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 19 / 09 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ पवित्र बन दूसरों को पवित्र बनाने की सेवा की ?

 

➢➢ एम ऑब्जेक्ट को सामने रख पुरुषार्थ किया ?

 

➢➢ महसूसता की शक्ति द्वारा पुराने स्वभाव, संस्कार से न्यारे रहे ?

 

➢➢ विदेहीपन का अभ्यास किया ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  अन्त समय में प्रकृति के पांचों ही तत्व अच्छी तरह से हिलाने की कोशिश करेंगे, परन्तु विदेही अवस्था की अभ्यासी आत्मा बिल्कुल ऐसा अचल-अडोल पास विद आनर होगी जो सब बातें पास हो जायेंगी लेकिन वह ब्रह्मा बाप के समान पास विद आनर का सबूत देगी।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं प्यूरिटी की रोयल्टी में रहने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ"

 

✧  सभी ब्राह्मण जीवन की विशेषता वा फाउन्डेशन को जानते हो? क्या है? (प्यूरिटी) यह पक्का है कि प्यूरिटी ही फाउन्डेशन है? तो सभी पक्के ब्राह्मण हैं ना! प्यूरिटी की रोयल्टी ब्राह्मण जीवन की विशेषता है। जैसे कोई रोंयल फैमिली का बच्चा होगा तो उसके चेहरे से चलन से मालूम पड़ता है कि यह कोई रॉयल कुल का है। ऐसे ब्राह्मण जीवन की परख प्यूरिटी की झलक से ही होती है। और चेहरे वा चलन से प्यूरिटी की झलक तब दिखाई देगी जब सदा संकल्प में भी प्यूरिटी हो। संकल्प में भी अपवित्रता का नाम निशान न हो। तो ऐसे है या कभी संकल्प में थोड़ा सा प्रभाव पड़ता है?

 

  क्योंकि पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य व्रत नहीं। लेकिन प्यूरिटी अर्थात् किसी भी विकार अर्थात् अशुद्धि का प्रभाव न हो। तो फाउन्डेशन पक्का है या कभी कभी क्रोध को छुट्टी दे देते हो? बाल बच्चा आ जाता या अंश और वंश सब खत्म। क्या समझते हो? माताओं में मोह आता है? बॉडी कान्सेसनेस की अटैचमेंट है? कोई विकार का अंश मात्र भी नहीं। क्योंकि बड़ों से तो मोह वा लगाव जल्दी निकल जाता है, लेकिन छोटों-छोटों से थोड़ा ज्यादा होता है।

 

  जैसे लौकिक संबंध में भी बच्चों से इतना प्यार नहीं होगा जितना पोत्रों और धोत्रों से होता है। ऐसे विकारों के भी ग्रेट चिल्ड्रेन से प्यार तो नहीं है? फाउन्डेशन प्यूरिटी है इसलिए इस फाडन्डेशन के ऊपर सदा ही अटेन्शन रहे। सबका लक्ष्य बहुत अच्छा है। तो जैसे लक्ष्य है वैसे ही लक्षण स्वयं को भी अनुभव हों और दूसरों को भी अनुभव हो। क्योंकि अनेक अपवित्र आत्माओंके बीच में आप पवित्र आत्मायें बहुत थोड़े हो। तो थोड़ी सी पवित्र आत्माओंको अपवित्रता को खत्म करना है। तो कितनी पावर चाहिए! तो सदा चेक करो कि अपवित्रता का अंश मात्र भी न हो। क्योंकि पके जड़ चित्रों का भी सदा ही निर्विकारी कहकर गायन करते हैं। यह किसकी महिमा करते हैं? आपकी है या भारतवासियों की है? तो प्रैक्टिकल चेतन में बने हैं तब तो महिमा हो रही है। यह पक्का निश्चय है ना कि यह हम ही हैं! तो ब्राह्मण अर्थात् प्यूरिटी की रोयल्टी में रहने वाले। प्यूरिटी ब्राह्मण जीवन की विशेषता है। हिम्मत रखकर आगे बढ़ रहे हो और और भी आगे से आगे बढ़ना ही है।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  समाने की शक्ति है ना या विस्तार करने की शक्ति ज्यादा है? कई ऐसे कहते हैं ना - कि जब याद में बैठते हैं तो और-और संकल्प बहुत चलते हैं, इसको क्या कहेंगे? समाने की शक्ति कम और विस्तार करने की शक्ति ज्यादा। लेकिन दोनों शक्ति चाहिए।

 

