━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 18 / 10 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ ईश्वरीय सेवा की उछाल आती रही ?
➢➢ कर्मभोग में मूंझे तो नहीं ?
➢➢ सर्व समबंधो की अनुभूति के साथ प्राप्तियों की ख़ुशी का अनुभव किया ?
➢➢ निमित बांस एवा की ?
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ महारथियों का पुरुषार्थ अभी विशेष इसी अभ्यास का है। अभी-अभी कर्म योगी, अभी-अभी कर्मातीत स्टेज। एक स्थान पर खड़े होते भी चारों ओर संकल्प की सिद्धि द्वारा सेवा में सहयोगी बन जाओ।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ "मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ"
〰✧ संगमयुगी स्वराज्य अधिकारी आत्मायें बने हो? हर कर्मेन्द्रिय के ऊपर अपना राज्य है? कोई कर्मेन्द्रिय धोखा तो नहीं देती है? कभी संकल्प में भी हार तो नहीं होती है? कभी व्यर्थ संकल्प चलते हैं? 'स्वराज्य अधिकारी आत्मायें हैं' - इस नशे और निश्चय से सदा शक्तिशाली बन मायाजीत सो जगतजीत बन जाते हैं। स्वराज्य अधिकारी आत्मायें सहजयोगी, निरन्तर योगी बन सकते हैं।
〰✧ स्वराज्य अधिकारी के नशे और निश्चय से आगे बढ़ते चलो। मातायें नष्टोमोहा हो या मोह है? पाण्डवों को कभी क्रोध का अंश मात्र जोश आता है? कभी कोई थोड़ा नीचे-ऊपर करे तो क्रोध आयेगा? थोड़ा सेवा का चांस कम मिले, दूसरे को ज्यादा मिले तो बहन पर थोड़ा-सा जोश आयेगा कि यह क्या करती है? देखना, पेपर आयेगा। क्योंकि थोड़ा भी देह अभिमान आया तो उमसें जोश या क्रोध सहज आ जाता है।
〰✧ इसलिए सदा स्वराज्य अधिकारी अर्थात् सदा ही निरअहंकारी, सदा ही निर्माण बन सेवाधारी बनने वाले। मोह का बन्धन भी खत्म। अच्छा।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ जितना ही बाहर का वातावरण भारी होगा उतना ही अनन्य बच्चों के संकल्प, कर्म, सम्बन्ध लाइट (हल्के) होते जायेंगे और इस लाइटनेस के कारण सारा कार्य लाइट चलता रहेगा। वायुमण्डल तो तमोप्रधान होने के कारण और भिन्न-भिन्न प्रकार से भारी-पन का अनुभव करेंगे।
〰✧ प्रकृति का भी भारी-पन होगा। मनुष्यात्माओं की वृत्तियों का भी भारी-पन होगा। इसके लिए भी बहुत हल्का-पन भी औरों को भी हल्का करेगा। अच्छा, सब ठीक चल रहा है ना कारोबार का प्रभाव आप लोग के ऊपर नहीं पडता। लेकिन आपका प्रभाव कारोबार पर पडता है।
〰✧ जो कुछ भी करते हो, सुनते हो तो आपके हल्के-पन की स्थिति का प्रभाव कार्य पर पडता है। कार्य की हलचल का प्रभाव आप लोगों के ऊपर नहीं आता। अचल स्थिति कार्य को भी अचल बना देती है। सब रीति से असम्भव कार्य सम्भव और सहज हो रहे हैं और होते रहेंगे। अच्छा। (दादीजी के साथ पर्सनल मुलाकात)
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ मन में जो भी संकल्प चलते हैं, अगर आज्ञाकारी हो तो बाप की आज्ञा क्या है? पॉजिटिव सोचो, शुभ भावना के संकल्प करो। फालतू संकल्प करो- यह बाप की आज्ञा है क्या? नहीं। तो जब आपका मन नहीं है तो बाप की आज्ञा को प्रेक्टिकल में नहीं लाया ना! सिर्फ एक शब्द याद करो कि मैं परमात्म आज्ञाकारी बच्चा हूँ। बाप की यह आज्ञा है या नहीं हैं, वह सोचो। जो आज्ञाकारी बच्चा होता है वह सदा बाप को स्वत: ही याद होता है। स्वत: ही प्यारा होता है। स्वत: ही बाप के समीप होता है। तो चेक करो मैं बाप के समीप, बाप का आज्ञाकारी हूँ। एक शब्द तो अमृतवेले याद कर सकते हो- 'मैं कौन?” आज्ञाकारी हूँ या कभी आज्ञाकारी और कभी आज्ञा से किनारा करने वाले।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺
"ड्रिल :- भूतों को भगाना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा 5 भूतों से मुक्त होने, 5 तत्वों के इस देह, 5 तत्वों
की इस दुनिया से दूर निकलकर सफ़ेद बादलों की दुनिया में पहुँच जाती हूँ...
