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❍ 18 / 05 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *आर्टिफीशीयल फैशन तो नहीं किया ?*
➢➢ *भाई भाई की दृष्टि नेचुरल पक्की रही ?*
➢➢ *दृढ़ संकल्प रुपी व्रत द्वारा वृत्तियों का परिवर्तन किया ?*
➢➢ *मुख पर दृढ़ संकल्प का बटन लगा व्यर्थ से मुक्त रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ आप सभी अपने को बहुत बिजी समझते हो लेकिन अभी फिर भी बहुत फ्री हो। *आगे चल और बिजी होते जायेंगे इसलिए स्व प्रति जितना भी समय मिले स्व-अभ्यास, स्व-साधना में सफल करते जाओ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बापदादा का लाडला हूँ"*
〰✧ अपने को बापदादा के अति स्नेही, अति लाडले हैं - ऐसा अनुभव करते हो? बापदादा हर बच्चे को अति लाडले समझते हैं। बापदादा सर्व सम्बंध से ही बच्चों को याद करते लेकिन फिर भी मुख्य तीन सम्बंध जो गाये हुए हैं उन तीन सम्बंधों से तीन विशेषताएं बच्चों को देते हैं। जानते हो ना? इसी को ही कहते हैं - दिल का प्यार। *बाप के रुप में सिर्फ नहीं देते, लेकिन शिक्षक के रुप में पढ़ाई द्वारा श्रेष्ठ पद की भी प्राप्ति कराते हैं और सतगुरु के रुप में सदा वरदान देते रहते हैं। तो कितना प्यारा हुआ! लौकिक बाप तो सिर्फ वर्सा देंगे लेकिन यहां वरदान भी है, वर्सा भी है और पढ़ाई भी है।* ऐसा बाप सारे कल्प में मिला?
〰✧ सारी वर्ल्ड घूमकर आओ, देखो तो नहीं मिलेगा। क्योंकि बाप बच्चों की मेहनत देख नहीं सकते। कोई-कोई बच्चे बहुत पुरुषार्थ करने में भी मेहनत करते हैं। बापदादा को अच्छा नहीं लगता, मेहनत क्यों करते? बच्चों को सदैव बालक सो मालिक कहा जाता है। मालिक कभी मेहनत नहीं करते। मालिक हो या लेबर हो? कभी वह बन जाते कभी वह बन जाते। जब अभी से मालिकपन के संस्कार डालेंगे तभी विश्व के मालिक बनेंगे। जब सर्वशक्तिवान् बाप सदा साथ है तो मेहनत क्यों करेंगे? साथ में रहने वाले को मेहनत करके याद किया जाता है क्या? *जहां सर्वशक्तिवान् बाप साथ है तो शक्तियां भी साथ होंगी ना। जहां सर्वशक्तियां हैं वहां मेहनत करने की जरुरत नहीं। इसलिए बापदादा कहते हैं कि सदा अपने को लाडला समझो।*
〰✧ सतगुरु वरदाता हर बच्चे को हर कर्म में वरदान देते हैं। *जब बाप साथ है, वरदाता साथ है तो वरदान ही देगा ना! जब हर कर्म में वरदाता का वरदान मिला हुआ है तो वरदान जहां होता है वहां मेहनत नहीं होती। वरदानों से जन्म हुआ, वरदानों से पालना हुई, वरदानों से सदैव उड़ रहे हो, इतना वरदान मिला है ना?* किसको कम, किसको ज्यादा नहीं मिला है? कोई को कम तो नहीं मिला है ना? किसको कम, किसको ज्यादा नहीं मिला है? कोई को कम तो नहीं मिला है? सबको फुल मिला है इसलिए सदा अपने को मास्टर सर्वशक्तिवान् समझ इसी स्मृति से आगे बढ़ते रहो।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *जितना वाणी सूनने और सुनाने की जिज्ञासा रहती है, तडप रहती है, चाँन्स बनाते भी हो क्या ऐसे ही फिर वाणी से परे स्थिति में स्थित होने का चाँन्स बनाने और लेने के जिज्ञासु हो?* यह लगन स्वतः स्वयं में उत्पन्न होती है या समय प्रमाण, समस्या प्रमाण व प्रोग्राम प्रमाण यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है?
