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❍ 03 / 11 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ "तू मेरा.. मैं तेरा.." - यह स्वीकार किया ?
➢➢ पवित्रता का जन्म सिद्ध अधिकार प्राप्त किया ?
➢➢ स्वयं को श्रेष्ठ अमूल्य रतन समझा ?
➢➢ याद और सेवा का बैलेंस रखा ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ कोई भी कर्म करो, बोल बोलो वा संकल्प करो तो पहले चेक करो कि यह ब्रह्मा बाप समान है! ब्रह्मा बाप की विशेषता विशेष यही रही- जो सोचा वो किया, जो कहा वो किया। ऐसे फालो फादर। अपने स्वमान की स्मृति से, बाप के साथ की समर्थी से, दृढ़ता और निश्चय की शक्ति से श्रेष्ठ पोजीशन पर रह कर ओपोज़िशन को समाप्त कर देना।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं बाप का हाथ और साथ का अनुभव करने वाली भाग्यवान आत्मा हूँ"
〰✧ सदा बाप का हाथ और साथ है, ऐसा भाग्यवान समझते हो? जहाँ बाप का हाथ और साथ है, वहाँ सदा ही मौजों की जीवन होती है। मूँझने वाले नहीं होंगे, मौज में रहेंगे। कोई भी परिस्थिति अपने तरफ आकर्षित नहीं करेगी, सदा बाप की तरफ आकर्षित होंगे।
〰✧ सबसे बड़ा और सबसे बिढ़या बाप है, तो बाप के सिवाए और कोई चीज या व्यक्ति आकर्षित नहीं कर सकता। जो बाप के हाथ और साथ में पलने वाले हैं, उनका मन और कहीं जा नही सकता। तो ऐसे सभी हो या माया की पालना में चले जाते हो? वह रास्ता बन्द है ना।
〰✧ तो सदा बाप के साथ की मौज में रहो। बाप मिला सब कुछ मिला, कोई अप्राप्ति नहीं। कितना भी कोई हाथ, साथ छुडाये लेकिन छोड़ने वाले नहीं। और छोड़कर जायेंगे भी कहाँ? इससे बड़ा और कोई भाग्य हो नहीं सकता!
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ तो सेकण्ड में न्यारे हो सकते हो? कि टाइम लगेगा? जैसे शरीर में आना सहज लगता है, ऐसे शरीर से परे होना इतना ही सहज हो जाये। कोई भी पुराना स्वभाव-संस्कार अपनी तरफ आकर्षित नहीं करे और सेकण्ड में न्यारे हो जाओ।
〰✧ सारे दिन में, बीच-बीच में यह अभ्यास करो। ऐसे नहीं कि जिस समय याद में वैठो उस समय अशरीरी स्थिति का अनुभव करो। नहीं। चलते-फिरते, बीच-बीच में यह अभ्यास पक्का करो - ‘मैं हूँ ही आत्मा!
〰✧ तो आत्मा का स्वरूप ज्यादा याद होना चाहिए नाः सदा खुशी होती है ना! कम नहीं होनी चाहिए, बढ़नी चाहिए। इसका साधन बताया - मेरा बाबा! और कुछ भी भूल जाये लेकिन ‘मेरा बाबा' यह भूले नहीं। अच्छा (पार्टियों के साथ)
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ तो फ़रिश्तेपन की मुख्य विशेषता हुई कि वह सभी बातों में हल्के होंगे- संकल्पों में भी हल्के, वाणी में भी हल्के और कर्म करने में भी हल्के और सम्बन्ध में भी हल्के रहेंगे। इन चार बातों में हल्कापन है तो फ़रिश्ते की अवस्था है। अब देखना है- कहाँ तक इन ४ बातों में हल्कापन है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- वर्तमान ईश्वरीय जन्म- अमूल्य जन्म"
➳ _ ➳ हीरें तुल्य ये ब्राह्मण जन्म और माया के हर वार से बचाने वाला ये
प्रभु परिवार... सुखों की घनेरी छाया और संबंधो का ये सुखद सा संसार... लक्ष्य
हीन से जीवन को अब कोई लक्ष्य मिला है, घनघोर दुखों से तार तार बेरंग सी और
दागदार ये आत्मा चदरियाँ... मगर अब महका है रेशा रेशा और गुलाबों सा खिला है...
मुझ आत्मा रूपी चदरियाँ के हर दाग को बडी शिद्दत से एक एक कर निकाल रहा है
वो... बैठ कर मेरे सामने रेशे -रेशे में सद्गुणों के मोती पिरों रहा है वो....
