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❍ 06 / 01 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *भोलानाथ सदैव
शिवबाबा को कहा जाता है। शंकर को नहीं कहा जाता। वह तो विनाश करता है और शिवबाबा
स्थापना करते हैं।* यह तो जरूर है स्थापना स्वर्ग की और विनाश नर्क का करेंगे।
➢➢ जरूर कल्प पहले
भी शिवबाबा आया होगा और अब आया है जरूर। *उनको आना जरूर है क्योंकि नई मनुष्य
सृष्टि को रचना है। इस ड्रामा के आदि मध्य अन्त का राज बताना है इसलिए जरूर यहाँ
आना है।* शिवबाबा ही बिगड़ी को बनाने वाला है।
➢➢ *इस नाटक में
जो-जो मनुष्य के चित्र हैं वह एक ही बार देख सकते हैं। वह पुनर्जन्म लेंगे तो
नाम रूप भिन्न हो जायेगा।* 84 जन्मों के लिए 84 चित्र बनेंगे। और सभी
भिन्न-भिन्न होंगे। कर्म भी किसके साथ नहीं मिल सकते। इसलिये लक्ष्मी-नारायण का
रूप एक बार सतयुग में देखा, फिर 5 हजार वर्ष के बाद ही देखेंगे। *अथाह मनुष्य
हैं जो भी मनुष्यों के चित्र अब देखे हैं वह फिर 5 हजार वर्ष के बाद देखेंगे।*
➢➢ *पहले-पहले जरूर
सूक्ष्मवतन रचना पड़े फिर स्थूलवतन में आना पड़े क्योंकि मनुष्य जो देवता थे,
वह अब शूद्र बने हैं। उन्हों को फिर ब्रह्मण से देवता बनाना पड़े।* तो जो कल्प
पहले मैंने ज्ञान दिया था फिर वही रिपीट करूंगा।
➢➢ *अब तुम्हारी
काया बिल्कुल पुरानी हो गयी है, इसको फिर ऐसा बनाते हैं जो आधाकल्प के लिए तुम
अमर बन जाते हो। भल शरीर बदलते हो परन्तु खुशी से। जैसे पुराना चोला छोड़ नया
लेते हैं।*
➢➢ *बाबा कहते हैं
अब मैं आया हूँ सृष्टि को नया बनाने। यहाँ आकर सृष्टि को पलटाए काया कल्प वृक्ष
समान बनाते हैं।* पहले नई थी, अब पुरानी हो गई है। यहाँ आकर सृष्टि को पलटाए
काया कल्प वृक्ष समान बनाते हैं। *अब तुम्हारी काया बिल्कुल पुरानी हो गयी है,
इसको फिर ऐसा बनाते हैं जो आधाकल्प के लिए तुम अमर बन जाते हो।*
➢➢ *बाप खुद बैठ
समझाते हैं कि पुरानी सृष्टि फिर नई कैसे बनती है। अन्त से फिर आदि कैसे होती
है। मनुष्य समझते हैं परमात्मा आया था परन्तु कब, कैसे आया। आदि-मध्य-अन्त का
राज कैसे खोला, यह नहीं जानते।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम सिद्ध कर
बताते हो कि यह मात-पिता, ब्रह्मा सरस्वती दोनों कल्प वृक्ष के नीचे बैठे हैं,
ब्रह्मा सरस्वती और बच्चे सभी को राजऋषि कहते हैं। राजाई के लिए योग लगाते
हैं।* बाप आकर राजयोग और ज्ञान सिखाते हैं जो और कोई सिखा न सके।
➢➢ *अन्य कोई का भी
राजयोग नहीं है। वह तो सिर्फ कहेंगे योग सीखो। हठ योग तो अनेक प्रकार के होते
हैं। राजयोग कोई सन्यासी, उदासी सिखला न सके। इसीलिये भगवान ने ही स्वयं आ कर
राजयोग सिखाया था।*
➢➢ *इस समय बैठ मैं
