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❍ 01 / 12 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *संगदोष से अपनी बहुत बहुत संभाल की ?*
➢➢ *रूहानी ड्रिल का अभ्यास कर योगबल जमा किया ?*
➢➢ *बाप की छत्रछाया के नीचे नाज़ुक परिस्थितियों में भी कमल पुष्प समान न्यारे और प्यारे रहे ?*
➢➢ *बातों से दूर बाप के साथ का अनुभव किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ *अब ऐसे ट्रान्सपेरेंट (पारदर्शी) हो जाओ जो आपके शरीर के अन्दर आत्मा विराजमान है, वह स्पष्ट सभी को दिखाई दे। आपका आत्मिक स्वरूप उन्हों को अपने आत्मिक स्वरूप का साक्षात्कार कराये,* इसको ही कहते हैं अव्यक्त वा आत्मिक स्थिति का अनुभव कराना।
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं बाप का सिकीलधा बच्चा हूँ"*
〰✧ सदा अपने को बाप के सिकीलधे समझते हो? *सिकीलधे अर्थात् बड़े सिक से बाप ने हमें ढूँढ़ा है। बाप ने बड़े सिक व प्रेम से आपको ढूँढ़ा है। आपने ढूँढ़ा लेकिन मिला नहीं। परिचय ही नहीं था तो मिले कैसे? लेकिन बाप ने आपको ढूँढ़ा इसलिए कहते हैं - 'सिकीलधे'। तो जिसको बाप ढू़ढ़े वह कितने भाग्यवान होंगे! दुनिया वाले बाप को ढूँढ़ रहे हैं और आप मिलन मना रहे हो।* कितने थोड़े हो, बहुतों का पार्ट है ही नहीं। थोड़ों का पार्ट है, इसलिए गाया हुआ है - कोटों में कोई। अक्षोणी सेना नहीं गाई हुई है, कोटों में कोई गाया हुआ है। तो यह खुशी वा स्मृति सदा इमर्ज रहे। हर कदम में खुशी अनुभव हो।
〰✧ अल्पकाल की प्राप्ति वालों के चेहरे पर वह प्राप्ति की रेखा चमकती है। आपको तो सदाकाल की प्राप्ति है। तो चेहरा सदा खुशी में दिखाई दे, उदास न हो। जो माया का दास बनता है वह उदास होता है। आप कौन हो? माया के दास हो या मालिक हो? *माया को अपनी ऑथोरिटी से भगाने वाले हो, ऐसी आत्मा कभी उदास नहीं हो सकती। कोई फिक्र ही नहीं है ना। कोई फिक्र या चिंता होती है तो उदास होते हैं।* आपको कौन-सी चिंता है? पांडवों को चिंता है? कमाने की, परिवार को पालने के लिए पैसे की चिंता है? लेकिन चिंता से पैसा कभी नहीं आयेगा। मेहनत करो, कमाई करो। लेकिन चिंता से कभी कमाई में सफल नहीं होंगे। चिंता को छोड़कर कर्मयोगी बनकर काम करो, तो जहाँ योग है वहाँ कार्य कुशल होगा और सफलता होगी। चिंता से कभी पैसा नहीं आयेगा। अगर चिंता से कमाया हुआ पैसा आयेगा भी तो चिंता ही पैदा करेगा। जैसा बीज होगा वैसा ही फल निकलेगा और खुशी-खुशी से काम करके कमाई करेंगे तो वह पैसा भी खुशी दिलायेगा। वह दो रुपया भी दो हजार का काम करेगा और वह दो लाख दो रुपये का काम करेगा। इतना फर्क हैं, इसलिए चिंता क्या करेंगे!
〰✧ सच्ची दिल वालों को सच की कमाई मिलती है। बाप भी दाल-रोटी जरूर देते हैं। सुस्त रहने वाले को नहीं देंगे। *काम तो करना ही पड़ेगा क्योंकि पिछले हिसाब भी तो चुक्तू करने हैं। लेकिन चिंता से नहीं, खुशी से। कोई भी काम करो - योगयुक्त होकर करो। योगी का कार्य सहज और सफल होता है, ऐसा अनुभव है ना! याद में कोई भी काम करते तो थकावट नहीं होती।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *तो रोज चेक करो, समाचार पूछो - हे मन मन्त्री, तुमने क्या किया?* कहाँ धोखा तो नहीं दिया? कहाँ अन्दर ही अन्दर ग्रुप बना देवे और आपको राजा की बजाय गुलाम बना दे! तो ऐसा न हो!
