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❍ 18 / 03 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *हर होलीहंस ज्ञानी तू आत्मा, योगी तू आत्मा, विश्व कल्याणकारी है।* हर एक के दिल में दिलाराम बाप की याद समाई हुई है। हर एक अपने वर्तमान और भविष्य को बनाने में लगन से लगे हुए हैं। ऐसा श्रेष्ठ संगठन सारे कल्प में सिवाए संगमयुग के कभी नहीं देख सकते।
➢➢ हरेक बच्चा कुल का दीपक है। विश्व परिवर्तन करने के निमित्त आत्मा है। हर एक चमकता हुआ सितारा विश्व को रोशनी देने वाला है। *हर एक के भाग्य की अविनाशी लकीर मस्तक पर दिखाई दे रही है। ऐसा श्रेष्ठ संगठन विश्व में एक मत, एक राज्य, एक धर्म की स्थापना करने के दृढ़ संकल्पधारी है।*
➢➢ चाहे कुमार हैं, चाहे कुमारी हैं लेकिन हरेक के मन में उमंग-उत्साह है कि *हम सभी अपने विश्व को वा देश को वा सुख-शान्ति के लिए भटकती हुई आत्माओं अर्थात् अपने भाई बहनों को सुख और शान्ति का अधिकार अवश्य दिलाएँगे।*
➢➢ *एक तो श्रेष्ठ आत्मायें, पवित्र आत्मायें हो तो पवित्रता की शक्ति है, दूसरा- मास्टर सर्वशक्तिवान होने के कारण सर्वशक्तियाँ साथ हैं।* संगठन की शक्ति है, साथ-साथ त्रिकालदर्शी होने के कारण जानते हो कि अनेक बार हम विश्व परिवर्तक बने हैं इसलिए कल्प-कल्प के विजयी होने के कारण अब भी विश्व परिवर्तन के कार्य में विजय निश्चित है।
➢➢ निश्चयबुद्धि विजयी - ऐसे अनुभव करते हो ना कि सुख का संसार अभी आया कि आया। *विश्व कें मालिको को विश्व का राज्य निश्चित ही प्राप्त हुआ पड़ा है।*
➢➢ *कुमारियाँ कोई के भी चक्र में फँसने वाली नहीं। जब चक्र से निकल चुकी, स्वतन्त्र हैं तो सेवा करेंगी।* उन्हें नौकरी टोकरी का कोई फिकर नहीं।
➢➢ *स्वतन्त्रता सभी को प्रिय लगती है। अज्ञान में भी सबका लक्ष्य यही रहता कि हम स्वतन्त्र रहें इसलिए स्वतन्त्र आत्मा हूँ।* यह स्वतन्त्रता का वरदान आप सबको प्राप्त है।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *खूब खुशी में नाचो-गाओ, वाह! हमारा श्रेष्ठ भाग्य। कभी भी दुःख की लहर न आये।* सभी ने दुःखधाम को छोड़ दिया है ना। बस हम संगमयुगी हैं, सदा सुखधाम, शान्तिधाम तरफ आगे बढत़े रहना।
➢➢ *सदा भाग्य को स्मृति में रखते हुए आगे बढ़ते चलो।* संगमयुग में विशेष लिफ्ट की गिफ्ट कुमारियों को मिलती है।
➢➢ सबसे सहज *‘‘मेरा बाबा कहो बस। मेरा बाबा कहने से अनुभव करने से सर्व प्राप्तियाँ हो जायेंगी।* माताओं को विशेष खुशी होनी चाहिए कि हमारे लिए खास बाप आये हैं। और जो भी आये उन्होंने पुरुषों को आगे किया।
➢➢ कुमारों की बुद्धि में एक ही बात सदा रहती है कि मेरा बाबा और मेरी सेवा और कोई बात नहीं। जिनकी बुद्धि में सदा बाबा और सेवा है वह सहज ही मायाजीत बन जाते हैं। *सिर्फ कुमारों को एक बात अटेन्शन में रखनी है - सदा अपने को बिजी रखो, खाली नहीं।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अब जगत की मातायें बन जगत का कल्याण करो।* सिर्फ लौकिक परिवार की जिम्मेवारी निभाने वाली नहीं चाहे *निमित्त कहाँ भी रहते हो लेकिन स्मृति में विश्व सेवा रहे।*
➢➢ *जैसे कर्म की दिनचर्या सेट करते हो ऐसे बुद्धि की भी दिनचर्या सेट करो।* अभी यह सोचना है, यह करना है, दिनचर्या सेट होगी तो उसी प्रमाण बिजी हो जायेंगे।
➢➢ *बुद्धि को बिजी करने के साधन सदा अपनाओ - जैसे शरीर को बिजी करने के साधन हैं, ऐसे बुद्धि से सदा याद में, नशे में बिजी रहो।* सदाकाल के लिए नियम बना दो। जैसे और नियम बने हैं, यह भी एक नियम बनाओ, बस करना ही है, इसी दृढ़ निश्चय से जो कमाल करने चाहो वह कर सकते हो।
