━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 06 / 12 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *सदा एक की लगन में मगन रहे ?*

    

➢➢ *पवित्रता के वरदान को अधिकार के रूप में अनुभव किया ?*

 

➢➢ *निस्वार्थ निर्विकल्प स्थिति से सेवा की ?*

 

➢➢ *विघन डालने वाली आत्मा को अनुभवी बनाने वाला शिक्षक समझा ?*

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  आत्मा शब्द स्मृति में आने से ही रुहानियत के साथ शुभ-भावना भी आ जाती है। पवित्र दृष्टि हो जाती है। *चाहे भल कोई गाली भी दे रहा हो लेकिन यह स्मृति रहे कि यह आत्मा तमोगुणी पार्ट बजा रही है तो उससे नफरत नहीं करेंगे, उसके प्रति भी शुभ भावना बनी रहेगी।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✺   *"मैं लाइट हाउस, माइट हाउस हूँ"*

 

✧  अपने को लाइट हाउस और माइट हाउस समझते हो? जहाँ लाइट होती है वहाँ कोई भी पाप का कर्म नहीं होता है। *तो सदा लाइट हाउस रहने से माया कोई पाप कर्म नहीं करा सकती।* सदा पुण्य आत्मा बन जायेंगे। 

 

✧  ऐसे अपने को पुण्य आत्मा समझते हो? पुण्य आत्मा संकल्प में भी कोई पाप कर्म नहीं कर सकती। *और पाप वहाँ होता है जहाँ बाप की याद नहीं होती। बाप है तो पाप नहीं, पाप है तो बाप नहीं।* तो सदा कौन रहता है? पाप खत्म हो गया ना? जब पुण्य आत्मा के बच्चे हो तो पाप खत्म।

 

✧  तो आज से 'मैं पुण्य आत्मा हूँ पाप मेरे सामने आ नहीं सकता' यह दृढ़ संकल्प करो। जो समझते हैं आज से पाप को स्वपन में भी, संकल्प में भी नहीं आने देंगे वह हाथ उठाओ। *दृढ़ संकल्प की तीली से 21 जन्मों के लिए पाप कर्म खत्म।* बापदादा भी ऐसे हिम्मत रखने वाले बच्चों को मुबारक देते हैं। यह भी कितना भाग्य है जो स्वयं बाप बच्चों को मुबारक देते हैं। इसी स्मृति में सदा खुश रहो और सबको खुश बनाओ।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

✧  सेवा में बहुत अच्छा लगे हुए हो लेकिन लक्ष्य क्या है? सेवाधारी बनने का वा कर्मातीत बनने का? कि दोनों साथ-साथ बनेंगे? ये अभ्यास पक्का है? *अभी-अभी थोडे समय के लिए यह अभ्यास कर सकते हो?* 

 

✧  अलग हो सकते हो? या ऐसे अटैच हो गये हो जो डिटैच होने में टाइम चाहिए? कितने टाइम में अलग हो सकते हो? मिनट चाहिए, एक मिनट चाहिए वा एक सेकण्ड चाहिए? एक सेकण्ड में हो सकते हो? *पाण्डव एक सेकण्ड में एकदम अलग हो सकते हो?*

 

✧  *आत्मा अलग मालिक और कर्मेन्द्रियाँ कर्मचारी अलग, यह अभ्यास जब चाहो तब होना चाहिए।* अच्छा, अभी-अभी एक सेकण्ड में न्यारे और बाप के प्यारे बन जाओ। पॉवरफुल अभ्यास करो बस, मैं हूँ ही न्यारी।

