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❍ 16 / 10 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *कोई भी विकारी बातें इन कानो से तो नहीं सुनी ?*
➢➢ *स्वयं के अवगुणों की चेकिंग की ?*
➢➢ *रहमदिल बन आत्माओं को ठिकाना दिया ?*
➢➢ *यथार्थ वैराग्य वृत्ति को धारण किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जैसे देखना, सुनना, सुनाना-ये विशेष कर्म सहज अभ्यास में आ गया है, ऐसे ही कर्मातीत बनने की स्टेज अर्थात् कर्म को समेटने की शक्ति से अकर्मी अर्थात् कर्मातीत बन जाओ। *एक है कर्म-अधीन स्टेज, दूसरी है कर्मातीत अर्थात् कर्म-अधिकारी स्टेज। तो चेक करो मुझ कर्मेंन्द्रिय-जीत स्वराज्यधारी राजाओं की राज्य कारोबार ठीक चल रही है?*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं फरिश्ता हूँ"*
〰✧ अपने को डबल लाइट फरिश्ता अनुभव करते हो? *डबल लाइट स्थिति फरिश्तेपन की स्थिति है। फरिश्ता अर्थात् लाइट। जब बाप के बन गये तो सारा बोझ बाप को दे दिया ना? जब बोझ हल्का हो गया तो फरिश्ते हो गये। बाप आये ही हैं बोझ समाप्त करने के लिए।* तो जब बाप बोझ समाप्त करने वाले हैं तो आप सबने बोझ समाप्त किया है ना? कोई छोटी-सी गठरी छिपाकर तो नहीं रखी है? सब कुछ दे दिया या थोड़ा-थोड़ा समय के लिए रखा है? थोड़े-थोड़े पुराने संस्कार हैं या वह भी खत्म हो गये? पुराना स्वभाव या पुराना संस्कार, यह भी तो खजाना है ना। यह भी दे दिया है?
〰✧ अगर थोड़ा भी रहा हुआ होगा तो ऊपर से नीचे ले आयेगा, फरिश्ता बन उड़ती कला का अनुभव करने नहीं देगा। कभी ऊंचे तो कभी नीचे आ जायेंगे। इसलिए बापदादा कहते हैं सब दे दो। यह रावण की प्रापर्टी है ना। रावण की प्रापर्टी अपने पास रखेंगे तो दु:ख ही पायेंगे। *फरिश्ता अर्थात् जरा भी रावण की प्रापर्टी न हो, पुराना स्वभाव या संस्कार आता हैं ना? कहते हो ना - चाहते तो नहीं थे लेकिन हो गया, कर लिया या हो जाता है। तो इससे सिद्ध है कि छोटी-सी पुरानी गठरी अपने पास रख ली है। किचड़-पट्टी की गठरी है।*
〰✧ *तो सदा के लिए फरिश्ता बनना - यही ब्राह्मण जीवन है। पास्ट खत्म हो गया। पुराने खाते भस्म कर दिये। अभी नई बातें, नये खाते हैं। अगर थोड़ा भी पुराना कर्जा रहा होगा तो सदा ही माया का मर्ज लगता रहेगा क्योंकि कर्ज को मर्ज कहा जाता है। इसलिए सारा ही खाता समाप्त करो। नया जीवन मिल गया तो पुराना सब समाप्त।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ महारथियों की स्थिति औरों से न्यारी और प्यारी स्पष्ट हो रही है ना। जैसे ब्रह्माबाप स्पष्ट थे, ऐसे नम्बरवार आप निमित आत्माएँ भी साकार स्वरूप से स्पष्ट होती जाती। *कर्मातीत अर्थात न्यारा और प्यारा।*
〰✧ कर्म दूसरे भी करते हैं और आप भी करते हो लेकिन आपके कर्म करने में अन्तर है। स्थिति में अन्तर है। जो कुछ बीता और न्यारा बन गया। *कर्म किया और वह करने के बाद ऐसा अनुभव होगा जैसे कि कुछ किया नहीं।*
〰✧ कराने वाले ने करा लिया। ऐसी स्थिति का अनुभव करते रहेंगे। हल्का-पन रहेगा। *कर्म करते भी तन का भी हल्का-पन, मन की स्थिति में भी हल्का-पन।* कर्म की रिजल्ट मन को खैच लेती है। ऐसी स्थिति है?
