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❍ 01 / 10 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ कमाई के समय उबासी तो नहीं ली ?
➢➢ बाबा का राईट हैण्ड बन बहुतों का कल्याण किया ?
➢➢ चलन और चेहरे से पवित्रता के श्रृंगार की झलका दिखाई ?
➢➢ व्यर्थ को समाप्त किया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ कर्मातीत स्थिति को प्राप्त करने के लिए सदा साक्षी बन कार्य करो। साक्षी अर्थात् सदा न्यारी और प्यारी स्थिति में रह कर्म करने वाली अलौकिक आत्मा हूँ, अलौकिक अनुभूति करने वाली, अलौकिक जीवन, श्रेष्ठ जीवन वाली आत्मा हूँ-यह नशा रहे। कर्म करते यही अभ्यास बढ़ाते रहो तो कर्मातीत स्थिति को प्राप्त कर लेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं डबल लाइट हूँ"
〰✧ सदा अपने को डबल लाइट अनुभव करते हो? जो डबल लाइट रहता है वह सदा उड़ती कला का अनुभव करता है। क्योंकि जो हल्का होता है वह सदा ऊँचा उड़ता है, बोझ वाला नीचे जाता है। तो डबल लाइट आत्मायें अर्थात् सर्व बोझ से न्यारे बन गये।
〰✧ बाप का बनने से 63 जन्मों का बोझ समाप्त हो गया। सिर्फ अपने पुराने संकल्प वा व्यर्थ संकल्प का बोझ न हो। क्योंकि कोई भी बोझ होगा तो ऊँची स्थिति में उड़ने नहीं देगा। तो डबल लाइट अर्थात् आत्मिक स्वरूप में स्थित होने से हल्का-पन स्वत: हो जाता है। ऐसे डबल लाइट को ही 'फरिश्ता' कहा जाता है।
〰✧ फरिश्ता कभी किसी भी बन्धन में नहीं बँधता। तो कोई भी बँधन तो नहीं है! मन का भी बन्धन नहीं। जब बाप से सर्वशक्तियाँ मिल गई तो सर्व शक्तियों से निर्बन्धन बनना सहज है। फरिश्ता कभी भी इस पुरानी दुनिया के, पुरानी देह के आकर्षण में नहीं आता। क्योंकि है ही डबल लाइट। तो सदा ऊँची स्थिति में रहने वाले। उड़ती कला में जाने वाले 'फरिश्ते' हैं, यही स्मृति अपने लिए वरदान समझ, समर्थ बनते रहना।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ मास्टर सर्वशक्तिवान को कोई रोक नहीं सकता। जहाँ सर्व शक्तियाँ हैं वहाँ कौन रोकेगा! कोई भी शक्ति की कमी होती है तो समय पर धोखा मिल सकता है।
〰✧ मानो सहनशक्ति आप में हैं लेकिन निर्णय करने की शक्ति कमजोर है, तो जब ऐसी कोई परिस्थिति आयेगी जिसमें निर्णय करना हो, उस समय नुकसान हो जायेगा, होती एक ही घडी निर्णय करने की है - हाँ या ना, लेकिन उसका परिणाम कितना बडा होता है तो सब शक्तियाँ अपने पास चेक करो, ऐस नहीं ठीक है, चल रहे हैं, योग तो लगा रहे हैं।
〰✧ लेकिन योग से जो प्राप्तियाँ हैं - वह सब हैं? या थोडे में खुश हो गये कि बाप तो अपना हो गया। बाप तो अपना है लेकिन प्रापर्टी (वसा) भी अपनी है ना या सिर्फ बाप को पा लिया - ठीक है? वर्से के मालिक बनना है ना?
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ तो साक्षीपन का तख्त छोड़ो नहीं। जो अलग-अलग पुरुषार्थ करते हो उसमें थक जाते हो। आज मन्सा का किया, कल वाचा का किया, सम्बन्ध-सम्पर्क का किया तो थक जाते हो। एक ही पुरुषार्थ करो कि साक्षी और खुशनुम: तख्तनशीन रहना है। यह तख्त कभी नहीं छोड़ना है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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"ड्रिल :- मायावी कुसंग में नहीं जाना"
➳ _ ➳ मधुबन के तपस्या धाम में बैठी हुई मै आत्मा... मीठे बाबा को बड़े ही
प्यार से निहारती हुई सोचती हूँ... कि मीठे बाबा ने अगर मेरा हाथ न पकड़ा
होता... मै आत्मा स्वयं को और प्यारे बाबा को कभी भी न जान पाती... मीठे बाबा
ने मुझे देह की मिटटी से निकाल कर... यादो में उजला खुबसूरत बना दिया है...
