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  14 / 11 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अब बन्दर मिसल मनुष्यों को मन्दिर लायक बनाने के लिए बाप यह ज्ञान डांस करते हैं , ज्ञान डांस को उन्होंने डमरू नाम रख दिया है। और कहते हैं राम ने बन्दर सेना ली। बाबा समझाते हैं तुम सब बन्दर थे। शिवबाबा ज्ञान डमरू बजाए बन्दर से मन्दिर बनाते हैं।* वह समझते हैं लंका में रावण का राज्य था।

➢➢  *आत्मा का अपना स्वरूप वा लक्ष्य शान्ति है। आत्मा का धर्म शान्त है।*

➢➢  भोलानाथ शंकर को नहीं कहेंगे क्योकि शंकर आदि-मध्य-अन्त का राज नहीं समझाते हैं। वह तो भोलानाथ ही बताते हैं। *भोलानाथ वर्सा देते हैं - शंकर वर्सा नहीं देते।* ऐसे भी नहीं शंकर कोई शान्ति देते हैं। नहीं। शान्ति देने लिए भी साकार में आकर समझाना पड़े। शंकर तो साकार में आते नहीं। *भोलानाथ ही शान्ति, सुख, सम्पत्ति, बड़ी आयु भी देते हैं।* हर चीज अविनाशी देते हैं क्योंकि *अविनाशी बाप है, वर्सा भी अविनाशी देते हैं। ड्रामा को भी अविनाशी कहा जाता है।* हद के ड्रामा वा नाटक तो अभी बने हैं। *यह तो अनादि ड्रामा है। यह बेहद का नाटक है।*

➢➢  तुम जानते हो *एक बाप के बच्चे हम भाई बहन ठहरे।* तो जरूर प्रजापिता ब्रह्मा भी चाहिए। *शिवबाबा कहते हैं कि तुम निराकार आत्मायें शिव वंशी हो फिर साकार में भाई बहन बनते हो।* निराकार में सब भाई-भाई हो। फिर प्रजापिता ब्रह्मा साकार में आते हैं तो तुमको भाई बहन बनाते हैं। *रूहानी रीति से भाई-भाई जिस्मानी रीति से भाई बहन हो।*

➢➢  *बाप आकर कर्म, अकर्म और विकर्म की गति समझाते हैं।* हर एक को अपनी-अपनी जीवन कहानी सुनानी होती है। यह तो जानते हो *द्वापर से लेकर तुम पतित बनते हो।*

➢➢  तुमको परमपिता परमात्मा की श्रीमत मिलती है। *ऊंचे ते ऊंचा है भगवान। ऊंचे ते ऊंचा उनका ठाँव है। बाप आया है सुखधाम, शान्तिधाम का मालिक बनाने।* सबको शान्तिधाम ले जाते हैं। *कितना बड़ा बेहद का पण्डा है।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  यह बड़ा भारी इम्तहान है, इनका उद्देश्य है मनुष्य से देवता बनना। *जो भी सिर पर पाप हैं उनको जलाना है। इसके लिए बाबा ने रूहानी यात्रा सिखलाई है।* जहाँ से वापिस इस मृत्युलोक में नहीं आना है।

➢➢  बाप कहते हैं तुम सबसे जास्ती भक्ति करते हो। फिर ज्ञान भी तुम ही लेते हो। *ज्ञान और भक्ति के संगम पर तुमको वैराग्य चाहिए।*

➢➢  यह निश्चय रखना है कि *हम शिववंशी प्रजापिता ब्रह्माकुमार कुमारियाँ हैं। वर्सा पाना है बाप से।*

➢➢  बाप कहते हैं - *मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे* और ज्ञान रत्नों का दान करना है। जो बहुत दान करेंगे वह ऊंच मर्तबा पायेंगे।

