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❍ 11 / 03 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *ज्ञान और तोग से आत्मा को स्वच्छ बनाया ?*
➢➢ *आत्माओं को शिवबाबा के अवतरण की बधाईयाँ दी ?*
➢➢ *हर संकल्प बाप के आगे अर्पण कर कमजोरियों को दूर किया ?*
➢➢ *सेकंड में न्यारे और प्यारे होने का अभ्यास किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *बापदादा का बच्चों से इतना प्यार है जो समझते हैं हर एक बच्चा मेरे से भी आगे हो ।* दुनिया में भी जिससे ज्यादा प्यार होता है उसे अपने से भी आगे बढ़ाते हैं । यही प्यार की निशानी है । *तो बापदादा भी कहते हैं मेरे बच्चों में अब कोई भी कमी नहीं रहे, सब सम्पूर्ण, सम्पन्न और समान बन जाये ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बाप की विशेष आत्मा हूँ"*
〰✧ सभी अपने को बाप की विशेष आत्मायें अनुभव करते हो? सदा यही खुशी रहती है कि जैसे बाप सदा श्रेष्ठ है वैसे हम बच्चे भी बाप समान श्रेष्ठ हैं? इसी स्मृति से सदा हर कर्म स्वत: ही श्रेष्ठ हो जायेगा। जैसा संकल्प होगा वैसे कर्म होंगे। तो सदा स्मृति द्वारा श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रहने वाली विशेष आत्मायें हो। *सदा अपने इस श्रेष्ठ जन्म की खुशियां मनाते रहो। ऐसा श्रेष्ठ जन्म जो भगवान के बच्चे बन जायें - ऐसा सारे कल्प में नहीं होता। पाँच हजार वर्ष के अन्दर सिर्फ इस समय यह अलौकिक जन्म होता है।*
〰✧ सतयुग में भी आत्माओंके परिवार में आयेंगे लेकिन अब परमात्म सन्तान हो। तो इसी विशेषता को सदा याद रखो। *सदा - मैं ब्राह्मण ऊँचे ते ऊँचे धर्म, कर्म और परिवार का हूँ। इसी स्मृति द्वारा हर कदम में आगे बढ़ते चलो। पुरुषार्थ की गति सदा तेज हो। उड़ती कला सदा ही मायाजीत और निर्बन्धन बना देगी।* जब बाप को अपना बना दिया तो और रहा ही क्या। एक रह गया था। एक में ही सब समाया हुआ है। एक की याद में, एकरस स्थिति में स्थित होने से शान्ति, शक्ति और सुख की अनुभूति होती रहेगी। जहाँ एक है वहाँ एक नम्बर है।
〰✧ तो सभी नम्बरवन हो ना। एक को याद करना सहज है या बहुतों को? बाप सिर्फ यही अभ्यास कराते हैं और कुछ नहीं। *दस चीजें उठाना सहज है या एक चीज उठाना सहज है? तो बुद्धि द्वारा एक की याद धारण करना बहुत सहज है। लक्ष्य सबका बहुत अच्छा है। लक्ष्य अच्छा है तो लक्षण अच्छे होते ही जायेंगे।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ जैसे लाइट हाऊस, माइट हाऊस सेकण्ड में ऑन करते ही अपनी लाइट फैलाते हैं, ऐसे आप सेकण्ड में लाइट हाऊस बन चारों ओर लाइट फैला सकते हो? यह स्थूल आँख एक स्थान पर बैठ दूर तक देख सकती है ना! फैला सकती है ना अपनी दृष्टि! ऐसे *आप तीसरे नेत्र द्वारा एक स्थान पर बैठे चारों ओर वरदाता, विधाता बन नजर से निहाल कर सकते हो? *
〰✧ अपने को सब बातों में चेक कर रहे हो? इतना तीसरा नेत्र क्लीन और क्लीयर है? *सभी बातों में अगर थोडी भी कमजोरी है, तो उसका कारण पहले भी सुनाया है कि यह हद का लगाव ‘मैं और मेरा' है।* जैसे मैं के लिए स्पष्ट किया था - होमवर्क भी दिया था। तो मैं को समाप्त कर एक मैं रखनी है। सभी ने यह होमवर्क किया?
