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❍ 14 / 04 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *किसी के नाम रूप में तो नहीं फंसे ?*
➢➢ *याद का चार्ट शौंक से रखा ?*
➢➢ *स्वयं को सर्व शक्तियों के स्टॉक से भरपूर किया ?*
➢➢ *कमजोरियों को तलाक दिया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *जितना आप अपनी अव्यक्त स्थिति में स्थित होते जायेंगे उतना बोलना कम होता जायेगा।* कम बोलने से ज्यादा लाभ होगा फिर इस योग की शक्ति से सर्विस स्वत: होगी। *योगबल और ज्ञान-बल जब दोनों इकट्ठा होता है तो दोनों की समानता से सफलता मिलती है।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ"*
〰✧ सदा अपने को बाप समान मास्टर सर्वशक्तिवान अनुभव करते हो? *जैसा बाप वैसे बच्चे हैं ना! सर्वशक्तियों का वर्सा बच्चों का अधिकार है। तो जब भी जिस शक्ति को जिस रूप से कार्य में लगाने चाहो वैसे लगा सकते हो!*
〰✧ *मास्टर सर्वशक्तिवान की स्मृति शक्तियों को इमर्ज करती है। जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता होगी उस समय इस स्मृति से कार्य में लगा सकते हो।*
〰✧ *ऐसे अनुभव करेंगे जैसे यह शरीर की शक्तियाँ बाहें हैं, पाँव हैं, आँखें हैं... जिस समय जो शक्ति यूज करने चाहें वैसे कर सकते हैं, वैसे यह सूक्ष्म शक्तियाँ कार्य में लगा सकते हैं। क्योंकि यह भी अपना अधिकार है। लेकिन इसका अधिकार है मास्टर सर्वशक्तिवान की स्मृति।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ आप पुराने हो इसलिए आपको सामने रख समझा रहे हैं। सामने कौन रख जाता है? जो स्नेही होता है। *स्नेहियों को कहने में कभी संकोच नहीं आता है*। एक - एक ऐसे स्नेही हैं?
〰✧ सभी सोचते है बाबा बडा आवाज क्यों नहीं करते हैं। लेकिन बहुत समय के संस्कार से अव्यक्त रूप से व्यक्त में आते है तो आवाज़ से बोलना जैसे अच्छा नहीं लगता है। *आप लोगों को भी धीरे - धीरे आवाज़ से परे इशारों पर कारोबर चलानी है*। यह प्रैक्टीस करनी है। समझा।
〰✧ बापदादा बुद्धि की ड्रिल कराने आते है जिससे परखने की और दूरांदेशी बनने की क्वालिफिकेशन इमर्ज रूप में आ जाये। क्योंकि आगे चलकर के ऐसी सर्वीस होगी जिसमे दूरांदेशी बुद्धि और निर्णय शक्ति बहुत चाहिए। इसलिए यह ड्रिल करा रहे हैं।फिर पाँवरफुल हो जायेगी। ड्रिल से शरीर भी बलवान होता है। *तो यह बुद्धि की ड्रिल से बुद्धि शक्तिशाली होगी*।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ यह स्मृति में रहे कि वैराइटी आत्माएं है। आत्मिक दृष्टि रहे। आत्मा के रूप में उनको स्मृति में लाने से पावर दे सकेंगे। आत्मा बोल रही है। आत्मा के यह संस्कार हैं। यह पाठ पक्का करना है। *'आत्मा' शब्द स्मृति में आने से ही रूहानियत-शुभ भावना आ जाती है, पवित्र दृष्टि हो जाती है। चाहे भले कोई गाली भी दे रहा है लेकिन यह स्मृति रहे कि यह आत्मा तमोगुणी पार्ट बजा रही है।* अपने आप का स्वयं टीचर बन ऐसी प्रैक्टिस करनी है। यह पाठ पक्का करने लिए दूसरों से मदद नहीं मिल सकती। अपने पुरुषार्थ की ही मदद है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- एक विदेही से प्यार करना"*
➳ _ ➳ *इस रूहानी संगम के तट पर मैं आत्मा नदी सागर बाबा से मिलने यादों में लहराते हुए पहुँच जाती हूँ दिव्य लोक परमधाम में... ज्ञान, गुण, शक्तियों के सागर बाबा से एक होकर उनमे समा जाती हूँ... ये देह, देह की दुनिया, वस्तु, वैभव सबकुछ भूल एक विदेही बाबा में खो जाती हूँ...* मीठे बाबा मुझे अपनी गोद में लेकर पूरे ब्रह्माण्ड की सैर कराते हुए अव्यक्त वतन में श्वेत चमकीले बादलों के सिहांसन पर बिठाकर मीठी मीठी शिक्षाओं की बौछारें करते हैं...
