━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 06 / 06 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 54=20)
➢➢ छी छी शरीरों की तरफ ध्यान तो नहीं दिया ?
➢➢ पढाई मिस तो नहीं की ?
➢➢ अपने मस्तक पर सदा बाप की दुआओं का हाथ अनुभव किया ?
➢➢ स्वयं में गुणों को धारण कर दूसरों को गुण दान किये ?
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ शक्तिशाली ज्वाला स्वरूप की याद तब रहेगी जब याद का लिंक सदा जुटा रहेगा। अगर बार-बार लिंक टूटता है, तो उसे जोड़ने में समय भी लगता, मेहनत भी लगती और शक्तिशाली के बजाए कमजोर हो जाते हो।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ "मैं पद्मापद्म भाग्यवान आत्मा हूँ"
〰✧ पदमापदम भाग्यवान आत्मायें अनुभव करते हो! इतना श्रेष्ठ भाग्य सारे कल्प में किसी भी आत्मा का नहीं है। चाहे कितने भी नामीग्रामी आत्मायें हों, लेकिन आपके भाग्य के आगे उन्हों का भाग्य क्या है? वह है अल्पकाल का भाग्य और ब्राह्मण आत्माओंका है - अविनाशी भाग्य। सिर्फ इस एक जन्म का नहीं है, जन्म-जन्म का है। बाप का बनना अर्थात् भाग्य का वर्सा अधिकार में मिलना। तो अधिकार तो मिल गया ना। बच्चा अर्थात् अधिकार, वर्सा। अधिकार का नशा है कि उतरता चढ़ता है? आधाकल्प तो नीचे ही उतरे, अभी क्या करना है? चलना है, चढ़ना है या उड़ना है? उड़ने वाली चीज बीच में कभी रुकती नहीं। रुकेंगे तो नीचे आयेंगे। थोड़े से समय में भी रुकेंगे फिर उड़ेंगे तो मंजिल पर कैसे पहुँचेंगे? इसलिए उड़ते रहो। लेकिन सदा उड़ेगा कौन? जो हल्का होगा। तो हल्के हो ना? या तन का, मन का, सम्बन्ध का बोझ है? अगर बोझ नहीं है तो रुकते क्यों हैं? जो बोझ वाली चीज है वो नीचे आती है और जो हल्की होती है वह सदा ऊपर रहती है।
〰✧ आप सब तो डबल लाइट हो ना? तो सदा अपने भाग्य को स्मृति में रखने से भाग्य विधाता बाप स्वत: ही याद आयेगा। भाग्य विधाता को याद करना अर्थात् भाग्य को याद करना और भाग्य को याद करना अर्थात् भाग्य विधाता को याद करना। दोनों का सम्बन्ध है। कोई भी एक को याद करो तो दोनों याद आ जाते हैं। तो चलते-फिरते वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य! जो संकल्प में भी न था लेकिन साकार स्वरूप में प्राप्त कर रहे हैं। इतना सहज भाग्य और प्राप्त कितना सहज हो गया! किसी भी महान आत्मा के पास जाते हैं तो हद की प्राप्ति के लिए - चाहे बच्चा चाहिए, चाहे धन चाहिए, चाहे तन की तन्दरुस्ती चाहिए, तो एक प्राप्ति के लिए भी कितनी मेहनत कराते हैं और आपको क्या करना पड़ा? मेहनत करनी पड़ी? या आंख खुली, तीसरा नेत्र खुला और देखा भाग्य का नजारा।
