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❍ 19 / 01 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *स्नेह और सेवा के बैलेंस से हर कार्य में सफलता प्राप्त की ?*
➢➢ *स्नेह की दृष्टि द्वारा आत्माओं को शांति का अनुभव करवाया ?*
➢➢ *अपने आस पास के वातावरण को शक्तिशाली बनाया ?*
➢➢ *अपना सब कुछ सफल किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *एकाग्रता की शक्ति बहुत विचित्र रंग दिखा सकती है।* एकाग्रता से ही सिद्धियां प्राप्त होती हैं। *स्वयं की औषधि भी एकाग्रता की शक्ति से कर सकते हैं। अनेक रोगियों को निरोगी भी बना सकते हैं।* कोई ने चलती हुई चीज को रोका, यह एकाग्रता की सिद्धि है। स्टाप कहो तो स्टाप हो जाए तब वरदानी रूप में जय-जयकार के नारे बजेंगे।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं जीवनमुक्त आत्मा हूँ"*
〰✧ *सभी बच्चे जीवनमुक्त स्थिति का विशेष वर्सा अनुभव करते हो? जीवनमुक्त हो या जीवनबन्ध? ट्रस्टी अर्थात् जीवनमुक्त।* तो मरजीवा बने हो या मर रहे हो? कितने साल मरेंगे? भक्ति मार्ग में भी जड़ चित्र को प्रसाद कौनसा चढ़ता हैं? जो झाटकू होता है।
〰✧ ज़ोर से चिल्लाना मरने वाला प्रसाद नहीं होता। *बाप के आगे प्रसाद वही बनेगा जो झाटकू होगा। एक धक से चढ़ने वाला। सोचा, संकल्प किया, 'मेरा बाबा, मैं बाबा का' तो झाटकू हो गया।*
〰✧ संकल्प किया और खत्म! लग गई तलवार! अगर सोचते, बनेंगे, हो जायेंगे... तो गें...गें अर्थात् ज़ोर से चिल्लाकर। गें गें करने वाले जीवनमुक्त नहीं। *बाबा कहा - तो जैसा बाप वैसे बच्चे। बाप सागर हो और बच्चे भिखारी हों, यह हो नहीं सकता। बाप ने आफर किया - मेरे बनो तो इसमें सोचने की बात नहीं।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *ब्राह्मण शब्द याद आये तो ब्राह्मण जीवन के अनुभव में खो जाओ। फरिश्ता शब्द कहो तो फरिश्ता बन जाओ।* मुश्किल है? नहीं? कुमार बोलो थोडा मुश्किल है? आप फरिश्ते हो या नहीं? आप ही हो या दूसरे हैं? कितने बार फरिश्ते बने हो? अनगिनत बार बने हो। आप ही बने हो? अच्छा।
〰✧ अनगिनत बार की हुई बात को रिपीट करना क्या मुश्किल होता है? कभी-कभी होता है? *अभी यह अभ्यास करना। कहाँ भी हो 5 सेकण्ड मन को घुमाओ, चक्कर लगाओ।* चक्कर लगाना तो अच्छा लगता है ना टीचर्स ठीक है ना राउण्ड लगाना आयेगा ना?
