━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

  15 / 02 / 18  

       MURLI SUMMARY 

━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 
➢➢ *अब मनुष्य मांगते हैं शान्ति क्योंकि सभी शान्ति में ही जाने वाले हैं। कहते हैं सुख काग विष्टा समान है। गीता में तो है राजयोग.... जिससे राजाओं का राजा बनते हैं। जो कहते हैं सुख काग विष्टा समान है तो उनको राजाई कैसे मिले। यह तो प्रवृत्ति मार्ग की बात है। सन्यासी तो गीता को भी उठा न सके।*

➢➢ *युग भारतवासियों के लिए ही हैं। भारतवासियों से वह सुनते हैं कि सतयुग, त्रेता होकर गये हैं क्योंकि वह तो आते हैं द्वापर में।* तो औरों से सुनते हैं प्राचीन खण्ड भारत था, उसमें देवी-देवतायें राज्य करते थे। आदि सनातन देवी-देवता धर्म था, अभी नहीं हैं। *गाया जाता है ब्रह्मा द्वारा स्थापना, विष्णु द्वारा पालना कराते हैं। करते नहीं हैं, कराते हैं। तो यह है उनकी महिमा। वास्तव में उनको पहले रचना रचनी है सूक्ष्मवतन की क्योंकि क्रियेटर है।*

➢➢ वह समझते हैं गाड-गाडेज अलग हैं, ईश्वर अलग है। लक्ष्मी-नारायण को भगवान भगवती कहते हैं। परन्तु ला के विरुद्ध है। वह तो हैं देवी-देवतायें। *अगर लक्ष्मी नारायण को भगवान भगवती कहते तो ब्रह्मा विष्णु शंकर को पहले भगवान कहना पड़े। समझ भी चाहिए।*

➢➢ *अच्छा भगवान ने गीता कब सुनाई? जरूर सभी धर्म होने चाहिए। चिन्मयानंद कहते हैं 3500 वर्ष बिफोर क्राइस्ट, गीता के भगवान ने गीता सुनाई। अब 3500 वर्ष पहले तो यह धर्म थे ही नहीं। फिर सभी धर्मो का वह शास्त्र कैसे हो सकता।* इस समय तो सभी धर्म हैं। सभी धर्मो की गीता द्वारा सद्गति करने बाप आया हुआ है। गीता बाप की उच्चारी हुई है।*

➢➢ *बहुत अच्छी गीता गाते हैं संस्कृत में। अब अहिल्यायें, कुब्जायें, अबलायें... संस्कृत कहाँ जानती। हिन्दी भाषा तो कामन है। हिन्दी का प्रचार जास्ती है। भगवान भी हिन्दी में सुना रहे हैं।* वह तो गीता के अध्याय बतलाते हैं, इनके अध्याय कैसे बना सकेंगे। यह तो शुरू से लेकर मुरली चलती रहती है।

────────────────────────

 

❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢ *इस समय बाप चैतन्य में आया हुआ है। फिर वहाँ (परमधाम) सभी आत्मायें बाप से मिलेगी जरूर।* सबको भगवान से मिलना जरूर है।

➢➢ *सब भक्त कब और कहाँ मिलेंगे? जहाँ से भगवान से बिछुड़े हैं, वहाँ ही जाकर मिलेंगे।* भगवान का निवास स्थान है ही परमधाम।

➢➢ *चोटी तो ब्रह्मणों की है। परन्तु ब्रह्मणों को भी रचने वाला कौन है?* शूद्र तो नहीं रचेंगे। चोटी के ऊपर फिर ब्रह्मणों का बाप ब्रह्मा। ब्रह्मा का बाप फिर है शिवबाबा।

────────────────────────

 

❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢ *गृहस्थ व्यवहार में रहते, कमल फूल समान रहना है।* बहुत हैं जो ऐसे रहते हैं। सन्यासियों का यह काम नहीं है। नहीं तो खुद क्यों घरबार छोड़ते।

➢➢ *पहले-पहले तो स्त्री को सिखलायें। शिवबाबा भी कहते हैं पहले-पहले मैं अपनी स्त्री (साकार ब्रह्मा) को समझाता हूँ ना। *चैरिटी बिगन्स एट होम।*

➢➢ क्लास में नम्बरवार होते हैं ना। *देह-अभिमान में नहीं आना चाहिए। नहीं तो आबरू (इज्जत) चली जाती है।*

────────────────────────

 

❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

   ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧       ‧‧‧‧‧

 

➢➢ *समझाना चाहिए - सद्गति है भारतवासियों की, बाकी गति तो सबकी होती है। भारतवासियों में भी ज्ञान वह लेते हैं जो पहले-पहले परमात्मा से अलग हुए हैं, वही पहले ज्ञान लेंगे। वही फिर पहले-पहले जाना शुरू करेंगे। नम्बरवार फिर सबको आना है।*

➢➢ *कोई नये के आगे विद्वान पण्डित आदि डिबेट करेंगे तो वह समझा नहीं सकेंगे। तो कह देना चाहिए कि मैं नई हूँ। आप फलाने टाइम पर आना फिर हमारे से बड़े आपको आकर समझायेंगे, मेरे से तीखे और हैं।*

➢➢ *बाबा भी कहते हैं ना हम ऊपर से पूछेंगे। पण्डित लोग तो बड़ा माथा खराब करेंगे। तो उनको कहना चाहिए - मैं सीख रही हूँ, माफ करिये। आप कल आना तो हमारे बड़े भाई-बहिनें आपको समझायेंगे।*

────────────────────────