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 21 / 12 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ देह के सब समबन्ध कैंसिल कर आत्मा भाई भाई के सम्बन्ध का अनुभव किया ?

 

➢➢ अज्ञान ननद से आत्माओं को जगाया ?

 

➢➢ कमल पुष्प का सिंबल बुधी में रख अपने को सैमपुल समझा ?

 

➢➢ स्नेह की छत्रछाया के अन्दर रह माया से दूर रहे ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  अभी आत्मिक स्थिति की स्मृति कभी-कभी देह के पर्दे के अन्दर छिप जाती है, इसलिए यह स्मृति भी पर्दे के अन्दर दिखाई देती है। आत्मिक स्मृति स्पष्ट और बहुत समय रहने से अपना भविष्य वर्सा अथवा अपने भविष्य के संस्कार स्वरूप में सामने आयेंगे। भविष्य संस्कारों को स्पष्ट स्मृति में लाने के लिए आत्मिक स्वरूप की स्मृति सदाकाल और स्पष्ट रहे।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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✺   "मैं ज्ञान की भिन्न-भिन्न स्मृति में रहने वाली आत्मा हूँ"

 

✧   सदा ज्ञान सागर की भिन्न-भिन्न लहरों में लहराते रहते हो? शुरू से लेकर अब तक बाप द्वारा ज्ञान की कितनी पॉइंट्स मिली हैं उसी पॉइंट्स को मनन कर सदा हर्षित रहो। जैसे ज्ञान सागर बाप ज्ञान में सम्पन्न हैं वैसे बच्चे भी ज्ञान में सम्पन्न बन ज्ञान की हर पॉइंट के नशे और खुशी में रहो।

 

✧  अखुट पाइंटस मिली हैं। एक भी पाइंट रोज बुद्धि में रखो और उसी के अनुभव में सदा रहो तो ज्ञान स्वरूप बन जायेंगे। कितना श्रेष्ठ ज्ञान और किसने दिया है। यही सदा स्मृति में रहे।

 

✧  भक्त आत्मायें जिसके लिए तड़प रही हैं, प्यासी हैं उससे आप तृप्त हो गये। भक्ति की प्यास बुझ गई है ना। तो सदा यही गीत गाते रहो - पाना  था सो पा लिया.....।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  बापदादा आज देख रहे थे कि बच्चों की तीन प्रकार की स्टेजेस हैं। एक हैं - पुरुषार्थी, उसमें पुरुषार्थी भी है और तीव्र पुरुषार्थी भी हैं। दूसरे हैं - जो पुरुषार्थ की प्रालब्ध जीवनमुक्ति अवस्था की स्टेज अनुभव कर रहे हैं। लेकिन लास्ट की सम्पूर्ण स्टेज है - देह में होते भी विदेही अवस्था का अनुभव।

 

✧  तो तीन स्टेज देखी। पुरुषार्थी की स्टेज में ज्यादा देखे, प्रालब्ध जीवनमुक्ति की, प्राप्लब्ध यह नहीं कि सेन्टर के निमित बनने की वा स्पीकर अच्छे बनने की वा ड्रामा अनुसार अलग-अलग विशेष सेवा के निमित बनने की।

 

✧  यह प्रलब्ध नहीं है, यह तो लिफ्ट है और आगे बढ़ने की, सर्व द्वारा दुआयें लेने की लेकिन प्राप्लब्ध है जीवनमुक्त की। कोई बन्धन नहीं।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧  फ़रिश्ता अर्थात् बाप के साथ सभी रिश्ते हों। अपनी देह के साथ भी रिश्ता नही। बाप का दिया हुआ तन भी बाप को दे दिया था। अपनी वस्तु दूसरे को दे दी तो अपना रिश्ता खत्म हुआ। सब हिसाब किताब  बाप से, और किसी से नही। तुम्हीं से बैठो, तुम्हीं से बोलू.... तो लेन-देन सब खाता बाप से हुआ ना? जब एक बाप से सब खाता हुया तो और सभी खाते खत्म हो गये ना? टीचर अर्थात् जिसके सब खाते एक बाप से अर्थात सब रिश्ते बाप से। कोई पिछला खाता नहीं, सब खत्म हो गया। इसको ही कहा जाता है सम्पूर्ण बेगर । बेगर का कोई बैंक बैलेन्स नहीं होता। खाता नहीं, कोई रिश्ता नहीं। न किसी व्यक्ति से, न किसी वैभव से। खाते समाप्त। पिछले कर्मों के खाते में कोई भी बैंक बैलेन्स नहीं होना चाहिए। ऐसी चेकिंग करनी है। ऐसे कोई होते हैं कि मरने के बाद कोई सड़ा हुआ खाता रह जाता है तो पीछे वालों को तंग करता है। तो चेक करते हो कि सब खाते समाप्त हैं? स्वभाव, संस्कार, सम्पर्क, सब बातें, सब रिश्ते खत्म। फिर खाली हो जायेंगे ना? जब इतना हल्का बने तभी पण्डा बन औरों को ऊँचा उठा सकेंगे। तो समझा टीचर को क्या करना होता है?

