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❍ 28 / 11 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ इस कुदरत को साक्षी होकर देखा ?
➢➢ "डूबने वाले को बचाना" - अपना यह कर्तव्य स्मृति में रहा ?
➢➢ सेवा भाव से सेवा करते हुए आगे बड़े और बढाया ?
➢➢ महीन और आकर्षण करने वाले धागों से मुक्त रहे ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ हम ब्राह्मण सो फरिश्ता हैं, यह कम्बाइन्ड रुप की अनुभूति विश्व के आगे साक्षात्कार मूर्त बनायेगी। ब्राह्मण सो फरिश्ता इस स्मृति द्वारा चलते फिरते अपने को व्यक्त शरीर, व्यक्त देश में पार्ट बजाते हुए भी ब्रह्मा बाप के साथी अव्यक्त वतन के फरिश्ते, अव्यक्त रुपधारी अनुभव करेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं बाप के स्नेह में सामयी हुई आत्मा हूँ"
〰✧ सदा बाप के स्नेह में सदा समाये हुए रहते हो? जो समाया हुआ होता है उसको कोई सुध-बुध नहीं रहती। आप सभी को भी सब-कुछ भूल गया है ना! स्नेह में समाया हुआ सदा ही बाप का प्यारा और दुनिया से न्यारा रहता है। सभी लोग आपको कहते हैं ना कि आप तो न्यारे बन गये! न्यारा बनना ही बाप का प्यारा बनना है। सारे विश्व को बाप प्यारा क्यों लगता है? क्योंकि सबसे न्यारा है। सबसे न्यारा एक ही है, और कोई हो नहीं सकता। तो आप भी कौन हैं? न्यारे और प्यारे। आपका यह न्यारा जीवन सारे विश्व को प्रिय लगता हे।
〰✧ इसलिए ब्राह्मण जीवन को अलौकिक जीवन कहते हैं। अलौकिक का अर्थ क्या है? लोक जैसे नहीं। अलौकिक अर्थात् लोक जैसा जीवन नहीं है। आपकी दृष्टि, स्मृति, वृत्ति सब बदल गई। स्मृति वा वृत्ति में क्या रहता है? त्याग वृत्ति रहती है! आत्मा भाई-भाई की वृत्ति वा भाई-बहन की वृत्ति रहती है। हम सब आपस में एक परिवार के हैं - यह वृत्ति रहती है। और दृष्टि से भी आत्मा को ही देखते, शरीर को नहीं। तो सब बदल गया ना! कभी गलती से शरीर को तो नहीं देखते हो? अगर आत्मा नहीं होती तो शरीर कुछ कर सकता है? तो प्यारी चीज कौन-सी है? आत्मा है।
〰✧ जब आत्मा निकल जाती है तो शरीर को रखने के लिए भी तैयार नहीं होते। तो प्यारी चीज आत्मा है ना! इसलिए वृत्ति, दृष्टि, स्मृति सब बदल जाती है। तो यह चेक करो कि सदा अलौकिक जीवन में हूँ या साधारण जीवन में हूँ? क्योंकि नया जन्म हो गया! जन्म नया है तो सब-कुछ नया है और सभी को प्रिय भी नया लगता है, न कि पुराना। तो नई जीवन में नई बातें हैं। पुराना समाप्त हो गया। समाप्त हुआ है या आधे वहाँ जिन्दा हो, आधे यहाँ जिन्दा हो? आधा शुद्र तरफ, आधा ब्राह्मण तरफ - ऐसे तो नहीं है ना? श्रेष्ठ जीवन को भूल कर साधारण जीवन को कौन याद करेगा! कोई को राजाई मिल जाए और फिर भी गरीबी को याद करता रहे, तो उसे क्या कहेंगे? भाग्यवान कहेंगे? तो स्वप्न में भी पुराना जीवन याद नहीं आये। जब मर गये तो याद कहाँ से आयेगा! आधा तो नहीं मरे हो? पूरा मर गये होना! जो आधा मर जाता है, पूरा नहीं मरता, तो अच्छा नहीं लगता है ना! जब ऐसी बिढ़या जीवन मिल गई तो पुरानी जीवन याद आ नहीं सकती। तो ऐसे मरजीवा बने हो या आधा मरे हो?
