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❍ 03 / 03 / 21 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *सम्पूरण पावन बनने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *देहि अभिमानी बनने का अभ्यास किया ?*
➢➢ *कंपनी और कम्पैनियन को समझकर साथ निभाया ?*
➢➢ *मन और बुधी को एक पॉवरफुल स्थिति में स्थित कर एकांतवास का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *बच्चों से बाप का प्यार है इसलिए सदा कहते हैं बच्चे जो हो, जैसे हो-मेरे हो। ऐसे आप भी सदा प्यार में लवलीन रहो, दिल से कहो बाबा जो हो वह सब आप ही हो।* कभी असत्य के राज्य के प्रभाव में नहीं आओ।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं निश्चयबुद्धि विजयी रत्न हूँ"*
〰✧ सदा अपने को निश्चय बुद्धि विजयी रत्न समझते हो? *सदा के निश्चय बुद्धि अर्थात् सदा के विजयी। जहाँ निश्चय है वहाँ विजय स्वत: है। अगर विजय नहीं तो निश्चय में कहाँ न कहाँ कमी है। चाहे स्वयं के निश्चय में, चाहे बाप के निश्चय में, चाहे नॉलेज के निश्चय में, किसी भी निश्चय में कमी माना विजय नहीं। निश्चय की निशानी है - 'विजय'।* अनुभवी हो ना।
〰✧ *निश्चय बुद्धि को माया कभी भी हिला नहीं सकती। वह माया को हिलाने वाले होंगे, स्वयं हिलने वाले नहीं। निश्चय का फाउण्डेशन अचल है तो स्वयं भी अचल होंगे। जैसा फाउण्डेशन वैसी मजबूत बिल्डिंग बनती है। निश्चय का फाउण्डेशन अचल है तो कर्म रूपी बिल्डिंग भी अचल होगी।*
〰✧ माया को अच्छी तरह से जान गये हो ना। माया क्यों और कब आती है, यह ज्ञान है ना। जिसको पता है कि इस रीति से माया आती है। तो वह सदा सेफ रहेंगे ना। अगर मालूम है कि यहाँ से इस रीति से दुश्मन आयेगा तो सेफ्टी करेंगे ना। आप भी समझदार हो तो माया वार क्यों करे। माया की हार होनी चाहिए। *सदा विजयी रत्न हैं, कल्प-कल्प के विजयी हैं, इस स्मृति से समर्थ बन आगे बढ़ते चलो। कच्चे पत्तों को चिड़ियायें खा जाती है इसलिए पक्के बनो। पक्के बन जायेंगे तो माया रूपी चिड़िया खायेगी नहीं। सेफ रहेंगे।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ जैसे सइंस ने लाइट हाऊस, माइट हाऊस बनाया है, तो सेकण्ड में स्विच ऑन करने से लाइट हाऊस चारों ओर लाइट देने लगता है, माइट देने लगता है। *ऐसे आप स्मृति के संकल्प का स्विच ऑन करने से लाइट हाऊस, माइट हाऊस हाक आत्माओं का लाइट, माइट दे सकते हो?*
〰✧ *एक सेकण्ड का ऑर्डर हो अशरीरी बन जाओ, बन जायेंगे ना!* कि युद्ध करनी पडेगी? यह अभ्यास बहुत काल का ही अंत में सहयोगी बनेगा। *अगर बहुतकाल का अभ्यास नहीं होगा तो उस समय अशरीरी बनना, मेहनत करनी पडेगी।*
〰✧ इसलिए बापदादा यही इशारा देते हैं - कि सारे दिन में कर्म करते हुए भी बार-बार यह अभ्यास करते रहो। इसके लिए मन के कन्ट्रोलिंग पॉवर की आवश्यकता है। *अगर मन कन्ट्रोल में आ गया तो कोई भी कर्मेन्द्रिय वशीभूत नहीं कर सकती।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *जितना साक्षी रहेंगे उतना साक्षात्कारमूर्त और साक्षात् मूर्त बनेंगे।* साक्षीपन कम होने के कारण साक्षात् और साक्षात्कारमूर्त भी कम बने हैं। *इसलिए यह अभ्यास करो। कौन सा अभ्यास? अभी-अभी आधार लिया, अभी-अभी न्यारे हो गये। यह अभ्यास बढ़ाना अर्थात् सम्पूर्णता और समय को समीप लाना है।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सत्य बाप से सत्य कथा सुनकर नर से नारायण बनना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा गॉडली स्टूडेंट बन सेंटर में बाबा के सम्मुख बैठ बाबा की यादों में मग्न हो जाती हूँ... धीमे-धीमे प्यारे बाबा के मधुर गीत बज रहे हैं... लाल प्रकाश से भरा पूरा हाल परमधाम नज़र आ रहा है... सभी आत्माएं चमकते हुए लाल बिंदु लग रहे हैं... *मनुष्य से देवता, नर से नारायण बनने की यह यूनिवर्सिटी है जिसमें मुझे कोटों में से चुनकर स्वयं परमात्मा ने एडमिशन करवाया है... अपना बच्चा, अपना स्टूडेंट, अपना वारिस बनाया है...* प्यारे बाबा का आह्वान करते ही दीदी के मस्तक में विराजमान होकर मीठे बाबा मीठी मुरली सुनाते हैं...
