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❍ 03 / 11 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाबा ने समझाया
है और धर्म स्थापक किसको भी वर्सा नहीं देते हैं। धर्म स्थापन करते हैं, इसलिए
उनको याद करते हैं। बाकी क्राइस्ट को, ब्रह्मा को, विष्णु को वा शंकर को याद
करने अथवा उनकी प्रार्थना करने से वह कुछ भी नहीं दे सकते।*
➢➢ *इस समय भारत खास, सारी दुनिया आम रावण के बंधन में है। आत्मायें जो
पहले-पहले आती हैं तो पहले जीवनमुक्त फिर जीवनबंध बनती हैं। पहले सुख फिर दु:ख
भोगना है।*
➢➢ परमपिता परमात्मा सभी धर्म स्थापकों को भेज देते हैं - अपना-अपना धर्म
स्थापन करने के लिए। तो वह आकर धर्म स्थापन करते हैं। ऐसे नहीं कि वह कोई को
वर्सा देते हैं। नहीं। *क्राइस्ट की आत्मा कोई सभी का बाप थोड़े ही है, जो वर्सा
देगी। वह तो क्रिश्चियन का भी बाप नहीं जो वर्सा देवे। वह तो धर्म स्थापन करने
आते हैं। उनके पीछे दूसरे क्रिश्चियन धर्म की आत्मायें आती जाती हैं। वर्से की
बात ही नहीं। बाप से वर्सा लेना होता है। यह बहुत समझने की बात है।*
➢➢ इब्राह्म् बुद्ध, क्राइस्ट आदि आये। उन्होंने क्या किया? किसको वर्सा दिया?
नहीं। धर्म स्थापकों का भी वह निराकार एक बाप है, उनसे ही वर्सा मिलता है। *सब
गॉड फादर कहकर पुकारते हैं। एक भारत ही है जिसमें कहते हैं- ईश्वर सर्वव्यापी
है। भारत से ही और सभी सर्वव्यापी कहना सीखे हैं। अगर ईश्वर सर्वव्यापी है फिर
ईश्वर को याद क्यों करते हो? साधू लोग साधना वा प्रार्थना किसकी करते हैं? बाप
तो पूछेंगे ना।*
➢➢ *बाप कहते हैं अगर कोई कर्मबन्धन में अथवा मित्र सम्बन्धी आदि में बुद्धि
जाती रहेगी तो विकर्म विनाश नहीं होंगे। दुनिया को याद करते हो तो तुमको दण्ड
पड़ता है।*
➢➢ *तुम कहते हो कि बाबा हम मर चुके हैं। हम आपके हैं तो फिर मित्र सम्बन्धी
आदि तरफ बुद्धि क्यों जाती है? गोया तुम मरे नहीं हो! बाप के बने नहीं हो!*
➢➢ यह रचता और रचना की नालेज बाप खुद ही आकर देते हैं। सब प्वाइंट्स कोई समझ
भी नहीं सकेंगे। यहाँ से बाहर गये-कोई का संग मिला और खत्म। *कहा भी जाता है
संग तारे कुसंग बोरे... भल यहाँ भी बैठे हैं परन्तु पूरा बुद्धियोग नहीं है।
ज्ञान नहीं है तो संगदोष में गिर पड़ते हैं।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ मुझे पतित दुनिया,
पतित शरीर में पराये राज्य में आना पड़ता है। *गाते भी हैं दूरदेश के रहने वाला...
