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❍ 26 / 06 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *कितने भी तूफानों में एक बाप की याद में रहे ?*
➢➢ *"हम सो, सो हम" की छोटी सी खानी युक्ति से समझी और समझाई ?*
➢➢ *दातापन की भावना द्वारा इच्छा मातरम् अविध्या की स्थिति का अनुभव किया ?*
➢➢ *स्वयं को व्यर्थ संकल्पों से मुक्त रखा ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *पाप कटेश्वर वा पाप हरनी तब बन सकते हो जब याद ज्वाला स्वरूप होगी। इसी याद द्वारा अनेक आत्माओं की निर्बलता दूर होगी।* इसके लिए हर सेकण्ड, हर श्वांस बाप और आप कम्बाइन्ड होकर रहो। कोई भी समय साधारण याद न हो। स्नेह और शक्ति दोनों रूप कम्बाइन्ड हो।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं सर्व प्राप्ति स्वरूप श्रेष्ठ आत्मा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को सर्व प्राप्ति-स्वरूप श्रेष्ठ आत्मा अनुभव करते हो? *क्योंकि प्राप्ति-स्वरूप ही औरों को सर्व प्राप्ति करा सकता है। देने में लेना स्वत: ही समाया है। अभी अपने बहन-भाइयों को भिखारी देख रहम तो आता है ना।* जब परमात्म प्राप्तियो के अधिकारी बन गये तो पा लिया-सदा दिल में यही गीत गाते हो? पाना था सो पा लिया। सम्पन्न बन गये। ऐसे सम्पन्न बन गये या विनाश तक बनेंगे?
〰✧ अगर समय सम्पन्न वा सम्पूर्ण बनाये तो रचना पावरफुल हुई या रचता? *तो समय पर नहीं बनना है, समय को समीप लाना है। समय का इन्तजार करने वाले नहीं हो। जब पा लिया तो पाने की खुशी में रहने वाले सदा ही एवररेडी रहते हैं।* कल भी विनाश हो जाये तो तैयार हो? या थोड़ा टाइम चाहिए? एवररेडी, नष्टोमोहा, स्मृति-स्वरूप इसमें पास हो? एवररेडी का अर्थ ही है-नष्टोमोहा स्मृति-स्वरूप। या उस समय याद आयेगा कि पता नहीं बच्चे क्या कर रहे होंगे, कहाँ होंगे, छोटे-छोटे पोत्रों का क्या होगा? यहीं विनाश हो जाये तो याद आयेंगे? पति का भी कल्याण हो जाये, पोत्रे का भी कल्याण हो जाये, उन्हों को भी यहाँ ले आयें-याद आयेगा? बिजनेस का क्या होगा, पैसे कहाँ जायेंगे? रास्ते टूट जायें फिर क्या करेंगे? देखना, अचानक पेपर होगा।
〰✧ सदा न्यारा और प्यारा रहना-यही बाप समान बनना है। जहाँ हैं, जैसे हैं लेकिन न्यारे हैं। यह न्यारापन बाप के प्यार का अनुभव कराता है। जरा भी अपने में या और किसी में भी लगाव न्यारा बनने नहीं देगा। *न्यारे और प्यारेपन का अभ्यास नम्बर आगे बढ़ायेगा। इसका सहज पुरुषार्थ है निमित्त भाव। निमित्त समझने से 'निमित्त बनाने वाला' याद आता है। मेरा परिवार है, मेरा काम है। नहीं, मैं निमित्त हूँ। निमित्त समझने से पेपर में पास हो जायेंगे।