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 12 / 06 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 54=20)

 

➢➢ किसी भी बात में डरे तो नहीं ?

 

➢➢ माया के विघनो को जान उनसे सावधान रहे ?

 

➢➢ संतुष्टता के तीन सर्टिफिकेट ले अपने योगी जीवन का प्रभाव डाला ?

 

➢➢ स्वराज्य का तिलक, विश्व कल्याण का ताज और स्थिति के तख़्त पर विराजमान रहे ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  कई बच्चे कहते हैं कि जब योग में बैठते हैं तो आत्म-अभिमानी होने के बदले सेवा याद आती है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि लास्ट समय अगर अशरीरी बनने की बजाए सेवा का भी संकल्प चला तो सेकण्ड के पेपर में फेल हो जायेंगे। उस समय सिवाय बाप के, निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी-और कुछ याद नहीं। सेवा में फिर भी साकार में आ जायेंगे इसलिए जिस समय जो चाहे वह स्थिति हो नहीं तो धोखा मिल जायेगा।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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✺   "मैं सर्व खजानों से सम्पन्न आत्मा हूँ"

 

  अपने को सदा सर्व खजानों से सम्पन्न आत्माएं अनुभव करते हो? कितने खजाने मिले हैं? खजानों को अच्छी तरह से सम्भालना आता है या कभी-कभी अन्दर से निकल जाता है ? क्योंकि आप आत्माएं भी बाप द्वारा नालेजफुल बनने के कारण बहुत होशियार हो लेकिन माया भी कम नहीं है। वो भी शक्तिशाली बन सामना करती है।

 

  तो सर्व खजाने सदा भरपूर रहे और दूसरा जिस समय जिस खजाने की आवश्यकता हो उस समय वो खजाना कार्य में लगा सको। खजाना है लेकिन टाइम पर अगर कार्य में नहीं लगा सके तो होते हुए भी क्या करेंगे? जो समय पर हर खजाने को काम में लगाता है उसका खजाना सदा और बढ़ता जाता है।

 

  तो चेक करो कि खजाना बढ़ता जाता है कि सिर्फ यही सोच करके खुश हो कि बहुत खजाने हैं। फिर ऐसे कभी नहीं कहो कि चाहते तो नहीं थे लेकिन हो गया। ज्ञानी की विशेषता है - पहले सोचे फिर कर्म करे। ज्ञानी-योगी तू आत्मा को समय प्रमाण टच होता है और वह फिर कैच करके प्रैक्टिकल में लाता है। एक सेकेण्ड भी पीछे सोचा तो ज्ञानी तू आत्मा नहीं कहेंगे।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧   कमल अर्थात कर्म करते हुए भी विगारी बन्धनों से मुक्त। देह को देख भी रहे हैं लेकिन देखते हुए भी नयन कमल वाले, देह के आकर्षण के बन्धन में नहीं आयेंगे। जैसे कमल जल में रहते हुए जल से न्यारा अर्थात जल के आकर्षण के बन्धन से न्यारा, अनेक भिन्न-भिन्न सम्बन्ध से न्यारा रहता है। कमल के सम्बन्ध भी बहुत होते हैं।

 

✧  अकेला नहीं होता है, प्रवृत्ति मार्ग की निशानी का सूचक है। ऐसे ब्राह्मण अर्थात कमल पुष्प  सामान बनने वाली आत्माएँ प्रवृत्ति मार्ग में रहते, चाहे  लौकिक चाहे अलौकिक साथ-साथ किचड अर्थात तमोगुणी पतित वातावरण रहते हुए भी न्यारे। जो गुण रचना में है तो मास्टर रचता में वही गुण है।

 

✧   सदा इस आसन पर स्थित रहते हो वा कभी-कभी स्थित होते हो? सदा अपने इस आसन को धारण करने वाले ही सर्व बन्धन मुक्त और सदा योगयुक्त बन सकते हैं। अपने आप को देखो - पाँच विकार, पाँच प्रकृति के तत्वों के बन्धन से कितने परसेन्ट में मुक्त हुए हैं। लिप्त आत्मा वा मुक्त आत्मा हो?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ जितना अपने को महान अर्थात् श्रेष्ठ आत्मा समझेंगे उतना हर कर्म स्वत:ही श्रेष्ठ होगा। क्योंकि जैसी स्मृति वैसी स्थिति स्वत: ही होती है। जैसे अनुभवी हो कि आधा कल्प देह की स्मृति में रहे तो स्थिति क्या रही? अल्पकाल का सुख और अल्पकाल का दुख। तो सदा आत्मिक स्वरूप की जब स्मृति रहेगी तो सदाकाल के सुख और शान्ति की स्थिति बन जायेगी।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- बाप का मददगार बनना"

