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❍ 09 / 11 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ "स्वयं भगवान हमें पढाते हैं" - यह नशा रहा ?
➢➢ कभी भी मगरूर बन मुरली मिस तो नहीं की ?
➢➢ हर कदम में वरदाता से वरदान प्राप्त कर मेहनत से मुक्त रहे ?
➢➢ समय की रफ़्तार के प्रमाण पुरुषार्थ की रफ़्तार को तीव्र किया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ लगाव की रस्सियों को चेक करो। बुद्धि कहीं कच्चे धागों में भी अटकी हुई तो नहीं है? कोई सूक्ष्म बंधन भी न हो, अपनी देह से भी लगाव न हो - ऐसे स्वतन्त्र अर्थात् स्पष्ट बनने के लिए बेहद के वैरागी बनो तब अव्यक्त स्थिति में स्थित रह सकोगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं बाप का हाथ सदा अपने मस्तक पर अनुभव करने वाली भाग्यवान आत्मा हूँ"
〰✧ बाप का हाथ सदा मस्तक पर है ही - ऐसा अनुभव करते हो? श्रेष्ठ मत श्रेष्ठ हाथ है।
〰✧ तो जहाँ हर कदम में बाप का हाथ अर्थात् श्रेष्ठ मत है, वहाँ श्रेष्ठ मत से श्रेष्ठ कार्य स्वत: ही होता है। सदा हाथ की स्मृति से समर्थ बन आगे बढ़ते चलो।
〰✧ बाप का हाथ सदा ही आगे बढ़ाने का अनुभव सहज कराता है। इसलिए, इस श्रेष्ठ भाग्य को हर कार्य में स्मृति में रख आगे बढ़ते रहो। सदा हाथ है, सदा जीत है।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ अच्छा! सभी एक-दो के साथी हैं। विन करना सहज है। क्यों सहज है? (बाबा साथ है) और अनेक बार विजयी बने हैं तो रिपीट करने में क्या मुश्किल है। कोई नई बात करनी होती है तो मुश्किल लगता है और किया हुआ काम फिर से करो तो मुश्किल लगता है क्या?
〰✧ तो कितनी बार विजयी बने हो? कितना सहज है! किये हुए कार्य में कभी क्वेचन नहीं उठेगा - कैसे होगा, क्या होगा, ठीक होगा, नहीं होगा? किया हुआ है तो इजी हो गया ना। कितना इजी? बहुत इजी है! अभी इजी लग रहा है। वहाँ जा के मुश्किल हो जायेगा? सदा इजी।
〰✧ जब मुश्किल लगे तो याद करो - कितने बारी किया है तो मुश्किल के बजाये इजी हो जायेगा। सभी बहादुर हैं। क्या याद रखेंगे? बिन्दु बनना भी बिन्दु है, लगाना भी बिन्दु है। फुलस्टॉप लगाना अर्थात बिन्दु लगाना। तो इसको भूलना नहीं। अच्छा (पार्टियों के साथ)
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ सभी एवररेडी बन कर बैठे हुए हो? कोई भी देह के हिसाब-किताब से भी हल्का। वतन में शुरू शुरू में पंछियों का खेल दिखलाते थे, पंछियों को उड़ाते थे। वैसे यह आत्मा भी पंछी है जब चाहे तब उड़ सकती है। वह तब हो सकता है जब अभ्यास हो। जब खुद उड़ता पंछी बनें तब औरों को भी एक सेकेण्ड में उड़ा सकते हैं। अभी तो समय लगता है। अपरोक्ष रीति से वतन का अनुभव बताया। अपरोक्ष रूप से कितना समय वतन में साथ रहते हो?
