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❍ 07 / 04 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *यदा से शक्ति ले निर्भय और अडोल अवस्था बनायी ?*
➢➢ *जो पढाई में होशियार है, इनका रीगार्ड रखा ?*
➢➢ *अपने तपस्वी स्वरुप द्वारा सर्व को प्राप्तियों की अनुभूति करवाई ?*
➢➢ *स्वयं निर्माण बन सर्व को मान देते चले ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जहाँ वाणी द्वारा कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है तो कहते हो-यह वाणी से नहीं समझेंगे, शुभ भावना से परिवर्तन होंगे। *जहाँ वाणी कार्य को सफल नहीं कर सकती, वहाँ साइलेन्स की शक्ति का साधन शुभ-संकल्प,शुभ-भावना, नयनों की भाषा द्वारा रहम और स्नेह की अनुभूति कार्य सिद्ध कर सकती है।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं सहज योगी हूँ"*
〰✧ सदा सहयोगी, कर्मयोगी, स्वत: योगी, निरन्तर योगी - ऐसी स्थिति का अनुभव करते हो? जहाँ सहज है वहाँ निरंतर है। सहज नहीं तो निरंतर नहीं। तो निरंतर योगी हो या अन्तर पड़ जाता है? *योगी अर्थात् सदा याद में मगन रहने वाले। जब सर्व सम्बन्ध बाप से हो गये तो जहाँ सर्व सम्बन्ध हैं वहाँ याद स्वत: होगी और सर्व सम्बन्ध हैं तो एक की ही याद होगी।* है ही एक तो सदा याद रहेगी ना।
〰✧ तो सदा सर्व सम्बन्ध से एक बाप दूसरा न कोई। सर्व सम्बन्ध से एक बाप... यही सहज विधि है, निरंतर योगी बनने की। जब दूसरा सम्बन्ध ही नहीं तो याद कहाँ जायेगी। *सर्व सम्बन्धों से सहजयोगी आत्मायें यह सदा स्मृति रखो। सदा बाप समान हर कदम में स्नेह और शक्ति दोनों का बैलेंस रखने से सफलता स्वत: ही सामने आती है। सफलता जन्म-सिद्ध अधिकार है।*
〰✧ बिजी रहने के लिए काम तो करना ही है लेकिन एक है मेहनत का काम, दूसरा है खेल के समान। जब बाप द्वारा शक्तियों का वरदान मिला है तो जहाँ शक्ति है वहाँ सब सहज है। *सिर्फ परिवार और बाप का बैलेंस हो तो स्वत: ही ब्लैसिंग प्राप्त हो जाती है। जहाँ ब्लैसिंग है वहाँ उड़ती कला है। न चाहते हुए भी सहज सफलता है।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ सभी सुनना चाहते हो वा सम्पूर्ण बनने चाहते हो? सम्पूर्ण बनने के बाद सुनना होता होगा? *पहले है सुनना फिर है सम्पूर्ण बन जाना*। इतनी सभी प्वाइंट सुनी है उन सभी प्वाइंट का स्वरूप क्या है जो बनना है? सर्व सुने हुए प्वाइंट का स्वरुप क्या बनना है?
〰✧ *सर्व प्वाइंट का सार वा स्वरूप प्वाइंट (बिन्दी) ही बनना है*। सर्व प्वाइंट का सार भी प्वाइंट में आता है तो प्वाइंट रूप बनना है। प्वाइंट अति सुक्ष्म होता है जिसमे सभी समाया हुआ है।
