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❍ 13 / 01 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *एक बाप के सिवाए कोई मित्र सम्बन्धी आदि याद तो नहीं आया ?*
➢➢ *ऑनेस्ट बन स्वयं को बाप के आगे स्पष्ट किया ?*
➢➢ *सदा सर्वस्व त्यागी की पोजीशन में रहे ?*
➢➢ *सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना और श्रेष्ठ भाव को धारण किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *कोई भी कार्य करते व पार्ट बजाते सागर समान ऊपर से भले हलचल दिखाई दे लेकिन अन्दर की स्थिति नथिंग न्यु की हो।* रचयिता और रचना के अन्त को जानने वाले त्रिकालदर्शी आराम से शान्ति की स्टेज पर ऐसे स्थित हो जाएं जो कोई भी कर्मेन्द्रियों की हलचल आन्तरिक स्टेज को हिला न सके।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"अनेक बार के विजयी हैं - इस स्मृति द्वारा विघ्न विनाशक बनने वाली निश्चयबुद्धि आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को बाप के समीप आत्मा समझते हो? समीप आत्माओंकी निशानी क्या होती है? सदा बाप के समान। *जो बाप के गुण वह बच्चों के गुण। जो बाप का कर्तव्य वह सदा बच्चों का कर्तव्य। हर संकल्प और कर्म में बाप समान, इसको कहते हैं समीप आत्मा। जो समीप स्थिति वाले हैं वे सदा विघ्न विनाशक होंगे।*
〰✧ *किसी भी प्रकार के विघ्न के वशीभूत नहीं होंगे। अगर विघ्न के वशीभूत हो गये तो विघ्न-विनाशक नहीं कह सकते। किसी भी प्रकार के विघ्न को पार करने वाला इसको कहा जाता है विघ्न विनाशक।* तो कभी किसी भी प्रकार के विघ्न को देखकर घबराते तो नहीं हो? क्या और कैसे का क्वेश्चन तो नहीं उठता है?
〰✧ *अनेक बार के विजयी हैं...यह स्मृति रहे तो विघ्न विनाशक हो जायेंगे। अनेक बार की हुई बात रिपीट कर रहे हो, ऐसे सहजयोगी। इस निश्चय में रहने वाली विघ्न विनाशक आत्मां स्वत: और सहजयोगी होंगी।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ बापदादा ने पहले भी कहा है कि जैसे अभी यह पक्का हो गया है कि मैं ब्रह्माकुमारी/ब्रह्माकुमार हूँ चलते-फिरते - सोचते - हम ब्रह्माकुमारी हैं, हम ब्रह्माकुमार ब्राह्मण आत्मा हैं। ऐसे *अभी यह नेचुरल स्मृति और नेचर बनाओ कि ‘मैं फरिश्ता हूँ।”*
〰✧ *अमृतवेले उठते ही यह पक्का करो कि मैं फरिश्ता परमात्म श्रीमत पर नीचे इस साकार तन में आया हूँ,* सभी को सन्देश देने के लिए वा श्रेष्ठ कर्म करने के लिए कार्य पूरा हुआ और अपने शान्ति की स्थिति में स्थित हो जाओ।
〰✧ ऊँची स्थिति में
चले जाओ। एक-दो को भी फरिश्ते स्वरूप में देखो। *आपकी वृत्ति दूसरे को भी धीरे-धीरे फरिश्ता बनादेगी। आपकी दृष्टि दूसरे पर भी प्रभाव डालेगी।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *साइलेंस पॉवर प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जो कहा
वह किया। संकल्प और कर्म में अन्तर नहीं होता। क्योंकि *संकल्प भी जीवन का
अनमोल खजाना है।* जैसे स्थुल खजाने को व्यर्थ नहीं करते हो वैसे शिव शक्तियाँ
जिनकी मूर्त में दोनों गुण प्रत्यक्ष रूप में हैं उन्हों का एक भी संकल्प
व्यर्थ नहीं होता। *एक एक संकल्प से स्वयं का और सर्व का कल्याण होता है।* एक
सेकेण्ड में, एक संकल्प से भी कल्याण कर सकते हैं। इसलिए शक्तियों को कल्याणी
कहते हैं।
〰✧ जैसे बापदादा कल्याणकारी है वैसे बच्चों का भी कल्याणकारी नाम प्रसिद्ध है।
अब तो इतना हिसाब देखना पड़े। *हमारे कितने सेकेण्ड में, कितने संकल्प सफल हुए,
कितने असफल हुए।* जैसे आजकल साइंस ने बहुत उन्नति की है जो एक स्थान पर बैठे
हुए अपने अखों द्वारा एक सेकेण्ड में विनाश कर सकते हैं। तो क्या शक्तियों का
यह साइलेन्स बल कहाँ भी बैठे एक सेकेण्ड में काम नहीं कर सकता?
