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 07 / 12 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ ज्ञान सागर बाप जो पढाते हैं, उस पर विचार सागर मंथन किया ?

 

➢➢ "यह अनादी बना बनाया वंडरफुल ड्रामा है" - इस राज़ को अच्छी रीति समझकर फिर समझाया ?

 

➢➢ अपनी सूक्षम शक्तियों पर विजय प्राप्त की ?

 

➢➢ सेवा से दुआएं प्राप्त की ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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〰✧  जैसे कोई भी व्यक्ति दर्पण के सामने खड़ा होते ही स्वयं का साक्षात्कार कर लेता है, वैसे आपकी आत्मिक स्थिति, शक्ति रुपी दर्पण के आगे कोई भी आत्मा आवे तो वह एक सेकेण्ड में स्व स्वरुप का दर्शन वा साक्षात्कार कर ले। आपके हर कर्म में, हर चलन में रुहानियत की अट्रेक्शन हो। जो स्वच्छ, आत्मिक बल वाली आत्मायें हैं वह सबको अपनी ओर आकर्षित जरूर करती हैं।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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✺   "मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ"

 

  बाप-दादा बच्चों को पहला-पहला टाइटिल देते हैं 'स्वदर्शन चक्रधारी'। बाप-दादा द्वारा मिला हुआ टाइटिल स्मृति में रहता है? जितना-जितना स्वदर्शन चक्रधारी बनेंगे उतना मायाजीत बनेंगे। तो स्वदर्शन चक्र चलाते रहते हो? स्वदर्शन चक्र चलाते-चलाते कब स्व के बजाय पर-दर्शन चक्र तो नहीं चल जाता? 

 

✧  स्वदर्शन चक्रधारी बनने वाले स्व-राज्य और विश्व राज्य के अधिकारी बन जाते हैं। स्वराज्य अधिकारी अभी बने हो? जो अभी स्वराज्य अधिकारी बनते वही भविष्य राज्य अधिकारी बन सकते हैं। राज्य अधिकारी बनने के लिए कन्ट्रोलिंग पावर चाहिए।

 

✧  जब जिस कर्म इन्द्रिय द्वारा जो कर्म कराने चाहें वह करा सकते, इसको कहा जाता है 'अधिकारी'। ऐसी कन्ट्रोलिंग पावर है? कभी आंखे वह मुख धोखा तो नहीं देते। जब कन्ट्रोलिंग पावर होती है तो कोई भी कर्मेन्द्रिय कभी संकल्प रूप में भी धोखा नहीं दे सकती।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  यह कर्मेन्द्रियाँ हमारी साथी हैं, कर्म की साथी हैं लेकिन मैं न्यारा और प्यारा हूँ अभी एक सेकण्ड में अभ्यास दोहराओ। (बापदादा ने ड़िल कराई) सहज लगता है कि मुश्किल है? सहज है तो सारे दिन में कर्म के समय यह स्मृति इमर्ज करो, तो कर्मातीत स्थिति का अनुभव सहज करेंगे।

 

✧  क्योंकि सेवा वा कर्म को छोड सकते हो? छोडेगे क्या? करना ही है। तपस्या में बैठना यह भी तो कर्म है तो बिना कर्म के वा बिना सेवा के तो रह नहीं सकते हो और रहना भी नहीं है। क्योंकि समय कम है और सेवा अभी भी बहुत है। सेवा की रूपरेखा बदली है।

 

✧  लेकिन अभी भी कई आत्माओं का उल्हना रहा हुआ है। इसलिए सेवा और स्व-पुरुषार्थ दोनों का बैलेन्स रखो। ऐसे नहीं कि सेवा में बहुत बिजी थे ना इसलिए स्व-पुरुषार्थ कम हो गया। नहीं। और ही सेवा में स्व-पुरुषार्थ का अटेन्शन ज्यादा चाहिए। क्योंकि माया को आने की मार्जिन सेवा में बहुत प्रकार से होती है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧  आजकल की दुनिया में ड्रामा के अतिरिक्त और कौन-सी वस्तु है जो ऐसे फ़रिश्तों के नयनों जैसी आकर्षण करने वाली हैं? टी.वी.। जैसे टी.वी. द्वारा इस संसार की कैसी-कैसी सीन-सीनरियाँ देखते हुए कई आकर्षित होते अर्थात् गिरती कला में जाते हैं ऐसे ही फ़रिश्तों के नयन दिव्य दूर-दर्शन का काम करेंगे। हर एक के नयनों द्वारा सिर्फ इस संसार के ही नहीं लेकिन तीनों लोकों के दर्शन करेंगे। ऐसे फ़रिश्तों के मस्तक में चमकती हुई मणि, आत्माओं को सर्च-लाइट व लाइट हाउस के समान स्वयं का स्वरूप, स्वमार्ग और श्रेष्ठ मंज़िल का स्पष्ट साक्षात्कार करायेंगी। ऐसे फ़रिश्तों के युक्तियुक्त बोल अर्थात् अमूल्य बोल, हर भिखारी आत्मा की रत्नों से झोली भरपूर करेंगे। जो गायन है देवतायें भी भक्तों पर प्रसन्न हो फूलों की वर्षा करते हैं- ऐसे आप श्रेष्ठ आत्माओं द्वारा विश्व की आत्माओं के प्रति सर्व शक्तियों, सर्व गुणों तथा सर्व वरदानों की पुष्प-वर्षा सर्व के प्रति होगी।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- पावन बनने की पढाई पढना"