प्यारे बापदादा चमकीले प्रकाश के शरीर में सफ़ेद बादल की संदली पर बैठ मुझे देख
मुस्कुरा रहे हैं... बाबा की प्यारी मीठी मुस्कान से निकलती मीठी किरणों से
मैं आत्मा सर्व बन्धनों से, काल के प्रभाव से, समय के प्रभाव से, सर्व विकारों
के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त अनुभव कर रही हूँ... मीठे बापदादा मीठी दृष्टि
देते हुए मीठे वचनों की वर्षा करते हैं...
❉ मेरे दिल रुपी दर्पण को ज्ञान के छीटों से साफ़ करते हुए प्यारे
बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... ज्ञान का तीसरा नेत्र पाकर जो
त्रिनेत्री से सजे हो... गहराई से अपना चिंतन कर भीतर छुपे भूतो को, ज्ञान
सूर्य के तेज से नामोनिशान मिटा दो... देह के प्रभाव में आकर जो तेज खो दिए
हो... यादो की प्रचण्ड अग्नि में तेजस्वी बन जाओ... विकारो के भूतो को भगाने
के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहो... और ईश्वरीय यादो और प्यार में निष्कलंक जीवन
को पाओ...”
➳ _ ➳ ज्ञान मुरली की लाठी से विकारों रूपी 5 भूतों को भगाकर मैं आत्मा
कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय यादो में हर
विकार से मुक्त होकर प्यारा और खुबसूरत जीवन पाती जा रही हूँ... मन बुद्धि के
आइने में मै आत्मा दिव्य गुणो से सजती जा रही हूँ... मीठी यादो में गुणवान बन
खिलती जा रही हूँ...”
❉ पवित्रता का सागर मीठा बाबा पवित्र किरणों की अग्नि से विकारों
को भस्म करते हुए कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... मीठे बाबा की यादो
में इस कदर खो जाओ की अंश मात्र भी विकारो का शेष न रहे... जीवन कमल समान इस
कदर खूबसूरती से खिल उठे कि... पवित्रता की अदा पर हर दिल दीवाना हो जाये...
ऐसी पवित्रता की खुशबु सारे जहान में बिखेर सुवासित करो...”
➳ _ ➳ अपने ह्रदय में पवित्रता का पुष्प खिलाकर चारों और सुवासित करते
हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी प्यारी
यादो दिव्य प्रतिमा सी सजकर हर दिल को ईश्वरीय जादू से भरती जा रही हूँ... मीठे
बाबा ने मुझे गुणवान चरित्रवान खुबसूरत बनाया है... यह सन्देश हवाओ में फैलाती
जा रही हूँ...”
❉ दिव्य गुणों से सजाकर विश्व का मालिक बनाते हुए मेरे बाबा कहते
हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अपनी असली सुंदरता के निखार में हर पल
जुटे रहो... देवताई श्रृंगार से सजे विश्व का मन मोहते रहो... अपनी रूहानियत
की खुशबु से सबको रूहानी पिता का पता देते जाओ... स्वयं को इतना पवित्र निर्मल
और देवताओ सा प्यारा बनाओ...”
➳ _ ➳ विकारों के रावण को जलाकर पवित्रता का ताज पहन पावन दुनिया की
मालिक बनते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके
साये में आप समान बनती जा रही हूँ... यादो का पहरा लगाकर हर भूत को भगाती जा
रही हूँ... और निर्मल पवित्र बनकर दिव्य गुणो की धारणा से... बाप दादा के दिल
तख्त पर सजती जा रही हूँ...”
