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  27 / 10 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  आधाकल्प जो भी शरीर छोड़ेंगे तो उनकी बरसी, क्रियाक्रम नहीं करेंगे। गऊदान करना, पित्रों को खिलाना, आदि नहीं होगा क्योंकि दान किया जाता है कि दूसरे जन्म में मिले। *सतयुग में तुम इस समय की प्रालब्ध खाते हो। तो भक्ति की रसम-रिवाज और ज्ञान की रसम-रिवाज में अन्तर है।*

➢➢  लोग कह देते हैं कि परमात्मा युगे-युगे आता है। फिर कहते हैं परमात्मा के 24 अवतार हैं। तो यह रांग है ना। *मुझे बुलाते हैं कि पतितपावन आओ, आकर पतितों को पावन बनाओ। तो अब तुम्हारी युद्ध है माया रावण से। तुम्हारी कोई स्थूल युद्ध नहीं है। तुम रावण पर जीत पाते हो।*

➢➢  *वह गवर्मेन्ट तो कांटों का सैपलिंग लगाती है। यहाँ पाण्डव गवमेन्ट देवता धर्म की सैपलिंग लगाते हैं।* कितना फर्क है। जब देवता धर्म का सैपलिंग पूरा होगा तब ही इस पुरानी दुनिया का विनाश होगा।

➢➢  *देलवाड़ा मन्दिर में भी है कि नीचे तपस्या कर रहे हैं, ऊपर में उनकी प्रालब्ध स्वर्ग है।* तो ऊंच मंजिल तो है ही। कहते हैं ना कि चढ़े तो चाखे प्रेम रस... यानी वैकुंठ" रस, गिरे तो चकनाचूर, इसलिए बड़ी सावधानी से चलना पड़ता है। डरना नहीं है।

➢➢  तो अब बाप के साथ चलने की तैयारी  है। यह नहीं कि वहाँ तुम्हारी कोई बर्थ डे या बरसी आदि मनायेंगे। *यहाँ गाँधी की कितने धूमधाम से मनाते हैं। ऐसे नहीं कि शिवबाबा ज्ञान देकर चला जायेगा तो फिर तुम सतयुग में उनकी जयन्ती मनायेंगे, नहीं।* आधाकल्प जो भी शरीर छोड़ेंगे तो उनकी बरसी, क्रियाक्रम नहीं करेंगे।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  गीत सुना चारों तरफ लगाये फेरे.. फिर भी हरदम दूर रहे.. बाप कहते हैं तुमने भक्ति मार्ग में कितना माथा मारा है फिर भी मुझसे मिल न सके क्योंकि *जब मैं आऊं तब तो मुझे मिल सको। मैं आता ही हूँ कल्प-कल्प संगमयुग पर।*

➢➢  *सतयुग में तुम इस समय की प्रालब्ध खाते हो। तो भक्ति की रसम-रिवाज और ज्ञान की रसम-रिवाज में अन्तर है।* जो भी विशालबुद्धि वाले हैं वह इन बातों को समझेंगे और जो कल्प पहले विशालबुद्धि बने होंगे वही अब बनेंगे क्योंकि फिर से वही पार्ट बजाना है।

➢➢  यहाँ मौत सबके सिर पर है। *सतयुग में मौत का भी डर नहीं क्योंकि वहाँ अकाले मृत्यु नहीं होता। तो बाप ऐसी दुनिया में ले जाते हैं। तो ऐसे बाप की श्रीमत पर चलना चाहिए।* यह सुप्रीम टीचर भी है, तो बच्चों को पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए।

➢➢  कहते हैं ज्ञान अमृत मुख में हो, गंगा का तट हो.... तब प्राण तन से निकले। तो पढ़ाई का इतना कदर होना चाहिए। *अगर लाचारी हालत में क्लास में नहीं ले जा सकते हो तो उनको घर में भी शिवबाबा याद कराना चाहिए।*

