26-09-15
मुरली कविता
ईश्वरीय संतान हो तो कोई आसुरी
कर्म न करो
हर बात में योग के बल से काम लो
योग बल से सारी सृष्टि बनती पावन
भोजन को शुद्ध बनाना तो याद में रहो
युक्ति से चलो, नम्रता का व्यवहार करो
बाप की श्रीमत पर चल विश्व की बादशाही लो
अपने बिलवुड, पतियों के पति बाप पर जीते जी न्यौछावर हो
बाप को भूल कोई उल्टा कर्म नही करो
अपने दाता -विधातापन के शक्तिशाली संस्कार को कर इमर्ज
कमज़ोरी के संस्कार को समाप्त करो
अपने श्रेष्ठ भाग्य के गुण गाते रहो
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!