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❍ 04 / 12 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ आँखें कभी क्रिमिनल तो नहीं हुई ?
➢➢ "बेहद का बाप हमें कांटो से फूल बना रहे हैं" - यह शुद्ध नशा रहा ?
➢➢ ब्राह्मण जीवन में बाप द्वारा लाइट का ताज प्राप्त किया ?
➢➢ बेहद की वैराग्य वृत्ति द्वारा इच्छाओं के वश परेशान आत्माओं की परेशानी को दूर किया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ जैसे अनेक जन्म अपने देह के स्वरूप की स्मृति नेचुरल रही है वैसे ही अपने असली स्वरूप की स्मृति का अनुभव थोड़ा समय भी नहीं करेंगे क्या? यह पहला पार्ट कम्पलीट करो तब अपनी आत्म-अभिमानी स्थिति द्वारा सर्व आत्माओं को साक्षात्कार कराने के निमित्त बनेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं सर्व प्रप्तियों से भरपूर आत्मा हूँ"
〰✧ सदा अपने को सर्व प्राप्तियों से भरपूर अनुभव करते हो? कभी खाली तो नहीं हो जाते? क्योंकि बाप ने इतनी प्राप्तियां कराई हैं, अगर सर्व प्राप्ति अपने में जमा करो तो कभी भी खाली नहीं हो सकते। इस जन्म की तो बात ही नहीं है लेकिन अनेक जन्म भी यहां की भरपूरता साथ रहेगी। तो जब इतना दिया है जो भविष्य में भी चलना है, तो अभी खाली कैसे होंगे? अगर बुद्धि खाली रही तो हलचल रहेगी। कोई भी चीज अगर फुल भरी नहीं होती तो उसमें हलचल होती है। तो भरपूर होने की निशानी है कि माया को आने की मार्जिन नहीं है। माया ही हिलाती है।
〰✧ तो माया आती है या नहीं? संकल्प में भी आती है, माया के राज्य में तो आधाकल्प अनुभव किया और अभी अपने राज्य में जा रहे हो। जब मायाजीत बनेंगे तब फिर अपना राज्य आयेगा और मायाजीत बनने का सहज साधन - सदा प्राप्तियों से भरपूर रहो। कोई एक भी प्राप्ति से वंचित नहीं रहो। सर्व प्राप्ति हो।
〰✧ ऐसे नहीं - यह तो है, एक बात नहीं तो कोई हर्जा नहीं। अगर जरा भी कमी होगी तो माया छोड़ेगी नहीं, उसी जगह से हिलायेगी। तो माया को आने की मार्जिन ही न हो। आ गई, फिर भगाओ तो उसमें टाइम जाता है। तो मायाजीत बने हो? यह नहीं सोचो- 2 वर्ष या 3 वर्ष में हो जायेंगे। ब्राह्मणों के लिए स्लोगन है - 'अब नहीं तो कभी नहीं'। अब समय की रफ्तार के प्रमाण कोई भी समय कुछ भी हो सकता है। इसलिए तीव्र पुरुषार्थी बनो।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ अभी-अभी अशरीरी हुए या युद्ध में, मेहनत करते-करते टाइम पूरा हो गया? सेकण्ड में बन सकते हो! बहुत काम है फिर भी बन सकते हो? मुश्किल नहीं है? यू.एन. में बहुत भाग दौड कर रही हो और अशरीरी बनने की कोशिश करो, होगा?
