━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 14 / 12 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ अविनाशी ड्रामा के राज़ को यथार्थ समझ हर्षित रहे ?
➢➢ एम ऑब्जेक्ट को सामने रख ख़ुशी में खग्गियाँ मारी ?
➢➢ ब्राह्मण जीवन में हर सेकंड सुखमय स्थिति का अनुभव किया ?
➢➢ साधनों का प्रयोग करते करते साधना को भी बढाया ?
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ ब्राह्मण संगठन का आधार आत्मिक प्यार है। चलते-फिरते आत्मिक प्यार की वृत्ति, बोल, सम्बन्ध - सम्पर्क अर्थात् कर्म हो। ब्राह्मण जीवन की नेचुरल नेचर मास्टर प्रेम का सागर है। इसी नेचर को धारण करो।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ "मैं सफलतामूर्त आत्मा हूँ"
〰✧ सदा सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है इतना नशा रहता है? सफलता होगी या नहीं होगी यह क्वेशचन ही नहीं। सफलता मूर्त हैं ऐसे नशा रहता है? मास्टर शिक्षक हो ना। जैसे बाप शिक्षक की क्वालीफिकेशन है, वैसे मास्टर शिक्षक की भी होगी ना। बाप समान बने हो ना? (हाँ) यह हाँ-हाँ के गीत अच्छा गाती हैं। इससे सिद्ध है कि यह बाप के गुण सभी को सुनाकर डाँस करती कराती हैं।
〰✧ कुमारियों को देख करके बापदादा बहुत खुश होती हैं। क्योंकि कुमार और कुमारियाँ, त्याग कर तपस्वी आकर बने हैं। बच्चों के त्याग की हिम्मत देख, तपस्या का उमंग देख बापदादा खुश होते हैं। बाप की महिमा तो भक्त करते हैं लेकिन बच्चों की महिमा बाप करते हैं। कितने जन्म आपने माला सिमरण की? अभी बाप रिर्टन में बच्चों की माला सिमरण करते हैं। आप लोग देखते हो किस समय बाप माला सिमरण करते हैं? (अमृतबेले) तो जिस समय बाप माला सिमरण करते उस समय आप सो तो नहीं जाते हो? शक्तियाँ तो सोने वालो को जागने वाली है। खुद कैसे सोयेंगी?
〰✧ रिजल्ट श्रेष्ठ स्मृति और ईश्वरीय स्वमान 76 अच्छी है। सर्टीफिकेट मिलना भी लक है। आस्ट्रेलिया वालों को अच्छा सार्टीफिकेट मिल रहा है। अपनी फुलवाड़ी को निश्चय और हिम्मत के जल से सींचते रहने से वृद्धि को पाते रहेंगे। वृद्धि होती रहेगी।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ कर्मातीत का अर्थ ही है हर सबजेक्ट में फुल पास। 75 परसेन्ट, 90 परसेन्ट भी नहीं, फुल पास। यह अवस्था तब आयेगी जब अपने अनुभव में सर्व शक्तियों का स्टॉक प्रैक्टिकल में यूज में आवे।
पहले भी सुनाया - सर्वशक्तियाँ बाप ने दी, आपने ली लेकिन समय पर यूज होती हैं या नहीं, सिर्फ स्टॉक ही है!
