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❍ 21 / 03 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *पुरानी दुनिया को सुधारने के लिए स्वयं को सुधारा ?*
➢➢ *आपस में वाद विवाद न कर रूहरिहान की ?*
➢➢ *स्नेह के रीटर्न में स्वयं को टर्न कर बाप समान बनकर रहे ?*
➢➢ *अपने रूहानी वाइब्रेशन द्वारा शक्तिशाली वायुमंडल बनाने की सेवा की ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *मास्टर नॉलेजफुल, मास्टर सर्वशक्तिवान की स्टेज पर स्थित रह भिन्न-भिन्न प्रकार की क्यू से निकल, बाप के साथ सदा मिलन मनाने की लगन में अपने समय को लगाओ और लवलीन स्थिति में रहो तो और सब बातें सहज समाप्त हो जायेंगी,* फिर आपके सामने आपकी प्रजा और भक्तों की क्यू लगेगी ।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बाप की छत्रछाया के अन्दर रहने वाली आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को बाप की छत्रछाया के अन्दर रहने वाले अनुभव करते हो? *बाप की याद ही 'छत्रछाया' है। जो छत्रछाया के अन्दर रहते वह सदा सेफ रहते हैं। कभी बरसात या तूफान आता तो छत्रछाया के अन्दर चले जाते हैं। ऐसे बाप की याद 'छत्रछाया' है। छत्रछाया में रहने वाले सहज ही मायाजीत हैं।*
〰✧ *याद को भूला अर्थात् छत्रछाया से बाहर निकला। बाप की याद सदा साथ रहे। जो ऐसे छत्रछाया में रहने वाले हैं उन्हें बाप का सहयोग सदा मिलता रहता है।*
〰✧ हर शक्ति की प्राप्ति का सहयोग सदा मिलता रहता है। कभी कमजोर होकर माया से हार नहीं खा सकते। कभी माया याद भुला तो नहीं देती है? *63 जन्म भूलते रहे, संगमयुग है याद में रहने का युग। इस समय भूलना नहीं। भूलने से ठोकर खाई, दु:ख मिला। अभी फिर कैसे भूलेंगे! अभी सदा याद में रहने वाले।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *अन्त में सहज रीति शरीर के भान से मुक्त हो जायें - यह है 'पास विद आँनर ' की निशानी*। लेकिन वह तब हो सकेगी जब अपना चोला टाइट नही होगा। अगर टाइटनस होगी तो सहज मुक्त नहीं हो सकेंगे। टाइटनस का अर्थ है कोई से लगाव। इसलिए अब यही सिर्फ एक बात चेक करो - ऐसा लूज चोला हुआ है जो एक सेकण्ड में इस चोले को छोड़ सके।
〰✧ अगर कहाँ भी अटका हुआ होगा तो निकलने में भी अटक होगी। इसी को ही एवरडी कहा जाता है। *ऐसे एवरेडी वहीं होंगे जो हर बात में एवरडी होंगे*। प्रैक्टिकल में देखा ना - एक सेकण्ड में बुलावे पर ऐवरडी रह दिखाया। यह सोचा क्या कि बच्चे क्या कहेंगे? बच्चों से बिगर मिले कैसे जावें - यह स़ोचा?
