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❍ 18 / 12 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *परमपिता परमात्मा मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है, चैतन्य है। आत्मा भी चैतन्य है। जब तक आत्मा शरीर में न आये तो शरीर जड़ है। आत्मा ही चैतन्य है।* अभी आत्मा को ज्ञान मिला है। *हर एक आत्मा में अपना-अपना पार्ट नूँधा हुआ है।*
➢➢ *बाप ही आकर स्वर्ग के द्वार खोलेंगे।* तुम बुलाते हो बाबा आओ, आकर वैकुण्ठ का द्वार खोलो। तुम्हारे द्वारा बाप आकर द्वार खोलते हैं। *तुम्हारा नाम बाला है - शिव शक्ति सेना। तुमको पाण्डव क्यों कहते हैं क्योंकि तुम रूहानी पण्डे हो, स्वर्ग का रास्ता बताते हो। बाप बैठ सभी शास्रों का सार बताते हैं। इन बातों को समझेंगे वही जिन्होंने कल्प पहले समझा है।*
➢➢ *बाप कहते हैं बच्चों को कि मेरे द्वारा तुम मीठे-मीठे बच्चे पढ़ाई पढ़ रहे हो। यह पढ़ाई है ही नई दुनिया के लिए और कोई ऐसा कहन सके कि हम नई दुनिया के लिए पढ़ रहे हैं।* जितना अच्छी रीति पढ़ेंगे उतनी प्रालब्ध 21 जन्मों के लिए जमा हो जायेगी। बेहद के बाप से बेहद की पढ़ाई पढ़ रहे हैं। *यह बेहद की बहुत ऊंची पढ़ाई है। बाकी तो सब पाई-पैसे की पढ़ाई है।*
➢➢ तुम्हारी बुद्धि में अब स्मृति आ गई है। बरोबर हम 5 हजार वर्ष पहले देवी-देवता थे। फिर राज्य गवाया। बाकी यह राजाई आदि लेते हैं। वह सब हद की बातें हैं। *तुम्हारी है बेहद की लड़ाई, श्रीमत पर तुम 5 विकार रूपी रावण के साथ लड़ते हो। तुम जानते हो ड्रामा में हार जीत का पार्ट है। हर 5 हजार वर्ष के बाद यह ड्रामा का चक्र फिरता है।*
➢➢ *यहाँ एक क्लास में हर प्रकार की पढ़ाई होती है। तुम जानते हो हम भविष्य में जाकर देवी-देवता बनेंगे।* विनाश भी जरूर होना है। जैसे कल्प पहले स्वर्ग में मकान आदि बनाये थे वही फिर बनायेंगे। ड्रामा मदद करते हैं। *वहाँ तो बड़े-बड़े महल बड़े-बड़े तख्त बनाते हैं। यहाँ थोड़े ही इतने बड़े महल सोने-चाँदी आदि के हैं। वहाँ तो हीरे जवाहरात पत्थरों के मिसल होंगे।*
➢➢ *बाप धन कमाकर बच्चों को देकर जाते हैं। अभी तो सबका विनाश होना है।* अभी भी कितने लड़ाई-झगड़े मौत आदि होते रहते हैं। यह कुछ नहीं है। *अभी करोड़ों की अन्दाज़ में विनाश होगा, सब जल मर खत्म हो जाने हैं। कब्रिस्तान बनना है तब फिर परिस्तान बनेगा।*
➢➢ *जो कुछ होता है, एक सेकण्ड के बाद वह पास्ट हो जायेगा। जो पास्ट हो जाता है, तुम समझते हो यह ड्रामा में था।* बाप ने समझाया है- सतयुग से लेकर क्या-क्या पार्ट हुआ है। यह बातें दुनिया नहीं जानती। *बाप कहते है मेरी बुद्धि में जो नॉलेज है, वह तुमको दे रहा हूँ। तुमको भी आप समान बनाता हूँ।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *शिवबाबा स्वर्ग का रचयिता है। तुम शिवबाबा को याद करेंगे तो स्वर्ग के मालिक बनेंगे।* अविनाशी ज्ञान का विनाश तो होता नहीं है। थोड़ा भी सुनाने से राजधानी में आ जायेंगे।* सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था। वह फिर कहाँ गया? हम तुमको समझाते हैं गोया तुमको उस स्वर्ग के मालिक बना देंगे। सिखाने से सीख जायेंगे, मेहनत करनी है।
➢➢ *एक बाप को याद करना है बस। तुम समझते हो हम यह पढ़ाई भविष्य 21 जन्मों के लिए पतित-पावन बाप के द्वारा पढ़ रहे हैं।*
➢➢ आत्मायें तो सभी आपस में भाई-भाई हैं। एक बाप के बच्चे हैं। *आत्मायें अपने भाईयों को समझाती हैं कि बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम मुक्तिधाम में जायेंगे।* सब निर्वाणधाम जाने वाले हैं। दो अक्षर भी याद कर समझाना चाहिए। भगवान सबका एक है। कृष्ण तो हो न सके। अब बाप कहते हैं देह के सभी धर्म त्याग मामेकम् याद करो।*
