━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 28 / 08 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *"हमारा जिम्मेवार स्वयं बाप है" - यह स्मृति रही ?"*

 

➢➢ *"मैं आत्म हूँ" - धंधा आदि करते यह अभ्यास किया ?*

 

➢➢ *हर कदम में पद्मों की कमाई जमा की ?*

 

➢➢ *अपसेट होने की बजाये नॉलेजफुल की सीट पर सेट रहे ?*

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  *डबल लाइट बन दिव्य-बुद्धि रूपी विमान द्वारा सबसे ऊंची चोटी की स्थिति में स्थित हो,* अव्यक्त वतनवासी बन विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति *शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना के सहयोग की लहर फैलाओ।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✺   *"मैं कल्प-कल्प की अधिकारी आत्मा हूँ"*

 

✧  सदा अपने को कल्प-कल्प की अधिकारी आत्मा अनुभव करते हो? *अनेक बार यह अधिकार प्राप्त किया है और आगे के लिये भी निश्चित है कि कल्प-कल्प करते ही रहेंगे। यह पक्का निश्चय है ना। क्योंकि निश्चय है इस ब्राह्मण जीवन का फाउन्डेशन। अगर निश्चय का फाउन्डेशन पक्का है तो कभी भी हिलेंगे नहीं। चाहे कितने भी तूफान आ जाये, चाहे कितने भी भूकम्प हो जायें लेकिन हिलेंगे नहीं।* क्योंकि फाउन्डेशन पक्का है। अभी भी देखो, प्रकृति का भूकम्प आता है तो कौन सी बिल्डिंग गिरती है? जो कच्ची होती है।

 

✧  पक्के फाउन्डेशन वाली नहीं गिरेगी। तो आपका फाउन्डेशन कितना पक्का है? हिलने वाला है क्या? हिलेगी नहीं लेकिन थोड़ी दरार आ जायेगी? थोड़ी भी नहीं। *क्योंकि कोई तो गिर जाते हैं कोई गिरते नहीं लेकिन थोड़ी दरार आ जाती है। तो आप उनसे भी पक्के हो। तो निश्चय की निशानी है-हर कार्य में मंसा में भी, वाणी में भी, कर्म में भी, सम्बन्ध-सम्पर्क में भी हर बात में सहज विजय हो। मेहनत करके विजयी बने, वह विजय नहीं है। सहज विजयी।* तो निशानी दिखाई देती है या विजय प्राप्त करने में मेहनत लगती है? कभी सहज, कभी मेहनत? लेकिन निश्चय की निशानी है सहज विजय। अगर मेहनत लगती है तो समझो कुछ मिक्स है। संशय नहीं भी हो लेकिन कुछ व्यर्थ मिक्स है इसलिये सहज विजय नहीं होती। नहीं तो विजय निश्चयबुद्धि आत्माओंके लिये तो सदा एवररेडी है। उसका स्थान ही वह है।

 

✧  *जहाँ निश्चय है, वहाँ विजय होगी। निश्चय वालों के पास ही जायेगी ना। तो निश्चय सब बातों में चाहिये। सिर्फ बाप में निश्चय नहीं। लेकिन अपने आपमें भी निश्चय, ब्राह्मण परिवार में भी निश्चय, ड्रामा के हर दृश्य में भी निश्चय। तभी कहेंगे कि सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि।* अगर बाप में निश्चय है लेकिन अपने में नहीं है, चलते-चलते अपने से दिलशिकस्त होते हैं तो निश्चय नहीं है तब तो होते हैं। तो वह भी अधूरा निश्चय हुआ। बाप में भी है, अपने आपमें भी है लेकिन परिवार में नहीं है। परिवार के कारण डगमग होते हैं। तो भी अधूरा निश्चय कहेंगे। ड्रामा में भी फुल निश्चय हो। जो हुआ सो अच्छा हुआ। इसको कहते हैं ड्रामा में निश्चय।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  सदा अपने को डबल लाइट अनुभव करते हो? *जो डबल लाइट रहता है वह सदा उडती कला का अनुभव करता है।* क्योंकि जो हल्का होता है वह सदा ऊँचा उडता है, बोझ बाला नीचे जाता है। तो *डबल लाइट आत्मायें अर्थात सर्व बोझ से न्यारे बन गये।* बाप का बनने से 63 जन्मों का बोझ समाप्त हो गया।

