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❍ 31 / 12 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ अपनी साहूकारी, पोजीशन आदि का अहंकार तो नहीं रखा ?
➢➢ मुख से सदैव रतन निकाले ?
➢➢ सदा श्रेष्ठ समय प्रमाण श्रेष्ठ कर्म करते वाह वाह के गीत गाते रहे ?
➢➢ मन बुधी को शक्तिशाली बना हलचल में भी अचल अडोल अवस्था का अनुभव किया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ एक सेकेण्ड में चोले से अलग तभी हो सकोगें जब किसी भी संस्कारों की टाइटनेस नहीं होगी। जैसे कोई भी चीज अगर चिपकी हुई होती है तो उनको खोलना मुश्किल होता है। हल्के होने से सहज ही अलग हो जाते हैं। वैसे ही अगर अपने संस्कारों में जरा भी इजीपन नहीं होगा तो फिर अशरीरीपन का अनुभव कर नहीं सकोगें इसलिए इजी और एलर्ट रहो।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं श्रेष्ठ-ते-श्रेष्ठ आत्मा हूँ"
〰✧ सभी अपने को बाप के स्नेही और सहयोगी श्रेष्ठ आत्मायें समझते हो ना? सदा यह नशा रहता है कि हम श्रेष्ठ-ते-श्रेष्ठ आत्मायें हैं क्योंकि बाप के साथ पार्ट बजाने वाली हैं। सारे चक्र के अन्दर इस समय बाप के साथ पार्ट बजाने के निमित बने हो। ऊंच-ते ऊंच पार्ट बजाने के निमित बने हो। ऊंचे-ते-ऊंचे भगवान के साथ पार्ट बजाने वाले कितनी ऊंची आत्मायें हो गई। लौकिक में भी कोई पद वाले के साथ काम करते हैं, उनको भी कितना नशा रहता है! प्राइम मिनिस्टर के प्राइवेट सेक्रेटरी को भी कितना नशा रहता। तो आप किसके साथ हो! ऊंचे-ते-ऊंचे बाप के साथ और फिर उसमें भी विशेषता यह है कि एक कल्प के लिए नहीं, अनेक कल्प यह पार्ट बजाया है और सदा बजाते ही रहेंगे। बदली नहीं हो सकता। ऐसे नशे में रहो तो सदा निर्विग्न रहेंगे।
〰✧ कोई विघ्न तो नहीं आता है ना? वायुमण्डल का, वायब्रेयशन का, संग का, कोई विघ्न तो नहीं है? कमलपुष्प के समान हो? कमलपुष्प समान न्यारे और प्यारा। बाप का कितना प्यारा बना हूँ, उसका हिसाब न्यारेपन से लगा सकते हो। अगर थोड़ा-सा न्यारा है, बाकी फंस जाते हैं तो प्यारे भी इतने होंगे। जो सदा बाप के प्यारे हैं उनकी निशानी है - 'स्वत: याद'। प्यारी चीज स्वत: सदा याद आती है ना। तो यह कल्प-कल्प की प्रिय चीज है। एक बार बाप के नहीं बने हो, कल्प-कल्प बने हो। तो ऐसी प्रिय वस्तु को कैसे भूल सकते। भूलते तब हो जब बाप से भी अधिक कोई व्यक्ति या वस्तु को प्रिय समझने लगते हो। अगर सदा बाप को प्रिय समझते तो भूल नहीं सकते।
