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 29 / 08 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ महीन बुधी बन ड्रामा के विचित्र राज को समझा ?

 

➢➢ बाप समान दिव्य और अलोकिक कर्म किये ?

 

➢➢ इस ब्राह्मण जीवन में परमात्म आशीर्वाद की पालना प्राप्त की ?

 

➢➢ चेहरे और चलन से गुण व शक्तियों की गिफ्ट बांटी ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  बीजरूप स्टेज सबसे पावरफुल स्टेज है, यह स्टेज लाइट हाउस, माइट हाउस का कार्य करती है। जैसे बीज द्वारा स्वत: ही सारे वृक्ष को पानी मिल जाता है ऐसे जब बीजरूप स्टेज पर स्थित रहते हो तो आटोमेटिकली विश्व को लाइट का पानी मिलता है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं संगमयुगी रूहानी मौजों में रहने वाली विशेष आत्मा हूँ"

 

✧  अपने को सदा संगमयुग के रूहानी मौजों में रहने वाले अनुभव करते हो? मौजों में रहते हो वा कभी मौज में, कभी मूझंते भी हो या सदा मौज में रहते हो? क्या हालचाल है? कभी कोई ऐसी परिस्थिति आ जाए वा ऐसी कोई परीक्षा आ जाए तो मूंझते हो?(थोड़े टाइम के लिए) और उस थोड़े टाइम में अगर आपको काल आ जाए तो फिर क्या होगा? अकाले मृत्यु का तो समय है ना। तो थोड़ा समय भी अगर मौज के बजाए मूंझते हैं और उस समय अन्तिम घड़ी हो जाए तो अन्त मति सो गति क्या होगी? इसलिए सुनते रहते हो ना सदा एवररेडी! एवररेडी का मतलब क्या है? क्या हर घड़ी ऐसे एवररेडी हो? कोई भी समस्या सम्पूर्ण बनने में विघ्न रूप नहीं बने।

 

✧  अन्त अच्छी तो भविष्य आदि भी अच्छा होता है। जैसा मत में होगा वैसी गति होगी। तो एवररेडी का पाठ इसलिए पढ़ाया जा रहा है। ऐसे नहीं सोचो कि थोड़ा समय होता है लेकिन थोड़ा समय भी, एक सेकण्ड भी धोखा दे सकता है। वैसे सोचते हैं ज्यादा टाइम नहीं चलता, ऐसा दो-चार मिनट चलता है लेकिन एक सेकण्ड भी धोखा देने वाला हो सकता है तो मिनिट की तो बात ही नहीं सोचो। क्योंकि सबसे वैल्युएबुल आत्मायें हो, अमूल्य हो। अमूल्य आत्माओ का कोई दुनिया वालों से मूल्य नहीं कर सकते। दुनिया वाले तो आप सबको साधारण समझेंगे। लेकिन आप साधारण नहीं हो, विशेष आत्मायें हो। विशेष आत्मा का अर्थ ही है जो भी कर्म करे, जो भी संकल्प करे, जो भी बोल बोले वो हर बोल और हर संकल्प विशेष हैं, साधारण नहीं हो। समय भी साधारण रीति से नहीं जाये। हर सेकेण्ड और हर संकल्प विशेष हो। इसको कहा जाता है विशेष आत्मा। तो विशेष करते-करते साधारण नहीं हो जाये-ये चेक करो।

 

