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 18 / 12 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ बहुत कम और मीठा बोले ?

 

➢➢ स्वयं की दैवी चलन बनाने पर विशेष अटेंशन रहा ?

 

➢➢ कर्म और सम्बन्ध दोनों में स्वार्थ भाव से मुक्त रहे ?

 

➢➢ स्नेह के सागर में समाये रहे ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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〰✧  आत्मिक प्यार से जितना एक दो के स्नेही सहयोगी बनते हो उतना ही माया के विघ्न हटाने में भी सहयोग मिलता है। सहयोग देना अर्थात् सहयोग लेना। तो परिवार में आत्मिक स्नेह देना है और माया पर विजय पाने का सहयोग लेना है। यह लेन-देन का हिसाब है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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✺   "मैं महान भाग्यशाली आत्मा हूँ"

 

✧  सभी अपने को महान भाग्यशाली समझते हो ना? देखो कितना बड़ा भाग्य है जो वरदान भूमि पर वरदानों से झोली भरने के लिए पहुँच गये हो। ऐसा भाग्य विश्व में कितनी आत्माओंका है। कोटों में कोई और कोई में कोई में भी कोई। तो यह खुशी सदा रखो कि जो सुनते थे, वर्णन करते थे, कोटों में कोई, कोई में भी कोई आत्मा, वह हम ही है। इतनी खुशी है?

 

✧  सदा इसी खुशी में नाचते रहो - वाह मेरा भाग्य। यही गीत गाते रहो और इसी गीत के साथ खुशी में नाचते रहो। यह गीत गाना तो आता है ना - 'वाह रे मेरा भाग्य' और वाह मेरा बाबा। वाह ड्रामा वाह, यह गीत गाते रहो।

 

✧  बहुत लकी हो। बाप तो सदा हर बच्चे को लवली बच्चा ही कहते हैं। तो लवली भी हो, लकीएस्ट भी हो। कभी अपने को साधारण नहीं समझना, बहुत श्रेष्ठ हो। भगवान आपका बन गया तो और क्या चाहिए। जब बीज को अपना बना दिया तो वृक्ष तो आ ही गया ना। तो सदा इसी खुशी में रहो। आपकी खुशी को देख दूसरे भी खुशी में नाचते रहेंगे।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  मनोरंजन के रूप से मनाना वह अलग चीज है। वह तो संगमयुग है मौजों का युग, इसलिए मनोरंजन की रीति से भी मनाते हो और मनाओ, खूब मनाओ। लेकिन परमात्म रंग में रंग जाना अर्थात बाप समान बन जाना।

 

✧  यह है रंग में रंग जाना। जैसे बाप अशरीरी है, अव्यक्त है वैसे अशरीरी-पन का अनुभव करना वा अव्यक्त फरिश्ते-पन का अनुभव करना - यह है रंग में रंग जाना। कर्म करो लेकिन अव्यक्त फरिश्ता बन के काम करो।

 

