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  17 / 01 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *मनुष्य को भगवान कभी भी नहीं कहा जा सकता।* यह है मनुष्य सृष्टि और ब्रह्मा विष्णु शंकर हैं सूक्ष्मवतन में। *शिवबाबा है आत्माओं का अविनाशी बाप।* अविनाशी माना जिसका आदि-मध्य-अन्त नहीं है। 


 

➢➢  *परमपिता परमात्मा ही ब्रह्मा द्वारा नई दुनिया स्थापन करते हैं।* अभी है पतित प्रजा का प्रजा पर राज्य, इनका नाम ही है कब्रिस्तान। माया ने खत्म कर दिया है। 

 

➢➢  बाप है पतित-पावन। एक है मुक्तिधाम पावन, दूसरा है जीवन मुक्तिधाम पावन। फिर द्वापर के बाद सभी पतित बन जाते हैं। *पाँच तत्व आदि सब तमोप्रधान बन जाते हैं फिर बाप आकर पावन बनाते हैं फिर वहाँ पवित्र तत्वों से तुम्हारा शरीर गोरा बनता है।* नेचुरल ब्युटी रहती है। 


➢➢  झाड़ को देखेंगे मठ पंथ सब बाद में आते हैं। *मुख्य है ब्राह्मण वर्ण, देवता वर्ण, क्षत्रिय वर्ण... ब्राह्मणों की चोटी मशहूर है।* यह ब्राह्मण वर्ण सबसे ऊंचा है जिसका फिर शास्त्रों में वर्णन नहीं है। विराट रूप में भी ब्राह्मणों को उड़ा दिया है। ड्रामा में ऐसी नूँध है। दुनिया के लोग यह नहीं समझते कि भक्ति से नीचे उतरते हैं। 


➢➢  बाप को सर्वव्यापी कहने से ब्रदरहुड उड़ जाता है। भारत में कहते तो बहुत अच्छा हैं - हिन्दू चीनी भाई-भाई, चीनी मुस्लिम भाई-भाई। भाई-भाई तो हैं ना। एक बाप के बच्चे हैं। इस समय तुम जानते हो हम एक बाप के बच्चे हैं। 


➢➢  यह ब्राह्मणों का सिजरा फिर से स्थापन हो रहा है। *इस ब्राह्मण धर्म से देवी-देवता धर्म निकलता है।* देवी-देवता धर्म से क्षत्रिय धर्म। क्षत्रिय से फिर इस्लामी धर्म निकलेगा... सिजरा है ना। फिर बौद्धी, क्रिश्चियन निकलेंगे। ऐसे वृद्धि होते-होते इतना बड़ा झाड हो गया है। *यह है बेहद का सिजरा।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप फरमान करते हैं - उठते बैठते मुझे याद करो।* आगे तुम पुजारी थे। शिवाए नम: कहते थे। अब बाप कहते हैं तुम पुजारियों ने नम: तो बहुत बारी किया। अब तुमको मालिक, पूज्य बनाता हूँ। पूज्य को कभी नम: नहीं करना पड़ता। पुजारी नम: अथवा नमस्ते कहते हैं। 

 

➢➢  अब तो तुमको सारी सृष्टि का मालिक बनना है। *बाप को ही याद करना है।* कहते भी हैं वह सर्व समर्थ है। कालों का काल, अकालमूर्त है। सृष्टि का रचयिता है। ज्योर्तिबिन्दु स्वरूप है। 


➢➢  *अमृतवेले के शुद्ध और शान्त समय में उठकर बाप को याद करना है।* देह सहित सब कुछ भूलने का अभ्यास करना है।


➢➢  *बाप समझाते हैं मीठे-मीठे बच्चे शिवबाबा को और वर्से को याद करते रहो।* बाबा आप बहुत मीठे हो, कमाल है आपकी, ऐसे-ऐसे महिमा करनी चाहिए बाबा की। तुम बच्चों को ईश्वरीय लाटरी मिली है। *अब मेहनत करनी है ज्ञान और योग की।* इसमें जबरदस्त प्राइज़ मिलती है |

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बेहद का पक्का सन्यासी बनना है, किसी भी चीज़ में लोभ वृत्ति नहीं रखनी है।*


➢➢  अब बाप फिर स्थापना करते हैं। *तुम बच्चों को खुशी का पारा चढ़ना चाहिए। अब नाटक पूरा होता है। हम अब जा रहे हैं। हम स्वीट होम में रहने वाले हैं।*


➢➢  *बाप फरमान करते हैं - उठते बैठते मुझे याद करो।* आगे तुम पुजारी थे। शिवाए नम: कहते थे। अब बाप कहते हैं तुम पुजारियों ने नम: तो बहुत बारी किया। अब तुमको मालिक, पूज्य बनाता हूँ। 


➢➢ शरीर निर्वाह अर्थ कर्म भी भल करो। *जो कुछ समय मिले तो मुझे याद करने का पुरुषार्थ करो।* यह एक ही तुमको युक्ति बताते हैं। सबसे जास्ती मेरी याद तुमको अमृतवेले रहेगी क्योंकि वह शान्त, शुद्ध समय होता है।


➢➢  यह है बेहद का सिजरा, वह होता है हद का। यह डीटेल की बातें जिसको धारण नहीं हो सकती, उनके लिए बाप सहज युक्ति बताते हैं कि बाप और वर्से को याद करो, तो स्वर्ग में जरूर आयेंगे। बाकी *ऊंच पद प्राप्त करना है तो उसके लिए पुरुषार्थ करना है।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम आत्माओं को विकारों की बीमारी से छुड़ाने के लिए ज्ञान का इंजेक्शन लगाना हैं।* तुम हो रूहानी सोशल वर्कर। मनुष्य जिस्मानी सेवा करते लेकिन ज्ञान इंजेक्शन देकर आत्मा को जागती-ज्योत नहीं बना सकते। यह सेवा बाप ही बच्चों को सिखलाते हैं।


➢➢  *बाप को कहा जाता है लिबरेटर, पतित-पावन। पावन दुनिया है ही स्वर्ग। उनको बाप के सिवाए कोई बना न सके। अब तुम बाप की श्रीमत पर भारत की तन मन धन से सेवा करते हो।* 


➢➢  *जैसे आत्मा बिन्दु है वैसे परमपिता परमात्मा भी बिन्दु है। वह भी कहते मैं पतितों को पावन बनाने साधारण तन में आता हूँ। आकर बच्चों का ओबीडियेन्ट सर्वेन्ट बन सर्विस करता हूँ।* मैं रूहानी सोशल वर्कर हूँ। तुम बच्चों को भी रूहानी सेवा करना सिखलाता हूँ। 


➢➢  पास्ट सो पास्ट कर इस अन्तिम जन्म में बाप को पवित्रता की मदद करनी है। *तन-मन-धन से भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में लगना है।*

 

➢➢  *बाप कहते हैं मैं हूँ निराकार, मेरी महिमा भी गाते हैं - हे पतित-पावन आकर इस भारत को फिर से सतयुगी दैवी राजस्थान बनाओ। कोई समय दैवी राजस्थान था। अभी नहीं है। फिर कौन स्थापन करेगा? परमपिता परमात्मा ही ब्रह्मा द्वारा नई दुनिया स्थापन करते हैं।*

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