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❍ 26 / 11 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *"हम बेगर से प्रिंस बन रहे हैं" - इस ख़ुशी में रहे ?*
➢➢ *स्वयं को शरीर समझने की कड़ी बीमारी से बचने का पुरुषार्थ किया ?*
➢➢ *वाईसलेस की शक्ति द्वारा तीनो लोकों का अनुभव किया ?*
➢➢ *किसी व्यक्ति, वस्तु व वैभव के प्रति आकर्षित तो नहीं हुए ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ बाप को अव्यक्त रूप में सदा साथी अनुभव करना और सदा उमंग-उत्साह और खुशी में झूमते रहना। *कोई बात नीचे ऊपर भी हो तो भी ड्रामा का खेल समझकर बहुत अच्छा, बहुत अच्छा करते अच्छा बनना और अच्छे बनने के वायब्रेशन से नगेटिव को पॉजिटिव में बदल देना।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं डबल लाइट आत्मा हूँ"*
〰✧ *अपने को सदा डबल लाइट अनुभव करते हो? जो डबल लाइट है उस आत्मा में माइट अर्थात् बाप की शक्तियाँ साथ हैं। तो डबल लाइट भी हो और माइट भी है।* समय पर शक्तियों को यूज कर सकते हो या समय निकल जाता है, पीछे याद आता है? क्योंकि अपने पास कितनी भी चीज है, अगर समय पर यूज नहीं किया तो क्या कहेंगे? जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता हो उस शक्ति को उस समय यूज कर सकेंगे - इसी बात का अभ्यास आवश्यक है।
〰✧ कई बच्चे कहते हैं कि माया आ गई। क्यों आई? परखने की शक्ति यूज नहीं की तब तो आ गई ना! अगर दूर से ही परख लो कि माया आ रही है, तो दूर से ही भगा देंगे ना! माया आ गई - आने का चांस दे दिया तब तो आई। दूर से भगा देते तो आती नहीं। *बार-बार अगर माया आती है और फिर युद्ध करके उसको भगाते हो तो युद्ध के संस्कार आ जायेंगे। अगर बहुतकाल का युद्ध का संस्कार होगा तो चन्द्रवंशी बनना पड़ेगा। सूर्यवंशी बहुतकाल के विजयी और चन्द्रवंशी माना युद्ध करते-करते कभी विजयी, कभी युद्ध में मेहनत करने वाले।* तो सभी सूर्यवंशी हो ना! चन्द्रमा को भी रोशनी देने वाला सूर्य है। तो नम्बरवन सूर्य कहेंगे ना! चन्द्रवंशी दो कला कम हैं। 16 कला अर्थात् फुल पास।
〰✧ *कभी भी मन्सा में, वाणी में या सम्बन्ध-सम्पर्क में, संस्कारों में फेल होने वाले नहीं, इसको कहते हैं - 'सूर्यवंशी'। ऐसे सूर्यवंशी हो? अच्छा। सभी अपने पुरुषार्थ से सन्तुष्ट हो? सभी सब्जेक्ट में फुल पास होना - इसको कहते हैं अपने पुरुषार्थ से सन्तुष्ट।* इस विधि से अपने को चेक करो। यही याद रखना कि मैं उड़ती कला में जाने वाला उड़ता पंछी हूँ। नीचे फँसने वाला नहीं। यही वरदान है।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ बहुत न्यारा और बहुत प्यारा चाहिए। समझा क्या अभ्यास करना चाहिए? मुश्किल तो नहीं लगता है ना? कि थोडा-थोडा मुश्किल लगता है? कर्मेन्द्रियों के मालिक हो ना? राजयोगी अपने को कहलाते हो, किसके राजा हो? अमेरिका के, आफ़िका के! *कर्मन्द्रियों के राजा हो ना! और राजा बन्धन मे आ गया तो राजा रहा?*
〰✧ सभी का टाइटल तो बहुत अच्छा है। *सब राजयोगी हैं तो राजयोगी हो या प्रजायोगी हो?* कभी प्रजायोगी, कभी राजयोगी? तो डबल विदेशी सभी पास विद ऑनर होंगे? बापदादा को तो बहुत खुशी होगी - यदि सब विदेशी पास विद ऑनर हो जायें।
〰✧ थोडा-सा मुश्किल है कि सहज है? अच्छा मुश्किल शब्द आपके डिक्शनरी से निकल गया है। ये ब्राह्मण जीवन भी एक डिक्शनरी है। तो *ब्राह्मण जीवन के डिक्शनरी में मुश्किल शब्द है ही नहीं* कि कभी-कभी उडकर आ जाता है?
