08-09-15 मुरली कविता


सबकों दो प्यार,करो मत गुस्सा

क्योंकि प्यार का सागर बाप देता तुम्हें प्यार का वर्सा 

किसी को मत दो दुःख,कोई बात में नही बिगड़ो 

कर्मेन्द्रियों से कोई उल्टा कर्म तो नही किया....जांच करो 

आँखे कभी क्रिमिनल न हो 

क्रोधी से किनारा करो,उन्हें प्यार से समझाओ

सर्व से स्नेह,सम्मान और ख़ुशी की दुआयॅ श्रेष्ठ खुशनसीबी का कराती अनुभव

वो अलौकिक ख़ुशी में रहते

संतुष्टमणि बनना तो..सदा हर्षित व् आकर्षण मूर्त बनो

ॐ शांति!!!

मेरा बाबा!!!