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ अशरीरी का अर्थ है कि शरीर की कोई भी आकर्षण आत्मा को अपने तरफ आकर्षित नहीं करे। चाहे जिन्दा भी हैं, लेकिन जैसे जीते जी मरजीवा। वैसे आप सबका अपना शरीर तो है ही नहीं। मेरा शरीर कहेंगे या बाप की अमानत है?
〰✧ जब है ही बाप की अमानत तो अशरीरी बनना क्या मुश्किल है? मुश्किल है या सहज है? (सहज है) कहने में तो सहज है। युद्ध नहीं करनी पडे कि नहीं, मैं आत्मा हूँ, मैं आत्मा हूँ...। युद्ध में ही एक सेकण्ड पूरा हो जायेगा तो कहाँ पहुँचेंगे!
〰✧ बाप ने कहा और किया। अगर जरा भी सोचा - ऐसा नहीं वैसा, अभी तो थोडा टाइम चाहिए, इतना अभ्यास तो हुआ नहीं है, हो जायेगा, सोचा और गया। कहाँ गया? त्रेता में गया। हाँ जी किया तो ब्रह्मा बाप के साथी बनेंगे। अच्छा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ जैसे शुरू में घर बैठे भी अनेक समीप आने वाली आत्माओं को साक्षात्कार हुए ना! वैसे अब भी साक्षात्कार होंगे। यहाँ बैठे भी बेहद में आप लोगों का सूक्ष्म स्वरूप सर्विस करेगा। अब यही सर्विस रही हुई है। साकार में सभी इग्जाम्पल तो देख लिया। सभी बातें नम्बरवार ड्रामा अनुसार होनी हैं। जितना-जितना स्वयं आकारी फ़रिश्ते स्वरूप में होंगे उतना आपका फ़रिश्ता रूप सर्विस करेगा। आत्मा को सारे विश्व का चक्र लगाने में कितना समय लगता है? तो अभी आपके सूक्ष्म स्वरूप भी सर्विस करेंगे। लेकिन जो इस न्यारी स्थिति में होंगे, स्वयं फ़रिश्ते रूप में स्थित होंगे। शुरू में सभी साक्षात्कार हुए हैं। फ़रिश्ते रूप में सम्पूर्ण स्टेज और पुरुषार्थी स्टेज दोनों अलग-अलग साक्षात्कार होता था। जैसे साकार ब्रह्मा और सम्पूर्ण ब्रह्मा का अलग-अलग साक्षात्कार होता था, वैसे अन्य बच्चों के साक्षात्कार भी होंगे। हंगामा जब होगा तो साकार शरीर द्वारा तो कुछ कर नहीं सकेंगे और प्रभाव भी इस सर्विस से पड़ेगा। जैसे शुरू में भी साक्षात्कार से ही प्रभाव हुआ ना? परोक्ष अपरोक्ष-अनुभव ने प्रभाव डाला वैसे अन्त में भी यही सर्विस होनी है। अपने सम्पूर्ण स्वरूप का साक्षात्कार अपने आप को होता है?
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- शिवबाबा आया है सब भंडारे भरपूर करने"
➳ _ ➳ मैं आत्मा आईने के सामने खडी होकर देख रही हूँ स्वयं को... कई
जन्मों से स्वयं को देह समझ, इस देह का ही श्रृंगार करती रही... इस देह और देह
के सब संबंधो को ही अपना सबकुछ समझ बैठी थी... प्यारे बाबा ने आकर ज्ञान दर्पण
में मुझे मेरा सत्य स्वरुप दिखाया... सत्य ज्ञान दिया... मैं तो एक चमकती हुई
अविनाशी आत्मा हूँ... और मुझ आत्मा के असली पिता स्वयं परमात्मा हैं... मेरा
असली घर परमधाम है... ये देह की दुनिया मेरी नहीं है... ये स्मृति में आते ही
मैं आत्मा उड़ चलती हूँ मेरे बाबा के पास वतन में आत्मा का श्रृंगार कराने...
