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❍ 14 / 12 / 20 की मुरली से चार्ट ❍
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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∫∫ 1 ∫∫ होमवर्क (Marks: 5*4=20)
➢➢ *अपना चार्ट देखा की हमारे में कोई अवगुण तो नहीं है ?*
➢➢ *गोडली यूनिवर्सिटी में अबसेन्ट तो नहीं हुए ?*
➢➢ *मनसा वाचा और कर्मणा की पवित्रता में सम्पूरण मार्क्स लिए ?*
➢➢ *सम्बन्ध संपर्क और स्थिति में लाइट रहे ?*
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✰ *अव्यक्त पालना का रिटर्न* ✰
❂ *तपस्वी जीवन* ❂
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〰✧ ब्राह्मण संगठन का आधार आत्मिक प्यार है। चलते-फिरते आत्मिक प्यार की वृत्ति, बोल, सम्बन्ध - सम्पर्क अर्थात् कर्म हो। *ब्राह्मण जीवन की नेचुरल नेचर मास्टर प्रेम का सागर है। इसी नेचर को धारण करो।*
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∫∫ 2 ∫∫ तपस्वी जीवन (Marks:- 10)
➢➢ *इन शिक्षाओं को अमल में लाकर बापदादा की अव्यक्त पालना का रिटर्न दिया ?*
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✰ *अव्यक्त बापदादा द्वारा दिए गए* ✰
❂ *श्रेष्ठ स्वमान* ❂
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✺ *"मैं सफलतामूर्त आत्मा हूँ"*
〰✧ *सदा सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है इतना नशा रहता है? सफलता होगी या नहीं होगी यह क्वेशचन ही नहीं। सफलता मूर्त हैं ऐसे नशा रहता है? मास्टर शिक्षक हो ना।* जैसे बाप शिक्षक की क्वालीफिकेशन है, वैसे मास्टर शिक्षक की भी होगी ना। बाप समान बने हो ना? (हाँ) यह हाँ-हाँ के गीत अच्छा गाती हैं। इससे सिद्ध है कि यह बाप के गुण सभी को सुनाकर डाँस करती कराती हैं।
〰✧ *कुमारियों को देख करके बापदादा बहुत खुश होती हैं। क्योंकि कुमार और कुमारियाँ, त्याग कर तपस्वी आकर बने हैं।* बच्चों के त्याग की हिम्मत देख, तपस्या का उमंग देख बापदादा खुश होते हैं। बाप की महिमा तो भक्त करते हैं लेकिन बच्चों की महिमा बाप करते हैं। कितने जन्म आपने माला सिमरण की? अभी बाप रिर्टन में बच्चों की माला सिमरण करते हैं। आप लोग देखते हो किस समय बाप माला सिमरण करते हैं? (अमृतबेले) तो जिस समय बाप माला सिमरण करते उस समय आप सो तो नहीं जाते हो? शक्तियाँ तो सोने वालो को जागने वाली है। खुद कैसे सोयेंगी?
〰✧ रिजल्ट श्रेष्ठ स्मृति और ईश्वरीय स्वमान 76 अच्छी है। सर्टीफिकेट मिलना भी लक है। आस्ट्रेलिया वालों को अच्छा सार्टीफिकेट मिल रहा है। *अपनी फुलवाड़ी को निश्चय और हिम्मत के जल से सींचते रहने से वृद्धि को पाते रहेंगे। वृद्धि होती रहेगी।*
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∫∫ 3 ∫∫ स्वमान का अभ्यास (Marks:- 10)
➢➢ *इस स्वमान का विशेष रूप से अभ्यास किया ?*
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❂ *रूहानी ड्रिल प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा की प्रेरणाएं* ✰
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〰✧ कर्मातीत का अर्थ ही है हर सबजेक्ट में फुल पास। 75 परसेन्ट, 90 परसेन्ट भी नहीं, फुल पास। यह अवस्था तब आयेगी जब अपने अनुभव में सर्व शक्तियों का स्टॉक प्रैक्टिकल में यूज में आवे।
पहले भी सुनाया - *सर्वशक्तियाँ बाप ने दी, आपने ली लेकिन समय पर यूज होती हैं या नहीं, सिर्फ स्टॉक ही है!*
