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❍ 27 / 05 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 54=20)
➢➢ किसी भी प्रकार की चाहना तो नहीं रखी ?
➢➢ एक बाप से सच्चा लव रखा ?
➢➢ श्रेष्ठ प्राप्तियों के प्रतक्ष्य फल द्वारा सदा खुशहाल स्थिति का अनुभव किया ?
➢➢ सर्व की दुआओं के खजाने से संपन्न बने ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ वर्तमान समय अनेक साधनों को देखते हुए साधना को भूल नहीं जाना क्योंकि आखिर में साधना ही काम में आनी हैं। आज मन की खुशी के लिए मनोरंजन के कितने नये-नये साधन बनाते हैं। वह हैं अल्पकाल के साधन और आपकी है सदाकाल की सच्ची साधना। तो साधना द्वारा सर्व आत्माओं का परिवर्तन करो। हाय-हाय लेकर आये और वाह-वाह लेकर जाये।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं भाग्यविधाता का भाग्यवान बच्चा हूँ"
〰✧ सदा अपने को भाग्य विधाता के भाग्यवान बच्चे हैं - ऐसा अनुभव करते हो? पद्मापद्म भाग्यवान हो या सौभाग्यवान हो? जिसका इतना श्रेष्ठ भाग्य है वह सदा हर्षित रहेंगे । क्योंकि भाग्यवान आत्मा को कोई अप्राप्ति है ही नहीं। तो जहाँ सर्व प्राप्ति होंगी, वहाँ सदा हर्षित होंगे। कोई को अल्पकाल की लोटरी भी मिलती है तो उसका चेहरा भी दिखाता है कि उसको कुछ मिला है। तो जिसको पद्मापद्म भाग्य प्राप्त हो जाए वह क्या रहेगा? सदा हर्षित। ऐसे हर्षित रहो जो कोई भी देखकर पूछे कि क्या मिला है? जितना-जितना पुरुषार्थ में आगे बढ़ते जायेंगे उतना आपको बोलने की भी आवश्यकता नहीं रहेगी। आपका चेहरा बोलेगा कि इनको कुछ मिला है, क्योंकि चेहरा दर्पण होता है। जैसे दर्पण में जो चीज जैसी होती है, वैसी दिखाई देती है। तो आपका चेहरा दर्पण का काम करे।
〰✧ मास्टर सर्वशक्तिवान के आगे वैसे कोई भी बड़ी बात नहीं है। दूसरी बात आपको निश्चय है कि हमारी विजय हुई ही पड़ी है। इसलिए कोई बड़ी बात नहीं है। जिसके पास सर्वशक्तियों का खजाना है तो जिस भी शक्ति को आर्डर करेंगे वह शक्ति मददगार बनेगी। सिर्फ आर्डर करने वाला हिम्मत वाला चाहिए। तो आर्डर करना आता है या आर्डर पर चलना आता है? कभी माया के आर्डर पर तो नहीं चलते हो? ऐसे तो नहीं कि कोई बात आती है और समाप्त हो जाती है? पीछे सोचते हो - ऐसे करते थे तो बहुत अच्छा होता। ऐसे तो नहीं? समय पर सर्वशक्तियां काम में आती हैं या थोड़ा पीछे से आती हैं? अगर मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट हो तो कोई भी शक्ति आर्डर नहीं माने - यह हो नहीं सकता। अगर सीट से नीचे आते हो और फिर आर्डर करते हो तो वो नहीं मानेंगे। लौकिक रीति से भी कोई कुर्सी से उतरता है तो उसका आर्डर कोई नहीं मानता।
〰✧ अगर कोई शक्ति आर्डर नहीं मानती है तो अवश्य पोजीशन की सीट से नीचे आते हो। तो सदा मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट रहो, सदा अचल अडोल रहो, हलचल में आने वाले नहीं। बापदादा कहते हैं शरीर भी चला जाये लेकिन खुशी नहीं जाये। पैसा तो उसके आगे कुछ भी नहीं है। जिसके पास खुशी का खजाना है उसके आगे कोई बड़ी बात नहीं और बापदादा का सदा सहयोगी सेवाधारी बच्चों का साथ है। बच्चा बाप के साथ है तो बड़ी बात क्या है? इसलिए घबराने की कोई बात नहीं। बाप बैठा है, बच्चों को क्या फिकर है। बाप तो है ही मालामाल। किसी भी युक्ति से बच्चों की पालना करनी ही है, इसलिए बेफिकर। दु:खधाम में सुखधाम स्थापन कर रहे हो तो दु:खधाम में हलचल तो होगी ही। गर्मी की सीजन में गर्मी होगी ना! लेकिन बाप के बच्चे सदा ही सेफ हैं, क्योंकि बाप का साथ है।