29-08-15 मुरली कविता


ज्ञान और योग है तो दूसरों को भी सिखाओ

 

सर्विस में आये उछल,उसकी वृद्धि करो 

 

क्रिमिनल आई सर्विस में उछलने नही देती 

 

गृहस्थ-व्यवहार में दोनों पहिये ठीक नही 

 

तो सर्विस में हल्के हो उछल नही सकते 

 

याद की मस्ती में रहने से सर्विस बढ़ती

 

मन्सा -वाचा-कर्मणा याद का पुरुषार्थ करना,

 

देही-अभिमानी बनने की मेहनत करनी

 

मुख से ज्ञान की बातें सुनानी

 

लौकिक कार्य करते अलौकिक कार्य की सदा स्मृति रहे

 

तो तमोगुणी वायब्रेशन से कमल समान न्यारे रहेंगे

 

सर्व को सन्तुष्ट करो तो पुरुषार्थ में हाई जम्प स्वतः मिलती

 

ॐ शांति!!!