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  13 / 01 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाप सारे चक्र का राज बैठ समझाते है। तुम समझते हो हमने यह 84 जन्मों का चक्र पूरा किया। *आदि सनातन देवी-देवता धर्म वाले ही मैक्सीमम 84 जन्म लेते है। बाकी मनुष्यों की तो बाद में वृद्धि होती है।*

➢➢  हम कहते है - *आज से 5 हजार वर्ष पहले गीता सुनाने वाला भगवान आया था और आकर देवी-देवता धर्म स्थापन किया था। अब 5 हजार वर्ष बाद फिर से उनको आना पड़े।* यह है 5 हजार वर्ष का चक्र। बच्चे जानते हैं कि यह बाप इस द्वारा समझा रहे हैं।

➢➢  जैसे गरुड़ पुराण में दिखाते हैं वैतरणी नदी है, जिसमें मनुष्य गोते खाते हैं। ऐसे तो कोई नदी है नहीं जहाँ सजायें खाते हो। *सजायें तो गर्भ जेल में मिलती है। सतयुग में तो गर्भजेल होता नहीं, जहाँ सजायें मिलें। गर्भ महल होता है।* इस समय सारी दुनिया जीती जागती नर्क है। जहाँ मनुष्य दु:खी, रोगी हैं। एक दो को दु:ख देते रहते है। स्वर्ग में यह कुछ होता नहीं।

➢➢  *बाप कहते हैं रचता मैं भी हूँ। तुमको भी ब्रह्मा मुख द्वारा मैंने रचा है। मैं मनुष्य सृष्टि का बीजरूप हूँ। भल कोई कितना भी बड़ा साधू-सन्त आदि हो परन्तु किसके भी मुख से ऐसे नहीं निकलेगा।* यह है गीता के अक्षर। परन्तु जिसने कहा है वही कह सकता है। दूसरा कोई कह न सके।

➢➢  *गाया हुआ भी है मच्छरों सदृश्य आत्मायें गई। तो बाप गाइड बन सभी को आए लिबरेट करते है।* अब कलियुग का अन्त है, उसके बाद सतयुग आना है तो जरूर आकर पवित्र बनाए पवित्र दुनिया में ले जायेगा। 

➢➢  *यह है व्यक्त - प्रजापिता ब्रह्मा। वह है अव्यक्त। हैं तो दोनों एक।* तुम भी इस ज्ञान से सूक्ष्मवतनवासी फरिश्ते बन रहे हो। *सूक्ष्मवतनवासियों को फरिश्ता कहते हैं क्योंकि हड्डी मास नहीं है।* ब्रह्मा विष्णु शंकर को भी हड्डी मास नहीं है।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अब बाप समझाते हैं मैं तुम्हारा बेहद का बाप हूँ। मैं रचयिता हूँ, तो जरूर स्वर्ग नई दुनिया रचूँगा।* स्वर्ग के लिए आदि सनातन देवी-देवता धर्म रचूँगा। 

➢➢  याद को नेष्ठा कहेंगे क्या! हम आधा घण्टा नेष्ठा में बैठे, यह रांग है। *बाप सिर्फ कहते हैं याद में रहो।* सामने बैठ सिखलाने की दरकार नहीं।

➢➢  *सिर्फ स्मृति में रखो- अभी वापस जाना है।* पवित्र बनकर जाना है। इसके लिये याद में रहना है। *बाप जो स्वर्ग का मालिक बनाते हैं उनको याद नहीं कर सकते!* मुख्य बात यह है।

➢➢   बेहद बाप को *बहुत लव से याद करना है* क्योंकि बहुत खजाना देते है। *याद से खुशी का पारा चढ़ना चाहिए। अतीन्द्रिय सुख फील होगा।*

➢➢  *तलवार में जौहर होता है ना। तुम्हारे में भी याद का जौहर पड़े तब तलवार तीखी हो।* ज्ञान में इतना जौहर नहीं है इसलिये किसको असर नहीं होता है। फिर उनके कल्याण लिये बाबा को आना है। *जब तुम याद में जौहर भरेंगे तो फिर विद्वान आचार्य आदि को अच्छा तीर लगेगा इसलिए बाबा कहते है चार्ट रखो।*

