10-08-15 मुरली कविता


तुम्हारी हुई सुनवाई ,आखिर वो दिन आया आज
पुरुषोत्तम संगम युग आया.. बनो अब इसमें उत्तम
बाप का फरमान है..करो दैवी गुण धारण
बेहद पर जीत पाने का करो पुरुषार्थ
भरो अविनाशी ज्ञान रत्नों से झोली,एक-एक रत्न है पद्म
पद्मों की करो कमाई,फिर करो दान
देही-अभिमानी बनने का करो पुरुषार्थ
शुभ और श्रेष्ठ कर्म कर बनो बाप का राईट हैण्ड
हर कर्म ऊँचे ते ऊँचे बाप के हो समान
रूहानियत के चेहरे द्वारा बाप को करो प्रत्यक्ष
यानि नयनों में हो पवित्रता की झलक
मुख पर हो पवित्रता की मुस्कराहट


ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!