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❍ 08 / 03 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *आपस में क्षीरखंड होकर सर्विस की ?*
➢➢ *प्रीत बुधी बन और संग तोड़ एक संग जोड़ा ?*
➢➢ *सदा उमंग उत्साह में रह चढ़ती कला का अनुभव किया ?*
➢➢ *अपने साधना द्वारा जब चाहे शीतल रूप और जब चाहे ज्वाला रूप धारण किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *जो बच्चे परमात्म प्यार में सदा लवलीन, खोये हुए रहते हैं उनकी झलक और फलक, अनुभूति की किरणें इतनी शक्तिशाली होती हैं जो कोई भी समस्या समीप आना तो दूर लेकिन आंख उठाकर भी नहीं देख सकती।* उन्हें कभी भी किसी भी प्रकार की मेहनत हो नहीं सकती ।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें हैं, ऐसे समझते हो! ब्राह्मणों को सदा ऊँची चोटी की निशानी दिखाते हैं। ऊँचे ते ऊँचा बाप और ऊँचे ते ऊँचा समय तो स्वयं भी ऊँचे हुए। *जो सदा ऊँची स्थिति पर स्थित रहते हैं वह सदा ही डबल लाइट स्वयं को अनुभव करते हैं। किसी भी प्रकार का बोझ नहीं। न सम्बन्ध का, न अपने कोई पुराने स्वभाव संस्कार का। इसको कहते हैं सर्व बन्धनों से मुक्त।*
〰✧ ऐसे - फ्री हो? सारा ग्रुप निर्बन्धन ग्रुप है। आत्मा से और शरीर के सम्बन्ध से भी। निर्बन्धन आत्मायें क्या करेंगी? सेन्टर सम्भालेंगी ना। तो कितने सेवाकेन्द्र खोलने चाहिए। टाइम भी है और डबल लाइट भी हो तो आप समान बनायेंगी ना! *जो मिला है वह औरों को देना है। समझते हो ना कि आज के विश्व की आत्माओंको इसी अनुभव की कितनी आवश्यकता है! ऐसे समय पर आप प्राप्ति स्वरुप आत्माओंका क्या कार्य है! तो अभी सेवा को और वृद्धि को प्राप्त कराओ।*
〰✧ ट्रीनीडाड वैसे भी सम्पन्न देश है तो सबसे ज्यादा संख्या ट्रीनीडाड सेन्टर की होनी चाहिए। आसपास भी बहुत एरिया है, तरस नहीं पड़ता? *सेन्टर भी खोलो और बड़े-बड़े माइक भी लाओ। इतनी हिम्मत वाली आत्मायें जो चाहे वह कर सकती हैं। जो श्रेष्ठ आत्मायें हैं उन्हों द्वारा श्रेष्ठ सेवा समाई हुई है।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *हर खजाने को चेक करो - ज्ञान का खजाना अर्थात जो भी संकल्प, कर्म किया वह नॉलेजफुल हो करके किया?* साधारण तो नहीं हुआ? योग अर्थात सर्व शक्ति का खजाना भरपूर हो।
〰✧ तो चेक करो हर दिन की दिनचर्या में समय प्रमाण जिस शक्ति की आवश्यकता है, उसी समय वह शक्ति ऑर्डर में रही? *मास्टर सर्वशक्तिवान का अर्थ ही है मालिक।*
〰✧ ऐसे तो नहीं समय बीतने के बाद शक्ति का सोचते ही रह जाएं। *अगर समय पर ऑर्डर पर शक्ति इमर्ज नहीं होती, एक शक्ति को भी अगर ऑर्डर में नहीं चला सकते तो निर्विघ्न राज्य के अधिकारी कैसे बनेंगे?*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *यह अव्यक्त मिलन अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर ही मना सकते हो । अव्यक्त स्थिति का अनुभव कुछ समय लगातार करो तो ऐसे अनुभव होंगे जैसे साइन्स द्वारा दूर की चीजें सामने दिखाई देती है। ऐसे ही अव्यक्त वतन की एक्टिविटी यहाँ स्पष्ट दिखाई देगी।* बुद्धि बल द्वारा अपनी सर्व शक्तिवान के स्वरूप का साक्षात्कार कर सकते हैं।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- श्रीमत पर कल्याणकारी बनना"*
➳ _ ➳ *माया की गोद से निकल ईश्वर पिता की गोद में मुस्कुराती हुई मैं आत्मा अपने भाग्य सितारा को देख रही हूँ... पहले माया के वश होकर गर्त में डूबा हुआ था लेकिन अब ऊँचे आसमान में झिलमिला रहा है...* मेरे भाग्य को ऊँचा उठाकर 21 जन्मों के लिए मुझे माया से सुरक्षित करने वाले मेरे प्राण प्यारे परमपिता परमात्मा के पास उड़ चलती हूँ सूक्ष्म वतन में... जहाँ सफ़ेद बादलों पर विराजमान होकर बापदादा मुझे अपनी बाँहों में भर लेते हैं और मीठी-मीठी श्रीमत देते हैं...
