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 12 / 10 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ "हम सच खंड के मालिक बन रहे हैं" - सदा यह ख़ुशी रही ?

 

➢➢ विकारों ने सताया तो नहीं ?

 

➢➢ सदा एक बाप के स्नेह में समाये हुए रहे ?

 

➢➢ बाप के प्रेम में डूबे रहे ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  कर्मातीत अर्थात् कर्म के वश होने वाला नहीं लेकिन मालिक बन, अथॉरिटी बन कर्मेन्द्रियों के सम्बन्ध में आये, विनाशी कामना से न्यारा हो कर्मेन्द्रियों द्वारा कर्म कराये। आत्मा मालिक को कर्म अपने अधीन न करे लेकिन अधिकारी बन कर्म कराता रहे। कराने वाला बन कर्म कराना-इसको कहेंगे कर्म के सम्बन्ध में आना। कर्मातीत आत्मा सम्बन्ध में आती है, बन्धन में नहीं।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं राजऋषि हूँ"

 

  सभी राजऋषि हो ना? राज अर्थात् अधिकारी और ऋषि अर्थात् तपस्वी। तपस्या का बल सहज परिवर्तन कराने का आधार है।

 

  परमात्म-लगन से स्वयं को और विश्व को सदा के लिये निर्विग्न बना सकते हैं। निर्विग्न बनना और निर्विग्न बनाना - यही सेवा करते हो ना।

 

  अनेक प्रकार के विघ्नों से सर्व आत्माओंको मुक्त करने वाले हो। तो जीवनमुक्ति का वरदान बाप से लेकर औरों को दिलाने वाले हो ना। निर्बन्धन अर्थात् जीवनमुक्त।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  रोज दिन समाप्त होने अपने सहयोगी कर्मचारियों को चेक करो। अगर कोई भी कमेंद्रियों से वा कर्मचारी से बार-बार गलती होती रहती है तो गलत कार्य करते-करते संस्कार पक्के हो जाते हैं। फिर चेज करने में समय और मेहनत भी लगती है।

 

✧  उसी समय चेक किया और चेंज करने की शक्ति दी तो सदा के लिए ठीक हो जायेंगे। सिर्फ बार-बार चेक करते रहो कि यह रांग है, यह ठीक नहीं है और उसको चेंज करने की युक्ति व नॉलेज की शक्ति नहीं दी तो सिर्फ बार-बार चेक करने से भी परिवर्तन नहीं होता। इसलिए पहले सदा कर्मन्द्रियों को नॉलेज की शक्ति से चेज करो।

 

✧  सिर्फ यह नहीं सोचो कि यह रांग है। लेकिन राइट क्या है और राइट पर चलने की विधि स्पष्ट हो। अगर किसी को कहते रहेंगे तो कहने से परिवर्तन नहीं होगा लेकिन कहने के साथ-साथ विधि स्पष्ट करो तो सिद्धि हो।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ चारों ओर हलचल है, प्रकृति के सभी तत्व खूब हलचल मचा रहे हैं, एक तरफ भी हलचल से मुक्त नहीं हैं, व्यक्तियों की भी हलचल है, प्रकृति की भी हलचल है, ऐसे समय पर जब इस सृष्टि पर चारों ओर हलचल है तो आप क्या करेंगे? सेफ्टी का साधन कौन-सा है? सेकण्ड में अपने को विदेही, अशरीरी व आत्म-अभिमानी बना ली तो हलचल में अचल रह सकते हो। इसमें टाइम तो नहीं लगेगा? क्या होगा? अभी ट्रायल करो- एक सेकण्ड में मन-बुद्धि को जहाँ चाहो वहाँ स्थित कर सकते हो? (ड्रिल) इसको कहा जाता है – साधना।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :-  बाप की नजर से निहाल होना"
 
➳ _ ➳  मै आत्मा अपने मनमीत बाबा को याद करते करते उड़ चली... और शांतिवन के कमरे में पहुंची... मीठे बाबा, ब्रह्मा तन में मुस्कराते बाहें फैलाये कहने लगे... आओ मेरे मीठे बच्चे... मै आत्मा मीठे बाबा के स्नेह वचनो की प्यासी... यह मधुर वाक्य सुनते ही तृप्त सी हो गयी... प्यारे बाबा मुझे अपनी अनन्त शक्तियो से लबालब कर रहे है... और मै आत्मा दीवानी अपलक सी... अपने प्यारे दीवाने बाबा को निहारती जा रही हूँ... मीठे बाबा का कमरा हमारे मधुर मिलन की स्थली बन गया...
 
