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❍ 30 / 12 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ अपने स्वीट बाप को याद कर देह अभिमान के कांटे को जलाया ?
➢➢ एक बाप से सच्चा प्यार रखा ?
➢➢ पुराने स्वभाव संस्कार के बोझ को समाप्त कर डबल लाइट रहे ?
➢➢ निर्भय और हर्षितमुख हो बेहद के खेल को देखा ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ वैसे अशरीरी होना सहज है लेकिन जिस समय कोई बात सामने हो, कोई सर्विस के झंझट सामने हों, कोई हलचल में लाने वाली परिस्थितियां हों, ऐसे समय में सोचा और अशरीरी हो जाएं, इसके लिए बहुत समय का अभ्यास चाहिए। सोचना और करना साथ-साथ चले तब अन्तिम पेपर में पास हो सकोगें।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं महान आत्मा हूँ"
〰✧ सदा अपने को महावीर अर्थात् महान् आत्मा समझकर चलते हो? किसके बने हैं और क्या बने हैं सिर्फ यह भी सोचो तो कभी भी व्यक्त भाव में नहीं आ सकते। व्यक्त भाव से ऊपर रहो अर्थात् फरिश्ते बन सदा ऊपर उड़ते रहो। फरिश्ते नीचे नहीं आते, धरती पर पांव नहीं रखते। यह व्यक्त भाव भी देह की धरनी है।
〰✧ तो जब फरिश्ते बन गये फिर देह की धरनी में कैसे आ सकते, फरिश्ता अर्थात् उड़ने वाले। तो सभी उड़ता पंछी हो, पिंजड़ेवाले तो नहीं हो ना? आधाकल्प तो पिंजरे के थे अब उड़ते पंछी हो गये। स्वतन्त्र हो गये। नीचे की आकर्षण अभी खींच नहीं सकती। नीचे होंगे तो शिकारी शिकार कर देंगे, ऊपर उड़ते रहेंगे तो कोई कुछ नहीं कर सकता।
〰✧ तो सभी उड़ता पंछी हो ना? पिंजरा खत्म हो गया? चाहे कितना भी सुन्दर पिंजरा हो लेकिन है तो बंधन ना। यह अलौकिक सम्बन्ध भी सोने का पिंजरा है, इसमें भी नहीं फंसना। स्वतन्त्र तो स्वतन्त्र। सदा बन्धनमुक्त रहने वाले ही जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव कर सकेगे। अच्छा।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ चारों ओर हलचल है, प्रकृति के सभी तत्व खूब हलचल मचा रहे हैं, एक तरफ भी हलचल से मुक्त नहीं हैं, व्यक्तियों की भी हलचल है, प्रकृति की भी हलचल है, ऐसे समय पर जब इस सृष्टि पर चारों ओर हलचल है तो आप क्या करेंगे?
〰✧ सेफ्टी का साधन कौन-सा है? सेकण्ड में अपने को विदेही, अशरीरी वा आत्म-अभिमानी बना लो तो हलचल में अचल रह सकते हो।
〰✧ इसमें टाइम तो नहीं लगेगा? क्या होगा? अभी टायल करो - एक सेकण्ड में मन-बुद्धि को जहाँ चाहो वहाँ स्थित कर सकते हो? (बाबा ने ड्रिल कराई) इसको कहा जाता है - 'साधना'। अन्छा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ फरिश्ते अर्थात् सदा देही-अभिमानी अपने को सदा बाप की याद की छत्रछाया के अन्दर अनुभव करते हो? जितना-जितना याद में रहेंगे उतना अनुभव करेंगे कि मैं अकेली नहीं लेकिन बाप-दादा सदा साथ हैं। कोई भी समस्या सामने आयेगी तो अपने को कम्बाइन्ड अनुभव करेंगे, इसलिए घबरायेंगे नहीं। कम्बाइन्ड रूप की स्मृति से कोई भी मुश्किल कार्य सहज हो जायेगा। कभी भी कोई ऐसी बात सामने आवे तो बाप-दादा की स्मृति रखते अपना बोझ बाप के ऊपर रख दो तो हल्के हो जायेंगे। क्योंकि बाप बड़ा है और आप छोटे बच्चे हो। बड़ों पर ही बोझ रखते हैं। बोझ बाप पर रख दिया तो सदा अपने को खुश अनुभव करेंगे। फ़रिश्ते के समान नाचते रहेंगे। दिन-रात २४ ही घंटे मन से डाँस करते रहेंगे। देह-अभिमान में आना अर्थात् मानव बनना। देही-अभिमानी बनना अर्थात् फ़रिश्ता बनना।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- याद से मीठे बनना"
➳ _ ➳ मीठे बाबा के कमरे में बैठी हुई मै आत्मा... अपने प्यारे बाबा को बड़ी ही
प्यार से निहार रही हूँ... कि बाबा ने अपने सच्चे प्यार की चमक से... मेरे
दुखो में हो गए, धुंधले जीवन को, कितना प्यारा और चमकदार बना दिया है... आज
मीठे बाबा के प्यार में... मेरा हर संकल्प दिव्यता से सजा हुआ... पूरे विश्व
में दिव्य तरंगो को बिखेर रहा है... मै आत्मा कितनी तेजस्वी मणि बनकर, गुणो से
दमक रही हूँ... भगवान को पिता, टीचर, और सतगुरु रूप में पाने वाली मै कितने
महान भाग्य से सजी हुई हूँ... और यूँ यादो में डूबी मै आत्मा... मीठे बाबा के
गले लग जाती हूँ...
