━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 15 / 02 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अब तक जो कुछ पड़ा है, उसे भूल बाप को याद किया ?*
➢➢ *इस पुरानी दुनिया में स्वयमको मेहमान समझकर रहे ?*
➢➢ *अधिकारी बन समस्याओं को खेल खेल में पार किया ?*
➢➢ *सदा ज्ञान के सिमरन में रह सदा हर्षित रहे ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ मन्सा सेवा के लिए मन, बुद्धि व्यर्थ सोचने से मुक्त होना चाहिए। ‘मनमनाभव’ के मन्त्र का सहज स्वरूप होना चाहिए। *जिन श्रेष्ठ आत्माओं की श्रेष्ठ मन्सा अर्थात् संकल्प शक्तिशाली है, शुभ-भावना, शुभ-कामना वाले हैं वह मन्सा द्वारा शक्तियों का दान दे सकते हैं।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ"*
〰✧ सदा अपने को मास्टर सर्वशक्तिवान अनुभव करते हो? *इस स्वरूप की स्मृति में रहने से हर परिस्थिति ऐसे अनुभव होगी जैसे परिस्थिति नहीं लेकिन एक साइडसीन है। परिस्थिति समझने से घबरा जाते लेकिन साइडसीन अर्थात् रास्ते के नजारे हैं तो सहज ही पार कर लेते।*
〰✧ क्योंकि नजारों को देख खुशी होती है, घबराते नहीं। *तो विघ्न, विघ्न नहीं हैं लेकिन विघ्न आगे बढ़ने का साधन है। परीक्षा क्लास आगे बढ़ाता है।*
〰✧ तो यह विघ्न, परिस्थिति, परीक्षा आगे बढ़ाने के लिए आते हैं ऐसे समझते हो ना! कभी कोई बात सोचते यह क्या हुआ, क्यों हुआ? तो सोचने में भी टाइम जाता है। *सोचना अर्थात् रुकना। मास्टर सर्वशक्तिवान कभी रुकते नहीं। सदा अपने जीवन में उड़ती कला का अनुभव करते हैं।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *शिव बाप समान बनना अर्थात निराकार स्थिति में स्थित होना। मुश्किल है क्या?* बाप और दादा से प्यार है ना! तो जिससे प्यार है उस जैसा बनना, जब संकल्प भी है - बाप समान बनना ही है, तो कोई मुश्किल नहीं है।
〰✧ सिर्फ बार-बार अटेन्शन। साधारण जीवन नहीं। साधारण जीवन वाले बहुत हैं। बडे-बडे कार्य करने वाले बहुत हैं। लेकिन आप जैसा कार्य, आप ब्राह्मण आत्माओं के सिवाए और कोई नहीं कर सकता है। *तो आज स्मृति दिवस पर बापदादा समानता में समीप आओ, समीप आओ, समीप आओ का वरदान दे रहे हैं।*
〰✧ सभी हद के किनारे, चाहे संकल्प, चाहे बोल, चाहे कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क कोई भी हद का किनारा, अपने मन की नईया को इन हद के किनारों से मुक्त कर दो। *अभी से जीवन में रहते मुक्त ऐसे जीवनमुक्ति का अलौकिक अनुभव बहुतकाल से करो। अच्छा।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ व्यक्तभाव से अव्यक्त भाव में कहाँ तक आगे बढ़े - यह चेकिंग करनी है। अगर अव्यक्ति स्थिति बढ़ी है तो अपने चलन में भी अलौकिक होंगे। *अव्यक्त स्थिति की प्रैक्टिकल परख क्या है? आलौकिक चलन।* इस लोक में रहते अलौकिक कहाँ तक बने हो? यह चेक करना है।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अब तक जो कुछ पढ़ा है वह सबकुछ भूल एकदम बचपन में चले जाना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा स्वयं को हिस्ट्री हाल में बैठा हुआ अनुभव कर रही हूं और साकार बाबा की मधुर वाणी को स्मरण कर रही हूं... शिव बाबा साकार बाबा द्वारा कैसे हम बच्चों को पालना देते थे, और दे रहे हैं... इन मधुर मधुर यादों में खोई मैं आत्मा पहुंच जाती हूं निर्वाणधाम* यहाँ शिव बाबा की अलौकिक शक्ति चारों ओर लाल सुनहरे प्रकाश में बहती जा रही है... *मैं आत्मा बाबा के सम्मुख बैठ उस दिव्य अलौकिक शक्ति को अपने में समाती जा रही हूं... शक्तियों के प्रवाह से मैं आत्मा बहुत हल्का महसूस कर रही हूं... जन्मों जन्मों के विकर्मों को विनाश कर मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र नन्हा फ़रिश्ता बन सूक्ष्म वतन में पहुंच जाती हूं...*
❉ *बापदादा मुझे देख मुस्कुरा कर बोले:-* "आओ *मेरे नन्हें फ़रिश्ते... बाप तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रहे हैं... मेरे फूल बच्चे तुम्हें ईश्वरीय बचपन को ना भूल, फुल पास होकर सूर्यवंशी घराने में राज्य लेना है...* बाप की मत ही तुम्हें सूर्यवंशी राज्य अधिकारी बनाएगी इसलिए सदैव एक बाप की मत को धारण करो..."