➳ _ ➳  मैं आत्मा स्वयं को डायमंड हॉल में बैठा हुआ अनुभव कर रही हूं और बाबा मिलन के दिवस की मीठी मीठी स्मृतियों को याद कर रही हूँ...  कितना पावन और मनमोहक दृश्य है जो मैं आत्मा अपने बाबा के समक्ष बैठी बाबा से मिलन मना रही हूं इन सुखद यादों के पंखों से उड़कर मैं आत्मा पहुंच जाती हूं परमधाम यहाँ चारों ओर शांति ही शांति है प्रकाश ही प्रकाश है...  मैं आत्मा शिव बाबा को स्पर्श करती हूं और परमात्म शक्तियों से भरपूर हो नीचे उतर आती हूँ सूक्ष्म वतन में यहाँ बाप दादा बाहें फैलाए खड़े हैं... मैं नन्हा फ़रिश्ता बन बाबा की बाहों में समा जाती हूँ और असीम सुख का अनुभव कर रही हूं...

❉  बाबा मुझ नन्हें फ़रिश्ते को बाहों में उठा कर बहुत प्यार से बोले:- "मीठे फूल बच्चे... बाप आये हैं तुम्हें पतित से पावन बनाने,  एक बाप की श्रीमत पर चल तुम्हें बुद्धू से बुद्धिमान बनना अर्थात पवित्र बनने की पढ़ाई पढ़ना... परमात्म मत ही तुम्हें बुद्धिमान बनाएगी और तुम पतित से पावन बन जाएंगे..."

➳ _ ➳  बाप की श्रीमत को धारण कर मैं आत्मा बाबा से कहती हूँ:- "प्राणों से प्यारे बाबा मेरे... आपके आने से मेरे जीवन में बहार आ गयी है, अब तो हर दिन नया लगता है कितना आनन्दमय हो गया है ये जीवन...  आपकी श्रीमत ही मेरा जीवन आधार है इसके बिना तो अब ये जीवन प्राणहीन लगता है... श्रीमत ही पतितों को पावन बनाती है और जीने का सुगम मार्ग दिखाती है... मैं आत्मा कितनी भाग्यशाली हूं जो परमात्मा की श्रीमत मुझे मिली..."

❉  बाबा मुस्कुरा कर मुझ आत्मा से कहते हैं:- "लाडले बच्चे... बाप स्मृति दिलाते हैं   तुम बच्चे ही कल्प कल्प मायाजीत बनते हो... तुम्हें माया के तूफानों से डरना नहीं है, कभी भी माया के वश होकर कुल कलंकित नहीं बनना है...  पवित्र बन औरों को भी बनाने की सेवा करनी है... बुद्धू से बुद्धिमान बनना है... बाप तुम्हें 21 जन्मों का वर्सा देने आए हैं, बाप पर बलि चढ़ तुम्हें विश्व की राजाई लेनी है... एक बाप दूसरा न कोई यही मन्त्र तुम्हें भविष्य में प्रालब्ध दिलाएगा,   इसलिए एक बाप से योग लगाओ..."

➳ _ ➳  अपने दिलाराम बाबा के महावाक्यों को स्वयं में समाते हुए मैं आत्मा बाबा से बोली:- "हाँ मेरे दिलाराम बाबा... आपने मुझे अल्पकाल के संस्कारों से छुड़ा कर महारथी बना दिया... मेरे कखपन के बदले मुझे विश्व का राज्य भाग्य दे दिया... मेरी जीवन नैया जो बीच मझधार में फसी थी उसको किनारा देकर मुझे अपने बाग़ का फूल बना दिया... आपकी श्रीमत को पाकर मैं आत्मा धन्य धन्य हो गयी हूँ..."

