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 04 / 07 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 54=20)

 

➢➢ किसी से भी बात करते समय स्वयं को आत्मा समझ आत्मा से बात की ?

 

➢➢ स्वयं में ज्ञान धारण कर दान किया ?

 

➢➢ अनादी स्वरुप की स्मृति द्वारा सदा संतुष्टता का अनुभव किया और कराया ?

 

➢➢ बाप समान बनने के लिए "समझना, चाहना और करना" तीनो समान रहे ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  जैसे साकार रुप को देखा, कोई भी ऐसी लहर का समय जब आता था तो दिन-रात सकाश देने, निर्बल आत्माओं में बल भरने का विशेष अटेंशन रहता था, रात-रात को भी समय निकाल आत्माओं को सकाश भरने की सर्विस चलती थी। तो अभी आप सबको लाइट माइट हाउस बनकर यह सकाश देने की सर्विस खास करनी है जो चारों ओर लाइट माइट का प्रभाव फैल जाए।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं बाप की छत्रछाया में रहने वाली सेफ आत्मा हूँ"

 

✧  अपने को हर समय हर कर्म करते बाप की छत्रछाया के अन्दर रहने वाले अनुभव करते हो? छत्रछाया सेफ्टी का साधन हो जाये। जैसे स्थूल दुनिया में धूप से वा बारिश से बचने के लिए छत्रछाया का आधार लेते हैं। तो वह तो है स्थूल छत्रछाया। यह है बाप की छत्रछाया जो आत्मा को हर समय सेफ रखती है-आत्मा कोई भी अल्पकाल की आकर्षण में आकर्षित नहीं होती, सेफ रहती है। तो ऐसे अपने को सदा छत्रछाया में रहने वाली सेफ आत्मा समझते हो? सेफ हो या थोड़ा- थोड़ा सेक आ जाता है?

 

  जरा भी इस साकारी दुनिया का माया के प्रभाव का सेक-मात्र भी नहीं आये। क्योंकि बाप ने ऐसा साधन दिया है जो सेक से बच सकते हो। वह सबसे सहज साधन है-छत्रछाया। सेकेण्ड भी नहीं लगता, 'बाबा' कहा और सेफ! मुख से नहीं, मुख से 'बाबा-बाबा' कहे और प्रभाव में खिंचता जाये-ऐसा कहना नहीं। मन से 'बाबा' कहा और सेफ। तो ऐसे सेफ हो? क्योंकि आजकल की दुनिया में सभी सेफ्टी का रास्ता ढूँढते हैं। कोई भी बात करेंगे तो पहले सेफ्टी सोचेंगे, फिर करेंगे। तो आजकल सेफ्टी सब चाहते हैं-चाहे स्थूल, चाहे सूक्ष्म। तो बाप ने भी सदा ब्राह्मण जीवन की सेफ्टी का साधन दे दिया है।

 

  चाहे कैसी भी परिस्थिति आ जाये लेकिन आप सदा सेफ रह सकते हो। ऐसे सेफ हो या कभी हलचल में आ जाते हो? कितना सहज साधन दिया है! मेहनत नहीं करनी पड़ी। मार्ग मेहनत का नहीं है लेकिन अपनी कमजोरी मेहनत का अनुभव कराती है। जब कमजोर हो जाते हो तब मेहनत लगती है, जब शक्तिशाली होते हो तो सहज लगता है। है सहज लेकिन स्वयं ही मेहनत का अनुभव कराने के निमित्त बनते हो। मेहनत में थकावट होती है और सहज में खुशी होती है। अगर कोई भी कार्य सहज सफल होता रहता है तो खुशी होगी ना। मेहनत करनी पड़ी तो थकावट होगी।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  अब क्या करेंगे? अब कर्म बन्धनी से कर्मयोगी समझो। अनेक बन्धनों से मुक्त एक बाप के सम्बन्ध में समझो तो सदा एवररेडी रहेंगे। संकल्प किया और अशरीरी बना, यह प्रैक्टिस करो। कितना भी सेवा में बिजी हो, कार्य की चारों ओर की खींचातान हो, बुद्धि सेवा के कार्य में अति बिजी हो - ऐसे टाइम पर अशरीरी बनने का अभ्यास करके देखो।

