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 25 / 12 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ कांटो के इस जंगल को फूलों का बगीचा बनाने में बाप को पूरी मदद की ?

 

➢➢ याद की यात्रा में तत्पर रहे ?

 

➢➢ एक स्थान पर रहते अनेक आत्माओं की सेवा की ?

 

➢➢ सायं माईट बन दूसरी आत्माओं को माइक बनाया ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  पहला पाठ आत्मिक स्मृति का पक्का करो। आत्मा इन कर्मेन्द्रियों द्वारा कर्म कर रही है। तो अन्य आत्माओं का भी कर्म देखते हुए यह स्मृति रहेगी कि यह भी आत्मा कर्म कर रही है। ऐसे अलौकिक दृष्टि, जिसको देखो आत्मा रूप में देखो। इससे हर एक कर्मेन्द्रिय सतोप्रधान स्वच्छ हो जायेगी।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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✺   "मैं वरदानी आत्मा हूँ"

 

  सब वरदानी आत्मायें हो ना? इस समय विशेष भारत में किसकी याद चल रही है? वरदानियों की। देवी अर्थात् वरदानी, देवियों को विशेष वरदानी के रूप में याद करते हैं, तो ऐसा महसूस होता है कि हमें याद कर रहें है? अनुभव होता है? भक्तों की पुकार महसूस होती है कि सिर्फ नालेज के आधार से जानते हो?

 

✧  एक है जानना दूसरा है अनुभव होना। तो अनुभव होता है? वरदानी मूर्त बनने के लिए विशेषता कौन सी चाहिए? आप सब वरदानी हो ना। तो वरदानी की विशेषता क्या है? वे सदा बाप के समान और समीप रहने वाले होगें। अगर कभी बाप समान और कभी बाप समान नहीं लेकिन स्वयं के पुरूषाथी तो वरदानी नहीं बन सकते।

 

✧  क्योंकि बाप पुरूषार्थ नहीं करता लेकिन सदा सम्पन्न स्वरूप में है तो अगर बहुत पुरूषार्थ करते हैं तो पुरूषार्थी छोटे बच्चे हैं, बाप समान नहीं। समान अर्थात् सम्पन्न। ऐसे सदा समान रहने वाले सदा वरदानी होगें।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  (ड्रिल बहुत अच्छी लग रही थी) यह रोज हर एक को करनी चाहिए। ऐसे नहीं हम बिजी है। बीच में समय प्रति समय एक सेकण्ड चाहे कोई बैठा भी हो, बात भी कर रहा हो, लेकिन एक सेकण्ड उनको भी ड़िल करा सकते हैं और स्वयं भी अभ्यास कर सकते हैं। कोई मुश्किल नहीं है। दो-चार सेकण्ड भी निकालना चाहिए इससे बहुत मदद मिलगी।

 

✧   नहीं तो क्या होता है, सारा दिन बुद्धि चलती रहती है ना, तो विदेही बनने में टाइम लग जाता है और बीच-बीच में अभ्यास होगा तो जब चाहे उसी समय हो जायेंगे क्योंकि अंत में सब अचानक होना है। तो अचानक के पेपर में यह विदेही-पन का अभ्यास वहुत आवश्यक है।

 

