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  27 / 03 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *पहले-पहले तुम ब्राह्मण बनते हो ब्रह्मा मुख वंशावली। शिवबाबा तो एक है फिर माता कहाँ? यह बड़ा गुह्य राज़ है।* मैं इन द्वारा आकर तुम बच्चों को एडाप्ट करता हूँ। तो *तुम पुरानी दुनिया से जीते जी मरते हो। वह (लौकिक मात-पिता) जो एडाप्ट करते हैं वह धन देने के लिए करते हैं।*

 

➢➢  *मनुष्य जब शरीर छोड़ते हैं तो दुनिया मिट जाती है, आत्मा अलग हो जाती है तो न मामा, न चाचा कुछ भी नहीं रहते। कहा जाता है-यह मर गया अर्थात् आत्मा जाकर परमात्मा से मिली। बाप बैठ समझाते हैं, वास्तव में कोई जाते नहीं हैं परन्तु मनुष्य समझते हैं आत्मा वापिस गई या ज्योति ज्योत में समाई।*

 

➢➢  *अब बाप बैठ समझाते हैं - यह तो बच्चे जानते हैं आत्मा को पुनर्जन्म लेना ही होता है। पुनर्जन्म को ही जन्म-मरण कहा जाता है।* पिछाड़ी में जो आत्मायें आती हैं, हो सकता है एक जन्म लेना पड़े। बस, वह छोड़ फिर वापस चली जायेगी। *पुनर्जन्म लेने का भी बड़ा भारी हिसाब-किताब है।*

 

➢➢  *पुरुषार्थ तो शरीर के साथ करना पड़ेगा। अकेली आत्मा तो पुरुषार्थ कर न सके।* बाप बैठ समझाते हैं- *जब रूद्र यज्ञ रचते हैं तो वहाँ शिव का चित्र बड़ा मिट्टी का बनाते हैं और अनेक सालिग्राम के चित्र मिट्टी के बनाते हैं। अब वह कौन से सालिग्राम हैं जो बनाकर और फिर उनकी पूजा करते हैं? शिव को तो समझेंगे कि यह परमपिता परमात्मा है। शिव को मुख्य रखते हैं बाकी आत्मायें तो ढेर हैं।*

 

➢➢  *सालिग्राम बहुत बनाते हैं। 10 हजार अथवा 1 लाख भी सालिग्राम बनाते हैं। रोज़ बनाया और तोड़ा फिर बनाया। बड़ी मेहनत लगती है क्या इतनी सब आत्मायें पूज्यनीय लायक हैं? नहीं। अच्छा, समझो भारतवासियों के 33 करोड़ सालिग्राम बनायें, वह भी हो नहीं सकता क्योंकि सभी तो बाप को मदद देते नहीं। यह बड़ी गुह्य बातें हैं समझने की जो बाप के सिवा कोई समझा न सके।*

 

➢➢  *इस समय तुम बच्चे ही बाप को जानते हो और मददगार बनते हो।* प्रजा भी तो मदद करती है ना। *शिवबाबा को जो याद करते हैं, वह स्वर्ग में तो आ जायेंगे। भल ज्ञान किसको न भी दें तो भी स्वर्ग में आ जायेंगे।* वह तो कितने ढेर होंगे! *परन्तु मुख्य 108 हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप एडाप्ट करते हैं स्वर्ग का वर्सा देने के लिए फिर तुम्हें लायक बनाते हैं और कहते मामेकम याद करो तो साथ में ले जायेंगे* इसलिए इस पुरानी दुनिया से जीते जी मरना है।

 

➢➢  *बुद्धियोग एक बाप से लगाओ। बाप हमको परमधाम में ले जाते हैं,* बच्चों को इस बात का फुरना रहना चाहिए। *बच्चों को भी सीखना पड़े बुद्धियोग एक बाप से लगाना पड़े तभी बाप के साथ जा सकेंगे।*

 

➢➢  *तुम बच्चे जानते हो हम शिवबाबा के बने हैं तो यह देह का भान छोड़ना पड़े।* अपने को आत्मा *अशरीरी समझना मेहनत का काम है।* इसको कहा ही जाता है राजयोग और ज्ञान। दोनों अक्षर आते हैं।

 

➢➢  मनुष्य जब मरते हैं तो उनको कहते हैं राम-राम कहो या गुरू लोग अपना नाम दे देते हैं। गुरू मर जाता तो फिर उनके बच्चे को गुरू कर देते हैं। यहाँ तो बाप जायेंगे तो सभी को जाना है। *यह मृत्युलोक का अन्तिम जन्म है। अब इस दुनिया से ममत्व छोड़ बस एक बाप को ही याद करना है।*

 

➢➢  *अभी तुम बच्चों में बल चाहिए तो एक बाप की याद रहने से बलशाली बन जाएंगे।*

 

➢➢  *स्वदर्शन चक्र का राज़ भी बाबा ने कितना साफ बताया है।* 84 जन्मों के चक्र को ब्राह्मण ही याद कर सकते हैं। यह है बुद्धि का *योग लगाकर चक्र को याद करना। परन्तु माया घड़ी-घड़ी योग तोड़ देती है, विघ्न डालती है। योग में रहने से तुम मायाजीत बन जाएंगे।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अब बाप बैठ समझाते हैं तुम मेरे बने हो तो शरीर का भान छोड़ो, मैं गाइड बन आया हूँ वापिस ले जाने। तुम्हारा बुद्धियोग एक बाप से ही होना चाहिए ।*

 

