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❍ 10 / 10 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ भगवान की पदाई ध्यान से पडी ?
➢➢ कभी भूतों के वश हो इज्ज़त तो नहीं गंवाई ?
➢➢ बीती हुई बातों व वृत्तियों को समाप्त कर सम्पूरण सफलता प्राप्त की ?
➢➢ स्व परिवर्तन पर विशेष अटेंशन रहा ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ जब कर्मों के हिसाब-किताब वा किसी भी व्यर्थ स्वभाव-संस्कार के वश होने से मुक्त बनेंगे तब कर्मातीत स्थिति को प्राप्त कर सकेंगे। कोई भी सेवा, संगठन, प्रकृति की परिस्थिति स्वस्थिति वा श्रेष्ठ स्थिति को डगमग न करे। इस बंधन से भी मुक्त रहना ही कर्मातीत स्थिति की समीपता है। देती है? इस बन्धन से भी मुक्त हैं?
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं स्वदर्शन चक्रधारी श्रेष्ठ आत्मा हूँ"
〰✧ स्वदर्शन चक्रधारी श्रेष्ठ आत्मायें बन गये, ऐसे अनुभव करते हो? स्व का दर्शन हो गया ना? अपने आपको जानना अर्थात् स्व का दर्शन होना और चक्र का ज्ञान जानना अर्थात् स्वदर्शन चक्रधारी बनना। जब स्वदर्शन चक्रधारी बनते हैं तो और सब चक्र समाप्त हो जाते हैं। देहभान का चक्र, सम्बन्ध का चक्र समस्याओंका चक्र - माया के कितने चक्र हैं! लेकिन स्वदर्शन-चक्रधारी बनने से यह सब चक्र समाप्त हो जाते हैं, सब चक्रों से निकल आते हैं। नहीं तो जाल में फँस जाते हैं। तो पहले फँसे हुए थे, अब निकल गये।
〰✧ 63 जन्म तो अनेक चक्रों में फँसते रहे और इस समय इन चक्रों से निकल आये, तो फिर फँसना नहीं है। अनुभव करके देख लिया ना? अनेक चक्रों में फँसने से सब कुछ गँवा दिया और स्वदर्शन-चक्रधारी बनने से बाप मिला तो सब कुछ मिला। तो सदा स्वदर्शन-चक्रधारी बन, मायाजीत बन आगे बढ़ते चलो।
〰✧ इससे सदा हल्के रहेंगे, किसी भी प्रकार का बोझ अनुभव नहीं होगा। बोझ ही नीचे ले आता है और हल्का होने से ऊंचे उड़ते रहेंगे। तो उड़ने वाले हो ना? कमजोर तो नहीं? अगर एक भी पंख कमजोर होगा तो नीचे ले आयेगा, उड़ने नहीं देगा। इसलिए, दोनों ही पंख मजबूत हों तो स्वत: उड़ते रहेंगे। स्वदर्शन-चक्रधारी बनना अर्थात् उड़ती कला में जाना।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ आज बापदादा अपने सर्व स्वराज्य अधिकारी बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं क्योंकि स्वराज्य अधिकारी ही अनेक जन्म विश्व-राज्य अधिकारी बनते हैं। तो आज डबल विदेशी बच्चों से बापदादा स्वराज्य का समाचार पूछ रहे हैं।
〰✧ हर एक राज्य अधिकारी का राज्य अच्छी तरह से चल रहा है? आपके राज्य चलाने वाले साथी, सहयोगी साथी सदा समय पर यथार्थ रीति से सहयोग दे रहे हैं कि बीच-बीच में कभी धोखा भी देते हैं? जितने भी सहयोगी कर्मचारी कर्मेन्द्रियाँ, चाहे स्थूल हैं, चाहे सूक्ष्म हैं, सभी आपके ऑर्डर में हैं? जिसको जिस समय जो ऑर्डर करो उसी समय उसी विधि से आपके मददगार बनते हैं?
