27-12-15 बाबा पोएम


मन और बुद्धि में बैठी है माया पांव पसारकर
दुनिया की हालत इसने रख दी है बिगाड़कर
सुख शांति छीनी हमसे छीना आत्मिक प्यार
घोल दिए हमारे जीवन में घिनौने पांच विकार
आत्मा छटपटाती है विकारों से पीड़ित होकर
हर पल रोती रहती है सतयुगी जीवन खोकर
करती है याद प्रभु को दुखों से मुझे छुड़ाओ
माया बहुत सताती है आकर हमको बचाओ
बाबा आकर हमें दुःख का कारण बताता है
दुःख वही पाता है जो माया को अपनाता है
देहभान में छुपा हुआ है माया रावण का सार
तुम हो एक आत्मा करना छोड़ो दैहिक प्यार
समझो खुद को आत्मा हो जाओ देह से न्यारे
करो याद बाबा को हो जाओ बाबा के प्यारे
अपनी मन बुद्धि को बाबा में लगाते जाओ
अपना अनादि स्वरूप हर पल जगाते जाओ
केवल यही अभ्यास तुम्हें माया से बचाएगा
भूला हुआ आत्मिक भान फिर से जगाएगा
माया भी आधा कल्प के लिए चली जाएगी
विकारों की छाया भी जीवन से हट जाएगी
जब हम हो जाएंगे दिव्य गुणों से मालामाल
हो जाएगें फिर से हम सुखी और खुशहाल

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!