━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 24 / 02 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *प्यार से एक बाप को याद किया ?*
➢➢ *पढाई पर पूरा पूरा ध्यान दिया ?*
➢➢ *सोचने और करने के अंतर को मिटाया ?*
➢➢ *अपने जीवन में अनुभूति की गिफ्ट प्राप्त की ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ जितना स्वयं को मन्सा सेवा में बिजी रखेंगे उतना सहज मायाजीत बन जायेंगे। *सिर्फ स्वयं के प्रति भावुक नहीं बनो लेकिन औरों को भी शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा परिवर्तित करने की सेवा करो। भावना और ज्ञान, स्नेह और योग दोनों का बैलेन्स हो। कल्याणकारी तो बने हो अब बेहद विश्व कल्याणकारी बनो।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं हीरो पार्टधारी हूँ"*
〰✧ *अपने को सदा हीरो पार्टधारी समझते हुए हर कर्म करो।*
〰✧ *जो हीरो पार्टधारी होते हैं उनको कितनी खुशी होती है, वह तो हुआ हद का पार्ट। आप सबका बेहद का पार्ट है। किसके साथ पार्ट बजाने वाले हैं! किसके सहयोगी हैं, किस सेवा के निमित हैं, यह स्मृति सदा रहे तो सदा हर्षित, सदा सम्पन्न, सदा डबल लाइट रहेंगे।*
〰✧ *हर कदम में उन्नति होती रहेगी। क्या थे और क्या बन गये! 'वाह मैं और वाह मेरा भाग्य!' सदा यही गीत खूब गाओ और औरों को भी गाना सिखाओ। 5 हजार वर्ष की लम्बी लकीर खिंच गई तो खुशी में नाचो।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ अभी एक सेकण्ड में मन को एकाग्र कर सकते हो? *सब एक सेकण्ड में बिन्दु रूप में स्थित हो जाओ। (बापदादा ने ड्रिल कराई) अच्छा - ऐसा अभ्यास चलते-फिरते करते रहो।*
〰✧ अभी बाप बच्चों से क्या चाहते हैं? पूछते हैं ना - बाप क्या चाहते हैं? *तो बापदादा यही मीठे-मीठे बच्चों से चाहते हैं कि एक-एक बच्चा स्वराज्य अधिकारी राजा हो।* सभी राजा हो? स्वराज्य है? स्व पर राज्य तो है ना। जो समझते हैं स्वराज्य अधिकारी राजा बना हूँ, वह हाथ उठाओ। बहुत अच्छा।
〰✧ बापदादा को बच्चों को देखकर प्यार आता कि 63 जन्म बहुत मेहनत की है, दु:ख-अशान्ति से दूर होने की। *तो बाप यही चाहते हैं कि हर बच्चा अभी स्वराज्य अधिकारी बने। मन-बुद्धि-संस्कार का मालिक बने, राजा बने।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *अव्यक्त स्थिति एक दर्पण है। जब आप अव्यक्त स्थिति में स्थित होते हो तो कोई भी व्यक्ति के भाव अव्यक्त स्थिति रूपी दर्पण में बिल्कुल स्पष्ट देखने में आयेगा।* फिर मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। दर्पण को मेहनत नहीं करनी पड़ती है कोई के भाव को समझने में। *जितनी-जितनी अव्यक्त स्थिति होती है, वह दर्पण साफ और शक्तिशाली होता है। इतना ही बहुत सहज एक-दो के भाव को स्पष्ट समझते हैं।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप को याद करना और प्यार करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा एकांत में सागर के किनारे बैठ सागर में उछलती लहरों को देख रही हूँ... मेरे जीवन में उछलती दुःख-अशांति की लहरों को ख़त्म कर... सदा के लिए सुख-शांति, प्रेम की लहरों में मुझे लहराने वाले... सर्व गुणों-शक्तियों के सागर बाबा के पास पहुँच जाती हूँ शांतिधाम में...* परमधाम की परम शांति का अनुभव कर रही हूँ... बस एक बाबा और मैं... बाबा से निकलती किरणें मुझमें दिव्य अलौकिक शक्तियों को भर रही हैं... *फिर मैं आत्मा शांति की दुनिया से नीचे उतरकर बिंदु रूप से फ़रिश्ता स्वरुप धारण कर फरिश्तों की दुनिया में पहुँच जाती हूँ... बापदादा के सम्मुख बैठ जाती हूँ...*
❉ *सच्चे प्रेम के अहसासों में मुझे डुबोकर मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... सच्चे प्यार की मुस्कराती मदमाती यादो में रग रग को डुबो दो... *सच्चे माशूक के साथ अपनी प्रीत जोड़कर... प्यार के अहसासो में डूब जाओ और प्राप्तियों के अनन्त खजाने अपने दामन में सजाओ*... योग और पढ़ाई की जादूगरी से सहज ही विश्व का अधिकार पाओ..."