〰✧ रोज अपनी राज्य दरबार लगाते हो? राज्य कारोबारी सभी 100 प्रतिशत आज्ञाकारी, वफादार, एवररेडी हैं? क्या हालचाल है? अच्छा है व बहुत अच्छा है व बहुत, बहुत अच्छा है? राज्य दरबार अच्छी तरह से सदा सफलता पूर्वक होती है वा कभी-कभी कोई सहयोगी कर्मचारी हलचल तो नहीं करते है?
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ चलते-चलते अगर कमज़ोरी आती है तो उसका कारण क्या है? विशेष कारण है कि जो कहते हो, जो सुनते हो, उस एक-एक गुण का, शक्ति का, ज्ञान के पॉइन्ट्स का अनुभव कम है। मानो सारे दिन में स्व-भी व दूसरे को भी कितने बार कहते हो - मैं आत्मा हूँ, आप आत्मा हो, शान्त स्वरूप हो, सुख स्वरूप हो, कितने बार स्व-भी सोचते हो और दूसरों को भी कहते हो। लेकिन चलते-फिरते आत्मिक-अनुभूति, ज्ञान-स्वरूप, प्रेम-स्वरूप, शान्त-स्वरूप की अनुभूति, वो कम होती है। सुनना-कहना ज्यादा हैऔर अनुभूति कम है। लेकिन सबसे बड़ी अथॉरिटी अनुभव की होती है तो उस अनुभव में खो जाओ।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- बुद्धि से रूहानी यात्रा करना"
➳ _ ➳ मैं वन्डरफुल आत्मा अपनी हर एक साँस को वन्डरफुल बाबा की यादों में
पिरोकर सूक्ष्म शरीर धारण कर सूक्ष्मवतन में बापदादा के सम्मुख बैठ जाती हूँ...
बापदादा मुझे अपनी बाँहों में समेट लेते हैं... बाबा की मखमली बाँहों में
सिमटते ही मैं आत्मा देह और देह की दुनिया के सभी बातों को भूल अतीन्द्रिय सुख
की अनुभूतियों में खो जाती हूँ... फिर मीठे बापदादा रूहानी याद की यात्रा
कराते हुए मीठी रूह-रिहान करते हैं...
❉ घर बैठे-बैठे बिना किसी मेहनत के रूहानी यात्रा करने का सहज मार्ग
बताते हुए प्यारे रूहानी बाबा कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता
अपने दुखो में झुलसाये कुम्हलाये फूल बच्चों को 21 जनमो का अथाह सुख लुटाने धरा
पर उतर आया है... अब शरीर के आवरण से अलग हो, अपने दमकते मणि स्वरूप के नशे
में भर जाओ... और सच्चे पिता की मीठी महकती यादो में गहरे डूब जाओ..."
➳ _ ➳ प्यारे बाबा के यादों के गहरे समंदर में डूबकर दिव्य गुणों का
श्रृंगार करते हुए मैं प्यारी आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै
आत्मा आपकी खोज में किस कदर दर दर भटक रही थी... आपने सहज ही जीवन में आकर मुझे
कितना भाग्यवान बना दिया है... खुशियो से मेरा दामन सजा दिया है... मै आत्मा
हर पल यादो में खोयी गहरे सुख को पा रही हूँ..."
❉ यादों के विमान में बिठाकर संगमयुगी आसमान में उड़ाकर सतयुगी दुनिया
में पहुंचाते हुए मीठे बाबा कहते हैं :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... हर साँस
संकल्प और समय को यादो के तारो में पिरोकर... ईश्वरीय खजानो से सम्पन्न होकर
सुखो की धरा पर इठलाओ... सदा यादो में खोये रहो और ईश्वरीय दिल पर झूमते ही
रहो... ऐसे सच्चे प्यार में अपने रोम रोम को भिगो कर अतीन्द्रिय सुखो की
अनुभूतियों में डूब जाओ..."