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ जैसे कल्प पहले का भी गायन है अर्जुन का - साधारण सखा रूप भी देखा लेकिन वास्तविक रूप का साक्षात्कार करने के बाद वर्णन किया कि आप क्या हो! इतना श्रेष्ठ और वह साधारण सखा रूप! इसी रीति आपके भी साक्षात्कार होंगे चलते-फिरते। दिव्य दृष्टि में जाकर देखें वह बात और है। जैसे शुरू में चलते-फिरते देखते रहते थे। यह ध्यान में जाकर देखने की बात नहीं। *जेसे एक साकार बाप का आदि में अनुभव किया वैसे अंत में अभी सबका साक्षात्कार होगा।*
〰✧ यह साधारण रूप गायब हो जावेगा, फरिश्ता रूप या पूज्य रूप देखेंगे। जैसे शुरू में आकारी ब्रह्मा और श्रीकृष्ण का साथ-साथ साक्षात्कार होता था। वैसे अभी भी यह साधारण रूप देखते हुए भी दिखाई न दे। आपके पूज्य देवी या देवता रूप या फरिश्ता रूप देखें। *लेकिन यह तब होगा जब आप सबका पुरुषार्थ देखते हुए न देखने का हो - तब ही अनेक आत्माओं को भी आप महान आत्माओं का यह साधारण रूप देखते हुए भी नहीं दिखाई देगा।*
〰✧ आँख खुले-खुले एक सेकण्ड में साक्षात्कार होगा। ऐसी स्टेज बनाने के लिए विशेष अभ्यास बताया कि देखते हुए भी न देखो, सुनते हुए भी न सुनो। *एक ही बात सुनो और एक बिन्दु को ही देखो।* विस्तार को न देख एक सार को देखो। विस्तार को न सुनते हुए सदा सार को ही सुनो। ऐसे जादू की नगरी यह मधुबन बन जावेगा - तो सुना *मधुबन का महत्व अर्थात मधुबन निवासियों का महत्व।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *अब से अपने महत्व को जान कर्तव्य को जान सदा जागती ज्योति बनकर रहो।* सेकण्ड में स्व-परिवर्तन से विश्व-परिवर्तन कर सकते हो। इसकी प्रैक्टिस करो अभी-अभी कर्मयोगी,अभी-अभी कर्मातीत स्टेज। *जैसे पुरानी दुनिया का दृष्टान्त देते हैं। आपकी रचना कछुआ सेकण्ड में सब अंग समेट लेता है। समेटने की शक्ति रचना में भी है। आप मास्टर रचता समेटने की शक्ति के आधार से सेकेण्ड में सर्व संकल्पों को समाकर एक संकल्प में सेकण्ड में स्थित हो सकते हो।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप से शांति का वर्सा लेना"*
➳ _ ➳ *झील के किनारे बैठी मैं आत्मा प्यारे बाबा का आह्वान करती हूँ... प्यारे बाबा के आगमन से झील की लहरें ख़ुशी से उछल रही हैं... हवा और पानी साथ साथ खेल रहे हैं... पेड़ पौधे झुक झुककर सलाम कर रहे हैं... मौसम की मस्ती से मेरे मन में भी उमंग उल्लास की लहरें दौड़ रही हैं...* ऐसा लग रहा पूरी प्रकृति प्रेम के सागर की आने की खुशी में प्रेम की कविताएं सुना रही हैं... इस दुख की दुनिया से निकाल सुख, शांति की दुनिया में ले जाने आए मेरे बाबा के सामने मैं आत्मा बैठ प्यार की बातें करती हूँ...
