━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ 09 / 02 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ बाप कहते हैं मीठे बच्चे ततत्वम् अर्थात् *तुम आत्मायें भी शान्त स्वरूप हो। तुम सर्व आत्माओं का स्वधर्म है ही शान्ति। शान्तिधाम से फिर यहाँ आकर टाकी बनते हो।* यह कर्मेन्द्रियां तुमको मिलती है पार्ट बजाने के लिए।
➢➢ बाप कहते हैं मैं परमधाम से आकर तुम बच्चों के सम्मुख हुआ हूँ। बच्चों
को फिर से नालेज देता हूँ क्योंकि *मैं हूँ नालेजफुल, ज्ञान का सागर मैं आता
हूँ तुम बच्चों को पढ़ाने, राजयोग सिखाने।*
➢➢ *जैसे माली फूलों को अलग पाट (बर्तन) में निकाल रखते हैं, वैसे ही तुम
फूलों को भी अब संगमयुगी पाट में अलग रखा हुआ है।* फिर तुम फूल स्वर्ग में
चले जायेंगे।
➢➢ मीठे बच्चे जानते हैं *पारलौकिक बाप से हमको अविनाशी वर्सा मिलता है।*
जो सच्चे-सच्चे बच्चे हैं जिनका बापदादा से पूरा लव है उनको बड़ी खुशी रहेगी।
हम विश्व का मालिक बनते हैं।
➢➢ आत्मा बाप को देखती है। बाप हम आत्माओं को पढ़ा रहे हैं। बाप भी समझते
हैं *हम इतनी छोटी बिन्दी आत्मा को पढ़ाता हूँ। आगे चल तुम्हारी यह अवस्था
हो जायेगी। समझेंगे हम भाई-भाई को पढ़ाते हैं।*
➢➢ शक्ल बहन की होते भी दृष्टि आत्मा तरफ जाए। *शरीर पर दृष्टि बिल्कुल न जाये, इसमें बड़ी मेहनत है। यह बड़ी महीन बातें हैं।* बड़ी ऊंच पढ़ाई है। वजन करो तो इस पढ़ाई का तरफ बहुत भारी हो जायेगा।
────────────────────────
❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *बाबा सदैव बच्चों से पूछते हैं बच्चे स्वदर्शन चक्रधारी हो कर बैठे हो? बाप भी स्वदर्शन चक्रधारी है ना।*
➢➢ *यह तो बाप भी है, टीचर भी है। तुमको पढ़ाते भी है। याद की यात्रा भी
सिखलाते हैं। ऐसा विश्व का मालिक बनाने वाले, पतित से पावन बनाने वाले बाप
के साथ बहुत लव होना चाहिए।*
➢➢ सवेरे उठ बाबा से गुडमार्निंग करें, ज्ञान के चिन्तन में रहें तो खुशी
का पारा चढ़े। *बाप से गुडमार्निंग नहीं करेंगे तो पापों का बोझा कैसे
उतरेगा। मुख्य है ही याद।*
➢➢ *योग और ज्ञान दो चीजें हैं। योग की सब्जेक्ट अलग है, बहुत भारी सबजेक्ट है। योग से ही आत्मा सतोप्रधान बनती है।* याद बिना सतोप्रधान होना, असम्भव है।
➢➢ *बाबा कितना मीठा है। कितना प्यार करते हैं। कोई तकलीफ नहीं देते। सिर्फ कहते हैं मुझे याद करो और चक्र को याद करो। बाप की याद में दिल एकदम रम जानी चाहिए। एक बाप की ही याद सतानी चाहिए क्योंकि बाप से वर्सा कितना भारी मिलता है।*
➢➢ नालेज का वरदान ऐसा देते हैं जिससे हम क्या से क्या बन जाते हैं! इनसालवेन्ट से सालवेन्ट बन जाते हैं! इतना भण्डारा भरपूर कर देते हैं। *जितना बाप को याद करेंगे उतना लव रहेगा, कशिश होगी।*
────────────────────────
❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ *देखना कहाँ तक हमारे में दैवी गुण हैं जितना-जितना योग में रहेंगे उतना कांटों से फूल, सतोप्रधान बनते जायेंगें।* फूल बन गये तो फिर यहाँ रह नहीं सकेंगे। फूलों का बगीचा है ही स्वर्ग। जो बहुत कांटों को फूल बनाते हैं।
➢➢ *उस को ही सच्चा खुशबूदार फूल कहेंगे जो कभी किसको कांटा नहीं लगायेंगे।*
क्रोध भी बड़ा कांटा है। बहुतों को दु:ख देते हैं।
➢➢ यह पुरुषोत्तम संगमयुग है इतना सिर्फ याद रहे तो भी पक्का हो जाता है
कि *हम सतयुग में जाने वाले हैं। अभी संगम पर हैं, फिर जाना है अपने घर
इसलिए पावन तो जरूर बनना है। अन्दर में बहुत खुशी होनी चाहिए।*
➢➢ बाप समझाते हैं मीठे बच्चे गफलत मत करो। *स्वदर्शन चक्रधारी बनो, लाइट
हाउस बनो। स्वदर्शन चक्रधारी बनने की प्रैक्टिस अच्छी हो जायेगी तो फिर तुम
जैसे ज्ञान का सागर हो जायेंगे।*
➢➢ *तुम बच्चों को यह नशा रहना चाहिए हम रूहानी युनिवर्सिटी में पढ़ रहे
हैं। हम गाडली स्टूडेन्ट हैं। हम मनुष्य से देवता अथवा विश्व का मालिक बनने
लिए पढ़ रहे हैं।* इससे हम सारी डिग्रियां पा लेते हैं।
➢➢ इस बात की बच्चों में बहुत कमजोरी है। याद में रहेंगे तब दूसरों को समझाने का असर होगा। *तुम्हारा बोलना जास्ती नहीं होना चाहिए। आत्मअभिमानी हो थोड़ा भी समझायेंगे तो तीर भी लगेगा।*
────────────────────────
❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧ ‧‧‧‧‧
➢➢ जैसे स्टूडेन्ट पढ़कर टीचर बन जाते हैं ना। *तुम्हारा धन्धा ही यह है। सबको स्वदर्शन चक्रधारी बनाओ तब ही चक्रवर्ती राजा-रानी बनेंगे।*
➢➢ *ज्ञान रत्नों से झोली भरकर फिर दान करना है। ज्ञान सागर तुमको रत्नों की थालियाँ भर-भर कर देते हैं। जो उन रत्नों का दान करते हैं वही सबको प्यारे लगते हैं।*
➢➢ *अभी तुम बच्चे कांटों की दुनिया से किनारे पर आ गये हो, तुम हो संगम पर। सब को सुख देने की सेवा करनी है।*
➢➢ ड्रामा के
राज को बुद्धि में रखने से बुद्धि एकदम शीतल हो जाती है। जो महारथी बच्चे
होंगे वह कभी हिलेंगे नहीं। *बाप तुम बच्चों को दु:ख से छुड़ाकर शान्ति का
दान देते हैं। तुमको भी शान्ति का दान देना है।*
➢➢ *तुम्हारी यह बेहद की शान्ति अर्थात् योगबल दूसरों को भी एकदम शान्त कर देंगे। झट मालूम पड़ जायेगा। यह हमारे घर का है वा नहीं।* आत्मा को झट कशिश होगी यह हमारा बाबा है। नब्ज भी देखनी होती है।
────────────────────────