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❍ 04 / 03 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अन्दर बाहर सच्चे रहे ?*
➢➢ *सर्विस में विघन रूप तो नहीं बने ?*
➢➢ *सेकंड में संकल्पों को स्टॉप कर अपने फाउंडेशन को मज़बूत बनाया ?*
➢➢ *अपने सुख और शांति की वाइब्रेशन से लोगों को सुख चैन की अनुभूति करवाई ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जो प्यार होता है, उसे याद किया नहीं जाता, उसकी याद स्वत: आती है। सिर्फ प्यार दिल का हो, सच्चा और नि:स्वार्थ हो। *जब कहते हो मेरा बाबा, प्यारा बाबा-तो प्यारे को कभी भूल नहीं सकते। और नि:स्वार्थ प्यार सिवाए बाप के किसी आत्मा से मिल नहीं सकता इसलिए कभी मतलब से याद नहीं करो, नि:स्वार्थ प्यार में लवलीन रहो।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं विश्व में शान्ति स्थापन करने वाली बाप की विशेष सहयोगी आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा शान्ति के सागर की संतान शान्त स्वरूप आत्मा बन गये? हम विश्व में शान्ति स्थापन करने वाली आत्मा हैं, यह नशा रहता है? स्व धर्म भी शान्त और कर्तव्य भी विश्व शान्ति स्थापन करने का। *जो स्वयं शान्त स्वरूप हैं वही विश्व में शान्ति स्थापन कर सकते हैं। शान्ति के सागर बाप की विशेष सहयोगी आत्मायें हैं।*
〰✧ बाप का भी यही काम है तो बच्चों का भी यही काम है। तो स्वयं सदा शान्त स्वरूप, अशान्ति का नाम-निशान भी न हो। *अशान्ति की दुनिया छूट गई। अभी शान्ति की देवी, शान्ति के देव बन गये। 'शान्ति देवा' कहते हैं ना।*
〰✧ *शान्ति देने वाले शान्ति देवा और शान्ति देवी बन गये। इसी कार्य में सदा बिजी रहने से मायाजीत स्वत: हो जायेंगे।* जहाँ शान्ति है वहाँ माया कैसे आयेगी? शान्ति अर्थात् रोशनी के आगे अंधकार ठहर नहीं सकता। अशान्ति भाग गई, आधा कल्प के लिए विदाई दे दी। ऐसे विदाई देने वाले हो ना!
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *बापदादा एक सेकण्ड में अशरीरी भव की ड्रिल देखने चाहते हैं, अगर अन्त में पास होना है तो यह ड्रिल बहुत आवश्यक है।* इसलिए अभी इतने बडे संगठन में बैठे *एक सेकण्ड में देहभान से परे स्थिति में स्थित हो जाओ।* कोई आकर्षण आकर्षित नहीं करे। (बापदादा ने ड़िल कराई) अच्छा।
〰✧ *आजकल विश्व में दो बातें विशेष चलती हैं - एक एक्सरसाइज और दूसरा भोजन के ऊपर अटेन्शन।* तो आप भी यह दोनों बातें करते हो? आपकी एक्सरसाइज कौन-सी है? *शरीरिक एक्सरसाइज तो सब करते हैं लेकिन मन की एक्सरसाइज अभी-अभी ब्राह्मण, व्राह्मण सो फरिश्ता, और फरिश्ता सो देवता।*
