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❍ 27 / 10 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ मोहब्बत में मुश्किल की बजाये सहज अनुभव किया ?
➢➢ प्यूरिटी की धारणा पर विशेष अटेंशन रहा ?
➢➢ "हिम्मत ऐ बच्चे ... मदद ऐ बाप.." - बापदादा से यह वरदान स्वीकार किया ?
➢➢ तन - मन - धन ईश्वरीय सेवा में लगाया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ आवाज से परे अपनी श्रेष्ठ स्थिति में स्थित हो जाओ तो सर्व व्यक्त आकर्षण से परे शक्तिशाली न्यारी और प्यारी स्थिति बन जायेगी। एक सेकण्ड भी इस श्रेष्ठ स्थिति में स्थित होंगे तो इसका प्रभाव सारा दिन कर्म करते हुए भी स्वयं में विशेष शान्ति की शक्ति अनुभव करेंगे। इसी स्थिति को कर्मातीत स्थिति, बाप समान सम्पूर्ण स्थिति कहा जाता है।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ"
〰✧ सदा अपने को स्वदर्शन चक्रधारी आत्मायें अनुभव करते हो? स्वदर्शन चक्रधारी अर्थात् जहाँ स्वदर्शन चक्र है वहाँ अनेक माया के चक्कर समाप्त हो जाते हैं। तो माया के अनेक चक्करों से बचने वाले अर्थात् स्वदर्शन चक्रधारी। जहाँ माया के चक्कर हैं वहाँ स्वदर्शन चक्र नहीं। क्योंकि स्वदर्शन चक्र शक्तिशाली है, इस शक्तिशाली चक्र के आगे माया स्वत: ही भाग जाती है। तो ऐसे बने हो?
〰✧ स्वप्न में भी माया का चक्कर वार न करे। पहले भी सुनाया है कि जो बाप के गले का हार हैं, वह कभी माया से हार खा नहीं सकते। अगर माया से हार खाते हैं तो बाप के गले का हार नहीं बन सकते। तो गले का हार हो या हार खाने वाले हो? बाप ने सभी बच्चों को महावीर विजयी बनाया, एक भी कमजोर नहीं। तो महावीर की निशानी है यह - 'स्वदर्शन चक्र'। सदा स्वदर्शन चक्र चलता रहे तो स्वत: सहज विजयी रहेंगे। यह बाप की विशेषता है जो सभी को चक्रधारी बनाते हैं, सभी को श्रेष्ठ भाग्यवान बनाते हैं। बाप किसी को भी कम नहीं बनाते। बाप एक जैसा सभी को मालामाल बनाते हैं।
〰✧ बाप एक ही समय सभी को सब खजाने देता है, अलग नहीं देता। लेकिन नम्बर क्यों बनते हैं? लेने वाले नम्बरवार बन जाते हैं। देने वाला नम्बरवार नहीं बनाता। सब बाप के स्नेही सहयोगी तो हो ही। लेकिन शक्तिशाली बनने में अन्तर पड़ जाता है। बापदादा तो सबको महावीर रूप में देखता है। अच्छा! सदा बाप की दिल में रहने वाले और सदा बाप को दिल पर बिठाने वाले। सदा बाप की दिल में रहने वाले ही निरन्तर योगी हैं।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ जब ऊँची पहाडी पर चढ़ते हैं तो क्या लिखा हुआ होता है? ब्रेक चेक करो। क्योंकि ब्रेक सेफ्टी का साधन है। तो कन्ट्रोलिंग पॉवर का वा ब्रेक लगाने का अर्थ यह नहीं कि लगाओ यहाँ और ब्रेक लगे वहाँ कोई व्यर्थ को कन्ट्रोल करना चाहते है, समझते हैं - यह रांग है।
