━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 21 / 04 / 19  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *स्वार्थ की बजाये सेवा अर्थ हर कार्य किया ?*

 

➢➢ *बापदादा से संपन्न और समान स्वरुप का तिलक लगवाया ?*

 

➢➢ *सर्व विशेषताओं की मणियों से सजा हुआ ताज धारण किया ?*

 

➢➢ *"सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है" - यह नशा रहा ?*

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  व्यक्तियों को तो कोर्स करा देते हो *लेकिन प्रकृति को वाणी की शक्ति से नहीं बदल सकते। उसके लिए योगबल चाहिए।* योग में जब बैठते हो तो शान्ति सागर के तले में चले जाओ। संकल्प भी शान्त हो जाएं, बस एक ही संकल्प हो 'आप और बाप' इसी को ही योग कहते हैं। *ऐसा पावरफुल योग हो जो बाप के मिलन की अनुभूति के सिवाए और सब संकल्प समा जाएं, इससे योगबल जमा होगा और वह शक्ति अपने आप कार्य करेगी।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

   *"मैं शक्तिशाली याद द्वारा एकरस स्थिति स्वरूप आत्मा हूँ"*

 

   सदा शक्तिशाली याद में आगे बढ़ने वाली आत्मायें हो ना? *शक्तिशाली याद के बिना कोई भी अनुभव हो नहीं सकता। तो सदा शक्तिशाली बन आगे बढ़ते चलो। किसी भी देहधारी के पीछे जाना, सेवा देना यह सब रांग है। सदा अपनी शक्ति अनुसार ईश्वरीय सेवा में लग जाओ और सेवा का फल पाओ।*

 

  *जितनी शक्ति है उतना सेवा में लगाते चलो। चाहे तन से, चाहे मन से, चाहे धन से। एक का पदमगुणा मिलना ही है। अपने लिए जमा करते हो। अनेक जन्मों के लिए जमा करना है। एक जन्म में जमा करने से 21 जन्म के लिए मेहनत से छूट जाते हो।*

 

 इस राज को जानते हो ना? *तो सदा अपने भविष्य को श्रेष्ठ बनाते चलो। खुशी-खुशी से अपने को सेवा में आगे बढ़ाते चलो। सदा याद द्वारा एकरस स्थिति से आगे बढ़ो।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  रुहानी ड्रिल आती है, ड्रिल में क्या करना होता है? *ड्रिल आर्थात शरीर को जहाँ चाहे वहाँ मोड सके और रूहानी ड्रिल अर्थात रूह को जहाँ, जैसे ओर जब चाहे वहाँ स्थित कर सके अर्थात अपनी स्थिती जैसे वैसी बना सके, इसको कहते है रूहानि ड्रिल।* जैसे सेना के मार्शल वा ड्रिल मास्टर जैसे इशारे देते है वैसे ही करते है।

  

✧  *ऐसे स्वयं ही मास्टर वा मार्शल बन जहाँ अपने को स्थित करना चाहे वहाँ कर सके।* ऐसे अपने आपके ड्रिल मास्टर बने हो?ऐसे तो नहीं कि मास्टर कहे हैण्डस डाउन और स्टूडेन्ट हैण्डस अप करें। मार्शल कहे राइट और सेना करे लेफ्ट। ऐसे सैनिकों वा स्टुडेन्स को क्या किया जाता है? डिसमिस। *तो यहाँ भी स्वयं ही डिसमिस हो ही जाते है - अपने अधिकार से।*

 

