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❍ 09 / 11 / 17 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *लक्ष्मी-नारायण,
राधे-कृष्ण, राम-सीता सबकी महिमा गाते हैं। सबसे जास्ती महिमा है
लक्ष्मी-नारायण की, वो 16 कला सम्पूर्ण, वह 14 कला वाले।* यह बातें तुम अभी
समझते हो और तुम फिर से ऐसे बन रहे हो। उन्हों को भी कोई ने जरूर ऐसा बनाया होगा।
*बाप ने ही संगम पर कर्म-अकर्म-विकर्म की गति को समझाए देवता बनाया है।*
➢➢ किसको कहो तुम नर्कवासी हो तो बिगड़ पड़ते हैं। तुम समझा सकते हो *जब भारत
स्वर्ग था तो लक्ष्मी-नारायण का राज्य था। यह नर्क है, तो उन्हों का राज्य ही
नहीं। देवतायें जो पूज्य थे वही पुजारी बनें। सतोप्रधान से तमोप्रधान हर चीज को
बनना है। ऐसी कोई वस्तु नहीं जो नई से पुरानी न हो।*
➢➢ *शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा राजयोग सिखलाते हैं। हमको भी देवता बनाते हैं। शिव
जयन्ती मनाते हैं। यह भारत परमपिता परमात्मा का बर्थ प्लेस है।* बहुत फखुर से
बोलना चाहिए। सर्व का सद्गति दाता एक बाप है
➢➢ *लाखों रूपया खर्च कर मन्दिर बनाते हैं। परन्तु यह नहीं जानते तो उन्हों को
यह राजाई कैसे मिली? ऐसे गुणवान वह कैसे बनें? हम अपने को पापी, नीच क्यों कहते
हैं? यह तो बहुत फर्क हो जाता है।* सब एक ही देश भारत के रहने वाले, वह भी
मनुष्य, हम भी मनुष्य। परन्तु उन्हों की सीरत देवताओं जैसी है और इस दुनिया के
मनुष्यों की सीरत असुरों जैसी है।
➢➢ यह भी आदत पड़ गई है। मन्दिरों में जाकर महिमा गाते हैं। हैं वह भी मनुष्य
परन्तु उनमें दैवीगुण, हमारे में आसुरी गुण। गोया हम असुर हैं वह देवता हैं।
कहते हैं असुर और देवताओं की लड़ाई लगी। *अब देवतायें हैं स्वर्ग में, असुर हैं
नर्क में, देवतायें यहाँ कैसे आये जो लड़ाई लगी। नाम है देवता, वह लड़ाई कैसे
करेंगे? देवताओं के राज्य में असुरों का नाम निशान नहीं।*
➢➢ *प्रजापिता ब्रह्मा है शिवबाबा का बच्चा। ब्रह्मा को भगवान नहीं कहेंगे, वह
रचना है। इन देवी-देवताओं को राज्य-भाग्य हेविनली गाड फादर ने दिया - ब्रह्मा
द्वारा। अभी शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा राज्य स्थापन कर रहे हैं।* सिर्फ हम जानते
हैं और वर्सा ले रहे हैं। तुम नहीं जानते हो, हम तुमको परिचय देते हैं। परन्तु
किसके भाग्य में नहीं है तो समझते नहीं। निश्चय नहीं करते कि हम बी.के. हैं
➢➢ बाप सम्मुख कहते हैं - तुमने कितनी धर्म ग्लानी की है। मेरी भी ग्लानी की
है। तुम ही पवित्र देवी देवता थे। अब अपवित्र बन पड़े हो। यही देवी-देवता भारत
के मालिक थे और भारत स्वर्ग था। *यह तो सब कहते हैं अभी कलियुग है फिर जरूर
चक्र रिपीट होना है। बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प दुनिया को नया बनाता हूँ।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *हम अभी यात्रा
कर रहे हैं। वापिस अपने स्वीट होम जाने की। हम अभी 84 जन्म पूरे कर वापिस जा रहे
हैं।* यह कौन कहते हैं? ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण।
➢➢ तुम कर्मयोगी तो हो ही। धन्धाधोरी आदि यह भी कर्म है। *नींद भी कर्म है।
कर्म तो करना ही है। तुम जब इस यात्रा पर बाप की याद में रहेंगे तो तुम देवता
जैसा बन जायेंगे।*
➢➢ *मनमनाभव का अर्थ भी यह है, मामेकम् याद करो तो तुम मनुष्य से देवता बन
जायेंगे।* देवतायें भी भारत के मनुष्य ही थे। सिर्फ उन्हों के चित्र दिखाये जाते
हैं कि ऐसे होकर गये हैं। भारत में लक्ष्मी-नारायण होकर गये हैं।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*अगर ब्रह्मण बनना है तो श्रीमत पर चलो। किसको दु:ख मत दो। बाप का परिचय सबको
देते रहो।* बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प के संगमयुग पर भारत में ही आता हूँ।
सर्व की सद्गति करता हूँ। मेरे पास तो सबको आना पड़े। तुम जानते हो सबका
लिबरेटर और गाइड यहाँ भारत में ही जन्म लेते हैं।
➢➢ *दैवीगुण धारण करो* तो भी समझते नहीं। जैसे बाप ने लक्ष्मी-नारायण को ऐसा
बनाया, वह अब तुमको भी बना रहे हैं। तो *पुरुषार्थ कर सर्वगुण सम्पन्न बनना
चाहिए। देखना चाहिए मेरे में क्या अवगुण हैं। देह-अभिमान बहुत है।*
➢➢ *हम कहते शिव भगवानुवाच - ब्रह्मा द्वारा। वह हमको पढ़ाने वाला है। इस पर
जोर देना है - भभके से। ढेर बी.के. हैं। तो नशे से कहना चाहिए कि मैं बी.के.
