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❍ 06 / 03 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप है भण्डारी, अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान देते रहते हैं। तुम अविनाशी ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरते हो, भविष्य 21 जन्मों के लिए।*
➢➢ *अपना ज्ञान है जबरदस्त। माँ बाप का वर्सा विष पीना पिलाना बन्द हो जाता
है।* यह बहुत बुरा धन्धा है, इसलिए बीती सो बीती। आधाकल्प तो सब पतित बनते
आये हैं, अब बाप कहते हैं *बच्चे इनसे तुम्हारी बहुत बुरी गति हुई है। अब
इस धन्धे को बन्द करो, यह पतित दुनिया है इसे कोई 16 कला सम्पूर्ण,
सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया तो नहीं कहेंगे। सम्पूर्ण निर्विकारी थे
सूर्यवंशी। राम सीता को भी चन्द्रवंशी, क्षत्रिय कहेंगे।*
➢➢ तुम बच्चे जानते हो सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी में रात दिन का फ़र्क है।
*वह 16 कला सम्पूर्ण नई दुनिया के मालिक वह 14 कला सम्पूर्ण, दो कला कम हो
जाती हैं।* दुनिया कुछ पुरानी हो जाती है।
➢➢ बाप तो है ही गरीब-निवाज़, जो भी बच्चे बनते हैं फिर सगे वा लगे आते
हैं - *बाप से अपना ऊंच जीवन बनाने, 21 जन्मों के लिए गरीब से साहूकार बनने।
सतयुग में तो बहुत साहूकार रहते हैं। भल नम्बरवार गरीब भी होते हैं परन्तु
ऐसे गरीब नहीं होते जो झोपड़ियों में रहना पड़े।*
➢➢ *जो फुल पास होते हैं वह सूर्यवंशी लक्ष्मी-नारायण के घराने में जाते
हैं।* कल्प पहले भी ऐसे हुआ था। बरोबर इस समय *बाप आकर पहले ब्राह्मण कुल
स्थापन कर उनको बैठ पढ़ाते हैं। जो फिर सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी बनते हैं,
इसमें पढ़ना और पढ़ाना है।* नहीं तो पढ़े हुए के आगे फिर भरी ढोयेंगे। *यहाँ
तुम्हारे सामने एम आबजेक्ट है।*
➢➢ *अपने को कोई प्रजापिता ब्रह्मा भी कह न सके।* कितना भी झूठा वेश बनावे
परन्तु यह बातें समझा न सके। *यह तो शिवबाबा ही समझाते हैं। मनुष्य थोड़ेही
कहेंगे मनमनाभव, वो चक्र का राज़ थोड़ेही समझायेंगे कि कल्प कितने वर्ष का
होता है। चक्र कैसे फिरता है। कोई नहीं जानते।*
➢➢ यहाँ भी लिमिट है। *8 नम्बर वन में जाते हैं फिर 108 हैं। इस समय करोड़ों भारतवासी होंगे। उनमें भी जो देवी-देवता धर्म के होंगे वह निकलेंगे।* 33 करोड़ देवतायें गाये जाते हैं। उनमें *8 नम्बरवन सूर्यवंशी बनते हैं।* प्रिन्स प्रिन्सेज भी बहुत होंगे ना । *इम्तहान बहुत बड़ा भारी है। 8 विजय माला के दाने बनते हैं।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम बच्चे यहाँ *अपना जीवन ऊंच बना रहे हो। बड़ा भारी वर्सा ले रहे हो।* यहाँ तुम बाप के पास आते हो बहुत *मालामाल बनने। गरीब से साहूकार बनने।*
➢➢ तुम सिर्फ दो अक्षर पकड़ लो *बाप और वर्से को याद करो तो राजधानी मिल जायेगी।*
➢➢ सूर्यवंशी का नाम बाला है। बच्चे कहते भी हैं *बाबा हम तो सूर्यवंशी बनेंगे।*
➢➢ समझाया जाता है *हम पाठशाला में पढ़ते हैं मनुष्य से देवता बनने।* साक्षात्कार भी किया है तब तो कहते हैं *हम लक्ष्मी-नारायण बनेंगे।*