❉  मेरी ओर बहुत प्यार से देखते हुए बाबा मुझ आत्मा से बोले:- "सिकीलधे बच्चे... बाप को बिंदु समझ निरंतर उसकी याद में रह तुम्हें अपने विकर्मों को भस्म करना है यही विधि है राज्य भाग्य पाने की... तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है अब अंधों की लाठी बनों... निश्चयबुद्धि बन बाप की डायरेक्शन पर चलो तो स्वतः ही मायाजीत बन जाएंगे... बाप का फरमान है मामेकम याद करो और वर्से को याद करो... कुछ भी हो पर बाप को नहीं भूलना है, बाप ही सदगति दाता हैं बाप के बिना और कोई सदगति दे नहीं सकता ..."

➳ _ ➳  बाबा के मधुर मधुर महावाक्यों को स्वयं में समाते हुए मैं आत्मा मीठे बाबा से बोली:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... आपके आने से मेरा भाग्य ही बदल गया, मैं क्या थी और आपने क्या बना दिया... मुझ जैसा भाग्यशाली शायद ही कोई होगा जिसको परमात्म गोद मिली... जिस भगवान को दुनिया में बड़े बड़े साधु संत महात्मा ढूंढ रहे हैं मंदिरों मस्जिदों में ठोकरें खा रहे हैं, मैं आत्मा उस परमात्मा की पालना में पल रही हूँ वाह मेरा भाग्य वाह... कितना भी आभार प्रकट करूं कम ही लगता है... मेरे बाबा आपने मुझे मालामाल कर दिया मेरे जीवन में अलौकिक प्रकाश भर दिया है... शुक्रिया मेरे दिलाराम बाबा आपका बहुत बहुत शुक्रिया... मैं आत्मा मीठे प्यारे बाबा को अपने अंतर्मन की गहराइयों से शुक्रिया कर लौट आती हूँ अपने साकारी तन में..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- ज्ञान सागर बाप जो रोज बेहद की पढ़ाई पढ़ाते हैं, उस पर विचार सागर मन्थन करना है"

➳ _ ➳  सागर के तले में छुपी अनमोल वस्तुयों जैसे सीप, मोती आदि को पाने के लिए एक गोताखोर को पहले उसकी गहराई में तो जाना ही पड़ता है। जब तक गोताखोर पानी के ऊपरी हिस्से पर तैरता रहता है तब तक तेज लहरों, पानी की थपेड़ों और तूफानों का भी उसको सामना करना पड़ता है परन्तु यदि वह इन सबकी परवाह किये बिना पानी की गहराई में उतरता चला जाता है तो नीचे गहराई में जा कर हर चीज शांन्त हो जाती है और वह सागर के तले में छुपी उन चीजों को प्राप्त कर लेता है।

➳ _ ➳  इस दृश्य को मन बुद्धि रूपी नेत्रों से देखते - देखते मैं विचार करती हूँ कि जैसे स्थूल सागर की गहराई में अनमोल सीप, मोती आदि छुपे होते हैं इसी तरह से स्वयं ज्ञान सागर भगवान द्वारा दिये जा रहे इस ज्ञान में भी कितने अनमोल खजाने छुपे हैं बस आवश्यकता है इन खजानों को ढूंढने के लिए इस अनमोल ज्ञान की गहराई में जाने की अर्थात विचार सागर मंथन करने की। मलाई से भी मक्खन तभी निकलता है जब उसे पूरी मेहनत के साथ मथा जाता है तो यहां भी अगर विचार सागर मन्थन नही करेंगे तो ज्ञान रूपी मक्खन का स्वाद भी नही ले सकेंगे। इसलिये विचार सागर मन्थन कर, ज्ञान की गहराई में जा कर, फिर उसे धारणा में लाकर अनुभवी मूर्त बनना ही ज्ञान सागर द्वारा दिये जा रहे इस ज्ञान का वास्तविक यूज़ है।