❉   मीठे बाबा मुझ आत्मा को नई दुनिया का मालिक बनाने को आतुर हो बोले :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे...  ईश्वर पिता के सिवाय कोई और इस धरती पर सदा के सुखो की जागीर दे नही सकता... ईश्वर ही सतगुरु बन नजरो से निहाल करता है... और खुशियो भरे जीवन को गढ़ने का राज समझाता है... ऐसे जादूगर पिता को हर पल यादो में बसा लो..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के ज्ञान रत्नों को अपनी बुद्धि रुपी झोली में समाते हुए बोली :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... ईश्वर को ही सतगुरु रूप में पा लिया... ऐसा प्यारा भाग्य पाकर, अपने मीठे भाग्य की भी मै आत्मा  शुक्रगुजार हूँ... कब सोचा था कि यूँ कारुन का खजाना मेरे हाथ आ जायेगा... और ईश्वरीय दौलत से मै मालामाल हो जाउंगी..."
 
❉   प्यारे बाबा मुस्कराते हुए और बड़ी ही उम्मीदों से मुझे निहारते हुए बोले :- "मीठे लाडले बच्चे... ईश्वरीय खजानो से सम्पन्न बनकर, सदा के समझदार बन जाओ... ईश्वर पिता ने अपनी सारी खाने आप बच्चों के लिए खोल दी है... जितनी चाहे उतनी दौलत बटोर लो... और अशरीरी बनकर मीठी प्यारी यादो में डूब जाओ..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा अपने मीठे भाग्य को निहारते हुए बाबा से कह रही हूँ :- "ओ प्यारे प्यारे बाबा मेरे...  देह और देह की दुनिया से दिल लगाकर, मुझ आत्मा ने खुद को कितना ठगा सा है... अब जो आपने जीवन में आकर ज्ञान और योग की खुबसूरत बहार खिलाई है... मै आत्मा अपने खोये खजाने पुनः पाती जा रही हूँ..."
 
❉   मीठे प्यारे बाबा गुणो और शक्तियो की वर्षा से मेरे मन बुद्धि को भिगोते हुए बोले :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... शरीर के अहसासो से अछूते बन, अशरीरी का अभ्यास कर, निरन्तर यादो में रहो... अपने मीठे घर की स्मृतियों में खोये हुए, सदा साइलेन्स की स्थिति का अनुभव करो... और सदा मीठे बाबा के सम्मुख रह नजरो से निहाल बनो..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा का रोम रोम से शुक्रगुजार करते हुए बोली :- "मेरे मन के मीत बाबा... आपने सच्चे प्रेम को देकर मेरे जीवन को कितना प्यारा और गुणो से सुगन्धित बना दिया है... मै आत्मा आपकी नजरो के साये में रह, खुबसूरत सुखो की स्वामिन् होती जा रही हूँ... अपना खोया साम्राज्य पाकर पुनः विश्व की मालिक सी सज रही हूँ..." ऐसी प्यारी बाते करके, तृप्त होकर मै आत्मा धरती पर आ गई...