〰✧ कहाँ जाने की अथवा उन्हों को आने की भी आवश्यकता नहीं। *अपने शुद्ध संकल्पों
द्वारा आत्माओं को खींचकर सामने लायेगा।* जाकर मेहनत करने की आवश्यकता नहीं। अब
ऐसे भी प्रभाव देखेंगे। *जैसे साकार में कहते रहते थे कि ऐसा तीर लगाओ जो तीर
सहित आप के सामने पक्षी आ जाये।* अब यह होगा अपनी विलपावर से।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- चुस्त स्टूडेंट बनना"*
➳ _ ➳ *मैं रूहानी गॉडली स्टूडेंट रूहानी शिक्षक से रूहानी पढाई पढने रूहानी
स्कूल सेंटर पहुँच जाती हूँ... प्यारे बाबा का प्यार से आह्वान करती हूँ...*
मीठे बाबा अपने रंग-बिरंगी ज्ञान-योग की किरणों को फैलाते हुए मेरे सम्मुख आ
जाते हैं और प्यार से मुझे रूहानी पढाई पढ़ाकर रूहानी शिक्षाएं देते हैं...
❉ *मीठा बाबा अवतरित होकर मेरा भाग्य बनाते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल
बच्चे... *मीठा बाबा धरती पर उतरकर शिक्षक बनकर पढ़ा रहा...* विकारो के काँटों
से निकाल दिव्यता का फूल बनाकर सुनहरे सुखो में खिला रहा है... तो इस बहुमूल्य
पढ़ाई में माया रावण के हर विघ्नो से सावधान होकर... *सच्चे स्टूडेंट बनकर अपना
हर पल ख्याल रखो...”*
➳ _ ➳ *ईश्वर को हर कदम में अपने साथ पाकर उनकी गोद में सुख पाते हुए मैं आत्मा
कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वर पिता से ज्ञान
रत्नों को पाकर देवताओ सी धनवान्, निर्मल और पवित्र बनती जा रही हूँ... *प्यारे
बाबा आपने मुझे अपनी मखमली गोद में बिठाया है, और खूबसूरती से सजाया है...
रत्नों से मालामाल बना दिया है...”*
❉ *प्यारे बाबा मायावी विघ्नों से सावधान करते हुए इस ऊँची पढाई का महत्व
समझाते हुए कहते हैं:-* “मेरे प्यारे बच्चे... *यह पढ़ाई असाधारण है जो मनुष्य
से देवताओ सा दिव्य सहज ही बना देती है... इस सच्ची खुशियो को दिलाने वाली पढ़ाई
के रोम रोम से कद्रदान बनो...* माया के हर वार की दूर से ही पहचान शक्तिशाली
बनकर हरा दो... हर साँस, संकल्प में याद और पढ़ाई समायी हो ऐसा जुनूनी बन
जाओ...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा हीरे जैसा भाग्य पाकर अपने जीवन की बागडोर प्यारे बाबा के
हाथों में सौंपकर कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे अमूल्य
खजानो को ज्ञान रत्नों को पाने वाली महान भाग्यवान मणि हूँ... *कभी सोचा भी न
था कि... यूँ भगवान सुध लेगा और मुझे बैठ पढ़ायेगा, निखारेगा... कितना प्यारा
मीठा यह भाग्य मीठे दिन ले आया है...”*
❉ *मेरे बाबा इस अमूल्य ज्ञान से मेरे जीवन की नैया को पार लगाते हुए कहते
हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता के साथ के इन कीमती पलो
में... यादो से और ज्ञान रत्नों से बेशुमार दौलत को बाँहों में भरकर, सदा का
खुशियो में मुस्कराओ... *यह पढ़ाई ही खुशियो का सच्चा आधार है... इसमे हर साँस
को डुबो दो... और विघ्नो से परे रहकर, हर पल इस कीमती पढ़ाई में जुट जाओ...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बेहद के बाप से सर्व खजानों की चाबी इस ऊँची पढाई को पाकर कहती
हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय पढ़ाई से असीम दौलत को
पाने वाली जादूगरी को स्वयं में भर रही हूँ... *मै ज्ञान बुलबुल बनकर खुशियो की
