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  02 / 10 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  शिवबाबा निराकार आकर पाठशाला में पढ़ाते हैं। क्या पढ़ाते हैं? सहज राजयोग और ज्ञान। जैसे क्राइस्ट का पुस्तक है। *क्राइस्ट ने जो ज्ञान दिया उनका बाइबिल बना। यहाँ शिव पुराण है परन्तु वह तो दूसरे किसी ने बनाया है। वास्तव में सच्चा शिव पुराण गीता है।*
 
➢➢  सर्व का सद्गति दाता कृष्ण को नहीं कहा जाता। परमपिता परमात्मा को कहेंगे। *तुम जानते हो परमात्मा निराकार है। कृष्ण को परमात्मा नहीं कह सकते।* कृष्ण सभी आत्माओं का बाप बन नहीं सकता। *सभी आत्माओं का पिता परमपिता परमात्मा ही गाया हुआ है।*
 
➢➢  *भारत का धर्म शास्त्र है गीता। शिव पुराण को तो सब नहीं मानेंगे।* अब कहेंगे गीता से देवी-देवता धर्म स्थापन हुआ। वह तो शिव ही कर सकता है। कृष्ण भी सांवरे से गोरा बनता है।
 
➢➢  *आते बहुत हैं। थोड़े बहुत हैं जो सर्विस करते हैं। बाकी धन्धे आदि में लग जाते हैं। समझते हैं पवित्र बनना है सिर्फ। परन्तु धन दान भी करना है।*
 
➢➢  घोस्ट छाया के मुआफिक आते हैं। यह भी वन्डर है। कैसे घूमते-फिरते रहते हैं, कौन बैठ पता निकाले! *ड्रामा में आत्मा को शरीर न मिलने कारण भटकती है। छाया रूप ले लेती है।*

 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाबा का फरमान है - निराकार बाप को याद करो। अपनी और दूसरों की देह को भूलना है।* सबका प्यारा है शिवबाबा। *बाप कहते हैं और कोई बात में न जाकर बाप को याद करो। यह है याद की यात्रा।*
 
➢➢  *भगवान बाप तो वह है। उस अल्फ को याद करो। भगवानुवाच, मामेकम् याद करो तो मुझ से वर्सा मिलेगा।* ओ गाड फादर, भगत कहते हैं ना। तो बाप से वर्सा मिल रहा है।
 
➢➢  *कृष्ण को गाइड नहीं कहेंगे। निराकार ही गाइड बन सभी आत्माओं को ले जाते हैं - मच्छरों सदृश्य।* आत्माओं का गाइड कृष्ण हो न सके। उनको पुनर्जन्म में जाना है, तो बाप का परिचय सबको देना है।
 
➢➢  *भक्तों का भगवान एक है। वह बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश हों।*

 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अपनी उन्नति के लिए पुरूषार्थ करना है। बाप से ऊंच वर्सा पाने का शौक चाहिए। अपना और दूसरों का कल्याण करना है।* शिवबाबा तो सभी का कल्याण करने वाला है। तुमको भी कल्याणकारी बनना है।
 
➢➢  शिवबाबा कहते हैं मैं तो हूँ ही कल्याणकारी। *तुमको भी कल्याणकारी बनना है। भल जिनको धारणा नहीं होती, उनके लिए स्थूल सर्विस है।* 
 
➢➢  *अपने से पूछना है - अगर हम किसका कल्याण नहीं करेंगे तो पद क्या पायेंगे।* बहुत बच्चियाँ कल्याण कर पण्डा बनकर आती हैं, उनमें भी नम्बरवार हैं। कोई फर्स्टक्लास, कोई सेकण्ड, कोई थर्ड में रखेंगे। तो *अपना कल्याण करना चाहिए।  जिनको अपने कल्याण का नहीं, वह क्या पद पायेंगे!*
 