विकारी दुनिया में जंग लगी मुझ आत्मा को... अपने प्यार और गुणो रुपी पानी में
सोने सा दमकाया है... पारस बाबा ने अपने साये में बिठाकर... मुझे भी आप समान
चमकीला बनाकर... मेरी दिव्यता और पवित्रता का सारे विश्व में डंका बजवाया है...
आज पूरा विश्व मुझे और मेरी पवित्रता को सम्मानित कर रहा है... ऐसे मीठे बाबा
का मै आत्मा कितना न शुक्रिया करूँ...
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी अमूल्य शिक्षाओ से हीरे जैसा
सजाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... जनमो तक दुखो के दलदल में फंसे
रहे... और विकारो में लिप्त रहकर अपनी खुबसूरत को खो बेठे... अब जो मीठे बाबा
का साथ और हाथ मिला है... तो यह सच्चा साथ, प्यार और पालना कभी छोड़ना... अपने
संग की सदा सम्भाल कर... ईश्वरीय प्यार और पालना में... सदा रूहानी गुलाब बन
महकना..."
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की छत्रछाया में फूलो जैसा मुस्कराते हुए कहती
हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी पालना में कितनी गुणवान और
शक्तिवान बनकर... देवताई श्रंगार से सज गयी हूँ... आपने सच्चे ज्ञान और प्यार
को देकर... मुझे देह की मिटटी से छुड़ाकर... सदा के लिए उजला खुबसूरत बना दिया
है... आपकी श्रीमत के हाथो में माया के काले साये से महफूज हूँ...
❉ प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा अपनी प्यार भरी गोद में लेकर माया से
बचाते हुए कहा:- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... मीठे बाबा ने जो ज्ञान का प्रकाश
देकर मा नॉलेजफुल बनाया है... उस ज्ञान प्रकाश में, मायावी आकर्षण को दूर से ही
परख कर सदा दूर रहो... अब जो ईश्वरीय साथ को पाया है... तो माया के साथ से
किनारा करो.. विकारी संग से सदा खबरदार रहो...
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की श्रीमत को अपने दिल की गहराइयो में समाकर
कहती हूँ:- "प्यारे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपसे पायी ज्ञान धन की, असीम
दौलत में मालामाल हो गयी हूँ... और तीसरे नेत्र को पाकर... विवेक शक्ति से,
बेहद की समझदार हो गयी हूँ... और आपकी यादो में देह के प्रभाव से मुक्त होकर...
अपनी आत्मिक रूप में चमक रही हूँ..."
❉ मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सतयुगी दुनिया के सुख ऐश्वर्य से मेरी
झोली सजाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे.... सदा प्यारे बाबा संग
यादो के झूले में झूलते रहो... और माया के हर झोंके से सुरक्षित रहकर... मीठे
बाबा के प्यार भरे आँचल में छुपे रहो... सदा ज्ञान और योग के पंख लिए... खुशियो
के अनन्त आसमाँ में... इतना ऊँचा उड़ते रहो कि माया का संग छु भी न सके...
