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 24 / 03 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *सदा बाबा बाबा के गीत गाते रहे ?*

 

➢➢ *सर्व सम्बन्ध एक बाप से जुटाए ?*

 

➢➢ *सदा एकरस अवस्था का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *आत्माओं को अविनाशी सर्व प्राप्तियों की टांग दी ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *जो सदा बाप की याद में लवलीन अर्थात् समाये हुए हैं । ऐसी आत्माओं के नैनों में और मुख के हर बोल में बाप समाया हुआ होने के कारण शक्ति-स्वरुप के बजाय सर्व शक्तिवान् नज़र आयेगा ।* जैसे आदि स्थापना में ब्रह्मा रुप में सदैव श्रीकृष्ण दिखाई देता था, ऐसे आप बच्चों द्वारा सर्वशक्तिवान् दिखाई दे।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं स्वराज्य अधिकरी आत्मा हूँ"*

 

  सभी अपने को स्वराज्य अधिकारी समझते हो? *स्वराज्य अब संगमयुग पर,विश्व का राज्य भविष्य की बात है। स्वराज्य अधिकारी ही विश्व राज्य अधिकारी बनते हैं।* सदा अपने को राजस्व अधिकारी समझ इन कर्मेन्द्रियों को कर्मचारी समझ अपने अधिकार से चलाते हो या कभी कोई कर्मेन्द्री राजा बन जाती है? आप स्वयं राजा हैं या कभी कोई कर्मेन्द्री राजा बन जाती? कभी कोई कर्मेन्द्री धोखा तो नहीं देती है? अगर किसी से भी धोखा खाया तो दुख लिया। धोखा दुख प्राप्त कराता। धोखा नहीं तो दुख नहीं।

 

  *तो स्वराज्य की खुशी में, नशे में, शक्ति में रहने वाले। स्वराज्य का नशा उड़ती कला में ले जाने वाला नशा है। हद के नशे नुकसान प्राप्त कराते, यह बेहद का नाशा अलौकिक रूहानी नशा सुख की प्राप्ति कराने वाले है।* तो यथार्थ राज्य है राजा का- प्रजा का राज्य हंगामें का राज्य है।

 

  आदि से राजाओंका राज्य रहा है। अभी लास्ट जन्म में प्रजा का राज्य चला है। तो आप अभी राज्य अधिकारी बन गये। अनेक-अनेक जन्म भिखारी रहे और अब भिखारी से अधिकारी बन गये। बापदादा सदा कहते- बच्चे खुश रहो, आबाद रहो। *जितना अपने को श्रेष्ठ आत्मा समझ, श्रेष्ठ कर्म, श्रेष्ठ बोल, श्रेष्ठ संकल्प करेंगे तो इस श्रेष्ठ संकल्प से श्रेष्ठ दुनिया के अधिकारी बन जायेंगे। यह 'स्वराज्य आपका जन्म-सिद्ध अधिकार है', यही आपको जन्म-जन्म के लिए अधिकरी बनाने वाला है।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  जो अन्त तक 'सन शोज फादर ' करके ही जायेगे। ऐसा सर्वीसएबल मृत्यु होता है। इस मृत्यू से भी सर्वीस होती है। *सर्वीस के प्रति बच्चे ही निमित्त है, ना कि माँ बाप। वह तो गुप्त रूप में है।*

 

✧  सर्वीस में मात - पिता बैकबोन हैं और बच्चे सामने हैं। *इस सर्वीस के पार्ट में मात - पिता का पार्ट नहीं हैं, इसमें बच्चे ही बाप का शो करेंगे*।यह भी सर्वीस का अन्त में मैडल प्राप्त होता है, ऐसा मैडल ड्रामा में कोई - कोई बच्चों को मिलना है।

 

