━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 23 / 03 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *आपस में कभी भी लून पानी तो नहीं हुए ?*

 

➢➢ *अपनी चलन से बाप का नाम बाला किया ?*

 

➢➢ *लाइन क्लियर के आधार पर हर पेपर में नंबरवन पास हुए ?*

 

➢➢ *आत्मा को ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन दे मन को शक्तिशाली बनाया *

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  *एक तरफ बेहद का वैराग्य हो, दूसरी तरफ बाप के समान बाप के लव में लवलीन रहो,* एक सेकेण्ड और एक संकल्प भी इस लवलीन अवस्था से नीचे नहीं आओ । *ऐसे लवलीन बच्चों का संगठन ही बाप को प्रत्यक्ष करेगा ।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✺   *"मैं बेफिकर बादशाह हूँ"*

 

  सभी बेफिकर बादशाह हो ना? अभी भी बादशाह और अनेक जन्म भी बादशाह! *जो अभी बेफिकर बादशाह नहीं बनते तो भविष्य के भी बादशाह नहीं बनते। अभी की बादशाही जन्म-जन्म की बादशाही के अधिकारी बना देती है।* कोई फिकर रहता है? चलते-चलते कोई भी सरकमस्टांस होते,पेपर आते तो फिकर तो नहीं होता? क्योंकि जब सब कुछ बाप के हवाले कर दिया तो फिकर किस बात का।

 

  *जब मेरा-पन होता है तब फिकर होता। जब बाप के हवाले कर दिया तो बाप जाने और बाप का काम जाने! स्वयं बेफिकर बादशाह। याद की मौज में रहो और सेवा करते रहो। याद में रह सेवा करो इसी में ही मौज है। मौजों के युग की मौजें मनाते रहो।* यह मौज सतयुग में भी नहीं होगी। यह ईश्वरीय मौजें हैं। वह देवताई मौजें होंगी। ईश्वरीय मौजों का समय अभी है। इसलिए मौज मनाओ, मूँझो नहीं जहाँ मूँझ है वहाँ मौज नहीं।

 

  किसी भी बात में मूँझना नहीं, क्या होगा, कैसे होगा! यह तो नहीं होगा.....यह है मूँझना। जो होता है वह अच्छा और कल्याणकारी होता है इसलिए मौज में रहो। *सदा यही टाइटल याद रखो कि हम बेफिकर बादशाह हैं। तो पुरूषार्थ की रफ्तार तीव्र हो जायेगी। मौज करो, मौज में रहो, कोई भी बात को सोचे नहीं, बाप सोचने वाले बैठा है, आप असोच बन जाओ।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  मानो अभी आप याद में बैठते हो, कैसे भी विघ्नों की अवस्था में बैठते हो, कैसे भी परिस्थितियाँ सामने होते हुए भी बैठते हो - लेकिन एक सेकण्ड में सोचा और अशरीरी हो जायें। वैसे तो एक सेकण्ड में अशरीरी होना बहुत सहज है। *लेकिन जिस समय कोई बात सामने हो, कोई सर्वीस के बहुत झंझट सामने है, सोचना और करना साथ - साथ चले*। सोचने के बाद पुरुषार्थ न करना पडे।

 

✧  अभी तो आप सोचते हो तब उस अवस्था में स्थित होते हो, *लेकिन ऐसा जो होगा उसका सोचना और स्थित होना साथ में होगा*, सोच और स्थिति में फर्क नहीं होगा।  सोचा और हुआ।

 

✧  ऐसे जो अभ्यासी होंगे वही सर्वीस करने का पान का बीडा उठा सकेंगे। ऐसे कोई निमित्त है लेकिन बहुत थोडे। मैजोरिटी नहीं है, मैनारिटी हैं। उन्हों के ऊपर यहाँ ही फूल बरसायेंगे। *ऐसे जो ' पास विद आँनर ' होंगे, उन्हीं के ऊपर जो द्वापर के भक्त हैं वह अन्त में इस साकर रूप म़े फूलों की वर्षा करेंगे*।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  समर्थ आत्मा समझ इस शरीर को देख रही हो? साक्षी अवस्था की स्थिति में स्थित होने से शक्ति मिलती है। जैसे कोई कमजोर होता है तो उनको शक्ति भरने के लिए ग्लूकोज़ चढ़ाते हैं। *तो जब अपने को शरीर से परे अशरीरी आत्मा समझते हैं तो यह साक्षीपन की अवस्था शक्ति भरने का काम करती है। और जितना समय साक्षी अवस्था की स्थिति रहती है उतना ही बाप साथी भी याद रहता है अर्थात् साथ रहता है। तो साथ भी है और साक्षी भी है। एक साक्षीपन की शक्ति, दूसरा बाप के साथी बनने की खुशी की खुराक। तो बताओ फिर क्या बन जायेंगी? निरोगी।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺ *"ड्रिल :- अविनाशी ड्रामा को जान सदा निश्चिन्त रहना"*

