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 23 / 04 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अशरीरी बनने का अभ्यास किया ?*

 

➢➢ *बुधी में अच्छे अच्छे खयालात लाये ?*

 

➢➢ *अल्पकाल के सहारे के किनारे को छोड़ एक बाप को सहारा बनाया ?*

 

➢➢ *माया को दूर से ही पहचान स्वयं को समर्थ बनाया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *योगबल अर्थात् साइलेन्स की शक्ति-कम मेहनत, कम खर्चे में बालानशीन कार्य करा सकती है। साइलेन्स की शक्ति-समय के खजाने में इकॉनामी करा देती हैं अर्थात् कम समय में ज्यादा सफलता पा सकते हो।* यथार्थ इकॉनामी है-एकनामी बनना। *एक का नाम सदा स्मृति में रहे। ऐसा एकनामी वाला इकॉनामी कर सकता है। जो एकनामी नहीं वह यथार्थ इकॉनामी नहीं कर सकता।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं स्वदर्शन चक्रधारी हूँ"*

 

✧  सदा अपने को स्वदर्शन चक्रधारी अनुभव करते हो? *स्वदर्शन चक्र अनेक प्रकार के माया के चक्करों को समाप्त करने वाला है। माया के अनेक चक्र हैं और बाप उन चक्रो से छुड़ाकर विजयी बना देता।* स्वदर्शन चक्र के आगे माया ठहर नहीं सकती - ऐसे अनुभवी हो?

 

  बापदादा रोज इसी टाइटिल से यादप्यार भी देते हैं। इसी स्मृति से सदा समर्थ रहो। *सदा स्व के दर्शन में रहो तो शक्तिशाली बन जायेंगे। कल्प-कल्प की श्रेष्ठ आत्मायें थे और हैं यह याद रहे तो मायाजीत बने पड़े हैं।*

 

  *सदा ज्ञान को स्मृति में रख, उसकी खुशी में रहो। खुशी अनेक प्रकार के दु:ख भुलाने वाली है। दुनिया दु:खधाम में है और आप सभी संगमयुगी बन गये। यह भी भाग्य है।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  सिर्फ राज्य करने के समय बाप गुप्त हो जाते हैं। तो साथ कैसे रहेंगे? समान बनने से। समानता कैसे लायेंगे? साकार बाप से समान बनने से। अभी बापदादा कहते हो ना। उनमें समानता कैसे आई? *समर्पणता से समानता सेकण्ड में आई। ऐसे समर्पण करने की शक्ती चाहिए।*

 

✧  *जब समर्पण कर दिया तो फिर अपना वा अन्य का अधिकार समाप्त हो जाता।* जैसे किसको कोई चीज दी जाती है तो फिर अपना अधिकार और अन्य का अधिकार समाप्त हो जाता है। अगर अन्य कोई अधिकार रखे भी तो उसको क्या कहेंगे? यह तो मैने समर्पण कर ली।

 

✧  ऐसे हर वस्तु सर्व समर्पण करने के बाद अपना वा दूसरों का अधिकार कैसे रह सकता है। *जब तक अपना वा अन्य का अधिकार रहता है तो इससे सिद्ध है कि सर्व समर्पण में कमी है।* इसलिए समानता नहीं आती। जो सोच - सोच कर समर्पण होते हैं उनकी रिजल्ट अब भी पुरुषार्थ में वही सोच अर्थात व्यर्थ संकल्प विघ्न रूप बनते हैं। अच्छा -

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *ब्रह्म-मुहूर्त का अर्थ क्या है? उस समय का वायुमण्डल ऐसा होता है जो आत्मा सहज ही ब्रह्म निवासी बनने का अनुभव कर सकती है।* दूसरे समय में पुरुषार्थ करके आवाज से, वायुमण्डल से अपने को डिटाच करते हो या मेहनत करते हो। लेकिन उस समय इस मेहनत की आवश्यकता नहीं होती। जैसे ब्रह्म घर शान्तिधाम है वैसे ही अमृतवेले के समय में भी आटोमेटिकली साइलेन्स रहती है। *साइलेन्स के कारण शान्त स्वरूप की स्टेज वा शान्तिधाम निवासी बनने की स्टेज को सहज ही धारण कर सकते हो।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- रोज अपना पोतामेल चेक करना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा अमृतवेले के रूहानी समय में घर की छत पर बैठ रूहानी समय का आनंद ले रही हूँ... पंछियों को दाना डालते हुए उनकी चहचाहट सुन रही हूँ... जो कानों में मधुरस घोल रही है... जैसे अपने दिल की बात मुझसे कह रहे हों... *मैं आत्मा भी पंछी बन आसमान में उड़ते हुए बादलों को पार करते हुए अपने प्यारे वतन में पहुँच जाती हूँ अपने प्यारे बाबा के पास... अपने दिल का हाल सुनाने...*

