28-11-15 मुरली कविता
बाप आये देने शांति और सुख का वर्सा
शांति के लिए नही भटकना,तुम्हारा स्वरधर्म है शांत
बाप तुम्हें अखुट खज़ानों से करते वज़न
क्योंकि तुम उनके बनते हो जो मददगार
21 जन्म यह धन नही कभी खुट सकता
दुःख नही मिलता,न होती कभी अकाले मृत्यु
इसलिये अपना सब कुछ अभी करना सफल
पढ़ाई पढ़ ..विश्व व् ब्राह्मण्ड का बनना मालिक
सर्व के बनो स्नेही व् लवली.. देकर स्नेह का दान
सर्व के प्रति स्नेह का रिस्पॉन्स मिलता.. सहयोग
सहयोग की रिजल्ट में मिलती ..सफलता
तीव्र पुरुषार्थ माना ..एक सेकण्ड में लगाना फुल -स्टॉप
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!