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- आत्मा रूपी बैटरी को ज्ञान और योग से सतोप्रधान बनाना"

➳ _ ➳ मैं आत्मा मधुबन की पहाडी में बैठ उगते सूरज को निहार रही हूँ... ठंडी-ठंडी हवाएं, सौन्दर्य से सजी प्रकृति मन को लुभा रही है... मनभावन एहसासों में डूबी मैं आत्मा ज्ञान सूर्य बाबा का आह्वान करती हूँ... ज्ञान सूर्य बाबा तुरंत मेरे सम्मुख आकर बैठ जाते हैं... और मुस्कुराते हुए ज्ञान की बरसात कर, योग की अग्नि प्रज्वलित कर मेरे विकारों को स्वाहा करते जा रहे हैं... और मुझे पवित्रता के सौन्दर्य से निखारते जा रहे हैं...

❉ ज्ञान योग से मेरा श्रृंगार करते हुए ज्ञान के सागर मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... देह और दुखो की दुबन में फंसे लालो को हाथ से निकाल... ईश्वर पिता ज्ञान और योग से फिर से फूलो को महकाने आये है.. अपने खोये देवताई वजूद को फिर से दिलाने आये है... अब इस खुबसूरत श्रृंगार को सदा ओढे रहो... माया की धूल इस श्रृंगार की चमक को धुंधला न करे, यह प्रतिपल ख्याल रखो...”

➳ _ ➳ बाबा के ज्ञान की जादूगरी से पवित्र ज्ञान परी बन मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता के हाथो सुसज्जित महान भाग्यवान हूँ... कभी कल्पना में भी न था कि भगवान बैठ मुझे यूँ देवताओ सा संवारेगा... प्यारे बाबा आपने मुझ देह की धूल में लिपटी आत्मा को, मस्तक से लगा कर नूरानी बना दिया है...”

❉ दिव्य गुणों और शक्तियों से सजाकर कौड़ी से हीरे तुल्य बनाकर मीठे बाबा कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ज्ञान और योग ही वह खुबसूरत जादूगरी है जो ठाकुर सा सजाएगी... इसलिए सदा ज्ञान से छलकते रहो और योग की खुशबु से सुगन्धित रहो... विकारो की कालिमा कहीं फिर यह देवताई श्रृंगार मटमैला न कर दे... सजग प्रहरी बन माया का प्रतिकार करो... और सहज ही सुखो के अधिकारी बन जाओ...”

➳ _ ➳ ज्ञान-योग के बल से पवित्रता की सुगंध से महकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा अपनी खुशनसीबी पर सदा की मुस्करा उठी हूँ... भगवान के हाथो देवताओ सी सज संवर, सतयुगी सुखो में आने को आतुर हूँ... प्यारे बाबा आपने मुझे त्रिनेत्री बनाकर माया के हर दाँव से सजग और सुरक्षित किया है...”

❉ सच्चा-सच्चा नेचुरल श्रृंगार कर सतयुगी सुखों के धरोहर से मालामाल बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... सतयुगी स्वर्ग में अनन्त सुखो में झूमते हुए देव थे... आज देह भान में दुखो से घिरकर अपनी चमक को सम्पूर्ण खो दिए हो... ईश्वर पिता वही दमक, वही सच्चा श्रंगार, वही ओज से पुनः दमकाने आया है... तो माया के चंगुल से बचकर... मीठे बाबा के गले का हार बन मुस्कराओ... और असीम मीठे सुखो के नशे में खो जाओ...”

➳ _ ➳ विकारों के आवरण से मुक्त होकर पावनता के सौंदर्य से चमकती हुई मणि बन खुशियों में लहराते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार की छत्रछाया में दिव्य गुणो से चन्दन सी महक उठी हूँ... सुनहरा सजीला देवरूप पाकर अपने मीठे भाग्य पर इठला रही हूँ... ज्ञान और योग की झनकार से जीवन खुशियो में नाच उठा है...”