〰✧ तो उसी समय रांग को राइट में परिवर्तन होना चाहिए। इसको कहा जाता है कन्ट्रोलिंग पॉवर ऐसे नहीं कि सोच भी रहे हैं लेकिन आधा घण्टा व्यर्थ चला जाये, पीछे कन्ट्रोल में आये। बहुत पुरुषार्थ करके आधे घण्टे के बाद परिवर्तन हुआ तो उसको कन्ट्रालिंग पॉवर नहीं, रूलिंग पॉवर नहीं कहा जाता।
〰✧ यह हुआ थोडा-थोडा अधीन और थोडा-थोडा अधिकारी - मिक्स। तो उसको राज्य अधिकारी कहेंगे या पुरुषार्थी कहेंगे? तो अब पुरुषार्थी नहीं, राज्य अधिकारी बनो। यह राज्य अधिकारी का श्रेष्ठ मजा है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ बापदादा तो कहते हैं सबसे सहज पुरुषार्थ है दुआयें दो और दुआयें लो। दुआओं से जब खाता भर जायेगा तो भरपूर खाते में माया भी डिस्टर्ब नहीं करेगी। जमा का बल मिलता है। राज़ी रहो और सर्व को राज़ी करो। हर एक के स्वभाव का राज़ जानकर राज़ी करो। ऐसे नहीं कहो यह तो है ही नाराज़। आप स्वयं राज़ को जान जाओ, उसकी नब्ज को जान जाओ फिर दुआ की दवा दो तो सहज हो जायेगा। तो सहज पुरुषार्थ करो, दुआयें देते जाओ। लेने का संकल्प नहीं करो देते जाओ तो मिलता जायेगा। देना ही लेना है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- शिव शक्ति पांडव सेना की विशेषताएं"
➳ _ ➳ मधुबन घर में डायमण्ड हाल में अपने शिव पिता को निहार कर मै आत्मा..
घनेरे सुखो में खो जाती हूँ... सम्मुख बेठे भगवान को देख, ख़ुशी में बावरी हो
रही हूँ... मन ही मन मीठे बाबा को प्यार कर रही हूँ... दुलार कर रही हूँ...
ख़ुशी के अंसुवन से, दिल के भावो को,बयान कर रही हूँ... मेरे लिए धरती पर उतर
आया है भगवान... मुझे संवारने, निखारने और देवताई शानो शौकत से सजाने... यह सोच
सोचकर निहाल हुई जा रही हूँ... कितना दूर दूर ढूंढ रही थी.. इस मीठे भगवान्
को... और मीठे बच्चे की आवाज सुनकर, जो मुड़कर निहारा... तो भगवान को अपने
सम्मुख खड़ा पाया... अपने इस मीठे भाग्य को देख देख पुलकित हूँ... जिसने यूँ
चुटकियो में मुझे भगवान से मिला दिया... मुझे क्या से क्या बना दिया...
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा के महान भाग्य का नशा दिलाते हुए कहा :-
"मीठे प्यारे फूल बच्चे... आपका भाग्य कितना प्यारा और महान है कि... परमधाम से
स्वयं भगवान ने आकर आपको चुना है... अपनी मखमली गोद में बिठाकर, फूलो जैसा
खिलाया है... अथाह ज्ञान रत्नों से सजाकर, पूरे विश्व में अनोखा बनाया है...
अपने इस खुबसूरत भाग्य के नशे में रहकर... पुरुषार्थ के शिखर पर पहुंचकर मीठा
सा मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा को अपनी बाँहों में भरकर गले लगाती हुए कहती
हूँ :- "प्यारे प्यारे बाबा मेरे... आप जो जीवन में न थे बाबा तो यह जीवन दुखो
की गठरी सा बोझिल था... मै अकेली किस कदर इसे उठाकर टूट गयी थी... आपने मीठे
बाबा मेरे जीवन में आकर, गुणो की खुशबु से महके...सुख भरे फूल खिलाये है...
मुझे अपना प्यारा बच्चा बनाकर मेरा सोया हुआ भाग्य जगा दिया है...
