━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 02 / 09 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ माया के तूफानो में हिले तो नहीं ?
➢➢ "भगवान के हम स्टूडेंट हैं" - इसी नशे में रहे ?
➢➢ दिल से "मेरा बाबा" कहकर सच्चा सौदा किया ?
➢➢ अनेक मेरे को एक "मेरे बाबा" में समाया ?
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ जैसे वृक्ष का रचयिता बीज, जब वृक्ष की अन्तिम स्टेज आती है तो वह फिर से ऊपर आ जाता है। ऐसे बेहद के मास्टर रचयिता सदा अपने को इस कल्प वृक्ष के ऊपर खड़ा हुआ अनुभव करो, बाप के साथ-साथ वृक्ष के ऊपर मास्टर बीजरूप बन शक्तियों की, गुणों की, शुभ भावना-शुभ कामना की, स्नेह की, सहयोग की किरणें फैलाओ। जैसे सूर्य ऊंचा रहता है तो सारे विश्व में स्वत: ही किरणें फैलती हैं। ऐसे मास्टर रचयिता वा मास्टर बीजरूप बन सारे वृक्ष को किरणें वा पानी दे सकते हो।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ "मैं सफलता का सितारा हूँ"
〰✧ सदा अपने को चमकता हुआ सितारा अनुभव करते हो? जैसे आकाश के सितारे सभी को रोशनी देते हैं ऐसे आप दिव्य सितारे विश्व को रोशनी देने वाले हो ना! सितारे कितने प्यारे लगते हैं! तो आप दिव्य सितारे भी कितने प्यारे हो! सितारों में भी भिन्न-भिन्न प्रकार के सितारे गाये जाते हैं। एक हैं साधारण सितारे और दूसरे हैं लक्की सितारे और तीसरे हैं सफलता के सितारे। तो आप कौन-से सितारे हो? सभी सफलता के सितारे हो! सफलता मिलती है कि मेहनत करनी पड़ती है? कम्बाइन्ड कम रहते हो इसलिए सफलता भी कम मिलती है।
〰✧ क्योंकि जब सर्वशक्तिमान् कम्बाइण्ड है तो शक्तियां कहाँ जायेंगी? साथ ही होगी ना। और जहाँ सर्व शक्तियां हैं वहाँ सफलता न हो, यह असम्भव है। तो सदा बाप से कम्बाइन्ड रहने में कमी है इस कारण सफलता कम होती है या मेहनत करने के बाद सफलता होती है। क्योंकि जब बाप मिला तो बाप मिलना अर्थात् सफलता जन्म सिद्ध अधिकार है। नाम ही अधिकार है तो अधिकार कम मिले, यह हो नहीं सकता। तो सफलता के सितारे, विश्व को ज्ञान की रोशनी देने वाले हैं। मास्टर सर्वशक्तिमान् के आगे सफलता तो आगे-पीछे घूमती है। तो कम्बाइन्ड रहते हो या कभी कम्बाइन्ड रहते हो, कभी माया अलग कर देती है। जब बाप कम्बाइन्ड बन गये तो ऐसे कम्बाइन्ड रूप को छोड़ना हो सकता है क्या? कोई अच्छा साथी लौकिक में भी मिल जाता है तो उसको छोड़ सकते हैं? ये तो अविनाशी साथी है। कभी धोखा देने वाला साथी नहीं है। सदा ही साथ निभाने वाला साथी है। तो ये नशा, खुशी है ना, जितना नशा होगा कि स्वयं बाप मेरा साथी है उतनी खुशी रहेगी। तो खुशी रहती है? (बहुत रहती है) बढ़ती रहती है या कम और ज्यादा होती रहती है? कोई बात आती है तो कम होती है? थोड़ा तो कम होती है! फिर सोचते हैं क्या करें, वैसे तो ठीक है, लेकिन बात ही ऐसी हो गई ना।
