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❍ 12 / 05 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 54=20)
➢➢ बाप समान ऊंचे ते ऊंची स्थिति में स्थित हो चारो तरफ रहम की किरनें फैलाई ?
➢➢ सम्पूरण कामजीत अर्थात हद की कामनाओं से परे रहे ?
➢➢ आत्माओं को शांति और शक्ति की अनुभूति करवाई ?
➢➢ एक दो को विशेषता प्रमाण विशेष आत्मा समझा ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ देह-अभिमान को छोड़ना-यह बड़े ते बड़ा त्याग है। इसके लिए हर सेकेण्ड अपने आपको चेक करना पड़ता है। इस त्याग से ही तपस्वी बनेंगे और एक बाप से ही सर्व सम्बन्धों का अनुभव करेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं दृष्टि द्वारा शक्तियों की प्राप्ति करने वाली अनुभवी आत्मा हूँ"
〰✧ दृष्टि द्वारा शक्तियों की प्राप्ति की अनुभूति करने के अनुभवी हो ना! जैसे वाणी द्वारा शक्ति की अनुभूति करते हो। मुरली सुनते हो तो समझते हो ना शक्ति मिली। ऐसे दृष्टि द्वारा शक्तियों की प्राप्ति के अनुभूति के अभ्यासी बने हो या वाणी द्वारा अनुभव होता है, दृष्टि द्वारा कम। दृष्टि द्वारा शक्ति कैच कर सकते हो? क्योंकि कैच करने के अनुभवी होंगे तो दूसरों को भी अपने दिव्य दृष्टि द्वारा अनुभव करा सकते हैं। और आगे चल कर वाणी द्वारा सबको परिचय देने का समय भी नहीं होगा और सरकमस्टांस भी नहीं होंगे, तो क्या करेंगे?
〰✧ वरदानी दृष्टि द्वारा, महादानी दृष्टि द्वारा महादान देंगे, वरदान देंगे। तो पहले जब स्वयं में अनुभव होगा तब दूसरों को करा सकेंगे। दृष्टि द्वारा शान्ति की शक्ति, प्रेम की शक्ति, सुख वा आनन्द की शक्ति सब प्राप्त होती है। जड़ मूर्तियों के आगे भी जाते हैं तो जड़ मूर्ति बोलती तो नहीं है ना! फिर भी भक्त आत्माओंको कुछ-न-कुछ प्राप्ति होती है, तब तो जाते हैं। कैसे प्राप्ति होती है? उनकी दिव्यता के वायब्रेशन से और दिव्य नयनों की दृष्टि को देख कर वायब्रेशन लेते हैं। कोई भी देवता या देवी की मूर्ति में विशेष अटेन्शन नयनों के तरफ देखेंगे। हरेक का अटेन्शन सूरत की तर]फ जाता है। क्योंकि मस्तक के द्वारा वायब्रेशन मिलते हैं, नयनों के द्वारा दिव्यता की अनुभूति होती है। वह आप चैतन्य मूर्तियों की जड़ मूर्तियाँ हैं। आप सबने चैतन्य में यह सेवा की है तब जड़ मूर्तियाँ बनी हैं। तो दृष्टि द्वारा शक्ति लेना और दृष्टि द्वारा शक्ति देना - यह प्रैक्टिस करो। शान्ति के शक्ति की अनुभूति बहुत श्रेष्ठ है।
〰✧ जैसे वर्तमान समय साइंस की शक्ति का प्रभाव है, हर एक अनुभव करते हैं। लेकिन साइंस की शक्ति साइलेन्स की शक्ति से ही निकली है ना! जब साइंस की शक्ति अल्पकाल के लिए प्रप्ति करा रही है तो साइलेन्स की शक्ति कितनी प्राप्ति करायेगी। पद्मगुणा तो इतनी शक्ति जमा करो। बाप की दिव्य दृष्टि द्वारा स्वयं में शक्ति जमा करो। तब समय पर दे सकेंगे। अपने लिए ही जमा किया और कार्य में लगा दिया अर्थात् कमाया और खाया। जो