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

〰✧  फ़रिश्ते स्वरूप की स्थिति में सदा रहते हो? फ़रिश्ते स्वरूप की लाइट में अन्य आत्माओं को भी लाइट ही दिखाई देगी। *हद के एक्टर्स जब हद के अन्दर अपने एक्ट करते दिखाई देते हैं तो लाइट के कारण अति सुन्दर स्वरूप दिखाई देते हैं। वही एक्टर, साधारण जीवन में, साधारण लाइट के अन्दर पार्ट बजाते हुए कैसे दिखाई देते हैं? रात दिन का अन्तर दिखाई देता है ना?* लाइट का फोकस उनके फीचर्स को परिवर्तित कर देता है। *ऐसे ही बेहद ड्रामा के आप हीरों- हीरोइन एक्टर्स, अव्यक्त स्थिति की लाइट के अन्दर हर एक्ट करने से क्या दिखाई देंगे? अलौकिक फ़रिश्ते।* साकारी की बजाय सूक्ष्म वतनवासी नज़र आयेंगे। साकारी होते हुए भी आकारी अनुभव होंगे। हर एक्ट हरेक को स्वत: ही आकर्षित करने वाला होगा। *जैसे आज हद का सिनेमा व ड्रामा कलियुगी मनुष्यों का आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। छोड़ना चाहते हुए और न देखना चाहते हुए भी हद के एक्टर्स की एक्ट अपनी ओर खींच लेती है, लेकिन उसका आधार लाइट है। ऐसे ही इस अन्तिम समय में माया के आकर्षण की अति के बाद अन्त होने पर, बेहद के हीरो एक्टर्स जो सदा जीरो स्वरूप में स्थित होते हुए जीरो बाप के साथ हर पार्ट बजाने वाले हैं और दिव्य ज्योति स्वरूप वाले जिनकी स्थिति भी लाइट की है और स्टेज पर हर पार्ट भी लाइट में हैं अर्थात् जो डबल लाइट वाले फ़रिश्ते हैं वे हर आत्मा को स्वत: ही अपनी तरफ़ आकर्षित करेंगे।*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

 

∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚••✰••✧゚゚

────────────────────────

 

∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- याद, पवित्रता और सच्चे सेवाधारी की तीन रेखाएं "*

 

_ ➳  सेन्टर में बाबा के कमरे में, लवलीन अवस्था में बैठी मैं प्रभु पंसद आत्मा दिलाराम बाबा को दिल के मीठे जज्बात ब्या कर रही हूँ... *जो प्यार मिला मुझे तुमसे वर्णन करूँ मैं कैसे मुख से... ये दिल जानता है बाबा दिखता है जो नैनों के नूर से... वर्णन करूँ मैं कैसे मुख से...* सब कुछ भूल एक उसके प्यार में खो चुकी हूँ... बस एक बाबा... प्यार के सागर बाबा भी मुझ आत्मा पर प्रेम की किरणों की वर्षा कर रहे है... अतिइन्द्रिय सुख के झूले मे मैं आत्मा झूल रही हूँ... मुझ आत्मा की चमक ओज तेज बढ़ता जा रहा है... बेहद आंनद में मैं आत्मा झूम रही हूँ... और फिर बाबा मुझ आत्मा का हाथ पकड़ मुझे ज्ञान डांस कराने लगते है...

 

  *मीठे बाबा मुझ आत्मा पर ज्ञान वर्षा करते हुए कहते है :-* "मीठे लाडले फूल बच्चे मेरे... माया मौसी ने किस कदर था तुम्हें देह और देह सम्बन्धों के जंजाल में फंसाया... झूठी आकर्षणों में था तुम्हें बहकाया... सुख-शांति पवित्रता के अधिकार से था तुम्हें वंचित कराया... ऐसी घड़ी में पुनः सुख का सागर है धरा पर आया... *स्वर्ग की स्थापना कर तुम्हें फिर से सुख-शांति पवित्रता के तीन अधिकार... है तुम्हें देने आया..."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा ज्ञान की रिमझिम वर्षा में भीगकर कहती हूँ :-* "मीठे दिल के सच्चे सहारे बाबा मेरे... आपने स्मृतियों की रोशनी देकर माया के जंजाल से है मुझे बाहर निकाला... *आपकी श्रीमत पर चल पुनः अपने खोये अधिकार को पा रही हूँ... आप की आज्ञा पर चल स्वयं को पवित्र बना... ऐसे कमल समान जीवन से अनेक जन्मों के लिए सुख-शांति पवित्रता का अधिकारी स्वयं को बना रही हूँ...* इन सच्चे अपने मूल अधिकारों को पाकर सच्ची अमीरी से भरती जा रही हूँ..."

 

  *लाडले बाबा ज्ञान रत्नों से मुझ आत्मा का श्रृंगार करते हुए कहते है :-* "प्यारे राजदुलारे बच्चे मेरे... रहमदिल बाबा माया की गुलामी से है तुम्हें छुडाने आया... *अब इस देह भान से निकल स्वयं के सत्य स्वरूप में खो जाओ... आप देह नहीं, चमकती मणि हो इसकी याद में गहरे डूब जाओ...* निराकार पिता की यादों मे खो जाओ... और इस प्रकार सुख-शांति पवित्रता के तीन अधिकार 21 जन्म के लिए पाओं..."

