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  14 / 03 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  तन से भी सेवा की जाती है ना। *सोशल वर्कर तन की सेवा करते हैं, कोई धन की करते हैं। बाकी मन की सेवा इस दुनिया में कोई जानते नहीं।*

 

➢➢  *स्वदर्शन चक्रधारी बाप के सिवाय कोई बना न सके।* अब तुम ईश्वर की वंशावली हो फिर बनेंगे विष्णु की वंशावली। *स्वदर्शन चक्र का अलंकार भी विष्णु को दिया हुआ है। तुम हो पुरुषार्थी। तुम जानते हो स्वदर्शन चक्र फिराने से देवता बनते हैं।*

 

➢➢  *नंबर एक दुःख है काम कटारी चलाना। जिससे आदि मध्य अंत दुःख मिलता है। इस दुखधाम में कोई को शांति मिलना ही असंभव है।*

 

➢➢  *अभी वर्सा लेंगे तो कल्प-कल्पांतर लेते रहेंगे। अभी नहीं लिया तो कल्प-कल्पांतर वर्सा ले नहीं सकेंगें।*

 

➢➢  *तुम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण ही जानते हो कि यह कलयुगी पाप की दुनिया है और सतयुग जरूर पुण्य की दुनिया है।* बच्चों को समझाया गया है जो पुण्य आत्मायें होते हैं, उनको अच्छा जन्म मिलता है। पाप आत्मा को बुरा जन्म मिलता है। यह तो है ही पाप आत्माओं की दुनिया। यह ज्ञान तुम बच्चों की बुद्धि में है।

 

➢➢  *क्रोध, लोभ की बात अलग है लेकिन पवित्र रह न सकें। तो उनको ब्राह्मण कहना भी रॉंग है।*

 

➢➢  *विकार में जाना पतितपना है। ऐसे पतित यहाँ आ नहीं सकते। परंतु कारणें अकारण आने देना पड़ता है।* विकार अक्षर बड़ा खराब है। *निर्विकारी अर्थात वाइसलेस।*

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *भगवान हमको आप समान भगवती भगवान बनाते हैं।* तो गोया मास्टर भगवान हो गए, फिर देवता बनना है। *जैसे जैसे वह पावन हैं, तुम भी याद करते करते पावन बन जाएंगे। फिर पावन दुनिया में आ जाएंगे।*

 

➢➢  बाबा कहते हैं *सिर्फ मुझ बाप को याद करो और स्वर्ग को याद करो तो ऐसे लक्ष्मी नारायण बन जाएंगे।* यह है सच्ची कमाई।

 

➢➢  मनमनाभव का अर्थ ही बाप आकर समझाते हैं। *मनमनाभव यानी सबकी बुद्धि बाप के साथ लगी रहे।*

 

➢➢  *बाप को समझाना पड़ता है, देवतायें कितने धनके हैं। अब तो सभी निधनके हैं। यह है दुखदायी दुनिया।* सब एक दो को दुःख देते ही रहते हैं।

 

➢➢  *आत्मा कहती है- बाबा हम आपकी याद में रह विकर्मों को काट ही लेंगें। फिर आप हमको स्वर्ग में भेज देंगे न।* नर्क का विनाश, स्वर्ग की स्थापना तो होती है न।

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुम सच्ची कमाई करते हो सचखंड के लिए।* बाप कितना अच्छा बनाते हैं। *लक्ष्य तो बुद्धि में रहता है ना ।*

 

➢➢  मनुष्य समझते हैं कृष्ण ने स्वदर्शन चक्र से गला काटा था। देवतायें ऐसा काम कर न सकें। *स्वदर्शन चक्र फिराने से हम देवता बनते हैं। माया पर जीत पा लेते हैं।*

 

➢➢  *जो पवित्र रहते हैं, वहीं बी. के. हैं। जो पवित्र नहीं रह सकते, वो ब्रह्मा मुख वंशावली शिव बाबा के पौत्रा कहला नहीं सकते।*

 

➢➢  *तुम जितना आज्ञाकारी, वफादार रहेंगे, उतनी उन्नति होगी। सपूत बन बाबा से पूरा वर्सा लेना है।*

 

➢➢  तुम बच्चों के आगे सारी दुनिया कंगाल है। सभी मिट्टी में मिल जाएंगे। *पावन बन स्वयं को पावन दुनिया के लायक बनाना है।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *सुखधाम में पवित्रता, सुख, शांति, तीनों ही हैं। इस दुखधाम में है अपवित्रता, दुःख और अशांति। ये तीनों चीजें समझ लेनी चाहिए।*

 

➢➢  *संगम पर बाप आकर पतित से पावन बनाते हैं। विषय विकारों में जाने वाले को पतित कहा जाता है।*

 

➢➢  सन्यासी लोग विष छोड़ते हैं तो पतित लोग उनको माथा टेकते हैं, भोजन देते हैं, महल बनाकर देते हैं। *बाप कहते हैं मैं कल्प कल्प संगम पर आकर पतित से पावन बनाता हूँ। लायक बनाता हूँ, पावन दुनिया का मालिक बनाता हूँ। स्वर्ग का मालिक तो स्वर्ग का रचयिता ही बनाएगा ना।*

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