30-12-15 मुरली कविता
ऊंच तकदीर बनानी तो बुद्धि योग
एक बाप से रखो
पुरानी दुनिया से कनेक्शन नही रखो
श्रीमत के बरख़िलाफ़ नही जाना
रूहानी सर्विस पर तत्पर रहना
ट्रस्टी बनना ,लून-पानी नही होना
बुद्धि की लाइन हो सदा क्लियर
ज्ञान सागर के बच्चे रहते सागर में समाये सदा
तब होता अती इंद्रिय सुख के झूले का अनुभव
एकांतवासी और अन्तर्मुखी बनना
चेहरे को चलता-फिरता म्यूजियम बनाओ जो बिंदु बाप के हो दर्शन
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!