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❍ 04 / 01 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *मनुष्य मन्दिरों
में जाकर देवताअों के गुण गाते हैं। भल पवित्र तो सन्यासी भी हैं परन्तु मनुष्य
उन्हों के ऐसे गुण नहीं गाते।* वह सन्यासी तो शास्त्र आदि भी सुनाते हैं।
देवताओं ने तो कुछ नहीं सुनाया है। वह तो प्रालब्ध भोगते हैं। अगले जन्म में
पुरुषार्थ कर मनुष्य से देवता बने थे। *तो सन्यासियों आदि कोई में भी देवताओं
जैसे गुण नहीं हैं। जहाँ गुण नहीं वहाँ जरूर अवगुण हैं।*
➢➢ *गुण वाले
देवतायें थे सतयुग में, और अवगुण वाले मनुष्य हैं कलियुग में। अब ऐसे अवगुण वाले
मनुष्य को देवता कौन बनावे। गाया भी हुआ है मनुष्य से देवता... यह महिमा तो है
परमपिता परमात्मा की।* हैं तो देवतायें भी मनुष्य, परन्तु उनमें गुण हैं, उनमें
अवगुण हैं। गुण प्राप्त होते हैं बाप से, जिसको सतगुरू भी कहते हैं। अवगुण
प्राप्त होते हैं माया रावण से।
➢➢ खान-पान आदि
कितना गंदा है। देवतायें हैं वैष्णव सम्प्रदाय और इस समय के मनुष्य हैं रावण
सम्प्रदाय। *खान-पान कितना बदल गया है। सिर्फ ड्रेस को नहीं देखना है। देखा जाता
है खान-पान और विकारीपन को।*
➢➢ *यह है बेहद का
बाप साहूकारों से साहूकार, राजाअों का राजा।* साहूकारों का साहूकार क्यों कहा
जाता है? क्योंकि *साहूकार भी कहते हैं हमको ईश्वर ने धन दिया है, ईश्वर अर्थ
दान करते हैं तो दूसरे जन्म में धनवान बनते हैं।*
➢➢ *बाप कहते हैं
योग भी सिखाओ और सृष्टि चक्र कैसे फिरता है वह भी समझाओ। जिसने सारा चक्र पास
किया होगा - वह इन बातों को झट समझेंगे। जो इस चक्र में आने वाला नहीं होगा वह
"हरेगा नहीं।* ऐसे नहीं सारी सृष्टि आयेगी! इसमें भी प्रजा ढेर आयेगी। राजा रानी
तो एक होता है ना।
➢➢ *वास्तव में
संजीवनी बूटी यह ज्ञान की है, इससे माया की बेहोशी उतर जाती है।* यह बातें सभी
इस समय की हैं। सीतायें भी तुम हो। राम आकर माया रावण से तुमको छुड़ाते हैं।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप कहते हैं
ब्राह्मणों द्वारा शूद्रों को बैठ राजयोग सिखलाता हूँ - 5 हजार वर्ष की बात है।
तो समझाना है कि श्रीनारायण के अन्तिम 84 वें जन्म में परमपिता परमात्मा ने
प्रवेश किया है और राजयोग सिखला रहे हैं।*
➢➢ दैवी राजधानी
स्थापन हो रही है, इसमें सभी अपना-अपना पार्ट जरूर बजायेंगे। *दौड़ी लगायेंगे
तो अपना कल्याण करेंगे। कल्याण भी एकदम स्वर्ग का मालिक।*
➢➢ *बच्चे जो बाप
की याद में बैठे हैं वे कमाई कर रहे हैं।* बहुतों का बुद्धि योग बाहर में रहता
है, वह जैसे कि यात्रा में नहीं हैं। टाइम वेस्ट होता है। *अपने को आत्मा समझ
बाप को याद करो तो विकर्म विनाश हो जायें।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*इस समय 84 वें जन्म में पूरे बेगर जरूर बनना है।* आत्मा बाप को सब कुछ सरेन्डर
करती है। यह शरीर ही अश्व है, जो स्वाहा होता है। आत्मा खुद बोलती है हम बाप के
बने हैं। दूसरा न कोई। मैं आत्मा इस जीव द्वारा परमपिता परमात्मा के डायरेक्शन
अनुसार सेवा कर रहा हूँ।
➢➢
*माया बड़ी दुस्तर है। चूहे मुआफ़िक काट कर खाना खराब कर देती है, इसलिए श्रीमत
कभी छोड़नी नहीं है।* कठिन चढ़ाई है ना। अपनी मत माना रावण की मत। उस पर चले तो
बहुत घुटका खायेंगे।
➢➢
दैवी राजधानी स्थापन हो रही है, इसमें सभी अपना-अपना पार्ट जरूर बजायेंगे। दौड़ी
लगायेंगे तो अपना कल्याण करेंगे। कल्याण भी एकदम स्वर्ग का मालिक। *जैसे माँ
बाप तख्तनशीन होते हैं तो बच्चों को भी होना है। बाप को फालो करना है। नहीं तो
अपना पद कम कर देंगे।*
➢➢
देह अभिमान कारण विकर्म होंगे। इसका सौ गुणा दण्ड हो जायेगा क्योंकि हमारी
निन्दा कराते हैं। *ऐसा कर्म नहीं करना चाहिए जो बाप का नाम बदनाम हो* इसलिए
गाते हैं
सद्गुरु के निन्दक ठौर न पावें। ठौर माना बादशाही। *टेव
पड़ जानी चाहिए। हम भाई-भाई हैं, भाई से हम बात करते हैं।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *भारत में ही
देवी-देवताओंका राज्य था। चित्र दिखाने चाहिए। चित्रों बिगर समझेंगे पता नहीं
यह कौनसा नया धर्म है, जो शायद विलायत से आता है। चित्र दिखाने से समझेंगे यह
देवताअों को मानते हैं।* तो समझाना है कि श्रीनारायण के अन्तिम 84 वें जन्म में
परमपिता परमात्मा ने प्रवेश किया है और राजयोग सिखला रहे हैं। तो कृष्ण की बात
उड़ जाती है।
➢➢ *बाबा ने यह
चित्र कोई रखने लिए नहीं बनाये हैं। इनसे बहुत सर्विस करनी है। जो मन्दिर बनाते
हैं, उन्हों से पूछना चाहिए लक्ष्मी-नारायण कब आये थे?*
➢➢ *बच्चों को बहुत
सर्विसका शौक होना चाहिए। बाबा को सर्विस का बहुत शौक है तब तो ऐसे-ऐसे चित्र
बनवाते हैं।* भल चित्र शिवबाबा बनवाते हैं परन्तु बुद्धि दोनों की चलती है।
➢➢ *यह योग की बैठक
यहाँ हो सकती है। बाहर सेन्टर पर ऐसे नहीं हो सकती है। चार बजे आना, नेष्टा में
बैठना, वहाँ कैसे हो सकता है। नहीं। सेन्टर में रहने वाले भल बैठे। बाहर वाले
को भूले चुके भी कहना नहीं है। समय ऐसा नहीं है।* यह यहाँ ठीक है। घर में ही
बैठे हैं। वहाँ तो बाहर से आना पड़ता है। यह सिर्फ यहाँ के लिये है।
➢➢ *जो जास्ती
सर्विस करते हैं, बहुतों का कल्याण करते हैं तो जरूर ऊंच पद मिलेगा।*
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