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 27 / 12 / 20  की  मुरली  से  चार्ट  

       TOTAL MARKS:- 100 

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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)

 

➢➢ *फ्यूचर को फीचरस द्वारा प्रतक्ष्य किया ?*

 

➢➢ *बीती को बीती किया ?*

 

➢➢ *सदा "वाह वाह" के गीत गाये ?*

 

➢➢ *आत्माओं को सहयोगी बनाने की सेवा की ?*

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  ✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न*

         ❂ *तपस्वी जीवन*

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✧  *आत्मिक स्थिति में रहने से चेहरा कभी गम्भीर नहीं दिखाई देगा। गम्भीर बनना अच्छा है लेकिन टूमच गम्भीर नहीं। चेहरा सदा मुस्कराता रहे।* जैसे आपके जड़ चित्रों को अगर सीरियस दिखाते हैं तो कहते हो आर्टिस्ट ठीक नहीं है। *ऐसे आप अगर सीरियस रहते हो तो कहेंगे इसको जीने का आर्ट नहीं आता।*

 

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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*

 

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*अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए*

             ❂ *श्रेष्ठ स्वमान*

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   *"मैं कोटो में कोई आत्मा हूँ"*

 

   अपने को सदा विश्व के अन्दर कोटों में कोई, कोई में भी कोई, ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें समझते हो? ऐसे अनुभव होता है कि यह हमारा ही गायन है? एक होता है ज्ञान के आधार पर जानना, दूसरा होता है किसी का अनुभव सुनकर उस आधार पर मानना और तीसरा होता है स्वयं अनुभव करके महसूस करना।

 

  तो ऐसे महसूस होता है कि हम कल्प पहले वाली कोटों में से कोई, कोई में से कोई श्रेष्ठ आत्मायें हैं? ऐसी आत्माओंकी निशानी क्या होगी? ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें सदा बाप शमा के पीछे परवान बन फिदा होने वाली होंगी।

 

  चक्र लगाने वाली नहीं। आए चक्र लगाया, थोड़ी सी प्राप्ति की, ऐसे नहीं। लेकिन फिदा होना अर्थात् मर जाना-ऐसे जल मरने वाले परवाने हो ना? *जलना ही बाप का बनना है। जो जलता है वही बनता है। जलना अर्थात् परिवर्तन होना।*

 

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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)

 

➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *रूहानी ड्रिल प्रति*

*अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं*

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✧  विदेही माना देह से न्यारा हो गया तो देह के साथ ही स्वभाव, संस्कार, कमजोरियाँ सब देह के साथ हैं, और *देह से न्यारा हो गया, तो सबसे न्यारा हो गया।* इसलिए यह ड्रिल बहुत सहयोग देगी, इसमें कन्ट्रलिंग पॉवर चाहिए। 

 

✧  मन को कन्ट्रोल कर सकें, बुद्धि को एकाग्र कर सकें। नहीं तो आदत होगी तो परेशान होते रहेंगे। *पहले एकाग्र करें, तब ही विदेही बने।* अच्छा। आप लोगों का तो 14 वर्ष किया हुआ है ना! (बाबा ने संस्कार डाल दिया है) फाउण्डेशन पक्का है। आप लोगों की तो 14 वर्ष में नेचर बन गई।

 

✧  *सेवा में कितने भी बिजी रही लेकिन कोई बहाना नहीं चलेगा कि हमको समय नहीं था।* क्योंकि बापदादा को अभी जल्दी-जल्दी 108 और 16,000 तो तैयार करने हैं। नहीं तो काम कैसे चलेगा। साथी तो चाहिए ना। तो 108 फिर 16,000, फिर 9 लाख।

 

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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*

 

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         ❂ *अशरीरी स्थिति प्रति*