✧  अभी हरेक अपने आप से जज करे कि हम ऐसा मैडल प्राप्त करने के लिए निमित्त बन सकते हैं। *ऐसे नहीं सिर्फ पुरानी बहनें ही बन सकेंगी*। कोई भी बन सकते हैं। नये - नये रत्न भी हैं जो कमाल कर दिखायेंगे।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *शक्ति रूप न्यारी और प्यारी।* इस समय ऐसी न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित हो? यह स्थिति इतनी पावरफुल है - जैसे डॉक्टर लोग बिजली की रेजेज देते हैं कीटाणु मारने के लिए। *तो यह स्थिति भी ऐसी पावरफुल है जो एक सेकण्ड में अनेक विकर्मों रूपी कीटाणु भस्म हो जाते हैं। विकर्म भस्म हो गये तो फिर अपने को हल्का और शक्तिशाली अनुभव करेंगे।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  सदा एकरस उड़ने और उड़ाने के गीत गाना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा डायमंड हाल में अपने भगवान से मिलन मनाने के इंतजार में बैठी हूँ... पलकों को बिछाए प्यारे बाबा का आह्वान कर रही हूँ... 'आ जाओ मेरे प्राण प्यारे बाबा, आ जाओ... मेरी प्यार भरी पुकार सुन, मेरे मीठे बाबा अपना धाम छोड़कर नीचे आ जाते हैं...* और दादी के तन में अव्यक्त बापदादा विराजमान हो जाते हैं... इन्तजार की घड़ियों समाप्त हो गई... स्वयं भगवान मेरे सम्मुख बैठे हैं...

 

  *प्यारे बापदादा प्यार भरी दृष्टि से निहाल करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... *लवली बापदादा अपने लवलीन बच्चों से मिलने आये है... प्यार के ख़ुशी के गीत सुनते हुए एकरस स्थिति को देख रहे है... रूहानी गुलाबो की खुशबु ले रहे है...* ऐसे फ़रिश्ता सो देवता... स्नेह के बन्धन में बंधने और बांधने वाले खुशनसीब बच्चों को पदमगुणा मुबारक दे रहे है..."

 

_ ➳  *जो स्वप्न में भी ना सोचा था, साक्षात भगवान् को अपने सम्मुख पाकर ख़ुशी के अश्रु बहाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्यारे बाबा... *मै आत्मा मीठे बापदादा संग मिलन मना रही हूँ... कभी दुआओ में माँगा मन्दिरो में खोजा दर दर ढूंढा... वो परमात्मा अपनी आँखों के सामने देख अपने भाग्य पर निहाल होती जा रही हूँ...* इतनी भाग्यशाली खुशनसीब मै आत्मा हूँ और ख़ुशी में नाच उठी हूँ..."

 

  *प्यारे बापदादा कुमारियों को संबोंधित करते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... पिता के गले की माला के मनके हो इस मीठे नशे से भर चलो... *और सदा बाप को याद रखना है एक पिता का सन्देश हर दिल को देना है और हर परिस्थिति में एकरस रहकर बापदादा के दिलतख्त पर शान से सजना है...* चैतन्यता का ऐसा रूहानी वायुमण्डल तैयार करो कि सब सुख पाये..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा ब्रह्माकुमारी होने के अपने पद्मापदम् भाग्य पर इतराते हुए कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा मीठे प्यारे बापदादा की यादो से भर गई हूँ... सदा यादो में समाये हुए अपनी दिली मुस्कान से प्यारे बाबा का परिचय दे रही हूँ...* सबको सुख सुकून शांति मिले ऐसा अनोखा वातावरण हर थकी आत्मा को देकर असीम ख़ुशी की अनुभूति करा रही हूँ..."

 

  *मेरे बाबा अविनाशी खजानों की टोली खिलाते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... रूहानी डॉक्टर बन सबके दुखो को दूर करो... ईश्वर पिता को पाने की ख़ुशी में झूलते हुए सबको खुशियो के झूलो में संग झुलाओ... *सदा बाप की छत्रछाया में रह हर विघ्न से मुक्त होकर मास्टर सर्वशक्तिमान बन मुस्कराओ... बेहद के वैरागी बन नष्टोमोहा स्थिति से अचल अडोल होकर बापदादा के दिल में मणि सा जगमगाओ..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा बाप समान बनने का गोल्डन चांस लेकर अतीन्द्रिय सुखों के झूले में झूलते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपसे मिलकर खुशियो से भर गई हूँ... जीवन हर विघ्न से मुक्त हो गया है... चारो ओर खुशियो के फूल खिले है... आनन्द की मस्ती छायी है और दिल अथाह सुख में झूल रहा है...* मै आत्मा बेहद की वैरागी हो अपने सत्य स्वरूप के नशे में डूब गई हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सर्व सम्बन्ध एक बाप से अनुभव करना*"

