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 13 / 12 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *एक माशूक द्वारा सर्व संबंधो की समय प्रमाण अनुभूति की ?*

 

➢➢ *हर परिस्थिति में, हर कर्म में सदा प्राप्ति की ख़ुशी में रहे ?*

 

➢➢ *हर हाल में, हर वायुमंडल में तृप्त रहे ?*

 

➢➢ *सदा बुधी का साथ और बाप के हर कर्म में सहयोग का हाथ रहा ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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〰✧  *सदा बेहद की आत्मिक दृष्टि, भाई-भाई के सम्बन्ध की वृत्ति से किसी भी आत्मा के प्रति शुभ भावना रखने का फल जरूर प्राप्त होता है इसलिए पुरूषार्थ से थको नहीं, दिलशिकस्त भी नहीं बनो।* निश्चयबुद्धि हो, मेरेपन के सम्बन्ध से न्यारे हो शान्ति और शक्ति का सहयोग आत्माओं को देते रहो।

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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✺   *"मैं निर्बन्धन आत्मा हूँ"*

 

✧   सदा अपने को निर्बन्धन आत्मा महसूस करते हो? किसी भी प्रकार का बन्धन तो नहीं महसूस करते? *नालेजफुल की शक्ति से बन्धनों को खत्म नहीं कर सकते हो? नालेज में लाइट और माइट दोनो हैं ना।* नालेजफुल बन्धन में कैसे रह सकते हैं? 

 

✧  *जैसे दिन और रात इक्ठ्ठा नहीं रह सकते, वैसे मास्टर नालेजफुल और बन्धन, यह दोनों इक्ठ्ठा कैसे हो सकते?* नालेजफुल अर्थात् निर्बन्धन। बीती सो बीती। जब नया जन्म हो गया तो पास्ट के संस्कार अभी क्यों इमर्ज करते हो?

 

✧  जब ब्रह्माकुमारकुमारी बन गये तो बन्धन कैसे हो सकता? ब्रहमा बाप निर्बन्धन है तो बच्चे बन्धन में कैसे रह सकते? *इसलिए सदा यह स्मृति में रखो कि हम मास्टर नालेजफुल हैं। तो जैसा बाप वैसे बच्चे।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  (बापदादा ने ड़िल कराई) मन के मालिक हो ना! तो सेकण्ड में स्टॉप, तो स्टॉप हो जाए। ऐसा नहीं आप कहो स्टॉप और मन चलता रहे, इससे सिद्ध है कि मालिक-पन की शक्ति कम है। *अगर मालिक शक्तिशाली है तो मालिक के डायरेक्शन बिना मन एक संकल्प भी नहीं कर सकता।*

स्टॉप, तो स्टॉप। चलो, तो चले।

 

✧   जहाँ चलाने चाहो वहाँ चले। ऐसे नहीं कि मन को बहुत समय की व्यर्थ तरफ चलने की आदत है, तो आप चलाओ शुद्ध संकल्प की तरफ और मन जाये व्यर्थ की तरफ तो यह मालिक को मालिक-पन में चलाना नहीं आता। यह अभ्यास करो। *चेक करो स्टॉप कहने से, स्टॉप होता है?*

 