〰✧ यह मन्सा ड्रिल का अभ्यास सदा करते रहो। और शुद्ध भोजन, मन का शुद्ध संकल्प। *अगर व्यर्थ संकल्प, निगेटिव संकल्प चलता है तो यह मन का अशुद्ध भोजन है।* तो मन में सदा शुद्ध संकल्प रहे, दोनों करना आता है ना! जितना समय चाहो उतना समय शुद्ध संकल्प स्वरूप बन जाओ। अच्छा।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *पहला परिवर्तन - अाँख खुलते ही मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ, यह है आदि समय का आदि परिवर्तन संकल्प, इसी आदि संकल्प के साथ सारे दिन की दिनचर्या का आधार है।* अगर आदि संकल्प में परिवर्तन नहीं हुआ तो सारा दिन स्वराज्य वा विश्व-कल्याण में सफल नहीं हो सकेगे।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सर्विसएबुल बच्चे बनना”*
➳ _ ➳ *समुन्दर के किनारे बैठ मैं आत्मा लहरों को देखते हुए अंतर्मन की गहराईयों में पहुँच जाती हूँ... और विचार करती हूँ की मेरे परमप्रिय परमपिता परमात्मा परमधाम से आकर ज्ञान का सागर बन मुझ पर ज्ञान वर्षा कर मेरी अज्ञानता को दूर कर रहे हैं...* एक बूंद प्यासी को प्यार का, आनंद का सागर बन प्यार बरसा रहे हैं... सुख, शांति का सागर बन मेरे जीवन की दुःख, अशांति को दूर कर रहे हैं... पवित्रता के सागर बन पतित से पावन बना रहे हैं... शक्तियों का सागर बन शक्तियों से सम्पन्न बना रहे हैं... *विचार करते करते सर्व गुणों, शक्तियों के सागर में डुबकी लगाने पहुँच जाती हूँ उस महासागर के पास...*
❉ *प्यारे बाबा ज्ञान की शंख ध्वनि कर आप समान बनाने की सर्विस करने की शिक्षा देते हुए कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... यादो के गहरे बादल बनकर फिर बरसना है... ईश्वरीय प्यार के प्याले को खुद पीकर फिर दूसरो को भी इस नशे में डुबोना है... *प्यारे बाबा से दिलोजान से प्यार करते हुए सबपर प्यार का रंग चढ़ाना है... और ईश्वरीय प्रेम की दीवानगी में अथक बनकर सबको ऐसा दीवाना बनाना है...”*
➳ _ ➳ *मेरे जीवन के सहारे मेरे मनमीत बाबा के हर बात को कर्म में लाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा जो कभी प्रेम की बून्द को तरसती थी आज प्यार के सागर को पाकर प्रेम की बदली हो गई हूँ... हर दिल पर प्रेम वर्षा कर रही हूँ... *मै अथक बदली हूँ और सबको खुशियो के फूल खिलाने वाली आप समान बदली बना रही हूँ...”*
❉ *मीठे बाबा अपनी मीठी मीठी शीतल किरणों से जीवन को अथाह खुशियों से भरते हुए कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय यादो की खुशबु से स्वयं महककर सबका जीवन महकाओ... इन सच्ची खुशियों का पता हर दिल को दे आओ... *मीठी यादो में खुद को भरपूर कर इन खजानो से सबके दामन भी भर आओ... पूरे विश्व के थके दुखी बच्चों को सुखो की राह दिखा आओ...”*
➳ _ ➳ *प्यार की बरसात कर प्यासे दिलों को सुख, शांति के सुमन से महकाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा...मै आत्मा इन मीठी खुशियो में खिलकर सबके दिलो को खिला रही हूँ... प्यारा बाबा सदा के दुःख दूर करने धरा पर आ गया है...ईश्वरीय नशे में डूबी मै आत्मा... यह मीठी दस्तक हर दिल पर देती जा रही हूँ...”
