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 28 / 01 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *कभी भी चुगली, हसद या रीस तो नहीं की ?*

 

➢➢ *दिल और दिमाग दोनों के बैलेंस से सेवा की ?*

 

➢➢ *बेहद में रह हद की बातों को समाप्त किया ?*

 

➢➢ *मास्टर बीजरूप, लाइट और माईट का गोला बनकर रहे ?*

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*अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *मन को एकरस बनाने के लिए हर घण्टे 5 सेकण्ड वा 5 मिनट अपने पांचों ही रूप सामने लाओ और उस रूप का अनुभव करो। इस एक्सरसाइज से व्यर्थ वा अयथार्थ संकल्पों में मन नहीं जायेगा। मन में अलबेलापन भी नहीं आयेगा।* मनमनाभव का मन्त्र मन के अनुभव से मायाजीत बनने में यन्त्र बन जायेगा।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं हर कदम में पुण्य करने वाली पुण्य आत्मा हूँ"*

 

✧   सदा स्वयं को स्वमान की सीट पर बैठा हुआ अनुभव करते हो? *पुण्य आत्मा हैं, ऊँचे ते ऊँची ब्राह्मण आत्मा हैं, श्रेष्ठ आत्मा हैं, महान आत्मा हैं, ऐसे अपने को श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर अनुभव करते हो? कहाँ भी बैठना होता है तो सीट चाहिए ना! तो संगम पर बाप ने श्रेष्ठ स्वमान की सीट दी है, उसी पर स्थित रहो। स्मृति में रहना ही सीट वा आसन है।*

 

  *तो सदा स्मृति रहे कि मैं हर कदम में पुण्य करने वाली पुण्य आत्मा हूँ। महान संकल्प, महान बोल, महान कर्म करने वाली महान आत्मा हूँ। कभी भी अपने को साधारण नहीं समझो।* किसके बन गये और क्या बन गये? इसी स्मृति के आसन पर सदा स्थित रहो।

 

 *इस आसन पर विराजमान होंगे तो कभी भी माया नहीं आ सकती। हिम्मत नहीं रख सकती। आत्मा का आसन स्वमान का आसन है, उस पर बैठने वाले सहज ही मायाजीत हो जाते हैं।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  आत्मा मालिक होके कर्मेन्द्रियों को चलाये। स्मृति स्वरूप रहे कि मैं मालिक इन साथियों से, सहयोगियों से कार्य करा रहा हूँ। *स्वरूप में नशा रहे तो स्वतः ही यह सब कर्मेन्द्रियाँ आपके आगे जी हाजिर, जी हजूर स्वतः ही करेंगी। मेहतन नहीं करनी पडेगी।*

 

✧  *आज व्यर्थ संकल्प को मिटाओ, आज संस्कार को मिटाओ, आज निर्णय शक्ति को प्रगट करो।* एक धक से सब कर्मेन्द्रियाँ और मन-बुद्धि-संस्कार जो आप चाहते हैं, वह करेंगी। अभी कहते हैं ना - बाबा चाहते तो यह हैं लेकिन अभी इतना नहीं हुआ है. फिर कहेंगे जो चाहते हैं वह हो गया, सहज।

 

✧  तो समझा क्या करना है? *अपने अधिकार की सिद्धियों को कार्य में लगाओ। ऑर्डर करो संस्कार को।* संस्कार आपको क्यों ऑर्डर करता? संस्कार नहीं मिटता, क्यों? बंधा हुआ है संस्कार आपके ऑर्डर में। *मालिक-पन लाओ।*

