30-07-15 मुरली कविता


शान्तिधाम से सुखधाम में आना है तुम्हारी पढ़ाई की एम् ऑब्जेक्ट
इस एम् ऑब्जेक्ट को नही भूलना
साक्षी हो ड्रामा की हर सीन देखना
इस समय दुःख ही दुःख का सीन चल रहा
बेहद का सृष्टि चक्र फिरता रहता..एक सेकण्ड न दूसरे से मिलता
योगबल से अपनी भूलों का करना पश्चाताप
अन्तर्मुखी हो करनी अपनी दिल से जांच
बाप की राय पर चलना,करना खुद पर रहम
साक्षी हो अपना व् दूसरों का देखना पार्ट
व्यर्थ संकल्प न आये..यह है मन का मौन
इस नयी इन्वेंशन की सेवा से वायब्रेशन देना
इस सेवा से साधना कम.. सिद्धि होती ज्यादा
साइंस की तरह साइलेंस से भी एक सेकंड में विधि होती प्राप्त
स्वयं को करो समर्पित ..तो सर्व का सहयोग भी होगा समर्पित


ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!