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 29 / 01 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *टीचर बन औरों को राजयोग सीखाया ?*

 

➢➢ *हुज़ूर को सदा साथ रख कंबाइंड स्वरुप का अनुभव किया ?*

 

➢➢ *स्वयं को इस पुरानी दुनिया में गेस्ट समझकर रहे ?*

 

➢➢ *सदा चल अडोल सर्व खजानों से संपन्न अवस्था का अनुभव किया ?*

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*अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  जैसे मोटेपन को मिटाने का साधन है खान-पान की परहेज और एक्सरसाइज। वैसे यहाँ भी *बुद्धि द्वारा बार-बार अशरीरीपन की एक्सरसाइज करो और बुद्धि का भोजन संकल्प है उनकी परहेज रखो, तो मन लाइट एकरस और शक्तिशाली बन जायेगा।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं बंधनमुक्त सहजयोगी आत्मा हूँ"*

 

  सदा स्वयं को बन्धनमुक्त आत्मा अनुभव करते हो? स्वतन्त्र बन गये या अभी कोई बन्धन रह गया है? *बन्धनमुक्त की निशानी है - 'सदा योगयुक्त'। योगयुक्त नहीं तो जरूर बन्धन है।* जब बाप के बन गये तो बाप के सिवाए और क्या याद आयेगा?

 

  सदा प्रिय वस्तु या बढीया वस्तु याद आती है ना। तो बाप से श्रेष्ठ वस्तु या व्यक्ति कोई है? *जब बुद्धि में यह स्पष्ट हो जाता है कि बाप के सिवाए और कोई भी श्रेष्ठ नहीं तो 'सहजयोगी' बन जाते हैं।*

 

  *बन्धनमुक्त भी सहज बन जाते हैं, मेहनत नहीं करनी पड़ती। सब सम्बन्ध बाप के साथ जुड़ गये। मेरा-मेरा सब समाप्त, इसको कहा जाता है - सर्व सम्बन्ध एक के साथ।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  तो औरों के सेवा की बहुतबहुत-बहुत आवश्यकता है। तो यह तो कुछ भी नहीं है। बहुत नाजुक समय आना ही है। *ऐसे समय पर आप उडती कला द्वारा फरिश्ता बन चारों ओर चक्कर लगाते, जिसको शान्ति चाहिए, जिसको खुशी चाहिए, जिसको सन्तुष्टता चाहिए, फरिश्ते रूप में सकाश देने का चक्कर लगायेंगे और वह अनुभव करेंगे।*

 

✧  जैसे अभी अनुभव करते हैं ना, पानी मिल गया बहुत प्यास मिटी खाना मिल गया, टेन्ट मिल गया, सहारा मिल गया। ऐसे अनुभव करेंगे फरिश्तों द्वारा शान्ति मिल गई, शक्ति मिल गई, खुशी मिल गई। *ऐसे अन्त: वाहक अर्थात अन्तिम स्थिति, पॉवरफुल स्थिति आपका अन्तिम वाहन बनेगा।*

 

✧  और चारों ओर चक्कर लगाते सबको शक्तियाँ देंगे, साधन देंगे। अपना रूप सामने आता है? इमर्ज करो। कितने फरिश्ते चक्कर लगा रहे हैं। सकाश दे रहे हैं, तब कहेंगे जो आप एक गीत बाजते हो ना - शक्तियाँ आ गई... *शक्तियों द्वारा ही सर्वशक्तिवान स्वतः सिद्ध हो जायेगा।* सुना।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  अपने को आत्मा समझ उस स्वरूप में स्थित होना है। *जब स्व-स्थिति में स्थित होंगे, तो भी अपने जो गुण हैं वह तो अनुभव होंगे ही। जिस स्थान पर पहुँचा जाता है उसके गुण न चाहते हुए भी अनुभव होते हैं। आप किसी शीतल स्थान पर जायेंगे, तो न चाहते हुए भी शीतलता का अनुभव होगा।* आत्माभिमानी अर्थात् बाप की याद। *आत्मिक-स्वरूप में बाबा की याद नहीं रहे - यह तो हो नहीं सकता है। जैसे बाप-दादा - दोनों अलग-अलग नहीं है, वैसे आत्मिक निश्चय बुद्धि से बाप की याद भी अलग नहीं हो सकती है।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  शांति और सुख के टावर में चलने पुराने स्वभाव को परिवर्तन करना"*

 

_ ➳  *मीठे मधुबन के प्रांगण में शांतिस्तम्भ में घूमते हुए मै आत्मा... मीठे बाबा को याद कर रही हूँ कि प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा की उन्नति और सुखो के लिए क्या नही किया है... मुझे अपने भूले घर का पता बताकर, मुझे अपनी प्यारी सी गोद में बिठाकर, सदा का सनाथ कर दिया है... सच्चे सुखो की दुनिया मेरी हथेली पर लाकर रख दी है...*  और मुझे देवताई भाग्य देकर, मुझे इस विश्व धरा पर कितना अनोखा, कितना प्यारा, निराला सजा दिया है... और याद करते करते मन के इन भावो को... मीठे बाबा को अर्पित करती हूँ...

