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  20 / 02 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢ *तुम ईश्वरीय सन्तान बने ही इसलिए हो कि पावन दुनिया के मालिक बने।* ब्राह्मण ब्राह्मणी अथवा ब्रह्माकुमार कुमारी कहलाकर यदि पतित होते हैं या विकार में जाते हैं तो वह बी.के. नहीं हुए। *ब्राह्मण कभी विकार में नहीं जाते। विकार में जाने वाले को शूद्र कहा जाता है।*

➢➢ *यह भारत शिवालय था तब दु:ख की कोई बात नहीं थी।* यह मनुष्यों को पता नहीं है। वह तो कह देते हैं माया भी है ही, ईश्वर भी है ही। *अरे ईश्वर अपने समय पर आता, माया अपने समय पर आती। आधाकल्प है ईश्वरीय राज्य, आधाकल्प है माया का राज्य।* यह समझानी शास्त्रों में नहीं है। वह है ही भक्ति मार्ग।

➢➢ *यह अन्तिम जन्म है। फिर तो जायेंगे ही स्वर्ग में। मोचरे खाकर फिर प्रजा पद पाना इसको पुरुषार्थ नहीं कहा जाता।* उस समय त्राहि-त्राहि करना पड़ेगा।

➢➢ परमात्मा का एक्यूरेट नाम शिव है। शिवजयन्ती ही गाई जाती है। शिव को कल्याणकारी कहा जाता है, वह है बिन्दी। *परमपिता परमात्मा का रूप है ही स्टार।*

➢➢ कलियुग पतित दुनिया, सतयुग पावन दुनिया है - यह कोई भी नहीं जानते । कई तो कह देते हैं सतयुग त्रेता में भी पतित लोग हैं। सीता चुराई गई..... यह हुआ पावन दुनिया की ग्लानी करना। *जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि देखने में आती है।* पावन दुनिया में भी पतित हैं तो क्या बाप ने पतित दुनिया रची? *बाप तो पावन दुनिया ही स्थापन करते हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢ *शिव बाबा (दादे) को याद नही करेंगे तो वर्सा कहाँ से मिलेगा। फिर उनको इस पुरानी दुनिया के मित्र-सम्बन्धी आदि याद आते हैं। अच्छी रीति बाप को याद करेंगे तो बाप भी मदद देंगे।*

➢➢ *शिवबाबा कहते हैं - बच्चे, तुम मेरी ईश्वरीय औलाद हो, मेरे को याद करो।* ऐसे और कोई कह न सके। मैं ही इनमें प्रवेश कर कह सकता हूँ। *मैं ज्ञान सागर हूँ ना। तुम ज्ञानी तू आत्मा बन रहे हो। तो जो बाप से योग रखते हैं तो बाप भी आकर मदद करते हैं।*

➢➢ *घड़ी-घड़ी शिवबाबा को याद करना चाहिए। बहुत बच्चे हैं जो पूरा याद नहीं करते हैं तो कर्मभोग मिटता नहीं। बीमारियां आ जाती हैं। विकर्म विनाश नहीं होते हैं। बच्चों को बाप के साथ योग लगाना है।*

➢➢ बाप समझाते हैं पहले नम्बर का भूत आता है देह-अभिमान। अगर *देही-अभिमानी हो बाप को याद करते रहे तो बाप मदद भी करे। जो जितना याद करते हैं उतनी उनको मदद मिलती है।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢ ईश्वर की औलाद बनते ही इसलिए हैं कि ईश्वर से हम राज्य भाग्य लेवें। *राजाई का वर्सा लेने के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए।*

➢➢ *बाप को जरूर याद करना है। अहंकार नहीं आना चाहिए* - मैंने अच्छी मुरली चलाई। नहीं, *समझना चाहिए शिवबाबा ने आकर मुरली चलाई।*

➢➢ हम राजयोगी हैं। बाप से राजाई लेनी है। हम नर से नारायण बनेंगे। *दिल में समझना है मैं इतना पढ़ता हूँ जो सूर्यवंशी में जाऊ।*

➢➢ *यज्ञ का हर एक कार्य रेसपान्सिबिल्टी से करना है।* कोई गफ़लत न हो तब बाबा भी रिगार्ड देंगे। नहीं तो धर्मराज ऐसी सजा खिलाते हैं जो कभी जेल में भी नहीं खाई होगी इसलिए *बाप कहते हैं विनाश होने के पहले सब विकर्म योग से भस्म करो।*

➢➢ *क्रोध आदि का भूत रह जाता है तो वह पूरे वर्से के लायक नहीं बनते।* कहा जाता है यह काम वा क्रोध के भूत-वश, परवश हो गया। बाप को याद न करने कारण रावण के वश हो जाते हैं। *ऐसे क्रोधी वा कामी नर से नारायण पद पा नहीं सकते।* यहाँ चाहिए परफेक्ट ब्राह्मण।

➢➢ *बाप को याद करने से बाप की मदद मिलेगी।* नहीं तो कुछ न कुछ पाप, नुकसान आदि होता है। वह दुःखदाई बहुत बनते हैं। लक्ष्मी-नारायण तो सुखदाई हैं ना। *समझदार बच्चे कोशिश करेंगे फुल पास होने की। ऐसे नहीं, जो मिला सो ठीक।*

➢➢ यह भी बाप साक्षात्कार करायेंगे कि बार-बार समझाया था, ब्राह्मण बनना कोई मासी का घर नहीं है। *ईश्वर का बच्चा बनते हो तो फिर कोई विकार नहीं होना चाहिए।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢ *तुम कहाँ मुरली चलाने में मुंझ जायेंगे तो भी शिवबाबा प्रवेश कर आए मुरली चलायेंगे।* बच्चों को पता नहीं पड़ता कि शिवबाबा आकर मदद करते हैं। समझते हैं हमने आज अच्छी मुरली चलाई। अरे आज अच्छी चलाई, कल क्यों नहीं चलाते थे।

➢➢ *बच्चों को समझना है दुनिया को पावन बनाने का बोझा सिर पर है। हम रेसपॉन्सिबुल हैं। भारत को पावन बनाने की बहुत बड़ी रेसपॉन्सिबिल्टी है।*

➢➢ भगवान तो एक निराकार को कहा जाता है। तो कब आकर राजयोग सिखलायेंगे? जरूर जब नई दुनिया स्थापन होगी। नई दुनिया के लिए जरूर पुरानी में आना पड़े। *भगवानुवाच - हम तुमको राजयोग सिखाते हैं। कहाँ के लिए? क्या नर्क के लिए? पावन दुनिया के लिए।*

➢➢ भगवानुवाच - *मैं तुमको राजाओं का राजा बनाता हूँ।* बताओ कब आया था, वह कौन था फिर कब आयेगा? जरूर सतयुग के लिए ही सिखलायेगा। बहुत सहज है। परन्तु *किसकी तकदीर में नहीं है तो बुद्धि में बैठ नहीं सकता। जैसे तत्ते तवे। फिर समझना चाहिए यह हमारे सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी राजाई का नहीं है बाकी प्रजा तो बहुत ही बननी है।*

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