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 23 / 01 / 18  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *खुदाई खिदमतगार बन स्वर्ग की स्थापना में मदद की ?*

 

➢➢ *देह भान को देहि अभिमानी स्थिति में परिवर्तित किया ?*

 

➢➢ *मजबूत संकल्प रुपी पाँव से काले बादलों जैसी बातों को भी परिवर्तित किया ?*

 

➢➢ *ब्रह्मा बाप समान सदा अग्नि स्वरुप शक्तिशाली याद की स्थिति में रहे ?*

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*अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *बुद्धि को एकाग्र करने के लिए मनमनाभव के मंत्र को सदा स्मृति में रखो।* मनमनाभव के मंत्र की प्रैक्टिकल धारणा से पहला नम्बर आ सकते हो। मन की एकाग्रता अर्थात् एक की याद में रहना, *एकाग्र होना यही एकान्त है।* अभी अपने को एकान्तवासी बनाओ अर्थात् सर्व आकर्षणों के वायब्रेशन से अन्तर्मुख बनो। अब यही अभ्यास काम में आयेगा।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं अल्लाह के बगीचे का रूहानी गुलाब हूँ"*

 

   सदा अपने को बापदादा के अर्थात् अल्लाह के बगीचे के फूल समझकर चलते हो? सदा अपने आप से पूछो कि मैं रूहानी गुलाब बन सदा रूहानी खुशबू फैलाता हूँ? *जैसे गुलाब की खुशबू सबको मीठी लगती है, चारों ओर फैल जाती है, तो वह है स्थूल, विनाशी चीज और आप सब अविनाशी सच्चे गुलाब हो।*

 

  तो सदा अविनाशी रूहानियत की खुशबू फैलाते रहते हो? *सदा इसी स्वमान में रहो कि हम अल्लाह के बगीचे के पुष्प बन गये - इससे बड़ा स्वमान और कोई हो नहीं सकता। 'वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य' - यही गीत गाते रहो।*

 

  भोलानाथ से सौदा कर लिया तो चतुर हो गये ना! किसको अपना बनाया है? किससे सौदा किया है? कितना बड़ा सौदा किया है? *तीनों लोक ही सौदे में ले लिए। आज की दुनिया में सबसे बड़े ते बड़ा कोई भी धनवान हो लेकिन इतना बड़ा सौदा कोई नहीं कर सकता, इतनी महान आत्मायें हो - इस महानता को स्मृति में रखकर चलते चलो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  एक-दो कर्मेन्द्रियाँ थोडा नाज-नखडा तो नहीं दिखाती? *आपका राज्य लाँ और ऑर्डर के बजाए लव ऑर लाँ में यथार्थ रीति से चल रहा है?* क्या समझते हैं? चल रहे हैं या थोडी आनाकानी करते हैं? जब कहते ही हो मेरा हाथ, मेरे संस्कार, मेरी बुद्धि, मेरा मन, तो मेरे के ऊपर मैं का अधिकार है?

 

✧   कि कब मेरा अधिकारी बन जाता, कब मैं अधिकारी बन जाती? *समय प्रमाण हे स्वराज्य अधिकारी, अभी सदा और सहज अकाल तख्तनशीन बनो।* तब ही अन्य आत्माओं को बाप द्वारा जीवनमुक्ति और मुक्ति का अधिकार तीव्र गति से दिला सकेंगे।

 

✧   *समय की पुकार अब तीव्र गति और बेहद की है। छोटी-सी रिहर्सल देखी, सुनी।। (कच्छ का भूकंप) एक ही साथ बेहद का नक्शा देखा ना!* चिल्लाना भी बेहद, मरना भी बेहद, मरने वालों के साथसाथ जीने वाले भी अपने जीवन में परेशानी से मर रहे हैं। ऐसे समय पर आप स्वराज्य अधिकारी आत्माओं का क्या कार्य है?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *याद की यात्रा तो एक साधन है। लेकिन वह भी किसलिए कराते हैं? पहले अपने को क्या फ़ालो करना पड़ेगा?* याद की यात्रा भी किसलिए सिखाई जाती है? *गुरु रूप से मुख्य फ़ालो यही करना है - अशरीरी, निराकारी, न्यारा बनना।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  सदा इसी नशे में रहना कि भगवान हमको पढ़ाते हैं"*

