19-12-15 बाबा पोएम


ये कैसा इम्तिहान है जो मुझको बड़ा डगमगाता
ईश्वरीय मत को भुलाकर माया को पास बुलाता
मेरे मन को क्यूँ इतना खींचती है मोहिनी माया
जानता हूँ इसने ही मुझको जन्म जन्म रुलाया
बिना आवाज के दबे पांव कैसे ये आ जाती है
मेरी सर्व शक्तियां दीमक की तरह खा जाती है
भान होता तब जब सब कुछ खत्म हो जाता है
मनमती कर्म फिर मेरे मन को बड़ा ही खाता है
एक एक पल मुझको पूरा चौकन्ना होना होगा
अपने मन को हर पल ज्ञान जल से धोना होगा
शिव बाबा की मीठी यादों में मुझे डूबना होगा
सभी व्यर्थ कर्मों को हर हाल में छोड़ना होगा
मन बुद्धि की स्वच्छता का रखना होगा ध्यान
चारों और सुनाना होगा शिव बाबा का ज्ञान
ज्ञान बाँट बाँटकर मैं बन जाऊंगा ज्ञान संपन्न
सदा होते रहेंगे मेरे मन में शुद्ध संकल्प उत्पन्न

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!