❉ *गति सद्गति के लिए श्रीमत देकर कौड़ी से हीरे तुल्य बनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... श्रीमत को दिल की गहराइयो से अमल में लाकर जीवन को सुखो की बहार बना दो... *ईश्वर पिता की श्रीमत ही पवित्रता के रंग में रंगकर देवताई ताज से सजाएगी... श्रीमत की ऊँगली पकड़ कर सहज ही सुखो के आँगन में पाँव रखेंगे...* और भारत कौड़ी से हीरे जैसा चमक उठेगा..."
➳ _ ➳ *बाबा की श्रीमत का हाथ और साथ पकड़कर अनन्य सुखों की अधिकारी बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मै आत्मा श्रीमत के साये में खुबसूरत प्यारे जीवन को जीती जा रही हूँ... प्यारे बाबा आपकी छत्रछाया में कितनी सुखी और निश्चिन्त हूँ...* देह की मिटटी से बाहर निकल, खुबसूरत मणि बन दमक रही हूँ..."
❉ *श्रीमत के विमान में बिठाकर स्वर्णिम युग की ओर ले जाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... रावण की मत और विकारी जीवन ने दुखो की तपिश से कितना जलाया है... *अब राम पिता की मत को थाम... फूलो के मखमल पर चलकर दुखो के छालो पर सदा का मरहम लगाओ.. श्रीमत ही अथाह सुखो से भरा भाग्य दिलायेगी... और असाधारण देवता बनाकर विश्व धरा पर चमकाएगी..."*
➳ _ ➳ *दिव्य गुणों के श्रृंगार से अमूल्य बेदाग हीरा बनकर चमकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ :-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मैं आत्मा आपकी मीठी यादो में खोयी हुई अपने मीठे भाग्य को देख पुलकित हूँ... *श्रीमत को पाकर श्रेष्ठ कर्मो से जीवन सुखो का पर्याय बनाती जा रही हूँ... प्यारे बाबा आपके प्यार के जादू में... मै आत्मा कौड़ी से हीरा बन दमक उठी हूँ..."*
❉ *मुझ आत्मा को अविनाशी ज्ञान रत्नों की मालिक बनाकर ज्ञान सागर प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता को कभी दर दर खोज रहे थे... *आज उसकी मखमली गोद में फूलो सा खिल रहे हो... यह मीठी यादे,यह ईश्वरीय अमूल्य रत्न और श्रीमत 21जनमो तक असीम सुख प्रेम और शांति से जीवन खुशनुमा बनाएगी...* इसलिए सदा श्रीमत को बाहों में भरकर खुशियो संग मुस्कराओ..."
