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  31 / 03 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाप कहते हैं मैं एक ही बार आता हूँ। मुझे कोई घड़ी-घड़ी आना नहीं पड़ता है। *मैं एक बार आता हूँ, जब सब तमोप्रधान बन पड़ते है क्योंकि 84 जन्म तो जरूर पूरे करने है। अगर पहले आऊं तो 84 का चक्र पूरा हो न सके।*

 

➢➢  *गुरू यहाँ ही किये जाते है, सतयुग में कोई गुरू नहीं करते है।* वहाँ बाप और टीचर होते है। ऐसे नहीं कि बाप टीचर बन पढ़ाते है। बाप अलग, टीचर अलग होते है। यहाँ यह बाप, टीचर, गुरू एक ही है।

 

➢➢  *पहले-पहले तो बच्चों को यह जानना चाहिए कि वह हमारा बेहद का बाप है। यह ब्रह्मा भी कहते है। हमारा बाप यह शिव है।* ब्रह्मा वल्द शिव। शिवबाबा भी कहते हैं यह ब्रह्मा बच्चा है। मुझे इनमें प्रवेश करना है, तो मैंने इनको एडाप्ट किया।

 

➢➢  तुम बच्चे जानते हो शिवबाबा हमारा बाप, टीचर, सतगुरू है। *यह हमारा बहुत पुराना मिलन है। पांच हजार वर्ष के बाद आये है। इसे आत्माओं और परमात्मा का प्यारा मंगल मिलन कहते है।* परमपिता परमात्मा आकर सभी आत्माओं से मिलते हैं। इस समय ही सबका लिबरेटर बनते हैं।

 

➢➢  *अब तुम बच्चे प्रैक्टिकल में समझते हो वह एक ही बाप हमारा बाप, टीचर, सतगुरू है।* मनुष्य तो कहेंगे बाप ने हमको जन्म दिया, फिर फलाने टीचर ने पढ़ाया। फिर पिछाड़ी में गुरू करते हैं।

 

➢➢  इस समय तुम्हारा पार्ट है सीखने का। *बाबा का आना, बच्चों को नॉलेज सिखलाना, ऊंच पद प्राप्त कराना - अभी का पार्ट है। पद प्राप्त कर लिया फिर खत्म।* फिर यह सृष्टि चक्र की नॉलेज प्राय:लोप हो जाती है।

 

➢➢  *सतयुग में तो गोल्डन स्पून इन माउथ है। बच्चों ने साक्षात्कार भी किये है। कैसे विमानों में सोना भरकर आते है। महल आदि बहुत जल्दी सब कुछ बन जाता है।* अब भी बाबा के देखते-देखते बिजली मोटर आदि क्या-क्या बन गये है।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *शिवबाबा को याद करने की प्रैक्टिस करनी है।* अभी बेहद का बाप समझाते हैं मुझे याद करो। *उस गुरू के बदले एक शिवबाबा को याद करना पड़े।* मेहनत है। वह बाप सभी का एक ही है। उस द्वारा ही स्वर्ग का वर्सा मिल सकता है।

 

➢➢  *अब तुमको और सबकी याद भूल एक बाप को ही याद करना है। वही सत्य बाप, सत्य टीचर, सतगुरू है।* सच खण्ड की स्थापना करने वाला है। सारे सृष्टि के आदि मध्य अन्त के चक्र की हिस्ट्रीजॉग्राफी बताते हैं।

 

➢➢  *हम स्वदर्शन चक्रधारी बने है तो जरूर चक्र याद करना पड़े।* यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है, शुरू से अन्त तक चक्र को जानते हो और यह कल्प के संगमयुग पर ही जान सकते हो।

 

➢➢  *हे परमपिता कहने से बुद्धि ऊपर चली जाती है। आत्मा ही याद करती है।* जिस्मानी फादर को भी आत्मा ही याद करती है, जो जिस्म देते हैं। फिर *आत्माओं का जो असली बाप है उनको भी याद करेंगे ना।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *तुमको अभी प्रैक्टिकल में अपने पापों का खाता चुक्तू कर और पुण्य का खाता जमा करना है।* जितना-जितना ज्ञान और योग में रहेंगे तो पुराना खाता भस्म हो नया जमा होता जायेगा। *योगबल से तुम्हारी आयु बढ़ेगी। तुम एवरहेल्दी, वेल्दी बनते जायेंगे।*

 

➢➢  *तुम बच्चों को भी धारणा करनी है।* योग पूरा नहीं होगा तो धारणा होगी नहीं। बुद्धि प्योर बन न सके। कहते हैं ना शेरणी का दूध सोने के बर्तन में ही ठहर सकता है। तो यह भी ज्ञान अमृत बच्चों को मिलता है। *बर्तन लोहे से बदलकर सोने का होगा तब ही धारणा होगी, इसमें अच्छा पुरुषार्थ किया जाता है।*

 

➢➢  भगवानुवाच है - जो युद्ध के मैदान में मरेंगे वह मुझे प्राप्त करेंगे, स्वर्गवासी होंगे। परन्तु ऐसे नहीं कि सिर्फ गीता पढ़ते वा सुनते है तो स्वर्ग में चले जाते हैं, *तुमको अगर स्वर्गवासी बनना है, बाप से वर्सा लेना है तो बाप को याद करो, श्रीमत पर चलो।*

 

➢➢  बाबा राय तो हर बात की देते है। *शादी पर जाना है तो सिर्फ फल लेकर शिवबाबा को याद कर खायेंगे तो वह पवित्र बन जायेगा।*

 

➢➢  जो बाप द्वारा पढ़ते है, राज़योग सीखते हैं वह स्वर्ग में चले जाते है। *तुम जानते हो अब कलियुग का अन्त है। महाभारी लड़ाई भी सामने खड़ी है, जो पढ़ेंगे वही पद पायेंगे।* बाकी सब हिसाब-किताब चुक्तू कर वापिस चले जाने वाले है।

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  विश्व का रचयिता ही यह विश्व विद्यालय स्थापन करते है। हम लिखते भी ऐसे है। अब विश्व विद्यालय या युनिवर्सिटी में फ़र्क क्या है। वह हिन्दी, वह अंग्रेजी अक्षर है। *यह विश्व के रचयिता ने विश्व विद्यालय रचा है। जहाँ बाप मनुष्य को देवता, राज़ाओं का राज़ा बनाते है। लिबरेट करते है।*

 

➢➢  वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी को जानना है। सतयुग में कौन राज्य करते थे, कितना समय किया, घराना होता है ना। तो उसको कहेंगे डीटी डिनायस्टी ने 1250 वर्ष राज्य किया, क्या लड़ाई से राज्य लिया? नहीं। अभी के पुरुषार्थ की प्रालब्ध पाई है। *यह सारा चक्र तुम किसको भी समझाओ तो बहुत खुश होंगे। भल मिलेट्री के हों, देहली में आते थे ना। उन्हों को भी बाबा समझाते थे ना।*

 

➢➢  पुकारते है आकरके हमको पावन बनाओ, लिबरेट करो, इन दुःखों से। तो जरूर कहाँ तो ले जायेंगे ना। *बाप सभी को लिबरेट कर शान्तिधाम वा सुखधाम में ले जाते है। कल्प-कल्प, कल्प के संगमयुग पर ही आते है। ऐसे नहीं बीच में आते है।* सबको ले जाने तब आयेंगे जब नाटक पूरा होना है।

 

➢➢  *सभी धर्म वालों के लिए यह ज्ञान है। चाहे मिलेट्री का हो, चाहे सिविलियन हो, ज्ञान सबके लिए है।*

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