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❍ 06 / 12 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ सपूत आज्ञाकारी बन सच्चा योगी व ज्ञानी बनकर रहे ?
➢➢ अमृतवेले उठ बाप से मीठी मीठी बातें की ?
➢➢ पुरानी देह व दुनिया की सर्व आकर्षणों से सहज और सदा दूर रहे ?
➢➢ साइंस के साधनों को अपने जीवन का आधार तो नहीं बनाया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ आत्मा शब्द स्मृति में आने से ही रुहानियत के साथ शुभ-भावना भी आ जाती है। पवित्र दृष्टि हो जाती है। चाहे भल कोई गाली भी दे रहा हो लेकिन यह स्मृति रहे कि यह आत्मा तमोगुणी पार्ट बजा रही है तो उससे नफरत नहीं करेंगे, उसके प्रति भी शुभ भावना बनी रहेगी।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं लाइट हाउस, माइट हाउस हूँ"
〰✧ अपने को लाइट हाउस और माइट हाउस समझते हो? जहाँ लाइट होती है वहाँ कोई भी पाप का कर्म नहीं होता है। तो सदा लाइट हाउस रहने से माया कोई पाप कर्म नहीं करा सकती। सदा पुण्य आत्मा बन जायेंगे।
〰✧ ऐसे अपने को पुण्य आत्मा समझते हो? पुण्य आत्मा संकल्प में भी कोई पाप कर्म नहीं कर सकती। और पाप वहाँ होता है जहाँ बाप की याद नहीं होती। बाप है तो पाप नहीं, पाप है तो बाप नहीं। तो सदा कौन रहता है? पाप खत्म हो गया ना? जब पुण्य आत्मा के बच्चे हो तो पाप खत्म।
〰✧ तो आज से 'मैं पुण्य आत्मा हूँ पाप मेरे सामने आ नहीं सकता' यह दृढ़ संकल्प करो। जो समझते हैं आज से पाप को स्वपन में भी, संकल्प में भी नहीं आने देंगे वह हाथ उठाओ। दृढ़ संकल्प की तीली से 21 जन्मों के लिए पाप कर्म खत्म। बापदादा भी ऐसे हिम्मत रखने वाले बच्चों को मुबारक देते हैं। यह भी कितना भाग्य है जो स्वयं बाप बच्चों को मुबारक देते हैं। इसी स्मृति में सदा खुश रहो और सबको खुश बनाओ।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ सेवा में बहुत अच्छा लगे हुए हो लेकिन लक्ष्य क्या है? सेवाधारी बनने का वा कर्मातीत बनने का? कि दोनों साथ-साथ बनेंगे? ये अभ्यास पक्का है? अभी-अभी थोडे समय के लिए यह अभ्यास कर सकते हो?
〰✧ अलग हो सकते हो? या ऐसे अटैच हो गये हो जो डिटैच होने में टाइम चाहिए? कितने टाइम में अलग हो सकते हो? मिनट चाहिए, एक मिनट चाहिए वा एक सेकण्ड चाहिए? एक सेकण्ड में हो सकते हो? पाण्डव एक सेकण्ड में एकदम अलग हो सकते हो?