〰✧ जो इस होमवर्क में सफल हुए वह हाथ उठाओ। बापदादा ने सबको देखा है। *हिम्मत रखो, डरो नहीं* हाथ उठाओ। अच्छा है *मुबारक मिलेगी।* बहुत थोडे हैं। इन सबके हाथ टी.वी. में दिखाओ। बहुत थोडों ने हाथ उठाया है। अभी क्या करें? सभी को अपने ऊपर हँसी भी आ रही है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *आप लोगों का जो गायन है अन्त:वाहक शरीर द्वारा बहुत सैर करते थे, उसका अर्थ क्या है? यथार्थ अर्थ यही है कि अन्त के समय की जो आप लोगों की कर्मातीत अवस्था की स्थिति हैं* वह जैसे वाहन होता हैं ना। कोई न-कोई वाहन द्वारा सैर किया जाता है। कहाँ का कहाँ पहुँच जाते हैं ! *वैसे जब कर्मातीत अवस्था बन जाती है तो यह स्थिति होने से एक सेकण्ड में कहाँ का कहाँ पहुँच सकते हैं। इसलिए अन्त:वाहक शरीर कहते हैं।* वास्तव में यह अन्तिम स्थिति का गायन है। उस समय आप इस स्थूल शरीर की भान से परे रहते हो। इसलिए इनको सूक्ष्म शरीर भी कह दिया है। *जैसे कहावत है - उड़ने वाला घोडा। तो इस समय के आप सभी के अनुभव की यह बातें हैं जो कहानियों के रूप में बनाई हुई है। एक सेकण्ड में आर्डर किया यहाँ पहुँचो ; तो वहाँ पहुँच जायेगा।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सर्वोत्तम सौभाग्यशाली ब्राहमण कुलभूषण होना"*
➳ _ ➳ मधुबन घर में डायमण्ड हाल में अपने शिव पिता को निहार कर मै आत्मा.. घनेरे सुखो में खो जाती हूँ... सम्मुख बेठे भगवान को देख, ख़ुशी में बावरी हो रही हूँ... *मन ही मन मीठे बाबा को प्यार कर रही हूँ... दुलार कर रही हूँ... ख़ुशी के अंसुवन से, दिल के भावो को, बयान कर रही हूँ.*.. मेरे लिए धरती पर उतर आया है भगवान... मुझे संवारने, निखारने और देवताई शानो शौकत से सजाने... यह सोच सोचकर निहाल हुई जा रही हूँ... *कितना दूर दूर ढूंढ रही थी.. इस मीठे भगवान् को... और मीठे बच्चे की आवाज सुनकर, जो मुड़कर निहारा... तो भगवान को अपने सम्मुख खड़ा पाया.*.. अपने इस मीठे भाग्य को देख देख पुलकित हूँ... जिसने यूँ चुटकियो में मुझे भगवान से मिला दिया... मुझे क्या से क्या बना दिया...
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा के महान भाग्य का नशा दिलाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... आपका भाग्य कितना प्यारा और महान है कि... परमधाम से स्वयं भगवान ने आकर आपको चुना है... *अपनी मखमली गोद में बिठाकर, फूलो जैसा खिलाया है... अथाह ज्ञान रत्नों से सजाकर, पूरे विश्व में अनोखा बनाया है.*.. अपने इस खुबसूरत भाग्य के नशे में रहकर... पुरुषार्थ के शिखर पर पहुंचकर मीठा सा मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा प्यारे बाबा को अपनी बाँहों में भरकर गले लगाती हुए कहती हूँ :-* "प्यारे प्यारे बाबा मेरे... आप जो जीवन में न थे बाबा तो यह जीवन दुखो की गठरी सा बोझिल था... मै अकेली किस कदर इसे उठाकर टूट गयी थी... *आपने मीठे बाबा मेरे जीवन में आकर, गुणो की खुशबु से महके...सुख भरे फूल खिलाये है.*.. मुझे अपना प्यारा बच्चा बनाकर मेरा सोया हुआ भाग्य जगा दिया है...
