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 22 / 10 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *सदा सच्चे होकर रहे ?*

 

➢➢ *भाई भाई के सिवाए किसी और सम्बन्ध का अभान तो नहीं रहा ?*

 

➢➢ *लोक पसंद सभा की टिकट बुक की ?*

 

➢➢ *परमात्म साथ से सबा कुछ सहज अनुभव किया ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *जैसे बाप के लिए सबके मुख से एक ही आवाज निकलती है- 'मेरा बाबा'। ऐसे आप हर श्रेष्ठ आत्मा के प्रति यह भावना हो, महसूसता हो। हरेक से मेरे-पन की भासना आये। हरेक समझे कि यह मेरे शुभचिन्तक सहयोगी सेवा के साथी हैं, इसको कहा जाता है-बाप सामान।* इसको ही कहा जाता है कर्मातीत स्टेज के तख्तनशीन।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं समर्थ बाप की समर्थ सन्तान हूँ"*

 

  सदा अपने को समर्थ बाप के समर्थ बच्चे अनुभव करते हो? कभी समर्थ, कभी कमजोर - ऐसे तो नहीं? *समर्थ अर्थात् सदा विजयी। समर्थ की कभी हार नहीं हो सकती। स्वप्न में भी हार नहीं हो सकती। स्वप्न, संकल्प और कर्म सबमें सदा विजयी - इसको कहते हैं 'समर्थ'।* ऐसे समर्थ हो?

 

  क्योंकि जो अब के विजयी हैं, बहुतकाल से वही विजय माला में गायन-पूजन योग्य बनते हैं। *अगर बहुतकाल के विजयी नहीं, समर्थ नहीं तो बहुतकाल के गायन-पूजन योग्य नहीं बनते हैं।*

 

  *जो सदा और बहुत काल विजयी हैं, वही बहुत समय विजय माला में गायन-पूजन में आते हैं और जो कभी-कभी के विजयी हैं, वह कभी-कभी की अर्थात् 16 हजार की माला में आयेंगे। तो बहुतकाल का हिसाब है और सदा का हिसाब है।* 16 हजार की माला सभी मन्दिरों में नहीं होती, कहाँ-कहाँ होती है।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  चाहे अपना पार्ट भी कोई चल रहा हो लेकिन अशरीरी बन आत्मा साक्षी हो अपने शरीर का पार्ट भी देखें। मैं आत्मा न्यारी हूँ, शरीर से यह पार्ट करा रही हूँ। *यही न्यारे-पन की अवस्था अंत में विजयी या पास विद ऑनर का सर्टिफिकेट देंगी।* सभी पास विद ऑनर होने वाले हो?

 

✧  मजबूरी से पास होने वाले नहीं। कभी टीचर को भी एक-दो मार्क देकर पास करना पडता है। ऐसे पास होने वाले नहीं हैं। *खुशी-खुशी से अपने शक्ति से पास विद ऑनर होने वाले। ऐसे हो ना?* जब टाइटल भी डबल विदेशी है तो माक्र्स भी डबल लेंगे ना!

 

✧  भारतवासियों को क्या नशा है? भारतवासियों को फिर अपना नशा है। भारत में ही बाप आते हैं। लन्दन में तो नहीं आते ना। (आ तो सकते हैं) अभी तक ड्रामा में पार्ट दिखाई नहीं दे रहा है। *ड्रामा की भावी कभी भगवान भी नहीं टाल सकता।* ड्रामा को अथार्टी मिली हुई है। अच्छा। (पार्टियों के साथ)

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧ मुश्किल है भी क्या? सहज को स्वयं ही मुश्किल बनाते हो। *मुश्किल है नहीं, मुश्किल बनाते हो। जब बाप कहते हैं जो भी बोझ लगता है वह बोझ बाप को दे दो। वह देना नहीं आता। बोझ उठाते भी हो, फिर थक भी जाते हो फिर बाप को उल्हाना भी देते हो क्या करें, कैसे करें। अपने ऊपर बोझ उठाते क्यों हो? बाप आफर कर रहा है अपना सब बोझ बाप के हवाले करो।* ६३ जन्म बोझ उठाने की आदत पड़ी हुई है ना! तो आदत से मजबूर हो जाते हैं, इसलिए मेहनत करनी पड़ती है। कभी सहज, कभी मुश्किल। *या तो कोई भी कार्य सहज होता है या मुश्किल होता है। कभी सहज कभी मुश्किल क्यों?*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सबको शिव बाबा का परिचय देना"*

 

_ ➳  *इस सुहानी संगम के अमृतवेले मेरे प्राण प्यारे बाबा अलौकिक जन्मदिन की बधाई देते हुए मुझे प्यार से जगाते हैं... मैं आत्मा भी बाबा को जन्मदिन की बधाई देती हूँ...* कितना अनोखा संगम है इस अनोखे संगम युग पर... बाप और बच्चे का जन्मदिन एक ही दिन... प्यारे बाबा मुझे गोदी में उठाकर वतन में लेकर जाते हैं... जहाँ चारों ओर रंग बिरंगे हीरों से सजे हुए बैलून्स हैं... इन बैलून्स से रंग बिरंगी किरणें निकलकर मुझ आत्मा की चमक और बढ़ा रही है... प्यारे बाबा मीठी रूह-रिहान करते हुए मुझे ज्ञानामृत पिलाते हैं...

