बाप से स्वर्ग का वरसा लो और ख़ुशी में रहो
बाप का प्यार लेना तो आत्मभिमानी हो बैठो
ब्राह्मण से फरिश्ता बनना तो पवित्र बनो
अपने को बी.के समझो और भाई-बहन की दृष्टि रखो
बुद्धि को विचार सागर मंथन से बिजी रखो
ज्ञान-योग के साथ आप समान बनाने की सर्विस भी करो
अपनी दृष्टी को बहुत शुद्ध बनाओ
अपकारी पर भी उपकार करो
उसकी वृति को शुभभावना से परिवर्तन कर दो
रहमदिल बन,स्वपरिवर्तन और शुभभावना से आत्मा में परिवर्तन लाओ
सदा हर्षित रहने का आधार,
ज्ञान का सिमरण करते रहो
ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!