आसमान के पार
चलो तुम होकर निराकार
मिलन मनाओ आकर मुझसे पाओ खुशियाँ अपार
जीवन ये अनमोल बड़ा ही इसको ना तुम खोना
आलस और अल्बेलेपन की निंदिया में ना सोना
एक कदम मेरी और बढ़ाओ कदम रखूं मैं हजार
आसमान के पार चलो .......
नयनों में हो स्वर्ग सुहाना भूलो दुनिया पुरानी
पूज्य बने थे कल्प पहले याद करो वो कहानी
घर से बिछुड़े बीत गए तुम्हें वर्ष पांच हजार
आसमान के पार चलो .......
एक लक्ष्य और एक मंजिल तुम सबको पाना है
लक्ष्मी नारायण के जैसा खुद को तुम्हें बनाना है
जीवन को तुम श्रेष्ठ बना लो करके अपना सुधार
आसमान के पार चलो ......
ॐ शांति !!!