 

   *सर्व आत्माओं को बाप का परिचय देने सर्विस की भिन्न भिन्न युक्तियाँ बतलाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वर पिता की गोद में फूल सा खिलने का जो सुख पाया है उस सुख को दूसरो के दामन में भी सजाओ... *दुखो में तड़फ रहे पुकार रहे हताश और निराश हो गए भाई आत्माओ को सुख और शांति की राह दिखाओ... सच्चे पिता से मिलाकर उनको भी खजानो से भरपूर कर दो...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा प्रभु प्यार की कश्ती में डूबकर अनंत अविनाशी खुशियों से भरपूर होते हुए कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... *मै आत्मा आपसे अथाह खुशियो को पाकर सबको इस खान का मालिक बना रही हूँ... पूरा विश्व खुशियो से गूंज उठे ऐसी परमात्म लहर फैला रही हूँ...* प्यारे बाबा से हर दिल का मिलन करवा रही हूँ... और आप समान भाग्य सजा रही हूँ...

 

   *मीठे बाबा खिवैया बन काँटों के समुंदर से फूलों के बगीचे में ले जाते हुए कहते हैं:-* मीठे प्यारे लाडले बच्चे... आप समान सबके दुखो को दूर करो... आनन्द प्रेम शांति से हर मन को भरपूर करो... सबको उजले सत्य स्वरूप के भान का अहसास दिलाओ... *प्यारा बाबा आ गया है यह दस्तक हर दिल पर दे आओ... सब बिछड़े बच्चों को सच्चे पिता से मिलवाओ और दुआओ का खजाना पाओ...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा फ़रिश्ता बन चारों ओर मेरा बाबा आ गयाके ज्ञान फूल बरसाते हुए कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा आपसे पाये प्यार दुलार और ज्ञान रत्नों को हर दिल को बाटने वाली दाता बन गई हूँ... *सबको देह से अलग सच्ची मणि आत्मा के नशे से भर रही हूँ... प्यारे बाबा का परिचय देकर उनके दुखो से मुरझाये चेहरे को सुखो से खिला रही हूँ...”*

 

   *मेरे बाबा कलियुगी अंधकार को दूर कर अखंड ज्योति बन ज्ञान की लौ जलाते हुए कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *अब ईश्वरीय प्रतिनिधि बन सबके जीवन को खुशियो से भर दो... विचार सागर कर नई योजनाये बनाओ... और ईश्वरीय पैगाम हर आत्मा तक पहुँचाओ...* सबकी जनमो की पीड़ा को दूर कर ख़ुशी उल्लास उमंगो से जीवन सजा आओ... पिता धरा पर उतर आया है... पुकारते बच्चों को जरा यह खबर सुना आओ...

 

_ ➳  *मैं आत्मा सम्बन्ध संपर्क में आने वाली हर आत्मा को उमंग उत्साह के पंख दे उड़ाते हुए कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा आपसे पायी अनन्त खुशियो की चमक सबको दिखा रही हूँ... प्यारा बाबा खुशियो की खान ले आया है खजानो को लुटाने आया है...* यह आहट हर दिल पर करती जा रही हूँ... भर लो अपनी झोलियाँ यह आवाज सबको सुना रही हूँ...

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सत के संग वापिस जाना है इसलिए सदा सच्चा होकर रहना है*"

 

_ ➳  अपने सच्चे बाप के साथ सदा सच्चे रहने का मन ही मन प्रोमिस करके मैं अपने सत बाप की याद में बैठ जाती हूँ। एकाएक वो सभी भूले, वो सभी गलतियां जो देह अभिमान में आने के कारण जाने - अनजाने मुझसे हुई है वो स्मृति में आने लगती है। *आंखों से आंसू बहने लगते हैं और मैं अपनी आंखें बंद कर लेती हूँ। उन भूलों को, उन गलतियों को अपने सच्चे साहिब को बताने और उन्हें फिर ना दोहराने का दृढ़ निश्चय कर मैं अपने सच्चे साहिब, अपने सत बाबा का आह्वान करती हूँ*। मन ही मन संकल्प करती हूँ:- "हे मेरे सच्चे साहिब मेरे पास आओ"। 

