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 04 / 09 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ आत्मा को कंचन बनाने के लिए एक दो को सावधान किया ?

 

➢➢ स्वदर्शन चक्रधारी बनकर रहे ?

 

➢➢ अपने प्रैक्टिकल जीवन के प्रूफ द्वारा साइलेंस की शक्ति का आवाज़ फैलाया ?

 

➢➢ सेवा और स्थिति का बैलेंस रख सर्व की ब्लेसिंग प्राप्त की ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  जब आप अपनी बीजरूप स्थिति में स्थिति रहेंगे तो अनेक आत्माओं में समय की पहचान और बाप की पहचान का बीज पड़ेगा। अगर बीजरूप स्थिति में स्थित न रहे सिर्फ विस्तार में चले गये तो ज्यादा विस्तार से वैल्यु नहीं रहेगी, व्यर्थ हो जायेगा इसलिए बीजरूप स्थिति में, बीजरूप की याद में स्थित हो फिर बीज डालो। फिर देखना उस बीज का फल कितना अच्छा और सहज निकलता है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं पद्मापद्म भाग्यवान हूँ"

 

✧  अपने को पद्मापद्म भाग्यवान समझते हो? हर कदम में पद्मों की कमाई जमा हो रही है? तो कितने पद्म जमा किये हैं? अनगिनत हैं? क्योंकि जानते हैं कि जमा करने का समय अब है। सतयुग में जमा नहीं होगा। कर्म वहाँ भी होंगे लेकिन अकर्म होंगे। क्योंकि वहाँ के कर्म का सम्बन्ध भी यहाँ के कर्मे के फल के हिसाब में है। तो यहाँ है करने का समय और वहाँ है खाने का समय। तो इतना अटेन्शन रहता है? कितने जन्मों के लिये जमा करना है? (84) जमा करने में खुशी होती है ना? मेहनत तो नहीं लगती? क्यों नहीं मेहनत महसूस होती है?

 

✧  क्योंकि प्रत्यक्षफल भी मिलता है। प्रत्यक्षफल मिलता है कि भविष्य के आधार पर चल रहे हो? भविष्य से भी प्रत्यक्षफल अति श्रेष्ठ है। सदा ही श्रेष्ठ कर्म और श्रेष्ठ प्रत्यक्षफल मिलने का साधन है कि सदा ये याद रखो कि 'अब नहीं तो कब नहीं'। जैसे नाम है डबल फारेनर्स, तो डबल का टाइटिल बहुत अच्छा है। तो सबमें डबल-खुशी में, नशे में, पुरुषार्थ में, सबमें डबल। सेवा में भी डबल। और रहते भी सदा डबल हो, कम्बाइन्ड, सिंगल नहीं। कभी डबल होने का संकल्प तो नहीं आता? कम्पनी चाहिये या कम्पैनियन चाहिये? चाहिये तो बता दो। ऐसे नहीं करना कि वहाँ जाकर कहो कम्पैनियन चाहिये। कितने भी कम्पैनियन करो लेकिन ऐसा कम्पैनियन नहीं मिल सकता। कितने भी अच्छे कम्पैनियन हो लेकिन सब लेने वाले होंगे, देने वाले नहीं। इस वर्ल्ड में ऐसा कम्पैनियन कोई है? अमेरिका, आस्ट्रेलिया, आफ्रीका आदि में थोड़ा ढूंढ कर आओ, मिलता है! क्योंकि मनुष्यात्मायें कितने भी देने वाले बनें फिर भी देते-देते लेंगे जरूर।

 

✧  तो जब दाता कम्पैनियन मिले तो क्या करना चाहिये? कहाँ भी जाओ, फिर आना ही पड़ेगा। ये सब जाने वाले नहीं हैं। कोई कमजोर तो नहीं हैं? फोटो निकल रहा है। फिर आपको फोटो भेजेंगे कि आपने कहा था। कहो यह होना ही नहीं है। बापदादा भी आप सबके बिना अकेला नहीं रह सकता।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  अपने देह भान से न्यारा - जैसे साधारण दुनियावी आत्माओं को चलते-फिरते, हर कर्म करते स्वतः और सदा देह का भान रहता ही है, मेहनत नहीं करते कि मैं देह हूँ न चाहते भी सहज स्मृति रहती ही है।

 

✧  ऐसे कमल-आसनधारी ब्राह्मण आत्मायें भी इस देहभान से स्वतः ही ऐसे न्यारे रहें जैसे अज्ञानी आत्म-अभिमान से न्यारे हैं। है ही आत्म-अभिमानी। शरीर का भान अपने तरफ आकर्षित न करें।