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान वर्षा में भिगोते हुए कहा :- "मीठे
प्यारे फूल बच्चे... इस वरदानी संगम में मीठे बाबा का प्यारा साथ आपके भाग्य
ने दिलाया है... इसलिए श्रीमत के साये में पावन बनकर, सतयुगी दुनिया में हीरो
बनकर मुस्कराओ... इस वरदानी संगम में हर पल हर साँस मीठे बाबा की गहरी यादो में
डूब जाओ... और असीम सुखो से भर जाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा को पाकर खुशियो में खिलकर कहती हूँ :- "मीठे
प्यारे लाडले बाबा... मै आत्मा तो सदा आपके दीदारो की ही प्यासी थी... कब सोचा
था कि यूँ भगवान बैठ तराशेगा और मुझे हीरे जैसा चमकाएगा... प्यारे बाबा आपकी
श्रीमत की छत्रछाया में मै आत्मा दिव्य और पूज्य बनती जा रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सतयुगी दुनिया का मालिक बनाते हुए कहा :- "मीठे
प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता के सच्चे प्यार की तरंगो में, गुणो और
शक्तियो की खान बनकर... मीठे सुखो से अपना दामन भरो... इस कीमती समय पर तीव्र
पुरुषार्थी बनकर... सब कुछ प्यारे बाबा का अपने नाम करा लो... मीठे बाबा की
यादो में सदा खोकर, हर पल को सफल करलो...."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के सारे खजाने और रत्न अपनी झोली में समेटकर कहती
हूँ :- "मेरे प्यारे प्यारे बाबा... देह के भान में आकर, विकारो से भर चली
मुझ आत्मा धूल को उठाकर, आपने अपने मस्तक पर सजा लिया है... मुझे अपने कन्धों
पर बिठाकर मेरा प्यारा भाग्य जगा दिया है... मै आत्मा आपके प्यार की शक्ति में
हीरे जैसी जगमगा रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी फूलो सी गोद में बिठाकर मुझे शक्तिशाली
बनाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... मीठे बाबा के इस प्यारे साथ
का हाथ पाकर, अपनी खोयी चमक और तेज से फिर से सज जाओ... विकारो से परे हो,
दिव्यता भरे जीवन से, अपने आत्मिक गुणो में शान से मुस्कराओ... सबको प्रेम और
सुख की तरंगो से भरकर, इस विश्व धरा को मीठे सुखो की बगिया बनाओ...
