09-12-15 बाबा पोएम


मन में व्यर्थ संकल्पों के उत्पादन पर पूर्ण विराम लगाऊं।
दिलाराम को दिल में बसाकर इसको आराम देता जाऊं।
संगमयुग में बाबा ने दी है मुझको कितनी सुन्दर सौगात।
मुरली के माध्यम से होती मुझ पर ज्ञान जल की बरसात।
अब ना कोई शिकवा किसी से ना हूँ किसी से मैं नाराज।
प्यार बांटू सबको बाप समान आती मन से यह आवाज।
सामने आए जब कोई तो समझूँ उसको मैं आत्मा भाई।
छोड़कर सारे देह के रिश्ते एक बाबा से मैंने प्रीत लगाई।
कोई आश्चर्य नहीं मुझे जब खेल है सारा ये बना बनाया।
अपना अपना पार्ट सभी ने बहुत सुन्दरता से है बजाया।
ड्रामा है ये बना बनाया इस पर ना कोई इल्जाम लगाऊँ।
बाप दादा की शिक्षाओ से अपने पार्ट को सुन्दर बनाऊँ।
थोड़े से बचे समय में अपनी पवित्रता को बढ़ाता जाऊँ।
अष्ट शक्तियों से सम्पन्न होकर माया पर विजय मैं पाऊँ।
विश्व की सर्व आत्माओं के दुःख संकट मिटाता जाऊँ।
दुःखहर्ता सुखकर्ता बनकर सबका ईष्टदेव मैं कहलाऊँ।
ज्ञान योग के बल से शीघ्र ही सतोप्रधान मैं बन जाऊँ।
बाबा से विजयमाला पहन उनके संग मैं घर को जाऊँ।
 

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!