कमाते हैं और खा के खत्म कर देते हैं उनका कभी जमा का खाता नहीं रहता और जिसके पास जमा का खाता नहीं होता है उसको समय पर धोखा मिलता है। धोखा मिलेगा तो दुःख की प्राप्ति होगी। अगर साइलेन्स की शक्ति जमा नहीं होगी, दृष्टि के महत्त्व का अनुभव नहीं होगा तो लास्ट समय श्रेष्ठ पद प्राप्त करने में धोखा खा लेंगे फिर दुःख होगा। पश्चाताप् होगा ना। इसलिए अभी से बाप की दृष्टि द्वारा प्राप्त हुई शक्तियों को अनुभव करते जमा करते रहो।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ जैसे जिस्मानी मिलिट्री को आँर्डर करते हैं - एक सेकण्ड में जहाँ हो, वहाँ ही खडे हो जाओ। अगर वह इस आँर्डर को सोचने में व समझने में ही टाइम लगा दे तो उसका रिजल्ट क्या होगा? विजय का प्लान प्रैक्टिकल में नहीं आ सकता।
〰✧ इसी प्रकार सदा विजयी बनने वाले की विशेषता यही होगी एक सेकण्ड में अपने संकल्प को स्टाँप कर लेना। कोई भी स्थूल कार्य व ज्ञान के मनन करने में बहुत बिजी है लेकिन ऐसे समय में भी अपने आप को एक सेकण्ड में स्टाँप कर लेना।
〰✧ जैसे वे लोग यदि बहुत तेजी से दौड रहे हैं वा कश्म - कश के युद्ध में उपस्थित हैं, वे ऐसे समय में भी स्टाँप कहने से स्टाँप हो जायेंगे। इसी प्रकार यदि किसी समय यह संकल्प नहीं चलता है अथवा इस घडी मनन करने के बजाय बीजरूप अवस्था में स्थित हो जाना है। तो सेकण्ड में स्टाँप हो सकते हैं?
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ अशरीरी बनने का अभ्यास इतना ही सरल अनुभव होता है, जैसे शरीर में आना अति सहज और स्वत: लगता है। रूहानी मिलिट्री हो ना? मिल्ट्री अर्थात् हर समय सेकण्ड में ऑर्डर को प्रेक्टिकल में लाने वाले। अभी-अभी ऑडर हो अशरीरी भव, तो एवररेडी हो या रेडी होना पडेगा? अगर मिल्ट्री रेडी होने में समय लगाये तो विजय होगी? ऐसा सदा एवररेडी रहने का अभ्यास करो।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- हद की कामनाओं से परे रहना"
➳ _ ➳ अमृतवेले आंख खुलते ही मैं आत्मा मीठे बापदादा को अपने सामने देखती हूँ... बापदादा बड़े प्यार से मीठे बच्चे- मीठे बच्चे कहकर मुझे जगाते हैं... बड़ी प्यार भरी दृष्टि दे रहे हैं... बाबा के रूहानी नयन मुझ आत्मा को प्रभु प्यार में पूरी तरह लवलीन कर रहे हैं... मैं आत्मा तहे दिल से अपने मीठे बाबा का शुक्रिया करती हूँ... जिन्होंने मेरे जीवन में आकर जीवन रूपी बगिया को खुशियों से महका दिया है... बापदादा से होने वाली असीम स्नेह की वर्षा से मैं आत्मा भीगती जा रही हूँ...
❉ अपनी मीठी मीठी शिक्षाओं से मेरे जीवन का श्रृंगार करते हुए बाबा कहते हैं:- "मीठे प्यारे बच्चे... उड़ती कला का श्रेष्ठ साधन जानते हो... उड़ती कला का अनुभव करने के लिए एक शब्द का परिवर्तन करना है... वह एक शब्द है सब कुछ तेरा... मेरा शब्द को बदल कर तेरा कर देना है... यह शब्द सदा के लिए लाइट बना देता है और डबल लाइट बन जाने से सहज उड़ती कला वाला बन जाते हैं..."
