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 12 / 12 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ युद्ध के मैदान में माया से डरे तो नहीं ?

 

➢➢ ज्ञान अमृत का प्याला रोज़ पीया ?

 

➢➢ शांति की शक्ति के साधनों द्वारा विश्व को शांत बनाया ?

 

➢➢ निर्विघन रह आत्माओं को निर्विघन बना सच्ची सेवा का सबूत दिया ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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〰✧  जैसे अन्य आत्माओ को सेवा की भावना से देखते हो, बोलते हो, वैसे निमित्त बने हुए लौकिक परिवार की आत्माओं को भी उसी प्रमाण चलाते रहो। लौकिक में अलौकिक स्मृति, सदा सेवाधारी की, ट्रस्टीपन की स्मृति, सर्व प्रति आत्मिक भाव से शुभ कल्याण की, श्रेष्ठ बनाने की शुभ भावना रखो। हद में नहीं आओ।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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✺   "मैं अतिन्द्रिय सुख के झूले में झुलने वाली आत्मा हूँ"

 

✧   सदा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहते हो? बापदादा के सिकीलधे बच्चे हो। तो सिकीलधे बच्चों को माँ बाप सदा ऐसे स्थान पर बिठाते हैं, जहाँ कोई भी तकलीफ न हो। बाप-दादा ने आप सिकीलधे बच्चों को कौन सा स्थान बैठने के लिए दिया है? दिलतख्त। कितना बड़ा है। इस तख्त पर बैठकर जो चाहो वह कर सकते हो, तो सदा तख्तनशीन रहो। नीचे नहीं आओ।

 

✧  जैसे फारेन में जहाँ-तहाँ गलीचे लगा देते हैं कि मिट्टी न लगे। बापदादा भी कहते हैं देहभान की मिट्टी में मैले न हो जाए इसलिए सदा दिल तख्तनशीन रहो। जो अभी तख्तनशीन होंगे वही भविष्य में भी तख्तनशीन बनेंगे। तो चेक करो कि सदा तख्तनशीन रहते हैं या तरते चढ़ते हैं?

 

  तख्त पर बैठने के अधिकारी भी कौन बनते? जो सदा डबल लाइट रूप में रहते हैं। अगर जरा भी भारीपन आया तो तख्त से नीचे आ जायेंगें। तख्त से नीचे आये तो माया से सामना करना पड़ेगा। तख्तनशीन हैं तो माया नमस्कार करेगी। बापदादा द्वारा बुद्धि के लिए जो रोज शक्तिशाली भोजन मिलता है। उसे हजम करते रहो तो कभी भी कमजोरी आ नहीं सकती। माया का वार हो नहीं सकता।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  सभी को फील हो कि बस हमको भी अभी वैराग्य वृति में जाना है। अच्छा समझा क्या करना है? सहज है या मुश्किल है? थोडा-थोडा आकर्षण तो होगी या नहीं? साधन अपने तरफ नहीं खींचेंगे? अभी अभ्यास चाहिए - जब चाहे, जहाँ चाहे, जैसा चाहिए - वहाँ स्थिति को सेकण्ड में सेट कर सके।

 

✧  सेवा में आना है तो सेवा में आये। सेवा से न्यारे हो जाना है तो न्यारे हो जाएँ। ऐसे नहीं, सेवा हमको खींचे। सेवा के बिना रह नहीं सके। जब चाहें, जैसे चाहें, विल पॉवर चाहिए। विल पॉवर है? स्टॉप तो स्टॉप हो जाए।

 

