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  30 / 07 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  एक हैं आत्माओं को बाप का परिचय दे बाप के वर्से के अधिकारी बनाने के निमित्त सेवाधारी और दूसरे हैं यज्ञ सेवाधारी। *यज्ञ का एक-एक कणा मुहरों के समान है। अगर कोई एक कणें जितना भी सेवा करते हैं तो मुहरों के समान कमाई जमा हो जाती है।*

 

➢➢  *आजकल की निमित्त बनी हुई अल्पकाल की अधिकारी आत्मायें भी पहले से अपनी तैयारी रखती हैं। तो आप सबकी भी पहले से तैयारी चाहिए ना। उस समय सोचने की भी मार्जिन नहीं मिलनी है। करूं न करूं, यह करूं ऐसे सोचने वाले साथी के बजाए बराती बन जायेंगे।*

 

➢➢  *चाहे कितना भी संस्कार व परिस्थितियाँ नीचे -ऊपर हो लेकिन जो सदा बाप के साथ है, साथ फॉलो फादर, सदा सी फादर है, वह सदा निर्विघ्न रहेंगे और अगर कहाँ भी किसी आत्माओ को देखा, आत्माओ को फॉलो किया तो हलचल में आ जाएंगे।*

 

➢➢  *तन की शक्ति, मन की शक्ति, धन की शक्ति, सहयोग देने की शक्ति, जो भी शक्तियाँ है, समय की भी शक्ति है - इन सबको समर्थ कार्य मे लगाओ। स्वयं को सदा उड़ती कला में उड़ाओ।*

 

➢➢  बाबा के बच्चे हैं, मेरे हैं इसको भूल जाओ। अगर मेरे बनायेंगे तो उन आत्माओं को भी बेहद के अधिकार से दूर कर देंगे। *आत्मा चाहे कितनी भी महान् हो लेकिन सर्वज्ञ नहीं कहेंगे इसलिए किसी भी आत्मा को बेहद के वसें से वंचित नहीं करना। नहीं तो वो ही आत्मायें आगे चल मेरे बनाने वालों को उल्हनें देगी कि हमें वंचित क्यों बनाया।*

 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अन्त: वाहक स्थिति अर्थात् कर्मबन्धन मुक्त, कर्मातीत - ऐसी कर्मातीत स्थिति का वाहन अर्थात् अन्तिम वाहन, जिस द्वारा ही सेकण्ड में साथ में उड़ेंगे।*

 

➢➢  *बापदादा इस साकारी देह और दुनिया में दूर-देश निवासी बनाने के लिएेे आते हैं। दूर-देशवासी सभी को इस देह और दुनिया से दूर ले जाते है।* दूर-देश में यह देह नहीं चलेगी।

 

➢➢  *पावन आत्मा अपने देश में बाप के साथसाथ चलेगी। तो चलने के लिए तैयार हो गये हो वा अभी तक कुछ समेटने के लिए रह गया है?* अपने स्वीट होम में जाने के लिए सर्व विस्तार को बिन्दी में समाना पड़े।

 

➢➢  *समाप्ति-समारोह मना लो, उड़ती कला का उड़न आसन सदा तैयार हो।* लड़ाई का इशारा मिला और भागा। *संकल्प किया कि जाना है, डायरेक्शन मिला अब चलना है तो डबल लाइट के उड़न आसन पर स्थित हो उड़ना!*

 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  अभी यह होना है, यह होना है, उसके बाद होगा, ऐसे तो नहीं सोचते हो? तैयारी सब करो। सेवा के साधन भी भल अपनाओ। नये-नये प्लैन भी भले बनाओ। लेकिन किनारों में रस्सी बांधकर छोड़ नहीं देना। *किनारे की रस्सियाँ सदा छूटी हुई हो अर्थात् सबसे छुट्टी लेकर रखो।* कोई भी किनारे में लगाव की रस्सी न रह जाए। *प्रवृत्ति में आते कमल बनना भूल न जाना।* सब *प्रवृत्तियों के बन्धनों से पहले से ही विदाई ले लो।*

 

➢➢  अब नई -नई  रस्सियाँ भी तैयार कर रहे है। पुरानी टूट रही है। समझते भी नई रस्सियाँ बांध रहे है क्योंकि चमकीली रस्सियाँ है। रस्सियों में बंधने की रेस में एक दो से बहुत आगे जा रहे है,इसलिए *सदा विस्तार में जाते सार रुप में रहो।*

 

➢➢  अभी सेवा का विस्तार बहुत तेजी से बढ़ रहा है और बढ़ना ही है लेकिन जितना विस्तार वृद्धि को पा रहा है, उतना विस्तार से न्यारे और साथ चलने वाले प्यारे, यह बात नहीं भूल जाना।  खूब सेवा करो लेकिन न्यारेपन की खूबी को नहीं छोड़ना। आप या तो बिल्कुल न्यारे हो जाते या तो बिल्कुल प्यारे हो जाते, इसलिए *न्यारे और प्यारेपन का बैलेन्स रखो।*

