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❍ 10 / 09 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ ट्रस्टी बन शिवबाबा के नाम पर सेवा की ?
➢➢ "याद में बैठते समय बुधी कहाँ कहाँ गयी ?" - यह चेक किया ?
➢➢ अविनाशी प्राप्तियों की स्मृति से अपने श्रेष्ठ भाग्य की ख़ुशी में रहे ?
➢➢ व्यर्थ संकल्प और बोल से स्वयं को मुक्त किया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ बीजरूप स्थिति या शक्तिशाली याद की स्थिति यदि कम रहती है तो इसका कारण अभी तक लीकेज है, बुद्धि की शक्ति व्यर्थ के तरफ बंट जाती है। कभी व्यर्थ संकल्प चलेंगे, कभी साधारण संकल्प चलेंगे। जो काम कर रहे हैं उसी के संकल्प में बुद्धि का बिजी रहना इसको कहते हैं साधारण संकल्प। याद की शक्ति या मनन शक्ति जो होनी चाहिए वह नहीं होती इसलिए पावरफुल याद का अनुभव नहीं होता इसलिए सदा समर्थ संकल्पों में, समर्थ स्थिति में रहो तब शक्तिशाली बीजरूप स्थिति का अनुभव कर सकेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं कल्प-कल्प की पूज्य आत्मा हूँ"
〰✧ अपने को कल्प-कल्प की पूज्य आत्मायें अनुभव करते हो? स्मृति है कि हम ही पूज्य थे, हम ही हैं और हम ही बनेंगे? पूज्य बनने का विशेष साधन क्या है? कौन पूज्य बनते हैं? जो श्रेष्ठ कर्म करते हैं और श्रेष्ठ कर्मो का भी फाउन्डेशन है पवित्रता। पवित्रता पूज्य बनाती है। अभी भी देखो जो नाम से भी पवित्र बनते हैं तो पूज्य बन जाते हैं। लेकिन पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं। ब्रह्मचर्य व्रत को धारण किया इसमें ही सिर्फ श्रेष्ठ नहीं बनना है। यह भी श्रेष्ठ है लेकिन साथ में और भी पवित्रता चाहिये।
〰✧ अगर मन्सा संकल्प में भी कोई निगेटिव संकल्प है तो उसे भी पवित्र नहीं कहेंगे, इसलिए किसी के प्रति भी निगेटिव संकल्प नहीं हो। अगर बोल में भी कोई ऐसे शब्द निकल जाते हैं जो यथार्थ नहीं है तो उसको भी पवित्रता नहीं कहेंगे। यदि संकल्प और बोल ठीक हों लेकिन सम्बन्ध-सम्पर्क में फर्क हो, किससे बहुत अच्छा सम्बन्ध हो और किससे अच्छा नहीं हो तो उसे भी पवित्रता नहीं कहेंगे। तो ऐसे मन्सा-वाचा-कर्मणा अर्थात् सम्बन्ध-सम्पर्क में पवित्र हो? ऐसे पूज्य बने हो? अगर मानो कोई भी बात में कमी है तो उसको खण्डित कहा जाता है। खण्डित मूर्ति की पूजा नहीं होती है।
〰✧ इसलिए जरा भी मन्सा, वाचा, कर्मणा में खण्डित नहीं हो अर्थात् अपवित्रता न हो, तब कहा जायेगा पूज्य आत्मा। तो ऐसे पूज्य बने हो? जड़ मूर्ति भी खण्डित हो जाती है तो पूजा नहीं होती। उसको पत्थर मानेंगे, मूर्ति नहीं मानेंगे। म्यूजियम में रखेंगे, मन्दिर में नहीं रखेंगे। तो ऐसे पवित्रता का फाउन्डेशन चेक करो-कोई भी संकल्प आये, तो स्मृति में लाओ कि मैं परम पूज्य आत्मा हूँ। यह याद रहता है या जिस समय कोई बात आती है उस समय भूल जाता है, पीछे याद आता है? फिर पश्चाताप होता है-ऐसे नहीं करते तो बहुत अच्छा होता। तो सदा पवित्र आत्मा हूँ, पावन आत्मा हूँ। पवित्रता अर्थात् स्वच्छता।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ साइलेन्स की शक्ति के साधनों द्वारा नजर से निहाल कर देंगे। शुभ संकल्प से आत्माओं के व्यर्थ संकल्पों को समाप्त कर देंगे। शुभ भावना से बाप की तरफ स्नेह की भावना उत्पन्न करा लेंगे।
