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❍ 13 / 10 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ सत्यता की शक्ति को धारण किया ?
➢➢ शीतलता की शक्ति को धारण किया ?
➢➢ निर्भयता की शक्ति को धारण किया ?
➢➢ सर्व प्राप्ति स्वरुप स्थिति का अनुभव किया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ पिछले कर्मों के हिसाब-किताब के फलस्वरूप तन का रोग हो, मन के संस्कार अन्य आत्माओं के संस्कारों से टक्कर भी खाते हो लेकिन कर्मातीत, कर्मभोग के वश न होकर मालिक बन चुक्तू कराओ। कर्मयोगी बन कर्मभोग चुक्तू करना-यह है कर्मातीत बनने की निशानी।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं बाप की छत्रछाया में रहने वाली विशेष आत्मा हूँ"
〰✧ सदा अपने को बाप की छत्रछाया में रहने वाली विशेष आत्माएं अनुभव करते हो? जहाँ बाप की छत्रछाया है, वहाँ सदा माया से सेफ रहेंगे। छत्रछाया के अन्दर माया आ नहीं सकती। मेहनत से स्वत: ही दूर हो जायेंगे। सदा मौज में रहेंगे। क्योंकि जब मेहनत होती है, तो मेहनत मौज अनुभव नहीं कराती।
〰✧ जैसे, बच्चों की पढ़ाई जब होती है तो पढ़ाई में मेहनत होती है ना। जब इम्तिहान के दिन होते हैं तो बहुत मेहनत करते हैं, मौज से खेलते नहीं हैं। और जब मेहनत खत्म हो जाती है, इम्तिहान खत्म हो जाते हैं तो मौज करते हैं। तो जहाँ मेहनत है, वहाँ मौज नहीं। जहाँ मौज है, वहाँ मेहनत नहीं। छत्रछाया में रहने वाले अर्थात् सदा मौज में रहने वाले। क्योंकि यहाँ पढ़ाई ऊंची पढ़ते हो लेकिन ऊंची पढ़ाई होते हुए भी निश्चय है कि हम विजयी हैं ही, पास हुए पड़े हैं। इसलिये मौज में रहते हैं।
〰✧ कल्प-कल्प की पढ़ाई है, नयी बात नहीं है। तो सदा मोज् में रहो और दूसरों को भी मौज में रहने का सन्देश देते रहो, सेवा करते रहो। क्योंकि सेवा का ही फल इस समय भी और भविष्य में भी खाते रहेंगे। सेवा करेंगे तब तो फल मिलेगा।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ जो आत्मा स्वराज्य चलाने में सफल रहती है तो सफल राज्य अधिकारी की निशानी है वह सदा अपने पुरुषार्थ से और साथ-साथ जो भी सम्पर्क में आने वाली आत्माएँ हैं वह भी सदा उस सफल आत्मा से सन्तुष्ट होंगी और सदा दिल से उस आत्मा के प्रति शुक्रिया निकलता रहेगा।
〰✧ सर्व के दिल से, सदा दिल के साज से वाह-वाह के गीत बजते रहेंगे, उनके कानों में सर्व द्वारा यह वाह-वाह का शुक्रिया का संगीत सुनाई देगा। यह गीत ऑटोमेटिक है। इसके लिए टेपरिकार्डर बजाना नहीं पडता। इसके लिए कोई साधनों की आवश्यकता नहीं। यह अनहद गीत है। तो ऐसे सफल राज्य अधिकारी बने हो?