 

✧  सिर्फ अपने पुराने संकल्प वा व्यर्थ संकल्प का बोझ न हो। क्योंकि *कोई भी बोझ होगा तो ऊँची स्थिति में उडने नहीं देगा।* तो डबल लाइट अर्थात आत्मिक स्वरूप में स्थित होने से हल्का-पन स्वत: हो जाता है। ऐसे *डबल लाइट को ही 'फरिश्ता' कहा जाता है।* फरिश्ता कभी किसी भी बन्धन में नहीं बाँधता।

 

✧  तो कोई भी बन्धन तो नहीं है। मन का भी बन्धन नहीं। *जब बाप से सर्व शक्तियाँ मिल गई तो सर्व शक्तियों से निर्बन्धन बनना सहज है।* फरिश्ता कभी भी इस पुरानी दुनिया के, पुरानी देह के आकर्षण में नहीं आता। क्योंकि है ही डबल लाइट तो सदा ऊँची स्थिति में रहने वाले। *उडती कला में जाने वाले 'फरिश्ते' हैं, यही स्मृति अपने लिए वरदान समझ, समर्थ बनते रहना।* अच्छा।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧ कोई-कोई टीचर्स भी कहती हैं - योग में बैठते हैं तो आत्म-अभिमानी होने बदले सेवा याद आती है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। *क्योंकि लास्ट समय अगर अशरीरी बनने की बजाए सेवा का भी संकल्प चला तो सेकण्ड के पेपर में फेल हो जायेंगे।* उस समय सिवाय बाप के, निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी – और कुछ याद नहीं। ब्रह्मा बाप ने अंतिम स्टेज यह बनाई ना - बिल्कुल निराकारी। सेवा फिर भी साकार में आ जायेंगे। इसलिए यह अभ्यास करो - जिस समय जो चाहे स्थिति हो। नहीं तो धोखा मिल जायेगा। *ऐसे नहीं सोचो-सेवा का ही तो संकल्प आया, खराब संकल्प विकल्प तो नहीं आया। लेकिन कण्ट्रोलिंग पावर तो नहीं हुई ना। कंट्रोओलिंग पावर नही तो रूलिंग पावर आ नही सकती, रूलर बन नहीं सकेंगे।* तो अभ्यास करो। अभी से बहुत काल का अभ्यास चाहिए। इसको हल्का नहीं छोड़ो।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- याद की यात्रा करना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा बाबा की यादों में खोई हुई मन-बुद्धि से पहुँच जाती हूँ मधुबन बाबा की कुटिया में... बाबा के सामने बैठ जाती हूँ और बाबा को प्यार से निहारती रहती हूँ... मीठे बाबा भी मुझे अपनी मीठी दृष्टि से निहाल कर रहे हैं...* बस प्यार की तरंगे बहती जा रही हैं और मैं आत्मा इन प्यार की तरंगो में और गहरे, और गहरे डूबती जा रही हूँ... फिर मीठे बाबा मीठी शिक्षाओं से मुझे भरपूर करते हैं...

 

  *यादों के समुन्दर में डुबोकर हीरे मोतियों से मुझे सजाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे बच्चे... *मीठे पिता की यादो के सिवाय कोई भी नाता सच्चा नही... ये यादे ही जादूगरी करके सुनहरा चमकीला रंग देकर सजायेंगी...* इसलिए इन यादो के मोतियो को अपनी सांसो में पिरो लो... यही पल सच्चे साथी बनेगे...