✧  ऐसे नहीं बात पूरी हो जाए और विदेही बनने का पुरुषार्थ की करते रहें। तो सूर्यवंशी तो नहीं हुए ना! इसलिए जितना जो बिजी है, उतना ही उसको बीच-बीच में यह अभ्यास करना जरूरी है। फिर सेवा में जो कभी-कभी थकावट होती है, कभी कुछ-न-कुछ आपस में हलचल हो जाती है, वह नहीं होगा। अभ्यासी होंगे ना।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧  सारे दिन में सूक्ष्म वतनवासी कितना समय होकर रहती हो कि स्थूल सेवा ज़्यादा है? आप लोग कितना भी बिज़ रही, बाप तो अपना कार्य करा ही लेते हैं। अपने सम्पूर्ण आकार का अनुभव किया है? जैसे साकार आकार हो गये, आप सबका भी सम्पूर्ण आकारी स्वरूप है। जो नम्बरवार हरेक साकार-आकार बन जायेंगे। आकार बन करके सेवा करना अच्छा है या साकार शरीर परिवर्तन कर सेवा करना अच्छा है? एडवान्स पार्टी तो साकार शरीर परिवर्तन कर सेवा कर रही है। लेकिन कोई-कोई का पार्ट अन्त तक साकारी और आकारी रूप द्वारा भी चलता है। आपका क्या पार्ट है? किसका एडवान्स पार्टी का पार्ट है, किसका अन्त:वाहक शरीर द्वारा सेवा का पार्ट है। दोनों पार्ट का अपना-अपना महत्व है। फस्र्ट, सेकेण्ड की बात नहीं। वैराइटी पार्ट का महत्व है। एडवान्स पार्टी का भी कार्य कोई कम नहीं है। सुनाया ना वह ज़ोर-शोर से अपने प्लैन बना रहे हैं। वहाँ भी नामीग्रामी हैं।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- याद की यात्रा से पावन बनना"

➳ _ ➳  अमृतवेले के रूहानी समय में... उठो, जागो मेरे लाडले बच्चे... कहते हुए मीठे बाबा मुझे प्यार से जगाते हैं... मैं आत्मा अपने सामने प्यारे बाबा को देख मुस्कुराते हुए बाबा को गुड मॉर्निंग कर उठती हूँ... और बाबा के गले लग जाती हूँ... मीठे बाबा प्यार से मुझे अपनी गोदी में बिठाते हैं और मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए वरदानों से भरपूर करते हैं... दृष्टि देते हुए बाबा मुझे अमृतपान कराते हैं... फिर वन्डरफुल रूहानी बाबा मुझे अपने साथ वन्डरफुल रूहानी सैर कराते हैं...  

❉  यादों की महफिल में ज्ञान के फूल बरसाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... मीठे बाबा के साथ का यह वरदानी युग कितना प्यारा है जिसमे पिता की याद भर से ही आप बच्चे 21जनमो के लिए सुखो भरे आलिशान जीवन और निरोगी स्वस्थ काया के हकदार बन जाते हो... ईशरीय यादो में हर विकार से परे निष्कलंक जीवन पाते हो...”

➳ _ ➳  वंडरफुल रूहानी यादों से अनुभवों और खजानों की मालकिन बन मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा देहभान में आकर स्वयं को शरीर समझ कितनी गरीब रोगी मोहताज हो गयी थी... आपने मुझे रोगों से मुक्तकर खुशनुमा जीवन की स्वामिन् बना दिया है... मै आत्मा सुख समृद्धि और स्वस्थता की पर्याय बनती जा रही हूँ...”

❉  मीठे बाबा स्वर्णिम सुखों के सौगातों से मुझ आत्मा को सम्पन्न बनाते हुए कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... एक जन्म ईश्वर पिता के हाथो में देते हो और 21 जनमो तक अथाह सुख बाँहों में भर लेते हो... कितने वन्डरफुल रूहानी यात्री हो... ईश्वर पिता की यादों से सारे सुख अपने नाम लिखवाते हो... और सतयुगी धरती पर सुंदर तन मन धन से मुस्कराते हो...”

➳ _ ➳  मीठी यादों के सुनहरे नाव में बैठकर मंजिल के समीप पहुँचते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मात्र देह नही खुबसूरत मणि हूँ और सदा रूहानी यात्रा पर हूँ... यह खुबसूरत लक्ष्य जीवन का पाकर तो धन्य धन्य हो गयी हूँ... मीठे बाबा आपकी मीठी यादो में मै आत्मा रूहानियत से भरकर कितनी प्यारी और मीठी हो गयी हूँ...”

❉  यादों की जादू भरी छड़ी से अमरत्व का वरदान देते हुए मेरे जादूगर बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता संग रूहानी बन यादों की यात्रा पर हो... कितनी प्यारी और वन्डरफुल जादूगरी है कि यह यात्रा सतयुगी सुनहरे सुखो के द्वार पर पूरी होती है... यादो की यह यात्रा जन्नत में सुखो के फूलो भरा खुबसूरत जीवन दे जाती है...”

