14-10-15 मुरली कविता


भाषण करो या किसी को समझाओ....तो बाबा-बाबा कहकर
बाप की महिमा करो तो लगे तीर
भारत पहले बहुत था धनवान,साहूकार
पवित्र,16 कला सम्पूर्ण देवता था उसका धर्म
अब कैसे हुआ फिर पतित ,गरीब,दिवाला गया निकल
यह बाबा -बाबा कह समझाओ तो समझे सहज
अहंकार छोड़ याद में रह करनी सेवा
सच्चा-सच्चा वैष्णव बनना,नही करनी हिंसा
अचानक का पेपर होगा ..बुद्धि की लाइन क्लियर रख... एवररेडी रहना
बुद्धि योग किसी सम्बन्ध में न हो ..तब बाप का इशारा होगा टच...होंगे फिर पास
ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन... मन को शक्तिशाली बनाता
 

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!