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 23 / 04 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *बहुत नम्रता और धीरे से बातचीत की ?*

 

➢➢ *याद में आँखें बंद कर, कंध नीचे कर तो नहीं बैठे ?*

 

➢➢ *विशाल बुधी द्वारा संगठन की शक्ति को बढाया ?*

 

➢➢ *मन की एकाग्रता को बढाया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *योगबल अर्थात् साइलेन्स की शक्ति-कम मेहनत, कम खर्चे में बालानशीन कार्य करा सकती है। साइलेन्स की शक्ति-समय के खजाने में इकॉनामी करा देती हैं अर्थात् कम समय में ज्यादा सफलता पा सकते हो।* यथार्थ इकॉनामी है-एकनामी बनना। *एक का नाम सदा स्मृति में रहे। ऐसा एकनामी वाला इकॉनामी कर सकता है। जो एकनामी नहीं वह यथार्थ इकॉनामी नहीं कर सकता।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं स्वदर्शन चक्रधारी हूँ"*

 

✧  सदा अपने को स्वदर्शन चक्रधारी अनुभव करते हो? *स्वदर्शन चक्र अनेक प्रकार के माया के चक्करों को समाप्त करने वाला है। माया के अनेक चक्र हैं और बाप उन चक्रो से छुड़ाकर विजयी बना देता।* स्वदर्शन चक्र के आगे माया ठहर नहीं सकती - ऐसे अनुभवी हो?

 

  बापदादा रोज इसी टाइटिल से यादप्यार भी देते हैं। इसी स्मृति से सदा समर्थ रहो। *सदा स्व के दर्शन में रहो तो शक्तिशाली बन जायेंगे। कल्प-कल्प की श्रेष्ठ आत्मायें थे और हैं यह याद रहे तो मायाजीत बने पड़े हैं।*

 

  *सदा ज्ञान को स्मृति में रख, उसकी खुशी में रहो। खुशी अनेक प्रकार के दु:ख भुलाने वाली है। दुनिया दु:खधाम में है और आप सभी संगमयुगी बन गये। यह भी भाग्य है।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  सिर्फ राज्य करने के समय बाप गुप्त हो जाते हैं। तो साथ कैसे रहेंगे? समान बनने से। समानता कैसे लायेंगे? साकार बाप से समान बनने से। अभी बापदादा कहते हो ना। उनमें समानता कैसे आई? *समर्पणता से समानता सेकण्ड में आई। ऐसे समर्पण करने की शक्ती चाहिए।*

 

✧  *जब समर्पण कर दिया तो फिर अपना वा अन्य का अधिकार समाप्त हो जाता।* जैसे किसको कोई चीज दी जाती है तो फिर अपना अधिकार और अन्य का अधिकार समाप्त हो जाता है। अगर अन्य कोई अधिकार रखे भी तो उसको क्या कहेंगे? यह तो मैने समर्पण कर ली।

 

✧  ऐसे हर वस्तु सर्व समर्पण करने के बाद अपना वा दूसरों का अधिकार कैसे रह सकता है। *जब तक अपना वा अन्य का अधिकार रहता है तो इससे सिद्ध है कि सर्व समर्पण में कमी है।* इसलिए समानता नहीं आती। जो सोच - सोच कर समर्पण होते हैं उनकी रिजल्ट अब भी पुरुषार्थ में वही सोच अर्थात व्यर्थ संकल्प विघ्न रूप बनते हैं। अच्छा -

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *ब्रह्म-मुहूर्त का अर्थ क्या है? उस समय का वायुमण्डल ऐसा होता है जो आत्मा सहज ही ब्रह्म निवासी बनने का अनुभव कर सकती है।* दूसरे समय में पुरुषार्थ करके आवाज से, वायुमण्डल से अपने को डिटाच करते हो या मेहनत करते हो। लेकिन उस समय इस मेहनत की आवश्यकता नहीं होती। जैसे ब्रह्म घर शान्तिधाम है वैसे ही अमृतवेले के समय में भी आटोमेटिकली साइलेन्स रहती है। *साइलेन्स के कारण शान्त स्वरूप की स्टेज वा शान्तिधाम निवासी बनने की स्टेज को सहज ही धारण कर सकते हो।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- शांत रहना, अधिक आवाज़ में ना आना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा एकांत में बैठ चिंतन करती हुई स्व की गहराइयों में उतरती जाती हूँ... मैं ज्योतिबिन्दु स्वरूप आत्मा भृकुटि के सिंहासन पर चमकती हुई मणि हूँ... इस देह में अवतरित होकर अपना पार्ट बजाने वाली स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ... *मैं आत्मा और गहरे उतरती जाती हूँ... अंतर्मुखी होकर गहरी शांति का अनुभव करती हुई शांति के सागर प्यारे बाबा के पास पहुंच जाती हूँ...*

