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❍ 10 / 02 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *ज्ञान का तीसरा नेत्र सिवाए बाप के और कोई दे नहीं सकता। अभी तुम बच्चों को ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है। अभी तुम जानते हो कि यह पुरानी दुनिया बदलने वाली है।* बिचारे मनुष्य नहीं जानते कि कौन बदलाने वाला है और कैसे बदलाते है क्योंकि उन्हों को ज्ञान का तीसरा नेत्र ही नहीं है।
➢➢ *मीठे बच्चे जानते है बेहद के बाप द्वारा हमको जीवनमुक्ति की खुराक
मिलती है।* सतयुग में भारत जीवनमुक्त था, पावन था। बाप बहुत बड़ी ऊंची
खुराक देते है, तब तो गायन है अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप-गोपियों से
पूछो।
➢➢ बाप कहते है मीठे बच्चों *तुम्हारे लिए तिरी (हथेली) पर सौगात ले आया
हूँ।* मुक्ति, जीवनमुक्ति की यह सौगात मेरे पास ही रहती है। *कल्प-कल्प में
ही आकर तुमको देता हूँ। फिर रावण छीन लेता है।*
➢➢ जैसे आशुक और माशुक होते है। वह तो एक दो को याद करते रहते है। वह उनका
आशुक, वह उनका माशुक ओता है। यहाँ यह बात नहीं है, *यहाँ तो तुम सभी एक
माशुक के जन्म-जन्मान्तर से आशुक हो रहते हो। बाप कभी तुम्हारा आशिक नहीं
बनता।*
➢➢ बाप दु:खहर्ता, सुखकर्ता है। बरोबर सतयुग में पावन दुनिया थी तो सभी सुखी थे। *खिवैया तुमको इस पार से उस पार ले जाते हैं। नईया कोई एक नहीं, सारी दुनिया जैसे एक बड़ा जहाज है, उनको पार ले जाते है।*
➢➢ *आत्मा अकालमूर्त है। आत्मा कब छोटी बड़ी नहीं होती है, शरीर छोटा बड़ा होता है। जो भी आत्मायें हैं उन सभी का तख्त यह भृकुटी का बीच है।* शरीर तो सभी के भिन्न-भिन्न होते हैं। किसको अकाल तख्त पुरुष का है, किसका अकाल तख्त स्त्री का है। किसका अकाल तख्त बच्चे का है।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *इस पढ़ाई में मुख्य बात है ही याद की। ऊंच ते ऊंच बाप को बहुत प्यार, स्नेह से याद करना चाहिए।*
➢➢ *बाप कहते
है मैं आया हूँ तुम बच्चों को विश्व का मालिक बन गये हो इसलिए अब तुम मुझे
याद करो तो तुम पावन बन और पावन दुनिया का मालिक बन जायेंगे।*
➢➢ बाप का पैगाम देते है कि *शिवबाबा को याद करो। याद से ही जंक उतरनी है।*
➢➢ बच्चों को बैठ समझाता हूँ - *मीठे बच्चे रूहानी याद की यात्रा में रहो तो अन्त मते सो गति हो जायेगी। यह अन्त काल है ना। मामेकम् याद करो तो तुम्हारी सद्गति हो जायेगी। याद की यात्रा से पाया (पिल्लर) मजबूत हो जायेगा।*
➢➢ *हम आत्मा ने 84 का चक्र लगाया। अब नाटक पूरा होता है। अब बाबा की याद में रहना है।* याद से ही तमोप्रधान से सतोप्रधान बन, सतोप्रधान दुनिया के मालिक बन जायेंगे। कितना सहज है।
➢➢ यह वन्डरफुल संगमयुग है। तो *बच्चों को रूहानी यात्रा पर रहने की टेव डालनी है।* तुम्हारे ही फायदे की बात है।
➢➢ बाप समझाते है बच्चे सदैव खुशी में रहने चाहते हो तो मनमनाभव। *अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ भगवानुवाच मैं तुम रूहानी बच्चों को राजयोग सिखा रहा हूँ, तो *पूरी रीति सीखना चाहिए। धारणा करनी चाहिए। पूरी रीति पढ़ना चाहिए।*
➢➢ *बाप आये है बच्चों को स्वर्ग का वर्सा देने। तो बच्चों को कितनी खुशी
रहनी चाहिए।* कहते भी है खुशी जैसी खुराक नहीं।
➢➢ बाप कहते है मैं तुम आत्माओं को ज्ञान दे रहा हूँ। आत्मा को ही देखता
हूँ। मनुष्य-मनुष्य से बात करेगा तो उनके मुँह को देखेगा ना। *तुम आत्मा से
बात करते हो तो आत्मा को ही देखना है। भल शरीर द्वारा ज्ञान देते हो परन्तु
इसमें शरीर का भान तोड़ना होता है।*
➢➢ बाबा वन्डरफुल है तो बाबा का ज्ञान भी वन्डरफुल है। कब कोई बता न सके। *अभी वापस चलना है इसलिए बाप कहते है मीठे बच्चों यह प्रैक्टिस करो। अपने को आत्मा समझ आत्मा को ज्ञान दो। तीसरे नेत्र से भाई-भाई को देखना है। यही बड़ी मेहनत है।*
➢➢ इस समय बाप भी सर्वशक्तिवान है, तो दिन-प्रतिदिन माया भी
सर्वशक्तिवान-तमोप्रधान होती जाती है इसलिए *अब बाप कहते है मीठे बच्चे
देही-अभिमानी बनो।* अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो और साथ-साथ *दैवीगुण
भी धारण करो तुम ऐसे (लक्ष्मी-नारायण) बन जायेंगे।*
➢➢ कोशिश यह करनी है सदैव आत्मा को ही देखें। शरीर को देखें ही नहीं। *योग कराते हो तो भी अपने को आत्मा समझ भाईयों को देखते रहेंगे तो सर्विस अच्छी होगी।*
➢➢ बाप तुम बच्चों को कितना सहज रास्ता बताते है। *गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान रहो। धन्धा-धोरी आदि करते भी मुझे याद करते रहो।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ जो सदैव खुशी मौज में रहते हैं उनके लिए वह जैसे खुराक होती है। *21 जन्म मौज में रहने की यह जबरदस्त खुराक है। यह खुराक सदैव एक दो को खिलाते रहो। एक दो की जबरदस्त खातिरी यह करनी है।*
➢➢ तुम बच्चे श्रीमत पर सभी की रूहानी खातिरी करते हो। *सच्ची-सच्ची खुश खैराफत भी यह है किसको बाप का परिचय देना।*
➢➢ *बाबा ने कहा है भाईयों को समझाओ। भाई सभी बाप से वर्सा लेते है।* यह रूहानी नॉलेज एक ही बार तुम ब्रह्मण बच्चों को मिलती है। तुम ब्रह्मण हो फिर देवता बनने वाले हो।
➢➢ *आत्मा को ही ज्ञान देना है। यह जैसे जौहर है। तुम्हारे ज्ञान में यह जौहर भर जायेगा तो किसको भी समझाने से झट तीर लग जायेगा।* बाप कहते हैं प्रैक्टिस करके देखो तीर लगता है या नही।
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