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❍ 07 / 03 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *पवित्रत की शक्ति से उडती कला का अनुभव किया ?*
➢➢ *संकल्प, बोल व कर्म में पवित्रता का अनुभव किया ?*
➢➢ *मास्टर सुखकर्ता बन दुःख को सुख में परिवर्तित किया ?*
➢➢ *कायदे में फायदे का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *जीवन में जो चाहिए अगर वह कोई दे देता है तो यही प्यार की निशानी होती है। तो बाप का आप बच्चों से इतना प्यार है जो जीवन के सुख- शान्ति की सब कामनायें पूर्ण कर देते हैं।* बाप सुख ही नहीं देते लेकिन सुख के भण्डार का मालिक बना देते हैं। *साथ-साथ श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींचने का कलम भी देते हैं, जितना चाहे उतना भाग्य बना सकते हो - यही परमात्म प्यार है।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को श्रेष्ठ भाग्यवान समझते हो? भाग्य में क्या मिला? *भगवान ही भाग्य में मिल गया। स्वयं भाग्य विधाता भाग्य में मिल गया। इससे बड़ा भाग्य और क्या हो सकता है? तो सदा ये खुशी रहती है कि विश्व में सबसे बड़े ते बड़े भाग्यवान हम आत्मायें हैं।*
〰✧ हम नहीं, हम आत्मायें। आत्मायें कहेंगे तो कभी भी उल्टा नशा नहीं आयेगा। *देही-अभिमानी बनने से श्रेष्ठ नशा - ईश्वरीय नशा रहेगा। भाग्यवान आत्मायें हैं, जिन्हों के भाग्य का अब भी गायन हो रहा है।*
〰✧ *'भागवत' - आपके भाग्य का यादागार है। ऐसा अविनाशी भाग्य जो अब तक भी गायन होता है, इसी खुशी में सदा आगे बढ़ते रहो। कुमारियां तो निर्बन्धन, तन से भी निर्बन्धन, मन से भी निर्बन्धन। ऐसे निर्बन्धन ही उड़ती कला का अनुभव कर सकते हैं।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ अभी बापदादा सभी को चाहे यहाँ समुख बैठे हैं, चाहे देश-विदेश में दूर बैठे सुन रहे हैं या देख रहे हैं, सभी बच्चों को ड़ि्ल कराते हैं। सभी रेडी हो गये। *सब संकल्प मर्ज कर दो, अभी एक सेकण्ड में मन-बुद्धि द्वारा अपने स्वीट होम में पहुँच जाओ।*
〰✧ *अभी परमधाम से अपने सूक्ष्म वतन में पहुँच जाओ। अभी सूक्ष्मवतन से स्थूल साकार वतन में अपने राज्य स्वर्ग में पहुँच जाओ। अभी अपने पुरुषोत्तम संगमयुग में पहुँच जाओ। अभी मधुबन में आ जाओ।* ऐसे ही बार-बार स्वदर्शन चक्रधारी बन चक्र लगाते रहो। अच्छा।
〰✧ *अभी एक सेकण्ड में अपने मन से सब संकल्प समाप्त कर एक सेकण्ड में बाप के साथ परमधाम में ऊँचे ते ऊंचे स्थान, ऊँचे ते ऊंचा बाप, उनके साथ ऊँची स्थिति में बैठ जाओ।* और बाप समान मास्टर सर्वशक्तिवान बन विश्व की आत्माओं को शक्तियों की किरणें दो। अच्छा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ सदैव अपने को अकालमूर्त समझते चलेंगे तो अकाले मृत्यु से भी, अकाल से, सर्व समस्याओं से बच सकेंगे । *मानसिक चिन्तायें, मानसिक परिस्थितियों को हठाने का एक ही साधन याद रखना है - सिर्फ अपने इस पुराने शरीर के भान को मिटाना है। इस देह अभिमान को मिटाने से सर्व परिस्थितियाँ मिट जायेंगी ।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- पवित्रता की शक्ति को धारण करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा को दिल की बात सुनाने के लिये तपस्या धाम में पहुँचती हूँ... एक पिता का विशाल हृदय देख अभिभूत हूँ...* कि बच्चे संगम पर भी अथाह सुखों में... और सतयुगी दुनिया के वैभव भी बच्चों के लिये है... और *शिवपिता तपस्या धाम में बैठा, मुझे सुख की दुनिया में ले चलने की प्रतिज्ञा करवा रहें हैं... कि मेरे प्यारे बच्चे सदा के लिये सुख भरी दुनिया के मालिक बनकर, सदा खुशियों के झूले में झूलते रहें...* मेरा बाबा कितना मीठा और प्यारा है... मीठे बाबा के लिये दिल में अथाह प्यार लेकर, मैं आत्मा... तपस्या धाम में प्रवेश करती हूँ...