 

_ ➳  *प्यारे बाबा के यादों की बाँहों में खूबसूरत फूल बन मुस्कुराते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... *आपकी मीठी यादो के साये में मै आत्मा कितनी खूबसूरत और प्यारी होती जा रही हूँ... इन यादो में अनन्त सुख को जी रही हूँ...* मै कितनी भाग्यशाली हूँ सच्चे पिता की गोद में सुरक्षित हूँ...

 

  *अपने प्यार की छत्रछाया में मुझे अमूल्य सितारा बनाकर गगन में चमकाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे बच्चे... *खुद को खूबसूरती से सजाने वाले इन मीठे पलों को यादो में बांध लो... सांसो को यादो में अमर कर दो...* ये यादे ही जनमो की कलुषिता को जलायेगी और सोने जैसी दमकती काया और आनन्द ख़ुशी से छलकता महकता जीवन कदमो में भर जाएँगी...

 

_ ➳  *खुद को भी भूल एक बाबा की यादों में समाकर मैं भाग्शाली आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपके बिना किस कदर अधूरी सी थी... *आपने आकर जनमो के गहरे अँधेरे को सदा की रोशनी से रोशन किया है... ये पल आपकी यादो में भीगे भीगे से अनमोल है... जहाँ हम आप एक दूजे में खोये है...”*

 

  *सच्ची कमाई का राज समझाते हुए मेरे हर श्वांस को सफल बनाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे बच्चे... *सारा मदार कीमती यादो और कीमती समय पर है... इस समय को मुट्ठी में बांध यादो में घोट दो... और सुर्ख योग अग्नि में सारी कालिमा को धो दो...* समय रहते बाबा के दिल को सदा का जीत लो... गफलत शब्द को सदा की विदाई दे अथक बन जाओ...

 

_ ➳  *मीठे बाबा की यादों में सच्ची कमाई कर सतयुगी सुखों की अधिकारी बन मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... *मुझ आत्मा ने इस सच्चे समय के महत्व को जान लिया है... आपकी यादो में भर देने का इसे ठान लिया है...* न होगी यादो में गफलत कोई... दिल को यूँ समझा दिया है... और आपको सदा का बाहों में जकड़ लिया है...

 

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बाप समान बहुत बहुत स्वीट बनना है*

 

_ ➳  अपने मोस्ट स्वीटेस्ट बाप के समान स्वीटेस्ट बनने का संकल्प मन में लेकर, मैं अपने स्वीटेस्ट बाबा की याद में अपने मन और बुद्धि को एकाग्र करती हूँ और सेंकड में विदेही बन उनकी स्वीटेस्ट दुनिया की और चल पड़ती हूँ। *वो दुनिया जो सूर्य, चाँद, सितारों से परे हैं, जहाँ प्रकृति के पांचों तत्वों से जुड़ा कुछ भी नही। कोई आवाज, कोई संकल्प नही। वाणी से परें एक ऐसी बेहद खूबसूरत दुनिया जहाँ पहुँच कर आत्मा महसूस करती है जैसे उसकी जन्म - जन्म की प्यास बुझ गई है*। अपनी ऐसी स्वीट दुनिया की और अब मैं आत्मा चल पड़ती हूँ। मन बुद्धि के विमान पर बैठ, देह की दुनिया से किनारा कर अपने स्वीट होम में स्वीटेस्ट बाप से मिलने की लग्न मुझे बहुत ही तीव्र गति से ऊपर आकाश की ओर ले जा रही है। *सेकेण्ड में आकाश तत्व से ऊपर पहुँच कर, मैं सूक्ष्म लोक को भी पार करके पहुँच जाती हूँ अपने स्वीट घर में*।

 