〰✧ सिर्फ स्टॉक है लेकिन समय पर यूज नहीं हुआ तो होना या न होना एक ही बात है। यह अनुभव करो परिस्थिति बहुत नाजुक है लेकिन ऑर्डर दिया मन-बुद्धि को कि न्यारे होकर खेल देखो तो परिस्थिति आपके इस अचल स्थिति के आसन के नीचे दब जायेगी। सामना नहीं करेगी।
〰✧ आसन नहीं छोडो, आसन में बैठने का अभ्यास ही सिंहासन प्राप्त करायेगा। अगर आसन पर बैठना नहीं आता है, कभी-कभी बैठना आता है तो सिंहासन में भी कभी-कभी बैठेगे।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ महारथी बच्चों को वर्तमान समय कौन-सा पोतामेल रखना है? अभी महारथियों की सीज़न है सिद्धि स्वरूप बनने की। उनके हर बोल और संकल्प सिद्ध हों। वह तब होंगे जब उनका हर बोल और हर संकल्प ड्रामा अनुसार सत् और समर्थ हो। तो महारथी अब यह पोतामेल रखें कि सारे दिन में जो उनके संकल्प चलते हैं या मुख से जो बोल निकलते हैं वह कितने सिद्ध होते हैं। संकल्प है बीज। जो समर्थ बीज होगा उसका फल अच्छा निकलता है। उसको कहेंगे संकल्प सिद्ध होना। तो सारे दिन में कितने संकल्प और बोल सिद्ध होते हैं? जो बोला ड्रामा अनुसार वही बोला और जो होना है वही बोला। इसमें हर बोल और संकल्प को समर्थ बनाने में अटेन्शन रखना पड़े। तो महाराथियों का पोतामेल अब यह होना चाहिए। जैसे भक्ति में भी कहा जाता है कि यह सिद्ध-पुरुष है। तो यहाँ भी जिसका संकल्प और बोल सिद्ध होता है तो उस सिद्धि के आधार पर वह प्रसिद्ध बनता है। अगर सिद्ध नहीं तो प्रसिद्ध नहीं। भक्ति में कई देवियाँ व देवतायें प्रसिद्ध होते हैं, कई प्रसिद्ध नहीं होते। वे देवता व देवी तो माने जाते हैं लेकिन प्रसिद्ध नहीं होते। तो संकल्प और बोल सिद्ध होना यह आधार है प्रसिद्ध होने का। इससे ऑटोमेटिकली अव्यक्त फ़रिश्ता बन जायेंगे और समय बच जायेगा। वाणी में आना ऑटोमेटिकली समाप्त हो जायेगा क्योंकि साइलेन्स-होम अथवा शान्तिधाम में जाना है ना? तो वह साइलेन्स के व आकारी फ़रिश्तेपन के संस्कार अपनी तरफ़ खींचेंगे। सर्विस भी इतनी बढ़ती जायेगी कि जो वाणी द्वारा सेवा करने का चॉन्स ही नहीं मिलेगा। ज़रूर नैनों द्वारा और अपने मुस्कराते हुए मुख द्वारा, मस्तक में चमकती हुई मणि द्वारा सेवा कर सकेंगे। वह अभ्यास तब बढ़ेगा जब यह पोतामेल रखेंगे।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- बाप के पास रिफ्रेश होकर भक्ति मार्ग की थकान दूर करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा मधुबन बाबा की कुटिया में बैठे बाबा को निहारती हुई सोचती
हूँ... जिस भगवान् को पाने के लिए मैं ना जाने कहाँ-कहाँ भटक रही थी... भक्ति
के कितने आडम्बरों में फसी थी... आज वो मेरे सम्मुख बैठा है... मैं भगवान को
ढूँढ रही थी... और भगवान् ने स्वयं मुझे ढूंढकर अपना वारिस बना लिया... अपनी
सारी प्रॉपर्टी का हकदार बना दिया... मुझे मेरी भक्ति का फल ज्ञान देकर मेरे
भाग्य का पिटारा खोल दिया...
❉ देवी-देवता कुल की स्मृति दिलाकर पुजारी से पूज्य बनाते हुए प्यारे बाबा कहते
हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... अभी कल ही की तो बात है मीठे सुखो में खेलपाल
करते देवता तुम्ही तो थे... उन सुखद स्मृतियों को पुनः ताजा करो... ईश्वर पिता
आये है पुजारी से फिर से वही खुबसूरत देवता सजाने... तो विश्व पिता के सच्चे
प्यार में अपने सुनहरे भाग्य की मीठी याद में झूम जाओ...”
➳ _ ➳ मन दर्पण में स्वयं के मीठे स्वरुप को गुण, शक्तियों से सजाती हुई मैं
आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार में
देवताओ सी सज संवर रही हूँ... भक्ति का फल मुझे भगवान मिल गया है... ईश्वर पिता
के सारे खजाने जागीरे अब मेरे है... मै भाग्यशाली आत्मा पुनः देवता घराने में
आने वाली हूँ... यह ख़ुशी हर पल मुझे रोमांचित कर रही है...”
