━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 21 / 01 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *बीती बातों का चिंतन तो नहीं किया ?*

 

➢➢ *सत्यता की शक्ति को धारण कर सर्व को आकर्षित किया ?*

 

➢➢ *पॉजिटिव संकल्प और शक्तिशाली वृत्ति से वायुमंडल को परिवर्तित किया ?*

 

➢➢ *ब्रह्मा बाप समान हर कर्म, वाणी और सम्बन्ध संपर्क में लवफुल रहे ?*

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

*अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  वर्तमान समय विश्व कल्याण करने का सहज साधन अपने श्रेष्ठ संकल्पों की एकाग्रता द्वारा, सर्व आत्माओं की भटकती हुई बुद्धि को एकाग्र करना है। *सारे विश्व की सर्व आत्मायें विशेष यही चाहना रखती हैं कि भटकी हुई बुद्धि एकाग्र हो जाए वा मन चंचलता से एकाग्र हो जाए। यह विश्व की मांग वा चाहना तब पूरी कर सकोगें। जब एकाग्र होने का अभ्यास होगा।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

   *"मैं याद की छत्रछाया के अनुभवी आत्मा हूँ"*

 

✧   सदा अपने ऊपर बाप के याद की छत्रछाया अनुभव करते हो? याद की छत्रछाया है। इस छत्रछाया को कभी छोड़ तो नहीं देते? *जो सदा छत्रछाया के अन्दर रहते हैं वे सर्व प्रकार के माया के विघ्नों से सेफ रहते हैं। किसी भी प्रकार से माया की छाया पड़ नहीं सकती।*

 

  *यह 5 विकार, दुश्मन के बजाए दास बनकर सेवाधारी बन जाते हैं। जैसे विष्णु के चित्र में देखा है - कि सांप की शय्या और सांप ही छत्रछाया बन गये। यह है विजयी की निशानी।* तो यह किसका चित्र है? आप सबका चित्र है ना। जिसके ऊपर विजय होती है वह दुश्मन से सेवाधारी बन जाते हैं। ऐसे विजयी रत्न हो।

 

  *शक्तियाँ भी गृहस्थी माताओंसे, शक्ति सेना की शक्ति बन गई। शक्तियों के चित्र में रावण के वंश के दैत्यों को पांव के नीचे दिखाते हैं। शक्तियों ने असुरों को अपने शक्ति रूपी पाँव से दबा दिया। शक्ति किसी भी विकारी संस्कार को ऊपर आने ही नहीं देगी।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  *आज बापदादा विश्व के सर्व तरफ के अपने स्वराज्य अधिकारी बच्चों की राज्य सभा देख रहे हैं।* हर एक स्वराज्य अधिकारी, पवित्रता की लाइट के ताजधारी, अधिकारी की स्मृति के तिलकधारी, अपने-अपने भृकुटि के अकाल तख्तनशीन दिखाई दे रहे हैं।

 

✧  *इस समय जितना स्वराज्य अधिकार अनुभव करते हो उतना ही भविष्य विश्व राज्य अधिकारी है ही हैं।*

 

✧  *मैं कौन' वा 'मेरा भविष्य क्या?’* वह अब के स्वराज्य की स्थिति द्वारा स्वयं ही देख सकते हो। *बापदादा हर एक बच्चे के सदा स्वराज्य की स्थिति को देख रहे थे।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  *सर्विस की सफलता का मुख्य गुण कौन-सा है? नम्रता। जितनी नम्रता उतनी सफलता। नम्रता आती है निमित समझने से।* निमित्त समझकर कार्य करना है। जैसे बाप शरीर का आधार निमित्त मात्र लेते हैं, वैसे आप समझो कि निमित्त -मात्र शरीर का आधार लिया है। *एक तो शरीर को  निमित्त-मात्र समझना है और दूसरा सर्विस में अपने को निमित्त समझना, तब नम्रता आयेगी। फिर देखो, सफलता आपके आगे चलेगी।* जैसे बापदादा टेम्पररी देह में आते हैं, ऐसे देह को निमित आधार समझो। बापदादा की देह में अटैचमेन्ट होती है क्या? *आधार समझने से अधीन नहीं होंगे। अभी देह के अधीन होते हो, फिर देह को अधीन करेंगे।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप समान रूहानी टीचर बनना"*