〰✧ घर बैठे परिचय मिल गया। आप लोगों को ढूंढना नहीं पड़ा। कोई हद के खान से भी हद का खजाना लेना हो तो कितनी भागदौड़ करनी पड़ती है। ये तो सहज ही आपको घर बैठे हाथ में मिल गया। एक बाप एक परिवार। अनेकता खत्म हो गई और सभी एक हो गये। अपना बाप, अपना परिवार। अपना लगता है ना। चाहे कितना भी दूर हो लेकिन स्नेह समीप ले आता है। स्नेह नहीं तो साथ रहते भी दूर लगता है। तो ईश्वरीय स्नेह वाले परिवार में आ गये। इसलिए सदा याद रखो - ओहो मेरा श्रेष्ठ भाग्य! भाग्य विधाता द्वारा श्रेष्ठ भाग्य पा लिया।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ 'साइलेन्स इज गोल्ड', यही गोल्डन ऐज्ड स्टेज कही जाती है।इस स्टेज पर स्थित रहने से 'कम खर्च बाला नशीन' बनेंगे। समय रूपी खजाना, एनर्जी का खजाना और स्थूल खजाना में 'कम खर्च बाला नशीन' हो जायेंगे। इसके लिए एक शब्द याद रखो। वह कौन सा हे? 'बैलेन्स'।
〰✧ हर कर्म में, हर संकल्प और बोल, सम्बन्ध वा सम्पर्क में बैलेन्स हो। तो बोल, कर्म, संकल्प, सम्बन्ध वा सम्पर्क साधारण के बजाए अलौकिक दिखाई देगा अर्थात चमत्कारी दिखाई देगा।
〰✧ हर एक के मुख से, मन से यही आवाज निकलेगा कि यह तो चमत्कार है। समय के प्रमाण स्वयं के पुरुषार्थ की स्पीड और विश्व सेवा की स्पीड तीव्र गति की चाहिए तब विश्व कल्याणकारी बन सकेंगे।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ सूर्यवंशी सदा मास्टर ज्ञान-सूर्य अर्थात् पावरफुल स्टेज बीजरूप में रहते अथवा सेकण्ड स्टेज अव्यक्त फरिश्ते में ज़्यादा समय स्थित रहते। चन्द्रवंशी ज्ञान-सूर्य समान बीज़रूप स्टेज में कम ठहर सकते लेकिन फरिश्ते स्वरूप में और अनेक प्रकार के माया के विघ्नों से युद्ध कर विजयी बनने की स्टेज में ज़्यादा रहते हैं।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- हमारा बाबा बाप, टीचर, सतगुरु है- यह याद रखना"
➳ _ ➳ मैं नन्हा फ़रिश्ता मधुबन के बगीचे में बाबा के साथ लुका-छिपी का खेल
खेलता हुआ आनंद ले रहा हूँ... कभी मैं छिप जाता, बाबा मुझे ढूंढते... कभी बाबा
छिप जाते , मैं उन्हें ढूंढता... बाबा को ढूंढते-ढूंढते एक मधुर मुरली की गूंज
सुनाई देती है... मैं नन्हा फ़रिश्ता उस धुन के पीछे-पीछे चल पड़ता हूँ और पहुँच
जाता हूँ हिस्ट्री हाल... जहाँ बाबा शिक्षक बन मुरली बजा रहे हैं... फिर
सतगुरु बन मनमनाभव का मन्त्र देकर अपनी यादों में समा लेते हैं... तीनों रूपों
में बाबा को देख मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ... और बाबा से ज्ञान वर्षा की सौगात
लेता हूँ...
❉ मेरे जीवन को खुशनुमा, खुशबूदार बनाकर मुझे खुशनसीब बनाते हुए प्यारे बाबा
कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर की खोज में दर दर कितना भटके हो...
जितना भटके हो उतना ही उलझे हो... अब सच्चा पिता सच्चा टीचर सच्चा सतगुरु सहज
ही सम्मुख है... तो अब व्यर्थ समय सांसो को न गंवाकर सच्ची यादो में खो जाओ...
हर पल सच्ची कमाई में जुट जाओ...”
➳ _ ➳ बाप, टीचर, सतगुरु के रूप में भगवान को पाकर खुशियों में झूमते हुए मैं
आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अब भटकन से दूर होकर
सत्य भरी बाँहों में आनन्द के झूले में हूँ... देहधारियों से मुक्त होकर सच्चे
सतगुरु को पा ली हूँ... प्यारा बाबा मुझे मिल गया है जीवन आनन्द से खिल उठा
है... पाना था वो पा लिया है...”