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *अभी का तिलक जन्म-जन्मान्तर का तिलकधारी वा ताजधारी बनाता है। तो सदैव एकरस रहना है।* फोला फादर करना है। जो स्वयं हर्षित है वह कैसे भी मन वाले को हर्षित करेगा। *हर्षित रहना यह तो ज्ञान का गुण है। इसमें सिर्फ रूहानियत एड करना है। हर्षितपन का संस्कार भी एक वरदान है जो समय पर बहुत सहयोग देता है।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- याद की यात्रा में रह अपने कैरेक्टर्स सुधारना"*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा कस्तूरी मृग समान इस मायावी जंगल में भटक रही थी... सच्ची सुख, शांति के लिए कहाँ-कहाँ भाग रही थी... अपने निज स्वरुप को भूल, निज गुणों को भूल, आसुरी अवगुणों को धारण कर दुखी हो गई थी... रावण के विकारों की लंका में जल रही थी... परमधाम से प्रकाश का ज्योतिपुंज इस धरा पर आकर मुझ आत्मा की बुझी ज्योति को जगाया...* दैवीय गुणों की सुगंध से मेरे मन की मृगतृष्णा को शांत किया... मैं आत्मा इस देह से न्यारी होती हुई उस ज्योतिपुंज मेरे प्यारे बाबा के पास पहुँच जाती हूँ...
❉ *प्यारे बाबा ज्ञान के प्रकाश से मेरी आभा को प्रकाशित करते हुए कहते हैं:-* "मेरे मीठे फूल बच्चे... ईश्वरीय यादे ही विकारो से मुक्त कराएंगी... मीठे बाबा की मीठी यादे ही सच्चे सुख दामन में सजायेंगी... *यह यादे ही आनन्द का दरिया जीवन में बहायेंगी... और दैवी गुणो की धारणा सुखो भरे स्वर्ग को कदमो में उतार लाएंगी..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा पद्मापदम् भाग्यशाली अनुभव करती हुई कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में सच्चे सुख दैवी गुणो के श्रृंगार से सज कर निखरती जा रही हूँ... *साधारण मनुष्य से सुंदर देवता का भाग्य पा रही हूँ... और विकारो से मुक्त हो रही हूँ..."*
❉ *मीठा बाबा आसुरी अवगुणों के आवरण को हटाकर दैवीय गुणों से भरपूर करते हुए कहते हैं:-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... देह के भान में आकर विकारो के दलदल में गहरे धँस गए थे... अब ईश्वरीय यादो से दुखो की कालिमा से सदा के लिए मुक्त हो जाओ... *दैवी गुणो को जाग्रत कर सुंदर देवताई स्वरूप से सज जाओ... और यादो से अथाह सुख और आनंद की दुनिया को गले लगाओ..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा परमात्म आनंद के झूले में झूलती हुई कहती हूँ:-* "मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा ईश्वरीय यादे ही सच्चे सुखो का आधार है... *यह रोम रोम में बसाकर देवताई गुणो से भरती जा रही हूँ... देह के भान से निकल कर ईश्वरीय यादो में महक रही हूँ...* और उज्ज्वल भविष्य को पाती जा रही हूँ..."