〰✧ कितनी भी बड़ी बात हो लेकिन आप तो मास्टर रचता हो, बात तो रचना हैं। तो रचता बड़ा होता है या रचना बड़ी होती है? कभी कोई बात में घबराने वाले तो नहीं हो? वहाँ जाकर कोई बात आ जाये तो घबरायेंगे नहीं? देखना, वहाँ जायेंगे तो माया आयेगी। फिर ऐसे तो नहीं कहेंगे कि मैंने तो समझा नहीं था, ऐसे भी हो सकता है! नये-नये रूप में आयेगी, पुराने रूप में नहीं आयेगी। फिर भी बहादुर हो। निश्चय है कि अनेक बार बने हैं, अब भी हैं और आगे भी बनते रहेंगे। निश्चय की विजय है ही। मास्टर सर्वशक्तिमान् की स्मृति में रहने वाले कभी घबरा नहीं सकते।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ हर कर्म करते ‘कर्मयोगी आत्मा' अनुभव करते हो? कर्म और योग सदा साथ-साथ रहता है? कर्मयोगी हर कर्म में स्वतः ही सफलता को प्राप्त करता है। कर्मयोगी आत्मा कर्म का प्रत्यक्ष फल उसी समय भी अनुभव करता और भविष्य भी जमा करता, तो डबल फायदा हो गया ना।
〰✧ ऐसे डबल फल लेने वाली आत्मायें हो। कर्मयोगी आत्मा कभी कर्म के बंधन में नहीं फंसेगी। सदा न्यारे और सदा बाप के प्यारे। कर्म के बंधन से मुक्त - इसको ही ‘कर्मातीत’ कहते हैं। कर्मातीत का अर्थ यह नहीं है कि कर्म से अतीत हो जाओ। कर्म से न्यारे नहीं, कर्म के बंधन में फँसने से न्यारे, इसको कहते हैं - कर्मातीत।
〰✧ कर्मयोगी स्थिति कर्मातीत स्थिति का अनुभव कराती है। तो किसी बंधन में बंधने वाले तो नहीं हो ना? औरों को भी बंधन से छुडाने वाले। जैसे बाप ने छुडाया, ऐसे बच्चों का भी काम है छुडाना, स्वयं कैसे बंधन में बंधेगे?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ सेवा का विस्तार भल कितना भी बढ़ाओ लेकिन विस्तार में जाते सार की स्थिति का अभ्यास कम न हो, विस्तार में सार भूल न जाये। खाओ-पियो, सेवा करो लेकिन न्यारेपन को नही भूलो। वाणी द्वारा भी कहां तक सेवा करेंगे, कितने की करेंगे! अब तो रूहानी वायब्रेशन, अशरीरीपन की स्थिति के वायब्रेशन, न्यारे और प्यारेपन के शक्तिशाली वायब्रेशन वायुमण्डल में फैलाओ। सेवा की तीव्रगति का साधन भी यही है।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺
"ड्रिल :- जीते जी मरना"
➳ _ ➳ मै चमकती हुई मणि आत्मा प्रकृति के खुशनुमा यौवन को निहारती हूँ...
और एक ऊँची पहाड़ी पर बैठ, बाबा की यादो में खो जाती हूँ... जब अपने भटकन भरे
अतीत की तुलना... में अपने मीठे आज को और अपने खुबसूरत भविष्य को देखती हूँ...
तो मीठे बाबा पर दिल जान से मर मिटती हूँ... धड़कनो में मीठे बाबा को पुकारती
हूँ... और मेरे प्यार का दीवाना बाबा... मुझे प्यार करने, गले लगाने,
वरदानों से सजाने, हथेली पर स्वर्ग उपहार लिए सम्मुख खड़ा है...
❉ मीठे बाबा मुझ आत्मा को सत्य के प्रकाश में ओजस्वी बनाते हुए
बोले :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... सच्चे साथ को पाकर, सत्य ज्ञान से भरपूर
होकर देह के आकर्षण से मुक्त हो जाओ... और अशरीरी पन के अभ्यास को बढ़ाकर जीते
जी शरीर के भान को छोड़... सच्चे परवाने बन, मीठे बाबा पर फ़िदा हो जाओ... सच्ची
प्रीत के सुख में सदा के लिए खो जाओ...."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा को सच्चे मनमीत रूप में पाकर... सच्चे प्रेम
की मीठी यादो में खोकर कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा खुद को शरीर समझ... विकारो
के दलदल में गर्दन तक धँसी मुझ आत्मा... को जो आपने हाथ पकड़ बाहर निकाला है...
