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❍ 09 / 05 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *किसी भी एक्टर के पार्ट को न देख अपने पुरुषार्थ में तत्पर रहे ?*
➢➢ *सबसे ममत्व निकाल पूरा ट्रस्टी होकर रहे ?*
➢➢ *बुराई में भी अच्छाई का अनुभव किया ?*
➢➢ *स्वयं को व दूसरो को रीगार्ड से अपना रिकॉर्ड ठीक रखा ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ ब्रह्मा की स्थापना का कार्य तो चल ही रहा है। ईश्वरीय पालना का कर्त्तव्य भी चल ही रहा है। अब लास्ट में तपस्या द्वारा अपने विकर्मों और हर आत्मा के तमोगुणी संस्कारों और प्रकृति के तमोगुण को भस्म करने का कर्त्तव्य करना है। *जैसे चित्रों में शंकर का रूप विनाशकारी अर्थात् तपस्वी रूप दिखाते हैं, ऐसे एकरस स्थिति के आसन पर स्थित होकर अब अपना तपस्वी रूप प्रत्यक्ष दिखाओ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं नूरे रत्न हूँ"*
〰✧ *सदा अपने को बापदादा की नजरों में समाई हुई आत्मा अनुभव करते हो? नयनों में समाई हुई आत्मा का स्वरूप क्या होगा? आखों में क्या होता है? बिन्दी।*
〰✧ *देखने की सारी शक्ति बिन्दी में है ना। तो नयनों में समाई हुई अर्थात् सदा बिन्दी स्वरुप में स्थित रहने वाली - ऐसा अनुभव होता है ना! इसको ही कहते हैं -'नूरे रत्न'।*
〰✧ *तो सदा अपने को इस स्मृति से आगे बढ़ाते रहो। सदा इसी नशे में रहो कि मैं 'नूरे रत्न' आत्मा हूँ।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ एक सेकण्ड में अपने को अपने सम्पूर्ण निशाने और नशे में स्थित कर सकते हो? सम्पूर्ण निशाना क्या है उसको तो जानते हो ना? *जब सम्पूर्ण निशाने में स्थित हो जाते हैं - तो नशा तो रहता ही है।* अगर निशाने बुद्धि नहीं टिकती तो नशा भी नहीं रहेगा।
〰✧ *निशाने पर स्थित होने की निशानी है - नशा।* तो ऐसा नशा सदैव रहता है? जो स्वयं नशे में रहते है वह दूसरों को भी नशे में टिका सकते हैं। जैसे कोई हद कि नशा पीते है तो उनकी चलन से, उनके नैन - चैन से कोई भी जान लेता है - इसने नशा पिया हुआ है।
〰✧ इसी प्रकार यह जो सभी से श्रेष्ठ नशा है, जिसको ईश्वरीय नशा कहा जाता है, इसी में स्थित रहने वाला भी दूर से दिखाई तो देगा ना। *दूर से ही वह अवस्था इतना महसूस करे यह कोई - कोई ईश्वरीय लगन में रहने वाली आत्मायें हैं।* ऐसे अपने को महसूस करते हो?
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *स्व-मान में स्थित होना ही जीवन की पहेली को हल करने का साधन है।* आदि से लेकर अभी तक इस पहेली को हल करने में ही लगे हुए हो कि 'मैं कौन हूँ?" *'मैं कौन हूँ।' इस एक शब्द के उत्तर में सारा ज्ञान समाया हुआ है। यह एक शब्द ही खुशी के खजाने, सर्व शक्तियों के खजाने, ज्ञान धन के खजाने, श्वांस और समय के खजाने की चाबी है।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- शिव बाबा वंडरफुल बाप, टीचर और सतगुरु है"*
➳ _ ➳ *मैं नन्हा फ़रिश्ता मधुबन के बगीचे में बाबा के साथ लुका-छिपी का खेल खेलता हुआ आनंद ले रहा हूँ... कभी मैं छिप जाता, बाबा मुझे ढूंढते... कभी बाबा छिप जाते , मैं उन्हें ढूंढता... बाबा को ढूंढते-ढूंढते एक मधुर मुरली की गूंज सुनाई देती है... मैं नन्हा फ़रिश्ता उस धुन के पीछे-पीछे चल पड़ता हूँ और पहुँच जाता हूँ हिस्ट्री हाल...* जहाँ बाबा शिक्षक बन मुरली बजा रहे हैं... फिर सतगुरु बन मनमनाभव का मन्त्र देकर अपनी यादों में समा लेते हैं... तीनों रूपों में बाबा को देख मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ... और बाबा से ज्ञान वर्षा की सौगात लेता हूँ...
