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❍ 02 / 02 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अपने भाग्य की झलक प्रतक्ष्य रूप में दिखाई ?*
➢➢ *अविनाशी वर्से का नशा रहा ?*
➢➢ *इच्छा मातरम् अविधा की स्थिति का अनुभव किया ?*
➢➢ *निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी बनकर रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जैसे कोई शरीर में भारी है, बोझ है तो अपने शरीर को सहज जैसे चाहे वैसे मोल्ड नहीं कर सकोगें। ऐसे ही *अगर मोटी-बुद्धि है अर्थात् किसी न किसी प्रकार का व्यर्थ बोझ वा व्यर्थ किचड़ा बुद्धि में भरा हुआ है, कोई न कोई अशुद्धि है तो ऐसी बुद्धि वाला जिस समय चाहे, वैसे बुद्धि को मोल्ड नहीं कर सकेगा* इसलिए बहुत स्वच्छ, महीन अर्थात् अति सूक्ष्म-बुद्धि, दिव्य बुद्धि, बेहद की बुद्धि, विशाल बुद्धि चाहिए। ऐसी बुद्धि वाले ही सर्व सम्बन्ध का अनुभव जिस समय, जैसा सम्बन्ध वैसे स्वयं के स्वरूप का अनुभव कर सकोगें।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं एक बाप दूसरा न कोई ऐसी स्मृति में रहने वाला 'महावीर' हूँ"*
〰✧ सदा अपने को महावीर समझते हो? *महावीर की विशेषता - एक राम के सिवाए और कोई याद नहीं! तो सदा एक बाप दूसरा न कोई ऐसी स्मृति में रहने वाले 'सदा महावीर'। सदा विजय का तिलक लगा हुआ हो।*
〰✧ जब एक बाप दूसरा न कोई तो अविनाशी तिलक रहेगा। संसार ही बाप बन गया। *संसार में व्यक्ति और वस्तु ही होती, तो सर्व सम्बन्ध बाप से तो व्यक्ति आ गये और वस्तु, वह भी सर्व प्राप्ति बाप से हो गई।*
〰✧ *सुख-शान्ति-ज्ञान-आनन्द-प्रेम.. सर्व प्राप्तियॉं हो गई। जब कुछ रहा ही नहीं तो बुद्धि और कहाँ जायेगी, कैसे? अच्छा-*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ डबल फारेनर्स को एक सेकण्ड में कोई भी व्यर्थ बात, कोई भी निगेटिव बात, कोई भी बीती बात, उसको मन से बिन्दी लगाना आता है? डबल फारेनर्स जो समझते हैं कि कैसी भी बीती हुई बात, अच्छी बात तो भूलनी है ही नहीं, भूलनी तो व्यर्थ बातें ही होती हैं। तो *कोई भी बात जिसको भूलने चाहते हैं, उसको सेकण्ड में बिन्दी लगा सकते हैं?*
〰✧ जो फारेनर्स लगा सकते हैं, वह सीधा, लम्बा हाथ उठाओ। मुबारक हो। अच्छा, *जो समझते हैं कि एक सेकण्ड में नहीं एक घण्टा तो लगेगा ही? सेकण्ड तो बहुत थोडा है ना! एक घण्टे के बाद बिन्दी लग सकती है, वह हाथ उठाओ। जो घण्टे में बिन्दी लगा सकते हैं, वह हाथ उठाओ।*
〰✧ देखा, फारेनर्स तो बहुत अच्छे हैं। भारतवासी भी जो समझते हैं एक घण्टे में नहीं आधे दिन में बिन्दी लग सकती है, वह हाथ उठाओ। (कोई ने हाथ नहीं उठाया) हैं तो सही, बापदादा को पता है। बापदादा तो देखता रहता है, हाथ नहीं उठाते, लेकिन लगता है। लेकिन *समझो आधा दिन लगे, एक घण्टा लगे और आपको एडवांस पार्टी का निमन्त्रण आ जाए तो? तो क्या रिजल्ट होगी?*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ अगर आवाज से परे निराकार रूप में स्थित हो फिर साकार में आयेंगे, तो फिर औरों को भी उस अवस्था में ला सकेंगे। *एक सेकण्ड में निराकार एक सेकण्ड में साकार - ऐसी ड़िल सीखनी है। अभी-अभी साकारी। जब ऐसी अवस्था हो जायेगी तब साकार रूप में हर एक को निराकार रूप का आप से साक्षात्कार हो।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- भगवान के भाग्यवान बच्चे समझना*"
