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❍ 11 / 03 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *इस पुरानी दुनिया से दिल तो नहीं लगाई ?*
➢➢ *सबके कानो में मीठी मीठी बातें सुनायी ?*
➢➢ *पवित्रता की शक्ति द्वारा सदा सुख के संसार में रहे ?*
➢➢ *"मैं आत्मा हूँ... शरीर नहीं" - यह चिंतन किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *बापदादा का बच्चों से इतना प्यार है जो समझते हैं हर एक बच्चा मेरे से भी आगे हो ।* दुनिया में भी जिससे ज्यादा प्यार होता है उसे अपने से भी आगे बढ़ाते हैं । यही प्यार की निशानी है । *तो बापदादा भी कहते हैं मेरे बच्चों में अब कोई भी कमी नहीं रहे, सब सम्पूर्ण, सम्पन्न और समान बन जाये ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बाप की विशेष आत्मा हूँ"*
〰✧ सभी अपने को बाप की विशेष आत्मायें अनुभव करते हो? सदा यही खुशी रहती है कि जैसे बाप सदा श्रेष्ठ है वैसे हम बच्चे भी बाप समान श्रेष्ठ हैं? इसी स्मृति से सदा हर कर्म स्वत: ही श्रेष्ठ हो जायेगा। जैसा संकल्प होगा वैसे कर्म होंगे। तो सदा स्मृति द्वारा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहने वाली विशेष आत्मायें हो। *सदा अपने इस श्रेष्ठ जन्म की खुशियां मनाते रहो। ऐसा श्रेष्ठ जन्म जो भगवान के बच्चे बन जायें - ऐसा सारे कल्प में नहीं होता। पाँच हजार वर्ष के अन्दर सिर्फ इस समय यह अलौकिक जन्म होता है।*
〰✧ सतयुग में भी आत्माओंके परिवार में आयेंगे लेकिन अब परमात्म सन्तान हो। तो इसी विशेषता को सदा याद रखो। *सदा - मैं ब्राह्मण ऊँचे ते ऊँचे धर्म, कर्म और परिवार का हूँ। इसी स्मृति द्वारा हर कदम में आगे बढ़ते चलो। पुरुषार्थ की गति सदा तेज हो। उड़ती कला सदा ही मायाजीत और निर्बन्धन बना देगी।* जब बाप को अपना बना दिया तो और रहा ही क्या। एक रह गया था। एक में ही सब समाया हुआ है। एक की याद में, एकरस स्थिति में स्थित होने से शान्ति, शक्ति और सुख की अनुभूति होती रहेगी। जहाँ एक है वहाँ एक नम्बर है।
〰✧ तो सभी नम्बरवन हो ना। एक को याद करना सहज है या बहुतों को? बाप सिर्फ यही अभ्यास कराते हैं और कुछ नहीं। *दस चीजें उठाना सहज है या एक चीज उठाना सहज है? तो बुद्धि द्वारा एक की याद धारण करना बहुत सहज है। लक्ष्य सबका बहुत अच्छा है। लक्ष्य अच्छा है तो लक्षण अच्छे होते ही जायेंगे।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ जैसे लाइट हाऊस, माइट हाऊस सेकण्ड में ऑन करते ही अपनी लाइट फैलाते हैं, ऐसे आप सेकण्ड में लाइट हाऊस बन चारों ओर लाइट फैला सकते हो? यह स्थूल आँख एक स्थान पर बैठ दूर तक देख सकती है ना! फैला सकती है ना अपनी दृष्टि! ऐसे *आप तीसरे नेत्र द्वारा एक स्थान पर बैठे चारों ओर वरदाता, विधाता बन नजर से निहाल कर सकते हो? *
〰✧ अपने को सब बातों में चेक कर रहे हो? इतना तीसरा नेत्र क्लीन और क्लीयर है? *सभी बातों में अगर थोडी भी कमजोरी है, तो उसका कारण पहले भी सुनाया है कि यह हद का लगाव ‘मैं और मेरा' है।* जैसे मैं के लिए स्पष्ट किया था - होमवर्क भी दिया था। तो मैं को समाप्त कर एक मैं रखनी है। सभी ने यह होमवर्क किया?
