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❍ 28 / 03 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *नम्बरवार जो भी पहले-पहले आयेंगे वह सतोप्रधान, सतो, रजो से होकर फिर तमोप्रधान बनेंगे जरूर। पहले-पहले जब आत्मा नीचे आती है तो उनको सुख भोगना है। दुःख भोग न सके।* मनुष्य पहचान नहीं सकते कि यह नया सोल है इसलिए इतना सुख है, मान है।
➢➢ *जिनको स्वदर्शन चक्र का वा मनमनाभव का अर्थ बुद्धि में है उनको ही ब्राह्मण कहेंगे। ब्राह्मण बनने बिगर देवता नहीं बन सकते* । प्रजा तो बहुत बननी है। त्रेता अन्त तक जो आने वाले हैं उनको यह मन्त्र मिलना है।*
➢➢ *भोलानाथ परमपिता परमात्मा ही सबका सद्गति दाता, सतोप्रधान बनाने वाला है।* सब दुर्गति से निकल गति सद्गति को पाते हैं।
➢➢ *सारी दुनिया में एक भी मनुष्य गीता को पूरा समझते नहीं। कहते हैं बरोबर रूद्र ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला प्रज्वलित हुई थी फिर क्या हुआ, यह नहीं जानते।* मनुष्य कुछ भी नहीं जानते। इस समय सब तमोप्रधान हैं।
➢➢ *आत्मा कहेगी हम शरीर के साथ जब दु:खी होता हूँ तो बाप को बहुत याद करता हूँ। रावण दुश्मन दुःख देते हैं तो बाप को याद करते हैं। दुःख में हम सभी आत्मायें परमात्मा को सिमरण करती हैं।* फिर जब हम आत्मा स्वर्ग में रहती हैं तो बाप को याद नहीं करती।
➢➢ तीर उनको ही लगेगा जो हमारे कुल (ईश्वरीय कुल) का होगा। तुम्हारे (ब्राह्मणों के ) तीर में अब जौहर (शक्ति) भरता जाता है। फिर पिछाड़ी में बहुत तीखे बाण लगेंगे। *सन्यासियों को भी बाण लगे हैं ना। फिर समझा है बरोबर यह भगवान ही बाण मारते हैं। तुम्हारे ज्ञान बाण अब जौहरदार रिफाइन बनते जाते हैं। मुख्य बाण एक ही है मनमनाभव।*
➢➢ *इस समय सब पतित हैं। तो तमोप्रधान दुनिया को फिर से सतोप्रधान कौन बनाये? पहले-पहले सतोप्रधान सुख में आते हैं फिर दु:ख में जाते हैं। यह राज़ अब तुम बच्चों को समझाया जाता है। 84 जन्म लेना होता है तो जरूर सतोप्रधान से तमोप्रधान बनना ही होगा।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ अब सबकी तमोप्रधान अवस्था है। तत्व, खानियां आदि सब तमोप्रधान हैं। नई चीजें थी, अब पुरानी हो गई हैं। *वहाँ (स्वर्ग) का अनाज फल फूल आदि कैसे अच्छे होते हैं, वह भी बच्चों को साक्षात्कार कराया हुआ है। सूक्ष्मवतन में बच्चियां जाती हैं, कहती हैं बाबा ने शूबीरस पिलाया। जरूर ऊंच बाप, चीज़ भी ऊंची देते होंगे।*
➢➢ *आत्मा गॉड फादर को याद करती है क्योंकि आत्मा को दुःख है तो भोलानाथ बाप आकर फिर सुख देते हैं। तो उनको क्यों नहीं याद करेंगे l*
➢➢ *बिगर बाप को याद करने स्वर्ग में जा नहीं सकते। स्वर्ग स्थापन कर्ता बाप (शिवबाबा) को जब याद करेंगे तब ही कल्याण होगा।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢. *बच्चों को यह बुद्धि में रहना चाहिए - ऊंच ते ऊंच एक भगवान ही है। याद भी सब उनको करते हैं।* गॉड फादर कहते हैं, गॉड रहते ही हैं ऊपर (परमधाम) में।
➢➢ *बाबा समझाते हैं सबसे बड़ा दुश्मन रावण है। उस पर जीत पानी है।* समझाते भी उनको हैं जिन्होंने कल्प पहले समझा था। वही आकर शूद्र (पतित मनुष्य) से ब्राह्मण बनते हैं।