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने मीठे बाबा के मुझ आत्मा पर किये उपकारों का हर पल
शुक्रिया करते हुए कहती हूँ :- "मेरे सच्चे साथी बाबा... आपने मेरा भाग्य
कितना प्यारा बना दिया है... मुझे अपने प्यार में कौड़ी से हीरे जैसा बना दिया
है... मै आत्मा हर साँस से आपकी मीठी, प्यारी यादो में खोयी हुई हूँ... और
दिव्य गुण और शक्तियो को पाकर सम्पूर्ण पावनता से निखर गयी हूँ..."मीठे बाबा के
प्यार में पावन बनकर मै आत्मा... अपने साकारी वतन में आ गयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- एक बाप से सच्चा प्यार करना है, एक के संग में रहना है"
➳ _ ➳ साकारी देह में भृकुटि के भव्य भाल पर विराजमान एक चैतन्य शक्ति मैं
आत्मा दुनिया की भीड़ से दूर एक पहाड़ी पर बैठ प्रकृति के सौंदर्य का आनन्द ले
रही हूँ और अपने अविनाशी प्रीतम को याद कर रही हूँ। मेरी याद मेरे शिव प्रीतम
तक पहुँच रही है जिसका स्पष्ट अनुभव मेरे अविनाशी प्रीतम परमधाम से अपनी
सर्वशक्तियों की किरणे मुझ पर फैलाते हुए मुझे करवा रहें हैं। मेरे शिव पिया
के प्रेम का अविनाशी रंग मुझ पर चढ़ रहा है और अनन्त दिव्य प्रकाश की किरणों के
रूप में मुझ आत्मा से निकल कर चारों ओर फ़ैल रहा है।
➳ _ ➳ अपने अविनाशी प्रीतम के अविनाशी प्रेम में डूबी मैं आत्मा, प्रकृति के
मनोहर दृश्य और शांत वातावरण में गहन शांति का असीम आनन्द ले रही हूँ। अपने शिव
पिया के प्रेम में मग्न इस प्रेममयी अवस्था मे, मुझ आत्मा से निकल रही दिव्य
किरणे मेरे पूरे शरीर में फ़ैल रही हैं। ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे मेरा शरीर
दिव्य लाइट का बन गया है और ऊपर की ओर उड़ने लगा है। लाइट की दिव्य आकारी देह
धारण कर मैं आत्मा अब दूर बहुत दूर उड़ती जा रही हूँ। पांचो तत्वों से पार, आकाश
से भी परे मैं जा रही हूँ उस अव्यक्त वतन में जहां मैं अपने अविनाशी प्रीतम से
अव्यक्त मिलन मना सकती हूँ।
➳ _ ➳ लाइट की सूक्ष्म आकारी देह धारण किये अपने अव्यक्त रूप में स्थित अब मैं
पहुँच गई फरिश्तो की अव्यक्त दुनिया में। देख रही हूँ अपने बिल्कुल सामने अपने
शिव पिया के भाग्यशाली रथ ब्रह्मा बाबा को और उनकी भृकुटि में सूर्य के समान
चमक रहे अपने अविनाशी शिव साजन को। जिनसे निकल रही दिव्य किरणे पूरे वतन में
चारों ओर फैली हुई हैं। देह और देह की दुनिया से अलग, सफेद प्रकाश से प्रकाशित
यह दुनिया बहुत ही न्यारी और प्यारी है।
➳ _ ➳ इस अति न्यारी और प्यारी दुनिया में अपने शिव पिया से मिलने का अनुभव भी
अति न्यारा और प्यारा है। अपनी मीठी दृष्टि से वो मुझे निहाल कर रहें हैं।
मेरा हाथ अपने हाथ मे ले कर अपने समस्त गुण और शक्तियां मुझ में प्रवाहित कर
रहें हैं। नज़रों ही नजरों में मुझ से मीठी - मीठी रूह रिहान कर रहें हैं। अपने
मन के भावों को संकल्पो द्वारा मैं उनके समक्ष रख रही हूँ। उन्हें बता रही हूँ
कि उन्हें पा कर मेरा यह जीवन धन्य हो गया है, कौड़ी से हीरे तुल्य बन गया है।
जीवन में ऐसे प्रेम की अनुभूति मैंने आज तक नही की थी जो मैं अब कर रही हूँ। अब
मेरा यह जीवन केवल मेरे शिव प्रीतम के लिए है।
➳ _ ➳ मेरे प्रेम के उदगार को मेरे शिव पिया समझ रहें है और मुस्कराते हुए अपने
प्रेम की शीतल किरणे मेरे ऊपर बरसा कर अपना निश्छल प्रेम और स्नेह प्रदर्शित कर
रहें हैं। अपने अविनाशी प्रीतम से अव्यक्त मिलन मना कर अब मैं उनसे निराकारी
स्वरूप में मिलन मनाने के लिए अपने निराकार ज्योति बिंदु स्वरुप को धारण कर