〰✧ देखो, *ब्रह्माबाप आदि में रोज ये दरबार लगाते थे* जिसमें सभी सहयोगी साथियों से समाचार पूछते, ये रोज की ब्रह्माबाप की आदि की दिनचर्या है। सुना है ना? तो ब्रह्माबाप ने भी मेहनत की है ना!
〰✧ *अटेन्शन रखा तब स्वराज्य अधिकारी सी विश्व के राज्य अधिकारी बने।* शिव बाप तो है ही निराकार लेकिन ब्रह्माबाप ने तो आपके समान सारी जीवन पुरुषार्थ से प्रालब्ध प्राप्त की। तो *ब्रह्माबाप को फालो करो।*
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *अभी तो बड़े-बड़े दाग़ भी छुपाने से छुप जाते हैं, क्योंकि अभी शीश महल नहीं बना है जो कि चारों ओर के दाग स्पष्ट दिखाई दे जावें। जब किनारा कर लेते, तो दाग छिप जाता अर्थात् पाप दर्पण के आगे स्वयं को लाने से किनारा कर छिप जाते हैं। छिपता नहीं है, लेकिन किनारा कर और छिपा हुआ समझ स्वयं को खुश कर लेते हैं। बाप भी बच्चों का कल्याणकारी बन अनजान बन जाते हैं जैसे कि जानते ही नहीं।* अगर बाप कह दे कि मैं जनता हूं कि यह दाग इतने समय से व इस रूप से है तो सुनने वाले का क्या स्वरूप होगा? सुनाना चाहते भी मुख बन्द हो जावेगा, क्योंकि सुनाने की विधि रखी हुई है। *बाप जब कि जानते भी हैं, तो भी सुनते क्यों हैं? क्योंकि स्वयं द्वारा किये गये कर्म व संकल्प स्वयं वर्णन करेंगे तो ही महसूसता की सीढ़ी पर पाँव रख सकेंगे।* महसूस करना या अफ़सोस करना या माफ़ी लेना बात एक हो जाती है। *इसलिए सुनाने की अर्थात् स्वयं को हल्का बनाने की या परिवर्तन करने की विधि बनाई गई है। इस विधि से पापों की वृद्धि कम हो जाती है।* इसलिए अगर शीश महल बनने के बाद, स्वयं को स्पष्ट देख कर के स्पष्ट किया तो रिज़ल्ट क्या होगी, यह जानते हो? बापदादा भी ड्रामा प्रमाण उन आत्माओं को स्पष्ट चैलेन्ज देंगे, तो फिर क्या कर सकेंगे? *इसलिए जब महसूसता के आधार पर स्पष्ट हो अर्थात् बोझ से स्वयं को हल्का करो, तब ही डबल लाइट स्वरूप अर्थात् फ़रिश्ता व आत्मिक स्थिति स्वरूप बन सकेंगे।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- बाप द्वारा रूहानी ड्रिल सीखना"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा घर की छत पर खड़े होकर सामने स्कूल के मैदान में बच्चों को देख रही हूँ... सभी बच्चे सफ़ेद पोशाक में खड़े होकर ड्रिल कर रहे हैं... जैसे-जैसे ड्रिल मास्टर आदेश कर रहे, वैसे-वैसे ही बच्चे ड्रिल कर रहे हैं... *मैं आत्मा मीठे बाबा का आह्वान करती हूँ... मीठे बाबा मुझे अपने गोद में उठाकर ले चलते हैं सूक्ष्म वतन में... प्यारे बाबा ड्रिल मास्टर बनकर मुझे रूहानी ड्रिल सिखाते हैं... मैं आत्मा इस शरीर से डिटैच होकर अशरीरी बन बाबा की यादों में खो जाती हूँ...*
❉ *मनमनाभव का मन्त्र देकर मुझे अशरीरी बनाते हुए प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... अपने सत्य स्वरूप के नशे में गहरे डूब जाओ... *इस विकारी देह और देह के भान से स्वयं को मुक्त कर अशरीरी सच्चे वजूद की याद में खो जाओ... इस पराये शरीर के ममत्व से बाहर निकल अपने अविनाशी अस्तित्व की मस्ती में झूम जाओ...”*
