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⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *निराकार
परमात्मा शिव सर्व आत्माओ के पिता है। हम सब आत्माये पहले पहले बाप के साथ
स्वीट सायलेन्स होम में रहती है। वह सभी आत्माओं का घर है। बाप भी वहाँ रहते
हैं। उसको इनकारपोरियल वर्ल्ड कहा जाता है। बाप ऊंच ते ऊंच फिर रहने का स्थान
भी ऊंच ते ऊंच परमधाम है। बच्चो की पुकार सुन बाप इस धरा पर आना पड़ता है।*
➢➢ निराकार परमात्मा शिव स्वयं इस संगम पर अवतरित हो गीता ज्ञान सुना रहे हैं।
*श्रीमद भागवत गीता कोई हिन्दू धर्म का शास्त्र नहीं है। यह ब्रह्मण देवी-देवता
धर्म का शास्त्र है। ब्रह्मण देवी-देवताए नम: कहा जाता है। ब्रह्मण यह गीता का
ज्ञान सुनकर देवता बनते हैं, इसलिए ब्रह्मण देवी-देवता दोनों का ही यह शास्त्र
है।*
➢➢ *भारत परमात्मा शिव की जन्मभूमि है। परमात्मा शिव गीता में अपने वायदे
अनुसार संगम पर अवतरित हो गुप्त रीति सृष्टि परिवर्तन का कार्य कर रहे है।*
भारतवासी बाप को न जानने के कारण ड्रामा अनुसार रावण मत पर अपनी दुर्गति करते
आये हैं। *मनुष्य इस समय यज्ञ रचते हैं आफत मिटाने के लिए। सतयुग में कोई आफत
होती ही नहीं जो यह यज्ञ रचना पड़े।*
➢➢ *बाप ही आकर आदि मध्य अन्त की नालेज देते हैं इसलिए उन्हें नालेजफुल
ब्लिसफुल कहा जाता है।* पीसफुल, एवर प्योर। बाकी मनुष्य मात्र प्योर इमप्योर
बनते हैं। जो भी मनुष्य मात्र है पुनर्जन्म तो सभी को लेना ही है। *सिर्फ
परमात्मा पुनर्जन्म नही लेते है।*
➢➢ *धर्म स्थापक फिर अपने समय पर आयेंगे। किसी में यह ताकत नहीं जो किसको वापस
ले जाये। वापिस ले जाने की ताकत एक बाप में ही है। इस समय है रावण राज्य, आसुरी
राज्य। 84 जन्मों में विकार पूरे प्रवेश कर लेते हैं। *बाप कहते हैं तुम डीटी
दुनिया के मालिक थे फिर रावण राज्य में तुम विकारी बन पड़े हो। फिर अन्त में
बाप आकर सबको पवित्र बनाकर साथ में ले जाते हैं।*
➢➢ गाया जाता है ब्रह्मा द्वारा नई दुनिया की स्थापना पुरानी दुनिया का विनाश।
नई दुनिया में एक ही धर्म एक ही डीटी डिनायस्टी थी। अब वह है नहीं। सिर्फ चित्र
हैं। और सभी धर्म मौजूद हैं सिवाय एक आदि सनातन देवी देवता धर्म के। *परमात्मा
शिव आदि सनातन धर्म की स्थापना कर रहे है। तुम जो पहले आये थे वही फिर पहले
आयेंगे।*
➢➢ *भारत है अविनाशी खण्ड, यह कब विनाश नहीं होता। जब देवी देवताओं का राज्य
था तो और कोई खण्ड ही नहीं था। सिर्फ इनका ही राज्य था। सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी
बस।* आत्मा को यह ज्ञान सिवाय परमपिता परमात्मा के और कोई दे नहीं सकता। वह इस
मनुष्य सृष्टि का बीज रूप है।आत्मा बहुत छोटी बिन्दी है, सभी आत्माओं का फादर
है सुप्रीम सोल। उनको सुप्रीम फादर कहा जाता है।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ परमपिता परमात्मा