 

_ ➳  स्वयं भगवान सर्व सम्बन्धों से जिसका हो जाये उससे भाग्यशाली और भला कौन हो सकता है! *यही विचार करती, मन ही मन स्वयं के भाग्य की सराहना करती, अपने शिव पिता परमात्मा, अपने भगवान बाप का मैं दिल की गहराइयों से शुक्रिया अदा करती हूँ जिन्होंने ने मेरे जीवन मे आ कर सर्व सम्बन्धों का मुझे सुख देकर मेरे जीवन को खुशियों से भर दिया*।

 

_ ➳  जब - जब जिस भी सम्बन्ध से अपने प्यारे मीठे बाबा को मैंने याद किया उस सम्बन्ध का असीम सुख मैंने बाबा से प्राप्त किया। *कभी बाप के रूप में अपना असीम प्यार और दुलार दिया तो कभी माँ बन कर अपने ममता के आंचल की ठन्डी छाँव में बिठाया, कभी दोस्त बन कर कदम - कदम पर मेरा साथ दिया तो कभी जीवन साथी बन कर हर सुख - दुख में मेरा साथ निभाया*। ऐसे मेरे शिव पिता परमात्मा ने हर एक सम्बन्ध के सुख का मुझे अनुभव करवा कर मेरे बेरंग जीवन को अपने प्यार के रंग से भर दिया।

 

_ ➳  स्वयं भगवान से मिलने वाले सर्व सम्बन्धो के सुखद अनुभवों को याद करती अपने प्यारे मीठे बाबा की मीठी यादों में मैं खो जाती हूँ और वो सभी अनुभव अनेक चित्रों के रूप में मेरी आँखों के सामने एक - एक करके उभरने लगते हैं। *कहीं मैं स्वयं को एक छोटे बच्चे के रूप में देख रही हूँ। बाबा ने अपने हाथ मे मेरा हाथ पकड़ा हुआ है और मुझे पूरे विश्व की सैर करवा रहें हैं। मेरे साथ अनेक प्रकार से खेलपाल कर रहें हैं*। फिर मैं देख रही हूँ स्वयं को ब्रह्मा माँ की गोद मे। बाबा माँ बन कर अपनी ममता की मीठी छाँव में मुझे बिठा कर अपना असीम स्नेह मुझ पर लुटा रहें हैं।

 

_ ➳  कहीं मैं देखती हूँ अपने लाइट माइट स्वरूप में बाबा दोस्त बन मेरा हाथ अपने हाथ मे ले कर बैठें हैं और अपने खुदा दोस्त से मैं अपने मन की सारी बाते कह रही हूँ और वो बड़े प्यार से मुस्कराते हुए मेरी हर बात को ध्यान से सुन रहें हैं और मेरी हर बात का जवाब दे रहें हैं। अब मैं देख रही हूँ बाबा को अपने साजन के रूप में। *अपने निराकार स्वरूप में शिव बाबा साजन बन मुझ निराकार आत्मा सजनी को अपनी सर्वशक्तियों की किरणों की छत्रछाया में बिठा कर अपने निश्छल प्रेम की मीठी फुहारें मुझ पर निरन्तर बरसा रहें हैं*।

 

_ ➳  इन सर्व सम्बन्धो के अनुभवों का सुख लेकर, अपने भगवान बाप से मिलन मनाने के लिए अब मैं *अपने मन बुद्धि को सब बातों से हटा कर केवल अपने शिव पिता पर एकाग्र करती हूँ और सेकण्ड में देह से न्यारी विदेही आत्मा बन चल पड़ती हूँ उनके पास उनके धाम*। आकाश से ऊपर, सूक्ष्म वतन को पार कर एक अति सुन्दर दिव्य प्रकाशमयी अलौकिक दुनिया में मैं प्रवेश करती हूँ जो मेरे पिता परमात्मा का घर है। इस स्वीट साइलेन्स होम में पहुँच कर गहन शांति का मैं अनुभव कर रही हूँ।

 

