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❍ 20 / 02 / 18 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *योगबल से पवित्र बन फिर दूसरों को भी बनाया ?*
➢➢ *बाप समान प्यार का सागर बनकर रहे ?*
➢➢ *विशेषता के संस्कारों को नेचुरल नेचर बना साधारणता को समाप्त किया ?*
➢➢ *सदा ज्ञान रत्नों से खेलते रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जितना अभी तन, मन, धन और समय लगाते हो, उससे *मन्सा शक्तियों द्वारा सेवा करने से बहुत थोड़े समय में सफलता ज्यादा मिलेगी।* अभी जो अपने प्रति कभी-कभी मेहनत करनी पड़ती है-अपनी नेचर को परिवर्तन करने की वा संगठन में चलने की वा सेवा में सफलता कभी कम देख दिलशिकस्त होने की, यह सब समाप्त हो जायेगी।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं सर्व बन्धनों से मुक्त डबल लाइट आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को डबल लाइट अर्थात् सर्व बन्धनों से मुक्त हल्के समझते हो? हल्के-पन की निशानी क्या है? *हल्का सदा उड़ता रहेगा। बोझ नीचे ले आता है। सदा स्वयं को बाप के हवाले करने वाले सदा हल्के रहेंगे।*
〰✧ *अपनी जिम्मेवारी बाप को दे दो अर्थात अपना बोझ बाप को दे दो तो स्वयं हल्के हो जायेंगे। बुद्धि से सरेन्डर हो जाओ। अगर बुद्धि से सरेन्डर होंगे तो और कोई बात बुद्धि में नहीं आयेगी।*
〰✧ *बस सब कुछ बाप का है, सब कुछ बाप में है तो और कुछ रहा ही नहीं। जब रहा ही नहीं तो बुद्धि कहाँ जायेगी कोई पुरानी गली, पुराने रास्ते रह तो नहीं गये हैं! बस एक बाप, एक ही याद का रास्ता, इसी रास्ते से मंजिल पर पहुँचो।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ बापदादा बच्चों के निमित बन नि:स्वार्थ विश्व सेवा को देख खुश होते हैं। *बापदादा करावनहार हो, करनहार बच्चों के हर कदम को देख खुश होते हैं क्योंकि सेवा की सफलता का विशेष अधार ही है - करावनहार बाप मुझ करनहार आत्मा द्वारा करा रहा है।*
〰✧ *मैं आत्मा निमित हूँ क्योंकि निमित भाव से निर्मान स्थिति स्वतः हो जाती है।* मैं-पन जो देहभान में लाता है वह स्वतः निर्मान भाव से समाप्त हो जाता है।
〰✧ *इस ब्राह्मण जीवन में सबसे ज्यादा विघ्न रूप बनता है तो देहभान का मैं-पना करावनहार करा रहा है, मैं निमित करनहार बन कर रहा हूँ, तो सहज देह-अभिमान मुक्त बन जाते हैं और जीवनमुक्ति का मजा अनुभव करते हैं।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ अब मास्टर सर्वशक्तिवान का नशा कम रहता है, इसलिए एक सेकण्ड में आवाज़ में आना, एक सेकण्ड में आवाज़ से परे हो जाना इस शक्ति की प्रैक्टिकल-झलक चेहरे पर नहीं देखते। जब ऐसी अवस्था हो जायेगी, *अभी-अभी आवाज़ में, अभी-अभी आवाज़ से परे। यह अभ्यास सरल और सहज हो जायेगा तब समझो सम्पूर्णता आई है। सम्पूर्ण स्टेज की निशानी यह है।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- यह सुख और दुःख का खेल है"*
➳ _ ➳ चाँदनी रात में नौका विहार करते करते... मै आत्मा चाँद की ओर निहारती हूँ... तो मुझे मेरा प्रियतम चाँद... मीठा बाबा याद आता है... मीठे बाबा की याद आते ही मै आत्मा... फ़रिश्ता बनकर मीठे बाबा के पास उड़ चलती हूँ... वतन में मीठे बाबा को देख मीठी ख़ुशी से भर जाती हूँ... *ईश्वर पिता को पाकर खुबसूरत हो गए अपने जीवन को... और कभी, अपने सामने साधारण बन कर बैठे, असाधारण भगवान को देख देख... मीठे महान भाग्य के नशे में डूब जाती हूँ...*
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान रत्नों से सजाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वरीय ज्ञान रत्नों को पाकर बेहद के खेल को जान गए हो... *यह सुख और दुःख का बहुरूपी नाटक है... इस नाटक में हीरो पार्ट बजाकर विश्व स्टेज पर मुस्कराना है...* अज्ञान के अंधेरो से निकल, ज्ञान के प्रकाश में... सुखो भरी दुनिया अपनी तकदीर में सजानी है..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा को ख़ुशी में भरकर कहती हूँ :-* "प्यारे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा *आपकी यादो के साये में, अज्ञान के आवरण से निकल कर... सुखो की दुनिया की मालिक बन रही हूँ..*. आपने मुझे जाग्रत कर विकारो की कालिमा से छुड़ा दिया है,.. मै आत्मा दिव्य गुण और पवित्रता से सज संवर कर मुस्करा रही हूँ..."