✧  या कुछ चलकर फिर स्टॉप होता है? अगर गाडी में ब्रेक लगानी हो लेकिन कुछ समय चलकर फिर ब्रेक लगे, तो वह गाडी काम की है? ड्राइव करने वाला योग्य है कि एक्सीडेन्ट करने वाला है? *ब्रेक, तो फौरन सेकण्ड मे ब्रेक लगनी चाहिए।* यही अभ्यास कर्मातीत अवस्था के समीप लायेगा। संकल्प करने के कर्म में भी फुल पास।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *जैसे साइंस के यन्त्र दूरबीन द्वारा दूर की सीन को नज़दीक में देखते हैं ऐसे ही याद के नेत्र द्वारा, अपने फ़रिश्तेपन की स्टेज द्वारा दूर का दृश्य भी ऐसे ही अनुभव करेंगे जैसे साकार नेत्रों द्वारा कोई दृश्य देख आये। बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देंगे अर्थात् अनुभव होगा।* साइंस का मूल आधार है लाइट। लाइट के आधार से साइंस का जलवा है। लाइट की ही शक्ति है। ऐसे ही सालेन्स की शक्ति का आधार है डिवाइन इनसाइट । इन द्वारा साइलेन्स की शक्ति के बहुत वन्डरफुल अनुभव कर सकते हो। यह भी अनुभव होंगे। जैसे स्थूल साधन द्वारा सैर कर सकते हैं वैसे ही जब चाहो, जहाँ चाहो वहाँ का अनुभव कर सकते हो। *न सिर्फ इतना जो सिर्फ आपको अनुभव हो लेकिन जहाँ आप पहुँचो उन्हों को भी अनुभव होगा कि आज जैसे प्रैक्टिकल मिलन हुआ। यह है सफलतामूर्त की सिद्धि।* वह तो रिवाजी आत्माओं को भी सिद्धि प्राप्त होती है। एक ही समय अनेक स्थानों पर अपना रूप प्रकट कर सकते और अनुभव करा सकते हैं। वह तो अल्प काल की सिद्धि है, लेकिन यह है ज्ञानयुक्त सिद्धि। ऐसे अनुभव भी बहुत होंगे। आगे चल कर कई नई बातें भी तो होंगी ना? *जैसे शुरू में घर बैठे ब्रह्मा रूप का साक्षात्कार होता था जैसे कि प्रैक्टिकल कोई बोल रहा है, इशारा कर रहा है, ऐसे ही अन्त में भी निमित्त बनी हुई शक्ति सेना का अनुभव होगा।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :-  सच्चे रूहानी आशिक की निशानियाँ"*

 

_ ➳  बहुत ही खुबसूरत ऊँची पहाड़ी पर खड़ी मै आत्मा... चाँद की शीतल चाँदनी का आनन्द लेते हुए मीठे बाबा की प्यारी यादो में खो जाती हूँ... कि *प्यारे बाबा ने जीवन में आकर मुझे कितना ऊँचा उठाया है.*.. मुझे क्या से क्या बना दिया है... गुणो और शक्तियो में सम्पन्न बनाकर, मन की ऊँची अवस्था में लाकर... शीतल स्वरूप की चाँदनी में रख... *मुझे कितना खुबसूरत आशिक बना दिया है..*. मीठे बाबा को अपनी भावनाये सुनाने मै आत्मा... सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा की बाँहों में चली जाती हूँ...

 

   *प्यारे बाबा ने मुझ आत्मा को सच्चे प्यार में डुबोते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे फूल बच्चे... रूहानी माशूक बाबा आज अपने आशिको से मिलने आये है... *गुणो और शक्तियो के सागर कण्ठे पर... ऊँची स्थिति की पहाड़ी पर, और सदा शीतल स्वरूप की चांदनी में... दिल का गीत सुन रहे है.*..निरन्तर याद और यह रूहानी आशिक माशूक का सम्बन्ध् को सदा यादो में बसाये रखो..."

 

_ ➳  *मै आत्मा प्यारे बाबा के प्यार में रोम रोम से डूबकर कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे बाबा मेरे... मै आत्मा भगवान को माशूक रूप में पाकर... इस कदर प्यार में बावरी हो जाउंगी... यह तो मेने कभी सोचा भी न था बाबा... *आपने तो जीवन में आकर, सच्चे प्रेम की बहार खिलाई है... मन तो जेसे प्यार की खुशबु में रोम रोम से भीगा भीगा सा है.*.."

 

   *प्यारे बाबा मुझ आत्मा को गुणो और शक्तियो के खजाने से सम्पन्न बनाते हुए कहते है :-* "मीठे प्यारे लाडले बच्चे... माशूक बाबा तो सागर है... इसलिए सागर से जितना चाहे उतना अथाह लेकर नम्बरवन बनो... *सदा मेरा बाबा में दिल की गहराइयो से खोये रहो... मेरा मेरा कह और जगह फेरे न लगाओ..*. जेसे माशूक प्यारा है, सजा संवरा है, ऐसे ही गुणो और शक्तियो से सजे संवरे चमकीली ड्रेस में माशूक संग... समान बन मुस्कराओ

 

_ ➳  *मै आत्मा मीठे बाबा के रूहानी प्यार को मन बुद्धि में समाकर कहती हूँ :-* "मीठे प्यारे दुलारे बाबा... *आपने अपनी आशिकी के रंग में... मुझ आत्मा को रंगकर, कितना खुबसूरत और प्यारा बना दिया है.*.. काली दागो वाली ड्रेस की जगह... चमकीली सुंदर फ़रिश्ता ड्रेस पहनाकर अपना आशिक सजाया है... वाह कितना प्यारा यह मेरा भाग्य है..."

