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 24 / 04 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *किसी से भी कोई सम्बन्ध तो नहीं रखा ?*

 

➢➢ *"यही समय है उत्तम पुरुष बनने का" - सदा यही स्मृति रही ?*

 

➢➢ *किसी के व्यर्थ समाचार को सुनकर इंटरेस्ट बढाने की बजाये फुल स्टॉप लगाया ?*

 

➢➢ *स्वपन में भी हद के संस्कार इमर्ज तो नहीं हुए ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *संगमयुग की विशेष शक्ति साइलेन्स की शक्ति है।* संगमयुगी आत्माओं का लक्ष्य भी है कि अब स्वीट साइलेन्स होम में जाना है। *शान्त स्वरूप रहना और सर्व को शान्ति देना-यही संगमयुगी आत्माओं का मुख्य लक्षण है। वर्तमान समय विश्व में इसी शक्ति की आवश्यकता है, इसको ही योगबल कहा जाता है।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं पवित्र आत्मा हूँ"*

 

✧   सदा पवित्रता की शक्ति से स्वयं को पावन बनाए औरों को भी पावन बनने की प्रेरणा देने वाले हो ना? *घर-गृहस्थ में रह पवित्र आत्मा बनना, इस विशेषता को दुनिया के आगे प्रत्यक्ष करना है।*

 

✧  ऐसे बहादुर बने हो! *पावन आत्मायें हैं, इसी स्मृति से स्वयं भी परिपक्व और दुनिया को भी यह प्रत्यक्ष प्रमाण दिखाते चलो।*

 

 कौन-सी आत्मा हो? *असम्भव को सम्भव कर दिखाने के निमित्त, पवित्रता की शक्ति फैलाने वाली आत्मा हूँ। यह सदा स्मृति में रखो।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  आज हरेक को अव्यक्त स्थिती का अनुभव करा रहे हैं। हरेक यथाशक्ति अनुभव कर रहे हैं, कहाँ तक हरेक निराकारी और अलंकारी बने है वह देख रहे हैं। दोनों ही आवश्यक हैं। *अलंकारी कभी भी देह अहंकारी नहीं बन सकेगा।* इसलिए सदैव अपने आप को देखो कि निराकारी और अलंकारी हूँ। यही है मनमनाभव, मध्याजीभव।

 

✧  स्व - स्थिति को मास्टर सर्वशक्तिवान कहा जाता है। तो मास्टर सर्वशक्तिवान बने हो ना। इस स्थिति में सर्व परिस्थितियों से पार हो जाते हैं। *इस स्थिति में स्वभाव अर्थात सर्व में स्व का भाव अनुभव होता है।* और अनेक पुराने स्वभाव समाप्त हो जाते हैं।

 

✧  स्वभाव अर्थात स्व में आत्मा का भाव देखो फिर यह भाव - स्वभाव की बातें समाप्त हो जायेगी। सामना करने की सर्व शक्तियाँ प्राप्त हो जायेगी। *जब तक कोई सूक्ष्म वा स्थूल कामना है तब तक सामना करने की शक्ति नहीं आ सकती।* कामना सामना करने नहीं देती।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *उन पण्डितो आदि के बोलने में भी पावर होती है। एक सेकण्ड में खुशी दिला देते, एक सेकण्ड में रुला देते हैं। जब उन्हों के भाषण में इतनी पावर होती है; तो क्या आप लोगों के भाषण में वह पावर नहीं हो सकती?* अशरीरी बनाना चाहो वह अनुभव करा सकते है? वह लहर छा जावे। सारी सभा के बीच बाप के स्नेह की लहर छा जावे। उसको कहा जाता है प्रैक्टिकल अनुभव कराना। अब ऐसी भाषण होना चाहिए, तब कुछ चेन्ज होगी। *वह भले भाषण सभा को हँसा लेते, रुला लेते लेकिन न तो अशरीरीपन का अनुभव करा सकते और न ही बाप से स्नेह नहीं पैदा कर सकते।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- यह जीवन देवताओं से भी उत्तम है"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा मधुबन में प्रकाश स्तम्भ के सामने बैठ आत्मचिंतन करती हूँ... कितनी भाग्यशाली हूँ मैं जिसको स्वयं परमात्मा ने अपना बनाया... अपनी गोद में बिठाकर पालना दे रहा है... प्रेम का सागर, सागर से भी गहरा प्यार बरसा रहा है... शिक्षा देकर पत्थर से पारस बना रहा है...* श्रीमत पर चलना सिखाकर स्वर्णिम युग का वर्सा दे रहा है... प्रकाश स्तम्भ से निकलते प्रकाश की किरणों में बैठकर मैं आत्मा प्रकाश के वतन में उड़ चलती हूँ मीठे बाबा के पास... 

