09-12-15 मुरली कविता


अभी बापसे तुमकों मिलती है दिव्य दृष्टि
जिससे तुम आत्मा ,परमात्मा को सकते देख
बुद्धि में जब ज्ञान होता अच्छी रीति धारण
तो हद की सब बातें हो जाती समाप्त
आंखों को सिविल बनाने में लगती मेहनत
हद की सब बातेँ छोड़, बेहद के बाप को करना याद
विजयी भव की वरदानी आत्मा कभी असहाय नही करती अनुभव
सदा बाप के सहारे की नीचे स्वयं को करती अनुभव
हर कर्म में होती सहयोगी, होता बेहद के वैराग्य
एक बाप की सदा रखो कंपनी और
उनको ही अपना बनाओ कम्पैनियन


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!