05-12-15 मुरली कविता
विचार -सागर -मंथन करो तो चढ़े पारा ख़ुशी का
चलते-फिरते याद करो ..हम है स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा
दैवी गुणों का रखो रजिस्टर तो हो स्व -उन्नति
चेक --करो कोई आसुरी कर्म तो नही किया
कभी न हो कुदृष्टि..आपस में हो सच्चा भाई- बहन का प्यार
बाप की डायरेक्शन पर चलना माना ही उनकी कृपा
चलते-फिरते फ़रिश्ते स्वरुप का कराओ साक्षात्कार
भाषण देने वाले नही, भासना कराओ तुम हो अल्लाह के बन्दे
सदा मौज का अनुभव करने वाले कभी नही मूंझतेँ
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!