❉ भटकते बच्चों की भटकन को समाप्त कर अपनी मीठी गोदी के झूले में झुलाते हुए
मीठे बाबा कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... जिस मीठे पिता को दर दर खोज
रहे थे... गुफाओ और तपस्याओ में ढूंढ रहे थे, वह भक्ति का फल मीठा स्वर्ग हथेली
पर लेकर धरा पर उतर आया है... विकारो में धूमिल बच्चों को देवताई श्रंगार से
सुनहरा सजा रहे है... अब पूजा नही, पूजनीय बनना है... अपने सुंदर कुल में जाना
है...”
➳ _ ➳ ज्ञान के उजाले में अपने सपनों को साकार होते हुए देख ख़ुशी से मैं आत्मा
कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा देह की संगति में असुर कुल की
हो गयी थी... प्यारे बाबा आपने मेरा अविनाशी दमकता स्वरूप दिखाकर मुझे देवी
भाग्य दिलाया है... मै महान खुशनसीब आत्मा देवता बन स्वर्ग धरा परअनन्त सुखो
की अधिकारी बन रही हूँ... वाह मेरा खुबसूरत भाग्य...”
❉ अपनी कमाल जादूगरी से मेरे सारे जीवन को खुशहाल करते हुए मेरे बाबा कहते
हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... साधारण देह में छुपे हुए चमकीली मणि
हो... मनुष्य मात्र नही देवता कुल के देव हो... अपने इस मीठे भाग्य के नशे में
झूम जाओ... और ईश्वरीय यादो में, अपने उसी वर्से को, अथाह खजानो को पाकर मीठे
सुखो को लूटो... सारे सम्बन्ध् मीठे बाबा से जोड़कर उसके प्रेम में भीग जाओ...”
➳ _ ➳ बाबा की मीठी दृष्टि से निहाल होकर तहे दिल से धन्यवाद करते हुए मैं
आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मुझ आत्मा ने तो कभी ऐसे ख़्वाब भी न
संजोये थे कि... प्यारा पिता यूँ अचानक गोद में उठा लेगा... देह के मटमैले पन
को धोकर मुझे देवता बना देगा... सारे सम्बन्धो का सुख देकर मुझे भरपूर कर देगा...
मीठे प्यारे बाबा मै आत्मा हर रोम से शुक्रगुजार हूँ...
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- एम ऑब्जेक्ट को सामने रख खुशी में खग्गिया मारनी हैं
➳ _ ➳ अपनी एम ऑब्जेक्ट लक्ष्मी नारायण के चित्र के सामने बैठी, उनके अनुपम
सौंदर्य को देख मैं मन ही मन हर्षित हो रही हूँ और मंत्रमुग्ध होकर उनके इस
अनुपम सौंदर्य को निहारते हुए अपने आप से बातें कर रही हूँ कि कितनी कशिश है इन
चित्रों में, जो देखने वाले को अपनी और आकर्षित कर लेते हैं और मन करता है कि
बस इनके सामने बैठ इन्हें निहारते ही रहें। मन को कितना सुकून देती है इनके
चेहरे की दिव्य मुस्कराहट, रूहानियत से छलकते नयन और अपने भक्तों की हर इच्छा,
हर मनोकामना को पूर्ण करते इनके वरदानी हस्त। दिव्य गुणों से सजे इन लक्ष्मी
नारायण जैसा बनना ही मेरी ऐम ऑब्जेक्ट है और इस एम ऑब्जेक्ट को सदा स्मृति में
रखते हुए अब मुझे अपने अंदर इनके समान गुणों और विशेषताओ को स्वयं में धारण करने
का ही पुरुषार्थ करना है।
➳ _ ➳ मन को दृढ़ता के साथ यह संकल्प देकर, अब मैं लक्ष्मी नारायण को ऐसा बनाने
वाले अपने प्यारे पिता को याद करती हूँ और अपने मन बुद्धि को सभी बातों के
चिंतन से हटाकर, अशरीरी स्थिति में स्थित होने का अभ्यास करते हुए पहुँच जाती
