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❍ 23 / 09 / 19 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ बाप ने जो सिखाया, उसे अमल में लाये ?
➢➢ अपना टाइम विनाशी कमाई में अधिक वेस्ट तो नहीं किया ?
➢➢ अथॉरिटी बन समय पर सर्व शक्तियों को कार्य में लगाया ?
➢➢ हिम्मत से सफलता को प्राप्त किया ?
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✰ अव्यक्त पालना का रिटर्न ✰
❂ तपस्वी जीवन ❂
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〰✧ जितना जो बिजी है, उतना ही उसको बीच-बीच में यह अभ्यास करना जरूरी है, फिर सेवा में जो कभी-कभी थकावट होती है, कभी कुछ न कुछ आपस में हलचल हो जाती है, वह नहीं होगा। एक सेकण्ड में न्यारे होने का अभ्यास होगा तो कोई भी बात हुई एक सेकण्ड में अपने अभ्यास से इन बातों से दूर हो जायेंगे। सोचा और हुआ। युद्ध नहीं करनी पड़ेगी।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?
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✰ अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए ✰
❂ श्रेष्ठ स्वमान ❂
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✺ "मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ"
〰✧ डबल लाइट बनने की निशानी क्या होगी? डबल लाइट आत्मायें सदा सहज उड़ती कला का अनुभव करती है। कभी रुकना और कभी उड़ना ऐसे नहीं।
〰✧ सदा उड़ती कला के अनुभवी ऐसी डबल लाइट आत्मायें ही डबल ताज के अधिकारी बनते हैं। डबल लाइट वाले स्वत: ही ऊँची स्थिति का अनुभव करते हैं।
〰✧ कोई भी परिस्थिति आवे, याद रखो - हम डबल लाइट हैं। बच्चे बन गये अर्थात् हल्के बन गये। कोई भी बोझ नहीं उठा सकते।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?
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❂ रूहानी ड्रिल प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं ✰
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〰✧ पॉवरफुल मन की निशानी है - सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुँच जाएँ। ऐसे पॉवरफुल हो या कभी कमजोर हो जाते हो।
〰✧ मन को जब उडना आ गया, प्रैक्टिस हो गई तो सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुँच सकता है।
〰✧ अभी-अभी साकार वतन में, अभीअभी परमधाम में एक सेकण्ड की रफ्तार है? सदा अपने भाग्य के गीत बाते उडते रहो।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?
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❂ अशरीरी स्थिति प्रति ❂
✰ अव्यक्त बापदादा के इशारे ✰
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〰✧ आवाज से परे होना अर्थात् अशरीरी स्थिति का अनुभव होना। तो शरीर के भान में आना जितना सहज है, उतना ही अशरीरी होना भी सहज है कि मेहनत करनी पड़ती है? सेकण्ड में आवाज में तो आ जाते हो लेकिन सेकण्ड में कितना भी आवाज में हो, चाहे स्वयं हो या वायुमण्डल आवाज का हो लेकिन सेकण्ड में फुल स्टॉप लगा सकते हो कि कोमा लगेगी, फुल स्टॉप नहीं? इसको कहा जाता है फरिश्ता व अव्यक्त स्थिति की अनुभूति में रहना, व्यक्त भाव से सेकण्ड में परे हो जाना। इसके लिये ये नियम रखा हुआ है कि सारे दिन में ट्रैफिक ब्रेक का अभ्यास करो। ये क्यों करते हो? कि ऐसा अभ्यास पक्का हो जाये जो चारों ओर कितना भी आवाज का वातावरण हो लेकिन एकदम ब्रेक लग जाये। आत्मा का आदि व अनादि लक्षण तो शान्त है, तो सेकण्ड में ऑर्डर हो कि अपने अनादि स्वरूप में स्थित हो जाओ तो हो सकते कि टाइम लगेगा?
