाले तब बनेंगे जब संकल्पों में दृढ़ता होगी और स्थिति में डबल लाइट होंगे। मेरा कुछ नहीं, सब कुछ बाप का है। जब बोझ अपने ऊपर रखते हो तब सब प्रकार के विघ्न आते हैं। मेरा नहीं तो निर्विघ्न।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ "मैं कमल पुष्प समान न्यारा और प्यारा हूँ"
〰✧ अपने को कमल पुष्प समान न्यारे और प्यारे समझते हो? सदा न्यारे और बाप के प्यारे अनुभव करते हो? वा कभीकभी करते हो? अगर किसी भी प्रकार की माया की परछाई भी पड़ गई तो कमल पुष्प कहेंगे? तो माया आती है या सभी मायाजीत हो? क्योंकि सदा अपने को मास्टर सर्वशक्तिमान श्रेष्ठ आत्मा समझते हो तो मास्टर सर्वशक्तिमान के आगे माया आ नहीं सकती।
〰✧ माया चींटी है या शेर है? तो चींटी पर विजय प्राप्त करना बड़ी बात है क्या? अपनी स्मृति की ऊंची स्टेज पर होते हो तो माया चींटी को जीतना सहज लगता है और जब कमजोर होते हो तो चींटी भी शेर माफिक लगती है। तो सदा अमृतवेले इस स्मृति को इमर्ज करो कि मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ। तो अमृतवेले की स्मृति सारा दिन सहयोग देती रहेगी।
〰✧ जैसे स्थूल पोजीशन वाले अपने पोजीशन को भूलते नहीं। आजकल का प्राइम मिनिस्टर अपने को भूल जायेगा क्या कि मैं प्राइम मिनिस्टर हूँ? आपका पोजीशन है-मास्टर सर्वशक्तिमान। तो भूल नहीं सकते। लेकिन भूल जाते हो इसलिए रोज अमृतवेले इस स्मृति को इमर्ज करने से निरन्तर याद हो जायेगी।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
बापदादा सभी बच्चों की स्वीट साइलेन्स की स्थिति को देख रहे हैं। एक सेकण्ड में साइलेन्स की स्थिति में स्थित हो जाना यह प्रैक्टिस कहाँ तक की है। इस स्थिति में जब चाहें तब स्थित हो सकते हैं वा समय लगता है? क्योंकि अनादि स्वरूप ‘स्वीट साइलेन्स' है। आदि स्वरूप आवाज में आने का है लेकिन अनादि अविनाशी संस्कार - ‘साइलेन्स' है। तो अपने अनादि संस्कार, अनादि स्वरूप को, अनादि स्वभाव को जानते हुए जब चाहो तब उस स्वरूप में स्थित हो सकते हो? 84 जन्म आवाज में आने के हैं इसलिए ज्यादा अभ्यास आवाज में आने का है। लेकिन अनादि स्वरूप और फिर इस समय चक्र पूरा होने के कारण वापिस साइलेन्स होम में जाना है। अब घर जाने का समय समीप है। अब आदि-मध्य-अंत तीनों ही काल का पार्ट समाप्त कर अपने अनादि स्वरूप, अनादि स्थिति में स्थित होने का समय है। इसलिए इस समय यही अभ्यास ज्यादा आवश्यक है।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ इतना श्रेष्ठ भाग्य कैसे प्राप्त किया! मुख्य सिर्फ एक बात के त्याग का यह भाग्य है। कौन-सा त्याग किया? देह अभिमान का त्याग किया। क्योंकि देह अभिमान को त्याग किये बिना स्वमान में स्थित हो ही नहीं सकते। इस त्याग के रिटर्न में भाग्यविधाता भगवान ने यह भाग्य का वरदान दिया है।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺
"ड्रिल :- सारे यूनिवर्स की सेवा कर बहुतों को आपसमान बनाना"
➳ _ ➳ इस सुहानी संगम के अमृतवेले मेरे प्राण प्यारे बाबा अलौकिक
जन्मदिन की बधाई देते हुए मुझे प्यार से जगाते हैं... मैं आत्मा भी बाबा को
जन्मदिन की बधाई देती हूँ... कितना अनोखा संगम है इस अनोखे संगम युग पर... बाप
और बच्चे का जन्मदिन एक ही दिन... प्यारे बाबा मुझे गोदी में उठाकर वतन में
लेकर जाते हैं... जहाँ चारों ओर रंग बिरंगे हीरों से सजे हुए बैलून्स हैं... इन
बैलून्स से रंग बिरंगी किरणें निकलकर मुझ आत्मा की चमक और बढ़ा रही है... प्यारे
बाबा मीठी रूह-रिहान करते हुए मुझे ज्ञानामृत पिलाते हैं...
