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 27 / 10 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *"अब हमारे लिए नयी स्थापना हो रही है" - यह बुधी में रहा ?*

 

➢➢ *मनुष्य को देवता बनाने की सेवा की ?*

 

➢➢ *मुरली के साज़ द्वारा माया को सरेंडर कराया ?*

 

➢➢ *अनुभवी स्वरूप बन चेहरे से खुशनसीबी की झलक दिखाई ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  आवाज से परे अपनी श्रेष्ठ स्थिति में स्थित हो जाओ तो सर्व व्यक्त आकर्षण से परे शक्तिशाली न्यारी और प्यारी स्थिति बन जायेगी। *एक सेकण्ड भी इस श्रेष्ठ स्थिति में स्थित होंगे तो इसका प्रभाव सारा दिन कर्म करते हुए भी स्वयं में विशेष शान्ति की शक्ति अनुभव करेंगे। इसी स्थिति को कर्मातीत स्थिति, बाप समान सम्पूर्ण स्थिति कहा जाता है।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा हूँ"*

 

  सदा अपने को स्वदर्शन चक्रधारी आत्मायें अनुभव करते हो? *स्वदर्शन चक्रधारी अर्थात् जहाँ स्वदर्शन चक्र है वहाँ अनेक माया के चक्कर समाप्त हो जाते हैं। तो माया के अनेक चक्करों से बचने वाले अर्थात् स्वदर्शन चक्रधारी। जहाँ माया के चक्कर हैं वहाँ स्वदर्शन चक्र नहीं। क्योंकि स्वदर्शन चक्र शक्तिशाली है, इस शक्तिशाली चक्र के आगे माया स्वत: ही भाग जाती है।* तो ऐसे बने हो?

 

  स्वप्न में भी माया का चक्कर वार न करे। पहले भी सुनाया है कि जो बाप के गले का हार हैं, वह कभी माया से हार खा नहीं सकते। अगर माया से हार खाते हैं तो बाप के गले का हार नहीं बन सकते। तो गले का हार हो या हार खाने वाले हो? *बाप ने सभी बच्चों को महावीर विजयी बनाया, एक भी कमजोर नहीं। तो महावीर की निशानी है यह - 'स्वदर्शन चक्र'। सदा स्वदर्शन चक्र चलता रहे तो स्वत: सहज विजयी रहेंगे। यह बाप की विशेषता है जो सभी को चक्रधारी बनाते हैं, सभी को श्रेष्ठ भाग्यवान बनाते हैं।* बाप किसी को भी कम नहीं बनाते। बाप एक जैसा सभी को मालामाल बनाते हैं।

 

  *बाप एक ही समय सभी को सब खजाने देता है, अलग नहीं देता। लेकिन नम्बर क्यों बनते हैं? लेने वाले नम्बरवार बन जाते हैं। देने वाला नम्बरवार नहीं बनाता। सब बाप के स्नेही सहयोगी तो हो ही। लेकिन शक्तिशाली बनने में अन्तर पड़ जाता है। बापदादा तो सबको महावीर रूप में देखता है।* अच्छा! सदा बाप की दिल में रहने वाले और सदा बाप को दिल पर बिठाने वाले। सदा बाप की दिल में रहने वाले ही निरन्तर योगी हैं।

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  जब ऊँची पहाडी पर चढ़ते हैं तो क्या लिखा हुआ होता है? *ब्रेक चेक करो। क्योंकि ब्रेक सेफ्टी का साधन है।* तो कन्ट्रोलिंग पॉवर का वा ब्रेक लगाने का अर्थ यह नहीं कि लगाओ यहाँ और ब्रेक लगे वहाँ कोई व्यर्थ को कन्ट्रोल करना चाहते है, समझते हैं - यह रांग है।

 

✧  तो *उसी समय रांग को राइट में परिवर्तन होना चाहिए।* इसको कहा जाता है कन्ट्रोलिंग पॉवर ऐसे नहीं कि सोच भी रहे हैं लेकिन आधा घण्टा व्यर्थ चला जाये, पीछे कन्ट्रोल में आये। *बहुत पुरुषार्थ करके आधे घण्टे के बाद परिवर्तन हुआ तो उसको कन्ट्रालिंग पॉवर नहीं, रूलिंग पॉवर नहीं कहा जाता।*