❉ सारे फिक्रों से फारिग कर मुझे हल्का बनाकर आसमान में उड़ाते हुए
प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... कल तक तो भगवान के दर्शन को
कितने प्यासे थे... वह पिता बनकर आज मीठी पालना दे रहा है... तो पिता को अपना
सब कुछ सौंप दो... और ट्रस्टी बनकर ख़ुशी आनन्द के गीत गाओ... सारी जवाबदारी
बाबा की है... आप हल्के और निश्चिन्त हो मौज मनाओ...”
➳ _ ➳ बाबा के साथ से सारे नज़ारे कितने हसीन और प्यारे लग रहे, इस एहसास
से निश्चिन्त होकर मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै
आत्मा आप सच्चे पिता को पाकर सदा की मुस्करा रही हूँ... आप जीवन में न थे तो
बाबा, जीवन का बोझ उठाकर मै आत्मा किस कदर टूट सी गयी थी... आज पिता का हाथ
थाम निश्चिन्त हो, मै खुशियो के आसमाँ में उड़ रही हूँ...”
❉ मीठा बाबा अपनी दिव्य किरणों की छाँव में मुझे गुल-गुल फूल बनाते हुए
कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सब कुछ ईश्वर पिता के हवाले कर उसके
ट्रस्टी बनकर सम्भाल करो, तो सदा बेफिक्र बादशाह बन मुस्करायेंगे... जब सब कुछ
बाबा के नाम करोगे, तो सब कुछ पवित्र हो जायेगा... और शिवबाबा के भण्डारे से
पलने वाले महान भाग्यशाली आत्मा बन बेफिक्र हो गुनगुनाएंगे...”
➳ _➳ मैं आत्मा सारे बोझ और चिंताओं से मुक्त होकर ख़ुशी में नाचती झूमती
हुई कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता के भण्डारे से
पलने वाली देवताओ से भी ज्यादा भाग्यशाली आत्मा हूँ... मेरी पालना ईश्वर पिता
के हाथो से हो रही है... मीठे बाबा... आपने सारे बोझों से मुझे मुक्त कर...
कितना खुशहाल और खुशनुमा बना दिया है...”
❉ 'बच्चे, तुम चिंता मत करो मैं बैठा हूँ ना’... ये कहकर मुझे सारी
जिम्मेवारियों से मुक्त करते हुए मेरे बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे
बच्चे... जो गुण शक्तियाँ धन सम्पदा है, वह ईश्वरीय वरदान है... प्रभु देंन
है, यह समझ ट्रस्टी बनकर व्यवहार करो... तो जीवन की हर बात का गवाह और
जिम्मेदार ईश्वर पिता होगा... ऐसा जिगरी सम्पूर्ण निश्चय कर, शिव भंडारे से
पलते चलो और असीम खुशियो में झूमते रहो....”
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने भाग्य के सितारे को बुलंदियों में देख बाबा से कहती
हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा शानदार भाग्य वाली हूँ... कि जीवन की
तमाम बाते चिंताए बोझ सब ईश्वर पिता को पकड़ाए कितनी हल्की खुशनुमा हूँ... मेरी
जिम्मेदारी उठाने भगवान धरती पर आ गया... प्यारे बाबा मेरे सारे बोझ आपके और
आपका शिव भण्डारा मेरा हो गया...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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"ड्रिल :- सदा बुद्धि में याद रहे कि हम संगमयुगी ब्राह्मण हैं, हमे बाप की
श्रेष्ठ गोद मिली है"
➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित मैं आत्मा मन ही मन विचार करती हूँ
कि कितनी पदमापदम सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा कि जिस ब्राह्मण सम्प्रदाय को
भक्ति में सबसे ऊंच माना जाता है वो सच्ची ब्राह्मण आत्मा मैं हूँ जिसे स्वयं
परम पिता परमात्मा ने आ कर ब्रह्मा मुख से अडॉप्ट करके ईश्वरीय सम्प्रदाय का
बनाया है। मैं वो कोटो में कोई और कोई में भी कोई सौभाग्यशाली आत्मा हूँ जिसे
