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❍ 13 / 12 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ चलते फिरते अपने को शांतिधाम का वासी समझा ?
➢➢ स्वदर्शन चक्र फिरा माया का सिर काटा ?
➢➢ शांति की शक्ति के प्रयोग द्वारा हर कार्य में सहज सफलता प्राप्त की ?
➢➢ खिले हुए रूहानी गुलाब बनकर रहे ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ सदा बेहद की आत्मिक दृष्टि, भाई-भाई के सम्बन्ध की वृत्ति से किसी भी आत्मा के प्रति शुभ भावना रखने का फल जरूर प्राप्त होता है इसलिए पुरूषार्थ से थको नहीं, दिलशिकस्त भी नहीं बनो। निश्चयबुद्धि हो, मेरेपन के सम्बन्ध से न्यारे हो शान्ति और शक्ति का सहयोग आत्माओं को देते रहो।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं निर्बन्धन आत्मा हूँ"
〰✧ सदा अपने को निर्बन्धन आत्मा महसूस करते हो? किसी भी प्रकार का बन्धन तो नहीं महसूस करते? नालेजफुल की शक्ति से बन्धनों को खत्म नहीं कर सकते हो? नालेज में लाइट और माइट दोनो हैं ना। नालेजफुल बन्धन में कैसे रह सकते हैं?
〰✧ जैसे दिन और रात इक्ठ्ठा नहीं रह सकते, वैसे मास्टर नालेजफुल और बन्धन, यह दोनों इक्ठ्ठा कैसे हो सकते? नालेजफुल अर्थात् निर्बन्धन। बीती सो बीती। जब नया जन्म हो गया तो पास्ट के संस्कार अभी क्यों इमर्ज करते हो?
〰✧ जब ब्रह्माकुमारकुमारी बन गये तो बन्धन कैसे हो सकता? ब्रहमा बाप निर्बन्धन है तो बच्चे बन्धन में कैसे रह सकते? इसलिए सदा यह स्मृति में रखो कि हम मास्टर नालेजफुल हैं। तो जैसा बाप वैसे बच्चे।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ (बापदादा ने ड़िल कराई) मन के मालिक हो ना! तो सेकण्ड में स्टॉप, तो स्टॉप हो जाए। ऐसा नहीं आप कहो स्टॉप और मन चलता रहे, इससे सिद्ध है कि मालिक-पन की शक्ति कम है। अगर मालिक शक्तिशाली है तो मालिक के डायरेक्शन बिना मन एक संकल्प भी नहीं कर सकता।
स्टॉप, तो स्टॉप। चलो, तो चले।
〰✧ जहाँ चलाने चाहो वहाँ चले। ऐसे नहीं कि मन को बहुत समय की व्यर्थ तरफ चलने की आदत है, तो आप चलाओ शुद्ध संकल्प की तरफ और मन जाये व्यर्थ की तरफ तो यह मालिक को मालिक-पन में चलाना नहीं आता। यह अभ्यास करो। चेक करो स्टॉप कहने से, स्टॉप होता है?