❉ *नर से नारायण बनने की सच्ची सच्ची नालेज सुनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे बच्चे... इस झूठ की दुनिया में झूठ को ही सत्य समझ जीते आये... *अब सत्य पिता सचखण्ड की स्थापना करने आये है... अपने सत्य दमकते स्वरूप को भूल साधारण मनुष्य होकर दुखो में लिप्त हो गए बच्चों को... मीठा बाबा नारायण बनाकर विश्व का मालिक बनाने आया है...”*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पत्थर से पारस, मनुष्य से देवता बनने की पढाई को धारण करते हुए कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा भगवान से बैठ सारे सत्य को समझ रही हूँ... कैसे साधारण नर से नारायण बन सकती हूँ... यह गुह्य रहस्य बुद्धि में भर रही... ईश्वर पिता मुझे गोद में बिठा पढ़ा रहा...* और मेरा सदा का नारायणी भाग्य जगा रहा है...”
❉ *लक्ष्य तक पहुँचने के लिए सत्य की राह पर ऊँगली पकड़कर चलाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे फूल बच्चे... जब सब मनुष्य मात्र झूठ को सत्य समझ जी रहे तो सत्य फिर कौन बताये... *सत्य परमात्मा के सिवाय तो भूलो को... फिर कौन राह दिखाये... तो वही सत्य कथा प्यारा बाबा सुना रहा और कांटे हो गए बच्चों को फूलो सा फिर खिला रहा...”*
➳ _ ➳ *अपने भाग्य पर नाज करती अविनाशी खुशियों में लहराते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा मीठे बाबा से महान भाग्य प्राप्त कर रही हूँ... सचखण्ड की मालिक बन रही हूँ... *मनुष्य से देवताई रूप में दमक रही हूँ... और सुखो की बगिया में खुशियो संग झूल रही हूँ... कितना प्यारा मेरा भाग्य है...”*
❉ *दुःख की धरती बदलकर सुख की स्वर्णिम नगरी स्थापित करते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... सच्चा पिता तो सत्य सुखो से भरा सचखण्ड ही बनाये... यह दुःख धाम तो विकारो की माया ही बसाये... पिता तो अपने बच्चों को मीठे महकते सुखो की नगरी में ही बिठाये... *सारे विश्व का राज्य बच्चों के कदमो में ले आये और नारायण बनाकर विश्व धरा पर शान से चमकाए... तो वही मीठी सत्य नालेज बाबा बैठ सुना रहा है...”*
➳ _ ➳ *परमात्म ज्ञान पाकर गुण, शक्तियों और अनुभवों के खजानों से सजकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सच्चे पिता से सत्य जानकारी लेकर सोने सी निखरती जा रही हूँ... *मीठा बाबा मुझे नारायण सा सजा रहा... यह नालेज मै मन बुद्धि में ग्रहण करती जा रही हूँ... और अपने सत्य स्वरूप को जीती जा रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- इस अंतिम 84 वें जन्म में कोई भी विकर्म नही करना है*
➳ _ ➳ "मैं स्वराज्य अधिकारी हूँ" इस श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सेट होते ही मैं अनुभव करती हूँ कि अपने इस ऊंचे आसन पर स्थित होते ही हर कर्मेन्द्रिय मेरी आज्ञा अनुसार कार्य कर रही है। *आत्मा राजा बन अपनी हर कर्मेंद्रिय को मैं साक्षी होकर देख रही हूँ और महसूस कर रही हूँ कि कोई भी कर्मेंद्रिय चलायमान नही हो रही बल्कि मेरी सहयोगी बन ज्ञान और योग के मार्ग पर मुझे आगे बढ़ा