〰✧ सिर्फ स्टॉक है लेकिन समय पर यूज नहीं हुआ तो होना या न होना एक ही बात है। यह अनुभव करो परिस्थिति बहुत नाजुक है लेकिन *ऑर्डर दिया मन-बुद्धि को कि न्यारे होकर खेल देखो तो परिस्थिति आपके इस अचल स्थिति के आसन के नीचे दब जायेगी।* सामना नहीं करेगी।
〰✧ आसन नहीं छोडो, *आसन में बैठने का अभ्यास ही सिंहासन प्राप्त करायेगा।* अगर आसन पर बैठना नहीं आता है, कभी-कभी बैठना आता है तो सिंहासन में भी कभी-कभी बैठेगे।
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∫∫ 4 ∫∫ रूहानी ड्रिल (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर रूहानी ड्रिल का अभ्यास किया ?*
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❂ *अशरीरी स्थिति प्रति* ❂
✰ *अव्यक्त बापदादा के इशारे* ✰
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〰✧ *महारथी बच्चों को वर्तमान समय कौन-सा पोतामेल रखना है? अभी महारथियों की सीज़न है सिद्धि स्वरूप बनने की। उनके हर बोल और संकल्प सिद्ध हों। वह तब होंगे जब उनका हर बोल और हर संकल्प ड्रामा अनुसार सत् और समर्थ हो। तो महारथी अब यह पोतामेल रखें कि सारे दिन में जो उनके संकल्प चलते हैं या मुख से जो बोल निकलते हैं वह कितने सिद्ध होते हैं।* संकल्प है बीज। जो समर्थ बीज होगा उसका फल अच्छा निकलता है। उसको कहेंगे संकल्प सिद्ध होना। तो सारे दिन में कितने संकल्प और बोल सिद्ध होते हैं? जो बोला ड्रामा अनुसार वही बोला और जो होना है वही बोला। इसमें हर बोल और संकल्प को समर्थ बनाने में अटेन्शन रखना पड़े। तो महाराथियों का पोतामेल अब यह होना चाहिए। *जैसे भक्ति में भी कहा जाता है कि यह सिद्ध-पुरुष है। तो यहाँ भी जिसका संकल्प और बोल सिद्ध होता है तो उस सिद्धि के आधार पर वह प्रसिद्ध बनता है। अगर सिद्ध नहीं तो प्रसिद्ध नहीं। भक्ति में कई देवियाँ व देवतायें प्रसिद्ध होते हैं, कई प्रसिद्ध नहीं होते। वे देवता व देवी तो माने जाते हैं लेकिन प्रसिद्ध नहीं होते। तो संकल्प और बोल सिद्ध होना यह आधार है प्रसिद्ध होने का।* इससे ऑटोमेटिकली अव्यक्त फ़रिश्ता बन जायेंगे और समय बच जायेगा। वाणी में आना ऑटोमेटिकली समाप्त हो जायेगा क्योंकि साइलेन्स-होम अथवा शान्तिधाम में जाना है ना? तो वह साइलेन्स के व आकारी फ़रिश्तेपन के संस्कार अपनी तरफ़ खींचेंगे। *सर्विस भी इतनी बढ़ती जायेगी कि जो वाणी द्वारा सेवा करने का चॉन्स ही नहीं मिलेगा। ज़रूर नैनों द्वारा और अपने मुस्कराते हुए मुख द्वारा, मस्तक में चमकती हुई मणि द्वारा सेवा कर सकेंगे। वह अभ्यास तब बढ़ेगा जब यह पोतामेल रखेंगे।*
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∫∫ 5 ∫∫ अशरीरी स्थिति (Marks:- 10)
➢➢ *इन महावाक्यों को आधार बनाकर अशरीरी अवस्था का अनुभव किया ?*
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∫∫ 6 ∫∫ बाबा से रूहरिहान (Marks:-10)
( आज की मुरली के सार पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- दुःख के दिन अब पूरे हुए"*
➳ _ ➳ *‘ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. तुझसे लागे रे लागे रे लागे रे लगन.. ओ प्राणधन.. ओ प्राणधन.. इस लगन से मेरा मन हो गया मगन.. संवर के जीवन, मेरा तन-मन, तेरी यादों में पाए सुख सघन’... सेण्टर में ये मधुर गीत सुनती हुई मैं आत्मा भाव-विभोर हो जाती हूँ...* और उड़ चलती हूँ वतन में.. मेरे जीवन को संवारने वाले, मेरी बिगड़ी बनाने वाले, दुखों से छुड़ाने वाले, मेरे प्राण आधार- मेरे प्यारे बाबा के पास... बाबा मुस्कुराते हुए, वरदानों की बरसात करते हुए अपने मीठे बोल से मेरा श्रृंगार करते हैं...