〰✧ या कुछ चलकर फिर स्टॉप होता है? अगर गाडी में ब्रेक लगानी हो लेकिन कुछ समय चलकर फिर ब्रेक लगे, तो वह गाडी काम की है? ड्राइव करने वाला योग्य है कि एक्सीडेन्ट करने वाला है? ब्रेक, तो फौरन सेकण्ड मे ब्रेक लगनी चाहिए। यही अभ्यास कर्मातीत अवस्था के समीप लायेगा। संकल्प करने के कर्म में भी फुल पास।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ जैसे साइंस के यन्त्र दूरबीन द्वारा दूर की सीन को नज़दीक में देखते हैं ऐसे ही याद के नेत्र द्वारा, अपने फ़रिश्तेपन की स्टेज द्वारा दूर का दृश्य भी ऐसे ही अनुभव करेंगे जैसे साकार नेत्रों द्वारा कोई दृश्य देख आये। बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देंगे अर्थात् अनुभव होगा। साइंस का मूल आधार है लाइट। लाइट के आधार से साइंस का जलवा है। लाइट की ही शक्ति है। ऐसे ही सालेन्स की शक्ति का आधार है डिवाइन इनसाइट । इन द्वारा साइलेन्स की शक्ति के बहुत वन्डरफुल अनुभव कर सकते हो। यह भी अनुभव होंगे। जैसे स्थूल साधन द्वारा सैर कर सकते हैं वैसे ही जब चाहो, जहाँ चाहो वहाँ का अनुभव कर सकते हो। न सिर्फ इतना जो सिर्फ आपको अनुभव हो लेकिन जहाँ आप पहुँचो उन्हों को भी अनुभव होगा कि आज जैसे प्रैक्टिकल मिलन हुआ। यह है सफलतामूर्त की सिद्धि। वह तो रिवाजी आत्माओं को भी सिद्धि प्राप्त होती है। एक ही समय अनेक स्थानों पर अपना रूप प्रकट कर सकते और अनुभव करा सकते हैं। वह तो अल्प काल की सिद्धि है, लेकिन यह है ज्ञानयुक्त सिद्धि। ऐसे अनुभव भी बहुत होंगे। आगे चल कर कई नई बातें भी तो होंगी ना? जैसे शुरू में घर बैठे ब्रह्मा रूप का साक्षात्कार होता था जैसे कि प्रैक्टिकल कोई बोल रहा है, इशारा कर रहा है, ऐसे ही अन्त में भी निमित्त बनी हुई शक्ति सेना का अनुभव होगा।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- सच्चाई कमाई करने का पुरुषार्थ करना"
➳ _ ➳ मै आत्मा जब अपने मीठे घर से... इस धरा पर आनन्द भरा जीवन जीने को उतरी
थी... कितनी धनवान्, गुणवान, शक्तिवान थी... इस देह के प्रभाव में आकर मुझ
आत्मा... ने स्वयं को कितना दयनीय, खाली और निस्तेज कर दिया... जब मुझ ख़ाली,
थकी आत्मा नेे अपने सच्चे पिता को दिल की गहराइयो से पुकारा... हर जगह उसे
ढूंढा, और पाने की सारी उम्मीद छोड़ मायूस थी... कि मीठे बच्चे की मीठी आवाज ने
मुझे पुकारा... मेने नजर भर कर जो निहारा... तो भगवान को अपनी और बाहें फैलाये
मुझे पुकारते हुए पाया... मै आत्मा अपने प्यारे बाबा की बाँहों में
समाकर...जनमो की थकान, दुखो से मुक्त होकर... प्रेम तरंगो में भीग गयी... और
मेने ईश्वर को पाकर. सब कुछ पा लिया...
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान धन के खजानो से भरपूर करते हुए कहा :-
"मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वरीय प्यार में जो असीम खजाने पाये है... ज्ञान
रत्नों की उन जागीरों को हर दिल पर लुटाकर, सबके जीवन में सुखो की बहार लाने के
निमित्त बनो... ईश्वरीय यादो में गहरे डूबकर अपनी अवस्था को श्रेष्ठतम बनाओ...
सबके जीवन को खुशियो से सजाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के असीम प्यार में गहरे डूबकर कहती हूँ :- "मीठे
प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा कितने प्यारे भाग्य सजी हूँ... ईश्वरीय पालना
में पलकर फूलो जैसा खिल गयी हूँ... दुखो की छाया से परे होकर... ईश्वरीय रंग
में रंगकर... कितनी खुबसूरत और प्यारी हो गयी हूँ... और यही खुशियां मै
आत्मा... सबके जीवन में खिला रही हूँ..."
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान की पराकाष्ठा पर सजाते हुए कहा :- "मीठे
प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय दौलत को पाकर, जो सुखो की अमीरी के अधिकारी बने
हो... यह सम्पन्नता हर मन पर बिखेरने वाले बादल बनो... पुरुषार्थ में ऊँचे
आयामो को छूकर... अपनी उन्नत अवस्था को पाओ... और ज्ञान धन का दिलेरी से दान
कर... विश्व महाराजन बन मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा ईश्वरीय अमीरी से सज संवर कर... अथाह ज्ञान सम्पत्ति को दान
करते हुए कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार को पाकर...