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ बापदादा जब सुनते हैं आज बहुत बिजी, बहुत बिजी, शक्ल भी बिजी कर देते हैं, बापदादा मानते नहीं हैं। *जो चाहे वह कर सकते हो। अटेन्शन कम है। जैसे वह अटेन्शन रखते होना - १० मिनट में यह लेटर पूरा करना है, इसीलिए बिजी होते हो ना, टाइम के कारण। ऐसे ही सोचो १० मिनट में यह काम करना है, वह भी तो टाइमटेबल बनाते हो ना। इसमें एक-दो मिनट पहले से ही एड कर दो। ८ मिनट लगना है, ६ मिनट नहीं, ८ मिनट लगना है तो २ मिनट साधना में लगाओ। यह हो सकता है?* कितना भी बिजी हों, लेकिन पहले से ही साधन के साथ साधना का समय एड करो। लेकिन स्व-उन्नति या साधना बीच-बीच में न करने से थकावट का प्रभाव पड़ता है। बुद्धि भी थकती है, हाथ-पाँव भी थकता है और बीच-बीच में अगर साधना का समय निकालो तो जो थकावट है ना वह दूर हो जाये, खुशी होती है ना। खुशी में कभी थकावट नहीं होती है।
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- संगम पर सेवा करके गायन लायक बनना*"
➳ _ ➳ कलकल करते झरने का, मधुर संगीत सुनकर, मुझ आत्मा को... *अपने जीवन में सजे सातो गुणो के सुर याद आते है... कि शिव संगीतकार पिता ने मेरे जीवन में आकर... मेरे जीवन को कितना प्यारा दिव्य बनाकर... यूँ गायन योग्य बना दिया है.*. विकारो के बेसुर भस्म कर दिए है... और ज्ञान की वीणा संग, यादो के सुरीले तारो को छेड़... मुझे सतो प्रधानता का गीत सिखाया है... देहभान में बेसुरी हो गयी मुझ आत्मा को.. सातो गुण में कितना सुरीला बनाकर, विश्व स्टेज पर दिव्यता से सजाया है... अपने प्यारे बाबा के प्यार में डूबी हुई मै आत्मा.... प्यार का गीत, मीठे बाबा को सुनाने, सूक्ष्म वतन पहुंचती हूँ..."
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को ज्ञान रत्नों से भरपूर करते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... *शिव बाबा ने धरा पर आकर, आप बच्चों को अपनी पलको से चुनकर, जो रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा है.*.. उस यज्ञ के सच्चे रक्षक आप ब्राह्मण बच्चे हो... मीठे बाबा की याद में गुणवान और शक्तिवान बनकर... इस यज्ञ में अवगुणों को स्वाहा कर, गायन योग्य बनकर, सतयुग में मुस्कराते हो...."
➳ _ ➳ *मै आत्मा प्यारे बाबा के ज्ञान रत्नों को अपनी झोली में समेटते हुए कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा *अपने मीठे भाग्य पर कितना ना नाज करूँ... कि स्वयं भगवान ने मुझे अपनी फूलो सी गोद में बिठाकर, यूँ खुशियो में पुनः खिलाया है.*.. सारे विकर्मो से छुड़ाकर, मुझे देवताई श्रंगार से, फिर से सजाया है..."
❉ *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को अपनी आँखों का तारा बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... संगम के वरदानी समय में ईश्वर पिता के साथ... अथाह खजानो के मालिक बनकर, रूद्र ज्ञान यज्ञ के रक्षक बन रहे हो... अपनी *दिव्यता और पवित्रता से इस यज्ञ को सम्भाल कर... ईश्वर पिता के दिल में मणि सा सजकर मुस्करा रहे हो.*.. गुणो से सजकर, पूज्य बन रहे हो..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा अपने मीठे प्यारे भाग्य पर मुस्करा कर कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा... मै आत्मा स्वयं को ही भूल बेठी थी, आपने मेरे जीवन में आकर... *मुझे अपने प्यार में पवित्र बनाकर... दिव्य गुणो से महकाया है.*.. मुझ आत्मा को अपने साये तले रखकर... गायन योग्य बनाया है... मेरा खोया गौरव पुनः दिलाया है..."
