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❍ 02 / 02 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *ज्ञान योग की मस्ती में रहे ?*
➢➢ *"हम आत्मा भाई - भाई हैं" - यह अभ्यास पक्का किया ?*
➢➢ *अक्लयाण के संकल्प को समाप्त कर अपकारियों पर भी उपकार किया ?*
➢➢ *मनमनाभाव की स्थिति में स्थित रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जैसे कोई शरीर में भारी है, बोझ है तो अपने शरीर को सहज जैसे चाहे वैसे मोल्ड नहीं कर सकोगें। ऐसे ही *अगर मोटी-बुद्धि है अर्थात् किसी न किसी प्रकार का व्यर्थ बोझ वा व्यर्थ किचड़ा बुद्धि में भरा हुआ है, कोई न कोई अशुद्धि है तो ऐसी बुद्धि वाला जिस समय चाहे, वैसे बुद्धि को मोल्ड नहीं कर सकेगा* इसलिए बहुत स्वच्छ, महीन अर्थात् अति सूक्ष्म-बुद्धि, दिव्य बुद्धि, बेहद की बुद्धि, विशाल बुद्धि चाहिए। ऐसी बुद्धि वाले ही सर्व सम्बन्ध का अनुभव जिस समय, जैसा सम्बन्ध वैसे स्वयं के स्वरूप का अनुभव कर सकोगें।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं एक बाप दूसरा न कोई ऐसी स्मृति में रहने वाला 'महावीर' हूँ"*
〰✧ सदा अपने को महावीर समझते हो? *महावीर की विशेषता - एक राम के सिवाए और कोई याद नहीं! तो सदा एक बाप दूसरा न कोई ऐसी स्मृति में रहने वाले 'सदा महावीर'। सदा विजय का तिलक लगा हुआ हो।*
〰✧ जब एक बाप दूसरा न कोई तो अविनाशी तिलक रहेगा। संसार ही बाप बन गया। *संसार में व्यक्ति और वस्तु ही होती, तो सर्व सम्बन्ध बाप से तो व्यक्ति आ गये और वस्तु, वह भी सर्व प्राप्ति बाप से हो गई।*
〰✧ *सुख-शान्ति-ज्ञान-आनन्द-प्रेम.. सर्व प्राप्तियॉं हो गई। जब कुछ रहा ही नहीं तो बुद्धि और कहाँ जायेगी, कैसे? अच्छा-*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ डबल फारेनर्स को एक सेकण्ड में कोई भी व्यर्थ बात, कोई भी निगेटिव बात, कोई भी बीती बात, उसको मन से बिन्दी लगाना आता है? डबल फारेनर्स जो समझते हैं कि कैसी भी बीती हुई बात, अच्छी बात तो भूलनी है ही नहीं, भूलनी तो व्यर्थ बातें ही होती हैं। तो *कोई भी बात जिसको भूलने चाहते हैं, उसको सेकण्ड में बिन्दी लगा सकते हैं?*
〰✧ जो फारेनर्स लगा सकते हैं, वह सीधा, लम्बा हाथ उठाओ। मुबारक हो। अच्छा, *जो समझते हैं कि एक सेकण्ड में नहीं एक घण्टा तो लगेगा ही? सेकण्ड तो बहुत थोडा है ना! एक घण्टे के बाद बिन्दी लग सकती है, वह हाथ उठाओ। जो घण्टे में बिन्दी लगा सकते हैं, वह हाथ उठाओ।*
〰✧ देखा, फारेनर्स तो बहुत अच्छे हैं। भारतवासी भी जो समझते हैं एक घण्टे में नहीं आधे दिन में बिन्दी लग सकती है, वह हाथ उठाओ। (कोई ने हाथ नहीं उठाया) हैं तो सही, बापदादा को पता है। बापदादा तो देखता रहता है, हाथ नहीं उठाते, लेकिन लगता है। लेकिन *समझो आधा दिन लगे, एक घण्टा लगे और आपको एडवांस पार्टी का निमन्त्रण आ जाए तो? तो क्या रिजल्ट होगी?*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ अगर आवाज से परे निराकार रूप में स्थित हो फिर साकार में आयेंगे, तो फिर औरों को भी उस अवस्था में ला सकेंगे। *एक सेकण्ड में निराकार एक सेकण्ड में साकार - ऐसी ड़िल सीखनी है। अभी-अभी साकारी। जब ऐसी अवस्था हो जायेगी तब साकार रूप में हर एक को निराकार रूप का आप से साक्षात्कार हो।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- विदेही बन बाप को याद करना"*
➳ _ ➳ *वर्षा के बाद आसमान में निकले इन्द्रधनुष को मैं आत्मा निहार रही हूँ... इन्द्रधनुषी रंगों से सजा ये आसमान ऐसे लग रहा, जैसे आसमान ने अपने माथे पर रंग-बिरंगी बिंदिया लगाईं हो... गले में सतरंगी माला पहनी हो...* एक तरफ बादलों के पीछे से सूरज निकल रहा जैसे ज्ञान सूर्य बाबा मुझे ऊपर बुला रहे हों... मैं आत्मा इस देह से न्यारी होती हुई ऊपर उडती हुई पहुँच जाती हूँ वतन में बाबा के पास...