❉ *सुख-शांति के सागर मेरे प्यारे बाबा हथेली पर स्वर्ग की सौगात सजाकर कहते हैं:-* "मेरे लाडले बच्चे... मै विश्व का पिता आप बच्चों की झोली सदा के लिए सुख से भरने आया हूँ...* अमन ही अमन हो ऐसी चैन की दुनिया बसाने आया हूँ... सुख शांति भरपूर हो ऐसी मीठी सुखो की दुनिया बच्चों के लिए सौगात स्वरूप लाया हूँ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा खुशियों के सागर में झूमती लहराती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपके बिना किस कदर दुखमय जीवन को अपनी नियति समझ रही थी... आपने मीठे बाबा... *मेरा दामन खुशियो से खिलाया है... सुख शांति से भरे जीवन का अधिकारी बना सजाया है..."*
❉ *प्यारे बाबा परमात्म माइट और परमात्म दिव्य लाइट से मुझे भरपूर करते हुए कहते है:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... इस घोर पाप की दुनिया से ईश्वर पिता के सिवाय कोई निकाल ही न सके... सुख भरा चैन सिर्फ पिता ही जीवन में ला सके... *ऐसे मीठे बाबा को हर पल यादो में सजाओ... जो परमधाम से उतर आये और सुख शांति के सौगातों से लबालब कर जाय..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा शांतिधाम और सुखधाम की स्मृतियों को मन में बसाकर कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... आप महा पिता मेरे लिए कितनी दूर से आते हो... *सुनहरे सुखो से और शांतिमय जीवन से मेरी सदा के लिए दुनिया सजाते हो... अपनी मीठी यादो से मुझे आप समान सुंदर बनाते हो... जिंदगी को महकाते हो..."*
❉ *मेरे बाबा पाप की दुनिया से मुझे निकाल चैन की दुनिया में ले जाने दूर देश से आकर कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *अपने खिलते हुए खुशबूदार फूलो को इस कदर विकारो रुपी काँटों में झुलसता तो मै पिता देख ही न सकूँ... और बच्चों को मुस्कराहटों से सजाने महकाने धरती पर आऊं...* बच्चे सुख शांति के जीवन में चैन से रहे तो मै पिता सदा का आराम पाऊँ..."
➳ _ ➳ *मैं आत्मा अपने घर को, स्वर्णिम दुनिया के सुखों को याद कर आनंदोल्लास में डूबकर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा पाप की दुनिया में गहरे धस गई थी... आपसे मेरी दारुण सी दशा देखी न गई... आप दौड़े से आये और मेरा जीवन सुखो की सौगातों से महका दिया...* यूँ जीवन मीठा और प्यारा बना दिया..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- यह समय बहुत वैल्युबुल है, इसे फालतू की बातों में गंवाना नही है*"
➳ _ ➳ "समय आपका शिक्षक बने, इससे पहले आप स्वयं ही स्वयं के शिक्षक बन जाओ" इन ईश्वरीय महावाक्यों पर विचार सागर मंथन करते करते एक पार्क में मैं टहल रही हूँ। टहलते - टहलते वही कोने में रखे एक बैंच पर मैं बैठ जाती हूँ और इधर उधर देखने लगती हूँ। तभी सामने सड़क पर लगे एक बोर्ड पर मेरी निगाह जाती है, जिस पर बड़े बड़े शब्दों में एक स्लोगन लिखा हुआ है *"समय की पुकार को सुनो" इस स्लोगन को पढ़ते ही मन फिर से विंचारो में खो जाता है और ऐसा अनुभव होता है जैसे मेरे कानों में कोई इन्ही शब्दो को बार बार दोहरा रहा है*। मैं इधर उधर देखती हूँ कि आखिर मेरे कानों में ये आवाज कहाँ से आ रही है।
➳ _ ➳ फिर महसूस होता है कि ये आवाज तो ऊपर से आ रही है। मैं जैसे ही ऊपर की और देखती हूँ एक तेज प्रकाश मुझे अपने ऊपर अनुभव होता है। *मैं देख रही हूं अपने सिर के ऊपर महाज्योति शिव बाबा को जिनसे निकल रही प्रकाश की किरणे मुझ पर पड़ रही हैं और मैं देह के भान से मुक्त स्वयं को एक दम हल्का अनुभव कर रही हूं*। अपने शरीर को मैं देख रही हूं जो शिव बाबा की लाइट और माइट पा कर एकदम लाइट का बन गया है। अब शिवबाबा ब्रह्माबाबा के आकारी रथ में विराजमान हो कर धीरे धीरे नीचे आ रहें हैं। अपने बिल्कुल समीप बैंच पर बापदादा की उपस्थिति को मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ।