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  आप ध्यान रखो तो जैसी-जैसी परिस्थिति उसी प्रमाण अपनी प्रैक्टिस बढ़ा सकते हो। इस अभ्यास में तो सभी बच्चे हैं। *वास्तव में बिन्दु-रूप में स्थित होना कोई मुश्किल बात नहीं है।* बिन्दु रूप तो है ही न्यारा। निराकार भी है तो न्यारा भी है। *आप भी निराकारी और न्यारी स्थिति में स्थित होंगे तो बिन्दु रूप का अनुभव करेंगे। चलते-फिरते अव्यक्त स्थिति का अनुभव कर सकते हो।* प्रैक्टिस ऐसी सहज हो जायेगी कि जब भी चाहो तभी अव्यक्ति स्थिति में ठहर जाओगे। *एक सेकण्ड के अनुभव से कितनी शक्ति अपने में भर सकते हो वह भी अनुभव करेंगे और ब्रेक देने, मोड़ने की शक्ति भी अनुभव में आ जायेगी।* तो बिन्दु रूप का अनुभव कोई मुश्किल नहीं है। *संकल्प ही नीचे लाता है, संकल्प को ब्रेक देने की पावर होगी तो ज्यादा समय अव्यक्त स्थिति में स्थित रह सकेंगे।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺  *"ड्रिल :- तुम्हें अब शांतिधाम और सुखधाम जाने का सहारा मिला है"*

 

_ ➳  *झील के किनारे बैठी मैं आत्मा प्यारे बाबा का आह्वान करती हूँ... प्यारे बाबा के आगमन से झील की लहरें ख़ुशी से उछल रही हैं...* हवा और पानी साथ साथ खेल रहे हैं... पेड़ पौधे झुक झुककर सलाम कर रहे हैं... मौसम की मस्ती से मेरे मन में भी उमंग उल्लास की लहरें दौड़ रही हैं... ऐसा लग रहा पूरी प्रकृति प्रेम के सागर की आने की खुशी में प्रेम की कविताएं सुना रही हैं... *इस दुख की दुनिया से निकाल सुख, शांति की दुनिया में ले जाने आए मेरे बाबा के सामने मैं आत्मा बैठ प्यार की बातें करती हूँ...*

 

  *सुख-शांति के सागर मेरे प्यारे बाबा हथेली पर स्वर्ग की सौगात सजाकर कहते हैं:-* "मेरे लाडले बच्चे... *मै विश्व का पिता आप बच्चों की झोली सदा के लिए सुख से भरने आया हूँ... अमन ही अमन हो ऐसी चैन की दुनिया बसाने आया हूँ...* सुख शांति भरपूर हो ऐसी मीठी सुखो की दुनिया बच्चों के लिए सौगात स्वरूप लाया हूँ..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा खुशियों के सागर में झूमती लहराती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके बिना किस कदर दुखमय जीवन को अपनी नियति समझ रही थी... आपने मीठे बाबा... *मेरा दामन खुशियो से खिलाया है... सुख शांति से भरे जीवन का अधिकारी बना सजाया है..."*

 

  *प्यारे बाबा परमात्म माइट और परमात्म दिव्य लाइट से मुझे भरपूर करते हुए कहते है:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *इस घोर पाप की दुनिया से ईश्वर पिता के सिवाय कोई निकाल ही न सके... सुख भरा चैन सिर्फ पिता ही जीवन में ला सके... ऐसे मीठे बाबा को हर पल यादो में सजाओ...* जो परमधाम से उतर आये और सुख शांति के सौगातों से लबालब कर जाय..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा शांतिधाम और सुखधाम की स्मृतियों को मन में बसाकर कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *आप महा पिता मेरे लिए कितनी दूर से आते हो... सुनहरे सुखो से और शांतिमय जीवन से मेरी सदा के लिए दुनिया सजाते हो...* अपनी मीठी यादो से मुझे आप समान सुंदर बनाते हो... जिंदगी को महकाते हो..."