➳ _ ➳ *बाबा से राज्य भाग्य का वरदान लेती मैं आत्मा अपने मीठे बाबा से कहती हूं:-* "मेरे दिलाराम बाबा... आपकी मत से मेरा जीवन सभी दुखों से मुक्त हो गया है... *मैं आत्मा दिव्य गुणों से सुसज्जित हो गयी हूं... ऐसा लगता है कि मैं अलौकिक प्रकाश की चमक से जगमगा रही हूं... अपने भाग्य का चिंतन कर मैं कभी कभी विस्मित हो जाती हूँ और दिल से आवाज़ आती है वाह बाबा वाह वाह मेरा भाग्य वाह...*"
❉ *मुझ नन्हे फ़रिश्ते को अपनी गोद में लेकर बाबा बहुत प्यार से कहते हैं:-* "मेरे रूहे गुलाब बच्चे... *बाप आये ही हैं तुम्हें विश्व की बादशाही देने, डबल ताजधारी विश्व महाराजन विश्व महारानी बनाने इसलिए अपने ईश्वरीय बचपन को सदैव याद रखो और एक बाप से योग लगायो...* योग से ही तुम्हारी आत्मा की खाद निकलेगी और तुम पवित्र बन पवित्र दुनिया मे मालिक बन जाएंगे..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने भाग्य को देख ख़ुशी में भाव विभोर होकर बाबा से कहती हूं:-* "मेरे जीवन को *ईश्वरीय ज्ञान, प्रेम और पवित्रता से सुसज्जित करने वाले मेरे प्राणों से प्यारे बाबा... आपकी बातों को धारण कर मुझ आत्मा का जीवन निखर गया है...* मेरे जादूगर बाबा आपकी जादूगरी ने मुझे पवित्रता की देवी बना दिया है... *आप क्या से क्या बनाते हो मन इन बातों का चिंतन करता रहता है और खुशी के झूले में झूलता रहता है... मुझे अपार खुशिओं का खजाना देकर आपने मुझे कौड़ी से हीरे तुल्य बना दिया है..."*
❉ *अपना वरदानी हाथ मेरे सर पर रखकर बाबा मेरे सर को सहलाते हुए मुझसे बोले:-* "मीठे बच्चे... ज्ञानी तू आत्मा बनने के लिए *बाप की मत ही सहायक है... एक बात को पक्का करो मेरा तो एक बाबा दूसरा न कोई इसी स्मृति से तुम अशरीरी अवस्था में टिक सकते हो... अशरीरी पन का अभ्यास ही अंत मति सो गति का आधार है... बाप के ज्ञान बाण ही तुम्हें अलौकिक एवं आत्मिक स्वरूप प्रदान करेंगे...* अपनी ईश्वरीय बचपन की स्मृति में स्थित रहो... *सदैव याद रखो तुम ईश्वर की सन्तान हो यही स्मृति तुम्हें फुल पास कराकर सूर्यवंशी घराने में राज्य अधिकारी का पद दिलाएगी... इस विकारी दुनिया से ममत्व मिटाकर एक बाप से बुद्धि योग लगाओ... बाप के गुणों को धारण कर दूसरों को कराने की सेवा करो...*"
➳ _ ➳ *मैं फ़रिश्ता बाबा की मधुर वाणी की धुन में खोई हुई सी बाबा से कहती हूं:-* " हाँ, मेरी जीवन नैया को भवसागर से पार लगाने वाले *मेरे सतगुरु बाबा... आपकी वाणी ने मेरे जीवन का हर दुख हर लिया है...* मेरा जीवन कितने विकारों, दुखों और संकटो से भरा हुआ था आपने आकर *विघ्न विनाशक बन इन दुखों से मुझे छुड़ा लिया है...* मोहबन्धन से मेरा मन छुड़ा कर अपनी याद में लीन कर दिया है... *आप नही मिलते तो नाजाने कितने ही जन्म मैं यूँही इस भवसागर में गोते खाती रहती... मुझे ईश्वरीय प्रेम देने वाले बाबा मेरे आपको कोटि कोटि धन्यवाद... मैं आत्मा बाबा को दिल की गहराइयों से स्नेह भरा धन्यवाद कर अपने साकारी तन में लौट आती हूँ...*"