 

_ ➳  मीठे बाबा को पाकर मुझ आत्मा का जीवन कितना प्यारा और खुशनुमा हो गया है... *सदा भगवान को पुकारता मेरा मन... आज उसकी मीठी यादो में, बातो में, ज्ञान रत्नों की बहारो में खिल रहा है.*.. भाग्य की यह जादूगरी देख देख मै आत्मा रोमांचित हूँ... प्यारे बाबा को दिल से पुकारती भर हूँ... कि भगवान पलक झपकते सम्मुख हाजिर हो जाता है... कितना शानदार भाग्य है कि भगवान मेरी बाँहों में है... इसी मीठे चिंतन में खोई हुई मै आत्मा... अपने प्यारे बाबा से मिलने... मीठे बाबा के कमरे की ओर रुख करती हूँ...

 

   *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को मेरे ज्ञान धन की अमीरी का नशा दिलाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *ईश्वर पिता ही शिक्षक बनकर, जीवन को सवांरने और देवता पद दिलाने आ गया है.*.. अपने इस मीठे भाग्य का, ईश्वरीय ज्ञान का, सदा सिमरन कर आनन्द में रहो... कितना ऊँचा भाग्य सज रहा है... भगवान बेठ निखार रहा है... सजा और संवार रहा है...

 

_ ➳  *मै आत्मा प्यारे बाबा के ज्ञान अमृत को पीती हुई कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा... *आपकी प्यार भरी गोद में बैठकर मै आत्मा मा नॉलेजफुल बन रही हूँ..*. स्वयं को भी भूली हुई कभी मै आत्मा... आज बेहद की जानकारी से भरपूर हो गयी हूँ... यह सारा जादु आपने किया है मीठे बाबा... मुझे क्या से क्या बना दिया है..."

 

   *मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपने प्यार के नशे में भिगोते हुए कहते है :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सदा ज्ञान रत्नों की झनकार में खोये रहो... मीठे बाबा की अमूल्य शिक्षाओ का स्वरूप बनकर विश्व को प्रकाशित करो... *ईश्वर पिता पढ़ाकर भाग्य को खुशियो का पर्याय बनाने आ गया है... इन मीठी खुशियो से सदा छलकते रहो..*."

 

_ ➳  *मै आत्मा मीठे बाबा की ज्ञान मणियो को दिल में आत्मसात करते हुए कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... आपने जीवन में आकर जीवन को सोने सा दमकता हुआ बना दिया है... *सच्चे ज्ञान के घुंघुरू पहनकर मै आत्मा... पूरे विश्व में खुशियो की थाप दे रही हूँ..*. कि भगवान को पाकर मैंने सारा जहान पा लिया है..."

 

   *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने ज्ञान खजानो से सम्पन्न बनाते हुए कहा :-* "मीठे सिकीलधे बच्चे...  *सदा ईश्वरीय ज्ञान की मौजो में डूबे रहो... जितना इन रत्नों को स्वयं में समाओगे, उतना ही सुखो में मुस्कराओगे.*.. ईश्वर पिता से पढ़कर त्रिकालदर्शी बन रहे हो यह कितने श्रेष्ठ भाग्य की निशानी है...

 

_ ➳  *मै आत्मा आनंद के सागर में खोकर प्यारे बाबा से कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा मेरे... *आपने सत्य ज्ञान से मुझ आत्मा को सदा का नूरानी बनाया है..*. अंधेरो से निकाल कर ज्ञान की उजली राहों पर चलाया है... मै आत्मा आपको पाने के अपने मीठे भाग्य पर बलिहार हूँ... आपने कितना सुंदर मेरा भाग्य सजाया है..." मीठे बाबा से अपने दिल की सारी बाते कह मै आत्मा साकार जगत में आ गयी...

