02-11-15 मुरली कविता
आत्मा को सतोप्रधान बनाने का रखना फुरना
कोई खामी न रह जाये,माया की गफलत से बचना
मुख से शुभ बोल निकले सदा ,हम बनेंगे नर से नारायण नही कम
हम ही फिर बनेंगे विश्व के भी मालिक
ऊँची मंज़िल है तो रहना खबरदार
आत्मा को बनाना पावन ,तो आसुरी कर्म से करनी संभाल
पढ़ाई पढ़नी और पढ़ाना,मिया मिट्ठु नही बनना
ख़ुशी का खज़ाना मिला तो ख़ुशी रखनी क़ायम
ब्राह्मणों का बुरा नही होता,सब अच्छा ही होता
ऐसी बादशाही मिलती जो कोई न सके छीन
संसार को खेल और परिस्थिति को समझना खिलौना.. तो होगी नही
निराशा
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!