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❍ 19 / 03 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *ऐसे नहीं सब सतयुग में, जीवनमुक्ति में चलेंगे। वह तो सिर्फ तुम बच्चे ही जाते हो। बाकी जो आत्मायें ऊपर से आती हैं वह पहले जीवनमुक्ति में हैं।* माया की परछाया नहीं लगती है। सतोप्रधान बन फिर सतो, रजो, तमो में आते हैं। *माया दु:ख दे नहीं सकती क्योंकि आत्मा पवित्र है फिर अपवित्र होने से दु:ख पायेंगे, ऐसे यह सुख-दु:ख का खेल बना हुआ है।*
➢➢ *तुम पवित्र बन भारत को स्वर्ग बनाते हो इसलिए तुम्हारा नाम बाला है शिव शक्ति पाण्डव सेना। तुम पाण्डव भी हो क्योंकि परमधाम की यात्रा पर युद्ध के मैदान में खड़े हो, माया पर जीत पाने लिए।*
➢➢ *निश्चय तो पक्का
होता ही है। लौकिक माँ-बाप में निश्चय बैठा फिर उनमें संशय थोड़ेही हो सकता
है।* परन्तु यह नई बातें हैं। *बुद्धि से बाप को जाना जाता है।* बच्चे जानते
हैं कि हम शिवबाबा के बने हैं उनसे ही वर्सा मिलना है। *हम कल्प-कल्प उस बाप से
वर्सा पाते हैं।*
➢➢ अभी तुम जानते हो शिवबाबा आया हुआ है। *पहले तो जरूर रचयिता शिवबाबा आया
होगा तब ही स्वर्ग की रचना रची होगी। उनके बाद फिर राम का राज्य चला। अब तुम
सतयुग त्रेता में राज्य करने के लिए बाप से वर्सा ले रहे हो।* यह बातें है समझने
की। तुम बच्चे जानते हम ब्रहम्मा मुख से शिव बाबा द्वारा ज्ञान सुन रहे हैं।
➢➢ *बरोबर शिवबाबा कल्प पहले भी आया था, जिसका यादगार भी है। अब वह फिर से आया हुआ है।* पहले आते हैं निराकार शिवबाबा, वह आकर तुमको देवी-देवता बनाते हैं। *सतयुग में लक्ष्मी-नारायण प्रैक्टिकल में राज्य करेंगे। फिर भक्ति मार्ग में पुजारी बन चित्र आदि बनायेंगे।* लक्ष्मी-नारायण का इस समय कोई एक्यूरेट चित्र तो नहीं है फिर प्रैक्टिकल में आयेंगे। *अब शिवबाबा तुमको प्रैक्टिकल में पढ़ा रहे हैं ब्रह्मा द्वारा।*
➢➢ *कोई को भी समझाना बहुत सहज है। स्वर्ग के रचयिता बाप से तुमको इस समय वर्सा मिल सकता है।* बेहद के बाप को याद तो सभी करते हैं। बाप नई सृष्टि रचता है तो सभी सुखी हो जाते हैं। इस समय तो सभी दु:खी हैं। *यह ड्रामा ही सुख दु:ख का बना हुआ है। सुख में कौन राज्य करते हैं?* लक्ष्मी-नारायण, फिर त्रेता में राम सीता.. तुम जानते हो इतने वर्ष इस घराने का राज्य चलता है।
➢➢ *भारतवासियों को तो कुछ भी पता नहीं है। तुम बच्चे जानते हो सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था जिसको ही हेविन स्वर्ग कहा जाता है, जो बाप ही स्थापन करते हैं।* पतित दुनिया में आये तब तो पावन बनाये। यह याद रहना चाहिए। *हम उस बाप से बेहद का वर्सा ले रहे हैं श्रीमत पर और धारणा कर रहे हैं। यह भूलना नहीं चाहिए।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *जितना याद करेंगे बुद्धि पवित्र होती जायेगी।