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺
"ड्रिल :- बन्धनमुक्त बनकर भारत की सच्ची सेवा करनी है"
➳ _ ➳ रामराज्य शब्द स्मृति में आते ही एक ऐसी दैवी दुनिया का चित्र
आंखों के आगे उभर आता है जो सुखमय दुनिया मेरे प्रभु राम, मेरे परम प्रिय
परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने हम बच्चों के लिये बनाई थी। जिसमे अपरमअपार सुख
था, शांति थी, समृद्धि थी। एक ऐसी दुनिया जहाँ सब मिल जुल कर बड़े प्यार से
रहते थे। किसी के मन मे किसी के प्रति कोई ईर्ष्या - द्वेष कोई छल - कपट नही
था। उसी दैवी दुनिया अर्थात उस रामराज्य के बारे में विचार करते - करते मैं मन
बुद्धि से पहुंच जाती हूँ उसी दैवी दुनिया में।
➳ _ ➳ स्वर्ण धागों से बनी हीरे जड़ित अति शोभनीय ड्रेस पहने एक राजकुमारी
के रूप में मैं स्वयं को प्रकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण उस देव भूमि, उस
रामराज्य में देख रही हूँ जहां हरे भरे पेड़ पौधे, टालियों पर चहचहाते
रंग-बिरंगे खूबसूरत पक्षी, वातावरण में गूंजती कोयल की मधुर आवाज, फूलों पर
इठलाती रंग बिरंगी तितलियां, बागों में नाचते सुंदर मोर, कल-कल करते सुगंधित
मीठे जल के झरने, रस भरे फलों से लदे वृक्ष, सतरंगी छटा बिखेरती सूर्य की किरणे
मन को आनन्द विभोर कर रही हैं।
➳ _ ➳ प्रकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस देव भूमि पर सोलह कला सम्पूर्ण,
मर्यादा पुरुषोत्तम देवी-देवताओ को विचरण करते, पुष्पक विमानों मे बैठ उन्हें
विहार करते मैं देख रही हूं। लक्ष्मी नारायण की इस पुरी में राजा, प्रजा सभी
असीम सुख, शान्ति और सम्पन्नता से भरपूर हैं। चारों ओर ख़ुशी का माहौल हैं।
दुख, अशांति का यहां नाम निशान भी दिखाई नही देता। ऐसे देवलोक के रमणीक नजारों
को देख मैं मंत्रमुग्घ हो रही हूँ।
➳ _ ➳ मन बुद्धि से इस दैवी दुनिया की यात्रा कर मैं असीम आनन्द से भरपूर
हो गई हूं। अपने देवताई स्वरूप का भरपूर आनन्द लेने के बाद अब मैं अपने
ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होती हूँ और विचार करती हूँ कि यही भारत जब रामराज्य
था तो कितना समृद्ध था। किन्तु विकारों रूपी रावण की प्रवेशता ने इस समृद्ध
भारत को कितना दुखी और कंगाल बना दिया और अब जबकि मेरे प्रभु राम इस रावण राज्य
को फिर से रामराज्य बनाने के लिए आये हैं तो मुझे भी इस रामराज्य की स्थापना
में अपने प्रभु राम का सहयोगी बन भारत को रामराज्य बनाने की सेवा में लग जाना
चाहिए।
➳ _ ➳ इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता
स्वरूप को धारण कर बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर विश्व ग्लोब पर आ जाता हूँ।
विश्व की सर्व आत्मायें मेरे सम्मुख हैं। अब मैं उन्हें उनके वास्तविक स्वरूप
से परिचित करवा रहा हूँ। संकल्पो के माध्यम से उन्हें बता रहा हूँ कि आपका
वास्तविक स्वरूप बहुत आकर्षक है, बहुत ही प्यारा है। आप सभी बीजरूप निराकार
परम पिता परमात्मा शिव की अजर, अमर, अविनाशी सन्ताने हो।
➳ _ ➳ देह के भान में आकर आप कुरूप बन गये हो। आपका देवताई स्वरूप
संपूर्ण सतोप्रधान, सर्वगुण सम्पन्न था। विकारों रूपी रावण की प्रवेशता ने आपका
सुख और पवित्रता का वर्सा छीन कर आपको दुखी बना दिया है। सो हे आत्मन - अब जागो!