✧   *प्रैकँटीस ऐसी होनी चाहिए जो एक सेकण्ड में अपनी स्थिती को जहाँ चाहै वहाँ टिका सको।* क्योंकि अब युद्ध स्थल पर हो। युद्ध स्थल पर सेना अगर एक सेकण्ड में डायरक्शन को अमल में न लाये तो उनको क्या कहा जायेगा? इस रूहानी युद्ध पर भी स्थित करने में समय लगाते है तो ऐसे सैनिकों को क्या कहें।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  *पहले यह सोचो कि अनादि स्थिति से मध्य की स्थिति में आते ही क्यों हो? इसका कारण क्या है? (देह-अभिमान)* देह-अभिमान में आने से क्या होता है, देह-अभिमान में आने के कारण क्या होते हैं? पर-स्थिति सहज और स्व-स्थिति मुश्किल क्यों लगती है? देह भी तो स्व से अलग है ना। तो देह में सहज स्थित हो जाते हो और स्व में स्थित नहीं होते हो, कारण? *वैसे भी देखो तो सदा सुख वा शान्तिमय जीवन तब बन सकती है जब जीवन में चार बातें हों। वह चार बातें हैं - हैल्थ, वैल्थ, हैपी और होली।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- लक्ष्य प्रमाण सफलता प्राप्त करने के लिए स्वार्थ के बजाए सेवा अर्थ कार्य करना"*

 

_ ➳  *जन्मते ही बाबा से मैं आत्मा 3 तिलक की अधिकारी बनी, स्वराज्य तिलक... सर्विसएबुल का तिलक...  सर्व ब्राह्मण परिवार, बापदादा के स्नेही सहयोगी पन का तिलक...* जैसे ही मुझ आत्मा को स्मृति आई, कि मैं कौन... और किसकी... तन मन धन सब बाबा को अर्पित हो गया… *बाबा ने बताया बच्ची यह सब तुम्हें सेवा निमित मिला है, इसे सेवा अर्थ यूज करो...* अपना सर्वस्व सफल कर भाग्य को उच्च बनाओ... *बाबा की शिक्षाओं पर अटेंशन रखते बापदादा और सर्व ब्राह्मण परिवार के सहयोग द्वारा मैं आत्मा स्वयं को विश्व परिवर्तन करने की सेवा में बाबा का मददगार देख रही हूं...* 

 

  *सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा मुझ आत्मा का हाथ थामे मुझ डबल लाइट फरिश्ते से बोले:-* "मीठी बच्ची... जिस प्रकार गोप गोपियों के सहयोग द्वारा श्री कृष्ण को गोवर्धन पर्वत उठाते दिखाया है, अभी उसी सहयोग की आवश्यकता मुझ गोपी वल्लभ को आप गोप गोपिकाओं से है... *दुखों के पहाड़ को प्रभु परिवार द्वारा उठाने का यह अभी समय है..."*

 

_ ➳  *पतित पावन बाबा की शिक्षाओं को स्वयं में उतारते मैं आत्मा बाबा से बोली:-* "हां बाबा... स्वदर्शन चक्रधारी बन मुझ आत्मा का भाग्य जाग उठा है... अभी मैं सर्विसएबुल आत्मा बन... सर्व को पावन बनाने की सेवा में तत्पर हूं... *निशदिन निशपल आप समान सेवा कर मैं आत्मा अपने भाग्य को उच्च बना रही हूं..."*

 

  *मीठे बाबा मुझ आत्मा को समझानी देते हुए बोले:- "मीठी बच्ची... सेवा में सफलता का मुख्य साधन निमित्त भाव है, मैं और मेरा अशुद्ध अहंकार हैं...* इसलिए जब मैं पन की स्मृति आये, तो खुद से पूछना मैं कौन?... और जब मेरा याद आये तो... तो बस मुझे याद कर लेना... इन्ही स्मृतियों से निरन्तर सहजयोगी और निरन्तर सेवाधारी रहोगे..."

 

_ ➳  *मीठे बाबा की मीठी समझानी को स्वयं में उतारते हुए मैं आत्मा बाबा से बोली:- "हां मीठे बाबा... "मेरा बाबा" ये चाबी मुझ आत्मा को सभी हदों से पार किए हुए हैं,* बेहद में रह मैं आत्मा निर्विघ्न तन मन धन से सेवाएं देने में तत्पर हूं... *मुझ आत्मा का खुशनुमा चेहरा चलते-फिरते सेवा केंद्र का कार्य कर रहा हैं... हर किसी से आवाज आ रही है बाबा- तुम्हें बनाने वाला कौन?..."*

 