➳ _ ➳ *बाबा की यादों में पवित्र, निर्मल, ओजस्वी बनकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मै आत्मा सच्चे प्यार को पाने वाली... ईश्वर माशूक संग हर पल मुस्कराने वाली सच्ची आशिक हूँ...* कभी मनुष्यो में प्यार की बून्द खोजने वाली... आज प्यार के सागर को ही पाकर... अपने महान भाग्य पर धन्य धन्य हो उठी हूँ... कितना प्यारा मेरा भाग्य है.."
❉ *मीठे प्रेम के तराने सुनाकर मुझे मदमस्त करते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय यादो में अनन्त खजाने सहज ही पाकर... सबसे महान भाग्य से भर जाओ... *ईश्वर पिता के सारे खजानो को प्यार में सहज ही लूट लो... प्यार के तार जोड़कर विश्व की अमीरी को बाहों में भर लो... आशिक बनकर सच्चे माशूक को अपनी यादो का दीवाना बना दो..."*
➳ _ ➳ *एक बाबा के दिल की तिजोरी में चमकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मैं आत्मा भगवान को ही माशूक रूप में पाकर सच्चे प्यार का सुख हर पल हर साँस ले रही हूँ...* भगवान मुझे यूँ मिल जायेगा यूँ प्यार करेगा, और प्यार से भर जाएगा यह तो कल्पना में भी न था... *प्यारे बाबा किन शब्दों में आपका शुक्रिया करूँ..."*
❉ *महकता फूल बनाकर अपने गुलिस्तां में सजाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *अपने सत्य स्वरूप में डूबकर, सच्चे पिता की मीठी महकती यादो में रोम रोम से भीग जाओ... इन सच्ची यादो में ही सच्चे सुखो के भण्डार समाये है... यह यादे ही सच्चे प्यार का पर्याय है.. सारे सुख इन यादो में निहित है...* इन यादो और ज्ञान रत्नों से जीवन को अनन्त ऊंचाइयों पर ले जाओ..."
➳ _ ➳ *मीठे बाबा की मीठी यादों में डूबकर बाबा की दीवानी बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्रेम में खोयी हुई अतीन्द्रिय सुख में डूबी हुई हूँ... *मीठे बाबा आपको पाकर मैंने सब कुछ पा लिया है... सच्चे प्रेम को दामन में सजा लिया है... और इसकी मीठी अनुभूतियों में हर पल खोयी खोयी सी हूँ..."*
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- ग़फ़लत छोड़ पूरा वर्से का अधिकारी बनना है*"
➳ _ ➳ पूरे कल्प में केवल संगमयुग का ही समय मोस्ट वैल्युबुल समय है जब स्वयं भगवान आ कर सर्व खजानों से अपने हर ब्राह्मण बच्चे को सम्पन्न बना देते हैं। *कितनी पदमापदम सौभाग्यशाली हैं वो ब्राह्मण आत्मायें जो परमात्मा बाप द्वारा मिले इन अनमोल खजानों को अपने परमात्मा बाप की श्रीमत प्रमाण यूज़ करके इन्हें सफल करते हैं औऱ कल्प - कल्प के लिए अपनी श्रेष्ठ प्रालब्ध बना लेते हैं*।
➳ _ ➳ मन ही मन स्वयं से बातें करती मैं परमात्मा बाप द्वारा मिले सर्व खजानों को स्मृति में ला कर स्वयं से प्रोमिस करती हूँ कि समय, संकल्प और श्वांसों का जो अनमोल खजाना भगवान ने मुझे गिफ्ट के रूप में दिया है उसे किसी भी प्रकार की गफलत में व्यर्थ नही गंवाना। *समय, संकल्प और श्वांसों के अनमोल खजाने को सफल करना ही सर्व खजानों की प्राप्ति का आधार है इसलिए अपना समय, संकल्प और श्वांस अपने प्यारे बाबा की याद और ईश्वरीय सेवा में सफल करते हुए अब मुझे सर्व खजानों को जमा करना है और उन्हें सर्व आत्माओं को बाँटना है*।
➳ _ ➳ स्वयं से यह दृढ़ प्रतिज्ञा कर, अपने प्यारे बाबा का दिल से शुक्रिया अदा करती हुई मैं जैसे ही उनकी याद में अपने मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ *बाबा सहज ही मुझे अपनी और खींच लेते हैं और मैं आत्मा सेकण्ड में आजाद पँछी की भांति देह रूपी पिंजरे का दरवाजा खोल उड़ जाती हूँ ऊपर खुले आसमान की ओर*। नीले गगन में विचरण करते, सूर्य, चांद, सितारों रूपी बत्तियों की रिमझिम को निहारते मैं इन्हें पार करके, चैतन्य सितारों की दुनिया में प्रवेश करती हूँ। चमकते हुए चैतन्य सितारों की यह निराकारी दुनिया मेरे पिता परमात्मा का घर है।
