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 25 / 10 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ बाप जो सुनाते हैं, उसे अच्छी तरह से सुनकर फिर उगारा ?

 

➢➢ बाप की याद में आँखें बंद करके तो नहीं बैठे ?

 

➢➢ मनमनाभाव हो अलोकिक विधि से मनोरंजन मनाया ?

 

➢➢ बातों को देखने की बजाये स्वयं को और बाप को देखा ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  जब कर्मातीत स्थिति के समीप पहुंचेंगे तब किसी भी आत्मा तरफ बुद्धि का झुकाव, कर्म का बंधन नहीं बनायेगा। आत्मा का आत्मा से लेन-देन का हिसाब भी नहीं बनेगा। वे कर्म के बन्धनों का भी त्याग कर देंगी।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं उड़ती कला वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"

 

  सदा अपने को हर कदम में उड़ती कला वाली श्रेष्ठ आत्मायें अनुभव करते हो? क्योंकि उड़ती कला में जाने का समय अब थोड़ा-सा है और गिरती कला का समय बहुत है। सारा कल्प गिरते ही आये हो। उड़ती कला का समय सिर्फ अब है। तो थोड़े से समय में सदा के लिए उड़ती कला द्वारा स्वयं का और सर्व का कल्याण करना है।

 

✧  थोड़े समय में बहुत बड़ा काम करना है। तो इतनी रफ्तार से उड़ते रहेंगे तब यह सारा कार्य सम्पन्न कर सकेगे। सिर्फ स्वयं का कल्याण नहीं करना है लेकिन प्रकृति सहित सर्व आत्माओंका कल्याण करना है। कितनी आत्मायें हैं! बहुत है ना। तो जब इतना स्वयं शक्तिशाली होंगे तब तो दूसरों को भी बना सकेगे। अगर स्वयं ही गिरते-चढ़ते रहेंगे तो दूसरों का कल्याण क्या करेंगे। इसलिए हर कदम में उड़ती कला।

 

  चल तो रहे हैं, कर तो रहे हैं - ऐसे नहीं। जिस रफ्तार से चलना चाहिए, उस रफ्तार से चल रहे हैं? कर तो रहे हैं लेकिन जिस विधि से करना चाहिए, उस विधि से कर रहे हैं? कर तो सभी रहे हैं, किसी से पूछो - सेवा करते हो? तो सब कहेंगे - हाँ, कर रहे हैं। लेकिन विधि वा गति कौनसी है - यह जानना और देखना है। समय तेज जा रहा है या स्वयं तीव्रगति से जा रहे हैं? सेवा की भी तीव्र विधि है या यथाशक्ति कर रहे हैं? इसलिए सदा उड़ते चलो। उड़ने वाले औरों को उड़ा सकते हैं।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  राजा बनने का युग है। राजा क्या करता है? ऑर्डर करता है ना? राजयोगी जैसे मन-बुद्धि को ऑर्डर करे, वैसे अनुभव करें। ऐसे नहीं कि मन-बुद्धि को ऑर्डर करो, फरिश्ता बनो और नीचे आ जाए तो राजा का आर्डर नहीं माना ना तो राजा वह जिसका प्रजा आर्डर माने।

 

✧  नहीं तो योग्य राजा नहीं कहा जायेगा। काम का राजा नहीं, नाम का राजा कहा जायेगा। तो आप कौन हो? सच्चे राजा हो। कर्मेन्द्रियाँ ऑर्डर मानती है? मन-बुद्धि-संस्कार सब अपने ऑर्डर में हों। ऐसे नहीं, क्रोध करना नहीं चाहता लेकिन हो गया।

 

✧  बॉडी कान्सेस होना नहीं चाहता लेकिन हो जाता हूँ तो उसको ताकत वाला राजा कहेंगे या कमजोर? तो सदैव यह चेक करो कि मैं राजयोगी आत्मा, राज्य अधिकारी हूँ? अधिकार चलता है? कोई भी कर्मेन्द्रिय धोखा नहीं देवे। आज्ञाकारी हो। अच्छा। (पार्टियों के साथ)

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ बापदादा आज देख रहे थे कि एकाग्रता की शक्ति अभी ज्यादा चाहिए। सभी बच्चों का एक ही दृढ़संकल्प हो कि अभी अपने भाई-बहनों के दु:ख की घटनायें परिवर्तन हो जायें। दिल से रहम इमर्ज हो। क्या जब साइंस की शक्ति हलचल मचा सकती है तो इतने सभी ब्राह्मणों के साइलेन्स की शक्ति, रहमदिल भावना द्वारा व संकल्प द्वारा हलचल को परिवर्तन नहीं कर सकती। जब करना ही है, होना ही है तो इस बात पर विशेष अटेन्शन दो।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺  "ड्रिल :- बाप आये हैं बच्चों को नरक से निकालने"

