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❍ 07 / 10 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ अनेक आत्माओं के कल्याण की सर्विस की ?
➢➢ देह अभिमान के वश होकर कोई छी छी काम तो नहीं किये ?
➢➢ वैराग्य वृत्ति द्वारा इस असार संसार से लगाव मुक्त रहे ?
➢➢ बोल मधुर और शुभ भावना से संपन्न रहे ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ कर्मातीत अर्थात् कर्म के किसी भी बंधन के स्पर्श से न्यारे। ऐसा ही अनुभव बढ़ता रहे। कोई भी कार्य स्पर्श न करे और करने के बाद जो रिजल्ट निकलती है उसका भी स्पर्श न हो, बिल्कुल ही न्यारापन अनुभव होता रहे। जैसे कि दूसरे कोई ने कराया और मैंने किया। निमित्त बनने में भी न्यारापन अनुभव हो। जो कुछ बीता, फुलस्टाप लगाकर न्यारे बन जाओ।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं सदा हर्षित रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ"
〰✧ अपने को सदा हर्षित रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा अनुभव करते हो? हर्षितमुख, हर्षितचित। इसकी यादगार आपके यादगार चित्रों में भी दिखाते हैं। कोई भी देवी या देवता की मूर्ति बनायेंगे तो उसमें चेहरा जो दिखाते हैं, वह सदा हर्षित दिखाते हैं।
〰✧ अगर कोई सीरीयस (गम्भीर) चेहरा होगा तो देवता का चित्र नहीं मानेंगे। तो हर्षितमुख रहने का इस समय का गुण आपके यादगार चित्रों में भी है। हर्षितमुख अर्थात् सदा सर्वप्राप्तियों से भरपूर। जो भरपूर होता है वही हर्षित रह सकता है। अगर कोई भी अप्राप्ति होगी तो हर्षित नहीं रहेंगे। कितनी भी हर्षित रहने की कोशिश करें, बाहर से हंसेंगे लेकिन दिल से नहीं।
〰✧ कोई बाहर से हंसते हैं तो मालूम पड़ जाता है-यह दिखावे का हँसना है, सच्च नहीं। तो आप सब दिल से सदा मुस्काराते रहो। कभी चेहरे पर दु:ख की लहर न आये। किसी भी परिस्थिति में दु:ख की लहर नहीं आनी चाहिए क्योंकि दु:ख की दुनिया छोड़ दी, संगम की दुनिया में आ गये।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ आप विदेश से आते हो तो बापदादा भी विदेश से आते हैं। सबसे दूर-से-दूर से आते हैं लेकिन आते सेकण्ड में हैं।
〰✧ आप सभी भी सेकण्ड में उडती कला का अनुभव करते हो? सेकण्ड में उड सकते हो? इतने डबल लाइट हो, संकल्प किया और पहुँच गये।
〰✧ परमधाम कहा और पहुँचे, ऐसी प्रैक्टिस है? कहाँ अटक तो नहीं जाते हो? कभी कोई बादल तंग तो नहीं करते हैं, केयरफुल भी हो और क्लियर भी, ऐसे है ना! (पार्टियों के साथ)
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ ड्रिल बहुत अच्छी लग रही थी। यह रोज़ हर एक को करनी चाहिए। ऐसे नहीं हम बिजी हैं। बीच में समय प्रति समय एक सेकण्ड चाहे कोई बैठा भी हो, बात भी कर रहा हो, लेकिन एक सेकण्ड उनको भी ड़िल करा सकते हैं और स्वयं भी अभ्यास कर सकते हैं। कोई मुश्किल नहीं है। दो-चार सेकण्ड भी निकालना चाहिए इससे बहुत मदद मिलेगी। नहीं तो क्या होता है, सारा दिन बुद्धि चलती रहती है ना