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 10 / 03 / 21  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *ऐसा कोई पाप कर्म तो नहीं किया जिसकी सजा खानी पड़े ?*

 

➢➢ *सिर्फ एक बाक की श्रीमत पर चले ?*

 

➢➢ *दिव्य बुधी के विमान द्वारा विश्व की रेख देख की ?*

 

➢➢ *मास्टर दाता बन अनेक आतामाओं को प्राप्तियों का अनुभव करवाया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *जिससे प्यार होता है, उसको जो अच्छा लगता है वही किया जाता है । तो बाप को बच्चों का अपसेट होना अच्छा नहीं लगता,* इसलिए कभी भी यह नहीं कहो कि क्या करें, बात ही ऐसी थी इसलिए अपसेट हो गये *अगर बात अपसेट की आती भी है तो आप अपसेट स्थिति में नहीं आओ ।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं बाप के सदा साथ रहने वाला सिकीलधा बच्चा हूँ"*

 

  सिकीलधे बच्चे सदा ही बाप से मिले हुए हैं। सदा बाप साथ है, यह अनुभव सदा रहता है ना? *अगर बाप के साथ से थोड़ा भी किनारा किया तो माया की आंख बड़ी तेज है। वह देख लेती है यह थोड़ा-सा किनारे हुआ है तो अपना बना लेती है। इसलिए किनारे कभी भी नहीं होना। सदा साथ।*

 

  *जब बापदादा स्वयं सदा साथ रहने की आफर कर रहे हैं तो साथ लेना चाहिए ना! ऐसे साथ सारे कल्प में कभी नहीं मिलेगा, जो बाप आकर कहे मेरे साथ रहो। ऐसे भाग्य सतयुग में भी नहीं होगा। सतयुग में भी आत्माओंके संग रहेंगे।* सारे कल्प में बाप का साथ कितना समय मिलता है? बहुत थोड़ा समय है ना। तो थोड़े समय में इतना बड़ा भाग्य मिले तो सदा रहना चाहिए ना।

 

  बापदादा सदा परिपक्व स्थिति में स्थित रहने वाले बच्चों को देख रहे हैं। कितने प्यारे-प्यारे बच्चे बापदादा के सामने हैं। एक-एक बच्चे बहुत लवली है। *बापदादा ने इतने प्यार से सभी को कहाँकहाँ से चुनकर इक्क्ठा किया है। ऐसे चुने हुए बच्चे सदा ही पक्के होंगे, कच्चे नहीं हो सकते।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  बापदादा ने अभी बाप के बजाए टीचर का रूप धारण किया है। होमवर्क दिया है ना? कौन होमवर्क देता है? टीचरा लास्ट में है सतगुरू का पार्टी तो अपने आप से पूछो सम्पन्न और सम्पूर्ण स्टेज कहाँ तक बनी है? *क्या आवाज से परे वा आवाज में आना, दोनों ही समान हैं?*

 

✧  जैसे आवाज में आना जब चाहे सहज है, ऐसे ही आवाज से परे हो जाना जब चाहे, जैसे चाहे वैस हैं? *सेकण्ड में आवाज में आ सकते हैं, सेकण्ड में आवाज से परे हो जाएँ - इतनी प्रैक्टिस हैं?* जैसे शरीर द्वारा जब चाहो, जहाँ चाहो वहाँ आ-जा सकते होना। ऐसे मन-बुद्धि द्वारा जब चाहो, जहाँ चाहो वहाँ आ-जा सकते हो?

 

✧  क्योंकि *अन्त में पास माक्र्स उसको मिलेगी जो सेकण्ड में जो चाहे, जैसा चाहे, जो ऑर्डर करना चाहे उसमें सफल हो जाए।* साइन्स वाले भी यही प्रयत्न कर रहे हैं, सहज भी हो और कम समय में भी हो। तो ऐसी स्थिति है? क्या मिनटों तक आये हैं, सेकण्ड तक आये हैं, कहाँ तक पहुँचे हैं?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  जब तख्त नशीन होता है तो तख्त पर उपस्थित होने से राज कारोबार उसके आर्डर से चलते है अगर तख्त छोडते हैं तो वही कारोबारी उसकी आर्डर में नहीं चलेंगे । *तो ऐसे आप जब ताज तख्त छोड देते हो तो आपके  ही आर्डर में नही चलेंगे । जब अकाल तख्त नशीन होते हो तो यही कर्मेन्द्रियां जी हजूर करेंगी।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- गृहस्थ में रहते कमल फूल समान पवित्र बनना"*