〰✧ अगर यह अभ्यास समय प्रति समय करेंगे तो ऐसे ही नेचुरल हो जायेगा जैसे शरीर भान में आना, मेहनत करते हो क्या? मैं फलानी हूँ यह मेहनत करते हो? नेचुरल है। तो यह भी नेचुरल हो जायेगा। जब चाहो अशरीरी बनो, जब चाहो शरीर में आओ।
〰✧ अच्छा काम है आओ इस शरीर का आधार लो लेकिन आधार लेने वाली मैं आत्मा हूँ वह नहीं भूले। करने वाली नहीं हूँ, कराने वाली हूँ जैसे दूसरों से काम कराते हो ना। उस समय अपने को अलग समझते हो ना! वैसे शरीर से काम कराते हुए भी कराने वाली मैं आत्मा अलग हूँ यह प्रैक्टिस करो तो कभी भी बॉडी कान्सेस की बातों में नीच-ऊपर नहीं होंगे। समझा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ अभी यह साकार से अव्यक्त रूप का पार्ट क्यों हुआ? सबको अव्यक्त स्थिति में स्थित कराने। क्योंकि अब तक उस स्टेज तक नहीं पहुँचे हैं। अभी अन्तिम पुरुषार्थ यह रह गया है। इसी से ही साक्षात्कार होंगे। साकार स्वरूप के नशे की प्वाइन्ट्स तो बहुत हैं कि मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ, मैं ब्राह्मण हूँ और मैं शक्ति हूँ। इस स्मृति से तो आपको नशे और खुशी का अनुभव होगा। लेकिन जब तक इस अव्यक्त स्वरूप में, लाइट के कार्ब में स्वयं को अनुभव न किया है, तब तक औरों को आपका साक्षात्कार नहीं हो सकेगा। क्योंकि जो दैवी स्वरूप का साक्षात्कार भक्तों को होगा वह लाइट रूप की कार्ब में चलते-फिरते रहने से ही होगा। साक्षात्कार भी लाइट के बिना नहीं होता है। स्वयं जब लाइट रूप में स्थित होंगे, आपके लाइट रूप के प्रभाव से ही उनको साक्षात्कार होगा। जैसे शास्त्रों में दिखाते हैं कि कंस ने कुमारी को मारा तो वह उड़ गई, साक्षात् रूपधारी हो गई और फिर आकाशवाणी की। वैसे ही आप लोगों का साक्षात्कार होगा, तो ऐसा अनुभव होगा कि मानो यह देवी द्वारा आकाशवाणी हो रही है। वह सुनने को इच्छुक होंगे कि यह देवी या शक्ति मेरे प्रति क्या आकाशवाणी करती है। आप में अब यह नवीनता दिखाई दे। साधारण बोल नज़र न आयें, ऊपर से आकाशवाणी हो रही है, बस ऐसा अनुभव हो। इसलिए कहा कि अब ज्वालामुखी बनने का समय है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- माया के वशीभूत कोई उल्टा कर्म नहीं करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने मन मंदिर में एक दिलाराम बाबा को बसाकर उड़ चलती
हूँ तपस्या धाम में... बाबा के सम्मुख बैठ बाबा को निहारती हुई सोचने लगती
हूँ... की मीठे प्यारे बाबा परमधाम से पधारकर मुझे पढ़ा रहे हैं... अपनी श्रेष्ठ
ते श्रेष्ठ श्रीमत देकर नर से नारायण बना रहे हैं... मैं आत्मा विकारों के वश
होकर माया के जाल में फंस गई थी... प्यारे बाबा मुझे इस माया जाल से छुड़ाकर
सतयुगी दुनिया का मालिक बना रहे हैं... मुझे चिन्तन में खोई हुई देख सामने बाबा
मुस्कुराकर मीठी बच्ची कहते हुए रूह-रिहान करने लगते हैं...
❉ ज्ञान से समझदार बन हर कार्य करते हुए माया से सम्भाल करने की शिक्षा
देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय गोद में जो
खुबसूरत फूल बन मुस्कराये हो... माया की धूप से फिर न कुम्हलाना... ईश्वरीय
बुद्धि को पाकर जो समझदार बने हो.... माया की बेसमझी में फिर न फंस जाओ, इसका
पूरा ख्याल रखो... हर कार्य श्रीमत का हाथ थामे हुए करो...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा ईश्वरीय मत के अनुसार अपना हर कदम रखते हुए कहती हूँ:-
“हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके मीठे साये में कितनी प्यारी और
दिव्य बुद्धि की मालिक बन मुस्करा उठी हूँ... मेरा हर कदम श्रीमत प्रमाण है और
मै आत्मा ईश्वरीय समझ लिए अथाह सुखो की अधिकारी बन गई हूँ...”
