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❍ 09 / 10 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ साइलेंस का बल जमा किया ?
➢➢ पवित्र बन दूसरों को पवित्र बनाया ?
➢➢ विघनकारी आत्मा को शिक्षक समझ उन्स एपाथ पड़ा ?
➢➢ कंप्लेंट के फाइल को ख़तम कर फाइन और रीफाइन बने ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ कर्मातीत बनने के लिए चेक करो कहाँ तक कर्मों के बन्धन से न्यारे बने हैं? लौकिक और अलौकिक, कर्म और सम्बन्ध दोनों में स्वार्थ भाव से मुक्त कहॉ तक बने हैं?
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ"
〰✧ अपने को श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा समझते हो? सदा हर कदम में आगे बढ़ते जा रहे हो? क्योंकि जब बाप के बन गये तो पूरा अधिकार प्राप्त करना बच्चों का पहला कर्तव्य है। सम्पन्न बनना अर्थात् सम्पूर्ण अधिकार प्राप्त करना। ऐसे स्वयं को सम्पन्न अनुभव करते हो?
〰✧ जब भाग्यविधाता भाग्य बांट रहे हैं, तो पूरा भाग्य लेना चाहिए ना। तो थोड़े में राजी होने वाले हो या पूरा लेने वाले हो? बच्चे अर्थात् पूरा अधिकार लेने वाले। हम कल्प-कल्प के अधिकारी है - यह स्मृति सदा समर्थ बनाते हुए आगे बढ़ाती रहेगी। यह नई बात नहीं कर रहे हो, यह प्राप्त हुआ अधिकार फिर से प्राप्त कर रहे हो। नई बात नहीं है। कई बार मिले हैं और अनेक बार आगे भी मिलते रहेंगे।
〰✧ आदि, मध्य, अन्त तीनों कालों को जानने वाले हैं - यह नशा सदा रहता है? जो भी प्राप्ति हो रही है वह सदा है, अविनाशी है - यह निश्चय और नशा हो तो इसी आधार से उड़ती कला में उड़ते रहेंगे।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ जैसे इन स्थूल कर्मेन्द्रियों को, जिस समय, जैसा ऑर्डर करते हो, उस समय वो ऑर्डर से चलती है। ऐसे ही ये सूक्ष्म शक्तियाँ भी आपके ऑर्डर पर चलने वाली हो।
〰✧ चेक करो कि सारे दिन में सर्व शक्तियाँ ऑडर में रही? क्योंकि जब ये सर्वशक्तियाँ अभी से आपके ऑर्डर पर होंगी तब ही अंत में भी आप सफलता को प्राप्त कर सकेंगे।
〰✧ इसके लिए बहुत काल का अभ्यास चाहिए। तो इस नये वर्ष में ऑर्डर पर चलाने का विशेष अभ्यास करना। क्योंकि विश्व का राज्य प्राप्त करना है ना। 'विश्व राज्य-अधिकारी बनने के पहले स्वराज्य अधिकारी बनो।” (पार्टियों के साथ)
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ विदेही, साक्षी बन सोचो लेकिन सोचा, प्लैन बनाया और सेकण्ड में प्लेन स्थिति बनाते चलो। अभी आवश्यकता स्थिति की है। यह विदेही स्थिति परिस्थिति को बहुत सहज पार कर लेगी। जैसे बादल आये, चले गये और विदेही, अचल अडोल हो खेल देख रहे हैं। अभी लास्ट समय की सोचते हो लेकिन लास्ट स्थिति की सोचो।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- बाप से नालेज पढना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा कितनी ही तकदीरवान हूँ जो की स्वयं परमपिता परमात्मा,
भाग्यविधाता बन मेरी सोई हुई तकदीर को जगाने परमधाम से आये हैं... अविनाशी
बेहद बाबा अविनाशी ज्ञान देकर इस एक जन्म में मुझे पढ़ाकर, 21 जन्मों के लिए
मेरी ऊँची तकदीर बना रहे हैं... यह पढ़ाई ही सोर्स ऑफ़ इनकम है... मैं रूहानी
आत्मा, रूहानी बाबा से, रूहानी पढ़ाई पढने चल पड़ती हूँ रूहानी कालेज सेंटर
में...