  *मीठे बाबा प्यार भरी फुहार मुझ आत्मा पर बरसाते हुए बोले:- "प्यारी बच्ची... यह वही रूद्र ज्ञान यज्ञ है जिसमें असुर विघ्न डालते हैं... लेकिन एक कर्म योगी सेवाधारी के लिए यह माना जैसे खेल है...* जैसे जैसे तुम इसमे पहलवान बनते जा रहे हो, माया भी अपना वार जोरों से कर रही है... लेकिन यदि *सदा सेवा में बिजी हो तो माया का वार हो नहीं सकता..."*

 

_ ➳  *मीठे बाबा से सुहानी प्यारी दृष्टि लेते मैं आत्मा बाबा से बोली:- "हां मीठे बाबा... मनसा वाचा कर्मणा तन मन धन संकल्प श्वांस सभी से मैं आत्मा सहयोगी हो हर पल हर दिन मैं आत्मा इन सभी खजानों को सफल कर रही हूं...* स्वर्णिम भारत का वह दृश्य जिसमें सभी जीव आत्माएं, प्रकृति पूरी सृष्टि सतोप्रधान है... दृश्य मुझ आत्मा की नजरों में घूम रहा है..."

 

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- "सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है"- यह अनुभव करना*"

 

_ ➳  "हिम्मते बच्चे मददे बाप" इस बात को स्मृति में लाते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे बाबा की मदद मिलते ही मैं मास्टर सर्वशक्तिवान बन गई हूँ और सर्व शक्तियों से सम्पन्न बन कर हर परिस्थिति को सहजता से पार करने की मेरे अंदर ताकत भर गई है। *अपने शिव पिता को मैं अपने सिर के ऊपर हजार भुजाओं की छत्रछाया के साथ अनुभव कर रही हूँ*। मेरे शिव पिता की किरणों रूपी हजारों बाहों की छत्रछाया का मेरे सिर पर होने का अनुभव ही मेरे अंदर असीम बल भर रहा है। मैं स्वयं को बहुत ही ऊर्जावान अनुभव कर रही हूँ। *मेरी स्व - स्थिति इतनी शक्तिशाली बन गई है कि कोई भी परिस्थिति मेरी स्व - स्थिति के आगे नही ठहर सकती*।

 

_ ➳  अपनी इसी शक्तिशाली स्व - स्थिति में स्थित अब मैं अनुभव करती हूँ कि मेरे सर्वशक्तिवान शिव पिता की किरणों रूपी बाहों ने जैसे मुझे  उठा लिया है और अपनी बाहों के झूले में मुझे झुलाते हुए अपने साथ ले जा रहें हैं। मन, बुद्धि के पंखों पर सवार मैं स्वयं को इस देह से एकदम न्यारा अनुभव कर रही हूँ। *जैसे मक्खन में से बाल आसानी से बाहर आ जाता है, ऐसे ही अपनी शक्तिशाली स्व स्थिति में स्थित मैं आत्मा भी इस देह से निकल कर अब ऊपर की ओर उड़ रही हूँ*। अपने शिव पिता की शक्तियों की सतरंगी किरणों रूपी बाहों के झूले में गहन आनन्द लेते - लेते, उन्हें निहारते - निहारते, मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की महिमा के गीत गाते - गाते मैं पांच तत्वों की बनी इस साकारी दुनिया को पार कर सफेद प्रकाश से प्रकाशित अति सुंदर फरिश्तों की दुनिया में प्रवेश करती हूँ।

 

_ ➳  फरिश्तों की इस अति सुंदर मनभावनी दुनिया में पहुंच कर, मेरे शिव पिता अपनी किरणों रूपी बाहों के झूले से मुझे नीचे उतार कर, अपने आकारी रथ, अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि पर जा कर विराजमान हो जाते हैं। अपना एक हाथ बाबा सामने करते हैं। *देखते ही देखते एक लाइट का सूक्ष्म फ़रिशता बाबा की हथेली पर प्रकट हो जाता है। बाबा अपना वरदानी हाथ उस फ़रिश्ते के मस्तक पर रख कर, उसमें अपनी सर्वशक्तियाँ प्रवाहित करने लगते हैं*। बाबा की सर्वशक्तियाँ जैसे - जैसे उस फ़रिश्ते में समाती जाती है, उस फ़रिश्ते के अंग - अंग से रंग बिरंगी शक्तियों की धाराएं निकलने लगती है और चारों और फैलती चली जाती है। मन बुद्धि रूपी नेत्रों से मैं आत्मा इस खूबसूरत दृश्य को देख रही हूँ।

