━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 05 / 02 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *कहा जाता है ना तुम्हारे में क्रोध का भूत है। परन्तु मनुष्य समझते नहीं हैं कि 5 विकारों को भूत कहा जाता है। यह भूत अर्थात् रावण ही सबसे बड़ा दुश्मन है।*
➢➢ *सतयुग में तो कोई गुरू आदि नहीं ढूँढते क्योंकि वहाँ दु:खी नहीं हैं।* वहाँ कोई अप्राप्त वस्तु नहीं है। *यहाँ तो कोई न कोई वस्तु की लालसा रख गुरू के पास जाते हैं।* कोई का सुनेंगे कि उनकी मनोकामना पूरी हुई तो खुद भी उनके पिछाड़ी में जायेंगे।
➢➢ अब सब घोर अन्धियारे में हैं। यथा राजा रानी तथा प्रजा.... पहले कम अन्धियारा होता है फिर कलियुग में घोर अन्धियारा होता है। *माया के राज्य को घोर अन्धियारा कहा जाता है। बाप कहते हैं भारत का बड़े ते बड़ा दुश्मन भी माया रूपी 5 विकार हैं।*
➢➢ यह भी कोई को पता नहीं कि भारत जो इतना मालामाल था, उनको इतना कंगाल किसने बनाया? *यही रावण बड़ा दुश्मन है। इनकी प्रवेशता के कारण भारत का यह हाल हो गया है।*
➢➢ ऐसे नहीं कि मुसलमानों वा क्रिश्चियन ने भारत को कंगाल बनाया। नहीं, *सबके सुख सम्पत्ति का देवाला इसी रावण ने निकाला है।* यह बात कोई नहीं जानते हैं।
➢➢ *अन्य सभी धर्मों को तो वापिस जाना है क्योंकि सतयुग में तो होगा ही एक धर्म, एक राज्य।* सो जिन्होंने कल्प पहले लिया था, जो सूर्यवंशी बने थे वही सतोप्रधान नम्बरवन राज्य करेंगे। सतयुग में था ही एक धर्म। *फिर पुनर्जन्म लेते-लेते अभी तो बहुत वृद्धि हो गई है।*
➢➢ अभी तुम प्रैक्टिकल में ब्रह्मा मुख वंशावली हो, तुम्हारा यादगार भी यहाँ है। अधरकुमारी का मन्दिर भी है ना। *जो काम चिता से उतर ज्ञान चिता पर बैठते हैं - उनको अधर कुमारी कहा जाता है।*
────────────────────────
❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ कोई भी आये बोलो यह राजयोग की पाठशाला है। *जैसे डाक्टरी योग वैसे यह राजयोग है, जिससे राजाओंका राजा बनना है।* हमारा एम आब्जेक्ट है ही मनुष्य से देवता बनना।
➢➢ तुम अभी रावण के साथ युद्ध कर रहे हो। गीता में रावण का नाम नहीं है। उन्होंने फिर हिंसक युद्ध दिखा दी है। *बाप कहते हैं तुम इन 5 विकार रूपी रावण पर जीत पाने से जगतजीत बनेंगे।*
➢➢ भारतखण्ड है सचखण्ड, जहाँ बाप आकर देवी-देवता धर्म में ट्रांसफर करते हैं। यह तुम जानते हो। *पहले 7 रोज भठ्ठी में रख शूद्र से ब्रह्मण बनाना पड़ता है।*
➢➢ तुम जानते हो इस माया रावण ने सीताओंको हरण किया अर्थात् अपनी जंजीरों में कैद किया। *बाप आते हैं इस बड़े ते बड़े दुश्मन से लिबरेट करने।*
➢➢ उन्हों का है ही हठयोग सन्यास। *तुम्हारा है राजयोग सन्यास।* वह राजयोग तो सिखला न सके। वह है शंकराचार्य, यह है शिवाचार्य। तुम भी परिचय देते हो हमको भगवान आकर पढ़ाते हैं। वह तो जरूर स्वर्ग का मालिक बनायेगा।
────────────────────────
❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ सन्यासी पवित्र बनते हैं तो उन्हों की महिमा तो बढ़नी ही है। बहुत शिष्य बन जाते हैं। विवेक भी कहता है जो पवित्र बनते हैं, उनकी महिमा जरूर बाप को करानी है। *तुम पवित्र बनते हो तो तुम्हारी कितनी महिमा होती है।*
➢➢ आगे विकार के लिए शादी करते थे। अब विकारी शादी कैन्सिल कर ज्ञान चिता पर बैठ पवित्र जोड़ा बनते हैं। *तो अपनी जांच करनी होती है कि माया कहाँ चलायमान तो नहीं करती है?* मन में तूफान तो नहीं आते हैं? *भल मन में संकल्प आते हो परन्तु कर्मेन्द्रियों से विकर्म कभी नहीं करना।*
➢➢ *भाई-बहन समझने से, ज्ञान चिता पर रहने से काम अग्नि नहीं लगेगी।* अगर आग लगी तो अधोगति को पा लेंगे। यूँ तो सारी दुनिया भाई-बहन है। परन्तु जब बाप आते हैं तो हम उनके बनते हैं।
➢➢ *यहाँ तो यह है गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र रहना। नंगन नहीं होना है। काम अग्नि में जलना नहीं है।*
➢➢ बाप समझाते हैं *बहादुर वह जो दोनों इकट्ठे रहो और बीच में ज्ञान योग की तलवार हो।* ऐसे एक कहानी भी है कि उसने कहा कि घड़ा भल सिर पर रखो परन्तु तेरा अंग मेरे अंग से न लगे अर्थात् विकार की भावना न हो। उन्होंने फिर शरीर समझ लिया है। बात सारी विकार की है।
────────────────────────
❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ सेवा को सर्वीस भी कहते हैं। पहले मात-पिता सेवा करते हैं। अब देखो प्रैक्टिकल में कर रहे हैं ना। *अभी से ही सभी कायदे कानून परमपिता परमात्मा आकर स्थापन करते हैं।* तुम बच्चे आते हो, *मम्मा बाबा कहते हो तो मम्मा बाबा भी तुम्हारी सेवा करते हैं।* हद के माँ बाप भी बच्चों की सेवा करते हैं।
➢➢ *इस समय ही सतगुरू आते हैं, समझाते हैं मैं तुम्हारा बाप भी हूँ, टीचर भी हूँ, सतगुरू भी हूँ। बाप के तो बच्चे बने हो। टीचर रूप में इनसे शिक्षा पा रहे हो। अन्त में सतगुरू बन तुमको सचखण्ड में ले जायेंगे। तीनों काम प्रैक्टिकल में करते हैं।*
➢➢ *तुम्हारे में भी जो अच्छी सर्वीस करते हैं तो उन्हों की महिमा से औरों की भी महिमा निकल पड़ती है। जो बच्चे अच्छी सर्वीस करते हैं तो सब कहेंगे इनके माँ बाप भी ऐसे होंगे। मेहनत जरूर करनी है। पहले तो बाप का परिचय देना है।*
➢➢ *तुम्हारे द्वारा मनुष्यों का 21 जन्मों के लिए कल्याण हो जाता है।* सर्व मनोकामनायें 21 जन्मों के लिए पूरी हो जाती हैं। यह भी तुम जानते हो, दुनिया में यह भी कोई नहीं जानते हैं कि परमात्मा कब आते हैं, जगत अम्बा कौन है, जिस द्वारा हमारी सभी मनोकामनायें पूरी हो जाती हैं।
────────────────────────