━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 22 / 04 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *ज्ञान की मस्ती से निर्बन्धन अवस्था का अनुभव किया ?*
➢➢ *बहुत मीठा और शीतल बनने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *एकनामी और इकॉनमी के पाठ द्वारा हलचल में भी अचल अडोल अवस्था का अनुभव किया ?*
➢➢ *स्थूल और सूक्षम कामनाओं का त्याग किया ?*
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *जैसे साइन्स का बल अन्धकार के ऊपर विजय प्राप्त कर रोशनी कर देता है। ऐसे योगबल सदा के लिये माया पर विजयी बनाता है।* स्वयं में भी उन्हें माया हार नहीं खिला सकती। *स्वप्न में भी कमजोरी नहीं आ सकती। योगबल से प्रकृति के तत्व भी परिवर्तन हो जाते हैं।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
✺ *"मैं सच्चा सेवाधारी हूँ "*
〰✧ याद की खुशी से अनेक आत्माओंको खुशी देने वाले सेवाधारी हो ना। *सच्चे सेवाधारी अर्थात् सदा स्वयं भी लगन में मगन रहें और दूसरों को भी लगन में मगन करने वाले।* हर स्थान की सेवा अपनी-अपनी है। फिर भी अगर स्वयं लक्ष्य रख आगे बढ़ते हैं तो यह आगे बढ़ना सबसे खुशी की बात है।
〰✧ वास्तव में यह लौकिक स्टडी आदि सब विनाशी हैं लेकिन अविनाशी प्राप्ति का साधन सिर्फ यह नालेज है। ऐसे अनुभव करते हो ना। देखो आप सेवाधारियों को ड्रामा में कितना गोल्डन चान्स मिला हुआ है। *इसी गोल्डन चांस को जितना आगे बढ़ाओ उतना आपके हाथ में है। ऐसा गोल्डन चांस सभी को नहीं मिलता है। कोटों में कोई को ही मिलता है।* आपको तो मिल गया। इतनी खुशी रहती है?
〰✧ दुनिया में जो किसी के पास नहीं वह हमारे पास है। ऐसे खुशी में सदा स्वयं भी रहो और दूसरों को भी लाओ। जितना स्वयं आगे बढ़ेंगे उतना औरों को बढ़ायेंगे। सदा आगे बढ़ने वाली, यहाँ वहाँ देखकर रुकने वाली नहीं। *सदा बाप और सेवा सामने हो, बस। फिर सदा उन्नति को पाती रहेंगी। सदा अपने को बाप के सिकीलधे हैं ऐसा समझकर चलो।*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *अभी जैसे समय की रफ्तार चल रही है उसी प्रमाण अभी यह पाँव पृथ्वी पर नहीं रहने चाहिए।* कौन - सा पाँव? याद की यात्रा करते हो। कहालत है ना कि फरिश्तों के पाँव पृथ्वी पर नहीं होते। तो अभी यह बुद्धि पृथ्वी अर्थात प्रकृती के आकर्षण से परे हो जायेगी फिर कोई भी चीज़ नीचे नहीं ला सकती। फिर प्रकृती को अधीन करने वाले हो जायेंगे। न कि प्रकृति के अधीन होने वाले।
〰✧ जैसे साइन्स वाले आज प्रयत्न कर रहे हैं, पृथ्वी से परे जाने के लिये। वैसे ही साइलन्स की शक्ती से इस प्रकृती के आकर्षण से परे, जब चाहे तब अधीन कर दो। तो ऐसी स्थिती कहाँ तक बनी है? अभी तो बापदादा साथ चलने के लिये सूक्ष्मवतन में अपना कर्तव्य कर रहे हैं लेकिन यह भी कब तक? जाना तो अपने ही घर में है ना। इसलिए *अभी जल्दी - जल्दी अपने को ऊपर की स्थिति में स्थित करने का प्रयत्न करो।*
〰✧ साथ चलना, साथ रहना और फिर साथ में राज्य करना है ना। साथ कैसे होगा? समान बनने से। *समान नहीं बनेंगे तो साथ कैसे होगा।* अभी साथ उडना है, साथ रहना है। यह स्मृती में रखो तब अपने को जल्दी समान बना सकेंगे।नहीं तो कुछ दूर पड जायेंगे। वायदा भी है ना कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ ही राज्य करेंगे।
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