कितनी धनवान् बनकर... इस विश्व धरा पर मुस्करा रही हूँ... मेरे जेसी अमीरी भला
किसी और के पास कहाँ... इन ज्ञान रत्नों की खान को, खुले दिल से मै आत्मा, सबको
बाँट रही हूँ... और विश्व कल्याणों बनकर आपके दिल पर सज रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को विश्व कल्याण के भाव से भरते हुए कहा :- "सबके
जीवन से दुखो की तपन मिटाने वाले... रहमदिल बनो... खुशियो के फूल इस विश्व धरा
पर खिला कर... इसे प्यारा सुखो का स्वर्ग बनाओ... सबके जीवन में ज्ञान धन की
सच्ची रौशनी को जगमगाओ... विकारो की कालिमा से हर दिल को मुक्त कराकर... सच्चे
रहनुमा बन, ईश्वरीय दिल में मुस्कराओ....
➳ _ ➳ मै आत्मा इस कदर अपने भाग्य को चमकते देख... मीठे बाबा को बड़े प्यार से
निहारते हुए कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... आपने अपने प्यार का जादु मुझ
आत्मा पर चलाकर... मुझे दुखो से छुड़वाकर...सुखो की जन्नत में पहुंचाया है... और
यही सच्ची खुशियां मै सबको... दिल खोल कर बाँट रही हूँ... ईश्वरीय धन से हर
झोली को भर रही हूँ... और पुरुषार्थ में ऊँची उड़ान को भर रही हूँ..."मीठे बाबा
से ज्ञान धन में लबालब होकर मै आत्मा... स्थूल धरा पर लौट आयी हूँ...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- राजयोग की तपस्या कर स्वयं को पुण्य आत्मा बनाना है"
➳ _ ➳ राजयोग के अभ्यास द्वारा अपनी सोई हुई शक्तियों को पुनः जागृत कर, स्वयं
को सर्व गुणों, सर्वशक्तियों और सर्व खजानों से सम्पन्न करने के लिए मैं अशरीरी
बन बैठ जाती हूँ सर्व गुणों, सर्व शक्तियों के सागर अपने शिव पिता परमात्मा की
याद मे। जैसे - जैसे मैं अपने शिव पिता परमात्मा की याद में गहराई तक डूबती जा
रही हूँ वैसे - वैसे देह का भान समाप्त होता जा रहा है।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे देह रूपी वस्त्र धीरे - धीरे उतर रहा है और उसके भीतर
छुपी जगमग करती चैतन्य शक्ति आत्मा अपने प्रकाश की रंग बिरंगी किरणे फैलाती
उजागर हो रही है। जैसे सूर्य की किरणें रात के अंधेरे को अपने प्रकाश से दिन
के उजाले में परिवर्तित कर देती है ऐसे सूर्य की किरणों के समान प्रकाश मुझ
आत्मा से निकल निकल कर मेरे चारों ओर फैल रहा है। यह प्रकाश निरन्तर बढ़ता हुआ
मुझ आत्मा के चारो और एक सुंदर औरे का निर्माण कर रहा है।
➳ _ ➳ अपने चारों और निर्मित प्रकाश के इस औरे के साथ अब मैं आत्मा धीरे - धीरे
देह रूपी वस्त्र का पूरी तरह त्याग कर ऊपर की बढ़ रही हूँ। शक्तियों के सागर
अपने शिव पिता के सानिध्य में बैठ उनकी सर्वशक्तियों को स्वयं में समा कर उनके
समान बनने की इच्छा लिए अब मैं आकाश को पार कर, सूक्ष्मवतन से परें पहुँच गई
अपने शिव पिता परमात्मा के पास निर्वाण धाम। वाणी से परें मेरे शिव पिता
परमात्मा का यह धाम शांति की शक्तिशाली किरणों से भरपूर हैं। यहाँ पहुंच कर मैं
आत्मा गहन शांति का अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ सुख के सागर, प्रेम के सागर, आनन्द के सागर, पवित्रता, ज्ञान और शक्तियों
के सागर मेरे शिव पिता मेरे बिल्कुल सामने हैं और अपने इन सभी गुणों की
शक्तिशाली किरणों की वर्षा मुझ आत्मा पर करके मुझे इन सभी गुणों से सम्पन्न बना
