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❍ 23 / 02 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *लक्ष्मी-नारायण
आदि कोई को भी परमात्मा नहीं कहा जाता है। परमात्मा एक है।* भगवानुवाच भी है तो
जरूर भगवान आया होगा और आकर के राजयोग सिखाया है। *कल्प पहले भी मैंने तुम बच्चों
को कहा था। कृष्ण कभी भी बच्चे-बच्चे नहीं कह सकते।*
➢➢ *आत्मा तब बन सकते हैं जब परमपिता परमात्मा आकर आत्मा का ज्ञान देवे। परमपिता
परमात्मा है ज्ञान का सागर। उन द्वारा तुम ज्ञानी तू आत्मा बनते हो। बाकी सब
हैं भक्त तू आत्मा। बाप कहते हैं मुझे ज्ञानी तू आत्मा प्रिय लगते हैं।*
➢➢ *गीता है निराकारी धर्मशास्त्र।* इस्लामियों आदि का भी धर्म शास्त्र है।
इब्राहिम ने उच्चारा, बुद्ध ने, क्राइस्ट ने उच्चारा। उन्हों के तो चित्र हैं।
गीता जो सर्व शास्त्रमई शिरोमणी है, उसके लिए मनुष्यों ने श्रीकृष्ण का चित्र
दिखा दिया है। परन्तु *बाप समझाते हैं यह गीता मैंने उच्चारी, मैंने राजयोग
सिखलाया और स्वर्ग की स्थापना की है।*
➢➢ *श्रीकृष्ण को वृक्षपति नहीं कहेंगे। परमपिता परमात्मा ही मनुष्य सृष्टि का
बीजरूप, क्रियेटर है। कृष्ण तो सिर्फ दैवी गुण वाला मनुष्य है।* कृष्ण को भगवान
कहने से मनुष्य मूँझ पड़ते हैं। *कृष्ण इस वृक्ष का राज़ नहीं बता सकते,
वृक्षपति ही समझा सकते हैं। नर से नारायण तो बाप ही बनायेगा।*
➢➢ *ज्ञान का सागर है ही एक परमपिता परमात्मा। पाप का दण्ड धर्मराज देते हैं।
प्रेजीडेन्ट को भी बड़े से बड़ा जज कसम देंगे। राजा से कभी कसम नहीं उठवाया जाता
है क्योंकि उन्हें राजा बनाता है भगवान।* वह है अल्पकाल के लिए। *यहाँ तो बाप
21 जन्मों के लिए राज्य-भाग्य देते हैं। वहाँ कसम उठाने की बात नहीं है।*
➢➢ *कृष्ण की आत्मा ने पुरुषार्थ किया और प्रालब्ध पाई। पुरुषार्थ कराने वाले
को उड़ाकर, पुरुषार्थ कर प्रालब्ध पाने वाले का नाम रख गीता को खण्डन कर दिया
है। एक गीता को झूठा करने से सभी झूठे हो गये हैं, तब कहते हैं झूठी माया झूठी
काया।*
➢➢ *डीटी गार्डन बाप बनाता है।* तुम ही नई दुनिया के मालिक बनते हो। *लक्ष्मी-नारायण
की डीटी डिनायस्टी कही गई है। ब्राह्मण कुल की डिनायस्टी नहीं कहेंगे।* यह
ब्राह्मण कुल है। *परमपिता परमात्मा ने ब्रह्मा द्वारा प्रजा रची है, इसलिए इनको
प्रजापिता कहा जाता है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *मैं 5 हजार वर्ष
के बाद कल्प के संगम पर आता हूँ। मैं सारे सृष्टि का बाप हूँ, मुझे ही गॉड फादर
कहते हैं।* गीता द्वारा आदि सनातन देवी-देवता धर्म मैंने ही स्थापन किया है।
मुझे शिव वा रूद्र भगवान कहा जाता है।
➢➢ *मैं हूँ निराकार परमपिता परमात्मा। मैं तुम सर्व आत्माओं का बाप मनुष्य
सृष्टि का बीजरूप हूँ। मुझे ही वृक्षपति कहा जाता है। मनुष्य सृष्टि का बीजरूप।*
➢➢ *बबुलनाथ भी मेरा नाम है। बबुल के कांटों को फूल बनाने वाला मुझे ही कहते
हैं* श्रीकृष्ण तो स्वयं फूल है। वह है गार्डन ऑफ अल्लाह, *यह है डेविल फारेस्ट।
इनको फिर डीटी गार्डन बाप बनाता है।*
➢➢ *ध्यानी से ज्ञानी श्रेष्ठ हैं। ध्यान ट्रांस को कहा जाता है। यहां तो बाप
से योग लगाना है।* ध्यान में जाने से कोई भी फ़ायदा नहीं है। बाप कहते हैं मैंने
राजयोग सिखाया था।
➢➢ *कृष्ण को यह प्रालब्ध मैंने ही दी थी। जरूर अगले जन्म में पुरुषार्थ किया
होगा। सारी सूर्यवंशी राजधानी ने मेरे द्वारा ही प्रालब्ध पाई है। बाप से योग
लगाना है।*
➢➢ *गीता का भगवान निराकार परमात्मा है। जिसने गीता रची उसने ही बच्चों को
