22-10-15
मुरली कविता
सच्चे-सच्चे परवाने होते शमा पर फ़िदा
फ़िदा होने का यादगार है दीपावली पर्व
सच्चा -सच्चा आशिक बन बलि चढ़ना है सच्ची दीपावली
बाप आ कर करते रामराज्य स्थापित
अपना व् हमारा परिचय देते
रावण राज्य से हमें जीत पहनाते
आत्मा की फिर से ज्योति जगाते
मुख से सदैव ज्ञान रत्न ही निकालने
बाप की सेवा का दिव्य अलौकिक कार्य करना
पवित्रता है सुख -शांति का फाउंडेशन
पवित्र आत्मायें कभी होती नही उदास
मन -वचन-कर्म से जो रहते पवित्र वो है हाइनेस और होलिनेस
पवित्रता की निशानी है लाइट का ताज
मैं आत्मा हूँ शरीर नही..यही चिंतन है स्वचिंतन
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!