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 08 / 08 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ याद की भिन्न भिन्न युक्तियाँ रची ?

 

➢➢ सर्विस का शौंक रखा ?

 

➢➢ बुधी को मेरेपन के फेरे से निकाल उलझनों से मुक्त रहे ?

 

➢➢ न तो छोटी दिल की और न छोटी बातों में घबराओ ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  ब्रह्मा बाप से प्यार है तो ब्रह्मा बाप समान फरिश्ता बनो। सदैव अपना लाइट का फरिश्ता स्वरूप सामने दिखाई दे कि ऐसा बनना है और भविष्य रूप भी दिखाई दे। अब यह छोड़ा और वह लिया। जब ऐसी अनुभूति हो तब समझो कि सम्पूर्णता के समीप है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं विश्व-कल्याणकारी आत्मा हूँ"

 

  सभी अपने को सदा विश्व की सर्व आत्माओंके कल्याणकारी आत्मायें अनुभव करते हो? सारा दिन विश्व-कल्याण के कर्तव्य में बिजी रहते हो या दो-चार घण्टे? कितना भी स्थूल कार्य हो लेकिन स्थूल कार्य करते हुए भी मन्सा द्वारा वायब्रेशन्स फैलाने की सेवा कर सकते हो। क्योंकि जिसका जो कार्य होता है ना, वो कहाँ भी होगा- अपना कार्य कभी भी नहीं भूलेगा।

 

  जैसे-कोई बिजनेसमेन है तो स्वप्न में भी अपना बिजनेस देखेगा। तो आपका काम ही है-विश्व-कल्याण करना। कोई भी पूछे-आपका आक्यूपेशन क्या है, तो क्या यह कहेंगे-टाइपिस्ट हैं या इन्जीनियर हैं या बिजनेसमेन हैं। यह तो हुआ निमित्तमात्र लेकिन सदा स्मृति विश्व-कल्याणकारी आक्यूपेशन की है। इतना बड़ा कार्य मिला है जो फुर्सत ही नहीं है और बातों में जाने की। ऐसे बिजी रहते हो?

 

  मन-बुद्धि बिजी रहती है? कभी खाली रहती है? अगर सदा मन-बुद्धि से बिजी हैं तो मायाजीत हो ही गये। क्योंकि माया को भी समय चाहिए ना। आपको समय ही नहीं तो माया क्या करेगी? बिजी देखकर के आने वाला स्वत: ही वापस चला जाता है। तो मायाजीत हो गये? मन-बुद्धि को प्रÀी रखना माना माया का आह्वान करना।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  आज सभी मिलन मनाने के एक ही शुद्ध संकल्प में स्थित हो ना। एक ही समय, एक ही संकल्प - यह एकाग्रता की शक्ति अति श्रेष्ठ है। यह संगठन की एक संकल्प की एकाग्रता की शक्ति जो चाहे वह कर सकती है। जहाँ एकाग्रता की शक्ति है वहाँ सर्व शक्तियाँ साथ हैं। इसलिए एकाग्रता ही सहज सफलता की चावी हैं।

 

✧  एक श्रेष्ठ आत्मा के एकाग्रता की शक्ति भी कमाल कर दिखा सकती है तो जहाँ अनेक श्रेष्ठ आत्माओं के एकाग्रता की शक्ति संगठन रूप में है वह क्या नहीं कर सकते। जहाँ एकाग्रता होगी वहाँ श्रेष्ठता और स्पष्टता स्वत: होगी। किसी भी नवीनता की इन्वेन्शन के लिए एकाग्रता की आवश्यकता है। चाहे लौकिक दुनिया की इन्वेन्शन हो, चाहे आध्यात्मिक इन्वेन्शन हो।

 

