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 27 / 11 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *अशरीरी बनने का पुरुषार्थ किया ?*

 

➢➢ *डायरी में याद का चार्ट नोट किया ?*

 

➢➢ *नॉलेज रुपी चाबी द्वारा भाग्य का खुत खजाना प्राप्त किया ?*

 

➢➢ *बाप से कनेक्शन ठीक रखा ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *मन की एकाग्रता ही एकरस स्थिति का अनुभव करायेगी।* एकाग्रता की शक्ति द्वारा अव्यक्त फरिश्ता स्थिति का सहज अनुभव कर सकोगे। *एकाग्रता अर्थात् मन को जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो उतना समय एकाग्र कर लो। मन वश में हो।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ"*

 

  सदा ही अपने को 'शक्तिशाली' आत्मायें हैं - इस अनुभूति में रहो। शक्तिशाली आत्माओंके आगे चाहे माया के विघ्न हों, चाहे व्यक्ति द्वारा वा प्रकृति द्वारा विघ्न आयें लेकिन अपना प्रभाव नहीं डाल सकते हैं। तो ऐसे मास्टर सर्वशक्तिवान बने हो या कमजोर हो? अगर एक भी शक्ति की कमी होगी तो हार हो सकती है। समय पर छोटा-सा शस्त्र भी अगर किसके पास नहीं है तो नुकसान हो जाता है। *एक भी शक्ति कम होगी तो समय पर धोखा मिल सकता है। इसलिए मास्टर सर्वशक्तिवान हैं - शक्तिवान नहीं, यही टाइटल याद रखना। सदा खुशहाल रहना और औरों को भी खुशहाल बनाना। कभी भी मुरझाना नहीं। तन भी खुश, मन भी खुश और धन भी खुशी से कमाने वाले और खुशी से कार्य में लगाने वाले।*

 

  जहाँ खुशी है वहां एक सौ भी हजारों के समान होता है, खुशहाली आ जाती है। और जहाँ खुशी नहीं वहाँ एक लाख भी एक रुपया है। तो तन-मन-धन से खुशहाल रहने वाले हैं। दाल-रोटी भी - 36 प्रकार का भोजन अनुभव हो। *तो यही वरदान याद रखना कि हम सदा खुशहाल रहने वाले हैं। मुरझाना काम माया के साथियों का है और खुशहाल रहना काम बाप के बच्चों का है। अपने को गरीब कभी नहीं समझना। सबसे साहूकार हम हैं। दुनिया में साहूकार देखना हो तो आपको देखें।* क्योंकि सच्चा धन आपके पास है। विनाशी धन तो आज है, कल नहीं होगा। लेकिन अविनाशी धन आपके पास है। तो सबसे साहूकार आप हो। चाहे सूखी रोटी भी खाते हो, तो भी साहूकार हो क्योंकि खुशी की खुराक सूखी रोटी में भरी हुई है। उसके आगे और कोई खुराक नहीं। सबसे अच्छी खुराक खाने वाले, सुख की रोटी खाने वाले आप लोग हो।

 

  *इसलिए सदा खुशहाल हो। कभी यह नहीं सोचना कि अगर साहूकार होते तो यह करते! साहूकार होते तो आते ही नहीं, वंचित रह जाते। तो ऐसे खुशहाल रहना जो आपको खुशहाल देख और भी खुशहाल हो जाएँ।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  भारत के चारों तरफ से पहुँचे हैं। सब तरफ से आये हैं या कोई रह गया है? सभी जोन आ गये हैं। तो जैसे आने में एवररेडी होकर पहुँच गये, ऐसे ही *अगर बापदादा ऑर्डर करे कि अभी एक सेकण्ड में वापस घर जाने की तैयारी करो तो कर सकते हो?*

 

✧  कि याद आयेगा टेलीफोन कर दें कि हम जा रहे हैं, प्रवृत्ति वाले याद करेंगे? ऐसी प्रैक्टिस करो - *एक सेकण्ड में आत्मा शरीर से परे होने के लिये एवररेडी बन जाये।* क्योंकि सबका वायदा है - साथ चलेंगे। वायदा है, कि नहीं?