 

_ ➳  बाबा उस फ़रिश्ते को अपनी हथेली से नीचे उतारते हैं। मैं देखती हूँ कि बाबा की हथेली से उतर कर अब वो फ़रिशता अपनी सतरंगी किरणों को फैलाता हुआ मेरी ओर आ रहा है जैसे - जैसे वो फ़रिशता मेरी ओर बढ़ रहा है उस फ़रिश्ते में मुझे मेरा ही स्वरूप दिखाई दे रहा है। वो फ़रिशता मेरे पास आ कर रुक जाता है और मैं आत्मा उस फ़रिशते में प्रवेश कर जाती हूँ। *अपनी चमकीली फ़रिशता ड्रेस में अब मैं स्वयं को मन्त्रमुग्ध हो कर देख रही हूँ। मुझ फ़रिश्ते से निकल रही रंग बिरंगी रश्मियां मेरे स्वरूप को बहुत ही आकर्षक बना रही हैं*। मैं फ़रिशता अब बापदादा के पास जा रहा हूँ। बाबा की बाहों में समाकर, बाबा का असीम स्नेह पाकर मैं फ़रिशता अब बाबा के सामने बैठ जाता हूँ।

 

_ ➳  बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं और मुझे सदा विजयी भव का वरदान देते हुए कहतें हैं:- "सदा हिम्मत से बाप की मदद के पात्र बन माया पर विजय बनो"। *वरदान दे कर बाबा अपनी सम्पूर्ण लाइट और माइट मेरे अंदर प्रवाहित कर मुझे अपनी सर्वशक्तियों से भरपूर कर देते हैं*। बाबा से वरदान और लाइट माइट ले कर, अपने सम्पूर्ण शक्तिशाली फ़रिशता स्वरूप के साथ मैं फ़रिशता साकारी दुनिया वापिस लौट आता हूँ और अपने फ़रिशता स्वरूप के साथ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाता हूँ। *मेरे शक्तिशाली फ़रिशता स्वरूप के प्रभाव से अब मेरा ब्राह्मण स्वरूप भी शक्तिशाली बन गया है*।

 

_ ➳  "एक बल एक भरोसा" इस आधार पर अब मैं ब्राह्मण आत्मा "हिम्मते बच्चे मददे बाप" का अनुभव करते हुए सदा उमंग उत्साह के पंखों पर सवार हो कर उड़ती रहती हूँ। *विधाता और वरदाता बाप के सम्बन्ध से "बालक सो मालिक बन सर्व खजानों से सदा सम्पन्न रह अपरमअपार खुशी की अनुभूति करती रहती हूँ*। "हम ही थे, हम ही हैं और हम ही रहेंगे" इस स्लोगन की स्मृति का तिलक सदा अपने मस्तक पर लगा कर मैं सदैव अपने "स्मृति सो समर्थी" स्वरूप द्वारा सर्व आत्माओं को भी हिम्मतवान बना कर उन्हें भी सदा "हिम्मते बच्चे मददे बाप" की प्रेरणा देती रहती हूँ।

 

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं व्यर्थ वा माया से इनोसेंट बन दिव्यताका अनुभव करने वाली महान आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रख कर फर्स्ट डिवीजन में आने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

अव्यक्त बापदादा :-

 

_ ➳  भक्ति मार्ग में भी जड़ चित्र को प्रसाद कौनसा चढ़ता हैं? जो झाटकू होता है। चिलचिलाकर मरने वाला प्रसाद नहीं होता। *बाप के आगे प्रसाद वही बनेगा जो झाटकू होगा। एक धक से चढ़ने वाला। सोचा, संकल्प किया, ‘मेरा बाबा, मैं बाबा का' तो झाटकू हो गया। संकल्प किया और खत्म! लग गई तलवार!* अगर सोचते, बनेंगे, हो जायेंगे... तो गें...गें अर्थात् चिलचिलाना। गें गें करने वाले जीवनमुक्त नहीं। बाबा कहा - तो जैसा बाप वैसे बच्चे। बाप सागर हो और बच्चे भिखारी हों, यह हो नहीं सकता। *बाप ने आफर किया - मेरे बनो तो इसमें सोचने की बात नहीं।*