❉ *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को पवित्रता की प्रतिज्ञा करवाते हुए बड़े प्यार से कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... अब तुम्हारे 84 जन्म पूरे हुए, अब तुम यह अंतिम जन्म पवित्र बनो... *इस काम महाशत्रु को जीतो वा माया रावण पर जीत पाओ... इसके लिये तुम्हें पुरुषार्थ करना है..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा से पवित्रता की सच्ची राखी बंधवाते हुए कहती हूँ :-*"मेरे प्यारे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपकी यादों की छत्रछाया में पलकर, असीम खुशियों की मालिक बन गयी हूँ... *आपने मुझ आत्मा के जीवन को... सदा के लिये सुखों में आबाद किया है... दिव्य गुणों, शक्तियों और पवित्रता से सजाकर, मुझे देवताई रूप दिया है..."*
❉ *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को दिव्य गुणों और शक्तियों से भरकर कहा :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... गृहस्थ जीवन में रहते... कमल फूल समान पवित्र रह... *आजीवन पवित्र रहने की प्रतिज्ञा करो कि यह अंतिम जन्म पवित्र रहेंगे, यह अपवित्र दुनिया विनाश होनी है... इसलिए अब पवित्र रह... सूर्यवंशी घराने में जाने का पुरुषार्थ करो... जो सूर्यवंशी बनेंगे वही गद्दी पर बैठेंगे..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मीठे बाबा की श्रीमत को दिल से लगाते हुए कहती हूँ :-* "मेरे मीठे मीठे बाबा... आप जब मेरे जीवन में नहीं थे तो... जीवन दुःखों की गठरी सा, अंतर्मन को बोझिल किये हुए था... अब मैं आत्मा... आपकी यादों में और ज्ञान रत्नों की दौलत पाकर बहुत सुखी हो गयी हूँ... *विकर्मो की कालिमा से छूटकर पवित्रता से सज संवर रही हूँ...* आप... सच्चे साथी को साथ रख... हर कर्म को श्रेष्ठ बनाती जा रही हूँ..."
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को सत्य और असत्य की समझ देकर बेहद का समझदार बनाते हुए कहा :-* "हे मेरे सिकीलधे बच्चे... *मीठे बाबा संग सदा पवित्र मार्ग पर चलो... और ईश्वरीय दौलत, अथाह खजानों को अपनी बाँहो में भरकर मुस्कराते रहो...* मीठे बाबा को पा लिया, सब कुछ पा लिया... तो सदा इस नशे में झूमते रहो... *बाप ही बच्चों को तिलक देकर अपने तख्त पर बिठाते हैं... तो जो सूर्यवंशी बनेंगे वही गद्दीनशीन बनेंगे...* इसलिए जो बाबा सिखलाते हैं... उन्हीं श्रेष्ठ कर्मो और दिव्य गुणों की धारणा से, जीवन को शानदार बनाओ..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्यारे बाबा के प्यार में अतीन्द्रिय सुख पाते हुए कहती हूँ :-* "मेरे दिल के सच्चे-सच्चे मीत... *मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा... सदा आपकी श्रीमत पर चल... सपूत बच्चा बन... पवित्र बन आपसे वर्सा ले रही हूँ...* आपने मुझ आत्मा का कितना प्यारा और शानदार भाग्य सजाया है... *अपनी पालना देकर, मुझे मनुष्य से देवता बना रहे हो... सुखों का फूल मेरे जीवन मे खिला रहे हो...* मीठे बाबा को दिल की गहराईयों से शुक्रिया कर मैं आत्मा... साकार वतन में लौट आई..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- संकल्प वा बोल में पवित्रता का अनुभव करना*"