 

✧  बाप चला जाये और हम देखते रहें! नहीं, *साथ रहेंगे, साथ चलेंगे। तो चलने के लिये तैयारी भी चाहिए ना।* कोई गोल्डन, सिल्वर, कॉपर की सूक्ष्म रस्सियाँ तो नहीं हैं, जो आप उडने की कोशिश करो और रस्सी आपको नीचे ले आये? तो चेक करो और अभ्यास करो कि सेकण्ड में अशरीरी बन सकते हैं?

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *अपने कमज़ोर संकल्प गिराने का कारण बन जाते हैं। इसलिए एक संकल्प भी व्यर्थ न जाये।* क्योंकि संकल्पों के मूल्य का भी अभी मालूम पड़ा है। *अगर संकल्प, वाचा, कर्मणा- तीनों अलौकिक होंगे तो फिर अपने को इस लोक के निवासी नहीं समझेंगे।* समझेंगे कि इस पृथ्वी पर पाँव नहीं हैं अर्थात् बुद्धि का लगाव इस दुनिया में नहीं है। *बुद्धि रूपी पाँव देह रूपी धरती से ऊँचा है। यह खुशी की निशानी है।* जितना-जितना देह के भान की तरफ से बुद्धि ऊपर होगी उतना वह अपने को फ़रिश्ता महसूस करेगा। *हर कर्तव्य करते बाप की याद में उड़ते रहेंगे तो उस अभ्यास का अनुभव होगा। स्थिति ऐसी हो जैसे कि उड़ रहे हैं। अच्छा।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- ड्रामा के खेल को जानना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा अपने संकल्पों पर कंट्रोल करते हुए भृकुटी पर अपना ध्यान केन्द्रित करती हूँ... अपने मस्तक पर चमकते हुए सितारे को देख रही हूँ... अपने सत्य स्वरुप का अनुभव करती हुई अपने मस्तक से बाहर निकल उड़ान भरती हूँ आसमान की ओर...* खुले आसमान में उड़ते हुए सूरज, चाँद, सितारों को पार करते हुए मैं आत्मा बहुत दूर निकल जाती हूँ... और प्रवेश करती हूँ सूक्ष्म वतन में प्यारे बापदादा के पास ड्रामा के सारे राजों को जानने...

 

   *ड्रामा के आदि मध्य अंत के गुह्य रहस्यों का ज्ञान देकर ज्ञान का तीसरा नेत्र देते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे बच्चे... किस कदर खूबसूरत प्यारा सा भाग्य लिए हो... कि पिता से सारे खजाने लेकर मा ज्ञानसागर बन गए हो... *सृष्टि के राजो को जानकर मीठे नशे में भर गए हो... और आशिक बन माशूक की यादो में खो गए हो...”*

 

_ ➳  *प्यारे बाबा का ज्ञान सिमरकर त्रिकालदर्शी बन तीनों कालों का सैर करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा सारे राजो को जानकर मा त्रिलोकीनाथ हो गई हूँ... *सब कुछ जानकर मै आत्मा सच्ची ख़ुशी से भर सच्ची आशिक पिता माशूक की हो गई हूँ...”*

 

 ❉   *बेहद के प्यारे बाबा हद से निकाल बेहद की ज्ञान वर्षा में भिगोते हुए कहते हैं:-* मीठे प्यारे बच्चे... हदो को जानने वाले बच्चे ज्ञान के तीसरे नेत्र से बेहद के राजदार बन पड़े हो... *अपने खूबसूरत सत्य स्वरूप से भविष्य की खूबसूरती को बाँहो में भर लिए हो... सदा के बुद्धिवान हो गए हो...”*

 

_ ➳  *दिव्य ज्ञान की ज्योति से सजधज कर जगमग जगमग करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... मै आत्मा देहभान के जंजालों में फसी पड़ी थी... *आपने ज्ञान का तीसरा नेत्र देकर सदा का रौशन किया है... मै आत्मा सृष्टि के सारे राजो को जानकर खुशनुमा बन गई हूँ...”*

 

 ❉   *ज्ञान चन्द्रमा मेरा बाबा ज्ञान कस्तूरी से मुझ आत्मा को सुवासित कर कहते हैं:-* प्यारे बच्चे... ईश्वरीय पिता का मिलना... उसके साये में बैठना और सारे भेद जान लेना... *खुद के सत्य स्वरूप को जान मन्त्रमुग्ध हो जाना... कितनी मीठी प्यारी जादूगरी है... और यही सच्ची आशिकी है जो माशूक से है... कि बच्चे आशिकी में खुद को निखार रहे है...”*

