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  19 / 09 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  प्रदर्शनी में तो बहुत सुनेंगे, कुछ न कुछ बुद्धि में बैठेगा। आयेंगे भी वही जो स्वर्ग में रहने वाले होंगे। *जो थोड़ा बहुत सुनेंगे वह तो प्रजा में आ ही जायेंगे। योग तो लगाते नहीं, विकर्म विनाश तो हो न सके, तो पद कहां से मिलेगा।*

➢➢  *तुम बच्चे जानते हो यह भारत अविनाशी खण्ड है। यह भारत ही सचखण्ड और झूठखण्ड बनता है। सचखण्ड को स्वर्ग, झूठखण्ड को नर्क कहा जाता है।* 

➢➢  *यहाँ मुख्य बात है ही पवित्रता की।* आत्मा जो आइरन एज में आकर काली बन गई है-खाद पड़ गई है, उसको निकालना है। तुम आत्माओंको अन्दर में ख्याल आना चाहिए। *शिवबाबा हमारे साथ बात कर रहे हैं। तो आत्म-अभिमानी बनना पड़े। आत्म-अभिमानी यहाँ परमपिता परमात्मा ही बनाते हैं* और कोई की ऐसी ताकत नहीं जो ऐसे आत्म-अभिमानी बन बैठकर समझाये।  

➢➢  *यह है अविनाशी खण्ड, यह विनाश नहीं होता। यह भी तुम जानते हो बरोबर सतयुग में और कोई खण्ड नहीं होता।* यह सब बाद में आये हैं। फिर सब खलास हो जायेंगे। *अविनाशी खण्ड भारत ही रहेगा और सब खत्म हो जायेंगे। नाम-निशान ही गुम हो जाता है।* यह नालेज अभी ही तुम बच्चों की बुद्धि में है और कोई भी नहीं जानते हैं। 

➢➢  *भारत पवित्र से पवित्र खण्ड था। भारत को कहा जाता है - धर्म क्षेत्र। दान-पुण्य जितना यहाँ होता है और कहीं नहीं होता। यहाँ फिर से तुमको सारे विश्व के मालिकपने का वर्सा देते हैं। तुम इतना ऊंच वर्सा लेते हो।* तुमको यह वर्सा था फिर गँवाया है। हार जीत होती है ना। *अभी तुम जानते हो हम जीत पा रहे हैं, फिर हार खायेंगे। यह हार और जीत का राज बुद्धि में फिरता रहेगा।* जीत कैसे पाते हैं और फिर हार कैसे खाते हैं।

➢➢  *अभी ही बाप द्वारा तुम नालेजफुल बनते हो। इस नालेज के आधार से तुम जाकर प्रालब्ध पाते हो।* ड्रामा की रील फिरती रहती है, जो इमर्ज होता है उसी अनुसार तुम्हारी एक्ट चलती रहती है। *84 जन्मों की एक्ट ड्रामा में नूँधी हुई है। आत्मा कितनी छोटी है-इसमें सारा पार्ट नूँधा हुआ है, जो रिपीट होता रहता है।* इसको कुदरत कहा जाता है। इस कुदरत को कोई नहीं जानते। *इतनी छोटी आत्मा में कितना पार्ट है जो कभी विनाश नहीं हो सकता।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  मुख्य बात है ही एक। बाप कहते हैं *मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्मों का बोझा खत्म हो जाए।* 

➢➢  *सिवाए योग अग्नि के खाद निकल न सके।* नहीं तो कड़ी सजा खानी पड़ेगी। *तुम्हें तो पास विद् आनर बनना है।* 

➢➢  *तुम आत्मा ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ कर रही हो।* 

➢➢  *विकर्मों  का बोझा समाप्त करने के लिए याद में रहना है।* जब तक जीना है- ज्ञान अमृत पीते रहना है।

➢➢  *कर्म में योग का अनुभव करना ही कर्मयोगी बनना है।* 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  तुम बच्चों को यह पढ़ाई पढ़नी है। *स्टूडेन्ट का काम है जो नालेज मिलती है, उनको धारण करना।*

➢➢  *श्रीमत पर चलना चाहिए।* बहुत चलते-चलते पढ़ाई छोड़ देते हैं। अरे गाड फादर बैठा है, *जब तक जीना है ज्ञान अमृत पीते रहना है।* यह पढ़ाई है। पढ़ते-पढ़ते फिर नई दुनिया में ट्रांसफर हो जायेंगे। क्लास नम्बरवार ट्रांसफर होता है ना।

➢➢  *तुम गाडली स्टूडेन्ट हो, तुम्हें किसी भी हालत में एक दिन भी पढ़ाई मिस नहीं करनी है।* पढ़ेंगे लिखेंगे तो बनेंगे नवाब।

➢➢  *बाप की आज्ञाओं का उल्लंघन नहीं करना है। कुसंग से बचना है। रोज मुरली जरूर पढ़नी वा सुननी है।* 

➢➢  कोई किसी भी भाव से बोले वा चले लेकिन *आप सदा हर एक के प्रति शुभ भाव, श्रेष्ठ भाव धारण करो, इसमें विजयी बनो तो माला में पिरोने के अधिकारी बन जायेंगे,* क्योंकि सर्व के प्रिय बनने का साधन ही है *सम्बन्ध-सम्पर्क में हर एक के प्रति श्रेष्ठ भाव धारण करना।* ऐसे श्रेष्ठ भाव वाला सदा सभी को सुख देगा, सुख लेगा।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अगर कोई हास्पिटल में है-वहाँ भी जाए तुम उनको मुरली सुना सकते हो।* यह मोस्ट वैल्युबुल नालेज है। 

➢➢  विराट रूप नामीग्रामी है। वह भी बड़ा बनाना चाहिए। *भल हमारे इस चित्र में भी है-ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। परन्तु बाप कहते हैं कि विष्णु का चित्र बनाना चाहिए। ऊपर में चोटी भी देनी चाहिए। शिवबाबा भी ऊपर में देना चाहिए। स्टार मुआफिक है। फिर ब्राह्मणों की चोटी।* अंग्रेजी में भी लिखो- *यह बी.के. ब्राह्मण वर्ण है एक जन्म।* यह है मोस्ट वैल्युबुल जन्म। लीप जन्म, लीप युग है।

➢➢  *यह राजधानी स्थापन हो रही है। स्थापना जरूर संगम पर ही होगी ना। बाप कहते हैं मैं आता ही हूँ कल्प के संगमयुग पर।* उन्होंने फिर युगे-युगे लिख दिया है। 

➢➢  *है भी 4 युग अथवा 5 युग कहो फिर भी इतने अवतार क्यों दिखाये हैं। परशुराम अवतार, कच्छ-मच्छ अवतार, परशुराम अवतार के लिए फिर दिखाते हैं कि कुल्हाड़ी उठाए सब क्षत्रियों को मारा। *बाप कहते हैं-यह कैसे हो सकता है। क्या भगवान ने इतनी हिंसा कुल्हाड़ी से किया?* मनुष्य तो जो सुनते सब सत-सत करते रहते हैं। असत्य बात को भी सत्य मान लेते हैं।

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