〰✧ एलान निकला और एवरेडी। चोले से इजी होने से चोला छोडना भी ईजी होता हैं, इसलिए यह कोशिश हर वक्त करनी चाहिए। यही संगम युग का गायन होगा कि कैसे रहते हुए भी न्यारे थे, तब ही एक सेकण्ड में न्यारे हो गये। *बहुत समय से न्यारे रहने वाले एक सेकण्ड में न्यारे हो जायेंगे*।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *आवाज से परे की स्थिति प्रिय लगती है वा आवाज़ में रहने की स्थिति प्रिय लगती है? कौन-सी स्थिति ज्यादा प्रिय लगती है? क्या दोनों ही स्थिति इकट्ठी रह सकती हैं? इसका अनुभव है? यह अनुभव करते समय कौन सा गुण प्रत्यक्ष रूप में दिखाई देता है? (न्यारा और प्यारा)* यह अवस्था ऐसी है जैसे बीज में सारा वृक्ष समाया हुआ होता है, वैसे ही इस अव्यक्त स्थिति में जो भी संगमयुग के विशेष गुणों की महिमा करते हो वह सर्व विशेष गुण उस समय अनुभव में आते हैं। क्योंकि मास्टर बीजरूप भी हैं, नालेजफुल भी हैं। *तो सिर्फ शान्ति नहीं लेकिन शान्ति के साथ-साथ ज्ञान, अतीन्द्रिय सुख, प्रेम, आनन्द, शक्ति आदि-आदि सर्व मुख्य गुणों का अनुभव होता है। न सिर्फ अपने को लेकिन अन्य आत्मायें भी ऐसी स्थिति में स्थित हुई आत्मा के चेहरे से इन सर्व गुणों का अनुभव करती हैं।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- प्राण दान देने वाले बाप को प्यार से याद करना"*
➳ _ ➳ *‘ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. तुझसे लागे रे लागे रे लागे रे लगन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. इस लगन से मेरा मन हो गया मगन.. संवर के जीवन, मेरा तन-मन, तेरी यादों में पाए सुख सघन’... सेण्टर में ये मधुर गीत सुनती हुई मैं आत्मा भाव-विभोर हो जाती हूँ...* और उड़ चलती हूँ वतन में.. मेरे जीवन को संवारने वाले, मेरी बिगड़ी बनाने वाले, दुखों से छुड़ाने वाले, मेरे प्राण आधार- मेरे प्यारे बाबा के पास... बाबा मुस्कुराते हुए, वरदानों की बरसात करते हुए अपने मीठे बोल से मेरा श्रृंगार करते हैं...
❉ *इस दुःख के लोक से निकाल सुख के धाम में ले जाते हुए मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... *अपने ही खुशनुमा फूलो को दुखो की तपिश से कुम्हलाया देख विश्व पिता भला कैसे चैन पाये... बच्चों को दुखो से निकालने को आतुर सा धरा पर दौड़ा चला आये...* अपनी गोद में बिठाकर दिव्य गुणो से सजाये और सच्चे सुखो से दामन भर जाये... तब ही पिता दिल आराम सा पाये...”
➳ _ ➳ *पल-पल प्रभु को याद कर स्नेह सुमन अपने प्रभु को अर्पण करती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा तो दुखो भरे जीवन की आदी हो गई थी... और उन्हें ही अपनी नियति समझ बैठी थी... *आपने प्यारे बाबा जीवन में आकर खुशियो के फूल खिलाये है... दिव्य गुणो से सजाकर मुझे देवतुल्य बना रहे हो...”*
❉ *मीठी यादों के उडनखटोले में बिठाकर खुशियों के गगन में उड़ाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस दुखधाम से निकल कर मीठे सुखो के अधिकारी बन जाओ... ईश्वरीय ज्ञान और यादो से विकारो से मुक्त हो जाओ... *पवित्र धाम में चलने के लिए पवित्रता के श्रृंगार से सजकर मुस्कराओ... ईश्वरीय याद और प्यार से निर्मलता को रोम रोम में छ्लकाओ...”*
➳ _ ➳ *कल्याणकारी संगमयुग में आकर सबका कल्याण कर स्वर्ग का वर्सा देने वाले बाबा से मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा आपकी मीठी यादो में सम्पूर्ण पवित्रता से सजधज कर मुस्करा उठी हूँ... जीवन कितना पवित्र प्यारा सा अलौकिक हो गया है...* मीठे बाबा आपने मुझे देह के मटमैलेपन से मुक्त करवाकर सुंदर सजीला बना दिया है...”