✧  एकाग्रता अर्थात एक ही संकल्प में टिक जाना। एक ही लगन में मगन हो जाना। एकाग्रता अनेक तरफ का भटकाना सहज ही छुडा देती है। जितना समय एकाग्रता की स्थिति में स्थित होंगे उतना समय देह और देह की दुनिया सहज भूली हुई होगी। क्योंकि उस समय के लिए संसार ही वह होता है, जिसमें ही मगन होते। ऐसे एकाग्रता की शक्ति के अनुभवी हो?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ 'उड़ती कला होना अर्थात् सर्व का भला होना।' उड़ती कला ही कर्मातीत स्थिति को प्राप्त करने की स्थिति है। उड़ती कला ही श्रेष्ठ स्थिति हैं। देह में रहते, देह से न्यारी ओर सदा बाप और सेवा में प्यारे-पन की स्थिति है। उड़ती कला ही विधाता और वरदाता स्टेज की स्थिति है। उड़ती कला ही चलते-फिरते फरिश्ता व देवता दोनों रूप का साक्षात्कार कराने वाली स्थिति है।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :-  चलते-फिरते बाप और घर को याद करना"
 
➳ _ ➳  मीठे बाबा ने जब से जीवन में पर्दापण किया है... जीवन खुशियो के फूलो से महक उठा है... हर पल, हर कर्म मीठे बाबा की यादो से सजा धजा है... मूर्तियो और मन्दिरो में मात्र दर्शन की प्यासी मै आत्मा... यूँ भगवान को जानूंगी, खुद को पहचानुगी यह तो कल्पनाओ में भी न था... आज मीठे बाबा को पाकर, सच की अमीरी से जीवन छलक रहा है... खुद को जानने की और ईश्वर को पाने की ख़ुशी ने जीवन को बेशकीमती बना दिया है.. मै आत्मा ईश्वरीय यादो से भरपूर होकर मा दाता बनकर मुस्करा हूँ... और यूँ मीठे चिंतन में डूबी हुई मै आत्मा... मीठे बाबा को हाले दिल सुनाने, सूक्ष्म वतन में उड़ चलती हूँ...
 
❉   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सच्ची कमाई के गहरे राज समझाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता के साथ भरा यह वरदानी समय... बहुत कीमती है, इसे अब यूँ ही व्यर्थ में न गंवाओ... चलते फिरते हर कर्म को, ईश्वर पिता की यादो में कर, सच्ची कमाई से सम्पन्न हो, देवताई सुखो में मुस्कराओ... हर साँस से मीठे बाबा को याद कर, समर्थ चिंतन से देवताई अमीरी को पाओ..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा की सारी जागीरों पर अपना अधिकार करते हुए कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... आपने अपना यादो भरा हाथ, मेरे हाथो में देकर, मुझे देवताओ की अमीरी से पुनः नवाजा है... आपको पाकर मै आत्मा... अपने सारे खोये खजाने लेकर...  विश्व का ताजोतख्त पा रही हूँ... सच्ची कमाई से भरपूर होकर फिर से खोयी हुई बादशाही को पा रही हूँ..."
 
❉   प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को मेरे खोये सतयुगी सुखो को पुनः दिलाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... भाग्य ने जो खुबसूरत दिन दिखलाया है... और भगवान को पिता, टीचर, सतगुरु रूप में सम्मुख मिलवाया है... अब हर पल इन मीठी यादो में खोकर, सच्ची कमाई करो... ईश्वर पिता की याद में हर साँस को पिरो दो...और 21 जनमो के लिए मालामाल हो जाओ..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा की सारी वसीयत की मालिक बनते हुए कहती हूँ :- "प्यारे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा ज्ञान धन से सम्पन्न होकर, यादो के झूले में खोयी हुई, हर क्षण सच्चे आनन्द को जी रही हूँ... आपकी मीठी यादो में जीवन कितना प्यारा मीठा और सच्ची कमाई से भरपूर हो रहा है,... सदा आपके प्यार की छत्रछाया में पलने वाली महान भाग्यवान ही गयी हूँ..."
 
❉   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी मीठी यादो के तारो में पिरोते हुए कहा :- "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... संगम के सुहावने पलों में, मीठे बाबा की यादो में, सदा के धनवान् बन जाओ... हर कर्म करते हुए मन और बुद्धि के तारो से मीठे बाबा को थामे रहो... सदा प्यारे बाबा के साथ रहो... और एक पल भी खुद को ईश्वरीय याद से जुदा नही करो... यादो की सच्ची कमाई से देवताई सम्पन्नता से भरपूर हो जाओ..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा से अखूट खजाने लेकर सरे विश्व की मालिक बनकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... आपने मुझ आत्मा के साधारण जीवन में आकर, जीवन को बेशकीमती बना दिया है... सदा की गरीबी से छुड़ाकर, मुझ आत्मा को देवताई सुखो भरा ताज पहनाकर, राजरानी बनाया है... मै आत्मा ईश्वरीय यादो में अथाह खुशियो को अपनी बाँहों में भर रही हूँ..."मीठे बाबा से प्यारी सी रुहरिहानं कर मै आत्मा... स्थूल तन में लौट आयी...