〰✧ फर्स्ट स्टेज तक पहुँँची हुई आत्माओं की पहली निशानी, यह होगी। *ऐसी आत्मा को, इस अनुभूती की स्थिति में मग्न रहने के कारण कोई भी विभूती व कोई भी हद की प्राप्ति का आकर्षण, संकल्प में भी छू नहीं सकता।*
〰✧ *अगर कोई भी हद की प्राप्ती की आकर्षण उन्हें उनके संकल्प में भी छूने की हिम्मत रखती है, तो इसको क्या कहेंगे? क्या ऐसे को वैष्णव कहेंगे?*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *तीव्र पुरूषार्थ का सहज साधन है - दृढ़ संकल्प। देही-अभिमानी बनने के लिए भी दृढ़ संकल्प करना है कि मैं शरीर नहीं हूँ, आत्मा हूँ। संकल्प में दृढ़ता नहीं तो कोई भी बात में सफलता नहीं।* कोई भी बात में जब दृढ़ संकल्प रखते हैं तब ही सफलता होती है। *दृढ़ संकल्प वाले ही मायाजीत होते हैं।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- एक मीठे माशुक को याद करना"*
➳ _ ➳ *बहुत ही खुबसूरत ऊँची पहाड़ी पर खड़ी मै आत्मा... चाँद की शीतल चाँदनी का आनन्द लेते हुए मीठे बाबा की प्यारी यादो में खो जाती हूँ... कि प्यारे बाबा ने जीवन में आकर मुझे कितना ऊँचा उठाया है.*.. मुझे क्या से क्या बना दिया है... गुणो और शक्तियो में सम्पन्न बनाकर, मन की ऊँची अवस्था में लाकर... शीतल स्वरूप की चाँदनी में रख... *मुझे कितना खुबसूरत आशिक बना दिया है..*. मीठे बाबा को अपनी भावनाये सुनाने मै आत्मा... सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा की बाँहों में चली जाती हूँ...
❉ *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को सच्चे प्यार में डुबोते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... रूहानी माशूक बाबा आज अपने आशिको से मिलने आये है... *गुणो और शक्तियो के सागर कण्ठे पर... ऊँची स्थिति की पहाड़ी पर, और सदा शीतल स्वरूप की चांदनी में... दिल का गीत सुन रहे है... निरन्तर याद और यह रूहानी आशिक माशूक का सम्बन्ध् को सदा यादो में बसाये रखो..."*
➳ _ ➳ *मै आत्मा प्यारे बाबा के प्यार में रोम रोम से डूबकर कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... *मै आत्मा भगवान को माशूक रूप में पाकर... इस कदर प्यार में बावरी हो जाउंगी... यह तो मैंने कभी सोचा भी न था बाबा... आपने तो जीवन में आकर, सच्चे प्रेम की बहार खिलाई है...* मन तो जैसे प्यार की खुशबु में रोम रोम से भीगा भीगा सा है..."
❉ *प्यारे बाबा मुझ आत्मा को गुणो और शक्तियो के खजाने से सम्पन्न बनाते हुए कहते है :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *माशूक बाबा तो सागर है...* इसलिए सागर से जितना चाहे उतना अथाह लेकर नम्बरवन बनो... *सदा मेरा बाबा में दिल की गहराइयो से खोये रहो... मेरा मेरा कह और जगह फेरे न लगाओ... जैसे माशूक प्यारा है, सजा संवरा है, ऐसे ही गुणो और शक्तियो से सजे संवरे चमकीली ड्रेस में माशूक संग... समान बन मुस्कराओ...”*
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा के रूहानी प्यार को मन बुद्धि में समाकर कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे दुलारे बाबा... *आपने अपनी आशिकी के रंग में... मुझ आत्मा को रंगकर, कितना खुबसूरत और प्यारा बना दिया है.*.. काली दागो वाली ड्रेस की जगह... चमकीली सुंदर फ़रिश्ता ड्रेस पहनाकर अपना आशिक सजाया है... वाह कितना प्यारा यह मेरा भाग्य है..."