_ ➳  अपने प्यारे बाबा के अति सुंदर दिव्य प्रकाशमय स्वरूप को निहारते हुए, उनसे निकल रही सर्वशक्तियों की किरणों के नीचे बैठ स्वयं को उनकी सर्वशक्तियों से भरपूर करके अब मैं वापिस साकारी दुनिया की ओर लौट रही हूँ। *अपने साकारी तन में  विराजमान हो कर सृष्टि रंगमंच पर पार्ट बजाते हुए अब मैं हर सम्बन्ध का सुख अपने प्यारे बाबा से लेते हुए, देह और देह के झूठे सम्बन्धों से उपराम होती जा रही हूँ*। सर्व सम्बन्धों से भगवान बाप को अपना बना कर भगवान की पालना में पलने का सुख अब मैं हर पल ले रही हूँ।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं व्यर्थ संकल्पों के कारण को जानकर उन्हें समाप्त करने वाली समाधान स्वरूप आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं साइलेन्स की शक्ति द्वारा स्वीट होम की यात्रा सहज ही करने वाली शांत आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

अव्यक्त बापदादा :-

 

_ ➳  *ब्राह्मण माना ही है पवित्र आत्मा।* अपवित्रता का अगर कार्य होता भी है तो यह बड़ा पाप है। *इस पाप की सजा बहुत कड़ी है।* ऐसे नहीं समझना यह तो चलता ही है। थोड़ा बहुत तो चलेगा ही, नहीं। *यह फर्स्ट सबजेक्ट है। नवीनता ही पवित्रता की है।* ब्रह्मा बाप ने अगर गालियाँ खाई तो पवित्रता के कारण। हो गया, ऐसे छूटेंगे नहीं। *अलबेले नहीं बनो इसमें। कोई भी ब्राह्मण चाहे सरेण्डर है, चाहे सेवाधारी है, चाहे प्रवृत्ति वाला है, इस बात में धर्मराज भी नहीं छोड़ेगा, ब्रह्मा बाप भी धर्मराज का साथ देगा।* इसलिए कुमार कुमारियाँ कहाँ भी हो, मधुबन में हो, सेन्टर पर हो लेकिन इसकी चोट, संकल्प मात्र की चोट बहुत बड़ी चोट है। गीत गाते हो ना - पवित्र मन रखो, पवित्र तन रखो... गीत है ना आपका। तो *मन पवित्र है तो जीवन पवित्र है इसमें हल्के नहीं होना,* *थोड़ा कर लिया क्या है! थोड़ा नहीं है, बहुत है।* बापदादा आफीशियल इशारा दे रहा है, इसमें नहीं बच सकेंगे। *इसका हिसाब-किताब अच्छी तरह से लेंगे*, कोई भी हो।  *इसलिए सावधान, अटेन्शन।* सुना - सभी ने ध्यान से। दोनों कान खोल के सुनना। *वृत्ति में भी टचिंग नहीं हो। दृष्टि में भी टचिंग नहीं।* संकल्प में नहीं तो वृत्ति, दृष्टि क्या है! *क्योंकि समय सम्पन्नता का समीप आ रहा है, बिल्कुल प्युअर बनने का।* उसमें यह चीज तो पूरा ही सफेद कागज पर काला दगा है।

 

✺   *ड्रिल :-  "बापदादा का पवित्रता के प्रति सभी ब्राह्मणों को आफिशयल इशारा"*

 

_ ➳  बाबा ने मुझ भाग्यशाली आत्मा को अपना बनाया हैं... *बाबा ने मुझ आत्मा को कोटों में कोई, कोई में से भी कोंई, लाखों- करोड़ो आत्माओं में से अपने प्यार के लिए चुना हैं...* शूद्र से ब्राह्मण बनाया हैं... *ब्राह्मण जन्म लेते ही परमात्मा ने पवित्रता का वरदान दिया हैं...* मै आत्मा हद की ब्राह्मण नहीं हूँ... बेहद की ब्राह्मण हूँ... *परमात्मा ने मुझे पवित्र भव का वरदान दिया हैं... ब्राह्मण जन्म लेते ही मुझ आत्मा का दिव्य पवित्र जन्म हुआ हैं...* मुझ पवित्र आत्मा में अपवित्रता जैसी कोई भी बात नहीं हैं... मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें निकल रही है... *पवित्रता के सागर परमपिता मेरे पिता हैं...* मुझ आत्मा से अपवित्रता का कोई भी कार्य नहीं हो रहा है... *मै ब्रह्मा बाप के कदम में कदम रखने वाली पवित्र आत्मा हूँ...* पवित्रता मुझ आत्मा का फर्स्ट कदम हैं... मै आत्मा पवित्र स्वरुप हूँ...