➳ _ ➳ भगवान के साथ सर्व सम्बन्धो का सुख सारे कल्प में केवल इस समय ही मिलता है इसका प्रेक्टिकल अनुभव करती हुई मैं नन्ही सी परी बन अपने खुदा दोस्त के साथ स्वयं को एक बहुत खूबसूरत दुनिया में देख रही हूँ। *इस खूबसूरत दुनिया मे रंग बिरंगे खुशबूदार फूलों के एक अति सुंदर बगीचे में अपने खुदा दोस्त के साथ टहलते हुए मैं उनसे मीठी - मीठी बातें कर रही हूँ*। मेरे खुदा दोस्त मेरे साथ अनेक प्रकार से खेल पाल कर रहें है। उनके साथ मैं इस खूबसूरत दुनिया के खूबसूरत नज़ारे देख रही हूँ।
➳ _ ➳ मन को लुभाने वाली इस बहुत निराली और अद्भुत पिकनिक का आनन्द लेने के बाद मैं जैसे ही अपनी स्व स्वरूप में स्थित होती हूँ, *मैं अनुभव करती हूँ कि अपने जिस सम्पूर्ण सतोप्रधान स्वरूप में मैं पहली बार अपने परमधाम घर से इस कर्मभूमि पर आई थी, उसी सम्पूर्ण सतोप्रधान स्वरूप को पुनः पाने के लिए, पवित्रता के सागर, मेरे पतित पावन परम पिता परमात्मा मुझे अपने पास बुला रहें हैं*। यह अनुभव करते ही मैं देखती हूँ जैसे पतित पावन मेरे शिव बाबा अव्यक्त ब्रह्मा बाबा के लाइट के तन में विराजमान होकर मेरे सामने आ गए हैं और मेरा हाथ थामने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा रहे हैं।
➳ _ ➳ अपने भगवान उस्ताद के हाथ मे हाथ देते ही मैं महसूस करती हूँ जैसे एक बहुत तेज करेन्ट मेरे सारे शरीर मे दौड़ने लगा है। *पवित्रता की किरणों का अनन्त प्रवाह बापदादा के हाथों से मेरे शरीर के अंग - अंग में प्रवाहित हो रहा है*। शक्तियों का यह तीव्र प्रवाह शरीर के भान को जैसे समाप्त कर रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरा शरीर प्रकाश का बन गया है और इतना हल्का हो गया है कि धरती के आकर्षण को छोड़ ऊपर उड़ने लगा है। *अपने उस्ताद के हाथ मे हाथ देकर, इस दुनिया से मैं बहुत दूर ऊपर आकाश में आ गई हूँ*।
➳ _ ➳ नीचे धरती के नजारों को देखते हुए, इस खूबसूरत यात्रा का आनन्द लेते - लेते मैं आकाश को भी पार करके अपने उस्ताद के साथ अब उनके अव्यक्त वतन में पहुँच गई हूँ। *अपने ही समान लाइट के शरीर वाले फरिश्तो को मैं इस वतन में यहाँ वहाँ उड़ते हुए देख रही हूँ जो अपने उस्ताद की इस खूबसूरत दुनिया में मेरे ही समान उनके पास मिलन मेला मनाने आये हैं*। अपने इस अव्यक्त वतन के सुंदर नजारो को देखते - देखते अब मैं स्वयं को पवित्रता की शक्ति से भरपूर करने के लिए बापदादा के सामने जा कर बैठ जाती हूँ।
