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❍ 04 / 10 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ "जो कर्म हम करेंगे... हमें देखकर और करेंगे" - सदा यह याद रहा ?
➢➢ अपने को आपही मदद कर अपना कल्याण की ?
➢➢ विल पॉवर द्वारा सेकंड में व्यर्थ को फुल स्टॉप लगाया ?
➢➢ बिगड़ी को बनाने वाले बनकर रहे ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ बहुतकाल अचल-अडोल, निर्विघ्न, निर्बन्धन, निर्विकल्प, निर-विकर्म अर्थात् निराकारी निर्विकारी और निरहंकारी-स्थिति में रहो तब कर्मातीत बन सकेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं पद्मापद्म भाग्यवान हूँ"
〰✧ सदा अपने को हर कदम में पद्मों की कमाई जमा करने वाले पद्मापद्म भाग्यवान समझते हो? जो भी कदम याद में उठाते हो, तो एक सेकण्ड की याद इतनी शक्तिशाली है जो एक सेकण्ड की याद पद्मों की कमाई जमा करने वाली है। अगर साधारण कदम उठाते हैं, याद में नहीं उठाते तो कमाई नहीं है। याद में रहकर कदम उठाने से पदमों की कमाई है। और हर कदम में पद्म तो कितने पदम हो गये! इसलिए पद्मापद्म भाग्यवान कहा जाता है। पद्म तो आपके आगे कुछ भी नहीं है।
〰✧ लेकिन इस दुनिया के हिसाब से कहने में आता है। तो जब किसी की अच्छी कमाई होती है तो उसके चेहरे की फलक ही और हो जाती है। गरीब का चेहरा भी देखो और राजकुमार का चेहरा भी देखो, कितना फर्क होगा! उसके शक्ल की झलक-फलक और गरीब के चेहरे की झलक-फलक में रात-दिन का फर्क होगा। आप तो राजाओंके भी राजा बनाने वाले बाप के डायरेक्ट बच्चे हो। तो कितनी झलक-फलक है! शक्ल में वह पद्मों की कमाई का नशा दिखाई देता है या गुप्त रहता है?
〰✧ रूहानी नशा, रूहानी खुशी जो कोई भी देखे तो अनुभव करे कि यह न्यारे लोग हैं, साधारण नहीं हैं। तो सदा यही वरदान स्मृति में रखना कि हम अनेक बार पद्मापद्मपति बने हैं।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ जितना ही आधा कल्प विश्व की राज्य सता प्राप्त करते हो, उस अनुसार ही जितना शक्तिशाली राज्य पद वा पूज्य पद मिलता है, उतना ही भक्ति मार्ग में भी श्रेष्ठ पुजारी बनते हो। भक्ति में भी श्रेष्ठ आत्मा मन-बुद्धि-संस्कारों के ऊपर कन्ट्रोलिंग पॉवर रहती है।
〰✧ भक्तों में भी नम्बरवार शक्तिशाली भक्त बनते हैं। अर्थात जिस इष्ट की भक्ति करना चाहे, जितना समय चाहे, जिस विधि से करने चाहे - ऐसी भक्ति का फल भक्ति की विधि प्रमाण संतुष्टता, एकाग्रता, शक्ति और खुशी को प्राप्त कराता है। लेकिन राज्य-पद और भक्ति के शक्ति की प्राप्ति का आधार यह ‘ब्राह्मण जन्म' है।
〰✧ तो इस संगमयुग का छोटा-सा एक जन्म सारे कल्प के सर्व जन्मों का आधार है। जैसे राज्य करने में विशेष बनते हो वैसे ही भक्त भी विशेष बनते हो, साधारण नहीं। भक्त-माला वाले भक्त अलग है लेकिन आपे ही पूज्य आपे ही पूजारी आत्माओं की भक्ति भी विशेष है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ ब्रह्मा बाप ने समय को शिक्षक नहीं बनाया, बेहद का वैराग्य आदि से अन्त तक रहा। आदि में देखा इतना तन लगाया, मन लगाया, धन लगाया, लेकिन जरा भी लगाव नहीं रहा। तन के लिए सदा नेचुरल बोल यही रहा - बाबा का रथ है। मेरा शरीर है, नहीं। बाबा का रथ है। बाबा के रथ को खिलाता हूँ, मैं खाता हूँ, नहीं। तन से भी बेहद का वैराग्य।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- याद की यात्रा पर अटेंशन देकर सतोप्रधान बनना"
➳ _ ➳ जीवन अपनी गति से चलते ही जा रहा था... कि अचानक जनमो के पुण्यो का
फल सामने आ गया... मन्दिरो में प्रतिमा में खुदा छुपा था... वह मेरा मीठा बाबा
बनकर सामने आ गया... और जीवन सच्चे प्यार का पर्याय बन गया... ईश्वरीय प्रेम को
पाकर मै आत्मा... दुखो की तपिश की भूल निर्मल हो गयी... मीठे बाबा के प्यार की
मीठी अनुभूतियों में डूबी हुई मै आत्मा... बाबा की यादो में खोई सी, ठिठक जाती
हूँ... और देखती हूँ... सम्मुख मेरा बाबा बाहें फैलाये मुस्करा रहा है...