इस सच्चे प्यार पर मै आत्मा दिल से कुर्बान हूँ... और आपकी मीठी यादो की
दीवानी हूँ..."
❉ प्यारे बाबा मुझ आत्मा को सच्ची मुहोब्बत का राज समझाते हुए
बोले :- "मीठे लाडले बच्चे...ईश्वर ही सच्चे प्रेम की अनुभूति करा सकता है...
अपने सत्य स्वरूप के नशे में खोकर ईश्वरीय प्रेम में गहरे डूब जाओ... और मीठे
बाबा के दिल तख्त पर मणि सा सज जाओ... ईश्वरीय यादो में ही स्वर्ग के मीठे सुखो
के और शांति प्रेम के भण्डार छुपे है..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने मीठे बाबा की रोम रोम से उपकारी हूँ और कह रही हूँ
:- "मीठे प्यारे बाबा कब सोचा था भला कि झूठ के आकर्षण से मुक्त होकर सच्चे
प्यार में यूँ खिलखिलाउंगी... आपके प्यार की छाया तले यूँ दिव्यता और पवित्रता
के रंग में रंगकर... इस कदर प्यारी और खुबसूरत आत्मा हो जाउंगी...
❉ मीठे बाबा मुझ आत्मा को नश्वर शरीर से अलगाव करा, आत्मानुभूति
में डुबोते हुए बोले :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... देह की मिटटी और देहभान के
मटमैले पन से बाहर निकल कर सत्य के प्रकाश को फैलाओ... जीते जी मीठे बाबा पर
बलिहार हो जाओ... बेहद की शमा पर परवाने सा कुर्बान होकर, सच्ची प्रीत की रीत
निभाओ..."
➳ _ ➳ ईश्वर पिता के असीम प्यार को देख... मै आत्मा छलछला आयी पलको से,
मीठे बाबा का दिल से धन्यवाद करते हुए बोली :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मुझ
आत्मा के उज्ज्वल भविष्य के खातिर कितने खप रहे हो... ज्ञान रत्नों से मुझे
सजाकर अशरीरी पन के नशे में भिगो रहे हो... मै आत्मा अपने प्यारे बाबा पर
हर साँस और संकल्प से कुर्बान हूँ..." दिल से यूँ मीठे बाबा का शुक्रिया कर...
मै आत्मा, अपने कार्य जगत में आ गयी...
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺
"ड्रिल :- भगवान के हम स्टूडेंट हैं इस नशे में रहना है
➳ _ ➳ स्वयं भगवान ऊंचे ते ऊंचे धाम से मुझे पढ़ाने आते हैं यह स्मृति एक
रूहानी नशे से मुझ आत्मा को भरपूर कर देती है और अपने परमशिक्षक से भविष्य 21
जन्मों के लिए श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने वाले अविनाशी ज्ञान रत्नो को धारण करने
के लिए अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप में स्थित होकर, उनकी याद में मैं तेज - तेज
कदमो से चलते हुए पहुँच जाती हूँ अपने ईश्वरीय विश्वविद्यालय में और जा कर
क्लास रूम में बैठ जाती हूँ। मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के बारे में मैं
विचार करती हूँ कि कितनी पदमापदम सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान
मुझे पढ़ाने के लिए अपने ऊंचे ते ऊंचे धाम को छोड़ मेरे पास आते हैं। अपने
सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में खोई, अपने भाग्य का गुणगान करते - करते मैं
महसूस करती हूँ जैसे मेरे परमशिक्षक शिव बाबा मेरे सामने आकर उपस्थित हो गए
हैं।
➳ _ ➳ देख रही हूँ मैं अपने सामने संदली पर बैठे सम्पूर्ण अव्यक्त
फ़रिश्ता स्वरूप में अपने प्यारे बापदादा को जो शिक्षक के रूप में मेरे सामने
