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 03 / 08 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ अच्छे अच्छे गुण धारण करने पर विशेष अटेंशन दिया ?

 

➢➢ ऐसी अवस्था बनायी को कुछ भी याद न आये ?

 

➢➢ सवा स्वरुप और बाप के सत्य स्वरुप को पहचान सत्यता की शक्ति धारण की ?

 

➢➢ सकाश देने की सेवा कर समस्याओं को सहज ही भगाया ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  डबल लाइट रहने वाले की लाइट कभी छिप नहीं सकती। जब छोटी सी स्थूल लाइट टार्च हो या माचिस की तीली हो, लाइट कहाँ भी जलेगी, छिपेगी नहीं, यह तो रूहानी लाइट है, तो इसका हर एक को अनुभव कराओ।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं बाप के सर्व खजानों का मालिक हूँ"

 

  सदा अपने को बाप के सर्व खजानों के मालिक हैं-ऐसा अनुभव करते हो? मालिक बन गये हो या बन रहे हो? जब सभी बालक सो मालिक बन गये, तो बाप ने सभी को एक जैसा खजाना दिया है। या किसको कम दिया, किसको ज्यादा? एक जैसा दिया है। जब मिला एक जैसा है, फिर नम्बरवार क्यों? खजाना सबको एक जैसा मिला, फिर भी कोई भरपूर, कोई कम। इसका कारण है कि खजाने को सम्भालना नहीं आता है।

 

  कोई बच्चे खजाने को बढ़ाते हैं और कोई बच्चे गँवाते हैं। बढ़ाने का तरीका है-बांटना। जितना बांटेंगे उतना बढ़ेगा। जो नहीं बांटते उनका बढ़ता नहीं। अविनाशी खजाना है, इस खजाने को जितना बढ़ाना चाहें उतना बढ़ा सकते हो। सभी खजानों को सम्भालना अर्थात् बार-बार खजानों को चेक करना। जैसे खजाने को सम्भालने के लिए कोई न कोई पहरे वाला रखा जाता है।

 

  तो इस खजाने को सदा सेफ रखने के लिए 'अटेन्शन' और 'चेकिंग'-यह पहरे वाले हों। तो जो अटेन्शन और चेकिंग करना जानता है उसका खजाना कभी कोई ले जा नहीं सकता, कोई खो नहीं सकता। तो पहरे वाले होशियार हैं या अलबेलेपन की नींद में सो जाते हैं? पहरेदार भी जब सो जाते हैं तो खजाना गँवा देते हैं। इसलिए 'अटेन्शन' और 'चेकिंग'-दोनों ठीक हों तो कभी खजाने को कोई छू नहीं सकता! तो अनगिनत, अखुट, अखण्ड खजाना जमा है ना! खजानों को देख सदा हर्षित रहते हो?

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  प्रवृत्ति में आते 'कमल' बनना भूल न जाना। वापिस जाने की तैयारी नहीं भूल जाना, सदा अपनी अन्तिम स्थिति का वाहन - न्यारे और प्यारे बनने का श्रेष्ठ साधन - सेवा के साधनों में भूल नहीं जाना। खूब सेवा करो लेकिन न्यारे-पन की खूबी को नहीं छोडना अभी इसी अभ्यास की आवश्यकता है।

 

✧  या तो बिल्कुल न्यारे हो जाते या तो बिल्कुल प्यारे हो जाते। इसलिए न्यारे और प्यारे-पन का बैलेन्स' रखो। सेवा करो लेकिन मेरे-पन' से न्यारे होकर करो। समझा क्या करना है? अब नई-नई रस्सियाँ भी तैयार कर रहे हैं। पुरानी रस्सियाँ टूट रही हैं।

 