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- खुदाई खिदमतगार बन स्वर्ग की स्थापना में बाप की मदद करनी है*"

 

_ ➳  अपने खुदा दोस्त के साथ विश्व की सैर करने का ख्याल मन मे आते ही मैं अशरीरी हो निराकार ज्योति बिंदु आत्मा बन अपने निराकार खुदा दोस्त की याद में बैठ उनका आह्वान करती हूँ। *मेरे बुलाते ही मेरे खुदा दोस्त अपनी निराकारी दुनिया परमधाम को छोड़, फरिश्तों की दुनिया सूक्ष्म लोक में पहुंच कर, अपने निर्धारित रथ अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो कर मेरे सामने उपस्थित हो जाते हैं* और आ कर अपना हाथ जैसे ही मेरे मस्तक पर रखते हैं उनकी लाइट माइट से मेरा साकारी शरीर जैसे एक दम सुन्न हो जाता है और उस साकारी शरीर मे से अति सूक्ष्म लाइट का फ़रिशता स्वरूप बाहर निकल आता है।

 

_ ➳  अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण किये अब मैं फ़रिशता अपने खुदा दोस्त के साथ चल पड़ता हूँ विश्व भ्रमण को। अपने मन की बातें अपने दिलाराम दोस्त के साथ करते करते, प्रकृति के खूबसूरत नजारो का आनन्द लेते लेते मैं सारे विश्व का चक्कर लगा रहा हूँ। *प्रकृति के सुंदर नजारों का आनन्द लेने के साथ साथ विश्व मे हो रही दुखदायी घटनाओं को भी मैं देख रहा हूँ*। कहीं प्रकृतीक आपदाओं के कारण होने वाली तबाही, कहीं अकाले मृत्यु, कहीं गृहयुद्ध, कहीं विकारों की अग्नि में जल रही तड़पती हुई आत्मायें। *इन सभी दृश्यों को देखते देखते विरक्त हो कर मैं अपने खुदा दोस्त से कहता हूं कि वो जल्दी ही दुःखो से भरी इस दुनिया को सुख की नगरी बना दे*।

 

_ ➳  मेरे खुदा दोस्त, मेरे दिलाराम बाबा मुस्कराते हुए अपना हाथ ऊपर उठाते है और विश्व ग्लोब को अपने हाथों में उठा लेते हैं। *उनके हाथों से बहुत तेज लाइट और माइट निकल रही है जो उस विश्व ग्लोब पर पड़ रही है*। देखते ही देखते पूरा विश्व एक बहिश्त बन जाता है। अब मैं देख रहा हूँ माया रावण की दुःखो से भरी दुनिया के स्थान पर अपरम अपार सुखों से भरपूर सोने की एक खूबसूरत दुनिया।

 

_ ➳  खो जाता हूँ मैं उन स्वर्गिक सुखों में। स्वयं को मैं विश्व महाराजन के रूप में देख रहा हूँ। *हीरे जवाहरातों से सजे महल। प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य। सोलह कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादा पुरुषोत्तम देवी-देवतायों की अति मनभावन इस दुनिया में राजा हो या प्रजा सभी असीम सुख, शान्ति और सम्पन्नता से भरपूर हैं*। पुष्पक विमानों पर बैठ देवी देवता विश्व भ्रमण कर रहें हैं। चारों ओर ख़ुशी की शहनाइयाँ बज रही हैं। रमणीकता से भरपूर देवलोक के इन नजारों को देख मैं मंत्रमुग्घ हो रहा हूँ। इन स्वर्गिक सुखों का अनुभव करवाकर मेरे खुदा दोस्त अब मुझे खुदाई खिदमतगार बन सबको बहिश्त में चलने का रास्ता बताने का फरमान देते हुए परमात्म बल और शक्तियों से मुझे भरपूर कर देते हैं।

 

