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❍ 31 / 07 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अविनाशी शिवबाबा से हम स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं,* यह तो बड़ी खुशी की बात है ना। *हमको शिवबाबा ने अपनाया है फिर से स्वर्ग के मालिक बनाने,* हम मालिक थे। परन्तु *पुनर्जन्म लेते-लेते अब नर्क के मालिक बने हैं, फिर स्वर्ग का मालिक बनेंगे।*
➢➢ *तुम शिवबाबा के बने हो ब्रह्मा द्वारा। वह भी बाबा है, यह भी बाबा है।* इतने ब्रह्माकुमार कुमारियां हैं, वर्सा कहाँ से मिलता है? शिवबाबा से। वह तो है ही नई दुनिया का रचयिता।
➢➢ तुम बच्चों को बाबा अभी अच्छे कर्म करना सिखलाते हैं। ऐसे अच्छे कर्म और कोई सिखला न सके। *तुम श्रेष्ठ बन रहे हो। शरीर छोड़ेंगे तो भी ऊंच कर्म ही जाकर करेंगे क्योंकि तुम्हारी चढ़ती कला है फिर जो जितना पुरुषार्थ करेगा।*
➢➢ *यह तो गपोड़े मारते रहते हैं कि फलाना निवार्णधाम में गया वा ज्योति ज्योत समाया। जाता एक भी नहीं है। जो भी एक्टर हैं सबको हाजिर यहाँ होना है। जब तक विनाश शुरू न हो तब तक हाजिर होना है।*
➢➢ *तुम एक धर्म के हो, जो ब्रह्माकुमार कुमारियाँ बने हो, पीछे फिर और धर्मो की वृद्धि होती जाती है। सतयुग में एक ही देवी-देवता धर्म होगा। फिर इस्लामी लोग निकलते हैं। आत्मायें आती ही रहती हैं। जब वहाँ से आना पूरा हो जाता है तब लड़ाई लगती है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप स्वर्ग का मालिक बनाते हैं और क्या चाहिए।* बाप को भूलने कारण तुम घबराते हो, हैरान होते हो और विकर्म करते हो। *बाबा लेने के लिए आये हैं। बाबा कहते हैं बच्चे मुझे याद करो* तो इतना ऊंच पद पायेंगे।
➢➢ *यहाँ तुम सम्मुख बैठे हो तो नशा चढ़ता है।* बाबा जानते हैं घर जाने से तुम बच्चे भूल जाते हो। माया भुला देती है। *यहाँ तुम्हारी बुद्धि में कोई साधू सन्त गुरू वा लौकिक सम्बन्धी नहीं हैं। अभी है पारलौकिक सम्बन्ध।*
➢➢ *शिवबाबा इसमें प्रवेश होकर हमको स्वर्ग का वर्सा देते हैं।* निराकार को जरूर साकार में आना पड़े। *कहते हैं सिकीलधे बच्चे तुम फिर से स्वर्ग का वर्सा लेने के लिए आये हो।*
➢➢ *आत्मा को जब अतीन्द्रिय सुख मिलता है तो खुशी होती है। अब बाबा मुझे मिला है। बाबा सभी दु:खों से लिबरेट करते हैं* क्योंकि वह सुखदाता है।
➢➢ *लाडले बच्चे मुझे याद करो तो विकर्मो का बोझा उतर जाये, नहीं तो भोगना पड़ेगा फिर उस समय बहुत फील होगा।* अन्त में ऐसी भासना आती है जैसे बहुत समय से भोगना भोग रहे हैं, हिसाब-किताब चुक्तू होता है तब वापिस जाते हैं। वह सारा साक्षात्कार होता रहेगा।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम देखते हो हम बाप के सम्मुख बैठे हैं। हम बच्चे दादे के वर्से के हकदार हैं। *पावन जरूर बनना है।* पावन बनने बिगर आत्मा उड़ नहीं सकती।
➢➢ *तुमको तो एक शिवबाबा को ही याद करना है। कोई भी गुरू गोसाई आदि का फोटो भी नहीं रखना है।* निराकार शिवबाबा का फोटो तो निकल न सके।