 

✧  यथार्थ सेवा का कभी बन्धन होता ही नहीं। क्योंकि योग-युक्त, युक्ति-युक्त सेवाधारी सदा सेवा करते भी उपराम रहते हैं। ऐसे नहीं कि सेवा ज्यादा है इसलिए अशरीरी नहीं बन सकते। याद रखो मेरी सेवा नहीं, बाप ने दी है तो निर्वन्धन रहेंगे। ट्रस्टी हूँ, वन्धन मुक्त हूँ ऐसी प्रैक्टिस करो।

 

✧  अभी के समय अंत की स्टेज, कर्मातीत अवस्था का अभ्यास करो तब कहेंगे तेरे को मेरे में नहीं लाया है। अमानत में ख्यानत नहीं की है समझा, अभी का अभ्यास क्या करना है? जैसे बीच-बीच में संकल्पों की ट्रैफिक का कन्ट्रोल करते हो वैसे अभि के समय अंत की स्टेज का अनुभव करो तब अंत के समय पास विद ऑनर बन सकेंगे।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ मैं अशरीरी आत्मा हूँ यह सबसे सहज यथार्थ रीत है। सहज है ना। जैसे बाप की महिमा है कि वह मुश्किल को सहज करने वाला है। ऐसे ही बाप समान बच्चे भी मुश्किल को सहज करने वाले हैं। जो विश्व की मुश्किल को सहज करने वाले हैं वह स्वयं मुश्किल अनुभव करें यह कैसे हो सकता है! इसलिए सदा सर्व सहजयोगी।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- सर्विस समाचार सुनने, पढने का शौक रखना"

➳ _ ➳ मैं आत्मा बादलों के विमान में बैठ बापदादा के साथ पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगा रही हूँ... बाबा के साथ सूरज, चाँद, सितारों, आसमान की सैर करते हुए आनंद की लहरों में डोल रही हूँ... परमधाम, सूक्ष्मवतन से होते हुए हम विश्व के गोले के ऊपर बैठ जाते हैं... बापदादा सारे विश्व की प्यासी, दुखी आत्माओं, तमोप्रधान प्रकृति को दिखाकर मुझे विश्व सेवा करने की शिक्षाएं देते हैं...

❉ प्यारे बाबा सबका कल्याण कर अन्धो की लाठी बनने के लिए प्रेरित करते हुए कहते है:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की तरहा विश्व कल्याण की भावना से भर जाओ... जो मीठे सुख जो खुशियां आपके जीवन में महकी है उन्हें सबके दिल आँगन में खिला आओ... सारा विश्व सच्ची खुशियो में खिलखिलाये और हर मन मीठा मुस्कराये ऐसी रूहानी सेवा करते रहो..."

➳ _ ➳ ज्ञान के प्रकाश को स्वयं में भरकर चारों ओर ज्ञान की रोशनी फैलाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आप समान सबको सुखी और ईश्वरीय वर्से का अधिकारी बना रही हूँ... सबको सच्चे सुख का रास्ता दिखाने वाली मा सुखदाता हो गई हूँ... ज्ञान के प्रकाश से हर दिल की राहे रौशन कर रही हूँ..."

❉ पतित पावन मीठे बाबा पवित्रता की किरणों से मुझे चमकाते हुए कहते हैं:- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... दिन रात सदा सबके कल्याण के ख्यालातों में मगन रहो... स्वयं भी व्यर्थ से मुक्त रहेंगे और सबके जीवन को सुनहरे सुखो से सजाने वाले... विश्व कल्याणकारी बन मीठे बापदादा के दिल तख्त पर इठलायेंगे... और खुबसूरत भाग्य के धनी बन जायेंगे..."

➳ _ ➳ दिन रात अपनी बुद्धि में सर्विस के खयालातों को भरकर मैं आत्मा कहती हूँ:- "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे पायी खुशियो की दौलत को हर दिल पर लुटा रही हूँ... सच्चे ज्ञान की झनकार से हर दिल में सुख की बहार सजा रही हूँ... सबका जीवन खुशियो से खिल रहा है और पूरा विश्व मीठा मुस्करा रहा है..."