〰✧ इस समय मुख्य पुरुषार्थ कोन - सा चल रहा है? अभी पुरुषार्थ है विस्तार को समाने का। *जिसको विस्तार को समाने का तरीका आ जाता है वही बापदादा के समान बन जाते है*। पहले भी सुनाया था ना कि समाना और समेटना है। जिसको समेटना आता है उनको समाना भी आता है।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *अगर निराकारी स्थिति में स्थित होकर निरहंकारी बनी तो निर्विकारी आटोमेटिकली हो ही जायेंगे। निरहंकारी बनते ज़रूर हो लेकिन निराकार होकर निरहंकारी नहीं बनते हो।* युक्तियों से अपने को अल्प समय के लिए निरहंकारी बनाते हो, लेकिन निरन्तर निराकारी स्थिति में स्थित होकर साकार में आकर यह कार्य कर रहा हूँ - यह स्मृति व अभ्यास नेचरल व नेचर न बनने के कारण निरन्तर निरहंकारी स्थिति में स्थित नहीं हो पाते हैं।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बेहद बाप के साथ वफादार रहना"*
➳ _ ➳ मै आत्मा सच की रौशनी में जगमगाती हुई... अपने शानदार भाग्य पर मुस्कराती हुई... *सत्य पिता के साये में सत्य से रौशन हुए चमकते,उज्ज्वल, धवल जीवन को निहार रही हूँ.*.. प्यारे बाबा पर अपने दिल समन्दर को उंडेलने, मै आत्मा सूक्ष्म शरीर में उड़ चलती हूँ वतन की ओर... मुझे अपने दिल के पास आता देख बापदादा भी पुलकित है और बाँहों में समाने को आतुर मेरी बाट ले रहे है... *मै आत्मा सत्यपिता की बाँहों में समाकर अतीन्द्रिय सुख की अनुभूतियों से सराबोर हो रही हूँ...*
❉ *मीठे बाबा मुझ भाग्यवान आत्मा को... अपनी बाँहों में भरकर... मेरे कानो में अपनी मधुर रश्मियाँ बिखरते हुए कहते है...* “जहान के नूर बच्चे... सत्य पिता की ऊँगली पकड़ सत्य राहो पर सदा के निश्चिन्त होकर, सतयुगी दुनिया के हकदार बनो... *सत्यता के नशे में रह ब्रह्माण्ड को बाँहों में भरो.*.. यही सत्यता की चमक देवताई चमक से सदा का नूरानी बनाएगी...”
➳ _ ➳ *प्यारे बाबा की प्यार भरी समझाइश पाकर मै आत्मा अपने सत्य प्रकाश से आलोकित जीवन को देख मुस्करा उठती हूँ...* “प्यारे बाबा... आपके बिना सत्य से कितना विमुख सी थी... असत्य को हर पल जीती हुई दुखो के दलदल में लिप्त थी... मीठे बाबा कब सोचा था मेने कि *सच्चाई मेरे रोम रोम में समाकर जीवन में यूँ चार चाँद सजाएगी*.."
❉ *प्यारे से लाडले मेरे बाबा मुझ पर अनन्त प्रेममयी किरणे बिखेर रहे और कह् रहे...* “रूहे गुलाब बच्चे... सच की ताकत से भरकर विश्व धरा पर शान से अपना अधिकार ले लो... *मीठे बाबा को जो अपने दिल का हमराज बनाया है तो हर पल हर बात में राजदार करो.*.. मनमीत को हालेदिल बयाँ करो... सच्चाई से ईश्वर पिता का दिल यूँ चुटकियो में जीत लो..."
➳ _ ➳ *मीठे बाबा को अपने सम्मुख बैठ यूँ प्यार से समझाते हुए देख देख मै आत्मा ख़ुशी में चहक रही हूँ...* “और प्यारे बाबा से कह रही... और सच्चे दिलबर बाबा श्रीमत की जादूगरी से, जीवन सत्य की खनक से भर दिया है... मेरा हर कर्म सत्य की झनकार लिए ब्रह्माण्ड में गूंज रहा है... ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से आपने मेरा जीवन... *सत्य और श्रेष्ठ कर्मो से सजाकर मुझे देवताओ सा खुबसूरत बना दिया है.*.."
❉ *प्यारे बाबा मुझे अपनी अनन्त शक्तियो से भरपूर कर रहे और कह रहे...* “सत्यता के सूर्य बनकर इस धरा पर अपनी किरणे इस कदर फैलाओ कि... हर दिल इन किरणों के प्रकाश में आने को मचल उठे... सच्चे पिता के साथ रोम रोम से सच्चे होकर रहो.. ईश्वरीय यादो में बीते यह सुनहरे पल.... *सच्ची दिल पर साहिब को राजी कर जायेंगे.*..ईश्वर पिता से स्वर्ग राज्य तिलक दिलाएंगे..."
