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❍ 21 / 11 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ झूट कपट छोड़ अपन सच्चा सच्चा चार्ट रखा ?
➢➢ ड्रामा को बुधी में रख बाप समान नम्र बनकर रहे ?
➢➢ सेवा और सवा उन्नति दोनों का बैलेंस बनाये रखा ?
➢➢ साथी को सदा साथ रख सहयोग का अनुभव किया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ कोई भी कर्म करते सदैव यही स्मृति रहे कि हर कर्म में बापदादा मेरे साथ भी है और हमारे इस अलौकिक जीवन का हाथ उनके हाथ में है अर्थात् जीवन उनके हवाले है। फिर जिम्मेवारी उनकी हो जाती है। सभी बोझ बाप के ऊपर रख अपने को हल्का कर दो तो कर्मयोगी फरिश्ता बन जायेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं कल्प पहले वाली भाग्यवान आत्मा हूँ"
〰✧ 'बाप ने सारे विश्व में से हमें चुनकर अपना बना लिया' - यह खुशी रहती है ना।
〰✧ इतने अनेक आत्माओंमें से मुझ एक आत्मा को बाप ने चुना - यह स्मृति कितना खुशी दिलाती है! तो सदा इसी खुशी से आगे बढ़ते चलो।
〰✧ बाप ने मुझ अपना बनाया क्योंकि मैं ही कल्प पहले वाली भाग्यवान आत्मा थी, अब भी हूँ और फिर भी बनूँगी - ऐसी भाग्यवान आत्मा हूँ। इस स्मृति से सदा आगे बढ़ते चलो।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ (बापदादा ने ड्रिल कराई) एवररेडी हो? अभी-अभी बापदादा कहें सब इकट्ठे चलो तो चल पडेगे? कि सोचेंगे कि फोन करें, टेलीग्राम करें कि हम जा रहे हैं? टेलीफोन के ऊपर लाइन नहीं लगेगी? आपके घर वाले सोचेंगे कहाँ गये फिर?
〰✧ सेकण्ड में आत्मा चल पडी - है तो अच्छा ना कि याद आयेगा कि अभी तो एक सबजेक्ट में कमजोर हूँ? अच्छा, यह याद आयेगा कि चीजों को सिर्फ ठिकाने लगाकर आऊँ? सिर्फ इतल्ला करके आऊँ कि हम जा रहे हैं?
〰✧ यह सोच थोड-थोडा चलेगा? नहीं। सभी बंधन मुक्त बनेंगे। अभी से चेक करो कि कोई सोन का, चांदी का धागा तो नहीं है? लोहा मोटा होता है तो दिखाई देता है लेकिन ये सोना और चांदी आकर्षित कर लेता है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ जो मनसा के महादानी होंगे उनके संकल्प में इतनी शक्ति होती है जो संकल्प किया उसकी सिद्धि मिली। तो मनसा महादानी संकल्पों की सिद्धि को प्राप्त करने वाला बन जाता है। जहाँ चाहे वहाँ संकल्पों को टिका सकते हैं। संकल्प के वश नहीं होंगे लेकिन संकल्प उनके वश होता है। जो संकल्पों की रचना रचे, वह रच सकता है। जब संकल्प का विनाश करना चाहें तो विनाश कर सकते हैं। तो ऐसे महादानी में संकल्पों के रचने, संकल्पों को विनाश करने और संकल्पों की पालना करने की तीनों ही शक्ति होती हैं। तो यह है मनसा का महादान। ऐसे ही समझो मास्टर सर्वशक्तिवान का प्रत्यक्ष स्वरूप दिखाई देता है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- मनमत को छोड़ श्रीमत पर चलना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा मधुबन की पहाड़ी पर बैठ प्रकृति के नजारों को देखती हूँ...
पहाड़ों के बीच से उगते हुए सूरज की लालिमा ने अपना सुनहरा आँचल फैलाकर पहाड़ों
को और ही खूबसूरत बना दिया है... ठंडी-ठंडी हवाओं के झोंकें मधुर संगीत सुना
रही हैं... इस मधुर पावन धरती की गाथा गा रही है... मैं आत्मा हद की दुनिया से
दूर बेहद के इस घर में बेहद बाबा को याद करती हूँ... तुरंत ही मीठे प्यारे बाबा
मेरे सम्मुख हाजिर होकर अपने प्यार की खुशबू मुझ पर बरसाते हैं...
