━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 17 / 12 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ दुःख सुख मान अपमान सब कुछ सहन किया ?

 

➢➢ अशरीरी रहने का अभ्यास किया ?

 

➢➢ हद की रॉयल इच्छाओं से मुक्त रह सेवा की ?

 

➢➢ वायदों को फाइल में न रख फाइनल बनकर दिखाया ?

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  कभी कहीं पर जाओ तो यही लक्ष्य रखो कि जहाँ जायें वहाँ यादगार कायम करें, वह तब होगा जब आत्मिक प्यार की सौगात साथ होगी। यह आत्मिक प्यार(स्नेह) पत्थर को भी पानी कर देगा। इससे किसी पर भी विजय हो सकती है।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✺   "मैं कल्प-कल्प की अधिकारी आत्मा हूँ"

 

✧   सदा यह नशा रहता है कि हम ही कल्प-कल्प के अधिकारी आत्मायें है, हम ही थे हम ही हैं, हम ही कल्प कल्प होंगे। कल्प पहले का नजारा ऐसे ही स्पष्ट स्मृति में आता है। आज ब्रह्मण हैं कल देवता बनेंगे। हम ही देवता थे यह नशा रहता है? हम सो, सो हम यह मंत्र सदा याद रहता है? इसी एक नशे में रहो तो सदा जैसे नशे में सब बातें भूल जाती हैं, संसार ही भूल जाता है, ऐसे इस में रहने से यह पुरानी दुनिया सहज ही भूल जायेगी। ऐसी अपनी अवस्था अनुभव करते हो? तो सदा चेक करो - आज ब्रह्मण कल देवता, यह कितना समय नशा रहा।

 

✧  जब व्यवहार में जाते तो भी यह नशा कायम रहता कि हल्का हो जाता है? जो जैसा होता है उसको वह याद रहता है। जैसे प्रजीडेन्ट है वह कोई भी काम करते यह नहीं भूलता कि मैं प्रेजीडेन्ट हूँ। तो आप भी सदा अपनी पोजीशन याद रखो। इससे सदा खुशी रहेगी, नशा रहेगा। सदा खुमारी चढ़ी रहे। हम ही देवता बनेंगे, अभी भी ब्रह्मण चोटी हैं ब्रह्मण तो देवताओंसे भी ऊंच है। इस नशे को माया कितना भी तोड़ने की कोशिश करे लेकिन तोड़ न सके।

 

✧  माया आती तभी है जब अकेला कर देती है। बाप से किनारा करा देती है। डाकू भी अकेला करके फिर वार करते हैं ना। इसलिए सदा कम्बाइन्ड रहो कभी भी अकेले नहीं होना। मैं और मेरा बाबा, इसी स्मृति में कम्बाइन्ड रहो।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  (बापदादा ने ड़िल कराई) सभी में रूलिंग पॉवर है? कर्मेन्द्रियों के ऊपर जब चाहो तब रूल कर सकते हो? स्व-राज्य अधिकारी बने हो? जो स्व-राज्य अधिकारी है वही विश्व के राज्य के अधिकारी बनेंगे।

 

✧  जब चाहो, कैसा भी वातावरण हो लेकिन अगर मन-बुद्धि को ऑर्डर दो स्टॉप, तो हो सकता है या टाइम लगेगा? यह अभ्यास हर एक को सारे दिन में बीच-बीच में करना आवश्यक है।

 