 

   *शांति के सागर मेरे प्यारे बाबा शांति की किरणों से सराबोर करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... स्वयं को देह समझ शांति के लिए बहुत बाहर भटक चुके हो... अब अपने सच्चे वजूद के नशे में गहरे डूब जाओ... और भीतर मौजूद शांति का गहरा आनंद लो... *शांति का खजाना भीतर सदा साथ है, स्वधर्म है, बस परधर्म छोड़ अपने स्वधर्म में खो जाओ..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा गले मे शांति का हार पहन स्वधर्म में टिकती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे प्यारे बाबा... मैं आत्मा आपसे पाये ज्ञान के तीसरे नेत्र से, स्वयं के खजानो को देखने वाली नजर को पाकर निहाल हो गयी हूँ... *प्यारे बाबा मै शांति की बून्द भर को भी प्यासी थी... आपने तो मेरे भीतर समन्दर का पता दे दिया और मुझे सदा के लिए तृप्त कर दिया है..."*

 

   *मीठे बाबा दुख, अशांति की दुनिया से निकाल शांति के समंदर में डुबोते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... जब घर से निकले थे कितने गुणवान और शक्तियो से श्रंगारित थे... आत्मिक भान से परे, देह होने के अहसास ने सारे प्राप्त खजानो से वंचित कर दिया... *अब अपने आत्मिक स्वरूप की स्मृतियों में हर साँस को भिगो दो... और असीम शांति की तरंगो से स्वयं और पूरे विश्व को तरंगित कर दो..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर अतीन्द्रिय सुख, शांति की अनुभूति में डूबकर कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा शांति के सागर से मिलकर गुणो के सौंदर्य से खिल उठी हूँ... प्यारे बाबा आपने मुझे मेरी खोयी खुशियां लौटाकर, मुझे मालामाल कर दिया है...* हर भटकन से मुक्त कराकर गुणो के वैभव से पुनः सजा दिया है... और अथाह शांति के स्त्रोत को भीतर जगा दिया है..."

 

   *प्यारे बाबा अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख सर्व ख़ज़ानों के वरदानों की बरसात करते हुए कहते हैं:-* "मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... अपने दमकते हुए मणि स्वरूप की खुमारी में डूब जाओ... और सुख शांति से लबालब हो जाओ... *ईश्वर पिता से पाये गुणो और शक्तियो के खजानो का जीवन में भरपूर आनन्द लूटते हुए... सतयुगी दुनिया के सुखो को बाँहों में भरो... सच्ची शांति जो भीतर निहित है उससे जीवन को सजा लो..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा शांति कुंड बन शांति की किरणों से सारे विश्व को चमकाते हुए कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आत्मिक गुणो से सजधज कर अप्रतिम सौंदर्य से निखर उठी हूँ... *मीठे बाबा आपकी यादो में पवित्र बन, सुख और शांति के अखूट खजानो को पा रही हूँ... आपकी प्यारी यादो में मैंने अपना खोया रंगरूप पुनः पा लिया है...* सारे खजाने मेरी बाँहों में मुस्करा उठे है..."

