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  10 / 09 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बापदादा देख रहे हैं भारत में नज़दीक रहने वाली कई आत्मायें अभी तक प्यासी बन ढूंढ रही हैं।* लेकिन साकार रूप से दूर-दूर रहने वाले डबल विदेशी बच्चों ने दूर से ही अपने बाप को पहचान, अधिकार को पा लिया। दूर वाले समीप हो गये और समीप वाले दूर हो गये। *ऐसे बच्चों के भाग्य की कामल देख बापदादा भी हर्षित होते हैं।* 

➢➢  *हम आत्मायें विश्व की ऐसी श्रेष्ठ विशेष आत्मायें बनेंगी, डायरेक्ट बाप से सम्बंध में आने वाली बनेंगी--ऐसा कब सोचा था! क्रिश्चियन से कृष्णपुरी में आ जायेंगे, यह कभी सोचा था*। धर्मपिता के फालोअर थे। तना के बजाय टाली में अटक गये। और अब इस वैरायटी कल्प बृक्ष का तना आदि सनातन ब्राह्मण सो देवता धर्म के बन गये। *फाउंडेशन बन गये। ऐसी प्राप्ति को देख छोड़ा क्या! अल्पकाल की निद्रा को जीता। नींद में सोने को छोड़ा और स्वयं सोना (गोल्ड ) बन गये।*

➢➢  *सर्व ब्राह्मणों का एक संकल्प, वही कार्य की सफलता का आधार है। सबको सहयोग चाहिए*। किले की एक ईंट भी कमजोर होती तो किले को हिला सकती है इसलिये छोटे बड़े सब इस ब्राह्मण परिवार के किले की ईंट हो तो सभी को एक ही संकल्प द्वारा कार्य को सफल करना है। *सबके मन से यह आवाज निकले कि यह मेरी जिम्मेवारी है।*

➢➢  *नम्बरवार होते हुए भी बापदादा के लिए लास्ट नम्बर भी अति प्रिय हौ क्योंकि चाहे अपनी यथा शक्ति मायाजीत बनने में कमजोर है फिर भी बाप को पहचान दिल से एकबार भी ' मेरा बाबा ' कहा तो बापदादा रहम के सागर ऐसे बच्चे को भी एक बार रिटर्न में पदमगुणा उसी रूहानी प्यार से देखते कि मेरे बच्चे विशेष आत्मा हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *सदा  बाप की याद में समाये हुए रहते हो वा बार बार याद करने वाले हो वा याद स्वरूप हो?* सदा साथ रहते हो वा सदा साथ रहें, इसी मेहनत में लगे रहते हो? बाप समान बनने वाले सदा स्वरूप रहते हैं। *याद स्वरूप, सर्वगुण स्वरूप, सर्व शक्तियों स्वरूप। स्वरूप का अर्थ ही है अपना रूप ही वह बन जाए।*

➢➢  अमृतवेले ब्रह्मा माँ "आओ बच्चे, आओ बच्चे " कह विशेष शक्तियों की खुराक बच्चों को खिलाते हैं। जैसे यहाँ घी पिलाते थे और साथ-साथ एक्सरसाइज भी करते हैं। तो वतन में घी भी पिलाते अर्थात सूक्ष्म शक्तियों की(ताकत की) चीज़ें देते और अभ्यास की एक्सरसाइज भी कराते हैं। बुद्धि बल द्वारा सैर भी करते हैं। *अभी-अभी परमधाम, अभी-अभी सूक्ष्मवतन। अभी-अभी साकारी सृष्टि ब्राह्मण जीवन। तीनों लोकों में दौड़ की रेस करते हैं, जिससे विशेष खातिरी जीवन मे समा जाए*।