 

  *मेरे दिल की हर बात को जानने वाले जानी जाननहार प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... *मीठा बाबा भले ही हर बात को जानने वाला है पर बच्चों को ईमानदारी से हर बात का समाचार अवश्य देना है... बताने से ईश्वर पिता की मदद और सावधानी मिलेगी... वरना वह भूल अमिट हो जायेगी...* अभी यादो में खुद को निखारने के मौसम में खुबसूरत और साफ दिल बन जाओ...

 

_ ➳  *बाबा की हर सावधानी को अपने दिल दर्पण में समाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा अपने दिल की हर बात मीठे बाबा आपको सुनाकर हल्की और निश्चिन्त होती जा रही हूँ... आपकी यादो में मै आत्मा हर विकार से मुक्त होती जा रही हूँ...* हर विघ्न से परे होकर त्रिनेत्री बनती जा रही हूँ...

 

  *मेरे हर कदम में श्रीमत के फूल बिछाकर मेरे मीठे लाडले बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सच्ची दिल पर साहिब सदा राजी है... तो ऐसी सच्ची दिल से ईश्वर पिता के दिल को जीतने वाले, दिल तख्त धारी बन मुस्कराओ... *मीठे बाबा को दिल की हर बात बताओ और सलाह लेकर श्रीमत प्रमाण हर कदम को उठाओ... ऐसी दैवीय चलन वाली अदा दिखाओ...”*

 

_ ➳  *अपने मनमीत के कानों में अपने दिल की हर सरगम को सुनाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी श्रीमत पर हर कर्म को करती जा रही हूँ... *मीठे बाबा आपकी यादो में निर्मल होती जा रही हूँ... हर कर्म का पोतामेल आपको देकर सदा की निश्चिन्त होती जा रही हूँ... और सच्चा मनमीत बनाकर हर बात बताती जा रही हूँ...”*

 

  *मिटटी से निकाल मोती सा चमकाकर हीरे समान मेरे जीवन को बनाते हुए मेरे जौहरी बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... इस देह की दुनिया में और देह के प्रभाव में आकर अपने सत्य स्वरूप को सदा का भूल गए हो... मिटटी में खेलते खेलते विकारो से लथपथ हो गए हो... *अब अपने हर कर्म को मीठे बाबा को बताओ और देहभान की मिटटी से स्वयं को छुड़ाओ... श्रीमत पर हर कदम उठाकर अपने खुबसूरत वजूद को पाओ...”*

 

_ ➳  *खुशियों के फूलों से खिले हुए मन से बाबा का शुक्रिया करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी महकती यादो में... विकर्मो से परे होकर श्रेष्ठ कर्मो से जीवन को महान बनाती जा रही हूँ... *मीठे बाबा आपका हाथ पकड़कर मै आत्मा निश्चिन्त होकर जीवन पथ पर देवताई सुंदरता को पाती जा रही हूँ...”*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- दूसरी सब बातों को छोड़, बुद्धि को चारों तरफ से हटाकर सतोप्रधान बनने के लिए अशरीरी बनने का अभ्यास करना है*"

 

_ ➳  भगवान की पहचान मिलते ही ब्रह्मा बाबा ने जिस समर्पण भाव से अपना तन - मन - धन सब कुछ शिव बाबा के ऊपर बलिहार कर दिया और भगवान का मुरब्बी बच्चा बन, सभी ब्राह्मण बच्चों के लिए प्रेंरणा स्त्रोत बन गए, *ऐसे अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा को फॉलो करने और बुद्धि से सब कुछ अपने भगवान बाप के आगे सरेन्डर करने की स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा कर मैं अशरीरी स्थिति में स्थित होकर अपने अति प्यारे अति मीठे शिव बाबा की याद में मन बुद्धि को जैसे ही एकाग्र करती हूँ। मुझे बाबा की उपस्थिति का स्वत: ही अहसास होने लगता है*। बाबा की छत्रछाया को अपने ऊपर अनुभव करते हुए मैं महसूस करती हूँ जैसे एक महाज्योति जिसमे से अनन्त प्रकाश निकल रहा है, मेरे सिर के बिल्कुल ऊपर स्थित है।

