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❍ 14 / 05 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 54=20)
➢➢ आस्तिक बनकर आस्तिक बनाने की सेवा की ?
➢➢ बेहद का सन्यासी बन सबसे बुधीयोग हटाया ?
➢➢ सब कुछ तेरा तेरा कर मेरेपन के अंश मात्र को भी समाप्त किया ?
➢➢ बापदादा को अपने नयनो में समा जहान के नूर बनकर रहे ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ विनाशी साधनों के आधार पर आपकी अविनाशी साधना नहीं हो सकती। साधन निमित्त मात्र हैं और साधना निर्माण का आधार है इसलिए अब साधना को महत्व दो। साधना ही सिद्धि को प्राप्त करायेगी।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं रूप-बसंत हूँ"
〰✧ सदा अपने को रुप-बसंत अनुभव करते हो? रुप अर्थात् ज्ञानी तू आत्मा भी हैं और योगी तू आत्मा भी हैं। जिस समय चाहें रुप बन जायें और जिस समय चाहें बसंत बन जाएं। इसलिए आप सबको सलोगन है- 'योगी बनो और पवित्र बनो माना ज्ञानी बनो'। औरों को यह सलोगन याद दिलाते हैं ना। तो दोनों स्थिति सेकेण्ड में बन सकते हैं। ऐसे न हो कि बनने चाहे रुप और याद आती रहें ज्ञान की बातें। सेकण्ड से भी कम टाइम में फुलस्टाप लग जाये। ऐसे नहीं- फुलस्टाप लगाओ अभी और लगे पांच मिनट के बाद। इसे पावरफुल ब्रेक नहीं कहेंगे। पावरफुल ब्रेक का काम है जहाँ लगाओ वहां लगे। सेकण्ड भी देर से लगी तो एक्सीडेंट हो जायेगा।
〰✧ फुलस्टाप अर्थात् ब्रेक पावरफुल हो। जहां मन-बुद्धि को लगाना चाहे वहाँ लगा लें। यह मन, बुद्धि- संस्कार आप आत्माओं की शक्तियाँ है। इसलिए सदा यह प्रैक्टिस करते रहो कि जिस समय, जिस विधि से मन-बुद्धि को लगाना चाहते हैं वैसा लगता है या टाइम लग जाता है? जिसमें कंट्रोलिंग पावर नहीं वह रुलिंग पावर के अधिकारी बन नहीं सकते। स्वराज्य के हिसाब से अभी भी रुलर (शासक) हो। स्वराज्य मिला है ना! ऐसे नहीं आंख को कहो यह देखो और वह देखे कुछ और, कान को कहो कि यह नहीं सुनो और सुनते ही रहें। इसको कंट्रोलिंग पावर नहीं कहते। कभी कोई कर्मेन्द्रिय धोखा न दे - इसको कहते हैं 'स्वराज्य'। तो राज्य चलाने आता है ना? अगर राजा को प्रजा माने नहीं तो उसे नाम का राजा कहेंगे या काम का? आत्मा का अनादि स्वरुप ही राजा का है, मालिक का है। यह तो पीछे परतंत्र बन गई है लेकिन आदि और अनादि स्वरुप स्वतंत्र है। तो आदि और अनादि स्वरुप स्वतंत्र है। तो आदि और अनादि स्वरुप सहज याद आना चाहिए ना।
〰✧ स्वतंत्र हो या थोड़ा-थोड़ा परतंत्र हो? मन का भी बंधन नहीं। अगर मन का बंधन होगा तो यह बंधन और बंधन को ले आयेगा। कितने जन्म बंधन में रहकर देख लिया! अभी भी बंधन अच्छा लगता है क्या? बंधन्मुक्त अर्थात् राजा, स्वराज्य अधिकारी। क्योंकि बंधन प्राप्तियो का अनुभव करने नहीं देता। इसलिए सदा ब्रेक पावरफुल रखो, तब अन्त में पास-विद-ओनर होंगे अर्थात् फर्स्ट डिवीजन में आयेंगे। फर्स्ट माना फास्ट, ढीले-ढीले नहीं। ब्रेक फास्ट लगे। कभी भी ऊंचाई के रास्ते पर जाते हैं तो पहले ब्रेक चेक करते हैं। आप कितना ऊंचे जाते हो! तो ब्रेक पावरफुल चाहिए ना! बार-बार चेक करो। ऐसा ना हो कि आप समझो ब्रेक बहुत अच्छी है लेकिन टाइम पर लगे नहीं, तो धोखा हो जायेगा। इसलिए अभ्यास करो- स्टाप कहा और स्टाप हो जाये।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ क्या आवाज़ से परे शान्त स्थिति इतनी ही प्रिय लगती है कि जितनी आवाज़ में आने की स्थिति प्रिय लगती है? आवाज़ में आना और आवाज़ से परे हो जाना यह दोनों ही एक समय सहज लगते हैं या आवाज़ से परे जाना मुश्किल लगता है? वास्णव में स्वधर्म शान्त स्वरूप होने के कारण आवाज़ से परे जाना अति सहज होना चाहिए।
