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❍ 26 / 03 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *सच्चे बाप से सदा सच्चे रहे ?*
➢➢ *शिवबाबा को अपना वारिस बनाकर सब कुछ सफल किया ?*
➢➢ *गंभीरता के गुण द्वारा फुल मार्क्स जमा किये ?*
➢➢ *बिंदु रूप में स्थित रह समस्याओं को सेकंड में बिंदु लगाया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जैसे कोई सागर में समा जाए तो उस समय सिवाय सागर के और कुछ नज़र नहीं आयेगा । *तो बाप अर्थात् सर्वगुणों के सागर में समा जाना, इसको कहा जाता है लवलीन स्थिति । तो बाप में नहीं समाना है, लेकिन बाप की याद में, स्नेह में समा जाना है ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं हिम्मत और हुल्लासे के पँखों से उड़ने वाला हूँ"*
〰✧ सदा हिम्मत और हुल्लास के पंखों से उड़ने वाले हो ना! *उमंग उत्साह के पंख सदा स्वयं को भी उड़ाते और दूसरों को भी उड़ाने का मार्ग बताते हैं। यह दोनों ही पंख सदा ही साथ रहें। एक पंख भी ढीला होगा तो ऊंचा उड़ नहीं सकेंगे।* इसलिए यह दोनों ही आवश्यक हैं। हिम्मत भी, उमंग हुल्लास भी।
〰✧ *हिम्मत ऐसी चीज है जो असम्भव को सम्भव कर सकती है हिम्मत मुश्किल को सहज बनाने वाली है। नीचे से ऊंचा उड़ाने वाली है।* तो सदा ऐसे उड़ने वाले अनुभवी आत्मायें हो ना!
〰✧ *नीचे में आने से तो देख लिया क्या प्राप्ति हुई! नीचे ही गिरते रहे लेकिन अब उड़ती कला का समय है। हाई जम्प का भी समय नहीं। सेकण्ड में संकल्प किया और उड़ा। ऐसी शक्ति बाप द्वारा सदा मिलती रहेगी।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ कोई भी अपने बुद्धी में व मन में डीस्ट्रबेन्स होगा वा लाइन क्लियर न होने के कारण अपने संकल्पों कि मिक्सचेरिटी हो सकती है। *इसलिए हरेक को देखना चाहिए कि हमारी बुद्धी की लाइन क्लियर है*। बुद्धी में कोई भी किसी प्रकार का विघ्न तो नहीं सताता है? अटूट, अटल, अथक यह तीनों ही बातें जीवन में है। अगर इन तीनों में से एक बात में भी कमी है तो समझाना चाहिए कि बुद्धी की लाइन क्लियर नहीं है।
〰✧ जब बुद्धी की लाइन क्लियर हो जायेगी तो उसकी स्थिती, स्मृति क्या होगी? जितनी - जितनी बुद्धी की लाइन अर्थीत पुरुषार्थ की लाइन क्लियर होगी उतना - उतना क्या स्मृती में रहेगा? *कोई भी बात में उनके सामने भविष्य ऐसा स्पष्ट होगा जैसे वर्तमान स्पष्ट होता है*। उनके लिए वर्तमान और भविष्य एक समान हो जायोंगे।
〰✧ जैसे आजकल साइन्सदानों ने कहाँ - कहाँ की बातों को इतना स्पष्ट दिखाया है जो दूर की चीज भी नजदीक नजर आती है। *इसी रीती से जिनका पुरुषार्थ क्लियर होगा उनको भविष्य की हर बात दूर होते भी नजदीक दिखाई पडेगी*। जैसे आजकल टेलिविजन में देखते है तो सभी स्पस्ट दिखाईढं पडता है ना। तो उनकी बुद्धी और उनकी दृष्टि टेलिविजन की भाँती में सभी बातें स्पष्ट देखेंगी और जानेंगी। और कोई भी बात में पुरुषार्थ की मुश्किलात नहीं रहेंगी।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जैसे स्थूल कर्मेन्द्रियों को जब चाहो, जहाँ चाहो वहाँ लगा सकते हो ना। अभी हाथ को ऊपर व नीचे करना चाहो तो कर सकते हो ना। अभी हाथ को ऊपर वा नीचे करना चाहो तो कर सकते हो ना। *तो जैसे स्थूल कर्मेन्द्रियों का मालिक बन जब चाहो कार्य में लगा सकते हो, वैसे ही संकल्प को व बुद्धि को जहाँ लगाने चाहो वहाँ लगा सकते हो इसको ही ईश्वरीय अथॉर्टी कहा जाता है।