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 12 / 09 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ किसी से इर्ष्या तो नहीं रखी ?

 

➢➢ किसी भी प्रकार की हिंसा तो नहीं की ?

 

➢➢ खजानों को सेवा में लगा जमा का खाता बढाया ?

 

➢➢ मेरे को तेरे में परिवर्तित कर बेफिक्र बादशाह अनकर रहे ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  अभी संगठित रूप में लाइट-हाउस, माइट-हाउस बन शक्तिशाली वायब्रेशन्स फैलाने की सेवा करो। अभी अपनी वृत्ति को, वायब्रेशन, वायुमण्डल पावरफुल बनाओ। चारों ओर का वायुमण्डल सम्पूर्ण निर्विघ्न रहमदिल, शुभ भावना, शुभ कामना वाला बने तब यह लाइट-माइट प्रत्यक्षता के निमित्त बनेंगी।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं एक बल एक भरोसे वाली नष्टोमोहा आत्मा हूँ"

 

〰✧  सभी एक बल एक भरोसे का अनुभव करते हो? एक बल, एक भरोसे वाले की निशानी क्या होगी? एक बल, एक भरोसे में रहने वाली आत्मा सदा एक रस स्थिति में स्थित होगी। एकरस स्थिति अर्थात् सदा अचल, हलचल नहीं। तो ऐसे रहते हो कि कभी हलचल, कभी अचल? हलचल के समय एक बल, एक भरोसा कहेंगे या अनेक बल, अनेक भरोसा कहेंगे? जब एक बाप द्वारा सर्वशक्तियाँ प्राप्त हो जाती हैं तो एक बल, एक भरोसा चाहिये ना। एक को भूलते हो तभी हलचल होती है। तो अचल रहने वाले हो ना? यहाँ आपका यादगार कौन-सा है? अचल घर है या हलचल घर है? या अचल घर कभी हलचल घर हो जाता है! यादगार आपका ही है ना। फिर हलचल में क्यों आते हो?

 

  प्रैक्टिकल का ही यादगार बना है ना। तो सदा ये याद करो कि एक बल एक भरोसे में रहने वाले हैं। क्योंकि भक्ति में अनेक के ऊपर भरोसा रखकरके अनुभव कर लिया ना तो क्या मिला? सब कुछ गंवा लिया ना। सतयुग का इतना सारा धन कहाँ गंवाया? भक्ति में गँवाया ना। अच्छी तरह से अनुभव कर लिया ना। तो जब भी कोई ऐसे हलचल की परिस्थिति आती है तो अपने यादगार अचल घर को याद करो। जब यादगार ही अचल घर है तो मैं कैसे हलचल में आ सकती हूँ! ये तो सहज याद आयेगा ना। एकरस स्थिति का अर्थ ही है कि एक द्वारा सर्व सम्बन्ध, सर्व प्राप्तियों के रस का अनुभव करना। तो अनुभव होता है कि बीच-बीच में और कोई सम्बन्ध भी खींचता है?

 

  जब सर्व सम्बन्ध एक द्वारा अनुभव होता है तो दूसरे सम्बन्ध में आकर्षण होने की तो बात ही नहीं है। सर्व सम्बन्ध का अनुभव है कि कोई-कोई सम्बन्ध का अनुभव है? सर्व सम्बन्ध से बाप को अपना बनाया है कि कोई सम्बन्ध किनारे रख दिया है? सर्व हैं कि एक-दो में अटेन्शन जाता है? कोई का भाई में, कोई का बच्चे में, कोई का पोत्रे में! नहीं? निभाना अलग चीज है, आकर्षित होना अलग चीज है। तो नष्टोमोहा हो? पाण्डवों को पैसे कमाने में मोह नहीं है? ट्रस्टी होकर कमाना अलग चीज है। लगाव से कमाना, मोह से कमाना अलग चीज है। कभी धन में मोह जाता है? थोड़ा-थोड़ा जाता है? क्या होगा, कैसे होगा, जमा कर लें, कुछ कर लें, पता नहीं कितने वर्ष के बाद विनाश होता है, दस वर्ष लगते हैं या 50 वर्ष लगते हैं.. ये नहीं आता? नष्टोमोहा बनकर, ट्रस्टी बनकरके चलना और मोह से चलना कितना अन्तर है!

