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❍ 08 / 02 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *पतित सृष्टि को पावन बनाने वाला निराकार परमपिता परमात्मा के सिवाए और कोई हो नहीं सकता। वह यहाँ जिसमें आया हुआ है वह है साकारी तन।*
➢➢ *तुम हो निराकार शिवबाबा के बच्चे। तुम शिव शक्तियां हो, शिव के वारिस।
तुम्हारा नाम वास्तव में है शिवशक्तियां। शिव से पैदा हुई शक्तियां।* शिव
ने तुमको अपना बनाया है और तुम शक्तियों ने फिर शिवबाबा को अपना बनाया है।
*शिव ने आकर अपने वारिस बनाये हैं। तुम शक्तियां हो गई शिवबाबा के वारिस।
यूँ तो तुम जब निराकारी दुनिया में हो तो भी वारिस हो।*
➢➢ शिव शक्तियां तो मशहूर हैं, *शिवशक्तियां अर्थात् शिव की औलाद।* दुनिया
में यह कोई नहीं जानते हैं कि पतित-पावन कौन है। पतित दुनिया को जरूर
कलियुग कहेंगे, पावन दुनिया को सतयुग। निराकारी दुनिया में तुम आत्मायें
सदैव पावन रहती हो। गाते भी हैं हे पतित-पावन आओ.. भिन्न-भिन्न प्रकार से
याद करते हैं।
➢➢ *भक्त भगवान को याद करते हैं। भगवान ही सब मनुष्यों की मनोकामनाएं पूरी
कर सकते हैं, इसलिए उनको याद करते हैं। कृष्ण तो मनोकामना पूरी कर न सके।
एक ही भगवान को कहा जाता है सभी की मनोकामना पूरी करने वाला। दूसरा फिर है
जगत अम्बा, भगवती, सब मनोकामनायें पूरी करने वाली। जगत अम्बा कौन है? पूरा
वारिस ब्रह्मा की बच्ची, शिवबाबा की पोत्री।*
➢➢ *तुम हो ईश्वर के वारिस, बाकी सब हैं रावण के वारिस। रावण सम्प्रदाय
गाया जाता है ना। यहाँ तुम हो ब्राह्मण सम्प्रदाय। वह हैं आसुरी रावण
सम्प्रदाय। उनको वर्सा मिल रहा है रावण से। रावण राज्य है ना। 5 विकारों का
वर्सा मिला हुआ है, जिस वर्से को फिर तुम आकर शिवबाबा को दान करते हो।*
➢➢ हम विश्व के मालिक बनते हैं, तो वह खुशी स्थाई क्यों नहीं रहती? पुरानी दुनिया के सम्बन्ध याद आ जाते हैं। देह-अभिमान आ जाता है। *पहला-पहला दुश्मन है ही देह-अभिमान। देह-अभिमान आया और लगी माया की चमाट ।*
➢➢ *ज्ञान है ही एक ज्ञान सागर के पास। सृष्टि के आदि, मध्य, अन्त को जानना, इसको ज्ञान कहा जाता है। जब तक सृष्टि के आदि मध्य अन्त को नहीं जाना तो ब्लाइन्ड हैं।* महाभारत लड़ाई भी सामने खड़ी है। बहुत तकलीफ होने वाली है। यह दुनिया बड़ी गन्दी है।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ बाबा ने हमको हकदार बनाया है - अपने घर का और जायदाद का। डबल वर्सा हुआ ना। मुक्ति और जीवनमुक्ति दोनों वर्सा बाप देते हैं। *जो बाप के वारिस बच्चे हैं वे अब मेरे को याद कर योग और ज्ञान बल से विकर्म विनाश करते हैं ।*
➢➢ तुम बच्चे अभी पढ़ाई से ऊंच पद पाते हो। *बाप का बच्चा बनकर और बाप को याद नहीं करेंगे तो वर्सा कैसे पायेंगे।*
➢➢ *अब तुम बच्चों को दादे की मिलकियत मिलती है, तो उनको याद करना है।*