_ ➳  मेरा यह स्वीट घर जहाँ आकर मेरे चित को चैन और मन को आराम मिल गया है। एक गहन सुकून मैं आत्मा अपने इस घर मे आकर महसूस कर रही हूँ। *यहाँ चारों और फैले गहन शांति के शक्तिशाली वायब्रेशन्स धीरे - धीरे मुझे विचार शून्य बनाते जा रहें है। हर संकल्प - विकल्प से मुक्त एक खूबसूरत निरसंकल्प स्थिति में मैं स्थित होती जा रही हूँ*। एक शक्तिशाली बीज रूप स्थिति में अब मैं स्थित हो चुकी हूँ और अपने स्वीटेस्ट बीज रूप बाबा से योग लगाकर उस विशाल योग अग्नि को प्रज्ज्वलित करने के लिए अब मैं उनके सम्मुख पहुँच गई हूँ, जिस *योग अग्नि द्वारा मैं अपने जन्म जन्मांतर के पापों को, पुराने सभी आसुरी स्वभाव संस्कारो को जलाकर भस्म करके अपने स्वीटेस्ट बाप के समान स्वीटेस्ट बन जाऊँगी*।

 

_ ➳  मास्टर बीज रूप बन अपने बीज रूप पिता के सामने अब मैं उपस्थित हूँ। उनसे निकल रही सर्वशक्तियों की अनन्त किरणें मुझ आत्मा के ऊपर पड़ रही हैं और मुझे सर्वशक्तियों से सम्पन्न बना रही है। मैं महसूस कर रही हूँ धीरे - धीरे इन किरणों का प्रवाह बढ़ रहा है और ये किरणे ज्वाला स्वरूप धारण करती जा रही है। *योग की अग्नि प्रज्ज्वलित होकर अब मुझ आत्मा के ऊपर चढ़ी विकारों की कट को जलाकर भस्म कर रही है। आत्मा के ऊपर चढ़ी पुराने स्वभाव संस्कारो की सारी अशुद्धता खत्म होती जा रही है और मैं आत्मा एकदम हल्की, शुद्ध  होती जा रही हूँ*। मेरा स्वरूप बहुत ही शक्तिशाली और चमकदार बनता जा रहा है। मैं अनुभव कर रही हूँ जैसे मेरे स्वीटेस्ट बाबा मुझे आप समान स्वीटेस्ट बनाने के लिए अपने समस्त गुण और समस्त शक्तियाँ मुझे प्रदान कर रहें हैं।

 

_ ➳  बीज रूप अवस्था में स्थित हो कर अपने बीज रूप पिता के साथ मिलन मनाकर, योग अग्नि में विकर्मों को दग्ध कर, अपने प्यारे पिता के सर्व गुणों, सर्वशक्तियों को स्वयं में समाकर, परमधाम से नीचे आकर अब मैं सूक्ष्म वतन में प्रवेश करती हूँ और अपने फरिश्ता स्वरूप को धारण कर बापदादा के पास पहुँचती हूँ। *मैं देख रही हूँ मेरे बिल्कुल सामने बापदादा खड़े हैं और उनके मस्तक से, उनकी दृष्टि से शक्तियों की अनन्त धारायें निकल रही हैं और उन धाराओं में समाई ज्ञान और योग की पावन किरणे मुझ फरिश्ते को छू रही हैं*। जैसे पारस के संग में पीतल भी सोना बन जाता है ऐसे ज्ञान और योग की पावन किरणे जैसे - जैसे मेरे ऊपर पड़ रही हैं, विकारों रूपी भूत एक - एक करके भाग रहें हैं और आसुरी अवगुण दैवी गुणों में बदल रहें हैं। *बाबा अपने सारे गुण और सारी शक्तियाँ मेरे अंदर समाहित कर मुझे आप समान स्वीटेस्ट बना रहें हैं*।

 