❉ *प्यारे बाबा ने मुझे ज्ञान रत्नों से सजाकर विश्व की बादशाही देते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... सदा अपने मीठे भाग्य की यादो में रहकर मीठे बाबा को याद करो... *सोचो जरा, कितना शानदार भाग्य है कि शिव पिता और ब्रह्मा मां... जीवन को नये आयामो से सजाने के लिए मिली है.*.. देह की मिटटी से उठकर, ईश्वरीय दिल में बस गए हो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा अपनी खुशनसीबी पर झूमते गाते हुए मीठे बाबा को गले लगाकर कहती हूँ ;-* "मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा *अपने इस अनोखे भाग्य पर कितना ना इठलाऊँ झूमूँ, नाचू और मुस्कराऊ.*.. कि भगवान को पाकर खुबसूरत देवता बन रही हूँ... गुणो और शक्तियो से सजधज कर विश्व की मालिक बन रही हूँ...
❉ *मीठे बाबा मुझे अपने दिल में बसाकर, अप्रतिम सौंदर्य से सजाकर कहते है :-* "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... ईश्वर पिता को पा लेने की सच्ची खुशियो में सदा, सदा मुस्कराओ... अपने प्यारे भाग्य के गीत गाकर, मीठे बाबा की प्यारी प्यारी यादो में खो जाओ... *शिव शिल्पकार पिता और ब्रह्मा सी माँ मिलकर देवताई सौंदर्य में ढाल रहे है... पावनता से भरकर विश्व का बादशाह बना रहे है.*.. सदा इस मीठी खुमारी में खोये रहो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा की श्रीमत पर चलकर जीवन को खुबसूरत बनाते हुए कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे साथी मेरे... मै आत्मा आपकी यादो के साये में गुणो और शक्तियो से भरपूर होकर... सतयुगी दुनिया की हकदार बन रही हूँ... *शिव पिता और ब्रह्मा माँ का हाथ थामकर खुशियो की बगिया में घूम रही हूँ... साधारण मनुष्य से ऊँचा उठकर, खुबसूरत देवता बन रही हूँ..*."प्यारे बाबा से असीम प्यार पाकर मै आत्मा... इस देह के भृकुटि सिहांसन पर लौट आयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ज्ञान और योग से आत्मा को स्वच्छ बनाना है*"
➳ _ ➳ एकांत में बैठ प्रभू चिन्तन करते हुए मैं अंतिम समय के बारे में विचार करती हूँ कि अन्त के समय जब सारी दुनिया मे हाहाकार हो रही होगी उस समय केवल वो चन्द आत्मायें उस हाहाकार में भी एकरस, अचल और अडोल होंगी जिन्होंने लम्बे समय से ज्ञान की धारणा और योग का बल जमा किया होगा। *बाबा के अव्यक्त इशारे बार - बार समय की समीपता का संकेत दे रहें हैं। तो बाबा के उन अव्यक्त इशारों को देखते हुए मैं स्वयं से ही सवाल करती हूँ कि क्या मैने अपने अंदर इतना योगबल जमा कर लिया कि अंत के समय, हलचल की परिस्थिति भी मेरी स्थिति को हिला ना सके*!