❉ विश्व कल्याण का झंडा मेरे हाथों में सौंपते हुए मेरे बाबा कहते हैं:- "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के सहयोगी बनने वाले और सबके जीवन को नूरानी बनाने वाले महा भाग्यशाली हो... सच्चे सहारे होकर, सबको इन मीठी खुशियो का पैगाम देते जाओ... ज्ञान के तीसरे नेत्र से सबकी जिंदगी में उजाला कर सुखो का पता दे आओ..."

➳ _ ➳ मैं विश्व कल्याणी फरिश्ता पूरे विश्व और प्रकृति को सर्व गुणों और शक्तियों की साकाश देते हुए कहती हूँ:- "हाँ मेरे मीठे बाबा... मैं आत्मा ईश्वरीय सेवा धारी बनकर अपने महान भाग्य पर मुस्करा उठी हूँ... कभी अपने ही गमो में रोने वाली, आज धरा से दुःख के आँसू का सफाया कर रही हूँ... चारो ओर खुशहाली और आनन्द के फूल खिलाने वाली खुबसूरत माली हो गई हूँ..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- बाप से जो अपार सुख मिले हैं वो दूसरों को बांटने हैं"

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अपने सुख सागर मीठे परमपिता परमात्मा शिव बाबा की सुख देने वाली मीठी याद में बैठ, अपने मन बुद्धि को एकाग्र कर, मैं अपने मन बुद्धि का कनेक्शन अपने सुख दाता निराकार बाप के साथ जैसे ही जोड़ती हूँ, सेकण्ड में बुद्धि की तार जुड़ जाती है परमधाम निवासी मेरे प्यारे अति मीठे सुख सागर शिव बाबा के साथ और परमधाम से सुख की असीम किरणे मुझ आत्मा पर प्रवाहित होने लगती हैं। ऐसा लग रहा है जैसे सुख का कोई विशाल झरना मुझ आत्मा के ऊपर बह रहा है और मैं असीम सुख से भरपूर होती जा रही हूँ।
 
➳ _ ➳ 
इस असीम सुख का गहराई से अनुभव करके मैं विचार करती हूँ कि इस सृष्टि पर रहने वाले सभी मनुष्य मात्र जो स्वयं को और अपने सुखदाता बाप को भूलने के कारण अपरमअपार दुख का अनुभव कर रहें हैं। वो सभी मेरे ही तो आत्मा भाई है। तो अपने उन आत्मा भाइयो को मास्टर सुख दाता बन सुख देना मेरा परम कर्तव्य भी है और यही मेरे सुखदाता बाप का फरमान भी है। तो अपने बाप के फरमान पर चल सुख दाता के बच्चे मास्टर सुखदाता बन मुझे सबको सुख देना है। ऐसा कोई संकल्प नही करना, मुख से ऐसा कोई बोल नही बोलना और ऐसा कोई कर्म नही करना जो दूसरों को दुख देने के निमित बनें। बाप समान सबको सुख देना ही मेरा परम कर्तव्य है।

➳ _ ➳ 
अपने इस कर्तव्य को पूरा करने के लिए अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को मैं आत्मा धारण करती हूँ और सुख का फ़रिश्ता बन सारे विश्व की तड़पती हुई दुखी अशांत आत्माओं को सुख की अनुभूति करवाने चल पड़ती हूँ। मैं फ़रिश्ता ऊपर की ओर उडते हुए नीचे पृथ्वी लोक के हर दृश्य को देख रहा  हूँ। विकारों की अग्नि में जलने के कारण गहन दुख की अनुभूति करती सर्व आत्माओं को रोते बिलखते, चीखते - चिल्लाते हुए मैं देख रहा हूँ। इन दुख दाई दृश्यों को देख सुख के सागर अपने शिव पिता का मैं आह्वान करता हूँ और उनके साथ कनेक्शन जोड़ कर उनसे सुख की शक्तिशाली किरणे लेकर सारे विश्व में सुख के शक्तिशाली वायब्रेशन फैलाने लगता हूँ।