✧  ऐसे नहीं लगाओ स्टॉप और हो जाए क्वेचन मार्क। फुलस्टॉप स्टॉप भी नहीं फुलस्टॉप जो चाहे वह प्रैक्टिकल में कर सकें। चाहते हैं लेकिन होना मुश्किल है तो इसको क्या कहेंगे? विल पॉवर है कि पॉवर है? संकल्प किया - व्यर्थ समाप्त, तो सकण्ड में समाप्त हो जाए।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧  जैसे बाप चारों ओर चक्कर लगाते हैं वैसे आप भी भक्तों के चारों ओर चक्कर लगाती हो? कभी सैर करने जाती हो? आवाज़ सुनने में आती है, तो कशिश नहीं होती है? बाप के साथ-साथ शक्तियों को भी पार्ट बजाना है। जैसे शक्तियों का गायन है कि अन्त:वाहक शरीर द्वारा चक्कर लगाती थीं, वैसे बाप भी अव्यक्त रूप में चक्कर लगाते हैं। अन्त:वाहक अर्थात् अव्यक्त फ़रिश्ते रूप में सैर करना। यह भी प्रैक्टिस चाहिए और यह अनुभव होंगे।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- बाप की याद में रह सदा हर्षितमुख रहना"

➳ _ ➳ मीठे बाबा के कमरे में बेठी हुई मै आत्मा... आत्म चिंतन में खोयी अपने गुणो और खुशियो से सजे जीवन के बारे में सोचती हुई... मुझे ऐसा सुंदर सजाने वाले मीठे बाबा की ओर निहारती हूँ... प्यारे बाबा ने अपनी सर्व शक्तियो और बेपनाह मुहोब्बत से सींचकर मुझ पर अपना सब कुछ लुटा दिया है... और रूहानियत से भरकर, मुझे कितना सुगन्धित कर दिया है... ऐसे प्यारे पिता को पाकर मै आत्मा... बलिहार हो गयी हूँ... और अपने मीठे भाग्य का गुणगान कर रही हूँ... दिल से ईश्वर पिता का धन्यवाद कर रही हूँ...

❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान की अमूल्य मणियो से सजाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता ने जो अमूल्य शिक्षाओ से संवारा है... ज्ञान रत्नों की अमीरी से भरपूर किया है...उस अमीरी की मुस्कान को पूरे जग में बिखेरो.. श्रीमत की धारणा कर, गुणवान फूल बनकर मुस्कराओ.. मूल्यों की दौलत से सज संवर कर,ईश्वरीय प्यार में ख़ुशी से खिल जाओ..."

➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की शिक्षाओ को पाकर खुशनुमा फूल बनकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार के साये तले पलकर, कितनी प्यारी और दिव्य हो गयी हूँ... गुणो और शक्तियो से भरपूर होकर, अपने खोये वजूद को पुनः पा ली हूँ... ईश्वरीय शिक्षाओ को पाकर गुणो से महकता रूहानी गुलाब हो गयी हूँ..."

❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान मोतियो से सजाकर होलिहंस बनाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे...मीठे बाबा ने आकर जो ईश्वरीय मत दी है उस मत पर चलकर, अथाह सुखो के मालिक बनकर, विश्व धरा पर मुस्कराओ... ज्ञान को जीवन में धारण कर, जीवन सच्ची खुशियो का पर्याय बनाओ... जनमो के दुखो को भूल, ईश्वरीय प्यार में सदा खिलखिलाते हसंते मुस्कराते रहो..."

➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में खुशियो संग खिलते हुए कहती हूँ :- "मेरे सच्चे साथी बाबा... आपने मेरा जीवन ज्ञान रत्नों से सजाकर, कितना दिव्य और पावन कर दिया है... आपकी श्रीमत के हाथो में मै आत्मा... अपने खोये मूल्यों को पाकर पुनः मालामाल हो रही हूँ... सदा हर्षित रहकर देवताई मुस्कान से सज रही हूँ..."

❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी प्यार भरी बाँहों में भरकर देवत्व से सजाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... देह के भान में आकर अपने सत्य स्वरूप को ही भूल गए हो... अब अनमोल ज्ञान रत्नों में गहरे खोकर, खोयी चमक को फिर से पाकर, सदा के लिए नूरानी बन जाओ... सदा की मुस्कराहट से निखर कर, अपने सुंदर देवताई स्वरूप में खो जाओ..."

➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के असीम प्यार में गहरे खोकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपके प्यार भरी छत्रछाया में सुख शांति प्रेम से भरा दिव्य जीवन पा रही हूँ... सदा खुशियो की बहारो में झूम रही हूँ... और वरदानी संगम पर देवताई पावनता से भरती जा रही हूँ...सदा की खुशियो की अधिकारी हो गयी हूँ..."मीठे बाबा को अपने दिल की बात सुनाकर मै आत्मा... इस धरा पर लौट आयी...

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- मुरली रोज पढ़नी है"

➳ _ ➳ अपने शिव प्रीतम की प्रेम भरी पाति को जो मुझे हर रोज मुरली के माध्यम से प्राप्त होती है। जिसमे लिखे एक - एक शब्द में मेरे शिव प्रीतम का मेरे प्रति अथाह प्रेम समाया होता है, उस प्रेम भरी पाति को पढ़ कर मैं आत्मा सजनी अपने शिव प्रीतम के प्रेम की गहराई में डूबती जा रही हूँ। मुरली के एक - एक शब्द में अपने प्यारे मीठे बाबा की मीठी याद को मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। बाबा की मीठी याद प्रेम की मीठी मीठी फुहारों के रूप में मुझे अपने ऊपर बरसती हुई महसूस हो रही है जो मुझे एक बहुत ही न्यारी और प्यारी अवस्था की अनुभूति करवा रही है। यह न्यारी और प्यारी अवस्था मुझे देह और देह की दुनिया के हर लगाव से मुक्त कर रही है।

➳ _ ➳ देह और देह की दुनिया के आकर्षण से मुक्त, अशरीरी स्थिति में मैं स्थित होती जा रही हूँ। इस स्थिति में स्थित होते ही मेरे शिव पिता परमात्मा का प्रेम चुम्बक की तरह मुझे अपनी ओर खींच रहा है। अपने शिव प्रीतम के प्रेम की लग्न में मग्न हो कर मैं आत्मा सजनी विदेही बन, अपनी इस नश्वर देह का परित्याग कर चल पड़ी उनसे मिलने उनके ही धाम, परमधाम की ओर। परमधाम से अपने ऊपर पड़ रही अपने शिव प्रीतम के प्रेम की मीठी - मीठी फुहारों का आनन्द लेती हुई मैं साकार लोक और सूक्ष्म लोक को पार करके, अब पहुंच गई अपने शिव परम पिता परमात्मा के पास उनके निराकारी लोक में।

➳ _ ➳ अब मैं स्वयं को आत्माओ की एक ऐसी निराकारी दुनिया मे देख रही हूँ जहां देह और देह की दुनिया का संकल्प मात्र भी नही। हर तरफ चमकते हुए सितारे दिखाई दे रहें हैं और उन सभी चमकते सितारों के बीच मे एक चमकता हुआ ज्योतिपुंज अपनी सर्वशक्तियों से पूरे परमधाम को प्रकाशित करता हुआ दिखाई दे रहा हैं। उस ज्योतिपुंज शिव परम पिता परमात्मा से निकलने वाली अनन्त किरणों का प्रकाश आत्मा को तृप्त कर रहा है। उस प्रकाश में सातों गुण और अष्ट शक्तियों का समावेश है जो शक्तिशाली वायब्रेशन के रूप में पूरे परमधाम में फैल रहा है। ये शक्तिशाली वायब्रेशन आत्मा को उसके ओरिजनल स्वरूप के स्थित करके उसे गहन सुख, शांति की अनुभूति करवा रहें हैं।

➳ _ ➳ अपने शिव प्रीतम के सानिध्य में बैठ, उनके प्रेम से, उनके गुणों और उनकी शक्तियों से स्वयं को भरपूर करके अब मैं आत्माओं की निराकारी दुनिया से नीचे आकर, फ़रिशतो की आकारी दुनिया मे प्रवेश कर रही हूँ। अपने शिव प्रीतम की प्रेम भरी पाति को उनके ही मुख कमल से सुनने के लिए अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर पहुंच जाती हूँ उनके सम्मुख। मेरे बिल्कुल सामने मेरे प्रीतम शिव बाबा अपने अव्यक्त आकारी रथ ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान है। ब्रह्मा मुख कमल से मेरे शिव साजन मीठे मधुर महावाक्य उच्चारण करते हुए, मुझ आत्मा सजनी से मीठी रूह - रिहान करते हुए अपनी प्रेम भरी दृष्टि से मुझे निहार रहें हैं।

