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  08 / 01 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *वास्तव में दोनों बाप हैं।* एक रूहानी, जिसको बाबा कहा जाता, दूसरा जिस्मानी जिसको दादा कहा जाता। यह तो सभी सेन्टर्स के बच्चे जानते हैं कि हम बापदादा के बच्चे हैं। *रूहानी बाप शिव है।* वह है सभी आत्माओंका बाप और *ब्रह्मा दादा है सारे मनुष्य सिजरे का हेड।* उनके तुम आकर बच्चे बने हो।
 

➢➢  भक्तिमार्ग में तो है ही अन्धश्रद्धा। *जब से भक्ति शुरू हुई है तब से जो-जो वर्ष बीता हम नीचे उतरते आये।* भक्ति भी पहले अव्यभिचारी थी। एक की पूजा करते थे। उसके बदले अब अनेकों की पूजा करते आये हैं।
 

➢➢  *अभी तुम जानते हो हम शिवबाबा के बच्चे बने हैं।* उसने ही हमको 84 का चक्र समझाया है। उनकी मदद से हम भारत को फिर से दैवी पावन राजस्थान बना रहे हैं। यह बड़ी समझ की बात है।
 

➢➢  भारत का आदि सनातन देवीदेवता धर्म था। *भारत सतयुग में बेहद का दैवी पावन राजस्थान था, फिर पावन क्षत्रिय राजस्थान बना, फिर माया की प्रवेशता होने से आसुरी राजस्थान बन जाता है।* यहाँ भी पहले राजा रानी राज्य करते थे, परन्तु बिगर लाइट के ताज वाली राजाई चलती आई है। 
 

➢➢  *द्वापर में ही फिर पावन राजा-रानी लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर बने।* देवतायें स्वयं तो वाममार्ग में चले गये। पतित होने लग पड़े। फिर जो पावन देवतायें होकर गये हैं, उनके मन्दिर बनाकर पूजा शुरू की। *पतित ही पावन को माथा टेकते हैं।* 
 

➢➢  अब नई प्रजा बन रही है। *नई प्रजा होती ही है ब्रह्मणों की।* ब्रह्मण ही अपने को ईश्वरीय सन्तान समझते हैं। देवता तो नहीं समझेंगे। उनको चक्र का ही पता नहीं।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाहुबल से हद की राजाई मिलती है। *योगबल से बेहद की राजाई मिलती है।* तुम बच्चों को दिल अन्दर यह निश्चय है कि हम अभी भारत को वही दैवी राजस्थान बना रहे हैं। जो मेहनत करता है, उसकी मेहनत छिपी नहीं रह सकती।

 

➢➢  *तुम्हारी बुद्धि में सारा चक्र याद है।* साथ में चक्र को समझाने वाला भी याद है। बाकी निरन्तर याद के अभ्यास में मेहनत बहुत है। *निरन्तर याद ऐसी पक्की हो जो अन्त में कोई किचड़पट्टी याद न आये।* बाप को कभी भूलना नहीं है।

 

➢➢  ऐसे नहीं भक्ति मार्ग की उस गीता से कोई राजाई स्थापन करेंगे वा नर से नारायण बनेंगे। बिल्कुल नहीं। अब बाप समझाते हैं तुम हो गुप्त सेना। बाबा भी गुप्त है। *तुमको भी गुप्त योगबल से राजाई प्राप्त करा रहे हैं।*

 

➢➢  भल यहाँ रहते भी हैं, बहुत अच्छे हैं, सर्वीस भी करते हैं फिर गिर भी पड़ते हैं। *यह है सारी बुद्धियोग की बात। बाबा को भूलना नहीं है।* बाबा इस भारत को बच्चों की मदद से स्वर्ग बनाते हैं। गाया हुआ भी है शिव शक्ति सेना।

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  कोई भी बात हो तो पूछ सकते हो। फालो फादर करना है तो पूछना भी उनसे है, इस हालत में हम क्या करें? श्रीमत देने वाला बाप बैठे है। *उनसे पूछना है, छिपाना नहीं है। नहीं तो बीमारी बढ़ जायेगी।*

 

➢➢  *हरेक को अपने से बात करनी है* - बरोबर हम शिवबाबा के एडाप्टेड चिल्ड्रेन हैं। बाप से हम स्वर्ग का वर्सा पा रहे हैं। द्वापर से लेकर हमने जो लौकिक बाप का वर्सा पाया है वह नर्क का ही पाया है। दु:खी होते आये हैं। 

 