शिव सर्व आत्माओ का पारलौकिक बाप है। लौकिक बाप को इतने बच्चे होते नही।
पारलौकिक बाप के इतने बच्चे (आत्मायें) हैं, जो याद करते रहते हैं हे पतित-पावन,
सर्व के सद्गति दाता, ओ परमपिता परमात्मा, तो पिता कहकर पुकारते हैं। *पतित
पावन बाप को याद कर पतित से पावन बन पावन दुनिया में चलना है।*
➢➢ ईश्वर, प्रभू, भगवान कहने से सुख का वर्सा लेने की बात नहीं आती। बाप कहने
से वर्सा याद आता है। *बाप को यथार्थ रीति जान, पुरानी दुनिया को भूल उनसे
बुद्धियोग लगा मुक्ति जीवनमुक्ति का वर्सा लेने का पुरुषार्थ करना है।*
➢➢ यह दुनिया तो नर्क है। यहाँ जो भी बच्चे आदि पैदा होते हैं - एक दो को दु:ख
देते रहते हैं। एक दो को काटते रहते हैं। *तो बच्चे जानते हैं आज नर्कवासी फिर
संगमवासी बनते हैं, कल फिर स्वर्गवासी बनेंगे, इसलिए इस संगम पर बाप की याद में
रह स्वर्गवासी बनना हैं।*
➢➢ अभी सभी आत्माएं यहाँ मौजूद हैं। वापस कोई भी जा नहीं सकते। पुनर्जन्म लेते
हैं तब तो वृद्वि होती है ना। पुनर्जन्म लेते लेते इस समय सभी तमोप्रधान हैं। *बाप
को याद कर तमोप्रधान से सतोप्रधान बन सतयुगी दुनिया में ऊँच पद पाना है।*
➢➢ बाप को लिबरेटर भी कहा जाता है। वह हमें दुखो की दुनिया से छुड़ा सुख की
दुनिया में ले जाने आये है। *बाप को याद कर,अपने पुराने हिसाब किताब चुक्तु करने
है।*
➢➢ *शिवबाबा है पारलौकिक बाप, ब्रह्मा बाबा है आलोकिक बाप। तो शिवबाबा भी बाप,
ब्रह्मा भी बाप परन्तु बच्चों को वर्सा शिवबाबा से मिलना है, न कि ब्रह्मा से,
इसलिए याद शिवबाबा को करना है क्योंकि ब्रह्मा को भी वर्सा उनसे मिलता है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*ब्रह्माकुमार कुमारियों को विचार सागर मंथन कर संगमयुगी अमूल्य समय को व्यर्थ
में नही गवाना है। मुरली पढ़नी ऒर पढ़ानी है।*
➢➢ बाबा ने समझाया है कि ब्रह्मा-विष्णु-शंकर सूक्ष्म शरीरधारी हैं, मनुष्य
स्थूल देहधारी हैं, परन्तु स्थूल वा सूक्ष्म देहधारी को भगवान नहीं कहेंगे। *परमपिता
परमात्मा निराकार शिव को कहा जाता है। किसी भी देहधारी याद नही करना है।*
➢➢ परमात्मा शिव सर्व आत्माओ का सदगति दाता है। इस समय मनुष्य तो एकदम दुबन
में फंसे हुए हैं। दुबन (दलदल) से निकलने में बड़ी मेहनत लगती है, तब तो बाप को
पुकारते हैं। *5 विकारो रूपी रावण पर ही जीत पानी है। फिर सतयुग अर्थात सुख की
दुनिया में जाना है।*
➢➢ सब अंधकार में पड़े हैं। सर्व आत्माओ को पूरे सृष्टिचक्र का ज्ञान सहज रीति
समझाना है,मौत सामने खड़ा है और कहते हैं अभी तो कलियुग में 40 हजार वर्ष पड़े
हैं, इसको कहा जाता है घोर अन्धियारा, *कुम्भकरण की नींद में सोये हुई आत्माओ
को ज्ञान का शंख बजा अज्ञानता की नींद से जगाना है।*