हूँ अंतर्मुखता की गुफा में। एकान्तवासी बन एक की याद को अपने मन मे बसाये मैं
चल पड़ती हुई अंतर्मन की एक बहुत ही खूबसूरत रूहानी यात्रा पर जो बहुत ही आनन्द
और सुख देने वाली है। मन बुद्धि की इस यात्रा पर मैं आत्मा ज्योति बन कर एक अति
सूक्ष्म सितारे की भांति चमकती हुई, नश्वर देह का त्याग करके ऊपर खुले आसमान की
ओर उड़ जाती हूँ। प्रकृति के सुंदर नजारों का आनन्द लेती मैं आत्मा खुले आसमान
की सैर करते अब उसे पार कर अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त वतन में प्रवेश
करती हूँ। सफेद प्रकाश से सजी फरिश्तो की इस दुनिया में पहुँच कर अपने फरिश्ता
स्वरूप को मैं धारण करती हूँ।
➳ _ ➳ अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होकर, अपनी इस आकारी दुनिया की सैर करते
हुए, इस अव्यक्त वतन के सुन्दर नजारों का आनन्द लेते हुए अब मैं अपने प्यारे
ब्रह्मा बाबा के सामने पहुँच जाती हूँ। बाबा की भृकुटि में चमक रहे अपने
ज्ञानसूर्य शिव बाबा को मैं देख रही हूँ। ब्रह्मा बाबा की भृकुटि से निकल रहा
प्रकाश का तेज प्रवाह पूरे वतन में अपनी लाइट और माइट फैला रहा है। बापदादा से
आ रही इस लाइट माइट को अब मैं बापदादा के सामने बैठ स्वयं में ग्रहण कर रही
हूँ। बापदादा से आ रही प्रकाश की किरणें मेरे मस्तक पर पड़ रही हैं और मुझ आत्मा
को छू कर, मुझमे अपना असीम बल भर रही हैं। अपनी चमक को और अपनी शक्तियों को मैं
कई गुणा बढ़ता हुआ महसूस कर रही हूँ। बापदादा से अनन्त शक्तियाँ अपने अंदर भरते
हुए मैं देख रही हूँ बापदादा के साथ उनके बिल्कुल समीप मम्मा, बाबा लक्ष्मी
नारायण के स्वरूप में मेरे जैसे सामने आकर खड़े हो गए हैं।
➳ _ ➳ मन को लुभाने वाला मम्मा बाबा का यह सम्पूर्ण देवताई स्वरूप देख कर मैं
खुशी से फूली नही समा रही। दिव्य आभा से दमकते उनके मुखमण्डल पर फैली मुस्कराहट
और नयनो में दिव्यता की झलक मन को जैसे गहन सुकून दे रही है। अपने लक्ष्य को
साक्षात अपने सामने देख कर, मेरे भविष्य देवताई स्वरूप का चित्र बार - बार मेरी
आँखों के सामने आ रहा है। अपने अति सुंदर मनमोहक भविष्य देवताई स्वरूप को पाने
के लिए स्वयं से मैं वैसा ही पुरुषार्थ करने की अपने मन में प्रतिज्ञा करती हूँ
और अपने बिंदु स्वरूप में स्थित होकर अपने आसुरी अवगुणों को योग अग्नि में भस्म
करने और दैवी गुण धारण करने का परमात्म बल स्वयं में भरने के लिए अपनी निराकारी
दुनिया की ओर चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ सेकेण्ड में मैं वाणी से परे अपने निर्वाणधाम घर मे प्रवेश करती हूँ। देख
रही हूँ अब मैं स्वयं को अपने निराकार बिंदु बाप के सामने जिनसे सर्वगुणों और
सर्वशक्तियों की अनन्त किरणे निकलकर पूरे परमधाम घर मे फैल रही हैं। इन किरणों
में समाए सर्व गुणों और सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन धीरे - धीरे मुझ
आत्मा को स्पर्श करके मुझे शक्तिशाली बना रहे हैं। ज्ञानसूर्य शिव बाबा से
निकल रही सर्वशक्तियों की इन शक्तिशाली किरणों से योग अग्नि प्रज्वलित हो रही