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ अमृतवेले भी जैसे यह अभ्यास करना है - हम जैसे कि अवतरित हुए हैं। कभी ऐसे समझो कि मैं अशरीरी और परमधाम का निवासी हूँ अथवा अव्यक्त रूप में अवतरित हुई हूँ और फिर स्वयं को कभी निराकार समझो।
〰✧ यह तीनों स्टेजिस पर जाने की प्रैक्टिस हो जाए जैसे कि एक कमरे से दूसरे कमरे में जाना होता है। तो अमृतवेले यह विशेष अशरीरि - भव का वरदान लेना चाहिए अभी यह विशेष अनुभव हो। अच्छा।
〰✧ चढ़ती कला सर्व का भला। चढ़ती कला का प्रैक्टिकल स्वरूप क्या होता है? उस में सर्व का भला होता है। इनसे ही चढ़ती कला का अपना पुरुषार्थ देख सकेंगे। सर्व का भला ही सिद्ध करना है कि चढ़ती कला है। वास्तव में यही थर्मामीटर है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ जितनी वाणी सुनने सुनाने की जिज्ञासा रहती है, तड़प रहती हैं चॉन्स बनाते भी हो क्या ऐसे ही फिर वाणी से परे स्थिति में स्थित होने का चॉन्स बनाने ओर लेने के जिज्ञासु हो? यह लगन स्वत: स्वयं में उत्पन्न होती है या समय प्रमाण, समस्या प्रमाण व प्रोग्राम प्रमाण यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है? फर्स्ट स्टेज तक पहुँची हुई आत्माओं की पहली निशानी यह होगी। ऐसी आत्मा को, इस अनुभूति की स्थिति में मग्न रहने के कारण, कोई भी विभूति व कोई भी हद की प्राप्ति की आकर्षण, संकल्प में भी छूने की हिम्मत रखती हैं, तो इसको क्या कहेंगे? क्या ऐसे को वैष्णव कहेंगे? जैसे आजकल के नामधारी वैष्णव, अनेक प्रकार की परहेज करते हैं - कई व्यक्तियों और कई प्रकार की वस्तुओं से, अपने को छूने नहीं देते हैं। अगर अकारणें कोई छू लेते हैं, तो वह पाप समझते हैं। आप, जैसा नाम वैसा काम करने वाले, जैसा वैष्णवों को क्या कोई छू सकने का साहस कर सकता है? अगर छू लेते हैं, तो छोटे-मोटे पाप बनते जाते हैं। ऐसे सूक्ष्म पाप, आत्मा को ऊँच स्टेज पर जाने से रोकने के निमित बन जाते हैं। क्योंकि पाप अर्थात् बोझा, वह फरिश्ता बनने नहीं देते। बीज रूप स्थिति व वानप्रस्थ स्थिति में स्थित नही होने देते। आजकल मैजारिटी महारथी कहलाने वाले भी, अमृतवेले की रूह-रिहान में, वह कम्पलेन्ट करते व प्रश्न पूछते हैं कि पावरफुल स्टेज जो होनी चाहिए, वह क्यों नहीं होती? थोड़ा समय वह स्टेज क्यों रहती है? इसका कारण यह सूक्ष्म पाप है, जो बाप-समान बनने नहीं देते हैं।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- बाप की सर्विस में रहना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा बादलों के विमान में बैठ बापदादा के साथ पूरे ब्रह्मांड का
चक्कर लगा रही हूँ... बाबा के साथ सूरज, चाँद, सितारों, आसमान की सैर करते हुए
आनंद की लहरों में डोल रही हूँ... परमधाम, सूक्ष्मवतन से होते हुए हम विश्व के
गोले के ऊपर बैठ जाते हैं... बापदादा सारे विश्व की प्यासी, दुखी आत्माओं,
तमोप्रधान प्रकृति को दिखाकर मुझे विश्व सेवा करने की शिक्षाएं देते हैं...
