84 जन्मों का हुआ चक्र पूरा
घर जाने में बाकी समय है थोड़ा
इस पुरानी दुनिया से लेनी बेहद की वैराग्य वृति
क्योंकि शांतिधाम घर जाने की आई है स्मृति
समय परचिन्तन में नही करना बरबाद
अपने को इस दुनिया में समझना मेहमान
पापों से मुक्त होने का करना पुरुषार्थ
कोई चीज़ में रखना नही मोह,छोड़ना देह -अभिमान
बुद्धि रूहानी धंधे में रखनी बिज़ी
मिट्टी की ड्रेस छोड़ फरिश्ता ड्रेस पहननी
जो माया से वॉटर या फायर प्रूफ होती
दृढ़ता की शक्ति असंभव को सम्भव बना देती
ॐ
शांति !!!
मेरा बाबा !!!