➳ _ ➳  ‘ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. तुझसे लागे रे लागे रे लागे रे लगन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. इस लगन से मेरा मन हो गया मगन.. संवर के जीवन, मेरा तन-मन, तेरी यादों में पाए सुख सघन’... सेण्टर में ये मधुर गीत सुनती हुई मैं आत्मा भाव-विभोर हो जाती हूँ... और उड़ चलती हूँ वतन में.. मेरे जीवन को संवारने वाले, मेरी बिगड़ी बनाने वाले,दुखों से छुड़ाने वाले, मेरे प्राण आधार- मेरे प्यारे बाबा के पास... बाबा मुस्कुराते हुए, वरदानों की बरसात करते हुए अपने मीठे बोल से मेरा श्रृंगार करते हैं...

❉  इस दुःख के लोक से निकाल सुख के धाम में ले जाते हुए मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने ही खुशनुमा फूलो को दुखो की तपिश से कुम्हलाया देख विश्व पिता भला कैसे चैन पाये... बच्चों को दुखो से निकालने को आतुर सा धरा पर दौड़ा चला आये... अपनी गोद में बिठाकर दिव्य गुणो से सजाये और सच्चे सुखो से दामन भर जाये... तब ही पिता दिल आराम सा पाये...”

➳ _ ➳  पल-पल प्रभु को याद कर स्नेह सुमन अपने प्रभु को अर्पण करती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा तो दुखो भरे जीवन की आदी हो गई थी... और उन्हें ही अपनी नियति समझ बैठी थी... आपने प्यारे बाबा जीवन में आकर खुशियो के फूल खिलाये है... दिव्य गुणो से सजाकर मुझे देवतुल्य बना रहे हो...”

❉  मीठी यादों के उडनखटोले में बिठाकर खुशियों के गगन में उड़ाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस दुखधाम से निकल कर मीठे सुखो के अधिकारी बन जाओ... ईश्वरीय ज्ञान और यादो से विकारो से मुक्त हो जाओ... पवित्र धाम में चलने के लिए पवित्रता के श्रृंगार से सजकर मुस्कराओ... ईश्वरीय याद और प्यार से निर्मलता को रोम रोम में छ्लकाओ...”

➳ _ ➳  कल्याणकारी संगमयुग में आकर सबका कल्याण कर स्वर्ग का वर्सा देने वाले बाबा से मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में सम्पूर्ण पवित्रता से सजधज कर मुस्करा उठी हूँ... जीवन कितना पवित्र प्यारा सा अलौकिक हो गया है... मीठे बाबा आपने मुझे देह के मटमैलेपन से मुक्त करवाकर सुंदर सजीला बना दिया है...”

❉  मेरा प्रीतम बाबा मुझ प्रीतमा को स्वर्ग की महारानी बनाने के लिए श्रृंगार करते हुए कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वरीय बाँहों में सुखो की बहारो को पाओ... असीम सुखो की जागीर ईश्वरीय खजानो और यादो में पाकर देवताओ के श्रृंगार से सजकर मीठा सा मुस्कराओ... मीठा बाबा अपने बच्चों को फिर से खुशियो में खिलाने आया है तो पवित्र बनकर ईश्वरीय दिल पर छा जाओ...”

➳ _ ➳  देह की दुनिया से ऊपर पवित्र धाम की ओर उडान भरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा देहभान की धूल में धूमिल सी थी... आज आत्मिक स्वरूप में दमक रही हूँ... प्यारे बाबा आपने मुझे कमल समान पवित्र जीवन की धरोहर देकर आलिशान सुखो की मालकिन सा सजाया है... कौड़ी जीवन को हीरे सा चमकाया है...”

