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❍ 22 / 02 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *सभी बाप को
पुकारते हैं कि आकर हम पतितों को पावन बनाओ, लिबरेट करो, घर ले जाओ।* बाप जरूर
घर ले जायेंगे ना। घर जाने लिये ही इतनी भक्ति आदि करते हैं। परन्तु जब बाप आये
तब ही ले जाये। *भगवान है ही एक। ऐसे नहीं सभी में भगवान आकर बोलते हैं। उनका
आना ही संगम पर होता है।*
➢➢ *यह ईश्वरीय मिशन चल रही है। जो अपने देवी-देवता धर्म के होंगे वही आ जायेंगे।*
जैसे उन्हों की मिशन है क्रिश्चियन बनाने की। *जो क्रिश्चियन बनते हैं उनको
क्रिश्चियन डिनायस्टी में सुख मिलता है। वेतन अच्छा मिलता है, इसलिये
क्रिश्चियन बहुत हो गये हैं।*
➢➢ अब तुम ब्राह्मण भी ऊंची यात्रा पर जा रहे हो। तुम जानते हो अभी घोर
अन्धियारा है। *जब अन्त का समय आता है, तो बहुत हाहाकार होता है। दुनिया बदलती
है तो ऐसे होता है।* जब राजाई बदली होती है तो भी लड़ाई मारामारी होती है। *बच्चे
जानते हैं कि अब नई राजधानी स्थापन हो रही है। घोर अन्धियारे से फिर घोर सोझरा
हो रहा है।*
➢➢ अब बाप बैठ समझाते हैं कि *तुम मनुष्य होकर ड्रामा के रचयिता और रचना को नहीं
जानते हो, देवताओं की पूजा करते हो परन्तु उन्हों की बायोग्राफी को नहीं जानते
हो तो इसको ब्लाइन्ड फेथ कहा जाता है।* इतने देवी-देवता राज्य करके गये हैं तो
जरूर वह समझदार थे तब तो पूज्य बने। अब तुम ब्रह्मा मुख वंशावली यह ज्ञान सुनकर
समझदार बनते हो।
➢➢ यह तो संगमयुग है, तुमको कोई सम्पूर्ण पवित्र कह न सके। *हिज होलीनेस कोई
बी.के. अपने को कहला नहीं सकते वा लिखवा नहीं सकते। हिज होलीनेस वा हर होलीनेस
सतयुग में होते हैं।* कलियुग में कहाँ से आये! भल आत्मा यहाँ पवित्र बनती है
परन्तु शरीर भी तो पवित्र चाहिए तब हिज होलीनेस कह सकते, इसलिए बड़ाई लेनी नहीं
चाहिए।
➢➢ बाप कहते हैं श्री श्री वा हिज होलीनेस सन्यासियों को भी कह नहीं सकते। भल
आत्मा पवित्र बनती है परन्तु शरीर पवित्र कहाँ है? तो अधूरे हुए ना। *इस पतित
दुनिया में हिज वा हर होलीनेस कोई हो नहीं सकता। वह समझते हैं। आत्मा परमात्मा
सदैव शुद्ध है परन्तु शरीर भी शुद्ध चाहिए।*
➢➢ बाप कहते हैं कल्प पहले भी इन्हों का तुम कन्याओं द्वारा ही उद्धार कराया
था। गीता में भी लिखा हुआ है परन्तु कोई समझते नहीं हैं। तुम समझा सकते हो - इस
पतित दुनिया में कोई भी पावन नहीं है। परन्तु समझाने में भी बड़ी हिम्मत चाहिए।
➢➢ *तुम जानते हो अब दुनिया बदल रही है। तुम अब ईश्वर की सन्तान बने हो। यह
ब्राह्मण कुल है सबसे ऊंच। तुमको स्वदर्शन चक्र का ज्ञान है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ कोई जानते थोड़े
ही हैं कि हम विश्व के मालिक बनने वाले हैं। तुम जानते हो हम पढ़कर यह बनते
हैं। तो पढ़ाई पर पूरा अटेन्शन देना है। *बाप को बहुत प्यार से याद करना है।
बाबा हमको विश्व का मालिक बनाते हैं तो क्यों नहीं याद करेंगे।*
➢➢ *योग है मुक्ति जीवनमुक्ति के लिये। सो तो मनुष्य मात्र कोई सिखला न सके। यह
