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❍ 14 / 01 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अंतिम खूने नाहेक सीन देखने के लिए बहुत बहुत निर्भय बनकर रहे ?*
➢➢ *पुराने संस्कारों का अग्नि संस्कार किया ?*
➢➢ *कर्मभोग का वर्णन करने की बजाये कर्मयोग की स्थिति का वर्णन किया ?*
➢➢ *सर्व आत्माओं के प्रति सहयोग देने की भावना रही ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *जब आत्मिक शक्ति वाली, सेमी प्योर आत्मायें अपनी साधना द्वारा आत्माओं का आह्वान कर सकती हैं,* अल्पकाल के साधनों द्वारा दूर बैठी हुई आत्माओं को चमत्कार दिखाकर अपनी तरफ आकर्षित कर सकती हैं, *तो परमात्म शक्ति अर्थात् सर्व श्रेष्ठ शक्ति क्या नहीं कर सकती परन्तु इसके लिए विशेष एकाग्रता का अभ्यास चाहिए।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं समर्थ बाप और समर्थ युग की स्मृति द्वारा व्यर्थ को समाप्त करने वाली समर्थ आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को समर्थ आत्माएं समझकर चलते हो? जब सर्वशक्तिवान की स्मृति है तो स्वत: समर्थ हो। समर्थ आत्मा की निशानी क्या होगी? *जहाँ समर्थी है वहाँ व्यर्थ सदा के लिए समाप्त हो जाता है। समर्थ आत्मा अर्थात् व्यर्थ से किनारा करने वाले। संकल्प में भी व्यर्थ नहीं। ऐसे समर्थ बाप के बच्चे सदा समर्थ।*
〰✧ आधा कल्प तो व्यर्थ सोचा, व्यर्थ किया-अब संगमयुग है समर्थ युग। समर्थ युग, समर्थ बाप और समर्थ आत्माएं। तो व्यर्थ समाप्त हो गया ना। *सदा यह स्मृति मे रखो कि हम समर्थ युग के वासी, समर्थ बाप के बच्चे, समर्थ आत्मा हैं। जैसा समय, जैसा बाप वैसे बच्चे।*
〰✧ *कलियुग है व्यर्थ। जब कलियुग का किनारा कर चुके, संगमयुगी बन गये तो व्यर्थ से किनारा हो ही गया। तो सिर्फ समय की याद रहे तो समय के प्रमाण स्वत: कर्म चलेंगे।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ यह पक्का है कि हम फरिश्ते हैं? ‘फरिश्ता भव' का वरदान सभी को मिला हुआ है? *एक सेकण्ड में फरिश्ता अर्थात डबल लाइट बन सकते हो?* एक सेकण्ड में, मिनट में नहीं, 10 सेकण्ड में नहीं, एक सेकण्ड में सोचा और बना, ऐसा अभ्यास है? अच्छा जो एक सेकण्ड में बन सकते हैं, दो सेकण्ड नहीं, एक सेकण्ड में बन सकते हैं, वह एक हाथ की ताली बजाओ।
〰✧ बन सकते हैं? ऐसे ही नहीं हाथ उठाना। डबल फारेनर नहीं उठा रहे हैं। टाइम लगता है क्या? अच्छा जो समझते हैं कि थोडा टाइम लगता है, एक सेकण्ड में नहीं, थोडा टाइम लगता है, वह हाथ उठाओ। (बहुतों ने हाथ उठाया) अच्छा है, लेकिन *लास्ट घडी का पेपर एक सेकण्ड में आना है, फिर क्या करेंगे?*
〰✧ *अचानक आना है और सेकण्ड का आना है।* हाथ उठाया, कोई हर्जा नहीं। महसूस किया, यह भी बहुत अच्छा। परंतु *यह अभ्यास करना ही है। करना ही पडेगा, नहीं, करना ही है।* यह अभ्यास बहुत-बहुत-बहुत आवश्यक है। चलो फिर भी बापदादा कुछ टाइम देते हैं। कितना टाइम चाहिए? दो हजार तक चाहिए।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *साइलेंस पॉवर प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *अन्तिम
पुरुषार्थ याद का ही है।* इसलिए याद की स्टेज वा अनुभव को भी बुद्धि में स्पष्ट