〰✧ आत्मा अलग मालिक और कर्मेन्द्रियाँ कर्मचारी अलग, यह अभ्यास जब चाहो तब होना चाहिए। अच्छा, अभी-अभी एक सेकण्ड में न्यारे और बाप के प्यारे बन जाओ। पॉवरफुल अभ्यास करो बस, मैं हूँ ही न्यारी।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ फ़रिश्ते स्वरूप की स्थिति में सदा रहते हो? फ़रिश्ते स्वरूप की लाइट में अन्य आत्माओं को भी लाइट ही दिखाई देगी। हद के एक्टर्स जब हद के अन्दर अपने एक्ट करते दिखाई देते हैं तो लाइट के कारण अति सुन्दर स्वरूप दिखाई देते हैं। वही एक्टर, साधारण जीवन में, साधारण लाइट के अन्दर पार्ट बजाते हुए कैसे दिखाई देते हैं? रात दिन का अन्तर दिखाई देता है ना? लाइट का फोकस उनके फीचर्स को परिवर्तित कर देता है। ऐसे ही बेहद ड्रामा के आप हीरों- हीरोइन एक्टर्स, अव्यक्त स्थिति की लाइट के अन्दर हर एक्ट करने से क्या दिखाई देंगे? अलौकिक फ़रिश्ते। साकारी की बजाय सूक्ष्म वतनवासी नज़र आयेंगे। साकारी होते हुए भी आकारी अनुभव होंगे। हर एक्ट हरेक को स्वत: ही आकर्षित करने वाला होगा। जैसे आज हद का सिनेमा व ड्रामा कलियुगी मनुष्यों का आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। छोड़ना चाहते हुए और न देखना चाहते हुए भी हद के एक्टर्स की एक्ट अपनी ओर खींच लेती है, लेकिन उसका आधार लाइट है। ऐसे ही इस अन्तिम समय में माया के आकर्षण की अति के बाद अन्त होने पर, बेहद के हीरो एक्टर्स जो सदा जीरो स्वरूप में स्थित होते हुए जीरो बाप के साथ हर पार्ट बजाने वाले हैं और दिव्य ज्योति स्वरूप वाले जिनकी स्थिति भी लाइट की है और स्टेज पर हर पार्ट भी लाइट में हैं अर्थात् जो डबल लाइट वाले फ़रिश्ते हैं वे हर आत्मा को स्वत: ही अपनी तरफ़ आकर्षित करेंगे।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- मनमनाभव से माया पर विजय प्राप्त करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा पंछी बन मन के द्वारे उड़ते हुए बाबा की कुटिया में बाबा
के सामने बैठ जाती हूँ... बापदादा अपनी मोहिनी सूरत से मुझ आत्मा को निहाल कर
रहे हैं... बाबा अपनी रंग बिरंगी किरणों की बारिश मुझ आत्मा पर बरसा रहे
हैं... मैं आत्मा इन सुंदर शीतल किरणों को अपने में समाती जा रही हूं... मैं
बाबा की किरणों को अपने में समाकर अंतर्मुखी होती जा रही हूँ... बाबा की ये
किरणें मुझ आत्मा के सभी विकार भस्म कर रहे हैं... मैं आत्मा संपूर्ण पवित्रता
का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा एक बाबा के प्यार में लवलीन होती जा रही
हूँ...
❉ मनमनाभव का मन्त्र पक्का कराते हुए एक बाबा को सदा फॉलो करने की
शिक्षा देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे लाडले बच्चे... सदा दिल में
पिता को समाये रहो... उसे ही अपनी यादो में बसाये रहो... उसे ही चाहो और प्यार
करो... मन ही मन उससे प्रेम की बाते करो... उसका ही अनुसरण करो... तो यही
सच्चा सहयोग है... अपनी सुंदर स्थिति ही सर्वोत्तम सहयोग है...
➳ _ ➳ मधुबन के चमन की बहार बनकर मीठे बाबा के गीतों को गुनगनाते हुए
मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ज्ञानसागर बाबा के गुण
और शक्तियो को स्वयं में भर कर गुणवान शक्तिवान हो रही हूँ... और पूरी धरा को
भी इन खजानो से भरपूर कर मीठे बाबा की सहयोगी बन रही हूँ...”
❉ अपनी बगिया का फूल बना रूहानी सुगंध से महकाकर मुझे इस सृष्टि
का श्रृंगार बनाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:- “मीठे प्यारे फूल बच्चे...
ईश्वरीय ज्ञान से स्वयं को सजाओ संवारो और एक की लगन में मगन हो जाओ... प्यारे
पिता को ही फॉलो करो... तो यह अवस्था ही पिता का सहयोगी बनना है... अपनी सुंदर
स्थिति और ईश्वर पिता की यादो में डूबे रहना ही मनमनाभव अवस्था है...”
➳ _ ➳ वंडरफुल बाबा के वंडरफुल यादों में समाकर वंडरफुल स्थिति के
अनुभवों में डूबकर मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा
मनमनाभव के मन्त्र को प्राणों में बसाकर खूबसूरत भाग्य से राजरानी बन रही
हूँ... प्यारे बाबा की शिक्षाओ को आत्मसात कर उजली सी दमक उठी हूँ... अपनी
खुशनुमा स्थिति की तरंगे पूरे विश्व को दे रही हूँ...”
❉ दिव्य गुणों से चमकाकर मुझे इस जहाँ का नूर बना मेरी जिन्दगी की
राहों में सुखों के फूल बिछाकर मेरे बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे
बच्चे... अपने हर साँस संकल्प को ईश्वरीय यादो में पिरो दो... यादो के मोतियो
से हर पल श्रृंगारित रहो... सच्चे पिता की यादो में खोये रहो... और पिता के ही
नक्शे कदम पर चल हर कदम पर पदम् बिछा दो... यही तो सच्चा सहयोगी बनना है... अपनी
श्रेष्ठ स्थिति ही सबसे बड़ा सहयोग है...”