➳ _ ➳ मैं आत्मा अमृतवेले उठ मीठे बाबा से मिलने की तमन्ना में फ़रिश्ता बन उड़ चलती हूँ मधुबन बाबा की कुटिया में... मीठे बाबा अपनी मीठी मुस्कान से मेरा स्वागत करते हैं और अपनी मीठी दृष्टि से मुझे निहाल करते हैं... बाबा की दृष्टि से मुझ आत्मा के सूक्ष्म विकार, पुराने स्वभाव-संस्कार दैवीय गुणों में परिवर्तित होने लगे हैं... मुझ आत्मा की काया दिव्यता से चमकने लगी है... फिर प्यारे बाबा मुझे अपने साथ रूहानी सैर पर ले जाते हैं और तीनों कालों के दर्शन कराते हैं... फिर ज्ञान सागर बाबा मुझ पर ज्ञान की बरसात करते हैं...

❉ भारत को दैवी स्वराज्य बनाने में मददगार बन श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने की शिक्षा देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता आप बच्चों के सुखो के लिए हथेली पर स्वर्ग धरोहर लाया है... स्वर्ग के फाउंडेशन में मददगार बन सदा का सुनहरा भाग्य बनाओ... ईश्वरीय राहो पर चलकर असीम खुशियो में मुस्कराओ... श्रीमत के हाथो में हाथ देकर, सदा के सुखो में झूम जाओ..."

➳ _ ➳ मैं आत्मा बेहद के सर्विस में जुटकर बाबा की राईट हैण्ड बन विश्व का कल्याण करते हुए कहती हूँ:- "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपकी यादो में उज्ज्वल भविष्य को पाती जा रही हूँ... ईश्वर पिता की मदद कर, मीठा प्यारा भाग्य सजा रही हूँ... श्रीमत के साये में विकारो की कालिमा से महफूज होकर,सदा की निश्चिन्त हो गयी हूँ..."

❉ मेरे भाग्य के सितारे को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता को खोज खोज कर थक से निकले थे कभी, आज उसकी मदद करने वाले खुबसूरत भाग्य के मालिक हो गए हो... श्रेष्ठ भाग्य को लिखने की कलम पा गए हो... और अनन्त खुशियो को बाँहों में भरकर मुस्करा रहे हो... भगवान की मदद करने वाले महान हो गए हो..."

➳ _ ➳ मीठे बाबा के प्यार के फव्वारे में खुशियों की चरमसीमा पर पहुंचकर मैं आत्मा कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा अपनी ही मदद को बेजार थी कभी... आपकी मदद को हर पल तरस रही थी... आज आपका सारा प्यार आँचल में भरकर मुस्करा रही हूँ... मीठे बाबा भाग्य से युँ सम्मुख पाकर आपके प्यार में बावरी हो गयी हूँ... और असीम खुशियो में नाच रही हूँ..."

❉ काँटों के जंगल को फूलों का बगीचा बनाकर रूहानी फूलों का गुलदस्ता तैयार करते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता की श्रीमत पर चलकर जीवन को नये आयामो पर पहुँचाओ... मनुष्य मत ने कितना निस्तेज और बेहाल किया है... अब श्रीमत के हाथो में पलकर फूलो सा खिलखिलाओ... दिव्य गुणो से सज संवर कर देवताई सौभाग्य को पाओ... सदा खुशियो में गुनगुनाओ..."

➳ _ ➳ करावनहार के हाथों को थाम श्रीमत के मार्ग पर चलते हुए मंजिल के समीप पहुंचती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अदनी सी, भगवान की कभी मददगार बनूंगी, ऐसा तो मीठे बाबा ख्वाबो में भी न सोचा था... आज आपकी मदद का भाग्य पाकर, सतयुगी सुखो का हक पा रही हूँ... श्रीमत का हाथ और ईश्वरीय प्यार पाकर, अपना भाग्य शानदार बना रही हूँ..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- माया के विघ्नों को जान उनसे सावधान रहना है"

➳ _ ➳ "सर्व शक्तियों को समय पर कार्य मे लगाने वाली मास्टर सर्वशक्तिवान आत्माओं के सामने माया के तूफान तोहफा बन जाते हैं" बाबा के इन महावाक्यों को स्मृति में ला कर मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट हो कर सर्वशक्तियों का आह्वान करने और स्वयं को सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बनाने के लिये मैं सर्वशक्तिवान शिव बाबा की याद में मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ। अशरीरी बन बाबा की याद में बैठते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे शिव बाबा अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो कर मेरे सामने आ गए हैं