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप की सकाश लेने के लिए खुशबूदार फूल बनना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा फूलों के सुन्दर बगीचे में बैठ रंग-बिरंगे फूलों को देख मन्त्रमुग्ध हो रही हूँ... रंग-बिरंगे फूलों पर बैठ रंग-बिरंगी तितलियाँ भी मुस्कुरा रही हैं... चारों ओर का वातावरण भी सुगन्धित फूलों की खुशबू से महक उठा है...* जन्म-जन्मान्तर से मुझ आत्मा में चुभे हुए विकारों रूपी काँटों को निकाल मुझे भी खुशबूदार फूल बनाने वाले मीठे बागबान बाबा का आह्वान करती हूँ... फूलों को देखते हुए प्यारे बाबा मुझसे रूह-रिहान करते हैं...
❉ *मुझ पर फूलों की बारिश कर रूहानी सुगंध भरते हुए प्यारे बागबान बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... अब दुखदायी कांटे क्रोध को छोड़ मीठे बाबा संग मधुरता के पर्याय बनो... और *अपने दिव्य गुणो की खुशबु से सबके जीवन में खुशियो के फूल खिलाओ... सारे विश्व को अपनी ईश्वरीय दिव्यता पवित्रता का मुरीद बना आओ...”*
➳ _ ➳ *फूलों की रानी बन चारों ओर अपनी रूहानियत को फैलाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आप संग मिलकर तो पारस हो गई हूँ... *हर दिल आत्मा को आपसे पाये मीठे प्यार और गुणो की झलक दिखा रही हूँ... कौन मुझे मिला है और किसने इतना खुबसूरत फूल मुझे बनाया है... यह खुशबु पूरे जहान में फैला रही हूँ...”*
❉ *उमंगो के पंख लगाकर मेरे मन में खुशियों के पुष्प बरसाते हुए मीठा बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... महान भाग्य को पाकर ईश्वर पुत्र जो बन गए हो तो बाप समान स्वरूप की अदा सारे विश्व में दिखाओ... *सबको प्रेम वर्षा से सिंचित कर रूहानियत के फूल खिला आओ... ईश्वरीय छत्रछाया में विकारो से मुक्त होकर सुंदर देवताई स्वरूप से सज जाओ... प्यार के मोती सबके दामन में सजा आओ...”*
➳ _ ➳ *विकारों से मुक्त होकर देवताई गुणों के सौंदर्य से महकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में तो क्रोध के जहरीले कांटे से मीठा महकता प्यार का फूल बन गई हूँ... *हर दिल को दुखो से दूर कर ईश्वरीय प्यार से सींचने वाली ज्ञान गंगा बन मुस्करा रही हूँ... रूहानी गुलाब बन चारो ओर खुशबु फैला रही हूँ...”*
❉ *स्नेह प्यार की मीठी रिमझिम कर मुझे पावनता से सजाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... विश्व पिता के प्यार भरी छाँव में रूखेपन को छोड़ रूहानियत से भर जाओ... *मीठे पिता की यादो के सुनहरे संग में स्वयं को निखार कर अपने निखरे स्वरूप की झलक से सबके दुःख दूर करने वाले दुखहर्ता बन जाओ... सच्चे सच्चे फूल बन मुस्कराओ...”*
➳ _ ➳ *खुशियों के रंगों से अपने बेरंग जीवन को सजाकर आनंद के सागर में लहराते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा जो कभी मिठास क्या होता है... सच्चा प्रेम क्या होता है जानती ही न थी... *आज ईश्वरीय यादो में कितना प्यारा मीठा महकता फूल बन मुस्करा रही हूँ... सुख का पर्याय बन पूरे विश्व में सुख की लहर फैला रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सदा खुशी में डांस करने के लिए सच्चे बाप से सदा सच्चा रहना है*"