❉ *सद्ज्ञान देकर जीवन को ज्योतिर्मय कर रूहानी दौलत से सम्पन्न बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *रूहानी सर्विस के साथ साथ स्वयं की खूबसूरत स्थिति का हर पल ख्याल करो... गहरी यादो से भरी स्थिति ही सच्ची सर्विस का आधार है...* अपने पुरुषार्थ को बढ़ाते हुए औरो के मददगार बनो... यादो से भरे गहरे बादल ही आत्माओ को सुख की अनुभूति देकर सच्चे पिता का परिचय देने में सक्षम होंगे...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पंछी बन बाबा की मधुर मीठी तान सबको सुनाकर सच्चे प्रेम के एहसासों में डुबोते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपसे ज्ञान और योग के पंख पाकर अनन्त खुशियो के आसमान में ऊँची उड़ान भर रही हूँ... *गुणो और शक्तियो के खजाने से भरपूर होकर सबको खुशियो का पता दिए चली जा रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अन्दर बाहर सच्चा रहना है*"
➳ _ ➳ इस दुख देने वाली कलयुगी दुनिया झूठखण्ड का विनाश कर उसे सचखण्ड बनाने का जो कर्तव्य करने के लिए भगवान इस धरा पर अवतरित हुए हैं उस *सचखण्ड का मालिक बनने के लिए अपने सच्चे पिता के साथ अंदर बाहर सदा सच्चे होकर रहने की मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ और सचखण्ड की स्थापना करने वाले अपने प्यारे शिव भगवान का कोटि - कोटि शुक्रिया अदा करते हुए, उनकी मन को सुकून देने वाली मीठी याद में जैसे ही बैठती हूँ, मेरे मीठे बाबा मुझे सेकण्ड में अपनी और खींच लेते हैं*। एक ही क्षण में देह के भान को भूल मैं अपने बिंदु स्वरूप में मैं स्थित हो जाती हूँ और अपने सच्चे बाप से सच्चा मिलन मनाने उनकी निराकारी दुनिया की ओर चल पड़ती हूँ। देह, देह की दुनिया और देह के झूठे सम्बन्धो से किनारा करके, एक खूबसूरत रूहानी यात्रा पर अब मैं जा रही हूँ।
➳ _ ➳ मन मे अपने प्यारे पिता की मीठी यादों को समाये मन बुद्धि की इस यात्रा पर मैं आजाद पँछी की भांति उन्मुक्त होकर ऊपर की ओर उड़ती जा रही हूँ। मन बुद्धि के विमान पर सवार, अपने प्यारे पिता से मिलने की लगन के मगन मैं आत्मा आकाश को पार करती हूँ और फरिश्तों की एक बहुत ही सुंदर और निराली दुनिया मे पहुँच जाती हूँ। *यहाँ पहुंचते ही एक बहुत ही सुन्दर फ़रिश्ता ड्रेस मैं पहन लेती हूँ और फरिश्तों की इस दुनिया के सुंदर नजारों का आनन्द लेते हुए अपने प्राणप्रिय प्यारे बापदादा के पास पहुँचती हूँ*। बाबा बड़े प्यार से मुस्कराते हुए अपनी बाहों में मुझे भर लेते हैं और अपना असीम स्नेह मेरे ऊपर बरसाने लगते हैं। *बाबा के नयनो में अपने लिए समाये अथाह प्यार को देख मैं खुशी में झूमने लगती हूँ*।
➳ _ ➳ अपने प्यारे बापदादा से असीम स्नेह पाकर, उनसे मिलन मनाकर मैं जैसे ही वापिस आने के लिये मुड़ती हूँ बाबा सचखण्ड का एक खूबसूरत मॉडल मेरे हाथ पर सौगात के रूप में रख देते हैं। उसे अपने हाथ मे लेते ही मैं मन बुद्धि से उस खूबसूरत दुनिया मे पहुँच जाती हूँ। *देख रही हूँ मैं उस दुनिया के मन को लुभाने वाले बहुत ही सुंदर - सुन्दर नजारों को। चैतन्य देवी देवताओं की यह स्वर्णिम दुनिया जहाँ सुख शांति और सम्पन्नता की भरमार है। दुख देने वाली झूठी माया यहाँ है ही नही इसलिए राजा हो या प्रजा सभी सुखी और सम्पन्न हैं*। सन्तुष्टता का गहना पहने सभी अपने जीवन का आनन्द ले रहें हैं। इस सचखण्ड में प्रकृति भी दासी बन सबको सुख दे रही है। *सदाबहार मौसम, हरे भरे सुंदर खुशबूदार पेड़ पौधे, पेड़ो पर लगे रसीले सुन्दर फल और प्रकृति के बहुत ही खूबसूरत नज़ारे मैं इस दुनिया मे देख - देख कर आनन्दित हो रही हूँ*।