❉ *इस दुःख के लोक से निकाल सुख के धाम में ले जाते हुए मेरे प्यारे बाबा कहते हैं:-* “मेरे मीठे फूल बच्चे... *अपने ही खुशनुमा फूलो को दुखो की तपिश से कुम्हलाया देख विश्व पिता भला कैसे चैन पाये... बच्चों को दुखो से निकालने को आतुर सा धरा पर दौड़ा चला आये...* अपनी गोद में बिठाकर दिव्य गुणो से सजाये और सच्चे सुखो से दामन भर जाये... तब ही पिता दिल आराम सा पाये...”
➳ _ ➳ *पल-पल प्रभु को याद कर स्नेह सुमन अपने प्रभु को अर्पण करती हुई मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे प्यारे बाबा... मै आत्मा तो दुखो भरे जीवन की आदी हो गई थी... और उन्हें ही अपनी नियति समझ बैठी थी... *आपने प्यारे बाबा जीवन में आकर खुशियो के फूल खिलाये है... दिव्य गुणो से सजाकर मुझे देवतुल्य बना रहे हो...”*
❉ *मीठी यादों के उडनखटोले में बिठाकर खुशियों के गगन में उड़ाते हुए मीठे बाबा कहते हैं:-* “मीठे प्यारे लाडले बच्चे... इस दुखधाम से निकल कर मीठे सुखो के अधिकारी बन जाओ... ईश्वरीय ज्ञान और यादो से विकारो से मुक्त हो जाओ... *पवित्र धाम में चलने के लिए पवित्रता के श्रृंगार से सजकर मुस्कराओ... ईश्वरीय याद और प्यार से निर्मलता को रोम रोम में छ्लकाओ...”*
➳ _ ➳ *कल्याणकारी संगमयुग में आकर सबका कल्याण कर स्वर्ग का वर्सा देने वाले बाबा से मैं आत्मा कहती हूँ:-* “मेरे प्राणप्रिय बाबा... *मै आत्मा आपकी मीठी यादो में सम्पूर्ण पवित्रता से सजधज कर मुस्करा उठी हूँ... जीवन कितना पवित्र प्यारा सा अलौकिक हो गया है...* मीठे बाबा आपने मुझे देह के मटमैलेपन से मुक्त करवाकर सुंदर सजीला बना दिया है...”
❉ *मेरा प्रीतम बाबा मुझ प्रीतमा को स्वर्ग की महारानी बनाने के लिए श्रृंगार करते हुए कहते हैं:-* “प्यारे सिकीलधे मीठे बच्चे... ईश्वरीय बाँहों में सुखो की बहारो को पाओ... असीम सुखो की जागीर ईश्वरीय खजानो और यादो में पाकर देवताओ के श्रृंगार से सजकर मीठा सा मुस्कराओ... *मीठा बाबा अपने बच्चों को फिर से खुशियो में खिलाने आया है तो पवित्र बनकर ईश्वरीय दिल पर छा जाओ...”*
➳ _ ➳ *देह की दुनिया से ऊपर पवित्र धाम की ओर उडान भरते हुए मैं आत्मा कहती हूँ:-* “हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आत्मा देहभान की धूल में धूमिल सी थी... आज आत्मिक स्वरूप में दमक रही हूँ... *प्यारे बाबा आपने मुझे कमल समान पवित्र जीवन की धरोहर देकर आलिशान सुखो की मालकिन सा सजाया है... कौड़ी जीवन को हीरे सा चमकाया है...”*
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∫∫ 7 ∫∫ योग अभ्यास (Marks:-10)
( आज की मुरली की मुख्य धारणा पर आधारित... )
✺ *"ड्रिल :- अपना चार्ट देखना है - हमारे में कोई अवगुण तो नही है*"
➳ _ ➳ अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरूप की स्मृति में स्थित हो कर अपने परमशिक्षक शिव पिता को याद करते ही मुझे अनुभव होता है जैसे शिव बाबा परमधाम से नीचे सूक्ष्म लोक में प्रवेश कर, अपने रथ का आधार लेकर मेरे सामने उपस्थित हो गए हैं और अपने मधुर महावाक्य उच्चारण कर रहें हैं। *गॉडली स्टूडेंट बन आत्मिक स्मृति में स्थित होकर अपने परमशिक्षक द्वारा मिलने वाले ज्ञान के एक - एक अमूल्य रत्न को मैं अपनी बुद्धि में धारण करते हुए मन ही मन अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य की सराहना करती हूँ कि कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा जो स्वयं भगवान शिक्षक बन मुझे पढ़ाने के लिए आये हैं*।