➳ _ ➳  यादों के खानों से अविनाशी खजाने निकालकर अपने 21 जन्मों को सजाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा वन्डरफुल बाबा को पाकर वन्डरफुल रूहानी यात्री बन गई हूँ... मीठे बाबा की गहरी यादों में हर पल खोयी खोयी सी... मै आत्मा सारे खजानो को अपनी झोली में समेट कर सबसे धनी हो मुस्करा रही हूँ...”

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- बाप द्वारा अच्छी रीति पढ़कर फर्स्टक्लास फूल बनना है"

➳ _ ➳  एक खुशबूदार फूलों के बगीचे में टहलते हुए, रंग बिरंगे खुशबूदार फूलों को देख मन ही मन मैं विचार करती हूँ कि इन फूलों की खूबसूरती और खुशबू इस बग़ीचे की सुंदरता को कैसे निखार रही है! इन फूलों की महक कैसे हर आने जाने वाले को आकर्षित कर रही है। जो भी मनुष्य इस बगीचे के सामने से गुजरता है वह इस बगीचे के अंदर आने से स्वयं को रोक ही नही पाता। इन फूलों की सुगंध से यहां का वायुमण्डल ऐसी ताजगी से भर गया है कि यहां आकर जैसे मनुष्य की सारी थकावट ही दूर हो जाती है और वह स्वयं को एकदम रिफ्रेश अनुभव करता है।

➳ _ ➳  ऐसा ही फूलों के समान सुगन्धित जीवन अगर हर मनुष्य का बन जाये और सभी एक दूसरे को ईर्ष्या, द्वेष, नफरत के कांटे चुभाने के बजाए एक दूसरे पर स्नेह, सहयोग और प्रेम के फूल बरसाये तो ये दुनिया स्वर्ग बन जाये। यही विचार करते - करते अपनी आंखों को मूंद कर मैं उस वायुमण्डल में फैली खुशबू का गहराई तक स्वयं में समाते हुए एकाएक अनुभव करती हूँ जैसे मेरे ऊपर असंख्य रंग बिरंगे पुष्पों की वर्षा हो रही है और उनकी खुशबू मेरे रोम - रोम में समाती जा रही है।

➳ _ ➳  इस खूबसूरत दृश्य का आनन्द लेते - लेते मैं जैसे ही अपनी आंखों को खोलती हूँ तो देखती हूँ बापदादा हजारों भुजाओं को फैलाये मेरे सिर के ऊपर स्थित हैं और उनकी हजारों भुजाओं से सर्वशक्तियों की अनन्त शीतल फ़ुहारें रंग बिरंगे पुष्पों के रूप में मेरे ऊपर बरस रही है। बापदादा से आ रही सर्वशक्तियों की ये शीतल फुहारें मुझे डबल लाइट स्थिति में स्थित कर रही हैं। मेरा शरीर एक दम हल्का लाइट का बन गया है और मेरे लाइट के शरीर से दिव्य सुगन्ध से भरी रंग बिरंगी रश्मियां निकल रही हैं जो आस पास के वायुमण्डल को भी दिव्य और अलौकिक बना रही हैं।

➳ _ ➳  पुष्पों की सुगंध की भांति मेरे अंग - अंग से निकल रही रश्मियों में समाई रूहानी खुशबू भी चारों और फैल रही है और वहां उपस्थित सभी आत्माओं को आनन्द की अनुभूति करवा रही हैं। इस रूहानी वायुमण्डल का गहन आनन्द लेते - लेते मैं महसूस करती हूँ जैसे बापदादा अपना हाथ आगे बढ़ाकर "आओ मेरे रूहे गुलाब बच्चे" कहकर मेरा आह्वान कर रहें हैं। बापदादा के हाथ मे अपना हाथ थमाते ही मैं अनुभव करती हूँ कि बापदादा का हाथ थामे एक खूबसूरत अदबुत रूहानी यात्रा पर जैसे मैं जा रही हूँ। इस रमणीक खूबसूरत यात्रा पर चलते - चलते बापदादा के साथ उनके अव्यक्त वतन में मैं पहुँच जाती हूँ।