* ऐसे नहीं समझना हम तो बच्चे हैं ही हैं। बहुत बच्चे समझते हैं हम तो बच्चे हैं और बाप को याद नहीं करते। कहते हैं ना - मुख से राम-राम कहो। परन्तु इस राम का (शिवबाबा का) चित्र तो है नहीं, इसलिए मनुष्यों का बुद्धियोग चला जाता है उस राम तरफ। सद्गति दाता शिव को तो सभी भूले हुए हैं। *तुम्हारा बुद्धि योग केवल एक बाप से होना चाहिए इससे ही विकर्म विनाश होंगे।*
➢➢ बच्चे जानते हैं हम फिर से अपना राज्य-भाग्य ले रहे हैं। तो बुद्धि चली जाती है उस निराकार बाप की तरफ। उनको बुद्धि से जाना जाता है। *दिन-रात बुद्धि में यह याद रहना चाहिए - हम बेहद के बाप से भविष्य 21 जन्मों का वर्सा ले रहे हैं। बुद्धि योग निरंतर एक बाप से रहना चाहिए।*
➢➢ *अब शिवबाबा तुमको प्रैक्टिकल में पढ़ा रहे हैं ब्रह्मा द्वारा कितनी सीधी बात है।* और कोई भी स्कूल में ऐसे नहीं कहेंगे तुम्हारी आत्मा पढ़ती है, टीचर की आत्मा हमको पढ़ाती है। वह सब मनुष्य, मनुष्य को पढ़ाते हैं। वास्तव में पढ़ाती आत्मा है। *आत्मा ही आरगन्स द्वारा पढ़ती है ये बुद्धि में रहना चाहिए।* आत्मा कहती है मैं अब बैरिस्टर बन गया हूँ। नॉलेज से बैरिस्टर बनते हैं। यहाँ तो है वन्डरफुल बात।
➢➢ *तुमको भी इस पुरानी देह को छोड़ मेरे पास आना है। विनाश होता है तो कुछ कारण होगा ना। वर्थ नाट ए पेनी चीज़ का ही विनाश होता है।* अब तुमको स्वर्ग चलने लायक बनाते हैं। वहाँ सदैव सुख ही सुख है। सुखधाम और शान्तिधाम, यह है दु:खधाम। अशान्त किया है रावण ने फिर शान्ति देने वाला है परमपिता परमात्मा। कोई कहते हैं मन की शान्ति चाहिए। बोलो, कैसी शान्ति चाहिए? *यह तो है दु:खधाम, क्या तुमको सुखधाम चलना है? बाप को याद करो तो सुखधाम चलेंगे।*
➢➢ *हर एक बच्चे की बुद्धि में यह जरूर आना चाहिए कि हम उस शिवबाबा, जिसकी यह महिमा है, उसके सम्मुख बैठे हैं और उनसे हम 21 जन्मों के लिए सदा सुख का वर्सा ले रहे हैं।* यह याद आने से ही खुशी का पारा चढ़ना चाहिए। ऐसे नहीं, जिस समय सामने सुनते हो उस समय याद रहे और फिर भूल जाओ। नहीं, *भूलना नहीं चाहिए। दिनरात बुद्धि में याद रहना चाहिए।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
बाप कहते हैं ड्रामा अनुसार तुम पतित बनते हो फिर मैं आकर पावन बनाता हूँ 21
जन्म लिए। सिर्फ *तुम श्रीमत पर चलो, एक मुझे याद करो, दूसरा न कोई।* बाप को
भूल और कोई की याद में रहेंगे तो डिफेक्टेड हो जायेंगे।
➢➢ *बाप है ज्ञान का सागर, पवित्रता का सागर। बच्चों को आप समान बनाते हैं तो
सब गुण होने चाहिए।* फिर तुम देवता बनेंगे तो क्वालिफिकेशन बदल जायेंगी। बाप की
क्वालिफिकेशन अलग है, बाप ज्ञान का सागर है, तुमको भी बनना है। बाप पवित्रता का
