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 21 / 10 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ किसी भी बात की फिकरात तो नहीं की ?

 

➢➢ भोजन बनाते समय व खाते समय बाप की याद में रहे ?

 

➢➢ निस्वार्थ व निर्विकल्प स्थिति से सेवा की ?

 

➢➢ साक्ष द्वारा बुधियों को परिवर्तित करने की सेवा की ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  जैसे साकार में देखा लास्ट कर्मातीत स्टेज का पार्ट सिर्फ ब्लैसिंग देने का रहा, बेलेन्स की भी विशेषता और ब्लैसिंग की भी कमाल रही। ऐसे फालो फादर। सहज और शक्तिशाली सेवा यही है। अब विशेष आत्माओं का पार्ट है ब्लैसिंग देने का। चाहे नयनों से दो, चाहे मस्तकमणी द्वारा।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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✺   "मैं स्वदर्शन चक्रधारी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा हूँ"

 

  सदा अपने स्वदर्शन-चक्रधारी श्रेष्ठ आत्मायें अनुभव करते हो? स्वदर्शन-चक्र अर्थात् सदा माया के अनेक चक्रों से छुड़ाने वाला। स्वदर्शन-चक्र सदा के लिए चक्रवर्ती राज्य भाग्य के अधिकारी बना देता है। यह स्वदर्शन-चक्र का ज्ञान इस संगमयुग पर ही प्राप्त होता है। ब्राह्मण आत्मायें हो, इसलिए स्वदर्शन-चक्रधारी हो।

 

  ब्राह्मणों को सदा चोटी पर दिखाते है। चोटी अर्थात् ऊंचा। ब्राह्मण अर्थात् सदा श्रेष्ठ कर्म करने वाले, ब्राह्मण अर्थात् सदा श्रेष्ठ धर्म (धारणा) में रहने वाले - ऐसे ब्राह्मण हो ना? नामधारी ब्राह्मण नहीं, काम करने वाले ब्राह्मण क्योंकि ब्राह्मणों का अभी अन्त में भी कितना नाम है! आप सच्चे ब्राह्मणों का ही यह यादगार अब तक चल रहा है। कोई भी श्रेष्ठ काम होगा तो ब्राह्मणों को ही बुलायेंगे।

 

  क्योंकि ब्राह्मण ही इतने श्रेष्ठ है। तो किस समय इतने श्रेष्ठ बने हो? अभी बने हो, इसलिए अभी तक भी श्रेष्ठ कार्य का यादगार चला आ रहा है। हर संकल्प, हर बोल, हर कर्म श्रेष्ठ करने वाले, ऐसे स्वदर्शन-चक्रधारी श्रेष्ठ ब्राह्मण है - सदा इसी स्मृति में रहो।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  एक सेकण्ड भी आवाज से परे हो स्वीट साइलेन्स की स्थिति में स्थित हो जाओ। तो कितना प्यारा लगता है? साइलेन्स प्यारी क्यों लगती है? क्योंकि आत्मा का स्वधर्म ही शान्त है, ओरिजनल देश भी शान्ति देश है। इसलिए आत्मा को स्वीट साइलेन्स बहुत प्यारी लगती है। एक सेकण्ड में भी आराम मिल जाता है।

 

✧  कितनी भी मन से, तन से थके हुए हो लेकिन अगर एक मिनट भी स्वीट साइलेन्स में चले जाओ तो तन और मन को आराम ऐसा अनुभव होगा जैसे बहुत समय आराम करके कोई उठता है तो कितना फ्रेश होता है। कभी भी कोई हलचल होती है, लडाई झगडा या हल्ला-गुल्ला कुछ भी होता है तो एक-दो को क्या कहते है?

 

✧  शान्त हो जाओ। क्योंकि शान्ति में आराम है तो आप भी सारे दिन में समय-प्रति-समय, जब भी समय मिले स्वीट साइलेन्स में चले जाओ। अनुभव में खो जाओ - बहुत अच्छा लगेगा। अशरीरी बनने का अभ्यास सहज हो जायेगा। क्योंकि अंत में अशरीरी-पन का अभ्यास ही काम में आयेगा। सेकण्ड में अशरीरी हो जायें।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ हर एक को चेक करना है कि हम सारे दिन में कितना जमा करते हैं या गवाते हैं? चेक करते हो? चेक ज़रूर करना है, क्यों? एक जन्म के लिए नहीं है लेकिन हर जन्म के लिए है। अनेक जन्म के लिए जमा चाहिए। जमा करने की विधि जानते हो? बहुत सहज है। सिर्फ बिन्दी लगाते जाओ। अगर हर खज़ाने को बिन्दी रूप से याद करो तो जमा होता जाता, बिन्दी लगाई और व्यर्थ से जमा होता जाता है। तो जमा करने का खाता उसकी विधि है बिन्दी और गवाने का रास्ता है लम्बी लाइन लगाना, क्वेश्वनमार्क लगाना, आश्चर्य की मात्रा लगाना।

