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 31 / 03 / 21  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *आप अपनी आत्मिक दृष्टि से अपने संकल्पों को सिद्ध कर सकते हो।* वह रिद्धि सिद्धि है अल्पकाल, लेकिन याद की विधि से संकल्पों और कर्मों की सिद्धि है अविनाशी। *वह रिद्धि सिद्धि यूज करते हैं और आप याद की विधि से संकल्पों और कर्मों की सिद्धि प्राप्त करो।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं निर्भय, निर्वैर हूँ"*

 

  आप सब बच्चे 'निर्भय' हो ना। क्यों? क्योंकि आप सदा 'निर्वैर' हो। *आपका किसी से भी वैर नहीं है। सभी आत्माओंके प्रति भाई-भाई की शुभ भावना, शुभ कामना है। ऐसी शुभ भावना, कामना वाली आत्मायें सदा निर्भय रहती हैं।* भयभीत होने वाले नहीं। स्वयं योगयुक्त स्थिति में स्थित हैं तो कैसी भी परिस्थिति में सेफ जरूर हैं1 तो सदा सेफ रहने वाले हो ना?

 

 

  *बाप की छत्रछाया में रहने वाले सदा सेफ है। छत्रछाया से बाहर निकले तोफिर भय है। छत्रछाया के अन्दर निर्भय हैं। कितना भी कोई कुछ भी करे लेकिन बाप की याद एक किला है।* जैसे किले के अन्दर कोई नहीं आ सकता, ऐसे याद के किले के अन्दर सेफ। हलचल में भी अचल। घबराने वाले नहीं। यह तो कुछ भी नहीं देखा। यह रिहर्सल है। रीयल तो और है। रिहर्सल पक्का कराने के लिए की जाती है। तो पक्के हो गये, बहादुर हो गये?

 

  बाप से लगन है तो कैसी भी समस्याओंमें पहुँच गये। *समस्या जीत बन गये लगन निर्विग्न बनने की शक्ति देती है। बस सिर्फ 'मेरा बाबा' यह महामंत्र याद रहे। यह भूला तो गये। यही याद रहा तो सदा सेफ हैं।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  अव्यक्त में सर्वीस कैसे होती है? यह अनुभव होता जाता है? अव्यक्त में सर्वीस का साथ कैसे सदैव रहता है। यह भी अनुभव होता है? जो वायदा किया है कि स्नेही आत्माओं के हर सेकण्ड साथ ही है। ऐसे सदैव साथ का अनुभव होता है? *सिर्फ रूप बदला है लेकिन कर्तव्य वही चल रहा है*।

 

✧  *जो भी स्नेही बच्चे है उन्हों के ऊपर छत्र रुप में नजर आता है* छत्रछाया के नीचे सभी कार्य चल रहा है। ऐसी भासना आती है।  व्यक्त से अव्यक्त, अव्यक्त से व्यक्त में आना यह सीढी उतरना और चढना जैसे आदत पड गयी है। अभी - अभी वहाँ , अभी - अभी यहाँ। जिसकी ऐसी स्थिती हो जाती है , अभ्यास हो जाता है जो उसको यह व्यक्त देश भी जैसे अव्यक्त भासता है। स्मृती और दृष्टी बदल जाती है।

 

✧  सभी एवररेडी बनर बैठे हुए हो? कोई भी देह के हिसाब - किताब से भी हल्का। वतन में शुरू - शुरू में पक्षियों कि खेल दिखलाते थे, पक्षीयों को उडाते थे। वैसे आत्मा भी पक्षी है, जब चाहे तब उड सकती है। वह तब हो सकता है जब अभ्यास हो। *जब खुद उडता पक्षी बनें तब औरों को भी एक सेकण्ड में उडा सकते है*। अभी तो समय  लगता है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  आकार को देखते निराकार को देखने का अभ्यास हो गया है? जैसे बाप आकार में निराकार आत्माओं को ही देखते हैं, वैसे ही बाप समान बने हो? *सदैव जो श्रेष्ठ बीज़ होता है उसी तरफ ही दृष्टि और वृत्ति जाती है। तो इस आकार के बीच श्रेष्ठ कौन-सी वस्तु है? निराकार आत्मा। तो रूप को देखते हो व रूह को देखते हो?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

 

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

 