➳ _ ➳ इस दुख देने वाली कलयुगी दुनिया झूठखण्ड का विनाश कर उसे सचखण्ड बनाने का जो कर्तव्य करने के लिए भगवान इस धरा पर अवतरित हुए हैं उस *सचखण्ड का मालिक बनने के लिए अपने सच्चे पिता के साथ अंदर बाहर सदा सच्चे होकर रहने की मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ और सचखण्ड की स्थापना करने वाले अपने प्यारे शिव भगवान का कोटि - कोटि शुक्रिया अदा करते हुए, उनकी मन को सुकून देने वाली मीठी याद में जैसे ही बैठती हूँ, मेरे मीठे बाबा मुझे सेकण्ड में अपनी और खींच लेते हैं*। एक ही क्षण में देह के भान को भूल मैं अपने बिंदु स्वरूप में मैं स्थित हो जाती हूँ और अपने सच्चे बाप से सच्चा मिलन मनाने उनकी निराकारी दुनिया की ओर चल पड़ती हूँ। देह, देह की दुनिया और देह के झूठे सम्बन्धो से किनारा करके, एक खूबसूरत रूहानी यात्रा पर अब मैं जा रही हूँ।
➳ _ ➳ मन मे अपने प्यारे पिता की मीठी यादों को समाये मन बुद्धि की इस यात्रा पर मैं आजाद पँछी की भांति उन्मुक्त होकर ऊपर की ओर उड़ती जा रही हूँ। मन बुद्धि के विमान पर सवार, अपने प्यारे पिता से मिलने की लगन के मगन मैं आत्मा आकाश को पार करती हूँ और फरिश्तों की एक बहुत ही सुंदर और निराली दुनिया मे पहुँच जाती हूँ। *यहाँ पहुंचते ही एक बहुत ही सुन्दर फ़रिश्ता ड्रेस मैं पहन लेती हूँ और फरिश्तों की इस दुनिया के सुंदर नजारों का आनन्द लेते हुए अपने प्राणप्रिय प्यारे बापदादा के पास पहुँचती हूँ*। बाबा बड़े प्यार से मुस्कराते हुए अपनी बाहों में मुझे भर लेते हैं और अपना असीम स्नेह मेरे ऊपर बरसाने लगते हैं। *बाबा के नयनो में अपने लिए समाये अथाह प्यार को देख मैं खुशी में झूमने लगती हूँ*।
➳ _ ➳ अपने प्यारे बापदादा से असीम स्नेह पाकर, उनसे मिलन मनाकर मैं जैसे ही वापिस आने के लिये मुड़ती हूँ बाबा सचखण्ड का एक खूबसूरत मॉडल मेरे हाथ पर सौगात के रूप में रख देते हैं। उसे अपने हाथ मे लेते ही मैं मन बुद्धि से उस खूबसूरत दुनिया मे पहुँच जाती हूँ। *देख रही हूँ मैं उस दुनिया के मन को लुभाने वाले बहुत ही सुंदर - सुन्दर नजारों को। चैतन्य देवी देवताओं की यह स्वर्णिम दुनिया जहाँ सुख शांति और सम्पन्नता की भरमार है। दुख देने वाली झूठी माया यहाँ है ही नही इसलिए राजा हो या प्रजा सभी सुखी और सम्पन्न हैं*। सन्तुष्टता का गहना पहने सभी अपने जीवन का आनन्द ले रहें हैं। इस सचखण्ड में प्रकृति भी दासी बन सबको सुख दे रही है। *सदाबहार मौसम, हरे भरे सुंदर खुशबूदार पेड़ पौधे, पेड़ो पर लगे रसीले सुन्दर फल और प्रकृति के बहुत ही खूबसूरत नज़ारे मैं इस दुनिया मे देख - देख कर आनन्दित हो रही हूँ*।
➳ _ ➳ अपने सत्य बाप द्वारा स्थापन की जा रही सतयुगी दुनिया के सुंदर नजारों का भरपूर आनन्द लेकर मैं ऐसी खूबसूरत सौगात देने वाले अपने सच्चे बाबा से सदा सच्चे होकर रहने का प्रोमिस करके अब अपनी फ़रिश्ता ड्रेस उतार कर, अपने निराकार बिंदु स्वरूप में स्थित होकर, अपने निराकार सत्य शिव बाबा से मिलने उनके परमधाम घर की ओर चल पड़ती हूँ। *सेकेण्ड से भी कम समय मे मैं अपने इस मूल वतन घर मे प्रवेश करती हूँ और अपने प्यारे पिता के पास पहुँच जाती हूँ। सूर्य के समान अति तेजोमय, अपनी किरणों रूपी बाहों को फैलाये सामने खड़े ज्ञानसूर्य अपने सच्चे पिता के सम्मुख जाकर मैं बैठ जाती हूँ और उनकी सर्वशक्तियों की किरणों की शीतल फुहारों के नीचे बैठ, भरपूर आनन्द लेकर, स्वयं को उनकी शक्तियों से भरपूर करके वापिस लौट आती हूँ फिर से फरिश्तो की उसी अव्यक्त दुनिया में*
