19-05-15 मुरली कविता


देही-अभिमानी हो बाप को याद करना
याद का बल जमा कर विश्व का मालिक बनना
भगवान राजयोग की पढ़ाई सिखा सतयुगी रजाई के लायक बनाते
श्री लक्ष्मी, श्री नारायण समान बनाते
अच्छे मैनर्स धारण करने, जो बाप की आबरू रखे
फेरी लगाने वाले परवाने नही, फ़िदा होने वाले बनो
सवेरे-सवेरे उठ प्रेम से बाप को याद करो
बाप इस पढ़ाई से हमे पुरुषोत्तम बनाते
संगमयुगी ब्राह्मण है इस नशे में रहो
एकाग्रता से एक रस स्थिति बनती
व्यर्थ को समाप्त कर बनना समर्थि
एकाग्रता से सर्व हलचल समाप्त हो जाती
संकल्प, बोल और कर्म को सहज सिद्ध करना तो बनना एकांतवासी
बीती को बीती कर लगाना बिंदी
गलती को बार-बार सोच दाग़ पे दाग़ लगाना नही

ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!