➳ _ ➳ *सृष्टि रंगमंच पर चल रहे इस बेहद के ड्रामा में हीरो पार्ट धारी मैं आत्मा स्वयं के पार्ट को साक्षी होकर देख रही हूँ*... इस कल्याण कारी ड्रामा की हर सीन बेहद ही खूबसूरत है ... *सत्यं शिवं सुन्दरम् का गहरा एहसास करती हुई मैं आत्मा बुद्धि में स्वदर्शन चक्र फिराती हुई अपने फरिश्ता स्वरूप में स्थित हूँ बापदादा के सम्मुख*... और बापदादा आज *श्रीमत पर परफैक्ट बनने की विधि समझाते हुए विचार सागर मंथन के लिए समझानी दे रहे है*।

❉ *स्नेह शक्तियों और गुणों की मिठास खुद में समेटे, मीठा- मीठा कहकर मुझे मीठा बनाने वाले मेरे मीठे बाबा बोले:-*"मेरी मास्टर ज्ञानसागर बच्ची, *जो पास्ट हुआ है वह फिर रिपीट हो रहा है यह बहुत समझने की बात है*, क्या आप इस की गहराई समझ कर अपने इस संगम युगी जीवन के हीरो पार्ट के कर्तव्यों को भली भाँति समझती हो! *सतयुग के अपने यादगार जड चित्रों की महिमा का महत्व समझती हो*? *अपने फ्यूचर के फरिश्ता स्वरूप के फीचर का सबको साक्षात्कार कराती हो*?

➳ _ ➳ *इस पतित दुनिया में पावनता का बादल बन बरसते, बापदादा के रूहानी स्नेह में डूबकर दिव्य बुद्धि मैं आत्मा, पतित पावन बाप से बोली:-*"अपनी पावन ज्ञान गंगा से मेरी बुद्धि को निर्मल और दिव्य बनाने वाले मेरे मीठे बाबा! *स्वदर्शन चक्र की ये जो सौगात आपसे पायी है, इसने मुझ आत्मा की बुद्धि को दिव्य बुद्धि बनाया है। पग पग पर आपके साथ के अनुभवों की मीठी सी सौगात मेरी समझ को और भी गहरा बना रही है*... *इस बेहद के ड्रामा के आदि, मध्य, अन्त की सारी नालिज अब मेरी बुद्धि में समाँ रही है*...

❉ *विकारों की कैद में कराहती आत्माओ को लिबरेट करने वाले मेरे लिबरेटर शिव बाबा स्नेह से मुस्कुराते हुए बोले:-*" मेरी शिवशक्ति बच्ची, बेहद के ड्रामा में मेरा परिचय सब आत्माओं को देने का दारोमदार तुम बच्ची पर है *गीता ज्ञान दाता मुझ शिव पिता को भूलकर कृष्ण को पूजती आत्माओं को, इस भ्रम से आप बच्ची लिबरेट कराओं... जाओ अब जाकर गीता को करेक्ट कराओं*।अपने जड चित्रों के उपासको को अब अपने चैतन्य रूप की झलक दिखाओं। *परदर्शन में डूबी हर आत्मा को स्वदर्शन का अनुभव कराओं*।

➳ _ ➳ *परम पिता के असीम रूहानी स्नेह की गहरी अनुभूतियों में खोई मैं कल्प कल्प की विशेष आत्मा गुप्त रूहानी सेना के रूहानी कमांडर शिव पिता से बोली:-*"गुप्त वेश में आपकी शक्ति सेना ये कमाल कर रही है बाबा! गीता ज्ञान दाता प्रत्यक्ष हो रहा है, *आप समान बनकर साक्षात चैतन्य मूर्तियाँ एक नये कुरूक्षेत्र में उतर रही है, शिव पिता की प्रत्यक्षता आप स्वयं ही देख रहे है*, श्वेतवस्त्रधारी ये दिव्यात्माए गीता के भगवान को प्रत्यक्ष कर रही है, *परदर्शन से मुक्त होकर, देखो, करोडो आत्माए -"यही है यही है" का अलख जगाती इधर ही आ रही है*।