➳ _ ➳ बापदादा से मिली सचखण्ड की सौगात को लेकर, अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे आकर अपने स्थूल शरीर मे प्रवेश करती हूँ। और *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर अपने सच्चे बाबा के साथ सदा सच्चे होकर रहने की अपनी प्रतिज्ञा को स्मृति के रखकर सचखण्ड का मालिक बनने के पुरुषार्थ में लग जाती हूँ*। इस झूठखण्ड मे रहते हुए भी माया के झूठे आकर्षणों से स्वयं को मुक्त रखते हुए, कदम - कदम पर अपने सच्चे बाबा से राय लेकर उनकी श्रीमत पर चलते हुए अब मैं हर कर्म कर रही हूँ।
➳ _ ➳ *जाने अनजाने में होने वाली छोटी से छोटी गलती को भी अपने सच्चे बाबा को बताकर, उनसे माफी मांग कर उस गलती को फिर ना दोहराने की स्वयं से और अपने सच्चे बाबा से प्रतिज्ञा करके, उस प्रतिज्ञा को दृढ़ता के साथ पूरा करते हुए, अपने सच्चे बाप द्वारा स्थापन किये जा रहे सचखण्ड का मालिक बनने का अब मैं पूरा पुरुषार्थ कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं गंभीरता के गुण द्वारा फुल मार्क्स जमा करने वाली गंभीरता की देवी वा देवता आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं बिंदु रूप में स्थित रहकर समस्याओं को सेकंड में बिंदु लगाने वाली बिंदुस्वरूप आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *ज्ञान सुनना सुनाना तो सहज है लेकिन ज्ञान स्वरूप बनना है। ज्ञान को स्वरूप में लाया तो स्वतः ही हर कर्म नालेजफुल अर्थात् नालेज की लाइट माइट वाला होगा।* नालेज को कहा ही जाता है लाइट और माइट। *ऐसे ही योगी स्वरूप, योगयुक्त, युक्तियुक्त स्वरूप।* धारणा स्वरूप अर्थात् हर कर्म, हर कर्मेन्द्रिय, हर गुण के धारणा स्वरूप होगी। सेवा के अनुभवी मूर्त, *सेवाधारी का अर्थ ही है निरन्तर स्वतः ही सेवाधारी, चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्मणा, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क हर कर्म में सेवा नेचुरल होती रहे,* इसको कहा जाता है चार ही सबजेक्ट में अनुभवी स्वरूप।
✺ *ड्रिल :- "चारों ही सबजेक्ट में अनुभवी स्वरूप बनना"*
➳ _ ➳ *भृकुटि में विराजमान मैं आत्मा... सभी बाहरी बातों से मन बुद्धि को हटाए स्वयं पर एकाग्र करती हूं... मैं चमकती हुई मणि... चैतन्य शक्ति हूं... सूक्ष्म शक्तियां मन बुद्धि संस्कार, कि मैं आत्मा मालिक हूं... मैं आत्मा राजा बन अपनी सम्पूर्ण राजधानी को नियन्त्रण किये हुए हूं...* मेरी सभी कर्मेन्द्रियां कर्मचारी बन मेरा आर्डर मान रही हैं... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी हूं... स्वयं की पहचान दे मुझ आत्मा को बाबा ने नॉलेजफुल बना दिया हैं... अब मैं आत्मा अंधेरे से ज्ञान सोझरे में स्वयं को अनुभव करती हूं... स्वयं की पहचान पाकर मैं आत्मा गदगद हो रही हूं...