❉ प्यारे बाबा ने मुझे ज्ञान रत्नों से सजाकर विश्व की बादशाही देते हुए
कहा :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सदा अपने मीठे भाग्य की यादो में रहकर
मीठे बाबा को याद करो... सोचो जरा, कितना शानदार भाग्य है कि शिव पिता और
ब्रह्मा मां... जीवन को नये आयामो से सजाने के लिए मिली है... देह की मिटटी से
उठकर, ईश्वरीय दिल में बस गए हो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा अपनी खुशनसीबी पर झूमते गाते हुए मीठे बाबा को गले लगाकर
कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अपने इस अनोखे भाग्य पर कितना ना
इठलाऊँ झूमूँ, नाचू और मुस्कराऊ... कि भगवान को पाकर खुबसूरत देवता बन रही
हूँ... गुणो और शक्तियो से सजधज कर विश्व की मालिक बन रही हूँ...
❉ मीठे बाबा मुझे अपने दिल में बसाकर, अप्रतिम सौंदर्य से सजाकर कहते है
:- "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... ईश्वर पिता को पा लेने की सच्ची खुशियो में
सदा,सदा मुस्कराओ... अपने प्यारे भाग्य के गीत गाकर, मीठे बाबा की प्यारी
प्यारी यादो में खो जाओ... शिव शिल्पकार पिता और ब्रह्मा सी माँ मिलकर देवताई
सौंदर्य में ढाल रहे है... पावनता से भरकर विश्व का बादशाह बना रहे है... सदा
इस मीठी खुमारी में खोये रहो..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की श्रीमत पर चलकर जीवन को खुबसूरत बनाते हुए
कहती हूँ :- "मीठे प्यारे साथी मेरे... मै आत्मा आपकी यादो के साये में गुणो
और शक्तियो से भरपूर होकर... सतयुगी दुनिया की हकदार बन रही हूँ... शिव पिता
और ब्रह्मा माँ का हाथ थामकर खुशियो की बगिया में घूम रही हूँ... साधारण मनुष्य
से ऊँचा उठकर, खुबसूरत देवता बन रही हूँ..."प्यारे बाबा से असीम प्यार पाकर मै
आत्मा... इस देह के भृकुटि सिहांसन पर लौट आयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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"ड्रिल :- मोहब्बत से मुश्किल को भी सहज अनुभव करना
➳ _ ➳ मेरे दिलाराम बाबा के साथ की स्मृति, किसी भी कार्य मे लगने वाली
मेहनत से मुझे मुक्त कर हर कार्य को सफलतापूर्वक और बिल्कुल सहज रीति सम्पन्न
कर देती है इसका प्रेक्टिकल अनुभव करते हुए अपने दिलाराम बाबा का दिल से मैं
शुक्रिया अदा करती हूँ और उनकी मोहब्बत के झूले में झूलते हुए, उनसे स्नेह मिलन
मनाने के लिए मन बुद्धि की उस खूबसूरत यात्रा पर चलने के लिए अग्रसर होती हूँ
जो मुझे मेरे दिलाराम भगवान बाप से मिलाने वाली है। उस यात्रा पर आगे बढ़ने के
लिए, स्वयं को अशरीरी स्थिति में स्थित करने के लिए, मैं देह और देह की दुनिया
से किनारा करके, अपने मन और बुद्धि को एकाग्र करती हूँ और अपनी चेतना को समेट
कर अपना सारा ध्यान अपने मस्तक के बीच मे उस प्वाइंट पर केंद्रित कर लेती हूँ
जो मुझ आत्मा का निवास स्थान है।
➳ _ ➳ इस देह में भृकुटि के बिल्कुल बीच में अपने मन को एकाग्र करके अब
मैं उस प्वाइंट ऑफ लाइट को देख रही हूँ जिसमे से भीना - भीना सात रंगों का
प्रकाश निकल रहा है। मन को गहन तृप्ति का अनुभव करवाने वाले इस प्रकाश की
