16-10-15
मुरली कविता
स्वयं निर्विकारी बन,फिर दूसरों को कहना
श्रीमत पर भारत को स्वर्ग बनाना
मैं महावीर हूँ, विघ्नों की नही करना परवाह
बेहद का वैरागी हूँ ?क्रोध तो नही करता? करना चेक
कथनी करनी हो एक समान
ख़ुशी व नशा रहे 21 जन्मों का मिल रहा वर्सा
तो पवित्र रहना ,ऐसे बाप को याद करना
श्रीमत पर चलना,श्रेष्ठ ही करने कर्म
बाप के संग का रंग चहरे में लाता रूहानियत
वैसे फरिश्तेपन के मेकप से आती चमक
यह रूहानी मेकप सर्व का स्नेही बनाता
दिव्य गुण ,ब्रह्मचर्य और योग की करनी धारणा
ॐ शांति!!!
मेरा बाबा!!!