खुद को विकारों रूपी माया के चम्बे से बचाना
देह-अभिमान में कभी नही आना
पुण्य आत्मा बनना तो...
श्रीमत पर चलो...
याद की यात्रा करो...
आत्मभिमानी बनो...
काम महाशत्रु पर जीत पहनो...
तुम्हारी मुसाफिरी हुए पूरी अब घर लौटना
अपनी राजधानी में फिर आना
खुश रहना ..बाप स्वर्ग की पटरानी बना रहा
ब्रह्मा बाप की जीवन रूपी कंप्यूटर में देखना
प्रश्नचित के बजाये प्रन्नचित बनना
आत्मिक शक्ति...स्वस्थ जीवन का है आधार
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!