❉ पुरुषोत्तम संगम युग की पढाई से उत्तम ते उत्तम पुरुष बनने की शिक्षा
देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की
बाँहो में झूलने वाला खुबसूरत समय जो हाथ आया है तो इस वरदानी युग में पिता से
अथाह खजाने लूट लो... 21 जनमो के मीठे सुखो से अपना दामन सजा लो... ईश्वरीय
पढ़ाई से उत्तम पुरुष बन विश्व धरा के मालिक हो मुस्करा उठो...”
➳ _ ➳ बाबा की मीठी मुरली की मधुर तान पर फिदा होते हुए मैं आत्मा कहती
हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अपने महान भाग्य को देख देख
निहाल हो गई हूँ... मेरा मीठा भाग्य मुझे ईश्वर पिता की फूलो सी गोद लिए
वरदानी संगम पर ले आया है... ईश्वरीय पढ़ाई से मै आत्मा मालामाल होती जा रही
हूँ...”
❉ ज्ञान रत्नों के सरगम से मेरे मन मधुबन को सुरीला बनाकर मीठे बाबा कहते
हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस महान मीठे समय का भरपूर फायदा उठाओ... ईश्वरीय
ज्ञान रत्नों से जीवन में खुशियो की फुलवारी सी लगाओ... जिस ईश्वर को दर दर
खोजते थे कभी... आज सम्मुख पाकर ज्ञान खजाने से भरपूर हो जाओ... और 21 जनमो के
सुखो की तकदीर बनाओ...”
➳ _ ➳ दिव्यता से सजधज कर सतयुगी सुखों की अधिकारी बन मैं आत्मा कहती
हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा संग ज्ञान और योग के पंख
लिए असीम आनन्द में खो गयी हूँ... ईश्वर पिता के सारे खजाने को बुद्धि तिजोरी
में भरकर और दिव्य गुणो की धारणा से उत्तम पुरुष आत्मा सी सज रही हूँ...”
❉ इस संगमयुग में मेरे संग-संग चलते हुए सत्य ज्ञान की राह दिखाते हुए
मेरे बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... मीठे बाबा के साथ का
संगम कितना मीठा प्यारा और सुहावना है... सत्य के बिना असत्य गलियो में किस
कदर भटके हुए थे... आज पिता की गोद में बैठे फूल से खिल रहे हो... ईश्वरीय
मिलन के इन मीठे पलों की सुनहरी यादो को रोम रोम में प्रवाहित कर देवता से सज
जाओ...”
➳ _ ➳ ईश्वरीय राहों पर चलकर ओजस्वी बन दमकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-
“हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा की गोद में ईश्वरीय पढ़ाई पढ़कर
श्रेष्ठ भाग्य को पा रही हूँ... इस वरदानी संगम युग में ईश्वर को शिक्षक रूप
में पाकर अपने मीठे से भाग्य पर बलिहार हूँ... और प्यारा सा देवताई भाग्य सजा
रही हूँ...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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"ड्रिल :- साइलेन्स का बल जमा करना"
➳ _ ➳ अपने शांत स्वधर्म में स्थित हो शांति की गहन अनुभूति करने के लिए