❉ *मेरे जीवन को खुशनुमा, खुशबूदार बनाकर मुझे खुशनसीब बनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर की खोज में दर दर कितना भटके हो... जितना भटके हो उतना ही उलझे हो... *अब सच्चा पिता सच्चा टीचर सच्चा सतगुरु सहज ही सम्मुख है... तो अब व्यर्थ समय सांसो को न गंवाकर सच्ची यादो में खो जाओ... हर पल सच्ची कमाई में जुट जाओ...”*
➳ _ ➳ *बाप, टीचर, सतगुरु के रूप में भगवान को पाकर खुशियों में झूमते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अब भटकन से दूर होकर सत्य भरी बाँहों में आनन्द के झूले में हूँ... देहधारियों से मुक्त होकर सच्चे सतगुरु को पा ली हूँ... *प्यारा बाबा मुझे मिल गया है जीवन आनन्द से खिल उठा है... पाना था वो पा लिया है...”*
❉ *अविनाशी प्रेम से सिक्त कर अविनाशी सुखों की महारानी बनाते हुए मीठे प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *एक पिता में सब कुछ प्राप्त कर रहे हो... बच्चों को हर भटकन से मुक्त कराकर सच्चा पिता जीवन में आ गया है... फूलो सी गोद में बिठाकर, ज्ञान रत्नों से सजाकर, सतयुगी सुखो में खिलायेगा,...* ऐसे मीठे पिता को सांसो में बसा लो... सच्ची कमाई से दामन सदा का सजा लो...”
➳ _ ➳ *परमात्म प्रेम के स्वर्णिम झूले में झूलती हुई प्रेम रस का पान करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे से भाग्य से भरी हूँ... देहधारियों के पीछे लटककर सांसे खपाने वाली... *आज ईश्वर पिता को पाने वाली महान आत्मा बन गई हूँ... स्वयं भगवान मेरी पालना कर रहा है... कितना प्यारा और शानदार मेरा यह भाग्य हो गया है...”*
❉ *अपने स्नेहमयी आगोश में समाकर अपना दीवाना बनाते हुए मेरी बगिया को सुन्दर सजाने वाले प्यारे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... कितना सहज,कितना सरल, कितने साधारण रूप में भगवान मिला है... बच्चे अब एक तिनका भी तकलीफ न उठाये... यह भाव लिए सच्चा पिता जीवन में आ गया है... *सच्चे प्यार की महक लिए, ज्ञान रत्नों की खान लिए, सुखो भरे आलिशान महल लिए विश्व पिता धरा पर उतर गया है... इस मीठे नशे से भर जाओ और सच्ची यादो में झूम जाओ...”*
➳ _ ➳ *बाबा के असीम प्यार और अमूल्य शिक्षाओं से अविनाशी भाग्य बनाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा सच्चे पिता, सच्चे शिक्षक, सच्चे सतगुरु को पाकर अपने मीठे भाग्य की मुरीद हूँ... कन्दराओं में, गुफाओ में, मनुष्यो में जिसे खोज रही थी... वह मीठा बाबा आज मेरे दिल में धड़कन बन समाया है...* और मै आत्मा सच्ची कमाई से मालामाल हो गई हूँ...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सबसे ममत्व निकाल पूरा ट्रस्टी हो कर रहना है*"
➳ _ ➳ अपने सभी बोझ बाबा को देकर, लौकिक और अलौकिक हर जिम्मेवारी को ट्रस्टी हो कर सम्भालते, डबल लाइट स्थिति का अनुभव करते हुए मैं बाबा की याद में कर्मयोगी बन हर कर्म कर रही हूँ। *बाबा का आह्वान कर, बाबा की छत्रछाया के नीचे स्वयं को अनुभव करते अपने सभी कार्य करने के बाद, मैं एकांत में अपनी पलकों को मूंदे अपने प्यारे मीठे बाबा की मीठी सी याद में जैसे ही बैठती हूँ* मुझे ऐसा आभास होता है जैसे मैं एक नन्ही सी बच्ची बन बाबा की गोद में बैठी हूँ और बाबा बड़े प्यार से अपना हाथ मेरे सिर पर फिराते हुए, अपने नयनो में मेरे लिए अथाह प्यार समेटे हुए मुझे निहार रहें हैं।