❉ *प्यारे बाबा मुझ आत्मा को विश्व नाटक के राज समझाते हुए कहते है :-* "मीठे लाडले बच्चे... *बेहद के नाटक में हीरो का पार्ट अदा कर शान से विश्व धरा पर मुस्कराओ... ईश्वरीय यादो में इस कदर निखर जाओ कि... हीरो बन कर, नाटक की मुख्य भूमिका अदा करो...* देह की दुनिया और अज्ञान के अंधकार से निकल, सतयुगी सवेरे में खिलखिलाओ..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने मीठे बाबा से असीम खजाने लेते हुए कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा... मै आत्मा अज्ञान मार्ग पर चलकर, कितनी विकारी और दुखो से भर गयी थी... कभी सोच भी नही सकती थी कि मै हीरो बन मुस्कराऊंगी... *आपने जीवन में आकर मुझे नई उमंगो से भर दिया है... मुझे देवताई लक्ष्य देकर कितना ऊँचा बना दिया है..."*
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपनी सम्पत्ति का वारिस बनाते हुए कहते है :-* "मीठे सिकीलधे बच्चे... *ईश्वर पिता को पाकर, उनकी यादो में गहरे डूबकर, विश्व राज्य अधिकारी बन कर, अथाह सुखो को बाँहों में भरो...* ज्ञान के प्रकाश में नूरानी बन जाओ... शिव बाबा को पाकर जो ज्ञान खजाने से पाये है.. उस अमीरी से जन्नत के मीठे सुखो का आनन्द लो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे जादूगर बाबा से सुखो की अधिकारी बनकर कहती हूँ :-* "सच्चे साथी मेरे बाबा... आपको पाकर मैंने अपनी सत्यता को जाना है... और इस सत्यता ने मेरे जीवन को सच्ची खुशियो से सजाया है... *अब मै आत्मा आपकी यादो में पावन बनकर इस बेहद लीला रुपी नाटक में हीरो पार्ट की तैयारी में जुटी हूँ...* मीठे बाबा से अथाह ज्ञान खजाने लेकर मै आत्मा... अपने कर्म क्षेत्र पर लौट आयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप समान प्यार का सागर बनना है, दुख का सागर नही*
➳ _ ➳ प्यार के सागर अपने प्यारे पिता के प्यार के मीठे मधुर एहसास के बारे में विचार करते ही एक सिहरन सी पूरे शरीर मे दौड़ जाती है और मन व्याकुल हो उठता है फिर से उसी प्यार को पाने के लिए। *जैसे ही मन में बाबा के निःस्वार्थ, निष्काम प्यार को पाने का संकल्प मन मे आता है मैं महसूस करती हूँ जैसे प्यार के सागर मेरे बाबा मेरे हर संकल्प को पूरा करने और अपने स्नेह की मीठी फुहारे मेरे ऊपर बरसाने के लिए मेरे पास आ रहें हैं*। हवाओ में भी जैसे एक विचित्र रूहानी खुशबू फैल गई है जो उनके आने का मुझे पैगाम दे रही है। अपनी अनन्त शक्तियों की किरणों के रूप में मेरे प्यार के सागर बाबा अपने प्यार की शीतल फुहारे मुझ पर बरसाते हुए परमधाम से उतरकर धीरे - धीरे नीचे आ रहें हैं।
➳ _ ➳ मैं महसूस कर रही हूँ जैसे कि शक्तियों का एक तेजोमय पुंज आकाश से नीचे आकर, अब सीधा मेरे सिर के ऊपर स्थित हो गया है और अपने स्नेह की अनन्त किरणे मेरे ऊपर बिखेर रहा है। *बारिश की हल्की - हल्की बूंदों की तरह अपने ऊपर पड़ती अपने स्नेह के सागर पिता के स्नेह की किरणों के वायब्रेशन्स को मैं महसूस कर रही हूँ और उनके स्नेह में डूबती जा रही हूँ*।प्यार का सागर अपना असीम प्यार मुझ पर लुटाता जा रहा है और उस प्यार के मधुर एहसास में मैं गहराई तक समाती जा रही हूँ। देह और देह की दुनिया से जुड़े सम्बन्ध जैसे कहीं पीछे छूट रहें हैं और सारे सम्बन्ध उस एक के साथ जुड़ते जा रहें हैं। *हर सम्बन्ध का अविनाशी सुख अपने प्यारे पिता के प्यार में खोकर मैं ले रही हूँ। उनके लव में लीन यह लवलीन स्थिति मुझे उनके समान स्थिति में स्थित करती जा रही है*।