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  स्थूल कर्मेन्द्रियाँ - यह तो बहुत मोटी बात है। कर्मेन्द्रिय-जीत बनना, यह फिर भी सहज है। लेकिन मन-बुद्धि-संस्कार, इन सूक्ष्म शक्तियों पर विजयी बनना कहते हैं सूक्ष्म शक्तियों पर विजय अर्थात राजऋषि स्थिति।

 

✧  जैसे स्थूल कर्मेन्द्रियों को ऑर्डर करते हो कि यह करो, यह न करो। हाथ नीचे करो, ऊपर हो, तो ऊपर हो जाता है ना ऐसे संकल्प और संस्कार और निर्णय शक्ति बुद्धि' ऐसे ही ऑर्डर पर चले।

 

✧  आत्मा अर्थात राजा, मन को अर्थात संकल्प शक्ति को ऑर्डर करें कि अभी-अभी एकाग्रचित हो जाओ, एक संकल्प में स्थित हो जाओ।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ क्योंकि अन्त में अशरीरीपन का अभ्यास ही काम में आयेगा। सेकण्ड में अशरीरी हो जायें। चाहे अपना पार्ट भी कोई चल रहा हो लेकिन अशरीरी बन आत्मा साक्षी हो अपने शरीर का भी पार्ट देखें। मैं आत्मा न्यारी हूँ शरीर से यह पार्ट करा रही हूँ। यही न्यारेपन की अवस्था अन्त में विजयी या पास विद ऑनर का सर्टिफिकेट देगी।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- अन्दर में दिन-रात बाबा-बाबा कहते अपार खुशी में रहना"

➳ _ ➳  संगमयुग की सुहानी घड़ी में... व्यक्त से परे... अव्यक्त इशारों को मैं आत्मा अपने मे धारण कर तीव्र पुरुषार्थ की ऊँची उड़ान भर... बिंदु रूप में परिवर्तन होकर पहुँच जाती हूँ... परमधाम... वो धाम जो मेरा है... वो धाम जो मेरा घर है... वो धाम जो मेरे बाबा का है... मुझ आत्मा का घर जहाँ में रहती हूँ... मेरे प्यारे बाबा के साथ... परमधाम की सुनहरी किरणों में मुझे सिर्फ मेरे बाबा दिखाई दे रहे है... मैं आत्मा... शांति के सागर में तैरती अपनी नैया को पार होता देख रही हूँ... मैं और मेरा बाबा... और कोई संकल्प नही... कोई एहसास नहीं...

❉  पवित्र प्यार के एहसास से भरपूर मुझ आत्मा को देख प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... मुद्दत से प्रतीक्षा कर रहा हूँ तुम्हारी... अब आ ही गई... क्या मुझे भूली तो नहीं... अपने बाबा को प्यार से याद तो करती हो न... बापदादा की छत्रछाया में सदा रहने वाली... मेरी गुल गुल बच्ची... आओ मैं तुम्हे आप समान बना दूँ... प्यार से झोली भर दूँ... तुम्हारी नजर तो उतार लूँ... और बाबा से आती हुई रंगबिरंगी किरणों को मुझ में समाता हुआ देख रही हूँ... अपने ज्योति को उसकी ज्योति को मिलता देख रही हूँ..."

➳ _ ➳  प्यार भरे किरणों से भरपूर होकर मैं आत्मा बाबा से कहती हूँ :- "मेरे प्यारे बाबा... तुम्हें तो मैं जन्मों से ढूंढ रही हूँ... कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा... अब मिले हों... जी भर के देख लूँ... महसूस कर लूं... मेरे बाबा... तेरे ही प्यार में खोई हूँ... तेरे ही प्यार में डूबी हुई हूँ... "बाबा बाबा" कहती झूमती नाचती रहती हूँ... खुशी के नगाड़े बजाती रहती हूँ... बाबा बाबा कहती सब को खुशियों के झूलो में झुलाती हूँ और खुद भी झूलती रहती हूँ..."

❉  प्यार के फूलों से मेरे बगीचे को संवारते हुए मेरे मीठे बाबा कहते हैं:- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... प्यार से प्यार को निभाने वाली... पवित्र सुखों की उत्तराधिकारी हो... स्वयं को और औरो को भी सुगन्धित फूलों से भरपूर करने वाली मास्टर बागवान हो...  "मेरा बाबा"  शब्द के जादुई तरंगों से सबको प्यार में तरबतर करने वाली... मेरी प्यारी फूल बच्ची हो... मेरी प्रत्यक्षता करवाने वाली... संगमरमर की मूर्त हो..."