❉ *मेरे बाबा मेरा दिव्य श्रृंगार कर पावन बनाते हुए कहते हैं:-* "प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... विकारो रुपी रावण ने सच्चे सुखो को ही छीन लिया और दुखो के गर्त में पहुंचाकर शक्तिहीन किया है... *अब अपनी देवताई सुंदरता को पुनः ईश्वरीय यादो से पाकर... दैवी गुणो की खूबसूरती से दमक उठो... यह दैवी गुण ही स्वर्ग के सच्चे सुखो का आधार है..."*
➳ _ ➳ *मैं आत्मा दैवीय गुणों से सज धज कर खूबसूरत परी बनकर कहती हूँ:-* "हाँ मेरे मीठे बाबा... *मै आत्मा सच्चे ज्ञान को पाकर देवताई गुण स्वयं में भरने की शक्ति... मीठे बाबा की यादो से पाती जा रही हूँ...* और विकारो से मुक्त होकर अपने सुन्दरतम स्वरूप को पा रही हूँ... अपनी खोयी चमक को पुनः पा रही हूँ..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- हीरे जैसा जीवन बनाना है*"
➳ _ ➳ इस नश्वर दुनिया की नश्वर बातों में उलझा मेरा यह जीवन जो कौड़ी तुल्य बन गया था उसे मेरे सत्य सदा शिव परमात्मा बाप ने आ कर सत के संग द्वारा हीरे तुल्य बनाने का जो रास्ता दिखाया उस रास्ते पर चल *अपने कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बनाने का तीव्र पुरुषार्थ करने का दृढ़ संकल्प करके, अपने दिलाराम बाबा की याद में मैं अशरीरी हो कर बैठ जाती हूँ* और अशरीरीपन की इस अवस्था मे देह से न्यारी हो कर मैं आत्मा परमात्म प्यार के पंख लगा कर उड़ चलती हूँ अपने दिलाराम परमात्मा बाप के पास।
➳ _ ➳ परमात्म प्यार की पालकी में सवार मैं आत्मा इस दुनिया के नजारो को देखती जा रही हूं। मैं देख रही हूं कैसे दुनिया के लोग विनाशी चीजो को पाने की होड़ में अपने जीवन को व्यर्थ गंवा रहें हैं। *केवल खाना, पीना और सोना इसी को जीवन का सच समझ कर अनमोल श्वासों की पूंजी को कौड़ियो के भाव नष्ट कर रहें हैं*। इस बात से भी अनजान है कि सत्य परमात्मा बाप सत का संग करा कर हमारे जीवन को हीरे तुल्य बनाने आये हुए है। यह विचार करते करते मैं जा रही हूं और मन ही मन अपने शिव पिता को धन्यवाद देती जा रही हूं जिन्होंने मुझे श्वांसों के इस अनमोल खजाने को सफल करने का सत्य रास्ता दिखा दिया।
➳ _ ➳ अब मुझे केवल इस सत्य की राह पर आगे बढ़ते जाना है। श्वांसों श्वांस अपने बाबा की याद में रह श्वांसों की इस अनमोल पूंजी को सफल करना है। *मेरा यह ब्राह्मण जीवन मेरे दिलाराम बाबा की अमानत है इसलिए मनमत या परमत पर चल मुझे इस अमानत में अब खयानत नही डालनी* बल्कि हर कदम श्रीमत पर चल ईश्वरीय याद में रह, ईश्वरीय सेवा में अपने संकल्प, समय और श्वांसों को लगा कर अपने कौड़ी तुल्य जीवन को हीरे तुल्य बना कर सफल करना है। *स्वयं से यह बातें करते करते मैं पांचो तत्वों को पार कर, पहुंच जाती हूँ फरिश्तों के उस आलौकिक दिव्य वतन में जहां मैं अपने दिलाराम बाबा के साथ बैठ कर मीठी मीठी रूहरिहान कर सकती हूं*।