स्वयं भगवान ने चुना है।
➳ _ ➳ बड़े - बड़े महा मण्डलेशवर, साधू सन्यासी जिस भगवान की महिमा के केवल
गीत गाते हैं लेकिन उसे जानते तक नही, वो भगवान रोज मेरे सम्मुख आकर मेरी महिमा
के गीत गाता है। रोज मुझे स्मृति दिलाता है कि "मैं महान आत्मा हूँ" "मैं
विशेष आत्मा हूँ" "मैं इस दुनिया की पूर्वज आत्मा हूँ"। "वाह मेरा सर्वश्रेष्ठ
भाग्य" जो मुझे घर बैठे भगवान मिल गए और मेरे जीवन मे आकर मुझे नवजीवन दे
दिया। उनका निस्वार्थ असीम प्यार पा कर मेरा जीवन धन्य - धन्य हो गया। इस जीवन
में अब कुछ भी पाने की इच्छा शेष नही रही। जो मैंने पाना था वो अपने ईश्वर, बाप
से मैंने सब कुछ पा लिया है।
➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में खोई हुई मैं अपने भाग्य को
बदलने वाले भाग्यविधाता बाप को जैसे ही याद करती हूँ वैसे ही मेरे भाग्यविधाता
बाप मेरे सामने उपस्थित हो जाते हैं। अपने लाइट माइट स्वरूप में भगवान जैसे ही
मुझ ब्राह्मण आत्मा पर दृष्टि डालते हैं उनकी पावन दृष्टि मुझे भी लाइट माइट
स्वरूप में स्थित कर देती है और डबल लाइट फ़रिश्ता बन मैं चल पड़ती हूँ बापदादा
के साथ इस साकारी लोक को छोड़ सूक्ष्म लोक में। बापदादा के सामने मैं फ़रिश्ता
बैठ जाता हूँ।
➳ _ ➳ बापदादा की मीठी दृष्टि और उनकी सर्वशक्तियों से स्वयं कोभरपूर
करके मैं अपने जगमग करते ज्योतिर्मय स्वरूप को धारण कर अपने परमधाम घर की ओर चल
पड़ती हूँ। सेकण्ड में मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ अपने घर मुक्तिधाम में। यहां
मैं परम मुक्ति का अनुभव कर रही हूँ। मैं आत्मा शांति धाम में शांति के सागर
अपने शिव पिता परमात्मा के सम्मुख गहन शान्ति का अनुभव कर रही हूँ। मेरे शिव
पिता परमात्मा से सतरंगी किरणे निकल कर मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं और मैं स्वयं
को सातों गुणों से सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ। शिव बाबा से अनन्त शक्तियाँ निकल
कर मुझ में समाती जा रही हैं। कितना अतीन्द्रिय सुख समाया हुआ है इस अवस्था
में।
➳ _ ➳ बीज रूप अवस्था की गहन अनुभूति करने के बाद अब मैं आत्मा वापिस लौट
आती हूँ अपने साकारी ब्राह्मण तन में और भृकुटि पर विराजमान हो जाती हूँ। अपने
ब्राह्मण स्वरूप में स्थित मैं आत्मा अब सदा इसी नशे में रहती हूँ कि मैं सबसे
उंच चोटी की हूँ, ईश्वरीय सम्प्रदाय की हूँ। आज दिन तक मेरा यादगार भक्ति में
ब्राह्मणों को दिये जाने वाले सम्मान के रूप में प्रख्यात है। आज भी भक्ति में
ब्राह्मणों का इतना आदर और सम्मान किया जाता है कि उनकी उपस्थिति के बिना कोई
भी कार्य सम्पन्न नही माना जाता और वो सच्ची ब्राह्मण आत्मा वो कुख वंशवाली
ब्राह्मण नही बल्कि ब्रह्मा मुख वंशावली, ईश्वरीय पालना में पलने वाली, मैं
सौभाग्यशाली आत्मा हूँ"।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
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मैं आत्मा सेवा भाव से सेवा करती हूँ।
✺ मैं आगे बढ़ने और बढ़ाने वाली आत्मा हूँ।
✺ मैं निर्विघ्न सेवाधारी आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
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मैं ज्ञानी तू आत्मा हूँ ।
✺ मैं आत्मा महीन और आकर्षण करने वाले धागों से सदा मुक्त हूँ
।