✧  और कोशिश करो जिस समय मन-बुद्धि बहुत व्यस्त है, ऐसे समय पर भी एक सेकण्ड के लिए स्टॉप करना चाहो तो हो सकता है? तो सोचो स्टॉप और स्टाप होने में 3 मिनट, 5 मिनट लग जाएँ, यह अभ्यास अंत में बहुत काम में आयेगा। इसी आधार पर पास विद ऑनर वन सकेंगे। अच्छा।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  सबसे सहज बात कौन-सी है, जिसको समझने से सदा के लिए सहज मार्ग अनुभव होगा? वह सहज बात है सदा अपनी ज़िम्मेदारी बाप को दे दो। ज़िम्मेवारी देना सहज है ना? स्वयं को हल्का करो तो कभी भी मार्ग मुश्किल नहीं लगेगा। मुश्किल तब लगता है जब थकना होता या उलझते हैं। जब सब ज़िम्मेवारी बाप को दे दी तो फ़रिश्ते हो गये। फ़रिश्ते कब थकते हैं क्या? लेकिन यह सहज बात नहीं कर पाते तब मुश्किल हो जाता। ग़लती से छोटी-छोटी ज़िम्मेवारियों का बोझ अपने ऊपर ले लेते इसलिए मुश्किल हो जाता। भक्ति में कहते थे- सब कर दो राम हवाले। अब जब करने का समय आया तब अपने हवाले क्यों करते? मेरा स्वभाव, मेरा संस्कार- यह मेरा कहाँ से आया? अगर मेरा खत्म तो नष्टोमोह हो गये। जब मोह नष्ट हो गया तो सदा स्मृति स्वरूप हो जायेंगे। सब कुछ बाप के हवाले करने से सदा खुश और हल्के रहेंगे। देने में फिराक दिल बनो। अगर पुरानी कीचड़पट्टी रख लेंगे तो बीमारी हो जायेगी।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- यह पढाई कभी मिस नहीं करनी है"

➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने मन-बुद्धि को बाह्य सभी बातों से हटाकर भृकुटी के मध्य केन्द्रित करती हूँ... इस देह रूपी ड्रेस से मैं आत्मा बाहर निकल फ़रिश्ता ड्रेस धारण करती हूँ... और इस धरा से ऊपर उड़ते हुए, सागर, नदियों, जंगलों, पहाड़ों को पार करती हुई आसमान में बादलों के ऊपर बैठ जाती हूँ... आसमान में चाँद, सितारों से मिलकर और ऊपर उड़कर सूक्ष्म वतन में बापदादा के सम्मुख जाकर बैठ जाती हूँ राजयोग की पढाई पढने...

❉ मुझे डबल सिरताज बनाकर विश्व की राजाई मेरे नाम करने के लिए अमूल्य ज्ञान देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... यह ईश्वरीय पढ़ाई वह जागीर, वह दौलत है जो विश्व का राज्य भाग्य दिलायेगी... इसलिये इस महान पढ़ाई में रग रग से जुट जाओ... ईश्वर पिता की गोद में बैठ पढ़ते हो और यादो से विश्व अधिकारी सहज ही बन जाते हो... कितना प्यारा और मीठा सा यह भाग्य है... इसके नशे में डूब जाओ...”

➳ _ ➳ बाबा के मोहब्बत की रोशनी में सच्ची कमाई कर हीरे समान चमकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार भरी छाँव में, सुखो भरी गोद में बैठ राजाई भाग्य पा रही हूँ... देवताई संस्कारो से सजकर मीठा सा मुस्करा रही हूँ, और सुनहरे सुखो की ओर कदम बढ़ाती जा रही हूँ...”

❉ अपने पलकों में बिठाकर यादों के समुन्दर की गहराईयों में डुबोते हुए मीठे बाबा कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्ची पढ़ाई को दिल जान से पढ़कर अधिकारी बन जाओ... अमूल्य खजानो को और अथाह सुखो की दौलत से मालामाल बन जाओ... ईश्वर पिता से सब कुछ लेकर देवताओ सा खुबसूरत जीवन बाँहों में भरकर खिलखिलाओ... डबल सिरताज बन सदा की मुस्कान से सज जाओ...”

➳ _ ➳ रूहानी नशे में खोकर बाबा को अपने नैनों में बसाकर मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो और अमूल्य ज्ञान रत्नों से अथाह सुखो की मालकिन और देवताओ सा रूप रंग पा रही हूँ... कभी दुखो में गरीब सी... मै आत्मा आज शिव बाबा आपकी बाँहों में पूरे विश्व धरा का अधिकार पा रही हूँ...”

❉ अमूल्य ज्ञान रत्नों की निधियों से मुझे मालामाल करते हुए मेरे रत्नाकर बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वरीय पढ़ाई ही सारे सच्चे सुखो का आधार है... सारा मदार इस पढ़ाई पर ही है... जितना ज्ञान रत्नों को मन और बुद्धि में समाओगे उतना ही प्यारा सतयुगी सुखो में इठलाओगे... इसलिए इस पढ़ाई में जीजान से जुट जाओ... और डबल ताज धारी बन विश्वधरा पर राजाई का लुत्फ़ उठाओ...”