➳ _ ➳ मै आत्मा मीठे बाबा की गोद में बैठकर माया के चंगुल से सुरक्षित
होकर कहती हूँ :- "मीठे सच्चे साथी बाबा,.. आपने मुझ आत्मा को अपने गले से
लगाकर... अपनी अमूल्य शिक्षाओ से सजाकर... मेरा जीवन खुशियो की फुलवारी बना दिया
है... मेरा दिव्य गुणो और पवित्रता से श्रंगार कर... मेरा कायाकल्प कर दिया
है... अब मै आत्मा माया के विकारी संग से सदा परे रह... इस सच्चे आनन्द में
मगन रहूंगी..." मीठे बाबा को अपनी दिली दास्ताँ सुनाकर... मै आत्मा अपने
कर्मक्षेत्र पर लौट आयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल :- बाबा का राइट हैंड बन कर बहुतों का कल्याण करना
है
➳ _ ➳ अपने प्यारे शिव पिता की मीठी याद में बैठी, उनके प्यार की बाहों
के झूले में झूलते हुए, उनके स्नेह की शीतल किरणो का मधुर आनन्द लेते हुए अपने
सर्वश्रेष्ठ सौभाग्य की मैं सराहना कर रही हूँ और मन ही मन वाह - वाह के गीत
गा रही हूँ, कि "वाह मेरा भाग्य" जो स्वयं भगवान अपने स्नेह के पुष्पों की वर्षा
मुझ पर कर रहें हैं। वो सर्वशक्तिवान ऑलमाइटी अथॉरिटी जिसके लिए गायन है कि उसकी
मर्जी के बिना एक पत्ता भी नही हिलता, वो सर्वशक्तिवान भगवान कैसे मेरे प्यार
में बंध कर अति साधारण बन कर, अपना सम्पूर्ण प्यार मुझ पर लुटाने के लिए मेरे
पास आ गया है। कितनी महान सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो अपनी श्रेष्ठ मत देकर
वो मेरे जीवन को सर्वश्रेष्ठ बना रहा है। अपने ऐसे भगवान बाप पर मुझे कितना ना
बलिहार जाना चाहिये!
➳ _ ➳ मन ही मन अपने आप से बातें करती, अपने प्यारे पिता के स्नेह का
रिटर्न देने के लिए, उनकी श्रीमत पर पूरा चल, उनका राइट हैंड बन, पूरा राइटियस
बनने की दृढ़ प्रतिज्ञा स्वयं से करके, अब मैं अपने प्यारे प्रभु की मीठी याद
में फिर से खो जाती हूँ और महसूस करती हूँ जैसे मेरे शिव पिता, मेरी इस
प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए, अपनी शक्तियों का बल देने, परमधाम से मेरे पास
आ गए हैं और अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों से मुझे धीरे - धीरे
स्पर्श कर, अपने स्नेह की शीतल किरणो की मीठी - मीठी हल्की - हल्की फुहारे मेरे
ऊपर बरसा रहें हैं। मेरे मीठे बाबा के स्नेह की शीतल फ़ुहारों की शीतलता,
कर्मेन्द्रियों की चंचलता को शांत कर, मुझे शीतल बना रही है। एक दम रिलेक्स,
शान्त अवस्था का मैं अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ शरीर का भान बिल्कुल समाप्त हो गया है और स्वयं को मैं एक नन्हे से
टिमटिमाते हुए सितारे के रूप में अपने सुप्रीम स्टार शिव पिता की किरणों रूपी
बाहों में महसूस कर रही हूँ जो अपनी बाहों में भरकर मुझे अपने साथ ले जा रहें
हैं। उनकी किरणों रूपी बाहों में समाई मैं प्वाइंट ऑफ लाइट, चमकती हुई चैतन्य
ज्योति भृकुटि के अकालतख्त को छोड़ अब उनकी किरणों रूपी बाहो के झूले में झूलती
उनके साथ ऊपर आकाश की ओर जा रही हूँ। अपने प्यारे पिता के साथ स्नेह मिलन मनाते,
उनके प्यार से स्वयं को तृप्त करते हुए, मैं कब आकाश को पार कर जाती हूँ, ये
एहसास ही नही होता। सूर्य, चाँद, और विशाल तारामण्डल को पार कर, सूक्ष्म वतन से
होती हुई, अपने प्यारे पिता के साथ अब मैं उनकी निराकारी दुनिया में प्रवेश करती
हूँ।
➳ _ ➳ उनकी सर्वशक्तियों की किरणो रूपी बाहों से उतर कर, अब मैं इस
निर्वाण धाम, शान्ति धाम घर मे चारों और फैले शक्तियों के शक्तिशाली
