04-11-15 मुरली कविता


किसी भी बात में न हो देह-अभिमान
क्योंकि तुम हो वर्ल्ड सर्वेंट
फ़िल्मी कहानियां न पढ़ना न सुनना
ऐसी किताबें करती नुक्सान
ईश्वरीय कायदे के है विरुद्ध
नशा रहे श्रीमत पर बन रहे विश्व के मालिक
फूलों के बागीचें में जाते..जहाँ नयन हो जायेंगे शीतल
ब्रह्मा बाप समान श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनो
परोपकारी बनो अर्थात स्वार्थ से मुक्त रहो
तो सदा स्वयं को होगा भरपूर अनुभव
सर्वस्व त्यागी बनो तो सरलता और सहनशीलता की गुण हो धारण

ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!