 

  *मेरे बाबा पाप की दुनिया से मुझे निकाल चैन की दुनिया में ले जाने दूर देश से आकर कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *अपने खिलते हुए खुशबूदार फूलो को इस कदर विकारो रुपी काँटों में झुलसता तो मै पिता देख ही न सकूँ... और बच्चों को मुस्कराहटों से सजाने महकाने धरती पर आऊं...* बच्चे सुख शांति के जीवन में चैन से रहे तो मै पिता सदा का आराम पाऊँ..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा अपने घर को, स्वर्णिम दुनिया के सुखों को याद कर आनंदोल्लास में डूबकर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा पाप की दुनिया में गहरे धस गई थी... आपसे मेरी दारुण सी दशा देखी न गई... *आप दौड़े से आये और मेरा जीवन सुखो की सौगातों से महका दिया... यूँ जीवन मीठा और प्यारा बना दिया..."*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- आपस मे बहुत मीठा, क्षीरखण्ड हो कर रहना*"

 

_ ➳  अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण किये मैं फ़रिशता सूक्ष्म वतन में अव्यक्त बापदादा के सामने बैठा उनकी मीठी दृष्टि से स्वयं को निहाल कर रहा हूँ। बापदादा की मीठी दृष्टि मेरे रोम - रोम में मिठास घोल रही है और मुझे आप समान मीठा बना रही है। *बाबा की दृष्टि में मेरे लिए समाया असीम स्नेह, प्रेम के मीठे झरने के रूप में मुझ पर निरन्तर प्रवाहित हो रहा है*। बड़े स्नेह से निहारते हुए बाबा मेरी बुद्धि रूपी झोली को वरदानों से भरपूर कर रहें हैं। मुझे आप समान बहुत बहुत मीठा बना कर, सबको मीठी दृष्टि से निहाल कर, सबका कल्याण करने का वरदान दे रहें हैं।

 

_ ➳  मेरे नैन अपने अति मीठे बापदादा को एकटक निहार रहें हैं। एक पल के लिए भी मेरी आँखें उनके ऊपर से नही हटना चाहती। ऐसा लगता है कि उनसे मिलने की जो प्यास थी उस जन्म - जन्म की प्यास को मेरी ये आंखे आज ही बुझा लेना चाहती हैं। *बाबा के नयनो में अथाह स्नेह का सागर लहराता हुआ मैं स्पष्ट देख रही हूँ और उस स्नेह की गहराई में मैं डूबती जा रही हूँ*। बाबा के नयनो में समा कर, बाबा को निहारते हुए, बाबा के वरदानी हस्तों को मैं अपने सिर के ऊपर अनुभव कर रही हूँ। बाबा के वरदानी हस्तों से बाबा की सर्वशक्तियाँ, गुण और खजाने मुझ फ़रिश्ते में समा रहें हैं और मुझे सर्व गुणों, सर्व शक्तियों और सर्व खजानों से सम्पन्न बना रहे हैं।

 

_ ➳  अब मैं सामने से अपनी अति मीठी मम्मा को आते हुए देख रही हूँ जो बाबा के पास आ कर बैठ गई है और बहुत मीठी दृष्टि से मुझे निहारती जा रही हैं। *मम्मा के मस्तक से निकल रही लाइट सीधी मेरे मस्तक पर पड़ रही है और मुझमे असीम शक्ति का संचार कर रही है*। मम्मा का मुस्कराता हुआ चेहरा और मीठी मुस्कान मुझे दिल की गहराई तक स्पर्श कर रही है। ऐसा लग रहा है जैसे अपनी मीठी मुस्कान और मीठी दृष्टि से मम्मा अपनी सारी मिठास मेरे अंदर प्रवाहित कर मुझे आप समान अति मीठा बना रही है। *अपने हाथ से इशारा करते हुए मम्मा मुझे अपने पास बुला रही है। अपनी गोद में बिठा कर अपने हाथों से मुझे मीठी टोली खिला रही हैं*।

 