✧  जब चाहे, जैसे चाहे, विस्तार में आने चाहे विस्तार में आयें और समेटना चाहे तो समाने की शक्ति सेकण्ड में यूज कर सकें, इसको कहते हैं - 'मास्टर सर्वशक्तिवान'। तो इतनी शक्ति है या ऑर्डर करो समेटने की शक्ति को और काम करे विस्तार करने की शक्ति! स्टॉप कहा और स्टॉप हो जाए।

 

✧  फुल ब्रेक लगे, ढीली ब्रेक नहीं। अगर ब्रेक ढीली होती है तो लगाते हैं यहाँ और लगेगी कहाँ? तो ब्रेक पॉवरफुल हो। कन्ट्रोलिंग पॉवर हो। चेक करो - कितने समय के बाद ब्रेक लगता है? 5 मिनट के बाद या 10 मिनट के बाद। फल स्टॉप तो सेकण्ड में लगना चाहिए ना! अगर सेकण्ड के सिवाए ज्यादा समय लग जाता है तो समाने की शक्ति कमजोर है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ औरों को ज्ञान देते हो ना - 'मैं' शब्द ही उड़ाने वाला है, मै शब्द ही नीचे लाने वाला। 'मैं' कहने से ओरीजिनल निराकार स्वरूप याद आ जाये। ये नैचुरल हो जाये तो यह पहला पाठ सहज है ना। तो इसी को चेक करो, आदत डालो - मैं सोचा और निराकारी स्वरूप स्मृति में आ जाये। कितनी बार मैं शब्द कहते हो। मैंने यह कहा, मैं यह करूंगी, मैं यह सोचती हूँ. .। अनेक बार 'मैं' शब्द यूज़ करते हो। तो सहज विधि यह है निराकारी व आकारी बनने की। जब भी मैं शब्द यूज़ करो फौरन अपना निराकारी ओरीजिनल स्वरूप सामने आये। यह मुश्किल है व सहज है। फिर तो लक्ष्य और लक्षण समान हुआ ही पड़ा है। क्योंकि मैं शब्द ही देह-अहंकार मे लाता है और अगर मैं निराकारी आत्मा हूँ ये स्मृति में लायेंगे तो यह मैं शब्द ही देह-भान से परे ले जायेगा।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :-  विकारी से निर्विकारी बनना"
 
➳ _ ➳  यादो के खुशनुमा मौसम में घूमती हुई... मै आत्मा अपने मीठे भाग्य के बारे में सोच रही हूँ... कैसे, मेरा साधारण सा  जीवन आज असाधारण हो गया है... मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को प्यारा सा होली हंस बना दिया है... ज्ञान मनन, ज्ञान जल में तैरना, और उड़ना सिखा कर जादू सा कर दिया है... और अचानक मीठे बाबा की चिर परिचित मधुर वाणी, मीठे बच्चे... सुनती हूँ... और ज्ञान सागर को अपने सम्मुख पाकर पुलकित हो उठती हूँ...
 
❉   मीठे बाबा मेरा स्वर्ग धरा पर आशियाना बनाने हेतु बोले :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... देवताई राज्य भाग्य पाने के लिए डबल अहिंसक बनना है... ईश्वरीय यादो में गहरे डूबकर माया पर जीत पानी है... दिव्य गुणो और शक्तियो से स्वयं की महानता को पुनः जगाओ... विकारो के दुश्मन पर विजय पाकर देवत्व से भर जाओ... सम्पूर्ण निर्विकारी बनकर विश्व धरा पर शान से मुस्कराओ..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के सारे प्यार को अपने दामन में समेटकर बोली :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... आज भाग्य ने मुझे आपके नैनो का नूर बना दिया है... आपकी यादो के सहारे मै आत्मा सम्पूर्ण प्रकृति की मालिक बन रही हूँ... मेरा अंग अंग पवित्रता की किरणों से छलक रहा है... और मै आत्मा माया दुश्मन पर सदा की विजयी होती जा रही हूँ...."
 