➳ _ ➳ *रावण की प्रॉपर्टी इस तन से न्यारी होकर अपने अविनाशी स्वरुप में टिकते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा आपकी मीठी यादो में अपने असली स्वरूप को पाकर धन्य हो गयी हूँ... *दुःख को ही जीवन का अटल सत्य समझने वाली शरीरधारी से... इस कदर खुबसूरत मणि बन मुस्करा रही हूँ...”*
❉ *देह की दुनिया के दलदल से निकाल रूहानियत का इत्र लगाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... जिस लाल घर के लाल हो वहाँ यह पराया तन तो जा ही न सके... तो इससे फिर दिल लगाना ही क्यों... *इन झूठे नातो और विकारी सम्बन्धो के भँवर से ईश्वरीय यादो के सहारे बाहर निकल जाओ... और अपने खुबसूरत स्वरूप और सच्चे सौंदर्य को प्रतिपल याद करो...”*
➳ _ ➳ *सुख के सागर में सत्यता की नाव में बैठकर अपने घर की ओर रुख करते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... आपने धरा पर आकर मुझ भूली भटकी आत्मा को आवाज देकर सुखो से संवार दिया है... *मै आत्मा तो दुखो के लिए हूँ ही नही और सदा सुख की अधिकारी हूँ... यह मीठा सत्य सुनकर मै आत्मा आपकी रोम रोम से ऋणी हो गयी हूँ...”*
❉ *निराकारी बाबा मुझ आत्मा को आप समान निराकारी बनाते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... यह विकारी तन तो रावण का है यह कभी साथ जाना नही इसके मायाजाल से स्वयं को निकालो... *अपने अशरीरी के भान में खो जाओ और ईश्वर पिता की यादो में अपनी धुंधली सी हो गई रंगत को उसी ओज से भर लो...”*
➳ _ ➳ *बाबा की यादों से अपने जीवन के हर एक पल को मीठा बनाते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा आपकी प्यारी यादो में अपनी खोयी चमक को पाती जा रही हूँ... *शरीर के भान से मुक्त होकर सच्चे स्वरूप को प्रतिपल यादो में समाकर ईश्वरीय यादो में मालामाल होती जा रही हूँ... मै अजर अमर अविनाशी आत्मा हूँ इस सच्ची ख़ुशी से मुस्कराती जा रही हूँ...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- जितना समय मिले - योगबल जमा करने के लिए रूहानी ड्रिल का अभ्यास करना है*"
➳ _ ➳ स्वयं को रिफ़्रेश करने के लिए, अपने प्यारे बाबा की याद में, एक पार्क में मैं टहल रही हूँ। बाबा के मधुर संगीत सुनती, बाबा की छत्रछाया को अपने ऊपर अनुभव करती, एक अलौकिक मस्ती में डूबी प्रकृति के इस खूबसूरत नज़ारे का मैं आनन्द ले रही हूँ। *पार्क में खिले खुशबूदार फूल मन को लुभा रहें हैं। अपनी अलौकिक रूहानी मस्ती में खोई हुई टहलते हुए मैं मन ही मन संकल्प करती हूँ कि कितना अच्छा हो अगर यहां पार्क में उपस्थित मेरे सभी आत्मा भाई भी इस अलौकिक अद्भुत आनन्द का रसपान कर सकें जो मैं इस समय कर रही हूँ*। अपने प्यारे प्रभु के साथ जिस्मानी और रूहानी दोनों यात्राओं का जैसे मैं आनन्द ले रही हूँ वैसे ये सब भी इस आनन्द का अनुभव कर लें तो इनका जीवन भी कितना आनन्दमयी हो जाएगा।
