सुख के दिन अभी आ रहे समीप
निंदा-स्तुति,मान-अपमान,दुःख-सुख में रहना समान
बाप से कभी भी रूठना नही
रूठनें वालों को सज़ा मिलती बड़ी -बड़ी
बाप देते वॉर्निंग --ख़बरदार रहो
ब्राह्मणी या आपस में क्षीर खण्ड हो रहो
किसी भी कारण से पढ़ाई छोड़नी नही
अविनाशी सर्जन से कोई बात छिपानी नही
मैं ट्रस्टी हूँ,यह सेवा बाप ने दी है..मेरी सेवा नही
कर्मातीत अवस्था पाने का अभ्यास करो
बंधनमुक्त हूँ, ऐसी प्रैक्टिस करो
योगयुक्त,युक्तियुक्त सेवाधारी बनो
पास विद् ऑनर होना तो अंत की स्टेज का करो अनुभव
शुभ भावना कारण को निवारण में देती बदल
ॐ शांति !!!
मेरा बाबा !!!