शिवबाबा का पोत्रा हूँ।* शिवबाबा से हमको वर्सा मिल रहा है, ब्रह्मा द्वारा हमको
राजयोग सिखला रहे हैं। हमको एडाप्ट किया है।
➢➢ *तुम समझाओ कि हम श्रीमत पर चलते हैं - इस यज्ञ में विघ्न पड़ेंगे। विष के
कारण अबलाओं पर अत्याचार होते हैं।* ब्रह्माकुमारियों की निंदा इसीलिए होती है
क्योंकि विष (विकार) छुड़ाती हैं। इस पर मारामारी होती है।
➢➢ *बाप ने कहा है काम महाशत्रु है। इस समय सब धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट हैं,
सब नर्कवासी हैं। बाप आकर स्वर्ग वासी बनाते हैं। अब पुरुषार्थ कर बाप से वर्सा
लेना है।* परमपिता परमात्मा पढ़ा रहे हैं। ब्रह्मा द्वारा भक्ति का फल दे रहे
हैं।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ बाबा घड़ी-घड़ी
कहते हैं, *पहले-पहले बाप का परिचय दो। बाप ने स्वर्ग बनाया था। यह
लक्ष्मी-नारायण के चित्र खड़े हैं। हम यह बनने का पुरुषार्थ कर रहे हैं।*
➢➢ *तुम वेष बदलकर भी जा सकते हो। लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में बहुत मेला लगता
है। तुमको यह तात लगनी चाहिए कि मनुष्यों को यह बतायें कि उन्हों को बाप ने यह
राज्य-भाग्य कैसे दिया।*
➢➢ *कान्फ्रेस में लक्ष्मी-नारायण का चित्र भी ले जाना पड़े। यह फर्स्टक्लास
चित्र है।* बम्बई में लक्ष्मी-नारायण का मन्दिर फर्स्टक्लास बना हुआ है। बड़े
रमणीक चित्र हैं। फर्स्टक्लास कारीगर होते हैं तो चित्र भी फर्स्टक्लास बनाते
हैं। *लक्ष्मी-नारायण की झांकी दिखलाकर उन्हों को समझाना है कि यह कौन हैं,
इन्होंने कैसे यह पद पाया? इन्होंने पूरे 84 जन्म लिए हैं। अभी फिर से यह
राजयोग सीख रहे हैं - भविष्य में देवता बनने के लिए। मूल बात अच्छी तरह समझानी
है।*
➢➢ *ऐसे क्लीयर कर समझाना है। तुम भी बाप से राज्य-भाग्य लो। महाभारत लड़ाई
सामने खड़ी है। अब बाप से अपनी भक्ति का फल लो, हम आपको राय दे रहे हैं।*
➢➢ *तुम लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में जाकर ट्रस्टी से मिल सकते हो।* आजकल
माताओं का मान कम है क्योंकि भीख मांगने वाली बहुत निकली हैं। तुम राखी बांधने
जाती हो तो वह समझेंगे - भीख माँगने आई हैं। कह देंगे फुर्सत नहीं है, भगाने की
कोशिश करेंगे। सफेद वस्त्रधारी भी बहुत निकले हैं *इसलिए बाबा समझाते हैं -
बहुरूपी बनो, टिपटाप होकर जाओ। मोटर में चढ़कर जाओ। युक्ति से बात करो।*
➢➢ मनुष्य बहुत बड़े-बड़े मन्दिर बनाते हैं, लक्ष्मी-नारायण का चित्र ऐसा हो
जो देख खुश हो जाएं। *सारा दिन ख्यालात चलना चाहिए - कैसे जाकर सर्विस करें?
जांचकर भाषण करना चाहिए। लक्ष्मी-नारायण की महिमा करनी चाहिए। ऐसी जगह जाना
चाहिए जो बड़ों-बड़ों से आवाज निकले तो अच्छा है।*
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