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  20 / 08 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *आठ एवररेडी हैं? नाम निकाल कर भेजना। सभी वेरीफाय करें कि हाँ इसको कहेंगे एवररेडी। बाप पसन्द, ब्रह्मण परिवार पसन्द और विश्व की सेवा के पसन्द। यह तीनों विशेषता जब होंगी तब कहेंगे एवररेडी हैं।*

➢➢  8 की माला बना सकते हो? अभी बन सकती है? *पहले 8 की माला तैयार हो गई तो फिर और पीछे वाले तैयार हो ही जायेंगे। पहले कंगन तैयार होगा फिर बड़ी माला तैयार होगी।*

➢➢  आज तो गिफ्ट देने और गिफ्ट लेने आये हैं ना। सिर्फ लेंगे वा देंगे भी? शक्ति सेना क्या करेगी? *लेने और देने में मजा आता है वा सिर्फ लेने में? दाता को देना हुआ या लेना हुआ? बाप भी लेते हैं किसलिए? पदमगुणा करके परिवर्तन कर देने के लिए। बाप को आवश्यकता है क्या?  बाप के पास है ही बच्चों को देने के लिए इसलिए बाप दाता भी है, विधाता भी है, वरदाता भी है, जितना बाप बच्चों के भाग्य को जानते उतना बच्चे अपने भाग्य को नहीं जानते। यह भाग्य के दिन सदा समर्थ बनाने के दिन सदा याद रखना।*  

➢➢  *आज के दिन का विशेष स्लोगन सदा स्मृति में रखना। 3 शब्द याद रखना - विधि, विधान और वरदान। विधि से सहज सिद्धि स्वरूप हो जायेंगे। विधान से विश्व निर्माता, वरदान से वरदानी मूर्त बन जायेंगे। यही 3 शब्द सदा समर्थ बनाते रहेंगे।*

➢➢  जहान के नूर तो हो ही (दीदी और दादी से) लेकिन पहले बाप के नयनों के नूर हो। *कहावत है कि नूर नहीं तो जहान नहीं। तो बापदादा भी नूरे रत्नों को ऐसे ही स्थापना के कार्य में विशेष आत्मा देखते हैं। करावनहार तो कर रहा है, लेकिन करनहार निमित्त बच्चों को बनाते हैं।*

➢➢  *साफ दिल मुराद हासिंल। श्रेष्ठ संकल्पों की सफलता जरूर होती है, एक श्रेष्ठ संकल्प बच्चे का और हजार श्रेष्ठ संकल्प का फल बाप द्वारा प्राप्त  हो जाता है। एक का हजार गुणा मिल जाता है।* 

➢➢  *बचपन का वायदा क्या किया? साथ रहेंगे, साथ जियेंगे, साथ चलेंगे। यह वायदा किया है ना, पक्का? साकार की पालना के अधिकारी आत्मायें हो। अपने भाग्य को अच्छी तरह से सोचो और समझो।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  ऐसे कोटों में कोई भाग्य विधाता के सम्मुख सम्पर्क में आते हैं। अभी समय आने पर यह अपना भाग्य स्मृति में आयेगा। आदि पिता को पाना, यह है भाग्य की श्रेष्ठ निशानी। *सदा साथ रहने वाले निरन्तर योगी, सदा सहजयोगी, उड़ती कला में जाने वाले, सदा फरिश्ता स्वरूप हो ?* 

➢➢  *सारे विश्व के बच्चों के स्नेह का, याद का आवाज बाप-दादा के वतन में मीठे –मीठे साज के रूप में पहुँच गया। जैसे बच्चे स्नेह के गीत गाते हैं, बापदादा भी बच्चों के गुणों के गीत गाते हैं। जैसे बच्चे कहते कि ऐसा बाप-दादा कल्प में नहीं मिलेगा, बाप-दादा भी बच्चों को देख कहते कि ऐसे बच्चे भी कल्प में नहीं मिलेंगे। ऐसी मीठी-मीठी रूह-रूहान बाप और बच्चों की सदा सुनते रहते हो?*  

➢➢  *बाप और आप कम्बाइन्ड रूप है ना। इसी स्वरूप को ही सहजयोगी कहा जाता है। योग लगाने वाले नहीं लेकिन सदा कम्बाइन्ड अर्थात् साथ रहने वाले।* ऐसी स्टेज अनुभव करते हो वा बहुत मेहनत करनी पड़ती है? 

➢➢  सदा बड़े बाप के साथ बड़े से बड़े दिन उमंग-उत्साह से बिता रहे हो और सदा ही बड़े दिन मनाते रहेंगे। *हरेक बच्चा यही समझे कि विशेष मेरे नाम से याद प्यार आया है। हरेक बच्चे को नाम सहित बापदादा सामने देखते हुए, मिलन मनाते हुए याद प्यार दे रहे हैं।* 

➢➢  चारों ओर के सभी स्नेही बच्चों की याद प्यार और बधाई पाई। *बापदादा के साथ सभी बच्चे दिलतख्तनशीन है। जो दिल पर हैं वह भूल कैसे सकते हैं इसलिए सदा बच्चे साथ हैं और साथ ही रहेंगे, साथ ही चलेंगे।* बापदादा सर्व बच्चों के दिल के उमंग उत्साह और सेवा में वृद्धि और मायाजीत बनने के समाचार भी सुनते रहते हैं। 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  आज बड़ा दिन मनाने के लिए बुलाया है। बड़े ते बड़े बाप के साथ बड़े ते बड़े बड़ा दिन और मिलन मना रहे हैं। बड़ा दिन अर्थात उत्सव का दिन। जब बड़ा दिन मनाते हैं तो बुरे दिन समाप्त हो जाते हैं। *सिर्फ आज का दिन मनाने का नहीं, लेकिन सदा मनाना अर्थात् उमंग-उत्साह में सदा रहना।* अविनाशी बाप, अविनाशी दिन, अविनाशी मनाना। 

