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❍ 20 / 01 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप अन्त में आकर आदि का ज्ञान सुनाते हैं और कहते हैं हे बच्चों जिस तन में मैं विराजमान हूँ, इन द्वारा मैं आदि से लेकर इस समय तक सब कुछ सुनाता हूँ।* अन्त के लिए तो पीछे समझायेंगे। तुम आगे चलकर समझ जायेंगे कि *अब अन्त है क्योंकि उस समय तुम कर्मातीत अवस्था को पहुँच जायेंगे और आसार भी देखेंगे कि इस पुरानी छी-छी दुनिया का विनाश तो होना ही है।*
➢➢ *रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों को समझाते हैं। समझाना उनको होता है,
जिसमें कुछ कम समझ है। तुम अभी बहुत समझदार बन चुके हो जो समझते हो कि यह
हमारा बेहद का बाप भी है, बेहद की शिक्षा भी देते हैं।* सृष्टि के
आदि-मध्य-अन्त का राज़ भी समझाते हैं। स्टूडेण्ट की बुद्धि में नॉलेज होनी
चाहिए ना और *फिर बाप साथ में भी जरूर ले जायेगा क्योंकि बाप जानते हैं कि
यह पुरानी छी-छी दुनिया है।*
➢➢ *इस पुरानी दुनिया से मैं बच्चों को घर ले जाने लिए आया हूँ। बाबा
समझाते हैं यहाँ बैठे बैठे बच्चों के अन्दर में जरूर आता होगा कि ओहो! यह
हमारा बेहद का बाप भी है, फिर शिक्षा भी बहुत ऊंची देते हैं।* सारी रचना के
आदि मध्य अन्त का राज़ भी समझाया है।
➢➢ *मनुष्यो ने जन्म-जन्मान्तर बहुत ही यज्ञ जप तप आदि किये हैं।* भक्ति
मार्ग वालों को पता नहीं है कि यह सब क्यों करते हैं। इनसे क्या प्राप्ति
होगी। *मन्दिरों में जाते हैं इतनी भक्ति करते हैं, समझते हैं यह सब परम्परा
से चला आया है। शास्त्रों के लिए भी कहेंगे कि यह परम्परा से चले आये हैं।
परन्तु मनुष्यों को पता ही नहीं है कि स्वर्ग में तो शास्त्र होते नहीं।*
वह समझते हैं सृष्टि के शुरू से ही यह सब चला आता है।
➢➢ *बाप यह पढ़ाई तो कहाँ से पढ़े नहीं हैं। बाप स्वयं ही नॉलेजफुल है।
इनको किसने पढ़ाया है क्या? मनुष्य सृष्टि का वह बीजरूप है और चैतन्य है,
ज्ञान का सागर है।* चैतन्य होने कारण मनुष्य सृष्टि रूपी झाड़ का आदि से
अन्त तक राज़ सुनाते हैं।
➢➢ बाबा हमको पढ़ाते हैं। *तुम समझते हो हम ही विश्व के मालिक थे, फिर 84
जन्म लिये, फिर बाबा विश्व का मालिक बनाने के लिए वही ज्ञान दे रहे हैं। यह
कोई नई बात नहीं है।* अनेक बार देखा है और देखते ही रहेंगे। *कल्प पहले
राज्य लिया था फिर गँवाया अब फिर ले रहे हैं।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम अन्दर में समझते हो बाबा टीचर भी है। अच्छा अगर बाप याद नहीं पड़ता तो टीचर को याद करो।* टीचर कब भूलेगा क्या टीचर से तो पढ़ते रहते हो। *यह सब याद करना भी मनमनाभव है। यह भी तुम्हारे चार्ट में आ सकता है। यह तो बहुत सहज है।* और भल कुछ भी न करो, परन्तु उठते बैठते, चलते फिरते बुद्धि में यह याद रहे। वण्डरफुल चीज़ को याद करना होता है।
➢➢ *सहज याद दिलाने लिए बाबा युक्ति बताते हैं। मामेकम् याद करो तो
आधाकल्प के जो तुम्हारे विकर्म हैं, वह सब योग अग्नि से भस्म हो जायें।*
तुम बच्चे जानते हो यह जो हमारा बेहद का बाप है, उनका कोई भी बाप है नहीं
और यह बेहद का टीचर भी है। इनका कोई टीचर नहीं। *इन देवताओं को किसने पढ़ाया,
यह तो जरूर याद आना चाहिए ना! यह भी मनमनाभव है।*
➢➢ *बाप हर बात की समझानी देते हैं। यह है बेहद की समझानी।* वह है हद की।
यह बेहद की नॉलेज बाबा कल्प-कल्प तुम बच्चों को देते हैं। *अच्छा जास्ती पढ़
नहीं सकते हो तो भला बाबा के रूप से याद करो।* उनका तो कोई बाप है नहीं, वह
सबका बाप है।
➢➢ ऐसी वन्डरफुल चीज़ और कोई होती ही नहीं। कल्प-कल्प तुम बच्चों को ऐसा
बाप आकर मिलता है। तुम बच्चे जानते हो यह साकार बाबा तो पुनर्जन्म में आता
