26-11-15 मुरली कविता
तुम हो सच्चे-सच्चे अलौकिक जादूगर
मनुष्य से देवता बनने का दिखाते जादू
अच्छा पुरुषार्थी होता पास विद हॉनर
विजय माला का दाना बनने का रखता लक्ष्य
उसकी एक बाप से ही होती सच्ची प्रीत
हम है स्वदर्शन चक्रधारी ब्राह्मण
पास्ट,प्रेजेंट,फ्यूचर की रखते नॉलेज
बाबा हमें बना रहे डबल सिरताज
तो बाप की याद की करनी गुप्त मेहनत
अपने को सर्वशक्तियों के स्टॉक से रखना फुल
महादानी की स्टेज पर स्थित हो सर्व की शुभ कामनाओं को करना
पूर्ण
ईश्वरीय मर्यादाओं पर चलना होता.. मर्यादापुरुषोत्तम बनना
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!