━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

  04 / 11 / 17  

       MURLI SUMMARY 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  हम शूद्र कुल के थे, अब ब्रह्मण कुल के बने हैं। फिर सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी कुल के बनेंगे। *हम ब्राह्मण कुल, सूर्यवंशी कुल और चन्द्रवंशी कुल के तीनों वर्से एक ही बाप से ले रहे हैं।*

➢➢  *भारतवासी यह भी भूल गये हैं कि हम ही विश्व के मालिक थे। हमको बाप ने राज्य दिया था। सतयुग में यह नॉलेज रहती नहीं कि यह राज्य हमने कैसे पाया।* अभी तुम जानते हो हम यह राज्य कैसे पा रहे हैं।

➢➢  *ओम् शान्ति। ओम् शान्ति। जब दो बारी कहें तो एक बाबा कहते हैं, एक दादा कहते हैं। एक को आत्मा, दूसरे को परम आत्मा कहा जाता है* अर्थात् परमधाम में निवास करने वाले हैं इसलिए उनको परम आत्मा (परमात्मा) कहा जाता है।

➢➢  *भक्त लोग भी सवेरे उठकर ध्यान करते हैं। जाप करते हैं हनुमान का, शिव का। परन्तु उनसे कोई फायदा नहीं।* भल करके कोई के लक्षण अच्छे होते हैं परन्तु *उनसे कोई को मुक्ति-जीवनमुक्ति नहीं मिल सकती है।* उतरती कला होती है।

➢➢  *सतयुग त्रेता में कोई धर्म स्थापन करने आता ही नहीं है। भारत का एक ही धर्म रहता है। पीछे बाहर वाले इस्लामी, बौद्धी आदि आते हैं।* भारत बहुत प्राचीन देश है। पहले देवी-देवता ही थे, अभी और धर्मो में कनवर्ट हो गये हैं।

➢➢  लक्ष्मी-नारायण जो सतयुग में राज्य करते थे। वह भी दूसरे तीसरे जन्म में नीचे आते जाते हैं, उतरती कला होती जाती है। *आधाकल्प पूरा होगा तो वाम मार्ग में चले जायेंगे। फिर भक्तिमार्ग शुरू होगा, कितने ढेर मन्दिर बनते हैं।* अभी भी कितने मन्दिर हैं।

➢➢  *बाबा तो अविनाशी है। यह शरीर लोन पर लिया है।* तुम जानते हो हमने पूरे 84 जन्म लिए हैं। *बाबा तो पुनर्जन्म नहीं लेते, इस शरीर में प्रवेश कर आते हैं।*

────────────────────────

 

❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *आधाकल्प बाप को याद करते आये हो। शुरू-शुरू में ही सोमनाथ का मन्दिर बनता है। तो जरूर बाप को ही याद करेंगे।* जानते हैं यह बाप का मन्दिर है। बाप ने ही वर्सा दिया है। तो पहले-पहले मन्दिर भी बाप का बना है। तुम अभी बाप के वारिस बने हो। बाप विश्व का रचयिता है। उनसे ही वर्सा मिलता है।

➢➢  ब्रह्मा का रूप बिल्कुल ठीक है। बाप ने ही इनका नाम रखा है प्रजापिता ब्रह्मा, इसने पूरे 84 जन्म लिए हैं। *तुम भी कहेंगे हम सबने पूरे 84 जन्म लिए हैं तब पहलेपहले बाप से मिले हैं। हमारी राजाई फिर से स्थापन हो रही है।*

➢➢  मनुष्य जब पुकारते हैं तो अंग्रेजी में भी कहते हैं ओ गॉड फादर। तो पिता हुआ ना। *सिर्फ परमात्मा वा प्रभु, ईश्वर आदि कहने से इतना मजा नहीं आता। बाप कहने से सुख मिलता है। पारलौकिक बाप है ही सुख देने वाला तब तो भक्ति मार्ग में इतना याद करते हैं।*

➢➢  तुमको अभी सतयुग का वर्सा मिलता है फिर पुनर्जन्म लेते-लेते 84 जन्म तो भोगने ही हैं। *अब तुमको नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार 84 का चक्र बुद्धि में है और यह भी निश्चय है कि हमारा अन्तिम जन्म है। 84 जन्मों का चक्र लगाकर पूरा किया है।*

────────────────────────

 

❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *यह निश्चय हो कि बेहद के बाप से वर्सा लेना है।* बाप स्वर्ग रचते हैं तो जरूर स्वर्ग का वर्सा देंगे। यह उन्हों की बुद्धि में बैठेगा - जिन्होंने कल्प पहले निश्चय किया होगा।

➢➢  तुम देखते हो कई बच्चे सवेरे उठ नहीं सकते। 10-15 वर्ष मेहनत करते आये हैं तो भी समय पर उठ नहीं सकते। *कम से कम 3-4 बजे उठो।*

➢➢  *सतयुग त्रेता में सामग्री की दरकार नहीं होती। यह सब बुद्धि में धारण करना है।* वास्तव में कुछ भी लिखने की दरकार नहीं है। *अगर सालवेंट बुद्धि हैं तो झट धारणा हो जाती है। बाकी किसको सुनाने लिए नोट्स लेते हैं। किताबें आदि रखने की जरूरत नहीं।*

➢➢  *अब आत्मा कहती है हमको बाप मिला है। बाप मिला गोया सब कुछ मिला। बाप द्वारा वर्सा मिलता है।* बच्चा पैदा हुआ और समझते हैं वारिस आया। बाबा कहने से ही बच्चे का वारिसपना सिद्ध हो जाता है।

➢➢  तुम हर एक बाप से वर्सा ले रहे हो। *बाप की श्रीमत है हर एक अपने को बाप का बच्चा समझ और सबको बाप का परिचय देते रहें और सृष्टि चक्र का राज भी समझायें।*

────────────────────────

 

❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *कोई नया आता है तो पहले उनसे फार्म भराया जाता है, फिर समझाते हैं। परमपिता परमात्मा के साथ आपका क्या सम्बन्ध है? जरूर सबका बाप हुआ ना।* इन बातों को समझने वाले ही समझते हैं।

➢➢  *पहले सबको यह समझाओ कि तुमको दो बाप हैं।* जिस्मानी बाप तो है, वह भी उस बाप को याद करते हैं।

➢➢  *यह है शिव का ज्ञान यज्ञ। तो ब्राह्मण जरूर चाहिए। ब्रह्मा कहाँ से आया? ब्रह्मा को एडॉप्ट किया फिर बच्चे पैदा होते हैं तो भी इनके मुख कमल से रचते हैं। पहले सबको बाप का परिचय देना है।*

➢➢  *समझाना भी पड़ता है हे परमपिता परमात्मा, हे भगवान। तो भगवान जरूर बाप को समझना चाहिए।* परन्तु मनुष्यों की समझ में नहीं आता है कि सभी आत्माओंका बाप निराकार है। *पिता है तब तो भक्ति मार्ग में सब याद करते हैं। आत्माओं को सुख मिला था तब दु:ख में याद करते हैं।*

────────────────────────