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 01 / 09 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ दिव्य बुधी और दिव्य नेत्र की गिफ्ट से सफलता स्वरुप स्थिति का अनुभव किया ?

 

➢➢ बुधी को मनमत और परमत के कीचड़े से मुक्त रखा ?

 

➢➢ श्रेष्ठ दृष्टि से श्रेष्ठ सृष्टि का अनुभव किया ?

 

➢➢ स्वयं सहयोगी बन दूसरों को भी सहयोगी बनाया ?

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  ✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न

         ❂ तपस्वी जीवन

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✧  कोई भी हिसाब-चाहे इस जन्म का, चाहे पिछले जन्म का, लग्न की अग्नि-स्वरूप स्थिति के बिना भस्म नहीं होता। सदा अग्नि-स्वरूप स्थिति अर्थात् शक्तिशाली याद की स्थिति, बीजरूप लाइट हाउस, माइट हाउस स्थिति इस पर अब विशेष अटेंशन दो तब रहे हुए सब हिसाब-किताब पूरे होंगे।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?

 

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अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए

             ❂ श्रेष्ठ स्वमान

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   "मैं कमल पुष्प समान न्यारा और बाप का प्यारा हूँ"

 

✧  सदा अपने को कमल पुष्प समान न्यारे और बाप के प्यारे अनुभव करते हो? क्योंकि जितना न्यारापन होगा उतना ही बाप का प्यारा होगा। चाहे कैसी भी परिस्थितियां हो, समस्यायें हों लेकिन समस्याओंके अधीन नहीं, अधिकारी बन समस्याओ को ऐसे पार करें, जैसे खेल-खेल में पार कर रहे हैं। खेल में सदा खुशी रहती है। चाहे कैसा भी खेल हो, लेकिन खेल है तो कैसा भी पार्ट बजाते हुए अन्दर खुशी में रहते हो? चाहे बाहर से रोने का भी पार्ट हो लेकिन अन्दर हो कि यह सब खेल है। तो ऐसे ही जो भी बातें सामने आती हैं-ये बेहद का खेल है, जिसको कहते हो ड्रामा और ड्रामा के आप सभी हीरो एक्टर हो, साधारण एक्टर तो नहीं हो ना।

 

✧  तो हीरो एक्टर अर्थात् एक्यूरेट पार्ट बजाने वाले। तब तो उसको हीरो कहा जाता है। तो सदा ये बेहद का खेल है-ऐसे अनुभव करते हो? कि कभी-कभी खेल भूल जाता है और समस्या, समस्या लगती है। कैसी भी कड़ी परिस्थिति हो लेकिन खेल समझने से कड़ी समस्या भी हल्की बन जाती है। तो जो न्यारा और प्यारा होगा वो सदा हल्का अनुभव करने के कारण डबल लाइट होगा। कोई बोझ नहीं। क्योंकि बाप का बनना अर्थात् सब बोझ बाप को दे दिया। तो सब बोझ दे दिया है या थोड़ा-थोड़ा अपने पास रख लिया है? थोड़ा बोझ उठाना अच्छा लगता है। सब कुछ बाप के हवाले कर दिया या थोड़ा-थोड़ा जेबखर्च रख लिया है? छोटे बच्चे जेबखर्च नहीं रखते हैं। रोज उनको जेब खर्च देते हैं, खाओ, पीयो, मौज करो। कोई भी चीज रखी होती है तो डाकू आता है।

 

  जब पता होता है कि ये मालदार है, कुछ मिलेगा तब डाका लगाते हैं। यदि पता हो कि कुछ नहीं मिलेगा तो डाका लगाकर क्या करेंगे। अगर थोड़ा भी रखते हैं तो डाकू माया जरूर आती है और वह अपनी चीज तो ले ही जाती है लेकिन जो बाप द्वारा शक्तियां मिली हैं वो भी साथ में ले जाती है। इसीलिये कुछ भी रखना नहीं है। सब दे दिया। डबल लाइट का अर्थ ही है सब-कुछ बाप-हवाले करना। तन भी मेरा नहीं। ये तन तो सेवा अर्थ बाप ने दिया है। आप सबने तो वायदा कर लिया ना कि तन भी तेरा, मन भी तेरा, धन भी तेरा। ये वायदा किया है कि तन तेरा है बाकी आपका है? जब तन ही नहीं तो बाकी क्या। तो सदा कमल पुष्प का दृष्टान्त स्मृति में रहे कि मैं कमल पुष्प समान न्यारी और प्यारी हूँ।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?