❉ प्यारे बाबा सबका कल्याण कर अन्धो की लाठी बनने के लिए प्रेरित करते हुए कहते
है:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की तरहा विश्व कल्याण की भावना से
भर जाओ... जो मीठे सुख जो खुशियां आपके जीवन में महकी है उन्हें सबके दिल आँगन
में खिला आओ... सारा विश्व सच्ची खुशियो में खिलखिलाये और हर मन मीठा मुस्कराये
ऐसी रूहानी सेवा करते रहो..."
➳ _ ➳ ज्ञान के प्रकाश को स्वयं में भरकर चारों ओर ज्ञान की रोशनी फैलाते हुए
मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आप समान सबको
सुखी और ईश्वरीय वर्से का अधिकारी बना रही हूँ... सबको सच्चे सुख का रास्ता
दिखाने वाली मा सुखदाता हो गई हूँ... ज्ञान के प्रकाश से हर दिल की राहे रौशन
कर रही हूँ..."
❉ पतित पावन मीठे बाबा पवित्रता की किरणों से मुझे चमकाते हुए कहते हैं:- "मीठे
प्यारे लाडले बच्चे... दिन रात सदा सबके कल्याण के ख्यालातों में मगन रहो...
स्वयं भी व्यर्थ से मुक्त रहेंगे और सबके जीवन को सुनहरे सुखो से सजाने वाले...
विश्व कल्याणकारी बन मीठे बापदादा के दिल तख्त पर इठलायेंगे... और खुबसूरत
भाग्य के धनी बन जायेंगे..."
➳ _ ➳ दिन रात अपनी बुद्धि में सर्विस के खयालातों को भरकर मैं आत्मा कहती
हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे पायी खुशियो की दौलत को हर दिल
पर लुटा रही हूँ... सच्चे ज्ञान की झनकार से हर दिल में सुख की बहार सजा रही
हूँ... सबका जीवन खुशियो से खिल रहा है और पूरा विश्व मीठा मुस्करा रहा है..."
❉ विश्व कल्याण का झंडा मेरे हाथों में सौंपते हुए मेरे बाबा कहते हैं:- "प्यारे
सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के सहयोगी बनने वाले और सबके जीवन को नूरानी
बनाने वाले महा भाग्यशाली हो... सच्चे सहारे होकर, सबको इन मीठी खुशियो का
पैगाम देते जाओ... ज्ञान के तीसरे नेत्र से सबकी जिंदगी में उजाला कर सुखो का
पता दे आओ..."