रही हैं*। कर्मेन्द्रियों की यह शान्त अवस्था मेरे मन और बुद्धि को एकाग्र होने में मदद कर रही हैं। मन रूपी घोड़े की लगाम मेरे हाथ मे है। *जो श्रेष्ठ और शुभ संकल्प मैं करना चाहूँ केवल वही संकल्प मेरे मन मे उतपन्न हो रहें हैं और बुद्धि उन शुभ और श्रेष्ठ संकल्पो को खूबसूरत चित्रों के रूप में अंकित कर, मन को एक सुखदाई दिशा की ओर ले जा रही है*। स्वयं को मैं ऐसा अचलघर महसूस कर रही हूँ जहां कोई विकर्म नही हो सकता।
➳ _ ➳ एक ऐसी अचल अडोल स्थिति में मैं स्वयं को अनुभव कर रही हूँ जहाँ देह, देह की दुनिया, देह के सम्बन्ध, वैभव या देह से जुड़ा कोई संकल्प भी मुझे हिला नही सकता। *सम्पूर्ण साक्षीभाव से हर चीज को देखते हुए, अपनी ऊँची स्थिति पर स्थित अब मैं सातों गुणों और अष्ट शक्तियों से सम्पन्न अपने उस स्वरूप को देख रही हूँ जिसे देह भान में आकर मैं भूल गई थी*। किन्तु देह भान की मिट्टी उतरते ही मेरा वो सुंदर स्वरूप निखर कर मेरे सामने आ गया है। *प्रकाश की रंगबिरंगी किरणों के रूप में अपने सातों गुणों और आठो शक्तियों के वायब्रेशन्स को अपने मस्तक से निकल कर अपने आस - पास चारो और फैलते हुए मैं देख रही हूँ* जो वायुमण्डल में रुहानियत फैला कर मन को गहन शांति और सुकून का अनुभव करवा रहें हैं। अपने इस अति मनभावन स्वरूप का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ।
➳ _ ➳ स्वराज्य अधिकारी बन अपने मन की लगाम को थामे अब मैं अपने मन को सर्वशक्तिवान अपने प्यारे पिता के पास चलने का निर्देश देती हूँ और बुद्धि के विमान पर सवार होकर चल पड़ती हूँ अपने पिता के पास उनके उस निर्वाणधाम घर में जो अग्नि, आकाश, जल, वायु और पृथ्वी इन पांचों तत्वों से परे हैं। *जहाँ ना कोई लौकिकता का भान है और ना अलौकिकता का कोई विघ्न है। लौकिक और अलौकिक दोनों भान से परे, निरसंकल्प पारलौकिक स्थिति में स्थित मैं जा रही हूँ उस पारलौकिक, पार वतन में जहां मेरे निराकार पारलौकिक शिव पिता रहते हैं*। उस पारलौकिक निर्वाणधाम घर में अपनी सम्पूर्ण निराकारी बीज रूप अवस्था में मैं स्वयं को अपने बीज रूप शिव पिता के सम्मुख देख रही हूँ।
➳ _ ➳ विकर्मों को दग्ध करने और योग की अग्नि में तपाकर, स्वयं को अचलघर बनाने के लिए ज्ञानसूर्य अपने प्यारे बाबा के मैं बिल्कुल समीप जाकर बैठ जाती हूँ। *मास्टर बीज रूप बन बीज रूप अपने पिता से आ रही सर्वशक्तियों को अब मैं स्वयं में समा रही हूँ और महसूस कर रही हूँ जैसे धीरे - धीरे इन शक्तियों का स्वरुप बदल रहा है*। ये शक्तियां उग्र रूप धारण करती जा रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे एक तेज ज्वाला मेरे सामने प्रज्ज्वलित हो रही है। स्वयं को अग्नि के एक विशाल घेरे के बीच मे मैं देख रही हूँ। उस अग्नि की लपटें मुझ आत्मा को छू कर मेरे ऊपर चढ़ी विकर्मों की कट को जलाकर भस्म कर रही हैं। *विकारों की कट उतर रही है और एक गहन शीतलता का अहसास मुझ आत्मा को हो रहा है। मेरे अंदर समाये सभी
तमोगुणी संस्कार जल रहे हैं और मैं आत्मा हर बोझ से मुक्त हो रही हूँ*।