 

_ ➳  सुहावने मौसम में कुदरती नजारों का आनंद उठाती मैं आत्मा तालाब के किनारे बैठ जाती हूँ... सूरज ने अपनी लालिमा की चादर पूरी प्रकृति पर ओढ़ दी है...  ठंडी ठंडी हवाओं का लुत्फ़ उठाती मैं आत्मा खिले हुए कमल पुष्पों को देख रही हूँ... कीचड़ में भी खिलकर कीचड़ से परे रह मुस्कुराते हुए खड़े हैं... *मैं आत्मा भृकुटी कमल के सिहांसन पर विराजमान होकर प्यारे मीठे बाबा के पास उड़ जाती हूँ, प्यारी-प्यारी, मीठी-मीठी बातें सुनने और सुनाने...* 

 

   *अंतिम जन्म में गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र बनने की श्रीमत देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे बच्चे... इस समय जबकि ईश्वर पिता सम्मुख है... तो इस अंतिम जन्म में पवित्रता को धारण करो... *भले गृहस्थ में रहो पर कमल समान पवित्रता से महकते रहो... और निरन्तर मीठे पिता की यादो में मगन रहो... भीतर ही भीतर यह याद का पुरुषार्थ करो...”*

 

_ ➳  *एक बाबा को सब सौंपकर पवित्रता के वायब्रेशंस से गृहस्थ जीवन को महकाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में खो रही हूँ... *गृहस्थ को पवित्रता से सम्भाल कर निरन्तर निखर रही हूँ... आपकी यादो में डूबने का गुप्त पुरुषार्थ कर रही हूँ...* एक बाबा दूसरा न कोई में मगन हो गई हूँ...

 

    *मुझे आत्मस्मृति का तिलक लगाकर पवित्रता के पुष्प बरसाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे फूल बच्चे... सारे संसार को चाहकर तो देख लिया... खुद को अपवित्र बनाकर दुखी होकर भी तो देख लिया... अब ईश्वर पिता की यादो में डूबकर देखो जरा... *पवित्रता को बाँहों में भरकर सज संवर कर देखो जरा... यही यादे सुखो के सुनहरे संसार की सैर कराएगी...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा ज्योतिबिंदु स्वरुप में टिककर माया मोह के घेरे को तोड़कर कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपके बिना कितना भटक रही थी... दुखो के जंजालों को सत्य समझ फंस पड़ी थी... *आपने आकर बाबा मुझ पत्थर बुद्धि का उद्धार किया है... मुझे पवित्रता का सुन्दरतम श्रृंगार दिया है...”*

 

   *मन कमल को खिलाकर दिव्य गुणों की खुशबू से महकाते हुए मेरे सागर बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... विकारो की अपवित्रता से निकल कमल सी सुंदरता लिए पवित्र जीवन को जीओ... *सबसे बुद्धि को निकाल एक पिता में सर्व सुखो का सुख लो... यह गुप्त मेहनत आनंद की दुनिया का सुख दिलाएगी... और देवताई स्वरूप में सजाकर विश्व का मालिक बनाएगी...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा न्यारी प्यारी बन गृहस्थ को पवित्रता की चांदनी से रोशन करते हुए कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में खो रही हूँ... *गृहस्थ में रहते हुए सम्पूर्ण पावन बन रही हूँ... आपकी यादो में सुंदर दिव्य गुणो से सज रही हूँ... और देवता बन मुस्करा उठी हूँ...”*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप समान निरहंकारी बनना है*"

 