 

➢➢  समेटने की शक्ति अभी कार्य में ला सकते हो वा मेरी सेवा, मेरा सेन्टर, मेरा जिज्ञासु, मेरा लौकिक परिवार या लौकिक कार्य- यह विस्तार को याद करेंगे? *समाने की शक्ति, समेटने की शक्ति धारण करनी है।* तभी समय प्रमाण बापदादा का डायरेक्शन मिले कि सेकण्ड में अब साथ चलो तो सेकण्ड में विस्तार को समा सकेंगे।

 

➢➢  *हरेक आत्मा प्रति विशेष अनुभवी मूर्त बन विशेष अनुभवों की खान बन, अनुभवी मूर्त बनाने का महादान करो,* जिससे हर आत्मा अनुभव के आधार पर अंगद समान बन जाए। चल रहे हैं, कर रहे हैं, सुन रहे हैं, सुना रहे हैं, नहीं। लेकिन अनुभवों का खजाना पा लिया - ऐसे गीत गाते खुशी के झूले में झूलते रहें।

 

➢➢  सेवा के उत्सवों के साथ उड़ती कला का उत्साह बढ़ता रहे तो सेवा के उत्सव के साथ-साथ उत्साह अविनाशी रहे, ऐसे उत्सव भी मनाओ। *सदा उड़ती कला के उत्साह में रहना है और सर्व का उत्साह बढ़ाना है।*

 

➢➢  *सदा विध्न-विनाशक, शक्तिशाली आत्मा बनने की विधि सिखाने के लिए विशेष अटेन्शन दो।* वृद्धि के साथ-साथ विधि सिखाने का, सिद्धि स्वरूप बनाने का भी विशेष अटेन्शन। स्नेही, सहयोगी तो यथाशक्ति बनने ही हैं लेकिन शक्तिशाली आत्मा, जो विघ्नों का, पुराने संस्कारों का सामना कर महावीर बन जाए, इस पर और विशेष अटेन्शन। 

 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *सेवाधारियों को वर्तमान समय एक तो मधुबन वरदान भूमि में रहने के चांस का भाग्य मिला और दूसरा सदा श्रेष्ठ वातावरण उसका भाग्य और तीसरा सदा कमाई जमा करने का भाग्य।*

 

➢➢  *वर्तमान समय सेवा की रिजल्ट में क्वान्टिटी बहुत अच्छी है लेकिन अब उस क्वान्टिटी में क्वालिटीज़ भरो।* वृक्ष में पत्ते भी हों और फल भी हों या सिर्फ पत्ते हों? पत्ते वृक्ष का श्रृंगार हैं और फल सदाकाल के जीवन का सोर्स हैं इसलिए *हर आत्मा को प्रत्यक्षफल स्वरूप बनाओ अर्थात् विशेष गुणों के, शक्तियों के अनुभवी मूर्त बनाओ।*

 

➢➢  *स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी, ऐसे वारिस क्वालिटी को बढ़ाओ। सेवाधारी बहुत बने हो लेकिन सर्वशक्तियों धारी ऐसी विशेषता सम्पन्न आत्माओं को विश्व की स्टेज पर लाओ।*

 

➢➢  *हर एक को यह लक्ष्य रखना है कि हरेक को भिन्न-भिन्न वर्ग के आत्माओं की सेवा कर वैरायटी वर्गों की हर आत्मा को बाप का बनाकर वैरायटी वर्ग का गुलदस्ता तैयार कर बाप के आगे लाना है।* लेकिन हों सभी रूहानी रूहे गुलाब।

 

➢➢  *ऐसा कर्तव्य करके जाओ - जो आपका यादगार बन जाये और फिर कभी आवश्यकता पड़े तो आपको ही बुलाया जाए। अथक होकर जो सेवा करते हैं उनका फल वर्तमान और भविष्य दोनों जमा हो जाता है।*

 

➢➢  *वृक्ष भल वैरायटी हो, वी.आई.पी. भी हों तो अलग-अलग आक्यूपेशन वाले भी हों, साधारण भी हों, गांव वाले भी हों लेकिन सबको अनुभवों की खान द्वारा अनुभवी मूर्त बनाकर प्राप्ति स्वरूप बनाकर सामने लाओ* - इसको कहा जाता हैरूहानी रूहेगुलाब। मेरा गुलदस्ता सबसे अच्छा है- तो रूहेगुलाब नहीं बन सकेंगे। मेरापन लाया तो गुलदस्ता मुरझाया।

 

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