बगिया में चहक रही हूँ... हर दिल को सच्ची पढ़ाई का गीत सुनाकर माया रावण को
रफादफा कर रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺
*"ड्रिल :- श्रीमत पर खुदाई खिदमतगार बनना है*"
➳ _ ➳ अपने खुदा दोस्त के साथ विश्व की सैर करने का ख्याल मन मे आते ही
मैं अशरीरी हो निराकार ज्योति बिंदु आत्मा बन अपने निराकार खुदा दोस्त की याद
में बैठ उनका आह्वान करती हूँ। *मेरे बुलाते ही मेरे खुदा दोस्त अपनी निराकारी
दुनिया परमधाम को छोड़,
फरिश्तों की दुनिया सूक्ष्म लोक में पहुंच कर,
अपने निर्धारित रथ अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो कर
मेरे सामने उपस्थित हो जाते हैं* और आ कर अपना हाथ जैसे ही मेरे मस्तक पर रखते
हैं उनकी लाइट माइट से मेरा साकारी शरीर जैसे एक दम सुन्न हो जाता है और उस
साकारी शरीर मे से अति सूक्ष्म लाइट का फ़रिशता स्वरूप बाहर निकल आता है।
➳ _ ➳ अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर को धारण किये अब मैं फ़रिशता
अपने खुदा दोस्त के साथ चल पड़ता हूँ विश्व भ्रमण को। अपने मन की बातें अपने
दिलाराम दोस्त के साथ करते करते,
प्रकृति के खूबसूरत नजारो का आनन्द लेते लेते मैं सारे विश्व का चक्कर
लगा रहा हूँ। *प्रकृति के सुंदर नजारों का आनन्द लेने के साथ साथ विश्व मे हो
रही दुखदायी घटनाओं को भी मैं देख रहा हूँ*। कहीं प्रकृतीक आपदाओं के कारण होने
वाली तबाही,
कहीं अकाले मृत्यु,
कहीं गृहयुद्ध,
कहीं विकारों की अग्नि में जल रही तड़पती हुई आत्मायें। *इन सभी दृश्यों
को देखते देखते विरक्त हो कर मैं अपने खुदा दोस्त से कहता हूं कि वो जल्दी ही
दुःखो से भरी इस दुनिया को सुख की नगरी बना दे*।
➳ _ ➳ मेरे खुदा दोस्त,
मेरे दिलाराम बाबा मुस्कराते हुए अपना हाथ ऊपर उठाते है और विश्व ग्लोब
को अपने हाथों में उठा लेते हैं। *उनके हाथों से बहुत तेज लाइट और माइट निकल
रही है जो उस विश्व ग्लोब पर पड़ रही है*। देखते ही देखते पूरा विश्व एक बहिश्त
बन जाता है। अब मैं देख रहा हूँ माया रावण की दुःखो से भरी दुनिया के स्थान पर
अपरम अपार सुखों से भरपूर सोने की एक खूबसूरत दुनिया।
➳ _ ➳ खो जाता हूँ मैं उन स्वर्गिक सुखों में। स्वयं को मैं विश्व
महाराजन के रूप में देख रहा हूँ। *हीरे जवाहरातों से सजे महल। प्रकृति का
अद्भुत सौंदर्य। सोलह कला सम्पूर्ण,
सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादा पुरुषोत्तम देवी-देवतायों की अति मनभावन इस
दुनिया में राजा हो या प्रजा सभी असीम सुख,
शान्ति और सम्पन्नता से भरपूर हैं*। पुष्पक विमानों पर बैठ देवी देवता
विश्व भ्रमण कर रहें हैं। चारों ओर ख़ुशी की शहनाइयाँ बज रही हैं। रमणीकता से
भरपूर देवलोक के इन नजारों को देख मैं मंत्रमुग्घ हो रहा हूँ। इन स्वर्गिक
सुखों का अनुभव करवाकर मेरे खुदा दोस्त अब मुझे खुदाई खिदमतगार बन सबको बहिश्त
में चलने का रास्ता बताने का फरमान देते हुए परमात्म बल और शक्तियों से मुझे
भरपूर कर देते हैं।
➳ _ ➳ सतयुगी दुनिया के मनमोहक दृश्यों को अपनी आंखों में संजोए अब मैं
फ़रिशता सच्चा सच्चा खुदाई खिदमतगार बन अपने खुदा दोस्त के इस फरमान का पालन
करने के लिए उनके साथ कम्बाइंड हो कर उन सभी धार्मिक स्थानों पर जा रहा हूँ
जहां भगवान को पाने के लिए मनुष्य भक्ति के कर्मकांडो में फंसे पड़े हैं। *अपने
