10-12-15 बाबा पोएम


क्रोध हमारा पक्का दुश्मन गौर से इसे पहचानो
करता है बहुत नुकसान इसके असर को जानो
अप्राप्ति का एहसास ही क्रोध को जन्म देता है
आत्मिक सुख और शांति को पूरा ही हर लेता है
नहीं मिलता चैन जब तक इच्छा पुरी नहीं होती
भौतिक सुख के लालच में आँखें कभी नहीं सोती
कैसे पाएं हम धन दौलत चिंतन यही इक चलता
लोभ लालच में फंसकर मानव अपना रंग बदलता
तृष्णा वश होकर ताक पर रखता मान और शान
विनाशी धन के लोभवश छीनता है अपनों की जान
मति भ्रष्ट होती उसकी अपने जाल में फंस जाता है
विपदा संकट की खाई में खुद ही वो धंस जाता है
क्रोधी मानव अपने मन की सुख शांति खो देता है
अपने हाथों से प्रगति पथ पर कांटे वह बो देता है
अपने जीवन पथ पर जब क्रोधवश कोई फिसलता है
ऐसा प्राणी जीवन में बड़ी मुश्किल से सम्भलता है
ऐसे क्रोध का त्याग करो जो जीवन नर्क बनाता है
खुद के साथ अपनों को कितनी सजाएं खिलाता है
कर दो त्याग क्रोध का और प्रेम स्वरूप बन जाओ
अपने संग संग सबका जीवन सुखमय बनाते जाओ
 

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!