〰✧ जो इस होमवर्क में सफल हुए वह हाथ उठाओ। बापदादा ने सबको देखा है। *हिम्मत रखो, डरो नहीं* हाथ उठाओ। अच्छा है *मुबारक मिलेगी।* बहुत थोडे हैं। इन सबके हाथ टी.वी. में दिखाओ। बहुत थोडों ने हाथ उठाया है। अभी क्या करें? सभी को अपने ऊपर हँसी भी आ रही है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *आप लोगों का जो गायन है अन्त:वाहक शरीर द्वारा बहुत सैर करते थे, उसका अर्थ क्या है? यथार्थ अर्थ यही है कि अन्त के समय की जो आप लोगों की कर्मातीत अवस्था की स्थिति हैं* वह जैसे वाहन होता हैं ना। कोई न-कोई वाहन द्वारा सैर किया जाता है। कहाँ का कहाँ पहुँच जाते हैं ! *वैसे जब कर्मातीत अवस्था बन जाती है तो यह स्थिति होने से एक सेकण्ड में कहाँ का कहाँ पहुँच सकते हैं। इसलिए अन्त:वाहक शरीर कहते हैं।* वास्तव में यह अन्तिम स्थिति का गायन है। उस समय आप इस स्थूल शरीर की भान से परे रहते हो। इसलिए इनको सूक्ष्म शरीर भी कह दिया है। *जैसे कहावत है - उड़ने वाला घोडा। तो इस समय के आप सभी के अनुभव की यह बातें हैं जो कहानियों के रूप में बनाई हुई है। एक सेकण्ड में आर्डर किया यहाँ पहुँचो ; तो वहाँ पहुँच जायेगा।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप के बच्चे मालिक बनना"*
➳ _ ➳ *मीठे बाबा की यादों में डूबी मैं आत्मा मधुबन पावन भूमि पर कदम रखती हूँ... चारों और पावनता की खुशबू से सराबोर यह भूमि मीठे बाबा की मधुर स्मृतियों को समेटे हुए है... मैं आत्मा बाबा के प्रेम में मन्त्रमुग्ध होकर बाबा के कमरे में पहुँच जाती हूँ...* और उनके सम्मुख बैठ जाती हूँ... मीठे बाबा मुस्कुराते हुए मीठी दृष्टि देते हैं... बाबा अपनी मीठी दृष्टि से मुझे इस पुरानी दुनिया से न्यारी बना रहे हैं... नई दुनिया में जाने के लिए पुरानी दुनिया के सभी बातों को भूलकर मैं आत्मा प्यारे बाबा के नये ज्ञान को बहुत ही ध्यान से सुनकर धारण करती हूँ...
❉ *सूर्यवंशी राजपद लेने के लिए नया ज्ञान देकर मुझे सम्पूर्ण और सम्पन्न बनाते हुए ज्ञान सूर्य बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे बच्चे... सारे बोझ सारी चिंताए मुझ पिता को देकर हल्के होकर उड़ते रहो... सब स्वाहा कर खुशियो से भर जाओ... *पिता बैठा है ना... सब उसको थमा दो... और निश्चिन्त हो आनन्द भरी उड़ान भरो... सदा सुखदायी दुनिया के मालिक बनो...”*
➳ _ ➳ *बाबा के प्यार में दीवानी होकर अपने खूबसूरत भाग्य पर बलिहार जाती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपना सबकुछ प्यारे बाबा को सौप रही हूँ... *अपना सब स्वाहा कर बाबा से खूबसूरत सुखो को ले रही हूँ... सारे मीठे सतयुगी सुख अपने नाम लिखवा रही हूँ...”*
❉ *स्वर्ग सुखों को मेरे क़दमों तले सजाते हुए नई दुनिया के रचयिता मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे बच्चे... ऐसा पिता कहाँ मिलेगा भला जो पुराना लेकर सब नए में बदल लौटा दे... *सारे विश्व को बच्चों के कदमो तले ला दे... सतयुगी सुखो से जीवन खुशनुमा बना दे... सुकून भरी सच्ची खुशियां दामन में सजा दे...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अन्धकार भरे पुराने जीवन से निकल नए स्वर्णिम प्रकाश भरी दुनिया की मालिक बनते हुए कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *आपके बिना यह जीवन कितना दुखमय था... आपने आकर मुझ आत्मा को सच्चा सुकून सदा का दे दिया है...* मुझ आत्मा ने अपना सब आपको समर्पित कर सारे सुखो का टिकट ले लिया है...”