〰✧ बस राउण्ड लगाओ फिर कर्म में लग जाओ। *हर घण्टे में राउण्ड लगाया फिर काम में लग जाओ क्योंकि काम को तो छोड नहीं सकते हैं ना!* डयुटी तो बजानी है। लेकिन 5 सेकण्ड, मिनट भी नहीं, सेकण्ड नहीं निकल सकता है? निकल सकता है? यू.एन.की ऑफिस में निकल सकता है? *मास्टर सर्वशक्तिवान हो। तो मास्टर सर्वशक्तिवान क्या नहीं कर सकता।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *परिस्तिथि में आने से कमजोरी में आ जाते, स्व-स्थिति में आने से शक्ति आती है। तो परिस्थिति में आकर ठहर नहीं जाना है।* स्व-स्थिति की इतनी शक्ति है जो कोई भी परिस्थिति को परिवर्तन कर सकती है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- हर कार्य में सफलता का सहज साधन स्नेह"*
➳ _ ➳ *मधुबन... श्रेष्ठ भूमि पर... मीठे बाबा के कमरे में रुहरिहान करने के
लिये... जब मैं आत्मा... पांडव भवन के प्रांगण में पहुँचती हूँ... सुंदर सतयुग
और मनमोहिनी सूरत... श्रीकृष्ण को सामने देख पुलकित हो उठती हूँ...* मीठे बाबा
ने ज्ञान के तीसरे नेत्र को देकर... चित्रो में चैतन्यता को सहज ही दिखाया
है... भक्ति में सबकुछ कल्पना मात्र लगता था... परन्तु आज बाबा की गोद में
बैठकर... हर नज़ारा दिल के कितने करीब है... *बाबा ने सतयुगी दुनिया के ये
प्यारे नज़ारे मेरे नाम लिख दिये हैं... मन के यह भाव... मीठे बाबा को सुनाने
मैं आत्मा... कमरे की और बढ़ चलती हूँ...*
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को अपने महान भाग्य की खुशी से भरते हुए कहा :-*
"मीठे प्यारे फूल बच्चे... *इस ऊँचे स्थान... मधुबन में, ऊँची स्थिति पर, ऊँची
नॉलेज से, ऊँचे ते ऊँचे बाप की याद में, ऊँचे ते ऊँची सेवा स्मृति स्वरूप
रहोंगे तो सदा समर्थ रहोगे..."* जहाँ समर्थ है वहाँ व्यर्थ सदा के लिये समाप्त
हो जाता है... *इसलिये मधुबन श्रेष्ठ भूमि पर... बाप के साथ सदा सच्चे स्नेही
बनकर रहना..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा के ज्ञान रत्नों को अपनी झोली में समेटते हुए
कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा... मैं आत्मा अपने मीठे भाग्य पर क्यों न
इतराऊ... कि स्वयं भगवान ने मुझे अपनी *फूलो की बगिया में बिठा कर... मुझे भी
सुंदर खिलता हुआ फूल बना दिया है... आपने मेरा जीवन सत्य की रोशनी से भर दिया
है..."*
❉ *बाबा ने मुझ आत्मा को विश्वकल्याणकारी की भावना से ओतप्रोत बनाते हुए कहा
:-* "मीठी लाडली बच्ची... ईश्वर पिता को पाकर, अब अपनी हर श्वांस को ईश्वरीय
यादों में पिरो दो... *जब भी तुम ड्रामा के हर दृश्य को ड्रामा चक्र संगमयुगी
टॉप पर स्थित हो कुछ भी देखोगी तो स्वतः ही अचल, अडोल रहोगी...* तुम तो कल्प
पहले वाली... स्नेही, सहयोगी, अटल, अचल स्थिति में रहने वाली विजयी आत्मा
हो..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा ईश्वरीय यादों के खजानों से सम्पन्न होकर, मीठे बाबा से कहती
हूँ :-"मीठे मीठे बाबा...* आपने मुझ आत्मा के जीवन में आकर... विश्व कल्याण की
सुंदर भावना से भर दिया है... मैं आत्मा *आपसे सच्चा स्नेह रख सबके जीवन से
दुःखों की लहर निकाल... सुख की किरणें फैलाती हूँ... सबके जीवन में आनंद और
खुशियों के फूल खिला रही हूँ..."*
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान रत्नों से भरपूर करते हुए कहा :-* "मीठी