✧  अशरीरी-पन की स्थिति का जब चाहो तब अनुभव करो। ऐसे मन और बुद्धि आपके कन्ट्रोल में हो। ऑर्डर करो - अशरीरी बन जाओ। ऑर्डर किया और हुआ। फरिश्ते बन जाये।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧  अभी तो चलते-फिरते ऐसे अनुभव होना चाहिए जैसे साकार को देखा- चलते-फिरते या तो फ़रिश्ते रूप का या भविष्य रूप का अनुभव होता था, तभी तो औरों को भी होता था। मैं टीचर हूँ, मैं सेवाधारी हूँ- यह तो जैसा समय वैसा स्वरूप हो जाता है। अब स्वयं को फ़रिश्ते रूप में अनुभव करो तो साक्षात्कार होगा। साक्षात्कार का रूप कौन-सा है? फ़रिश्ता रूप बनना, चलते-फिरते फ़रिश्ता स्वरूप। अगर साक्षात् फ़रिश्ते नहीं बनेंगे तो साक्षात्कार कैसे करा सकेंगे? तो अब विशेष पुरुषार्थ कौन-सा है? यही कि फ़रिश्ता इस साकार सृष्टि पर आया हूँ सेवा अर्थ। फ़रिश्ते प्रकट होते हैं, फिर समा जाते हैं। फ़रिश्ते सदा इस साकारी सृष्टि पर ठहरते नहीं, कर्म किया और गायब। तो जब ऐसे फ़रिश्ते होंगे तो इस देह और देह के सम्बन्ध व पुरानी दुनिया में पाँव नहीं टिकेगा। जब कहते हो कि हम बाप के स्नेही हैं तो बाप सूक्ष्मवतनवासी और आप सारा दिन स्थूलवनतवासी, तो स्नेही कैसे? तो सूक्ष्मवतनवासी फ़रिश्ते बनो। सर्व आकर्षणों या लगावों के रिश्ते और रास्ते बन्द करो तो कहेंगे कि बाप-स्नेह हो। यहाँ होते हुए भी जैसे कि नहीं है- यह है लास्ट स्टेज । विशेष सेवार्थ निमित्त हो, तो पुरुषार्थ में भी विशेष होना चाहिए। जब दूसरों को चलते-फिरते अनुभव होगा कि आप लोग फ़रिश्ते हैं, तो दूसरे भी प्रेरणा ले सकेंगे। अगर साकार सृष्टि की स्मृति से परे हो जाओ तो जो छोटी-छोटी बातों में टाइम वेस्ट करते हो, वह नहीं होगा। तो अब हाई जम्प लगावो। साकार सृष्टि से एकदम फ़रिश्तों की दुनिया में व फ़रिश्ता स्वरूप- इसको कहते हैं हाई जम्प। तो छोटी-छोटी बातें शोभेंगी नहीं। तो यह बाप की विशेष सौगात है। सौगात लेना अर्थात् फ़रिश्ता स्वरूप बनना। तो बाप भी यह फ़रिश्ता स्वरूप का चित्र सौगात में देते हैं। इस सौगात से पुरानी बातें सब समाप्त हो जायेंगी। क्या और क्यों की रट नहीं लगानी है। निर्णय शक्ति, परखने की शक्ति, परिवर्तन शक्ति- जब ये तीनों शक्तियाँ होंगी तो ही एक-दूसरे को खुशखबरी सुनायेंगे। अगर खुद में परिवर्तन नहीं तो दूसरों में भी परिवर्तन नहीं ला सकेंगे।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- माया से खबरदार रहना"

➳ _ ➳ संगमयुगी अमृतवेले के रूहानी समय में माया की गोद में सो रही मुझ आत्मा को जगाकर परमात्मा ने अपनी गोद में बिठाया है... माया को ही अपना सबकुछ समझ मैं आत्मा इस दुनिया के दुखों के गर्त में धंसते चले गई थी... परमपिता ने मुझे अपनी गोद में बिठाकर मीठी पालना, मीठी शिक्षाएं देकर, वरदानों, खजानों से भरपूर कर दिया है... अब मैं आत्मा इस पुरानी दुनिया से जीते जी मरकर, नई दुनिया में जाने के लिए श्रीमत लेने पहुँच जाती हूँ प्यारे बापदादा के पास...

❉ अपने मखमली गोद में मुझे समाकर अतीन्द्रिय सुखों के झूलों में झुलाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... जिस ईश्वर पिता के दर्शन मात्र को नयन व्याकुल थे... आज उनकी पावन गोद में फूलो सा खिल रहे और दिव्य गुणो की सुगन्ध से महक रहे हो... अपने ऐसे मीठे महानतम भाग्य पर बलिहार जाओ... कि ब्रह्मा तन द्वारा स्वयं परमात्मा दिल फ़िदा हो गया है..."

➳ _ ➳ बाबा के गले का हार बनकर अपने श्रेष्ठ ईश्वरीय भाग्य के नशे में लहराते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा श्रेष्ठ भाग्य से सजी ईश्वरीय गोद में बैठी हूँ... भगवान को पाकर धन्य धन्य हो गयी हूँ... प्यारे बाबा मुझे अपने नयनों का नूर बनाकर, प्रेम सुधा को मुझ आत्मा पर बरसाया है... मै आत्मा रोम रोम से शुक्रगुजार हूँ..."

