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  20 / 12 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *निराकार से वर्सा कैसे मिला- यह प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण सो देवता बन रहे हैं। फिर वही देवतायें 84 जन्मों के बाद ब्राह्मण बनते हैं।* यह चक्र बुद्धि में रहना चाहिए। *हम सो ब्राह्मण, ब्रह्मा के बच्चे सो रूद्र (शिव) के बच्चे। हम आत्मायें निराकारी बच्चे हैं।*

➢➢  *अभी आत्मा अपने घर में जा नहीं सकती क्योंकि वह ताकत ही नहीं रही है।* कमजोर हो गई है, उड़ नहीं सकती। *आत्मा पर पापों का बोझ बहुत है, शरीर पर अगर बोझा होता तो आग से पवित्र हो जाता, परन्तु आत्मा में ही खाद पड़ती है। तो आत्मा ही साथ में हिसाब-किताब ले जाती है इसलिए कहा जाता है - पास्ट का कर्मभोग है।*

➢➢  *बाप कहते हैं, मैं संगम पर आता हूँ। यह बीच का ब्राह्मण धर्म ही अलग हो जाता है। कलियुग में है शूद्र धर्म। सतयुग में है देवता धर्म। यह है ब्राह्मण धर्म। तुम ब्राह्मण धर्म के हो।*

➢➢  देवी-देवता धर्म भी स्थापन हो रहा है *और कोई भी धर्म वाले राजाई नहीं स्थापन करते। वह सिर्फ धर्म स्थापन करते हैं। बाबा कहते हैं मैं आदि सनातन धर्म और राजाई स्थापन कर रहा हूँ, इसलिए रिलीजो पोलीटिकल कहा जाता है।*

➢➢  तुम जानते हो बाबा ने हमको ब्रह्मा द्वारा गोद लिया है। *यूं तो तुम सब आत्मायें हमारे बच्चे हो, परन्तु तुमको पढ़ाऊं कैसे? राजयोग कैसे सिखलाऊं? तुम मीठे मीठे बच्चों को स्वर्ग का मालिक कैसे बनाऊ?* तुम जानते हो बाबा नई दुनिया स्थापन करते हैं। *तो भगवान जरूर बच्चों को लायक बनाकर वर्सा देंगे। कहाँ लायक बनायेंगे? संगमयुग में।*

➢➢  तुम जानते हो *यह बाबा का रथ है, इनको नंदीगण भी कहते हैं।* सारा दिन सवारी थोड़े ही होती है। आत्मा शरीर पर सारा दिन सवारी करती है। अलग हो जाए तो शरीर न रहे। बाबा तो आ-जा सकता है क्योंकि उनकी अपनी आत्मा है।* तो मैं इनमें सदैव नहीं रहता हूँ, सेकण्ड में आ-जा सकता हूँ।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाबा का फरमान है- याद की यात्रा करते रहो।* जैसे दौड़ाया जाता है फलाने स्थान को हाथ लगाकर आओ, फिर नम्बरवार होता है। यहाँ भी *जितना बाबा को जास्ती याद करेंगे, जो पहले दौड़ी लगाकर जायेंगे वही फिर पहले स्वर्ग में लौट आकर राज्य करेंगे।*

➢➢  बाप इशारा करते हैं- बच्चे तुम बुद्धियोग की दौड़ी लगाओ। यहाँ बैठे बाप को याद करो। *प्यार से याद करेंगे तो तुम बाप के गले का हार बन जायेंगे। तुम्हारे प्रेम के आँसू माला का दाना बन जाते हैं।*

➢➢  *योग से ही तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। अगर अभी भी पाप करते रहेंगे तो क्या बनेंगे।*

➢➢  *हमारा पुरुषार्थ ही है कि हम बाबा के गले का हार बनें, इसलिए बाबा को याद करते रहते हैं। बाबा का फरमान है - याद की यात्रा करते रहो।*

➢➢  *बाबा ईशारा करते हैं- मुझे याद करो, दूरादेशी बनो। तुम दूरदेश से आये हो। अब यह पराया देश विनाश हो जायेगा।*