➢➢ *तुम्हारी बुद्धि में सारी डिटेल है। मनमनाभव, मध्याजीभव इनमें सारा ज्ञान आ जाता है।* जैसे बाबा नॉलेजफुल है, तुम बच्चे भी बनते हो। सिर्फ दिव्य दृष्टि की चाबी मैं अपने पास रखता हूँ। इसके बदले फिर तुमको विश्व का मालिक बनाता हूँ। मैं नहीं बनता हूँ। यह फ़र्क रहता है। दिव्य दृष्टि का पार्ट भी तुम्हारे काम में आता है। भावना के भूगरे (चने) दे देते हैं।
➢➢ *योगबल से तुम अपने विकर्मों का विनाश करते हो* और ज्ञान बल अर्थात् नॉलेज से तुम कितना ऊंच बनते हो। ज्ञान सागर और ज्ञान नदियों द्वारा स्नान करने से सद्गति होती है। बच्चों को समझाने की युक्तियाँ मिलती रहती हैं। ड्रामा प्लैन अनुसार जो कल्प पहले समझाया है वही समझाते रहते हैं। बच्चे भी नम्बरवार आते रहते हैं।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *पढ़ाई कभी भूलना नहीं चाहिए और ही खुशी रहनी चाहिए।* हम भविष्य 21 जन्मों के लिए स्वर्ग के मालिक बनते हैं। जो अच्छी तरह बहुतों को आप समान बनाते हैं, वह फिर जरूर ऊंच पद पायेंगे। यह राज़ और कोई की बुद्धि में बैठ न सके।
➢➢ इस बेहद की पढ़ाई में जितना तुम पुरुषार्थ करेंगे उतना ऊंचपद पायेंगे। *तुम्हारी बुद्धि में सदैव यह बातें रहनी चाहिए कि हम पतित-पावन गॉडफादर के स्टूडेन्ट हैं और नई दुनिया के लिए पढ़ रहे हैं* तो तुमको कितना अच्छा पुरुषार्थ करना चाहिए कि हम पढ़कर पहले बाबुल के पास जायेंगे फिर अपनी-अपनी पढ़ाई अनुसार जाकर नई दुनिया में पद पायेंगे।
➢➢ *वह है लौकिक पढ़ाई, यह है पारलौकिक पढ़ाई अर्थात परलोक के लिए पढ़ाई। यह तो पुराना पतित लोक है। तुम जानते हो हम नर्कवासी से स्वर्गवासी बन रहे हैं। यह घड़ी-घड़ी याद पड़ना चाहिए तब तुम्हारे दिमाग में खुशी चढ़ेगी।*
➢➢ *इस समय माया ने सबको कब्रदाखिल कर रखा है। सब मरे पड़े हैं। खत्म होने वाले है इसलिए किसी से दिल नहीं लगानी है। दिल लगानी है एक के साथ।* आखरीन में तुम्हारा सबसे ममत्व मिट जायेगा।
➢➢ *अब बाप की श्रीमत पर चल धारणा करने हैं। बहुत मीठा बोलना है। कोई भी कडुआ बोल न निकले।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *यह तो जानते हो सारी दुनिया भ्रष्टाचारी है। सब पर रहम करना है।अब पहले-पहले पावन बनना और बनाना है। तुम्हारे सिवाए कोई पवित्र बना न सके। तुम सबको सिखला सकते हो - भगवानुवाच मनमनाभव।*
➢➢ सर्विस करने का भी अक्ल होता है। डिपार्टमेंट अलग-अलग होती हैं। *स्लाइड बनाने वालों को भी बाबा कहते है कि स्लाइड एक ही साइज़ में हो जो कोई भी प्रोजेक्टर में चल सके। पहले-पहले स्लाइड हो परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है? तो वह समझ जायें कि परमपिता परमात्मा हमारा बाप है। उनसे वर्सा क्या मिलता है? फिर दिखाना है त्रिमूर्ति ब्रह्मा द्वारा हमको यह सूर्यवंशी पद मिलता है।*
➢➢ जितना खुद समझा हुआ उतना ही पद पायेंगे। बुद्धि में स्वदर्शन चक्र फिरता ही रहे। स्वदर्शन चक्रधारी तुम बनते हो। *दूसरे को अगर आप समान नहीं बनाया तो सर्विसएबुल नहीं ठहरे, इसलिए पूरा पुरुषार्थ करना चाहिए। औरों को भी सिखाना है।*
➢➢ *ब्राह्मणियों को हर एक के ऊपर मेहनत करनी है। टीचर्स बहुत मेहनत करती हैं तब तो इज़ाफा मिलता है। तुमको तो बहुत बड़ी गवर्मेन्ट से इज़ाफा मिलता है। सर्विस का सबूत निकालना है। गफ़लत नहीं करनी चाहिए।*
➢➢ *यह पढ़ाई है बहुत ऊंची। छोटे-छोटे बच्चों को भी सिखलाना चाहिए। राजविद्या के साथ यह भी विद्या देते रहो। शिवबाबा की याद दिलाते रहो। चित्रों पर समझाओ। बच्चों का भी कल्याण करो।*
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