➳ _ ➳  बाबा के वचनों से मंत्रमुग्ध मैं आत्मा कहती हूँ :- "मेरे प्यारे बाबा... आपने मुझ आत्मा को पतित से पावन बनाया है...  स्वर्ग के सुखों की भागीदार बनाया है... प्यार से इस मुरझे हुए पौधे को खुशबूदार... महकदार पौधा बना दिया है... मैं साधारण आत्मा दिव्य आत्मा बन गई हूँ... सब कुछ पाया... जग जीता... जो तुम्हे पाया..."

❉  अपने नयनो पर बिठाकर मुझ आत्मा को संवारते हुए मीठे प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... मुझ रूह की ताशिर हो तुम... मुझ में तुम और तुझ में मैं नजर आये वो पवित्र दृष्टि हो तुम... अपने चेहरे और चलन से मुझ को प्रत्यक्ष करने वाली... दीपशिखा हो तुम... खुशबूदार सुगंधित पुष्पों से भरा बगीचा हो तुम..."

➳ _ ➳  बाबा के प्यार की तरंगों में समाती मैं आत्मा कहती हूँ:- "मेरे मीठे बाबा... मेरे प्राण प्यारे बाबा... कोटि बार धन्यवाद... पलकों पे बिठाने वाले... मेरे प्यारे बाबा.... तुझे पाने की खुशी में... रोम रोम पुलकित हो उठा है... इस संगमयुग में मैं ब्राह्मण आत्मा... नखशिख ... सुखों के झूलो में झूलती जा रही हूँ और औरो को भी झुलाती जा रही हूँ.... शुक्रिया मेरे मीठे बाबा... शुक्रिया जो प्यार से नवाजा..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- अहंकार नहीं रखना है"
 
➳ _ ➳  निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी इन तीन शब्दों के आधार पर ही ब्रह्माबाबा ने पुरुषार्थ कर सम्पूर्णता को प्राप्त किया। सृष्टि के रचयिता, ऑल माइटी अथॉरिटी भगवान भी निरहंकारी बन हम बच्चों की सेवा के लिए पतित तन, पतित दुनिया मे आये। तो ऐसे बापदादा समान निरहंकारी बन सम्पूर्णता के लक्ष्य को पाने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन के शुद्ध नशे में रह, बापदादा समान निरहंकारी बनने का लक्ष्य रख मैं अव्यक्त फ़रिशता बन मधुबन के पांडव भवन में पहुंच जाता हूँ और हिस्ट्री हाल में लगे चित्रों को निहारने लगता हूँ जिनमे ब्रह्मा बाबा के श्रेष्ठ कर्मो की गाथा सहज ही परिलक्षित होती है।
 
➳ _ ➳  हर चित्र को मैं बड़ी गहराई से देख रहा हूँ और हर चित्र में बाबा के निरहंकारी होने के गुण की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही है। बाबा के हर कर्म के यादगार चित्रों को देखते देखते साकार ब्रह्मा बाबा के एक कर्म का दृश्य मेरी आँखों के सामने स्पष्ट दिखाई देने लगता है। मैं देख रहा हूँ कि यज्ञ वत्सों के साथ ब्रह्मा भोजन के लिए सब्जी काटने के स्थूल कार्य में बाबा जुटे हुए हैं। सभी कह रहे हैं, बाबा:- यह कार्य हम बच्चों का है। आपके वृद्ध हाथ हैं। आपको कार्य करते देख हमारे मन को कुछ होता है। यह कार्य हमें करने दीजिए।
 
➳ _ ➳  यज्ञ वत्सों की बात सुन कर ब्रह्मा बाबा कहते हैं:-" मैं भी शिव बाबा का बच्चा हूं। हमारा तो कर्म योग है। यदि हम स्थूल कार्य न करें तो यह कर्म योग कैसे सिद्ध होगा! बच्चों, यज्ञ की सेवा सर्वोत्तम सेवा है। इसके लिए तो दधीचि ऋषि की तरह हड्डिया देनी हैं। हमारा यह अलौकिक जन्म ही सेवा के लिए है। स्वयं शिव बाबा कहते हैं कि:- "मैं आत्माओं की सेवा पर उपस्थित हुआ हूँ"। तो हम बच्चों को भी तो सेवाधारी बनना है। हर प्रकार का कार्य करते हुए भी शिव बाबा की याद में रहने का अभ्यास करना है ताकि स्थिति एकरस और योग निरंतर हो जाए। इस प्रकार की युक्तियां देकर बाबा अपनी बात मनवा रहे हैं।
 
