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❍ 19 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *उन्होंने (भक्तिमार्ग) कलष लक्ष्मी को दिखाया है। परन्तु लक्ष्मी तो है ही पवित्र। वह ज्ञान कलष रखकर क्या करेगी। ज्ञान का कलष है जगत अम्बा पर।*
➢➢ बाप इस मनुष्य तन में आकर तुमको ज्ञान सुनाते हैं। *तुम जानते हो हम अब कब्रिस्तानी से परिस्तानी बन रहे हैं। यह है ज्ञान मानसरोवर। ज्ञान में गोता लगाते रहते हैं, बाकी पानी की बात नहीं है l*
➢➢ *कहते हैं भारत माता की जय अर्थात् भारत में रहने वाली माताओं की जय। जो मातायें विश्व को स्वर्ग बनाती हैं, ऐसी माताओं की जय। वह फिर भूल कर सिर्फ कह देते हैं भारत माता।*
➢➢ *सरस्वती को बड़ा बैन्जो दिया है क्योंकि वह सबसे तीखी है। दुनिया तो नहीं जानती। तुम जानते हो कि अब हम सांवरे से गोरे बनते हैं। तुम हो माँ की सेना हमजिन्स।*
➢➢ *सबसे पहले-पहले है शिव की महिमा, ऊच ते ऊंच वह है उनको ही भगवान कहेंगे। शिवबाबा ही वर्सा देते हैं। वह है निराकार, सभी आत्माओं का बाप।*
➢➢ कलकत्ते में काली की बहुत महिमा है। काली के पास जायेंगे, माँ-माँ कह इतना रोते हैं जो बात मत पूछो। होता तो कुछ भी नहीं है। *अब यह ब्रह्मा तो माँ है नहीं इसलिए कलष फिर माताओं को मिलता है।*
➢➢ *माताओं पर ही
सारी रेसपान्सबिल्टी है। वन्देमातरम् बाप भी कहते हैं। शिव बालक भी है तो
वन्देमातरम् करना पड़े ना। यह तुमको करते हैं, तुम उनको करती हो। वन्डर है ना l
यह भी ड्रामा की नूंध है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप बैठ माताओं को एम आब्जेक्ट का साक्षात्कार कराते हैं। तुम प्रिन्स की माँ बनेंगी। कृष्ण की माँ तो सब नहीं बनेंगी, प्रिन्स प्रिन्सेज तो बहुत हैं ना। प्रिन्स की माँ अर्थात् महारानी महाराजा बनेंगे।* तुम्हारा कितना अच्छा एम आब्जेक्ट है तुम्हारी गोद में प्रिन्स होगा।
➢➢ अरे बेहद के बाप से मिलने जाते हैं तो दौड़ते-दौड़ते आकर खुशी से मिलना चाहिए। हम तो जाकर बाबा की गोदी का हार बनें। थक नहीं जाना है। *तुम्हारी याद ही दौड़ी है। वह जिस्मानी दौड़ी है। यह तुम्हारी रूहानी दौड़ी है। चेहरा खुशी में खिल जाना चाहिए।*
➢➢ *दिन-प्रतिदिन बहुत सहज होता जायेगा। सहज होने से सहज निश्चय हो जायेगा। नये-नये अच्छे उछलने लग पड़ते हैं, पूरा निश्चय बैठ जाता है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ परमपिता परमात्मा वैकुण्ठ की ओपनिंग कराते हैं माताओं द्वारा। कलष माताओं पर ही रखते हैं। तो *माताओं को बहुत होशियार होना चाहिए l*
➢➢ यह दुनिया ही भ्रष्टाचारी है ना। बाप आकर माताओं को उठाते हैं। *गोपों का काम है मददगार बनना।* जो मेहनत करेगा वह ऊँच पद पायेगा। *अपने हमजिन्स पर रहम करना चाहिए,* इनका नाम ही है वेश्यालय। बाप आकर शिवालय बनाते हैं।*
➢➢ अब परमपिता परमात्मा ने फरमान निकाला है कि *काम महाशत्रु है, जो इन पर जीत पाये वही श्रेष्ठाचारी बन स्वर्ग के मालिक बनेंगे।*
➢➢ अब नई दुनिया स्थापन हो रही है। *शिवबाबा की सन्तान प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे भाई-बहन, विष की लेन-देन कर न सकें।* यह है युक्ति। कल्प पहले भी बाप ने ऐसे ही पवित्र बनाया था। हम माया रावण पर जीत पाते हैं।
