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  23 / 03 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *अभी तुम ब्राह्मण हो फिर तुम देवता बनते हो। परमपिता परमात्मा ब्रह्मा के मुख कमल से ब्राह्मण, देवता और क्षत्रिय धर्म की स्थापना करते हैं।*

 

➢➢  *यह देवता धर्म मैं कैसे स्थापन करता हूँ - यह ज्ञान सब भूल जायेंगे। द्वापर में फिर कितने धर्म स्थापन हो जाते हैं। एक ही इस्लामी बौद्धी धर्म में यह सैकड़ों हो गये हैं। आपस में कितना लड़ते हैं।*

 

➢➢  *तुम्हें ब्रह्मा के द्वारा शिवबाबा से वर्सा मिलता है। यह तो दलाल है, इनसे वर्सा नहीं मिल सकता। इनको भी वर्सा शिवबाबा से लेना है।* बाबा कहते हैं तुम इनको (ब्रह्मा को) भी भूल जाओ।

 

➢➢  *बच्चे पहले तो सतयुग में बहुत ही सुख भोगते थे, वे बहुत मस्त थे। खुशियाँ ही खुशियाँ थी। सिर्फ भारत ही था और कोई खण्ड नहीं था।* भारतवासी यथा राजा रानी तथा प्रजा सब बहुत मजे में थे, खुशी में थे।*

 

➢➢  *वहाँ (सतयुग में) कभी कोई भ्रष्टाचार नहीं होता था। सतयुग में देवी-देवता श्रेष्ठाचारी थे, जिन्हों की कितनी महिमा गाई जाती है। महिमा यथा राजा रानी तथा प्रजा सबकी होती है। फिर माया आकर चटकती है।*

 

➢➢  *यह जो तुमको ज्ञान सुनाता हूँ यह फिर प्राय: लोप हो जायेगा। इस्लामी, बौद्धी आदि जो धर्म स्थापन करके गये हैं उनका नाम, रूप, देश, काल आदि तो नहीं भूलेंगे।* उनको तो सब जानते हैं ना।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *भारत में सुन्दर भी थे, अभी श्याम बने हैं। सुन्दर बनाने वाला है बाबा। वह है हसीन मुसाफिर, वह तुमसे बात कर रहे हैं। उनको भूलना नहीं चाहिए।* इनको (साकार को) भल भूल भी जाओ।

 

➢➢  बाबा कहते हैं *कोई भी बात में कुछ मूँझो तो चिट्ठी लिखकर पूछो। बाप को याद करो। माया ऐसी है जो स्वर्ग स्थापन करने वाले परमपिता परमात्मा को याद करने नहीं देती।*

 

➢➢  बाप कहते हैं *जितना हो सके बाप को याद करते रहो। तुम्हारे पापों का बोझा बहुत है।* भल कोई गवर्मेन्ट सर्विस में हैं। *आठ घण्टे गवर्मेन्ट की नौकरी है, बाकी जो समय है उसमें याद करो।*

 

➢➢  बाप स्वर्ग रचते हैं तो स्वर्ग का वर्सा मिलना चाहिए। भारत ही स्वर्ग का मालिक बनता है। अभी तो नर्क का मालिक है। *नर्क में दु:खी होते हैं तब बाप को याद करते हैं।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *हमेशा समझो बाबा हम सजनियों को खूबसूरत परीज़ादा बनाते हैं।* कहते हैं ना एक तलाव है, जहाँ डुबकी लगाने से मनुष्य परी बन जाते हैं। अभी तुम समझते हो ज्ञान सागर द्वारा ज्ञान की परी बन जाते हैं।

 

➢➢  *कम से कम आठ घण्टा तुम मेरी सर्विस करो, बाप को याद करो, स्वदर्शन चक्र फिराओ।*

 

➢➢  अब बच्चे जानते हैं *शिवबाबा की श्रीमत पर चलना है। कदम-कदम पर श्रीमत लेनी है तब ही सो देवी-देवता बनेंगे।* परन्तु श्रीमत पर भी चलते नहीं।

 

➢➢  दिन-प्रतिदिन भ्रष्टाचार होता जाता है। कोई को अगर क्रोध आता है तो समझना चाहिए हमारे में यह भूत है फिर हम श्रेष्ठाचारी कैसे कहला सकते। *तुम्हें श्रेष्ठाचारी बनने का पुरुषार्थ जरूर करना है।*

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *बरोबर कल्प पांच हजार वर्ष का हो गया। खुद ही (बाप ही) कल्प की आयु बतलाते हैं फिर मनुष्य सतयुग को लाखों वर्ष कहते हैं। ऐसी-ऐसी प्वाइन्ट्स बाबा समझाते हैं, जो धारण कर दूसरों को समझानी हैं,परन्तु समझाते नहीं।*

 

➢➢  *यह भारत पांच हजार वर्ष पहले स्वर्ग था। यह तो मशहूर है। क्रिश्चियन लोग भी कहते हैं - क्राइस्ट से तीन हजार वर्ष पहले स्वर्ग था।*

 

➢➢  *शंखध्वनि करो। कौन सी? सबको कहो - गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान रह करके बाप से वर्सा लो।*

 

➢➢  *अब बाप कहते हैं जो कुछ समझो वह फिर औरों को समझाओ। बाप की महिमा गाते हैं अपने आप सब कुछ करके अपने आप छिपाया। निराकार भगवान को आना जरूर पड़ता है।*

 

➢➢  *शिव है पतित-पावन, उनको आना ही तब है जब सारी सृष्टि पतित बन जाती है। उसको आकर पावन बनाना है। दो चार को तो पावन नहीं बनायेंगे ना। यथा राजा रानी तथा प्रजा पावन थे फिर अब यथा राजा रानी तथा प्रजा पतित हैं।*

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