  कई ऐसे सोचते हैं कि कोई गलती नहीं की, कोई पाप कर्म नहीं किया, कोई वाणी से भी ऐसा उल्टा-सुल्टा शब्द नहीं बोला, लेकिन भविष्य और वर्तमान श्रेष्ठ बनाया? बुरा नहीं किया लेकिन अच्छा किया? सिर्फ ये नहीं चेक करो कि बुरा नहीं किया, लेकिन बुरे की जगह पर अच्छे ते अच्छा किया या साधारण हो गया ? तो ऐसे साधारणता नहीं हो, श्रेष्ठता हो। नुकसान नहीं हुआ, लेकिन जमा हुआ? क्योंकि जमा का समय तो अभी है ना। अभी का जमा किया हुआ भविष्य अनेक जन्म खाते रहेंगे। तो जितना जमा होगा उतना ही खायेंगे ना। अगर कम जमा किया तो कम खाना पड़ेगा अर्थात् प्रालब्ध कम होगी।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  कई बच्चे रूह-रूहान करते हुए बाबा से पूछते हैं कि 'हम भविष्य में क्या बनेंगे, राजा बनेंगे या प्रजा बनेंगे?' बापदादा बच्चों को रेस्पाण्ड करते हैं कि अपने आप को एक दिन भी चेक करो तो मालूम पड जायेगा कि मैं राजा बनूँगा वा साहूकार बनूँगा वा प्रजा बनूँगा।

 

✧  पहले अमृतवेले से अपने मुख्य तीन कारोबार के अधिकारी, अपने सहयोगी, साथियों को चेक करो। वह कौन? 1. मन अर्थात संकल्प शक्ताि  2. बुद्धि अर्थात निर्णय शक्ति। 3. पिछले वा वर्तमान श्रेष्ठ संस्कार यह तीनो विशेष कारोबारी हैं।

 

✧  जैसे आजकल के जामने में राजा के साथ महामन्त्र वा विशेष मन्त्री होते हैं, उन्हीं के सहयोग से राज्य कारोबार चलता है। सतयुग में मन्त्री नहीं होंगे लेकिन समीप के सम्बन्धी, साथी होंगे। किसी भी रूप में, साथी समझो वा मन्त्री समझो।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ वहाँ कोइ हद नहीं होती। तो बेहद का राज्य-भाग्य हो गया। लेकिन बेहद का राज्य-भाग्य प्राप्त करने वालों को पहले इस समय अपनी देह की हद से परे जाना पडेगा। अगर देहभान की हद से निकले तो और सभी हद से निकल जायेंगे। इसलिए बापदादा कहते हैं - पहले देह सहित देह के सब सम्बन्धों से न्यारे बनो। पहले देह फिर देह के सम्बन्धी। तो इस देह के भान की हद से निकले हो? क्योंकि देह की हद कभी भी ऊपर नहीं ले जायेगी। देह मिट्टी है, मिट्टी सदा भारी होती है। कोई भी चीज मिट्टी की होगी तो भारी होगी ना। यह देह तो पुरानी मिट्टी है, इसमें फंसने से क्या मिलेगा! कुछ भी नहीं।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- सिर्फ दो अक्षर याद करना- ‘अल्फ और बे’"

➳ _ ➳  मैं आत्मा मंदिर में बजती घंटी की आवाज़ से उन दिनों को स्मृतियों में लाती हूँ... जब मैं भी भगवान् को पाने की चाह में हर मंदिर, तीर्थ स्थानों में भटक रही थी... अल्पकाल की इच्छाओं की पूर्ति के लिए पूजा, जप, तप, उपवास करती थी... इन कोटों भक्तों में से परमात्मा ने मुझे चुनकर अपना बनाकर मुझे सत्य ज्ञान देकर मेरे भटकन को समाप्त कर दिया... सदाकाल के लिए मेरी झोली खजानों से भर दिया... मैं आत्मा प्राप्तियों को याद करते-करते पहुँच जाती हूँ... मधुबन बाबा के कमरे में... बाबा प्यार से निहारते हुए मुझ पर अविनाशी ज्ञान रत्नों की बरसात करते हैं...

❉  प्यारे बाबा याद की मीठी मिठाई खिलाकर सबको बाबा का परिचय देकर ये मिठाई बाँटने की समझानी देते हुए कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय याद ही खुबसूरत सुखो का सच्चा आधार है... इन मीठी यादो में गहरे खो जाओ... और दूसरो को भी इन मीठी अनुभूतियों के अहसास में भिगो दो... दुखो में भटके दिलो को... अल्फ और बे का परिचय देकर सच्चे सुखो का रास्ता बताओ...”