❉  प्यारे बाबा मुझे रूहानी नशे से भरते हुए बोले :- "मीठे लाडले बच्चे... आप बच्चों की दृढता के आगे कुछ भी असम्भव नही है... बस एक कदम हिम्मत का बढ़ाओ... तो हजार कदमो से मीठे बाबा की मदद सदा हाजिर है... अपनी मीठी स्मृतियों को जगाकर माया का सफाया करने वाले बनों... और पवित्रता की बहार से सम्पूर्ण विश्व को महका दो..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा अपने मीठे बाबा को मुझ आत्मा में जोश और जूनून जगाते देख बोली :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... आपकी सच्ची यादो में मुझ आत्मा का देह भान छूटता जा रहा है.. मै आत्मा सारे विकारो से मुक्त हो रही हूँ... मुझ आत्मा की सारी समस्याएं, मन का भारीपन सब समाप्त होता जा रहा है... पवित्रता से सजधज कर मै आत्मा स्वर्ग की मालिक बन रही हूँ..."
 
❉   मीठे प्यारे बाबा मुझ आत्मा पर अपनी सारी ममता दुलार बरसाते हुए बोले :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... अपने जीवन को सुखो का पर्याय बना लो... भगवान जो भाग्य सजाने आया है, उसका भरपूर फायदा उठाओ... सब कुछ लेकर अमीरी में मुस्कराओ... यादो में सदा की खूबसूरती से सज जाओ... और सम्पूर्ण निर्विकारी बन, अननोन वारियर्स होकर विजयश्री को गले से लगाओ..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा अपने प्यारे से आराध्य को मुझ पर यूँ कुर्बान होते देख कहती हूँ :- " मेरे प्राणप्रिय बाबा... आपको पा लेने की इतनी बड़ी ख़ुशी ने जीवन को पूर्णता से भर दिया है... अपने आपको न जानने वाली, अपने ही मन की मोहताज, कभी मै आत्मा... आज आपके प्यार तले माया दुश्मन पर भारी पड़ रही हूँ... और विजय मेरे कदमो में बिखरी है..." यूँ बाबा के सम्मुख अपने भाग्य का गुणगान करते मै आत्मा अपनी भृकुटि में आ गयी...

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- एम ऑब्जेक्ट को सामने रखकर पुरुषार्थ करना है

➳ _ ➳  अपनी एम ऑब्जेक्ट लक्ष्मी नारायण के चित्र के सामने बैठी, उनके अनुपम सौंदर्य को देख मैं मन ही मन हर्षित हो रही हूँ और मंत्रमुग्ध होकर उनके इस अनुपम सौंदर्य को निहारते हुए अपने आप से बातें कर रही हूँ कि कितनी कशिश है इन चित्रों में, जो देखने वाले को अपनी और आकर्षित कर लेते हैं और मन करता है कि बस इनके सामने बैठ इन्हें निहारते ही रहें। मन को कितना सुकून देती है इनके चेहरे की दिव्य मुस्कराहट, रूहानियत से छलकते नयन और अपने भक्तों की हर इच्छा, हर मनोकामना को पूर्ण करते इनके वरदानी हस्त। दिव्य गुणों से सजे इन लक्ष्मी नारायण जैसा बनना ही मेरी ऐम ऑब्जेक्ट है और इस एम ऑब्जेक्ट को सदा स्मृति में रखते हुए अब मुझे अपने अंदर इनके समान गुणों और विशेषताओ को स्वयं में धारण करने का ही पुरुषार्थ करना है।  

➳ _ ➳  मन को दृढ़ता के साथ यह संकल्प देकर, अब मैं लक्ष्मी नारायण को ऐसा बनाने वाले अपने प्यारे पिता को याद करती हूँ और अपने मन बुद्धि को सभी बातों के चिंतन से हटाकर, अशरीरी स्थिति में स्थित होने का अभ्यास करते हुए पहुँच जाती हूँ अंतर्मुखता की गुफा में। एकान्तवासी बन एक की याद को अपने मन मे बसाये मैं चल पड़ती हुई अंतर्मन की एक बहुत ही खूबसूरत रूहानी यात्रा पर जो बहुत ही आनन्द और सुख देने वाली है। मन बुद्धि की इस यात्रा पर मैं आत्मा ज्योति बन कर एक अति सूक्ष्म सितारे की भांति चमकती हुई, नश्वर देह का त्याग करके ऊपर खुले आसमान की ओर उड़ जाती हूँ। प्रकृति के सुंदर नजारों का आनन्द लेती मैं आत्मा खुले आसमान की सैर करते अब उसे पार कर अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त वतन में प्रवेश करती हूँ। सफेद प्रकाश से सजी फरिश्तो की इस दुनिया में पहुँच कर अपने फरिश्ता स्वरूप को मैं धारण करती हूँ। 

