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❍ 05 / 10 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *ब्रह्माण्ड का
मालिक सृष्टि का रचयिता परमात्मा है। वह राज्य नहीं करते। राज्य हम बच्चों को
देते हैं।* हमको ही राज्य लेना और गंवाना है। यह भी तो मालूम होना चाहिए ना।
गँवाये हुए राज्य में कितना जन्म लेते हैं? फिर अपने राज्य में कितने जन्म लेते
हैं? और बाकी क्या चाहिए।
➢➢ *तुम जानते हो लक्ष्मी-नारायण सतयुग में भारत के मालिक थे। गोया भारतवासी
सतयुग के मालिक थे।* भारत बहुत साहूकार मालामाल था, जब आदि सनातन देवी-देवता
धर्म था। बाप कहते हैं तुम्हारा ही हीरो पार्ट है। *जगत अम्बा ज्ञान ज्ञानेश्वरी
है। फिर राज-राजेश्वरी बनती है, ततत्वम्। ऐसे नहीं सिर्फ 2-4 का पार्ट है।
सृष्टि का राज्य लेना और गँवाना यह भारतवासियों का खेल है।* भारतवासी ही सृष्टि
के मालिक थे, आज कंगाल बने हैं।
➢➢ तुम बच्चे जानते हो *परमपिता परमात्मा जो सभी आत्माओं का बाप है वह है
ब्रह्माण्ड का मालिक। उनको सृष्टि का मालिक नहीं कह सकते।* भल पिता है परन्तु
मालिक नहीं बनता है। यह भी गुह्य बात है। वह क्रियेटर है तो क्रियेशन का मालिक
होना चाहिए। परन्तु बाबा कहता है मैं जो स्वर्ग स्थापन करता हूँ, उनका मालिक नहीं
बनता हूँ। मालिक तुम बच्चों को बनाता हूँ। *तुमको लायक बनाए नई सृष्टि रचवाकर
उनका मालिक बनाए मैं रिटायर हो जाता हूँ। तुम ब्रह्माण्ड के भी मालिक कहलायेंगे
क्योंकि तुम ब्रह्माण्ड के मालिक के बच्चे हो।*
➢➢ देवी-देवता धर्म है पुराना। परन्तु मनुष्य भूल गये हैं कि देवी-देवता धर्म
की स्थापना किसने की। *बाबा ने समझाया है तुम हो संगमयुगी ब्राह्मण। वह कलियुगी
ब्राह्मण भी कहते हैं कि हम प्रजापिता ब्रह्मा वंशी हैं। परन्तु वह यह नहीं
जानते कि ब्रह्मा कब आये थे।* तुम अब प्रैक्टिकल में हो। तुम जानते हो
लक्ष्मी-नारायण इस भारत में ही राज्य करके गये हैं। उनसे ऊंच मनुष्य कोई है नहीं।
➢➢ मनुष्यों को यह मालूम ही नहीं कि सतयुग को कितने वर्ष हुए! वह तो सतयुग की
आयु कितने अरब कह देते हैं। शास्त्र बनाने वालों ने अपनी मत डाल दी है। *अब बाप
तुम बच्चों को समझाते हैं जो भारत के असुल देवी-देवता धर्म के थे, उन्हें बहुत
जन्मों के अन्त के जन्म में यहाँ आना है जरूर।* यह वर्ण हैं ही भारतवासी
देवी-देवता धर्म वालों के। *ब्रह्मा, विष्णु, शंकर आकारी हैं और लक्ष्मी-नारायण,
सीता-राम, जगत अम्बा, जगत पिता है साकार*।
➢➢ *भगवान कहते हैं तुम्हारे रथ में प्रवेश कर माया पर जीत पहनाने के लिए
युद्ध के मैदान में खड़ा करता हूँ। साथ-साथ बच्चों को भी खड़ा करता हूँ।* तुम
जानते हो माया जीत बन स्वर्ग के मालिक बनेंगे। वह लोग फिर सिपाहियों को कहते
हैं, कितना रात-दिन का फ़र्क है।
➢➢ शास्त्रों में कृष्ण और महाभारत लड़ाई दिखा दी है। भक्ति में भगवान से मिलने
के लिए साधना करते हैं। पुकारते हैं कि आकर माया रावण से लिबरेट करो। *कितना
हाहाकार मचा हुआ है। लड़ाई लगेगी तो अन्न, कपड़ा, कुछ भी नहीं मिलेगा। बाम्बे
को क्वीन आफ इण्डिया कहते हैं क्योंकि उन्हें स्वर्ग के सुखों का पता नहीं है।
हमको मालूम हैं तो हम अन्दर डांस करते रहते हैं।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ सतयुग में एक ही
धर्म था। बाप कहते हैं तुमको फिर से गीता का ज्ञान सुनाता हूँ। *जब तक जियेंगे
तब तक ज्ञान अमृत पियेंगे। अनेक जन्मों का बोझा है, वह उतरने का है।*