इसका अर्थ तुम बच्चे ही समझ सकते हो। अभी हम पुरूषार्थ करते हैं फिर अपने देश
में आयेंगे।*
➢➢ क्रिश्चियन, इस्लामी, बौद्धी आदि सबका बाप एक है। सब गॉड फादर कहते हैं। *क्राइस्ट
ने भी कहा है गॉड फादर। फादर को कभी भूलते नहीं हैं।* गॉड फादर एक ही निराकार
को कहा जाता है। सब निराकार आत्माओं का बाप एक ही है।
➢➢ जिनको रात-दिन कर्मबन्धन का ही चिंतन रहता है। याद में बैठे तो भी वही
संकल्प आते रहते हैं। *यहाँ बाबा की गोद में रहते तो मर चुके ना। तो बुद्धियोग
कहाँ जाना नहीं चाहिए। अगर याद पड़ता रहेगा तो योग में कैसे रहेंगे।*
➢➢ *तुमको इस बाबा अर्थात् प्रजापिता ब्रह्मा से वर्सा मिल नहीं सकता। वर्सा
एक शिवबाबा से मिलता है, ब्रह्मा भी वर्सा उनसे लेते हैं।* वह सर्व के सद्गति
दाता हैं। सर्व के मुक्ति-जीवनमुक्ति दाता हैं।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
कृष्ण में परमात्मा आते हैं-ऐसा कोई भी मानते नहीं हैं। क्रियेटर एक है लौकिक
बाप, दूसरा है पारलौकिक बाप। यह धारण करने की बातें हैं। *धारणा भी उन्हों को
होगी जो औरों को दान करते होंगे।* अभी बेहद का बाप सब बच्चों को वर्सा देने आये
हैं।
➢➢ *यह बुद्धि में बिठाना चाहिए। कोई भी देहधारी को याद करने से
मुक्ति-जीवनमुक्ति मिल नहीं सकती।* मैसेन्जर लोग भी किसको वर्सा देते नहीं हैं।
मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा बाप ही आकर देते हैं। परन्तु किनको डायरेक्ट, किनको
इनडायरेक्ट। तुम बच्चों के सम्मुख ही बाप होता है।
➢➢ *कोई भी किसी में आदत है तो उनका संग करने से वह असर झट पड़ जाता है।* यहाँ
है बाबा का संग। फिर जो बाप को फालो कर औरों का भी उद्धार करते हैं, वही ऊंच पद
पाते हैं।
➢➢ *बाबा से भी भल तुम्हारा कितना भी प्यार है तो भी इनसे बुद्धियोग मत लगाओ।*
बाप को याद नहीं करेंगे तो विकर्म विनाश नहीं होंगे। *कोई भी शरीरधारी में
प्यार मत रखो।* सतसंगों में सब शरीरधारी ही सुनाते हैं। कोई महात्मा का नाम लेते
हैं। ऐसे थोड़े ही कहते हैं कि परमपिता परमात्मा शिव हमको पढ़ाते हैं।
➢➢ बड़े अच्छे-अच्छे बच्चों को माया एक घूसा लगाए बेहोश कर देती है, जिनका
बुद्धियोग बाहर भटकता रहता है, पुराने सम्बन्धियों आदि में इसलिए बाबा कहते हैं
देहधारियों से बुद्धियोग जास्ती मत रखो। *देहधारी से बुद्धि को हटाना है। सबको
भूल जाओ, आप मुये मर गई दुनिया।*
➢➢ कोई पक्के होते हैं, बिल्कुल याद भी नहीं करते। तुम बच्चों की भी बुद्धि
अगर बाहर जाती रहती है तो ऊंच पद पा न सकेगें। *बच्चे बने हो तो फालो फादर पूरा
करना चाहिए।*
➢➢ यहाँ तो बाबा कहा, बस। बाबा के बन गये। पुराना सम्बन्ध छूटा। वह जानें उसके
कर्म जानें। हम क्या जानें। इतनी उछल होनी चाहिए। ऐसे बहुत थोड़े हैं। बाप मिला
बस और *किसकी परवाह नहीं, इतनी हिम्मत चाहिए। सच्ची दिल हो, श्रीमत पर चलता रहे
तो कोई भी रोक नहीं सकते हैं। पवित्र बनने में कोई विघ्न डाल नहीं सकते।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *देने वाला बाप
ही है। उनको सम्मुख आना पड़ता हैं। बाप कहते हैं मैं तुम आत्माओंको वर्सा देने
एक ही टाइम पर आता हूँ।* वर्सा बाप बच्चों को देते हैं। *वर्सा देना बाप का ही
काम है। वह तो खुद आते हैं। आत्मायें आती जाती, वृद्धि को पाती रहती हैं। वर्सा
हमेशा क्रियेटर से मिलता है।*
➢➢ *पहले-पहले कोई को भी बाप का परिचय देना पड़े।* भल कोई बुजुर्ग को भी बाबा
वा पिता जी कह देते हैं। परन्तु बाप है नहीं। बाप एक लौकिक, दूसरा पारलौकिक ही
होता है। यह ब्रह्मा भी जिस्मानी बाप है। तुम बच्चों को एडाप्ट करते हैं।
➢➢ *शिवबाबा कहते हैं हमको स्वर्ग में जाने अथवा स्वर्ग को देखने की भी खुशी
नहीं है तो बाकी इस दुनिया में कहाँ जायेंगे। मेरा पार्ट ही ऐसा है, पतित दुनिया
में आता हूँ।*
➢➢ *नये-नये बच्चे कहते हैं बाबा हम नौकरी आदि छोड़ इस सर्विस में लग जायें?
बाबा कहते हैं-आगे चल माया नाक से ऐसे पकड़ेगी जो बात मत पूछो। अनुभव कहता है-ऐसे
बहुतों ने छोड़ा फिर चले गये। ईश्वरीय जन्म तो लिया फिर माया ने घसीट लिया।*
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