❉ *मेरा प्रीतम बाबा मुझ प्रीतमा को स्वर्ग की महारानी बनाने के लिए श्रृंगार करते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वरीय बाँहों में सुखो की बहारो को पाओ... असीम सुखो की जागीर ईश्वरीय खजानो और यादो में पाकर देवताओ के श्रृंगार से सजकर मीठा सा मुस्कराओ... *मीठा बाबा अपने बच्चों को फिर से खुशियो में खिलाने आया है तो पवित्र बनकर ईश्वरीय दिल पर छा जाओ...”*
➳ _ ➳ *देह की दुनिया से ऊपर पवित्र धाम की ओर उडान भरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा देहभान की धूल में धूमिल सी थी... आज आत्मिक स्वरूप में दमक रही हूँ... *प्यारे बाबा आपने मुझे कमल समान पवित्र जीवन की धरोहर देकर आलिशान सुखो की मालकिन सा सजाया है... कौड़ी जीवन को हीरे सा चमकाया है...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- नॉलेज का दान दे सर्व का भण्डारा भरपूर करना है*"
➳ _ ➳ ज्ञान के सागर अपने शिव पिता परमात्मा द्वारा मुरली के माध्यम से हर रोज प्राप्त होने वाले मधुर महावाक्यों को एकांत में बैठ मैं पढ़ रही हूँ और *पढ़ते - पढ़ते अनुभव कर रही हूँ कि ब्रह्मा मुख द्वारा अविनाशी ज्ञान के अखुट खजाने लुटाते मेरे शिव पिता परमात्मा परमधाम से नीचे साकार सृष्टि पर आकर मेरे सम्मुख विराजमान हो गए हैं*। अपने मुख कमल से मेरी रचना कर मुझे ब्राह्मण बनाने वाले मेरे परम शिक्षक शिव बाबा, ब्रह्मा बाबा की भृकुटि पर बैठ ज्ञान की गुह्य बातें मुझे सुना रहें हैं और *मैं ब्राह्मण आत्मा ज्ञान के सागर अपने शिव पिता के सम्मुख बैठ, ब्रह्मा मुख से उच्चारित मधुर महावाक्यों को बड़े प्यार से सुन रही हूँ और ज्ञान रत्नों से अपनी बुद्धि रूपी झोली को भरपूर कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ मुरली का एक - एक महावाक्य अमृत की धारा बन मेरे जीवन को परिवर्तित कर रहा है। *आज दिन तक अज्ञान अंधकार में मैं भटक रही थी और व्यर्थ के कर्मकांडो में उलझ कर अपने जीवन के अमूल्य पलों को व्यर्थ गंवा रही थी*। धन्यवाद मेरे शिव पिता परमात्मा का जिन्होंने ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर मुझे अज्ञान अंधकार से निकाल मेरे जीवन मे सोझरा कर दिया। अपने शिव पिता परमात्मा के समान महादानी बन अब मुझे उनसे मिलने वाले अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान सबको कर, सबको अज्ञान अंधकार से निकाल सोझरे में लाना है।
➳ _ ➳ अपने शिव पिता के स्नेह का रिटर्न अब मुझे उनके फरमान पर चल, औरो को आप समान बनाने की सेवा करके अवश्य देना है। *अपने आप से यह प्रतिज्ञा करते हुए मैं देखती हूँ मेरे सामने बैठे बापदादा मुस्कराते हुए बड़े प्यार से मुझे निहार रहें हैं। उनकी मीठी मधुर मुस्कान मेरे दिल मे गहराई तक समाती जा रही है*। उनके नयनों से और भृकुटि से बहुत तेज दिव्य प्रकाश निकल रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे प्रकाश की सहस्त्रो धारायें मेरे ऊपर पड़ रही है और उस दिव्य प्रकाश में नहाकर मेरा स्वरूप बहुत ही दिव्य और लाइट का बनता जा रहा है। *मैं देख रही हूँ बापदादा के समान मेरे लाइट के शरीर में से भी प्रकाश की अनन्त धारायें निकल रही हैं और चारों और फैलती जा रही हैं*।
➳ _ ➳ अब बापदादा मेरे पास आ कर मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर अपने सभी अविनाशी खजाने, गुण और शक्तियां मुझे विल कर रहें हैं। *बाबा के हस्तों से निकल रहे सर्व ख़ज़ानों, सर्वशक्तियों को मैं स्वयं में समाता हुआ स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ*। बापदादा मेरे सिर पर अपना वरदानी हाथ रख मुझे "अविनाशी ज्ञान रत्नों के महादानी भव" का वरदान दे रहें हैं। वरदान दे कर, उस वरदान को फलीभूत कर, उसमे सफलता पाने के लिए बाबा अब मेरे मस्तक पर विजय का तिलक दे रहें हैं। *मैं अनुभव कर रही हूँ मेरे लाइट माइट स्वरूप में मेरे मस्तक पर जैसे ज्ञान का दिव्य चक्षु खुला गया है जिसमे से एक दिव्य प्रकाश निकल रहा है और उस प्रकाश में ज्ञान का अखुट भण्डार समाया है*।