 

✧  जैसे ब्रह्मा बाप को देखा, चलते-फिरते फरिश्ता रूप वा देवता रूप स्वतः स्मृति में रहा। ऐसे नैचुरल देहीअभिमानी स्थिति सदा रहे - इसको कहते हैं देहभान से न्यारे। देहभान से न्यारा ही परमात्म-प्यारा बन जाता है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ बापदादा ने आप ब्राह्मण आत्माओं को परिवर्तन किस आधार पर किया? सिर्फ स्मृति दिलाई कि आप आत्मा हो, न कि शरीर। इस स्मृति ने कितना अलौकिक परिवर्तन कर लिया! सब-कुछ बदल गया ना! कितनी छोटी-सी बात का परिवर्तन किया कि तुम शरीर नही आत्मा हो - इस परिवर्तन होते ही आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान होने कारण स्मृति आते ही समर्थ बन गई। अब यह समर्थ जीवन कितना प्यारा लगता है।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- चैतन्य सितारे बन सारे विश्व को रोशनी देना"

➳ _ ➳  परमपिता परमात्मा परमधाम से आकर विकारों की अग्नि से धधकते इस दुनिया को स्वाहा कर... नई निर्विकारी सतयुगी दुनिया की स्थापना के लिए रूद्र ज्ञान यज्ञ की ज्वाला प्रज्वलित करते हैं... कोटो में से चुनकर प्यारे बाबा ने मुझे अपनी गोदी में पालना दी... मुझे ब्राहमण बनाकर इस यज्ञ में अपना राईट हैण्ड बनाया... विचार करते हुए मैं आत्मा उड़ चलती हूँ, अव्यक्त वतन में... मीठे बाबा मेरे सिर पर विश्व परिवर्तन का ताज पहनाते हुए समझानी देते हैं...  

❉  सबकी जिन्दगी की राहों से अँधेरा मिटाकर विश्व को रोशन करने की शिक्षा देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... बापदादा आज चैतन्य दीपको से मिलन मना रहे है... हर एक दीपक अपनी रौशनी से विश्व के अंधकार को दूर करने वाला चैतन्य दीपक है... अपनी इस खुबसूरत जिम्मेदारी के ताज को सदा पहने रहो... विश्व की आत्माये अंधकार के सागर में समायी सी... बेसब्री से आपकी बाट निहार रही है... उनके जीवन का अँधेरा दूर करो...”

➳ _ ➳  इस जहान की नूर मैं आत्मा सबके दिलों की आश बन दुःख दर्द मिटाकर खुशियों से महकाते हुए कहती हूँ:- “हाँ मेरे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में प्रकाश पुंज बन गई हूँ... सबके दुखो को दूर करने वाली दीपक बन जगमगा रही हूँ... सबके दामन में सुखो के फूल खिला रही हूँ... और विश्व परिवर्तन की जिम्मेदारी का ताज पहन मुस्करा रही हूँ...”

❉  प्यारे बाबा अमृत भरा कलश मेरे सिर पर रख विश्व परिवर्तन की जिम्मेवारी के निमित्त बनाते हुए कहते हैं:- “मीठे प्यारे फूल बच्चे... कितने महान भाग्यशाली ब्रह्मा कुमार हो... आपके स्नेह के आकर्षण में बाबा अव्यक्त होते हुए भी....मधुबन में साकार रूप चरित्र की अनुभूति सदा कराते है... कितने बड़े स्नेह के जादूगर हो... ऐसी विशेषता भरी खुबसूरत मणि हो कि स्नेह के बन्धन में बापदादा को बांध लिया है...”

➳ _ ➳  परमात्मा की गले का हार बन अविनाशी सुखों से इस सृष्टि का श्रृंगार करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा खुबसूरत भाग्य की धनी हूँ... भगवान मेरी बाँहों में आ गया है... मेरे स्नेह की डोरी में खिंच कर सदा साथ रह मुस्करा रहा है... वाह बच्चे वाह के गीत गा रहा है... आपके प्यार में मै आत्मा खुबसूरत चैतन्य दीपक बन गई हूँ...”

❉  अपने वरदानी हाथों से अविनाशी भाग्य की लकीर मेरे मस्तक पर खींचते हुए मेरे बाबा कहते हैं:- “मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... बापदादा होलिहंसो का ख़ुशी भरा डांस देख देख मन्त्रमुग्ध है... मनमनाभव के महामन्त्र के वरदानी बन मुस्करा रहे हो... ईश्वर पिता की सारी दौलत को बाँहों में भरने वाले खबसूरत सौदागर भी हो और जादूगर भी हो... सदा इस अलौकिक नशे में रहो और ज्ञान सूर्य बन चमको...”