❉ अविनाशी प्रेम से सिक्त कर अविनाशी सुखों की महारानी बनाते हुए मीठे प्यारे
बाबा कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... एक पिता में सब कुछ प्राप्त कर
रहे हो... बच्चों को हर भटकन से मुक्त कराकर सच्चा पिता जीवन में आ गया है...
फूलो सी गोद में बिठाकर, ज्ञान रत्नों से सजाकर, सतयुगी सुखो में खिलायेगा,...
ऐसे मीठे पिता को सांसो में बसा लो... सच्ची कमाई से दामन सदा का सजा लो...”
➳ _ ➳ परमात्म प्रेम के स्वर्णिम झूले में झूलती हुई प्रेम रस का पान करते हुए
मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे से भाग्य से
भरी हूँ... देहधारियों के पीछे लटककर सांसे खपाने वाली... आज ईश्वर पिता को
पाने वाली महान आत्मा बन गई हूँ... स्वयं भगवान मेरी पालना कर रहा है... कितना
प्यारा और शानदार मेरा यह भाग्य हो गया है...”
❉ अपने स्नेहमयी आगोश में समाकर अपना दीवाना बनाते हुए मेरी बगिया को सुन्दर
सजाने वाले प्यारे बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... कितना
सहज,कितना सरल, कितने साधारण रूप में भगवान मिला है... बच्चे अब एक तिनका भी
तकलीफ न उठाये... यह भाव लिए सच्चा पिता जीवन में आ गया है... सच्चे प्यार की
महक लिए, ज्ञान रत्नों की खान लिए, सुखो भरे आलिशान महल लिए विश्व पिता धरा पर
उतर गया है... इस मीठे नशे से भर जाओ और सच्ची यादो में झूम जाओ...”
➳ _ ➳ बाबा के असीम प्यार और अमूल्य शिक्षाओं से अविनाशी भाग्य बनाते हुए मैं
आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सच्चे पिता, सच्चे शिक्षक,
सच्चे सतगुरु को पाकर अपने मीठे भाग्य की मुरीद हूँ... कन्दराओं में,गुफाओ में,
मनुष्यो में जिसे खोज रही थी... वह मीठा बाबा आज मेरे दिल में धड़कन बन समाया
है... और मै आत्मा सच्ची कमाई से मालामाल हो गई हूँ...”
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- बाप जो न्यारी और सत्य नॉलेज सुनाते हैं वह अच्छी तरह पढ़नी और पढ़ानी है"
➳ _ ➳ स्वयं भगवान से पढ़ने का सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य प्राप्त करने वाली मैं
पदमापदम सौभाग्य शाली आत्मा हूँ इस बात को स्मृति में लाते ही ईश्वरीय नशे से
मैं आत्मा भरपूर हो जाती हूँ। और अपने लक्ष्य को सामने रख उसे पाने के लिए अपने
गॉडली स्टूडेंट स्वरूप में स्थित हो कर ईश्वरीय पढ़ाई में लग जाती हूँ। अपने
परम शिक्षक शिव बाबा द्वारा पढ़ाये ईश्वरीय महावाक्यों पर गहराई से मन्थन करते
हुए उन्हें अपने जीवन मे धारण कर अपने जीवन को हीरे तुल्य बनाने की स्वयं से
दृढ़ प्रतिज्ञा कर अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर अपने परम
शिक्षक शिव बाबा से पढ़ने के लिए सूक्ष्म वतन में पहुंच जाती हूँ और यहां पहुंच
कर उनका आह्वान करती हूँ।