वायब्रेशन्स को अपने अंदर समाते हुए, अपने इस अंतहीन घर में विचरण कर रही हूँ।
अपने प्यारे पिता की सर्वशक्तियों की किरणो रूपी बाहों का मधुर स्पर्श मुझे इस
पूरे परमधाम घर में महसूस हो रहा है। उनके स्नेह की शीतल वर्षा हर जगह निरन्तर
मेरे ऊपर हो रही है और उनके लव में लीन होकर, उनकी स्नेह वर्षा से मिलने वाले
परम आनन्द की अनुभूति मुझे उनमे समा कर, उनके समान बन जाने के लिए उत्साहित कर
रही है। धीेरे - धीरे अब मैं उनकी तरफ बढ़ रही हूँ और उनके बिल्कुल पास जा कर
जैसे ही उन्हें स्पर्श करती हूँ, सर्वशक्तियों का एक तेज करेन्ट मुझ में
प्रवाहित होने लगता है और सर्वशक्तियों की तेज धारायें मुझ आत्मा में समाने लगती
हैं।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे बाबा अपनी सर्वशक्तियों की किरणों में मुझे समा
कर, अपनी सारी शक्तियाँ निरन्तर मुझ पर बरसाते हुए मुझे आप समान बना रहें है।
मैं अनुभव कर रही हूँ कि अपने शिव पिता की श्रेष्ठ मत पर चल, उनका राइट हैंड
बन, पूरा राइटियस बनने का बल बाबा ने पूरी तरह मेरे अंदर भर दिया है। परमात्म
शक्तियों से भरपूर होकर, स्वयं को मैं बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ और
अपने प्यारे पिता से की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए वापिस साकार लोक में
लौट रही हूँ।
➳ _ ➳ साकार तन में आकर, अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर अब मैं हर
कदम, अपने प्यारे पिता की श्रीमत को फॉलो कर रही हूँ। उनकी श्रीमत पर पूरा चल
कर, उनका राइट हैंड बन ईश्वरीय सेवायों को निमित बन सम्भाल रही हूँ। उनकी
शिक्षाओं को जीवन मे धारण कर, राइटियस बन , सबको यह सत्य ज्ञान देकर उन्हें भी
राइटियस बना रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं चलन और चेहरे से पवित्रता के श्रृंगार की झलक दिखाने वाली श्रृंगारी मूर्त आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ व्यर्थ संबंध-संपर्क भी अकाउंट को खाली कर देता है इसलिए मैं व्यर्थ को समाप्त करने वाली समर्थ आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. अमृतवेले से लेकर जब उठते हो तो परमात्म प्यार में लवलीन होके उठते हो। परमात्म प्यार उठाता है। दिनचर्या की आदि परमात्म प्यार होता है। प्यार नहीं होता तो उठ नहीं सकते। प्यार ही आपके समय की घण्टी है। प्यार की घण्टी आपको उठाती है। सारे दिन में परमात्म साथ हर कार्य कराता है। कितना बड़ा भाग्य है जो स्वयं बाप अपना परमधाम छोड़कर आपको शिक्षा देने के लिए आते हैं। ऐसे कभी सुना कि भगवान रोज अपने धाम को छोड़ पढ़ाने के लिए आते हैं! आत्मायें चाहे कितना भी दूर-दूर से आयें, परमधाम से दूर और कोई देश नहीं है।
➳ _ ➳ 2. परमधाम ऊंचे ते ऊंचा धाम है। ऊंचे ते ऊंचे धाम से ऊंचे ते ऊंचे भगवान, ऊंचे ते ऊंचे बच्चों को पढ़ाने आते हैं।
➳ _ ➳ 3. सतगुरू के रूप में हर कार्य के लिए श्रीमत भी देते और साथ भी देते हैं। सिर्फ मत नहीं देते हैं, साथ भी देते हैं।
➳ _ ➳ 4. अगर सुनते हो तो परमात्म टीचर से, अगर खाते भी हो तो बापदादा के साथ खाते हो। अकेले खाते हो तो आपकी गलती है। बाप तो कहते हैं मेरे साथ खाओ। आप बच्चों का भी वायदा है - साथ रहेंगे, साथ खायेंगे, साथ पियेंगे, साथ सोयेंगे और साथ चलेंगे..... सोना भी अकेले नहीं है। अकेले सोते हैं तो बुरे स्वप्न वा बुरे ख्यालात स्वप्न में भी आते हैं। लेकिन बाप का इतना प्यार है जो सदा कहते हैं मेरे साथ सोओ, अकेले नहीं सोओ। तो उठते हो तो भी साथ, सोते हो तो भी साथ, खाते हो तो भी साथ, चलते हो तो भी साथ।