➢➢  *गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र बन बाप का बनना है।* हम वहाँ के रहने वाले हैं फिर सतयुग में सुख का पार्ट बजाया। यह बातें बाप समझाते हैं। शास्त्रों में तो हैं नहीं।

 

➢➢  अब बाप बैठ तुम आत्माओं को पवित्र बनाते हैं, आत्मा की मैल निकालते हैं। *तुमको ही ज्ञान का तीसरा नेत्र मिलता है। अब तुमको सम्पूर्ण पवित्र बन बाप से पूरा वर्सा लेना है।*

 

➢➢  विकारी तो सभी हैं, भले सन्यासी घरबार छोड़ निर्विकारी बनते हैं फिर भी जन्म विकार से लेकर फिर निर्विकारी बनने लिए सन्यास करते हैं।* समझते हैं घर परिवार में रहते पवित्र नहीं रह सकते।  उनका है हठयोग प्राप्ति कुछ भी नहीं। *तुम बच्चे पवित्र बन बाप के पूरे वर्से के अधिकारी बनते हो।*

 

➢➢  *जन्म-जन्मान्तर तुम देह-अभिमानी रहे हो इसलिए अपवित्र बन पड़े हो।* कोई भी मनुष्य ऐसे नहीं कहेगा कि मैं आत्मा परमपिता परमात्मा की सन्तान हूँ। सन्तान हैं तो उनकी पूरी बायोग्राफी मालूम होनी चाहिए। पारलौकिक बाप की बायोग्राफी बड़ी जबरदस्त है। *तो बच्चे कहते हैं अब पवित्र बनकर बाबा हम आपके गले का हार जरूर बनेंगे।*

 

➢➢  *बाबा तुम्हें कितने राज़ समझाते हैं। बच्चों को मेहनत कर धारणा करनी है।* बाबा बैठ समझाते हैं, वह है उत्तम ते उत्तम बाप, जिसके तुम बच्चे बने हो। यह स्कूल भी है, रोजाना नई-नई बातें निकलती हैं। कहते हैं आज गुह्य ते गुह्य सुनाता हूँ। *नहीं सुनेंगे तो धारणा कैसे होगी? इएलिये ये पढ़ाई मिस नहीं करनी है।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *जो भी आत्मायें हैं वह शिवबाबा के गले का हार हैं।* वह तो विनाशी नहीं 
अविनाशी है। प्रजापिता ब्रह्मा भी तो है। *नई दुनिया कैसे रची जाती है, क्या प्रलय हो जाती है? नहीं। दुनिया तो कायम है। सिर्फ जब पुरानी होती है तो बाप आकर उनको नया बनाते हैं।* हमारी आत्मा पवित्र नई थी। प्योर सोना थी, अब बाप आकर फिर पवित्र  बनाते हैं। *पवित्र बने बिना कोई वापस जा नहीं सकते।*

 

➢➢  *यहाँ तुम बच्चे सागर के पास आते हो रिफ्रेश होने। यहाँ तुम सम्मुख ज्ञान डांस देखते हो, दिखाते हैं गोप-गोपियों ने कृष्ण को डांस कराई, यह बात इस समय की है।* चात्रक बच्चों के सामने बाप की मुरली चलती है। बच्चों को भी सीखना पड़े। फिर जो जितना सीखे। *समझाना है बेहद के बाप से स्वर्ग का वर्सा लो।*

 

➢➢  तुम हो पाण्डव सम्प्रदाय। वह जिस्मानी पण्डे हैं, तुम रूहानी पण्डे हो। वह जिस्मानी यात्रा पर ले जाते हैं। तुम्हारी है रूहानी यात्रा। उन्होंने तो पाण्डवों को हथियार दे, युद्ध के मैदान में दिखाया है। *अभी तुम बच्चों में भी ताकत चाहिए। बहुत होते जायेंगे तो फिर ताकत भी बढ़ती जायेगी। ऐसी ऐसी पॉइंट्स से तुम अच्छी सर्विस कर सकते हो।*

 

➢➢  *यह मृत्युलोक का अन्तिम जन्म है। बाबा हमको अमरलोक में ले जाते हैं, वाया मुक्तिधाम जाना है। यह भी समझाया जाता है जब विनाश होता है तो यह कलियुग का पूरा नीचे चला जाता है। सतयुग ऊपर आ जाता है। बाकी कोई समुद्र के अन्दर नहीं चले जाते हैं।*

 

➢➢  *हे भगवान कहते हो, वह तो है रचयिता, जरूर स्वर्ग ही रचेंगे।* यह एक ही बाप है जो स्वर्ग रचते हैं वो फिर आधाकल्प चलता है।  *ऐसे ये सेवा के बहुत अच्छे पॉइंट्स हैं। बाप का परिचय देकर समझाना है।*

 

➢➢  *समझाने की युक्ति रचनी है बोलो मुख्य हैं 108, उनमें फ़र्क नहीं पड़ सकता।* त्रेता के अन्त में जितने प्रिन्स-प्रिन्सेज हैं सभी मिलकर जरूर यहाँ ही पढ़ते होंगे। प्रजा भी पढ़ती होगी। *यहाँ ही किंगडम स्थापन होती है। बाप ही किंगडम स्थापन करते हैं और कोई प्रीसेप्टर किंगडम नहीं स्थापन करते। यही बड़ा वन्डरफुल राज़ है।* सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य कहाँ से आया? *कलियुग में तो राजाई है नहीं। अनेक धर्म हैं। भारतवासी कंगाल हैं। अब बाप आया है सुख का राज्य स्थापित करने।*

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