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❍ 24 / 02 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम मेरे द्वारा
मुझे और मेरी रचना को जानने से सब कुछ जान जाते हो। बाकी कुछ जानने के लिए नहीं
रहता।* इतना बड़ा इम्तहान पास कर लेते हो अर्थात् मास्टर जानी जाननहार बन गये।
➢➢ *सतयुग है एक आदि सनातन देवी देवता धर्म। कलियुग में अनेक धर्म और अनेक प्रजा
का राज्य है।* तुम बच्चे जब सुनते हो तो समझते हो बाबा यथार्थ रीति ठीक समझाते
है।
➢➢ *तुम हो ज्ञान गंगायें। सागर तो एक ही है।* यह ब्रह्मा भी ज्ञान कण्ठ करते
हैं, तो यह भी ज्ञान गंगा हुई। *ज्ञान कण्ठ करने वाले को ज्ञान गंगा कहा जाता
है। उसमें मेल फीमेल दोनों आ जाते है।* ज्ञान सागर तो एक ही बाप है।
➢➢ *परमपिता परमात्मा सभी आत्माओं का बाप है। ब्रह्मा जीव आत्माओं का बाप है।
हम उनकी मुख वंशावली ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियां है।* हमको ज्ञान फिर भी
ज्ञान सागर बाप ही देते हैं। *यहाँ तो बाप और दादा, साकार और निराकार दोनों
इकट्ठ है। वास्तव में सभी मनुष्य-मात्र का यह बाप और दादा है। तो जरूर परमपिता
परमात्मा को सृष्टि रचने आना पड़े।*
➢➢ *गॉडली स्टूडेन्ट सिर्फ ब्राह्मण ही होते है। देवतायें, वैश्य वा शूद्र कोई
भी गॉडली स्टूडेन्ट नहीं होते है।* भगवानुवाच होता ही ब्राह्मणों प्रति है।
➢➢ *अब एक बाप आया है तो तुम सबको रास्ता मिलता है ना। सभी को दु:ख की दुनिया
से छुड़ाते है, इसलिए उनको लिब्रेटर कहते है।*
➢➢ कहते भी हैं अभी ब्रह्मा की रात है, तो ब्रह्मा मुख वंशावली की भी रात है। *अब
अन्त में बाप आये हैं दिन करने । ब्रह्मा की रात पूरी होती है तो बी.के. की रात
भी पूरी होती है।* प्रजापिता ब्रह्मा तो ठीक है।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ वास्तव में आत्मा
को आवाज करने की दरकार नहीं। आत्मा तो आवाज से परे निर्वाणधाम जाने चाहती है। *बहुत
बाजे गाजे तालियां आदि सुनकर आत्मा थकी हुई है इसलिए अब बाप को याद करती है -
हे भगवान मुझे ले जाओ।*
➢➢ बाप तो बहुत अच्छी रीति समझाते हैं। अनेक मनुष्य, अनेक धर्म है। *5000 वर्ष
पहले भारत स्वर्ग था। बहुत थोड़े मनुष्य थे। सिर्फ सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी वह
आत्मायें परमधाम से आई थी, अपना पार्ट बजाने।* बाकी सभी धर्मों की आत्मायें
निर्वाणधाम में थी।
➢➢ *भक्त जो भगवान को याद करते हैं तो उन्हों को भक्ति का फल देने के लिए भी यहाँ
आना पड़ेगा।* बाकी सबको वापिस मुक्तिधाम ले जाना होता है। और तो कोई वापिस ले
जा नहीं सकता।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
जितना प्रभु बलवान है तो माया भी उतनी बलवानी दिखलायेगी, परन्तु अपने को तो
पक्का निश्चय है आखरीन भी परमात्मा महान बलवान है, आखरीन उनकी जीत है। *श्वांसो
श्वांस इस विश्वास में स्थित होना है, माया को अपनी बलवानी दिखलानी है।*
➢➢ *बाप अमरलोक स्थापन कर रहा है इसलिए तुमको पावन जरूर बनना पड़े।* बाप कहते
है इस *रावण पर जीत जरूर पानी है।*
➢➢ जो कोर्स के बीच में आयेंगे वो तो इतनी नॉलेज को उठायेंगे नहीं, उन्हों को
क्या पता आगे का कोर्स क्या चला? इसलिए *यहाँ रेग्युलर पढ़ना है, इस नॉलेज को
जानने से ही आगे बढ़ेंगे। इसलिए रेग्युलर स्टडी करनी है।*
➢➢ *परमात्मा का सच्चा बच्चा बनते कोई संशय में नहीं आना चाहिए।* भगवानुवाच
बच्चों के प्रति बच्चे, जब परमात्मा खुद इस सृष्टि पर उतरा हुआ है, तो *उस
परमात्मा को हमें पक्का हाथ देना है लेकिन पक्का सच्चा बच्चा ही बाबा को हाथ दे
सकता है। इस बाप का हाथ कभी नहीं छोड़ना।*
➢➢ हमको खुद परमात्मा आकर डिग्री पास कराते है और फिर एक ही जन्म में सारा
कोर्स पूरा करना है। तो *जो शुरू से लेकर अन्त तक इस ज्ञान के कोर्स को पूरी
रीति उठाते हैं वो फुल पास होंगे।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *पहले-पहले समझाना
है कि हमको पढ़ाने वाला स्वयं परमपिता परमात्मा है जो ही ज्ञान सागर है। वही
हमारा बाप टीचर सतगुरू है,* फिर इसमें कोई उल्टा सुल्टा प्रश्न उठाने की दरकार
ही नहीं।
➢➢ अल्फ बिगर मनुष्य कुछ भी जान नहीं सकते। *उन्हों को समझाना चाहिए कि परमपिता
परमात्मा शिव ब्रह्मा मुख द्वारा ब्राह्मण रच रहे है। अकेला ब्रह्मा तो रचता नहीं
है।*
➢➢ *जो भी कोई आये तो बाप का परिचय दो। हम बाप से वर्सा ले रहे हैं। तुमको भी
लेना हो तो आओ।*
➢➢ *हमारा उस्ताद कैसे हमको जीत पाना सिखला रहे हैं, सो आओ तो हम तुमको समझायें।*
अगर तुमको जीत पानी है तो तुम भी शक्तिदल में शामिल हो जाओ। बाकी फालतू बातें
मत करो।
➢➢ वह(आर्यसमाजी) बहुत डिबेट करते हैं कि तुम ऐसे क्यों करते हो। वैसे *हमारा
धर्म आदि सनातन देवी-देवता धर्म है, उसका ही प्रचार करते है। तुम इन्टरफियर क्यों
करते हो? उन्हों को भी युक्ति से समझाना है। उनसे डिस्कश करने की जरूरत नहीं।
उससे वह समझेंगे नहीं।*
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