➳ _ ➳ बाबा के मीठे बोल सुनकर गदगद होती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:- "मेरे प्राणेश्वर मीठे बाबा... आप हमें उड़ती कला में ले जाने की कितनी सहज युक्ति बता रहे हैं... अब मैं आत्मा हर मेरे को तेरे में परिवर्तन कर रही हूँ... इस 'तेरा हूं' से आत्मा तो लाइट है ही और सब कुछ जिम्मेवारी तेरा कर देने से मैं हल्कापन अनुभव कर रही हूँ... डबल लाइट बन जाने से मैं आत्मा सहज ही उड़ती कला में जा रही हूँ..."
❉ अपने श्रेष्ठ और महान ब्राह्मण कुल की स्मृति दिलाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:- "मीठे-मीठे फूल बच्चे... सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण कुल वाली आत्माओं का लक्ष्य है सदा महादानी और सदा पुण्य आत्मा बनना... पुण्य आत्माएं कभी भी संकल्प में भी विकार के वश नहीं हो सकती... वे हर संकल्प में, बोल में, कर्म में सदा पुण्य आत्मा रहती हैं... जब पुण्य आत्मा बन गई तो पाप का नाम निशान भी नहीं रह सकता... तो सदा इसी स्मृति में रहो कि हम ब्राह्मण आत्माएं सदा की पुण्य आत्मायें हैं..."
➳ _ ➳ बाबा की शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण करती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:- "सतगुरु मीठे बाबा... मैं आत्मा अब इसी स्मृति में स्थित हूँ कि मैं सर्वश्रेष्ठ कुल वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ... पुण्य आत्मा हूँ... मैं आत्मा हर कर्म से पुण्य का खाता जमा करती जा रही हूँ... हर आत्मा के प्रति सदैव श्रेष्ठ भावना और शुभ भावना रख रही हूँ... और अपनी पुण्य की पूंजी को बढ़ाती जा रही हूँ..."
❉ ज्ञान रत्नों से मेरा श्रृंगार करते हुए मीठे बाबा कहते हैं:- "मेरे प्यारे बच्चे... पुण्य आत्माओं की निशानी जानते हो... पुण्य आत्मा कभी भी किसी भी आत्मा से अल्पकाल की प्राप्ति की कामना नहीं रखती... वह कभी भी अपने पुण्य के बदले प्रशंसा लेने की कामना भी नहीं रखती... वे सदा अपने हर बोल द्वारा औरों को खुशी, बाप के स्नेह, अतींद्रिय सुख, रूहानी आनन्दमय जीवन का अनुभव कराते हैं... तो ऐसे पुण्य आत्मा बनो..."
➳ _ ➳ बाबा द्वारा कही गई एक एक बात का स्वरूप बनती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:- "नयनों के नूर मीठे बाबा... मैं आत्मा अपनी दातापन की स्थिति में स्थित हूँ... हद की नाम मान शान की सभी कामनाओं से मुक्त हूँ... अपने हर बोल द्वारा आत्माओं को खुशी की खुराक दे रही हूँ... अपने हर कर्तव्य द्वारा सभी को सहयोग की अनुभूति करा रही हूँ... पुण्य आत्मा के सभी लक्षण, निशानियाँ स्वयं में धारण करती जा रही हूँ..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- आत्माओं को शांति और शक्ति की अनुभूति करवाना"
➳ _ ➳ "विश्व की सर्व आत्मायें शांति की तलाश में भटक रही है, उन तड़पती हुई आत्माओं को शांति की अनुभूति करवाओ" अपने शिव पिता परमात्मा के इस फरमान का पालन करने के लिए, अपनी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित हो कर मैं शांति के सागर अपने शिव पिता परमात्मा की याद में बैठ जाती हूँ। अशरीरी स्थिति में स्थित होते ही मैं स्वयं को शान्तिधाम में शांति के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के सन्मुख पाती हूँ जो शांति की अनन्त शक्तियों से मुझे भरपूर कर रहें हैं। अपने शिव पिता से आ रही शांति की शक्तिशाली किरणों को स्वयं में समा कर मैं जैसे शांति का पुंज बनती जा रही हूं।