 

_ ➳  मेरे संकल्प जैसे ही बाबा तक पहुँचते हैं वैसे ही मेरे दिलाराम बाबा अपने आकारी ब्रह्मा तन में विराजमान हो कर मेरे सम्मुख आ जाते हैं। *अपने कंधे पर स्पर्श का अनुभव होते ही मैं जैसे ही अपनी आंखें खोलती हूँ तो अपने सच्चे साहिब, को लाइट माइट स्वरूप में अपने सामने खड़ा हुआ पाती हूँ*। उनके आते ही मेरे आस - पास जैसे एक अलौकिक दिव्यता छा गई है जो मुझमे विशेष बल भर रही है। उनकी शक्तिशाली किरणों का औरा मुझे विकर्मों के बोझ से मुक्त एक दम हल्का, विदेही स्थिति का अनुभव करवा रहा है। *धीरे - धीरे मेरा साकार शरीर लुप्त हो कर उसके स्थान पर सूक्ष्म लाइट का शरीर बन गया है*।

 

_ ➳  अपने सूक्ष्म आकारी लाइट के फरिश्ता स्वरूप में मैं स्वयं को बहुत ही हल्का अनुभव कर रही हूँ। मेरे सच्चे साहिब अब मेरा हाथ थामे मुझे इस विकारी दुनिया से दूर अपनी अलौकिक दुनिया मे ले आते हैं। *फरिश्तों की इस दुनिया में आ कर चित को जैसे चैन मिल रहा है। बापदादा अब मुझे अपने पास बिठा लेते है और अपने रुई समान कोमल हाथों का स्पर्श मेरे मस्तक पर करते हैं। उनके हाथों का स्पर्श पाकर मेरी सारी थकान एक दम समाप्त हो जाती है*। बाबा को अब मैं एक - एक करके वो सारी भूले, वो सारी गलतियां बता रही हूँ। जो देह भान में आने के कारण जाने - अनजाने मुझ से हुई हैं।

 

_ ➳  मेरा सिर ऊपर उठा कर मेरे आंसुओं को अपने कोमल हाथों से साफ करते हुए बाबा अपने हाथ मेरे सिर पर रख रहे हैं। *बाबा के हस्तों से अनन्त शक्तियों की ज्वाला स्वरूप किरणे निकल कर मेरे मस्तक से होती हुई मेरे अंग - अंग में समाने लगी हैं। मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ कि ये ज्वाला स्वरूप किरणे मेरे द्वारा की हुई भूलो और गलतियों के कारण बने विकर्मों को भस्म कर रही हैं*। ऐसा लग रहा है, जैसे अपनी भूलो और गलतियों को अपने सच्चे साहिब को बता कर मैं हर प्रकार के बोझ से पूरी तरह मुक्त हो गई हूँ। मेरा यह बोझ मुक्त लाइट और माइट स्वरूप मुझे असीम आनन्द की अनुभूति करवा रहा है। 

 

_ ➳  अपने इस लाइट माइट स्वरूप के साथ अब मैं वापिस साकारी दुनिया मे आ जाती हूँ और फिर से अपने साकारी तन में विराजमान हो जाती हूँ। *अपने इस लाइट माइट स्वरूप को सदा बनाये रखने के लिए अब मैं बहुत - बहुत सच्ची दिल रख, अपने सच्चे साहिब को सदा राजी रखने के लिए इस बात का विशेष ध्यान रखती हूँ कि हर बात अपने सच्चे साहिब को बताते हुए, उनसे राय ले कर, उन्हें अपने अंग - संग रख हर कर्म करूँ ताकि कोई भी भूल या गलती मुझ से ना हो* जिसके लिए मुझे पश्चाताप करना पड़े या अपने सच्चे साहिब की नजरों में मुझे झूठा बनना पड़े। 

 

_ ➳  *"सच्चे दिल पर साहिब राजी" यह बात सदा स्मृति में रख अब मैं अपने सच्चे साहिब से कुछ ना छिपाते हुए, उनके दिल पर राज करते हुए, उनके साथ अपने ब्राह्मण जीवन का भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं लोक पसन्द सभा की टिकेट बुक करने वाली आत्मा हूँ।*

✺   *मैं राज्य सिंहासन अधिकारी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं आत्मा सदा परमात्म साथ का अनुभव करती हूँ  ।*