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे देह से मेरा कोई सम्बन्ध नही। अपने स्वरूप में पूरी तरह डूब कर केवल दो सितारों की उपस्थिति को ही मैं अनुभव कर रही हूँ। एक अति सूक्ष्म चैतन्य स्टार के रुप में मैं स्वयं को देख रही हूँ और अपने सामने स्थित सुपर स्टार के रूप में अपने पिता को देख रही हूँ। *इन दोनों स्टार्स में ही जैसे सारी दुनिया समा गई है। अपने प्यार की अनन्त किरणों की वर्षा मुझ पर करते, प्यार के सागर मेरे सुपर स्टार शिव बाबा चुम्बक की तरह मुझे खींच कर अब अपने साथ ऊपर ले जा रहें हैं*। बाबा की सर्वशक्तियों की मैग्नेटिक पॉवर, नश्वर संसार की हर चीज से किनारा करवाकर मुझे खींचती हुई अब आकाश को पार कर, सूक्ष्म लोक से ऊपर मेरे स्वीट साइलेन्स होम में मुझे ले आई है। *अपने घर मे आकर मैं आत्मा शांति की गहन स्थिति का अनुभव कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ इस शांतिधाम घर मे चारों और फैले शांति के वायब्रेशन्स मुझे गहन शांति की अनुभूति करवाकर एक अनोखी शक्ति का संचार मेरे अन्दर कर रहें हैं। *साइलेन्स का बल अपने अंदर भरकर अब मैं सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के सागर अपने प्यारे पिता के पास आकर बैठ गई हूँ और बड़े प्यार से उन्हें निहार रही हूँ*। मैं महसूस कर रही हूँ जैसे बाबा भी बड़े प्यार से मुझे निहार रहें हैं और अपना प्यार शीतल लहरों के रूप में धीरे - धीरे मुझ तक पहुँचा रहें हैं। बाबा के अथाह प्यार की शीतल लहरों की शीतलता मन को गहन सुख प्रदान कर रही है। धीरे - धीरे ये लहरे बढ़ रही हैं और मुझे अपने अंदर समाती जा रही हैं।
➳ _ ➳ प्यार के सागर मेरे पिता के प्यार की लहरों का प्रवाह मुझे बहा कर अपने बिल्कुल समीप ले आया है। जहाँ पहुँच कर ऐसा लग रहा है जैसे प्यार का कोई सतरंगी झरना मेरे ऊपर बरस रहा है और उस झरने के नीचे खड़ी होकर मैं स्नान करके प्यार के सागर अपने पिता के समान बनती जा रही हूँ। *नफरत, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा के पुराने स्वभाव संस्कार जैसे प्यार के सागर की गहराई में डूब गए हैं और उसके स्थान पर सबको प्रेम देने, सहयोग देने के संस्कार जैसे इमर्ज हो गए हैं*। स्वयं को मैं बाप समान प्यार का सागर अनुभव कर रही हूँ। अपने प्यारे पिता के साथ स्नेह मिलन मनाकर, उनके समान बन कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया में लौट आती हूँ और अपने साकार तन में फिर से भृकुटि के अकालतख्त पर आकर विराजमान हो जाती हूँ।
➳ _ ➳ *प्यार के सागर अपने पिता से प्राप्त किये हुए प्यार का मधुर एहसास मेरी शक्ति बनकर अब मुझे भी बाप समान प्यार का सागर बन सबको सच्चा रूहानी प्यार देने के लिए प्रेरित करता रहता है इसलिए अपने प्यारे पिता के प्यार से स्वयं को हरपल भरपूर रखते हुए अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को आत्मिक स्नेह देकर उन्हें तृप्त करती रहती हूँ*