तो विदेही बनने में टाइम लग जाता है और बीच बीच में अभ्यास होगा तो जब चाहें उसी समय हो जायेंगे क्योंकि अन्त में सब अचानक होना है। तो अचानक के पेपर में यह विदेही पन का अभ्यास बहुत आवश्यक है। ऐसे नहीं बात पूरी हो जाये और विदेही बनने का पुरुषार्थ ही करते रहें। तो सूर्यवंशी तो नहीं हुए ना। इसलिए जितना जो बिजी है, उतना ही उसको बीच-बीच में यह अभ्यास करना ज़रूरी है। फिर सेवा में जो कभी-कभी थकावट होतीे, कभी कुछ-न-कुछ आपस में हलचल हो जाती है, वह नहीं होगा। अभ्यासी होंगे ना। एक सेकण्ड में न्यारे होने का अभ्यास होगा, तो कोई भी बात हुई एक सेकण्ड में अपने अभ्यास से इन बातों से दूर हो जायेंगे। सोचा और हुआ। युद्ध नहीं करनी पड़े। युद्ध के संस्कार, मेहनत के संस्कार सूर्यवंशी बनने नहीं देंगे। लास्ट घड़ी भी युद्ध में ही जायेगी, अगर विदेही बनने का सेकण्ड में अभ्यास नहीं है तो।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- सदा ख़ुशी में रह याद की यात्रा करना"
➳ _ ➳ मीठे बाबा की यादो में खोयी... मै आत्मा अपनी खुशियो के खजाने को
गिनने में मशगूल हूँ... और अपनी ईश्वरीय अमीरी को देख देख मुस्करा रही हूँ...
कितना प्यारा अनोखी खुशियो से भरा जीवन मीठे बाबा ने सौगात सा दे दिया है...
तभी मीठे बाबा पलक झपकते ही वहाँ उपस्थित होकर... मुझे खुशहाल देख जैसे, नयनों
से कह रहे... बच्चों की खुशियो में ही मुझ पिता की खुशियां समायी है...
❉ मीठे बाबा आज खुशियो की बरसात मेरे मन आँगन में बिखराते हुए
बोले :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... अब दुःख के दिन खत्म हो गए है... अब अथाह
खुशियो भरे मीठे दिन आ गए है... अब ईश्वर पिता जीवन में आ गया है... चारो ओर
खुशियो की बरसात है... इस नशे में सदा डूबे रहो कि सुख शांति प्रेम के मीठे पल
आये की आये..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा के रूप में भगवान को सम्मुख देख देख पुलकित
हूँ और कह रही हूँ :- "मीठे मीठे बाबा... ऐसा प्यारा ईश्वरीय साथ भरा जीवन तो
कल्पनाओ में भी कभी न था... आज आपको पाने की ख़ुशी से छलक रहा मन... जीवन की
सच्चाई है... और मीठे सुख मुझे अपनी बाँहों में पुकार रहे है..."
❉ प्यारे बाबा मुझे अपनी बाँहों में दुलारते हुए ज्ञान धारा को
बहाते हुए बोले :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... जो देवताई सुख कल्पनाओ से परे थे...
ईश्वर पिता उन सुख भरे खजानो को आप बच्चों की राहो में फूलो सा बिखराया है...
इस ख़ुशी में सदा झूमते रहो... अपने मीठे सुखो की यादो में खोये रहो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा के वरदानों की छत्रछाया में स्वयं को भरपूर
करते हुए बोली :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... दुखो के जंगल में सुख की एक बून्द
को तरसती... मै आत्मा आज स्वर्ग की बादशाही पा रही हूँ... कितना प्यारा मीठा
और खुबसूरत भाग्य है... मै आत्मा आपके सारे खजानो की मालिक बन गयी हूँ..."