➢➢ *पूछा भी जाता है कि शिवबाबा से आपका क्या सम्बन्ध है? तुम कहेंगे हम उनके अविनाशी बच्चे हैं। फिर प्रजापिता ब्रह्मा के साकारी बच्चे हैं,* क्योंकि पुनर्जन्म लेते रहते हो। यहाँ आये हो फिर से स्वर्ग का वर्सा लेने। अभी नर्क में हैं। तुम अब संगम पर हो, कितनी सहज बात है। बुढियां भी धारण कर सकती हैं, *यह भूलना नहीं है।*
➢➢ हम शिवबाबा के पोत्रे ब्रह्मा के बच्चे हैं। यह तो बच्चों को बहुत अपार खुशी होनी चाहिए। इसलिए *सिवाए ज्ञान के और किसी की भी ग्लानि आदि उल्टी सुल्टी बातें सुनो नहीं।*
➢➢ भल कितना बड़ा आदमी होगा तो भी बाबा कहेंगे, तुम्हारी माया बड़ी दुश्मन है। बाबा समझाते हैं, तुम फालतू बातें नहीं करना। *तुम मम्मा बाबा कहते हो तो फालो कर ऊंच पद पाओ।*
➢➢ शिवबाबा है ही स्वर्ग की स्थापना करने वाला। मुसलमान कहते हैं बहिश्त स्थापन करने वाला। अभी तुम उनके बच्चे बने हो, ऐसे बाप को भूलो नहीं। माया कितनी जबरदस्त है। तो बाबा कहते हैं *इस बचपन को भूल मत जाना,* बच्चे तो सब हैं ना।
➢➢ तुम अभी ऐसे बापदादा के सम्मुख बैठे हो तो बाप समझाते हैं बच्चे *कोई विकर्म नहीं करो।* नये आयेंगे तो कहेंगे अच्छा आज प्रतिज्ञा करो - *मुझे भूलना नहीं है।* माया तुमको बार-बार भुलायेगी इसलिए बाप समझाते हैं, वारनिंग दी जाती है, मुरली से भी सब बच्चे सुनेंगे, समझेंगे बाबा मधुबन में बच्चों को ऐसे बैठे समझाते हैं।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *शिवबाबा कहते हैं इस ब्रह्मा तन में प्रवेश कर इनको बच्चा बनाता हूँ। फिर इन द्वारा और बच्चे एडाप्ट करते हैं। उन्हों को शिक्षा दे फिर स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।*
➢➢ *तुम्हारा धन्धा ही यह है - बाप से वर्सा पाने की युक्ति बताना।* बाबा ने समझाया था तुम्हारा *परमपिता परमात्मा से क्या सम्बन्ध है! वह बोर्ड लगा दो। बड़ी अच्छी लिखत हो। ब्रह्माकुमारियों का नाम सुनते डरते हैं तो फिर और युक्ति से लिखा जाता है। बोर्ड पढ़ेंगे तो बापदादा का परिचय मिल जायेगा, जरूर साकार द्वारा ही वर्सा मिलेगा।* शिवबाबा है ही स्वर्ग की स्थापना करने वाला।
➢➢ *शिवबाबा सभी को दु:खों से लिबरेट करते हैं क्योंकि वह सुखदाता है। सभी मनुष्यों का वह लिबरेटर है। लिबरेटर माना सद्गति दाता। मनुष्यों की ही सद्गति करेंगे। जानवरों की तो बात नहीं, लिबरेटर गाइड है मनुष्यों का। उनको नालेजफुल, ब्लिसफुल कहते हैं। अभी तो अनेक धर्मो का विनाश और एक धर्म की स्थापना हो रही है।*
➢➢ *ऐसे नहीं कि तुम कोई 84 लाख जन्म भोग आये हो। लाखों जन्मों की बात ही नहीं। यह तो 84 जन्मों का चक्र है। क्रिश्चियन घराने के 3000 वर्ष पहले हेविन था, फिर हेल कैसे बना, यह कोई भी नहीं जानते। बाप बैठ अच्छी रीति समझाते हैं।*
➢➢ *शिवबाबा जो निराकार है, वह इस तन में प्रवेश करते हैं। वह हमें श्रीमत देते हैं कि मुझ निराकार शिवबाबा को याद करो। सभी आत्माओंको कहते हैं क्योंकि वह सर्व का लिबरेटर है।*
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