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  मन में बहुत कुछ आपके भरा हुआ है, *बापदादा के पास मन को देखने का टी.वी. भी है।* यहाँ यह टी.वी. तो बाहर का शक्ल दिखाती है ना। लेकिन *बापदादा के पास हर एक के हर समय के मन के गति का यन्त्र है। तो मन में बहुत खजाने हैं, बहुत शक्तियाँ हैं। लेकिन कर्म में यथाशक्ति हो जाता है। अभी कर्म तक लाओ, वाणी तक लाओ, चेहरे तक लाओ, चलन में लाओ।* तभी सभी कहेंगे, जो आपका एक गीत है ना, शक्तियाँ आ गई...। *सब शिव की शक्तियाँ हैं। पाण्डव भी शक्तियाँ हो। फिर शक्तियाँ शिव बाप को प्रत्यक्ष करेंगी।* अभी छोटे-छोटे खेलपाल बन्द करो। अब वानप्रस्थ स्थिति को इमर्ज करो। तो *बापदादा सभी बच्चों को, इस समय बापदादा की आशाओं को पूर्ण करने वाले आशाओं के सितारे देख रहे हैं। कोई भी बात आवे तो यह स्लोगन याद रखना - 'परिवर्तन, परिवर्तन, परिवर्तन'।*

 

✺   *ड्रिल :-  "मन के खजानों को कर्म में लाने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *मैं शिव की शक्ति शिव शक्ति हूँ... अपने आप को इस स्वमान में स्थित कर मैं आत्मा अपने प्राणप्यारे शिव बाबा की यादों में खो जाती हूं...* "यादों के आँचल में बाबा बसा लो किरणों के आँचल में हमको समा लो... तुमसे तनिक दूर जाएं ना हम... तुम बिन कहीं रह ना पाएं अब हम..." अब मैं पहुँचती हूं... अपने फरिश्ताई स्वरूप में... बापदादा के पास... बाबा बड़े प्यार से मेरा स्वागत करते हैं... बाबा के चमकते ललाट से अद्भुत किरणें निकल मेरी सूक्ष्म काया पर आकर उसे अलौकिक रूप दे रही हैं... *बाबा मेरे सर पर वरदानी हाथ रख वरदान देतें हैं... विश्व परिवर्तक भव! शक्ति स्वरूपा भव! और मैं आत्मा अपने में इन वरदानो को समाहित होता देखती हूँ...*

 

 _ ➳  *मेरे मन बुद्धि में जैसे जैसे यह वरदान समाहित होते जाते है.. वैसे वैसे मैं आत्मा अपने को बेहद शक्तिशाली अनुभव करती जा रही हूं...* बाबा ने मेरे मन के ख़ज़ानों को मेरे सामने रख दिया है... मेरे स्वमान का सही स्वरूप और कार्य बाबा ने मुझे दिखाया है... *मुझे शिव शक्ति बन परिवर्तन करना है...*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा बाबा की आशाओं का चमकता सितारा हूं... मैं शिव की शक्ति हूं... इसी दृढ़ निश्चय को लेकर मैं शक्ति स्वरूपा बन बाबा की दी हुई मेरे मन के खजाने में भरी इन शक्तियों को अपने कर्म में ला रही हूं...* अब ये शक्तियां मेरी चलन, चेहरे और वाणी में प्रत्यक्ष होती जा रही हैं... इन्हें देख इनसे प्रभावित हो अन्य आत्मायें भी परिवर्तित होती जा रही हैं...

 

 _ ➳  *अब हम सब आत्मायें विश्व को परिवर्तन करती शिव शक्तियां बन शिव बाबा की प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजा रही हैं...* हम सभी बाबा की आशाओं को पूर्ण करने वाले सितारे बन पूरे आकाश में आच्छादित होते जा रहे हैं... *सम्पूर्ण नभ बाबा की आशाओं के सितारों से जगमगा उठा है...*

 

 _ ➳  नभ में तभी एक दिव्यता का, एक अलौकिकता का आभास होता है... यकायक नभमंडल की चमक हज़ारों लाखों गुना बढ़ जाती है... उस चमक से सभी सितारे और भी ज्यादा शोभायमान हो गए हैं... *दिखता है इन सब के बीच एक दिव्य सितारा! जिसके प्रकाश से सम्पूर्ण आकाश परिवर्तित हो गया है... और ये और कोई नहीं ये मेरे बाबा हैं...* जो अपने प्यारे सितारों का हौसला अफजाई करने अपना धाम छोड़ यहाँ आए हैं...

 

 _ ➳  *वाह वाह रे! मेरे बाबा... वाह वाह! तुम्हारा क्या कहना... और बाबा की याद में... बाबा के सितारे... गुनगुनाने लगते हैं...* "चमक चम चम चमके है... सितारो में तू ही... चमक चम चम..."

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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