रहे हैं। अपनी शक्तियों को मुझ में प्रवाहित कर मुझे आप समान शक्तिशाली बना
रहे हैं। बाबा के साथ टच हो कर मैं उनके सभी गुणों, सर्वशक्तियों और सर्व
खजानों को स्वयं में समाती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ भरपूर हो कर मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे प्रवेश करती हूँ और अपने
ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, तपस्वीमूर्त बन, राजयोग की तपस्या करने एक
ऊंचे खुले स्थान पर जाकर बैठ जाती हूँ और अपने पिता परमात्मा का आह्वान करती
हूँ। सेकेंड में मैं स्वयं को सर्वशक्तियों के सागर अपने शिव पिता के साथ
कम्बाइंड अनुभव करती हूँ। सर्वशक्तिवान बाबा से सर्वशक्तियाँ ले कर मैं समस्त
वायुमण्डल में चारों ओर प्रवाहित कर रही हूँ और विश्व की सर्व आत्माओं को सुख
शांति की अनुभूति करवा कर अपने सेवा स्थल पर वापिस लौट रही हूँ।
➳ _ ➳ अपने तपस्वी स्वरूप को सदा इमर्ज रूप में रख, राजयोग की तपस्या करते, अब
मैं अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को राजयोग द्वारा राजाई पद
प्राप्त कर उन्हें भी मुक्ति, जीवनमुक्ति का वर्सा पाने की अधिकारी आत्मा बना
रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺
मैं शांति की शक्ति का प्रयोग करने वाली आत्मा हूँ।
✺ मैं हर कार्य में सहज सफलता प्राप्त करने वाली आत्मा हूँ।
✺ मैं प्रयोगी आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺
मै आत्मा सर्व का प्यारा हूँ ।
✺ मैं खिला हुआ रूहानी गुलाब हूँ ।
✺ मैं सदा खिली हुई आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. डबल फारेनर्स के फेवरेट दो शब्द कौन से हैं? (कम्पैनियन और कम्पनी) यह दोनों पसन्द हैं। अगर पसन्द हैं तो एक हाथ उठाओ। भारत वालों को पसन्द हैं? कम्पैनियन भी जरूरी है और कम्पनी भी जरूरी है। कम्पनी बिना भी नहीं रह सकते और कम्पैनियन बिना भी नहीं रह सकते। तो आप सबको क्या मिला है? कम्पैनियन मिला है? बोलो हाँ जी या ना जी? (हाँ जी) कम्पनी मिली है? (हाँ जी) ऐसी कम्पनी और ऐसा कम्पैनियन सारे कल्प में मिला था? कल्प पहले मिला था? ऐसा कम्पैनियन जो कभी भी किनारा नहीं करता, कितना भी नटखट हो जाओ लेकिन वह फिर भी सहारा ही बनता है। और जो आपके दिल की प्राप्तियां हैं, वह सर्व प्राप्तियां पूर्ण करता है।
➳ _ ➳ 2. तो बापदादा सभी बच्चों को यही रिवाइज करा रहे हैं कि सदा बाप के कम्पनी में रहो। बाप ने सर्व सम्बन्धों का अनुभव कराया है। कहते भी हो कि बाप ही सर्व सम्बन्धी है। जब सर्व सम्बन्धी है तो जैसा समय वैसे सम्बन्ध को कार्य में क्यों नहीं लगाते! और यही सर्व सम्बन्ध का समय प्रति समय अनुभव करते रहो तो कम्पैनियन भी होगा, कम्पनी भी होगी। और कोई साथियों के तरफ मन और बुद्धि जा नहीं सकती। बापदादा आफर कर रहे हैं - जब सर्व सम्बन्ध आफर कर रहे हैं तो सर्व सम्बन्धों का सुख लो। सम्बन्धों को कार्य में लगाओ। बापदादा जब देखते हैं - कोई- कोई बच्चे कोई-कोई समय अपने को अकेला वा थोड़ा सा नीरस अनुभव करते हैं तो बापदादा को रहम आता है कि ऐसी श्रेष्ठ कम्पनी होते, कम्पनी को कार्य में क्यों नहीं लगाते? फिर क्या