➢➢  आजकल राकेट, एरोप्लेन आदि कितनी चीजें बनाई हैं। परन्तु सबसे तीखी आत्मा है। *तुम सब आत्मायें बुद्धि के योग से दौड़ रही हो। यहाँ बैठे हुए वहाँ दौड़ रही हो। तुम बाप को याद करो।* आत्मा को हिसाब-किताब अनुसार लण्डन में जन्म लेना होगा तो सेकण्ड में वहाँ जाकर गर्भ में प्रवेश करेगी। तो सबसे तीखी दौड़ी पहनने वाली आत्मा है।

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *यह चक्र बुद्धि में रहना चाहिए। हम सो ब्राह्मण, ब्रह्मा के बच्चे सो रूद्र (शिव) के बच्चे। हम आत्मायें निराकारी बच्चे हैं।*

➢➢ यात्रा पर जब जाते हैं तो पाप नहीं करते हैं। पवित्र भी जरूर रहते हैं। समझते हैं देवताओं के पास जाते है। मन्दिर में भी हमेशा स्नान करके जाते हैं। स्नान क्यों करते हैं? एक तो विकार में जाते हैं, दूसरा लेट्रीन में जाते हैं। फिर स्वच्छ बनकर देवताओं का दर्शन करने जाते हैं। यात्रा पर कब पतित नहीं बनते। 4 धामों की परिक्रमा पावन होकर देते हैं। तो *पवित्रता है मुख्य।*

➢➢ तुम्हारी बुद्धि में रहना चाहिए- हम मनुष्य से देवता बन रहे हैं। फिर देवता धर्म का बादशाह बन राज्य करेंगे। *बच्चों को बहुत दूरादेश बुद्धि बनना चाहिए।*

➢➢  बुद्धि में जो संकल्प आते हैं, वह संकल्प हैं बीज। वाचा और कर्मणा बीज का विस्तार है। अगर *संकल्प अर्थात बीज को त्रिकालदर्शी स्थिति मे स्थित होकर चेक करो, शक्तिशाली बनाओ तो वाणी और कर्म में स्वत: ही सहज सफलता है ही।*

➢➢  योग अग्नि से *व्यर्थ के किचड़े को जला दो तो बुद्धि स्वच्छ बन जायेगी।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *कोई को भी समझाना बहुत सहज है। चित्र दिखाना पड़े। त्रिमूर्ति का चित्र कितना अच्छा है।* ऐसा कायदे अनुसार त्रिमूति शिव का चित्र कहाँ है नहीं। ब्रह्मा को दाढ़ी दिखाते हैं। विष्णु और शंकर को नहीं दिखाते हैं। उनको देवता समझते हैं। ब्रह्मा तो प्रजापिता है।

➢➢  *देलवाड़ा मन्दिर का राज़ बहुत अच्छा समझा सकते हो।* यह पढ़कर गये हैं तब भक्ति मार्ग में यह यादगार बने हैं। *इन चित्रों पर समझाना बहुत सहज है। तपस्या कर रहे हैं फिर सतयुग में आयेंगे।*

➢➢  यह सब बातें तुम बच्चे ही जानते हो इसलिए *तुम प्रश्न पूछते हो, कोई नहीं बता सकेगा। अगर कहे आत्मा का फादर, गॉडफादर है। अच्छा- तुमको उनसे क्या वर्सा मिलना चाहिए? यह है पतित दुनिया। बाप ने पतित दुनिया तो नहीं रची है ना।*

➢➢  यहाँ *आदि देव महावीर नाम क्यों रखा है? मन्दिर में महावीर, महावीरनी और तुम बच्चे बैठे हो। उन्होंने माया पर जीत पाई है इसलिए महावीर कहा जाता है। तुम भी अनायास ही अपनी जगह पर आकर बैठे हो। वह तुम्हारा यादगार है। वह है जड़। फिर भी चित्र जरूर लगाना पड़े, जब तक चैतन्य के पास आकर समझे।*

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