 

_ ➳ *मैं आत्मा स्कूल के पार्क में खेल रहे बच्चों को देख रही हूँ... कोई फ़ुटबाल खेल रहे... कोई झूला झूल रहे, कोई फिसल पट्टी पर फिसल-फिसल कर मजे ले रहे हैं...* कुछ बच्चे एक दूसरे से खाना बांटकर मजे से खा रहे हैं... मंत्रमुग्ध होती मैं इनको देख रही... जैसे ही इंटरवेल खत्म होने की घंटी बजी, सभी बच्चे दौड़ते हुए अपने अपने क्लास में चले जाते हैं और पढाई शुरू करते हैं... इनको पढ़ते हुए देख मुझे भी अपनी पढाई याद आती है... *मैं आत्मा सबकुछ भूल इस दुनियावी खेल में मग्न हो गई थी... अब प्यारे बाबा सुप्रीम शिक्षक बनकर मुझे पढ़ा रहे हैं... मैं आत्मा सेण्टर जाकर सुप्रीम शिक्षक के सामने बैठ जाती हूँ...*

 

*प्यारे सुप्रीम शिक्षक गुड मॉर्निंग करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... *ईश्वर पिता के साये में फूल से जो खिल उठे हो... दुखो के गहरे दलदल से निकल जो गुलाब बन महक उठे हो... तो यह महक हर दिल तक पहुँचाओ... सारे विश्व को दुखो से मुक्ति की सच्ची राह दिखाओ...* स्वयं जो प्रकाशित हो गए हो तो औरो के भी जीवन में सुखो का प्रकाश कर आओ... यह पढ़ाई इस अंतिम जन्म के लिए ही है इसलिए अच्छी रीति पढ़ो और पढ़ाओ"

 

_ ➳ *मैं आत्मा भी बाबा को गुड मॉर्निंग कर रिगार्ड देते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा ज्ञानसागर बाबा से ज्ञान रत्नों को पाकर ज्ञानपरी बन गई हूँ... दुखो के जंजालों से सदा की आजाद उड़ता पंछी बन चहक रही हूँ...* और अब अच्छी रीति पढ़कर टीचर बन औरो के जीवन को भी खुशनुमा बना रही हूँ..."

 

*मीठे बाबा मीठी शिक्षाओं से मुझे भरपूर करते हुए कहते है:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... यह ईश्वरीय पढ़ाई ही सारे सच्चे सुखो का आधार है... इस अंतिम जन्म में अनेक जनमो के विकर्मो से मुक्त होने की जादुई छड़ी सी है... *जीवन को गजब का खुबसूरत बनाने वाली इस पढ़ाई में जी जान से जुट जाओ... और स्वयं महक कर औरो को भी महकाओ..."*

 

_ ➳ *मैं आत्मा ईश्वरीय पढ़ाई के महत्व को जान कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे बाबा को टीचर रूप में पाकर अति सौभाग्यशाली बन ज्ञान रत्नों के खजाने को प्रतिपल लूट रही हूँ... *और ज्ञान की बुलबुल बन कर यह मनभावन ईश्वरीय गीत हर दिल को सुना कर मन्त्रमुग्ध कर रही हूँ..."*

 

*मेरे सुप्रीम शिक्षक बाबा ज्ञान रत्नों की वर्षा करते हुए कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अब दुखो के दिन पूरे हो गए... अब ईश्वरीय यादो में महकने और खिलने के सुनहरे दिन आये है... *मीठा बाबा सबको शिक्षक बन पढ़ा रहा... सुन्दरतम देवता रूप में सजाकर सुख शांति और आनन्द के सागर में लहरा रहा... सुखो के सारे राज समझा रहा...* तो इस ईश्वरीय पढ़ाई में खो जाओ औरो को भी यह मार्ग दिखाओ..."