 

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         रूहानी ड्रिल प्रति

अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं

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✧  अपने ही दर्पण में अपने तकदीर की सूरत को देखो। यह ज्ञान अर्थात नॉलेज दर्पण है। तो सबके पास दर्पण है ना तो अपनी सूरत देख सकते हो ना। अभी बहुत समय के अधिकारी बनने का अभ्यास करो। ऐसे नहीं अंत में तो बन ही जायेंगे। अगर अंत में बनेंगे तो अंत का एक जन्म थोडा-सा राज्य कर लेंगे।

 

✧  लेकिन यह भी याद रखना कि अगर बहुत समय का अब से अभ्यास नहीं होगा वा आदि से अभ्यासी नहीं बने हो, आदि से अब तक यह विशेष कार्यकर्ता आपको अपने अधिकार में चलाते हैं वा डगमग स्थिति करते रहते हैं अर्थात धोखा देते रहते हैं, दु:ख की लहर का अनुभव कराते रहते हैं तो अंत में भी धोखा मिल जायेगा।

 

✧  धोखा अर्थात दु:ख की लहर जरूर आयेगी। तो अंत में भी पचाताप के दु:ख की लहर आयेगी। इसलिए बापदादा सभी बच्चों को फिर से स्मृति दिलाते हैं कि राजा बनो और अपने विशेष सहयोगी कर्मचारी वा राज्य कारोबारी साथियों को अपने अधिकार से चलाओ। समझा।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?

 

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         ❂ अशरीरी स्थिति प्रति

अव्यक्त बापदादा के इशारे

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〰✧ जैसे ब्रह्मा बाप ने साकार जीवन में कर्मातीत होने के पहले न्यारे और प्यारे रहने के अभ्यास का प्रत्यक्ष अनुभव कराया। जो सभी बच्चे अनुभव सुनाते हो - सुनते हुए न्यारे, कार्य करते हुए न्यारे, बोलते हुए न्यारे रहते थे। सेवा को वा कोई कर्म को छोड़ा नहीं लेकिन न्यारे हो लास्ट दिन भी बच्चों की सेवा समाप्त की। न्यारापन हर कर्म में सफलता सहज अनुभव कराता है। करके देखो। एक घंटा किसको समझाने की भी मेहनत करके देखो और उसके अंतर में 15 मिनट में सुनते हुए, बोलते हुए न्यारेपन की स्थिति में स्थित होके दूसरी आत्मा को भी न्यारेपन की स्थिति का वायब्रेशन देकर देखो। जो 15 मिनट में सफलता होगी वह एक घंटे में नहीं होगी। यही प्रेक्टिस ब्रह्मा बाप ने करके दिखाई। तो समझा। कया करना है!

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :-  ईश्वरीय जन्मदिन की गोल्डन गिफ्ट-‘दिव्य बुद्धि’"
 
➳ _ ➳  मधुबन के प्रांगण में घूमते हुए मै आत्मा... मीठे बाबा की यादो में मगन हूँ... अपने घर में टहलते हुए मै आत्मा... असीम शुख की अनुभूति कर रही हूँ... और सोच रही हूँ कैसे मुझे चलते चलते भगवान मिल गया है... और जीवन कितना खुबसूरत प्यारा हो गया है... मै आत्मा ईश्वरीय मिलन से पहले क्या थी... आज भगवानं से मिलकर कितनी दिव्य और पवित्र बन गयी हूँ... मेरा पवित्र मन और मेरी दिव्य बुद्धि आनन्द और सुख से भरपूर हो गयी है... मेरा जीवन पवित्रता का पर्याय बनकर... हर दिल को आकर्षित कर रहा है... और हर दिल... प्यारे बाबा की बाँहों में आने को आतुर हो गया है... अपने सुंदर भाग्य को यूँ सोचते हुए मै आत्मा... मीठे बाबा की कुटिया में प्रवेश करती हूँ...
 