_ ➳  परमात्म गुणों और शक्तियों को स्वयं में धारण कर बाप समान स्वीटेस्ट बन कर अब मैं फिर से अपने निराकारी बिंदु स्वरूप में स्थित होकर वतन से नीचे आ जाती हूँ। *साकार सृष्टि पर आकर, अपने साकार तन में मैं आत्मा वापिस प्रवेश करती हूँ और कर्मक्षेत्र पर कर्म करने के लिए तैयार हो जाती हूँ। किन्तु कर्म करते हुए अब मैं हर कर्म योगयुक्त स्थिति में स्थित रहकर करती हूँ*। किसी के भी सम्बन्ध सम्पर्क में आते, आत्मिक स्मृति में स्थित होकर उनको भी मैं आत्मिक दृष्टि से देखती हूँ जिससे आत्मा के निजी गुण और शक्तियाँ इमर्ज रहते हैं। सबके प्रति आत्मिक दृष्टि मेरे अंदर साक्षीपन का भाव उतपन्न करके सबके पार्ट को साक्षी होकर देखने की मुझे प्रेरणा देती है इसलिये *हर आत्मा के पार्ट को साक्षी होकर देखने से अब मेरे हृदय से सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, शुभकामना स्वत: ही निकलती रहती है। अपने स्वीटेस्ट बाबा के प्यार की मिठास अपने अंदर भरकर, बाप समान स्वीटेस्ट बन अब मैं अपनी मीठी दृष्टि वृति से सबके जीवन को मिठास से भर रही हूँ*।

 

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं हर कदम में पदमो की कमाई जमा करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं सर्व खजानों से सम्पन्न आत्मा हूँ।*

   *मैं तृप्त आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं आत्मा कोई भी बात में अपसेट होने से सदा मुक्त हूँ  ।*

   *मैं आत्मा सदा नॉलेजफुल की सीट पर सेट रहती हूँ  ।*

   *मैं आत्मा अचल, अडोल, एकरस स्थिति में स्थित हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  १. माया के हल्के-हल्के रूपों को तो आप भी जान गये हो और माया भी सोचती है कि ये जान गये हैं लेकिन जब कोई भी विकराल रूप की माया आवे तो सदा साक्षी होकर खेल करो। जैसे वो कुश्ती का खेल होता है नादेखा है कि दिखायेंयहाँ बच्चे करके दिखाते हैं ना! तो समझो कि ये कुश्ती का खेलखेल रहे हैंअच्छी तरह से मारो। घबराओ नहींखेल है। तो *साक्षी होकर खेल करने में मजा आता है और माया आ गईमाया आ गई तो घबरा जाते हैं। कुछ भी ताकत अभी माया में नहीं है। सिर्फ बाहर का शेर का रूप है लेकिन बिल्ली भी नहीं है।* सिर्फ आप लोगों को घबराने के लिए बड़ा रूप ले आती है फिर सोचते हो पता नहीं अब क्या होगा! तो यह कभी नहीं कहो - क्या करुँकैसे होगाक्या होगा..लेकिन बापदादा ने पहले भी यह पाठ पढ़ाया है कि जो हो रहा है वो अच्छा और जो होने वाला है वो और अच्छा।  ब्राह्मण बनना अर्थात् अच्छा ही अच्छा है। चाहे बातें ऐसी होती हैं जो कभी आपके स्वप्न में भी नहीं होती और कई बातें ऐसे होती हैं जो अज्ञान काल में नहीं होगी लेकिन ज्ञान के बाद हुई हैंअज्ञानकाल में कभी बिजनेस नीचे-ऊपर नहीं हुआ होगा और ज्ञान में आने के बाद हो गयाघबरा जाते हैं - हायज्ञान छोड़ दें! लेकिन कोई भी परिस्थिति आती है उस परिस्थिति को अपना थोड़े समय के लिये शिक्षक समझो।

 

 _ ➳  २. तो *परिस्थिति आपको विशेष दो शक्तियों के अनुभवी बनाती है - एक-सहनशक्ति, न्यारापननष्टोमोहा और दूसरा-सामना करने की शक्ति का पाठ पढ़ाती है* जिससे आगे के लिए आप सीख लो कि ये परिस्थितिये दो पाठ पढ़ाने आई है।

 