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने खूबसूरत भाग्य पर नाज करती हुई दिल से प्यारे बाबा
का शुक्रिया अदा करते हुए कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा आपको
पाकर कितने खुबसूरत भाग्य की मालकिन हो गयी हूँ... प्यारे बाबा आपने दिल में
समाकर मुझे हर दुःख से मुक्त किया है... फूलो की छाँव और दिव्य गुणो की महक से
जीवन कितना खुबसूरत प्यारा बना दिया है..."
❉ सारे खजाने मुझ पर लुटाकर सच्चे सुख, शांति के फव्वारों से मुझे
सराबोर करते हुए मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... देह
की यात्राओ में मन तो सदा रिक्त ही रहा... अब रूहानी यात्री बनकर... मन को सदा
की मौज और आनन्द के अहसासो में भिगो दो... हर पल रूहानी यादो में खोये रहो...
ईश्वरीय यादो की खुमारी में सच्चे सुखो को पाकर... सतयुगी सुखो के अधिकारी बन
मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ यादों के महल में बैठकर मीठे बाबा के दिल की रानी बनकर राज करते
हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता को पाने
वाली सौभाग्यशाली हूँ... मीठे बाबा आपने दुखो के दलदल से बाहर निकाल... मुझे
सुखो से भरे फूलो के बगीचे में बिठा दिया है... ईश्वरीय गोद पाकर मै आत्मा हर
दुःख से आजाद होकर, यादो में मुस्करा उठी हूँ..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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"ड्रिल :- बाप समान टीचर जरूर बनना है"
➳ _ ➳ आज सारी दुनिया मे सभी मनुष्य मात्र अल्फ अर्थात अपने ईश्वर बाप को
ना जानने के कारण निधनके बन पड़े है और दुखी, अशांतमय जीवन जी रहें हैं। दुनिया
के ये सभी मनुष्य मेरे ही तो आत्मा भाई है जो आज दिन तक अपने पिता से बिछुड़े
हुए हैं। अपने इन आत्मा भाईयों को अपने शिव पिता परमात्मा से मिलाना मेरा परम
कर्तव्य है और यही मेरे शिव पिता की चाहना भी है कि उनका कोई भी बच्चा उनके
परिचय से अनजान ना रह जाये। अपने शिव पिता के फरमान को स्मृति में ला कर मैं
मन ही मन विचार करती हूँ कि कैसे सबको अल्फ की पहचान दूँ!
➳ _ ➳ एकांत में बैठ सेवा की युक्तियां सोचते - सोचते अपने शिव पिता को
मैं याद करती हूँ। मेरी याद मेरे शिव पिता तक पहुंचते ही उनकी तरफ से याद का
रिटर्न उनकी शक्तिशाली किरणों की छत्रछाया के रूप में मुझे अपने ऊपर स्पष्ट
अनुभव होने लगता है। मैं देख रही हूँ बाबा अपनी सर्वशक्तियों रूपी किरणों की
हज़ारों भुजाओं को मेरे ऊपर फैलाये परमात्म दुआयों से मुझे भरपूर कर रहें हैं।
ये परमात्म ब्लैसिंग मेरे अंदर एक अद्भुत रूहानी नशे का संचार कर रही है। इस
रूहानी नशे का अनुभव मुझे लाइट माइट स्वरूप में स्थित कर रहा है। मैं देख रही
हूँ जैसे मेरा साकारी शरीर लुप्त हो गया है।
➳ _ ➳ लाइट के बहुत ही सुंदर फ़रिशता स्वरूप में मैं अब स्वयं को देख रही
हूँ। मेरे अंग - अंग से निकल रही श्वेत रश्मियां चारों और फैल कर सारे वायुमंडल