➳ _ ➳ इस संकल्प के मन मे पैदा होते ही मैं इस संकल्प को पूरा करने के लिए, एक कोने में रखे बेंच पर जा कर बैठ जाती हूँ और अपने मन बुद्धि को एकाग्र करके, स्वयं को अशरीरी स्थिति में स्थित कर लेती हूँ। *अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित होते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे मेरे अंदर निहित सर्वगुण और सर्वशक्तियाँ जागृत हो रहें हैं और प्रकाश की रंग बिरंगी किरणो के रूप में मेरे मस्तक से निकल कर धीरे - धीरे चारों और फैल रहें हैं*। सर्वगुणों और सर्वशक्तियों के वायब्रेशन्स को अपने मस्तक से निकलते हुए मैं स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। जैसे - जैसे मुझसे निकल रहे सुख, शान्ति, पवित्रता, आनन्द, प्रेम, ज्ञान और शक्ति के वायब्रेशन्स पूरे पार्क में फैल रहें हैं मेरे चारो और एक इन्द्रधनुषी आभामंडल का निर्माण होता जा रहा है।
➳ _ ➳ सर्व गुणों और सर्वशक्तियों की रंगबिरंगी किरणो का एक आवरण जैसे मेरे चारो और बन गया है और पार्क में विधमान आत्माओं को अपनी और आकर्षित कर रहा है। *मैं देख रही हूँ एक - एक करके सभी मनुष्य आत्माये मेरे सामने आकर बैठती जा रही है। अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित, मैं उन सबको भी उनके आत्मिक स्वरूप में देखते हुए, अपनी बुद्धि का कनेक्शन अपने प्यारे पिता के साथ जोड़ उनका आह्वान करती हूँ*। मेरे आह्वान पर सेकेण्ड में बाबा अपनी सर्वशक्तियाँ बिखेरते हर परमधाम से नीचे आ जाते हैं औरआकर मेरे सिर के बिल्कुल ऊपर स्थित हो जाते हैं।
➳ _ ➳ बाबा से सर्वशक्तियों की तेज लाइट निकल कर सीधी मुझ आत्मा में समाने लगती है और मेरे मस्तक से प्रकाश की रंग बिरंगी अनन्त धारायें निकल - निकल कर मेरे सामने बैठी सभी मनुष्य आत्माओ के ऊपर पड़ने लगती हैं। *देखते ही देखते सभी दैहिक भान से मुक्त अपने निराकारी बिंदु स्वरूप में स्थित हो जाते हैं। एक बहुत ही खूबसूरत नजारा मैं मन बुध्दि के नेत्रों से देख रही हूँ*। मुझ चैतन्य सितारे के ऊपर अपनी सर्वशक्तियाँ बिखेरते महाज्योति शिव पिता और मेरे सामने मेरे ही समान चमकते अनगिनत चैतन्य सितारे मेरे आत्मा भाई। सभी अपने प्यारे प्रभु से अद्भुत मंगल मिलन मना रहे हैं। *परमात्म शक्तियाँ परमात्म प्यार के रूप में सभी आत्माओ पर निरन्तर बरस रही हैं*।
➳ _ ➳ अब मैं देख रही हूँ बाबा अपनी सर्वशक्तियों की किरणों रूपी बाहों में सभी आत्माओं को अपने साथ अपने परमधाम घर ले जा रहें हैं। *सभी चमकते चैतन्य सितारे महाज्योति अपने शिव पिता के साथ धीरे धीरे ऊपर आकाश की ओर जा रहें हैं। आकाश को पार कर, उससे भी ऊपर, अपनी रूहानी यात्रा पर आगे बढ़ते हुए अब सभी अपने पिता के साथ अपने शांति धाम घर में प्रवेश करते हैं* और इस शान्ति धाम घर मे फैले शांति के वायब्रेशन्स को अपने अंदर समाकर गहन शान्ति के अनुभव में खो जाते हैं। शांति के सागर अपने प्यारे पिता के समीप बैठ उनसे आ रही शांति की अथाह लहरों की शीतलता का डीप अनुभव करके, सभी चैतन्य सितारे अब वापिस उसी पार्क में लौट आते हैं और पुनः अपने - अपने साकारी शरीर धारण कर लेते हैं।