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सच्चा - सच्चा आशिक बन एक माशूक को याद करना है*"

 

_ ➳  दिल मे सच्चे प्यार की आश ले कर, अपने परमात्मा माशूक की सच्ची आशिक बन, मैं उनके प्रेम की लगन में मगन हो कर उन्हें याद कर रही हूँ। *मेरी याद उन तक पहुंच रही है, मेरे प्यार की तड़प की वो महसूस कर रहें हैं तभी तो मेरे प्रेम के आकर्षण में आकर्षित हो कर वो मेरे पास आ रहें हैं*। उनके आने का मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। अपने प्रेम की शीतल फुहारें मुझ पर बरसाते हुए मेरे सच्चे माशूक शिव बाबा अपना घर परमधाम छोड़ मुझ से मिलने के लिए इस साकार लोक में आ रहें हैं।

 

_ ➳  प्यार के सागर मेरे शिव पिता परमात्मा मुझे मेरे सच्चे प्यार का प्रतिफल देने के लिए अब मेरे सम्मुख हैं। उनके प्रेम की शीतल किरणों की शीतलता मुझे अपने आस - पास उनकी उपस्थिति का स्पष्ट अनुभव करवा रही हैं। *ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे मैं किसी विशाल सागर के किनारे बैठी हूँ और सागर की लहरों की शीतलता, शीतल हवाओं के झोंको के रूप में बार - बार आ कर मुझे स्पर्श कर रही हैं*। मेरे शिव पिता परमात्मा से आ रहे  सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन मुझे ऐसी ही शीतलता का अनुभव करवा रहें हैं। शीतल हवाओं के झोंको के रूप में मेरे शिव माशूक का प्यार निरन्तर मुझ पर बरस रहा है और मेरे मन को तृप्त कर रहा है।

 

_ ➳  अपने प्रेम की किरणों के आगोश में भरकर मेरे शिव साजन अब मुझ आत्मा को इस देह के पिजड़े से निकाल, अपने साथ ले जा रहें हैं। *देह के बन्धन से मुक्त हो कर मैं स्वयं को एकदम हल्का अनुभव कर रही हूँ। उन्मुक्त हो कर उड़ने का आनन्द कितना निराला, कितना लुभावना है*। अपने सच्चे माशूक की बाहों के झूले में झूलती, अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर इतराती मैं आत्मा आशिक उनके साथ उनके धाम जा रही हूँ। *देह और देह की दुनिया के झूठे रिश्तों के मोह की जंजीरो की कैद से निकल, अपने शिव पिया के साथ अब मैं पहुंच गई उनकी निराकारी दुनिया में*।

 

_ ➳  देख रही हूँ अब मैं स्वयं को परमधाम में अपने सच्चे माशूक शिव पिता परमात्मा के सामने। उनके प्यार की शीतल छाया के नीचे बैठी मैं आशिक आत्मा अपलक उन्हें निहार रही हूँ। *63 जन्मो से जिनके दर्शनों की आश मन में लिए इधर - उधर भटक रही थी। वो मेरे माशूक, मेरे शिव बाबा आज मेरे बिल्कुल सामने हैं। प्रभु दर्शन की प्यासी मैं आत्मा आज उन्हें अपने सामने पा कर तृप्त हो गई हूँ*। उनके प्यार की शीतल फुहारे रिम - झिम करती बारिश की बूंदों की तरह निरन्तर मुझ पर पड़ रही हैं। उनकी सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर असीम बल भर रही हैं। *बीज रूप स्थिति में स्थित हो कर अपने बीज रूप शिव पिता परमात्मा के साथ मैं मंगल मिलन मना रही हूँ*। यह मंगल मिलन मुझे अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करवा रहा है।

 

_ ➳  इस अतीन्द्रिय सुख का गहन अनुभव करने के बाद, अपने माशूक शिव पिता परमात्मा के इस अदभुत, अद्वितिय प्यार का सुखद एहसास अपने साथ ले कर मै उनकी आशिक आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ। अब मैं अपने साकारी तन में विराजमान हूँ और स्वयं को अपने शिव पिया के साथ कम्बाइंड अनुभव कर रही हूँ। *उनके निस्वार्थ प्यार का मधुर एहसास मुझे हर पल उनकी उपस्थिति का अनुभव कराता रहता है*। एक पल के लिए भी मैं उनसे अलग नही होती। चलते - फिरते, खाते - पीते हर कर्म करते वो मुझे अपने साथ अनुभव होते हैं। अपने माशूक शिव परमात्मा की सच्ची आशिक बन अब मैं हर पल उनकी ही यादों में खोई रहती हूँ।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं विशाल बुद्धि सम्पन्न आत्मा हूँ।*