 

_ ➳  *मैं आत्मा ज्ञान रत्नों से सज-धज कर कहती हूँ :-* "मीठे मनमीत बाबा मेरे... आपने मुझ आत्मा को माया की गुलामी से छुड़ा स्वतंत्र पंछी है बनाया... कितना बेशुमार कितना शानदार आपने मेरे भाग्य को है बनाया... खो कर आपकी मीठी यादों में सच्ची कमाई करती जा रही हूँ... *इस याद की बहार से ही 21 जन्मों के लिए स्वयं को सुख-शांति पवित्रता के अधिकारी बनाती जा रही हूँ..."*

 

  *मीठे बाबा ज्ञान की अथाह सम्पदा देकर मुझ आत्मा से कहते है :-* "मीठे विश्व कल्याणकारी बच्चे मेरे... ईश्वर पिता की मीठी गोद में बैठ, देह के मटमैले आकर्षण से निकलकर, अपनी आत्मिक तरंगों के आनंद में डूब जाओ... सुख-शांति पवित्रता की किरणों से स्वयं को सजाओं... *इस प्रकार स्वयं सुख-शांति पवित्रता के अधिकारी बन दूसरों को भी बनाओं... सबको ये तीन अधिकार दिलाने की सेवा निरंतर करते जाओ...."*

 

_ ➳  *मैं आत्मा ज्ञान की अथाह सम्पदा पाकर नशे से कहती हूँ :-* "प्यारे ज्ञान सागर बाबा मेरे... आप आये तो जीवन में बहार आ गयी... कितने रंगों से आपने मेरे जीवन को भर दिया है... *बनकर आप के समान मैं आत्मा सुख-शांति की अधिकारी बन, सबको बना रही हूँ...* सुख-शांति पवित्रता के ये तीन अधिकार सबको दिला रही हूँ... ऐसी सेवा कर मैं आत्मा आपको प्रत्यक्ष करती जा रही हूँ...."

────────────────────────

 

∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- सदा एक की लगन में मग्न रहना*"

 

_ ➳  दिल मे सच्चे प्यार की आश ले कर, अपने परमात्मा माशूक की सच्ची आशिक बन, मैं उनके प्रेम की लगन में मगन हो कर उन्हें याद कर रही हूँ। *मेरी याद उन तक पहुंच रही है, मेरे प्यार की तड़प की वो महसूस कर रहें हैं तभी तो मेरे प्रेम के आकर्षण में आकर्षित हो कर वो मेरे पास आ रहें हैं*। उनके आने का मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। अपने प्रेम की शीतल फुहारें मुझ पर बरसाते हुए मेरे सच्चे माशूक शिव बाबा अपना घर परमधाम छोड़ मुझ से मिलने के लिए इस साकार लोक में आ रहें हैं।

 

_ ➳  प्यार के सागर मेरे शिव पिता परमात्मा मुझे मेरे सच्चे प्यार का प्रतिफल देने के लिए अब मेरे सम्मुख हैं। उनके प्रेम की शीतल किरणों की शीतलता मुझे अपने आस - पास उनकी उपस्थिति का स्पष्ट अनुभव करवा रही हैं। *ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे मैं किसी विशाल सागर के किनारे बैठी हूँ और सागर की लहरों की शीतलता, शीतल हवाओं के झोंको के रूप में बार - बार आ कर मुझे स्पर्श कर रही हैं*। मेरे शिव पिता परमात्मा से आ रहे  सर्वशक्तियों के शक्तिशाली वायब्रेशन मुझे ऐसी ही शीतलता का अनुभव करवा रहें हैं। शीतल हवाओं के झोंको के रूप में मेरे शिव माशूक का प्यार निरन्तर मुझ पर बरस रहा है और मेरे मन को तृप्त कर रहा है।

 

_ ➳  अपने प्रेम की किरणों के आगोश में भरकर मेरे शिव साजन अब मुझ आत्मा को इस देह के पिजड़े से निकाल, अपने साथ ले जा रहें हैं। *देह के बन्धन से मुक्त हो कर मैं स्वयं को एकदम हल्का अनुभव कर रही हूँ। उन्मुक्त हो कर उड़ने का आनन्द कितना निराला, कितना लुभावना है*। अपने सच्चे माशूक की बाहों के झूले में झूलती, अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर इतराती मैं आत्मा आशिक उनके साथ उनके धाम जा रही हूँ। *देह और देह की दुनिया के झूठे रिश्तों के मोह की जंजीरो की कैद से निकल, अपने शिव पिया के साथ अब मैं पहुंच गई उनकी निराकारी दुनिया में*।

