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❍ 02 / 03 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को कोई नहीं जानते कि कौन नम्बरवन पूज्य सो पुजारी बनते हैं। कुछ भी नहीं जानते।*
➢➢ *अभी तुम दिव्य दृष्टि से वैकुण्ठ देखते हो जो अब स्थापन हो रहा है। जिसका रचयिता बाप है।* मालिक है ना। *मालिक धनी को कहा जाता है।* जब कोई निधन के होते हैं तो कहा जाता है इनका कोई धनी धोनी नहीं है। धनी बिगर लड़ते-झगड़ते हैं।
➢➢ तुम जानते हो हमारा मात-पिता वह है दूर का रहने वाला। यह मात-पिता नजदीक के रहने वाले हैं। *सब मनुष्य उस दूर के मुसाफिर को याद करते हैं। दूर का मुसाफ़िर परिस्तान स्थापन करते हैं, जिसको स्वर्ग, हेविन कहा जाता है।*
➢➢ *अगर सब में परमात्मा है तो वह तो नहीं पुकारेंगे कि हे परमात्मा आओ। यह जरूर है कि सब दूर के मुसाफिर हैं, सबको मुसाफिरी करनी है वहाँ से यहाँ आने की।*
➢➢ वास्तव में सब मनुष्यों की आत्मायें वहाँ परमधाम में रहने वाली हैं। यहाँ आई हैं। पार्ट बजाने। *लम्बी-चौड़ी मुसाफिरी है। परन्तु आत्मा पहुँचती है सेकेण्ड में। एरोप्लेन आदि भी इतना जल्दी नहीं जा सकता।*
➢➢ अब जितना जो पुरुषार्थ करेंगे उतना ऊंचे पद पायेंगे। *बच्चे जानते हैं कि मात-पिता, जगदम्बा, जगत पिता जाकर पहले-पहले महाराजा-महारानी बनते हैं।* अभी तो वह भी पढ़ रहे हैं। पढ़ाने वाला शिवबाबा है।
➢➢ *बाप का बनने से तुम लायक बनेंगे।* आजकल तो बच्चे भी दुःख देते हैं। बच्चा जन्मा तो खुश, मरा तो दुःख। *सतयुग में गर्भ में भी महल, तो बाहर आने से भी महलों में, रहते हैं।* अब बाप तुमको नर्कवासी से स्वर्गवासी बनाते हैं।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *भक्त भी जानते हैं भगवान आकर हमको अपने पास ले जायेगा।* यहाँ आकर मिलेगा, तो भी वापिस ले जाने के लिए। *गाते भी हैं-हमको पतित से पावन बनाने आओ। हमको भी साथ ले चलो।*
➢➢ *सारी आयु बाप भी याद रहता है, टीचर भी याद रहता है। आजकल छोटेपन से ही गुरू करा लेते तो मात-पिता, टीचर और फिर गुरू को याद करेंगे।*
➢➢ *मनुष्य जब अपनी रचना रचते हैं तो अपनी स्त्री और बच्चों को भी याद करने लग पड़ते हैं। फिर मात-पिता आदि की याद कम होने लगती है। अब तुमको याद है, उस एक मुसाफ़िर की।*
➢➢ यह मुसाफिर कितना अलौकिक है। परन्तु *तुम घड़ी-घड़ी उनको (बाप को) भूल जाते हो क्योंकि तुम्हारी है माया के साथ लड़ाई। माया तुमको याद करने नहीं देती है।*
➢➢ *बाप कहते हैं तुम मुझे क्यों नहीं याद करते हो? कहते हैं बाबा क्या करें परवश अर्थात् माया के वश हो जाते हैं।* आपको भूल जाते हैं फिर वह खुशी नहीं रहती है।
➢➢ बाप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं। *हम बाप के बने हैं, वह हमको भगवान-भगवती बनाते हैं।* कहते हैं तुम्हारी आत्मा छी-छी बनी है इसलिए शरीर भी ऐसे मिलते हैं। *अब मुझे याद करने से आत्मा को पवित्र बनायेंगे तो शरीर भी नया मिलेगा।*
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम जानते हो जो-जो अच्छी रीति बाप को याद करेंगे वही नजदीक आयेंगे।* वन्डर है ना । वही तुम्हारा बाप भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है। नहीं तो बाप को अलग, टीचर को अलग याद किया जाता है।
➢➢ *वह दूर का मुसाफिर आकर इनके द्वारा तुमको पढ़ाते हैं - मनुष्य को देवता बनाने के लिए। तो पुरुषार्थ करना चाहिए ना।*
➢➢ प्रिन्स प्रिन्सेज को भी कभी गुस्से में उल्टा-सुल्टा कह देंगे। *बच्चा लायक नहीं होगा तो फिर तख्त पर बैठ नहीं सकेगा।* बड़ा बच्चा अगर लायक नहीं होता है तो फिर छोटे को बिठा देते हैं।
➢➢ अब तुम जानते हो *बाप हर एक मुसाफ़िर को परिस्तान अथवा स्वर्ग का मालिक बना रहे हैं । तो उनकी मत पर चलना है।* ऐसे नहीं बापदादा को कोई बच्चों की मत पर चलना है। नहीं, *बच्चों को श्रीमत पर चलना है।*
➢➢ अभी तुम जानते हो यह मुसाफिर परमधाम का बड़ा अनोखा है, इनकी महिमा अपरमअपार है। यह तो है ही पतित दुनिया, *जो पतित से पावन बनेंगे वही नई दुनिया के मालिक बनेंगे।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ मैं तुम बच्चों को 21 जन्मों के लिए भारत का राजा बनाता हूँ। *यह भारत दैवी राजस्थान था अर्थात् देवी-देवताओं का राज्य था।* यह सिर्फ तुम ही जानते हो जो ईश्वरीय सन्तान बने हो ब्रह्मा द्वारा।
➢➢ अब तुम बच्चे जानते हो हम परमधाम से आये हैं, हम परदेशी हैं। *यहाँ सिर्फ पार्ट बजाने आये हैं। बाप को जरूर आना पड़ता है। अब हम पतित से पावन बन ऊंच पद पाने को पुरुषार्थ कर रहे हैं।*
➢➢ *बाप आकर पुरानी दुनिया को नया बनाते हैं, फिर से तुम बच्चों को राज्य भाग्य देना-यही तो बाप का काम है।* उनको कहा जाता है दूर का मुसाफिर। आत्मा उनको याद करती है। हे परमपिता परमात्मा।
➢➢ बाप कहते हैं मैं आया हूँ तो तुम इस जन्म में मेरी मत पर चल वाइसलेस बनो। *हर एक को अपने आपकी फिकर करना है और जो भी आये उनको कहना है बेहद के बाप से वर्सा लेना है तो पवित्रता की राखी बांधो।*
➢➢ *बाप आकर प्रवृत्ति मार्ग बनाते हैं और कहते हैं, यह एक अन्तिम जन्म पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।*
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