❉   मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान रत्नों से सजाकर देवताई सुखो से सुसज्जित करते हुए कहा:- "मीठे प्यारे फूल बच्चे... ईश्वर पिता ने सच्चे रत्नों से सजाकर, जो दिव्यता और पवित्रता से निखारा है... तो इस देवताई श्रंगार की जीजान से सम्भाल करो... बुद्धि की शुद्धता के लिए खानपान की शुद्धि का पूरा ख्याल करो... पवित्र ब्राह्मण बनने का जो सोभाग्य प्राप्त हुआ है... तो अपवित्रता भरा  भोजन कभी स्वीकार न करो..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा के असीम प्यार में खुशियो में खिलते हुए कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी गोद में बैठकर,देवताई हुनर सीख कर... कितनी अनोखी बनती जा रही हूँ... पहले मेरा जीवन कितना मूल्य विहीन और विकारी था... और आज आपको पाकर तो मेरी हर अदा दिव्यता की झलक दिखा रही है... मीठे बाबा मै आत्मा हर पल अपनी दिव्य बुद्धि की सम्भाल रख आपकी मीठी यादो में मगन हूँ..."
 
❉   प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को सच्ची खुशियो और गुणो की प्रतिमूर्ति बनाते हुए कहा :- "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... मीठे बाबा की यादो में जो बुद्धि रुपी पात्र को सोने जैसा बनाया है... उसकी चमक को सदा बरकरार रखो... अन्न की शुद्धि से बुद्धि पात्र की पवित्रता को सदा सजाये रखो... तभी इसमे सच्चे ज्ञान रत्न ठहर सकेंगे... और यह दिव्य बुद्धि ही प्यारा साथी बनकर... अनन्त सुखो की अनुभूति कराकर... मीठे बाबा की यादो में डुबो देगी...."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा प्यारे बाबा की बाँहों में पवित्रता से सज संवर कर कहती हूँ :- "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा कितनी भाग्यशाली हूँ कि स्वयं भगवान मुझे सजाकर, यूँ पवित्रता से दमका रहा है... मुझे जीने के सारे हुनर सिखा कर, देवताई संस्कारो से भर रहा है... मीठे बाबा आपने मेरे जीवन में यूँ दिव्यता की छटा बिखेर कर.. मुझे क्या से क्या बना दिया है... मै आपकी श्रीमत सदा मेरे संग है..."
 
❉   मीठे बाबा मुझ आत्मा को सतयुगी सुखो का मालिक बनाकर कहते है :- "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... सदा श्रीमत का हाथ पकड़कर सुखी और निश्चिन्त जीवन को जीते रहो... ईश्वरीय राहों पर चलकर, खानपान की शुद्दि का पूरा पूरा ख्याल रखो... ईश्वरीय प्यार और याद में जो बुद्धि इतनी पावन बनकर... निखरी है, तो हर पल इस प्यारी दिव्य बुद्धि का ध्यान रख, सदा शुद्ध अन्न को प्राथमिकता दो... इस दिव्य बुद्धि की बदौलत ही तो ईश्वर पिता को जाना है... ज्ञान रत्नों को पाया है... और ईश्वरीय प्यार को महसूस किया है..."
 
➳ _ ➳  मै आत्मा मीठे बाबा को जीवन में पाकर, आनन्द से सराबोर होकर कहती हूँ :- "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी प्यारी गोद में आकर... विकारी जीवन, अशुद्ध खानपान से पूरी तरहा मुक्त हो गयी हूँ... मेरी दिव्य बुद्धि ने ही तो मुझे आपकी बाँहों में भरा है... इस मीठी बुद्धि का मै आत्मा हर साँस से ख्याल रख रही हूँ... और सदा शुद्ध भोजन से इसकी पवित्रता को कायम रख रही हूँ... "मीठे बाबा से श्रीमत पर चलने का सच्चा वादा करके.... मै आत्मा इस धरा पर लौट आयी...
 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   "ड्रिल :- बुद्धि को मनमत और परमत के किचड़े से मुक्त रखना"

➳ _ ➳  आबू की ऊँची पहाड़ी पर, अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की किरणों की छत्रछाया के नीचे बैठ, प्रकृति के सुंदर नजारो का मैं आनन्द ले रही हूँ और प्यार के सागर बाबा के प्यार की किरणों रूपी बाहों के आगोश में समा कर बाबा के प्यार की गहराई को अनुभव कर, मन ही मन आनंदित हो रही हूँ। जैसे एक माँ अपने बच्चे के ऊपर अपना सारा स्नेह उड़ेलती हुई बलिहार जाती है ऐसे अपने शिव पिता को भी माँ के रुप अनुभव करते, अपने ऊपर बरसने वाले उनके स्नेह में समाई ममता को मैं महसूस कर रही हूँ। यह ममतामई स्नेह की अनुभूति मुझे देह से न्यारा बना रही है।