 

   *मुझे एडाप्ट कर सत्य ज्ञान देकर देवताओ से भी ऊँच ब्राह्मण जीवन का महत्व समझाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... *ईश्वर पिता की गोद में महके से फूल हो... स्वयं भगवान की पालना में पलने वाले महान खुशनसीब हो... बेसमझ मनुष्य से ईश्वर पुत्र हो, सदा के समझदार, तीनो कालो और लोको को जानने वाले त्रिकालदर्शी बन मुस्करा रहे हो...* इस मीठे से भाग्य के नशे में आनन्दित हो जाओ..."

 

_ ➳  *इस अमूल्य जीवन के महत्व को जान श्रेष्ठ ईश्वरीय कुल की संतान होने के नशे में मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा ईश्वरीय हाथो में खिलने वाला खुबसूरत रूहानी गुलाब हूँ... *मीठे बाबा कभी खुद को भी न जानने वाली, आज त्रिकालदर्शी बन मुस्करा रही हूँ... आपके प्यार में विकारो के दलदल से निकल पवित्र ब्राह्मण सी खिल उठी हूँ..."*

 

   *अपना परम तख़्त छोड़ इस धरा पर आकर अपने दिल तख़्त पर मुझे बिठाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... अपनी ईश्वरीय खुशनसीबी पर बलिहार जाओ... किसने चुना है,और दिल की धड़कन सा दिल में समाया है... इन मीठी यादो में रोमांचित हो जाओ... *ईश्वरीय बुद्धि को पाने वाले और मीठे बाबा की बाँहों में मुस्कराने वाले, ऊँच ते ऊँच आप ही ब्राह्मण बच्चे हो..."*

 

_ ➳  *प्रभु प्यार की किरणों से श्रृंगार कर प्यार के सागर की महिमा गाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा कितने महान भाग्य की मालिक हूँ... *संगम पर प्यारे बाबा आपको पाकर देवताई सौंदर्य से सजधज रही हूँ... मीठे सुखो की सतयुगी धरती पर कदम बढ़ाती जा रही हूँ... ईश्वर पिता को और उसके सारे राजो को जानने वाली भाग्य की धनी हूँ..."*

 

   *अपनी बाँहों में लेकर प्यार से पालना देकर हर सम्बन्ध का अनुभव कराते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... जो भाग्य देवताओ का भी नही वह प्यारा भाग्य आप बच्चों ने पाया है... भगवान को जान कर उसकी यादो में स्वयं को बसाया है... *यह निराला सुख देवताओ को भी नसीब नही जो आप बच्चों ने सहज ही पाया है... ईश्वरीय खजानो, शक्तियो और प्यार को दिल में अपने समाया है..."*

 

_ ➳  *हसीन बाबा के हसीन यादों के आँगन में खुशनुमा फूल बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा कितने प्यारे भाग्य को सहज ही पा गई हूँ... *मनुष्य बनी सदा मूँझने वाली, आज ईश्वरीय गोद में ब्राह्मण बनकर... बेहद की समझदार हो गयी हूँ... मीठे बाबा आपकी यादो में ईश्वरीय जादू की मिसाल बन मुस्करा रही हूँ..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सारी दुनिया अब कब्र दाखिल होनी है, विनाश सामने है, इसलिए कोई से भी सम्बन्ध नहीं रखना है*"

 

_ ➳  अपनी लाइट की सूक्ष्म आकारी देह में मैं फ़रिश्ता इस नश्वर दुनिया के रंगीन नज़ारो को देखता हुआ सारे विश्व का चक्कर लगा रहा हूँ और *विचार कर रहा हूँ कि माया के भभके को देख, इससे आकर्षित होकर इसके जाल में फंसे मनुष्य बेचारे इस बात से कितने अंजान है कि सत्य भासने वाली देह की यह झूठी दुनिया, झूठे सम्बन्ध, क्षण भंगुर सुख प्रदान करने वाले मायावी साधन ये सब समाप्त होने वाले हैं क्योंकि इस नश्वर संसार का अब अंत निश्चित है*। इस संसार की हालत आज उस मरणासन व्यक्ति के समान है जो मृत्यु की शैया पर लेटा जीवन की अंतिम सांसे ले रहा है और ऐसे कयामत के समय में जबकि खुदा स्वयं आकर देहभान की कब्र से आत्माओं को निकाल रहा है तो ऐसे समय में देह रूपी कब्रों से मोह रखना सदा के लिए कब्रदाखिल हो, अपनी ही दुर्गति करना है।

 

