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❍ 17 / 03 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ भारतवासी गाते हैं, *तुम भी भक्ति मार्ग में चिल्लाते थे - तुम.मात-पिता... तुम्हरी कृपा से सुख घनेरे मिलते हैं इसलिए हम भक्ति करते हैं। किसकी भी भक्ति करते हैं तो समझते हैं हम भगवान को याद करते हैं। सन्यासी भी साधना करते हैं परन्तु किसकी साधना करते वह नहीं जानते।*
➢➢ यह है बेहद के मात-पिता, स्वर्ग के रचयिता। वह बैठ *बच्चों को स्वर्ग का मालिक बनाने लिए शिक्षा देते हैं।* ऐसा तो कोई कालेज नहीं होगा जिसमें स्वयं भगवान बैठ पढ़ाये। *यहाँ खुद भगवान बैठ पढ़ाते हैं भगवान-भगवती बनाने।*
➢➢ सतयुग में श्री लक्ष्मी-नारायण'को भगवान-भगवती कहा जाता है। नई दुनिया का मालिक किसने बनाया? वह सतयुग के मालिक थे। *भारत में सतयुग आदि में देवी-देवताओं का राज्य था। अभी है कलियुग* , देवताओं का राज्य ही नहीं। *देवताओं से सब बदल कंगाल मनुष्य बन गये हैं।*
➢➢ देवतायें तो बहुत धनवान सुखी थे। अभी *कलियुग का अन्त होने के कारण सब मनुष्य बड़े दुःखी हैं। लड़ाई लगेगी, मनुष्य बड़ी त्राहि-त्राहि करेंगे। बहुत दर-बदर होंगे।* मनुष्य बिल्कुल निधन के हैं क्योंकि स्वर्ग के सुख देने वाले माँ-बाप को जानते ही नहीं।
➢➢ अभी तुम मायाजीत जगतजीत बनते हो। तुमको कोई पुरानी दुनिया में थोड़ेही राज्य करना है। *माया पर जीत पाकर फिर स्वर्ग में राज्य करना है।*
➢➢ लौकिक बाप नया मकान बनाते हैं तो बच्चों को दिल में नया मकान ही याद पड़ेगा ना कि मकान तैयार होगा, फिर हम नये मकान में बैठेंगे। पुराना तोड़ खलास कर देंगे। *अब इस सारी दुनिया का विनाश होना है।*
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *यह वही मात-पिता फिर से सदा सुखी बनाने के लिए राजयोग सिखला रहे हैं।* मनुष्य जो भक्ति करते हैं वह कोई भगवान को याद नहीं करते, भगवान को तो पत्थर-ठिक्कर, कुत्ते-बिल्ली में ठोक फिर अपने को भगवान समझ बैठे हैं।
➢➢ आत्मा परमात्मा अलग रहे बहुकाल.. तो फिर मिलाने वाला भी वह परमपिता परमात्मा चाहिए। मनुष्य भक्ति करते हैं मुक्ति वा जीवनमुक्ति धाम में जाने के लिए। *अपने बाप और स्वीट होम को याद करना है।*
➢➢ *बाप कहते हैं अब मुझे याद करो, मैं ही तुम्हारा बाप, गॉड फादर हूँ।* कच्छ-मच्छ। कोई गॉड थोड़ेही हैं। यह बातें बाप बिगर कोई समझा नहीं सकता।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ स्वर्ग का मालिक बनाने वाला है पारलौकिक मात-पिता, नर्क का मालिक बनाने वाला है रावण। तो उस *रावण पर अब जीत पानी है।*
➢➢ *यह दुनिया बदलनी है इसलिए इनसे प्रीत नहीं लगानी है।* अब बाप कहते हैं अगर *सदा सुखी बनना चाहते हो तो बाप के बनो।*
➢➢ यह है लीप युग, पुरुषोत्तम युग। इसमें यह अन्तिम जन्म है। *अब बाप का बनना है। सुखधाम और शान्तिधाम को याद करना है।*
➢➢ आत्मा में ही खाद पड़ती है। इस कारण अब जेवर भी आइरन एजेड बन पड़े हैं। अब फिर तुम्हे *गोल्डन एजेड बनने के लिए नॉलेज लेनी हैं।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *एक सप्ताह बाप के बच्चे बनकर देखो। पसन्द आये तो बनना, नहीं तो जाकर लौकिक माँ बाप का बनना। फीस तो कुछ नहीं है।*
➢➢ *बाप का खजाना है, वह फीस क्या लेंगे! हाँ, अच्छा लगे तो गरीबों के लिए लिटरेचर छपा लेना।* भारत जैसा और कोई दानी देश नहीं।
➢➢ यह बाबा महादानी बना ना। आगे तो इनडायरेक्ट दान करते थे। अब खुद डायरेक्ट आया है, रिटर्न में स्वर्ग की बादशाही देते हैं। सस्ता सौदा है ना। फिर कहते हैं *अब आप समान बनाओ, विकारों को जीतो, देही-अभिमानी बनो, अपने को आत्मा समझो।*
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