समझना आवश्यक है। बिन्दु रुप की स्थिति क्या है और अव्यक्त स्थिति क्या है, दोनों
का अनुभव क्या-क्या है? क्योंकि नाम दो कहते हैं तो जरूर दोनों के अनुभव में
भी अन्तर होगा। चलते-फिरते बिन्दु रूप की स्थिति इस समय कम भी नहीं लेकिन ना के
बराबर ही कहें। इसका भी अभ्यास करना चाहिए। *बीच-बीच में एक दो मिनट भी निकाल
कर इस बिन्दी रूप की प्रैक्टिस करनी चाहिए।* जैसे जब कोई ऐसा दिन होता है तो
सारे चलते-फिरते हुए ट्रैफिक को भी रोक कर तीन मिनट साइलेन्स की प्रैक्टिस कराते
हैं। सारे चलते हुए कार्य को स्टॉप कर लेते हैं।
〰✧ *आप भी कोई कार्य करते हो वा बात करते हो तो बीच-बीच में यह संकल्पों की
ट्रैफिक को स्टॉप करना चाहिए।* एक मिनट के लिए भी मन के संकल्पों को चाहे शरीर
द्वारा चलते हुए कर्म को बीच में रोक कर भी यह प्रैक्टिस करना चाहिए। *अगर यह
प्रैक्टिस नहीं करेंगे तो बिन्दु रूप की पावर फुल स्टेज कैसे और कब ला सकेंगे?*
इसलिए यह अभ्यास करना आवश्यक है।
〰✧ बीच-बीच में यह प्रैक्टिस प्रैक्टिकल में करते रहेंगे तो जो आज यह बिन्दु
रुप की स्थिति मुश्किल लगती है वह ऐसे सरल हो जायेगी जैसे अभी मैजारिटी को
अव्यक्त स्थिति सहज लगती है। पहले जब अभ्यास शुरू किया तो व्यक्त में अव्यक्त
स्थिति में रहना भी मुश्किल लगता था। *अभी अव्यक्त स्थिति में रह कार्य करना
जैसे सरल होता जा रहा है वैसे ही यह बिन्दुरुप की स्थिति भी सहज हो जायेगी।* अभी
महारथियों को यह प्रैक्टिस करनी चाहिए।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल
:- कर्मातीत अवस्था को पाना"*
➳ _ ➳ मीठे से मधुबन की मीठी प्यारी कुटिया में... मै तेजस्वी आत्मा अपने दिलबर
बाबा से रुहरिहानं कर रही हूँ... प्यारे बाबा मुझ आत्मा की भावनाओ को सुनने के
लिए बेहद उत्सुक है... अपनी रूहानी दृष्टि और शक्तियो से मुझे भरपूर कर रहे
है... मै आत्मा बाबा की किरणों के साये तले असीम सुख पाती जा रही हूँ... और दिल
ही दिल में यह गीत गुनगुना रही हूँ... *आ बैठ मेरे पास बाबा तुझे देखती रहूँ...
न तु कुछ कहे ना मै कुछ कहूँ..*.. मीठे बाबा भी मुस्कराते हुए... अपनी बाँहों
को फैलाये मुझ आत्मा को अपने प्यार में सराबोर कर रहे है...
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को बेपनाह अमीरी का मालिक बनाते हुए बोले :-* "मीठे
प्यारे फूल बच्चे... ईश्वरीय पढ़ाई में सदा अथक बनना है... जितनी दिल से पढ़ाई
पढ़ेंगे, उतनी ही प्राप्ति के हकदार बनेगे... *यह पढ़ाई ही काँटों को फूलो जैसा
सुंदर बनाकर स्वर्ग का राज्य भाग्य दिलायेगी.*.. इसलिए इस कमाई में सदा अथक बन,
कर्मातीत अवस्था को पाओ..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा की सारी खानों और खजानो को अपनी बुद्धि में समेटकर
कह रही हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा... देह के नशे में कंगाल हो गयी मुझ आत्मा
को... अमीरी से सजाने परमधाम से उतर आये हो... मेरे भाग्य को ज्ञान रत्नों से
चमकाने धरा पर आये हो... *भगवान से मेरे बाबा बनकर वरदानों की बौछार कर रहे
हो..*. प्यारे बाबा आप संग संगम में ऐसे सुंदर जीवन को जीयूँगी...यह तो कभी सोचा
ही नही था..."