❉ *दया के सागर, प्रेम के सागर, विषय सागर में डूबे बेडे को पार लगाने वाले हर्षित हो, मन्द मन्द मुस्काते बोले:-*" दिव्य बुद्धि से ड्रामा के हर राज़ को धारण करने वाली मेरी मीठी बच्ची, *ड्रामा ज्ञान के लेकर मूँझने वाली आत्माओं को एक बाप के सच्चे सच्चे रूप का अनुभव करा, सबके प्रति रहमभाव अपनाओं*, किनारा करने वालों के भी सहारा बन विश्वकल्याण के कार्यों को मंजिल तक ले जाओं। *अविनाशी प्यार के धागे में हर आत्मा को पिरोकर ही अपनी अवस्था अविनाशी बनाओ... सभी के कर्म भोग का वर्णन समाप्त कर कर्मयोग का जिक्र सुनो और सुनाओं*।

➳ _ ➳ *बुद्धि रूपी निर्मल आकाश में जगमगाते एक मात्र शिव सूर्य, और उनकी श्रीमत की दिव्य माला गले में धारण किये, मैं आत्मा विचार सागर मंथन से परफैक्ट बनती शिव शिक्षक से बोली:-*"बाबा आपके अविनाशी प्यार की सौगात ही सबको एक धागे से बाँधकर इस रूद्रज्ञान यज्ञ को सम्पूर्ण बना रही है, ड्रामा के आदि, मध्य, अन्त का राज सब आत्माओं की बुद्धि में प्रत्यक्ष हो रहा है, आप ही करावन हार है बाबा! मैने तो हाँजी का पार्ट बजाया है... विचार सागर मंथन के लिए भी आप ही मेरी बुद्धि चला रहे है।... *ये गीता ज्ञान भी आप ही प्रत्यक्ष करा रहे है... सभी आत्माए एक शिव पिता के कल्याणकारी रूप का जयकार कर रही है... और बापदादा मन्द मन्द मुस्कुराते वरदानों से मुझे नवाज़ रहे है*।

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- ऐसा कोई कर्म नही करना जो सतगुरु का निंदक बने*"

➳ _ ➳  एक खुले स्थान पर, ठन्डी हवाओ का आनन्द लेती अपने खुदा दोस्त को अपने साथ अनुभव करती मैं अपने खुदा दोस्त का शुक्रिया अदा करती हूँ जिन्होंने अपनी श्रेष्ठ मत द्वारा मेरे जीवन को सर्वश्रेष्ठ बना दिया। *अपने ऐसे खुदा दोस्त, भगवान बाप को मैं प्रोमिस करती हूँ कि उनकी निंदा कराने वाला कोई भी कर्म मैं कभी भी नही करूँगी*। हर कदम उनकी श्रेष्ठ मत पर चलते हुए, उनके हर फरमान का पालन करते अपने श्रेष्ठ संकल्प, बोल और कर्म द्वारा उनका नाम बाला करूँगी।

➳ _ ➳  मन ही मन अपने आप से दृढ़ प्रतिज्ञा करती अपने प्यारे मीठे बाबा की मीठी मधुर पालना के झूले में स्वयं को झूलते हुए अनुभव करती *मैं महसूस करती हूँ जैसे मेरी इस प्रतिज्ञा को पूरा करने में बाबा मेरे सहयोगी बन, मुझ में अपनी शक्तियाँ प्रवाहित कर, मुझे आप समान बलशाली बनाने के लिए अपने पास बुला रहें हैं*। परमधाम से अपने शिव पिता की सर्वशक्तियों की मीठी फ़ुहारों को अपने ऊपर गिरते हुए मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। *ये रंग बिरंगी मीठी फुहारे मेरे अन्तर्मन को छू कर मुझे देह से न्यारी एक अति प्यारी अवस्था का अनुभव करवा रही हैं*।