सागर है। *हम आधाकल्प पवित्र रहते हैं फिर पतित बनते। बाप कहते - अब वापस घर
जाना है तो पवित्र जरूर रहना पड़े।*
➢➢. शिवबाबा है मोस्ट बिलवेड, सबसे प्यारा बाप है। तुम्हारा नाम भी गाया हुआ है वन्दे मातरम्। तुम्हारी आत्मा पवित्र बनती है। बच्चे जानते हैं *हमको बाप जैसा मास्टर ज्ञान सागर, पवित्रता का सागर बनना है।*
➢➢ हम शिवबाबा की ब्रह्मा द्वारा सन्तान बने हैं और 21 जन्मों का वर्सा पाने के लिए श्रीमत पर पुरुषार्थ करते रहते हैं। बाबा हमें सुख का वर्सा देते हैं इसमें *पहले-पहले मुख्य है पवित्रता। जितना याद करेंगे बुद्धि पवित्र होती जायेगी। इसलिए पवित्र बन बाप से पूरा वर्सा लेना है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *मनुष्यों को भीती देने के लिए बोर्ड लगाना चाहिए। सिर्फ चित्र देख मनुष्य मूंझते हैं।* समझो शिवबाबा का चित्र रखते हैं और नीचे लिख देते हैं डीटी वर्ल्ड सावरन्टी इज़ योर गॉड फादरली बर्थ राइट। *मनुष्य चित्र देख कहेंगे भगवान ऐसा थोड़ेही होता है।* भगवान का रूप क्या है? फिर भी लिखा हुआ रहता है बहनों और भाइयों, आकर बेहद के बाप से 21 जन्म सदा सुख पाने का पुरुषार्थ करो। *सम्मुख बैठ समझाना चाहिए।*
➢➢ *निमंत्रण देना चाहिए, दिन-प्रतिदिन बहुत शॉर्ट बनाना होता है। पिछाड़ी में शॉर्ट होता जायेगा।* मनमनाभव, बाप को याद करो और उनसे वर्सा लो। *तो लिखना चाहिए बहनों-भाइयों सतयुग की राजाई 21 जन्मों के लिए बाप से आकर प्राप्त करो, इस होवनहार लड़ाई के पहले। इस लड़ाई से ही स्वर्ग के द्वार खुलते हैं ऐसे ऐसे समझाना चाहिए।*
➢➢ *सबको बाप का परिचय देकर बहुत अच्छी सर्विस कर सकते हो बोलो बाप को याद करो तो सुखधाम चलेंगे।* अशान्त करने वाला है रावण-माया जो यहाँ हाज़िर है। *मुक्ति-जीवनमुक्ति में अशान्त करने वाला रावण होता नहीं इसलिए अब चलो अपने घर वापिस।* अगर सतयुग में चलना चाहते हो तो चलो।
➢➢ *पहले जरूर कोई रचियता चाहिए तब तो ये रचना हुई इन बातों से बहुत सर्विस हो सकती है। सबको बताना चाहिए पहले तो जरूर रचयिता शिवबाबा आया होगा तब ही स्वर्ग की रचना रची होगी। उनके बाद फिर राम का राज्य चला।* अब तुम सतयुग त्रेता में राज्य करने के लिए बाप से वर्सा ले रहे हो। यह बुद्धि में चलना चाहिए। *परमपिता परमात्मा शिव आते ही एक बार हैं और हम उनसे मुक्ति जीवनमुक्ति का वर्सा पाते हैं।*
➢➢ हर एक बच्चे की बुद्धि में यह जरूर आना चाहिए कि हम उस शिवबाबा, जिसकी यह महिमा है, उसके सम्मुख बैठे हैं और उनसे हम 21 जन्मों के लिए सदा सुख का वर्सा ले रहे हैं। यह याद आने से ही खुशी का पारा चढ़ना चाहिए। ऐसे नहीं, *जिस समय सामने सुनते हो उस समय याद रहे और फिर भूल जाओ। नहीं, भूलना नहीं चाहिए। खुद धारण कर दूसरों को कराने की सेवा करनी है।*
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