〰✧ अभी - अभी एक सेकण्ड में जैसे स्थूल शरीर से बुद्धि द्वारा परे जाना और आना यह दोनों ही सहज अनुभव होंगे। अर्थात क्या एक सेकण्ड में ऐसा कर सकते हो? जब चाहें शरीर का आधार ले और जब चाहे शरीर का आधार छोड कर अपने अशरीरी स्वरूप में स्थित हो जायें, क्या ऐसे अनुभव चलते - फिरते करते रहते हो? जैसे शरीर धारण किया वैसे ही फिर शरीर से न्यारा हो जाना इन दोनों का क्या एक ही अनुभव करते हो? यही अनुभव अंतिम पेपर में फस्ट नम्बर लाने का आधार है। जो लास्ट पेपर देने के लिए अभी से तैयार हो गये हो या हो रहे हो?
〰✧ जैसे विनाश करने वाले एक इशारा मिलते ही अपना कार्य सम्पन्न कर देंगे, अर्थात विनाशकारी आत्मायें इतनी एवर - रेडी हैं कि एक सेकण्ड के इशारे से अपना कार्य अभी भी प्रारम्भ कर सकती हैं। तो क्या विश्व का नव - निर्माण करने वाली अर्थात स्थापना के निमित्त बनी हुई आत्माएँ ऐसे एवर - रेडी हैं? अपनी स्थापना का कार्य ऐसे कर लिया है कि जिससे विनाशकारियों को इशारा मिले?
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ सर्व पवाइन्ट्स का सार एक शब्द में सुनाओ? प्वाइन्ट्स का सार – प्वाइन्ट रूप अर्थात् बिन्दु रूप हो जाना। बिन्दु रूप अर्थात् पॉवरफुल स्टेज, जिसमें व्यर्थ संकल्प नही चलते हैं और बिन्दु अर्थात् 'बीती सो बीती'। इससे कर्म भी श्रेष्ठ होते हैं और व्यर्थ संकल्प न होने के कारण पुरूषार्थ की गति भी तीव्र होगी। इसलिए बीती सो बीती को सोच-समझ कर करना है। व्यर्थ देखना, सुनना व बोलना सब बन्द। समर्थ आंखें खुली हों अर्थात् साक्षीपन की स्टेज पर रहो।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- बाप आये हैं ज्ञान का तीसरा नेत्र देने"
➳ _ ➳ मैं आत्मा मधुबन पहाड़ी पर बैठ स्वदर्शन चक्र फिरा रही हूँ... चक्र फिराते-फिराते अपने सभी स्वरूपों में खो जाती हूँ... कलयुगी अज्ञानता के अंधकार में सोई हुई मुझ आत्मा को परमात्मा ने ज्ञान के चक्षु देकर त्रिनेत्री बना दिया... सृष्टि के आदि-मध्य-अंत का ज्ञान देकर बुद्धिवान बना दिया... पत्थरबुद्धि से पारसबुद्धि बना दिया... मीठे बाबा को स्मृतियों में लाते ही तुरंत बाबा सामने हाजिर हो जाते हैं और मेरे बाजू में बैठ सिर पर प्यार से हाथ फिराते हुए कहते हैं...
❉ ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर मेरी आत्म ज्योति को जगाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... शरीर नही खुबसूरत मणि हो सदा अपने अविनाशी स्वरूप के नशे में रहो... ज्ञान के तीसरे नेत्र से सदा दमकते स्वरूप आत्मा पर ही नजर डालो... शरीर के भ्रम से निकल कर सदा अपने सत्य चमकते स्वरूप को ही निहारो... अपने सच्चे वजूद और सत्य पिता को ही हर पल यादो में बसाओ...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा दिव्य चक्षुओं से तीनों कालों का ज्ञान पाकर दिव्यता से सजते हुए कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ज्ञान के तीसरे नेत्र से पूरे विश्व को मणियो से दमकता हुआ निहार रही हूँ... मीठे बाबा के सारे खुबसूरत सितारे धरा पर जगमगा रहे है... प्यारे बाबा आपने ज्ञान के तीसरे नेत्र से मुझे त्रिकालदर्शी बना कर... मेरी दुनिया कितनी खुबसूरत प्यारी बना दी है...”