➳ _ ➳  हम बच्चो को यह ज्ञान दे कर, हमारे दुखदाई जीवन को सुखदाई, मनुष्य से देवता बनाने के लिए स्वयं भगवान को इस पतित दुनिया, पतित तन में आना पड़ा। तो ऐसे भगवान टीचर द्वारा दिये जा रहे इस ज्ञान का हमे कितना रिगार्ड रखना चाहिए। ज्ञान की एक - एक प्वाइंट पर विचार सागर मंथन कर उसे धारणा में ले कर आना और फिर औरों को धारण कराना ही भगवान के स्नेह का रिटर्न है। और भगवान के स्नेह का रिटर्न देने के लिए ज्ञान का विचार सागर मन्थन कर, सेवा की नई - नई युक्तियाँ अब मुझे निकाल औरों को भी यह ज्ञान देकर उनका भाग्य बनाना है मन ही मन स्वयं से यह दृढ़ प्रतिज्ञा कर ज्ञान सागर अपने प्यारे परमपिता परमात्मा शिव बाबा की याद में मैं अपने मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ।
 
➳ _ ➳  मन बुद्धि की तार बाबा के साथ जुड़ते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे ज्ञान सूर्य शिवबाबा मेरे सिर के ठीक ऊपर आ कर ज्ञान की शक्तिशाली किरणों से मुझे भरपूर कर रहें हैं। बाबा से आ रही सर्वशक्तियो रूपी किरणों की मीठी फुहारें जैसे ही मुझ पर पड़ती हैं मेरा साकारी शरीर धीरे - धीरे लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर मे परिवर्तित हो जाता हैं और मास्टर ज्ञान सूर्य बन लाइट की सूक्ष्म आकारी देह धारण किये मैं फ़रिशता ज्ञान की रोशनी चारों और फैलाता हुआ सूक्ष्म लोक में पहुँच जाता हूँ और जा कर बापदादा के सम्मुख बैठ जाता हूँ।
 
➳ _ ➳  अपनी सर्वशक्तियों को मुझ में भरपूर करने के साथ - साथ अब बाबा मुझे विचार सागर मन्थन का महत्व बताते हए कहते हैं कि "जितना विचार सागर मंथन करेंगे उतना बुद्धिवान बनेंगें और अच्छी रीति धारणा कर औरों को करा सकेंगे"। बड़े प्यार से यह बात समझा कर बाबा मीठी दृष्टि दे कर परमात्म बल से मुझे भरपूर कर देते हैं। मैं फ़रिशता परमात्म शक्तियों से भरपूर हो कर औरों को आप समान बनाने की सेवा करने के लिए अब वापिस अपने साकारी तन में लौट आता हूँ।
 
➳ _ ➳  अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप को सदा स्मृति में रख अपने परमशिक्षक ज्ञान सागर शिव बाबा द्वारा दिये जा रहे ज्ञान को गहराई से समझने और उसे स्वयं में धारण कर फिर औरों को धारण कराने के लिए अब मैं एकांत में बैठ विचार सागर मंथन कर सेवा की नई - नई युक्तियाँ सदैव निकालती रहती हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं अपनी सूक्ष्म शक्तियों पर विजयी बनने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं  राजऋषि आत्मा हूँ।
✺   मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ  ।
✺   मैं आत्मा सेवाओं से दुआएं प्राप्त करती हूँ  ।
✺   मैं आत्मा दुआओं की सबसे बड़े से बड़ी देन प्राप्त करती हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  ब्रह्मा बाप का त्याग ड्रामा में विशेष नूंधा हुआ है। आदि से ब्रह्मा बाप का त्याग और आप बच्चों का भाग्य नूंधा हुआ है। सबसे नम्बरवन त्याग का एक्जैम्पुल ब्रह्मा बाप बना। त्याग उसको कहा जाता है - जो सब कुछ प्राप्त होते हुए त्याग करे। समय अनुसार, समस्याओं के अनुसार त्याग श्रेष्ठ त्याग नहीं है। शुरू से ही देखो तन, मन, धन, सम्बन्ध, सर्व प्राप्ति होते हुए त्याग किया। नये- बच्चे संकल्प शक्ति से फास्ट वृद्धि को प्राप्त कर रहे हैं। तो सुना ब्रह्मा के त्याग की कहानी।

 