❉ मीठे बाबा मुझ आत्मा को बेहद के सुखो का अधिकारी बनाते हुए कहते
है:- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... अपने समय साँस और संकल्पों को निरन्तर मीठे
बाबा की मीठी यादो में पिरो दो... यह यादे ही असीम सुखो का खजाना दिलायेगी...
मीठे बाबा की यादो में सतोप्रधान बन बाबा संग घर चलने की तैयारी करो... सिर्फ
और सिर्फ मीठे बाबा को हर पल याद करो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा को अपनी बाँहों में भरकर कहती हूँ :- "मीठे
मीठे बाबा मेरे... अब जो मीठे भाग्य ने आपका हाथ और साथ मुझ आत्मा को दिलाया
है... मै आत्मा हर घड़ी हर पल आपकी ही यादो में खोयी हुई हूँ... देह और
देहधारियों के ख्यालो से निकल कर अपने मीठे बाबा की मधुर यादो में मगन हूँ..."
❉ प्यारे बाबा मुझ आत्मा को अनन्त शक्तियो से भरते हुए कहते है
:- "मीठे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता की यादो में निरन्तर खो जाओ... इन यादो
में गहरे डूबकर, स्वयं को असीम सुखो से भरी खुबसूरत दुनिया का मालिक बनाओ... और
यादो में सतोप्रधान बनकर, विश्व धरा पर देवताई ताजोतख्त को पाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने प्यारे बाबा से अमूल्य ज्ञान खजाने को पाकर, खुशियो
से भरपूर होकर कहती हूँ :- " मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपको पाकर
कितनी खुशनसीब हो गयी हूँ... श्रीमत को पाकर ज्ञानधन से भरपूर हो, मालामाल हो
गयी हूँ... आपके खुबसूरत साथ को पाकर सत्य से निखर गयी हूँ..."
❉ मीठे बाबा मुझ आत्मा को बेहद के सतोप्रधान पुरुषार्थ के लिए
उमंगो से सजाते हुए कहते है :- "मीठे सिकीलधे बच्चे... यह अंतिम जन्म में देह
के भान और परमत से निकल कर, आत्मिक सुख की अनुभूतियों में खो जाओ... हर साँस
ईश्वरीय यादो में लगाओ... यह यादे ही समर्थ बना साथ निभाएगी... देह धारियों के
याद खाली कर ठग जायेंगी... इसलिए हर पल यादो को गहरा करो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपने शानदार भाग्य पर मुस्कराते हुए मीठे बाबा से कहती
हूँ :- "प्यारे प्यारे बाबा मेरे... मेरे हाथो में अपना हाथ देकर, आपने मुझे
कितना असाधारण बना दिया है... ईश्वरीय खूबसूरती से सजाकर, मुझे पूरे विश्व में
अनोखा बना दिया है... मै आत्मा रग रग से आपकी यादो में डूबी हुई दिल से
शुक्रिया कर रही हूँ..." मीठे बाबा को अपने प्यार की कहानी सुनाकर, मै आत्मा...