❉ *सत्य ज्ञान का धरोहर देकर सतयुगी सुखों से मेरे भाग्य को ऊँचा बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे बच्चे... *सच्चे पिता से सारे सतयुगी सुख ले लो... सूर्यवंशी राजपद अपने नाम लिखवा लो... इस मिटटी के रिश्तो... दारुण दुखो से निकल खूबसूरत दुनिया में चलो...* सदा की सुखो की ठंडक भरी छाँव वाली दुनिया को बाँहो में भरो...”
➳ _ ➳ *अपने भाग्य की झोली को सर्व वरदानों और सर्व सुखों से भरकर मैं भाग्यशाली आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मेरा सारा कालापन ले लो... मुझे सुनहरा सा कर खूबसूरत बना दो... *मुझे जन्नत की ठण्डी छाँव में बिठा दो... मै आत्मा अपना सबकुछ आपको सौप रही हूँ और सूर्यवंशी हो रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- मनसा-वाचा-कर्मणा कोई को भी दुख नही देना है*"
➳ _ ➳ स्वयं भगवान द्वारा पढ़ाई जाने वाली इस ईश्वरीय पढ़ाई में पास विद
ऑनर होने के लक्ष्य को पाने के लिये मुझे इस बात का पूरा ख्याल रखना है कि कभी
भी मनसा - वाचा - कर्मणा मुझ से कोई भी भूल ना हो। *मन ही मन स्वयं से यह दृढ़
प्रतिज्ञा कर मैं एकांत में बैठ अपनी चेकिंग करती हूँ कि क्या मेरे हर संकल्प,
बोल और कर्म में सर्व के प्रति कल्याण की भावना समाई रहती है*! मेरे
संकल्प व्यर्थ और अकल्याणकारी तो नही होते! मेरे बोल दूसरों को दुख देने का
कारण तो नही बनते और मुझसे ऐसा कोई कर्म तो नही होता जिससे किसी को कष्ट हो!
➳ _ ➳ यह सोचते और अपनी चेकिंग करते हुए मैं विचार करती हूँ कि दुख
हर्ता सुख कर्ता बाप की सन्तान मैं आत्मा भी तो उनके समान मास्टर दुख हर्ता सुख
कर्ता हूँ तो *बाप समान सर्व आत्माओं को दुःखो से छुड़ा कर उन्हें सुख देना मेरा
परम कर्तव्य है और इस कर्तव्य को पूरा करने के लिए अपने हर संकल्प,
बोल और कर्म पर मुझे विशेष अटेंशन अवश्य देना है*। इसी दृढ़ संकल्प के
साथ मनसा वाचा कर्मणा तीनो रूपों से स्वयं को शक्तिशाली बनाने के लिए अब मैं
अपने शिव पिता के पास जाने का संकल्प कर,
अशरीरी स्थिति के अभ्यास द्वारा अपने दिव्य ज्योतिर्मय स्वरूप में स्थित
होती हूँ और मन बुद्धि को हर चीज के प्रभाव से मुक्त कर,
अपने सम्पूर्ण ध्यान को केवल भृकुटि पर एकाग्र कर लेती हूँ।
➳ _ ➳ एकाग्रता की शक्ति सेकण्ड में मुझे देह और देह की दुनिया के हर
प्रकार के आकर्षण से मुक्त कर अति न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित कर देती
है। *ज्ञान के दिव्य चक्षु से मुझे मेरा पूर्ण प्रकाशित स्वरूप स्पष्ट दिखाई
देने लगता है*। मेरा यह अति सुन्दर न्यारा और प्यारा स्वरूप मुझे डीप साइलेन्स
का गहराई तक अनुभव करवा रहा है। देह,
देह से जुड़ी हर वस्तु से मैं स्वयं को पूर्णतया मुक्त अनुभव करने लगी
हूँ।
➳ _ ➳ इस न्यारी अवस्था में स्थित होते ही मैं स्वयं को विदेही,
निराकार और मास्टर बीज रुप स्थिति में अपने बीच रुप परम पिता परमात्मा,
संपूर्णता के सागर,
पवित्रता के सागर,
सर्वगुण और सर्व शक्तियों के अखुट भंडार,
ज्ञान सागर,
पारसनाथ बाप के सामने परम धाम में देख रही हूँ। *कोई संकल्प कोई विचार
अब मेरे मन में नही है। एकदम निर्संकल्प अवस्था। बस बाबा और मैं। बीज रुप बाप
