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  08 / 12 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप तो है निराकार। किसको साक्षात्कार भी कराना होगा तो ब्रह्मा का शरीर ही सामने करूँगा। अगर खुद का साक्षात्कार कराये तो कोई समझ न सके। वह तो एक बिन्दी है।* अब जैसे आत्मा स्टार है, वैसे परमात्मा भी बिन्दी है। यह बुद्धि से समझा जाता है। *अक्सर करके बहुतों को ब्रह्मा का साक्षात्कार कराते हैं कि इनके पास जाओ।*

➢➢   *तुम देखते हो देवी-देवता धर्म अभी है नहीं। बाकी सब धर्म हैं। अभी यह सब खलास हो जायेंगे। फिर अपने समय पर आकर स्थापना करेंगे।*

➢➢  *मनुष्य कितना घोर अन्धियारे में हैं। कल्प पहले भी जब आग लगी थी तब जगे थे। वह सीन फिर होगी।* होना भी जरूर है। *दूसरे धर्म वाले इन बातों को समझेंगे नहीं, न पुरुषार्थ करेंगे।* सतयुग में तो इतने मनुष्य आ न सकेंगे। वहाँ बहुत थोड़े होंगे, जो सूर्यवंशी घराने में राज्य करेंगे। *सब ड्रामा के बंधन में बांधे हुए हैं। बाप खुद कहते हैं मैं भी ड्रामा के बंधन में बांधा हुआ हूँ। कोई बात का रेस्पान्ड ड्रामा में होगा तो बताऊंगा। ड्रामा का सारा राज अभी थोड़ेही बताऊंगा।*

➢➢  कृष्ण को मुरली दी और सरस्वती को सितार दी है। *सरस्वती को गाडेज आफ नालेज कहा जाता है। गाड आफ नालेज ब्रह्मा के बदले कृष्ण को कह दिया है। मूँझ गये हैं।* बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं *त्रिमूति में कृष्ण तो है नहीं। भल करके है परन्तु गुप्त। राधे-कृष्ण ही लक्ष्मी-नारायण बनते हैं, यह भी किसको पता नहीं है।*

➢➢  अब तुमको मालूम पड़ा है- *बाप हमको वर्सा देते हैं, रावण श्राप देते हैं।* मनुष्यों को यह पता नहीं है कि बाप कब वर्सा देते हैं। *कृष्ण का नाम गीता में डालने से गीता को झूठा कर दिया है। बड़े ते बड़ी भूल यह है।*

➢➢  *श्रीकृष्ण की महिमा कोई कम नहीं है।* बाप कहते हैं मुझे आना ही है पराये देश, पुराने शरीर में। श्रीकृष्ण तो रावण के देश में आ न सके। अब तुम जानते हो कि *श्रीकृष्ण की आत्मा पुनर्जन्म लेते-लेते अब इस शरीर में है। यह अन्तिम शरीर है। यही फिर नम्बरवन पावन शरीर बनता है।* यह सब बातें और कोई की बुद्धि में आ नही सकता। *रावण का चित्र बनाते हैं परन्तु समझते नहीं हैं कि रावण की प्रवेशता कब से हुई है? जलाते ही आते हैं। मर जाये तो फिर जलाना बन्द कर दें, मरता नहीं। हर वर्ष जलाते हैं। यह सब है भक्ति मार्ग।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  यह है ही झूठी दुनिया। ईश्वर के लिए भी झूठ ही झूठ बोलते हैं। *ईश्वर तो ऊंच ते ऊंच है, हम उनसे मिलने चाहते हैं तो जरूर उनसे कुछ मिलता है। बाप से क्या मिलेगा? वह है सर्व का सद्गति दाता।* सर्व को दु:ख से छुड़ाते हैं।

➢➢  *रावण भी बड़ा जबरदस्त है। आधाकल्प उनका राज्य चलता है। परन्तु वह दु:ख देते हैं इसलिए सब मनुष्य बाप को याद करते हैं।* रावण तुम्हारी सारी राजधानी छीन लेता है, इतना जबरदस्त है।

➢➢  *कृष्ण के लिए ऐसे नहीं कहेंगे कि इसमें परमात्मा है। कृष्ण ही याद आता रहेगा। परमात्मा तो याद आ न सके। कृष्ण को ही देखते रहेंगे। शिव को याद ही न करें इसलिए तुम बच्चों को समझाया गया है कि शिवबाबा को याद करो।*