❉ मीठे बाबा अपने ज्ञान योग की किरणों का सुरक्षा कवच मुझे पहनाते हुए
कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्चे ज्ञान को पाकर जो ज्ञानवान बने
हो,तो हर संकल्प को श्रीमत की कसौटी पर परख लो... अब माया के चंगुल और आकर्षण
को दूर से पहचानने वाले दूरदृष्टि बनो... जिन कर्मो ने जीवन को दुखो का दलदल बना
डाला है, उनसे स्वयं की सम्भाल करो...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा दिल की गहराईयों से प्राण प्यारे बाबा का शुक्रिया करते
हुए कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपके बिना, विकारो से भरी
मलिन बुद्धि से दारुण दुखो में भटक सी रही थी... आपने प्यारे बाबा मेरा हाथ
पकड़ कर, दुखो की गहरी खाई से बाहर निकाला है... अब जीवन सुख की बगिया बन खिल
उठा है...”
❉ संगम के वरदानी समय का महत्व समझाकर वरदानों से भरपूर करते हुए मेरे
बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के साथ का यह वरदानी
समय अमूल्य है... इस अनमोल समय को ईश्वरीय यादो से भरपूर कर अनन्त सुनहरे
सतयुगी सुखो के अधिकारी बनो... हर साँस संकल्प को श्रीमत के साथ दिव्यता से भर
लो...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा माया की विकारी नगरी से निकल बाबा के सत्य ज्ञान से अपने
जीवन को खुशहाल बनाते हुए कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके
सच्चे ज्ञान और प्यार में मनुष्य से देवताई बुद्धि वाली खुबसूरत आत्मा बन
मुस्करा रही हूँ... पापकर्मो की छाया से दूर होकर, दिव्य जीवन को जीती हुई
अनन्त खुशियो में लहरा रही हूँ...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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"ड्रिल :- बाप के साथ सदा सच्चा रहना है"
➳ _ ➳ इस दुख देने वाली कलयुगी दुनिया झूठखण्ड का विनाश कर उसे सचखण्ड
बनाने का जो कर्तव्य करने के लिए भगवान इस धरा पर अवतरित हुए हैं उस सचखण्ड का
मालिक बनने के लिए अपने सच्चे पिता के साथ अंदर बाहर सदा सच्चे होकर रहने की
मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ और सचखण्ड की स्थापना करने वाले अपने प्यारे
शिव भगवान का कोटि - कोटि शुक्रिया अदा करते हुए, उनकी मन को सुकून देने वाली
मीठी याद में जैसे ही बैठती हूँ, मेरे मीठे बाबा मुझे सेकण्ड में अपनी और खींच
लेते हैं। एक ही क्षण में देह के भान को भूल मैं अपने बिंदु स्वरूप में मैं
स्थित हो जाती हूँ और अपने सच्चे बाप से सच्चा मिलन मनाने उनकी निराकारी दुनिया
की ओर चल पड़ती हूँ। देह, देह की दुनिया और देह के झूठे सम्बन्धो से किनारा
करके, एक खूबसूरत रूहानी यात्रा पर अब मैं जा रही हूँ।
➳ _ ➳ मन मे अपने प्यारे पिता की मीठी यादों को समाये मन बुद्धि की इस
यात्रा पर मैं आजाद पँछी की भांति उन्मुक्त होकर ऊपर की ओर उड़ती जा रही हूँ। मन
बुद्धि के विमान पर सवार, अपने प्यारे पिता से मिलने की लगन के मगन मैं आत्मा
आकाश को पार करती हूँ और फरिश्तों की एक बहुत ही सुंदर और निराली दुनिया मे
पहुँच जाती हूँ। यहाँ पहुंचते ही एक बहुत ही सुन्दर फ़रिश्ता ड्रेस मैं पहन
