━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 10 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ बाबा ने समझाया है कि कोई भी धर्म एक दो के पिछाड़ी मनुष्य स्थापन करते हैं। *तुम ऐसा नहीं कहेंगे कि परमपिता परमात्मा ने कोई क्रिश्चियन धर्म स्थापन किया वा सन्यासियों का निवृत्ति मार्ग का धर्मस्थापन किया।* नहीं। *गाया हुआ है परमपिता परमात्मा ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय धर्म स्थापन करते हैं। और कोई भी धर्म भगवान नहीं स्थापन करते।*
➢➢ *हर एक को अपने समय पर आकर अपना धर्म स्थापन करना है* क्योंकि पवित्र आत्मा है। *पवित्र आत्मा बिगर कोई कब धर्म स्थापन कर नहीं सकते,* कायदा नहीं। *आत्मा आकर धर्म स्थापन करती है और पवित्र रहती है।*
➢➢ *तुम संगमयुग पर ही रामराज्य, रावण राज्य की रसम-रिवाज को जानते हो।* रामराज्य में तुम रावण राज्य को नहीं जानते हो। रावणराज्य में तुम रामराज्य को नहीं जानते हो। संगम पर तुम दोनों को जानते हो।
➢➢ *वास्तव में भारत तो सबसे बड़ा तीर्थ है। सबकी सद्गति करने वाला जो बाप है, उनका जन्म यहाँ भारत में होता है।* अभी तुमको पता पड़ा है - बाप कैसे भारत देश में आते हैं। अब कौन सा तीर्थस्थान ऊंचमानेंगे? जरूर भारत को ही मानना पड़े।
➢➢ यह समझने की बात है, आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा ले पार्ट बजाती है। पार्टधारी तो सब हैं ना। *आत्मा पार्ट बजाती रहती है,मरता शरीर है आत्मा थोड़े ही मरती है। आत्मा कहती है मैं शरीर छोड़ता हूँ। मै मरता हूँ, यह अक्षर कहना रांग है। आत्मा ने शरीर छोड़ा यह राइट अक्षर है।*
➢➢ *भल तुमको ज्ञान मिला है तो भी जब तक परिपक्व अवस्था हो तब तक कुछ धक्का आ जाता है। रावण राज्य में जड़जड़ीभूत हुए हैं ना।* तो झट धक्का आ जाता है। *सतयुग में कभी धक्का नहीं आता। वहाँ तो बैठे-बैठे शरीर छोड़ देते हैं।*
➢➢ *बाबा आकर सारे ड्रामा के आदि मध्य अन्त का राज़ समझाते हैं। फीलिंग आनी चाहिए कि बरोबर यह बात ठीक है।* जब तक तुम ब्राह्मण नहीं थे तब तक कुछ नहीं जानते थे। *ज्ञान बिगर मनुष्य तो जैसे जंगली हैं।*
────────────────────────
❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *बच्चे जानते हैं हमको तो बाप को ही याद करना है। आत्मा स्वयं जानती है, बाप ने परिचय दिया है।*
➢➢ *बच्चे अब मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे। तो याद करना बच्चों का फर्ज हुआ।*
➢➢ ज्ञान भी बुद्धि में बैठता है। *हम आत्मा बाप को याद करते हैं। यह शरीर तो आरगन्स हैं, इनकी क्या वैल्यू है।*
➢➢ *जिनकी प्रैक्टिस नहीं है, सारा दिन सर्विस में रहते हैं, वह निरन्तर शिवबाबा को याद करें, यह बड़ा मुश्किल है। याद न करने से वह डेड साइलेन्स हो नहीं सकते।*
────────────────────────
❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *यहाँ आकर जब बैठते हो तो बाप की याद में अशरीरी होकर बैठना है।*
➢➢ आत्मा जानती हैं - हमें यह आरगन्स मिले हैं कर्म करने के लिए। *हम कर्मयोगी हैं, कर्म सन्यासी हो नहीं सकते।* वह तो कायदे के विरुद्ध है। *विकर्मों का सन्यास किया जाता है कि हमसे कोई विकर्म न हो, पाप नहीं हो।*
➢➢ हमको तो अब बाप बैठ पढ़ाते हैं। *हम गार्डन के फूल बनते हैं।* वह हैं जंगल के कांटे।
➢➢ बच्चों को समझाया गया है कि *जब यहाँ बैठते हो तो सिवाए एक बाप के और कोई को याद नहीं करो।*
➢➢ भक्ति की धुन में बैठते हैं तो झूमते रहते हैं। *तुमको झूमने आदि की दरकार नहीं।* यहाँ तो बाप से वर्सा लेना है।
➢➢
*इस ड्रामा में हम एक्टर हैं।* यह बात भूल जाती है। ड्रामा को जान जायें तो
दु:ख कभी हो नहीं सकता। तुम ड्रामा के आदि मध्य-अन्त को जानकर कहते हो - फलानी
आत्मा ने शरीर छोड़ा, जाकर दूसरा शरीर लिया। *ड्रामा प्लैन अनुसार उनको दूसरा
शरीर ले फिर पार्ट बजाना है। इसमें दु:ख हम क्यों करें।*
➢➢ तुम बच्चे जानते हो बाप अभी यहाँ फैमली सहित बैठा है। यह ईश्वरीय फैमली है
और वह है आसुरी फैमली। *तुम्हारे में भी कोई-कोई हैं जो अच्छी तरह समझते हैं।
शुद्ध अहंकार में रहते हैं।* देह-अभिमान है अशुद्ध अंहकार।
────────────────────────
❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *गीता का भगवान सिद्ध हो जाए तो सर्वव्यापी की बात भी निकल जाये। भगवान कभी ऐसे कह नहीं सकते कि मैं सर्वव्यापी हूँ। बाप कहते हैं कि मैं पतित-पावन हूँ, मैं सर्वव्यापी कैसे हो सकता।*
➢➢ यह पाठशाला है परमपिता परमात्मा की। *यह भी प्रश्र बोर्ड पर बनवाकर लिखो, गीता का भगवान कौन?* एक तरफ लिखो बाप की महिमा। वह मनुष्य सृष्टि का बीजरूप सत है, चैतन्य है, ज्ञान का सागर है। तुम कृष्ण को पवित्रता का सागर नहीं कह सकते हो क्योंकि वह जन्म मरण में आते हैं।
➢➢ तुम्हारी एक बात है - ईश्वर सर्वव्यापी नहीं है और दूसरा गीता का भगवान कृष्ण नहीं है। यह हैं मुख्य दो भूलें। इसलिए बाबा कहते हैं कि *पहले-पहले पूछो परमपिता परमात्मा से आपका क्या सम्बन्ध है? और यह भी पूछो कि गीता का भगवान कौन है?*
➢➢ *बाप कहते हैं मैं निष्काम सेवाधारी हूँ।* तुम मोस्ट बिलवेड चिल्ड्रेन हो। मैं तुम्हारा ओबीडियन्ट सर्वेन्ट हूँ। तुम पुकारते हो हे पतित-पावन आकर पावन बनाओ। हाज़िर सरकार, आया हूँ। बाप बच्चों का सर्वेन्ट ही है।
➢➢ *यह बड़ी अच्छी टॉपिक है। गीता का भगवान कौन? इस पहेली को हल करने से तुम बाप का वर्सा पाकर विश्व का मालिक बन सकते हो। मनुष्य विश्व का मालिक निराकार को समझते हैं। एक एक से कितनी मेहनत करनी पड़ती है।*
────────────────────────