बच्ची... *जहाँ सच्चा, श्रेष्ठ स्नेह है... वहाँ दुःख की लहर आ नही सकती...*
परिवार के स्नेह के धागे में तो सभी बंधे हुए हो, लेकिन अब सच्चे सच्चे शिवबाबा
की लग्न में मगन... *सदा एक की याद में रह... कभी भी क्या, क्यों के संकल्प में
फंस नहीं जाना... नहीं तो सब व्यर्थ के खाते में जमा हो जायेगा..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा के सच्चे प्यार में दिल से कुर्बान होकर कहती हूँ
:-* "मीठे प्यारे मेरे बाबा... मैं आत्मा आपसे सच्चा स्नेह... सच्चा सुख पाकर
धन्य धन्य हो गयी हूँ... *मीठे बाबा... आपने तो मेरे जीवन को दुःखों से सुलझाया
है...* और सच्चे प्यार और मीठे ज्ञान रत्नों से सजाया है... *मैं आत्मा अब आपका
साथ कभी भी नहीं छोडूंगी...* मीठे बाबा से सदा साथ रहने का वायदा करके मैं
आत्मा... अपने कर्मक्षेत्र पर वापिस लौट आई..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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*"ड्रिल :- स्नेह की दृष्टि द्वारा आत्माओं को शान्ति का अनुभव करवाना*"
➳ _ ➳ "विश्व की सर्व आत्मायें शांति की तलाश में भटक रही है,
उन तड़पती हुई आत्माओं को शांति की अनुभूति करवाओ" अपने शिव पिता
परमात्मा के इस फरमान का पालन करने के लिए,
अपनी शांत स्वरूप स्थिति में स्थित हो कर मैं शांति के सागर अपने शिव
पिता परमात्मा की याद में बैठ जाती हूँ। *अशरीरी स्थिति में स्थित होते ही मैं
स्वयं को शान्तिधाम में शांति के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के सन्मुख पाती
हूँ जो शांति की अनन्त शक्तियों से मुझे भरपूर कर रहें हैं*। अपने शिव पिता से
आ रही शांति की शक्तिशाली किरणों को स्वयं में समा कर मैं जैसे शांति का पुंज
बनती जा रही हूं।
➳ _ ➳ शांति की असीम शक्ति का स्टॉक अपने अंदर जमा करके अब मैं परमधाम
से नीचे आ कर विश्व की उन सर्व आत्माओं को शांति की अनुभूति करवाने चल पड़ती हूँ
जो पल भर की शांति की तलाश में भटक रही हैं। *सूक्ष्म लोक में पहुंच कर अपना
लाइट का फ़रिशता स्वरूप धारण कर,
शांति दूत बन बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर अब मैं विश्व ग्लोब पर आ कर
बैठ जाता हूँ*। मैं देख रहा हूँ बापदादा से अविरल शांति की धाराएं निकल रही हैं
जो निरन्तर मुझ फ़रिश्ते में समा रही है। शांति की इन धाराओं को मैं फ़रिशता अब
विश्व ग्लोब के ऊपर प्रवाहित कर रहा हूँ। *शांति की इन धाराओं के विश्व ग्लोब
पर पड़ते ही शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन पूरे विश्व मे फैल रहें हैं*।
➳ _ ➳ जैसे - जैसे ये वायब्रेशन वायुमण्डल में फैल रहें हैं वैसे -
वैसे वायुमण्डल में एक दिव्यता छाने लगी है। *जैसे सुबह की ताजी हवा शरीर को
सुखद अहसास करवाती है वैसे ही वायुमण्डल में फैले ये शांति के वायब्रेशन
आत्माओं को एक अद्भुत सुख का अनुभव करवा रहें हैं*। उनके अशांत मन शांति का
अनुभव करके तृप्त हो रहे हैं। सबके चेहरे पर एक सकून दिखाई दे रहा है। *जन्म
जन्मान्तर से शांति की एक बूंद की प्यासी आत्माओं की प्यास बुझ रही है*। शांति
के सागर शिव पिता से आ रही शांति की किरणों का प्रवाह और भी तीव्र होता जा रहा
है। ऐसा लग रहा है जैसे शांति की शक्ति की किरणों की बरसात हो रही है।