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- बाप, टीचर और सतगुरु तीनों को याद करना"
➳ _ ➳ मैं नन्हा फ़रिश्ता मधुबन के बगीचे में बाबा के साथ लुका-छिपी का खेल
खेलता हुआ आनंद ले रहा हूँ... कभी मैं छिप जाता, बाबा मुझे ढूंढते... कभी बाबा
छिप जाते , मैं उन्हें ढूंढता... बाबा को ढूंढते-ढूंढते एक मधुर मुरली की गूंज
सुनाई देती है... मैं नन्हा फ़रिश्ता उस धुन के पीछे-पीछे चल पड़ता हूँ और पहुँच
जाता हूँ हिस्ट्री हाल... जहाँ बाबा शिक्षक बन मुरली बजा रहे हैं... फिर सतगुरु
बन मनमनाभव का मन्त्र देकर अपनी यादों में समा लेते हैं... तीनों रूपों में बाबा
को देख मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ... और बाबा से ज्ञान वर्षा की सौगात लेता हूँ...
❉ मेरे जीवन को खुशनुमा, खुशबूदार बनाकर मुझे खुशनसीब बनाते हुए प्यारे बाबा
कहते हैं:- “मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर की खोज में दर दर कितना भटके हो...
जितना भटके हो उतना ही उलझे हो... अब सच्चा पिता सच्चा टीचर सच्चा सतगुरु सहज
ही सम्मुख है... तो अब व्यर्थ समय सांसो को न गंवाकर सच्ची यादो में खो जाओ...
हर पल सच्ची कमाई में जुट जाओ...”
➳ _ ➳ बाप, टीचर, सतगुरु के रूप में भगवान को पाकर खुशियों में झूमते हुए मैं
आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अब भटकन से दूर होकर
सत्य भरी बाँहों में आनन्द के झूले में हूँ... देहधारियों से मुक्त होकर सच्चे
सतगुरु को पा ली हूँ... प्यारा बाबा मुझे मिल गया है जीवन आनन्द से खिल उठा
है... पाना था वो पा लिया है...”
❉ अविनाशी प्रेम से सिक्त कर अविनाशी सुखों की महारानी बनाते हुए मीठे प्यारे
बाबा कहते हैं:- “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... एक पिता में सब कुछ प्राप्त कर
रहे हो... बच्चों को हर भटकन से मुक्त कराकर सच्चा पिता जीवन में आ गया है...
फूलो सी गोद में बिठाकर, ज्ञान रत्नों से सजाकर, सतयुगी सुखो में खिलायेगा,...
ऐसे मीठे पिता को सांसो में बसा लो... सच्ची कमाई से दामन सदा का सजा लो...”
➳ _ ➳ परमात्म प्रेम के स्वर्णिम झूले में झूलती हुई प्रेम रस का पान करते हुए
मैं आत्मा कहती हूँ:- “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा प्यारे से भाग्य से
भरी हूँ... देहधारियों के पीछे लटककर सांसे खपाने वाली... आज ईश्वर पिता को
पाने वाली महान आत्मा बन गई हूँ... स्वयं भगवान मेरी पालना कर रहा है... कितना
प्यारा और शानदार मेरा यह भाग्य हो गया है...”
❉ अपने स्नेहमयी आगोश में समाकर अपना दीवाना बनाते हुए मेरी बगिया को सुन्दर
सजाने वाले प्यारे बाबा कहते हैं:- “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... कितना
सहज,कितना सरल, कितने साधारण रूप में भगवान मिला है... बच्चे अब एक तिनका भी
तकलीफ न उठाये... यह भाव लिए सच्चा पिता जीवन में आ गया है... सच्चे प्यार की
महक लिए, ज्ञान रत्नों की खान लिए, सुखो भरे आलिशान महल लिए विश्व पिता धरा पर
उतर गया है... इस मीठे नशे से भर जाओ और सच्ची यादो में झूम जाओ...”
➳ _ ➳ बाबा के असीम प्यार और अमूल्य शिक्षाओं से अविनाशी भाग्य बनाते हुए मैं
आत्मा कहती हूँ:- “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सच्चे पिता, सच्चे शिक्षक,
सच्चे सतगुरु को पाकर अपने मीठे भाग्य की मुरीद हूँ... कन्दराओं में,गुफाओ में,
मनुष्यो में जिसे खोज रही थी... वह मीठा बाबा आज मेरे दिल में धड़कन बन समाया
है... और मै आत्मा सच्ची कमाई से मालामाल हो गई हूँ...”