_ ➳  सतयुगी दुनिया के मनमोहक दृश्यों को अपनी आंखों में संजोए अब मैं फ़रिशता सच्चा सच्चा खुदाई खिदमतगार बन अपने खुदा दोस्त के इस फरमान का पालन करने के लिए उनके साथ कम्बाइंड हो कर उन सभी धार्मिक स्थानों पर जा रहा हूँ जहां भगवान को पाने के लिए मनुष्य भक्ति के कर्मकांडो में फंसे पड़े हैं। *अपने खुदा दोस्त की छत्रछाया में बैठ, उनसे सर्वशक्तियाँ ले कर अब मैं वहां उपस्थित सभी आत्माओं में प्रवाहित कर रहा हूँ*। उन्हें मुक्ति, जीवन मुक्ति पाने का सहज रास्ता बता रहा हूँ। मेरा कम्बाइंड स्वरूप उन्हें दिव्य अलौकिक सुख की अनुभूति करवा रहा है। परमात्म वर्से को पाने अर्थात बहिश्त में जाने का सत्य रास्ता जान कर सर्व आत्मायें आनन्द विभोर हो रही हैं।

 

_ ➳  सर्व आत्माओं को बहिश्त में चलने का रास्ता बता कर अब मैं अपने सूक्ष्म आकारी स्वरूप के साथ अपने साकारी तन में प्रवेश कर जाता हूँ और इस स्मृति के साथ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाता हूँ कि *"मैं खुदाई खिदमतगार हूँ"। इसी स्मृति में स्थित हो कर अब मैं हर कर्म कर रहा हूँ और अपने संकल्प, बोल और कर्म से अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परमात्म प्रेम का अनुभव करवाकर उन्हें भी परमात्म वर्से को पाने का रास्ता बता रहा हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं देह-भान को देही-अभिमानी स्थिति में परिवर्तन करने वाली बेहद के वैरागी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं संकल्प रूपी पांव मजबूत करके काले बादलों जैसी बातें भी परिवर्तन करने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  सदा ही एक-दो को *शुभ भावना की मुबारक दो। यही सच्ची मुबारक है। मुबारक जब देते हो तो स्वयं भी खुश होते हो और दूसरे भी खुश होते हैं।* तो सच्चे दिल की मुबारक है - *एक-दो के प्रति दिल से शुभ भावना, शुभ कामना की मुबारक।* शुभ भावना ऐसी श्रेष्ठ मुबारक है जो कोई भी आत्मा की कैसी भी भावना हो, अच्छी भावना वा अच्छा भाव न भी हो, *लेकिन आपकी शुभ भावना उनका भाव भी बदल सकती है,* स्वभाव भी बदल सकती है। वैसे स्वभाव का अर्थ ही है - स्व (सु) अर्थात् शुभ भाव। *हर समय हर आत्मा को यही अविनाशी मुबारक देते चलो। कोई आपको कुछ भी दे लेकिन आप सबको शुभ भावना दो।* अविनाशी आत्मा के अविनाशी *आत्मिक स्थिति में स्थित होने से आत्मा परिवर्तन हो ही जायेगी।*

 

✺   *ड्रिल :-  "सच्ची मुबारक देने का अनुभव"*

 

 _ ➳  आज जब मै आत्मा बाबा को याद करने बैठीं तो बाबा मुझें दिल से मुबारक दे रहे थे कि वाह बच्ची वाह, *बाबा की शुभ भावना हमेशा मुझ आत्मा के साथ हैं...* मै आत्मा भी दिल से सभी आत्माओं को दिल से शुभ कामना दे रही हूँ... *कोई भी आत्मा चाहे वो किसी भी संस्कार के वशीभूत हो या कितना भी* *मुझ आत्मा का अपमान करे  पर मुझ आत्मा को उसके लिए सदैव शुभ भावना ही हैं...* मुझ आत्मा का स्व प्रति भी शुभ भावना हैं... कि *मै आत्मा भी निर्विघन बाबा की सेवा और ज्ञान में सफ़लता मूर्त बन चुकीं हूँ...* मैं आत्मा ख़ुशी के ख़जाने से भरपूर हो करके *सर्व आत्माओं को ख़ुशी का ख़जाना बाँट रही हूँ...*