 

_ ➳  *अपने मन में शिव का ज्ञान धर एक शिव को मन मंदिर में बसाकर मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा इस मीठी खूबसूरत जादूगरी से भर कर अपने भाग्य पर इठला रही हूँ.... *अपनी माशूक पिता से हुई आशिकी पर मुझे नाज है... कि ईश्वर मेरा माशूक है...”*

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- अपनी उन्नति के लिए डायरी में याद का चार्ट नोट करना है*"

 

_ ➳  देह और देह से जुड़े पदार्थो और सम्बन्धो की याद केवल दुख देने वाली है जबकि सुखदाई बाप की याद जीवन को सुख और शांति से भरपूर करने वाली है, मन को सुकून और चित को चैन देने वाली है। *यही विचार करते करते अपने मीठे प्यारे शिवबाबा की मीठी मधुर यादों में मैं खो जाती हूँ और उस सुखद पल को याद करती हूं जब पहली बार झूठे स्वार्थी दैहिक प्यार से परे निस्वार्थ सच्चे रूहानी प्यार का एहसास किया था*। जब मेरे दिलाराम भगवान ने सच्चा प्रीतम बन दैहिक सम्बन्धों के दुखदाई कड़वे वचनों से घायल हुए मेरे मन को अपने मीठे सुखदाई बोल से यह कह कर मरहम लगाया था कि *"मैं तुम्हारा हूँ, तुम्हारे लिए ही आया हूँ"। उनका यह कहकर अपने प्यार की शीतल छाया में मुझे समा लेना आज भी मन को उसी खूबसूरत एहसास से सरोबार कर देता है*।

 

_ ➳  उस खूबसूरत एहसास को स्मृति में ला कर अगले ही पल इस नश्वर देह का त्याग कर अशरीरी आत्मा बन मैं उड़ चलती हूँ अपने दिलबर, दिलाराम शिव पिया के पास अपने स्वीट साइलेन्स होम में। यहां पहुँचते ही एक असीम गहन शांति का मैं अनुभव कर रही हूं। *ऐसा लग रहा है जन्म जन्म से मुझे जिस चीज की तलाश थी, जिसके लिए मैं आत्मा भटक रही थी वो तलाश अब पूरी हो गई*। मेरे सामने विराजमान है महाज्योति स्वरूप में मेरे दिलाराम शिव बाबा। उनसे निकल रही शक्तियों और गुणों की अनन्त किरणे मुझ पर पड़ रही हैं और असीम आनन्द से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं। अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हुए मैं आत्मा सजनी प्रेम के सागर अपने शिव पिया के प्यार की गहराई में समाती जा रही हूं।

 

_ ➳  ईश्वरीय प्रेम का सच्चा सुख प्राप्त कर, स्वयं को पूरी तरह तृप्त और शक्तियों से भरपूर करके अब मैं आत्मा साकारी दुनिया मे वापिस लौट रही हूं। *परमात्म प्रेम का सुखदाई अनुभव, साकारी देह में रहते हुए भी अब मुझे देह और देह से जुड़े बन्धनों से मुक्त कर रहा है*। किसी भी देहधारी के झूठे प्यार का आकर्षण अब मुझे आकर्षित नही कर रहा। सर्व सम्बन्धों का सच्चा रूहानी प्यार मेरे मीठे शिव बाबा से मुझे निरन्तर प्राप्त हो रहा है। "मुझ से श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा इस संसार मे और कोई नही"। *स्वयं भाग्यविधाता भगवान मेरा सर्व सम्बन्धी बन गया। इसी श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति और नशे में रहते हुए अब मैं पुरानी दुनिया और इसके आकर्षणों से मुक्त हो रही हूं*।

 