 

   *मीठे बाबा मुझ आत्मा को आप समान बनाते हुए कहा :-* "मीठे प्यारे सिकीलधे बच्चे... *सदा माशूक समान हल्के बनो तो ही संग उड़ साथ जा सकेंगे.*.. यादो में रह व्यर्थ के सारे बोझों के भारीपन को समाप्त करो... अभी अभी निराकारी, अभी अव्यक्त फ़रिश्ता, अभी कर्मयोगी,अभी सेवाधारी, यह अभ्यास निरन्तर बढ़ाओ..."

 

_ ➳  *मै आत्मा मीठे बाबा के प्यार में खुबसूरत आशिक बनी मुस्कराती हुई कहती हूँ :-* "मीठे मीठे बाबा मेरे... मै आत्मा देहभान में कितनी काली और दागो से भर गयी थी... *आपने मीठे बाबा मुझे अपने प्यार में कितना सुंदर चमकीला बना दिया है.*.. और हाथ पकड़ कर संग ले चलने को सजा दिया है..." मीठे बाबा से अथाह प्यार पाकर, यूँ सज संवर कर मै आत्मा... अपने स्थूल वतन में आ गयी...

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- एक माशूक द्वारा सर्व सम्बन्धों की अनुभूति करना*"

 

 

 _ ➳  स्वयं भगवान सर्व सम्बन्धों से जिसका हो जाये उससे भाग्यशाली और भला कौन हो सकता है! *यही विचार करती, मन ही मन स्वयं के भाग्य की सराहना करती, अपने शिव पिता परमात्मा, अपने भगवान बाप का मैं दिल की गहराइयों से शुक्रिया अदा करती हूँ जिन्होंने ने मेरे जीवन मे आ कर सर्व सम्बन्धों का मुझे सुख देकर मेरे जीवन को खुशियों से भर दिया*।

 

 _ ➳  जब - जब जिस भी सम्बन्ध से अपने प्यारे मीठे बाबा को मैंने याद किया उस सम्बन्ध का असीम सुख मैंने बाबा से प्राप्त किया। *कभी बाप के रूप में अपना असीम प्यार और दुलार दिया तो कभी माँ बन कर अपने ममता के आंचल की ठन्डी छाँव में बिठाया, कभी दोस्त बन कर कदम - कदम पर मेरा साथ दिया तो कभी जीवन साथी बन कर हर सुख - दुख में मेरा साथ निभाया*। ऐसे मेरे शिव पिता परमात्मा ने हर एक सम्बन्ध के सुख का मुझे अनुभव करवा कर मेरे बेरंग जीवन को अपने प्यार के रंग से भर दिया।

 

 _ ➳  स्वयं भगवान से मिलने वाले सर्व सम्बन्धो के सुखद अनुभवों को याद करती अपने प्यारे मीठे बाबा की मीठी यादों में मैं खो जाती हूँ और वो सभी अनुभव अनेक चित्रों के रूप में मेरी आँखों के सामने एक - एक करके उभरने लगते हैं। *कहीं मैं स्वयं को एक छोटे बच्चे के रूप में देख रही हूँ। बाबा ने अपने हाथ मे मेरा हाथ पकड़ा हुआ है और मुझे पूरे विश्व की सैर करवा रहें हैं। मेरे साथ अनेक प्रकार से खेलपाल कर रहें हैं*। फिर मैं देख रही हूँ स्वयं को ब्रह्मा माँ की गोद मे। बाबा माँ बन कर अपनी ममता की मीठी छाँव में मुझे बिठा कर अपना असीम स्नेह मुझ पर लुटा रहें हैं।

 

 _ ➳  कहीं मैं देखती हूँ अपने लाइट माइट स्वरूप में बाबा दोस्त बन मेरा हाथ अपने हाथ मे ले कर बैठें हैं और अपने खुदा दोस्त से मैं अपने मन की सारी बाते कह रही हूँ और वो बड़े प्यार से मुस्कराते हुए मेरी हर बात को ध्यान से सुन रहें हैं और मेरी हर बात का जवाब दे रहें हैं। अब मैं देख रही हूँ बाबा को अपने साजन के रूप में। *अपने निराकार स्वरूप में शिव बाबा साजन बन मुझ निराकार आत्मा सजनी को अपनी सर्वशक्तियों की किरणों की छत्रछाया में बिठा कर अपने निश्छल प्रेम की मीठी फुहारें मुझ पर निरन्तर बरसा रहें हैं*।