✺   *मैं आत्मा सब कुछ सहज अनुभव करते हुए सदैव सेफ रहती हूँ  ।*

✺   *मैं आत्मा परमात्म छत्रछाया में सदा सेफ रहती हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बापदादा ने यह भी देखा है कि *कोई-कोई बच्चे छोटी सी बात का विस्तार बहुत करते हैंइसमें क्या होता हैजो ज्यादा बोलता है ना तो जैसे वृक्ष का विस्तार होता है उसमें बीज छिप जाता है*वह ऐसे समझते हैं कि हम समझाने के लिए विस्तार कर रहे हैंलेकिन *विस्तार में जो बात आप समझाने चाहते हैं ना उसका सार छिप जाता है और बोलवाणी की भी एनर्जी होती है। जो वेस्ट बोल होते हैं तो वाणी की एनर्जी कम हो जाती है। ज्यादा बोलने वाले के दिमाग की एनर्जी भी कम हो जाती है। शार्ट और स्वीट यह दोनों शब्द याद रखो*। और कोई सुनाता है ना तो उसको तो कह देते हैं कि मेरे को इतना सुनने का टाइम नहीं है। लेकिन जब खुद सुनाते हैं तो टाइम भूल जाता है। इसलिए *अपने खजानों का स्टाक जमा करो। संकल्प का खजाना जमा करोबोल का खजाना जमा करोशक्तियों का खजाना जमा करोसमय का खजाना जमा करोगुणों का खजाना जमा करो*।

 

✺   *ड्रिल :-  "अपने खजानों का स्टाक जमा करना"*

 

 _ ➳  *ब्राह्मण कुल की दीपमाला का, मैं नन्हा सा दीप*... अपने अन्दर के तम से लडता हुआ और मुझमें तूफानों से जीतने का ज़ज्बा भरते शिव सूर्य... *स्वीट एन्ड शोर्ट की पल पल प्रेरणा देते*... विस्तार को सार में समाँ लेने की सीख देते और *धडकनों में बस गूँजने लगा है, एक ही गीत... शोर्ट एन्ड स्वीट मेरा बाबा*...

 

 _ ➳  मैं आत्मा बैठ गयी हूँ बापदादा की कुटिया में... बापदादा के ठीक सामने रखा महकतें फूलों का गुलदस्ता... मेरे मन को महका रहा है गहराई से... फूलों की सुन्दरता का सार इनकी खुशबू... और खुशबू का सार... रूहानी आनन्द जो मेरे रोम रोम में बह रहा है... और बापदादा की दिलकश सी मुस्कान को पढने की कोशिश करता हुआ मैं... *मेरी धडकनों का सार है ये... रूहानी निखार है ये... तरसे है कई पतझर जिसे, वो दिलकश बहार है ये*, बापदादा की भृकुटी से आती शिवसूर्य की किरणें मुझमें समाती हुई... और घट की तरह भरपूर होकर छलकता मैं... आकारी रूप में बापदादा के साथ उड चला एक अनोखी यात्रा पर...

 

 _ ➳  *मैं और बापदादा बादलों के विमान पर सवार*... सूर्य के करीब से गुजरता ये विमान सुनहरे रंग में रंगा हुआ... अचानक देख रहा हूँ बापदादा के हाथ में एक स्वर्ण और हीरों से जडी सुन्दर सुराही... बापदादा ने सुराही पर रखी रत्न जडित प्लेट को हटा दिया है... *सुराही के खुलते ही जगमगतें रत्नों का अम्बार लगता जा रहा है...* मानों रत्न उफ़न उफ़न कर बाहर आ रहे है... हैरानी से मैं देखे जा रहा हूँ एक एक कर उन सबको... *देखते ही देखते बडा सा ढेर लग गया है रत्नों का जमीन से आकाश तक... अब बापदादा एक महीन धागे में पिरों रहे है उन सबको... एक एक क्रिया बाबा मुझे दिखाकर कर रहे है... और देखते ही देखते वो सारा रत्नों का ढेर सिमट गया है एक धागें में...*

 

 ➳ _ ➳  *मनमनाभव का धागा*... और उस ढेर की जगह बस अब सुन्दर हार... बापदादा ने मुस्कुरातें हुए वो हार पहना दिया है मेरे गले में... *खजाने के विस्तार को सार में समेट दिया है बापदादा ने*... और ये खजानों का स्टाॅक अब मेरे अधिकार में... एक एक रत्न की बचत कैसे करनी है मुझे... मनमनाभव के सूत्र से सीख लिया है, मैने... *संकल्प का खजाना, बोल का खजाना, शक्तियों का खजाना, समय और गुणों का खजाना... और सारे खजानों से भरपूर मैं मालामाल आत्मा*... मनमनाभव के जादुई स्पर्श से सार में लाती और *समय संकल्प, बोल, गुण और शक्तियों की बचत करती हुई... अपनी स्थिति से ही परिस्थितियों को बदलती हुई*... वापस लौट आयी हूँ अपनी देह में... दीपमाला का दीपक बन अंधकार पर जीत पाती हुई... दुगुने आत्मविश्वास से...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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