〰✧ यह नहीं सोचना पड़ेगा कि याद कैसे करें, लेकिन भूले कैसे-यह आश्चर्य लगेगा। तो नाम अधर कुमार है लेकिन हो तो ब्र.कु.। ब्रहमाकुमार सदा नशे और खुशी मे रहेंगे। तो सभी निश्चय बुद्धि विजयी हो ना? अधरकुमार तो अनुभवी कुमार हैं। सब अनुभव कर चुके। अनुभवी कभी भी धोखा नहीं खाते। पास्ट के भी अनुभवी और वर्तमान के भी अनुभवी। एक-एक अधरकुमार अपने अनुभवों द्वारा अनेंकों का कल्याण कर सकते हैं। यह है विश्व कल्याणकारी ग्रुप।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ आज बापदादा ने देखा कि वर्तमान समय के अनुसार अपने ऊपर, हर कर्मेन्द्रियों के ऊपर अर्थात स्वयं के प्रति जो कन्ट्रोलिंग पॉवर होनी चाहिए वह कम है, वह और ज्यादा चाहिए। बापदादा बच्चों की रूहरिहान सुन मुस्करा रहे थे, बच्चे कहते हैं कि पॉवरफुल याद के चार घण्टे होते नहीं है।
〰✧ बापदादा ने आठ घण्टे से 4 घण्टा किया और बच्चे कहते हैं दो घण्टा ठीक है। तो बताओ कन्ट्रोलिंग पॉवर हुई? और अभी से अगर यह अभ्यास नहीं होगा तो समय पर पास विद ऑनर, राज्य अधिकारी कैसे बन सकेंगे! बनना तो है ना? बच्चे हँसते हैं।
〰✧ आज बापदादा ने बच्चों की बातें बहुत सुनी हैं। बापदादा को हँसाते भी है, कहते हैं ट्रैफिक कन्ट्रोल 3 मिनट नहीं होता, शरीर का कन्ट्रोल हो जाता है। खडे हो जाते है, नाम है मन के कन्ट्रोल का लेकिन मन का कन्ट्रोल कभी होता, कभी नहीं भी होता। कारण क्या है? कन्ट्रोलिंग पॉवर की कमी। इसे अभी और बढ़ाना है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ सदैव सवेरे उठते ही अपने फ़रिश्ते स्वरूप की स्मृति में रहो और खुशी में नाचते रहो तो कोई भी बात सामने आयेगी उसे खुशी-खुशी से क्रास कर लेंगे। जैसे दिखाते हैं देवियों ने असुरों पर डॉस विया। तो फ़रिश्ते स्वरूप की स्थिति में रहने से आसुरी बातों पर खुशी की डाँस करते रहेंगे। फ़रिश्ते बन फ़रिश्तों की दुनिया में चले जायेंगे। फ़रिश्तों की दुनिया सदा स्मृति में रहेगी। दिखाई पड़ने वाले सब अच्छी सेवा कर रहे हो लेकिन अभी और भी सेवा में, मनसा सेवा पॉवरफुल कैसे हो, इसका विशेष प्लैन बनाओ। वाचा के साथ-साथ मनसा सेवा भी बहुत दूर तक कार्य कर सकती है। ऐसे अनुभव होगा जैसे आजकल फ़्लाईग सॉसर देखते हैं वैसे आप सबका फ़रिश्ता स्वरूप चारों ओर देखने में आयेगा और अवाज़ निकलेगा कि यह कौन हैं जो चक्र लगाते हैं। इस पर भी रिसर्च करेंगे। लेकिन आप सबका साक्षात्कार ऊपर से नीचे आते ही हो जायेगा और समझेंगे यह वही ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ हैं जो फ़रिश्ते रूप में साक्षात्कार करा रही हैं।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- ज्ञान का विचार सागर मंथन करना"
➳ _ ➳ मीठे बाबा ने जब से मेरा हाथ पकड़ा हैं, मुझे अपना बनाया हैं... जीवन
फूलो से महकने लगा है... चलते फिरते बस यही विचार रहता हैं कि कैसे मै ज्ञान
रत्नों का अलग अलग तरह से विचार सागर मंथन करू... जन्मो से प्यासी आत्मा को
बाबा का हाथ और साथ मिलेगा... ये तो स्वप्नों में भी सोचा ना था... आज मीठे
बाबा को पाकर मैं आत्मा अमीर बन गईं हूँ सही मायने में... बाबा की प्रत्यक्षता
की सर्विस की नई नई युक्तियाँ मन मे सजाकर... मैं आत्मा उड़ चली सूक्ष्म वतन
बाबा को सब बताने... हाले दिल सुनाने ...