 

_ ➳  उस महाज्योति से निकल रहे प्रकाश की रंग बिरंगी किरणे एक खूबसूरत रंग बिरंगे इन्द्रधनुषी झरने के समान प्रतीत हो रही हैं। *जिनसे निकल रही सर्व गुणों और सर्वशक्तियों की मीठी - मीठी फ़ुहारों को मैं अपने ऊपर गिरता हुआ स्पष्ट कर रही हूँ। औंस की बूंदों की तरह ये फुहारें मुझ आत्मा के ऊपर गिरते हुए मुझे एक अद्भुत शीतलता की अनुभूति करवा रही हैं*। एक रूहानी नशा मेरे अंदर भरता जा रहा है जो मुझ आत्मा के ऊपर चढ़े देह के आवरण को पारदर्शी बना रहा है।

 

_ ➳  ऐसा लग रहा है जैसे देह नाम की कोई वस्तु है ही नही केवल एक प्वाइंट ऑफ लाइट मुझे दिखाई दे रही है। अशरीरीपन का यह अनुभव बहुत ही अद्भुत और निराला है।

*हर बन्धन से मुक्त यह निर्बन्धन स्थिति मुझे बहुत ही सुखद अनुभव करवा रही है। एक गहन शन्ति मैं अपने आप मे महसूस कर रही हूँ*। एक ऐसी शान्ति जिसकी तलाश में मैं ना जाने आज तक कहाँ - कहाँ नही भटक रही थी। लेकिन आज मुझे यह एहसास हो गया है कि वो शान्ति जिसे मैं बाहर ढूंढ रही थी वो तो मेरे ही अंदर समाई हुई है।

 

_ ➳  आज इस अशरीरी स्थिति में अपने वास्तविक स्वरूप का अनुभव करके मैंने ये जान लिया कि मेरा निजी गुण ही शांति है। इसलिए जब चाहे अशरीरी बन, अपने स्वधर्म में स्थित होकर मैं गहन शांति की अनुभूति कर सकती हूँ। *इसी संकल्प के साथ अपने स्वधर्म में टिक कर, शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन्स चारों ओर फैलाती हुई मैं शांति के सागर अपने शिव पिता के पास अपने शांति धाम घर की ओर चल पड़ती हूँ*। झिल - मिल करती, जग - मग करती मैं चैतन्य शक्ति अपनी रूहानी यात्रा का आनन्द लेती, शीघ्र ही साकारी और आकारी दुनिया को पार कर अपनी निराकारी दुनिया मे प्रवेश करती हूँ और शांति के सागर अपने शिव पिता के पास पहुँच कर, *उनसे आ रही शांति की शीतल लहरों का स्पर्श पाकर शन्ति के गहरे अनुभवों में डूब जाती हूँ*।

 

_ ➳  शान्ति के सुखद अनुभवों का असीम आनन्द लेकर अब मैं आत्मा अपने प्यारे पिता के बिल्कुल समीप जा कर उन्हें टच करती हूँ और उनसे आ रही सर्वगुणों और सर्वशक्तियों की शक्तिशाली किरणों से स्वयं को भरपूर करने लगती हूँ। *सर्व शक्तियों को स्वयं में भर कर, सर्व शक्ति सम्पन्न स्वरूप बनकर और अपने प्यारे पिता के साथ अद्भुत मंगलमयी मिलन मनाकर अब मैं आत्मा लौट आती हूँ फिर से उसी साकारी दुनिया मे अपना पार्ट बजाने*। अपने साकारी तन में प्रवेश कर, भृकुटि के अकालतख्त पर आ कर मैं आत्मा विराजमान हो जाती हूँ।

 