   *मैं संगठन की शक्त्ति बढ़ाने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं सफलता स्वरूप आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं आत्मा मन की एकाग्रता को सदा बढ़ाती हूँ  ।*

   *मैं आत्मा सदैव सर्व सिद्धियां प्राप्त करती हूँ  ।*

   *मैं आत्मा एकाग्रचित्त हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  दिव्य जन्म लेते ही बापदादा ने वरदान दिया - सर्वशक्तिवान भव! यह हर जन्म दिवस का वरदान है... इन शक्तियों को प्राप्त वरदान के रूप से कार्य में लगाओ... हर एक बच्चे को मिली हैं लेकिन कार्य में लगाने में नम्बरवार हो जाते हैं... हर शक्ति के वरदान को समय प्रमाण आर्डर कर सकते हो... *अगर वरदाता के वरदान के स्मृति स्वरूप बन समय अनुसार किसी भी शक्ति को आर्डर करेंगे तो हर शक्ति हाजिर होनी ही है...* वरदान की प्राप्ति के, मालिकपन के स्मृति स्वरूप में हो आप आर्डर करो और शक्ति समय पर कार्य में नहीं आये, हो नहीं सकता... लेकिन मालिक, मास्टर सर्वशक्तिवान के स्मृति की सीट पर सेट हो, बिना सीट पर सेट के कोई आर्डर नहीं माना जाता है...

 

 _ ➳  जब बच्चे कहते हैं कि बाबा हम आपको याद करते तो आप हाजिर हो जाते हो, हजूर हाजिर हो जाता है... *जब हजूर हाजिर हो सकता तो शक्ति क्यों नहीं हाजिर होगी*! सिर्फ विधि पूर्वक मालिकपन के अथारिटी से आर्डर करो... यह सर्व शक्तियाँ संगमयुग की विशेष परमात्म प्रापर्टी है... प्रापर्टी किसके लिए होती है? बच्चों के लिए प्रापर्टी होती है... तो अधिकार से स्मृति स्वरूप की सीट से आर्डर करो, मेहनत क्यों करो, आर्डर करो... *वर्ल्ड अथारिटी के डायरेक्ट बच्चे हो, यह स्मृति का नशा सदा इमर्ज रहे...*

 

✺   *ड्रिल :-  "सर्व शक्तियों को समय प्रमाण आर्डर करने का अनुभव"*

 

 _ ➳  जीवन मे घटित होने वाली अनेक प्रकार की घटनाओ और परिस्थितियों के रूप में माया के तूफान हर ब्राह्मण बच्चे के जीवन मे आते ही है... *किन्तु सर्वशक्तिवान बाबा का हाथ और साथ माया के इन तूफानो को भी तोहफा बना देता है यह विचार करते - करते मैं अपने सर्वशक्तिवान बाबा की याद में जैसे ही बैठती हूँ एक दृश्य मेरी आँखों के सामने आने लगता है...*

 

 _ ➳  इस दृश्य में मैं स्वयं को एक बहुत सुंदर टापू पर बैठ, प्रकृति के सुंदर नज़ारो का आनन्द लेते हुए देख रही हूँ... देखते ही देखते जैसे प्रकृति विकराल रूप धारण कर लेती हैं। स्वयं को मैं एक बहुत भयंकर तूफान में फंसा हुआ पाती हूँ... *इस भयंकर तूफान से निकलने में जब मैं स्वयं को असमर्थ पाती हूँ तो शांन्त हो कर बैठ जाती हूँ... जैसे ही शांन्त होकर बैठती हूँ मन बुद्धि सहज ही बाबा की याद में जुट जाते है...* शक्तियों का संचार मुझ आत्मा में होने लगता है और मैं अनुभव करती हूँ कि शक्तिस्वरूप बन अब मैं इस तूफान का सामना कर सकती हूँ... मेरे सर्वशक्तिसम्पन्न स्वरुप में स्थित होते ही मैं देखती हूँ जैसे वो तूफान धीरे - धीरे थमने लगा है और थोड़ी ही देर में प्रकृति फिर से अपने सुन्दर स्वरूप में स्थित हो गई है...