 

   *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को इस पुरानी दुनिया से उपराम बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *ईश्वर पिता जब जीवन में आ गया है... तो मन बुद्धि के तारो को इस पुरानी दुनिया से निकाल, ईश्वरीय यादो में जोड़ो.*.. सदा अपने मीठे घर परमधाम और सुखो की नगरी को ही यादो में बसाओ... अब इस दुःख भरी दुनिया में बुद्धि न फंसाओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा मीठे बाबा की अमूल्य शिक्षाओ को अपने दिल में समाकर कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपके प्यार के साये में कितनी सुखी हो गयी हूँ... *दुखो के अंधियारे से निकल, ज्ञान और याद के सवेरे में सदा के लिए प्रकाशित हो गयी हूँ.*.. सदा शान्तिधाम और सुखधाम की मीठी यादो में ही खोयी हुई हूँ..."

 

   *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने मीठे घर और सुखो की याद दिलाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *मीठे बाबा की श्रीमत और यादो रुपी हाथो को पकड़कर, इस दुख के घाट से निकल... मीठी सुख नगरी में चलो..*. सदा यादो में अपने प्यारे से घर और अथाह सुखो से भरे स्वर्ग को ही ताजा करो... अब दुखो को सदा के लिए भूल सुखद भविष्य की स्मर्तियो में खो जाओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा मीठे बाबा से पायी सुखो की जागीर में डूबकर कहती हूँ :-* "मीठे दुलारे बाबा मेरे... आपने मुझे दुखो की तपन से छुड़ाकर... मुझे सुखो की शीतलता से भर दिया है... देह के भान ने मुझ आत्मा के वजूद को कितना निस्तेज बना दिया था... आपने आकर मेरा नूर लौटाया है... *आपने सच्चे सुखो से मेरा दामन सजा दिया है... मै आत्मा असीम सुखो के आनन्द में झूल रही हूँ.*.."

 

  *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को दुखो को भुला सुख की बहारो में ले जाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... *इस दुःख की देह की दुनिया को अब भूल, देवताई सुख भरी दुनिया को याद करो..*. गुणो और शक्तियो से सजे अपने आत्मिक स्वरूप के नशे में खो जाओ... देहभान में पाये जनमो के दुखो को भूलकर, देवताई सुख भरे मीठे अहसासो में खो जाओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा मीठे बाबा के असीम प्यार में डूबकर कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपके बिना दुखो के जंगल में कितना भटक रही थी... *आपने जीवन में आकर, जीवन को सच्ची खुशियो से सजाया है.*.. मै आत्मा जो घर तक भूल चली थी... आज अपने मीठे घर को जान गयी हूँ, और सच्चे सुखो की हकदार हो रही हूँ..."मीठे बाबा का रोम रोम से शुक्रिया कर मै आत्मा... अपने वतन में लौट आयी...

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- टीचर बन औरों को राजयोग सिखाना*"

 

_ ➳  आज सारी दुनिया मे सभी मनुष्य मात्र अल्फ अर्थात अपने ईश्वर बाप को ना जानने के कारण निधनके बन पड़े है और दुखी, अशांतमय जीवन जी रहें हैं। *दुनिया के ये सभी मनुष्य मेरे ही तो आत्मा भाई है जो आज दिन तक अपने पिता से बिछुड़े हुए हैं। अपने इन आत्मा भाईयों को अपने शिव पिता परमात्मा से मिलाना मेरा परम कर्तव्य है और यही मेरे शिव पिता की चाहना भी है कि उनका कोई भी बच्चा उनके परिचय से अनजान ना रह जाये*। अपने शिव पिता के फरमान को स्मृति में ला कर मैं मन ही मन विचार करती हूँ कि कैसे सबको अल्फ की पहचान दूँ!

