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❍ 30 / 09 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *पाप भी कोई
हल्का, कोई बड़ा होता है। काम का सबसे कड़ा, क्रोध सेकेण्ड, लोभ उनसे कम, मोह
उनसे कम। नम्बरवार होते हैं।* काम की चोट खाने से फायदे के बदले नुकसान हो जाता
है क्योंकि सतगुरू की निंदा कराई तो ठौर पा न सकें। वह दिल से उतर जायेंगे।
➢➢ *बाप को बुलाते
हैं हे पतित-पावन आओ, काम से बहुत पीडित होते हैं।* फिर कहते हैं बाबा काला
मुँह कर दिया। *बाबा कहेंगे तुम तो कुल कलंकित हो। क्रोध वा मोह के लिए ऐसे नहीं
कहेंगे।*
➢➢ तुम जानते हो *ज्ञान
की पुस्तक एक ही गीता है। वह है सर्वशास्त्रमई शिरोमणी, उसमें सब आ गया।* माई
बाप है गीता। बाप ही आकर सबकी सद्गति करते हैं।
➢➢ अब हमारा 84
जन्मों का चक्र पूरा होता है। अब हमें जाना है वापिस घर। *अब वापिस तो कोई जा
नहीं सकते क्योंकि पाप आत्मा हैं।* पाप आत्मायें मुक्ति-जीवनमुक्ति में जा नहीं
सकती।
➢➢ *बाप को कहते ही
हैं दु:ख हर्ता, सुख कर्ता, हे लिबरेटर रहम करो तो फिर सब दु:ख से छूट जाते
हैं।* दु:ख में ही मनुष्य बहुत सिमरण करते हैं। *हे प्रभू, हे राम, दु:ख के
टाइम सब कहेंगे-भगवान को याद करो।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ कम कमाई करते तो
देरी से आते हैं इसलिए बाप को तो बहुत याद करना चाहिए और है भी बहुत सहज। *जो
अच्छी रीति याद करेंगे उनको खुशी रहेगी। हम जल्दी नई दुनिया में आयेंगे।*
➢➢ पापों का बोझा
जन्म-जन्मान्तर का बहुत है। वह सब नहीं कटते हैं। इस जन्म में जो किये हैं, उसकी
हल्काई हो जाती है। बाकी तो मेहनत बहुत करनी पड़े। *जितना याद में रहेंगे उतना
पापों का बोझा हल्का होता जायेगा।*
➢➢ *बाप कहते हैं
मामेकम् याद करो तो तुम्हारे सब दु:ख दूर हो जायेंगे। विचार करो कि हम कितना
याद करते हैं।* जो पुराना हिसाब खत्म भी हो और नया जमा भी हो।
➢➢ भगवान कौन है-यह
कोई नहीं जानते। सिर्फ कहेंगे गॉड फादर को याद करो। खुदा को याद करो। तुम तो
अच्छी रीति जानते हो वह हमारा बाप है। *बाप ही सिखलाते हैं अपने को आत्मा समझ
मुझे याद करो।*
➢➢ *तुम्हारा पुण्य
है ही बाप को याद करने में।* याद से ही तुम्हारी आत्मा पुण्य आत्मा बनती है।
➢➢ बच्चे जानते हैं
कि अभी पुरूषोत्तम संगमयुग है। यह भी किसको अच्छी रीति याद रहता है, किसको याद
नहीं रहता है। घड़ी-घड़ी भूल जाता है। परन्तु *तुमको अगर संगमयुग याद रहे तो भी
खुशी का पारा चढ़ा रहे। बाप टीचर याद रहे तो भी खुशी का पारा चढ़ा रहे।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*तुम जानते हो हमको पुरूषार्थ से लक्ष्मी-नारायण जैसा बनना है तो श्रीमत पर पूरा
चलना है।* मेहनत तो है।
➢➢
विचार करो कितना योगबल है, हमारा जन्म कब होगा? सतयुग आदि में हो सकेगा? *जो
बहुत पुरूषार्थ करेंगे वही सतयुग आदि में जन्म ले सकेंगे।* वह कोई छिपा थोड़ेही
रहेगा।
➢➢
*मूल बात है ही पवित्र बनने की।* ऐसे भी नहीं समझो कि बाबा को लिखकर देने से
कोई जन्म-जन्मान्तर का खत्म हो जायेगा।
➢➢
*जितना मेहनत करते हैं, उतना ऊंच पद मिलेगा। उनको खुशी भी बहुत होगी।*
➢➢
मंजिल है - मुक्ति जीवनमुक्ति की। *मुक्ति के लिए याद की यात्रा जरूरी है* और *जीवनमुक्ति
के लिए रचना के आदि-मध्य-अन्त को जानना जरूरी है।* अब है दोनों ही सहज।
➢➢
अक्सर करके काम की चोट जास्ती लगती है। यही मुख्य दुश्मन है। कब सुना-क्रोध की
एफीजी जलाई। नहीं। कामी की बनाते हैं। रावण ठहरा ना। *बाप कहते हैं काम पर जीत
पाने से जगतजीत बनेंगे।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ ब्राह्मणों का
काम ही है कथा सुनाना। बाबा भी कथा सुनाते रहते हैं ना। *तुमको भी कथा सुनानी
है। यथा बाप तथा बच्चे। बच्चों का काम ही है गीता सुनाना।*
➢➢ *अभी तुम जानते
हो इतना समय भक्ति चलती है, इतना समय ज्ञान चलता है।* भक्तों को पता नहीं चलता
है, उन्हों को *समझाने के लिए ही इतनी प्रदर्शनी आदि करते हैं।*
➢➢ *देखा जाता है -
कितनों का उद्धार किया। सर्विस बहुत अच्छी करते रहते। जैसे मिसाल देते हैं मम्मा
का।* मम्मा ने बहुत अच्छी सर्विस की तो उनका कितना कल्याण हो गया। मूल बात है
सर्विस करने की। *योग की भी सर्विस है ना। डायरेक्शन मिलते रहते हैं। कैसे याद
करना है।*
➢➢ *तुम बच्चों को
कृपा व मेहर करनी है - सबको रास्ता बताने की। समझाना है-तुम्हारी आत्मा
सतोप्रधान से अब तमोप्रधान बन गई है-इसलिए वापिस जा नहीं सकती।*
➢➢ *राजा बनना है
तो प्रजा भी तो बनानी है ना।* प्रजा ही नहीं बनायेंगे तो राजा कैसे बनेंगे। *कोई
सेन्टर खोलते हैं। उनकी कमाई भी बहुत होती है।* फायदा होता है तो 2-3 सेन्टर भी
खोलते हैं।
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