❉ *सुहानी यादों के झूले में झुलाते प्यार का समंदर बहाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... *खुबसूरत चमकती मणि आत्मा हो, देह नही हो... इसलिए इस देहभान से मुक्त हो, अपने अविनाशीपन के नशे में खो जाओ...* अब इस देह के आवरण से बाहर निकल, अशरीरी आत्मा के स्वमान में आओ... और पिता तुल्य देही अभिमानी हो, साथी बन घर साथ चलो..."
➳ _ ➳ *देहभान को छोडकर यादों के पंख लगाकर एक बाबा से ही दिल लगाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा अपने सत्य स्वरूप की चमक में डूबती जा रही हूँ... *मीठे बाबा आपके प्यार की गहराइयो में खोकर आप समान होती जा रही हूँ... स्वयं के निराकारी और आपके परम् स्वरूप को यादो में बसाकर मन्त्रमुग्ध हो रही हूँ...”*
❉ *अपने आँचल में मुझ सितारे को समेटकर देह की दुनिया से न्यारी बनाकर मीठे बाबा कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... अब यह खेल पूरा होने को है... *इसलिये इस देह के मटमैलेपन को आत्मिक स्मृति से मिटाओ... अपने दमकते सौंदर्य आत्मा मणि को यादो में प्रतिपल तरोताजा कर... बाप समान निराकारी बन जाओ...* निराकारी बन मीठे बाबा संग अब घर को चलना है यह मीठी बात हर पल यादो में समालो..."
➳ _ ➳ *देह रूपी सीपी से मुक्त होकर मैं आत्मा मोती बन चमकते हुए कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपकी यादो में जनमो से खोयी अपनी आत्मिक सुंदरता को पुनः पाकर रोमांचित हो गई हूँ... *आपकी यादो की छत्रछाया में आप समान होती जा रही हूँ... देह के नश्वर आवरण से मुक्त हो, बन्धन मुक्त अवस्था को पाती जा रही हूँ..."*
❉ *प्यारे बाबा मेरे कानों में स्नेह की शहनाई बजाकर मेरी जिंदगी को खुशनुमा बनाते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वरीय यादो में आत्मिक सौंदर्य से दमक कर, चमकीले बन घर चलने की तैयारी में, हर साँस संकल्प से जुट जाओ... *इस पुरानी परायी दुनिया को भूल असली घर के आनन्द में डूब जाओ... परमधाम से प्यारा पिता जो लेने आया है, तो देह के सारे बन्धन तोड़कर, ख़ुशी ख़ुशी घर की ओर रुख करो..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा कली बाबा की यादों की बाँहों में फूल बन मुस्कुराते हुए कहती हूँ :-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके प्यार भरी गोद में फूलो सी खिल रही हूँ... *अपनी सत्यता को पाकर सच्ची खुशियो को पा रही हूँ... मीठे बाबा आपके प्यार भरी हथेलियो में पल रही हूँ... और अशरीरी बन बेहद के नशे में खो गयी हूँ..."*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- दिल की प्रीत एक बाप से रखनी है*"
➳ _ ➳ अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर मैं आकाश में विचरण करता हुआ साकारी दुनिया के रंग बिरंगे, मन को मोहने वाले मायावी दुनिया के नजारे देख रहा हूँ। *इस मायावी दुनिया की झूठी चकाचौंध को सच समझने वाले कलयुगी मनुष्यों को देख मुझे उन पर रहम आता है और मन मे ये विचार आता है कि कितने बेसमझ है बेचारे ये लोग जो देह और देह की दुनिया को सच माने बैठे हैं*।
➳ _ ➳ अपना सारा समय देह के झूठे सम्बन्धों के साथ प्रीत निभाने में जुटे हैं। अपने और अपने परिवार के लिए भौतिक सुख, सुविधाओं को जुटाने में ही अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ गंवाते जा रहे हैं। इस बात से कितने अनजान है कि देह, देह की दुनिया और देह के ये सब सम्बन्ध समाप्त होने वाले है। *इस विनाशकाल में केवल एक परमात्मा के साथ प्रीत ही इस जीवन की डूबती नैया को पार लगा सकती है*।