➳ _ ➳  इस दृश्य को देखते देखते बाबा के प्रति और स्नेह उमड़ने लगता है और मैं फ़रिशता चल पड़ता हूँ बापदादा से मिलने उस अव्यक्त वतन में जहां ब्रह्मा बाबा अव्यक्त हो कर आज भी हम बच्चों की सेवा कर रहें हैं, अव्यक्त पालना में भी साकार पालना का अनुभव करवा रहे हैं। बच्चों के इंतजार में बाहें पसारे खड़े ब्रह्मा बाबा के चेहरे की गुह्य मुस्कुराहट दूर से ही अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। बिना एक पल भी व्यर्थ गंवाए मैं दौड़कर बाबा की बाहों में समा जाता हूँ और बाबा का असीम स्नेह मुझ पर बरसने लगता है। मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बाबा का दुलार करना मुझे अंदर तक रोमांचित कर देता है।
 
➳ _ ➳  अब बाबा मुझे अपने पास बिठाकर अपनी मीठी दृष्टि से मुझे भरपूर कर रहे हैं। अपने हाथों में मेरा हाथ लेकर अपनी सर्व शक्तियां मुझ में प्रवाहित कर रहे हैं और साथ-साथ मुझे आप समान निरहंकारी बनने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। बापदादा से मधुर मिलन मनाकर, विकर्म विनाश करने और आत्मा के ऊपर चड़ी हुई विकारों की अशुद्धता को मिटाने के लिए अब मैं आपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरुप में स्थित होकर चल पड़ती हूं परमधाम अपने ज्ञानसूर्य परम पिता परमात्मा शिव बाबा के पास।
 
➳ _ ➳  परमधाम में अपनी निराकारी बीज रूप अवस्था मे अपने बीज रूप परम पिता परमात्मा शिव बाबा के सामने अब मैं उपस्थित हूँ। उनसे निकलती अनन्त सर्वशक्तियों की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं। धीरे धीरे ये किरणे ज्वाला स्वरूप धारण करती जा रही है और इन ज्वाला स्वरुप किरणों के मुझ आत्मा पर पड़ने से आत्मा के ऊपर चढ़ी सारी अशुद्धता खत्म होती जा रही है और मैं आत्मा एकदम हल्की, शुद्ध  होती जा रही हूँ। मेरा स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली व चमकदार बनता जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे प्यारे शिव बाबा ने मुझे शुद्ध बना कर सर्वशक्तियों को समाने की ताकत दे दी हो।
 
➳ _ ➳  बाबा से आ रही सर्वशक्तियों को स्वयं में समा कर, परमात्म शक्तियों से स्वयं को भरपूर कर, शुद्ध रीयल गोल्ड बन कर अब मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूं। अपने साकारी तन में प्रवेश कर अब मैं अपने श्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन के शुद्ध अहंकार में रह, बापदादा समान निरहंकारी बन अपने तन - मन - धन को ईश्वरीय सेवा में सफल कर रही हूं।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं मेरे को तेरे में परिवर्तन कर बेफिक्र बादशाह बनने वाली खुशी के खजाने से भरपूर आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं खज़ानों को सेवा में लगाकर जमा का खाता बढ़ाने वाली सेवाधारी आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  ब्रह्मा बाप को देखाकैसा भी बच्चा होशिक्षादाता बन शिक्षा भी देते लेकिन शिक्षा के साथ प्यार भी दिल में रखते। और प्यार कोई बाहों का नहीं, लेकिन प्यार की निशानी है - अपनी शुभ भावना सेशुभ कामना से कैसी भी माया के वश आत्मा को परिवर्तन करना। कोई भी हैकैसी भी हैघृणा भाव नहीं आवेयह तो बदलने वाले ही नहीं हैंयह तो हैं ही ऐसे। नहीं। अभी आवश्यकता है रहमदिल बनने की क्योंकि कई बच्चे कमजोर होने के कारण अपनी शक्ति से कोई बड़ी समस्या से पार नहीं हो सकतेतो आप सहयोगी बनो। किससे? सिर्फ शिक्षा से नहींआजकल शिक्षा, सिवाए प्यार या शुभ भावना के कोई नहीं सुन सकता। यह तो फाइनल रिजल्ट है, शिक्षा काम नहीं करती लेकिन शिक्षा के साथ शुभ भावना, रहमदिल यह सहज काम करता है। जैसे ब्रह्मा बाप को देखामालूम भी होता कि आज इस बच्चे ने भूल की हैतो भी उस बच्चे को शिक्षा भी तरीके सेयुक्ति से देता और फिर उसको बहुत प्यार भी करता, जिससे वह समझ जाते कि बाबा का प्यार है और प्यार में गलती के महसूसता की शक्ति उसमें आ जाती।