➢➢  मम्मा बाबा तो दोनों ही कहते हैं परन्तु लगे बलि नहीं चढ़ सकते। *बलि न चढ़ने वालों को इतनी ताकत नहीं मिल सकती अर्थात् अपने बाप को तन-मन-धन का ट्रस्टी नहीं बना सकते।* श्रेष्ठ बनने के लिए उनकी श्रीमत पर नहीं चल सकते।

 

➢➢  *कदम-कदम श्रीमत पर न चले तो रोला पड़ जायेगा।* बाबा कोई दूर थोड़ेही है। सम्मुख आकर पूछना चाहिए। *ऐसे बापदादा के पास घड़ी-घड़ी आना चाहिए।* वास्तव में ऐसे मोस्ट बिलवेड बाप के साथ तो इक्कठा रहना चाहिए।

 

➢➢  छोटे बच्चे बाप को बहुत याद करते हैं फिर बच्चा बड़ा होता है तो धन को याद करते हैं। तुमको भी धन मिलता है। *जो अच्छी रीति धारण कर फिर दान करना चाहिए।* पूरा पÌलेन्थ्रेफिस्ट बनना है। 

 

➢➢  *जो बच्चा बन फिर फारकती देते हैं, उन पर बहुत बड़ा दण्ड है।* कड़ी सजा है।

 

➢➢  *तुम जितनी सर्वीस करेंगे उतनी बुद्धि रिफाइन होती जायेगी।* ऐसे भी बहुत बच्चे हैं जो ठीक रीति नहीं समझा सकते हैं तो नाम बदनाम होता है। कोई-कोई में क्रोध का भूत भी है तो यह भी डिस्ट्रेक्टिव काम किया ना। 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  किसको समझाने की भी हिम्मत चाहिए। तुम हो शिव शक्ति पाण्डव सेना। पण्डे भी हो, सबको रास्ता बताते हो। *तुम्हारे बिगर रूहानी स्वीट होम का रास्ता कोई बता न सके।*


➢➢  तुम बी.के. तो एकदम सभी से दूर परमधाम ले जाते हो। वह जिस्मानी गाइड हैं - धक्के खिलाने वाले। *तुम सभी को बाप के पास शान्तिधाम ले जाते हो।* तो सदैव यह याद करना पड़े - हम भारत को फिर से दैवी राजस्थान बना रहे हैं।

 

➢➢  *यह लक्ष्मी-नारायण के चित्र तुमको बहुत काम आयेंगे।* इन पर समझाना है, भारत ऐसा डबल सिरताज था। इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था, छोटेपन में राधे कृष्ण थे, फिर त्रेता में रामराज्य हुआ, फिर द्वापर में माया आ गई। यह तो  बिल्कुल सहज है ना।


➢➢  *तुम्हारे लिए तो समझाना बहुत ही सहज है।* हम दैवी राजधानी स्थापन कर रहे हैं, शिवबाबा की श्रीमत से और उनकी मदद से। शिवबाबा से शक्ति भी मिलती है। यह नशा रहना चाहिए। तुम वारियर्स हो। *मन्दिरों में भी तुम जाकर समझा सकते हो तो स्वर्ग की स्थापना जरूर रचयिता द्वारा ही होगी ना।*

 

➢➢  *मैं सम्मुख आकर राजयोग सिखाता हूँ।* वह गीता तो जन्म जन्मान्तर पढ़ी, कुछ भी प्राप्ति नहीं हुई। *यहाँ तो तुमको नर से नारायण बनाने लिए यह शिक्षा दे रहा हूँ।* वह है भक्ति मार्ग।

 

➢➢  भारत की सेवा में ही तन-मन-धन लगा रहे हैं। *लक्ष्मी-नारायण का चित्र हमेशा पाकेट में पड़ा हो।* बच्चों को बहुत नशा होना चाहिए। सोशल वर्कर्स तुम्हारे से पूछते हैं तुम भारत की क्या सेवा कर रहे हो? *बोलो, हम अपने तन-मन-धन से भारत को दैवी राजस्थान बना रहे हैं।* ऐसी सेवा और कोई कर नहीं सकता। 

 

➢➢  बरोबर तुम्हारा अभी यह जन्म सफल हो रहा है, फिर कोई तन से कोई मन से कोई धन से सेवा करते हैं। *बहुत हैं जो ज्ञान नहीं उठा सकते हैं, कहते हैं बाबा हमारे में हिम्मत नहीं है। बाकी मदद कर सकते हैं।* तो बाप बतायेंगे कि तुम इतना धनवान बन सकते हो। 

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