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- खुशी रहे कि हम सचखण्ड के मालिक बन रहें हैं"

➳ _ ➳  अपने लाइट माइट स्वरुप में मैं फ़रिश्ता धरती के आकर्षण से मुक्त होकर, ऊपर की और उड़ता जा रहा हूँ। सारे विश्व की सैर करने की इच्छा से मैं फ़रिश्ता अब पूरे विश्व का चक्कर लगाते हुए ऊपर आकाश में पहुँच नीचे धरती के खूबसूरत नजारों को देखता जा रहा हूँ। ऊँचे - ऊँचे पहाड़ों के बीच से होता हुआ, कल - कल करती नदियों, झर - झर बहते झरनों के मधुर स्वर सुनता हुआ प्रकृति के सुन्दर नजारों का मैं आनन्द ले रहा हूँ। धरती आकाश में उन्मुक्त होकर विचरण करते - करते अचानक मेरी निगाह उन सभी बॉर्डर लाइन्स पर चली जाती है जो एक देश को दूसरे देश से अलग कर रही हैं।
 
➳ _ ➳  इस दृश्य को देख मैं फ़रिश्ता मन ही मन विचार करता हूँ कि आज देह अभिमान में आ कर मनुष्यों ने इस धरती आकाश का भी बटवारा कर दिया है। एक देश दूसरे देश की सीमा में प्रवेश नही कर सकता। धर्म, जाति के नाम पर कितने लड़ाई झगड़े होते हैं। किन्तु ये सब अब समाप्त होने वाला है। इस कलयुगी दुनिया की घनघोर अंधेरी रात समाप्त हो, सतयुगी सवेरा बस अब आने ही वाला है। और कितना खूबसूरत होगा वो सवेरा जब धरती आसमान सब पर हमारा अधिकार होगा। एक धर्म, एक राज्य, एक भाषा, एक मत होगा। सब आपस मे मिलजुल कर रहेंगे। कोई ईर्ष्या द्वेष, नफरत की भावना नही होगी। आपस मे भाईचारा होगा।

➳ _ ➳  इन्ही शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्पो के साथ मन ही मन उस दैवी दुनिया की कल्पना करता हुआ मैं फ़रिश्ता अनुभव करता हूँ जैसे विश्व का मालिक बनाने वाले, स्वर्ग के रचयिता मेरे शिव पिता अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के आकारी तन में विराजमान हो कर मेरे सम्मुख उपस्थित हो गए हैं और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ ले कर जा रहें हैं। बापदादा के साथ अब मैं फिर से सारी दुनिया की सैर कर रहा हूँ और देख रहा हूँ बापदादा की दृष्टि पड़ते ही सारी बॉर्डर लाइन्स समाप्त हो गई है। पूरी धरती और आकाश एक दिखाई दे रहें हैं। किसी चीज का कोई बटवारा नही। सारा विश्व एक बहुत खूबसूरत दुनिया में परिवर्तित हो चुका है।
 
➳ _ ➳  इस अति खूबसूरत दुनिया में मुझे छोड़, बापदादा मेरी आँखों के सामने से ओझल हो जाते हैं और मैं इस अति सुंदर मनभावन दुनिया मे प्रवेश कर जाता हूँ। इस दुनिया मे प्रवेश करते ही मैं अनुभव करता हूँ जैसे मेरी काया एक दम कंचन के समान चमकने लगी है। और मैं विश्व महाराजन की पोशाक पहन इस दुनिया पर राज कर रहा हूँ। डबल ताज धारण किये दैवी गुणों वाले मनुष्यों की इस खूबसूरत दुनिया में सुख, शांति, सम्पन्नता भरपूर है। सभी के चेहरे एक दिव्य आभा से दमक रहें हैं। राजा, प्रजा सभी खुशहाल है और बड़े प्रेम से सभी आनन्द और खुशी से अपना जीवन यापन कर रहें हैं।