〰✧ ऐसे उन आत्माओं को शान्ति की शक्ति से सन्तुष्ट करेंगे, तब आप चैतन्य शान्ति देव आत्माओं के आगे ‘शान्ति देवा, शान्ति देवा' कह करके महिमा करेंगे और यही अंतिम संस्कार ले जाने के कारण द्वापर में भक्त आत्मा बन आपके जड चित्रों की यह महिमा करेंगे।
〰✧ यह ट्रैफिक कन्ट्रोल का भी महत्व कितना बडा है और कितना आवश्यक है - यह फिर सुनायेंगे। लेकिन शान्ति की शक्ति के महत्व को स्वयं जानो और सेवा में लगाओ। समझा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ जैसे आवाज में आना अति सहज लगता है ऐसे ही आवाज से परे हो जाना इतना सहज है? यह बुद्धि की एक्सरसाइज सदैव करते रहना चाहिए। जैसे शरीर की एक्सरसाइज शरीर को तन्दरुस्त बनाती है ऐसे आत्मा की एक्सरसाइज आत्मा को शक्तिशाली बनाती है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- बाप की याद में रह कमाई करना"
➳ _ ➳ मीठे बाबा ने जब से जीवन में पर्दापण किया है... जीवन खुशियो के
फूलो से महक उठा है... हर पल, हर कर्म मीठे बाबा की यादो से सजा धजा है... मूर्तियो
और मन्दिरो में मात्र दर्शन की प्यासी मै आत्मा... यूँ भगवान को जानूंगी, खुद
को पहचानुगी यह तो कल्पनाओ में भी न था... आज मीठे बाबा को पाकर, सच की अमीरी
से जीवन छलक रहा है... खुद को जानने की और ईश्वर को पाने की ख़ुशी ने जीवन को
बेशकीमती बना दिया है.. मै आत्मा ईश्वरीय यादो से भरपूर होकर मा दाता बनकर
मुस्करा हूँ... और यूँ मीठे चिंतन में डूबी हुई मै आत्मा... मीठे बाबा को हाले
दिल सुनाने, सूक्ष्म वतन में उड़ चलती हूँ...
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सच्ची कमाई के गहरे राज समझाते हुए
कहा :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता के साथ भरा यह वरदानी समय...
बहुत कीमती है, इसे अब यूँ ही व्यर्थ में न गंवाओ... चलते फिरते हर कर्म को,
ईश्वर पिता की यादो में कर, सच्ची कमाई से सम्पन्न हो, देवताई सुखो में
मुस्कराओ... हर साँस से मीठे बाबा को याद कर, समर्थ चिंतन से देवताई अमीरी को
पाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा प्यारे बाबा की सारी जागीरों पर अपना अधिकार करते हुए
कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... आपने अपना यादो भरा हाथ, मेरे हाथो में
देकर, मुझे देवताओ की अमीरी से पुनः नवाजा है... आपको पाकर मै आत्मा... अपने
सारे खोये खजाने लेकर... विश्व का ताजोतख्त पा रही हूँ... सच्ची कमाई से
भरपूर होकर फिर से खोयी हुई बादशाही को पा रही हूँ..."
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को मेरे खोये सतयुगी सुखो को पुनः
दिलाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... भाग्य ने जो खुबसूरत दिन
दिखलाया है... और भगवान को पिता, टीचर, सतगुरु रूप में सम्मुख मिलवाया है...