➳ _ ➳ अपने बिल्कुल सामने मैं देख रही हूँ अनन्त प्रकाशमय ज्योतिपुंज के रूप में अपने शिव पिता परमात्मा को। *उनसे निकल रही शक्तियों और गुणों की अनन्त किरणे अब मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं और असीम आनन्द से मैं आत्मा भरपूर होती जा रही हूँ*। अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हुए मैं आत्मा प्रेम के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के प्यार में गहराई तक समाती जा रही हूँ। अपने निराकार शिव पिता परमात्मा की सर्वशक्तियों की छत्रछाया के नीचे बैठ मैं गहन सुख, शांति और आनन्द की अनुभूति कर रही हूँ। *सर्वशक्तियों की किरणों की शीतल फुहारें मन को असीम शीतलता प्रदान कर रही हैं*।
➳ _ ➳ सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर कर, अब मैं परमधाम से नीचे आ जाती हूँ और अपनी लाइट की फ़रिशता ड्रेस को धारण कर सूक्ष्म लोक में प्रवेश करती हूँ। जहां बाहें पसारे बापदादा का लाइट माइट स्वरूप मुझे सहज ही अपनी ओर खींच रहा है। *बाबा की बाहों में अब मैं फ़रिशता समा रहा हूँ। अपनी बाहों में भर कर अपना असीम स्नेह मुझ पर लुटा कर अब बाबा मुझे शक्तिशाली दृष्टि दे रहे हैं और अपनी सर्वशक्तियों से मेरे अंदर एक नई स्फूर्ति, एक नई ऊर्जा का संचार करके गफलत से सदा मुक्त रहने का बल मुझमे भर रहें हैं*।
➳ _ ➳ बापदादा से लाइट माइट ले कर, अब मैं अपनी फरिश्ता ड्रेस को सूक्ष्म वतन में ही छोड़ कर, अपने निराकार ज्योति बिंदु स्वरूप को धारण कर वापिस साकारी दुनिया मे लौट कर अपने साकारी तन में आ कर प्रवेश करती हूँ। *स्फूर्ति और एनर्जी से भरपूर मैं आत्मा अपने साकारी तन में अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर अब स्वयं को बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ*। बाबा की लाइट माइट ने मुझे डबल लाइट बना दिया है। हर प्रकार की गफलत से मुक्त स्वयं को सदा बलशाली अनुभव करते हुए अब मैं उमंग उत्साह से आगे बढ़ते, औरों को भी आगे बढ़ाने का तीव्र पुरुषार्थ कर रही हूँ।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सोचने और करने के अंतर को मिटाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं स्व-परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा अपने जीवन में सदा अनुभूति की गिफ्ट प्राप्त करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सदैव सबसे लक्की हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा अनुभवी मूर्त हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ आज चारों ओर के सर्व स्वमानधारी बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। *इस संगम पर जो आप बच्चों को स्वमान मिलता है उससे बड़ा स्वमान सारे कल्प में किसी भी आत्मा को प्राप्त नहीं हो सकता है।* कितना बड़ा स्वमान है, इसको जानते हो? स्वमान का नशा कितना बड़ा है, यह स्मृति में रहता है? *स्वमान की माला बहुत बड़ी है। एक एक दाना गिनते जाओ और स्वमान के नशे में लवलीन हो जाओ।* यह स्वमान अर्थात् टाइटल्स स्वयं बापदादा द्वारा मिले हैं। परमात्मा द्वारा स्वमान प्राप्त हैं। इसलिए *इस स्वमान के रूहानी नशे को कोई अथारिटी नहीं जो हिला सके क्योंकि आलमाइटी अथारिटी द्वारा प्राप्त है।*
✺ *ड्रिल :- "आलमाइटी अथारिटी द्वारा प्राप्त स्वमान के रूहानी नशे में रहने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा रात्रि में खुले आसमान के नीचे बैठ कर... आकाश में चांदनी रात के सौंदर्य को निहार रही हूँ... चंद्रमा अपने संपूर्ण रूप में चमक रहा है... चंद्रमा की शीतल चांदनी रात्रि के गहन अंधकार को चीरती जा रही है... *चंद्रमा के शीतल स्वरुप को देख मेरा मन सहज ही अपने बाबा की स्मृतियों में मगन हो जाता है...* मैं आत्मा मीठे बाबा को बुद्धि के नेत्रों से निहार रही हूँ... *प्रभु का चंद्रमा सा शीतल सलोना रूप मैं आत्मा एकटक ही निहार रही हूँ...* चन्द्रमा समान बाबा की शीतल किरणों को... स्वयं में समा कर मैं आत्मा चांदनी के जैसे सारे विश्व में ज्ञान का, स्नेह का, पवित्रता का शीतल प्रकाश फैला रही हूँ...