➳ _ ➳ *बाबा ने, मुझे आत्मा, परमात्मा तथा ड्रामा का गुह्य राज बतलाकर, आप समान मास्टर नॉलेजफुल बना दिया हैं...* मैं आत्मा स्वयं को बेहद के अविनाशी ज्ञान रत्नों से श्रृंगारी हुई देखती हूं... मास्टर त्रिकालदर्शी, मास्टर नॉलेजफुल की स्टेज पर मैं आत्मा स्वयं को अनुभव कर रही हूं... *अब मैं आत्मा शिव पिता से बुद्धि का योग लगाए... अपने पापों को भस्म करती जा रही हूं... बाबा से ज्वाला स्वरूप किरणे मैं स्वयं पर महसूस करती हूं... इस योग अग्नि में मैं आत्मा अपने सम्पूर्ण पापों को भस्म होते देख रही हूं...*
➳ _ ➳ धीरे - धीरे मैं आत्मा सतोप्रधान अवस्था को पा रही हूं... मैं आत्मा पतित पावन बाबा की छत्रछाया में पतित से पावन बन रही हूं... मैं आत्मा देखती हूं... *जितना जितना मैं बाबा को याद करती हूं उतना उतना मैं आत्मा विकर्माजीत अवस्था को प्राप्त कर रही हूं...* मैं आत्मा संपूर्णता के अति निकट स्वयं को देखती हूं... मुझ आत्मा का हर कार्य युक्तियुक्त, योगयुक्त अवस्था को प्राप्त हैं... *मुझ आत्मा का पुराना सारा हिसाब किताब चुक्तु होता जा रहा हैं... निरंतर योगयुक्त स्थिती मुझ आत्मा को भविष्य कमाई में मदद कर रही है... मैं ज्ञानी तू योगी आत्मा बनती जा रही हूं...*
➳ _ ➳ योगयुक्त रहने से मैं स्वयं को बहुत ही हल्का और शक्तिशाली स्थिति में देखती हूं... *लाइट माइट स्थिति में स्थित मेरा हर कार्य नॉलेजफुल और योगयुक्त है...* मैं आत्मा स्वयं को धारणा स्वरुप स्थिति में अनुभव कर रही हूं... सारा दिन में मैं आत्मा देखती हूं, कि मेरा हर कर्म ईश्वर अर्थ सेवा में समर्पित हैं... *मनसा-वाचा-कर्मणा संबंध संपर्क में मैं आत्मा बाप समान पतितों को पावन बनाने का धंधा कर रही हूं... ये स्थिति मुझे अथक बना रही हैं...*
➳ _ ➳ बाबा की सर्वशक्तियो, खजानों से संपन्न मैं आत्मा, अथक हो संगम का हर सेकेंड, स्वांस, संकल्प सफल कर रही हूं... मैं देखती हूं जैसे जैसे मैं आत्मा तीव्र गति से बढ़ रही हूं वैसे-वैसे मेरी खुशी का पारा भी बढ़ता जा रहा हैं... मैं आत्मा अतींद्रिय सुखों के झूले में स्वयं को अनुभव कर रही हूं... *इस तरह से मैं आत्मा स्वयं को चारों सबजेक्ट में पास विद ऑनर देखती हूं... चारों ही सब्जेक्ट में मैं आत्मा अनुभवी मूरत होती जा रही हूं...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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