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  15 / 03 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बच्चे कहने वाला एक तो है परमपिता, जिसको परम आत्मा यानी परमात्मा कहा जाता है, हम सब बच्चे है। *हम बाबा की श्रीमत से श्रेष्ठ बन रहे हैं। बाकी सब मनुष्य मत से भ्रष्ट ही बनते जाते हैं।*

 

➢➢  *बाप द्वारा तुम बच्चों ने हम सो, सो हम का अर्थ समझा है। हम सो आत्मा परमधाम की रहवासी हैं।* यहाँ आकर पार्ट बजाते हैं।

 

➢➢  *अब तुम जानते हो अभी हम सो ब्राह्मण हैं फिर हम सो देवता बनेंगे। 84 जन्मों का पूरा हिसाब-किताब बुद्धि में है। अभी हम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हैं। पहले हम शूद्र कुल के थे, अभी हम ब्राह्मण कुल के बने हैं। यह भी तुम ब्राह्मण ही जानते हो। देवी-देवता धर्म वाले तो कोई हैं नहीं।

 

➢➢  तुम बच्चे मनुष्य से देवता बनने के लिए इस पाठशाला में पढ़ते हो। *तुम जानते हो कि हमको बेहद का बाप पढ़ाते हैं। वह बाप भी है तो टीचर भी है।*

 

➢➢  *बच्चे जानते हैं ज्ञान सागर जो पतित-पावन है, वही ज्ञान अमृत पिलाकर पावन बनाते हैं। गाते भी हैं पतित-पावन आओ।* तो जरूर यह पतित दुनिया है और पावन दुनिया भी है, *नई दुनिया नये घर को पावन कहेंगे। फिर वही घर पुराना होना ही है।*

 

➢➢  अब तुम बच्चे नई दुनिया भी देख रहे हो और उसके लिए पढ़ते हो। *मनुष्य भी समझते हैं विनाश होना है, महाभारी लड़ाई लगनी है। परन्तु फिर क्या होगा, यह नहीं जानते क्योंकि गीता के भगवान को द्वापर में ले गये हैं।*

 

➢➢  *राजयोग तो गीता के भगवान ने सिखलाया। कृष्ण तो सिखला न सके।* गीता में कृष्ण का नाम डाल उसको द्वापर में ले गये हैं। यह है मुंझारा। हम तुम भी इस मुंझारे में थे, अब निकल आये हैं। *मनुष्य तो दुर्गति को पाये हुए हैं, हम अब ज्ञान से सद्गति दिन में जा रहे हैं।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप कहते हैं तुम सिर्फ बाप और वर्से को याद करो। बस। अगर बीच में बुद्धि और तरफ चली जाती है तो उनको हटाओ।*

 

➢➢  *यह याद ही तुमको स्वर्ग का मालिक बनायेगी। कितना सस्ता सौदा है।* वो गुरू लोग तो बहुत धक्के खिलाते हैं। एक ही सतगुरू जब आते हैं। तो फिर कोई गुरू करने की दरकार नहीं रहती है। गुरूपना ही निकल जाता है। सभी सद्गति को पा लेते हैं।

 

➢➢  *बाप कहते हैं मैं सभी को सुख देकर जाता हूँ तब भक्ति मार्ग में मुझे याद करते हैं*।

 

➢➢  *गृहस्थ व्यवहार में रहते, खाते-पीते सिर्फ बाप और वर्से को याद करना है।*

 

➢➢  *भल अपने घर जाओ आओ सिर्फ गुप्त रीति से बुद्धि से याद करो।* मुख से राम-राम अथवा शिवाए नम: कहने की भी दरकार नहीं। सिर्फ बाप को याद करना है।

 