➳ _ ➳  देह से बिल्कुल अलग एक चमकता हुआ चैतन्य सितारा बन अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों के झूले में झूलता हुआ अब मैं स्वयं को देख रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे शिव माँ अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों के झूले में झुलाती हुई मीठी लोरी देकर मुझे सुला रही है। और मैं धीेरे - धीरे नींद के आगोश में समाती जा रही हूँ। अर्धनिद्रा की अवस्था मे स्वयं को अब मैं अपने लाइट माइट स्वरूप में एक नन्हे से छोटे से बच्चे के रूप में देख रही हूँ।
 
➳ _ ➳  बापदादा अपनी गोद मे मुझे बिठाकर बड़े प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए अपने हाथ से मुझे टोली खिला रहें हैं। मेरे साथ मीठी मीठी रूह रिहान कर रहें हैं। मेरा हाथ थामे आबू की पहाड़ी की सैर करवा रहें हैं। मेरे साथ अलग - अलग तरह से खेल पाल कर रहें हैं। बापदादा के कम्बाइंड स्वरूप में अपनी शिव माँ की शक्तियों की किरणों के आंचल में बैठ उनकी ममतामयी गोद का सुख और अपने ब्रह्मा बाप का लाड़ - प्यार पाकर मन ही मन अपने इस सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर मैं गौरान्वित हो रहा हूँ।
 
➳ _ ➳  अपने नन्हे बालक स्वरूप में बापदादा से माँ बाप दोनों की कम्बाइंड पालना का असीम सुख लेकर अपने बालक स्वरूप से अपने सम्पूर्ण फ़रिश्ता स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं बापदादा के साथ उनके अव्यक्त वतन की ओर जा रहा हूँ। आबू की पहाड़ी से उड़कर सारे विश्व का भ्रमण करते हुए बापदादा के साथ मैं फ़रिश्ता अब साकार लोक को पार कर, उससे और ऊपर फ़रिशतो की अव्यक्त दुनिया मे प्रवेश करता हूँ और फ़रिशतो की दुनिया के अति सुंदर नजारों का आनन्द लेते हुए जा कर प्यारे बापदादा के साथ बैठ जाता हूँ।
 
➳ _ ➳  अपनी शक्तिशाली दृष्टि से मुझे भरपूर करके बाबा मुझे "बालक सो मालिक" का टाइटल देते हुए बालक सो मालिकपन के बैलेंस द्वारा हर कार्य मे सदा सफलता प्राप्त करने का वरदान देते हैं। बाबा से विजय का तिलक लेते हुए मन ही मन अब मैं बाबा को वचन देता हूँ कि सदा बालक सो मालिकपन की स्मृति में रहते हुए बालक बन बाबा की उंगली थामे कदम - कदम पर बाबा की मत पर चलते हुए, बाबा से मिले सर्व खजानों, सर्व गुणों और सर्व शक्तियों को मालिक बन यूज़ करूँगा। अपनी मनमत पर कभी नही चलूँगा।
 
➳ _ ➳  बाबा को मन ही मन यह वचन दे कर, उसे पूरा करने के लिए अब मैं अपने सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ वापिस साकारी दुनिया में आ जाता हूँ और अपने साकारी तन में आ कर विराजमान हो जाता हूँ। अपने ब्राह्मण स्वरूप में रहते हुए अब मैं सदा बालक सो मालिकपन की स्मृति में रहते हुए हर कर्म कर रही हूँ। बालक बन हाँजी का पाठ पक्का कर बाबा की शिक्षाओं को मान कर, मालिक बन उन्हें अपने जीवन मे धारण कर रही हूँ। अपनी मनमत पर कभी ना चलते हुए केवल एक बाबा की मत पर चलकर, अपने कर्मो को श्रेष्ठ बना कर अब मैं स्वयं के साथ -साथ अनेकों आत्माओं का भी कल्याण कर रही हूँ।
 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   मैं स्नेह और नवीनता की अथॉरिटी से समर्पित कराने वाली महान आत्मा हूँ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   मैं एक परमात्मा की प्यारी बनकर विश्व की प्यारी बनने वाली सहजयोगी आत्मा हूँ  ।