❉ सर्व आत्माओं को बाप का परिचय देने सर्विस की भिन्न भिन्न
युक्तियाँ बतलाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर
पिता की गोद में फूल सा खिलने का जो सुख पाया है उस सुख को दूसरो के दामन में
भी सजाओ... दुखो में तड़फ रहे पुकार रहे हताश और निराश हो गए भाई आत्माओ को सुख
और शांति की राह दिखाओ... सच्चे पिता से मिलाकर उनको भी खजानो से भरपूर कर
दो...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा प्रभु प्यार की कश्ती में डूबकर अनंत अविनाशी खुशियों
से भरपूर होते हुए कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपसे
अथाह खुशियो को पाकर सबको इस खान का मालिक बना रही हूँ... पूरा विश्व खुशियो से
गूंज उठे ऐसी परमात्म लहर फैला रही हूँ... प्यारे बाबा से हर दिल का मिलन करवा
रही हूँ... और आप समान भाग्य सजा रही हूँ...”
❉ मीठे बाबा खिवैया बन काँटों के समुंदर से फूलों के बगीचे में ले
जाते हुए कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... आप समान सबके दुखो को दूर
करो... आनन्द प्रेम शांति से हर मन को भरपूर करो... सबको उजले सत्य स्वरूप के
भान का अहसास दिलाओ... प्यारा बाबा आ गया है यह दस्तक हर दिल पर दे आओ... सब
बिछड़े बच्चों को सच्चे पिता से मिलवाओ और दुआओ का खजाना पाओ...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा फ़रिश्ता बन चारों ओर ‘मेरा बाबा आ गया’ के ज्ञान फूल
बरसाते हुए कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे पाये प्यार
दुलार और ज्ञान रत्नों को हर दिल को बाटने वाली दाता बन गई हूँ... सबको देह से
अलग सच्ची मणि आत्मा के नशे से भर रही हूँ... प्यारे बाबा का परिचय देकर उनके
दुखो से मुरझाये चेहरे को सुखो से खिला रही हूँ...”
❉ मेरे बाबा कलियुगी अंधकार को दूर कर अखंड ज्योति बन ज्ञान की लौ
जलाते हुए कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब ईश्वरीय प्रतिनिधि बन
सबके जीवन को खुशियो से भर दो... विचार सागर कर नई योजनाये बनाओ... और ईश्वरीय
पैगाम हर आत्मा तक पहुँचाओ... सबकी जनमो की पीड़ा को दूर कर ख़ुशी उल्लास उमंगो
से जीवन सजा आओ... पिता धरा पर उतर आया है... पुकारते बच्चों को जरा यह खबर
सुना आओ...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा सम्बन्ध संपर्क में आने वाली हर आत्मा को उमंग उत्साह
के पंख दे उड़ाते हुए कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपसे पायी
अनन्त खुशियो की चमक सबको दिखा रही हूँ... प्यारा बाबा खुशियो की खान ले आया
है खजानो को लुटाने आया है... यह आहट हर दिल पर करती जा रही हूँ... भर लो अपनी
झोलियाँ यह आवाज सबको सुना रही हूँ...
