24-11-15 मुरली कविता


इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर पुरुषार्थ कर उंच देव पद पाना
ज्ञान-धन का दान करते रहना
रात-दिन की नींद का भी करना त्याग
धन दिये धन न खुटे..यह गायन रखना याद
सर्विस में कोई नही करना बहाना
एक बाप की याद में रहना..देहधारी को भूलना
कोई फिकरात नही करना..गुप्त ख़ुशी में रहना
संगठन में एक मत,एक रस और एक संकल्प में स्थित होने की निशानी है अंगुली
इस अंगुली से कलियुगी पर्वत को उठाया
तो एक संकल्प में स्थित और एक रस स्थिति में रहने का करो अभ्यास
तब विश्व में शक्ति-सेना का नाम होगा बाला
श्रेष्ठ पुरुषार्थ में थकावट होना माना आलस्य


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!