➳ _ ➳ मैं विश्व कल्याणी फरिश्ता पूरे विश्व और प्रकृति को सर्व गुणों और
शक्तियों की साकाश देते हुए कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मैं आत्मा
ईश्वरीय सेवा धारी बनकर अपने महान भाग्य पर मुस्करा उठी हूँ... कभी अपने ही गमो
में रोने वाली, आज धरा से दुःख के आँसू का सफाया कर रही हूँ... चारो ओर खुशहाली
और आनन्द के फूल खिलाने वाली खुबसूरत माली हो गई हूँ..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- बाबा जो खिलाए... तुम्हें डायरेक्शन है, मांगने से मरना भला"
➳ _ ➳ स्वयं भगवान की पालना में पलने वाली मैं खुशनसीब आत्मा एकांत में बैठ
विचार करती हूँ कि कभी ख्वाबों, ख्यालों में भी नही सोचा था कि जिस भगवान के
केवल दर्शन मात्र की प्यासी थी मेरी आँखें। वो भगवान मेरे नयनों में आ कर बस
जायेगा। बाप बन स्वयं मेरी पालना करेगा। टीचर बन मुझे पढ़ायेगा और सतगुरु बन
मुझे सत्य मार्ग दिखायेगा। ऐसे भगवान बाप, टीचर, सतगुरु पर मुझे कितना ना
बलिहार जाना चाहिए जिसने आकर मेरे मुरझाये हुए जीवन को हरा - भरा कर दिया।
➳ _ ➳ सम्पूर्ण सृष्टि को चलाने वाले, ऑल माइटी अथॉरिटी भगवान बाप के भंडारे से
मेरी पालना हो रही है। यह स्मृति ही मुझे एक अलौकिक नशे से भरपूर कर देती है और
एक रूहानी मस्ती मुझ आत्मा पर सहज ही चढ़ने लगती है। इस रूहानी मस्ती में खोई
अब मैं स्वयं को मधुबन के पांडव भवन में एक छोटी सी बच्ची के रूप में देख रही
हूँ। कभी ब्रह्मा बाबा अपनी गोद मे बिठा कर मुझे टोली खिला रहें हैं, कभी मम्मा
मुझे अपने हाथों से नहला - धुला कर तैयार कर रही है, सुन्दर - सुंदर कपड़े पहना
रही है। मम्मा, बाबा की उंगली पकड़ कर मैं चलना सीख रही हूँ। बड़े लाड़ - प्यार
से मम्मा, बाबा मेरी पालना कर रहें हैं।
➳ _ ➳ इस अति सुन्दर दृश्य को देख मन खुशी से सरोबार हो उठता है और मन ही मन
मैं अपने भाग्य की सराहना करती हूँ कि "वाह मेरा भाग्य वाह" जो आज भी बाबा
अव्यक्त हो कर मुझे ऐसी पालना दे रहे हैं जिससे आज भी साकार पालना की ही भासना
आती है। अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य का गुणगान करती हुई अब मैं आत्मा अव्यक्त
स्थिति में स्थित हो कर, साकारी देह को छोड़ अव्यक्त वतन में अपने अव्यक्त
बापदादा से मिलन मनाने चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ एक अति सुंदर लाइट की फ़रिशता ड्रेस धारण किये, चहुँ और अपनी श्वेत
रश्मियां फैलाते हुए मैं फ़रिशता अपने लाइट माइट स्वरूप में ऊपर की और उड़ रहा
हूँ।
कुछ ही क्षणों में मैं भू - लोक को पार कर, आकाश मार्ग से होता हुआ पहुंच जाता
हूँ अव्यक्त वतन में अव्यक्त बापदादा के सामने।
मैं देख रहा हूँ मेरे सामने मम्मा बाबा बैठे हैं। मुझे देखते ही बाबा इशारे से
मुझे अपने पास बुलाते हैं।
➳ _ ➳ बाबा के पास पहुंचते ही मैं देखता हूँ मेरा स्वरूप अति सूक्ष्म हो गया
है। एक नन्हे बच्चे की तरह मैं बाबा की गोदी में जा कर बैठ जाता हूँ। अपना हाथ
मेरे सिर पर रख कर बाबा अपनी सारी शक्तियां मेरे अंदर भरते जा रहें हैं। बाबा