राजयोग सिखाता हूँ। फिर आधा कल्प के बाद भक्ति आरम्भ होती है।* बाप समझाते हैं
सृष्टि तो पहले से ही है। भक्त भी हैं, भगवान को बुलाते भी हैं, इससे सिद्ध है
कि भक्त है।
➢➢ भगवान को आना ही
तब है जब भक्त बहुत दु:खी हैं, कलियुग का अन्त है। रावण राज्य खत्म होना है, तब
ही मुझे आना पड़ता है। *बरोबर इस समय सभी दु:खी हैं। महाभारी लड़ाई सामने खड़ी
है। यह पाठशाला है। यहाँ एम आबजेक्ट है।*
➢➢ *बाप कहते हैं
फिर मैं सम्मुख आया हूँ - सभी को सद्गति देने। माया रावण ने सभी की किस्मत
बिगाड़ दी है तो बिगड़ी को बनाने वाला जरूर कोई चाहिए।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
अब तुम्हारी काया बिल्कुल पुरानी हो गयी है, इसको फिर ऐसा बनाते हैं जो आधाकल्प
के लिए तुम अमर बन जाते हो। *यहाँ है ही योगबल की बातें। तुम योगबल से विश्व की
बादशाही लेते हो।*
➢➢
खुद बेहद का बाप कहते हैं तुम पवित्र बनने की *प्रतिज्ञा करो तो 21 जन्म के लिए
स्वर्ग के मालिक बनेंगे। ज्ञान चिता पर बैठने से तो हम स्वर्ग के मालिक बनेंगे।*
अक्सर ब्राह्मण ही सगाई कराते हैं।
➢➢
*जब तुम पारसबुद्धि बन जायेंगे तब यह दुनिया भी पत्थरपुरी से बदल पारसपुरी बन
जायेगी, जिसके लिए बाबा पुरुषार्थ कराते रहते हैं। ऐसे अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स
धारण करनी हैं।*
➢➢
बाप आकर काल के पंजे से छुड़ाते हैं। कहते हैं मैं आया हूँ फिर से तुम बच्चों
को सुरजीत करने। जो बिल्कुल काले, पत्थरबुद्धि हो गये हैं उनको फिर से आकर
पारसबुद्धि बनाता हूँ। *तुम जानते हो इस ज्ञान से हम पारसबुद्धि कैसे बनते
हैं।*
➢➢
वहाँ (सतयुग) ऐसे नहीं कहेंगे कि फलाना मर गया, उनको मरना नहीं कहा जाता है।
जैसे *तुम्हारा यह जीते जी मरना है तो तुम मरे थोड़े ही हो, तुम तो शिवबाबा के
बने हो।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *जिसने जो कर्म
किया, वही कर्म 5 हजार वर्ष के बाद फिर करेंगे। तुम यह राज सबको समझा सकते हो।*
बाप कहते हैं फिर मैं सम्मुख आया हूँ - सभी को सद्गति देने।
➢➢ *तुम्हारी बुद्धि
का ताला अब खुला है तब तुम समझते हो। अब फिर औरों का भी ऐसे ताला खोलना है।*
निराकार बाप जरूर परमधाम में रहते होंगे। जैसे तुम भी सब मेरे साथ रहते हो।
➢➢ *यह कल्प-कल्प
की बाजी है, जो जितना सर्विस करेंगे, पद भी उतना पाएंगे। तुम हो बेहद के रूहानी
सोशल वर्कर्स। तुम सुप्रीम रूह की मत पर चलते हो।*
➢➢ *माया रावण ने
सभी की किस्मत बिगाड़ दी है तो बिगड़ी को बनाने वाला जरूर कोई चाहिए। बाप कहते
हैं 5 हजार वर्ष पहले भी ब्रह्मा तन में आया था। मनुष्य सृष्टि जरूर यहाँ ही रची
है।*
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