➳ _ ➳  अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होकर, अपनी इस आकारी दुनिया की सैर करते हुए, इस अव्यक्त वतन के सुन्दर नजारों का आनन्द लेते हुए अब मैं अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के सामने पहुँच जाती हूँ। बाबा की भृकुटि में चमक रहे अपने ज्ञानसूर्य शिव बाबा को मैं देख रही हूँ। ब्रह्मा बाबा की भृकुटि से निकल रहा प्रकाश का तेज प्रवाह पूरे वतन में अपनी लाइट और माइट फैला रहा है। बापदादा से आ रही इस लाइट माइट को अब मैं बापदादा के सामने बैठ स्वयं में ग्रहण कर रही हूँ। बापदादा से आ रही प्रकाश की किरणें मेरे मस्तक पर पड़ रही हैं और मुझ आत्मा को छू कर, मुझमे अपना असीम बल भर रही हैं। अपनी चमक को और अपनी शक्तियों को मैं कई गुणा बढ़ता हुआ महसूस कर रही हूँ। बापदादा से अनन्त शक्तियाँ अपने अंदर भरते हुए मैं देख रही हूँ बापदादा के साथ उनके बिल्कुल समीप मम्मा, बाबा लक्ष्मी नारायण के स्वरूप में मेरे जैसे सामने आकर खड़े हो गए हैं। 

➳ _ ➳  मन को लुभाने वाला मम्मा बाबा का यह सम्पूर्ण देवताई स्वरूप देख कर मैं खुशी से फूली नही समा रही। दिव्य आभा से दमकते उनके मुखमण्डल पर फैली मुस्कराहट और नयनो में दिव्यता की झलक मन को जैसे गहन सुकून दे रही है। अपने लक्ष्य को साक्षात अपने सामने देख कर, मेरे भविष्य देवताई स्वरूप का चित्र बार - बार मेरी आँखों के सामने आ रहा है। अपने अति सुंदर मनमोहक भविष्य देवताई स्वरूप को पाने के लिए स्वयं से मैं वैसा ही पुरुषार्थ करने की अपने मन में प्रतिज्ञा करती हूँ और अपने बिंदु स्वरूप में स्थित होकर अपने आसुरी अवगुणों को योग अग्नि में भस्म करने और दैवी गुण धारण करने का परमात्म बल स्वयं में भरने के लिए अपनी निराकारी दुनिया की ओर चल पड़ती हूँ। 

➳ _ ➳  सेकेण्ड में मैं वाणी से परे अपने निर्वाणधाम घर मे प्रवेश करती हूँ। देख रही हूँ अब मैं स्वयं को अपने निराकार बिंदु बाप के सामने जिनसे सर्वगुणों और सर्वशक्तियों की अनन्त किरणे निकलकर पूरे परमधाम घर मे फैल रही हैं। इन किरणों में समाए सर्व गुणों और सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन धीरे - धीरे मुझ आत्मा को स्पर्श करके मुझे शक्तिशाली बना रहे हैं। ज्ञानसूर्य शिव बाबा से निकल रही सर्वशक्तियों की इन शक्तिशाली किरणों से योग अग्नि प्रज्वलित हो रही है जो मेरे सभी पुराने स्वभाव, संस्कारो को जलाकर भस्म कर रही है। विकारों की कट उतरने से स्वयं को मैं बहुत हल्का अनुभव कर रही हूँ। इसी हल्केपन के साथ, परमात्म बल से भरपूर होकर अब मैं अपने लक्ष्य को पाने का पुरुषार्थ करने के लिए वापिस साकारी दुनिया में लौट कर, अपने साकार तन में प्रवेश करती हूँ। 