 

_ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा से अनमोल शिक्षाओं को पाकर आनन्दित होती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अब देह और दुखो की दुनिया से आजाद होकर ईश्वरीय यादो में डूब रही हूँ... ईश्वरीय पढ़ाई में मगन होकर अपने खुबसूरत भाग्य का निर्माण कर रही हूँ... *ज्ञान रत्नों से जीवन संवार रही हूँ... और ज्ञान की बुलबुल बन टिकलु टिकलु का गीत सबके दिल आँगन में गा रही हूँ..."*

 

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बीती बातों का चिंतन नही करना है*"

 

_ ➳  एकांत में बैठ, अपने पुरुषार्थ को तीव्र बनाने की युक्तियां निकालते हुए मैं मन ही मन विचार करती हूँ कि विनाशी धन का सौदा करने वाले एक बिजनेसमैन को हर समय केवल अपने बिजनेस को ही ऊंचा उठाने का ख्याल रहता है *लेकिन यहाँ तो सौदा अविनाशी है और सौदा करने वाला भी कोई साधारण मनुष्य नही बल्कि स्वयं भगवान हैं और सौदा भी ऐसा जो एक जन्म के लिए नही बल्कि जन्मजन्मांतर की कमाई कराने वाला है तो एक पक्के बिजनेसमैन की तरह अपने इस अविनाशी सौदे से मुझे भविष्य 21 जन्मो की अविनाशी कमाई करने के लिए, भगवान द्वारा मिले हर खजाने को अब जमा करने का ही पुरुषार्थ करना है* और जमा करने की सहज विधि है बिंदी लगाना।

 

_ ➳  जैसे स्थूल खजाने में भी एक के साथ बिंदी लगाने से खजाना बढ़ता जाता है ऐसे ही अपने इस पुरुषार्थी ब्राह्मण जीवन में मैं आत्मा बिंदी, बाप बिंदी और ड्रामा में जो बीत चुका वह भी फुलस्टॉप अर्थात बिंदी इन तीन बिंदियों की स्मृति का तिलक अपने मस्तक पर हर समय लगा कर रखते हुए मुझे अपने पुरुषार्थ में गैलप करना है। *अपने प्यारे बाबा को साक्षी मान स्वयं से यह दृढ़ प्रतिज्ञा करते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे बापदादा इन तीन स्मृतियों का अविनाशी तिलक देने के लिए मुझे वतन में बुला रहें हैं*।अपनी लाइट की सूक्ष्म आकारी देह के साथ मैं आत्मा अपनी साकारी देह से बाहर निकलती हूँ और अव्यक्त फ़रिश्ता बन अव्यक्त वतन की ओर चल पड़ती हूँ।

 

_ ➳  मुझ फ़रिश्ते से श्वेत रश्मियां निकल - निकल कर चारों और फैल रही हैं। बापदादा से मिलने की लगन में मग्न, अपनी रंग बिरंगी किरणो को चारों और फैलाता हुआ मैं फ़रिश्ता आकाश को पार कर, अब सूक्ष्म वतन में प्रवेश करता हूँ। अपने सामने मैं बाप दादा को देख रहा हूँ। *बापदादा के अनन्त प्रकाशमय लाइट माइट स्वरूप से सर्व शक्तियों की अनन्त किरणें निकल कर पूरे सूक्ष्म वतन में फ़ैल रही हैं। पूरा सूक्ष्म वतन रंग - बिरंगी किरणों के प्रकाश से आच्छादित हो रहा है*। इन्द्रधनुषी रंगों से प्रकाशित सूक्ष्म वतन का यह नजारा मन को असीम आनन्द से भरपूर कर रहा है।

 