❉ अपना धाम छोड़ ब्रह्मा तन में अवतरित होकर मुझे अपना बनाकर मीठे प्यारे बाबा कहते हैं:- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... इस विश्व धरा पर सबसे खुबसूरत भाग्य से सजे हुए आप ब्राह्मण बच्चे हो... दुखो से मुक्त होकर ईश्वरीय प्यार में पल रहे हो... स्वयं विश्व पिता ने अपनी दिली पसन्द बनाया है... और ब्रह्मा तन में आकर हाले दिल सुनाया है... तो ऐसे प्यार के नशे की खुमारी में खो जाओ...”

➳ _ ➳ अपना सबकुछबाबा के हवाले कर उनकी छत्रछाया में बेफिक्र बादशाह बनकर मैं आत्मा कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा भगवान की छत्रछाया में पलकर कितनी निश्चिन्त और अनन्त सुखो की अधिकारी बन रही हूँ... प्यारे बाबा आपने मुझ आत्मा को ब्रह्मा मुख से बेशकीमती ज्ञान रत्नों से सजाया है... मै आत्मा इन मीठी खुशियो में पुलकित हो उठी हूँ..."

❉ अपनी हजार भुजाओं के प्यार के छांव के तले सुखों की बगिया में मुझे फूल बनाकर खिलाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के सच्चे प्यार और अमूल्य ज्ञान रत्नों से भरपूर होकर सदा के मालामाल हो जाओ... सदा यादो में रहकर हर साँस को बाबामय कर लो... ब्रह्मा तन से मिली ईश्वरीय गोद में दिव्यता और पवित्रता से सजधज कर... देवताई सुखो को बाँहों में भर लो... सच्चे आनन्द के नशे में डूब जाओ..."

➳ _ ➳ बाबा के गुलिस्तां की रूहानी फूल बनकर सुखों के परिस्तान में मुस्कुराते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा देह की मिटटी और दुखो के काँटों को ही अपनी नियति मानकर जीती रही... प्यारे बाबा आपने ब्रह्मा मुख से आवाज देकर मुझे गले लगाया... और अपनी मखमली गोद में गुलाबो सा खिलाया है... मीठे बाबा भगवान यूँ अपने दिल में बिठाएगा, चाहेगा और दुलार करेगा... मैंने भला कब यह सोचा था..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- बहुत रॉयल्टी से मीठा होकर चलना है"

➳ _ ➳आप समान अति मीठा बनाने वाले, मेरे अति मीठे शिव बाबा की मीठी याद मेरे अंदर एक ऐसी मिठास घोल देती है जिसमे विकारों की कड़वाहट घुलने लगती है। अपने ऐसे अति मीठे बाबा की मीठी याद में बैठी मैं जैसे ही उनका आह्वान करती हूँ परमधाम से सीधे अपने ऊपर गिरती उनकी सर्वशक्तियों रूपी किरणों के मीठे झरने के नीचे स्वयं को अनुभव करती हूँ। सातों गुणों की रंग बिरंगी किरणों का यह मधुर झरना मेरे तन - मन को शीतलता प्रदान कर रहा है। शीतलता की इसी गहन अनुभूति के बीच मैं अनुभव करती हूँ कि मुझ आत्मा को अपनी शीतल किरणों से शीतल बनाने वाले मेरे फर्स्टक्लास मीठे बाबा जैसे परमधाम से नीचे मेरे पास आ रहें हैं।

➳ _ ➳ उनकी उपस्थिति से उनकी समीपता का एहसास मुझे स्पष्ट अनुभव होने लगा है। अपने सिर के बिल्कुल ऊपर मुझे उनकी छत्रछाया की अनुभूति हो रही है। मेरे पूरे कमरे में जैसे शीतलता की मीठी लहर दौड़ रही है। पूरे घर मे मेरे मीठे शिव बाबा के शक्तिशाली वायब्रेशन फैल रहें हैं। एक अति मीठी सुखदाई स्थिति में मैं सहज ही स्थित होती जा रही हूँ। यह स्थिति मुझे देह और देह के झूठे भान से मुक्त कर, लाइट माइट स्वरूप का अनुभव करवा रही है। धीरे - धीरे मैं इस साकारी देह के बंधन से स्वयं को मुक्त कर अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर रही हूँ।