➳ _ ➳ इसी के साथ - साथ बाबा के महावाक्य स्मृति में आते हैं कि:- *"आगे चल कर आप मास्टर सर्वशक्तिवान आत्माओं के पास सब भिखारी बन कर आयेंगे। तो जब स्टॉक होगा तब तो देंगे ना! दान वही दे सकता जिसके पास अपने से ज्यादा हो। अगर अपने ही जितना होगा तो दान क्या करेगें "*। बाबा के इन महावाक्यों के स्मृति में आते ही मैं स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ कि इस संगमयुग पर अब मुझे अपने एक - एक सेकण्ड पर अटेंशन देते हुए अपने अंदर इतना योगबल जमा करना है कि अंत समय स्वयं के साथ - साथ मैं औरों का भी कल्याण कर सकूँ और बाबा के विश्व परिवर्तन के कार्य मे बाबा की मददगार बन बाबा का नाम बाला कर सकूँ।
➳ _ ➳ इसी दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ स्वयं को बलशाली बनाने के लिए अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर, सर्वशक्तिवान अपने शिव पिता परमात्मा को मैं याद करती हूँ और अपने मन बुद्धि को पूर्ण रूप से अपने मीठे प्यारे बाबा पर एकाग्र करती हूँ। *इस एकाग्रचित अवस्था मे मैं बाबा को अपने अति समीप अनुभव करती हूँ और इस समीपता का अनुभव करते - करते अपनी नश्वर देह का त्याग कर मैं चल पड़ती हूँ अपने प्राणेश्वर बाबा के पास, उनके प्यार की शीतल छाया में बैठ स्वयं को तृप्त करने के लिए*। अपने शिव पिता परमात्मा के निराकारी धाम की ओर मैं निरन्तर बढ़ती जा रही हूँ।
➳ _ ➳ साकारी दुनिया को पार कर, सूक्ष्म लोक से परें अब मैं देख रही हूँ स्वयं को अपने स्वीट साइलेन्स होम में अपने शिव पिता परमात्मा के सम्मुख। मेरे दिलाराम बाबा की समीपता मुझे परमआनन्द का अनुभव करवा रही है। *सर्वशक्तियों की अनन्त किरणे बिखेरता उनका सुंदर सलोना स्वरूप मन को जैसे तृप्त कर रहा है*। उनसे निकल रही शक्तियों की रंग बिरंगी किरणे बहते हुए झरने के समान मुझ पर पड़ रही है और मन को गहन शीतलता दे रही है। *गहन शांति के गहरे अनुभवों में मैं डूब रही हूँ और बाबा से आ रही सर्वशक्तियों से स्वयं को भरपूर कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ भरपूर हो कर अब मैं वापिस साकार सृष्टि पर लौट कर, कर्म करने के लिए फ़िर से अपने पांच तत्वों के बने भौतिक शरीर मे प्रवेश करती हूँ। अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हूँ और हर घड़ी बाबा को अपने समीप अनुभव कर रही हूँ। अब मेरे हर श्वांस में केवल मेरे दिलराम बाबा की याद बसी है। *मेरा रोम - रोम उनकी याद से पुलकित हो रहा है। मेरे मनबुद्धि की तार अब निरन्तर उनके साथ ही जुड़ी हुई है। मैं हर पल उनके लव में लीन होकर संगमयुग के एक - एक पल को उनकी याद में सफल करते हुए, अंतिम समय के लिए, अपने अंदर ज्ञान और योगबल जमा कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं हर संकल्प बाप के आगे अर्पण कर कमजोरियों को दूर करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सदा स्वतंत्र आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा श्रीमत के इशारे प्रमाण ही चलती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सेकण्ड में न्यारी और प्यारी बन जाती हूँ ।*
✺ *मैं तपस्वी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. बहुत दुःखी हैं। *बापदादा को अभी इतना दुःख देखा नहीं जाता है।* पहले तो आप शक्तियों को, देवता रूप पाण्डवों को रहम आना चाहिए। *कितना पुकार रहे हैं।* *अभी आवाज पुकार का आपके कानों में गूँजना चाहिए।* समय की पुकार का प्रोग्रा्म करते हो ना! *अभी भक्तों की पुकार भी सुनो, दुःखियों की पुकार भी सुनो।*