_ ➳  अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते, बुद्धि से सब कुछ सरेन्डर कर, बीच बीच मे अशरीरी बन अपने प्यारे पिता की याद से विकर्मो को दग्ध करने का पुरुषार्थ भी मैं अब साथ - साथ कर रही हूँ। *कर्मयोगी बन कर्म करते और फिर कर्म के समाप्त होते ही, अशरीरी बन बाप को याद करने का अभ्यास मुझे शान्ति का अनुभव करवाकर, मेरी स्थिति को शक्तिशाली बनाता जा रहा है। अपनी शक्तिशाली स्व स्थिति के कारण अब हर परिस्थिति का सामना करना मुझे सहज अनुभव होने लगा है*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं अल्पकाल के सहारे के किनारे को छोड़ एक बाप को सहारा बनाने वाली यथार्थ पुरुषार्थी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं माया को दूर से ही पहचान कर स्वयं को समर्थ बनाने वाली नॉलेजफुल आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  दिव्य जन्म लेते ही बापदादा ने वरदान दिया - सर्वशक्तिवान भव! यह हर जन्म दिवस का वरदान है... इन शक्तियों को प्राप्त वरदान के रूप से कार्य में लगाओ... हर एक बच्चे को मिली हैं लेकिन कार्य में लगाने में नम्बरवार हो जाते हैं... हर शक्ति के वरदान को समय प्रमाण आर्डर कर सकते हो... *अगर वरदाता के वरदान के स्मृति स्वरूप बन समय अनुसार किसी भी शक्ति को आर्डर करेंगे तो हर शक्ति हाजिर होनी ही है...* वरदान की प्राप्ति के, मालिकपन के स्मृति स्वरूप में हो आप आर्डर करो और शक्ति समय पर कार्य में नहीं आये, हो नहीं सकता... लेकिन मालिक, मास्टर सर्वशक्तिवान के स्मृति की सीट पर सेट हो, बिना सीट पर सेट के कोई आर्डर नहीं माना जाता है...

 

 _ ➳  जब बच्चे कहते हैं कि बाबा हम आपको याद करते तो आप हाजिर हो जाते हो, हजूर हाजिर हो जाता है... *जब हजूर हाजिर हो सकता तो शक्ति क्यों नहीं हाजिर होगी*! सिर्फ विधि पूर्वक मालिकपन के अथारिटी से आर्डर करो... यह सर्व शक्तियाँ संगमयुग की विशेष परमात्म प्रापर्टी है... प्रापर्टी किसके लिए होती है? बच्चों के लिए प्रापर्टी होती है... तो अधिकार से स्मृति स्वरूप की सीट से आर्डर करो, मेहनत क्यों करो, आर्डर करो... *वर्ल्ड अथारिटी के डायरेक्ट बच्चे हो, यह स्मृति का नशा सदा इमर्ज रहे...*

 

✺   *ड्रिल :-  "सर्व शक्तियों को समय प्रमाण आर्डर करने का अनुभव"*

 

 _ ➳  जीवन मे घटित होने वाली अनेक प्रकार की घटनाओ और परिस्थितियों के रूप में माया के तूफान हर ब्राह्मण बच्चे के जीवन मे आते ही है... *किन्तु सर्वशक्तिवान बाबा का हाथ और साथ माया के इन तूफानो को भी तोहफा बना देता है यह विचार करते - करते मैं अपने सर्वशक्तिवान बाबा की याद में जैसे ही बैठती हूँ एक दृश्य मेरी आँखों के सामने आने लगता है...*

 

 _ ➳  इस दृश्य में मैं स्वयं को एक बहुत सुंदर टापू पर बैठ, प्रकृति के सुंदर नज़ारो का आनन्द लेते हुए देख रही हूँ... देखते ही देखते जैसे प्रकृति विकराल रूप धारण कर लेती हैं। स्वयं को मैं एक बहुत भयंकर तूफान में फंसा हुआ पाती हूँ... *इस भयंकर तूफान से निकलने में जब मैं स्वयं को असमर्थ पाती हूँ तो शांन्त हो कर बैठ जाती हूँ... जैसे ही शांन्त होकर बैठती हूँ मन बुद्धि सहज ही बाबा की याद में जुट जाते है...* शक्तियों का संचार मुझ आत्मा में होने लगता है और मैं अनुभव करती हूँ कि शक्तिस्वरूप बन अब मैं इस तूफान का सामना कर सकती हूँ... मेरे सर्वशक्तिसम्पन्न स्वरुप में स्थित होते ही मैं देखती हूँ जैसे वो तूफान धीरे - धीरे थमने लगा है और थोड़ी ही देर में प्रकृति फिर से अपने सुन्दर स्वरूप में स्थित हो गई है...