➳ _ ➳ इस एक जन्म की पढाई से 21 जन्मों की ऊँची तकदीर बनाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय पढ़ाई से अथाह अमीरी का खजाना पा रही हूँ... राजयोगी बनकर किस कदर धनवान् होती जा रही हूँ... दुखो की मोहताज से मुक्त होकर ईश्वरीय बाँहों में अमीर और अमीर होती जा रही हूँ...”

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺ "ड्रिल :- कोई भी उल्टी- सुल्टी बातें करें तो सुना अनसुना कर देना है"

➳ _ ➳ देह और देह की दुनिया की सभी बातों से मन बुद्धि को हटा कर जैसे ही मैं एकाग्रचित होकर बैठती हूं वैसे ही स्वयं को सूक्ष्म वतन में देखती हूँ। यहां पहुंच कर मैं अपनी लाइट की फ़रिश्ता ड्रेस को धारण कर लेती हूं और सूक्ष्म वतन की सैर करने चल पड़ती हूँ। सूक्ष्म वतन के सुंदर नजारे देखकर मैं मन ही मन आनंदित हो रही हूँ। पूरे सूक्ष्म वतन की सैर करके अब मैं पहुंच जाती हूँ बापदादा के पास। मैं देख रही हूं सामने लाइट माइट स्वरूप में बाप दादा विराजमान हैं। उनसे आ रही लाइट और माइट चारों ओर फैल रही है। बाप दादा की लाइट माइट जैसे - जैसे मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही है मेरी चमक बड़ती जा रही है। एक दिव्य अलौकिक रूहानी चमक से मेरा फ़रिशता स्वरूप जगमगाने लगा है।

➳ _ ➳ बापदादा अब मेरे बिल्कुल समीप आ कर, मेरा हाथ थामे मुझे साकारी लोक की ओर ले कर जा रहें हैं। बापदादा के साथ मैं पूरे विश्व का भ्रमण कर रही हूँ। प्रकृति के खूबसूरत नजारों का आनन्द ले रही हूँ। प्रकृति के खूबसूरत नजारों का आनन्द लेते लेते अब मैं अपने फ़रिशता स्वरूप में नीचे भू लोक में आ जाती हूँ। बापदादा के साथ अब मैं भू लोक पर विचरण कर रही हूँ। चलते चलते एक स्थान पर लगे म्यूजियम को देख मैं बापदादा के साथ उस म्यूजियम के अंदर प्रवेश कर जाती हूँ।

➳ _ ➳ भारत की अनेक ऐतिहासिक वस्तुएँ, राजनेताओ के चित्र इस म्यूजियम में जहां - तहां लगे हुए हैं। सामने बापू जी की विशाल प्रतिमा रखी है और उस प्रतिमा के सामने तीन बन्दरो के जड़ चित्र स्थापित किये गए है। जिसमे एक बंदर ने अपने हाथों से अपने मुख को बंद किया हुआ है जो इस बात का प्रतीक है कि बुरा मत बोलो, एक बंदर अपने हाथ अपने कानों पर रख कर यह संदेश दे रहा है कि बुरा मत सुनो और एक बंदर अपने हाथों से अपनी आंखें बन्द कर यह समझा रहा है कि बुरा मत देखो।

➳ _ ➳ बन्दरो की इन प्रतिमाओं को देख कर मैं मन मे विचार करती हूँ कि इन बन्दरो की तरह आज के मनुष्य भी तो बंदर बुद्धि बन गए हैं जो बुराई देख रहें हैं, बुरा सुन रहें हैं और बुरा ही बोल रहे हैं। ये चित्र और कहानियां तो केवल किताबो में ही बंद हो कर रह गई हैं। यही विचार करते - करते मैं बाबा की ओर देखती हूँ। बाबा मन्द मन्द मुस्कराते हुए मेरी ओर देखते हैं। बाबा की जो डायरेक्शन है कि हियर नो ईविल, सी नो ईविल... टाक नो ईविल... उस डायरेक्शन को बाबा के मन के भावों से मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। स्वयं से और बाबा से मैं दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ कि अब मुझे बाबा के इस फरमान पर पूरी तरह चल कर मन्दिर लायक अवश्य बनना है। इसी दृढ़ संकल्प के साथ अपने पूज्य स्वरूप को अपने सामने इमर्ज करके अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में लौट आती हूँ।