➳ _ ➳ एक बाबा को ही मन का मीत बनाकर प्रीत की रीत निभाते हुए एक की लगन
में मगन होते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपने
मन और बुद्धि को आपके प्रेम में समर्पित कर आपकी मीठी यादो में महक उठी हूँ...
मीठे पिता के कदमो की छाप पर अपने कदमो में पदम् भर रही हूँ... ईश्वर पिता की
सहयोगी बन मुस्करा रही हूँ...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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"ड्रिल :- बाप की मदद का अनुभव करने के लिए मोस्ट बिलवेड बाप को बड़े प्यार से
याद करना है"
➳ _ ➳ "यादें तुम्हारी बाबा देती सुकून दिल को" मन ही मन ये गीत
गुनगुनाते हुए बाबा की मीठी दिल को सुकून देने वाली याद में मैं खो जाती हूँ और
अपने मीठे प्यारे बाबा के स्वरूप पर अपने मन और बुद्धि को पूरी तरह एकाग्र कर
देती हूँ। परमधाम में मेरे ज्ञान सूर्य शिव बाबा का शक्तियों की अनन्त किरणे
बिखेरता हुआ सुन्दर मनोहर स्वरूप मेरी आँखों के सामने स्पष्ट दिखाई देने लगता
है। सूर्य के समान चमकते उस सुन्दर सलौने स्वरूप का आकर्षण मुझे सहज ही अपनी
और खींचने लगता है और अपने प्यारे बाबा के उस सुन्दर स्वरूप को अपने नयनो में
बसाये मैं अति शीघ्र उनके पास जाने की रूहानी यात्रा पर स्वत: ही चल पड़ती हूँ।
मन बुद्धि की एक ऐसी यात्रा जिसमें देह और देह से जुड़ी किसी भी वस्तु की कोई
आवश्यकता नही केवल अपने निराकार स्वरूप में स्थित होकर मन बुद्धि के विमान पर
बैठ अपने स्वीट साइलेन्स होम में जाना ही अपनी मंजिल को पाना है।
➳ _ ➳ अपनी उस मंजिल अर्थात अपने स्वीट साइलेन्स होम में जाने के लिए अब
मैं सभी बातों से किनारा कर अपने मन और बुद्धि को हर संकल्प, विकल्प से हटा
लेती हूँ और अपने ध्यान को मस्तक के सेन्टर में एकाग्र कर, अपने स्वरूप पर
केंद्रित कर लेती हूँ। अपने स्वरूप में स्थित होते ही मन बुद्धि का कनेक्शन अब
देह और देह की दुनिया से हट कर मेरे प्यारे पिता के साथ जुड़ जाता है और मन
स्वत: ही उनकी तरफ खिंचने लगता है। उनके प्यार के एहसास की मधुर स्मृति मुझे
देह और देह की दुनिया से पूरी तरह उपराम कर देती हैं और मैं अनुभव करती हूँ
जैसे परमधाम से मेरे प्यारे पिता की सर्वशक्तियों की लाइट सीधी मुझ आत्मा के
साथ आ कर कनेक्ट हो गई है।
➳ _ ➳ परमात्म शक्तियों का तेज करेन्ट मुझ आत्मा में प्रवाहित होकर मुझे
ऊपर अपनी ओर खींचने लगा है। इस लाइट के साथ मैं आत्मा अब देह से निकल कर ऊपर की
ओर जा रही हूँ। 5 तत्वों की बनी साकारी दुनिया को पार करके फरिश्तो की आकारी
दुनिया से होती हुई अब मैं आत्माओं की निराकारी दुनिया मे प्रवेश कर चुकी हूँ
और देख रही हूँ इस अन्तहीन ब्रह्माण्ड को जहाँ चारो और शान्ति के शक्तिशाली
वायब्रेशन्स फैले हुए हैं। इस अन्तहीन ब्रह्माण्ड में जगमग करती चैतन्य मणियो
में बीच अखण्ड ज्योतिर्मय शक्तियों के पुंज ज्ञानसूर्य अपने शिव पिता को मैं
देख रही हूँ। उनकी सर्वशक्तियों की किरणों की छत्रछाया के नीचे बैठ कर मैं उनकी
सारी शक्तियों को अपने अंदर भर रही हूँ। देह भान में आने के कारण, मुझ आत्मा
की बैटरी जो डिसचार्ज हो गई थी वो परमात्म शक्तियों के बल से पुनः चार्ज हो रही
है।
➳ _ ➳ परमात्म लाइट मेरे अंदर समाती जा रही हैं और मैं स्वयं बहुत ही
शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा अपनी सारी शक्तियाँ मेरे
