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❍ 27 / 01 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ तुम तो हो शिव वंशी ब्रह्माकुमार कुमारियां। यह तो समझने की बात है। इतने बच्चे कुख वंशावली तो हो नहीं सकते। जरूर मुख वंशावली होंगे। कृष्ण को इतनी रानियां अथवा बच्चे नहीं थे। *गीता का भगवान तो राजयोग सिखलाते हैं, तो जरूर मुख वंशावली होंगे।*
➢➢ शिवबाबा तो बच्चों को अपने से भी ऊंच बनाते हैं। *पावन तो तुम बनते हो, परन्तु बाप समान एवर पावन नहीं हो सकते। हाँ पावन देवता बनते हो। बाप तो ज्ञान का सागर है। हम कितना भी सुनें तो भी ज्ञानसागर नहीं बन सकते।* वह ज्ञान का सागर, आनंद का सागर है, बच्चों को आनंदमय बनाते है।
➢➢ *लक्ष्मी-नारायण का नाम भी प्रजा में कोई अपने ऊपर रख न सके, लॉ नहीं है।* विलायत में भी राजा का नाम कोई अपने ऊपर नहीं रखेंगे। उनकी बहुत इज्जत करते हैं। तो बच्चे समझते है *5 हजार वर्ष पहले बाप आया था। अब भी बाप आया है - दैवी राजस्थान स्थापना करने।*
➢➢ *चरित्र है एक गीता के भगवान का। वह शिवबाबा बच्चों को भिन्न-भिन्न साक्षात्कार कराते है। बाकी मनुष्य के कोई चरित्र नहीं हैं।* क्राइस्ट आदि ने भी आकर धर्म स्थापना किया सो तो सभी को अपना पार्ट बजाना ही है, इसमें चरित्र की तो कोई बात ही नहीं।
➢➢ तुम हो ब्राह्मण, वह हैं शूद्र। *देवता धर्म वाले ही बहुत दु:खी होते हैं क्योंकि उन्होंने बहुत सुख भी देखे हैं। अब तुम्हारा दर-दर भटकना बन्द हो गया है, आधाकल्प के लिए।* यह राज भी तुम ब्राह्मण ही जानते हो, सो भी नम्बरवार।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ शिवबाबा का आना भी अब हुआ है। वह है पाण्डवों का पति, न कि कृष्ण। *बाप पण्डा बनकर आया है वापिस ले जाने के लिए और नई सतयुगी दुनिया रचने के लिए।* तो जरूर ब्रह्मा द्वारा ही ब्राह्मण रचेंगे।
➢➢ उस पति को कितना याद करते हैं। यह बेहद की बादशाही देने वाला है। *ऐसे पतियों के पति को कितना याद करना पड़े।* कितनी भारी प्राप्ति होती है।
➢➢ बाप कहते हैं मैं बच्चों को राजयोग सिखला रहा हूँ। *तुम सो देवी-देवता थे फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बने। अब फिर सो ब्राह्मण बने हो, फिर सो देवता बनेंगे। इस 84 के चक्र को तुम याद करो।*
➢➢ *यहाँ सिर्फ बाप और वर्से को याद करना है। बस इसमें ही मेहनत है।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *जिन्होंने कल्प पहले जितना पुरूषार्थ किया था उतना ही अब करते हैं। ऐसे नहीं जो ड्रामा में होगा, फिर भी पुरूषार्थ का नाम आता है। ड्रामा को बच्चों से पुरूषार्थ कराना ही है। जैसा पुरूषार्थ वैसा पद मिलेगा।* हम जानते हैं कल्प पहले भी ऐसा पुरूषार्थ किया था।
➢➢ *बच्चों को समझाया है हमेशा ऐसे समझो कि हमको शिवबाबा मुरली सुनाते है।* कभी यह (ब्रह्मा) भी सुनाते हैं। शिवबाबा कहते हैं मैं गाइड बनकर आया हूँ। यह ब्रह्मा है मेरा बच्चा बड़ा।
➢➢ बेहद के बाप द्वारा तुम बेहद के मालिक बनते हो। यह धरती, यह आसमान सब तुम्हारा हो जायेगा। ब्रह्माण्ड भी तुम्हारा हो जायेगा। आलमाइटी अथॉरिटी राज्य होगा। वन गवर्मेन्ट होगी। यह बड़ी वन्डरफुल बातें हैं। *बच्चों को कितना खुशी का पारा चढ़ना चाहिए। बेहद के बाप से हम बेहद का वर्सा जरूर लेंगे।*
➢➢ *जैसे नई-नई प्वाइंट्स तो रोज आती हैं, परन्तु धारणा भी होनी चाहिए।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *इन लक्ष्मी-नारायण के चित्र पर समझाना बड़ा सहज है। त्रिमूर्ति और शिवबाबा का चित्र भी है।*
➢➢ कोई कहते हैं कृष्ण के चित्र में 84 जन्मों की कहानी न हो। मनुष्य जब सुनते हैं कि कृष्ण भी 84 जन्म ले पतित बनते हैं तो उन्हें घबराहट आ जाती है। *हम सिद्ध कर बतलाते हैं, जरूर पहले नम्बर वाले श्रीकृष्ण को सबसे जास्ती जन्म लेने पड़ेंगे।*
➢➢ *नारायण को सांवरा तो लक्ष्मी को गोरा दिखाते हैं। तो उनके जो बच्चे होंगे, वह कैसे और कितनी भुजाओं वाले होंगे? क्या बच्चे को 4 भुजा, बच्ची को दो भुजा होंगी क्या? ऐसे-ऐसे प्रश्न पूछ सकते हो।*
➢➢ *जब देवी-देवताओं का राज्य था तो कोई और राज्य नहीं था। एक ही राज्य था, बहुत थोड़े थे। उसको कहा जाता है स्वर्ग, वहाँ पवित्रता भी थी, सुख-शान्ति भी थी। पुनर्जन्म लेते-लेते नीचे आये है।*
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