➳ _ ➳ बाबा की लाइट, माइट जैसे - जैसे मुझ आत्मा पर पड़ रही है वैसे - वैसे मैं अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होती जा रही हूँ। अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं अनुभव कर रही हूँ कि जैसे बाबा मुझे अपनी और खींच रहें हैं और मैं डबल लाइट फ़रिशता बन स्वत: ही ऊपर की ओर उड़ रहा हूँ। सूर्य, चांद, तारागणों से पार अन्तरिक्ष को भी पार करता हुआ उससे भी ऊपर मैं पहुंच गया फ़रिशतो की आकारी दुनिया सूक्ष्म लोक में।

➳ _ ➳ अब मैं देख रहा हूँ स्वयं को सूक्ष्म वतन में। मेरे सामने अव्यक्त बापदादा अष्ट शक्तियों के अलग - अलग स्वरूप में मुझे दिखाई दे रहें हैं। अष्ट शक्तियों को मुझ में समाहित कर मुझे सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बनाने के लिए अब बापदादा एक - एक शक्ति से भरपूर अपनी शक्तिशाली किरणे मुझ फ़रिश्ते में प्रवाहित कर रहें हैं।

➳ _ ➳ अपना सम्पूर्ण ध्यान इस नश्वर दुनिया से समेट कर मैं अपना संसार केवल एक शिव बाबा को बना सकूँ इसके लिए समेटने की शक्तिशाली किरणों से बाबा मुझे भरपूर कर रहें हैं। अपनी सहनशक्ति से हर बात को सहन करते हुए हिम्मतवान बन हर परिस्थिति को मैं सहजता से पार कर सकूँ इसके लिए बाबा अब सहनशक्ति से भरपूर किरणे मुझ में प्रवाहित कर रहें हैं।

➳ _ ➳ जैसे बापदादा सभी बच्चों की सभी बातों को स्वयं में समा लेते हैं। वैसे समाने की शक्ति से भरपूर किरणे मुझ में समाहित कर बाबा मुझमे हर बात को स्वयं में समाने का बल भर रहें हैं। अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परख कर हर प्रकार के धोखे से मैं स्वयं को बचा सकूँ इसके लिए बाबा परखने की शक्ति से भरपूर किरणो से मुझे सम्पन्न बना रहे हैं। माया के अति सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप को पहचान कर उचित समय पर मैं उचित निर्णय ले सकूँ इसके लिए बाबा निर्णय करने की शक्ति से सपन्न किरणे अब मुझमे भर रहें हैं।

➳ _ ➳ विपरीत परिस्थिति में घबराने के बजाए उसका डटकर सामना करने के लिए बाबा अब सामना करने की शक्ति से मुझे भरपूर कर रहें हैं। एक दो को सहयोग दे, संगठन को निर्विघ्न चलाने के लिए बाबा सहयोग की शक्ति से भरपूर किरणे मुझ में प्रवाहित कर मुझे सहयोगी आत्मा बना रहें हैं। देह और देह के सम्बन्धो के विस्तार को समेट कर सबको आत्मिक स्वरूप में देखने का पाठ पक्का हो इसके लिए विस्तार को सार में समाने की शक्ति बाबा मुझे दे रहें है।

➳ _ ➳ अपने आठ स्वरूपों से अष्ट शक्तियों को मेरे अंदर भरकर बाबा ने मुझे अष्ट शक्तियों से सम्पन्न कर दिया हैं। देह अभिमान में आने के कारण मुझ आत्मा में निहित अष्ट शक्तियाँ जो मर्ज हो गई थी वो आठों शक्तियाँ अब इमर्ज हो गई हैं। बापदादा के आठों स्वरूपों से अष्टशक्तियों को स्वयं में भरपूर करके अब मैं सर्व शक्ति सम्पन्न स्वरूप बन कर वापिस साकारी दुनिया मे लौट आती हूँ।

➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सदा सेट रहते हुए, माया के तूफानों में मुरझाने के बजाए अब मैं समय और परिस्थिति के अनुसार उचित शक्ति का प्रयोग करके सहज ही माया के हर वार का सामना कर, माया पर विजय प्राप्त कर रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं संतुष्टता के तीन सर्टिफिकेट ले अपने योगी जीवन का प्रभाव डालने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ मैं स्वराज्य का तिलक, विश्व कल्याण का ताज और स्थिति के तख्त पर विराजमान रहने वाला राजयोगी हूँ ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

