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MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान
के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *जब कसम
उठाते हैं तब कहते हैं ईश्वर को हाज़िर-नाज़िर जान सच कहेंगे। बड़े-बड़े
गवर्मेन्ट के मिनिस्टर भी कसम उठाते हैं।* गीता हाथ में लेते हैं क्योंकि
भारत का धर्म शास्त्र है। तो एक ईश्वर का कसम उठाते हैं, ऐसे नहीं सब ईश्वर
हैं, सबका कसम उठाते हैं। तो जरूर बाप कभी हाजिर-नाज़िर हुआ होगा।
➢➢ *शिवरात्रि
भी मनाते हैं, जरूर आया होगा! कैसे आया, क्या आकर किया? यह कोई को पता नहीं
है।* इतना बड़ा सोमनाथ का मन्दिर है परन्तु उसने क्या किया, वह पता नहीं
क्योंकि शिव के बदले कृष्ण का नाम डाल दिया है। संगमयुग निकाल द्वापर डाल
दिया है। *वह निराकार है, उनका मनुष्य जैसा आकार नहीं। अब वह हमारे सामने
बैठा है। तुम उनको हाजिर-नाज़िर देखती हो। बरोबर नॉलेजफुल, ब्लिसफुल है।
नॉलेज देते हैं, यही उनकी ब्लिस है।*
➢➢ *कितनी बड़ी
सौगात है। बाबा साक्षात्कार भी कराते हैं, वहाँ कितना सुख है। अंग-अंग में
सुगंध है। लक्ष्मी-नारायण के अंग-अंग में सुगंध है।* यह तन तो कीड़ों से भरा
हुआ है। *बाबा कीड़ों को उठाकर भ्रमरी बनाते हैं।* यहाँ के शरीर तो कीटाणुओं
से भरे हुए रोगी हैं। वहाँ के शरीर कितने सुन्दर हैं। मन्दिरों में भी कितनी
सुन्दर मूर्तियां बनाते हैं। कितना फ़र्क है - इस समय के शरीर और उन शरीरों
में।
➢➢ *बाप टीचर
और सतगुरू का भी पार्ट बजाते हैं। उनको कोई बाप, टीचर, गुरू नहीं।* तुम्हारे
लौकिक बाप का तो बाप टीचर गुरू जरूर होगा। शिवबाबा कहते हैं मेरा कोई नहीं।
परन्तु उनके आक्यूपेशन को कोई नहीं जानते। जब तक किसको स्वर्ग का मालूम न
पड़े तब तक कोई भी जान नहीं सकते कि हम नर्क में हैं।*
➢➢ *जगत अम्बा
का पिता कौन है, यह किसको पता नहीं कि ब्रह्मा, सरस्वती का बाप है। पुजारी
लोग यह नहीं जानते हैं कि यह सरस्वती ही फिर लक्ष्मी बनती है। फिर 84 जन्म
ले फिर यही सरस्वती बनती है।* बाप तो बाप है और यह ब्रह्मा तुम्हारी मम्मा
है। *कलष पहले इनको (ब्रह्मा को) मिलता है। परन्तु सरस्वती की महिमा बढ़ाने
के लिए उनको आगे रखा है। सरस्वती का नाम गॉडेज ऑफ नॉलेज मशहूर है।*
➢➢ *यह ज्ञान
इस बाबा के पास थोड़े ही था। इसमें ज्ञान होता तो जरूर किसी गुरू से मिला
हुआ होता। फिर उस गुरू की महिमा भी करते। फिर उस गुरू के शिष्य भी होते। वह
भी बताते परन्तु बाबा का कोई साकार गुरू नहीं है।*
➢➢ *सीता अशोक
वाटिका में नहीं, शोक वाटिका में थी। अब तो सब शोक वाटिका में बैठे हैं ना।
मनुष्यों को चिंता रहती है कि पता नहीं लड़ाई होगी तो क्या होगा? हम तो कहते
हैं कि लड़ाई लगे तो स्वर्ग के गेट्स खुलेंगे।*
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❍ योग
के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ अब बाप जो
इतना दूरदेश से आया होगा तो जरूर कोई सौगात लाई होगी। लौकिक बाप जब आते हैं
तो कितनी सौगात लाते हैं। *यह तो सबका बाप है, जिसको इतना सब याद करते हैं।
दूरदेश से आते हैं तो हाथ खाली थोड़े ही आयेगा? बाप कहते हैं मैं तुम्हारे
लिए सौगात लाता हूँ, जो कोई मनुष्य ला न सकें। मैं बहिश्त हेविन लाता हूँ।*
➢➢ *बाबा कहते
हैं कितना समझाकर कितना समझायें, मनमनाभव। बस सिर्फ मुझे याद करो और मेरे
वर्से को याद करो तो तुम स्वर्ग में चले जायेंगे।*
➢➢ *याद रखना
योग ठीक नहीं होगा तो वह सुख महसूस नहीं होगा, शोक वाटिका में बैठे होंगे।*