➳ _ ➳ इस रूहानी ड्रिल का भरपूर आनन्द लेकर और पार्क में उपस्थित अपने सभी आत्मा भाइयो को इस रूहानी ड्रिल द्वारा गहन शांति का अनुभव करवाकर अब मैं फिर से अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित होती हूँ और फिर से वही पार्क में टहलते हुए उन *सभी के खिले हुए चेहरों को देख मन ही मन हर्षित होते हुए अपने प्यारे बाबा का शुक्रिया अदा करती हूँ कि कैसे सभी के मुरझाये हुए चेहरे परमात्म प्यार पाकर खिल उठे हैं। ऐसी रूहानी ड्रिल निरन्तर करने और सबको करवाकर उन्हें शान्ति का अनुभव कराने की स्वयं से प्रतिज्ञा कर अब मैं वापिस अपने कर्मक्षेत्र पर लौट आती हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं बाप की छत्रछाया में रहने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं नाजुक परिस्थितियों में भी कमल पुष्प समान न्यारी और प्यारी रहने वाली आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदैव बाप के साथ का अनुभव करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा बातों का पर्दा बीच में आने देने से सदैव मुक्त हूँ ।*
✺ *मैं सहज योगी आत्मा हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. *श्रेष्ठ शुद्ध संकल्प में इतनी ताकत है जो आपके कैचिंग पावर, वायब्रेशन कैच करने की पावर, बहुत बढ़ सकती है।* यह वायरलेस, यह टेलीफोन.... जैसे यह साइंस का साधन कार्य करता है वैसे यह शुद्ध संकल्प का खजाना, ऐसा ही कार्य करेगा जो लण्डन में बैठे हुए *कोई भी आत्मा का वायब्रेशन आपको ऐसे ही स्पष्ट कैच होगा* जैसे यह वायरलेस या टेलीफोन, टी.वी. यह जो भी साधन हैं.... कितने साधन निकल गये हैं, इससे भी स्पष्ट आपकी कैचिंगपावर, एकाग्रता की शक्ति से बढ़ेगी। यह आधार तो खत्म होने ही हैं। यह सब साधन किस आधार पर हैं? *लाइट के आधार पर। जो भी सुख के साधन हैं मैजारिटी लाइट के आधार पर हैं।* तो क्या आपकी आध्यात्मिक लाइट, आत्म लाइट यह कार्य नहीं कर सकती! जो चाहो वायब्रेशन नजदीक के, दूर के कैच कर सकेंगे। अभी क्या है, *एकाग्रता की शक्ति मन-बुद्धि दोनों ही एकाग्र हो तब कैचिंग पावर होगी। बहुत अनुभव करेंगे। संकल्प किया - नि:स्वार्थ, स्वच्छ, स्पष्ट वह बहुत क्विक अनुभव करायेगा।* साइलेन्स की शक्ति के आगे यह साइन्स झुकेगी। अभी भी समझते जाते हैं कि साइंस में भी कोई मिसिंग हैं जो भरनी चाहिए।
➳ _ ➳ इसलिए बापदादा फिर से अन्डरलाइन करा रहा है कि *अन्तिम स्टेज, अन्तिम सेवा - यह संकल्प शक्ति बहुत फास्ट सेवा करायेगी। इसीलिए संकल्प शक्ति के ऊपर और अटेन्शन दो।* बचाओ, जमा करो। बहुत काम में आयेगी। प्रयोगी इस संकल्प की शक्ति से बनेंगे। साइंस का महत्व क्यों है? प्रयोग में आती है तब सब समझते हैं हाँ साइंस अच्छा काम करती है। तो *साइलेन्स की पावर का प्रयोग करने के लिए एकाग्रता की शक्ति चाहिए और एकाग्रता का मूल आधार है - मन की कन्ट्रोलिंग पावर, जिससे मनोबल बढ़ता है।* मनोबल की बड़ी महिमा है, यह रिद्धि-सिद्धि वाले भी मनोबल द्वारा अल्पकाल के चमत्कार दिखाते हैं। आप तो विधि पूर्वक, रिधि सिद्धि नहीं, विधि पूर्वक कल्याण के चमत्कार दिखायेंगे जो वरदान हो जायेंगे, आत्माओं के लिए यह संकल्प शक्ति का प्रयोग वरदान सिद्ध हो जायेगा।
➳ _ ➳ 2. *अगर संकल्प शक्ति पावरफुल है तो यह सब स्वत: ही कन्ट्रोल में आ जाते हैं। मेहनत से बच जायेंगे। तो संकल्प शक्ति का महत्व जानो।*