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को आप समान बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... *सदा माशूक समान हल्के बनो तो ही संग उड़ साथ जा सकेंगे.*.. यादो में रह व्यर्थ के सारे बोझों के भारीपन को समाप्त करो... अभी अभी निराकारी, अभी अव्यक्त फ़रिश्ता, अभी कर्मयोगी, अभी सेवाधारी, यह अभ्यास निरन्तर बढ़ाओ..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में खुबसूरत आशिक बनी मुस्कराती हुई कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा देहभान में कितनी काली और दागो से भर गयी थी... *आपने मीठे बाबा मुझे अपने प्यार में कितना सुंदर चमकीला बना दिया है.*.. और हाथ पकड़ कर संग ले चलने को सजा दिया है..." मीठे बाबा से अथाह प्यार पाकर, यूँ सज संवर कर मै आत्मा... अपने स्थूल वतन में आ गयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- भाई भाई की दृष्टि नेचुरल पक्की हो*"
➳ _ ➳ परम पिता परमात्मा की संतान हम सभी आत्मा भाई - भाई हैं जो इस सृष्टि रंगमंच पर अपना - अपना पार्ट बजाने के लिए अवतरित हुए है। इस सृष्टि रूपी नाटक में हर आत्मा शरीर रूपी वस्त्र धारण कर अपना पार्ट बजा रही है। एक का पार्ट ना मिले दूसरे से। *इस वन्डरफुल सृष्टि ड्रामा के गुह्य राज को जान, सृष्टि चक्र के हर सीन को साक्षी होकर देखने का पुरुषार्थ करती हुई मैं आत्मा अपने ब्राह्मण स्वरूप की स्मृति में बैठ अब अपने सँगमयुगी ब्राह्मण जीवन के कर्त्तव्यों के बारे में विचार करती हूँ कि मेरा यह ब्राह्मण जीवन जो मेरे पिता परमात्मा की देन है, को मुझे परमात्म श्रीमत अनुसार सफल कर, अपने पिता के स्नेह का रिटर्न देना है*।
➳ _ ➳ स्वयं से यह दृढ़ प्रतिज्ञा कर, अपने पिता के इस फरमान को कि *"अपने को आत्मा समझ आत्मा भाई - भाई को ज्ञान देना है" को स्मृति में लाकर, आत्मिक स्मृति के पाठ को पक्का करने और स्वयं को परमात्म बल से भरपूर करने के लिए मैं अशरीरी स्थिति में स्थित होती हूँ*। देह से न्यारे अपने निराकार ज्योति स्वरूप में स्थित हो कर अपने मन बुद्धि को अपने निराकार महाज्योति शिव पिता परमात्मा पर एकाग्र करते ही उनसे आ रहे परमात्म करेंट को मैं अपने अंदर प्रवाहित होते हुए स्पष्ट अनुभव करती हूँ।
➳ _ ➳ जैसे मोबाइल को चार्जर के साथ लगा कर बिजली का स्विच ऑन करते ही मोबाईल की बैटरी चार्ज होने लगती है ऐसे ही स्मृति के स्विच को ऑन करते ही परमात्म शक्तियों के शक्तिशाली करेन्ट से मैं भी स्वयं को चार्ज होता हुआ स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। *मुझे अनुभव हो रहा है कि परमात्म बल पा कर मुझ आत्मा की सोई हुआ शक्तियाँ पुनः जागृत हो रही हैं। मेरे शिव पिता परमात्मा से आ रहा सर्वशक्तियों का करेन्ट मैगनेट की भांति मुझे ऊपर अपनी ओर खींच रहा हैं*। परमात्म शक्तियों की मैजिकल पावर से मैं विदेही बन अब ऊपर की और उड़ रही हूँ। सेकेण्ड में आकाश और सूक्ष्म लोक को पार करके मैं पहुँच गई अपने शिव पिता परमात्मा की अनन्त शक्तियों की किरणों के बिल्कुल नीचे उनके पास उनके निजधाम में।