_ ➳  मेरे दिलाराम, दिलबर भगवान की याद मुझे इस पुरानी देह और देह के सम्बन्धो से सहज ही नष्टोमोहा बना रही है। मैं आत्मअभिमानी बनती जा रही हूं। *हर कर्म करते अपने दिलाराम शिव बाबा का हाथ और साथ अपने ऊपर मैं निरन्तर अनुभव करते हुए देह में रहते हुए भी देह से उपराम स्थिति का अनुभव कर रही हूं*। मैं अच्छी रीति जान गई हूं कि केवल परमात्मा की याद ही आत्मा को पुराने दैहिक कर्मबन्धनों से मुक्त कर सकती है। केवल परमात्म प्यार ही आत्मा को तृप्त कर सकता है। इसलिए परमात्म याद में निरन्तर रहने का अभ्यास बढ़ाना ही अब मेरे इस ब्राह्मण जीवन का लक्ष्य है।

 

_ ➳  इस लक्ष्य को पाने के लिए अब मैं ब्राह्मण आत्मा इस देह और देह की दुनिया मे रहते हुए स्वयं को केवल ट्रस्टी समझ हर कर्तव्य कर रही हूं। यह सृष्टि एक विशाल नाटक हैं जहां मैं शरीर धारण कर पार्ट बजा रही हूँ। *मुझ बिन्दु आत्मा को बिंदु बाप की याद से पावन बन कर वापिस अपने धाम जाना है इस बात को सदा स्मृति में रख बिंदु रूप में स्थित हो, बिंदु बाप की याद में रह, ड्रामा की हर सीन को साक्षी हो कर देख हर बात पर बिंदु लगाने का अभ्यास करते, अब मैं याद के चार्ट को बढ़ाने का पुरुषार्थ कर रही हूँ*।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

✺   *मैं नॉलेज रूपी चाबी द्वारा भाग्य का अखुट खजाना प्राप्त करने वाली आत्मा हूँ।*

✺   *मैं मालामाल आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

✺   *मैं आत्मा सदा बाप से कनेक्शन ठीक रखती हूँ  ।*

✺   *मैं आत्मा सदैव सर्व शक्तियों की करंट अनुभव करती हूँ  ।*

✺   *मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  बिजनेस वाले हाथ उठाओ। बिजनेस वाले क्या सोचते हैं?खास आपको चांस मिला है। *बिजनेस वालों को बाप से भी बिजनेस कराओ।* सिर्फ खुद किया वह तो अच्छा किया लेकिन औरों को भी बाप से बिजनेस कराओ क्योंकि आजकल सर्व बिजनेसमैन टेन्शन में बहुत हैं। बिजनेस समय अनुसार नीचे जा रहा है। इसलिए जितना भी पैसा हैपैसे के साथ चिंता है-क्या होगा! तो *उन्हों को चिंता से हटाए अविनाशी खजाने का महत्व सुनाओ।* तो जितने भी बिजनेसमैन आये हैं चाहे छोटा बिजनेस हैचाहे बड़ा है। लेकिन *अपने हमजिन्स कार्य करने वालों को खुशी का रास्ता बताओ।* जो भी आप बिजनेसमैन आये हैं उन्हों को चिंता हैक्या होगाकैसे होगाचिंता हैचिंता नहीं है तो हाथ उठाओ। कल कुछ हो जाये तोबेफिकर बादशाह हैं?बिजनेसमैन बेफिक्र बादशाह हैंथोड़ों ने हाथ उठाया? जिसको थोड़ा-थोड़ा फिकर है वह हाथ उठा सकते हो या शर्म आयेगा?बापदादा ने टाइटल ही दिया है - *बेफिक्र बादशाह, बेगमपुर के बादशाह।*

 

 _ ➳  तो जब भी कोई ऐसी बात आये, आयेगी तो जरूर *लेकिन आप बेगमपुर में चले जाना।* बेगमपुर में बैठ जाना तो बादशाह भी हो जायेंगे और बेगमपुर में भी हो जायेंगे। आपने ही आह्वान किया है कि *पुरानी दुनिया जाये और नई दुनिया आये,* तो जायेगी कैसेनीचे ऊपर होगी तब तो जायेगी। *कुछ भी हो जाए आपको बेफिक्र बनना ही है।* आपने ही आह्वान किया हैपुरानी दुनिया खत्म हो। तो पुरानी दुनिया में पुराने मकान में क्या होता है? कभी क्या टूटता हैकभी क्या गिरता हैतो यह तो होगा ही। नथिंगन्यु। *ब्रह्मा बाप का यही हर बात में शब्द था - 'नथिंगन्यु'।* होना ही हैहो रहा है और हम बेफिक्र बादशाह। ऐसे बेफिक्र हो? बेफिक्र होंगे तो देवाला भी बच जायेगा और फिक्र में होंगेनिर्णय ठीक नहीं होगा तो एक दिन में क्या से क्या बन जाते हैं। यह तो जानते ही हो। बेफिक्र होंगे, *निर्णय अच्छा होगा* तो बच जाेंगे।

