01-08-15 मुरली कविता


अपने स्वधर्म को भूलना है बड़ी भूल
अपने घर और राज्य को करना याद.. बनकर अभूल
वाणी में जब याद का हो जौहर...
सतयुगी दुनिया के नज़ारे आये जब नज़र...
तब समझो समय है समीप आया
सदा इस नशे में रहो विश्व के मालिक बन रहे
पवित्रता-सुख-शांति के राज्य में जा रहे
तो माया के घुटके नही फिर खाने
अच्छा तैराक बनना...याद कीयात्रा में
मन्सा के बंधन..व्यर्थ संकल्प,ईर्ष्या,अलबेलापन
यह लाते अती इंद्रिय सुख में बाधा
इन सूक्ष्म बंधनों से मुक्त बन बनना मुक्ति-दाता
खुशियों की खान बनो..जो दुःख की लहर भी न आये


ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!