➳ _ ➳ *हर कर्म श्रीमत प्रमाण करते हुए पारसमणि समान दमकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ :-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा श्रीमत के आँचल तले विकारो की छाया से सुरक्षित हूँ... प्यारे बाबा जीवन कितना धवल और प्रकाश से सराबोर हो गया है...* आपकी यादो और अमूल्य ज्ञान रत्नों ने मेरा कायाकल्प किया है... और देवताई सौंदर्य से मुझे सुसज्जित किया है..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- प्रीत बुद्धि बन और संग तोड़ एक संग जोड़ना है*"
➳ _ ➳ अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर मैं आकाश में विचरण करता हुआ साकारी दुनिया के रंग बिरंगे, मन को मोहने वाले मायावी दुनिया के नजारे देख रहा हूँ। *इस मायावी दुनिया की झूठी चकाचौंध को सच समझने वाले कलयुगी मनुष्यों को देख मुझे उन पर रहम आता है और मन मे ये विचार आता है कि कितने बेसमझ है बेचारे ये लोग जो देह और देह की दुनिया को सच माने बैठे हैं*।
➳ _ ➳ अपना सारा समय देह के झूठे सम्बन्धों के साथ प्रीत निभाने में जुटे हैं। अपने और अपने परिवार के लिए भौतिक सुख, सुविधाओं को जुटाने में ही अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ गंवाते जा रहे हैं। इस बात से कितने अनजान है कि देह, देह की दुनिया और देह के ये सब सम्बन्ध समाप्त होने वाले है। *इस विनाशकाल में केवल एक परमात्मा के साथ प्रीत ही इस जीवन की डूबती नैया को पार लगा सकती है*।
➳ _ ➳ दुनिया के झूठे सहारों का किनारा छोड़ परमात्मा बाप को सहारा बनाने वाले ही मंजिल को पा सकेंगे बाकि तो सब डूब जायेंगे। मन ही मन यह विचार करते हुए एकाएक मेरी आँखों के सामने महाविनाश का भयंकर दृश्य उभरता है। *मैं फ़रिशता अपने दिव्य चक्षुओं से देख रहा हूँ कहीं भयंकर तूफ़ान में गिरती हुई बड़ी - बड़ी बिल्डिंगे और उनके नीचे दबे हुए लोगों को चीखते, चिल्लाते हुए*। कहीं बाढ़ का भयंकर दृश्य जिसमे हजारों फुट ऊंची पानी की लहरें सब कुछ तबाह करती जा रही हैं। *कहीं ज्वालामुखी का लावा तीव्र गति से आते हुए सब कुछ जला कर भस्म करता जा रहा है*। खून की नदिया बह रही है। चारों और लोगों के मृत शरीर पड़े हैं।
➳ _ ➳ विनाश के इस भयानक दृश्य को देखते - देखते एकाएक मुझे मेरा ब्राह्मण स्वरूप दिखाई देता है। मैं देख रहा हूँ कि अपने ब्राह्मण स्वरूप में मैं स्थित हूँ। *मेरी आँखोंके सामने मेरे सम्बन्धी एक - एक करके काल का ग्रास बन रहें हैं*। मैं साक्षी हो कर हर दृश्य को देख रही हूँ। मेरी बुद्धि की तार केवल मेरे शिव पिता के साथ जुड़ी हुई है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं देह और इस देह से जुड़े हर सम्बन्ध से नष्टोमोहा बन चुकी हूँ। *अपने इस नष्टोमोहा ब्राह्मण स्वरूप को देख कर इस स्वरूप को जल्द से जल्द पाने का लक्ष्य रख मैं फ़रिशता अब साकारी दुनिया को छोड़ सूक्ष्म लोक की ओर चल पड़ता हूँ*।
➳ _ ➳ सफेद चांदनी के प्रकाश से प्रकाशित सूक्ष्म वतन में अव्यक्त ब्रह्मा बाबा अपने सम्पूर्ण फ़रिशता स्वरुप में मेरे सामने खड़े है और उनकी भृकुटि में शिवबाबा चमक रहें हैं। *बापदादा के मस्तक से आ रही लाइट और माइट चारों और फैल कर पूरे सूक्ष्म वतन को प्रकाशित कर रही है*। सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन इस पूरे वतन में चारों और फैले हुए हैं। मैं फ़रिशता धीरे - धीरे बाबा के पास पहुंचता हूँ। *बापदादा के मस्तक से आ रही शक्तियों की लाइट और माइट अब सीधी मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही है और मैं फ़रिशता सर्वशक्तियों से भरपूर होता जा रहा हूँ*। अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर बाबा मुझे "नष्टोमोहा भव" का वरदान दे रहें हैं।
