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  24 / 10 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *ऐसे न हो कि राम के बचपन से हटकर रावण की तरफ चले जायें। फिर तो बहुत-बहुत पछताना पड़ेगा। यह भी समझाया है कि अगर महान ते महान मूर्ख देखना हो तो यहाँ देखो जो पढ़ाई छोड़ देते हैं।* तो तुम समझ सकते हो कि उनकी क्या गति होगी। *यहाँ के महारथी हैं गज, उनको ग्राह रूपी माया खा लेती है।* यह बाप सम्मुख बैठ समझाते हैं।

➢➢  *यहाँ जीवनबंध हैं। इन बातों को तुम अच्छी तरह समझते हो और स्वयं बाप समझा रहे हैं और कोई की बुद्धि में ड्रामा का राज नहीं है।* तीनों कालों, आदि-मध्य-अन्त को कोई नहीं जानते हैं। तुम सब कुछ जानते हो परन्तु हो साधारण, गुप्त वह बाहर में जाकर जिस्मानी ड्रिल करते हैं, सीखते हैं ।

➢➢  महाभारत की लड़ाई दिखाते हैं, वह कैसे हुई? *महाभारत की लड़ाई भगवान ने कराई है, ऐसे कहते हैं। अब भगवान हिंसक युद्ध कैसे करायेगा। भगवान ने युद्ध सिखलाई है, रावण पर जीत पाने की।* समझाते हैं तुम 16 कला सम्पूर्ण थे। तुम मूलवतन से अशरीरी आये फिर यहाँ चोला धारण कर पहले सतयुग में राज्य किया। स्मृति में आता है ना? कहते हैं हाँ बाबा, अब हमको स्मृति आई है कि बरोबर हम दैवी राज्य के मालिक थे।

➢➢  बेहद का बाप कहते हैं तुमने आसुरी मत पर चलकर दैवीकुल को कलंकित किया है, इसलिए तुम सांवरे बन गये हो। *पूरा सांवरा बनने में आधाकल्प लगता है और गोरा बनने में सेकण्ड। बच्चों को ड्रामा के आदि मध्य अन्त की स्मृति आई है और धर्म वालों को स्मृति नहीं आ सकती। विस्मृति भी तुमको हुई, स्मृति भी तुमको आई।*

➢➢  *परमात्मा को नामरूप से न्यारा कहना, यह तो अज्ञान हो गया।* शिवरात्रि भी भारत में मनाते हैं। *भारत ही प्राचीन सतयुग था, अब नहीं है। तो जरूर बाप ने ही सतयुग की स्थापना की होगी।* फिर दु:ख कौन देता है? कब से शुरू होता है? यह कोई नहीं जानते।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम्हारी ड्रिल है रूहानी।* कोई को पता ही नहीं है कि यह कोई वारियर्स हैं, लड़ाई करने वाले।

➢➢  *मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे माया बड़ी दुश्तर है। ऐसा न हो कहाँ बेहद के बाप का हाथ छोड़ दो। यह है परमपिता परे ते परे रहने वाला पिता, पतित-पावन। ऐसे बाप का हाथ कभी छोड़ना नहीं।* नहीं तो बहुत रोना पड़ेगा ।
                    
➢➢  स्टूडेन्ट कभी पढ़ाई और टीचर को भूल सकते हैं क्या? तुम भी स्टूडेन्ट हो, *गृहस्थ व्यवहार में रहते यह याद रहे कि हम पढ़ रहे हैं।* इस पढ़ाई में टाइम बहुत लगता है। बीच में कोई गिर पड़ता है, कोई हरा देता है। मुख से कहते, लिख भी देते हैं शिवबाबा केयर आफ ब्रह्मा। बाप को बड़े प्रेम से पत्र लिखते हैं, *हम जीव की आत्मा परमपिता परमात्मा को पत्र लिखती हैं। वह पुकार रहे हैं हे परमात्मा रक्षा करो, शान्ति दो।* सिवाए बाप के कोई शान्ति दे न सके। बाबा को तो आना है । 