 

_ ➳  एकांत में बैठ सेवा की युक्तियां सोचते - सोचते अपने शिव पिता को मैं याद करती हूँ। मेरी याद मेरे शिव पिता तक पहुंचते ही उनकी तरफ से याद का रिटर्न उनकी शक्तिशाली किरणों की छत्रछाया के रूप में मुझे अपने ऊपर स्पष्ट अनुभव होने लगता है। *मैं देख रही हूँ बाबा अपनी सर्वशक्तियों रूपी किरणों की हज़ारों भुजाओं को मेरे ऊपर फैलाये परमात्म दुआयों से मुझे भरपूर कर रहें हैं*। ये परमात्म ब्लैसिंग मेरे अंदर एक अद्भुत रूहानी नशे का संचार कर रही है। इस रूहानी नशे का अनुभव मुझे लाइट माइट स्वरूप में स्थित कर रहा है। मैं देख रही हूँ जैसे मेरा साकारी शरीर लुप्त हो गया है।

 

_ ➳  लाइट के बहुत ही सुंदर फ़रिशता स्वरूप में मैं अब स्वयं को देख रही हूँ। मेरे अंग - अंग से निकल रही श्वेत रश्मियां चारों और फैल कर सारे वायुमंडल को शुद्ध, दिव्य और अलौकिक बना रही हैं। *अपनी तेजस्वी रंग बिरंगी किरणो से वायुमण्डल को शुद्ध और पवित्र बनाता हुआ मैं फ़रिशता अब धरनी के आकर्षण से मुक्त होता हुआ ऊपर आकाश मण्डल की ओर जा रहा हूँ*। सूक्ष्म रूप ले कर अति तीव्र गति से उड़ता हुआ मैं फरिश्ता पांच तत्वों की दुनिया को पार करके पहुँच जाता हूँ अपने अलौकिक वतन में।

 

_ ➳  स्वयं को मैं अब एक ऐसी दुनिया मे देख रहा हूँ जहां चारों और सफेद चांदनी सा प्रकाश फैला हुआ है। लाइट के सूक्ष्म शरीर धारण किये फ़रिश्ते ही फ़रिश्ते इस लोक में मुझे दिखाई दे रहें हैं जिनसे निकल रही प्रकाश की रश्मियां पूरे वतन में फैल रही हैं। *इस अति सुन्दर दिव्य अलौकिक दुनिया में मैं फ़रिशता अब स्वयं को बापदादा के सम्मुख देख रहा हूँ। बापदादा की लाइट माइट मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही है और मैं स्वयं को बापदादा से आ रही लाइट माइट से भरपूर कर रहा हूँ*। बापदादा से आ रही सर्वशक्तियाँ मुझमे असीम बल भर कर मुझे शक्तिशाली बना रही है।

 

_ ➳  मैं डबल लाइट बनता जा रहा हूँ। हर प्रकार के बोझ और बन्धन से मुक्त बिल्कुल उन्मुक्त और निर्बन्धन स्थिति में मैं स्थित हूँ। गहन सुखमय स्थिति की अनुभूति प्यारे बापदादा के सानिध्य में मैं कर रहा हूँ। *बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर मुझे आप समान बनने का वरदान दे रहें हैं। टीचर बन सभी को अल्फ का परिचय देने का फरमान दे रहें हैं*। बापदादा की लाइट माइट से भरपूर हो कर, बाबा से वरदान ले कर, बाबा के फरमान का पालन करने के लिए डबल लाइट बन कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया मे लौट रहा हूँ।

 

_ ➳  अपनी लाइट की सूक्ष्म आकारी देह के साथ वापिस अपनी साकारी देह में प्रवेश कर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं टीचर बन सबको अल्फ का परिचय देने की ईश्वरीय सेवा कर रही हूँ। अलग - अलग स्थानों पर प्रदर्शनियों आदि में जा कर एक - एक बात को अच्छी रीति समझा कर मैं सबकी बुद्धि को दिव्य बनाने का रूहानी धन्धा करते हुए सबको ईश्वर बाप से मिलवाने की बाबा की आश को पूरा कर रही हूँ। *"ईश्वर सर्वव्यापी नही है" "गीता का भगवान कृष्ण नही है" ऐसे अनेक टॉपिक्स पर टीचर की भांति अच्छी रीति समझा कर मैं पत्थरबुद्धि मनुष्यों की बुद्धि का ताला खोल उन्हें पारस बुद्धि बनाने की सेवा निरन्तर कर रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं हजूर को सदा साथ रख कम्बाइन्ड स्वरूप का अनुभव करने वाली विशेष पार्टधारी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं स्वयं को इस पुरानी दुनिया में गेस्ट समझकर पुराने संस्कारों और संकल्पों को गेट आउट करने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *जो ब्रह्मा बाप ने आज के दिन तीन शब्दों में शिक्षा दी, (निराकारी, निर्विकारी और निरअहंकारी) इन तीन शब्दों के शिक्षा स्वरूप बनो। मनसा में निराकारी, वाचा में निरअहंकारी, कर्मणा में निर्विकारी। सेकण्ड में साकार स्वरूप में आओ, सेकण्ड में निराकारी स्वरूप में स्थित हो जाओ। यह अभ्यास सारे दिन में बार-बार करो।*  ऐसे नहीं सिर्फ याद में बैठने के टाइम निराकारी स्टेज में स्थित रहो लेकिन बीच-बीच में समय निकाल इस देहभान से न्यारे निराकारी आत्मा स्वरूप में स्थित होने का अभ्यास करो। *कोई भी कार्य करो, कार्य करते भी यह अभ्यास करो कि मैं निराकार आत्मा इस साकार कर्मेन्द्रियों के आधार से कर्म करा रही हूँ। निराकारी स्थिति करावनहार स्थिति है। कर्मेन्द्रियाँ करनहार हैं, आत्मा करावनहार हैं। तो निराकारी आत्म स्थिति से निराकारी बाप स्वतः ही याद आता है।* जैसे बाप करावनहार हैं ऐसे मैं आत्मा भी करावनहार हूँ। इसलिए कर्म के बन्धन में बंधेंगे नहीं, न्यारे रहेंगे क्योंकि कर्म के बन्धन में फँसने से ही समस्यायें आती हैं। सारे दिन में चेक करो -करावनहार आत्मा बन कर्म करा रही हूँ? अच्छा! अभी मुक्ति दिलाने की मशीनरी तीव्र करो।