बैठे मुझे निहार रहें हैं। अपने नयनो में असीम स्नेह को समाये अपनी मीठी
दृष्टि से मुझे निहारते हुए बापदादा मन्द - मन्द मुस्करा रहें हैं। अपने
परमशिक्षक के इस मनभावन, सुन्दर सलौने स्वरूप को अपनी आंखों में बसाकर मैं एकटक
उन्हें निहारती जा रही हूँ। बाबा की मीठी दृष्टि एक रूहानी नशे से मुझ आत्मा
को भरपूर कर रही है। बापदादा के मुख कमल से निकल रहे एक - एक महावाक्य को
चात्रिक बन मैं आत्मा सुन रही हूँ और अपनी बुद्धि में उसे धारण करती जा रही
हूँ। बाबा का एक - एक महावाक्य गहराई तक मेरे अंदर समाता जा रहा है। अपने शिव
भोलानाथ की सच्ची पार्वती बन उनके मुख कमल से उच्चारित अमरकथा को मैं बड़े प्यार
से और बड़े ध्यान से सुन रही हूँ।
➳ _ ➳ अपनी बुद्धि रूपी झोली को अपने परमशिक्षक शिव बाबा के अविनाशी
ज्ञान रत्नों से भरपूर करके, मन ही मन मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ कि हर
रोज़ भगवान मुझे जो पढ़ाई पढ़ाने के लिए आते हैं उसे अच्छी रीति पढ़ कर, अपने जीवन
मे धारण करके, भविष्य जन्म जन्मांतर के लिए अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने का
पुरुषार्थ मैं अवश्य करूँगी । अपने आप से यह प्रतिज्ञा करके अपने प्यारे
बापदादा की और मैं जैसे ही नजर घुमाती हूँ, मैं महसूस करती हूँ जैसे बाबा का
वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर है और बाबा के वरदानी हस्तों से शक्तियों की अनन्त
धारायें निकल कर मेरे अंदर समाकर, मेरी हर प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल मेरे
अंदर भरती जा रही हैं। रंग बिरंगी शक्तियों की सहस्त्रो किरणों की बरसात मेरे
ऊपर हो रही है जो मुझे बहुत ही शक्तिशाली बना रही हैं। शक्तियों की ये अनन्त
किरणे मुझे शक्तिशाली बनाने के साथ - साथ डबल लाइट स्थिति में स्थित करती जा
रही है।
➳ _ ➳ स्थूल देह और सूक्ष्म देह इन दोनों के भान से मुक्त एक अति सुन्दर
निराकारी स्थिति में मैं स्थित होकर अब अपने आपको देख रही हूँ एक अति सूक्ष्म
बिंदु के रूप में जो एक प्रकाशपुंज के समान चमकता हुआ दिखाई दे रहा हैं। कुछ
क्षणों के लिए मैं अपने इस स्वरूप में खो जाती हूँ और अपने स्व स्वरूप में टिक
कर, अपने अंदर समाये गुणों और शक्तियों के अनुभव का आनन्द लेने लगती हूँ। यह
आत्म स्मृति बहुत गहरी फीलिंग का मुझे अनुभव करवाकर तृप्त कर देती हैं। अपने इस
निराकार स्वरूप में स्थित अब मैं देख रही हूँ अपने सामने अपने प्यारे शिव बाबा
को भी उनके निराकार बिंदु स्वरूप में। महाज्योति के रूप में अनन्त शक्तियों की
किरणों को बिखेरते हुए मेरे प्यारे पिता मेरे सम्मुख है। उनकी किरणों रूपी बाहों
में समाकर अब मैं आत्मा उनके साथ उनके वतन की ओर जा रही हूँ।
➳ _ ➳ अपनी किरणों रूपी बाहों में मुझ बिंदु आत्मा को समाये मेरे मीठे
बाबा अब मुझे साकारी दुनिया से निकाल, आकारी दुनिया को पार करके अपनी निराकारी
दुनिया मे ले आये हैं। अपने इस मूलवतन घर में अब मैं ज्ञान सागर अपने प्यारे
पिता के सामने बैठी हूँ। उनसे आ रही सर्वशक्तियों की सतरंगी किरणे मुझ पर बरस
