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  12 / 08 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बेहद के बाप का नाम है भोलानाथ, जरूर मनुष्य से देवता बनाने वाला भी वही है।* मनुष्य तो सब हैं आसुरी सम्प्रदाय। वह मनुष्य को देवता बना न सकें। *उनके लिए ही गाया हुआ है मनुष्य से देवता किये... देवता रहते हैं अमरलोक में।*

➢➢  अब यह मनुष्य सृष्टि का झाड़ जड़ जड़ीभूत हो गया है अर्थात् कब्रदाखिल है। *यह है कयामत का समय। सभी का पुराना हिसाब-किताब चुक्तू होना है और नया जन्म होना है।* चौपड़ा होता है धन का। यहाँ फिर चौपड़ा कर्मों  के खाते का है।

➢➢  वह कलियुगी ब्राह्मण हैं कुख वंशावली और तुम ब्राह्मण हो मुख वंशावली। *वह ब्राह्मण तो एक दो का हथियाला बांधते हैं विष पिलाने के लिए और तुम ब्राह्मण अमृत पिलाने परमात्मा से हथियाला बांधते हो।* कितना अन्तर है। वह नर्कवासी बनाने वाले और यह स्वर्गवासी बनाने वाले।

➢➢  बाप कहते हैं - बच्चे तुम्हें कोई भी राजयोग सिखलाए स्वर्ग का मालिक बना नहीं सकते। अब बाप तुमको सच समझाते हैं। *तुम सत के संग में बैठे हो, सच सुनने और सच खण्ड का मालिक बनने के लिए। उनका नाम ही है ट्रुथ । सच्चा ज्ञान सागर।* 

➢➢  *यह ब्रह्मा व्यक्त है जो अव्यक्त बनता है। अव्यक्त के बाद वह ब्रह्मा फिर साकार महाराजा श्री नारायण बनते हैं, फिर 84 जन्म शुरू होते हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  अब बेहद का बाप मत देते हैं कि *मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जाएं।* कोई भी ऐसा पाप कर्म नहीं करो जो बदनामी हो और पद भ्रष्ट हो जाए।

➢➢  *अब तुम बच्चों के अन्दर है बाप की याद।* रचता बाप और साथ में बाप की रचना। *सिर्फ बाप नहीं, उनकी रचना को भी याद करना पड़े।*

➢➢  *यहाँ तुमको पक्का करना है कि मैं तो आत्मा हूँ, आत्मा हूँ तब ही सतोप्रधान बन बाप के पास जायेंगे फिर बाप स्वर्ग में भेज देंगे।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  इस समय सभी मनुष्य मात्र निधनके बन पड़े हैं। *अभी तुम बच्चों में कोई भी अवगुण नहीं होना चाहिए।* सबसे पहला अवगुण है देह-अभिमान का। देही-अभिमानी बनने में बहुत मेहनत है।

➢➢  *बाप डायरेक्ट कहते हैं कि लाडले बच्चे, देह का अहंकार छोड़ो।* मुझे तो देह है नहीं। मैं इन आरगन्स द्वारा आकर बतलाता हूँ। 

➢➢  *अब देह के सब धर्म आदि छोड़ो अपने को आत्मा समझो।* बाप सभी बच्चों के लिए कहते हैं कि अब खेल पूरा होता है। अब घर चलना है।

➢➢  बाप सभी सेन्टर्स के बच्चों को समझा रहे हैं। *बच्चे रात को अपना रोज पोतामेल निकालो।* तो आज हमारा रजिस्टर खराब तो नहीं हुआ? कोई भूल तो नही की? फिर बाप से माफी लेनी चाहिए। शिवबाबा हमको माफ करना। आप कितने मीठे हो।

➢➢  भगवान कहते हैं कि मैं तुमको मास्टर भगवान भगवती बनाता हूँ, स्वर्ग का। तो मेरी आज्ञा मानों ना। नम्बरवन फरमान है कि *देही-अभिमानी बनो। विकार में मत जाना।*

➢➢  हम बाप के बने हैं फिर यह माया कैसे विघ्न डाल सकती है। हाँ तूफान तो मचायेगी परन्तु *कर्मेन्द्रियों से कभी कोई विकर्म नहीं करना है।* बहुत ऊंच पद मिलता है ना।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  स्वर्ग में नहीं आयेंगे? *क्या तुमको स्वर्ग की इच्छा नहीं है? तुम नर्क में माया के राज्य में ही आने चाहते हो?* उस समय भी पहले सतो होगा फिर रजो, तमो होगा।

➢➢  *अभी बाप समझाते हैं कि यह चक्र फिरता है, इतने जन्म देवता धर्म में, इतने जन्म क्षत्रिय वर्ण में। यहाँ कोई गपोड़े की बात नहीं है। 84 जन्म सिद्ध कर बतलाते हैं। सतोप्रधान फिर सतो रजो तमो जरूर सबको बनना है।*

➢➢  यह तो बाप कहते हैं कि मैं ज्ञान का सागर हूँ। *ज्ञान सागर से तुम ज्ञान नदियां निकलती हो। वह नदियां तो पानी के सागर से निकलती हैं। वह पतित-पावनी कैसे कहलाई जा सकती।* पतित-पावन तो परमात्मा होगा ना, जो ज्ञान का सागर है।

➢➢   ब्राह्मणों का बहुत मान है क्योंकि *भारत को स्वर्ग भी तुम बनाते हो। ऐसे नहीं कि लक्ष्मी-नारायण भारत को स्वर्ग बनाते हैं।* यह तो बाप बनाते हैं ब्राह्मणों द्वारा न कि देवताओं द्वारा।

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