➢➢ *अच्छा, बाप कहते हैं मनमनाभव। मेरे को याद करने से तुम मेरे पास आ जायेंगे।
यहाँ बेहद में क्लास अच्छा है।* अन्दर कमरे में बाबा को जैसे गर्भजेल भासता है।
बेहद के बाप को बेहद चाहिए। इतना बड़ा बेहद का मालिक इस हद (शरीर) में आकर बैठते
हैं, तुम्हारी सर्विस करने। इनको आना ही है पतित शरीर, पतित दुनिया में।
➢➢ *बाप कहते हैं इस लड़ाई द्वारा ही गेट खुलते हैं। अब चलो वापिस, खेल पूरा
हुआ। बाबा है रूहानी गाइड, रूहानी धाम में ले जाते हैं इसलिए अब बाप को याद करो
तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*तुम बच्चे बड़े ही खुशनसीब हो, सिर्फ बलि चढ़ जाओ।* बाबा मैं तेरी हूँ, क्यों
नही बलिहार जाऊंगी।आप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हो। बड़ी जबरदस्त कमाई है।
बाकी सब तो कब्रदाखिल होने हैं। कब्रिस्तान फिर परिस्तान होगा।
➢➢ *अभी उथल-पाथल होगी। तो कई जो कच्चे हैं उनके तो देखकर ही प्राण निकल
जायेंगे। किसको मरता हुआ देखकर भी कईयों को बड़ा शॉक आ जाता है और मर जाते हैं।
तुमको तो बहुत मजबूत होना चाहिए।*
➢➢ *हमेशा विचार करो कि कैसे सर्विस करनी चाहिए। निमंत्रण छपाओ। आइडिया निकालो।*
सर्विस भी ड्रामा अनुसार ही होती है। हम साक्षी हो देखते हैं। भगवानुवाच बच्चों
प्रति, गोप गोपियों प्रति। गोपी बल्लभ भगवान है। वह है बाप। गोप गोपियाँ सब तो
यहाँ ही हैं। सतयुग में थोड़े ही होंगे।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *दुनिया में सब
अंधकार में होने के कारण बुद्धिहीन हैं। उनको समझाना है कि तुम्हारा एक है
लौकिक बाप, दूसरा है पारलौकिक बाप। वह है नई दुनिया का रचयिता। बाप नया घर बनाते
हैं ना। बेहद का बाप नई सृष्टि बनाते हैं।* अभी वह भारतवासी धर्म भ्रष्ट बन पड़े
हैं।
➢➢ *तुमको मन्दिरों में जाकर सर्विस करनी चाहिए। उनको बताओ यह लक्ष्मी-नारायण
ही भारत के मालिक थे। फिर ऐसे स्लोगन बनाओ कि भारतवासी स्वर्ग के मालिक थे। अब
मिलकियत गँवा दी है।*
➢➢ *शास्त्रों में कृष्ण और महाभारत लड़ाई दिखा दी है। भक्ति में भगवान से
मिलने के लिए साधना करते हैं। पुकारते हैं कि आकर माया रावण से लिबरेट करो।
कितना हाहाकार मचा हुआ है।* लड़ाई लगेगी तो अन्न, कपड़ा, कुछ भी नहीं मिलेगा।
बाम्बे को क्वीन आफ इण्डिया कहते हैं क्योंकि उन्हें स्वर्ग के सुखों का पता नहीं
है। हमको मालूम हैं तो हम अन्दर डांस करते रहते हैं।
➢➢ ज्ञान कौन सा? *सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का। तुम अब बुद्धि से काम लो कि हम
कैसे सबको समझायें। देवतायें जो पावन थे वही अब पतित बन गये हैं, उन्हों को
ढूँढना पड़े। वह मन्दिरों में जल्दी मिलेंगे और वह भी खुश होंगे।*
➢➢ *मन्दिरों में जाकर सर्विस करो, इसको मेहनत कहा जाता है। डरो मत। जो अपने
धर्म के होंगे उनको तीर लगेगा। सन्यासियों के पास जाकर देखना चाहिए। (बिच्छू के
डंक का मिसाल) देखो पत्थर है तो डंक नहीं लगाओ। ट्राई करनी चाहिए। कोशिश
करते-करते सक्सेसफुल हो ही जायेंगे।*
➢➢ *अभी अजुन वह ज्ञान और योग की ताकत आई नहीं है इसलिए अभी सन्यासियों, राजाओं
आदि को कहाँ समझाया है। जनक, परिच्छित, सन्यासी आदि सब पिछाड़ी में ही आते हैं।
उनको ज्ञान देंगे तो फिर प्रभाव निकल जायेगा।* फिर उस समय तुम कहेंगे टू लेट।
बाबा आया था झोली भरने, परन्तु तुम आये ही नहीं।
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