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  05 / 07 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *यह वही कल्प पहले वाली गीता रिपीट हो रही है। यह भगवानुवाच दूसरा तो कोई कह नहीं सकता। वही आकर फिर वही गीता के महावाक्य रिपीट कर रहे हैं। यह महावाक्य और कोई शास्रों में नहीं हैं।*

 

➢➢  *तुमको तो बाबा गुरू बनकर पढ़ाते भी हैं, तो बाप बनकर सम्भाल भी करते हैं। तुमको इनसे डबल आशीर्वाद मिलती है - गुरू की भी तो बाप की भी, दोनों का वर्सा तुम ले रहे हो।* वो आलमाइटी बाबा इस तन द्वारा तुम्हारी स्थूल सूक्ष्म परवरिश करते रहते हैं इसलिए कहते कि इसके हवाले कर दो l

 

➢➢  बाप सहज समझाते हैं। कहते हैं *जब जब अति धर्म ग्लानि होती है तब मैं आता हूँ। यह वही कल्प पहले वाले महावाक्य अति साधारण शरीर द्वारा रिपीट हो रहे हैं। बाप कहते हैं कल्प पहले भी यही महावाक्य उच्चारे थे जिसकी गीता बनी हुई है।*

 

➢➢  गीता में है भगवानुवाच, भगवान खुद समझाते हैं कहते हैं *जब अनेक धर्म हो जाते हैं, कलियुग की अन्त आकर पहुँचती है तब कल्प के संगम पर मैं आता हूँ क्योंकि कलियुग को कहा जाता है तमोप्रधान, सतयुग है सतोप्रधान।* जहाँ परमपिता परमात्मा का गॉड गॉडेज राज्य अथवा देवी देवताओं का राज्य चलता है।

 

➢➢  *परमात्मा को कहते हैं गॉड इज़ नॉलेजफुल, वह एक ही ज्ञान का सागर, आनंद का सागर,सुखका सागर है उसके सिवाए और कोई में गॉडली ज्ञान है ही नहीं।* तो दूसरा कोई को ज्ञानी कैसे कह सकते हैं? वह कहते हैं कि यह नॉलेज देने के लिये मुझे ही आना पड़ता है। *जब तक वह स्वयं आकर नॉलेज न देवे तब तक कोई नॉलेजफुल बन नहीं सकता l*

 

➢➢  *मनुष्य कह देते ईश्वर सर्वव्यापी है। लेकिन परमात्मा कहते हैं कि यह मिथ्या ज्ञान है, मैं तो सर्वव्यापी नहीं हूँ।* मैं तो जो हूँ, जैसा हूँ तुम बच्चों के आगे प्रत्यक्ष होता हूँ, *जब तक मैं अपना ज्ञान स्वयं आकर न सुनाऊं तब तक मुझे कोई जान नहीं सकता और न कोई मेरे पास पहुँच सकता इसलिए मुझे आना पड़ता है और मैं आता हूँ कल्प के संगम पर।*

 

➢➢  यह तो जानते हो *बाबा अभी आये हैं फिर कल्प बाद आयेंगे। घड़ी घड़ी तो नहीं आयेंगे। बाप कहते हैं बच्चे, हम आये हैं तुमको स्वच्छ होली बनाने लिये। वाइसलेस को ही होली कहा जाता है।* बाकी यह जो बीड़ी, शराब आदि पीते रहते हैं उनको होली नहीं कह सकते।

 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *उस स्वदेश में आवाज़ नहीं होता है इसलिये वानप्रस्थ अर्थात् वाणी से परे जाने के लिये हम पुरुषार्थ करते हैं। वानप्रस्थ का अर्थ ही है निर्वाण देश में जाना। जहाँ हम तुम और सारी दुनिया की सोल्स निवास करती हैं।*

 

