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❍ 30 / 01 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाबा हमको त्रिलोकीनाथ त्रिकालदर्शीा बनाते है। ब्रह्माण्ड का मालिक भी बनते है, फिर सृष्टि के मालिक भी हम बनते हैं। बाप ने बच्चों की महिमा अपने से भी ऊंच की है।* सारी सृष्टि में ऐसा बाप कभी देखा जो बच्चों के ऊपर इतनी मेहनत करे और अपने से भी तीखा बनाये!
➢➢ *तुम बच्चों को विश्व की बादशाही देता हूँ, मैं नही भोगता। बाकी दिव्य दृष्टि की चाबी मैं अपने हाथ में रखता हूँ। भक्ति मार्ग में भी मुझे काम में आती है। अब भी ब्रह्मा का साक्षात्कार कराता हूँ कि इस ब्रह्मा के पास जाकर राजयोग सीख भविष्य प्रिन्स बनो।*
➢➢ *परमात्मा सर्वव्यापी होता तो सबकी एक एक्ट हो जाती।* सर्वव्यापी कहने से ही भूख मरे है। *कोई भी मनुष्य न बाप को, न बाप की अपरमअपार महिमा को जानते हैं। जब तक बाप को न जानें तब तक रचना को भी जान न सकें।* अभी तुम बच्चों ने रचना को भी जाना है।
➢➢ *यह तो सभी जानते है कि शिव परमात्मा की सभी सन्तान है। फिर परमात्मा ने नई सृष्टि रची होगी। तो जरूर ब्रह्मा के मुख द्वारा रची होगी।* ब्रह्मा मुख वंशावली तो जरूर ब्राह्मण कुलभूषण होंगे, वह समय भी संगम का होगा।
➢➢ *भारत स्वर्ग था तो सभी सर्वगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूर्ण थे। 5 हजार वर्ष की बात है। तो परमात्मा की महिमा सबसे न्यारी है। फिर है देवताओं की महिमा। इसमें अन्धश्रद्धा की कोई बात नहीं।*
➢➢ अभी बहुत दु:ख है। तो सभी आवाज करते हैं कि हे प्रभू दु:ख से छुड़ाओ। कलियुग अन्त में जरूर जास्ती दु:ख होगा। *दिन-प्रतिदिन दु:ख वृद्धि को पाता जायेगा। वह समझते हैं सभी अपना-अपना राज्य करने लग पड़ेगे। परन्तु यह विनाश तो होना ही है। यह कोई जानते नहीं*।
➢➢ *यहाँ तो सब बच्चे है। फालोअर्स नहीं हैं।* यह तो फैमिली है। हम ईश्वर की फैमिली है। *असुल में तो हम सब आत्मायें परमपिता परमात्मा के बच्चे हैं तो फैमिली हुई ना।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *भारतवासी खास इसलिए याद करते हैं,भक्ति करते हैं क्योंकि भगवान से मिलने चाहते हैं। कृष्णपुरी में जाने चाहते हैं, जिसको ही स्वर्ग कहते हैं।* परन्तु यह नहीं जानते कि सतयुग में ही कृष्ण का राज्य था। फिर अभी कलियुग पूरा होगा, सतयुग आयेगा तब फिर कृष्ण का राज्य होगा।
➢➢ ज्ञान सागर शिवबाबा है। उनसे ही हम वर्सा पाते हैं। *हम हैं ब्रह्मामुख वंशावली। सभी राजयोग सीख रहे है। हम सबको पढ़ाने वाला शिवबाबा है, जो इस ब्रह्मा तन में आकर पढ़ाते है।* यह प्रजापिता ब्रह्मा जो व्यक्त है, वह जब सम्पूर्ण बन जाते है तब फरिश्ता बन जाते हैं।
➢➢ *बाबा हमको त्रिलोकीनाथ त्रिकालदर्शी बनाते है। ब्रह्माण्ड का मालिक भी बनते है, फिर सृष्टि के मालिक भी हम बनते हैं। बाप ने बच्चों की महिमा अपने से भी ऊंच की है। सारी सृष्टि में ऐसा बाप कभी देखा जो बच्चों के ऊपर इतनी मेहनत करे और अपने से भी तीखा बनाये!*
➢➢ अभी हम है ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण। बाकी तुम कहेंगे हम कैसे मानें कि ब्रह्मा के तन में परमात्मा आकर राजयोग सिखाते हैं। *तुम भी ब्रह्मा मुख वंशावली बन राजयोग सीखो तो आपेही तुमको भी अनुभव हो जायेगा।* इसमें बनावट की वा अन्धश्रद्धा की कोई बात ही नहीं।
