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❍ 19 / 09 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *पतित बनने का मनसा में भी ख़याल तो नहीं आया ?*
➢➢ *संपूरण पवित्रता की ऊंची मंजिल को प्राप्त करने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *प्रवृति में रहते पर वृत्ति में रहे ?*
➢➢ *बुधी की महीनता अर्थात आत्मा के हल्केपन का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *अन्त समय में प्रकृति के पांचों ही तत्व अच्छी तरह से हिलाने की कोशिश करेंगे, परन्तु विदेही अवस्था की अभ्यासी आत्मा बिल्कुल ऐसा अचल-अडोल पास विद आनर होगी जो सब बातें पास हो जायेंगी* लेकिन वह ब्रह्मा बाप के समान पास विद आनर का सबूत देगी।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं प्यूरिटी की रोयल्टी में रहने वाली ब्राह्मण आत्मा हूँ"*
〰✧ सभी ब्राह्मण जीवन की विशेषता वा फाउन्डेशन को जानते हो? क्या है? (प्यूरिटी) यह पक्का है कि प्यूरिटी ही फाउन्डेशन है? तो सभी पक्के ब्राह्मण हैं ना! प्यूरिटी की रोयल्टी ब्राह्मण जीवन की विशेषता है। जैसे कोई रोंयल फैमिली का बच्चा होगा तो उसके चेहरे से चलन से मालूम पड़ता है कि यह कोई रॉयल कुल का है। *ऐसे ब्राह्मण जीवन की परख प्यूरिटी की झलक से ही होती है। और चेहरे वा चलन से प्यूरिटी की झलक तब दिखाई देगी जब सदा संकल्प में भी प्यूरिटी हो। संकल्प में भी अपवित्रता का नाम निशान न हो।* तो ऐसे है या कभी संकल्प में थोड़ा सा प्रभाव पड़ता है?
〰✧ *क्योंकि पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य व्रत नहीं। लेकिन प्यूरिटी अर्थात् किसी भी विकार अर्थात् अशुद्धि का प्रभाव न हो। तो फाउन्डेशन पक्का है या कभी कभी क्रोध को छुट्टी दे देते हो? बाल बच्चा आ जाता या अंश और वंश सब खत्म।* क्या समझते हो? माताओं में मोह आता है? बॉडी कान्सेसनेस की अटैचमेंट है? कोई विकार का अंश मात्र भी नहीं। क्योंकि बड़ों से तो मोह वा लगाव जल्दी निकल जाता है, लेकिन छोटों-छोटों से थोड़ा ज्यादा होता है।
〰✧ जैसे लौकिक संबंध में भी बच्चों से इतना प्यार नहीं होगा जितना पोत्रों और धोत्रों से होता है। ऐसे विकारों के भी ग्रेट चिल्ड्रेन से प्यार तो नहीं है? फाउन्डेशन प्यूरिटी है इसलिए इस फाडन्डेशन के ऊपर सदा ही अटेन्शन रहे। सबका लक्ष्य बहुत अच्छा है। तो जैसे लक्ष्य है वैसे ही लक्षण स्वयं को भी अनुभव हों और दूसरों को भी अनुभव हो। क्योंकि अनेक अपवित्र आत्माओंके बीच में आप पवित्र आत्मायें बहुत थोड़े हो। तो थोड़ी सी पवित्र आत्माओंको अपवित्रता को खत्म करना है। तो कितनी पावर चाहिए! तो सदा चेक करो कि अपवित्रता का अंश मात्र भी न हो। क्योंकि आपके जड़ चित्रों का भी सदा ही निर्विकारी कहकर गायन करते हैं। यह किसकी महिमा करते हैं? आपकी है या भारतवासियों की है? तो प्रैक्टिकल चेतन में बने हैं तब तो महिमा हो रही है। यह पक्का निश्चय है ना कि यह हम ही हैं! *तो ब्राह्मण अर्थात् प्यूरिटी की रोयल्टी में रहने वाले। प्यूरिटी ब्राह्मण जीवन की विशेषता है। हिम्मत रखकर आगे बढ़ रहे हो और और भी आगे से आगे बढ़ना ही है।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *समाने की शक्ति है ना या विस्तार करने की शक्ति ज्यादा है?* कई ऐसे कहते हैं ना - कि जब याद में बैठते हैं तो और-और संकल्प बहुत चलते हैं, इसको क्या कहेंगे? समाने की शक्ति कम और विस्तार करने की शक्ति ज्यादा। लेकिन *दोनों शक्ति चाहिए।*