➢➢  *तुम आत्मायें अभी किसकी याद में बैठे हो? आत्मा कहती हैं अहम् आत्मा ततत्वम्, हम सब आत्मायें उस परमपिता परमात्मा की याद में बैठे हैं। यह योग किसने सिखाया भगवानुवाच मैं सभी आत्माओं का पिता हूँ अथवा फादर हूँ, मैं इस शरीर द्वारा तुमको योग सिखलाने के लिये टीचर बना हूँ।*

➢➢  *जैसे मीरा को एक गिरधर ही याद था और सब लोक लाज कुल की मर्यादा छोड़ दी, वैसे ही तुम मुझ परमात्मा को याद करो।* दूसरे जो मामा, चाचा याद पड़ते हैं, उसका सन्यास करो। यह सब कलियुग के बन्धन है। *तुम मेरे से योग लगाने से ही मेरे से मिल सकते हो।*

 

➢➢  परमात्मा इस तन में बैठ अपने बच्चों आत्माओं को कहते है - मीठे बच्चे, मैं अपने अनादि प्रोग्राम प्रमाण आया हूँ। *अब विनाश सामने है इसलिए मुझ बाप से योग लगाओ और सभी सम्बन्धियों को भूल जाओ अथवा सब दीवे बुझाकर एक दीवा जगाओ तो मैं तुमको पापों से मुक्त कर अपने पास बिठा दूँगा l*

 

➢➢  बाप ज्ञान अमृत से प्युरीफाई बनाए ले चलेंगे। इसको कहा जाता है जीते जी मरना। यह तो बहुत मीठा मौत है जो अपने असली बाबा की गोद में आ जाते है। बाप कितना अच्छा समझाते है, फिर कह देते हैं *मनमनाभव मध्याजीभव।*

 

➢➢  *जो उस साइलेंस देश से योग लगाए बैठते हैं, उनको घड़ी का आवाज़ भी अच्छा नहीं लगता, इसको कहा जाता है अपने असली स्वधर्म में टिकना अथवा अशरीरी हो रहना अर्थात् अपने बाबा के देश को बाबा सहित याद करना* क्योंकि अपना बाबा है उस दूर देश का रहने वाला, वहाँ से आता है इस पराये देश में।

 

➢➢  *इस तन द्वारा स्वयं परमात्मा बोल रहे हैं, कैसा सहज समझाते हैं। कहते हैं भल घर में जाकर योग लगाओ, वापस तो सबको जाना है, ऐसे तो नहीं कि सिर्फ बूढ़े जायेंगे, बच्चे बच जायेंगे।*

 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *भगवानुवाच यह है योग आश्रम, तुम यहाँ बैठे हो योग कमाने* - यह परमात्मा तुम आत्माओं से इन आरगन्स द्वारा बात कर रहे हैं।

 

➢➢  *घड़ी का भी आवाज़ नहीं चाहिए, क्योंकि अभी हमारी वानप्रस्थ अर्थात् वाणी से परे अवस्था है।* हम वाणी से परे जाते हैं इनकारपोरियल वर्ल्ड जहाँ आत्मायें रहती हैं, वहाँ वाणी नहीं है, सुप्रीम साइलेंस है तो इस साइलेंस अवस्था में पहुंचने का पुरुषार्थ करते हैं इसलिए आवाज़ अच्छा नहीं लगता।

 

➢➢  *जब अपने को बच्चा समझे, बाबा से योग लगायें तब वो खुशी आवे* लेकिन उल्टा योग लगाते तो वह खुशी नहीं आती। यहाँ बहुत आते हैं कहते हैं हमारा मन वश नहीं होता, वह आनंद नहीं आता। अब आनंद का सागर तो परमात्मा है उनसे योग लगाते नहीं तो आनंद कैसे आयेगा!