✺ मैं देही अभिमानी आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. वैज्ञानिकों को बहुत अच्छा अनुभव है। जैसे साइंस दिनप्रतिदिन अति सूक्ष्म, महीन होती जाती है। ऐसे आप साइलेन्स और साइंस - दोनों के अनुभवी हो। तो अपने हमजिन्स को साइलेन्स का महत्व सुनाओ। उनका भी कल्याण करो। कल्याण करना आता है ना? साइलेन्स भी एक विज्ञान है, साइलेन्स का विज्ञान क्या है, उसकी इन्हों को पहचान दो। साइलेन्स के विज्ञान से क्या-क्या होता है, यह जानने से साइंस भी ज्यादा रिफाइन कर सकेंगे क्योंकि हमारी नई दुनिया में भी विज्ञान तो काम में आयेगा ना! लेकिन रिफाइन रूप में होगा। अभी के विज्ञान की इन्वेन्शन में फायदा भी है, नुकसान भी है। लेकिन नई दुनिया में रिफाइन विज्ञान होने के कारण नुकसान का नाम-निशान नहीं होगा। तो ऐसे जो बड़े-बड़े वैज्ञानिक हैं उन्हों को साइलेन्स का ज्ञान दो। तो फिर अपनी नई दुनिया में रिफाइन विज्ञान का कार्य करने में मददगार बनेंगे।
➳ _ ➳ 2. ऐसे इन्जीनियर्स को तैयार करो। चलो पूरा ज्ञान नहीं लेवें, रेग्युलर नहीं बनें लेकिन बाप को तो पहचानें। कई ऐसी आत्मायें हैं जो रेग्युलर नहीं बनती हैं लेकिन निश्चय और खुशी में रहती हैं। सम्बन्ध में सहयोगी रहती हैं। ऐसी आत्मायें भी तैयार करो।
✺ ड्रिल :- "साइलेन्स के विज्ञान का अनुभव"
➳ _ ➳ बाबा के अव्यक्त महावाक्यों को मैं आत्मा मानस पटल पर लाते हुए इन पर विचार कर रही हूँ... बाबा के द्वारा उच्चारे गये शब्द "साइलेंस का अनुभव कराओं, अपने हमजिन्स का कल्याण करों"... ये शब्द बार-बार मुझ आत्मा के कानों में गूंज रहे है... मैं आत्मा भी अन्तरमुखता की गुफा में प्रवेश कर साइलेंस विज्ञान के अद्भुत प्रयोग में लग जाती हूँ... सभी संकल्पों को एक सेकंड में स्टॉप कर... मैं आत्मा चेतना को भृकुटि के मध्य एकाग्र करती हूँ... और मन बुद्धि रूपी विमान में बैठ राकेट से भी ज्यादा तेज गति से उड़कर पँहुच जाती हूँ अपने साइलेंस होम में... चारों ओर एक गहन सन्नाटा है... गहन शांति है और मैं आत्मा स्थित हूँ अपने स्वधर्म में... सामने शांति के सागर ज्योतिमय शिव बाबा, उनसे निकलती सर्व शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा में समा रही है... एक-एक शक्ति की बहुत गहराई से अनुभव कर रही हूँ मैं आत्मा... स्वयं को मैं आत्मा बेहद शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... गहन शांति की शक्ति का अनुभव मैं आत्मा स्वयं में कर रही हूँ... लग रहा है शांतिधाम की समस्त शांति मुझ आत्मा में समा गई हो... महसूस कर रही हूँ मैं आत्मा स्वयं में इस साइलेंस बल को इस याद के बल को... अब मैं आत्मा इस साइलेंस बल को स्वयं में भर चलती हूँ इस विश्व गलोब के ऊपर...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को विश्व गलोब के ऊपर, देख रही हूँ इस साकार लोक को जहाँ साइंस के साधनों की धूम मची है... किस प्रकार साइंस तेजी से प्रगति की राह पर है... और किस प्रकार हर मनुष्य आत्माएँ साइंस द्वारा निर्मित साधनों की प्राप्ति में लगी हुई है... और इन स्थूल साधनों में सुख-शांति तलाश रही है... लेकिन फिर भी ना उन्हें सच्ची खुशी मिल रही है... और ना ही सच्ची शांति बल्कि साइंस ही उन्हें विनाश की ओर ले जा रही है... हर आत्मा सच्ची खुशी, सच्ची शांति को तलाश रही है... भटक रही