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺
"ड्रिल :- हरेक को फूल बनकर दूसरों को आप समान फूल बनाना है"
➳ _ ➳ इस काँटो के जंगल (दुखधाम) को फूलों का बगीचा (सुखधाम) बनाने का जो
कर्तव्य करने के लिए परमपिता परमात्मा शिव बाबा इस धरा पर अवतरित हुए है उस
कार्य में उनका मददगार बनने के लिए मुझे काँटे से फूल बन सबको फूल बनाने का
पुरुषार्थ अवश्य करना है और सबको शान्तिधाम, सुखधाम का रास्ता बताना है। मन ही
मन अपने आपसे यह प्रतिज्ञा करते हुए अपने दिलाराम बागवान बाप की मीठी यादों में
मैं खो जाती हूँ। प्रभु यादों की डोली में बैठ अव्यक्त फ़रिशता बन इस साकारी
दुनिया और दुनियावी सम्बन्धो से किनारा कर मैं चल पड़ती हूँ उस अव्यक्त वतन में
जहां मेरे दिलाराम बाबा मेरे आने की राह में पलके बिछाए बैठे हैं।
➳ _ ➳ वतन में पहुंच कर अब मैं वतन का खूबसूरत नजारा मन बुद्धि रूपी
दिव्य नेत्रों द्वारा स्पष्ट देख रही हूं। पूरा वतन रंग बिरंगे फूलों की खुशबू
से महक रहा है। मेरे ऊपर लगातार पुष्पो की वर्षा हो रही हैं। जहाँ - जहाँ मैं
पाव रखती हूं मुझे ऐसा अनुभव होता है जैसे मेरे पैरों के नीचे मखमली फूंलो का
गलीचा बिछा हुआ है। सामने मेरे दिलाराम मेरे बागवान बाबा अपने लाइट माइट
स्वरूप में रंग बिरंगे फूलो से सजे एक बहुत सुंदर झूले पर बैठे मेरा इन्जार कर
रहें हैं। मुझे देखते ही बाबा मुस्कराते हुए स्वागत की मुद्रा में खड़े हो कर
अपनी बाहें फैला लेते हैं और आओ मेरे रूहे गुलाब बच्चे कह कर अपने गले लगा लेते
हैं।
➳ _ ➳ बाबा की बाहों के झूले में झूलते, अपनी आंखें बन्द कर मैं असीम सुख
की अनुभूति में खो जाती हूँ। अतीन्द्रिय सुखमय स्थिति का गहराई तक अनुभव करने
के बाद मैं जैसे ही अपनी आंखें खोलती हूं तो देखती हूँ कि बाबा के साथ मैं एक
बहुत बड़े फूंलो के बगीचे में खड़ी हूँ। बाबा बड़े प्यार से एक एक - एक फूल पर
दृष्टि डाल कर, हर फूल को बड़े प्यार से सहलाते हुए आगे बढ़ जाते हैं। मैं भी
बाबा के पीछे - पीछे चलते हुए हर फूल को बड़े ध्यान से देख रही हूं। कुछ फूल तो
एक दम खिले हुए बड़ी अच्छी खुशबू फैला रहे हैं, कुछ अधखिलें हैं और कुछ थोड़े
थोड़े मुरझाए हुए भी दिखाई दे रहें हैं। लेकिन हर फूल के ऊपर प्यार भरी दृष्टि
डाल कर अब बाबा वापिस उस झूले पर आ कर बैठ जाते हैं और मुझे भी अपने पास बैठने
का ईशारा करते हैं।
➳ _ ➳ मेरे मन मे चल रही दुविधा को जैसे बाबा मेरे चेहरे से स्पष्ट पढ़ रहे
हैं इसलिए मेरे कुछ भी पूछने से पहले बाबा मुझसे कहते हैं, मेरे रूहे गुलाब
बच्चे:- "इस काँटो की दुनिया को फूलो की नगरी बनाने के लिए ही बाबा ये सैपलिंग
लगा रहें हैं" और ये सभी फूल मेरे वो मीठे, सिकीलधे बच्चे हैं जो श्रीमत पर चल
काँटे से फूल बनने का पुरुषार्थ कर रहें हैं, लेकिन नम्बरवार हैं। इसलिए कुछ
फूल तो पूरी तरह खिले हुए हैं जो अपनी रूहानियत की खुशबू सारे विश्व में फैला
रहें हैं। कुछ अधखिले हैं जो अभी खिलने के लिए तैयार हो रहें हैं। और कुछ
मुरझाए हुए भी हैं जो बार बार माया से हार खाते रहते हैं। लेकिन बाबा अपने हर
बच्चे को नम्बर वन रूहे गुलाब के रूप में देखना चाहते हैं इसलिए हर बच्चे को
सूक्ष्म में इमर्ज कर उन्हें बल देते रहते हैं।
➳ _ ➳ अपने मन में चल रहे सभी सवालों के जवाब सुन कर अब मैं मन ही मन दृढ़