✧  समझते भी है नई रस्सियाँ बाँध रहे हैं क्योंकि चमकीली रस्सियाँ हैं। तो इस वर्ष क्या करना है? बापदादा साक्षी होकर के बच्चों का खेल देखते हैं। रस्सियों के बंधन की रेस में एक-दो से बहुत आगे जा रहे हैं। इसलिए सदा विस्तार में जाते सार रूप में रहो।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ निश्चय का प्रमाण नशा और नशे का प्रमाण है 'खुशी'। नशे कितने प्रकार के हैं इसका विस्तार बहुत बड़ा है। लेकिन सार रूप में एक नशा है - अशरीरी आत्मिक स्वरूप का। इसका विस्तार जानते हो? आत्मा तो सभी हैं लेकिन रूहानी नशा तब अनुभव होता जब यह स्मृति में रखते कि - 'मैं कौन-सी आत्मा हूँ?' इसका और विस्तार आपस में निकालना वा स्वयं मनन करना।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- साकार में भाई-बहन हैं इसलिए क्रिमिनल दृष्टि नहीं रखना"
 
➳ _ ➳  मैं आत्मा मधुबन डायमंड हाल में सभी फरिश्तों के बीच बैठी हूँ... अपने सभी भाई-बहनों के साथ बाबा मिलन की घड़ियों का इन्तजार करती... कितनी भाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो की इतनी बड़ी ईश्वरीय फैमिली मिली है... मेरे शिव बाबा ने मुझे एडाप्ट करके अपना बनाया है... बेहद के बाबा ने अपना बनाकर बेहद का अलौकिक परिवार गिफ्ट में दिया है... इन्तजार की घड़ियों को ख़तम करते हुए अव्यक्त बापदादा दादी के तन में आकर मुझे मीठी प्यारी शिक्षाएं और समझानी देते हैं... 
 
❉   प्यारे बाबा अपनी दृष्टि से निहाल कर मेरा अलौकिक श्रृंगार करते हुए कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय राहो में पवित्रता से सजधज कर देवताई श्रृंगार को पाकर... अनन्त सुखो के मालिक बन इस विश्व धरा पर मुस्कराओ... ईश्वर पिता की सन्तान आपस में सब भाई भाई हो... इस भाव में गहरे डूबकर पावनता की छटा बिखेर... धरा पर स्वर्ग लाने में सहयोगी बन जाओ..."
 
➳ _ ➳  मैं आत्मा पवित्रता के सागर से पवित्र किरणों को लेकर चारों ओर फैलाते हुए कहती हूँ:- "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में दिव्य गुणो की धारणा और पवित्रता की ओढनी पहन कर निखर उठी हूँ... मै आत्मा विश्व धरा को पवित्र तरंगो से आच्छादित कर रही हूँ... शरीर के भान से परे होकर आत्मिक स्नेह की धारा बहा रही हूँ..."
 
❉   बुझी हुई ज्योति को जगाकर आत्मदर्शन कराकर मीठे बाबा कहते हैं:- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... अपने खुबसूरत सत्य स्वरूप को स्मृति में रखकर, सच्चे प्रेम की लहरियां पूरे विश्व की हवाओ में फैला दो... आत्मा भाई भाई और ब्राह्मण भाई बहन के सुंदर नातो से पवित्रता की खुशबु चारो ओर फैलाओ... विकारो से परे आत्मिक भावो से भरे सम्बन्धो से, विश्व को सजा दो..."
 
➳ _ ➳  स्वदर्शन कर अपने सत्य स्वरुप के स्वमान में टिकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा देह के मटमैले पन से निकल अब आत्मिक भाव् से भर गयी हूँ... अपने अविनाशी सत्य स्वरूप को जान, विकारो को सहज ही त्याग रही हूँ... सम्पूर्ण पवित्रता को अपनाकर पवित्र तरंगे बिखरने वाली सूर्य रश्मि हो गयी हूँ..."
 