है... उनका दुख, अंशाति, दर्द बढ़ ही रहा है... मैं आत्मा फरिशता ड्रेस धारण कर आवाहन करता हूँ... एडवांस पार्टी की सभी आत्माओं का, आवाहन करते ही सभी एडवांस पार्टी की आत्माएँ मुझ आत्मा के चारो तरफ घेरा बना कर खडी हो जाती है... अपने फरिशता ड्रेस में... और हम सभी मिलकर एक दूसरे का हाथ पकड़कर विश्व गलोब पर बैठ जाते है... और ऊपर शिव बाबा से निरंतर शक्तिशाली किरणें हमारे ऊपर पड़ रही है... और हमसे ये पवित्रता, सुख, शांति की किरणें इस पूरे विश्व में फैल रही है... ये किरणें इस विश्व की हर आत्मा को मिल रही है... हर आत्मा सुख, शांति, शक्ति की अनुभूति कर रही है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा देख रही हूँ... इस विश्व में जहाँ-जहाँ भी दुख-अशांति है... साइंस के साधन जहाँ फेल हो गये है... वहाँ-वहाँ बाबा के बच्चे जो इस विश्व में सेवा अर्थ भिन्न-भिन्न स्थानों पर है... वह साइलेंस बल द्वारा इन विकट समस्याओं को हल कर रहे है... और हम फरिशते भी उनके साथ सकाश दे रहे है... जहाँ साइंस काम नहीं कर रही वहाँ अब ये साइलेंस कार्य कर रही है... साइंस पर साइलेंस की विजय हो रही है... ये देख कर बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी प्रभावित हो रहे है... वो भी अनुभव कर रहे है... कोई दिव्य अलौकिक शक्ति के द्वारा यह कार्य हो रहा है... मैं फरिशता, एडवांस पार्टी के फरिशतो के साथ इन वैज्ञानिकों की आत्माओं और इन्जीनियर्स को भी सकाश दे रही हूँ... साइलेंस की शक्ति इनको अनुभव हो रही है... और ये आत्माएँ भी साइलेंस की साइंस को जानने में लग गई है... इस साइलेंस विज्ञान को साइंस में यूज करने के कार्य में जुट गई है... इन्हें भी अनुभव हो रहा है... जैसे इनको ये कार्य करने की कहीं से प्रेरणा मिल रही है... वे एक अलौकिक शक्ति का अनुभव कर रहे है... और इसी शांति की शक्ति से आकर्षित होकर ये आत्माएँ निमित्त आत्माओं द्वारा मधुबन घर में पहुंच गयी है...
➳ _ ➳ ये सभी वैज्ञानिक और इंजीनियर यहां पहुंच कर दिव्यता और अलौकिकता का अनुभव कर रही है... यहाँ हर ब्राह्मण आत्मा साइलेंस से भरपूर है... और उनका ये साइलेंस विज्ञान इन सभी आत्माओं को आकर्षित कर रहा है... उनमें इस शक्ति को जानने की उत्सुकता बढ रही है... साइलेंस विज्ञान से बना यहाँ का अलौकिक वातावरण, यहाँ की गहन शांति इन्हें प्रभावित कर रही है... ये आत्माएँ भी इस शक्ति-शांति को फील कर रही है... इन आत्माओं ने साइंस और साइलेन्स का फर्क देखा अनुभव किया हर ब्राह्मण आत्मा से मिलने पर शांति और खुशी का अनुभव कर रही है... एक-एक आत्मा साइलेंस के इस विज्ञान की इनवेंशन का अनुभव कर रही है... इस सभी आत्माओं को शिव पिता का परिचय मिल रहा है... इनका भी कल्याण हो रहा है... इनको बाबा का नई दुनिया बनाने का पलैन समझ आ गया है और अब ये आत्माएं भी हमारी सम्पूर्ण सहयोगी बन गयी है... अब ये आत्माएँ भी साइलेंस विज्ञान को समझ रही है... और एक लगन के साथ साइलेंस विज्ञान को यूज कर साइंस के साधनों को रिफाइन करने में जुट गयी है... सभी बड़े-बड़े इन्जीनियर्स भी निश्चय और खुशी के साथ मददगार बन साइंस के साधनों को रिफाइन करने में तीव्र गति से लग गये है...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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