 

✧  यह हुआ थोडा-थोडा अधीन और थोडा-थोडा अधिकारी - मिक्स। तो उसको राज्य अधिकारी कहेंगे या पुरुषार्थी कहेंगे? तो *अब पुरुषार्थी नहीं, राज्य अधिकारी बनो।* यह राज्य अधिकारी का श्रेष्ठ मजा है।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧ बापदादा तो कहते हैं सबसे सहज पुरुषार्थ है दुआयें दो और दुआयें लो। *दुआओं से जब खाता भर जायेगा तो भरपूर खाते में माया भी डिस्टर्ब नहीं करेगी। जमा का बल मिलता है। राज़ी रहो और सर्व को राज़ी करो। हर एक के स्वभाव का राज़ जानकर राज़ी करो। ऐसे नहीं कहो यह तो है ही नाराज़। आप स्वयं राज़ को जान जाओ, उसकी नब्ज को जान जाओ फिर दुआ की दवा दो तो सहज हो जायेगा। तो सहज पुरुषार्थ करो, दुआयें देते जाओ। लेने का संकल्प नहीं करो देते जाओ तो मिलता जायेगा। देना ही लेना है।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- पुरानी दुनिया को भूल नई दुनिया को याद करना"*

 

_ ➳  मैं आत्मा बगीचे में बैठ झुला झूलते हुए प्रकृति का आनंद ले रही हूँ... *मेरी नज़र पेड़ पर बैठी बया चिड़िया पर पड़ती है... वो छोटी सी प्यारी सी चिड़िया एक एक तिनके को जोड़कर घोंसला बना रही है... उस घोंसले को देख मुझे भी अपने नए घर की याद आती है जिसे मेरा प्यारा बाबा बना रहा है...* इस दुःख की दुनिया से निकाल सुख, शांति की नगरी बना रहा है... मैं आत्मा उस स्वर्ग के सपने को यादों में लिए उड़ चलती हूँ मीठे वतन, मीठे बाबा के पास...

 

  *प्यारे बाबा मुझे दिव्य देवताई गुणों से सजाकर हथेली पर स्वर्ग की सौगात देकर कहते हैं:-* मेरे लाडले बच्चे... *आप फूल से बच्चों के लिए पिता खूबसूरत परिस्तान बना रहा... सारे सुखो की जन्नत बच्चों के लिए बसा रहा... यह पुरानी दुनिया का अंत करीब है...* सुखो में मुस्कराने का मीठा समय नजदीक है... इसलिए हर साँस हर संकल्प हर कर्म में पवित्रता को अपनाओ...

 

_ ➳  *नए घर स्वर्ग में जाने स्वयं को निज गुण, शक्तियों के श्रृंगार से सुन्दर बनाती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा नई सी दुनिया में चलने को आतुर हूँ... सम्पूर्ण पवित्रता को अपनाकर सज रही हूँ... *नए सुख बाँहो में भरने को नई दुनिया में जाने के महा पुरुषार्थ में जुट गयी हूँ...”*

 

  *पवित्र किरणों से मुझे परी समान सजाकर खुशियों के गगन में उड़ाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे फूल बच्चे... *आप सुंदर देवता बन सुंदर दुनिया में चलोगे असीम खुशियां और आनन्द से खिलोगे... इस दुनिया का बदलाव समीप है...* पर नई दुनिया की पवित्रता पहली शर्त है... इसलिए पवित्रता को अपनाकर अनोखी दिव्यता से नई दुनिया के हकदार बनो...

 

_ ➳  *मैं आत्मा स्वर्ग की यादों में झूमती, नाचती, पवित्र किरणों में खिलखिलाती हुई कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा पवित्र बन कितनी खूबसूरत होती जा रही हूँ... *मीठा बाबा मेरे लिए प्यारी सी दुनिया बनाने धरा पर उतर आया है... मै इस विनाशी दुनिया के विकारी जीवन को छोड़ चमकीली पवित्र होती जा रही हूँ...”*

 

  *खुशियों के बगीचे की रूहानी फूल बनाकर पवित्रता की खुशबू से महकाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... *इस विनाशी दुनिया से ममत्व निकाल नई दुनिया सुखो के संसार को याद करो...* पवित्र बन कर अनन्त खुशियो में मुस्कराओ... और शानदार सुखो की दुनिया के मालिक बन सदा के आनन्दित हो जाओ...