➳ _ ➳ सेकेंड में मेरे मीठे बाबा मुझे पढ़ाने के लिए परमधाम से सूक्ष्मवतन में
पहुंच जाते है और ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में आ कर विराजमान हो जाते हैं। बाबा
मेरे सम्मुख आ कर बैठ जाते हैं और अपनी मीठी दृष्टि से मुझे भरपूर करते हुए
कहते हैं, चलो बच्चे:- "आज पढ़ाई के साथ साथ पिकनिक करते हैं"। यह कहकर बाबा
मेरा हाथ थामे मुझे आबू की पहाड़ियों पर ले आते हैं। यहां पहुंच कर बाबा एक एक
करके अपने सभी रूहानी विद्यार्थियों को इमर्ज करते हैं। देखते ही देखते सभी
रूहानी विद्यार्थी वहां उपस्थित हो जाते हैं। सामने संदली पर परम शिक्षक के रूप
में बापदादा बैठ जाते हैं और उनके सामने सभी गॉडली स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए बैठ
जाते हैं।
➳ _ ➳ सभी गॉडली स्टूडेंटस भगवान के मुख से उच्चरित मीठे मधुर महावाक्यों को
पूरी तन्मयता के साथ सुन रहें हैं। सबकी निगाहें एकटक बापदादा के ऊपर टिकी हैं।
एक एक स्टूडेंट को बाबा बड़े प्यार से अपने पास बुला कर हर बात समझा रहें हैं।
ऐसा लग रहा है जैसे बाबा एक एक बच्चे का ज्ञान रत्नों से श्रृंगार कर रहें
हैं। सभी बच्चे ज्ञान सागर बाप से अखुट ज्ञान पा कर मास्टर नॉलेजफुल बन रहे
हैं। सबको ज्ञान रत्नों से भरपूर करके अब बाबा सभी विद्यार्थियों को होम वर्क
दे रहें है कि इस पढ़ाई का कदर रखने के लिए अब इसे अच्छी रीति धारण कर बहुतों के
कल्याण के निमित बनो।
➳ _ ➳ सभी गॉडली स्टूडेंट्स ईश्वरीय पढ़ाई पढ़ कर अब ईश्वरीय सेवा अर्थ अपने अपने
कार्य क्षेत्र पर लौट आते हैं। बाबा द्वारा मिले होम वर्क को पूरा करने के लिए
अपने परमशिक्षक शिव बाबा द्वारा पढ़ाये ईश्वरीय महावाक्यों को अपने जीवन मे धारण
कर, ज्ञान स्वरूप बन अब मैं बहुतों का कल्याण करने चल पड़ती हूँ। कभी अपने
ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को
ईश्वरीय सन्देश दे कर उन्हें भी ईश्वरीय राह पर चल अपने जीवन को हीरे तुल्य
बनाने का सत्य मार्ग दिखा रही हूं तो कभी अपने फ़रिशता स्वरूप में स्थित हो कर
शंख ध्वनि कर, विश्व की सर्व आत्माओं को ईश्वरीय पालना का अनुभव करवा रही हूं।
➳ _ ➳ मेरे मुख से निकले वरदानी बोल अनेकों आत्माओं को मुक्ति जीवन मुक्ति का
रास्ता दिखा रहें हैं। ज्ञान के अस्त्रों - शस्त्रों से मुझे सुसज्जित करके
मेरे ज्ञान सागर शिव बाबा ने अनेकों आत्माओं की काया - कल्पतरु करने के मुझे
निमित बना दिया है। ईश्वरीय प्राप्तियों से परिपूर्ण मेरा जीवन मनुष्यों के
लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन रहा है। अपने परम पिता, परम शिक्षक शिव बाबा का और
उनसे मिलने वाले सत्य ज्ञान/ईश्वरीय पढ़ाई का बहुत बहुत कदर करते हुए उसे अपने
जीवन मे धारण कर सबको आत्म ज्ञान दे कर अब मैं सबके जीवन को समर्थ बना रही
