28-08-15 मुरली कविता


अकालमूर्त बाप का है ...'ब्रह्मा' चलता- फिरता तख़्त
 
 

ब्रह्मा में जब आये शिव ...तब होती ब्राह्मणों की रचना
 


ब्रह्मा देवता नही ...यहाँ है वो प्रजापिता ब्रह्मा
 


ब्रह्मा ने ब्राह्मणों द्वारा यह ज्ञान -यज्ञ रचा
 


अपनी उंच तकदीर बनानी तो पवित्र जरूर बनना
 


बाप की याद में मस्त रहना, कोई गफलत नही करना
 


साक्षी हो ड्रामा की हर सीन देखना
 

हार खा पदभ्रष्ट नही होना
 


किसी के पार्ट को देख स्वयं हलचल में नही आना
 


रहम -दिल बन आये विघ्न को खत्म करना
 


वायुमंडल को चेंज करने के सहयोगी बनना
 


बुद्धि पर अटेंशन का पहरा देने वाला ही बनता ...कर्मयोगी
 


ॐ शांति!!!
 


मेरा बाबा!!!