❉ ऊँचे ते ऊँचे, मगर निरंहकारी बाप मुझ आत्मा से बोलें:- "पदमापदम भाग्यशाली
श्रेष्ठ आत्मा बच्ची... यह ईश्वरीय जन्म कल्प में केवल एक बार मिलता है...
देवताई जन्म से भी श्रेष्ठ इस अमूल्य जन्म में स्वयं बाप आत्मा को जन्मों
जन्मों की भटकन से छुडाने आये है... एक एक सेकेन्ड सालों के बराबर है यहाँ...
क्या आपने इस अमूल्य जन्म का महत्व यथार्थ समझा है... स्वाँस स्वाँस में अखुट
कमाई छोडकर कही मन व्यर्थ में तो नही उलझा है...?"
➳ _ ➳ इस अमूल्य जन्म की सर्वश्रेष्ठ सौगात दिव्य नेत्र धारी मैं आत्मा
ज्ञानसागर बाप से बोली:- "मीठे बाबा... प्रभु पालना में पल रही हूँ, हर पल
आपके रूपरंग में ढल रही हूँ, इस अमूल्य जन्म की प्राप्तियों से मैं काँटों में
भी अब गुलाबों सी खिल रही हूँ... छोटे से जीवन के ये थोडे से पल और हर पल को
सींचता आपका स्नेह, देखो... अब मुझे उडना आ गया है... दिशाहीन नही है अब मेरी
उडान... मुझे अपना परम लक्ष्य पा गया है..."
❉ उमंगों के पंख लगा जीवन का परम लक्ष्य देकर फरिश्ता बनाने वाले बाप मुझ
आत्मा से बोलें:- "मीठी बच्ची... जन्म जन्म बिना किसी लक्ष्य के ही दर दर
भटकते अपना नाम, रूप सब गवाँया है आपने... अब इस अन्तिम जन्म में खोया अस्तित्व
पाया है आपने... लक्ष्मी नारायण सा बनना है और और सम्पूर्ण फरिश्ता स्वरूप भी
पाना है ... बहुत संभाल करो इन ज्ञान रत्नों की... ये बहुत ही अनमोल खज़ाना
है..."
➳ _ ➳ सर्व सम्बन्धों का सुख एक बाप से लेने वाली मैं दिलतख्तनशीन आत्मा
करनकरावनहार बापदादा से बोली:- "मीठे बाबा... मेरी खातिर परमधाम छोडकर आपका
इस पतित दुनिया में आना, और जन्मों जन्मों की मैली हुई चादर को यूँ पावन
बनाना... दिल आभारी है आपका और रोम रोम गाता है शुकराना... आपको पाकर मै इस
अमूल्य जन्म और अपने पावन लक्ष्य को जान चुकी हूँ... हर पल ऊँचाईयों की ओर ले
जाती इन श्रीमत की पगडंडियों को पहचान चुकी हूँ..."
❉ अखंड सेवाधारी बाप मुझ आत्मा से बोले:- "मीठी बच्ची... कल्प कल्प का अब
अपना भाग्य बनाओं... अमूल्य जन्म का अमूल्य लक्ष्य हर आत्मा तक पहुँचाओं...
विषय विकारों के दल दल में धँसी रूहों की चादर को लक्ष्र्य रूपी सोप से अब उजला
बनाओं, जिसे ढूँढ रहे है वो मन्दिरों में तीर्थों पर... वो अब परमधाम से खुद
धरा पर आ चुके है... गंगा में नहाने से जन्मो जन्मों की मैल नही जायेगी... अब
ज्ञान गंगा से संसार की आत्माओं को स्नान कराओं"....
➳ _ ➳ बाप समान बनती जा रही मैं अखंड सेवाधारी आत्मा बापदादा से बोली: "मीठे
बाबा... संगम का ये धोबी घाट अब आत्मा रूपी वस्त्रों से भरपूर हो रहा है...