➳ _ ➳ अपनी पावन दृष्टि से मुझे निहारते हुए मेरे उस्ताद पवित्रता की किरणें मुझ में प्रवाहित कर रहें हैं। ऐसा लग रहा है जैसे बापदादा की पावन दृष्टि से पवित्रता का झरना बह रहा है जिससे निकल रही पवित्र फुहारें मुझ पर बरस रही हैं। *बाबा के मस्तक से आ रही पवित्रता की तेज लाइट मुझे गहराई तक छूकर, पवित्रता की शक्ति से मुझे भरपूर कर रही है*। अपने उस्ताद से पवित्रता का बल अपने अंदर भरकर अब मैं अपने सम्पूर्ण सतोप्रधान अनादि स्वरूप का अनुभव करने के लिए अपने लाइट के आकारी शरीर को इस अव्यक्त वतन में छोड़, अपने निराकारी स्वरूप को धारण कर निराकारी वतन की ओर चल पड़ती हूँ।
➳ _ ➳ आत्माओं की इस निराकारी दुनिया मे मैं बिंदु आत्मा अब अपने पतित पावन बिंदु बाप के बिल्कुल समीप जा कर बैठ जाती हूँ। *बिंदु बाप से आ रही पवित्रता की अनन्त किरणें मुझ बिंदु आत्मा पर पड़ रही हैं और मुझ आत्मा पर चढ़ी विकारों की कट को भस्म कर मुझे पावन बना रही है*। मेरा पवित्रता का औरा बढ़ता जा रहा है। मैं रीयल गोल्ड बनती जा रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा पवित्रता की खुराक खिलाकर मुझे बहुत शक्तिशाली बना रहे हैं।
➳ _ ➳ रीयल गोल्ड के समान शुद्ध बन कर अब मैं आत्मा वापिस साकार वतन में लौटती हूँ और अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, सम्पूर्ण पावन बनने के अपने लक्ष्य को पाने के पुरुषार्थ में लग जाती हूँ। *अपने अनादि सम्पूर्ण सतोप्रधान स्वरूप को पुनः प्राप्त करने के लिए और उसी स्वरूप में वापिस अपने घर जाने के लिए, अपना बुद्धि रूपी हाथ उस्ताद के हाथ मे देकर, उनकी याद से अब मैं स्वयं को पावन बना रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं युद्ध मे डरने वा पीछे हटने के बजाए बाप के साथ द्वारा विजय को प्राप्त करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं विजयी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा आशा और विश्वास के आधार पर सदैव विजय बनती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा निश्चय बुद्धि हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा विजयी रत्न हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ बापदादा को फारेन वालों ने यह जो सेवा की थी - काल आफ टाइम वालों की, उसकी विधि अच्छी लगी कि छोटे से संगठन को समीप लाया... ऐसे हर जोन, हर सेन्टर अलग-अलग सेवा तो कर रहे हो लेकिन कोई सर्व वर्गों का संगठन बनाओ... *बापदादा ने कहा था कि बिखरी हुई सेवा तो बहुत है, लेकिन बिखरी हुई सेवा से कुछ समीप आने वाली योग्य आत्माओं का संगठन चुनो और समय प्रति समय उस संगठन को समीप लाते रहो ओर उन्हों को सेवा का उमंग बढ़ाओ...* बापदादा देखते हैं कि ऐसी आत्मायें हैं लेकिन अभी वह पावरफुल पालना, संगठित रूप में नहीं मिल रही है... अलग-अलग यथाशक्ति पालना मिल रही है, संगठन में एक दो को देखकर भी उमंग आता है... यह, ये कर सकता है, मैं भी कर सकता हूँ, मैं भी करूँगा, तो उमंग आता है... *बापदादा अभी सेवा का प्रत्यक्ष संगठित रूप में देखने चाहते हैं...* मेहनत अच्छी कर रहे हो, हर एक अपने वर्ग की, एरिया की, जोन की, सेन्टर की कर रहे हो, बापदादा खुश होते हैं... अब कुछ सामने लाओ...