〰✧ *जब चाहे, जैसे चाहे,* विस्तार में आने चाहे विस्तार में आयें और समेटना चाहे तो समाने की शक्ति *सेकण्ड में यूज कर सकें, इसको कहते हैं - 'मास्टर सर्वशक्तिवान'।* तो इतनी शक्ति है या ऑर्डर करो समेटने की शक्ति को और काम करे विस्तार करने की शक्ति! स्टॉप कहा और स्टॉप हो जाए।
〰✧ फुल ब्रेक लगे, ढीली ब्रेक नहीं। अगर ब्रेक ढीली होती है तो लगाते हैं यहाँ और लगेगी कहाँ? तो ब्रेक पॉवरफुल हो। कन्ट्रोलिंग पॉवर हो। चेक करो - कितने समय के बाद ब्रेक लगता है? 5 मिनट के बाद या 10 मिनट के बाद। फल *स्टॉप तो सेकण्ड में लगना चाहिए* ना! अगर सेकण्ड के सिवाए *ज्यादा समय लग जाता है तो समाने की शक्ति कमजोर है।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ औरों को ज्ञान देते हो ना - 'मैं' शब्द ही उड़ाने वाला है, मै शब्द ही नीचे लाने वाला। *'मैं' कहने से ओरीजिनल निराकार स्वरूप याद आ जाये। ये नैचुरल हो जाये तो यह पहला पाठ सहज है ना। तो इसी को चेक करो, आदत डालो - मैं सोचा और निराकारी स्वरूप स्मृति में आ जाये।* कितनी बार मैं शब्द कहते हो। मैंने यह कहा, मैं यह करूंगी, मैं यह सोचती हूँ. .। *अनेक बार 'मैं' शब्द यूज़ करते हो। तो सहज विधि यह है निराकारी व आकारी बनने की। जब भी मैं शब्द यूज़ करो फौरन अपना निराकारी ओरीजिनल स्वरूप सामने आये।* यह मुश्किल है व सहज है। *फिर तो लक्ष्य और लक्षण समान हुआ ही पड़ा है।* क्योंकि मैं शब्द ही देह-अहंकार मे लाता है और अगर मैं निराकारी आत्मा हूँ ये स्मृति में लायेंगे तो यह मैं शब्द ही देह-भान से परे ले जायेगा।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप को याद कर पवित्र बनना"*
➳ _ ➳ अमृतवेला का ये सुहानी पल रात के अँधेरे को ख़तम कर सुबह की रोशनी की ओर रुख कर रहा है... वैसे ही कलियुगी अंधियारे को चीरते हुए ये संगमयुग... सतयुग की ओर ले जा रहा है... *प्यारे बाबा जब से आयें हैं, संगम की हर घडी ही अमृतवेला बन गई है... जो सदा सुखों की ओर ले जाती है... हर पल ही कितना सुहावना हो गया है... इतनी पावन, सुन्दर वेला में मैं आत्मा प्यारे बाबा से प्यारी-प्यारी बातें करने पहुँच जाती हूँ पावन वतन में...*
❉ *मेरे मन मंदिर में अपनी मूरत बसाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... कितने मीठे खिले से महकते फूल से धरा पर उतरे थे पर खेलते खेलते काले पतित हो गए... *अब इस देह की दुनिया से निकल ईश्वर पिता की सोने सी यादो में स्वयं को उसी दिव्यता से दमकाओ क्योकि अब सुनहरी सुखो भरी दुनिया में चलना है...”*
➳ _ ➳ *निराकारी बाबा की यादों में स्वर्णिम सुखों को अपने नाम करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा अपने खोये रूप को सौंदर्य को आपकी यादो में पुनः पा रही हूँ... *कंचन काया और कंचन महल की अधिकारी बन रही हूँ और इस दुनिया से उपराम हो रही हूँ...”*
❉ *अपने रूहानी नैनों से पावनता की खुशबू फैलाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... *ईश्वर पिता के साथ का समय बहुत कीमती है... यादो में रहकर अपने सच्चे दमकते स्वरूप को पाकर सुखो की दुनिया में मुस्कराओ...* यादो में अपनी दिव्यता और शक्तियो को फिर से पाकर सुंदर तन और मन से सुन्दरतम दुनिया के रहवासी बनो...”