❉ मेरे प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को विचार सागर मंथन के गहरे राज बताते हुए
कहा:- "मीठे सिकीलधे बच्चे... मुझ बाप का संग बहुत वरदानी हैं... इसको हर हाल
मे सफल बनाना है... चलते फ़िरते हर कर्म में बाप को याद रख, सर्विस की नई नई
युक्तियाँ निकालनी हैं... समर्थ चितंन से बाप को, बाप की याद को सफल बनाना
है... सच्ची कमाई से देवताई अमीरी को पाना हैं..."
➳ _ ➳ मै आत्मा बाबा को पूरे हक से, अधिकार से कहती हूं :- "मेरे प्यारे मीठे
बाबा... आपने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर, मुझे ज्ञानरत्नो से भरपूर
किया हैं ... नए नए सर्विस की युक्तिओ से नवाजा हैं... इस सच्ची कमाई को ग्रहण
कर मैं पूरे विश्व मे बाँट रही हूं... सभी आत्माओ की रूहानी सर्विस कर रही
हूँ..."
❉ परमपिता ने मुझे स्वर्ग के सुखों को याद दिलाते हुए कहा:- "मेरे प्यारे,
नैनो के तारे बच्चे... किस्मत ने अति उत्तम दिन दिखाया हैं... स्वयम भगवान को
हर सम्बन्ध में मिलवाया हैं... तो अब सच्ची कमाई करो ... चलते फिरते बस एक
बाबा की याद... दूसरा न कोई... सार्थक कर लो ये जीवन, हर सांस मे पिरो लो बाबा
का प्यार... इतनी सर्विस की युक्तियाँ निकालो की... 21जन्मो के लिए भरपूर हो
जाओ..."
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाबा की वसीयत, वर्सा की हकदार बनते हुए बाबा को कहती हूं :-
"प्राणों से भी प्यारे मेरे बाबा... मै आपकी याद में सदा खोई हुई... प्यार के
झूले में झूलती हुई, हर क्षण बस आपको याद कर आनन्दित हो रही हूँ ... हर पल
अन्य आत्माओ को भी आप से जुड़ने की नई नई युक्तियाँ बता कर... खुद को भाग्यशाली
बना रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को बड़े प्यार से निहारते हुए कहा:- "मीठे मीठे
बच्चे... इस संगम की मौज में, बाबा की सर्विस से... धनवान बन जाओ... एक पल भी
बाबा की याद ना छोड़ो... सच्ची कमाई करो और कराओ... यादों की कमाई से देवताओ की
तरह सम्पन्न बन जाओ ... भरपूर होकर 21 जन्मो तक मौज मनाओ... हर कर्म करते हुए
बुद्धि योग मुझ बाप संग लगाओ..."
➳ _ ➳ मै आत्मा बाबा से सम्पूर्ण ज्ञान खजाने बटोरते हुए, सारे विश्व की मालिक
बन कहती हूं:- प्यारे बाबा... "हमेशा से आपने मुझ आत्मा को महारानी का ताज
पहनाया हैं... मुझ आत्मा को चलते फिरते, रूहानी सर्विस करने के निमित्त बनाया
हैं ... कर्म करते आप को याद रखने की शक्ति दी हैं... इस तरह रूह रिहान कर मै
आत्मा वापिस अपने लौकिक वतन आ जाती हूं..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- वातावरण को अच्छा रखने के लिए मुख से सदैव रत्न निकालने हैं"
➳ _ ➳ अविनाशी ज्ञान रत्नों से मुझ आत्मा का श्रृंगार करने वाले ज्ञान सागर
अपने प्यारे शिव प्रीतम से मिलने की जैसे ही मन में इच्छा जागृत होती है। वैसे
ही मैं आत्मा सजनी ज्ञान रत्नों का सोलह श्रृंगार कर चल पड़ती हूँ ज्ञान के अखुट
खजानो के सौदागर अपने शिव प्रीतम के पास। उनके साथ अपने प्यार की रीत निभाने
के लिए देह और देह के साथ जुड़े सर्व संबंधों को तोड़, निर्बंधन बन, ज्ञान की