❉ मीठा बाबा सभी खजानों से भरपूर कर मुझे मालामाल करते हुए कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ज्ञान के तीसरे नेत्र से सदा मीठे बाबा को निहारते रहो और बाबा की सारी शक्तियाँ अथाह खजानो से स्वयं को भरपूर करते रहो... सारी ईश्वरीय खानो पर अपना नाम लिख डालो... यह ईश्वर पिता के मीठे साथ का,भाग्य बनाने का खुबसूरत समय... स्वयं को मात्र शरीर समझ हाथ से यूँ जाने न दो...”
➳ _ ➳ मीठे बाबा के यादों में समाकर सर्व शक्तियों की अधिकारी बन मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में खोयी हूँ... मेरा रोम रोम आँखे बन गया है.. और हर पल हर साँस से आपको ही निहार रही हूँ... मै आत्मा अनन्त शक्तियो से भरती जा रही हूँ... और बस एक के ही रंग में रंगी सी हूँ... मीठा बाबा ही मेरी यादो में समाया है...”
❉ मेरे मनमीत बाबा अपनी बाँहों के झूले में झुलाते हुए सत्यता की राह दिखाते हुए कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... अपने खुबसूरत स्वरूप और सच्चे पिता की यादो में खो जाओ... देह की दुनिया से निकल अपने अविनाशी आत्मा और शिव पिता की मीठी यादो में स्थिर हो जाओ... शरीर होने के भान से परे होकर चमकते ओजस्वी स्वरूप के नशे से भर जाओ... और सच्चे पिता को यादकर उसकी प्यारी सी बाँहों में स्नेह से झूल जाओ...”
➳ _ ➳ मैं आत्मा ज्ञान अंजन लगाकर खुशियों के बगिया में मुस्कुराते हुए कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा शरीर के मायाजाल से मुक्त होकर आपकी प्यार भरी बातो में यादो में खो गई हूँ... आपके सच्चे प्यार को पाकर जीवन कितना मीठा खुशियो भरा हो गया है... चारो ओर सुख और खुशियो के फूल खिल उठे है... जीवन प्रेम और शांति का पर्याय बन महक उठा है...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- अभी वानप्रस्थ अवस्था है इसलिए बेहद का सन्यासी बन कर सबसे बुद्धि योग हटा देना है
➳ _ ➳ वाणी से परे अपने स्वीट साइलेन्स होम में जाकर, वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव करने के लिए, अंतर्मुखता की गुफा में बैठ, मन और मुख का मौन धारण कर, एकांतवासी बनते ही मैं अनुभव करती हूँ कि जैसे सम्पूर्ण मौन की शक्ति धीरे - धीरे मेरे अन्दर एक अद्भुत आंतरिक बल का संचार कर रही है। यह आंतरिक बल मेरे शरीर के भिन्न - भिन्न अंगों में बिखरी हुई मेरी सारी चेतना को समेटने लगा है। शरीर का एक - एक अंग जैसे शिथिल होने लगा है और श्वांसों की गति बिल्कुल धीमी हो गई है। अपने शरीर मे आये इस परिवर्तन को महसूस करते हुए मैं अनुभव कर रही हूँ जैसे धीरे - धीरे मैं सवेंदना शून्य होती जा रही हूँ और देह के भान से परे एक अति आनन्दमयी स्थिति में स्थित हो गई हूँ।
➳ _ ➳ इस अति खूबसूरत स्थिति में मैं स्वयं को एक प्वाइंट ऑफ लाइट के रूप में देख रही हूँ जिसमे से निकल रही लाइट और माइट मन को तृप्त कर रही है। ये प्वाइंट ऑफ लाइट एक अति सूक्ष्म शाइनिंग स्टार के रूप में मेरे मस्तक पर चमकती हुई मुझे अनुभव हो रही है। मन बुद्धि के दिव्य नेत्र से अपने इस अति सुंदर स्वरूप को निहारते हुए मैं गहन आनन्द के सुखद अनुभव में डूबती जा रही हूँ। देह के हर आकर्षण से मुक्त करता मेरा ये मन को लुभाने वाला स्वरूप जिससे मैं आज दिन तक अनजान थी उस स्वरूप का अनुभव करवाने वाले अपने प्यारे पिता का दिल से मैं बार - बार शुक्राना करती हूँ और अपने इस स्वरूप का भरपूर आनन्द लेते - लेते उनकी मीठी याद में खो जाती हूँ जो मुझे सेकण्ड में वाणी से परे मेरे निर्वाण धाम घर मे ले जाती है।