अब हर पल इन मीठी यादो में खोकर, सच्ची कमाई करो... ईश्वर पिता की याद में हर
साँस को पिरो दो...और 21 जनमो के लिए मालामाल हो जाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की सारी वसीयत की मालिक बनते हुए कहती हूँ :-
"प्यारे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा ज्ञान धन से सम्पन्न होकर, यादो के झूले
में खोयी हुई, हर क्षण सच्चे आनन्द को जी रही हूँ... आपकी मीठी यादो में जीवन
कितना प्यारा मीठा और सच्ची कमाई से भरपूर हो रहा है,... सदा आपके प्यार की
छत्रछाया में पलने वाली महान भाग्यवान ही गयी हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी मीठी यादो के तारो में पिरोते
हुए कहा :- "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... संगम के सुहावने पलों में, मीठे बाबा
की यादो में, सदा के धनवान् बन जाओ... हर कर्म करते हुए मन और बुद्धि के तारो
से मीठे बाबा को थामे रहो... सदा प्यारे बाबा के साथ रहो... और एक पल भी खुद
को ईश्वरीय याद से जुदा नही करो... यादो की सच्ची कमाई से देवताई सम्पन्नता से
भरपूर हो जाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा से अखूट खजाने लेकर सरे विश्व की मालिक बनकर
कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... आपने मुझ आत्मा के साधारण जीवन में आकर,
जीवन को बेशकीमती बना दिया है... सदा की गरीबी से छुड़ाकर, मुझ आत्मा को देवताई
सुखो भरा ताज पहनाकर, राजरानी बनाया है... मै आत्मा ईश्वरीय यादो में अथाह
खुशियो को अपनी बाँहों में भर रही हूँ..."मीठे बाबा से प्यारी सी रुहरिहानं कर
मै आत्मा... स्थूल तन में लौट आयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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"ड्रिल :- अपना सच्चा सच्चा पोतामेल रखना है"
➳ _ ➳ देह सहित देह के सब सम्बन्धो से ममत्व निकाल, बुद्धि का योग अपने
शिव पिता परमात्मा के साथ जोड़, ट्रस्टी बन लौकिक और अलौकिक हर कर्तव्य को मैंं
एकदम हल्केपन की स्थिति में स्थित हो कर सहज रीति सम्पन्न कर रही हूं और इसी
हल्केपन की स्थिति में मैं स्वयं को अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित करती हूं।
लाइट माइट स्वरूप में स्थित होते ही मुझे ऐसा अनुभव होता है जैसे सर्वशक्तिवान
मेरे शिव पिता परमात्मा की छत्रछाया मेरे ऊपर है और उनसे आ रही सर्वशक्तियाँ
मुझमे असीम बल भर रही हैं। यह असीम बल कर्म करते भी कर्म के प्रभाव से मुझे
मुक्त कर हर चीज से उपराम अनुभव करा रहा है।
➳ _ ➳ देह में रहते भी उपराम स्थिति की अनुभूति में उस कर्म को सम्पन्न
कर, अपने लाइट माइट स्वरूप में अब मैं फ़रिशता वतन की ओर जा रहा हूँ। रूहानी
सैर का आनन्द लेते हुए, प्रकृति के सुंदर नजारों को देखते हुए मैं फ़रिशता अब
आकाश मण्डल को पार कर उससे भी ऊपर उड़ते हुए पहुंच जाता हूँ सफेद प्रकाश से
प्रकाशित फरिश्तो की दुनिया में। जहां स्वयं भगवान अव्यक्त ब्रह्मा के तन में
विराजमान हो कर अपने फ़रिशता बच्चों से मिलन मनाते हैं। उनसे रूह रिहान करते
हैं। परमात्म लाइट और माइट से उन्हें भरपूर करते हैं।
➳ _ ➳ फरिश्तों की इस दुनिया मे पहुंचते ही उस परमात्म लाइट और माइट को
मैं स्पष्ट अनुभव कर रहा हूँ। मेरे सामने सृष्टि के रचियता, ऑल माइटी अथॉरिटी,
सर्वशक्तिवान परमपिता परमात्मा अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हैं। उनसे आ रही
सर्वशक्तियों की लाइट पूरे वतन में फैली हुई है। बापदादा से आ रही लाइट माइट
मुझे सहज ही अपनी और खींच रही हैं। मैं फ़रिशता धीरे धीरे बापदादा के पास पहुंच
कर बापदादा की विशाल भुजाओं में समा जाता हूँ और स्वयं को परमात्म शक्तियों से
भरपूर करने लगता हूँ। बाबा के रूहानी नयनो में अपने लिए अपार स्नेह देख कर मैं
मन ही मन आनन्दित हो रहा हूँ। मीठी दृष्टि से मुझे भरपूर करके बाबा मुझे सामने
बैठने का इशारा करते हैं।
➳ _ ➳ बापदादा से मीठी दृष्टि ले कर, सर्वशक्तियों से भरपूर हो कर अब मैं
फ़रिशता उस स्थान पर आ कर बैठ जाता हूँ जहां बहुत सारे फ़रिश्ते एकत्रित हो कर