 

_ ➳  *मै आत्मा सभी कमी कमज़ोरी को पीछे छोड़कर आगे बढती जा रही हूँ...* मुझ आत्मा में किसी भी प्रकार का अलबेला पन नहीं है... *बाबा की सभी शिक्षाओ और डायरेक्शन को फॉलो करते हुए आगे और आगे बढती जा रही हूँ...* मै आत्मा विश्व सेवाधारी हूँ... *पवित्रता के वाइब्रेशन मुझ आत्मा से निकल चारों और फ़ैल रही हैं...* मुझ आत्मा के चारों और पवित्रता का आभामंडल बना हुआ है... *संकल्प मात्र में भी मुझ आत्मा में अपवित्रता का कोई नाम निशान नहीं हैं...* मेरे तन के साथ साथ मेरा मन भी एकदम स्वच्छ, पवित्र और निर्मल है... *मेरा जीवन पवित्रता की राह में समर्पित है...* पवित्रता के बल से मै आत्मा पूज्यनीय बनती जा रही हैं... *पवित्रता के बल से मै आत्मा देवता बन रही हूँ...*

 

_ ➳  *मै आत्मा पवित्रता के बल से एकदम हल्की हो चुकीं हूँ...* किसी भी प्रकार का बोझ मुझ आत्मा को नहीँ हैं... *मै आत्मा पवित्रता का कठोरता से पालन कर रही हूँ...* इस बात को लेकर मै आत्मा एकदम हल्की नहीं हूँ... बापदादा ने पवित्रता का जो इशारा सभी बच्चो को दिया है... उसे मै आत्मा दृढ़ होकर पालन कर रही हूँ... *पवित्रता के सब्जेक्ट में मैं आत्मा फुल पास हूँ...* और इस सब्जेक्ट में मेरा फुल अटेंशन है...

 

_ ➳  *मुझ आत्मा का अनादी स्वरुप पवित्र है... मै शांतिधाम की निवासी हूँ...* जहा सभी आत्माये अपने बिंदु और संपूर्ण पवित्र स्वरुप में रहती है... और आदि स्वरुप भी पवित्र है... *मै आत्मा उस पवित्र दुनिया की मालिक हूँ... जिसे मेरे परम पवित्र परमात्मा ने मेरे लिए बनाया है... वहा सुख ही सुख है...* पवित्रता के बल से ही मै आत्मा स्वर्ग की मालिक बनती जा रही हूँ... *मुझ आत्मा की दृष्टि वृति एकदम पवित्र बनती जा रही है...* मुझ आत्मा की वृति में भी अपवित्रता की कोई टचिंग नहीं है... *मुझ आत्मा के संकल्प भी एकदम पवित्र है...* *मुझ आत्मा से पवित्रता के शुभ संकल्प निकल रहे है... जिससे मेरे चारों और पवित्रता का वातावरण बन गया है...*

 

_ ➳  *पवित्रता के बल से मै आत्मा एकदम विशेष बन गई हूँ...* जैसे जैसे समय समीप आता जा रहा है, मुझ आत्मा में और पवित्रता का बल भरता जा रहा हैं... *पवित्रता के सागर परमपिता परमात्मा से मै आत्मा पवित्रता की किरणें और शक्ति लेकर चारों और फैला रही हूँ...* जिससे संसार की सभी आत्माये पवित्र बनती जा रही हैं... *प्रकृति के पांचो तत्व पवित्र बनते जा रहे है...* मै आत्मा एकदम प्योर बनती जा रही हूँ... अपवित्रता का कोई भी दाग मुझ आत्मा में नहीं हैं... *पवित्रता ही सुख, शांति की जननी हैं...* मै आत्मा और भी *आत्माओ को पवित्रता की राह बता रही हूँ...* मेरा हर आचरण पवित्र बनता जा रहा है... *मुझ आत्मा की सबसे बड़ी पूंजी है पवित्रता...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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