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❍ 20 / 12 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *सत्यता की शक्ति से स्वयं को शक्तिशाली अनुभव किया ?*
➢➢ *अथॉरिटी के साथ साथ वाणी में स्नेह और नम्रता रही ?*
➢➢ *धरनी, नब्ज़, समय देखकर आत्माओं को ज्ञान दिया ?*
➢➢ *सेवाओं में नवीनता से ज्ञान को प्रतक्ष्य किया ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ जहाँ देखते हो, जिसको देखते हो चलते फिरते उसका आत्मिक स्वरूप ही दिखाई दे। *जैसे जब किसी के नैनों में खराबी होती है तो उसे एक समय में दो चीजे दिखाई पड़ती हैं। ऐसे यहाँ भी अगर दृष्टि पूर्ण नहीं बदली है तो देही और देह दो चीजें दिखाई देंगी।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं रूहानी सेवाधारी हूँ"*
〰✧ सदा अपने को रूहानी सेवाधारी समझते हो? उठते-बैठते चलते फिरते सेवाधारी को सदा सेवा का ही ख्याल रहता और यह सेवा ऐसी सहज है जो मन्सा, वाचा और कर्मणा किसी से भी कर सकते हो। अगर कोई बीमार भी है, बिस्तर पर भी है तो भी सेवा कर सकते हैं। अगर शरीर ठीक नहीं भी है तो बुद्धि तो ठीक है ना। मन्सा सेवा बुद्धि द्वारा ही होती है ऐसे सदा सेवा का उमंग उत्साह व सेवा की लगन रहती है? *क्योंकि जितनी सेवा करेंगे उतना यह प्रकृति भी आपकी जन्म-जन्म सेवा करती रहेगी। प्रकृति दासी बन जायेगी। अभी प्रकृति दु:ख का कारण बन जाती है फिर यही प्रकृति सेवाधारी बन जायेगी।*
〰✧ सेवा करना अर्थात् मेवा लेना। यह सेवा करना नहीं है लेकिन सर्व प्राप्ति करना है। अभी-अभी सेवा की अभी-अभी खुशियों का भण्डारा भरपूर हुआ। *एक आत्मा की भी सेवा करेंगे तो कितना दिन उसकी खुशी का प्रभाव रहता है क्योकि वह आत्मा जन्म-जन्म के लिए दु:ख से छूट गई। जन्म-जन्म का भविष्य बनाया तो आपको भी उसकी खुशी होगी। ऐसे सभी का अनेक जन्म सुधारने वाले, मास्टर भाग्य विधाता हो।* क्योकि उनका भाग्य बदलने के निमित बन जाते हो ना। गिरती कला के बदले चढ़ती कला का भाग्य हो जाता।
〰✧ सेवा करना अर्थात् खुशी का मेवा खाना, यह ताजा फल है। डॉक्टर भी कमजोर को कहते हैं ताजा फल खाओ। यहाँ ताजा फल खाओ तो आत्मा शक्तिशाली बन जायेगी। *सदा सेवा की हिम्मत रखने वाले, विश्व परिवर्तन करने की हिम्मत रखने वाले, अपने को फर्स्ट लाने की हिम्मत रखने वाले, ऐसे सदा हिम्मत रख औरों को भी निर्बल से बलवान बनाओ।* बापदादा हिम्मत रखने वाले बच्चों को सदा मुबारक देते हैं।
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ *आपने मन को ऑर्डर किया सेकण्ड में अशरीरी हो जाओ, यह तो नहीं कहा सोचो - अशरीरी क्या है?* कब बनेंगे, कैसे बनेंगे? ऑर्डर तो नहीं माना ना! कन्ट्रोलिंग पॉवर तो नहीं हुई ना! अभी समय प्रमाण इसी प्रेक्टिस की आवश्यकता है।