➳ _ ➳ जैसे ही मैं वतन में पहुंच कर अपना सूक्ष्म आकारी शरीर धारण करती हूं मेरे दिलाराम मीठे शिव बाबा भी परमधाम से नीचे वतन में आ जाते हैं और आ कर अपने आकारी रथ पर विराजमान हो जाते हैं। *मुझे देखते ही मेरे दिलाराम बाबा मुस्कराते हुए अपनी बाहें फैला लेते हैं और मैं फ़रिशता दौड़ कर उनकी बाहों में समा जाता हूँ*।
➳ _ ➳ इस अलौकिक मिलन के असीम सुख की अनुभूति में आत्म विभोर हो कर मैं अपने दिल की भावनाओ को अपने दिलाराम बाबा के सामने अभिव्यक्त कर रही हूं:- *"हे मेरे प्राणेश्वर बाबा अब आप ही मेरा संसार हो, आप ही मेरे सर्वस्व हो। मेरे जीवन को सुखमय बनाने वाले आप ही मेरे दिल के सच्चे सच्चे मीत हो। अज्ञान अंधकार में भटक कर मैने तो अपने जीवन को कौड़ी तुल्य बना लिया था किंतु आपने आ कर मुझे हीरे जैसा बेदाग बना दिया। आपकी याद अब मेरी श्वांसों में बस गई है"।*
➳ _ ➳ अपने मन के भावों को व्यक्त करते करते मैं अपने दिलाराम बाबा के प्यार की गहराई में खो जाती हूँ और उनसे आ रही प्रेम की किरणों से स्वयं को भरपूर करने लगती हूं। अपने *दिलाराम बाबा के प्यार की अनमोल यादों को दिल मे सँजोये अब मैं जागती ज्योत बन लौट रही हूं वापिस अपने साकारी तन में और सच्ची सच्ची मीरा बन हर श्वांस में अपने गिरधर गोपाल अपने दिलाराम बाबा की याद को समाये अपने जीवन को हीरे तुल्य बना रही हूं*। मन मे अब यही धुन निरन्तर बज रही है "मेरे तो शिवबाबा एक, दूसरा ना कोई"।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं वाइसलेस की शक्ति द्वारा सूक्ष्मवतन वा तीनो लोको का अनुभव करने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा किसी व्यक्ति, वस्तु और वैभव के प्रति आकर्षित होने से सदैव मुक्त हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा कंपैनियन बाप को संकल्प से तलाक देने से सदा मुक्त हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा निरंतर योगी हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *वाह मेरा परिवार! वाह मेरा भाग्य! और वाह मेरा बाबा! ब्राह्मण जीवन अर्थात् वाह-वाह! हाय-हाय नहीं।* शारीरिक व्याधि में भी हाय-हाय नहीं, वाह! यह भी बोझ उतरता है। अगर 10 मण से आपका 3-4 मण बोझ उतर जाए तो अच्छा है या हाय-हाय? क्या है?वाह बोझ उतरा! हाय मेरा पार्ट ही ऐसा है! हाय मेरे को व्याधि छोड़ती ही नहीं है! आप छोड़ो या व्याधि छोड़ेगी? *वाह-वाह करते जाओ तो वाह-वाह करने से व्याधि भी खुश हो जायेगी।* देखो, यहाँ भी ऐसे होता है ना, किसकी महिमा करते हो तो वाह-वाह करते हैं। तो व्याधि को भी वाह-वाह कहो। हाय यह मेरे पास ही क्यों आई, मेरा ही हिसाब है! प्राप्ति के आगे हिसाब तो कुछ भी नहीं है। *प्राप्तियां सामने रखो और हिसाब किताब सामने रखो, तो वह क्या लगेगा? बहुत छोटी सी चीज लगेगी।