अंदर भरकर मुझे ऊर्जा का भण्डार बना रहें हैं। सर्वशक्तियों से सम्पन्न,
ऊर्जावान बन कर अब मैं वापिस साकारी लोक में आ कर अपने साकारी तन में विराजमान
हो कर इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर फिर से अपना पार्ट बजा रही हूँ। किन्तु देह और
देह की दुनिया में रहते हुए भी निरन्तर अपने प्यारे पिता की याद की धुन में ही
अब मैं सदैव मगन रहती हूँ। सृष्टि का यह नाटक अब पूरा हो रहा है और मुझे वापिस
अपने धाम जाना है इस बात को सदैव स्मृति में रख, देह और देह की दुनिया से स्वयं
को उपराम रखने का मैं पूरा पुरुषार्थ कर रही हूँ।
➳ _ ➳ बाबा की मीठी याद की धुन में खोई स्वयं को उनके प्यार से मैं हर
समय भरपूर अनुभव करने लगी हूँ इसलिए हर पल उनके प्यार के झूले में झूलते हुए,
सर्व सम्बन्धो का सुख उनसे लेते हुए मैं देह और देह की दुनिया से अब नष्टोमोहा
बनने लगी हूँ। देह और देह के सम्बन्धियों के बीच रहते, उनसे तोड़ निभाते,
बुद्धि का योग अपने शिव पिता के साथ जोड़, मन बुद्धि से ऊपर वास करते हुए अब मैं
स्वयं को सदा परमात्म शक्तियों की छत्रछाया के नीचे अनुभव करती हूँ। सदा बाबा
की याद की धुन में रहने से बाबा की याद सुरक्षा कवच बन कर मुझे माया के हर वार
से अब बचा कर रखती है। बाबा की याद रूपी सेफ्टी के किले के अन्दर, हर पल बाबा
के साथ रहते हुए, सदैव अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति करते हुए, परमात्म प्यार के
झूले में झूलते, परमात्म पालना में पलने का सुखद अनुभव अब मैं निरन्तर कर रही
हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
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मैं पुरानी देह वा दुनिया की सर्व आकर्षणों से सहज और दूर रहने वाली आत्मा
हूँ।
✺ मैं सहज आत्मा हूँ।
✺ मैं राजऋषि आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
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मैं आत्मा साइंस के साधनों को यूज़ करती हूँ ।
✺ मैं आत्मा साइंस के साधनों को जीवन का आधार बनाने से मुक्त हूँ
।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ आप लोग सभी नये वर्ष में सिर्फ कार्ड देकर हैपी न्यु इयर नहीं करना लेकिन कार्ड के साथ हर एक आत्मा को दिल से रिगार्ड देना... रिगार्ड का कार्ड देना और एक-दो को सौगात में छोटा-मोटी कोई भी चीजें तो देते ही हो, वह भी भले दो लेकिन उसके साथ-साथ दुआयें देना और दुआयें लेना... कोई नहीं भी दे तो आप लेना... अपने वायब्रेशन से उसकी बद-दुआ को भी दुआ में बदल लेना... तो रिगार्ड देना और दुआयें देना और लेना - यह है नये वर्ष की गिफ्ट... शुभ भावना द्वारा आप दुआ ले लेना... अच्छा।
✺ ड्रिल :- "रिगार्ड का कार्ड देकर दुआयें देने और दुआयें लेने का अनुभव"
➳ _ ➳ अपना लाइट का सूक्ष्म आकारी फ़रिशता स्वरूप धारण कर, अपने खुदा दोस्त, अपने शिव साथी से अपने मन की बात कहने के लिए मैं अपने साकारी शरीर रूपी घर से बाहर निकलती हूँ और पहुंच जाती हूँ अपने शिव साथी के पास अव्यक्त वतन में... यहां पहुंच कर मैं अपने खुदा दोस्त का आह्वान करती हूं जो पलक झपकते ही अपना धाम छोड़ कर, इस अव्यक्त वतन में पहुंच जाते हैं और आकर अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो जाते हैं...