 

 _ ➳  *शुभ भावना से सर्व आत्माओं का व्यवहार मेरे लिए बहुत ही अच्छा हो चुका हैं...* सभी मुझ आत्मा को बहुत सहयोग दे रहे हैं... *मैं आत्मा सच्चे दिल से सभी आत्माओं को अविनाशी बाप, अविनाशी ज्ञान, अविनाशी खजानों, और स्वर्ग की बादशाही की मुबारक देने में इतनी खुश* हूँ कि और भी आत्माये मुझे भी मुबारक दे रही हैं... *बाबा ने जो नया जन्म दिया उसकी मुबारक, सर्व आत्माओं और ख़ुद के लिए शुभ भावना और शुभ कामना की मुबारक...* यही मुबारक सबको दे रही हूँ... मै आत्मा देख रही हूँ कि कोई भी आत्मा मेरे सामने आ रही हैं... *उसका स्वभाव कैसा भी हो, चाहे वो मेरा विरोध क्यों ना करे... उस आत्मा के लिए मेरे मन से सिर्फ और सिर्फ शुभ भावना ही निकल रही हैं...* शुभ भावना से वह आत्मा बिलकुल बदल चुकी हैं... *वो आत्मा मेरी सहयोगी बन चुकी है...*   

 

 _ ➳  शुभ भावना से मेरे चारों ओर एक *सकारात्मक आभामंडल बन चुका हैं...* जिससे *कोई भी आत्मा मेरे पास आते ही सुख की अनुभति कर रही हैं...* शुभ भावना के कारण सबका स्नेह और सहयोग मुझे मिल रहा हैं... *स्व प्रति भी शुभ भावना और शुभ कामना से मुझ आत्मा के भी पुराने संस्कार, स्वभाव भी परिवर्तित हो चुका हैं...* मै आत्मा जो पुराने स्वभाव के कारण इतना भारी महसूस कर रही थी... *शुभ भावना से सु भाव होकर एकदम हल्की हो चुकी हूँ...* मै आत्मा ख़ुशी के ख़जाने से भरपूर हो चुकी हूँ...

 

 _ ➳  बाबा ने मुझ आत्मा के सारे बोझ और चिंताए ले करके *मुझ आत्मा को शुभ भावना और शुभ कामना से भरपूर कर दिया हैं...* मेरे दिल में बस यही शुभ कामना हैं कि सभी ख़ुश रहें... और *मेरे दिल से सभी आत्माओं के लिए सच्चे दिल से शुभ भावना निकल रही हैं...* कोई भी आत्मा मेरे पास आ रही है, चाहे उसके कैसे भी संकल्प हो... *वो मुझ आत्मा से शुभ भावना ही लेकर जा रही है... मैं अविनाशी आत्मा अपने अविनाशी आत्मिक स्थिति में स्थित होकर अपने आदि, अनादी संस्कार इमर्ज कर चुकी हूँ...* जिससे मुझ आत्मा के कलियुगी संस्कार समाप्त हो चुके हैं...

 

 _ ➳  *बाबा ने शुभ भावना और शुभ कामना का ऐसा मंत्र दिया हैं... जिससे कोई भी आत्मा मेरे संपर्क में आते ही परिवर्तित हो जाती हैं...* यही सच्ची सच्ची मुबारक बाबा मुझे दे रहे कि बच्चे सदैव आगे बढ़ते जाओ... *कैसे भी संस्कारों वाली आत्मा हो उसके लिए यही शुभ भावना रखों कि ये भी तो भगवान का बच्चा हैं...* बस पुराने संस्कारों के वशीभूत हैं... *शुभ भावना रख वो आत्माए भी बदल चुकी है... यही दिल कि सच्ची मुबारक मै आत्मा सबको दे रही हूँ... जो बाबा ने मुझ आत्मा को दिया... वाह बाबा वाह... आपका बहुत बहुत शुक्रिया...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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