❉ मीठे बाबा रूहानी दृष्टि देते हुए और ज्ञान रत्नों से मुझे
श्रृंगारते हुए बोले :- "मीठे लाडले फूल बच्चे... ईश्वरीय श्रीमत पर चलकर जो
सुखो की दौलत पायी है... उसके नशे में खोये रहो... संगम की यही खुशियां देवताई
सुखो में बदल कर जीवन को खुशियो से महकायेंगी... इन मीठे पलो के सुख को यादो
में चिर स्थायी बनाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा को अपनी मुस्कराहट से जवाब देते हुए कहती
हूँ :- "मीठे बाबा सच्चे ज्ञान को पाकर सारी भटकन से छूट गयी हूँ और आपकी
छत्रछाया में गुणवान शक्तिवान बनकर सच्ची खुशियो में खिलखिला रही हूँ... देवताई
सुखो भरा स्वर्ग अपनी तकदीर में लिखवा रही हूँ..." अपनी खुशियो की चर्चा मीठे
बाबा से कर मै आत्मा कार्य पर लौट आयी... इन मीठी ईश्वरीय यादो को दिल में समेट
कर मै आत्मा अपने जगत मे आ गयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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"ड्रिल :- हियर नो ईविल, टाक नो ईविल...देह अभिमान के वश हो कोई छी-छी काम नही
करने हैं"
➳ _ ➳ देह और देह की दुनिया की सभी बातों से मन बुद्धि को हटा कर जैसे ही
मैं एकाग्रचित होकर बैठती हूं वैसे ही स्वयं को सूक्ष्म वतन में देखती हूँ।
यहां पहुंच कर मैं अपनी लाइट की फ़रिश्ता ड्रेस को धारण कर लेती हूं और सूक्ष्म
वतन की सैर करने चल पड़ती हूँ। सूक्ष्म वतन के सुंदर नजारे देखकर मैं मन ही मन
आनंदित हो रही हूँ। पूरे सूक्ष्म वतन की सैर करके अब मैं पहुंच जाती हूँ
बापदादा के पास। मैं देख रही हूं सामने लाइट माइट स्वरूप में बाप दादा विराजमान
हैं। उनसे आ रही लाइट और माइट चारों ओर फैल रही है। बाप दादा की लाइट माइट जैसे
- जैसे मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही है मेरी चमक बड़ती जा रही है। एक दिव्य अलौकिक
रूहानी चमक से मेरा फ़रिशता स्वरूप जगमगाने लगा है।
➳ _ ➳ बापदादा अब मेरे बिल्कुल समीप आ कर, मेरा हाथ थामे मुझे साकारी लोक
की ओर ले कर जा रहें हैं। बापदादा के साथ मैं पूरे विश्व का भ्रमण कर रही हूँ।
प्रकृति के खूबसूरत नजारों का आनन्द ले रही हूँ। प्रकृति के खूबसूरत नजारों का
आनन्द लेते लेते अब मैं अपने फ़रिशता स्वरूप में नीचे भू लोक में आ जाती हूँ।
बापदादा के साथ अब मैं भू लोक पर विचरण कर रही हूँ। चलते चलते एक स्थान पर लगे
म्यूजियम को देख मैं बापदादा के साथ उस म्यूजियम के अंदर प्रवेश कर जाती हूँ।
➳ _ ➳ भारत की अनेक ऐतिहासिक वस्तुएँ, राजनेताओ के चित्र इस म्यूजियम में
जहां - तहां लगे हुए हैं। सामने बापू जी की विशाल प्रतिमा रखी है और उस प्रतिमा
के सामने तीन बन्दरो के जड़ चित्र स्थापित किये गए है। जिसमे एक बंदर ने अपने
हाथों से अपने मुख को बंद किया हुआ है जो इस बात का प्रतीक है कि बुरा मत बोलो,
एक बंदर अपने हाथ अपने कानों पर रख कर यह संदेश दे रहा है कि बुरा मत सुनो और
एक बंदर अपने हाथों से अपनी आंखें बन्द कर यह समझा रहा है कि बुरा मत देखो।
➳ _ ➳ बन्दरो की इन प्रतिमाओं को देख कर मैं मन मे विचार करती हूँ कि इन
बन्दरो की तरह आज के मनुष्य भी तो बंदर बुद्धि बन गए हैं जो बुराई देख रहें
हैं, बुरा सुन रहें हैं और बुरा ही बोल रहे हैं। ये चित्र और कहानियां तो केवल