*अव्यक्त बापदादा के इशारे*

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〰✧  *फ़रिश्ते अर्थात् साकार बाप को फ़ालो करने वाले।*जैसे भाग्य में आने को आगे करते हो, वैसे त्याग में ‘पहले मैं”। *जब त्याग में हरेक ब्राह्मण-आत्मा 'पहले मैं” कहेगा तो भाग्य की माला सबके गले में पड़ जायेगी।* आपके सम्पूर्ण स्वरूप सफलता की माला लेकर आप पुरुषार्थियों को गले में डालने के लिए नज़दीक आ रहे हैं। अन्तर को मिटा दो। *हम सो फ़रिश्ता का मन्त्र पक्का कर लो तो साइन्स का यन्त्र अपना काम शुरू करे और हम सो फ़रिश्ते से हम सो देवता बन नई दुनिया में अवतरित होंगे।* ऐसे साकार बाप को फ़ालो करो। साकार को फ़ालो करना तो सहज है ना? *तो सम्पूर्ण फ़रिश्ता अर्थात्  साकार बाप को फालो करना।*

 

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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)

 

➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*

 

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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)

( आज की मुरली के सार पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर को श्रेष्ठ बनाना"*

 

_ ➳  *मैं आत्मा बगीचे में बागवानी करते हुए पौधों के आसपास के खरपतवार को निकाल रही हूँ... जो पौधों के पोषक तत्वों को शोषित कर उनके विकास की गति को धीमी कर रहे हैं...* खरपतवार को निकालने के बाद फूल-पौधे बहुत ही सुन्दर दिख रहे हैं... मुस्कुरा रहे हैं... *ऐसे ही परम बागबान ने मुझ आत्मा के अन्दर के विकारों रूपी खरपतवार को निकालकर मुझे रूहानी फूल बना दिया है... मेरे जीवन के आंगन को खुशियों से खिला दिया है...* मैं आत्मा उड़ चलती हूँ मेरे जीवन को श्रेष्ठ बनाने वाले प्यारे बागबान बाबा के पास...

 

  *पावन दुनिया की राजाई के लिए श्रेष्ठ श्रीमत देते हुए पतित पावन प्यारे बाबा कहते हैं:-* मेरे मीठे बच्चे... *मीठे बाबा की श्रीमत पर चलकर पावन बनते हो इसलिए पावन दुनिया के सारे सुखो के अधिकारी बनते हो...* मनुष्य की मत सम्पूर्ण पावन न बन सकते हो न ही सतयुगी दुनिया के मालिक बन सकते हो... यह कार्य ईश्वर पिता के सिवाय कोई कर ही न सके...

 

_ ➳  *श्रीमत की बाँहों में झूलते हुए सतयुगी सुखों के आसमान को छूते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपनी मत और दूसरो की मत से अपनी गिरती अवस्था की बेहतर अनुभवी हूँ... *अब श्रीमत का हाथ थाम खुशियो के संसार में बसेरा हुआ है... प्यारा बाबा मुझे पावन बनाने आ गया है...”*

 

  *प्यार भरी नज़रों से मुझे निहाल कर लक्ष्मी नारायण समान श्रेष्ठ बनाते हुए मीठे-मीठे बाबा कहते हैं:-* मीठे प्यारे फूल बच्चे... पतित पावन सिर्फ बाबा है जो स्वयं पावन है वही पावन बना भी सकता है... मनुष्य खुद इस चक्र में आता है वह दूसरो को पावनता से कैसे सजाएगा भला... *ईश्वर की मत ही सर्व प्राप्तियों का आधार है... श्रीमत ही मनुष्य को देवता श्रृंगार देकर सजाती है...”*

 

_ ➳  *अपने जीवन की गाड़ी को श्रीमत रूपी पटरी पर चलाते हुए मंजिल के करीब पहुँचते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा इतनी भाग्यशाली हूँ कि श्रीमत मेरे भाग्य में है... श्रीमत की ऊँगली पकड़ मै आत्मा पावनता की सुंदरता से दमक रही हूँ...* और श्रीमत पर सम्पूर्ण पावन बन सतयुग की राजाई की अधिकारी बन रही हूँ...