〰✧ क्योंकि अभी के सफल राज्य अधिकारी भविष्य में सफलता का फल विश्व का राज्य प्राप्त करेंगे। अगर सम्पूर्ण सफलता नहीं, कभी कैसे हैं, कभी कैसे हैं, कभी 100 परसेन्ट सफलता है, कभी सिर्फ सफलता है। कभी 100 परसेन्ट सफल नहीं हैं तो ऐसे राज्य अधिकारी आत्मा को विश्व का राज्य ताज प्राप्त नहीं होता लेकिन रॉयल फैमिली में आ जाता है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ बापदादा भिन्न-भिन्न रूप से बच्चों को समान बनाने की विधि सुनाते रहते हैं। विधि है ही बिन्दी, और कोई विधि नहीं है। अगर विदेही बनते हो तो भी विधि है बिन्दी बनना। अशरीरी बनते हो, कर्मातीत बनते हो, सबकी विधि बिन्दी है। इसलिए बापदादा ने पहले भी कहा है। अमृतवेले बापदादा से मिलन मनाते, रूह-रूहान करते जब कार्य में आते हो तो पहले तीन बिन्दियों का तिलक मस्तक पर लगाओ।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- शीतलता की शक्ति धारण करना"
➳ _ ➳ मैं ब्राह्मण आत्मा अपने को शांति स्तम्भ के बिल्कुल पास खड़ा हुआ
देखती हूं... यहां की शीतल शांत किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं... मैं आत्मा
पूरी तरह से शांत होती जा रही हूँ... मैं आत्मा शांति की स्थिति का गहराई से
अनुभव कर रही हूं... धीरे-धीरे मैं आत्मा प्यारे बाबा की यादों में मगन हो जाती
हूँ... मीठे बापदादा अपने सम्मुख बिठाकर मीठी-मीठी, प्यारी-प्यारी बातें करते
हुए ज्ञान-योग से मेरे पुराने स्वभाव-संस्कारों को मिटाकर दैवीय गुणों की धारणा
करा रहे हैं...
❉ अपने मधुर अनमोल वचनों से शीतल स्नेह की धारा बरसाते हुए प्यारे
बाबा कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता से पायी गुणो और शक्तियो
की दौलत सारे विश्व में छलकानी है... हर दिल को स्नेह की तरंगो से अभिभूत कर...
सच्चे प्रेम और सुख से भरना है... कभी क्रोध नही करना है... जैसे विश्व पिता
सारे बच्चों को प्यार के आँचल में समाता है, वैसे ही बच्चों को भी विश्व में
स्नेह की धारा बहानी है..."
➳ _ ➳ मैं आत्मा मीठी स्नेह की नदी बनकर चारों ओर प्रवाहित होते हुए कहती
हूँ:- "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपका प्यार पाकर निर्मल स्नेह की
गंगा हो गई हूँ... आत्मिक स्नेह का पुंज बनकर मै आत्मा... पूरे विश्व को स्नेह
से सींच रही हूँ... और ईश्वरीय गुणो की छटा चहुँ ओर बिखेर रही हूँ... विश्व
कल्याण की भावना से सराबोर हो गई हूँ..."
❉ अपने प्यार की मीठी छांव में पालना देकर अपने पलकों पर बिठाते
हुए मीठे बाबा कहते हैं:- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वरीय छत्रछाया में
पलकर ईश्वरीय प्रेम की बहार हर दिल में खिलानी है... सच्चे प्रेम के लिए
व्याकुल आत्माओ को ईश्वरीय प्रेम से सिक्त करना है... बहुत मीठा और प्यारा बनकर,
सबको प्रेमरस में भिगोना है... क्रोध का अंश मात्र भी न हो, ऐसा मीठा प्यारा
ईश्वरीय फूल बन इस जहान में मुस्कराना है..."
➳ _ ➳ अपने विचारों में पवित्रता और वाणी में मिठास को भरकर मैं आत्मा
कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे पाये अनन्त खजानो को हर
दिल पर उंडेलकर, दुखो की तपिश से मुक्त करा रही हूँ... निर्मल आत्मिक प्रेम की
लहर में हर दिल को आत्मिक सुकून दिला रही हूँ... प्रेम का प्रतीक बनकर... सबको
ईश्वरीय प्रेम से भरपूर कर रही हूँ...”
❉ प्यारे बाबा अपने जादू भरी नजरों से निहाल करते हुए अपने नैनों
में मुझे बसाते हुए कहते हैं:- "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता की फूलो
सी गोद में जो रूहानी गुलाब से खिले हो तो... यह गुणो की खुशबु से पूरे विश्व
को सुवासित कर दो... आत्मिक प्रेम से तपते मनो को शीतलता और सुखो से भर दो...
प्यारे बाबा जैसा प्यार लुटाकर सच्चे प्रेम का पर्याय बन मुस्कराओ... स्नेहिल
बाँहों को फैलाये, हर दिल को सच्ची आथत्त देते जाओ..."