❉ *मीठे बाबा ने मुझ आत्मा को विश्व परिवर्तन के महान कार्य में अपना सहयोगी बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... इस रूद्र ज्ञान यज्ञ में आप ब्राह्मण बच्चे ही गायन योग्य बनते हो... शिव पिता के यज्ञ की दिल जान से रक्षा करते हो... फिर *आप ही दिव्यता और पवित्रता की दौलत से, देवताई स्वर्ग का राज्य भाग्य पाते हो*..."
➳ _ ➳ *मै आत्मा मीठे बाबा के महावाक्यों को अपने मन बुद्धि दिल में सजाकर कहती हूँ :-* "मीठे दुलारे बाबा मेरे... मै आत्मा आपकी मीठी गोद में आकर, काँटों से फूल बन गयी हूँ... *ईश्वरीय पालना में पलकर क्या से क्या हो गयी हूँ... वरदानो और शक्तियो से सजकर, गायन योग्य बन गयी हूँ.*.. और देवताई सुखो का अधिकार पा रही हूँ..."मीठे बाबा से बेहद की समझ लेकर मै आत्मा... अपने कार्य क्षेत्र पर आ गयी...
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- समझदार बन माया के तुफानो से कभी हार नही खाना है*"
➳ _ ➳ "सर्व शक्तियों को समय पर कार्य मे लगाने वाली मास्टर सर्वशक्तिवान आत्माओं के सामने माया के तूफान तोहफा बन जाते हैं" *बाबा के इन महावाक्यों को स्मृति में ला कर मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट हो कर सर्वशक्तियों का आह्वान करने और स्वयं को सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बनाने के लिये मैं सर्वशक्तिवान शिव बाबा की याद में मन बुद्धि को एकाग्र करती हूँ*। अशरीरी बन बाबा की याद में बैठते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे शिव बाबा अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो कर मेरे सामने आ गए हैं
➳ _ ➳ बाबा की लाइट, माइट जैसे - जैसे मुझ आत्मा पर पड़ रही है वैसे - वैसे मैं अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होती जा रही हूँ। *अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित हो कर अब मैं अनुभव कर रही हूँ कि जैसे बाबा मुझे अपनी और खींच रहें हैं और मैं डबल लाइट फ़रिशता बन स्वत: ही ऊपर की ओर उड़ रहा हूँ*। सूर्य, चांद, तारागणों से पार अन्तरिक्ष को भी पार करता हुआ उससे भी ऊपर मैं पहुंच गया फ़रिशतो की आकारी दुनिया सूक्ष्म लोक में।
➳ _ ➳ अब मैं देख रहा हूँ स्वयं को सूक्ष्म वतन में। मेरे सामने अव्यक्त बापदादा अष्ट शक्तियों के अलग - अलग स्वरूप में मुझे दिखाई दे रहें हैं। *अष्ट शक्तियों को मुझ में समाहित कर मुझे सर्वशक्ति सम्पन्न स्वरूप बनाने के लिए अब बापदादा एक - एक शक्ति से भरपूर अपनी शक्तिशाली किरणे मुझ फ़रिश्ते में प्रवाहित कर रहें हैं*।
➳ _ ➳ अपना सम्पूर्ण ध्यान इस नश्वर दुनिया से समेट कर मैं अपना संसार केवल एक शिव बाबा को बना सकूँ इसके लिए समेटने की शक्तिशाली किरणों से बाबा मुझे भरपूर कर रहें हैं। *अपनी सहनशक्ति से हर बात को सहन करते हुए हिम्मतवान बन हर परिस्थिति को मैं सहजता से पार कर सकूँ इसके लिए बाबा अब सहनशक्ति से भरपूर किरणे मुझ में प्रवाहित कर रहें हैं*।
➳ _ ➳ जैसे बापदादा सभी बच्चों की सभी बातों को स्वयं में समा लेते हैं। वैसे समाने की शक्ति से भरपूर किरणे मुझ में समाहित कर बाबा मुझमे हर बात को स्वयं में समाने का बल भर रहें हैं। *अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को परख कर हर प्रकार के धोखे से मैं स्वयं को बचा सकूँ इसके लिए बाबा परखने की शक्ति से भरपूर किरणो से मुझे सम्पन्न बना रहे हैं*। माया के अति सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप को पहचान कर उचित समय पर मैं उचित निर्णय ले सकूँ इसके लिए बाबा निर्णय करने की शक्ति से सपन्न किरणे अब मुझमे भर रहें हैं।