 

 _ ➳  इन सर्व सम्बन्धो के अनुभवों का सुख लेकर, अपने भगवान बाप से मिलन मनाने के लिए अब मैं *अपने मन बुद्धि को सब बातों से हटा कर केवल अपने शिव पिता पर एकाग्र करती हूँ और सेकण्ड में देह से न्यारी विदेही आत्मा बन चल पड़ती हूँ उनके पास उनके धाम*। आकाश से ऊपर, सूक्ष्म वतन को पार कर एक अति सुन्दर दिव्य प्रकाशमयी अलौकिक दुनिया में मैं प्रवेश करती हूँ जो मेरे पिता परमात्मा का घर है। इस स्वीट साइलेन्स होम में पहुँच कर गहन शांति का मैं अनुभव कर रही हूँ।

 

 _ ➳  अपने प्यारे बाबा के अति सुंदर दिव्य प्रकाशमय स्वरूप को निहारते हुए, उनसे निकल रही सर्वशक्तियों की किरणों के नीचे बैठ स्वयं को उनकी सर्वशक्तियों से भरपूर करके अब मैं वापिस साकारी दुनिया की ओर लौट रही हूँ। *अपने साकारी तन में  विराजमान हो कर सृष्टि रंगमंच पर पार्ट बजाते हुए अब मैं हर सम्बन्ध का सुख अपने प्यारे बाबा से लेते हुए, देह और देह के झूठे सम्बन्धों से उपराम होती जा रही हूँ*। सर्व सम्बन्धों से भगवान बाप को अपना बना कर भगवान की पालना में पलने का सुख अब मैं हर पल ले रही हूँ।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं सदा श्रेष्ठ और नये प्रकार की सेवा द्वारा वृद्धि करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं सहज सेवाधारी आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं आत्मा बहानेबाजी को सदा मर्ज करती हूँ  ।*

   *मैं आत्मा बेहद की वैराग्य वृत्ति को सदा इमर्ज करती हूँ  ।*

   *मैं आत्मा बेहद की वैरागी हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  1. डबल फारेनर्स के फेवरेट दो शब्द कौन से हैं? (कम्पैनियन और कम्पनी) यह दोनों पसन्द हैं। अगर पसन्द हैं तो एक हाथ उठाओ। भारत वालों को पसन्द हैं? *कम्पैनियन भी जरूरी है और कम्पनी भी जरूरी है। कम्पनी बिना भी नहीं रह सकते और कम्पैनियन बिना भी नहीं रह सकते।* तो आप सबको क्या मिला है? कम्पैनियन मिला हैबोलो हाँ जी या ना जी? (हाँ जी) कम्पनी मिली है? (हाँ जी) ऐसी कम्पनी और ऐसा कम्पैनियन सारे कल्प में मिला था? कल्प पहले मिला थाऐसा कम्पैनियन जो कभी भी किनारा नहीं करताकितना भी नटखट हो जाओ लेकिन वह फिर भी सहारा ही बनता है। और जो आपके दिल की प्राप्तियां हैंवह सर्व प्राप्तियां पूर्ण करता है।

 

 _ ➳  2. तो बापदादा सभी बच्चों को यही रिवाइज करा रहे हैं कि सदा बाप के कम्पनी में रहो। बाप ने सर्व सम्बन्धों का अनुभव कराया है। कहते भी हो कि बाप ही सर्व सम्बन्धी है। *जब सर्व सम्बन्धी है तो जैसा समय वैसे सम्बन्ध को कार्य में क्यों नहीं लगाते! और यही सर्व सम्बन्ध का समय प्रति समय अनुभव करते रहो तो कम्पैनियन भी होगा, कम्पनी भी होगी। और कोई साथियों के तरफ मन और बुद्धि जा नहीं सकती। बापदादा आफर कर रहे हैं - जब सर्व सम्बन्ध आफर कर रहे हैं तो सर्व सम्बन्धों का सुख लो। सम्बन्धों को कार्य में लगाओ।* बापदादा जब देखते हैं - कोई- कोई बच्चे कोई-कोई समय अपने को अकेला वा थोड़ा सा नीरस अनुभव करते हैं तो बापदादा को रहम आता है कि ऐसी श्रेष्ठ कम्पनी होते, कम्पनी को कार्य में क्यों नहीं लगातेफिर क्या कहते? *व्हाई-व्हाई बापदादा ने कहा व्हाई नहीं कहो, जब यह शब्द आता है, व्हाई निगेटिव है और पाजिटिव है 'फ्लाई', तो व्हाई-व्हाई कभी नहीं करनाफ्लाई याद रखो। बाप को साथ साथी बनाए फ्लाई करो तो बड़ा मजा आयेगा।* वह कम्पनी और कम्पैनियन दोनों रूप से सारा दिन कार्य में लाओ। ऐसा कम्पैनियन फिर मिलेगा? बापदादा इतने तक कहते हैं - अगर आप दिमाग से वा शरीर से दोनों प्रकार से थक भी जाओ तो कम्पैनियन आपकी दोनों प्रकार से मालिश करने के लिए भी तैयार है। मनोरंजन कराने लिए भी एवररेडी हैं। फिर हद के मनोरंजन की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। ऐसा यूज करना आता है वा समझते हो बड़े से बड़ा बाबा हैटीचर हैसतगुरू है...लेकिन सर्व सम्बन्ध हैं। 

