सदा ख़ुशी में रहो! अब घर जाना
84 का हुआ चक्र पूरा,कर्मभोग बचा अब थोड़ा
ध्यान रहे देह-अभिमान से ही होते विकर्म
देही-अभिमानी हो याद कर बाप को करने विकर्म खत्म
बाप को सच-सच सुना बनना हल्का
सबकों सन्देश पहुंचाने व कल्याण अर्थ ही सोचना
अभी और विक्रम नही करना
हर बोल,हिम्मत-उल्लास देने वाले प्रभावशाली हो
हर कर्म, स्वः प्रति व् दूसरों प्रति...फलदायक हो
रूहानी प्रभावशाली बन.. बाप को प्रत्यक्ष करो
विश्व को रोशन करने वाले ...शुभ -चिंतक मणि बनो
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!