❉ ऊँगली पकडकर श्रीमत की राह पर चलाकर श्रेष्ठ बनाते हुए प्यारे बाबा कहते
हैं:- “मेरे मीठे बच्चे... अब यह विकारो से भरी दुनिया खत्म होने वाली है और
दिव्य गुणो के महक वाली सतयुगी दुनिया आने वाली है... तो ईश्वर पिता की श्रीमत
को जीवन का आधार बना लो... यही श्रीमत और पवित्रता देवी देवता के रूप में
श्रृंगारित कर सुखो के संसार में ले चलेगी...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने जीवन रूपी गाड़ी को श्रीमत रूपी पटरी पर चलाते हुए कहती
हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा इस पुरानी विकारी दुनिया से मन बुद्धि
को निकाल श्रीमत का हाथ पकड़ सतयुगी दुनिया की और बढ़ती चली जा रही हूँ... दिव्य
गुणो से सजती जा रही हूँ... प्यारे बाबा संग निखरती जा रही हूँ...”
❉ मीठा बाबा स्वर्ग सुखों से जीवन को आबाद कर खुशियों की शहजादी बनाते हुए
कहते हैं:- “मीठे प्यारे फूल बच्चे... इस दुःख भरी दुनिया से उपराम होकर मेरी
महकती यादो में खो जाओ... श्रीमत का हाथ सदा पकड़े रहो... तो काँटों से महकते
फूल बन खिल उठेंगे... ईश्वर पिता का साथ सुखो के जन्नत में ले चलेगा... जहाँ
देवता बन मुस्करायेंगे...”
➳ _ ➳ रावण की दुनिया से निकल एक राम की यादों में महकते हुए मैं आत्मा कहती
हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे बाबा से सारे गुण और शक्तियो
से भरकर भरपूर हो गई हूँ... इस मिटटी के नातो से निकल कर अपने सत्य स्वरूप के
नशे में खो गई हूँ... और श्रेष्ठ कर्म से खिलती जा रही हूँ...”
❉ श्रीमत के झूले में झुलाकर दिव्यता से महकाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-
“प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... जिस दुनिया सा इतना दिल लगाकर दुखी हुए... खाली
हो गए... अब उसका अंत आया की आया... अब समय साँस संकल्पों को मीठे बाबा की
यादो और श्रीमत के पालन में लगाओ... तो यह पवित्र जीवन सुख और शांति से खिल
उठेगा... घर आँगन सुखो से लहलहायेगा...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा सुन्दर परी बनकर पवित्रता की खुशबू चारों ओर फैलाते हुए कहती
हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी श्रीमत से खूबसूरत होती जा रही
हूँ... मन बुद्धि को इस संसार से उपराम बनाती जा रही हूँ... मीठे बाबा आपने जो
सुंदर कर्म सिखाये है... पवित्रता का दामन थाम सुन्दरतम होती जा रही हूँ...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- ड्रामा को बुद्धि में रख बाप समान बहुत - बहुत मीठा मुलायम बनकर रहना है
➳ _ ➳ अपने मोस्ट स्वीटेस्ट बाप के समान स्वीटेस्ट बनने का संकल्प मन में लेकर,
मैं अपने स्वीटेस्ट बाबा की याद में अपने मन और बुद्धि को एकाग्र करती हूँ और
सेंकड में विदेही बन उनकी स्वीटेस्ट दुनिया की और चल पड़ती हूँ। वो दुनिया जो
सूर्य, चाँद, सितारों से परे हैं, जहाँ प्रकृति के पांचों तत्वों से जुड़ा कुछ
भी नही। कोई आवाज, कोई संकल्प नही। वाणी से परें एक ऐसी बेहद खूबसूरत दुनिया
जहाँ पहुँच कर आत्मा महसूस करती है जैसे उसकी जन्म - जन्म की प्यास बुझ गई है।
अपनी ऐसी स्वीट दुनिया की और अब मैं आत्मा चल पड़ती हूँ। मन बुद्धि के विमान पर
बैठ, देह की दुनिया से किनारा कर अपने स्वीट होम में स्वीटेस्ट बाप से मिलने की
लग्न मुझे बहुत ही तीव्र गति से ऊपर आकाश की ओर ले जा रही है। सेकेण्ड में
आकाश तत्व से ऊपर पहुँच कर, मैं सूक्ष्म लोक को भी पार करके पहुँच जाती हूँ
अपने स्वीट घर में।
➳ _ ➳ मेरा यह स्वीट घर जहाँ आकर मेरे चित को चैन और मन को आराम मिल गया है। एक
गहन सुकून मैं आत्मा अपने इस घर मे आकर महसूस कर रही हूँ। यहाँ चारों और फैले