➢➢ *तुम समझते हो बरोबर शिवबाबा ने हमको गोद में लिया है। एडाप्ट किया है। तो और सब तरफ से बुद्धियोग टूट जाना चाहिए।*
➢➢ *इस पारलौकिक बाप को तो बहुत याद करना पड़े। बहुत याद करने से ही ऊंच पद पायेंगे। जितना मेहनत करेंगे उतना पावन बन पावन दुनिया का राज्य पायेंगे।*
➢➢ *कल्प में
एक ही बार बाबा आकर तुमको देही-अभिमानी बनना सिखलाते हैं। कितना कहते हैं
बाबा को याद करो।*
➢➢ *तुम जानते हो हमारे लिए स्वर्ग की स्थापना हो रही है। तो याद करना पड़े ना। बाप को, स्वीट होम को और राजधानी को याद करो।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *मैं बाबा का हूँ, बाबा के ब्रह्माण्ड का मालिक हूँ। बाबा से वर्सा ले विश्व का मालिक बनता हूँ, यह नशा रहना चाहिए। देही-अभिमानी बनने की मेहनत करनी चाहिए*।
➢➢ तुम बहुत खुश मिजाज रहेंगे। जैसे देवताओं के चेहरे रहते हैं। तुम रूप-बसन्त हो ना। *जैसे बाबा ज्ञान रत्न देता है, तुम्हारे मुख से भी रत्न निकलने चाहिए।*
➢➢ *अब बाप की श्रीमत पर पूरा पावन बन दिखाना है। पूरा पावन बनने वाले ही सूर्यवंशी विजय माला के दाने बनते हैं। वह धर्मराज की सजायें नहीं खायेंगे।*
➢➢ *शिवबाबा कहते हैं यह 5 विकारों का दान दो तो छूटे ग्रहण।* ग्रहण भी ऐसा
लगा हुआ है जो एक भी कला नहीं रही है। बिल्कुल काले बन पड़े हैं। अभी हमें
दान दे दो फिर विकारों में नहीं जाना। दान देकर फिर वापिस नहीं लेना है।
अगर विकार में जायेंगे तो पद भ्रष्ट बन पड़ेंगे। *सो नारायण बनना है तो भूतों
को भगाना है।*
➢➢ बाप बच्चों को फिर भी समझाते हैं बच्चे खबरदार रहना। कोई भूत होगा तो
तुम गोरे कैसे बनेंगे? *तुम कहते हो बाबा हम आपकी मत पर चलेंगे तो बाबा कहते
हैं भूतों को भगाओ। इस दुनिया से ममत्व नहीं रखना है। बुद्धियोग नई दुनिया
में चला जाना चाहिए।*
➢➢ *अभी तुम बच्चों को अच्छी रीति पुरुषार्थ करना है। तुम्हारे अन्दर कोई भी भूत नहीं होना चाहिए।* कोई क्रोध करे तो समझो इनमें भूत है। पांच विकारों का यहाँ दान देना है, तब वह नशा चढ़ सके।
➢➢ *पुरुषार्थ करते रहो। मंजिल बहुत बड़ी है, विश्व का मालिक बनना होता है। हम ही अनेक बार विश्व के मालिक बने हैं।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अभी यह तो तुम बच्चे जानते हो शिवबाबा आया हुआ है, नर्क को स्वर्ग बनाने। हम उनके वारिस उनके साथ मददगार हैं, उनसे वर्सा पाने के लिए।* बाप आया हुआ है इस पतित दुनिया अथवा नर्क को पावन बनाने।
➢➢ *सर्विसेबुल बच्चे सर्विस का समाचार देंगे तो बाप भी खुश होगा। अच्छी-अच्छी चिठ्ठी आयेगी तो नयनों पर रखेंगे, दिल पर रखेंगे।* नहीं तो वेस्ट पेपर बाक्स में डाल देनी पड़ती हैं।
➢➢ *सर्विसेबुल बच्चों की बहुत महिमा करता हूँ। सर्विस करने वाले बच्चे ही
दिल पर चढ़ सकते हैं। सपूत बच्चे माँ बाप को फालो करते हैं।*
➢➢ *शरीर निर्वाह अर्थ सर्विस भी करो। फिर यह ईश्वरीय सर्विस भी करो।*
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