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  02 / 09 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *शिवबाबा इनमें प्रवेश कर तुम बच्चों को पढ़ाते हैं, यह है वन्डरफुल युगल। बाबा इनको कहते हैं ''यू आर माई वाइफ''।* तुम्हारे द्वारा मैं एडाप्ट करता हूँ। फिर माताओंको सम्भालने के लिए एडाप्ट किये हुए बच्चों से एक को मुकरर रखते हैं।

➢➢  अभी बाप द्वारा पता चला है कि हम देवतायें आपस में बहुत प्रेम से चलते थे। *हेविन के देवताओं की भी बहुत महिमा है। हम वहाँ के निवासी थे। फिर नीचे उतरते आये हैं। पहली तारीख से लेकर आज 5 हजार वर्ष से बाकी कुछ वर्ष आकर रहे हैं।*

➢➢  देवताओं के आगे जाकर कहते भी हैं कि हम पापी हैं क्योंकि *देवताओं में पवित्रता की कशिश है इसलिए उन्हों की महिमा गाते हैं।* आप सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण.... हो। फिर घर में आकर भूल जाते हैं।

➢➢  *बाप कहते हैं - मिया मिट्ठू तो मैं ही एक हूँ।* तुम सबको मिट्ठू अर्थात् मीठा बनाने आया हूँ इसलिए जो भी अवगुण आदि हैं सब छोड़ दो।

➢➢  *अमरनाथ बाबा यह सच्ची अमरकथा सुना रहे हैं, अमरपुरी में ले जाने के लिए। वह है अमरलोक। यह है नीचे मृत्युलोक।* सीढ़ी है ना। अभी हम ऊपर जाते हैं फिर नम्बरवार आयेंगे।

➢➢  *आजकल करते, सतयुग पूरा हुआ। त्रेता पूरा हुआ, द्वापर पूरा हुआ और कलियुग भी पूरा हो जायेगा।* अभी तुम नीचे उतरते सतोप्रधान से तमोप्रधान बन पड़े हो। तुम्हारी वह रूहानी खुशी गुम हो गई है। *अब तुमको सतोप्रधान बनना है। मैं आया हूँ तो जरूर तुमको सतोप्रधान बनाऊंगा।* 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *जितना हो सके कोशिश करनी है बाप को याद करने की।* भल आगे भी याद करते थे। परन्तु वह थी व्यभिचारी याद, बहुतों को याद करते थे। *अब बाप कहते हैं अव्यभिचारी याद में रहो सिर्फ मामेकम् याद करो।*

➢➢  *पहले-पहले बाप कहते हैं अपने को सतोप्रधान बनाना है इसलिए मामेकम् याद करो।* दैवीगुण भी धारण करने हैं। *भाई-भाई समझ एक बाप को याद करो। बाप से यह वर्सा लेना है।*

➢➢  पैगाम तो एक बाप ही देते हैं कि *मामेकम् याद करो तो सतोप्रधान बन जायेंगे और सतोप्रधान दुनिया में आ जायेंगे।* यह है बाप का पैगाम। 

➢➢  बाबा खुद कहते हैं - हम चलते-फिरते बहुत खुशी से बाप को याद करता हूँ। *याद में कितना भी पैदल करो, कभी थकेंगे  नहीं। जितना याद करेंगे उतना चमक आती जायेगी।*

➢➢  यह भी बाप समझाते हैं - बच्चे जब 5 हजार वर्ष बाद संगमयुग होता है तब ही मैं आता हूँ। तुमको समझाता हूँ, फिर से सतोप्रधान बनो। *अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो। जितना याद करेंगे उतनी खामियां निकलती जायेंगी।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  तुम जानते हो हम पहले सतोप्रधान थे। आपस में बहुत लव था। बाप ने भाईयों को शिक्षा दी है। *तुम भाई-भाई का आपस में बहुत प्रेम होना चाहिए।*

➢➢  *बाप समझाते रहते हैं बच्चे देह-अभिमान छोड़ो। कोई की खामियों को देखना नहीं हैं।* फलाना ऐसा है, यह करता है, इन बातों से कोई फायदा नहीं, टाइम वेस्ट हो जाता है।

➢➢  *अब बाप कहते हैं तुम ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ करो।* तुम जानते हो कि नई दुनिया में बाप ने हमको वर्सा दिया था, 21 जन्मों के लिए एकदम भरपूर कर दिया था। *अब बाप फिर आया हुआ है तो क्यों न हम उनकी मत पर चल फिर से पूरा वर्सा लेवें।* 

➢➢  देह-अभिमान में आने से ही अवगुण देखा जाता है। *अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।* भाई-भाई को देखो तो गुण ही देखेंगे। अवगुण को नहीं देखना चाहिए।

➢➢  अब बाप कहते हैं बच्चे यह पढ़ाई पढ़ो। देवता बनना है तो यह पढ़ाई पढ़ना है। *श्रीमत पर चलना है। सतोप्रधान बनने के लिए पुरूषार्थ करो।*

➢➢  *अपने को देखना है कि हम कहाँ तक बाप की याद में रहते हैं।* कहाँ तक हमारा लव है। लव ऐसा होना चाहिए - बस बाप से ही चिटके रहें। वाह बाबा आप हमको कितना समझदार बनाते हो!

➢➢  *अन्दर में बाप की महिमा करनी है। बाबा आप तो कमाल करते हो। खुशी में गद-गद होना चाहिए।* कहते हैं ना - खुशी जैसी खुराक नहीं, तो बाप के मिलने की भी खुशी होती है। इस पढ़ाई से हम यह बनेंगे। बहुत खुशी होनी चाहिए।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बैज पर भी तुम समझा सकते हो - यह बेहद का बाप है, इनसे यह वर्सा मिलता है।* बाप स्वर्ग की स्थापना करते हैं। सो तो जरूर यहाँ ही होगी ना! शिव जयन्ती माना स्वर्ग जयन्ती। *देवतायें कैसे बनें? इस पुरूषोत्तम संगमयुग पर इस पढ़ाई से ही बने हैं।* 

➢➢  बाप कहते हैं कि *सबको पैगाम दो कि अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और तुम विश्व के मालिक बन जायेंगे।* और कोई धर्म स्थापक ऐसे कह नहीं सकता।

➢➢  *यूरोपियन लोगों के लिए इस चक्र और झाड में सारी नालेज है। उन्हों को यही बताना है कि वर्ल्ड की हिस्ट्री-जाग्राफी कैसे रिपीट होती है तो वन्डर खायेंगे।*

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