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 22 / 08 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ कोई असत्य कार्य तो नही किया ?

 

➢➢ माया के तूफानों से डरे तो नहीं ?

 

➢➢ समय प्रमाण अपने भाग्य का सिमरन कर खुशियों और प्राप्तियों से भरपूर रहे ?

 

➢➢ ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रखते चले ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  सदा अपने को डबल लाइट समझकर सेवा करते चलो। जितना सेवा में हल्कापन होगा उतना सहज उड़ेगे उड़ायेंगे। डबल लाइट बन सेवा करना, याद में रहकर सेवा करना-यही सफलता का आधार है।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं उड़ती कला में रहने वाली विशेष आत्मा हूँ"

 

  सदा उड़ती कला के लिये विशेष क्या स्मृति आवश्यक है? कभी भी नीचे नहीं आयें सदा ऊपर रहें उसके लिये क्या आवश्यक है? उड़ने के लिये पंख चाहते हैं ना। तो उड़ती कला के दो पंख कौन से है? (ज्ञान और योग) ज्ञान और योग के साथ हिम्मत और उमंग-उत्साह।

 

  अगर हिम्मत है तो हिम्मत से जो चाहे, जैसे चाहे वैसे कर सकते हैं। इसलिये गाया हुआ भी है हिम्मते बच्चे मददे बाप। तो हिम्मत और उमंग-उत्साह रहता है? क्योंकि किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए उमंग उत्साह बहुत जरूरी है। अगर उमंग उत्साह नहीं होगा तो कार्य सफल नहीं हो सकता। क्यों?

 

  जहाँ उमंग-उत्साह नहीं होगा वहाँ थकावट बहुत ज्यादा होगी और थका हुआ कभी सफल नहीं होगा। तो हिम्मत और उमंग-उत्साह-इसी आधार पर सदा उड़ती कला का अनुभव कर सकते हो। वर्तमान समय के अनुसार उड़ती कला के सिवाए मंजिल पर पहुँच नहीं सकते।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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अपने आपको चेक करो कि कर्मेन्द्रिय-जीत बने हैं? आवाज में नहीं आना चाहे तो ये मुख का आवाज अपनी तरफ खींचता तो नहीं है? इसी को ही रूहानी ड़्रिल कहा जाता है। जैसे वर्तमान समय के प्रमाण शरीर के लिए सर्व बीमारियों का इलाज 'एक्सरसाइज' सिखाते हैं, तो इस समय आत्मा को शक्तिशाली बनाने के लिए यह रूहानी एक्सरसाइज का अभ्यास चाहिए। चारों ओर कितना भी वातावरण हो, हलचल हो लेकिन आवाज में रहते आवाज से परे स्थिति का अभ्यास अभी बहुत काल का चाहिए। शान्त वातावरण में शान्ति की स्थिति बनाना यह कोई बडी बात नहीं है। अशान्ति के बीच आप शान्त रहो, यही अभ्यास चाहिए। ऐसा अभ्यास जानते हो?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ पहले संसार में बुद्धि भटकती थी और अभी बाप ही संसार हो गया। तो बुद्धि का भटकना बंद हो गया, एकाग्र हो गई। क्योंकि पहले की जीवन में कभी देह में, कभी देह के सम्बन्ध में, कभी देह के पदार्थ में - अनेकों में बुद्धि जाती थी। अभी यह सब बदल गया। अभी देह याद रहती या देही? अगर देह में कभी बुद्धि जाती है तो रांग समझते हो ना! फिर बदल लेते हो, देह के बजाय अपने को देही समझने का अभ्यास करते हो। तो संसार बदल गया ना ! स्वयं भी बदल गये।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- अब कोई भी विकर्म नहीं करना"

➳ _ ➳  मैं आत्मा सेण्टर में बाबा के कमरे में बैठ बाबा का आह्वान करती हूँ... बाहरी सभी बातों से अपने मन को हटाकर एक बाबा में लगाने की कोशिश करती हूँ... धीरे-धीरे सभी कर्मेन्द्रियाँ शांत होती जा रही हैं... भटकता हुआ मन स्थिर होने लगा है... मैं आत्मा अपना बुद्धि योग एक बाबा से कनेक्ट करती हूँ... इस शरीर को भी भूल एक बाबा की लगन में मगन होने लगती हूँ... बाबा मेरे सम्मुख आकर बैठ जाते हैं... मैं आत्मा गहन शांति की अनुभूति कर रही हूँ... मैं और मेरा बाबा बस और कोई भी नहीं...