➢➢  *बाबा आप तो हमको विश्व का मालिक बनाते हैं। आप विश्व के रचयिता हैं। तुम तो सिर्फ बाप को याद करते हो।* बस और कोई हठयोग आदि की बात नहीं । तुम बाप के बने हो जानते हो बाबा नये विश्व का रचयिता है। *बाबा परमधाम से आये हैं। मोस्ट बिलवेड बाप है, सब उनको याद करते हैं।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *न काम कटारी की हिंसा, न हाथ पांव चलाने की, न गोली मारने की हिंसा। तुमको कोई हथियार आदि नहीं उठाना है।*

 

➢➢  *बाप कहते हैं जिन्न के मुआफ़िक याद करते रहो। बस बाप और स्वर्ग को याद करो, यही हमारी सेवा करो। हम तुम्हारी सेवा करते हैं - याद कराने की। तुम फिर याद करने की सेवा करो।* यह राय अंगीकार (स्वीकार) करो। यही मेरी मदद है। हिम्मते मर्दा मददे खुदा।

 

➢➢  जो बैठ पढ़ते हैं, जिनको फिर देवता बनना है। *जो बाप से प्रतिज्ञा करते हैं, पवित्र बनते हैं और स्वदर्शन चक्रधारी बनते हैं - वही राज्य-भाग्य लेंगे।* सब तो नहीं लेंगे।

 

➢➢  *सिर्फ बाप को याद करो। बाबा है गुप्त, ज्ञान का सागर।* सारे इस सृष्टि चक्र का उनको पता है । उनको कहा जाता है परम आत्मा। *हम आत्मा है, हमको उस बाप से ज्ञान मिल रहा है। इन सब बातों को धारण कर और फिर कराना चाहिए।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बाप सब वेदों ग्रंथों को जानते हैं। सबका सार समझाते हैं। बाप कहते हैं यह वेद शास्त्र जप तप आदि सब है भक्ति कल्ट। यह है ज्ञान कल्ट। भक्ति की आयु अभी पूरी होती है, फिर बाप आकर ज्ञान दे पतितों को पावन बनाते हैं।*

 

➢➢  *बाबा देवता धर्म की फिर से स्थापना कर रहे हैं और सभी धर्म विनाश होने हैं। महाभारी लड़ाई भी सामने खड़ी है। यह हिस्ट्री-जॉग्राफी का राज़ गीता का भगवान बैठ समझाते हैं। भगवान की महिमा अलग, कृष्ण की महिमा अलग है। कृष्ण को मनुष्य सृष्टि का बीजरूप, वर्ड आलमाइटी अथॉरिटी नहीं कहेंगे।*

 

➢➢  *भक्ति भी पहले अव्यभिचारी होती है। वेरी गुड भक्ति। एक की ही पूजा करते फिर सेकेण्ड ग्रेड में देवताओं की करते, फिर तो कुत्ते बिल्ली पत्थर मिट्टी आदि 5 भूतों की भी भक्ति करने लग पड़ते। उनको कहा जाता है व्यभिचारी भक्ति।*

 

➢➢  *सतयुग में गुरू कोई होता नहीं। वहाँ अकाले मृत्यु कभी होता नहीं। हेल्थ वेल्थ और हैपीनेस 21 जन्मों के लिए मिलती है।*

 

➢➢  *बाप कहते हैं मैं ज्ञान सागर हूँ और कोई भी ज्ञान दे न सके। ज्ञान सागर एक को ही कहा जाता है। फिर उनसे ज्ञान गंगायें निकलती हैं। शिव शक्ति ज्ञान गंगायें कहा जाता है।* वह है पानी की गंगा जो बहती रहती है। ऐसे तो नहीं पानी की गंगा जहाँ चाहे वहाँ जा सकती है, नहीं। *तुम ज्ञान गंगायें जहाँ चाहे वहाँ जाकर ज्ञान दे सकती हो। वहाँ ही ज्ञान गंगा प्रगट हो जाती है।*

 

➢➢  *तुम ब्राह्मण जानते हो हम बाबा की मदद से कल्प पहले मुआफ़िक भारत को फिर से हीरे जैसा बना रहे हैं। यह है रूहानी सेवा।* मनुष्य तो जिस्मानी सेवा करते हैं।

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