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  22 / 01 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  भगवान होता ही है एक जो बाप भी है, बच्चों को समझाया गया है - *आत्मा का रूप कोई इतना बड़ा लिंग नहीं है।* आत्मा तो बहुत छोटी स्टार मिसल भ्रकुटी के बीच में है। कोई इतना बड़ा ज्योर्तिलिंगम् नहीं है, जैसे मन्दिरों में रखा हुआ है। नहीं। *जैसे आत्मा वैसे परमात्मा बाप है।*

 

➢➢  आत्मा का रूप मनुष्य जैसा नहीं है। आत्मा तो मनुष्य तन का आधार लेने वाली है। आत्मा ही सब कुछ करती है। *संस्कार सब आत्मा में हैं।* आत्मा स्टार है। *आत्मा ही अच्छे वा बुरे संस्कारों अनुसार जन्म लेती है।*

 

➢➢  *मन्दिरों में लिंग रखा हुआ है इसलिए समझाने के लिए हम भी शिवलिंग दिखाते हैं।* इसका नाम शिव है, बिगर नाम के कोई चीज़ होती नहीं। कुछ न कुछ आकार है।

 

➢➢  *बाप है परमधाम में रहने वाला।* परमात्मा बाप कहते हैं जैसे आत्मा शरीर में आती है वैसे मुझे भी आना पड़ता है, नर्क को स्वर्ग बनाने। बाप की महिमा सबसे न्यारी है। अभी तुम बच्चे जानते हो, तुम आत्मायें आई हो यहाँ पार्ट बजाने। *यह बेहद का अनादि अविनाशी ड्रामा है, इनका कभी विनाश नहीं होता।*

 

➢➢  यह बेहद सृष्टि का चक्र है। 4 युग हैं। *दूसरा है कल्प का संगमयुग, जिसमें ही बाप आकर पतित दुनिया को पावन बनाते हैं।* यह चक्र फिरता रहता है।

 

➢➢  परमपिता परमात्मा शिव बैठ समझाते हैं कि पहले-पहले हमको चाहिए ब्राह्मण। तो *ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण मुख वंशावली रचता हूँ।* वह है कुख वंशावली। तुम अब संगम में ब्रह्मा की सन्तान हो।

 

➢➢  *बाप पहले-पहले ब्राह्मण फिर देवता बनाते हैं।* देवता के बाद क्षत्रिय यह चक्र फिरता रहता है। फिर इनसे और धर्म निकले है। *मूल है भारत, यह भारत अविनाशी खण्ड है, जहाँ बाप आकर स्वर्ग बनाते हैं।*

 

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *और कोई ऐसे कह न सके कि मनमनाभव। मुझ अपने परमपिता परमात्मा को याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।* कृष्ण तो कह न सके।

 

➢➢  बाप सम्मुख बैठ समझाते हैं - मेरे सिकीलधे बच्चे, बहुत समय से बिछुड़े हुए बच्चे, याद है ना - मैंने तुमको स्वर्ग में भेजा था। फिर तुम 84 का चक्र लगाकर अब आकर मिले हो। *अब अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो।*

 

➢➢  *अपने बाप और वर्से को याद करो, इसको ही सेकण्ड में जीवनमुक्ति कहा जाता है।* बाप कहते हैं मैं आया हूँ सबको वापिस ले जाने। अब तुम *अपने को आत्मा समझ सवेरे उठकर बाबा को याद करो।* उनसे बातें करो। 

 

➢➢  यह बाप अपनी अवस्था को जमाने के लिए भिन्न-भिन्न युक्तियां बताते रहते हैं। *रात को जाग बाबा को याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।* अगर पूरा पुरुषार्थ होगा तो याद ठहरेगी।

 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप कहते है बच्चे पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया का 21 जन्म के लिए मालिक बनेंगे।* और कोई सतसंग नही जहाँ इतनी प्राप्ति हो। बाप ही आकर राजयोग सिखलाते है तो कितना *श्रीमत पर चलना चाहिए।*

 