➳ _ ➳ 2. अभी थोड़ी-थोड़ी पुकार सुनो तो सही, *बिचारे बहुत पुकार रहे हैं, जिगर से पुकार रहे हैं, तड़फ रहे हैं।* *साइंस वाले भी बहुत चिल्ला रहे हैं, कब करें, कब करें, कब करें पुकार रहे हैं।*
➳ _ ➳ 3. आपका गीत है - दुःखियों पर कुछ रहम करो। *सिवाए आपके कोई रहम नहीं कर सकता।* *इसलिए अभी समय प्रमाण रहम के मास्टर सागर बनो।* स्वयं पर भी रहम, अन्य आत्माओं प्रति भी रहम। *अभी अपना यही स्वरूप लाइट हाउस बन भिन्न-भिन्न लाइटस की किरणें दो।* *सारे विश्व की अप्राप्त आत्माओं को प्राप्ति की अंचली की किरणें दो।* अच्छा।
✺ *ड्रिल :- "रहम के मास्टर सागर बन भक्तों की, दुःखियों की पुकार सुनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने इष्ट देवी के स्वमान में स्थित हूँ... परमात्मा की दी हुई सर्व शक्तियों से भरपूर हूँ... *मैं आत्मा अपने पूज्य स्वरूप में हूँ...* *मैं सभी मनुष्यों की दु:ख भारी पुकार सुन रही हूँ...* भगवान के पास भी यह पुकार जा रही हैं... कितना दु:ख हैं... मैं शिव शक्ति हूँ... *मुझे सभी दु:खी आत्माओं के ऊपर बहुत रहम आ रहा हैं...* सभी दु:खी आत्मायें पुकार रही है... कि आओ हमारे दु:ख हरो... *मैं आत्मा मैं शिव की शक्ति सभी दु:खी आत्माओं को शांति की किरणें दे रही हूँ...* मैं देख रही हूँ... सभी आत्मायें शांति पा रही हैं... *सभी के दु:ख हरने वाली मैं माँ दुर्गा हूँ...* सभी की पुकार कि अब बहुत दु:ख बढ़ गया हैं... मेरे कानों में ये आवाज़ गूंज रही हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने रहम के *सागर पिता के समान मास्टर रहम का सागर हूँ...* मैं आत्मा देख रही हूँ कि *मेरे आगे भक्त आत्माओं की लाइन लगी हुई है...* सभी आत्मायें बहुत दु:खी है... वो मन्नते मांग रहे है... *मैं आत्मा अपने पूज्य स्वरूप से सभी की मनोकामना पूर्ण कर रही हूँ...*
•➳ _ ➳ सभी दु:खी आत्माओं को शांति चाहिये... यही पुकार मुझ तक पहुँच रही है... *साइंस वाले भी पुकार रहे है कि जो हमने इंवेनशन की हैं...* *जो साधन नई दुनियां के स्थापन के निमित्त बने हुए हैं...* *उनका उपयोग कब करें...* क्योंकि दु:ख और हलचल बढ़ती ही जा रही हैं... सभी आत्माओं को शांति चाहिये... सभी पुकार रहे है... सभी दु:खी आत्माए तड़प रही है... वो प्रेम और शांति की प्यासी हैं... *सभी आत्मायें आश भरी नजरों से हमे देख रही हैं...* *और मैं आत्मा सबकी आश पूरी कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ बाबा कहते बच्चे आप लोग जल्दी जल्दी संपूर्ण बनो... *ये हलचल, ये विनाश के साधन सब आपके लिए रुके हुए है...* प्रकृति भी आधा कल्प से दु:ख सहन कर चुकी हैं... *सब आपका इंतजार कर रहे हैं...* *आप बच्चों का ही यह काम हैं...*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मास्टर रहम का सागर हूँ...* *मैं आत्मा सभी आत्माओं को शांति का सकाश दे रही हूँ...* *मुझ मास्टर शांति के सागर के सिवाय दु:खी आत्माओं को रहम, शांति दे नही सकता...* मैं आत्मा परमपिता परमात्मा से और शक्तियां लेकर और शक्तिशाली बनती जा रही हूँ... और *मास्टर रहम का सागर बन सभी दुखी आत्माओं को रहम, प्यार की किरणें दे रही हूँ...* मैं आत्मा स्वयं पर भी रहम करते हुए और आगे बढ़ती जा रही हूँ... *मैं आत्मा सभी आत्माओ को बाप का, सुख की दुनियां का परिचय देकर सुख का रास्ता बता रही हूँ...* *मैं आत्मा लाइट हाउस हूँ...* *सभी आत्माओं को सुख, प्रेम, आनंद, शक्ति की किरणें दे रही हूँ...* सारे विश्व की आत्मायें जो भटक रही हैं... मांग रही हैं... पुकार रही हैं... उन *सभी आत्माओं को प्राप्ति की अंचली की किरणें दे रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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