➳ _ ➳ ब्राह्मण स्वरूप में रहते हुए अब मुझे मेरा पूज्य स्वरूप सदा स्मृति में रहता है। स्वयं को सदा ईष्ट देव, ईष्ट देवी के रूप में अनुभव करने से अब मेरे अंदर दैवी गुण धारण होने लगे है। पुराने आसुरी स्वभाव संस्कार स्वत: ही समाप्त हो रहें हैं। सबके साथ बातें करते उनके मस्तक में चमकती हुई आत्मा को ही अब मैं देख रही हूँ। सबके साथ बातें करते, सुनते, देखते, बोलते चलते-फिरते हर कर्म करते जैसे अब मैं सब बातों से उपराम हूं। बुरा ना बोलने, बुरा ना देखने और बुरा ना सुनने के साथ साथ बुरा ना सोचने और बुरा ना करने की भावना को अपने जीवन में धारण करने से अब मेरे अंदर दाता पन के संस्कार इमर्ज हो रहें हैं जो मुझे मंदिर लायक बना रहे हैं।

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं हद की रॉयल इच्छाओ से मुक्त्त रहने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं हद की रॉयल इच्छाओ से मुक्त्त रह सेवा करने वाली आत्मा हूँ।
✺   मैं निःस्वार्थ सेवाधारी आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ मैं आत्मा वायदों को फाइल में रखने से मुक्त हूँ ।
✺ मैं आत्मा सदा फाइनल बनकर दिखाती हूँ ।
✺ मैं आत्मा वायदों को पूरा निभाती हूँ ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा के पास भी दिल का चित्र निकालने की मशीनरी है। यहाँ एक्सरे में यह स्थूल दिल दिखाई देता है ना। तो वतन में दिल का चित्र बहुत स्पष्ट दिखाई देता है। कई प्रकार के छोटे-बड़े दागढीले स्पष्ट दिखाई देते हैं।

 

 _ ➳  बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि बापदादा का बच्चों से प्यार होने के कारण एक बात अच्छी नहीं लगती। वह है - मेहनत बहुत करते हैं। अगर दिल साफ हो जाए तो मेहनत नहींदिलाराम दिल में समाया रहेगा और आप दिलाराम के दिल में समाये हुए रहेंगे। दिल में बाप समाया हुआ है। किसी भी रूप की मायाचाहे सूक्ष्म रूप होचाहे रायल रूप होचाहे मोटा रूप होकिसी भी रूप से माया आ नहीं सकती। स्वप्न मात्रसंकल्प मात्र भी माया आ नहीं सकती। तो मेहनत मुक्त हो जायेंगे ना! बापदादा मन्सा में भी मेहनत मुक्त देखने चाहते हैं। मेहनत मुक्त ही जीवनमुक्त का अनुभव कर सकते हैं। होली मनाना माना मेहनत मुक्तजीवनमुक्त अनुभूति में रहना। 

 

✺   ड्रिल :-  "दिल साफ रख मेहनत मुक्त बनना"

 

 _ ➳  मैं त्यागी और तपस्वी ब्राह्मण आत्मा कमलासन पर विराजमान हूँ... भृकुटि सिंहासन पर विराजमान मुझ आत्मा से चारो ओर रंगबिरंगी गुणों और शक्तियों की किरणें निकलकर समस्त संसार में फैल रही है... सारा संसार जड़, चैतन्य और जंगम सहित सर्वस्व इन गुणों और शक्तियों से भरपूर हो रहा हैं... अब मैं अपने फरिश्ता स्वरूप में उड़ चलती हूँ सूक्ष्मवतन की ओर... अपने प्राणप्रिय बापदादा के पास... बापदादा के विशाल आकारी शरीर के समक्ष मैं फरिश्ता एक नन्हा सा बालक हूँ... बापदादा की शक्तिशाली किरणें मुझमे शक्ति भरते हुए तीनो लोकों में फैल रही हैं... बापदादा मुझे अपने कंधो पर बिठाकर पूरे सूक्ष्मवतन की सैर करा रहे है...