❉  कदम-कदम पर बाप की श्रीमत लेकर कर्म में आने की शिक्षा देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- "मेरे मीठे फूल बच्चे... मीठे से भाग्य ने जो ईश्वर पिता का साथ दिलवाया है... उस महान भाग्य को सदा का सुखो भरा सौभाग्य बना लो... हर पल मीठे बाबा की श्रीमत का हाथ पकड़कर सुखी और निश्चिन्त हो जाओ... जिन विकारो ने हर कर्म को विकर्म बनाकर जीवन को गर्त बना डाला... श्रीमत के साये में उनसे हर पल सुरक्षित रहो...”

➳ _ ➳  प्यारे बाबा को विकारों का दान देकर माया के ग्रहण से मुक्त होकर मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा सच्चे ज्ञान को पाकर कर्मो की गुह्य गति जान गई हूँ... आपकी श्रीमत पर चलकर जीवन पुण्य कर्मो से सजा रही हूँ... आपके मीठे साथ ने जीवन को फूलो सा महका दिया है... सुकर्मो से दामन सजता जा रहा है...”

❉  हर कदम में मेरा साथ देकर मेरे भाग्य को श्रेष्ठ बनाते हुए खुदा दोस्त बन मीठे बाबा कहते हैं:- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... श्रीमत ही वह सच्चा आधार है जो जीवन को खुशियो का पर्याय बनाता है... स्वयं भगवान साथी बन हर कर्म में सलाह और साथ दे रहा है... तो इस महाभाग्य से रोम रोम सजा लो... सच्चे साथी की श्रीमत पर चलकर सुखदायी जीवन का भाग्य अपने नाम करालो...”

➳ _ ➳  सदा श्रेष्ठ संकल्प और कर्मों से अपने जीवन को सदा के लिए खुशहाल बनाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मनुष्य मत के पीछे लटककर कितनी दुखी हो गई थी... अब आपकी छत्रछाया में कितनी सुखी कितनी बेफिक्र जिंदगी को पा रही हूँ... आपका साथ पाकर मै आत्मा सतयुगी सुखो की मालकिन बनती जा रही हूँ... मेरे जीवन की बागडोर को थाम आपने मुझे सच्चा सहारा दिया है...”

❉  अपने मीठे वरदानों की बारिश कर मुझे अपने दिल तख़्त पर बिठाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:- "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... यह वरदानी संगम सुकर्मो से दामन सजाने वाला खुबसूरत समय है कि मीठा बाबा बच्चों के सम्मुख है... इसलिए हर कर्म को श्रीमत प्रमाण कर बाबा का दिल सदा का जीत लो... जब बाबा साथ है तो जीवन के पथ पर अकेले न चलो... सच्चे साथ का हाथ पकड़कर अनन्त खुशियो में उड़ जाओ...”

➳ _ ➳  ईश्वरीय प्रेम के साये में श्रेष्ठ कर्मों से व्यर्थ से मुक्त होकर समर्थ बनकर मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में कितनी खुशनुमा हो गई हूँ... हर कदम पर श्रीमत के साथ अपने जीवन में खुशियो के फूल खिला रही हूँ... ईश्वर पिता के सच्चे साथ को पाकर, मै आत्मा हर कर्म को सुकर्म बनाती जा रही हूँ... और बेफिक्र बादशाह बनकर मुस्करा रही हूँ...”
 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- सतगुरु के बच्चे सतगुरु बन सबकी नैया पार लगानी है"
 