_ ➳  निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी इन तीन शब्दों के आधार पर ही ब्रह्माबाबा ने पुरुषार्थ कर सम्पूर्णता को प्राप्त किया। *सृष्टि के रचयिता, ऑल माइटी अथॉरिटी भगवान भी निरहंकारी बन हम बच्चों की सेवा के लिए पतित तन, पतित दुनिया मे आये*। तो ऐसे बापदादा समान निरहंकारी बन सम्पूर्णता के लक्ष्य को पाने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन के शुद्ध नशे में रह, *बापदादा समान निरहंकारी बनने का लक्ष्य रख मैं अव्यक्त फ़रिशता बन मधुबन के पांडव भवन में पहुंच जाता हूँ और हिस्ट्री हाल में लगे चित्रों को निहारने लगता हूँ* जिनमे ब्रह्मा बाबा के श्रेष्ठ कर्मो की गाथा सहज ही परिलक्षित होती है।

 

_ ➳  हर चित्र को मैं बड़ी गहराई से देख रहा हूँ और हर चित्र में बाबा के निरहंकारी होने के गुण की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही है। बाबा के हर कर्म के यादगार चित्रों को देखते देखते साकार ब्रह्मा बाबा के एक कर्म का दृश्य मेरी आँखों के सामने स्पष्ट दिखाई देने लगता है। मैं देख रहा हूँ कि *यज्ञ वत्सों के साथ ब्रह्मा भोजन के लिए सब्जी काटने के स्थूल कार्य में बाबा जुटे हुए हैं*। सभी कह रहे हैं, बाबा:- यह कार्य हम बच्चों का है। आपके वृद्ध हाथ हैं। आपको कार्य करते देख हमारे मन को कुछ होता है। यह कार्य हमें करने दीजिए।

 

_ ➳  यज्ञ वत्सों की बात सुन कर ब्रह्मा बाबा कहते हैं:-" मैं भी शिव बाबा का बच्चा हूं। हमारा तो कर्म योग है। यदि हम स्थूल कार्य न करें तो यह कर्म योग कैसे सिद्ध होगा! *बच्चों, यज्ञ की सेवा सर्वोत्तम सेवा है। इसके लिए तो दधीचि ऋषि की तरह हड्डिया देनी हैं*। हमारा यह अलौकिक जन्म ही सेवा के लिए है। स्वयं शिव बाबा कहते हैं कि:- "मैं आत्माओं की सेवा पर उपस्थित हुआ हूँ"। तो हम बच्चों को भी तो सेवाधारी बनना है। *हर प्रकार का कार्य करते हुए भी शिव बाबा की याद में रहने का अभ्यास करना है ताकि स्थिति एकरस और योग निरंतर हो जाए*। इस प्रकार की युक्तियां देकर बाबा अपनी बात मनवा रहे हैं।

 

_ ➳  इस दृश्य को देखते देखते बाबा के प्रति और स्नेह उमड़ने लगता है और मैं फ़रिशता चल पड़ता हूँ बापदादा से मिलने उस अव्यक्त वतन में जहां ब्रह्मा बाबा अव्यक्त हो कर आज भी हम बच्चों की सेवा कर रहें हैं, अव्यक्त पालना में भी साकार पालना का अनुभव करवा रहे हैं। *बच्चों के इंतजार में बाहें पसारे खड़े ब्रह्मा बाबा के चेहरे की गुह्य मुस्कुराहट दूर से ही अपनी तरफ आकर्षित कर रही है*। बिना एक पल भी व्यर्थ गंवाए मैं दौड़कर बाबा की बाहों में समा जाता हूँ और बाबा का असीम स्नेह मुझ पर बरसने लगता है। मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बाबा का दुलार करना मुझे अंदर तक रोमांचित कर देता है।

 

_ ➳  अब बाबा मुझे अपने पास बिठाकर अपनी मीठी दृष्टि से मुझे भरपूर कर रहे हैं। अपने हाथों में मेरा हाथ लेकर अपनी सर्व शक्तियां मुझ में प्रवाहित कर रहे हैं और साथ-साथ मुझे आप समान निरहंकारी बनने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। *बापदादा से मधुर मिलन मनाकर, विकर्म विनाश करने और आत्मा के ऊपर चड़ी हुई विकारों की अशुद्धता को मिटाने के लिए अब मैं आपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरुप में स्थित होकर चल पड़ती हूं परमधाम अपने ज्ञानसूर्य परम पिता परमात्मा शिव बाबा के पास*।

 

