बाप के
सिवाये कोई ज्ञान रत्न दे नही सकता
ज्ञान का सागर बाप हमेँ जो सुनते समझाते वो है ज्ञान रत्न
आत्मा सच्चा सोना है,उसमे अपवित्रता की खाद पड़ती तो वैल्यू होती
कम
इस समय शरीर आत्मा तमोप्रधान है,तो कोई नही उनकी वैल्यू
आत्मा और शरीर दोनों याद से बनते फिर वैल्युबल
मोहजीत बनना,कथनी और करनी हो एक समान
गफलत में टाइम नही करना वेस्ट
सर्व गुणों,सर्व प्राप्तियों से बनो सम्पन्न
किसी भी बात की व गुण की कमी न हो
बाप के गुणों व् अपने आदि स्वरुप के गुणों का अनुभव कर बनो
सम्पूर्ण मूर्त
जोश में आना भी है रोना...
रोने की फ़ाइल अब करो खत्म
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!