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- अज्ञान नींद से सब को जगाना है"

➳ _ ➳ अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण किये, मैं फ़रिशता एक विशाल समुन्द्र के किनारे टहल रहा हूँ और टहलते - टहलते विचार कर रहा हूँ कि कितनी खुशनसीब हैं वो आत्मायें जिन्होंने भगवान को पहचान लिया है और जो परमात्म पालना में पल रही हैं। किंतु कितनी बदनसीब हैं वो आत्मायें जो परमात्म सन्देश मिलने के बाद भी इस बात को स्वीकार नही करना चाहती कि परमात्मा इस धरा पर अपने बच्चों से मिलने के लिए आये हुए हैं।

➳ _ ➳ मन ही मन ऐसी आत्माओं के दुर्भाग्य के बारे में विचार करते हुए उन पर रहम आता है जो परमात्म परिचय मिलने के बाद भी कुम्भकर्ण की नींद में सोए हुए है। आलस्य, अलबेलेपन में संगम युग की अनमोल घड़ियों को व्यर्थ में गंवाते जा रहें हैं। ऐसे कुम्भकर्ण की नींद में सोए लोगों को जगाना हर ब्राह्मण आत्मा का कर्तव्य भी है और यही परमात्म प्रेम का रिटर्न भी है। मन मे यह विचार करके मैं फ़रिशता उस स्थान से उड़ कर अब सूक्ष्म लोक की और चल पड़ता हूँ। ऊपर आकाश में उड़ते - उड़ते नीचे धरती का नज़ारा मैं स्पष्ट देख रहा हूँ। केवल खाने, पीने और सोने में ही समय को व्यर्थ गंवाने वाले, कुम्भकर्ण की नींद में सोये मनुष्यों को मैं देखता हुआ जा रहा हूँ।

➳ _ ➳ मन मे साक्षी भाव और ऐसी आत्माओं के प्रति शुभभावना, शुभकामना लिए अब मैं आकाश को पार कर जाता हूँ और कुछ ही क्षणों में सफेद चांदनी के प्रकाश से प्रकाशित फरिश्तों की एक बहुत सुंदर दुनिया मे प्रवेश करता हूँ। श्वेत रश्मियां फैलाते, प्रकाश की काया में फ़रिश्ते यहाँ - वहाँ उड़ रहें हैं। पूरा वतन फरिश्तों की लाइट से जगमग कर रहा है। सभी फरिश्तो के सिरताज अव्यक्त ब्रह्मा बाबा एक दिव्य प्रकाश की काया में सबसे अलग दिखाई दे रहें हैं। उनके अंग - अंग से जैसे प्रकाश का झरना फूट रहा है। उनके मस्तक पर विराजमान शिव बाबा सूर्य के समान चमक रहें हैं।

➳ _ ➳ अपने सम्पूर्ण फ़रिशता स्वरुप में ब्रह्मा बाबा बॉहें पसारे, एक दिव्य मुस्कान के साथ, वतन में आने वाले अपने हर फ़रिशता बच्चे का स्वागत कर रहें हैं। बाबा बड़े प्यार से मुस्कराते हुए हर बच्चे को गले लगाते हैं और अपना वरदानी हाथ उसके सिर पर रख कर उसे वरदानों से भरपूर कर देते हैं। इस खूबसूरत दृश्य को देखता हुआ, मैं फ़रिशता अब बापदादा के पास पहुंचता हूँ। बाबा मुस्कराते हुए मेरी ओर देख कर अपनी बाहें फैला लेते हैं और मैं फ़रिशता बाबा की बाहों में समाकर, बाबा के असीम स्नेह की गहराई में डूब जाता हूँ। तृप्त हो कर मैं बाबा के सामने बैठ जाता हूँ। बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं। वरदान दे कर अपनी सर्वशक्तियों से बापदादा मुझे भरपूर कर देते हैं।