संकल्प करती हूं कि अब मुझे नम्बर वन रूहे गुलाब अवश्य बनना है। इसलिए काँटे
से फूल बन, सबको फूल बनाने का ही अब मुझे पुरुषार्थ करना है। बाबा मेरे मन के
हर संकल्प को पढ़ कर बड़ी गुह्य मुस्कराहट के साथ मुझे देखते हैं और अपना
वरदानीमूर्त हाथ मेरे सिर पर रख देते है। मुझे माया जीत भव और सफलता मूर्त भव
का वरदान देते हुए मेरे मस्तक पर विजय का तिलक लगाते हैं।
➳ _ ➳ विजय का स्मृति तिलक लगाकर, काँटे से फूल बनने के पुरुषार्थ में आने
वाले माया के हर विघ्न का डटकर सामना करने के लिए अब मैं स्वयं को बलशाली बनाने
के लिए निराकारी ज्योति बिंदु आत्मा बन चल पड़ती हूँ अपने निराकार काँटो को फूल
बनाने वाले बबूलनाथ अपने प्यारे परमपिता परमात्मा शिव बाबा के पास परमधाम और जा
कर उनके सानिध्य में बैठ स्वयं को उनकी सर्वशक्तियो से भरपूर करने लगती हूँ।
स्वयं में परमात्म बल भर कर अब मैं वापिस लौट रही हूँ।
➳ _ ➳ साकारी दुनिया मे, अपने साकारी ब्राह्मण तन में प्रवेश कर, अब मैं
अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली हर आत्मा को सच्चा - सच्चा परमात्म ज्ञान सुना
कर उन्हें शान्तिधाम, सुखधाम जाने का रास्ता बता रही हूँ। रूहानियत की खुशबू
चारों और फैलाते हुए अपनी पवित्रता की शक्ति से मैं विकारों रूपी काँटो की चुभन
से पीड़ित आत्माओं को उस चुभन से निकाल उन्हें फूलो की मखमली शैया का सुखद अनुभव
करवा कर उन्हें भी काँटे से फूल बनने का सत्य मार्ग दिखा रही हूँ।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं दिनचर्या के हर कर्म में यथार्थ और युक्तियुक्त चलने वाली पूज्य, पवित्र आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं सदा विजयी और एकरस स्थिति बनाने वाली सूर्यवंशी आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त
बापदादा :-
➳ _ ➳ १.
तन तो सबके पुराने हैं ही, चाहे
जवान हैं,
चाहे बड़े हैं,
छोटे और ही बड़ों से भी कहाँ-कहाँ कमजोर हैं, चाहे
बीमारी बड़ी है लेकिन बीमारी की महसूसता कि मैं कमजोर हूँ, मैं
बीमार हूँ - ये बीमारी को बढ़ा देती है। क्योंकि तन
का प्रभाव मन पर आ गया तो डबल बीमार हो गये। तन और मन दोनों से डबल बीमार होने
के कारण बार-बार सोल
कान्सेस के बजाय बीमारी कान्सेस हो जाते हैं।
➳ _ ➳
२.
तन से तो मैजारिटी, बीमार
कहो या हिसाब-किताब चुक्तु करना कहो, कर
रहे हैं, लेकिन
५० परसेन्ट डबल
बीमार और ५० परसेन्ट सिंगल बीमार हैं।
➳ _ ➳
३.
कभी भी मन में बीमारी का संकल्प नहीं लाना चाहिये- मैं बीमार हूँ, मैं
बीमार हूँ... लेकिन होता क्या है? ये
पाठ पक्का हो जाता है कि मैं बीमार हूँ.... कभी-कभी किसी समय बीमार होते नहीं
हैं लेकिन मन में खुशी नहीं है तो
बहाना करेंगे कि मेरे कमर में दर्द है। क्योंकि मैजारिटी को या तो टांग दर्द, या
कमर का दर्द होता है, कई
बार दर्द होता
नहीं है फिर भी कहेंगे मेरे को कमर में दर्द है।
➳ _ ➳
आजकल के हिसाब से दवाइयाँ खाना ये बड़ी बात नहीं समझो। क्योंकि कलियुग का
वर्तमान समय सबसे शक्तिशाली फ्रूट ये दवाइयाँ हैं। देखो कोई रंग-बिरंगी तो हैं
ना। कलियुग के लास्ट का यही एक फ्रूट है तो खा लो प्यार से। दवाई खाना ये
बीमारी याद नहीं दिलाता। अगर दवाई को मजबूरी से खाते हो तो मजबूरी की दवाई
बीमारी याद दिलाती है और शरीर को चलाने के लिये एक शक्ति भर रहे हैं, उस
स्मृति में खायेंगे तो दवाई बीमारी याद नहीं दिलायेगी,