➳ _ ➳ अपने इस परमधाम घर मे अब मैं सर्वशक्तियों के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के बिल्कुल समीप हूँ और उनसे आ रही सर्वशक्तियों की शक्तिशाली किरणों को स्वयं में समा कर असीम ऊर्जावान बन रही हूँ। *अपने प्यारे, मीठे बाबा के सर्वगुणों, सर्वशक्तियों और सर्व खजानों को स्वयं में भर कर, अब मैं ईश्वरीय सेवा अर्थ वापिस साकार लोक की ओर आ रही हूँ*। साकार लोक में अपने साकार शरीर मे प्रवेश कर, अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित हो कर, आत्मिक स्मृति में रह कर अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाले सभी आत्मा भाइयों को परमात्म ज्ञान देकर, उनका कल्याण कर रही हूँ।
➳ _ ➳ जिस आत्मिक दृष्टि से बाबा अपने हर बच्चे को देखते है उसी आत्मिक स्मृति में स्थित होकर, सबको आत्मा भाई - भाई की दृष्टि से देखने के मूल मंत्र को अपने जीवन मे धारण कर, अपनी दृष्टि वृति को आत्मिक बनाकर अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी आत्माओं को अब मैं रूहानी स्नेह दे कर उन्हें सुख और शांति की अनुभूति करवा रही हूँ। *अपने शिव पिता परमात्मा द्वारा मिली हर ईश्वरीय सेवा को आत्मिक स्मृति में और अपने शिव पिता परमात्मा की याद में रह कर करने से हर सेवा में मैं सहज ही सफलता प्राप्त कर रही हूँ*। स्वयं को आत्मा समझ अपने सभी आत्मा भाइयों को वाणी द्वारा परमात्म सन्देश देने और उन्हें परमात्म प्रेम का अनुभव करवा कर उन्हें सच्चा ईश्वरीय मार्ग दिखाने की रूहानी सेवा अब मैं निरन्तर कर रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं दृढ़ संकल्प रूपी व्रत द्वारा वृत्तियों का परिवर्तन करने वाली महान आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं मुख पर दृढ़ संकल्प का बटन लगा कर व्यर्थ से बचने वाली समर्थ आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳. कभी भी झूले से नीचे नहीं आओ, नहीं तो मैले हो जायेंगे। मैले फिर बाप से
कैसे मिल सकते! बहुत काल अलग रहे अभी मेला हुआ तो मनाने वाले मैले कैसे होंगे।
*बापदादा हरेक बच्चे को कुल का दीपक, नम्बरवन बच्चा देखना चाहते हैं।* अगर
बार-बार मैले होंगे तो स्वच्छ होने में कितना टाइम वेस्ट होगा? इसलिए सदा मेले
में रहो। मिट्टी में पांव क्यों रखते हो! इतने श्रेष्ठ बाप के बच्चे और मैले,
तो कौन मानेगा कि यह उस ऊँचे बाप के बच्चे हैं! इसलिए बीती सो बीती। *जो दूसरे
सेकण्ड बीता वह समाप्त।* कोई भी प्रकार की उलझन में नहीं आओ। स्वचिन्तन करो,
परचिन्तन न सुनो, न करो, यही मैला करता है। *अभी से क्वेश्चन-मार्क समाप्त कर
बिन्दी लगा दो।* बिन्दी बन बिन्दी बाप के साथ उड़ जाओ।
✺ *"ड्रिल :- सदा मेले में रह स्वच्छ स्थिति का अनुभव करना"*
➳ _ ➳ मेरी शिव माँ मुझे अपने किरणों रूपी शीतल जल से नहलाकर और ज्ञान रत्नों
से मेरा श्रृंगार करके, अपने आँचल रूपी झूले में बिठा देती हैं... और साथ ही
मुझे झूला झुलाते यह समझा रही है... *कि बच्चे मैंने अब तुमको पूरा तैयार कर
दिया है... अब तुम इस झूले से उतरकर विकारों रूपी मिट्टी में मत खेलना, वरना
तुम मैले हो जाओगे*...