पावन रूहों की मणियों का मेला सा दिख रहा है चारों ओर... लग रहा है, मानों
संसार ही कोहिनूर हो गया है... देखों... फरिश्ते ही फरिश्ते घूम रहे है हर तरफ,
जमघट माया का बहुत ही दूर हो गया है... और बापदादा अपने वरदानी नजरों से मुझे
निहाल किये जा रहे है"...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- पवित्रता का जन्म सिद्ध अधिकार प्राप्त करना"
➳ _ ➳ सम्पूर्ण सृष्टि के रचयिता परमपिता परमात्मा शिव बाबा के फरमान पर चल
जैसे मम्मा, बाबा ने मनसा,वाचा, कर्मणा सम्पूर्ण पवित्रता को अपने जीवन में
धारण कर, अपने पवित्र योगी जीवन द्वारा, परमात्म कर्तव्य में मददगार बन, भगवान
के दिल रूपी तख्त पर राज किया ऐसे अपने भगवान बाप के दिलतख्त पर सदा विराजमान
रहने और मम्मा बाबा के गद्दी नशीन बनने के लिए मुझे भी अपने इस अंतिम जीवन में
पवित्रता की धारणा जरूर करनी है और ब्रह्माचारी बन ब्रह्मा बाप के आचरण को
फॉलो करते हुए, परमात्म कर्तव्य में सहयोगी अवश्य बनना है। यही दृढ़ प्रतिज्ञा
स्वयं से करके, अपने प्यारे शिव पिता को याद करते हुए, मम्मा, बाबा के सम्पूर्ण
स्वरूप को मैं जैसे ही स्मृति में लाती हूँ, पवित्रता के तेज से चमक रहा उनका
ओजस्वी चेहरा आँखों के सामने उभर आता है।
➳ _ ➳ मन बुद्धि के विमान पर बैठ मैं पहुँच जाती हूँ अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा
के पास उनकी कुटिया में। उनके ट्रांसलाइट के चित्र के सामने बैठ उनकी मनमोहिनी
सूरत को निहारते हुए मैं अनुभव करती हूँ जैसे ब्रह्मा बाबा और ममता की मूर्त
मम्मा साक्षात मेरे सामने आकर बैठ गए है। एक अलौकिक दिव्य आभा से दमकते उन
दोनों के चेहरे पवित्रता की अद्भुत शक्ति से चमक रहें हैं। ऐसा लग रहा है जैसे
प्यूरिटी की रॉयल्टी से चमक रहे उनके नैन अपने अन्दर अथाह प्रेम को समाकर केवल
मुझे निहार रहें हैं और अपना असीम स्नेह मुझ पर लुटा रहें हैं। उनके नयनों में
अपने लिए समाये असीम स्नेह को देख मैं आनन्द विभोर हो रही हूँ।
➳ _ ➳ पवित्रता को अपने जीवन में धारण कर, उनके समान बनने का संकल्प करते ही
मैं महसूस करती हूँ जैसे मम्मा बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख मुझे
"पवित्र भव" का वरदान देते हुए अपनी पवित्र दृष्टि से पवित्रता की शक्ति मेरे
अंदर भर रहें हैं। मम्मा बाबा से आ रही पवित्रता की शक्ति को स्वयं में धारण
करते हुए मैं अनुभव कर रही हूँ जैसे मैं पवित्रता का फरिश्ता बन रही हूँ और
मेरे अंग -अंग से पवित्रता की श्वेत किरणें निकल कर चारों ओर फैल रही है।
पवित्रता का एक शक्तिशाली आभामंडल मेरे आस - पास निर्मित हो गया है जो दैहिक
दुनिया के हर आकर्षण से मुझे मुक्त कर रहा है।
➳ _ ➳ जैसे - जैसे देह की दुनिया का आकर्षण समाप्त हो रहा है वैसे - वैसे मैं
फ़रिश्ता अपनी पवित्रता की श्वेत रश्मियाँ फैलाता हुआ ऊपर की ओर उड़ने लगा हूँ।
सारे विश्व में भ्रमण करता, दुनिया के खूबसूरत नज़ारो को देखता मैं फ़रिश्ता ऊपर
आकाश को पार कर उससे भी ऊपर उड़ते हुए अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के पास उनके
अव्यक्त वतन में प्रवेश करता हूँ। देख रहा हूँ अपने सामने सम्पूर्ण अव्यक्त
ब्रह्मा बाबा और मम्मा को जिनकी पवित्रता का प्रकाश पूरे वतन में फैला हुआ है।
पवित्रता की अनन्त शक्तिशाली किरणे दोनों के सम्पूर्ण स्वरूप से निकल कर मुझ
फरिश्ते तक पहुँच रही है।
➳ _ ➳ मम्मा बाबा से मिल रही पवित्रता की शक्ति, मुझे अपने जीवन में सम्पूर्ण
पवित्रता को धारण करने का जैसे बल प्रदान कर रही है। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा
अपनी बाहों को फैलाये मुझे अपने पास बुला रहें हैं। उनके समीप पहुँच कर, उनकी
बाहों में समाकर, उनसे असीम स्नेह और प्यार पाकर, अब मैं फ़रिश्ता उनके सामने
बैठ उनके वरदानी हस्तों से मिल रही पवित्रता की लाइट से स्वयं को शक्तिशाली
बनाते हुए पवित्रता की शक्ति अपने अन्दर भरकर, वापिस साकार लोक की ओर लौट रहा
