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❍ 23 / 01 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम हो मोस्ट लकी बच्चे क्योंकि तुम्हारे सम्मुख स्वयं बाप है, वह तुम्हें सुना रहे हैं। *बाप समझाते हैं बेहद का सुख कल्प-कल्प भारत को ही मिलता है। परन्तु जो ब्राह्मण बनते हैं वही वर्णों में आते हैं। 84 जन्म लेते हैं।*
➢➢ *सिकीलधे का अर्थ तो समझाया है कि तुम ही पूरे 84 जन्म लेकर फिर आए मिले हो। 5 हजार वर्ष पहले भी तुम मिले थे और तुम आकर ब्रह्मा मुख वंशावली अर्थात् ब्राह्मण ब्राह्मणी बने थे।*
➢➢ *अभी तुम जैसी एक्ट कर रहे हो, वह कल्प के बाद भी तुम ऐसे ही करेंगे।
जो कुछ शूटिंग में शूट हुआ वही चलेगा। उसमें कुछ फर्क नहीं पड़ सकता। ड्रामा
को भी अच्छी रीति समझना है।*
➢➢ अभी तुम कल्पवृक्ष के नीचे संगम पर बैठे हो, इसको कहा जाता है कल्प का
संगम अथवा कलियुग और सतयुग का संगम। *सतयुग के बाद त्रेता, फिर त्रेता के
बाद द्वापर और कलियुग का संगम। कलियुग के बाद फिर सतयुग जरूर आयेगा। बीच
में संगम जरूर चाहिए। कल्प के संगमयुगे बाप आते हैं।*
➢➢ *जो पास्ट हो गया सो फिर अब प्रेजन्ट में बाप समझाते हैं। फिर भक्ति
मार्ग में शास्त्र बनायेंगे। यह ड्रामा ऐसा बना हुआ है। अब बाप आकर ब्रह्मा
द्वारा सभी वेदों शास्त्रों का सार समझा रहे हैं।* जो धर्म स्थापना करते
हैं उनके नाम पर ही शास्त्र बनाते हैं। उसको धर्म शास्त्र कहा जाता है। *देवी-देवता
धर्म का शास्त्र एक ही गीता है।*
➢➢ *यह तो तुम जानते हो - जगत अम्बा सो लक्ष्मी, सो फिर 84 जन्मों का चक्र
लगाकर फिर जगत अम्बा बनती है। झाड़ में देखो जगत अम्बा बैठी है, यही फिर
महारानी बनेंगी।* जरूर, तुम बच्चे भी राजधानी में आयेंगे।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बच्चों को समझाया गया है कि याद एक बाप को ही करना है।* देने वाला एक बाप है।
➢➢ *बुद्धिबल से याद की सीढ़ी पर चढ़ना है। सीढ़ी चढ़ने से ही अपार सुख का अनुभव होगा।*
➢➢ *बाप ने ही पहले योग सिखाया था, अब सिखला रहे है जिससे तुम फिर राजाओं
का राजा बनेंगे और कोई स्वर्ग का मालिक बना न सके।*
➢➢ मास्टर सतगुरू अर्थात् सम्पूर्ण फालो करने वाले। सतगुरू के वचन पर सदा
सम्पूर्ण रीति चलने वाले। *ऐसे मास्टर सतगुरू ही सेकण्ड में नजर से निहाल
करने अर्थात् मुक्ति जीवनमुक्ति का अधिकार दिलाने की सेवा कर सकते हैं।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अभी तक मास्टर दाता वा मास्टर शिक्षक का पार्ट बजा रहे हो। लेकिन अभी सतगुरू के बच्चे बन गति और सद्गति के वरदाता का पार्ट बजाना है।*
➢➢ *बाप ने संगम पर तुम्हें कामधेनु बनाया है। तुम बाप समान सबकी
मनोकामनायें पूर्ण करने वाले हो। तुम स्वयं के प्रति कोई आशा नहीं रख सकते।
तुम जानते हो फल देने वाला एक ही दाता बाप है, जिसे याद करने से सब
प्राप्तियां हो जाती हैं इसलिए मांगने के संस्कार समाप्त हो जाते हैं।*
➢➢ बाप समझाते है सिकीलधे बच्चे मुझ *बाप की श्रीमत पर चल श्रेष्ठ बनो।*
तुम अभी संगमयुग पर राजयोग सिख रहे हो, जबकि कलियुग को सतयुग बनाना है।
➢➢ मनुष्य तो मूंझे हुए है, ड्रामा अनुसार तुम बच्चों को ही बेहद के बाप
से वर्सा लेना है। *बाबा ने बहुत युक्तियां बताई है सिर्फ बाबा को याद करो,
चार्ट रखो।भोजन बनाने समय भी याद करो।*
➢➢ *कृष्णपुरी में चलने के लिए पुरूषार्थ बहुत अच्छा करना है। शूद्र पन के
सस्कारों को परिवर्तन कर पक्का ब्राह्मण बनना है।*
➢➢ *आज्ञाकारी बनो तो बापदादा के दिल की दुआयें प्राप्त होती रहेंगी।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *देने वाला एक बाप है। भल तुम किसकी भी भक्ति करो, किसको भी याद करो परन्तु फल देने वाला फिर भी एक ही दाता है। वही सब कुछ देता है।*
➢➢ *बाप कहते हैं मैं निराकार परमपिता परमात्मा ज्ञान का सागर हूँ। भारत
में ही शिव जयन्ती गाई जाती है। कृष्ण तो ज्ञान दे न सके।* घोड़े गाड़ी में
सिर्फ कृष्ण का ही चित्र दिखाया है परन्तु कृष्ण आयेगा कब? द्वापर में कैसे
आयेगा।
➢➢ *बाप कहते हैं भक्ति में कृष्ण का साक्षात्कार मैं तुमको कराता हूँ।
भक्ति मार्ग में मैं ही मदद करता हूँ। दाता मैं हूँ। लक्ष्मी की पूजा करते
हैं, अब वह तो है ही पत्थर की मूर्ति। वह क्या देगी? देना फिर भी मुझे ही
पड़ता है। साक्षात्कार भी मैं ही कराता हूँ।* यह भी ड्रामा में नूँध है।
➢➢ कितने छोटेछोटे मठ पंथ हैं। भल उन्हों की महिमा है - क्योंकि पवित्र
हैं। *स्वर्ग का रचयिता तो है बाप, और कोई मनुष्य थोड़ेही स्वर्ग रचेगा।*
➢➢ *बाप को न जानने कारण निधनके बन गये हैं। फिर धनी आकर धणका बनाते हैं।*
मनुष्य कितने धक्के खाते हैं, समझते हैं भक्ति से भगवान मिलेगा। *बाप कहते
हैं मैं आता ही हूँ अपने समय पर।* भल कोई कितना भी पुकारे परन्तु मैं आता
हूँ संगम पर। *एक ही बार भारत को स्वर्ग बनाए सबको शान्ति में भेज देता
हूँ। फिर नम्बरवार अपने-अपने समय पर आते हैं।*
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