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  01 / 07 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  आजकल सांई बाबा भी अनेक निकल पड़े हैं। *रात को दिन बनाने वाला सांई बाबा एक ही है और बहुत भोला है। नाम ही है भोलानाथ। भोली कन्याओं, माताओं पर ज्ञान का कलष रखते हैं। उन्हों को वर्सा दे विश्व का मालिक बनाते हैं।* 

 

➢➢  *तुम शूद्र से ब्राह्मण फिर ब्राह्मण से देवता बनते हो।* यह राधे-कृष्ण की वंशावली कहो वा विष्णु की वंशावली कहो। *विष्णु की विजय माला वा राधे-कृष्ण की विजय माला तुम थे। फिर अब चक्र लगाकर वह बनते हो।* अब तुम ब्राह्मण फिर देवता बनते हो।
 

➢➢  *बाबा कहते हैं मैं तुम आत्माओं का बाप हूँ, तुमको राजयोग सिखलाता हूँ।* वह है ही *हेविनली गॉड फादर, जरूर स्वर्ग ही स्थापन करेंगे। रावण आकर नर्क स्थापन करते हैं।* यह समझ भी तुमको है।

 

➢➢  *मनुष्य भक्ति में जो भी जप तप तीर्थ आदि करते हैं उनसे पतित ही बनते आये हैं।* भक्ति तो बहुत करते हैं फिर भी ऐसी हालत क्यों? भारत में ही भक्ति अथाह है। *बाप कहते हैं जो पुराने भगत हैं, जिन्होंने शुरू से शिवबाबा की पूजा की है, वही नीचे गिरते-गिरते पतित बने हैं।*

 

➢➢  *तुम तो जानते हो भगवान एक बिन्दी हैं। कितनी छोटी बिन्दी, कितना वन्डर है।* तुम तो नहीं कहेंगे कि वह इतना बड़ा लिंग है। नहीं, तुम कहेंगे स्टार है। *आत्मा भी स्टार है। उसमें 84 जन्मों का पार्ट भरा हुआ है।* कितनी सूक्ष्म बातें हैं। फट से किसको सब बातें बताई नहीं जाती हैं। 

 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  तुम अपने *बाप को सवेरे उठकर याद करते रहो तो एकदम बेड़ा पार हो जाए।* तुमको एकदम विश्व का मालिक बना देते हैं।

 

➢➢  कल्प-कल्प के संगम पर एक ही बार शिवबाबा आते हैं। कल्प के बाद ही तुमको फिर यह निश्चय करना होता है कि *मैं आत्मा हूँ। बाप को याद करना है।* 

 

➢➢  यह है सहज राजयोग और ज्ञान। हेल्थ और वेल्थ दोनों मिलती हैं। *मनमनाभव, मध्याजी भव। बाप कहते हैं मुझे याद करो और वर्से को याद करो। बस फिर क्यों अपना टाइम वेस्ट करना चाहिए।* 

 

➢➢  जिन्न का मिसाल देते हैं ना - कहता था मुझे काम दो नहीं तो खा जाऊंगा। *बाप कहते हैं अगर मुझे याद नहीं करेंगे तो जिन्न रूपी माया खा जायेगी। ऐसे भी नहीं कि तुम सदैव याद करेंगे। अभी पुरुषार्थी हो।* 

 

➢➢  आत्मा कहती है बाबा आप सत्य कहते हो। *हम आपकी श्रीमत पर आपको याद करते हैं। कल्प-कल्प हम आपको याद कर आपसे वर्सा लेते हैं।* अनेक बार आपसे वर्सा लिया है। अब फिर से ले रहे हैं। *यह भी याद करो बरोबर हम बाप से वर्सा लेते हैं। फिर 5 हजार वर्ष के बाद ऐसे ही गंवायेंगे फिर आप आयेंगे हम वर्सा लेंगे।* कितनी सहज बात है।

 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  मीठे-मीठे बच्चे को और कोई मेहनत नहीं देता हूँ। *सिर्फ और सभी का संग छोड़ दो,* भक्ति मार्ग में तुम गैरन्टी करते आये हो आप आयेंगे तो हम आपके ही बनेंगे। *मेरा तो एक आप दूसरा न कोई।* 

 

➢➢  नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार-सूर्यवंशी राजा रानी प्रजा आदि सब होते हैं। बाप कहते हैं जितना जो श्रीमत पर चलता है। *नम्बरवन श्रीमत मिलती है सवेरे उठ सांई भोलानाथ बाबा को याद करो।*

 

➢➢  बाप को याद करने की बड़ी मेहनत है। घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं। *आज तुम पहचानते हो फिर कल ऐसे नहीं कहना कि हम बच्चे नहीं हैं।* कहेंगे कि तुम जैसे कपूत हो। कपूत को बाप कभी धन नहीं देते हैं। 

 

➢➢   पुराने घर में रहते नया घर बनाया जाता है। टाइम तो लगता है। तुम बच्चे जानते हो बाबा नया घर बना रहे हैं। *पुराने घर से अब बुद्धियोग तोड़ना है।* नया घर है सतयुग। वहाँ जाकर हम राजाई करेंगे।

 

➢➢  हमारा बाबा सांई कितना भोलानाथ फ्राकदिल है। *तुमको भी फ्राकदिल बनना चाहिए। यज्ञ में दधीची ऋषि मिसल हड़ियाँ देनी होती हैं।* बाप कहते हैं स्वीट लकीएस्ट चिल्डेन इन दी वल्र्ड तुम हो जो बाप से वर्सा ले रहे हो।

 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  मेहनत कुछ भी नहीं देते हैं। *बस यही धन्धा करते रहो। सबको यही परिचय देते रहो। कहो रात को दिन बनाने वाला अथवा नर्क को स्वर्ग बनाने वाला कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हो जायेंगे।*

 

➢➢  *पैगाम देना है, आगे भी सबको पैगाम दिया था। तुम समझा सकते हो, भगवान बाबा आया है वर्सा देने के लिए।* बेहद का बाप जरूर स्वर्ग का ही वर्सा देंगे। 

 

➢➢  मुख्य-मुख्य बातें लिखते हैं *तुम भी लिख सकते हो कि हूबहू 5 हजार वर्ष पहले क्या हुआ था।* अखबारों में तो बहुत बातें पढ़ते हैं ना। *समझाना भी पड़े कि 5 हजार वर्ष पहले क्या हुआ था। दुनिया में जो कुछ भी हुआ है - बोलो 5 हजार वर्ष पहले यह सब हुआ था।*

 

➢➢  *मनुष्य मुख से कहते हैं भारत स्वर्ग था, तुम सिद्ध कर बतायेंगे। बोलो, अभी वही भारत कंगाल है। यह लड़ाई कोई नई नहीं है। कल्प-कल्प लगती रहती है।*

 

➢➢  *पहले-पहले तो समझाना है कि बाप को याद करो तो वर्सा मिलेगा।* कितनी महीन बातें हैं, तब तो कहते हैं आज तुम्हें गुह्य बातें सुनाता हूँ। कैसे-कैसे युक्ति से समझाते रहते हैं। 

 

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