17-12-15 मुरली कविता


संगम पर सत बाप से मिलता सत्य का वरदान
सत बाप की औलाद कभी बोल सकती नही झूठ
मैं हूँ आत्मा...मैं हूँ आत्मा ,इसका करो अभ्यास
आत्मा बन आत्मा की बात सुनो और करो बात
निर्विकारी होने के लिये करो यह मेहनत
संशयबुद्धि हो नही छोड़नी पढ़ाई,एक बाप को करना याद
देह पर नज़र जाने से पड़ते विघ्न,भृकुटि में देखो आत्मा
आत्म-अभिमानी बनना और निडर हो करनी सेवा
ब्राह्मण अर्थात हर कार्य जिसका विधिपूर्वक
अमृतवेले से रात तक...मन्सा-वाचा-कर्मणा व सम्पर्क में रहना विधिपूर्वक
विधि से मिलती सिद्धि और होती वृद्धि अवश्य
स्वच्छता और सत्यता में सम्पन्न बनना ..माना सच्ची पवित्रता


ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!