➳ _ ➳ अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य पर नाज करती, अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा को उनके लाइट माइट स्वरूप में देखते - देखते मैं अनुभव करती हूँ कि बाबा की लाइट माइट मुझे सहज ही लाइट माइट स्वरूप में स्थित कर रही है। *एक सुंदर दिव्य अलौकिक अनुभूति करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता के लाइट माइट स्वरूप के सम्मुख अपने लाइट माइट स्वरूप में स्थित होकर उनके अति मनमोहक मधुर महावाक्यों को सुनना, मेरे अंदर असीम आनन्द का संचार कर रहा है*। मेरा रोम - रोम बाबा के एक - एक महावाक्य को ग्रहण कर रहा है।
➳ _ ➳ अपने प्यारे बाबा के मधुर महावाक्यों का आनन्द लेती अब मैं विचार करती हूँ कि *जब स्वयं भगवान मुझे पढ़ाने के लिए अपना घर परमधाम छोड़ कर यहाँ आये हैं तो ऐसे भगवान शिक्षक द्वारा पढ़ाई जाने वाली इस बेहद की पढ़ाई का मुझे कितना कद्र होना चाहिए*! यही विचार कर, स्वयं से मैं प्रोमिस करती हूँ कि अपने परमशिक्षक शिव परम पिता परमात्मा द्वारा मिलने वाले इन अमूल्य ज्ञान रत्नों को मुझे अपनी बुद्धि में अच्छी रीति धारण करना है और साथ ही साथ अपने पुरुषार्थ को तीव्र करने के लिए याद के सब्जेक्ट पर पूरा अटेंशन देने के लिए याद का चार्ट जरूर रखना है।
➳ _ ➳ मन ही मन स्वयं से यह प्रोमिस कर मैं जैसे ही बापदादा की ओर देखती हूँ ऐसा अनुभव होता है जैसे बाबा मेरे हर संकल्प को पढ़ कर उस संकल्प को पूरा करने का बल मुझे दे रहें हैं। *सूक्ष्म रूप में बाबा से मिलने वाला बल बाबा की लाइट माइट के रुप में मेरे ऊपर प्रवाहित होकर मेरे अंदर असीम ऊर्जा का संचार कर रहा है*। स्वयं को मैं बहुत ही शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे बाबा की लाइट माइट ने मुझे सहज पुरुषार्थी बना दिया है और हर प्रकार की मेहनत से मुक्त कर दिया है।
➳ _ ➳ अब मैं हर समय अपने गॉडली स्टूडेंट स्वरुप को स्मृति में रखते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता परमात्मा द्वारा दिए जा रहे अविनाशी ज्ञान रत्नों को धारण कर, तीव्र पुरुषार्थ के लिए याद का एक्यूरेट चार्ट रख, अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर आगे बढ़ रही हूँ। *याद का एक्यूरेट चार्ट रखने से अपने पुरुषार्थ में तीव्रता का अनुभव अब मैं स्पष्ट कर रही हूँ। याद के बल से सहज पुरुषार्थी बन भविष्य 21 जन्मों की श्रेष्ठ प्रालब्ध पाने का तीव्र पुरुषार्थ मैं बिल्कुल सहज रीति कर रही हूँ*। सर्वसम्बधों के रुप में बाबा को हर घड़ी अपने साथ अनुभव करते, कभी साकारी, कभी आकारी और कभी निराकारी स्वरुप में बाबा से हर पल मिलन मनाने का सुख मैं प्राप्त कर रही हूँ।
➳ _ ➳ *"स्टूडेंट लाइफ इज़ दी बेस्ट लाइफ" इस स्लोगन का अनुभव अपनी इस ईश्वरीय स्टूडेंट लाइफ में हर समय करते हुए अपने परमशिक्षक शिव पिता की शिक्षाओं को अपने जीवन मे धारण कर, तीव्र पुरुषार्थी बन अपनी स्टूडेंट लाइफ का मैं भरपूर आनन्द ले रही हूँ*।
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∫∫ 8 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के वरदान पर आधारित... )
✺ *मैं मनसा - वाचा और कर्मणा की पवित्रता में सम्पूर्ण मार्क्स लेने वाली आत्मा हूँ।*
✺ *मैं नम्बरवन आज्ञाकारी आत्मा हूँ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 9 ∫∫ श्रेष्ठ संकल्पों का अभ्यास (Marks:- 5)
( आज की मुरली के स्लोगन पर आधारित... )
✺ *मैं आत्मा संबंध-संपर्क और स्थिति में सदा लाइट रहती हूँ ।*
✺ *मैं आत्मा दिनचर्या को यथार्थता से फॉलो करती हूँ ।*
✺ *मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ ।*
➢➢ इस संकल्प को आधार बनाकर स्वयं को श्रेष्ठ संकल्पों में स्थित करने का अभ्यास किया ?