➳ _ ➳  इस खूबसूरत मनभावन स्वर्ग के अपने भविष्य जीवन का भरपूर आनन्द लेकर अब मैं अपने लाइट माइट स्वरूप के साथ वापिस अपनी कर्मभूमि पर आती हूँ और अपने सूक्ष्म शरीर के साथ 5 तत्वों के बने अपने स्थूल शरीर मे प्रवेश कर फिर से अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ। अपने वर्तमान ब्राह्मण जीवन की सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों का भरपूर आनन्द लेते हुए अपने भविष्य जीवन की अनन्त प्राप्तियों को सदैव स्मृति में रख अब मैं सदा उमंग उत्साह के पंखों पर सवार होकर उड़ती रहती हूँ। धरती आसमान सब पर हमारा अधिकार होगा इस नशे और खुशी में रहते हुए, बेफिक्र बादशाह बन, संगमयुग के हर पल का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ।
 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं सदा एक बाप के स्नेह में समाई हुई सहयोगी सो सहजयोगी आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं प्रेम के आंसू को दिल की डिब्बी में मोती बनाने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  आज बापदादा अपने चारों ओर के बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं क्योंकि बाप जानते हैं कि मेरा एक-एक बच्चा चाहे लास्ट पुरुषार्थी भी है फिर भी विश्व में सबसे बड़े ते बड़े भाग्यवान है क्योंकि भाग्य विधाता बाप को जानपहचान भाग्य विधाता के डायरेक्ट बच्चे बन गये। ऐसा भाग्य सारे कल्प में किसी आत्मा का न हैन हो सकता है। साथ-साथ सारे विश्व में सबसे सम्पत्तिवान वा धनवान और कोई हो नहीं सकता। चाहे कितना भी पदमपति हो लेकिन आप बच्चों के खजानों से कोई की भी तुलना नहीं है क्योंकि बच्चों के हर कदम में पदमों की कमाई है। सारे दिन में हर रोज चाहे एक दो कदम भी बाप की याद में रहे वा कदम उठायातो हर कदम में पदम... तो सारे दिन में कितने पदम जमा हुए? ऐसा कोई होगा जो एक दिन में पदमों की कमाई करे! इसलिए बापदादा कहते हैं अगर भाग्यवान देखना हो वा रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड आत्मा देखनी हो तो बाप के बच्चों को देखो।  

 

✺   ड्रिल :-  "बाप के रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड बच्चे होने का अनुभव"

 

 _ ➳  ड्रामा की रील को रिवर्स कर... मैं भाग्यशाली आत्मा पहुँच जाती हूँ... उस घड़ी, उस पल, उस समय में जब वो मेरे जीवन में आया... उसने मुझे अपना बनाया... मेरा हाथ थामा, मुझे गले लगाया... कितनी हंसीन वो घड़ी थी जब भाग्यविधाता, वरदाता, परमसत्ता ही मेरा हो गया... वो विश्व का मालिक जिसकी एक झलक को भक्त तरसते, हिमालय पर बैठे वो तपस्वी उसको पाने के लिए तपस्या करते... और वो दाता भाग्यविधाता मेरा हो गया, और मैं उसकी हो गयीं... इस अदभुत, अविस्मरणीय डायंमड़ अनमोल यादों में खोई मैं आत्मा प्रकृति के सानिध्य में बैठी हूँ...

 

 _ ➳  और इन पलों को एक बार फिर से जी रही हूँ... जैसे-जैसे ये एक-एक पल, सीन सामने आ रही है... मैं आत्मा एक बार फिर उसी खुशी, नशे, उमंग का अनुभव कर रही हूँ... इन पलों को फिर से एक बार  जीती, अपने भाग्य पर इतराती, बलखाती, मैं पदमा-पदम भाग्यशाली आत्मा मन उपवन में नृत्य कर रही हूँ... तभी अचानक मुझ आत्मा पर रिम-झिम लाइट की बारिश होने लगती हैं... ये लाइट की बारिश मुझे परमात्म-प्यार में भीगों रही हैं... मैं आत्मा ऊपर देखती हूँ... बापदादा बादलों के बीच से मुझे देख-देख हर्षित हो रहे है... और वाह बच्चे वाह के गीत गा रहे बाहें फैलाएँ मेरा आवाहन कर रहे हैं... बाबा को देख मैं आत्मा फूल की तरह खिल जाती हूँ... जैसे मैं आत्मा आगे की तरफ कदम बढाती हूँ... तभी एक सुनहरी सीढी मुझ आत्मा के सामने आ जाती हैं... जिस पर लिखा है... "ईश्वरीय संतान"

 