_ ➳  मम्मा के हाथों की मीठी टोली, और बापदादा की अति मीठी दृष्टि से मेरे अंदर देह अभिमान के कारण जो कड़वाहट आ गई थी वो अब बिल्कुल समाप्त हो गई है और मैं स्वयं को विशेष रूहानी स्नेह और प्यार की मिठास से भरपूर अनुभव कर रहा हूँ। बाप समान बहुत - बहुत मीठा बन कर अब मैं साकारी दुनिया में वापिस लौट रहा हूँ। *बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर मैं सारे विश्व में चक्कर लगा रहा हूँ और अपने रूहानी स्नेह के वायब्रेशन सारे विश्व मे चारों और फैला रहा हूँ*। मैं देख रहा हूँ रूहानी स्नेह के वायब्रेशन से लोंगो के हृदय परिवर्तन हो रहें हैं। जिस हृदय में एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या - द्वेष और नफरत के भाव थे, वो भाव आपसी स्नेह में परिवर्तित हो रहें हैं। *सभी एक दो को मीठी दृष्टि से देख रहें हैं। ऐसा लग रहा है जैसे नफरत की दुनिया स्नेह की एक सुंदर दुनिया बन गई है*।

 

_ ➳  सभी आत्माओं के एक दूसरे के प्रति अति मीठे व्यवहार को देखता हुआ, प्रसन्नचित मुद्रा में मैं फ़रिशता अब साकारी दुनिया मे अपने साकारी तन में आ कर विराजमान हो जाता हूँ। *अपने ब्राह्मण स्वरूप में अब मैं स्थित हूँ और अपने मीठे बाबा के प्यार की मिठास से स्वयं को भरपूर करके, उस मिठास से भरपूर वायब्रेशन, अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को देते हुए, उनके जीवन को भी मैं मिठास से भर रही हूँ*। मेरी मीठी दृष्टि पा कर सभी आत्माओं की दृष्टि, वृति भी परिवर्तित हो गई है। सभी एक दो को सच्चा रूहानी स्नेह और प्यार दे कर, एक दो के जीवन में खुशियां भर रहें हैं

 

_ ➳  *सबको आत्मा भाई - भाई की मीठी दृष्टि से देखते हुए, अपने मधुर व्यवहार और मीठे बोल से सबको संतुष्ट करने वाली सन्तुष्ट मणि आत्मा बन मैं अपने मीठे बाबा और सर्व आत्माओं की दुआयों की पात्र आत्मा बन गई हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं दिल और दिमाग दोनों के बैलेन्स से सेवा करने वाली सदा सफलतामूर्त आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं बेहद मे रहते हुए हद की बातों को समाप्त करने वाला डबललाइट फरिश्ता हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *अब बापदादा सभी बच्चों से यही चाहते हैं कि बाप के प्यार का सबूत समान बनने का दिखाओ। सदा संकल्प में समर्थ हो, अब व्यर्थ के समाप्ति समारोह मनाओ क्योंकि व्यर्थ समर्थ बनने नहीं देंगे और जब तक आप निमित्त बने हुए बच्चे सदा समर्थ नहीं बने हैं तो विश्व की आत्माओं को समर्थी कैसे दिलायेंगे!* सर्व आत्मायें शक्तियों से बिल्कुल खाली हो, शक्तियों की भिखारी बन चुकी हैं। ऐसे भिखारी आत्माओं को हे समर्थ आत्मायें, इस भिखारीपन से मुक्त करो। *आत्मयें आप समर्थ आत्माओं को पुकार रही हैं - हे मुक्तिदाता के बच्चे मास्टर मुक्तिदाता, हमें मुक्ति दो। क्या यह आवाज आपके कानों में नहीं पड़ता?* सुनने नहीं आता? अब तक अपने को ही मुक्त करने में बिजी हैं क्या? विश्व की आत्माओं को बेहद स्वरूप से मास्टर मुक्तिदाता बनने से स्वयं की छोटी-छोटी बातों से स्वतः ही मुक्त हो जायेंगे। *अब समय है कि आत्माओं की पुकार सुनो। पुकार सुनने आती है या नहीं आती है? परेशान आत्माओं को सुख- शान्ति की अंचली दो। यही है ब्रह्मा बाप को फालो करना।*