➳ _ ➳ बिल्कुल हल्की होकर, अपने सम्पूर्ण लाइट और माइट स्वरूप में मैं आत्मा अब वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ। अपने साकार शरीर रूपी रथ पर अब मैं फिर से विराजमान हूँ और स्वयं को अचलघर बनाने का पुरुषार्थ कर रही हूँ। *कोई भी विकर्म मुझ से ना हो इसके लिए अब मैं स्वयं को स्वराज्य अधिकारी के श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर सदा सेट रखकर मालिक बन हर कर्म कर रही हूँ*। अपने जीवन रूपी शासन की बागड़ोर सुचारू रूप से चलाने के लिए राजा बन हर रोज मैं कर्मेन्द्रियों रूपी मंत्रियों की राजदरबार लगाती हूँ और उन्हें उचित निर्देश देती हूँ। *कर्मेंद्रियजीत बन हर कर्म करने से पिछले अनेक जन्मों के आसुरी स्वभाव संस्कार जो विकर्म बनाने के निमित बन रहे थे वो सभी आसुरी स्वभाव संस्कार परिवर्तन होते जा रहें हैं और मैं अचल घर बन विकर्मों पर जीत पहन विकर्माजीत बनती जा रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं कम्पनी और कम्पेनियन को समझ कर साथ निभाने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदैव मन और बुद्धि को एक ही पावरफुल स्थिति में स्थित करती हूँ ।*
✺ *मैं एकान्तवासी आत्मा हूँ ।*
✺ *मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *अन्तकाल चाहे जवान है, चाहे बुढ़ा है, चाहे तन्दरूस्त है, चाहे बीमार है, किसका भी कभी भी आ सकता है। इसलिए बहुतकाल साक्षीपन के अभ्यास पर अटेन्शन दो।* चाहे कितनी भी प्रकृतिक आपदायें आयेंगी लेकिन यह अशरीरीपन की स्टेज आपको सहज न्यारा और बाप का प्यारा बना देगी। इसलिए बहुतकाल शब्द को बापदादा अण्डरलाइन करा रहे हैं। *क्या भी हो, सारे दिन में साक्षीपन की स्टेज का, करावनहार की स्टेज का, अशरीरीपन की स्टेज का अनुभव बार-बार करो, तब अन्त मते फरिश्ता सो देवता निश्चित है।* बाप समान बनना है तो बाप निराकार और फरिश्ता है, ब्रह्मा बाप समान बनना अर्थात् फरिश्ता स्टेज में रहना। जैसे फरिश्ता रूप साकार रूप में देखा, बात सुनते, बात करते, कारोबार करते अनुभव किया कि जैसे बाप शरीर में होते न्यारे हैं। कार्य को छोड़कर अशरीरी बनना, यह तो थोड़ा समय हो सकता है लेकिन कार्य करते, समय निकाल अशरीरी, पावरफुल स्टेज का अनुभव करते रहो। आप सब फरिश्ते हो, बाप द्वारा इस ब्राह्मण जीवन का आधार ले सन्देश देने के लिए साकार में कार्य कर रहे हो। फरिश्ता अर्थात् देह में रहते देह से न्यारा और यह एक्जैम्पुल ब्रह्मा बाप को देखा है, असम्भव नहीं है। देखा अनुभव किया।
➳ _ ➳ जो भी निमित्त हैं, चाहे अभी विस्तार ज्यादा है लेकिन जितनी ब्रह्मा बाप की नई नालेज, नई जीवन, नई दुनिया बनाने की जिम्मेवारी थी, उतनी अभी किसकी भी नहीं है। तो सबका लक्ष्य है ब्रह्मा बाप समान बनना अर्थात् फरिश्ता बनना। शिव बाप समान बनना अर्थात् निराकार स्थिति में स्थित होना। मुश्किल है क्या? *बाप और दादा से प्यार है ना! तो जिससे प्यार है उस जैसा बनना, जब संकल्प भी है - बाप समान बनना ही है, तो कोई मुश्किल नहीं। सिर्फ बार-बार अटेन्शन। साधारण जीवन नहीं। साधारण जीवन जीने वाले बहुत हैं।* बड़े-बड़े कार्य करने वाले बहुत हैं। लेकिन आप जैसा कार्य, आप ब्राह्मण आत्माओं के सिवाए और कोई नहीं कर सकता है।
