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  02 / 08 / 17  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *कन्या का कितना मान है, सब उसे पूजते हैं फिर शादी करने से पुजारी बन जाती है।* पति को परमेश्वर समझ माथा टेकती रहती है। उनके आगे दासी बनकर रहती है।

 

➢➢  *यहाँ तो दु:ख बहुत है, सुख अल्पकाल का है। भल बड़े बड़े आदमी हैं, उन्हों को भी दु:ख ही दु:ख है। यह तो है ही दु:खधाम।*

 

➢➢. *मनुष्य समझते हैं व्रत नेम रखने से कृष्णपुरी में चले जायेंगे। वास्तव में सच्चा व्रत है पवित्र रहने का।* इसमें (ज्ञानमार्ग) कोई व्रत नेम करना, भूखा रहना नहीं है। हाँ, तुमको पावन बनने की ही हड़ताल करनी है।

 

➢➢  *अभी तुम किसके आगे बैठे हो? जो बाप भारत को स्वर्ग बनाते हैं, बेहद का वर्सा देते हैं, तुम उस बेहद बाप के सम्मुख बैठे हो।* बाबा तो बेहद का मालिक है। जो फिर से हमको बेहद की बादशाही देने आये हैं।

 

➢➢  *सत बाबा एक ही है, जिसके संग से तुम विश्व के मालिक बनते हो। तो यह सच्चा-सच्चा बाबा, सच्चा-सच्चा टीचर है। झूठ खण्ड में तो सब झूठ हैं। गाया भी जाता है कि सत का संग करो। असत्य अनेक हैं।* अभी तो कहेंगे तुम हमारी हद में नहीं आओ, हमारा पानी न लो।

 

➢➢  *अब कलियुग का अन्त आ गया फिर आगे नया चक्र फिरेगा। हिस्ट्री-जाग्राफी फिर से रिपीट होती है।* सतयुग में कौन थे, कहाँ पर राज्य करते थे। यह भी तुम जानते हो कि सारी विश्व पर देवतायें ही राज्य करते थे।

 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम बच्चे सारे चक्र की हिस्ट्री-जाग्राफी को समझ गये हो। तुम्हारी बुद्धि में सारा चक्र फिरता रहता है l*

 

➢➢  *बाप तो तुम्हें कोई तकलीफ नहीं देते हैं। वह कहते हैं सिर्फ मुझे याद करो तो स्वर्ग के मालिक बनेंगे।*

 

➢➢  *तुम अंजाम भी करते आये हो मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई। बुढियाँ भी यह दो अक्षर याद कर लें तो बहुत कल्याण हो सकता है।*

 

➢➢  बाबा कहते हैं मुझे याद करो। यह बाबा नहीं कहते। *इन (ब्रह्मा) द्वारा निराकार बाबा तुम आत्माओं को कहते हैं मुझे याद करो तो तुम कभी रोगी वा बीमार नहीं होंगे।*

 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप कहते हैं देह सहित देह का झूठा सम्बन्ध छोड़ मुझे याद करो* तो तुम पावन बन जायेंगे।

 

➢➢  *तुम बच्चों को कुछ भी भूख हड़ताल आदि नहीं करना है।* हाँ, तुमको पावन बनने की ही हड़ताल करनी है। बाकी निर्जल रहना, खाना नहीं खाना इससे कुछ होता नहीं है।

 

➢➢  बाबा आकर दासीपने से छुड़ाते हैं। उनका *फरमान है बच्चे मामेकम् याद करो* तो मैं सत्य कहता हूँ तुम नारी से लक्ष्मी बन जायेंगी।

 

➢➢  कलियुग में सब आसुरी मनुष्य हैं। बाबा कहते हैं - *अपने कुटुम्ब परिवार में रहते अपने को आत्मा समझो।*

 

➢➢  *शिवबाबा का पोत्रा अपने को समझो।* हम ब्राह्मण सो देवता बनेंगे। कलियुग में मनुष्य हैं, सतयुग में बनेंगे देवतायें। अभी तुम दैवी सम्प्रदाय के बन रहे हो l

 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *घर में भी छोटे-छोटे बोर्ड बनाकर लिख दो। बेहद के बाप को जानने से तुम 21 जन्मों के लिए स्वराज्य पद पा सकते हो।* धीरे-धीरे बहुत मनुष्य बोर्ड देखकर तुम्हारे पास आयेंगे। *तुम रूहानी अविनाशी सर्जन हो।*

 

➢➢  *जब तक कोई तुम बी.के. द्वारा ज्ञान न लेवे तब तक समझ नहीं सकते। तुम ब्राह्मण ही नालेज समझा सकते हो। तुम ही दे सकते हो,* इसमें दिल बड़ी साफ चाहिए, दिल साफ मुराद हासिल l कोई-कोई की दिल साफ नहीं होती है। *सच्ची दिल से सच्चे बाप की सेवा में लग जाना चाहिए।*

 

➢➢  तुम सिर्फ पवित्रता की प्रतिज्ञा करो। *हम सबको पावन बनायेंगे। तुम्हारा धन्धा ही यह है।* बाकी निर्जल रहना, खाना नहीं खाना इससे कुछ होता नहीं है।

 

➢➢  *तुम समझा सकते हो हम प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे शिवबाबा के पोत्रे हैं। उनकी मिलकियत पर हमारा हक लगता है। उनकी मिलकियत है बेहद की। विश्व का मालिक बनाते हैं।*

 

➢➢  *माताओं को पति के मरने से बहुत दु:ख होता है l पति मर जाए तो स्त्री को ज्ञान समझाए शिवबाबा से सगाई करानी चाहिए। उन्हों को जाकर समझाना चाहिए कि अब पतियों का पति आया हुआ है। तुम रोती क्यों हो, सतयुग में कोई रोते नहीं हैं। यह तो पतियों का पति, बापों का बाप है।*

 

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