➢➢  चारों और के आये हुए बच्चों को, मधुबन निवासी बच्चों को बापदादा स्नेह का रिटर्न सदा कम्बाइन्ड अर्थात् सदा साथ रहने का वरदान और वर्सा दे रहे हैं। डबल अधिकारी हो। वर्सा भी मिलता है और वरदान भी। *जहाँ कोई मुश्किल अनुभव हो तो वरदाता के रूप में स्मृति में लाओ।* तो वरदाता द्वारा वरदान रूप में प्राप्ति होने से मुश्किल सहज हो जायेगी और प्रत्यक्ष प्राप्ति की अनुभूति होगी। 

➢➢  *सोचो नहीं, नि:संकल्प रहो।* बाप का वायदा है, बाप सदा साथ निभाते रहेंगे। *अपना संकल्प भी बाप के ऊपर छोड़ दो।* सर्विस बढ़ेगी या नहीं बढ़ेगी, बाप जाने। नहीं बढ़ेगी तो बाप जिम्मेवार है, आप नहीं। इतनी निश्चिन्त रहो। आपने तो बाप के आगे अपना संकल्प रख दिया ना। तो जिम्मेवार कौन? सिकीलधे हो - कितने सिक से बाप ने ढूंढा। *पहला पहला सेवा का रत्न सारी विश्व से चुना है, इसलिए भूलो नहीं।* 

➢➢  सदा मस्तक पर भाग्य का सितारा चमक रहा है, बापदादा भी ऐसे हिम्मत रखने वाले बच्चों को सदा मदद करते हैं। जब भी संकल्प किया और बाप हाजिर। बाप के ऊपर सारा कार्य छोड़ दिया तो बाप जाने, कार्य जाने। *स्वयं सदा डबल लाइट फरिश्ता, ट्रस्टी बनकर रहो तो सदा हल्के रहेंगे।*

➢➢  *हरेक बच्चा महावीर है महावीर बन विजय का झण्डा लहरा रहे हैं इसलिए बापदादा सभी को विजय की मुबारक देते हैं। बधाई दे रहे हैं।*  

➢➢   *एयरकन्डीशन की सीट बुक कराने के लिए बाप ने जो भी कन्डीशन्स बताई हैं उन पर सदा चलते रहो।* अगर कोई भी कन्डीशन को अमल में नहीं लाया तो एयरकन्डीशन की सीट नहीं मिल सकेगी। 

➢➢  एक दो को आगे बढ़ाने का गुण अर्थात् ''पहले आप'' का गुण परमार्थ और व्यवहार दोनों में ही सर्व का प्रिय बना देता है। बाप का भी यही मुख्य गुण है। *बाप कहते - ''बच्चे पहले आप।'' तो इसी गुण में फालो फादर।*  

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बड़ा दिन मनाना अर्थात् स्वयं को सदा के लिए बड़े ते बड़ा बनाना। सिर्फ मनाना नहीं लेकिन बनना और बनाना है। सर्व आत्माओं को बड़े दिन की गिफ्ट कौन सी देंगे? *जो भी आत्मा सम्पर्क में आवे उनको ईश्वरीय अलौकिक स्नेह, शक्ति गुण, सर्व का सहयोग देने के लिफ्ट की गिफ्ट दो। जिससे ऐसी सम्पन्न आत्मायें बन जाए  जो कोई भी अप्राप्ति अनुभव न करें। ऐसी गिफ्ट दे सकते हो? स्वयं सम्पन्न हो? औरों को देने के लिए पहले अपने पास जमा होगा तब तो दे सकेंगे ना।*  

➢➢  *करनकरावनहार, इस शब्द में भी बाप और बच्चे दोनों कम्बाइन्ड हैं ना। हाथ बच्चों का और काम बाप का। हाथ बढ़ाने का गोल्डन चांस बच्चों को ही मिला है। बड़े ते बड़ा कार्य भी कैसा लगता है? अनुभव होता है ना कि कराने वाला करा रहा है। निमित्त बनाए चला रहा है। बापदादा भी सदा बच्चों के हर कर्म में करावनहार के रूप में साथी हैं।* 

➢➢  *अब स्वीट होम का गेट कब खोलेंगे?  गेट खोलने के पहले सामग्री तो आप तैयार करेंगे वा वह भी बाप करे - वह तैयार है? ब्रह्मा बाप तो एवररेडी है ही। अब साथी भी एवररेडी चाहिए ना।*  

➢➢  *अभी जो खजाने बाप के मिले हैं, उन्हें बाँटते रहो। महादानी बनो। सदैव कोई भी आवे तो आपके भण्डारे से खाली न जाए। ज्ञान का फाउन्डेशन पड़ा हुआ है, वही बीज अभी फल देगा।*

➢➢  *सभी की सर्विस एक जैसी नहीं होती। वैरायटी आत्मायें हैं, वैरायटी सेवा का तरीका है। ज्यादा सोचने से नहीं होगा, स्वत: होगा। अपने को सदा बाप के समीप रत्न समझो, अधिकारी जन्म से हो।* (सावित्री बहन से : जन्म से फास्ट गई ना। समीप रहने का वरदान जन्मते ही मिला)। साकार में समीप रहने का वरदान कितनों को मिला। गिनती करो तो ऐसे वरदानी ढूँढते भी मुश्किल मिलेंगे इसलिए बाप के समीप समझते हुए आगे बढ़ते रहो। जितना होता, जैसा होता कल्याणकारी।