❉   मेरे अंतर के नैनों को खोल अमृत रस पान कराते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे...  अपनी दृष्टि वृत्ति और कृति को पावनता के रंग से सराबोर करो... दिव्यता और पवित्रता को विश्व धरा पर छ्लकाओ... विकारो की कालिमा से निकल खुबसूरत दिव्यता को बाँहों में भरकर मुस्कराओ... आत्मिक सच्चे प्यार की सुगन्ध से विश्व धरा महकाओ..."
 
➳ _ ➳  मैं आत्मा प्रभु मिलन कर परमानन्द को पाकर प्यारे बाबा से कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सबके मस्तक में आत्मा मणि को निहार रही हूँ... और सच्चा सम्मान देकर गुणो और शक्तियो से भरपूर हो रही हूँ... मनसा वाचा कर्मणा पावनता से सजधज कर मै आत्मा हर दिल पर यह दौलत लुटा रही हूँ..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- अच्छे - अच्छे गुण धारण कर फूल बनना है"

➳ _ ➳  एक खुशबूदार फूलों के बगीचे में टहलते हुए, रंग बिरंगे खुशबूदार फूलों को देख मन ही मन मैं विचार करती हूँ कि इन फूलों की खूबसूरती और खुशबू इस बग़ीचे की सुंदरता को कैसे निखार रही है! इन फूलों की महक कैसे हर आने जाने वाले को आकर्षित कर रही है। जो भी मनुष्य इस बगीचे के सामने से गुजरता है वह इस बगीचे के अंदर आने से स्वयं को रोक ही नही पाता। इन फूलों की सुगंध से यहां का वायुमण्डल ऐसी ताजगी से भर गया है कि यहां आकर जैसे मनुष्य की सारी थकावट ही दूर हो जाती है और वह स्वयं को एकदम रिफ्रेश अनुभव करता है।

➳ _ ➳  ऐसा ही फूलों के समान सुगन्धित जीवन अगर हर मनुष्य का बन जाये और सभी एक दूसरे को ईर्ष्या, द्वेष, नफरत के कांटे चुभाने के बजाए एक दूसरे पर स्नेह, सहयोग और प्रेम के फूल बरसाये तो ये दुनिया स्वर्ग बन जाये। यही विचार करते - करते अपनी आंखों को मूंद कर मैं उस वायुमण्डल में फैली खुशबू का गहराई तक स्वयं में समाते हुए एकाएक अनुभव करती हूँ जैसे मेरे ऊपर असंख्य रंग बिरंगे पुष्पों की वर्षा हो रही है और उनकी खुशबू मेरे रोम - रोम में समाती जा रही है।

➳ _ ➳  इस खूबसूरत दृश्य का आनन्द लेते - लेते मैं जैसे ही अपनी आंखों को खोलती हूँ तो देखती हूँ बापदादा हजारों भुजाओं को फैलाये मेरे सिर के ऊपर स्थित हैं और उनकी हजारों भुजाओं से सर्वशक्तियों की अनन्त शीतल फ़ुहारें रंग बिरंगे पुष्पों के रूप में मेरे ऊपर बरस रही है। बापदादा से आ रही सर्वशक्तियों की ये शीतल फुहारें मुझे डबल लाइट स्थिति में स्थित कर रही हैं। मेरा शरीर एक दम हल्का लाइट का बन गया है और मेरे लाइट के शरीर से दिव्य सुगन्ध से भरी रंग बिरंगी रश्मियां निकल रही हैं जो आस पास के वायुमण्डल को भी दिव्य और अलौकिक बना रही हैं।

