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  15 / 12 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *कलियुग है पुराना युग, सतयुग है नयायुग। फिर त्रेता 25 प्रतिशत पुराना, द्वापर 50 प्रतिशत पुराना। युग का नाम ही बदल जाता है। कलियुग को सब पुरानी दुनिया कहेंगे।*

➢➢  *दुनिया में और किसकी बुद्धि में यह नहीं होगा कि हम आत्मा रूहानी बाप की सन्तान हैं। हमारा बाप टीचर गुरू तीनों ही रूहानी हैं।*

➢➢  *वहाँ (सतयुग) अकाले मृत्यु नहीं होगा। यहाँ बैठे-बैठे काल आ जाता है, हार्टफेल हो जाता है। कहेंगे ईश्वर की भावी। परन्तु ईश्वर की भावी नहीं है।* तुम कहेंगे ड्रामा की भावी। ड्रामा में इनका पार्ट ऐसा था।


➢➢  *जगत-अम्बा का कितना बड़ा मेला लगता है। जगत-अम्बा, जगत-पिता का आपस में क्या सम्बन्ध है? यह कोई नहीं जानते क्योंकि यह गुप्त बात है।* माँ तो यह बैठी है, वह थी एडाप्ट की हुई इसलिए चित्र उनके बने हैं। उनको जगत-अम्बा कहा जाता है।

➢➢  *ब्रह्मा की बेटी सरस्वती। भल माँ का टाइटिल दिया है परन्तु थी तो बेटी। ब्रह्मा को माँ कहना शोभता नहीं। यह समझने और समझाने में बड़ी रिफाईन बुद्धि चाहिए। यह गुह्य बातें हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *टाइम तो लगता है ना। यूँ तो है एक सेकण्ड की बात, परन्तु विकर्म विनाश होने में समय लगता है क्योंकि आधाकल्प के पाप सिर पर हैं।*

➢➢  बाप स्वर्ग रचता है तो तुम बच्चे भी स्वर्ग के मालिक तो बनेंगे। परन्तु सिर पर जो पापों का बोझा है उनको उतारने में टाइम लगता है। *योग लगाना पड़ता है। अपने को आत्मा जरूर समझना है।*

➢➢  *परमात्मा को भी अपने धाम से आना पड़ता है, तभी तो परमात्मा को खिवैया कहते हैं। वही हम बोट को (आत्मा रूपी नांव को) पार ले चलता है। अब जो परमात्मा के साथ योग रखता है उनको साथ ले जायेगा।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम बच्चों को अपने को आत्मा समझ पूरा देही-अभिमानी बनना है, इसमें मेहनत लगती है।*

➢➢  आजकल तो रिद्धि-सिद्धि भी बहुत है। जादू का खेल बहुत दिखाते हैं। दुनिया में ठगी बहुत है। *बाप तुमको कितना सहज समझाते हैं परन्तु पढ़ने वालों पर मदार है।*

➢➢  *तुम पढ़ते नहीं हो इससे तुमको बहुत घाटा पड़ जायेगा। रोज़-रोज़ बहुत गुह्य प्वाइंट्स निकलती हैं। यह हैं हीरे रत्न, तुम पढ़ेंगे नहीं तो नापास हो जायेंगे।* इतनी ऊंची स्वर्ग की बादशाही गँवा देंगे। *मुरली तो रोज़ सुननी चाहिए।*

➢➢ *शिव जयन्ति की छुट्टी आफीशियल है। कोई करते हैं, कोई नहीं करते हैं। तुम्हारा यह बहुत बड़ा दिन है। जैसे क्रिश्चियन लोग क्रिसमस मनाते हैं। बहुत खुशी मनाते हैं। अब तुमको यह खुशी मनानी चाहिए।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *रचता को जानने से रचना को भी जानते हैं। सारे सृष्टि का राज़ बुद्धि में है। ड्रामा में ऊंचे ते ऊंचा है भगवान। फिर ब्रह्मा-विष्णु-शंकर हम इन तीनों का आक्यूपेशन बता सकते हैं। क्या-क्या पार्ट है?*

➢➢  *तुम बच्चे प्रदर्शनी जब दिखाते हो तो उनमें यह भी लिखो कि आज से 5 हजार वर्ष पहले भी हमने यह प्रदर्शनी दिखाई थी और समझाया था कि बेहद बाप से स्वर्ग का वर्सा कैसे लिया जाता है।* आज से 5 हजार वर्ष पहले मुआफिक फिर से हम त्रिमूर्ति शिव जयन्ती मनाते हैं। यह अक्षर जरूर डालना पड़े। यह बाबा डायरेक्शन दे रहे हैं, उस पर चलना है।

➢➢  *न आने वालों को फिर सावधान करना चाहिए।* श्रीमत कहती है - पढ़ेंगे नहीं तो पद भ्रष्ट हो जायेंगे। बहुत घाटा पड़ जायेगा। *ऐसे लिखा-पढ़ी करो - तब तुम स्कूल को अच्छी तरह उठा सकेंगे। ऐसे नहीं कोई नहीं आया तो छोड़ दिया।*

➢➢  *टीचर को ओना रहता है कि हमारे स्टूडेन्ट जास्ती नहीं पास होंगे तो इज्जत जायेगी। बाबा लिखते भी हैं तुम्हारे सेन्टर पर सर्विस कम चलती है, शायद तुम सोते रहते हो।*

➢➢  *शिव जयन्ती की तैयारी करनी है। नई-नई बात देख मनुष्य वन्डर खायेंगे। अच्छा भभका करना चाहिए।* हम त्रिमूर्ति शिव की जयन्ति मनाते हैं। छुट्टी करते हैं।

➢➢  *बाप कहते हैं - अच्छी रीति पुरुषार्थ करो। बच्चियां नये-नये स्थान पर चक्र लगाने जाती हैं। अगर अच्छी मातायें आदि हैं तो सर्विस को जमाना पड़े।*

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