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- इस पुरानी दुनिया मे स्वयं को मेहमान समझ कर रहना है*"
➳ _ ➳ देह और देह की यह झूठी दुनिया जिसमे बुद्धि को फंसा कर आज दिन तक सिवाय दुख और अशांति के कुछ प्राप्त नही हुआ ऐसी नश्वर दुनिया से वैराग्य रख उसे बुद्धि से भूल अपने मन बुद्धि को शन्ति, प्रेम, सुख, ज्ञान, शक्ति, आनन्द और पवित्रता के सागर अपने शिव पिता परमात्मा पर एकाग्र करना ही राजयोग है जो सच्चे सुख और शान्ति को पाने का एकमात्र उपाय है। *इसी चिंतन के साथ इस असार संसार की नश्वरता का विचार मन मे आते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे मेरा मन इस बेहद की दुनिया से वैरागी होने लगा है*। इस असार संसार मे होते हुए भी जैसे मैं इसमें नही हूँ।
➳ _ ➳ स्वयं को मैं केवल अपने लाइट स्वरूप में, एक चमकते हुए चैतन्य सितारे के रूप में देख रही हूँ और अनुभव कर रही हूँ कि *मेरा घर यह नश्वर दुनिया नही बल्कि 5 तत्वों से बनी इस दुनिया से परे, तारामंडल से भी परें, फ़रिश्तों की दुनिया के पार अनन्त प्रकाश की अति सुंदर दुनिया परमधाम हैं*। उस प्रकाश की दुनिया में अपने शिव पिता परमात्मा के साथ मैं रहने वाली हूँ। इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर मैं केवल पार्ट बजाने के लिए ही तो आई हूँ। हर आत्मा यहां इस बेहद की दुनिया मे आ कर ड्रामा प्लैन अनुसार अपना पार्ट ही तो बजा रही है।
➳ _ ➳ ड्रामा के इस अति गुह्य राज को स्मृति में रख इन सभी के पार्ट को अब मैं साक्षी हो कर देख रही हूँ। साक्षीदृष्टा की यह अवस्था मुझे इस बेहद की दुनिया से वैराग्य दिला रही है। *बुद्धि से इस दुनिया को भूल, अपनी अति सुंदर निराकारी दुनिया को स्मृति में लाकर अब मैं मन बुद्धि के विमान पर बैठ इस बेहद की दुनिया से किनारा कर प्रकाश की उस अति उज्ज्वल दुनिया की ओर जा रही हूँ*। स्वीट साइलेन्स होम की स्मृति मात्र से ही मेरे अंदर जैसे शक्ति भरने लगी है जो मुझे लाइट और माइट स्वरुप में स्थित कर, ऊपर की ओर ले जा रही है। हर प्रकार के बन्धन से मुक्त हल्के हो कर उड़ते हुए असीम आनन्द का अनुभव करते - करते आकाश मण्डल को मैं पार कर जाती हूँ।
➳ _ ➳ आकाश को पार कर, सफेद प्रकाश की दुनिया सूक्ष्म लोक को पार कर मैं पहुँच जाती हूँ अति दिव्य, अलौकिक लाल प्रकाश से प्रकाशित अपने स्वीट साइलेन्स होम शान्तिधाम में। *शान्ति की इस दुनिया मे पहुंचते ही गहन शांति की अनुभूति में मैं खो जाती हूँ और हर संकल्प, विकल्प से परें एक अति न्यारी और प्यारी निरसंकल्प स्थिति में स्थित हो जाती हूँ*। संकल्पो से रहित इस अति प्यारी अवस्था में मेरा सम्पूर्ण ध्यान केवल अपने सामने विराजमान मेरे शिव पिता की ओर है। मुझे केवल मेरा चमकता हुआ ज्योति बिंदु स्वरूप और अपने शिव पिता परमात्मा का अनन्त प्रकाशमय महाज्योति स्वरूप दिखाई दे रहा है।
