━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

  10 / 03 / 18  

       MURLI SUMMARY 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  बच्चे जानते हैं कि बाप परमधाम में रहने वाला है। वह बाप खुद बच्चों को कहते हैं अब तुम भक्त नहीं हो। *अभी तो तुम भगवान के बच्चे हो।* भक्त, भगवान को ढूंढते रहते हैं। *भक्त को भगवान नहीं कह सकते। भक्त अनेक हैं, भगवान एक है।* अब *भक्त मनुष्य हैं तो जरूर भगवान को भी मनुष्य रूप में आना पड़े।*

➢➢  *वही प्राचीन देवी-देवता जो सतयुग आदि में थे, फिर वह भक्ति मार्ग में आते हैं तो भक्ति शुरू कर देते हैं।* तो वह हुए सबसे पुराने भक्त । उन्हों ने ही पूरी भक्ति की है। वही आये हैं भगवान से मिलकर देवी-देवता पद को प्राप्त करने।

➢➢  *अभी तुम समझते हो हम भक्त नहीं हैं।* भगवान ने आकर अपना ही वारिस बनाया है। *भक्त वारिस नहीं होते।* वह ऐसा नहीं समझते कि हम बच्चे हैं।

➢➢  स्वर्ग में रहने वाले देवताओं के जड़ चित्र यहाँ हैं। उन जड़ चित्रों पास जाते हैं यात्रा करने। वह हो जाती है जिस्मानी यात्रा । देलवाड़ा मन्दिर में वा जगत अम्बा के पास यात्रा करने जाते हैं, वह है भक्ति। *भगवान आकर इन यात्रा के धक्कों से छुड़ा देते हैं।* भगत भगवान को मिलते हैं तो भगवान भक्ति के दु:खों से छुड़ाकर ठिकाने लगा देते हैं।

➢➢  *बरोबर जिस्मानी तीर्थ जन्म-जन्मान्तर करने बाद फिर उनसे छूटकर हम रूहानी तीर्थों पर चले जायेंगे, फिर यहाँ मृत्युलोक में आना ही नहीं है।* मुक्तिधाम में जाकर बैठेंगे, आना-जाना बन्द हो जायेगा। फिर स्वर्ग में जायेंगे तो वहाँ आनाजाना होता रहेगा। स्वर्गवासी बन जायेंगे।

────────────────────────

 

❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *बाप से हमको वर्सा लेना है।* वह तो सर्वव्यापी कह देते हैं तो फिर भगवान कहाँ से आये। *अब तुमको वर्सा जरूर चाहिए इसलिए मुझे याद करते  हो।* वर्सा भी फर्स्टक्लास चाहिए। सेकेण्ड, थर्ड क्लास नहीं।

➢➢  *तुम बच्चों की बुद्धि में है बाबा परमधाम से आया हुआ है।* आत्मा ही चाहती है कि हम भगवान के पास जायें। *याद कौन करते हैं? आत्मा याद करती है इन आरगन्स द्वारा।*

➢➢  मोस्ट बिलवेड बाप आये हुए हैं। कहते हैं मैं तुम्हारा मोस्ट बिलवेड बाप हूँ। 63 जन्म तुमने याद किया है। *जरूर बिलवेड है तब तो याद करते हैं ना।* मनुष्यों को तो कुछ भी पता नहीं। बाबा हमको शाहों का शाह, स्वर्ग का मालिक, विश्व का मालिक बनाते हैं।

➢➢  माया बिल्कुल ही 100 परसेन्ट नानसेन्स बुद्धि बना देती है। यह भी ड्रामा का खेल है। तो *अब मोस्ट बिलवेड बाप कहते हैं मुझे पूरा याद करो तो तुम्हारे पूरे विकर्म विनाश हों।* 

➢➢  *सभी भक्त भगवान को याद करते हैं कि जाकर उनसे मिले।* परन्तु जानते नहीं कि कैसे उनके पास जायें। तो भगवान को आना पड़ता है। पढ़ाते भी हैं, तुम जानते हो भगवान आया हुआ है सबको भक्ति का फल देने अथवा सबको सुखी करने। 

────────────────────────

 

❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *तुम्हारे में भी जो अच्छे ज्ञान की धारणा करने वाले हैं, उन्हों को नशा चढ़ता है।* ज्ञान की धारणा नहीं तो सूरत भल मनुष्य की है परन्तु सीरत बन्दर की है।

➢➢  बाप तो कहते हैं मैं इस तन में आकर मत देता हूँ। इसमें प्रेरणा की तो बात ही नहीं। तो *पहले-पहले निराकार की महिमा करनी चाहिए।*

➢➢  *गुल-गुल (फूल) बनो।* आत्मा गुल-गुल होगी तो शरीर भी ऐसा अच्छा मिलेगा।

➢➢  *बाप कहते हैं अब तुमको देही-अभिमानी बनना है।*

────────────────────────

 

❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢  *बाप कहते हैं जो भी सब धर्म वाले हैं, सब मनुष्य-मात्र को अभी ठिकाने लगाने आया हूँ। असुल ठिकाना है मुक्ति जीवनमुक्ति धाम। बाप सभी को अपने धाम वा स्वर्ग धाम में ले जाते हैं।*

➢➢  *ड्रामानुसार बाबा आया हुआ है। बच्चों को रावण के दुःख से छुड़ाकर अपने साथ ले जायेंगे। गाइड बनकर आये हैं।*

➢➢  तुम बच्चे अब समझते हो हम श्रीमत पर चल भारत के मनुष्य मात्र को श्रेष्ठ दैवीगुणधारी बनाते हैं अर्थात् हम भारत को श्रेष्ठ दैवी राजस्थान बनाते हैं। जिनको यह नशा होगा वही ऐसे बोलेंगे। *कहाँ भी भाषण करो तो बोलो हम श्री अर्थात् श्रेष्ठ मत पर चल रहे हैं।*

➢➢  *बी.के. का परिचय देना चाहिए। तुम भी सब आत्मायें शिव के पोत्रे प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे हो। अभी फिर से यह नई रचना हो रही है। ऐसे समझाना चाहिए।*

➢➢  *बाप कहते हैं-मैं आकर बच्चों को अपना परिचय देता हूँ। मेरा पार कोई पा न सके इसलिए मैं ही आकर अपना परिचय देता हूँ कि मैं आया हुआ हूँ।* तुम बच्चे जानते हो बाप मनुष्य तन लेकर आते हैं। वह भी समझाते हैं कि मैं किस भक्त के तन में प्रवेश करता हूँ।

➢➢  *कल्प पहले हम ब्राह्मण से देवता, फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बने थे। अब फिर ब्राह्मण बने हैं। ऐसे-ऐसे अच्छी रीतिं चक्र का राज़ बुद्धि में बिठाना चाहिए। पहले तो बाप का पूरा परिचय देना चाहिए।* 

────────────────────────