➳ _ ➳ इतना सुनते ही मेरा झूला एकदम से रुक जाता हैं और मैं उनसे ये वादा करती
हूँ... और कहती हूँ... माँ मैं आपकी दी हुई शिक्षाओं को कभी नहीं भूलूंगी...
क्योंकि अगर मैं फिर से विकारों रूपी कीचड़ में मैली हो गयी तो आपकी गोद में
नहीं बैठ पाऊंगी... *शिव माँ मैं बहुत समय से आपसे बिछुड़ी हुई हूँ... अब और दूर
नहीं रह पाऊंगी...* इतना कहते हुए मेरी आँख भर आती हैं... और उनके आँचल में छिप
जाती हूँ... मेरी शिव माँ बड़े प्यार से मेरे सर को सहलाते हुए मुझे झूला झुलाने
लगती है... जैसे-जैसे झूला ऊपर जाता है... मेरा मन खुशियों से भर जाता है...
मैं उड़ती कला का अनुभव करने लगती हूँ... और महसूस करती हूँ की मैं सर्वोत्तम
ब्राह्मण आत्मा हूँ...
➳ _ ➳ और जैसे-जैसे मेरा झूला नीचे की तरफ आता है... मैं अनुभव करती हूँ... कि
मेरी शिव माँ बाहें फैलाये मुझे गोद में आने को कह रही है... और मानों मैं
दौड़ती हुई उनके पास जा रही हूँ... और मेरी माँ मुझे कसकर अपनी बाँहों में जकड़
लेती है... इस स्थिति में मैं दुनिया में सबसे सुरक्षित अनुभव करती हूँ... जैसे
ही झूला तेज होता है... मैं बिंदु बन मेरे बाबा बिंदु के संग उड़ जाती हूँ... और
बाबा उड़ते-उड़ते मुझे बता रहे हैं... *बच्चे तुम कुल के दीपक हो, तुम्हें अपनी
रोशनी में कमी नहीं लानी, अपना प्रकाश इतना बढ़ाओ कि तुम्हें देखकर सब कहे ऐसे
होते हैं कुलदीपक...* और मेरे बाबा फिर मुझे अपनी पवित्र रोशनी से भर कर
परिपूर्ण कर रहे हैं...
➳ _ ➳ बाबा ने समझाया बच्चे आगे बढ़ते रहो... परचिन्तन को अपने जीवन से निकाल
दो... मैंने बाबा से वादा किया बाबा अब मैं कभी किसी आत्मा का परचिन्तन नहीं
करुँगी... *मैं सदा स्वचिन्तन में ही समय व्यतीत करुँगी...* किसी भी बात को
ज़्यादा नहीं बढ़ाऊंगी... तुरन्त उस बात पर बिन्दी लगाकर समाप्त करुँगी... हमेशा
ज्यादा से ज्यादा समय बिंदी बनकर ही बिताऊँगी... इतना सुनकर बाबा और मैं उड़ते
हुए वापिस नीचे झूले पर लौट आते हैं... जहाँ मेरा झूला पूरी रफ्तार पर होता
है... और मेरी शिव माँ मेरे झूले की रफ्तार कम करती है... और वापिस अपनी माँ की
गोद में आ जाती हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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