07-11-15 मुरली कविता
बाप सतयुग में कोई सत्संग की नही होती जरुरत
सत्य बाप अभी तुम्हें पढ़ा बना रहे जो देवता
सतयुग में देवता नही करते कोई विकर्म
विकर्म होते जब रावण का मिलता तुम्हें श्राप
वहाँ सबकी है सद्गति,दुर्गति का कोई नही नाम ज्ञान-योग की धारणा
कर दूसरों को भी कराना
विकारों की दलदल से सबकों बाहर निकालना
मैं और अपनापन है परसेंटेज माना डिफेक्ट
डिफेक्ट वाला कभी बनता नही परफेक्ट
परफेक्ट बनने के लिये बाप के लव में रहो लवलीन
लवलीन बच्चे ही तत् त्वम् वरदान को करते प्राप्त
एक -दो को रिगार्ड दो तो स्वयं का रिकॉर्ड हो अच्छा
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!