अज्ञान रूपी निद्रा का त्याग कर परमात्मा शिव द्वारा दिए इस सत्य ज्ञान को
स्वीकार कर उसे अपने जीवन में धारण करो। ये सत्य ज्ञान ही आपके जीवन को फिर से
श्रेष्ठ बनायेगा और भारत फिर से रामराज्य बन जायेगा।
➳ _ ➳ विश्व की सर्व आत्माओं को रामराज्य में चलने का संदेश दे कर, अपने
फ़रिशता स्वरूप को छोड़ अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर भारत को
रामराज्य बनाने की सेवा में अपना सब कुछ सफल कर रहा हूँ। श्वांसों - श्वांस
अपने शिव पिता परमात्मा की याद में रह कर, मनसा, वाचा, कर्मणा सम्पूर्ण पवित्र
बन, पवित्रता का सहयोग दे कर, अपने शिव पिता परमात्मा के साथ भारत को पावन बनाने
के कार्य मे उनका मददगार बन रहा हूँ। जिस सत्य ज्ञान को पाकर मेरे जीवन में
इतना सुखद परिवर्तन आ गया उस सत्य ज्ञान को सारे विश्व की सर्व आत्माओं तक
पहुंचा कर उनके जीवन में भी सुखदाई परिवर्तन लाने के निमित्त बन, उन्हें भी
रामराज्य लाने और उसमें राज्य करने के लिए उन्हें प्रेरित कर रहा हूँ।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं सर्व संबंधों की अनुभूति के साथ प्राप्तियों की खुशी का अनुभव करने वाली तृप्त आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं निमित्त बन कर सफलता का शेयर प्राप्त करने वाली सफलतामूर्त आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ विश्व-कल्याणकारी की स्टेज है - सदा बेहद की वृत्ति हो, दृष्टि हो और बेहद की स्थिति हो। वृत्ति में जरा भी किसी आत्मा के प्रति निगेटिव या व्यर्थ भावना नहीं हो। निगेटिव बात को परिवर्तन कराना, वह अलग चीज है। लेकिन जो स्वयं निगेटिव वृत्ति वाला होगा वह दूसरे के निगेटिव को भी पाजेटिव में चेंज नहीं कर सकता। इसलिए हर एक को अपनी सूक्ष्म चेकिंग करनी है कि वृत्ति, दृष्टि सर्व के प्रति सदा बेहद और कल्याणकारी है? जरा भी कल्याण की भावना के सिवाए हद की भावना, हद के संकल्प, बोल सूक्ष्म में भी समाये हुए तो नहीं हैं? जो सूक्ष्म में समाया हुआ होता है, उसकी निशानी है कि समय आने पर वा समस्या आने पर वह सूक्ष्म स्थूल में आता है। सदा ठीक रहेगा लेकिन समय पर वह इमर्ज हो जायेगा। फिर सोचते हैं यह है ही ऐसा। यह बात ही ऐसी है। यह व्यक्ति ही ऐसा है। व्यक्ति ऐसा है लेकिन मेरी स्थिति शुभ भावना, बेहद की भावना वाली है या नहीं है? अपनी गलती को चेक करो। समझा।
➳ _ ➳ यह हो गया, यह हो गया... यह नहीं सोचना। यह तो होना ही है। पहले से ही पता है यह होना है लेकिन बाप समान फरिश्ता बनना ही है। समझा। करना है ना? कर सकेंगे? एक वर्ष में तैयार हो जायेंगे कि आधे वर्ष में तैयार हो जायेंगे? आपके सम्पन्न बनने के लिए ब्रह्मा बाप भी आह्वान कर रहा है और प्रकृति भी इन्तजार कर रही है। 6 मास में एवररेडी बनो, चलो 6 मास नहीं एक वर्ष में तो बनो। हलचल में नहीं आना, अचल। लक्ष्य नहीं छोड़ना, बाप समान बनना ही है, कुछ भी हो जाए। चाहे कई ब्राह्मण हिलावें, ब्राह्मण रूकावट बनकर सामने आयें फिर भी हमें समान बनना ही है।