➳ _ ➳  पुष्पों की सुगंध की भांति मेरे अंग - अंग से निकल रही रश्मियों में समाई रूहानी खुशबू भी चारों और फैल रही है और वहां उपस्थित सभी आत्माओं को आनन्द की अनुभूति करवा रही हैं। इस रूहानी वायुमण्डल का गहन आनन्द लेते - लेते मैं महसूस करती हूँ जैसे बापदादा अपना हाथ आगे बढ़ाकर "आओ मेरे रूहे गुलाब बच्चे" कहकर मेरा आह्वान कर रहें हैं। बापदादा के हाथ मे अपना हाथ थमाते ही मैं अनुभव करती हूँ कि बापदादा का हाथ थामे एक खूबसूरत अदबुत रूहानी यात्रा पर जैसे मैं जा रही हूँ। इस रमणीक खूबसूरत यात्रा पर चलते - चलते बापदादा के साथ उनके अव्यक्त वतन में मैं पहुँच जाती हूँ।

➳ _ ➳  रंग बिरंगे पुष्पों से सजे एक बहुत ही सुंदर झूले पर बापदादा मुझे अपने साथ बिठा लेते हैं। अपनी दृष्टि से बापदादा अपनी सारी रूहानी शक्ति मेरे अंदर प्रवाहित करने लगते हैं। अपने वरदानी हाथ में मेरा हाथ लेकर सर्व गुणों, सर्वशक्तियों से मुझे भरपूर कर देते हैं। मेरे मस्तक पर विजय का तिलक लगाकर, "रूहानी खुशबू फैलाने वाले रुहेगुलाब भव" का वरदान देकर, मेरे सिर के ऊपर रूहानी पुष्पों का इसेन्स डाल रूहानी खुशबू मुझ में भर देते हैं।

➳ _ ➳  सर्वगुणों, सर्वशक्तियों की रूहानी खुशबू को अपने अंग - अंग में बसाकर अपने सूक्ष्म लाइट के शरीर के साथ मैं वापिस साकारी दुनिया मे आती हूँ और अपने साकारी तन में प्रवेश कर जाती हूँ। अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर स्वयं को सदा लाइट माइट अनुभव करते हुए, बाबा की श्रीमत पर बाप समान प्यारा बन स्वयं को गुलगुल ( फूल ) बनाकर अपनी रूहानी खुशबू से मैं अब सबके जीवन को महका रही हूँ। मेरी रूहानी खुश्बू मेरे सम्बन्ध, सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परमात्म प्रेम के रंग में रंग कर उन्हें भी गुलगुल ( फूल ) बनने की प्रेरणा दे रही है।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं स्व स्वरूप और बाप के सत्य स्वरूप को पहचान सत्यता की शक्त्ति धारण करने वाली दिव्यता सम्पन्न आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं सकाश देने की सेवा करके समस्याओं को सहज ही भगाने वाली सेवाधारी आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

✺ अव्यक्त बापदादा :-

➳ _ ➳  इसलिए हर आत्मा को प्रत्यक्षफल स्वरूप बनाओ अर्थात् विशेष गुणों के, शक्तियों के अनुभवी मूर्त बनाओ। वृद्धि अच्छी है लेकिन सदा विघ्न-विनाशक, शक्तिशाली आत्मा बनने की विधि सिखाने के लिए विशेष अटेन्शन दो। वृद्धि के साथ-साथ विधि सिखाने कासिद्धिस्वरूप बनाने का भी विशेष अटेन्शन। स्नेही सहयोगी तो यथाशक्ति बनने ही हैं लेकिन शक्तिशाली आत्माजो विघ्नों कापुराने संस्कारों का सामना कर महावीर बन जाएइस पर और विशेष अटेन्शन। स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी ऐसे वारिस क्वालिटी को बढ़ाओ। सेवाधारी बहुत बने होलेकिन सर्व शक्तियों धारी ऐसी विशेषता सम्पन्न आत्माओं को विश्व की स्टेज पर लाओ।

➳ _ ➳  इस वर्ष- हरेक आत्मा प्रति विशेष अनुभवी मूर्त बन विशेष अनुभवों की खान बनअनुभवी मूर्त बनाने का महादान करो। जिससे हर आत्मा अनुभव के आधार पर ‘अंगदसमान बन जाए। चल रहे हैंकर रहे हैंसुन रहे हैं,-सुना रहे हैंनहीं। लेकिन अनुभवों का खजाना पा लिया - ऐसे गीत गाते खुशी के झूले में झूलते रहें।