➳ _ ➳ अपने सत्य बाप द्वारा स्थापन की जा रही सतयुगी दुनिया के सुंदर नजारों का भरपूर आनन्द लेकर मैं ऐसी खूबसूरत सौगात देने वाले अपने सच्चे बाबा से सदा सच्चे होकर रहने का प्रोमिस करके अब अपनी फ़रिश्ता ड्रेस उतार कर, अपने निराकार बिंदु स्वरूप में स्थित होकर, अपने निराकार सत्य शिव बाबा से मिलने उनके परमधाम घर की ओर चल पड़ती हूँ। *सेकेण्ड से भी कम समय मे मैं अपने इस मूल वतन घर मे प्रवेश करती हूँ और अपने प्यारे पिता के पास पहुँच जाती हूँ। सूर्य के समान अति तेजोमय, अपनी किरणों रूपी बाहों को फैलाये सामने खड़े ज्ञानसूर्य अपने सच्चे पिता के सम्मुख जाकर मैं बैठ जाती हूँ और उनकी सर्वशक्तियों की किरणों की शीतल फुहारों के नीचे बैठ, भरपूर आनन्द लेकर, स्वयं को उनकी शक्तियों से भरपूर करके वापिस लौट आती हूँ फिर से फरिश्तो की उसी अव्यक्त दुनिया में*
➳ _ ➳ बापदादा से मिली सचखण्ड की सौगात को लेकर, अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे आकर अपने स्थूल शरीर मे प्रवेश करती हूँ। और *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर अपने सच्चे बाबा के साथ सदा सच्चे होकर रहने की अपनी प्रतिज्ञा को स्मृति के रखकर सचखण्ड का मालिक बनने के पुरुषार्थ में लग जाती हूँ*। इस झूठखण्ड मे रहते हुए भी माया के झूठे आकर्षणों से स्वयं को मुक्त रखते हुए, कदम - कदम पर अपने सच्चे बाबा से राय लेकर उनकी श्रीमत पर चलते हुए अब मैं हर कर्म कर रही हूँ।
➳ _ ➳ *जाने अनजाने में होने वाली छोटी से छोटी गलती को भी अपने सच्चे बाबा को बताकर, उनसे माफी मांग कर उस गलती को फिर ना दोहराने की स्वयं से और अपने सच्चे बाबा से प्रतिज्ञा करके, उस प्रतिज्ञा को दृढ़ता के साथ पूरा करते हुए, अपने सच्चे बाप द्वारा स्थापन किये जा रहे सचखण्ड का मालिक बनने का अब मैं पूरा पुरुषार्थ कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सेकण्ड में संकल्पों को स्टॉप करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं फॉउन्डेशन को मजबूत बनाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं पास विद ऑनर आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदा अपने सुख शान्ति के वाइब्रेशन से सच्ची सेवा करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा लोगों को सदैव सुख चैन की अनुभूति कराती हूँ ।*
✺ *मैं सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ वर्तमान समय आप सभी बच्चों का रहमदिल और दाता स्वरूप प्रत्यक्ष होने का समय है। आप ब्राह्मण आत्माओं के अनादि स्वरूप में भी दातापन के संस्कार भरे हुए हैं इसलिए कल्प वृक्ष के चित्र में भी आप वृक्ष की जड़ में दिखाये हुए हैं क्योंकि जड़ द्वारा ही सारे वृक्ष को सब कुछ पहुँचता है। *आपका आदि स्वरूप देवता रूप, उसका अर्थ ही है देवता अर्थात् देने वाला। आपका मध्य का स्वरूप पूज्य चित्र हैं तो मध्य समय में भी पूज्य रूप में भी आप वरदान देने वाले, दुआयें देने वाले, आशीर्वाद देने वाले दाता रूप हो। तो आप आत्माओं का विशेष स्वरूप ही दातापन का है।* तो अभी भी परमात्म सन्देश वाहक बन विश्व में बाप की प्रत्यक्षता का सन्देश फैला रहे हैं। *तो हर एक ब्राह्मण बच्चा चेक करो कि अनादि, आदि दातापन के संस्कार हर एक के जीवन में सदा इमर्ज रूप में रहते हैं? दातापन के संस्कार वाली आत्माओं की निशानी है - वह कभी भी यह संकल्प-मात्र भी नहीं करते कि कोई दे तो देवें, कोई करे तो करें, नहीं। निरंतर खुले भण्डार हैं।*
