25-05-15 मुरली कविता


श्रीमत पर चलने से बनते श्रेष्ठ
श्रीमत को कभी भूलों मत
एक बाप की मत पर ही चलना ,अपनी छोड़नी मत
चेक करना हम कितना बने पुण्य आत्मा
पुण्य आत्मा बनना तो एक बाप को याद करना
सबको ज्ञान का बताना रास्ता
कर्मेन्द्रियों से कोई न हो विकर्म, 100 गुना सज़ा से बचना
बाप के दिये खज़ानों की रखनी कदर
बेपरवाह बन करने नही कोई पाप कर्म
ईश्वर के घर चोरी करने का न आये ख्याल
कख का चोर होता लख का चोर
जहान के नूर बनना, अपनी आँखों को बनाना सम्पूर्ण
भक्तों को अपनी नज़र से निहाल कर बनना दर्शनीय मूर्त
संकल्पों का घुटका व झुटका नही खाना
निर्मल बनो तो मिलेगी सफलता
निर्मल स्वाभाव से ही आती निर्मानता


ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!