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- बाप की याद में आंखें बंद करके नहीं बैठना है"

➳ _ ➳  आबू की सुंदर पहाड़ी पर बसे मधुबन घर मे पीस पार्क में बैठी मैं प्रकृति के खूबसूरत नज़ारो का आनन्द ले रही हूँ और सोच रही हूँ कि कितनी भाग्यवान हूँ मैं आत्मा जो भगवान की इस अवतरण भूमि पर आकर भगवान को साकार देखने का, उनसे मीठी - मीठी रूह रिहान करने का, उनसे सम्मुख मिलन मनाने का सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है। भक्ति में भक्त घण्टों अपनी आंखें बंद कर समाधि लगा कर भगवान को याद करते हैं लेकिन इस बात से कितने अनजान है कि आँखों को बंद करके प्रभु दर्शन नही हो सकते।

➳ _ ➳  परमात्मा के सुंदर स्वरूप का रसपान करने के लिए आंखों को बंद करने की आवश्यकता नही बल्कि आंखों को खोल कर, मनबुद्धि के दिव्य चक्षु से उसे निहारने में जो आनन्द है वो अवर्णनीय है। यही विचार करते - करते अपने प्यारे मीठे बाबा का सुंदर स्वरूप मेरी आँखों के सामने उभर आता है और मैं अनुभव करती हूँ कि अव्यक्त ब्रह्मा बाबा मेरे बिल्कुल सामने आ कर उपस्थित हो गए हैं और देखते ही देखते परमधाम से सर्वशक्तिवान निराकार भगवान अपनी सर्वशक्तियों को बिखेरते हुए ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में आ कर विराजमान हो जाते हैं।

➳ _ ➳  ज्ञान के दिव्य चक्षु और अपनी खुली आँखों से परमात्म मिलन के इस खूबसूरत नजारे को मैं देख रही हूँ। अपनी नजरों को एकटक बापदादा पर टिकाकर मैं भगवान के इस अति सुंदर, अद्भुत स्वरूप को निहारते हुए असीम आनन्द का अनुभव कर रही हूँ। भगवान को अपने सम्मुख देखने का यह अनुभव मन को अथाह सुख से भरपूर कर रहा है। बापदादा की शक्तिशाली मीठी दृष्टि मेरे अंदर शक्तियों का संचार कर रही है। बापदादा के मुख से उच्चरित मधुर महावाक्य मेरे रोम - रोम में समाकर मुझे रोमांचित कर रहें हैं।

➳ _ ➳  साकार परमात्म मिलन के इस अनमोल सुंदर दृश्य को अपने नयनों में समाकर अब मैं अपने निराकार भगवान से निराकार स्वरूप में मिलन मनाने के लिए अपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में स्थित हो कर अपने मन बुद्धि को अपने परमधाम घर पर एकाग्र करती हूँ। मन बुद्धि का कनेक्शन परमधाम में अपने शिव पिता के साथ जोड़ अब मैं आत्मा मन बुद्धि के विमान पर बैठ उड़ चलती हूँ अपने स्वीट साइलेन्स होम परमधाम की ओर। चन्द सेकण्डों की रूहानी यात्रा करके मैं पहुँच जाती हूँ अपने शिव पिता के पास उनके निजधाम में।

➳ _ ➳  अथाह शान्ति से भरपूर इस शान्तिधाम घर में निराकार बीज स्वरूप में स्थित होकर, अपने बीज रूप शिव पिता परमात्मा के साथ मैं मंगल मिलन मना रही हूँ। उनसे निकल रहे सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के प्रकाश की एक - एक किरण को निहारते हुए मैं असीम आनन्द का अनुभव कर रही हूँ। उनसे आ रही सर्वशक्तियाँ अनन्त किरणों के रूप में मुझ आत्मा के ऊपर पड़ कर मुझे गहन शीतलता की अनुभूति करवा रही हैं। एक अद्भुत दिव्य अलौकिक आनन्द और अथाह सुख का मैं अनुभव कर रही हूँ। अतीन्द्रिय सुख के झूले में मैं झूल रही हूँ।

➳ _ ➳  अपने निराकार भगवान के साथ निराकार स्वरूप में मिलन मना कर, उनकी सर्व शक्तियों को स्वयं में भरकर असीम ऊर्जावान बन कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया में लौट रही हूँ। अपने साकारी तन में विराजमान हो कर, अपने शिव पिता की याद को सदा अपने हृदय में बसाये अब मैं सदा स्मृति स्वरूप बन कर रहती हूँ। आँखों को खोल कर बाबा को याद करते हुए, मन बुद्धि से साकार और निराकार मिलन के सुन्दर दृश्य देखते हुए अपने भगवान बाप से जब चाहे तब मिलन मनाने का सुख अब मैं निरन्तर प्राप्त करती रहती हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं मनमनाभव हो अलौकिक विधि से मनोरंजन मनाने वाली बाप समान आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं बातों को देखने की बजाए स्वयं को और बाप को देखने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  हाथ तो बहुत सहज उठाते हैंबाबा को पता है हाथ उठवायेंगे तो बहुत प्रकार के हाथ उठेंगे लेकिन फिर भी बापदादा कहते हैं कि जिस चेकिंग से आप हाथ उठाने के लिए तैयार हैं, बापदादा को पता है कितने तैयार हैंकौन तैयार हैं। अभी भी और अन्तर्मुखी बन सूक्ष्म चेकिंग करो। अच्छा कोई को दु:ख नहीं दिया, लेकिन जितना सुख का खाता जमा होना चाहिए उतना हुआनाराज नहीं कियाराजी कियाव्यर्थ नहीं सोचा लेकिन व्यर्थ के जगह पर श्रेष्ठ संकल्प इतने ही जमा हुएसबके प्रति शुभ भावना रखी लेकिन शुभ भावना का रेसपान्स मिलावह चाहे बदले नहीं बदलेलेकिन आप उससे सन्तुष्ट रहेऐसी सूक्ष्म चेकिंग फिर भी अपने आपकी करो और अगर ऐसी सूक्ष्म चेकिंग में पास हो तो बहुत अच्छे हो।