❉ *प्यारे बाबा मुझे अपने निज स्वरुप की स्मृति दिलाते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... *इस देह और देहधारियों के सम्बन्धो में फसकर स्वयं के सच्चे दमकते आत्मिक स्वरूप को ही भूल गए हो... इस खेल को ही अपना वजूद समझ दुखी हो गए हो... अब अपने उसी सच्चे स्वरूप के भान में खो जाओ... और अपने सच्चे पिता शिवबाबा को याद करो...* और दूसरों को भी बाप की याद दिलाओ... यह याद ही सारे सुखो का आधार है..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा के प्यार में मीठी डुबकी लगाती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके बिना तो देह के दलदल में गर्दन तक गहरे धँसी थी... *आपने प्यारे बाबा मुझे मेरे दमकते सौंदर्य का अहसास कराया... और सच्चे पिता का सच्चा रिश्ता मेरे दिल में सजाया... मै आत्मा आपकी अथाह प्यार की गहराई में डूब गयी हूँ..."*
❉ *मीठा बाबा मेरे देहभान का आवरण उतारते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस देह में मात्र खेल के लिए अवतरित हुए हो... *अपने अविनाशी सुन्दरतम स्वरूप के नशे में डूब जाओ... किसके हो क्या हो और कहाँ से आये हो इस खुमारी में खो जाओ... एकमात्र सच्चे सहारे वफादार साथी शिवबाबा को ही याद करो जो सदा की वफादारी निभायेगा..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सच्चे साफ दिल में सिर्फ प्यारे बाबा को बिठाकर कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा आपकी मीठी यादो में अपने रूप के नशे में खो गई हूँ... विदेही बन मुस्करा रही हूँ और मीठे बाबा की प्यारी सी बाँहों में राजकुमारी सी इठला रही हूँ...* भगवान मुझे प्यार कर रहा है और मै उसके प्यार डूबती जा रही हूँ..."