साकारी तन में लौट आयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- बहुत-बहुत निरहंकारी रहना है
➳ _ ➳ अपने प्यारे बाबा के मीठे मधुर महावाक्यों को पढ़ते हुए मैं विचार
करती हूँ कि कितने निरहंकारी है बाबा। कैसे हम बच्चों की गुप्त रीति पालना कर
रहें हैं! कितना सम्मान देते हैं हमे! सब कुछ खुद कर रहें हैं और मान हम बच्चों
को देते हैं! रोज मीठे बच्चे कहकर याद प्यार देते हैं, बच्चो को नमस्ते करते
हैं। वाह मेरा भाग्य वाह जो ऐसे ईश्वर बाप की पालना में पलने का सर्वश्रेष्ठ
सौभाग्य मुझे प्राप्य हुआ। अपना असीम स्नेह बरसाने वाले अपने प्यारे मीठे बाबा
की मीठी सी याद की मीठी सी मस्ती में डूबी मैं आत्मा मन बुद्धि के विमान पर
सवार हो कर अब पहुँच जाती हूँ अपने उस मीठे से मधुबन घर में जहाँ भगवान स्वयं
आकर अपने बच्चों के साथ उनके जैसा साकार रूप धारण करके उनसे मिलते हैं, उनसे
रूह रिहान करते हैं और उनसे मंगल मिलन मनाकर, अपना प्यार उन पर बरसा कर वापिस
अपने धाम लौट जाते हैं।
➳ _ ➳ परमात्मा की इस दिव्य अवतरण भूमि अपने मीठे मधुबन घर में पहुंचते
ही हवाओं में फैली रूहानी खुशबू को मैं महसूस कर रही हूँ। अपने इस घर के आंगन
मे प्रवेश करते ही मैं देखती हूँ सामने ब्रह्मा बाबा के एक बहुत बड़े चित्र को
जिसमे बाबा बाहें पसारे अपने बच्चों के स्वागत में खड़े हैं। अपने इस साकार रथ
पर विराजमान होकर भगवान कैसे अपने बच्चों का आह्वान करते हैं यह देखकर मन में
खुशी की लहर दौड़ रही है और मन खुशी में गा रहा है "वाह बाबा वाह"। अपने इस मीठे
मधुबन घर मे आकर अब मैं देख रही हूँ यहाँ के कण - कण में समाई ब्रह्मा बाबा की
साकार यादों को जिन्हें उनके हर कर्म के यादगार चित्रों के रूप में चित्रित किया
गया है।
➳ _ ➳ हर चित्र में कर्म करते हुए बाबा का स्वरूप कितना न्यारा और प्यारा
दिखाई दे रहा है। उनके ओरिजनल निराकारी स्वरुप की दिव्य चमक और निरहंकारिता की
झलक उनके हर चित्र में मैं देख रही हूँ और उन चित्रों को देखते हुए उसी साकार
पालना का अनुभव कर रही हूँ। बाप समान बनने का दृढ़ संकल्प करके अब मैं मन बुद्धि
के विमान पर बैठ पहुँच जाती हूँ बाबा के कमरे में जहाँ बाबा बैठे है अपने हर
बच्चे को आप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बनाने के लिए। बाबा के ट्रांस लाइट के
चित्र के सामने बैठ, बाबा को निहारते - निहारते मैं महसूस करती हूँ जैसे अपने
लाइट माइट स्वरुप में मेरे सामने बैठ कर बाबा अपनी सारी लाइट माइट मुझ में
प्रवाहित कर मुझे आप समान बना रहें हैं।
➳ _ ➳ अपने लाइट माइट फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित होकर मैं देख रही हूँ जैसे
बाबा की भृकुटि से प्रकाश की अनन्त धाराएं निकल कर पूरे कमरे में फैल रही हैं
और पूरा कमरा एक अलौकिक दिव्य आभा से जगमगा रहा है। इन दिव्य अलौकिक किरणों को
स्वयं में समा कर मैं गहन आनन्द का अनुभव कर रही हूँ। बाबा के मस्तक से निकल रही
शक्तियों की धारायें और भी तीव्र होती जा रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे ऊपर
शक्तियों का कोई झरना बह रहा हो। रूहानी मस्ती में खो कर शक्तियों की इन किरणों