➳ _ ➳ मेरा यह लाइट का फ़रिशता स्वरूप मुझे धरती के आकर्षण से मुक्त कर, ऊपर की ओर ले जा रहा है। मैं स्वयं को धरती से ऊपर उड़ता हुआ अनुभव कर रहा हूँ। छत को पार करते हुए अब मैं खुले आकाश के नीचे पूरी दुनिया मे विचरण कर रहा हूँ। धीरे - धीरे अब मैं आकाश को भी पार करता हुआ लाइट की सूक्ष्म आकारी फरिश्तो की दुनिया मे प्रवेश कर रहा हूँ। इस अति सुन्दर फरिश्तो की दुनिया मे विचरण करता हुआ अब मैं स्वय को अव्यक्त ब्रह्मा बाप के सामने देख रहा हूँ। फर्स्टक्लास मीठा और रॉयल बन बाप का नाम बाला करने वाले अपने प्यारे ब्रह्मा बाप के सामने बैठ मैं मन ही मन प्रतिज्ञा करता हूँ कि मुझे भी ब्रह्मा बाप समान फर्स्टक्लास मीठा और रॉयल बन बाप का नाम अवश्य बाला करना है।

➳ _ ➳ इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल मुझमें भरने के लिए अब परमधाम से मेरे अति मीठे शिव बाबा फरिश्तों की इस दुनिया मे प्रवेश करते हैं और आ कर ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो जाते हैं। बाप दादा अपने वरदानी हस्तों से अब मुझे विजयी भव का वरदान देते हुए, अपनी सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर प्रवाहित करते हुए मुझ आत्मा में बल भर रहें हैं ताकि कदम - कदम पर फॉलो फादर कर, अपने शिव बाबा का नाम मैं बाला कर सकूँ। बापदादा की शक्तिशाली दृष्टि से मेरे पुराने आसुरी स्वभाव संस्कार जल कर भस्म हो रहें हैं और उसके स्थान पर फर्स्टक्लास मीठा और बहुत - बहुत रॉयल बनने के संस्कार इमर्ज हो रहें हैं।

➳ _ ➳ आसुरी संस्कारों का त्याग कर इन दैवी संस्कारों को ही अब मुझे अपने जीवन में धारण करने का पुरुषार्थ करना है, इसी दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ अपने लाइट माइट स्वरूप को अपने ब्राह्मण स्वरूप में मर्ज करके अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ। अपने ब्राह्मण जीवन के नियमो और मर्यादाओं पर चलते हुए अब मैं हर कर्म में ब्रह्मा बाप को फॉलो कर रही हूँ। अपने मीठे शिव बाबा की श्रीमत पर कदम - कदम चलते हुए अब मैं आसुरी अवगुणों का त्याग करती जा रही हूँ। मेरे मुख से अब किसी भी आत्मा को दुख देने वाले कड़वे बोल नही निकलते। बाप समान सबको सुख देने वाले मीठे बोल ही अपने मुख से बोलते हुए अब मैं सबके जीवन को खुशियों की मिठास से भर रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं कर्म और संबंध दोनों में स्वार्थ भाव से मुक्त्त रहने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं बाप समान आत्मा हूँ।
✺   मैं कर्मातीत आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ मैं समान और संपूर्ण आत्मा हूँ ।
✺ मैं स्नेह के सागर में समाने वाली आत्मा हूँ ।
✺ मैं स्नेही आत्मा हूँ ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  अब बापदादा मन्सा शक्ति द्वारा सेवा को शक्तिशाली बनाने चाहते हैं। वाणी द्वारा सेवा चलती रही हैचलती रहेगीलेकिन इसमें समय लगता है। समय कम हैसेवा अभी भी बहुत है। रिजल्ट आप सबने सुनाई। अभी तक 108 की माला भी निकाल नहीं सकते। 16 हजार, 9 लाख - यह तो बहुत दूर हो गये। इसके लिए फास्ट विधि चाहिए। पहले अपनी मन्सा को श्रेष्ठस्वच्छ बनाओएक सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं जाये।  अभी तक मैजारिटी के वेस्ट संकल्प की परसेन्टेज रही हुई है। अशुद्ध नहीं लेकिन वेस्ट हैं इसलिए मन्सा सेवा फास्ट गति से नहीं हो सकती। अभी होली मनाना अर्थात् मन्सा को व्यर्थ से भी होली बनाना।    

