08-07-15 मुरली कविता


बंधनमुक्त हो सर्विस करो,इस सर्विस में कमाई है ऊंच



21 जन्मों के लिये तुम बन जाते वैकुण्ठ के मालिक
 
 

हर बच्चे को प्रैक्टिस करनी, पॉइंट्स पर समझाने की
 


पढ़ाई तो है सिम्पुल,मुरली चलानी सीखनी

 

ईर्ष्या छोड़ आपस में बहुत प्यार से मिलकर रहना

 

इस पुराने सड़े शरीर का भान छोड़ना

 

भ्रमरी की तरह भूँ-भूँ कर आप समान बनाना

 

होलीहंस बन गुण देखो,स्वयं में बाप के गुण धारण करना

 

जो जितने करते गुण धारण उनकी माला उतनी बड़ी बनती

 

गुणमूर्त शक्तियों का यादगार बन माला चढ़ती

 

साक्षीपन की स्थिति यथार्त निर्णय का तख़्त होती

 

ॐ शांति!!!

 

मेरा बाबा!!!