_ ➳  परमधाम में अपनी निराकारी बीज रूप अवस्था मे अपने बीज रूप परम पिता परमात्मा शिव बाबा के सामने अब मैं उपस्थित हूँ। उनसे निकलती अनन्त सर्वशक्तियों की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं। *धीरे धीरे ये किरणे ज्वाला स्वरूप धारण करती जा रही है और इन ज्वाला स्वरुप किरणों के मुझ आत्मा पर पड़ने से आत्मा के ऊपर चढ़ी सारी अशुद्धता खत्म होती जा रही है और मैं आत्मा एकदम हल्की, शुद्ध  होती जा रही हूँ*। मेरा स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली व चमकदार बनता जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे प्यारे शिव बाबा ने मुझे शुद्ध बना कर सर्वशक्तियों को समाने की ताकत दे दी हो।

 

_ ➳  बाबा से आ रही सर्वशक्तियों को स्वयं में समा कर, परमात्म शक्तियों से स्वयं को भरपूर कर, शुद्ध रीयल गोल्ड बन कर अब मैं आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूं। *अपने साकारी तन में प्रवेश कर अब मैं अपने श्रेष्ठ ब्राह्मण जीवन के शुद्ध अहंकार में रह, बापदादा समान निरहंकारी बन अपने तन - मन - धन को ईश्वरीय सेवा में सफल कर रही हूं*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा विश्व की देख-रेख करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं मास्टर रचयिता आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं मास्टर दाता हूँ  ।*

   *मैं आत्मा अनेक आत्माओं को सदा प्राप्तियों का अनुभव कराती हूँ  ।*

   *मैं आत्मा ब्रह्मा बाप समान हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  संकल्प करते हो लेकिन बाद में क्या होता है? संकल्प कमजोर क्यों हो जाते हैं? जब चाहते भी हो क्योंकि बाप से प्यार बहुत है, बाप भी जानते हैं कि बापदादा से सभी बच्चों का दिल से प्यार है और प्यार में सभी हाथ उठाते हैं कि 100 परसेन्ट तो क्या लेकिन 100 परसेन्ट से भी ज्यादा प्यार है और बाप भी मानते हैं प्यार में सब पास हैं। लेकिन क्या है? लेकिन है कि नहीं है? लेकिन आता है कि नहीं आता है? पाण्डव, बीच-बीच में लेकिन आ जाता है? ना नहीं करते हैं, तो हाँ है। *बापदादा ने मैजारिटी बच्चों की एक बात नोट की है, प्रतिज्ञा कमजोर होने का कारण एक ही है, एक ही शब्द है। सोचो, वह एक शब्द क्या है? टीचर्स बोलो एक शब्द क्या है? पाण्डव बोलो एक शब्द क्या है? याद तो आ गया ना! एक शब्द है - 'मैं'।* अभिमान के रूप में भी 'मैं' आता है और कमजोर करने में भी 'मैं' आता है। मैंने जो कहा, मैंने जो किया, मैंने जो समझा, वही राइट है। वही होना चाहिए। यह अभिमान का 'मैं'

 

 _ ➳  *मैं जब पूरा नहीं होता है तो फिर दिलशिकस्त में भी आता है, मैं कर नहीं सकता, चल नहीं सकता, बहुत मुश्किल है। एक बाडीकान्सेसनेस का 'मैं' बदल जाए, 'मैं' स्वमान भी याद दिलाता है और 'मैं' देह-अभिमान में भी लाता है।* 'मैं' दिलशिकस्त भी करता है और 'मैं' दिलखुश भी करता है और अभिमान की निशानी जानते हो क्या होती है? कभी भी किसी में भी अगर बाडीकान्सेस का अभिमान का अंश मात्र भी है, उसकी निशानी क्या होगी? वह अपना अपमान सहन नहीं कर सकेगा। *अभिमान अपमान सहन नहीं करायेगा।* जरा भी कहेगा ना - यह ठीक नहीं है, थोड़ा निर्माण बन जाओ, तो अपमान लगेगा, यह अभिमान की निशानी है।

 

✺   *ड्रिल :-  "प्रतिज्ञा कमजोर होने का निवारण- अभिमान के 'मैं' का त्याग करना"*

 

 _ ➳  आज सवेरे-सवेरे मै आत्मा बाबा को याद करते हुए अमरुद के बगीचे में चली जाती हूँ... यहाँ टहलते हुए मै आत्मा प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेते हुए, मन ही मन बाबा के गीत गुनगुनाती चलती जा रही हूँ... *घूमते-घूमते मुझ आत्मा के कदम अचानक एक घने वृक्ष के पास आकर रुक जाते है... उस वृक्ष पर चिड़िया का घोसला है... चिड़िया के बच्चो की चहचहाहट वातावरण में फैल रही है...* चिड़िया बच्चो के मोह को त्याग उन्हें घोसले में छोड़ खुले नीले आसमान में पंख फैलाये उड़ जाती है...