को स्वयं में समाते हुए मैं स्वयं को बहुत ही बलशाली अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ स्वयं को परमात्म बल से भरपूर करके, ब्रह्मा बाप समान निराकारी,
निर्विकारी और निरहंकारी बनने का दृढ़ संकल्प करके मैं बापदादा से प्रोमिस करती
हूँ कि जैसे ब्रह्मा बाप निराकारी सो साकारी बन सदा सर्व से न्यारे और शिव बाप
के प्यारे बन कर रहे, वाणी से सदा निरहंकारी अर्थात् सदा रूहानी मधुरता और
निर्मानता से भरपूर रहे और कर्म में हर कर्मेन्द्रिय द्वारा निर्विकारी अर्थात्
प्युरिटी की पर्सनैलिटी से सदा सम्पन्न रहे ऐसा पुरुषार्थ ही अब मुझे करना है
और बाप समान सम्पन्न बनना है। स्वयं से और बाबा से यह प्रतिज्ञा करते हुए मैं
अनुभव कर रही हूँ जैसे बाबा अपने वरदानी हस्तों से मुझे वरदान देकर, मेरी इस
प्रतिज्ञा को पूरा करने की शक्ति मेरे अंदर भर रहें हैं। आप समान सम्पन्न और
सम्पूर्ण बनाने का बल मेरे अंदर भरकर बाबा जैसे फिर से अपने उसी स्वरूप में
स्थित हो गए है।
➳ _ ➳ मन बुद्धि के विमान पर बैठ मैं भी अब फिर से अपनी कर्मभूमि पर लौट
आई हूँ। अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित होकर ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रखते
हुए, बाप समान निराकारी और निरहंकारी बनने का पूरा पुरुषार्थ अब मैं कर रही हूँ
और अपने सम्पूर्णता के लक्ष्य को पाने की दिशा में निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं विल पावर द्वारा सेकण्ड में व्यर्थ को फुलस्टॉप लगाने वाली अशरीरी आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं बिगड़ी को बना कर बाप समान बनने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा देखते हैं जो सच्ची दिल से नि:स्वार्थ सेवा में आगे बढ़ते जाते हैं, उन्हों के खाते में पुण्य का खाता बहुत अच्छा जमा होता जाता है। कई बच्चों का एक है अपने पुरुषार्थ के प्रालब्ध का खाता, दूसरा है सन्तुष्ट रह सन्तुष्ट करने से दुआओं का खाता और तीसरा है यथार्थ योगयुक्त, युक्तियुक्त सेवा के रिटर्न में पुण्य का खाता जमा होता है। यह तीनों खाते बापदादा हर एक का देखते रहते हैं। अगर कोई का तीनों खाते में जमा होता है तो उसकी निशानी है - वह सदा सहज पुरुषार्थी अपने को भी अनुभव करते हैं और दूसरों को भी उस आत्मा से सहज पुरुषार्थ की स्वत: ही प्रेरणा मिलती है। वह सहज पुरुषार्थ का सिम्बल है। मेहनत नहीं करनी पड़ती, बाप से, सेवा से और सर्व परिवार से मुहब्बत है तो यह तीनों प्रकार की मुहब्बत मेहनत से छुड़ा देती है।
➳ _ ➳ अभी बापदादा सभी बच्चों के चेहरे पर सदा फरिश्ता रूप, वरदानी रूप, दाता रूप, रहमदिल, अथक, सहज योगी वा सहज पुरुषार्थी का रूप देखने चाहते हैं। यह नहीं कहो बात ही ऐसी थी ना। कैसी भी बात हो लेकिन रूप मुस्कराता हुआ, शीतल, गम्भीर और रमणीकता दोनों के बैलेन्स का हो। कोई भी अचानक आ जाए और आप समस्या के कारण वा कार्य के कारण सहज पुरुषार्थी रूप में नहीं हो तो वह क्या देखेगा? आपका चित्र तो वही ले जायेगा। कोई भी समय, कोई भी किसी को भी चाहे एक मास का हो, दो मास का हो, अचानक भी आपके फेस का चित्र निकाले तो ऐसा ही चित्र हो जो सुनाया। दाता बनो। लेवता नहीं, दाता।