खुदा दोस्त की छत्रछाया में बैठ,
उनसे सर्वशक्तियाँ ले कर अब मैं वहां उपस्थित सभी आत्माओं में प्रवाहित
कर रहा हूँ*। उन्हें मुक्ति,
जीवन मुक्ति पाने का सहज रास्ता बता रहा हूँ। मेरा कम्बाइंड स्वरूप
उन्हें दिव्य अलौकिक सुख की अनुभूति करवा रहा है। परमात्म वर्से को पाने अर्थात
बहिश्त में जाने का सत्य रास्ता जान कर सर्व आत्मायें आनन्द विभोर हो रही हैं।
➳ _ ➳ सर्व आत्माओं को बहिश्त में चलने का रास्ता बता कर अब मैं अपने
सूक्ष्म आकारी स्वरूप के साथ अपने साकारी तन में प्रवेश कर जाता हूँ और इस
स्मृति के साथ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाता हूँ कि *"मैं खुदाई
खिदमतगार हूँ"। इसी स्मृति में स्थित हो कर अब मैं हर कर्म कर रहा हूँ और अपने
संकल्प,
बोल और कर्म से अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परमात्म
प्रेम का अनुभव करवाकर उन्हें भी परमात्म वर्से को पाने का रास्ता बता रहा
हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
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*मैं ऑनेस्ट आत्मा हूँ।*
✺ *मैं स्वयं को बाप के आगे स्पष्ट करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं चढ़ती कला का अनुभव करने वाली आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺
*मैं सच्चा तपस्वी हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सदा सर्वस्व त्यागी की पोजीशन में रहती हूँ ।*
✺ *मैं सर्वस्व त्यागी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *सदा समय अनुसार अपने मन, बुद्धि को स्वप्न तक भी सदा शुभ और शुद्ध रखो।* कई बच्चे रूहरूहान में कहते हैं - बापदादा तो शक्तियाँ देता है लेकिन समय पर शक्ति यूज नहीं होती। *बापदादा विशेष सब बच्चों के साथी होने के सम्बन्ध से विशेष ऐसे समय पर एक्सट्रा मदद देते हैं, क्यों? बाप जिम्मेवार है बच्चों को सम्पन्न बनाए साथ ले जाने के लिए।* तो बाप अपनी जिम्मेवारी विशेष ऐसे समय पर निभाते हैं लेकिन कभी-कभी बच्चों के मन की कैचिंग पावर का स्विच आफ होता है, तो बाप क्या करें? बाप तो फिर भी स्विच आन करने की, खोलने की कोशिश करते हैं लेकिन टाइम लग जाता है। इसलिए जब फिर स्विच आन हो जाता है तो कहते हैं - करना तो नहीं चाहिए था, लेकिन हो गया। *तो सदा अपने मन की कैचिंग पावर,जिसको आप कहते हैं टचिंग, उस टचिंग व कैचिंग पावर का स्विच आन रखो।* माया कोशिश करती है आफ करने की, सेकण्ड में आफ करके चली जाती है, इसीलिए जैसा समय नाजुक होता जायेगा, अभी होना है और। डरते तो नहीं हो ना?
✺ *ड्रिल :- "मन की कैचिंग पावर का स्विच आन रख परिस्थितियों के समय बापदादा की एक्सट्रा मदद का अनुभव"*
➳ _ ➳ *देख रहा हूँ मैं नन्हा फरिशता स्वयं को बापदादा के साथ हाथों में हाथ लिए सांयकाल में छत पर घूमते हुए...* मैं नन्हा फरिशता बड़े ही फलक से अपने बापदादा के साथ चल रहा हूँ... तभी बाबा मुझ फरिशते को गोद में उठा लेते है... और सामने झूले पर बिठा देते है... *और मुझ फरिशते को झूला झूला रहे है... तभी मुझ आत्मा के मन में एक प्रश्न रूपी लहर आती है... बापदादा तो शक्तियाँ देता है लेकिन समय पर शक्ति यूज नहीं होती...* बाबा बिना कहें ही मुझ आत्मा के मन की बात समझ जाते है... और मुझे सामने देखने का इशारा करते है...