〰✧ *अपने आपको एक सेकण्ड में शरीर से न्यारा अशरीरी आत्मा समझ आत्म-अभिमानी व देही-अभिमानी स्थिति में स्थित हो सकते हो?* अर्थात् एक सेकण्ड में कर्म-इन्द्रियों का आधार लेकर कर्म किया और एक सेकण्ड में फिर कर्म-इन्द्रियों से न्यारा, ऐसी प्रेक्टिस हो गई है? कोई भी कर्म करते कर्म के बन्धन में तो नहीं फंस जाते हो? कर्म करते हुए कर्म के बन्धन से न्यारा बन सकते हो वा अब तक भी कर्म-इन्द्रियों द्वारा कर्म के वशीभूत हो जाते हो? हर कर्म-इन्द्रिय को जैसे चलाना चाहो वैसे चला सकते हो व आप चाहते एक हो, कर्म इन्द्रियाँ दूसरा कर लेती हैं? रचयिता बनकर रचना को चलाते हो? *जड़ वस्तु चैतन्य के वश में है, चैतन्य आत्मा जैसे चलाना चाहे वैसे चला नहीं सकती?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚
────────────────────────
∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- एक बाप की याद में रहना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा एकांत में सागर के किनारे बैठ सागर में उछलती लहरों को देख रही हूँ... मेरे जीवन में उछलती दुःख-अशांति की लहरों को ख़त्म कर... सदा के लिए सुख-शांति, प्रेम की लहरों में मुझे लहराने वाले... सर्व गुणों-शक्तियों के सागर बाबा के पास पहुँच जाती हूँ शांतिधाम में...* परमधाम की परम शांति का अनुभव कर रही हूँ... बस एक बाबा और मैं... बाबा से निकलती किरणें मुझमें दिव्य अलौकिक शक्तियों को भर रही हैं... *फिर मैं आत्मा शांति की दुनिया से नीचे उतरकर बिंदु रूप से फ़रिश्ता स्वरुप धारण कर फरिश्तों की दुनिया में पहुँच जाती हूँ... बापदादा के सम्मुख बैठ जाती हूँ...*
❉ *सच्चे प्रेम के अहसासों में मुझे डुबोकर मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... सच्चे प्यार की मुस्कराती मदमाती यादो में रग रग को डुबो दो... *सच्चे माशूक के साथ अपनी प्रीत जोड़कर... प्यार के अहसासो में डूब जाओ और प्राप्तियों के अनन्त खजाने अपने दामन में सजाओ*... योग और पढ़ाई की जादूगरी से सहज ही विश्व का अधिकार पाओ..."
➳ _ ➳ *बाबा की यादों में पवित्र, निर्मल, ओजस्वी बनकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... *मै आत्मा सच्चे प्यार को पाने वाली... ईश्वर माशूक संग हर पल मुस्कराने वाली सच्ची आशिक हूँ...* कभी मनुष्यो में प्यार की बून्द खोजने वाली... आज प्यार के सागर को ही पाकर... अपने महान भाग्य पर धन्य धन्य हो उठी हूँ... कितना प्यारा मेरा भाग्य है.."
❉ *मीठे प्रेम के तराने सुनाकर मुझे मदमस्त करते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... ईश्वरीय यादो में अनन्त खजाने सहज ही पाकर... सबसे महान भाग्य से भर जाओ... *ईश्वर पिता के सारे खजानो को प्यार में सहज ही लूट लो... प्यार के तार जोड़कर विश्व की अमीरी को बाहों में भर लो... आशिक बनकर सच्चे माशूक को अपनी यादो का दीवाना बना दो..."*
➳ _ ➳ *एक बाबा के दिल की तिजोरी में चमकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मैं आत्मा भगवान को ही माशूक रूप में पाकर सच्चे प्यार का सुख हर पल हर साँस ले रही हूँ...* भगवान मुझे यूँ मिल जायेगा यूँ प्यार करेगा, और प्यार से भर जाएगा यह तो कल्पना में भी न था... *प्यारे बाबा किन शब्दों में आपका शुक्रिया करूँ..."*
❉ *महकता फूल बनाकर अपने गुलिस्तां में सजाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... *अपने सत्य स्वरूप में डूबकर, सच्चे पिता की मीठी महकती यादो में रोम रोम से भीग जाओ... इन सच्ची यादो में ही सच्चे सुखो के भण्डार समाये है... यह यादे ही सच्चे प्यार का पर्याय है.. सारे सुख इन यादो में निहित है...* इन यादो और ज्ञान रत्नों से जीवन को अनन्त ऊंचाइयों पर ले जाओ..."