➳ _ ➳  मोस्ट बिलवेड बाबा को यादों में बसाकर सबकी राहों में सत्यता के फूल बिखेरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा सबको सच्चा रास्ता दिखाने वाली नूरानी मणि बन गयी हूँ... सबको सच्चे पिता से मिलवा कर सदा का मुख मीठा करा रही हूँ... असीम सुखो के राज को हर दिल में बाँट रही हूँ...”

❉  स्वदर्शन चक्रधारी बनाकर असीम खुशियों की अनंत ऊँचाइयों में उड़ाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... देह और देहधारियों की यादो ने किस कदर विकारो से काला कर दिया है... अब ईश्वरीय यादो में सदा के ओजस्वी और खुबसूरत मणि बन जाओ... मीठे सुखो में मुस्कराने का खुबसूरत भाग्य पाओ और सबको ऐसा ही भाग्यशाली बनाओ... यही मिठाई खाओ और खिलाओ...”

➳ _ ➳  मैं आत्मा रूहानी खुशबू बनकर हर दिल के आँगन को सत्य ज्ञान से महकाकर कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे पायी अनन्त खुशियां सारे विश्व में फैला रही हूँ... हर आँचल को सच्ची यादो से बांध रही हूँ और सतयुगी सुखो का अधिकारी बना रही हूँ... भगवान धरा पर आकर सतयुग का वर्सा बाँट रहा यह खबर विश्व की हवाओ में महका रही हूँ...”

❉  मुझे पारसमणि बनाते हुए औरों को भी आप समान बनाने की युक्ति बतलाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... आप समान सबको सुखी बनाओ... दुखो में निस्तेज चेहरों पर सच्चे प्रकाश का ओज भर आओ... सच्चे वजूद का पता देकर हर दिल को रौशन कर आओ... ईश्वरीय यादो में अनन्त सुखो के अधिकारी बनकर यह सुख सबके दामन में भी सजा आओ...”

➳ _ ➳  मैं आत्मा सबको अल्फ का एक्यूरेट परिचय देकर अल्लाह के बगीचे का फूल बनाने की सेवा करते हुए कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा यादो की मिठाई सबको बाँट कर बाप दादा के दिल तख्त पर मणि सी मुस्करा रही हूँ... अल्फ और बे का परिचय देकर सबके मन को भटकन से छुड़ा रही हूँ... मीठे बाबा आपसे पायी खुशियो की जागीर सबको दिला आप समान अमीर बना रही हूँ...”
 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- डबल अहिंसक बन योग बल से अपने विकर्म विनाश करने हैं"

➳ _ ➳  बीजरूप परम पिता परमात्मा की याद से विकर्मो को विनाश कर, अपनी ऊंच तकदीर बनाने के लिए, अपनी बीज रूप अवस्था में स्वयं को स्थित करने का पुरुषार्थ करते हुए, मैं अपने मन बुद्धि को एकाग्र कर, शरीर से चेतना को समेटते हुए स्वयं को देह से डिटैच करती हूँ और अशरीरी स्थिति में स्थित होकर अपने वास्तविक बीज स्वरूप में टिक जाती हूँ। अपने इस सत्य स्वरूप में टिकते ही मेरे अंदर छुपे अथाह खजाने, गुण और शक्तियाँ जैसे एक - एक करके मेरे सामने प्रकट होने लगते हैं।

➳ _ ➳  एक चमकते हुए सितारे के समान अपने अति सुंदर स्वरुप को निहारते हुए अब मैं स्वयं में समाये उन सभी गुणों, शक्तियों और खजानो का अनुभव कर रही हूँ जिनसे मैं सर्वथा अनजान थी। जिस शान्ति और सुख को पाने के लिए मैंने स्वयं को देह और देह के झूठे सम्बन्धो में उलझा रखा था और देह भान में आकर जाने अनजाने अनेकानेक विकर्म करती आ रही थी उन सभी विकर्मो को विनाश करने के साथ - साथ और कोई विकर्म अब मुझ से ना हो, इस बात का अब मुझे विशेष ध्यान रखना है। अपनी ऊँची तकदीर बनाने के लिए अब यही पुरुषार्थ मुझे करना है।