〰✧ अगर कन्ट्रोलिंग पॉवर नहीं है तो कई परिस्थितियाँ हलचल में ले आ सकती है। इसलिए एक होली शब्द ही याद करो तो भी ठीक है। *होली - बीती सो बीती और हो ली बाप की बन गई।* और क्या बन गई? होली अर्थात पवित्र आत्मा बन गई।
〰✧ एक शब्द होली याद करो तो एक होली शब्द के तीन अर्थ यूज करो, वर्णन नहीं करो, हाँ होली माना बीती सी बीती। हाँ, बीती सो बीती है - ऐसे नहीं सोचते रहो, वर्णन करते रहो, नहीं। *अर्थ स्वरूप में स्थित हो जाओ। सोचा और हुआ।* ऐसे नहीं सोचा तो सोच में ही पडे रहो। नहीं। जो सोचा वह हो गया, बन गये, स्थित हो गये।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ टीचर्स अर्थात् फ़रिश्ता। टीचर का काम है- पण्डा बन करके यात्रियों को ऊँची मंज़िल पर ले जाना। ऊँची मंज़िल पर कौन ले जा सकेगा? जो स्वयं फ़रिश्ता अर्थात् डबल लाइट होगा। हल्का ही ऊँचा जा सकता है। भारी नीचे जायेगा। *टीचर का काम है ऊँची मंज़िल पर ले जाना, तो खुद क्या करेंगे? फ़रिश्ता होंगे ना? अगर फ़रिश्ते नही तो खुद भी नीचे रहेंगे और दूसरों को भी नीचे लायेंगे।* अपने को फ़रिश्ता अनुभव करती हो? बिल्कुल हल्का। देह का भी बोझ नहीं। *मिट्टी बोझ वाली होती है ना? देहभान भी मिट्टी है। जब इसका भान है तो भारी रहेंगे। इससे परे हल्का अर्थात् फ़रिश्त होगे।* तो देह के भान से भी हल्कापन। *देह के भान से परे तो और सभी बातों से स्वत ही परे हो जायेंगे।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- स्नेह और सत्यता की अथॉरिटी का बैलेंस रखना"*
➳ _ ➳ मै आत्मा सच की रौशनी में जगमगाती हुई... अपने शानदार भाग्य पर मुस्कराती हुई... *सत्य पिता के साये में सत्य से रौशन हुए चमकते,उज्ज्वल, धवल जीवन को निहार रही हूँ.*.. प्यारे बाबा पर अपने दिल समन्दर को उंडेलने, मै आत्मा सूक्ष्म शरीर में उड़ चलती हूँ वतन की ओर... मुझे अपने दिल के पास आता देख बापदादा भी पुलकित है और बाँहों में समाने को आतुर मेरी बाट ले रहे है... मै आत्मा सत्यपिता की बाँहों में समाकर अतीन्द्रिय सुख की अनुभूतियों से सराबोर हो रही हूँ...
❉ *मीठे बाबा मुझ भाग्यवान आत्मा को... अपनी बाँहों में भरकर... मेरे कानो में अपनी मधुर रश्मियाँ बिखरते हुए कहते है...* “जहान के नूर बच्चे... सत्य पिता की ऊँगली पकड़ सत्य राहो पर सदा के निश्चिन्त होकर, सतयुगी दुनिया के हकदार बनो... *सत्यता के नशे में रह ब्रह्माण्ड को बाँहों में भरो.*.. यही सत्यता की चमक देवताई चमक से सदा का नूरानी बनाएगी...”
➳ _ ➳ *प्यारे बाबा की प्यार भरी समझाइश पाकर मै आत्मा अपने सत्य प्रकाश से आलोकित जीवन को देख मुस्करा उठती हूँ...* “प्यारे बाबा... आपके बिना सत्य से कितना विमुख सी थी... असत्य को हर पल जीती हुई दुखो के दलदल में लिप्त थी... मीठे बाबा कब सोचा था मेने कि *सच्चाई मेरे रोम रोम में समाकर जीवन में यूँ चार चाँद सजाएगी*.."