लेती हूँ और फरिश्तों की इस दुनिया के सुंदर नजारों का आनन्द लेते हुए अपने
प्राणप्रिय प्यारे बापदादा के पास पहुँचती हूँ। बाबा बड़े प्यार से मुस्कराते
हुए अपनी बाहों में मुझे भर लेते हैं और अपना असीम स्नेह मेरे ऊपर बरसाने लगते
हैं। बाबा के नयनो में अपने लिए समाये अथाह प्यार को देख मैं खुशी में झूमने
लगती हूँ।
➳ _ ➳ अपने प्यारे बापदादा से असीम स्नेह पाकर, उनसे मिलन मनाकर मैं जैसे
ही वापिस आने के लिये मुड़ती हूँ बाबा सचखण्ड का एक खूबसूरत मॉडल मेरे हाथ पर
सौगात के रूप में रख देते हैं। उसे अपने हाथ मे लेते ही मैं मन बुद्धि से उस
खूबसूरत दुनिया मे पहुँच जाती हूँ। देख रही हूँ मैं उस दुनिया के मन को लुभाने
वाले बहुत ही सुंदर - सुन्दर नजारों को। चैतन्य देवी देवताओं की यह स्वर्णिम
दुनिया जहाँ सुख शांति और सम्पन्नता की भरमार है। दुख देने वाली झूठी माया यहाँ
है ही नही इसलिए राजा हो या प्रजा सभी सुखी और सम्पन्न हैं। सन्तुष्टता का
गहना पहने सभी अपने जीवन का आनन्द ले रहें हैं। इस सचखण्ड में प्रकृति भी दासी
बन सबको सुख दे रही है। सदाबहार मौसम, हरे भरे सुंदर खुशबूदार पेड़ पौधे, पेड़ो
पर लगे रसीले सुन्दर फल और प्रकृति के बहुत ही खूबसूरत नज़ारे मैं इस दुनिया मे
देख - देख कर आनन्दित हो रही हूँ।
➳ _ ➳ अपने सत्य बाप द्वारा स्थापन की जा रही सतयुगी दुनिया के सुंदर
नजारों का भरपूर आनन्द लेकर मैं ऐसी खूबसूरत सौगात देने वाले अपने सच्चे बाबा
से सदा सच्चे होकर रहने का प्रोमिस करके अब अपनी फ़रिश्ता ड्रेस उतार कर, अपने
निराकार बिंदु स्वरूप में स्थित होकर, अपने निराकार सत्य शिव बाबा से मिलने
उनके परमधाम घर की ओर चल पड़ती हूँ। सेकेण्ड से भी कम समय मे मैं अपने इस मूल
वतन घर मे प्रवेश करती हूँ और अपने प्यारे पिता के पास पहुँच जाती हूँ। सूर्य
के समान अति तेजोमय, अपनी किरणों रूपी बाहों को फैलाये सामने खड़े ज्ञानसूर्य
अपने सच्चे पिता के सम्मुख जाकर मैं बैठ जाती हूँ और उनकी सर्वशक्तियों की
किरणों की शीतल फुहारों के नीचे बैठ, भरपूर आनन्द लेकर, स्वयं को उनकी शक्तियों
से भरपूर करके वापिस लौट आती हूँ फिर से फरिश्तो की उसी अव्यक्त दुनिया में
➳ _ ➳ बापदादा से मिली सचखण्ड की सौगात को लेकर, अपने लाइट के सूक्ष्म
आकारी शरीर के साथ मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे आकर अपने स्थूल शरीर मे
प्रवेश करती हूँ। और अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर अपने सच्चे बाबा के
साथ सदा सच्चे होकर रहने की अपनी प्रतिज्ञा को स्मृति के रखकर सचखण्ड का मालिक
बनने के पुरुषार्थ में लग जाती हूँ। इस झूठखण्ड मे रहते हुए भी माया के झूठे
आकर्षणों से स्वयं को मुक्त रखते हुए, कदम - कदम पर अपने सच्चे बाबा से राय
लेकर उनकी श्रीमत पर चलते हुए अब मैं हर कर्म कर रही हूँ।
➳ _ ➳ जाने अनजाने में होने वाली छोटी से छोटी गलती को भी अपने सच्चे
बाबा को बताकर, उनसे माफी मांग कर उस गलती को फिर ना दोहराने की स्वयं से और
अपने सच्चे बाबा से प्रतिज्ञा करके, उस प्रतिज्ञा को दृढ़ता के साथ पूरा करते
हुए, अपने सच्चे बाप द्वारा स्थापन किये जा रहे सचखण्ड का मालिक बनने का अब मैं