➳ _ ➳  रंग बिरंगे पुष्पों से सजे एक बहुत ही सुंदर झूले पर बापदादा मुझे अपने साथ बिठा लेते हैं। अपनी दृष्टि से बापदादा अपनी सारी रूहानी शक्ति मेरे अंदर प्रवाहित करने लगते हैं। अपने वरदानी हाथ में मेरा हाथ लेकर सर्व गुणों, सर्वशक्तियों से मुझे भरपूर कर देते हैं। मेरे मस्तक पर विजय का तिलक लगाकर, "रूहानी खुशबू फैलाने वाले रुहेगुलाब भव" का वरदान देकर, मेरे सिर के ऊपर रूहानी पुष्पों का इसेन्स डाल रूहानी खुशबू मुझ में भर देते हैं।

➳ _ ➳  सर्वगुणों, सर्वशक्तियों की रूहानी खुशबू को अपने अंग - अंग में बसाकर अपने सूक्ष्म लाइट के शरीर के साथ मैं वापिस साकारी दुनिया मे आती हूँ और अपने साकारी तन में प्रवेश कर जाती हूँ। अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर स्वयं को सदा लाइट माइट अनुभव करते हुए, बाबा की श्रीमत पर बाप समान प्यारा बन स्वयं को गुलगुल ( फूल ) बनाकर अपनी रूहानी खुशबू से मैं अब सबके जीवन को महका रही हूँ। मेरी रूहानी खुश्बू मेरे सम्बन्ध, सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परमात्म प्रेम के रंग में रंग कर उन्हें भी गुलगुल ( फूल ) बनने की प्रेरणा दे रही है।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं एक स्थान पर रहते अनेक आत्माओं की सेवा करने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं लाइट माइट आत्मा हूँ।
✺   मैं सम्पन्न आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं ब्राह्मण आत्मा अब माइट हूँ  ।
✺   मैं आत्मा दूसरी आत्माओं को माइक बनाती हूँ  ।
✺   मैं माइट फैलाने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बस खुश रहनाकभी भी मूड आफ नहीं करना। सदा एकरस खुशनुम: चेहरा हो। जो भी देखे उसे रूहानी खुशी की अनुभूति हो। यह सेवा का साधन है।  चेहरे पर रूहानी खुशी हो, साधारण खुशी नहींरूहानी खुशी। फेस चेंज नहीं हो। जैसे एकरस स्थितिवैसे ही एकरस चेहरा हो। हो सकता हैएकरस मूड होहो सकता है या होना ही हैहोगा ना अभीकभी भी कोई भी अचानक आपका फोटो निकाले तो और कोई फोटो नहीं आवेरूहानी मुस्कराहट का फोटो हो। चाहे कामकाज भी कर रहे होसर्विस का बहुत टेन्शन हो लेकिन चेहरे पर खुशी हो। फिर आपको ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी। एक घण्टा बोलने के बजाए अगर आपका रूहानी मुस्कान का चेहरा होगा तो वह एक घण्टे के बोलने की सेवा एक सेकण्ड में करेगा क्योंकि प्रत्यक्ष को प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होती है। जो भी मिलेजैसा भी मिले, गाली देने वाला मिले, इनसल्ट करने वाला मिले, इज्जत न रखने वाला मिले, मान-शान न देने वाला मिले, लेकिन आपका एकरस चेहरा, रूहानी मुस्कान। हो सकता है? कुमार हो सकता हैपाण्डव हो सकता है? और पुरुषार्थ से बच जायेंगे। मेहनत नहीं लगेगी। मुझे रूहानी मुस्कान ही मुस्कराना है। कुछ भी हो जाएमुझे अपनी मुस्कान छोड़नी नहीं हैहो सकता हैसोच रहे हैं? (करके दिखायेंगे) बहुत अच्छामुबारक हो!