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को अपनी गोंद में ज्ञानामृत पिलाते हुए बोले :-* "प्यारे
लाडले बच्चे... ईश्वर पिता के साये में अमूल्य ज्ञान रत्नों को अपनी बाँहों में
भरकर... *अतुल धनसंपदा के मालिक बन कर, सुखो की धरती पर मुस्कराओ.*.. सच्ची लगन
से ईश्वरीय पढ़ाई पढ़कर सम्पूर्णता को पा लो... और बेहद के समझदार बनकर, कर्मातीत
हो जाओ...."
➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने प्यारे भगवान को ज्ञान दौलत मुझ पर लुटाते देख कह रही हूँ
;-* "प्यारे बाबा आपके ज्ञान रत्नों को पाकर तो मै आत्मा भाग्य की धनी हो गयी
हूँ... बेहद की समझ पाकर विकर्मो से परे हो, दिव्यता भरा खुबसूरत जीवन जी रही
हूँ... *संगम पर भी मौज मना रही हूँ और भविष्य को देवताओ सा सुंदर बनाती जा रही
हूँ.*.."
❉ *मीठे बाबा मुझ आत्मा को अनमोल खजाने से सम्पन्न बनाते हुए बोले :-* "मीठे
सिकीलधे बच्चे... देह और देह के भान में खपकर दुखो के जंगल में लहुलहानं हो गए
हो... *अब श्रीमत के हाथ को पकड़कर, सुखो की बगिया में खुबसूरत गुलाब बनकर खिल
जाओ.*.. ईश्वरीय पढ़ाई पढ़कर 21 जनमो की राजाई अपने दामन में सजा लो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा प्यारे बाबा से ज्ञान रत्नों की दौलत को अपनी सम्पत्ति बनाते
हुए कह रही हूँ :-* "मेरे सच्चे साथी बाबा... मै आत्मा आपकी फूलो सी गोंद में
कितनी प्यारी फूलो सी खिल रही हूँ... रूहानियत से भरपूर होकर दिव्यता से छलक रही
हूँ... *भगवान को यूँ शिक्षक रूप में पाकर... सच्चे ज्ञान की झनकार से दुखो के
जंगल से बाहर निकल गयी हूँ.*.." अपने बाबा से अथाह दौलत अपनी बाँहों में समेटकर
मै आत्मा अपने कर्म क्षेत्र पर आ गयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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*"ड्रिल :- पावन बनकर पावन बनाने की सच्ची रूहानी सेवा करनी है*"
➳ _ ➳ "अभी कयामत का समय है सब को कब्र से जगाना है"। बाबा के इन
महावाक्यों पर विचार करते ही मुस्लिम ग्रंथ कुरान में लिखे शब्द समृति में आते
है जिसमें कहा गया है कि "कयामत के दिन अल्लाह सभी लोगों को कब्र से निकाल उनके
अच्छे बुरे कर्मों के अनुसार उनको फल देगा"। अपने आप से मैं सवाल करती हूं कि
क्या वह कयामत के दिन अब नहीं चल रहे?
*अंधकार रूपी गहरी निद्रा में सोए हुए दुनिया के मनुष्य तो यह सोच रहे
हैं कि वह कयामत का दिन आने में अभी बहुत वक्त पड़ा है*। यह घोर पापाचार,
अत्याचार,
विकारों की अग्नि में जल रही दुनिया यही तो कयामत की निशानियां हैं,
इससे ज्यादा अभी और कौन सी कयामत होनी बाकी है!