➳ _ ➳  मन ही मन स्वयं से यह प्रतिज्ञा करते हुए अपने बीज स्वरूप में स्थित होकर, अपने विकर्मो को दग्ध करने के लिए अब मैं देह की कुटिया से बाहर निकल कर ऊपर आकाश की ओर चल पड़ती हूँ। अपने गुणों और शक्तियों का आनन्द लेते हुए, एक अति सुंदर रूहानी यात्रा पर चलकर मैं अति शीघ्र पहुँच जाती हूँ अपने घर परमधाम में जहां मेरे बीज रूप शिव पिता परमात्मा रहते हैं। अपनी बीज रूप अवस्था में स्थित होकर, बीज रूप शिव पिता परमात्मा के पास मैं जैसे ही जा कर बैठती हूँ, उनसे शक्तियों का तेज करेन्ट निकलकर सीधा मुझ आत्मा में प्रवाहित होने लगता है और योग की एक ऐसी अग्नि प्रज्वलित होने लगती है। जिसमे मुझ आत्मा के ऊपर चढ़ी विकारों की कट जलने लगती है और विकर्म विनाश होने लगते हैं।

➳ _ ➳  अपने चारों और सर्वशक्तियों के करेन्ट से निकलने वाली अग्नि को मैं बहुत ही तीव्र रूप धारण करते हुए स्पष्ट महसूस कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे मैं आत्मा एक बहुत विशाल अग्नि के घेरे के अंदर बैठी हूँ और मेरे चारों और फैली अग्नि की तपन से मुझ आत्मा के ऊपर चढ़ी विकारो की अलाय पिघलती जा रही है। मेरी खोई हुई चमक पुनः लौट रही है। स्वयं को मैं बहुत ही लाइट और माइट अनुभव कर रही हूँ। ईश्वरीय शक्तियों से भरपूर सूक्ष्म ऊर्जा का भण्डार बन, अपने चारों और सर्वशक्तियों के दिव्य कार्ब को धारण कर मैं आत्मा परामधाम से नीचे आती हूँ और अपने लाइट माइट फरिश्ता स्वरूप को धारण कर सूक्ष्म वतन में प्रवेश करती हूँ।

➳ _ ➳  चारों और फैले चाँदनी जैसे सफ़ेद प्रकाश से प्रकाशित फरिश्तो की इस खूबसूरत दुनिया में अपने सम्पूर्ण स्वरूप को प्राप्त कर अव्यक्त पार्ट बजा रहे ब्रह्मा बाबा के सामने मैं जैसे ही आ कर बैठती हूँ, ऊपर परमधाम से शिव बाबा आते हैं और आकर ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में बैठ जाते हैं। बड़े प्यार से मुझे निहारते हुए बापदादा दृष्टि देकर मुझे नजरों से निहाल कर देते हैं। अपनी सर्वशक्तियाँ, सर्व गुणों और सर्व खजानो से मुझे भरपूर करके बापदादा मेरे हाथ मे मुझे अपनी ऊंच तकदीर लिखने की कलम देकर, अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख देते हैं।