➳ _ ➳ विपरीत परिस्थिति में घबराने के बजाए उसका डटकर सामना करने के लिए बाबा अब सामना करने की शक्ति से मुझे भरपूर कर रहें हैं। *एक दो को सहयोग दे, संगठन को निर्विघ्न चलाने के लिए बाबा सहयोग की शक्ति से भरपूर किरणे मुझ में प्रवाहित कर मुझे सहयोगी आत्मा बना रहें हैं*। देह और देह के सम्बन्धो के विस्तार को समेट कर सबको आत्मिक स्वरूप में देखने का पाठ पक्का हो इसके लिए विस्तार को सार में समाने की शक्ति बाबा मुझे दे रहें है।
➳ _ ➳ अपने आठ स्वरूपों से अष्ट शक्तियों को मेरे अंदर भरकर बाबा ने मुझे अष्ट शक्तियों से सम्पन्न कर दिया हैं। देह अभिमान में आने के कारण मुझ आत्मा में निहित अष्ट शक्तियाँ जो मर्ज हो गई थी वो आठों शक्तियाँ अब इमर्ज हो गई हैं। *बापदादा के आठों स्वरूपों से अष्टशक्तियों को स्वयं में भरपूर करके अब मैं सर्व शक्ति सम्पन्न स्वरूप बन कर वापिस साकारी दुनिया मे लौट आती हूँ।
➳ _ ➳ *अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हो कर, मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सदा सेट रहते हुए, माया के तूफानों में मुरझाने के बजाए अब मैं समय और परिस्थिति के अनुसार उचित शक्ति का प्रयोग करके सहज ही माया के हर वार का सामना कर, माया पर विजय प्राप्त कर रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं सभी को ठिकाना देने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं रहमदिल बाप की रहमदिल आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा जितनी न्यारी हूँ उतनी ही प्यारी हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा यथार्थ वैराग्य वृत्ति को धारण करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा बेहद की वैरागी हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *ब्रह्मा बाप यही कहते कि बच्चे सोचते बहुत हैं,* क्या होगा, यह होगा, वह होगा... यह होगा वा नहीं होगा...! यह होगा! - इस सोच में ज्यादा रहते हैं। यह तो नहीं होगा! कभी सोचते होगा, कभी सोचते नहीं होगा। यह होगा, होगा का गीत गाते रहते हैं। लेकिन अपने फरिश्ते पन के, सम्पन्न सम्पूर्ण स्थिति में तीव्रगति से आगे बढ़ने का श्रेष्ठ संकल्प कम करते हैं। *होगा, क्या होगा!... यह गा-गा के गीत ज्यादा गाते हैं।*
➳ _ ➳ बाप कहते हैं कुछ भी होगा लेकिन आपका लक्ष्य क्या है? *जो होगा वह देखने और सुनने का लक्ष्य है वा ब्रह्मा बाप समान फरिश्ता बनने का है?* उसकी तैयारी कर ली है? प्रकृति अपना कुछ भी रंग-रूप दिखाये, आप फरिश्ता बन, बाप समान अव्यक्त रूपधारी बन प्रकृति के हर दृश्य को देखने के लिए तैयार हो? प्रकृति की हलचल के प्रभाव से मुक्त फरिश्ते बने हो? अपनी स्थिति की तैयारी में लगे हुए हो वा क्या होगा, क्या होगा - इसी सोचने में लगे हो? क्या कोई भी परिस्थिति सामने आये तो आप प्रकृतिपति अपने प्रकृतिपति की सीट पर सेट होंगे वा अपसेट होंगे? यह क्या हो गया? यह हो गया, यह हो गया... इसी नजारों के समाचारों में बिजी होंगे वा *सम्पन्नता की स्थिति में स्थित हो किसी भी प्रकृति की हलचल को चलते हुए बादलों के समान अनुभव करेंगे?*
✺ *ड्रिल :- "सम्पन्नता की स्थिति में स्थित हो किसी भी प्रकृति की हलचल को चलते हुए बादलों के समान अनुभव करना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा भृकुटी सिंहासन पर विराजमान होकर परमात्मा को आकाश सिंहासन छोड़कर नीचे आने का आग्रह करती हूँ...* आकाश से एक चमकता हुआ ज्योतिपुंज नीचे उतर रहा है... सूक्ष्मलोक में ब्रह्मा के तन का आधार लेकर परमप्रिय परमपिता परमात्मा मेरे सामने बाहे फैलाये आकर खड़े हो जाते हैं... बापदादा मेरा हाथ पकड एक मैदान में लेकर जाते हैं...