➳ _ ➳ बापदादा मेरा हाथ अपने हाथ मे ले कर मुझे शक्तिशाली दृष्टि दे रहें हैं। बाबा की सम्पूर्ण शक्ति स्वयं में भरने के लिए मैं गहराई से बाबा के नयनो में देख रही हूँ। शक्ति लेते लेते एक विचित्र दृश्य देख कर मैं हैरान रह जाती हूँ। *एक पल के लिए मैं देखती हूँ दिल को दहलाने वाला दुनिया के विनाश का विनाशकारी दृश्य और दूसरे ही पल बाबा के नयनो में समाए अपने प्रति असीम स्नेह और बाबा की अपने प्रति वो आश जिसे बाबा जल्दी से जल्दी पूरा होते हुए देखना चाहते हैं*। अब मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूं कि बाबा ने एक पल के लिए मुझे दिव्य दृष्टि से विनाश का साक्षात्कार करा कर समय की समीपता की ओर ईशारा किया है।
➳ _ ➳ इस रोमांचकारी दृश्य का अनुभव करवाकर बापदादा अदृश्य हो जाते हैं और मैं फिर से अपने ब्राह्मण स्वरूप में लौट आती हूँ और फिर से उसी स्लोगन पर नजर डालते हुए विचार करती हूं कि *संगमयुग का एक एक सेकेण्ड मेरे लिए बहुमूल्य है। एक भी सेकेंड व्यर्थ गया तो बहुत बड़ा घाटा पड़ जायेगा*। यह विचार करते करते मैं घर लौट आती हूँ और संगमयुग के अनमोल पलो को सफल करने के पुरुषार्थ में लग जाती हूँ। *अपने हर सेकेंड, संकल्प, बोल और कर्म की वैल्यू को स्मृति में रख अब मैं उन्हें ईश्वरीय याद और सेवा में सफल कर रही हूँ* ।
➳ _ ➳ हर श्वांस में अपने प्यारे मीठे बाबा की यादों को समाये अपनी बुद्धि को अविनाशी ज्ञान रत्नों से भरपूर करके अब मैं *इन ज्ञान रत्नों को उन आत्माओं को दान कर रही हूं जो इस दान की पात्र आत्मायें हैं*। अपने वरदानी स्वरूप में स्थित हो कर, वरदानी बोल द्वारा उन्हें मुक्ति जीवनमुक्ति पाने का रास्ता बता रही हूं। *परखने की शक्ति का उचित प्रयोग करके, अपने सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को परख कर, पात्र देख कर ज्ञान दान देते हुए उन आत्माओं का कल्याण करने के साथ साथ स्व - पुरुषार्थ करते हुए हर बात में मैं अपने समय को सफल कर रही हूं*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं दातापन की भावना रखने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं इच्छा मात्रम अविद्या की स्थिति का अनुभव करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं तृप्त आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा बुद्धि वा स्थिति को सदा शक्तिशाली रखती हूँ ।*
✺ *मैं व्यर्थ संकल्पों से सदा मुक्त हूँ ।*
✺ *मैं समर्थ आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *क्वेश्चन उठने का मुख्य कारण है-ज्ञानी बने हो लेकिन ज्ञान स्वरूप नहीं हो, इसलिए छोटे से विघ्न में व्यर्थ संकल्पों की क्यू लग जाती है, और उसी क्यू को समाप्त करने में काफी समय लग जाता है।* वातावरण प्रभाव तभी डालता है जब भूल जाते हो कि हम अपनी पॉवरफुल वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाले हैं।
✺ *"ड्रिल :- सिर्फ ज्ञानी बनने की बजाये ज्ञान स्वरुप बनकर रहना।”*
➳ _ ➳ *सोने के सितारों से जडित नीले आसमान रूपी चादर के नीचे मैं आत्मा सितारा एकांत में बैठी हूँ... आसमान में सितारे चमक रहे हैं... नीचे जुगनू चमक रहे हैं... रातरानी के फूलों की खुशबू महक रही है... चाँद अपनी चांदनी से मुझे छूने की कोशिश कर रहा है...* मैं आत्मा चमकते हुए जुगनूओं को देख रही हूँ... स्वयं कितने प्रकाशित हैं ये... अपने लाइट से चारों ओर लाइट फैला रहे हैं... किसी भी प्रकार के विघ्नों की भनक लगते ही ये जुगनू अपनी लाइट का स्विच ऑन कर देते हैं और विघ्नों से सेफ रहते हैं...