➢➢ तुम कहते हो बाबा जैसा हूँ, वैसा हूँ, आपका हूँ। यह भी कहते हैं जैसे हो वैसे हो मेरे हो, परन्तु *श्रीमत पर चलना है।* सजनियाँ तो सब हैं। सब कहेंगी हम ईश्वर के हैं। अब तुमको समझानी भी दी जाती है, *शिवबाबा की सब सन्तान हैं। यह सिद्ध करना है l*
➢➢ *बाप समझाते हैं पवित्र बनो।* तुम माताओं के साथ मददगार गोप भी हैं। *शिवबाबा के बच्चे तो सभी हैं, तो भाई-भाई हो गये। फिर प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान होने से भाई-बहन ठहरे।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ सुखधाम की स्थापना अर्थ माताओं को ही रखा गया है। बच्चों पर बाप रेसपान्सिबिल्टी रखते हैं।* ऐसे नहीं कि इन गुरूओं पर बाप ने कोई रेसपान्सिबिल्टी रखी है कि सबको सद्गति दो। अभी तुम जान गये हो कि सद्गति देना इन माताओं का काम है। सद्गति होती है ज्ञान से। ज्ञान अमृत का कलष माताओं पर रखा है। जैसे ओपनिंग की सेरीमनी वा स्थापना की सेरीमनी की जाती है ना। तो *अब तुम बच्चियों को अपने हमजिन्स का उद्धार करना है।*
➢➢ बाबा तुम माताओं का नाम बाला करते हैं। स्वर्ग की ओपनिंग सेरीमनी कराते हैं। तुम कहती हो शिवबाबा हम माताओं द्वारा विश्व को स्वर्ग बनाते हैं। *भीष्म पितामह आदि को भी तुमने ज्ञान बाण मारे हैं। तो बाप कहते हैं ज्ञान बाण लगाने में डरो मत। पढ़ना है, पढ़ाना है। तुम सेना ही निमित्त बनी हुई हो।*
➢➢ *तुम बच्चियों पर बहुत जवाबदारी है। तुम्हारा बड़ा संगठन होना चाहिए। मेमोरण्डम बनाना चाहिए।* हम शिव शक्ति भारत मातायें हैं। हमने भारत को कल्प पहले भी स्वर्ग बनाया है श्रीमत पर।
➢➢ *बच्चियों को खड़ा होना चाहिए, शक्तिदल है ना l जलवा दिखाना चाहिए। गवर्मेन्ट को कहना चाहिए कि भगवान बाप कहते हैं पवित्र बनो। हम कल्प-कल्प भारत को पवित्रता के बल से स्वर्ग बनाते हैं,* इसमें हमको यह विध्न डालते हैं। हम पवित्र रहना चाहती हैं। परन्तु ऐसे भी नहीं बाहर से कहते रहो हमारा तो एक दूसरा न कोई और अन्दर में और कोई खींचता रहे। ऐसे भी काम न चल सके।
➢➢ *अभी तुम माताओं को कलष मिलता है। समझाना है कि हम तो स्वर्ग के द्वार खोलती हैं। गवर्नमेंट को बताना है - वह तो हठयोग सिखलाते हैं, हम राजयोग सिखलाते हैं इसलिए हमको सैलवेशन मिलनी चाहिए।*
➢➢ *बाबा ने समझाया है - तुम वेश्याओं को भी समझाओ कि यह गंदा धन्धा अब बन्द करो। तुम स्वर्ग का द्वार बनो। तुम यह काम करके दिखाओं तो तुम्हारा नाम बहुत बाला हो।* कितनी अच्छी-अच्छी बातें धारण करने की हैं। *बच्चियां खड़ी हो जाएं तो बहुत काम कर सकती हैं। जाना तो तुम माताओं को है। जहाँ भी वेश्यायें हैं उन्हों का संगठन बनाओ। बड़ों-बड़ों को समझाओ।*
➢➢ यह संगमयुग है ही कल्याणकारी। *पवित्रता पर खूब रड़ी मारनी है।* इन वेश्याओं पर रहम करना है। गवर्मेन्ट भी अब उन्हों को कुछ न कुछ काम में लगाती रहती है। *तुम ऐसा समझाओ जो अखबार में भी पड़े कि ब्रह्माकुमार-कुमारियां तो वेश्याओं को भी नॉलेज दे इस गन्दे धन्धे से छुड़ाती हैं क्योंकि काम महाशत्रु है, इनसे तुम पतित गन्दे बनते हो।*
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