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❍ 01 / 11 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप कहते हैं
यह वेद शास्त्र आदि सब भक्ति मार्ग की सामग्री है। यह जप तप आदि करने से मैं नहीं
मिलता हूँ। मैं तो बच्चों को ज्ञान देकर पावन बनाता हूँ। सारे सृष्टि की सद्गति
करता हूँ।* वाया गति में जाकर सद्गति में आना है। सब तो सतयुग में नहीं आयेंगे,
यह ड्रामा बना हुआ है।
➢➢ *गीता कृष्ण ने नहीं सुनाई। गीता परमपिता परमात्मा ने सुनाई।* सारा मदार इस
बात पर है। *एक बात को समझ जाएं तो भारत के जो इतने शास्त्र हैं - सब झूठ सिद्ध
हो जाएं। यह हैं सब भक्तिमार्ग के, इनमें कर्मकान्ड तीर्थ यात्रा, जप-तप आदि की
कहानियां लिखी हुई हैं।*
➢➢ बाबा कहते हैं - *भगवानुवाच, मैं उस कृष्ण की आत्मा, जो 84 जन्म पूरे कर
अन्तिम जन्म में है, उनको एडाप्ट कर ब्रह्मा बनाए उन द्वारा गीता ज्ञान देता
हूँ। वह ब्रह्मा फिर इस सहज राजयोग से फर्स्ट प्रिन्स सतयुग का बन जाता है।* यह
समझानी और कोई की बुद्धि में नहीं है।
➢➢ *तुम बच्चों में भी यथार्थ रीति अभी वह शुद्ध घमण्ड आया नहीं है। इतनी
प्रदर्शनी आदि करते हैं - अजुन सिद्ध नहीं करते। पहले यह भूल सिद्धकर बतानी है
कि श्रीमत भगवत गीता है सब शास्त्रों की माई बाप।*
➢➢ जैसे क्राइस्ट ने बाइबिल को जन्म दिया। वह है क्रिश्चियन धर्म का शास्त्र।
अच्छा बाइबिल का बाप कौन? क्राइस्ट। उनको माई बाप नहीं कहेंगे। मदर की तो वहाँ
बात नहीं। यह तो यहाँ माता पिता है। *क्रिश्चियन ने रीस की है कृष्ण के धर्म
से। वह क्राइस्ट को मानने वाले हैं। अब गीता किसने सुनाई? उससे कौन सा धर्म
स्थापन हुआ? यह कोई नहीं जानते। कभी नहीं कहते कि पतित-पावन परमपिता परमात्मा
ने यज्ञ रचा। गोले के चित्र से समझ सकेंगे कि बरोबर परमपिता परमात्मा ने ज्ञान
दिया है।*
➢➢ *कहते हैं 3 धर्मो की टांगों पर सृष्टि खड़ी है। एक देवता धर्म की टांग टूटी
हुई है, इसलिए हिलती रहती है। पहले एक टांग पर सृष्टि बड़ी फर्स्टक्लास रहती।
एक ही धर्म था, जिसको अद्वैत राज्य कहा जाता है। फिर वह एक टांग गुम हो 3 टांगे
निकली हैं, जिसमें कुछ भी ताकत नहीं रहती। आपस में ही लड़ाई झगड़ा चलता रहता
है। धनी को जानते ही नहीं। निधनके बन पड़े हैं।*
➢➢ *ब्रह्माकुमार कुमारी वह जो 21 जन्म के लिए बाप से वर्सा दिलाये। कुमारियों
की महिमा भारी है, मुख्य मम्मा है। वह ज्ञान सूर्य है, यह है गुप्त मम्मा (ब्रह्मा)।
इस राज को मुश्किल ही कोई समझते हैं। मन्दिर भी उस मम्मा के हैं। इस गुप्त बूढ़ी
मम्मा का कोई मन्दिर नहीं। यह माता-पिता (शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा) कम्बाइन्ड
है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *पतितपावन कृष्ण
को कभी नहीं कहेंगे। पतित-पावन है ही एक बाप। अब वही श्रीकृष्ण की आत्मा जो काली
अर्थात् श्याम बन गई है। अब फिर से पतित-पावन (परमपिता) द्वारा राजयोग सीख
भविष्य पावन दुनिया का प्रिन्स बन रही है।* यह सिद्ध कर समझाने में युक्तियां
चाहिए। फारेनर्स को सिद्धकर बताना है।
➢➢ *कृष्ण की महिमा और परमपिता परमात्मा की महिमा अलग-अलग है। वह है सतयुग का
प्रिन्स, जिसने सहज राजयोग से राज्य-भाग्य पाया है। पढ़ते समय नाम रूप (ब्रह्मा)
और है फिर जब राज्य पाया है तब (नारायण) और है।* पहले पतित है फिर पावन बना है
l
➢➢ *राधे कृष्ण तो सतयुग में बैठे हैं, उन्होंने अपने को ज्ञान नहीं दिया।