➳ _ ➳ 3. आखिर आपके संकल्प की शक्ति इतनी महान हो जायेगी - जो सेवा में मुख द्वारा सन्देश देने में समय भी लगाते हो, सम्पत्ति भी लगाते हो, हलचल में भी आते हो, थकते भी हो..लेकिन श्रेष्ठ संकल्प की सेवा में यह सब बच जायेगा। बढ़ाओ। *इस संकल्प शक्ति को बढ़ाने से प्रत्यक्षता भी जल्दी होगी।*
✺ *ड्रिल :- "निःस्वार्थ, स्पष्ट, स्वच्छ संकल्प शक्ति को बढ़ाने का अनुभव"*
➳ _ ➳ अमृतवेला आंख खुलते ही बाबा की गोद मे स्वयं को विराजित देख अनायास खुशी व सुकून को अनुभव कर मैं आत्मा अशरीरी, फरिश्ता स्वरूप में मीठे बाबा के संग मीठे परमधाम की ओर जा रही हूं... *सर्व शक्तिमान बाबा के स्पर्श से पुलकित मैं आत्मा बाबा के नज़र से निहाल हो रही हूं... बाबा शक्तियों के, गुणों के ख़ज़ाने से मुझ आत्मा को अंदर से भर रहे है...* मुझ आत्मा की आंतरिक कमी कमजोरियों को मिटाने की बाबा की कवायद देख मैं आत्मा सच्चे दिल से बाबा के प्रेम को महसूस कर रही हूं...
➳ _ ➳ मुझे मीठे बाबा की दृष्टि में वही बात दिख रही है कि अविनाशी आत्मा अपने सर्व शक्तियों को सम्पूर्ण विश्व की सेवा में प्रयोग करने की तैयारी का समय आ चुका है... *अब चारों ओर अपने संकल्प शक्ति का प्रयोग कर दुःख कष्ट से मुक्त करने का समय है...* मुझ आत्मा को बाबा की आज्ञा बुद्धि से स्पष्ट समझ आ रही है... जितना जितना *विनाश का समय करीब आ रहा है बाबा, संकल्प शक्ति द्वारा, शांति के वाइब्रेशन द्वारा आत्माओं की सेवा करने का आदेश दे रहे है...* मैं आत्मा मन बुद्धि की एकाग्रता से संकल्प शक्ति की तीव्रता को बढ़ा रही हूँ... मैं आत्मा अपने अविनाशी शक्तियों को और सूक्ष्म रीति प्रयोग करने की कला सीख रही हूं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा स्वयं के फरिश्ता स्वरूप के कर्तव्यों को फिर से याद कर बाबा से विदाई ले वापिस लौट रही हूं... आज मन बुद्धि की एकाग्रता से आत्माओं के वाइब्रेशन कैच करने की आश लिए मैं फरिश्ता विश्व गोले पर विराजमान हो जाती हूं... फरिश्ता स्वरूप में बैठ मन बुद्धि को एकाग्र कर सुनने की कोशिश कर रही हूं... *कुछ ही सेकंड में इतना क्रंदन, आर्तनाद, शोर सुन मैं फरिश्ता एक पल के लिए स्तंभित हो बाबा को याद करने लगती हूं... बाबा इशारा देते है संकल्प की शक्ति का प्रयोग कर उन्हें शांति से भरपूर करना है...*
➳ _ ➳ बाबा का इशारा पाते ही मैं फरिश्ता *अपने समर्थ व शुभ संकल्पों की जादुई छड़ी हाथ मे उठाये विश्व गोले को सफेद प्रकाश से भरपूर करने गोले की परिक्रमा कर रही हूं...* शांति सुख प्रेम एवं शक्ति की ऊर्जा से ओतप्रोत सफेद प्रकाश से विश्व को भरपूर कर रही हूं... *अपने फरिश्ता स्वरूप में स्थित होकर मैं आत्माओं के अंतर्मन के रुदन कुछ शांत होते हुए देख रही हूं...* सभी को मीठे बाबा की मीठी शक्तिशाली सकाश से भरपूर होते देख रही हूं... थोड़ी ही देर में सभी के मुख पर शांति की प्रतिच्छवि देख खुद भी सुकून महसूस कर रही हूं...
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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