23-10-15
मुरली कविता
देवता बनना तो करो अवगुणों का त्याग
गुस्सा,चोरी,तंग करना यह सब है महापाप
ज्ञान में तीखे जाने वाले रखते अपना पोतामेल
घाटा उन्हें पड़ता जिनमेँ होता देह-अभिमान
प्रतिज्ञा करनी...बाबा नही करेंगे अब हम कोई बुरा काम
रूहानी सर्विस करनी,बड़ो का रखना रिगार्ड
जहां है चिंता वहाँ नही चैन
जहाँ है भय वहाँ नही शांति
मास्टर सर्वशक्तिमान बच्चे होते समाधान स्वरुप
समस्या का खेल में कर देते निवारण
इसलिये चिंता और भय से रहते सदा मुक्त
वृति हो श्रेष्ठ..तो प्रवृति स्वतः होगी श्रेष्ठ
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!