 

  *पवित्रता की खुशबू से महकाकर खुशियों के झूले में झुलाते हुए मेरे बाबा कहते हैं:-* प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वर पिता धरती पर उतरा है प्रेम की सुगन्ध को बाँहों में समाये हुए... तो फूल बच्चे इस खुशबु को अपने रोम रोम में सुवासित कर लो... *यादो को सांसो सा जीवन में भर लो... और यही प्रेम नाद सबको सुनाकर आह्लादित रहो... हर साँस पर नाम खुदाया हो... ऐसा जुनूनी बन जाओ...”*

 

_ ➳  *मैं आत्मा ज्ञान कलश को सिर पर धारण कर हीरे समान चमकते हुए कहती हूँ:-* हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा अपनी मत पर चलकर और परमत का अनुसरण कर निराश मायूस हो गई थी... दुखो को ही अपनी नियति मान बैठी थी... *प्यारे बाबा आपकी श्रीमत ने दुखो से निकाल... मीठे सुखो से दामन सजा दिया है... प्यारी सी श्रीमत ने मुझे पावन बनाकर महका दिया है...”*

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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)

( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )

 

✺   *"ड्रिल :- बीती को बीती करना*"

 

_ ➳  एकांत में बैठ, अपने पुरुषार्थ को तीव्र बनाने की युक्तियां निकालते हुए मैं मन ही मन विचार करती हूँ कि विनाशी धन का सौदा करने वाले एक बिजनेसमैन को हर समय केवल अपने बिजनेस को ही ऊंचा उठाने का ख्याल रहता है *लेकिन यहाँ तो सौदा अविनाशी है और सौदा करने वाला भी कोई साधारण मनुष्य नही बल्कि स्वयं भगवान हैं और सौदा भी ऐसा जो एक जन्म के लिए नही बल्कि जन्मजन्मांतर की कमाई कराने वाला है तो एक पक्के बिजनेसमैन की तरह अपने इस अविनाशी सौदे से मुझे भविष्य 21 जन्मो की अविनाशी कमाई करने के लिए, भगवान द्वारा मिले हर खजाने को अब जमा करने का ही पुरुषार्थ करना है* और जमा करने की सहज विधि है बिंदी लगाना।

 

_ ➳  जैसे स्थूल खजाने में भी एक के साथ बिंदी लगाने से खजाना बढ़ता जाता है ऐसे ही अपने इस पुरुषार्थी ब्राह्मण जीवन में मैं आत्मा बिंदी, बाप बिंदी और ड्रामा में जो बीत चुका वह भी फुलस्टॉप अर्थात बिंदी इन तीन बिंदियों की स्मृति का तिलक अपने मस्तक पर हर समय लगा कर रखते हुए मुझे अपने पुरुषार्थ में गैलप करना है। *अपने प्यारे बाबा को साक्षी मान स्वयं से यह दृढ़ प्रतिज्ञा करते ही मैं अनुभव करती हूँ जैसे बापदादा इन तीन स्मृतियों का अविनाशी तिलक देने के लिए मुझे वतन में बुला रहें हैं*।अपनी लाइट की सूक्ष्म आकारी देह के साथ मैं आत्मा अपनी साकारी देह से बाहर निकलती हूँ और अव्यक्त फ़रिश्ता बन अव्यक्त वतन की ओर चल पड़ती हूँ।

 