हूँ। अपने पवित्र लाइट माइट सूक्ष्म स्वरूप के साथ अपने साकार तन में प्रवेश
कर, अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, अब मैं अपने इस ईश्वरीय जीवन को
सम्पूर्ण पवित्र योगी जीवन बनाने की ही तपस्या कर रही हूँ।
➳ _ ➳ मात पिता के गद्दी नशीन बनने के लिए, पवित्रता को अपने जीवन मे धारण कर,
कदम - कदम पर फॉलो मदर फादर करते हुए, उनके समान बनने का पुरुषार्थ अब मैं पूरी
लगन के साथ कर रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं सदा रूहानी स्थिति में रह दूसरों की भी रूह को देखने वाली रूहानी रूहे गुलाब हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं मर्यादा तोड़ कर किसी को सुख देकर दुख का खाता बढ़ाने के बजाय मर्यादा पूर्वक सुख देने वाली आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. मधुबन निवासी अर्थात् कर्म में मधुरता और वृत्ति में बेहद का वैराग्य।
➳ _ ➳ 2. तो मधुबन निवासी अर्थात् एकस्ट्रा गिफ्ट के अधिकारी। गिफ्ट है ना! कितने निश्चिंत हो। अपनी ड्युटी बजाई और मौज में रहे। मदोगरी करनी है, जिज्ञासुओं को सम्भालना है, इससे तो फ्री हैं ना!
➳ _ ➳ 3. मधुबन निवासियों को स्पेशल अटेन्शन रखना है कि हमें चारों ओर पावरफुल याद के वायब्रेशन फैलाने हैं क्योंकि आप ऊंचे-ते-ऊंचे स्थान पर बैठे हो। स्थान तो ऊंचा है ना! इससे ऊंचा तो कोई है नहीं। तो ऊंची टावर जो होती है, वह क्या करती है? सकाश देती है ना! लाइट माइट फैलाते हैं ना। तो कम से कम 4 घण्टे ऐसे समझो हम ऊंचे ते ऊंचे स्थान पर बैठ विश्व को लाइट और माइट दे रहा हूँ। यह तो आपको अच्छी तरह से अनुभव है कि मधुबन का वायब्रेशन चाहे कमजोरी का, चाहे पावर का - दोनों ही बहुत जल्दी फैलता है। अनुभव है ना! मधुबन में सुई भी गिरती है तो वह आवाज भी पहुंचता है क्योंकि मधुबन निवासियों की तरफ सबका अटेन्शन होता है। मधुबन वाले समझो विजय प्राप्त करने और कराने के निमित्त हैं। मधुबन की महिमा कितनी सुनते हो! मधुबन के गीत भी गाते हो ना। तो मधुबन के दीवारों की महिमा है या मधुबन निवासियों की महिमा है! किसकी महिमा है? आप सबकी। तो ऐसे अपनी जिम्मेवारी समझो। सिर्फ अपना काम किया, ड्युटी पूरी की यह जिम्मेवारी नहीं। मधुबन का वायुमण्डल चारों ओर वायुमण्डल बनाता है।
➳ _ ➳ 4. बापदादा तो मधुबन निवासियों को सदा नयनों के सामने देखते हैं। नूरे रत्न देखते हैं। मधुबन निवासी बनना कोई छोटी सी बात नहीं है। मधुबन निवासी बनना अर्थात् अनेक गिफ्ट के अधिकारी बनना। देखो, स्थूल गिफ्ट भी मधुबन में बहुत मिलती है ना! और कितना स्वमान मिलता है। अगर मधुबन वाला कहाँ भी जाता है तो किस नजर से सभी देखते हैं? मधुबन वाला आया है। तो इतना अपना स्वमान सदा इमर्ज रखो। मर्ज नहीं, इमर्ज।
✺ ड्रिल :- "अपने लौकिक स्थान पर या सेवाकेंद्र पर रहते हुए भी स्वयं को मधुबन निवासी अनुभव करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा मधुबन की पावन धरती पर बिताए हुए अपने अनमोल क्षणों को याद कर रही हूँ... इस स्मृति से स्वयं में स्फूर्ति, उमंग, ईश्वरीय स्नेह का पारावार महसूस कर रही हूँ... जिस धरनी पर स्वयं भगवान आते हैं, घण्टों बच्चों को दृष्टि देते हैं, उनसे प्यार भरी बातें करते हैं... वहां के वायब्रेशन कितने शक्तिशाली हैं... यहां के चार धाम की मन-बुद्धि से यात्रा करते करते... मैं स्वयं को अति इंद्रिय सुख के झरने के नीचे अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ जिस प्रकार सागर के पास जाते ही शीतलता, अग्नि के पास जाते ही ऊष्णता का अनुभव स्वतः ही होता है... ठीक इसी प्रकार मधुबन की स्मृति मात्र से ही... मन उमंगो में नाचने लगता है... मधुबन का हर जर्रा दास्तां गाता है उस महान युग पुरुष की... जिसे स्वयं भाग्य विधाता ने अपना रथ चुना, साकार बाबा और मम्मा की कर्मभूमि... वरदान भूमि... तपस्या भूमि... यहां कदम रखते ही मन शिव पिया के प्यार में खो जाता है...