➳ _ ➳ इन जुगनूओं को देख मैं आत्मा चिंतन करती हूँ कि... मैं आत्मा भी तो एक चमकता हुआ सितारा हूँ... मेरा असली स्वरुप तो ज्योतिबिंदु स्वरुप है... *मैं आत्मा अपने स्व-स्वरूप में टिककर अपने इस स्थूल देह को त्याग लाइट का शरीर धारण कर जुगनुओं के संग उडती जा रही हूँ... जुगनुओं को अलविदा कहती मैं आत्मा और ऊपर उड़ती जा रही हूँ...* चाँद, सितारों के पास पहुँच जाती हूँ... उनसे मिलकर उनको अलविदा कहती हुई और ऊपर की ओर उड रही हूँ... और पहुँच जाती हूँ अपने मूलवतन अपने प्यारे बाबा के पास...
➳ _ ➳ चारों ओर शांति ही शांति है, लग रहा जैसे सितारों की महफ़िल जमी हो... *मैं आत्मा बिंदु बाबा के सामने बिंदु बन बैठ जाती हूँ... बाबा से सर्वशक्तियों की किरणों को अपने में समा रही हूँ... सभी संकल्प, विकल्पों से पूरी तरह से मुक्त अवस्था का अनुभव कर रही हूँ...* फिर मैं आत्मा बिंदु बाबा के साथ-साथ नीचे सूक्ष्म वतन में आती हूँ... जहाँ ब्रह्मा बाबा बैठे हुए इन्तजार कर रहे हैं... बिंदु बाबा ब्रह्मा बाबा के मस्तक पर विराजमान हो जाते हैं...
➳ _ ➳ बापदादा मुझे आदि-मध्य-अंत का ज्ञान दे रहे हैं... *बाबा कहते हैं:- बच्चे- तुम ही वो पूर्वज आत्मा हो, आधारमूर्त, उद्धारमूर्त आत्मा हो... इस कल्पवृक्ष की जड़ें हो, तना हो... आदि से अंत तक 84 जन्मों का विशेष पार्ट बजाने वाली विशेष आत्मा हो... इस जड़जड़ीभूत वृक्ष को तुम्हें ही अपने गुण, शक्तियों से सींचना है...* फिर से हरा-भरा करना है... दुखी, अशांत आत्माओं को शक्ति स्वरुप बन शक्तियों की अंचली देना है... सबके दुःख दूर कर मुक्ति-जीवनमुक्ति के वर्से की अधिकारी बनाना है... तुम्हें स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करना है...
➳ _ ➳ बच्चे- तुम्हें इस कार्य में बाबा का राईट हैण्ड बनना है... इस कार्य में माया के भी कई विघ्न आयेंगे, पर तुम्हें कभी भी छोटे-बड़े विघ्नों से घबराना नहीं है... *विघ्नों के समय क्यों, क्या, कैसे के व्यर्थ संकल्पों की क्यू मत लगाओ क्योंकि उस क्यू को समाप्त करने में काफी समय लग जाता है... वातावरण का प्रभाव अपने पर नहीं पड़ने दो...* कभी भी यह मत भूलो कि तुम अपनी पॉवरफुल वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाले हो...
➳ _ ➳ बाबा ज्ञान रत्नों, वरदानों से मेरी बुद्धि रूपी झोली भर रहे हैं... मैं आत्मा बाबा के ज्ञान को धारण कर ज्ञान स्वरुप बन रही हूँ... अब मैं आत्मा एक बाबा की याद में हर कर्म कर रही हूँ... *अब कोई भी विघ्न आयें तो मैं आत्मा जुगनू समान अपनी स्मृति के लाइट का स्विच ऑन कर देती हूँ... मैं आत्मा सदा ही अपने स्वमान की सीट पर सेट रहती हूँ... डबल लाइट बन उडती रहती हूँ... मैं आत्मा ज्ञान स्वरूप बनकर पॉवरफुल वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को परिवर्तित कर देती हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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