➳ _ ➳ *मनमीत बाबा की प्रेम अल्फाज सुनकर मै आत्मा खुशियो के आसमाँ में उड़ने लगी...* और बाबा से कहा... “मीठे बाबा... मेरे तन मन धन सब आपको सौंप दिया है...मेरा सब कुछ आपका और आपके सारे खजाने मेरे है... बस आप मेरा हाथ और साथ कभी न छोड़ना... *आपके साये में, मै आत्मा सच का सूरज बन दमक रही हूँ.*.. ऐसी मीठी रुहरिहान को दिल में समाये, मै आत्मा अपने स्थूल जगत की ओर रुख करती हूँ..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- याद से माइट ले निर्भय और अडोल अवस्था बनानी है*"
➳ _ ➳ अपने दिलाराम बाबा को साथ लिए, उनकी सर्वशक्तियों की छत्रछाया के नीचे, मैं एक पार्क में टहल रही हूँ। *टहलते - टहलते मैं कोने में रखे एक बेंच पर बैठ जाती हूँ और अपनी आंखों को बंद करके अपने दिलाराम बाबा की सर्वशक्तियों की शीतल छाया का आनन्द लेने लगती हूँ*। उस मधुर आनन्द में खोई हुई मैं एक दृश्य देखती हूँ कि जैसे मैं एक छोटी सी बच्ची बन पार्क में एक झूले पर बैठी झूला झूल रही हूँ। झूला झूलने में मैं इतनी मगन हो जाती हूँ कि कब अंधेरा हो जाता है और सभी पार्क से चले जाते हैं, पता ही नही पड़ता।
➳ _ ➳ अंधेरे में स्वयं को अकेला पाकर मैं डर से कांप रही हूँ, रो रही हूँ और रोते - रोते बाबा - बाबा बोल रही हूँ। तभी दूर से मैं देखती हूँ एक बहुत तेज लाइट तेजी से मेरी ओर आ रही है। वो लाइट मेरे बिल्कुल समीप आ कर रुक जाती है। *देखते ही देखते वो लाइट एक बहुत सुंदर आकार धारण कर लेती है और उसके मुख से मधुर आवाज आती है:- "मेरे बच्चे डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ"* यह कहकर वो लाइट का फ़रिशता मुझे अपनी बाहों में उठा कर मुझे मेरे घर छोड़ देता है। इस दृश्य को देखते - देखते मैं विस्मय से अपनी आंखें खोलती हूँ और इस दृश्य को याद करते हुए मन ही मन स्वयं को स्मृति दिलाती हूँ कि मेरा बाबा सदा मेरे अंग - संग है।
➳ _ ➳ इस स्मृति में मैं जैसे ही स्थित होती हूँ मैं स्वयं को अपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में अपने निराकार शिव बाबा के साथ कम्बाइंड अनुभव करती हूँ। *कम्बाइन्ड स्वरूप की इस स्थिति में मैं मन बुद्धि रूपी नेत्रों से पार्क के खूबसूरत दृश्य को देख रही हूँ*। मेरे दिलाराम बाबा की लाइट माइट पूरे पार्क में फैली हुई है। उनकी शक्तियों की रंग बिरंगी किरणे चारों और फैल कर परमधाम जैसे अति सुंदर दृश्य का निर्माण कर रही है।
➳ _ ➳ ऐसा लग रहा है जैसे पार्क का वह दृश्य परमधाम का दृश्य बन गया है। वहां उपस्थित सभी देहधारी मनुष्यों के साकार शरीर लुप्त हो गए हैं और चारों और चमकती हुई निराकारी ज्योति बिंदु आत्मायें दिखाई दे रही हैं। *मैं आत्मा स्वयं को साक्षी स्थिति में अनुभव कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं संकल्प मात्र भी देह से अटैच नही हूँ*। कितनी न्यारी और प्यारी अवस्था है यह। आलौकिक सुखमय स्थिति में मैं सहज ही स्थित होती जा रही हूँ। *निर्संकल्प हो कर, बिंदु बन अपने बिंदु बाप को मैं निहार रही हूँ। उन्हें देखने का यह सुख कितना आनन्द देने वाला है*। बहुत ही निराला और सुंदर अनुभव है यह।
➳ _ ➳ बिंदु बाप के सानिध्य में मैं बिंदु आत्मा उनकी सर्वशक्तियों को स्वयं में समा रही हूँ। उनकी सर्वशक्तियों रूपी किरणों की मीठी - मीठी फुहारे मुझे असीम बल प्रदान कर रही हैं। उनकी शीतल किरणों की छत्रछाया में गहन शीतलता की अनुभूति कर रही हूँ। *आत्मा और परमात्मा का यह मंगल मिलन चित को चैन और मन को आराम दे रहा है*। बाबा से आती सर्वशक्तियों को स्वयं में समाकर मैं शक्तियों का पुंज बन गई हूँ और बहुत ही शक्तिशाली स्थिति का अनुभव कर रही हूँ। यह सुखद अनुभूति करके, अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, अपने बाबा को अपने संग ले कर वापिस अपने कर्म क्षेत्र पर लौट रही हूँ।