भी लिखना है सिवाय परमपिता परमात्मा के कोई भी मुक्ति-जीवनमुक्ति के लिये योग
सिखला नहीं सकते।*
➢➢ इन गुह्य बातों को तुम्हारे बिगर कोई नहीं जानते। कहने मात्र तो सब कह देते
हैं कि ईश्वर की सब सन्तान हैं परन्तु प्रैक्टिकल में तुम अभी बने हो। *बाप का
फर्ज है बच्चों को याद करना और बच्चों का फर्ज है बाप को याद करना। परन्तु बच्चे
इतना याद नहीं करते, अगर याद करते हैं तो अहो सौभाग्य।*
➢➢ बाप भी संगमयुग पर पुरुषोत्तम बनने की शिक्षा देते हैं। *देवतायें हैं सभी
से उत्तम, तब तो इतना पूजते हैं। जिसकी पूजा करते हैं वह जरूर कभी थे, अभी नहीं
हैं।* समझते हैं यह राजधानी पास्ट हो गई है। अभी तुम हो गुप्त।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
*जैसे बाप ने तुमको त्रिकालदर्शी, स्वदर्शन चक्रधारी बनाया है तो तुमको फिर औरों
को आप समान बनाना है ।*
➢➢ *तुम इस सारे चक्र की हिस्ट्री-जॉग्राफी को जानते हो तो तुमको फिर औरों को
भी समझाना है।*
➢➢ तुम्हारे सिवाए तो सब अन्धकार में हैं। *गंगा स्नान आदि करने से तो कोई के
पाप नहीं धुल सकते हैं। योग अग्नि से ही पाप भस्म होते हैं।* इस रावण की जेल से
छुड़ाने वाला एक बाप ही है तब तो गाते हैं पतित-पावन.. परन्तु अपने को पाप आत्मा
समझते नहीं हैं।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢. *सर्व का सद्गति
दाता है ही एक। यह क्लीयर लिख देना चाहिए, जो भल मनुष्य पढें।* सन्यासी लोग क्या
सिखाते होंगे। योग-योग जो करते हैं, वास्तव में योग कोई भी सिखला नहीं सकते
हैं। महिमा है ही एक की।
➢➢ *बहुत मातायें अथवा बच्चियां हैं जो स्कूल में पढ़ाती हैं वह भी बच्चों को
बैठ अगर बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी समझाएं तो इसमें कोई गवर्मेन्ट नाराज़ नहीं
होगी। उन्हों के बड़ों को भी समझाना चाहिए तो और ही खुश होंगे।*
➢➢ *औरों को समझाना है कि अब यह पुरानी दुनिया बदल रही है। तमोप्रधान दुनिया
बदल सतोप्रधान बन रही है।*
➢➢ *सिक्खों को भी तुम समझाओ। गायन है ना मनुष्य से देवता....। देवताओं की महिमा
है ना। देवतायें रहते हैं सतयुग में, अभी है कलियुग।* *उन्हों को बताना चाहिए
देखो सतयुग में एक ही धर्म, एक ही राज्य, अद्वैत धर्म था। दूसरा कोई धर्म ही नहीं
जो ताली बजे। था ही रामराज्य, तब ही विश्व में शान्ति थी।* तुम चाहते हो विश्व
में शान्ति हो। वह तो सतयुग में थी। पीछे अनेक धर्म होने से अशान्ति हुई है।
➢➢ *चक्र को समझाना तो बड़ा सहज है। अगर यह चक्र सामने रखा जाए तो भी मनुष्य
आकर समझ सकें कि सतयुग में कौन-कौन राज्य करते थे। फिर द्वापर से कैसे अनेक
धर्मों की वृद्धि होती है। ऐसा अच्छी रीति समझाया जाए तो बुद्धि के कपाट जरूर
खुलेंगे।*
➢➢. *यह चक्र सामने रख तुम अच्छी रीति समझा सकते हो। टॉपिक भी रख सकते हो। आओ
तो हम तुमको त्रिकालदर्शी बनने का रास्ता बतायें, जिससे तुम राजाओं का राजा बन
सकते हो।*
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