 _ ➳  ३. घबराते हो ना तो माया समझ जाती है कि ये घबरा गया हैमारो अच्छी तरह से। इसलिए घबराओ नहीं। ट्रस्टी हैं अर्थात् पहले से ही सब कुछ छूट गया। *ट्रस्टी माना सब बाप के हवाले कर दिया। मेरा क्या होगा! - बस गा गा आता है ना तो गड़बड़ होती है। सब अच्छा है और अच्छा होना ही हैनिश्चिन्त है - इसको कहा जाता है समर्थ स्वरूप।*

 

✺   *ड्रिल :-  "माया और परिस्थितियों का साक्षी होकर सामना करना"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा शांतिस्तंभ के सामने बैठी बाबा की यादों में मगन हूँ... मैं फरिश्ता अव्यक्त बापदादा की मधुर स्मृतियों में खोई हुई हूँ... *बादलों को चीरते हुए अति दिव्य फरिश्ता... संपन्न ब्रह्माबाबा प्रकट होते हैं... जिनके मस्तक पर ज्ञान सूर्य चमक रहे हैं... वे अपना हाथ आगे बढ़ाते हैं और... मैं फरिश्ता बाबा का हाथ पकड़े बाबा के साथ आ जाती हूँ फरिश्तों की दुनिया में*... जहां हर तरफ प्रकाश ही प्रकाश है... सफेद चांदनी सा प्रकाश छाया हुआ है...

 

 _ ➳  फरिश्तों की इस महफिल में मैं बापदादा को उनके अति तेजोमय, दिव्य स्वरुप में देख रही हूँ... बापदादा के नैनों से असीम प्यार, शक्तियां बरस रही हैं... *बाबा वरदानों से मुझ फरिश्ते को निहाल कर रहे हैं... बाबा वरदान देते हैं बच्चे साक्षीदृष्टा भव! नष्टोमोहा भव!...* वरदान देकर बाबा अपना हाथ मेरे सिर पर रख देते हैं... बाबा के हाथ से शक्तियों का फव्वारा निकलकर... मुझ आत्मा में समाता जा रहा है...

 

 _ ➳  *मैं आत्मा ड्रामा के हर सीन को साक्षी होकर देख रही हूँ... जैसे कि कोई खेल चल रहा है... और मैं आत्मा खेल को देखने का आनंद ले रही हूँ*... मैं डिटैच हो कर देख रही हूँ कि... यह ड्रामा संपूर्ण रुप से कल्याणकारी है... इसके हर सीन में कल्याण समाया हुआ है... जो हुआ वह भी अच्छा, जो हो रहा है वह भी अच्छा और जो होने वाला है वह भी अच्छा ही है... कल्याणकारी संगम युग के हर पल, हर क्षण में कल्याण ही कल्याण है...

 

 _ ➳  कोई भी सीन, कोई भी परिस्थिति जो... मुझ आत्मा के सामने आ रही है... अब मैं उससे परेशान नहीं हो रही... हलचल में नहीं आ रही हूँ... *मैं उसे एक शिक्षक के रूप में देख रही हूँ... जो मुझ आत्मा को अनुभवी बनाने का पाठ पढ़ाने के लिए आई है...* मुझ में सहनशक्ति, न्यारापन बढ़ाने के निमित्त बनकर आई है... मुझ आत्मा की सामना करने की शक्ति बढ़ती जा रही है...

 

 _ ➳  मुझ आत्मा में निमित्त भाव, समर्पण भाव बढ़ता जा रहा है... सब कुछ बाबा का है... मैं तो ट्रस्टी मात्र हूँ... सेवा अर्थ निमित्त मात्र हूँ... *मैंने अपने सभी बोझ, सब चिंताएं, सभी जिम्मेवारियाँ बाबा को दे दी हैं... अब मैं स्वयं को हर प्रकार से हल्का, निश्चिंत अनुभव कर रही हूँ...* ईश्वरीय नशा, फ़खुर, ख़ुमारी बढ़ती जा रही है... मैं अतींद्रिय सुख में समाती जा रही हूँ...

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━