_ ➳  मुझ फ़रिश्ते से श्वेत रश्मियां निकल - निकल कर चारों और फैल रही हैं। बापदादा से मिलने की लगन में मग्न, अपनी रंग बिरंगी किरणो को चारों और फैलाता हुआ मैं फ़रिश्ता आकाश को पार कर, अब सूक्ष्म वतन में प्रवेश करता हूँ। अपने सामने मैं बाप दादा को देख रहा हूँ। *बापदादा के अनन्त प्रकाशमय लाइट माइट स्वरूप से सर्व शक्तियों की अनन्त किरणें निकल कर पूरे सूक्ष्म वतन में फ़ैल रही हैं। पूरा सूक्ष्म वतन रंग - बिरंगी किरणों के प्रकाश से आच्छादित हो रहा है*। इन्द्रधनुषी रंगों से प्रकाशित सूक्ष्म वतन का यह नजारा मन को असीम आनन्द से भरपूर कर रहा है।

 

_ ➳  इस खूबसूरत दृश्य का आनन्द लेते - लेते, बाहें पसारे खड़े बाबा के मनमोहक स्वरूप को निहारते हुए अब मैं फ़रिश्ता बाबा की बाहों में समाकर बाबा के प्यार से स्वयं को भरपूर करने लिए धीरे - धीरे उनके पास पहुँचता हूँ। मुझे देखते ही बाबा मुझे अपनी बाहों में भरकर अपना असीम प्रेम और स्नेह मुझ पर बरसाने लगते हैं। *अपनी ममतामयी गोद मे बिठाकर अनेक दिव्य अलौकिक अनुभूतियां करवा कर, अपनी स्नेह भरी दृष्टि से मुझे देखते हुए बाबा मेरे अंदर अथाह स्नेह का संचार कर रहें हैं*। ऐसा लग रहा है जैसे बापदादा से स्नेह की सहस्त्रो धारायें एक साथ निकलकर मुझ फ़रिश्ते में समा कर मुझे बाप समान मास्टर स्नेह का सागर बना रही हैं।

 

_ ➳  स्नेह की अविरल धारा मेरे अंदर प्रवाहित कर मुझे असीम शक्तिवान बना कर अब बाबा मेरे मस्तक पर तीन बिंदियों की स्मृति का अविनाशी तिलक लगाकर, बीती को बीती कर पुरुषार्थ में गैलप करने का वरदान देकर मुझे विदा करते हैं। *बापदादा द्वारा मिले तीन बिंदियों की स्मृति के अविनाशी तिलक को अपने मस्तक पर सदा के लिए धारण कर, अपनी सूक्ष्म काया के साथ अब मैं सूक्ष्म वतन से वापिस साकार वतन में आती हूँ और अपने स्थूल शरीर में प्रवेश कर अपने अकालतख्त पर विराजमान हो जाती हूँ*।

 

_ ➳  अपने पुरुषार्थी ब्राह्मण जीवन में इन तीन बिंदियों की स्मृति का तिलक सदा अपने मस्तक पर लगाकर, *स्मृति सो समर्थी स्वरूप बन, बीती को बीती कर, अपने पुरुषार्थ में गैलप करते हुए अब मैं सम्पूर्णता को पाने की दिशा में निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ*।

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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )

 

   *मैं हर सेकण्ड और संकल्प को अमूल्य रीति से व्यतीत करने वाली आत्मा हूँ।*

   *मैं अमूल्य रत्न आत्मा हूँ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)

( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )

 

   *मैं आत्मा सदा योगयुक्त हूँ  ।*

   *मैं आत्मा सहयोग का अनुभव करते विजयी बन जाती हूँ  ।*

   *मैं निरंतर योगी विजयी आत्मा हूँ  ।*

 

➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?

