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  16 / 03 / 18  

       MURLI SUMMARY 

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❍   ज्ञान के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *शिवबाबा बच्चों को बैठ समझाते हैं ब्रह्मा मुख से। यह है गऊमुख*। बैल मुख नंदीगण है ना । गीत भी सुना। साजन कहते हैं सजनियों को, अब सजनियां सिर्फ फीमेल तो नहीं, यह मेल्स भी सजनियां हैं।

 

➢➢  *वह एक भगवान कौन? एक तो कहा जायेगा गॉड फादर को। जैसे वर राजाको आना पड़ता है वन्नी (स्त्री) को ले जाने के लिए। यह सब हैं वन्नियां । साजन को याद करती हैं। तो जरूर आना पड़ेगा। एक के लिए तो नहीं, सबके लिए आना पड़ेगा* क्योंकि सभी सजनियां दुःखी हैं। कोई न कोई रोग, बीमारी आदि होगी जरूर। तो यह हो गया नर्क। स्वर्ग में है सुख, नर्क में है दुःख।

 

➢➢  *बाप ने गीता से स्वर्ग स्थापन किया था। भारत के देवी देवता धर्म का शास्त्र है गीता, जो देवता धर्म अब प्राय:लोप हो गया है*। प्रायः अर्थात् बाकी आटे में नमक जाकर रहा है।

 

➢➢  देवी देवताओ के चित्र भी हैं लेकिन अपने को कोई भी देवता नहीं मानते। यह भूल गये हैं कि सतयुग में देवी-देवता धर्म था, जिसको ही स्वर्ग कहा जाता है। *जब लक्ष्मी-नारायण का राज्य होगा तब वह ऐसे नहीं कहेंगे कि अब स्वर्ग है। फिर तो यह भी समझे कि नर्क होना है। यह सब राज़ हम अभी जानते हैं*।

 

➢➢  *ज्ञान का सागर तो एक शिवबाबा है। वह बाबा कहते हैं बच्चे विनाश सामने खड़ा है। पिछाड़ी में मन्त्र देने वाला कोई नहीं रहेगा। अन्त मती सो गति गाई हुई है ना*।

 

➢➢  *बाबा कहते हैं यह ज्ञान प्रत्यक्षफल देने वाला है*। जैसे सुदामे का मिसाल है झट महल देखे । तो प्रत्यक्षफल हुआ ना।

 

➢➢  *बाबा समझाते हैं - बच्चे, जब तक दो बारी ज्ञान स्नान नहीं किया है तब तक कुछ फ़ायदा नहीं होगा*। अरे कोई समय मुरली में ऐसी प्वाइंट्स निकलती हैं जिससे ऐसा तीर लग जायेगा जो तुम्हारा संशय मिट जायेगा, और कोई भी सतसंग में जाने के लिए कभी मना नहीं करते।

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❍   योग के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *जो भी भक्ति करते हैं, भगवान को याद करते हैं* तो हो गयी सजनियां । साजन तो एक है जिसकी साधू भी साधना करते हैं।

 

➢➢  *हम पढ़ते रहते हैं। योग लगाते रहते हैं। इसमें भी टाइम लगता है।* ज्ञान और योग दोनों भाई-बहन हैं। बाबा कहते हैं ध्यान से ज्ञान श्रेष्ठ है क्योंकि उससे ही तुम जीवनमुक्ति पा सकेंगे।

 

➢➢  *सामने कृष्ण का चित्र देख रहे हैं ऐसे प्रिन्स-प्रिन्सेज बनेंगे, फिर जो.चाहे सो बनो। प्रिन्स-प्रिन्सेज बनते हैं*। यह तो मानना चाहिए ना । अब नवयुग आ रहा है। जहाँ जीत, वहाँ जाकर प्रिन्सपने का जन्म लेंगे।

 

➢➢  *अन्त में मेरी याद रखेंगे तो गति मिल जायेगी*। तुम आजकल करते आये हो। दो चार इतफ़ाक दिखाऊंगा कि कैसे अचानक मनुष्य मरते हैं। उस समय मन्त्र तो याद कर नहीं सकेंगे। समझो अचानक छत गिर पड़ती है, उस समय याद कर सकेंगे? धरती हिलेगी, उस समय तो हाय-हाय करने में लग जायेंगे। *बहुत समय से प्रैक्टिस होगी तो फिर उस समय अवस्था हिलेगी नहीं। साक्षी हो, हर्षितमुख बैठे रहेंगे*।

 