➳ _ ➳ शांति की असीम शक्ति का स्टॉक अपने अंदर जमा करके अब मैं परमधाम से नीचे आ कर विश्व की उन सर्व आत्माओं को शांति की अनुभूति करवाने चल पड़ती हूँ जो पल भर की शांति की तलाश में भटक रही हैं। सूक्ष्म लोक में पहुंच कर अपना लाइट का फ़रिशता स्वरूप धारण कर, शांति दूत बन बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर अब मैं विश्व ग्लोब पर आ कर बैठ जाता हूँ। मैं देख रहा हूँ बापदादा से अविरल शांति की धाराएं निकल रही हैं जो निरन्तर मुझ फ़रिश्ते में समा रही है। शांति की इन धाराओं को मैं फ़रिशता अब विश्व ग्लोब के ऊपर प्रवाहित कर रहा हूँ। शांति की इन धाराओं के विश्व ग्लोब पर पड़ते ही शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन पूरे विश्व मे फैल रहें हैं।
➳ _ ➳ जैसे - जैसे ये वायब्रेशन वायुमण्डल में फैल रहें हैं वैसे - वैसे वायुमण्डल में एक दिव्यता छाने लगी है। जैसे सुबह की ताजी हवा शरीर को सुखद अहसास करवाती है वैसे ही वायुमण्डल में फैले ये शांति के वायब्रेशन आत्माओं को एक अद्भुत सुख का अनुभव करवा रहें हैं। उनके अशांत मन शांति का अनुभव करके तृप्त हो रहे हैं। सबके चेहरे पर एक सकून दिखाई दे रहा है। जन्म जन्मान्तर से शांति की एक बूंद की प्यासी आत्माओं की प्यास बुझ रही है। शांति के सागर शिव पिता से आ रही शांति की किरणों का प्रवाह और भी तीव्र होता जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे शांति की शक्ति की किरणों की बरसात हो रही है।
➳ _ ➳ जैसे चात्रक पक्षी अपनी प्यास बुझाने के लिए स्वांति की एक बूंद पाने की इच्छा से व्याकुल निगाहों के साथ निरन्तर आकाश की ओर देखता रहता है। इसी प्रकार शांति की तलाश में भटकती और तड़पती हुई आत्मायें भी शांति की एक बूंद पाने की इच्छा से व्याकुल निगाहों से ऊपर देख रही है और शांति की किरणों की बरसात में नहा कर जैसे असीम शांति का अनुभव करके प्रसन्न हो रही हैं। विश्व की सर्व आत्माओं को शांति की अनुभूति करवाकर अब मैं फ़रिशता बापदादा के साथ फिर से सूक्ष्म लोक में पहुंचता हूँ। अपनी फ़रिशता ड्रेस को उतार कर अपने निराकारी स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं आत्मा अपने शांत स्वरूप में स्थित हो कर वापिस साकारी दुनिया मे अपने साकारी शरीर मे प्रवेश करती हूं।
➳ _ ➳ साकारी दुनिया मे आ कर अब मैं आत्मा अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, निरन्तर अपने शांत स्वधर्म में रहकर शांति के वायब्रेशन चारों ओर फैला रही हूँ। सर्व आत्माओ को शांति के सागर बाप का परिचय दे कर, उन्हें भी अपने शांत स्वधर्म में स्थित हो कर शांति पाने का सहज उपाय बता रही हूं। स्वयं को शांति के सागर अपने शिव पिता के साथ सदा कम्बाइंड अनुभव करने से मेरे सम्पर्क में आने वाली परेशान आत्मायें डेड साइलेन्स की अनुभूति करके सहज ही अपनी सर्व परेशानियों से मुक्त हो रही हैं। "विश्व की सर्व आत्माओं को शांति का अनुभव कराना" यही मेरा कर्तव्य है। इस बात को सदा स्मृति में रख अब मैं इसी ईश्वरीय सेवा में निरन्तर लगी रहती हूं।