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❍ 20 / 03 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *कर्म में, वाणी में, सम्पर्क व सम्बन्ध में लव और स्मृति व स्थिति में लवलीन रहना है, जो जितना लवली होगा, वह उतना ही लवलीन रह सकता है ।* इस लवलीन स्थिति को मनुष्यात्माओं ने लीन की अवस्था कह दिया है । बाप में लव खत्म करके सिर्फ लीन शब्द को पकड़ लिया है । *आप बच्चे बाप के लव में लवलीन रहेंगे तो औरों को भी सहज आप-समान व बाप-समान बना सकेंगे ।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ"*
〰✧ सभी अपने को श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा अनुभव करते हो? *सबसे बड़ा भाग्य-भाग्यविधाता अपना बन गया। सदा इस श्रेष्ठ भाग्य की खुशी और नशा रहे।* यह रुहानी नशा है जो सदा रह सकता है। विनाशी नशा सदा रहे तो नुकसान हो जाए।
〰✧ *जो इस रुहानी नशे में होगा उसको स्वत: ही इस पुरानी दुनिया की आकर्षण भूली हुई होगी। ना पुरानी देह, न पुराने देह के सम्बन्ध, सभी सहज भी भूल जाते हैं। भूलने की मेहनत नहीं करनी पड़ती।* देह भान भी भूला हुआ होगा। आत्म अभिमानी होंगे। सदा देही-अभिमानी स्थिति ही सम्पूर्ण स्थिति है।
〰✧ *तो सदा इसी स्मृति में रहो कि हम भाग्यवान आत्मायें हैं, कोई साधारण भाग्यवान, कोई श्रेष्ठ भाग्यवान हैं। 'श्रेष्ठ'-शब्द सदा याद रखना, 'श्रेष्ठ आत्मा हूँ, श्रेष्ठ बाप का हूँ और श्रेष्ठ भाग्यवान हूँ' - यही वरदान सदा साथ रहे। जब श्रेष्ठ आत्मा, श्रेष्ठ समय, श्रेष्ठ संकल्प, श्रेष्ठ वृत्ति, श्रेष्ठ कृत्ति हो जायेगी तो आप सबको देखकर अनेक आत्माओंको श्रेष्ठ बनने की शुभ आशा उत्पन्न होगी। इससे सेवा भी हो जायेगी।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ यह फाइनल पेपर है जो समय पर निकलेगा - प्रैक्टिकल म़े। इस पेपर में अगर पास है गये तो और कोई बडी बात नहीं। *इस पेपर में पास होंगे अर्थात अव्यक्त स्थिति होंगी*। शरीर के भान से भी परे हुए तो बाकी क्या बडी बात है।
〰✧ इससे ही परखेंगे कि कहाँ तक अपने उस जीवन की नईया की रस्सियाँ छोडी हैँ। *एक है सोने की जंजीर, दूसरी है लोहे कि*। लोहे कि जंजीर तो छोडी, लेकिन अब सोने की भी महीन जंजीर है। यह फिर ऐसे है जो कोई को देखने में भी आ न सके।
〰✧ *इसलिए जैसे कोई भी बन्धन से मुक्त होते, वैसे ही सहज रीति शरीर के बन्धन से मुक्त हो सकें।* नहीं तो शरीर के बन्धन से भी बडा मुश्किल मुक्त होंगे। फाइनल पेपर है - अन्त मति सो गति।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ जो टीचर्स बनती हैं उन्हों को सिर्फ प्वाइन्ट बुद्धि में नहीं रखनी है व वर्णन करनी है लेकिन प्वाइन्ट रूप बनकर प्वाइन्ट वर्णन करनी है। *अगर स्वयं प्वाइन्ट स्थिति में स्थित नहीं होंगे तो प्वाइन्ट का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिए प्वाइन्ट् इकट्ठी करने के साथ अपना प्वाइन्ट रूप भी याद करते जाना।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. बादादा ने सुनाया था - तो आप सब अपने स्वमान के शान की सीट पर रहो तो परेशान नहीं होंगे। स्वमान की शान में नहीं रहते हो तो परेशान होते हो। *छोटा-सा पेपर टाइगर होता है लेकिन परेशान हो जाते हैं। तो इस वर्ष एकाग्र होके स्वमान की सीट पर रहना।*