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- कभी भी मगरूर बन मुरली मिस नहीं करनी है"
➳ _ ➳ अपने शिव प्रीतम की प्रेम भरी पाति को जो मुझे हर रोज मुरली के माध्यम से
प्राप्त होती है। जिसमे लिखे एक - एक शब्द में मेरे शिव प्रीतम का मेरे प्रति
अथाह प्रेम समाया होता है, उस प्रेम भरी पाति को पढ़ कर मैं आत्मा सजनी अपने शिव
प्रीतम के प्रेम की गहराई में डूबती जा रही हूँ। मुरली के एक - एक शब्द में
अपने प्यारे मीठे बाबा की मीठी याद को मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। बाबा की
मीठी याद प्रेम की मीठी मीठी फुहारों के रूप में मुझे अपने ऊपर बरसती हुई महसूस
हो रही है जो मुझे एक बहुत ही न्यारी और प्यारी अवस्था की अनुभूति करवा रही है।
यह न्यारी और प्यारी अवस्था मुझे देह और देह की दुनिया के हर लगाव से मुक्त कर
रही है।
➳ _ ➳ देह और देह की दुनिया के आकर्षण से मुक्त, अशरीरी स्थिति में मैं स्थित
होती जा रही हूँ। इस स्थिति में स्थित होते ही मेरे शिव पिता परमात्मा का प्रेम
चुम्बक की तरह मुझे अपनी ओर खींच रहा है। अपने शिव प्रीतम के प्रेम की लग्न
में मग्न हो कर मैं आत्मा सजनी विदेही बन, अपनी इस नश्वर देह का परित्याग कर चल
पड़ी उनसे मिलने उनके ही धाम, परमधाम की ओर। परमधाम से अपने ऊपर पड़ रही अपने
शिव प्रीतम के प्रेम की मीठी - मीठी फुहारों का आनन्द लेती हुई मैं साकार लोक
और सूक्ष्म लोक को पार करके, अब पहुंच गई अपने शिव परम पिता परमात्मा के पास
उनके निराकारी लोक में।
➳ _ ➳ अब मैं स्वयं को आत्माओ की एक ऐसी निराकारी दुनिया मे देख रही हूँ जहां
देह और देह की दुनिया का संकल्प मात्र भी नही। हर तरफ चमकते हुए सितारे दिखाई
दे रहें हैं और उन सभी चमकते सितारों के बीच मे एक चमकता हुआ ज्योतिपुंज अपनी
सर्वशक्तियों से पूरे परमधाम को प्रकाशित करता हुआ दिखाई दे रहा हैं। उस
ज्योतिपुंज शिव परम पिता परमात्मा से निकलने वाली अनन्त किरणों का प्रकाश आत्मा
को तृप्त कर रहा है। उस प्रकाश में सातों गुण और अष्ट शक्तियों का समावेश है
जो शक्तिशाली वायब्रेशन के रूप में पूरे परमधाम में फैल रहा है। ये शक्तिशाली
वायब्रेशन आत्मा को उसके ओरिजनल स्वरूप के स्थित करके उसे गहन सुख, शांति की
अनुभूति करवा रहें हैं।
➳ _ ➳ अपने शिव प्रीतम के सानिध्य में बैठ, उनके प्रेम से, उनके गुणों और उनकी
शक्तियों से स्वयं को भरपूर करके अब मैं आत्माओं की निराकारी दुनिया से नीचे
आकर, फ़रिशतो की आकारी दुनिया मे प्रवेश कर रही हूँ। अपने शिव प्रीतम की प्रेम
भरी पाति को उनके ही मुख कमल से सुनने के लिए अब मैं अपने लाइट के फ़रिशता
स्वरूप को धारण कर पहुंच जाती हूँ उनके सम्मुख। मेरे बिल्कुल सामने मेरे
प्रीतम शिव बाबा अपने अव्यक्त आकारी रथ ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान
है। ब्रह्मा मुख कमल से मेरे शिव साजन मीठे मधुर महावाक्य उच्चारण करते हुए,