➳ _ ➳ अब मैं देख रही हूं अपने साथी, शिव बाबा को लाइट माइट स्वरुप में अपने बिल्कुल सामने... मुझे देख कर मुस्कराते हुए बापदादा मुझे अपने पास बुलाते हैं... मुझे गले लगा कर, न्यू ईयर विश करते हैं और गिफ्ट के रूप में अपनी सर्वशक्तियों, सर्व गुणों और सर्व खजानों से मुझे भरपूर कर देते हैं... अपने प्यारे मीठे शिव साथी से मीठी दृष्टि लेते हुए मन ही मन मैं अपने आप से सवाल करती हूं कि अपने भगवान साथी को मैं रिटर्न में न्यू ईयर की क्या गिफ्ट दूँ...! मेरे मन की बात मेरे साथी तुरन्त पढ़ लेते हैं... चेहरे पर गुह्य मुस्कराहट लाकर मेरे मीठे बाबा मुझे सामने देखने का इशारा करते हैं...
➳ _ ➳ सामने एक बहुत ही सुंदर लिफ्ट को देख कर मैं प्रश्नचित निगाहों से अपने प्यारे मीठे खुदा दोस्त को देखती हूँ... बाबा मुस्कराते हुए कहते हैं:- "ये न्यू ईयर का एक विशेष तोहफा है..." ये लिफ्ट साधारण लिफ्ट नही, ये दुआओं की लिफ्ट है... यह कहकर बाबा मुझे उस लिफ्ट के अंदर ले जाते हैं... लिफ्ट में बैठते ही, स्मृति का स्विच ऑन करते ही मैं सेकेंड में तीनों लोकों की सैर करने लगती हूँ... बाबा के मधुर महावाक्य सहज ही स्मृति में आने लगते हैं कि "ब्राह्मण जीवन मे दुआयें लिफ्ट का काम करती हैं जो पुरुषार्थ को तीव्र करती हैं..."
➳ _ ➳ इन महावाक्यों की स्मृति में खोई, अपने ख़ुदा दोस्त के साथ इस लिफ्ट में बैठी मैं पूरे वतन की सैर कर, आनन्दित हो रही हूं... तभी बाबा की आवाज सुनाई देती है कि:- "इस लिफ्ट को पाने का साधन भी दुआओं की गिफ्ट है" अर्थात दुआयें देना और दुआयें लेना..." इसलिए नये वर्ष में सिर्फ कार्ड देकर हैपी न्यु इयर नहीं करना लेकिन कार्ड के साथ हर एक आत्मा को दिल से रिगार्ड देना... कोई नही दे तो भी आप देना... उनकी बद-दुआ को भी दुआ में बदल देना... शुभ भावना द्वारा आप दुआ ले लेना... अपने सभी आत्मा भाइयों को दुआओं की गिफ्ट देना, यही बाबा के लिए आपके गिफ्ट का रिटर्न है...
➳ _ ➳ बाबा को न्यू ईयर की गिफ्ट का रिटर्न देने के लिए अब मैं अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को बाबा के सामने वतन में इमर्ज करके, जाने अनजाने में हुई अपनी हर गलती के लिए उनसे माफी मांग रही हूँ... उनकी गलतियों के लिए भी अपने मन में उनके लिए कोई मैल ना रखते हुए उन्हें दिल से माफ कर रही हूँ... बाबा से आ रही सर्वशक्तियां मुझ से निकल कर उन आत्माओ पर पड़ रही हैं और एक दूसरे के लिए मन में जो कड़वाहट थी वो धुल रही है... मन में अब किसी के लिए भी कोई बोझ कोई भारीपन नही है...
➳ _ ➳ परमात्म लाइट माइट से अब मैं भरपूर हो कर वापिस लौट रही हूँ... और अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ फिर से अपने साकारी शरीर रूपी घर में प्रवेश कर रही हूँ... किसी भी आत्मा के लिए अब मेरे मन मे कोई द्वेष नही है... अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को अब मैं स्नेह और रिगार्ड दे कर सहज ही उनकी दुआओं की पात्र बन रही हूँ... इस संगमयुग पर "दुआयें देना और दुआयें लेना" यही मुझ ब्राह्मण आत्मा का कर्तव्य है... इस बात को सदा स्मृति में रख, हर आत्मा के प्रति शुभभावना, शुभकामना रखते हुए अब मैं दुआओं की लिफ्ट पर बैठ सदा उड़ती कला का अनुभव कर रही हूं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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