 

_ ➳  देख रही हूँ अब मैं स्वयं को परमधाम में अपने सच्चे माशूक शिव पिता परमात्मा के सामने। उनके प्यार की शीतल छाया के नीचे बैठी मैं आशिक आत्मा अपलक उन्हें निहार रही हूँ। *63 जन्मो से जिनके दर्शनों की आश मन में लिए इधर - उधर भटक रही थी। वो मेरे माशूक, मेरे शिव बाबा आज मेरे बिल्कुल सामने हैं। प्रभु दर्शन की प्यासी मैं आत्मा आज उन्हें अपने सामने पा कर तृप्त हो गई हूँ*। उनके प्यार की शीतल फुहारे रिम - झिम करती बारिश की बूंदों की तरह निरन्तर मुझ पर पड़ रही हैं। उनकी सर्वशक्तियाँ मेरे अंदर असीम बल भर रही हैं। *बीज रूप स्थिति में स्थित हो कर अपने बीज रूप शिव पिता परमात्मा के साथ मैं मंगल मिलन मना रही हूँ*। यह मंगल मिलन मुझे अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करवा रहा है।

 

_ ➳  इस अतीन्द्रिय सुख का गहन अनुभव करने के बाद, अपने माशूक शिव पिता परमात्मा के इस अदभुत, अद्वितिय प्यार का सुखद एहसास अपने साथ ले कर मै उनकी आशिक आत्मा वापिस साकारी दुनिया मे लौट रही हूँ। अब मैं अपने साकारी तन में विराजमान हूँ और स्वयं को अपने शिव पिया के साथ कम्बाइंड अनुभव कर रही हूँ। *उनके निस्वार्थ प्यार का मधुर एहसास मुझे हर पल उनकी उपस्थिति का अनुभव कराता रहता है*। एक पल के लिए भी मैं उनसे अलग नही होती। चलते - फिरते, खाते - पीते हर कर्म करते वो मुझे अपने साथ अनुभव होते हैं। अपने माशूक शिव परमात्मा की सच्ची आशिक बन अब मैं हर पल उनकी ही यादों में खोई रहती हूँ।

────────────────────────

 

∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति द्वारा अभुल बननें वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं निरन्तर योगी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं आत्मा कारण सुनने के बजाय सदैव उसका निवारण करती हूँ  ।*

   *मैं आत्मा सदैव दुआओं की अधिकारी बन जाती हूँ  ।*

   *मैं आत्मा निवारण स्वरूप हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

────────────────────────

 

∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  आप लोग सभी नये वर्ष में सिर्फ कार्ड देकर हैपी न्यु इयर नहीं करना लेकिन कार्ड के साथ हर एक आत्मा को दिल से रिगार्ड देना... *रिगार्ड का कार्ड देना और एक-दो को सौगात में छोटा-मोटी कोई भी चीजें तो देते ही होवह भी भले दो लेकिन उसके साथ-साथ दुआयें देना और दुआयें लेना...* कोई नहीं भी दे तो आप लेना... अपने वायब्रेशन से उसकी बद-दुआ को भी दुआ में बदल लेना... तो *रिगार्ड देना और दुआयें देना और लेना - यह है नये वर्ष की गिफ्ट...* शुभ भावना द्वारा आप दुआ ले लेना... अच्छा।   

 

✺   *ड्रिल :-  "रिगार्ड का कार्ड देकर दुआयें देने और दुआयें लेने का अनुभव"*

 

_ ➳  अपना लाइट का सूक्ष्म आकारी फ़रिशता स्वरूप धारण कर, अपने खुदा दोस्त, *अपने शिव साथी से अपने मन की बात कहने के लिए मैं अपने साकारी शरीर रूपी घर से बाहर निकलती हूँ और पहुंच जाती हूँ अपने शिव साथी के पास अव्यक्त वतन में...* यहां पहुंच कर मैं अपने खुदा दोस्त का आह्वान करती हूं जो पलक झपकते ही अपना धाम छोड़ कर, इस अव्यक्त वतन में पहुंच जाते हैं और आकर अव्यक्त ब्रह्मा बाबा की भृकुटि में विराजमान हो जाते हैं...