 

 _ ➳  मै आत्मा कुछ देर के लिए उस स्थान पर बैठ जाती हूँ... छोटे-छोटे चिड़िया के बच्चे चहचहाते हुए घोसले से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे है... वे निरतंर प्रयास करते जा रहे है... *उड़ना भी चाहते है, पर जिस डाली पर बैठे है उसे छोड़ भी नही रहे... कुछ देर के प्रयास के बाद उन बच्चो (चूजो) में से एक पंख फैलाये उड़ जाता है... उसे देख और बच्चे भी उमंग-उत्साह में आ जाते है और. कुछ देर बाद सभी बच्चे देह का भान त्याग, शक्ति के पंख लगाये नीले... आकाश में पंख फैलाये उड़ जाते है...* उन बच्चों को उड़ता देख मैं आत्मा प्रसन्नता का अनुभव करती हुई प्यारे बाबा की याद में एक शांत स्थान पर बैठ जाती हूँ...

 

 _ ➳  शांत स्थान पर बैठी मै आत्मा बाबा की याद में अपने अंतर्मन में एक चित्र देख रही थी... *मै आत्मा पंछी स्वयं को देह-अभिमान की जंजीरों में, संबंध-संपर्क की जंजीरों में, मोह की जंजीरों में, जिम्मेवारियों की जंजीरों में जकड़ा हुआ अनुभव कर रही थी... पुराने संस्कारों की जंजीरे इतनी कड़ी थी कि छूटते, छूटती नही थी... मै आत्मा बोझ तले दबी हुई अनुभव कर रही थी...*   

 

 _ ➳  *मेरा बाबा* कहते ही प्यारे बाबा मुझ आत्मा के समक्ष मुस्कुराते हुए आ जाते है... बाबा के नैनो से निकलती दिव्य तेजोमय किरणे मुझ आत्मा में समाती जा रही है... *धीरे-धीरे मै आत्मा बाबा से निकलती हुई किरणों में समाती जा रही हूँ... इन किरणों के तेजोमय प्रभाव में देह अभिमान की... पुराने संस्कारो की, मोह की, सम्बन्ध-संपर्क की सभी जंजीरे पिघलती जा रही है... धीरे-धीरे मै आत्मा बोझ से मुक्त हो हल्की होती जा रही हूँ...*   

 

 _ ➳  *मै आत्मा देहभान की जंजीरो से न्यारी हो प्यारे बाबा के साथ सूक्ष्मवतन को पार करती हुई अपने निराकारी स्वरुप में शिव बाबा के पास परमधाम पहुँच जाती हूँ...* सर्वशक्तिवान बाप से सर्व शक्तियाँ प्राप्त करती हुई मै आत्मा हिम्मत का पहला कदम बढ़ाते हुए प्रतिज्ञा करती हूँ कि *मै आत्मा देह अभिमान के मै को त्यागकर, स्वमान के मै में स्थित हो जाऊंगी... शिव बाबा से निकलती हुई किरणे मुझ आत्मा पर निरतंर बरस रही है... इन किरणों में समायी मै आत्मा अपनी सारी जिम्मेवारियां बाबा को दे एक दम हल्की हो, देह का भान त्याग पार्ट बजाने के लिए पुनः इस देह में आ जाती हूँ...* मै आत्मा बड़े प्यार से बाबा को अमरुद का भोग लगा, उड़ते पंछी की तरह हल्की हो, हर प्रतिज्ञा का पालन करती हुई बुद्धि से बाबा का हाथ पकड़ इस रूहानी यात्रा में निरंतर चलती जा रही हूँ... बस चलती जा रही हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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