✺ *ड्रिल :- "सारे दिन में करावनहार की स्टेज का बार-बार अभ्यास करना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा सभी बाहरी बातों से मन बुद्धि को हटाए भृकुटि के मध्य स्वयं को निहार रही हूं... *अपने अनादि स्वरुप में स्थित मैं आत्मा बाप समान निराकारी, निरहंकारी, संपूर्ण निर्विकारी स्थिति का अनुभव कर रही हूं...* रूप में बिंदु गुणों में सिंधु मैं आत्मा बाप समान अथक सेवाधारी बन संपूर्ण विश्व में अमूल्य ज्ञान रत्नों की बौछार करती हूं... *मैं आत्मा चैतन्य शक्ति हूं... इस देह से न्यारी... बाबा ने मुझ आत्मा को ये देह साकार लोग को परमात्म परिचय देने अर्थ दिया है...*
➳ _ ➳ *सारे दिन बीच-बीच में मैं करावनहार आत्मा कर्म से न्यारी हो अपनी इन्द्रियों को समेट अशरीरी पन का अभ्यास करती हूं...* इस बहुतकाल के अभ्यास द्वारा मैं आत्मा अपने आस-पास के सभी दृश्यों को साक्षी हो देख रही हूं... *मैं देखती हूं... मेरे चारों ओर दुःख ही दुःख अशांति ही अशांति है...* पापाचार, भ्रष्टाचार अकालमृत्यु बढ़ता ही जा रहा है... चारों ओर त्राहि त्राहि मची हुई है... *आत्माएं सच्ची शांति और सुख की तलाश में इधर उधर भटक रही हैं...*
➳ _ ➳ प्रकृति अपने आपे से बाहर हैं... पांच तत्व भी अपना कहर बरसा रहे हैं... *बीज रूप स्थिति में स्थित मैं करावनहार आत्मा इस दृश्य को बिना हिले बिना डुले साक्षी हो देख रही हूं...* मैं स्वयं इन सब दृश्यों को अचल अडोल हुए सामना करते हुए अनुभव कर रही हूं... अब मैं करावनहार निमित्त आत्मा स्वयं को फरिश्ता स्वरुप में इमर्ज कर बापदादा का आह्वान करती हूं... *फरिश्ता स्वरुप में मैं आत्मा ब्रह्मा बाप समान स्वयं को इस देह से न्यारी अशरीरी अनुभव कर रही हूं...*
➳ _ ➳ यह आ गए बापदादा मेरे सन्मुख... बापदादा और मैं मास्टर करावनहार आत्मा कंबाइंड स्वरुप में स्थित हो सर्व को साकाश दे रहे हैं... *समस्त आत्माएं हमारे सानिध्य में शांति और सुख का अनुभव करती जा रही है...* चारों ओर शांति का वातावरण छा गया है... आत्माएं तृप्त होती जा रही हैं... *प्रकृति के पांच तत्व भी शांति को प्राप्त हैं...* चारों और रूहानी वातावरण छा जाता है... *धीरे-धीरे सभी आत्माएं सहज ही अपने शरीर से न्यारी कर्मातीत अवस्था को प्राप्त होती जा रही है...*
➳ _ ➳ भक्तिमार्ग में किये वायदे अनुसार *"प्रभु जब आप आएंगे तो और संग बुद्धियोग तोड़ आप संग जोड़ूंगी"...* सभी आत्माएं प्रभु प्रेम में मग्न बाप समान अवस्था का अनुभव कर रही हैं... *सभी अपनी आत्मिक कर्मातीत स्टेज में स्थित हो मच्छरों सदृश्य बापदादा संग परमधाम की ओर चल पड़ी हैं...* मैं आत्मा भी बापदादा संग स्वयं को अनुभव करती हूं... मैं असाधारण करावनहार निमित आत्मा अपने पाठ कों बेखूबी पूरा कर बाबा संग परमधाम की ओर रवाना हो रही हूं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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