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  21 / 02 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢ *परमात्मा शिवबाबा अपने सालिग्राम बच्चों को समझाते हैं। यह है परमात्मा का अपने बच्चों, आत्माओं प्रति ज्ञान। आत्मा, आत्मा को ज्ञान नहीं देती। परमात्मा शिव बैठ ब्रह्मा सरस्वती और तुम लकी स्टार्स बच्चों प्रति बैठ समझाते हैं। इसलिए इनको परमात्म ज्ञान कहा जाता है।*

➢➢ *परमात्मा तो एक ही है बाकी क्रियेशन है क्रियेटर की।* जैसे लौकिक बाप ऐसे नहीं कहेगा कि यह सब रूप हैं। नहीं। कहेगा यह हमारी रचना है। तो यह रूहानी बाप है जिसे भी पार्ट मिला हुआ है। *वही मुख्य एक्टर, क्रियेटर और डायरेक्टर है।* आत्मा को क्रियेटर नहीं कहेंगे। परमात्मा के लिए कहा जाता है *तुम्हरी गत मत तुम ही जानो।*

➢➢ *देवताओं की रसम-रिवाज़ देखो कैसे सम्पूर्ण निर्विकारी, अहिंसा परमोधर्म है।* *प्यूरीफिकेशन (सम्पूर्ण पवित्रता) सतयुग त्रेता में ही रहती है।* देवतायें ही बहिश्त में रहने वाले हैं, उन्हों को ही ऊंच गाते हैं। जो सूर्यवंशी सतयुग में बनते हैं वही सम्पूर्ण हैं, फिर थोड़ी खाद पड़ जाती है।

➢➢ परमात्मा कहते हैं *मैं जिस साधारण तन में आता हूँ, उसका नाम ब्रह्मा पड़ता है।* वह सूक्ष्म ब्रह्मा है, तो दो ब्रह्मा हो गये। इनका ब्रह्मा नाम रखा गया है क्योंकि कहते हैं साधारण तन में आता हूँ। *ब्रह्मा के मुख कमल से ब्राह्मण रचता हूँ। आदि देव से युमिनिटी रची गई, यह हुआ युमिनिटी का पहला बाबा।* फिर वृद्धि होती जाती है।

➢➢ वास्तव में सब शिव कुमार हैं सालिग्राम। फिर मनुष्य तन में आने से तुम ब्रह्माकुमार ब्रह्माकुमारी कहलाते हो। *ब्रह्माकुमार कुमारियां फिर जाकर विष्णुकुमार कुमारियां बनेंगे।बाप क्रियेट करते हैं फिर पालना भी उनको करनी पड़ती है। ऐसे डियरेस्ट डैड के तुम वारिस हो, उनसे तुम सौदा करते हो। यह (ब्रह्मा बाबा) तो बीच में दलाल है। बाबा।* होली गवर्मेन्ट, वह आये हैं इस गवर्मेन्ट को भी पाण्डव गवर्मेन्ट बनाने।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢ *मैं तुमको सब सम्बन्धों का सुख दूंगा सिर्फ मामेकम् याद करो। यह है मंजिल। मैं सबका डियरेस्ट डैड (प्यारा पिता) भी हूँ, टीचर भी हूँ, गुरू भी हूँ।* तुम समझते हो उस द्वारा हमको जीवनमुक्ति मिलती है।

➢➢ *बाबा की याद में बहुत प्राफिट (फायदा) है। फिर है बाबा की नॉलेज को याद करना। योग में भी प्राफिट, ज्ञान में भी प्राफिट। बाबा को याद करना इसमें है मोस्ट प्राफिट क्योंकि विकर्म विनाश होते हैं। और पद भी ऊंच मिलता है।*

➢➢ गुरू लोग जो भी शास्त्रों आदि की रूहानी शिक्षा देते हैं वह सब है। हद की। *हम किस मनुष्य को गुरू नहीं मानते। हमारा है एक सतगुरू,जो एक ही रथ में आते हैं। घड़ी-घड़ी उनको याद करेंगे तब ही विकर्म विनाश होंगे।*

➢➢ *इस जन्म का एक एक श्वांस मोस्ट वैल्युबुल है। बाबा कहते हैं श्वांसों श्वांस याद में रहो। एक एक श्वांस अमोलक है। तो वेस्ट कैसे कर सकते। जो वेस्ट करते हैं वह पद भ्रष्ट करते हैं।*

➢➢ अब तुमको राजाओं का राजा बनाते हैं। परन्तु बनेंगे तब जब देह सहित देह के सब सम्बन्धों से नाता तोड़ेंगे। *बाबा मैं तुम्हारा ही हूँ, बस। यह तो निश्चय है हम सो प्रिन्स बनते हैं।*

