06-10-15 मुरली कविता


संगम की सेवा बनाती तुम्हें... गायन लायक
भविष्य पुरुषोत्तम बनने से फिर बनते तुम... पूजन लायक
बाप की दिल पर वो चढ़ते जो....
..देह-अभिमान को छोड़ बनते विशाल- बुद्धि
...बाप को अच्छी रीति करते याद
..ज्ञान चिता पर बैठ ,सेवा करते रूहानी
सबको राज-राजेश्वर बनाने की सेवा करनी
विकारी बातें इन कानों से नही सुननी
दिल से पूछना? अपने में कोई अवगुण तो नही ?
निमित्त-भाव से मैं-पन,मेरा-पन करना समाप्त
यह स्मृति हलचल से छुड़ा बनाती... अचल-अडोल
निमित्त-भाव अर्थात...स्टेज पर आना
सब बातों से न्यारे बनो... तो परमात्म बाप के सहारे का होगा अनुभव
 

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!