पूरा पुरुषार्थ कर रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
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मैं ब्राह्मण जीवन में लाइट का ताज प्राप्त करने वाली आत्मा हूँ।
✺ मैं महान आत्मा हूँ।
✺ मैं भाग्यवान आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺
मैं बेहद की वैराग्य वृत्ति धारण करने वाली आत्मा हूँ ।
✺ मैं आत्मा इच्छाओं के वश परेशान आत्माओं की परेशानी दूर करती
हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा ने मैजारिटी बच्चों का वर्ष का पोतामेल देखा। क्या देखा होगा? मुख्य एक कारण देखा। बापदादा ने देखा कि 'मिटाने और समाने' की शक्ति कम है। मिटाते भी हैं, उल्टा देखना, सुनना, सोचना, बीता हुआ भी मिटाते हैं लेकिन जैसे आप कहते हो ना कि एक है कान्सेस दूसरा है -सबकान्सेस। मिटाते हैं लेकिन मन की प्लेट कहो, स्लेट कहो, कागज कहो, कुछ भी कहो, पूरा नहीं मिटाते। क्यों नहीं मिटा सकते? उसका कारण है - समाने की शक्ति पावरफु नहीं है। समय अनुसार समा भी लेते लेकिन फिर समय पर निकल आता। इसलिए जो चार शब्द बापदादा ने सुनाये, वह सदा नहीं चलते। अगर मानों मन की प्लेट वा कागज पूरा साफ नहीं हुआ, पूरा नहीं मिटा तो उस पर अगर बदले में आप और अच्छा लिखने भी चाहो तो स्पष्ट होगा? अर्थात् सर्व गुण, सर्व शक्तियां धारण करने चाहो तो सदा और फुल परसेन्ट में होगा? बिल्कुल क्लीन भी हो, क्लीयर भी हो तब यह शक्तियां सहज कार्य में लगा सकते हो।
➳ _ ➳ कारण यही है, मैजारिटी की स्लेट क्लीयर और क्लीन नहीं है। थोड़ा-थोड़ा भी बीती बातें या बीती चलन, व्यर्थ बातें वा व्यर्थ चाल-चलन सूक्ष्म रूप में समाई रहती हैं तो फिर समय पर साकार रूप में आ जाती हैं। तो समय अनुसार पहले चेक करो, अपने को चेक करना दूसरे को चेक करने नहीं लग जाना क्योंकि दूसरे को चेक करना सहज लगता है, अपने को चेक करना मुश्किल लगता है। तो चेक करना कि हमारे मन की प्लेट व्यर्थ से और बीती से बिल्कुल साफ है? सबसे सूक्ष्म रूप है - वायब्रेशन के रूप में रह जाता है। फरिश्ता अर्थात् बिल्कुल क्लीन और क्लीयर। समाने की शक्ति से निगेटिव को भी पाजिटिव रूप में परिवर्तन कर समाओ। निगेटिव ही नहीं समा दो, पाजिटिव में चेंज करके समाओ तब नई सदी में नवीनता आयेगी।
✺ ड्रिल :- "मन की स्लेट को क्लीन और क्लीयर रखना"
➳ _ ➳ मैं सर्व श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा अपने प्यारे बापदादा की यादो में खोई हुई हूँ... मेरे सामने बापदादा आकर खडे है... ब्रह्माबाबा के मस्तक में चमक रहे है महाज्योति शिवबाबा... बापदादा को देखते ही उनमें खो गई... वाह बाबा वाह... आप कितने मधुर हो... जैसे भक्ति में गायन है वैसे ही मधुर मधुर महसूस हो रहे है... बिलकुल वही गीत याद आ रहा है... अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्... ह्दयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्... बापदादा मुस्कुराते हुए एक किताब देते है मेरे हाथ में और कहते है... बच्चे:- ये रहा आपका पूरे वर्ष का पोतामेल... बापदादा ने हर एक शक्ति के मार्क्स लिखे है...