➳ _ ➳ बाबा के संग में रह अब मैं निर्भय हो कर जीवन मे आने वाली हर परिस्थिति को सहज रीति पार करते हुए निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ। *"स्वयं भगवान मेरे संग है" यह स्मृति मुझमे असीम बल भर देती है और मैं अचल अडोल बन माया के हर तूफान का सामना कर, माया पर सहज ही विजय प्राप्त कर लेती हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं अपने तपस्वी स्वरूप द्वारा सर्व को प्राप्तियों की अनुभूति कराने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं मास्टर विधाता आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा स्वयं सदा निर्माण बन जाती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सर्व को सदा मान देती हूँ ।*
✺ *मैं सच्ची परोपकारी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ वरदाता कहो, विधाता कहो, भाग्यदाता कहो, ऐसे बाप द्वारा आप श्रेष्ठ आत्माओं को कितने टाइटल मिले हुए हैं! *दुनिया में कितने भी बड़े-बड़े टाइटल हों लेकिन आप श्रेष्ठ आत्माओं के एक टाइटिल के आगे वह अनेक टाइटिल्स भी कुछ नहीं हैं। ऐसी खुशी रहती है?*
✺ *"ड्रिल :- बाप द्वारा दिए गए भिन्न भिन्न टाइटल्स की स्मृति से ख़ुशी का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा एकांत में बैठकर स्व चिंतन करती हूँ... मैं आत्मा अंतर्मन की गहराईयों में उतर रही हूँ... *मैं आत्मा अपने श्रेष्ठ भाग्य का चिंतन कर रही हूँ... कितनी ही भाग्यवान आत्मा हूँ मैं... जो स्वयं भाग्यविधाता ही मुझे मिल गया...* सर्व खजानों का वरदाता ही मिल गया... जो मुझ आत्मा को शूद्र से ब्राह्मण बनाकर देवता बनने के लायक बना रहे हैं...
➳ _ ➳ *प्यारे बाबा रोज मुझ आत्मा को भिन्न-भिन्न टाइटल्स से सुशोभित करते हैं...* मैं आत्मा प्यारे बाबा द्वारा दिए टाइटल्स को स्मृति में लाती हूँ... *मीठे बाबा रोज मुझ आत्मा को मीठे बच्चे, सिकीलधे बच्चे, लाडले बच्चे का टाइटल देते हैं...* ये टाइटल स्मृति में लाते ही मुझ आत्मा में मिठास भर जाता है... स्वयं भगवान की लाडली होने के एहसास से मैं आत्मा बाबा के प्यार दुलार के झूले में झूल रही हूँ... अतीन्द्रिय सुख की गहराईयों में डूब रही हूँ...
➳ _ ➳ *‘मास्टर सर्व शक्तिमान’ के टाइटल में स्थित होते ही मैं आत्मा सर्व गुणों, शक्तियों की अनुभूति कर रही हूँ...* मुझ आत्मा की सभी कमी-कमजोरियां खत्म हो रही हैं... मैं आत्मा हलकी हो रही हूँ... मैं आत्मा हर प्रकार की परिस्थिति में विजयी होने का अनुभव कर रही हूँ... *‘विघ्न-विनाशक’ के टाइटल की स्मृति से मैं आत्मा निर्विघ्न बन रही हूँ... विघ्नों को तोहफा समझ आगे बढ रही हूँ...*
➳ _ ➳ *‘त्रिकालदर्शी’ के टाइटल में स्थित होते ही मुझ आत्मा को तीनों कालों का दर्शन हो रहा है... मैं आत्मा साक्षीपन की स्थिति में स्थित हो रही हूँ...* ‘विश्व कल्याणकारी, आधारमूर्त, उद्धारमूर्त' के टाइटल्स में स्थित होकर मैं आत्मा फरिश्ता बन... *सुख, शांति की शक्तियों को पूरे विश्व में फैला रही हूँ... बेहद का कल्याण कर रही हूँ...*
➳ _ ➳ *बाबा के दिए एक-एक टाइटिल के आगे अल्पकालिक दुनियावी टाइटल्स कुछ भी नहीं हैं...* अब मैं आत्मा समय सन्दर्भ प्रमाण टाइटल्स को यूज कर उनका स्वरुप बन रही हूँ... अनुभवी मूर्त बन रही हूँ... हर कदम में सफलता प्राप्त कर विजय पताका लहरा रही हूँ... *अब मैं आत्मा बाबा द्वारा दिए भिन्न भिन्न टाइटल्स की स्मृति से सदा ख़ुशी का अनुभव करती हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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