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∫∫ 10 ∫∫ अव्यक्त मिलन (Marks:-10)
( अव्यक्त मुरलियों पर आधारित... )
✺ अव्यक्त बापदादा :-
➳ _ ➳ 1. एक बात बापदादा ने मैजारिटी में देखी है। मैनारिटी नहीं मैजारिटी। क्या देखा? जब कोई सरकमस्टांश सामने आता है तो मैजारिटी में एक, दो, तीन नम्बर में क्रोध का अंश न चाहते भी इमर्ज हो जाता है। कोई में महान क्रोध के रूप में होता, कोई में जोश के रूप में होता, कोई में तीसरा नम्बर चिड़चिड़ेपन रूप में होता है। चिड़चिड़ापन समझते हो? वह भी है क्रोध का ही अंश, हल्का है। तीसरा नम्बर है ना तो वह हल्का है। पहला जोर से है, दूसरा उससे थोड़ा। फिर भाषा तो आजकल सबकी रायल हो गई है। तो रायल रूप में क्या कहते हैं? बात ही ऐसी है ना, जोश तो आयेगा ही। तो *आज बापदादा सभी से यह गिफ्ट लेने चाहते हैं कि क्रोध तो छोड़ो लेकिन क्रोध का अंश मात्र भी नहीं रहे।* क्यों? क्रोध में आकर डिस-सर्विस करते हैं क्योंकि क्रोध होता है दो के बीच में। अकेला नहीं होता है, दो के बीच में होता है तो दिखाई देता है। चाहे मन्सा में भी किसके प्रति घृणा भाव का अंश भी होता है तो मन में भी उस आत्मा के प्रति जोश जरूर आता है। तो बापदादा को यह डिस-सर्विस का कारण अच्छा नहीं लगता है। तो क्रोध का भाव अंश मात्र भी उत्पन्न न हो। जैसे ब्रह्मचर्य के ऊपर अटेन्शन देते हो, ऐसे ही काम महाशत्रु, क्रोध महाशत्रु गाया हुआ है। शुभ भाव, प्रेम भाव वह इमर्ज नहीं होता है। फिर मूड आफ कर देंगे। उस आत्मा से किनारा कर देंगे। सामने नहीं आयेंगे, बात नहीं करेंगे। उसकी बातों को ठुकरायेंगे। आगे बढ़ने नहीं देंगे। यह सब मालूम बाहर वालों को भी पड़ता है फिर भले कह देते हैं, आज इसकी तबियत ठीक नहीं है, बाकी कुछ नहीं है। *तो क्या जन्म-दिवस की यह गिफ्ट दे सकते हो?*
➳ _ ➳ 2. *सच्ची दिल पर भी साहेब राजी होता है।*
➳ _ ➳ 3. जो समझते हैं कि हम दो तीन मास में कोशिश करके छोड़ेंगे वह बैठ जाओ। और जो समझते हैं 6 मास चाहिए, अगर 6 मास पूरा लेंगे भी तो कम करना, इस बात को छोड़ना नहीं क्योंकि यह बहुत जरूरी है। यह डिससर्विस दिखाई देती है। मुख से नहीं बोलो, शक्ल बोलती है। इसलिए *जिन्होंने हिम्मत रखी है उन सब पर बापदादा ज्ञान, प्रेम, सुख, शान्ति के मोतियों की वर्षा कर रहे हैं।* अच्छा।
➳ _ ➳ 4. बापदादा रिटर्न सौगात में यह विशेष सभी को वरदान दे रहे हैं - *जब भी गलती से भी, न चाहते हुए भी कभी क्रोध आ भी जाए तो सिर्फ दिल से 'मीठा बाबा' शब्द कहना, तो बाप की एक्स्ट्रा मदद हिम्मत वालों को अवश्य मिलती रहेगी। मीठा बाबा कहना, सिर्फ बाबा नहीं कहना, *'मीठा बाबा' तो मदद मिलेगी, जरूर मिलेगी* क्योंकि लक्ष्य रखा है ना। तो लक्ष्य से लक्षण आने ही हैं।
✺ *ड्रिल :- "क्रोध को अंश सहित बापदादा को गिफ्ट में देना"*
➳ _ ➳ मैं ज्योति बिंदु स्वरूप आत्मा अपना फरिश्ता रूप धर कर बाबा से मिलन मनाने सूक्ष्म वतन जा रही हूं... जहाँ मेरे मीठे बाबा मेरे ही इन्तजार में बैठे हुए हैं... *चारों ओर सफेद चमकीले प्रकाश की आभा बिखेरते हुए बाबा अपने कोमल हाथों से मुझे अपने पास में बिठाते हैं...* बाबा अपनी मीठी दृष्टि देते हुए अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रखते हैं...