किरणों को मैं धीरे - धीरे मस्तक से बाहर निकलता हुआ देख रही हूँ। इस खूबसूरत
प्रकाश की किरणों से मेरे चारों तरफ एक शक्तिशाली औरा बनता जा रहा है। इस औरे
में समाये सुख, शांति, पवित्रता, प्रेम, आनन्द, ज्ञान और शक्ति इन सातों गुणों
के वायब्रेशन्स को मैं अपने चारों और वायुमण्डल में फैलता हुआ अनुभव कर रही
हूँ। वायुमण्डल को दिव्य और अलौकिक बनाते ये वायब्रेशन्स एक अद्भुत रूहानी नशे
से मुझे भरपूर कर रहें हैं।
➳ _ ➳ रूहानी मस्ती में डूबी मैं आत्मा अब अपनी रूहानी यात्रा पर आगे
चलने के लिए भृकुटि को छोड़ देह से बाहर आती हूँ और ऊपर की ओर चल पड़ती हूँ।
अपने दिलाराम बाबा से मिलने के सुखद एहसास में खोई मैं चैतन्य शक्ति धीरे -
धीरे अपनी रूहानी यात्रा का आनन्द लेते हुए, आकाश को पार करके, सूक्ष्म वतन में
प्रवेश करती हूँ। सफेद प्रकाश से प्रकाशित फरिश्तो की इस दुनिया के खूबसूरत
नजारों को देखते - देखते मैं इसे भी पार करके पहुँच जाती हूँ अपने मूलवतन
परमधाम घर मे। देख रही हूँ सूर्य के समान चमकते अपनी अनन्त किरणों को बिखेरते
अपने महाज्योति शिव पिता को जो मेरे बिल्कुल सामने उपस्थित हैं। उनकी मोहब्बत
में खोकर, उनकी किरणों रूपी बाहों में समाने के लिए मैं धीरे - धीरे उनके पास
पहुँचती हूँ और उनकी बाहों के आगोश में जाकर समा जाती हूँ।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे अपनी किरणों रूपी बाहों के आगोश में मुझे भरकर
बाबा अपना सारा प्यार, अपनी सारी मोहब्बत मुझ पर लुटाने के लिए मुझे अपने
बिल्कुल समीप खींच रहें हैं। बाबा की किरणों रूपी बाहों का घेरा टाइट होता जा
रहा है और मैं आत्मा बाबा के इतना समीप होती जा रही हूँ कि ऐसा लग रहा है जैसे
मैं बाबा में पूरी तरह समा गई हूँ और बाबा का ही रूप बन गई हूँ। दो बिंदु जैसे
एक हो गए हैं। बहुत ही शक्तिशाली स्थिति का मैं अनुभव कर रही हूँ। हर गुण, हर
शक्ति से मैं स्वयं को सम्पन्न महसूस कर रही हूँ। बाप समान शक्तिशाली स्थिति का
अनुभव करके अब मैं बाबा की किरणों रूपी बाहों के घेरे से निकल कर बाबा के सामने
बैठ गई हूँ। बड़े प्यार से उन्हें निहारते हुए, अपने ऊपर पड़ रही उनके स्नेह की
शीतल फुहारों से मिलने वाली शीतलता का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ।
➳ _ ➳ अपने दिलाराम बाबा से इतना मधुर, इतना आनन्दमयी स्नेह मिलन मनाकर,
उनके प्यार से भरपूर होकर मैं वापिस साकारी दुनिया मे आ रही हूँ। अपने साकार तन
में प्रवेश करके, अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर अब मैं अपने पिता की
मोहब्बत के झूले में हर पल झूल रही हूँ। मेरे दिलाराम बाबा की मोहब्बत मुझे
मेहनत से छुड़ा कर सहजयोगी जीवन का अनुभव करवा रही है। स्वयं को निमित समझ,
करनकरावनहार बाबा की याद में रहने से, स्मृति के कनेक्शन के आधार से, उनसे मिल
रही लाइट और माइट पाकर मैं हर कर्म अब डबल लाइट स्थिति में स्थित होकर कर रही
हूँ। तन - मन - धन सब कुछ बाबा को समर्पित करके, ट्रस्टी बन हर कर्तव्य को
सेवा समझ कर करने से मैं उड़ता पँछी बन हर सेकेण्ड उड़ती कला का अनुभव कर रही हूँ
और मेहनत को मोहब्बत में परिवर्तित कर, अपने दिलाराम बाबा के प्यार के झूले में