➳ _ ➳ इस अतिशय प्यारी निरसंकल्प स्थिति में स्थित मैं आत्मा महाज्योति अपने शिव बाबा से आ रही अनन्त शक्तियों की किरणें को स्वयं में समाहित कर शक्तिसम्पन्न स्वरूप बनती जा रही हूँ। *शिव बाबा से आ रही सातों गुणों की सतरंगी किरणे मुझ आत्मा में समाहित होकर मेरे अंदर निहित सातों गुणों को विकसित कर रही हैं*। देह अभिमान में आ कर, अपने सतोगुणी स्वरूप को भूल चुकी मैं आत्मा अपने एक - एक गुण को पुनः प्राप्त कर फिर से अपने सतोगुणी स्वरूप में स्थित होती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ हर गुण, हर शक्ति से मैं स्वयं को सम्पन्न बना कर वापिस देह की दुनिया में कर्म करने के लिए लौट रही हूँ। अपनी देह में पुनः भृकुटि के अकालतख्त पर अब मैं विराजमान हूँ। *बाबा के साथ सदा कम्बाइन्ड रहकर अपने गुणों और सर्वशक्तियों को सदा इमर्ज रखते हुए अब मैं साक्षीदृष्टा बन इस बेहद की दुनिया में अपना पार्ट बजा रही हूँ*। इस दुनिया मे स्वयं को मेहमान समझ इसमें रहते हुए बुद्धि से अब मैं इसे भूलती जा रही हूँ। *इस बेहद की दुनिया से बेहद की वैराग्य वृति रख, अपने शिव पिता पर अपनी बुद्धि को सदा एकाग्र रखते हुए, उनकी याद में रहते केवल निमित बन अब मैं हर कर्तव्य कर रही हूँ*।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अधिकारी बन समस्याओं को खेल - खेल में पार करने वाली हीरो पार्टधारी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं सदा ज्ञान के सिमरण में रह कर सदा हर्षित रहने वाली, माया के आकर्षण से मुक्त होने वाली ज्ञानी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ देवता बनने वाले माना देने वाले। लेवता नहीं देवता... कितने बार देवता बने हो, अनेक बार बने हो ना... तो देवता अर्थात् देने के संस्कार वाले... *कोई कुछ भी दे लेकिन आप सुख की अंचली, शान्ति की अंचली, प्रेम की अंचली दो*... लोगों के पास है ही दुःख अशान्ति तो क्या देंगे वो ही देंगे ना... और आपके पास क्या है - सुख-शान्ति... सब ठीक है ना! अच्छा...
✺ *ड्रिल :- "देवता बन सुख-शान्ति की अंचली देने का अनुभव"*
➳ _ ➳ अपने देवता स्वरूप को स्मृति में लाते ही दाता पन के संस्कार स्वत: ही इमर्ज होने लगते हैं और *अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर मैं फ़रिशता चल पड़ता हूँ विश्व की उन सभी दुखी और अशांत आत्माओं को सुख शांति की अनुभूति करवाने जो पल भर की सुख शांति पाने के लिए दर - दर भटक रहे हैं, भक्ति मार्ग के अनेक कर्मकांडो में फंस कर स्वयं को कष्ट दे रहें हैं*... लम्बी - लम्बी पैदल यात्रायें करके मंदिरों, तीर्थो पर जा रहें हैं... किन्तु सुख, शांति की अंचली मात्र से भी कोसों दूर हैं...