➳ _ ➳ कोई कुछ भी दे, अच्छा दे वा बुरा भी दे लेकिन आप बड़े ते बड़े बाप के बच्चे बड़ी दिल वाले हो अगर बुरा भी दे दिया तो बड़ी दिल से बुरे को अपने में स्वीकार न कर दाता बन आप उसको सहयोग दो, स्नेह दो, शक्ति दो। कोई न कोई गुण अपने स्थिति द्वारा गिफ्ट में दे दो। इतनी बड़ी दिल वाले बड़े ते बड़े बाप के बच्चे हो। रहम करो। दिल में उस आत्मा के प्रति और एकस्ट्रा स्नेह इमर्ज करो। जिस स्नेह की शक्ति से वह स्वयं परिवर्तित हो जाए। ऐसे बड़ी दिल वाले हो या छोटी दिल है? समाने की शक्ति है? समा लो। सागर में कितना किचड़ा डालते हैं, डालने वाले को, वह किचड़े के बदले किचड़ा नहीं देता। आप तो ज्ञान के सागर, शक्तियों के सागर के बच्चे हो, मास्टर हो।
✺ ड्रिल :- "सच्ची और बड़ी दिल से नि:स्वार्थ सेवा कर जमा का खाता बढ़ाने का अनुभव"
➳ _ ➳ नशवर संसार और नशवर देह की स्मृतियों से परे मैं जगमगाता नन्हा फरिश्ता देख रहा हूँ स्वयं को बाबा के कमरे के बाहर... मैं नन्हा फरिश्ता बिना देर किए... जल्दी से दबे पांव बाबा के कमरे की तरफ जाता हूँ और देखता हूँ... मेरे लाडले बाबा फरिश्ता स्वरूप में बिस्तर पर बैठे कुछ लिख रहे हैं... मैं फरिश्ता बाबा को बड़े ध्यान से देख रहा हूँ... बाबा का ये फरिश्ता स्वरूप कितना चमकीला है... मैं नन्हा फरिश्ता अपलक नयनों द्वारा बस एकटक मेरे मीठू बाबा को देख रहा हूँ... तभी अचानक बाबा वहाँ से गायब हो जाते है... मैं अन्दर यहाँ-वहाँ देखता हूँ... कोई नजर नहीं आता मुझ फरिश्ते की निगाहें मीठे बाबा को देखने के लिए बेचैन हो रही हैं... तभी छोटी-छोटी लाल-नीली तितलियाँ मुझ फरिश्ते के चारों तरफ घूमती हुई मुझे बाहर आने का ईशारा करती हैं... मैं फरिश्ता बाहर देखता हूँ... हिस्ट्री हाल के बाहर बाबा बाहें फैलाएं मुझ नन्हें फरिश्ते को बुला रहे है... और बाबा अपने फरिश्ता स्वरूप में ऊपर की तरफ जाने लगते हैं... और मुझे भी इशारा करते है... अपने पास आने का... मैं फरिश्ता भी बाबा के पीछे-पीछे चल पड़ता हूँ...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता ऊँचा उड़ते हुए... साकारी दुनिया के भिन्न-भिन्न दृश्य स्पष्ट देखते हुए आगे बढ़ रहा हूँ... अब मैं फरिश्ता उड़ रहा हूँ एक विशाल सागर के ऊपर से... देख रहा हूँ... बड़ी-बड़ी नदियाँ उछाल खाते हुए सागर की तरफ आ रही है... और सागर आराम से इन्हें अपने में समा रहा है ये दृश्य ऐसा लग रहा है जैसे सागर बाहें फैलाएँ, मुस्कुराते हुए, नम्रतापूर्वक इन सबका स्वागत कर रहा हो... तभी फिर से मैं फरिश्ता बाबा को देखता हूँ... बाबा मुस्कुराते आगे की तरफ जाते हुए मुझे अपने पीछे-पीछे आने का ईशारा कर रहे हैं... और मैं फरिश्ता एक बहुत सुंदर बड़े से बगीचे में पंहुच गया हूँ... जहाँ फलों से लदे हुएँ वृक्षों को देख रहा हूँ... और मुझ आत्मा के मन में इस दृश्य को देख संकल्प उठता है... कि कैसे निस्वार्थ भाव से ये वृक्ष सबको फल देते है... छाया देते है... कोई कुछ दे या ना दे और ये दाता बन सबको देते ही जाते है... मुझ फरिश्ते की नजर साथ के ही रंग-बिरंगे फूलों से भरे बगीचे पर जाती है... जहाँ रंग-बिरंगे हरे, नीले, लाल, पीले, नारंगी, सफेद रंग के फूल खिले हुए हैं... इन फूलों को देख लग रहा जैसे ये सब मुस्कुरा रहे हो... और अपनी खुशबू से वातावरण को महका रहे हैं... निस्वार्थ भाव से...