➳ _ ➳ महादानी बन, अपने लाइट माइट स्वरूप में सारे विश्व की सर्व आत्माओ को अविनाशी ज्ञान रत्न देने के लिए अब मैं सारे विश्व मे चक्कर लगा रही हूँ। मेरे मस्तक पर खुले ज्ञान के दिव्य चक्षु से निकल रही लाइट से ज्ञान का प्रकाश चारों और फैल रहा है और सारे विश्व में फैल कर विश्व की सर्व आत्माओं को परमात्म परिचय दे रहा हैं। *सर्व आत्माओं को परमात्म अवतरण का अनुभव हो रहा है। सभी आत्मायें अविनाशी ज्ञान रत्नों से स्वयं को भरपूर कर रही हैं*। सभी का बुद्धि रूपी बर्तन शुद्ध और पवित्र हो रहा है। ज्ञान रत्नों को बुद्धि में धारण कर सभी परमात्म पालना का आनन्द ले रहे हैं।
➳ _ ➳ लाइट माइट स्वरूप में विश्व की सर्व आत्माओं को अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान दे कर, अब मैं साकार रूप में अपने साकार ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर महादानी बन मुख द्वारा अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली सभी आत्माओं को आविनाशी ज्ञान रत्नों का दान दे कर, सभी को अपने पिता परमात्मा से मिलाने की सेवा निरन्तर कर रही हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में, डबल लाइट स्थिति का अनुभव करते अपनी स्थिति से मैं अनेको आत्माओं को परमात्म प्यार का अनुभव करवा रही हूँ। परमात्म प्यार का अनुभव करके वो सभी आत्मायें अब परमात्मा द्वारा मिलने वाले अविनाशी ज्ञान रत्नों को धारण कर अपने जीवन को खुशहाल बना रही हैं*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं स्नेह के रिटर्न में स्वयं को टर्न कर बाप समान बनने वाली सम्पन्न और सम्पूर्ण आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं अपने रूहानी वाइब्रेशंस द्वारा शक्तिशाली वायुमंडल बनाने की सेवा कर के सबसे श्रेष्ठ सेवा करने वाली सेवाधारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *सभी को अपना निश्चय चाहिए कुछ भी हो जाए, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे, साथ राज्य में आयेंगे।* पक्का है ना! साथ रहेंगे ना! बाप को अकेला छोड़के नहीं चले जाना। अकेला थोड़ेही अच्छा लगेगा। आपको भी अच्छा नहीं लगेगा, बाप को भी अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए छोड़ना नहीं। *कोई भी बात आवे आप दिल से बोलो, मेरा बाबा, बाबा हाजिर है। आपकी समस्या को हल कर देंगे।, दिल से बोलना, बाबा यह बात है, बाबा यह करो, बाबा यह... बाप बँधा हुआ है। लेकिन दिल से, ऐसे नहीं कि मतलब के टाइम पर याद करो और फिर भूल जाओ।*
✺ *ड्रिल :- "दिल से मेरा बाबा बोलकर समस्या से मुक्त होने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *ओ बाबा आपने कैसा जादू फेरा है... जिसको देखो वही है कहता बाबा तो बस मेरा है... बाबा तो बस मेरा है... बाबा तो बस मेरा है* इस गीत को सुनते हुए... मैं बाप पसन्द दिव्य श्रेष्ठ आत्मा प्रभु महिमा के गीत गा रही हूँ... *और मन ही मन उस रत्नागर, जादूगर का शुक्रिया कर रही हूँ... जिसने जादू चलाकर मेरे जीवन को क्या से क्या बना दिया...* मुझे जीना सीखा दिया... वाह बाबा कैसी आपने कमाल कर दी है... *कितनी सुन्दर हीरे तुल्य आप हमारी जीवन बना रहे हो बाबा... बाबा आप बहुत मीठे हो, कितने प्यारे हो...* प्यार के सागर बाबा भी रंग-बिरंगें स्नेह के फूलों की वर्षा मुझ आत्मा पर कर, रिस्पॉन्स दे रहे है... जैसे-जैसे मुझ आत्मा पर स्नेह के पुष्पों की वर्षा हो रही है... *मुझ आत्मा की चमक बढ़ रही है...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाबा से कह रही हूँ... *मीठे लाडले बाबा आप हमेशा मेरे साथ ऐसे ही रहना... बाबा कुछ भी हो जाए, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे, साथ राज्य में आयेंगे...* ऐसा कहते ही मुझ आत्मा के नयन सजल हो जाते है... *रिसपांस में, बाबा से बेहद शक्तिशाली करंट अनुभव हो रही है...* और अचानक मुझ आत्मा के सामने एक दृशय आ जाता है... *मैं आत्मा देख रही हूँ... एक विशाल सागर में छोटी-छोटी नौकाएं चली हुई है... एक-एक नौका में सिर्फ़ एक-एक आत्मा बैठी हुई है...* और सभी साथ चलते हुए भी, अपनी-अपनी रीति आगे बढ़ रहे है... *कुछ आत्माएँ प्रभु महिमा के गीत-गाते आगे बढ़ रही है... और कुछ अपने भाग्य के गीत-गाते हुए आगे बढ़ रहे है...* इन सबकी नौकाओं पर बाबा का झंड़ा लगा हुआ है... कुछ नौकाओं में बैठी आत्माएं यहाँ-वहाँ के नजारे देखते हुए... आगे बढ़ रही है...
