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❍ 30 / 11 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ माया के तूफान
योग में रहने नहीं देते हैं। बुद्धि चक्रित हो जाती है। नहीं तो समझाना बहुत
अच्छा है। *पहले समझाना चाहिए रचयिता एक है, उनको सब फादर कहते हैं। वह निराकार
जन्म मरण रहित है।* ब्रह्मा विष्णु शंकर को सूक्ष्म चोला है। 84 जन्म मनुष्य
भोगते हैं। सूक्ष्मवतन में तो नहीं भोगेंगे।
➢➢ *कोई बहुत अच्छी बच्चियां हैं परन्तु मोह है, वह सत्यानाश कर देता है। मोह
बड़ा खराब है।* जैसे बन्दर बन्दरी बना देता है। तुम जानते हो बन्दरी में कितना
मोह होता है। यह मोह का भी भूत है। बाप से बेमुख कर देते हैं
➢➢ *गाते हैं तुम मात-पिता, परन्तु सिर्फ गाते हैं। समझते कुछ नहीं। अब ईश्वर
तो फादर ठहरा, फिर मदर भी चाहिए। मदर के सिवाए क्रियेट न कर सके।* सिर्फ यह नहीं
जानते कि कैसे क्रियेट करते हैं।
➢➢ आजकल दुनिया में रिद्धि सिद्धि वाले बहुत हैं। एक दो को दु:ख देते हैं। यह
है ही घोस्टों की दुनिया। *काम रूपी विकार है तो एक दो को आदि-मध्य-अन्त दु:ख
देते हैं। एक दो को दु:ख देना घोस्ट का काम है। सतयुग में घोस्ट होता नहीं।*
घोस्ट नाम बाइबिल में चला आता है। रावण माना घोस्ट। रामराज्य में घोस्ट होता ही
नहीं।
➢➢ वास्तव में मन्दिर में राधे कृष्ण दिखाते हैं, कृष्ण के साथ राधे का नाम
गीता में तो है नहीं। *कृष्ण की महिमा अलग है, सर्वगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूर्ण..
परमात्मा की महिमा अलग है। शिव की आरती में बहुत महिमा करते हैं। परन्तु अर्थ
कुछ नहीं समझते। पूजा करते-करते थक गये हैं।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *आत्मा को सिमरण
करना है बाप का। इसमें माला फेरने की बात नहीं।* सबसे अच्छा गीत है शिवाए नम:
का। इसमें ही आता है कि तुम मात-पिता हो। भगवान को ही रचता कहा जाता है। अब रचते
क्या हैं? वह समझते हैं नई दुनिया रचते हैं।
➢➢ ब्रह्मा को तो भुजायें बहुत हैं। अर्थ तो कुछ भी नहीं समझते। जो भी चित्र
आदि निकले हैं, शास्त्र निकले हैं। यह सभी ड्रामा के ऊपर आधार रखना पड़ता है। *ब्रह्मा
का दिन था फिर भक्ति मार्ग शुरू हुआ है। वह चला आ रहा है। यह राजयोग बाबा ही
आकर सिखलाते हैं।*
➢➢ वास्तव में मन्दिर में राधे कृष्ण दिखाते हैं, कृष्ण के साथ राधे का नाम
कर्म का भोग होता है, उनको योग से हटाना है। *देह-अभिमान को तोड़ना है। बाबा को
याद कर बहुत खुशी में रहना है।*
➢➢ *कहते हैं ना अपनी घोट तो नशा चढ़े। परन्तु बुद्धि का योग चाहिए - बाबा के
साथ।* यहाँ तो बहुतों का बुद्धियोग लटका हुआ है, पुरानी दुनिया के मित्र
सम्बन्धी आदि की तरफ या देह-अभिमान में फँसे रहते हैं।
➢➢ *थोड़ा बीमारी होती है तो मर पड़ते हैं। अरे योग में रहेंगे तो दर्द भी कम
हो जायेगा।* योग नहीं तो बीमारी कैसे छूटे, ख्याल करना चाहिए *मात-पिता जो पावन
बनते हैं, वही फिर सबसे पहले पतित भी बनते हैं, उनको बहुत भोगना भोगनी पड़ती
है। परन्तु योग में रहने कारण बीमारी हट जाती है।*
➢➢ *जब आत्मा रूप में है तो फिर पवित्र रहने की बात भी नहीं। भाई बहन का सवाल
ही नहीं। भाई-भाई हो गये।* पॉइंट बहुत अच्छी समझाई जाती है। परन्तु माया ऐसी है
जो फट से गिरा देती है। जैसे तूफान लगते हैं तो झाड़ के झाड़ गिर पड़ते हैं,