रही हैं। ज्ञान सागर मेरे प्यारे पिता के ज्ञान की रिमझिम फुहारों का शीतल
स्पर्श मेरी बुद्धि को स्वच्छ बना रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे ज्ञान की
शक्तिशाली किरणो के रूप में ज्ञान की बरसात मेरे ऊपर करके, बाबा मुझे समपूर्ण
ज्ञानवान बना रहे हैं। मास्टर नॉलेजफुल बन कर, ज्ञान की शक्ति से भरपूर होकर
अब मैं वापिस साकारी दुनिया में लौट रही हूँ।
➳ _ ➳ अपने साकार तन में भृकुटि के अकालतख्त पर अब मैं फिर से विराजमान
हूँ और अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरुप को सदा स्मृति में रखते हुए अब मैं हर पल इस
खुशी में रहती हूँ कि ऊंचे ते ऊंचे धाम से भगवान मुझे पढ़ाने आते हैं। यह स्मृति
मुझे अपने परमशिक्षक शिव पिता की शिक्षाओं को जीवन मे धारण करने का बल प्रदान
करने के साथ - साथ मेरे पुरुषार्थी जीवन को भी उमंग उत्साह से सदा भरपूर रखती
है।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं दिल से "मेरा बाबा" कहकर सच्चा सौदा करने वाली सरेन्डर वा मरजीवा आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ अगर मेरा शब्द से प्यार है तो - मैं अनेक मेरे को एक मेरे बाबा में समाने वाली समर्पित आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ १. अभी भी समय और संकल्प - ना अच्छे में, ना बुरे में होते हैं। तो बुरे में नहीं हुआ ये तो बच गये लेकिन अच्छे में जमा हुआ? समझा? समय को, संकल्प को बचाओ, जितना अभी बचत करेंगे, जमा करेंगे तो सारा कल्प उसी प्रमाण राज्य भी करेंगे और पूज्य भी बनेंगे।
➳ _ ➳ २. लेकिन एक अटेन्शन रखना - अगर मानो आपका आज के दिन जमा का खाता बहुत कम हुआ तो कम देख करके दिलशिकस्त नहीं होना। और ही समझो कि अभी भी हमको चांस है जमा करने का। अपने को उमंग- उत्साह में लाओ। अपने आपसे रेस करो, दूसरे से नहीं। अपने आपसे रेस करो कि आज अगर ८ घण्टे जमा हुए तो कल १० घण्टे हो। दिलशिकस्त नहीं होना। क्योंकि अभी फिर भी जमा करने का समय है। अभी टू लेट का बोर्ड नहीं लगा है। फाइनल रिजल्ट का टाइम अभी एनाउन्स नहीं हुआ है। जैसे लौकिक में पेपर की डेट फाइनल हो जाती है तो अच्छे पुरुषार्थी क्या करते हैं? दिलशिकस्त होते हैं या पुरुषार्थ में आगे बढ़ते हैं? तो आप भी दिलशिकस्त नहीं बनना। और ही उमंग-उत्साह में आकरके दृढ़ संकल्प करो कि मुझे अपने जमा का खाता बढ़ाना ही है। समझा?दिलशिकस्त तो नहीं होंगे? फिर बाप को मेहनत करनी पड़े! फिर बड़े-बड़े पत्र लिखना शुरु कर देंगे - बाबा क्या हो गया... ऐसा हो गया... ! बाबा बचाओ, बचाओ - ऐसे नहीं कहना। देखो आपके जड़ चित्रों से जाकर मांगनी करते हैं कि हमको बचाओ। तो आप बचाने वाले हो, बचाओ-बचाओ कहने वाले नहीं।
➳ _ ➳ ३. ये अपने आप चेक करो और चेक करके चेंज करो। दिलशिकस्त नहीं बनो, चेंज करो। जब बाप साथ है तो बाप को यूज करो ना! यूज कम करते हो, सिर्फ कहते हो बाबा साथ है, बाबा साथ है। यूज करो। जब सर्वशक्तिमान साथ है तो सफलता तो आपके चरणों में दौड़नी है।
✺ ड्रिल :- "समय और संकल्प जमा करने में बापदादा को यूज करना"