 

_ ➳  *इस पुरानी दुनिया से प्रीत निकाल सुखधाम को यादों में बसाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा इस विनाशी देह और दुनिया से मुक्त होती जा रही हूँ... *पवित्रता को दामन में सजाये स्वर्ग के लिए दिव्य प्रकाश से भरती जा रही हूँ... प्यारा बाबा मुझे सुखधाम में ले जाने आ गया है...”*

 

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- फॉलो फादर करना है*"

 

_ ➳  मात पिता को फॉलो करने का दृढ़ संकल्प अपने मन मे ले कर मैं जैसे ही मम्मा बाबा के बारे में विचार करती हूं, मन बुद्धि से पहुंच जाती हूं उनकी कर्मभूमि मधुबन में जहां उनके हर कर्म का यादगार है। *अब मैं स्वयं को उस स्थान पर देख रही हूं जहां मम्मा बाबा के मुखारविंद से मन को आलोकित, आनंदित और निर्मल करने वाले महावाक्य सुनने के लिए सभी ब्राह्मण आत्माएं एकत्रित हैं*।

 

_ ➳  सामने संदली पर मम्मा बाबा आकर बैठ जाते हैं। दोनों दिव्य मूर्त, दोनों के मुखमंडल पर पवित्रता की अनोखी झलक और दिव्य तेज स्पष्ट दिखाई दे रहा है। *मम्मा बाबा दोनों मधुर मुस्कान से, स्नेह भरे नयनो से सबको निहार रहें हैं*। उनके आने का ढंग, बैठने की रीति, उनकी प्रीति, उनके निहारने की विधि बहुत ही न्यारी है। मैं इस दृश्य को देख मन ही मन अपने भाग्य की सराहना कर रही हूं।

 

_ ➳  तभी शिव बाबा ब्रह्मा बाबा के साकारी तन में प्रवेश करते हैं। बाबा के प्रवेश होते ही ब्रह्मा बाबा के मुखमण्डल पर दिव्य तेज कई गुणा बढ़ जाता है और उनकी भृकुटि से शक्तिशाली प्रकंपन निकल कर पूरी क्लास में फैल जाते हैं। *क्लास में खुशी की लहर के साथ साथ मन को गहन शांति का अनुभव कराने वाला सन्नाटा छा जाता है*। सभी ब्राह्मण बच्चे बाप दादा को निहारते हुए, बाप दादा की मीठी दृष्टि लेकर स्वयं को भरपूर कर रहे हैं। बाप दादा सभी बच्चों को एक-एक करके अपने पास बुला रहे हैं, उन्हें मीठी दृष्टि देते हुए उन से मीठी मीठी रूह रिहान कर रहे हैं। *एक एक करके सभी बच्चे मात-पिता की अलोकिक गोद का दिव्य सुख और उनके पवित्र हाथों से टोली ले रहे हैं*।

 

_ ➳  बापदादा अपने मधुर महावाक्यों से बच्चों को मीठी समझानी भी दे रहें हैं। सबको परमात्म मिलन का अलौकिक सुख प्रदान कर शिव बाबा अपने धाम लौट जाते हैं। *मम्मा सभी बच्चों से खुश - खैराफ़त पूछते हुए कह रही है, देखो बच्चे-"बाप दादा के घर आए हो सुख पाने के लिए*। कोई भी स्थूल सूक्ष्म सेलवेशन चाहिए हो तो बताना, किसी प्रकार की लज्जा नहीं करना।

 

_ ➳  अब ब्रह्मा बाबा सभी बच्चों को ड्रिल कराते हुए कहते हैं - अच्छा बच्चे, अब बैठो अपने अति प्यारे शिव बाबा की याद में। अशरीरी हो जाओ और बुद्धि को ले जाओ परमधाम। *देखो तुम बैठे तो फर्श पर हो लेकिन तुम्हारी बुद्धि सदा अर्श अर्थात परमधाम में रहनी चाहिए*। देह और देह के सर्व सम्बन्धो से तोड़ निभाते हुए बुद्धि का योग केवल शिव बाबा के साथ लगा रहे यह अभ्यास हर समय करते रहो। बाबा के ऐसा कहते ही सभी आत्मिक स्थिति में स्थित हो जाते हैं और शिव बाबा की याद में अशरीरी हो कर बैठ जाते हैं।

