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  22 / 03 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  हमने बेहद के बाप को पा लिया है तो बेहद के बाप से सारे विश्व की बादशाही हम ले रहे हैं। यह तो बिल्कुल साधारण बुद्धि से भी समझ सकते हैं कि *भारत में जब देवी-देवताओं का राज्य था तो और कोई धर्म नहीं था। लक्ष्मी-नारायण का ही घराना था।*

 

➢➢  अब कृष्ण तो सतयुग का प्रिन्स था। कृष्ण ने यह पद पाया है अपने बाप से। कृष्ण कोई अकेला नहीं था। *लक्ष्मी-नारायण की राजधानी थी जो अब फिर से स्थापन हो रही है।* कृष्ण 84 जन्म पूरे कर फिर से वह राजाई ले रहे हैं। 

 

➢➢  *सतयुग में कोई भी बेकायदे बात होती नहीं जो नुकसान आदि हो।* खेती टाइम पर तैयार होगी। टाइम पर पानी मिलेगा। वहाँ कोई उपद्रव होते नहीं। 

 

➢➢  *भगवान नॉलेजफुल, ब्लिसफुल है।* कृष्ण को नॉलेजफुल, ब्लिसफुल आदि यह टाइटिल नहीं देंगे। *बाप सारी सृष्टि पर तत्वों सहित सब पर ब्लिस करते हैं।* सो तो सिवाए परमपिता परमात्मा के और कोई कर न सके। ब्लिस अर्थात् मेहर।

 

➢➢  *पढ़ाने वाला है निराकार।* उनका नाम व्यास वा कृष्ण आदि नहीं है। उन सबके तो चित्र हैं। ब्रह्मा का भी चित्र है, कृष्ण का भी चित्र है। सूक्ष्म वा स्थूल चित्र हैं तो उनको भगवान नहीं कह सकते। *भगवान एक ही है जिसको शिव कहते हैं।* 

 

➢➢  अब वह निराकार परमपिता परमात्मा आत्माओं को मत देते हैं। आत्मा इन कानों से सुनती है, मुख से बोलती है। *तो सबसे मुख्य हुआ परमपिता परमात्मा फिर ब्रह्मा विष्णु शंकर सूक्ष्मवतन वासी फिर संगमयुग पर है जगदम्बा सरस्वती और जगतपिता ब्रह्मा।* यह बड़े ते बड़े हुए ना।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुमको बाप श्रेष्ठ कर्म सिखलाते हैं। जो भी जितना सीखेंगे उतना ऊंच पद स्वर्ग में पायेंगे।* जैसे नाटक में कोई तो स्पेशल रिजर्व सीट लेते हैं। फिर नम्बरवार सेकेण्ड क्लास, थर्ड क्लास होती हैं। अच्छे-अच्छे आदमी नजदीक में सीट लेते हैं। तो पढ़ाई में भी नम्बरवार होते हैं ।    

 

➢➢  यह तो जानते हैं हम आत्मा परमधाम से आती हैं, गर्भ में चोला धारण कर हम पार्ट बजाते हैं। *अभी पार्ट पूरा हुआ है फिर यह शरीर छोड़ अशरीरी होकर जाना है।*

 

➢➢  तुम जानते हो मरना तो सभी को है। अभी बाप कहते हैं *मरने से पहले पुरुषार्थ करो। इस समय सिर्फ तुम्हारी प्रीत है मेरे साथ।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *यह शिक्षा जो मिलती है वह धारण करनी है।* कॉलेज में जो शिक्षा मिलती है वह भी स्टूडेन्ट्स की बुद्धि में रहती है ना। बच्चों की बुद्धि में रहता है हम भारतवासी सो देवता थे, कल्प पहले भी बाप ने आकर राजयोग सिखाया था। 

 

➢➢  *बाप कहते हैं हम तुमको ऐसे कर्म सिखलाते हैं जो कभी दु:खी नहीं होंगे। अब सारा मदार है तुम्हारे पुरुषार्थ पर।* चाहे बाप का बन फर्स्टक्लास टिकेट लो, सूर्यवंशी बनो, चाहे चन्द्रवंशी बनो।

 

➢➢  *तुमको यह नशा रहना चाहिए कि हम यह राजयोग सीख भविष्य प्रिन्स प्रिन्सेज बनेंगे।* बैरिस्टरी पढ़ते हैं तो नशा रहता है। इम्तिहान पास कर जाकर कुर्सी पर बैठ बैरिस्टर बनेंगे।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  शिवबाबा डायरेक्शन देते हैं ब्रह्मा को कि तुमको देवी-देवता धर्म की स्थापना करनी है। स्थापना कर फिर तुमको जाकर पालना करनी है। हम नहीं करेंगे। *तुमको सिखलाते हैं, डायरेक्शन देते हैं ना। करनकरावनहार है ना। खुद करते भी हैं। नॉलेज सुनाते हैं और तुम से कराते भी हैं ना।*

 

➢➢  इन (ब्रह्मा) द्वारा रचना होती है। *तुम सब मिलकर भारत को स्वर्ग बनाते हो, बाप की मदद से तुम मनुष्य को देवता बनाते हो।* सतयुग में होते हैं दैवी सम्प्रदाय।

 

➢➢  *यह तो जानते हो तुम्हारे मम्मा बाबा सबसे जास्ती पुरुषार्थ करते हैं। सर्विस करते हैं। वह तो महारानी महाराजा बनेंगे।* तुम उन्हों की गद्दी पकड़ेंगे ना या नापास हो जायेंगे !

 

➢➢  *भगवान तो है निराकार। ड्रामा में यह वेद-शास्त्र आदि सब पहले से ही बने हुए हैं। शास्त्रों में जो कुछ है, जैसे बने हुए हैं फिर भी वही बनेंगे। कितनी गुह्य बातें हैं। गुह्य ते गुह्य बातें सुनाते रहेंगे। जो बच्चे समझकर फिर समझा सकें।*

 

➢➢  बाबा, यहाँ रहकर हम तंग हो गये हैं। बाबा कहते हैं यह तुम्हारा नम्बरवन जन्म है, इसमें तुम्हें कभी तंग नहीं होना है। वन्दे मातरम् गाया हुआ है। *तुमको योगबल से सारे विश्व को पावन बनाना है।*

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