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- ज्ञान का तीसरा नेत्र खुला रख सदा ख़ुशी में रहना"
➳ _ ➳ ज्ञान सागर की लहरों में तैरती, सुख शान्ति के दुर्लभ मोतियों से खेलती,
मैं आत्मा अपने ऊपर झिलमिलाते ज्ञान सूर्य को एक टक निहारते जा रही हूँ... मेरे
ठीक ऊपर सुनहरी किरणों का बरसता झरना... और उस झरने में झरती हुई सुखों की लडिया
शान्ति की फुलझडियाँ, भाव विभोर हुई जा रही हूँ मैं आत्मा, तभी फरिश्ते के रूप
में मुस्कुराते हुए मेरे सम्मुख है बापदादा... मैं, और बाबा सूक्ष्म वतन
में...
❉ ज्ञान रत्नों से मेरी बुद्धि को दिव्य बनाने वाले रत्नाकर बाप बोलें:- "मेरी
त्रिनेत्री बच्ची... संगम पर नित ज्ञान रत्नों से खेलते आपकी बुद्धि में ज्ञान
का सोझरा हुआ है... यही वो ज्ञान का तीसरा नेत्र है, जो बाप, बच्ची को देने आया
है... आप बच्ची ने सुख शान्ति का वर्सा सहज ही पाया, मगर क्या अब अनुभवों के
गहरें सागर में भी उतरना आया है"...?
➳ _ ➳ ज्ञान सागर की गहराइयों से सुख शान्ति के अमूल्य मोतियों को धारण कर मैं
आत्मा बाप से बोली:- "मीठे बाबा... अपने भाग्य पर बलिहारी हूँ मैं, सुख शान्ति
की तलाश में संसार की आत्माए चाँद का सफर तय कर खाली हाथ लौट आयी है और मैने
निरन्तर बरसती उन सौगातो को अपने अन्तर मे ही पा लिया है... अनुभवों की गहराई
जितनी बढती जा रही है... बेहद के खजानों से माला-माल होती जा रही हूँ मैं..."
❉ माया के भिन्न रूपों की समझानी दे माया जीत बनाने वाले बापदादा बोले:- "मीठी
बच्ची... मायावी विकारों की समझानी भी आपने अब पायी है... और मायाजीत बनने की
युक्तियाँ भी अभी आई है... अज्ञानता के भोले पन से निकल अब चतुर सुजान बनी
हो... इस ज्ञान नेत्र से देखों तुम अब आदि, मध्य और अन्त में भी कितनी धनी
हो..."
➳ _ ➳ सर्व गुणों और शक्तियों के खजानों से सम्पन्न मैं आत्मा मीठे बाबा से
बोली:- "प्यारे बाबा... ज्ञान के इसी नेत्र ने शुभकामनाओ का मोल समझाया है,
संगम पर भी आपकी तलाश में भटकती आत्माओं के जीवन का अंधकार दिखाया है... जीवन
को लक्ष्य दिया है... राहें दिखाई है और उजालों से भरपूर किया है... विघ्नों
से बचने के लिए स्वदर्शन का कवच प्रदान किया है..."
❉ विश्वकल्याण का मन में उमंग भरने वाले कल्याणकरी बापदादा बोले:- "मेरी
विश्वकल्याणी बच्ची... सुख शान्ति की तलाश में, चाँद पर भी रोशनी के परचम
लहराती, साइंस के साधनो में सुख शान्ति खोजती, इन आत्माओं को भी सुख शान्ति का
वर्सा दिलाओं... वाणी से नही अब स्वरूप बन बाप के संग का रंग लगाओं..."
➳ _ ➳ रहम के सागर रहनुमा बाप से मैं आत्मा बोली:- "मीठे बाबा... चाँद तारें,
सागरों तक का लम्बा सफर तय कर सुख शान्ति के मोती नही बल्कि दुख का गहन अंधकार
ही अपनी मुट्ठी में समेटे ये आत्माए मेरे दिव्य ज्ञान नेत्रों से अब शान्ति की
अनुभूति कर रही है... स्वकल्याणी से मैं आत्मा अब विश्वकल्याणी बन रही हूँ...