हूँ।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं अपने मस्तक पर सदा बाप की दुआओं का हाथ अनुभव करने वाली मास्टर विघ्न-विनाशक आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं स्वयं में गुणों को धारण कर दूसरों को गुणदान करने वाली गुणमूर्त आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा दास आत्माओं की कर्मलीला देख रहम के साथ-साथ मुस्कराते हैं।
साकार में भी एक हँसी की कहानी सुनाते थे। दास आत्मायें क्या करत भई! कहानी याद
है? सुनाया था कि चूहा आता, चूहे को निकालते तो बिल्ली आ जाती, बिल्ली को
निकालते तो कुत्ता आ जाता। एक निकालते दूसरा आता, दूसरे को निकालते तो तीसरा आ
जाता। इसी कर्म-लीला में बिजी रहते हैं। क्योंकि दास आत्मा है ना। तो कभी आँख
रूपी चूहा धोखा दे देता, कभी कान रूपी बिल्ली धोखा दे देती। कभी बुरे संस्कार
रूपी शेर वार कर लेता, और बिचारी दास आत्मा उन्हों को निकालते-निकालते उदास रह
जाती है। इसलिए बापदादा को रहम भी आता और मुस्कराहट भी आती। तख्त छोड़ते ही क्यों
हो,आटोमेटिक खिसक जाते हो क्या? याद के चुम्बक से अपने को सेट कर दो तो खिसकेंगे
नहीं। फिर क्या करते हैं?
➳ _ ➳ बापदादा के आगे आर्जियों के लम्बे-चौड़े फाइल रख देते हैं। कोई अर्जी डालते
कि एक मास से परेशान हूँ, कोई कहते 3 मास से नीचे ऊपर हो रहा हूँ। कोई कहते 6
मास से सोच रहा था लेकिन ऐसे ही था। इतनी आर्जियाँ मिलकर फाईल हो जाती - लेकिन
यह भी सोच लो जितनी बड़ी फाइल है उतना फाइन देना पड़ेगा। इसलिए अर्जी को खत्म
करने का सहज साधन है - सदा बाप की मर्ज़ी पर चलो। ‘‘मेरी मर्ज़ी यह है'' तो वह
मनमर्ज़ी अर्जी की फाइल बना देती है। जो बाप की मर्ज़ी वह मेरी मर्ज़ी। बाप की
मर्ज़ी क्या है?
➳ _ ➳ हरेक आत्मा सदा शुभचिंतन करने वाली,सर्व के प्रति सदा शुभचिंतक रहने वाली,
स्व कल्याणी और विश्व-कल्याणी बनें। इसी मर्ज़ी को सदा स्मृति में रखते हुए बिना
मेहनत के चलते चलो। जैसे कहा जाता है - आँख बन्द करके चलते चलो। ऐसा तो नहीं,
वैसा तो नहीं होगा? यह आँख नहीं खोलो। यह व्यर्थ चिंतन की आँख बन्द कर बाप की
मर्ज़ी अर्थात् बाप के कदम पीछे कदम रखते चलो। पाँव के ऊपर पाँव रखकर चलना
मुश्किल होता है वा सहज होता है? तो ऐसे सदा फालो फादर करो। फालो सिस्टर, फालो
ब्रदर यह नया स्टेप नहीं उठाओ। इससे मंजल से वंचित हो जायेंगे। रिगार्ड
दो,लेकिन फालो नहीं करो। विशेषता और गुण को स्वीकार करो लेकिन फुटस्टेप बाप के
फुटस्टेप पर हो। समय पर मतलब की बातें नहीं उठाओ। मतलब की बातें भी बड़ी मनोरंजन
की करते हैं। वह डायलॉग फिर सुनायेंगे,क्योंकि बापदादा के पास तो सब सेवा
स्टेशन्स की न्यूज आती है। आल वर्ल्ड की न्यूज आती है। तो दास आत्मा मत बनो।
✺ "ड्रिल :- बाप की मर्ज़ी पर चल भिन्न भिन्न प्रकार की अर्जी को समाप्त करना”