➳ _ ➳ *जैसे चात्रक पक्षी अपनी प्यास बुझाने के लिए स्वांति की एक बूंद
पाने की इच्छा से व्याकुल निगाहों के साथ निरन्तर आकाश की ओर देखता रहता है*।
इसी प्रकार शांति की तलाश में भटकती और तड़पती हुई आत्मायें भी शांति की एक बूंद
पाने की इच्छा से व्याकुल निगाहों से ऊपर देख रही है और शांति की किरणों की
बरसात में नहा कर जैसे असीम शांति का अनुभव करके प्रसन्न हो रही हैं। *विश्व की
सर्व आत्माओं को शांति की अनुभूति करवाकर अब मैं फ़रिशता बापदादा के साथ फिर से
सूक्ष्म लोक में पहुंचता हूँ*। अपनी फ़रिशता ड्रेस को उतार कर अपने निराकारी
स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं आत्मा अपने शांत स्वरूप में स्थित हो कर वापिस
साकारी दुनिया मे अपने साकारी शरीर मे प्रवेश करती हूं।
➳ _ ➳ साकारी दुनिया मे आ कर अब मैं आत्मा अपने ब्राह्मण स्वरूप में
स्थित हो कर,
निरन्तर अपने शांत स्वधर्म में रहकर शांति के वायब्रेशन चारों ओर फैला
रही हूँ। सर्व आत्माओ को शांति के सागर बाप का परिचय दे कर,
उन्हें भी अपने शांत स्वधर्म में स्थित हो कर शांति पाने का सहज उपाय बता
रही हूं। *स्वयं को शांति के सागर अपने शिव पिता के साथ सदा कम्बाइंड अनुभव करने
से मेरे सम्पर्क में आने वाली परेशान आत्मायें डेड साइलेन्स की अनुभूति करके
सहज ही अपनी सर्व परेशानियों से मुक्त हो रही हैं*। "विश्व की सर्व आत्माओं को
शांति का अनुभव कराना" यही मेरा कर्तव्य है। इस बात को सदा स्मृति में रख अब
मैं इसी ईश्वरीय सेवा में निरन्तर लगी रहती हूं।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
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*मैं संगठन रूपी किले को मजबूत बनाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सर्व की स्नेही आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सन्तुष्ट आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
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*मैं आत्मा हर कर्म यथार्थ और युक्तियुक्त होकर करती हूँ ।*
✺ *मैं पवित्र आत्मा हूँ ।*
✺ *मैं कर्मयोगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. हाथ इसीलिए उठवाते हैं, जैसे अभी तक एक देा को देख करके हाथ उठाने में उमंग आता है ना! ऐसे ही *जब भी कोई समस्या आवे तो सामने बापदादा को देखना, दिल से कहना बाबा, और बाबा हाजिर हो जायेगा, समस्या खत्म हो जायेगी।* समस्या सामने से हटा जायेगी और बापदादा समाने हाजिर हो जायेगा। 'मास्टर सर्वशक्तिवान' अपना यह टाइटल हर समय याद करो।
➳ _ ➳ 2. मास्टर सर्वशक्तिवान है, मास्टर सर्वशक्तिवान क्या नहीं कर सकते हैं! सिर्फ अपना टाइटल और कर्तव्य याद रखो। *टाइटल है 'मास्टर सर्वशक्तिवान' और कर्तव्य है 'विश्व-कल्याणकारी'। तो सदा अपना टाइटल और कर्तव्य याद करने से शक्तियाँ इमर्ज हो जायेंगी।* मास्टर बनो, शक्तियों के भी मास्टर बनो, आर्डर करो, हर शक्ति को समय पर आर्डर करो। वैसे शक्तियाँ धारण करते भी हो, हैं भी लेकिन सिर्फ कमी यह हो जाती है कि समय पर यूज नहीं करने आती। समय बीतने के बाद याद आता है, ऐसे करते तो बहुत अच्छा होता। *अब अभ्यास करो जो शक्तियाँ समाई हुई हैं, उसको समय पर यूज करो।* जैसे इन कर्मेन्द्रियों को आर्डर से चलाते हो ना, हाथ को, पाँव को चलाते हो ना! ऐसे हर शक्ति को आर्डर से चलाओ। कार्य में लगाओ। समा के रखते हो, कार्य में कम लगाते हो। *समय पर कार्य में लगाने से शक्ति अपना कार्य जरूर करेगी।*