➳ _ ➳ मिलन सिन्धु में समाकर फ़रिश्ता बन अपनी चमक से पूरे विश्व को
जगमगाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी
यादो और ईश्वरीय ज्ञान रत्नों को पाकर देवताई सौंदर्य से सज गयी हूँ... प्यारे
बाबा आपके प्यार ने मुझे आप समान प्यारा और मीठा बना दिया है... और यही मीठी
बहार मै आत्मा हर दिल आँगन में खिला रही हूँ..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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"ड्रिल :- सत्यता की शक्ति को धारण करना"
➳ _ ➳ अपने सच्चे साहेब की मीठी यादों में खोई असीम आनन्द का मैं अनुभव
कर रही हूँ और मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य के गीत गा रही हूँ और विचार कर
रही हूँ कि इस दुनिया मे मुझ से अधिक सौभाग्यशाली भला कौन हो सकता है जिसे उस
सच्चे साहेब ने अपना बना लिया जिसे सारी दुनिया ढूंढ़ रही है। वो साधु सन्यासी,
वो बड़े - बड़े महा मण्डलेश्वर, वो तपस्वी जो आज भी उसका दीदार पाने के लिए कठोर
तप कर रहें हैं, अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड कर रहें है, अपने शरीर को कष्ट पहुंचा
रहें हैं लेकिन उस सच्चे साहेब के दर्शन तो दूर उसकी एक झलक भी नही पा सकते और
मैं पदमापदम सौभाग्यशाली आत्मा जिसे उस साहेब ने अपने दिल रूपी तख्त पर बिठा
लिया। दिन की शुरुआत से लेकर रात के सोने तक मेरा साहेब मेरे साथ रहता है, मेरा
हर कार्य सम्पन्न करता है, यहाँ तक कि मेरे सोचने का काम भी वो करता है।
➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य और अपने साहेब से होने वाली प्राप्तियों की
स्मृति मेरे अंदर एक रूहानी नशे का संचार करने लगती है। एक रूहानी मस्ती जैसे -
जैसे मुझ आत्मा पर छाने लगती है वैसे - वैसे देह भान रूपी दीवार गिरने लगती है
और अपने सत्य स्वरूप में मैं स्थित होने लगती हूँ। और इस सत्य स्वरूप में
स्थित होते ही देह के सम्बंध, देह की दुनिया, देह से जुड़े वैभव सब पीछे छूटते
हुए दिखाई देने लगते है, सारे सम्बन्ध केवल उस एक मेरे सच्चे साहेब के साथ जुड़
जाते हैं और अपने उस सच्चे साहेब से मिलने के लिए मैं देह की झूठी दुनिया से
किनारा कर अपनी उस पारलौकिक निराकारी दुनिया की ओर चल पड़ती हूँ जो मेरे दिलाराम
बाबा का धाम है। ज्ञान और योग के सुंदर पंख लगाए मैं आत्मा सजनी उड़ती जा रही
हूँ अपने साजन के पास उनके निराकारी वतन की ओर।
➳ _ ➳ पांचों तत्वों की साकारी दुनिया को पार कर, आकारी दुनिया से होती
हुई मैं पहुँच गई हूँ अपनी निराकारी दुनिया ब्रह्मलोक में और मन बुद्धि के
दिव्य चक्षु से अपने इस निर्वाणधाम घर को देख रही हूँ। चारों और फैला लाल
प्रकाश मन को गहन आनन्द का अनुभव करवा रहा है। इस प्रकाश में समाये सर्वगुणों
और सर्वशक्तियों के वायब्रेशन्स चारों और फैल कर, औंस की मीठी - मीठी फुहारों
की तरह मेरे ऊपर बरसते हुए मुझे गहन शीतलता की अनुभूति करवा रहें हैं। इन शीतल
फ़ुहारों का आनन्द लेती, मैं चमकती हुई ज्योति अपने इस अंतहीन परमधाम घर की सैर
कर रही हूँ। देह और देह की दुनिया के हर संकल्प विकल्प से मुक्त एक बहुत ही