❉ *प्यारे से लाडले मेरे बाबा मुझ पर अनन्त प्रेममयी किरणे बिखेर रहे और कह् रहे...* “रूहे गुलाब बच्चे... सच की ताकत से भरकर विश्व धरा पर शान से अपना अधिकार ले लो... *मीठे बाबा को जो अपने दिल का हमराज बनाया है तो हर पल हर बात में राजदार करो.*.. मनमीत को हालेदिल बयाँ करो... सच्चाई से ईश्वर पिता का दिल यूँ चुटकियो में जीत लो..."
➳ _ ➳ *मीठे बाबा को अपने सम्मुख बैठ यूँ प्यार से समझाते हुए देख देख मै आत्मा ख़ुशी में चहक रही हूँ...* “और प्यारे बाबा से कह रही... और सच्चे दिलबर बाबा श्रीमत की जादूगरी से, जीवन सत्य की खनक से भर दिया है... मेरा हर कर्म सत्य की झनकार लिए ब्रह्माण्ड में गूंज रहा है... ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से आपने मेरा जीवन... *सत्य और श्रेष्ठ कर्मो से सजाकर मुझे देवताओ सा खुबसूरत बना दिया है.*.."
❉ *प्यारे बाबा मुझे अपनी अनन्त शक्तियो से भरपूर कर रहे और कह रहे...* “सत्यता के सूर्य बनकर इस धरा पर अपनी किरणे इस कदर फैलाओ कि... हर दिल इन किरणों के प्रकाश में आने को मचल उठे... सच्चे पिता के साथ रोम रोम से सच्चे होकर रहो.. ईश्वरीय यादो में बीते यह सुनहरे पल.... *सच्ची दिल पर साहिब को राजी कर जायेंगे.*..ईश्वर पिता से स्वर्ग राज्य तिलक दिलाएंगे..."
➳ _ ➳ *मनमीत बाबा की प्रेम अल्फाज सुनकर मै आत्मा खुशियो के आसमाँ में उड़ने लगी...* और बाबा से कहा... “मीठे बाबा... मेरे तन मन धन सब आपको सौंप दिया है...मेरा सब कुछ आपका और आपके सारे खजाने मेरे है... बस आप मेरा हाथ और साथ कभी न छोड़ना... *आपके साये में, मै आत्मा सच का सूरज बन दमक रही हूँ.*.. ऐसी मीठी रुहरिहान को दिल में समाये, मै आत्मा अपने स्थूल जगत की ओर रुख करती हूँ..."
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- सत्यता की शक्ति से स्वयं को शक्तिशाली अनुभव करना*
➳ _ ➳ ज्ञान के सागर अपने शिव पिता से मुरली के माध्यम से हर रोज मिलने वाले ज्ञान के पोष्टिक भोजन को खाकर अपनी बुद्धि को स्वच्छ और शक्तिशाली बनाती जा रही मैं ब्राह्मण आत्मा एकान्त में बैठ उस ज्ञान रूपी भोजन को पचाने के लिए ज्ञान की प्वाइंट्स को स्मृति में लाकर, विचार सागर मंथन कर रही हूँ और साथ ही साथ अपने सर्वक्षेष्ठ भाग्य की भी सराहना कर रही हूँ। *मन ही मन अपने भगय का मैं गुणगान कर रही हूँ कि कितनी विशेष, कितनी महान और कितनी सौभागशाली हूँ मैं आत्मा जो मेरी बुद्धि को शक्तिशाली बनाने के लिए स्वयं भगवान हर रोज मुझे ज्ञान का शक्तिशाली भोजन खिलाते हैं*। सवेरे आंख खुलते ही ज्ञान रत्नों की थालियां लेकर बाबा मेरे पास पहुँच जाते है और ज्ञान का वो भोजन सारा दिन मेरी बुद्धि को शक्तिशाली रखता है और माया के हर वार से मुझे बचा कर रखता है।