➢➢  *स्वभाव बहुत मीठा चाहिए।* क्रोध बहुतों में है। ऑख दिखला देते हैं, फिर रिपोर्ट आती है। अच्छे-अच्छे बच्चे लिखते हैं कि हमारी सुनते नहीं हैं। यह अक्षर निकलना नहीं चाहिए। बच्चों में देह-अंहकार वा क्रोध है तो बहुतों को नुकसान पहुँचा देते हैं।
 
➢➢  यहाँ बच्चे आते हैं - जिनकी सर्विस की हुई है। *सर्विस सेन्टर्स पर बच्चों को अपने से पूछना है कि हमने कितनों का कल्याण किया?* कुछ सर्विस का शौक होना चाहिए। नहीं तो पद ऊंचा पा नहीं सकते। 
 
➢➢  बेहद की बुद्धि चाहिए। ऐसे भी नहीं कि बाबा नौकरी छोड़ूं। *नौकरी छोड़ी फिर यह सर्विस भी न कर सके तो बोझ चढ़ेगा।*
 
➢➢  दान नहीं देते हैं तो वह कोई ब्राह्मण नहीं ठहरे। ब्राह्मण जानते हैं कि हमको देवता बनना है। *हर एक को अपनी दिल से बात करनी है। अगर किसको देवता नहीं बनाया तो ब्राह्मण कैसा?*

 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बच्चों को समझाया जाता है, *जो समझते हैं उनका फ़र्ज है अलौकिक कार्य करना।* खुशी होनी चाहिए। *अथाह खजाना मिलता है तो दान देना है।* बाप का परिचय देना बहुत सहज  है। *बच्चों को अच्छी रीति बाप का परिचय देना है।* वह तो सर्वव्यापी या लिंग कह देते हैं। भला लिंग का आक्यूपेशन क्या होगा? *परमपिता परमात्मा की तो महिमा है पतित-पावन ज्ञान का सागर। यह पोस्टर बाहर लगा देना चाहिए। कोई भी आये तो पढ़े।*
 
➢➢  *तुम जाकर राधे कृष्ण वा लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में समझाओ। हमारा लक्ष्मी-नारायण का चित्र बहुत अच्छा है, इस पर समझाना चाहिए।* लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर वाले अक्सर गीता जरूर पढ़ते होंगे।
 
➢➢  बाबा कहते हैं मेरा अकल्याण कब होता नहीं। *अकल्याणकारी रावण है, यह मनुष्य नहीं जानते। तुमको जाकर समझाना है। बादल भरकर फिर जाए बरसना है।*
 
➢➢  *बड़ी-बड़ी सभाओं में बाप नहीं जा सकता। वह बच्चों का काम है।* बच्चों से सवाल जवाब करेंगे। सन्यासी आदि तो बाप के आगे आयेंगे ही नहीं। उनको तो मान चाहिए। 
 
➢➢  आगे चलकर बहुत बच्चे मिलने आयेंगे। *पहले बच्चों को समझाना पड़े। गोप गोपियों को ही घर-घर में परिचय देना है।* कोई भी उल्हना न दे, रह न जाये कि हमको पता नहीं पड़ा। राजा रानी तो कोई है नहीं जो इतला करें।
 
➢➢  *बच्चों को मेहनत करनी है। जो जो भाषा जानता है, वह उस भाषा में जाकर समझाये।* अनेक भाषायें हैं। बाबा राय देते हैं - *पूना और बैंगलोर तरफ सर्विस को खूब बढ़ाओ। सबको मालूम पड़े, सब भाषाओं में पर्चे छपाने हैं।*
 
➢➢  *पोस्टर्स छपे हैं सर्विस के लिए, रखने के लिए नहीं बने हैं।* शिवाए नम: अक्षर बहुत अच्छा है। *पूरा शिवबाबा का परिचय देना है। निराकार शिवबाबा आया है, जरूर वर्सा दिया है। आकर पतित दुनिया को पावन बनाया है। ऐसे-ऐसे अपने से ख्याल कर फिर जाकर कोई को समझाना पड़ता है।*

 

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