➳ _ ➳ अपने ऊँचे भाग्य को देख कर मैं मन ही मन मुस्कुरा रही हूँ... अपना सुंदर भाग्य देख अति आनंदित हो रही हूँ... दुनिया में मनुष्य छोटा सा पद पाने के लिए क्या कुछ नहीं करते... साम, दाम, दंड, भेद हर तरीके अपनाते हैं जबकि वह पद प्रतिष्ठा तो अल्प काल की है, दुखदायी है... और *मुझ आत्मा को तो स्वयं भगवान ने अपने दिलतख्त पर बिठा लिया है...* इस तख्त के सामने दुनियावी ऊंचे से ऊंचा पद भी फीका महसूस हो रहा है... *कितना रूहानी स्नेह बाबा मुझ आत्मा पर बरसा रहे हैं... बाबा मुझे अपने सर्व खजानों का मालिक बना रहे हैं...*
➳ _ ➳ मीठे बाबा मुझे गुणों और शक्तियों के गहनो से सजा रहे हैं... कितने श्रेष्ठ टाइटल ऊंचे से ऊंचे स्वमान बाबा मुझे दे रहे हैं... मैं आत्मा हद के नाम-मान-शान इन सभी कामनाओं से मुक्त होती जा रही हूँ... *स्वयं भगवान जिसे मान दे रहा है, भगवान जिसकी महिमा के गुण गा रहे हैं, ऑलमाइटी बाबा जिस पर वरदान की वर्षा कर रहे हैं... वो भाग्यवान आत्मा हूँ मैं... अपने सुंदर भाग्य पर मैं मन ही मन इठला रही हूँ...* संगम पर बाबा से मुझ आत्मा को जो स्वमान मिले हैं उनसे बडा स्वमान सारे कल्प में किसी भी आत्मा को मिल नहीं सकता...
➳ _ ➳ स्वयं भगवान जो सर्व खजानों की चाबी है... वह कहते हैं बच्चे मैं तुम्हारा हूँ... तुम मेरे नयनों की नूर हो... मेरे मस्तक मणि हो... मेरे गले का हार हो... ऐसे श्रेष्ठ भाग्य के क्या कहने... मैं अपना 'वाह रे मैं, वाह मेरा बाबा, वाह मेरा भाग्य' के रूहानी नशे में झूम रही हूँ... *बाबा से इतने ऊंचे स्वमान मुझ आत्मा को प्राप्त हुए हैं... मैं उन स्वमानो का स्वरुप बन गई हूँ... कितने स्वमान बाबा ने दिए हैं... कितनी बड़ी है ये स्वमानों की माला*... मैं आत्मा इस माला का एक-एक दाना गिन रही हूँ... और उस स्वमान में स्थित हो रही हूँ... ईश्वरीय स्नेह में लवलीन हो रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा स्वमान के नशे में, खुमारी में मगन हूँ... *ये स्वमान किसी मनुष्य या देहधारी ने नहीं, स्वयं भाग्य विधाता बाबा से, बापदादा से मुझ आत्मा को मिले हैं...* परमपिता परमात्मा मुझे ये स्वमान दे रहे हैं... स्वमानों के इस रूहानी नशे को दुनियावी कोई अथॉरिटी हिला नहीं सकती... आलमाइटी अथॉरिटी बाबा से ये श्रेष्ठ स्वमान मुझ आत्मा को प्राप्त हुए हैं... जो ऊंचे से ऊंची हस्ती है, ऊंचे से ऊंची अथॉरिटी है... *मैं स्वयं को ईश्वर पिता से प्राप्त स्वमानों के रूहानी नशे में देख रही हूँ... मैं स्वयं की ईश्वरीय खुमारी में, लवलीन अवस्था में मगन अनुभव कर रही हूँ...*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━