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❍ 01 / 09 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम जानते हो
कि बाप सुखधाम का वर्सा देते हैं और रावण दु:खधाम का वर्सा देते हैं। सतयुग में
है सुख, कलियुग में है दु:ख।* यह किसकी बुद्धि में नहीं है कि दु:ख हर्ता, सुख
कर्ता कौन है। समझते भी हैं कि जरूर परमपिता परमात्मा ही होगा। भारत सतयुग था।
➢➢ *तुम्हारी बुद्धि
में है कि हमारा दुश्मन पहले-पहले रावण बनता है। पहले तुम राज्य करते थे फिर
वाम मार्ग में जाकर राजाई गँवा दी।*इन बातों को तुम ब्राह्मण बच्चे ही जानते
हो। तुम्हारा और किसी दुश्मन तरफ अटेन्शन नहीं है।
➢➢ *शिवबाबा जन्म
भी भारत में ही लेते हैं। यह है भी बरोबर परमपिता परमात्मा की जन्म भूमि।* शिव
जयन्ती भी मनाते हैं। परन्तु शिव ने आकर क्या किया, वह किसको पता नहीं है। तुम
जानते हो भारत ऊंच ते ऊंच खण्ड था। धनवान ते धनवान 100 परसेन्ट हेल्दी, वेल्दी
और हैपी थे।
➢➢ *यह पवित्रता की
राखी भी तुम बांधते हो। सतयुग त्रेता में यह त्योहार आदि नहीं मनायेंगे। फिर
भक्ति मार्ग में शुरू होंगे।*
➢➢ *तुम जानते हो
भारत ऊंच ते ऊंच खण्ड था। धनवान ते धनवान 100 परसेन्ट हेल्दी, वेल्दी और हैपी
थे। और कोई धर्म इतने हेल्दी हो न सके ।* बाप देखो किसको बैठ सुनाते हैं ?
अबलायें, कुब्जायें, साधारण। वह साहूकार लोग तो अपने धन की ही खुशी में हैं।
तुम हो गरीब ते गरीब।
➢➢ *यह भोग आदि जो
लगाते हैं, यह भी ड्रामा में है। जो सेकण्ड बाई सेकण्ड होता है, ड्रामा शूट होता
जाता है। फिर 5 हजार वर्ष बाद वही रिपीट होगा। जो कुछ होता है, कल्प पहले भी
हुआ था।* ड्रामा अनुसार होता है, इसमें मूँझने की बात ही नहीं। *जो कुछ होता
है-नथिंगन्यु।*
➢➢ *कोई तो नापास
भी हो जाते हैं, जिसकी निशानी भी राम को दिखाई है। बाकी कोई हिंसा आदि की बात
नहीं।* तुम भी क्षत्रिय हो, माया पर जीत पाने वाले, जीत न पाने वाले नापास हो
पड़ते।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम बच्चे
ज्ञान और योगबल से जीत पाते हो। बरोबर 5 हजार वर्ष पहले भी बाप ने राजयोग सिखाया
था, जिससे राजाई प्राप्त की थी।* अब फिर माया पर जीत पाने के लिए बाप राजयोग
सिखला रहे हैं, इनको ज्ञान और योगबल कहा जाता है। आत्माओंको कहते हैं मुझे याद
करो। भगवान तो है ही निराकार।
➢➢ *बाप कहते हैं
मैं बहुत जन्मों के अन्त में इनमें ही आकर प्रवेश करता हूँ, जिसमें कल्प पहले
भी प्रवेश किया था, इनका नाम ब्रह्मा रखा था।* तुम सब बच्चों के नाम भी आये थे
ना। कितने फर्स्टक्लास नाम रखे थे।
➢➢ *ईश्वर का नाम
याद रहे तो यह भी सिमरें कि आपने तो बहुत अच्छी बादशाही दी है।* परन्तु कब दी,
क्या हुआ कुछ भी बता नहीं सकते। वहाँ धन भी बहुत रहता है। ऐरोप्लेन आदि तो होते
ही हैं - फुलप्रूफ।
➢➢ अब तुम बच्चे
किस धुन में हो ? दुनिया किस धुन में है ? *यह भी तुम जानते हो - उन्हों का है
बाहुबल, तुम्हारा है योगबल। जिससे दुश्मन पर तुम जीत पाते हो।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
तुमको यहाँ *शान्ति में बैठ बाप को याद करना है।* यह है मोस्ट बिलवेड मात-पिता,
जो कहते हैं बच्चे *इस काम पर पहले तुम जीत पहनो,* इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार
चला आता है।*
➢➢
बाप इस समय प्रतिज्ञा कराते हैं - *पवित्र दुनिया का मालिक बनना है तो पवित्र
भी जरूर बनना है।*
➢➢
मुझे याद करो तो इस योग अग्नि से पाप दग्ध होंगे। *तुमको तमोप्रधान से
सतोप्रधान बनना है।*
➢➢
*बाप श्रीमत देते हैं श्रेष्ठ बनने लिए - लाडले बच्चे मुझ बाप को याद करो।
विकर्माजीत बनने का और कोई उपाय है नहीं।* तुम बच्चों को भक्तिमार्ग के धक्कों
से छुड़ाते हैं। अब रात पूरी हो प्रभात होती है।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *भारत में गीता
आदि सुनाने वाले तो ढेर हैं। परन्तु यह तुमको कोई नहीं कहेंगे कि विकारों रूपी
रावण पर तुम्हें जीत पानी है, मामेकम् याद करो।*
➢➢ *आत्मा ही समझती
है, आत्मा ही ज्ञान सुनती है आरगन्स द्वारा। आत्मा ही संस्कार ले जाती है।* जैसे
बाबा लड़ाई वालों का मिसाल देते हैं। संस्कार ले जाते हैं ना। दूसरे जन्म में
फिर लड़ाई में ही चले जाते हैं। वैसे तुम बच्चे भी संस्कार ले जाते हो।
➢➢ *हम पार्ट बजाते
जाते हैं वही फिर शूट होता जाता है। यह महीन बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं।
बाप स्वर्ग की स्थापना करने वाला है। बरोबर भारत को बाप से स्वर्ग का वर्सा मिला
था फिर कैसे गवाया, यह समझाना पड़े। हार-जीत का खेल है। माया ते हारे हार है।*
मनुष्य माया धन को समझ लेते हैं। वास्तव में माया 5 विकारों को कहा जाता है।*
➢➢ यह भी किसको पता
नहीं है। अब कहाँ प्रकृति, कहाँ माया, अलग-अलग अर्थ है। *मैगजीन में भी लिख सकते
हो कि भारतवासियों का नम्बरवन दुश्मन यह रावण है, जिसने दुर्गति को पहुँचाया
है।*
➢➢ *रावणराज्य शुरू
होने से ही भक्ति शुरू हो जाती है। ब्रह्मा की रात में, भक्ति मार्ग में धक्के
ही खाने पड़ते हैं। ब्रह्मा का दिन चढ़ती कला, ब्रह्मा की रात उतरती कला है। अब
बाप कहते हैं - इस माया रावण पर जीत पानी है।*
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