➳ _ ➳ 2. कुछ भी हो जाए, अपने स्वमान की सीट पर एकाग्र रहो, भटको नहीं, कभी किस सीट पर, कभी किस सीट पर, नहीं। *अपने स्वमान की सीट पर एकाग्र रहो। और एकाग्र सीट पर सेट होके अगर कोई भी बात आती है ना तो एक कार्टून शो के मुआफिक देखो, कार्टून देखना अच्छा लगता है ना, तो यह समस्या नहीं है, कार्टून शो चल रहा है।* कोई शेर आता है, कोई बकरी आती है, कोई बिच्छू आता है, कोई छिपकली आती है गंदी - कार्टून शो है। अपनी सीट से अपसेट नहीं हो। मजा आयेगा। अच्छा - शेर भी आया, कुत्ता भी आया, बिल्ली भी आई, आने दो - देखते रहो।
✺ *ड्रिल :- "स्वमान की सीट पर एकाग्र रहकर समस्या को कार्टून शो अनुभव करना"*
➳ _ ➳ अपने बाप दादा की मीठी संतान मैं संगमयुगी ब्राह्मण आत्मा अपने हर कर्म में बाबा के ज्ञान को यूज़ करते हुए आगे बढ़ती जा रही हूँ... मेरा हर कर्म बाबा की याद में मैं आत्मा कर रही हूँ... इस कल्प के अंत में मेरे बाबा ने स्वयं इस सारे सृष्टि चक्र का ज्ञान मुझे दिया है... *मैं आत्मा इस गुह्य ज्ञान को बुद्धि में बिठाकर बाबा की याद में बैठी हूँ... स्वयं को देह से अलग एक आत्मा देख रही हूँ...*इस देह से डिटैच होकर अपने जीवन की यात्रा को देख रही हूँ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने इस जीवन में सुबह से लेकर रात तक अपने सभी कर्मों को करते हुए अपने पुरुषार्थ में भी आगे बढ़ती जा रही हूँ...* अन्य आत्माओं के सम्पर्क में आते कभी कभी मैं आत्मा भी परिस्थिति वश थोड़ा परेशान हो जाती हूँ... अपसेट हो जाती हूँ और अपने स्वमान की सीट से थोड़ा हट जाती हूँ... कभी वायुमंडल के प्रभाव में आकर स्वयं को देह के भान में ले आती हूँ... कभी कोई पेपर आता है तो उसमें मूँझ जाती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अपने को इन सब परिस्थितियों में देख कर अपने प्यारे बाबा के पास उनके कमरे में आकर बैठ जाती हूँ... और बाबा को बहुत प्यार से निहार रही हूँ... *बाबा के महावाक्य मुझे याद आ रहे हैं... *बाबा ने कहा है कि बच्चे कैसी भी परिस्थिति आये कभी भी अपसेट मत होना... कितना भी बड़ा पेपर आये उसे पेपर टाइगर समझ कर पार कर लेना...* बाबा की कही बातें याद करते हुए मैं आत्मा एकदम हल्की हो गयी हूँ... इस देह से निकल कर निराकारी रूप में इस साकार दुनिया को छोड़ कर ऊपर की ओर उड़ती जा रही हूँ... चाँद सितारों को भी पीछे छोड़ते हुए अपने घर परमधाम में आकर ठहरती हूँ...
➳ _ ➳ चारों ओर असीम शान्ति है और ये शान्ति मुझमे समाती जा रही है... मैं आत्मा भी अपने शान्त स्वरूप में स्थित होती जा रही हूँ... अब थोड़ा और आगे जाती हूँ और अपने पिता परमात्मा के सम्मुख पहुँच जाती हूँ... *बाबा से सुनहरी लाल रंग की किरणें निकल कर मुझ आत्मा में समा रही हैं... मैं बाबा के सानिध्य में आकर स्वयं को अत्यंत शक्तिशाली महसूस कर रही हूँ...* बाबा का प्यार उनकी किरणों के रूप में मुझ पर बरस रहा है... और मैं आत्मा इस रूहानी प्यार में स्वयं को भरती जा रही हूँ... कितना सुख का अनुभव मैं आत्मा कर रही हूँ... बाबा के प्यार को स्वयं में समा कर अब मैं आत्मा वापिस अपनी साकार देह में भृकुटि के बीच आकर बैठ गयी हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा अब अपने को बहुत पॉवरफुल महसूस कर रही हूँ... स्वमान की सीट पर स्वयं को एकाग्र कर रही हूँ और ड्रामा की हर सीन को साक्षी होकर देख रही हूँ... कोई परिस्थिति आती भी है तो वो अब एक कार्टून शो की तरह लगती है... *परिस्थिति आने पर मैं आत्मा अब अपने स्वमान की सीट से डगमग नही होती और एकाग्रता और दृढ़ता से अपनी सीट पर सेट रहती हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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