 

✺   *ड्रिल :-  "बाप को कम्पेनियन और कम्पनी दोनों रूप से यूज करने का अनुभव"*

 

 _ ➳  *मैं आत्मा रूपी बच्ची मन-बुद्धि द्वारा एक सुंदर से घर में पहुँचती हूँ... वहाँ मैं अकेली हूँ ,उदास हूँ... वहाँ बहुत सन्नाटा हैं... अचानक से दरवाजा खुलते ही बाबा माँ के रूप में आते हैं और मैं तेज़ी से दौड़कर अपनी माँ के गले लग जाती हूँ...* ऐसा सुकून मैंने आज तक महसूस नहीं किया जैसा अब कर रही हूँ... फिर माँ मुझे बड़े प्यार से नहलाती हैं और सुन्दर-सुन्दर वस्त्र पहनाती हैं... प्यारे कोमल हाथों से मेरे बालों की मालिश करती हैं...

 

_ ➳  माँ मुझे अपने हाथों से खाना बनाकर मुझे खिलाती हैं... फिर हम मनोरंजन करते है... हम दोनों छुपन-छुपाई का खेल खेलते हैं... *माँ मुझे बड़े ही प्यार से मखमल चादर ओढ़कर अपने पास सुला लेतीं है और मैं उनकी बाहों से लिपटकर सो जाती हूँ... मुझे सपनों में भी माँ ही दिखाई दे रहीं हैं...*

 

_ ➳  *फिर वह मुझे बड़े प्यार से शांति और पवित्रता की किरणें न्यौछावर कर रहीं हैं... मैं सर्व खजानों का अनुभव कर रहीं हूँ... वह मेरी माँ ही नहीं बल्कि सतगुरु, बाप, भाई, बहन, सब कुछ हैं...* सतगुरु के रूप में वह मुझे सदगति देते हैं, बाप के रूप में वह मुझे सूक्ष्म और स्थूल चीज़े देते हैं, भाई के रूप में रक्षा करते हैं, बहन के रूप में सारी बातें मैं उनसे शेयर करती हूँ...

 

_ ➳  मेरा अकेलापन अब दूर हो चुका हैं... *बाबा मेरे सच्चे कम्पैनियन हैं... वह मुझे रोज़ कम्पनी देते हैं... अब कोई साथियों की तरफ मन और बुद्धि नहीं जाती हैं... अब मेरे मुख से व्हाई नाम का शब्द तक नहीं निकलता... अब पूरा दिन बाबा की गोदी में फ्लाई करती रहती हूँ...* झूमती ही रहती हूँ... बाबा के प्यार में ही खोई रहती हूँ... उन्हीं की कम्पनी का सहारा लेकर सारी बाते उनसे शेयर करती हूँ...

 

 _ ➳  अब मैं हद के मनोरंजन का सहारा नहीं लेती हूँ... बाबा के साथ ही खेलती हूँ... अगर हद के मनोरंजन में जाना भी पड़ जाए तो बाबा को साथी बनाकर ले जाती हूँ... *जब कभी मैं दिमाग व शरीर से थक जाऊँ तब वह मेरी दोनों प्रकार से मालिश करते है... मैं कितना भी नटखट हो जाऊँ परन्तु वह मेरा सहारा बनकर हर कदम में मेरा साथ देते हैं...* अब दुःख आते हुए भी दुःख की महसूसता नहीं होती हैं...

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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