 

 _ ➳  अब मैं विचार करती हूँ कि जीवन मे प्रतिदिन घटित होने वाली घटनाये और परिस्थितियां भी तो मन मे ऐसे ही तूफान पैदा करती हैं... और मन मे यह विचार आते ही अब मेरे सामने वो घटनाये और परिस्थितियां अनेक दृश्यों के रूप में बार - बार आंखों के सामने आने लगती है... किंतु अब वो घटनाये मेरे मन मे तूफान पैदा नही कर रही बल्कि जैसे ही वो घटना घटित हो रही है *मैं मास्टर सर्वशक्तिवान के स्वमान की सीट पर सेट हो कर सर्वशक्तियों का आह्वान कर रही हूँ और हर शक्ति को ऑर्डर प्रमाण चला कर उस परिस्थिति को सहज ही पार कर रही हूँ... माया का कोई भी तूफान अब मुझे हलचल में नही ला रहा...*

 

 _ ➳  अपनी इस एकरस, अचल अडोल स्थिति को मैं देख मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ कि मुझे अपनी इस शक्तिसम्पन्न स्थिति में सदा स्थित रहने के लिए सर्वशक्तियों का आह्वान कर, उन्हें ऑर्डर प्रमाण चलाने का अभ्यास निरन्तर करना है... ताकि कोई भी शक्ति समय पर धोखा ना दे सके... *स्वयं को सर्वशक्तियों से भरपूर करने के लिए अब मैं अपने निराकारी स्वरूप में स्थित हो कर, अपने सर्वशक्तिवान बाबा के पास उनके धाम की ओर चल पड़ती हूँ...* साकारी लोक और सूक्ष्म वतन को जल्दी ही पार कर मैं पहुंच जाती हूँ आत्माओं की निराकारी दुनिया में अपने शिव पिता परमात्मा के पास...

 

_ ➳  निराकार, महाज्योति अपने शिव पिता के सामने अब मैं ज्योति बिंदु आत्मा स्वयं को देख रही हूँ... उनके सानिध्य में मैं आत्मा गहन आनन्द की अनुभूति कर रही हूँ... उनसे निकल रही शक्तियों की शीतल फुहारें मन को तृप्त कर रही हैं... *प्यारे मीठे बाबा को अपलक निहारते - निहारते मैं बाबा के बिल्कुल समीप पहुंच जाती हूँ और बाबा को टच करती हूँ... शक्तियों का झरना फुल फोर्स के साथ बाबा से निकल कर अब मुझ आत्मा में समाने लगा है...* एक- एक शक्ति को मैं अपने अंदर गहराई तक समाता हुआ अनुभव कर रही हूँ... स्वयं में मैं परमात्म शक्तियों की गहन अनुभूति कर रही हूँ...

 

_ ➳  स्वयं को सर्वशक्तियों से सम्पन्न करके अब मैं परमधाम से नीचे आती हूँ और सूक्ष्म लोक में प्रवेश करती हूँ... अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर अब मैं फ़रिशता बापदादा के पास पहुँचता हूँ... *अपनी सर्वशक्तियाँ बाबा मुझे विल करके अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख मुझे मालिकपन के स्मृति स्वरूप में सदा स्थित रहने का वरदान दे रहें हैं...* बाबा से वरदान ले कर अब मैं फिर से अपने निराकारी स्वरूप के स्थित हो कर सूक्ष्म लोक से नीचे आ जाती हूँ और साकारी दुनिया मे आ कर अपने साकारी शरीर मे प्रवेश करती हूँ...

 

 _ ➳  *स्वयं को सर्वशक्ति सम्पन्न अनुभव करते हुए अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, इन शक्तियों को प्राप्त वरदान के रूप से कार्य में लगा रही हूँ... मालिकपन के स्मृति स्वरूप हो कर सर्व शक्तियों को समय प्रमाण आर्डर करने का अनुभव अब मैं निरन्तर कर रही हूँ जो मुझे सहज ही मायाजीत बना रहा है...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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