➳ _ ➳ बापदादा से सर्वशक्तियाँ और वरदान ले कर अब मैं फ़रिशता कुम्भकर्ण की नींद में सोए लोगों का जगाने का संकल्प बापदादा के सामने रखता हूं और बापदादा को अपने साथ चलने का आग्रह करता हूँ। बापदादा मेरा आग्रह स्वीकार कर, मेरा हाथ थामे अब मुझे विश्व ग्लोब पर ले आते हैं। बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर अब मैं पूरे विश्व का चक्कर लगा रहा हूँ और कुम्भकर्ण की नींद में सोए मनुष्यों पर ज्ञान की किरणें बरसा कर उन्हें अज्ञान अंधकार रूपी नींद से जगा रहा हूँ। परमात्म किरणे उन पर फैलाते हुए, परमात्म प्रेम का उन्हें अनुभव करवाकर, उन्हें परमात्मा के अवतरण का सन्देश दे रहा हूँ।

➳ _ ➳ मैं देख रहा हूँ कुम्भकर्ण की नींद में सोये सभी मनुष्य परमात्म प्रेम का अनुभव करके अब अज्ञान अंधकार रूपी निद्रा से निकल कर ज्ञान के सोझरे में आ रहें हैं और परमात्म पालना का अनुभव करने के लिए अपने आस - पास के सेवा स्थलों पर जा रहें हैं। ब्रह्माकुमारी बहने ज्ञान कलश हाथ मे लिए उन सभी को ज्ञान अमृत पिला कर, उनके जीवन को परमात्म प्रेम से भरपूर कर रही हैं।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं कमल पुष्प का सिम्बल बुद्धि में रखने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं अपने को सैंपल समझने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं न्यारी और प्यारी आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ मैं आत्मा सदैव स्नेह की छत्रछाया के अंदर रहती हूँ ।
✺ मैं आत्मा माया को भगा देती हूँ ।
✺ मैं आत्मा मायाजीत हूँ ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा सभी बच्चों के 5 स्वरूप देख रहे हैं। पहला - अनादि ज्योतिबिन्दु स्वरूप। याद है ना अपना स्वरूपभूल तो नहीं जातेदूसरा है - आदि देवता स्वरूप। पहुंच गये देवता स्वरूप में?तीसरा - मध्य में पूज्य स्वरूपवह भी याद हैआप सबकी पूजा होती है या भारतवासियों की होती हैआपकी पूजा होती हैकुमार सुनाओ आपकी पूजा होती हैतो तीसरा है पूज्य स्वरूप। चौथा है - संगमयुगी ब्राह्मण स्वरूप और लास्ट में है फरिश्ता स्वरूप। तो 5 हीरूप याद आ गयेअच्छा एक सेकण्ड में यह 5 ही रूपों में अपने को अनुभव कर सकते होवनटूथ्रीफोरफाइव... तो कर सकते हो! यह 5 ही स्वरूप कितने प्यारे हैं? जब चाहोजिस भी रूप में स्थित होने चाहोसोचा और अनुभव किया। यही रूहानी मन की एक्सरसाइज है। 

 

 _ ➳   आजकल सभी क्या करते हैंएक्सरसाइज करते हैं ना! जैसे आदि में भी आपकी दुनिया में (सतयुग में) नेचुरल चलते-फिरते की एक्सरसाइज थी। ख़डे होकरके वनटूथ्री.. एक्सरसाइज नहीं। तो अभी अन्त में भी बापदादा मन की एक्सरसाइज कराते हैं। जैसे स्थूल एक्सरसाइज से तन भी दुरूस्त रहता है ना! तो चलते-फिरते यह मन की एक्सरसाइज करते रहो। इसके लिए टाइम नहीं चाहिए। 5 सेकण्ड कभी भी निकाल सकते हो या नहीं! ऐसा कोई बिजी है,जो 5 सेकण्ड भी नहीं निकाल सके! है कोईतो हाथ उठाओ। फिर तो नहीं कहेंगे - क्या करें टाइम नहीं मिलतायह तो नहीं कहेंगे ना! टाइम मिलता हैतो यह एक्सरसाइज बीच-बीच में करो। किसी भी कार्य में हो 5 सेकण्ड की यह मन की एक्सरसाइज करो। तो मन सदा ही दुरुस्त रहेगाठीक रहेगा।

 

 _ ➳   बापदादा तो कहते हैं - हर घण्टे में यह 5 सेकण्ड की एक्सरसाइज करो। हो सकती हैदेखोसभी कह रहे हैं - हो सकती है। याद रखना। ओम् शान्ति भवन याद रखनाभूलना नहीं। तो जो मन की भिन्न भिन्न कम्पलेन है ना! क्या करें मन नहीं टिकता! मन को मण बना देते हो। वजन करते हैं ना! पहले जमाने में पावसेर और मण होता थाआजकल बदल गया है। तो मन को मण बना देते हैं बोझ वाला और यह एक्सरसाइज करते रहेंगे तो बिल्कुल लाइट हो जायेंगे। अभ्यास हो जायेगा।