❉ *मेरे बाबा अविनाशी सुखों के रस का पान कराते हुए कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... विनाशी रिश्तो को विनाशी देह को प्यार करके अपनी सारी शक्तियो और गुणो को गवांया... अब इस भ्रम से बुद्धि को निकालो... *अपने सुंदर आत्मिक नशे में झूम उठो... विदेही हो... इस भान में आकर प्यारे बाबा को प्यार करो और असीम आनन्द से भर जाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा देहधारियों से बुद्धियोग निकाल एक विदेही बाबा की याद में मग्न होकर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा विदेही बन मुस्करा रही हूँ... मीठे बाबा से अपने अविनाशी स्वरूप को जानकर... अनन्त खुशियो में खिलखिला रही हूँ...* प्यारे बाबा के प्यार की गहराई में डूबी हुई अपने और दूसरों के शानदार भाग्य को सहार रही हूँ..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- झरमुई -झगमुई (व्यर्थ चिन्तन ) में अपना समय नही गंवाना है*
➳ _ ➳ अविनाशी ज्ञान रत्नों से मुझ आत्मा का श्रृंगार करने वाले ज्ञान सागर *अपने प्यारे शिव प्रीतम से मिलने की जैसे ही मन में इच्छा जागृत होती है। वैसे ही मैं आत्मा सजनी ज्ञान रत्नों का सोलह श्रृंगार कर चल पड़ती हूँ ज्ञान के अखुट खजानो के सौदागर अपने शिव प्रीतम के पास*। उनके साथ अपने प्यार की रीत निभाने के लिए देह और देह के साथ जुड़े सर्व संबंधों को तोड़, निर्बंधन बन, ज्ञान की पालकी में बैठ मैं आत्मा मन बुद्धि की यात्रा करते हुए अब जा रही हूं उनके पास।
➳ _ ➳ उनका प्यार मुझे अपनी ओर खींच रहा है और उनके प्रेम की डोर में बंधी मैं बरबस उनकी ओर खिंचती चली जा रही हूँ। *उनके प्यार में अपनी सुध-बुध खो चुकी मैं आत्मा सजनी सेकंड में इस साकार वतन और सूक्ष्म वतन को पार कर पहुंच जाती हूं परमधाम अपने शिव साजन के पास*। ऐसा लग रहा है जैसे वह अपनी किरणों रूपी बाहें फैलाए मेरा ही इंतजार कर रहे हैं। उनके प्यार की किरणों रूपी बाहों में मैं समा जाती हूं। उनके निस्वार्थ और निश्छल प्यार से स्वयं को भरपूर कर, तृप्त होकर मैं आ जाती हूँ सूक्ष्म लोक।
➳ _ ➳ लाइट का फरिश्ता स्वरूप धारण कर मैं फ़रिशता पहुंच जाता हूं अव्यक्त बापदादा के सामने। अव्यक्त बापदादा की आवाज मेरे कानों में स्पष्ट सुनाई दे रही है। *बाबा कह रहे हैं, हे आत्मा सजनी आओ:- "ज्ञान रत्नों का श्रृंगार करने के लिए मेरे पास आओ"।* बाप दादा की आवाज सुनकर मैं फ़रिशता उनके पास पहुंचता हूं। बाबा अपने पास बिठाकर बड़ी प्यार भरी नजरों से मुझे निहारने लगते हैं और अपनी सर्व शक्तियों रूपी रंग बिरंगी किरणों से मुझे भरपूर करने लगते हैं।
➳ _ ➳ सर्वशक्तियों से मुझे भरपूर करके बाबा अब मुझे एक बहुत बड़े हॉल के पास ले आते हैं। जिसमें अमूल्य हीरे जवाहरात, मोती, रत्न आदि बिखरे पड़े हैं। किंतु उस पर कोई भी ताला चाबी नहीं है। उनकी चमक और सुंदरता को देखकर मैं आकर्षित होकर उस हॉल के बिल्कुल नजदीक पहुंच जाता हूं। *बाबा मुझे उस हॉल के अंदर ले जाते हैं और मुझसे कहते हैं:- "ये अविनाशी ज्ञान रत्न है। इन अविनाशी रत्नों का ही आपको श्रृंगार करना है"।* कितना लंबा समय अपने अविनाशी साथी से अलग रहे तो श्रृंगार करना ही भूल गए, अविनाशी खजानों से भी वंचित हो गए। किंतु अब बहुत काल के बाद जो सुंदर मेला हुआ है तो इस मेले से सेकेंड भी वंचित नहीं रहना।