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺  "ड्रिल :-  याद में रहकर हर कर्म करना"

➳ _ ➳  मीठे बाबा से देवताई लक्ष्य को पाकर, मै आत्मा... जीवन को मूल्यों से सजाने, गुणो और शक्तियो से भरने के लिए... मीठे बाबा की कुटिया में पहुंचती हूँ... प्यारे बाबा अपने वरदानों की बारिश में मुझे भिगो देते है... मै आत्मा इस मीठे चिंतन में डूब जाती हूँ कि... बिना बाबा के यह जीवन कितना सूना और खाली था... आज प्यारे बाबा ने ज्ञान और याद की झनकार से जीवन को खुशियो से तरंगित कर दिया है... मै आत्मा हर साँस,हर कर्म में प्यारे बाबा को याद करती हुई, अपने मीठे भाग्य पर हर्षित होकर, मीठे नगमे गुनगुनाती हुई... हर कर्म में मीठे बाबा को साथी बनाकर...  कर्म के हर प्रभाव से मुक्त हो गयी हूँ...

❉  मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सच्चे प्यार की तरंगो में डुबोते हुए कहा :- " मीठे प्यारे फूल बच्चे... मीठे बाबा की प्यारी यादो में रहकर हर कर्म को करो... यादो में हर पल डूबकर, कर्म को करेंगे तो स्वतः ही विकर्मो से बचे रहेंगे... इसलिए हर साँस और संकल्प से यादो के तारो को जोड़कर, कर्मयोगी बनकर मुस्कराओ... यह यादे ही दुखो से मुक्त कराकर, खुशियो भरे स्वर्ग में पहुंचाएंगी..."

➳ _ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा से सच्चा प्यार पाकर,खुशियो में झूमते हुए कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा आपके बिना देह की मिटटी में लथपथ हो गयी थी... और दुखो से घिर गयी थी... आज आपका हाथ और साथ पाकर पुण्यो से मेरा दामन भर गया है... सदा ईश्वरीय यादो में खोयी हुई मै आत्मा... कर्म योगी बनकर मुस्करा रही हूँ...

❉  प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी अथाह सम्पत्ति का मालिक बनाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वर पिता ने जो यादो का और ज्ञान का खजाना बाँहों में भरा है... उनकी मीठी यादो में गहरे डूबकर, सदा ईश्वरीय प्यार को और शक्तियो को महसूस करो... और विकर्मो की कालिमा से परे रहो... यह यादे ही सच्चा सहारा बनकर, इस विकारी दुनिया से बेदाग बनाकर, सच्ची खुशियो ले जाएँगी...."

➳ _ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा की बाँहों में झूलते हुए कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा अपने मीठे भाग्य पर कुर्बान हूँ... जिसने मुझे यूँ भगवान से मिलवाकर... मेरा दामन अनन्त सुखो से खिलाया है... विकारी जीवन की कालिख से छुड़वाकर... मेरे मन बुद्धि को सोने सा दमकाया है, और पावनता से मुझे महकाया है..."

❉  मीठे बाबा ने मुझे गुणो और शक्तियो की अमीरी का बादशाह बनाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... सदा यादो की खुशबु में डूबे हुए, विकर्मो की बदबू से उपराम रहो... हर कर्म को यादो के तारो में पिरोकर करो... तो ईश्वरीय याद मायावी प्रभाव से सहज ही सुरक्षित करेगी... मीठे बाबा की यादे ही सच्चा सुरक्षा कवच बनकर, देह की धूल से बचाएगी... सच्चे प्रेम,शांति, और सुख भरी दुनिया का मालिक बनाएगी...'

➳ _ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा के प्यार में खुशियो ले आसमाँ में उड़ते हुए कहती हूँ :- "मीठे प्यारे दुलारे बाबा... आपने जीवन में आकर, जीवन को खुशियो के शिखर पर पहुंचाया है... जीवन को सच्चाई की खनक से भरकर, मुझे विश्व में सबसे ऊँचा उठाया है... सच्चे प्यार को देकर मेरी जनमो की प्यास को बुझाया है... मै आत्मा रोम रोम से आपकी यादो में खोयी हुई हूँ..."मीठे बाबा को अपने दिल की दास्ताँ सुनाकर मै आत्मा अपनी देह में लौट आयी..."