➳ _ ➳ तो बापदादा चारों ओर के बच्चों के दातापन के संस्कार देख रहे थे। क्या देखा होगा? नम्बरवार तो है ही ना! कभी भी यह संकल्प नहीं करो - यह हो तो मैं भी करूँ। दातापन के संस्कार वाले को सर्व तरफ से सहयोग स्वतः ही प्राप्त होता है। न सिर्फ आत्माओं द्वारा लेकिन प्रकृति भी समय प्रमाण सहयोगी बन जाती है। *यह सूक्ष्म हिसाब है कि जो सदा दाता बनता है, उस पुण्य का फल समय पर सहयोग, समय पर सफलता उस आत्मा को सहज प्राप्त होता है। इसलिए सदा दातापन के संस्कार इमर्ज रूप में रखो।*
✺ *ड्रिल :- "अपने रहमदिल और दातापन के संस्कार इमर्ज रूप में रखने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा भृकुटी सिंहासन में विराजमान मन-बुद्धि द्वारा सूक्ष्मवतन में आत्मा रूपी देवी पहुँचती हूँ... वहाँ सभी मनुष्यात्माएं सूक्ष्म शरीर धारण किये हुए बैठी हैं... बाबा धीरे-धीरे मुझपर अपनी शक्तियों की किरणें न्यौछावर कर रहे हैं... मैं अष्ट शक्तियों वाली देवी, बाबा से किरणें लेती हुई उन दुःखी मनुष्यात्माओं पर बरसा रही हूँ...* सभी मनुष्यात्माओं के दुःख दूर हो रहे है...
➳ _ ➳ *अब बाबा और मैं गंगा तट पर पहुँचते हैं... मैं आत्मा रूपी गंगा नदी बह रही हूँ... वहाँ बहुत से भक्त मेरी पूज्य स्वरूप में भक्ति कर रहे हैं...* वह बहुत दुःखी हो चुके हैं क्योंकि उन्हें लगता हैं कि हमें सहारा देने वाला कोई नहीं हैं... मैं शिव बाबा से शांति, पवित्रता, प्रेम की किरणें लेकर उन दुःखी आत्माओं पर बरसा रही हूँ...
➳ _ ➳ मुझ गंगा जल में कोई भी गंदगी डाल रहा हो परन्तु मुझे अपनी शीतलता सबको देनी ही हैं... मैं सभी की प्यास बुझा रही हूँ... इससे मैं एकदम शीतल होती जा रही हूँ... मैं उन्हें आशीर्वाद और दुआयें दे रही हूँ... *मैं सभी सेंटर्स पर जा रही हूँ... वहाँ कई नई आत्मायें आयी हुई हैं जिन्होंने कुछ समय पहले बाबा से ज्ञान प्राप्त किया हैं... मैं बाबा से किरणें लेकर उनपर न्यौछावर कर रही हूँ ...*
➳ _ ➳ *मुझ आत्मा में दातापन के संस्कार इमर्ज हो रहे हैं... मैं आत्मा परमात्म सन्देश वाहक बन विश्व में बाप की प्रत्यक्षता का सन्देश फैला रही हूँ...* अब मैं आत्मा सदा चेक करती हूँ कि अनादि, आदि दातापन के संस्कार सदा इमर्ज रूप में रहते हैं या नहीं... अब मैं आत्मा कभी नहीं सोचती कि किसने मुझे कुछ दिया या नहीं और दिया तो कितना दिया... मुझे हमेशा देना ही हैं...
➳ _ ➳ *अब मैं संकल्प-मात्र भी नहीं करती कि कोई दे तो देवें, कोई करें तो करें... अब मैं कभी भी यह संकल्प नहीं करती कि यह परिस्थिति बदले तो मैं करूं...* मुझ आत्मा को सर्व तरफ से सहयोग स्वतः ही प्राप्त हो रहा हैं... अब प्रकृति भी समय प्रमाण सहयोगी बन रही है... समय पर सहयोग और समय पर सफलता सहज प्राप्त हो रही है।
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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