को शुद्ध, दिव्य और अलौकिक बना रही हैं। अपनी तेजस्वी रंग बिरंगी किरणो से
वायुमण्डल को शुद्ध और पवित्र बनाता हुआ मैं फ़रिशता अब धरनी के आकर्षण से मुक्त
होता हुआ ऊपर आकाश मण्डल की ओर जा रहा हूँ। सूक्ष्म रूप ले कर अति तीव्र गति
से उड़ता हुआ मैं फरिश्ता पांच तत्वों की दुनिया को पार करके पहुँच जाता हूँ
अपने अलौकिक वतन में।
➳ _ ➳ स्वयं को मैं अब एक ऐसी दुनिया मे देख रहा हूँ जहां चारों और सफेद
चांदनी सा प्रकाश फैला हुआ है। लाइट के सूक्ष्म शरीर धारण किये फ़रिश्ते ही
फ़रिश्ते इस लोक में मुझे दिखाई दे रहें हैं जिनसे निकल रही प्रकाश की रश्मियां
पूरे वतन में फैल रही हैं। इस अति सुन्दर दिव्य अलौकिक दुनिया में मैं फ़रिशता
अब स्वयं को बापदादा के सम्मुख देख रहा हूँ। बापदादा की लाइट माइट मुझ फ़रिश्ते
पर पड़ रही है और मैं स्वयं को बापदादा से आ रही लाइट माइट से भरपूर कर रहा
हूँ। बापदादा से आ रही सर्वशक्तियाँ मुझमे असीम बल भर कर मुझे शक्तिशाली बना
रही है।
➳ _ ➳ मैं डबल लाइट बनता जा रहा हूँ। हर प्रकार के बोझ और बन्धन से मुक्त
बिल्कुल उन्मुक्त और निर्बन्धन स्थिति में मैं स्थित हूँ। गहन सुखमय स्थिति की
अनुभूति प्यारे बापदादा के सानिध्य में मैं कर रहा हूँ। बाबा अपना वरदानी हाथ
मेरे सिर पर रख कर मुझे आप समान बनने का वरदान दे रहें हैं। टीचर बन सभी को
अल्फ का परिचय देने का फरमान दे रहें हैं। बापदादा की लाइट माइट से भरपूर हो
कर, बाबा से वरदान ले कर, बाबा के फरमान का पालन करने के लिए डबल लाइट बन कर अब
मैं वापिस साकारी दुनिया मे लौट रहा हूँ।
➳ _ ➳ अपनी लाइट की सूक्ष्म आकारी देह के साथ वापिस अपनी साकारी देह में
प्रवेश कर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं टीचर बन सबको अल्फ का
परिचय देने की ईश्वरीय सेवा कर रही हूँ। अलग - अलग स्थानों पर प्रदर्शनियों आदि
में जा कर एक - एक बात को अच्छी रीति समझा कर मैं सबकी बुद्धि को दिव्य बनाने
का रूहानी धन्धा करते हुए सबको ईश्वर बाप से मिलवाने की बाबा की आश को पूरा कर
रही हूँ। "ईश्वर सर्वव्यापी नही है" "गीता का भगवान कृष्ण नही है" ऐसे अनेक
टॉपिक्स पर टीचर की भांति अच्छी रीति समझा कर मैं पत्थरबुद्धि मनुष्यों की
बुद्धि का ताला खोल उन्हें पारस बुद्धि बनाने की सेवा निरन्तर कर रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं बीती हुई बातों वा वृत्तियों को समाप्त कर सम्पूर्ण सफलता प्राप्त करने वाली स्वच्छ आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं स्व परिवर्तन करके विजय माला को गले में धारण करने वाली विजयी आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा ने पहले भी इशारा दिया है कि समय का परिवर्तन आप विश्व परिवर्तक आत्माओं के लिए इन्तजार कर रहा है। प्रकृति आप प्रकृतिपति आत्माओं का विजय का हार लेके आवाह्न कर रही है। समय विजय का घण्टा बजाने के लिए आप भविष्य राज्य अधिकारी आत्माओं को देख रहे हैं कि कब घण्टा बजायें, भक्त आत्मायें वह दिन सदा याद कर रही हैं कि कब हमारे पूज्य देव आत्मायें हमारे ऊपर प्रसन्न हो हमें मुक्ति का वरदान देंगी! दु:खी आत्मायें पुकार रही हैं कि कब दु:ख हर्ता सुख कर्ता आत्मायें प्रत्यक्ष होंगी! इसलिए यह सब आपके लिए इन्तजार वा आवाह्न कर रहे हैं।