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :-  सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेने के लिए याद का चार्ट बढाना है"

➳ _ ➳  देह और देह से जुड़े पदार्थो और सम्बन्धो की याद केवल दुख देने वाली है जबकि सुखदाई बाप की याद जीवन को सुख और शांति से भरपूर करने वाली है, मन को सुकून और चित को चैन देने वाली है। यही विचार करते करते अपने मीठे प्यारे शिवबाबा की मीठी मधुर यादों में मैं खो जाती हूँ और उस सुखद पल को याद करती हूं जब पहली बार झूठे स्वार्थी दैहिक प्यार से परे निस्वार्थ सच्चे रूहानी प्यार का एहसास किया था। जब मेरे दिलाराम भगवान ने सच्चा प्रीतम बन दैहिक सम्बन्धों के दुखदाई कड़वे वचनों से घायल हुए मेरे मन को अपने मीठे सुखदाई बोल से यह कह कर मरहम लगाया था कि "मैं तुम्हारा हूँ, तुम्हारे लिए ही आया हूँ"। उनका यह कहकर अपने प्यार की शीतल छाया में मुझे समा लेना आज भी मन को उसी खूबसूरत एहसास से सरोबार कर देता है।

➳ _ ➳  उस खूबसूरत एहसास को स्मृति में ला कर अगले ही पल इस नश्वर देह का त्याग कर अशरीरी आत्मा बन मैं उड़ चलती हूँ अपने दिलबर, दिलाराम शिव पिया के पास अपने स्वीट साइलेन्स होम में। यहां पहुँचते ही एक असीम गहन शांति का मैं अनुभव कर रही हूं। ऐसा लग रहा है जन्म जन्म से मुझे जिस चीज की तलाश थी, जिसके लिए मैं आत्मा भटक रही थी वो तलाश अब पूरी हो गई। मेरे सामने विराजमान है महाज्योति स्वरूप में मेरे दिलाराम शिव बाबा। उनसे निकल रही शक्तियों और गुणों की अनन्त किरणे मुझ पर पड़ रही हैं और असीम आनन्द से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं। अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हुए मैं आत्मा सजनी प्रेम के सागर अपने शिव पिया के प्यार की गहराई में समाती जा रही हूं।

➳ _ ➳  ईश्वरीय प्रेम का सच्चा सुख प्राप्त कर, स्वयं को पूरी तरह तृप्त और शक्तियों से भरपूर करके अब मैं आत्मा साकारी दुनिया मे वापिस लौट रही हूं। परमात्म प्रेम का सुखदाई अनुभव, साकारी देह में रहते हुए भी अब मुझे देह और देह से जुड़े बन्धनों से मुक्त कर रहा है। किसी भी देहधारी के झूठे प्यार का आकर्षण अब मुझे आकर्षित नही कर रहा। सर्व सम्बन्धों का सच्चा रूहानी प्यार मेरे मीठे शिव बाबा से मुझे निरन्तर प्राप्त हो रहा है। "मुझ से श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा इस संसार मे और कोई नही"। स्वयं भाग्यविधाता भगवान मेरा सर्व सम्बन्धी बन गया। इसी श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति और नशे में रहते हुए अब मैं पुरानी दुनिया और इसके आकर्षणों से मुक्त हो रही हूं।

➳ _ ➳  मेरे दिलाराम, दिलबर भगवान की याद मुझे इस पुरानी देह और देह के सम्बन्धो से सहज ही नष्टोमोहा बना रही है। मैं आत्मअभिमानी बनती जा रही हूं। हर कर्म करते अपने दिलाराम शिव बाबा का हाथ और साथ अपने ऊपर मैं निरन्तर अनुभव करते हुए देह में रहते हुए भी देह से उपराम स्थिति का अनुभव कर रही हूं। मैं अच्छी रीति जान गई हूं कि केवल परमात्मा की याद ही आत्मा को पुराने दैहिक कर्मबन्धनों से मुक्त कर सकती है। केवल परमात्म प्यार ही आत्मा को तृप्त कर सकता है। इसलिए परमात्म याद में निरन्तर रहने का अभ्यास बढ़ाना ही अब मेरे इस ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य है।