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- भोजन बनाते वा खाते समय बाप की याद में जरूर रहना है"

➳ _ ➳  शास्त्रों में ब्रह्मा भोजन की कितनी महिमा की गई है! कितना सच कहा गया है कि देवता भी इस ब्रह्मा भोजन को तरसते थे! भले सतयुग में देवताओं का राज्य होगा,अपरम अपार सुख होंगे, शांति और सम्पन्नता होगी। भोजन भी 56 प्रकार का होगा किन्तु अपने हाथ से और साथ बैठ कर खाने वाला भगवान कहाँ होगा! जिस परमात्म पालना में पलते हुए, अपने पिता परमात्मा के  साथ बड़े प्यार के साथ भोजन स्वीकार करने का जो आनन्द मैं अब ले रही हूँ वो आनन्द पूरे कल्प में फिर कहाँ मिलेगा! बड़े प्यार के साथ बाबा का आह्वान कर, भोजन बनाना और फिर बाबा के साथ बैठ कर भोजन खाने का आनन्द लेना! कितना सुख समाया है इसमें जिसका वर्णन भी नही हो सकता।

➳ _ ➳  मन ही मन अपने आप से बातें करती मैं रसोईघर, अपने प्यारे बाबा के भण्डारे की ओर चल पड़ती हूँ। अपने परम पवित्र श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट होकर मैं बाबा के इस भण्डार गृह में प्रवेश करती हूँ, उसकी सफाई करती हूँ और बड़े प्यार से बाबा का आह्वान करती हूँ। मेरा आह्वान सुनते ही मैं महसूस करती हूँ जैसे बाबा अपना घर परमधाम छोड़ कर नीचे उतर आयें है और इस भण्डारगृह में आकर मेरे सिर के ठीक ऊपर स्थित हो गए हैं। उनकी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी छत्रछाया के नीचे मैं स्वयं को अनुभव कर रही हूँ। उनकी याद में मग्न, उनकी सर्वशक्तियों को स्वयं में भरते हुए मैं बड़ी शुद्धि से भोजन बना रही हूँ और महसूस कर रही हूँ कि परमात्म शक्तियों से यह भोजन कितना शुद्ध और पवित्र बन रहा है।

➳ _ ➳  अपने प्यारे बाबा की याद में, उच्च स्वमान के साथ बड़ी शुद्धि से भोजन बनाकर अब मैं बड़े प्यार के साथ भोग की थाली तैयार करती हूँ। आसन बिछा कर, भोग की थाली को सामने रख मैं अशरीरी स्थिति में स्थित होकर अपने लाइट के फ़रिश्ता स्वरूप को धारण करती हूँ और बड़े प्यार से अपने हाथों में भोग की थाली उठाकर, अपने प्यारे बापदादा को भोग स्वीकार कराने उनके अव्यक्त वतन की ओर चल पड़ती हूँ। सेकण्ड में सूर्य, चांद, तारागणों के विशाल समूह को पार कर मैं भोग की थाली के साथ पहुँच जाती हूँ सफेद प्रकाश की, फरिश्तो से सजी दुनिया में। अपने सामने अव्यक्त बापदादा को देखते हुए मैं उनके पास पहुँचती हूँ और भोग की थाली उनके आगे रख उन्हें भोग स्वीकार कराती हूँ।

➳ _ ➳  बापदादा बड़े प्यार से मुस्कराते हुए कभी मुझे और कभी भोग की उस थाली को देख रहें हैं। बाबा की याद में बने उस भोग में मेरी भावना को देख बापदादा हर्षित होते हुए अपनी दृष्टि उस भोग के ऊपर डाल उसमें अपनी सारी शक्तियाँ प्रवाहित कर रहें हैं। बापदादा की दृष्टि से आ रही सर्वशक्तियाँ मुझ फ़रिश्ते पर भी पड़ रही है और मुझ से होती हुई उस भोग में समा रही है। पवित्रता की सारी शक्ति भोजन में समाती जा रही है। भोजन के एक - एक कण में अथाह शक्तियाँ भर गई हैं। बड़े प्यार से अपने हाथ से मैं बाबा को भोग खिला रही हूँ। बाबा एकटक मुझे निहार रहें हैं और मेरे हाथ से भोग स्वीकार कर अब अपने हाथ से मेरे मुख में छोटी सी गिटी डाल रहें हैं। बाबा को भोग स्वीकार कराकर अब मैं वापिस आती हूँ।