 

✺   ड्रिल :-  "ब्रह्माबाप समान प्यार से शिक्षा देना"

 

 _ ➳  रिमझिम रिमझिम बारिश की हल्की हल्की फुहारों के साथ... मैं सागर के किनारे बैठ कर लहरों को आता जाता देख... मन के ताने बाने से... सागर की गहराई को नापने की कोशिश कर रही हूँ... तभी बाबा की याद में खोया हुआ मन पहुँच जाता है सूक्ष्म वतन में... जहाँ बापदादा लाल रंग के कमल के फूल पर बैठे हुए मन्द मन्द मुस्कुरा रहें हैं...  

 

 _ ➳  मैं दौड़ कर उनकी गोद में जाकर बैठ जाती हूँ... बाबा कहते... आ जाओ बच्ची... मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था... फिर बाबा अपने कोमल हाथों द्वारा मेरे सिर पर प्यार भरा हाथ फिराते हैं... बाबा के वरद हाथों से अनन्त शक्तिशाली किरणें मेरे शरीर के रोम रोम में फैल रही हैं... मैं बाबा से आती इन शक्तिशाली किरणों को स्वयं में समाती हुई अनुभव कर रही हूँ... लहरों के समान दौड़ता हुआ मेरा मन शांत शीतल होता जा रहा है... और स्नेह के सागर... प्रेम के सागर... के प्रेम में... मैं आत्मा लवलीन हो गयी हूँ... मास्टर प्रेम का सागर बन गयी हूँ...  

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा बाबा की मीठी बच्ची सदा ब्रह्मा बाप समान... हर आत्मा के प्रति कल्याण की भावना... शुभ भावना शुभ कामना... रहम की भावना रखती हूँ... किसी भी आत्मा के प्रति नकरात्मक संकल्प नहीं रखती हूँ... सबके प्रति प्रेम की भावना... पॉजिटिव सोच रखती हूँ... क्योंकि संकल्पों से ही वायुमण्डल बनता है... धारणा स्वरूप... याद स्वरूप बन... मैं आत्मा ब्रह्मा बाप समान रहमदिल बन सभी आत्माओं के प्रति शुभ भावना रख उन्हें ज्ञान की बातें सुना रही हूँ... 

 

 _ ➳  मैं आत्मा बाप समान... रूहानी दृष्टि... वृत्ति रख... अन्य आत्माओं की कमी कमजोरी... अवगुणों को नज़र अंदाज़ करते हुए उन्हें बाबा का परिचय... सृष्टि के आदि-मध्य-अंत... के बारे में योगयुक्त... युक्तियुक्त... बहुत प्यार से समझा रही हूँ... ज्ञान की बातें सुनकर उन आत्माओं के मन शांत हो रहें हैं... उनके मन में क्या... क्यों के प्रश्नों की झड़ियां समाप्त हो रही हैं... ज्ञान की बातें उन्हें तीर की तरह लग रही हैं...      

 

 _ ➳  हर आत्मा के प्रति यह एक ही शुभ संकल्प रहता कि हर आत्मा रूपी बच्चा सर्व खजानों से सम्पन्न हो जाये और अनेक जन्मों के लिये वर्से का अधिकारी बन जाये... मैं आत्मा ब्रह्मा बाप समान सभी माया के वश आत्माओं को शुभ भावना... शुभ कामना से परिवर्तन कर उन्हें उमंग उत्साह से... प्यार से शिक्षा देते हुए खुशी का अनुभव कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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