की ममतामयी गोदी में मैं अवर्णनीय सुख की अनुभूति कर रहा हूँ। बाबा की गोदी में
बैठे - बैठे ही मम्मा अपने हाथों से मुझे मीठी टोली खिला रही हैं।
➳ _ ➳ मम्मा बाबा की अव्यक्त पालना ले कर, शक्तियों से भरपूर हो कर अब मैं
फ़रिशता इस अव्यक्त वतन से वापिस साकारी दुनिया की और प्रस्थान करता हूँ। फिर
से आकाश मार्ग से होता हुआ वापस भू - लोक में प्रवेश करता हूँ और अपने सूक्ष्म
लाइट के शरीर के साथ अपने साकारी तन में आ कर विराजमान हो जाता हूँ।
➳ _ ➳ अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर सदा इस नशे में रहती हूँ कि
मैं ईश्वरीय पालना में पल रही हूँ। अपने ईश्वर बाप से मैं यह दृढ़ प्रतिज्ञा
करती हूँ कि जो बाबा खिलायें वही खाना है, जो बाबा पहनाएं वही पहनना है, जो लेना
है केवल शिव बाबा के भण्डारे से ही लेना है। इसी प्रतिज्ञा को दृढ़ता के साथ
पालन करते हुए अपने शिव बाबा की पालना में पलते हुए मैं अपने इस ईश्वरीय
ब्राह्मण जीवन का भरपूर आनन्द ले रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं श्रेष्ठ प्राप्तियों के प्रत्यक्ष फल द्वारा सदा खुशहाल रहने वाली एवरहेल्दी आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं सर्व की दुआओं के खजाने से संपन्न बनकर पुरुषार्थ में मेहनत से मुक्त होने वाली आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ ब्राह्मण सो फरिश्ता और फरिश्ता सो देवता - यह लक्ष्य सदा स्मृति में
रखो:- सभी अपने को ब्राह्मण सो फरिश्ता समझते हो? अभी ब्राह्मण हैं और ब्राह्मण
से फरिश्ता बनने वाले हैं फिर फरिश्ता सो देवता बनेंगे -वह याद रहता है?
फरिश्ता बनना अर्थात् साकार शरीरधारी होते हुए लाइट रूप में रहना अर्थात् सदा
बुद्धि द्वारा ऊपर की स्टेज पर रहना। फरिश्ते के पांव धरनी पर नहीं रहते। ऊपर
कैसे रहेंगे? बुद्धि द्वारा। बुद्धि रूपी पांव सदा ऊँची स्टेज पर। ऐसे फरिश्ते
बन रहे हो या बन गये हो? ब्राह्मण तो हो ही - अगर ब्राह्मण न होते तो यहाँ आने
की छुट्टी भी नहीं मिलती। लेकिन ब्राह्मणों ने फरिश्तेपन की स्टेज कहाँ तक
अपनाई है?फरिश्तों को ज्योति की काया दिखाते हैं। प्रकाश की काया वाले। जितना
अपने को प्रकाश स्वरूप आत्मा समझेंगे - प्रकाशमय तो चलते फिरते अनुभव करेंगे
जैसे प्रकाश की काया वाले फरिश्ते बनकर चल रहे हैं। फरिश्ता अर्थात् अपनी देह
के भान का भी रिश्ता नहीं, देहभान से रिश्ता टूटना अर्थात् फरिश्ता। देह से
नहीं, देह के भान से। देह से रिश्ता खत्म होगा तब तो चले जायेंगे लेकिन देहभान
का रिश्ता खत्म हो। तो यह जीवन बहुत प्यारी लगेगी। फिर कोई माया भी आकर्षण
नहीं करेगी।
✺ "ड्रिल :- ब्राह्मण सो फरिश्ता और फरिश्ता सो देवता स्थिति का अनुभव करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा अमृतवेले मेरे मीठे बाबा से मिलन मना रही हूँ... बाबा मुझ
आत्मा में ऐसी शक्तियां भर रहे हैं मानो मैं एक खाली गुब्बारा हूँ... और बाबा
मुझ आत्मा रूपी गुब्बारे को अपनी शक्तिशाली हवा रूपी किरणों से भर रहे हो...