➳ _ ➳  साकार लोक में अपने साकारी तन में अब मैं विराजमान हो जाती हूँ। अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, अलग - अलग सम्बन्धों के रूप में बाबा को अनुभव करते हुए बाबा के साथ बैठ कर अब मैं उस भोग को खाती हूँ। कभी मैं अनुभव करती हूँ बाबा मेरे सामने मेरा छोटा सा नन्हा सा बच्चा बन कर बैठें हैं और मैं बड़े प्यार से, उन पर बलिहार जाते हुए अपने हाथ से छोटी - छोटी गिटी तोड़ कर उन्हें खिला रही हूँ। एक गिटी मैं उन्हें खिलाती हूँ और फिर एक गिटी अपने नन्हे हाथों से वो मुझे खिलाते हैं। कभी मैं उन्हें अपने खुदा दोस्त के रूप में देखती हूँ। मेरा सबसे अच्छा दोस्त जो मेरे लिए सब कुछ करने को तैयार हैं उसके ऐसे निस्वार्थ प्यार को देख खुशी में गदगद होकर मैं उसके साथ बैठकर भोजन खा रही हूँ।

➳ _ ➳  कभी अपने अविनाशी साजन के रूप में, अपने जीवन के हर सुख - दुख में साथ निभाने वाला सच्चा साथी अनुभव करते हुए उनके साथ बड़े प्यार से भोजन खा रही हूँ। इस प्रकार हर दिन बड़े प्यार से बहुत शुद्धि से भोजन बनाकर, सर्व सम्बन्धो से बाबा को याद कर उनके साथ बैठकर खाने का भरपूर आनन्द लेते हुए, अपने ब्राह्मण जीवन मे मैं हर पल परमात्म प्यार और परमात्म पालना का अनुभव कर रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं निःस्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति से सेवा करने वाली सफलतामूर्त आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं अब सकाश द्वारा बुद्धियों को परिवर्तन करने की सेवा प्रारम्भ करने वाली सेवाधारी आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  खुशी में नाचते भी रहना और दिलखुश मिठाई बांटते भी रहना। साथ में जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उसको कोई ना कोई गिफ्ट देनाकोई हाथ खाली नहीं जाये कौन-सी गिफ्ट देंगेआपके पास गिफ्ट तो बहुत है। गिफ्ट का स्टाक हैतो देने में कन्जूस नहीं बननादेते जाना। फ्राकदिल बननाकिसी को शक्ति का सहयोग दो, शक्ति का वायब्रेशन दोकिसको कोई गुण की गिफ्ट दो। मुख से नहीं लेकिन अपने चेहरे और चलन से दो। यदि कोई गुण वा शक्ति इमर्ज नहीं भी होतो कम-से-कम छोटी सी सौगात भी देनावह कौन सी? शुभ भावना और शुभ कामना की। शुभ कामना करो कि यह मेरा सिकीलधा भाई या बहनसिकीलधा सोचेंगे तो अशुभ भावना से शुभभावना बन जायेगी। इस भाई -बहन का भी उड़ती कला का पार्ट हो जाएइसके लिए सहयोग वा शुभ भावना है।

 

 _ ➳  कई बच्चे कहते हैं कि हम देते हैं वह लेते नहीं हैं। अच्छा शुभ भावना नहीं लेते हैंकुछ तो देते हैं ना। चाहे अशुभ बोल आपको देते हैंअशुभ वायब्रेशन देते हैं, अशुभ चलन चलते हैं तो आप हो कौन? आपका आक्यूपेशन क्या हैविश्व-परिवर्तक होआपका धंधा क्या हैविश्व परिवर्तक हैं ना! तो विश्व को परिवर्तन कर सकते हो और उसने अगर आपको उल्टा बोल दियाउल्टा चलन दिखाई तो उसका परिवर्तन नहीं कर सकते हो?

 

 _ ➳  पाजिटिव रूप में परिवर्तन नहीं कर सकते होनिगेटिव को निगेटिव ही धारण करेंगे कि निगेटिव को पाजिटिव में परिवर्तन कर आप हर एक को शुभ भावनाशुभ कामना की गिफ्ट देंगे। शुभ भावना का स्टाक सदा जमा रखो। आप दे दो। परिवर्तन कर लो। तो आपका टाइटिल जो विश्व परिवर्तक है वह प्रैक्टिकल में यूज होता जायेगा। और यह पक्का समझ लो कि जो सदा हर एक को परिवर्तन कर अपना विश्व-परिवर्तक का कार्य साकार में लाता है वही साकार रूप में 21 जन्म की गैरन्टी से राज्य अधिकारी बनेगा। तख्त पर भले एक बारी बैठेगा लेकिन हर जन्म में राज्य परिवार मेंराज्य अधिकारी आत्माओं के समीप सम्बन्ध में होगा। तो विश्व परिवर्तक ही विश्व राज्य अधिकारी बनता है। इसलिए सदा यह अपना आक्यूपेशन याद रखो - मेरा कर्तव्य ही है परिवर्तन करना। दाता के बच्चे हो तो दाता बन देते चलो, तब ही भविष्य में हाथ से किसको देंगे नहीं लेकिन सदा आपके राज्य में हर आत्मा भरपूर रहेगीयह इस समय के दाता बनने का प्रालब्ध है। इसलिए हिसाब नहीं करनाइसने यह कियाइसने इतना बार कियामास्टर दाता बन गिफ्ट देते जाओ।