➳ _ ➳ अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी स्वरूप में मैं नन्हा सा फ़रिशता अपनी शिव माँ की किरणों रूपी गोद मे बैठा उनकी ममतामयी गोद का अनुपम सुख प्राप्त कर रहा हूँ। मेरी शिव माँ अपनी सर्वशक्तियों रूपी किरणों की बाहों के झूले में मुझे झुला रही है। उनकी किरणों रूपी बाहों का कोमल स्पर्श मेरे मन को आनन्दित कर रहा है। अपनी बाहों के झूले में झुलाते - झुलाते मेरी शिव माँ अब मुझे अपनी गोद मे उठाये कहीं दूर ले कर चल पड़ती है। एक बहुत खूबसूरत प्रकृतिक सौंदर्य से भरपूर, दुनिया की भीड़ से अलग बहुत खुले स्थान पर मेरी शिव माँ मुझे ले आती है और अपनी किरणों रूपी बाहों की गोद से मुझे नीचे उतार कर मेरे साथ खेलने लगती है।
➳ _ ➳ कभी मैं नन्हा फ़रिशता उड़ कर अपनी शिव माँ को पकड़ता हूँ और कभी मेरी शिव मां मुझे पकड़ती है। अपनी शिव माँ के साथ अनेक प्रकार के खेल खेलने के बाद मैं उनकी गोद मे सिर रख कर सो जाता हूँ और जब नींद से जागता हूँ तो स्वयं को परियों की एक बहुत सुंदर दुनिया मे देखता हूँ। जहां अथाह खजानों के ढेर लगे हुए हैं।
➳ _ ➳ तभी मेरी शिव माँ अव्यक्त ब्रह्मा माँ के आकारी रथ में विराजमान हो कर मेरे पास आती है और मेरे हाथ मे सर्व खजानों की चाबी रख देती है और मुझ से कहती है मेरे बच्चे इन सर्व खजानों के आप मालिक हो। जितना चाहे इन खजानों को यूज़ करो। जितना यूज़ करेंगे उतने यह खजाने बढ़ते जायेंगे। अपनी शिव माँ से सर्व खजानों की चाबी ले कर मैं फ़रिशता सर्व खजानों को बढ़ाने का जो मुख्य आधार है "समय और संकल्प" उसे जमा करने के तीव्र पुरुषार्थ में लग जाता हूँ।
➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, बापदादा को यूज़ करते हुए अब मैं शुद्ध संकल्पो की रूहानी लिफ्ट पर सवार हो कर कभी निराकारी स्थिति में, कभी आकारी स्थिति में और कभी साकारी स्थिति में स्थित हो कर स्वयं को शक्तिशाली बना रही हूँ। समय के वरदानों को स्वयं प्रति और सर्व प्रति कार्य मे लगा कर मैं हर सेकण्ड को सफल कर रही हूं।
➳ _ ➳ मनबुध्दि को शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्पो में बिजी रख अपनी स्वस्थिति को शक्तिशाली बना कर मैं मायाजीत बनती जा रही हूं। सर्वशक्तिवान बाप की छत्रछाया के नीचे स्वयं को सदा अनुभव करने से, बापदादा की सर्वशक्तियों की अधिकारी बन मैं उचित समय पर उचित शक्ति का प्रयोग कर हर प्रकार की मेहनत से स्वयं को मुक्त अनुभव कर रही हूं। कोई भी परिस्थिति अब मुझे दिलशिकस्त नही बना सकती।
➳ _ ➳ कदम कदम पर बापदादा को अपने साथ अनुभव करने और बाबा की शिक्षाओं पर बार - बार मनन करने से मेरी बुद्धि समर्थ बनती जा रही है। ज्ञान रत्नों को धारण कर अपनी बुद्धि को समर्थ बना कर, ज्ञान रत्नों की व्यापारी बन अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को ज्ञान रत्न दे कर सर्व खजानों के जमा का आधार "समय" और "संकल्प" के श्रेष्ठ खजाने को सफल करते हुए सदा और सहज सफ़लतामूर्त बनती जा रही हूं।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━