➳ _ ➳ मन ही मन यह विचार करते हुए अपने भाग्य की स्मृति में मैं खो जाती हूँ और महसूस करती हूँ जैसे ज्ञान सागर मेरे शिव पिता अपने आकारी रथ पर विराजमान होकर ज्ञान रत्नों के अखुट ख़ज़ाने लेकर मेरे सामने खड़े हैं और मुस्कराते हुए उन ज्ञान रत्नों से मेरी बुद्धि रूपी झोली को भरने के लिए मेरा आह्वान कर रहें हैं। *ज्ञान सूर्य अपने शिव पिता को अपने सामने पाकर मन ही मन मैं आत्म विभोर हो रही हूँ। उनकी लाइट माइट को मैं अपने ऊपर स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ। बापदादा से आ रही लाइट माइट मुझे भी लाइट और माइट बना रही है*। स्वयं को मैं पूरी तरह रिलेक्स महसूस कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे कोई सवेंदना मेरी देह में नही हो रही और मैं देह से बिल्कुल न्यारी हो चुकी हूँ। अपनी लाइट की सूक्ष्म देह को मैं अपनी स्थूल देह से पूरी तरह अलग महसूस कर रही हूँ।
➳ _ ➳ लाइट के बहुत ही सुंदर फ़रिशता स्वरूप में मैं अब स्वयं को देख रही हूँ जिसमे से रंग बिरंगी श्वेत रश्मियां निकल रही है जो चारों और फैल कर सारे वायुमंडल को शुद्ध, दिव्य और अलौकिक बना रही हैं। *अपनी लाइट माइट चारो और बिखेरता हुआ, अपनी रंग बिरंगी किरणो से वायुमण्डल को शुद्ध और पवित्र बनाता हुआ मैं फ़रिशता अब धरनी के आकर्षण से मुक्त होकर, अपने प्यारे बापदादा का हाथ थामे उनके साथ उनके अव्यक्त वतन की ओर जा रहा हूँ*। सारे विश्व का चक्कर लगाकर, आकाश को पार कर, उससे ऊपर अब मैं पहुँच गया बापदादा के साथ एक ऐसी दुनिया में जहां चारों और सफेद चांदनी सा प्रकाश फैला हुआ है।
➳ _ ➳ लाइट के सूक्ष्म शरीर को धारण किये फ़रिश्ते ही फ़रिश्ते इस लोक में मुझे दिखाई दे रहें हैं जिनसे निकल रही प्रकाश की रश्मियां पूरे वतन में फैल रही हैं। इस अति सुन्दर दिव्य अलौकिक दुनिया में मैं फ़रिशता अब बापदादा के सम्मुख बैठ , स्वयं को बापदादा से आ रही सर्वशक्तियों से भरपूर कर रहा हूँ। *बाबा की भृकुटि से निकल रहे ज्ञान के प्रकाश की तेज धारायें मुझ फ़रिश्ते पर पड़ रही हैं और ज्ञान की शक्ति से मुझे भरपूर कर रही हैं। अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखकर बाबा अपनी हजारों भुजायें मेरे ऊपर फैला कर ज्ञान के अखुट खजाने मुझ पर लुटा रहें हैं* और मैं फ़रिश्ता इन खजानो को अपने अंदर समाता जा रहा हूँ। ज्ञान की शक्तिशाली खुराक खाकर, ज्ञान की शक्ति से भरपूर होकर अपने लाइट माइट स्वरूप के साथ अब मैं वापिस लौट रही हूँ।
➳ _ ➳ अपने लाइट की सूक्ष्म देह के साथ, अपनी स्थूल देह में प्रवेश कर अब मैं फिर से अपने ब्राह्मण स्वरूप में स्थित हूँ और ज्ञान की शक्तिशाली खुराक हर रोज अपनी बुद्धि को खिलाकर उससे प्राप्त होने वाली परमात्म शक्ति को मैं अपने कर्मक्षेत्र व कार्य व्यवहार में प्रयोग करके अपने हर संकल्प, बोल और कर्म को सहज ही व्यर्थ से मुक्त कर, उन्हें समर्थ बना कर समर्थ आत्मा बनती जा रही हूँ। *बुद्धि में सदा ज्ञान का ही चिंतन करते, ज्ञान के सागर अपने शिव पिता के ज्ञान की लहरों में शीतलता, खुशी व आनन्द का अनुभव करते, बुद्धि को रोज ज्ञान का शक्तिशाली भोजन देकर उसे शक्तिशाली बना उस शक्ति के प्रयोग से माया पर भी मैं सहज ही विजय प्राप्त करती जा रही हूँ।