मैं आत्मा शक्तिशाली किरणों द्वारा भर कर बहुत ही पावरफुल और हल्का महसूस कर
रही हूँ... मैं इतना हल्का महसूस कर रही हूँ कि मैं आसमान में उड़ने लगी हूँ...
जैसे-जैसे मैं ऊपर उड़ती जाती हूँ मैं महसूस करती हूँ कि मैं एक स्वतंत्र और
शक्तियों से भरा हुआ गुब्बारा हूँ... जिसकी मंज़िल मेरे बाबा हैं जिसका काम इस
दुनिया के काँटों रूपी विकारों से दूर और ऊपर रहना है...
➳ _ ➳ उड़ते -उड़ते मैं एक ऐसे स्थान पर पहुँच जाती हूँ... जहाँ मेरे बाबा
फरिश्ता रूपी शक्तियों से परिपूर्ण चोला पहन कर बैठे हैं जैसे ही बाबा मुझ
गुब्बारे रूपी आत्मा पर दृष्टि डालते हैं, मैं सफ़ेद चमकीला फ़रिश्ता बन जाती
हूँ... फिर मैं बाबा से कहती हूँ बाबा... मैं ब्राह्मण सो फ़रिश्ता और फ़रिश्ता
सो देवता स्थिति का अनुभव कैसे और कब कर पाऊँगी? फिर बाबा मुझे समझाते हैं...
बच्चे... अपने आप को सदा फाँसी पर लटके हुए मनुष्य की तरह समझो... जैसे आप
स्थूल दुनिया में इस विनाशी शरीर द्वारा कर्म कर रहे हों... और आपकी मन और
बुद्धि परम धाम में बाबा के पास लगी हो... आप इस सृष्टि में रहते हुए भी विदेही
अवस्था में रहते हो...
➳ _ ➳ फ़रिश्ता बनकर उड़ते पँछी और चढ़ती कला का अनुभव करना है... और अपने चमकीले
प्रकाश से विकारों रूपी काँटों को भस्म करना है... अगर तुम इन्हें भस्म नही कर
पाओगे तो ये काँटे तुम्हें हवा रहित गुब्बारे की तहर व्यर्थ और लाचार बना देंगे
और शक्तियों से परिपूर्ण फ़रिश्ता बनकर देवता रूपी स्थिति का सहज ही अनुभव कर
पाओगे। और देवताई स्थिति का अनुभव कर के तुम सभी प्रश्नों से मुक्त हो पाओगे और
बाबा द्वारा दिये हुए अनमोल खजानों का गहराई से अनुभव कर पाओगे... और अन्य
आत्माओं को भी कराओगे...
➳ _ ➳ बाबा के ये वचन सुनकर मैं फ़रिश्ता फिर से हल्का गुब्बारा बनकर उड़ जाती
हूँ... और वापिस अपने स्थान पर और अपनी इस देह में आकर अमृतवेला बाबा को अपने
सामने पाती हूँ फिर बाबा से मैं ये वादा करती हूँ... मेरे मीठे बाबा... मैं
ब्राह्मण आत्मा सभी आत्माओं का ज्ञान और योग द्वारा सब आत्माओं का कल्याण करती
जाउंगी... और ब्राह्मण से फ़रिश्ता बनकर देहभान में कभी नहीं आऊंगी हमेशा चढ़ती
कला का ही अनुभव करूँगी और कराउंगी... और फ़रिश्ता सो देवता बनकर हर व्यर्थ से
मुक्त हो जाउंगी और बाबा और उनके द्वारा प्राप्तियों को मैं आत्मा गहराई से
अनुभव करूँगी और कराउंगी...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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