➳ _ ➳ हर बोझ से मुक्त, हर गम से अनजान सुंदर, सुहाने बचपन का यह दृश्य मेरे मन को आनन्द विभोर कर देता है। *अपनी पलको को खोल अब मैं विचार करती हूँ कि जब हम ट्रस्टी के बजाए स्वयं को गृहस्थी समझते हैं तो कितने बोझिल हो जाते हैं किंतु ट्रस्टी हो कर जब सब कुछ सम्भालते है तो ऐसी बेफिक्र और निश्चिन्त स्थिति का अनुभव स्वत: ही होता है जैसी निश्चिन्त स्थिति एक बच्चा अपने पिता की गोद मे अनुभव करता है*। संगमयुग पर परमात्म गोद मे पलने का अनुभव कोटो में कोई और कोई में भी कोई कर पाता है, तो *कितनी पदमापदम सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान मेरे सारे बोझ ले कर, अपनी ममतामई गोद मे बिठा कर स्वयं मेरे हर कार्य को सम्पन्न करवा रहा है*।
➳ _ ➳ स्वयं से बातें करती, अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करती, अब मैं आत्मिक स्मृति में स्थित हो कर अपने सम्पूर्ण ध्यान को अपने भाग्यविधाता बाप की याद में एकाग्र करती हूँ और सेकण्ड में मन बुद्धि के विमान पर सवार हो कर, विदेही बन अपने विदेही बाबा से मिलने उनके धाम की ओर चल पड़ती हूँ। *देह से न्यारी इस विदेही अवस्था मे मैं आत्मा ऐसा अनुभव कर रही हूँ जैसा सुखद अनुभव पिंजरे में बंद पँछी पिंजरे से निकलने के बाद अनुभव करता है*। ऐसे ही आजाद पँछी की भांति उन्मुक्त होकर उड़ने का आनन्द लेते हुए मैं आत्मा पँछी अब आकाश को भी पार कर जाती हूँ। उससे और ऊपर फ़रिश्तों की आकारी दुनिया को पार करके अब मैं पहुँच जाती हूँ अपने शिव पिता के पास उनके धाम।
➳ _ ➳ आत्माओं की इस निराकारी दुनिया में जहां चारों और चमकती हुई मणियों का आगार है ऐसी चैतन्य सितारों की जगमग करती अति सुंदर दुनिया परमधाम में पहुंच कर मैं असीम सुख की अनुभूति कर रही हूँ। *इस विदेही दुनिया मे, विदेही बन, अपने बीच रुप परम पिता परमात्मा, संपूर्णता के सागर, पवित्रता के सागर, सर्वगुण और सर्व शक्तियों के अखुट भंडार, ज्ञान सागर, शिव बाबा के सम्मुख बैठ उनसे मंगल मिलन मनाने का यह सुख बहुत ही निराला है*। कोई संकल्प कोई विचार मेरे मन में नही है। एकदम निर्संकल्प अवस्था। बस बाबा और मैं। *बीज रुप बाप के सामने मैं मास्टर बीज रुप आत्मा डेड साइलेंस की स्थिति का अनुभव करते हुए असीम अतीन्द्रिय सुखमय स्थिति में स्थित हूँ*।
➳ _ ➳ गहन अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करके, अब मैं अपने शिव पिता से आ रही सर्वशक्तियो को स्वयं में समाकर शक्तिशाली बन कर वापिस साकारी दुनिया में लौट रही हूँ। *अपने शिव पिता को हर पल अपने साथ रखते हुए अपने साकारी तन का आधार लेकर इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर मैं अपना पार्ट प्ले कर रही हूँ*। लौकिक और अलौकिक हर कर्तव्य निमित पन की स्मृति में रह कर करते हुए, बेफिक्र बादशाह बन, अपने सभी बोझ बाबा को दे कर उड़ती कला का अनुभव अब मैं निरन्तर कर रही हूँ। करन करावन हार बाबा करवा रहा है यह स्मृति मुझे सदा निश्चिन्त स्थिति का अनुभव करवाती है। *ट्रस्टी होकर सब कुछ सम्भालते, हर पल, हर सेकण्ड स्वयं को परमात्म गोद मे अनुभव करते मैं संगमयुग की मौजों का भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं बुराई में भी अच्छाई का अनुभव करने वाली निश्चयबुद्धि बेफ्रिक बादशाह आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं स्वयं को वा दूसरों को रिगार्ड देकर अपना रिकॉर्ड सदा ठीक रखने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ वातावरण को पावरफुल बनाने का लक्ष्य रखो तो सेवा की वृद्धि के लक्षण दिखाई देंगे:- जैसे मन्दिर का वातावरण