➢➢  कहते हैं बाप कि गृहस्थ व्यवहार में याद मुझ एक बाप को करो। *यह अन्तिम जन्म मेरे नाम पर कमल फूल समान पवित्र बन सिर्फ मुझे याद करते रहो।* यह एक जन्म मेरे मददगार बनो, जो मदद करेंगे वही फल पायेंगे। तुम हो गये ईश्वरीय खुदाई खिदमतगार ।                                 
         
➢➢  *आत्म-अभिमानी भी बनते हो फिर बाप को भी याद करते हो क्योंकि वर्सा लेना है।* देवताओं ने पुरुषार्थ कर पास्ट जन्म में बाप से वर्सा लिया है। उनको याद करने की दरकार नहीं।

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  21 पीढ़ी का फिर से तुमको बेहद का वर्सा देने आया हूँ। तुमने कल्प-कल्प यह पुरूषार्थ किया है। बेहद सुख का वर्सा, बेहद के बाप से लिया है, *जबकि यह अन्तिम जन्म है तो क्यों न पवित्र बन भविष्य के लिए पूरा वर्सा लेना चाहिए।*

➢➢  *बेहद के बाप ने बच्चों को शिक्षा दी अथवा सावधान किया जबकि राम के बने हो तो इस बचपन अथवा ईश्वरीय बचपन को भुला नहीं देना।*

➢➢  विघ्नों को भी मिटाना होता है, इसमें हार्टफेल अथवा सुस्त नहीं होना है। *कोई भी हालत में सर्विस जरूर करनी है, पतितों को पावन बनाने की।* तुम्हारा धन्धा ही यह है और कोई बातों से तुम्हारा तैलुक नहीं। देखना है हमने कितनों को नापाक से पाक बनाया है।

➢➢  *अब देह-अभिमान निकाल आत्म-अभिमानी बनना है।* आत्म-अभिमानी परमात्मा बाप बनाते हैं।*यहाँ तुमको डबल लाइट है, नॉलेज है।

➢➢  बाप कहते हैं *इन 5 विकारों का दान दो और पवित्र बनो। याद भी करो और पवित्र भी बनो। बी होली, बी राजयोगी।*

➢➢  *गृहस्थ व्यवहार में रहते एक शिव बाबा को याद करो और कब किसको याद किया तो व्यभिचारी बनें।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाबा कोई को जास्ती प्यार करते हैं कि कहाँ गिर न जाये। गीत भी गाया हुआ है। ऐसा न हो माया तुमको घसीट ले फिर बहुत पछताना पड़ेगा। *वास्तव में सच्ची-सच्ची युद्ध तुम्हारी है, तुम माया पर जीत पाते हो। अभी तुम नापाक से पाक बने हो।* पतित स्थान को तुम पावन स्थान बनाते हो। पाक स्थान तो यहाँ है नहीं। इस समय सारी दुनिया नापाक स्थान है। पावन तो हैं देवी-देवतायें। तुम नापाक (पतित) भारत को पावन बना रहे हो। *यह जो प्रदर्शनी आदि करते हो, नापाक को पाक बनाने। तुम भारत की सच्ची सेवा करते हो ना।* 

➢➢  रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों को सम्मुख समझाते हैं। अब तुम्हारी बुद्धि में है बरोबर हम पवित्र स्थान स्थापन कर रहे हैं। पवित्र स्थान भारत था, अब अपवित्र स्थान बना है। मकान नया है फिर पुराना जरूर बनेगा। यह समझ नई दुनिया में नहीं रहती। अभी तुम बच्चों को समझ मिली है। भल लाखों वर्ष कहते हैं आखिर पुराना तो होगा ना। पुराना नाम ही कलियुग का है। नवयुग और पुराने युग को सिर्फ तुम जानते हो। अभी नव युग आ रहा है। *हम फिर से यह नॉलेज बाप द्वारा ले रहे हैं, पवित्र बन स्वराज्य पाने के लिए।*

➢➢  *भगवान है ही पतित-पावन, सद्गति दाता। नर से नारायण बनाने वाला और कोई तो बना न सके।* सतयुग में फट से लक्ष्मी-नारायण का राज्य होता है तो जरूर कहेंगे पिछले जन्म में पुरुषार्थ किया है इसलिए बाप अब तुमको पुरुषार्थ करा रहे हैं, भविष्य में ऐसा पद पाने लिए। पतित दुनिया की अन्त में ही आकरके पावन बनायेंगे ना।

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