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❍ 09 / 09 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बच्चे भी समझते
होंगे जरूर कि भगवान हमको पढ़ा रहे हैं। हम बहुत पुराने स्टूडेन्ट हैं।* एक ही
टीचर के पास कोई भी पढ़ते नहीं हैं। 12 मास पढ़ेंगे फिर टीचर बदली करेंगे। *यहाँ
यह मुख्य टीचर बदली नहीं होता।*
➢➢ *मुख्य है ही
आत्मा। आत्मा निकल जाए तो शरीर कोई काम का नहीं रहता।* मनुष्य के शरीर की कोई
वैल्यु नहीं रहती। कोई काम में नहीं आता, राख हो जाता है।
➢➢ *बाबा अभी
मनुष्यों को दैवीगुणों वाला बनाते हैं, तो आत्मा भी नई, शरीर भी नया मिलता है।*
नया माना नया, नये कपड़े बदल फिर पुराने थोड़ेही पहनेंगे। *भगवान आयेगा तो जरूर
कमाल करके दिखायेंगे ना। भगवान है ही स्वर्ग की स्थापना करने वाला।*
➢➢ बाप आते ही हैं
पढ़ाने, पतित से पावन बनाने। *बाप को देखते ही नहीं - तो क्या समझना चाहिए! पाई
पैसे का पद, नौकर-चाकर जाए बनेंगे।* नौकर-चाकर जैसे राजा के पास होते वैसे प्रजा
के पास। कहेंगे तो दोनों को ही नौकर।
➢➢ *बाप कहते हैं
मैं इन कर्मेन्द्रियों द्वारा तुमको पढ़ाता हूँ। आत्मा पढ़ती है।* बाप आत्माओं
से बात करते हैं। आंख, कान, नाक आदि पढ़ते हैं क्या? पढ़ने वाली आत्मा है।
➢➢ *जब विनाश
देखेंगे तब समझेंगे यह तो पुरानी दुनिया का विनाश हो जायेगा। फिर कहेंगे यह
ब्रह्माकुमार कुमारियां तो सच कहते थे।* अच्छा, अब क्या करना है? अब यह कुछ कर
नहीं सकेगे।
➢➢ पैसे आदि एकदम
जल मर सब खत्म हो जायेंगे। बाम्बस आदि गिरते हैं तो मकान, जायदाद आदि सब खत्म
हो जाता है। शरीर भी खत्म हो जाते हैं। *यह तुम देखेंगे - बड़ा भयानक सीन आने
वाला है। उस समय ज्ञान में आ नहीं सकेगे।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*अब तुम एक बाप को याद करो, अर्थ सहित।* बाप कहते हैं मैं आया ही हूँ वर्सा देने,
पावन बनाने। अर्थ है ना।
➢➢ देखो - *बाबा एक
ही आवाज करते हैं मनमनाभव अर्थात् याद करो तो तुम्हारे सब पाप कट जायेंगे।* हम
ही तुम्हारा दोस्त हूँ।
➢➢ *बाप कहते हैं
अगर आत्मा भाई-भाई समझो तो दुश्मनी सारी खत्म हो जाए।* न नाक, न कान, न मुख
है.. तो दुश्मनी किससे रखेंगे। *शरीरों को देखो ही नहीं। तुम भी आत्मा, वह भी
आत्मा तो दुश्मनी निकल जाती है।*
➢➢ तुम खुद कहते हो
बाबा हम याद करते हैं, माया भुला देती है। *बाबा कहते हैं अरे तुम बाबा को याद
नहीं करेंगे तो वर्सा कैसे मिलेगा।* बाप के सिवाए कोई वर्सा देगा! *जितना बाप
को याद करेंगे उतना वर्सा आटोमेटिकली मिलेगा।*
➢➢ *अपनी आत्मा को
याद के बल से सतोप्रधान बनाना है और कोई उपाय पावन बनने का नहीं है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
पहले अपनी जीवन तो सुधार लें। *बाबा बहुत बार कहते हैं - बच्चे झरमुई झगमुई मत
करो। यह बातें छोड़ दो, अपना जीवन सुधारो।* सबको आपस में लड़ मरना है।
➢➢
वन्डर तो देखो कि बेहद की पढ़ाई है। पढ़ाने वाला बेहद का बाप है। *राजा से रंक
तक यहाँ ही बनते हैं - इस पढ़ाई से। जितना जो पढ़ते और पढ़ाते हैं उतना ऊंच पद
पाते हैं।*
➢➢
*पुरूषार्थ बहुत अच्छा होना चाहिए। बाप से बहुत प्यार से सुनना चाहिए, फिर
रिपीट करना चाहिए।*
➢➢
बाबा का बनकर अगर फिर कड़ी भूलें करते हैं तो सौगुणा दण्ड मिल जाता है। तो *बाप
समझाते हैं मीठे –मीठे बच्चे टाइम वेस्ट मत करो। बहुत भारी मंजिल है।*
➢➢
बाप कहते हैं कि तुम्हारा यह शरीर बहुत वैल्युबुल है। *यह टाइम भी वैल्युबुल
है, इनको वेस्ट नहीं गँवाओ। फालतू बातों में समय नहीं गँवाओ।*
➢➢
तुम कितने तकदीरवान हो। यह भी सबको निश्चय नहीं है, निश्चय हो तो भगवान से क्यों
नहीं पढ़े। *रात दिन बत्तियां जगाकर मर-झुरकर, भोजन न खाकर भी एकदम पढ़ने को लग
पड़े। वाह यह तो 21 जन्मों की कमाई है।* बहुत अच्छी रीति पढ़ने को लग जाये।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ सीधा समझाते हैं
- राजाई स्थापन हो रही है, इसमें सूर्यवंशी भी बनते हैं। *कितने मनुष्यों के
कान तक आवाज पहुंचाना है। बाबा कहते हैं बच्चे, मन्दिरों में जाओ, गली-गली में
जाकर सर्विस करो।*
➢➢ कोई तो रात दिन
बहुत सर्विस करते रहते हैं। प्रदर्शनी मेले में बहुत सर्विस होती है। *बाबा कहते
हैं ऐसी अच्छी-अच्छी चीजें म्युजियम में बनाओ जो मनुष्यों की दिल उठे देखने की,
समझेंगे कि यहाँ तो जैसे स्वर्ग लगा पड़ा है।*
➢➢ *दिनप्रतिदिन नई
बातें होती रहती हैं, चित्र बनते रहते हैं।* विचार सागर मंथन होता रहता है ना।
*समझाने के लिए ही चित्र आदि होते हैं।*
➢➢ *पत्थरबुद्धि और
पारसबुद्धि का गायन भी भारत में ही है। तो बच्चों को ख्याल आना चाहिए कि इस
पतित भारत को पावन कैसे बनायें।* परन्तु नम्बरवार सर्विसएबुल को यह ख्यालात आते
होंगे और पतितों को पावन बनाने का पुरूषार्थ करते होंगे।
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