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❍ 19 / 02 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ हद के राजाओं की अनेकानेक लड़ाईयां लगी हैं। उनसे हद की राजाई मिलती है और *इस योगबल से तुम विश्व की राजधानी स्थापन करते हो, इसको अहिंसक लड़ाई कहा जाता है। लड़ाई अथवा मरने मारने की बात नहीं है। यह है योगबल।* कितना सहज है।
➢➢ यथार्थ और अयथार्थ, सत्य और असत्य। *सत्य तो है ही एक बाप। बाकी इस समय तो है ही असत्यता का राज्य।* रामराज्य को ही सत्य का राज्य कहेंगे। रावण राज्य को असत्यता का राज्य कहेंगे। वह अयथार्थ ही सुनाते हैं। बाप है सत्य, वह सब सत्य सुनाकर सच्चा सोना बना देते हैं। *फिर माया असत्य बनाती है।*
➢➢ *माया की प्रवेशता के कारण मनुष्य जो कुछ कहेंगे वह असत्य ही कहेंगे, जिसको आसुरी मत कहा जाता है।* बाप की है ईश्वरीय मत। आसुरी मत वाले झूठ ही बतायेंगे। आसुरी मतें दुनिया में अनेकानेक हैं। गुरू भी अनेक हैं। उन्हों की श्रीमत नहीं कहेंगे। *एक ईश्वर की मत को ही श्रीमत कहेंगे।*
➢➢ *इस विनाश के बाद फिर तुम्हारा ही राज्य होना है।* अनेक धर्मों का विनाश होता है और जो धर्म अब प्राय:लोप है, उनकी स्थापना होती है। गोया *इस महाभारी लड़ाई द्वारा स्वर्ग के गेट्स खुलते हैं। इस गेट से कौन जायेंगे? जो राजयोग सीख रहे हैं।*
➢➢ *सतयुग में देवतायें हैं धनी के। वहाँ जानवर भी कभी लड़ते नहीं।* यहाँ तो सब लड़ते झगड़ते हैं। *सतयुग में है सबको बेहद का सुख।*
➢➢ बाप ने ओम् का अर्थ तो बच्चों को समझा दिया है। *ओम् अर्थात् अहम आत्मा। बस, अर्थ ही इतना छोटा है। ऐसे नहीं कि आई एम गॉड। पण्डितों आदि से पूछेगे ओम् का अर्थ क्या है? तो वह बहुत लम्बा-चौड़ा सुनायेंगे और यथार्थ भी नहीं सुनायेंगे।*
➢➢ सिखलाने वाला बाप है। जो पिया के साथ है उनके लिए यह ज्ञान बरसात है। *पिया बाप को कहा जाता है।* वह वर्षा तो पानी के सागर से निकलती है। *यह अविनाशी ज्ञान रत्नों की बरसात है।* जो पिया ज्ञान सागर के साथ है, उनके लिए अविनाशी ज्ञान रत्नों की बरसात है।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ अभी तुम बच्चे समझते हो हम श्रीमत पर चल श्रेष्ठ बनते हैं। *सबसे श्रेष्ठ तो है ही परमपिता परमात्मा। जो रहते भी ऊंचे ते ऊंचे हैं। सब भक्त उनको याद करते हैं।* भक्त श्रीमत को याद करते हैं, तो जरूर कोई आसुरी मत पर हैं।
➢➢ अभी तुम श्रीमत पर श्रेष्ठ बनते हो, फिर वहाँ भगवान कहकर याद करने की दरकार ही नहीं। *देवीदेवताओं को कोई दु:ख नहीं जो याद करना पड़े। भक्तों को तो अपार दु:ख है।*
➢➢ *बाबा के साथ योग लगाने से हम विकर्माजीत बनते हैं।* फिर कोई माया का वार नहीं होगा। हातमताई का खेल दिखाते हैं। वह मुहलरा मुख में डालते थे तो माया गुम हो जाती थी। मुहलरा निकालते थे तो माया आ जाती थी।
➢➢ हम साक्षी होकर देखेंगे कौन किस प्रकार का वर्सा लेते हैं। *कोई तो एकदम पकड़ लेते हैं। मोस्ट बिलवेड बाप है। चुम्बक पर सुईयां खींचकर आती हैं। कोई में कट (जंक) जास्ती होती है, कोई में कम। नजदीक वाले तो एकदम आकर मिलेंगे, साफ सुई झट खींच आयेगी।*