सिर्फ एक बड का झाड़ होता है वह तूफान में कभी नहीं गिरता।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
बाबा खुद कहते हैं मैं बहुत जन्मों के अन्त के जन्म में प्रवेश करता हूँ। यह
अपने जन्मों को नही जानते हैं, मैं जानता हूँ। तुम कहते हो बाबा फिर हमको ज्ञान
दे रहे हैं। इन द्वारा वर्सा दे रहे हैं। वर्सा लेना है सतयुग में। सतयुग में
तो राजा प्रजा आदि सब हैं। *पुरुषार्थ करना है बाप से पूरा वर्सा लेने का। अगर
अब नहीं लेंगे तो कल्प-कल्प मिस करते रहेंगे।*
➢➢ अब घोस्ट (विकार) तो सबमें हैं। उनका ही राज्य चल रहा है। *सिर्फ क्रोध का
भूत नहीं। सब विकारों का भूत है।* जैसे वो लोग कुछ छपाते हैं तो बाबा अटेन्शन
देते हैं कि यह राज्य ही आसुरी घोस्ट का है। ऐसे तुम बच्चों को भी अटेन्शन दे
समझाने की युक्तियां निकालनी चाहिए।
➢➢ *जन्म जन्मान्तर की बाजी है। तो कितना श्रीमत पर चलना चाहिए। कल्प-कल्प के
लिए पढ़ाई है। इसमें बहुत ध्यान रखना पड़े।* 7 रोज लक्ष्य ले फिर मुरली घर में
भी पढ़ सकते हो।
➢➢ भल अमेरिका आदि की तरफ चले जाओ तो भी बाप से वर्सा ले सकते हो। सिर्फ एक
हफ्ता धारणा करके जाओ। *खान-पान की दिक्कत होती है। परन्तु ऐसी बहुत चीजें बनती
हैं, डबल रोटी से जैम मुरब्बा आदि खा सकते हो। आदत पड़ जायेगी।* फिर और कोई चीज
अच्छी नहीं लगेगी।
➢➢ *तुम्हें ज्ञान की बुलबुल बनना है।* छोटी बच्चियों को खड़ा किया है। बाहर
में छोटे बच्चे मातपिता का शो करते हैं। लोक, परलोक सुहैला होता है ना। यह भी
तुम देखेंगे छोटी-छोटी बच्चियां माँ बाप को ज्ञान देंगी। कुमारी का मान होता
है। कुमारी को सब नमन करते हैं। शिव शक्ति सेना में सब कुमारियां हैं। भल मातायें
भी हैं परन्तु वह भी कहलाती तो कुमारी हैं ना। छोटी बच्चियां बड़ों का शो करती
हैं।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ सब गाते हैं तुम
मात-पिता, पास्ट का गायन करते हैं, भक्ति मार्ग का। *मात-पिता सृष्टि रचते हैं।
उनके बालक बनते हैं तो जरूर सुख घनेरे देते होंगे। यह कोई नहीं जानते कि वह
मात-पिता भी है, टीचर भी है तो गुरू भी है।*
➢➢ शिवाए नम: वाला गीत बहुत अच्छा है। *शिव है मात-पिता। ब्रह्मा, विष्णु,
शंकर को मात-पिता नहीं कहेंगे। शिव को ही फादर कहेंगे।* एडम ईव ब्रह्मा सरस्वती
तो यहाँ ही हुए हैं। वहाँ सिर्फ गाड फादर को प्रार्थना करते हैं - ओ गाड फादर।
➢➢ बाबा यह जो नालेज देते हैं - यह सब धर्म वालों के लिए है। बाकी सबका
बुद्धियोग उस बाप से टूटा हुआ है। *घोस्ट बुद्धियोग लगाने नहीं देते हैं और ही
बुद्धियोग तोड़ देते हैं। बाबा आकर घोस्ट पर जीत पहनाते हैं।*
➢➢ *भारत तो मात-पिता का गाँव है। उनका जन्म यहाँ है। तो समझाना है तुम मात
पिता गाते हो तो आपस में भाई बहन ठहरे। प्रजापिता ब्रह्मा ने एडॉप्ट किया है।
यह जो इतने ब्रह्माकुमार कुमारियां बने हैं। शिवबाबा एडॉप्ट कराते जाते हैं।*
➢➢ समझाने की बहुत युक्तियां हैं। परन्तु पूरा समझाते नहीं हैं। *बाबा ने बहुत
बार समझाया है यह शिवाए नम: का गीत बजाकर जहाँ तहाँ समझाओ। हम मात-पिता के बालक
कैसे हैं। वह बैठ समझाते हैं। ब्रह्मा द्वारा नई दुनिया की स्थापना की थी। अब
कलियुग का अन्त है फिर से स्थापना कर रहे हैं।*
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