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  16 / 02 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *वह ज्ञान सागर है। ज्ञान से सद्गति होती है। उस ज्ञान सागर से जैसेकि लोटा भर लेते हैं।* सागर तो सदैव भरपूर है ना। सागर से कितना पानी सारी दुनिया  मिलता रहता है। कभी खुटता नहीं, अथाह पानी है। तो बाप भी है ज्ञान का सागर, जब तक जीते हैं उनसे ज्ञान सुनते ही रहते हैं।

 

➢➢  *बच्चे जानते हैं कि बाप ज्ञान का सागर है, तो जरूर उनमें ज्ञान होगा ना।* जैसे सन्यासी विद्वान हैं तो वह समझते हैं हम विद्वान हैं।

 

➢➢  *वह है सर्व आत्माओंका बाप। उनको आत्माओंका रचयिता नहीं कहेंगे। सृष्टि का रचयिता वा स्वर्ग का रचयिता कहेंगे।* बाकी आत्मा और यह खेल तो अनादि है।

 

➢➢  इस समय सभी मनुष्य माया रावण के मुरीद हैं। तुम आकर ईश्वर के मुरीद बने हो। वह रावण के दु:ख का वर्सा लेते हैं। *तुम बाप से सुख का वर्सा लेते हो। बाप आकरके माताओंको गुरू पद देते हैं।*

 

➢➢  *कन्या का गायन है, कुमारी वह जो पियर और ससुरघर का 21 जन्मों के लिए उद्धार करे। इस समय तुम कन्यायें बनती हो ना।* मातायें भी कुमारी बन जाती हैं। ब्रह्माकुमारियां हो ना। तो इस समय की तुम्हारी महिमा चली आती है। कुमारियों ने कमाल की है। बाप ने ही कुमारियों को अपना बनाया है।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  मनुष्य बड़े-बड़े मार्बल की मूर्तियां बनाते हैं अथवा अच्छे आर्ट से चित्र बनाते हैं तो उनको बहुत इनाम मिलता है। *अब विचार करो बाप ज्ञान और योगबल से हमको क्या से क्या बना देते हैं। यह तो बाप कमाल करते हैं।*

 

➢➢  वह (बाप) सदा भरपूर है। थोड़े से ज्ञान रत्न दे देते हैं, जिससे सारी सृष्टि सद्गति को पाती है। *वह है ज्ञान का सागर, शान्ति का सागर, सुख का सागर, उनके संग से पतित से पावन बनते हैं।* तुम हो ज्ञान गंगायें, मानसरोवर होता है ना।

 

➢➢  *कमाल है बाबा के ज्ञान बल से आत्मा बिल्कुल ही पवित्र हो जाती है। 5 तत्व भी प्योअर हो जाते हैं, जिससे नैचुरल ब्युटी रहती है।*

 

➢➢  वहाँ तत्व भी सतोप्रधान होते हैं। देवताओं जैसे शोभनिक कोई हो नहीं सकते। यहाँ की ब्युटी में हेल्थ तो नहीं रहती। *वहाँ तुम्हारी हेल्थ भी अच्छी और ब्युटी भी रहती है।*

 

➢➢  *बच्चे बाबा की महिमा करते हैं। बाप कहते हैं मैं तुमको ज्ञान योग से क्या बनाता हूँ।* बाबा को फिर क्या इनाम मिलता है। इनएडवान्स ही बाबा को इनाम देते हैं अर्थात् उन पर बलि चढ़ते हैं। गाते भी हैं तुम पर बलिहार जाऊं, तो जरूर इनएडवांस बलिहार जायेंगे ना।

 

➢➢  *तुम जानते हो अभी शिवालय स्थापन होता है। बेहद की दुनिया शिवालय बन जाती है। उन्होंने तो एक मन्दिर का नाम रख दिया है शिवालय। वह हो गया हद का शिवालय। यह बनता है बेहद का शिवालय। सारा स्वर्ग शिवालय कहेंगे।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप के ज्ञान की कमाल है जो तुम इस ज्ञान और योगबल से बिल्कुल पवित्र बन जाते हो, बाप आये हैं तुम्हें ज्ञान से ज्ञान परी बनाने।*

 

➢➢  शरीर निर्वाह करते, बाल-बच्चों को सम्भालते श्रीमत पर चलना ही बलिहार जाना है। *इस पुरानी दुनिया में तो ठिक्कर- ठोबर हैं इनसे बुद्धियोग निकाल बाप और नई दुनिया को याद करना है।*

 

➢➢  *गाते भी हैं तुम पर बलिहार जाऊं, तो जरूर इनएडवांस बलिहार जायेंगे ना।* ऐसे थोड़ेही पहले बाबा ब्युटीफुल बनावे फिर बाद में तुम बलिहार जायेंगे। *बलिहारी भी पूरी चाहिए।*

 

➢➢  शिवालय शिवबाबा बनाते हैं। तो बाप समझाते हैं *अब बहुत मेहनत करनी है। तुम शिव शक्ति सेना बाप के मददगार हो।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  कृष्ण गोरा था ना। माया फिर काला बना देती है। *नई दुनिया और पुरानी दुनिया में फर्क तो रहता है ना। हर एक चीज सतोप्रधान, सतो रजो तमो होती है। दुनिया भी ऐसे होती है। जैसे जैसे मनुष्य ऐसे फिर उनके लिए वैभव रहते हैं।*

 

➢➢  *वहाँ (सतयुग में) एवरेज 150 वर्ष आयु रहती है। यहाँ तो कोई की एक वर्ष भी आयु रहती है। कोई की एक मास भी नहीं चलती। जन्मा और मरा। वहाँ ऐसे नहीं होता। सबकी आयु बड़ी रहती है।* कायदे-अनुसार जल्दी से बर्तन टूट नहीं सकता।

 

➢➢  *संन्यासी संन्यास सृष्टि ही रचेंगे अर्थात् मुख से आप समान सन्यासी बनायेंगे। उनको वंशावली नहीं कहेंगे।* वंशावली गृहस्थ आश्रम में रहते हैं। सतयुग में वंशावली फूल जैसी होती है। सन्यासियों की वंशावली नहीं हो सकती। लिमिटेड हैं।

 

➢➢  *वास्तव में आश्रम तो बहुत ऊंचा ठहरा। आश्रम पवित्र होता है। विकारी गृहस्थ को आश्रम नहीं कह सकते। बाप पवित्र गृहस्थ आश्रम धर्मी बनाते हैं, माया रावण अधर्मी बना देती है।* मनुष्य अधर्मी बन पड़े हैं।

 

➢➢  *धर्मी, अधर्मी मनुष्य को ही कहेंगे। जानवर को थोड़ेही कहेंगे। तो बाप आकर धर्मी बनाते हैं, माया अधर्मी बना देती है।* परन्तु उनको जानते नहीं हैं। *जैसे ईश्वर को नहीं जानते वैसे माया को भी नहीं जानते।* परमात्मा के लिए कह देते सर्वव्यापी है। परन्तु सर्वव्यापी तो 5 विकार हैं।

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