➳ _ ➳  इस वर्ष- सेवा के उत्सवों के साथ उड़ती कला का उत्साह बढ़ता रहे। तो सेवा के उत्सव के साथ-साथ उत्साह अविनाशी रहेऐसे उत्सव भी मनाओ। समझा। सदा उड़ती कला के उत्साह में रहना है और सर्व का उत्साह बढ़ाना है।

✺   ड्रिल :-  "आत्माओं को अनुभवी मूर्त बनाना"

➳ _ ➳  अपने श्रेष्ठ भाग्य की स्मृतियों का सिमरन करती हुई मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ सूक्ष्मवतन... अपने प्यारे मीठे बाबा के पास... बाबा मुझे अपनी गोद में बिठा कर प्यार से गले लगाते हैं... बाबा के कोमल स्पर्श से मुझ आत्मा में अलौकिक शक्तियों का संचार हो रहा है... मैं बाबा के प्यार में समाई हुई... अतीन्द्रिय सुख का अनुभव कर रही हूँ...

➳ _ ➳  बाबा मुझे "अनुभवी मूर्त भव" का वरदान देते हुए कहते हैं... बच्ची... हर कदम ब्रह्मा बाबा को फॉलो कर तीव्र पुरषार्थ करो... उनके जैसे निमित्त भाव... शुभ भाव... निः स्वार्थ भाव रखने का अभ्यास करो... मैं आत्मा मनमनाभव स्थिति में स्थित हो... योग अग्नि में अपने विकारों... अपने विकर्मों को भस्म कर रही हूँ...

➳ _ ➳  सर्व गुणों और शक्तियों को धारण कर मैं आत्मा धारणा स्वरूप... अनुभवी मूर्त... बन रही हूँ... मुझसे सतरंगी किरणें निकल कर सभी आत्माओं पर पड़ रही हैं... वे सब भी इन शक्तिशाली किरणों को स्वयं में धारण करती जा रही हैं... मेरे आचरण को... चाल चलन... को देख कर बहुत सी ब्राह्मण आत्माएं... मेरी ओर आकर्षित हो रही हैं...  वे भी गुणों और शक्तियों के अनुभवी मूर्त बन रही हैं... उनकी शक्तिशाली स्थिति बनती जा रही है...
 
➳ _ ➳  सभी आत्माएं बाबा के स्नेह में खोई हुई... अनुभवी आत्माएं बन गई हैं... क्योंकि जहाँ स्नेह है वहाँ सब कुछ अनुभव करना सहज हो जाता है... सभी स्नेही, सहयोगी आत्माएं "पाना था सो पा लिया... अब कुछ नहीं चाहिये... " के गीत गाते हुए ख़ुशी के झूले में झूल रही हैं... फिर बाबा कहने लगे... बच्ची, स्वराज्य अधिकारी बन विश्व राज्य अधिकारी... वारिस आत्माएं बनाओ... मैं बाबा से कहती हूँ... जी बाबा... मैं स्वयं से कहती हूँ... अब मैं सच्ची सेवाधारी बन हर आत्मा को अनुभवी मूर्त बनाऊँगी...

➳ _ ➳  मैं आत्मा बाबा से वायदा करती हूँ... बाबा, मेरे मीठे बाबा... अनुभवी मूर्त बन हर आत्मा को सेवा के प्रत्यक्ष फल का अनुभव कराऊँगी... सदा उमंग उत्साह के पंख लगाकर उड़ती कला में उड़ते हुए सर्व आत्माओं के उत्साह को बढ़ाउंगी... सदा लगन में मगन रह सभी आत्माओं को प्राप्ति का अनुभव कराऊँगी...

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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