18-06-15 मुरली कविता


श्रेष्ठ मत से बनना है श्रेष्ठ
श्रीमत पर सबको देना है सुख
गांव-गांव जा कर करनी सर्विस
रहमदिल बन दुखियों को खुशखबरी सुनानी
पवित्रता ,सुख ,शांति की राजधानी है स्थापित करनी
सबकों सुख का रास्ता बताना
सपूत बच्चा बन बाप पर कुर्बान जाना
बाप समान निर्मान,निरहंकारी बनना
न्यारे और प्यारे बन करनी सेवा
बेहद की स्थिति में स्थित होना
देह की स्मृति, ईश्वरीय सम्बन्ध, सेवा के सम्बन्ध.. से न्यारे और बाप के प्यारे बन विश्वसेवधारी का वरदान पाना
शक्तिशाली बनना तो व्यर्थ को एक सेकंड में स्टॉप करना


ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!