प्यारी निरसंकल्प स्थिति में स्थित होकर अपने इस शान्तिधाम घर की सैर करने का
यह अनुभव बहुत ही निराला और आनन्दमयी है। इस अनोखी आनन्दमयी यात्रा का सुख लेते
हुए अब मैं जा रही हूँ अपने निराकार सच्चे साहिब अपने शिव पिता के पास।
➳ _ ➳ सूर्य के समान अनन्त प्रकाशमय मेरे प्यारे बाबा ज्योतिपुंज के रूप
में अपनी सर्वशक्तियो की किरणों रूपी बाहों को फैलाये मेरे सामने खड़े हैं। धीरे
- धीरे बाबा के समीप जाकर मैं जैसे ही बाबा की किरणों रूपी बाहों में समाती हूँ
वैसे ही बाबा अपनी किरणों रूपी बाहों को समेटने लगते हैं और बाबा की किरणों रूपी
बाहों में सिमट कर मैं आत्मा बाबा के बिल्कुल समीप पहुँच जाती हूँ। स्वयं को
मैं बाबा के इतना समीप देख रही हूँ कि मुझे ऐसा लग रहा है जैसे बाबा और मैं एक
हो गए है। बाबा में मैं पूरी तरह समाकर जैसे बाबा का ही रूप बन गई हूँ।स्वयं को
मैं बहुत ही एनर्जेटिक महसूस कर रही हूँ। बाबा की किरणों रूपी बाहें धीरे -
धीरे फिर से फैलने लगी है और मैं बाबा की किरणों रूपी बाहों से निकल कर अब बाबा
के सामने बैठ गई हूँ और उनकी सर्वशक्तियो की किरणों की छत्रछाया के नीचे बैठ
स्वयं को उनकी सर्वशक्तियो से भरपूर कर रही हूँ।
रंग बिरंगी किरणों के रूप में बाबा के सर्वगुण और सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर समाते
जा रहें हैं।
➳ _ ➳ सर्वगुणों और सर्वशक्तियों से सम्पन्न होकर अब मैं फिर से साकार
सृष्टि रूपी कर्मभूमि पर कर्म करने के लिए लौट रही हूँ। अपने साकारी ब्राह्मण
तन में भृकुटि की कुटिया पर विराजमान होकर अब मैं फिर से इस सृष्टि रूपी रंगमंच
पर अपना पार्ट बजा रही हूँ। पार्ट बजाते हुए हर पल अपने सच्चे साहिब को अपने
दिल मे बसाये, उनके साथ अंदर बाहर सदा सच्चे रहते हुए, अपने साहिब के दिल रूपी
तख्त पर मैं राज कर रही हूँ। चलते फिरते हर कर्म करते उन्हें पल - पल का सच्चा
समाचार सुना कर, उनसे राय लेकर मैं हर कार्य मे सहज ही सफलता प्राप्त करती जा
रही हूँ। सच्चे दिल से अपने सच्चे साहिब को सदा राजी रखने के लिए मैं इस बात
पर पूरा अटेंशन दे रही हूँ कि अनजाने में भी मुझ से ऐसा कोई कर्म ना हो जिसके
लिए मुझे अपने साहेब के सामने शर्मिन्दा होना पड़े।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं एक बाप को कम्पैनियन बनाने वा उसी कम्पनी में रहने वाली सम्पूर्ण पवित्र आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं किसी के प्रभाव में प्रभावित होने वाली नहीं, ज्ञान का प्रभाव डालने वाली शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. सतयुग में या मुक्तिधाम में मुक्ति व जीवनमुक्ति का अनुभव नहीं कर सकेंगे। मुक्ति-जीवनमुक्ति के वर्से का अनुभव अभी संगम पर ही करना है। जीवन में रहते, समय नाजुक होते, परिस्थितियाँ, समस्यायें, वायुमण्डल डबल दूषित होते हुए भी इन सब प्रभाव से मुक्त, जीवन में रहते इन सर्व भिन्न-भिन्न बन्धनों से मुक्त एक भी सूक्ष्म बन्धन नहीं हो - ऐसे जीवन मुक्त बने हो? वा अन्त में बनेंगे? अब बनेंगे या अन्त में बनेंगे?