➳ _ ➳  अपना सर्वश्रेष्ठ भाग्य लिखने की कलम अपने साथ लेकर अपनी ऊंच तकदीर बनाने के लिए, अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर अब मैं घड़ी - घड़ी साकारी सो निराकारी स्वरूप की ड्रिल करते हुए अपने विकर्मो को विनाश करने का पुरुषार्थ कर रही हूँ। ईश्वरीय सेवा अर्थ साकार सृष्टि पर आकर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होना और सेवा से उपराम होकर, अपने निराकार स्वरूप में स्थित हो, परमधाम जाकर बीज रूप स्थिति में स्थित होकर, बीज रूप परमात्मा की सर्वशक्तियों की जवालास्वरूप किरणों के नीचे बैठ, विकर्मो को दग्ध करने का पुरुषार्थ अब मैं निरन्तर कर रही हूँ।
 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं इस ब्राह्मण जीवन में परमात्म आशीर्वाद की पालना प्राप्त करने वाली महान आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं फ्रॉकदिल बन चेहरे और चलन से गुण व शक्तियों की गिफ्ट बांटकर शुभभावना, शुभकामना रखने वाली आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  १. आज बापदादा एक बात की स्मृति दिला रहे हैं - कभी भी कोई भी शारीरिक बीमारी होमन का तूफान होतन में हलचल होप्रवृत्ति में हलचल होसेवा में भी हलचल होती है तो किसी भी प्रकार के हलचल में दिलशिकस्त कभी नहीं होना। बड़ी दिल वाले बनो। बाप की दिल कितनी हैछोटी है क्या! बाप बड़ी दिल वाले हैं और बच्चे छोटी दिल कर देते हैंबीमार हो गये तो रोना शुरु कर देंगे। दर्द हो गयादर्द हो गया। तो दिलशिकस्त होना दवाई हैबीमारी चली जायेगी कि बढ़ेगीजब हिसाब-किताब आ गयादर्द आ गया तो हिसाब-किताब आ गया ना, लेकिन दिलशिकस्त से बीमारी को बढ़ा देते हो। इसलिए हिम्मत वाले बनो तो बाप भी मददगार बनेंगे।

 

 _ ➳  ऐसे नहींरो रहे हैं- हाय क्या करुँक्या करुँ और फिर सोचो कि बाबा की तो मदद है ही नहीं। मदद उसको मिलती है जो हिम्मत रखते हैं। पहले बच्चे की हिम्मत फिर बाप की मदद है। तो हिम्मत तो हार ली और सोचने लगते हो कि बाप की मदद तो मिली नहींबाबा भी टाइम पर तो करता ही नहीं है! तो आधे अक्षर याद नहीं करो, बाबा मददगार है लेकिन किसकातो आधा भूल जाते हो और आधा याद करते हो कि बाबा भी पता नहीं महारथियों को ही करता है, हमको तो करता ही नहीं हैहमको तो देता ही नहीं है। पहले आप, महारथी पीछे। लेकिन दिलशिकस्त नहीं बनो और मन में अगर कोई उलझन आ भी जाती है तो ऐसे समय पर निर्णय शक्ति चाहिये और निर्णय शक्ति तब आ सकती है जब आपका मन बाप के तरफ होगा। अगर अपने उलझन में होंगे तो हाँ-नाहाँ-नाइसी उलझन में रह जायेंगे। इसलिए मन से भी दिलशिकस्त नहीं बनो।

 

 _ ➳  और धन भी नीचे-ऊपर होता हैजब करोड़पतियों का ही नीचे-ऊपर होता है तो आप लोग उसके आगे क्या हो। वो तो होना ही है। लेकिन आप लोगों को निश्चय पक्का है कि जो बाप के साथी हैं, सच्चे हैं तो कैसी भी हालत में बापदादा दाल-रोटी जरूर खिलायेगा। दो-दो सब्जी नहीं खिलायेगा, दाल-रोटी खिलायेगा। लेकिन ऐसे नहीं करना कि काम से थक करके बैठ जाओ और कहो बाबा दाल-रोटी खिलायेगा। ऐसे अलबेले या आलस्य वाले को नहीं मिलेगा। बाकी सच्ची दिल पर साहेब राजी है।

 

 _ ➳  और परिवार में भी खिटखिट तो होना है। जब आप लोग कहते हो कि अति के बाद अन्त होना हैकहते हो! अति में जा रहा है और जाना है तो परिवार में खिटखिट न होये नहीं होना हैहोना है! लेकिन आप ट्रस्टी बनसाक्षी बन परिस्थिति को बाप से शक्ति ले हल करो। गृहस्थी बनकर सोचेंगे तो और गड़बड़ होगी। पहले बिल्कुल न्यारे ट्रस्टी बन जाओ। मेरा नहीं। ये मेरापन-मेरा नाम खराब होगा, मेरी ग्लानि होगीमेरा बच्चा और मुझे....मेरी सास मेरे को ऐसे करती है.... ये मेरापन आता है ना तो सब बातें आती हैं। मेरा जहाँ भी आया वहाँ बुद्धि का फेरा हो जाता हैबदल जाते हैं। अगर बुद्धि कहाँ भी उलझन में बदलती है तो समझ लो ये मेरापन हैउसको चेक करो और जितना सुलझाने की कोशिश करेंगे उतना उलझेगा। इसलिए सभी बातों में क्या नहीं बनना है? दिलशिकस्त नहीं बनना है। क्या नहीं बनेंगे? (दिलशिकस्त) सिर्फ कहना नहींकरना है।