 

✺   *ड्रिल :-  "भिखारी आत्माओं को भिखारीपन से मुक्त करने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *मैं फरिश्ता मास्टर मुक्तिदाता की स्मृति में विश्व के ग्लोब पर हूँ... ऊपर हैं ज्ञान सूर्य शिवबाबा... उनसे निरन्तर सुख शांति की किरणें मुझ आत्मा पर आ रही हैं... मैं आत्मा इन समर्थ शक्तिशाली किरणों से भरपूर हो रही हूँ...* मुझ आत्मा से शांति और शक्ति के वायब्रेशन्स चारों ओर फैल रहें हैं... मैं आत्मा फरिश्ता स्वरूप द्वारा ग्लोब पर बैठ कर परमधाम की स्थिति में स्थित होकर सारे विश्व की आत्माओं को सकाश दे रही हूँ...

 

 _ ➳  *मैं आत्मा विश्व का नव निर्माण करने वाली आधारमूर्त आत्मा हूँ... मैं आत्मा स्व का परिवर्तन कर रही हूँ... मैं आत्मा विश्व की दुःखी, अशांत, परेशान आत्माओं को सुख शांति की अंचली दे रही हूँ...*  मैं आत्मा इस बेहद ड्रामा में हीरो एक्टर हूँ... मैं आत्मा हीरों तुल्य जीवन जीने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ... यह नशा मेरी हर एक्ट को समर्थ बना देता है... मैं आत्मा अपनी समर्थ स्थिति द्वारा व्यर्थ से पूरी तरह मुक्त हो गई हूँ...    

 

 _ ➳  मुझ आत्मा को बापदादा के महावाक्य याद आते हैं... बाबा कहते हैं- *बच्ची, तुम मास्टर मुक्तिदाता हो... तुम्हें स्वयं को परिवर्तन कर... सर्व आत्माओं को मुक्ति दिलाने के निमित्त बनना है...* मैं आत्मा विश्व की समस्त दुःखी, हताश, परेशान, अशांत... भिखारी आत्माओं को दुःखों से, अशांति से... मुक्ति दिला रही हूँ... मैं अपने फरिश्ते स्वरूप द्वारा पवित्र वायब्रेशन्स विश्व की सर्व आत्माओं को दे रही हूँ... उनके दुःख दूर कर रही हूँ...

 

 _ ➳  *मैं आत्मा ब्रह्मा बाबा को फॉलो कर रही हूँ...* उनकी तरह सदा एकरस... अचल... अडोल... निश्चिन्त रहती हूँ... जैसे ब्रह्मा बाबा चाहे जैसी भी आत्मा हो... हरेक के प्रति उनकी सहयोग की भावना रहती थी... वैसे ही *मैं आत्मा सर्व की सहयोगी बन रही हूँ... मन से... सर्व के प्रति श्रेष्ठ व शुभ भावना रख रही हूँ...* किसी भी आत्मा के प्रति इर्ष्या, द्वेष या घृणा की भावना नहीं रखती...  

 

 _ ➳  मैं आत्मा विश्व कल्याणकारी बन हर आत्मा के प्रति रहम की भावना... शुभ भावना... शुभ कामना रख रही हूँ... मुझ आत्मा के हर बोल से... हर कर्म से निरुत्साहित आत्मा के जीवन में भी उमंग उत्साह भर रहा है... *बाबा मेरे साथ कंबाइंड हैं... मेरे साथ हैं... उनके साथ की अनुभूति में रहती हूँ... सदा इस स्मृति में... स्वमान में रह चारों और सुख शांति के वायब्रेशन्स फैलाकर... दुःखी, अशांत आत्माओं को दुःखों से मुक्त कर रही हूँ... मुझ आत्मा से निकलती शक्तियों की अद्भुत किरणें हर आत्मा तक पहुँच कर उन्हें तृप्त कर रही हैं...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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