 

_ ➳  अशरीरी स्थिति में स्थित होते ही अब मैं आत्मा अपनी साकारी ब्राह्मण देह से निकल कर पहुंच जाती हूँ अपने पिता परमात्मा शिव बाबा के पास परमधाम और उनके साथ कम्बाइंड हो कर उनकी सर्वशक्तियो को स्वयं में समाने लगती हूं। *भरपूर हो कर लौट आती हूँ वापिस अपने साकारी ब्राह्मण तन में और अपने प्यारे बाबा से प्रोमिस करती हूं कि देह और देह की दुनिया मे रहते, सबसे तोड़ निभाते, मम्मा बाबा को फॉलो कर उनके समान बनने का तीव्र पुरुषार्थ मैं अभी से ही अवश्य करूँगी*।

 

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं मुरली के साज द्वारा माया को सरेंडर कराने वाली आत्मा हूँ।*

✺   *मैं मास्टर मुरलीधर आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं आत्मा अनुभवी स्वरूप हूँ  ।*

✺   *मैं आत्मा सदा चेहरे से खुशनसीबी की झलक दिखाती हूँ  ।*

✺   *मैं आत्मा अपनी खुशनसीबी के अनुभव में खो जाती हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *बापदादा कहते हैं आप लोगों ने ही प्रकृति को सेवा दी है कि खूब सफाई करो, उसको लम्बा-लम्बा झाडू दिया हैसफा करो। तो घबराते क्यों हो?* आपके आर्डर से वह सफाई करायेगी तो आप क्यों हलचल में आते होआपने ही तो आर्डर दिया है। *तो अचल-अडोल बन मन और बुद्धि को बिल्कुल शक्तिशाली बनाए अचल-अडोल स्थिति में स्थित हो जाओ। प्रकृति का खेल देखते चलो। घबराना नहीं।* आप अलौकिक होसाधारण नहीं हो। साधारण लोग हलचल में आयेंगे, घबरायेंगे। अलौकिकमास्टर सर्वशक्तिवान आत्मायें खेल देखते अपने विश्व-कल्याण के कार्य में बिजी रहेंगे। अगर मन और बुद्धि को फ्री रखा तो घबरायेंगे। *मन और बुद्धि से लाइट हाउस होलाइट फैलायेंगेइस कार्य में बिजी रहेंगे तो बिजी आत्मा को भय नहीं होगा, साक्षीपन होगा; और कोई भी हलचल हो अपने बुद्धि को सदा ही क्लीयर रखना, क्यों क्या में बुद्धि को बिजी वा भरा हुआ नहीं रखनाखाली रखना*।

 

 _ ➳  *एक बाप और मैं.. तब समय अनुसार चाहे पत्रटेलीफोन, टी.वी. वा आपके जो भी साधन निकले हैंवह नहीं भी पहुंचे तो बापदादा का डायरेक्शन क्लीयर कैच होगा।* यह साइंस के साधन कभी भी आधार नहीं बनाना। यूज करो लेकिन साधनों के आधार पर अपनी जीवन को नहीं बनाओ। कभी-कभी साइंस के साधन होते हुए भी यूज नहीं कर सकेंगे। *इसलिए साइलेन्स का साधन - जहाँ भी होंगेजैसी भी परिस्थिति होगी बहुत स्पष्ट और बहुत जल्दी काम में आयेगा। लेकिन अपने बुद्धि की लाइन क्लीयर रखना। समझा*।

 

 _ ➳  चारों ओर हलचल हैप्रकृति के सभी तत्व खूब हलचल मचा रहे हैंएक तरफ भी हलचल से मुक्त नहीं हैंव्यक्तियों की भी हलचल हैप्रकृति की भी हलचल हैऐसे समय पर जब इस सृष्टि पर चारों ओर हलचल है तो आप क्या करेंगेसेफ्टी का साधन कौन -सा है? *सेकण्ड में अपने को विदेही, अशरीरी वा आत्म-अभिमानी बना लो तो हलचल में अचल रह सकते हो। इसमें टाइम तो नहीं लगेगा? क्या होगाअभी ट्रायल करो - एक सेकण्ड में मनबुद्धि को जहाँ चाहो वहाँ स्थित कर सकते हो? (ड्रिल) इसको कहा जाता है -'साधना'*। अच्छा।