 

✺  *"ड्रिल :- 'मैं बाबा का, बाबा मेरा' स्थिति का अनुभव"*

 

_ ➳  *मैं रूहानी रुहे गुलाब अपनी रुहानियत की खुशबू दूर-दूर तक फैलाती हुई... पहुँच जाती हूँ अल्लाह के बगीचे में...* जहाँ सुप्रीम बागबान मेरा इंतजार कर रहे हैं... मुझे देख मुस्कुराते हुए अपने पास बुलाते हैं...  तुरंत मैं आत्मा रूहानी बागबान की गोदी में बैठ जाती हूँ... *जिसने मुझे कोटो में से चुनकर... काँटों की दुनिया से निकालकर... अपने बगीचे का पुष्प बना दिया...*

 

_ ➳  *सुप्रीम बागबान मुझ रूहे गुलाब से विकारों रूपी एक-एक कांटे को बाहर निकालकर, ज्ञान जल से सींच रहे हैं...* गुण, शक्तियों रूपी सुगंध से भरपूर कर रहे हैं... मुझमें रूहानियत भर रहे हैं... *मैं रूहानी गुलाब प्यारे बागबान बाबा के पारलौकिक रुहानी प्रेम में बंधती जा रही हूँ...* रूहानियत की महक से महक रही हूँ...

 

_ ➳  *अब मैं रूहानी गुलाब सदा सुप्रीम माली की छत्र छाया में ही रहती हूँ...* सदा उनके साथ कम्बाइन्ड रहती हूँ... *मैं आत्मा सदा रुहानी खुशबू में डूबे हुए रहती हूँ...* सदा अपने रूहानियत के नशे में रहती हूँ... मैं आत्मा सर्व गुणों, शक्तियों, खजानों के सागर की संतान मास्टर सागर हूँ... अब मुझ आत्मा की आंखों में सदा एक बाबा ही समाया हुआ रहता है...

 

_ ➳  *‘मेरा बाबाकहते ही अब मुझ आत्मा के एकदम फट से पुराने स्वभाव-संस्कार, पुराने देह के सम्बन्धियों रूपी पत्ते छट रहे हैं...* मैं आत्मा बीजरूप अवस्था में स्थित हो रही हूँ... मैं आत्मा पुरानी दुनिया से न्यारी हो रही हूँ... और बाबा की प्यारी बन रही हूँ... *अब मुझ आत्मा को देह वा देह की दुनिया, वस्तु, व्यक्ति देखते हुए भी नहीं दिखाई देते हैं...*

 

_ ➳  मैं आत्मा ट्रस्टी बन हर कर्म करती हूँ... करावनहार करा रहा है... मैं करनहार कर रही हूँ... अब मैं आत्मा हर संकल्प, बोल और कर्म बाबा की श्रीमत के आधार पर करती हूँ... श्रीमत की लकीर को कभी पार नहीं करती हूँ... वह चला रहा है, मैं चल रहीं हूँ... *मैं आत्मा कर्मबन्धनों से मुक्त हो रही हूँ... जीवनमुक्त अवस्था का अनुभव कर रही हूँ...*

 

_ ➳  अब मैं आत्मा निश्चय बुद्धि बन सम्पूर्ण रूप से बाबा की बन गई हूँ... मैं आत्मा सब कुछ प्रभु अर्पण कर रही हूँ... तन, मन, धन सब कुछ प्यारे बाबा का दिया हुआ है... उसका दिया उसीको अर्पित कर रही हूँ... झाटकू बन एक धक से बाबा की हो जाती हूँ... *प्रभु प्रसाद बन बाबा को समर्पित हो जाती हूँ... मैं आत्मा सब मेरा-मेरा खत्म कर मेरा बाबाकी स्थिति में स्थित हो रही हूँ... अब मैं आत्मा सदा इसी नशे में रहती हूँ कि मैं बाबा की और बाबा मेरा’...*

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━