29-12-15 मुरली कविता


मधुबन है होलिएस्ट ऑफ़ होली बाप का घर
इसमें कोई पतित -विकारी आत्मा जा नही सकती
पक्के निश्चयबुद्धि वाले की निशानी...
क्रोध नही करेगा,निंदा-स्त्तुति में रखेगा धीरज
आत्मा को देख आत्मा से करेगा बात
हद की तमन्नाओं से होगा मुक्त
कर्मेंद्रियों पर होगा पूरा कण्ट्रोल
लक्ष्य और लक्षण का रखना बैलेंस
व्यर्थ के पर्दर्शन को छोड़,
स्वदर्शन स्वचिंतक चक्रधारी बनो
सेवा का भाग्य प्राप्त होना है सबसे बड़ा भाग्य


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!