 

✺   ड्रिल :-  "5 स्वरूपों का 5 सेकण्ड की एक्सरसाइज का अभ्यास करना"

 

 _ ➳  अमृतवेले उठते ही मन बाबा के प्यार में समाया हुआ है...अपने शिव साजन की महिमा के गीत गा रहा है... बाबा ने मुझ आत्मा को कैसे किचड़े के ढेर से उठाकर अपने दिलतख्त पर बिठा लिया... मुझे अपनी बाहों में समा लिया... कहां एक बूँद प्यार के लिए तरसते थे और अब... खुद प्यार का सागर चलकर मेरे पास आ गया है... उसने मुझे अपना बना लिया है... अपने सर्व खजानों का मालिक बना दिया है... मीठे बाबा! कैसे मैं शुक्रिया करूं आपका... मेरे मीठे शिव साजन के स्नेह में... मुझ आत्मा को संसार के सभी सुख फीके लगने लगे हैं...

 

 _ ➳  अपने बाबा की महिमा गाती हुई मैं आत्मा... अपने मीठे बाबा को अपने पास बुलाती हूँ... मेरे दिल की पुकार सुन कर बाबा मेरे समीप आ जाते हैं... बाबा मुझ पर बेशुमार प्यार बरसा रहे हैं... इस प्यार की बारिश में मेरा रोम-रोम गीला हो गया है... मैं आत्मा तृप्त हो रही हूँ... मुख से वाह-वाह के ही बोल निकल रहे हैं... बाबा मेरे मस्तक पर विजयी भव का तिलक लगाते हैं... मुझे पवित्रता और विश्व सेवा की जिम्मेवारी का ताज पहनाकर अपने दिलतख्त पर बिठा लेते हैं...

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य के गीत गा रही हूँ... पूरे कल्प में मुझ आत्मा का कितना सुंदर पार्ट है... मैं हीरो पार्टधारी आत्मा हूँ... मैं आत्मा अपने 5 स्वरूपों को बुद्धि के नेत्रों से देख रही हूँ... मैं अपने अनादि जगमगाते प्रकाशमय ज्योति स्वरुप में हूँ... फिर अपने सतयुगी राजाई स्वरुप का... फिर मध्य में पूज्य इष्टदेव स्वरुप का अनुभव कर रही हूँ... कैसे विधि विधान से मेरी पूजा हो रही है... फिर अपने श्रेष्ठ संगमयुगी स्वरुप का... और फिर फरिश्ता स्वरुप का अनुभव कर रही हूँ...

 

 _ ➳  मैं आत्मा मन की यह सुंदर एक्सरसाइज कर रही हूँ... 5 सेकेंड में अपने पांच स्वरुपों का अनुभव कर रही हूँ... स्थूल एक्सरसाइज करने से शरीर स्वस्थ रहता है, उसी प्रकार मन की ये एक्सरसाइज, ड्रिल करने से मैं आत्मा शक्तिशाली बनती जा रही हूँ... मैं चलते फ़िरते अपने इन पांचों स्वरूपों का अभ्यास कर रही हूँ... मन को शक्तिशाली, सुंदर बनाने का सुंदर अभ्यास मैं आत्मा... कर्म करते हुए बीच बीच में कर रही हूँ... बीच बीच मे 5 सेकण्ड निकाल अपने पांचों स्वरूपों में स्थित हो रही हूँ...

 

 _ ➳  मन की ये सुंदर ड्रिल करने से मुझ आत्मा की विभिन्न प्रकार की कम्पलेन समाप्त हो रही है... मैं आत्मा शक्तिशाली बन रही हूँ... अपने संकल्पों पर कंट्रोल आता जा रहा है... मेरा मन अब शांत होता जा रहा है...  स्थूल एक्सरसाइज करने से भारी शरीर हल्का हो जाता है, उसी प्रकार मन की ये एक्सरसाइज करने से मन का बोझ खत्म हो रहा है... मैं आत्मा बोझमुक्त, लाइट, हल्की हो रही हूँ... अपनी प्रकाशमय, लाइट स्वरूप की स्थिति में स्थित हो रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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