है जो मेरे सभी पुराने स्वभाव, संस्कारो को जलाकर भस्म कर रही है। विकारों की
कट उतरने से स्वयं को मैं बहुत हल्का अनुभव कर रही हूँ। इसी हल्केपन के साथ,
परमात्म बल से भरपूर होकर अब मैं अपने लक्ष्य को पाने का पुरुषार्थ करने के लिए
वापिस साकारी दुनिया में लौट कर, अपने साकार तन में प्रवेश करती हूँ।
➳ _ ➳ अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हूँ और अपनी एम ऑब्जेक्ट को सामने
रख, अपने उस लक्ष्य को पाने का तीव्र पुरुषार्थ कर रही हूँ। बाबा से मिली
सर्वशक्तियों का बल मुझे मेरे पुराने स्वभाव संस्कारो को मिटाने और नए दैवी गुणों
को धारण करने की विशेष शक्ति दे रहा है। अपने पुराने आसुरी स्वभाव संस्कारों
को अब मैं सहजता से छोड़ती जा रही हूँ। शूद्रपन के संस्कारों को परिवर्तन करने
के लिए अपने अनादि और आदि दैवी संस्कारों को सदैव बुद्धि में इमर्ज रखते हुए,
उन्हें जीवन मे धारण कर, अपनी मंजिल की ओर मैं निरन्तर आगे बढ़ती जा रही हूँ।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺
मैं ब्राह्मण जीवन में हर सेकंड सुखमय स्थिति का अनुभव करने वाली आत्मा हूँ।
✺ मैं सम्पूर्ण पवित्र आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺
मैं आत्मा साधनों का प्रयोग करते साधना को बढ़ाती हूँ ।
✺ मैं सदा बेहद की वैराग्य वृत्ति में रहने वाली आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. एक बात बापदादा ने मैजारिटी में देखी है। मैनारिटी नहीं मैजारिटी। क्या देखा? जब कोई सरकमस्टांश सामने आता है तो मैजारिटी में एक, दो, तीन नम्बर में क्रोध का अंश न चाहते भी इमर्ज हो जाता है। कोई में महान क्रोध के रूप में होता, कोई में जोश के रूप में होता, कोई में तीसरा नम्बर चिड़चिड़ेपन रूप में होता है। चिड़चिड़ापन समझते हो? वह भी है क्रोध का ही अंश, हल्का है। तीसरा नम्बर है ना तो वह हल्का है। पहला जोर से है, दूसरा उससे थोड़ा। फिर भाषा तो आजकल सबकी रायल हो गई है। तो रायल रूप में क्या कहते हैं? बात ही ऐसी है ना, जोश तो आयेगा ही। तो आज बापदादा सभी से यह गिफ्ट लेने चाहते हैं कि क्रोध तो छोड़ो लेकिन क्रोध का अंश मात्र भी नहीं रहे। क्यों? क्रोध में आकर डिस-सर्विस करते हैं क्योंकि क्रोध होता है दो के बीच में। अकेला नहीं होता है, दो के बीच में होता है तो दिखाई देता है। चाहे मन्सा में भी किसके प्रति घृणा भाव का अंश भी होता है तो मन में भी उस आत्मा के प्रति जोश जरूर आता है। तो बापदादा को यह डिस-सर्विस का कारण अच्छा नहीं लगता है। तो क्रोध का भाव अंश मात्र भी उत्पन्न न हो। जैसे ब्रह्मचर्य के ऊपर अटेन्शन देते हो, ऐसे ही काम महाशत्रु, क्रोध महाशत्रु गाया हुआ है। शुभ भाव, प्रेम भाव वह इमर्ज नहीं होता है। फिर मूड आफ कर देंगे। उस आत्मा से किनारा कर देंगे। सामने नहीं आयेंगे, बात नहीं करेंगे। उसकी बातों को ठुकरायेंगे। आगे बढ़ने नहीं देंगे। यह सब मालूम बाहर वालों को भी पड़ता है फिर भले कह देते हैं, आज इसकी तबियत ठीक नहीं है, बाकी कुछ नहीं है। तो क्या जन्म-दिवस की यह गिफ्ट दे सकते हो?