➳ _ ➳ इसलिए हे रहमदिल, विश्व कल्याणकारी आत्मायें अभी इन्हों के इन्तजार को समाप्त करो। आपके लिए सब रुके हैं। आप सब मुक्त हो जाओ तो सर्व आत्मायें, प्रकृति, भगत मुक्त हो जाएं। तो मुक्त बनो, मुक्ति का दान देने वाले मास्टर दाता बनो। अभी विश्व परिवर्तन की जिम्मेवारी के ताजधारी आत्मायें बनो। जिम्मेवार हो ना! बाप के साथ मददगार हो। क्या आपको रहम नहीं आता, दिल में दु:ख के विलाप महसूस नहीं होते। हे विश्व परिवर्तक आत्मायें अभी अपने जिम्मेवारी की ताजपोशी मनाओ।
✺ ड्रिल :- "विश्व परिवर्तक आत्मा बन अपने जिम्मेवारी की ताजपोशी मनाना"
➳ _ ➳ बाबा के महावाक्य सुनते-सुनते... अचानक कानों में घंटे की आवाज गूँजने लगती है... और मैं आत्मा बिल्कुल अशरीरी हो जाती हूँ... एक तेज प्रकाश मेरी ओर आता हुआ मुझे उड़ा ले जाता है संगम रुपी घड़ी के ऊपर... जहाँ से मैं समय को देख रही हूँ जो समाप्ति की ओर है...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता विश्व ग्लोब के ऊपर आ जाती हूँ... हर तरह के नजारे देख रही हूँ... कि कैसे भगत, दुःखी आत्मायें हम पूज्य देव के प्रसन्न होने का इंतज़ार कर रही है... प्रकृति हम प्रकृतिपति आत्माओं का इंतजार कर रही है... समय विजय का घंटा बजाने अपने भविष्य राज्याधिकारी आत्माओं का इंतजार कर रहा है... सभी दुखी आत्मायें विश्व कल्याणकारी, दुःख हर्ता, सुख करता का आह्वान कर रही हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा इन दृश्य को देखते हुए अपने स्वीट होम शांतिधाम आ जाती हूँ... परमात्मा शिव बाबा के समीप... बाबा से आती हुई शक्तियों की किरणें, पवित्रता की किरणें हर बन्धन से मुक्त करती जा रही हैं... सूक्ष्म बन्धन लगाव के, मोह, दैहिक... इन सब से मुक्त होती जा रही हूँ... बिल्कुल ही न्यारी अवस्था... एक बाप दूसरा न कोई... शिव बाबा जो रहमदिल है, दाता है, विश्व कल्याणकारी है... मैं आत्मा भी बाप समान बनती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा विश्व परिवर्तक का ताज पहन रही हूँ... ताजपोशी मना रही हूँ... ये ज़िम्मेवारी का ताज है जो बापदादा ने हम निम्मित आत्माओं को दिया है... संगम युग जब बाप और बच्चों का महामिलन होता है... विश्व परिवर्तन का समय, बाप के साथ मददगार बन मुक्ति का दान देते जाना दुःख से विलाप करती हुई आत्माओं को... रहमदिल बन, विश्व कल्याणकारी... इष्टदेवी, शक्ति रूप में वरदानी मूर्त हूँ... जिम्मेवारी की ताज पहन प्रत्यक्ष होती जा रही हूँ... ओम् शान्ति...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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