गहन शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन्स धीरे - धीरे मुझे विचार शून्य बनाते जा
रहें है। हर संकल्प - विकल्प से मुक्त एक खूबसूरत निरसंकल्प स्थिति में मैं
स्थित होती जा रही हूँ। एक शक्तिशाली बीज रूप स्थिति में अब मैं स्थित हो चुकी
हूँ और अपने स्वीटेस्ट बीज रूप बाबा से योग लगाकर उस विशाल योग अग्नि को
प्रज्ज्वलित करने के लिए अब मैं उनके सम्मुख पहुँच गई हूँ, जिस योग अग्नि
द्वारा मैं अपने जन्म जन्मांतर के पापों को, पुराने सभी आसुरी स्वभाव संस्कारो
को जलाकर भस्म करके अपने स्वीटेस्ट बाप के समान स्वीटेस्ट बन जाऊँगी।
➳ _ ➳ मास्टर बीज रूप बन अपने बीज रूप पिता के सामने अब मैं उपस्थित हूँ। उनसे
निकल रही सर्वशक्तियों की अनन्त किरणें मुझ आत्मा के ऊपर पड़ रही हैं और मुझे
सर्वशक्तियों से सम्पन्न बना रही है। मैं महसूस कर रही हूँ धीरे - धीरे इन
किरणों का प्रवाह बढ़ रहा है और ये किरणे ज्वाला स्वरूप धारण करती जा रही है।
योग की अग्नि प्रज्ज्वलित होकर अब मुझ आत्मा के ऊपर चढ़ी विकारों की कट को
जलाकर भस्म कर रही है। आत्मा के ऊपर चढ़ी पुराने स्वभाव संस्कारो की सारी
अशुद्धता खत्म होती जा रही है और मैं आत्मा एकदम हल्की, शुद्ध होती जा रही
हूँ। मेरा स्वरूप बहुत ही शक्तिशाली और चमकदार बनता जा रहा है। मैं अनुभव कर
रही हूँ जैसे मेरे स्वीटेस्ट बाबा मुझे आप समान स्वीटेस्ट बनाने के लिए अपने
समस्त गुण और समस्त शक्तियाँ मुझे प्रदान कर रहें हैं।
➳ _ ➳ बीज रूप अवस्था में स्थित हो कर अपने बीज रूप पिता के साथ मिलन मनाकर,
योग अग्नि में विकर्मों को दग्ध कर, अपने प्यारे पिता के सर्व गुणों,
सर्वशक्तियों को स्वयं में समाकर, परमधाम से नीचे आकर अब मैं सूक्ष्म वतन में
प्रवेश करती हूँ और अपने फरिश्ता स्वरूप को धारण कर बापदादा के पास पहुँचती
हूँ। मैं देख रही हूँ मेरे बिल्कुल सामने बापदादा खड़े हैं और उनके मस्तक से,
उनकी दृष्टि से शक्तियों की अनन्त धारायें निकल रही हैं और उन धाराओं में समाई
ज्ञान और योग की पावन किरणे मुझ फरिश्ते को छू रही हैं। जैसे पारस के संग में
पीतल भी सोना बन जाता है ऐसे ज्ञान और योग की पावन किरणे जैसे - जैसे मेरे ऊपर
पड़ रही हैं, विकारों रूपी भूत एक - एक करके भाग रहें हैं और आसुरी अवगुण दैवी
गुणों में बदल रहें हैं। बाबा अपने सारे गुण और सारी शक्तियाँ मेरे अंदर
समाहित कर मुझे आप समान स्वीटेस्ट बना रहें हैं।
➳ _ ➳ परमात्म गुणों और शक्तियों को स्वयं में धारण कर बाप समान स्वीटेस्ट बन
कर अब मैं फिर से अपने निराकारी बिंदु स्वरूप में स्थित होकर वतन से नीचे आ
जाती हूँ। साकार सृष्टि पर आकर, अपने साकार तन में मैं आत्मा वापिस प्रवेश
करती हूँ और कर्मक्षेत्र पर कर्म करने के लिए तैयार हो जाती हूँ। किन्तु कर्म
करते हुए अब मैं हर कर्म योगयुक्त स्थिति में स्थित रहकर करती हूँ। किसी के भी
सम्बन्ध सम्पर्क में आते, आत्मिक स्मृति में स्थित होकर उनको भी मैं आत्मिक
दृष्टि से देखती हूँ जिससे आत्मा के निजी गुण और शक्तियाँ इमर्ज रहते हैं। सबके
प्रति आत्मिक दृष्टि मेरे अंदर साक्षीपन का भाव उतपन्न करके सबके पार्ट को
साक्षी होकर देखने की मुझे प्रेरणा देती है इसलिये हर आत्मा के पार्ट को
साक्षी होकर देखने से अब मेरे हृदय से सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना,
शुभकामना स्वत: ही निकलती रहती है। अपने स्वीटेस्ट बाबा के प्यार की मिठास अपने
अंदर भरकर, बाप समान स्वीटेस्ट बन अब मैं अपनी मीठी दृष्टि वृति से सबके जीवन
को मिठास से भर रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺
मैं आत्मा साथी को सदा साथ रखती हूँ।
