01-12-15 मुरली कविता


तुम्हारे पूरे हुए अब दुःख के दिन
तुम्हें जाना नई दुनिया,जहाँ कुछ नही अप्राप्त
नयी दुनिया में जाना तो रखना बेहद का वैराग्य
सम्पूर्ण पावन बनने की नही तोड़नी प्रतिज्ञा
अपने अवगुण निकालने का रखना पूरा चार्ट
सुखधाम जाना तो मुरली सुननी है रोज़
महदानी ,फ्रकदिल बनना है उद्धारचित्त आत्मा की विशेषता
उद्धारमूर्त आत्मा ही सेवा का होती आधार स्वरुप
'आप'और 'बाप' का कंबाइंड स्वरुप रहो
तो कोई तीसरा नही कर सकता अलग


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!