21-11-15 मुरली कविता
बाबा-बाबा कहो तो ख़ुशी में हो खड़े रोमांच
ख़ुशी में रहने से ही बनते मायाजीत
आत्मभिमानी बनने में लगती मेहनत
माया फिर लाती देह-अभिमान
मूँझना नही,रुस्तम से रुस्तम हो लड़ना
कर्मेन्द्रियों से नही करना कोई विकर्म
याद की यात्रा में रहना
ज्ञान का विचार-सागर-मन्थन करना
सेवा में स्वयं भी संतुष्ट रहना और सर्व को भी करना
संतुष्टमणि का वरदान ले सेवा करो तो बनो सफलतामूर्त
विघ्नों रूपी पत्थर तोड़ने में समय नही गंवा..
हाई जम्प दे उसे करना पार
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!