 

 _ ➳  *टचिंग होगी - अभी समय अनुसार यह करें या नहीं करें!* इसीलिए फिक्र माना बिजनेस भी गिरना और अपनी स्थिति भी गिरना। *तो सदैव यह याद रखो - बेफिक्र बादशाह हैं।* फिक्र की बात भी बदल जायेगी। *हिम्मत नहीं हारो, दिलशिकस्त कभी नहीं हो।* हिम्मत से बाप की मदद मिलती रहेगी। बाप मदद के लिए बंधा हुआ है लेकिन हिम्मतहीन का मददगार नहीं है। आप सोचेंगे कि बाप की मदद तो मिली नहीं, लेकिन पहले यह सोचो हिम्मत हैहिम्मत बच्चे की मदद बाप की। आधा शब्द नहीं पकड़ो, बाप की मदद तो चाहिए ना! लेकिन हिम्मत रखी? दिलशिकस्त न होकर हिम्मत रखते चलो तो *मदद गुप्त मिलती रहेगी।* तो बोलो कौन होबिजनेसमैन सभी बोलो कौन होबेफिक्र बादशाह होयह याद रखना। *हिम्मत कभी नहीं छोड़ना,* कुछ भी हो जाए मदद मिलेगी। लेकिन *आधा नहीं याद करना। पूरा याद रखना।*

 

✺   *ड्रिल :-  "बेफिकर बिजनेसमैन बनने का अनुभव"*

 

 _ ➳  आज बापदादा वतन में बैठें हुए मुझ आत्मा को रूहानी बिजनेसमैन बना रहे हैं... *मुझ आत्मा को ख़ास बाबा ने रूहानी बिजनेस करने का चांस दिया हैं...* रूहानी कमाई करने के साथ साथ सर्व गुण, सर्व ख़जाने, ईश्वरीय सुख़, ब्राह्मण जीवन और स्वर्ग में चलने का बिजनेस मै आत्मा बाबा के साथ कर रही हूँ... *मै आत्मा कौन हूँ कहां से आई हूँ...* सबकुछ जान चुकी हूँ... मै आत्मा परमपिता शिव परमात्मा को और उनके दिव्य कार्य को भी जान चुकी हूँ... अब मै आत्मा ये रूहानी बिजनेस और आत्माओं को भी बता रही हूँ... कि परमात्म खजानों का बिजनेस कैसे करे... आज के समय में सर्व आत्माएँ जिस्मानी बिजनेस और दूसरे कार्य में इतनी उलझी हुई हैं कि परमात्म्य सुख से वंचित हैं...पर *मै आत्मा इस संगम युग में परमात्म्य सुख और साथ का आनंद ले रही हूँ...*  

 

 _ ➳  इस अंतिम समय में जहाँ सबकुछ विनाश कि ओर अग्रसर हैं... सभी आत्माएं इतनी चिंता में डूबी हुई हैं... उन सभी आत्माओ को *मै आत्मा रूहानी बिजनेस कराकर उन्हें ख़ुशी का रास्ता बता रही हूँ... और सुख शांति की किरणें बाँट रही हूँ... मै आत्मा अपना सबकुछ एक बाप को सौप कर चिंता मुक्त एकदम बेफ़िक्र बादशाह बनती जा रही हूँ...* क्यूंकि मेरा पालनहार स्वयं परमपिता परमात्मा हैं... मुझ आत्मा को किसी भी प्रकार की कोई भी चिंता नहीं हैं... *भगवान बाप ने मुझ आत्मा को बेफ़्रिक बादशाह, बेगमपुर का बादशाह बनाया हैं...* इस स्वमान से मै आत्मा बेफ़िक्र बन गई हूँ...