✺ मैं आत्मा सदा सहयोग का अनुभव करती हूँ।
✺ मैं आत्मा कम्बाइन्ड सेवाधारी हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺
मैं आत्मा सेवा और स्व-उन्नति दोनों का बैलेंस रखती हूँ ।
✺ मैं आत्मा सदा सफलता प्राप्त करती हूँ ।
✺ मैं सफलता मूर्त आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा का हर एक बच्चे से बहुत-बहुत-बहुत प्यार है। ऐसे नहीं समझें कि हमारे से बापदादा का प्यार कम है। आप चाहे भूल भी जाओ लेकिन बाप निरन्तर हर बच्चे की माला जपते रहते हैं। क्योंकि बापदादा को हर बच्चे की विशेषता सदा सामने रहती है। कोई भी बच्चा विशेष न हो, यह नहीं है। हर बच्चा विशेष है| बाप कभी एक बच्चे को भी भूलता नहीं है, तो सभी अपने को विशेष आत्मा हैं और विशेष कार्य के लिए निमित्त हैं, ऐसे समझ के आगे बढ़ते चलो।
✺ ड्रिल :- "विशेष आत्मा होने का अनुभव"
➳ _ ➳ आज मैं आत्मा बाबा कि याद में खोई हुई हूँ... मुझ आत्मा को परमात्म प्यार की सौगात मिली हैं... वाह मेरा भाग्य कि परमात्मा भगवान को मुझ आत्मा से बहुत बहुत प्यार हैं... मैं कितनी भाग्यशाली आत्मा हूँ जिसको सारी दुनिया में सबसे विशेष भगवान का प्यार मिला हैं... वाह मेरा भाग्य वाह... ये प्यार कोटो में कोई और कोई में भी कोई को प्राप्त होता हैं... भगवान ने मुझ लकी आत्मा को अपने प्यार के लिए चुना हैं… उसकी सर्वशक्तियां, सर्व ख़जाने मुझ आत्मा के पास हैं...
➳ _ ➳ परमात्मा ने मुझे अपना बना के अपना सर्वस्व मुझे दिया हैं... और उससे भी सबसे खास मुझ आत्मा को परमातम प्यार मिला हैं... सारी दुनिया तो विनाशी प्यार के पीछे दौड़ रही है पर मुझ आत्मा को सच्चा सच्चा परमातम प्यार मिला हैं... सारी दुनियाँ जिसे कण कण में ढूढ़ रही है वो स्वयं मुझे मिला हैं... मैं आत्मा अपने भाग्य के कितने ना गीत गाऊं... ये सच्चा सच्चा परमात्म प्यार सारे कल्प में एक ही बार मुझ आत्मा को मिला हैं... बाबा का प्यार कभी भी कम नहीं होता और भगवान का प्यार मुझ आत्मा के लिए बढता ही रहता हैं... बाबा हर समय मुझे याद करते रहते हैं कि बच्चे देखो मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ...
➳ _ ➳ बाबा मुझ आत्मा को निरंतर याद करते हैं और मैं आत्मा भी बाबा को निरंतर याद करती हूँ... वाह मुझ आत्मा का भाग्य जो स्वयं भगवान मुझे याद करते हैं... मैं आत्मा उनकी प्यार में पल रही हूँ... मैं आत्मा अपने परम पिता को भूल से भी नहीं भूल सकती हूँ... और उनकी ममता और स्नेह में पल रही हूँ... मैं आत्मा कितनी विशेष हूँ कि परमात्मा मुझे याद करते हैं... कोई ना कोई विशेषता परमात्मा ने मुझ आत्मा को दी हैं...
➳ _ ➳ तीनों लोको, तीनों कालों का ज्ञान मुझ आत्मा में हैं... जो इस संगम पर मुझे मिला हैं... बाबा का हर बच्चा विशेष आत्मा हैं... और बाबा ने अपने हर बच्चे कि विशेषताओ को अपने प्यार से और भी ज्यादा निखारा हैं... वाह बच्चे वाह जो परमात्मा भी उन्हें भूलता नहीं हैं... मैं आत्मा परमात्म प्यार कि अधिकारी बन गई हूँ... वाह मेरा भाग्य जो परमात्मा मेरे साथ हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा मन में परमातम प्यार का अनुभव कर रही हूँ... भगवान ने मुझ आत्मा को अपना कहा है... माँ की ममता और पिता का स्नेह मुझ आत्मा को परम-पिता से मिल रहा है... भगवान ने अपने कार्य में मुझ आत्मा को सहयोगी बनाया हैं... और मैं आत्मा फॉलो फादर करते हुए आगे बढती जा रही हूँ... मुझ आत्मा की जन्मों कि प्यास बुझ गई जो परमात्मा का प्यार मुझे मिल गया... वाह बाबा वाह... वाह मेरा भाग्य वाह...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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