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  14 / 01 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *हर कदम में फॉलो फादर करने वाले समान साथी अर्थात् हमजिन्स।बापदादा के पास सभी के मन के सफाई की और चतुराई की दोनों बातें पहुँचती हैं। नियम प्रमाण सौदा करके आना है।* लेकिन मधुबन में कई सौदा करने वाले भी आ जाते हैं। करके आने वाले के बजाए यहाँ आकर सौदा करते हैं।


 

➢➢   बापदादा क्वान्टिटी में क्वालिटी को देख रहे हैं। *क्वान्टिटी की विशेषता अपनी है, क्वालिटी की विशेषता अपनी है। चाहिए दोनों ही।गुलदस्ते में वैरायटी रंग रूप वाले फूलों से सजावट होती है। पत्ते भी नहीं होंगे तो गुलदस्ता नहीं शोभेगा। तो बापदादा के घर के श्रृंगार तो सभी हुए, सभी के मुख से बाबा शब्द तो निकलता ही है।* बच्चे घर का श्रृंगार होते हैं।


 

➢➢  *सदा निश्चय बुद्धि सभी बातों में निश्चिन्त रहते हैं। निश्चय की निशानी है निश्चिन्त।* चिन्तायें सारी मिट गई। बाप ने चिंताओं की चिता से बचा लिया ना। *न तन की चिंता, न मन में कोई व्यर्थ चिंता और न धन की चिंता क्योंकि जानते हैं यह अन्तिम जन्म और अन्त का समय है, इसमें सब चुक्तु होना है इसलिए सदा शुभचिन्तक।*


 

➢➢  ज्ञान की शक्ति से सब जान गये। जब सब कुछ जान गये तो क्या होगा, यह क्वेश्चन खत्म - क्योंकि *ज्ञान है जो होगा वह अच्छे ते अच्छा होगा। तो सदा शुभचिन्तक, सदा चिन्ताओं से परे निश्चय बुद्धि, निश्चिन्त आत्मायें, यही तो जीवन है। अगर जीवन में निश्चिन्त नहीं तो वह जीवन ही क्या है!* ऐसी श्रेष्ठ जीवन अनुभव कर रहे हो?


 

➢➢  परिवार की भी चिन्ता तो नहीं है? *हरेक आत्मा अपना हिसाब- किताब चुक्तु भी कर रही है और बना भी रही है, इसमें हम क्या चिंता करें। पहले चिता पर जल रहे थे, अभी बाप ने अमृत डाल जलती चिता से मरजीवा बना दिया।* जिंदा कर दिया।  तो बाप ने अमृत पिलाया और अमर बना दिया। 


 

➢➢  *जो श्वांस सफल करते हैं, वह अनेक जन्म सदा स्वस्थ रहते हैं। कभी चलते-चलते श्वांस बन्द नहीं होगा, हार्ट फेल नहीं होगा।* जो ज्ञान का खजाना सफल करते हैं, वह ऐसा समझदार बन जाते हैं जो भविष्य में अनेक वजीरों की राय नहीं लेनी पड़ती, स्वयं ही समझदार बन राज्य-भाग्य चलाते हैं।


 

➢➢  *जो सर्व शक्तियों का खजाना सफल करते हैं अर्थात् उन्हें कार्य में लगाते हैं वह सर्व शक्ति सम्पन्न बन जाते हैं। उनके भविष्य राज्य में कोई शक्ति की कमी नहीं होती।* जो सर्व गुणों का खजाना सफल करते हैं, वह ऐसे गुणमूर्त बनते हैं जो आज लास्ट समय में भी उनके जड़ चित्र का गायन 'सर्व गुण सम्पन्न देवता' के रूप में होता है। जो स्थूल धन का खजाना सफल करते हैं वह 21 जन्मों के लिए मालामाल रहते हैं।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *सेवाधारी अर्थात् आंख खुले और सदा बाप के साथ बाप के समान स्थिति का अनुभव करे। अमृतवेले के महत्व को जानने वाले है विशेष सेवाधारी।*  इस ब्रह्मण जीवन में जो समय को सफल करते हैं वह समय की सफलता के फलस्वरूप राज्य-भाग्य का फुल समय राज्य-अधिकारी बनते हैं।


 

➢➢  भक्ति में भी स्नेह और भावना भक्त-आत्मा के रूप में रही। तो भक्त रूप में भक्ति थी लेकिन शक्ति नहीं थी। स्नेह था लेकिन पहचान वा सम्बन्ध श्रेष्ठ नहीं था। भावना थी लेकिन अल्पकाल की कामना भरी भावना थी। *अभी भी स्नेह और भावना है लेकिन समीप सम्बन्ध के आधार पर स्नेह है। अधिकारीपन के शक्ति की, अनुभव के अथॉरिटी की श्रेष्ठ भावना है।*


 

➢➢  *भिखारीपन की भावना बदल, सम्बन्ध बदल अधिकारीपन का निश्चय और नशा चढ़ गया। ऐसे सदा श्रेष्ठ आत्माओं को प्रत्यक्षफल प्राप्त हुआ है।* सभी प्रत्यक्षफल के अनुभवी आत्मायें हो? प्रत्यक्षफल खाकर देखा है?


