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  31 / 12 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बच्चे बहुत अच्छा कर रहे है, आगे भी अच्छे ते अच्छा करते रहो। टीचर्स तो सदा मायाजीत है ना? *अगर टीचर्स के पास माया आयेगी तो स्टूडेंट्स का क्या हाल होगा। टीचर्स के पास एकबार माया आयेगी तो उनके पास 10 बार आयेगी इसलिए टीचर्स के पास माया नमस्ते करने आवे, वैसे नहीं।*

➢➢  *जैसे स्थापना के आदि में स्वप्न और साक्षात्कार की लीला विशेष रही, ऐसे अन्त में भी यही विचित्र लीला प्रत्यक्षता करने के निमित्त बनेंगी। चारों ओर से 'यही है, यही है', यही आवाज़ गूजेंगी और यह आवाज अनेकों के भाग्य की श्रेष्ठता के निमित्त होगा। एक से अनेक दीपक जग जायेंगे।*

➢➢  ऊँचें ते ऊँचा है बाप। यही याद रहता है ना। भाग्य विधाता मेरा बाप है। इससे बड़ा नशा और क्या हो सकता है। लौकिक रीति से बच्चे को नशा रहता - मेरा बाप इन्जीनियर है, डॉक्टर है, जज है या प्राइम मिनिस्टर है। लेकिन *आपको नशा है कि हमारा बाप भाग्यविधाता है। ऊँचें ते ऊँचा भगवान है।* यही नशा सदा रहता है या कभी-कभी भूल जाते हो?

➢➢  *भाग्य को भूला तो फिर भाग्य को पाने का प्रयत्न करना पड़ेगा।* खोई हुई चीज को पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। बाप ने आकर मेहनत से बचाया। *आधाकल्प मेहनत की, व्यवहार में भी मेहनत, भक्ति में, धर्म के क्षेत्र में, सबमें मेहनत ही की। और अभी सभी मेहनत से छूट गये।*

➢➢  *अभी व्यवहार भी परमार्थ के आधार पर सहज हो जाता है। निमित्त मात्र कर रहे हैं। निमित्त मात्र करने वाले को सदा सहज अनुभव होगा। व्यवहार नहीं है लेकिन खेल है। माया का तूफान नहीं लेकिन यह ड्रामा अनुसार आगे बढ़ने का तोफा है।* तोफा अर्थात् सौगात लेने में मेहनत नहीं होती है ना। 

➢➢  *मेहनत से अपने को बचाने वाले, सदा भाग्यविधाता के साथ मास्टर भाग्यविधाता बने रहने वाले इसको कहा जाता है 'श्रेष्ठ आत्मा'।*

➢➢  *नया दिन, नई रात तो सब कहते है लेकिन श्रेष्ठ आत्माओं का नया सेकण्ड, नया संकल्प हो तब ही आने वाली नई दुनिया की नई झलक विश्व की आत्माओं को स्वप्प्न के रूप में वा साक्षात्कार के रूप में दिखाई देगी।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *यही एक बात सदा याद रखना कि बाप हमारे साथ है। वर्सा हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।*

➢➢  बापदादा ने बच्चों को 'डायमण्ड की' दी है। *डायमण्ड की है -एक ही बोल ‘बाबा’, इससे बढ़िया चाबी कोई मिलेगी क्या? सतयुग में भी ऐसी चाबी नहीं मिलेगी। सबके पास यह ‘डायमण्ड की’ सम्भाली हुई हैना। चाबी को खोया तो सब खजाने खोये इसलिए चाबी सदा साथ रखना। कीचेन है वा अकेली चाबी है? ‘की’ (खब) की चेन है - सदा सर्व सम्बन्धों से स्मृति स्वरूप होते रहो।*

➢➢  सोचो कि ऐसा भाग्य विश्व में कितनी आत्माओं का होगा। इससे बड़ा भाग्य और क्या चाहिए। *सदा अपने इसी भाग्य को स्मृति में रखो। तो आपके भाग्य के प्राप्ति की खुशी को देख और समीप आयेंगे और अपना भाग्य बनायेंगे।*

➢➢  सदा खुश रहो। बाप के बच्चे बने तो वर्से में खुशी मिली ना। तो *इस वर्से को सदा साथ रखना, छोड़कर नहीं जाना। खुशी के खजानों के मालिक बन गये। तो सदा खुशी में उड़ते रहना।* खुशी में ट्राई करने की बातें नहीं। अगर कहते ट्राई तो क्राई होते रहेंगे। क्या बच्चे बनने मे भी ट्राई करनी होती है। ट्राई करेंगे, यह शब्द यहाँ छोड़कर जाना।

➢➢  *बाप और वर्सा सदा साथ रहे। कम्बाइन्ड रहना। तो जहाँ बाप है वहाँ सर्व खजाने स्वत: ही होंगे।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना की गिफ्ट का स्टॉक सदा भरपूर रहे। यह संकल्प मात्र भी उत्पन्न न हो कि आखिर भी कहाँ तक शुभ भावना से देखें।* दाता, विधाता, वरदाता के बच्चे, भाग्य की लकीर खींचने वाले ब्रह्मा के बच्चे ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियाँ हो इसलिए सदा भण्डारा भरपूर रहे।

