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❍ 25 / 03 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ सभी अपने को ताज व तख्तधारी समझते हो ना! *सभी बेहद की सेवा के जिम्मेवारी के ताजधारी हो ना। बेहद का ताज अर्थात् बेहद की स्मृति स्वरूप में स्थित हो।* बेहद की जिम्मेवारी के ताजधारी।
➢➢ हर एक बेहद के ताजधारी बच्चे की लाइट और माइट की किरणें बेहद में फैली हुई हैं। *हद से निकल बेहद के बादशाह बन गये ना। जब देह के हद की स्मृति से भी पार हो गये तो देह सहित देह के साथ सर्व हदों से पार हो गये।*
➢➢ जब तक "यह नया ज्ञान है" यह प्रत्यक्ष नहीं हुआ है तो ज्ञानदाता कैसे प्रत्यक्ष हो। पहले ज्ञान आता है फिर दाता आता है। तो *ज्ञान दाता ऊंचे ते ऊंचा है या एक ही वह ज्ञान दाता है, यह सिद्ध कैसे होगा? इस नये ज्ञान से ही सिद्ध होगा।*
➢➢ *आत्मा क्या कहती और परमात्मा क्या कहता है, यह अन्तर जब तक मनुष्यों की बुद्धि में न आये तब तक जो भी तिनके के सहारे पकड़े हुऐ हैं वह कैसे छोड़ेंगे और एक का सहारा कैसे लेंगे!* अभी तो छोटे-छोटे तिनकों के सहारे पर चल रहे हैं, वो ही अपना आधार समझ रहे हैं। जब तक उन्हों को ज्ञान द्वारा ज्ञानदाता का सहारा अनुभव नहीं हो तब तक इस हद के बन्धनों से मुक्त हो नहीं सकते।
➢➢ *अभी तक धरनी बनाने की, वायुमण्डल परिवर्तन करने की सेवा हुई है।* अच्छा कार्य है, परिवार का प्यार है, यह प्यार का गुण वायुमण्डल को परिवर्तन करने के निमित्त बना। *धरनी तो बन गई और बनती जायेगी। लेकिन जो फाउन्डेशन है, नवीनता है, बीज है, वह है नया ज्ञान।*
➢➢ *यह आवाज बुलन्द हो कि दुनिया सारी एक तरफ है और बी.के. दूसरे तरफ हैं। यह नया ज्ञान देने वाले अथॉरिटी हैं। यह अथॉरिटी प्रसिद्ध हो।* इसी से ही शक्तिशाली आत्मायें आगे आयेंगी जो आपके तरफ से ढ़िढ़ोरा पिटवायेंगी। आपको ढ़िढ़ोंरा नहीं पीटना पड़ेगा लेकिन ऐसी आत्मायें सैटिस्फाय हो नई बात जान, नये उमंग में आकर ढ़िढ़ोंरा पीटेंगी।
➢➢ अगर वरदान भूमि में आकर भी सिर्फ कहें शान्ति बहुत अच्छी है, प्यार बहुत अच्छा है। सिर्फ यह थोड़ी बहुत झोली भरकर चले गये तो वरदान भूमि पर आकर विशेष क्या ले गये। *नया ज्ञान भी तो सिद्ध करना है ना। इसी नये ज्ञान की अथॉरिटी द्वारा ही आलमाइटी अथॉरिटी सिद्ध होगा। देने वाला कौन! प्रेम और शान्ति मिलने से इतना जरूर समझते हैं कि इन्हों को बनाने वाला कोई श्रेष्ठ है। लेकिन स्वयं भगवान है, यह बहुत कोई विरला समझते।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ (शिव बाबा)एक एक बच्चे को विशेष आत्मा, सम्पूर्ण आत्मा, सम्पन्न आत्मा, समान आत्मा देखने चाहते। *बाप ब्रह्मा को कहते हैं धैर्य धरो। लेकिन ब्रह्मा को उमंग बहुत होता है ना, इसलिए वह बाप से यही रूहरिहान करते कि बच्चे हाथ में हाथ दे मेरे समान बन जाऍ।*
➢➢ (दो चार भाई बहनें बापदादा से छुट्टी लेने आये) स्नेह का रेसपान्ड तो मिल गया ना। *सच्ची दिल पर साहेब सदा राजी है। आदि से सच्ची लगन में रहने वाली आत्मायें हो इसलिए बाप भी सच्चों को सदा स्नेह का रेसपान्ड देता रहता है।*
➢➢ *सदा दिल में बाप ही समाया हुआ है इसलिए अच्छे तीव्र पुरुषार्थ में चल रहे हो। कर्मयोगी आत्मा हो ना।*