➳ _ ➳  इस धरा पर स्वर्ग लाने के कार्य में मैं आत्मा अपना तन, मन, धन सफल करते हुए कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपको पाकर किस कदर गुणो और शक्तियो की जादूगर सी बन गयी हूँ... जीवन कितना मीठा प्यारा और खुशनुमा इस प्यार की जादूगरी से हो गया है... मै आत्मा ज्ञान सूर्य बन अपनी रूहानियत से सबके दिल रोशन कर रही हूँ...”
 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- आत्मा को कंचन बनाने के लिए एक दो को सावधान करना है"

➳ _ ➳  स्वयं परम पिता परमात्मा शिव बाबा ने रूहानी पण्डा बन जो रूहानी यात्रा हम बच्चों को सिखलाई है, उस यात्रा पर रहने के लिए एक दो को सावधानी देते आगे बढ़ना और बढ़ाना ही हम ब्राह्मण बच्चों का कर्तव्य है। अपने आश्रम में, बाबा के कमरे में बैठी मैं मन ही मन यह विचार करते हुए बाबा का आह्वान करती हूँ और बाबा के साथ कम्बाइंड हो कर वहाँ उपस्थित अपने सभी ब्राह्मण भाईयों और बहनों को मनसा सकाश देते हुए ये संकल्प करती हूँ कि यहाँ उपस्थित मेरे सभी ब्राह्मण भाई बहन एक दो को सहयोग देते, इस रूहानी यात्रा पर निरन्तर आगे बढ़ते रहें और ऐसे ही आगे बढ़ते और दूसरों को बढ़ाते जल्दी ही सारे विश्व की सभी ब्राह्मण आत्मायें संगठित रूप से एकमत होकर बाबा को प्रत्यक्ष करने का कार्य सम्पन्न करें।

➳ _ ➳  इसी संकल्प के साथ, स्वयं को अपने प्यारे बाबा की छत्रछाया के नीचे अनुभव करते, अपने ब्राह्मण सो फरिश्ता स्वरुप में स्थित हो कर, मैं फरिश्ता अब बापदादा के साथ कम्बाइंड होकर ऊपर की ओर उड़ते हुए मधुबन की पावन धरनी पर पहुँचता हूँ जो परमात्मा की अवतरण भूमि है। जहाँ भगवान साकार में आ कर अपने ब्राह्मण बच्चों से मिलन मनाते हैं, उनकी पालना करते हैं और परमात्म प्यार से उन्हें भरपूर करते हैं। इस पावन धरनी पर आकर अब मैं देख रहा हूँ करोड़ो ब्राह्मण आत्मायें यहां उपस्थित है और सभी एक दूसरे के प्रति आत्मा भाई - भाई की रूहानी दृष्टि, वृति रख, अपने रूहानी शिव पिता के प्रेम की लग्न में मग्न हैं।
 
➳ _ ➳  सभी ब्राह्मण बच्चों के स्नेह की डोर बाबा को अपनी ओर खींच रही है और बच्चो के स्नेह में बंधे भगवान को भी अपना धाम छोड़ कर नीचे आना पड़ता है। मन बुद्धि रूपी नेत्रों से मैं देख रही हूँ, बाबा परमधाम से नीचे आ रहें है। सूक्ष्म वतन से होते हुए अपने आकारी रथ पर विराजमान हो कर बापदादा अब मधुबन की उस पावन धरनी पर हम बच्चों के सामने आ कर उपस्थित होते हैं। सभी ब्राह्मण बच्चे अब अपने पिता परमात्मा से मिलन मनाने का आनन्द ले रहे हैं। बापदादा अपने एक - एक अमूल्य रत्न को नजर से निहाल कर रहें हैं। एक - एक करके सभी ब्राह्मण बच्चे बाबा के पास जा कर बाबा से दृष्टि और वरदान ले रहें हैं।
 