हर पल झूल रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं दीपमाला पर यथार्थ विधि से अपने दैवीय पद का आहवान करने वाली पूज्य आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं बेहद की वृत्ति, दृष्टि और स्थिति बनाकर विश्व कल्याण का कार्य सम्पन्न करने वाली विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा कहते हैं आप लोगों ने ही प्रकृति को सेवा दी है कि खूब सफाई करो, उसको लम्बा-लम्बा झाडू दिया है, सफा करो। तो घबराते क्यों हो? आपके आर्डर से वह सफाई करायेगी तो आप क्यों हलचल में आते हो? आपने ही तो आर्डर दिया है। तो अचल-अडोल बन मन और बुद्धि को बिल्कुल शक्तिशाली बनाए अचल-अडोल स्थिति में स्थित हो जाओ। प्रकृति का खेल देखते चलो। घबराना नहीं। आप अलौकिक हो, साधारण नहीं हो। साधारण लोग हलचल में आयेंगे, घबरायेंगे। अलौकिक, मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मायें खेल देखते अपने विश्व-कल्याण के कार्य में बिजी रहेंगे। अगर मन और बुद्धि को फ्री रखा तो घबरायेंगे। मन और बुद्धि से लाइट हाउस हो, लाइट फैलायेंगे, इस कार्य में बिजी रहेंगे तो बिजी आत्मा को भय नहीं होगा, साक्षीपन होगा; और कोई भी हलचल हो अपने बुद्धि को सदा ही क्लीयर रखना, क्यों क्या में बुद्धि को बिजी वा भरा हुआ नहीं रखना, खाली रखना।
➳ _ ➳ एक बाप और मैं.. तब समय अनुसार चाहे पत्र, टेलीफोन, टी.वी. वा आपके जो भी साधन निकले हैं, वह नहीं भी पहुंचे तो बापदादा का डायरेक्शन क्लीयर कैच होगा। यह साइंस के साधन कभी भी आधार नहीं बनाना। यूज करो लेकिन साधनों के आधार पर अपनी जीवन को नहीं बनाओ। कभी-कभी साइंस के साधन होते हुए भी यूज नहीं कर सकेंगे। इसलिए साइलेन्स का साधन - जहाँ भी होंगे, जैसी भी परिस्थिति होगी बहुत स्पष्ट और बहुत जल्दी काम में आयेगा। लेकिन अपने बुद्धि की लाइन क्लीयर रखना। समझा।
➳ _ ➳ चारों ओर हलचल है, प्रकृति के सभी तत्व खूब हलचल मचा रहे हैं, एक तरफ भी हलचल से मुक्त नहीं हैं, व्यक्तियों की भी हलचल है, प्रकृति की भी हलचल है, ऐसे समय पर जब इस सृष्टि पर चारों ओर हलचल है तो आप क्या करेंगे? सेफ्टी का साधन कौन -सा है? सेकण्ड में अपने को विदेही, अशरीरी वा आत्म-अभिमानी बना लो तो हलचल में अचल रह सकते हो। इसमें टाइम तो नहीं लगेगा? क्या होगा? अभी ट्रायल करो - एक सेकण्ड में मनबुद्धि को जहाँ चाहो वहाँ स्थित कर सकते हो? (ड्रिल) इसको कहा जाता है -'साधना'। अच्छा।
✺ ड्रिल :- "दुनियावी वा प्राकृतिक हलचल को देखते हुए विदेही बन अचल-अडोल रहने का अनुभव"
➳ _ ➳ बाबा के इन महावाक्यों को पढ़ मैं आत्मा बाबा के कहे अनुसार अभ्यास शुरू करती हूं... विदेही होने का क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में बहुकाल का अभ्यास चाहिए... आँखों के आगे उस दृश्य को लाती हूं... प्रकृति के सारे तत्व अपना पेपर ले रहे हैं... इस सृष्टि पर सब कुछ हलचल में है क्या धरती, क्या आसमान, कहीं आग, कहीं बाढ़, कहीं तूफ़ान, हर ओर तबाही का ही मंज़र है, सब तरफ त्राहि त्राहि मची हुई है... ऐसे में दुनियावी आत्मायें चीख़ चिल्ला रही हैं...