कहते? व्हाई-व्हाई बापदादा ने कहा व्हाई नहीं कहो, जब यह शब्द आता है, व्हाई निगेटिव है और पाजिटिव है 'फ्लाई', तो व्हाई-व्हाई कभी नहीं करना, फ्लाई याद रखो। बाप को साथ साथी बनाए फ्लाई करो तो बड़ा मजा आयेगा। वह कम्पनी और कम्पैनियन दोनों रूप से सारा दिन कार्य में लाओ। ऐसा कम्पैनियन फिर मिलेगा? बापदादा इतने तक कहते हैं - अगर आप दिमाग से वा शरीर से दोनों प्रकार से थक भी जाओ तो कम्पैनियन आपकी दोनों प्रकार से मालिश करने के लिए भी तैयार है। मनोरंजन कराने लिए भी एवररेडी हैं। फिर हद के मनोरंजन की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। ऐसा यूज करना आता है वा समझते हो बड़े से बड़ा बाबा है, टीचर है, सतगुरू है...? लेकिन सर्व सम्बन्ध हैं।
✺ ड्रिल :- "बाप को कम्पेनियन और कम्पनी दोनों रूप से यूज करने का अनुभव"
➳ _ ➳ मैं आत्मा रूपी बच्ची मन-बुद्धि द्वारा एक सुंदर से घर में पहुँचती हूँ... वहाँ मैं अकेली हूँ ,उदास हूँ... वहाँ बहुत सन्नाटा हैं... अचानक से दरवाजा खुलते ही बाबा माँ के रूप में आते हैं और मैं तेज़ी से दौड़कर अपनी माँ के गले लग जाती हूँ... ऐसा सुकून मैंने आज तक महसूस नहीं किया जैसा अब कर रही हूँ... फिर माँ मुझे बड़े प्यार से नहलाती हैं और सुन्दर-सुन्दर वस्त्र पहनाती हैं... प्यारे कोमल हाथों से मेरे बालों की मालिश करती हैं...
➳ _ ➳ माँ मुझे अपने हाथों से खाना बनाकर मुझे खिलाती हैं... फिर हम मनोरंजन करते है... हम दोनों छुपन-छुपाई का खेल खेलते हैं... माँ मुझे बड़े ही प्यार से मखमल चादर ओढ़कर अपने पास सुला लेतीं है और मैं उनकी बाहों से लिपटकर सो जाती हूँ... मुझे सपनों में भी माँ ही दिखाई दे रहीं हैं...
➳ _ ➳ फिर वह मुझे बड़े प्यार से शांति और पवित्रता की किरणें न्यौछावर कर रहीं हैं... मैं सर्व खजानों का अनुभव कर रहीं हूँ... वह मेरी माँ ही नहीं बल्कि सतगुरु, बाप, भाई, बहन, सब कुछ हैं... सतगुरु के रूप में वह मुझे सदगति देते हैं, बाप के रूप में वह मुझे सूक्ष्म और स्थूल चीज़े देते हैं, भाई के रूप में रक्षा करते हैं, बहन के रूप में सारी बातें मैं उनसे शेयर करती हूँ...
➳ _ ➳ मेरा अकेलापन अब दूर हो चुका हैं... बाबा मेरे सच्चे कम्पैनियन हैं... वह मुझे रोज़ कम्पनी देते हैं... अब कोई साथियों की तरफ मन और बुद्धि नहीं जाती हैं... अब मेरे मुख से व्हाई नाम का शब्द तक नहीं निकलता... अब पूरा दिन बाबा की गोदी में फ्लाई करती रहती हूँ... झूमती ही रहती हूँ... बाबा के प्यार में ही खोई रहती हूँ... उन्हीं की कम्पनी का सहारा लेकर सारी बाते उनसे शेयर करती हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं हद के मनोरंजन का सहारा नहीं लेती हूँ... बाबा के साथ ही खेलती हूँ... अगर हद के मनोरंजन में जाना भी पड़ जाए तो बाबा को साथी बनाकर ले जाती हूँ... जब कभी मैं दिमाग व शरीर से थक जाऊँ तब वह मेरी दोनों प्रकार से मालिश करते है... मैं कितना भी नटखट हो जाऊँ परन्तु वह मेरा सहारा बनकर हर कदम में मेरा साथ देते हैं... अब दुःख आते हुए भी दुःख की महसूसता नहीं होती हैं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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