➢➢ *उन सब गुरूओं की तो अपनी-अपनी अलग मत है इसलिए परमात्मा आकर एक मत देते हैं। वह है। मोस्ट बिलवेड। उस एक के साथ बुद्धियोग लगाना है, और जिनके भी साथ तुम्हारी प्रीत है वह सब धोखा देने वाली है इसलिए उन सबसे बुद्धि निकालनी है।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢ यहाँ प्युरिटी बहुत चाहिए। सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पन्न यहाँ बनना है। रिहर्सल यहाँ होगी फिर वहाँ प्रैक्टिकल पार्ट बजाना है। *अपनी जांच करनी है - कोई विकर्म तो नहीं करते हैं? संकल्प तो बहुत आयेंगे, माया बहुत परीक्षा लेगी, डरना मत। बहुत नुकसान होंगे, धन्धा नहीं चलेगा, टांग टूट जायेगी, बीमार हो पड़ेंगे.... कुछ भी हो जाए बाबा का हाथ नहीं छोड़ना।*

➢➢ परमात्मा शिव को अन्तर्यामी कहा जाता है, हर एक बच्चे का रजिस्टर वह देख सकते हैं। *हम बच्चों के अन्दर को जानने वाला है इसलिए छिपाना नहीं चाहिए।* ऐसे भी चिट्ठी लिखते हैं कि बाबा हमारे से भूल हुई है माफ करना। धर्मराज की दरबार में सजा नहीं देना। जैसेकि डायरेक्ट शिवबाबा को लिखते हैं। बाबा के नाम पर इस पोस्ट बाक्स में चिट्ठी डाल देते हैं। *भूल बताने से आधी सजा कम हो जायेगी।*

➢➢ *जो जितना प्योर (पवित्र) होगा उतनी धारणा होगी। इमप्योरिटी से धारणा कम होगी। प्योरिटी फर्स्ट।*

➢➢ *क्रोध का भी भूत रह जाता है तो माया से हार खा लेते हैं। यह युद्ध है ना। उस्ताद को पूरा हाथ देना है। नहीं तो माया बड़ी प्रबल है।* जिनका हाथ में हाथ है उनके लिए ही बरसात है।

➢➢ जैसे बाबा साक्षी हो पार्ट भी बजाते हैं, देखते भी हैं। यह तो समझ सकते हो कि माँ *बाप और लकी स्टार्स जो अनन्य हैं। उनको ही फालो करना है।* यह तो समझाया है *मुरली पढ़ना कभी नहीं छोड़ना।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢ *यह अविनाशी ज्ञान खजाना है, यह खजाना ट्रांसफर हो फिर 21 जन्म के लिए अविनाशी धन मिल जाता है। 21 जन्म हम बहुत मालामाल हो जाते हैं। राजाओं का राजा बनते हैं। इस अविनाशी धन का दान करना है।* आगे तो विनाशी धन दान करते थे तो अल्पकाल क्षण भंगुर सुख दूसरे जन्म में मिलता था। कहा जाता है पास्ट जन्म में कुछ दान पुण्य किया है जिसका फल मिला है।

➢➢ ब्रह्मा की जो इतनी भुजायें दिखाते हैं, समझते हैं यह जो ब्रह्मा के बच्चे हैं वह जैसे इनकी बांहे हैं। *ब्रह्मा की भुजा बन इस सर्व आत्माओ को परमात्म सन्देश पहुचाने की सेवा करनी है।* बाकी यह काली आदि कुछ नहीं है, जैसे कृष्ण को काला कर दिया है वैसे काली का भी चित्र काला कर दिया है। यह जगदम्बा भी ब्राह्मणी है।

➢➢ *यह है हमारी ऊंच सर्विस। गवर्मेन्ट की प्रजा को हम मनुष्य से देवता बनाते हैं बाबा की मदद से।* तो हम उन्हों के सर्वेन्ट हैं ना। *हम वर्ल्ड सर्वेन्ट हैं, हम बाबा के साथ आये हैं सारी दुनिया की सर्विस करने।* हम कुछ लेते नहीं हैं। विनाशी धन, महल आदि हम क्या करेंगे। हमको तो सिर्फ 3 पैर पृथ्वी चाहिए।

➢➢ *तुम बच्चों को अभी सच्चा-सच्चा ज्ञान मिल रहा है, शास्त्रों के ज्ञान को ज्ञान नहीं कहेंगे, वह भक्ति है। ज्ञान माना सद्गति। सद्गति माना मुक्ति-जीवनमुक्ति।* जब तक जीवनमुक्त नहीं हुए हैं तब तक मुक्त भी नहीं हो सकते। हम जीवन-मुक्त होते हैं। बाकी सब मुक्त होते हैं। तब तो कहते हैं तुम्हरी गत मत तुम ही जानों। *सबको मुक्ति जीवनमुक्ति का रास्ता बताना है।*

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