स्वर्ग है अशोक वाटिका।
➢➢ *बापदादा तो
तुम बच्चों के सम्मुख हाजिर-नाज़िर है। तुम कहेंगे हमारी नज़र के सामने
है।* पतित बूट में आया है। भगवान खुद कहते हैं मैने पतित बूट में प्रवेश
किया है तब तो पावन बने।
➢➢ *तुम बच्चों
का बेहद के बाप से अथाह प्यार है। तुम कहते भी हो बाबा हम आपका बिछुड़ना
सहन नहीं कर सकते। ऐसी बच्चियां भी हैं जो बंधन में हैं, तड़फती हैं क्योंकि
यह है मात-पिता... एक तो माता जगत अम्बा है, जिसको सब याद करते हैं।*
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❍ धारणा
के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ ग्रंथ में पढ़ते हैं मूत पलीती... परन्तु अपने को वह नहीं समझते। *बाप
आया है ज्ञान देकर काले को गोरा बनाने के लिए। इस समय तुम ज्ञान सूर्य,
ज्ञान चन्द्रमा बन रहे हो।*
➢➢ *यहाँ कोई डर नहीं। बाप के पास बच्चे आये हैं कहते हैं बाबा हमारे में
ताकत है। इकट्ठे रह पवित्र रह सकते हैं। अगर कोई कन्या पर मार पड़ती है तो
कन्या को बन्धन से छुड़ाकर गन्धर्वी विवाह कर सकते हैं, हम जल नहीं मरेंगे।
ज्ञान तलवार बीच में रखेंगे।*
➢➢ दोनों ब्राह्मण ब्राह्मणी, भाई-बहन कैसे विष पी सकते। शास्त्रों में भी
गन्धर्वी विवाह के लिए लिखा है। परन्तु इसका अर्थ नहीं समझते। *सन्यासी तो
कह देते नारी नर्क का द्वार है। उन्हों के पास ज्ञान तलवार तो है नहीं जो
इकट्ठे रह पवित्र रह सकें। तुम उनसे बहादुर हो, काम चिता से उतर ज्ञान चिता
पर बैठते हो।*
➢➢ *बाप कहते हैं पवित्र बनो।* आफतें तो आती हैं। यहाँ भी शिवबाबा पर नहीं
आती हैं परन्तु जिसमें प्रवेश करते हैं लांग बूट में, उस पर आती हैं।* वाट
वेन्दे.... (रास्ते चलते ब्राह्मण फंस गया) पुरानी जुत्ती है ना। यह थोड़े
ही कहते हैं मैं कृष्ण हूँ। कहते हैं राजयोग सीखूंगा तो नर से नारायण बनूंगा,
परन्तु अब नहीं हैं। *वैसे बच्चों को निश्चय है कि हम नर से नारायण, नारी
से लक्ष्मी बनेंगे।*
➢➢ *याद रखना, सच्ची दिल पर साहेब राज़ी।* अगर अन्दर शैतानी होगी तो विघ्न
डालते रहेंगे। तो फिर कड़ी सजायें खायेंगे। ट्रेटर्स को हमेशा कड़ी सजायें
मिलती हैं, यह तो सुप्रीम जज भी है।
➢➢ राम को 33 से कम मार्क्स मिली तो चन्द्रवंशी में चले गये। ऐसे तो
सूर्यवंशी भी चन्द्रवंशी घराने में आते हैं। उस समय (सतयुग के अन्त में)
लक्ष्मी-नारायण, सीता कैसे देवता से क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र... अब ब्राह्मण
वर्ण में आते हैं.. *यह सुदर्शन चक्र जितना फिरायेंगे उतना विकर्म विनाश
होंगे।*
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❍ सेवा
के मुख्य बिंदु ❍
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*5 हजार वर्ष की बात है, यह भारत इन्द्रप्रस्थ था। वहाँ आत्मा भी पवित्र
थी तो शरीर भी पवित्र था। बाबा ठिक्कर के बर्तन से तुमको सोने का बर्तन
बनाते हैं। बाप तुम्हारी पूरी सर्विस कर क्या से क्या बनाते हैं।*
➢➢ दादा कहो वा
गुप्त माँ कहो। वन्डरफुल राज़ है। बापदादा मीठे-मीठे बच्चों को नम्बरवार
पुरुषार्थ अनुसार क्यों कहते? जानते हो *बाबा प्यार तब करेंगे जब बाबा
मुआफिक सर्विस करते होंगे। जो जैसी मदद करते हैं, वह भी तो प्रजा में आयेंगे
ना।*
➢➢ *सन्यासी
पवित्र प्रवृत्ति मार्ग नहीं बना सकते हैं, वह यह नहीं कह सकते कि हम तुमको
राजाओं का राजा बनाते हैं। वह निवृत्ति मार्ग के हैं। डरकर घरबार छोड़ जाते
हैं।*
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