➳ _ ➳  इस लक्ष्य को पाने के लिए अब मैं ब्राह्मण आत्मा इस देह और देह की दुनिया मे रहते हुए स्वयं को केवल ट्रस्टी समझ हर कर्तव्य कर रही हूं। यह सृष्टि एक विशाल नाटक हैं जहां मैं शरीर धारण कर पार्ट बजा रही हूँ। मुझ बिन्दु आत्मा को बिंदु बाप की याद से पावन बन कर वापिस अपने धाम जाना है इस बात को सदा स्मृति में रख बिंदु रूप में स्थित हो, बिंदु बाप की याद में रह, ड्रामा की हर सीन को साक्षी हो कर देख हर बात पर बिंदु लगाने का अभ्यास करते, अब मैं याद के चार्ट को बढ़ाने का पुरुषार्थ कर रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं बुद्धि को मेरेपन के फेरे से निकाल उलझनों से मुक्त्त रहने वाली न्यारी, ट्रस्टी           आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं छोटी दिल करने और छोटी बातों में घबराने के बजाए बड़े बाप की बच्ची होने की खुशी में रहने वाली आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

✺ अव्यक्त बापदादा :-

➳ _ ➳  गम्भीरता का गुण बहुत आगे बढ़ाता है। कोई भी बात बोल दी नासमझो अच्छा किया और बोल दिया तो आधा खत्म हो जाता हैआधा फल खत्म हो गयाआधा जमा हो गया। और जो गम्भीर होता है उसका फुल जमा होता है। कहते हैं ना-देखो जगदम्बा गम्भीर रही, चाहे सेवा स्थूल में आप लोगों से कम कीआप लोग ज्यादा कर रहे हो लेकिन ये गम्भीरता के गुण ने फुल खाता जमा किया है। कट नहीं हुआ है। कई करते बहुत हैं लेकिन आधापौना कट हो जाता है। करते हैंकोई बात हुई तो पूरा कट हो जाता है या थोड़ी बात भी हुई तो पौना कट हो जाता है। ऐसे ही अपना वर्णन किया तो आधा कट हो जाता है। बाकी बचा क्यातो जब जगदम्बा की विशेषता - जमा का खाता ज्यादा है। गम्भीरता की देवी है।

➳ _ ➳  ऐसे और सभी को गम्भीर होना चाहिएचाहे मधुबन में रहते हैंचाहे सेवाकेन्द्र में रहते हैं लेकिन बापदादा सभी को कहते हैं कि गम्भीरता से अपनी मार्क्स इकट्ठी करोवर्णन करने से खत्म हो जाती हैं। चाहे अच्छा वर्णन करते होचाहे बुरा। अच्छा अपना अभिमान और बुरा किसका अपमान कराता है। तो हर एक गम्भीरता की देवी और गम्भीरता का देवता दिखाई दे। अभी गम्भीरता की बहुत-बहुत आवश्यकता है। अभी बोलने की आदत बहुत हो गई है क्योंकि भाषण करते हैं ना तो जो भी आयेगा वो बोल देंगे। लेकिन प्रभाव जितना गम्भीरता का पड़ता है इतना वाणी का नहीं पड़ता।

✺   ड्रिल :-  "गंभीरता के गुण से सेवा में फुल मार्क्स जमा करना"

➳ _ ➳  स्कूल की घंटी बजते ही बच्चों का तूफान के जैसे भागना... नाचते... कूदते बच्चों का स्कूल छूटते ही भागना... मैं आत्मा निहार रही थी.... सभी बच्चों के तरंगों को... बच्चों की चंचल वृति को... और सोच रही थी... यही तो वह बच्चे हैं जो बचपन की दीवार तोड़ कर यौवन की तगार पर खड़े हैं... और पूरे देश के भविष्य के नींव समान यह बच्चे... डूबे हुए हैं... बाहरीय जगमगाहट में... स्थूल चीज़ों में अपनी बुद्धि को वेस्ट करते... मोबाइल इंटरनेट... होटल... घूमना फिरना...  इसे ही दुनिया समझते यह बच्चे... अज्ञान वश... अपने ही उज्जवल भविष्य को अपनी ही चंचल वृत्ति के हाथों बर्बाद कर रहे हैं... दैवीय संस्कारों की कमी को उजागर होता देख मैं आत्मा हतप्रभ हो जाती हूँ...