➳ _ ➳ दुनिया के झूठे सहारों का किनारा छोड़ परमात्मा बाप को सहारा बनाने वाले ही मंजिल को पा सकेंगे बाकि तो सब डूब जायेंगे। मन ही मन यह विचार करते हुए एकाएक मेरी आँखों के सामने महाविनाश का भयंकर दृश्य उभरता है। *मैं फ़रिशता अपने दिव्य चक्षुओं से देख रहा हूँ कहीं भयंकर तूफ़ान में गिरती हुई बड़ी - बड़ी बिल्डिंगे और उनके नीचे दबे हुए लोगों को चीखते, चिल्लाते हुए*। कहीं बाढ़ का भयंकर दृश्य जिसमे हजारों फुट ऊंची पानी की लहरें सब कुछ तबाह करती जा रही हैं। *कहीं ज्वालामुखी का लावा तीव्र गति से आते हुए सब कुछ जला कर भस्म करता जा रहा है*। खून की नदिया बह रही है। चारों और लोगों के मृत शरीर पड़े हैं।
➳ _ ➳ विनाश के इस भयानक दृश्य को देखते - देखते एकाएक मुझे मेरा ब्राह्मण स्वरूप दिखाई देता है। मैं देख रहा हूँ कि अपने ब्राह्मण स्वरूप में मैं स्थित हूँ। *मेरी आँखोंके सामने मेरे सम्बन्धी एक - एक करके काल का ग्रास बन रहें हैं*। मैं साक्षी हो कर हर दृश्य को देख रही हूँ। मेरी बुद्धि की तार केवल मेरे शिव पिता के साथ जुड़ी हुई है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं देह और इस देह से जुड़े हर सम्बन्ध से नष्टोमोहा बन चुकी हूँ। *अपने इस नष्टोमोहा ब्राह्मण स्वरूप को देख कर इस स्वरूप को जल्द से जल्द पाने का लक्ष्य रख मैं फ़रिशता अब साकारी दुनिया को छोड़ सूक्ष्म लोक की ओर चल पड़ता हूँ*।
➳ _ ➳ सफेद चांदनी के प्रकाश से प्रकाशित सूक्ष्म वतन में अव्यक्त ब्रह्मा बाबा अपने सम्पूर्ण फ़रिशता स्वरुप में मेरे सामने खड़े है और उनकी भृकुटि में शिवबाबा चमक रहें हैं। *बापदादा के मस्तक से आ रही लाइट और माइट चारों और फैल कर पूरे सूक्ष्म वतन को प्रकाशित कर रही है*। सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन इस पूरे वतन में चारों और फैले हुए हैं। मैं फ़रिशता धीरे - धीरे बाबा के पास पहुंचता हूँ। *बापदादा के मस्तक से आ रही शक्तियों की लाइट और माइट अब सीधी मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही है और मैं फ़रिशता सर्वशक्तियों से भरपूर होता जा रहा हूँ*। अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर बाबा मुझे "नष्टोमोहा भव" का वरदान दे रहें हैं।
➳ _ ➳ बापदादा से वरदान लेकर और सर्वशक्तियो से सम्पन्न बन कर मैं फ़रिशता अब वापिस साकार लोक की ओर प्रस्थान करता हूँ। अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी तन के साथ मैं अपने साकारी तन में प्रवेश कर जाता हूँ। अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हूँ। *यह देह और देह की दुनिया अब खत्म होने वाली है, इस बात को सदा स्मृति में रखते हुए इस विनाशकाल में दिल की सच्ची प्रीत केवल अपने शिव बाप से रखते हुए अब मैं हर बात से स्वत: ही उपराम होती जा रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं विश्व महाराजन की पदवी प्राप्त करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सर्व शक्तियों के स्टॉक से सम्पन्न (भरपूर) आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा हर कमज़ोरी को तलाक देती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा अपनी हर विशेषता को सदैव बढ़ाती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सदैव शक्तिशाली हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *जैसे साइन्स का बल अपना प्रभाव प्रत्यक्ष रूप में दिखा रहा है ऐसे साइन्स की भी रचता साइलेन्स बल है। साइलेन्स बल को अभी प्रत्यक्ष दिखाने का समय है। साइलेन्स बल का वायब्रेशन तीव्रगति से फैलाने का साधन है - मन-बुद्धि की एकाग्रता। यह एकाग्रता का अभ्यास बढ़ना चाहिए।