➢➢ संगमयुग पर बाप द्वारा जो वरदानों का खजाना मिला है उसे दूसरों को देते हुए
बढ़ाते जाना है । *बाप समान मर्सीफुल बन, सिर्फ वाणी से नहीं, लेकिन अपनी मन्सा
वृत्ति से वायुमण्डल द्वारा भी आत्माओं को अपनी मिली हुई शक्तियां देनी है।*
➢➢ *थोड़े समय में सारे विश्व की सेवा करने के लिए तीव्रगति से पुरुषार्थ करना
है। स्वयं को सेवा में बिजी रख सहज मायाजीत बनना है।*
➢➢ *सन्तुष्टमणि बन सर्व से संतुष्ट रहना है, स्वयं खुश रह सर्व को ख़ुशी का
खजाना बांटते रहना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *सच्चा सेवाधारी
बन जन जन तक यह संदेश पहुचाना है कि परमात्मा शिव भक्तों को भक्ति का फल देने
इस धरा पर अवतरित हो चुके है।* अभी नही तो कभी नही.... *यह अविनाशी ड्रामा
5000 वर्ष का है। यह सारी दुनिया स्टेज है इसमें खेल चल रहा है। यह है
पुरुषोत्तम संगम युग। जब कि बाप आकर सभी को उत्तम ते उत्तम बनाते हैं। आत्माएं
अविनाशी हैं। यह ड्रामा भी अविनाशी है। बना बनाया खेल है। जो पास हो गये फिर उसी
समय पर आयेंगे। पहले पहल लक्ष्मी नारायण आये थे अभी है नहीं।*
➢➢ *पहले-पहले सबको स्वयं (आत्मा) का वा बाप का यथार्थ परिचय देना है। बड़े-बड़े
पोस्टर छपवा सबसे पहली पूछो गीता का भगवान कृष्ण बच्चा है या परमपिता परमात्मा?
गीता किस धर्म का शास्त्र है?* इन पहेलियों के उत्तर दे मुक्ति जीवनमुक्ति का
वर्सा प्राप्त कर लो।
➢➢ पुजारी लोग कहते हैं ब्रह्मण देवी-देवताए नम:, उन्हों को यह मालूम नहीं है
कि ब्रह्मण देवता कैसे बनें। शिव परमात्मा ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण बनाए
देवता बनाते है। *देवी देवताओं को बनाने वाला कौन? यह राज स्वयं समझ सर्व को
समझाने की सेवा करनी है।*
➢➢ बाबा हम बच्चो को समझाते है कि गीता पाठशाला में जाओ या जो भी सतसंग हैं वहाँ
तुम जाकर निडर हो सर्व आत्माओ को यह पैगाम दो कि *निराकार परमात्मा शिव सर्व
आत्माओ के कल्याण हेतु राजयोग की शिक्षा दे रहे है। यह सिद्ध कर समझाना है कि
सच्चा-सच्चा गीता एपिसोड अभी चल रहा है। युद्ध के मैदान की कोई बात नहीं है।
युद्ध के मैदान में इतना बड़ा ज्ञान कैसे देंगे? राजयोग कैसे सिखायेंगे?*
➢➢ *अभी तो तुमको जागकर संत महात्माओं को जगाना है अर्थात् बाप का परिचय देना
है।* बाप को जानते नहीं, सिर्फ पैसा कमाते, कथा सुनाते रहते हैं।
➢➢ *गीता मैगजीन में भी पहले-पहले बाप का यथार्थ परिचय लिखो, तो जो ब्रह्मण
बनने वाले होंगे उनको झट तीर लगेगा।* नहीं तो लिया और फेक दिया। जैसे कोई बन्दर
को किताब दो तो एकदम फेक देगा, समझेगा कुछ नहीं।
➢➢ *मंदिरो में जा कर सेवा करनी है, बाप कहते हैं कि यह ज्ञान मेरे भक्तों को
और गीता-पाठियो को देना। उसमें भी जिसके भाग्य में होगा वह समझेंगे।*
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