➳ _ ➳ सुख, शांति की तलाश में भटक रही इन आत्माओं के बारे में विचार करते ही मुझे अनुभव होता है जैसे ये सभी तड़पती हुई आत्मायें मेरे ही भक्त हैं और सुख, शांति की अंचली पाने के लिए मुझे पुकार रहें हैं... अपने भक्तों के रोने -चिल्लाने की करुण आवाजें अब मेरे कानों में स्पष्ट सुनाई दे रही हैं... *अपने भक्तों की करुणामयी, दुखदाई पुकार को सुन कर अब मैं फ़रिशता अपने देवता स्वरूप को धारण करता हूँ और अपने भक्तों को सुख, शांति की अंचली देने मंदिर की ओर चल पड़ता हूँ*...
➳ _ ➳ मन्दिर के बाहर पहुंच कर अब मैं मन्दिर के अंदर का दृश्य देख रहा हूँ... मन्दिर में प्रतिस्थापित मेरे जड़ चित्रों के सामने खड़े भक्तों को मैं देख रहा हूँ... उनके चेहरों पर पड़ी दुख की रेखाएं मुझे स्पष्ट दिख रही हैं ... दोनों हाथ जोड़ कर सुख, शांति की भीख मांग रहें हैं... *विनाशी साधनों में सुख शांति समझने के कारण उन साधनों को पाने के लिये लम्बी - लम्बी अरदासें कर रहें हैं*... अपने भक्तों की यह दुर्दशा देख, रहम दिल बन अब मैं अपनी उस जड़ मूर्ति में प्रवेश करता हूँ... और अपने शिव पिता परमात्मा का आह्वान करता हूँ...
➳ _ ➳ पलक झपकते ही मैं अपने बिल्कुल ऊपर अपने पिता परमात्मा शिव बाबा की छत्रछाया को अपने ऊपर अनुभव करता हूँ... *बाबा से निकल रही सुख, शांति की शक्तिशाली किरणे सीधी मेरे ऊपर पड़ रही हैं और मेरे देव स्वरूप से निकल कर अब धीरे - धीरे पूरे मन्दिर में फैल रही हैं*... मेरे वरदानी हस्तों से सुख, शांति के पुष्पों की वर्षा हो रही हैं... सुख शांति के ये पुष्प भक्तों की झोली में गिर रहें हैं और उन्हें पल भर के लिए गहन सुख, शांति की अनुभूति करवा रहें हैं... सुख, शांति की अंचली पाने की उनकी आश जैसे पूरी हो रही है...
➳ _ ➳ सुख शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन धीरे - धीरे पूरे मन्दिर में फैल कर मन्दिर से बाहर चारों और फैल रहें हैं और सबको अपनी और आकर्षित कर रहें हैं... दूर दूर से आत्मायें खिंची आ रही हैं और मन्दिर में आ कर सुख, शांति की अनुभूति करके तृप्त हो रही हैं... *पल भर की सुख, शांति पाकर सभी के दुखी चेहरे जैसे खिल उठे हैं... उनकी खोई हुई मुस्कान पुनः लौट आई है*... आंखों में खुशी के आंसू लिए मेरे भक्त मेरी जयजयकार करते हुए अपने घर लौट रहे हैं...
➳ _ ➳ वरदानी मूरत बन, अपने वरदानी हस्तों से अपने भक्तों को सुख शांति की अंचली देकर अब मैं अपने देव स्वरूप से अपने ब्राह्मण स्वरूप में लौट आती हूँ... अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर *अब मैं अपने देवताई स्वरूप को सदा स्मृति में रख, स्वयं को परमात्म शक्तियों से सम्पन्न कर, मास्टर दाता बन, अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को सुख, शांति की अनुभूति करवाती रहती हूँ*...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━