➳ _ ➳ *विश्व कल्याण के लिए निकली फरिश्तों की टोली के समूह में...मै आत्मा
फ़रिश्ते स्वरूप में विश्व ग्लोब पर... मीठे बाबा से सुख, शांति, प्रेम की तरंगो
को लेकर... निरन्तर बरसा रही हूँ... और फिर सूक्ष्म वतन में ठहर जाती हूँ...*
मीठे बाबा और मै फ़रिश्ता...मेरा हाथ थामे मीठे बाबा सूक्ष्म वतन में गुफ्तगू
करते टहलते है... अपने प्यारे बाबा को दिल के इतना करीब देख... मै आत्मा अपने
सोभाग्य पर मुस्कराती हूँ... और *सोचती हूँ वाह रे भाग्य मेरे, तूने यूँ भगवान
का हाथ मेरे हाथो में दे दिया*....
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को विश्व के कल्याण की जिम्मेदारी को समझाते हुए बोले
:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... सबको अपने जैसा महान भाग्यशाली बनाओ... *हर बिछड़े
दिल को सच्चे पिता से मिलवाकर, खुशियो की जन्नत दिलवाओ.*.. सच्ची खुशियो से सबका
दामन सजाओ... जो खजाने आप बच्चों ने पाये है उन्हें दिल खोल कर लुटाओ..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने बाबा की उम्मीदों का इस कदर सितारा बनकर कहती हूँ :-* "मीठे
बाबा मेरे... भगवान को यूँ कभी काम आऊँगी भला... यह तो सपनो में भी न सोचा
था... *यूँ खुशियो की महारानी बनी... मै आत्मा सबको इस दौलत से सजाऊँगी ऐसा
आत्मिक भाव, और विशाल दिल देकर... आपने मेरे बौनेपन को अनन्त में बदल दिया
है..."*
❉ *प्यारे बाबा मुझे ज्ञान रत्नों की जागीरों से भरते हुए बोले :-* "मीठे लाडले
बच्चे... मै ईश्वर पिता अपने महान बच्चों की ओर मदद की नजरो से सदा ही देखता
हूँ... मेरे बिछड़े जिगर के टुकुडो को मुझसे मिलवाओ... *उनके दुखो में थके कदमो,
और मेरी खोज में पथरायी आँखों को, सदा की ख़ुशी और सुकून दे आओ... उन्हें भी आप
समान सोभाग्य से सजाओ...."*
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा को मुझ आत्मा को इतना प्यार सम्मान और दुलार देते
देख कहती हूँ :-* "मीठे सिकीलधे बाबा... *आपसे पाया असीम प्यार... मै आत्मा हर
मन आँगन में बिखेर रही हूँ... सच्चे सुखो की अधिकारी बनाकर सच्ची मुस्कान से सजा
रही हूँ...* स्वर्ग के सुख भरे फूल उनके दामन में खिला रही हूँ..."
❉ *मीठे प्यारे बाबा मुझ आत्मा को मा सुख दाता बनाते हुए बोले :-* "मीठे सिकीलधे
बच्चे... आप समान सोभाग्यशाली हर आत्मा को भी बनाओ... *सच्चे सुख आनन्द से भरा
जीवन सबकी जागीर बनाओ... विश्व पिता से पायी सच्ची खुशियो की बहार...* हर दिल
पर खिलाओ.. और मायूस अधरों पर सच्ची सुख भरी मुस्कान सजाओ...