पालकी में बैठ मैं आत्मा मन बुद्धि की यात्रा करते हुए अब जा रही हूं उनके पास।
➳ _ ➳ उनका प्यार मुझे अपनी ओर खींच रहा है और उनके प्रेम की डोर में बंधी मैं
बरबस उनकी ओर खिंचती चली जा रही हूँ। उनके प्यार में अपनी सुध-बुध खो चुकी मैं
आत्मा सजनी सेकंड में इस साकार वतन और सूक्ष्म वतन को पार कर पहुंच जाती हूं
परमधाम अपने शिव साजन के पास। ऐसा लग रहा है जैसे वह अपनी किरणों रूपी बाहें
फैलाए मेरा ही इंतजार कर रहे हैं। उनके प्यार की किरणों रूपी बाहों में मैं समा
जाती हूं। उनके निस्वार्थ और निश्छल प्यार से स्वयं को भरपूर कर, तृप्त होकर
मैं आ जाती हूँ सूक्ष्म लोक।
➳ _ ➳ लाइट का फरिश्ता स्वरूप धारण कर मैं फ़रिशता पहुंच जाता हूं अव्यक्त
बापदादा के सामने। अव्यक्त बापदादा की आवाज मेरे कानों में स्पष्ट सुनाई दे रही
है। बाबा कह रहे हैं, हे आत्मा सजनी आओ:- "ज्ञान रत्नों का श्रृंगार करने के
लिए मेरे पास आओ"। बाप दादा की आवाज सुनकर मैं फ़रिशता उनके पास पहुंचता हूं।
बाबा अपने पास बिठाकर बड़ी प्यार भरी नजरों से मुझे निहारने लगते हैं और अपनी
सर्व शक्तियों रूपी रंग बिरंगी किरणों से मुझे भरपूर करने लगते हैं।
➳ _ ➳ सर्वशक्तियों से मुझे भरपूर करके बाबा अब मुझे एक बहुत बड़े हॉल के पास ले
आते हैं। जिसमें अमूल्य हीरे जवाहरात, मोती, रत्न आदि बिखरे पड़े हैं। किंतु उस
पर कोई भी ताला चाबी नहीं है। उनकी चमक और सुंदरता को देखकर मैं आकर्षित होकर
उस हॉल के बिल्कुल नजदीक पहुंच जाता हूं। बाबा मुझे उस हॉल के अंदर ले जाते
हैं और मुझसे कहते हैं:- "ये अविनाशी ज्ञान रत्न है। इन अविनाशी रत्नों का ही
आपको श्रृंगार करना है"। कितना लंबा समय अपने अविनाशी साथी से अलग रहे तो
श्रृंगार करना ही भूल गए, अविनाशी खजानों से भी वंचित हो गए। किंतु अब बहुत काल
के बाद जो सुंदर मेला हुआ है तो इस मेले से सेकेंड भी वंचित नहीं रहना।
➳ _ ➳ यह कहकर बाबा उन ज्ञान रत्नों से मुझे श्रृंगारने लगते हैं। मेरे गले मे
दिव्य गुणों का हार और हाथों में मर्यादाओं के कंगन पहना कर बाबा मुझे सर्व
ख़ज़ानों से भरपूर करने लगते है। सुख, शांति, पवित्रता, शक्ति और गुणों से अब
मैं फ़रिशता स्वयं को भरपूर अनुभव कर रहा हूँ। बाबा ने मुझे ज्ञान रत्नों के
खजानों से मालामाल करके सम्पत्तिवान बना दिया है। सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के
श्रृंगार से सजा मेरा यह रूप देख कर बाबा खुशी से फूले नही समा रहे। बाबा जो
मुझ से चाहते हैं, बाबा की उस आश को मैं आत्मा सजनी बाबा के नयनो में स्पष्ट
देख रही हूं।
➳ _ ➳ मन ही मन अपने शिव प्रीतम से मैं वादा करती हूँ कि ज्ञान रत्नों के
श्रृंगार से अब मैं आत्मा सदा सजी हुई रहूँगी और मुख से सदैव ज्ञान रत्न ही
निकालूंगी। अपने शिव साथी से यह वादा करके अपनी फ़रिशता ड्रेस को उतार अब
धीरे-धीरे मैं आत्मा वापिस इस देह में अवतरित हो गयी हूँ। अब मैं बाबा से मिले
सर्व ख़ज़ानों से स्वयं को सम्पन्न अनुभव कर रही हूँ। जैसे मेरे अविनाशी साजन
ने मुझ आत्मा को गुणों और शक्तियों के गहनों से सजाया है वैसे ही मैं आत्मा भी
