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❍ 14 / 08 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *ज्ञान को कहा जाता है ब्रह्मा का दिन सतयुग त्रेता और भक्ति है रात द्वापर कलियुग।* सतयुग त्रेता में है ही सद्गति। सुखधाम में जाना होता है। *सद्गति तो एक बाप ही करेंगे।* वह है सद्गति दाता। तुम्हारी अब सद्गति हो रही है अर्थात् पतित से पावन बन रहे हो।
➢➢ *सतयुग में यथा महाराजा महारानी तथा प्रजा पावन थे। लक्ष्मी-नारायण को महाराजा महारानी कहा जाता है। बचपन में वह महाराजकुमार श्रीकृष्ण और महाराजकुमारी राधे थी।*
➢➢ चित्रों में भी दिखाते हैं विष्णु की नाभी से ब्रह्मा निकला। *ऐसे नहीं विष्णु बैठ ब्रह्मा द्वारा शास्त्रों का सार समझाते हैं। नहीं, परमपिता परमात्मा शिव परमधाम से आकर ब्रह्मा तन का आधार ले तुमको यह राज समझाते हैं।*
➢➢ *बाप को तो श्री श्री कहा जाता है। वह है श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ, ऊंच ते ऊंच भगवान। वह फिर रचना रचते हैं श्री राधे, श्रीकृष्ण। वह स्वयंवर बाद बनते हैं महाराजा श्री नारायण और महारानी श्री लक्ष्मी। सतयुग में उन्हों का राज्य चलता है।*
➢➢ *भगवान तो एक को ही कहा जाता है। भगवान अनेक नहीं होते हैं। सभी आत्माओं का बाप एक है।* अब एक बाप और अनेक बच्चों का यह है संगठन वा मेला। ज्ञान सागर और ज्ञान नदियां।
➢➢ *महालक्ष्मी को 4 भुजा दिखाते हैं।* दीपमाला पर उनकी पूजा करते हैं। हर वर्ष भारतवासी भीख मांगते हैं। *यह हैं विष्णु के दो रूप। मनुष्य इन बातों को कोई जानते नहीं। इस समय है प्रजापिता आदि देव और जगत अम्बा आदि देवी।*
➢➢ *जो नापास होते हैं वह चन्द्रवंशी घराने में आते हैं। यह है माया के साथ युद्ध। रावण पर विजय प्राप्त करते हो इस युद्ध के मैदान में। बाकी पाण्डवों कौरवों की लड़ाई है नहीं। लड़ाई से विश्व का मालिक नहीं बन सकते।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम जानते हो हम बाप से फिर से वर्सा लेने आये हैं। कल्प-कल्प लेते आये हैं।* फिर जब रावण राज्य शुरू होता है तो गिरना शुरू होता है अर्थात् पावन से पतित बनते हैं।
➢➢ *बाप आत्माओं को कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और माया पर जीत हो जायेगी।*
➢➢ *बुद्धियोग बल और ज्ञानबल से माया पर विजय प्राप्त करनी है। भारत का प्राचीन योगबल मशहूर है, जिससे तुम रावण पर जीत पाकर राज्य लेते हो।*
➢➢ *मुख्य बात है बेहद बाप को और 21 जन्म सदा सुख के वर्से को याद करना है। सेकेण्ड में स्वर्ग की बादशाही।* जब तक बाप की पहचान बुद्धि में नहीं बैठी है तब तक समझ नहीं सकेंगे। यहाँ कोई साधू सन्त आदि नहीं हैं। न कोई गीता वा शास्त्र आदि सुनाते हैं।
➢➢ तुम्हारे लिए सबसे सर्वोत्तम तो है शिव जयन्ती। *बस मेरा तो एक शिवबाबा, दूसरा न कोई।* तुम अब देवता बन रहे हो। लक्ष्मी-नारायण, राम-सीता बन रहे हो।
➢➢ *तुम योगबल से
विश्व का मालिक बनते हो। योग सिखलाते हैं बाप, इनकी आत्मा भी सीखती है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ राजयोग सीख तमोप्रधान से सतोप्रधान बन रहे हो। *सतोप्रधान बनेंगे तब ही स्वर्ग में जायेंगे।* फिर सतोप्रधान से तमोप्रधान में तुम कैसे आते हो - यह चक्र है ना!
➢➢ *बाप समझाते हैं यह बुद्धि में रखो - तुम ही सो देवी-देवता थे, अब ब्रह्मण बने हो फिर देवता बनेंगे।* यह बाजोली है। पहले-पहले है चोटी, उसके ऊपर में है शिवबाबा फिर यह ब्रह्मणों की रचना रची, एडाप्ट किया।
➢➢ बाप बैठ समझाते हैं बच्चे तुमको कितना साहूकार बनाता हूँ। अभी रावण ने तुमको कितना दु:खी बना दिया है। अब *तुम्हे माया पर जीत पानी है।* लड़ाई की कोई बात नहीं। लड़ाई से विश्व का मालिक नहीं बन सकते।
➢➢ *सतयुग त्रेता में तो तुम अपना राज्य-भाग्य पाते हो। सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी फिर तुम गिरते जाते हो। यह सब बुद्धि में याद रखना है।* तुम बच्चों को अब सारे विश्व के आदि मध्य अन्त की रोशनी मिली है और कोई की बुद्धि में यह रोशनी नहीं है।
➢➢ *यहाँ जरूर पढ़ना पड़े।* जो स्कूल में ही नहीं आयेंगे तो वह क्या सुनेंगे। गुह्य-गुह्य प्वाइंटस कैसे समझेंगे। कोई कहते हैं फुर्सत नहीं। बाप कहते हैं - यह है सच्ची कमाई, वह है झूठी। तुम तो पदमपति बनते हो। बाकी इस समय यह तो झूठी साहूकारी है।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अभी बाप कहते हैं - तुम बच्चों को मैं सद्गति में ले जाता हूँ। भारत पावन था फिर पतित किसने बनाया? रावण ने इसलिए मुझे ही कल्प-कल्प आना पड़ता है। पतितों को आकर पावन बनाना पड़ता है।*
➢➢ *जैसे बाप बच्चों का पिता है वह हुए हद के पिता, यह है बेहद का। प्रजापिता ब्रह्मा को ग्रेट ग्रेट ग्रैन्ड फादर कहा जाता है। इस संगम पर उनकी महिमा है जबकि शिवबाबा आकर एडाप्ट करते हैं।*
➢➢ *पुरानी सृष्टि जरूर विनाश हो तब फिर नई स्थापन हो। यह वही महाभारत लड़ाई है, जो कल्प पहले भी हुई थी। मूसल आदि नेचुरल कैलेमिटीज जो हुई थी वह फिर होनी है। देवतायें कभी पतित दुनिया पर पैर नहीं रखते हैं।*
➢➢ *भक्ति शुरू होने से ही पहले-पहले शिवबाबा का सोमनाथ मन्दिर बनाते हैं। पहले पहले होती है शिवबाबा की अव्यभिचारी भक्ति, और यह है शिवबाबा का अव्यभिचारी ज्ञान, जिससे तुम पावन बनते हो।* भक्ति के बाद वैराग्य गाया जाता है।
➢➢ *बाप इनमें प्रवेश हो तुमको ज्ञान सुनाते हैं। कहते हैं मैं तो जन्म-मरण रहित हूँ। बाप बेहद का बाप है। तो बेहद का राज समझाते हैं कि तुमसे माया ने क्या क्या करवाया है। तुम 5 भूतों के वश होते गये हो, क्या हाल हो गया है।*
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