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❍ 06 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अभी तुम्हारी बुद्धि खुल गई हैं, यह कौन बैठकर समझाते हैं। सतगुरू सत् बाबा, सत् शिक्षक। उनका नाम सत्। सच बोलने वाला, सच जानने वाला।* ग्रंथ सुखमनी में उनकी बहुत महिमा है। वह आकर सचखण्ड की स्थापन करते हैं और मनुष्यों को ऐसा सच्चा बनाते हैं।
➢➢ *बाप को सिर्फ बच्चे ही जानते हैं। एक ही बाप है जो पतित दुनिया कोे पावन दुनिया में ले जाते हैं। पतित दुनिया है विषय सागर, पावन दुनिया है क्षीरसागर।* तो मीठे-मीठे बच्चे तुम यह भी निश्चय करते हो कि हमको अब श्रीमत मिली है। रूहानी पण्डा मिला हैं l
➢➢ *आधाकल्प 63 जन्म तुम आसुरी मत पर चले हो। पुरुषार्थ तो किया जाता है अच्छी प्राप्लब्ध पाने के लिए। परन्तु तुम जानते हो अभी हमारी चढ़ती कला हुई नहीं है और ही गिरते आये हैं।* कितना माथा मारते रहते हैं। भक्ति मार्ग में कितनी मेहनत की। दर-दर भटकते हो।
➢➢ *इस जंगल में भी कई तुमको लूटने वाले डाकू मिलते हैं। सबसे पहले-पहले आता है देह-अभिमान, इसके साथी कितने बड़े डाकू हैं। यह हैं आदि मध्य अन्त दु:ख देने वाले नम्बरवन डाकू।* यह किसको पता नहीं है। तुम कहते हो यह बड़े ते बड़े डाकू हैं। मनुष्य कहते हैं यह डाका पना जरूर चाहिए। बाप कहते हैं इन डाकुओं ने क्या तुम्हारी हालत कर दी है।
➢➢ *कृष्ण को ही कभी लार्ड, कभी गॉड कह देते हैं। श्रीकृष्ण का ही मान है। लार्ड क्यों कहते हैं? क्योंकि उनको भगवान समझते हैं। गीता के भगवान ने सबको सद्गति दी है, नाम कृष्ण का डाल दिया है, इसलिए कृष्ण का बहुत मान है।*
➢➢ *कृष्ण तो विश्व का मालिक था। उनको थोड़े ही गांवड़े का छोरा कहेंगे। वह तो गोरा था, वैकुण्ठ का मालिक था। जब सांवरा बनता है तब गांव में रहता है l तो कृष्ण ही अन्तिम जन्म में गांव का छोरा कैसे बना है, यह तुम जानते हो।* बाबा खुद भी वन्डर खाते हैं हम क्या थे। अभी बाबा को मालूम पड़ा है श्रीमत द्वारा, तुमको भी मालूम पड़ा है।
➢➢ *सांवरे और गोरे का अर्थ कितना अच्छा है। बाबा ने चित्र भी ऐसा बनवाया है - श्याम और सुन्दर । 84 जन्म कैसे लेते हैं, फिर बाप द्वारा राजयोग कैसे सीखते हैं? लोग तो कृष्ण को जन्म-मरण रहित कह देते हैं। तुम कृष्ण के 84 जन्मों को सिद्ध कर बताते हो*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ बच्चों को रिफ्रेश करने के लिए रिकार्ड भी काफी होते हैं इसलिए बाप कहते हैं और फर्नीचर आदि तो घर में लाया जाता है। *5-7 रिकार्ड भी घर में रखो। भल बाल बच्चे भी रिकार्ड सुनें तो भी नशा चढ़े, महिमा तो सारी एक बाप की है ना*l
➢➢ वह (मनुष्य) समझते हैं यज्ञ तप तीर्थ करने से भगवान मिलेगा। अच्छा वह कहाँ ले जायेंगे? जरूर अपने घर ही ले जायेंगे। *वास्तव में सच्चासच्चा तीर्थ है सुखधाम और शान्तिधाम। तुम बच्चों की बुद्धि में है कि हमें सच्चे-सच्चे तीर्थों को ही याद करना है, यही मनमनाभव है।*