* एकाग्रता की शक्तियों द्वारा ही वायुमण्डल बना सकते हो। हलचल के कारण पावरफुल वायब्रेशन बन नहीं पाता। बापदादा आज देख रहे थे कि एकाग्रता की शक्ति अभी ज्यादा चाहिए। सभी बच्चों का एक ही दृढ़ संकल्प हो कि अभी अपने भाई-बहनों के दु:ख की घटनायें परिवर्तन हो जाएँ। दिल से रहम इमर्ज हो। *क्या जब साइन्स की शक्ति हलचल मचा सकती है तो इतने सभी ब्राह्मणों के साइलेन्स की शक्ति, रहमदिल भावना द्वारा वा संकल्प द्वारा हलचल को परिवर्तन नहीं कर सकती!*
✺ *"ड्रिल :- एकाग्रता का अभ्यास"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा एकांत में बैठती हूँ... *सभी बाह्य बातों से उपराम होती हुई अंतर्मुखी हो जाती हूँ...* मैं आत्मा मन को अन्य संकल्पों से हटाकर भृकुटी के मध्य केन्द्रित करती हूँ... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ... मस्तक के मध्य चमकती हुई बिंदु हूँ... मैं आत्मा अपने बिंदु रूप में टिक जाती हूँ... *मैं आत्मा इस देह रूपी विनाशी घर से बाहर निकल पहुँच जाती हूँ अपने अविनाशी घर स्वीट साइलेंस होम में...*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने स्वीट साइलेंस होम में स्वीट साइलेंस की अनुभूति कर रही हूँ...* शांति के सागर में डूब रही हूँ... आवाज़ से परे, हलचल से परे मैं आत्मा गहरी शांति को अनुभव कर रही हूँ... मुझ आत्मा की मन-बुद्धि की हलचल समाप्त हो रही है... मुझ आत्मा की एकाग्रता की शक्ति बढ रही है... *मैं आत्मा साइलेन्स की स्थिति में स्थित हो जाती हूँ...*
➳ _ ➳ अब मैं आत्मा साइलेन्स में रहकर... एकाग्रता की शक्ति से अंतर्मुखी हो रही हूँ... मैं आत्मा अंतर्मुखी होकर सदा सुखी और सन्तुष्टता का अनुभव कर रही हूँ... *अब मैं आत्मा साइलेंस की शक्ति से सर्व समस्याओं का हल कर रही हूँ... मैं आत्मा सर्व प्रकार के हलचल में भी अचल रहती हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा सदा एक की लगन में मगन होकर एकाग्रता के अभ्यास को बढ़ाती हूँ... *लगन की अग्नि की ज्वाला से व्यर्थ को समाप्त कर रही हूँ... व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ कर्म, व्यर्थ बातों से मुक्त हो रही हूँ...* मुझ आत्मा के मन-बुद्धि सभी संकल्पों-विकल्पों से मुक्त हो रहे हैं... मैं आत्मा स्मृति स्वरुप समर्थी स्वरुप बन रही हूँ...
➳ _ ➳ *मैं आत्मा मनमनाभव के मन्त्र में टिककर... शांति के सागर से शांति की किरणों को लेकर... चारों ओर फैला रही हूँ...* अशांत आत्माओं को शांति का दान कर रही हूँ... मैं आत्मा शांति के पावरफुल वायब्रेशन द्वारा सबके दुख की घटनाओं को परिवर्तित कर शांति का वायुमंडल बना रही हूँ... *मैं आत्मा साइलेन्स की शक्ति, रहमदिल भावना द्वारा हलचल को परिवर्तित कर रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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