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❍ 28 / 08 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *विष्णु का दिन
रात नहीं कहेंगे। यह कितनी गुह्य बातें हैं। सिवाए बाप के और कोई समझा न सके।
बाप समझाते हैं अभी तमोप्रधान से सतोप्रधान में जाना है।*
➢➢ *मनुष्यों के
अपने-अपने विचार हैं। जिसको बुद्धि में जो आया वह लिख देंगे। वैसे ही यह
शास्त्र हैं। अपना-अपना शास्त्र बना देते हैं।* मनुष्यों को कुछ पता नहीं है। *भगवानुवाच
- यह वेद शास्त्र पढ़ना, यज्ञ तप आदि करना जो कुछ तुम करते आये हो वह सब उतरती
कला के हैं।* जो कुछ तुमने बनाया है वह अपने को गिराने के लिए। *तुमको मत मिलती
ही है गिरने की क्योंकि है ही उतरती कला।*
➢➢ पावन दुनिया थी,
अब पतित दुनिया है। *आधाकल्प है नई दुनिया, आधाकल्प है पुरानी दुनिया। जैसे 24
घण्टे होते हैं, 12 घण्टे बाद दिन पूरा हो फिर रात होती है। वैसे यह ब्रह्मा का
दिन और ब्रह्मा की रात गाई जाती है।*
➢➢ चक्र सामने खड़ा
है। संगमयुग भी सामने लगा हुआ है। कलियुग है काला, पतित। उनमें लोहे की खाद
पड़ने से काले हो गये हैं। *भारत कितना गोल्डन एजड था। अब फिर इनको आइरन एज से
चेन्ज होना है।*
➢➢ *वास्तव में
त्रिमूर्ति है ब्रह्मा विष्णु शंकर, यह तीनों देवतायें हैं अलग-अलग। इन सबसे
ऊंच ते ऊंच है परमपिता परमात्मा शिव, करन-करावनहार। उनको गुम कर दिया है।देवताओं
से भी ऊपर तो वह निराकार भगवान ही है।*
➢➢ *बच्चों को
समझाया गया है बाप नई सृष्टि रचते हैं, फिर पुरानी होती है।* सुख और दु:ख की
दुनिया बनी हुई जरूर है परन्तु सुख कौन देते हैं, दु:ख कौन देते हैं। यह किसको
पता नहीं है।
➢➢ *यह किसको पता
नहीं है कि यह दु:ख देने वाले 5 विकार ही हैं, जिससे ही बाप आकर छुड़ाते हैं।*
बड़ी समझ की बात है। *सारी दुनिया में इस समय रावण राज्य है। सिर्फ लंका की बात
नहीं है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ बाप ने तुम बच्चों
को पुरानी दुनिया और नई दुनिया का राज भी समझाया है। बाप बैठ नई दुनिया रचते
हैं। *अभी सब बाप को बुलाते रहते हैं। आकर पावन दुनिया स्थापन करो या हमको पावन
बनाए ले चलो।*
➢➢ *बाप कितना सहज
बच्चों को समझाते रहते हैं, सिर्फ शिवबाबा को याद करना है।* तमोप्रधान से
सतोप्रधान बनना है। यह बातें भी तुम अबलायें ही समझ सकती हो।
➢➢ बाप 16 कला बनाते
हैं। *कहते हैं बच्चे मनमनाभव, मामेकम् याद करो।* यह है भगवानुवाच। उनको
पतित-पावन कहा जाता है।
➢➢ बाप समझाते हैं
तुमने 84 जन्म कैसे लिये हैं। पहले तुम सतोप्रधान पावन थे। फिर रजो तमो बने हो।
*अब फिर तुम मुझे याद करो तो पावन बनेंगे।*
➢➢ यह फिर है आसुरी
स्थापना, जिसमें *मनुष्य 5 विकारों में फँस पड़ते हैं। समझते भी हैं बाप ही
लिबरेट करते हैं।* जो लिबरेटर है, वह फँसाने वाला थोड़ेही होगा। उनका नाम ही है
दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
➢➢ *याद क्यों करते
हैं? क्योंकि पुरानी दुनिया में दु:ख बहुत है।* दु:ख देने वाले 5 विकार ही हैं।