➳ _ ➳  अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हूँ और अपनी एम ऑब्जेक्ट को सामने रख, अपने उस लक्ष्य को पाने का तीव्र पुरुषार्थ कर रही हूँ। बाबा से मिली सर्वशक्तियों का बल मुझे मेरे पुराने स्वभाव संस्कारो को मिटाने और नए दैवी गुणों को धारण करने की विशेष शक्ति दे रहा है। अपने पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारों को अब मैं सहजता से छोड़ती जा रही हूँ। शूद्रपन के संस्कारों को परिवर्तन करने के लिए अपने अनादि और आदि दैवी संस्कारों को सदैव बुद्धि में इमर्ज रखते हुए, उन्हें जीवन मे धारण कर, अपनी मंजिल की ओर मैं निरन्तर आगे बढ़ती जा रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं महसूसता शक्त्ति द्वारा पुराने स्वभाव, संस्कार से न्यारा बननें वाली मायाजीत आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं विदेहीपन का अभ्यास करके अचानक के पेपर में पास होने वाली पास विद ऑनर आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  आपकी हिम्मत और बाप की मदद। हिम्मत कम नहीं करना फिर देखो बाप की मदद मिलती है या नहीं। सभी को अनुभव भी है कि हिम्मत रखने से बाप की मदद समय पर मिलती है और मिलनी ही हैगैरन्टी है। हिम्मत आपकी मदद बाप की। तो संकल्प क्या हुआचेहरे देख रहे हैं - हिम्मत है या नहीं है! हिम्मत वाले तो हो, क्योंकि अगर हिम्मत नहीं होती तो बाप के बनते नहीं। बन गये - इससे सिद्ध होता है कि हिम्मत है। सिर्फ छोटी सी बात करते हो कि समय पर हिम्मत को थोड़ा सा भूल जाते हो। जब कुछ हो जाता है ना तो पीछे हिम्मत वा मदद याद आती है। समय पर सब शक्तियां, समय प्रमाण यूज करना इसको कहा जाता है ज्ञानी तू आत्मायोगी तू आत्मा।   

 

✺   ड्रिल :-  "समय प्रमाण सर्व शक्तियों को यूज कर ज्ञानी तू आत्मा, योगी तू आत्मा बनने का अनुभव"

 

 _ ➳  मैं आत्मा निर्भीक हूँ... मैं आत्मा शिवशक्ति दुर्गा हूँ... मैं आत्मा अष्ट शक्तिधारी दुर्गा हूँ... मैं आत्मा इस साकारी तन से निकल कर... फरिश्ता रूप में स्थित होकर... उड़ कर पहुँच जाती हूँ फरिश्तों की दुनिया में... जहाँ चारों तरफ आदि रतन... एडवांस पार्टी के सारे फरिश्ते खड़े हैं... मैं छोटा सा फरिश्ता उनके बीच में खड़ा हूँ... सारे फरिश्ते मुझ आत्मा पर... अपनी शक्तिशाली वरदानी किरणें प्रवाहित कर रहे हैं... जिसमें मैं नहा रही हूँ... और सर्व शक्तियों से भरपूर हो रही हूँ... अब मैं फरिश्ता इन शक्तियों के साथ... वापस साकारी दुनिया में आ रही हूँ...

 

 _ ➳  मैं इस साकारी दुनिया में... फरिश्ता रूप में विचरण कर रही हूँ... बाबा से प्राप्त सर्व शक्तियों और सारे ज्ञान को... स्व और विश्व कल्याण अर्थ उपयोग कर रही हूँ... समय प्रमाण सर्व शक्तियों को यूज कर ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बन गयी हूँ... मैं आत्मा बाबा के दिए हुए ज्ञान को... आत्मसात कर हर परिस्थिति पर... हर विघ्न पर... ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बनकर... विजय प्राप्त करती हूँ...

 

 _ ➳  मैं आत्मा जब भी माया के जाल में फंस जाती हूँ... और माया रुस्तम होकर... परिस्थिति के रूप में सामने आकर खड़ी हो जाती है... तब मुझे बाबा के महावाक्‍य याद आ जाते हैं... हिम्मते बच्चें तो मददे बाप... और मैं आत्मा माया पर विजय प्राप्त कर... पहाड़ जैसी समस्या को भी रूई बना कर उड़ा देती हूँ... बाबा ने कहा है बच्चे ज्ञान को धारण करना... माना समय प्रमाण उसको यूज करना...

 

 _ ➳  मैं आत्मा जब से सर्वशक्तिमान बाबा की संतान बनी हूँ... तब से ही मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान बन गयी हूँ... क्योंकि शेर का बच्चा शेर होता है... बाबा ने कहा है बच्चे हिम्मत का एक कदम आपका... तो हजार कदम बाप के... तुम महावीर हो... ये विघ्न तुम्हें महावीर बनाने आये हैं... अब जब भी कोई विघ्न आते हैं... मैं आत्मा बाबा के इन महावाक्‍य को याद कर... अचल - अडोल बन जाती हूँ... अब मैं आत्मा बाबा के कहे शब्द हमेशा याद रखती हूँ... और कैसी भी परिस्थिति हो... कैसा भी विघ्न हो... बाबा के दिए हुए ज्ञान को समय के अनुसार ही यूज करती हूँ... ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बन कर कर पार करती हूँ... कभी भी अब मुझ आत्मा को ज्ञान की... विस्मृति नहीं होती है...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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