और रहम की भावना से भर, मनसा से ही ज्ञान की मीठी रिमझिम करती मुझ आत्मा को
बापदादा वरदानों से नवाज रहे है..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ "ड्रिल
:- बाप जो सिखलाते हैं उसे अमल में लाना है सिर्फ कागज पर नोट नहीं करना है"
➳ _ ➳ ब्रह्मा बाप ने हर कर्म पहले खुद करके दिखाया और अपने हर कर्म से औरों को
कर्म करने की प्रेरणा देने वाले प्रेरणास्त्रोत बन अनेको आत्माओं के जीवन को
परिवर्तन करने के निमित बनें। ऐसे ब्रह्मा बाप को फॉलो करने का मन मे दृढ़
संकल्प कर मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ कि शिव बाबा मुरली के माध्यम से हम
बच्चों को जो भी श्रीमत देते हैं उसे दूसरों को सिर्फ पढ़ कर नही सुनाना बल्कि
अपने जीवन मे धारण कर उसे अपने हर संकल्प, बोल और कर्म में लाकर दूसरी आत्माओं
को अनुभव करवाना है।
➳ _ ➳ इसी दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ मैं जैसे ही अपने प्यारे मीठे शिव बाबा की याद
में बैठती हूँ, ऐसा अनुभव होता है जैसे अव्यक्त ब्रह्मा बाबा और उनकी भृकुटि
में विराजमान शिव बाबा मेरे बिल्कुल सामने आ कर बैठ गए हैं और अपने वरदानी
हस्तों को मेरे सिर के ऊपर फैलाये मुझे इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का वरदान दे
रहें हैं। अपने प्यारे बापदादा को अपने बिल्कुल सामने पाकर मैं एकटक उन्हें
निहारती हुई उनके वरदानों की शक्ति को स्वयं में धारण करती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ बाबा आगे बढ़कर मेरे मस्तक पर विजय का तिलक दे कर मेरी आँखों के सामने से
एकदम ओझल हो जाते हैं और बाबा के वरदानों की शक्ति को स्वयं में अनुभव करती,
शक्तिशाली स्थिति में स्थित हो कर, अब मैं अपने मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ
अपने स्वरूप पर और अपनी निराकारी स्थिति में स्थित हो कर अपनी बुद्धि का योग
अपने निराकार शिव पिता के साथ जोड़ती हूँ।
➳ _ ➳ ऐसा अनुभव होता है जैसे पारवतन में बैठे मेरे मीठे प्यारे शिव बाबा अपने
प्रेम की डोर से सहज ही मुझे अपनी ओर खींच रहें हैं। बिना एक पल की भी देरी
किये मैं आत्मा एक चमकता सितारा बन बिल्कुल सहज रीति इस देह को छोड़ ऐसे बाहर
निकल आती हूँ जैसे मक्खन से बाल। इस देह को मैं बिल्कुल साक्षी हो कर देख रही
हूँ। इससे कोई ममत्व, कोई लगाव मुझे अनुभव नही हो रहा। एक अति सुंदर न्यारे पन
का अनुभव करते हुए मैं अति सूक्ष्म चैतन्य सितारा अपनी किरणो को चारों और फैलाता
हुआ अब धीरे - धीरे ऊपर आकाश की ओर चल पड़ता हूँ।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे इस धरती के आकर्षण से मैं पूरी तरह मुक्त हो चुका
हूँ। एक बल, एक शक्ति मुझे बस ऊपर की और खींच रही है और निर्बाध गति से उड़ता
हुआ मैं आकाश को पार करके उससे भी ऊपर कहीं दूर उड़ता चला जा रहा हूँ। सफेद
प्रकाश से प्रकाशित सूक्ष्म फ़रिशतो की आकारी दुनिया को क्रॉस करता हुआ उससे भी
ऊपर मैं एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करता हूँ जहाँ मेरे ही समान असंख्य चमकते
सितारे मुझे दिखाई दे रहें हैं। यही मेरी मंजिल, मेरा घर, मेरे पिता परमात्मा