➳ _ ➳ मैं आत्मा सभी लौकिक व्यक्त बातों से मन बुद्धि को समेट कर अलौकिकता को
धारण कर अव्यक्त फरिश्ता बन अव्यक्त वतन पहुंच जाती हूं… अव्यक्त बापदादा के
सम्मुख बैठ जाती हूं... वहां मैं देखती हूं बापदादा बहुत सारे फाइलें चेक कर
रहे थे... मैं बाबा को पूछती हूं- बाबा ये सब फाइलें क्या हैं? बाबा बोले बच्ची
ये सबकी अर्जियों की लंबी चौड़ी फाइलें हैं... जब बाप की मर्ज़ी को छोड़ मनमर्ज़ी
करते हैं तो वह मनमर्ज़ी अर्जी की फाइल बना देती है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाबा को कहती हूँ:- जी बाबा क्या करें, एक के बाद एक माया रूप
बदल कर आती है, कभी चूहा, कभी बिल्ली, कभी शेर बनकर आती है, तो हम आत्मायें
उसका सामना नहीं कर पाते फिर परेशान होकर नीचे ऊपर होते रहते हैं... एक
निकालते तो दूसरा आ जाता, दूसरे को निकालते तो तीसरा आ जाता... इसी कर्म-लीला
में बिजी रहकर उदास रहते हैं... दुखी हो जाते हैं...
➳ _ ➳ बापदादा मुस्कुराते हुए बोले:- बच्ची- तख्त छोड़ते ही माया तुम पर वार
करती है... जब तख्त पर विराजमान रहते हो तो सदा सेफ रहते हो... याद के चुम्बक
से अपने को सदा के लिए सेट कर दो तो तख्त से कभी भी खिसकेंगे नहीं... बाप की
मर्ज़ी को अपनी मर्जी बना लो... सदा बाप की मर्ज़ी पर चलोगे तो सारी अर्जियां सहज
ही खत्म हो जायेंगी... बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखकर वरदान देते हैं-
सदा शुभचिंतन कर, सर्व के प्रति सदा शुभचिंतक बन स्व कल्याणी और विश्व-कल्याणी
बनो...
➳ _ ➳ बाबा के वरदानों, खजानों से भरपूर होकर मैं आत्मा अपने को सम्पन्न महसूस
कर रही हूँ... अब मैं आत्मा बाबा की मर्जी को अपनी मर्ज़ी बनाकर चल रही हूँ...
बिना मेहनत के, व्यर्थ चिंतन की आँख बन्द करके चल रही हूँ... बाबा के हर कदम
में कदम रख चल रही हूँ... फालो फादर करती हुई हर कर्म में सफलता प्राप्त कर रही
हूँ... अब मैं आत्मा किसी भी देहधारी को फालो नहीं करती हूँ... बाप के फुटस्टेप
पर फुटस्टेप रख मंजिल की तरफ बढती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सबको रिगार्ड देकर सबकी विशेषताओं और गुणों को स्वीकार करती
हूँ... व्यर्थ बातें, व्यर्थ चिंतन छोड़ स्मृति स्वरुप, समर्थी स्वरुप बन रही
हूँ... बाबा की याद के चुम्बक से अपने को तख्त पर सेट कर अब मैं आत्मा सदा
तख्तनशीन बनकर रहती हूँ... शुभ भावनाओं और शुभ कामनाओं से सर्व का कल्याण कर
रही हूँ... अब मैं आत्मा कभी भी मनमत वा परमत पर नहीं चलती हूँ... सदा ही बाबा
की श्रीमत का पालन करती हूँ... बाबा की मर्जी ही अब मेरी मर्जी है... बाबा के
बताए एक-एक शब्द को स्वयं में ग्रहण कर रही हूँ... अब मैं आत्मा बाप की मर्ज़ी
पर चलकर भिन्न भिन्न प्रकार की अर्जी को समाप्त कर रही हूँ...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━