➢➢  *सबका बुद्धि रूपी बिमान एवररेडी है ना। संकल्प रूपी स्विच स्टार्ट किया और पहुँचे।* बिमान तो सबके पास रेडी है ना कि कभी-कभी स्टार्ट नहीं होता है वे पेट्रोल कम होता तो आधा में लौट आते। *वैसे तो सेकेंड में पहुँचने की बात है। सिर्फ डबल रिफाइन पेट्रोल की आवश्यकता है।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बापदादा डबल विदेशियो का सवेरे-सवेरे उठ तैयार होना देख मुस्कुराते हैं। आराम से उठने वाले और अभी कैसे उठते हैं। नींद का त्याग किया--त्याग के पहले भाग्य को देख, अमृतवेले का अलौकिक अनुभव करने के बाद यह नींद भी क्या लगती है।* खान-पान छोड़ा या बीमारी को छोड़ा? खाना पीना छोड़ना अर्थात कई बीमारियों से छूटना। मुक्त हो गये है ना। और ही हेल्थ वेल्थ दोनो मिल गई इसलिये सुनाया कि पक्के व्यापारी हो।  

➢➢  *स्वरूप का अर्थ ही अपना रूप ही वह बन जाए। गुण वा शक्ति अलग नहीं हो, लेकिन रूप में समाए हुए हों।* जैसे कमजोर संस्कार वा कोइ अवगुण बहुत काल से स्वरूप बन गए हैं, उसको धारण करने की कोई मेहनत नहीं करते हो लेकिन नेचुरल गुण बाप समान बन जाएं।

➢➢  डबल रिफाइन पेट्रोल कौन सा है? एक है निराकारी निश्चय का नशा कि मैं आत्मा हूँ, बाप का बच्चा हूँ। दयस्रा है साकार रूप में सर्व संबंधों का नशा। सिर्फ बाप और बच्चे के सम्बन्ध का नशा नहीं। लेकिन प्रबृत्ति मार्ग पवित्र परिवार है। तो *बाप से सर्व संबंधों के रस का नशा साकार रूप में चलते फिरते अनुभव हो।* यह नशा और खुशी निरंतर सहज योगी बना देती है इसलिए निराकारी और साकारी डबल रिफाइन साधन की आवश्यकता है।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  अब विश्व के आत्मायें आप सबसे क्या चाहती हैं, वह जानते हो? *अभी हर आत्मा अपने पुण्य आत्माओं को प्रत्यक्ष रूप में पाने के लिए पुकार रही है। सिर्फ बाप को नहीं पुकार रही हैं लेकिन बाप के साथ आप पूज्य आत्माओं को भी पुकार रहे हैं।* हरेक समझते हैं हमारे पैगम्बर कहो, मेसेंजर कहो, देव आत्मा कहो, वह आवे और हमें साथ ले चले।

➢➢  आप पूज्य देव आत्माओं का इंतज़ार कर रहे हैं कि हमारे देव आएंगे, हमे जगायेंगे और ले जायेंगे। उसके लिए क्या तैयारी कर रहे हो? *इस कानफ्रेंस के बाद देव प्रत्यक्ष होंगे। अभी कानफ्रेंस के पहले स्वयम को श्रेष्ठ आत्मा प्रत्यक्ष करने का स्वयं और संगठित रूप से प्रोग्राम बनाओ। इस कानफ्रेंस द्वारा निराशा से आशा अनुभव होनी चाहिए।*

➢➢  ठिकाना दिखाने का ठका हो जाए। जैसे नारियल का ठका करते हो ना।तो *विदेशी चाहे भारतवासी दोनों को मिलकर ऐसी तैयारी पहले से करनी है। तब है महातीर्थ की प्रत्यक्षता। प्रत्यक्षता की किरण अब्बा के घर से चारों और फैले। जैसे कहते भी हो कि आबू विश्व की लिए लाइट हाउस है।*

➢➢  *सर्व ब्राह्मणों का एक संकल्प, वही कार्य की सफलता का आधार है। सबको सहयोग चाहिए।* किले की एक ईंट भी कमजोर होती तो किले को हिला सकती है इसलिये छोटे बड़े सब इस ब्राह्मण परिवार के किले की ईंट हो तो सभी को एक ही संकल्प द्वारा कार्य को सफल करना है। *सबके मन से यह आवाज निकले कि यह मेरी जिम्मेवारी है।*

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