➳ _ ➳ यह सब चिंतन करते करते मैं अपने ब्राह्मण जीवन के बारे में सोचती
हूं कि कितनी पदमा पदम सौभाग्यशाली हूं मैं आत्मा जो *घोर कलयुगी कयामत के समय
मेरे अल्लाह,
मेरे भगवान शिव बाबा ने आ कर इस शरीर रूपी कब्र में सोई हुई मुझ आत्मा
को जगा कर अज्ञान अंधकार से निकाल लिया*। ज्ञान का प्रकाश कर मुझे मेरे सत्य
स्वरूप से परिचित करा दिया। मेरा अनादि ज्योति बिंदु स्वरूप ही मेरा सत्य
स्वरूप है इस ज्ञान ने
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जन्मो तक स्वयं को देह समझने के अज्ञान को मिटा दिया और अब जबकि मैं यह
जान गई हूं कि मेरा सत्य स्वरूप अति सुंदर,
सम्पूर्ण पावन स्वरूप है तो अब मुझे पावन बनने और बनाने का ही पुरुषार्थ
करना है।
➳ _ ➳ स्वयं से यह प्रोमिस कर मैं अपने अनादि ज्योति बिंदु परम पवित्र
स्वरूप में स्थित होती हूँ और अनुभव करती हूं कि मुझ में पवित्रता की अनन्त
शक्ति है। इस शरीर में भृकुटि के मध्य विरजमान मैं एक परम पवित्र ज्योति बिंदु
आत्मा हूँ। पवित्रता की किरणें मुझ आत्मा से निकल कर चारों ओर फैल रही हैं।
*पवित्रता की किरणों को चारों और फैलाते हुए मैं अति सूक्ष्म ज्योति बिंदु
आत्मा साकारी देह को छोड़ ऊपर की ओर चल पड़ती हूँ* औऱ पहुंच जाती हूँ अपनी
निराकारी दुनिया परमधाम में।
➳ _ ➳ अब मैं ब्रह्मलोक में हूँ। पवित्रता के सागर,
मेरे प्राणेश्वर ज्योति बिंदु शिवबाबा मेरे सम्मुख है। उनसे निकल रही
पवित्रता की किरणें मुझ में समा रही हैं। *मेरा पवित्रता का प्रकाश बढ़ता जा रहा
है*। निरन्तर उनकी शक्तिशाली किरणे मुझ पर पड़ रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे
पवित्रता का शुद्ध भोजन ग्रहण कर मैं तृप्त होती जा रही हूं,
पवित्रता के सागर में मैं गहराई तक समाती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ भरपूर हो कर अब मैं परम पवित्र आत्मा लौट आती हूँ सूक्ष्मलोक
में। अपनी लाइट की फ़रिशता ड्रेस को धारण कर मैं पहुँच जाती हूँ बापदादा के
सामने। मेरे पवित्रता से भरपूर स्वरूप को देख *बापदादा मुझ से कहते हैं:- "आओ
मेरे मीठे होली हंस बच्चे,
सदैव याद रखो कि पवित्रता ही आपके जीवन का श्रृंगार है,
इसलिए सदा पवित्रता के श्रृंगार से सजे सजाये रहना"*। यह कहकर बाबा मुझे
अपनी बाहों में भर लेते हैं और मुझ पर अपने पवित्र प्रेम की वर्षा करने लगते
हैं। अपनी सर्वशक्तियों से मुझे भरपूर करने लगते हैं। उनकी सर्वशक्तियां मेरे
अंदर गहराई तक समाती जा रही हैं। उनकी पावन दृष्टि से पवित्रता का झरना बह रहा
है जिससे निकल रही पवित्र फुहारें मुझ पर बरस रही हैं।
➳ _ ➳ पवित्रता की शक्ति से स्वयं को भरपूर कर,
पवित्रता का फ़रिशता बन बापदादा के साथ कम्बाइंड हो कर अब मैं सूक्ष्म
वतन से नीचे आ जाता हूँ और चल पड़ता हूं सारे विश्व मे पवित्रता की किरणें
फैलाने। *कम्बाइंड स्वरूप में अब मैं फ़रिश्ता सारे विश्व में भ्रमण कर रहा हूं
और पवित्रता की किरणें चारों ओर फैलाता जा रहा हूं*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
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*मैं पुराने संस्कारों का अग्नि संस्कार करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सच्ची मरजीवा आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
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*मैं आत्मा सदैव कर्मयोग की स्थिति का वर्णन करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा कर्मभोग का वर्णन करने से सदा मुक्त हूँ ।*