* मतलब तो ब्राह्मण जीवन में कुछ भी हो जाए, पाजिटिव रूप में देखो। निगेटिव से पाजिटिव करना तो आता है ना। निगेटिव पाजिटिव का कोर्स भी तो कराते हो ना! तो उस समय अपने आपको कोर्स कराओ तो मुश्किल सहज हो जायेगा। *मुश्किल शब्द ब्राह्मणों की डिक्शनरी में नहीं होना चाहिए। अच्छा - कोई भी हिसाब है, आत्मा से है, शरीर से है या प्रकृति से है; क्योंकि प्रकृति के यह 5 तत्व भी कई बार मुश्किल का अनुभव कराते हैं। कोई भी हिसाब-किताब योग अग्नि में भस्म कर लो।*
✺ *ड्रिल :- "ब्राह्मण जीवन में वाह-वाह करते हिसाब-किताब से छूटने का अनुभव"*
➳ _ ➳ *कोहिनूर समान चमकती हुई मैं नूर भृकुटी सिंहासन पर विराजमान हो जाती हूँ...* मुझ नूर से चमकती हुई किरणें निकल कर चारों ओर फैल रही है... इस शरीर से बाहर निकलकर चमकते हुए प्रकाश के कार्ब में बैठकर मैं आत्मा पहुँच जाती हूँ सूक्ष्मवतन... श्वेत प्रकाश की दुनिया में... *जहाँ बापदादा हिसाब-किताब के लिस्ट देख रहे हैं...* मैं आत्मा बाबा के पास जाकर बैठ जाती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा बाबा से पूछती हूँ प्यारे बाबा- इस लिस्ट में मेरे और कितने हिसाब किताब रह गए हैं... बाबा बोले- *मीठी बच्ची 63 जन्मों के हिसाब किताब हैं... यूं ही थोड़ी खत्म हो जायेंगे...* हाँ बाबा कब से मैं आप को ढूंढ रही थी... पर आपने मुझे ढूंढ लिया... *कितने समय के बाद बाबा आप मिले हो कह कर मैं आत्मा बाप दादा के गले लग जाती हूँ...*
➳ _ ➳ *मेरी सिकीलधि बच्ची कहकर बापदादा मुझे अपनी गोदी में बिठाकर... मुझ पर अनन्त प्यार बरसा रहे हैं...* मैं आत्मा बाबा के प्यार में समा रही हूँ... मुझ आत्मा का कितना ऊंचा भाग्य है जो ऊँचे ते ऊँचे परमात्मा के साथ विशेष पार्ट है... अब मैं सदा इसी स्मृति में रहती हूँ कि मैं श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा गुणों के सागर की संतान हूँ... मैं आत्मा स्मृति स्वरूप बन रही हूँ...
➳ _ ➳ बाबा मुझे वाह-वाह के गीत गाकर सुनाते हैं... *मुझ आत्मा के सभी हिसाब-किताब इस प्यारे से मीठे से वाह-वाह के गीत सुनकर चुक्तू हो रहे हैं...* वाह बाबा वाह ! आपने कितना सरल उपाय बताकर मुझ आत्मा के बोझ को हल्का कर दिया... प्यारे मीठे बाबा इस हाय-हाय की जंजीर से मुझ आत्मा को आपने मुक्त कर दिया है...
➳ _ ➳ *अब मैं नूर सदा निगेटिव को पॉजिटिव कर बाबा की नूरे रतन बन गई हूँ...* प्रभु पसन्द बन गई हूँ... *अब मैं आत्मा सदा योग अग्नि से अपने हिसाब किताब चुक्तू करती हूँ...* मैं आत्मा बाबा से मिली अनन्त प्राप्तियों का, अखण्ड खजानों का अनुभव करती हूँ... *अब मैं आत्मा सदा वाह मेरा परिवार ! वाह मेरा भाग्य ! और वाह मेरा बाबा ! के गीत गाते अपने को सरलता से सभी हिसाब किताब से छूटने का अनुभव कर रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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