के सामने मैं मास्टर बीज रुप आत्मा डेड साइलेंस की स्थिति में स्थित हो कर
अतीन्द्रिय सुख का सहज अनुभव कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ स्वयं को निराकार महाज्योति अपने प्यारे परम पिता परमात्मा शिव
बाबा के सम्मुख देखते हुए उनसे निकल रही अनन्त शक्तियों को स्वयं में समा कर
मैं स्वयं को शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। उनकी किरणों की शीतल छाया मुझे गहन
शांति का अनुभव करवा रही हैं। *सर्वशक्तियों से भरपूर हो कर मैं आ जाती हूँ
परमधाम से नीचे फरिश्तों की जगमग करती हुई दुनिया में*। सफेद चमकीली फरिश्ता
ड्रेस धारण कर मैं फरिश्ता पहुँच जाता हूँ अव्यक्त वतन वासी अपने प्यारे ब्रह्मा
बाबा के सामने जिनकी भृकुटि में शिवबाबा चमक रहें हैं। *बापदादा बड़े प्यार से
निहारते हुए अपनी मीठी दृष्टि मुझ पर डाल रहे हैं। उनकी शक्तिशाली दृष्टि से
मुझ फरिश्ते के अंदर परमात्म बल भरता जा रहा है जो मुझे शक्तिशाली बना रहा है*।
➳ _ ➳ परमात्म बल,
परमात्म शक्तियों से भरपूर हो कर मैं आत्मा अब वापिस अपनी कर्मभूमि पर
लौट आती हूँ और अपना देह रूपी वस्त्र धारण कर पास विद ऑनर होने के पुरुषार्थ
में लग जाती हूँ। *अपनी अवस्था जमाने के लिए मैं हर कर्म अब अपने प्राण प्रिय
शिव बाबा की याद मे रहकर करती हूँ*। चलते फिरते बुद्धि का योग केवल अपने शिवपिता
के साथ जोड़ कर,
अपनी मनसा,
वाचा,
कर्मणा पर मैं सम्पूर्ण अटेंशन देती हूँ। मनसा वाचा कर्मणा तीनो रूपों
में किसी को भी मेरे कारण दुख न पहुंचे,
इस बात पर सम्पूर्ण ध्यान देते हुए,
अपने सम्पूर्णता के लक्ष्य को पाकर पास विद होने का पुरुषार्थ अब मैं
निरन्तर कर रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं पवित्रता की शक्ति धारण करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सदा सुख के संसार मे रहने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं आत्मा बेगमपुर की बादशाह हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा स्वचिन्तन करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा हूँ, शरीर नहीं- यही चिन्तन करती हूँ ।*
✺ *मैं अशरीरी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. बहुत दुःखी हैं। *बापदादा को अभी इतना दुःख देखा नहीं जाता है।* पहले तो आप शक्तियों को, देवता रूप पाण्डवों को रहम आना चाहिए। *कितना पुकार रहे हैं।* *अभी आवाज पुकार का आपके कानों में गूँजना चाहिए।* समय की पुकार का प्रोग्रा्म करते हो ना! *अभी भक्तों की पुकार भी सुनो, दुःखियों की पुकार भी सुनो।*
➳ _ ➳ 2. अभी थोड़ी-थोड़ी पुकार सुनो तो सही, *बिचारे बहुत पुकार रहे हैं, जिगर से पुकार रहे हैं, तड़फ रहे हैं।* *साइंस वाले भी बहुत चिल्ला रहे हैं, कब करें, कब करें, कब करें पुकार रहे हैं।*
➳ _ ➳ 3. आपका गीत है - दुःखियों पर कुछ रहम करो। *सिवाए आपके कोई रहम नहीं कर सकता।* *इसलिए अभी समय प्रमाण रहम के मास्टर सागर बनो।* स्वयं पर भी रहम, अन्य आत्माओं प्रति भी रहम। *अभी अपना यही स्वरूप लाइट हाउस बन भिन्न-भिन्न लाइटस की किरणें दो।* *सारे विश्व की अप्राप्त आत्माओं को प्राप्ति की अंचली की किरणें दो।* अच्छा।