✺ *ड्रिल :- "संगठित रूप में पावरफुल पालना देने का अनुभव"*
➳ _ ➳ अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर, मैं बापदादा के साथ सारे विश्व का भ्रमण कर रहा हूँ और बाबा के साथ स्थान - स्थान पर बने बाबा के सभी सेवा केंद्रों को देख रहा हूँ... *सभी सेवा केंद्रों की सेवायें बढ़ती जा रही हैं... दुखी अशांत आत्मायें इन सेवा केंद्रों पर आ कर शांति का अनुभव करके तृप्त हो रही हैं...* परमात्म पालना का अनुभव उनके जीवन को परिवर्तित कर रहा है... हर जोन, हर सेंटर
पर बहुत अच्छी तरह से सेवाएं हो रही हैं... बाबा के साथ इन सभी सेवा केंद्रों को देखता हुआ, मैं बाबा के मन मे चल रहे संकल्पो को पढ़ने का भी प्रयास कर रहा हूँ...
➳ _ ➳ पूरे विश्व का भ्रमण करके, सभी सेवा स्थलों का निरीक्षण करके, अब मैं बापदादा के साथ वतन की ओर जा रहा हूँ... वतन में पहुंच कर बाबा सभी ब्राह्मण बच्चों को अपने सामने इमर्ज करते हैं और उन्हें निर्देश देते हैं कि:- *"अब बिखरी हुई सेवा से समीप आने वाली योग्य आत्माओं का संगठन चुनो और समय प्रति समय उस संगठन को समीप लाते हुए, उनमें सेवा का उमंग बढ़ाओ"*... संगठित रूप में पावरफुल पालना देने से सेवा वृद्धि को भी पायेगी और सेवाओं में सहज ही सफ़लतामूर्त बन जायेंगे। यह निर्देश दे कर बाबा सभी ब्राह्मण बच्चों को परमात्म शक्तियों से भरपूर कर रहें हैं...
➳ _ ➳ अब सभी ब्राह्मण बच्चे बाबा के निर्देश अनुसार वापिस अपने सेवा केंद्रों पर लौट कर संगठित रूप में पावरफुल पालना देने का अनुभव यथाशक्ति बढ़ाते जा रहें हैं... *बापदादा के साथ मैं फ़रिशता फिर से सभी सेवा केंद्रों का भ्रमण कर रहा हूँ और देख रहा हूँ कि अलग अलग स्थानों पर अब अनेक ऐसे संगठन बन चुके हैं जहां बाबा के नए आने वाले और पुराने सभी ब्राह्मण बच्चों को संगठित रूप में पावरफुल पालना मिल रही है...* सभी उमंग उत्साह से स्वयं भी आगे बढ़ रहे हैं तथा एक दो को सहयोग दे कर उन्हें भी आगे बढ़ा रहें हैं...
➳ _ ➳ संगठित रूप में पावरफुल पालना से सेवा स्थलों का वायुमण्डल पावरफुल बन रहा है जिससे सेवा भी वृद्धि को पाती जा रही है... *जैसे मन्दिर का वातावरण दूर से ही खींचता है, ऐसे याद की खुशबू का संगठित वातावरण आत्माओं को दूर से ही आकर्षित कर रहा है...* आत्मायें स्वत: ही खिंचती चली आ रही हैं और संगठित रूप में पावरफुल पालना पा कर स्वयं को शक्तिशाली अनुभव कर रही हैं... दिलशिकस्त और निराश आत्मायें भी योग का संगठित बल पा कर स्वयं को हिम्मतवान अनुभव कर रही हैं...
➳ _ ➳ अनेक प्रकार के विनाशी सुख शांति से विचलित हुई आत्मायें जो बाप को और स्वयं को भूल चुकी हैं, वे संगठित रूप की पावरफुल पालना पा कर ऐसा अनुभव कर रही है जैसे वे अपनी यथार्थ मंजिल पर पहुंच गई हैं... *हर सेवा स्थल पर संगठित रूप में ब्राह्मण आत्माओं की अव्यक्त स्थिति और उनकी रूहानी लाइट और माइट की स्थिति सभी आत्माओं को रूहानी पालना का अनुभव करवा कर उन्हें परमात्म प्यार की अनुभूति करवा रही हैं...* स्वयं को सभी परमात्म पालना में पलता हुआ अनुभव करके निरन्तर आगे बढ़ते हुए एक दूसरे को भी आगे बढ़ा रहे हैं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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