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं मन के मौन से सेवा की नई इन्वेंशन निकालने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं सिद्धि स्वरूप आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा सदा समर्पित स्थिति में रहती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सर्व का सहयोग भी अपने आगे समर्पित होते अनुभव करती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा सर्व की सहयोगी हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ *रिबिन काटना, नारियल तोड़ना कोई भी सेवा शुरू करते हो, चाहे देश में, चाहे विदेश में बापदादा यही कहते हैं कि पहले एकमत, एक बल, एक भरोसा और एकता - साथियों में, सेवा में, वायुमण्डल में हो।* जैसे नारियल तोड़कर उद्घाटन करते हो, रिबनकाटकर उद्घाटन करते हो, तो पहले इन चार बातों की रिबन काटो और फिर सर्व के सन्तुष्टता, प्रसन्नता का नारियल तोड़ो। यह पानी धरनी में डालो। *जो भी कार्य की धरनी है, उसमें पहले यह नारियल का पानी डालो फिर देखो सफलता कितनी होती है।* नहीं तो कोई-न -कोई विघ्न जरूर आता है। *सेवा सब करते हो लेकिन नम्बर बापदादा के पास रजिस्टर में नोट उसका होता है जो निर्विघ्न सेवाधारी है।* बापदादा के पास ऐसे सेवाधारियों की लिस्ट है, लेकिन अभी बहुत थोड़ी है लम्बी नहीं हुई है, भाषण करने वालों की लिस्ट भी आपके पास लम्बी है, लेकिन *बापदादा उसको भाषण करने वाला कहता है जो पहले भासना दे, फिर भाषण करे।* भाषण तो आजकल स्कूल कालेज के लड़के, लड़कियां बहुत अच्छा करते हैं, तालियां बजती रहती हैं। लेकिन *बापदादा के पास लिस्ट वह है जो निर्विघ्न सबकी प्रसन्नता, सन्तुष्टता वाले हों।*
✺ *ड्रिल :- "निर्विघ्न सेवाधारी बनने का अनुभव"*
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस सृष्टि रंग मंच अपना पार्ट बजाने के लिए अवतरित हुई हूँ... *मैं अपने अनादि स्वरूप में... बिन्दु रूप में स्थित होकर मन बुद्धि रूपी विमान से पहुंच जाती हूँ... अपने मूलवतन में प्यारे शिव बाबा से सम्मुख मिलन मिलाने के लिए...* मेरे इस वतन में चारों तरफ लाल प्रकाश की आभा फैली हुई है... इस आभा में मैं आत्मा असीम शांति का... शक्ति का अनुभव कर रही हूँ... मैं आत्मा बिन्दु रूप में... बिन्दु स्वरूप शिव बाबा के सम्मुख विराजमान हूँ... *महाज्योति बिन्दु स्वरूप शिव बाबा से मुझ आत्मा पर शक्तिशाली रंग-बिरंगी किरणों की बरसात हो रही है... जिससे मैं शक्तिशाली बन रही हूँ... विघ्न विनाशक बन रही हूँ...* बाबा ने मुझ आत्मा में अपनी सारी शक्ति भर दी है... मेरे सारे विघ्न दूर कर दिए हैं... अब मैं आत्मा विघ्न विनाशक के रूप में... अपने फरिश्ता स्वरूप का चोला धारण कर... वापस अपने सृष्टि रंग मंच पर पहुंच जाती हूँ...