➳ _ ➳  और मन ही मन इन बच्चों को सच्ची शिक्षा रूपी ज्ञान दान के अधिकारी बनाने में मैं आत्मा... एक नजर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय पे डालती हूँ... यह वही संस्था हैं जहाँ बड़े बड़े वेल एजुकेटेड और कम पढ़े हुए... बच्चे बुढ्ढे... गरीब-अमीर... सब एक ही साथ बैठ कर ईश्वरीय पढ़ाई पढ़ते हैं... यह वह संस्था हैं जहाँ मनुष्य से देवी-देवता बनना सिखाया जाता हैं... कैसी होगी वह शिक्षा जहाँ स्वयं भगवान आकर पढ़ाते हैं... खुशनसीब मैं आत्मा... जो इसी विद्यालय की स्टूडेन्ट हूँ... काम क्रोध लोभ मोह माया के विकारों रूपी काले बादलों को योग अग्नि रूपी ज्ञान अमृत से नष्ट होता देख रही हूँ....

➳ _ ➳  स्वयं शिव परमात्मा द्वारा स्थापित संस्था... प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय... पूरे विश्व में एक ही विद्यालय हैं जहाँ विकारों से मुक्त किया जाता हैं... दर दर भटकते भक्तों को भगवान मिल जाते हैं... सच्चा सच्चा गीता ज्ञान... मिलता हैं... स्वयं भगवान की प्रत्यक्षता जहाँ होती हैं ऐसी संस्था की मैं भाग्यवान स्टूडेंट आज अपने भगवान को याद करूं और भगवान न आये ऐसा हो ही नहीं सकता... भगवान को प्रत्यक्ष हाजिरहजुर देखना... जानना... महसूस करना है तो प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में आओ... जहाँ स्वयं भगवान के हाथों विजय भव का स्वराज्य अधिकारी तिलक लगाया जाता है...

➳ _ ➳  ऐसी खुशनसीब मैं आत्मा बापदादा के साथ... उनका हाथ पकडे... चल पड़ती हूँ... सभी स्कूल... कॉलेज में... अपने फ़रिश्ते रूप में सज मैं आत्मा... बापदादा से आती हुई ज्ञान रत्नों रूपी शिक्षाओं को अपने में धारण कर विश्व की सभी स्कूल... कॉलेज पर... सभी विद्यार्थियों पर फैलाती जा रही हूँ... बापदादा का हाथ अपने हाथों में पकड़ें... मैं आत्मा... देख रही हूँ... बापदादा की पवित्रता... शांति से भरी किरणें सभी स्कूल... कॉलेज के बच्चों को मिल रही है... उनकी चंचलता... बाहरीय चमक दमक की झूठी माया रूपी विकारों की अग्नि को बापदादा की शक्तियों रूपी किरणों से स्वाहा होता देख रही हूँ...

➳ _ ➳  चंचलता को गंभीरता में परिवर्तित होता देखती मैं आत्मा... खुद भी गम्भीर होती जा रही हूँ... पुरुषार्थ में... योग में... हर संकल्प... हर स्वांस में सिर्फ एक की ही याद रहें... ऐसी गंभीर स्थिति में मग्न होती जा रही हूँ... गम्भीरता के गुण से फुल खाता जमा करती जा रही हूँ... सभी बच्चों को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्टुडेन्ट बनता देख यह आँखे अश्रु से भर जाती हैं... कोटि बार धन्यवाद उस परमपिता परमात्मा का जो हर घड़ी... हर पल... अपने भक्तों की लाज रखने चला आता है...  कोटि बार धन्यवाद प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का जहाँ अनाथ को सनाथ बनाने स्वयं भगवान आते हैं...

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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