 

 _ ➳  मुझ आत्मा को कोई भी बात परेशान नहीं कर सकती हैं... क्यूंकि *मै आत्मा अब बेगमपुर की बादशाह बन गई हूँ...* क्यूंकि मुझ आत्मा को अब बाप के साथ साथ इस ड्रामा का भी नॉलेज हैं... मै आत्मा साक्षी होकर के सब देख रही हूँ... *मै आत्मा नई दुनिया में जानें के लिए समय का आह्वान कर रही हूँ...* क्यूंकि नई दुनिया में चिंता, दुःख का नामोनिशान नहीं हैं... कैसी भी परिस्थिति मुझ आत्मा के जीवन में आये मै आत्मा बेफ़्रिक रहतीं हूँ... क्यूंकि शिव पिता मेरे साथ हैं... और मै आत्मा ड्रामा में अटल हूँ... जो भी हो रहा है वो *हर कल्प रिपीट होता हैं... नथिंग न्यू...* मुझ आत्मा की बुद्धि बेफ़िक्र होने के कारण हर समय सही निर्णय ले रही हैं... सही निर्णय लेने के कारण मुझ आत्मा के साथ सदैव अच्छा और सही हो रहा हैं... *बाप ने मुझ आत्मा को निर्णय लेने की शक्ति से भरपूर किया हैं...*

 

 _ ➳  बेफ़्रिक बादशाह और बेफ़िक्र बुद्धि होने के कारण मुझ आत्मा को *सदैव बाप की मदद की टचिंग होती हैं...* बुद्धि की लाइन एकदम क्लियर हैं... और समय अनुसार क्या करना हैं... क्या नहीं करना हैं... ये टचिंग परमात्मा बाप से मुझ आत्मा को मिल रही हैं... बेफ़िक्र बादशाह होने के कारण मुझ आत्मा को हर कार्य और जिस्मानी बिज़नेस में भी सफ़लता मिल रही हैं... और मेरी स्व स्थिति भी बहुत अच्छी बन रही हैं... क्यूंकि *बेफ़िक्र बादशाह होने के कारण हर कार्य में सफ़लता पा रही हूँ...* मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह हूँ... ये मुझ आत्मा कि स्मृति में हैं... और आने वाली परिस्थितियों को भी मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह बनकर पार कर रही हूँ और उन्हें बदल भी रही हूँ... *मै आत्मा कभी भी हिम्मत नहीँ हारती हूँ...* और ना ही कभी दिलशिकस्त होती हूँ... क्यूंकि *परमात्मा बाप ने मुझे बेफ़िक्र बनाया हैं...* मैं हर ात में ख़ुश हूँ... मुझ आत्मा के साथ स्वयं भगवान हैं... मेरे हर क़दम के साथ बाप हैं... और उनकी मदद हैं... *हिम्मते बच्चे मददे बाप ये मुझ आत्मा का स्वमान हैं...* स्वयं भगवान मुझ आत्मा का मददगार बना हैं...

 

 _ ➳  *मै आत्मा कभी भी हिम्मत हीन नहीं होती हूँ...* क्यूंकि जहां मै आत्मा अपने स्वमान से नीचे उतरी, वहां मुझें *परमात्मा बाप की मदद और टचिंग नहीं होगीं...* हिम्मत हैं तो परमात्मा बाप का साथ हैं, उनकी मदद हैं... मै आत्मा अपने स्वमान के साथ सदा आगें बढती जा रहीं हूँ... हिम्मत रख बाप के क़दम पर क़दम रख आगे बढ़ रहीं हूँ... मै आत्मा पूरी तरह से बाप के साथ हूँ... और उनकी पूरी मदद मुझ आत्मा को मिल रही हैं... बाबा की गुप्त मदद से मै आत्मा हिम्मत रख हर परिस्थिति को पार कर रहीं हूँ... *मुझ आत्मा के साथ और भी आत्माएँ बेफ़िक्र बादशाह बनती जा रही हैं...* चारों ओर यहीं आवाज़ गूंज रही हैं... कि मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह हूँ... मै आत्मा बेफ़िक्र बादशाह हूँ... चाहे कुछ भी हो जाये, *मैं आत्मा हिम्मत कभी नही छोड़ती हूँ...* मै आत्मा हमेशा बाप के साथ हूँ... और उनकी मदद ले रही हूँ... *मै आत्मा बेफ़िक्र बनकर बेफ़िक्र बिज़नेसमैन बन चुकीं हूँ...* और बाप के साथ पूरा पूरा रूहानी बिज़नेस कर रहीं हूँ...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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