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  कई बच्चे कहते हैं हम तो बहुत सेवा करते हैंबहुत मेहनत करते हैं लेकिन प्राप्ति इतनी नहीं होती है। उसका कारण क्या? वरदान सबको एक है६० साल वालों को भी एक तो एक मास वाले को भी एक है। खजाने सभी को एक जैसे हैं। पालना सबको एक जैसी हैदिनचर्यामर्यादा सबके लिए एक जैसी है। दूसरी-दूसरी तो नहीं है ना! ऐसे तो नहींविदेश की मर्यादायें और हैंइण्डिया की और हैंऐसे तो नहींथोड़ा-थोड़ा फर्क हैनहीं हैतो जब सब एक है फिर किसको सफलता मिलती हैकिसको कम मिलती है - क्यों?कारणबाप मदद कम देता है क्याकिसको ज्यादा देता हो, किसको कम, ऐसे हैनहीं है।

 

 _ ➳  फिर क्यों होता हैमतलब क्या हुआअपनी गलती है। या तो बाडी-कान्सेस वाला मैं-पन आ जाता हैया कभी-कभी जो साथी हैं उन्हों की सफलता को देख ईर्ष्या भी आ जाती है। उस ईर्ष्या के कारण जो दिल से सेवा करनी चाहियेवो दिमाग से करते हैं लेकिन दिल से नहीं। और फल मिलता है दिल से सेवा करने का। कई बार बच्चे दिमाग यूज करते हैं लेकिन दिल और दिमाग दोनों मिलाके नहीं करते। दिमाग मिला है उसको कार्य में लगाना अच्छा है लेकिन सिर्फ दिमाग नहीं। जो दिल से करते हैं तो दिल से करने के दिल में बाप की याद भी सदा रहती है। सिर्फ दिमाग से करते हैं तो थोड़ा टाइम दिमाग में याद रहेगा-हाँबाबा ही कराने वाला हैहाँ बाबा ही कराने वाला है लेकिन कुछ समय के बाद फिर वो ही मैं-पन आ जायेगा। इसलिए दिमाग और दिल दोनों का बैलेन्स रखो।

 

✺   ड्रिल :-  "सेवा में दिमाग और दिल दोनों का बैलेन्स रखना"

 

 _ ➳  मैं आत्मा चांदनी रात में एकांत में बैठी हुई हूँ... ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान शिव बाबा के पास मैं सफेद प्रकाश का आकारी शरीर धारण किये धीरे-धीरे सूक्ष्मवतन में पहुँचती हूँ... वहाँ चारों तरफ फूलों से सजावट है... जैसे ही मैं वहां पहुँचती हूँ, बाबा मुझ फ़रिश्ते पर फूलों की बरसात करना शुरू कर देते है...

 

 _ ➳  बाबा की दृष्टि से, मस्तक से निकलता लाल रंग की ठंडी किरणों का फव्वारा मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रहा है... मैं किरणों से भीग चुकी हूँ...अनेक जन्मों के विकारों भरे संस्कार जलकर राख बन रहे है... मैं अब सर्व गुणों का अनुभव कर रही हूँ... विकार के वशीभूत देहअभिमान, ईर्ष्या, मेरापन सब समाप्त हो रहा है...

 

 _ ➳  बाबा मुझे लाल रंग का तिलक लगा रहे हैं... बाबा मुझे हीरों का बना ताज पहना रहे है... मैं अब भूल चुकी हूँ कि देहअभिमान क्या होता है, मैं भूल चुकी हूँ ईर्ष्या क्या होती हैं... मैं भूल चुकी हूँ मेरापन क्या होता है...

 

 _ ➳  अब मैं विकारों के वशीभूत देहअभिमान में नही आती हूँ... जैसे ही मैं स्थूल या मन्सा सेवा करने लगती हूँ तो बाबा का लगाया हुआ लाल तिलक ही याद आता है... सब बाबा करा रहे हैं... मैं अब निमित्त भाव से हर कर्म कर रही हूँ... केवल सेवा के लिए निमित्त हूँ... मेरे जो साथी है उनकी सफलता देख मैं खुशी से झूम उठती हूँ... हर कर्म करते मुझे बाबा ही याद आ रहे हैं...

 

_  ➳  अब मैं दिल और दिमाग दोनों का बैलेंस रखकर देहीअभिमानी का अनुभव कर रही हूँ... दिल से सेवा करने पर मैं दिलाराम बाप की सबसे स्नेही बच्ची बन चुकी हूँ... सभी आत्माएं मेरे इस अनुभव से बाबा की ओर आकर्षित हो रही है... मैं अब चढ़ती कला का अनुभव कर रही हूँ और सर्व को करा रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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