ज्ञान देने वाला दूसरा चाहिए। कोई ने तो उसको पास कराया होगा ना। यह राजाई
प्राप्त करने का ज्ञान किसने दिया? किस्मत आपेही तो नहीं बनती। किस्मत बनाने
वाला बाप या टीचर होता है।* गुरू तो गति देते, परन्तु गति सद्गति का भी कोई
अर्थ नहीं समझते। सद्गति प्रवृत्ति मार्ग वालों की होती है। गति माना सब बाप के
पास जाते हैं। यह बातें कोई समझते नहीं हैं।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*दुनिया तो दिन-प्रतिदिन तमोप्रधान होती जाती है। यह सब ख्यालात स्वच्छ बुद्धि
में ही हो सकते हैं। जो श्रीमत पर नहीं चलते उनको धारणा भी नहीं हो सकती।*
श्रीमत कहेगी तुम बिल्कुल समझा नहीं सकते हो। बाबा फट से कह देंगे - मुख्य बात
यह है कि गीता का भगवान परमपिता परमात्मा है। वही पतित-पावन है।
➢➢ भक्ति वास्तव में गृहस्थियों के लिए है। ये है प्रवृत्ति मार्ग का सहज
राजयोग। हम सिद्ध कर समझाने के लिए आये हैं। *बच्चों को युक्तियुक्त काम करना
है।*
➢➢ *बच्चों को ही बाप का शो करना है। सदैव हर्षित मुख, अचल, स्थेरियम, मस्त
रहना है,* आगे चलकर ऐसे बच्चे निकलते जरूर हैं।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *पतितपावन कृष्ण
को कभी नहीं कहेंगे। पतित-पावन है ही एक बाप। अब वही श्रीकृष्ण की आत्मा जो काली
अर्थात् श्याम बन गई है। अब फिर से पतित-पावन (परमपिता) द्वारा राजयोग सीख
भविष्य पावन दुनिया का प्रिन्स बन रही है। यह सिद्ध कर समझाने में युक्तियां
चाहिए।*
➢➢ *भक्ति मार्ग में तुम इतनी मेहनत करते आये हो, वह तो दरकार नहीं। यह तो
सेकेण्ड की बात है। सिर्फ यह एक बात सिद्ध करने के लिए भी बाप को कितनी नालेज
देनी पड़ती है। प्राचीन नालेज जो भगवान ने ही दी है, वही नालेज है। सारी बात
गीता पर है।*
➢➢ अगर गीता का भगवान कृष्ण को कहें तो यह सब बातें हो न सके l वह है सतयुग का
प्रिन्स। मनुष्य समझते हैं कृष्ण फिर आकर गीता सुनायेगा। परन्तु अब *तुमको यह
अच्छी तरह सिद्ध करना है कि गीता परमपिता परमात्मा ने, जो ज्ञान का सागर है,
उसने सुनाई है।*
➢➢ *तुमको सिद्ध कर बताना है - गीता का भगवान निराकार शिव है, उनके गुण यह
हैं। इस भूल के कारण ही भारत कौड़ी जैसा बना है। अभी परमपिता परमात्मा ने ज्ञान
का कलष माताओं पर रखा है। मातायें ही स्वर्ग का द्वार खोलती हैं। यह सब बातें
नोट कर समझानी चाहिए।*
➢➢ *प्रदर्शनी में भी मुख्य यह बात समझानी है कि गीता का भगवान श्रीकृष्ण नहीं,
परमपिता परमात्मा है, जिसका बर्थ प्लेस भारत है। कृष्ण है साकार, वह है निराकार।
उनकी महिमा अलग है। ऐसे युक्ति से कार्टून बनाना चाहिए जो सिद्ध हो जाए कि गीता
परमात्मा ने गाई और कृष्ण को ऐसा बनाया।* कहते हैं ब्रह्मा का दिन ज्ञान और
ब्रह्मा की रात भक्ति। अभी है रात।
➢➢ *समझाने की बड़ी युक्ति चाहिए l* प्रजापिता ब्रह्मा को परमात्मा एडाप्ट करते
हैं। *परमपिता परमात्मा ही पहले-पहले सूक्ष्म सृष्टि रचते हैं।* वहाँ ब्रह्मा
दिखाते हैं। वहाँ प्रजापिता होता नहीं। प्रजापिता ब्रह्मा कहाँ से आया? यह बातें
कोई समझ न सकेंगे । *कृष्ण के अन्तिम जन्म में इनको (ब्रह्मा) परमपिता परमात्मा
ने अपना रथ बनाया है।*
➢➢ *मनुष्य तो (ईश्वर) सर्वव्यापी कह देते हैं वा ब्रह्म तत्व कह देते। जो आता
है वह कह देते हैं - बिगर समझ। भूल सारी गीता से निकली है, जो गीता का रचयिता
कृष्ण को कह दिया है। यह सिद्ध कर बताना है।* नम्बरवन है ही गीता सर्वशास्त्रमई
श्रीमत भगवत गीता माता।
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