➢➢ *कर्म और योग कम्बाइण्ड है ना। सदा बैलेन्स रख, बाप की ब्लैसिंग को लेने वाले और सदा ब्लिसफुल जीवन में रहने वाले, ऐसी श्रेष्ठ आत्मा हो।* बाप सदा हर बच्चे प्रति यही शुभ आश रखते हैं कि यह विजय माला के मणके हैं।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *ब्रह्मा बाप के स्नेह का प्रत्यक्ष स्वरूप है फालो ब्रह्मा फादर।*
➢➢ ब्राह्मण तो बने हैं लेकिन कोई प्यार के आधार पर कोई ज्ञान और प्यार दोनों के आधार पर। तो दोनों में स्थिति का अन्तर है ना। *जो प्यार को भी ज्ञान से समझते हैं वह निर्विघ्न चलेंगे।* जो सिर्फ प्यार के आधार पर चलते वह शक्तिशाली आत्मा नहीं होंगे।
➢➢ *ज्ञान का बल जरूर चाहिए।* जो भी आते हैं वो समझें कि यह नया ज्ञान, नई बात है। जो कोई ने नहीं सुनाई वह यहाँ सुनी। यह वर्णन करें कि यह देने वाला अथॉरिटी है।
➢➢ *मनन शक्ति, ज्ञान की शक्ति वाले की होगी। जितनी मनन शक्ति होगी उतनी बुद्धि के एकाग्रता की शक्ति आटोमेटिकली आयेगी।*
➢➢ *जहाँ बुद्धि की एकाग्रता है वहाँ परखने की और निर्णय करने की शक्ति स्वत: आती है।* जहाँ ज्ञान का फाउन्डेशन नहीं होगा वहाँ परखने की शक्ति, निर्णय करने की शक्ति कमजोर होगी क्योंकि एकाग्रता नहीं।
➢➢ *ब्रह्मा बाप के साकार जीवन की आदि से लेकर क्या विशेषता देखी। कब नहीं लेंकिन अभी करना है। कब शब्द न सुनने के, न सुनाने के संस्कार रहे।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *विशेष सेवा ही है हद से बेहद में ले जाना। ब्रह्मा बाप अव्यक्त क्यों बनें? हद से निकाल बेहद में ले जाने के लिए।*
➢➢ *ब्रह्मा बाप अपने राइट हैण्ड बच्चों को, अपनी विशेष भुजाओं को अव्यक्त वतन से, बेहद के सेवास्थान से बाहें पसार कर हाथ में हाथ मिलाने के लिए बुला रहे हैं।* ब्रह्मा बाप का बच्चों से स्नेह है। तो ब्रह्मा बाप बुला रहे हैं कि बच्चे, बेहद में आ जाओ। यह आवाज सुनते हो?
➢➢ *एक ही लहर ब्रह्मा बाप की सदा रहती है कि (बच्चे) मेरे समान बेहद के ताजधारी बन चारों ओर प्रत्यक्षता की लाइट और माइट ऐसी फैलावें जो सर्व आत्माओं को निराशा से आशा की किरण दिखाई दे।*
➢➢ जैसे साइन्स वाले साइन्स के आधार से आकाश के तारामण्डल का अनुभव कराते हैं। ऐसे *यह धरती(मधुबन) का चैतन्य तारामण्डल दूर वालों को भी अनुभव हो। इस शुभ आशा को पूर्ण करने वाले आप सभी निमित्त आत्मायें हो।*
➢➢ *मुख्य एक सेवा अभी भी रही हुई है* क्योंकि आप कितनी बड़ी अथॉरिटी वाले हो और कितने प्रकार की अथॉरिटी वाले हो, *ज्ञान की अथॉरिटी, योगबल की अथॉरिटी, श्रेष्ठ धारणा स्वरूप की अथॉरिटी, डायरेक्ट बाप के वारिसपन की अथॉरिटी, विश्व परिवर्तन करने के निमित्त बनने की अथॉरिटी।* कितनी अथॉरिटी है।
➢➢ *नई दुनिया के लिए धरनी तो बना रहे हो। लेकिन नई दुनिया का आधार - यह नई नॉलेज है।* पहली महिमा क्या आती है? ज्ञान का सागर कहते हो ना। *तो जो पहली महिमा है ज्ञान, उस नये ज्ञान को दुनिया के आगे प्रत्यक्ष किया है?*
➢➢ *अभी जो मुख्य बात है - नया ज्ञान है, उसका आवाज बुलन्द हो। आज तक जिन बातों की सभी ने 'हाँ' की, उन बातों के लिए बी.के. आलमाइटी अथॉरिटी 'ना' सिद्ध करके बताती हैं।* जो वे ना कहते आप हाँ कहते हो, तो हाँ और ना का रात दिन का अन्तर है ना। *तो इस महान अन्तर को सिद्ध करने वाली महान आत्मायें हैं, यह नाम अब प्रत्यक्ष करो तब जयजयकार होगी।*
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