शांति के सागर अपने शिव पिता की याद में मैं आत्मा अशरीरी होकर बैठ जाती हूं और
पहुंच जाती हूँ अंतर्मुखता एक ऐसी गुफा में जहां किसी भी प्रकार की कोई आवाज,
शोरगुल यहां तक की संकल्पों की भी हलचल नहीं। अंतर्मुखता की गुफा में बैठ
एकांतवासी बन एक के अंत में खो जाने की यह अवस्था मन को गहन शांति की अनुभूति
करवा रही है। इस गहन शांति की अवस्था में मुझे आत्मा से निकल रहे शांति के
प्रकंपन चारों ओर वायुमंडल में फैल कर वायुमंडल को भी शांत बना रहे हैं। शांति
की शक्तिशाली किरणों का एक ऐसा औरा मेरे चारों तरफ बन गया है कि बाहर की स्थूल
आवाजों का प्रभाव भी अब मुझे प्रभावित नही कर रहा।
➳ _ ➳ शांति की गहन अनुभूति करते हुए अब मैं अपने मन बुद्धि का कनेक्शन
शांति धाम में रहने वाले अपने शिव पिता परमात्मा के साथ जोड़ती हूं और मन बुद्धि
से पहुंच जाती हूँ शांति धाम, शांति के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के पास। शांति
के बहुत ही शक्तिशाली वायब्रेशन इस शांति धाम में फैले हुए हैं। जो मुझे असीम
शांति से भरपूर कर रहे हैं। इस असीम शांति का अनुभव करते-करते मैं आत्मा पहुंच
जाती हूं अपने शांति दाता मीठे शिव बाबा के पास। जिनसे सर्वशक्तियों की
शक्तिशाली किरणे निकल रही हैं। इन शक्तिशाली किरणों के फव्वारे के नीचे बैठ
मैं स्वयं को सर्वशक्तियों से भरपूर कर रही हूं।
➳ _ ➳ भरपूर हो कर अब मैं आत्मा लौट आती हूँ वापिस साकारी दुनिया में और
अपने साकारी ब्राह्मण तन में विराजमान हो जाती हूं। साकार देह में होते हुए भी
अब मैं स्वयं को शांति से भरपूर अनुभव कर रही हूं। और मन में विचार करती हूं
कि काश संसार की हर आत्मा जो आज स्वयं को न जानने के कारण दुखी और अशांत हो चुकी
है और शांति की तलाश में भटक रही है। वह भी इस गहन शांति का अनुभव कर पाती। जैसे
ही यह संकल्प मन में उत्पन्न होता है तभी जैसे बाबा के महावाक्य कानों में
गूंजने लगते हैं। ऐसे लगता है जैसे बाबा निर्देश दे रहे हैं:- "अपने शांत
स्वधर्म में स्थित होकर शांति के लिए भटक रही आत्माओं को भटकने से छुड़ाओ"।
➳ _ ➳ बाबा के फरमान का पालन करने के लिए अब मैं अपने लाइट के फ़रिश्ता
स्वरूप को धारण कर कल्प वृक्ष की जड़ों में जाकर बैठ जाता हूं और शांति के सागर
अपने प्यारे परम पिता परमात्मा शिव बाबा का आहवाहन करता हूं। मेरा आहवाहन सुनते
ही परमधाम से बाबा की शक्तिशाली सतरंगी किरणे सीधी मुझ फ़रिश्ते पर पड़ने लगी हैं
और मुझ से निकल कर कल्पवृक्ष की टाल टालियों और पत्ते-पत्ते तक पहुंच कर सर्व
आत्माओं रुपी पत्तों को शांति का अनुभव करा रही है। मैं देख रहा हूँ कि मम्मा,
बाबा, वरिष्ठ दादियां और समस्त ब्राह्मण परिवार की आत्माएं भी अब कल्पवृक्ष की