➢➢ *अब तुम जानते हो बाबा आया हुआ है, वही सतगुरू है।* वो गुरू लोग तो अनेक प्रकार के हैं, रास्ता बताते हैं- जप, तप, दान, पुण्य आदि करने से भगवान मिलेगा, परन्तु उसमें कितना खर्चा लगता है। *यहाँ कोई खर्चा नहीं। सिर्फ कहते हैं बाप को याद करो। यह सच्ची सगाई है।*
➢➢ *अभी हम संगमयुग पर बैठे हैं। सब अभी गये कि गये अपने घर। बाबा सम्मुख बैठ बच्चे-बच्चे कहते हैं, ब्रह्मा मुख द्वारा। इस रथ में बैठे हैं। वही ज्ञान का सागर है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम बच्चों की बुद्धि में यह ज्ञान रहना चाहिए जिससे खुशी रहे।* जन्म-जन्मान्तर कितने तीर्थ किये हैं, परन्तु सच्चा तीर्थ एक ही है अथवा दो कहो। और कराने वाला है बाप।
➢➢ बच्चे जानते हैं हम अभी तीर्थों पर जा रहे हैं। बाप कहते हैं *अपने घर को और राजाई को याद करो।* स्वर्ग का रचयिता एक बाप ही है। उसको हेविनली गॉड फादर कहा जाता है l
➢➢ *मैं तुमको श्रीमत देता हूँ तो उस पर सबको चलना पड़े।* तुम जानते हो कल्प-कल्प श्रीमत मिलने से ही भारत श्रेष्ठ बनता है।
➢➢ टीचर पढ़ाते हैं तो साथ में आशीर्वाद भी होती है। मांगने की दरकार नहीं रहती। *टीचर का काम है पढ़ाना, पढ़ना तुम्हारा काम है। तुम्हारी बुद्धि में यह नॉलेज ही फुल होनी चाहिए।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *भारत को ही पैराडाइज कहते हैं। सेन्सीबुल जो हैं वह समझेगे बरोबर पैराडाइज भारत ही था। भारत में ही गॉड गाडेज का राज्य था। तुम उन्हें समझा सकते हो कि भारत जब हेविन था, उस समय तुम थे नहीं। कोई भी नेशनल्टी नहीं थी। गॉड गाडेज का राज्य समझते थे।*
➢➢ *तुम बोल सकते हो - इन बाम्ब्स आदि से सृष्टि का विनाश हुआ था। तुम यह क्या कर रहे हो। वेस्ट ऑफ टाइम कर रहे हो।* बचने का कितना भी प्रबन्ध करेंगे परन्तु मरना तो जरूर है ही। बाम्बस आदि कितने खौफनाक बनाये हैं। दुनिया की हालत देखो क्या है? बाकी थोड़ा समय है, मौत आया कि आया।
➢➢ *हेविनली गॉड फादर से आपका क्या सम्बन्ध है? अगर सिर्फ तुम पूछेगे कि गॉडफादर को तुम पहचानते हो? तो झट कह देंगे हाँ-वह सर्वव्यापी है। तो यह समझाने की युक्ति रची जाती है l*
➢➢ *तुम सबको सच बताते हो। सिक्ख लोगों को समझाना तो बहुत सहज है। वह अकाल तख्त को भी मानते हैं। सत् श्री अकाल का तख्त है यह।* बिचारों को कुछ भी पता नहीं है कि सत् श्री अकाल किस तख्त पर बैठते हैं। आत्मा शरीर रूपी तख्त पर बैठती है। कितना बड़ा तख्त है। *बाप आकर इस तख्त पर बैठते हैं यह है अकाल तख्त।*
➢➢ *सबको रास्ता बताओ। ज्ञान-अजंन सतगुरू दिया। अज्ञान अन्धेर विनाश।* गायन भी कितना अच्छा है। *अन्धेरे के बाद फिर सोझरा होता है। ब्रह्मा का दिन और ब्रह्मा की रात।*
➢➢ *सर्विसएबुल बच्चों को छाती से लगा लें। बहुत बच्चे सपूत हैं, बहुत अच्छी सर्विस करते हैं। अन्धों की लाठी बनते हैं। दुखियों को सुखधाम का मालिक बना रहे हैं। तो बाप ऐसे बच्चों पर बलिहार जाते हैं।*
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