 

 _ ➳  २. अभी समर्थ बनो और सन शोज फादर का पाठ पक्का करो। कच्चा नहीं करोपक्का करो। सभी हिम्मत वाले हो ना? हिम्मत है? अच्छा। 

 

✺   ड्रिल :-  "दिलशिकस्त न बन, हिम्मते बच्चे, मददे बाप का अनुभव"

 

 _ ➳  ईश्वरीय सन्तान होने के अपने महान भाग्य पर इठलाती हुई मैं आत्मा ईश्वरीय नशे में झूमती हुई... अपने सच्चे साथी मीठे बाबा को दिल के घरोंदे में बुलाती हूँ... मेरी यादों के दीवाने बाबा दिल के घरोंदे में सदा बसने को आतुर है... मीठे बाबा कभी मेरे उमंग उत्साह की तूफानी लहरों और अगले ही पल की दिलशिकस्त स्थिति से भली भांति वाकिफ है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने मीठे बाबा के सम्मुख खुली किताब की तरहा हो गयी हूँ... मुझे भली भांति पढ़ते हुए मुझे हर मुश्किल से उबारते हुए मीठे बाबा मुझे समाधानित करते हुए कहते है... यह परिस्थितियां शक्तियों को जगाने का खुबसूरत साधन है... इनमें कभी दिलशिकस्त होकर निराश नही होना... अपनी हिम्मत के एक कदम को उठाकर मीठे बाबा को हजार कदमों से दौड़ाते रहना...

 

 _ ➳  मैं आत्मा मीठे बाबा की ज्ञान रत्नों में रमणीकता को देख मुस्कराती हूँ तो मीठे बाबा मुझमे अनन्त शक्तियों का संचार कर समझाते हैं... मन को सदा ईश्वरीय यादों में मगन रख निर्णय शक्ति को बढ़ाओ... धन की किसी भी हलचल में अचल और अछूते रहो... भगवान साथी बन जब साथ है तो अपने बच्चों को दाल रोटी अवश्य खिलायेगा... उसके कन्धों पर बैठ सदा निश्चिन्त हो, मौजों का आनन्द लो...

 

 _ ➳  मीठे बाबा मेरे परिवार की गांठो को सुलझाते हुए कहने लगे... मीठे बच्चे जब अति के बाद ही अंत तय है तो अति को सदा साक्षी भाव से देख पिता से शक्ति लेकर शक्तिशाली बन मुस्कुराओ... देह भान ने जो मेरेपन के धागों में उलझाया है ट्रस्टी बन उन डोरियों को काटते चलो... मेरेपन में फंसकर बुद्धि का फेरा नही करो बल्कि मीठे बाबा के यादो में दिल को फिराते रहो...

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने सच्चे साथी से प्यार की दौलत और असीम ताकत पाकर स्वयं को समर्थ और शक्तियों से सजा हुआ पा रही हूँ... मीठे बाबा ने मुझे हिम्मत के पंख देकर दिलशिकस्त की जमीं से ऊपर उड़ा कर सफलता के आसमाँ में उड़ना सिखा दिया है... कुछ पल पहले जो व्यर्थ चिंतन में मैं आत्मा उलझ गयी थी दिल थाम कर बैठ गयी थी... प्यारे बाबा से ज्ञान संजीवनी को पाकर पुनः अपनी शक्तियों को थामे स्वमान की सीट पर विराजित मन्द मन्द मुस्करा रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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