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❍ 29 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *यह भी तुम जानते हो - बाबा का प्लैन क्या चल रहा है। सारी सृष्टि जो दु:खधाम है, उनको सुखधाम, शान्तिधाम बनाना है।*
➢➢ *जानते हो भारत सुखधाम था तो बाकी सब आत्मायें शान्तिधाम में थी। अभी तो सब दु:खधाम में हैं।* फिर शान्तिधाम, सुखधाम में जाना है। *जो राजयोग सीखते हैं वही सुखधाम में आयेंगे, बाकी हिसाब-किताब चुक्तू कर शान्तिधाम में चले जायेंगे।*
➢➢ वर्णों की बाजोली है ना। *शूद्र वर्ण के थे। अब ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण बन दादे का वर्सा पा रहे हैं। शूद्र से ब्राह्मण बने हैं। फिर हम नई दुनिया के मालिक बन जायेंगे।* ब्राह्मण हैं सबसे ऊंच। ब्राह्मणों की चोटी हैना। हम बाजोली खेलते हैं।
➢➢ *बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प के संगमयुग पर आता हूँ, पतितों को पावन बनाने।* अजामिल जैसे पापी भी हैं। *यह है ही पाप की दुनिया, इसमें कोई चैन नहीं है। वह पुण्य आत्माओं की चैन पाने की दुनिया है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप कहते हैं- तुम सब अभी वानप्रस्थ अवस्था में हो। सबको मेरे पास आना है। हम आये हैं ले जाने के लिए। तुम्हारे पंख टूटे हुए हैं।*
➢➢ *जितना शिवबाबा को याद करेंगे उतना विकर्माजीत बनते जायेंगे।* हमेशा समझो कि शिवबाबा पतित-पावन ज्ञान का सागर हमको पढ़ाते हैं।
➢➢ *जितना हो सके शिवबाबा को भूलना नहीं है। वर्सा भी उनसे ही पाना है।*
➢➢ शिवबाबा कहते हैं *निरन्तर मुझे याद करो।* ब्रह्मा की आत्मा को भी कहते हैं तुमको मेरे पास आना है।
➢➢ बाप कहते हैं *जितना हो सके एक बाप की याद में रहो। सजनी की साजन से सगाई हुई और बस छाप लगी।*
➢➢ *बाप कहते हैं मैं तुमको स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ। तो ऐसे बाप को कितना याद करना चाहिए। माया तुम्हारा योग तोड़ने की बहुत कोशिश करेगी, परन्तु तुमको बहादुर रहना है।*
➢➢ तुम भी जानते हो हम भविष्य के लिए कमाई करते हैं। तो क्यों नहीं स्त्री बच्चों आदि को भी करायें। उनको *घड़ी-घड़ी बोलो धन्धा धोरी भल करो, सिर्फ बाप को याद करते रहो। यह प्रैक्टिस ऐसी पड़ जाए जो पिछाड़ी में विनाश के समय एक बाबा की ही याद रहे।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *उठते बैठते मेरे को याद करने का पुरुषार्थ करो,* इसमें कमाई बहुत है। हेल्थ भी बहुत अच्छी मिलेगी।
➢➢ जब ऐसे देखो कि वह वाहयात बातें सुनाते हैं तो समझो यह हमारा दुश्मन है, फालतू बातें सुनाकर टाइम वेस्ट करते हैं। *बाप कहते हैं ऐसी फालतूबातें नहीं सुनो। कोई की ग्लानी करेंगे, कोई के लिए कुछ बोलेंगे। कहेंगे ऐसी बातें कभी नहीं सुनना, न कभी सुनाना।*
➢➢ *कभी भी टाइम वेस्ट नहीं करो। हियर नो ईविल, टॉक नो ईविल।* सिवाए ज्ञान और योग के *कोई भी वाहयात बातें नहीं करनी है।*
➢➢ *तुम अपन पढ़ाई में तत्पर रहो,* तब ही पद मिलेगा।* पाठशाला में जो अच्छे स्टूडेन्ट होते हैं वह बहुत अच्छी रीति पढ़ते हैं। इम्तहान के दिनों में खास एकान्त में जाकर पढ़ते हैं कि कहाँ नापास न हो जाएं।
➢➢ *मन्सा के तूफान बहुत आयेंगे लेकिन कर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म नहीं करना। एक दो को ज्ञान सुनाकर कल्याण करना।*
➢➢ तुम गुप्त अहिंसक सेना हो, *तुम्हें किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करनी है। दु:ख नहीं देना है।*
➢➢ *यहाँ बैठ चित्र देखो - यह ख्याल करो, यह शिवबाबा है, यह दादा है। इन द्वारा हमको वर्सा मिलता है। फिर इस पतित दुनिया का विनाश हो जायेगा। ऐसी-ऐसी बातें करते अपने को भी बहला सकते हो।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ जैसे बाप को तरस पड़ता है कि इन्हों को सुखधाम शान्तिधाम में ले जाऊं। *बच्चों को भी आना चाहिए कि बाप का परिचय देना है।*
➢➢ आपस में तुमको यह ज्ञान की बातें करनी हैं। *मित्र सम्बन्धियों के पास अथवा आफीसर्स के पास भी जाना है, सबसे तैलुक रखना है। बड़ी युक्ति से उनको ज्ञान रत्नों का दान भी देना है। शादी में भी जाना है तो सेवा अर्थ।*
➢➢ बाबा बहुत समझाते हैं कि तुम अपनी मस्ती में मस्त रहो। *घर में गीता पाठशाला खोलो।* चैरिटी बिगन्स एट होम। बच्चो को भी स्वर्ग का मालिक बनाओ।
➢➢ जिसमें ज्ञान नहीं है वही ऐसी बातें सुनाकर और ही नुकसान करते रहेंगे इसलिए *बार-बार समझाया जाता है कि सर्विस में तत्पर रहो।*
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