बैठे हुए हैं। एक क्लास रूम जैसा दृश्य मैं देख रहा हूँ। अब बापदादा भी वहां आ
कर बैठ जाते हैं और एक एक करके अपना फ़रिशता बच्चों को अपने पास बुलाते हैं।
कुछ बच्चों के हाथ मे तो एक चार्ट है जिसमे पूरे दिन का पोतामेल लिखा हुआ है कि
पूरे दिन में कौन से सब्जेक्ट पर कितना अटेंशन रहा लेकिन कुछ बच्चे खाली हाथ
हैं। बापदादा ऐसे बच्चों को देख बहुत खुश हो रहें हैं जो पूरी लगन और सच्चाई
के साथ हर रोज का अपना पोतामेल निकाल चेक करते हैं कि आज कितनी कमाई जमा की।
वरदानों से बाबा उन्हें भरपूर कर रहें हैं।
➳ _ ➳ मैं फ़रिशता भी अपना पोतामेल ले कर बाबा के पास पहुंच जाता हूँ और
बाबा को चारों सब्जेक्टस का पूरे दिन का विवरण दे कर बाबा से वरदान ले कर वापिस
अपने स्थान पर आ कर बैठ जाता हूँ। बाबा अब सभी फ़रिशता बच्चों को पोतामेल रखने
के फायदे बताते हैं और सभी बच्चे हर रोज अपना पोतामेल रखने का बाबा से पक्का
प्रोमिस करते हैं। बाबा प्रसनचित मुद्रा में खड़े सभी बच्चों को प्यार से
निहारते हुए उन्हें विदा कर रहें हैं। बाबा से विदाई ले कर अपने निराकार ज्योति
बिंदु स्वरूप में अब मैं आत्मा परमधाम की ओर प्रस्थान करती हूं और वहां पहुंच
कर अपने निराकार शिव पिता परमात्मा के साथ कम्बाइंड हो कर बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ बाबा की अनन्त शक्तियों को स्वयं में समा कर, शक्तिशाली बन अब मैं
वापिस लौट रही हूं साकारी दुनिया मे। साकारी देह में विराजमान हो कर इस देह और
देह की दुनिया मे रहते हुए अब मैं स्वयं को केवल ट्रस्टी समझ हर कर्तव्य कर रही
हूं। देह से जुड़े सम्बन्धों और पदार्थो से अब मेरा ममत्व टूटता जा रहा है। इस
देह में मैं केवल मेहमान हूँ इस बात को सदा स्मृति में रखते, बुद्धि का योग
केवल एक बाबा के साथ लगाये रोज अपना पोतामेल चेक कर अब मैं याद के चार्ट को
बढ़ाने का पुरुषार्थ कर रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं अविनाशी प्राप्तियों की स्मृति से अपने श्रेष्ठ भाग्य की खुशी में रहने वाली इच्छा मात्रम अविद्या आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ विकर्म करने का टाइम बीत गया, मैं अभी व्यर्थ संकल्प, बोल के भी धोखे से बच जाने वाली मायाजीत आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ कोई भी बात नीचे ऊपर नहीं समझना। अच्छा है और अच्छा ही रहेगा। बहुत अच्छा, बहुत अच्छा करते आप भी अच्छे बन जायेंगे और ड्रामा की हर सीन भी अच्छी बन जायेगी क्योंकि आपके अच्छे बनने के वायब्रेशन कैसी भी सीन हो नगेटिव को पाजिटिव में बदल देगी, इतनी शक्ति आप बच्चों में है सिर्फ यूज करो। शक्तियां बहुत हैं, समय पर यूज करके देखो तो बहुत अच्छे-अच्छे अनुभव करेंगे।
✺ ड्रिल :- "शक्तियों को समय पर यूज कर अच्छे-अच्छे अनुभव करना"
➳ _ ➳ चारों तरफ हरियाली ही हरियाली ठंडी ठंडी हवाएं... और भीनी-भीनी प्रकृति की खुशबू के बीच... मैं आत्मा एक ऊंचे स्थान पर बैठी हुई हूं... और अपने आप को परमात्मा से मन बुद्धि से जोड़ते हुए... अपने अंदर नई शक्तियां भर रही हूं... मैं आत्मा अनुभव कर रही हूँ... कि सीधा परमधाम से और शिव परमात्मा से शक्तिशाली किरणें मुझ पर गिर रही है... और मुझ आत्मा में समाती जा रही है... जैसे-जैसे वो किरणें मुझमें समा रही है... मुझे अनुभव हो रहा है की मुझमें अद्भुत शक्तियों का समावेश हो रहा है... और मैं इस स्थिति को गहराई से फील करते हुए... कुछ देर इस आनंदमय स्थिति में बैठ जाती हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा अपने आप को मास्टर सर्वशक्तिमान अवस्था में अनुभव कर रही हूं... मुझे प्रतीत हो रहा है कि अब मेरे अंदर सभी शक्तियां समा गई है... और मैं अब हर परिस्थिति का दृढ़ता के साथ और पूरे आनंद के साथ सामना कर सकती हूं... और इसी स्थिति की स्मृति में मैं उस खुशनुमा मनमोहक वातावरण से नई राह पर चलने लगती हूं... चलते-चलते मुझे बहुत ही थकान का अनुभव हो रहा है... और मैं साथ ही यह भी महसूस कर रही हूं... कि अभी मुझे काफी लंबा सफर तय करना है... और इस लंबे सफर पर चल़ने के लिए मुझे सहनशक्ति का उपयोग करना होगा...