➳ _ ➳ बाबा मुझ आत्मा को मनमनाभव का मन्त्र देकर अपने सामने बिठाते हैं... *बाबा की दृष्टि से, मस्तक से ज्ञान-योग की ज्वाला प्रज्वलित हो रही है...* मैं आत्मा बाबा से निकलती ज्ञान-योग की शक्तिशाली किरणों को ग्रहण कर रही हूँ... *इन किरणों को ग्रहण कर मैं आत्मा दिव्य दृष्टि द्वारा इस देह से न्यारी हो एक ओर अपने आदि स्वरुप(देव स्वरुप) को देख रही हूँ, तो दूसरी ओर माया के जाल में फँसे हुए कमजोर स्वरुप को देख रही हूँ...*
➳ _ ➳ क्या होगा, कैसे होगा, कब होगा, होगा या नही होगा... इन व्यर्थ के संकल्पों में उलझकर मैं आत्मा माया के जाल में फंसी हुई थी, संशय बुद्धि बन गयी थी... *माया ने मुझ आत्मा के उमंग उत्साह के पंख काट दिए थे... मैं आत्मा अपना समय व्यर्थ गंवाती जा रही थी... बाबा से निकलती हुई शक्तिशाली किरणों में मुझ आत्मा के सभी व्यर्थ संकल्प भस्म हो गये है... अब मैं आत्मा व्यर्थ से समर्थ बन गयी हूँ... मुझ आत्मा के अनेक जन्मों के विकर्म स्वाहा हो रहे हैं... काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे विकार बीज सहित दग्ध हो रहे हैं... मैं आत्मा विकारो का त्यागकर कमजोर से महावीर बन जाती हूँ...*
➳ _ ➳ महावीर स्थिति में स्थित हो मैं आत्मा सभी बंधनों से न्यारी... *बादलो को चीरती हुई उड़ती जा रही हूँ... सामने से आते हुए विघ्न रुपी बादलो को मैं आत्मा जम्प लगा क्रॉस करती हुई बाप समान फरिश्ता स्वरुप स्थिति का अनुभव करती हुई पुरुषार्थ में आगे बढ़ती जा रही हूँ...* प्यारे बापदादा मुझ फरिश्ते को अपने साथ सूक्ष्मवतन में ले जाते हैं...
➳ _ ➳ *सूक्ष्मवतन से बापदादा वा एडवांस पार्टी की आत्माओ से भर भरके वरदान, ब्लेस्सिंग्स लेकर मैं फरिश्ता नीचे साकार लोक में आती हूँ...* अब मैं आत्मा ड्रामा के चक्र को बुद्धि में धारण कर, पांचो स्वरूपो का अभ्यास करती हुई साक्षी हो ड्रामा के हर सीन को..., सम्बन्ध-संपर्क में आयी हर आत्मा के स्वभाव संस्कारो को तथा तमोप्रधान प्रकृति के रूप रंग को अपनी सम्पन्नता की स्थिति में सेट हो देखती हुई, शांति का दान देती हूँ... प्रकृति की कोई भी हलचल मुझ आत्मा को अब अपने फरिश्तेपन की स्टेज से अपसेट नही कर सकती... *अपनी सम्पन्नता की स्टेज में स्थित हो मैं प्रकृतिपति आत्मा बापदादा से प्राप्त दिव्य शक्तियों को चारों ओर फैलाकर तमोप्रधान प्रकृति को शुद्ध, सतोप्रधान बना रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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