✺ *मैं कर्मयोगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. *इस समय आप हर एक को, आत्माओं प्रति रहमदिल और दाता बन कुछ न कुछ देना ही है, चाहे मन्सा सेवा द्वारा दो, चाहे शुभ भावना से दो, श्रेष्ठ सकाश देने की वृत्ति से दो, चाहे आध्यात्मिक शक्ति सम्पन्न बोल से दो, चाहे अपने स्नेह सम्पन्न सम्बन्ध-सम्पर्क से दो लेकिन कोई भी आत्मा वंचित नहीं रहे।* दाता बनो, रहमदिल बनो। चिल्ला रहे हैं। बाप के आगे अपनी-अपनी भाषा में चिल्ला रहे हैं - शान्ति दो, स्नेह दो, दिल का प्यार दो, सुख की किरणें दिखाओ। तो बाप कैसे देंगे? आप बच्चों द्वारा ही देंगे ना! *बाप के आप सभी राइट हैण्ड हो। कोई को कुछ भी देना होता है तो हैण्ड द्वारा ही देते हैं ना! तो आप सभी बाप के राइट हैण्ड हो ना!*
➳ _ ➳ 2. तो अभी बाप राइट हैण्डस द्वारा आत्माओं को सुख-शान्ति की अंचली तो दिलायेंगे ना! बिचारों को अंचली भी नहीं देंगे तो कितने तड़पेंगे। *अभी सभी हद की बातों से ऊँचे हो जाओ। हद की बातों में, हद के संस्कारों में समय नहीं गँवाओ।*
✺ *ड्रिल :- "बाप का राइट हैण्ड रहमदिल बनना"*
➳ _ ➳ ज्ञान सूर्य बाबा की संतान मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ... *बाबा के दिये ज्ञान को बुद्धि में बिठा कर मैं आत्मा उसका मनन चिन्तन कर रही हूँ...* इस दुनिया के कोलाहल से दूर शान्त स्थान पर जाकर मैं आत्मा बैठ गयी हूँ... स्वयं को देह से न्यारा कर आत्मिक स्वरूप में स्थित करती हूँ... कर्मेन्द्रियों से भी न्यारी हो रही हूँ और एक दम हल्कापन महसूस कर रही हूँ... अपने शांत स्वरूप में मैं आत्मा स्वयं को देख रही हूँ
➳ _ ➳ अपनी इस शांत अवस्था में मैं आत्मा कुछ आवाज़ें सुनती हूँ... पहले ये आवाज़ें थोड़ी धीमी हैं फिर धीरे धीरे ये आवाज़ें तेज़ होने लगती हैं... ये समस्त आवाज़ें मैं अब सुन पा रही हूँ... *ये विश्व की उन सभी आत्माओ की आवाज़े हैं जो दुखी और परेशान हैं... अपने कष्टों से मुक्त होने के लिए ये आत्मायें चीख रही हैं, चिल्ला रही हैं...* कुछ आत्मायें शरीर के रोग से भयंकर दर्द में हैं तो कुछ आत्मायें मानसिक कष्ट में हैं... कोई संबंधों में धोखा मिलने से दुखी हैं... किसी के अपने प्रिय जन ने शरीर छोड़ा है...
➳ _ ➳ इस तरह असंख्य आत्मायें अपने अपने दुखों से दुखी हो इन समस्त कष्टों से मुक्ति पाने को चीख पुकार कर रही हैं... *मैं आत्मा इन सबकी ये करुण पुकार सुनकर अपने प्यारे बाबा को याद करती हूँ और बाबा की शक्तिशाली किरणों को स्वयं में भरती हूँ...* बाबा की किरणें मुझमे समा गयी हैं... अब ये किरणें मुझसे निकल कर उन समस्त आत्माओ तक पहुच रही हैं... और वो आत्मायें जो अभी तक चीख पुकार कर रही थीं वो ये वाइब्रेशन को कैच कर रही हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा पॉवरफुल सकाश इन सभी आत्माओ को दे रही हूँ... *सभी दुखी और अशांत आत्मायें मुझ आत्मा से सकाश को प्राप्त कर अपने दुखों को भूल रही हैं...* उनके कष्ट कम हो रहे हैं और ये समस्त आत्मायें आश्चर्य से सोच रही हैं कि ये शांति और शक्तियों की किरणें उन्हें कहाँ से मिल रही हैं... आत्मायें स्वतः ही सहज रूप से मेरी ओर आकर्षित हो रही हैं... और मैं आत्मा उन सभी को निरंतर शक्तिशाली वाइब्रेशन देकर उनके सारे कष्टों से उन्हें मुक्त करती जा रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने पिता परमात्मा की संतान उनकी हर श्रीमत का पालन करते हुए विश्व परिवर्तन के कार्य में उनकी सहयोगी बन रही हूँ... ब्रह्मा बाप के कदम पर कदम रख कर मैं आत्मा उनको फॉलो करते हुए आगे बढ़ रही हूँ... हर आत्मा को सुख और शांति की किरणें दे उनके दुखों को दूर कर रही हूँ... *मनसा वाचा कर्मणा सेवा करते हुए बाबा का राइट हैंड बन मैं आत्मा सेवा कर रही हूँ...* हद के संस्कारों और हद की बातों से ऊपर उठ कर मैं आत्मा रहमदिल बन सर्व को सुख शांति की किरणें देकर उनके दुखों को कम करने में उन्हें मदद कर रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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