 

✺   *ड्रिल :-  "दुनियावी वा प्राकृतिक हलचल को देखते हुए विदेही बन अचल-अडोल रहने का अनुभव"*

 

 _ ➳  बाबा के इन महावाक्यों को पढ़ मैं आत्मा बाबा के कहे अनुसार अभ्यास शुरू करती हूं... विदेही होने का क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में बहुकाल का अभ्यास चाहिए... *आँखों के आगे उस दृश्य को लाती हूं... प्रकृति के सारे तत्व अपना पेपर ले रहे हैं... इस  सृष्टि पर सब कुछ हलचल में है क्या धरती, क्या आसमान, कहीं आग, कहीं बाढ़, कहीं तूफ़ान, हर ओर तबाही का ही मंज़र है, सब तरफ त्राहि त्राहि मची हुई है... ऐसे में दुनियावी आत्मायें चीख़ चिल्ला रही हैं...*

 

 _ ➳  *याद आते हैं बाबा के महावाक्य जब चारों ओर हलचल होगी साइंस के साधन भी काम नहीं आएंगे तब तुम्हें ही मन बुद्धि से अचल अडोल बन कार्य करना होगा साइलेन्स की शक्ति काम करेगी...* ऐसे में मैं आत्मा अपने को इस हलचल से उपराम कर अशरीरी बन अपने मन बुद्धि को बाबा में लगाती हूं...

 

 _ ➳  मन बुद्धि से पहुँचती हूं *परमधाम* में और बीज रूप में स्थित होकर अपने *ज्योति स्वरूप शिव बाबा* की किरणों के साये तले बैठ जाती हूँ... *ज्योतिरबिन्दु से आती किरणों से मैं आत्मा प्रकाशित हो रही हूं... ये सुख स्वरूप किरणें, ये आनंद स्वरूप किरणें, ये प्रेम स्वरूप किरणें जैसे जैसे मुझ पर पड़ रहीं हैं...* वैसे वैसे मैं शीतलता की लहरों में लहराने लगती हूँ... कितना अलौकिक है ये... इस अलौकिकता में मैं स्वयं को भी अलौकिक महसूस कर रही हूं... मन और बुद्धि से स्वयं को एकदम हल्का अनुभव कर रही हूं... *परमपिता परमात्मा की छत्रछाया में मैं स्वयं को बेहद शक्तिशाली अनुभव करती हूं...*

 

 _ ➳  परमात्म प्रेम में डूबी मैं आत्मा वापिस इस धरा पर आती हूं... साइलेन्स की इस अवस्था में मुझे एक विशेष अनुभूति हो रही है... *बाबादादा की क्लियर डायरेक्शनस मुझ तक पहुंच रही हैं बच्चे तुम साधारण नहीं हो तुम अलौकिक हो मास्टर सर्वशक्तिमान हो अचल अडोल बन विश्व कल्याण के कार्य में हाथ बँटाओ...*

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा साक्षी दृष्टा बन प्रकृति द्वारा जो उथल पुथल हो रही है वो देखती हूं... पर अब वो विनाश नहीं प्रकृति द्वारा की जा रही सफ़ाई दिख रही है... बिना हलचल में आये मैं अचल अडोल होकर इस सारी प्रक्रिया को देख रही हूं... *मन बुद्धि को  सेवा में बिजी कर दु:ख में डूबी दुःखी आत्माओं को शांति का दान दे रही हूं... उनको शुभ भावना दे रही हूं... विश्व कल्याण के कार्य में सहयोग दे रही हूं... शान्ति की, शुभ भावना की, शुभ कामना की तरंगें सब तरफ फैल रही हैं...*

 

 _ ➳  शनैः शनैः प्रकृति के पांचों तत्त्व शांत हो रहे हैं... हलचल धीरे धीरे समाप्त हो रही है... संसार की सभी आत्मायें आसानी से अपने देह से निकल शान्ति धाम को प्रस्थान कर रही हैं... *बापदादा से निरंतर मेरे मन बुद्धि को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल रही है... और मैं आत्मा चल पड़ी हूं साधना के इस नवीनतम पथ पर अनवरत बिना रुके बिना थके... ओम शांति बाबा*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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