03-10-15
मुरली कविता
संगम पर तुम करते ..आत्म-अभिमानी
बनने की मेहनत
कलियुग और सतयुग में होती नही इसकी जरूरत
श्री कृष्ण का नाम है बाला... सम्पूर्ण योग -बल से होता इनका
जन्म
सबसे अधिक किया इन्होंने संगम पर पुरुषार्थ
जब पाप आत्मायें होती खत्म ..तब होता इनका जन्म..जो कहलाता 'वैकुण्ठ
'
याद के यात्रा में रह बुद्धि पवित्र बना...विकर्माजीत बनना
अच्छे कुल में जाना तो.. अच्छे संस्कार करने धारण
एक बाप दूसरा न कोई ...यह दृढ़ संकल्प बनाता एक रस
अमर भव ,अविनाशी भव का वरदान इससे मिलता स्वतः
पुरुषार्थ से मिलती इससे लिफ्ट..सर्व सम्बन्ध एक बाप से कराता
सर्व प्राप्ति
सर्वोत्तम पुरुषार्थी माना ..सोचना,करना और बोलना हो जब एक
समान
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!