02-12-15 मुरली कविता


देह सहित देह के सब सम्बन्ध भूलो
घर जाना तो बनो पावन और मामेकम् याद करो
आत्मा पर धीरे-धीरे चढ़ती जंक.. सुई माफिक
याद से उतरेगी जंक ,आत्मा बनेगी सतोप्रधान फिर
जितना जंक उतरती जायेगी उतनी बाप की होगी खींच
सुनी-सुनाई बातों पर चलकर पढ़ाई नही छोड़नी
रग देखकर देना ज्ञान,शुरुड बुद्धि बनानी
ईर्ष्या है अग्नि जो स्वयं के साथ दूसरों को भी जलाती
घृणा वाले खुद भी गिरते औरों को भी सीखाते गिरना
क्रिटिसाइज़ वाले आत्मा को बनाते हिम्मतहीन और देते दुःख
तीनों बातो से मुक्त हो... बनो शुभचिंतक और करो शुभचिंतन
मन-बुद्धि -संस्कार पर विजयी माना स्वराज्यधिकारी बनना


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!