 

_ ➳  अब मैं देख रही हूं अपने साथी, शिव बाबा को लाइट माइट स्वरुप में अपने बिल्कुल सामने... मुझे देख कर मुस्कराते हुए बापदादा मुझे अपने पास बुलाते हैं... *मुझे गले लगा कर, न्यू ईयर विश करते हैं और गिफ्ट के रूप में अपनी सर्वशक्तियों, सर्व गुणों और सर्व खजानों से मुझे भरपूर कर देते हैं...* अपने प्यारे मीठे शिव साथी से मीठी दृष्टि लेते हुए मन ही मन मैं अपने आप से सवाल करती हूं कि अपने भगवान साथी को मैं रिटर्न में न्यू ईयर की क्या गिफ्ट दूँ...! मेरे मन की बात मेरे साथी तुरन्त पढ़ लेते हैं... चेहरे पर गुह्य मुस्कराहट लाकर मेरे मीठे बाबा मुझे सामने देखने का इशारा करते हैं...

 

_ ➳  सामने एक बहुत ही सुंदर लिफ्ट को देख कर मैं प्रश्नचित निगाहों से अपने प्यारे मीठे खुदा दोस्त को देखती हूँ... *बाबा मुस्कराते हुए कहते हैं:- "ये न्यू ईयर का एक विशेष तोहफा है..." ये लिफ्ट साधारण लिफ्ट नही, ये दुआओं की लिफ्ट है*... यह कहकर बाबा मुझे उस लिफ्ट के अंदर ले जाते हैं... लिफ्ट में बैठते ही, स्मृति का स्विच ऑन करते ही मैं सेकेंड में तीनों लोकों की सैर करने लगती हूँ... *बाबा के मधुर महावाक्य सहज ही स्मृति में आने लगते हैं कि "ब्राह्मण जीवन मे दुआयें लिफ्ट का काम करती हैं जो पुरुषार्थ को तीव्र करती हैं..."*

 

_ ➳  इन महावाक्यों की स्मृति में खोई, अपने ख़ुदा दोस्त के साथ इस लिफ्ट में बैठी मैं पूरे वतन की सैर कर, आनन्दित हो रही हूं... तभी *बाबा की आवाज सुनाई देती है कि:- "इस लिफ्ट को पाने का साधन भी दुआओं की गिफ्ट है" अर्थात दुआयें देना और दुआयें लेना..." इसलिए नये वर्ष में सिर्फ कार्ड देकर हैपी न्यु इयर नहीं करना लेकिन कार्ड के साथ हर एक आत्मा को दिल से रिगार्ड देना... कोई नही दे तो भी आप देना... उनकी बद-दुआ को भी दुआ में बदल देना... शुभ भावना द्वारा आप दुआ ले लेना... अपने सभी आत्मा भाइयों को दुआओं की गिफ्ट देना, यही बाबा के लिए आपके गिफ्ट का रिटर्न है...*

 

_ ➳  बाबा को न्यू ईयर की गिफ्ट का रिटर्न देने के लिए अब मैं अपने सम्बन्ध संपर्क में आने वाली सर्व आत्माओं को बाबा के सामने वतन में इमर्ज करके, जाने अनजाने में हुई अपनी हर गलती के लिए उनसे माफी मांग रही हूँ... उनकी गलतियों के लिए भी अपने मन में उनके लिए कोई मैल ना रखते हुए उन्हें दिल से माफ कर रही हूँ... *बाबा से आ रही सर्वशक्तियां मुझ से निकल कर उन आत्माओ पर पड़ रही हैं और एक दूसरे के लिए मन में जो कड़वाहट थी वो धुल रही है... मन में अब किसी के लिए भी कोई बोझ कोई भारीपन नही है...*

 

_ ➳  परमात्म लाइट माइट से अब मैं भरपूर हो कर वापिस लौट रही हूँ... और अपने लाइट के सूक्ष्म आकारी शरीर के साथ फिर से अपने साकारी शरीर रूपी घर में प्रवेश कर रही हूँ... *किसी भी आत्मा के लिए अब मेरे मन मे कोई द्वेष नही है*... अपने सम्बन्ध सम्पर्क में आने वाली हर आत्मा को अब मैं स्नेह और रिगार्ड दे कर सहज ही उनकी दुआओं की पात्र बन रही हूँ... *इस संगमयुग पर "दुआयें देना और दुआयें लेना" यही मुझ ब्राह्मण आत्मा का कर्तव्य है...* इस बात को सदा स्मृति में रख, हर आत्मा के प्रति शुभभावना, शुभकामना रखते हुए अब मैं दुआओं की लिफ्ट पर बैठ सदा उड़ती कला का अनुभव कर रही हूं...

 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━