➳ _ ➳ 2. बापदादा अभी से स्पष्ट सुना रहे हैं, अटेन्शन प्लीज। हर एक ब्राह्मण बच्चे को बाप को बन्धनमुक्त, जीवनमुक्त बनाना ही है। चाहे किसी भी विधि से लेकिन बनाना जरूर है। जानते हो ना कि विधियाँ क्या हैं? इतने तो चतुर हो ना! तो बनना तो आपको पड़ेगा ही। चाहे चाहो, चाहे नहीं चाहो, बनना तो पड़ेगा ही। फिर क्या करेंगे? (अभी से बनेंगे) आपके मुख में गुलाबजामुन। सबके मुख में गुलाबजामुन आ गया ना। लेकिन यह गुलाबजामुन है - अभी बन्धनमुक्त बनने का। ऐसे नहीं गुलाबजामुन खा जाओ।
✺ ड्रिल :- "संगम पर बन्धनमुक्त, जीवनमुक्त बनने का अनुभव करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा फर्श से न्यारी होती हुई एक बाबा से रिश्ता रख फरिश्ता बन उड़ चलती हूँ फरिश्तों की दुनिया में... जहाँ बापदादा मेरे ही इन्तजार में बैठे हुए हैं... चारों ओर सफेद चमकीले प्रकाश की आभा बिखेरते हुए बापदादा अपने कोमल हाथों से मुझे अपनी गोदी में बिठाते हैं... बाबा अपनी मीठी दृष्टि देते हुए अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं...
➳ _ ➳ बाबा की मीठी दृष्टि मुझ आत्मा में मिठास घोल रही है... मैं आत्मा भी बाप समान मीठी बन रही हूँ... मुझ आत्मा के पुराने स्वभाव-संस्कार बाहर निकल रहे हैं... मैं आत्मा अटेन्शन की शक्ति द्वारा परिस्थितियों, समस्याओें, वायुमण्डल के प्रभाव से मुक्त, शरीर में रहते इन सर्व बन्धनों से न्यारी एवं प्यारी होती जा रही हूँ... मोह के सूक्ष्म बन्धन सब समाप्त हो रहे है... बाबा के हाथों से दिव्य अलौकिक गुण व शक्तियां निकलकर मुझ फरिश्ते में प्रवाहित हो रहे हैं... मुझ आत्मा के आसुरी अवगुण भस्म हो रहे हैं... मैं आत्मा दिव्य गुणों को धारण कर धारणा सम्पन्न अवस्था का अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा स्व को परिवर्तित कर रही हूँ... मैं आत्मा कलियुगी संस्कारों से मुक्त हो रही हूँ... और संगमयुगी श्रेष्ठ संस्कारों को स्वयं में धारण कर रही हूँ... अब मैं आत्मा श्रीमत अनुसार ब्राह्मण कुल की सर्व धारणाओं पर चल रही हूँ... मैं आत्मा स्व-परिवर्तन द्वारा सर्व को परिवर्तित कर रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा परिपक्वता की शक्ति द्वारा परिवर्तन कर रही हूँ... हर परिस्थिति में अचल अडोल बन विजय प्राप्त कर रही हूँ... कैसी भी परिस्थिति अब मुझ आत्मा को हिला नहीं सकती है... मैं आत्मा हर परिस्थिति में अटेंशन अपनी धारणा में परिपक्व रहती हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सदा अटेंशन रख ‘परिवर्तन करने की कला’ से माया के सभी रूपों को परिवर्तित कर रही हूँ... ‘परिपक्वता’ की शक्ति से मैं आत्मा सर्व मर्यादाओं का पालन कर रही हूँ... मैं आत्मा अपनी ‘निर्मान' स्थिति द्वारा हर गुण को प्रत्यक्ष कर रही हूँ... मैं आत्मा धर्म सत्ताधारी बन इन गुणों का अनुभव कर रही हूँ... बाबा मुझ आत्मा से खुश हो कर मुझे गुलाबजामुन खिला रहे हैं...
➳ _ ➳ बाबा की शक्तिशाली किरणें मुझ फ़रिश्ते से होती हई विश्व के कोने कोने में पहुँच रही है... और विश्व की सर्व आत्माओं तक बाबा का सन्देश पहुंचा रही है... विश्व की हर आत्मा धरती पर आये भगवान को पहचान रही है और बाबा से अपना जन्म सिद्ध अधिकार मुक्ति और जीवन मुक्ति का वर्सा प्राप्त कर रही है... मैं फरिश्ता सदैव इसी तरह बाबा की सेवा में तत्पर विश्व की सर्व आत्माओं को आप समान बनाने की सेवा कर अपनी झोली दुआओं से भर रहा हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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