निराकारी दुनिया परमधाम की ओर चल पड़ती हूँ। बीज रूप स्थिति में मैं आत्मा अपने
बीज रुप शिव पिया के साथ अब मंगल मिलन मना रही हूँ। उनसे निकलती अनन्त
सर्वशक्तियों की किरणें मुझ बिंदु आत्मा पर पड़ रही हैं और मेरा स्वरूप अत्यंत
शक्तिशाली व चमकदार बनता जा रहा है।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे मेरे अविनाशी साजन ने सर्वशक्तियों को समाने की ताकत
मुझे दे दी हो। अपने शिव पिया की सर्वशक्तियों को स्वयं में समा कर मैं
शक्तिशाली लाइट माइट स्वरूप में स्थित होती जा रही हैं। अपने प्रीतम के साथ
अविनाशी मिलन मना कर और स्वयं को परमात्म शक्तियों से भरपूर करके मैं आत्मा लौट
रही हूँ अपने साकारी तन में। अपने अविनाशी प्रीतम से सच्चा लव रखते हुए अब मैं
हर समय केवल उनकी ही यादों में खोई रहती हूँ और एक ही गीत सदा गुनगुनाती रहती
हूँ। "स्नेह प्यार की तुझ से बाबा बाँधी है जीवन डोर, दिल मेरा लगा ही रहता अब
तो तेरी ओर"
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं
पुराने स्वभाव-संस्कार के बोझ को समाप्त करने वाली आत्मा हूँ।
✺ मैं डबल लाइट आत्मा हूँ।
✺ मैं आत्मा फ़रिश्ता हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं
आत्मा सदा निर्भय और हर्षितमुख हूँ ।
✺ मैं आत्मा निर्भय होकर बेहद के खेल को देखती हूँ ।
✺ मैं आत्मा हलचल में आने से सदैव मुक्त हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ कई बच्चे सोचते हैं सफल तो करें लेकिन विनाश हो जाए कल परसों तो, हमारा तो काम में आया ही नहीं। हमारा तो सेवा में लगा नहीं। तो करें, सोच कर करें। हिसाब से करें, थोड़ा-थोड़ा करके करें। यह संकल्प बाप के पास पहुँचते हैं। लेकिन मानों आज आप बच्चों ने अपना तन सेवा में समर्पण किया, मन विश्व-परिवर्तन के वायब्रेशन में निरन्तर लगाया, धन जो भी है, है तो प्राप्ति के आगे कुछ नहीं लेकिन जो भी है, आज आपने किया और कल विनाश हो जाता है तो क्या आपका सफल हुआ या व्यर्थ गया? सोचो, सेवा में तो लगा नहीं, तो क्या सफल हुआ? आपने किसके प्रति सफल किया? बापदादा के प्रति सफल किया ना? तो बापदादा तो अविनाशी है, वह तो विनाश नहीं होता! अविनाशी खाते में, अविनाशी बापदादा के पास आपने आज जमा किया, एक घण्टा पहले जमा किया, तो अविनाशी बाप के पास आपका खाता एक का पदमगुणा जमा हो जायेगा ना! पुरानी सृष्टि विनाश होगी ना! इसीलिए आपका दिल से किया हुआ, मजबूरी से किया हुआ, देखा-देखी में किया हुआ, उसका पूरा नहीं मिलता है। मिलता जरूर है क्योंकि दाता को दिया है लेकिन पूरा नहीं मिलता है।
✺ ड्रिल :- "अविनाशी बाप के पास जमा कर अपना खाता एक का पदमगुणा बढ़ाना"
➳ _ ➳ मधुबन तपोभूमि में तपस्या धाम में बैठी मैं तपस्या मूर्त आत्मा हूँ... समस्त चेतना को भृकुटि के मध्य केन्द्रित करती हूँ... स्थूल देह में विराजमान यह ज्योतिमय किरण, यह चमकता प्रतिबिंब, यह जगमगाता ज्योति पुंज मैं आत्मा हूँ... संकल्प विकल्पों से परे होकर मैं आत्मा रुपी बैटरी परमात्मा शिव बाबा पावरहाउस से कनेक्शन जोड़ती हूँ... परमात्मा पावर हाऊस से आती किरणों से मैं आत्मा चार्ज हो रही हूँ... मुझ आत्मा की लाइट बढ़ रही है... सूरज के समान मैं आत्मा चमक रही हूँ... एक नयी उर्जा का संचार मुझ आत्मा में हो रहा है... बेहद लाइट और माइट मैं आत्मा फील कर रही हूँ... मुझ उर्जा बिन्दु से ऊर्जा की किरणें समस्त वायुमंडल में फैल रही है... इस वायुमंडल को पावरफुल बना रही है...