➢➢ *तुम बच्चों को भगवान पढ़ाते हैं, यह तो बड़े ही भाग्य की बात है,* जो भगवान का बनकर फिर उनकी सर्विस में लग जाएं।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ द्वापर से लेकर तो हद का वर्सा लेते आये। *अभी बेहद के बाप से बेहद का वर्सा लेना है।* अभी तुम जो वर्सा लेते हो वह 21 जन्मों के लिए अविनाशी बन जाता है।
➢➢ *बाप फरमान करते हैं एक तो पवित्र बनो और मुझे याद करो।* परन्तु माया
भुला देती है। *सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है वह याद करने से हम चक्रवर्ती
राजा रानी बनते हैं।* कितनी सहज बात है।
➢➢ *बाप कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।* हम बाप का सन्देश
देते हैं। *याद नहीं करेंगे तो विकर्माजीत नहीं बनेंगे, फिर ज्ञान की धारणा
कैसे होगी।*
➢➢ भविष्य 21 जन्मों का वर्सा मिलता है। *सदा सुखी बनते हैं तो कितना दान
देना चाहिए।* शिवबाबा जो तुमको *अविनाशी ज्ञान रत्न देते हैं वह फिर औरों
को देना है।*
➢➢ *बाप कहते हैं पुरुषार्थ कर सूर्यवंशी में आ जाओ। बाप को याद करो।*
➢➢ *स्वदर्शन चक्र फ़िराना है। बहुतों को जीयदान देने की सेवा करनी है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *गरीब आते हैं, अपनी आजीविका बनाने अथवा 21 जन्मों के लिए अपना अधिकार अर्थात् वर्सा लेने लिए। तो उन्हों को अविनाशी ज्ञान खजाना लेने लिए तुम बच्चों को हर प्रकार की सहूलियत देनी है* क्योंकि यह खजाना और कहाँ से तो मिल नहीं सकता।
➢➢ *तुम बच्चे भण्डारे खोलते जाओ, जीयदान देने लिए।* यह कितना पुण्य होता
है। अगर भण्डारा खोलकर फिर बन्द कर दे तो बताओ इतने सबका हाल क्या होगा!
दु:खी होंगे। हम जानते हैं बिचारे बहुत दुःखी कंगाल हैं। *यहाँ आकर खुशनसीब
बनते हैं। उनके लिए सदैव दरवाजा खुला रहना चाहिए।*
➢➢ *बाप राजयोग सिखलाते हैं। तुमको फिर औरों को सिखाना है। ऐसा प्रबन्ध
करना चाहिए - जहाँ बहुत मनुष्य आकर अपना सौभाग्य बनायें । सबको जीयदान देना
है।* अगर जीयदान देने से लात मारेंगे तो बहुत पाप चढ़ जायेगा। *बहुत-बहुत
प्यार से समझाना है।*
➢➢ *नये-नये सेन्टर्स खुलते जाते हैं। कितने मनुष्य आकर अपनी जीवन हीरे
जैसी बनाते हैं। बनकर फिर औरों को बनाना चाहिए। मुरझाये हुए को सुरजीत करना
है। बड़े प्यार से एक-एक को हाथ करना होता है। कहाँ बिचारे के पैर खिसक न
जायें।* जितना जास्ती सेन्टर्स होंगे उतना जास्ती आकर जीयदान पायेंगे। पावन
हीरे जैसा जीवन बनायेंगे। अभी तो पतित कौड़ी जैसा है ।
➢➢ *उल्टे सुल्टे प्रश्न कोई पूछे तो बोलो पहले नॉलेज तो समझो। अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो। बाकी सब बातें छोड़ दो।* आगे चल समझते जायेंगे। वर्सा लेने की हिम्मत दिखाओ। *हम बाप का सन्देश देते हैं फिर करो न करो तुम्हारी मर्जी। बाप के पास पवित्र बन जायेंगे तो फिर नई पावन दुनिया में ऊंचे पद दिलायेंगे। स्वदर्शन चक्र फिराओ। 84 जन्मों के चक्र को याद करो बस।* जितना जो याद करेंगे वही विजय माला में पिरोये जायेंगे *और कुछ जप तप आदि नहीं करना है, बाप इन सबसे छुड़ा देते हैं।*
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