_ ➳  मन ही मन यह विचार करता, सारे विश्व का चक्कर लगा कर, मैं फ़रिश्ता देह की झूठी दुनिया से हर रिश्ता तोड़, अब सूक्ष्म वतन की ओर चल पड़ता हूँ अपने प्यारे बापदादा के पास। *सेकण्ड में 5 तत्वों की साकारी दुनिया को पार कर मैं पहुँच जाता हूँ फरिश्तो की खूबसूरत आकारी दुनिया में जहां स्थूल देह का कोई बन्धन नही। देख रहा हूँ मैं अपने सामने अपने सम्पूर्ण फ़रिश्ता स्वरुप में ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि में विराजमान शिव बाबा को*। बाबा के मस्तक से बहुत तेज दिव्य  प्रकाश निकल रहा है और उनके अंग - अंग से शांति और शक्तियों की किरणें निकल कर पूरे सूक्ष्म वतन में फ़ैल रही हैं। रंग - बिरंगी किरणों से प्रकाशित सूक्ष्म वतन का यह नजारा मन को असीम आनन्द की अनुभूति करवा रहा है।

 

_ ➳  इस अति सुन्दर नजारे का आनन्द लेता हुआ मैं फरिश्ता अब बापदादा के पास पहुँचता हूँ और उनके सामने जाकर बैठ जाता हूँ। *अति स्नेह भरी, शक्तिशाली दृष्टि से बापदादा मुझे भरपूर कर रहें हैं और मेरे मस्तक पर अपने रुई समान कोमल हाथों से हल्का मीठा सा स्पर्श कर रहें हैं*। ऐसा महसूस हो रहा है जैसे बाबा मुझे स्पर्श करके अपनी सर्वशक्तियाँ मुझे प्रदान कर रहें हैं। कितना दिव्य और अलौकिक अनुभव है। बापदादा के प्यार की शीतल छाया में असीम सुख और आनन्द का मैं अनुभव कर रहा हूँ। *अपनावरदानीमूर्त हाथ मेरे सिर पर रख कर बापदादा मुझे वरदानों से भरपूर कर रहे हैं। हर प्रकार की सिद्धि से बाबा मुझे सम्पन्न बना रहे हैं*।

 

_ ➳  बाबा की सर्वशक्तियाँ मेरे चारो तरफ सेफ्टी का एक ऐसा किला बना रही हैं जो इस कयामत के समय मे देह और देह की झूठी दुनिया के हर आकर्षण से मुझे सुरक्षित रखेगा। *अपने प्यारे बापदादा की सर्वशक्तियों के सुरक्षा कवच को धारण कर मैं फ़रिश्ता अब सूक्ष्म लोक से नीचे आ जाता हूँ। फिर से सारे विश्व का चक्कर लगाकर अपने सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ अपने साकारी तन में मैं प्रवेश करता हूँ*। दैहिक दुनिया, दैहिक सम्बन्धों के बीच रहते हुए, अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित मैं आत्मा अब इस बात को सदैव स्मृति में रखती हूँ कि अब सबकी कयामत का समय है, यह पुरानी दुनिया अब जल्दी ही समाप्त होने वाली है इसलिए अब इससे अतिशीघ्र बुद्धियोग तोड़ना है।

 

_ ➳  यह स्मृति मुझे देह और देह की दुनिया से उपराम बनाती जा रही है। देह और देह के सम्बन्धियों के बीच रहते, उनसे तोड़ निभाते, बुद्धि का योग अपने शिव पिता के साथ जोड़, उनके प्यार से मैं स्वयं को सदा भरपूर करती रहती हूँ। मेरे प्यारे पिता का यह अविनाशी सच्चा प्यार ही मुझे इस दुनिया से नष्टोमोहा बना कर, इस पुरानी दुनिया को बुद्धि से भूलने का बल दे रहा है। *इस सृष्टि रंगमंच पर पार्ट बजाते हुए, हर सम्बन्ध का सुख अपने प्यारे बाबा से लेते हुए, देह और देह के झूठे सम्बन्धों से मैं सहज ही उपराम होती जा रही हूँ*। बिंदु बन, बिंदु बाप के साथ सर्व सम्बन्धो के अनुभवों का आनन्द अब मैं हर समय लेते हुए देह की दुनिया से बुद्धियोग तोड़ने और इस कयामत के समय में "अंत मति सो गति" पाने का तीव्र पुरुषार्थ पूरी दृढ़ता के साथ कर रही हूँ।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं किसी के व्यर्थ समाचार को सुनकर इन्ट्रेस्ट बढ़ाने के बजाए फुलस्टाप लगाने वाली परमत से मुक्त आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं दिल को विशाल करके स्वप्न में भी हद के संस्कार इमर्ज होने से मुक्त होने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

अव्यक्त बापदादा :-

 