 _ ➳  जैसे ही मैं आत्मा इस सीढी पर पांव रखती हूँ... मुझ आत्मा की साकारी देह परिवर्तन होकर लाइट की हो जाती है... ... मैं आत्मा ईशवरीय संतान हूँ... इस नशे से भर गयीं हूँ... मेरे एक एक कदम आगे बढाने से मुझे खुशी और उमंग अनुभव होता है... अपने भाग्य पर नाज़ हो रहा है... मेरे कदम चढ़ती कला की और बढ़ रहे है... मेरे कदमों में पदमों की कमाई जमा हो रही है... अपने पार्ट पर, अपने भाग्य पर मुझ आत्मा को नाज हो रहा हैं... परमात्म-प्यार, परमात्म-पालना, परमात्म-साथ का अनुभव कर रही हूँ... परमात्मा की सर्व शक्तियों से सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ... एक दूसरी सुनहरी सीढी मुझ आत्मा के सामने आ जाती हैं... जिस पर लिखा है... "सर्व खजानों की अधिकारी आत्मा" जैसे ही मैं आत्मा इस सीढी पर पांव रखती हूँ... यह सीढी परिवर्तन होकर एक दरवाजा बन जाती हैं... बाबा मुझे एक चाबी देते है... जैसे ही मैं आत्मा दरवाजा खोलती हूँ... अन्दर अथाह खजाने है...

 

 _ ➳  रंग-बिरंगे ढेर सारे खजाने है और एक-एक खजाना करोड़ों का है अविनाशी हैं... मैं आत्मा स्वयं को सर्व खजानों से सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा अपनी धनवान, सम्पतिवान स्थिति का अनुभव कर रही हूँ... तभी बाबा मुझ आत्मा के सामने आते है और मुझ फरिश्ते के सिर पर हाथ फेरते है... बापदादा भी मुझ आत्मा के श्रेष्ठ भाग्य को देख हर्षित हो रहे हैं... और मुझ आत्मा के भाग्य के गीत गा रहे है... बाबा मुझ आत्मा को गोद में उठा लेते है... और मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए... वाह मेरे मोस्ट रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड पदमापदम भाग्यशाली बच्चे वाह... मैं नन्हा फरिश्ता भी परमसत्ता की गोद में बैठी, अपने भाग्य को देख-देख हर्षा रही हूँ...

 

 _ ➳  मैं आत्मा बाप की मोस्ट रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड बच्चे होने का अनुभव कर रही हूँ... वाह क्या श्रेष्ठ भाग्य मुझ आत्मा का हैं जो भाग्यविधाता, वरदाता मुझ आत्मा का हो गया है... कितने अथाह खजानों के मालिक बाबा ने मुझे बना दिया हैं... परमसत्ता बाबा की गोदी से मैं नन्हा फरिश्ता पूरे विश्व को देख रहा हूँ... और मुझ आत्मा को अपने भाग्य पर नाज हो रहा हैं... और बाप के मोस्ट रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड बच्चे होने के नशे से भर गया हूँ... अब मैं फरिश्ता साकारी दुनिया की तरफ इसी नशे अनुभव के साथ लौट रहा हूँ...

 

 _ ➳  अब देख रही हूँ मैं आत्मा स्वयं को अपनी ब्राह्मण ड्रेस को धारण कर मैं आत्मा सारे दिन में हर कर्म बाबा की याद में कर... याद रुपी कदम में पदमों की कमाई जमा कर रही हूँ... मोस्ट रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड इस नशे के साथ मैं महान धनवान, सम्पत्तिवान आत्मा सर्व खजानों को जो मुझ आत्मा के पास है... जो एक-एक खजाना करोड़ों का हैं... उसे स्व और अन्य आत्माओं के प्रति यूज़ कर रही हूँ... उन्हें भी धनवान और सम्पतिवान बना रही हूँ... उन्हें आपसमान बना रही हूँ... मैं बाप की मोस्ट रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड बच्चा हर कर्म इसी नशे में, बाबा की याद में कर रही हूँ... और यही अनुभव कर रही हूँ... तुम्हें पा के हमनें जहाँ पा लिया हैं... जमी तो जमी आसमा पा लिया है...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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