➢➢ जो भी सेवायें होती हैं उसमें कुमारों का विशेष पार्ट होता है। *तो विशेष पार्ट लेने वाली विशेष आत्मायें हैं, यह नशा रखो, इसी खुशी में रहो। कुछ करके दिखाना, सिर्फ कहकर नहीं।* सेवा के उमंग उत्साह वाले हैं, निश्चय बुद्धि हैं।
➢➢ *कुमारियों को भाषण करना अवश्य सीखना चाहिए। सभी पढ़ाई पढत़े भी तैयार होती जाओ।* पढ़ाई पूरी होते ही सेवा में लग जाना।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *अपने देश को श्रेष्ठ बनाकर दिखायेंगे, ऐसा माला-माल बनायेंगे जो अप्राप्ति के कारण सर्व समस्याएँ न हों। यही दृढ़ संकल्प सभी को सिर्फ सुनाओ नहीं लेकिन परिवर्तन का सैंपल बनकर दिखाओ क्योंकि सब तरफ से विश्वास दिलाने के नारे सबने बहुत सुने हैं।* इतने सुने हैं जो सुनकर विश्वास ही निकल गया है। इसलिए सिर्फ मुख बोले नहीं लेकिन आपके जीवन की श्रेष्ठता बोले।
➢➢ जो आज के नेतायें युवा वर्ग से विनाशकारी कर्तव्यों के कारण घबराते हैं। *तो आप सभी विश्व कल्याणकारी उन्हों को यह सिद्ध करके दिखाओ कि इसी देश के हम युवा वर्ग अपने देश को विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्वर्ग का स्थान बनायें। विश्व को दिखाएँगे कि भारत ही प्राचीन अविनाशी, सर्व सम्पन्न, सर्वश्रेष्ठ देश है। अपने जीवन से, कर्तव्य से, बाप का परिचय कराओ।*
➢➢ *शिव शक्तियों अपने भक्तों को फल तो दो। वो बेचारे फल चढ़ाते-चढ़ाते थक गये हैं। सब शक्ति की इच्छा से ही भक्ति कर रहे हैं। ऐसे भक्त आत्माओं को सर्वं शक्तियों का फल दो। सदा के लिए विघ्नों से पार करने का सहज रास्ता बताओ।* सभी पुकार से छुड़ाए प्राप्ति स्वरूप बनाओ - ऐसी सेवा युवा वर्ग करके दिखाओ।
➢➢ *रेस करो, महादानी बनो। निश्चय से करो, ऐसे नहीं सोचो धरनी ऐसी है। अब समय बदल गया, समय के साथ धरनी भी बदल रही है।* पहले के धरनी की जो रिजल्ट थी, वह अभी नहीं। आत्माओं की इच्छा भी बदल रही है, सब आवश्यकता अनुभव कर रहे हैं। महादानी बनो। वाचा नहीं तो मंसा, मंसा नहीं तो कर्मणा।
➢➢ कर्म द्वारा किसी आत्मा को परिवर्तन करना, यह है कर्मणा। *रोज़ रिजल्ट निकालो मंसा, वाचा, कर्मणा क्या सेवा की, कितनों की सेवा की।* स्वयं और सेवा दोनों की रफ्तार में आगे बढ़ो। *सेन्टर खोला, गीता पाठशाला खोली, मेला किया, यह तो पुरानी बातें हो गई, नया कुछ निकालो। लक्ष्य रखो, अपने में और सेवा में कोई न कोई नवीनता जरूर लानी है।*
➢➢ सदा बाप की हूँ, बेहद की हूँ, इसी स्मृति में सर्व आत्माओं के प्रति शुभ संकल्प द्वारा सेवा करते चलो। *मुख द्वारा किसको भल समझाओ लेकिन शुभ भावना का बल भी उस आत्मा को दो। मंसा वाचा दोनों इकट्ठी सेवा हों।*
➢➢ *माताओं को सेवा के मैदान पर आना चाहिए। एक-एक माता एक-एक सेवाकेन्द्र सम्भाले। अगर फुर्सत नहीं है तो आपस में दो-तीन का ग्रुप बनाओ।* ऐसे नहीं घर का बन्धन है, बच्चे हैं। जिनकी मातायें सोशलवर्कर होती हैं उनके भी तो बच्चे होते हैं ना। तो अब अपने आपको हैन्डस बनाओ और सेवा को बढ़ाओ।
➢➢ *निमित्त मात्र यह पढ़ाई जो रही है वह करते भी सदा सेवा की स्मृति रहे। पढ़ाई पढत़े समय भी यह लक्ष्य रहे कि कौन-सी ऐसी आत्मा है जिसे बाप का बनाये।* पढ़ाई पढत़े-पढत़े परखते रहो कि कौन-सी आत्मायें योग्य हैं। तो वहाँ भी सेवा हो जायेगी।
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