➳ _ ➳ अपनी मीठी मधुर दृष्टि से मुझे भरपूर करके अब मेरे शिव प्रीतम ब्रह्मा मुख कमल द्वारा उच्चारित प्रेम भरे मधुर महावाक्यों को मुरली के रूप में मुझे भेंट कर अपने धाम लौट रहे हैं। मैं आत्मा अपने प्यारे शिव परम पिता परमात्मा की उस प्रेम भरी पाति को अपने साथ लिए अब वापिस अपनी साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ। अपने निराकार स्वरूप में अब मैं आत्मा अपने साकारी तन में प्रवेश कर रही हूँ और फिर से अपने अकाल तख्त पर आकर विराजमान हो गई हूँ।

➳ _ ➳ अपने शिव प्रीतम की प्रेम भरी पाति को अब हर रोज मुरली के माध्यम से पढ़ कर, स्वयं को उनके प्रेम से भरपूर कर मैं आनन्द विभोर हो जाती हूँ। मुरली में लिखे मेरे शिव प्रीतम के मधुर महावाक्य मुझे माया के हर तूफान से लड़ने का बल देते हैं। अपने शिव प्रीतम के प्रेम पत्र मुरली को अपने दिल से लगाये, उनके प्रेम में खोई मैं हर बात से जैसे उपराम हो गई हूँ और इसी उपराम स्थिति ने मुझे मायाजीत बना दिया है।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं शांति की शक्ति स्वरूप आत्मा हूँ।
✺   मैं विश्व को शांत बनाने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं रूहानी शस्त्रधारी आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ मैं आत्मा सदा निर्विघ्न रहती हूँ ।
✺ मैं आत्मा सर्व को निर्विघ्न बनाती हूँ ।
✺ मैं आत्मा सच्ची सेवा का सबूत देती हूँ ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  ऐसा कभी भी नहीं सुना होगा कि बाप का जन्म-दिन भी वही और बच्चों का भी जन्म-दिवस वही। यह न्यारा और प्यारा अलौकिक हीरे तुल्य जन्म आज आप मना रहे हो। साथ-साथ सभी को यह भी न्यारा और प्यारा-पन स्मृति में है कि यह अलौकिक जन्म ऐसा विचित्र है जो स्वयं भगवान बाप बच्चों का मना रहे हैं। परम आत्मा बच्चों काश्रेष्ठ आत्माओं का जन्म-दिवस मना रहे हैं। दुनिया में कहने मात्र कई लोग कहते हैं कि हमको पैदा करने वाला भगवान हैपरम-आत्मा है। परन्तु न जानते हैंन उसी स्मृति में चलते हैं। आप सभी अनुभव से कहते हो - हम परमात्म-वंशी हैंब्रह्मा-वंशी हैं। परम आत्मा हमारा जन्म-दिवस मनाते हैं। हम परमात्मा का जन्म-दिवस मनाते हैं। 

 

✺   ड्रिल :-  "परमात्मा द्वारा अपना अलौकिक जन्म दिवस मनाने का अनुभव"

 

 _ ➳  वाह मैं पद्मापदम भाग्यशाली आत्मा... जो स्वयं भाग्य विधाता परमात्मा... मेरा जन्‍म-दिवस मनाते हैं... ऐसा भाग्‍य मुझ आत्मा को सिर्फ... संगमयुग पर ही प्राप्त होता है... इस संगम युग पर बाबा अकेले नहीं आते हैं... बच्चों के साथ ही आते हैं... क्यूँकि बाबा इस संगम युग पर... यज्ञ रचते हैं... और यज्ञ में ब्राह्मण आहूति डालते हैं... और हम बच्चें वही कल्प वाले ब्राह्मण है... वाह मैं आत्मा अपना अलौकिक जन्म-दिवस... स्वयं परमात्मा के साथ मना रही हूँ... यह जयंती सब जयंतियों से वंडरफुल है... सारे कल्प में... यही एक जयंती है... जो बाप और बच्चों का साथ में जन्म होता है... इसलिए इस जयंती को हीरे तुल्य कहा गया है...