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा को सच्चे दिल से वादा करते हुए कहती हूँ :-* "मीठे
प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपसे पाये ज्ञान रत्नों की दौलत और ईश्वरीय प्यार
की खुशनसीबी का अधिकारी सबको बना रही हूँ... विकारो से मुक्त कराकर ईश्वरीय दिल
का तख्त दिलवा रही हूँ... *भटके हुए दिलो को आपके हाथो में लाकर, सदा का
निश्चिन्त बना रही हूँ...* ऐसी मीठी रुहरिहानं अपने बाबा से करके... मै आत्मा
साकार वतन में आ गयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- अपने भाग्य की झलक प्रत्क्षय रूप में दिखाना *"
➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में ला कर मैं अपने संगमयुगी
ब्राह्मण जीवन के बारे में विचार कर रही हूं कि *कितनी पदमा पदम सौभाग्यशाली
हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान ने आ कर ब्राह्मण जीवन रूपी अनमोल तोहफा मुझे दे
कर मेरे कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बना दिया*। कोटो में कोई,
कोई में भी कोई का जो गायन है वो मेरे लिए ही तो है। मैं ही तो हूँ वो
कोटो में कोई और कोई में भी कोई वो भाग्यशाली आत्मा जिसे स्वयं भगवान ने चुना
है। बड़े बड़े महा मण्डलेशवर,
साधू सन्यासी भगवान की महिमा के गीत तो गाते आये लेकिन आज तक उसे पहचान
नही पाए।
➳ _ ➳ जिस भगवान की महिमा के गीत दुनिया गाती है वो भगवान रोज मेरे
सम्मुख आकर मेरी महिमा के गीत गाता है। रोज मुझे स्मृति दिलाता है कि मैं महान
आत्मा हूँ। मैं विशेष आत्मा हूँ। मैं इस दुनिया की पूर्वज आत्मा हूँ। *अपने
सर्वश्रेष्ठ भाग्य के बारे में विचार करते करते मैं अपने मीठे प्यारे बाबा की
मधुर याद में एकाग्र हो कर जैसे ही बैठती हूँ ऐसा अनुभव होता है जैसे अपने लाइट
माइट स्वरूप में बाबा मेरे सम्मुख आ कर खड़े हो गए हैं*।
➳ _ ➳ बाबा अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर मुझे श्रेष्ठ स्वमानों की स्मृति
दिलाते हुए मुझ से कह रहें हैं - मेरे मीठे बच्चे,
तुम साधारण नही हो। मैंने तुम्हे संसार की करोड़ो आत्माओं में से चुना है
महान कार्य करने के लिए। इसलिये तुम बहुत महान हो। *अपनी सर्वशक्तियाँ,
सर्व खजाने मैंने तुम्हे दे दिए हैं। इसलिए इस बात को स्वीकार करो कि
तुम मास्टर सर्वशक्तिवान हो*। मंदिरों में तुम्हारी ही पूजा हो रही है। तुम
इष्ट देवी हो। सबके विघ्नों को हरने वाले तुम ही विघ्न विनाशक गणेश हो। तुम
पूर्वज हो। तुम विजय माला के मणके हो। तुम्हारी माला सिमर कर आज भी भक्त
समस्यायों से मुक्त हो रहें हैं। तुम दुनिया की सभी आत्माओं को दुखो से छुड़ाने
वाले फरिश्ते हो।
➳ _ ➳ स्वयं भगवान के मुख से अपने लिए इतने श्रेष्ठ स्वमान पा कर एक
अलौकिक रूहानी नशे से मैं ब्राह्मण आत्मा भरपूर होती जा रही हूं। *मुझे अनुभव
हो रहा है जैसे एक जागती हुई ज्योति प्रकाश के शरीर में भृकुटि सिहांसन पर
विराजमान हो कर चमक रही है जिसकी दिव्य आभा चारों और फैल रही है*। अपनी दिव्य