➢➢  कई कहते हैं बाबा को बहुत याद करते हैं परन्तु मुख नहीं खुलता। *तुम याद में रहो तो विकर्म विनाश होंगे।* 

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  यह है तुम्हारा मरजीवा जन्म। वह लोग बच्चे को एडाप्ट करते है। तो वह जाकर उनका घर बसाता है। *यहाँ वह रसम नहीं है कि पियरघर, ससुरघर को छोड़ यहाँ आकर बैठे, यह हो नहीं सकता। यहाँ तो गृहस्थ में रहते कमल फूल समान रहना है।*

➢➢  कुमारी है वा कोई भी है उनको कहा जाता है *घर में रह रोज ज्ञान अमृत पीने आओ। नॉलेज समझकर फिर औरों को समझाओ। दोनों तरफ तोड़ निभाओ। गृहस्थ व्यवहार में भी रहना है। अन्त तक दोनों तरफ निभाना है।*

➢➢  समय ऐसा है जो गवर्मेन्ट भी चाहती है कि बच्चे जास्ती पैदा न हो क्योंकि गरीबी बहुत है। तो चाहते हैं भारत में पवित्रता हो, बच्चे कम हों। *बाप कहते हैं - बच्चे पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।*

➢➢  बच्चे भाषण तो अच्छा करते हैं परन्तु *योग में रहकर समझायें तो असर भी अच्छा होगा।* याद में तुमको ताकत मिलती है। *सतोप्रधान बनने से सतोप्रधान विश्व के मालिक बनेंगे।*

➢➢  *काम  महाशत्रु है। इन पर जीत पाना महावीर का काम है। देह-अभिमान के बाद पहले काम ही आता है। इन पर जीत पानी है।*

➢➢  *बाप कहते हैं तुम्हारी यह लाईफ बहुत वैल्युबुल है, इनको तन्दुरुस्त रखना है। जितना जीयेंगे उतना खजाना लेंगे।* खजाना पूरा तब मिलेगा जबकि हम सतोप्रधान बन जायेंगे।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  कन्याओंको भी रहना घर में है। *मित्र सम्बन्धियों की सर्विस करनी है।* सोशल वर्कर तो बहुत है। गवर्मेन्ट इतने सबको तो अपने पास रख नहीं सकती। वह अपने गृहस्थ व्यवहार में रहते हैं। फिर कोई न कोई सेवा भी करते हैं। *यहाँ तुमको रूहानी सेवा करनी है।*

➢➢  नया युग, नया धर्म फिर से स्थापन होता है। *सिवाए ईश्वर के यह दैवी धर्म कोई स्थापन कर नहीं सकता। ब्रह्मा विष्णु शंकर भी नहीं कर सकते क्योंकि वह देवतायें स्वयं रचना है।*

➢➢  बाप कहते हैं मैं तुमको राजाओं का राजा बनाता हूँ। वह तो सिर्फ कहेंगे कृष्ण भगवानुवाच मनमनाभव। कब कहा था? तो कहते हैं 5 हजार वर्ष पहले वा *कोई कहते क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले। 2 हजार वर्ष नहीं कहते क्योंकि एक हजार वर्ष जो बीच में हैं उसमें इस्लामी, बौद्धी आये। तो क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले सतयुग सिद्ध हो जाता है।* 

➢➢  मनुष्य समझते हैं नाम है गीता पाठशाला तो जाकर गीता सुने। इतनी कशिश होती है। *यह सच्ची गीता पाठशाला है जहाँ एक सेकण्ड में सद्गति, हेल्थ, वेल्थ और हैपीनेस मिलती है।* तो पूछे सच्ची गीता पाठशाला क्यों लिखते हो? *सिर्फ गीता पाठशाला लिखना कामन हो जाता है। सच्ची अक्षर पढ़ने से खैंच हो सकती है।*

➢➢  शादी करते ही हैं विकार के लिये, यह फुरना रहता है माँ बाप को। बड़े हों तो पैसा भी देंगे, विकार में भी जायेंगे। विकार में न जाये तो झगड़ा मच जाये। *तुम बच्चों को समझाना होता है यह (देवतायें) सम्पूर्ण निर्विकारी थे। तुम्हारे पास एमआब्जेक्ट सामने है। नर से नारायण राजाओंका भी राजा बनना है। चित्र सामने है।*

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