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❍ 30 / 03 / 18 ❍
⇛ MURLI SUMMARY ⇚
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❍ ज्ञान के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *पुरुष कभी पत्नीव्रता नहीं होते हैं। वन्दे मातरम् कहा जाता है। इस समय तुम बाप के बने हो। तो तुम हो जाते हो ब्रह्माकुमार कुमारी।*
➢➢ *सन्यासी लोगों का कभी मन्दिर नहीं होता है। यह है सतोप्रधान सन्यास। वह है रजोप्रधान सन्यास। यह बाप के सिवाए कोई सिखला न सके।*
➢➢ आत्मा इन आरगन्स द्वारा सुनती है। आत्मा मुख से बोलती है, आंखों से देखती है। *आत्मायें इन आंखों से दिखाई नहीं पड़ती, न परमात्मा दिखाई पड़ता। दोनों को दिव्य दृष्टि बिगर देखा नहीं जा सकता है।*
➢➢ *तुम बच्चे जानते हो इन्हों ने (देवताओ ने) यह प्रालब्ध कैसे पाई। कोई ऊपर से नई आत्मायें तो नहीं आई, जिनको भगवान ने राजाई दे दी। नहीं। इन्हों को पुराने से नया बनाया हुआ है जिसको रिज्युवनेट वा काया कल्पतरू कहा जाता है।*
➢➢ *कृष्ण को कभी प्रजापिता नहीं कहा जाता । नाम गाया हुआ है ना प्रजापिता ब्रह्मा, जो होकर गये हैं वह इस समय प्रेजन्ट है।* तो प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान ब्रह्माकुमार कुमारियां ढेर हैं। यह है प्रजापिता ब्रह्मा की औलाद।
➢➢ *भगवान के जड़ चित्र पूजे जाते हैं। जो होकर जाते हैं उनके जड़ चित्र बनाते हैं।* चैतन्य में तो भगवान मिल न सके। *शिवलिंग आदि यह सब जड़ चित्र हैं। जड़ चित्रों को देखने के लिए यात्रा करते हैं। यह एक भक्ति मार्ग की रसम है।*
➢➢ *बाबा ने समझाया है कि वह (भक्तिमार्ग) है जिस्मानी यात्रा, यह है रूहानी यात्रा। इसमें कर्मेन्द्रियों का कोई काम नहीं, कुछ भी तकलीफ की बात नहीं है।* बहुत सहज है। वह जिस्मानी यात्रा अनेक प्रकार की है। यह रूहानी यात्रा एक ही है। यह है राजाई के लिए यात्रा।
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❍ योग के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *तुम बच्चे समझते हो हम बेहद के बाप के बच्चे हैं। भक्ति मार्ग में जन्म-जन्मान्तर याद करते आये हैं। अब स्मृति आई है।* बाप कहते हैं तुम 63 जन्म ढूढते-ढूंढते उतरते गये। पहले एकदम कड़ी नौधा भक्ति करते हैं।
➢➢ *बच्चे जानते हैं हमारा दादा परमपिता परमात्मा शिव है।* वह अब नई दुनिया रच रहे हैं। अर्थात् पुरानी दुनिया को नई बना रहे हैं। इस पुरानी दुनिया में यह तन भी पुराने हैं। नई दुनिया में सतोप्रधान नये तन होते हैं।
➢➢ *बाबा कहते हैं लाडले बच्चे उठते बैठते चलते फिरते सिर्फ मुझे याद करो। यह आत्माओं से बात कर रहे हैं।*
➢➢ *तुम सिर्फ बुद्धि से बाप को याद करते हो। याद से ही दौड़ी पहनते हो और तुम्हारे विकर्म विनाश होते हैं।*
➢➢ *तुम जानते हो आत्मा और परमात्मा अलग रहे बहुकाल....अब आकर फिर मिले हैं।* मनुष्य, मनुष्य के साथ मिलेंगे। आत्मा, आत्माओं के साथ मिलेगी। परमात्मा भी वहाँ मिलेंगे। आत्मा और परमात्मा दोनों का साक्षात्कार दिव्य दृष्टि से होता है क्योंकि वह अति सूक्ष्म है, स्टार है।
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❍ धारणा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *जितना जल्दी विकर्म विनाश होंगे उतना जल्दी बाप के गले का हार बनेंगे।*
➢➢ *अभी हम पुरुषार्थ करते हैं भविष्य प्रालब्ध पाने के लिए।* यहाँ मनुष्य पुरुषार्थ करते हैं यहाँ की आजीविका के लिए। हम भविष्य की आजीविका के लिए पुरुषार्थ करते हैं।
➢➢ *गृहस्थ व्यवहार में रहते फिर यह कोर्स भी उठाना है। नॉलेज को धारण करना है,* फिर तुमको पुरुषार्थ नहीं करना होगा।
➢➢ *अभी तुम जानते हो ऊंचे ते ऊंच ज्ञान का सागर, सुख का सागर है। सागर से अभी हमको ज्ञान मिल रहा है।*
➢➢ *84 जन्म सिर्फ वही लेते हैं जिनका आदि से अन्त तक पार्ट है। जो पहले इस सृष्टि पर थे। हर एक बात लाडले बच्चों को धारण करनी है।*
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❍ सेवा के मुख्य बिंदु ❍
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➢➢ *नई दुनिया में सतोप्रधान नये तन होते हैं। वह कैसे होते हैं, देखो, इन लक्ष्मी-नारायण को। यह है नई दुनिया के नये तन।* इन्हों की महिमा भारतवासी जानते हैं। *यह (लक्ष्मी-नारायण) स्वर्ग नई दुनिया, नये विश्व के मालिक हैं। नई दुनिया जो थी वह अब पुरानी है।
➢➢ *यहाँ कोई मनुष्य, मनुष्य को नहीं समझाते यह तो निराकार परमपिता परमात्मा मनुष्य तन में बैठ समझाते हैं। बाप समझाते है एक भी मनुष्य वापिस मेरे पास आ नहीं सकते। नाटक में सबको अपना पार्ट बजाना है। सतो रजो तमो में आना है। बलिहारी उनकी है। वह नहीं समझाते तो हम कुछ भी नहीं जानते।*
➢➢ *उस जिस्मानी यात्रा पर तकलीफ बहुत होती है। यह है रूहानी यात्रा, इसमें शरीर की कोई तकलीफ नहीं है।* तुम बच्चे समझते हो हम बेहद के बाप के बच्चे हैं। भक्ति मार्ग में जन्म-जन्मान्तर याद करते आये हैं। अब स्मृति आई है।
➢➢ *भक्ति मार्ग में आधाकल्प भक्त भगवान को याद करते हैं। ऐसे नहीं कि सब भगवान हैं। सब भगवान हों तो भक्त आराधना, वन्दना, साधना क्यों करते, किसलिए करते ? सभी मुक्ति जीवनमुक्ति चाहते हैं क्योंकि यहाँ दु:खी हैं, चाहते हैं शान्ति हो।*
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