➳ _ ➳ यह कहकर बाबा उन ज्ञान रत्नों से मुझे श्रृंगारने लगते हैं। *मेरे गले मे दिव्य गुणों का हार और हाथों में मर्यादाओं के कंगन पहना कर बाबा मुझे सर्व ख़ज़ानों से भरपूर करने लगते है*। सुख, शांति, पवित्रता, शक्ति और गुणों से अब मैं फ़रिशता स्वयं को भरपूर अनुभव कर रहा हूँ। बाबा ने मुझे ज्ञान रत्नों के खजानों से मालामाल करके सम्पत्तिवान बना दिया है। सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के श्रृंगार से सजा मेरा यह रूप देख कर बाबा खुशी से फूले नही समा रहे। बाबा जो मुझ से चाहते हैं, बाबा की उस आश को मैं आत्मा सजनी बाबा के नयनो में स्पष्ट देख रही हूं।
➳ _ ➳ मन ही मन अपने शिव प्रीतम से मैं वादा करती हूँ कि ज्ञान रत्नों के श्रृंगार से अब मैं आत्मा सदा सजी हुई रहूँगी और मुख से सदैव ज्ञान रत्न ही निकालूंगी। *अपने शिव साथी से यह वादा करके अपनी फ़रिशता ड्रेस को उतार अब धीरे-धीरे मैं आत्मा वापिस इस देह में अवतरित हो गयी हूँ*। अब मैं बाबा से मिले सर्व ख़ज़ानों से स्वयं को सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ। जैसे मेरे अविनाशी साजन ने मुझ आत्मा को गुणों और शक्तियों के गहनों से सजाया है वैसे ही मैं आत्मा भी वरदानीमूर्त बन अब अपने सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को अपने मुख से ज्ञान रत्नों का दान दे कर उन्हें भी परमात्म स्नेह और शक्तियों का अनुभव करवा रही हूं।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अकल्याण के संकल्प को समाप्त कर अपकारियो पर उपकार करने वाली ज्ञानी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं मनमनाभव की स्थिति में स्थित रहकर औरों के मन के भावों को जानने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ (बापदादा ने बहुत पावरफुल ड्रिल कराई) अच्छा - यही अभ्यास हर समय बीच-बीच में करना चाहिए। *अभी-अभी कार्य में आये, अभी-अभी कार्य से न्यारे, साकारी सो निराकारी स्थिति में स्थित हो जाएं।* ऐसे ही यह भी अनुभव देखा, *कोई समस्या भी आती है तो ऐसे ही एक सेकण्ड में साक्षीदृष्टा बन, समस्या को एक साइडसीन समझ, तूफान को तोहफा समझ उसको पार करो।* अभ्यास है ना? आगे चलकर तो ऐसे अभ्यास की बहुत आवश्यकता पड़ेगी। फुल स्टाप। क्वेश्चन मार्क नहीं, यह क्यों हुआ, यह कैसे हुआ? हो गया। *फुलस्टाप और अपने फुल शक्तिशाली स्टेज पर स्थित हो जाओ। समस्या नीचे रह जायेगी, आप ऊँची स्टेज से समस्या को साइडसीन देखते रहेंगे।* अच्छा।
✺ *ड्रिल :- "समस्या को साइड-सीन समझ पार करने का अनुभव करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा फरिश्ता स्वरुप की प्रकाशमय काया में हूँ... मेरे सामने मीठे बापदादा खड़े हैं... जिन्हें देखकर मैं फरिश्ता अति आनंदित हो रहा हूँ... मीठे बापदादा मुझे सर्व शक्तियों और गुणों से श्रृंगार रहे हैं...* अपने बापदादा के साथ के ये पल कितने सुंदर हैं... कितने सुहाने हैं... बापदादा मेरा हाथ पकड़ मुझे सैर के लिए ले जाते हैं... मैं आत्मा रूहानी नशे और ख़ुमारी में मगन हो... प्यारे बापदादा के साथ चल रही हूँ...