आभा चारों और फैलाती हुई अपनी प्रकाश की सूक्ष्म काया के साथ मैं आत्मा अब
साकारी देह से निकल कर अपने भाग्य विधाता भगवान बाप से मिलन मनाने चल पड़ती हूँ,
इस साकारी दुनिया को छोड़ उस निराकारी दुनिया में जहां मेरे भाग्य के
रचयिता मेरे बाबा रहते हैं।
➳ _ ➳ सेकेंड में पांच तत्वों की बनी इस साकारी दुनिया को पार कर मैं
पहुंच जाती हूँ अपने शिव पिता के पास। अब मैं देख रही हूँ स्वयं को अपने स्वीट
साइलेन्स होम परमधाम में। *सामने ज्योति पुंज के रूप में मेरे भाग्य की रचना
करने वाले मेरे मीठे शिव बाबा और उनके सामने मैं चमकती हुई ज्योति बिंदु आत्मा*।
मन ही मन संकल्पो के द्वारा मैं अपने मीठे बाबा का आभार प्रकट कर रही हूं । मुझे
नवजीवन देने वाले मेरे मीठे बाबा आपका निस्वार्थ असीम प्यार पा कर मेरा जीवन
धन्य धन्य हो गया है। *इस जीवन में अब कुछ भी पाने की इच्छा शेष नही रही*। जो
मैंने पाना था वो आपसे मैंने सब कुछ पा लिया है।
➳ _ ➳ मेरे संकल्पो में छुपे प्रेम के अहसास को मेरे मीठे बाबा जान कर
और समझ कर अब *अपना असीम प्रेम शक्तिशाली किरणों के रूप में निरन्तर मुझ पर बरसा
रहे हैं* और उनके प्रेम की गहराई में मैं डूबती जा रही हूं।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺
*मैं सब को खुशखबरी सुनाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं खुशी के खजाने से भरपूर भंडार आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
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*मैं आत्मा सदा योग्य बन जाती हूँ ।*
✺ *मैं कर्म और योग का सदैव बैलेंस रखती हूँ ।*
✺ *मैं कर्मयोगी हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ (बापदादा ने बहुत पावरफुल ड्रिल कराई) अच्छा - यही अभ्यास हर समय बीच-बीच में करना चाहिए। *अभी-अभी कार्य में आये, अभी-अभी कार्य से न्यारे, साकारी सो निराकारी स्थिति में स्थित हो जाएं।* ऐसे ही यह भी अनुभव देखा, *कोई समस्या भी आती है तो ऐसे ही एक सेकण्ड में साक्षीदृष्टा बन, समस्या को एक साइडसीन समझ, तूफान को तोहफा समझ उसको पार करो।* अभ्यास है ना? आगे चलकर तो ऐसे अभ्यास की बहुत आवश्यकता पड़ेगी। फुल स्टाप। क्वेश्चन मार्क नहीं, यह क्यों हुआ, यह कैसे हुआ? हो गया। *फुलस्टाप और अपने फुल शक्तिशाली स्टेज पर स्थित हो जाओ। समस्या नीचे रह जायेगी, आप ऊँची स्टेज से समस्या को साइडसीन देखते रहेंगे।* अच्छा।
✺ *ड्रिल :- "समस्या को साइड-सीन समझ पार करने का अनुभव करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा फरिश्ता स्वरुप की प्रकाशमय काया में हूँ... मेरे सामने मीठे बापदादा खड़े हैं... जिन्हें देखकर मैं फरिश्ता अति आनंदित हो रहा हूँ... मीठे बापदादा मुझे सर्व शक्तियों और गुणों से श्रृंगार रहे हैं...* अपने बापदादा के साथ के ये पल कितने सुंदर हैं... कितने सुहाने हैं... बापदादा मेरा हाथ पकड़ मुझे सैर के लिए ले जाते हैं... मैं आत्मा रूहानी नशे और ख़ुमारी में मगन हो... प्यारे बापदादा के साथ चल रही हूँ...