मुझ आत्मा सजनी से मीठी रूह - रिहान करते हुए अपनी प्रेम भरी दृष्टि से मुझे
निहार रहें हैं।
➳ _ ➳ अपनी मीठी मधुर दृष्टि से मुझे भरपूर करके अब मेरे शिव प्रीतम ब्रह्मा
मुख कमल द्वारा उच्चारित प्रेम भरे मधुर महावाक्यों को मुरली के रूप में मुझे
भेंट कर अपने धाम लौट रहे हैं। मैं आत्मा अपने प्यारे शिव परम पिता परमात्मा
की उस प्रेम भरी पाति को अपने साथ लिए अब वापिस अपनी साकारी दुनिया मे लौट रही
हूँ। अपने निराकार स्वरूप में अब मैं आत्मा अपने साकारी तन में प्रवेश कर रही
हूँ और फिर से अपने अकाल तख्त पर आकर विराजमान हो गई हूँ।
➳ _ ➳ अपने शिव प्रीतम की प्रेम भरी पाति को अब हर रोज मुरली के माध्यम से पढ़
कर, स्वयं को उनके प्रेम से भरपूर कर मैं आनन्द विभोर हो जाती हूँ। मुरली में
लिखे मेरे शिव प्रीतम के मधुर महावाक्य मुझे माया के हर तूफान से लड़ने का बल
देते हैं। अपने शिव प्रीतम के प्रेम पत्र मुरली को अपने दिल से लगाये, उनके
प्रेम में खोई मैं हर बात से जैसे उपराम हो गई हूँ और इसी उपराम स्थिति ने मुझे
मायाजीत बना दिया है।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं हर कदम में वरदाता से वरदान प्राप्त कर मेहनत से मुक्त रहने वाली अधिकारी आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं समय की रफ्तार के प्रमाण पुरुषार्थ की रफ्तार को तीव्र करने वाली आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा पहली सेवा यही बताते हैं कि अभी समय अनुसार सभी बच्चे वानप्रस्थ अवस्था में हैं, तो वानप्रस्थी अपने समय, साधन सभी बच्चों को देकर स्वयं वानप्रस्थ होते हैं। तो आप सभी भी अपने समय का खजाना, श्रेष्ठ संकल्प का खजाना अभी औरों के प्रति लगाओ। अपने प्रति समय, संकल्प कम लगाओ। औरों के प्रति लगाने से स्वयं भी उस सेवा का प्रत्यक्षफल खाने के निमित्त बन जायेंगे। मन्सा सेवा, वाचा सेवा और सबसे ज्यादा - चाहे ब्राह्मण, चाहे और जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हैं उन्हों को कुछ न कुछ मास्टर दाता बनके देते जाओ। नि:स्वार्थ बन खुशी दो, शान्ति दो, आनंद की अनुभूति कराओ, प्रेम की अनुभूति कराओ। देना है और देना माना स्वत: ही लेना। जो भी जिस समय, जिस रूप में सम्बन्ध-सम्पर्क में आये कुछ लेकर जाये। आप मास्टर दाता के पास आकर खाली नहीं जाये। जैसे ब्रह्मा बाप को देखा - चलते-फिरते भी अगर कोई भी बच्चा सामने आया तो कुछ न कुछ अनुभूति के बिना खाली नहीं जाता। यह चेक करो जो भी आया, मिला, कुछ दिया वा खाली गया? खजाने से जो भरपूर होते हैं वह देने के बिना रह नहीं सकते। अखुट, अखण्ड दाता बनो। कोई मांगे, नहीं। दाता कभी यह नहीं देखता कि यह मांगे तो दें।अखुट महादानी, महादाता स्वयं ही देता है। तो पहली सेवा इस वर्ष - महान दाता की करो। आप दाता द्वारा मिला हुआ देते हो। ब्राह्मण कोई भिखारी नहीं हैं लेकिन सहयोगी हैं। तो आपस में ब्राह्मणों को एक दो में दान नहीं देना है, सहयोग देना है। यह है पहला नम्बर सेवा।