 

✺   ड्रिल :-  "मन्सा शक्ति द्वारा सेवा को शक्तिशाली बनाने का अनुभव"

 

 _ ➳  मैं आत्मा खुले आसमान के नीचे बैठी... आत्मिक स्थिति का आनंद ले रही हूँ... यह शीतल हवा के साज़... पक्षियों के मधुर गीत... पेड़-पौधे व पत्तों के झूलने की आवाज़... सभी मुझे मेरे बाबा का संदेश सुना रहे हैं... मेरे मन की लौ... महाज्योति... वरदाता... प्रभु पिता के साथ निरंतर लगी हुई है... मेरे प्राणप्रिय मीठे बाबा मुझ आत्मा को... अपनी आंखों का नूर बनाते... दिलतख्तनशीन बनाते हैं... उनकी मीठी मीठी बातें सुनकर... उन्हें जीवन में धारण करती हुई... आनन्द से ड्रामा में पार्ट बजाती जा रही हूँ...

 

 _ ➳  एक सेकण्ड में ही मैं शक्तिशाली आत्मा... ज्योतिबिंदु स्वरूप में परमधाम... अपने प्यारे शिवबाबा के सम्मुख पहुंच जाता हूँ... सर्व शक्तियों के स्रोत... मेरे बाबा मुझ पर सर्व शक्तियों की किरणें बरसा रहे हैं... मुझे सर्वशक्ति संपन्न बना रहे हैं... अब मन्सा शक्ति द्वारा... फरिश्तों की दुनिया में फरिश्ता स्वरुप में... बाप दादा के सम्मुख पहुंच गया हूँ... बापदादा अपने वरदानी हस्तों से... मुझ आत्मा को... सर्व शक्तियों के सर्व खजाने सफल कर सफलतामूर्त भव... का वरदान दे रहे हैं...

 

 _ ➳  बापदादा के साथ मैं फरिश्ता विश्व की सेवा कर रहा हूँ... डबल लाइट... शक्तिशाली स्थिति द्वारा... विश्व की आत्माओं को सकाश देता हुआ... उन्हें पीड़ाओ से मुक्त कर रहा हूँ... अब साकार वतन में उतर कर... भ्रकुटी अकाल तख्त पर विराजमान हो जाता हूँ... अब इस धरा पर मैं एक सामान्य व्यक्ति नहीं... विशेष आत्मा हूँ... बेहद स्मृति द्वारा हद की बातों को समाप्त करने वाली... मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ... चलते फिरते भी नेचुरल स्मृति है... आत्मिक स्थिति है... कहीं भी किसी में कोई आसक्ति नहीं है...

 

 _ ➳  मैं शक्ति स्वरुप... सदा सेवाओं में तत्पर हूँ... श्रेष्ठ संकल्पों का खज़ाना... संगमयुगी समय का खज़ाना... सर्व शक्तियों का खज़ाना... सर्व खजाने सफल कर रही हूँ... सेवाओं में सफलता मूर्त हूँ... मैं बाप समान सेवाधारी आत्मा... बुद्धि योग से... सदा एक बाप की प्यारी... सबसे न्यारी हूँ... संकल्पों की वैल्यु... संगमयुगी समय की वैल्यु को समझकर... हर सेकंड को अमूल्य बना और बनाने की सेवा कर रही हूँ... मन्सा शक्ति के द्वारा स्नेह और प्रेम से सेवा करते हुए... दुआओं का खज़ाना भी बढ़ाती जा रही हूँ...

 

 _ ➳  मुझ श्रेष्ठ आत्मा का... हर संकल्प... हर बोल... हर कर्म श्रेष्ठ है... अटैन्शन और चैकिंग की विधि द्वारा... व्यर्थ को पूर्ण रूप से समाप्त कर रही हूँ... सर्वशक्तियों की खान बन गई हूँ... देह की प्रवृति से पार हो कर... दिन रात सेवा में मग्न हूँ... कंपनी और कंपैनियन एक बाबा को ही बनाकर... समर्थ स्थिति में स्थित हूँ... मनसा... वाचा... चाल व चेहरा शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... मैं शक्तिस्वरूप आत्मा... सेवाएं करती हुई... सहज ही सफलता का सितारा बनते हुए अनुभव कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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