जड़ों में आ कर बैठ गई हैं और बाबा से सर्वशक्तियाँ लेकर पूरे कल्प वृक्ष को
साकाश दे रही हैं। धीरे-धीरे शक्तियों का प्रवाह निरंतर बढ़ता जा रहा है।
कल्पवृक्ष की सभी आत्माएं अब स्वयं को शांति, शक्ति और सर्व गुणों से संपन्न
अनुभव कर रही हैं।
➳ _ ➳ कल्प वृक्ष से अब मैं फ़रिशता बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर विश्व
ग्लोब पर आ गया हूँ और बाबा से शांति की शक्तिशाली किरणे ले कर विश्व की सभी
अशांत और दुखी आत्माओं में प्रवाहित कर रहा हूँ। मैं स्पष्ट देख रहा हूं कि सभी
मनुष्य आत्माएं गहन शांति का आनंद ले रही है। अब मैं उन्हें उनका और परमात्मा
का वास्तविक परिचय देकर, अपने शांत स्वधर्म में स्थित रहने और सच्ची शांति पाने
का सहज रास्ता बता रहा हूं। सच्ची शांति को पाने का सहज और सत्य रास्ता जानकर
सभी आत्माएं प्रसन्नचित्त मुद्रा में दिखाई दे रही है।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं विघ्नकारी आत्मा को शिक्षक समझ उनसे पाठ पढ़ने वाली अनुभवी - मूर्त आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं कंप्लेंट की फाइल खत्म करके फाइन और रिफाइन बनने वाली महान आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बाप के रूप में परमात्म पालना का अनुभव कर रहे हो। यह परमात्म पालना सारे कल्प में सिर्फ इस ब्राह्मण जन्म में आप बच्चों को प्राप्त होती है, जिस परमात्म पालना में आत्मा को सर्व प्राप्ति स्वरूप का अनुभव होता है। परमात्म प्यार सर्व संबंधों का अनुभव कराता है। परमात्म प्यार अपने देह भान को भी भुला देता, साथ-साथ अनेक स्वार्थ के प्यार को भी भुला देता है। ऐसे परमात्म प्यार, परमात्म पालना के अन्दर पलने वाली भाग्यवान आत्मायें हो। कितना आप आत्माओं का भाग्य है जो स्वयं बाप अपने वतन को छोड़ आप गाडली स्टूडेन्टस को पढ़ाने आते हैं। ऐसा कोई टीचर देखा जो रोज सवेरे-सवेरे दूरदेश से पढ़ाने के लिए आवे? ऐसा टीचर कभी देखा? लेकिन आप बच्चों के लिए रोज बाप शिक्षक बन आपके पास पढ़ाने आते हैं और कितना सहज पढ़ाते हैं।
➳ _ ➳ दो शब्दों की पढ़ाई है - आप और बाप, इन्हीं दो शब्दों में चक्कर कहो, ड्रामा कहो, कल्प वृक्ष कहो सारी नालेज समाई हुई है। और पढ़ाई में तो कितना दिमाग पर बोझ पड़ता है और बाप की पढ़ाई से दिमाग हल्का बन जाता है। हल्के की निशानी है ऊंचा उड़ना। हल्की चीज स्वत: ही ऊंची होती है। तो इस पढ़ाई से मन-बुद्धि उड़ती कला का अनुभव करती है। तो दिमाग हल्का हुआ ना! तीनों लोकों की नालेज मिल जाती है। तो ऐसी पढ़ाई सारे कल्प में कोई ने पढ़ी है। कोई पढ़ाने वाला ऐसा मिला। तो भाग्य है ना!