✺ ड्रिल :- "मास्टर दाता बन हर एक आत्मा को कुछ ना कुछ देने का अनुभव"
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस स्थूल शरीर को छोड़ अशरीरी बन उड़ चलती हूँ शान्तिधाम... शान्तिधाम की गहन शान्ति को गहराई से अनुभव करती हूँ... मैं आत्मा मास्टर दाता की स्थिति धारण कर... सर्वशक्तिवान... शिवबाबा... दाता के समीप बैठ जाती हूँ... शिवबाबा से निकलती शक्तिशाली किरणों को मैं आत्मा स्वयं में धारण करती जा रही हूँ... भरपूर होती जा रही हूँ... अब मैं आत्मा... दाता की बच्ची... मास्टर दाता बन हर एक आत्मा को दातापन की दृष्टि से देख रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं बाबा की बच्ची... शांतिदाता की बच्ची... शान्त स्वरूप हूँ... मास्टर दाता हूँ... बाबा ने मुझ आत्मा को वरदानों से... गुणों से श्रृंगारित कर सर्व आत्माओं को दुःखों से... विघ्नों से... अशांति से मुक्त कराने के निमित्त बनाया है... मुझ आत्मा को सर्व आत्माओं को सुख... शांति... प्रेम की अनुभूति करानी है... मैं आत्मा अशरीरी बन सर्व आत्माओं के प्रति शांति के वायब्रेशनस फैला रही हूँ... स्वदर्शन चक्रधारी बन सुख के वाइब्रेशन्स फैला रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं पद्मापदम् सौभाग्यशाली आत्मा हूँ... बाबा ने मुझे अपना बनाकर... खजानों से सम्पन्न बना दिया... मैं आत्मा सदा भरपूरता के नशे में रहती हूँ... ख़ुशी का पारा चढ़ा रहता है... बाबा कहते हैं... बच्ची, देना ही लेना है... इसलिये बांटते चलो... तुम्हारी झोली स्वतः ही भरती जायगी... तो जिस शक्ति का जिस समय आह्वान करती हूँ... वह शक्ति उस समय जी हाज़िर हो जाती है... और मैं आत्मा शक्ति स्वरूप बन औरों को बाँट कर उन्हें ख़ुशी व शांति की अनुभूति कराती हूँ...
➳ _ ➳ मैं शांत स्वरूप आत्मा, आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर... शांति सागर परमात्मा से योगयुक्त होकर... गहन शांति में स्थित हो फिर शांति की किरणों का प्रवाह अन्य आत्माओं पर प्रवाहित करती हूँ... सर्वशक्तिवान से बुद्धि जोड़ने से असीम शक्तियों का प्रवाह कमजोर आत्माओं में बल भर रहा है... और उन्हें शांति की अनुभूति हो रही है... जो भी आत्मा मेरे सम्बन्ध सम्पर्क में आती है... उसे बिना मांगे... बिना कहे शांति का अनुभव होने लगता है...
➳ _ ➳ मैं आत्मा सदा सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं के प्रति शुद्ध और शुभ भावना रखती हूँ... शुभ कामना और निमित्त भाव के साथ मास्टर दाता बन हर एक को सुख शांति की अनुभूति करा रही हूँ... मैं आत्मा अपने पवित्र संकल्पों का प्रभाव सभी आत्माओं तक पहुँचा रही हूँ... शुद्ध संकल्पों से सर्व आत्माओं का कल्याण कर रही हूँ... मैं आत्मा मनसा सकाश द्वारा सर्व आत्माओं को परमात्म स्नेह की पालना का एहसास करवा रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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