➳ _ ➳ *मीठे बाबा की मीठी यादों में डूबकर बाबा की दीवानी बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्रेम में खोयी हुई अतीन्द्रिय सुख में डूबी हुई हूँ... *मीठे बाबा आपको पाकर मैंने सब कुछ पा लिया है... सच्चे प्रेम को दामन में सजा लिया है... और इसकी मीठी अनुभूतियों में हर पल खोयी खोयी सी हूँ..."*
────────────────────────
∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- कर्मयोगी बनकर रहना है*
➳ _ ➳ अपने अव्यक्त फ़रिश्ता स्वरूप में, अव्यक्त वतन में, अपने अति मीठे अति प्यारे अव्यक्त बापदादा के सम्मुख बैठ उनके नयनों की भाषा को समझने का मैं प्रयास कर रही हूँ। *अपने प्यारे ब्रह्मा बाबा के नयनों में उनकी उस आश को मैं स्पष्ट महसूस कर रही हूँ जो बाबा को अपने हर ब्राह्मण बच्चे से है कि हर बच्चा कर्मयोगी, अथक सेवाधारी और वरदानी स्वरूप का प्रत्क्षय सैम्पल बन कर रहे ताकि हर बच्चे में बाप दिखाई दे*। बाबा के नयनों में समाई इस आश को पूरा करने की मन ही मन मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करते हुए फिर से अपने प्यारे बापदादा की ओर देखती हूँ जो एकटक मुझे निहार रहें हैं जैसे मेरे मन की हर बात को जान गए हैं। *मन्द - मन्द मुस्कारते, स्वयं को निहारते हुए अपने प्यारे पिता को देख मैं मन ही मन प्रफुलित हो रही हूँ और अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना कर रही हूँ*।
➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की स्मृति में खोई हुई मैं एक दृश्य देख रही हूँ। इस दृश्य में मुझे बाबा के दो स्वरूप दिखाई दे रहें हैं। एक बाबा का साकार स्वरूप जो बिल्कुल साधारण होते हुए भी विशेष है। *देख रही हूँ बाबा कैसे कर्मयोगी बन हर कर्म करते हुए एक दम लाइट स्थिति में स्थित है। स्वयं को निमित समझ हर कर्म करते हुए बाबा जैसे हर कर्म के बन्धन से मुक्त दिखाई दे रहें हैं*। एक दिव्य अलौकिक चमक बाबा के चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रही है। कर्मयोगी के साथ अथक सेवाधारी बन बाबा हर सेवा निमित बन बिल्कुल हल्के रहकर करते जा रहें है। बस एक ही संकल्प की ये सेवा मेरी नही शिव बाबा की है। *सेवा में सम्पूर्ण समर्पणता का भाव ही बाबा को अथक बना कर हर सेवा में सहज ही सफलतामूर्त बना रहा है। वरदानी स्वरुप का प्रत्क्षय सैम्पल बाबा के साकार स्वरूप में मैं बाबा के हर कर्म और हर सेवा में देख रही हूँ*।
➳ _ ➳ दूसरी तरफ मैं बाबा का अव्यक्त स्वरूप देख रही हूँ जो बहुत ही न्यारा और प्यारा है। बाबा का ये सम्पूर्ण स्वरूप देह के बन्धनों से परें बेहद की सेवा करता हुआ, विश्व की सर्व आत्माओं का कल्याण करता हुआ, अपने बच्चों को आप समान बनाने के लिए उन्हें अपना बल देकर आगे बढ़ाता हुआ और ज्ञान, गुण और शक्तियों के अखुट खजानो से अपने हर बच्चे को सदा भरपूर करता हुआ दिखाई दे रहा है। *बाबा के इस अव्यक्त स्वरूप में बाबा के बेहद सेवाधारी और महावरदानी स्वरुप को मैं देख रही हूँ। बाबा के साकार और अव्यक्त दोनों स्वरूपों को देख बाबा जैसा बनने की स्वयं से मैं फिर से प्रतिज्ञा करती हूँ और बाबा के सम्मुख बैठी अनुभव करती हूँ जैसे बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखकर मुझे कर्मयोगी, अथक सेवाधारी और वरदानीमूर्त भव का वरदान दे रहें है*।