_ ➳  *मातपिता के समान पालना की विशेषता अनुभव करते हो? जो भी आत्मायें सम्बन्ध वा सम्पर्क में आवें, वे अनुभव करें कि यही श्रेष्ठ आत्मायें हमारे पूर्वज' हैं। इन्हीं आत्माओं द्वारा जीवन का सच्चा प्रेम, और जीवन की उन्नति का साधन प्राप्त हो सकता है क्योंकि पालना द्वारा ही प्रेम और जीवन की उन्नति प्राप्त होती है।* पालना द्वारा आत्मा योग्य बन जाती है। छोटा सा बच्चा भी पालना द्वारा अपनी जीवन की मंजिल को पहुँचने के लिए हिम्मतवान बन जाता है। ऐसे रूहानी पालना द्वारा आत्मा निर्बल से शक्ति स्वरूप बन जाती है। अपनी मंजिल की ओर तीव्रगति से पहुंचने की हिम्मतवान बन जाती है। पालना में वह सदा प्रेम के सागर बाप द्वारा सच्चे अथाह प्रेम की अनुभूति करती है। *ऐसे राज्य सत्ता की निशानियां अपने में अनुभव करते हो?*

 

✺  *"ड्रिल :-  मातपिता के समान पालना की विशेषता स्वयं में अनुभव करना*"

 

_ ➳  *मैं सचेतन आत्मा अपने चेतन मन के सर्व हलचल को शांत करती हुई एकांत में बैठती हूँ...* सर्व बाहरी आकर्षणों से परे होते हुए अंतर्मुखी हो रही हूँ... मैं आत्मा इस देह को छोड़कर फरिश्ता स्वरुप धारण करती हूँ... *मैं फरिश्ता इस व्यक्त वतन से ऊपर उड़ते हुए अव्यक्त वतन में अव्यक्त बापदादा के सम्मुख बैठ जाती हूँ...*

 

_ ➳  अव्यक्त बापदादा से निकलती इन्द्रधनुषी किरणों का तेज प्रकाश मुझ फरिश्ते पर पड़ रहा है... *मैं आत्मा सर्व गुणों के खजाने, शक्तियों के खजाने, स्वमानों के खजाने, वरदानों के खजानों से भरपूर हो रही हूँ...* मुझ आत्मा के दिव्य चक्षु खुल रहे हैं... मैं आत्मा स्मृति स्वरुप बन रही हूँ... मैं आत्मा बाप समान बन रही हूँ...

 

_ ➳  मुझ आत्मा को पूर्वजपन की स्मृति आ रही है... *मैं आत्मा ही पूर्वज हूँ... दी ग्रेट-ग्रेट ग्रैंड फादर की वंशावली हूँ... मैं फरिश्ता भी मास्टर ग्रेट-ग्रेट ग्रैंड फादर हूँ...* विश्व कल्याणकारी हूँ... मात-पिता ने जैसे मुझ आत्मा की पालना की, शिक्षा दी, सर्व खजानों से सम्पन्न बनाकर सर्व वर्से का अधिकारी बनाया... *वैसे ही अब मुझ पूर्वज आत्मा का कर्तव्य है कि अपने भाई-बहनों को भी पालना देकर योग्य बनाना...*

 

_ ➳  *मैं फरिश्ता बापदादा के साथ विश्व ग्लोब के ऊपर बैठ जाती हूँ...* बापदादा से निकलती किरणें मुझ फरिश्ते से होती हुई पूरे विश्व की आत्माओं पर पड़ रही हैं... *अज्ञान-अंधकार में भटकती आत्माओं को सत्य ज्ञान की किरणों के प्रकाश से प्रकाशित कर रही हूँ... *मैं फरिश्ता सच्चे प्रेम के लिए भटकती आत्माओं को प्रेम की किरणों से भरपूर कर रही हूँ...* सर्व आत्माओं को प्रेम के सागर बाबा के सच्चे अथाह प्रेम की अनुभूति करा रही हूँ...

 

_ ➳  *मैं फरिश्ता बापदादा से निकलती सुख-शांति की किरणों का दान देकर सबके दुःख-अशांति को मिटा रही हूँ...* पवित्रता की किरणों से विकारों की अपवित्रता को भस्म कर रही हूँ... *आनंद की किरणों से सर्व को जीवन के सच्चे आनंद की अनुभूति करा रही हूँ...* मैं फरिश्ता शक्तियों की किरणों से निर्बल आत्माओं को शक्ति स्वरूप बना रही हूँ... तमोप्रधान प्रकृति को सतोप्रधान बना रही हूँ...

 

_ ➳  *मैं पूर्वज आत्मा अपने आक्युपेशन की स्मृति में रह सर्व आत्माओं की रूहानी पालना कर रही हूँ...* सबको उन्नति के मार्ग पर आगे बढा रही हूँ... अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए हिम्मतवान बना रही हूँ... *अब मैं आत्मा सदा पूर्वजपन की स्मृति में रह रहमदिल भावना से विश्व कल्याण कर रही हूँ... और मातपिता के समान पालना की विशेषता का स्वयं में अनुभव कर रही हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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