➳ _ ➳  मैं फरिश्ता भी बापदादा से दृष्टि और वरदान लेने के लिए उनके पास पहुंचता हूँ और उनकी ममतामयी गोद में जा कर बैठ जाता हूँ। अपनी स्नेह भरी दृष्टि से बाबा मुझे निहार रहें हैं। बाबा की दृष्टि से बाबा के सभी गुण मुझ में समाते जा रहें हैं। बाबा की शक्तिशाली दृष्टि मुझमें एक अलौकिक रूहानी नशे का संचार कर रही हैं । जिससे मैं फरिश्ता असीम रूहानी आनन्द का अनुभव कर रहा हूँ। बाबा के हाथों का मीठा - मीठा स्पर्श मुझे बाबा के अपने प्रति अगाध प्रेम का स्पष्ट अनुभव करवा रहा है।
 
➳ _ ➳  मैं बाबा के नयनो में अपने लिए असीम स्नेह देख कर गद गद हो रहा हूँ और साथ ही साथ बाबा के नयनों में अपने हर ब्राह्मण बच्चे के लिए जो आश है कि सभी एक दो को सावधान करते इस रूहानी यात्रा पर सदा आगे बढ़े। बाबा की इस आश को जान, मन ही मन बाबा को मैं प्रोमिस करता हूँ कि इस रूहानी यात्रा पर एक दो को सावधान करते, मैं निरन्तर आगे बढ़ता ओर बढाता रहूँगा। बाबा मेरे मन के हर संकल्प को पढ़ते हुए, अपना वरदानी हाथ मेरे मस्तक पर रख मुझे सदा विजयी रहने का वरदान दे रहें हैं।
 
➳ _ ➳  अपने सभी ब्राह्मण बच्चो को नजर से निहाल करके, वरदानो से भरपूर करके, अपने मीठे मधुर महावाक्यों द्वारा अपने सभी बच्चों को मीठी समझानी देकर अब बाबा सभी बच्चों को याद की रूहानी यात्रा पर चलने की ड्रिल करवा रहें है। मैं देख रही हूँ सभी ब्राह्मण आत्मायें सेकेंड में अपनी साकारी देह को छोड़ निराकारी आत्मायें बन रूहानी दौड़ में आगे जाने की रेस कर रही हैं। सभी का लक्ष्य इस रूहानी दौड़ में आगे बढ़ने का है और सभी अपने पुरुषार्थ के अनुसार नम्बरवार इस लक्ष्य को प्राप्त कर अपनी मंजिल पर पहुंच रही हैं।

➳ _ ➳  सभी आत्मायें इस रूहानी यात्रा को पूरा कर अब परमधाम में अपने प्यारे बाबा के सम्मुख बैठ उनसे मिलन मना रही हैं। परमात्म शक्तियों से स्वयं को भरपूर कर रही हैं। शक्ति सम्पन्न बन कर अब सभी आत्मायें वापिस अपने साकारी ब्राह्मण स्वरूप में लौट रही है और सभी एक दो को सावधान करते, एक दूसरे को सहयोग देते अपनी रूहानी यात्रा पर निरन्तर आगे बढ़ रही हैं।
 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं अपने प्रैक्टिकल जीवन के प्रूफ द्वारा साइलेन्स की शक्त्ति का आवाज फैलाने वाली विशेष सेवाधारी आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं सेवा और स्थिति का बैलेंस रखकर सर्व की ब्लेसिंग प्राप्त करने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  सेवा में सफलता नहीं मिलती तो दिलशिकस्त मत बनो कुछ भी सेवा करो चाहे जिज्ञासू कोर्स वाले आवे या नहीं आवे लेकिन स्वयंस्वयं से सन्तुष्ट रहो। निश्चय रखो कि अगर मैं सन्तुष्ट हूँ तो आज नहीं तो कल यह मैसेज काम करेगाकरना ही है। इसमें थोड़ा सा उदास नहीं बनो। खर्चा तो किया.... प्रोग्राम भी किया.... लेकिन आया कोई नहीं। स्टूडेन्ट नहीं बढ़ेकोई हर्जा नहीं आपने तो किया ना। आपके हिसाब-किताब में जमा हो गया और उन्हों को भी सन्देश मिल गया। तो टाइम पर सभी को आना ही हैइसलिए करते जाओ। खर्चा बहुत हुआउसको नहीं सोचो। अगर स्वयं सन्तुष्ट हो तो खर्चा सफल हुआ। घबराओ नहींपता नहीं क्या हुआ!