➢➢  बाप कहते हैं - *मैं संगम पर आकर राजयोग सिखाता हूँ,* जो पास होते हैं वह सूर्यवंशी बनते हैं, जो फेल होते हैं वह चन्द्रवंशी बनते हैं। सूर्यवंशी की प्रजा सूर्यवंशी होगी, चन्द्रवंशी की प्रजा चन्द्रवंशी होगी।

➢➢  *तुम बच्चों की बुद्धि में सारे चक्र का ज्ञान है। तुम हो स्वदर्शन चक्रधारी ब्रह्मण।* यह है सर्वोत्तम ब्रह्मण कुल।  

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  शिवबाबा इस समय तुम्हारे सामने हाज़िर-नाज़िर है, तुम्हें *पहले यह निश्चय चाहिए कि हमको पढ़ाने वाला स्वयं शिवबाबा है, कोई देहधारी नहीं।*

➢➢  जो भी मनुष्य मात्र हैं, उन्हों को समझ में आता है कि हमारा ग्रेट-ग्रेट ग्रैण्ड फादर ब्रह्मा है, जिसको आदम-बीबी अथवा आदि देव, आदि देवी कहते हैं। वह भी शिवबाबा की रचना है। बाबा ने रचना कैसे रची? एडाप्ट किया। यह है पहले नम्बर की बात। *अल्फ के बाद फिर बे। इन बातों को जो अच्छी रीति समझते हैं वही ऊंच पद पाते हैं।*

➢➢  अभी तुम ऊंची तकदीर बनाने के लिए आये हो। तुम सो देवी-देवता बन रहे हो। यादवों की राजाई खत्म होनी है। पाण्डव राजाई स्थापन कर रहे हैं - नई दुनिया के लिए। *पुराने भंभोर को आग लगनी है। इसलिए देह-अभिमान में नहीं रहना है।*

➢➢  *चारों ओर आवाज का वायुमण्डल हो लेकिन आप एक सेकण्ड में फुलस्टाप लगाकर व्यक्त भाव से परे हो जाओ। अभी इस अभ्यास की बहुत आवश्यकता है।*

➢➢  *अचानक प्रकृति की आपदायें आनी हैं, उस समय बुद्धि और कहाँ भी नहीं जाये, बस बाप और मैं, बुद्धि को जहाँ लगाने चाहें वहाँ लग जाए। इसके लिए समाने और समेटने की शक्ति चाहिए, तब उड़ती कला में जा सकेंगे।*

➢➢  *खुशी की खुराक खाते रहो तो मन और बुद्धि शक्तिशाली बन जायेगी।*  

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *भक्ति मार्ग में जो भी त्योहार आदि मनाये जाते हैं वो सब इस समय के ही यादगार हैं। शिव जयन्ति भी इस समय का ही त्योहार है। नई दुनिया त्रिमूर्ति शिव, परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा स्थापना करते हैं, कृष्ण थोड़ेही नई दुनिया की स्थापना करेंगे।*

➢➢  *यह शास्त्र आदि सब भक्ति के लिए हैं। द्वापर में बैठ यह शास्त्र आदि बनायेंगे। सच खण्ड में सिर्फ देवता राज्य करते थे। यह है ही झूठ खण्ड। वहाँ (रामराज्य)तो कोई भी पाप नहीं होता। रावणराज्य में ही भक्ति, शास्त्र आदि शुरू होते हैं। यह अनादि ड्रामा शूट हुआ पड़ा है।*

➢➢  *तुम सेवाधारी हो। तुम गुप्त वेश में भारत को योगबल से स्वर्ग बनाते हो।* तुम्हारे लिए स्वर्ग जरूर चाहिए। पुरानी दुनिया को खत्म करना पड़े। श्रीमत पर तुम अपनी राजधानी स्थापन कर रहे हो।

➢➢  बाप कहते हैं- मैंने तुमको सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी बनाया। तुम फिर शूद्र वंशी बने कैसे?* अब फिर तुमको सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी बना रहा हूँ। *हम विश्व पर जीत पाते हैं फिर हार खाते हैं। जब देवी-देवता धर्म था तो और कोई धर्म नहीं था। अब फिर वह धर्म स्थापन होगा तो और सब धर्म खत्म हो जायेंगे।*

➢➢  *स्वर्ग का नाम गाते हैं परन्तु जानते नहीं कि स्वर्ग कब था? कहते हैं स्वर्ग पधारा तो जरूर नर्क में था। परन्तु सीधा कहो तुम नर्कवासी हो तो गुस्सा लगेगा। अब तुम्हारे में ताकत है। तुम कह सकते हो तुम पतित-पावन को बुलाते हो तो जरूर पतित हो।*

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