➳ _ ➳ तभी मैं फरिश्ता देखता हूँ... बाबा सामने रंग-बिरंगे फूलों के बीच खड़े होकर मुस्कुरा रहे है... और बड़ी मीठी और प्यार भरी नजरों से मुझे देख रहे है... मैं नन्हा सा फरिश्ता दौड़ कर बाबा के पास जाता हूँ... बाबा मुझे गोदी में उठा लेते हैं... और मेरे सिर पर हाथ फेरते हैं... इन सभी दृश्यों को देख कर जो मुझ आत्मा के मन में विचारों रूपी लहरें उठ रही थी वो अब शांत हो गयी है... बाबा की आंखों से ज्ञान प्रकाश निकल मुझ फरिश्ते में समा रहा है... बाबा जो मुझे इन दृश्यों द्वारा समझाना चाह रहे हैं... वो सब इस ज्ञान प्रकाश से स्पष्ट होता जा रहा हैं... बाबा मुझ फरिश्ते के सर पर हाथ रखते हुए मुझे वरदानों से शक्तियों से भर रहे है... मुझ फरिश्ते में नव उर्जा का संचार हो रहा हैं... ईश्वरीय शक्तियों का फ्लो मुझ आत्मा में हो रहा हैं... स्वयं को भरपूर, सम्पन्न अनुभव कर रहा हूँ...
➳ _ ➳ इस नव उर्जा के साथ मैं फरिश्ता फिर से वापिस साकारी दुनिया के चोले में प्रवेश करता हूँ... और अब देख रही हूँ मैं आत्मा स्वयं को कर्म क्षेत्र पर जहाँ मैं आत्मा बाबा की याद में सेवा कर रही हूं... बाबा की याद से सहज ही मुझ आत्मा में निमित्त भाव आ गया है... जिससे हर सेवा हल्का होकर अथक होकर, सच्ची दिल से सेवा कर रही हूँ... फूलों के समान मैं आत्मा हर सेवा निःस्वार्थ भाव से करते रूहानी खुशबू चारों ओर फैला रही हूँ... मैं आत्मा देख रही हूँ सामने से कोई भी कुछ भी दे, लेकिन सागर के समान मैं आत्मा नम्रतापूर्वक, बड़ी दिल कर, रहमदिल बन सबको और ही स्नेह और शक्ति रूपी मोती दे रही हूँ...
➳ _ ➳ फलों से लदे वृक्ष के समान सबको मास्टर दाता बन सुख, शांति, शक्ति, प्रेम दे रहा हूँ... और ही सभी को भरपूर बना रही हूँ... सबका कल्याण हो, सभी सुखी हो ऐसी श्रेष्ठ भावना से हर सेवा कर रही हूँ... इस प्रकार कई गुणों का मुझ आत्मा में विकास हो रहा हैं... और ये सब करते हुए एक अजब सी खुशी और भरपूरता का अनुभव मैं आत्मा कर रही हूँ... मैं आत्मा सहजयोगी, सहज पुरुषार्थी बन गयी हूँ... मुझे देख अन्य आत्माओं को भी सहज पुरूषार्थ की, सच्ची और बड़ी दिल से, निःस्वार्थ भाव से सेवा करने की प्रेरणा मिल रही हैं... वे सभी आत्माएं भी इस मार्ग में आगे बढ़ रही हैं... उनका भी कल्याण हो रहा है...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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