का घर है। यहीं मेरे शिव पिता रहते हैं जिनके प्रेम की शक्ति मुझे खींच कर यहाँ
ले आई है।
➳ _ ➳ अपने सामने अब मैं अपने शिव पिता को एक ज्योतिपुंज के रूप में देख रही
हूँ जो अपने प्रेम की किरणों की शीतल फ़ुहारें मुझ पर बरसाते हुए मेरा स्वागत कर
रहें हैं और अपनी शक्तियों रूपी किरणो की बाहों को फैलाये मेरा आह्वान कर रहें
हैं। अपने शिव पिता के प्रेम की शीतल फ़ुहारों का आनन्द लेती हुई मैं उनकी
सर्वशक्तियों की किरणो रूपी बाहों में समा जाती हूँ। मेरे शिव पिता की
सर्वशक्तियां मेरे अंदर समाकर मुझे शक्तिशाली बना रही हैं। बाबा की सर्वशक्तियों
को स्वयं में गहराई तक समाकर अब मैं ईशवरीय सेवा अर्थ साकार लोक में वापिस लौट
रही हूँ।
➳ _ ➳ बाबा के वरदान और शक्तियाँ मुझे बाबा की शिक्षाओं को धारण करने का बल
प्रदान कर रही हैं। अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित हो कर अब मैं अपने सम्बन्ध
सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को बाबा का ज्ञान केवल पड़ कर नही सुनाती
बल्कि उसे स्वयं में धारण कर, अनुभवीमूर्त बन, परमात्म पालना का यथार्थ अनुभव
सबको करवाते हुए अब मैं निमित बन सबको सच्चा ईश्वरीय ज्ञान देने की सेवा
सफ़लतापूर्वक सम्पन्न कर रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ मैं अथॉरिटी बन समय पर सर्वशक्त्तियों को कार्य में लगाने वाली मास्टर सर्वशक्त्तिवान आत्मा हूँ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ मैं स्व पुरुषार्थ वा विश्व कल्याण के कार्य में हिम्मत रखकर सफलता प्राप्त करने वाली सफलतामूर्त आत्मा हूँ ।
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ आज से हर एक अपने में देखे - दूसरे का नहीं देखना। दूसरे की यह बातें देखने के लिए मन की आंख बंद करना। यह आंखें तो बंद कर नहीं सकते ना, लेकिन मन की आंख बन्द करना - दूसरा करता है या तीसरा करता है, मुझे नहीं देखना है। बाप इतना भी फोर्स देकर कहते हैं कि अगर कोई विरला महारथी भी कोई ऐसी कमजोरी करे तो भी देखने के लिए और सुनने के लिए मन को अन्तर्मुखी बनाना।
➳ _ ➳ हंसी की बात सुनायें - बापदादा आज थोड़ा स्पष्ट सुना रहे हैं, बुरा तो नहीं लगता है। अच्छा-एक और भी स्पष्ट बात सुनाते हैं। बापदादा ने देखा है कि मैजारिटी समय प्रति समय, सदा नहीं कभी-कभी महारथियों की विशेषता को कम देखते और कमजोरी को बहुत गहराई से देखते हैं और फालो करते हैं। एक दो से वर्णन भी करते हैं कि क्या है, सबको देख लिया है। महारथी भी करते हैं, हम तो हैं हीपीछे। अभी महारथी जब बदलेंगे ना तो हम बदल जायेंगे। लेकिन महारथियों की तपस्या, महारथियों के बहुतकाल का पुरूषार्थ उन्हों को एडीशन मार्क्स दिलाकर भी पास विद आनर कर लेती है। आप इसी इन्तजार में रहेंगे कि महारथी बदलेंगे तो हम बदलेंगे तो धोखा खा लेंगे इसलिए मन को अन्तर्मुखी बनाओ। समझा।