➢➢ दाता मैं एक ही हूँ, इसलिए ईश्वर अर्पण करते है। समझते है ईश्वर ही फल देते हैं। साधू सन्त आदि का कभी नाम नहीं लेते हैं। *देने वाला एक बाप है।* करके निमित्त कोई द्वारा दिलाते है, उनकी महिमा बढ़ाने के लिए। *वह सब है अल्पकाल का सुख। यह है बेहद का सुख।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुमको नशा चढ़ा हुआ है - हम आलमाइटी अथॉरिटी के बच्चे है। हम उनके पास रजिस्टर हो गये। *बाबा पास रजिस्टर होने में बहुत मेहनत लगती है। जब सम्पूर्ण निर्विकारी-पने का कसम उठावे और रहकर भी दिखाये तब बाबा उसे रजिस्टर करते हैं।*
➢➢ *तुम बच्चों को कितना खुशी में रहना चाहिए।* तुम किसको भी कह सकते हो कि बेहद का बाप स्वर्ग रचता है तो बच्चों को भी स्वर्ग की बादशाही होनी चाहिए।
➢➢ बाबा का तुम बच्चों के लिए एक ही प्लैन है, और यह राजधानी स्थापन हो रही है। *जो जितनी मेहनत कर आप समान बनायेंगे, उतना ऊंचपद पायेंगे।*
➢➢ जो बाप के बच्चे बनते हैं वह प्रिन्स-प्रिन्सेज तो जरूर बनेंगे फिर आगे वा पीछे। *अच्छा पुरुषार्थ होगा तो सूर्यवंशी बनेगा नहीं तो चन्द्रवंशी। तो सिर्फ प्रिन्स को देख खुश नहीं होना है। यह सब पुरुषार्थ पर मदार रखते है ।*
➢➢ *तुमको तो सब कुछ बाबा पर बलि चढ़ाना है। भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में ही सब कुछ लगाना है।* तो फिर वर्सा भी तुम ही पाते हो।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *हम निराकार परमपिता परमात्मा को मानते हैं। पहले-पहले उनकी महिमा करनी चाहिए। वह आकर राजयोग द्वारा स्वर्ग रचते है। फिर स्वर्गवासियों की महिमा करनी चाहिए।*
➢➢ *संगम है कल्याणकारी युग। जब परमात्मा ने बैठ राजयोग सिखाया होगा। अभी हम है ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण।* बाकी तुम कहेंगे हम कैसे मानें कि ब्रह्मा के तन में परमात्मा आकर राजयोग सिखाते हैं। *तुम भी ब्रह्मा मुख वंशावली बन राजयोग सीखो तो आपेही तुमको भी अनुभव हो जायेगा।*
➢➢ *बाप कहते हैं मेरा भी ड्रामा में पार्ट है। माया सब पर बेरहमी कर रही है। हमको आकर रहम करना पड़ता है। तुम बच्चों को राजयोग भी सिखाता हूँ। सृष्टि चक्र का राज़ भी समझाता हूँ।*
➢➢ *किसके पास भी जाओ बोलो हम शिववंशी, बह्मा मुख वंशावली बाह्मण ही स्वर्ग का वर्सा पा सकते हैं। किसको अच्छी रीति समझाने की मेहनत करनी पड़ती है।* 100-50 को समझायें तब उनसे कोई एक निकले। जिसकी तकदीर में होगा वह कोटो में कोई निकलेगा। आप समान बनाने में टाइम लगता है।
➢➢ तुम बच्चों को बहुत नशा रहना चाहिए। *उन्हों को समझाना है हम तो भारत की तन-मन-धन से सेवा करते हैं।* तुम भारत की सेवा के लिए ही बलि चढ़े होना।
➢➢ शिव की सभी सन्तान हैं। प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान भी गाये हुए हैं। हम ब्रह्माकुमार कुमारियां हैं, नई सृष्टि की स्थापना हो रही है। पुरानी सृष्टि सामने है। *पहले तो बाप की पहचान देनी है।*
➢➢ *ब्रह्मा वंशी बनने बिगर बाप का वर्सा मिल न सके। ब्रह्मा के पास यह ज्ञान नहीं है। ज्ञान सागर शिवबाबा है। उनसे ही हम वर्सा पाते हैं। हम हैं मुख वंशावली।*
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