_ ➳  इस खूबसूरत दृश्य का आनन्द लेते - लेते, बाहें पसारे खड़े बाबा के मनमोहक स्वरूप को निहारते हुए अब मैं फ़रिश्ता बाबा की बाहों में समाकर बाबा के प्यार से स्वयं को भरपूर करने लिए धीरे - धीरे उनके पास पहुँचता हूँ। मुझे देखते ही बाबा मुझे अपनी बाहों में भरकर अपना असीम प्रेम और स्नेह मुझ पर बरसाने लगते हैं। *अपनी ममतामयी गोद मे बिठाकर अनेक दिव्य अलौकिक अनुभूतियां करवा कर, अपनी स्नेह भरी दृष्टि से मुझे देखते हुए बाबा मेरे अंदर अथाह स्नेह का संचार कर रहें हैं*। ऐसा लग रहा है जैसे बापदादा से स्नेह की सहस्त्रो धारायें एक साथ निकलकर मुझ फ़रिश्ते में समा कर मुझे बाप समान मास्टर स्नेह का सागर बना रही हैं।

 

_ ➳  स्नेह की अविरल धारा मेरे अंदर प्रवाहित कर मुझे असीम शक्तिवान बना कर अब बाबा मेरे मस्तक पर तीन बिंदियों की स्मृति का अविनाशी तिलक लगाकर, बीती को बीती कर पुरुषार्थ में गैलप करने का वरदान देकर मुझे विदा करते हैं। *बापदादा द्वारा मिले तीन बिंदियों की स्मृति के अविनाशी तिलक को अपने मस्तक पर सदा के लिए धारण कर, अपनी सूक्ष्म काया के साथ अब मैं सूक्ष्म वतन से वापिस साकार वतन में आती हूँ और अपने स्थूल शरीर में प्रवेश कर अपने अकालतख्त पर विराजमान हो जाती हूँ*।

 

_ ➳  अपने पुरुषार्थी ब्राह्मण जीवन में इन तीन बिंदियों की स्मृति का तिलक सदा अपने मस्तक पर लगाकर, *स्मृति सो समर्थी स्वरूप बन, बीती को बीती कर, अपने पुरुषार्थ में गैलप करते हुए अब मैं सम्पूर्णता को पाने की दिशा में निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ*।

 

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं सत्यता की अथॉरिटी को धारण कर सर्व को आकर्षित करने वाली निर्भय और विजयी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं पॉजिटिव संकल्प और शक्तिशाली वृत्ति से वायुमण्ल को परिवर्तन करने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳ 1. अभी किसमें होशियार बनेंगेमनसा सेवा में... नम्बर आगे ले लो... पीछे नहीं रहना... इसमें कोई कारण नहीं... समय नहीं मिलताचांस नहीं मिलतातबियत नहीं चलतीपूछा नहीं गयायह कुछ नहीं... सब कर सकते हो... *बच्चों ने दौड़ लगाने का खेल खेला था नाअभी इसमें दौड़ लगाना... मनसा सेवा में दौड़ लगाना...*

 

 _ ➳  2. अभी टीचर्स मनसा सेवा में रेस करनी है... लेकिन ऐसे नहीं करना कि सारा दिन बैठ जाओमैं मनसा सेवा कर रही हूँ... कोई कोर्स करने वाला आवे तो आप कहो नहींनहीं मैं मनसा सेवा कर रही हूँ... कोई कर्मयोग का टाइम आवे तो कहो मनसा सेवा कर रही हूँ,नहीं... बैलेन्स चाहिए... कोई कोई को ज्यादा नशा चढ़ जाता है ना! तो ऐसा नशा नहीं चढ़ाना... *बैलेन्स से ब्लैसिंग है... बैलेन्स नहीं तो ब्लैसिंग नहीं...* अच्छा...

 

✺   *ड्रिल :-  "बैलेन्स रख मनसा सेवा करने का अनुभव"*

 

 _ ➳  स्वयं में परमात्म बल जमा कर, अपनी मनसा वृति को शक्तिशाली बनाने के लिए, देह से न्यारे अपने निराकार स्वरूप में स्थित हो कर मैं अपने मन बुद्धि को अपने निराकार शिव पिता परमात्मा पर एकाग्र करती हूँ... *मन बुद्धि की तार अपने शिव पिता के साथ जुड़ते ही मैं उस परमात्म करेंट को अपने अंदर प्रवाहित होते स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ...* जैसे मोबाइल चार्जर से जुड़ते ही उसकी बैटरी चार्ज होने लगती है ऐसे ही मैं भी स्वयं को परमात्म शक्तियों से चार्ज होते अनुभव कर रही हूँ... *मुझ आत्मा की सोई हुई शक्तियां परमात्म बल पाकर जागृत हो रही हैं... मैं स्वयं को शक्तियों से भरपूर होता हुआ अनुभव कर रही हूँ...*