➳ _ ➳ *मैं आत्मा प्रभु की यादों की धारा में बहकर सुन्दर कमल बन खिलते हुए कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा आपकी मीठी यादो में अपनी खोयी सुंदरता को पाकर मुस्करा रही हूँ...* दिव्य गुणो को धारण कर पवित्रता के श्रृंगार से सजकर देवताई स्वरूप में देवताओ की दुनिया घूम रही हूँ...”
❉ *रूहानी यादों में मेरे मन के चमन को खिलाकर मेरे रूहानी बाबा कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *सिर्फ बाबा की यादे ही एकमात्र उपाय है जो इस पतित तन और मन को खुबसूरत और पवित्र बना सकता है... तो इस समय को यादो में भर दो... अपने पुरुषार्थ को तीव्र कर स्वयं को निखारने में पूरी तन्मयता से जुट जाओ...* क्योकि अब पवित्र दुनिया में चलने और सुख लेने का समय हो गया है...
➳ _ ➳ *एक की लगन में मगन होकर जीवन में मिठास भरकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा जनमो के कालेपन को आपकी मीठी यादो में धो रही हूँ...* वही सुंदर देवताई स्वरूप पा रही हूँ और सुख और शांति की दुनिया की अधिकारी होकर मीठे सुखो में खिलखिला रही हूँ... *यादो में पावन बनकर खिल उठी हूँ...*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- पुरुषार्थ करते - करते पवित्रता की ऊंची मंजिल को प्राप्त करना है*"
➳ _ ➳ जिस समर्पण भाव से मम्मा, बाबा ने पुरुषार्थ कर सम्पूर्णता को पाया, वैसे ही सम्पूर्णता को पाने का लक्ष्य रख, मैं मम्मा बाबा की शिक्षाओं को अपने जीवन मे धारण करने की मन ही मन स्वयं से दृढ़ प्रतिज्ञा करती हूँ और इस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बल स्वयं में भरने के लिए मैं अपना लाइट का आकारी फ़रिशता स्वरूप धारण करती हूँ और अपनी साकारी देह को छोड़ सूक्ष्म लोक की ओर चल पड़ती हूँ। *ऐसा लग रहा है जैसे आज मम्मा, बाबा दोनों ही वतन में मेरा इंतजार कर रहें हैं। उनकी याद मुझे ऊपर की और खींच रही है और मैं तेजी से उड़ता हुआ अति शीघ्र पांच तत्वों की बनी इस साकारी दुनिया को पार कर जाता हूँ*।
➳ _ ➳ सूर्य, चांद, तारागणों से भी परे अब मैं स्वयं को देख रहा हूँ लाइट के उस घर मे जहां चारो और चांदनी सा सफेद प्रकाश फैला हुआ है। अब मेरी निगाहें मम्मा, बाबा को ढूंढ रही हैं। *मैं चारों ओर नजर घुमा कर देख रहा हूँ तभी कानों में मम्मा, बाबा की आवाज आती है:- आओ बच्चे, यहाँ आओ*। देखते ही देखते सामने मम्मा बाबा एक झूले पर झूला झूलते हुए नज़र आते हैं। मैं दौड़ कर मम्मा बाबा के पास पहुंच जाता हूँ। मम्मा बाबा मुझे अपनी बाहों में भर लेते हैं। उनका असीम स्नेह मुझ पर बरसने लगता है। *प्यार भरी दृष्टि देते हुए मम्मा बाबा मुझे भी उसी झूले पर बीच मे बिठा लेते हैं*।
➳ _ ➳ अब मम्मा बाबा दोनों अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख कर, मुझे आप समान बनने का वरदान दे रहे हैं और मेरे मस्तक पर विजय का तिलक लगा कर अपनी लाइट और माइट मुझ में प्रवाहित कर रहे हैं, ताकि तीव्र पुरुषार्थ कर, उनके समान सम्पूर्ण बनने के लक्ष्य को मैं अति शीघ्र प्राप्त कर सकूँ। *मम्मा बाबा से विजय का तिलक ले कर और उनकी दुआओं से अपनी झोली भर कर अब मैं स्वयं को परमात्म बल से भरपूर करने और सम्पूर्ण पावन बनाने के लिए अपने निराकारी ज्योति बिंदु स्वरूप में स्थित हो कर सूक्ष्म लोक से ऊपर परमधाम की ओर चल पड़ती हूँ*।