➳ _ ➳ वरदान देकर अब बाबा मेरी प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल मेरे अंदर भर रहें हैं। शक्तियों की रंग बिरंगी सुनहरी किरणो को बाबा के वरदानी हस्तों से निकल कर अपने अंदर समाते हुए मैं महसूस कर रही हूँ। सर्वशक्तियों की किरणों की मीठी फुहारें मेरे मस्तक को स्पर्श करके सीधी मुझ आत्मा में प्रवाहित होकर मुझे बलशाली बना रही हैं। *ऐसा लग रहा है जैसे आप समान बनाने के लिए बाबा अपनी शक्तियों का समस्त बल मुझमें भर रहें हैं। एक विशेष दिव्य शक्ति मैं अपने अंदर अनुभव कर रही हूँ। यह शक्ति मुझे बहुत ही लाइट और माइट स्थिति में स्थित कर रही है*। अपने सम्पूर्ण लाइट माइट स्वरूप के साथ बाबा से की हुई प्रतिज्ञा और अपने प्यारे ब्रह्मा बाप की आश को पूरा करने के लिए अब मैं वापिस साकारी दुनिया मे लौट आती हूँ और आकर अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो जाती हूँ।
➳ _ ➳ अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होकर, अपने प्यारे ब्रह्मा बाप की आश को पूर्ण करने और परमात्म कार्य को सम्पन्न करने का पुरुषार्थ अब मैं दृढ़ता के साथ कर रही हूँ। *अपने कर्मो के दर्पण द्वारा सबको बाप का साक्षात्कार कराने और बाप समान अव्यक्त फ़रिश्ता बन कर्मयोगी का पार्ट बजाने की अपने प्यारे बाबा की आश को पूरा करने के लिए मैं कदम - कदम पर उन्हें फॉलो कर रही हूँ*। उनके एक - एक कर्म को कॉपी करते हुए, उनके समान कर्मयोगी, अथक सेवाधारी और वरदानी स्वरुप का प्रतक्ष्य सैंपल बनने का पुरुषार्थ पूरी लगन के साथ करते हुए उनकी अमूल्य पालना का रिटर्न देने का मैं हर सम्भव प्रयास कर रही हूँ।
────────────────────────
∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं एकनामी और इकोनॉमी का पाठ पढ़ने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं हलचल में भी अचल - अडोल आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा स्थूल सूक्ष्म कामनाओं का त्याग करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा किसी भी बात का सामना करने के समर्थ हूँ ।*
✺ *मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
────────────────────────
∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ ऐसे अगर अपनी बुद्धि में समझते रहें कि मैं शक्ति स्वरूप हूँ लेकिन परिस्थितियों के समय, सम्पर्क में आने के समय, जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता है उस शक्ति को कर्म मे नहीं लाते तो कोई मानेगा कि यह शक्ति स्वरूप हैं? सिर्फ बुद्धि तक जानना वह हो गया घर बैठे अपने को होशियार समझना। *लेकिन समय पर स्वरूप न दिखाया, समय पर शक्ति को कार्य में नहीं लगाया, समय बीत जाने के बाद सोचा तो शक्ति स्वरूप कहा जायेगा? यही कर्म में श्रेष्ठता चाहिए। जैसा समय वैसी शक्ति कर्म द्वारा कार्य में लगावें। तो अपने आपको सारे दिन की कर्म लीला द्वारा चेक करो कि हम मास्टर सर्वशक्तिवान कहाँ तक बने हैं!*