खुशी दिलायेगी तो बस दो-तीन दिन में दवाई से ठीक हो जायेंगे।
➳ _ ➳
आजकल के तो बहुत नये फैशन हैं, कलियुग
में सबसे ज्यादा इन्वेन्शन आजकल दवाइयाँ या अलग-अलग थेरापी निकाली है, आज
फलानी थेरापी है, आज
फलानी, तो
ये कलियुग के सीजन का शक्तिशाली फल है। इसलिए घबराओ नहीं। लेकिन दवाई कांसेस,
बीमारी कांसेस होकर नहीं खाओ। तो तन की बीमारी होनी ही है, नई
बात नहीं है। इसलिए बीमारी से कभी घबराना नहीं।
बीमारी आई और उसको फ्रूट थोड़ा खिला दो और विदाई दे दो।
✺
ड्रिल :- "बीमारी कान्सेस के बजाय सोल कान्सेस में रहना"
➳ _ ➳
शाखाओं पर झूलती पकी धान की सुनहरी बालियाँ... वातावरण को महकाती हुई... शाखाओं
से अलग होने के इन्तजार में है... कलियुग का अन्तिम प्रहर और मैं आत्म पंछी
देहभान की शाखाओं से खुद को मुक्त कर उड चला एक अनोखी सी उडान पर... दुखों से
मुक्ति की उडान... मैं उडता जा रहा हूँ निरन्तर ऊँचाईयों की ओर... सब कुछ
छोटा और छोटा प्रतीत हो रहा है मुझे... वो सभी कुछ जो पीछे छोडता जा रहा हूँ
मैं... देह की पीडा,
देह
के सुख,
संबधों में लगाव... जैसे सब कुछ बहुत ही छोटी छोटी बाते है... ये ऊँची
बिल्डिगें ये पर्वत,
ये
नदियाँ,
ये
झरने जैसे सब कुछ नन्हें खिलौने मात्र है... गहराई से महसूस कीजिए... उन सबकी
लघुता को...
➳ _ ➳
फरिश्ता रूप में मैं,
बापदादा के सामने हिस्ट्री हाॅल में... बापदादा आज चिकित्सक के रूप में है...
(दृश्य चित्र बनाकर देखे बाप दादा को एक चिकित्सक के रूप में) मैं देख रहा हूँ
गौर से उनकी एक एक भाव भंगिमा को... महसूस कर रहा हूँ उनके अन्दर किस कदर हम
बच्चों के प्रति कल्याण की भावना है... उनकी आज की वेशभूषा इस बात का प्रमाण
है... बापदादा के सामने रंग बिरंगी गोलियों का बडा ढेर है... कलियुग का
शक्तिशाली फल... और आज वरदानों के साथ बाप दादा बच्चों को यही गोलियाँ टोली
के रूप में दे रहे हैं... शरीर के हिसाब चुक्तु करने की बडी लिफ्ट ये गोलियाँ
और देही अभिमानी बनने का वरदान...
➳ _ ➳
मेरी बारी आती है... मैं मन में कुछ संकल्प विकल्प लिए बाबा के सामने हूँ... और
बाबा जैसे बिना बतायें ही सब कुछ समझ गये हैं... स्नेह से हाथ पकड कर बिठा
लिया है उन्होने अपनी गोद में... और मैं नन्हें बच्चे की तरह दुबक गया हूँ,
उनकी गोद में जैसे कोई नन्हा पंछी छिप जाता है,
अपनी माँ के पंखों के नीचे... मेरे सर पर स्नेह से हाथ फेरते बापदादा अपने
स्नेह से ही मेरी मन के सभी विकल्पों का समाधान कर रहे है... मैं महसूस कर रहा
हूँ कि मेरा बीमारी काॅन्सेस हो जाना ही मुझे डबल बीमार कर देता है... इसी
समझ के साथ बापदादा से मैं कलियुग का शक्तिशाली फल खुशी खुशी ले लेता हूँ,
बापदादा सर पर हाथ रखकर मुझे आत्म अभिमानी बनने का वरदान दे रहें है...
➳ _ ➳
वरदानों की शक्ति स्वयं में समाये हुए मैं राकेट की तेज गति से परमधाम में...
कुछ देर सारे संकल्पों को मर्ज करके... बस एक ही संकल्प में स्थित... मैं आत्म
अभिमानी हूँ संकल्प का स्वरूप बनने की शक्ति देते शिव बाबा... (देर तक महसूस
करें शक्तियों का वो झरना खुद के ऊपर) और इसी एक संकल्प मैं बल भरकर,
मैं
आत्मा लौट आयी हूँ अपनी उसी पुरानी देह में, मगर
अब न कोई शिकवा है,
न
शिकायत... मैं सम्पूर्ण स्वस्थ और आत्मभिमानी अवस्था में...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━