सतयुग त्रेता को सुखधाम कहा जाता है। वह है ही ईश्वरीय स्थापना।
➢➢ बाप तो बहुत
अच्छी रीति समझाते हैं। *बाप ने तो आधाकल्प का वर्सा दिया है, फिर रावण से हराया
है।* यह खेल बना हुआ है।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
कितना समझाया जाता है, *इन 5 विकारों को छोड़ो। घर में भी किस पर क्रोध नहीं करो।*
ख्यालात आने चाहिए कि जैसा कर्म हम करेंगे, हमको देख फिर और करेंगे। मैं विकारी
बनूँगा तो मुझे देख और भी विकारी बनेंगे।
➢➢
*बाप फरमान करते हैं अब पवित्र बनो।* स्त्री को भी पवित्र बनाओ। कोई पर क्रोध
मत करो। तुमको देख वह भी करने लग पड़ेंगे।
➢➢
बाप कहते हैं - *जितना पुरूषार्थ करेंगे उतना अपने लिए ही ऊंच पद पायेंगे -
कल्प-कल्पान्तर के लिए।* बाप आत्माओं से बात कर रहे हैं। पुरूषार्थ से तुम ऊंच
पद पा सकते हो।
➢➢
भूल करते हैं तो बाबा ईशारा देते हैं। परन्तु कई बच्चे लून-पानी हो जाते हैं, *लून-पानी
थोड़ेही बनना है।* समझाया जाता है कि ऐसे नहीं करो। कोई तो ऐसे हैं जो एक दो का
रिगार्ड भी नहीं रखते हैं। अपने से बड़ों को तो तुम-तुम करके बात करते हैं।
➢➢
*गीत सुनने की वा कविता बनाने की कोई जरूरत नहीं है। गृहस्थ व्यवहार में रहना
है, धन्धा धोरी करना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
नई दुनिया स्वर्ग थी फिर नर्क किसने बनाया? रावण ने। रावण कौन है? यह राज भी
तुमको समझाया है। कोई भी विद्वान पण्डित आदि नहीं समझ सकते वह तो कह देते जगत
मिथ्या है। सब कुछ कल्पना है। *तुम समझा सकते हो अगर जगत बना ही नहीं है तो तुम
बैठे कहाँ हो?*
➢➢ तुम बच्चे जानते
हो हम अभी ईश्वर के बने हैं और उनकी श्रीमत पर चल रहे हैं। *यह चित्र तो बड़े
अच्छे हैं, सबके पास बड़े चित्र होने चाहिए। बड़े चित्रों पर समझाना अच्छा होता
है।*
➢➢ *मेल तो रचयिता
है तो स्त्री को भी समझाना चाहिए फिर अगर तकदीर में ही नहीं होगा तो क्या कर
सकेंगे। समझाना है कि पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।*
➢➢ *बच्चे भी जाकर
ऐसे भाषण करें। भारत की पहले-पहले महिमा करनी चाहिए। भारत को ऐसा किसने बनाया?*
वह भी महिमा निकलेगी परमपिता परमात्मा की, जिसको सब याद करते हैं।
➢➢ *वह गाड फादर
स्वर्ग का रचयिता है। कृष्ण के लिए कभी कह न सके, परमात्मा ही नर्क को स्वर्ग
बनाते हैं। सहज ज्ञान और योग वही सिखलाते हैं। ऐसे ऐसे भाषण तुम कर सकते हो।*
➢➢ *गीता में कृष्ण
का नाम डाल खण्डन कर दिया है। गीता का भगवान निराकार परमात्मा है न कि कृष्ण।
श्रीकृष्ण तो रचना है। उनको भी वर्सा बाप से मिला। वह कैसे, आओ तो समझायें। कोई
भी बात उठाकर उन पर समझाने लग जाओ। पुरानी दुनिया, नई दुनिया पर समझाने से उसमें
सब आ जाता है।*
➢➢ *सेन्सीबुल बच्चों
को सर्विस का बहुत शौक होना चाहिए। फलाना सेन्टर खुला है हम उन पर जाकर सर्विस
करें।* बिगर कहे जो करे सो देवता। कहने से करे वह मनुष्य, कहने से भी न करे
तो...
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