दूर से ही खींचता है, ऐसे याद की खुशबू का वातावरण ऐसा श्रेष्ठ हो जो आत्माओं को दूर से ही आकर्षित करे कि यह कोई विशेष स्थान है। *सदा याद की शक्ति द्वारा स्वयं को आगे बढ़ाओ और साथ-साथ वायु मण्डल को भी शक्तिशाली बनाओ। सेवाकेन्द्र का वातावरण ऐसा हो जो सभी आत्मायें खिंचती हुई आ जाएं। सेवा सिर्फ वाणी से ही नहीं होती, मंसा से भी सेवा करो। हरेक समझे मुझे वातावरण पावरफुल बनाना है, हम जिम्मेवार हैं। ऐसा जब लक्ष्य रखेंगें तो सेवा की वृद्धि के लक्षण दिखाई देंगे।* आना तो सबको है, यह तो पक्का है। लेकिन कोई सीधे आ जाते हैं, कोई चक्कर लगाकर, भटकने के बाद आ जाते हैं। इसलिए एक-एक समझे कि मैं जागती ज्योति बनकर ऐसा दीपक बनूँ जो परवाने आपेही आयें। आप जागती ज्योति बनकर बैठेंगे तो परवाने आपेही आयेंगे।
✺ *"ड्रिल :- सेवाकेंद्र का वायुमंडल शक्तिशाली बनाना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा सेवाकेंद्र के हाल के चेयर पर चियरफुल होकर बैठी हूँ...* सभी भाई-बहनें भी बैठे हुए हैं... अगरबत्ती की भीनी-भीनी खुशबू आ रही है... चारों ओर लाल रोशनी है... *सामने ब्रह्मा बाबा की तस्वीर और शिवबाबा का लाल लाइट चमक रहा है...* सभी मंत्रमुग्ध होकर बाबा के गाने सुनते हुए झूम रहे हैं... सामने दीदी आकर विराजमान हो जाती हैं... दीदी सबको योग कमेंट्री द्वारा याद की यात्रा पर ले चलती हैं...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा भृकुटी के चेयर पर गॉडली स्टूडेंट के स्वमान में विराजमान हो जाती हूँ...* सभी प्यारे बाबा का आह्वान करते हैं... आह्वान करते ही सामने शिव बाबा के लाल लाइट में फ़्लैश होता है और वो लाइट का फ़्लैश ब्रह्मा बाबा की तस्वीर में बाबा के मस्तक में चमकने लगता है... *ऐसा लग रहा सामने तस्वीर से बाबा बाहर निकल साकार रूप में खड़े होकर मुस्कुरा रहे हैं...* और सबको अपने प्रेम, सुख, शांति की किरणों से आच्छादित कर रहे हैं...
➳ _ ➳ *शांति के सागर को सामने खड़े देख सभी अपने देहभान से मुक्त हो रहे हैं...* शांति के सागर की लहरें चारों ओर फैल रही हैं... मैं आत्मा शांति के सागर की अनंत गहराईयों में समाती जा रही हूँ... न कोई आवाज़, न कोई हलचल, न कोई दुःख-अशांति... मैं आत्मा गहन शांति का अनुभव कर रही हूँ... *सभी के साकार शरीर लुप्त हो चुके हैं... सभी अपने लाइट के शरीर में चमक रहे हैं... सभी जागती ज्योति बन चुके हैं...*
➳ _ ➳ *सेवाकेंद्र का वायुमंडल रूहानियत की खुशबू से महक रहा है...* सभी जगमगाते हुए दीपक लग रहे हैं... सभी से वायब्रेशंस निकलकर चारों ओर फैल रहे हैं... सेवाकेंद्र के बाहर दूर-दूर तक रूहानी खुशबू फैल रही है... सेवाकेंद्र का वातावरण पावरफुल बन गया है... *सभी रूहानी दीपक बन अपनी रोशनी चारों ओर फैला रहे हैं... और परवानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं...*
➳ _ ➳ *सेवाकेंद्र शांतिकुंड बन चुका है... शांति की किरणें विश्व की आत्माओं को दूर से ही आकर्षित कर रही हैं...* सभी आत्मायें ऐसा अनुभव कर रही हैं कि यह कोई विशेष स्थान है... सभी भटकती हुई आत्माएँ महसूस कर रही हैं कि यही उनकी मंजिल है... सभी अशांत, अतृप्त आत्मायें शांति की शक्ति से खींचे चले आ रहे हैं... *याद की शक्ति द्वारा मैं आत्मा स्वयं भी आगे बढ़ता हुआ अनुभव कर रही हूँ और साथ-साथ वायु मण्डल को भी शक्तिशाली बना रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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