 

 _ ➳  रास्ते में आनेवाले चित्रो को मैं फरिश्ता देख रहा हूँ... चांद सितारों की उपर की इस दुनिया की रोशनी को अपने अंतर में समाकर हर्षित हो रहा हूँ... फिर मैं देख रहा हूँ की बापदादा के पास दिल का चित्र निकालने की मशीनरी है... जिसमे दिल के... अंतर मन के सारे संकल्प बहुत स्पष्ट दिखाई दे रहे है... कई प्रकार के श्रेष्ठ संकल्प और छोटे, बडे़ दाग भी स्पष्ट दिखाई दे रहे है... मैं देख रहा हूँ अपनी ही कमी कमजोरी के चित्र को... कभी तो मेरे दिल में कोई आत्मा आती दिखाई दे रही है तो कभी कोई... कभी कही किसी से लगाव झुकाव होने कारण दिल से बापदादा निकल जाते तो कही घृणा नफरत के कारण...

 

 _ ➳  कभी पांच तत्वो से निर्मित देह अपनी तरफ खिंचता तो कभी सूक्ष्म कर्मेन्द्रियाँ आकर्षित करती... कभी वो साधन अपनी तरफ खिंचते जिसको मैं अपनी साधना का आधार बना बैठा हूँ... इस तरह भिन्न भिन्न प्रकार के चित्र दिखाई दे रहे है मेरे दिल में... जो दिलाराम बापदादा को मुझसे दूर कर रहे है... अब मुझ फरिश्ते को ज्ञात हुआ है की मुझे बाप को अपने दिल में समाने के लिए इतनी मेहनत क्यों लग रही हैं... बापदादा का मुझसे बहुत प्यार होने के कारण उनको मेरी यह एक बात अच्छी नहीं लगी की मैं इतनी मेहनत कर रहा हूँ... बापदादा उन चित्रो के एकदम नजदीक जा रहे है... बिलकुल उनके सामने आकर हम खडे हो गए...

 

 _ ➳  बापदादा अपनी किरणों से और अपने वायब्रेशन्स के माध्यम से दिल के सारे छोटे-बड़े दाग को साफ करते जा रहे है... एक एक दाग को बापदादा ने मिटा कर दिल को एकदम साफ कर दिया... अब दिल साफ हो गया तो मैं फरिश्ता मेहनत मुक्त हो गया... एकदम हलकापन अनुभव हो रहा है... डेड साइलेन्स की अनुभूति हो रही है... एक बाप दूसरा न कोई दिल से यही गीत बज रहा है... अब दिल में इसी धुन का बसेरा है मैं बाबा का और बाबा मेरा... अब बिना मेहनत के मैं भी दिलाराम के दिल में और दिलाराम भी मेरे दिल में... अब माया चाहे कोई भी रूप लेकर आए... चाहे सूक्ष्म रूप होचाहे रायल रूप होचाहे मोटा रूप हो... पल भर के लिए भी दिलाराम को दिल से हटा नहीं सकती... स्वप्न मात्रसंकल्प मात्र भी माया आ नहीं सकती...

 

 _ ➳  मनसा में भी एकदम मेहनत मुक्त अवस्था हो चुकी है... अब मैं फरिश्ता बापदादा के कंधे से नीचे उतरकर बापदादा को धन्यवाद करता हुआ वापस लौटता हूँ अपने कर्मक्षेत्र अपने सेवा स्थान पर... मैं फरिश्ता शरीर में प्रवेश करने के बाद भी वही मेहनत मुक्त अवस्था का अनुभव कर रहा हूँ... इस अवस्था के कारण मुझे कोई भी कर्म करते हुए भी कर्म बंधन या कर्मेन्द्रियाँ अपनी तरफ आकर्षित नही कर पा रही... मुझे कर्मातीत अवस्था की अनुभूति हो रही है... इस कारण मुझे जीवनमुक्ति का अनुभव हो रहा है... इस जीवनमुक्त अवस्था में दिलाराम को अपने दिल में समाए हुए... मैं आत्मा सच्ची सच्ची होली मना रही हूँ...

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━