➳ _ ➳ मैं फरिशता सामने देखता हूँ... *कुछ यात्री एक पहाड़ी रास्ते से अपनी मंजिल की ओर प्रभु महिमा के गीत गाते खुशी से आगे बढ़ रहे है...* सबके हाथ में एक मशीन है... जिस पर लिखा है *मन-बुद्धि... और इसी मशीन पर एक बटन है जिसमें लिखा है अॉन, अॉफ* रास्ता बहुत संकरा है... सभी यात्री आगे बढ़ रहे है... रास्ते के साथ-साथ ही कई तरह के रंग-बिरंगे खेल चल रहें है... कई तरह की चमकीली दिखने वाली वस्तुएँ रास्ते के साईड में है... *कुछ यात्री बीच-बीच में चलते हुए इन साइड में चल रहे सीन को देखने में व्यस्त हो जाती है साथ में चल रहे रंग-बिरंगे खेलों को देखने में लग जाते है...*
➳ _ ➳ कुछ यात्री आगे बढ़ रहे है... *इसी बीच कुछ यात्री जो यहाँ वहाँ की साइड सीन में व्यस्त हो जाते है... उनके हाथ में जो मशीन है उसके बटन अॉफ हो जाता है...* और अचानक जिस रास्ते पर सभी यात्री चल रहे है उसमें ऊपर से बड़े-बड़े पत्थर आना शुरू हो जाते है... मैं आत्मा बड़े ध्यान से इस दृश्य को देख रही हूँ... तभी मैं आत्मा देखती हूँ... *ऊपर से बाबा सभी जो उस रास्ते पर चल रहे यात्री है... उनको सिगनल भेज रहे है... लेकिन कुछ यात्री जिनकी मन-बुद्धि रूपी मशीन अॉन है... वे उस सिगनल को कैच करते है... और हाई जम्प देकर उस पत्थर से आगे निकल जाते है...* लेकिन जिन यात्रियों की मशीन का बटन अॉफ था वो बाबा से मिल रहे सिगनल को कैच नहीं कर पा रहे है...
➳ _ ➳ तभी वो दृश्य मुझ आत्मा की आँखों के सामने से गायब हो जाता है... और बापदादा मुझ आत्मा के सामने आ जाते है... *बाबा मुझे दृष्टि दे रहे है... बाबा की दृष्टि से निकलती ज्ञान रूपी रोशनी मुझ आत्मा में समा रही है और इस दृश्य का राज मेरे सामने स्पष्ट होता जा रहा है...* बाबा मुझ आत्मा के सिर पर अपना वरदानी हाथ रखते है... बाबा के वरदानी हाथ से शक्तिशाली किरणें मुझ आत्मा में समा रही है... *मुझ आत्मा की बुद्धि दिव्य बनती जा रही है... मुझ आत्मा का मन रूपी दर्पण बिल्कुल स्वच्छ और शुद्ध बनता जा रहा है...* अब मैं आत्मा देख रही हूँ
➳ _ ➳ स्वयं को कर्म भूमि पर केवल एक बाबा की याद में भिन्न-भिन्न कर्म करते हुए... *मैं आत्मा देख रही हूँ... पत्थर रुपी कई तरह की परिस्थितियाँ मुझ आत्मा के जीवन में आ रही है लेकिन मुझ आत्मा की मन-बुद्धि की लाइन क्लियर होने के कारण मैं आत्मा सहज ही बाबा से मिली टचिंग को यूज कर रही हूँ... बापदादा की एकस्ट्रा मदद अनुभव कर रही हूँ...* और बडी सहजता से हाई जम्प देकर हर परिस्थिति रूपी पत्थर को पार कर रही हूँ... मैं आत्मा माया के रंग-बिरंगे खेल रूपी व्यर्थ से सदा मुक्त रह सदा स्वप्न तक भी अपनी मन-बुद्धि को शुद्ध और स्वच्छ रखती हूँ... और *निडर होकर समय रहते निर्विघ्न हो आगे बढ़ रही हूँ... और दूसरों को भी निर्विघ्न बना कर आगे बढा रही हूँ... शुक्रिया मीठे बाबा शुक्रिया*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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