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⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप सृष्टि
चक्र के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज तुमको सुना रहे हैं। उन्होंने फिर शास्त्रों
में लिख दिया है कि स्वदर्शन चक्र से फलाने को मारा, यह किया। बाप कहते हैं मैं
तो पतितों को पावन बनाने आता हूँ, इसमें हिंसा की तो बात ही नहीं है। देवताओं
का है ही अहिंसा परमो धर्म।*
➢➢ अभी तुम बच्चे जानते हो बाबा आया हुआ है, आदि सनातन धर्म की स्थापना करने।
*ब्रह्मा द्वारा स्थापना, शंकर द्वारा विनाश, विष्णु द्वारा पालना... बरोबर यह
तीनों कर्तव्य अभी चल रहे हैं।*
➢➢ अभी तुम ब्राह्मण हो और जानते हो अभी हम ब्राह्मण से फिर देवता बन रहे हैं।
अभी शिवबाबा के पोत्रे हैं। *शिवबाबा का एक बच्चा, एक से फिर तुम कितने बच्चे
बनते जाते हो।* पतितों को पावन बनाने की सेवा तुम कर रहे हो।
➢➢ *रुद्र अथवा शिवबाबा एक ही है। जैसे शिव का रूप है वैसे रुद्र का भी रूप
है। कृष्ण तो साकारी है, इसका सच्चा-सच्चा नाम ही है शिव ज्ञान यज्ञ।* शिवबाबा
कहते हैं, रुद्र बाबा नहीं कहते हैं। भोला भण्डारी शिवबाबा को कहते हैं। यह है
शिवबाबा का यज्ञ।
➢➢ तुम जानते हो हमको ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है। *देवताओं को तीसरा नेत्र
दिखाते हैं ना। परन्तु यह है ज्ञान का तीसरा नेत्र जो तुम ब्राह्मणों को मिलता
है, जिससे तुम देवता बनते हो। वहाँ (सतयुग) तीसरे नेत्र की दरकार नहीं है।
परन्तु तुमको तो दिखा नहीं सकते क्योंकि तुम पुरुषार्थी हो। चलते-चलते भाग जाते
हो इसलिए जो फाइनल रिजल्ट वाले हैं उनको यह अलंकार दिये हैं।* नहीं तो देवताओं
के पास थोड़े ही शंख, चक्र आदि हैं।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *योग भी बड़ा
सहज है। आत्माओं का योग लगता है परमपिता परमात्मा के साथ। योग आश्रम तो बहुत
हैं परन्तु वह सब हठयोग कराते हैं। यह थोड़े ही कहते हैं परमपिता परमात्मा के
साथ योग लगाओ।*
➢➢ *तुम बच्चे जानते हो - बाबा हमको दलाल के रूप में मिले हैं। कहते हैं -
मामेकम् याद करो तो खाद निकल जायेगी। याद करते-करते तुम मुक्तिधाम में चले
जायेंगे।*
➢➢ *बाप को याद करते रहना है। बस इसमें ही मेहनत है। पापों का बोझा सिर से कैसे
उतरे? उसके लिए है सहज योग।* यह है ज्ञान बल, योगबल जिससे माया पर विजय पाकर
विश्व के मालिक बनते हो।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
बाप कहते हैं - *बच्चे गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र बनो। कर्म भी जरूर करना
है। यह है ही कर्मयोग।* कर्म-सन्यास तो नहीं हो सकता।
➢➢ पतित घर से भल निकल जाते हैं फिर भी जन्म तो पतित घर में लेना पड़ता है। *तुमको
भी अन्न असर करेगा, इसलिए परहेज रखी जाती है। पतित का अन्न नहीं खाना चाहिए।
जितना हो सके अपने को बचाते रहो।*
➢➢ *अभी जितना पुरुषार्थ करना है कर लो, बाल-बच्चों को तो सम्भालना ही है।
कायर नहीं बनना है। कदम-कदम श्रीमत पर चलना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप को तो याद
करते ही इसलिए है कि आकर पतित दुनिया को पावन बनाओ, राजयोग सिखाओ। सब धर्म वाले
गॉड फादर को याद करते हैं क्योंकि सब तमोप्रधान हैं। इब्राहिम, बौद्ध आदि सब इस
समय हाज़िर हैं। पहला नम्बर ब्रह्मा भी पतित दुनिया में है तो और कोई वापस कैसे
जा सकता। सभी इस समय कब्र दाखिल हैं। बाप आकर सबको गति सद्गति देते हैं।*
➢➢ *सतयुग में भारत पवित्र था। देवताओं के आगे गाते भी हैं आप सर्वगुण सम्पन्न,
सम्पूर्ण निर्विकारी... हम विकारी हैं। इस समय सब विकारी हैं, सबको निर्विकारी
बनाने बाप को आना पड़ता है। तो पतित-पावन बाप ठहरा, न कि पानी की नदियाँ।*
➢➢ *बाप कहते हैं मैं तो पतितों को पावन बनाने आता हूँ, इसमें हिंसा की तो बात
ही नहीं है। देवताओं का है ही अहिंसा परमो धर्म। कृष्ण के लिए फिर हिंसा करना
कैसे लिखा है।* कैसे वन्डरफुल चित्र बनाये हैं। वहाँ ही गीता सुनाते, राजयोग
सिखाते, वहाँ ही फिर किसको मारते हैं।
➢➢ भक्ति करते हैं भगवान से मिलने लिए। आधाकल्प भक्ति करते आये हैं। भगवान तो
किसको मिला ही नहीं। अब बाप ने तुम बच्चों को परिचय दिया है। तुम्हें फिर औरों
को देना है। *सन शोज़ फादर... तो बाप का परिचय दे सबको नॉलेज बताते रहो।*
➢➢ *यह भी भक्ति मार्ग वालों को समझाना है कि तुम्हारे दो बाप हैं। एक लौकिक
बाप, दूसरा पारलौकिक बाप, जिसको गॉड फादर कहते हैं जिसने यह बेहद की रचना रची
है। बाप से तो जरूर वर्सा मिलता होगा। वह है ही स्वर्ग की रचना रचने वाला।*
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