➳ _ ➳ याद आते हैं बाबा के महावाक्य जब चारों ओर हलचल होगी साइंस के साधन भी काम नहीं आएंगे तब तुम्हें ही मन बुद्धि से अचल अडोल बन कार्य करना होगा साइलेन्स की शक्ति काम करेगी... ऐसे में मैं आत्मा अपने को इस हलचल से उपराम कर अशरीरी बन अपने मन बुद्धि को बाबा में लगाती हूं...
➳ _ ➳ मन बुद्धि से पहुँचती हूं परमधाम में और बीज रूप में स्थित होकर अपने ज्योति स्वरूप शिव बाबा की किरणों के साये तले बैठ जाती हूँ... ज्योतिरबिन्दु से आती किरणों से मैं आत्मा प्रकाशित हो रही हूं... ये सुख स्वरूप किरणें, ये आनंद स्वरूप किरणें, ये प्रेम स्वरूप किरणें जैसे जैसे मुझ पर पड़ रहीं हैं... वैसे वैसे मैं शीतलता की लहरों में लहराने लगती हूँ... कितना अलौकिक है ये... इस अलौकिकता में मैं स्वयं को भी अलौकिक महसूस कर रही हूं... मन और बुद्धि से स्वयं को एकदम हल्का अनुभव कर रही हूं... परमपिता परमात्मा की छत्रछाया में मैं स्वयं को बेहद शक्तिशाली अनुभव करती हूं...
➳ _ ➳ परमात्म प्रेम में डूबी मैं आत्मा वापिस इस धरा पर आती हूं... साइलेन्स की इस अवस्था में मुझे एक विशेष अनुभूति हो रही है... बाबादादा की क्लियर डायरेक्शनस मुझ तक पहुंच रही हैं बच्चे तुम साधारण नहीं हो तुम अलौकिक हो मास्टर सर्वशक्तिमान हो अचल अडोल बन विश्व कल्याण के कार्य में हाथ बँटाओ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा साक्षी दृष्टा बन प्रकृति द्वारा जो उथल पुथल हो रही है वो देखती हूं... पर अब वो विनाश नहीं प्रकृति द्वारा की जा रही सफ़ाई दिख रही है... बिना हलचल में आये मैं अचल अडोल होकर इस सारी प्रक्रिया को देख रही हूं... मन बुद्धि को सेवा में बिजी कर दु:ख में डूबी दुःखी आत्माओं को शांति का दान दे रही हूं... उनको शुभ भावना दे रही हूं... विश्व कल्याण के कार्य में सहयोग दे रही हूं... शान्ति की, शुभ भावना की, शुभ कामना की तरंगें सब तरफ फैल रही हैं...
➳ _ ➳ शनैः शनैः प्रकृति के पांचों तत्त्व शांत हो रहे हैं... हलचल धीरे धीरे समाप्त हो रही है... संसार की सभी आत्मायें आसानी से अपने देह से निकल शान्ति धाम को प्रस्थान कर रही हैं... बापदादा से निरंतर मेरे मन बुद्धि को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल रही है... और मैं आत्मा चल पड़ी हूं साधना के इस नवीनतम पथ पर अनवरत बिना रुके बिना थके... ओम शांति बाबा
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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