➳ _ ➳ मैं आत्मा कई जन्मों से आसुरी कर्म कर आसुरी संस्कार धारण करने की आदत डाल ली थी... इसको अपना नैचुरल संस्कार बना ली थी... मै आत्मा बाबा को उनके जन्मदिवस पर अपनी क्रोध, जोश, चिड़चिड़ापन रूपी कमी कमजोरियों का गिफ्ट दे रही हूं... मुझ आत्मा की सरल भाव से हिम्मत रखते देख बाबा मुस्कुरा रहे है... बाबा के वरदानी हाथों के कोमल स्पर्श से *सभी अवगुणों, कमी-कमजोरियों, क्रोध, चिड़चिड़ापन इत्यादि विकारों से मुक्त होकर मैं आत्मा शुद्ध व हलकी हो रही हूँ...*
➳ _ ➳ *बाबा की मीठी दृष्टि मुझ आत्मा में खुशी का रस घोल रही है... मैं आत्मा अपने मन से घृणा भाव को मिटाते हुए बाप समान मीठी बन रही हूँ...* मुझ आत्मा के क्रोध व घृणा के पुराने स्वभाव-संस्कार बाहर निकल रहे हैं... बाबा के हाथों से दिव्य गुण व शक्तियां निकलकर मुझ फरिश्ते में प्रवाहित हो रहे हैं... मुझ आत्मा के क्रोधवश साथी आत्माओ से किनारा कर लेने के आसुरी अवगुण भस्म हो रहे हैं... मैं आत्मा दिव्य गुणों को खुद में समा कर सभी के प्रति शुभ भाव, प्रेम भाव को धारण कर सम्पन्न अवस्था का अनुभव कर रही हूँ... *मैं आत्मा स्वयं को परिवर्तित कर रही हूँ... मैं आत्मा क्रोध, चिड़चिड़ापन, साथी आत्माओ से किनारा कर लेने रूपी कलियुगी संस्कार से मुक्त हो रही हूँ...* मैं आत्मा हर परिस्थिति में अपनी धारणा में परिपक्व हो रही हूँ...
➳ _ ➳ *बाबा सर्व वरदानों से मुझे भरपूर कर रहे हैं... मैं आत्मा विकारों से मुक्त होकर सर्व खजानों से सम्पन्न हो रही हूँ...* मैं आत्मा बाबा से हर पल मीठा बने रहने का वायदा करती हूं और दिल से मीठा बाबा कहते स्थूल वतन लौट आती हूं, नीचे आकर सभी आत्माओ को मीठी दृष्टि दे रही हूं, सभी के प्रति शुभ भाव व प्रेम भाव रखते हुए *इस कर्म भूमि में विश्व कल्याणकारी बन विश्व की निःस्वार्थ सेवा कर रही हूँ...*
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⊙_⊙ आप सभी बाबा के प्यारे प्यारे बच्चों से अनुरोध है की रात्रि में सोने से पहले बाबा को आज की मुरली से मिले चार्ट के हर पॉइंट के मार्क्स ज़रूर दें ।
♔ ॐ शांति ♔
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