➳ _ ➳ जहां अपनी याद में बैठे लाडले बच्चों से रोज अमृतवेले... बाबा मिलन मनाने आते हैं, जहां बाबा की याद में पवित्र भोजन बनता है... और वह पवित्र भोजन बड़े प्यार से बाबा को स्वीकार कराया जाता है... जहाँ पवित्र प्रवृति धर्म का पालन किया जाता है... वह स्थान चाहे लौकिक घर हो या सेवाकेंद्र... वह बाबा का यज्ञ ही है... और मैं आत्मा मधुबन निवासी की श्रेष्ठ स्थिति में स्थित हो सेवा कर रही हूँ... मुझ आत्मा के हर कर्म में दिव्यता है... मधुरता है... साथ ही बेहद की वैराग्य वृत्ति भी समाई हुई है... हर तरह के लगाव, झुकाव, आसक्तियों से मैं आत्मा परे हूँ... सर्व चिंताओं, बोझ से निश्चिंत हूँ... बेफिकर बादशाह हूँ... ईश्वरीय सेवा करके मैं आत्मा सदा मौज में, आनंद में रहती हूँ... जिज्ञासु आत्माओं को बाबा का परिचय देकर उनको मुक्ति और जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाने के निमित बन रही हूँ...
➳ _ ➳ मधुबन की पावन धरनी ऊंचे ते ऊंची तपस्या की, वरदानों की भूमि है... जैसे लाइट हाउस ऊंची स्थान पर होता है और चारों ओर प्रकाश फैलाता है, सबको रास्ता बताता है... इसी प्रकार मैं आत्मा ऊंची मधुबन की धरनी पर बैठ सारे विश्व में शक्तियों की, पवित्रता की... लाइट और माइट फैला रही हूँ... इस ऊंची धरनी पर स्थित होने से मेरे हर संकल्प का वायब्रेशन सारे विश्व में फैल रहा है... यह अटेंशन रखती हुई मैं आत्मा बाबा की शक्तिशाली याद में स्थित हो पावरफुल तरंगें... समूचे वायुमंडल में फैला रही हूँ... मुझ आत्मा के हर संकल्प को सारी कायनात ग्रहण करती है... यह जिम्मेवारी समझकर मैं आत्मा स्वयं पर अटेंशन रूपी पहरा लगाती हूँ... और शक्तिशाली, पवित्र किरणों की सकाश विश्व की सर्व आत्माओं को दे रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं श्रेष्ठ आत्मा बाबा के नयनों में समाई हुई हूँ... उनके स्नेह की अधिकारी आत्मा हूँ... मैं बाबा की नूरे रत्न हूँ... इतना श्रेष्ट भाग्य है मुझ भाग्यवान आत्मा का... ईश्वरीय वरदानों से मैं आत्मा संपन्न बनती जा रही हूँ... कितने ऊंचे टाइटल्स, कितने श्रेष्ठ स्वमान मीठे बाबा मुझे दे रहे हैं... मैं आत्मा मधुबन निवासी हूँ... हर समय अपने इस श्रेष्ठ स्वमान की स्मृति में ही रहती हूँ... अपने लौकिक स्थान या सेवाकेंद्र पर रहते हुए भी... मधुबन निवासी के अपने श्रेष्ठ भाग्य की स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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