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❍ 19 / 01 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ भारत स्वर्ग था, अब नहीं है। तुम हर जन्म हद का वर्सा लेते आये हो। *स्वर्ग में हद का वर्सा नहीं कहेंगे। वो है बेहद का वर्सा क्योंकि बेहद के अर्थात सारे सृष्टि के मालिक हैं, और कोई धर्म नहीं। हद का वर्सा शुरू होता है द्वापर से.. । यथा राजा रानी तथा प्रजा। वह है बेहद की बादशाही।*
➢➢ *सतयुग में तुम पारसबुद्धि थे , क्योंकि पारसनाथ, पारसनाथनी का राज्य
थे। सोने के महल थे।* पारसबुद्धि से पत्थरबुद्धि कौन बनाते हैं ? पाँच
विकार रूपी रावण। *जब सब पत्थरबुद्धि बन पड़ते हैं, तब ही फिर पारसबुद्धि
बनाने वाला बाप आते है ।*
➢➢ *निराकार परमपिता परमात्मा जिसको पिता कहा जाता है, उनको माता भी कहते
हैं।* परमपिता परमात्मा सृष्टि रचेगा तो माता भी चाहिए। यह बात बड़ी गुह्य
है और कोई की बुद्धि में कभी आ न सके।
➢➢ *भारत में लक्ष्मी नारायण को भी कह देते हैं, तुम मात-पिता.... तो राधे कृष्ण के आगे भी जाकर कहते , तुम मात-पिता...।अब वो तो हैं प्रिंस प्रिंसेस।* उन्हों को मात-पिता कोई बेसमझ भी न कहे। *लक्ष्मी नारायण को तो उनके बच्चें ही कहेंगे तुम मात-पिता...*
➢➢ मनुष्य समझते हैं *जिसके पास महल माड़िया हैं, वो स्वर्ग में हैं। जिन्हों
के बच्चें कहेंगे, "हमारे माँ-बाप के पास बहुत सुख है," जरूर आगे जन्म में
कुछ अच्छे कर्म किये हैं।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *गाया भी हुआ है , शंकर द्वारा पुरानी दुनिया का विनाश, यह ड्रामा में नूँध है।इसलिए तुम बच्चें जानते हो, हमारे लिए नई राजधानी बन रही है।* कोई ने कहा राम की सीता चुराई गई। कोई भी बात न समझो तो समझने की कोशिश करो, नहीं तो बे-समझ के बेसमझ रह जायेंगे।
➢➢ *बाबा आप पिता हो, इस माता द्वारा हमने जन्म लिया है। बरोबर वर्सा भी
याद आता है। याद उस बाप को करना है।*
➢➢ *मनमनाभव का अर्थ कितना सहज है । तुमको मेरे पास आना है, मुझ अपने बाप
को याद करो निराकार बाप को याद करने से विकर्म विनाश हो जायेंगे।*
➢➢ *कृष्ण तो ऐसे नहीं कहेंगे, कि मुझे याद करो। तुमको मेरे पास आना है।
परमात्मा अभी सर्व आत्माओं को कहते हैं कि तुम सभी आत्माओं को मच्छरों
सदृश्य आना है। तो जरूर आत्मा परमात्मा बाप को ही फॉलो करेंगी।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *पांडवों की लड़ाई वास्तव में कोई के साथ नहीं। यह तो योगबल से बेहद के बाप से तुम वर्सा ले रहे हैं, नई दुनिया के लिए । इसमें लड़ाई की कोई बात नहीं......*
➢➢ यह है बना बनाया ड्रामा। सारी सृष्टि की हिस्ट्री जोगोफरी को तुम बच्चें
अभी जानते हो कि यह कैसे चक्र लगाती है। जिसको ही स्वदर्शन चक्र कहा जाता
है। *यह जो दिखाते हैं स्वदर्शन चक्र से सभी के सिर काटे, ऐसा कुछ भी नहीं
है। यहाँ हिंसा की बिल्कुल बात ही नहीं, यह तो पढ़ाई है, पढ़ना है।*
➢➢ *नटशैल में कहते हैं बाप को याद करो जिससे वर्सा मिलता है। जन्म लिया
बाप से वर्सा लेने के लिए, तो इस माता को भी छोड़ो।*
➢➢ *बाप को याद करने से वर्सा मिलता है। माता को याद करने से वर्सा नहीं
मिलेगा। निरन्तर उस बाप को याद करना है। बाकी इस शरीर को भूलना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप खुद समझाते हैं मैं बच्चों को एडाप्ट करता हूँ। इतने ढेर बच्चे पेट से कैसे निकलेंगे। तो कहते हैं मैं इस शरीर को धारण कर इनके मुख द्वारा बच्चे एडाप्ट करता हूँ। यह ब्रह्मा पिता भी है, मनुष्य सृष्टि रचने वाला और माता भी है। जिसके मुख से बच्चे एडाप्ट करता हूँ। इस रीति बच्चों को एडाप्ट करना - यह सिर्फ बाप का काम है।*
➢➢ *शिव बाबा को तो अपना शरीर है नहीं। शिव बाबा कहते हैं बच्चें तुम्हें
भी पहले अपना शरीर नहीं था, फिर शरीर लिया है। गायन भी है ब्रह्मा द्वारा
नई सृष्टि की रचना की, तो जरूर पुरानी सृष्टि से नयी सृष्टि की रचना की।*
➢➢ *बाबा कहते हैं मैं तुमको इस पढ़ाई से मनुष्य से देवता बनाता हूँ। पूज्य
देवता थे फिर पुजारी बन गये हो।* अब तुम आत्माओं को स्मृति आयी है कि हमने
84 जन्म ऐसे-ऐसे भोगे। फिर से ड्रामा को रिपीट करना है ।
➢➢ *मनुष्य कहते हैं - हे गॉड फादर ! रहम करो। बाप कहते हैं अच्छा तुमको
दुःख से लिबरेट कर सुखी बनाता हूँ। इसलिए मैं कल्प-कल्प आता हूँ। आकर भारत
को हीरे जैसा बनाता हूँ, बाकी सबको मुक्तिधाम भेज देता हूँ ।*
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