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  28 / 12 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अभी तुम समझ चुके हो हम आत्मा हैं। संस्कार आत्मा में भरते हैं। अच्छे वा बुरे संस्कार आत्मा में हैं।* इस समय अच्छे संस्कार बहुत कम हैं। बाकी हैं बुरे गिरने के संस्कार। इस समय कोई के भी अच्छे संस्कार नहीं कहेंगे। जबकि है ही रावणराज्य। *जो ऊपर से नई आत्मायें आती हैं, पहले अच्छे संस्कार वाली होती हैं फिर बुरी हो जाती हैं। फिर उन्हों को ही तमोप्रधान से सतोप्रधान जरूर होना है।*   

➢➢  *रास्ता बताया जाता है, अल्फ और बे का।* बस फिर पढ़ाई बहुत सहज है। झाड़ सामने खड़ा है। *त्रिमूर्ति तो नम्बरवन है शिव के साथ। त्रिमूर्ति मशहूर है। शिव परमात्मा तो उनसे भी ऊंच है। वह तो फिर भी सूक्ष्म है। उनसे ऊंच है परमात्मा। परन्तु उनका नाम, रूप, देश, काल कुछ भी नहीं जानते। यह तुम बच्चे भी पहले नहीं जानते थे।*

➢➢  यह है ईश्वरीय भाषा अथवा भाषण। तुम भी भाषण करते हो ना। *बाप कहते हैं- सबसे जास्ती तो मैं भाषण करता हूँ क्योंकि मैं ज्ञान का सागर हूँ और फिर पतितपावन सद्गतिदाता हूँ। ज्ञान से सद्गति होती है।*  

➢➢  मनुष्य यह भी समझते हैं कि यह ड्रामा है। चक्र भी दिखाते हैं। परन्तु चक्र की आयु भिन्न-भिन्न दिखाते हैं। *चक्र का भी ज्ञान चाहिए। लाखों वर्ष कह देने से कोई बात का विचार भी नहीं कर सकते।*

➢➢  *गाइड तो है ही एक परमपिता परमात्मा। गाइड अर्थात् जो आगे रास्ता दिखाता चले।* गाते भी हैं पतित-पावन, गाइड है। सर्व का सद्गति दाता है। गुरू होता ही है गति करने वाला। *गुरू को आगे, फालोअर्स को पीछे रखा जाता है। यहाँ ऐसी बात नहीं है। यहाँ तो बाप कहते हैं बच्चे तुम आगे चलो क्योंकि गऊशाला भी है ना। गऊओं के पीछे-पीछे ग्वाला रहता है, नहीं तो गऊएं इधर-उधर चली जायें। बाप भी पिछाड़ी में रहते हैं।* 

➢➢  *बाप सम्मुख समझाते हैं तुम ही पूज्य थे सो अब पुजारी बने हो। फिर मैं आकर पूज्य बनाता हूँ। बाप तो सदा पूज्य है, ब्रह्मा को एवर पूज्य नहीं कहेंगे। एवर पूज्य एक बाप ही है जो कहते हैं मैं आकर तुमको 21 जन्मों के लिए पूज्य बनाता हूँ। बहुत ढेर के ढेर देवियाँ हैं। तुम बहुतों ने मिलकर भारत को पावन बनाया है।* 

➢➢  समझो कोई नीचे से पुराने कागज आदि निकलते हैं, जिससे शास्त्र बैठ बनाते हैं फिर भी भक्ति मार्ग वाले वही शास्त्र निकलेंगे। कोई नये नहीं बनाये हैं। *ड्रामा प्लैन अनुसार नीचे से वही निकले होंगे। गीता, भागवत, महाभारत, रामायण आदि फिर भी वही बनेंगे। स्वर्ग की सामग्री भी वही बननी है जो कल्प आगे थी।* 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *मुख्य है रूहानी यात्रा की बात। सबसे जास्ती महत्व इस रूहानी यात्रा का है। रूहानी यात्रा, यह अक्षर बहुत अच्छा है। योग में ही मेहनत है।* हठयोग सिखलानेवाले तो बहुत है।

➢➢  *अब तुम्हारी बुद्धि में फर्स्टक्लास नॉलेज है कि सृष्टि चक्र कैसे फिरता है। बाप ही सारा राज़ समझाकर अपने साथ रूहानी यात्रा पर ले जाते हैं। वह है स्पिरिचुअल फादर, आत्माओं का बाप।*   

➢➢  *मुश्किल बात है - बाप की याद में रहना। पवित्र भी बन जायें। डिफीकल्ट है रूहानी यात्रा, जिसमें थक जाते हैं। अगर सारा दिन याद ठहर जाये फिर तो कर्मातीत अवस्था ही हो जाये।*   

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *शान्ति तब मिल सकती है जब गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र बन रूहानी यात्रा पर रहें।* 

➢➢  पिछाड़ी में बहुत साक्षात्कार होंगे, पछताना भी यहाँ होगा। जब देखेंगे फलाने-फलाने क्या बनते हैं, हम क्या बनते हैं। सजायें भी बहुत खायेंगे। बाप कहेंगे हम तो तुमको समझाते रहे। तुमने समझा नहीं। *ऑफिस में बैठे, घर में बैठे यात्रा करते रहो।*  

➢➢  सिवाए प्रूफ किसको सज़ा नहीं मिल सकती। साक्षात्कार कराकर फिर सज़ा देते हैं। तो *बच्चों को अच्छी रीति समझाया जाता है। अभी पुरुषार्थ नहीं करेंगे तो कल्प-कल्प ऐसा ही ढीला पुरुषार्थ होगा।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम जानते हो बाबा आया है पतितों को पावन बनाने। तो बच्चों को भी यही सर्विस कर ऊंच पद पाना है, पतितों को पावन बनाना है। अन्धों की लाठी बनना है।*  

➢➢  *यह है रूहानी योग। तुम्हारे सिवाए कोई समझा नहीं सकते। इस राजयोग से ही मनुष्य पतित से पावन हो सकते हैं। यह योग बाबा और तुम बच्चे ही सिखला सकते हो।* 

➢➢  भगवान तो ऊंचे ते ऊंच निराकार है। तो बीज और झाड़ का ज्ञान बहुत सहज है। बाकी याद में नहीं रह सकते। *झाड़ आदि का राज़ बहुत सहज है किसको समझाना। बच्चे बहुत अच्छी रीति समझाते भी हैं, बाकी योग में मेहनत है। घड़ी-घड़ी एक दो को सावधानी देते रहें तो भी अहोभाग्य।* 

➢➢  *सर्विस का बहुत शौक होना चाहिए। कोई आये तो रास्ता बतायें। इतना हर्ष रहता है। डूबे हुए को पार कराना है, तैरने वाले जो होते हैं वह झट कूद पड़ते हैं, गाते हैं नैय्या मेरी पार लगा दो। बाप हमको सच्चा रास्ता बता रहे हैं। हमको फरमान मिला है कोई भी आये तो उनको अपना लक्ष्य बताना है।* 

➢➢  हमको तो बाप ज्ञान सुनाते हैं। महिमा ही बाप की है। ज्ञान का सागर वह है। *ऐसा समझाना चाहिए जो वह कोई बात बीच में कर न सके। हम बेहद के बाप से पढ़ते हैं। सर्व का सद्गति दाता वह बाप है। इस पर जोर देना चाहिए। नहीं समझते तो छोड़ दो। बोलो, तुम देवता धर्म के ही नहीं हो। यह रास्ता छोड़ दो। परन्तु समझाने की हिम्मत चाहिए।*

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