 

✺   ड्रिल :-  "सदा रूहानी मुस्कान ही मुस्कराना"

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपनी साकारी देह से उपराम हो, स्वयं को मस्तक के बीचोंबीच एक चमकता हुआ सितारा देख रही हूँ... टिमटिमाता मैं नन्हा सा सितारा इस देह में चैतन्य शक्ति हूँ जो इस स्थूल देह को चलाती हूँ... मैं चैतन्य शक्ति आत्मा इस देह को छोड़, इस साकारी दुनिया को भी पीछे छोड़ ऊपर की ओर उड़ जाती हूँ... और सूक्ष्म वतन में अपने बाबा के पास आकर बैठ जाती हूँ...

 

 _ ➳  आज मैं आत्मा बाबा के सम्मुख बैठ कर अपने ब्राह्मण जीवन की प्राप्तियों को याद कर रही हूँ... जब से बाबा ने मुझे अपना बच्चा बनाया तब से मैं आत्मा अपने हर दुख को भूल खुशियों के झूले में झूल रही हूँ... हर पल मीठे बाबा की छत्रछाया में रह मैं आत्मा साक्षी हो कर हर सीन को देख रही हूँ... कैसी भी परिस्थिति हो मैं आत्मा बाबा के ये महावाक्य याद रखती हूँ कि बच्चे सदा खुश रहना, कभी भी मूड ऑफ मत करना... मैं आत्मा बाबा की इस बात को बुद्धि में बिठाकर सदा खुश रहती हूँ... कभी किसी बात से मेरा मूड थोड़ा ठीक नहीं भी होता तो बाबा ये महावाक्य मुझमें नया उमंग उत्साह भर देते हैं...

 

 _ ➳  मेरा खुशनुमा चेहरा अन्य आत्माओ के चेहरे पर भी ख़ुशी ले आता है... ये साधारण ख़ुशी नहीं रूहानी ख़ुशी है जो मेरे बाबा से इस ब्राह्मण जीवन मे मुझे सौगात मिली है... अपने चेहरे पर रूहानी मुस्कान के साथ मैं आत्मा बिना एक भी शब्द कहे सहज रूप से सभी के चेहरों पर भी मुस्कान ले आती हूँ... 

 

 _ ➳  बाबा ने हम बच्चों से कहा है कि कैसी भी परिस्थिति हो पर स्वस्थिति हमेशा एक रस हो... परिस्थिति ऊपर नीचे होने से स्वस्थिति ऊपर नीचे ना हो... मैं आत्मा बाबा का फरमानबरदार बच्चा बाबा की इस बात को मन में बिठा जीवन की हर उलझन को हँसते हँसते सुलझा रही हूँ... कार्य व्यवहार में आते या लौकिक संबंधों को निभाते हुए कोई पेपर भी आता है तो भी मेरे चेहरे से रूहानी खुशी गायब नहीं होती... मैं आत्मा अपने चेहरे की खुशी और मुस्कान से सेवा करती हूँ... मेरी रूहानी मुस्कान देख अन्य आत्माएं भी अपने दुखों को भूल जाती हैं...

 

 _ ➳  कितना प्यार दिया मेरे बाबा ने मुझे जो अब किसी संबंध से प्यार मिले न मिले तो भी मैं आत्मा सदा खुश हूँ... कोई मान दे या ना दे, कोई इंसल्ट करे या अपमान करे तो भी मुझ आत्मा के चेहरे से रूहानी मुस्कान कभी गायब नहीं होती... बाबा के प्यार में खोयी मैं आत्मा मेहनत से छूटती जा रही  हूँ... अब मुझे पुरूषार्थ में  मेहनत नहीं करनी पड़ती... मैं सहज पुरुषार्थी बनती जा रही हूँ... अपने बाबा का दिल से शुक्रिया कर रही हूँ और वापिस अपने मस्तक के मध्य आकर बैठ जाती हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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