➳ _ ➳ अब मैं देख रही हूं स्वयं को पवित्रता के सागर अपने शिव पिता परमात्मा के सामने परमधाम में। जिनसे आ रही पवित्रता की सफेद रंग की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही है, और मुझे पावन बना रही हैं। *मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूं कि बाबा से आ रही किरणे योग अग्नि बन कर मुझ आत्मा द्वारा किए हुए जन्म जन्मांतर के विकर्मों को दग्ध कर रही हैं*। विकारों की कट जैसे-जैसे मुझ आत्मा के ऊपर से उतरती जा रही है मैं स्वयं को बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूं। मेरा स्वरूप चमकदार बनता जा रहा है। मैं रीयल गोल्ड बनती जा रही हूं। *हल्की होकर रीयल गोल्ड बनकर मैं आत्मा अब वापिस साकारी दुनिया की ओर आ रही हूं*। अपनी अद्भुत छटा चारों ओर बिखेरती हुई मैं पहुंच जाती हूं वापिस देह और देह की पुरानी दुनिया में और अपने साकारी तन में प्रवेश कर भृकुटि सिंहासन पर विराजमान हो जाती हूं।
➳ _ ➳ अब मैं अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्वयं को देख रही हूं। अपने ब्राह्मण स्वरुप में स्थित होते ही मुझे मेरे कर्तव्य का अनुभव होने लगता है कि अपने इस ब्राह्मण जीवन मे अब मुझे मम्मा, बाबा के समान अवश्य बनना है। इस लिए अब *मैं हर कर्म में फ़ॉलो मदर, फॉलो फादर कर रही हूँ। जैसे मम्मा, बाबा ने सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि बन, शिव बाबा की श्रीमत पर चल पावन बनने का पुरुषार्थ किया ऐसे ही मैं आत्मा भी फॉलो मदर, फॉलो फादर करते हुए घर गृहस्थ में रहते पवित्र बनने का पुरुषार्थ कर रही हूँ*। मम्मा, बाबा के समान सम्पूर्ण पवित्र बनने का लक्ष्य सदा स्मृति में रखते हुए अब मैं मनसा, वाचा, कर्मणा सम्पूर्ण पवित्रता को अपने जीवन में धारण कर अपना जीवन बाप समान बना रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं प्रवृति में रहते पर-वृति में रहने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं निरन्तर योगी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा ब्राह्मण जीवन की पर्सनैलिटी को सदा धारण करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा बुद्धि की महीनता को धारण करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा के हल्केपन को अनुभव करती हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ आपकी हिम्मत और बाप की मदद। हिम्मत कम नहीं करना फिर देखो बाप की मदद मिलती है या नहीं। *सभी को अनुभव भी है कि हिम्मत रखने से बाप की मदद समय पर मिलती है और मिलनी ही है, गैरन्टी है। हिम्मत आपकी मदद बाप की।* तो संकल्प क्या हुआ? चेहरे देख रहे हैं - हिम्मत है या नहीं है! *हिम्मत वाले तो हो, क्योंकि अगर हिम्मत नहीं होती तो बाप के बनते नहीं। बन गये - इससे सिद्ध होता है कि हिम्मत है।* सिर्फ छोटी सी बात करते हो कि समय पर हिम्मत को थोड़ा सा भूल जाते हो। जब कुछ हो जाता है ना तो पीछे हिम्मत वा मदद याद आती है। *समय पर सब शक्तियां, समय प्रमाण यूज करना इसको कहा जाता है ज्ञानी तू आत्मा, योगी तू आत्मा।*