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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)

( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )

 

 अव्यक्त बापदादा :-

 

 _ ➳  *मालिक हो नाराजा हो ना! स्वराज्य अधिकारी होतो आर्डर करो।* राजा तो आर्डर करता है ना! यह नही करना हैयह करना है। बस आर्डर करो। अभी-अभी देखो मन कोक्योंकि मन है मुख्य मन्त्री। तो *हे राजाअपने मन मन्त्री को सेकण्ड में आर्डर कर अशरीरीविदेही स्थिति में स्थित कर सकते होकरो आर्डर एक सेकण्ड में। (बापदादा ने 5 मिनट ड्रिल कराई)* अच्छा।

 

✺   *ड्रिल :-  "अशरीरी, विदेही स्थिति में स्थित होने का अनुभव"*

 

 _ ➳  मैं आत्मा शांति स्तंभ के सामने बैठ योग तपस्या कर रही हूँ... यहां बैठते ही दिव्य शांति और रूहानियत का अनुभव हो रहा है... यहां के शक्तिशाली प्रकम्पन सहज ही देह से न्यारा, अव्यक्त स्थिति में स्थित कर रहे हैं... *मैं आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप में स्थित हूँ...  इस दिव्य भूमि पर बैठते ही ब्रह्मा बाबा के चरित्र... एक-एक करके कैमरे के चित्रों की भांति... मेरे मानस पटल पर उभरने लगे हैं*...

 

 _ ➳  शांति स्तंभ की पावन धरनी पर बैठ... मैं आत्मा स्वयं को बहुत शक्तिशाली, रूहानियत से भरपूर देख रही हूँ... *अब मुझ आत्मा का हर कदम ब्रह्मा बाप के समान हो रहा है... मैं हर संकल्प, बोल और कर्म में ब्रह्मा बाबा को फॉलो कर रही हूँ*... ब्रह्मा बाबा ने किस तरह से... आत्मिक स्थिति का अभ्यास किया... 'मैं आत्मा हूँ...', 'मैं आत्मा हूँ...' की धुन लगा दी थी... इसी प्रकार मैं आत्मा भी आत्मा का पाठ स्वयं को पक्का करा रही हूँ...

 

 _ ➳  ब्रह्मा बाबा डायरी में लिख-लिख कर अभ्यास करते थे... 'यशोदा आत्मा है...' 'यशोदा आत्मा है...' इसी प्रकार मैं आत्मा भी आत्मिक दृष्टि का अभ्यास कर रही हूँ... मेरे नैनों में, मेरे हर संकल्प में... सर्व के प्रति प्रेम, रूहानियत समाई हुई है... *मैं आत्मा देह, देह के सम्बन्धों से न्यारी होती जा रही हूँ... हर प्रकार के लगाव और आसक्तियों से परे... अपने आत्मिक स्वरुप में असीम सुख का रस पान कर रही हूँ...*

 

 _ ➳  ब्रह्मा बाबा रोज रात को कर्मेंद्रियों का दरबार लगाते थे... आत्मा राजा बन मन मंत्री को आर्डर देते थे... ऐसे ही मैं आत्मा अपनी शक्तिशाली मालिकपन की स्थिति में स्थित हूँ... *मैं आत्मा इस देह की, कर्मेंद्रियों की, मन-बुद्धि-संस्कारों की राजा हूँ... मालिक हूँ... मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ... राजा बन सभी कर्मेंद्रियों को श्रीमत के आर्डर प्रमाण चला रही हूँ...*

 

 _ ➳  मन मेरा सबसे अच्छा मित्र है... मैं आत्मा राजा बन मन मंत्री को... आर्डर कर रही हूँ... मन तथा सभी कर्मेन्द्रियाँ मुझ स्वराज्य अधिकारी आत्मा के... डायरेक्शन को फॉलो कर रही हैं... *मैं आत्मा अपनी शक्तिशाली स्थिति में स्थित हूँ... जब चाहूँ, जैसे चाहूँ, जितना समय चाहूँ... उसी स्थिति में स्वयं को स्थित कर सकती हूँ... मेरा मन सुमन बन गया है... मैं अशरीरी, विदेही आत्मा हूँ... अपनी इस निराकार स्थिति के... सुंदर, दिव्य अनुभवों में समाई हुई हूँ...*

 

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_⊙  आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।

 

ॐ शांति

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