19-10-15
मुरली कविता
इस रूहानी पाठशाला में पढ़ तुम जाते स्वर्ग
स्वर्ग का लेना पास-पोर्ट तो बनो आत्मभिमानी
अपना नाम कराओ रजिस्टर
उंच ते उंच बाप हम बच्चों की सेवा में हुआ उपस्थित
यह निश्चय जितना जिसको उतना करते वो बाप का रिगार्ड
सरेंडर के साथ होना निश्चयबुद्धि
सदा अपनी उन्नति का रखना ख्याल
ज्ञान-रत्नों का करना व्यापार
रूहानी एक्सरसाइज से आत्मा को बनाना शक्तिशाली
आवाज़ में रहते आवाज़ से परे जाने का करना अभ्यास
समर्पित होना माना..विकारी स्वभाव -संस्कार व कर्म का करना
समर्पण
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!