➢➢  बच्चे जानते हैं - श्रीमत पर हम भारत को स्वर्ग बनाने के रेसपान्सिबुल बने हुऐ हैं। *श्रीमत से स्वर्गवासी बनाना है। यह खेल है। अब तुम शिवालय में चलते हो।* पहले तुम स्वर्गवासी थे फिर इतने जन्मों के बाद रावण ने नर्कवासी बनाना शुरू किया। अब पूरे नर्कवासी, कंगाल बन गये हैं। बाबा कहते हैं *तुम बच्चे स्वदर्शन चक्रधारी बनते हो। रावण का सिर काटते हो। रावण दुश्मन पर जीत पाते हो।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप समान मनुष्य आत्माओंको जीयदान देना है। बेहद के बाप से दान लेकर दूसरों को देना है। महादानी जरूर बनना है।*

➢➢  *स्वदर्शन चक्रधारी बन रावण का सिर काटना है। बेहद का वैरागी बन विकारों का सन्यास करना है।*

➢➢  *अब यह तुम्हारा अन्तिम जन्म है, जो कुछ पाप किये हैं वह सब कुछ जमा होते आये हैं। अब हमको पुण्य जमा करने हैं।*

➢➢  *महावीर भी तुम बच्चों को कहा जाता है। अचल स्थिर बनना है,* ऐसा कोई कह न सके कि हम 16 कला बन गये हैं। नहीं। बनना जरूर है।

➢➢  ड्रामा अनुसार कल्प पहले जिसने ज्ञान की धारणा की है, सो करेंगे। हम साक्षी होकर देखते हैं। *पुरुषार्थ तो जरूर करना पड़े। पुरुषार्थ के बिगर प्रालब्ध नहीं मिल सकती।*

➢➢  *जो सदा प्रसन्न रहते हैं वही प्रशंसा के पात्र हैं।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अपनी झोली ज्ञान रत्नों से अच्छी तरह से भरकर दूसरों की भी भरेंगे। ज्ञान रत्नों का दान कर अपना मर्तबा ऊंच बनायेंगे।*

➢➢  *सम्पूर्ण भष्टाचारी बनने में आधाकल्प लगता है। माया का राज्य द्वापर से शुरू होता है। तो भक्ति और रावण राज्य दोनों नाम गिरने के हैं। भक्ति के बाद भगवान मिलेगा।*

➢➢  *तुमको अन्धों की लाठी बनना है। बाप का परिचय देना है कि ऊंचे ते ऊंच कौन है? परमपिता परमात्मा। वर्सा किससे मिलेगा? उनसे। कल्प पहले भी ब्रह्मा द्वारा वर्सा लिया था। स्थापना हुई थी।* वर्णो को जरूर फिरना है। तुम शूद्र से ब्राह्मण बनते हो। ब्राह्मणों द्वारा यज्ञ रचा जाता है। तुम हो सच्चे ब्राह्मण, वह हैं झूठे ब्राह्मण।

➢➢  भगवानुवाच - मैं तुम बच्चों को राजयोग सिखलाता हूँ। यहाँ तुमको भगवान पढ़ाते हैं। वहाँ मनुष्य, मनुष्य को पढ़ाते हैं। *सबको पहले बाप का परिचय देना है। परमपिता परमात्मा से आपका क्या सम्बन्ध है?*

➢➢  कितना भी समझाओ फिर भी कह देते हैं परमात्मा सर्वव्यापी है। पत्थरबुद्धि हैं। अरे हम सम्बन्ध पूछते हैं, सर्वव्यापी का सम्बन्ध होता है क्या? *प्रदर्शनी करते जाओ तो वृद्धि होती जायेगी। तुमको बहुत वोट्स मिलती जायेंगी।*

➢➢  *बाबा लिखते रहते हैं - धर्म के नेताओंआदि को निमन्त्रण देना है। फिर पहरा भी पूरा रखना है। अगर तुमने यह दो तीन बातें सिद्ध कर दी तो उन सबका धन्धा ही ठण्डा हो जायेगा। तो बच्चों को सर्विस जोर-शोर से बढ़ानी है।*

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