➳ _ ➳ मुझे ये देखकर बहुत खुशी हुई की एक वर्ष में मैने असीम ऊंचाइयों को छुआ है... दिनों दिन मेरी शक्ति बढती ही गई है... मैं आत्मा निरंतर चढती कला में जा रही हूँ... लेकिन सर्व गुण और शक्तियां फुल परसेन्ट में नहीं है... फिर मेरा ध्यान उस पर गया जहाँ पर मेरे मन की बातें साफ साफ लिखी है... मैंने देखा की अभी भी वो पुरानी बातें जो मैं समझती थी की मैं बिलकुल भूल चूकी हूँ वो भी लिखी है... मैं सोचने लगी की यह तो मैंने मिटा दिया था यह कहाँ से आया ? तो बापदादा ने कहा की आपने पूरा नहीं मिटाया... इसलिए अभी भी मन की स्लेट क्लीन और क्लीयर नहीं... कान्सेस में तो मिटा दिया लेकिन सबकान्सेस में तो दिखाई दे रहा है... मैं बापदादा से पूछती हूँ इसका कारण क्या है ? और निवारण क्या है ?
➳ _ ➳ बापदादा ने कहा की मन की स्लेट पूरी क्लीन नहीं हुई क्योंकि समाने की शक्ति पावरफुल नहीं है... समय अनुसार समा भी लेते लेकिन फिर समय पर निकल आता... इसलिए सर्व गुण और शक्तियों को फुल परसेन्ट में धारण करने की कितनी भी कोशिश करो लेकिन होती नही है... और सहज कार्य में भी नहीं लगा पाते हो... इसलिए मन की स्लेट बिल्कुल क्लीयर होनी चाहिए... बापदादा को सुनते ही मैं तपस्वी ब्राह्मण आत्मा स्वयं को चेक करने में लग जाती हूँ... जैसे ही मैंने स्वदर्शनचक्र फिराना शुरू किया तो सारी समस्याएं और समस्याओं का निवारण समझ आने लगा... मैंने इस बात को साफ-साफ देखा कि किस तरह व्यर्थ और बीती चाल चलना सूक्ष्म से साकार रूप लेती जा रही थी...
➳ _ ➳ मेरे देखने में स्वयं की भूल आते ही मुझे पश्चाताप हुआ की किस तरह माया मुझे अपनी जाल मे फंसा रही थी... किस तरह परदर्शन और परचिंतन में फंसा रही थी... और अपने अंश को वंश किए जा रही थी... अगर इसको मैंनेे पहले ही संपूर्ण रूप से समा लिया होता तो माया की ताकत नहीं थी जो मुझे हरा सके... यह जानने के बाद अब मुझे माया के भिन्न भिन्न सूक्ष्म रूप भी दिखाई देने लगे है... शुक्रिया बाबा आपका पद्मापद्म गुणा शुक्रिया... आप मेरे सच्चे सतगुरू हो... जो हमेशा सच्ची राह दिखाते हो... न जाने इससे पहले भी कई बार आपने मेरी रक्षा कि है और विघ्नों से बचाया है... बापदादा ने बिल्कुल सूक्ष्म रूप में भी व्यर्थ दिखाया की किस तरह वो वायब्रेशन के रूप में रह गया है...
➳ _ ➳ अब स्वदर्शन करते ही मुझ आत्मा के पुरुषार्थ की गति एकदम तीव्र हो गई है... पुरुषार्थ की स्पीड सतोप्रधान हो गई है... बापदादा ने अपना वरदानी हाथ मेरे मस्तक पर रखा और मेरे मन में जो भी सूक्ष्म में व्यर्थ था वो अपने हाथो से खींच लिया... और साथ ही साथ लाल रंग की शक्तियों की किरणों से भी भरपूर कर दिया... समाने की शक्ति को पूरी तरह से भर दिया... अब तो मुझे बिल्कुल हल्कापन महसूस हो रहा है... एकदम खुशी की अनुभूति हो रही है... इसके कारण मन एकदम क्लीन और क्लियर हो गया है... ये हल्कापन मुझे फरिश्तेपन की और ले जा रहा है... अब मैं सर्व शक्तियों से संपन्न फरिश्ता हूँ... अब मेरे सामने जो भी निगेटिव आ रहा है सब समा कर पाजिटिव में चेंज करता जा रहा हूँ... और बापदादा भी यह नवीनता देखकर बहुत खुश हो रहे हैं... शुक्रिया बाबा... शुक्रिया...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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