➢➢  *बाबा भिन्न-भिन्न रूप से साक्षात्कार कराते हैं*। नूँध है तब सोल आती है, यह ड्रामा का राज़ समझना है। नई बातें हैं। ना। तो क्लास में भी रेगुलर आना पड़े।

 

➢➢  दैवी सम्प्रदाय, आसुरी सम्प्रदाय - यह है गीता के भगवान शिव के महावाक्य। वह खुद कहते हैं - सजनियां, अब नवयुग आया। *यह पुरानी दुनिया है। साजन कहते हैं अब जागो। अब नया युग, सतयुग आया की आया।*

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❍   धारणा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  बाबा कहते - बच्चे, अब नवयुग आ रहा है। *अब अपने को इन्श्योर कर दो।* सारे भारत को तुम इन्श्योर करते हो।

 

➢➢  *बच्चों का फ़र्ज है पढ़ना।* अब बाप सम्मुख आया हुआ है तो *एक बाप से ही सुनो।* तुम आधाकल्प बहुत भटके हो। *अब भटकना बन्द करो,* परन्तु वह भी तब होगा जब पूरा निश्चय हो।

 

➢➢  मनुष्य तो थोड़ा आवाज से डरके मारे भाग जायेंगे। तुम कभी भागेंगे नहीं। डरने की बात नहीं। *जैसे बाबा निडर है बच्चों को भी निडर बनना है* ।

 

➢➢  *पवित्र बनने की मुख्य बात है। स्त्री-पति दोनों को पवित्र बनना है*। यहाँ तो स्त्री पति के पिछाड़ी सती बनती है कि पति-लोक में जायें। पति नर्क में है तो स्त्री भी नर्क में आ जाती है। अब तुम दोनों स्वर्ग में जाने के लिए पुरुषार्थ करो।

 

➢➢  *पवित्र ब्राह्मण जरूर बनना पड़े। ठगी से मम्मा-बाबा नहीं कहना है। सच्चा बनेंगे तब ही नशा चढ़ेगा*। हाफ . कास्ट को नशा नहीं चढ़ेगा। भगवान भारत के पीछे दीवाना बना है कि हम भारत को फिर हीरे जैसा बनाऊंगा तो भारत पर आशिक हुआ है ना। भारत को फिर से ऊंच बनाते हैंl

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❍   सेवा के मुख्य बिंदु   ❍

 

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➢➢  *पांच हजार वर्ष पहले स्वर्ग था, अब नर्क है। देवी-देवता धर्म की टांग टूटी हुई है। यह बातें और कोई गीता सुनाने वाला बता न सके। सर्व शास्त्रमई शिरोमणि गीता है। गीता का भगवान ही गीता द्वारा भारत को स्वर्ग बनाते हैं*।

 

➢➢  *गीता का भगवान ही गीता द्वारा भारत को स्वर्ग बनाते हैं। फिर आधाकल्प वहाँ गीता की दरकार नहीं। वहाँ तो प्रालब्ध है। बाबा (शिव परमात्मा) खुद कहते हैं सतयुग में तो तुम बहुत खुश रहेंगे।*

 

➢➢  *बाप से ताकत लेकर भारत को तुम इन्श्योर कर रहे हो। भारत हीरे जैसा बन जायेगा। फिर उसमें भी जितना जो लाइफ को इनश्योर करेगा। तन-मन-धन सब इनश्योर हो जाता है*।

 

➢➢  *तुम पैगम्बर हो, पैगाम देने वाले हो ना । मैं भेज देता हूँ। यह भी ड्रामा में गूंध है*। ड्रामा अनुसार हर एक को अपना पार्ट बजाने आना पड़ता है। फिर मैं भी आया हूँ, आकर पढ़ाता हूँ। यह तो गीता पाठशाला है।

➢➢  *बाबा समझाते हैं - बच्चे, घर-घर को स्वर्ग बनाओ। चित्र रख दो। जो भी आये, बोलो स्वर्ग के मालिक बनेंगे*? आओ, हम समझाये। बाबा बहुत अच्छे-अच्छे स्लोगन्स बताते हैं। दो बारी स्नान करने से तुम बहुत गुल-गुल बन जायेंगे। अपार खुशी रहेगी। कहा जाता है ईश्वर की महिमा अपरमअपार है।

 

➢➢  *इस समय हम सब हैं नर्कवासी सजनियां अर्थात् सब माया रावण की कैद में हैं। बेहद का बाप बेहद की बातें ही समझायेंगे। सारी दुनिया कैद में है, इसको दुःखधाम कहा जाता है। धाम अर्थात् रहने की जगह। कलियुग में है दुःख । सतयुग में है सुख*।

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