➳ _ ➳  इस न्यारी और प्यारी अवस्था मे मैं स्वयं को मस्तक के बीचों - बीच चमकते हुए एक अति सूक्ष्म गोल्डन स्टार के रूप में देख रही हूँ जिसकी रंग बिरंगी किरणों का प्रकाश चारों और फैलकर मन को बहुत ही सुखद अनुभूति करवा रहा है। *इस प्रकाश में मुझ आत्मा के सातों गुणों और अष्ट शक्तियों का मिश्रण समाया है जो मुझे मेरे सातों गुणों और अष्ट शक्तियों का अनुभव करवा कर बहुत ही शक्तिशाली स्थिति में स्थित कर रहा है*। स्वयं में से निकल रहे इस खूबसूरत प्रकाश को देखते और गहन आनन्द की अनुभूति करते - करते मैं गोल्डन स्टार अपनी रंग बिरंगी किरणो को फैलाता हुआ अब चमकते चैतन्य सितारों की उस गोल्डन दुनिया मे जा रहा हूँ जहाँ मेरे प्यारे पिता रहते हैं।

➳ _ ➳  अपने पिता के प्रेम की लग्न में मग्न, मैं जगमग करती ज्योति धीरे - धीरे ऊपर उड़ते हुए आकाश को पार करती हूँ और उससे ऊपर फरिश्तो की दुनिया को पार कर, अनन्त ज्योति के देश, अपने परमधाम घर मे प्रवेश कर जाती हूँ। *सामने महाज्योति मेरे शिव पिता अपनी सर्वशक्तियों की अनन्त किरणो को फैलाये ऐसे लग रहे है जैसे अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में मुझे भरने के लिए व्याकुल हो रहें हैं*। बिना कोई विलम्ब किये मैं चमकती हुई चैतन्य ज्योति अपने महाज्योति शिव पिता के पास पहुँचती हूँ और उनकी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में समा जाती हूँ। 

➳ _ ➳  मेरे प्यारे पिता की सर्वशक्तियों की किरणें स्नेह की मीठी फ़ुहारों के रूप में मुझ पर बरसने लगती हैं। *सर्वशक्तिवान मेरे प्यारे मीठे बाबा अपना असीम स्नेह मुझ पर बरसाते हुए अपनी सर्वशक्तियों से मुझे बलशाली बनाने के लिए अपनी लाइट माइट को फुल फोर्स के साथ मुझ में प्रवाहित करने लगते हैं*। अपने प्यारे पिता की लाइट माइट पाकर, सर्व शक्ति सम्पन्न स्वरूप बनकर, अपने संकल्प, बोल और कर्म को श्रेष्ठ बना कर, अपने प्यारे पिता का नाम बाला करने के लिए अब मैं साकार सृष्टि पर लौट आती हूँ। 

➳ _ ➳  अपने साकार तन का आधार लेकर, ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, इस सृष्टि रूपी कर्मभूमि पर अब मैं हर कर्म अपने प्यारे बाबा की याद में रहकर कर रही हूँ। *अपने हर संकल्प, बोल और कर्म पर पूरा अटेंशन देते हुए मैं इस बात का विशेष ध्यान रखती हूँ कि देह भान में आकर, मेरे मन मे कोई भी गलत संकल्प भी कभी उतपन्न ना हो, मेरे मुख से कभी भी, कोई भी ऐसा बोल ना निकले जो किसी को आहत करे या ऐसा कोई भी कर्म मुझ से ना हो जाये जो किसी को तकलीफ पहुँचे और मेरे प्यारे पिता की निंदा का कारण बनें*। इसलिये इन सभी बातों पर पूरा अटेंशन दे, अपने हर संकल्प, बोल और कर्म को श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनाने का पुरुषार्थ अब मैं निरन्तर कर रही हूँ।