➳ _ ➳ अपने प्यारे पिता के इस निर्वाण धाम घर मे आकर मैं वाणी से परे वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव कर रही हूँ। एक गहन शांति, एक गहन निस्तब्धता इस शांतिधाम घर मे छाई हुई है जो शांति की दिव्य अनुभूति करवाकर मेरी जन्म - जन्म से शांति की तलाश में भटकने की सारी वेदना को मिटाकर मुझे असीम सुकून दे रही है। ऐसा लग रहा है जैसे शांति की शीतल लहरें दूर - दूर से आकर बार - बार मुझ आत्मा को स्पर्श करके अपनी सारी शीतलता मेरे अंदर समाकर चली जाती हैं। इन शीतल लहरों की शीतलता को स्वयं में समाते - समाते अब मैं शान्ति के सागर अपने प्यारे पिता के समीप जा रही हूँ।
➳ _ ➳ वो शांति का सागर मेरा प्यारा पिता जो अपनी अनन्त शक्तियों की किरणों रूपी बाहों को फैलाये मेरा आह्वान कर रहा है। अपने उस शांति सागर प्यारे पिता के पास पहुँच उनकी किरणों रूपी बाहों में जा कर मैं समा जाती हूँ। उनकी शक्तिशाली किरणों के रूप में उनके अविरल प्रेम की अनन्त धाराएं मेरे ऊपर बरसने लगती हैं और अपने अथाह प्रेम से मुझे तृप्त करने लगती हैं। बीज रूप स्थिति में स्थित होकर बीज रूप अपने प्यारे बाबा से यह मंगल मिलन मनाना मन को एक गहन परमआनन्द की अनुभूति करवा रहा है। बाबा से आती सर्वशक्तियों की किरणों की मीठी - मीठी फुहारे मेरे अंदर असीम बल भर रही हैं
➳ _ ➳ अपने प्यारे पिता के निष्काम प्रेम और उनकी शक्तियों का बल स्वयं में भरकर, अपने स्वीट साइलेन्स होम में अपने प्यारे बाबा के साथ बिताए अनमोल पलों को मीठी यादो के रूप में अपने मन और बुद्धि में सँजो कर, अब मैं वापिस पार्ट बजाने के लिए आवाज की दुनिया में वापिस लौट आती हूँ और आकर अपनी देह में भृकुटि के अकाल तख्त पर विराजमान हो जाती हूँ। देह का आधार लेकर, साकार सृष्टि पर अपना पार्ट बजाते हुए इस बात को अब मैं सदा स्मृति में रखती हूँ कि यह मेरी वानप्रस्थ अवस्था है और मुझे वाणी से परे स्वीट होम जाना है। यह स्मृति देह में रहते भी मुझे देह से न्यारा और प्यारा अनुभव करवाती है।
➳ _ ➳ देह और देही दोनों को अलग - अलग देखते हुए अशरीरी बनने का अभ्यास बार - बार करने से अब मैं देह और देह की दुनिया से सहज ही उपराम होती जा रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं सब कुछ तेरा - तेरा कर मेरे पन के अंश मात्र को भी समाप्त करने वाली डबल लाइट आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं बापदादा को अपने नयनों में समाने वाला जहान का नूर हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ और चतुराई सुनावें? ऐसे समय पर फिर ज्ञान की प्वाइन्ट यूज़ करते हैं कि अभी प्रत्यक्ष फल तो पा लो भविष्य में देखा जायेगा। लेकिन प्रत्यक्षफल अतीन्द्रिय सुख सदा का है, अल्पकाल का नहीं। कितना भी प्रत्यक्षफल खाने का चैलेन्ज करे लेकिन अल्पकाल के नाम से और खुशी के साथ-साथ बीच में असन्तुष्टता का कांटा फल के साथ जरूर खाते रहेंगे। मन की प्रसन्नता वा सन्तुष्टता अनुभव नहीं कर सकेंगे। इसलिए ऐसे गिरती कला की कलाबाजी नहीं करो। बापदादा को ऐसी आत्माओं पर तरस होता है - बनने क्या आये और बन क्या रहें हैं! सदा यह लक्ष्य रखो कि जो कर्म कर रहा हूँ यह प्रभु पसन्द कर्म है? बाप ने आपको पसन्द किया तो बच्चों का काम है - हर कर्म बाप पसन्द, प्रभु पसन्द करना। जैसे बाप गुण मालायें गले में पहनते हैं वैसे गुण माला पहनों, कंकड़ो की माला नहीं पहनों। रत्नों की पहनो।
✺ "ड्रिल :- हर कर्म प्रभु पसंद करना”
➳ _ ➳ मैं आत्मा एकांत में बैठकर अपने दिलाराम बाबा को याद करती हूँ और प्यारे बाबा को प्यार से ख़त लिखती हूँ... फिर मैं आत्मा पंछी बन ख़त लेकर उड़ चलती हूँ और पहुँच जाती हूँ सूक्ष्म वतन प्यारे-प्यारे बाबा के पास... एक नन्हा फरिश्ता बन बाबा की गोद में बैठ जाती हूँ... बाबा से कहती हूँ... बाबा मैं आपके लिए ख़त लाई हूँ... प्यारे बाबा मुस्कुराते हुए मेरे हाथों से ख़त लेकर पढ़ते हैं...
➳ _ ➳ ‘प्राण प्यारे बाबा’, ‘मेरे मीठे बाबा’- आप कितने ही प्यारे हो, मीठे हो... आपने मुझे नवजीवन दिया है... कौड़ी से हीरे तुल्य बना दिया है... ‘मीठे बाबा’ आपने अपने दिव्य कलम से कितना ही सुन्दर भाग्य लिखा है मेरा... अगर मैं सागर को स्याही बनाकर, जंगल को कलम बनाकर भी आपकी महिमा करूँ, आपको शुक्रिया करूँ तो भी कम है बाबा... कैसे शुक्रिया करूँ मैं आपकी बाबा... ‘मेरे बाबा’ आपका दिया जीवन आपको समर्पित... आपकी प्यारी लाडली...
➳ _ ➳ प्यारे बाबा ख़त पढ़कर प्यार से मेरे सिर पर हाथ रखते हैं और अविनाशी वरदानों से भरपूर कर देते हैं... मैं आत्मा बाबा को देखते हुए बाबा के प्यार में खो जाती हूँ... बाबा के हाथों से, मस्तक से दिव्य तेजस्वी किरणें निकलकर मुझ पर पड़ रही हैं... बाबा से निकलती दिव्य गुण, शक्तियों की किरणें मुझ फरिश्ते को दिव्य गुणधारी बना रही हैं... बाबा अखूट ख़ज़ानों से मुझे भरपूर कर रहे हैं... बाबा मुझे ज्ञान रत्नों की, दिव्य गुणों की माला पहना रहे हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा भक्ति में बाबा को पाने के लिए कितना दर-दर भटकती थी... पर अब बाप ने मुझको पसन्द किया, अपना बनाया तो मैं सदा प्रभु पसंद बन बाबा के दिलतख्त पर रहती हूँ... सदा उडती कला में रहती हूँ... कोई भी काम गिरती कला वाली नहीं करती हूँ... अल्पकाल के नाम, मान, शान का प्रत्यक्षफल नहीं खाती हूँ... अतीन्द्रिय सुख का अविनाशी प्रत्यक्षफल खाती हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सदा एक ही लक्ष्य रखकर हर कर्म कर रही हूँ... हर कर्म करने के पहले चेक करती हूँ कि ये प्रभु पसंद है या नहीं... मैं आत्मा सदा हर कर्म बाप पसन्द, प्रभु पसन्द कर बाबा को शुक्रिया अदा कर रही हूँ... मैं आत्मा सदा बाबा द्वारा दिए दिव्य गुणों और रत्नों की माला पहने रहती हूँ... कभी भी अवगुणों की कंकड़ो की माला नहीं पहनती हूँ... प्रभु पसंद कर्म करने से अब मैं आत्मा सदा प्रसन्नता वा सन्तुष्टता का अनुभव कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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