 

➢➢  फल तो सतयुग में भी मिलेंगे और अब कलियुग के भी बहुत फल खाये। लेकिन संगमयुग का प्रभु फल, प्रत्यक्ष फल अगर अब नहीं खाया तो सारे कल्प में नहीं खा सकते। *यह ईश्वरीय जादू का फल है। जिस फल खाने से लोहे से पारस से भी ज्यादा हीरा बन जाते हो। इस फल से जो संकल्प करो वह प्राप्त कर सकते हो।*


 

➢➢  *संकल्प,समय व्यर्थ न जाने दो तो ऑटोमेटिकली सफलता के खुशी की अनुभूति करते रहेंगे* क्योंकि सफल करना अर्थात् वर्तमान के लिए सफलता मूर्त बनना और भविष्य के लिए जमा करना।

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  मेरा यह गुण है, मेरी शक्ति है-यह मेरापन आना अर्थात् खजानों को गंवाना। *अपने ईश्वरीय संस्कारों को भी सफल करो तो व्यर्थ संस्कार स्वत: ही चले जायेंगे।* ईश्वरीय संस्कारों को बुद्धि के लॉकर में नहीं रखो। कार्य में लगाओ, सफल करो। सफल करना माना बचाना या बढ़ाना।


 

➢➢  सदा अपने को विश्व के अन्दर कोटो में से कोई हम हैं - ऐसे अनुभव करते हो? जब भी यह बात सुनते हो - कोटों से कोई, कोई में भी कोई तो वह स्वयं को समझते हो? *जब हूबहू पार्ट रिपीट होता है तो उस रिपीट हुए पार्ट में हर कल्प आप लोग ही विशेष होंगे ना! ऐसे अटल विश्वास रहे।*


 

➢➢  *कोई भी बात का फिक्र न हो क्योंकि फिक्र करने वाला समय भी गंवाता, एनर्जी भी व्यर्थ जाती और काम भी गंवा देता है।* वह जिस काम के लिए फिक्र करता वह काम ही बिगड़ जाता है।


 

➢➢  *सदा सफलता मूर्त बनने का साधन है-एक बल एक भरोसा। निश्चय सदा ही निश्चिंत बनाता है और निश्चिंत स्थिति वाला जो भी कार्य करेगा उसमें सफल जरूर होगा।*


 

➢➢  *जैसे ब्रह्मा बाप ने दृढ़ संकल्प से हर कार्य में सफलता प्राप्त की, दृढ़ता सफलता का आधार बना। ऐसे फॉलो फादर करो।* हर खजाने को, गुणों को, शक्तियों को कार्य में लगाओ तो बढ़ते जायेंगे।


 

➢➢  *आपके पास समय और संकल्प रूपी जो श्रेष्ठ खजाने हैं, इन्हें ''कम खर्च बाला नशीन'' की विधि द्वारा सफल करो। संकल्प का खर्च कम हो लेकिन प्राप्ति ज्यादा हो।* जो साधारण व्यक्ति दो चार मिनट संकल्प चलाने के बाद, सोचने के बाद सफलता या प्राप्ति कर सकता है वह आप एक दो सेकेण्ड में कर सकते हो। 

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  जो आत्मा विशेष वरदान के समय को जानें और विशेष वरदानों का अनुभव करें, वह विशेष सेवाधारी है। अगर अनुभव नहीं तो साधारण सेवाधारी हुए, विशेष नहीं। *जिसको अमृतवेले का, संकल्प का, समय का और सेवा का महत्व है ऐसे सर्व महत्व को जानने वाले विशेष सेवाधारी होते हैं। तो इस महत्व को जान महान बनना है और औरों को भी महत्व बतलाकर, अनुभव कराकर महान बनाओ।*


 

➢➢  *सफल करो और सफलता मूर्त बनो जैसे ब्रह्मा बाप ने निश्चय के आधार पर, रूहानी नशे के आधार पर निश्चित भावी के ज्ञाता बन सेकेण्ड में सब कुछ सफल कर दिया; अपने लिए नहीं रखा, सफल किया।* अन्तिम दिन तक तन से पत्र-व्यवहार द्वारा सेवा की, मुख से महावाक्य उच्चारण किये, समय, संकल्प, शरीर को सफल किया। तो सफल करने का अर्थ ही है-श्रेष्ठ तरफ लगाना। ऐसे जो सफल करते हैं उन्हें सफलता स्वत: प्राप्त होती है। 


 

➢➢  सफलता प्राप्त करने का विशेष आधार ही है-हर सेकेण्ड, हर श्वांस, हर खजाने को सफल करना। *संकल्प, बोल, कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क जिसमें भी सफलता अनुभव करने चाहते हो तो स्व के प्रति चाहे अन्य आत्माओं के प्रति सफल करते जाओ।*


 

➢➢  *सेवा में सफलता प्राप्त करने के लिए समर्पण भाव और बेफिक्र स्थिति चाहिए। सेवा में जरा भी मेरेपन का भाव मिक्स न हो।*


 

➢➢  *बचत की विधि, जमा करने की विधि को अपनाओ तो व्यर्थ का खाता स्वत: ही परिवर्तन हो सफल हो जायेगा। बाप द्वारा जो भी खजाने मिले हैं उनका दान करो, कभी भी स्वप्न्न में भी गलती से प्रभु देन को अपना नहीं समझना।*


 

➢➢  *कम खर्चा और सफलता ज्यादा हो तब ही कमाल गाई जायेगी। तो आपके पास जो भी प्रापर्टी है, समय, संकल्प, श्वांस, तन-मन-धन सब सफल करो, व्यर्थ नहीं गंवाओ, न आइवेल के लिए सम्भालकर रखो। ज्ञान धन, शक्तियों का धन, गुणों का धन हर समय मैं पन से न्यारे बन सफल करो* तो जमा होता जायेगा। सफल करना अर्थात् पदमगुणा सफलता का अनुभव करना।


 

➢➢  *मंसा से सफल करो, वाणी से सफल करो, सम्बन्ध-सम्पर्क से, कर्म से, अपने श्रेष्ठ संग से, अपने अति शक्तिशाली वृत्ति से सफल करो।* सफल करना ही सफलता की चाबी है। 

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