➳ _ ➳ अगर दफ्तर में जाते हो, बिजनेस करते हो तो भी बिजनेस के आप ट्रस्टी हो लेकिन मालिक बाप है। दफ्तर में जाते हो तो आप जानते हो कि हमारा डायरेक्टर, बास बापदादा है, यह निमित्त मात्र है, उनके डायरेक्शन से काम करते हैं। कभी उदास हो जाते हो तो बाप फ्रेन्ड बनकर बहलाते हैं। फ्रेन्ड भी बन जाता है। कभी प्रेम में रोते हो, आंसू आते हैं तो बाप पोछने के लिए भी आते हैं और आपके आंसू दिल के डिब्बी में मोती समान समा देते हैं। अगर कभी-कभी नटखट होके रूठ भी जाते हो, रूसते भी हो बहुत मीठा-मीठा। लेकिन बाप रूठे हुए को भी मनाने आते हैं। बच्चे कोई बात नहीं, आगे बढ़ो। जो कुछ हुआ बीत गया, भूल जाओ, बीती सो बीती करो, ऐसे मनाते भी हैं। तो हर दिनचर्या किसके साथ है? बापदादा के साथ।
✺ ड्रिल :- "सारे दिन में बापदादा के साथ का अनुभव करना"
➳ _ ➳ परमात्मा जो मुझ आत्मा जैसा ही है... हम आत्माओं के परमपिता... जो प्यार का सागर है... शांति का सागर है... सुख का सागर है... गुणों का भंडार है... हमसे कितना प्यार करता है.... अनकंडीशनल प्यार... परमपिता जो सारे दिन हर सम्बन्धों में साथ रहते हैं... सदा साथ निभाते हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा कितनी भाग्यवान हूँ जो अमृतवेले परमात्म प्यार में लवलीन हो उठती हूँ... वो परमात्म प्यार की ही घंटी है जो मुझ आत्मा को जगा देता है... कल्प-कल्प की भाग्यवान आत्मा जिसकी दिनचर्या का आदी स्वयं परमात्मा के प्यार से शुरू होता है... वाह रे मैं... मैं आत्मा बापदादा का साथ सर्व सम्बन्धों में अनुभव करती हूँ... टीचर रूप में ऊंचे ते ऊंचे बाप... ऊंचे ते ऊंचे बच्चों को पढ़ाने दूर देश से आते हैं...
➳ _ ➳ जब मैं आत्मा कर्म क्षेत्र पर आती हूँ... तो सद्गुरु बाबा से मिली श्रीमत रूपी लगाम थाम लेती हूँ... ट्रस्टी बन जाती हूँ... कभी जो डगमग हो जाऊं तो वह झट साथ देने के लिए खड़ा रहता है... बाबा से जन्मों जन्म वायदा करते आयी हूँ... कि बाबा जब आयेंगे... साथ रहेंगे, साथ खायेंगे, साथ पियेंगे, साथ सोयेंगे और साथ चलेंगे...
➳ _ ➳ मीठे बाबा माँ के रूप में असीम प्यार देते हैं... निस्वार्थ प्रेम... जब चाहूँ शिव माँ की गोद में आ जाती हूँ... और सुकून पाती हूँ... मुझ आत्मा के पिता रूप में पालना देते रहते हैं... सुख, शान्ति, पवित्रता, शक्ति, ज्ञान का वर्षा देते हैं... पिता रूप में साथ पाकर किसी बात की फिकर नहीं, कोई डर नहीं...
➳ _ ➳ जो मैं आत्मा कभी उदास हो जाऊँ... जो कभी प्रेम में आँसू आ जाये... तो खुदा दोस्त बन बहलाते हो... साजन रूप में, साथी बन मेरे आँसू दिल की डिब्बी में मोती समान समा देते हो... रुठ जाऊँ तो तुम्हें बहुत मीठा लगता है और मनाने आ जाते हो... मेरे पास बैठ समझानी देते हो जो बीता भूल जाओ... बीती को बीती कर दो... आज को देखो... आने वाले सुनहरे भविष्य को देखो... मैं आत्मा मुस्कुरा देती हूँ... कितना अहोभाग्य मेरा जो परमात्मा स्वयं हर सम्बन्ध में सारे दिन साथ देता है... दैहिक सम्बन्ध तो विनाशी होता है... लेकिन बापदादा से सम्बन्ध तो अविनाशी है... वाह रे मैं आत्मा... वाह बाबा वाह... ओम् शान्ति।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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