➳ _ ➳ मैं आत्मा इस साकारी दुनिया में आत्म अभिमानी होकर रहती हूँ... और मुझ आत्मा के सामने जो भी देहधारी आते हैं उन्हें भी आत्मा रूप में ही देखती हूँ... *यह सब संस्कार मेरा नैचुरल बन गया है... इसके लिए मुझे मेहनत नहीं करनी पड़ती है...* मैं आत्मा बाबा की दी गयी शिक्षाओं और शक्तियों को प्रैक्टिकल में इस साकारी दुनिया में यूज कर रही हूँ... जब भी मैं आत्मा किसी सेवा के लिए जाती हूँ तो सबसे पहले बाबा की याद का रिबिन काटती हूँ... बाबा से प्राप्त ज्ञान का और शक्तियों का नारियल तोड़ती हूँ... जिससे हर सेवा निर्विघ्न संपन्न होती जा रही है...
➳ _ ➳ मैं असुर नाशिनी अष्ट शक्तिधारी दुर्गा बन देश में... विदेश में फैले पांच विकारों के असुरों का नाश कर रही हूँ... विश्व की विकारों से ग्रसित आत्माओं को मुक्त करा रही हूँ... मैं आत्मा सेवा में अपनी मत और परमत मिक्स ना करके सिर्फ एक की मत ईश्वरीय मत पर चलती हूँ... मैं आत्मा एक परमात्म बल के भरोसे अपनी सेवा कर रही हूँ... अगर मुझ आत्मा को कभी भी सहायता की जरूरत होती है... तो निमित्त ब्राह्मण *भाई - बहन को एक साथ एकता के सूत्र में बांधकर... सबके विचारों का सम्मान करते हुए सहयोग ले आगे बढ़ रही हूँ... जिससे सेवा में वायुमंडल खुशनुमा बन रहा है... और सेवा निर्विघ्न सफल हो रही है...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा आत्म-अभिमानी स्थिति में स्थित होकर और एक की लगन में मगन होकर सेवा कर रही हूँ... जिससे हर आत्मा सन्तुष्ट और प्रसन्न होकर जा रही है... मैं आत्मा संतुष्टमणि हूँ... परमात्मा को प्राप्त कर मैं संतुष्ट हो गयी हूँ... और इस संतुष्टता का एहसास सारे विश्व की आत्माओं को करवा रही हूँ... *सब आत्मायें मेरी सेवा से प्रसन्न और सुख का अनुभव कर रही हूँ... मैं निर्विघ्न सेवाधारी हूँ...* मेरी हर सेवा बाबा के साथ से निर्विघ्न संपन्न हो रही है... मुझ आत्मा का नाम बाबा की उस डायरी की लिस्ट में है जिसमें निर्विघ्न सेवाधारियों का नाम लिखा है... बाबा ने मुझे निर्विघ्न भव का वरदान दिया है... *मेरा हर सेवा स्थान निर्विघ्न हो गया है...*
➳ _ ➳ मैं आत्मा एक बड़े से हाॅल में स्टेज पर खड़ी हूँ... मेरे हाथ में माइक है... मैं आत्मा बाबा के नए बच्चों को बाबा का परिचय देने के लिए यहाँ उपस्थित हूँ... *बाबा के अविनाशी ज्ञान पर भाषण देने से पहले... मैं अपने टीचर... सद्गुरु शिवबाबा का आह्वान करती हूँ... मेरे परम सद्गुरु मेरे पास आओ और आकर अपने सिकीलधे बच्चों को सच्चे ज्ञान से भरपूर करो...* बाबा शिक्षक बन मेरे पास आकर खड़े हो जाते हैं... *बाबा मुझ आत्मा को निमित्त बना कर... अपने प्रेम और सुख की भासना दे रहे हैं...* हाॅल का सारा माहोल शांति से भरपूर हो गया है... मैं आत्मा निमित्त बन कर बाबा का सच्चा और अविनाशी नॉलेज हाल में उपस्थित सारी आत्माओं को दे रही हूँ... *इस परमात्म ज्ञान को सुनकर हर आत्मा तृप्त और संतुष्ट हो रही है...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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