✺ ड्रिल :- "सदा विश्व-कल्याणकारी की स्टेज पर स्थित रहकर बाप समान बनने का अनुभव"
➳ _ ➳ प्रकृति के सुंदर, सुरम्य वातावरण में... मैं आत्मा आबू की पहाड़ियों पर अपने प्यारे शिव बाबा की यादों में बैठी हुई हूँ... इन्हीं पहाड़ियों पर साकार बाबा बच्चों के साथ तपस्या करते थे और बच्चों को अनेक सुंदर अनुभव कराते थे... इसी का यादगार शास्त्रों में दिखाया गया है कि ऋषि-मुनियों ने पहाड़ों की गुफाओं में, कन्दराओं में गहन तपस्या की थी... यहां के सुंदर सुरम्य वातावरण में मेरा मन बाबा की याद में मगन होता जा रहा है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने मीठे मीठे बाबा को अपने पास देख रही हूँ... उनका सुंदर सलोना रूप मुझे आकर्षित कर रहा है... मैं एकटक हो अपने प्यारे बाबा को निहार रही हूँ... मीठे बाबा बड़े प्यार से दृष्टि देकर मुझ आत्मा में रूहानी स्नेह की खुशबू घोल रहे हैं... मैं आत्मा ईश्वरीय खजानों, शक्तियों और गुणों से संपन्न बनती जा रही हूँ... इन खजानों से भरपूर हो इन्हें सारे विश्व में फैलाने के निमित्त बनती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा स्वयं को विश्व कल्याणकारी के स्वरुप में देख रही हूँ... हद का मैं-मेरा पन समाप्त होता जा रहा है... मेरे हर संकल्प, बोल, कर्म, दृष्टि, वृत्ति में हद की संकुचित भावनाएं समाप्त होती जा रही हैं... मैं बेहद की स्थिति में स्थित हूँ... किसी भी आत्मा के प्रति मेरे मन में कोई भी नेगेटिव भावना नहीं है... हर एक के कल्याण की शुभेच्छा, शुभ कामना ही मेरे मन में जागृत हो रही है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अतिसूक्ष्म चेकिंग करती हूँ कि मेरी दृष्टि और वृत्ति में कहीं अंश मात्र भी हद की भावना तो नहीं है... क्या मेरी वृत्ति में बेहद विश्व के कल्याण की भावना समाई हुई है... मैं अपनी सूक्ष्म चेकिंग कर के स्वयं को चेंज कर रही हूँ... कोई आत्मा कैसी भी है, कैसे भी स्वभाव संस्कार वाली है... मैं स्वयं में सर्व के प्रति बेहद की, कल्याण की, शुभ भावना ही देख रही हूँ... मैं आत्मा सर्व ईश्वरीय खजाने सारे विश्व में फैला रही हूँ... सर्व आत्माओं को ईश्वरीय सन्देश दे उन्हें बाबा से वर्सा दिलाने के निमित्त बन रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं बाप समान संपन्न फरिश्ता बन रही हूँ... मैं अपने संपन्न स्वरुप का आह्वान कर रही हूँ... संपूर्ण प्रकृति मेरे संपन्न बनने का इंतजार कर रही है... सूक्ष्म वतन में बापदादा भी मेरे संपूर्ण स्वरुप आह्वान कर रहे हैं... मैं आत्मा संपन्नता की मंजिल की ओर अग्रसर हो रही हूँ... कोई भी परिस्थिति मुझे हलचल में नहीं ला सकती... मैं बाप समान दृढ़, अचल-अडोल बन रही हूँ... कितने भी विघ्न-बाधाएं आएं, चाहे ज्ञानी या अज्ञानी आत्मायें विघ्न लाएं... लेकिन मैं दृढ़ता से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही हूँ... मैं बाप समान स्थिति में स्थित हूँ... सम्पूर्ण क़ायनात को ईश्वरीय खजानों से भरपूर करती जा रही हूँ...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━