 

 _ ➳  अब मैं विचार करती हूँ कि जीवन मे प्रतिदिन घटित होने वाली घटनाये और परिस्थितियां भी तो मन मे ऐसे ही तूफान पैदा करती हैं... और मन मे यह विचार आते ही अब मेरे सामने वो घटनाये और परिस्थितियां अनेक दृश्यों के रूप में बार - बार आंखों के सामने आने लगती है... किंतु अब वो घटनाये मेरे मन मे तूफान पैदा नही कर रही बल्कि जैसे ही वो घटना घटित हो रही है *मैं मास्टर सर्वशक्तिवान के स्वमान की सीट पर सेट हो कर सर्वशक्तियों का आह्वान कर रही हूँ और हर शक्ति को ऑर्डर प्रमाण चला कर उस परिस्थिति को सहज ही पार कर रही हूँ... माया का कोई भी तूफान अब मुझे हलचल में नही ला रहा...*

 

 _ ➳  अपनी इस एकरस, अचल अडोल स्थिति को मैं देख मैं स्वयं से प्रतिज्ञा करती हूँ कि मुझे अपनी इस शक्तिसम्पन्न स्थिति में सदा स्थित रहने के लिए सर्वशक्तियों का आह्वान कर, उन्हें ऑर्डर प्रमाण चलाने का अभ्यास निरन्तर करना है... ताकि कोई भी शक्ति समय पर धोखा ना दे सके... *स्वयं को सर्वशक्तियों से भरपूर करने के लिए अब मैं अपने निराकारी स्वरूप में स्थित हो कर, अपने सर्वशक्तिवान बाबा के पास उनके धाम की ओर चल पड़ती हूँ...* साकारी लोक और सूक्ष्म वतन को जल्दी ही पार कर मैं पहुंच जाती हूँ आत्माओं की निराकारी दुनिया में अपने शिव पिता परमात्मा के पास...

 

_ ➳  निराकार, महाज्योति अपने शिव पिता के सामने अब मैं ज्योति बिंदु आत्मा स्वयं को देख रही हूँ... उनके सानिध्य में मैं आत्मा गहन आनन्द की अनुभूति कर रही हूँ... उनसे निकल रही शक्तियों की शीतल फुहारें मन को तृप्त कर रही हैं... *प्यारे मीठे बाबा को अपलक निहारते - निहारते मैं बाबा के बिल्कुल समीप पहुंच जाती हूँ और बाबा को टच करती हूँ... शक्तियों का झरना फुल फोर्स के साथ बाबा से निकल कर अब मुझ आत्मा में समाने लगा है...* एक- एक शक्ति को मैं अपने अंदर गहराई तक समाता हुआ अनुभव कर रही हूँ... स्वयं में मैं परमात्म शक्तियों की गहन अनुभूति कर रही हूँ...

 

_ ➳  स्वयं को सर्वशक्तियों से सम्पन्न करके अब मैं परमधाम से नीचे आती हूँ और सूक्ष्म लोक में प्रवेश करती हूँ... अपने लाइट के फ़रिशता स्वरूप को धारण कर अब मैं फ़रिशता बापदादा के पास पहुँचता हूँ... *अपनी सर्वशक्तियाँ बाबा मुझे विल करके अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख मुझे मालिकपन के स्मृति स्वरूप में सदा स्थित रहने का वरदान दे रहें हैं...* बाबा से वरदान ले कर अब मैं फिर से अपने निराकारी स्वरूप के स्थित हो कर सूक्ष्म लोक से नीचे आ जाती हूँ और साकारी दुनिया मे आ कर अपने साकारी शरीर मे प्रवेश करती हूँ...

 

 _ ➳  *स्वयं को सर्वशक्ति सम्पन्न अनुभव करते हुए अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, इन शक्तियों को प्राप्त वरदान के रूप से कार्य में लगा रही हूँ... मालिकपन के स्मृति स्वरूप हो कर सर्व शक्तियों को समय प्रमाण आर्डर करने का अनुभव अब मैं निरन्तर कर रही हूँ जो मुझे सहज ही मायाजीत बना रहा है...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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