➳ _ ➳ *बापदादा मुझे प्रकृति के भिन्न-भिन्न सीन दिखा रहे हैं...* मुझे कभी लहलहाते खेतों में ले जाते हैं... कभी सुरम्य वादियों में... जहां की हरियाली मन को आनंदित कर रही है... बाबा कभी मुझे नदी, झील, झरनों के किनारे ले जाते हैं... जहां का कल कल करता जल समूचे वातावरण में... मधुर ध्वनि घोल रहा है... चारों और शीतलता फैला रहा है... पक्षियों का कलरव कानों में मधुरस बरसा रहा है... कभी बापदादा मुझे दुर्गम रास्तों पर, दुर्गम पहाड़ियों पर ले जाते हैं... जहां कुछ कदम चलना ही जोखिम भरा है... कभी बाबा मुझे रेगिस्तान में चिलचिलाती धूप का, कभी अतिवृष्टि, तो कभी अनावृष्टि का सीन दिखाते हैं... *ये विभिन्न सीन सीनरियाँ दिखाते हुए मानो बाबा कह रहे हैं कि... यह विविधता ही प्रकृति का सौंदर्य है... हमें हर सीन का आनंद लेना है...*
➳ _ ➳ बाबा से मिली इस टचिंग पर मैं आत्मा गहराई से चिंतन कर रही हूँ... बाबा अब मुझे रूहानी ड्रिल करा रहे हैं... मैं निराकारी स्थिति में स्थित हूँ... मैं प्रकाश की मणि हूँ... ज्योतिबिंदु आत्मा हूँ... अपने बिंदी बाबा से सर्व शक्तियां स्वयं में समाती जा रही हूँ... *मैं प्रकाशमय आत्मा अपने स्थूल शरीर में प्रवेश करती हूँ... मैं सब प्रकार के कर्मबन्धनों से, कर्मों के प्रभाव से मुक्त हूँ...* मैं देह से न्यारी निराकार आत्मा हूँ... मैं आत्मा निमित्त मात्र ट्रस्टी बनकर हर कर्म कर रही हूँ... देह, कर्म का बंधन मुझे बांध नहीं सकता... मैं सर्व बंधनों से मुक्त न्यारी और प्रभु प्यारी आत्मा हूँ... *मैं आत्मा सेकेंड में देह से न्यारे होने का अभ्यास कर रही हूँ... कर्म में आना और सेकंड में अशरीरी बनना... मुझ आत्मा के लिए सहज बनता जा रहा है...*
➳ _ ➳ मैं साक्षी होकर हर परिस्थिति को देख रही हूँ... जीवन में सुखदाई पल भी आते हैं... तो चैलेंजिंग घड़ियाँ भी आती हैं... *हर परिस्थिति में मैं आत्मा स्वयं को डिटैच देख रही हूँ... मैं आत्मा हर पल का आनंद ले रही हूँ...* जैसे ट्रेन, बस में यात्रा करते हैं उसमें हर सीन का हम आनंद लेते हैं क्योंकि हमें पता होता है कि यह साइड सीन हैं... ये आने ही हैं... इन्हें हम बदल नहीं सकते... ठीक इसी प्रकार *मैं आत्मा जीवन में आने वाली हर परिस्थिति को साक्षी होकर देख रही हूँ...*
➳ _ ➳ जीवन यात्रा में आने वाला हर विघ्न, समस्या मुझ शक्तिशाली आत्मा के लिए एक तोहफा बन रही है... जो मुझे आगे बढ़ाने की, सफलता और संपूर्णता की ओर ले जाने की सीढ़ी बन गई है... *मैं सेकंड में बिंदी रूप में स्थित हो रही हूँ... क्यों, क्या के प्रश्नों से मुक्त होकर मैं प्रसन्नचित आत्मा बन रही हूँ...* मैं व्यर्थ बातों से मुक्त होती जा रही हूँ... मैं कल्याणकारी आत्मा, कल्याणकारी बाबा और कल्याणकारी ड्रामा की स्मृति से व्यर्थ को सेकंड में फुलस्टॉप लगा रही हूँ... बातों को जल्दी जल्दी खत्म कर रही हूँ... *फुलस्टॉप लगाने और अपने शक्तिशाली फरिश्ता स्टेज की ऊंची स्थिति में... स्थित होने के कारण बातें नीचे ही रह जाती हैं... और बातों का प्रभाव मुझ पर नहीं हो रहा है...* मैं बातों को साइडसीन मानकर उन्हें सहजता से क्रॉस कर रही हूँ... जीवन के हर पल का मीठे बाबा के साथ से आनंद ले रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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