➳ _ ➳ बापदादा से वरदान लेकर और सर्वशक्तियो से सम्पन्न बन कर मैं फ़रिशता अब वापिस साकार लोक की ओर प्रस्थान करता हूँ। अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी तन के साथ मैं अपने साकारी तन में प्रवेश कर जाता हूँ। अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हूँ। *यह देह और देह की दुनिया अब खत्म होने वाली है, इस बात को सदा स्मृति में रखते हुए इस विनाशकाल में दिल की सच्ची प्रीत केवल अपने शिव बाप से रखते हुए अब मैं हर बात से स्वत: ही उपराम होती जा रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सदा उमंग उत्साह में रहने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं चढ़ती कला का अनुभव करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं महावीर आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा अपनी साधना द्वारा जब चाहे शीतल स्वरूप धारण कर लेती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा अपनी साधना द्वारा जब चाहे ज्वाला स्वरूप धारण कर लेती हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. ब्राह्मण आत्मायें वर्तमान वायुमण्डल को देख विदेश में डरते तो नहीं है? कल क्या होगा, कल क्या होगा... यह तो नहीं सोचते हो? कल अच्छा होगा। अच्छा है और अच्छा ही होना है। *जितनी दुनिया में हलचल होगी उतनी ही आप ब्राह्मणों की स्टेज अचल होगी। ऐसे है? डबल विदेशी हलचल है या अचल है? अचल है? हलचल में तो नहीं हैं ना!* जो अचल हैं वह हाथ उठाओ। अचल हैं? कल कुछ हो जाये तो? तो भी अचल हैं ना! क्या होगा, कुछ नहीं होगा। आप ब्राह्मणों के ऊपर परमात्म छत्रछाया है। जैसे वाटरप्रुफ कितना भी वाटर हो लेकिन वाटरप्रुफ द्वारा वाटरप्रुफ हो जाते हैं। ऐसे ही कितनी भी हलचल हो लेकिन ब्राह्मण आत्मायें परमात्म छत्रछाया के अन्दर सदा प्रुफ हैं। बेफिकर बादशाह हो ना! कि थोड़ा-थोड़ा फिकर है, क्या होगा? नहीं। बेफिकर। *स्वराज्य अधिकारी बन, बेफिकर बादशाह बन, अचल-अड़ोल सीट पर सेट रहो। सीट से नीचे नहीं उतरो।* अपसेट होना अर्थात् सीट पर सेट नहीं है तो अपसेट हैं। सीट पर सेट जो हैं वह स्वप्न में भी अपसेट नहीं हो सकता।
➳ _ ➳ 2. बापदादा कम्बाइण्ड है, जब सर्वशक्तिवान आपके कम्बाइण्ड है तो आपको क्या डर है! *अकेले समझेंगे तो हलचल में आयेंगे। कम्बाइण्ड रहेंगे तो कितनी भी हलचल हो लेकिन आप अचल रहेंगे।*
➳ _ ➳ 3. बाप की जिम्मेवारी है, *अगर आप सीट पर सेट हो तो बाप की जिम्मेवारी है, अपसेट हो तो आपकी जिम्मेवारी है।*
✺ *ड्रिल :- "परमात्म छत्रछाया के अन्दर सदा सेफ रहने का अनुभव"*
➳ _ ➳ आज मैं आत्मा अपने ब्राह्मण जीवन में मिली हुई सारी प्राप्तियों को याद कर रही हूँ... *जब से बाबा ने अपना बच्चा बनाया तब से लेकर आज तक मैं खुशियों के झूले में झूल रही हूँ... बाबा से मिली शक्तियों को अपने कार्य व्यवहार में यूज़ करते हुए निरंतर आगे बढ़ती जा रही हूँ...* इसी तरह इस कल्याणकारी संगमयुग की प्राप्तियों के अविनाशी झूले मैं झूलती मैं आत्मा इस शरीर रूपी चोले को छोड़ कर ऊपर की ओर उड़ जाती हूँ... और सूक्ष्मवतन में आकर ठहरती हूँ...