राजयोग सिखाया और स्वर्ग रचा। जरूर ऊंचे ते ऊंचा बाप ही राजयोग सिखायेगा।*
श्रीकृष्ण ने तो प्रालब्ध पाई है। प्रालब्ध देने वाला है परमपिता परमात्मा।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢
परमपिता परमात्मा ही सबको बच्चे कहते हैं। कल्प पहले भी मैंने तुम बच्चों को कहा
था कि *देही-अभिमानी बनो, मुझ निराकार को अपना बाप भगवान समझो।*
➢➢ जो समझ जायेंगे वही आकर फूल चढ़ायेंगे। सभी नहीं चढ़ायेंगे, *जो समझ गये वह
फूल बन बलि चढ़ जायेंगे। बाबा को कोई फूल देते हैं तो बाबा कहते हैं मुझे ऐसे
फूल (बच्चे) चाहिए। कांटे मेरे पर बलि चढ़े तो मैं उनको फूल बनाऊ।*
➢➢ *परमपिता परमात्मा द्वारा स्वर्ग के मालिक बनते हैं, तो इस बात पर मेहनत करनी
है।* सब शास्त्र हैं गीता के बच्चे। तो बेहद के बाप से ही बेहद का वर्सा मिलता
है।
➢➢ *बाप पुरानी दुनिया से लिबरेट करते हैं* क्योंकि दु:ख बहुत है। त्राहि-त्राहि
करते हैं। *बाप से स्वर्ग का वर्सा लेना है तो अभी लो।* साधारण आदमी कोई वर्सा
दे नहीं सकता। बच्चों को सर्व प्राप्ति कराने वाला है ही बाप। बेहद का बाप ही
स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
➢➢ *बाप की महिमा करने से बुद्धि में लव आयेगा।* बाप सम्मुख आकर जन्म देवे,
तुमको जन्म दिया है बाप कहने से ही स्वर्ग याद आता है। बाबा स्वर्ग की स्थापना
करते हैं। हम उनसे वर्सा ले रहे हैं। विश्वास करो या न करो। बेहद का बाप तो सभी
का बाप है, उनसे जरूर स्वर्ग का वर्सा मिलेगा।
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *मैं (बाप )
कल्पकल्प संगम पर पावन दुनिया बनाने आता हूँ। ऐसे सिद्ध करो जो समझे कि शिव
परमात्मा ही सबको दु:खों से लिबरेट करते हैं, न कि श्रीकृष्ण।*
➢➢ *ब्रह्मा बड़ा है, कृष्ण छोटा बच्चा है। ब्रह्मा ही कृष्ण बनता है। यह कितनी
गुह्य बात है। यह समझाने में बड़ी युक्ति चाहिए।* फर्स्टक्लास बच्चियां ही समझा
सकेंगी। *साकारी बाप प्रजापिता ब्रह्मा ठहरा क्योंकि ब्रह्मा द्वारा ही भगवान
ने ब्राह्मण ब्राह्मणियां रचे हैं। श्रीकृष्ण प्रजापिता नहीं है। भगवान कहते
हैं मैं ब्रह्मा मुख द्वारा ब्राह्मण ब्राह्मणियां रचता हूँ।*
➢➢ *सर्विस को बढ़ाने के लिए बच्चों को 20 नाखून का जोर देना चाहिए। गीता किसने
उच्चारी? गीता द्वारा कौन सा धर्म किसने स्थापन किया? इस ही बात से तुम अच्छी
रीति जीत पहन सकते हो।*
➢➢ *भारत कंगाल बन गया है। कौडी तुल्य बन गया है। ऐसी लिखत लिखो। भारत को
स्वर्ग बनाने वाला कौन है? स्वर्ग कहाँ है? कलियुग के बाद सतयुग होगा तो उनकी
स्थापना जरूर संगम पर होनी चाहिए। ऐसी-ऐसी टैम्पटेशन देनी है।*
➢➢ जैसे शिकारी लोग कोई से शिकार कराते हैं तो सारी तैयारी कर शिकार सामने लाकर
सिर्फ उनसे शिकार कराते हैं। *यहाँ शिकार कराना है माताओं से। बाप कहते हैं
शिकार माताओं के आगे ले आना है। मातायें बहुत हैं। नाम एक का बाला हो जाता है।
तुम शक्ति सेना हो।*
➢➢ *तुम बच्चों को ऐसी बातों पर क्लीयर करना है। कि ऊंचे ते ऊंचा भगवान फिर
ब्रह्मा विष्णु शंकर। प्रजापिता ब्रह्मा की बेटी है सरस्वती। उनको गॉडेज ऑफ
नॉलेज कहते हैं। तो जरूर उनके बच्चों को भी गॉडेज ऑफ नॉलेज कहेंगे।*
➢➢ *देलवाड़ा मन्दिर का कान्ट्रास्ट भी ऐसे लिखो जो पढ़ने से ही मनुष्यों को झट
तीर लग जाये। फार्म भी भराना है कि बेहद का बाप ज्ञान का सागर है, बहुत मीठा
है, हमको राजयोग सिखलाता है।*
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