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  22 / 12 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *हमको सिखलाने वाला शिवबाबा है, जिसको योगेश्वर कहा जाता है। मनुष्य भूल से कृष्ण को योगेश्वर कह देते हैं। कृष्ण सतयुग का प्रिन्स है, वहाँ योग की बात ही नहीं।*

➢➢  *तुम्हारे नये भारत में कैपिटल डेल्ही होगी। उनका नाम गया हुआ है परिस्तान।* तुम हो ज्ञान परियां। ज्ञानसागर में गोताखाकर मनुष्य से बदल स्वर्ग की परियां बन जाते हो। यह मानसरोवर है ना।

➢➢  *बाबा कहाँ के लिए राजयोग सिखलाते है ? भविष्य नईदुनिया के लिए, और सिखाते हैं संगम पर।* कृष्ण कैसे राजयोग सिखायेंगे ? वह तो सतयुगी राजाई में था, परन्तु वह राजाई किसने स्थापन की ? बाप ने।

➢➢  *यह पतित दुनिया है। सन्यासी अनेक प्रकार के योग सिखलाते हैं। परन्तु राजयोग तो एक ही सिखलाने वाला मैं हूँ। परमपिता परमात्मा को ही पतित-पावन कहते है।*

➢➢  *कोई मरता है कहते हैं स्वर्ग पधारा, परन्तु स्वर्ग है कहाँ, यह किसको मालूम नहीं।* समझते हैं भारत स्वर्ग था फिर ऊपर कह देते हैं। *बाप समझाते हैं सेकेण्ड में जीवनमुक्तिगाई हुई है।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम याद करते हो, निश्चय भी करते हो- हम विश्व की बादशाही ले रहे हैं। फिर क्यों भूल जाते हो ?* बाबा कहते हैं कर्मातीत अवस्था हो गई फिर तो तुम यहाँ रह नहीं सकते हो।

➢➢  *तुम यहाँ आये हो स्वर्ग की परियां बनने के लिए।* तुम बादशाही लेते हो। तुम्हारे पास जेवर आदि ढेर होंगे। *तुम कहेंगे हम राजयोग सीखते हैं, जिससे हम भविष्य में महाराजा महारानी बनेंगे।*

➢➢  *तुम तकदीर जगाकर आये हो, भविष्य नईदुनिया में ऊंचपद पाने के लिए। बाप कहते हैं मुझे याद करो तो पवित्र दुनिया का मालिक बनो और कोई उपाय नहीं।*

➢➢  *तुम्हारा देलवाड़ा मन्दिर एक्यूरेट यादगार है। नीचे तपस्या कर रहे हो ऊपर राजाई के चित्र खड़े हैं। अभी तुम बाप से योग लगा रहे हो, स्वर्ग का मालिक बनने के लिए। स्वर्ग को भी याद करते हो।*

➢➢  *अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है। तुम हो खुदाई खिदमतगार। तुम हो रूहानी सेवाधारी!* तुम लड़ाई के मैदान में खड़े हो। बाबा उस्ताद भी खड़ा है।

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *हम 16 कला सम्पूर्ण बनते हैं। खान-पान शुद्ध होना चाहिए।* कोई झट धारण करते हैं। गाया हुआ है सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।

➢➢  तुम्हारा सारा मदार योग पर है, *जितना योग में रहेंगे उतना विकर्माजीत बनेंगे।* भारत का प्राचीन योग बहुत गाया हुआ है।

➢➢  *तुम बच्चों को सारे विश्व का मालिक बनाने के लिए राजयोग सिखलाते हैं।* यह एम आब्जेक्ट क्लीयर है।

➢➢  *श्रीमत पर जितना चलेंगे उतना श्रेष्ठ बनेंगे।* कोई भी तकलीफ नहीं है। साहूकारों को सुनने की फुर्सत नहीं मिलती, सिर्फ गरीबों को फुर्सत मिलती है।

➢➢  *अगर शिवबाबा को याद कर तुम इस रथ की सेवा करो तो तुम बहुतों से अच्छा पद पा सकती हो।* यह हुआ रथ, याद तो शिवबाबा को करना है। *यह भी याद रहे तो बेड़ा पार हो सकता है।*

➢➢  *बाप कहते बच्चे मेरा बनकर कोई भी विकर्म नहीं करो।* तुमने प्रतिज्ञा की है - मेरा तो एक शिवबाबा, दूसरा न कोई।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *एक जनक थोड़ेही होगा। मिसाल एक का दिया जाता है। द्रोपदी एक थोड़ेही होगी, सबकी लाज़ रखते हैं। बाप स्री पुरुष दोनों को पतित होने से बचाते हैं।*

➢➢  *एक तरफ याद करते हैं पतित-पावन आओ। दूसरे तरफ नदियों को कहते हैं पतित-पावनी. कितनी भूल है, बात छोटी है परन्तु मनुष्यों की आंख खोलनी है।* बाप जब आते हैं आकर समझाते हैं कि पतित-पावन मैं हूँ। मैं ही तुमको ज्ञान स्नान कराए पावन बनाता हूँ।

➢➢  *गीता का भगवान शिव है, जिससे स्वर्ग का वर्सा मिलता है। समझाने की युक्ति चाहिए।* सर्विस है रूहानी। वह सोशल सर्विस भी जिस्मानी करते हैं। वह है जिस्मानी सोसायटी।यह हैं रूहानी सोसायटी। रूह को इन्जेक्शन लगता है तब कहते है ज्ञान अंजन सतगुरू दिया।

➢➢  *हम अपनी नई तकदीर बनाने यहाँ आये हैं। किसके पास? योगेश्वर के पास, सिखलाने वाले ईश्वर के पास। इसको कहते हैं राजयोग। ईश्वर योग सिखलाते हैं, कौन सा योग? हठयोग तो अनेक प्रकार का है। यह जिस्मानी योग नहीं है। सन्यासियों का तत्व योग, ब्रह्म योग है। उनको ईश्वर योग नहीं सिखाते।*

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