➢➢ *तुम बाप को याद करते रहेंगे तो गोया बाप के साथ ही हो।* कोई लन्दन, कोई कहाँ हैं, फिर साथ कहाँ हैं? उनको भी मुरली जाती है।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ यह है ही राजयोग। राजाओं का राजा बनायेंगे। कल्प-कल्प मैं फिर से आता हूँ, गवाया हुआ राज्य देने। *तुम्हारा राज्य कोई मनुष्यों ने नहीं छीना है। छीना है माया ने। अब जीत भी माया पर पानी है।*
➢➢ *जो सयाने समझदार होते हैं वह एक हफ्ता भी अच्छी रीति समझें तो उनको स्वदर्शन चक्रधारी बना देता हूँ।*
➢➢ 84 जन्मों के स्वदर्शन चक्र का राज़ अभी तुम बच्चों ने समझा है। जिस *स्वदर्शन चक्र फिराने से माया रावण का सिर काट देते हो अर्थात् उन पर जीत पाते हो।*
➢➢ इन अविनाशी ज्ञान रत्नों की तुम्हारी बुद्धि रूपी झोली में धारणा होती है। एज्यूकेशन बुद्धि में धारण की जाती है ना। आत्मा है मन-बुद्धि सहित तो जैसेकि आत्मा ग्रहण (धारण) करती है। जैसे आत्मा को यह शरीर है, वैसे आत्मा को मन-बुद्धि है। बुद्धि से ग्रहण करते हैं। *ग्रहण तब होता है, (धारणा तब होती है) जबकि योग है।*
➢➢ *बाप कहते हैं अब वापिस जाना है। इस शरीर सहित सब कुछ भूलना है,* इसके बदले तुमको प्योर शरीर मिलेगा। आत्मा भी प्योर हो जायेगी। धन भी तुम्हारे पास अथाह होगा।
➢➢ *यह बाप की कॉलेज है। तो कितना अच्छी रीति पुरुषार्थ करना चाहिए।* बाप तो कहेंगे राजाओं का राजा बनो, न कि प्रजा। बनेंगे वही जो कल्प पहले बने होंगे।
➢➢ *पढ़ाई कभी छोड़नी नहीं चाहिए।* बाप बैठ समझाते हैं। वण्डरफुल बातें हैं ना। *देरी से आने वाले भी झट योग और ज्ञान में लग जाते हैं तो वह भी ऊंच पद पा सकते हैं।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ बाप जो स्वर्ग की स्थापना करते हैं उनको तो आंखों पर रखा जाता है। *बाप कहते हैं मुझे भक्त याद करते हैं कि आकर दु:ख से छुड़ाओ इसलिए आकर लिबरेट करता हूँ। बाप लिबरेटर भी है, रूहानी पण्डा भी है। तुमको ले जाते हैं अपने शान्तिधाम।*
➢➢ *परमपिता परमात्मा खुद भी कहते हैं मेरी जो आत्मा है, जिसको तुम परमात्मा कहते हो, मेरे में भी पार्ट भरा हुआ है। भक्तों की सम्भाल करना, सबको सुख देना।* दुःख तो माया देती है। *भक्तों को अल्पकाल के लिए सुख देने का भी मेरा पार्ट है। मैं ही साक्षात्कार कराता हूँ और दिव्य बुद्धि देता हूँ।*
➢➢ *गाया जाता है कुमारी वह जो 21 कुल का उद्धार करे। अब वह कुमारी कौन सी?* तुम सब कुमार कुमारी हो। *तुम कोई को भी कह सकते हो कि 21 जन्मों के लिए राज्य भाग्य प्राप्त कर सकते हो, श्रीमत से अथवा बाप की मत से।*
➢➢ *अब डीटी सावरन्टी कहाँ से मिलेगी? जरूर जो सतयुग की स्थापना करने वाला होगा वही देगा। अब बाप आया हुआ है, तुम बच्चों को स्वर्ग की राजाई देने। सो भी 21 जन्मों के लिए।*
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