 

➢➢  भल कितना भी घूमो, किसको इस नॉलेज का पता ही नहीं है। वो बस, इसी समय ही तुमको यहाँ मिल सकता है। जहाँ परमात्मा अपना दैवी सिजरा बना रहे हैं, परमात्मा कहते हैं *अगर मेरे रॉयल घराने में आना है तो इस तन को मेरे हवाले कर दो।* तो मैं आप समान प्युरीफाई बनाए वैकुण्ठ ले जाऊंगा।

 

➢➢  यह तो बिल्कुल साफ बता रहे हैं बच्चे, अब वही गीता का एपीसोड रिपीट हो रहा है। *मौत सामने है इसलिये सभी संग तोड़ मुझ एक परमात्मा से योग लगाओ तो अन्त मती सो गती होगी,* तुम मेरी पुरी में आ जाओगे।

 

➢➢  तुम वही कल्प पहले मुआफिक फिर आये हो गॉड से गॉडली नॉलेज प्राप्त कर प्यूरीफाइड बनने के लिये। *यह नॉलेज प्राप्त करने के लिये इस गॉडली स्कूल में ज्वाइन्ट होना पड़ेगा* दूसरा कोई तो गॉडली नॉलेज दे नहीं सकता।

 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *एक तरफ है गॉड की एक मत, दूसरे तरफ इतनी अनेक मतें, तब परमात्मा कहते है इतने सब अनेक मत को खलास कर एक मत स्थापन करने मुझे आना पड़ता है। कल्प कल्प का यह प्रोग्राम मेरा अनादि  गूँधा हुआ है।* दूसरे किंग आदि का तो 8-10 दिन का प्रोग्राम रखते हैं लेकिन परमात्मा का तो कल्प कल्प का प्रोग्राम अनादि गीता में गूँधा हुआ है।

 

➢➢  *यह कार्पोरियल वर्ल्ड तो है पार्ट बजाने के लिये स्टेज। बाकी बिगर पार्ट वहाँ स्वीट साइलेंस होम में जाकर निवास करते हैं। यह साकार खेल चलता है आकाश तत्व में और हम अहम् आत्माओं का देश है महतत्व में, वह बहुत दूर देश है।*

 

➢➢  *बाप का पार्ट है इनकागनीटो। परमपिता परमात्मा कहते है जैसे तुम्हारा यह पुराना शरीर है, मुझे भी पुराने शरीर में इस पुरानी सृष्टि का विनाश कर नई दैवी सृष्टि स्थापन करने आना पड़ता है। तो पुराने घर में जो आयेगा तो जरूर शरीर भी पुराना लेना पड़ेगा ना। यहाँ नया दिव्य शरीर आये कहाँ से, तो वो भी है इनका (ब्रह्मा) पुराना तन, जिस तन से श्रीकृष्ण की राजधानी स्थापन करते हैं।*

 

➢➢  *परमात्मा कहते है- मैं अनेक धर्म विनाश कर एक धर्म स्थापन करता हूँ। ऐसे तो कहते नहीं कि मैं प्रलय कर देता हूँ। यह सबका अन्तिम जन्म है फिर मृत्युलोक में कोई का जन्म नहीं होगा।*

 

➢➢  *परमात्मा तो इसी समय आकर अपना आक्यूपेशन बताते हैं और कहते हैं जिसको वैकुण्ठ की बादशाही का वारिस बनना हो वो यहाँ आकर मेरा बच्चा बनें। मैं उनको सम्पूर्ण निर्विकारी बनाए अपनी राजधानी में ले जाऊंगा। यह आते ही है सभी मैली सोल्स को प्यूरीफाई बनाने। इससे प्रकृति भी पवित्र बन जाती है।*

 

➢➢  *परमात्मा आते ही तब है, जब धर्मग्लानि होती है अथवा अनेक धर्म आए उपस्थित होते हैं और देवता धर्म का एकदम नाम निशान गुम हो जाता है, देवता धर्म वाले अपने को हिन्दू कहलाने लग पड़ते हैं।* भल पूजते देवताओं को हैं लेकिन कहलाते अपने को हिन्दू हैं। *जैसे देवता धर्म के बदले हिन्दू धर्म रिप्लेस हो जाता है, इसको कहते हैं धर्मग्लानि, जब वह एक दैवी धर्म का नाम निशान गुम हो जाता है उसके बदले अनेक धर्म, मठ, पंत निकल पड़ते हैं।*

 

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