किताबो में ही बंद हो कर रह गई हैं। यही विचार करते - करते मैं बाबा की ओर
देखती हूँ। बाबा मन्द मन्द मुस्कराते हुए मेरी ओर देखते हैं। बाबा की जो
डायरेक्शन है कि हियर नो ईविल, सी नो ईविल... टाक नो ईविल... उस डायरेक्शन को
बाबा के मन के भावों से मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। स्वयं से और बाबा से मैं
दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ कि अब मुझे बाबा के इस फरमान पर पूरी तरह चल कर मन्दिर
लायक अवश्य बनना है। इसी दृढ़ संकल्प के साथ अपने पूज्य स्वरूप को अपने सामने
इमर्ज करके अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में लौट आती हूँ।
➳ _ ➳ ब्राह्मण स्वरूप में रहते हुए अब मुझे मेरा पूज्य स्वरूप सदा
स्मृति में रहता है। स्वयं को सदा ईष्ट देव, ईष्ट देवी के रूप में अनुभव करने
से अब मेरे अंदर दैवी गुण धारण होने लगे है। पुराने आसुरी स्वभाव संस्कार स्वत:
ही समाप्त हो रहें हैं। सबके साथ बातें करते उनके मस्तक में चमकती हुई आत्मा को
ही अब मैं देख रही हूँ। सबके साथ बातें करते, सुनते, देखते, बोलते चलते-फिरते
हर कर्म करते जैसे अब मैं सब बातों से उपराम हूं। बुरा ना बोलने, बुरा ना
देखने और बुरा ना सुनने के साथ साथ बुरा ना सोचने और बुरा ना करने की भावना को
अपने जीवन में धारण करने से अब मेरे अंदर दाता पन के संस्कार इमर्ज हो रहें हैं
जो मुझे मंदिर लायक बना रहे हैं।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं वैराग्य वृत्ति द्वारा इस असार संसार से लगाव मुक्त्त रहने वाली सच्ची राजऋषि आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं मधुर और शुभ भावना संपन्न युक्तियुक्त बोल बोलने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. अभी समय के प्रमाण आप हर निमित्त बनी हुई, सदा याद और सेवा में रहने वाली आत्माओं को स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन का वायब्रेशन पावरफुल और तीव्रगति का बढ़ाना है। चारों ओर मन का दु:ख और अशान्ति, मन की परेशानियां बहुत तीव्रगति से बढ़ रही हैं। बापदादा को विश्व की आत्माओं के ऊपर रहम आता है। तो जितना तीव्रगति से दु:ख की लहर बढ़ रही है उतना ही आप सुख दाता के बच्चे अपने मन्सा शक्ति से, मन्सा सेवा व सकाश की सेवा से, वृत्ति से चारों ओर सुख की अंचली का अनुभव कराओ। बाप को तो पुकारते ही हैं लेकिन आप पूज्य देव आत्माओं को भी किसी न किसी रूप से पुकारते रहते हैं। तो हे देव आत्मायें, पूज्य आत्मायें अपने भक्त आत्माओं को सकाश दो। साइन्स वाले भी सोचते हैं ऐसी इन्वेन्शन निकालें जो दु:ख समाप्त हो जाए, साधन सुख के साथ दु:ख भी देता है लेकिन दु:ख न हो, सिर्फ सुख की प्राप्ति हो उसका सोचते जरूर हैं। लेकिन स्वयं की आत्मा में अविनाशी सुख का अनुभव नहीं है तो दूसरों को कैसे दे सकते हैं। लेकिन आप सबके पास सुख का, शान्ति का, नि:स्वार्थ सच्चे प्यार का स्टाक जमा है।
➳ _ ➳ 2. जमा की तो खुशी होती है लेकिन खर्च का हिसाब नहीं निकाला तो समय पर धोखा मिल जायेगा। जमा का खाता भी देखो लेकिन साथ-साथ अपने प्रति खर्च कितना किया। दूसरे को कोई गुण दिया, शक्ति दी, ज्ञान का खजाना दिया वह खर्च नहीं है, वह जमा के खाते में जमा होता है लेकिन अपने प्रति समय प्रति समय खर्च किया तो खाता खाली हो जाता है। इसीलिए अच्छे विशाल बुद्धि से चेकिंग करो।