➳ _ ➳ 2. सच्ची दिल पर भी साहेब राजी होता है।
➳ _ ➳ 3. जो समझते हैं कि हम दो तीन मास में कोशिश करके छोड़ेंगे वह बैठ जाओ। और जो समझते हैं 6 मास चाहिए, अगर 6 मास पूरा लेंगे भी तो कम करना, इस बात को छोड़ना नहीं क्योंकि यह बहुत जरूरी है। यह डिससर्विस दिखाई देती है। मुख से नहीं बोलो, शक्ल बोलती है। इसलिए जिन्होंने हिम्मत रखी है उन सब पर बापदादा ज्ञान, प्रेम, सुख, शान्ति के मोतियों की वर्षा कर रहे हैं। अच्छा।
➳ _ ➳ 4. बापदादा रिटर्न सौगात में यह विशेष सभी को वरदान दे रहे हैं - जब भी गलती से भी, न चाहते हुए भी कभी क्रोध आ भी जाए तो सिर्फ दिल से 'मीठा बाबा' शब्द कहना, तो बाप की एक्स्ट्रा मदद हिम्मत वालों को अवश्य मिलती रहेगी। मीठा बाबा कहना, सिर्फ बाबा नहीं कहना, 'मीठा बाबा' तो मदद मिलेगी, जरूर मिलेगी क्योंकि लक्ष्य रखा है ना। तो लक्ष्य से लक्षण आने ही हैं।
✺ ड्रिल :- "क्रोध को अंश सहित बापदादा को गिफ्ट में देना"
➳ _ ➳ मैं ज्योति बिंदु स्वरूप आत्मा अपना फरिश्ता रूप धर कर बाबा से मिलन मनाने सूक्ष्म वतन जा रही हूं... जहाँ मेरे मीठे बाबा मेरे ही इन्तजार में बैठे हुए हैं... चारों ओर सफेद चमकीले प्रकाश की आभा बिखेरते हुए बाबा अपने कोमल हाथों से मुझे अपने पास में बिठाते हैं... बाबा अपनी मीठी दृष्टि देते हुए अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा कई जन्मों से आसुरी कर्म कर आसुरी संस्कार धारण करने की आदत डाल ली थी... इसको अपना नैचुरल संस्कार बना ली थी... मै आत्मा बाबा को उनके जन्मदिवस पर अपनी क्रोध, जोश, चिड़चिड़ापन रूपी कमी कमजोरियों का गिफ्ट दे रही हूं... मुझ आत्मा की सरल भाव से हिम्मत रखते देख बाबा मुस्कुरा रहे है... बाबा के वरदानी हाथों के कोमल स्पर्श से सभी अवगुणों, कमी-कमजोरियों, क्रोध, चिड़चिड़ापन इत्यादि विकारों से मुक्त होकर मैं आत्मा शुद्ध व हलकी हो रही हूँ...
➳ _ ➳ बाबा की मीठी दृष्टि मुझ आत्मा में खुशी का रस घोल रही है... मैं आत्मा अपने मन से घृणा भाव को मिटाते हुए बाप समान मीठी बन रही हूँ... मुझ आत्मा के क्रोध व घृणा के पुराने स्वभाव-संस्कार बाहर निकल रहे हैं... बाबा के हाथों से दिव्य गुण व शक्तियां निकलकर मुझ फरिश्ते में प्रवाहित हो रहे हैं... मुझ आत्मा के क्रोधवश साथी आत्माओ से किनारा कर लेने के आसुरी अवगुण भस्म हो रहे हैं... मैं आत्मा दिव्य गुणों को खुद में समा कर सभी के प्रति शुभ भाव, प्रेम भाव को धारण कर सम्पन्न अवस्था का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा स्वयं को परिवर्तित कर रही हूँ... मैं आत्मा क्रोध, चिड़चिड़ापन, साथी आत्माओ से किनारा कर लेने रूपी कलियुगी संस्कार से मुक्त हो रही हूँ... मैं आत्मा हर परिस्थिति में अपनी धारणा में परिपक्व हो रही हूँ...
➳ _ ➳ बाबा सर्व वरदानों से मुझे भरपूर कर रहे हैं... मैं आत्मा विकारों से मुक्त होकर सर्व खजानों से सम्पन्न हो रही हूँ... मैं आत्मा बाबा से हर पल मीठा बने रहने का वायदा करती हूं और दिल से मीठा बाबा कहते स्थूल वतन लौट आती हूं, नीचे आकर सभी आत्माओ को मीठी दृष्टि दे रही हूं, सभी के प्रति शुभ भाव व प्रेम भाव रखते हुए इस कर्म भूमि में विश्व कल्याणकारी बन विश्व की निःस्वार्थ सेवा कर रही हूँ...
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━