➢➢  *भारतवासियों के ही 84 जन्म हैं और धर्म वाले तो 84 जन्म नहीं लेते। कहते हैं आत्मा परमात्मा अलग रहे बहुकाल.. अब इस अर्थ को नहीं जानते हैं।* गाते ही रहते हैं, जानते तो कुछ भी नहीं। यह ब्रह्मा भी बेगर था ना, इसने भी बहुत गुरू किये हुए थे।

➢➢  *मुझे बुलाते हैं कि पतितपावन आओ, आकर पतितों को पावन बनाओ। तो अब तुम्हारी युद्ध है माया रावण से। तुम्हारी कोई स्थूल युद्ध नहीं है। तुम रावण पर जीत पाते हो।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तो बाबा कहते हैं - बच्चे पढ़ाई को नहीं छोड़ना। नहीं तो माया अजगर खा जायेगी फिर पछताना पड़ेगा।*

➢➢  *तुम सचखण्ड की स्थापना कर रहे हो। तुम्हारे ऊपर बड़ी जवाबदारी है, इसलिए खबरदारी रखनी है।*

➢➢  तुम रावण पर जीत पाते हो। उसमें भी मुख्य योद्धा कौन है ? काम। *तो इस विकार पर जीत पानी है अर्थात् पवित्र बनना है।*

➢➢  सतयुग में मौत का भी डर नहीं क्योंकि वहाँ अकाले मृत्यु नहीं होता। तो बाप ऐसी दुनिया में ले जाते हैं। *तो ऐसे बाप की श्रीमत पर चलना चाहिए।*

➢➢  तुम सचखण्ड की स्थापना कर रहे हो। तुम्हारे ऊपर बड़ी जवाबदारी है, इसलिए खबरदारी रखनी है। *मेहनत है, पढ़ना और पढ़ाना है। ऐसे नहीं सिर्फ पढ़ना है।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *देखो कितने वेद, शास्त्र, उपनिषद बनाये हैं, परन्तु एक भी यथार्थ अर्थ को नहीं जानते। यथार्थ अर्थ न जानने के कारण वेस्ट आफ टाइम, वेस्ट आफ मनी करते हैं।*

➢➢  *बाप समझाते हैं तुमने बहुत-बहुत मन्दिर, वेद, उपनिषद आदि बनाये हैं। यज्ञ-जप-तप किये हैं। कितना पैसा खर्च किया है।* यह बाप किसको समझाते हैं, जो जीते जी मरकर बाप के बनते हैं।

➢➢  *तुम प्रवृत्ति मार्ग वाले हो, 8 घण्टा भल घर का काम करो। गवर्मेन्ट भी कायदा निकालती है कि 8 घण्टा काम करो।* आगे तो जब स्टीम्बर बाहर से रात को आते थे तो सारी-सारी रात भी दुकान खोलकर काम करते थे। तुमको भी घर के  मधुबन काम से फारिग हो फिर इस सर्वीस में लग जाना है। सर्विस करना गवर्मेन्ट खुद सिखलाती है।

➢➢  यहाँ भी तुमको बाप सिखलाते हैं तो तुमको आनली गॉडली सर्विस करनी है। *सिर्फ ओनली सर्विस नहीं। ओनली हो गई सिर्फ अपनी बुद्धि की, खुद को पवित्र बनाना। परन्तु हमको तो भारत को स्वर्ग बनाना है।* तो तुम्हारे ऊपर बहुत जिम्मेवारी है।

➢➢  *जैसे उस सेना पर जिम्मेवारी रहती है। चीफ कमान्डर, कैपटन आदि पर अधिक जवाबदारी रहती है। यहाँ भी ऐसे हैं। जो अच्छे-अच्छे बच्चे सेन्टर खोलते हैं वह हो गये कमान्डर।* तो उन पर जवाबदारी है। तो यह हर एक को देखना है कि हम सर्विस के बजाए कहाँ डिससर्विस तो नहीं करते हैं।

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