➳ _ ➳  अपने सत बाप, सत शिक्षक, सत गुरु शिव बाबा की याद में बैठते ही ऐसा आभास होता है जैसे मेरे सतगुरु शिवबाबा मेरे आस - पास ही है। उनकी सर्वशक्तियाँ मुझ पर पड़ रही हैं और जैसे वो मुझ से कुछ कह रहे हैं। अपने मन बुद्धि को पूरी तरह एकाग्र करके अब मैं अपने सतगुरु शिव बाबा पर केंद्रित करती हूं तो शिव बाबा को अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के आकारी रथ पर विराजमान अपने बिल्कुल सामने पाती हूँ। बाबा मुस्कराते हुए मेरी और देख रहें हैं और मुझे अपनी मीठी दृष्टि से निहाल कर रहें हैं। बाबा की मीठी दृष्टि से आ रही लाइट और माइट मुझे भी बाप समान बना रही है। अब मैं भी स्वयं को अपने लाइट माइट स्वरूप में अनुभव कर रही हूँ।
 
➳ _ ➳  ऐसा लग रहा है जैसे मुझे लाइट माइट बना कर बाबा ने अपने संकल्पो को मुझ तक पहुंचाने की शक्ति मुझे प्रदान कर दी हो। अब मैं बाबा के हर संकल्प को कैच कर रही हूँ। बाबा के संकल्प मुझे बाबा के साथ चलने का इशारा कर रहे हैं। उस इशारे को समझ अब मैं फ़रिशता बाबा का हाथ थामे चल पड़ता हूँ बाबा के साथ। तीव्र वेग से मैं बाबा के साथ उड़ता जा रहा हूँ और नीचे पृथ्वी के नजारो को भी देखता जा रहा हूँ।
 
➳ _ ➳  तभी मैं देखता हूँ बाबा वापिस नीचे आ रहें हैं और एक ऐसे स्थान पर आ कर रुक जाते हैं जहां कोई बहुत बड़ा पंडाल लगा हुआ है। बाबा मेरा हाथ थामे मुझे उस पंडाल के अंदर ले आते हैं। मैं देख रहा हूँ सामने स्टेज पर कोई गुरु, महात्मा बैठे प्रवचन कर रहें हैं और उसके सामने बहुत बड़ी संख्या में उसके फ़ॉलोअर्स बैठे उन प्रवचनों को सुन रहें हैं। अब बाबा मुझे स्टेज पर उस गुरु के बाजू में बैठने का इशारा करते हुए कहते है, बच्चे:- "मास्टर सतगुरु बन इन आत्माओं को नजर से निहाल करो"।
 
➳ _ ➳  अपने लाइट माइट स्वरूप में अब मैं उस स्टेज पर उस गुरु के बाजू में जा कर बैठ जाता हूँ। बाबा अपनी सर्वशक्तियों रूपी छत्रछाया के साथ मेरे सिर के ऊपर स्थित हो जाते हैं। अब बाबा धीरे - धीरे अपनी सर्वशक्तियों की शीतल फुहारें मुझ फ़रिश्ते पर प्रवाहित करने लगते हैं। मैं देख रहा हूँ कि बाबा से सर्वशक्तियों की ये शीतल फुहारे मुझ में समा कर फिर मुझ से निकल कर धीरे धीरे पूरे पंडाल पर पड़ रही हैं। पंडाल में बैठी सभी आत्मायें जो विकारो की अग्नि में जलने के कारण गहन तपन का अनुभव कर रही थी वो मुझ फ़रिश्ते से आ रही शीतल फुहारें पा कर जैसे शांत हो रही हैं।
 
➳ _ ➳  अब बाबा वहां बैठी हर आत्मा को एक - एक करके सूक्ष्म रीति मेरे सामने इमर्ज कर रहें हैं। मैं अपने सामने आ रही हर आत्मा को बड़े प्यार से निहारते हुए उसे दृष्टि दे रही हूँ। बाबा का प्यार उनकी सर्वशक्तियों की किरणों के रूप में उनसे से निकल कर मुझ में समाते हुए वहां उपस्थित हर आत्मा पर बरस रहा है। और सभी को अपनी शक्तियों रूपी बाहों मे समेट कर अतीन्द्रिय सुख के झूले में झुला रहा है। अपनी नजरो से वहां उपस्थित सभी आत्मायों को मैं निहाल कर रही हूँ। मास्टर सतगुरु बन सभी को मुक्ति, जीवनमुक्ति का सत्य मार्ग दिखा रही हूं।
 