 

 _ ➳  मेरे शिव पिता परमात्मा से निकल रही अनन्त शक्तियों की शक्तिशाली किरणे मैगनेट की तरह मुझ आत्मा को अपनी तरफ खींच रही हैं... *मैं आत्मा परमात्म शक्तियों के चुम्बकीय आकर्षण से आकर्षित हो कर अब नश्वर देह का त्याग कर ऊपर की ओर उड़ रही हूँ...* रुई के समान स्वयं को मैं एकदम हल्का अनुभव कर रही हूँ... तीव्र गति से उड़ते हुए मैं सेकेण्ड में आकाश से भी पार पहुंच गई हूँ... अब आकाश से भी ऊपर, सूक्ष्म लोक को पार करके मैं पहुंच गई हूँ अपने शिव पिता परमात्मा की अनन्त शक्तियों की किरणों के बिल्कुल नीचे...

 

 _ ➳  अपने इस परमधाम घर मे अब मैं अपने शिव पिता परमात्मा के बिल्कुल समीप हूँ... शिव परमपिता परमात्मा से आ रही शक्तिशाली किरणों को स्वयं में समा कर मैं असीम ऊर्जावान बन रही हूँ... *अपने प्यारे शिव बाबा के सर्वगुणों, सर्वशक्तियों और सर्व खजानों को मैं स्वयं में जमा कर रही हूँ...* सर्व प्राप्तियों का फुल स्टॉक स्वयं में भर कर अब मैं वापिस साकार लोक की ओर आ रही हूँ... यहाँ आ कर अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित हो कर अब मैं अपनी शक्तिशाली मनसा से अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी दुखी और अशांत आत्माओं को सुख और शांति की अनुभूति करवा रही हूँ...

 

 _ ➳  जिस ईश्वरीय सेवा अर्थ मुझे मेरे शिव पिता परमात्मा ने इस धरा पर भेजा है उस ईश्वरीय सेवा को अपने शिव पिता परमात्मा की याद में रह कर करने से सेवा में सहज ही सफलता प्राप्त हो रही है... *परमात्म याद और परमात्म छत्रछाया के नीचे स्वयं को अनुभव करते हर कर्म करने से मुझ आत्मा से स्वत: ही शक्तिशाली वायब्रेशन चारों और फैल रहें है जो सहज ही आत्माओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहें है...* योग युक्त स्थिति में स्थित होकर, वाणी द्वारा आत्माओं को परमात्म सन्देश और अपनी मनसा शक्ति द्वारा परमात्म प्रेम का अनुभव करवा कर मैं अनेको आत्माओं को सच्चा ईश्वरीय मार्ग दिखा कर उनका कल्याण कर रही हूँ...

 

 _ ➳  एकाग्रता की शक्ति को बढ़ा कर, स्वयं में योग का बल जमा कर, मैं अनेक हिम्मतहीन और निर्बल आत्माओं को, स्वयं में जमा की हुई सर्वशक्तियों के आधार से सहयोग देकर आगे बढ़ा रही हूँ... *जैसे वृक्ष की छाया राही को आराम का अनुभव कराती है ऐसे शक्तिशाली याद में रह सेवा करने से विकारो की अग्नि में जल रही आत्माओं को मेरे सम्पर्क में आते ही शीतलता की छाया का अनुभव हो रहा है...* शीतलता का सुख और आनन्द लेकर वो आत्मायें शीतल हो रही हैं... योग और सेवा का बैलेन्स मुझे सर्व आत्माओं की दुआओं के साथ - साथ परमात्म ब्लेसिंग का भी अधिकारी बना रहा है...

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━