✺ *"ड्रिल :- मास्टर सर्वशक्तिवान स्थिति का अनुभव"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा बाबा के कमरे में बैठकर... साइंस के साधनों से डिटैच होती हुई... मन-बुद्धि को साधना में एकाग्र करती हूँ...* मैं आत्मा बाबा के तस्वीर को निहार रही हूँ... बाबा के तस्वीर से निकलती किरणों से मुझ आत्मा का देह लोप हो रहा है... मैं आत्मा विदेही बन रही हूँ... *मैं आत्मा इस साकार शरीर को छोड़ते हुए आकारी फरिश्ता स्वरूप धारण कर... साकार लोक से ऊपर उड़ते हुए आकारी फरिश्तों की प्रकाश की दुनिया में पहुँच जाती हूँ...*
➳ _ ➳ सर्व शक्तिवान बाबा मुझ फरिश्ते को अपने सामने प्यार से बिठाते हैं... *सर्व शक्तियों के सागर से सर्व शक्तियां फाउंटेन के रूप में मुझ फरिश्ते में समा रही हैं...* पवित्र किरणों से मैं फरिश्ता पवित्र बन रही हूँ... *अलौकिक शक्तियों से सम्पन्न बन रही हूँ...* सर्वशक्तिवान बाबा की सर्व शक्तियों को धारण कर मैं आत्मा शक्ति स्वरूप बन रही हूँ...
➳ _ ➳ *अब मैं आत्मा जैसा समय वैसी शक्ति कर्म द्वारा कार्य में लगा रही हूँ...* ‘सिकोड़ने और फैलानी की शक्ति’ से मैं आत्मा अपनी कर्मेंद्रियो के ऊपर राज्य कर रही हूँ... मैं आत्मा अपनी कर्मेन्द्रियों के द्वारा कर्म कराती हूँ फिर न्यारी हो जाती हूँ... अपने आत्मिक स्वरुप में स्थित हो जाती हूँ... *मैं आत्मा ‘समेटने की शक्ति’ को धारण कर देह, देह से संबंधित सभी विस्तारों को सार में समेटकर एवररेडी बन रही हूँ...*
➳ _ ➳ व्यक्ति और प्रकृति द्वारा कैसी भी परिस्थितियां आये मैं आत्मा ‘सहन शक्ति’ से सब कुछ सहन करती हूँ... *‘समाने की शक्ति’ से मैं आत्मा सबके गुणों, विशेषताओं को अपने अन्दर समा रही हूँ... ‘परखने की शक्ति’ को मैं आत्मा कर्म में प्रयोग कर सही गलत की परख करती हूँ...* और ‘निर्णय शक्ति’ से सही निर्णय कर सफलता प्राप्त कर रही हूँ...
➳ _ ➳ *‘सामना करने की शक्ति’ को धारण कर मैं आत्मा माया के तूफानों का भी दृढ़ता से सामना कर रही हूँ...* पहाड़ जैसी परिस्थितियों को सहजता से पार कर रही हूँ... अब मैं आत्मा हर प्रकार के हलचल में भी अचल अडोल रहती हूँ... *‘सहयोग की शक्ति’ से मैं आत्मा सर्व आत्माओं को स्नेह और सहयोग से भरपूर कर रही हूँ... सबके प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रख दुआओं का खाता बढा रही हूँ...*
➳ _ ➳ *पवित्रता की शक्ति, शांति की शक्ति का प्रयोग कर मैं आत्मा चारों ओर के वायुमंडल को पवित्र और शांत कर रही हूँ... सतोप्रधान बना रही हूँ...* चारों ओर की अपवित्रता, तमोप्रधानता को खत्म कर रही हूँ... अब मैं आत्मा शक्ति स्वरूप बन समय पर शक्तियों को कार्य में लगाती हूँ... और श्रेष्ठ कर्म करती हूँ... *अब मैं आत्मा सर्व शक्तियों को ऑर्डर प्रमाण चलाकर मास्टर सर्वशक्तिवान स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━