✺ अव्यक्त बापदादा :-

➳ _ ➳ आज बापदादा अपने महादानी वरदानी विशेष आत्माओं को देख रहे हैं। महादानी वरदानी बनने का आधार है - ‘महात्यागी' बनने के बिगर महादानी वरदानी नहीं बन सकते। महादानी अर्थात् मिले हुए खजाने बिना स्वार्थ के सर्व आत्माओं प्रति देने वाले -‘नि:स्वार्थी’। स्व के स्वार्थ से परे आत्मा ही महादानी बन सकती है। वरदानी, सदा स्वयं में गुणों, शक्तियों और ज्ञान के खजाने से सम्पन्न आत्मा सदा सर्व आत्माओं प्रति श्रेष्ठ और शुभ भावना तथा सर्व का कल्याण हो, ऐसी श्रेष्ठ कामना रखने वाली सदा रूहानी रहमदिल, फराखदिल, ऐसी आत्मा ‘वरदानी' बन सकती है। इसके लिए‘महात्यागी' बनना आवश्यक है।

➳ _ ➳ त्याग की परिभाषा भी सुनाई है कि पहला त्याग है - अपने देह की स्मृति का त्याग। दूसरा देह के सम्बन्ध का त्याग। देह के सम्बन्ध में पहली बात कर्मेंन्द्रियों के सम्बन्ध की सुनाई - क्योंकि 24 घण्टे का सम्बन्ध इन कर्मेन्द्रियों के साथ है। इन्द्रियजीत बनना, अधिकारी आत्मा बनना यह दूसरा कदम। इसका स्पष्टीकरण भी सुना। अब तीसरी बात यह है - देह के साथ व्यक्तियों के सम्बन्ध की। इसमें लौकिक तथा अलौकिक सम्बन्ध आ जाता है। इन दोनों सम्बन्ध में महात्यागी अर्थात् ‘नष्टोमोहा'।

✺ "ड्रिल :- महात्यागी बन महादानी वरदानी स्थिति का अनुभव करना”

➳ _ ➳ मैं आत्मा इस वरदानी संगम युग में बाबा से वरदान लेकर स्वयं को वरदानों से भरपूर करने वरदाता बाबा को अपने पास बुलाती हूं... बाबा अपने साथ मुझे बादलों की पहाड़ी पर बिठाकर सैर करने ले जाते हैं... मैं आत्मा बाबा के साथ प्रकृति के सौंदर्य को देखते हुए उड़ रही हूं... एक तरफ बाबा का मखमली कोमल स्पर्श का अनुभव करती हुई, एक तरफ मुलायम रुई समान बादलों को छूकर मैं आत्मा भी हलकी होती जा रही हूँ... नदी, तालाब, समुंदर, पहाड़ों, चांद, सितारों को पार करते हुए सफेद बादलों की दुनिया में बाबा मुझे ले जाते हैं...

➳ _ ➳ बादलों की दुनिया में बाबा मुझे वरदानों से भरे बादलों के नीचे बिठाते हैं... बादलों से वरदानों की बारिश हो रही है... मैं आत्मा इस बारिश में नहा रही हूं... देखते देखते मुझ आत्मा का स्थूल शरीर पूरी तरह गायब होता जा रहा है... मैं आत्मा इस देह और कर्मेंन्द्रियों के संबंध से न्यारी होती जा रही हूं और इन्द्रियजीत बन रही हूं... मैं आत्मा आकारी प्रकाश का शरीर धारण करती हूँ... मेरा ये लाइट का शरीर हजारों लाइट्स के समान जगमगा रहा है...

➳ _ ➳ आकारी शरीर धारण करते ही मैं आत्मा देह की स्मृति से न्यारी होती जा रही हूं... देह की स्मृति का त्याग करते ही... मुझ आत्मा का देह के संबंधों से ममत्व मिट रहा है... मैं आत्मा बुद्धि से लौकिक अलौकिक संबंधों का त्याग कर रही हूं... लौकिक अलौकिक संबंधों के मोह को नष्ट कर नष्टमोहा बन गई हूं... महात्यागी बन गई हूं... मैं आत्मा गुण शक्तियों और ज्ञान के खजानों से संपन्न बन रही हूं... गुण स्वरुप, धारणा स्वरूप बन रही हूँ...

➳ _ ➳ बाबा मेरे सिर पर अपना वरदानी हाथ रख सर्व वरदानों से मुझे भरपूर कर रहे हैं... मैं आत्मा वरदानी मूर्त होने का अनुभव कर रही हूं... अब मैं आत्मा स्व के स्वार्थ से परे निस्वार्थ भाव से, बाबा से मिले खजानों को सर्व आत्माओं को दान कर रही हूं... सर्व आत्माओं प्रति श्रेष्ठ और शुभ भावना तथा शुभकामना रख सबका कल्याण कर रही हूं... मैं आत्मा हद की कामनाओं से परे निष्काम सेवा कर रही हूँ... मैं आत्मा रूहानी रहमदिल फराख दिल बन सर्व आत्माओं का उद्धार कर रही हूं... मैं आत्मा महात्यागी बन महादानी वरदानी स्थिति का अनुभव कर रही हूं...
 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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