➳ _ ➳  वहां उपस्थित सभी आत्माओ को नजर से निहाल कर, बापदादा अब अपने धाम लौट जाते हैं और मैं आत्मा अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर वापिस लौट आती हूँ। किन्तु अपने ब्राह्मण स्वरूप में मैं अब सदा मास्टर सतगुरु की सीट पर सेट हो कर अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को अपने सच्चे सतगुरु शिव बाबा द्वारा दिया जा रहा सत्य ज्ञान सुना कर सबको सद्गति पाने का सच्चा रास्ता दिखा रही हूँ।
 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं समय प्रमाण अपने भाग्य का सिमरन कर खुशी और प्राप्तियों से भरपूर बनने वाली स्मृति स्वरूप आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं सिर्फ ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रखकर नंबरवन में आने वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  १. सेवा जो स्वयं को वा दूसरे को डिस्टर्ब करे वो सेवा नहीं हैस्वार्थ है। और निमित्त कोई न कोई स्वार्थ ही होता है इसलिए नीचे-ऊपर होते हैं। चाहे अपनाचाहे दूसरे का स्वार्थ जब पूरा नहीं होता है तब सेवा में डिस्टर्बेन्स होती है। इसलिए स्वार्थ से न्यारे और सर्व के सम्बन्ध में प्यारे बनकर सेवा करो।

 

 _ ➳  २. चारों ओर अटेन्शन प्लीज।

 

✺   ड्रिल :-  "स्वार्थ से न्यारे और सर्व के सम्बन्ध में प्यारे बनकर सेवा करना

 

 _ ➳  मन बुद्धि रूपी नेत्रों से अपने फरिश्ता स्वरूप में स्थित होकर पहुँच जाती हूँ... हिस्ट्री हॉल में... और बाबा के चित्र के आगे जाकर बैठ जाती हूँ... बापदादा अपने लाइट माइट स्वरूप में मेरे सामने उपस्थित हो जाते हैं... मैं बाबा को देख कर अति प्रसन्न होकर वाह बाबा वाह!! कह उनसे बातें करने लगती हूँ... तभी बाबा मुझे सेवा के महत्व के बारे में समझाते हुए कहते हैं...

 

 _ ➳  बच्ची... हर कर्म को... हर सेवा को... निमित्त समझ कर... निःस्वार्थ भाव से... करो, कोई भी सेवा स्वार्थ वश नहीं करना... चाहे उस सेवा से अपना स्वार्थ सिद्ध हो या दूसरे का... वो सेवा... सेवा नही, साधारण कर्म हो जायेगा... फिर बाबा समझाने लगे... ऐसी सेवा भी नहीं करना जो दूसरों के लिये व्यवधान पैदा करे...    

 

 _ ➳  अपने को हर कर्म में निमित्त समझना... यही न्यारे और सर्व के प्यारे बनने का सहज साधन है... निमित्त बन कर जब सेवा करते हैं तो वह सेवा निर्विघ्न... और अविनाशी कमाई जमा कराती है... बच्ची... हर कदम ब्रह्मा बाबा को फॉलो करो... जैसे ब्रह्मा बाबा देह से न्यारे होकर कर्म करते थे... सदा अचल... अडोल... निश्चिन्त... उनके नक्शे कदम पर चलो...      

 

 _ ➳  बाबा... मेरे मीठे मीठे बाबा... मैं आत्मा ब्रह्मा बाबा के हर कदम पर... उनकी हर श्रीमत को पूरा पूरा फॉलो करुँगी... जैसे बाबा हर सेवा में अटल... अचल... रहते थे... जैसे उन्हें पक्का निश्चय था कि सर्वशक्तिवान मेरे साथ है... करन करावनहार वही है... मैं निमित्त हूँ... वैसे ही मैं आत्मा भी ब्रह्मा बाबा की तरह... मनसा-वाचा-कर्मणा... हर सेवा को निमित्त समझ... स्वार्थ से परे... न्यारी और सर्व की प्यारी बनकर करुँगी...   

 

 _ ➳  मैं बाबा से कहती हूँ... बाबा... अब मैं आत्मा चलते फिरते... स्वार्थ से परे... सदा इसी न्यारेपन की स्थिति में स्थित रहकर हर सेवा करुँगी... मैं आत्मा अपना सर्वश्रेष्ठ भाग्य बनाकर दूसरों को भी स्वार्थ से परे रहने के लिये प्रेरित करुँगी...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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