✺ ड्रिल :- "विश्व की आत्माओं को सुख की अंचली का अनुभव कराना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस साकारी शरीर में... भ्रकुटी के मध्य में विराजमान हूँ... मैं आत्मा चमकता हुआ सितारा हूँ... उड़ चलता हूँ परमधाम की ओर... मेरे प्रेम के... शांति के... सुख के सागर परमपिता परमात्मा शिव बाबा के पास... उनसे शांति की... शक्ति की... प्रेम की... सुख की रंग - बिरंगी किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है... और मैं आत्मा इन शक्तियों से भरपूर हो रही हूँ... मुझ आत्मा के चारों ओर एक शक्तिशाली... आभामंडल बन गया है... जिसका प्रभाव दूर - दूर तक फैल रहा है... अब मैं आत्मा वापस उड़ कर पहुँच जाती हूँ... विश्व ग्लोब पर...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सुख - शांति का फरिश्ता... विश्व के ग्लोब पे विराजमान हूँ... मुझ आत्मा से सुख - शांति और शक्ति की किरणें... निरंतर प्रवाहित हो रही है... मुझ आत्मा के सम्मुख... विश्व की समस्त दुखी, अशांत और पीड़ित आत्माएँ विराजमान है... और मैं आत्मा इन सब आत्माओं को... सुख की अंचली का अनुभव करा रही हूँ... सबके दुख दूर कर... सुख का अनुभव करवा रही हूँ... रहम दिल बाप की... मैं मास्टर रहम दिल संतान... सबकी पीड़ा दूर कर रही हूँ...
➳ _ ➳ अभी समय के प्रमाण मैं निमित्त बनी हुई आत्मा... सदा याद और सेवा में रहने वाली आत्मा... स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन करने के लिए... पावरफुल वायब्रेशन तीव्रगति से फैला रही हूँ... मुझ आत्मा के इस वाइब्रेशन के संपर्क में... जो भी आत्मा आ रही है... वो स्वतः ही परिवर्तित हो रही है... और अपने परमपिता की ओर आकर्षित हो रही है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा बापदादा से प्राप्त सुख - शांति की शक्तियों को... सारे विश्व में फैला रही हूँ... विश्व में तीव्रगति से फैल रही दु:ख की लहर को समाप्त करने के लिए... मैं आत्मा सुख दाता की संतान... अपनी मन्सा शक्ति से... मन्सा सेवा से... सकाश की सेवा से... और वृत्ति से चारों ओर सुख की अंचली का सब आत्माओं को अनुभव करा रही हूँ... मैं पूज्य ईष्ट देवी अपने भक्तों को सुख शांति के वाइब्रेशन दे रही हूँ... उनको वरदानों से भरपूर कर उनका उद्धार कर रही हूँ...
➳ _ ➳ साइन्स की इन्वेन्शन से निकले साधन... सुख के साथ दुख भी देते हैं... लेकिन मुझ आत्मा के पास परमात्मा से प्राप्त... सच्चा सुख का... शान्ति का... नि:स्वार्थ प्रेम का स्टॉक जमा है... जो सभी आत्माओं को सच्चा सुख और शांति का ही अनुभव करवा रहा है... मैं आत्मा इन जमा शक्तियों को... सर्व आत्माओं के कल्याण के लिए यूज कर रही हूँ... दूसरे को कोई गुण दिया... शक्ति दी... ज्ञान का खजाना दिया... वह खर्च नहीं है... वह जमा के खाते में जमा होता है... लेकिन अपने प्रति समय प्रति समय खर्च किया तो खाता खाली हो जाता है... इसीलिए अब मैं आत्मा विशाल बुद्धि से चेकिंग कर... इन खजानों को... बापदादा के बताये अनुसार विश्व कल्याण अर्थ यूज करती हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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