✺ *ड्रिल :- "रहम के मास्टर सागर बन भक्तों की, दुःखियों की पुकार सुनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने इष्ट देवी के स्वमान में स्थित हूँ... परमात्मा की दी हुई सर्व शक्तियों से भरपूर हूँ... *मैं आत्मा अपने पूज्य स्वरूप में हूँ...* *मैं सभी मनुष्यों की दु:ख भारी पुकार सुन रही हूँ...* भगवान के पास भी यह पुकार जा रही हैं... कितना दु:ख हैं... मैं शिव शक्ति हूँ... *मुझे सभी दु:खी आत्माओं के ऊपर बहुत रहम आ रहा हैं...* सभी दु:खी आत्मायें पुकार रही है... कि आओ हमारे दु:ख हरो... *मैं आत्मा मैं शिव की शक्ति सभी दु:खी आत्माओं को शांति की किरणें दे रही हूँ...* मैं देख रही हूँ... सभी आत्मायें शांति पा रही हैं... *सभी के दु:ख हरने वाली मैं माँ दुर्गा हूँ...* सभी की पुकार कि अब बहुत दु:ख बढ़ गया हैं... मेरे कानों में ये आवाज़ गूंज रही हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने रहम के *सागर पिता के समान मास्टर रहम का सागर हूँ...* मैं आत्मा देख रही हूँ कि *मेरे आगे भक्त आत्माओं की लाइन लगी हुई है...* सभी आत्मायें बहुत दु:खी है... वो मन्नते मांग रहे है... *मैं आत्मा अपने पूज्य स्वरूप से सभी की मनोकामना पूर्ण कर रही हूँ...*
•➳ _ ➳ सभी दु:खी आत्माओं को शांति चाहिये... यही पुकार मुझ तक पहुँच रही है... *साइंस वाले भी पुकार रहे है कि जो हमने इंवेनशन की हैं...* *जो साधन नई दुनियां के स्थापन के निमित्त बने हुए हैं...* *उनका उपयोग कब करें...* क्योंकि दु:ख और हलचल बढ़ती ही जा रही हैं... सभी आत्माओं को शांति चाहिये... सभी पुकार रहे है... सभी दु:खी आत्माए तड़प रही है... वो प्रेम और शांति की प्यासी हैं... *सभी आत्मायें आश भरी नजरों से हमे देख रही हैं...* *और मैं आत्मा सबकी आश पूरी कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ बाबा कहते बच्चे आप लोग जल्दी जल्दी संपूर्ण बनो... *ये हलचल, ये विनाश के साधन सब आपके लिए रुके हुए है...* प्रकृति भी आधा कल्प से दु:ख सहन कर चुकी हैं... *सब आपका इंतजार कर रहे हैं...* *आप बच्चों का ही यह काम हैं...*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मास्टर रहम का सागर हूँ...* *मैं आत्मा सभी आत्माओं को शांति का सकाश दे रही हूँ...* *मुझ मास्टर शांति के सागर के सिवाय दु:खी आत्माओं को रहम, शांति दे नही सकता...* मैं आत्मा परमपिता परमात्मा से और शक्तियां लेकर और शक्तिशाली बनती जा रही हूँ... और *मास्टर रहम का सागर बन सभी दुखी आत्माओं को रहम, प्यार की किरणें दे रही हूँ...* मैं आत्मा स्वयं पर भी रहम करते हुए और आगे बढ़ती जा रही हूँ... *मैं आत्मा सभी आत्माओ को बाप का, सुख की दुनियां का परिचय देकर सुख का रास्ता बता रही हूँ...* *मैं आत्मा लाइट हाउस हूँ...* *सभी आत्माओं को सुख, प्रेम, आनंद, शक्ति की किरणें दे रही हूँ...* सारे विश्व की आत्मायें जो भटक रही हैं... मांग रही हैं... पुकार रही हैं... उन *सभी आत्माओं को प्राप्ति की अंचली की किरणें दे रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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