➢➢ *अब विचार करो सतयुग से त्रेता अन्त तक कितनी सम्प्रदाय वृद्धि को पाती रहेगी। तो इतने सबको ज्ञान देने की सर्विस करनी है। इतने सबमें ज्ञान का बीज़ भरना है।* ज्ञान का विनाश तो नहीं होता। लड़ाई (आर्मी) वालों का भी उद्धार करना है। हमारे दैवी सम्प्रदाय वाले जहाँ होंगे वह निकल आयेंगे।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ मनुष्य तो उनका (लक्ष्मी-नारायण) आक्यूपेशन, बॉयोग्राफी कुछ नहीं जानते। न ड्रामा का राज़ जानते हैं कि कैसे आत्मा चक्र में आती है। तुम बच्चे अब जानते हो - माया रावण दुःख देने वाली है। *यह रावण (5 विकार) राज्य शुरू हुआ है द्वापर से। यह भी समझाना है क्योंकि यह किसको पता नहीं है कि सबसे पुराना दुश्मन रावण है। उनकी ही मत पर यह पार्टीशन आदि हुआ l*
➢➢ *तुम (ब्राह्मण) हो गाँडली मिशनरी। तुम्हारा काम है बहुतों का कल्याण करना, बोलो, भगवान को याद करो। अब स्वर्ग स्थापन हो रहा है तो सुनकर बहुत खुश होंगे।* जो इस कुल के होंगे वही मानेंगे। देवताओं को मानने वाले ही इन बातों को समझेंगे तो *सबका कल्याण करना है।*
➢➢ शंकराचार्य ने
आकर सन्यासियों की रचना रची, फिर उन्हों की पालना भी की। फिर उसने भी तमोप्रधान
अवस्था को पाया है फिर उनको सतोप्रधान कौन बनाये? *माया ने सबको तमोप्रधान बनाया
है। लक्ष्मी-नारायण जो सतोप्रधान थे फिर चक्र लगाकर तमोप्रधान में आते हैं। हर
एक का ऐसे होता है। भल कितने भी बड़े मर्तबे वाला हो - सतो, रजो, तमो से हर एक
को पास करना है।*
➢➢ *लक्ष्मी-नारायण की महिमा गाई जाए या उन्हों (शिवबाबा) को जो पुरूषार्थ
कराने वाला है। अथवा प्रालब्ध देने वाला है उनकी महिमा की जाए? कितनी गुह्य बातें
हैं। समझाना है कि लक्ष्मी-नारायण क्या करके गये? उनकी भी सारी राजधानी चली है।
परन्तु गायन सिर्फ एक का ही चला आता है।*
➢➢ *आत्मा तो कभी विनाश होती नहीं। उन्हों (लक्ष्मी-नारायण) को ऐसा काम किसने सिखलाया जो इतना ऊंच बनें? जरूर कोई शिक्षा मिली है।* दुनिया नहीं जानती वह पास्ट में कौन थे। तुम अब जानते हो लक्ष्मी-नारायण 84 जन्म भोग अन्त में ब्रह्मा सरस्वती बनते हैं।
➢➢ हर चीज़ सतो रजो तमो जरूर होती ही है। प्रिसेप्टर्स (देवी - देवता) का भी ऐसे होता है। वह भी अब तमोप्रधान हैं। तो फिर भी *अब सबसे ऊंच ते ऊंच कौन है, जो कभी भी तमोप्रधान नहीं बनता? अगर वह भी तमोप्रधान बन जाए तो फिर उनको सतोप्रधान कौन बनाये? फिर बलिहारी उनकी हो जाए।* ऐसे-ऐसे विचार सागर मंथन करने से दिल में जो प्वाइंट जंचती है, अच्छी लगती है तो सुनाई जाती है।
➢➢ *उन लड़ाई (आर्मी) करने वालों को कहा जाता है जो युद्ध के मैदान में मरेंगे वह स्वर्ग में जायेंगे परन्तु उनके कहने से स्वर्ग में जा नहीं सकते, जब तक तुम (ब्राह्मण) लक्ष्य न दो।* लक्ष्य सिर्फ ब्राह्मण ही दे सकते हैं, मरना तो है ही। *मुसलमान अल्लाह को याद करेंगे, सिक्ख लोग गुरू नानक को याद करेंगे, परन्तु स्वर्ग में थोड़ेही जा सकते हैं। स्वर्ग में जाना होता है संगम पर।* तो इन लड़ाई आदि वालों को भी सिवाए तुम ब्राह्मणों के यह मन्त्र कोई दे न सके।
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