➳ _ ➳ *तभी अचानक सागर में लहरें उठने लगती है... और सभी नौकाएं यहाँ-वहाँ हिलने लगती है... हिचकोले खाने लगती है...* तेज तूफान के साथ बारिश भी होने लगती है... तभी नांव में बैठी आत्माएं जो प्रभु महिमा के गीत गा रही थी... और *कुछ आत्माएँ जो भाग्य के गीत गा रही थी... इस तांड़व रुपी तूफान को देख घबराती नहीं है... और कहती है मेरे बाबा मीठे बाबा, मेरे साथी आ जाओं मदद करो मेरे बाबा और उनके ऐसे कहते ही बाबा आ जाते है...* बाबा उनकी तरफ एक दृष्टि देते है और उन आत्माओं का हाथ अपने हाथ में ले लेते है... और *उन आत्माओं की नौका एक बड़ी लहर के साथ जाकर आगे निकल जाती है... और चारों तरफ लहरें शांत हो जाती है... तूफान थम जाता है* और वो आत्माएं वाह बाबा वाह के गीत गाते हुए फिर से आगे बढ़ने लगती है...
➳ _ ➳ और दूसरी तरफ भी कुछ आत्माएँ जो पीछें लहरों-तूफान में फंसी है... घबरा भी रही है... और *उनके मन में कई प्रश्नों रूपी लहरे उत्पन्न हो रही है... क्या करें, क्या होगा और साथ ही पुकार भी रही है... मेरे बाबा मीठे बाबा मदद करों...* बाबा उन आत्माओं के साथ ही खड़े है... मदद देने के लिए लेकिन वे आत्माएं बाबा की मदद नहीं ले पा रही है... तभी ये सारा दृश्य मुझ आत्मा के सामने से गायब हो जाता है... और मुझ आत्मा के कानों में बाबा के ये महावाक्य गूंजने लगते है... *"कोई भी बात आवे आप दिल से बोलना, बाबा यह बात है, बाबा यह करों, बाबा यह... बाप बँधा हुआ है... लेकिन दिल से"* और मुझ आत्मा पर शक्तियों और वरदानों की किरणें बाबा से पड़ने लगती है... *मैं आत्मा बेहद शक्तिशाली अवस्था का अनुभव कर रही हूँ... और अब इस दृश्य का राज मुझ आत्मा के सामने स्पष्ट होता जा रहा है...* मैं आत्मा बाबा को दिल से शुक्रिया कह रही हूँ... और अब मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को इस धरा पर पार्ट प्ले करते हुए...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा हर कर्म बाबा की याद में, और अपने भाग्य की समृति में रह कर करते हुए, अपनी जीवन रूपी नौका में बैठ मंजिल की तरफ बढ़ रही हूँ...* मैं आत्मा देख रही हूँ... इस जीवन रूपी नौका के चारों ओर कई प्रकार के बातों रूपी तूफान आ रहे है... लेकिन *मैं आत्मा दिल से मेरा बाबा, मीठा बाबा, मेरे साथी कह... बाबा की मदद से सहज ही हर समस्या को पार कर वाह बाबा वाह के गीत गाते खुशी और रूहानी नशे में रह कर आगे बढ़ रही हूँ...* बाबा के हाथ और साथ से सहज ही समस्या मुक्त हो आगे बढ़ रही हूँ... और *अन्य आत्माओं को भी आगे बढ़ा रही हूँ... आप समान बना रही हूँ... वाह बाबा वाह शुक्रिया लाडले बाबा...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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