वरदानीमूर्त बन अब अपने सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को अपने मुख से
ज्ञान रत्नों का दान दे कर उन्हें भी परमात्म स्नेह और शक्तियों का अनुभव करवा
रही हूं।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं
सदा श्रेष्ठ समय प्रमाण श्रेष्ठ कर्म करने वाली आत्मा हूँ।
✺ मैं वाह - वाह के गीत गाने वाली आत्मा हूँ।
✺ मैं भाग्यवान आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं
आत्मा मन-बुद्धि को सदा शक्तिशाली बनाती हूँ ।
✺ मैं आत्मा कोई भी हलचल में सदैव अचल अडोल हूँ ।
✺ मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ अभी तक कई बच्चों को खिलौनों से खेलना बहुत अच्छा लगता है। छोटी-छोटी बातों के खिलौने से खेलना, छोटी बात को अपनाना, यह समय गँवाते हैं। यह साइडसीन्स हैं। भिन्न-भिन्न संस्कार की बातें वा चलन यह सम्पूर्ण मंजिल के बीच में साइडसीन्स हैं। इसमें रुकना अर्थात् सोचना, प्रभाव में आना, समय गँवाना, रुचि से सुनना, सुनाना, वायुमण्डल बनाना... यह है रुकना, इससे सम्पूर्णता की मंजिल से दूर हो जाते हैं। मेहनत बहुत, चाहना बहुत, 'बाप समान बनना ही है', शुभ संकल्प, शुभ इच्छा है लेकिन मेहनत करते भी रूकावट आ जाती है। दो कान हैं, दो आँखें हैं, मुख है तो देखने में भी आता, सुनने में भी आता, बोलने में भी आता, लेकिन बाप का बहुत पुराना स्लोगन सदा याद रखो - ' देखते हुए नहीं देखो, सुनते हुए नहीं सुनो, सुनते हुए नहीं सोचो, सुनते हुए अन्दर नहीं समाओ, फैलाओ नहीं'।
➳ _ ➳ यह पुराना स्लोगन याद रखना जरूरी है क्योंकि दिन-प्रितदिन जो भी सभी के जैसे पुराने शरीर के हिसाब चुक्तू हो रहे हैं, ऐसे ही पुराने संस्कार भी, पुरानी बीमारियाँ भी सबकी निकलके खत्म होनी है, इसीलिए घबराओ नहीं कि अभी तो पता नहीं और ही बातें बढ़ रही हैं, पहले तो थी नहीं। जो नहीं थी, वह भी अभी निकल रही हैं, निकलनी हैं।
➳ _ ➳ आपके समाने की शक्ति, सहन करने की शक्ति, समेटने की शक्ति, निर्णय करने की शक्ति का पेपर है। क्या 10 साल पहले वाले पेपर आयेंगे क्या? बी.ए. के क्लास का पेपर, एम.ए. के क्लास में आयेगा क्या? इसलिए घबराओ नहीं, क्या हो रहा है। यह हो रहा है, यह हो रहा है... खेल देखो। पेपर तो पास हो जाओ, पास-विद-आनर हो जाओ। बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि पास होने का सबसे सहज साधन है, बापदादा के पास रहो, जो आपका काम का नजारा नहीं है, उसको पास होने दो, पास रहो, पास करो, पास हो जाओ।
✺ ड्रिल :- "बापदादा के पास रहकर साइड़-सीन्स को पास होते देख पास-विद-आनर होने का अनुभव"
➳ _ ➳ सवेरे-सवेरे मै आत्मा एकांत में एक बगीचे में बैठ जाती हूँ... ठंडी-ठंडी शुद्ध हवा चल रही है... चिड़ियाँ चहचहा रही है... फूलो की सौंधी-सौंधी खुशबू वातावरण को सुगन्धित कर रही है... ऐसे वातावरण में मै आत्मा सामने पेड़ पर एक चिड़िया के घोंसले को देखती हूँ... चिड़िया के बच्चे उड़ने की कोशिश करते है लेकिन उड़ नही पा रहे है... वे फिर प्रयास करते थोड़ा उड़ते और फिर गिर जाते... कुछ देर के बाद वे पंख फैलाये खुले आसमान में चहचहाते उड़ने लगते है...