➳ _ ➳ थोड़ी देर के इस अभ्यास के बाद मैं तपस्या मूर्त आत्मा शिव पिता की याद में तपस्या धाम से रोटी डिपार्टमेंट में स्थूल सेवा के लिए चल पड़ती हूँ... तभी अचानक कहीं एक गीत बजता है... शुभ कर्म में ना देरी करो सांसों का भरोसा नहीं... जिन्दगी को सफल अब करो सांसों का भरोसा नहीं... ये सुनते ही जैसे मन रूपी सागर में विचार रूपी लहरें उठती है... और मैं आत्मा अपने आप से प्रश्न करने लगती हूँ... मुझ आत्मा ने अपना जमा का खाता कितना बढाया है... अगर आज या कल ही विनाश हो जाएं तो... अगर जमा कर लिया और काम में नहीं आया सेवा में नहीं लगा तो वो सफल होगा या नहीं... तभी अचानक ऊपर आती हुई एक तेज रोशनी मुझ आत्मा पर पड़ती है... और एक दृश्य मुझ आत्मा के सामने आता है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा देख रही हूँ... सामने एक बिल्ड़िग है जिस पर लिखा है... "ईश्वरीय बैंक" और बाहर एक बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है... "एक का पदमगुणा" मैं आत्मा देख रही हूँ, कुछ आत्माएँ इस ईश्वरीय बैंक की तरफ जा रही है... मैं आत्मा ये दृश्य बड़े ध्यान से देख रही हूँ... अन्दर एक बहुत बड़ी मशीन है जिसमें से एक स्टैम्प बाहर निकल रही है जो भी जमा करने के लिए आत्माएँ आ रही है उस पर ये स्टैम्प लग रही है... इस स्टैम्प पर लिखा है "अविनाशी खाता" और उसी मशीन पर एक स्क्रीन लगी है जो भी आत्मा कुछ भी जमा कर रही है ऊपर लिखा आ रहा है "एक का पदमगुणा जमा"
➳ _ ➳ लेकिन तभी मैं आत्मा देख रही हूँ... कुछ आत्माएँ ईश्वरीय बैंक में गई आत्माओं को देख, उनसे सुन देखा-देखी में मजबूरी में कुछ जमा करने के लिए अन्दर जाती है... लेकिन जैसे वो आत्माएँ जमा करती है मशीन से वैसे ही स्टैम्प निकलती है उस जमा खाते पर वो अविनाशी सटैम्प लगती है... लेकिन मशीन की स्क्रीन पर अब एक का पदमगुणा लिखा नहीं आता... तभी अचानक सारा दृश्य गायब हो जाता है बाबा से ज्ञान प्रकाश मुझ आत्मा पर पड़ रहा है... जिससे बाबा द्वारा दिखाए इस दृश्य का राज मुझ आत्मा के सामने स्पष्ट हो जाता है... मन में चली संकल्पों की सब लहरें शांत हो गई है... और अब मैं आत्मा समझ गयी हूँ दिल से जमा किया हुआ ईश्वरीय बैंक में एक का पदमगुणा जमा हो जाता है...
➳ _ ➳ कभी व्यर्थ नहीं जाता कोई भी आत्मा चाहे देखा-देखी में जमा करे लेकिन अविनाशी बाप से उसका भी रिटर्न मिलता हैं... भले पूरा ना मिले मिलता जरूर है... अविनाशी बापदादा के पास एक का पदमगुणा जमा हो जाता है... और अब मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को कर्म करते हुए... पुरानी सृष्टि के विनाश से पहले टू लेट से पहले सच्ची दिल से मैं आत्मा तन को ईश्वरीय सेवा में लगा तन को सफल कर रही हूँ... और बाबा को दिया हुआ धन और मन द्वारा सदा विश्व कल्याण के वायब्रेशनस फैला रही हूँ... मनसा सेवा कर रही हूँ... दिल से धन को ईश्वरीय कार्य में लगा रही हूँ... इस प्रकार मैं आत्मा सच्ची दिल से, अविनाशी बाप के पास हर रीति से तन, मन, धन सफल का एक का पदमगुणा जमा कर रही हूँ... और निरंतर सच्ची खुशी का अनुभव कर रही हूँ... इस जीवन को हर प्रकार से सफल कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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