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं बुद्धि की लाइन क्लियर रखने वाली आत्मा हूँ।*
✺   *मैं नम्बरवन पास होने वाली आत्मा हूँ।*
✺   *मैं एवररेडी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺ *मैं आत्मा सदैव ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन लेती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा मन को सदा शक्तिशाली बनाती हूँ ।*
✺ *मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  जैसे ब्रह्मा बाप को देखा, वर्णन भी करते हो जैसे सम्पन्नता का समय समीप आता रहा तो क्या देखा? चलता फिरता फरिश्ता रूप, देहभान रहित। देह की फीलिंग आती थी? *सामने जाते रहे तो देह देखने आती थी या फरिश्ता रूप अनुभव होता था? कर्म करते भी, बातचीत करते भी, डायरेक्शन देते भी, उमंग-उत्साह बढ़ाते भी देह से न्यारा, सूक्ष्म प्रकाश रूप की अनुभूति की।* कहते हो ना कि ब्रह्मा बाबा बात करते-करते ऐसे लगता था जैसे बात कर भी रहा है लेकिन यहाँ नहीं है, देख रहा है लेकिन दृष्टि अलौकिक है, यह स्थूल दृष्टि नहीं है। *देह-भान से न्यारा, दूसरे को भी देह का भान नहीं आये, न्यारा रूप दिखाई दे, इसको कहा जाता है देह में रहते फरिश्ता स्वरूप। हर बात में, वृत्ति में, दृष्टि में, कर्म में न्यारपन अनुभव हो।* यह बोल रहा है लेकिन न्यारा-न्यारा, प्यारा-प्यारा लगता है। आत्मिक प्यारा। *ऐसे फरिश्तेपन की अनुभूति स्वयं भी करे और औरों को भी करायें क्योंकि बिना फरिश्ता बने देवता नहीं बन सकते हैं।* फरिश्ता सो देवता है। तो नम्बरवन ब्रह्मा की आत्मा ने प्रत्यक्ष साकार रूप में भी फरिश्ता जीवन का अनुभव कराया और फरिश्ता स्वरूप बन गया।

 

✺   *ड्रिल :-  "देह में रहते फरिश्ता स्वरूप का अनुभव करना"*

 

 _ ➳  *वाह!! मेरा सर्वश्रेष्ठ भाग्य... स्वयं भगवान बाप के रूप में हमारी कितनी श्रेष्ठ पालना कर रहें हैं... शिक्षक बन देवपद के लिये पढ़ाई पढ़ा रहें हैं... सद्गुरु बन वरदानों से भरपूर कर रहें हैं...* इतना श्रेष्ठ भाग्य... मैने तो कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि स्वयं भगवान मेरे ऊपर बलिहार जायेंगे...  

 

 _ ➳  मैं आत्मा चमकती हुई ज्योति प्रकाश की देह में विराजमान हूँ... मुझसे चारों ओर प्रकाश की दिव्य... तेजस्वी किरणें फैल रहीं हैं... मैं आत्मा स्वयं को बहुत हल्का महसूस कर रही हूँ... मन बिल्कुल हल्का... कोई बोझ नहीं... कोई कमी कमजोरी नहीं... बेफिक्र बादशाह... निश्चिन्त जीवन अनुभव कर रही हूँ... *सब बाबा को देकर... डबल लाइट बन संगमयुग के जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा इस देह में रहते हुए स्वयं को फरिश्ता स्थिति में देख रही हूँ...*

 

 _ ➳  *आहा!!! मेरा फरिश्ता स्वरूप...* सूक्ष्मवतन में बापदादा के सम्मुख... कभी उनकी गोद में... कभी साकार वतन में... देह में रह... कर्म करते हुए... *अव्यक्त स्थिति में... निरन्तर योगयुक्त... सभी के लिये कल्याण की भावना... शुभ भावना रख रही हूँ...* इर्ष्या... द्वेष... घृणा... नफरत... तेरे मेरे से परे हो गयी हूँ... *स्वयं भी आत्मिक स्थिति में रहती हूँ और दूसरों को भी आत्मा रूप में देखती हूँ...*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा फरिश्ता स्थिति में रह सारे संसार को सन्देश दे रही हूँ... श्रेष्ठ वायब्रेशन्स फैला रही हूँ...* मैं आत्मा सभी आत्माओं को ईश्वरीय सन्देश देती हुई मुक्ति जीवनमुक्ति का रास्ता दिखा रही हूँ... *मैं आत्मा इस देह में रहते सदा आत्मिक स्थिति में रहती हूँ...* 

,

 _ ➳  *देह के भान से न्यारी मैं आत्मा... हर बात में... वृति में... दृष्टि में... कृति में न्यारी रहती हूँ...* फरिश्ता रूप धर कर एक मिनट में कभी परमधाम... कभी सूक्ष्मवतन... कभी स्थूल वतन में चक्कर लगाती रहती हूँ... *मैं आत्मा इस देह में रहते हुए बार बार अपने इस फरिश्ते रूप को... अपने इस दिव्य... तेजस्वी स्वरूप को देख रही हूँ... मैं फरिश्ता ग्लोब पर खड़े होकर सारे संसार को... सम्पूर्ण प्रकृति को पवित्रता के और शक्तियों के वायब्रेशन्स दे रही हूँ...*

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━