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं अविनाशी नशे में रह रूहानी मज़े और मौज का अनुभव करने वाली ब्राह्मण सो फरिश्ता आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं अपनी सेवा को भी बाप के आगे अर्पित करने वाली समर्पित आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ तो ऐसे एवररेडी हो अर्थात् अनुभवी स्वरूप हो? साथ जाने के लिए तैयार हो ना या कहेंगे अभी अजुन यह रह गया है! ऐसी अनुभूति होती है वा सेवा में इतने बिजी हो गये हो जो घर ही भूल जाता है। सेवा भी इसीलिए करते हो कि आत्माओं को मुक्ति वा जीवनमुक्ति का वर्सा दिलावें। सेवा में भी यह स्मृति रहे कि बाप के साथ जाना है तो सेवा में सदा अचल स्थिति रह सकती है? सेवा के विस्तार में सार रूपी बीज की अनुभूति को भूलो मत। विस्तार में खो नहीं जाओ। विस्तार में आते स्वयं भी सार स्वरूप में स्थित रह और औरों को भी सार स्वरूप की अनुभूति कराओ। समझा -अच्छा।
✺ "ड्रिल :- सेवा के विस्तार में सार रूपी बीज की अनुभूति करना”
➳ _ ➳ मैं आत्मा मन रूपी घोड़े में बैठकर रंग-बिरंगी दुनिया के आकर्षणों के विस्तार में दौड़ लगा रही थी... अपनी मंजिल को ढूंढते हुए न जाने कहाँ-कहाँ भटक रही थी... अब परमपिता शिव बाबा ने आकर मंजिल तक पहुँचने का रास्ता बताकर भटकती हुई मेरे मन रूपी घोड़े की दिशा बदल दी... अब मैं आत्मा मन रूपी घोड़े की लगाम को अपने हाथों में पकड़कर पहुँच जाती हूँ परमधाम...
➳ _ ➳ मैं आत्मा परमधाम में चमकते हुए ज्योतिबिंदु से निकलती हुई रंग-बिरंगी किरणों में खो जाती हूँ... दुनियावी रंगों के मुकाबले बाबा से निकलती हुई किरणों का रंग कितना ही आकर्षणीय है... प्यारे बाबा से ज्ञान, गुण, शक्तियों की अलग-अलग रंगों की किरणें निकलकर मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं... मैं आत्मा इन किरणों से भरपूर होकर सम्पन्न बन रही हूँ... सर्व खजानों की मालिक होने का अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा विश्व सेवाधारी की स्टेज पर स्थित हो जाती हूँ... मैं आत्मा महादानी बन बाबा से प्राप्त अविनाशी ज्ञान को सबमें बाँट रही हूँ... गुण, शक्तियों के खजानों को स्वयं के लिए और सम्बन्ध सम्पर्क में आने वालों के लिए समय प्रमाण यूज कर रही हूँ... मैं आत्मा ज्ञान, योग, धारणा, सेवा चारों सब्जेक्ट्स में पास विद आनर होने का पुरुषार्थ कर एवररेडी बन रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा भटकती हुई आत्माओं को बाबा का सन्देश देकर उनका भटकन समाप्त कर रही हूँ... सबको राजयोग का गुह्य ज्ञान देकर सच्चा-सच्चा राजमार्ग बता रही हूँ... जिस राजमार्ग पर चलकर राजाओं का भी राजा बनते हैं... मुक्ति वा जीवनमुक्ति का वर्सा पाते हैं... मैं आत्मा विश्व कल्याणकारी बन सेवा निःस्वार्थ सेवा कर रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा इसी स्मृति में रहकर सेवा करती हूँ कि बाबा के साथ वापस घर जाना है... स्मृति स्वरुप बन औरों को भी सदा घर की स्मृति दिलाकर एवररेडी बनाने की सेवा कर रही हूँ... अब मैं आत्मा सदा अचल स्थिति में रहकर सेवा करती हूँ... सदा बाबा की और घर की याद में रहकर सेवा कर रही हूँ... मैं आत्मा सदा बीजरूप धारण कर बीजरूप बाबा की याद में ही रहती हूँ... अब मैं आत्मा सेवा के विस्तार में आकर स्वयं भी सार स्वरूप में स्थित रहती हूँ और औरों को भी सार स्वरूप की अनुभूति कराती हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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