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विकारों की अग्नि में जल रही दुखी अशांत आत्माओं पर सुख की ये शक्तिशाली किरणे शीतल जल बन कर, उन्हें विकारों की तपन से मुक्त कर, शीतलता का अनुभव करवा रही हैं। विश्व की सभी दुखी अशांत आत्माओं को सुख देकर अब मैं फ़रिश्ता सूक्ष्म लोक में पहुँच कर, बापदादा को सारा समाचार दे कर, उनके साथ अव्यक्त मिलन मना कर, उनसे गुण, शक्तियाँ, वरदान और खजाने लेकर अपनी फ़रिश्ता ड्रेस को सूक्ष्म लोक में ही छोड़ कर, अपने निराकार स्वरुप को धारण कर अब परमधाम की ओर रवाना होती हूँ।
 
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अपने निराकार स्वरूप में, निराकार सुखदाता अपने शिव पिता की सर्व शक्तियों की छत्रछाया के नीचे बैठ उनकी सुख की किरणों से स्वयं को भरपूर कर अब मैं वापिस साकारी दुनिया में अपने साकारी ब्राह्मण तन में आ कर प्रवेश करती हूँ। "सुखदाता की सन्तान मैं मास्टर सुखदाता हूँ" इस स्वमान की सीट पर सदा सेट रहते हुए, अपने ब्राह्मण स्वरूप में रहते अब मैं अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सभी आत्माओं को अपने हर संकल्प, बोल और कर्म से सुख दे रही हूँ। हर कर्म अपने सुख सागर बाबा की याद में रह कर करते हुए अब मैं इस बात पर पूरा अटेंशन रखती हूँ कि मनसा, वाचा, कर्मणा मुझ से ऐसा कोई कर्म ना हो जो दूसरों को दुख देने के निमित बने।

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स्वयं को सदा सुखदाता बाप के साथ कम्बाइंड अनुभव करते मास्टर सुखदाता बन कभी अपने आकारी तो कभी साकारी स्वरूप द्वारा, सबको सुख का अनुभव करवाते अब मैं बाप समान मास्टर दुख हर्ता सुख कर्ता बन सबको दुखों से छुड़ाने और सुखी बनाने का रूहानी धन्धा निरन्तर कर रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं अनादि स्वरूप की स्मृति द्वारा संतुष्टता का अनुभव करने और कराने वाली संतुष्टमणी आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ मैं समझना, चाहना और करना इन तीनों में समानता रखकर बाप समान बनने वाली ज्ञानी आत्मा हूँ ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

✺ अव्यक्त बापदादा :-

 

➳ _ ➳  सभी कुमारियों ने बाप से पक्का सौदा किया हैक्या सौदा किया हैआपने कहा - बाबा हम आपके और बाप ने कहा बच्चे हमारेयह पक्का सौदा किया?और सौदा तो नहीं करेंगी ना! दो नांव में पांव रखने वाले का क्या हाल होगा! न यहाँ के न वहाँ केतो सौदा करने में होशियार हो ना!  देखोदेते क्या हो - पुराना शरीर जिसको सुईयों से सिलाई करते रहतेकमजोर मन जिसमें कोई शक्ति नहीं और काला धन... और लेते क्या हो? - 21 जन्म की गैरन्टी का राज्य। ऐसा सौदा तो सारे कल्प में कभी भी नहीं कियातो पक्का सौदा किया? एग्रीमेंट लिख ली।

 

✺  "ड्रिल :- "बाबा हम आपके, और आप हमारे" - यह पक्का सौदा करना।”

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा कमल से भरे हुए ताल को देख रही हूँ... कितने मनोहारी लग रहे हैं ये कमल जो तालाब की ऊपरी सतह पर खिले हुए हैं... कमल पुष्प को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है... पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्‍लेख है... देवी-देवताओं को पवित्र कमल पर विराजमान हुए दिखाते हैं... मैं आत्मा पवित्र ब्राह्मण जन्म देने वाले मेरे जन्म दाता, मेरे प्यारे बाबा को याद करती हूं... तुरंत प्यारे बाबा मेरे पास आते हैं और मुझे मधुबन की पहाड़ियों पर लेकर चलते हैं...