➢➢  *पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।* बाप श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत देते हैं। श्रीमत से भारत को स्वर्ग बनाना है। तुम्हें ड्रामा के राज़ को अच्छी तरह से समझना है और पुरुषार्थ करना है। *पुरुषार्थ कर ऐसा लायक बनना है।*

 

➢➢  *तुम बच्चों को नशा होना चाहिए कि हम बाप के साथ स्वर्ग की स्थापना करने आये हैं।* हम वहाँ के रहवासी हैं। इस शरीर में हम निमित मात्र हैं थोड़े टाइम के लिए। बाबा भी थोड़े टाइम के लिए आये है, *इस शरीर का भान टूट जाना चाहिए।*

 

➢➢  बाबा हमको विश्व का मालिक बनाते हैं। *बाबा की बैठ महिमा करो।* बाबा आपने तो कमाल की है। कल्प-कल्प आकर हमको पढ़ाते हो। बाबा आपका ज्ञान बड़ा वन्डरफुल है। स्वर्ग कितना वन्डरफुल है।

 

➢➢  *पास विद आनर हो जाना है।* 8 को ही स्कालरशिप मिलती है। सब कहते हैं - हम लक्ष्मीनारायण को वरें, तो पास होकर दिखाना है। *अपने को देखना है कि मेरे में कोई बन्दरपना तो नहीं है? उसको निकालते जाओ।*

 

➢➢  *देखो, सारे दिन में किसको दुःख तो नहीं दिया?* बाप है सबको सुख देने वाला। बच्चों को भी ऐसा बनना है। *वाचा, कर्मणा से कोई को भी दुख नहीं देना है।*

 

➢➢  बाप बच्चों को बहुत अच्छी रीति समझाते हैं और राय देते हैं *अपना चार्ट बनाओ।* सारे दिन में कितना समय बाप को याद किया! *सवेरे उठकर बाप को, वर्से को याद करो।*

 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अब बाप आये हैं देवता बनाने और सबको वापिस ले जाने, और कोई की ताकत नहीं।* बाप ही बैठ बच्चों को शिक्षा दे दैवी गुण धारण कराते हैं। यह बाप की ही फ़र्जअदाई है।

 

➢➢  *बाप कहते हैं जब सभी तमोप्रधान हो जाते हैं, मुझे भूल जाते हैं, न सिर्फ भूल जाते हैं परन्तु मुझे पत्थर ठिक्कर में ठोक देते हैं, इतनी ग्लानी कर देते हैं तब तो मैं आता हूँ। मेरे जैसी ग्लानी किसकी नहीं करते, तब तो मैं आकर तुम्हारा लिबरेटर बनता हूँ। सबको मच्छरों सदृश्य ले जाऊंगा।*

 

➢➢  *बाप है स्वर्ग का रचयिता तो खुद ही आकर स्वर्ग का मालिक भी बनाते हैं। अब सारे विश्व में शान्ति स्थापन करना - यह बाप का ही काम है।* बाप कहते हैं मेरा पार्ट है, मैं तुमको फिर से राजयोग सिखलाता हूँ, जिससे तुम एवरहेल्दी बनेंगे।

 

➢➢  *श्रीमत देने वाला समर्थ, श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ है ही एक बाप। वही ब्रह्मा द्वारा स्थापना करा रहे हैं। बाप कहते हैं मैं भारत का मोस्ट ओबीडियन्ट सर्वेन्ट हूँ। भारत को स्वर्ग बनाता हूँ।*

 

➢➢  *सच्चा-सच्चा रास्ता बताना है।* वह है हद के बाप का वर्सा। यह है बेहद के बाप का वर्सा तो जिसको मिलता होगा वही बतायेंगे। जो अपने धर्म के होंगे उन्हों को झट टच होगा।

 

➢➢  *हम बेहद के बाप के साथ आये हैं। गुप्तवेष में भारत को स्वर्ग बनाने। अब हमको वापिस जाना है। जाने से पहले अपनी राजधानी जरूर स्थापन करनी है।*

 

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