✺ *ड्रिल :- "समय प्रमाण सर्व शक्तियों को यूज कर ज्ञानी तू आत्मा, योगी तू आत्मा बनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा निर्भीक हूँ... मैं आत्मा शिवशक्ति दुर्गा हूँ... मैं आत्मा अष्ट शक्तिधारी दुर्गा हूँ...* मैं आत्मा इस साकारी तन से निकल कर... फरिश्ता रूप में स्थित होकर... उड़ कर पहुँच जाती हूँ फरिश्तों की दुनिया में... जहाँ चारों तरफ आदि रतन... एडवांस पार्टी के सारे फरिश्ते खड़े हैं... मैं छोटा सा फरिश्ता उनके बीच में खड़ा हूँ... सारे फरिश्ते मुझ आत्मा पर... अपनी शक्तिशाली वरदानी किरणें प्रवाहित कर रहे हैं... जिसमें मैं नहा रही हूँ... और सर्व शक्तियों से भरपूर हो रही हूँ... अब मैं फरिश्ता इन शक्तियों के साथ... वापस साकारी दुनिया में आ रही हूँ...
➳ _ ➳ मैं इस साकारी दुनिया में... फरिश्ता रूप में विचरण कर रही हूँ... बाबा से प्राप्त सर्व शक्तियों और सारे ज्ञान को... स्व और विश्व कल्याण अर्थ उपयोग कर रही हूँ... *समय प्रमाण सर्व शक्तियों को यूज कर ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बन गयी हूँ...* मैं आत्मा बाबा के दिए हुए ज्ञान को... आत्मसात कर हर परिस्थिति पर... हर विघ्न पर... *ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बनकर... विजय प्राप्त करती हूँ...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा जब भी माया के जाल में फंस जाती हूँ... और माया रुस्तम होकर... परिस्थिति के रूप में सामने आकर खड़ी हो जाती है... तब मुझे बाबा के महावाक्य याद आ जाते हैं... *हिम्मते बच्चें तो मददे बाप... और मैं आत्मा माया पर विजय प्राप्त कर... पहाड़ जैसी समस्या को भी रूई बना कर उड़ा देती हूँ... बाबा ने कहा है बच्चे ज्ञान को धारण करना... माना समय प्रमाण उसको यूज करना...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा जब से सर्वशक्तिमान बाबा की संतान बनी हूँ... तब से ही मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान बन गयी हूँ... क्योंकि शेर का बच्चा शेर होता है... बाबा ने कहा है *बच्चे हिम्मत का एक कदम आपका... तो हजार कदम बाप के... तुम महावीर हो... ये विघ्न तुम्हें महावीर बनाने आये हैं*... अब जब भी कोई विघ्न आते हैं... मैं आत्मा बाबा के इन महावाक्य को याद कर... *अचल - अडोल बन जाती हूँ...* अब मैं आत्मा बाबा के कहे शब्द हमेशा याद रखती हूँ... और कैसी भी परिस्थिति हो... कैसा भी विघ्न हो... बाबा के दिए हुए ज्ञान को समय के अनुसार ही यूज करती हूँ... ज्ञानी तू आत्मा... योगी तू आत्मा बन कर कर पार करती हूँ... *कभी भी अब मुझ आत्मा को ज्ञान की... विस्मृति नहीं होती है...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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