 

➳ _ ➳  बाबा अपने सामने सुंदर सी पहाड़ी पर बिठाकर मुझे दृष्टि देते हैं... बाबा से दिव्य शक्तिशाली तेजस्वी किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं... मैं आत्मा बाबा से आती शक्तिशाली किरणों को स्वयं में ग्रहण कर गुणों शक्तियों से भरपूर हो रही हूँ... मैं आत्मा देहभान से परे होती जा रही हूं... मैं आत्मा इस पहाड़ की ऊंची चोटी पर बैठ पुरानी कलियुगी सृष्टि के सभी पुरानी चीजों को भूलती जा रही हूं... देह के पुराने संबंधों से न्यारी हो रही हूं... और बाबा की प्यारी बन रही हूं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा मधुबन की पहाड़ियों पर बैठ सारे मधुबन के नजारों को देख रही हूं... बाबा मेरा हाथ पकड़ चार धाम की यात्रा कराते हैं... मैं आत्मा शांति स्तंभ, बाबा की कुटिया, बाबा की झोपड़ी, हिस्ट्री हाल जैसे पवित्र चार धामों की यात्रा कर पावन बन रही हूं... डायमंड हॉल में प्यारे बाबा मुझे ज्ञान मुरली से ज्ञान स्नान कराते हैं... मैं आत्मा संपूर्ण पवित्र और संपन्न बन रही हूं...

 

➳ _ ➳  मैं आत्मा बाबा से सच्चा सच्चा सौदा कर रही हूं... बाबा मैं आपकी हूं आप मेरे हो... बाकी कुछ भी मेरा नहीं है... ना यह देह मेरा है, ना इस देह की कर्मेंद्रियां मेरी हैं... ना इस देह के संबंध मेरे हैं... ना ही ये मन मेरा है... ना यह विनाशी धन मेरा है... कुछ भी मेरा नहीं है बाबा, सब आपका दिया हुआ है... आपका दिया सब आपको समर्पित करती हूं बाबा... और मैं आत्मा सबकुछ बाबा के कदमों में डालती जा रही हूँ... तन मन धन से सब कुछ अर्पण कर रही हूं... सभी संबंधों को, कर्मबंधनों को बाबा के सामने इमर्ज कर उनके प्रति जो मोह है या घृणा है उसको बाबा की किरणों में भस्म कर रही हूं...

 

➳ _ ➳  मेरे प्राण प्यारे बाबा आप मेरे मात-पिता हो, मैं आपकी संतान... आप मेरे शिक्षक हो मैं आपकी गॉडली स्टूडेंट हूं... आप मेरे सतगुरु हो, मैं आपकी सत शिष्य... आप मेरे साजन हो, मैं आपकी सजनी... आप रूहानी बगीचे के माली हो, मैं रूहानी गुलाब हूँ... बाबा आप सागर हो, मैं मास्टर सागर हूँ... आप रुद्र ज्ञान यज्ञ के रचयिता हो, मैं आपकी राइट हैंड हूँ... आप शमा हो, मैं परवाना... आप दीपराज हो, मैं आपकी दीपक... आप मेरे खुदा दोस्त हो, आप ही मेरे सर्वस्व हो बाबा...

 

➳ _ ➳  मैं और मेरा बाबा बस और कोई भी नहीं... मैं आत्मा अविनाशी बाप से पक्का सौदा कर अविनाशी एग्रीमेंट साइन करती हूं... मेरे प्यारे भोले बाबा मेरा सब कुछ पुराना लेकर मुझे 21 जन्मों की नई स्वर्णिम दुनिया की सुख शांति के वर्सा की गारंटी देते हैं... ऐसा पक्का सौदा पूरे कल्प में कभी भी किसी ने नहीं किया... मीठे बाबा फिर मुझे उसी तालाब के कमल फूल पर बिठा देते हैं... अब मैं आत्मा कभी भी अपने पांव दुनियावी कीचड़ में नहीं रखती हूं... वाह मेरा बाबा वाह, वाह मेरा भाग्य वाह के गुण गाती मैं आत्मा हर कर्म को बाबा की याद में कर रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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