➳ _ ➳ यह भी बापदादा बहुत सुनते हैं, देख लिया... देख लिया। हमारी भी तो आंखे हैं ना, हमारे भी तो कान हैं ना, हम भी बहुत सुनते हैं। लेकिन महारथियों से इस बात में रीस नहीं करना। अच्छाई की रेस करो, बुराई की रीस नहीं करो, नहीं तो धोखा खा लेंगे। बाप को तरस पड़ता है क्योंकि महारथियों का फाउन्डेशन निश्चय, अटूट-अचल है,उसकी दुआयें एक्स्ट्रा महारथियों को मिलती हैं। इसलिए कभी भी मन की आंख को इस बात के लिए नहीं खोलना। बंद रखो। सुनने के बजाए मन को अन्तर्मुखी रखो। समझा।
✺ ड्रिल :- "बुराई को देखने की मन की आँख बन्द करना"
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने ईश्वरीय विश्व विद्यालय में... बापदादा के चित्र के आगे बैठी हूँ... सामने प्राण प्यारे बाबा मुझे देख मन्द मन्द मुस्करा रहें हैं... मैं आत्मा झट से बाबा के गले लग जाती हूँ... मेरे बाबा... मेरे मीठे प्यारे बाबा... कहते हुए बाबा की गोद में बैठ जाती हूँ... आहा!!... बाबा का स्पर्श पाते ही स्वयं को जन्नत की परी... जैसा अनुभव कर रही हूँ... बाबा की यादों में खोकर मैं आत्मा रुई जैसी हल्की हो रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा हल्की होकर... उड़ती हुई पहुँच जाती हूँ अपने मीठे वतन में... जहाँ शिव बाबा... कोहिनूर हीरे से भी तेज़ चमक रहें हैं... उनसे निकलता किरणों रूपी प्रकाश चारों ओर अपनी लालिमा फैला रहा है... मैं आत्मा बाबा से निकलती दिव्य तेजस्वी किरणों को स्वयं में धारण कर रही हूँ... स्वयं को समर्थ व शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... मुझ आत्मा के आसुरी अवगुण भस्म हो रहे हैं... अविनाशी बाबा के प्रेम में लवलीन हुई मैं आत्मा एकरस स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा अन्तर्मुखी बन... साइलेन्स की शक्ति से स्वयं ही स्वयं की चेकिंग कर रही हूँ... अब मुझ आत्मा में किसी की बुराई देखने का अवगुण तो नहीं है...? हरेक के पार्ट को साक्षीदृष्टा बन देख रही हूँ...? मुझे बापदादा के शब्द याद आ रहें हैं... बदला नहीं लेना... बदल कर दिखाना है... सी नो ईविल...अब मैं आत्मा साइलेन्स की शक्ति से किसी की बुरी बात या बुरे सम्बन्ध को... अच्छाई में परिवर्तित कर रही हूँ... साक्षीदृष्टा बन हरेक के पार्ट को देख रही हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा महारथियों के पुरुषार्थ को... उनकी विशेषताओं को... बहुत गहराई से देख रही हूँ... उनका अमृतवेले उठना... मुरली क्लास सुनना... सुनाना... दुःखी अशांत आत्माओं को सकाश देना... उनका बहुतकाल का पुरुषार्थ... उनका बाबा पर... ड्रामा पर... अटूट निश्चय... मैं आत्मा उनकी विशेषताओं को देख... उन्हें फॉलो कर... तीव्र पुरुषार्थी बन रही हूँ... हरेक के प्रति शुभ भावना शुभ कामना... रख रहीं हूँ...
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा सदा अटेंशन रख... साइलेन्स की शक्ति द्वारा... अन्तर्मुखी बन... हरेक के गुणों को देख रहीं हूँ... मैं आत्मा संकल्प शक्ति द्वारा हर एक की बुराई को देखते हुए भी उसे अच्छाई में परिवर्तित कर रही हूँ... तीव्र पुरुषार्थी बन सदा उड़ती कला में रह अन्तर्मुखी स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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