➳ _ ➳ मैं बाबा के सम्मुख हूँ और बाबा की प्यार भरी दृष्टि से निहाल हो रही हूँ... आज बाबा के साथ इस सृष्टि का चक्र लगाने नीचे की ओर आ रही हूँ... बाबा के हाथ में हाथ देकर मैं आत्मा अपने फरिश्ता रूप में इस धरती के ऊपर उड़ रही हूँ... उड़ते उड़ते मैं बाबा के साथ आज डबल विदेशी आत्माओ को देख रही हूँ... वायुमण्डल के प्रभाव में आकर ये आत्मायें हलचल में आ जाती हैं और उनकी स्थिति ऊपर नीचे हो जाती है... *मैं आत्मा बाबा के साथ कंबाइंड हो इन समस्त आत्माओ को पॉवरफुल वाइब्रेशन दे रही हूँ... ये किरणें उन आत्माओ तक पहुंच रही हैं और उनमें समाती जा रही हैं...* इन किरणों को प्राप्त कर इन आत्माओ की स्थिति अचल अडोल बन रही है... हलचल को समाप्त कर ये आत्मायें अपने स्वमान में स्थित हो रही हैं...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता अब बाबा का हाथ पकड़ कर आगे की ओर जाती हूँ... मैं देख रही हूँ उन सभी आत्माओ को जिन्हें बाबा ने अपना बच्चा बनाया है... ये सभी बाबा के बच्चे जो इस संगमयुग में ब्राह्मण बन कर पुरुषार्थ कर रहे हैं... पर *कभी कभी परिस्थिति वश तो कभी संबंध संपर्क में आते ये आत्मायें अपने स्वमान की सीट से थोड़ा हट जाती हैं और अपसेट हो जाती हैं...* मैं आत्मा बाबा के साथ इन आत्माओ को भी शक्तिशाली वाइब्रेशन दे रही हूँ...
➳ _ ➳ सभी ब्राह्मण आत्मायें बाबा की शक्तियों को स्वयं में भर रही हैं... जिससे वो अपने को पहले से ज़्यादा ऊर्जावान महसूस कर रही हैं... *सभी आत्मायें स्वयं को परमात्म छत्रछाया में अनुभव कर रही हैं और स्वयं को सुरक्षित देख रही हैं... बेफ़िक्र बादशाह बन सारी चिंताओं से मुक्त हो रही हैं...* ना किसी बात की फ़िक्र ना आने वाले कल का डर...
➳ _ ➳ मैं फरिश्ता अब नीचे की ओर वापस आ रही हूँ और नीचे आकर अपने स्थूल शरीर मे फिर से प्रवेश करती हूँ... मुझ आत्मा में भी ये समझ आ गयी है कि जब बाबा ने मुझे अपना बच्चा बना लिया है तो अब मुझे भी किसी भी बात से परेशान नहीं होना है... *बाप दादा कंबाइंड रूप से मेरे साथ हैं जो पल पल मेरी छत्रछाया बनकर मेरे साथ साथ चलते हैं...* जिससे मेरी सारी हलचल समाप्त हो रही है और मैं आत्मा अचल अडोल बनती जा रही हूँ...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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