➳ _ ➳ फिर सतगुरू द्वारा श्रीमत ऐसी मिलती है जो सदा के लिए क्या करूं, कैसे चलूं, ऐसे करूं या नहीं करूं, क्या होगा..... यह सब क्वेश्चन्स समाप्त हो जाते हैं। क्या करूं, कैसे करूं,ऐसे करूं या वैसे करूं... इन सब क्वेश्चन्स का एक शब्द में जवाब है - फालो फादर। साकार कर्म में ब्रह्मा बाप को फालो करो, निराकारी स्थिति में अशरीरी बनने में शिव बाप को फालो करो। दोनों बाप और दादा को फालो करना अर्थात् क्वेश्चन मार्क समाप्त होना वा श्रीमत पर चलना।
➳ _ ➳ तो सदा अपने भाग्य की प्राप्तियों को सामने रखो। सिर्फ बुद्धि में मर्ज नहीं रखो, इमर्ज करो। मर्ज रखने के संस्कार को बदलकर इमर्ज करो। अपनी प्राप्तियों की लिस्ट सदा बुद्धि में इमर्ज रखो। जब प्राप्तियों की लिस्ट इमर्ज होगी तो किसी भी प्रकार का विघ्न वार नहीं करेगा। वह मर्ज हो जायेगा और प्राप्तियों इमर्ज रूप में रहेंगी।
✺ ड्रिल :- "परमात्म पालना में सर्व प्राप्ति स्वरूप का अनुभव करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा मन और बुद्धि द्वारा कुम्भ के मेले में पहुँचती हूँ... मैं पाँच हज़ार वर्ष से अपने पिता से बिछड़ी हुई थी... दुःखी होने के कारण उदास थी... मैं आत्मा तरेसठ जन्मों से घोर अंधियारे में थी... तभी अचानक से सुगन्धित खुशबू महकने लगती है... मैं पीछे मुड़कर देखती हूँ तो अपने खोये हुए पिता को कमल पुष्प में पाती हूँ... बहुत सालों बाद अपने पिता को देख रही हूँ... बाबा को देखकर पाँच हज़ार वर्ष पुरानी स्मृतियाँ याद आ रही हैं...
➳ _ ➳ मेले में चमकते हुए जुगनू रूपी परमात्म प्यार और ठंडे शर्बत रूपी श्रीमत के मुफ्त स्टॉल्स लगे हुए है... जो जितना चाहे उतना ले सकता हैं... बाबा मुझे उन स्टॉल्स तक ले गये और मुझे ढ़ेर सारा जुगनू रूपी प्यार और रंग बिरंगे शर्बत रूपी श्रीमत मुफ़्त में दिला दिये... जैसे ही मैंने उन जुगनुओं को हाथ में लिया, उनमे से तेज़ चमकती हुई रोशनी मुझ आत्मा पर पड़ने लगी... उन ठंडे शर्बत रूपी श्रीमतों को पीने से मैं शीतल हो रही हूँ... मैं आत्मा बाबा की हर श्रीमत को आसानी से धारणा में ला रही हूँ... अब मैं क्या करूँ, कैसे चलूं के क्वेश्चन्स भूल चुकी हूँ...
➳ _ ➳ मेरे बाबा मुझपर सोने जैसे रंग का फुव्वारा न्यौछावर कर रहे हैं... मैं उसमे नहा रही हूँ... मुझ आत्मा से मैल रूपी देह भान निकल रहा हैं... जो अनेक आत्माओं से स्वार्थ का प्यार था वो भी छूट रहा हैं... मुझे बस बाबा ही दिखाई दे रहे हैं... मुझे बस अब यह ध्यान है कि मैं आत्मा हूँ और बाबा से मेरे सर्व संबंध हैं... वह मेरे पिता, सतगुरु, टीचर, माँ, भाई, बहन सब कुछ हैं...
➳ _ ➳ मैं एकदम हल्की होती जा रही हूँ... बाबा ने मुझपर दो पंख लगा दिए है... अब मैं जब चाहूं तब उड़ सकती हूँ... जब चाहूं बाबा की गोद मे बैठकर सारे क्वेश्चन मार्क को समाप्त कर सकती हूँ... मैं बिंदू, बाबा बिंदू, ड्रामा भी बिंदू, इन तीनों की नॉलेज को अब मैं सिर्फ बुद्धि में नहीं रखती बल्कि प्रैक्टिकल स्वरूप में लाती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा परमात्म पालना में सर्व प्राप्तियों का अनुभव कर रही हूँ... मैं अब जो भी साकार में कर्म करती हूँ तो सबसे पहले ब्रह्मा बाबा के कर्मो और उनके तीव्र पुरुषार्थ को सामने रखकर कर्म करती हूँ... निराकारी स्थिति में अशरीरी बनने में शिव बाबा को फॉलो करती हूँ... अब कोई भी विघ्न आता है तो मैं अपने भाग्य की प्राप्तियों को सामने रख इमर्ज करती हूँ... अब सारे विघ्न आसानी से हल हो जाते है...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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