➳ _ ➳ *बापदादा मुझे प्रकृति के भिन्न-भिन्न सीन दिखा रहे हैं...* मुझे कभी लहलहाते खेतों में ले जाते हैं... कभी सुरम्य वादियों में... जहां की हरियाली मन को आनंदित कर रही है... बाबा कभी मुझे नदी, झील, झरनों के किनारे ले जाते हैं... जहां का कल कल करता जल समूचे वातावरण में... मधुर ध्वनि घोल रहा है... चारों और शीतलता फैला रहा है... पक्षियों का कलरव कानों में मधुरस बरसा रहा है... कभी बापदादा मुझे दुर्गम रास्तों पर, दुर्गम पहाड़ियों पर ले जाते हैं... जहां कुछ कदम चलना ही जोखिम भरा है... कभी बाबा मुझे रेगिस्तान में चिलचिलाती धूप का, कभी अतिवृष्टि, तो कभी अनावृष्टि का सीन दिखाते हैं... *ये विभिन्न सीन सीनरियाँ दिखाते हुए मानो बाबा कह रहे हैं कि... यह विविधता ही प्रकृति का सौंदर्य है... हमें हर सीन का आनंद लेना है...*
➳ _ ➳ बाबा से मिली इस टचिंग पर मैं आत्मा गहराई से चिंतन कर रही हूँ... बाबा अब मुझे रूहानी ड्रिल करा रहे हैं... मैं निराकारी स्थिति में स्थित हूँ... मैं प्रकाश की मणि हूँ... ज्योतिबिंदु आत्मा हूँ... अपने बिंदी बाबा से सर्व शक्तियां स्वयं में समाती जा रही हूँ... *मैं प्रकाशमय आत्मा अपने स्थूल शरीर में प्रवेश करती हूँ... मैं सब प्रकार के कर्मबन्धनों से, कर्मों के प्रभाव से मुक्त हूँ...* मैं देह से न्यारी निराकार आत्मा हूँ... मैं आत्मा निमित्त मात्र ट्रस्टी बनकर हर कर्म कर रही हूँ... देह, कर्म का बंधन मुझे बांध नहीं सकता... मैं सर्व बंधनों से मुक्त न्यारी और प्रभु प्यारी आत्मा हूँ... *मैं आत्मा सेकेंड में देह से न्यारे होने का अभ्यास कर रही हूँ... कर्म में आना और सेकंड में अशरीरी बनना... मुझ आत्मा के लिए सहज बनता जा रहा है...*
➳ _ ➳ मैं साक्षी होकर हर परिस्थिति को देख रही हूँ... जीवन में सुखदाई पल भी आते हैं... तो चैलेंजिंग घड़ियाँ भी आती हैं... *हर परिस्थिति में मैं आत्मा स्वयं को डिटैच देख रही हूँ... मैं आत्मा हर पल का आनंद ले रही हूँ...* जैसे ट्रेन, बस में यात्रा करते हैं उसमें हर सीन का हम आनंद लेते हैं क्योंकि हमें पता होता है कि यह साइड सीन हैं... ये आने ही हैं... इन्हें हम बदल नहीं सकते... ठीक इसी प्रकार *मैं आत्मा जीवन में आने वाली हर परिस्थिति को साक्षी होकर देख रही हूँ...*
➳ _ ➳ जीवन यात्रा में आने वाला हर विघ्न, समस्या मुझ शक्तिशाली आत्मा के लिए एक तोहफा बन रही है... जो मुझे आगे बढ़ाने की, सफलता और संपूर्णता की ओर ले जाने की सीढ़ी बन गई है... *मैं सेकंड में बिंदी रूप में स्थित हो रही हूँ... क्यों, क्या के प्रश्नों से मुक्त होकर मैं प्रसन्नचित आत्मा बन रही हूँ...* मैं व्यर्थ बातों से मुक्त होती जा रही हूँ... मैं कल्याणकारी आत्मा, कल्याणकारी बाबा और कल्याणकारी ड्रामा की स्मृति से व्यर्थ को सेकंड में फुलस्टॉप लगा रही हूँ... बातों को जल्दी जल्दी खत्म कर रही हूँ... *फुलस्टॉप लगाने और अपने शक्तिशाली फरिश्ता स्टेज की ऊंची स्थिति में... स्थित होने के कारण बातें नीचे ही रह जाती हैं... और बातों का प्रभाव मुझ पर नहीं हो रहा है...* मैं बातों को साइडसीन मानकर उन्हें सहजता से क्रॉस कर रही हूँ... जीवन के हर पल का मीठे बाबा के साथ से आनंद ले रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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