 

 _ ➳  कई बच्चे ऐसे कहते हैं मेरा योग ठीक नहीं थातभी यह हुआ। किससे योग थाऔर कोई है क्या जिससे योग थायोग है और सदा रहेगा। बाकी कोई सीजन का फल हैकोई हर समय का फल है। तो अगर आया नहीं तो सीजन का फल है, सीजन आयेगी। दिलशिकस्त नहीं बनो। क्योंकि श्रीमत को तो माना ना। श्रीमत प्रमाण कार्य किया। इसीलिए श्रीमत को मानना यह भी एक सफलता है। बढ़ते जाओकरते जाओ l और ही पश्चाताप करके आपके पांव पड़ेंगे कि आपने कहा हमने नहीं माना। यहाँ ही आप देवियां बनेंगी। आपके पांव पर पड़ेंगेतभी तो भक्ति में भी पांव पड़ेंगे ना। तो वह टाइम भी आना है जो सब आपके पांव पड़ेंगे कि आपने कितना अच्छा हमारा कल्याण किया।

 

 _ ➳  जिस समय थकावट फील हो ना तो कहाँ भी जाकर डांस शुरू कर दो। चाहे बाथरूम में। क्या है इससे मूड चेंज हो जायेगी। चाहे मन की खुशी में नाचोअगर वह नहीं कर सकते हो तो स्थूल में गीत बजाओ और नाचो। फारेन में डांस तो सबको आता है। डांस करने में तो होशियार हैं। फरिश्ता डांस तो आता है। अच्छा।

 

✺   ड्रिल :-  "निश्चय और सन्तुष्टता से सेवा करने का अनुभव"

 

 _ ➳  मैं आत्मा सफलता का चमकता सितारा हूँ... मैं आत्मा अपना फरिश्ता रूप धारण कर... उड़ कर पहुँच जाती हूँ... ज्ञान के सागर प्यारे बापदादा के पास... उनसे ज्ञान की गुह्य से गुह्य बातों को अपने में धारण कर रही हूँ... मैं आत्मा ज्ञान की देवी विश्व के ग्लोब पर विराजमान होकर... सारे विश्व की आत्माओं को... श्रेष्ठ ज्ञान का प्रकाश बांट रही हूँ...

 

 _ ➳  मैं ज्ञान का फरिश्ता बन कर पहुँच जाती हूँ बाबा के प्रोग्राम में... और वहाँ पर मैं आत्मा जिज्ञासुओं को कोर्स करवा रही हूँ... इसमें कोई रेग्युलर स्टूडेंट नहीं भी बनता है... तो मैं आत्मा दिलशिकस्त नहीं होती हूँ... क्योंकि बाबा ने समझाया है कि बच्चे... जो सीजन का फल है वो सीजन में ही आता है... और कोई सदाबहार यानी हर समय का फल है... तो अगर नहीं आया माना सीजन का फल है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपनी सेवा श्रीमत के अनुसार कर रही हूँ... और श्रीमत को मानना भी सफलता ही है... और मैं आत्मा अपनी सेवा से सम्पूर्ण संतुष्ट हूँ... मुझे इस बात का सम्पूर्ण निश्चय है कि... जो ज्ञान का बीज बोया है वो जरूर फलीभूत होगा...

 

 _ ➳  मैं आत्मा अपनी सेवा करते हुए निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूँ... बाबा ने कहा है कि बच्चे ऐसा दिन आएगा की सभी भक्त आत्‍माएँ... आप देवियों के पांव पड़ेंगे... और वह समय आ गया है... मुझ आत्मा के सामने कुछ आत्माएँ पश्चाताप कर रही है... और मेरे पास आकर खड़ी है... मुझसे कह रही है... आप ने हमें सत्य मार्ग दिखाया था... लेकिन हमने नहीं माना... आप ने हमारा कितना अच्छा कल्याण किया है... कि आप ने हमें अपने परमपिता से मिला दिया... सारी भक्त आत्माएँ मेरा धन्यवाद कर रही है... और मैं बाबा का धन्यवाद कर रही हूँ कि... उन्होंने मुझ आत्मा को इतना ऊंचा उठा दिया...

 

 _ ➳  मैं आत्मा दृढ़ निश्चय और सन्तुष्टता से सदा सफलता प्राप्त कर रही हूँ... जब भी मैं आत्मा मैं थकावट महसूस करती हूँ... तो मैं आत्मा अपने मूड को चेंज करने के लिए... डांस करने लगती हूँ... या मन का डांस करती हूँ... या कोई अच्छा बाबा का गीत सुनती हूँ... जिससे मुझ आत्मा का मूड फट से चेंज हो जाता है... और थकावट भी नहीं रहती है... मैं आत्मा अब समझ चुकी हूँ... सेवा में सदा सफलता के लिए... एक ही मंत्र है "बाबा में निश्चय और सेवा से सन्तुष्टता"

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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