 

✺   ड्रिल :-  "अन्तर्मुखी बन सूक्ष्म चेकिंग करना"

 

 _ ➳  मैं आत्मा इस देह की मालिक, देह में मस्तक के मध्य चमक रही हूँ... स्वयं को इस देह से अलग एक जगमगाते सितारे के रुप में देख रही हूँ... बाबा की याद में बैठी हूँ और और उनके प्यार में खो जाती हूँ... बाबा से मिलने वाले सभी ख़ज़ानों और शक्तियों को याद कर रही हूँ... स्वयं को चेक भी कर रही हूँ कि इन सब ख़ज़ानों को कितना जमा किया है...

 

 _ ➳  मैं कितनी भाग्यशाली आत्मा हूँ जो इस संगमयुग में अपने प्राण प्यारे बाबा से सम्मुख मिलन मनाती हूँ... बाबा ने जो मुझे अमूल्य ख़ज़ाने और शक्तियाँ दी हैं उन्हें अपने इस हीरे तुल्य जीवन मे यूज़ करते हुए निरंतर आगे बढ़ रही हूँ... बाबा का साथ और प्यार मुझे हर कदम पर महसूस होता है... मैं बाबा की छत्रछाया में रह हर कर्म करती हूँ... हर आत्मा के प्रति शुभभावना रखती हूँ और मेरे प्योर वाइब्रेशन अन्य आत्मायें कैच करती हैं और मेरी ओर आकर्षित होती हैं और मैं आत्मा उन सभी को अपनी शीतल दृष्टि से संतुष्ट करती हूँ...

 

 _ ➳  मैं आत्मा इस सृष्टि के रंगमंच पर अपना पार्ट प्ले करते हुए अन्य बहुत सी आत्माओं के संपर्क में आती हूँ... और हर आत्मा अपने स्वभाव संस्कार के अनुसार व्यवहार करती है... क्योंकि इस सृष्टि के अंत में सभी आत्माओं की बैटरी डिस्चार्ज है... मैं आत्मा अपने संपर्क में आने वाली हर आत्मा को शुभ वाइब्रेशन दे उनके संस्कार परिवर्तन में उन्हें मदद करती हूँ...

 

 _ ➳  मेरे संपर्क में आने वाली आत्माएं शांति का अनुभव करती हैं... वो अपने दुखों को भूल सुख का अनुभव करती हैं क्योंकि मैं आत्मा सुख स्वरूप हूँ... कोई आत्मा अपने कड़े संस्कारों के कारण मुझसे अच्छा व्यवहार नहीं करती या नाराज़ रहती है उसे भी मैं शुभ भावना देकर उसे भी राज़ी करती हूँ...

 

 _ ➳  मैं आत्मा इस संगमयुग पर अपने पुराने सभी कलियुगी संस्कारों को परिवर्तन कर रही हूँ... बाबा के साथ से उनके सहयोग से तेज़ी से मेरे संस्कार परिवर्तन हो रहे हैं... मैं आत्मा स्वयं पर अटेंशन रखकर साथ साथ अपनी चेकिंग भी करती जाती हूँ... मुझ आत्मा के किसी व्यवहार के कारण किसी को कोई दुख तो नहीं पहुंचा... मैं आत्मा अन्य आत्माओं के भी दुखों को दूर करती हूँ और अपना सुख का खाता जमा करती हूँ... मैं आत्मा अंतर्मुखी बन अपनी सूक्ष्म चेकिंग करती हूँ... श्रेष्ठ संकल्पों का ख़ज़ाना जमा करती हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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