 _ ➳  ब्रह्मा  का फल आप बच्चों को मिल रहा है। तपस्या का प्रभाव इस मधुबन भूमि में समाया हुआ है। साथ में बच्चे भी हैंबच्चों की भी तपस्या है लेकिन निमित्त तो ब्रह्मा बाप कहेंगे। जो भी मधुबन तपस्वी भूमि में आते हैं तो ब्राह्मण बच्चे भी अनुभव करते हैं कि यहाँ का वायुमण्डलयहाँ के वायब्रेशन सहजयोगी बना देते हैं। योग लगाने की मेहनत नहींसहज लग जाता है और कैसी भी आत्मायें आती हैंवह कुछ न कुछ अनुभव करके ही जाती हैं। ज्ञान को नहीं भी समझते लेकिन अलौकिक प्यार और शान्ति का अनुभव करके ही जाते हैं। कुछ न कुछ परिवर्तन करने का संकल्प करके ही जाते हैं। यह है ब्रह्मा और ब्राह्मण बच्चों की तपस्या का प्रभाव। 

 

✺   ड्रिल :-  "मधुबन तपोभूमि की स्मृति से अलौकिक प्यार और शांति का अनुभव"

 

 _ ➳  मैं आत्मा मधुबन की मधुर स्मृतियों को स्मृति में रख पहुँच जाती हूँ शान्ति स्तम्भ... जहाँ प्यारे बापदादा बाहें पसारे खड़े मुस्कुरा रहे हैं... मैं आत्मा बाबा की बाँहों में सिमट जाती हूँ... और बाबा को कहती हूँ बाबा- अब घर ले चलो... इस आवाज़ की दुनिया से पार ले चलो... बापदादा बोले:- बच्चे- मैं अपने साथ ले जाने के लिए ही आया हूँ... साथ जाने के लिए एवररेडी बनो... ब्रह्मा बाप समान त्यागी बनो... बिंदु रूप में स्थित हो जाओ...

 

 _ ➳  धन्य है आबू की धरती, जिस पर जहाँ- तहाँ फरिश्ते विचरण कर रहे हैं... जिधर भी नजर जा रही है फरिश्ते ही घूमते नजर आ रहे हैं... जैसे की फरिश्तों की दुनिया को छोड़ कर सारे फरिश्ते इस धरा पर उतर आये हों... कैसा अद्भुत नजारा है यह जिसे निरन्तर देखते रहने का मन हो रहा है... यहाँ-वहाँ फरिश्ते सर्व आत्माओं पर अपनी निःस्वार्थ स्नेह, निश्चल प्रेम वा सौहार्द भरी दिव्य रूहानी दृष्टि डालकर मनुष्य आत्माओं को परम सुख-शांति वा खुशी की अनुभूति करा रहे हैं...  

 

_ ➳  मैं आत्मा ब्रह्मा बाबा के त्याग की कहानी शिव बाबा से सुन... अन्दर ही अन्दर दृढ़ संकल्प करती हूँ... मुझ आत्मा को भी बाप समान बनना ही है... जिस प्रकार ब्रह्मा बाबा ने पहली मुलाकात में ही अपना सारा व्यापार, सारे रिश्ते-नाते, समेट लिए... उसी प्रकार मुझ आत्मा को भी अपना सब कुछ समेट लेने की शक्ति बापदादा से मिल रही है... बापदादा की दृष्टि से निकलती हुई शक्ति की किरणें मुझ आत्मा में समा रही है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा देख रही हूँ... ब्रहमा बाबा के साथ-साथ ब्राह्मण बच्चों की तपस्या का प्रभाव मधुबन भूमि में समाया हुआ है... यहाँ का वायुमंडल यहाँं के वाइब्रेशन मुझे सहज योगी बना देते हैं... मैं आत्मा देख रही हूँ... कोई भी ब्राह्मण आत्मा जो मधुबन तपस्वी भूमि में आती है... तो अनुभव करती हैं कि... यहाँ योग लगाने की मेहनत नहीं करनी पड़ती, सहज ही लग जाता है... मैं आत्मा देख रही हूँ... कैसी भी आत्माएं आती हैं... वह कुछ ना कुछ अनुभव करके ही जाती हैं... ज्ञान को नहीं समझते लेकिन अलौकिक प्यार और शांति का अनुभव करके ही जाते हैं...

   

 _ ➳  मैं आत्मा सदा बाप समान विश्व हूँ... बाबा जैसी दृष्टि, बाबा जैसी वृत्ति, बाबा जैसी स्मृति, सदा बाप समान साक्षी दृष्टा स्थिति में स्थित रहने का अभ्यास करती हूँ... मैं मास्टर ब्रहमा हूँ... मेरी चलन, दृष्टि, वृत्ति बाबा जैसी हो रही है... बाबा मेरी मस्तक मणि हैं...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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