➳ _ ➳ उन्हें उड़ता देख मै आत्मा स्वयं के अंतर्मन से पूछती हूँ- क्या मुझ आत्मा की स्थिति इस चिड़िया के बच्चो की तरह तो नही है???... अंतर्मन की गहराई से मै आत्मा पंछी, स्वयं को दुनिया रुपी घोसले में कैद पाती हूँ... जहाँ व्यर्थ बाते, व्यर्थ चिंतन, व्यर्थ संकल्पो तथा माया रुपी पाँच विकारो ने मुझ आत्मा के पंख काट दिए थे... जिसके कारण मैं आत्मा स्वयं को बंधन में बंधा हुआ अनुभव करती थी...
➳ _ ➳ अपनी इस स्थिति का अनुभव करते ही मै आत्मा प्यारे बाबा का आह्वान करती हूँ... मीठे प्यारे बाबा मुझ आत्मा की पुकार सुनकर परमधाम से धरती पर अवतरित हो जाते है... ज्योति बिंदु स्वरुप बाबा से निकलती हुई तेजोमय किरणे मुझ आत्मा पर फाउन्टेन की तरह पड़ रही है... इन किरणों में समाती मै आत्मा स्वयं को शरीर से अलग भृकुटि के बीच चमकता हुआ सितारा अनुभव करती हूँ... मुझ आत्मा से व्यर्थ बाते, व्यर्थ चिन्तन, व्यर्थ संकल्प काले धुँए की तरह निकलते जा रहा है...
➳ _ ➳ सर्वशक्तिवान बाप से निकलती किरणों से मुझ आत्मा में समाने की शक्ति, सहन करने की शक्ति, समेटने की शक्ति, निर्णय लेने की शक्ति जागृत हो रही है... इन परिवर्तन शक्तियों द्वारा मुझ आत्मा में स्वरुप परिवर्तन, संस्कार परिवर्तन और संकल्प परिवर्तन होता जा रहा है... अब हर दिन हर समय मै आत्मा बाबा के साथ का अनुभव करती हूँ... मैं आत्मा व्यर्थ बाते, व्यर्थ नजारा जो काम का नही है उसमें समय नही गवाती... अब मैं आत्मा बाबा के महावाक्य को स्मृति में रख- देखते हुए नहीं देखो, सुनते हुए नहीं सुनो, सुनते हुए नहीं सोचो, सुनते हुए अन्दर नहीं समाओ, फैलाओ नहीं'... इस रूहानी यात्रा पर चलती जा रही हूँ... अब हर परिस्थिति को पेपर समझ मै आत्मा ज्ञान वा योग द्वारा एकाग्रचित हो अपने मंजिल की ओर निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सदा बुद्धि में यह याद रखती हूँ कि मै आत्मा रूहानी यात्रा पर हूँ... हर आत्मा रूहानी यात्रा पर है... कुछ भी नया नही हो रहा है, नथिंग इस न्यू... अब घर(परमधाम) वापिस जाना है... मै साधारण नही विशेष आत्मा हूँ... सर्वशक्तिवान बाप मुझ आत्मा के साथ है... वह ज्ञान रत्नों से मुझ आत्मा का श्रृंगार कर रहा है... इन ज्ञान रत्नों को बुद्धि में धारण कर मुझ आत्मा को इस रूहानी यात्रा में रुकना नही है... बाबा के पास का अनुभव करते, पवित्रता को धारण कर हर परिस्थिति को पास करते हुए पास-विद-आनर बन पवित्र दुनिया में चल ऊँच पद पाना है... अभी नही तो कभी नही...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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