है। *यह 84 का चक्र खाते हैं ततत्वम्, यह खेल है ना। खेल कभी भूला नहीं जाता
है। खेल सदैव याद रहता है।*
➢➢ *तुम सिर्फ मुझे ही याद करो। ऐसी-ऐसी चीजें न देखो, न ख्याल करो।* यह
तो पुरानी दुनिया के छी-छी (गन्दे) शरीर हैं, इनके तरफ क्या देखना है। *एक
बाप को ही देखना है।*
➢➢ *यह बाबा का प्यार कल्प-कल्प का बन जाता है। कहाँ भी बैठे हो बुद्धि
में यह सोचो बाबा हमारा बाप भी है, टीचर भी है, गुरू भी है।* स्वयं ही सब
कुछ है। तब तो सब उनको ही याद करते हैं।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *बाप की यह नॉलेज ही बिल्कुल न्यारी है। तुम्हारे सिवाए कोई समझ न सके। तुम बच्चों को खुशी का पारा चढ़ता है कि हम तमोप्रधान से सतोप्रधान बनें।*
➢➢ तुम समझते हो बाबा को याद करने से, पढ़ाई पढ़ने से हम फिर से विश्व का
मालिक बनते हैं। यह बुद्धि में चलता रहना चाहिए। *भल कहाँ भी बस-ट्रेन आदि
में बैठे हो परन्तु बुद्धि में याद हो।*
➢➢ *सतयुग में कोई याद नहीं करेंगे क्योंकि 21 जन्मों के लिए बाप बेड़ा
पार कर देते हैं। ऐसे-ऐसे सिमरण कर बच्चों को हर्षित होना चाहिए। खुशी होनी
चाहिए कि हम ऐसे बाप की सर्विस करें।*
➢➢ बाबा कहते हैं 16 कला सम्पूर्ण बनने में याद की बहुत मेहनत है। *देखना
है किसको दु:ख तो नहीं देते हैं? हम सुखदाता के बच्चे हैं। सबको सुख देना
है। मन्सा, वाचा, कर्मणा किसको दु:ख नहीं देना है।*
➢➢ माया ग़फलत कराती है वह तुमको पता नहीं पड़ता है। माया आंखों में एकदम
धूल डाल देती है। जो हमको भगवान पढ़ाते हैं, यह एकदम भूल जाते हैं। *अब ऊंच
पद पाने लिए खूब पुरुषार्थ करना है।* ऐसे नहीं स्वर्ग में तो सब जायेंगे।
अगर ज्ञान और योग की धारणा नहीं होगी तो ऊंच पद नहीं मिलेगा।
➢➢ *इस समय तुम जो पढ़ते हो, गुलगुल बनते हो। यह कमाई ही तुम्हारे साथ चलने
वाली है, इसमें कोई किताब आदि पढ़ने की जरूरत ही नहीं।*
➢➢ *बाबा के पास सबका रजिस्टर आता है। उनसे ही बाबा समझ जाता है यह 10 मास
अबसेन्ट रहा, यह 6 मास रहा। कोई तो चलते-चलते पढ़ाई भी छोड़ देते हैं। यह
बहुत वन्डरफुल चीज़ है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *भक्ति मार्ग में टाइम वेस्ट ही होता आया है। कितनी भूलें होती हैं।* भूल करते-करते भोले ही बन गये हैं। *यह लास्ट जन्म 100 परसेन्ट भूलों का ही है। जरा भी बुद्धि काम नहीं करती। अब बाबा तुमको समझाते हैं, तब तुम समझते हो। अभी तुम सब समझ गये हो तो औरों को भी समझाते हो।*
➢➢ मनुष्य तो सिर्फ भगवान-भगवान ही कहते रहते हैं। लेकिन यह नहीं जानते कि
वह बाप है, टीचर भी है। बैठे कितना साधारण हैं। बच्चों का मुखड़ा देखने के
लिए थोड़ा सा ऊपर बैठते हैं। मददगार बच्चों के बिगर हम स्थापना कैसे कर सकते
हैं। *जो जास्ती मदद करते हैं उनको जरूर बाबा लव करेंगे।*
➢➢ लौकिक में भी एक बच्चा 2000 कमाता, दूसरा 1000 कमाता होगा। तो बाप का
लव किस पर रहेगा? परन्तु आजकल तो बच्चे पूछते ही बाप को कहाँ हैं? *बेहद का
बाप भी देखते हैं फलाने-फलाने बच्चे बहुत अच्छे मददगार हैं। बच्चों को
देख-देख बाबा हर्षित होते हैं।*
➢➢ *बाप का सबको परिचय दें। यह बेहद का बाप है। बाप ही स्वर्ग की स्थापना
करते हैं। बाप ही हम सबको साथ भी ले जाते हैं। ऐसी-ऐसी समझानी से सर्वव्यापी
कह नहीं सकेंगे।*
➢➢ *बाप ने कहा है विनाश काले विपरीत बुद्धि विनशन्ति। वह सब खत्म हो
जायेंगे, बाकी तुम विजय पायेंगे।* तुम राजधानी स्थापन कर रहे हो। *आत्माओं
का बाप आत्माओं को बैठ समझाते हैं। तो ऐसी-ऐसी वन्डरफुल बातें सबको सुनानी
चाहिए।*
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