 

 _ ➳  मुझ आत्मा के इस अलौकिक जन्म-दिवस पर... परमात्मा मुझ आत्मा को मुबारक देते हैं... और मैं आत्मा अपने परमपिता को मुबारक देती हूँ... बाबा ने कहा है... बच्चे साथ रहेंगे... साथ उड़ेंगे... साथ आएंगे और... ब्रह्मा बाप के साथ राज्य करेंगे... साथ रहने का वादा है... मैं आत्मा भी कहती हूँ... जहां बाप वहाँ साथ - साथ रहूँगी... यह है मुझ आत्मा का बाप से वादा... और बाप का मुझ आत्मा से वादा... शरीर द्वारा कही भी रहूँ... लेकिन दिल में सदा दिलाराम बाप साथ है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा सदा बाबा के साथ-साथ ही रहती हूँ... अकेले कभी नहीं रहती हूँ... क्योंकि अकेले रहने से माया अपना चांस ले लेगी... और साथ रहने से लाइट - हाउस के आगे माया स्वतः ही भाग जाती है... मुझ आत्मा के नजदीक भी नहीं आती है... इसीलिए मैं आत्मा सदा बाबा के साथ रहने का वादा निभा रही हूँ... और बाबा भी सदा मेरे साथ रहकर अपना वादा निभा रहे हैं...

 

 _ ➳  ऐसा कभी भी किसी ने भी नहीं सुना होगा कि... बाप का जन्म-दिन भी वही... और बच्चों का भी जन्म-दिवस वही... यह न्यारा और प्यारा अलौकिक हीरे तुल्य जन्म आज हम बच्चे मना रहे है... मुझ आत्मा को... यह जन्‍म-दिवस न्यारा... और प्यारा-पन अनुभव करा रहा है... यह अलौकिक जन्म ऐसा विचित्र है... जो स्वयं भगवान बाप... बच्चों का मना रहे हैं... परम आत्मा बच्चों का...  श्रेष्ठ आत्माओं का जन्म-दिवस मना रहे हैं... दुनिया में सभी आत्माएँ... कहने मात्र कहती हैं कि... हमको पैदा करने वाला भगवान है... परम-आत्मा है... परन्तु न उनको जानते हैं... न उनकी स्मृति में चलते हैं... हम सभी बाप के बच्चें... अनुभव से कहते है - हम परमात्म-वंशी हैं... ब्रह्मा-वंशी हैं... परम आत्मा हमारा जन्म-दिवस मनाते हैं... हम परमात्मा का जन्म-दिवस मनाते हैं...

 

 _ ➳  आज मैं आत्मा अपना जन्म-दिवस... और परमात्मा बाप का जन्म-दिवस साथ-साथ मना रही हूँ... मैं बाप का बर्थडे मना रही हूँ... और बाप मुझ आत्मा का बर्थडे मना रहे हैं... मैं आत्मा बाप को मुबारक देती हूँ... वाह बाबा वाह... और बाप मुझ आत्मा को मुबारक देते हैं... वाह बच्चे वाह... आज इस अलौकिक और अनोखे... बाप और बच्चों के जन्म दिवस पर... मैं आत्मा बाप के सामने... यह संकल्प लेती हूँ कि... सदा एक दो को उमंग - उत्साह दिलाते हुए... सहयोगी बनूँगी... अपने व्यर्थ संकल्पों के अक के फूल बाप को अर्पण करती हूँ... अब मैं आत्मा व्यर्थ संकल्प न करती हूँ... न सुनती हूँ... और न संग में आकर... व्यर्थ संकल्पों के संग का रंग लगाती हूँ... क्योंकि जहाँ व्यर्थ संकल्प होगा... वहाँ याद का संकल्प... ज्ञान के मधुर बोल... जिसको मुरली कहते हैं... वह शुध्द संकल्प स्मृति में नहीं रहेंगे...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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