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❍ 05 / 03 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ खास तुम बच्चों की महफिल है, आम सबकी है। *जहाँ बाप होगा वहाँ हम बच्चे भी होंगे। बाप कहते हैं हम भी अशरीरी हैं, तुम भी जब अशरीरी थे तो मेरे पास थे।* याद दिलाते हैं 5 हजार वर्ष हुए। लांग-लांग एगो कहते हैं ना।
➢➢ कहते हैं जन्म मरण रहित है, नाम रूप से न्यारा है। अरे *नाम रूप से न्यारा है तो फिर जयन्ती किसकी मनाते हो? तो नाम रूप से न्यारा हो नहीं सकता।*
➢➢ परमपिता परमात्मा को पतित-पावन कहते हैं तो क्या किया? पतित को पावन कैसे बनाया? *जरूर साकार में आकर मुख से समझाया होगा। कोई शिक्षा दी होगी। ऐसे ही तो कोई कह न सके। जरूर मनुष्य तन में ही आयेंगे।*
➢➢ *अव्यक्त चीज़ में बुद्धि लगाने में माया हैरान करती है।* भक्तों को भी बड़ी मुश्किल से साक्षात्कार होता है। जब बहुत तीव्र भक्ति करते हैं तब बाप खुश होते हैं। *अभी तो भक्ति की बात ही नहीं। अभी तो है नॉलेज।*
➢➢ *त्रिकालदर्शी माना तीनों कालों को जानना। सृष्टि के आदि मध्य अन्त को और तीनों लोकों को जानना।* मूलवतन, सूक्ष्मवतन, स्थूलवतन को भी तुम जानते हो।
➢➢ *तुम सब कन्यायें हो। अधर कन्या भी अपना जीवन बना रही हैं।* बाप ऐसे कर्म सिखलाते हैं जो कभी दु:खी वा विधवा नहीं होना पड़ेगा। परन्तु विरला ही कोई ऊंची तकदीर बनाते हैं।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ यह बातें जो अच्छी रीति समझकर और धारण करेंगे वही फिर समझा सकेंगे। *जो पूरे राजयोगी होंगे बाप को और राजाई को याद करते होंगे, जिसके लिए ही बाबा कहते हैं बच्चे स्वदर्शन चक्रधारी बनो।*
➢➢ 84 जन्म तो जरूर लेने हैं और जो पहले नम्बर वाले हैं वही 84 जन्म लेंगे,
यह तो सब ठीक है। परन्तु याद में रहना, यह बड़ा मुश्किल है। योग में अनेक
प्रकार के तूफान आते हैं, उनको कैसे वश करें? उसका उपाय क्या है? कौन सा
टाइम है जिसमें *अच्छी रीति याद कर सकें? तो बाबा ने समझायो यूँ तो
चलते-फिरते, उठते-बैठते याद करो।*
➢➢ अभी तुम यहाँ बैठे हो, हम तुमसे पूछते हैं स्त्री को याद करते हो? अब
नाम स्त्री का सुना और झट बुद्धि भागी स्त्री के तरफ। बुद्धि का काम हो गया
ना। *वैसे ही तुम भल कोई भी काम शरीर निर्वाह अर्थ करो परन्तु शिवबाबा के
पास बुद्धि लगाने की कोशिश करो।*
➢➢ 5 मिनट 10 मिनट भी याद करो। हाँ यह माया भी विघ्न जरूर डालेगी । *तूफान
बड़ी जोर से आयेंगे डगमगाने के लिए। परन्तु फिर भी तुम अपना पुरुषार्थ करते
चलो। इस शरीर को भुलाना अथवा बाप की याद में रहना, बात एक ही है।*
➢➢ अपने को आत्मा अशरीरी समझना पड़े। मैं असुल अशरीरी था। पार्ट बजाने के
लिए यह शरीर लिया है फिर अशरीरी बन घर जाता हूँ। *बुद्धि में सिर्फ बाप और
बाप का घर याद हो*, बाप का घर वही है जहाँ अब जाना है। फिर यह बुद्धि में
है कि *बाप की प्रापर्टी है सतयुग। तो एक बाप की याद से वह भी याद आयेगी।*
➢➢ अब तुम्हारी सगाई कराते हैं, उस परमपिता परमात्मा से। तो *उसको याद करने का प्रयत्न करो। माया तो तूफान लायेगी।* सारी दुनिया दुश्मन बनेंगी, परन्तु बाप को नहीं भूलना। जितना बाप को याद करेंगे उतना विकर्म विनाश होंगे।
➢➢ बाप कहते हैं मेरी याद से ही तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। सिर्फ संग होगा तो मुरली सुनेंगे बाकी क्या करेंगे, बुद्धि का योग भी बाप के साथ चाहिए। *बुद्धि का योग बाप के साथ लगा हुआ होगा तो वही तारेगा अर्थात् पावन बनायेगा।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *जिस बाप से 21जन्म का राज्य भाग्य मिलता है, उनको भी फारकती दे देते।* कोई तो आकर बाप का बनेंगे। कोई-कोई फिर महामूर्ख भी बनेंगे। जो फारकती भी देंगे, डायओर्स भी देंगे। चलन से ही मालूम पड़ जाता है।
➢➢ *विकार में जाते रहते फिर छिप-छिप कर बैठ जाते फिर लिख भेजते कि बाबा भूल हो गई, क्षमा करो।* अब सौगुणा दण्ड तो चढ़ गया वह कैसे कैन्सिल हो सकता।
➢➢ *सच बताने से आधा माफ भी हो जाए..... इसलिए बाबा कहते हैं छिपकर कभी विकार में नहीं जाना। न फैमिलियरटी में ही आना है।* क्रोध भी बहुत भारी भूत है, बहुतों को दुःख देते हैं। बाप को 5 विकारों का दान दे फिर वापिस ले तो पद भी भ्रष्ट हो जायेगा।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ भगवान किस रूप में आते हैं, यह कोई भी नहीं जानते। *बड़ा चतुराई से कोई से पूछना है और फिर समझाना है। भगवान तो है निराकार।*
➢➢ *देवतायें हैं ब्रह्मा विष्णु शंकर तो इन चित्रों पर भी समझाना पड़े।* तुम शिव के मन्दिर में जायेंगे तो उनसे पूछेगे यह कब आये थे, कैसे आये? निराकारी दुनिया से तो सब आते हैं।
➢➢ *शरीर निर्वाह भी करना है।* ऐसे नहीं कहा जाता कि कन्या को भी शरीर निर्वाह अर्थ माथा मारना है। कन्या को पति के पास रहना है। शरीर निर्वाह पति को करना है। *कन्या को भी अपने पैरों पर खड़ा रहना है।*
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