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं विशेषता के संस्कारों को नेचुरल नेचर बनाए साधारणता को समाप्त करने वाली मरजीवा आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं पत्थरों को छोड़ सदा ज्ञान रत्नों से खेलने वाली रॉयल आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बाप आपकी हर सेवा में सहयोग देने वाले हैं *बापदादा सभी बच्चों को कहते हैं कि आप सभी 'आप और बाप' कम्बाइण्ड हैं। तो कम्बाइण्ड हैं तो सिंगल हुए क्या*? लौकिक जीवन अलग चीज है, लेकिन ब्राह्मण जीवन में कम्बाइण्ड रूप में हो। *ऐसे कम्बाइण्ड हो जो कोई भी अलग नहीं कर सकता*। ऐसे कम्बाइण्ड हो ना? या अकेले हो? कम्बाइण्ड हो। *सदा बाप हर कार्य में सहयोगी हैं, साथी हैं*। यह नशा रहता है ना? *कभी अपने को अकेले तो नहीं समझते? कभी-कभी समझते हो*? नहीं। पहले *बापदादा आप सबका साथी है और अविनाशी साथ निभाने वाले है। बाबा कहा और बाबा हाजिर है। कहते हैं हजूर सदा हाजिर है। तो मौज में रहते हो ना*? उदास तो नहीं होते? होते हैं? हाँ ना नहीं करते? उदास तो नहीं है ना? मौज में रहते हो ना! *मौज ही मौज है, हम बाप के, बाप हमारे*। *बाप आपकी हर सेवा में सहयोग देने वाले हैं। इसलिए इसी रूहानी नशे में सदा रहना* - हम कम्बाइण्ड हैं। कम्बाइण्ड हैं ना? बहुत अच्छे रूहानी नशे वाले हैं। नशा है ना? बापदादा को अति प्रिय से भी प्रिय हैं।
✺ *ड्रिल :- "सदा कम्बाइण्ड स्वरूप के रूहानी नशे में रहने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *फूल और खूशबू... सागर और लहरें... बादल और बरखा... सूरज और धूप जैसे कम्बाइंड है, वैसे ही संगम पर शिव से कम्बाइंड मैं शिव शक्ति*... उनकी सारी शक्तियाँ और गुण मेरी अमानतें है... मैं आत्मा भृकुटी तख्त पर कम्बाइन्ड रूप में... दूर दूर तक फैलता आत्मिक गुणों का प्रकाश... और इस प्रकाश की परिधि में आने वाली हर आत्मा सुख शान्ति और पवित्रता की गहरी अनुभूति कर रही है... मुझ आत्मा का अविनाशी सहारा, अविनाशी साथी... हर पल हर सेवा में मेरा सहयोगी...
➳ _ ➳ उस रूहानी माशूक के संग के नशे में चूर मैं आत्मा... मेरे हर सकंल्प, हर बोल, हर कर्म में रूहानियत... *धडकनों में बाबा शब्द की सरगम साफ साफ सुनाई दे रही है*... और देख रही हूँ... फरिश्ता स्वरूप बापदादा को... *जो मेरे सम्मुख खडे हो गये है मेरे धडकनों की आवाज सुनकर*... मुस्कुराते हुए आगे बढकर मेरे सर पर हाथ रख दिया है उन्होनें... *उनके हाथों का ये कोमल स्पर्श हर उदासी से, हर रंजो गम से बेपरवाह कर रहा है, मुझे*...
➳ _ ➳ *सदा मौजों में रहने का वरदान दे रहे है बाबा मुझे*... वरदान की शक्तियों को स्वयं में समाती जा रही हूँ मैं... रूहानी नशे में चूर, मैं बिन्दु रूप में सिमटती जा रही हूँ... *मैं आत्मा जा पहुँची हूँ परमधाम में*... एक एक आत्मा मणि को बेहद ध्यान से देखती हुई... *चमकती हुई हर आत्मा अपने अपने सैक्शन में*... अपनी पवित्रता का प्रकाश फैलाती हुई... दूर दूर तक शान्ति का अटल साम्राज्य...
➳ _ ➳ *हर आत्मा को बेहद करीब से अनुभव करती हुई... मैं देख रही हूँ शिव बिन्दु को*... मन की आँखों से उनके स्नेह का पान करती हुई मैं एकदम उनके करीब आकर कुछ पल के लिए स्थिर हो गयी हूँ... *झरने के नीचे जैसे घट रख दिया हो किसी ने... उनके पावन से स्नेह से स्वयं को भरपूर करती हुई... उन्ही का स्वरूप बनती जा रही हूँ... और अब उनके स्नेह का आकर्षण मुझे खींच रहा है अपनी ओर... मैं बूँद समाती जा रही हूँ उस सागर में...*
➳ _ ➳ *देर तक कम्बाइंड स्वरूप की गहरी अनुभूति*... और अब मैं आत्मा अपने गहरे अनुभवों के साथ, लौट रही हूँ साकार तन और साकारी दुनिया की ओर... *देह में अवतरित मैं आत्मा अब भी कम्बाइंड स्वरूप की गहरी और ठहरी अनुभूतियों के साथ*... शिव शक्ति के रूप में बापदादा का हर सेवा में सहयोग अनुभव कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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