✺ *ड्रिल :- " 'मास्टर सर्वशक्तिवान' के टाइटल की स्मृति में रह हर शक्ति को आर्डर से चलाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य को देख कर मन ही मन आनंदित हो रही हूँ... *स्वयं भाग्यविधाता मुझे जन्म-जन्म का अविनाशी भाग्य देने आए हैं... मेरे जीवन की पतवार स्वयं भगवान ने अपने हाथों में थाम ली है... मीठे बाबा ने मुझे हर चिंता, बोझ से फारिंग कर बेफिकर बादशाह बना दिया है*... मैं बाबा के दिलतख्त पर आसीन हूँ... बाबा के दिल के बिल्कुल समीप हूँ... उनका अगाध स्नेह मुझ पर बरस रहा है... मुझ आत्मा ने भी अपने दिल में एक दिलाराम को बसा लिया है... मैं आत्मा दिलाराम बाबा की सच्ची दिलरुबा हूँ...
➳ _ ➳ मेरे नैनों में एक बाबा की ही मूरत समाई हुई है... नैनों के सामने होना अलग बात है, बाबा तो मेरे नयनों में समा ही गये हैं... बस मैं और मेरा बाबा... इस लवलीन स्थिति में मुझ आत्मा की विनाशी दुनिया से, देहधारी से या कोई भी बाहरी आकर्षण से कोई भी खींच नहीं है... *मैं आत्मा बाबा के नयनों की नूर हूँ... अपने मीठे बाबा से कंबाइंड हूँ... मैं अपने शिव शक्ति स्वरुप में स्थित हूँ...*
➳ _ ➳ इस कंबाइंड स्वरुप में कितना सुख है, आनंद है... जो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता... मुझ आत्मा का हर कदम, हर कर्म श्रीमत प्रमाण हो रहा है... *हर क्षण मेरे बाबा मेरे साथ हैं... बाबा के हाथ और साथ से हर समस्या समाप्त होती जा रही है... मैं आत्मा निर्विघ्न बनती जा रही हूँ*... हर बाधा ईश्वरीय छत्रछाया में खत्म होती जा रही है...
➳ _ ➳ मीठे बाबा हम बच्चों को कितने टाइटल, स्वमान देते हैं... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... बाबा ने मुझे यह टाइटल दिया है... *स्वयं भगवान ने कहा है- बच्चे तुम मास्टर सर्वशक्तिमान हो... मुझ शक्तिशाली आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नहीं है... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... और मुझ आत्मा का कर्तव्य है विश्व का कल्याण करना... अपने स्वमान और कर्तव्य की स्मृति से मुझ आत्मा की सोई हुई समस्त शक्तियाँ जागृत हो रही हैं*... मैं सर्व शक्तियों की अधिकारी आत्मा बन रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं सर्व शक्तियों की मालिक हूँ... *जिस शक्ति को आर्डर किया, वह शक्ति हाजिर हो रही है... मैं शक्ति को समय और परिस्थिति अनुसार यूज़ कर रही हूँ*... मैं आत्मा राजा मन, बुद्धि, संस्कारों को और स्थूल कर्मेन्द्रियों को आर्डर प्रमाण चला रही हूँ... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हर शक्ति को कर्म में ला रही हूँ... समय पर उसका उपयोग कर रही हूँ... *समय पर कार्य में लगाने से मुझ आत्मा की शक्तियां बढ़ती जा रही हैं... मैं सर्व शक्तियों की मालिक बन जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता है... उस समय उसी शक्ति का आह्वान कर उसको यूज कर रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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