12-06-15 मुरली कविता


नये सम्बन्ध में जाना तो कर्मबंधनी सम्बंधों को भूलना
कर्मातीत अवस्था बनाने का पुरुषार्थ करना
बाबा करते गरीब बच्चों की वाह!वाह!
वाह गरीबी वाह!
अनपढ़े बच्चों को देख बाबा होते खुश
क्योंकि पढ़ा हुआ भूलने की करनी नही पड़ती मेहनत
याद नाम-रूप की ग्रहचारी से बचाती
अविनाशी ज्ञान रत्नों की कदर रखनी
कहनी और करनी एक समान बनानी
सेन्स और एसेंस का बैलेंस रखना
अपनापन व पुरानापन करना स्वाहा
हर सेकंड,हर संकल्प,हर बोल विश्व के प्रति हो स्वाहा
देह की स्मृति से भी होना स्वाहा
तब श्रेष्ठ वाइब्रेशन द्वारा वायुमण्डल होगा परिवर्तन
दुःख व परेशानी को भूल ,प्राप्तियों को करो याद


ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!