11-12-15
बाबा पोएम
पंख लगा कर उड़ आओ नील गगन के
पार
कब आओगे मेरे बच्चों बाबा तुम्हें रहा पुकार
सूक्ष्म वतन है सुना सुना मेरे प्यारे बच्चों बिन
बीते नहीं बच्चों बिना मेरा अब एक भी दिन
आ जाओ मेरी गोदी में बनकर तुम सब पावन
बरसा दूंगा बच्चों पर मैं खुशियों भरा सावन
बच्चों बिन माँ के नयनों से जैसे छलकता नीर
वैसे ही मेरा मन हुआ है तुम बच्चों बिन अधीर
आओ मेरे बच्चों अब और ना मुझे तड़पाओ
धर्मराज बनने के लिए मुझे ना मजबूर बनाओ
अच्छा नहीं लगता मुझे बच्चों को सजाएं देना
सजाओं से बचना है तो सीख लो दुआएं लेना
दुनिया के मिटने में अब समय बच गया थोड़ा
रूप धरूँगा धर्मराज का लेकर हाथ में कौड़ा
एक मेरी याद से तुम पावन खुद को बना लो
मुझसे ही कौड़े खाने से खुद को तुम बचा लो
नहीं रहेंगे नहीं बचेंगे देह के कोई भी सम्बन्ध
मुझसे ही रखो तुम सर्व सम्बन्धों का अनुबन्ध
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!