➳ _ ➳ और उसी समय मैं आत्मा अपनी मन बुद्धि से संकल्प लेती हूं... कि मैं सफलता मूर्त आत्मा हूं... और इस दृढ़ संकल्प से और पॉजिटिव संकल्प से मैं अंदर ही अंदर यह तय कर लेती हूं... कि मैं फरिश्ता इस मखमली रास्ते पर अपने फूल से कदम रख रही हूं... और मैं अनुभव करती हूं कि चलते-चलते मुझे बिल्कुल भी थकान का अनुभव नहीं हो रहा... और ना ही अपने इस देह का बोझ अनुभव कर पा रही हूं... तभी मैं पीछे मुड़कर देखती हूं... तो मैं आश्चर्यचकित हो जाती हूं... मैं देखती हूं कि मैंने कुछ ही समय में इतना लंबा सफर तय कर लिया है... जिसको करने में मुझे काफी समय लग सकता था... मैंने अपने अंदर की इस छुपी हुई शक्ति द्वारा अपनी कठिन राह को बहुत ही कोमल बना दिया है... और मैं बहुत आनंदित होती हूं... और मन ही मन अपने परम पिता को धन्यवाद कहती हूं...
➳ _ ➳ और अब मैं आत्मा अपने अंदर परमात्मा की शक्तियों रूपी आभा अनुभव करते हुए अपनी राह पर चलने लगती हूँ... और मैं अब चलते चलते एक ऐसे स्थान पर आ जाती हूं... जहां पर कुछ आत्माएं आपस में पुरानी दुख देने वाली बातों को चिंतन कर रही हैं... और अपनी स्थिति चिंतामय बना लेती है... उनको देखकर मैं आत्मा एक स्थान पर बैठ जाती हूं... और मनन करती हूं... आज से मैं भी अपनी मजबूत अवस्था बनाऊंगी... इन आत्माओं की तरह चिंतित नहीं होऊँगी... और मैं समाने की शक्ति को यूज करते हुए... पिछली दुख देने वाली व्यर्थ बातों को अपने अंदर समाते हुए... अपने मन बुद्धि के तार सिर्फ और सिर्फ अपने परमात्मा से जोड़ने का संकल्प लेती हूँ...
➳ _ ➳ और जैसे ही मैं आत्मा अपने मन ही मन यह संकल्प लेती हूं... तो मैं अनुभव करती हूं... कि मेरा चित्त एकदम शांत हो गया है... जैसे मन रूपी समन्दर में लहरों के समान हजारों सवाल उमड़े थे... मानो उन सवालों की उठती हुई लहरें... एकदम समंदर में समा गई हो... और समंदर एकदम शांत हो गया हो... और ऐसे ही मैं अपने परमात्मा द्वारा दी हुई हर शक्तियों का सही समय पर उपयोग करते हुए पहुंच जाती हूं अपने बाबा के कमरे में और अपनी रूहानी दृष्टि से और संकल्पों के द्वारा मन-ही-मन बाबा को धन्यवाद कह रही हूँ... और अब अपने पुरुषार्थ को परमात्मा द्वारा दी हुई शक्तियों और पॉजिटिव संकल्पों से और भी तीव्र कर देती हूं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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