 

✺   ड्रिल :-  "मास्टर दाता बन सदा खुशी में नाचते रहना और दिलखुश मिठाई बांटते रहना"

 

 _ ➳  मैं आत्मा देह से निकल अपने आप को फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित करती हूं,बेहद सुंदर प्रकाशीय स्वरूप और पहुँचता हूं मैं फ़रिश्ता अपने घर सूक्ष्म वतन में... जहां हर तरफ सफेद चमकीला प्रकाश फैला हुआ है... देखता हूं मैं फ़रिश्ता स्वयं को बापदादा की बाहो में और साथ में हैं एडवांस पार्टी वाले वरिष्ठ भाई बहनें वो भी फ़रिश्ता स्वरूप में... सूक्ष्म वतन में सब फरिश्ते लाइट के ताज से सुसज्जित अपने अपने स्थान पर बैठे हैं... सब प्रसन्न हैं मुझे फ़रिश्ता रूप में परिवर्तित देख कर...

 

 _ ➳  फिर बापदादा मुझे तिलक देते हैं और आशीर्वाद देते हैं विश्व परिवर्तक भव... मास्टर दाता भव... और टोली खिलाते हैं... और पहनाते हैं लाइट का गोल क्राउन... इस ताज को पहनते ही मुझ फ़रिश्ते की रोशनी और बढ़ जाती है... इसके बाद एक एक कर सभी भाई बहने मुझे मिठाई खिलाकर शुभ भावना की गिफ्ट दे रहें हैं... तभी उस सीट पर बैठे बैठे एक दृश्य इमर्ज होता है मुझ फरिश्ते को अपने कर्तव्यों का कि मुझे साकार दुनिया में जाकर क्या करना है...

 

 _ ➳  सम्पूर्णता के सुखद अहसासों से भर कर मैं फ़रिश्ता आता हूं वापिस इस साकारी लोक में अपनी आत्मिक स्थिति में... बाबा के दिये वरदान गूँज रहे हैं... बाबा ने विश्व परिवर्तक आत्मा भव, मास्टर दाता भव के वरदानों से मुझ आत्मा को सजाया है... मैं अधिकारी आत्मा हूं इस नशे में मैं आत्मा झूम रही हूं नाच रही हूं... मुझ आत्मा को बाबा ने निमित्त बनाया है... वाह बाबा वाह के गीत गाते हुए मैं आत्मा उमंग उत्साह भरी अपनी सेवा के कार्य को शुरू करती हूं...

 

 _ ➳  बाबा की याद में खोई हुई वरदानों की बारिश में भीगती अब मैं आत्मा सभी आत्माओं को मास्टर दाता बन शुभ भावना शुभ कामना की गिफ़्ट दे रही हूं... मैं विश्व परिवर्तक आत्मा हूं... नेगेटिव को पाजिटिव में बदल अब मैं अपने सिकीलधे भाई बहनों को गुण और शक्तियों का दान दे रही हूं... कोई के अशुभ बोल भी अब मैं शुभ में परिवर्तित कर रही हूं... सब अपने आपको उड़ता हुआ अनुभव कर रहे हैं... इनको प्राप्त कर सभी बहुत खुश दिख रहे हैं... सभी को बाबा प्रत्यक्ष हो रहे हैं... इसी खुशी में सभी नाचते हुए बाबा को धन्यवाद देते हुए गा रहे हैं... बरस रही है बाबा हम पर आप की मेहरबानियां...

 

 _ ➳  मैं आत्मा सबको दिलखुश मिठाई खिलाकर बहुत खुश हूं... और इसी खुशी में नाच रही हूँ... कितना आत्म विभोर करने वाले पल हैं ये... आनंद में सराबोर मैं आत्मा अपने प्यारे बाबा की यादों में खो जाती हूँ... बाबा... बाबा... बाबा...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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