 

✺   *ड्रिल :-  "निराकारी, निर्विकारी और निरअहंकारी बनने का अनुभव"*

 

 ➳_ ➳  *मैं आत्मा भृकुटी सिंहासन में विराजमान मन-बुद्धि द्वारा आत्मा रूपी रंग-बिरंगी मोरनी एक बगीचे में पहुँचती हूँ...* मेरे पँखो पर विकार रूपी मैल चढ़ी हुई हैं... अहंकार रूपी कीचड़ में गलकर टूट चुकें हैं... अहंकार के वश रहकर मैं अपने आप को ही भूल चुकी हूँ कि मैं कौन हूँ... आस-पास का वातावरण भी मेरी मैल से दूषित हो चुका है... मैं खुशी रूपी बारिश में न ही नृत्य कर पाती हूँ, न ही उसका लुफ्त उठा पाती हूँ...

 

_ ➳  अचानक परमधाम से शिव बाबा आ रहे है... *बाबा मुझ आत्मा रूपी मोरनी पर अपनी सुनहरी किरणें न्यौछावर कर रहे हैं... मेरे पँखो से मैल धीरे-धीरे साफ हो रही हैं... वह सोने के पँख बन चुके हैं... अब मैं मनसा में निराकारी, वाचा में निरअहंकारी, कर्मणा में निर्विकारी स्थिति में स्थित रहती हूँ...* देही-अभिमानी स्थिति में स्थित रहती हूँ... अंश मात्र भी अहंकार नहीं करती हूँ... अब कोई भी विकारों के वश कर्म नहीं करती हूँ...

 

_ ➳  मैं एक सेकंड में साकार स्वरूप में, सेकण्ड में निराकारी स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ... यह अभ्यास सारे दिन में बार-बार करती हूँ... सिर्फ याद पर बैठने के समय ही नहीं बल्कि हर समय देहभान से न्यारे निराकारी आत्मा स्वरूप में स्थित होने का अभ्यास करती हूँ... *जब कोई भी कार्य करती हूँ तो यह अभ्यास करती हूँ कि मैं निराकार आत्मा इस साकार कर्मेन्द्रियों के आधार से कर्म करा रही हूँ...*

 

_ ➳  *कर्मेन्द्रियाँ करनहार हैं, आत्मा करावनहार हैं... अब मैं आत्मा कर्म के बन्धन में नहीं बंधती  हूँ... हमेशा न्यारी रहती हूँ...* सारे दिन में चेक करती हूँ कि मैं करावनहार आत्मा बन कर्म करा रही हूँ या नहीं... मैं आत्मा सभी को दुःखों से मुक्ति दिला रही हूँ... मैं आत्मा बाबा से मिली हुई शक्तियों को यूज़ करके मुक्ति दिलाने की मशीनरी तीव्र कर रही हूँ... मैं आत्मा उमंग-उत्साह में रहकर चढ़ती कला का अनुभव कर रही हूँ...

 

_ ➳  अब मैं हर कर्म करते वक्त बाबा को ही याद करती हूँ... *मैं जो भी कर्म करती हूँ उसमें सफलता मिलती जा रही हैं... बाबा ने हर कार्य आसान कर दिया हैं... अब मैं बाप समान होने की अनुभूति कर रही हूँ...* एक बाप की याद में रहकर मैं ऊँच स्थान प्राप्त करने के लिए बाबा की श्रीमत को अच्छे से फॉलो कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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