➢➢  *सिर्फ एक दिन नहीं, लेकिन सारा वर्ष हर दिन, हर घण्टा, हर सेकेण्ड, हर संकल्प जो बीता उससे और रूहानी नवीनता लाने वाला हो।* सच्ची दीपमाला मनाने की तैयारी करनी है। *पुरानी बातें, पुराने संस्कार का दशहरा मनाओ* क्योंकि दशहरे के बाद ही दीपमाला होगी। बधाई के साथ-साथ नये साल की सौगात भी सदा साथ रखना।

➢➢  *जिस समय जो श्रृंगार चाहिए उस समय वही सेट धारण कर सदा सजे-सजाये रहना। कभी सहनशीलता का सेट पहनना, लेकिन फुलसेट पहनना। सिर्फ एक सेट नहीं पहनना। कानों द्वारा भी सहनशीलता हो, हाथों द्वारा भी सहनशीलता का श्रृंगार हो।* ऐसे समय-समय पर भिन्न-भिन्न श्रृंगार करते हुए विश्व के आगे फरिश्ते रूप और देव रूप में प्रख्यात हो जायेंगे।

➢➢  *यह त्रिमूर्ति सौगात सदा साथ रखना। फ़ैन्डशिप निभाने तो आती है ना। डबल विदेशी फ़ैन्डस तो बहुत अच्छे बनाते हैं लेकिन अविनाशी फ़ैन्डशिप रखना।* डबल विदेशी छोड़ने में भी होशियार हैं, करने में भी होशियार हैं। अभी-अभी हैं और अभी-अभी नहीं, ऐसे नहीं करना।

➢➢  *बाप ने बच्चों को ढूँढा और बच्चों ने पहचान लिया। इसी विशेषता को देख बापदादा भी बधाई दे रहा है इसलिए सदा मायाजीत रहो।*

➢➢  *अभी तक माया से बहुत समय खेल खेला। अभी विदाई दो,आज से सदा के लिए विदाई की बधाई मनाना।* बहुत अच्छा चान्स मिला है और चान्स ले भी रहे हो।

➢➢  बापदादा इस वर्ष के लिए विशेष प्रतिज्ञा का कंगन भी दे रहे हैं। *हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर आत्मा के सम्पर्क में सदा नये ते नया अर्थात् ऊँचें  ते ऊँचा, नीचे की बात को न देखना है, न नीचे की स्टेज अपनानी है।* ऊँचा बाप, ऊँचें बच्चे, ऊँची स्टेज और ऊँचें ते ऊँची सर्व की सेवा हो। यह प्रतिज्ञा का कंगन है।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *हरेक निमित शिक्षक के ऊपर विश्व परिवर्तन की जिम्मेवारी है। बेहद के सेवाधारी हो - ऐसे अपने को समझती हो? एक एरिया के कल्याणकारी तो नहीं समझती? चाहे एक स्थान पर बैठे हो लेकिन हो तो लाइट हाउस ना।* तो छोटा सा बल्ब बनकर एक ही स्थान पर रोशनी देते या लाइट हाउस बन विश्व को रोशनी देते? लाइट हो, सर्चलाइट हो या लाइट हाउस हो?

➢➢  *निमित्त शिक्षक का स्वरूप - सदा हर्षित, सदा मास्टर सर्वशक्तिमान, ऐसी सीट पर सदा सेट रहो।*

➢➢  *टीचर्स के रहने का स्थान ही ऊँची स्थिति है। सेन्टर पर नहीं रहती हो लेकिन ऊँची स्टेज पर रहती हो। ऊँची स्टेज अर्थात् दिलतख्त पर माया आ नहीं सकती। नीचे उतरे तो माया आयेगी।*

➢➢  सदा हरेक को एक अलौकिक गिफ्ट देते रहना। जैसे बड़े आदमी कहाँ जाते है वा उनके पास कोई आते हैं तो खाली हाथ नहीं जाते हैं। आप सब भी बड़े ते बड़े हो ना। कभी भी किसी भी ब्राहमण आत्मा से वा किसी से भी मिलते हो तो कुछ देने के बिना कैसे मिलेंगे। *हरेक को शुभ भावना और शुभ कामना की गिफ्ट सदा देते रहो।* 

➢➢  *विशेषता दो और विशेषता लो। गुण दो और गुण लो। ऐसी गोडली गिफ्ट सभी को देते रहो। चाहे कोई किसी भी भावना वा कामना से आये लेकिन आप शुभभावना की गिफ्ट दो।*

➢➢  ऐसे सभी बच्चे अपने-अपने नाम से बधाई स्वीकार करें। *नया वर्ष, नया उमंग, नया उत्साह और इस वर्ष में सदा ही रोज उत्सव समझकर उत्साह दिलाते रहना। इसी सेवा में सदा तत्पर रहना।*

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